"झलक" — एक बेहद खूबसूरत लड़की, जिसे मजबूरी में शहर आना पड़ा और अपने आपको बदसूरत बनाकर रखना पड़ा लोगों की गंदी नजरों से बचने के लिए और एक वादे के चलते। लेकिन उसकी जिंदगी पूरी तरह से पलट गई जब गलती से एक billionaire कर बैठा उसके साथ वन नाइट स्टैंड — और... "झलक" — एक बेहद खूबसूरत लड़की, जिसे मजबूरी में शहर आना पड़ा और अपने आपको बदसूरत बनाकर रखना पड़ा लोगों की गंदी नजरों से बचने के लिए और एक वादे के चलते। लेकिन उसकी जिंदगी पूरी तरह से पलट गई जब गलती से एक billionaire कर बैठा उसके साथ वन नाइट स्टैंड — और उस मोस्ट हैंडसम शख्स ने उसकी बदसूरती की भी परवाह नहीं की, और अपनी खूबसूरत मंगेतर की जगह उसे, झलक के साथ रहना पसंद करने लगा। लेकिन झलक की दुनिया ही पलट गई जब उसे पता चला कि billionaire सिद्धार्थ की मंगेतर और कोई नहीं बल्कि उसकी हमशक्ल जुड़वा बहन है! तो कौन थी झलक? क्या थी उसकी मजबूरी जो उसे बदसूरत बनकर रहना पड़ा? क्या उसकी असली खूबसूरती सिद्धार्थ के सामने आ पाएगी? जानने के लिए पढ़िए दोस्तो — Obsession of Billionaire, सिर्फ़ Story Maniya पर!
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हमारी कहानी की हीरोइन, झलक ने Night क्लब में काम पूरा करने के बाद सोचा, क्यों न अपने दोस्तों से गुडबाय कहा जाए और फिर घर चला जाए?
यह सोचते हुए, झलक ने जल्दी से अपने सामान को हैंडबैग में भरा और अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटी की चाबी ली, फिर फटाफट से बाहर निकल गई।
जैसे ही वह बाहर गई और आगे बढी, अचानक झलक हैरान रह गई।
क्योंकि सामने उसने देखा कि उसके दोस्त, जो उस क्लब के सिक्योरिटी गार्ड थे, उन्हें एक आदमी बडी बुरी तरह से पीट रहा था।
अब जैसे ही झलक ने यह नोटिस किया, उसका गुस्सा आउट ऑफ कंट्रोल हो गया।
क्योंकि झलक जिन लोगों के साथ दोस्ती रखती थी, उनके साथ कभी कुछ गलत होते हुए वह बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।
तभी अचानक झलक ने ना आव देखा ना ताव और पीछे जाकर उस आदमी को, जो उसके दोस्तों को बुरी तरह से मार रहा था, पकडकर उसकी टांगों को पकड कर सीधा जमीन पर पटक दिया।
जैसे ही झलक ने यह स्टंट किया, उसके दोस्तों ने तुरंत अपने मुंह पर हाथ रख लिया।
क्योंकि झलक ने किसी मामूली आदमी को नहीं पटका था, बल्कि वह शहर के फेमस अमीर परिवार का इकलौता बेटा, आर्यन रायचंद था।
अब जल्दी से झलक का दोस्त नीरज उसके पास आया और हकला कर बोला, झलक यार, तुमने क्या किया? तुम जानती हो, तुमने किसको पटक दिया है? अरे, ये आर्यन रायचंद है। यह काफी अमीर आदमी है। तुम्हें इसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था।
वही आर्यन, जो कि शराब के नशे में धुत था, अचानक झलक के इस तरह से पटकने पर उसका नशा आधा उतर चुका था।
वह फटाफट उठ खडा हुआ और झलक को घूरते हुए, दांत पिस्ते हुए बोला, आउच! कौन हो तुम?
जैसे उसने झलक को देखा, पहले तो उसे झलक से काफी घिन्न सी महसूस हुई, क्योंकि उसने इतनी बदसूरत लडकी अपनी जिंदगी में नहीं देखी थी।
आर्यन के आस- पास तो हमेशा एक से बढकर एक खूबसूरत लडकियाँ रही थीं। दरअसल, आर्यन शहर का मशहूर प्लेबॉय के नाम से फेमस था।
फिलहाल झलक को देखने के बाद, खुद को नॉर्मल करते हुए वह झलक की ओर देखकर बोला, कौन हो तुम? और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ऐसा करने की? हुंह।
वही झलक अपने दोस्त की बात सुनने के बाद थोडा सोच में पड गई कि उसे इस अमीर आदमी से किसी तरह का पंगा लेना चाहिए या नहीं।
लेकिन फिलहाल, अब तो उसने पंगा ले लिया था। तो वह बरसते हुए बोली, देखो, मुझे नहीं पता था कि तुम कौन हो या कौन नहीं हो, और मैंने तुम्हें मारा है। उसके लिए माफ करना! लेकिन हां, अगर तुमने एक बार फिर मेरे दोस्तों को मारने की कोशिश की, तो मैं एक बार फिर तुम्हें और मारूंगी। और मार- मारकर तुम्हारी टाँगे तोड दूँगी।
अब जैसे ही झलक ने एकदम से एटीट्यूड में आर्यन की तरफ उंगली दिखाते हुए यह सब बिना डरे हुए कहा, आर्यन, जो कि गुस्से से उसे घूर रहा था, अचानक से उसका गुस्सा छू मंतर हो गया।
वह जोरों से हंसने लगा था।
अब झलक हैरानी से नीरज, रोहित, और प्राची की ओर देखने लगी थी। इन तीनों से झलक की अच्छी खासी दोस्ती हो गई थी।
वेल, तभी आर्यन झलक के पास आया और उसके बदसूरत से गाल को छूकर बोला, हो कौन तुम? तुम जानती हो आज से पहले मुझसे किसी ने इस तरह से बात नहीं की है? और वाकई तुम्हारा इस तरह से मुझसे इस अंदाज में बात करना मुझे काफी पसंद आया, रियली, आई रियली लाइक यू.
अब झलक, जो कि बदसूरती के वेश में एक विश्व सुंदरी टाइप लडकी थी, लेकिन फिलहाल उसने खुद को बदसूरत बनाया हुआ था, जैसे ही उसकी बदसूरती के बाद भी एक लडके ने उसे यह कहा कि" आई लाइक यू, झलक हैरान हो गई।
वह आंखें मटकाते हुए बोली, देखो, ये फालतू की बकवास बंद करो! और मेरे साथ ज्यादा फ्लर्टबाजी करने की कोशिश मत करना, समझे तुम?
तभी आर्यन, नशे में झूमते हुए बोला, देखो, तुम्हारे दोस्तों ने मेरी बात नहीं मानी। मैंने इनसे ड्रिंक मांग रहा था, लेकिन उन्होंने मुझे ड्रिंक लाकर नहीं दी। उन्होंने मुझे बोला कि ये लोग यहाँ पर सिक्योरिटी गार्ड्स का काम करते हैं, वेटर का नहीं. उनकी हिम्मत कैसे हुई आर्यन रायचंद को इस तरह से जवाब देने की? हुंहहह। अब तुम मेरी बात सुनो, अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे दोस्तों को माफ कर दूँ, तो तुम्हें मेरे साथ बीयर पीनी होगी। और अगर तुमने मुझसे पहले उस बियर की बोतल को खत्म कर दिया, तो मैं तुम्हारे दोस्तों को छोड दूंगा और माफ कर दूंगा। वरना, आर्यन रायचंद से उलझने का क्या अंजाम हो सकता है, इसके बारे में तो पूरे शहर भर को पता है।
अब झलक ने एक नजर अपने तीनों दोस्तों की ओर देखा, फिर आर्यन की ओर देखा।
झलक कभी- कभी अपने दोस्तों के साथ बीयर वगैरा ले लिया करती थी। जब से उसने Night क्लब में Job जॉइन की थी, तब से वह हर रोज ड्रिंक करने लगी थी, लेकिन काफी कम मात्रा में, ज्यादा नहीं.
और आज आर्यन के इस तरह से ऑफर करने पर झलक ने देखा कि उसके तीनों दोस्त एक साथ में लाइन से लगे हुए अपनी गर्दन नाक की तरह हिला रहे थे, इशारे से कह रहे थे- तुम्हें आर्यन की बात नहीं माननी है।
लेकिन झलक तो झलक थी। वह कहां किसी की सुनने वाली थी। वह डरने वालों में से नहीं थी। फटाफट से उसने आगे बढकर बीयर की बोतल उठाई और अपने होठों से लगा ली। और एक ही झटके में पूरी बोतल खाली कर दी!
वही आर्यन केवल अपनी बियर पीने के बारे में सोचता ही रह गया था।
तब तक झलक ने वह बोतल खत्म कर दी थी। अब आर्यन का मुंह हैरानी के मारे खुला का खुला रह गया था।
और फिर अचानक से आगे बढकर उसने झलक को गले से लगा लिया।
और नशीली आवाज में बोला, आज के बाद तुम मेरी पक्की दोस्त हो।
अब झलक ने भी अपने बाकी दोस्तों के चेहरे पर एक मुस्कराहट देख ली थी। और वैसे भी इस शहर में वह किसी से दुश्मनी लेने का पंगा नहीं ले सकती थी।
तो इसलिए उसने भी आर्यन की दोस्ती एक्सेप्ट कर ली थी। और सबसे बडी बात ये थी कि आर्यन ने उसे उसके बदसूरत चेहरे के साथ दोस्ती के लिए ऑफर किया था।
वेल. अब क्योंकि रात काफी हो चुकी थी और अब जल्द ही आर्यन के बॉडीगार्ड वहाँ उसे ढूंढते हुए आ गए थे और रिस्पेक्ट के साथ बोले, छोटे साहब, आपको हमारे साथ चलना होगा!
तब आर्यन ने झलक को गुडबाय कहकर नशे में हिलते- डुलते वहां से निकल गया।
और अब आर्यन के जाने के बाद तीनों दोस्त झलक के सामने हाथ जोडकर खडे हो गए थे और मजाक उडाते हुए बोले, मान गए देवी जी, मान गए तुम, कितनी ज्यादा ब्रेव हो यार, मान गए! ये बोलकर वे झलक की अलग- अलग तारीफ करने लगे थे।
तब झलक मुस्कुराते हुए बोली, अच्छा ठीक है! अब मैं चलती हूँ, बहुत लेट हो गया है। और मां को भी घर जाकर फोन करना है, वरना वो परेशान हो रही होंगी।
ये बोलकर झलक फटाफट से वहां से बाहर निकलने लगी।
लेकिन तभी प्राची ने झलक का हाथ पकड लिया और उसे टोकते हुए बोली, आखिर कब तक चलेगा ये सब कुछ? अब यहाँ से जाकर तुम आधी रात के बाद डेलिवरी गर्ल का काम करोगी! और हालत देखो, अपनी तुम ठीक से खडी तक नहीं हो पा रही हो।
तब झलक प्राची की ओर देखकर लाचारी से बोली, बस मुझे काम करना है! हालांकि झलक ने पूरी बियर की बोतल पी थी, जिसकी वजह से उसे थोडा नशा भी हो रहा था। लेकिन
लेकिन तभी प्राची ने झलक का हाथ पकड़ लिया था और उसे टोकते हुए बोली, "आखिर कब तक चलेगा यह सब कुछ? अब यहाँ से जाकर तुम आधी रात के बाद डिलीवरी गर्ल का काम करोगी? और हालत देखो अपनी, तुम ठीक से खड़ी तक नहीं हो पा रही हो।"
तब झलक प्राची की ओर देखकर लाचारी से बोली, "बस मुझे काम करना है!" हालांकि झलक ने पूरी बीयर की बोतल पी थी, जिसकी वजह से उसे थोड़ा-थोड़ा नशा भी हो रहा था।
इसलिए प्राची चाहती थी कि झलक अभी ड्राइव ना करे। एक बार फिर झलक को रोकने की कोशिश करते हुए, उसकी हालत देखकर प्राची बोली, "देखो झलक, मैं जानती हूँ कि तुम अब पार्ट टाइम में दो घंटे आराम करोगी। फिर रात के बारह बजे के बाद तुम अपने डिलीवरी वाली जॉब कंटिन्यू करोगी, लेकिन अभी अपनी हालत देखो, इतना काम क्यों कर रही हो?"
"तुम्हें आराम भी करना चाहिए! वैसे भी तुमने आज ड्रिंक की हुई है। मुझे लगता है कि तुम्हें अभी एक-दो घंटा क्लब में आराम करने के बाद वापस जाना चाहिए।"
तब झलक धीमी आवाज़ में बोली, "आई एम सॉरी यार, मुझे जाना होगा! क्योंकि मुझे डिलीवरी वाली जॉब पर भी रिपोर्ट करना है। बाय!"
झलक रात के 12 बजे के बाद पार्ट टाइम डिलीवरी का भी काम किया करती थी और केवल दो से चार घंटे ही उसे आराम करने के लिए मिल पाए थे। उसी में वह सोया करती थी आगे की स्टोरी जानने के लिए पढ़ते रहिए दोस्तों billinaore forced love only on story maniya पर।
झलक रात के 12 बजे के बाद पार्ट टाइम डिलीवरी का भी काम किया करती थी और केवल दो से चार घंटे ही उसे आराम करने के लिए मिल पाए थे। उसी में वह सोया करती थी ।।
फिलहाल झलक ने प्राची से बिना किसी इमोशंस के कहा, "अभी मुझे नहीं पता मेरी ज़िंदगी में कितना ज़्यादा स्ट्रगल लिखा हुआ है, पर मुझे पूरी उम्मीद है एक ना एक दिन मेरी किस्मत ज़रूर चमकेगी।" फिलहाल झलक जल्दी ही प्राची से विदा लेकर अब वापस से अपने घर की ओर रवाना हो चुकी थीं।
वेल, झलक सही-सलामत अपने घर पहुँच चुकी थी। रास्ते में उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आई थी।
घर जाकर झलक ने थोड़ी देर रेस्ट किया। फिलहाल तो उसकी माँ वहाँ मौजूद नहीं थी। क्योंकि उसकी माँ अस्पताल में उसके पापा के साथ मौजूद थी।
फिलहाल झलक फ़्रेश होकर एक-दो घंटा आराम करने के बाद उठी।
वेल... तब तक झलक का नशा काफी हद तक कम हो चुका था। उसके बाद झलक सीधा अपनी पार्ट टाइम डिलीवरी की जॉब पर पहुँची थी।
तब उसके मालिक ने उसे कहा था कि अभी एक ऑर्डर मिला है और तुम्हें फटाफट यह ऑर्डर जल्दी पहुँचाना होगा! काफी बड़ा ऑर्डर मिला है किसी के यहाँ पर पार्टी हो रही है! वह खाना कम पड़ गया है।
तो तुम्हें यह खाना जल्दी टाइम पर पहुँचाना होगा! तब झलक ने फटाफट से खाना अपनी स्कूटी पर सवार किया और खाना लेकर लोकेशन सेट करने के बाद वह अपनी डेस्टिनेशन की ओर गुनगुनाते हुए रवाना हो चुकी थी
लेकिन तभी अचानक... रास्ते में जब डिलीवरी गर्ल बनकर झलक उस बड़े ऑर्डर की डिलीवरी देने के लिए जा रही थी, तभी उसने देखा कि एक ब्लैक रंग की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी।
अब यह देखकर झलक की चीख निकल गई। उसने घबराते हुए देखा कि वह कार जमीन पर उल्टी गिर गई है।
वह कार बुरी तरह से टूट-फूट गई थी। उसकी काँच, खिड़कियाँ सब कुछ टूट गई थीं! इतना ही नहीं उसमें से गैसोलीन की हल्की-हल्की गंध आनी भी शुरू हो गई थी
इसका मतलब साफ़ था कि यह कार किसी भी वक़्त फटने के लिए तैयार थी।
अब झलक जो पूरी तरह से घबरा गई! उसने तुरंत अपनी मोटरसाइकिल वहीं छोड़ दी थी और वह उस कार को ड्राइव करने वाले ड्राइवर को बचाने के लिए दौड़ पड़ी!
और जमीन पर झुककर उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और खून से लथपथ आदमी के चेहरे को थपथपाया!
उस घायल आदमी का चेहरा पूरी तरह से खून से सना हुआ था, जिसकी वजह से वह आदमी कौन था, कौन नहीं और कैसा दिखता था, यह कुछ भी फिलहाल समझ में नहीं आ रहा था।
तब झलक ने उस घायल आदमी के गालों को जोरों से थपथपाते हुए कहा, "कौन हो तुम? अरे उठो... तुम्हारी कार फटने वाली है! बाहर निकलो, प्लीज़!"
"आँखें खोलो, प्लीज़... आँखें खोलो..."
लेकिन उस आदमी की ओर से किसी तरह की कोई आवाज़ उसे सुनाई नहीं दे रही थी।
अब तो झलक ने उस घायल आदमी की जान बचाने के लिए अपना सर उसकी कार की खिड़की वाली साइड से अंदर घुसा दिया था।
फिर उसने उसकी सीट बेल्ट खोली और उसे बाहर जोरों से बाहर की ओर खींचने की कोशिश करने लगी।
लेकिन उस घायल आदमी का पैर अटका हुआ था और धीरे-धीरे जब झलक उसे निकालने की कोशिश कर रही थी...
तब उस घायल आदमी को हल्का सा होश आया और उस आदमी ने बेहोशी की हालत में कमज़ोरी से कहा, "मेरी मदद करो, प्लीज़... बचाओ मुझे..."
लेकिन तभी झलक घबराते हुए बोली, "लेकिन मैं तुम्हें बाहर नहीं निकाल सकती हूँ! तुम बहुत बुरी तरह से कार में फंसे हो!"
क्योंकि उसने कितनी ही कोशिश की थी, लेकिन वह उसका पैर तक नहीं हिला पाई! और अब गाड़ी में गैस की बहुत तेज बदबू आनी शुरू गई!
और अब झलक को लगा कि अगर वह इसी तरह से उसकी जान बचाने की कोशिश करती रही, तो गाड़ी में विस्फोट हो जाएगा और उसकी भी जान चली जाएगी!
उसे अपनी जान की कोई ख़ास परवाह नहीं थी।
लेकिन झलक अपनी जान किसी भी कीमत पर जाने नहीं दे सकती थी क्योंकि उसके ऊपर उसकी बुढ़ी माँ और एक छोटे भाई की ज़िम्मेदारी थी।
लेकिन वह उस घायल आदमी को हिला तक नहीं पा रही थी और ऊपर से गाड़ी में से तेज़ बदबू आ रही थी...
और झलक अपनी जान किसी भी कीमत पर जोखिम में नहीं डाल सकती थी।
इसीलिए उसने उस घायल आदमी की ओर देखकर गिल्टी टोन में कहा, "देखो मुझे माफ़ करना, लेकिन मैं तुम्हें नहीं बचा पाऊँगी।"
"फिलहाल अभी मुझे खाना डिलीवरी करने के लिए जाना है और मैं पहले ही बहुत लेट हो चुकी हूँ! अगर मैंने यह खाना सही समय पर नहीं पहुँचाया, तो पक्का मेरा मालिक मेरे पैसे काट लेगा।"
अब जैसे ही झलक ने किसी मरते हुए घायल इंसान को छोड़कर खाना डिलीवरी करने की बात कही...
वह ज़ख़्मी आदमी, जो कि गाड़ी के अंदर बैठा हुआ था, वह अंदर ही अंदर गुस्से से उबलने लगा था। हालांकि उसकी आधी बेहोशी की हालत थी।
लेकिन वह सोच रहा था कि अगर एक बार मैं ज़िंदा बच जाता हूँ, तो सबसे पहले इस लड़की की अपने हाथों से गला घोंट कर जान ले लूँगा।
मेरी ऐसी सिचुएशन में इस बेवकूफ़ को खाना डिलीवर करने की पड़ी है।
लेकिन इससे वह यह बात तो समझ चुका था कि इस लड़की के लिए पैसे कितने ज़्यादा ज़रूरी हैं। हालांकि झलक उसे बचाना चाहती थी।
अब जैसे ही झलक ने यह कहा, वह घायल आदमी ने अपना गुस्सा दबाते हुए बड़े ही कमज़ोर आवाज़ में बोला, "देखो मुझे बचा लो! अगर आज तुम मुझे बचा लोगी..."
"तो मैं तुम्हें एक करोड़ रुपये दूँगा।"यह सुनकर झलक की आँखें चमक उठी थीं! और तब उसने उस कार पर गौर किया। वह कार वास्तव में एक बड़ी ही महँगी कार थी।
और वह इतना तो समझ चुकी थी कि ज़रूर यह कोई अमीर आदमी है। लेकिन वह घायल आदमी पूरी तरह से खून में लथपथ है।
ऊपर से उसकी टांग फँसी हुई है! तो भला वह उसे कैसे बचाने की कोशिश कर सकती है।
तब उस खून से लथपथ आदमी ने अपनी आँख खोलने की कोशिश की थी और साथ ही साथ वह झलक का चेहरा देखने की भी कोशिश कर रहा था।
लेकिन क्योंकि उसके सर पर, माथे पर हर जगह खून ही खून निकला हुआ था, तो उसकी आँखें धुंधली हो गई थीं।
तब पैसों के बारे में सुनकर झलक ने एक और कोशिश की और वह जैक लेने के लिए दौड़ी! और उसने वह सीट और कंसल के बीच में टिका दिया! तभी उस आदमी को अपनी पूरी शरीर की ताकत लगाकर बाहर जैसे-तैसे उसने खींचा... और जैसे ही वह उस आदमी को सम्हालते हुए कुछ मीटर दूर चली...
एक जोरदार धमाके के साथ कार में विस्फोट हो गया! और वह धमाके से घायल आदमी और झलक जमीन पर एक-दूसरे के ऊपर गिर गए!
वह आदमी अब झलक के ऊपर था। जमीन पर गिरते ही फिर वह आदमी बेहोश हो गया था।
झलक का चेहरा डर से पीला पड़ गया। उसने उसकी छाती थपथपाई क्योंकि वह उस वक़्त उसके बेहद करीब था।
थोड़ी देर राहत की साँस लेने के बाद उसने उस आदमी को अपनी स्कूटी पर खींच लिया और उसे डिलीवरी बॉक्स को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सी से बाँध दिया।
वह अस्पताल की ओर उसे लेकर जाने लगी।
और जैसे ही अस्पताल में गई, काउंटर पर नर्स ने उससे पूछा, "आपका नाम क्या है?"
तब झलक ने सोचा कि वह उसे अपना नाम बता दे! लेकिन जैसे ही वह अपना नाम बताना चाहती थी...
नर्स ने उसे बीच में टोक दिया और बोली, "तो आप तो मिस आकांक्षा ओबेरॉय हैं ना... The Famous Model!" आकांक्षा झलक की जुड़वा बहन थी।
उन दोनों के चेहरे और कद एक जैसे थे, लेकिन उनकी किस्मत बिल्कुल अलग-अलग थी।
(हालाँकि झलक अपना चेहरा हमेशा छुपाकर रखा करती थी। इतना ही नहीं, अपनी ख़ूबसूरती रंगत पर वह एक साँवली रंग की परत ओढ़े रहा करती थी। और कुछ मेकअप से झाईयाँ बना दिया करती थी ताकि उसकी रियल ख़ूबसूरती किसी को दिखाई ना दे! और साथ ही साथ कोई भी उसे आकांक्षा ना समझे...)
लेकिन उस आदमी को बचाने के चक्कर में उसका अपना लड़कों वाला वह गेटअप भी हट चुका था, जिसकी वजह से उसने चेहरे पर भी कोई मेकअप नहीं किया था।
तो नर्स ने उसे आकांक्षा समझ लिया था।
फ़्लैशबैक—
(क्योंकि उसे उसके जन्म के समय ही उसके असली माँ-बाप ने झलक को एक परिवार को गोद दे दिया था।
वह भी सिर्फ़ और सिर्फ़ एक बेकार की वजह से कि झलक उनके लिए अपशगुनी, मनहूस है।
हालाँकि दोनों बहनें जुड़वाँ हुई थीं, दोनों को ही एक समान प्यार और सम्मान मिलना चाहिए था।
लेकिन झलक के खुद के अपने सगे माँ-बाप ने झलक को बड़ी ही बुरी तरह से ट्रीट किया था। और जब झलक एक मासूम सी, केवल छह दिन की बच्ची थी, ठीक उसी वक़्त उन्होंने उसे एक परिवार को सौंप दिया था।
हालाँकि वह तो झलक की जान लेना चाहते थे।
लेकिन जब एक परिवार ने इस तरह से रात के अंधेरे में झलक को उसके सगे माँ-बाप के द्वारा फेंकते हुए देखा... आगे की स्टोरी के लिए बने रहिए दोस्तों like shere comment jrur करे।
लेकिन जब एक परिवार ने इस तरह से रात के अंधेरे में झलक को उसके सगे माँ-बाप के द्वारा फेंकते हुए देखा... ।।।
तो वह तुरंत उसके पास आ गए! तब उसके माँ-बाप ने उससे सवाल पूछा?
तब उस परिवार ने उसे, झलक के सगे माँ-बाप यानी कि मिस्टर ईशान ओबेरोय से पूछा भी था कि यह आप क्या कर रहे हैं? यह आपकी नवजात बेटी है! जो की अभी-अभी पैदा हुई है।
सभी को इस बात के बारे में पता चल चुका था कि ओबेरोय परिवार में दो बेटियों ने जन्म लिया है। क्योंकि ओबेरोय परिवार शहर का जाना-माना प्रतिष्ठित परिवार था।
अब जैसे ही ओबेरॉय परिवार रंगे हाथ पकड़े गए! ईशान ओबेरोय... और श्रीमती नैना ओबेरोय... दोनों ने यह देखा तो दोनों थोड़ा सकपका गए थे।
और कुछ पल सोचते हुए, तब अचानक नैना ने उस छोटी सी, नन्ही सी झलक को अपनी गोद में लेकर उस परिवार की बीवी यानी स्नेहा शर्मा को देते हुए बोली, "यह लड़की हमारे लिए किसी काम की नहीं है।"
"हम बस इसे यहाँ फेंकना चाहते हैं। लेकिन अगर तुम इसे लेना चाहते हो तो ले सकते हो! हम तुम को दे सकते हैं।"
अब जैसे ही नैना यह कहा...
उस शर्मा परिवार की आँखों में चमक आ गई थी। क्योंकि उन लोगों की तो कोई औलाद ही नहीं थी और काफी अरसे से वह कपल औलाद के लिए तरस रहे थे, तड़प रहे थे।
और अब जैसे ही नन्ही सी झलक स्नेहा की गोदी में आई तो उनकी आँखें भर आती हैं। और उसने उसे खुशी से गले से लगा लिया था।
लेकिन नैना अपनी सगी माँ बड़ी ही नफ़रत से उस छोटी सी बच्ची को घूर कर देख रही थी।
हालाँकि मिस्टर सौरभ शर्मा के दिमाग में यह सवाल भी आया था कि अचानक से एक छोटी सी बच्ची से इन्हें इतनी नफ़रत क्यों हो गई है? ऐसा क्या हुआ है? लेकिन फिलहाल उन्होंने अपनी पत्नी की आँखों की खुशी देखी... तो इसीलिए उन्होंने यह बात उनसे पूछना ज़रूरी नहीं समझा था।
और अब झलक मिस्टर और मिसेज़ शर्मा के परिवार में पलने लगी थी।
मिस्टर एंड मिसेज़ शर्मा ने झलक को लेने के बाद उसी रात वह शहर छोड़ दिया था।
मिस्टर सौरभ शर्मा ने जब झलक को गोद लिया तो! उसके ठीक छह साल बाद स्नेहा शर्मा प्रेग्नेंट हो गई थी।
और कहीं ना कहीं उन्होंने झलक को अपने लिए हमेशा से शुभ माना था कि उसके शुभ कदम पड़ते ही उनके घर में बच्चा जन्म लेने वाला था।
तो वह बहुत ज़्यादा खुश थी। और उन्होंने कभी भी झलक और अपने बेटे में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया था।
और वह अपने बेटे और बेटी की परवरिश अच्छे से करने लगी थी।
कुछ सालों बाद...
और जब झलक तकरीबन सोलह साल की हुई, तब स्कूल से लौटते समय उनका एक भयानक एक्सीडेंट हो गया था।
मिस्टर एंड मिसेज़ शर्मा ने झलक को बचाने के लिए अपनी जमापूँजी दाँव पर लगा दी थी।
अपनी सारी जमा पूँजी उस पर खर्च कर दी थी! लेकिन जब हॉस्पिटल में उसकी माँ और पिता किसी का भी खून झलक से मैच नहीं हुआ! तब हॉस्पिटल वालों को उन पर शक हुआ!
तब मिस्टर शर्मा ने उन्होंने साफ़-साफ़ बता दिया था कि झलक उनकी बायोलॉजिकल सगी बेटी नहीं है, बल्कि उन्होंने उसे गोद लिया है।
पता नहीं कैसे यह बात झलक तक भी पहुँच चुकी थी।
क्योंकि जिस वक़्त डॉक्टर उसे ट्रीट कर रहे थे, तब आपस में नर्स इस बारे में डिस्कशन कर रही थीं। तब झलक ने उन दोनों नर्सों की बातें अनजाने में सुन ली थी।
उस एक पल में ही उसकी दुनिया पलट गई थी।
वेल, अच्छे ट्रीटमेंट के बाद, अब लकीली झलक बच चुकी थी। और जैसे ही बचकर वह वापस घर आई! घर आकर उसने अपने माता-पिता से सवाल किया? तब मिस्टर एंड मिसेज़ शर्मा ने झलक कुछ भी नहीं छुपाया था।
और उन्होंने झलक को सारा सच कह दिया था।
झलक के मन में बचपन से ही अपने असली माता-पिता के लिए एक अलग से कड़वाहट भर चुकी थी।
साथ-साथ उसके मन में एक सवाल भी था कि आखिरकार उससे ऐसी क्या गलती हुई थी जो छोटी सी बच्ची को उसके परिवार ने इस तरह से मारने की कोशिश की और फिर उसे बिना जान पहचान के एक अनजान परिवार को बिना झिझके गोद में सौंप दिया।
यह तो झलक की खुशनसीबी थी कि उसे इतना अच्छा परिवार मिला। जिन्होंने पाल-पोसकर बड़ा करा। उसकी हर ख़्वाहिश को सर आँखों पर रखा! उन्होंने अपनी औलाद और झलक में कभी कोई भी फ़र्क नहीं समझा।
कभी-कभी यह सब सोचते हुए झलक काफी इमोशनल हो जाती थी।
झलक ने ठान लिया था कि अब वह इस परिवार का साथ कभी भी नहीं छोड़ेगी! और जितना प्यार इस परिवार से उसे मिला है, उतना ही प्यार वह इस परिवार को करेगी। और अपनी ज़िम्मेदारी से कभी भी किसी भी हालत में पीछे नहीं हटेगी।
वेल... झलक अपने छोटे भाई के साथ राजी-खुशी अपना जीवन बिताने लगी थी।)
लेकिन झलक के हँसते-खेलते परिवार को किसी की नज़र लग गई। जब झलक अट्ठारह साल की हुई, तब उसके जन्मदिन की एक छोटी सी पार्टी मिस्टर एंड मिसेज़ शर्मा ने अपने घर पर रखी।
और केक लेने के लिए जैसे ही मिस्टर सौरभ शर्मा घर से बाहर गए और जब वह केक शॉप से केक लेकर घर की ओर लौट रहे थे... तभी अचानक उन्हें एक बड़ी सी गाड़ी ने जोरदार टक्कर मार दी थी।
और आनन-फ़ानन में उन्हें उस कस्बे के छोटे से हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था। वहाँ जाकर उनका ट्रीटमेंट.. हुआ. लेकिन बाद में पता चला कि वह कोमा में चले गए हैं! और उसके इलाज के लिए इन्हें बड़े शहर में शिफ़्ट करवाना होगा।
अब झलक के पास कोई और रास्ता नहीं था। झलक जिसने अभी-अभी नई-नई जवानी की दहलीज पर क़दम रखा था, अचानक से इतना बड़ा एक्सीडेंट होने पर उसका पूरा परिवार बिखर सा गया था। झलक अपने माता-पिता को बेहद प्यार किया करती थी।
अब झलक ने डिसीज़न ले लिया था कि चाहे उसे कुछ भी करना पड़े! लेकिन वह अपने पिता को कुछ नहीं होने देगी! और इतना पैसा कमाएंगी कि अपने पिता के इलाज में कोई कमी नहीं रहने देंगी।
क्योंकि अब मिस्टर सौरभ शर्मा को बहुत महँगे-महँगे इलाज की आवश्यकता थी।
झलक ने अपने छोटे कस्बे के डॉक्टर की बात मानते हुए अपने पिता सौरभ शर्मा को जल्द से जल्द शहर के हॉस्पिटल में शिफ़्ट कर दिया गया।
लेकिन झलक को यह नहीं पता था कि जिस हॉस्पिटल में उसने अपने पिता को एडमिट कराया है, वह हॉस्पिटल किसी और का नहीं बल्कि ओबेरोय परिवार यानी उसके असली माता-पिता का है।
झलक आकांक्षा ओबेरोय यानी अपनी जुड़वा बहन के जैसी ही दिखा करती थी। इनफैक्ट झलक उससे भी ज़्यादा ख़ूबसूरत थी।
तब उस हॉस्पिटल की एक नर्स ने उसे आकांक्षा ओबेरोय समझकर मालिकों वाली इज़्ज़त देना शुरू कर दिया था और उसके आस-पास देखते हुए इधर-उधर बातें बताने लगी।
अब झलक थोड़ी सी हैरान हो गई कि अचानक से इन लोगों को क्या हुआ है? यह उसके साथ इतने ज़्यादा अजीब तरह से पेश क्यों आ रहे हैं।
वेल... जब एक डॉक्टर ने झलक को आकांक्षा ओबेरोय कहकर पुकारा—तब झलक की आँखें हैरानी के मारे बड़ी हो गई थीं।पहले झलक ने अपनीपालने वाली माँ से थोड़ी सी पूछताछ की! तो उसे पता चल चुका था कि उसके असली माता-पिता का सरनेम ओबेरोय था।
और नर्स की इनफ़ॉर्मेशन से उसे पता चला—यह हॉस्पिटल ओबेरोय का है। और यह भी आज उसे पता चला, आकांक्षा ओबेरोय उसकी सगी जुड़वा बहन है।
अगर वह उसकी सगी बहन नहीं होती, तो भला उसके जैसे कैसे दिखती? अब तो झलक की हैरानी काफी ज़्यादा बढ़ चुकी थी।
अगर सगे माता-पिता आकांक्षा को पाल-पोसकर बड़ा कर सकते थे, तो उसे इस तरह से खुद से जुदा करने के लिए क्यों राज़ी हो गए?
क्यों बिना झिझके उसे सड़क किनारे फेंकने के लिए तैयार हो गए थे? आखिरकार उसकी गलती क्या थी? उसने ऐसा क्या किया था कि उसके अपने सगे माँ-बाप ने उसे इस तरह से जान के दुश्मन बन बैठे!
और जब नाकामयाब हो गए और रंगे हाथों पकड़े गए, तब उन्होंने एक अनजान परिवार को झलक गोद दे दिया।
आखिर आकांक्षा की तरह वह भी उनकी अपनी औलाद थी। तो फिर उसके साथ यह नाइंसाफ़ी क्यों की गई? लेकिन अभी फिलहाल यह सारी बातें सोचने का समय नहीं था।
इसलिए अब झलक जल्द से जल्द अपने पालने वाले पिता को ठीक करना चाहती थी। क्योंकि उसके पिता ने उसे बहुत ज़्यादा प्यार दिया था।
आज तक कभी भी उसे इस बात का एहसास नहीं होने दिया था कि झलक उनकी अपनी सगी औलाद नहीं है।
वहीं उसकी माँ का रो-रोकर बुरा हाल था।
तब झलक ने उस डॉक्टर से हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट की—कि वह बस उसके पिता को जल्द से जल्द ठीक कर दे!
अब वही डॉक्टर चौंक गई थी कि इस तरह से इतने बड़े खानदान की बेटी आकांक्षा ओबेरोय किसी और को अपना पिता क्यों कह रही थी? और जब उन्हें थोड़ी शंका पैदा हुई, तो उन्होंने सीधा मिस्टर ईशान ओबेरोय को फ़ोन कर दिया था।
और ईशान भी हॉस्पिटल वालों की यह बात सुनकर चौंक गया था कि उनकी बेटी आकांक्षा इस वक़्त हॉस्पिटल कैसे हो सकती है। जबकि इस वक़्त आकांक्षा तो उनके ठीक सामने बैठी हुई कॉफ़ी पी रही है। ।
क्या मोड़ लेगी झलक की जिंदगी जानने के लिए बने रहिए दोस्तों।
अब वही डॉक्टर चौंक गई थी कि इस तरह से इतने बड़े खानदान की बेटी आकांक्षा ओबेरोय किसी और को अपना पिता क्यों कह रही थी? और जब उन्हें थोड़ी शंका पैदा हुई, तो उन्होंने सीधा मिस्टर ईशान ओबेरोय को फ़ोन कर दिया था।
और ईशान भी हॉस्पिटल वालों की यह बात सुनकर चौंक गया था कि उनकी बेटी आकांक्षा इस वक़्त हॉस्पिटल कैसे हो सकती है। जबकि इस वक़्त आकांक्षा तो उनके ठीक सामने बैठी हुई कॉफ़ी पी रही है।
ईशान ओबेरोय की हैरानी काफी ज़्यादा बढ़ गई थी। और जब उसने अपनी बीवी, पत्नी नैना को यह बात बताई!
अब नैना के माथे पर भी हैरानी के भाव आ गए थे! और तो वह दोनों एक-दूसरे को देखते हुए डिस्कस करते हुए नाखुश होकर बोले, "कहीं यह वह तो नहीं, जैसे ही उन्हें इस बात का अंदेशा हुआ कि"
"कहीं उनकी वह अपशगुनी बेटी यहाँ इस शहर में तो नहीं आ गई है?"
और अचानक उन दोनों के चेहरे पर एक ईविल स्माइल आ गई थी। और वह दोनों दौड़कर हॉस्पिटल में आ गए थे।
और वहाँ जाकर जब उन्हें झलक की आइडेंटिटी के बारे में पता चला और साथ ही साथ झलक को जो लोग पाल रहे थे, उसके माता-पिता के कंडीशन के बारे में पता चला। जब उन्होंने मिस्टर सौरभ शर्मा की गंभीर हालत देखी, तो वह परेशान हो गए थे या फिर ये कहा जाए परेशान होने की एक्टिंग करने लगे थे
और झलक को अपने सामने देखकर इस वक़्त वह बहुत ज़्यादा गुस्से और हैरत में थे। क्योंकि वह दोनों झलक से बहुत ही ज़्यादा नफ़रत किया करते थे। आज भी उनकी नफ़रत कम नहीं हुई थी।
अब ईशान ओबेरोय और नैना को समझ में नहीं आया कि वह इस सिचुएशन में करें तो करें क्या? हॉस्पिटल में तो उन्होंने बात संभाल ली थी।
किसी तरह वह सबसे छुपाते हुए झलक को अकेले में ले आए थे ताकि उससे डिस्कशन कर सकें!
झलक हैरानी से अपने माता-पिता को देख रही थी—जिन्होंने उसे किस तरह से अपनी ज़िंदगी से निकाल फेंका था।
कहीं ना कहीं झलक का चेहरा उसकी माँ, नैना ओबेरोय से काफी मिलता-जुलता था।
झलक के अंदर की फीलिंग्स उन्हें देखकर बाहर आ रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि इतने दिनों के बाद वह अपने माता-पिता से मिली है, तो शायद वह उससे प्यार जताएँगे? उससे कुछ बातें करेंगे?
लेकिन वह दोनों तो नफ़रत से झलक को देख रहे थे। और उन्होंने उसे कोई प्यार जताने के बजाय सीधे-सीधे ऑर्डर दे दिया था।
अगर वह अपने पिता मिस्टर सौरभ शर्मा को बचाना चाहती है, तो इसके लिए उसे उनके साथ एक डील करनी होगी।
अब तो झलक की आँखें हैरानी से फैल गई थीं। उसे तो समझ में नहीं आया कि इतने सालों के बाद वह अपने माता-पिता से मिल रही थी, लेकिन उसके माता-पिता उसे प्यार से हालचाल पूछने की जगह बेशर्मों की तरह उसके साथ एक डील करने की बात कर रहे थे।
तभी उसके जन्म देने वाले पिता ईशान ओबेरोय अचानक थोड़ा आगे बढ़े और कहा कि वह उसके पिता सौरभ शर्मा के इलाज का खर्चा उठा सकते हैं, पर एक शर्त है।
तुम्हे अपना बॉर्न मेरो हमारे बेटे को देना होगा, क्योंकि ज्यादा अय्याशियां करने और बहुत ज्यादा मात्रा में शराब पीने की वजह से ओबेरॉय परिवार के इकलौते बेटे ""आरव ओबेरॉय को एनीमिया नाम की बीमारी हो चुकी थी ।
अब तो झलक की आँखें हैरानी के मारे फटी की फटी रह गई थीं। और वह गुस्से से भड़कते हुए बोली, "आखिर क्यों कर रहे हैं आप लोग मेरे साथ ऐसा?"
"अरे मैं भी तो आपकी बेटी हूँ ना? आप लोगों ने मुझे भी जन्म दिया है? तो मुझसे इतनी नफ़रत क्यों है आप दोनों को?"
अब जैसे ही झलक ने चिल्लाते हुए यह कहा...
नैना का पारा काफी ज़्यादा बढ़ चुका था। और थोड़ा सा आगे बढ़कर उसने कसकर झलक की बाजू को दबोच लिया था।
और उसको घूरते हुए बोली, "मुझे तो यकीन ही नहीं होता कि इसकी शक्ल हूबहू मेरी बेटी आकांक्षा से मिलती है। मैं तुझसे बेहद नफ़रत करती हूँ! भले ही मैंने तुम्हें जन्म दिया है।"
"लेकिन तुम मेरी नफ़रत की गहराई का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकती हो! और एक और बात, कान खोलकर सुन लो! तुम कभी भी मेरी बेटी नहीं बन सकती हो। मेरी बेटी आकांक्षा तुमसे हर चीज़ में बेहतर है।"
"मेरी आकांक्षा हर चीज़ में बेस्ट है। जैसे फैशन सेंस में, मेनर्स में, और तुम्हें पता है? वह इस शहर की सबसे ख़ूबसूरत लड़कियों में से एक है और एक कामयाब मॉडल है। जबकि तुम सिर्फ़ एक देहाती गरीब गवार लड़की हो जो खुद को ठीक से संभाल नहीं सकती!"
"और मैं अपनी आकांक्षा की इमेज को तुम्हारी आइडेंटिटी की वजह से बिल्कुल भी बर्बाद नहीं होने दूँगी।"
अब तो झलक की आँखों के किनारे भीग गए थे। अपनी सगी माँ का इतना गुस्से भरा चेहरा देखने के बाद! अब उसके मन में जो कड़वाहट थी, वह अब और भी ज़्यादा बढ़ गई थी। और अचानक उसने अपनी बाजू को नैना के हाथों से झट से छुड़ा लिया था।
तभी झलक नफ़रत से उन्हें देखते हुए सोचने लगी—कैसे उसके ये अपने सगे माता-पिता तो उसकी जान लेना चाहते थे।
लेकिन सौरभ शर्मा परिवार ने बचाया था, जिससे झलक बहुत प्यार करती थी। इसीलिए अब वह अपने पिता को हर हाल में बचाना चाहती थी।
लेकिन इस सिचुएशन में ज़्यादा बहस ना करते हुए! उसने बात को संभालने के लिए खुद के इमोशन्स पर कंट्रोल किया।
और अपने पालने वाले माता-पिता को बचाने के लिए झलक के पास अब कोई और रास्ता नहीं था। और झलक की इच्छा ना होते हुए भी, अपना बॉर्न मेरो देने के लिए राज़ी हो गई थी।
और साथ ही साथ झलक ने मिस्टर एंड मिसेज़ ओबेरोय को वादा कर लिया था कि झलक अपना असली चेहरा कभी भी शहर में किसी को नहीं दिखाएगी।
तब जाकर ओबेरोय परिवार ने झलक के पिता को अपने हॉस्पिटल में एडमिट कर लिया था और साथ ही साथ एक छोटा सा, दो कमरों का घर किराये पर लेकर उसे दे दिया था।
ताकि वह झलक पर नज़र बनाए रखें।
क्योंकि अब झलक वापस से अपने छोटे से कस्बे में नहीं जा सकती थी जब तक उसके पिता का पूरी तरह से इलाज नहीं हो जाता।
तब तक झलक को शहर में ही रहना था।
इसीलिए झलक अब अपनी माँ और छोटे भाई को लेकर अब मिस्टर ओबेरोय के दिए हुए घर में रहने लगी थी।
मिस्टर ओबेरोय ने उसे बता दिया था कि आज से ठीक कुछ महीनों बाद उसे बॉर्न मेरो उनके बेटे आरव ओबेरोय को देनी होगा।।
मिस्टर ओबेरोय की तीन संतान थीं। दो जुड़वाँ बेटियाँ थीं और एक बेटा था।
लेकिन उनके बेटे को बहुत कम उम्र में ही एनीमिया नाम की बीमार हो गई थी इतनी कम उम्र में गंदी आदतों के कारण उसको एनीमिया नाम की बीमारी बननी शुरू हो गई थी और उसको बचाने के लिए अब बोर्न मेरो की जरूरत थी ।अब ओबेरॉय परिवार अपने इकलौते बेटे को ऐसे मरते हुए नहीं देख सकते थे इसीलिए उन्होंने झलक को ढूंढने का फैसला किया और उसके पालने वाले पिता का एक्सीडेंट करवाकर उसे ट्रैप करके शहर में ले आए ताकि उसे मजबूर करके उससे बॉर्न मेरो ले सके क्योंकि उनके इकलौते बेटे का ठीक होने का सिर्फ़ एक ही रास्ता था— झलक से बॉर्न मेरो लेना. क्योंकि झलक आरव की सगी बहन थी तो उसकी किडनी आसानी से उसके साथ मैच कर सकती थी इसीलिए उन्होंने झलक को चुना था. वह आकांक्षा से बेहद प्यार किया करते थे। वह आकांक्षा का बॉर्न मेरो वह नहीं ले सकते थे।
लेकिन झलक से तो उन्हें नफ़रत थी। अब झलक जब उनकी ज़िंदगी में लौटकर आई! या फिर हम यह कह सकते हैं कि मिस्टर एंड मिसेज़ ओबेरोय ने एक घटिया प्लान करके झलक को अपनी ज़िंदगी में उन्होंने प्लान किया।
और अब झलक को मजबूर करके अपने बेटे के लिए बॉर्न मेरो लेना चाहते थे। और शायद अब उनका प्लान पूरी तरह से सक्सेसफ़ुल होने वाला था क्योंकि उन्हें अब एक रास्ता नज़र आने लगा गया था।
हालाँकि पहले भी वह हर शहर में, विदेश में, विदेश में हर जगह मैचिंग बॉर्न मेरो ढूँढने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन अब झलक के उनकी ज़िंदगी में आने के बाद उन्हें रास्ता मिल चुका था।
अपने एकलौते बेटे की जान बचाने का इसीलिए उन्होंने झलक को मजबूर कर दिया था।
वही दूसरी ओर...
जब आकांक्षा की मुलाक़ात झलक से हुई! तब आकांक्षा के फ़ेस एक्सप्रेशन्स काफी ज़्यादा बिगड़ चुके थे। क्योंकि झलक आकांक्षा से भी ज़्यादा ख़ूबसूरत थी।
आकांक्षा को झलक से इनसिक्योरिटी होने लगी थी! इसीलिए बिना देरी किए उसने झलक के लिए बदसूरत करने वाली क्रीम का ऑर्डर दे दिया।
आकांक्षा ने झलक के लिए विदेश से मँगाई हुई एक ऐसी क्रीम उसे दे दी थी जिसे फ़ेस पर लगाने के बाद और शरीर पर लगाने के बाद वह उसकी असली रंगत एकदम साँवली सी लगने लगेगी।
उस क्रीम से चेहरे के ऊपर झाईयों की हल्की-हल्की परत बन जाया करती है जिससे किसी का ख़ूबसूरत चेहरा और भी ज़्यादा बदसूरत दिखाई देगा। ,।
आगे की Story के लिए बने रहिए दोस्तों like शेयर कमेंट्स जरूर करे।
उस क्रीम से चेहरे के ऊपर झाईयों की हल्की-हल्की परत बन जाया करती है जिससे किसी का ख़ूबसूरत चेहरा और भी ज़्यादा बदसूरत दिखाई देगा। ।
ना वह बारिश से हट सकती थी, ना ही किसी चीज़ से, जब तक कि उसे क्रीम को हटाने के लिए उसका रिमूवर इस्तेमाल ना करना पड़े।
आकांक्षा ने क्रीम के साथ झलक को रिमूवर भी दिया था। तब से झलक अपने फ़ेस को बेहद बदसूरत बनाकर रखा करती थी। वह बेहद भद्दी सी दिखाई दिया करती थी।
लेकिन अब मिस्टर एंड मिसेज़ ओबेरोय उसके पिता की बीमारी का खर्चा तो उठाने लगे थे, लेकिन घर चलाने के लिए झलक को उनसे भीख नहीं माँगनी थी। ना ही उनके सामने गिड़गिड़ाना चाहती थी।
इसीलिए उसने दिन में एक नाइट क्लब में काम करना स्टार्ट किया। अपनी उस बदसूरती के गेटअप में और साथ ही साथ पार्ट टाइम में वह डिलीवरी खाना बाँटने का काम किया करती थी।
और आज देर रात तक अपना डिलीवरी का काम कर रही थी। इसीलिए उसने विदेशी क्रीम का use नहीं किया था
लेकिन उसे नहीं पता था कि कोई उसे इस तरह से पहचान लेगा। इसके अलावा वह उस अंजान घायल आदमी की जान बचाने के चक्कर में मिस्टर ईशान ओबेरोय के ही अस्पताल में चली गई थी।
जिन्होंने उसे पैदा किया था। इसीलिए उसे अब अपनी बहन यानी कि आकांक्षा ओबेरोय होने का नाटक करना पड़ता है।
और अब जल्दी ही नर्स, आकांक्षा यानी कि झलक को इस तरह से खोया हुआ देखकर उसके सामने अपने हाथों को घुमाते हुए बोली, "हेलो, एक्सक्यूज़ मी मैडम... आप कहाँ खो गई हैं, प्लीज़..."
अब जल्दी ही झलक अपनी कुछ कड़वी याद से बाहर आई और नर्स की ओर देखने लगती हैं।
तभी नर्स झलक की ओर देखकर बोली, "वो मैडम देखिए... आप अच्छी तरह से जानती है कि यह हॉस्पिटल आपका ही है। लेकिन अस्पताल के ही रूल-रेगुलेशन हैं।"
"अगर इस तरह से किसी पेशेंट को एडमिट कराया जाता है! तो एडमिट करने वालों को ही उस पेशेंट का एडमिट खर्चा देना होगा।"
अब जैसे ही झलक ने यह सुना, उसकी आँखें हैरानी से फैल गई थीं।
क्योंकि पार्ट टाइम जॉब करके जो उसने पैसे कमाए थे, उसके पास सिर्फ़ दस हजार रुपए थे। अब झलक ने एक नज़र उस नर्स की ओर देखा!
फिर उस घायल आदमी की कही हुई बात याद आने लगी। ठीक है! अगर वह उसकी जान बचा लेती है, तो वह आदमी उसे पूरे एक करोड़ रुपए देगा!
तब झलक ने सोचा कि एक काम करती हूँ! उस घायल आदमी को बचाने के लिए अपनी सेविंग दे देती हूँ। दस हजार रुपए, जो कि उसके महीने भर की सेविंग थी।
वह उस अजनबी, या बल्कि अपने आगे होने वाले बिलियनेयर हस्बैंड की सर्जरी के लिए उसने पूरे दस हजार का बिल भर दिया।
और साथ-साथ झलक मन में सोच रही थी कि यह मिस्टर ओबेरोय ने कितने बेकार से हॉस्पिटल के रूल बनाए हैं। हुंह..
अगर किसी के पास पैसे नहीं होंगे? तो क्या वह इसी तरह से इंसानों को मरने देंगे? लेकिन फिलहाल नर्स के टोकने पर उसने ना चाहते हुए अपनी सेविंग उस घायल आदमी की भर्ती के लिए दे दिए थे।
तब वह नर्स मुस्कुराती हुई वहाँ से चली गई थी।
वही अब झलक ने सोचा कि अगर वह इसी तरह से आकांक्षा के चेहरे के साथ यहाँ रुकी रही, तो सबको उस पर शक हो सकता है।
और फिर वह किस-किस को जवाब देती फिरेंगी!
वैसे भी आज की भाग-दौड़ में वह बहुत ज़्यादा थक चुकी थी। इसीलिए हॉस्पिटल में सब कुछ संभालने के बाद वह अपने किराए के घर वापस चली गई थी और सीधा कपड़े बदलने लगी।
और नॉर्मल सोने के कपड़े निकाल कर वो सीधा बाथरूम में घुस गई
और जब वह कपड़े बदल रही थी, तभी उसे अपनी जेब में हीरे की अंगूठी मिली।वैसे भी, आज की भागदौड़ में वो बहुत ज़्यादा थक चुकी थी। इसीलिए, हॉस्पिटल में सब कुछ संभालने के बाद, वो अपने किराए के घर वापस चली गई।
और सबसे पहले अपनी माँ और छोटे भाई को सुकून से सोता हुआ देखकर, मुस्कुराते हुए वो सीधा अपने कमरे में चली गई!
और फिर कपड़े बदलने लगी! और जब वो कपड़े बदल रही थी, तभी उसे अपनी जेब में लाल हीरे की अंगूठी मिली। लेकिन झलक ने उस रिंग पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। और आराम करने के लिए बिस्तर पर लेटने से पहले, उसने उस अंगूठी को टेबल पर रख दिया था।
और जल्दी ही वो जाकर बेड पर लेट गई थी। लेकिन उसे अभी नींद लगे थोड़ी ही देर हुई थी कि तभी उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई। झलक का उस वक़्त उठने का बिल्कुल भी इरादा नहीं था। और उसने आलस की आवाज़ में लेटे-लेटे ही कहा, "कौन है?"
लेकिन उसे दरवाज़े पर से किसी तरह का कोई जवाब नहीं आया। उल्टा, वापस से दरवाज़ा जोरों से बजने लगा।
अब झलक को गुस्सा बहुत तेज़ आ रहा था। एक तो उसका सारा दिन आज पूरी तरह से बर्बाद हो गया था। एक तो वो डिलीवरी का खाना सही टाइम पर पहुँचा नहीं पाई!
साथ-साथ उसे अस्पताल के चक्कर काटने पड़े! वो अलग! ऊपर से उसकी जेब खर्च, यानी कि उसकी जमापूँजी, भी उसने अस्पताल में जमा करवा दी थी!
आज सारा दिन झलक ने बहुत ज़्यादा मेहनत की थी। जब वो सुकून से आराम करने के लिए लेटी तो, किसी ने दरवाज़ा जोरों से खटखटा दिया। अब तो झलक को गुस्सा भी आया! लेकिन फ़िलहाल, जब दरवाज़ा बार-बार जोरों से खटखटाया जा रहा था,
तो झलक तिलमिला कर उठ खड़ी हुई। तब उसने अपनी चप्पल पहनी और दरवाज़े की ओर चली गई! और जैसेbही उसने दरवाज़ा खोलकर सामने वाले शख्स को देखा, तो उसकी आँखें हैरानी से फैल गई थीं। फिर झट से उसका मुँह बन गया।
आकांक्षा, ओबेरॉय एटीट्यूड से झलक को धक्का देकर उसके कमरे के अंदर चली आ गई।
अब आकांक्षा को वहाँ देखकर झलक के माथे पर बल पड़ गए थे। क्योंकि झलक को आकांक्षा बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।
क्योंकि जिस वक़्त अस्पताल में उसके माता-पिता, मिस्टर एंड मिसेज ओबेरॉय, झलक के सामने शर्तें, कंडीशंस रख रहे थे,
उनके साथ आकांक्षा भी वहाँ मौजूद थी, जो कि झलक की बेबसी और उसकी हालत पर बेशर्मी से मुस्कुरा रही थी।
अब जैसे ही आकांक्षा अंदर आई, झलक उस पर बिगड़ती हुई बोली, "तुम इतनी सुबह-सुबह यहाँ क्या कर रही हो? जाओ यहाँ से, मुझे आराम करना है।"
झलक ने आकांक्षा को देखते ही मुँह बना लिया था। , झलक अभी उसे और कुछ कहना चाहती थी।
लेकिन इससे पहले कि वो उसे कुछ कह पाती,
तभी अचानक से आकांक्षा ने खींचकर उसके मुँह पर थप्पड़ मार दिया था।
झलक का गाल एक तरफ़ झुक गया था। और अपने चेहरे पर हाथ रखते हुए ही आकांक्षा की ओर देखकर, डाँटते हुए बोली, "ये क्या कर रही हो तुम.. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? इस तरह से मुझ पर हाथ उठाने की? हाँ.. ये क्या बदतमीज़ी है?"
तभी आकांक्षा उसे देखकर अकड़ते हुए बोली, "क्या तुम भूल गई हो? जो मैंने तुम्हें बताया था! कि तुम कभी भी अपने इस चेहरे के साथ बाहर नहीं जाओगी!"
"अरे, शक्ल देखी है तुमने अपनी? तुम्हारा केवल नाक नक्श मुझसे मिलता है। लेकिन इससे ज़्यादा तुम्हारा और कुछ भी मुझसे नहीं मिलता है।
तुम दो कौड़ी की लड़की हो, समझी तुम.."
आकांक्षा दिखने में लंबी और बेदाग चेहरे के साथ बेहद खूबसूरत दिखाई दे रही थी।
वहीं सस्ते से कपड़े पहने हुए पजामा और नॉर्मल चप्पल पहने हुए झलक उसके आगे बिल्कुल ही अलग सिंपल सी लड़की लग रही थी।
अब जैसे ही आकांक्षा ने इस तरह से झलक को नीचा दिखाया और फ़ालतू बकवास करना स्टार्ट किया, तो झलक भी आग बबूला हो उठी थी।
हाँ, ये सच है झलक मजबूर थी।
लेकिन वो इतनी लाचार नहीं थी। वो ऐसी भी नहीं थी कि अपने लिए किसी की तरह की गलत बात बर्दाश्त कर सकती थी।
हमारी झलक एकदम दबंग किस्म की लड़की थी। उसने कभी गलत के सामने हारना सीखा ही नहीं था।
इन फैक्ट, अगर वो कहीं गलत होते हुए देखती थी, तो वो भीड़ जाया करती थीं और किसी को भी मारपीट कर घर आ जाया करती थीं।
और उसके पिता, मिस्टर सौरभ शर्मा, हमेशा से अपनी बेटी को यही सीख दिया करते थे- कि अगर वो गलत नहीं हैं, तो उसे किसी के भी सामने झुकने की या डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।
वही झलक, अब घूरकर आकांक्षा को देख रही थी। क्योंकि आकांक्षा ने बिना किसी बात के आकर उसे चांटा मारा था। झलक ये कहाँ बर्दाश्त करने वाली थी।
और उसने अब आकांक्षा के इस तरह से बोलने पर, झलक ने बिना वार्निंग के खींचकर एक चांटा आकांक्षा के मुँह पर दे मारा! जिसकी वजह से वो अब लाल सुर्ख हो गई थी।
तब झलक उसे डांटते हुए बोली, मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने पालने वाले पिता को बचाने के लिए, जिन्होंने उसे जन्म दिया! यानी मिस्टर एंड मिसेज ओबेरॉय की सारी बातों को सहन कर रही हूँ।
लेकिन इसका मतलब कतई ये नहीं.. कि कोई भी मुझे नीचा दिखाए या फिर मुझ पर हाथ उठाकर चला जाए! समझी तुम.."
"और तुम इस बात का कभी भी नाज़ायज़ फ़ायदा उठाने की कोशिश मत करना.. और ना ही मुझे तंग करने की कोशिश करना!"
"और अगर आइंदा से तुमने मुझे इस तरह से तंग करने की कोशिश की ना, तो मेरा ये तमाचा याद रखना..
।।। दोस्तो आज का एपिसोड केसा लगा जरूर बताएं।
और तुम इस बात का कभी भी नाज़ायज़ फ़ायदा उठाने की कोशिश मत करना.. और ना ही मुझे तंग करने की कोशिश करना!"
"और अगर आइंदा से तुमने मुझे इस तरह से तंग करने की कोशिश की ना, तो मेरा ये तमाचा याद रखना..
और ये भी याद रखना, मैं गलत करने वाले लोगों की हड्डी-पसलियाँ तक तोड़ देती हूँ। तुम चाहे तो मेरे बारे में ये पता करवा सकती हो!"
कहीं ना कहीं आकांक्षा को इस वक़्त झलक से एक गुंडी वाली फ़ीलिंग आई। झलक बिल्कुल दबंग तरीके से आकांक्षा से बोल रही थी। और उसकी आँखों में नफ़रत साफ़ दिखाई दे रही थी।
और अब जैसे ही झलक का एक जोरदार थप्पड़ आकांक्षा पर पड़ा, तब आकांक्षा गुस्से से चीखते हुए बोली, "तुमने मुझे मारने की हिम्मत कैसे की?"
झलक का थप्पड़ उसे बहुत ज़्यादा जोरदार लगा था। जिससे आकांक्षा के गाल पर हल्की सूजन आ गई थी।
झलक ने डेविल स्माइल करते हुए और अपने हथेली के दर्द को झटकते हुए आकांक्षा की ओर देखकर कहा, "तुम्हें इसे सहना होगा! मैं तुम्हारी माँ नहीं हूँ जो मैं तुम्हें लाड़-प्यार करूँ? और वैसे भी, मैं तो तुम्हे बहन भी नहीं मानती हूँ!"
तब आकांक्षा झलक से भिड़ते हुए बोली, "तुम देर रात किसी गंदे आदमी के साथ मेरे पिता के अस्पताल में क्यों गई थी?"
"वहाँ लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे? मैं किस तरह से इस सिचुएशन का सामना कैसे करूँगी?"
आकांक्षा की इमेज पूरे के पूरे शहर भर में एकदम पोलाइट और नरम मिजाज की थी। जो हमेशा बड़ी ही साफ़-सुथरी रहा करती थी।
अब आकांक्षा ने गुस्से से लाल-सुर्ख चेहरा करते हुए कहा और एरोगेंट वॉइस में बोली, "जब तुम पहली बार मुंबई आई थी, तब मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी ना?"
"कि तुम मेरे चेहरे का कोई मिसयूज़ नहीं करोगी! क्या तुम्हें अपने पालने वाले माता-पिता की ज़िंदगी की कोई परवाह नहीं है क्या?"
तब झलक को आकांक्षा की धमकी याद आती हैं। जब उसके माँ-बाप झलक से डील कर रहे थे। उसकी किडनी लेने की बात कर रहे थे! तब आकांक्षा ने भी मौका देखकर झलक से कह दिया था- कि वो अपना रियल चेहरा किसी को नहीं दिखाएगी।
"क्योंकि पूरे शहर की सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही ख़ूबसूरत लड़की हो सकती है।"
वो है! आकांक्षा ओबेरॉय द फेमस मॉडल,
तो इसीलिए उसने झलक से कहा, अगर उसने अपना चेहरा किसी को दिखाया, तो वो उसके पालने वाले माता-पिता और साथ ही साथ उसके छोटे भाई की भी जान ले लेगी।
इसीलिए अब आकांक्षा ने जैसे ही झलक को ये बात याद दिलाई थी। अब झलक हैरान थी- कि इसको इतनी जल्दी पता कैसे चल गया- कि उसने अस्पताल में किसी को एडमिट करवाया था।
तब आकांक्षा ने बताया- कि अगर आज सुबह पापा के पास हॉस्पिटल से फ़ोन नहीं आता तो मुझे तो कुछ पता ही नहीं चलता! झलक उसके पीठ पीछे क्या कांड कर रही है।
इन सब चक्करों के बीच झलक, जो कि आराम करने के लिए अपने कमरे में आई थी, ऑलरेडी अब उसे सुबह के सात बज चुके थे।
और सुबह-सुबह ही छ बजे के करीब अस्पताल के स्टाफ़ ने मिस्टर ओबेरॉय को फ़ोन करके इनफ़ॉर्मेशन दे दी थी। कि कल रात आपकी बेटी ने एक घायल आदमी को अस्पताल में एडमिट किया था!
अब जैसे ही उस वक़्त जॉगिंग करने के लिए जा रही आकांक्षा को ये बात की ख़बर लगी तो, उसका चेहरा गुस्से से तमतमाने लगा था। तो इसीलिए वो सीधा, बिना सोचे-समझे सुबह-सुबह ही झलक के पास दनदनाते हुए आ गई थी।
झलक ने सोचा- कि ऑलरेडी सुबह तो हो ही गई है। दो-तीन घंटे आराम कर लेगी? उसके बाद नाइट क्लब की जॉब पर चली जाएगी।
क्योंकि उसकी नाइट क्लब की जॉब सुबह की 10: बजे से स्टार्ट होती है। लेकिन अब आकांक्षा के आ जाने के कारण, उसका मूड पूरी तरह से स्पॉइल हो चुका था।
और आकांक्षा की ये वाली बात- कि वो अपना चेहरा कभी किसी को नहीं दिखाएगी? तो वो मन ही मन में खुद पर हँस रही थी। और साथ ही साथ उसकी आँखें दुख से भर गई!
और मन ही मन में वो सोचने लगी- कि हे भगवान.. कितना अन्याय है! इतनी प्यारी शक्ल होने के बावजूद, वो अपनी शक्ल किसी को नहीं दिखा सकती थी। ग्रेट.. सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उसकी शक्ल अपनी बहन से मिलती- है। कमाल की बात है। हुंह.।
वेल... अभी झलक आकांक्षा को मुँहतोड़ जवाब देना चाहती थी,
कि तभी आकांक्षा का फ़ोन बजने लगा था। उसने फ़ोन उठाया! और कॉल का जवाब देने के लिए एक तरफ़ चली गई! जैसे ही उसने नज़र घुमाई, उसको टेबल पर हीरे की अंगूठी दिखाई देती हैं।
उस अंगूठी को देखकर ना जाने क्यों आकांक्षा की आँखें हैरानी से फैल गई! और उसे ये अंगूठी जानी-पहचानी लग रही थी।
तब फ़ोन पर उसकी मम्मी, नैना ओबेरॉय थी। तब आकांक्षा ने बेरुखी से बोली, "क्या बात है मम्मी? आपने मुझे फ़ोन क्यों किया?"
तब उसकी मम्मी ने उसे बोलना शुरू कर दिया था.. "हे भगवान.. डार्लिंग, तुम जानती हो? तुमने किसको बचाया है?"
अब आकांक्षा हैरान हो गई, और नासमझी में बोली, "लेकिन मैंने किसको बचाया है?"
तब उसकी मम्मी, जो दूसरी तरफ़ थी। उसने बिना रुके कहना शुरू कर दिया, "क्या तुम जानती हो? तुमने शहर का ही नहीं, बल्कि पूरे के पूरे देश के सबसे बड़े बिज़नेसमैन, सिद्धार्थ खुराना को बचाया है।"
You Saved a Billionaire's Life.
"you saved a billionaire life।
और उसके परिवार के लोग अभी-अभी यहां आए हैं। और वो एक हफ्ते में तुमसे मिलना चाहते हैं।
अब जैसे ही उसकी मां ने ये कहा, आकांक्षा की तो आंखें हैरानी से फैल गई थीं।
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फोन की दूसरी तरफ आकांक्षा की माँ नैना बहुत ज्यादा खुश थी। उसकी आवाज़ में खुशी साफ सुनाई दे रही थी।
तब आकांक्षा ने मन ही मन में नाम रिपीट किया, "सिद्धार्थ खुराना..."
सिद्धार्थ खुराना को पूरा शहर जानता था।
इनफैक्ट आकांक्षा पूरी तरह से सिद्धार्थ खुराना की दीवानी थी। उसकी मैगजीन में छपने वाली हर एक फ़ोटो को काटकर वो अपने पास रखा करती थी। लेकिन भले ही आकांक्षा का ओबरॉय परिवार शहर का जाना माना प्रतिष्ठित परिवार था,
लेकिन आज तक उसे सिद्धार्थ खुराना से मिलने का मौका नहीं मिला था। इतना ही नहीं, उसने कितनी बार कोशिश की थी, कितनी बार अपॉइंटमेंट ली थी,
लेकिन आज तक वो एक बार भी सिद्धार्थ खुराना से नहीं मिल पाई थी। और आज ये सुनने के बाद कि उसने सिद्धार्थ खुराना की जान बचाई है,
उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि वो हंसे या रोए, क्योंकि सिद्धार्थ खुराना की जान झलक ने बचाई थी, लेकिन नाम आकांक्षा का use किया था।
लेकिन अब सिद्धार्थ का नाम सुनकर आकांक्षा की हालत अजीब हो गई थी, क्योंकि सिद्धार्थ उसका ड्रीम था। और तभी वो रहस्यमय तरीके से मुस्कुराई, क्योंकि उसे नहीं पता था कि आज इस तरह से उसका ड्रीम पूरा होने वाला था।
तभी...आकांक्षा ने टेबल पर रखी हुई अंगूठी को देखा! अचानक उसे याद आया कि ये तो वही अंगूठी थी जो उसने लास्ट मिस्टर सिद्धार्थ खुराना की तस्वीरों में देखी थी।
जो उनके एक सम्मान समारोह में उन्हें दी गई थी। ये अंगूठी तो खुराना परिवार की विरासत थी।
ये वही हीरो की अंगूठी है।
इसका मतलब आकांक्षा को समझते देर नहीं लगी कि कल झलक जिस आदमी को अस्पताल में लेकर गई थी, वो कोई और नहीं, बल्कि सिद्धार्थ खुराना था, जिसे झलक ने बचाया था।
और कमाल की बात तो ये थी कि अस्पताल में भी झलक ने अपना नाम आकांक्षा बताया था।
तो इसीलिए सिद्धार्थ के आदमियों को लगा कि आकांक्षा ने ही सिद्धार्थ को बचाया है।
आकांक्षा को ऐसा लगा कि मानो उसे कितनी बड़ी लॉटरी हाथ लग गई हो। बिना कुछ किए आकांक्षा सिद्धार्थ की सेवियर बन गई।
अचानक आकांक्षा सिद्धार्थ के साथ मीठे सपनों में खो गई थी। उसे ऐसा लगने लगा था कि वो सिद्धार्थ के साथ एक कपल डांस कर रही है!
और सिद्धार्थ उसके होठों पर अपने होठों पर रखकर उसे स्मूथली किस कर रहा है। और उसके सारे फ्रेंड उससे जल रहे हैं! लेकिन तभी अचानक वो सपनों की दुनिया से बाहर आई।
क्योंकि फोन पर उसकी मां बोली, "बेटा आकांक्षा, तुम मेरी बात सुन रही हो ना?"
तब आकांक्षा जल्दी से बोली, "अच्छा मम्मी, मैं अभी थोड़ा-सा बिजी हूँ! मैं आपसे बाद में बात करती हूँ।" ये बोलकर आकांक्षा ने अपनी खुशी को मन ही मन में दबाया और चुपके से अंगूठी को घूरने लगी।
जबकि झलक उस पर ध्यान ही नहीं दे रही थी, क्योंकि झलक आकांक्षा को कुछ खास पसंद नहीं करती थी। तो उसका वहां होना उसे बहुत ज्यादा इरिटेटिंग रहा था। इसीलिए वो बेपरवाही से दूसरी तरफ जाकर अपना कपड़े समेटने लगी थी।
फिर आकांक्षा झलक के पास गई और उसको उंगली दिखाकर धमकाते हुए बोली, "अगर तुमने आज के बाद फिर से मेरे नाम का इस्तेमाल करने की कोशिश की, या अपनी शक्ल लेकर तुम इस तरह से कहीं बाहर गई,
तो अपने भाई की लाश देखने के लिए तैयार रहना!" इतना बोलकर वो गुस्से से दनदनाते हुए वहां से चली गई थी। ।
क्या करेगी झलक आकांक्षा की धमकी सुनने के बाद जानने के लिए बने रहिए दोस्तों। लाइक शेयर कमेंट करना बिल्कुल न भूले दोस्तो।
फिर आकांक्षा झलक के पास गई और उसको उंगली दिखाकर धमकाते हुए बोली, "अगर तुमने आज के बाद फिर से मेरे नाम का इस्तेमाल करने की कोशिश की, या अपनी शक्ल लेकर तुम इस तरह से कहीं बाहर गई,
तो अपने भाई की लाश देखने के लिए तैयार रहना!" इतना बोलकर वो गुस्से से दनदनाते हुए वहां से चली गई थी।
अब झलक को उस पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन अब क्योंकि उसकी पूरी रात अस्पताल के चक्कर काटने में निकल गई और अब सुबह के वक्त वो थोड़ा सा आराम करना चाहती थी, तो इसीलिए उस वक्त उसने आकांक्षा से बहस करना जरूरी नहीं समझा था।
और फटाफट वापस से उसने अपनी नींद पूरी की और फिर वो उठ खड़ी हुई!
और अपने चेहरे पर एक बार फिर से उसने बदसूरती वाला गेटअप ले लिया। और जल्दी से उस घायल आदमी को खोजने के लिए अस्पताल में जा पहुँची!
जिस घायल आदमी ने उसे एक करोड़ देने की डील की थी कि अगर वो उसकी जान बचा लेगी तो वो उसे एक करोड़ रुपए देगा।
तो कहीं ना कहीं इसी चक्कर में वो फटाफट से अस्पताल की ओर भागी थी। और अस्पताल में जाकर जब उसने नर्स से उसके बारे में पूछताछ की...
तब नर्स हैरानी से झलक को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली, "तुम... तुम उस घायल आदमी की बात कर रही हो! जो एक एक्सीडेंट केस में हमारे ओनर की बेटी आकांक्षा ने जिसे एडमिट करवाया था। राइट..."
तब झलक बोली, "हाँ, मैं उसकी बात कर रही हूँ! बताओ कहाँ है वो घायल आदमी?" तब अचानक उस नर्स ने फटाफट से स्टाफ को अपने पास बुला लिया था और बोली, "ये उस आदमी के बारे में पूछताछ करने आया है, जिस आदमी को आकांक्षा ओबरॉय ने एडमिट करवाया था।"
अब सब नर्स हैरानी से झलक की ओर देखने लगी थीं और एक-एक करके उसे सवाल पूछने लगे थे! "तुम उस आदमी को कैसे जानती हो? क्या तुम हमें भी उनसे एक बार मिलवा सकती हो? हम उनसे एक बार मिलना चाहते हैं? उनके साथ फोटो लेना चाहते हैं।"
अब झलक पूरी तरह से चौंक गई थी कि आखिरकार ये लोग क्या कहना चाह रहे हैं?
तब एक बुजुर्ग हेड नर्स वहाँ आई और सख्त आवाज़ में बोली, "अरे क्या तुम लोगों ने यहाँ पर सुबह-सुबह इतना शोर मचा रखा है? जाओ जाकर अपने-अपना काम करो!"
और तभी झलक हैरानी से उस नर्स की ओर देखकर बोलती है, "ये सब क्या हो रहा है? और ये सब उस घायल आदमी के साथ फोटो लेने की बात क्यों कर रहे हैं? क्या वो घायल आदमी कोई सेलिब्रिटी है?"
तब वो नर्स बोली, "बेटा क्या बताऊँ? आधी रात के बाद अचानक कम से कम चालीस से पचास बॉडीगार्ड एकदम काले-काले कपड़े पहने हुए अस्पताल में आए थे! पूरा का पूरा हॉस्पिटल छावनी में तब्दील हो गया था।
हम सभी डॉक्टर और नर्स पूरी तरह से घबरा गए थे। लेकिन बाद में हमें पता चला वो तो उस एक्सीडेंट वाले घायल आदमी को लेने के लिए आए थे।
क्योंकि उनका अपना एक अस्पताल है तो वो उसे वहाँ लेकर जाना चाहते हैं। और इसीलिए रातों-रात ही वो उस घायल आदमी को वहाँ से ले गए थे।"
अब जैसे ही झलक ने ये सुना! उसे ऐसा लगा मानो उसके पैरों में जान ही ना बची हों!
साथ ही साथ उसे इस बात की भी हैरानी हो रही थी कि इतने सारे बॉडीगार्ड उस घायल आदमी को लेकर क्यों गए? आखिरकार कौन था वो घायल आदमी?
लेकिन अब तो झलक का गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से वो घायल आदमी इतना बड़ा झूठा बदमाश निकलेगा!
उसने तो उसे कहा था कि वो उसे एक करोड़ रुपए देगा। लेकिन वो तो उसे बिना कुछ बताए वहाँ से गायब हो गया था।
अब तो झलक अपने पैर पटकने लगी! क्योंकि एक तो उसने पूरे दस हजार जो कि उसने अपनी मेहनत से ओवरटाइम करके वो सारे पैसे इकट्ठे किए थे, वो एक ही झटके में उसने अस्पताल में जमा करवाए थे।
उसने तो सोचा था कि एक करोड़ रुपए मिल जाएंगे तो आसानी से वो अपने पिता का इलाज करा लेगी! और हो सकता है कि फिर उसे अपने ब्लैकमेलर माता-पिता को अपनी किड़नी भी ना देनी पड़े!
लेकिन ये क्या? एक ही पल में उसे उस ज़ख़्मी आदमी ने धोखा दे दिया था। अब झलक की आँखें भर आती हैं और कितनी ही देर तक उसने अपने अनजान बिलियनेयर हस्बैंड को कोसा था।
लेकिन उसने कसम खाई थी कि वो अपने मेहनत के पैसे वापस लेकर रहेगी।
वैसे भी शहर में आए हुए उसे 6 महीने से ज्यादा हो गए थे। तो इसीलिए उसे शहर के लोगों के बारे में ज्यादा जानकारी ना सही, लेकिन लोगों को परखने की समझ उसमें अच्छी तरह से आ गई थी।
इसीलिए उसने ठान लिया था कि वो आदमी चाहे किसी भी बिल में क्यों ना छुप जाए! वो उसे ढूँढकर अपनी मेहनत की कमाई के साथ-साथ उससे वो एक करोड़ रुपए भी हासिल कर लेगी।
जो उस आदमी ने उससे वादा किया था।
क्योंकि वो एक करोड़ रुपए झलक की सारी प्रॉब्लम खत्म कर सकती थी।
लेकिन अब उसके इस तरह से अचानक से गायब होने पर, इतने सारे बॉडीगार्ड्स के बारे में सुनकर झलक को हैरानी के साथ-साथ उस पर बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। लेकिन उसने ठान लिया था कि हर हाल में वो अपने पैसे वापस लेकर रहेगी।
वेल...काफी देर हो गई थी और वो अस्पताल में ज्यादा देर नहीं रुक सकती थी। इसीलिए अब जल्दी ही वापस से वो अपने काम पर चली गई थी। साथ ही साथ इस वक्त उसका दिल बहुत ज्यादा पछतावा से भर गया था।
वो सोचने लगी थी कि ये दुनिया कितनी ज्यादा निर्दयी है! कितनी ज्यादा मतलबी है! और इस दुनिया में फिट होने के लिए अभी वो बहुत छोटी थी।
फिलहाल अब वो आदमी के चक्कर में अपनी नाइट क्लब की जॉब पर लेट नहीं होना चाहती थी। और वो आदमी कौन था? उसके बारे में तो उसने सोच लिया था! वो बाद में उस आदमी के बारे में पता लगा ही लेगी।
इसीलिए वो फटाफट से अब जल्दी से नाइट क्लब की जॉब पर चली गई थी। आज उसका चेहरा पूरी तरह से लटका हुआ था।
वही उसके दोस्तों ने जैसे ही झलक का लटका हुआ चेहरा देखा तो नीरज तुरंत उसके पास आया और फिक्र जताते हुए बोला, "क्या हुआ लेडी बॉस? ये क्या हुआ तुम्हें? तुम इतना ज्यादा मुरझाई हुई क्यों लग रही हो?"
झलक ने जिसने अपने चेहरे पर झाइयों की मोटी परत लगा ली थी जिससे वो बड़ी ही बदसूरत दिखाई दे रही थी।
फिलहाल अपने दोस्त नीरज के ये पूछने पर झलक ने उसे केवल एक छोटा सा लुक दिया और बोली, "कुछ नहीं।"
लेकिन तभी प्राची ने आकर उसके कंधे पर हाथ रख लिया था और बोली, "क्या बात है झलक? तुम इतनी ज्यादा परेशान क्यों लग रही हो? हाँ, क्या हुआ? क्या तुम्हारी बदसूरती को लेकर किसी ने फिर तुमसे कुछ कहा है?"
क्योंकि पिछले 6 महीने से ही वो लोग झलक के साथ काम कर रहे थे और इस बीच में वो बहुत ज्यादा घुल-मिल गए थे जिसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था।
और झलक को आए दिन नाइट क्लब में अपनी बदसूरती को लेकर ना जाने कैसे-कैसे कमेंट्स का सामना करना पड़ता था!
कोई कहता था कि इस बदसूरत लड़की को हमारे सामने से हटा दो! इसको देखकर हमें घिन आ रही है। इसको देखकर हम ड्रिंक भी नहीं कर पा रहे हैं। ये कैसे-कैसे लोगों को आपने काम पर रखा हुआ है?
लेकिन फिलहाल झलक के पास उस नाइट क्लब में नौकरी करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था।night clubs में नौकरी करने के अलावा उसके पास कोई और रास्ता नहीं था।
ऐसा नहीं था कि झलक ने कहीं और नौकरी के लिए ट्राई नहीं किया था। एक तो उसकी ग्रेजुएशन अभी तक पूरी नहीं हुई थी। उसका रिजल्ट आने में अभी समय बाकी था, जिसके बलबूते पर उसे कहीं और नौकरी नहीं मिल पाई।
और जब नीरज और प्राची Night क्लब से लौट रहे थे, तब पहली बार उनकी मुलाक़ात झलक से हुई थी।
असल में, प्राची को कुछ गुंडे लडकों ने आकर छेडना शुरू कर दिया था, और नीरज उनसे भिडने की कोशिश कर रहा था। क्योंकि Night क्लब से ही कुछ लोग प्राची के पीछे पड गए थे और उसके साथ जबरदस्ती करना चाहते थे।
लेकिन अचानक झलक वहाँ आ धमकी थी, और हाथ में एक डंडा लेकर उसने उन गुंडों की अच्छी खासी पिटाई कर दी थी।
उसके बाद, प्राची ने दिल से झलक का शुक्रिया अदा किया था, लेकिन साथ ही साथ पूछा था कि वो इतनी परेशान क्यों है? तब झलक ने उसे अपनी Job के बारे में बता दिया था।
तब नीरज और प्राची दोनों ने झलक को Night क्लब में सिफारिश करके नौकरी दिलवा दी थी। तब से वो सब काफी अच्छे दोस्त बन गए थे।
लेकिन आज झलक के चेहरे पर मायूसी देखकर प्राची को काफी हद तक बुरा लगा, और उसने उससे पूछा, आखिरकार बात क्या है? तुम इतना ज्यादा उदास क्यों हो?
क्या झलक बता देगी प्राची को अपनी उदासी की वजह bne रहिए दोस्तों।
लेकिन आज झलक के चेहरे पर मायूसी देखकर प्राची को काफी हद तक बुरा लगा, और उसने उससे पूछा, आखिरकार बात क्या है? तुम इतना ज्यादा उदास क्यों हो? ।।।
आर्यन उस वक्त वहाँ मौजूद नहीं था। आर्यन मोस्टली रात को नौ बजे के बाद ही Night क्लब में आया करता था।
तब झलक नीरज और प्राची दोनों की ओर देखा, एक बार और कोशिश की और हिचकिचाते हुए बोली, नहीं- नहीं, मैं बिल्कुल ठीक हूँ! तुम लोगों को कोई गलतफहमी हुई है।
लेकिन तभी प्राची झट से बोली, हम पिछले तीन से चार दिनों से देख रहे हैं, तुम कुछ उदास हो! और कहीं खोई- खोई सी रहती हो! बताओ ना क्या बात है?
क्योंकि झलक हमेशा क्लब में चहकती हुई रहा करती थी, सबसे हंसी- मजाक करती रहा करती थी। लेकिन पिछले दो से तीन दिनों तक वो किसी से ढंग से बात नहीं कर रही थी।
क्योंकि झलक को आलरेडी पाँच- से छह दिन हो चुके थे, लेकिन अभी तक वो उस आदमी को खोज नहीं पाई थी, और ना ही उसके बारे में कोई इनफॉरमेशन पता लगा पाई थी।
कि वो आदमी आखिरकार कौन था?
और साथ ही साथ वो पार्ट टाइम फूड डिलीवरी का काम किया करती थी, और आज इन सब मामलों को हुए पाँचवाँ दिन हो चुका था।
फिर भी झलक के दिलो- दिमाग से अभी तक उस आदमी की शक्ल नहीं गई थी, जिस आदमी की उसने जान बचाई थी।
हालाँकि प्रॉपर्ली उसने उस आदमी को नहीं देखा था, क्योंकि उसका चेहरा खून से लथपथ था। लेकिन झलक की याददाश्त बहुत तेज थी। वो आसानी से उसे हर हाल में पहचान सकती थी।
वेल, झलक को इस तरह से सोचते हुए देखकर प्राची ने उसके सामने अपने हाथों की चुटकी बजाते हुए कहा, हेलो मैडम, कहाँ खो गई हो तुम? मैं तुमसे पूछ रही हूँ, बताओ ना क्या बात है?
वेल, अभी इस वक्त झलक अपने साथ काम करने वाले प्राची और नीरज के साथ मॉनिटर Room में बैठी हुई थी।
जब भी झलक अपना काम खत्म कर लिया करती थी, वो नीरज के पास आकर मॉनिटर Room में थोडी देर बैठ जाया करती थी।
तभी नीरज ने भी प्राची की हाँ में हाँ मिलाते हुए बोला! क्योंकि झलक के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी, और वो सॉफ्ट वॉइस में बोला, क्या बात है चैंम्प? प्राची ठीक कह रही है! तुम्हारे चेहरे पर ये मायूसी क्यों है?
तब प्राची भी झलक को गौर से देखते हुए बोली, हाँ, हाँ, नीरज तू ठीक कह रहा है। यार दो- तीन दिन से देख रही हूँ, झलक मैडम के साथ कुछ ना कुछ प्रॉब्लम तो है। लेकिन देखो बात नहीं रही है, मैं कितनी बार पूछ चुकी हूँ।
तब झलक उन दोनों की ओर देखकर मायूसी से बोली, क्या बताऊँ यार. मेरी तो किस्मत ही खराब है! तुम जानते हो, क्या हुआ?
ये बोलकर झलक ने जो कुछ भी उसके साथ हुआ था और एक्सीडेंट वाले आदमी के केस को लेकर, साथ ही साथ उसने जो पैसे उस एक्सीडेंट वाले आदमी को अस्पताल में एडमिट करने के लिए जमा किए थे, उनके सारे डिटेल नीरज और प्राची दोनों को बता दिए थे।
तब नीरज कन्फ्यूजन से बोला, आर You श्योर. उसने तुम्हें पैसे देने का वादा किया था?
तब झलक पूरे कॉन्फिडेंस के साथ बोली, तो क्या मैं झूठ कह रही हूँ? मैंने कहा ना कि उस कमीने आदमी ने मुझे पैसे देने के लिए वादा किया था। इतना ही नहीं, मैंने अपनी जेब से भी उसकी जान बचाने के लिए पैसे भरे! लेकिन वो धोखा देकर भाग गया। इससे अच्छा होता था कि मैं उस कमीने धोखेबाज की जान ही नहीं बचाती।
क्योंकि उस वक्त झलक को पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत थी। एक तो उसके पिता, Mister सौरभ शर्मा कोमा में थे, जिसकी वजह से उसको हर दिन Hospital में पैसे जमा करवाने पडते थे।
इतना ही आकांक्षा के माता- पिता, Mister एंड मिसेज ओबेरॉय ने पैसे भी दिए थे, लेकिन फिर भी झलक का खर्च काफी ज्यादा था।
एक तो शहर में आने के बाद उसने अपने भाई का एक छोटे स्कूल में एक प्राइवेट ट्यूशन में Admission भी करवा दिया था।
और वो अच्छी तरह से जानती थी, Mister एंड मिसेज ओबेरॉय सिर्फ उसके पिता की सर्जरी के लिए और साथ ही साथ अपने Hospital में रहने के लिए ही पैसे दे सकते हैं।
लेकिन उसके भाई के स्कूल जाने के पैसे वो किसी भी कीमत पर नहीं देंगे।
और साथ ही साथ घर का खाना खर्चा, ये सारे काम झलक को ही देखने थे। इसके लिए उसने पार्ट टाइम नौकरी के साथ- साथ एक बार में नौकरी करने का भी डिसीजन लिया था।
क्योंकि इस Night बार में उसे पैसे अच्छे मिल रहे थे, और जैसे- तैसे उसने मेहनत करके जो सेविंग की थी, वो सारी सेविंग उसने उस घायल आदमी के लिए अस्पताल में जमा करवा दिए थे।
तो इसलिए उसे उस आदमी पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
तब नीरज और प्राची ने उससे पूछा, अच्छा, जिस आदमी के बारे में तुम बात कर रही हो, क्या तुम्हें उसका नाम पता है? और वो शख्स कैसा दिखता है?
हालाँकि भले ही झलक ने उसका खून से लथपथ चेहरा देखा था, लेकिन फिर भी झलक की याददाश्त बहुत तेज थी। और वो उसे हजारों में भी पहचान सकती थी।
और वो कुछ पल खामोश होकर बोली, मुझे उसका चेहरा अच्छे से याद है। भले ही वो बेहोश था, खून से लथपथ था। एक और बात, मुझे Hospital से पता चली है कि आधी रात के बाद उस आदमी को लेने के लिए कम से कम कितने ही सारे काले कपडे पहने हुए बॉडीगार्ड वहाँ आए थे। वहाँ की हेड नर्स ने मुझे ये सारी बात बताई थी।
अब जैसे ही प्राची और नीरज ने ये सुना, वो दोनों चौंक गए! कि आखिर इतना बडा आदमी आखिरकार कौन हो सकता है?
तब झलक सीरियस लुक देते हुए बोली, लेकिन मैं उसे अच्छे से पहचान सकती हूँ। वो अभी तीनों आपस में बातें कर रहे थे।
तभी अचानक झलक की नजर मॉनिटर पर पडी! क्योंकि इस वक्त नीरज जिस मॉनिटर Room में था, वहाँ पर Night क्लब में आने- जाने वाले सभी लोगों को वहाँ से आसानी से देख रहा था कि कोई सस्पाइसियस तो नजर नहीं आ रहा है।
लेकिन जैसे ही अब झलक की नजर मॉनिटर Room पर आ रहे एक शख्स पर पडी, झलक की आँखें हैरानी से फैल गई थीं, और गुस्से से उसकी आईब्रो सिकुड गई।
क्योंकि वो इंसान वही था, जिसका उस रात एक्सीडेंट हुआ था, जिसे झलक ने उस रात बचाया था। अब तो झलक उस आदमी को देखकर हाथों के इशारे से चीखते हुए बोली, नीरज! नीरज! प्राची! वो देखो. वो रहा वो आदमी! यही वो कमीना आदमी है। इसे ही मैंने बचाया था। यही है वो आदमी.
अब जैसे ही झलक ने ये बताया, नीरज की तो आँखें चौडी हो गई थीं, जैसे अभी और इसी वक्त बाहर निकल जाएँगी। वहीं प्राची के चेहरे का तो रंग ही उड गया था।
नीरज, प्राची ने एक- दूसरे को हैरत से देखा, और फिर से झलक की बातों को गौर से सुनने लगे।
वो दोनों सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि झलक जिस आदमी की तरफ इशारा कर रही थी, और झलक ने उस आदमी की जान वाकई झलक ने बचाई थी। उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था।
वहीं अब प्राची और नीरज दोनों का ही गला सूखने लगा था, क्योंकि झलक को वहाँ पर काम ज्वाइन किए अभी छह महीने ही हुए थे।
लेकिन वो दोनों तो वहाँ शुरू से काम कर रहे थे। उन्हें तो वहाँ काम करते हुए साल हो गए थे, तो उस आदमी को वो दोनों अच्छी तरह से जानते थे।
तभी नीरज अपना थूक निगलते हुए हडबडाकर बोला, आर You श्योर. झलक, तुम जानती हो? तुम किसके बारे में बात कर रही हो?
तब झलक नीरज के इस तरह का सवाल सुनकर हैरान हो गई, और उसे घूरते हुए कोल्ड लुक देते हुए बोली, What You मीन. Kiss तरह से बात कर रही हूँ! हाँ, अरे यही वो कमीना झूठा इंसान है यार. इसकी जान मैंने बचाई थी। कमीना धोखेबाज कहीं का, एक तो मैंने इसकी जान बचाई और ये अस्पताल से ही रातों- रात गायब हो गया। और ऊपर से मुझे पूरे दस का चुना भी लगा गया। साला फ्रॉड कहीं का!
इतना बोलकर झलक की आँखों से आँसू बहने लगे थे।
वहीं प्राची ने तुरंत झलक के कंधे पर हाथ रखा और डरते हुए बोली, यार तू एक बार फिर से सोच ले, तूने वाकई इस इंसान के बारे में बात कर रही है ना?
अब तो झलक उन दोनों की बातें सुनकर अब थोडा सा Irritate होकर बोली, तुम दोनों को हो क्या गया यार? जब मैं तुम दोनों को बार- बार कह रही हूँ कि ये वही इंसान है जिसकी मैंने जान बचाई थी, तो तुम दोनों मुझे इस तरह की बहकी- बहकी बातें क्यों कर रहे हो? अभी तो थोडी देर पहले तुम दोनों मेरी परेशानी पूछ रहे थे? और अब मैं तुम दोनों को परेशानी बता दिया तो! तुम दोनों इतना अजीब सा बिहेवियर क्यों कर रहे हो यार? झलक अब उन दोनों पर भी गुस्सा होने लगी थी। झलक अपनी बात कंटिन्यू करते हुए बोली, मैंने कहा था ना कि मैं इसे किसी भी हालत में पहचान सकती हूँ। ये वही आदमी है। भले ही अब इसने अपने मुँह पर लगा हुआ खून धो लिया हो! लेकिन मैं इसे नहीं भूल सकती हूँ।
झलक अपनी बात कंटिन्यू करते हुए बोली, मैंने कहा था ना कि मैं इसे किसी भी हालत में पहचान सकती हूँ। ये वही आदमी है। भले ही अब इसने अपने मुँह पर लगा हुआ खून धो लिया हो! लेकिन मैं इसे नहीं भूल सकती हूँ। ...!!!!!???
अब झलक का इतना कॉन्फिडेंस देखकर नीरज और प्राची ने दोनों ने एक- दूसरे की तरफ देखा था। और अगले ही पल झलक के कंधों पर हाथ रखकर उन्होंने उसे कुर्सी पर बिठाया, और एक गिलास पानी झलक को दे दिया।
अब झलक ने दोनों को एक बारी- बारी से देखा, और फिर वो पानी अपने होठों से लगा लिया था। और पानी पीने के बाद बोली, आखिरकार तुम लोग इतना अजीब सा बिहेवियर क्यों कर रहे हो? और अभी फिलहाल मुझे जाना होगा। मैं इस आदमी को अभी पकडकर इसे अपने पैसे मांगूंगी। और झलक मॉनिटर की ओर देखते हुए उठ खडी हुई, और चिढते हुए बोली, कमीना आदमी, आखिरकार मैंने तुम्हें ढूँढ ही निकाला। अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी. आ रही हूँ मैं अपने पैसे लेने के लिए। ये बोलकर झलक जल्दी ही उस Room से बाहर निकल गई थी।
लेकिन तभी नीरज और प्राची दोनों झट से उसके पीछे- पीछे बाहर निकल गए और झलक को रोकने की कोशिश करने लगे। और नीरज उसे रोकते हुए बोला, पागल हो गई हो, कहाँ जा रही हो? रुको तो सही, मेरी बात तो सुनो. लेकिन झलक रुकने के लिए तैयार नहीं थी।
तब नीरज ने आगे जाकर उसका हाथ पकडते हुए रोक लिया था। उसके सामने जाकर खडा हो गया, और उसका रास्ता रोकते हुए बोला, शांत हो जाओ।
अब झलक नीरज और प्राची दोनों का इस तरह का बर्ताव देखकर Irritate हो चुकी थी, और बारी- बारी से उन दोनों को घूरते हुए बोली, आखिर तुम दोनों को हो क्या गया है? कब से नोटिस कर रही हूँ! जब से मैं तुम्हें इस कमीने आदमी के बारे में बताया है, तुम दोनों बडी ही अजीब सी बातें कर रहे हो, हाँ.
तब नीरज झलक के कंधे पर हाथ रखकर बोलता है, देखो झलक, पहले तो तुम शांत हो जाओ! हम इस बारे में डिस्कशन कर सकते हैं।
वेल तब झलक अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए सीरियस एक्सप्रेशन के साथ बोली, मेरे पास इस वक्त शांत होने का टाइम नहीं है नीरज! मैं इस आदमी को अभी और इसी वक्त पकडूँगी! और इसका गिरेबान पकडकर इससे अपने पैसे वापस मांगूंगी। आखिरकार इसकी हिम्मत कैसे हुई! इस तरह से मुझे धोखा देने की, या मुझे चीट करने की, धोखेबाज झूठा कहीं का.
तब प्राची झलक की ओर देखकर हाथ जोडते हुए बोली, शांत हो जा मेरी माँ. और थोडा धीरे से बोल, अगर किसी ने सुन लिया तो हमारी शामत आ जाएगी। प्लीज.अब तो झलक की हैरानी काफी ज़्यादा बढ़ चुकी थी। आखिर इन दोनों को हो क्या गया है? ये दोनों इस तरह की गोल-मोल बातें क्यों कर रहे हैं? तब झलक नीरज और प्राची दोनों को देखकर, दांत पिसते हुए बोली, "तुम लोग साफ़-साफ़ बताओ, कहना क्या चाहते हो? मैं बहुत देर से तुम दोनों की हरकतें नोटिस कर रही हूँ। तुम दोनों कुछ न कुछ कहना चाहते हो, लेकिन ठीक से कह नहीं पा रहे हो?"
तब नीरज ने एक बार प्राची की ओर देखा और फिर झलक की ओर घूरते हुए, अटकती आवाज़ में बोला, "तुम जानती हो? जिस आदमी की तुमने जान बचाई, वो आदमी कौन था? वो आदमी इस नाइट क्लब का मालिक तो है ही ,साथ ही साथ पूरे शहर पर उसकी हुकूमत है। वो आदमी the सिद्धार्थ खुराना है। खुराना अंपायर का मालिकऔर इतना ही नहीं , वो यहाँ के शाही अमीर परिवारों में से एक है।उनका परिवार यहाँ के सबसे बड़े परिवारों में से एक है। और उसके बारे में ये बात कही जाती है कि वो बहुत ज़्यादा रूड, एरोगेंट, बदतमीज़ और साथ ही साथ वो मर्डरर है। ना जाने कितने ही लोगों की उसने अपने हाथों से जान ली है। पूरा शहर उसके नाम से काँपता है। हुंहहह..."
अब तो झलक खुद को रोक नहीं पाती! क्योंकि वो इस वक़्त हैरान गई थी। सिद्धार्थ खुराना की आइडेंटिटी सुनकर उसकी साँस ऊपर के ऊपर और नीचे के नीचे रह गई थी। क्योंकि सिद्धार्थ खुराना का नाम वो अच्छी तरह से जानती थी। क्योंकि जिस नाइट क्लब में वो काम किया करती थी, वो मुंबई का सबसे ज़्यादा पैसे बर्बाद करने वाले ठिकानों में से एक था। जहाँ अक्सर कितने ही बड़े-बड़े लोग, अमीरज़ादे आते रहते थे। और इतना ही नहीं, सिद्धार्थ खुराना का तो वहाँ पर एक प्रेसीडेंशियल रूम भी बना हुआ था, जहाँ पर वो अपनी ज़िंदगी का ज़्यादा से ज़्यादा समय गुज़ारता था। और अब क्योंकि झलक इस नाइट क्लब में काम किया करती थी, इसलिए सिद्धार्थ खुराना की आइडेंटिटी के बारे में उसने आस-पास स्टाफ़ से काफी बातें सुन रखी थीं। इस क्लब का ओनर मिस्टर सिद्धार्थ खुराना था। साथ ही साथ उसे ये भी पता चल चुका था कि वो इस वक़्त कौन से रूम में है। और झलक को और बाकी किसी भी नॉर्मल स्टाफ़ को उस तरफ़ जाने की इजाज़त नहीं थी। सिद्धार्थ खुराना का 38 वाँ फ्लोर था, जो पूरा का पूरा सिर्फ़ सिद्धार्थ खुराना के लिए ही अवेलेबल रहा करता था। और वहाँ पर किसी भी नॉर्मल इंसान को, या किसी वेटर को, या क्लब में काम करने वाली किसी भी लड़की को भी जाने की इजाज़त नहीं थी।
अब झलक खुद को नॉर्मल करते हुए, सीरियस लुक देते हुए बोली, "मुझे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वो इस क्लब का ओनर है या फिर इस शहर का सबसे अमीर आदमी है। मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने पैसों से मतलब है, नीरज... और मैं उससे अपनी मेहनत के पैसे वापस लेकर रहूँगी। अब चाहे कुछ भी हो जाएँ।"
अब तो प्राची झलक की तरह की बात सुनकर पूरी तरह से चौंक गई और धीमी आवाज़ में घबराकर बोली, "ये तुम कैसी बातें कर रही हो, झलक? तुम जानती भी हो? तुम क्या कह रही हो? अरे वो सिद्धार्थ खुराना रातों-रात तुझे गायब करवा देगा और किसी को भनक भी नहीं लगेगी! अपनी ये ज़िद छोड़ दे! और रही बात तुम्हारे कुछ हजार रुपए की तो दो-तीन महीने मेहनत ज़्यादा करके तुम अपना वो नुकसान पूरा कर सकती हो। फ़िलहाल उस पैसों को भूल जा और बिल्कुल भी उस आदमी के सामने मत जाना!"
प्राची की बात सुनकर झलक उसकी ओर देखकर आइब्रो उचकाते हुए बोली, "आख़िरकार वो सिद्धार्थ खुराना वो किस तरह का बड़ा आदमी है जो मेरे पैसे बिना लौटाए भाग गया। उसे तो मेरे सारे पैसे लौटाने पड़ेंगे। मैंने बहुत मेहनत करके पैसे कमाए हैं और उसे मेरे मेहनत के पैसे देने ही होंगे।"
तब नीरज बात को संभालने के इरादे से बोला, "झलक... झलक, प्लीज़ हमारी बात मानो। प्राची बिल्कुल ठीक कह रही है। ये पैसे-वैसे भूल जा... समझ ले कि तूने उन पैसों को किसी को दान कर दिए! अरे, अगर तू उसके पास गई तो! वो शख़्स तेरी जान ले लेगा और तेरी लाश कभी किसी को नहीं मिलेगी।"
तब झलक ज़िद पर अडते हुए बोली, "मैं ये बात किसी भी कीमत पर नहीं मान सकती हूँ और मैं उससे अपने पैसे लेकर रहूँगी।"
अब झलक प्राची और नीरज की कोई बात सुने बिना, सीधा अब लिफ़्ट की ओर तरफ़ बढ़ने लगती हैं। और क्लब के थर्ड फ्लोर पर जाकर वो एक जगह छुप कर बैठ गई थी। क्योंकि उसने नीरज के मॉनिटर रूम में देखा था कि इस वक़्त सिद्धार्थ खुराना थर्ड फ्लोर पर है। तो वो सिद्धार्थ खुराना के आने का इंतज़ार करने लगी।
दूसरी ओर, अब वही सिद्धार्थ खुराना इस वक़्त अपने प्राइवेट स्वीट में था और वहाँ पर वो एक आदमी को बड़ी ही बेरहमी से मार रहा था। जब सिद्धार्थ का एक्सीडेंट हुआ था, उसके आदमियों ने वहाँ से निकालकर खुराना को ट्रस्टी हॉस्पिटल में ले आए थे। वहाँ पर ट्रीटमेंट के बाद सिद्धार्थ की ड्रेसिंग कर दी गई थी। छोटी-मोटी सी चोटें लगी थीं, उसे ज़्यादा चोटें नहीं आई थीं। लेकिन उसके बाद सिद्धार्थ खुराना ने इस बात के बारे में पता लगवाना शुरू कर दिया था कि आखिर उसका एक्सीडेंट किसने करवाया? और जिस ट्रक से उसका एक्सीडेंट हुआ था, उस ट्रक ड्राइवर को सिद्धार्थ खुराना के आदमियों ने पकड़ लिया था। उसे कितनी सारी पूछताछ की थी कि आखिरकार उसने सिद्धार्थ पर हमला क्यों किया? लेकिन उसने किसी तरह का कोई जवाब नहीं दिया!
अब सिद्धार्थ का पारा काफी हद तक बढ़ चुका था। इसलिए उसने अपने आदमियों के द्वारा उस ड्राइवर को पकड़वाकर सीधा स्वीट्स में ले आया था। और यहाँ पर बड़ी ही बेरहमी से सिद्धार्थ खुराना उस ड्राइवर की एक नुकीली सी चीज़ से जान ले रहा था। इस वक़्त उसका चेहरा पूरा खून से सन चुका था। सिद्धार्थ खुराना उस आदमी को मारते हुए कह रहा था, "तुम्हें सिद्धार्थ खुराना पर हाथ डालने से पहले ये सोच लेना चाहिए था कि अगर सिद्धार्थ खुराना ज़िंदा बच गया तो वो तुम्हारा क्या हाल करेगा। तुमने सिद्धार्थ खुराना की जान लेने की कोशिश की है। अब इसकी कीमत तुम्हारे साथ-साथ तुम्हारा पूरा परिवार भी चुकाएगा।" उस वक़्त सिद्धार्थ बड़ा ही ख़तरनाक लग रहा था। ।।।
क्या होगा बेचारी झलक का जानने के लिए बने रहिए दोस्तों।
तुमने सिद्धार्थ खुराना की जान लेने की कोशिश की है। अब इसकी कीमत तुम्हारे साथ-साथ तुम्हारा पूरा परिवार भी चुकाएगा।" उस वक़्त सिद्धार्थ बड़ा ही ख़तरनाक लग रहा था। ।।
वेल... उसका खून करने के बाद, तभी अचानक सिद्धार्थ का असिस्टेंट रोनित वहाँ आया था। उसके हाथों में उस वक़्त फ़ोन था। रोनित सिद्धार्थ के साथ हमेशा साये की तरह रहा करता था। उसके हर अच्छे-बुरे काम में उसके साथ था। अपने बॉस के हर पल बदलते हुए बर्ताव को भी वो देखा करता था। रोनित ने वहाँ आकर सर झुकाते हुए सिद्धार्थ के हाथों में फ़ोन थमा दिया था। फ़ोन किसी और का नहीं, बल्कि सिद्धार्थ की दादी उर्वशी जी का था। अगले ही पल सिद्धार्थ ने अपना चेहरा एकदम नॉर्मल कर लिया था और टिशू पेपर से अपने चेहरे के खून को साफ़ करते हुए, नॉर्मल वॉइस में बोला, "क्या हुआ दादी? अब आप क्यों परेशान हो रही हैं?"
तब दूसरी तरफ़ से उसकी दादी उर्वशी की फ़िक्रमंद होकर बोली, "सिद्धार्थ बेटे कहाँ हो तुम? मैंने तुम्हें मना किया था ना कि अब से कुछ दिनों तक तुम खुराना विला में ही रहोगे? तुम घर से बाहर कहीं नहीं जाओगे! तो तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई वापस से अपने काम पर जाने की?" उर्वशी जी सिद्धार्थ के एक्सीडेंट के बाद काफी ज़्यादा घबरा गई थीं और उन्हें डर सताने लगा था कि अगर उस एक्सीडेंट में सिद्धार्थ को कुछ हो जाता तो ना जाने फिर क्या होता? उनके वंशज पूरी तरह से ख़त्म हो जाता? क्योंकि सिद्धार्थ खुराना उनका इकलौता वंशज था। वो पूरे के पूरे खुराना अंपायर का मालिक था। उन्हें सिद्धार्थ की बहुत चिंता हो रही थी।
कहीं ना कहीं उर्वशी जी की परेशानी समझते हुए सिद्धार्थ खुद शांत होते हुए कड़क आवाज में बोला, "दादी, आप क्यों परेशान होती हैं? मेरा नाम सिद्धार्थ खुराना है और मेरा कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता है।"
तब दादी थोड़ा रिक्वेस्ट करते हुए बोली, "बेटा मैं तो कहती हूँ! तू शादी कर ले! आखिर तू मेरी बात क्यों नहीं मानता? अगर एक बार तेरी शादी हो जाएगी, बच्चे हो जाएँगे तो तेरा गृहस्थ जीवन शुरू हो जाएगा। उसके बाद तू इस तरह से दिन-रात काम के पीछे नहीं दौड़ेगा।"
तब सिद्धार्थ ने फ़ोन की स्क्रीन की ओर घूरता है और अगले पल दादी से बोला, "दादी प्लीज़ अभी मुझे कुछ ज़रूरी काम है। मेरी इम्पॉर्टेंट मीटिंग है। प्लीज़ फ़ोन रख दीजिए।" ये बोलकर बिना दादी के जवाब दिए उसने फ़ोन रख दिया था।
उर्वशी जी अब फ़ोन को गुस्से से घूरने लगी थीं और फिर जल्दी ही कुछ सोचते हुए उर्वशी खुराना ने अपने एक ख़ास आदमी, जिसका नाम जेम्स था उसे बुलाया! जेम्स पिछले 20 सालों से उर्वशी जी के लिए काम कर रहा था। वो उनका भरोसेमंद आदमी था।
तब उर्वशी जी जेम्स की ओर देखकर बोली, "जब घी सीधी उंगली से ना निकले तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। और मुझे पता है कि मेरा पोता कभी भी शादी नहीं करेगा। लेकिन मैं हर हाल में अपने परिवार के लिए वारिस चाहती हूँ! तो तुम मेरा एक काम करो।" इतना बोलकर जल्दी ही उर्वशी जी ने अपने शब्दों में जेम्स को कुछ इंस्ट्रक्शन शुरू कर दिया था। और उर्वशी जी के चेहरे पर एक रहस्यमय मुस्कुराहट थी।
वहीं दूसरी ओर, उस आदमी की जान लेने के बाद अपने आपको धोकर अच्छे से क्लीन करने के बाद सिद्धार्थ खुराना करीब दो से ढाई घंटे बाद सिद्धार्थ खुराना एक कमरे से बाहर निकला। झलक ने देखा कि काली शर्ट पहने वो अपने कमरे से निकलकर सीधा लिफ़्ट में चला गया था। और तब झलक जो कि छुपकर उसका इंतज़ार कर रही थी, वो भी उसका पीछा करते हुए इस लिफ़्ट में घुस गई थी जिस लिफ़्ट में इस वक़्त सिद्धार्थ खुराना मौजूद था। उस नाइट क्लब की पहली 8 मंज़िलें बार थीं और होटल के स्वीट ऊपरी मंज़िल पर थे। लिफ़्ट के अंदर जाकर झलक ने एक सरसरी सी नज़र सिद्धार्थ खुराना पर डालती हैं जो उससे पूरे आधे सर लंबा था। उसने देखा कि उससे शराब की बदबू आ रही थी। हालाँकि वो बेहद हैंडसम दिखाई दे रहा था। उसके हैंडसम से चेहरे पर एक अजीब सी लाली थी। वो कभी अपनी लंबी उंगलियों से अपनी टाई को खींचता या फिर अपना बार-बार सर पकड़ता इससे साफ़ पता चल रहा था कि शायद वो गहरे नशे में है।
अचानक सिद्धार्थ खुराना ने झलक की तरफ़ देखा, सीरियस लुक देते हुए बोला, "तुम कौन सी मंज़िल पर जा रही हो?" हालाँकि उसने बड़ी ही कोल्ड वॉइस में पूछा था।
अचानक पूछे गए सवाल से झलक को समझ नहीं आया कि वो उसे क्या जवाब दे? क्योंकि एक तो वो उस वक़्त लड़के के गेटअप में थी। तो वो जल्दी से अपनी आवाज़ बदलकर मर्दानी आवाज़ में बोली, "वो मैं 8वीं मंज़िल पर जा रहा हूँ!" जैसे ही उसके शब्द निकले सिद्धार्थ खुराना ने उसे कोई जवाब नहीं दिया और 8वीं मंज़िल पर लिफ़्ट खुली। तब तुरंत सिद्धार्थ बाहर चला गया। और उसके पीछे-पीछे झलक भी सहमते हुए चली गई! हालाँकि सिद्धार्थ खुराना कुछ क़दम चलने के बाद अचानक रुक गया और झलक जो कि तेज़ी से उसकी तरफ़ चल रही थी अचानक से वो उसकी पीठ से टकरा गई!
आउच
तब झलक जल्दी से माथा रगड़ते हुए बोली, "ओह आई एम सॉरी, मुझे माफ़ करना..." लेकिन इससे पहले कि वो पूरी माफ़ी मांग पाती, उसके अचानक सामने खड़ा आदमी अचानक घूम गया और अपने बड़े से हाथ से उसने उसका गला पकड़ लिया। और बड़ी ही कोल्ड वॉइस में पूछा, "बताओ कौन हो तुम?"तब “झलक जल्दी से बोली- ओह आई एम सॉरी मुझे माफ करना..
लेकिन इससे पहले कि वो, पूरी माफी मांग पाती! उसके अचानक सामने, खड़ा “आदमी अचानक घूम गया, और अपने बड़े से "हाथ से उसने उसका, गला पकड़ लिया।
और बड़ी ही कोल्ड, वॉइस में पूछा- बताओ कौन हो तुम
अब “झलक को बहुत ज्यादा दर्द, होने लगा उसे "सांस लेने में काफी ज्यादा, प्रॉब्लम होने लगी!
लेकिन “सिद्धार्थ खुराना की पकड़, और ज्यादा उसके" गले पर मजबूत हो गई थी।
वो उसे छोड़ने के लिए, तैयार नहीं था।
और “झलक ने उसके हाथ, पर "मुक्के मारने शुरू कर दिए थे वो.. उसे जोरों से मार रही थी! और बोल रही थी. मुझे "छोड़ दो.. मुझे छोड़ दो.. ऐसा बोल कर “सिद्धार्थ की पकड़ से छूटने की, कोशिश कर रही थी। क्योंकि उसे सांस, लेने में काफी ज्यादा "प्रॉब्लम हो रही थी।
तभी उसकी आवाज़ सुनकर- “सिद्धार्थ खुराना ने उसकी आवाज़, पर गौर किया। और साथ ही साथ उसके, पहने हुए कपड़ों पर "ध्यान दिया।
उसने अपने सर पर एक "सुरक्षा केप यानी के टोपी, पहनी हुई थी। साथी साथ उसके चेहरे पर "आदमियों वाली मुछे थी. और उसके सर पर एक "पगड़ी सी बंधी हुई थी।
अब “सिद्धार्थ खुराना को “झलक को देखकर, कुछ शक पैदा हुआ! और अचानक से उसका, गला जोरों से पकड़े-पकड़े उसने उसे एक "झटका सा दिया! और देखते ही देखते “झलक के खूबसूरत लंबे घने,बाल अब “सिद्धार्थ खुराना के, आंखों के सामने थे।
तब “सिद्धार्थ खुराना उसे, घूरते हुए बोला_ तुम एक लड़की हो?
अब क्योंकि “झलक एक क्लब, में काम करती थी। तो इसीलिए उसने लोगों, की "गंदी नजरों से बचने के लिए, अपने आपको एक “लड़के के वेश में छुपाया हुआ था।
उसके साथ काम, करने वाले और साथ ही साथ उसके "दोस्त के अलावा.. किसी को भी इस "बात के बारे में नहीं, पता था! कि वह एक “लड़की है।
तब “सिद्धार्थ खुराना की आंखें “झलक को देखकर एकदम, से ही रेड हो गई थी। और वो उसे घूरते हुए बोला_ मुझे बताओ तुम्हें, किसने भेजा है?
तभी “झलक उसे बता, देना चाहती थी!
कि वो वही “लड़की है जिसने आज से ठीक- तीन दिन पहले उसकी, जान एक रोड "एक्सीडेंट में बचाई थी।
अब “झलक उसको ये, बता देना चाहती थी। और साथ ही साथ ये, बताना चाहती थी_ कि उसने उसे एक करोड, रुपए देने का वादा किया था।
और उसने उसके, इलाज में पूरे बीस हजार भरे हैं। तो वो उसके, पैसे लौटा दे!
तो इसीलिए अब “झलक ने उसे कहा_ कि मैं यहां सिर्फ और सिर्फ अपने, पैसे लेने के लिए आयी हू! उसने बस इतना ही बोला था।
लेकिन इससे पहले, की “झलक अपनी पूरी बात कर पाती।
“सिद्धार्थ खुराना ने, उसे रोक दिया? और उसकी और घूरते हुए बोला_ तो तुम मेरे साथ सोना, चाहती हो।
अब जैसे ही अचानक “सिद्धार्थ खुराना ने ये बोला “झलक की तो आंखें बाहर, निकलने को तैयार थी।
और वही अब “सिद्धार्थ खुराना का, सर पूरी का कर पूरी तरहां से, घूमने लगा था।
क्योंकि उसे, आज एक रूम में एक ऐसा “ड्रग्स दिया गया था. जिसके बारे में कोई, सोच भी नहीं सकता था।
और अब क्योंकि वह “ड्रग्स किसने दिया था। ये तो हमें आने, वाले “चैप्टर में ही पता लगने, वाला था
लेकिन अब अपने, सामने “झलक को को देखकर उसे लगा_ की जरूर इसी लड़की, ने उसे “ड्रग्स दिया है। क्योंकि वो उसके साथ, सोना चाहती है।
अब तो “सिद्धार्थ खुराना का, दिमाग़ और भी और भी ज्यादा, गर्म हो चुका था। ।।
क्या झलक सिद्धारथ से बच पाएगी जानने के लिए बने रहिए दोस्तों और ज्यादा से ज्यादा लाइक करें शेयर करें और अपना फीडबैक जरूर दे।
क्योंकि उसे, आज एक रूम में एक ऐसा “ड्रग्स दिया गया था. जिसके बारे में कोई, सोच भी नहीं सकता था।
और अब क्योंकि वह “ड्रग्स किसने दिया था। ये तो हमें आने, वाले “चैप्टर में ही पता लगने, वाला था
लेकिन अब अपने, सामने “झलक को को देखकर उसे लगा_ की जरूर इसी लड़की, ने उसे “ड्रग्स दिया है। क्योंकि वो उसके साथ, सोना चाहती है।
अब तो “सिद्धार्थ खुराना का, दिमाग़ और भी और भी ज्यादा, गर्म हो चुका था। ।।
वही “झलक को भी अब “सिद्धार्थ खुराना की, ऐसी बात सुनकर कि वो.. उसके "साथ सोना चाहती है! उसे और "ज्यादा गुस्सा आ गया!
वो दिल खोलकर उसे, गाली देना चाहती थी. लेकिन इससे पहले कि वो, से एक भी "शब्द कह पाती...
तब “सिद्धार्थ ने एक झटके से, उसकी गर्दन छोड़ दी थी।
जिससे “झलक लड़खड़ा गई!
और एकदम से ही “झलक लड़खड़ा गई! और जमीन पर गिर पड़ी!
और सांस लेने के लिए हांफने, लगी और फिर उसे "खांसी शुरू हो गई थी।
तभी उसे एहसास हुआ, कि इस वक़्त वह 38 वी मंजिल मंजिल पर है ।
जहां पर प्राइवेट कमरे हैं और यहां पर "गोल्डन एंड गोल्ड कलर, स्कीम से एकदम "हाई प्रोफाइल अरेंजमेंट, किया गया है। यहां का "इंटीरियर कमाल का है। ऐसा लगता है सब कुछ इसी, पर्पस से बनाया गया था।
अब जो कि “झलक नीचे गिर, गई थी।
तब सिद्धार्थ खुराना.. को "लाल सुर्ख आंखों उसे, ही घूर रहा थी।
और तभी उसने देखा “सिद्धार्थ खुराना भारी सांसों के साथ उसे, कुछ बोलना चाहता था।
उसने उसका गला भी, दबा दिया था।
लेकिन अब वो उसे, बोला मुझे लगता है! कि तुम अपनी "मौत मांग रही हो.. इसीलिए मैं, आज तुम्हारी इच्छा जरूर पूरी करूंगा।
तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मुझे “ड्रग्स देने की ऐसा कहते हुए “सिद्धार्थ खुराना ने “झलक की बाजू को को कसकर पकड़ा! और उसे “बेडरूम में घसीट लिया! फिर उसे बिस्तर पर पटक दिया।
अब झलक “सिद्धार्थ खुराना के अचानक किये, गये इस तरहां के "रिएक्शन से पूरी तरहां, से हिल गई थी।
उसे तो समझ ही नहीं, आ रहा था? कि आखिरकार “सिद्धार्थ खुराना करना क्या, चाहता है ?
और ये क्यों “ड्रग्स की बातें, किया जा रहा है।
उसने उसे कब “ड्रग्स दे दिए और “झलक को तो कुछ समझ में ही, नहीं आ रहा था।
लेकिन अब अपने आपको.. “सिद्धार्थ खुराना के साथ अकेले, कमरे में देख कर “झलक थोड़ा-थोड़ा घबराने लगी अनकंफरटेबल हो गई थी।
और फिर थोड़ी सी, हिम्मत जुटाकर “सिद्धार्थ खुराना की ओर देखकर बोली_ ये क्या बकवास कर रहे हो तुम मैंने तुम्हें कोई “ड्रग्स नहीं दिए हैं तुम्हें, गलतफहमी हुई है।
मैं तो यहां सिर्फ और, सिर्फ “पैसे अब जैसे ही उसने, एक बार फिर पैसों, का जिक्र किया! “सिद्धार्थ खुराना की आंखें एकदम ही, लाल हो गई थी! उसे कहीं ना.. कहीं यह लग रहा था।
कि यह “लड़की जरूर पैसों के लिए, उसके "साथ सोने के लिए आयी है। और इसीलिए उसने उसे, ड्रग्स दिए हैं।
क्योंकि “सिद्धार्थ खुराना का रिकॉर्ड था. कि आज तक कभी भी उसे, किसी “लड़की के साथ नहीं देखा गया था।
और नहीं उसने आज तक, कभी किसी “लड़की के साथ फिजिकल, रिलेशन बनाए थे! लेकिन आज उसे, जो “ड्रग्स दिया गया था।
वो “ड्रग्स उसे मजबूर कर रहा था। किसी “लड़की की तरफ, आकर्षित होने के लिए!
और आज “झलक उसके चंगुल में, फंस चुकी थी।
साथ ही साथ “झलक को अब “सिद्धार्थ खुराना के, इस तरहां से बिहेव देखकर! अंदर ही अंदर वो, काफी ज्यादा डर गई थी।
लेकिन “सिद्धार्थ खुराना ने तो अंदर, कमरे में जाकर एक "हाथ से अपनी टाई खींची! और दूसरे हाथ से उसने, रिमोट "कंट्रोल का एक बटन दबाया.. जिससे उसे कमरे के सारे पर्दे, तुरंत बंद हो गए! और पूरे के पूरे कमरे, में अंधेरा छा गया।
अब इससे पहले की “झलक कुछ समझ पाती, तभी "अंधेरे में कुछ फटने की आवाज़ आयी।
चरचररर
सिद्धार्थ खुराना ने “झलक के सारे कपड़े, फाड़ दिए थे।
अब तो “झलक का गुस्सा सातवें, आसमान पर पहुंच चुका था। साथ ही साथ उसे, बहुत ज्यादा "घबराहट भी हो रही थी_ कि अचानक उसके साथ, ये क्या हो रहा है?
और वो तेज़ी से उसे, चिखते हुए बोली_ बद्तमीज़ कमीने आदमी.. मुझसे दूर हो जाओ। ये क्या कर रहे हो? तुम मेरे साथ?
लेकिन इससे पहले की “सिद्धार्थ खुराना उसकी, बात सोच समझ पाता!
वो उसे सर्द लहज़े में बोला_ तुमने मुझे “ड्रग्स दिया है ना.. और तुम तो यही चाहती थी ना.. मेरे बेड पर आना चाहती थी ना..
अब दिखावा “क्यों कर रही हो! हां...
तब “झलक झल्लाते हुए बोली_ ये क्या? बकवास कर रहे हो तुम.. मै यहां सिर्फ और सिर्फ अपने, पैसे...
अब फिर उसने, इतना ही बोला था।
लेकिन तब तक “सिद्धार्थ खुराना उसकी, ओर आगे बढ़ता हैं। और अनजाने में, जैसे ही “झलक ने उसके, गाल को छुआ!
तो “झलक को एहसास हुआ! कि इस वक़्त वो नशे, में कितना ज्यादा तप रहा है।
अब तो “झलक डर के मारे बूरी, तरहां से कांपने लगी थी। और उसने वहां से, उठकर भागने की कोशिश की.. लेकिन तब तक बहुत देर, हो चुकी थी।
क्योंकि “सिद्धार्थ खुराना की पकड़, बहुत मजबूत थी।।।।।
झलक ने लगातार “सिद्धार्थ के चेस्ट पर मुक्के, मारना शुरू कर दिया था।
साथ ही साथ उसने, उसे ढ़ेर सारी "गालियां देना भी शुरू, कर दिया था।
अब तो सिद्धार्थ, जिनके दिलों "दिमाग में पूरी तरहां, से नशा हावी हो चुका था।
इसलिए उसे, समझ में नहीं आ रहा था_ कि वो कर क्या रहा है? क्या नहीं वो उसे वक़्त, पूरी तरह से "नशे में पागल हो चुका था।
और “झलक की गलियां “झलक की बातें, उससे उसे इरिटेट कर रही थी।
और अचानक उसने “झलक के बोलने के रोने, और "शोर करने से परेशान होकर उसने, अपनी टाई.. खोलकर “झलक के मुंह में ठुस दी थी।
और एरोगेंट वॉइस में बोला_ अपना मुंह बंद करो! उस रात “सिद्धार्थ पूरी तरहां से, पागल हो गया था और बिना रुके उसने “झलक के ख़ूबसूरत और, नाजुक से "बदन पर अपनी पूरी ताकत, आज़मानी शुरू कर दी थी।।
जल्दी ही अब सिद्धार्थ खुराना, ने “झलक के बचे हुए इनरवियर, तक फाड़ डाले थे। अब तो “झलक का मुँह भी उसने, अपनी टाइ.. ठूस कर बंद कर दिया था।
झलक की पलकें, पूरी तरह से "काँप रही थी उसके होंठ, कंपकपाआ रहे थे।
लेकिन अब उसे, समझ में आ चुका था! कि उसके साथ अब क्या होने वाला है।
इस इस सोच से उसने, डर के मारे अपनी "आंखें बंद कर ली थी।
लेकिन “सिद्धार्थ खुराना तो, “झलक की ओर अंधेरे में ही, देखकर "नशीली आवाज़ में बोला- बहुत शौक था ना, तुम्हें मेरे करीब आने का.. मेरे साथ सोने का.. इसलिए तुमने, मुझे “ड्रग्स दिया ना,,
अब देखो इस रात, को तुम "जिंदगी भर नहीं भूल पाओगी! ये बोलकर “सिद्धार्थ खुराना में जल्दी ही अपने होठों, को “झलक की गर्दन पर रखकर उसे, बुरी तरह से किस, करना शुरू कर दिया था।
झलक तो पहले से ही 'नग्न बदन थी. और “सिद्धार्थ खुराना ने अपने आपको, भी कपड़ों से आजाद कर दिया।
और जल्दी ही उसने “झलक के शरीर में ऐसा, कोई हिस्सा नहीं था! जहां उसने उसे किस ना किया हो, इन फैक्ट "बाइट्स ना किया हो!
बड़े ही जानवरों की तरहां उसके, साथ बर्ताव कर रहा था. किस के साथ-साथ उसे, बाइट्स भी दे रहा था। जिसकी वजह से उसके, शरीर के हिस्सों से खून तक, निकलना शुरू हो गया था।
लेकिन “सिद्धार्थ खुराना को उस, पर जरा सा भी तरस नहीं आया! “सिद्धार्थ खुराना पूरी तरहां से, पागल बन चुका था।
और जल्दी ही उसने, अपनी पूरी हदें पार करते हुए “झलक को बेतहाशा दर्द, देना शुरू कर दिया था।
वही “झलक तो अब दर्द के मारे, चीख भी नहीं सकती थी। क्योंकि उस "जानवर इंसान ने पहले ही, उसके "मुंह में एक बड़ा सा अपनी टाई, को ठुस दिया था।
जिससे की “झलक चिल्ला ना सके! क्योंकि “झलक की चिल्लाहट उसकी, गलियां उसका रोना “सिद्धार्थ को इरिटेट कर रहा था।
उसी इरिटेशन से बचने के लिए उसने, उसके मुंह में अपनी टाइ ठुस दिये थें।
और फिर बड़े ही पूरी तरहां पागलों, की तरह उसको किस करने के बाद, तकरीबन "साथ से 8 घंटे, जब तक वह “झलक के शरीर के साथ, सारी हदें पार करता रहा था।
और “झलक केवल सिसक, सकती थी।
और इसी बीच वह कब, बेहोश हो गई! उसे पता नहीं चला!
उसके बेहोश होने के बाद, भी “सिद्धार्थ खुराना नहीं रुका था! और कितने ही देर तक जब तक की, उसका "नशा पूरी तरह से खत्म, नहीं हो गया वो उसके साथ रिश्ता बनाता रहा।
इस बीच उसने झलक की कोई परवाह नहीं की थी झलक के बदसूरत चेहरे के साथ उसने उसके साथ बुरी तरह से relation बनाया था।
और कब वो, थककर “झलक के पास सो गया! उसे भी एहसास नहीं रहा।
“झलक अब पूरी तरहां से, बेजान हो चुकी थी। इतना ही नहीं उसका, पूरा बदन "दर्द से भर उठा था! उस रात उसने “सिद्धार्थ खुराना के, साथ-साथ उसके पूरे "परिवार को कोसा था।
लेकिन उसका उसका गाली, देने का "कोई फायदा नहीं था! पूरी रात “सिद्धार्थ खुराना उसके, साथ जितना हो सकता था. उसने उसके साथ मनमानी की थी।।।।
झलक अब पूरी तरहां से, बेजान हो चुकी थी। इतना ही नहीं उसका, पूरा बदन "दर्द से भर उठा था! उस रात उसने “सिद्धार्थ खुराना के, साथ-साथ उसके पूरे "परिवार को कोसा था।
लेकिन उसका उसका गाली, देने का "कोई फायदा नहीं था! पूरी रात “सिद्धार्थ खुराना उसके, साथ जितना हो सकता था. उसने उसके साथ मनमानी की थी।
वेल एक गहरी अंधेरी रात के बाद सुबह हो चुकी थी।
और जैसे ही “झलक उठी उसे एहसास हुआ, कि अगले दिन की भी "दोपहर हो चुकी है।
और कमरे मे इस वक़्त, कोई नहीं है।।
बिस्तर पर लैटे हुए उसने, अपने "शरीर को हिलाने की कोशिश की, लेकिन उसके "शरीर में बड़ा ही भयानक दर्द था।
उसे ऐसा लग रहा था. जैसे उसे बड़ी ही बेरहमी, से पीटा गया हो! बेहिसाब तड़प थी उसे अपने, पूरे शरीर से बेहद "घिन्न आ रही थी।
उसके शरीर का, ऐसा कोई "हिस्सा नहीं था जहां पर “सिद्धार्थ खुराना की बेरहमी, के निशान मौजूद ना हों! “झलक का दिल “सिद्धार्थ की तरफ से नफ़रत, से भर उठता है।
और अपने शरीर को, देखकर उसे खुद ही "उल्टी करने का मन हो गया था।
लेकिन जैसे उसने, अपना पहला कदम "बेड से नीचे रखने की कोशिश की वो, तुरंत ही "जमीन पर गिर गई! पूरे शरीर में उसके एक दर्द, की तेज़ लहर दौड़ गई?
उसे उस वक़्त बहुत ज्यादा, रोना आ रहा था। अपने आपको वो, बहुत ज्यादा "बेबस महसूस कर रही थी।
उसका शरीर ऐसा हो रहा था. मानो_ कि किसी ने बड़ी ही बेरहामि, से उसे मारा पिटा हो!
वो उस वक़्त, चीखना चाहती थी।
रोना, चाहती थी।
चिल्लाना, चाहती थी!
लेकिन उसका शरीर उसका, साथ नहीं दे रहा था! इतना ही नहीं, उसकी गर्दन पर “सिद्धार्थ खुराना ने इतने किस्स किए थे।
इतने किस्स किए थे जिसकी, वजहा से उसके "गर्दन के अंदरूनी हिस्सों तक, में "दर्द होने लगा था। इतना ही नहीं वो, अपना "थूक तक नहीं निगल पा रही थी! उसे बड़ा ही ज्यादा दर्द, महसूस हो रहा था! वह जैसे-जैसे “झलक ने खुदको समेटा, और धीरे-धीरे "बाथरूम की तरफ चलने लगी।
उसने एक पल को, अपना पूरा शरीर "आईने में देखा! उसका पूरा शरीर बड़ा ही, हॉरिबल लग रहा था। भले ही उसने अपनी गर्दन, पर "हाथों पर और साथ ही साथ अपने, चेहरे पर उसे "विदेशी क्रीम को, अप्लाई कर रखा था।
लेकिन उसका बाकी का, हिस्सा जो की उसकी रियल स्किन थी वो, पूरी तरहां से बदसूरत हो गया था।
“झलक को खुद से बड़ी ही, घिन्न आ रही थी।
अब और वो, खुदको रोक नहीं पायी! और उसे लगातार उल्टियां, होनी शुरू हो गई थी।
जैसे वो खुदको, संभालते हुए "बाथरूम में गई! और वहां जाकर उसने, जल्दी ही "नहाना शुरू कर दिया था. नहाने के बाद भी उसके, चेहरे की "क्रीम वगैरह नहीं निकली थी।
वहीं “सिद्धार्थ खुराना ने जब “झलक के साथ, रिलेशन बनाए थे! उसने पूरे कमरे में "अंधेरा कर दिया था। जिसकी वजह से, वो “झलक का शरीर का हिस्सा, नहीं देख पाया!
वो तो बस पागलों, की तरहां उसे "किस्स किया जा रहा था. उसे नहीं पता था की “झलक के चेहरे में और उसके, बाकी के "शरीर के हिस्से में कितना फर्क है।
“झलक उतना ही हिस्सा विदेशी क्रीम, से छुपाया करती थी! जो लोगों को दिखाई, दिया करता था। बाकी उसका वो, अपने शरीर को "नॉर्मल छोड़ दिया करते थी।
वह अब खुद को, कितनी ही देर तक "नहाने के बाद और अपने शरीर, को मसल मसलने के बाद उसे ऐसा लगा_ कि अगर वो, अपने "शरीर को ज्यादा और मसलेगी.. तो वो "खुदको और ज्यादा हर्ट कर लेगी!
क्योंकि जहां से उसने खुदको, मसलना शुरू किया था! वहां से अब खून तक, निकलना शुरू हो गया था। और उसके निशान, और भी ज्यादा गहरे हो गए थे! इसीलिए “झलक ने खुदको, मसलना बंद किया। और जैसे-जैसे उठकर उसने, देखा कि "बेड के कोने पर एक कपड़े रखे हुए थे।
और साथ ही साथ वहीं, पर उसके पुराने फटे हुए कपड़े थे! जो उसके आदमियों के वेश, वाले कपड़े थे! जिन्हें पहनकर वो अपनी, ड्यूटी किया करती थी।
तब “झलक ने जल्द ही वो लड़कियों वाले, कपड़े उठा लिए थे। वो एक पूरी बाजू, का फ्रॉक था. साथ-साथ उसमें लेगीनस भी थी
अब उसे लेकर उसने, दुपट्टे से "अच्छी तरहा से खुदको, कैरी किया था। हालांकि उसके शरीर, में जान नहीं थी! लेकिन वो वहां और नहीं, रुक सकती थी।
क्योंकि पता नहीं, इस वक़्त "घड़ी में क्या समय हो रहा था. क्या नहीं उसे कोई अंदाजा नहीं था
और उसे अस्पताल, अपने पिता को देखने भी जाना था। साथ ही साथ उसका भाई, उसकी "मां उसके लिए परेशान हो रहे होंगे!
उसे उन्हें भी देखना था! तो कहीं ना कहीं इस, वक़्त “झलक का दिमाग़ जोरों से चल रहा था
वेल गरम पानी से "नहाने के बाद उसका, दर्द थोड़ा सा कम हुआ।
और जैसे-तैसे अब वो, वहां से "बाहर निकल कर बस भाग, जाना चाहती थी। और जैसे ही वो, बाथरूम से बाहर निकली..
उसने लिविंग रूम, में सोफे पर एक अजीब “आदमी को बैठे हुए देखा.. वो आदमी बड़ी ही अजीब, नजरों से “झलक को देख रहा था।
और अपना इंट्रोडक्शन, देते हुए बोला_ मेरा नाम रोनित है। और मैं “सिद्धार्थ खुराना का सेक्रेटरी हूं।
उसने “झलक के कुछ कहने से पहले, ही अपना उसे परिचय दिया।
अब “झलक उसे घूरते हुए बोली_ कहां गया वो? कहां गया वो कमीना “आदमी? उसकी हिम्मत कैसे हुई? मेरे साथ ऐसी घटिया, हरक़त करने की? मैं, उसे नहीं छोडूंगी?
उसने मेरी जिंदगी, बर्बाद किया उसने मेरे "साथ जबरदस्ती की है। मैं, उसे किसी भी कीमत पर, नहीं छोडूंगी ।।।। '
अब जैसे ही गुस्से में, गाली देते हुए “झलक ने रोनित को यह कहा..
रोनित हैरान हो गया! क्योंकि.. पहली बार उसके, “बॉस को उसके सामने किसी, ने गाली दी थी।
उसे ये काफी, अच्छा भी लगा था।
लेकिन अगले ही पल, उसने अपना चेहरा "डार्क कर लिया! और उसने टेबल पर रखी गोलियों, के एक "डब्बे की ओर इशारा किया।
और बोला “बॉस ने तुम्हें दो, ऑप्शन दिए हैं। या तो यह एन्टी प्रेगनेंसी, पिल खालो! और इस देश इस "शहर को छोड़कर यहां, से चली जाओ!
या फिर अपनी, जान दे दो!
अब मिस “झलक या आप पर, निर्भर है और आप क्या? चूस करती है।
वो पहले से ही “झलक का नाम, जानता था। इसका मतलब साफ था! कि उसे उसने “झलक के बारे में काफी कुछ, तहकीकात भी की होगी!
अब “रोनित की ऐसी बात, सुनकर “झलक का दिल तो पूरी तरहां से, धड़क उठा था।
वह “सिद्धार्थ खुराना की ताकत, महसूस कर सकती थी! कि वो “सिद्धार्थ खुराना कितना, बड़ा हारामी था। वो थोड़ी सी डरने लगी, और रोने से खुदको रोक, नहीं पाती!
उसने तो सोचा था_ कि सीधे-सीधे, जाएगी “सिद्धार्थ खुराना से अपने पैसे, मांग लेंगी! और दो-चार बातों, से और सुना देगी!
इतना अमीर होकर वो, झूठ बोलता है? इस तरह की बातें और सुना देगी।
लेकिन अब तुरंत ही, उसका अहंकार "खत्म हो गया! उसने अपने होंठ भींच लिए!
और फिर वह थोड़ी सी, धीमी आवाज़ में बोली_ मैं “सिद्धार्थ खुराना से मिलना चाहती हूं! मैंने उसकी जान बचाई थी।
वह इस तरहां, से कैसे मेरे "साथ ऐसी कैसी घटिया, हरक़त कर सकता है?
यह सुनकर रोनित ने उसका मज़ाक, उड़ाते हुए कहा_ मैं यह घटिया झूठ, सुनकर थक गया हूं! क्या तुम्हें सच में लगता है! कि वह तुम पर विश्वास करेंगे ।
तब “झलक बोली थी मैं, सच कह रही हूं! उस दिन न.. तब इससे पहले की “झलक अपनी पूरी बात बोल पाती....
तब रोनित बोला_ देखो बेकार में मेरा, टाइम बर्बाद मत करो! समझे तुम...
तुम्हारे पास ये दो, ऑप्शन है। जल्दी से "ऑप्शन चूस करो या.. तो यह "गर्भनिरोधक गोलियों का खा लो
या फिर अपनी, जान दे दो ,'।।।
अब तो “झलक को रोनित की, शक्ल में भी “सिद्धार्थ खुराना ही नज़र, आने लगा था।
और उसका, पारा एकदम से ही बढ़ गया था! वो सोच रही थी_ कि कोई इंसान इतना, ज्यादा "घटिया कैसे हो सकता है?
उसके साथ इतनी सारी "घटिया हरक़ते करने के बाद वो, इस तरह से अपने “असिस्टेंट को भेज कर उसकी, बेइज्जती करवा रहा था।
अब “झलक गुस्से से, घूरते हुए रोनित से बोली_ तेरा “बॉस तो हरामी है। तू.. भी एक नंबर का हरामी है आखिरकार तू.. समझता क्या है अपने आपको? अगर मेरी जगह तेरी, बहन.. होती क्या तू, उसे भी इसी तरहां से कहता?
अब तो रोनित का दिमाग़ “झलक की बात सुनकर, पूरी तरह से सुन्न हो चुका था।
“सिद्धार्थ खुराना के साथ, रहने से “रोनित को भी काफी इज्जत, मिला करती थी।
आज तक किसी ने उसे, तुम से भी बात नहीं की थी! लेकिन यहां तो “झलक सीधा तू.. कह कर बात कर रही थी! कुछ अलग की अंगारे, बरसा रही थी।
we'll.. आज तक देव, को “सिद्धार्थ खुराना के अलावा.. किसी और से कभी भी डर, नहीं लगा था। लेकिन आज तो उसे, पहली बार सामने खड़ी हुई “झलक से अंदर ही अंदर डर, सा महसूस हो रहा था। और अगले ही पल, वो “झलक की ओर देखकर, चिढ़ते हुए बोला_ देखे “झलक मैडम मुझ, पर "भड़ास निकालने से कुछ, नहीं होने वाला?
वैसे भी तुम जैसे दो कौड़ी, की "लड़कियां हमारे बॉस, के आगे पीछे इसी तरह से घूमती रहती है।
अब “सिद्धार्थ खुराना ने तुम्हें दो, ऑप्शन दिए हैं। या तो एक डब्बे, में "गर्भनिरोधक गोलियां है! और दूसरे डब्बे में, जहर की गोलियां है।
we'll.. आज तक देव, को “सिद्धार्थ खुराना के अलावा.. किसी और से कभी भी डर, नहीं लगा था। लेकिन आज तो उसे, पहली बार सामने खड़ी हुई “झलक से अंदर ही अंदर डर, सा महसूस हो रहा था।
और अगले ही पल, वो “झलक की ओर देखकर, चिढ़ते हुए बोला_ देखे “झलक मैडम मुझ, पर "भड़ास निकालने से कुछ, नहीं होने वाला?
वैसे भी तुम जैसे दो कौड़ी, की "लड़कियां हमारे बॉस, के आगे पीछे इसी तरह से घूमती रहती है।
अब “सिद्धार्थ खुराना ने तुम्हें दो, ऑप्शन दिए हैं। या तो एक डब्बे, में "गर्भनिरोधक गोलियां है! और दूसरे डब्बे में, जहर की गोलियां है।
अब डिसाइड कर लो तुम्हें, क्या करना है।
“झलक का दिल तो कर रहा था. कि अभी और इसी वक़्त वो, आगे बढ़े और सामने खड़ा हुआ जो इंसान उसे, इस तरहां की "फालतू बकवास कर रहा है। वह जाकर उसका भी और इसी, वक़्त तुरंत गला दबा दे।
और उसकी जान, ले “झलक अब “ रोनित की बात सुनकर उसे आगे, और "गालियां देना चाहती थी।
कि तभी अचानक से वहां, की लिफ्ट के दरवाज़े खुलता है।
अब “झलक ने सोचा कि जरूर “सिद्धार्थ खुराना वहां, आया होगा।
और इस बात का सोचते, ही “झलक ने सोचा उसके चमचे, को "गालियां देने से क्या? फायदा सीधे-सीधे “सिद्धार्थ खुराना को ही वो, गाली देगी।
लेकिन लिफ्ट में, से “सिद्धार्थ खुराना की जगह, एक "बुजुर्ग महिला को आता हुआ! देखकर “झलक की आंखें हैरानी, से फैल गई थी।
भले ही वो, महिला बुजुर्ग थी।
उसे महिला के दाएं-बाएं दो-दो औरतें और थी! जिनमें से एक औरत, ने उसे "बुजुर्ग महिला का पर्स पकड़ रखा था। और एक ने उसका "फोन थाम रखा था।
जिससे इस बात का अंदाजा, अच्छी तरहा से लगाया जा सकता था। कि उसे औरत बुजुर्ग, औरत के "साथ आने वाली दो औरतें थी।
जिन्होंने काफी मॉडर्न, कपड़े पहने थे! वह उसे बुजुर्ग महिला, के नौकरानियां थीं।
जिसका मतलब साफ था. कि ये बुजुर्ग महिला कोई, ना कोई बड़ी हस्ती थी।
अब जैसे ही, वह वहां आयी।
तब रोनित ने उस बुजुर्ग महिला की, ओर देखकर पहले तो “रोनित चौक गया।
और अगले ही पल, उसने उन्हें.. अभिवादन किया और गुड मॉर्निंग.. विश करते हुए बोला_ मैडम मैडम, “उर्वशी जी आप यहां।।।
तब “उर्वशी जी ने अंदर जाकर
“देव की तरफ देखा और उसकी, और घूरते हुए सर्द अंदाज में बोलती- तुम यहां, क्या कर रहे हो?
तब देव ने अपना सर, झुकाकर बोला_ मैडम मैं, “बॉस के कुछ पर्सनल काम, का "ध्यान रख रहा हूं!
“देव ने ईमानदारी से जवाब दिया।
तभी “उर्वशी जी ने टेबल, पर रखी हुई "गर्भनिरोधक गोलियों, के डब्बे की ओर "इशारा किया और उसे, फटकारते हुए बोलती हैं- क्या आपका ये, पर्सनल काम है! मेरे “परपोते से छुटकारा, पाने के बारे में है।
अब जैसे ही “उर्वशी जी ने वहां, आकर ये कहा!
अब तो “झलक की आंखें हैरानी, से काफी ज्यादा चौड़ी हो गई थी! उसे तो "यकीन ही नहीं हो रहा था. कि आखिरकार उसके, साथ हो क्या रहा है?
परपोता अब “उर्वशी की निगाहों को, अपने ऊपर महसूस करते हुए! उसने "गोलियों के डब्बे की ओर, देखा और वो, हैरान हुए बिना ना रह सकी।
क्योंकि “उर्वशी ने जिस पर पोते, के बारे में जिक्र किया था. वो कहीं और नहीं.. बल्कि वह “झलक के अंदर था.. इसका मतलब साफ था।
सिद्धार्थ खुराना ने नशे, की हालत मे “झलक के साथ जो रिलेश,न बनाया था. उसकी वजह से झलक “प्रेग्नेंट हो सकती थी।
इसीलिए उसने अगली सुबह, ही “देव को दवाई देने के लिए, या फिर उसकी "जान लेने के लिए बोल दिया था।
तब उर्वशी, जी “झलक की ओर मुड़ी, और उसका "डार्क चेहरा एकदम मुस्कान, में बदल गया उसने पूछा, तुम “झलक शर्मा होना।
झलक को “सिद्धार्थ खुराना को बिल्कुल भी, पसंद नहीं था! लेकिन अब “उर्वशी के ये पूछने पर और, इतने विनम्र शब्दों में पूछने पर
“झलक ने “उर्वशी जी की ओर, देखा और बोली_ जी हां मैडम मैं, आपके लिए "क्या कर सकती हूं?
“झलक अपने सामने खड़ी हुई, औरत को देखकर समझ चुकी थी! कि ये आम “औरत तो बिल्कुल भी नहीं है।
जिस तरह से “सिद्धार्थ खुराना का चमचा, जो कि उसके सामने उल्टी ,सीधी जुबान चला रहा था।
अब “उर्वशी जी के आते ही वो, किस तरह से "भीगा बिल्ला बन गया था! यह बात “झलक से छुपी नहीं रही थी।
और फिर जब “उर्वशी जी ने मुस्कुराकर “झलक से बात की, तो बदले में “झलक ने भी बड़े ही प्यार, से उनसे पूछा था।
जी मैडम बताइए मैं, आपके लिए "क्या कर सकती हूं।
अब “झलक के इतने प्यार से उसे, मैडम बोलने_ पर “उर्वशी के चेहरे पर एक बड़ी सी, मुस्कुराहट आ गई थी। और वो “झलक की ओर बड़े ही, ध्यान से देखने लगी।
एकदम सांवली, सांवली से “झलक जिसने अपनी ख़ूबसूरती को, अपने "गोरी रंगत साथ-साथ अपने, चेहरे के चमक को उस "विदेशी क्रीम के पीछे, छुपाया हुआ था।
उसके बाद भी “उर्वशी जी को “झलक बड़ी ही प्यारी, और ख़ूबसूरत लगी थी।
झलक का नाक नक्शा, उसका ख़ूबसूरत फिगर “उर्वशी जी बड़े ही ध्यान, से देख रही थी।
भले ही “झलक एकदम बदसूरत सी थी. लेकिन उसका नाक नक्शा, उसे बेहद "ख़ूबसूरत बना रहा था।
तब “उर्वशी ने बड़े ही प्यार से उसका, हाथ पकड़ा और कहा_ देखो बेटा मैं, एक बूढी “औरत हूं। और मैं, बस तुम से सिर्फ और सिर्फ एक “परपोता चाहती हूं।
मैंने तुम्हारी, जानकारी "इकट्ठे करवाई और मैं, जानती हूं! कि तुम्हारे -पिता अस्पताल में है।
और तुम अपने परिवार, का भरण "पोषण करने के लिए, कड़ी मेहनत करती हों!
तुम एक अच्छी बच्ची, हो इसीलिए अगर तुम "खुराना परिवार के लिए एक बच्चा, पैदा करने में मेरी "मदद करने को तैयार हो।
तो मैं, तुम्हारे लिए सबकुछ करने पर तैयार रहूंगी! इतना ही नहीं, जो कुछ तुम कहोगी!
मैं, वहीं करूंगी।
अब तो “झलक की आंखें हैरानी, से खुली की खुली रह गई थी।
उसने अपना, हाथ “उर्वशी के हाथों से दूर, खींच लिया था! उसे ऐसा लग रहा था मानो_ के जैसे उसे, बिजली का झटका लगा हो,
अभी थोड़ी देर पहले, उस “औरत को देखकर “झलक के मन में उसके लिए, मान सम्मान पैदा हुआ था।
लेकिन अब उसे “औरत के इस तरहां की बातें, सुनकर “झलक की तो हैरानी, काफी ज्यादा बढ़ चुकी थी।
वो सपने में भी नहीं, सोच सकती थी- कि एक ही दिन में उसकी “जिंदगी इस तरहां से, बदल जाएगी कि लोग उसे, इस नज़र से देखने लगेंगे!
“झलक सोच रही थी. उनके पोते ने मेरे साथ, इतनी बुरी और "घटिया हरक़त की है।
इसके लिए इन्हें, अपने "पोते को डांटना चाहिए, उसे फटकारना चाहिए! उसे कड़ी से कड़ी सजा, दिलानी चाहिए।
लेकिन ये क्या? यहां तो ये “औरत जाकर सीधे-सीधे उसे, कह रही थी_ कि वो खुराना परिवार के लिए, एक बच्चा पैदा करके दे!
क्या क्या वो बच्चा, पैदा करने की "मशीन है।
कहीं ना कहीं “झलक का पारा एक दम, बहुत ज्यादा बढ़ चुका था।
झलक को इस तरहां की बात, कभी भी "बर्दाश्त नहीं होती थी।
और वो सीधे तरीके, से भी “उर्वशी की जी की बेइज्जती, नहीं कर सकती थी।
हालांकि मन में, वो “उर्वशी जी को बहुत, ज्यादा कोस रही थी! कि जैसा इनका घटिया पोता.. वैसे घटिया ये है।
तभी “झलक अपने चेहरे पर, एक कड़वाहट भरी मुस्कराहट, लाकर बोलती है_ नही-नही मैडम मैं, जानती हूं कि आप "खुराना परिवार के लिए, परपोता चाहती है।
लेकिन ये, आपका "पर्सनल मामला है।
और इसका मुझसे, कोई लेना देना नहीं है।
पर ये किस तरहां का, मजाक था? सिर्फ इसलिए कि, उस “सिद्धार्थ खुराना ने, नशे की हालत में मेरे "साथ रिलेशन बनाये।
जबरदस्ती मेरे साथ रिश्ता, कायम किया तो "क्या उसके लिए मुझे खुराना, परिवार के लिए "बच्चों को जन्म देना पड़ेगा।
आखिरकार आप किसी लड़की, के "साथ इस तरहां के इस तरहां, का घटिया मज़ाक कैसे कर सकती है।
वैसे भी मेरे, साथ गलत हुआ है। आपको उसके खिलाफ, आवाज़ उठानी चाहिए!
कहीं ना कहीं “झलक खुद को रोक नहीं, पाती और अपने उसके, मन की "कड़वाहट बाहर आ गई थी।
और उसने “उर्वशी जी को मौका, देखकर एक दो बातें सुना दी थी।
अब उर्वशी जी “झलक की बातें, बड़े ही "ध्यान से और एकदम प्यारी सी, मुस्कुराहट के "साथ सुन रही थी।
वही देव, को अब “झलक पर गुस्सा आ रहा था. कि यह इस तरह से, कैसे हमारी “उर्वशी “मैडम से बात कर सकती है।
किसी की इतनी हिम्मत नहीं.. कि वो, “मैडम से इस तरह से बात कर सकें!
वाकई ये “लड़की काफी ज्यादा, बदतमीज है। अगर अब तक “उर्वशी मैडम यहां नहीं, आयी होती तो अब तक तो “देव कब का उसका, काम तमाम कर चुका होता।
अगर वो "गर्भनिरोधक गोलियां नहीं खाती तो वो, "ज़हर की गोलियां खुद उसे, अपने हाथों से देता।
वैसे उसने “देव के साथ, बद्तमीज़ी की थी।
“देव को बीच में गालियां दी थी. इसीलिए “देव को “झलक से अलग की, तरहां की चिड़ पैदा हो गई थी।
वही दूसरी ओर,_
शहर के मशहूर, रेस्टोरेंट में “आकांक्षा आधे घंटे, से किसी का इंतजार कर रही थी।
और बार-बार बेचैनी, से अपनी "घड़ी को देख रही थी उसके लिए, एक-एक मिनट "इंतजार करना काफी ज्यादा, भारी पड़ रहा था।
वही दूसरी ओर,_
शहर के मशहूर, रेस्टोरेंट में “आकांक्षा आधे घंटे, से किसी का इंतजार कर रही थी।
और बार-बार बेचैनी, से अपनी "घड़ी को देख रही थी उसके लिए, एक-एक मिनट "इंतजार करना काफी ज्यादा, भारी पड़ रहा था।
इस वक़्त बिलकुल हैवी, मेकअप के "साथ वो वहां बैठकर किसी, के आने का "इंतजार कर रही थी।
उसके शरीर की बेचैनी, देख कर साफ पता चल रहा था! कि आने वाले "इंसान शायद उसके, लिए बेहद खास है।
और आखिरकार उसका, इंतजार "खत्म हुआ! क्योंकि उसके, सामने “सिद्धार्थ खुराना खड़ा हुआ था।
सिद्धार्थ उसके, पास जाकर बोला_ कि आपके इंतजार करने, के लिए माफी चाहता हूं!
उस वक़्त “सिद्धार्थ ने सिल्वर gray पी, स्ट्रिप सूट पहना था। नीचे काली "शर्ट पहनी थी जिसमें वो, बेहद हैंडसम, और डैशिंग लग रहा था।
वेल.. “सिद्धार्थ खुराना से जल्दी ही, अंदर आया! और अपने "हैंडसम से चेहरे पर हल्की, से मुस्कुराहट के साथ, उसने “आकांक्षा की ओर देखता है।
आकांक्षा ने आज तक, सिर्फ और सिर्फ “सिद्धार्थ खुराना को, टी.वी पर देखा था
लेकिन आज अपने सामने, एकदम चौड़े "कंधों वाले एकदम हैट खट्टे, बाइसेप्स लंबे चौड़े “आदमी को देखकर उसे, ऐसा लग रहा था।
मानो कि वो कहीं का, बहुत बड़ा “राजकुमार हो उसका वो पावरफुल औरा, इस बात की "गवाही दे रहा था।
तभी “आकांक्षा उसकी ओर, देखकर बोली_ मिस्टर खुराना.. आई थिंक टाइम, के काफी ज्यादा पाबंद है। शायद मैं, ही कुछ जल्दी आ गई थी।
तभी सिद्धार्थ उसके, सामने बैठा! और एक नज़र उसने “आकांक्षा की ओर देखा! और उसने पूछा_ तुम खाने में क्या, पसंद करोगी?
आज आकांक्षा ने अच्छे, से "बढ़िया से खुदको तैयार किया था।
उसने हेवी मेकअप, वगैरह किया था।
और उसने हीरे, की "बालियां और हार पहना था. ताकि और साथ ही, साथ बेस्ट "डिजाइनर ड्रेस भी पहना था! हालांकि वह पहले से ही, सुंदर दिखती थी लेकिन उन सब "एक्सपेंसिव ज्वेलरी ने उसकी, सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था।
जिससे वो, और भी “ख़ूबसूरत लग रही थी।
लेकिन सिद्धार्थ खुराना, इस तरहां की "औरतों को देखने का आदी था।
क्योंकि हमेशा से ही उसके, आसपास काफी अमीर औरतें, रहा करती थी।
जो खुदको काफी ज्यादा, बन-सवर के साथ रखती थी।
महंगी महंगी ज्वेलरी, पहना करते थी। इसीलिए उसने “आकांक्षा को भी सिर्फ और सिर्फ एक सरसरी सी, नज़र के तौर पर देखता है।
तभी “सिद्धार्थ ने उसके सामने, एक menu देते हुए कहा_ जो कुछ भी आपको, खाना है! आप बता सकती है।9️⃣
अब आगे--
तब “आकांक्षा मन ख़ुद से बोली_ मैं यहां पर तुम्हारे साथ, खाना खाने के लिए नहीं आयी हूं। मैं यहां जिस काम, के लिए आयी हूं। मैं' बस कामयाब होना चाहती हूं।
वही आकांक्षा, को कुछ सोचते हुए देखकर!
“सिद्धार्थ खुराना ने एक सरसरी, से नज़र उसकी ओर डाली! और आइब्रो उचकाते हुए बोला_ क्या हुआ? मिस ओबेरॉय? आपने बताया नहीं, आप "क्या खाना ऑर्डर करना चाहेंगे?
तभी “आकांक्षा ने मुस्कुराते, हुए “सिद्धार्थ खुराना की ओर देखकर, बोलती है_ वो मिस्टर खुराना मैं, आपकी पसंद की डिशेस ही, ट्राई करना चाहूंगी!
जैसे ही “आकांक्षा ने ये कहा!
सिद्धार्थ ने बदले में, सिर्फ एक फीकी सी मुस्कुराहट दी थी। और जल्दी एक बटन प्रेस, कर दिया।
सिद्धार्थ खुराना, के बटन प्रेस करते ही! एक वेटर तुरंत कमरे में दाखिल हुआ। उसने रेस्टोरेंट के सबसे महंगे दो, डिशेज और साथ ही साथ "रेड वाइन के एक बोतल, वहाँ सर्व कर दिया।
रेड वाइन, देखकर “आकांक्षा की तो लार, टपकने लगी थी। आकांक्षा को रेड वाइन, पीने की बूरी लत थी। हर रोज “आकांक्षा का रूटीन था. रात में पार्टी करना घूमने, फिरने जाना और उसमें "रेड वाइन उसके सबसे, ज्यादा फेवरेट हुआ करती थी।
और तब “सिद्धार्थ आकांक्षा की और, गहरी नजरों से देखते हुए बोला_ तो तुम सिंघानिया ग्रुप, की राजकुमारी हों? लेकिन मैं, तुमसे ये पूछना चाहता हूं! तुम उसे दिन उसे सड़क, पर "डेलिवरी के वेश में क्या कर रही थी?
अब जैसे ही “सिद्धार्थ खुराना ने, ये पूछा_ आकांक्षा ने तुरंत, अपने "पैरों को क्रॉस किया, और “सिद्धार्थ की ओर देखने लगीं!
क्योंकि “सिद्धार्थ खुराना ने वहां से, वापस आने के बाद अच्छी तरह से “आकांक्षा की सारी की सारी डिटेल, पता करवाई थी।
की “आकांक्षा कौन थी। कहां थी, क्या करती थी। और फिर उस दिन, वह "डिलीवरी की ड्रेस में क्यों थी। जबकि वह तो इतने, अमीर परिवार से थी।
अब आकांक्षा, उसका सवाल को सुनकर "थोड़ा सा चौक भी गई थी।
उसका दिल, थोड़ा सा "दहल सा भी गया था।
लेकिन फिर वो, एक "जबरदस्ती कड़वी मुस्कुराहट अपने चेहरे, पर लेकर आयी! और पॉलीटली वॉइस में बोली_ अगर मैं आपको ईमानदारी से बताऊं, तो "डिलीवरी करना मेरे पिता का मुझे, एक "टास्क दिया गया था। वो बस देखना चाहते थे! कि क्या मैं, कठिनाइयों को सहन कर सकती हुं।
क्योंकि उनके बाद वो, कंपनी मुझे ही संभालनी है। तो वो हर तरह से सिर्फ और सिर्फ मेरा, टेस्ट ले रहे थे कि अगर मैं, कठिनाइयों को सामना कर सकती हूं। डिलीवरी वाली छोटे लेवल, पर काम कर सकती हु या नहीं.. कर सकती हूं। तो बस इसीलिए मे डेलिवरी, का काम कर रही थी।
आकांशा बिना “सिद्धार्थ के मन मे शक पैदा हुए, बड़ी "सफाई से जवाब दे रही थी।
यह शब्द “आकांक्षा ने पहले ही, अपने दिमाग़ में बिठा लिया था।
क्योंकि जब “सिद्धार्थ ने उसे एक हफ्ते, बाद मिलने के लिए बुलाया!
तो उसने अपने पेरेंट्स, यानी के “ईशान ओबेरॉय और “नैना ओबेरॉय को इस बारे में बताया।
तब वो दोनों भी पू,री तरहां से चौंक गए थे।
और साथ ही साथ जब उन्हें, इस बात के बारे में पता चला& की “झलक ने ही सिद्धार्थ, खुराना को बचाया था।
तो उनकी हैरानी काफी, ज्यादा बढ़ चुकी थी! वो कभी भी नहीं, चाहते थे_ की “झलक की जिंदगी में, कुछ भी अच्छा हों।
इसीलिए उन्होंने अब सीधे-सीधे अपनी, बेटी “आकांक्षा ओबेरॉय को “सिद्धार्थ खुराना की जिंदगी, में प्लांट करने के लिए!
प्लान बनाना शुरू, कर दिया था।
तब उन्होंने पहले से, ही “सिद्धार्थ के सवालों का, अनुमान लगा लिया था।
इसीलिए उन्होंने विशेष रूप से, किसी को उस "रास्ते की निगरानी और सीसीटीवी, फुटेज की जांच करने के लिए भेजा था।
ताकि उस दिन, किस तरह से “झलक ने “सिद्धार्थ की जान बचाई थी! वो सारी बातें वो, पहले से जान सकें!
और “सिद्धार्थ को इस बात पर, बिल्कुल भी संदेह ना हो कि उस दिन, असल में “आकांक्षा नहीं, बल्कि डिलीवरी वाली “झलक थी।
वेल.. इतना ही नहीं “आकांक्षा आसानी, से “सिद्धार्थ के सवालों का, जवाब दे सके इसीलिए एक हफ्ते, तक “आकांक्षा ने अच्छी तरह से, डिलीवरी वाली बनने का भी "काम किया था।
ताकि वह “सिद्धार्थ के सामने बिल्कुल रियल, तरीके से सारी बातों को कह सकें।
इन present,.
“आकांक्षा की बात सुनने के, बाद “सिद्धार्थ ने उसकी ओर, देखकर कहा_ वेरी गुड आपके पिता, ने बहुत "अच्छा काम किया।
कि आपको पहले अनुभव, करवाया कि किस तरहां से लोगों को, फेस करना चाहिए! किस तरह से कठिनाइयों, में जीवन "व्यतीत करना चाहिए अच्छा है। मुझे आपके पिता, मिस्टर "ओबेरॉय का आइडिया पसंद आया।
लेकिन हां.. अब आप मुझे अपना "अकाउंट नंबर दे दीजिए मैं, आपको एक "करोड रुपए ट्रांसफर करवा दूंगा!
क्या अब तो “आकांक्षा पूरी तरहां से, हैरान हो गई की अचानक से इन सब बातों, के बीच में एक करोड रुपए क्या मतलब? एक करोड रुपए का, जिक्र कहां से आ गया?
तब सिद्धार्थ, खुराना बोला_ ये पैसा तुम्हारा इनाम है। तुमने मेरी जान बचाई है।
अब आकांक्षा हिचकिचाते हुए बोलती_ नहीं, नहीं, ये जरूरी नहीं है। भला मैं, एक करोड रुपए, का क्या करूंगी? वैसे भी अगर आपकी, जगह कोई और होता तो भी मैं, उसकी भी जान बचाती।
ये मेरा “स्वभाव है।
और वैसे भी मेरे, पास पैसों की "कोई कमी नहीं है। आप अच्छी तरह से जानते हैं।
तब सिद्धार्थ चौंकते हुए बोला_ ओह रियली.. अच्छा तो ठीक है। तो मैं, एक काम कर सकता हू मेरा सेकेट्री, तुम्हारे "पिता से संपर्क कर सकते हैं। तो हमारी कंपनी तुम्हारे कंपनी, के "प्रोजेक्ट को सबसे पहले, फर्स्ट प्रायरिटी देगी।
क्योंकि ओबेरॉय, इंडस्ट्रीज “आकांक्षा के पिता की कंपनी थी।
तो इसीलिए अब, तो “आकांक्षा तुरंत इन्कार, करते हुए बोली_ आपकी पेशकश(offer) के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.. लेकिन ये मुझे बिल्कुल भी, ठीक नहीं लग रहा है।
मुझे इन सब चीजों, की कोई जरूरत नहीं है।
अभी इससे पहले, की “आकांक्षा और कुछ कहती!
तभी “सिद्धार्थ खुराना का फोन, बजने लगा! फोन पर कोई और नहीं, बल्कि “देव था।
देव ने फोन, करके “सिद्धार्थ को बता दिया था! कि “बॉस आपने जो काम दिया था। वो बिल्कुल भी पूरी तरहां से, फेल हो गया है।
क्योंकि आपकी, दादी “उर्वशी मैडम वहां आ गई थी। और जो कुछ भी वहां हुआ था। वो सारी बातें देव ने, अब “सिद्धार्थ को बता दी थी।
अब “सिद्धार्थ चौक गया की_ दादी अचानक से वहां क्यों, आ गई। मुझे तो यकीन ही नहीं, हो रहा है।
तब “देव बोलता है! सर मैं, आपको ये भी बताना चाहता हूं। कि “उर्वशी मैडम ये, चाहती है कि आप उस लड़की, से यानी मिस “झलक से शादी करें।।
अब जैसे ही सिद्धार्थ खुराना, ने अपने "असिस्टेंट देव की बात सुनी!
उसका चेहरा एकदम ही, लाल हो गया था।
और वो कोल्ड “वॉइस में बोला_ वो तो दादी यही, सपना देख रही है। लेकिन उनका ये, सपना सपना ही रहेगा?
फिलहाल के लिए उसने, फोन रख दिया था। फोन की स्क्रीन को कुछ देर, घूरता हुआ वो "कहीं खो गया था।
अब जैसे ही सिद्धार्थ खुराना, ने अपने "असिस्टेंट देव की बात सुनी!
उसका चेहरा एकदम ही, लाल हो गया था।
और वो कोल्ड “वॉइस में बोला_ वो तो दादी यही, सपना देख रही है। लेकिन उनका ये, सपना सपना ही रहेगा?
फिलहाल के लिए उसने, फोन रख दिया था। फोन की स्क्रीन को कुछ देर, घूरता हुआ वो "कहीं खो गया था।
उसके बाद “आकांक्षा जो कि “सिद्धार्थ खुराना के के हैंडसम के चेहरे को, ही देख रही थी। बार-बार “सिद्धार्थ खुराना का हैंडसम सा, चेहरा “आकांक्षा के दिल की धड़कन को बढ़ा रहा था।
उसका धड़कता हुआ दिल, कितने लंबे समय तक "शांत नहीं हो सका।
क्योंकि यहां आने से पहले, उसकी “मां ने उसे साफ-साफ बता दिया था_ कि वह अच्छी तरह से अपना, अच्छा फेस “सिद्धार्थ को दिखाएं उसे, अपनी तरफ आकर्षित करें।
तो इसीलिए उसे, उसके शब्द याद आ गए थे।
वेल.. तब उसने “सिद्धार्थ की ओर देखकर कहा_ कि मैं, तो बस इसी बात से खुश हूं कि आप बिल्कुल ठीक है।
मिस्टर सिद्धार्थ खुराना और मुझे, आपसे कुछ नहीं चाहिए “आकांक्षा ने एक मासूम सी, लड़की बनते हुए कहा था।
उसके बाद “आकांक्षा बोली_ एक्चुअली मेरी दूसरों की, मदद करने की बहुत ज्यादा "हॉबी है मुझे तभी, सुकून मिलता है।
जब मैं दूसरों की, मदद करती हु।
वेल.. अभी “आकांक्षा अपनी तारीफ, कर ही रही थी।
कि तभी वेटर ने दरवाज़ा खटखटाया, और खाना परोसना शुरू कर दिया था।
और तब अब जब “आकांक्षा ने एक और अपना, अच्छा काम “सिद्धार्थ खुराना के सामने गिनाया।
तो “सिद्धार्थ कुछ देर उसकी, ओर देखता रहा ! फिर अचानक ही “सिद्धार्थ को इस बात का एहसास हुआ_ कि सामने खड़ी हुई लड़की, कोई आम "लड़की तो बिल्कुल भी नहीं है।
भले ही वो कितना ही अच्छा, बनने का दिखावा कर रही थी। लेकिन उसकी आंखों, में मक्कारी साफ दिखाई दे रही थी।
तब अचानक “सिद्धार्थ को अचानक, से “देव के शब्द याद आ गए की "दादी चाहती है कि आप उस, लड़की से शादी कर लो।
तब उसने अचानक “आकांक्षा की ओर देखकर कहा_ अच्छा क्या? आप मेरी एक काम में मदद, कर सकती हो? क्या तुम मेरी "गर्लफ्रेंड बनने का नाटक, कर सकती हो????
अब जैसे ही अचानक "सिद्धार्थ ने ये कहा! “आकांक्षा को तो दिल जोरो, से धड़कने लगा था! और उसे अचानक से बहुत, ज्यादा खुशी हुई थी। उसे ऐसा लग रहा था मानो_ कि उसकी "मम्मी ने जो कुछ उसे समझाया था। वो खेल काम कर गया हो!
जो वह स्टाइलिश, बनकर आयी थी! वाकई “सिद्धार्थ को वो, सर पसंद आ गई हो।
उसका सफेद हाथ उस वक़्त उसकी, बात सुनकर थर थर "काँप रहा था।
और कुछ सेकेंड के बाद उसने, परेशान होकर “सिद्धार्थ की ओर देखकर कहा_ मिस्टर खुराना आखिरकार आप, कहना क्या चाहते हैं?
तब सिद्धार्थ बोला_ एक्चुअली मेरे परिवार ने मेरी, शादी तय कर दी है। और मैं, इस "शादी से खुश नहीं हूं! इसलिए मैं चाहता हूं_ कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड, बनने का नाटक करों।
एक बार जब ये हो जाए, तो तुम अपनी "कीमत बता सकती हों? और मैं, तुम्हें इस काम की मुंह, मांगी कीमत दूंगा।
अब तो “आकांक्षा का दिल जोरो से, उछलने लगा था। और वो उसने फिर बोला, भी था लेकिन मैं, ही क्यों?
तब सिद्धार्थ ने उसे, बिना एक्सप्रेशन के बोला_ तुम चाहो तो मना, भी कर सकती हों!
क्योंकि मेरे पास और भी “लड़कियां है मैं, किसी से भी बात कर सकता हूं।
लेकिन आकांक्षा में तो, सब्र नाम की "कोई चीज ही नहीं थी। वो तुरंत बोली_ नहीं, नहीं, मिस्टर खुराना भला मैं, आपको मना कैसे कर सकती हुं।
वैसे भी उसने तो मिस्टर “सिद्धार्थ खुराना की बीवी, बनने का सपना देखा था।
और अब उसकी, गर्लफ्रेंड बनने का "मौका मिल रहा था। तो भला इसे वह हाथ से कैसे? जाने दे सकती थी।
तो उसने तुरंत ही कहा_ ठीक है। मुझे आपका ये, प्रस्ताव स्वीकार है। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।
अब जैसे ही “आकांक्षा ने ये कहा!
सिद्धार्थ ने एक हल्की सी, स्माइल उसे दे दिया.
हालांकि “आकांक्षा को इस बात, के बारे में बिल्कुल भी "एहसास नहीं था।
उसने “सिद्धार्थ खुराना का प्रपोजल एक्सेप्ट, करने के बाद इस बात पर "मोहर लगा दी थी।
कि वो, भी बाकी "लड़कियों के जैसी ही थी।
जो खुदको “सिद्धार्थ के सामने, फेंक दिया करती थी।
वेल.. उसे अभी भी इस बात का, शक था। कि या तो ये कोई संयोग है। या फिर किसी ने बड़े ही, सोच समझकर ही साजिश रची थी।
और उसने, उसे बचाया!
वेल.. तब “सिद्धार्थ खुराना ने सोचा_ कि अगर वो उसे, गर्लफ्रेंड बनाने के बहाने अपने पास रखता है। तो अपने "दुश्मनों के बारे में भी, पता लगा लेगा कि आखिरकार किसने, उस पर हमला करवाया था।
और इसी लड़की, ने उसे क्यों बचाया?
वहीं दूसरी ओर,
खुराना विला, में लिविंग रूम में “झलक आराम से बैठी हुई थी '''।🔟
वहीं दूसरी ओर,
खुराना विला, में लिविंग रूम में “झलक आराम से बैठी हुई थी।
अब आगे--
और वो “सिद्धार्थ की दादी, यानी के “उर्वशी की ओर देखकर हिचकिचाहट से बोली_ मैडम मुझे, देर हो रही है। प्लीज़.. आप मुझे जाने दीजिए मुझे, अपने "पिता के लिए अस्पताल में खाना, लेकर भी जाना है।
फ्लैशबैक,
जब झलक “उर्वशी जी के ऊपर इल्ज़ाम, लगा रही थी. तब “उर्वशी जी बदले में उसे, सिर्फ मुस्कुरा कर देख रही थी।
और उसके बाद, उसने “देव को वहां से जाने, के लिए कह दिया था।
देव जल्द ही एक, नज़र “झलक की ओर डालता हुआ! मुंह बनाते हुए सीधा वहां, से बाहर निकल गया था।
और फिर “उर्वशी ने “झलक का हाथ पकड़ कर, उसे कहा_ मैं जानती हूं कि तुम्हें, ये सारी "बातें बड़ी ही अजीब लग रही होगी।
लेकिन तुम मुझे अपनी, बात समझाने का एक मौका दो मैं, चाहती हूं! कि तुम मेरे साथ “खुराना मेंशन में चलों उसके, बाद तुम्हें मैं.. तुम्हें तुम्हारे सारे सवालों के जवाब दूंगी।
कि मैंने, ऐसा क्यों किया?
अब जैसे ही “उर्वशी जी ने ये सॉफ्ट वॉइस, में कहा_ अब “झलक मजबूर हो गई थी।
वैसे भी “उर्वशी जी ने “झलक की उस हालत, का जायज़ा लिया था।
और उसका सर सहलाते हुए, शान्त स्वर में बोली_ तुम ऐसी हालत में, अगर अपनी “मां भाई, और पिता, के सामने जाओगी? तो उन्हें कैसा लगेगा?
क्योंकि इस वक़्त “झलक की हालत, काफ़ी ख़राब थी। उसके गले पर उसके, होंठ पर इतना ही नहीं उसके, चेहरे तक पर निशान थे।
साथ ही साथ उसके होठों, के पास से भी "खून निकल रहा था।
उसका पूरा शरीर बेहद, बीमार सा लग रहा था. साफ-साफ उसे, देखकर पता चल रहा था। कि उसके साथ, जबरदस्ती हुई है।
अब “झलक को भी एक पल, के लिए “उर्वशी जी की बात ठीक लगी थी।
और उनकी, बात मानकर वो “खुराना मेंशन में आ गए थी। और दो-चार घंटे आराम, करने के बाद वो वहां से जाने के लिए, इजाज़त मांगने लगी।
“उर्वशी जी ने बड़े ही, सपाट शब्दों में “झलक से कहना शुरू कर दिया था। तुम्हे अपने पिता की, फिक्र करने की "कोई जरूरत नहीं है।
क्योंक मैंने ऑलरेडी, बड़े-बड़े "डॉक्टर को उसका इलाज के लिए, लगा दिया है। साथ ही साथ उनके देखभाल, करने के लिए भी "किसी को भेज दिया है।
अब जैसे ही “झलक ने ये सुना उसने अपनी, वॉइस थोड़ी लाउड की और "चिन्ता भरी आवाज़ में बोली_ लेकिन मैडम आप, बिना मेरी परमिशन के? मेरा माता-पिता को, कहां लेकर गई है?
क्या आप मुझे "ब्लैकमेल करने की, कोशिश कर रही है?
तब “उर्वशी जी ने उसकी, ओर देखकर कहा_ तुम हमारे बारे मे, क्या सोच रही हो “झलक और क्या बोल रही हो, यक़ीन मानो_ मुझे बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा है। वह बड़ी ही विनर्म आवाज़ में उससे, बात कर रही थी।
तब “झलक के सवाल पर,
“उर्वशी झलक की ओर देखकर, बोलती है_ बेटी मैं जानती हूं_ कि तुम्हारे साथ जो, कुछ हुआ बहुत गलत हुआ।
लेकिन मैं नहीं, चाहती कि तुम ऐसी "हालत में अपने परिवार, के सामने जाओ।
और वैसे भी मैंने, तुम्हारे पिता को अपने "बेस्ट हॉस्पिटल मे admit कराया है। जहा मैंने 24 घंटे, के लिए अपने एक "आदमी को तुम्हारे पिता, की सेवादारी के लिए नियुक्त कर दिया है।
और साथ ही साथ तुम्हारे "भाई और तुम्हारी मां, के लिए भी मैंने कुछ आदमियों, को भेज दिया है। जो उनका बेहद ख्याल रखेंगे।
और साथ ही साथ उन्हे, बता देंगे कि तुम.. एक इंपॉर्टेंट काम के लिए तीन दिनों तक, उनके पास नहीं जा पाओगी! तो तुम तीन दिनों तक मेरे, साथ ही रहोगी।
अब जैसे ही मैसेज उर्वशी, खुराना ने ये बताया!
अब तो “झलक की हैरानी बढ़ चुकी थी_ कि अचानक से इस बूढी औरत, को क्या हुआ है। वो इस तरहां से उसे, यहां अपने साथ “खुराना मेंशन में क्यों रखना चाहती है।
जबकि उसका वहां रुकने का कोई इरादा नहीं था।
भले ही उर्वशी ने “झलक के पिता को अगवा, करने की बात नहीं की थी।
लेकिन उसका सीधे-सीधे तरीके, से यही मतलब था। बिना “झलक की परमिशन के वो, उसके पिता को किसी और "अस्पताल में कैसे, एडमिट करवा सकती थे।
इसका मतलब साफ था_ की “उर्वशी बड़े ही विनम्र शब्दों, में उसे "ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे थी।
झलक के दिल कर रहा था? कि वो अभी और इसी वक़्त, मैसेज “उर्वशी को खरी खोटी सुनाएं, और यहां से चली जाए!
लेकिन “उर्वशी जी ने उसे एक बार भी, उलटी कोई बात नहीं की थी। वो उसे बड़े ही प्यार से, उसके साथ पेश आ रही थी।
झलक के दिल कर रहा था? कि वो अभी और इसी वक़्त, मैसेज “उर्वशी को खरी खोटी सुनाएं, और यहां से चली जाए!
लेकिन “उर्वशी जी ने उसे एक बार भी, उलटी कोई बात नहीं की थी। वो उसे बड़े ही प्यार से, उसके साथ पेश आ रही थी।
अब जैसे ही मैसेज उर्वशी, खुराना ने ये बताया!
अब तो “झलक की हैरानी बढ़ चुकी थी_ कि अचानक से इस बूढी औरत, को क्या हुआ है। वो इस तरहां से उसे, यहां अपने साथ “खुराना मेंशन में क्यों रखना चाहती है।
जबकि उसका वहां रुकने का कोई इरादा नहीं था।
भले ही उर्वशी ने “झलक के पिता को अगवा, करने की बात नहीं की थी।
लेकिन उसका सीधे-सीधे तरीके, से यही मतलब था। बिना “झलक की परमिशन के वो, उसके पिता को किसी और "अस्पताल में कैसे, एडमिट करवा सकती थे।
इसका मतलब साफ था_ की “उर्वशी बड़े ही विनम्र शब्दों, में उसे "ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे थी।
झलक के दिल कर रहा था? कि वो अभी और इसी वक़्त, मैसेज “उर्वशी को खरी खोटी सुनाएं, और यहां से चली जाए!
लेकिन “उर्वशी जी ने उसे एक बार भी, उलटी कोई बात नहीं की थी। वो उसे बड़े ही प्यार से, उसके साथ पेश आ रही थी।
तो इसीलिए “झलक का दिल भी नहीं किया। कि वो उनकी किसी तरहां, की कोई बेइज्जती करें।
और वैसे भी इस वक़्त उसकी, खुद मजबूरी थी उसका शरीर काफी ज्यादा, ढल सा गया था। उसे काफी ज्यादा, गहरे घाव मिले थे।
तो इसीलिए “झलक ने भी सोचा कि शायद, उसे तीन दिनों के लिए यहां ही, रुक ही जाना चाहिए।
तब “झलक ने एक और कोशिश की, और वो थुक निगलते हुए, घबराकर बोली_ लेकिन "मैडम आप मेरे साथ, ये सब कुछ क्यों कर रही है?
प्लीज़ आप मुझे यहां से, जाने दीजिए मेरा आपका या आपके पोते, इसका किसी से "कोई लेना देना नहीं है?
मैं एक बदकिस्मत लड़की हूं। जिसके साथ शुरू से ही, अन्याय हुआ है। अब और अन्याय सहने की, मुझ में क्षमता नहीं है! “झलक ने हाथ जोड़कर एक और कोशिश की थी।
तब “उर्वशी जी ने आगे कहना, शुरू कर दिया_ देखो ये सब तुम्हारे, और मेरे "पोते के बीच की किस्मत है।
तुम्हें पता है। कि मेरा, पोता “सिद्धार्थ खुराना एक, शापित बच्चा है।
काफी हादसे से वो, अकेला रह रहा है।
उसके जिंदगी में प्यार, नाम की "कोई चीज नहीं है। मैंने कितनी ही कोशिश की मैं, उसकी शादी करवा दूं।
लेकिन वो शादी, करने के लिए भी तैयार नहीं हुआ! इतना ही नहीं मैंने, एक-एक करके कितनी सारी "लड़कियों को उसकी जिंदगी में, लाने की कोशिश की लेकिन आज तक, वह एक "गर्लफ्रेंड तक नहीं बन पाया।
अब तुम देख रही हो, कि मेरी "उम्र हो चुकी है। आखिरकार मैं, कब तक उसके साथ रहूंगी। और वैसे भी बेटा पिछले महीने हमें, पता चला कि हमें "ब्लड कैंसर है।
और हम लास्ट स्टेज पर है। हम मरने से पहले अपने, पोते का घर "बसा हुआ देखना चाहते हैं।
इसीलिए मजबूरन हमें, अब उंगली टेढ़ी करनी पड़ी! और उसके ड्रिंक में नशे, की "दवाई डालने के लिए कुछ, तरकीब अपनानी पड़ी।
मैंने तो उसे मिस इलियाना, के "साथ सेट करने की योजना बनाई थी।
लेकिन उसे दिन उसकी, जगह तुम वहां पहुंच गई! और सौभाग्य से तुम, भी बुरी लड़की नहीं हो।
अब तो “उर्वशी की ये घटिया प्लानिंग, सुनने के बाद “झलक की आंखें फटी की, फटी रह गई थी।
और उसे अब, समझ में आ चुका था।
कि उसे दिन “सिद्धार्थ को नशीला ड्रग्स, क्यों दिया गया था। इसका मतलब उस गंदे आदमी, के "साथ जो कुछ भी उस रात, हुआ था। वो सिर्फ और सिर्फ, एक कोइंसिडेंट था।
ये सारा गेम, प्लान “सिद्धार्थ खुराना की दादी, ने उसके जिंदगी में किसी लड़की को, लाने के लिए किया था।
जो वो उस लड़की, की जगह "वहां पहुंच गए थीं। हालांकि उसके “दोस्तों ने उसे, रोका भी था।
और उस दिन “झलक की मत, मारी गई थी।
लेकिन उस वक़्त “झलक के सर पर तो, अपने “पैसे लेने का भूत सवार था।
कि किसी ना किसी तरहां से वो, उस “सिद्धार्थ खुराना से अपने "पैसे निकलवा लेगी! लेकिन अब दादी की सारी योजना, सुनने के बाद “झलक की तो आंखें फटी, के फटी रह गई थी।
अभी “झलक कुछ कहने, ही वाली थी।
तभी एक सफेद बालों, वाला एक "बूढ़ा आदमी अंदर आया! और “उर्वशी की और देखकर सर, झुका कर बोला_ मैडम, छोटे "मालिक आए हैं।
तब “उर्वशी के चेहरे के एक्सप्रेशन, बिगड़ गए और उसकी ओर देखकर बोली_ जाओ उस नालायक, को यहां लेकर आओ!
तब उसने बोला_ ठीक है मैडम.. ऐसा बोलकर वो, बूढ़ा आदमी बाहर चला गया। और कुछ ही देर में सिल्वर ग्रे, सूट पहने हुए “सिद्धार्थ खुराना अंदर आता हैं।
उसकी नज़र आते ही सबसे, पहले “झलक पर पड़ी थी।
“सिद्धार्थ अपनी लाल आंखों, से “झलक की ओर ही देख रहा था।
ऐसा लग रहा था कि वो आँखों, ही आंखों में उसे जलाकर राख, कर डालना चाहता था।
फिर उसने अपनी दादी की ओर देखा! और बिना एक्सप्रेशन के बोला_ दादी आखिरकार आप, वापस क्यों आ गई है?
और जब आप वापस आए, तो आपने आकर "मुझे क्यों नहीं बताया? दादी..
दरअसल विदेश घूमने के बहाने, से अपना "इलाज करने के लिए गई थी। और वहीं पर उन्हें उनके कैंसर, की लास्ट स्टेज, के बारे में पता चला।
उसके बाद अगली फ्लाइट, पड़कर वह वहां से वापस आ गई! क्योंकि वो अपने पोते, तक इस खबर को नहीं.. पहुंचने देना चाहती थी।
वो बस जल्द से जल्द अपने पोते, का अपनी आंखों के "सामने घर बसे हुए देखना चाहती थी साथ ही साथ उसके बच्चे, को देखना चाहती थी।
इसीलिए दादी ने इतना बढ़िया, षड्यंत्र रच दिया था। और इन सब चीजों में फंस गई थी
हमारी, मासूम “झलक
तब उर्वशी जी, ने उसका "मजाक उड़ाते हुए कहा_ क्या हुआ “सिद्धार्थ? क्या तुम हमें देखकर, खुश नहीं हो क्या?
हमें यहां वापस नहीं, आना चाहिए था? हां
कहना "क्या चाहते हो तुम?
तब “सिद्धार्थ जल्दी से बात, बदलते हुए बोला_ नही-नही दादी मेरे कहने का, मतलब ये नहीं था।
मैं तो सिर्फ और सिर्फ आपसे ये, बोल रहा था कि अगर आप वापस, ही आ गई थी। तो ये बात आपने, मुझे क्यों नहीं बताई?
तब दादी, एक नज़र “झलक की ओर देखा! फिर “सिद्धार्थ की ओर देखकर बोली_ अच्छा तुम ये सारी बातें छोड़ो,
आओ हम तुम्हें, किसी से मिलवाते हैं।
और उसने “झलक की ओर इशारा किया मैं, तुम्हें किसी से मिलवाती हूं।
लेकिन इसी बीच “सिद्धार्थ उन्हें टोका, दादी 1 मिनट उससे पहले मैं, आपको अपनी गर्लफ्रेंड, से मिलवा दूं।
अब जैसे ही “सिद्धार्थ ने ये कहा_ और उसके मुँह से गर्लफ्रेंड का, जिक्र सुनकर “उर्वशी जी हैरान हो गई।
जाहिर तौर पर वो, हैरान होती है।
उससे ज्यादा, हैरान थी “झलक..
और साथ ही साथ, मन में सोच रही थी_ “भगवान आपने मुझे कहां? फंसा दिया ना.. जाने कितनी परेशानियां मुझे, और झेलना पड़ेगी?
अगर इस बूढी दादी, को पहले से अपने "पौते के बारे में थोड़ा पता, होता तो "शायद ये अपना वो, सबकुछ नहीं करती। जो उसने घटिया, प्लानिंग की थी।
तभी “सिद्धार्थ की आवाज़, वहां गूंजती है!
आओ अंदर आओ..
अब जैसे ही दरवाज़े, से उसने किसी को "अंदर आने के लिए कहा!
सभी के सभी दरवाज़े की, ओर देखने लगे थे! और फिर जल्दी ही उन सबकी, नज़र "आसमानी नीले रंग की फ्लेर टाइट, स्कर्ट और ऊंची एड़ी के जूते पहने, एक बड़ी ही "ख़ूबसूरत लड़की पर पड़ती हैं।
जिसने हल्का सा सर, झुका रखा था. और सर झुका कर जैसे, ही वो अंदर आती हैं।
उसका रूप काफी ज्यादा, जाना पहचाना सा लग रहा था। लेकिन क्योंकि वो, बेहद ख़ूबसूरत थीं। तो किसी ने उस पर, ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
और तभी “सिद्धार्थ की आवाज़ आयी_ ये मेरी गर्लफ्रेंड है। “आकांक्षा ओबेरॉय..
अब जैसे ही सिद्धार्थ, ने “आकांक्षा का परिचय दिया “आकांक्षा का नाम सुनते ही “झलक को तो दिमाग़ पूरी तरहां, से खाली हो गया था।
वो पत्थर के जैसे, एक जगह जम गई थी।
और जैसे ही उसने “आकांक्षा की ओर, देखा “आकांक्षा ने भी नजरे उठाकर सामने की ओर देखा तो दोनों बहनों, की आंखें आपस में टकरा गई थी। वो दोनों अब एक-दूसरे को हैरानी से देख रही थी।।
ये मुलाकात किसी सदमे, से कम नहीं थी।
और इस बात का कोई शक, ही नहीं था। कि कुछ भी छुपाना बेकार था।
और वही “आकांक्षा के मन में ये, सवाल चल रहा था_ कि ये लड़की यहां क्या कर रही है? और वो यहां, क्यों आयी थी?वही दादी अब हैरानी, से “आकांक्षा को देखने लगी थी। क्योंकि “आकांक्षा को उस शहर, में हर कोई उसे जानता था। “आकांक्षा के कितने सारी ऐड, हमेशा होते रहती थी।
और “उर्वशी था
जी मन में सोच रही थी_ कि इतनी सुंदर लड़की, “आकांक्षा आखिरकार इस लड़के, की "गर्लफ्रेंड होने का नाटक क्यों कर रही है ।
वही दादी ने मन ही मन में जैसे ही, इस बात का अनुमान लगा रहीं थीं।
तुरंत “आकांक्षा से विनम्रता से बोली_ नमस्ते! "दादी मां.. उसने बड़ी ही सम्मान के साथ "दादी को ग्रीट किया था।
और वो, आगे बताती हैं कि एक हफ्ते पहले ही, मिस्टर “सिद्धार्थ खुराना और मैं मिले थे। दोस्तो आगे की स्टोरी के लिए बने रहिए और प्लीज लाइक शेयर कमेंट जरूर करे।
वही दादी ने मन ही मन में जैसे ही, इस बात का अनुमान लगा रहीं थीं।
तुरंत “आकांक्षा से विनम्रता से बोली_ नमस्ते! "दादी मां.. उसने बड़ी ही सम्मान के साथ "दादी को ग्रीट किया था।
और वो, आगे बताती हैं कि एक हफ्ते पहले ही, मिस्टर “सिद्धार्थ खुराना और मैं मिले थे।
और तब हम दोनों में दोस्ती, हो गई और "हम दोनों ने ही एक-दूसरे को, पसंद कर लिया।
अब जैसे ही “आकांक्षा ने ये बताया!
तभी “सिद्धार्थ खुराना ने अपनी दादी, के माथे पर पड़े हुए बल देख लिए थे।
और वो समझ चुका था_ कि इस वक़्त उसकी दादी, बिल्कुल भी उसकी 'बात पर यकीन नहीं कर रही है। कि ये लड़की उसकी गर्लफ्रेंड है।
इसीलिए उसने, आगे कहना शुरू कर दिया था। एक हफ्ते पहले मेरा, एक कार "एक्सीडेंट हो गया था।
और “आकांक्षा ही थी. जिसने मुझे बचाया था. उसे जब उसने मुझे, कार से बाहर निकाला। तो इसे अपने खुराना, परिवार की पुश्तेनी "अंगूठी मिली थी।
दादी आपको पता है! होना चाहिए की "अंगूठी हमारे खानदान, के लिए कितने ज्यादा इंपोर्टेंट है। और यह अंगूठी, हम उसे ही देते हैं। जो हमारे लिए बेहद इंपॉर्टेंट होता है।
ऐसा बोलकर “सिद्धार्थ खुराना ने अपना, बाया हाथ उठाकर अपनी पहनी हुई! अंगूठी दिखाते हुए कहा!
अब जैसे ही “झलक ने उस काले हीरे, के अंगूठी को देखा तो उसे "याद आया! कि यही कारण था. कि इस दिन, इस “सिद्धार्थ खुराना की जान, बचाने के बाद उसके अपनी, जेब में एक अंगूठी मिली।
पता चला कि उसे वक़्त, जब वो उसे लेकर "अस्पताल जा रही थी! तभी वह अंगूठी उसके, हाथ में आ गई थी. और उसने उसे अपनी जेब, में रख लिया था।
लेकिन इस बात को उसने, ज्यादा "ध्यान नहीं दिया लेकिन अगले दिन, जब “आकांक्षा उसके पास आयी! और उसने वो अंगूठी, अपने कमरे में रखी थी. तभी से "अंगूठी वहां से गायब थी।
तब वह सोच रही थी_ कि वह अंगूठी आखिरकार कहां जा सकती है? लेकिन अब उसे समझ में आ चुका था। की अंगूठी असल में, कहां चली गई थी।
और शायद अब “झलक को समझते देर, नहीं लगी कि जरूर इस “आकांक्षा को पता चल गया होगा! की "अंगूठी इस सडू खुराना की है।
इसीलिए इसने इसे, चुरा लिया होगा।
तभी तुरंत अचानक अंगूठी, देखकर “झलक खड़ी हो गई! और तुरंत बोल पड़ी वो अंगूठी..
अब इससे पहले, की “झलक आगे बोलती!
आकांक्षा को डर, सताने लगा_ कि अगर इसने ज्यादा कुछ, बोलना शुरू कर दिया! तो पक्का उसका, भेद खुल जाएगा।
और वो तुरंत, बीच में बोल पड़ी_ अरे “झलक तुम यहां क्या कर रही हों? और तुम्हें यहां देखना, कितना ज्यादा अजीब लग रहा है?
आकांक्षा ने ये, कहते हुए उसने “झलक की कलाई की बाजू को, कसकर पकड़ लिया था। क्योंकि उसने, जानबूझकर “झलक के शब्दों को, बीच में ही रोक दिया।
क्योंकि अगर वो ये, बात बता देती_ कि असल मे “आकांक्षा ने नहीं, बल्कि “झलक ने मिस्टर सिद्धार्थ, की जान बचाई है।
और अगर उसने ये, बता दिया तो! फिर काफ़ी ज्यादा प्रॉब्लम, हो सकती थी। और “आकांक्षा अपना जमा जमाया, प्लान खराब नहीं करना चाहती थी।
तब सिद्धार्थ “आकांक्षा की ओर चौँककर, देखते हुए बोला_ क्या तुम जानती हो, उस लड़की को?
तब “आकांक्षा ने मिस्टर “सिद्धार्थ खुराना की तरफ देखकर बोलती है_ हां ये “झलक है।
मेरी एक दोस्त है। जिससे मैं, डिलीवरी गर्ल के रूप में काम, करते समय मिली थी।
“आकांक्षा की इतनी बेशर्मी, से झूठ बोलते हुए और अपने बारे में "डिलीवरी गर्ल का बोलकर अपनी, झूठी पहचान बताते हुआ! देखकर “झलक का मन “आकांक्षा की तरफ से, नफ़रत से भर गया था।
असल में तो वो इस वक़्त “आकांक्षा की सच्चाई सबको, बता देना चाहती थी।
लेकिन वक़्त रहते, उसने सब चीजों पर "विचार किया उसने खुदको, रोक लिया।
क्योंकि ये अंगूठी, ही उसे ये साबित कर सकती थी! कि उसने ही इस “सिद्धार्थ खुराना को, बचाया था।।
अब सारी एक-एक करके “झलक ने सारी कड़ियां को जोड़ना, शुरु कर दिया था।
कि कैसे सुबह “आकांक्षा उसके पास आयी थी! उसी वक़्त उसने वो अंगूठी, टेबल पर रखी हुई थी. और शायद उसी, वक़्त “आकांक्षा वो अंगूठी, चुरा ली होगी।
तो जरूर आकांक्षा ने, जब “झलक सिद्धार्थ को अस्पताल, में लेकर गई थी।
तो वहां की सी.सी.टीवी फुटेज से लेकर सारी, चीजों के साथ छेड़खानी कर दी होगी।
और वैसे भी “झलक की शक्ल, तो “आकांक्षा से ही मिलती थी। अगर “झलक अपने चेहरे के ऊपर विदेशी क्रीम, के सामने परत ना लगाती तो! उन्हें पहचानना बेहद मुश्किल था।
और झलक, “आकांक्षा से भी ज्यादा, खूबसूरत थीं।
झलक समझ चुकी थी। अगर “आकांक्षा ओबेरॉय मिस्टर “सिद्धार्थ खुराना को धोखा, देने की कोशिश कर रही है।
तो जरूर उसने, अपने पिता मिस्टर “ओबरॉय को सारी बातों, के बारे में बता दिया होगा! और बिना उनकी "शय के पॉसिबल नहीं था।
जरूर उन्होंने सी.सी.टीवी कैमरे वगैरा के साथ, भी छेड़खानी की होगी। और उसके "पिता ने ऑलरेडी सारी चीजों को, सब सबूत को नष्ट कर दिया होगा
और अगर वो इस, समय “आकांक्षा के बारे में सबको ,सच-सच बता देती है।
तो सब लोगों से झूठ, समझेंगे क्योंकि “आकांक्षा के खिलाफ कोई, भी सबूत नहीं था। इसीलिए उसने सोचा की, उसे इंतजार करना चाहिए।
और वैसे भी मैं, तो इस हर** “सिद्धार्थ खुराना से, किसी तरह का कोई “रिश्ता नहीं रखना चाहती हूं। अच्छा है। कि ये “आकांक्षा उसके साथ रहे, वैसे भी “आकांक्षा जैसी लड़की, ऐसा ही "आदमी डिजर्व करती है।
बस मैं, किसी ना किसी तरहां से, यहां से बचकर निकल जाऊं! और इससे अपने पैसे, निकलवा लूं उसके बाद मुझे, ना तो “सिद्धार्थ से कोई मतलब, होगा और ना ही.. इस “आकांक्षा ओबेरॉय से झलक, ने मन ही मन नफ़रत से सोच रही थी।
Well.. तभी जैसे ही “आकांक्षा ने अपने शब्दों में “झलक का इंट्रोडक्शन दिया।
तब सिद्धार्थ खुराना, बोला_ अच्छा सच में उसने अपनी, लंबी और बड़ी आंखों को “झलक की ओर देखते हुए, सिकुड़ा और उसकी नज़र और भी, ज्यादा गहरी होती जा रही थी।
तब “आकांक्षा आगे बोली_ झलक तुमसे यहां मिलना.. वाट अ कोइंसिडेंट..
क्या तुम, मिस्टर “खुराना को जानती हो?
तब तभी अचानक “आकांक्षा को याद आया कि मिस्टर “खुराना ने कहा था_ कि उसके दादी ने उसके, लिए एक "ब्लाइंड डेट की व्यवस्था की है। तो क्या ये “झलक हो सकती है।
जिससे मिस्टर सिद्धार्थ, की दादी “उर्वशी खुराना “सिद्धार्थ खुराना की शादी, करवाना चाहती है।
क्या वो, लड़की “झलक हो सकती है।
कहीं ना कहीं जैसे, ही “आकांक्षा ने मन मन में ये, सोच उसका "दिल नफ़रत से भर उठा था।
उस इस वक़्त “झलक से बहुत ज्यादा नफ़रत, सी महसूस हो रही थी।
उसका दिल कर रहा था. कि वो आगे बड़े और उसका, गला दबा दें! और साथ ही साथ वो, सोच रही थी। कि आखिर इतनी बदसूरत लड़की, को देखकर “उर्वशी खुराना कैसे? अपने पोते के लिए, पसंद कर सकती है।
साथ ही साथ “आकांक्षा सोच रही थी. कि ये खुराना परिवार, को कैसे जानती थी। अब अंदर है अंदर “आकांक्षा को बेचैनी हो रही थी।
उसका ख़ुद पर बस नही, चल रहा था वो, इस वक़्त “झलक से निपटना तो चाहती थी। साथ ही साथ वह बड़े ही सुशील, और अच्छी होने का नाटक भी कर रही थी।
वही झलक ने सोचा_ कि उसे अब यहां, से निकल लेना चाहिए।
वैसे भी मिस्टर “सिद्धार्थ खुराना की जलती हुई, नजरें वह अपने शरीर के ऊपर "बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।
और रह रहकर उसकी आंखों, के सामने वही सीन घूम रहा था। जब बड़ी ही बेदर्दी से “सिद्धार्थ खुराना ने उसकी, इज्जत के साथ "खिलवाड़ किया था उसका बेहद खून उबल रहा था।
उसका दिल, तो कर रहा था। कि वह अभी “सिद्धार्थ खुराना का गिरेबान पकड़े, और उसे अपने सारे सवालों के जवाब ले!
क्योंकि उसने तो उसकी, जिंदगी बचाई है। उसके बदले में “सिद्धार्थ ने उसके साथ क्या किया?
लेकिन फिलहाल उसने, सोचा_ कि उसे अभी अपने परिवार, पर ध्यान देना चाहिए!
अपने पिता की जान, बचाने चाहिए साथ ही साथ अपने "मां और अपने भाई, को एक सेफ जगह पर लेकर जाना चाहिए।
क्योंकि जब से “झलक के पिता मिस्टर सौरभ शर्मा, की हालत खराब हुई थी. तब से उसकी मां, "सुनैना शर्मा बेहद उदास उदास सी रहने लगी थी! उनकी मानसिक स्थिति, भी काफी ज्यादा खराब हो चुकी थी।
उन्हें किसी चीज का कोई, होश नहीं था। उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने पति, की ही लगी रहती थी. तो इसीलिए जैसे-तैसे “झलक का छोटा भाई, उन्हें संभालता था।
लेकिन “झलक का भी वहां, होना बहुत ज्यादा जरूरी था।
इसीलिए “झलक ने सोचा_ कि उसे अब यहां, से निकलना चाहिए!
तभी उसने “उर्वशी जी की ओर, देखते हुए कहा_ उसने “उर्वशी जी को मिसेज़ खुराना, की जगह सीधा "दादी मां कहा था।
देखिए दादी मां, ऑलरेडी पहले से ही मिस्टर “खुराना की गर्लफ्रेंड है। इसीलिए मुझे लगता है, कि "मुझे यहां नहीं होना चाहिए।
यह कहते हुए “झलक ने नफ़रत भरी, नजर “सिद्धार्थ खुराना पर डालती हैं।
वही “सिद्धार्थ खुराना अपनी सुलगती, आंखों से “झलक की ओर देखते हुए_ उसे ये कहना चाह रहा था. कि बहुत जल्दी तुम्हे, इस बात का "ख्याल आया तुम्हें अब से पहले यहां, से चले जाना चाहिए था।
अब “सिद्धार्थ खुराना की आंखों को, भांप कर “झलक ने मुंह फेर लिया था।
और ये बोलते हुए, अब मुझे जाना होगा! ये सोचते हुए अब जल्दी ही, जैसे ही वो अपना पहला "कदम बढ़ाने लगी!
मुड़कर जाने के लिए जैसे ही, जाने लगी तुरंत “दादी मां उठ खड़ी हुई थी और “झलक का हाथ पकड़ कर, बोली_ रुको “लड़की एक पल के लिए, बैठो उसने वापस से “झलक को कुर्सी पर खींच लिया था।।
अब “सिद्धार्थ खुराना की आंखों को, भांप कर “झलक ने मुंह, फेर लिया था।
और ये बोलते हुए, अब मुझे जाना होगा! ये सोचते हुए- अब जल्दी ही जैसे ही वो, अपना पहला "कदम बढ़ाने लगी!
और मुड़कर जैसे ही, जाने लगी तुरंत “दादी मां उठ खड़ी हुई, और “झलक का हाथ पकड़ कर, नाखुश होकर बोली_ रुको “लड़की एक पल के लिए, बैठो उन्होंने.. वापस से “झलक को कुर्सी पर, खींच लिया था।
अब आगे--
मैं और फिर “सिद्धार्थ की ओर देखकर आदेश, देते हुए बोली_और तुम, मेरे “साथ कमरे में आओ।
ऐसा बोलकर- जल्दी वो “सिद्धार्थ को अपने साथ, कमरे में ले गई थी।
और एक कर्ररररररर के साथ, अंदर का "दरवाज़ा बंद हो गया था।
अब उन दोनों “दादी पोते के जाने के, बाद “आकांक्षा खुद को रोक नहीं पायी।
गुस्से से “झलक के पास गई, और धिमी आवाज़ में "फुसफुसाते हुए बोलतीं_ “झलक तुम.. तुम कितनी ज्यादा कमीनी, हो सकती हों! ये बात में सपने में भी, नहीं सोच सकते थीं।
कुछ पैसों के लिए तुम, इतना गिर गई! की तुम “सिद्धार्थ खुराना की “दादी को तुमने अपने, जाल में फंसा लिया हां..
आखिरकार तुम इतना कैसे, गिर सकती हों? तुम्हारे जैसे घटिया लड़की, मैंने अपनी "जिंदगी में आज तक नहीं देखी है।
अभी इससे पहले कि वो, आगे कुछ कहती! तभी खींच कर “झलक ने दो चांटे उसके, मुंह पर जड़ दिए थे।
और सिरियस एक्सप्रेशन, के साथ बोली_ तुम क्या दिन भर सिर्फ, और सिर्फ "बकवास करती रहती हों! और तुम कर भी क्या सकती हो! हां..
और ये क्या, नाटक लगा रखा है तुमने? क्यों निर्दोष होने का, नाटक कर रही हों? और मैंने उसकी “जान बचाई। लेकिन उसकी जान, बचाने का “नाटक तुम कर रही हो?
अब तो “आकांक्षा पूरी तरह से चौंक गई थी. उसने सपने में भी नहीं, सोचा था- कि “झलक इतना ज्यादा उस पर गुस्सा करेगी।
उसने तो सोचा था- कि अगर वो उसे थोड़ा सा डराएगी! तो वो.. यहां से चली जाएंगी।
लेकिन ये क्या? यहाँ तो “झलक ने उसे दो, बार थप्पड़ मार दिए थे। अब तो उसके कान, बजने लगे थे और उसने "गुस्से से उसकी ओर देखा!
“झलक के चेहरे पर गुस्सा, और निराशा दोनों ही थी। लेकिन वो “झलक के साथ वहां, कोई बड़ा सीन क्रिएट नहीं, कर सकती थी।
क्योंकि वो अच्छी तरह से जानती थी- कि इस वक़्त वो, खुराना मेंशन.. में है। और तब वो उसे घूर कर, बेरुखी से बोली_ मै सपने में भी नहीं, सोच सकती? कि तुम जैसी कोई घटिया 'लड़की मेरी बहन भी हो सकती है!
अब झलक, सरकास्टिक टोन बोली_ तुम्हारी "बहन कौन है चुप रहो,
मेरा तुम से या.. किसी भी “ओबेरॉय से कोई लेना देना नही है।
“आकांक्षा को अब “झलक पर बहुत गुस्सा, आ रहा था। well.. उसने अपने आप, पर जैसे-तैसे कंट्रोल किया! और तब “आकांक्षा ने अपने गालों में, हुए दर्द के कारण अपने "दांतों को आपस में, पीस लिया थे।
और आवाज़ धीमी करके आंखों, नफ़रत लिए बोली_ शुक्र मनाओ कि तुमने, मेरे बारे में मिस्टर “खुराना को कुछ नहीं बताया, वरना आज के आज ही मैं, तुम्हारे माता-पिता को "मौत के घाट उतार देती!
पहले तो “आकांक्षा ने सोचा- कि वो “झलक से खड़ी, होकर बहस करेगी।
और “झलक ने जवाब भी, तैयार कर लिया था. उसने सोचा था- वो “झलक को जितना उल्टा सीधा, सुनाऐगी “झलक सुन लेगी! और बिलकुल शांत रहेंगी।
लेकिन अब “झलक के इस अग्रेसिव बिहेवियर से वो, और ज्यादा चौक गई थी।
और साथ ही सोच रही थी- जब मै, इसके पैरेंट्स को मारने, की धमकी दूंगी! तो वो डर जायेगी, और “आकांक्षा के सामने झुककर रहम की, भीख मांगेगी।
लेकिन यहाँ तो “झलक धमकी देने के बाद भी, बिल्कुल शांत थी। आखिर कार वो , अपने आप को इतना "शांत कैसे रख सकती है?
Well तभी “झलक ने अपने शातिराना, अंदाज से "लाल होठों से मुस्कुराते हुए कहा_ तुम जानती हो! मिस्टर “खुराना को बचाते समय उसने, मुझे एक बिलियन का इनाम.. देने का वादा किया था।
अब मैं, तुम्हें एक offer देती हुं! की तुम मुझे उसके आधे पैसे, चुप रहने के दे दों। मैं मिस्टर “खुराना को ये नही बताऊंगी- की उस दिन असल में उनकी जान, मैंने बचाई थीं।
वरना जब मिस्टर “खुराना को सच्चाई पता चलेगी! की तुमने उन्हे "झुठ बोला है। और अपनी "बहन की हमशक्ल.. होने का फायदा उठाया हैं।
तो वो तुम्हे, मार कर "दफनाने के बाद भी चैन से नही बैठेंगे! बल्कि मुझे डर है कि हर साल, जब-जब तुमहारे दिये धोखे का उन्हे, पता चलेगा तो वो तुम्हारी हर बार कब्र, खोद कर फिर तुम्हे मारकर दफनायेंगे।
अब जैसे ही “झलक ने मन ही मन, मुस्कुराते हुए “आकांक्षा से ये सब कहा- “आकांक्षा पूरी तरहां से डर गयी थी।
फिर खुद पर कंट्रोल करके, एक बार फिर “झलक को धमकाने की, कोशिश करते हुए बोलीं_ अपनी हद मे रहो “झलक जो तुम मुझसे 50 लाख, लेने का तुम सपना देख रही हों! मैं ये सपना "कभी पुरा नही होने दूँगी। तुम क्या सोचती हो मुझे, समझ नही आ रहा है की तुम,
मुझसे पैसे लेकर अपने बाप, का "इलाज करा कर उसे बचा कर ले जाओगी! और फिर तुम्हे अपना बोर्नमेरो, भी देना नही पड़ेगा! लेकिन मे ऐसा होने नही दूँगी।
अब झलक “आकांक्षा की बात सुनकर- उसे उंगली दिखाते हुए उसे, धिमी मगर "सख्त आवाज़ में बोली_ सोच लो अगर तुमने मेरी, बात नही मानी तो मिस्टर “खुराना को सब कुछ, सच-सच बता कर.. उनसे पूरे एक 1 करोड़ रुपए वसूल कर लुंगी!
और मैं ये, सुनिश्चित करूंगी! की मिसेज “खुराना बनने का तुम्हारा ये, सपना सपना ही रह जाए!
अब इस तरहां से इतनी, खतरनाक "बहसबाजी के बाद “आकांक्षा चुप हो गई थी।
उसने सोचा- अगर उसने “झलक को ज्यादा उल्टा-सीधा, सुनाने की कोशिश की तो जो वो, कह रही है वो, कर भी सकती है। अभी के लिए उसे, चुप हो जाना चाहिए।
क्योंकि “आकांक्षा ये बात अच्छी, तरह से जानती थी। की “झलक को उसके माता-पिता, सिर्फ और सिर्फ पैसों के लिए ही "ब्लैकमेल कर रहे हैं।
और इस वक़्त “झलक के लिए पैसा, कितना ज्यादा इंपोर्टेंट है। और अगर उसने अब “झलक को उकसाने, की या फिर उसे कुछ भी उल्टा-सीधा बोल तो “झलक 1 मिनट में “सिद्धार्थ खुराना को, सारा सच बता देंगी।
और जो वो सपना देख रही है। पूरे “सिद्धार्थ खुराना अंपायर, की "मालकिन बनने का उसका सपना, सपना ही रह जाएगा।
इसीलिए “आकांक्षा मन में महसूस, कर रह गई थी।
वही दूसरी ओर,_
इस बीच अंदर वाले कमरे, में “दादी मां ने “सिद्धार्थ को समझाना शुरू, कर दिया था। कि कल रात क्या हुआ था? और मैंने खुद देखा उस लड़की, “झलक ने बिस्तर पर निशान, छोड़े थे।।।।।
वो अभी भी कुंवारी थी. और अगर तुम, उसके “साथ सोए तो तुम, उसके जिम्मेदार हों!
“सिद्धार्थ ने सोचा था- की “झलक ने उसे “ड्रग्स दिया था. ताकि वो उसके, साथ इंटीमेट हो सकें!
लेकिन अब उसे पता, चल चुका था- कि उसे “ड्रग्स किसी और ने नहीं.. दिया बल्कि उसकी, “दादी ने ही दिया था।
लेकिन इसका मतलब ये, नहीं था- कि वो “झलक को आसानी से माफ़, करके जाने दे सकता था।
तब वो अपनी “दादी की ओर देखकर बोला_ लेकिन “दादी मां मेरी पहले, से ही गर्लफ्रेंड है। और रही बात उस लडकी की मैं, उसे मुआवज़ा दे सकता हूं।
कल रात जब सिद्धार्थ, नशे की हालत में था।तब उसने “झलक की आवाज़ सुनी थी- की वो यहाँ पैसों, के लिए आयी है।
तो उसने अपनी “दादी से भी बोला_कि उसे बस पैसे, चाहिए तो तो मैं, उसे कितने सारे "पैसे दे दूंगा! कि उसे कुछ भी कमाने, की कोई जरूरत नहीं...
तब दादी मां “सिद्धार्थ पर भड़कते हुए, ऊंची आवाज में बोली थी_ तुम्हें क्या मै, बेवकूफ दिखाई देती हू।
ऐसा मत सोचना- कि मैं ये नहीं देख सकती! कि तुमने सिर्फ और सिर्फ, उस “आकांक्षा ओबेरॉय को, इस्तेमाल करने के रूप में मेरे सामने, अपनी "प्रेमिका के रूप मे प्रस्तुत किया हैं।
लेकिन तभी “सिद्धार्थ बिना एक्सप्रेशन से बोला_ लेकिन मैं, आपको यकीन दिला सकता हूं! “दादी बाकी इस वक़्त “सिद्धार्थ के चेहरे पर परेशानी, झलक रही थी।
तब “दादी मां उसकी और बिना किसी भाव, के देखकर बोली_ तुम्हारे पास सिर्फ और सिर्फ दो, ऑप्शन है। 2 महीने बाद जो भी लड़की, पहले “प्रेग्नेंट होगी तुम उसी से, शादी करोगे।
अपनी “दादी मां की बात सुनकर- अब “सिद्धार्थ की आंखें बाहर, निकलने को तैयार थी।
और अपनी “दादी मां की और, घूरते हुए बोला_ ये क्या बचकानी, सी शर्त है। दादी मां.. आखिरकार आप ऐसा सोच, भी कैसे सकती हैं?आप अच्छी तरहा, से जानती हैं- कि मुझे लड़कियां बिल्कुल, भी पसंद नहीं है। नफ़रत करता हूं मैं, उनसे.. और आप चाहती हैं! कि मैं किसी लड़की, से शादी करूं?
सबसे पहले तो आपको, ऐसी "हरक़त नहीं करनी चाहिए थी। आपको मेरी ड्रिंक में “ड्रग्स नहीं मिलवानी चाहिए थी। आप जानती भी है? इसका क्या नतीजा हो सकता था?
तब “दादी मां अपने सीने पर हाथ, बांधकर खड़ी हो गई थी। और उसकी, और घूरकर देखते हुए बोली_ मैं अच्छी तरह से, जानती हूं। कि मैंने क्या किया है, और क्या नहीं किया है।
और जब किसी का बच्चा, इतने "सालों से अकेला होतो! उसके परिवार वालो को, कुछ ना कुछ रिस्क लेना ही होगा!
सबसे पहले तो आपको, ऐसी "हरक़त नहीं करनी चाहिए थी। आपको मेरी ड्रिंक में “ड्रग्स नहीं मिलवानी चाहिए थी। आप जानती भी है? इसका क्या नतीजा हो सकता था?
तब “दादी मां अपने सीने पर हाथ, बांधकर खड़ी हो गई थी। और उसकी, और घूरकर देखते हुए बोली_ मैं अच्छी तरह से, जानती हूं। कि मैंने क्या किया है, और क्या नहीं किया है।
और जब किसी का बच्चा, इतने "सालों से अकेला होतो! उसके परिवार वालो को, कुछ ना कुछ रिस्क लेना ही होगा!
और वैसे भी उम्र देखी है? तुमने अपनी.. अरे धीरे-धीरे 30 साल, तक पहुंचने वाले हो।
अगर इस उम्र में शादी, नहीं करोगे? तो कब शादी करोगे तुम,?
मैं मानती हूं- कि तुम्हारी शादी पर से, विश्वास उठा हुआ है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं, कि तुम कभी शादी नहीं करोगे।
और वैसे भी अगर तुम्हें, लड़कियों से नफ़रत है। तो तुम उसे “आकांक्षा को अपनी, गर्लफ्रेंड बनाकर क्यों लेकर आए हो? क्या तुम्हें उससे, नफ़रत नहीं है।
इसका मतलब साफ है। कि तुम उसे सिर्फ अपनी गर्लफ्रेंड, बनाने का नाटक कर रहे हो। मैं तुम्हारी “दादी हूं तुम मेरे दादा नहीं हो? कि मैं तुम्हारी, ये बात ना समझूं..
अब जैसे ही “उर्वशी जी ने उसे कड़े शब्दों, में डाँटा अब तो “सिद्धार्थ पूरी तरह से, बेचैन हो उठा था। और बोला_ लेकिन दादी आप, ऐसा कैसे कह सकती है?
तब “दादी मां ने अपने हाथ को, ऊपर उठाया इशारों उसे रोक दिया। और फटकार लगाते हुए बोली_ मैंने जो कुछ किया, सिर्फ और सिर्फ इस घर के "परपोते के लिए किया है।
मैं मरने से पहले, अपने पर "पोते का मुंह देखना चाहती हूं।
और एक और बात जैसे, की मे तुम्हे बता चुकी हु! जो लड़की, पहले प्रेग्नेंट होगी। उसी से तुम्हारी "शादी होगी।
अब जैसे ही “दादी मां ने अल्टिमेटम, दिया “सिद्धार्थ खुराना की तो हैरानी, काफी ज्यादा बढ़ चुकी थी। और वो घूरकर, अपनी “दादी मां को देखने लगा था।
तब “उर्वशी जी आंखें मटकाते, हुए बोली_ मुझे इस तरह से देखने, की कोई जरूरत नहीं है! मैं, सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी, जिंदगी में "प्यार चाहती हूं समझे तुम...
और वैसे भी मुझे, लगता है- कि तुम्हें सूरत से नहीं, सीरत से प्यार करना चाहिये।
“उर्वशी जी ने सोचा- कि शायद “सिद्धार्थ को “झलक बदसूरत लग रही होगी! इसीलिए शायद वो उसके साथ, शादी नहीं करना चाहता।
हालांकि “झलक इतनी भी ज्यादा, बदसूरत नहीं थी। भले ही उसका रंग, काफी ज्यादा डार्क था। लेकिन उसका नाक नक्शा, और उसका बदन उसकी काया उसे, एक अलग लेवल की "सुंदरता provide करती थी।
अब जैसे ही “दादी मां यानी “उर्वशी जी ने अपने शब्दों, में “झलक के सुंदरता को बयां किया।
“सिद्धार्थ खुराना का खून, कीलश् कर रह गया था। और वह बोला_ आप अच्छी तरहा से, जानती है! कि मुझे किसी की गोरी रंगत, या सांवली रंगत ख़ूबसूरती या बदसूरती, होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
और वैसे भी मुझे, अकेला रहना पसंद है। मैं अपनी जिंदगी में किसी, को भी नहीं चाहता हूं। लेकिन फिलहाल आपने, जो ज़िद लगा रखी है। मुझे नहीं लगता कि मैं, आपकी ये ज़िद पूरी कर पाऊंगा।
और आपने जो, अल्टीमेटम दिया है। कि दो महीने के अंदर अंदर जो, भी लड़की पहले "प्रेग्नेंट होगी उससे आप, मेरी शादी करवाएंगे।
तो मैं आपको, वादा करता हूं- कि अब मैं, शादी “आकांक्षा से ही करूंगा।
उस “झलक से तो बिल्कुल भी, नहीं करूंगाऋ और अगर आपको, ये लग रहा है- कि मैं, “झलक को उसकी बदसूरती, की वजहा से "रिजेक्ट कर रहा हूं! तो आप गलत सोच रही है।
वो एक कैरक्टर लेस, लड़की है।
साथ ही साथ वो पैसों के पीछे भागने वाली लड़की है और मुझे इस तरहां, की "लड़कियां बेहद जहर लगा करती है।
अब जैसे ही “उर्वशी जी ने “सिद्धार्थ की बातों, में “झलक के लिए नफ़रत अच्छी तो, वो हैरान हो गई और वो ताना देते हुए बोली_ जिस लड़की, को तुम कैरक्टरलेस, कह रहे हो?
तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं? और तुम्हे एक बार फिर से, याद दिला दूं- कि उसका "कुंवारापन तुमने, ही भंग किया हैं।
तुम्ही ने उसके साथ, पहली बार "रिश्ता बनाया था। और उसके निशान तुम्हारे, कमरे की "बेडशीट पर मौजूद थे। जो मैंने खुद देखे थे।
अब “दादी मां की एक बार फिर, यही बात सुनकर- “सिद्धार्थ चुप हो गया था। और फिर बाद झल्लाते हुए बोला_ क्या “दादी मां के लिए, क्या लगा रखा है आपने? मैंने कहा ना.. आपसे मैं, उस लड़की से कतई शादी नहीं करूंगा।
आप अभी इसी वक़्त, उस 'लड़की को यहाँ से बाहर निकालिये।
अब उर्वशी, जी “सिद्धार्थ की बात सुनकर- गुस्से से “सिद्धार्थ की ओर देखकर, सर्द आवाज़ में बोली- तुम अभी और इसी, वक़्त तुम “आकांक्षा को लेकर यहां, से निकल जाओ!
“झलक यहाँ से, कही नही जायेगी।
कहीं ना कहीं “दादी मां को इस बात, की चिंता भी थी। कि अगर वो “झलक को यहां, से निकाल देती है। तो “सिद्धार्थ पक्का उसे गर्भ, निरोधक "गोलियां लेने के लिए, मजबूर कर सकता है।
इसीलिए उसे गर्भ, धारण करने के लिए "तीन दिनों तक यहां रहने की जरूरत थी।
आखिरकार आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां, केवल 72 घंटे के अंदर अंदर ही, अपना असर डालती है। और तीन दिनों के बाद वो, गोलियां बेकार है।
अब “दादी ने जैसे ही, मन मे ये सोचा!
तब “सिद्धार्थ जो की “दादी की बात सुनकर- की वो “आकांक्षा को लेकर यहाँ से चला जाए।
और “झलक खुराना मेंशन, मे रहेगी।
वेल.. “दादी की बात सुनकर- तुरंत सिद्धार्थ, ने उन्हें कोल्ड एक्सप्रेशन दिए थे। और वहां से मूड कर वो, उस कमरे से बाहर चला गया।
अब जैसे ही वो कमरे से, बाहर आ रहा था. और “आकांक्षा ने उस आते हुए देखा “आकांक्षा आगे बढ़कर जैसे ही, उसके पास जाने लगी! तुरंत “सिद्धार्थ ने उसे साईड कर दिया।
और सीधा “झलक के पास जाकर अपने, दाहिने हाथ से, उसकी ठुड्डी को ऊपर उठाया! और उसके बाद उसके चेहरे, को देखा और बोला- मैं तुम्हें चेतावनी देता हूं।
मेरी “दादी को ज्यादा बरगलाने, बहकाने की कोशिश मत करो, वरना.. तुम्हें अपने "जिंदा रहने पर भी पछतावा होगा।
अब “सिद्धार्थ की धमकी, सुनकर “आकांक्षा का चेहरा खिल उठता है।
वही “झलक ने मिस्टर खुराना के हाथ को, अपनी "ठुड्डी से थोड़ी से दूर, झटकते हुए पलट वार किया! और सिरियस एक्सप्रेशन, के साथ बोली_ तुम्हें क्या लगता है। कि मैं, इस मेंशन में एक मिनट, भी रहना चाहती हुं। अभी झलक, “सिद्धार्थ को और खरी खोटी, सुनाना चाहती थी।
लेकिन जब उसने “आकांक्षा के जेलस वाले, फेस को देखा तो! उसने अपनी तुरंत "एक्सप्रेशन चेंज करते हुए, और बोली_ मे यहाँ नही रहना चाहती! लेकिन दादी यही, चाहती है की मै, यहाँ रहुं।
अब जैसे ही “सिद्धार्थ ने “झलक के मुँह से अपनी “दादी के लिए “दादी सुना!
वो लाल आँखे, करके “झलक को देख कर बोला_ इतनी जल्दी तुमने, मेरी “दादी को.. “दादी बोलना भी शुरु कर दिया!
लगता है- कि तुम्हें बोहोत जल्दी है मेरी बीवी बनने, की शायद ज्यादा इंतजार नहीं कर सकती।
और एक और बात, कान खोल कर सुन लों- अगर हमारा बच्चा भी हुआ? फिर भी मै, तुमसे "शादी नहीं करूँगा।
अब “सिद्धार्थ की बात सुनकर- “झलक मन मे कोसते, हुए सोचने लगी- बोल तो ऐसे रहा है? जैसे मैं इस से शादी, करने को मरे जा रही हुंह.. अगर इस “आकांक्षा ओबेरॉय को ना, जलाना होता तो! कब का मे इस “खुराना को मजा चखा सकती थीं।
Well..तब “झलक आखिरकार रुकी! और अपना सर झुकाते हुए उसने, अंदर के कमरे से बाहर निकलते हुए “दादी को देखा।
और प्यार से मुस्कुराई, और “सिद्धार्थ की और देख कर बोली_ दादी ने मुझे तुमसे शादी, करने का बोला मैं, कुछ नहीं कर सकती।
उस वक़्त “आकांक्षा को तो इतना, गुस्सा आया उसको तो "दिल कर रहा था- कि वो अभी “झलक पर झपट पड़ें.. और उसका सर फोड़ डालें! उसका मुंह नोच ले,
और वो मन में, कोस रही थी- की कितनी ज्यादा "कमीनी औरत है। ये मेरी बहन मेरे प्रेमी को, मेरे ही सामने भड़का रही है।
हालांकि उसे, एहसास नहीं हुआ- कि वो सिर्फ और सिर्फ, एक झूठी गर्लफ्रेंड है। लेकिन वो उस वक़्त, “सिद्धार्थ की नकली girlfriend की एक्टिंग, में पूरी तरह से डूब गई थी।
और अब तो “आकांक्षा की आंखों में, नफ़रत और जेलसी देखकर “झलक का मूड एकदम से, ही ठीक हो गया था।
लेकिन तभी “सिद्धार्थ ने “झलक की, बाजू को कस कर पकड़ लिया था। और वो आगे धमकी, देकर बोला_ मुझे पूरी उम्मीद है की इन तीन दिनों, के बाद तुम इतनी ज्यादा sure हो सकती हो! कि मैं, तुमसे शादी करूंगा।
मैं तुम जैसी लड़की को, अच्छी तरहा से जानता हु! मे तुम्हे एक और, मौका देता हूं। अभी भी वक़्त ही, भाग जाओ यहाँ से..
मैं तुम्हे जीने का आखिरी, मौका दे रहा हु। ये कहते हुए “सिद्धार्थ की पकड़ “झलक की बाजू पर और, ज्यादा कस गयी थी।।एक पल को उसका, गुस्सा देख कर “झलक काफी डर गयी थी।
और तब “दादी ने “झलक को जैसे ही, डरा हुआ देखा! दादी ने थोड़ा तेज़ आवाज़ मे बोला_ “सिद्धार्थ ये तुम क्या कर रहे हो?
तुम गए नही अभी तक.. जानबूझकर “दादी ने उसे सख्ती से डांटा था।
तब जाकर “सिद्धार्थ ने “झलक के बाजुओ को छोड़ता है। और “आकांक्षा से बोला_ चलो चले यहां से!
और तब “दादी ने “झलक को जैसे ही, डरा हुआ देखा! दादी ने थोड़ा तेज़ आवाज़ मे बोला_ “सिद्धार्थ ये तुम क्या कर रहे हो?
तुम गए नही अभी तक.. जानबूझकर “दादी ने उसे सख्ती से डांटा था।
तब जाकर “सिद्धार्थ ने “झलक के बाजुओ को छोड़ता है। और “आकांक्षा से बोला_ चलो चले यहां से!अब आकांक्षा, ने आज “झलक को घूरना बंद किया। क्योंकि उस, वक़्त वो “दादी मां के सामने, अपनी छवि अच्छी रखना चाहते थी।
“झलक को बुरा भला, कहकर वह “दादी मां की नजरों में नहीं, आना चाहती थी। वो अपने चेहरे पर, एक फिकी से "मुस्कुराहट लाते हुए, जाने से पहले वह “दादी मां के पास आती है।
और अपनी नाराज़गी, के बावजूद “आकांक्षा ने विनम्रता से, मुस्कुराया और “दादी मां की और थोड़ा सा, सर हिलाया! और आशीर्वाद लेते हुए बोली- दादी मां मैं और मिस्टर, खुराना जा रहे हैं!
दादी मां ने लापरवाही, से उन्हे जाने का "इशारा किया फिर आकांक्षा “सिद्धार्थ के साथ लिविंग रूम, से बाहर चली गई।
जाने से पहले “सिद्धार्थ खुराना ने “झलक को एक, किलर लुक दिया था।
वेल.. अब जैसे ही “आकांक्षा और “सिद्धार्थ खुराना वहां, से बाहर निकले।
“झलक के चेहरे पर थोड़ी देर पहले वो, धीमे-धीमे मुस्कुरा रही थी। आखिर कार “आकांक्षा को जलाने के लिए, लेकिन अब उसके "चेहरे पर एक अजीब सी घबराहट, साफ दिखाई दे रही थी।
क्योंकि उसने “आकांक्षा के साथ-साथ मिस्टर सिद्धार्थ खुराना को, भी नाराज़ कर दिया था।
इतने दो पावरफुल, लोगों से पंगा लेकर,
कहीं ना कहीं “झलक को डर लग रहा था- की कही इन दोनों के चक्कर में वो, बर्बाद तो नहीं हो जाएगी।
उसने दोनों ही अमीर लोगों, से पंगा ले लिया था।
वेल.. तभी “दादी मां झलक, की ओर देखकर बोली_ झलक तुम तीन दिनों तक, हमारे मेंशन में ही रहोगी! तुम रहोगे ना.. मेरे साथ?
अब जैसे ही “दादी मां ने, ये कहा!
“झलक तो जानती थी- कि उसने “सिद्धार्थ खुराना को, नाराज़ किया है। और इसीलिए उसे, अपने "परिवार की भी चिंता, होने लगी थी।
और इसीलिए अपने परिवार, के "खातिर वो ओबेरॉय साहब.. के सामने और गिड़गिड़ाना नहीं, चाहती थी। इसीलिए अब वो, केवल “उर्वशी खुराना पर ही, भरोसा कर सकती थी।
क्योंकि आखिरकार “उर्वशी जी से तो उससे, कोई "दुश्मनी थी ही नही,? मन में वो कुछ सोच रही थी। और फिर बोली_ लेकिन मुझे, समझ में नहीं आ रहा है! कि मुझे आपके साथ, क्यों रहना पड़ रहा है?
जैसे है “झलक ने पूछा?
तब “दादी मां हल्का सा मुस्कुराई, और "प्यार भरी आवाज़, में बोली_ बेटा तुम्हें मेरे नालायक, पोते “सिद्धार्थ ने धमकी दी ही ना.. इसलिए मुझे तुम्हारी, जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
जब तक कुछ दिन, तुम “खुराना मेंशन में रहोगी! तो मुझे, तुम्हें बेहतर तरीके से जानने का, मौका भी मिल जाएगा।
जैसे ही “दादी मां ने ये जवाब दिया! तो “झलक को सब कुछ याद आ गया- कि किस तरह से “दादी मां ने पहले से ही, विदेशी डॉक्टर” द्वारा उसके पिता, का इलाज कराया है।
और वो जल्दी ही, अब ठीक हो जायेंगे।
साथ ही साथ उसके भाई, और "माँ को भी किराये के घर, से दूसरा अपना ख़ुद का "घर खरीद कर दिया है। तो एक तरहां, से “उर्वशी जी ने कितने सारे, उस पर एहसान किये हैं।
तो इसीलिए “झलक उनकी, बहुत-बहुत आभारी थी।
लेकिन उसे उसका उपकार, चुकाने का "कोई तरीका नहीं मिल रहा था। वो खुद को केवल संतावना, हीं दे सकती थी।
कि उसने “सिद्धार्थ खुराना को, बचाया था।
और इसके, बदले में “दादी मां ने उसके पिता, को बचाया तो ये संतुलित था।
well.. तब झलक “दादी मां की ओर, देखकर बोली_ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.. उसने, ईमानदारी से उन्हें, थैंक यू.. बोला था।
और फिर "हिचकिचाते हुए बोली_ लेकिन “दादी मां इस तरहां से भला मैं, तीन दिनों तक कैसे? आपके साथ, रह सकती हूं?
आप अच्छी तरहा से जानती हैं- कि मेरे पिता बीमार है। भले ही आपने उनका, अच्छे से इलाज करवाया है। साथ ही साथ अपने मेरी मां, और "भाई को भी रहने के लिए छत दी है।
आपका बहुत बड़ा एहसान है! मुझ पर.. लेकिन भला मैं, इस तरह से आपके साथ कैसे? रह सकती हूं। झलक “उर्वशी जी के साथ रहने में, थोड़ा सा झिझक रही थी।
तब उर्वशी जी ने “झलक का हाथ पकड़ती हुई सॉफ्ट वॉइस में बोली_ बेटी मैं, अच्छी तरहा से जानती हूं! कि तुम्हें, शायद इस तरहां से मेरे साथ, रहना काफी ज्यादा अजीब, लग रहा होगा।
आखिरकार तुम्हारे साथ, जो कुछ भी हुआ है। ये बात में बर्दाश्त, नहीं कर पा रही हूं। क्योंकि ये सब कुछ मेरी, वजह से हुआ है।
जानबूझकर “दादी मां “झलक को अपने, पास रोकना चाहती थी।
उनके पास, एक रीज़न था।
वेल.. उसके बाद आगे बोली_ तुम अपनी हालत भी तो देखो.. क्या तुम ऐसे हालात में, अपनी “मां के सामने जाओगी? इस तरहां अपने पिता, के सामने जाओगी?
जब उन्हें होश, में आ जाए आएंगा। अगर वो तुम्हारी इस तरहां से, हालात देखेंगे? तो उन्हें कैसा लगेगा? तुम्हारे शरीर पर हर जगहा, निशान मौजूद है। मुझे नहीं लगता- कि तुम ऐसी हालत में, अपने "घर जाना चाहिए "बेटा,
तीन दिनों की तो बात है। देख लो अगर तुम्हें, अच्छा लगे तो तुम "यहाँ रह सकती हों! मैं तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती, नहीं करना चाहती हूं।
अगर तीन दिनों तक तुम, मेरे साथ रहती हो तो मुझ बुढी, को भी तीन दिनों तक एक "प्यारी बेटी के साथ रहने का, मौका मिल जाएगा।
अब जैसे ही “दादी मां ने इन द लास्ट.. “झलक को थोड़ा सा, इमोशनली ब्लैकमेल किया।
अब “झलक थोड़ी सी मजबूर हो गई थी। और उसके बाद उसने, उनके "साथ रहने का फैसला, कर लिया था।
लेकिन अगले तीन दिनों, तक उसने अब “खुराना विला में रहने का, फैसला कर लिया था।
झलक का ये तीन, दिन कब गुजर गए! उसे पता ही नहीं चला!
सुबह “दादी मां के साथ योगा, किया करती थी। उसके बाद बगीचे, में "फूल और घास की, देखभाल करने साथ ही, साथ "दोपहर में एक साथ, पर जैसे टेस्टी खाना बनाने, लंच बनाने "शतरंज खेलने और साथ-साथ उनके, साथ "कुकिंग करने में, कब ये "तीन दिन गुजर गए। ना तो “झलक को पता चला, और ना ही “दादी मां को, पता चला था।
और जल्दी ही चौथी, सुबह “दादी मां के साथ ब्रेकफास्ट, करने के बाद “झलक ने अपना, सामान पैक किया। और अपना सामान, लेकर नीचे आ गई।
और सोफे पर, बैठी “दादी की ओर देखकर थोड़ा, सर हिला कर "आज्ञा मांगते हुए बोली_ दादी मां मैं जा रही हूं। आपने बहुत प्यार दिया मुझे, ये ”तीन दिन हमेशा याद रहेंगे!।ऐसा बोलकर- वो “दादी मां के पास, जाकर खड़ी हो गई थी. और उनकी मुस्कुरा कर देखते हुए, उन्होंने उसे गले, से लगा लिया था।
और “दादी इमोशंस कंट्रोल, करते हुए बोलती है_ सचमुच बेटी, ये तीन दिन हंसी ख़ुशी तुम्हारे "साथ कैसे बीत गए? हमें एहसास नहीं रहा.. हमें तो लगा की हम, एक बार फिर से "जवान हो गए हो..
जैसे ही “दादी मां ने ये कहा!
“झलक हल्का मुस्कुरा दी, और चहकती हुई आवाज़ में बोली_ बिल्कुल... आप अभी भी जवान है। और मैं मन में ये, कामना करती हूं कि आप, हमेशा इसी तरह से हंसती खेलती, और जवान रहें! अब में जा रही हूं, अब आप "मुझे इजाजत दीजिए।
ऐसा बोलकर, वो जाने लगी!
“उर्वशी जी का बिल्कुल भी, मन नहीं था- की वो “झलक को वहां से जाने दें! क्योंकि “झलक के साथ ये तीन दिन, उनकी "जिंदगी के सबसे बेहतरीन, दिनों में से एक थे।
तब “दादी माँ कुछ पल सोचते बोली_ जब भी तुम्हारे, पास समय हो! आप मुझसे "मिलने आ जाना ठीक है।
ऐसा बोलकर, वो मुस्कुराने लगी थी।
तब “झलक ने उन्हें हां, बोला था।
अब वो बाहर निकल कर, सोचने लगी थी- वो यहाँ वापस आ सकती है। या नहीं... ये अब उसका, डिसीजन था।
जल्दी ही “दादी मां ने उसके लिए, कार अरेंज की थी। गाड़ी के चलते ही “झलक ने एक राहत की, सांस ली थी।
वरना.. उसे ऐसा लगने लगा था. कि इन "तीन दिनों में वो, पूरी तरह से “खुराना मेंशन में कैद, होकर रह गई थी।
और जैसे ही वो, वहां से निकली! कुछ दूरी पर जाने के बाद "रास्ते में उसे, एक "मेडिकल स्टोर दिखाई दिया। उसने ड्राइवर, से बोला- ड्राइवर यही कार रोक दो।
ड्राइवर हैरानी, से “झलक की ओर देखने, लगा और ऐतराज़ जताते, हुए बोला_ लेकिन मैडम यहां तो आपका, घर नहीं है। तब “झलक उस ड्राइवर, की ओर घूरते हुए बोली- ये आपका मसला नहीं है।
मैंने कहा ना.. गाड़ी यही रोक दों! ऐसा बोलकर- जल्दी ही “झलक ने वो, गाड़ी रुकवा दी थी।
गाड़ी से उतरने, के बाद “झलक ने एक नज़र ड्राइवर, की ओर देखा था। और उसका, ढ़ेर सारा "शुक्रिया अदा करने के बाद, कहा- कि उसे सिर्फ यही उतरना है। अब आप यहां, से जा सकते हैं।
सब ड्राइवर ने “झलक की बात सुनकर- उसकी और देखा लेकिन, फिलहाल वो उसे कुछ नहीं कह सकता था।
और “झलक को वहां, उतारने के बाद वो सीधा वहां से चला गया था।
Well झलक, गाड़ी से उतरकर सीधा "मेडिकल स्टोर की, तरफ गई थी।। और जैसे ही वो, वहां गई उसे ने जल्दी से, अपना क्रॉस बॉडी बैग लिया था. और मेडिकल स्टोर, में चली गई! और फार्मासिस्ट से, जाकर वो बोली_ मुझे सबसे पहले, आपातकालीन "गर्भनिरोधक गोलियां दो!
क्योंकि पिछले तीन दिनों से, उसे “खुराना परिवार, के घर से "बाहर निकलने का, मौका नहीं मिला था।
और जैसे उसे, अब बाहर निकलने का मौका मिला! उसने सबसे पहले गर्भ निरोधक, दवाइयां खरीदने के बारे, में सोच लिया था।