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Reborn my sweet little wife

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Evil queen era.. Dora

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Description

--- "इस आदमी का टेस्ट कितना अजीब है, ऐसी हालत में भी खाना खा रहा है?" जैसे ही वो उठी, उसने खुद को आईने में देखा — बिखरे हुए बाल, शरीर पर टैटू, और चेहरा ऐसा जैसे कोई भूतनी हो। अगर कोई उसे एक सेकंड से ज़्यादा देख ले, तो आंखों से मिर्ची जैसा जलन होन...

Total Chapters (390)

Page 1 of 20

  • 1. - Chapter 1

    Words: 758

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    मायरा ने अपनी आँखें खोलीं।

    उसके सामने एक जोड़ी आँखें थीं, जिन्हें देखकर उसकी रूह काँप उठी और उसकी आत्मा तक सिहर गई।

    "आह——"

    उसकी पीली उंगलियाँ बिस्तर की चादर को कस कर पकड़ चुकी थीं।

    फिर से, उसे अपने शरीर के टूटने-फटने जैसी पीड़ा सहनी पड़ रही थी।

    क्या यह नर्क है?

    मैं तो मर चुकी थी, फिर यहाँ इस शैतान के पास क्यों लौट आई?

    उसका दिमाग इस आदमी की जलती हुई गर्मी की वजह से सुन्न हो चुका था और वह खुद-ब-खुद पीछे हटने लगी, "मुझे मत छुओ!"

    एक ही झटके में ऐसा लगा जैसे बर्फ ने उसे छू लिया हो। उसके चेहरे पर खून पीने जैसी वहशी मुस्कान छा गई और उसके बर्फ जैसे ठंडे होंठों ने निर्दयता से मायरा के होंठों को काट लिया, जैसे वह उसे पूरा निगल जाना चाहता हो।

    मायरा इतनी तकलीफ़ में थी कि कुछ सोच भी नहीं पा रही थी। वह अनजाने में बड़बड़ाई, "क्यों... क्यों मैं... तरुण... क्यों हमेशा मैं ही...?"

    "क्योंकि ये सिर्फ तुम्हीं हो सकती हो।"

    उसकी गहरी, रूखी आवाज सुनकर ऐसा लगा जैसे मायरा की आत्मा पर जंजीरें पड़ गई हों।

    उसने वही जवाब दिया था, जो उसने पिछली ज़िंदगी में भी दिया था, और ये सुनते ही मायरा फिर बेहोश हो गई।

    ...

    जब उसने फिर से आँखें खोलीं, तो रात का अंधेरा अब दिन की रौशनी में बदल चुका था।

    हवा में फूलों की खुशबू थी और सूरज की गर्म किरणें कमरे में आ रही थीं, जिससे थोड़ी देर के लिए उसकी बेचैनी कम हो गई।

    लेकिन अगले ही पल, मायरा का शरीर फिर से सख्त हो गया।

    एक गहरी घबराहट उसके भीतर फैल गई, क्योंकि वो आदमी जाग चुका था।

    उसकी कमर के चारों ओर उसकी बाँह कस गई थी। मायरा उसकी बाहों में एक तकिए की तरह फँसी हुई थी।

    "अब भी जाने की सोच रही हो?"

    उसके कानों के पास वही डरावनी आवाज़ फुसफुसाई।

    ज़िंदा रहने की कोशिश में मायरा ने चुपचाप सिर हिला दिया।

    उसे नहीं पता था कि उसने यकीन किया या नहीं। वो थोड़ी देर उसे घूरता रहा, फिर धीरे-धीरे नीचे झुककर उसके होंठों, ठुड्डी और गर्दन पर हल्के से किस करने लगा...

    उसकी गरम साँसें जब उसकी गर्दन पर पड़ीं, तो उसके पूरे शरीर में खतरे की घंटियाँ बज उठीं।

    वो एक हिरण की तरह थी, जिसे शिकारी ने दांतों से दबोच लिया हो। वह हिलने की हिम्मत भी नहीं कर पाई।

    लंबे समय बाद, आखिरकार उसने उसे छोड़ा।

    अगले ही पल, मायरा की नजरों के सामने एक हैरान कर देने वाला दृश्य आया।

    वो बिना कपड़ों के बिस्तर से उठा, और पीछे से आती रौशनी में उसकी पतली कमर और गठीली शरीर साफ दिख रही थी।

    लेकिन ये दृश्य कुछ ही पल का था, क्योंकि उसने झटपट बिस्तर के पास पड़े अपने कपड़े उठाए और बड़ी सावधानी से अपनी शर्ट के बटन ऊपर तक बंद कर लिए।

    कुछ देर पहले जो आदमी जंगली जानवर की तरह था, अब उसकी चेहरा इतना ठंडा था जैसे उसमें इंसानियत की एक बूंद भी न बची हो।

    जब तक दरवाज़े के बंद होने की आवाज़ नहीं आई, मायरा की नसों में फैला तनाव नहीं ढीला पड़ा।

    अब जाकर वो अपने हालात के बारे में सोचने लगी।

    उसने धीरे-धीरे कमरे की सजावट देखी, फिर सामने लगे शीशे में खुद को देखा।

    शीशे में जो लड़की दिख रही थी, उसके होंठों पर इतनी काट-छांट हो चुकी थी कि उनका रंग तक उड़ चुका था। चेहरा आँसुओं और पसीने से ऐसा बिगड़ गया था कि मेकअप की पहचान तक नहीं बची थी। उसके पूरे शरीर पर नीले निशान और लव बाइट्स थे, और एक भयानक, खून से लथपथ टैटू उसकी त्वचा पर बना था।

    उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सिर्फ 20 साल की उम्र में वो ऐसी दिख रही थी!

    उस समय, तरुण से दूरी बनाने के लिए उसने जान-बूझकर खुद को बदसूरत और घिनौना बना लिया था।

    अब वो सचमुच... फिर से जन्म ले चुकी थी...

    अचानक, डर और बेबसी की एक लहर उसके सीने में उठी और वो घुटने लगी।

    क्यों...

    मैं सात साल पहले क्यों लौट आई?!

    मैं मर जाना पसंद करती, लेकिन इस शैतान के पास लौटना नहीं।

    उसे साफ याद था कि यहीं पर तरुण ने पहली बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे, और इसके बाद कई रातों तक उसे लगातार तड़पाया था।

    उसने अपना प्यार खोया, अपने परिवार को खो दिया, यहाँ तक कि अपनी इज्ज़त और आज़ादी भी। उसने सब कुछ खो दिया था।

    क्या अब वो सब कुछ फिर से सहना होगा?

    नहीं! अगर भगवान ने मुझे दोबारा जीने का मौका दिया है, तो अब सब कुछ बदलना होगा!

  • 2. - Chapter 2

    Words: 769

    Estimated Reading Time: 5 min

    ओह...

    लेकिन मैं खुद को कैसे बदलूंगी?

    तरुण के लिए, उसे कुचलना एक चींटी को कुचलने से भी आसान था। जो चाहता था, वो उसे मिल जाता था।

    मायरा ने गहरी साँस ली और उस आदमी के डर को जबरदस्ती अपने अंदर से निकालने की कोशिश की।

    कोई न कोई रास्ता ज़रूर होगा!

    कम से कम अब वह पहले जैसी बेवकूफ, नासमझ और इमोशनल लड़की नहीं रही थी।

    “हे भगवान! मायरा...” उसने अचानक किसी का चौंकाने वाला स्वर सुना।

    ये जानी-पहचानी आवाज़ सुनकर अनन्या की शरीर सिहर उठा और उसने धीरे से दरवाज़े की ओर देखा।

    तुरंत ही उसे एक ऐसा चेहरा नज़र आया जिसे वो कभी नहीं भूल सकती थी।

    एक सुंदर चेहरा जिसे देखकर कोई शक भी नहीं कर सकता—

    वो उसकी पिछले जन्म की सबसे अच्छी दोस्त थी!

    “मायरा, तरुण ने तुम्हारे साथ ऐसा कैसे कर दिया?!” रागिनी दौड़ती हुई आई और उसका हाथ थाम लिया। उसने बिखरा हुआ बिस्तर और मायरा के चोटिल शरीर को देखकर चौंकते हुए देखा।

    मायरा ने अपनी आँखें नीची कर लीं, और रागिनी की कसकर पकड़ने वाली हथेली से उठते दर्द को महसूस किया। इस बार, वह रागिनी की जलन से भरी निगाहों को साफ-साफ देख पाई।

    “मायरा , तुम ठीक तो हो? सब ठीक है ना? प्लीज़ मुझे डरा मत देना!” रागिनी ने चिंतित होकर कहा। उसने मायरा की बदली हुई निगाह देखी और सोचा कि शायद वह किसी सदमे में है।

    मायरा ने खुद को शांत रखा और अपना हाथ धीरे से छुड़ाते हुए सिर हिलाया, “मैं ठीक हूँ।”

    पिछले जन्म में, तरुण द्वारा उसे इतना सताए जाने की एक बड़ी वजह रागिनी ही थी।

    उसके और तरुण के बीच कई बार झगड़े हुए, लेकिन वह किसी को नहीं बताती थी, सिर्फ रागिनी को, जिसे वह सबसे ज़्यादा भरोसेमंद समझती थी। किसे पता था...

    रागिनी को खुद तरुण में दिलचस्पी थी; वो तो "मिसेज़ तरुण" बनने का सपना देखती थी। ऊपर से वो मायरा की मदद करने का नाटक करती थी, लेकिन असल में वो तरुण के करीब जाने के लिए मायरा को इस्तेमाल कर रही थी। उसने कई बार दोनों के बीच दूरी बढ़ाने की कोशिश की, और हर बार मायरा को तरुण के गुस्से का शिकार बनना पड़ा।

    पहले मायरा को उसकी इस चालाकी का अंदाज़ा नहीं था। उल्टा वह रागिनी की मदद के लिए उसकी शुक्रगुज़ार थी।

    आईने में अपनी ही शक्ल को देखते हुए, मायरा हल्के से मुस्कुरा दी — एक कड़वी मुस्कान।

    असल में, ये डरावना भेस भी रागिनी की ही सलाह पर अपनाया गया था — और उसने मान भी लिया था।

    लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता था, बस तरुण को वो नापसंद हो जाए — यही काफी था।

    पर उसने ये कभी नहीं सोचा था कि इतनी भद्दी शक्ल के बावजूद भी, तरुण सब बर्दाश्त कर लेगा।

    “तुम इस हालत में कैसे कह सकती हो कि तुम ठीक हो?! मायरा, चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूंगी!” रागिनी ने भोलेपन से कहा।

    मायरा ने मन ही मन हँसी। हाँ, ठीक है।

    पिछले जन्म में भी रागिनी ऐसे ही मदद का दिखावा करती थी, और राहुल से मदद दिलवाने का वादा करती थी।

    अंत में, रागिनी ने उसे धोखा दे दिया और तरुण को बता दिया कि मायरा राहुल’ के साथ भाग रही है।

    यही बात मायरा और तरुण के रिश्ते को और बिगाड़ गई। तरुण का स्वभाव और भी खतरनाक, सनकी और पागलपन भरा हो गया। उसका पज़ेसिवनेस हद से पार हो गई।

    तरुण से सीधा टकराना, मौत को न्योता देने जैसा था।

    वो पहले इतनी ज़्यादा ज़िद्दी और बेवकूफ क्यों थी? उसने रागिनी की हर बात मानी — और बार-बार खुद को ही चोट पहुँचाई।

    मायरा के परिवार ने अब तक अपना बदला नहीं लिया था। उसके माता-पिता अब भी घर पर उसका इंतज़ार कर रहे थे, और उसे अपने बड़े भाई को भी सही राह पर लाना था। उसके पास करने के लिए बहुत कुछ था।

    उसे सबसे पहले तरुण को शांत करना था; वो अब कोई भी ऐसी गलती नहीं कर सकती थी जो उसे दोबारा भड़का दे। उसने अपने सामने एक बहुत ही खतरनाक दुश्मन खड़ा कर लिया था।

    “मायरा , मेरा इंतज़ार करना! मैं तुम्हें लेने ज़रूर आऊंगी!” रागिनी ने खुद से मतलब रखने वाले शब्द कहे और चली गई।

    जैसे ही रागिनी गई, मायरा के चेहरे की बेबस और टूटी हुई भावनाएँ एकदम से ठंडी और भावशून्य हो गईं।

    रागिनी ने बार-बार उसे भागने के लिए उकसाया था, लेकिन कभी सफलता नहीं मिली। आखिरी बार तो उसे किसी से नाजायज़ रिश्ते के आरोप में फँसा दिया गया। ऐसा लगता था जैसे रागिनी उसकी ज़िंदगी तबाह करने पर तुली हो।

    तो अब देख लेते हैं...

    इस बार किसकी मौत होगी।

  • 3. - Chapter 3

    Words: 716

    Estimated Reading Time: 5 min

    पल भर में ही तीन दिन बीत गए।

    इन तीन दिनों में, मायरा ने ज़्यादातर समय सोने और अपने पिछले जनम की यादों पर सोचने में बिताया।

    तरुण बिल्कुल पहले जैसा ही था। पूरे तीन दिनों तक वह दिखा ही नहीं। घर के नौकर-चाकर अपने काम में ऐसे लगे थे जैसे उन्हें कुछ दिखता ही न हो। वे मायरा से बात तक नहीं करते थे, और आंख मिलाने की हिम्मत भी नहीं रखते थे।

    इतना बड़ा घर, लेकिन जैसे कोई कब्रिस्तान हो।

    मायरा ने अपनी नाइट ड्रेस पहना और वक्त देखा। फिर वह आंगन की तरफ चल पड़ी।

    चाँदनी बहुत खूबसूरत थी, और हल्की हवा चल रही थी, जिसने उसके उस डर को थोड़ा कम किया जो उसके अंदर उस पिंजरे की याद से था, जिसमें वह बंद थी।

    ये बग़ीचा वाकई में बहुत सुंदर था। आखिरकार, इसे तरुण ने खुद डिज़ाइन किया था। उसने दुनिया के सबसे बेहतरीन आर्किटेक्ट्स की टीम हायर की थी और पूरे पाँच साल में ये महलनुमा घर दिल्ली के सबसे महंगे इलाके में बनकर तैयार हुआ था।

    कितनी विडंबना थी कि अपने पिछले जनम में उसने इस सबकी कदर ही नहीं की। उसे ये सब एक पिंजरा लगता था, जिससे बस छुटकारा चाहिए था।

    जैसे ही उसकी नज़र सामने पड़ी, उसे सूखी घास का एक बड़ा सा जल चुका हिस्सा, जानबूझकर काटा गया फूलों का बग़ीचा और एक गंदा सा तालाब दिखा… ये सब उसी की “कलाकारी” थी।

    "मायरा——"

    तभी, एक जानी-पहचानी आवाज़ ने अचानक शाम की हवा में दस्तक दी।

    मायरा ने मुरझाए हुए गुलाब से नज़र हटाकर उस आवाज़ की दिशा में देखा।

    धुंधली रोशनी के नीचे, एक आदमी महंगे और क्लासी सूट में खड़ा था। वो काफी आकर्षक और स्टाइलिश लग रहा था।

    मायरा को मानना पड़ा, राहुल में एक अलग ही खिंचाव था।

    उस शैतान तरुण की तुलना में, राहुल ज़्यादा बेहतर लगता था।

    राहुल कुछ कदम दूर खड़ा था और उसकी भौंहें सिकुड़ी हुई थीं।

    मायरा ने उसकी हल्की सी प्रतिक्रिया देखी, तो अपने कपड़ों की ओर देखा।

    इस वक्त वह अभी भी अपने हेवी मेटल कपड़ों में थी, और चेहरे पर मोटा सा मेकअप लगा हुआ था।

    क्योंकि उसकी अलमारी में कोई नॉर्मल कपड़े थे ही नहीं, इसलिए उसने सोचा कि अपनी पुरानी छवि बनाए रखे। वैसे भी, इतनी जल्दी अचानक बदलना शक पैदा कर सकता था।

    राहुल ने उसे ठंडी निगाहों से देखा, उसके चेहरे पर मायूसी थी, “मायरा! तुम खुद को इस तरह गिरा कैसे सकती हो?”

    खुद को गिराना?

    मायरा ने उसके शब्दों का स्वाद लिया, जैसे तंज में घुली कोई कड़वी गोली।

    अपने पिछले जनम में उसने दिल से राहुल से प्यार किया था। उसकी वफादारी साबित करने के लिए, उसने जानबूझकर अजीब और अजीबोगरीब कपड़े पहने, मेकअप किया ताकि बाकी सब उसे नापसंद करें।

    लेकिन बदले में उसे यही सुनने को मिला – कि उसने खुद को गिरा लिया है।

    उसे पता था कि रागिनी राहुल के सामने उसकी बुराई करती थी, लेकिन अगर इस आदमी को उससे ज़रा भी लगाव होता, तो वह रागिनी की बातों पर भरोसा न करता।

    चूंकि रागिनी उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी, वह अक्सर मिलने आती थी। इसलिए उसे आने-जाने की पूरी छूट थी। यहां तक कि उसने राहुल को भी अंदर आने की इजाज़त दे रखी थी।

    जैसे ही मायरा कुछ कहने वाली थी, उसकी रूह कांप गई।

    तरुण...

    वो आ गया है!

    वो आदमी अगर कहीं आसपास होता था, तो मायरा उसे बिना देखे भी महसूस कर सकती थी।

    अपने पिछले जनम में, उसे कभी समझ नहीं आया था कि रागिनी ने उसे धोखा दिया। तरुण अंधेरे में छुपकर हर पल उसे देख रहा था, जब वो राहुल से मिल रही थी… वहीं से उसकी डरावनी कहानी शुरू हुई थी।

    मायरा ने धीरे से सांस ली और खुद को ज़बरदस्ती शांत किया। उसने तरुण की मौजूदगी को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की और राहुल की ओर देखकर हल्का सा मुस्कुराई, "मैं सिर्फ़ जानना चाहती हूँ कि तुम किस हैसियत से मुझसे सवाल कर रहे हो? मेरे एक्स-फिऐन्से के नाते? या... मेरे जीजा के नाते?"

    मायरा की बातों में छुपा व्यंग्य सुनकर राहुल का चेहरा सख्त हो गया, “मायरा, मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे नाराज़ हो, लेकिन मैं भी मजबूर था। जो कुछ भी हुआ, उसमें मेरा भी हाथ है। मैं मानता हूँ कि तुम्हारी ये हालत मेरे कारण है। अभी मेरे साथ चलो, मैं तुम्हें यहां से दूर ले जाऊंगा!”

  • 4. - Chapter 4

    Words: 693

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---



    पिछले जन्म में, मायरा को लगता था कि उसने खुद को खो दिया और राहुल को नीचा दिखाया। जब उसने मायरा को ताने मारे, तब भी उसने पलटकर जवाब नहीं दिया। जब राहुल ने कहा कि उसने उसे माफ कर दिया है और उसे घर ले जाना चाहता है, तो मायरा भावुक हो गई। उसे लगा कि शायद राहुल के दिल में अब भी उसके लिए जगह है।

    वो बस बेवकूफ थी।
    कौन जानता था कि वो बस अपने अहंकार में ये सब कर रहा था?

    किसी भी हालत में, वो कभी राहुल की मंगेतर थी, लेकिन अब वो तरुण की प्रेमिका बन चुकी थी। अगर लोगों को ये बात पता चलती, तो राहुल की सारी इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाती, है ना?

    जैसे ही राहुल ने उससे चलने की बात की, मायरा ने महसूस किया कि आस-पास की हवा का तापमान अचानक गिर गया है।

    अंधेरे में, मायरा से कुछ ही कदम की दूरी पर—
    एक आदमी का चेहरा रात की तरह थंडा हो गया था। उसकी अंदरूनी गुस्से की आग किसी को भी निगल जाने को तैयार थी, मानो वो इंसान को रौंदकर उसके नाम-ओ-निशान तक मिटा देगा।

    तरुण का असिस्टेंट, रजत, पसीने-पसीने हो गया था और उसके पैर काँप रहे थे।

    क्या नसीब है मेरा, जो मुझे अपने बॉस की प्रेमिका को किसी और मर्द के साथ भागते देखना पड़ रहा है, वो भी आधी रात में!

    जबसे मायरा आई है, नौकरों का तो जीना ही हराम हो गया है। बॉस को गुस्सा आता है, तो सब पर टूट पड़ता है। और इस औरत की खासियत ही यही है—तरुण को गुस्सा दिलाना।

    इस बार तो लगता है बॉस का गुस्सा पूरे शहर को जला देगा।

    रजत ने तो अपनी आँखें ही बंद कर लीं—उसे पता था कि अब क्या होने वाला है।

    मायरा को चुपचाप खड़ा देख, राहुल बेचैन हो गया। उसने मायरा का हाथ पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया ताकि उसे खींचकर साथ ले जाए।

    लेकिन मायरा ने तुरंत एक कदम पीछे हटकर उसका हाथ झटक दिया।

    "मायरा?" राहुल ने भौंहें चढ़ाईं।

    मायरा ने ठंडे लहजे में कहा, "राहुल, क्या मैंने कहा था कि मैं तुम्हारे साथ चलना चाहती हूँ?"

    राहुल ने दयनीय नजरों से उसे देखा, "मायरा, तरुण तुम्हारे साथ खेल रहा है। क्या सिर्फ मुझसे बदला लेने के लिए खुद को इस हद तक गिरा दोगी?"

    राहुल की नजर में मायरा आज भी वही लड़की थी जो उस पर जान छिड़कती थी और उसकी हर बात मानती थी। इसलिए उसे यकीन था कि मायरा बस उसका ध्यान खींचने की कोशिश कर रही है।

    "खुद को गिरा रही हूँ?"

    मायरा हँसी, मानो कोई मज़ाक सुन लिया हो। फिर उसने तंज कसा,
    "तरुण तुमसे ज़्यादा अमीर है, तुमसे ज़्यादा ताक़तवर है, तुमसे भी ऊँचे लेवल का है और उसकी बॉडी भी तुमसे बेहतर है। उसके साथ एक रात बिताना, तुम्हारे साथ पूरी ज़िंदगी बिताने से बेहतर है! तुम्हें इतनी हिम्मत कैसे हुई ऐसी बातें करने की?"

    "त...तुम..." राहुल कभी सोच भी नहीं सकता था कि मायरा उससे ऐसा कहेगी। उसका चेहरा गुस्से से तमतमा उठा।

    उसी पल, अंधेरे में खड़ा वो आदमी, जो अभी तक जानवर की तरह गुस्से में था, अचानक ठंडा हो गया।

    रजत हैरान रह गया और मायरा की तरफ देखने लगा।

    आज मिस मायरा इतनी अलग क्यों बर्ताव कर रही है? ये तो उसकी फितरत में नहीं है... क्या वो राहुल से सच्चा प्यार नहीं करती थी? उसे तो राहुल के साथ भाग जाने में खुशी होनी चाहिए थी!

    या शायद वो नखरे दिखा रही है?

    अब राहुल सच में गुस्से से भर गया था। उसने चेतावनी दी,
    "मायरा, अब नाटक बंद करो। तरुण खतरनाक, गुस्सेल और खूनी किस्म का आदमी है। क्या तुम्हें पता है, कितने लोग उसकी वजह से मारे जा चुके हैं? उसके साथ रहकर... क्या तुम्हें अपनी जान की परवाह नहीं?"

    राहुल की इस चेतावनी के जवाब में, मायरा ने जम्हाई ली और ढीले अंदाज़ में कहा,
    "तो क्या हुआ? अगर तरुण जैसे गुलाब के नीचे मैं मर भी जाऊँ, तो भूत बनकर भी मुस्कराऊँगी~"

    आगे इस कहानी में क्या होगा जानने के लिए बने रहे मेरे साथ यह मेरी नई कहानी है आप लोगों को कैसी लग रही है बताना बिल्कुल भी मिस मत करना कमेंट्स लाइक शेयर करना

  • 5. - Chapter 5

    Words: 767

    Estimated Reading Time: 5 min

    रजत, जो छुपा हुआ था: "!!!"
    गुलाब का  फूल!!!
    कसम से! आज ये लड़की बिल्कुल अलग लग रही है, क्या इस पर कोई जादू चल गया है?

    ये हमारी बॉस की तुलना एक फूल से कैसे कर सकती है?!

    बॉस तो वाकई में बहुत हैंडसम हैं, एक लड़का होकर भी बोल रहा हूं। लेकिन चाहे वो जितने भी अच्छे दिखते हों, जो उन्हें अच्छे से जानता है, वो ये भी जानता है कि वो कितने खतरनाक और गुस्सेल हैं।

    रजत ने चोरी-चुपके अपने बॉस की तरफ देखा, लेकिन अफसोस, उसकी काली आंखों से कुछ समझ नहीं आया।

    क्या बॉस नाराज़ हैं या नहीं?

    इस वक्त, राहुल उस लड़की की तरफ देख रहा था जो उसके सामने खड़ी थी—एक ऐसी लड़की जो गुस्से और नफरत से भरी हुई थी और बहुत ही कड़वी बातें बोल रही थी।
    उसने आखिरी बार सब्र रखते हुए उसे चेताया, "ठीक है... ठीक है! जब तुम्हें पछतावा हो, तो ये मत कहना कि मैं आज तुम्हारे पास नहीं आया! मायरा, मैंने तुम्हारी मदद करने की पूरी कोशिश की है!"

    मायरा ने तब थोड़ी राहत की सांस ली जब राहुल गुस्से में वहां से चला गया।

    अगर ये उसकी पिछली ज़िंदगी होती, तो उसे तरुण के गुस्से का सामना करना पड़ता। लेकिन इस बार उसने ज़िंदगी की दिशा बदल दी थी क्योंकि राहुल चला गया था और तरुण…

    हम्म, पता नहीं कब उसकी मौजूदगी गायब हो गई।

    क्या मैंने उसकी परीक्षा पास कर ली?

    तरुण का मिज़ाज बहुत ही खतरनाक और बदलता रहता था, इसलिए मायरा को अब भी सावधान रहना था। मन को थोड़ा शांत करने के बाद, वह घर के अंदर चली गई।

    जैसे ही उसने लिविंग रूम में कदम रखा, वो जानी-पहचानी आवाज़ उसके पूरे शरीर में उतर गई—

    "इधर आओ।"

    सोफे पर बैठा आदमी एक खुले जाल की तरह उसे घूर रहा था।

    मायरा वहीं जम गई।

    चाहे वो दोबारा जन्म ले चुकी थी, पर इस आदमी का डर उसकी हड्डियों में बसा हुआ था—जो कभी नहीं जाएगा।

    लेकिन अगर उसे अपनी किस्मत बदलनी थी, तो उसे इस डर पर काबू पाना ही था।

    मायरा ने अपने हाथों की मुट्ठी कस ली, अपनी हथेलियों में नाखून घुसा लिए ताकि वह खुद को संभाल सके, और धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ी...

    जैसे ही वह पास पहुँची, एक झटके में वह आदमी की गोद में जा गिरी। अगले ही पल उसके होठों पर एक तेज़ दर्द महसूस हुआ—

    ठंडी पतली होंठों ने उसके होंठों को कसकर चूम लिया और काटना शुरू कर दिया... एक भी जगह नहीं छोड़ी...

    मायरा ने कोई हरकत नहीं की। उसने खुद को रोका, ताकि तरुण को नाराज़ ना कर दे।

    वो सोच रही थी कि आज उसने जो लिपस्टिक लगाई थी वो पहले से भी ज़्यादा चमकीली और ज़हरीली लग रही थी। क्या ये रंग उसकी आंखों में चुभ नहीं रहा था? फिर भी वो इतनी शिद्दत से उसे चूम रहा था?

    उसकी मुलाकात तरुण से तब हुई थी जब वो 18 साल की थी। पूरे दो सालों तक उसने खुद को अलग-अलग रूपों में छिपाया, ये सोचकर कि शायद कोई तो होगा जो उसे तरुण को पसंद नहीं आएगा।

    अगर उसे पहले ही समझ में आ जाता, तो वो खुद को इस हालत में कभी ना लाती।

    इन्हीं ख्यालों में डूबी मायरा को अचानक होश आया—

    वो तो इस समय तरुण की गोद में बैठे हुए ख्वाब देख रही थी!

    जब उसे होश आया, तो उसे अपने गले पर एक वज़न महसूस हुआ। तरुण उसे तकिए की तरह पकड़कर उसके गले पर सिर रखकर सो गया था। उसकी सांसें गर्म और एक समान लय में चल रही थीं।

    वो सो गया था...

    ऐसा कैसे हो सकता है!?

    मायरा आधे घंटे तक बिल्कुल शांत रही, ये देखने के लिए कि वो हिला या नहीं। फिर धीरे से फुसफुसाई, "तरुण...?"

    कोई जवाब नहीं मिला।

    वो सच में सो गया था!

    थोड़ी दूर खड़ा रजत, जो दरवाज़े के पास था, ये सब देख रहा था और बहुत हैरान था। उसकी आंखें इतनी बड़ी हो गईं जैसे उसने कुछ अविश्वसनीय देख लिया हो।

    मायरा भी हैरान थी।

    उसे अच्छे से याद था कि तरुण को बहुत गंभीर  insomnia की बीमारी थी। उसका शरीर दवाओं के प्रति आम लोगों से ज़्यादा प्रतिरोधक था, इसलिए दवाएं उस पर असर नहीं करती थीं। जब भी उसे नींद चाहिए होती, तो किसी प्रोफेशनल  psychologist को बुलाना पड़ता था ताकि वो हिप्नोटिज़्म करे।

    सबसे बुरा ये था कि वो मानसिक रूप से भी असामान्य था। उसके मन में बहुत गहरे अवरोध थे, इसलिए उसे हिप्नोटाइज़ करना बेहद मुश्किल था। और जब उसका मूड खराब होता, तो हिप्नोटिज़्म बिल्कुल काम नहीं करता।

    कपूर परिवार ने देश-विदेश से अनगिनत मशहूर डॉक्टर बुलाए थे, पर कोई इलाज नहीं मिला...

  • 6. - Chapter 6

    Words: 673

    Estimated Reading Time: 5 min

    मायरा ने रजत के चेहरे पर हैरानी देखी।
    वो कुछ बोलने ही वाली थी कि रजत ने तुरंत अपने होठों पर उंगली रखकर उसे चुप रहने का इशारा किया। फिर उसने दोनों हाथ जोड़कर उससे विनती की और होंठ हिलाए: “मायरा बॉस को तीन दिन से नींद नहीं आई है!”

    तीन दिन से नहीं सोए?
    क्या ये उसकी भागने की कोशिश की वजह से था?

    पिछले दो सालों में उसने भागने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी। इस बार वो सबसे करीब पहुंच गई थी—बस थोड़ा सा और, और वो उस विदेशी क्रूज़ पर चढ़ जाती...

    लेकिन इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी।

    पहले, भले ही तरुण उसे जबरदस्ती अपने पास रखता था, मगर उसने कभी उसे छुआ नहीं था। तीन दिन पहले पहली बार उसने उसे छुआ था।

    इसीलिए मायरा को लगता था कि उसकी जो नकली पहचान थी, वो काम कर रही है।

    रजत ने जैसे ही राहत की सांस ली, लिविंग रूम की शांति को एक तेज़ मोबाइल रिंगटोन ने तोड़ दिया।

    रजत डर के मारे कांप उठा और फोन को लगभग फेंक ही दिया। उसने जल्दी से उसे बंद कर दिया।

    लेकिन बहुत देर हो चुकी थी।

    शैतान जाग चुका था।
    उसने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलीं, जिनमें इंसानियत का कोई नामोनिशान नहीं था। उसकी नज़रें रजत पर पड़ीं, और उसकी आंखों की धार से रजत का खून सूख गया।

    मायरा भी डर से जड़ हो गई।

    तरुण को नींद से उठाना मतलब प्रलय को न्योता देना था। वो जब भी नींद में से उठता था, उसका गुस्सा कहर बन जाता था।

    घबराते हुए, मायरा ने अपने हाथ बढ़ाए। उसने एक हाथ से तरुण की आंखें ढक दीं और दूसरे हाथ से उसका सिर अपनी कंधे पर खींच लिया। फिर उसके मुलायम बालों में उंगलियां फेरते हुए बोली, “सब ठीक है... सो जाओ...”

    एक सेकंड बीता...
    दो सेकंड बीते...
    तीन सेकंड बीते...
    तरुण ने कोई हरकत नहीं की।

    थोड़ी देर बाद, मायरा ने धीरे से उसके चेहरे से हाथ हटाया। तरुण ने फिर से आंखें बंद कर ली थीं और गहरी नींद में चला गया था।

    रजत के शरीर में फिर से जान लौटी। अभी थोड़ी देर पहले तो उसकी रूह ही निकलने वाली थी। उसने मायरा की ओर कृतज्ञता भरी निगाहों से देखा।

    मायरा सारी रात उसी पोज़ में बैठी रही।

    उसे पता ही नहीं चला कि वो कब सो गई, लेकिन जब उसकी आंख खुली, तब सुबह हो चुकी थी। वो अब मास्टर बेडरूम के बड़े बिस्तर पर लेटी थी और तरुण का कोई अता-पता नहीं था।

    मायरा ने आंखें मली और उठकर बैठ गई। उसने जिससे आंखें मलीं, उसी हाथ पर काजल, नकली पलकों का गोंद और चमकदार आईशैडो चिपका हुआ था।

    हर लड़की खूबसूरत दिखना चाहती है और जानती है कि मेकअप के साथ सोना त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। मगर पिछले दो सालों से, मायरा कभी बिना मेकअप के सोने की हिम्मत नहीं कर पाई थी।

    पर अब, जब उसे समझ आ गया कि उसकी ये नकल किसी काम की नहीं रही—तो उसे थोड़ी राहत सी महसूस हुई।

    अब वो फिर से खुद बन सकती थी...

    जब से वो 18 साल की हुई थी, यानी एक लड़की की खिलने की उम्र, तब से उसने कभी किसी को बिना अपने नकाब के नहीं देखा। वो तो भूल ही गई थी कि असली मायरा कैसी दिखती थी।

    पहली चीज़, उसके शरीर पर बने बड़े, खून जैसे डरावने टैटूज़।

    शुक्र है कि उसे दर्द से डर लगता था, वरना रागिनी की सलाह मानकर वो पर्मनेंट टैटू बनवा लेती—फिलहाल उसके टैटू ऐसे थे जो साबुन से साफ किए जा सकते थे।

    मायरा ने पूरे कमरे में ढूंढकर आखिरकार वो साबुन ढूंढ ही लिया, जो बाकी चीज़ों के साथ एक बॉक्स में पड़ा था। वह बाथरूम में गई और साथ में डिटर्जेंट, मेकअप रिमूवर, कॉटन पैड्स और वो फेस मास्क भी ले गई जो उसे पहले तरुण ने दिए थे।

    सबसे पहले उसने अपने कई कान के स्टड्स और भारी सोने की बालियां निकालीं, फिर गले की कुत्ते जैसी चेन उतारी। फिर उसने अपने चेहरे से मेकअप हटाया। आखिर में, उसने टब में साबुन डाला और अपना पूरा शरीर उसमें भिगो दिया...

  • 7. - Chapter 7

    Words: 704

    Estimated Reading Time: 5 min

    साबुन की मदद से उसके शरीर पर बने टैटू धीरे-धीरे घुलने लगे।

    मायरा ने खुद को गरम पानी में डुबो रखा था, चेहरे पर एक फेस मास्क लगाया और कुछ देर के लिए आंखें बंद कर लीं।

    जब उसने आंखें खोलीं, तब टब का पानी काला और कीचड़ जैसा हो गया था।

    उसके शरीर की बात करें तो... अब टैटू का नकली आवरण हट चुका था, और उसका असली शरीर सामने आ गया था।

    जिन टैटूज़ को उसने बनवाया था, वो temporary थे और उसकी त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुँचा था। एक लाल चाँद के आकार का जन्मचिह्न छोड़कर, उसका पूरा शरीर एकदम साफ-सुथरा और बेदाग था। बिल्कुल निखरें पत्थर की तरह, नमी से भरा हुआ और कोमल। ऐसा लग रहा था जैसे चांदनी रात में बर्फ सी सफेदी लिए चमक रहा हो।

    पिछले जन्म में, उसने एक बार गुस्से में आकर परमानेंट टैटू भी बनवाया था। वो टैटू पूरे 7 साल तक उसके साथ रहा। और उन्हीं 7 सालों में, उसे ये तक याद नहीं रहा कि टैटू के नीचे उसका असली शरीर कैसा दिखता है।

    अब जब उसने अपना असली रूप देखा, तो वो खुद भी हैरान रह गई कि उसकी त्वचा कितनी सुंदर है।

    इसके अलावा, इस वक्त वो केवल 20 साल की थी–यानी एक लड़की की त्वचा सबसे निखरी हुई होती है।

    फेस मास्क उतारने के बाद, मायरा ने गंदे पानी को टब से बाहर निकाला और दोबारा नहाई।

    उसके बाद, उसने एक बाथरोब पहना और ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ गई।

    आईने में जो लड़की दिख रही थी, उसके हल्के भूरे रंग के आइब्रो थे, ऊँची नाक थी, और होंठ गुलाबी और नाजुक थे–कुछ-कुछ मार्च महीने की चेरी ब्लॉसम जैसे। उसकी सबसे खूबसूरत चीज़ थी उसकी आंखें–जो पतझड़ की झील जैसी लग रही थीं, टिमटिमाते सितारों की तरह चमकती हुईं।

    बहुत लंबे समय तक मेकअप के ज़रूरत से ज्यादा इस्तेमाल के कारण उसकी त्वचा रूखी और थोड़ी सी खराब हो गई थी, लेकिन मॉइस्चराइजिंग फेस मास्क ने थोड़ी राहत दी थी।

    हालांकि, मायरा जानती थी कि ये सिर्फ थोड़े समय के लिए है। जैसे बाकी ब्यूटी ट्रीटमेंट्स होते हैं, वैसे ही ये मास्क भी बस ऊपरी सतह पर असर करता है, अंदर की जड़ तक नहीं।

    चेहरे की त्वचा को पूरी तरह से ठीक होने में अभी और देखभाल की ज़रूरत थी।

    उसने पार्लर से करवाया गया अजीब सा हेयरस्टाइल भी धो डाला था। अब उसके बाल वापस उसी रूप में थे जैसे पहले–कमर तक लंबे, रेशमी और स्याही की तरह काले।

    पहले उसने अपने प्यारे बाल खुद काट डाले थे, लेकिन अब जब वो फिर से वापस मिल गए...

    मायरा को बहुत खुशी हुई कि उसे अपनी खोई हुई चीज़ें फिर से मिल गईं। धीरे-धीरे उसने लकड़ी की कंघी उठाई और अपने पसंदीदा बालों में कंघी करने लगी।

    बाल सूखाने के बाद, मायरा ने वॉर्डरोब की तरफ देखा जो अजीब-अजीब कपड़ों से भरा हुआ था और फिर से परेशान हो गई।

    “छोड़ो, मैं तीसरी मंज़िल वाले क्लोथरूम से कोई सेट निकाल लूंगी। जब नया जन्म मिला है, तो खुद को तकलीफ क्यों दूं?”

    पूरा तीसरा फ्लोर एक क्लोथरूम था। अंदर तरूण द्वारा रखे गए लोग थे जो उसके लिए कपड़े, एक्सेसरीज़ और बैग्स की देखभाल करते थे। उसने भले ही कभी इन चीज़ों को हाथ तक नहीं लगाया हो, लेकिन 7 सालों तक उस क्लोथरूम में सिर्फ ट्रेंडी चीजें रखी गई थीं।

    नीचे की मंज़िल पर। डाइनिंग टेबल के सामने, तरूण बड़े शाती से अपनी कॉफ़ी पी रहा था।

    नींद की कमी के कारण उसकी आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स और गहरे हो गए थे। उसका चेहरा एकदम परफेक्ट लग रहा था, जैसे किसी राक्षस की आत्मा उसमें समा गई हो, बस उसमें से रोशनी नहीं निकल रही थी।

    "अरे तरूण, आह आ आ......." राघव जो सामने बैठा था, उसने जो देखा उससे इतना चौंक गया कि गर्म कॉफ़ी से खुद को जला बैठा।

    तरूण ने शक की नजरों से अपने दोस्त की तरफ देखा, जो एकदम हैरान लग रहा था।

    राघव को अब भी यही लगता था कि जब ये आदमी उस पर तंज कसता है, तब भी ये बहुत अच्छा दिखता है!

    राघव ने अपनी कॉफ़ी ज़ोर से टेबल पर रख दी, "हरामखोर! 9वें कपूर! सच्ची बता! कल रात तूने क्या किया? कहीं तुमने मायरा के साथ वो ' वाला कोई काम तो नहीं किया?"

  • 8. - Chapter 8

    Words: 739

    Estimated Reading Time: 5 min

    तरूण  आज कुछ अच्छे मूड में लग रहा था, क्योंकि राघव की बात सुनने के बाद भी उसने गुस्सा नहीं दिखाया।

    राघव ने अपने भाई की ओर ऐसी नज़र डाली जैसे आसमान फाड़ देगा। नफ़रत और तंज से भरे हुए लहजे में उसने कहा, " भाई, तुम्हारा रुतबा, कद-काठी, शक्ल और शरीर... क्या तुमने कभी सोचा है कि तुम्हें कैसी लड़की चाहिए? तुम खुद को इस तरह गिरा क्यों रहे हो?"

    मायरा, जो सीढ़ियों से नीचे आ रही थी, राघव की बातें सुन रही थी।

    राघव की बातें उसे कुछ जानी-पहचानी सी क्यों लगीं?

    "मान लो कि तुम बस थोड़ा अलग अनुभव लेना चाहते थे, चलो ठीक है, लेकिन अब दो साल हो चुके हैं। एक भाई होने के नाते, अब मुझसे सहा नहीं जा रहा..."

    राघव अभी भी अपने भाई को कोस रहा था कि अचानक तरूण , जो अब तक सुस्त और बेपरवाह दिख रहा था , उसने हल्के से सिर मोड़ा और ऊपर की ओर देखने लगा।

    राघव ने भी बिना सोचे समझे तरूण की नज़र का पीछा किया।

    जैसे ही उसने ऊपर देखा, उसकी आंखें हैरानी से चमक उठीं।

    एक लड़की ऊपर खड़ी थी। सफेद रंग की एकदम सादी सी ड्रेस पहनी हुई, पतली-दुबली, कमर तक लंबे बाल, दिलकश निगाहें और गुलाब जैसे होंठ। बर्फ जैसी नाज़ुक त्वचा और संगमरमर जैसे हड्डियों वाली एक परी सी हसीना।

    वो लड़की... सच में बेमिसाल थी...

    यह चमक इतनी खास थी कि तरूण  जैसा ठंडे दिल का इंसान भी उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता था।

    राघव अब भी हैरान खड़ा था जब मायरा चलती हुई डाइनिंग टेबल तक आई।

    मायरा ने टेबल पर एक नज़र डाली। आम तौर पर वह तरूण  से सबसे दूर वाली सीट पर बैठती थी, लेकिन आज उसने सोच-समझ कर उसके पास वाली सीट ले ली।

    जब तरूण ने देखा कि वह लड़की उसके बगल में बैठी है, तो उसने उसकी ओर देखा और उसकी आंखों में एक हल्की सी चमक आ गई।

    ‘कम बोलो तो कम गड़बड़ होगी’ – इस सिद्धांत को अपनाते हुए मायरा चुपचाप बैठ गई और नाश्ता करने लगी।

    जैसे ही वह सुबह उठी, लोग उसे घूर रहे थे।

    उसे खुद भी ये अचानक बदलाव थोड़ा अजीब लग रहा था। वो सोच रही थी कि तरूण  इस बारे में क्या सोचता होगा।

    वैसे भी, जब उसे उसके डरावने रूप से भी कोई परेशानी नहीं थी, तो अब थोड़ा संवर के अच्छा महसूस करना गलत तो नहीं।

    मायरा ने यही सोचते हुए अपना दलिया आराम से खाना शुरू किया।

    अचानक, एक पतली-सी उंगली उसके चेहरे की तरफ बढ़ी।

    मायरा तुरंत चौकन्नी हो गई और उसका पूरा शरीर जड़ हो गया।

    फिर उस उंगली ने उसके चेहरे पर गिरने वाले बालों को पीछे कान के पीछे ले जाकर सजा दिया।

    अब तरूण  कुर्सी पर आराम से टिके हुए था। लड़की के बाल ठीक करने के बाद, उसने धीरे से अपना हाथ वापस लिया, लेकिन नज़रें मायरा पर ही टिकी रहीं। उसकी आंखों में जिज्ञासा और हल्का-सा छुपा हुआ जुनून था, जैसे वे उसकी हर एक झलक को पढ़ने की कोशिश कर रहा हों।

    मायरा ने राहत की सांस ली और तुरंत अपने हाथ से बालों को पकड़ लिया ताकि फिर से वो गिर न जाएं।

    उसी वक्त, राघव को जैसे होश आया और वो उत्साहित होकर बोल पड़ा, " भाई! अब जाकर तुम्हारी अकल ठिकाने आई! तुम्हें शुरू से ऐसी लड़की ढूंढ़नी चाहिए थी! उस औरत को क्यों अपने ऊपर हावी होने दिया?"

    मायरा, "...हावी..."

    राघव ने फिर कहा, "अरे हां, वो बदसूरत औरत कहां गई? उसे निकाल फेंका क्या?"

    मायरा, "...बदसूरत औरत..."

    राघव ने कहा, "हालांकि जब तुम दोनों की शुरुआत हुई थी तब वो मायरा इतनी भी बुरी नहीं दिखती थी, लेकिन वो मोटी थी! कम से कम 150 पाउंड तो थी!"

    मायरा, "...!!! बकवास! मैं तो 140 थी! हां, मानती हूं कि टीनएज में भूख ज्यादा लगती थी और मैंने खूब खाया, लेकिन मेरा वज़न कभी 150 पार नहीं किया, ठीक है?"

    राघव, " भाई, मुझे तो समझ नहीं आता कि तुमने उसमें देखा क्या था, तुम एक मोटी लड़की से प्यार में कैसे पड़ सकते थे?"

    मायरा, "...मोटी..."

    अब मायरा का सब्र जवाब दे गया!

    कोई भी लड़की ये बर्दाश्त नहीं कर सकती कि उसे "मोटी" कहा जाए!

    धप्प——

    मायरा ने गुस्से में अपने हाथ की चमच को ज़ोर से टेबल पर पटका और उसकी आंखों से राघव की ओर आग बरस रही थी——

    "राघव! तो क्या हुआ अगर मैं 150 पाउंड की थी! और क्या हुआ अगर मैं मोटी थी! मैंने तुम्हारा खाना थोड़ी खा लिया था!!"

  • 9. - Chapter 9

    Words: 606

    Estimated Reading Time: 4 min

    जैसे ही वो जानी-पहचानी आवाज़ आई, राघव का चेहरा ऐसा हो गया जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो। वो झट से उठ खड़ा हुआ और कुर्सी गिरा दी।

    "अरे बाप रे! मा… मायरा!!!"

    "ये कैसे हो सकता है?"

    "तूने प्लास्टिक सर्जरी करवाई क्या?" राघव ने हैरानी से उसकी तरफ देखा।

    लेकिन नहीं… ये भी सही नहीं लग रहा, इतनी जल्दी सर्जरी कैसे हो सकती है? अभी कुछ दिन पहले ही तो वो भयानक लग रही थी।

    मायरा गुस्से में फट पड़ी, "सर्जरी तो तूने करवाई होगी! मैं तो हमेशा से ऐसी ही दिखती थी! और हाँ, ये साफ-साफ बता, मैं मोटी कहाँ से लगती हूँ?"

    तरूण  का थका-हारा चेहरा जैसे एक पल को जिंदा हो गया।

    मायरा की आंखों में जैसे आग जल रही थी—काफ़ी अरसे बाद उनमें इतनी तीव्रता थी।

    गुस्से से कांप रही मायरा को किसी की ठंडी हथेली सिर पर सहलाती हुई महसूस हुई, जैसे कोई उसे काबू में करने की कोशिश कर रहा हो।

    उसी समय एक गर्म आवाज़ उसके कानों में गूंजी, "तूम मोटी नहीं हो।"

    मायरा चौंक गई और तरूण  की ओर देखने लगी।

    क्या वो पागल हो रही है? तरूण  उसे… सॉफ्ट लग रहा है?

    मायरा ने खुद को संभाला और महसूस किया कि वो ज़्यादा ही भड़क गई थी। थोड़ी शर्माते हुए बोली, "अब तो मैं बिल्कुल भी मोटी नहीं हूँ..."

    तरूण  ने कहा, "तूम पहले भी मोटी नहीं थी।"

    राघव सीरियस हो गया, " भाई, एक बार ज़रा अपने ज़मीर से फिर से बोलो!"

    मायरा गुस्से से दांत पीसने लगी।

    तरूण  ने धीरे से राघव की तरफ देखा, "मैंने मल्होत्रा वाला ज़मीन का टुकड़ा समीर को दे दिया है।"

    राघव सन्न रह गया, "क्या?! मज़ाक मत करिए,  भाई ! आपने तो कहा था वो ज़मीन मुझे देंगे! आप पहले से दे चुके हैं या अभी-अभी एक सेकंड में सोचकर दे दी?"

    तरूण : "अभी-अभी सोचा।"

    राघव: "...!!!"

    कमाल है! सिर्फ इसलिए क्योंकि मैंने मायरा को मोटा बोल दिया?

    "आप... आप पागल हो!" राघव चिल्लाया।

    तरूण  ने न तो विरोध किया, न कुछ बोला, बल्कि वो तो इस टाइटल को एन्जॉय कर रहा था। बिना कोई एक्सप्रेशन बदले बोला, "तूम अब जा सकते हो। बीच में मत आना।"

    पागल ही नहीं, पूरी तरह से अपनी महबूबा के फेवर में और भाई को फालतू समझता है।

    राघव का दिल टूट गया और वो रोता हुआ भाग गया।

    अब जब राघव चला गया, डाइनिंग टेबल पर सिर्फ मायरा और तरूण  बचे थे।

    जब राघव था तो मायरा को थोड़ी राहत थी, लेकिन अब वो फिर से टेंस हो गई। तरूण की मौजूदगी अचानक बहुत भारी लगने लगी।

    "थोड़ा और खा लो।"

    उसकी प्लेट में उसके फेवरेट नाश्ते वाली दुकान से एक और पानीर फाइंड रखा गया था।

    मायरा की फीलिंग्स मिली-जुली थीं।

    जबसे वो आई है, तरूण  ने उसकी बदली हुई शक्ल को लेकर कोई खास रिएक्शन ही नहीं दिया।

    अरे राघव जैसा रिएक्शन देना ज़्यादा नॉर्मल नहीं होता क्या?

    मायरा अब खुद को रोक नहीं पाई और पूछ बैठी, "तरूण , क्या तुम्हें आज मुझमें कुछ अलग नहीं लग रहा?"

    तरूण  ने उसकी प्लेट में एक पनीर टिका रखते हुए पूछा, "क्या?"

    मायरा: "मेरा लुक्स!"

    तरूण  ने भौंहें सिकोड़ लीं, "क्या फर्क है?"

    मायरा एकदम सन्न रह गई, "..."

    क्या ये आदमी अंधा है?

    उसने मायरा के चौंकते हुए चेहरे को देखा और हल्का सा मुस्कुराया। फिर उसके नाज़ुक से ठुड्डी को सहलाते हुए उसके होंठों पर उंगली फेरी और गहरी, रोमांटिक आवाज़ में बोला, "अब भी उतनी ही स्वादिष्ट लगती हो।"

    मायरा: "..."

    स्वादिष्ट दिखती हूँ?!

    मतलब उसे मेरा पिछला डरावना लुक भी स्वादिष्ट लगा? और उसे अभी के लुक से कोई फर्क ही नहीं लगता?

    मायरा तो उसके इस अजीब स्वाद पर ही सदमे में थी...

  • 10. - Chapter 10

    Words: 575

    Estimated Reading Time: 4 min

    तो क्या अब तक उसने खुद को यूँ ही सताया था?

    मायरा को ऐसा लग रहा था जैसे ज़िंदगी ही बेकार चली गई हो!
    अच्छा हुआ कि इस बार उसे सब कुछ जल्दी समझ आ गया, वरना फिर से पूरी ज़िंदगी बदसूरत बनकर ही काटनी पड़ती।
    आज से, उसने तय कर लिया था—अब जितना हो सके उतना खुद को सँवारकर रखेगी… ताकि पिछली ज़िंदगी की बदसूरती की भरपाई हो सके!

    "क्यों? कोई दिक्कत है क्या?"

    "नहीं!" मायरा ने थोड़ा दुखी होकर कहा।

    "ओह..." तरुण  हल्के से मुस्कराया।

    मायरा ने उसकी तरफ थोड़ा डरे हुए अंदाज़ में देखा।

    उसके चेहरे पर जो हल्की सी चमक थी, वो ना तो डरावनी थी, ना ही गुस्से से भरी… तरुण … वाकई में हँस रहा था।

    उसे पहली बार महसूस हुआ कि आज ये आदमी कुछ ज्यादा ही अच्छे मूड में लग रहा था।

    क्या रात को अच्छी नींद आई थी इसलिए?

    असल में, तरुण  का चिड़चिड़ापन उसकी इनसोम्निया से जुड़ा हुआ था। कोई भी इंसान अगर सालों-साल नींद की बीमारी से जूझे, तो वो सह नहीं पाएगा।

    ये सोचते-सोचते मायरा की सोच भटकने लगी।

    क्या आज, जब ये अच्छा मूड में है, तो मैं अपनी बात रख सकती हूँ...?

    नीचे आते वक़्त उसे क्लास मॉनिटर का मैसेज आया था कि अगर वो स्कूल नहीं आई तो सस्पेंड कर दी जाएगी या फिर निकाला जा सकता है।

    उसके खराब रिजल्ट्स की वजह से वो पहले ही दो साल पीछे हो चुकी थी और अब बारहवीं में पढ़ते हुए 20 साल की हो गई थी।

    उसे याद आया कि अपनी पिछली ज़िंदगी में वो हर दिन बस एक ही इंसान के बारे में सोचती थी—राहुल।

    तरुण  से मिलने से पहले वो बस राहुल की दीवानी थी। और जब तरुण से मिली, तो बस हर वक़्त ये सोचती रही कि कैसे भागकर वापस राहुल के पास पहुँचे। उसे पढ़ाई से कोई मतलब ही नहीं था।

    धीरे-धीरे उसने स्कूल जाना ही बंद कर दिया, और कॉलेज का एंट्रेंस एग्ज़ाम भी नहीं दे पाई। पढ़ाई पूरी तरह बर्बाद हो गई।

    लेकिन इस बार नहीं।

    इस बार भले ही उसने भागने की कोशिश की थी, लेकिन राहुल के साथ नहीं भागी थी। इसलिए तरुण कपूर से रिश्ता अब भी संभाला जा सकता था।

    मायरा ने गहरी साँस ली और थोड़ा डरते हुए बोली,
    "क्या... मैं कल से स्कूल जा सकती हूँ?"

    उसकी बात ख़त्म होते ही पूरे घर का माहौल ठंडा हो गया, और तरुण का चेहरा फिर से वैसा ही ठंडा और बेरुखा हो गया।

    मायरा को अपना दिल धड़कता हुआ साफ सुनाई दे रहा था।

    क्या अब भी स्कूल नहीं जा सकती?

    हालाँकि उसे पता था कि बात इतनी आसानी से नहीं बनेगी, फिर भी दिल टूट ही गया। उसने उदास मन से अपनी पसंदीदा बन्स की तरफ देखा लेकिन अब भूख भी नहीं थी।

    धीरे से बड़बड़ाई, "अगर मुमकिन नहीं है तो छोड़ो..."

    लेकिन तरुण  का चेहरा और भी ज़्यादा सख्त हो गया।

    मायरा नहीं चाहती थी कि अभी जब उनके रिश्ते में थोड़ा सुधार आया है, तो वो उसे फिर से बिगाड़े। इसलिए जल्दी से बोली,
    "मैं तो बस वैसे ही पूछ रही थी। अब नहीं जा रही।"

    तरुण चुपचाप उसे देखता रहा, उसकी आँखों में जो उदासी थी… और चेहरे पर जो डर… उसे देखकर उसके अंदर फिर से वो बेकाबू गुस्सा उठने लगा।

    मायरा ने मासूम सा चेहरा बना लिया—"ये आदमी भी ना, इतना मुश्किल हैं समझना। अब तो मैंने खुद ही मना कर दिया फिर भी ऐसे देख रहे हैं जैसे किसी को जान से मार डालेंगे!"

  • 11. - Chapter 11

    Words: 750

    Estimated Reading Time: 5 min

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    घर का माहौल धीरे-धीरे ठंडा होने लगा। मायरा और तरूण  के बीच का रिश्ता फिर से वैसा ही लगने लगा जैसे मायरा के पुनर्जन्म से पहले था।

    उसके अंदर फिर से उस आदमी के लिए डर पनपने लगा।

    शुक्र है, उसी समय कुछ कदमों की आवाज़ ने माहौल की खामोशी तोड़ी।

    रजत माली, फूलवाले और मजदूरों की एक टीम लेकर डाइनिंग हॉल में आया और बोला, "बॉस, बगीचे में मरम्मत का काम... उhm..."

    रजत की बात आधे में ही रुक गई, जब उसने तरूण  के बाईं ओर बैठी एक लड़की को देखा। वह कुछ पलों के लिए ठहर गया और उसके पीछे खड़े मज़दूर एक-दूसरे को हैरानी से देखने लगे।

    उसे हैरानी सिर्फ इस लड़की की खूबसूरती की वजह से नहीं हुई बल्कि इसलिए भी कि सब जानते थे कि बॉस को OCD की बहुत ज़्यादा शिकायत है और उन्हें औरतों से नफरत है। दुनिया में बस एक ही औरत थी जिसे वह सहन कर सकते थे और वो थी मायरा।

    तो फिर ये लड़की कौन थी?

    मायरा ने रजत और बाकी लोगों की तरफ देखा, फिर एक झींगे वाला मोमोज़ मुँह में डालते हुए बोली, "उह, मैं आज मेकअप करना भूल गई... क्या मैंने आप सबको डरा दिया?"

    "मा... मायरा!!!"

    जैसे ही सबने उसकी जानी-पहचानी आवाज़ सुनी, सब हैरान रह गए, रजत भी।

    वो भद्दी सी दिखने वाली लड़की जिसकी शक्ल देख कर डर लग जाता था, लेकिन उसकी आवाज़ किसी झरने जैसी साफ और मीठी थी।

    मगर उस आवाज़ को सुनते ही सबके मन में एक सिहरन सी दौड़ गई। आखिर जबसे वो लड़की " कपूर बाग' में आई थी, सबको बहुत झेलना पड़ा था।

    अब जो लड़की बॉस के पास बैठी थी, जो इतनी सुंदर लग रही थी जैसे पानी से निकला कमल, क्या वो ही मायरा थी?

    सबका चेहरा देखकर मायरा ने सोचा, "लगता है अब मैं पहले से बेहतर दिखती हूँ ना? मुझे याद है जब मैंने बाल हरे रंग में रंगे थे तो आप सबके होश उड़ गए थे! शायद मुझे फिर से वैसे ही बाल करवा लेने चाहिए?"

    लोग चौंके नहीं थे, वो तो डर गए थे!

    रजत को होश आया और उसने झटपट सिर हिलाया, "न-नहीं मैडम, आप ऐसे ही बहुत अच्छी लग रही हैं!"

    उसे अंदाजा भी नहीं था कि मायरा बिना मेकअप के इतनी सुंदर दिखेगी।

    तो इसका मतलब ये था कि मायरा का रंगों से तालमेल बिगड़ा नहीं था, बल्कि उसकी दिमागी हालत ही गड़बड़ थी?

    बॉस की नजरें कितनी तेज़ हैं... वो तो उसके मोटे मेकअप के पीछे की असली शक्ल देख लेते थे!

    अगर मायरा को रजत के दिमाग में चल रही बातें पता चलतीं, तो वो जरूर कहती कि उसके बॉस को मेकअप के पीछे की सच्चाई देखने की ज़रूरत नहीं थी... उन्हें तो वही "दीवार" पसंद थी!

    "आप लोग बगीचे की मरम्मत पर बात करने आए हो?" मायरा ने पूछा।

    रजत ने सहजता से सिर हिलाया, "हा।"

    मायरा ने फिर धीरे से कहा, "मैं कुछ सुझाव दे सकती हूँ?"

    अब जब मुझे यहाँ कुछ समय रहना ही है, तो क्यों न इसे अपने हिसाब से थोड़ा अच्छा बना लूं?

    स्कूल जाने की इजाज़त नहीं मिली, पर ये तो शायद हो सकता है?

    उसे याद आया कि जाने के अलावा तरूण  उसकी बाकी बातें मान ही लेता था।

    पर जैसे ही मायरा ने ये बात कही, रजत का दिल बैठ गया। उसने तुरंत तरूण  की तरफ देखा, उम्मीद करते हुए कि बॉस खुद कुछ फैसला करेंगे।

    बॉस! प्लीज़! मैं आपसे हाथ जोड़ता हूँ! इसे बगीचा बर्बाद मत करने दीजिए!

    तरूण  ने मायरा को बस तीन शब्दों में जवाब दिया, "जैसा तुम्हें ठीक लगे।"

    रजत: "..."

    ठीक है... मुझे पता था ऐसा ही होगा।

    रजत ने हार मानते हुए कहा, "मैडम, आपको क्या बदलाव चाहिए?"

    मायरा ने सोचते हुए कहा, "मुझे गुलाब और लैवेंडर पसंद नहीं, उनकी जगह सूरजमुखी के फूल लगवा दो।"

    रजत कुछ पल चुप रहा। उसने सहज ही पूछ लिया, "मैडम, आपको सूरजमुखी पसंद हैं?"

    "फूलों को जलवा दो", "सब उखाड़ फेंको" जैसी बातों के सामने मायरा की ये डिमांड तो बहुत नॉर्मल थी।

    मायरा ने थोड़ा सोचा और बोली, "ऐसे-वैसे ठीक हैं।"

    रजत समझ नहीं पाया, "तो फिर..."

    मायरा की आंखें चमक उठीं, "ताकि उनके बीज भूनकर खाए जा सकें!"

    रजत: "एर..."

    तरूण : "..."

    मायरा ने फिर दूर की तरफ इशारा किया, "वो जो तालाब है, उसमें वो कीमती कोई मछलियाँ मत रखना, बहुत नाज़ुक होती हैं और खाने लायक भी नहीं। उनकी जगह ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, छोटे समुद्री झींगे डाल दो... और गुलाब वाला छाजन हटा कर अंगूर की बेल लगा दो... हाँ, और शकरकंद भी उगा सकते हो..."

  • 12. - Chapter 12

    Words: 667

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    "और, जो पूरब की तरफ लॉन है वो तो पहले ही जल चुका है, तो क्यों ना उसमें गोभी उगा लें? वैसे भी मिट्टी में खाद डली हुई है।"

    गो... गोभी...?

    रजत अवाक खड़ा रह गया और तरुण  का चेहरा भी ऐसा था कि कुछ समझ नहीं आ रहा था। मायरा ने धीरे से आवाज में पूछा, "क्या कोई दिक्कत है?"

    तरुण  ने अपने सफेद मग को टेबल पर थपथपाया और ऊपर देखकर बोला, " मैं तुम्हें यहाँ भूखा रख रहा हूँ?"

    मायरा ने झिझकते हुए कहा, "अ... नहीं..."

    जब से वह छोटी थी, कभी भी उसे खाने-कपड़ों की कमी नहीं हुई थी। और तरुण  के घर में तो बिल्कुल भी नहीं। कपूर मैंशन के शेफ तो रोज़ नए-नए खाने बनाते थे ताकि वह ठीक से खा सके, क्योंकि अगर वह कपूर द्वारा तय की गई खाने की मात्रा से कम खा लेती, तो शेफ की नौकरी चली जाती।

    लेकिन उसे खुद नहीं पता कि क्या दिक्कत थी—उसे खाने जमा करने की आदत थी, जैसे कोई   उसके पास जितना खाना होता, वह उतना ही सुरक्षित महसूस करती।

    पिछले जन्म में, तरुण  की लगातार निगरानी के चलते वह मानसिक रूप से थक चुकी थी और उसका भूख से दिल ही उठ गया था।

    अब जब किस्मत ने उसे दोबारा मौका दिया था, तो वह न सिर्फ अपने आप को सजाना चाहती थी, बल्कि अच्छा खाना भी खाना चाहती थी—वरना ये दूसरा मौका व्यर्थ हो जाता।

    थोड़ी देर बाद तरुण  ने रजत की तरफ देखा और कहा, "जैसा कह रही है, वैसा कर दो।"

    रजत ने मुरझाए चेहरे के साथ जवाब दिया, "यस बॉस..."

    उसने तो सोचा था कि ये लड़की अब बदल चुकी है।

    अब ये लड़की इतने बड़े और शाही कपूर गार्डन को सब्ज़ियों का खेत बनाना चाहती है, ये तो पागलपन है...

    तरुण  की हाँ सुनते ही मायरा खुशी से उछल पड़ी और चिल्लाई, "कमाल हो गया! अब तो जब थंडी आएगी तो हमारे पास खुद का खाना होगा!"

    "जब थंडी आएगा..."

    ये तीन शब्द सुनते ही तरुण  का चेहरा थोड़ा बदल गया, और उसकी आंखों में भी कुछ हलचल हुई।

    पहले वाली मायरा तो सिर्फ भागने के बारे में सोचती थी, आज वह भविष्य की बातें कर रही थी?

    पूरे दिन मायरा ने रजत के साथ बैठकर हर जगह कौन सी फसल उगानी है, इसका प्लान बनाया और नौकरों को जिम्मेदारियाँ भी बाँटीं।

    शाम तक, वो कपूर गार्डन जो मायरा ने तबाह कर दिया था, एकदम नया लगने लगा।

    पूरब में गोभी, पश्चिम में सूरजमुखी, दीवारों पर नई अंगूर की बेलें, महंगे फूलों की जगह अब फल और सब्जियाँ, तालाब में साफ़ पानी और उसमें तैरती हुई मछलियाँ और झींगे...

    पहले कपूर गार्डन में जो भी फूल-पौधे थे, वो इतने कीमती थे कि नौकरों को हर कदम संभालकर रखना पड़ता था, नहीं तो गलती से किसी पौधे की जान चली जाती और लाखों का नुकसान हो जाता। अब, भले ही वह सब्ज़ियों का खेत बन गया हो, लेकिन किसी गलती की गुंजाइश फिर भी नहीं थी।

    शायद दिनभर काम करने के बाद, मायरा को ज़ोर की भूख लगी और उसने रात को जमकर खाना खाया।

    खूब खाना खाकर, जब उसे ऊर्जा मिल गई, तब उसने दिनभर की बातों को सोचकर समझना शुरू किया।

    अब सिर्फ स्कूल वापस जाने की बात नहीं थी, बल्कि उसका और तरुण  का रिश्ता और उस पूरे हालात को भी देखना था।

    कोई बदलाव लाने के लिए, उसे तरुण  से बात करनी ही पड़ेगी।

    तरुण  का कमरा ऊपर वाली मंज़िल पर था, वो कमरा जहाँ मायरा पहले कभी जाने की सोच भी नहीं सकती थी।

    "ठक ठक ठक..."

    मायरा दरवाज़े के सामने घबराई खड़ी थी, उसने गहरी सांस ली और दरवाज़ा खटखटाया।

    "कररर..." दरवाज़ा खुला और सामने वही ठंडी, गहरी आंखें दिखीं।

    "सुनो, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। क्या अभी वक्त ठीक है?"

    वो आदमी जैसे पहले से जानता था कि मायरा आने वाली है। उसने बिना कोई हैरानी दिखाए, चुपचाप मुड़ा और कमरे के अंदर चला गया—यानी इजाज़त मिल गई थी।

    मायरा जल्दी से उसके पीछे-पीछे चल दी।

    "आज ये बात खत्म करके ही रहूँगी, चाहे जो हो!"

  • 13. - Chapter 13

    Words: 644

    Estimated Reading Time: 4 min

    ये पहली बार था जब मायरा तरूण के कमरे में दाखिल हुई थी।

    जैसे ही वो अंदर आई,उसे  एक भारी-सा दबाव महसूस हुआ।

    कमरे का रंग बहुत डल और उदास था, बैकग्राउंड में एक शानदार ऑडियो सिस्टम पर धीमी-धीमी म्यूज़िक चल रही थी। पर्दे पूरी तरह से बंद थे और पूरा कमरा बंद-सा लग रहा था।

    कमरे में शराब की कोई कमी नहीं थी—एक बड़ी-सी शराब की अलमारी में कई तरह की हार्ड ड्रिंक्स करीने से सजी थीं।

    तरूण के अलावा कमरे में और कोई भी था।

    वो था तरूण का हिप्नोटिस्ट।

    लग रहा था कि कपूर सोने की तैयारी कर रहा था।

    अरे, सोने के लिए इतना सब कुछ?

    कल रात तो वो अच्छे से सोया था, शायद पिछले तीन रातों की नींद पूरी नहीं हुई थी इसलिए...

    जैसे ही मायरा अंदर आई, हिप्नोटिस्ट कमरे से निकल गया।

    सामने ऊपर से आ रही नरम रोशनी के नीचे तरूण बार की तरफ गया, बैठा और खुद के लिए रेड वाइन का एक ग्लास भर लिया, "बोलो।"

    मायरा ने पहले ही अपनी बातों का पूरा प्लान बना लिया था, इसलिए उसने बिना समय गंवाए सीधे मुद्दे पर बात शुरू कर दी, "मैं हमारे रिश्ते के बारे में बात करना चाहती हूँ।"

    "हमारा रिश्ता?" आदमी ने भौंहें उठाईं, जैसे इस टॉपिक में दिलचस्पी हो।

    मायरा ने सिर हिलाया और गंभीर आवाज़ में कहा, "हाँ। तरूण, तुम हमारे आज के रिश्ते को कैसे देखते हो?"

    तरूण: "तुम मेरी हो।"

    मायरा: "..."

    मायरा को लगा कि वो अब और ये बातचीत आगे नहीं बढ़ा सकती।

    जैसे उसने पहले भी सवाल किया था कि "वो लड़की मैं ही क्यों?", और जवाब मिला था: "क्योंकि सिर्फ़ तुम ही हो सकती हो।"

    उसे उसके जवाबों का कभी मतलब समझ नहीं आता।

    मायरा ने खुद को संभालते हुए कहा, "तरूण, आज तक मुझे कभी समझ नहीं आया कि तुम मुझे पसंद क्यों करते हो। तुम्हारे पास वो सब कुछ है जो किसी को चाहिए होता है, तुम किसी भी लड़की को हासिल कर सकते हो। चाहे तुम किसी मोटी या अजीब लड़की को भी पसंद करो, बहुत-सी लड़कियाँ होंगी जो तुम्हारी पसंद के हिसाब से खुद को ढाल लेंगी।

    जो भी वजह थी शुरुआत में, अब उसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन क्या हम अपना रिश्ता बदलने की कोशिश नहीं कर सकते?

    तुम हमेशा इस बात पर गुस्सा होते हो कि मैं भागने की कोशिश करती हूँ, लेकिन कोई भी इंसान बर्दाश्त नहीं कर सकता जब उसे हर पल नज़रबंद, कंट्रोल और बंधन में रखा जाए। जितना तुम मुझे कंट्रोल करने की कोशिश करते हो, उतना ही मैं तुमसे दूर भागती हूँ। कहते हैं ना, ज़बरदस्ती तोड़ कर तोड़ा गया फल कभी मीठा नहीं होता। मुझे यकीन है तुम्हें ये बात समझ आती होगी!"

    वो आदमी एकदम चुपचाप बैठा रहा, जब तक वो अपनी बात पूरी नहीं कर लेती। उसका सिर एक हाथ पर टिका हुआ था और दूसरे हाथ से वो वाइन के ग्लास को घुमा रहा था। फिर वो बोला, "किसने कहा कि मुझे मीठे फल पसंद हैं?"

    मायरा: "..."

    इस इंसान से कोई भी सीधी बात करना नामुमकिन है!

    अब मायरा समझ चुकी थी कि तरूण का मतलब क्या था। जब तक वो उसकी "जायदाद" है, बाकी कुछ भी मायने नहीं रखता—यहाँ तक कि उस जायदाद की अपनी मरज़ी भी नहीं।

    बात यहाँ तक पहुँच गई थी कि अब आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं था।

    समय धीरे-धीरे बीत रहा था...

    न जाने कितनी देर खामोशी छाई रही, अचानक मायरा उठ खड़ी हुई और उसकी ओर बढ़ी।

    तरूण बिना कुछ बोले चुपचाप उसे निहारता रहा, उसके चेहरे पर कोई भी भाव नहीं था।

    आखिर में, मायरा उस आदमी के सामने जाकर रुक गई। फिर अचानक ही वो उसकी तरफ झुकी और अपने नर्म होंठ उसके कुछ ठंडे से होंठों पर रख दिए——

    "तुम... पक्के हो ना?"

    लड़की की मासूम और नर्म आवाज़ उसके होंठों से टकराई। उसने धीरे से पूछा, "क्या तुम्हें सच में... मीठे फल पसंद नहीं हैं?"

  • 14. - Chapter 14

    Words: 789

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    जैसे ही मायरा के नरम होंठ तरूण के होंठों को छुए, उसकी आँखें सिकुड़ गईं।

    उसकी नजरें और भी गहरी हो गईं, जैसे वो उसकी रूह को अंदर खींच लेना चाहता हो।

    ये पहली बार था जब मायरा ने खुद उसे चूमा था... ये इतना मीठा और हसीन एहसास था कि तरूण का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा...

    "बस इतना ही?" आदमी की आवाज़ थोड़ी भारी और खुरदरी थी, और उसमें हल्की सी खतरनाक झलक भी थी, साफ़ था कि वो संतुष्ट नहीं था।

    मायरा ने हल्की सी खांसी की, "ये तो बस ट्रेलर था, मैं इससे ज़्यादा नहीं दे सकती क्योंकि मैं अब तक मीठा खरबूजा नहीं बनी हूं!"

    "ओह..." तरूण ने हल्की सी हँसी दी।

    मायरा उसके तपती नज़रों से थोड़ा दूर हट गई और फिर बोली, "असल में... मैं बस एक आम लड़की बनना चाहती हूं, और प्यार करना सीखना चाहती हूं...

    मैं वादा करती हूं कि अब मैं भागने की कोशिश नहीं करूंगी। तुम्हें भी नहीं चाहिए कि मैं वो करूं जो मेरा मन ना हो, और हर वक्त गुस्से में और डरावने बनो, ठीक है?

    वो राहुल--पहले तो मैं उसके पीछे पागल थी, लेकिन अब मुझे समझ आ गया है।

    मुझे लगता है कि तुम्हारे जैसे ताकतवर इंसान के साथ, अगर हम एक आम रिश्ता बना लें, तो मैं वक़्त के साथ एक मीठा खरबूजा बन ही जाऊंगी!"

    मायरा लगातार बोलती जा रही थी, उसकी ज़ुबान सूखने लगी थी, "असल में... मीठे खरबूजे बहुत स्वादिष्ट होते हैं, मुझे लगता है तुम्हें एक बार ज़रूर आज़माना चाहिए। अगर तुमने कभी चखा ही नहीं तो कैसे जानोगे कि तुम्हें पसंद है या नहीं?" वो उसकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार करने लगी।

    तरूण ने उस "छोटे खरबूजे के पौधे" को देखा जो खुद को बेचने की पूरी कोशिश कर रही थी। हल्के से पूछा, "अगर वो खरबूजा सड़ गया तो?"

    मायरा के होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने पसीना पोंछते हुए कहा, "ऐसा नहीं होगा, बिल्कुल नहीं होगा! मैं मेहनत करूंगी और खुद को संवारूंगी! मैं ज़रूर एक खूबसूरत मीठा खरबूजा बनूंगी!"

    कुछ पल के लिए चुप्पी छा गई, और जब मायरा लगभग हार मान चुकी थी, तभी तरूण ने आखिरकार हामी भरी, "ठीक है।"

    मायरा थोड़ी देर के लिए हैरान रह गई, फिर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, "तुमने मान लिया? तो क्या अब मैं वापस स्कूल जा सकती हूं? क्या मैं बाकी स्टूडेंट्स की तरह हॉस्टल में रह सकती हूं? क्या मैं वो सब कर सकती हूं जो मैं करना चाहूं...?

    तो... तो मैं अभी अपना सामान पैक करती हूं! मैं कल से हॉस्टल में शिफ्ट हो जाऊंगी! लेकिन संडे में सब्ज़ी बग़ीचा देखने आती रहूंगी!"

    ये कहते ही वो जल्दी से वहां से भाग गई, इस डर से कि कहीं तरूण अपना मन न बदल ले।

    मायरा को इतनी खुशी से जाते देख तरूण का चेहरा एकदम उदास हो गया, जैसे उसे अपने फैसले का पछतावा हो रहा हो।

    लेकिन जब उसके उंगलियां होंठों पर पड़े उस कोमल चुंबन को छूने लगीं, उसकी आँखों का सारा अंधेरा मिट गया।

    "मायरा, ये आखिरी बार है जब मैं तुम पर भरोसा कर रहा हूं।
    और ये तुम्हारा आखिरी मौका भी है।

    अगर तुमने मुझे धोखा दिया..."

    कमरे में वापस:
    मायरा जल्दी से अपने सारे किताबें और सामान पैक करने लगी।

    "ये सच में काम कर गया, ऐसा लग रहा जैसे सपना हो!"

    तभी उसका फोन बजने लगा। कॉल रागिनी की थी।

    मायरा ने भौंहें चढ़ाते हुए फोन उठाया, "हैलो?"

    फोन उठाते ही रागिनी की घबराई हुई आवाज़ आई, "मायरा, मैं बार-बार कॉल कर रही थी, तुम उठा क्यों नहीं रही थी? तुम ठीक तो हो? तुम राहुल के साथ क्यों नहीं गईं? पता है मुझे कितनी मशक्कत करनी पड़ी उसे मनाने के लिए?!"

    "फोन पर समझा नहीं सकती, कल स्कूल में मिलते हैं, तब बात करेंगे!"

    "क-क्या? तरूण ने तुम्हें घर में बंद नहीं किया? वो तुम्हें स्कूल जाने दे रहा है?" रागिनी की आवाज़ का लहजा बदल गया।

    उसे पूरा यकीन था कि मायरा ने जब राहुल के साथ भागने की कोशिश की, तो तरूण उसे इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला था।

    या फिर... शायद तरूण अब मायरा को पसंद नहीं करता... इसलिए वो अब उसे 'कपूर बाग़' में नहीं रखना चाहता?

    मायरा ने ज़्यादा बताने से मना कर दिया, "हां, मैं कल से हॉस्टल में रहूंगी।"

    रागिनी ने बेचैनी से पूछा, "कहीं ऐसा तो नहीं कि तरूण ने तुम्हें और राहुल को साथ में देख लिया और गलतफहमी में तुम्हें घर से निकाल रहा है?"

    मायरा ने हल्की सी मुस्कान के साथ जवाब दिया, "तुम्हें कैसे पता चला कि तरूण ने मुझे और राहुल को साथ देखा? वो तो उन दिनों घर पर था ही नहीं, तुम्हें तो ये पता होना चाहिए?"

    "म-मैं तो बस अंदाज़ा लगा रही थी... खैर, कल स्कूल में मिलते हैं, सब डिटेल में बताना!"

  • 15. - Chapter 15

    Words: 674

    Estimated Reading Time: 5 min

    "ठीक है," मायरा ने नाक चढ़ाकर कहा और कॉल काट दी।

    इस जन्म में वो रागिनी से बराबरी का बदला लेना चाहती थी, लेकिन ऐसा करने से किसी को चोट लग सकती थी — उसका बेकार भाई अभी भी रागिनी के जाल में फंसा हुआ था। अगर वो अभी रागिनी से कोई झगड़ा करती, तो उसका अपने भाई से रिश्ता और बिगड़ जाता।

    इसलिए वो बस सही मौके का इंतज़ार कर सकती थी।




    ऊपर वाले माले के मास्टर बेडरूम में:

    मायरा के जाने के बाद, साइकोलॉजिस्ट फिर कमरे में आया और इलाज की तैयारी करने लगा।

    " बॉस, क्या हम शुरू कर सकते हैं?"

    तरुण किसी सोच में डूबा हुआ लग रहा था, उसने जो कहा वो शायद सुना ही नहीं। उसने बस यूं ही अपना हाथ उठा दिया।

    साइकोलॉजिस्ट ने म्यूज़िक चलाया, खास तरह की अगरबत्ती जलाई और साइकोलॉजिकल सेशन शुरू कर दिया...

    आधा घंटा बीता...

    एक घंटा बीता...

    दो घंटे बीते...

    सम्मोहन फेल हो गया।

    वो, आदी, जिसने न जाने कितने जटिल केस ठीक किए थे और जिसे दुनिया के नंबर वन  साइकोलॉजिस्ट ग्रुप में "गॉड्स ऑफ साइकोलॉजिस्ट" ने अपने टॉप काउंसलर और मनोवैज्ञानिक के तौर पर नियुक्त किया था — अब खुद पर ही शक करने लगा था।

    हर बार जब वो तरुण का इलाज करता, उसे लगता जैसे वो कोई नकली डॉक्टर है...

    जबसे तरुण की जिंदगी में मायरा आई थी, हर बार जब वो उससे दूर जाती या उसके खिलाफ जाती, उसकी अनिद्रा और ज़्यादा बढ़ जाती थी।

    पर क्या रजत ने नहीं कहा था कि अब वो लड़की सुधर गई है और पहले से सीधी-सादी हो गई है?

    अभी कुछ देर पहले जब उसने मायरा को देखा, तो वो चौंक गया था। ना सिर्फ उसका रूप बदला हुआ था, बल्कि उसका बर्ताव भी अलग था — पहले जैसा भारीपन अब नहीं था।

    अब जब मायरा ने कुछ गलत नहीं किया, तो फिर सम्मोहन इस बार क्यों फेल हो गया?

    इस वक्त, तरुण बिस्तर पर लेटा था, उसकी आंखों के नीचे काले घेरे बन रहे थे। माथे पर नसें उभर आई थीं और चेहरा बेहद गंभीर लग रहा था — जैसे वो कोई बहुत बड़ा दर्द सह रहा हो।

    ऐसा लग रहा था जैसे उसके अंदर कोई डरावना राक्षस बैठा हो। नियंत्रण खोना, गुस्सा और खतरनाक बर्ताव अब उसके आत्मा को कुतर रहा था।

    तरुण की हालत और बिगड़ गई थी, और आदी का चेहरा और भी गंभीर हो गया। उसने चिंता में पूछा, " बॉस, क्या आज कुछ परेशानी हुई थी? उस समय मायरा ने आपसे क्या कहा था?"

    तरुण की बंद आंखें अचानक खुल गईं, उसकी पुतलियों में बर्फीली ठंडक थी।

    उसकी तेज नजर से आदी एकदम चुप हो गया।

    अगर तरुण अपने जज़्बात किसी से बांटता, तो शायद उसकी हालत इतनी ना बिगड़ती।

    उसका मानसिक शक्ति बहुत मजबूत थी — वो किसी को भी अपने भीतर झाँकने नहीं देता था।

    कोई भी साइकोलॉजिस्ट, चाहे कितना भी काबिल क्यों ना हो, अगर मरीज़ सहयोग न करे तो कुछ नहीं कर सकता।

    मायरा को लेकर सोचते हुए, आदी की भावनाएं उलझ गई थीं।

    तरुण की तबीयत में कोई शारीरिक दिक्कत नहीं थी — सब मानसिक था, और इसमें शायद मायरा का कोई रिश्ता था।

    वरना ऐसा समझना मुश्किल था कि तरुण जैसा आदमी, जो औरतों से दूरी बनाकर रखता था, इतनी आम सी लड़की के लिए इतना पागल क्यों है। और फिर, जैसा उसने देखा था, मायरा तरुण के मूड को बहुत आसानी से कंट्रोल कर लेती थी।

    लेकिन अब उसे ना तो तरुण से कोई जवाब मिल सकता था और ना ही मायरा से।

    मायरा का परिवार एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में था। उसका दूसरा चाचा फिलहाल परिवार का मुखिया था और एंटरटेनमेंट ग्रुप के ज़्यादातर बिज़नेस उसी के पास थे। लेकिन अगर पुराने और शक्तिशाली तरुण के खानदान से तुलना करें, तो मायरा का परिवार बस एक आम परिवार था।

    चाहे मायरा हो या उसका परिवार, उनका तरुण जैसे खानदानी वारिस से कोई मेल नहीं बैठता था — ऐसा परिवार जो देश के सबसे पुराने और ताकतवर घरानों में से एक था। इसलिए तरुण का मायरा के प्रति ये खास रवैया वाकई में हैरान कर देने वाला था।

  • 16. - Chapter 16

    Words: 609

    Estimated Reading Time: 4 min

    दूसरे दिन की सुबह:

    मायरा पूरी रात सोती रही और धीरे-धीरे उठी।

    फिर उसने सोचा कि आज का मेकअप कैसा होना चाहिए।

    हालांकि उसका पिछला भयानक मेकअप उसे काफी परेशानियों में डाल चुका था, लेकिन वही उसका ढाल भी था—उसने उसे कई मुश्किलों से बचाया था। बिना उस मेकअप के वो स्कूल जाने से डरती थी। आखिर स्कूल में लड़के-लड़कियों की पहली मोहब्बत जागने की उम्र होती है। अगर उसने अपनी असली शक्ल दिखा दी और किसी लड़के ने उसे प्रपोज़ कर दिया, तो उसके लिए बहुत झंझट हो जाती।

    फिलहाल तो सबसे ज़रूरी ये था कि वो तरुण को खुश रखे। क्योंकि तरुण को उसका वही लुक पसंद था, तो उसे खुश रखने के लिए वो थोड़ा त्याग करने को तैयार थी।

    उसे दोबारा जीने का जो ये अनमोल मौका मिला था, उसमें भले ही वो खुद बनने को तरस रही थी, लेकिन जब तक वो खुद को मजबूत नहीं बना लेती, तब तक ऐसे समझौते ज़रूरी थे।

    इसके बाद मायरा ने हमेशा वाला वही भड़कीला मेकअप किया और चमकदार हरे रंग की विग पहन ली।

    जब वो नीचे आई, तो तरुण तो नज़र नहीं आया, लेकिन राघव फिर से वहाँ था।

    वो किसी से जोश में बात कर रहा था, लेकिन जैसे ही उसने मायरा को देखा, उसका कॉफी का घूंट मुँह से बाहर निकल गया——

    “उवाआघ! मेरी आंखें!!!”

    मायरा ने उसकी तरफ आंखें मटकाईं, जैसे कह रही हो– अब इसमें हैरानी क्या है?

    उसने इधर-उधर देखा, तो पाया कि राघव के अलावा तरुण का एक और खास दोस्त, महेश भी वहाँ था।

    महेश की चमकती हुई आंखें मायरा के बालों पर जाकर टिक गईं। वो चौंक गया, "राघव भाई, इसी वजह से तुमने मुझे सुबह 5 बजे उठाकर कपूर गार्डन खींच लाया? सरप्राइज दिखाने के लिए? हां, वाकई बड़ा सरप्राइज है। छोटी मायरा का स्टाइल तो अब और भी क्रिएटिव हो गया है!"

    "नहीं! नहीं, कल तो ये... कल इसने मेकअप नहीं किया था और बहुत सुंदर लग रही थी। मैं कुछ बोल ही नहीं पाया..." राघव ने सफाई दी।

    महेश हँसते-हँसते लोटपोट हो गया, "हां हां हां, दिख रहा है कितनी सुंदर है। टेंशन मत ले, तू भी कोई ऐसी ही स्टाइल वाली लड़की ढूंढ ले, जैसे भाई ने ढूंढी है।"

    राघव के पास अब कहने को कुछ नहीं बचा और वो बस मायरा को घूरने लगा।

    मायरा ने भौंहें चढ़ाईं, "क्या देख रहे हो? मेकअप करना लड़कियों का दूसरों के लिए सम्मान जताने का सबसे बेसिक तरीका होता है, पता नहीं?"

    राघव का मुंह टेढ़ा हो गया, "बहुत सम्मान देती हो तुम..."

    इसी वक्त ऊपर से किसी के कदमों की आवाज़ आई– तरुण उठ चुका था।

    उसने नीचे देखा और जैसे ही उसकी नज़र मायरा पर पड़ी, उसके चेहरे पर कोई खास रिएक्शन नहीं आया।

    अगर किसी का दिमाग सबसे मजबूत था, तो वो तरुण ही था– वो ऐसे मौके पर भी पलक तक नहीं झपकाता।

    मायरा को याद था कि तरुण को खुश और भरोसे में रखना बहुत ज़रूरी है ताकि वो उस पर यकीन कर सके। इसलिए वो खुश होकर उसके पास गई और बोली, "तरूण , बताओ ना, आज कैसी लग रही हूं मैं?"

    चूंकि तरुण को अलग ही स्वाद पसंद था, तो उसका ये लुक उसे पसंद आना चाहिए था।

    तरुण ने उसके सामने चमकती आंखों और मुस्कुराते चेहरे को देखा। कल रात उसकी वजह से जो गुस्सा और बेचैनी थी, वो थोड़ा कम हो गई, "हां, ठीक लग रही हो।"

    मायरा खुशी से झूम उठी, मतलब उसकी चाल काम कर गई!

    राघव ये सब देख नहीं पा रहा था। 9वें भाई, क्या तुम्हारा जमीर मर गया है?

    मायरा और तरुण की केमिस्ट्री देखकर महेश थोड़ा चौंक गया। उसने भौंहें उठाईं और ठुड्डी पर उंगली टिकाकर सोच में डूब गया।

  • 17. - Chapter 17

    Words: 768

    Estimated Reading Time: 5 min

    -

    थोड़ी ही देर में नौकरों ने नाश्ता परोसा। चारों लोग टेबल पर बैठे और खाने लगे।
    मायरा ने अपने बगल में बैठे तरूण की ओर देखा, फिर सामने बैठे राघव और समर को देखा।
    उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी फैंटेसी दुनिया में आ गई हो, इतने बड़े लोगों के साथ एक ही टेबल पर बैठकर खाना खा रही है।

    आख़िरकार, ये तीनों ही future में बेहद ही  rich and powerful  लोग बनने वाले थे।
    तरूण के बारे में तो कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं—वो तो पूरा कपूर खानदान संभालने वाला था।
    राघव भले ही अभी थोड़े सीधे-सादे लगता है, लेकिन असल में उनका जन्म एक आर्मी और   पॉलिटिक्स में हुआ था। उनके दादा, जनरल राघवेंद्र सिंह, देश के  चिप मिनिस्टर में से एक थे। सात साल बाद का राघव राजनीति की दुनिया में बेहद ही चालाक और निर्दयी हो चुका था।

    लेकिन चूंकि मायरा का परिवार एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़ा था, इसलिए उसकी सबसे ज़्यादा नज़र समर पर थी—जो कि एक उभरता हुआ स्टार था।
    शायद समर ने मायरा की चोरी-छिपे नज़रें पड़ते हुए देख लिया था। उसने सिर थोड़ा झुकाया, अपनी नशीली आँखों से झपकते हुए कहा, “छोटी मायरा, क्या तुम मेरा ऑटोग्राफ चाहती हो?”

    हाय! एक ही नज़र में पकड़ लिया मुझे!

    ये लड़का तो जैसे कोई चालाक लोमड़ी हो—इसने राजनगर  की आधी लड़कियों का दिल चुरा रखा है, और अब मेरा भी...
    ऑटोग्राफ?! अरे हाँ, मुझे चाहिए!

    समर तो फ्युचर में ऑस्कर जीतने वाला पहला राजनगर   का मेल एक्टर बनने वाला है! उसका ऑटोग्राफ तो बहुत कीमती हो जाएगा।
    अभी भी समर कई बड़े अवॉर्ड्स जीत चुका था और इंडस्ट्री का सबसे हॉट स्टार था—जिस पर हर टीनएज लड़की फिदा थी।
    यहाँ तक कि उसकी तस्वीर लगी टेलीफोन बूथ भी फैनगर्ल्स के लिए सेल्फी पॉइंट बन जाते थे।

    लेकिन तरूण की पजेसिवनेस को देखते हुए मायरा ने खुद से कहा,
    "मैं किसी और मर्द का ऑटोग्राफ रखने की हिम्मत कैसे कर सकती हूं? क्या मुझे मरने का शौक है?"

    जब समर ने देखा कि मायरा चाहकर भी ऑटोग्राफ लेने से खुद को रोक रही है, और बार-बार तरूण की ओर देख रही है, तो वह हँस पड़ा,
    "छोटी मायरा बहुत प्यारी है!"
    मायरा: "..."

    अरे बस करो समर!
    अगर तुमने मेरी और चिढ़ाई ना बंद की, तो मैं तुम्हारा साथ छोड़ दूंगी!
    क्या तुम्हें सामने बैठे उस आदमी के माथे पर उठते गुस्से के बादल नहीं दिख रहे?

    राघव ने समर को घूरा और नाक चढ़ाते हुए बोला, “समर भाई, तुम्हारे स्टैंडर्ड्स कहाँ गए? मायरा जैसी सीधी लड़की से भी फ्लर्ट कर रहे हो?”

    समर ने फूलदान में रखे गुलाब की पंखुड़ियों को छूते हुए नरमी से कहा,
    "दुनिया की हर लड़की एक फूल होती है; हर एक को प्यार और सम्मान मिलना चाहिए।"

    उसकी ये बात मायरा के दिल को छू गई।
    मायरा ने तुरंत राघव को घूरते हुए कहा,
    "सुना? कुछ सीखो, तुम सिंगल डॉग!"

    राघव तिलमिलाया, "अबे! किसे बोल रही है सिंगल डॉग? खुद सिंगल डॉग!"

    मायरा ने सिर टेढ़ा करके तरूण की ओर देखा,
    "जानू, राघव मुझे सिंगल डॉग बोल रहा है! क्या इसका मतलब ये है कि वो हमारे ब्रेकअप की दुआ कर रहा है?"

    तरूण के दिमाग में ये "जानू" सुनकर जैसे शहद घुल गया, लेकिन वाक्य का अंत सुनते ही उसने राघव को एक ठंडी नज़र से देखा।

    राघव तुरंत घबरा गया, सिमटते हुए बोला,
    "भाई... माफ कर दो... मुझे गलती हो गई सू सू सू..."

    मायरा, तू तो फ्रॉड निकली!

    समर ने तरूण की ओर सिर झुकाते हुए देखा, जो सामने बैठी एक भारी मेकअप और हरे विग वाली लड़की को एकटक देख रहा था।
    "भाई, कुछ ही दिनों में तेरी ये छोटी-सी गर्लफ्रेंड तो पूरी बदल ही गई लगती है?"

    तरूण उसे देखता रहा।
    बदल गई?
    नहीं... बस इतनी सी बात है कि अब वो थोड़ी ज़्यादा चालाक हो गई है, और भागने की स्ट्रैटेजी बदल ली है।

    जब उसने तरूण की आँखों को गहराते हुए देखा, तो समर ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा,
    "तू सब जानता है, फिर भी उसे हर बार माफ कर देता है... तू पहले ऐसा नहीं था!"

    "मैं फुल हो गई! अब स्कूल जा रही हूँ!"
    मायरा ने नाश्ता खत्म किया, अपना बैग उठाया और तरूण को बाय बोलने लगी।
    लेकिन जाते-जाते अचानक वो पलटी, तरूण की ओर भागी, उसकी गर्दन में बाहें डालीं और होंठों पर एक प्यारी सी किस दे दी:
    "मुझे मिस करना मत भूलना!"

    इतना कहकर वो तीनों लड़कों को सन्न छोड़कर, मस्ती में उछलते हुए चली गई।

    कुछ देर बाद तरूण कुर्सी पर आराम से बैठ गया और दोस्तों की ओर देखकर ठंडे स्वर में बोला,
    "क्योंकि मुझे अब पता चल गया है... कि मुझे मीठे तरबूज ज़्यादा पसंद हैं..."

  • 18. - Chapter 18

    Words: 603

    Estimated Reading Time: 4 min

    राजनगर हाई स्कूल:

    राजनगर का एक मशहूर स्कूल, जिसकी पढ़ाई का स्तर टॉप क्लास है और जहां का एंट्रेंस रेट सबसे ज़्यादा है।

    मायरा ने विदेश से पढ़ाई की थी और 16 की उम्र में वापस लौटी थी। उसने न तो एंट्रेंस एग्ज़ाम दिया था और ना ही उसे राजनगर हाई स्कूल  में दाख़िला मिलना चाहिए था।
    लेकिन उसके पापा उस वक़्त "मुकेश बजाज" राजनगर के एक्टिंग चेयरमैन थे, और उसी के चलते मायरा को सीधे "बैक डोर" से एडमिशन मिल गया।

    वो हाई स्कूल में 16 से लेकर 20 साल की उम्र तक यानी पूरे चार साल से थी... लेकिन अभी तक ग्रेजुएट नहीं कर पाई थी।

    शुरुआत में उसकी पढ़ाई का हाल इसलिए बुरा था क्योंकि वो प्यार में पड़ गई थी।

    उसका टीनेज दिल राहुल के लिए धड़कता था—लंबा, स्मार्ट और एकदम चार्मिंग लड़का।
    वो दिनभर सिर्फ उसे ख़ुश करने के तरीके सोचती रहती, सैकड़ों लव लेटर लिख डाले थे और तो और हज़ार ओरिगामी क्रेन भी बना डाले थे!

    लेकिन इन सबका असर उसकी ग्रेड्स पर साफ दिखा—डुबो दिया सबकुछ उस लड़के ने।

    सुबह की सूरज की सुनहरी रोशनी उसकी ग्रीन विग पर चमक रही थी।
    मायरा राज नगर के  हाई स्कूल के गेट पर खड़ी थी, जहां बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था: "Raj Nagar  High School"।

    उसने मन ही मन एक वादा किया—

    "अब की बार... कोई नहीं रोकेगा मुझे पढ़ाई करने से!"



    वो स्कूल में दाख़िल हुई—वो स्कूल जो जाना-पहचाना होते हुए भी अब नया-सा लग रहा था।
    दोनों तरफ़ पुरानी, ऊँची पेड़ों की कतारें थीं, घास की ताज़ी खुशबू हवा में घुली हुई थी।
    आगे एक पूरी लाइन में लाल टाइलों वाले विंटेज बिल्डिंग्स, और स्पीकर्स में मीठा म्यूज़िक चल रहा था।
    छात्र-छात्राएँ बैग्स लटकाए हँसते-खिलखिलाते क्लास की ओर बढ़ रहे थे...

    पुनर्जन्म के बाद इन इतने दिनों में मायरा पहली बार सच में ज़िंदा महसूस कर रही थी।

    नीले आसमान की ओर देखते हुए उसकी आँखों में आँसू तक आ गए।

    अब उसे आसपास के लोगों की फुसफुसाहटों या हैरान निगाहों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

    क्योंकि पिछली ज़िंदगी में जो झेला, उसके सामने तो ये स्कूल की गॉसिप्स एकदम हल्की थीं।

    "ओह्ह! वो कौन है यार! ऐसा झटका लगा कि पेड़ से टकराने ही वाला था!" — एक लड़का घबराया हुआ पेड़ से हटते हुए बोला।

    साथ खड़ी लड़की ने चहकते हुए कहा, "अरे तू नहीं जानता? वो F क्लास की मायरा है!"

    "कसम से! यही है मायरा? हद है यार... सौ बार सुनने से अच्छा है एक बार देख लेना!"

    एक और लड़की ने नाक सिकोड़ते हुए कहा, "भाड़ में जाए उसका मेकअप और अजीब ड्रेसिंग, उसके मार्क्स तो पूरी तरह बर्बाद हैं।
    चार साल से फेल हो रही है, अभी तक पास नहीं हुई। और ऊपर से उसकी पर्सनल लाइफ़ भी बेहूदा है—हर समय क्लास बंक कर के घूमती रहती है।
    समझ नहीं आता इस तरह की लड़की को स्कूल से निकाला क्यों नहीं गया? पूरी राजनगर की बदनामी है ये!"

    बीच में एक स्टूडेंट बोल पड़ा, "शायद इसलिए नहीं निकाला गया क्योंकि उसका बैकग्राउंड बहुत अमीर है। सुना है उसने बैक डोर से एंट्री ली थी।"

    लड़की हँसी, "ओ प्लीज़!  रागिनी ने बताया कि मायरा के डैड ने कंपनी का पैसा हड़प लिया था और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
    अब वो कर्ज़ में डूबे हैं, और मायरा के दिन अब गिने-चुने बचे हैं। सुना है स्कूल भी उसे ड्रॉप आउट करने को कहने वाला है।
    आज टॉप मैनेजमेंट स्कूल विज़िट पर आ रहा है, और अगर उसे इस लड़की के बारे में पता चल गया...
    तो स्कूल की इमेज का तो कबाड़ा हो जाएगा!"

    बाकी सबने मज़े लेते हुए कहा, "चलो! अब इस लड़की से पीछा छूटेगा!"

  • 19. - Chapter 19

    Words: 638

    Estimated Reading Time: 4 min

    मायरा दिलचस्पी के साथ अपने आस-पास की गॉसिप सुन रही थी और चलते-चलते एफ क्लास के दरवाज़े की ओर बढ़ते हुए उसने कुछ ऐसी बातें भी सुन लीं जिन्हें वो भूल जाना चाहती थी।

    जैसे ही वो दरवाज़े तक पहुँची, क्लासरूम में एक अजीब सी चुप्पी छा गई और उसके तुरंत बाद डेस्क पर ज़ोर-ज़ोर से थपथपाने और सीटी बजाने की आवाज़ें गूंज उठीं।

    हर कोई माहौल बिगाड़ने पर तुला था।

    सीधे शब्दों में कहें तो वो इन स्टूडेंट्स की बोरियत का मसखरा बन चुकी थी।

    और मायरा ने उन्हें कभी निराश नहीं किया।

    "हाहाहा वाह! मायरा, तुम्हारे बाल कमाल हैं!"

    "हाँ हाँ हाँ, उस दिन के धमाकेदार हेयरस्टाइल से भी बेहतर!"

    लड़के उस पर हँसी उड़ा रहे थे जबकि लड़कियाँ उसे घृणा और नफरत भरी नज़रों से देख रही थीं।

    "इतना शोर क्यों हो रहा है?! सब चुप हो जाओ! घंटी नहीं सुनी क्या?" दरवाज़े से उनके टीचर की गुस्से से भरी आवाज़ आई।

    "मायरा, फिर से तुम! तुम... तुमने आइना देखा है कभी? जल्दी से अपनी सीट पर जाओ!" क्लास टीचर ने मायरा की हरे रंग की विग को देखा और इतनी गुस्से में आ गईं कि जैसे फेफड़े फटने वाले हों—वो कुछ और कहने ही वाली थीं लेकिन अचानक से चुपचाप अपनी डेस्क पर लौट गईं, जो कि अपने आप में एक चौंकाने वाली बात थी।

    "ये लड़की तो वैसे भी जल्दी स्कूल छोड़ने वाली है—इस पर ज्यादा समय बर्बाद करने का मतलब नहीं।"

    मायरा ने क्लासरूम को स्कैन किया। उसे अपनी जगह याद करने की ज़रूरत नहीं थी—उसे ठीक-ठीक पता था कि उसकी सीट कहाँ है।

    हर क्लास में सीट्स रैंकिंग के अनुसार लगती थीं, और उसकी रैंकिंग हमेशा सबसे नीचे रही थी, मतलब वो क्लास की आख़िरी कतार में बैठती थी।

    वहीं, खिड़की के पास आख़िरी बेंच पर एक लड़का लेटा हुआ था।

    उस लड़के के बाल बेतरतीब और बिखरे हुए थे, कानों में ईयरफोन लगे थे और वो डेस्क पर सिर रखकर झपकी ले रहा था। सूरज की हल्की रोशनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे वो किसी फैशन मैगज़ीन के मॉडल जैसा लग रहा था।

    रूद्र, क्लास का सबसे हैंडसम लड़का, यानी राजनगर हाई स्कूल का चार्मिंग डेविल।

    सिगरेट पीना, झगड़े करना, क्लास बंक मारना—इन सब में वो माहिर था। पढ़ाई में उसका ग्रेड भले ही खराब था, लेकिन अपने लुक्स और अमीर खानदान की वजह से उसने स्कूल के हैंडसम हंक का टाइटल पक्का कर रखा था।

    जैसे ही किसी के कदमों की आहट उसकी ओर आई, उसने चिढ़ते हुए आंखें खोलीं और गुस्से से बोला, "दफा हो जा!"

    क्लास के बाकी स्टूडेंट्स, खासकर लड़कियाँ, उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा उठीं।

    लड़कियाँ तो बस राजकुमार जैसे उस सोए हुए चेहरे को निहार रही थीं, लेकिन ये बदसूरत लड़की आकर सारा मूड खराब कर गई।

    "आख़िर ये भद्दी लड़की किस हक़ से रूद्र के साथ एक टेबल शेयर कर सकती है?!"

    "लेकिन रूद्र तो गुस्से में भी इतना, इतना, इतना हॉट लगता है!"

    अपने पुनर्जन्म से पहले, भले ही मायरा ऊपर से हैवी मेकअप करती थी, लेकिन अंदर से वो एक बहुत ही सिंपल, खुद को कम समझने वाली और गुमसुम लड़की थी।

    पहले जब रूद्र उस पर चिल्लाता था, तो मायरा चुपचाप कूड़ेदान के पास वाली टूटी हुई कुर्सी पर बैठ जाया करती थी।

    लेकिन इस बार, उस लड़के के गुस्से का सामना करने के बाद भी, मायरा डगमगाई नहीं। उसने हल्की सी मुस्कान दी, उसे देखा और ऐसे बैठ गई जैसे उसने कुछ सुना ही न हो।

    लड़के का चेहरा गुस्से में तमतमा गया, "मरना चाहती है क्या? निकल यहाँ से!"

    मायरा ने बिना किसी हड़बड़ी के अपना बैग टेबल के नीचे रखा, किताबें और पेंसिल केस निकाला और सीधे उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
    "मेरी रैंकिंग सबसे आख़िरी है और ये मेरी सीट है। तुम कौन होते हो मुझे हटाने वाले?"

    रूद्र: "..."

    पूरी क्लास: "..."

    यहाँ तक कि टीचर का चेहरा भी काला पड़ गया।

  • 20. - Chapter 20

    Words: 771

    Estimated Reading Time: 5 min

    जल्द ही क्लासरूम में हैरानी भरी फुसफुसाहटें गूंजने लगीं।

    "क्या! मायरा पागल हो गई है क्या? उसने रूद्र को कैसे नाराज़ कर दिया?"

    "ये तो बिल्कुल साफ़ है कि वो इस मौके का फायदा उठाकर रूद्र के करीब जाना चाहती है! वैसे भी ये एक सुनहरा मौका है!"

    "छी! उसने एक बार खुद को आईने में देखा है? उस जैसी गिरी हुई लड़की रूद्र पर लाइन मारेगी?"

    यंग क्लास टीचर का चेहरा गुस्से से काला हो गया, "मायरा! तुम्हें वैसे भी जल्द स्कूल से निकाल दिया जाएगा, फिर भी तुम यहाँ तमाशा कर रही हो?! क्या तुम्हें लगता है क्लास में सबसे पीछे आना कोई गर्व की बात है? मैं ऐसी बेहया स्टूडेंट को कैसे पढ़ा सकती हूं?!"

    टीचर के शब्द सुनकर क्लास की सारी लड़कियाँ खुशी से झूम उठीं।

    "हाहा, मैं तो भूल ही गई थी कि मायरा को स्कूल से निकाला जा रहा है!"

    "तो ये खबर सच थी!"

    "कमाल है! अब देखती हूँ कैसे अकड़ती है ये!"

    उसकी क्लास टीचर ने सोचा था कि जब तक फॉर्मल नोटिस नहीं आता, तब तक उसे बर्दाश्त किया जाएगा, लेकिन अब उसकी हद हो गई थी और उसने पूरी क्लास के सामने मायरा को ज़लील कर दिया, "जाकर खुद को आईने में देखो, कैसी भूत जैसी लगती हो! ना इंसान लगती हो, ना भूत! पढ़ाई में भी जीरो हो, हमेशा क्लास में सबसे पीछे--हमारी F क्लास की इज़्ज़त तुम्हारी जैसी गंदगी ने मिट्टी में मिला दी है! तुम जैसे बेकार लोग पूरी क्लास को नीचे गिरा रहे हो और ऊपर से तुम्हें कोई अफसोस भी नहीं! चलो, निकलो यहाँ से अभी!"

    जब लड़कियों ने देखा कि मायरा को क्लास से निकाल दिया जाएगा, तो वो खुशी से उछल पड़ीं।

    वो बदसूरत चुड़ैल रूद्र पर हक जताना चाहती थी?

    अब मिल गया उसे सबक!

    "चल भाग यहाँ से!"

    "जल्दी निकल!"

    लेकिन उन सबकी हूटिंग के सामने मायरा एकदम शांत रही और मंच की ओर ठंडी नजरों से देखते हुए बोली, "स्कूल से निकालना? मुझे तो समझ नहीं आया मिस रिचा  को किसने इतनी पावर दे दी?"

    जब रिचा  ने देखा कि मायरा ने उसकी अथॉरिटी को चैलेंज किया, तो उसका चेहरा तमतमा उठा और वो गरज पड़ी, "स्कूल के सारे लीडर्स की सहमति से तुम्हें निकाला गया है!"

    मायरा के चेहरे पर शक साफ झलक रहा था।

    ओह, स्कूल लीडर्स की एकमत सहमति? मैंने कुछ स्कूल रूल्स तोड़े हैं, लेकिन वो सब छोटे-मोटे थे—जैसे मेकअप करना, यूनिफॉर्म ना पहनना, या क्लास बंक करना। स्कूल के नियमों के हिसाब से सिर्फ़ तीन मेजर अपराधों पर निकाला जाता है।

    असल में तो, उसे सिर्फ इसलिए निकाला जा रहा था क्योंकि रिचा ने उसे जानबूझकर स्कूल लीडर्स के सामने बदनाम किया था।

    आम तौर पर, कोई टीचर किसी स्टूडेंट के पीछे हाथ धोकर नहीं पड़ता। लेकिन मायरा "बहुत लकी" थी कि उसने गलती से रिचा को एक शादीशुदा स्कूल लीडर के साथ रंगे हाथों देख लिया था।

    और अब, रिचा किसी भी हाल में उस कांटे को निकाल फेंकना चाहती थी।

    पिछले जन्म में भी यही हुआ था। वो मायरा को रोज़ टॉर्चर करती थी, पूरी क्लास के सामने उसका मज़ाक उड़ाती थी, और सब बच्चों का यही मनोरंजन बन गया था।

    "क्या देख रही हो, चलो निकलो यहाँ से!"  रिचा चिल्लाई और बाहर की ओर इशारा किया, जैसे वो तो कबसे इस पल का इंतजार कर रही थी।

    मायरा ने ठंडी हँसी हँसी, "ओह, तो अब स्कूल से निकालने का कोई नोटिस नहीं है, सिर्फ मिस रिचा बातों से ही मैं स्कूल से बाहर हो गई? क्या आप स्कूल की हेड हैं?"

    रिचा का चेहरा बुरी तरह बदल गया, उसने डेस्क पर मुट्ठी मारी और चिल्लाई, "मायरा! ये कैसी बदतमीज़ी है! क्या इसी तरह से तुम अपने टीचर से बात करती हो? तुम्हारे माँ-बाप ने तुम्हें यही सिखाया है?!"

    फिर उसने नफरत और तिरस्कार भरे लहज़े में उसकी ओर देखा, "मगर ये तो होना ही था--जैसे माँ-बाप, वैसी ही बेटी! तुम्हारा बाप घोटालेबाज़ है और कर्ज़ में डूबा हुआ है, तो ऐसे घर से भला भलाई की क्या उम्मीद हो सकती है?"

    रिचा ने पूरी क्लास के सामने मायरा के परिवार की निजी बातें उगल दीं, वो भी गंदी नज़रों और हँसी के साथ।

    तुरंत ही चारों ओर कानाफूसी शुरू हो गई और सारे स्टूडेंट्स नफरत  से उसकी ओर देखने लगे।

    मायरा चुपचाप वहीं खड़ी रही, बिल्कुल शांत चेहरा लिए।

    बस एक इंसान—रूद्र—जो सबसे करीब बैठा था, वो देख सका कि उसके चेहरे पर भावहीनता की जगह अब बर्फ जैसी ठंडी आंखों के पीछे कोई दरार सी आई थी—जैसे वो अंदर ही अंदर पूरी तरह टूट चुकी हो, और उसकी आंखों से अब एक डरावनी ठंडक झलक रही थी।

    लड़के की भौंहें सिकुड़ीं और उसकी आंखों में संदेह चमका—क्या ये सिर्फ उसका वहम था?