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तू जो मिला...

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टूटी हुई उम्मीदें, खोए हुए सपने... क्या होता है जब वे सपने फिर से दिखाई देते हैं, जैसे कि हाथ में हों? क्या होगा अगर वह व्यक्ति जिसे आप एक समय चाहते थे, अचानक वापस आ जाए? लेकिन क्या यह इतना आसान है? नहीं। अक्सर, जो चीज़ स्पष्ट लगती है, वह धोखे से...

Total Chapters (17)

Page 1 of 1

  • 1. तू जो मिला... - Chapter 1

    Words: 565

    Estimated Reading Time: 4 min

    बारिश की रफ्तार, ठीक उसी तरह बेचैनी की लहरें अंश के मन में उमड़ रही थीं। उसने चाबी उठाई और अपनी कार में बैठ गया। सुनसान सड़कें पानी से लबालब थीं, और उसकी कार उन्हीं में फिसलती हुई आगे बढ़ रही थी, जैसे कोई भूला-बिसरा सा सपना।

    "अंश खुराना"— ये कोई आम नाम नहीं था। भारत के शीर्ष 20 सफल बिजनेसमैन में से एक, एक प्रसिद्ध बिजनेसमैन।
    वो एक मशहूर आर्किटेक्ट भी था।

    27 साल का अंश, दिखने में बेहद आकर्षक, लंबा, चौड़ा कंधों वाला, माथे पर बिखरे बालों के साथ, एक सफेद शर्ट और काले पैंट में बेहद आकर्षक लग रहा था। लेकिन इस सब के बावजूद, वह अकेला था। कोई नहीं था जिससे वह अपने दिल का हाल कह सके, अपने अंदर के उथल-पुथल को बांट सके।

    हाथों में सिगरेट लिए, वह तेज रफ्तार से गाड़ी चला रहा था, जैसे कोई याद हो जिसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन नहीं बढ़ पा रहा है। कार के शीशे पर धुंधली सी परछाईं दिख रही थी, जैसे किसी चेहरे का निशान। उसके दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं, सांसें उखड़ रही थीं, और हर बूंद बारिश उसके अंदर की बेचैनी को और बढ़ा रही थी। यह सिर्फ़ बारिश नहीं थी, यह उसकी ज़िंदगी की एक परछाई थी, जिससे वह भाग रहा था, लेकिन जिससे छुटकारा नहीं पा पा रहा था।


    बारिश की धार में, जैसे कोई भूला-बिसरा सा सपना, एक लड़की अचानक सड़क पर दिखाई दी। अंश ने गाड़ी के ब्रेक मजबूती से दबाए, लेकिन देर हो चुकी थी। वह लड़की गिर पड़ी। अंश ने गाड़ी रोकी और दौड़कर उसके पास गया। बारिश की बूँदें उसकी आँखों में घुस रही थीं, उसका चेहरा धुंधला दिख रहा था, लेकिन लड़की की हालत साफ दिख रही थी - फटे हुए कपड़े, गंदे बाल, और एक छोटा-सा शरीर, जो ज़मीन पर बेबस पड़ा हुआ था, जैसे कोई टूटा हुआ खिलौना। उसका चेहरा, अंधेरे और बारिश की परत के पीछे छिपा हुआ था, पर उसकी साँसों की फुसफुसाहट, उसके शरीर का हल्का सा काँपना, उसकी बेबसी - ये सब अंश के दिल में एक ऐसी पीड़ा उठा रही थी, जिससे वह पहले कभी वाकिफ नहीं था। वह उसे उठाकर अपनी कार में सावधानी से लिटा दिया, और फिर, उसने अपनी कार अस्पताल की ओर दौड़ा दी। उसकी तेज़ रफ्तार कार, बारिश की रफ्तार से भी तेज हो गई थी, और उसके मन में अब सिर्फ़ एक ही भावना थी – चिंता, एक नई जिम्मेदारी का बोझ, और एक अजीब सा, गहरा डर, वह डर जो उसके अकेलेपन के डर से बिल्कुल अलग था।



    अस्पताल पहुँचते ही उसने लड़की को इमरजेंसी में भर्ती कराया। कुछ देर बाद, एक डॉक्टर बाहर आईं। अंश बेचैनी से टहल रहा था।

    "डॉक्टर, वो कैसी है...?" उसने सवाल किया, आवाज़ थोड़ी कांप रही थी।

    डॉक्टर ने गंभीरता से जवाब दिया, "सर, उसके सिर पर गहरी चोट है, जैसे किसी भारी चीज़ से वार किया गया हो। फिलहाल उसकी हालत स्थिर है। शरीर पर कुछ खरोंचें हैं, लेकिन बाकी कोई गंभीर चोट नहीं है।"

    "क्या मैं उससे मिल सकता हूँ...?" अंश ने बेसब्री से पूछा।

    डॉक्टर ने कहा, "अभी नहीं सर। वह बेहोश है और ऑब्ज़र्वेशन में है। सुबह तक इंतज़ार करना होगा।"

    अंश ने मायूसी से सिर हिलाया। उसके मन में सवालों का एक बादल छा गया था। यह लड़की कौन थी? उसके साथ क्या हुआ था? और उसका यह अकेलापन, क्या अब इस नई जिम्मेदारी में बदलने वाला था?





    जारी है।।।

  • 2. तू जो मिला... - Chapter 2

    Words: 553

    Estimated Reading Time: 4 min

    बारिश थम चुकी थी, और एक धुंधला सा सवेरा हो चुका था। आसमान में भारी-भरकम बादल छाए हुए थे, और हवा में एक ठंडी, सुकून देने वाली ताज़गी थी।

    "एक्सक्यूज़ मी सर !! आप अब उनसे मिल सकते हैं, उन्हें होश आ गया है।" नर्स ने बाहर आकर कहा।

    अंश, जो कमरे के बाहर आँखें बंद किए, टेक लगाए बैठा था, नर्स की आवाज़ सुनकर उठ गया।

    "लेकिन उन्हें कुछ याद नहीं है, सर पर लगी चोट के कारण मेमोरी लॉस हो गया है।" डॉक्टर ने बाहर आकर कहा। उनकी आवाज़ में चिंता झलक रही थी।

    अंश ने खामोशी से सिर हिलाया और कमरे में चला गया।

    वह खामोशी से आँखें बंद किए लेटी हुई थी, सिर पर पट्टी बंधी हुई थी। अंश की निगाहें उसके चेहरे पर पड़ीं तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

    एक अनजान सा डर, मानो सच हो गया हो, उसे घेर गया। रात में चेहरे और सिर पर लगे खून के कारण वह सही से पहचान नहीं पाया था, लेकिन अब सिर्फ हल्की-हल्की खरोचें ही दिख रही थीं। उसके चेहरे की कोमलता ने उसे और भी स्तब्ध कर दिया।

    "आप... आप ही मुझे यहां ले आए हैं...?" उसने धीमी, कांपती हुई आवाज़ में पूछा।

    अंश का गला मानो सूख गया हो। उसने बस सिर हिलाया, होंठों पर एक भारीपन सा छाया हुआ था।

    "मुझे कुछ याद नहीं है। मैं कोशिश कर रही हूँ, फिर भी याद नहीं आ रहा। मैं... मैं... कौन हूँ? और आप मेरे...?" उसके सवालों का एक झरना बह निकला, हर शब्द में बेबसी और भय भरा हुआ था।

    डॉक्टर ने उसे समझाते हुए कहा, "आप अपने दिमाग पर ज़ोर मत डालिए। धीरे-धीरे सब चीज़ें आपको याद आ जाएँगी।"

    लेकिन उनकी आवाज़ में भी एक अनिश्चितता थी, जो अंश के डर को और बढ़ा रही थी।

    अंश बस खामोशी से उस लड़की को देख रहा था, बहुत से ख्याल उसके दिमाग पर हावी हो चुके थे – ख्याल जो उसे उस दिन की घटनाओं पर वापस ले जा रहे थे, एक दिन जिसने उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी थी। उसके दिमाग में उसकी हँसी गूँज रही थी, उसकी आँखों की चमक, लेकिन साथ ही वो दिन भी जिस दिन सब कुछ बदल गया था, उसके सपने , उसके जज़्बातों सबका कत्ल हो गया था।

    "बाकी की बातें आप लोग बाद में करिएगा, अभी इनके लिए ज़्यादा बातचीत करना ठीक नहीं है। ज़ख्म अभी ताज़ा है, और उसे अपनी ताकत वापस पाने की ज़रूरत है," डॉक्टर ने अंश की तरफ देखते हुए कहा, उसकी आवाज़ में एक गहरी चिंता थी।

    "जी....." अंश ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ मुश्किल से सुनाई दे रही थी।

    "मैं तुम्हारे सभी सवालों का जवाब दूंगा, पर अभी तुम आराम करो," अंश ने उस लड़की की तरफ देखते हुए कहा, उसकी आँखों में एक गहरा दर्द था। फिर वह बाहर निकल गया।

    वह बाहर आते ही कुर्सी पर बैठ गया, हाथों में सिर दबाकर, एक गहरी सोच में डूब गया। उसके कंधे थरथरा रहे थे, और उसके शरीर में एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, पर वह उन्हें पोंछने की कोशिश नहीं कर रहा था। उसके अंदर एक तूफ़ान मच रहा था, एक तूफ़ान जो उसके अतीत के भंवर में उसे खींचकर ले जा रहा था।

    कुछ साल पहले......






    अगर आगे पढ़ना चाहते है तो कृपया कॉमेंट्स करके बताइए😊😊

  • 3. तू जो मिला... - Chapter 3

    Words: 520

    Estimated Reading Time: 4 min

    वह बाहर आते ही कुर्सी पर बैठ गया, हाथों में सिर दबाकर, एक गहरी सोच में डूब गया। उसके कंधे थरथरा रहे थे, और उसके शरीर में एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, पर वह उन्हें पोंछने की कोशिश नहीं कर रहा था। उसके अंदर एक तूफ़ान मच रहा था, एक तूफ़ान जो उसके अतीत के भंवर में उसे खींचकर ले जा रहा था।

    कुछ साल पहले......


    सभी तरफ चहल पहल मची हुई थी, होती भी क्यों न आज कॉलेज में फ्रेशर्स पार्टी जो थी।
    अंश और उसके ग्रुप वाले जो फाइनल ईयर में थे, सारे अरेंजमेंट्स देख रहे थे।
    उनका ग्रुप पढ़ाई में तो टॉपर था ही पर एक्स्ट्रा करिकुलम में भी पीछे नहीं था।
    हर एक काम में इनके परफेक्शन पाया जाता था, इसलिए इनके ग्रुप का नाम ही "ग्रुप परफेक्ट" था।
    इनके ग्रुप में कुल 8 लोग थे, जिसमें की 5 लड़के .... अनुज, समर, ज़ुबैर , नकुल, अंश और ऋतिक,
    और 3 लड़कियां ......मीरा, शैली, और तान्या।


    "यार अंश वो अरुणा मेम ने जो चीफ गेस्ट के लिए फूल मंगाए थे, वो आ गए क्या...?" ऋतिक ने उसके पास आके कहा।

    "हां...ऑलमोस्ट सब रेडी है....बाकी एक बार तान्या और नकुल को बोल की फाइनल चेक करले।"........अंश ने कहा, जो कान में ब्ल्यूटूथ लगाए, सभी काम देख रहा था।

    ""हां ठीक है मैं बोल देता हूं, ये चीफ गेस्ट की वजह से यार बहुत लोड हो गया है, प्रिंसिपल सर को पहले बताना था न, आराम से और अच्छा प्रिपेयर करते।" ऋतिक ने निराशा से कहा।

    "don't worry bro, हम सब है न, चिल कर , सब हो जाएगा "......ज़ुबैर ने आते हुए उसकी पीठ पर एक मुक्का जड़ते हुए कहा, उसकी आवाज में आत्मविश्वास झलक रहा था जिससे ऋतिक को थोड़ी राहत मिली।

    तभी एक लड़की भागती हुई आई, सर एक दिक्कत हो गई है...?? वो हांफ रही थी।

    क्या हुआ....सबने एक साथ कहा, चिन्त उनके चेहरे पे भी आ गई थी।

    ""साउंड सिस्टम खराब हो गया, और आधे घंटे में चीफ गेस्ट भी आजाएंगे।
    सभी फ्रेशर्स भी आ चुके है।"" उस लड़की ने एक सांस में कह सुनाया।

    अब क्या करे यार...!! जुबैर ने कहा, आधे घंटे में इंतेज़ाम करना मुश्किल था।

    तुम लोग जाके फ्रेशर्स और बाकी चीजें देखो मैं ये देखता हूं।

    बट यार इतनी जल्दी कैसे होगा...ऋतिक ने कहा, उनका कॉलेज आउट एरिया में था, न्यू लाने में भी कम से कम 1 घंटे का समय चाहिए था।

    "जस्ट वेट एंड वॉच...." अंश ने अपनी कातिल मुस्कान बिखेरी , जो वो अक्सर जब किसी चैलेंजिंग सिचुएशन में होता था तब देता था।

    जुबैर ने उसे देखा तो मुस्कुरा दिया, वो जनता था कि अंश के दिमाग में कोई खिचड़ी पकना शुरू हो गई है।

    ठीक है....हम सब बाकी चीजें देखते है..!!



    करीब आधा घंटा बीत चुका था, लेकिन अंश का कोई अता पता नहीं था, चीफ गेस्ट बस आने ही वाले थे,
    ग्रुप परफेक्ट सभी तरफ नज़र बनाए हुए थे, चीफ गेस्ट की एंट्री हो चुकी थी, उनका वेलकम किया जा रहा था।

    तभी स्टेज पर लाइट पड़ी, "अटेंशन , गर्ल्स एंड बॉयस......"
    इस आवाज़ ने सबका ध्यान अपनी और खींचा.......





    आगे जारी है......

  • 4. तू जो मिला... - Chapter 4

    Words: 666

    Estimated Reading Time: 4 min

    करीब आधा घंटा बीत चुका था, लेकिन अंश का कोई अता पता नहीं था, चीफ गेस्ट बस आने ही वाले थे,
    ग्रुप परफेक्ट सभी तरफ नज़र बनाए हुए थे, चीफ गेस्ट की एंट्री हो चुकी थी, उनका वेलकम किया जा रहा था।

    तभी स्टेज पर लाइट पड़ी, "अटेंशन , गर्ल्स एंड बॉयस......"
    इस आवाज़ ने सबका ध्यान अपनी और खींचा....... ये आवाज़ किसी और की नहीं बल्कि अंश की थी।
    सबकी जान में जान आई थी उसे यहां देख....
    आसमानी रंग की शर्ट और क्रीम पेंट, बाल अच्छे से सेट हुए थे, और होंठो पर वही दिलकश मुस्कान......
    आज तो वो वाकई किसी को भी घायल कर देता.....
    सबने उसे देखा तो जोरो से हूटिंग करदी।
    लड़कियों की नज़रे उस पर से हटने का नाम नहीं ले रही थी, वहीं उसके दोस्त ताली बजाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे

    "आज इस खास मौके पर हमारे चीफ गेस्ट.....कर्नल रणधीर ठाकुर मौजूद है.....
    सर...आपका हमारे कॉलेज में बहुत बहुत स्वागत है, और हमें बहुत खुशी हुई है कि आप जैसी इंस्पिरेशनल शख्सियत हमारे कॉलेज में एस आ चीफ गेस्ट के रूप में शामिल हुई है..... मैं चाहूंगा कि आप स्टेज पर आए, और कुछ शब्द कहे.....

    प्लीज़.... वेलकम कर्नल रणधीर ठाकुर ...."


    स्टेज की रौशनी अब कर्नल रणधीर ठाकुर की ओर मुड़ चुकी थी। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच वो धीमे-धीमे कदमों से स्टेज की ओर बढ़े। पूरे हॉल में एक गर्व और सम्मान का माहौल था।

    कर्नल साहब ने माइक संभाला, और अपनी भारी लेकिन नरम आवाज़ में बोले—

    "थैंक यू सो मच, डिअर स्टूडेंट्स। मुझे इस कॉलेज में आकर गर्व महसूस हो रहा है। आप सभी की ऊर्जा और उत्साह देखकर मुझे अपने यंग डेज़ की याद आ रही है... जब हम भी यूनिफॉर्म नहीं बल्कि सपने पहना करते थे।"

    सारा ऑडिटोरियम एकदम शांत था... हर कोई उनकी बातों में खो चुका था।

    "जिंदगी में अनुशासन, समर्पण और जुनून—ये तीन चीज़ें अगर आपके पास हैं, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। आप में से ही कोई एक कल देश का लीडर बनेगा, कोई साइंटिस्ट, कोई आर्टिस्ट... और शायद कोई ऐसा भी होगा जो हमारी सेना में शामिल होकर देश की सेवा करेगा।"

    ताली बजने लगी। कुछ लड़कों ने खड़े होकर सलाम भी किया। गर्ल्स ने भी इज्ज़त भरी नज़र से देखा।

    कर्नल ठाकुर ने आगे कहा—

    "मैं चाहता हूँ, कि आज के इस मंच पर हम सिर्फ भाषण नहीं, बल्कि एक शुरुआत करें—अपने सपनों की ओर पहला क़दम रखने की। और ये शुरुआत आप कर चुके हैं… इस आयोजन के ज़रिये। मैं इस शानदार इवेंट के आयोजकों को और खासतौर पर अंश को बधाई देता हूँ, जिनकी एंकरिंग से माहौल और भी खास हो गया है।"

    अंश की आंखों में चमक आ गई थी। उसने सिर झुकाकर कर्नल साहब को धन्यवाद कहा।

    और फिर... स्टेज की लाइट दोबारा अंश पर पड़ी—

    "थैंक यू सो मच सर… आपकी बातें हमारे दिल को छू गईं।
    और आज आपने जो भी कहा, हम सब कोशिश करेंगे कि इसे सिर्फ सुने ही नहीं बल्कि अपनी जिंदगी में अमल में भी लाए....."


    ******

    प्रिंसिपल सर और बाकी कुछ टीचर्स की स्पीच के बाद कार्यक्रम शुरू किया गया......

    "और अब... वो पल आ गया है जिसका सबको बेसब्री से इंतज़ार था...
    आज की शाम डेडिकेटेड है हमारे नए साथियों को—the freshers!
    जिन्होंने अभी-अभी इस कॉलेज की दहलीज़ पर कदम रखा है।
    तो आइए... इस शाम को बनाते हैं यादगार, मस्ती से भरपूर और दिल से जुड़ी हुई!"

    फिर बैकग्राउंड म्यूज़िक बजा— हल्की बीट्स, रंगीन लाइट्स और पहले से रेडी सीनियर्स की टीम स्टेज पर आई—

    "Let’s welcome our freshers... not with questions, but with celebrations!"

    पहला एक्ट था – एक धमाकेदार ग्रुप डांस, जिसमें 2nd ईयर के स्टूडेंट्स ने बॉलीवुड हिट्स पर परफॉर्म किया। तालियों से हॉल गूंज उठा।

    फिर अंश ने फिर से माइक लिया—

    "और अब बारी है उन चेहरों की... जो आज पहली बार यहां हैं, लेकिन कल इसी मंच पर राज करेंगे।
    तो ज़ोरदार तालियों के साथ बुलाते हैं—हमारे फ्रेशर्स को, for the ramp walk!
    Show us your swag... your style… and your smile!"



    जारी है........

  • 5. तू जो मिला... - Chapter 5

    Words: 516

    Estimated Reading Time: 4 min

    "Let’s welcome our freshers... not with questions, but with celebrations!"

    पहला एक्ट था – एक धमाकेदार ग्रुप डांस, जिसमें 2nd ईयर के स्टूडेंट्स ने बॉलीवुड हिट्स पर परफॉर्म किया। तालियों से हॉल गूंज उठा।

    फिर अंश ने फिर से माइक लिया—

    "और अब बारी है उन चेहरों की... जो आज पहली बार यहां हैं, लेकिन कल इसी मंच पर राज करेंगे।
    तो ज़ोरदार तालियों के साथ बुलाते हैं—हमारे फ्रेशर्स को, for the ramp walk!
    Show us your swag... your style… and your smile!"

    एक-एक करके फ्रेशर्स स्टेज पर आए। कुछ शर्माते हुए, कुछ कॉन्फिडेंस के साथ। अंश सबके बारे में चुटकियों में कुछ न कुछ फनी या प्यारा बोलता, जिससे माहौल और भी हल्का और हंसी से भर गया।


    फिर आया Freshers’ Talent Round—

    यहां से एंकरिंग तान्या और अनुज को करनी थी, वो दोनों आपस में एक दूसरे के साथ फनी कन्वर्सेशन करते, ताकि माहौल खुशनुमा बना रहे ....

    अंश नीचे आया, तो उसके सभी दोस्त उसे घेर कर खड़े हो गए, ऋतिक तो सीधे गले ही लग गया.....
    "क्या एंट्री की थी यार....कसम से मज़ा आ गया था" उसकी बात पर सभी हंस पड़े।

    "वो सब छोड़ ये बता , साउंड सिस्टम कहा से आया...?? " ज़ुबैर ने सवाल किया... बाकियों ने भी हां में सिर हिलाया।

    अंश मुस्कुराया....
    तुझे वो जतिन याद है...??

    "वो...जिसका एडमिशन का कुछ इश्यू हो गया था, और हमने रिजॉल्व करवा दिया था ...!!" समर ने कहा

    "हम्ममम.....वही।"

    "वो पार्ट टाइम डीजे का काम करता है....बस उसी को कॉल किया, और किस्मत से आज उसका डीजे यही पास में ही था , बस फिर क्या आधे घंटे में वो आगया, और बैक साइड से मैंने सेटअप करवा दिया..." अंश ने मुस्कुरा के कहा।

    "यार....अब समझ में आया तुझे सब टीचर्स इतना पसंद क्यों करते है...." समर ने कहा

    और सभी आपस में हंसी मजाक करने लगे.....
    लेकिन उनका ध्यान एक आवाज़ ने खींचा.....

    कभी आइने पर लिखा तुझे,
    कभी आँसुओं से मिटा दिया।
    कभी ख़त समझ के पढ़ा तुझे,
    कभी डायरी में छुपा दिया।
    कभी आइने पर लिखा तुझे,
    कभी आँसुओं से मिटा दिया।
    कभी ख़त समझ के पढ़ा तुझे,
    कभी डायरी में छुपा दिया।

    स्पॉटलाइट की हल्की रोशनी में, लाल रंग के अनारकली सूट, बालो की एक सिंपल सी चोटी, और चेहरे पर मेकअप न के बराबर था.....हाथों में माइक पकड़े वो बेहद मगन होके गा रही थी,
    पूरे माहौल में शान्ति थी, सब खामोशी से उसे सुन रहे थे, यूं लग रहा था कि सच में कोई सिंगर आई है, उसकी आवाज जितनी सुंदर थी, वो भी उतनी ही खूबसूरत थी, कोई देखे तो बस देखते रह जाय......

    और इन्हीं सब में अंश भी शामिल था, उसकी आवाज़ उसके कानो को मानो राहत सी दे रही थी, जहां कई लड़के उस लड़की की खुसूरती पर फिदा हुए जा रहे थे, वही अंश आज इस लड़की की सादगी पर मर मिटा था....

    गाना खत्म हुआ, और तालियों का शोर एक बार और मच गया लेकिन इस बार तो मानो तालियां रुकने का नाम ही न ले रही थी.......

    एक एक करके सभी प्रोग्राम्स हुए और अब बारी थी आज के मिस्टर फ्रेशर एंड मिस फ्रेशर की......



    जारी है......

  • 6. तू जो मिला... - Chapter 6

    Words: 508

    Estimated Reading Time: 4 min

    एक-एक कर सभी कार्यक्रम पूरे हो चुके थे। रोशनी बुझने लगी थी, पर माहौल अब भी गर्म था। स्टेज पर अब उस पल का ऐलान होना था जिसका हर नए छात्र-छात्रा को बेसब्री से इंतज़ार था—"मिस्टर एंड मिस फ्रेशर" की घोषणा।

    सारे चेहरे उम्मीद से चमक रहे थे। तभी एंकर ने मुस्कुराते हुए माइक उठाया और कहा,
    "और अब वो पल आ गया है... आज की मिस फ्रेशर हैं—माहिरा सिंह!"

    तालियों का शोर पूरे ऑडिटोरियम में गूंज उठा। माहिरा एक पल को सन्न रह गई, उसके चेहरे पर हैरानी और खुशी की लहर एक साथ दौड़ गई। उसने गहरी सांस ली, और मंच की ओर बढ़ गई।

    "और मिस्टर फ्रेशर बने हैं—युग शर्मा!"
    स्टेज पर युग की एंट्री किसी हीरो से कम नहीं थी। उसके डांस ने जो आग लगाई थी, वो अब इस जीत से मुकम्मल हो गई थी।

    मुख्य अतिथि मुस्कुरा रहे थे, फोटो क्लिक हो रहे थे, और माहौल जश्न में डूबा था।
    चीफ गेस्ट के जाने के बाद भी लोग तस्वीरें खिंचवा रहे थे, हँसी-ठिठोली कर रहे थे। प्रिंसिपल सर ने "ग्रुप परफेक्ट" की तारीफें ग्रुप में भेजी थीं—"Well done team! Proud of you all."

    कैंटीन के पास, जब माहिरा अपनी ट्रॉफी पकड़े खड़ी थी, तो पीछे से श्वेता दौड़ती हुई आई। वो हांफ रही थी लेकिन आंखों में चमक थी।

    "यार..." श्वेता ने माहिरा का हाथ पकड़ते हुए कहा,
    "आज तो तूने सच में स्टेज पर कहर ढा दिया! उस गाने में जैसे तूने सुर छेड़े थे ना... लग रहा था जैसे कॉलेज नहीं, कोई महफिल चल रही हो!"

    माहिरा हँस दी, "पागल है तू भी।"

    "नहीं सच में! तेरे हुस्न ने और उस आवाज़ ने तो सबका दिल चुरा लिया आज। लड़के तो ऐसे देख रहे थे जैसे परी उतर आई हो!"

    "चल अब मुझको चने की झाड़ पर चढ़ाना बंद कर, और चलके कुछ खाते है, इतनी ज़ोर की भूख लगी है न क्या बताऊं, स्टेज पर तो पेट से आवाजें आने लगी थी, वो तो अच्छा है किसी ने सुना नहीं"....

    श्वेता उसकी बात सुनके हंस पड़ी, बात तो सही कह रही है चल पैसा वसूली करे.....

    और दोनों खाने के स्टॉल्स पर चली गई।

    श्वेता और माहिर दोनों बचपन की सहेलियां थी, स्कूल भी एक था, और अब कॉलेज भी।
    फिलहाल कॉलेज में उनका कोई खास दोस्त नहीं बना था, और न ही उनको ऐसी जरूरत महसूस हुई थी, वो दोनों ही एक दूसरे के लिए काफी थी।




    वहीं युग की नज़र माहिरा पर पड़ी तो हल्का सा मुस्कुरा उठा।

    वैसे यार आज तुम दोनों ने तो कमाल ही कर दिया, सच में मज़ा आ गया।...." युग के दोस्त शिव ने कहा।

    युग मुस्कुरा उठा।

    वैसे यार....लड़की है तो बड़ी खूबसूरत.... शिव ने एक नज़र माहिरा की ओर देख कहा।

    "शर्म नहीं आती , गर्लफ्रेंड होते हुए दूसरी लड़कियों पर नज़र डालता है..." युग ने हंस के कहा, पर उस शिव की बात अच्छी नहीं लगी थी।

    "अबे यार, तू तो ऐसे बोल रहा है जैस मैने तेरी बंदी की तारीफ करदी हो....एक मिनट तेरा दिल भी तो उसपे नहीं आ गया।".......शिव ने आंखे छोटी करके कहा....



    जारी है....!!

  • 7. तू जो मिला... - Chapter 7

    Words: 504

    Estimated Reading Time: 4 min

    वहीं युग की नज़र माहिरा पर पड़ी तो हल्का सा मुस्कुरा उठा।

    वैसे यार आज तुम दोनों ने तो कमाल ही कर दिया, सच में मज़ा आ गया।...." युग के दोस्त शिव ने कहा।

    युग मुस्कुरा उठा।

    वैसे यार....लड़की है तो बड़ी खूबसूरत.... शिव ने एक नज़र माहिरा की ओर देख कहा।

    "शर्म नहीं आती , गर्लफ्रेंड होते हुए दूसरी लड़कियों पर नज़र डालता है..." युग ने हंस के कहा, पर उस शिव की बात अच्छी नहीं लगी थी।

    "अबे यार, तू तो ऐसे बोल रहा है जैस मैने तेरी बंदी की तारीफ करदी हो....एक मिनट तेरा दिल तो उसपे नहीं आ गया।".......शिव ने आंखे छोटी करके कहा....

    युग ने ज़रा ठहाके के अंदाज़ में हँसने की कोशिश की, लेकिन चेहरे पर आई हल्की गंभीरता छुप नहीं पाई।
    "चल पगले, मुझे ऐसी बातों में दिल लगाने का टाइम नहीं," उसने बात टालते हुए कहा।

    शिव ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कंधा मारा, "समझ गया भाई, जहाँ इनकार हो ज़्यादा, वहीं दिल ज़्यादा फंसता है।"

    युग कुछ नहीं बोला, बस चुपचाप सामने खड़ी माहिरा को देखता रहा, जो अपनी फ्रेंड्स के साथ बातों में मगन थी — उसके चेहरे पर वही सादगी, वही मुस्कान... कुछ था उसमें जो बाकी सबसे अलग था।


    "अबे ओह प्रेमी राजा... इतनी गहराई से क्या देख रहा है?"
    शिव ने चुटकी ली।

    युग ने धीरे से जवाब दिया,
    "पता नहीं यार, पर कुछ है उसमें... जो एक बार देखने के बाद, फिर दोबारा देखने का मन करता है।"

    शिव पहली बार चुप हो गया — शायद युग मज़ाक नहीं कर रहा था।

    शिव हँसते हुए बोला, "भाई, जितनी तुझमें सीरियसनेस आ रही है ना, उतनी तो शादी वाले लड़कों में भी नहीं होती… लेकिन सुन, एक बात बता दूं — माहिरा तुझे भाव नहीं देगी।"

    युग ने उसकी बात सुनकर ज़रा मुस्कुराया, पर उस मुस्कान के पीछे एक हलकी सी चुभन थी।

    "पता है," युग ने धीरे से कहा, "उसे मुझमें कोई दिलचस्पी नहीं... पर फिर भी न जाने क्यों, जब वो सामने होती है तो सब कुछ थम सा जाता है।"

    शिव ने कंधे उचकाए, "दिल को समझा ले यार, वरना बाद में ज़ख्म ही हाथ लगेंगे।"

    युग ने नजरें फेर लीं और दूर जाती हुई माहिरा को देखा।




    ****

    अंश और उसके दोस्त एक तरफ अपनी बातों में लगे हुए थे, लेकिन अंश आज उनकी बातों में होके भी न था। बार बार उसके जहन में वही आवाज़ गूंज रही थी, तभी उसकी नज़र दूर खड़ी माहिर पर जा ठहरी, लेकिन उसने अपनी नज़रे हटा ली।

    यार.....पार्टी के बाद का क्या प्लान है...?? शैली ने कहा।

    भाई मै तो घर जाके सोऊंगा, थकान से बदन चूर हो गया है, ......ऋतिक ने अंगड़ाई लेते हुए कहा।

    "तू और तेरी पत्नी थकान एक दूसरे से हमेशा चिपके ही रहते हो...." शैली ने कहा तो सब ज़ोर से हंस पड़े।

    वेरी फनी... ऋतिक ने मुंह बनाते हुए कहा।

    तू बता अंश...तेरा क्या प्लान है..?? इस बार ज़ुबैर ने सवाल किया।

    "यार....मुझे कल की प्रेजेंटेशन तैयार करनी है और मॉडल का लेआउट भी चेक करना है..." अंश ने कहा।

    जारी है...

  • 8. तू जो मिला... - Chapter 8

    Words: 531

    Estimated Reading Time: 4 min

    आखिरकार फ्रेशर्स डे गुज़र चुका था, और अब कॉलेज का माहौल पहले से कहीं ज्यादा शांत और पढ़ाई-प्रधान हो गया था। हर कोई अपने-अपने लक्ष्यों को लेकर गंभीर हो चुका था।

    धीरे-धीरे समय बीत रहा था। माहिरा और श्वेता की अब कुछ अच्छे दोस्त बन चुके थे—जिनमें युग और शिव प्रमुख थे। हालांकि माहिरा अब भी उतनी ही संकोची और कम बोलने वाली थी, खासकर लड़कों से, जबकि श्वेता अब लगभग पूरे ग्रुप के साथ खुलकर घुल-मिल चुकी थी।

    उस दिन लाइब्रेरी में अंश अपनी सीट पर बैठा हुआ चुपचाप किताबों में डूबा था। यह उसका फाइनल ईयर था, और वो पूरी तरह से पढ़ाई पर फोकस कर रहा था। कॉलेज में हर कोई अब प्लेसमेंट को लेकर गंभीर हो गया था, और हर पल कीमती लगता था।

    तभी...
    "Excuse me, sir..."

    इस कोमल आवाज़ को सुनते ही अंश ने चौंक कर सिर उठाया। सामने माहिरा खड़ी थी। सफेद दुपट्टा हल्के से उसके कंधों पर टिका हुआ था, आँखों में वही गहराई थी जो अंश कई बार दूर से महसूस कर चुका था।

    उसका दिल एक पल को ज़ोर से धड़का... मगर उसने अपने चेहरे पर ज़रा भी भाव नहीं आने दिया।
    "जी, कहिए," उसने संयमित आवाज़ में कहा।

    माहिरा ने झिझकते हुए अपनी किताब आगे बढ़ाई—
    वो.....कोई भी सीट खाली नहीं है, बस ये आपके सामने वाली ही खाली है, क्या मै यहां बैठ सकती हूं...??

    अंश ने ठंडी सी नज़र उस पर डाली.....
    और बस सर हां में हिला दिया...

    थैंक्स...माहिर ने कहा और बैठ गई।

    माहिरा ख़ामोशी से अपनी किताब में मगन थी, कोशिश तो अंश भी कर रहा था पर फिर भी नज़रे चोरी चुपके महिरा को देख ले रही थी।
    और दिल वो तो न जाने कितनी तेज़ी से धड़क रहा था....।

    वो अचानक से खड़ा हो गया....!!
    अब यहां बैठना उसके लिए मुश्किल सा था.....उसने अपनी किताबें उठाई और चला गया।


    माहिरा ने उसे जाते हुए देखा — उसके हाथों में किताबें थीं, चाल तेज़ थी, और चेहरे पर हल्का सा असमंजस...
    एक पल को उसे अजीब-सा लगा, क्या कुछ ग़लत कह दिया मैंने...? या क्या उसे मेरी मौजूदगी पसंद नहीं आई...?

    पर अगली ही सांस में उसने खुद को झटका,
    "नहीं, मुझे इससे क्या... मैं तो बस पढ़ने आई थी।"
    उसने अपनी नज़रे फिर से किताब में गड़ा दीं, लेकिन दिमाग अब पन्नों से ज़्यादा उस लड़के की उलझन में उलझा था।

    उधर अंश, कैंपस के कॉरिडोर से बाहर निकल कर कॉलेज के पुराने नीम के पेड़ के नीचे आ बैठा।
    उसका दिल अब भी तेज़ी से धड़क रहा था।
    “मैं ये क्या कर रहा हूँ...? सिर्फ बैठी थी सामने… और मैं भाग आया…?”
    वो खुद पर मुस्कुराया, मगर उस मुस्कान में हल्की सी खुद से नाराज़गी भी थी।

    कुछ देर वो यूं ही बैठा रहा, और फिर अपनी डायरी निकाली।
    हाँ, वही डायरी… जिसमें वो अक्सर अपने जज़्बातों को बिना नाम के लिख देता था।

    उसने लिखा—

    "वो कुछ नहीं कहती, बस आंखें बहुत कुछ बोल जाती हैं।
    वो सामने बैठी थी… और मैं, मैं खुद से भाग आया।
    शायद डर था कि कहीं दिल ज़ुबान पर ना आ जाए…
    या शायद, वो जो खामोशी थी… उससे मैं खुद को बचा नहीं पाया।"

    उसने कलम बंद की और गहरी सांस ली।



    जारी है....!!

  • 9. तू जो मिला... - Chapter 9

    Words: 540

    Estimated Reading Time: 4 min

    कुछ देर वो यूं ही बैठा रहा, और फिर अपनी डायरी निकाली।
    हाँ, वही डायरी… जिसमें वो अक्सर अपने जज़्बातों को बिना नाम के लिख देता था।

    उसने लिखा—

    "वो कुछ नहीं कहती, बस आंखें बहुत कुछ बोल जाती हैं।
    वो सामने बैठी थी… और मैं, मैं खुद से भाग आया।
    शायद डर था कि कहीं दिल ज़ुबान पर ना आ जाए…
    या शायद, वो जो खामोशी थी… उससे मैं खुद को बचा नहीं पाया।"

    उसने कलम बंद की और गहरी सांस ली।




    *****""

    लेक्चर अटैंड करने के बाद माहिरा, श्वेता, युग और शिव एक कोने में खड़े होकर हँसी-मज़ाक में लगे थे।

    शिव ने अचानक कहा —
    "यार सुनो, चलो कैंटीन चलते हैं, निक्की की कॉल आई है… वो वहां मेरा वेट कर रही है।"

    श्वेता ने तुरंत गर्दन घुमाई, भौंहें उठाईं —
    "निक्की...? ये निक्की कौन है?"

    युग ने मुस्कुराकर कहा —
    "इसकी गर्लफ्रेंड है।"

    "क्या… गर्लफ्रेंड... वो भी इसकी?"
    श्वेता ठहाका मार के हँसी, जैसे शिव की गर्लफ्रेंड होना उसे किसी साइंस फिक्शन जैसा लग रहा हो।

    शिव थोड़ा चिढ़ गया, उसने नज़रे श्वेता पर गड़ा दीं —
    "तुम तो ऐसे शॉक हो रही हो जैसे मेरी गर्लफ्रेंड होना कोई बहुत अनोखी बात है!"

    श्वेता ने बिना रुके जवाब दिया —
    "हाँ अनोखी ही समझो... वैसा चमत्कार रोज़-रोज़ थोड़ी होता है!"

    शिव ने होंठ भींच लिए, उसकी मुस्कान कहीं खो गई थी।
    माहिरा ने यह देखा और नरमी से कहा —
    "रिलैक्स शिव... ये ऐसी ही है। बस किसी को छेड़ने का मौका चाहिए इसे, और आज तुम मिल गए हो।"

    शिव ने माहिरा की बात पर हल्का सा सिर हिलाया, जैसे मान लिया हो कि उसे ज़्यादा सीरियस नहीं लेना चाहिए।

    तभी श्वेता ने माहौल बदलते हुए युग की ओर देखा और पूछा —
    "वैसे युग, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?"

    युग ने हँसते हुए कंधे उचका दिए —
    "नहीं..."

    शिव ने मौका पकड़ा और तुरंत शरारत के मोड में आ गया
    "अरे भाई की गर्लफ्रेंड तो नहीं है, पर क्रश ज़रूर है!"

    युग ने तुरंत शिव की बाज़ू में हल्का सा मुक्का मारा —
    "कुछ भी बकवास क्यों करता है तू?"

    शिव अब रुकने वाला नहीं था, वो और झुक के युग की आंखों में झाँकते हुए बोला —
    "तू चाहे ना बताए, पर तेरी आंखे सब बया कर देती है."

    माहिरा और श्वेता दोनों ही शिव के बोलने के अंदाज पर हंस पड़ी थी,
    श्वेता ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा —
    "अरे वाह... अब ये बात छुपाई जा रही है? बताओ न युग, कौन है वो?"

    युग ने नज़रें फेर लीं, थोड़ी झेंप के साथ बोला —
    "कुछ नहीं यार, ये शिव का बच्चा कुछ भी बकता है

    शिव ने बात और आगे बढ़ाई —
    "अरे नहीं नहीं… बात तो अब खुल कर ही रहेगी। वैसे... उसका नाम ‘म’ से शुरू होता है ना?"

    "क्या.... म से....म से माहिरा तो नहीं....???"

    श्वेता ने आंखे छोटी करके कहा....

    युग के चेहरे का तो रंग ही उड़ गया था, वही अब माहिरा की नज़रे युग पर आ बनी थी।

    "रोंग अंसर....." शिव ने युग के उड़े हु चेहरे को देख के कहा, ताकि माहोल थोड़ा हल्का हो जाए...!!

    युग और माहिरा दोनों के चेहरे पर ही थोड़ा सुकून इतर आया था..

    यार चलो भी अच्छा....शिव ने कहा और कैंटीन के लिए उठ आया।



    जारी है.....!!

  • 10. तू जो मिला... - Chapter 10

    Words: 542

    Estimated Reading Time: 4 min

    तभी श्वेता ने माहौल बदलते हुए युग की ओर देखा और पूछा —
    "वैसे युग, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?"

    युग ने हँसते हुए कंधे उचका दिए —
    "नहीं..."

    शिव ने मौका पकड़ा और तुरंत शरारत के मोड में आ गया
    "अरे भाई की गर्लफ्रेंड तो नहीं है, पर क्रश ज़रूर है!"

    युग ने तुरंत शिव की बाज़ू में हल्का सा मुक्का मारा —
    "कुछ भी बकवास क्यों करता है तू?"

    शिव अब रुकने वाला नहीं था, वो और झुक के युग की आंखों में झाँकते हुए बोला —
    "तू चाहे ना बताए, पर तेरी आंखे सब बया कर देती है."

    माहिरा और श्वेता दोनों ही शिव के बोलने के अंदाज पर हंस पड़ी थी,
    श्वेता ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा —
    "अरे वाह... अब ये बात छुपाई जा रही है? बताओ न युग, कौन है वो?"

    युग ने नज़रें फेर लीं, थोड़ी झेंप के साथ बोला —
    "कुछ नहीं यार, ये शिव का बच्चा कुछ भी बकता है

    शिव ने बात और आगे बढ़ाई —
    "अरे नहीं नहीं… बात तो अब खुल कर ही रहेगी। वैसे... उसका नाम ‘म’ से शुरू होता है ना?"

    "क्या.... म से....म से माहिरा तो नहीं....???"

    श्वेता ने आंखे छोटी करके कहा....

    युग के चेहरे का तो रंग ही उड़ गया था, वही अब माहिरा की नज़रे युग पर आ बनी थी।

    "रोंग अंसर....." शिव ने युग के उड़े हु चेहरे को देख के कहा, ताकि माहोल थोड़ा हल्का हो जाए...!!

    युग और माहिरा दोनों के चेहरे पर ही थोड़ा सुकून इतर आया था..

    यार चलो भी अच्छा....शिव ने कहा और कैंटीन के लिए उठ आया।



    देखा तो निक्की और एक और उसकी दोस्त रिया साइड की एक टेबल पर बैठी अपने फोन में व्यस्त थी और कुछ बात कर रही थी।

    हेलो निक्की....सारी तुम्हे वेट करना पड़ा...। शिव ने आते ही अपनी सफाई दी।

    निक्की पहले तो नाराज़ हुई पर जब देखा कि उसके फ्रेंड्स भी है तो मुस्कुरा उठी..... "तुम सब खड़े क्यों हो बैठो न"

    नहीं आप लोग टाइम स्पेंड करिए, हम तो बस पेट पूजा करने आय थे......श्वेता ने कहा।

    "हां तो मैं भी पेट पूजा करने ही आई हूं, आओ तो फिर सब साथ में मिल के करते है...." निक्की ने कहा।

    वो तीनों बैठ गए, निक्की और उसकी दोस्त का स्वभाव बहुत खुशमिजाज था, वो लोग कुछ ही देर में काफी घुल मिल गई थे।

    "मैं ऑर्डर देके आता हूं जब तक.." शिव ने कहा।
    मैं भी चलता हूं... युग ने उसे घूरते हुए कहा... और दोनों चले गए।

    तभी अंश का ग्रुप वहां आता है, और एक टेबल पर बैठ जाता है, उनके हाथों में लैपटॉप था, कुछ सीरियस डिस्कशन चल रहा था।

    "हाय......क्या लगता है", रिया ने अपने दोनों हाथों को चेहरे पर टिका के सामने देखते हुए कहा..."

    "किस पे फिदा हुए जा रही है तू.." निक्की ने उसकी बात सुन के कहा।

    "वही अपना हैंडसम सीनियर, एक नज़र नहीं देखता यार...." उसने निराशा से कहा।

    किसके बारे में बातें कर रही हो तुम दोनों .... श्वेता ने पूछा।

    वोजो उधर बैठा है, उसने आंखों से इशारा किया, श्वेता ने देखा उधर ....."किसकी बात कर रही हो तुम इतने सारे हैंडसम हैं वहां तो..."। श्वेता ने कन्फ्यूजन में कहा।

    अरे वो जो ठीक महिरा के पीछे बैठा है न, लास्ट टेबल पे उधर देखो.....


    जारी है....!!

  • 11. तू जो मिला... - Chapter 11

    Words: 539

    Estimated Reading Time: 4 min

    "हाय......क्या लगता है", रिया ने अपने दोनों हाथों को चेहरे पर टिका के सामने देखते हुए कहा..."

    "किस पे फिदा हुए जा रही है तू.." निक्की ने उसकी बात सुन के कहा।

    "वही अपना हैंडसम सीनियर, एक नज़र नहीं देखता यार...." उसने निराशा से कहा।

    किसके बारे में बातें कर रही हो तुम दोनों .... श्वेता ने पूछा।

    वो जो उधर बैठा है, उसने आंखों से इशारा किया, श्वेता ने देखा उधर ....."किसकी बात कर रही हो तुम इतने सारे हैंडसम हैं वहां तो..."। श्वेता ने कन्फ्यूजन में कहा।

    "अरे वो जो ठीक माहिर के पीछे बैठा है न, लास्ट टेबल पे... उधर देखो..."

    माहिरा और श्वेता दोनों ने गर्दन घुमा कर पीछे देखा।
    अंश उस वक़्त कुछ नोट्स देख रहा था, मगर जैसे ही उसने सिर उठाया…
    उसकी नज़र सीधी माहिरा से टकरा गई।

    और उस एक पल में वक़्त जैसे थम सा गया।
    अंश का दिल ज़ोर से धड़का — ठीक वैसे ही जैसे पहली बार हुआ था।
    मगर इस बार, कुछ अलग था।
    इस बार सिर्फ अंश नहीं, माहिरा का दिल भी धक-से रह गया।
    उसने नज़रें तुरंत फेर लीं, चेहरे पर हल्की गर्माहट उभर आई।
    वहीं अंश ने भी खुद को नोट्स में व्यस्त दिखाने की कोशिश की, मगर उसकी उंगलियां अब शब्दों के बीच भटक रही थीं।

    "यार वो डार्क ब्लू शर्ट वाला..." श्वेता ने इशारा करते हुए कहा।

    "हां, कितना हैंडसम है ना! आज तो उस नीली शर्ट में कहर ही ढा रहा है!" रिया ने एक टक उसे देखते हुए कहा।

    "हां, वैसे बंदा तो स्मार्ट है ही… इनफैक्ट उनके पूरे ग्रुप में सभी लड़के हैंडसम हैं, और लड़कियाँ भी कोई कम नहीं। कॉलेज का क्रीम बैच है वो…" श्वेता ने जैसे स्कैन रिपोर्ट दे दी।

    माहिरा अब तक चुप थी, मगर उसकी नज़रें एक बार फिर पीछे की ओर खिंचने लगीं।
    थोड़ा हिचकिचाते हुए उसने पूछा —
    "नाम क्या है उनका?"

    बस यही सुनना बाकी था…
    तीनों लड़कियाँ अचानक चुप हो गईं और घूर-घूर कर माहिरा को देखने लगीं।

    "क्या हुआ? तुम लोग ऐसे क्यों देख रही हो? मैंने तो बस यूं ही पूछ लिया…"
    माहिरा ने झेंपते हुए सफाई दी।

    निक्की ने मुस्कराते हुए कहा —
    "वो इसलिए क्योंकि इतनी देर में तूने पहली बार खुद किसी लड़के के बारे में पूछा है। वरना अब तक तो हम ही फालतू बकबक कर रहे थे!"

    माहिरा मुस्कुरा दी,

    "वैसे उसका नाम 'अंश खुराना' है," रिया ने जानकारी दी।
    "कॉलेज का टॉपर है… और हाँ, थोड़ा कम बोलता है, लेकिन पढ़ाई में उसका कोई मुक़ाबला नहीं, और उसकी सबसे खास बात ये है कि कॉलेज में उनकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, और बन्दा किसी की तरफ नज़र तक नहीं उठता।

    "यार ये दोनों ऑर्डर देने गए है कि खुद ही बनाने लगे...!!" निक्की ने इधर उधर देखते हुए कहा।


    वहीं दूसरी तरफ....."भाई सौरी न यार.....कसम से आगे नहीं ऐसा मज़ाक करूंगा.... प्लीज़ निक्की को मेरी ex का मत बताना...!!" शिव ने कान पकड़ते हुए कहा।

    युग ने अच्छे से क्लास ली थी शिव की , लेता भी क्यों न, सांस अटका दी थी उसने आज, सबक सिखाना तो बनता ही था..।

    "ठीक है...ठीक है....इस बार जाने दे रहा हूं ..." युग ने शिव की मासूम शकल पर तरस खाते हुए कहा।

    "थैंक यू भाई....लव यू...." और उसके गले लग गया।




    जारी है...!!

  • 12. तू जो मिला... - Chapter 12

    Words: 525

    Estimated Reading Time: 4 min

    "वैसे उसका नाम 'अंश खुराना' है," रिया ने जानकारी दी।
    "कॉलेज का टॉपर है… और हाँ, थोड़ा कम बोलता है, लेकिन पढ़ाई में उसका कोई मुक़ाबला नहीं, और उसकी सबसे खास बात ये है कि कॉलेज में उनकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, और बन्दा किसी की तरफ नज़र तक नहीं उठता।

    "यार ये दोनों ऑर्डर देने गए है कि खुद ही बनाने लगे...!!" निक्की ने इधर उधर देखते हुए कहा।


    वहीं दूसरी तरफ....."भाई सौरी न यार.....कसम से आगे नहीं ऐसा मज़ाक करूंगा.... प्लीज़ निक्की को मेरी ex का मत बताना...!!" शिव ने कान पकड़ते हुए कहा।

    युग ने अच्छे से क्लास ली थी शिव की , लेता भी क्यों न, सांस अटका दी थी उसने आज, सबक सिखाना तो बनता ही था..।

    "ठीक है...ठीक है....इस बार जाने दे रहा हूं ..." युग ने शिव की मासूम शकल पर तरस खाते हुए कहा।

    "थैंक यू भाई....लव यू...." और उसके गले लग गया।



    कुछ देर बाद वो दोनों आए, और फिर सबने थोड़ा खाया पीया और बाते की....
    अंश और उसके ग्रुप वाले अभी भी अपने काम में लगे हुए थे......
    निक्की और उसकी दोस्त जाने लगे थे, शिव उन्हें छोड़ने का रहा था, श्वेता की क्लासेस हो चुकी थी, लेकिन माहिरा और युग की अभी एक क्लास बाकी थी, जो कि आधे घंटे बाद थी।
    श्वेता माहिरा को बाय कहके निकल जाती है....

    युग और माहिरा अब अकेले बैठे हुए थे।
    "मुझे नोट्स बनाने हैं, तो मैं वो बना लेती हूँ..." माहिरा ने धीमे स्वर में कहा।

    "ओह... मुझे भी बनाने हैं। साथ में बनाए? वैसे भी हमारे टॉपिक्स भी क्लियर हो जाएंगे!"
    युग ने मुस्कुराते हुए कहा। दरअसल, वो माहिरा के साथ थोड़ा वक्त बिताना चाहता था।

    माहिरा ने बिना कुछ कहे सिर हिला दिया।

    दोनों चुपचाप अपनी कॉपियाँ खोलकर लिखने लगे।

    कुछ देर बाद युग ने माहौल की चुप्पी तोड़ी—
    "वैसे... एक बात पूछूँ आपसे?"

    "जी, पूछिए..." माहिरा ने कलम रोककर उसकी ओर देखा।

    "आप अभी भी हम सबके साथ कंफर्टेबल नहीं हो पाईं, है न?"

    माहिरा कुछ पल चुप रही, फिर बोली,
    "एक्चुअली... मुझे ज़्यादा लोगों से बात करना पसंद नहीं। भीड़ में घुलना थोड़ा मुश्किल लगता है।"

    "ओहh... समझ सकता हूँ। युग ने हल्का सा मुस्कुरा के कहा।

    वो दोनों साथ में बैठ के नोट्स बनाते और थोड़ी थोड़ी बाते भी कर लेते, बीच बीच में माहिरा उसकी किसी बात पर मुस्कुरा देती।

    युग पूरी कोशिश कर रहा था कि महिरा उसके साथ सहज रहे, और वो कामयाब भी हो रहा था।


    लेकिन दूर बैठा अंश , वो काफी असहज महसूस कर रहा था.....
    उसे खुद भी समझ नहीं आ रहा था कि उसे ऐसा क्यों लग रहा है।
    ना तो युग ने कुछ गलत किया था, ना माहिरा ने।

    फिर भी… अंदर कहीं कुछ चुभ रहा था।
    एक अनकही खलिश… जैसे कोई अपना धीरे-धीरे दूर जा रहा हो।

    वो चाहता था कि वो इस फीलिंग को नज़रअंदाज़ कर दे, पर हर बार माहिरा की वो मुस्कान देखकर उसका दिल भारी हो जाता।

    वही कोई और भी था जिसका दिल जल रहा था.....वो थी मीरा ......अंश के ग्रुप की ही लड़की....
    वो काफी देर से अंश को नोटिस कर रही थी और उसकी नजरों का पीछा भी कर चुकी थी।


    जारी है.....।।

  • 13. तू जो मिला... - Chapter 13

    Words: 537

    Estimated Reading Time: 4 min

    लेकिन दूर बैठा अंश , वो काफी असहज महसूस कर रहा था.....
    उसे खुद भी समझ नहीं आ रहा था कि उसे ऐसा क्यों लग रहा है।
    ना तो युग ने कुछ गलत किया था, ना माहिरा ने।

    फिर भी… अंदर कहीं कुछ चुभ रहा था।
    एक अनकही खलिश… जैसे कोई अपना धीरे-धीरे दूर जा रहा हो।

    वो चाहता था कि वो इस फीलिंग को नज़रअंदाज़ कर दे, पर हर बार माहिरा की वो मुस्कान देखकर उसका दिल भारी हो जाता।

    वही कोई और भी था जिसका दिल जल रहा था.....वो थी मीरा ......अंश के ग्रुप की ही लड़की....
    वो काफी देर से अंश को नोटिस कर रही थी और उसकी नजरों का पीछा भी कर चुकी थी।


    कुछ देर बाद माहिरा और युग निकल गए थे, वही दूर बैठा अंश उन्हें जाता हुआ देखता रहा।

    ग्रुप परफेक्ट का काम भी हो चुका था, और सभी लोग जाने लगे थे...

    "यार मेरा तो हो गया... चलो चलते हैं घर," ज़ुबैर ने अंगड़ाई लेते हुए कहा।

    "हाँ... ऑलमोस्ट डन है हमारा भी," बाकियों ने भी हामी भरी।

    "यार मेरा थोड़ा सा बचा है... अंश, थोड़ी हेल्प करवा दोगे?" मीरा ने धीमी आवाज़ में पूछा।
    अंश, जो अभी अपना लैपटॉप समेट कर अंदर रखने ही जा रहा था, एक पल को ठिठका।

    अंदर से उसका मन नहीं था रुकने का... दिन भर की थकान चेहरे पर साफ़ झलक रही थी, लेकिन उसने एक हल्की सी मुस्कान के साथ सिर हिला दिया।
    "हाँ, बताओ क्या करना है," उसने धीमे स्वर में कहा।

    बाकियों ने आपस में एक-दूसरे को देखा।
    सब जानते थे कि मीरा अंश को पसंद करती है। और ये भी कि अंश शायद उसे वैसे नहीं देखता।

    "ठीक है, तुम लोगों का जब हो जाए तो चले जाना... हम लोग निकलते हैं," शैली ने कहा — मीरा की बचपन की दोस्त। वो जानती थी कि मीरा के लिए यह कुछ पल बहुत मायने रखते हैं।

    "ओके... बाय!" कहते हुए सब अपने-अपने रास्ते चल दिए।

    मीरा ने लैपटॉप खोलकर डिजाइंस दिखानी शुरू की, पर उसका ध्यान बार-बार अंश के चेहरे पर जा रहा था।

    कुछ मिनटों तक दोनों ने चुपचाप काम किया।
    फिर अचानक मीरा ने गहरी साँस ली और कहा —
    "तुम... उसे पसंद करते हो?"

    अंश ने चौंककर उसकी तरफ देखा।
    "किसे?"

    "वहीं जिसे तुम इतनी देर से देख रहे थे...." मीरा की आवाज़ धीमी थी, लेकिन आँखें जवाब माँग रही थीं।

    कुछ सेकंड का सन्नाटा छाया रहा।

    अंश ने लैपटॉप से नजर हटाई, और मीरा की आँखों में झाँका।
    "नहीं। ऐसा कुछ नहीं है," उसने शांत लहज़े में कहा।

    "तो फिर?" मीरा ने जैसे अपने भीतर की जिज्ञासा को आवाज़ दी।

    "मीरा..." अंश थोड़ी देर चुप रहा, फिर बोला,
    "तुम अच्छी हो, समझदार हो... लेकिन मैं अभी खुद को नहीं समझ पाया हूँ। किसी को पसंद करना... उससे भी ज़्यादा, उसके लिए फील करना — ये सब मेरे बस का नहीं फिलहाल।"

    मीरा की आँखों में नमी थी, लेकिन वो मुस्कुराई।
    "क्या तुम्हे मेरी फीलिंग्स नज़र नहीं आती....!! वो जो मैं तुम्हारे लिए फील करती हूं"


    अंश जो उसकी बातों का मतलब समझ गया था
    "मैं झूठ नहीं बोलता, ना खुद से... ना किसी और से, और तुम्हें पहले भी बता चुका हूं तुम सिर्फ मेरी अच्छी दोस्त हो, इस ग्रुप का हिस्सा हो.....मीरा।





    जारी है....!!

  • 14. तू जो मिला... - Chapter 14

    Words: 326

    Estimated Reading Time: 2 min

    मीरा की आँखों में नमी थी, लेकिन वो मुस्कुराई।
    "क्या तुम्हे मेरी फीलिंग्स नज़र नहीं आती....!! वो जो मैं तुम्हारे लिए फील करती हूं"


    अंश जो उसकी बातों का मतलब समझ गया था
    "मैं झूठ नहीं बोलता, ना खुद से... ना किसी और से, और तुम्हें पहले भी बता चुका हूं तुम सिर्फ मेरी अच्छी दोस्त हो, इस ग्रुप का हिस्सा हो.....मीरा।


    "काश ..….काश ......मै भी ऐसा हो बोल पाती, पर अफसोस दिल के हाथों मजबूर हूं....." मीरा ने अपनी आंखों में आए आंसुओं को साफ करते हुए कहा.....


    कॉलेज के फर्स्ट ईयर से ही वो अंश को पसंद करती थी — उसकी बातें, उसका सादापन, और सबसे बढ़कर उसकी सच्चाई। कितनी बार उसने कोशिश की, कि अपने जज़्बातों को शब्दों का जामा पहना सके, पर अंश हर बार एक दीवार की तरह सामने खड़ा हो जाता — साफ़, सख्त, और सपाट।

    अभी तक तो उम्मीद थी कि कभी न कभी तो अंश उसकी मोहब्बत को समझेगा.....पर आज अंश का उस लड़की को यूं देखना उसे अंदर तक सुलगा गया था।
    सिर्फ आज ही नहीं बल्कि उस दिन लाइब्रेरी में भी उसने उन दोनों को साथ बैठे देखा था, इतने वक्त में कभी अंश ग्रुप के अलावा किसी और लड़की से बाते करते न देखा था, पर महिरा पहली लड़की थी, जिस पर अंश की निगाहों का ठहरना वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

    ******

    दिन गुज़र रहे थे, और साथ ही कॉलेज के खत्म होने के दिन भी नज़दीक आ रहे थे......
    और ये अंश और उसके ग्रुप वालों के लिए आखिरी साल था जब वो सब लोग शायद आखिरी बार पिकनिक पर कॉलेज की तरफ से जाते....
    कॉलेज से पिकनिक ले जा रहे थे, ये सब के सभी बच्चों में काफी उत्सास था।
    होता भी क्यों न आखिर कार पूरे 2 दिन का टूर था उनका......

    "यार मैं तो बहुत जायदा एक्साइटेड हूं.....स्कूल के बाद भी पिकनिक जाने का मिलेगा सोचा नई था, बट अपने कॉलेज ने तो दिल खुश कर दिया....बाय गॉड....!!"

  • 15. तू जो मिला... - Chapter 15

    Words: 539

    Estimated Reading Time: 4 min

    दिन गुज़र रहे थे, और साथ ही कॉलेज के खत्म होने के दिन भी नज़दीक आ रहे थे......
    और ये अंश और उसके ग्रुप वालों के लिए आखिरी साल था जब वो सब लोग शायद आखिरी बार पिकनिक पर कॉलेज की तरफ से जाते....
    कॉलेज से पिकनिक ले जा रहे थे, ये सब के सभी बच्चों में काफी उत्सास था।
    होता भी क्यों न आखिर कार पूरे 2 दिन का टूर था उनका......



    "यार मैं तो बहुत ज़्यादा एक्साइटेड हूँ... स्कूल के बाद भी पिकनिक जाने का मिलेगा, ये तो सोचा ही नहीं था,"
    श्वेता ने माहिरा का हाथ पकड़ते हुए कहा, "बट अपने कॉलेज ने तो दिल खुश कर दिया… बाय गॉड…!!"

    कॉरिडोर में स्टूडेंट्स की भीड़ थी, सब अपने-अपने ग्रुप में टूर की बातें कर रहे थे।
    माहिरा और श्वेता हमेशा की तरह, अपने बेफिक्री वाले अंदाज़ में साथ चल रही थी। और साथ में युग भी था....०

    "वैसे तुम दोनों का पक्का है न?"
    युग ने थोड़ा झुककर पूछा — उसकी नजरें खासकर माहिरा की ओर थीं। वो जानना चाहता था कि माहिरा आ रही है या नहीं।

    "ऑफकोर्स!"
    श्वेता ने आंख मारते हुए जवाब दिया, "मैं तो बैग भी पैक कर चुकी हूँ।"

    माहिरा ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा,
    "मेरा अभी कुछ कन्फर्म नहीं है श्वेता... डैड अगर इजाज़त दें तो आजाऊंगी।"

    पर उस मुस्कुराहट के पीछे छुपा एक पल का सन्नाटा श्वेता से छुपा नहीं।

    उसने माहिरा की आंखों में कुछ पढ़ लिया था—
    वो थोड़ी सी मायूसी, शायद वही जो अक्सर किसी आज़ाद दिखती लड़की के भीतर होती है।

    "तू चिंता मत कर,"
    श्वेता ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
    "अंकल को हम दोनों मिलकर मना लेंगे। जब वो देखेंगे कि तू कितना एक्साइटेड है, वो ना नहीं कह पाएंगे।"

    "Hope so..."
    माहिरा ने सिर झुकाकर धीमे से कहा।

    फिर माहौल हल्का करने के लिए श्वेता ने पूछा,
    "वैसे ये शिव क्यों नहीं आया आज?"

    "वो और उसकी निक्की घूमने गए हैं आज... डबल डेट टाइप!"
    युग ने हंसते हुए जवाब दिया।

    "सही है यार दोनों का, सच्ची!"
    श्वेता ने हँसते हुए कहा,
    "पर कोई बात नहीं... हमारी ट्रिप उनसे कहीं ज्यादा मज़ेदार होने वाली है!"


    "यार... मुझे एक बुक इश्यू करवानी थी लाइब्रेरी से,"
    माहिरा ने अचानक रुकते हुए कहा, जैसे कुछ याद आ गया हो।

    "एक काम करो, तुम दोनों चलो... मैं थोड़ी देर में आ जाती हूँ।"

    "ठीक है फिर..."
    श्वेता ने बैग ठीक करते हुए कहा,
    "हम तब तक क्लास में बैठते हैं। सर भी आने वाले हैं।"

    "Actually..." युग ने फौरन बात काटते हुए कहा,
    "एक बुक तो मुझे भी लेनी थी। चलो माहिरा, हम दोनों ले आते हैं।"

    उसका अंदाज़ थोड़ा जल्दीबाज़ी वाला था....सच तो ये था वो कुछ पल अकेले माहिरा के साथ बिताना चाहता था।

    श्वेता ने उसकी बात गौर से सुनी, फिर आंखें थोड़ी छोटी करके उसकी तरफ देखा —
    वो कुछ तो समझ गई थी। और फिर हल्के से मुस्कुरा दी।

    "ओके..." उसने कहा,
    "पर जल्दी आना, क्लास में लेट हुए तो पता है ना, सर का लेक्चर नहीं भाषण शुरू हो जाता है!"

    "Don't worry, मैडम!"
    युग ने शरारती अंदाज़ में कहा।

    श्वेता वहां से निकल गई, लेकिन जाते-जाते एक बार पलटकर देखा —
    युग के चेहरे पर एक अलग सी चमक दिखी थी उसे....वही माहिरा नॉर्मल थी।
    ---

  • 16. तू जो मिला... - Chapter 16

    Words: 526

    Estimated Reading Time: 4 min

    वे दोनों लाइब्रेरी पहुँचे और अपनी-अपनी किताबें ढूंढने लगे

    अंश एक कोने में बैठा, किताबों में डूबा हुआ था।

    अचानक उसने यूं ही सिर उठाया…

    और उसकी नज़र सामने की शेल्फ पर पड़ी,

    जहाँ माहिरा किताबें ढूँढ़ रही थी।

    उसके चेहरे पर कुछ खास था —

    हल्की-सी उलझन, और हवा से बिखरे उसके बाल,

    जो बार-बार उसकी आँखों के सामने आ जाते,

    और वो उन्हें बड़ी नर्मी से अपने कानों के पीछे कर देती।

    फिर वही बाल वापिस आ जाते… और वो फिर उन्हें वैसे ही संवारती।

    उस मासूम अदा में कुछ ऐसा था,

    कि अंश के होठों पर एक अनजानी, कोमल-सी मुस्कान आ गई।

    वो खुद भी समझ नहीं पाया,

    पर अचानक ही वो उठ खड़ा हुआ और उसकी ओर बढ़ गया।

    धीरे से, लगभग फुसफुसाते हुए उसने कहा,

    "कौन-सी बुक चाहिए आपको?"

    माहिरा उसकी आवाज़ सुन चौंक गई।

    एक पल के लिए उसकी आँखों में हल्का सा डर झलका,

    मगर फिर खुद को सँभालते हुए वो मुस्कराई और बोली,

    "वो... कोई अच्छी-सी नॉवेल चाहिए थी..."

    अंश ने उसकी आँखों में गहराई से देखते हुए पूछा,

    "रोमांटिक और इंस्पिरेशनल?"

    माहिरा हल्की मुस्कान के साथ बोली,

    "जिसमें दोनों हों..."

    "वेट..." अंश ने कहा,

    और शेल्फ में से एक किताब निकाली।

    उसने किताब उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा,

    "ये लीजिए..."

    माहिरा ने किताब थामी,

    उसकी उंगलियाँ पल भर को अंश की उंगलियों से छू गईं।

    उसने फौरन से किताब ली, और धीरे से थैंक्यू कहके वहा से निकल गई।

    युग जो ये सब देख रहा था, अंदर ही अंदर जल के रह गया था।

    वो जानता था कि अंश उन लड़कों में से जो कभी किसी लड़की से जल्दी बात नहीं करता, करता भी है तो अपने ग्रुप वालों से, इसके सिवा वो किसी से भी बिना वजह बात नहीं करता था।

    मगर माहिरा के साथ उसे इस तरह बात करते देख, वो कुछ कुछ समझ रहा था।

    *******

    आखिरकार पिकनिक का दिन आ ही गया था, और माहिरा के पापा ने महिरा को इजाज़त दे दी थी।

    वो सभी काफी एक्साइटेड थे।

    सुबह 7 बजे तक सबको कॉलेज पहुंच जाना था , सभी स्टूडेंट टाइम पर पहुंच चुके थे।
    लेकिन माहिरा अभी तक नहीं आई थी।

    तुम दोनों तो साथ आते हो न, फिर आज अकेले क्यों ....युग ने सवाल किया।

    "अरे उसने मैसेज करा था सुबह की तू निकल जा , उसे थोड़ा लेट हो जाएगा आने में।"

    "पर यार बस तो niklane वाली है , और मैडम अभी तक नहीं आई है... "

    "हां वही सोच रही हूं मैं भी, फोन भी तो नहीं उठा रही है, ऐसा तो कभी नहीं करती है....."

    तभी उसका फोन बजा.....

    माहिरा की कॉल थी.....
    "यार माहिरा कहा है तू, कबसे कॉल कर रही हु, उठा क्यों नहीं रही थी....."

    थोड़ी देर बात करके श्वेता ने कॉल कट कर दी

    क्या बोला माहिरा ने आ रही है न वो....!! युग ने पूछा

    श्वेता ने उसे देखा,
    "वो आ रही थी अपने डैड के साथ, बट रास्ते में उनकी गाड़ी खराब हो गई, अभी थोड़ी देर में पहुंच जाएगी वो, और मोबाइल गाड़ी में लॉक था इसलिए उसे पता नहीं चला।"

    युग के चेहरे पे थोड़ा सुकून सा आ ठहरा था। जिसे श्वेता ने बड़े ध्यान से देखा था।

  • 17. तू जो मिला... - Chapter 17

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min