इश्की उम्र में जितनी छोटी उतनी ही मासूम, इश्की सिंघानिया जिसे दुनियादारी की इतना समझ ही नही है, लेकिन अपने परिवार और अपनो के लिए वो कुछ भी कर सकती है, लेकिन जब उसकी खुशियों को नजर लगती है रणवीर रायजादा की, जिससे उसकी हसती खेलती जिंदगी हो जायेगी बर्बा... इश्की उम्र में जितनी छोटी उतनी ही मासूम, इश्की सिंघानिया जिसे दुनियादारी की इतना समझ ही नही है, लेकिन अपने परिवार और अपनो के लिए वो कुछ भी कर सकती है, लेकिन जब उसकी खुशियों को नजर लगती है रणवीर रायजादा की, जिससे उसकी हसती खेलती जिंदगी हो जायेगी बर्बाद क्या इश्की रणवीर के जंगुल से खुद को छुड़ा पाएगी, क्या उसके सभी जालो को तोड़कर निकल पाएगी, या दोनो में हो जायेगा प्यार और दोनो हो जायेंगे एक साथ या किसी और कहानी की होगी यहां शुरुवात जानने के लिए पढ़ते रहिए " इश्क की एक अनोखी कहानी" heartless ishq
अनुराग कश्यप
Hero
रणवीर रायजादा
Villain
इश्की सिंघानिया
Heroine
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शाम का वक्त था। आसमान धीरे-धीरे लालिमा लिए था, जैसे कोई गहरा दर्द अपने रंग बिखेर रहा हो। पहाड़ों की चोटियों पर सर्द हवाएं चल रही थीं, जो हर चीज़ को थरथराने पर मजबूर कर रही थीं। चारों तरफ सिर्फ पहाड़ और घने पेड़-पौधे थे, और दूर-दूर तक सिर्फ यही सुनसान नज़ारा फैला हुआ था। इस नज़ारे के बीच एक लड़की भागते हुए उस पहाड़ी पर आई, साथ ही उसके पैरों से निकल रहे खून से अपने निशान बना चुकी थी। वह अकेली खड़ी थी, रेड साड़ी पहने, उस ठंडी हवा में बार-बार उसका पल्लू उड़ रहा था।
उसके चेहरे पर दर्द की गहराई इतनी थी कि जैसे पूरी दुनिया का बोझ उसके कंधों पर हो। उसके खुले हुए बाल हवा में उछल रहे थे, कभी-कभी उसकी आंखों के सामने आ जाते, जिससे उसका चेहरा और भी बिखरा-बिखरा सा लग रहा था। उसकी साड़ी का पल्लू जैसे एक पीड़ा की तरह हवा में लहरा रहा था, और उसकी आंखों से अनगिनत आंसू बहे जा रहे थे — बेइंतहा, बेबसी के निशान। लेकिन उस दर्द की गहराई सिर्फ आंसुओं में ही नहीं थी। उसके चेहरे पर और शरीर पर चोटों के निशान थे। माथे से खून धीरे-धीरे बह रहा था, और हाथों पर लाल रंग के निशान साफ दिख रहे थे। उसके होंठ भी खून से सने हुए थे, और उसकी हालत नाजुक से ज्यादा टूट चुकी थी। उसके माथे पर पट्टी बंधी हुई थी, वह कहीं खोई हुई, कहीं बेबस खड़ी थी, जैसे उस दुनिया की हर उम्मीद ने उसे छोड़ दिया हो। उसने अपनी आंखों को कुछ देर बंद किया तो उसके चेहरे पर कुछ याद करके दर्द की लकीरें उभर आईं, उसने तुरंत ही आंखे खोल लीं। वह आस-पास की ओर देखती रही, शायद कहीं कोई उम्मीद की किरण दिख जाए। फिर उसने ऊपर आसमान की ओर देखा — उस अनंत और अंधेरे आकाश में, जहां शायद कोई जवाब छिपा हो। उसकी आवाज़ में एक दर्द भरी खनक थी, जब उसने कहा, “आप पर बहुत विश्वास था, भगवान जी… लेकिन अब नहीं है। और आज मैं जहां हूं, आपकी वजह से ही हूं। मैंने अपना सब कुछ खो दिया है, प्यार, परिवार और आत्मसम्मान, इज्जत, सब कुछ, कुछ भी नहीं बचा। आज लग रहा है लोग आपको जो मानते है वो पागल है, आपने मेरी नहीं सुनी बिल्कुल भी नहीं सुनी, सोचा था हार नहीं मानूंगी लेकिन अब और नहीं। अब मैं सब कुछ सह सह कर थक चुकी हूं।"
इतना कहकर, वह लड़की चुपचाप, बिना किसी शोर-शराबे के, उस खाई की ओर चली गई जो उसके ठीक सामने थी। एक पल की देर में, उसने खुद को उस गहरे खालीपन में फेंक दिया, जहां से लौटना नामुमकिन था। उसके गिरते ही वहां एक पल में खामोशी हो गई थी और अगले ही पल जोरों की बारिश होने लगी!
तो वहीं दूसरी तरफ, एक बड़ा और खूबसूरत घर था। कमरे की दीवारों पर महंगे चित्र लटक रहे थे, और फर्नीचर इतना आलीशान था कि उसके सामने खड़े लोग बेताब होकर उसे देख रहे थे। यह घर किसी आम इंसान का नहीं था, बल्कि एक खतरनाक आदमी का था, जिसकी ताकत और प्रभाव इलाके में फैले हुए थे।
घर के अंदर एक लड़का था — गुस्से से भरा हुआ, उसकी आँखें आग उगल रही थीं। वह सामान इधर-उधर फेंक रहा था, जैसे कोई बड़ा झटका उसे लगा हो। उसके सामने करीब 50 लोग खड़े थे, जो उसके बॉडीगार्ड्स थे।
उसने गुस्से में सबको देखते हुए कहा, “कैसे भाग गई वो? तुम सब कहां थे? ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम सब के होते हुए भी वो बच निकली? कहां मर गए थे सारे के सारे एक साथ?" इतना बोल उसने गन उठाई और एक-दो लोगों को तो गोली से वही मार गिराया, पर कुछ लोग बच गए थे।
एक पल में ही उनकी लाशें जमीन पर गिर गईं, और उस कमरे में सन्नाटा छा गया। उसकी आवाज़ में जो गुस्सा था, वह सिर्फ इसलिए नहीं था कि कोई उसकी बात नहीं मान रहा था, बल्कि उस लड़की के जाने से उसका दिल टूट गया था। वह जानता था कि वह उसकी दुनिया का सबसे बड़ा हिस्सा थी — और अब वह कहीं खो चुकी थी। उसका गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था, उसने बचे हुए आदमियों को देखा और कहा– "इस शहर का एक एक कोना ढूंढो, हर इलाका, हर गली, हर घर जाओ।"
दो महीने बाद
एक भव्य बंगला था, जिसमें अमीर लोग जश्न मना रहे थे। उनके कपड़ों, गाड़ियों और महंगे गहनों से साफ पता चलता था कि ये लोग धन और ताकत के मालिक थे। वे सब बड़े गर्व से एक-दूसरे से बात कर रहे थे, और महफिल में ऊंची बोली लगाई जा रही थी।
कुछ देर बाद, सामने 20 लड़कियां लाई गईं। सभी को खूबसूरती से सजाया गया था, उनके गहने, मेकअप और कपड़े सब बेमिसाल थे। लोगों ने उन लड़कियों की नीलामी शुरू कर दी।
तभी एक आदमी ने एक लड़की को देखा, जिसने काली-लाल साड़ी पहनी हुई थी। उसने जोर से बोला, “1 करोड़।”
लड़की चुपचाप सिर्फ देख रही थी, उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी — शायद दर्द, शायद उम्मीद।
तभी दूसरे आदमी ने टकराते हुए बोली लगाई, “1 करोड़ 50 लाख।”
फिर लड़कों ने गिनती शुरू कर दी।
तभी पीछे से एक रौबदार आवाज आई, जिसने सबकी बात काट दी — “3 करोड़।”
सब लोग उस आवाज की तरफ मुड़कर देख रहे थे। वहीं, वह लड़की उस आवाज को सुनकर सुन्न हो गई। उसके हाथ-पैर कांपने लगे, उसे ये आवाज बार बार अपने कानों में सुनाई दे रही थी, उसने अपने दोनों हाथ कान पर रख लिए थे, उसका पूरा शरीर पसीने में हो गया था, दर्द उसके चेहरे पर उभर कर साफ दिखाई दे रहा था और उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी, और पूरे हॉल में एक सन्नाटा छा गया।
जयपुर.......
शाम का समय,
विराट रोड जिस पर से गुजरती एक गाड़ी जो की काफी तेज चल रही थी, सर्दियों का मौसम जिसमे चलती ये ठंडी ठंडी हवाएं, उस कार के शीशों को छूकर वापस से लहरा रही थीं उस कार में बैठा वो आदमी जिसने ब्लैक कोर्ट पहना हुआ था, और अपनी गोद में रखे अपने लैपटॉप पर कुछ कर रहा था, उसके आगे वाली सीट पर एक लड़का और ड्राइवर था, तभी उसके सामने बैठे लड़के ने कहा–"आरआर मैंने सुना है इस बार का प्रोजेक्ट की जो डील होगी वो काफी पेसो की है, और उसको जीतने के लिए मेहरा कुछ भी कर सकता है।"
उस लड़के के इतना बोलते ही उस लड़के ने कहा–"तुम हर चीज को ज्यादा सोचते हो, प्रोजेक्ट हमे मिलेगा अमन।" इतना बोल वो वापस से अपना काम करने लगा, तभी अचानक से उसे कुछ याद आया और उसने वापस अमन से कहा–"वो आमेर फोर्ट के पास जो साइड में जमीन है उसका क्या हुआ..? पता चला किसकी है वो...?"
अमन ने उस लड़के की बात सुनी और कहा–"सुना है किसी सिंघानिया की है, बाकी अभी पूरी जानकारी नही है।" उसके इतना बोलते ही उस कार में शांति हो गई थी, कुछ ही देर में वो गाड़ी एक बड़े से बंगले के सामने आकर रुकी वो बंगला बाहर से काफी बड़ा नजर आ रहा था, लेकिन उसके आस पास एकदम शांति छाई हुई थी, वो आदमी जल्दी से अंदर आया और अपने रूम में चला गया, सामने दरवाजे के सोफे रखे हुए थे, राइट साइड डाइनिंग और लेफ्ट साइड एक और वेटिंग एरिया था, सामने लाइब्रेरी थी और उसके पास से ऊपर सीढ़ियां नीचे भी काफी सारे रूम थे, अमन ने वहां काम कर रही एक औरत को देखा और उसके पास जाते हुए बोला–"रणवीर सर के लिए ब्लैक कॉफ़ी और हां ध्यान से विदाउट शुगर एंड उनसे बोलना में बाहर जा रहा हुं किसी काम से!" इतना बोल वो वहां से चला गया, कुछ ही देर में वो औरत उस रूम के दरवाजे पर खड़ी थी लेकिन उसका पूरा शरीर बुरी तरह से कांप रहा था!
उसने बहुत हिम्मत की और दरवाजा खटखटा दिया बेड पर अपनी शर्ट उतारकर बेटा रणवीर कुछ सोच रहा था, उसने उस औरत को देखा और उसे अंदर आने का बोल दिया, उस औरत ने जल्दी से टेबल पर कॉफी रखी और वहां से चली गई! उसके जाते ही रणवीर का फोन बजने लगा उसने देखा और फोन उठकर कान के लागते हुए बोला–"कब मिल रही हो डार्लिंग...? वैसे मुझे अभी मिलना था!" उसका इतना बोलना था की उसके रूम का डोर बज गया, उसने दरवाजे पर देखा तो एक लड़की खड़ी हुई थी जिसने शॉर्ट मिनी ड्रेस पहनी हुई थी, पेंसिल हील्स और चेहरे पर मेकअप लगाया हुआ था, ब्रांडेड ब्रेसलेट के साथ पर्स था रणवीर ने उसे देखा और उसके पास आ गया उसने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसे खींच के अपनी और कर लिया और रूम का दरवाजा बंद कर दिया, उस लड़की ने रणवीर को देखा और उसके सीने से लग गई वो तो उसके शरीर को देखकर बस उसी में खोए जा रही थी, उसे इस बात का भी होश नही था की कब रणवीर ने अपने होठों को उसके होठों पर रख दिया, दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे उन दोनो की किस कुछ ही मिनटों में डीप किस में बदल गई, लगभग पंद्रह मिनट किस करने के बाद रणवीर उस लड़की से दूर हुआ उस लड़की ने रणवीर के सीने पर किस करना शुरू कर दिया था, रणवीर ने उसे अपनी तरफ खींचा और अपने हाथों को पीछे करके उस लड़की की ड्रेस को उसके शरीर से एक ही मिनट में अलग कर दी थी, उसने उसे गोद में उठाया और बेड पर आ गया।
तो वही दूसरी साइड एक लड़की एक दुकान पर खड़ी हुई थी, उस दुकान पर काफी भीड़ थी और यह थी "इश्की स्वीट्स" उस लड़की ने सभी ग्राहक को उनका समान दिया और फिर वही चेयर पर बैठ गई उसके सामने ही एक उम्र का आदमी बैठा हुआ था, उसने उस लड़की को देखा और कहा–"अगर तुम थक गई हो तो तुम घर चली जाओ इश्की मैं आ जाऊंगा थोड़े देर में!"
उनके बोलते ही इश्की ने कहा–"नही पापा में यही हुं, साथ चलेंगे।"
इश्की की बात सुनकर उस आदमी ने कहा–"तुझे क्या लगता है ये यशपाल डरता है जो अकेले नही आ पाएगा!"
इश्की ने उनकी बात सुनी और कहा–"बिल्कुल भी नही लेकिन घर जाऊंगी तो म्हारे को बहुत सुनना पड़ेगा जो म्हारे को जरा सा भी पसंद कोणी!"
यशपाल जी ने उसके मुंह से मारवाड़ी सुनी और बोले–"माना हम यहां के है लेकिन तुम हिंदी बोला करो मैं कन्फ्यूज हो जाता हूं!" इतना बोल दोनो बाप बेटी हसने लगे!"
तभी यशपाल जी ने इश्की को देखते हुए कहा–"तुम ना अब आराम से पढ़ना बिटिया, पेसो की प्रॉब्लम की वजह से तुम अपनी पढ़ाई मत छोड़ो!"
इश्की ने उनकी बात सुनी और कहा–"बिल्कुल लेकिन में यहां आना बंद नही करूंगी, इससे हमारा घर चलता है, एक यही तो है जिससे हम सब कुछ संभाल लेते है, इसलिए आप मेरी टेंशन मत लीजिए मैं रात को पढ़ लूंगी।" इतना बोल दोनो बाप बेटी फिर से अपने अपने काम पर लग गए!
तो वही अमन अपने घर आ गया था, और वो जब से आया था सिर्फ यही मालूम कर रहा था की वो जमीन किस की है!
अगली सुबह जेसे ही रणवीर की आंख खुली उसने देखा उसके बगल में वो लड़की नही थी उसने बेड पर देखा और मुस्कुराते हुए कहा–"जो इतना जल्दी मेरा हो जाए, वो मुझे नही पसंद।" इतना बोल वो मुस्कुराने लगा, उसके मुस्कुराते हुए भी डर लग रहा था, उसने अपनी आंखो को बंद किया और रात की बात याद करने लगा।
अगली सुबह जैसे ही रणवीर की आँख खुली उसने देखा उसके बगल में वो लड़की नहीं थी। उसने बेड पर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "जो इतना जल्दी मेरा हो जाए, वो मुझे नहीं पसंद।" इतना बोल वो मुस्कुराने लगा, उसके मुस्कुराते हुए भी डर लग रहा था। उसने अपनी आँखो को बंद किया और रात की बात याद करने लगा।
"रणवीर उस लड़की की बाहों में था, और दोनो एक दूसरे के बेहद करीब थे।" उसने उस लड़की को देखा और कहा, "तुम तो बड़ी जल्दी मान गई ये सब करने के लिए!"
उस लड़की ने रणवीर के सीने पर किस करते हुए कहा, "मानती क्यों नहीं, तुम्हारे जैसा लड़का ऑफर करे और कोई रिजेक्ट कर दे, मुझे लगता नहीं ऐसी कोई लड़की होगी इस दुनिया में।"
रणवीर ने उस लड़की की बात सुनी और मुस्कुराते हुए बोला, "मुझे ना सुनना तो नहीं पसंद, लेकिन मुझे इतनी जल्दी हासिल करना भी नहीं पसंद और जो मेरे साथ एक मिनट में मेरे बिस्तर पर आ जाए वो मुझे बिल्कुल नहीं पसंद।" इतना बोल रणवीर ने उस लड़की का गला दबा दिया। वो लड़की झटपटाते हुए वहीं एक ही पल में अपना दम तोड़ चुकी थी। उसने अपने कपड़े लिए और वहाँ से उठकर अपने रूम में आ गया। उसने एक आदमी को इशारा कर दिया था, उन लोगों ने उस लड़की को देखा और वहाँ से ले गए!
तो वहीं रणवीर के फेस पर ये सब सोचकर स्माइल आ गई थी। वो अपने रूम से निकलकर आया और जैसे ही नीचे आकर सोफे पर बैठा तभी उसके घर में काम करने वाले सर्वेंट वहाँ आकर खड़े हो गए। किसी के हाथ में पानी, तो किसी के हाथ में चाय और किसी के हाथ में कॉफ़ी, ग्रीन टी, ब्लैक कॉफ़ी सब थी। रणवीर ने एक नजर सबको देखा और कहा, "कॉफी।" उसका इतना बोलना था कि एक लड़की कांपते हुए उसके सामने आई और टेबल पर कॉफी रखकर साइड हो गई। रणबीर ने उस एक मिनट में उस लड़की को देखा और कहा, "अच्छे से काम सीखो।" इतना बोल वो अपनी कॉफी पीने लगा।
तभी अमन अंदर आते हुए बोला, "पता लग गया, वो जमीन किसी सिंघानिया की है, लेकिन मैंने पता किया है बहुत मिडिल क्लास फैमिली है। उनकी यहां हवामहल रोड पर स्वीट्स की शॉप है और उससे ही उनका गुज़ारा होता है। फैमिली में 4 लोग है, दो बेटियां, दोनों पढ़ती हैं। थोड़ा सा कर्जा लिया है, बाप-बेटी दोनों मिलकर शॉप चलाते है, और वो जमीन उनकी पुश्तैनी जमीन है। मैंने ये भी पता किया है कि वो उस जमीन को नहीं बेचना चाहता।"
रणवीर ने अमन को देखा और थोड़े गुस्से से कहा, "वो जमीन हमारे लिए बहुत जरूरी है, उसकी वजह से हमारे कंस्ट्रक्शन का काम रुका हुआ है, इसलिए तुम खुद जाओ और पर्सनली उससे बात करो और अगर ना माने तो फिर देखते है, वैसे मेरी एक मीटिंग है, मैं तुमको शाम को मिलता हुं, तब तक ये सब देखो।" इतना बोल वो अपने रूम में चला गया, और कुछ ही देर में रेडी होकर अपनी कार लेकर वहाँ से चला भी गया!
वो अपने बंगलो से निकल गया था, कार उसका ड्राइवर चला रहा था, और रणवीर किसी से फोन पर बात कर रहा था, तभी ट्रैफिक सिग्नल पर आकर उसकी कार रुकी तो उसकी नजर सामने गई जहां एक दुकान पर एक लड़की मुस्कुराते हुए किसी से बात कर रही थी, उसके सामने ही एक लड़का और एक आदमी खड़े हुए थे। उसने व्हाइट कलर का कुर्ता पहना हुआ था, बालों का ढीला सा जूड़ा बनाया हुआ था, और हाथों में चूड़ियाँ पहनी हुई थी, एक हाथ में रिंग और वो बात करते हुए बहुत प्यारी लग रही थी। उसकी आँखों का काजल और गोरे गाल पर होठों के नीचे का वो तिल, रणवीर की नजर उस लड़की पर जैसे ठहर सी गई हो। वो कुछ बोलता या वापस उसे ध्यान से देखता उससे पहले ही ट्रैफिक सिग्नल ग्रीन हो गया था, ड्राइवर ने गाड़ी तुरंत वहाँ से निकाल ली थी।
तो वहीं इश्की ने उस लड़के को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "सर आप कुछ भी लीजिए एक बार खाने के बाद हमेशा आप इश्की की बातें और इश्की की मिठाई दोनो याद करेंगे, आपको क्या चाहिए, आलू कचोरी, प्याज कचोरी, दाल कचोरी, समोसा, कोफ्ते, ब्रेड सैंडविच।" उसने इतनी सी देर के बहुत सारे नाम बोल दिए थे। उस लड़के ने अपना कुछ सामान मंगवाया और वहीं साइड में खड़ा होकर खाने लगा। सच में वो सब अच्छा था उसने इश्की को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "मेरी सिस्टर की शादी है, क्या तुम उसमे कैटरिंग का काम लोगी, तुम्हें क्या-क्या आइटम बनाने आते है और बेस्ट है?"
इश्की ने तुरंत हाँ कर दी थी, उस लड़के ने अपना कार्ड दिया और वहाँ से चला गया। इश्की भी खुश नजर आ रही थी, उसने कार्ड को बैग में रखा और यशपाल जी के पास आकर बोली, "मेरा कॉलेज पूरा हो गया, और आज रिजल्ट है, बस सोचिए अगर मेरा एम. ए. क्लियर हो जाए, इसलिए मैं कॉलेज जा रही हुं, कुछ देर में आ जाऊंगी।" इतना बोल इश्की वहाँ से चली गई!
इश्की कॉलेज में आई तो उसकी नजर दरवाजे पर खड़े एक लड़के पर गई, उसने उस लड़के को देखा जो कुछ सोच रहा था और इधर उधर घूम रहा था। इश्की उसके पास आई और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, "क्या हुआ वरुण..? मैं पास हो गई क्या..? और तुम?"
इश्की के सवाल सुनकर वरुण ने उसका हाथ पकड़ा और अंदर ले आया। दोनो नोटिस बोर्ड के पास आ गए थे जहा भीड़ लगी हुई थी, इश्की उस भीड़ को देखकर ही परेशान हो रही थी। वो बीच में से घुसकर नोटिस बोर्ड के सामने आई और उसने अपना नाम देखने लगी, उसने देखा तो वो पास की लिस्ट में थी, वो खुशी से वही उछलने लगी। तभी उसकी नजर वरुण के नाम पर गई, उसने उसका नाम देखा तो वो भी पास हो गया था, उसने जल्दी से आगे आकर वरुण को गले लगाया और कहा, "मैं पास हो गई यार, लेकिन तुम इतना परेशान क्यों दिखाई दे रहे थे?"
इश्की के सवाल सुनकर वरुण ने उसका हाथ पकड़ा और अंदर ले गया। दोनों नोटिस बोर्ड के पास आ गए थे, जहाँ भीड़ लगी हुई थी। इश्की उस भीड़ को देखकर ही परेशान हो रही थी। वह बीच में से घुसकर नोटिस बोर्ड के सामने आई और अपना नाम देखने लगी। उसने देखा तो वह पास की लिस्ट में थी। वह खुशी से वहीं उछलने लगी तभी उसकी नजर वरुण के नाम पर गई। उसने उसका नाम देखा तो वह भी पास हो गया था। उसने जल्दी से आगे आकर वरुण को गले लगाया और कहा, "मैं पास हो गई यार, लेकिन तुम इतना परेशान क्यों दिखाई दे रहे थे?"
वरुण ने इश्की की बात सुनी और कहा, "बस मैंने देखा नहीं था, मुझे डर लग रहा था, मैं पास हुआ या नहीं!"
इश्की ने वरुण को देखा और उदास होते हुए बोली, "सॉरी वरुण यार।" उसके उदास होने पर वरुण ने जल्दी से जाकर अपना रिजल्ट देखा तो उसके चेहरे पर खुशी आ गई। वह जल्दी से भागते हुए इश्की के पास आया और उसके गले लगते हुए बोला, "मैं भी पास हो गया।" इतना बोल वरुण ने जल्दी से इश्की को गोद में उठा लिया। सब लोग उन दोनों को देख रहे थे। इश्की ने उसे आँखें दिखाई तो वरुण ने उसे नीचे उतार दिया।
कुछ ही देर में इश्की अपना रिजल्ट देखकर अपने घर के लिए निकल गई थी। अपने घर पर आई तो उसने देखा उसके घर पर कोई आया हुआ था। सामने लगे छोटे से सोफे पर एक लड़का बैठा हुआ था, उसके साथ एक आदमी और था। वह सामने ही इश्की के पापा यशपाल जी बैठे हुए थे।
इश्की अंदर आते हुए बोली, "पापा मैं पास हो गई।" इतना बोल सबसे पहले यशपाल जी के गले लग गई। उसकी इस हरकत पर यशपाल जी ने उसके माथे को चूमते हुए कहा, "बहुत-बहुत बधाई हो बच्चे।" तभी उसकी माँ रेवती जी उसके पास आई और उसका हाथ पकड़ कर साइड में ले जाते हुए बोली, "देखा नहीं पापा किसी से बात कर रहे हैं, थोड़ी देर शांति रख ले।" इतना बोल वो उसे साइड में लेकर जाकर खड़ी हो गई।
इश्की ने अपनी बहन को देखा और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "यह लोग कौन हैं पूजा और यहाँ क्या कर रहे हैं?" उसके सवाल पर पूजा ने उसे देखा और कहा, "पता नहीं दीदी, यह लोग कुछ हमारी जमीन है ना, उसे बेचने की बात कर रहे थे, लेकिन पापा ने तो क्लियर बोल दिया कि वो नहीं बेचने वाले। बस इस बात को लेकर थोड़ी बातें हो रही है, मैंने बस इतना ही सुना था।" पूजा के यह बोलते ही इश्की ने अपनी कमर में दुपट्टा बांधा और अपने पापा के सामने आकर खड़े होते हुए बोली, "देखिए मिस्टर, हम जो भी हैं, वो हमारी जमीन है, हम बेचेंगे नहीं बेचेंगे, वो हमारा डिसीजन होगा। इसलिए आप अपना सामान समेटिए और यहाँ से चलते बनिए। आप किसी के घर जाकर उसे फ़ोर्स नहीं कर सकते, आपके लिए अच्छा होगा हमें कोई जमीन नहीं बेचनी।" इतना बोल उसने सामने बैठे लड़के को बाहर का रास्ता दिखा दिया। सामने और कोई नहीं रणवीर का दोस्त अमन ही था।
अमन ने एक नजर इश्की को देखा और बड़े ही आराम से कहा, "देखो मैं कोई नुकसान की डील करने यहां नहीं आया हूं। तुम्हें प्रॉफिट है, तुम्हारी जमीन वैसे भी काफी सालों पुरानी है, हमारा वहां कंस्ट्रक्शन का काम होगा। तुम लोग अगर वह जमीन हमें बेच देते हो तो हम तुम्हें अच्छा दाम दे रहे हैं। इसके बदले फिर तुम्हें अगर पैसे नहीं चाहिए तो उसके बदले तुम कहीं पर भी कोई भी फ़्लैट या फिर जमीन ले सकते हो। हमारे सर इस मामले में बहुत अच्छे हैं, पर जब उन्हें वह जमीन पसंद आ गई तो इसका मतलब उन्हें जमीन पसंद आ गई। उन्हें वह जमीन किसी भी हाल में चाहिए, वह अपना कंस्ट्रक्शन का काम उसी जमीन पर करना चाहते हैं!"
अमन की बात सुनकर इश्की ने अपनी कमर पर हाथ रखा और उसे घूरते हुए कहा, "अपने इन पैसों का रोब कहीं और जाकर दिखाना और अपने मालिक से बोलना हम यह जमीन नहीं बेच रहे और नहीं बेच रहे मतलब नहीं बेच रहे, सुन लिया? अब अपना सामान उठाओ यहाँ से चलते बनो! वरना मुझे भी बहुत अच्छे से आता है यहाँ से निकालना!"
इश्की की बातें सुनकर अमन ने अपने साथ लाए वकील को देखा और दोनों वहाँ से उठकर चले गए। उनके जाते ही इश्की ने यशपाल जी को देखा और उनके पास बैठते हुए कहा, "पापा मुझे तो समझ ही नहीं आता हमारी जमीन में ऐसा है क्या जो यह लोग पीछे पड़े होते हैं? आए रोज कोई ना कोई आता रहता है। माना पुरानी जमीन है, अच्छी जगह है, लेकिन ऐसा थोड़ी कि मुझे बेच देंगे? तुम्हारी पुश्तैनी जमीन है, लेकिन अब अगर कोई आएगा ना तो मैं चुप नहीं बैठूंगी जैसे आप बैठे रहते हैं, आपने सीधा मना कर सकते हैं, घर में आने की इजाजत तक ना दें!"
इश्की की बात सुनकर यशपाल जी ने उसके माथे पर हाथ रखा और मुस्कुराते हुए कहा, "ऐसी बात नहीं है, मैं उन्हें ऑलरेडी मना कर चुका हूं, हम हमारी जमीन कहीं नहीं बेचने वाले। अच्छा क्या इन सब को छोड़ो, आज तुम पास हो गई हो, चलो बताओ तुम्हें क्या चाहिए!"
इश्की आगे कुछ बोलती उससे पहले ही रेवती जी यशपाल जी के पास आई और हल्के गुस्से में कहा, "अब क्या सर घर इसी लड़की पर लुटा दोगे? अच्छी खासी जमीन के पैसे मिल रहे थे, लेकिन नहीं, बाप बेटी को पता नहीं कौन सा भूत चढ़ा हुआ है। अच्छे खासे पैसे दे रहे थे, लेकिन पता नहीं तुम्हें क्या भूत चढ़ा हुआ है। पता नहीं तुम्हें वो जमीन क्यों नहीं बेचनी थी और तुम्हें अभी भी इस लड़की को आगे पढ़ाना है! अरे मैं तो कहती हूं इस लड़की के हाथ पीले करके इसे निकालो घर से!"
यशपाल जी ने रेवती जी की बातें सुनी और गुस्से से कहा, "अपनी बकवास बंद करो रेवती, कहाँ से जो ये क्या बोली जा रही हो? मैंने पहले भी कहा था वह जमीन मेरे जीते जी तो नहीं बिकेगी तो अपने दिमाग में से फालतू की बातें निकाल देना!"
यशपाल जी ने रेवती जी की बातें सुनी और गुस्से से कहा– "अपनी बकवास बंद करो! ड्यूटी कहां से आ गई? ये क्या बोली जा रही है? मैंने पहले ही कह दिया था, वो ज़मीन मेरे जीते जी तो नहीं बिकेगी, तो अपने दिमाग से फालतू की बातें निकाल देना!"
रेवती जी ने इश्की को देखा और उसका हाथ पकड़ कर ले जाते हुए बोलीं – "बहुत घूम ली ना तू! चलो, जाओ जाकर थोड़ा घर का काम भी करना सीखो!" इतना बोलकर वो गुस्से में वहां से चली गईं। यशपाल जी ने एक नजर इश्की को देखा, पर उसके लिए कुछ नहीं कर सकते थे। इश्की ने मुस्कुराते हुए यशपाल जी को देखा और जाकर अपने कामों में लग गई।
इश्की ने जल्दी-जल्दी सारा घर का काम किया और वापस से यशपाल जी के पास आकर बैठते हुए बोली – "क्या यार पापा, आप दुकान को फिर से उनके हाथ में छोड़ आए? आपको पता है ना, मुझे तो लगता है वो रामू अंकल पक्का कुछ गड़बड़ करते हैं। इसलिए दुकान को अकेला छोड़कर मत आया कीजिए। अगर इनके जैसे लोग हैं ना, तो मुझे बता दिया करिए। आपकी बेटी बहुत बड़ी फाइटर है, देखना एक दिन इन लोगों को धूल चटा के निकाल देगी!"
यशपाल जी इश्की की बातें सुनकर मुस्कुराते हुए बोले – "बहुत–बहुत बढ़िया बात है कि तुम फाइटिंग भी करना जानती हो, लेकिन फिलहाल मेरे साथ दुकान पर चलो। जो ऑर्डर तुमने लिया है ना, वो तुम ही पूरा करने वाली हो, मैं नहीं करने वाला। इसलिए जो भी मिठाई वहां बनेगी, फिर जो भी आइटम बनेंगे, वो तुम्हारी जिम्मेदारी है!"
इश्की ने यशपाल जी का हाथ पकड़ा और वहां से उनके साथ चली गई।
इश्की ने अपने पापा के साथ जाकर दुकान पर काम करना शुरू कर दिया था। दोनों बाप–बेटी मिलकर कुछ आइटम्स तैयार कर रहे थे जो कि कल जाने थे। उन्होंने कुछ आइटम्स रेडी किए।
इश्की ने यशपाल जी की ओर देखते हुए कहा – "मेरे पापा, क्या सोच रही थी मैं... अभी जाकर उनके एड्रेस पर हूं, ना... ये आइटम्स दिखा कर आती हूं। अगर उन लोगों को सारे आइटम्स पसंद आते हैं, तो हमारे लिए एक दिन एक्स्ट्रा मिल जाएगा ना सब कुछ मैनेज करने का। अच्छा भी हो जाएगा और अगर कुछ गड़बड़ भी होगी, तो वह सब भी ठीक हो जाएगी। और थोड़ा एडवांस भी मिल जाएगा। जाऊं?"
यशपाल जी ने इश्की की बात सुनी और बोले – "ये तो बहुत अच्छा आइडिया है। ऐसा करो, तुम शाम की स्कूटी ले जाओ और जल्दी जाना और जल्दी आ जाना। बीच में कहीं मत रुकना। अगर उन्हें ये सारे आइटम्स पसंद आते हैं, तो बहुत अच्छी बात है। पर जितने आएंगे, उतनी भी अच्छी बात है। इसलिए तुम अभी चली जाओ!"
उधर वहीं रणवीर सोफे पर बैठा कॉफी पी रहा था। उसके सामने ही अमन बैठा हुआ था। अमन ने आज जो–जो हुआ था, वह सब एक–एक चीज करके रणवीर को बता दिया था। और ये सब सुनकर रणवीर के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। उसने अपनी कॉफी का कप नीचे रखते हुए कहा – "तुम्हें अरमान याद है...? उसकी बहन की शादी है, तो प्लीज मेरा शेड्यूल थोड़ा चेंज करवा देना। वहां जाना भी मेरा बहुत इंपॉर्टेंट काम है। इन सब चीजों का थोड़ा ध्यान रखना। फिलहाल मैं वहीं जा रहा हूं। उसने मुझे किसी काम से बुलाया है, कोई प्रोजेक्ट है जिसके बारे में थोड़ा डिस्कस करना है।"
अमन ने रणवीर की बात सुनी और सिर हिलाते हुए वहां से चला गया। कुछ ही देर में रणवीर भी वहां से चला गया था।
इश्की कुछ ही देर में एक बड़े से घर के सामने आकर खड़ी हो गई थी। उसने उस बड़े से घर को देखा और वहीं खड़ी होकर उसे गौर से देखने लगी। और उसने खुद से ही कहा – "इन लोगों का भी बढ़िया है, जितना बड़ा घर होता है, उतना छोटा इनका दिल होता है। सब कुछ ऐसे दिखाना है, बहुत अमीर वाला। लेकिन कहते हैं ना, अक्सर अमीरों का दिल छोटा ही होता है और बड़े–बड़े बंगलों के पीछे कई राज भी छुपे होते हैं!"
इतना बोलकर उसने अपने साथ लाए हुए एक बैग को लिया और वहां से अंदर चली गई। वह कुछ ही दूर चली थी कि वहां के गार्ड ने उसे रोकते हुए कहा – "बिना परमिशन के कहां जा रही हो लड़की? ऐसे किसी का भी मुंह उठाकर आना यहां पर अलाउ नहीं है!"
इश्की ने उस गार्ड को देखा और अपनी कमर पर एक हाथ रखते हुए कहा – "तो अब अलाउ हो जाएगा! अगर मेरी खिसकी ना, तो ये इश्की तुम्हारे लिए रिस्की हो जाएगी समझे? बिना बुलाए मुंह उठाकर नहीं आ रही मैं यहां पर। तुम्हारे सर ने बुलाया है मुझे। यकीन नहीं है तो फोन करके पूछ लो!"
इतना बोलकर इश्की आगे निकल गई थी।
इश्की वहां से अंदर आ गई थी। तभी उसे वही लड़का मिला था जो उसकी दुकान पर आया था। उसने इश्की को देखा और मुस्कुराते हुए कहा – "अच्छा हुआ तुम खुद आ गई, वरना मैं खुद आ रहा था। और बहुत अच्छी बात है, घर वाले सभी यहीं हैं। सब कुछ जैसे–जैसे मिठाई पसंद आएगी, हम वही स्वीट्स रखेंगे। तुम अंदर चलो, मैं भी आता हूं।"
इतना बोलकर वह वहां से साइड में चला गया। वहीं इश्की अभी भी पूरे घर को देख रही थी। तभी उसके पीछे से एक लड़की आते हुए बोली – "तुम नहीं, अपने साथ स्वीट्स जल्दी से दिखाओ ना! मुझको खानी भी है!"
इश्की आराम से सोफे पर बैठकर सबको स्वीट्स दिख रही थी जैसे-जैसे सब घर वाले स्वीट्स देख रहे थे वैसे-वैसे सब फाइनल भी करते जा रहे थे इश्की उठकर एक साइड खड़ी हो गई और मुस्कुराते हुए और सब की ओर देखने लगी यह परिवार काफी अच्छा था किसी ने भी उसे गलत व्यवहार या फिर गलत बात नहीं की कही थी इश्की एक साइड खड़ी होकर सबको देख रही थी तभी उसकी नजर दरवाजे पर गई जहां से 6 फीट का एक हैंडसम सा लड़का आ रहा था बियर्ड से भरा चेहरा हाथ में महंगी वॉच और ब्लू कोट पेंट उसके चलने के स्टाइल से ही उसमें इतना एटीट्यूड लग रहा था इश्की बड़े गौर से उसको देख रही थी!"
इश्की एक साइड खड़ी होकर सबको देख रही थी तभी उसकी नजर दरवाजे पर गई जहां से 6 फीट का एक हैंडसम सा लड़का आ रहा था बियर्ड से भरा चेहरा हाथ में महंगी वॉच और ब्लू कोट पेंट उसके चलने के स्टाइल से ही उसमें इतना एटीट्यूड लग रहा था इश्की बड़े गौर से उसको देख रही थी!"
अब आगे.....
"सामने जो लड़का था वह रणवीर था जो अरमान से मिलने के लिए यहां आया था अरमान और वो दोनों एक साथ अंदर आ रहे थे वह दोनों अभी अंदर आ ही रहे थे कि तभी उसकी नजर इश्की पर गई जो की मुस्कुराते हुए सबको देख रही थी रणवीर ने उसे देखा और वह अरमान से कुछ पूछ था उससे पहले अरमान उसे छोड़कर आगे बढ़कर इश्की के पास जाते हुए बोला–" इन लोगों ने जो जो फाइनल की है वह तुम रेडी करके रखना परसों हमें वह सभी स्वीट चाहिए होगी, बाकी तुम्हारा पेमेंट तुम्हारी दुकान पर ही पहुंच जाएगा थोड़ी देर में ,अभी तुम जा सकती हो!"
" इश्की ने अरमान को देखकर एक छोटी सी स्माइल दी और वहां से अपना बैग लेकर जैसे ही जाने को हुई कि तभी उस लड़की ने वापस से इश्की को देखते हुए कहा–" तुम इनको भी लेकर जाओगे यह तो तुम खाने के लिए देकर जाने वाली थी ना!"
इश्की ने उस लड़की को देखा और कहा–" वैसे ना जो ज्यादा मीठा खाता है ना उसके दांत में कीड़े लग जाते हैं इसलिए आपको ज्यादा मीठा नहीं खाना चाहिए, बाकी आप इस मिठाई को यहीं रख लो पर एक-एक करके खाना एक साथ नहीं ओके इतना बोलकर इश्की मुस्कुराते हुए वहां से चली गई थी लेकिन वह जैसे ही रणवीर के पास आई अचानक से उसका पर मुंडा और वह गिरती उससे पहले ही रणवीर ने उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया था रणवीर एकटक उसकी आंखों में देख रहा था लेकिन इश्की की डर की वजह से आंखें ही बंद हो चुकी थी काफी देर बाद जब वह खुद को सेफ महसूस कर रही थी तब उसने अपनी आंखें खोली और देखा तो वह बिल्कुल सही थी!
" इश्की ने जल्दी से रणवीर को देखा और सही से खड़े होते हुए बोली–" थैंक यू, इतना बोल वो तुरंत वाह से निकल गई थी, रणवीर अभी भी इश्की को देख रहा था जहां से अभी-अभी इश्की निकली थी उसे इश्की को देखते ही सुबह वाली दुकान पर खड़ी हुई इश्की की याद आ गई वह कुछ आगे सोचता उससे पहले ही अरमान ने उसके गले में हाथ डाला और कहा–" इतना क्या सोच रहा है तू जानता है पहले से उसे..?"
" रणवीर ने अरमान की बात सुनी और मुस्कुराते हुए कहा–" इतने बुरे दिन नहीं आए शायद मेरे की रणवीर रायजादा किसी को जाने जिसे जानना है वह रणवीर रायजादा को जाने चलो इतना बोलकर दोनों एक जगह बैठकर अपने किसी काम को डिस्कस करने लग गए थे !"
तो वही उस बड़े से घर से निकाल कर इश्की ने बाहर आकर अपनी स्कूटी स्टार्ट की और अपने घर के लिए चली गई वह भी अपने घर पर आई थी कि उसने देखा घर के अंदर एक आदमी यशपाल जी से बहस करने में लगा हुआ था इश्की ने उन सब को देखा और अंदर आकर बोली–" देखो बलवंत तुम्हें तुम्हारे पैसे चाहिए ना मिल जाएंगे बस थोड़ा सा टाइम दे दो!"
" वहां पर खड़े उस आदमी ने इश्की को देखा और एक स्माइल देते हुए कहा–"तुम्हें क्या मैं पागल लगता हूं पिछली बार मैं जब आया था तब भी तुमने यही कहा था इस बार मुझे मेरे पैसे किसी भी हाल में चाहिए!"
इश्की ने बलवंत की बात सुनी और थोड़ा सा नॉर्मल होते हुए अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए बोली–" देखो मुझे ना एक मिठाइयों को कॉन्ट्रैक्ट मिला है अगर कल वह अच्छे से हो जाता है ना तो हम पक्का तुम्हें सारे पैसे एक साथ दे देंगे पर प्लीज अभी यहां से चले जाओ!"
बलवंत ने इश्की की बात सुनी और मुस्कुराते हुए कहा ठीक है परसों सुबह में वापस आऊंगा इतना बोलकर वह वहां से चला गया था!"
इश्की यशपाल जी के पास अगर उनके पास खड़ी होते हुए बोली–" " टेंशन मत लीजिए बाबा कल परसों हम इनका हिसाब पूरा कर देंगे बस मिठाइयों का कॉन्ट्रैक्ट अच्छे से हो जाए फिर हमारे हाथ में पैसे भी आ जाएंगे और हमें कोई दिक्कत नहीं होगी इतना बोलकर वह मुस्कुराती दी"
"तभी उन दोनों की बात को बीच में काटते हुए रेवती जी ने कहा–" तुमने यह तो मिनट में बोल दिया लेकिन पूजा का क्या पूजा का इलाज के पैसे कहां से लाएंगे हम तुम्हें पता है ना उसकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है!"
" इश्की ने रेवती जी को देखा और मुस्कुराते हुए कहा आप भी टेंशन मत लीजिए अम्मा सब कुछ ठीक हो जाएगा बस एक बार हमारा यह काम है ना ठीक से चला जाए आपको पता है कितने बड़े आदमी है इनका नाम बहुत बड़ा तो मकान है उससे अच्छा इनका दिल है अगर इनका कांटेक्ट पास हो गया ना तो अमीर लोग हैं सबको बताएंगे ना कि हम बहुत अच्छी मिठाई बनाते हैं तो क्या पता हमें आगे चलकर और कॉन्ट्रैक्ट मिल जाए आप टेंशन मत लीजिएगा अब बिल्कुल सब सही हो जाएगा रही बात पूजा के इलाज की तो थोड़े से पैसे इसमें से बचा लेंगे ना बाकी जो होगा देखते हैं परसों!"
इश्की इतना बोलकर वहां से निकल गई थी वह वहां से सीधा किचन में आई और अपना काम करने लगी!" कुछ ही देर में जब अपने काम से फ्री हुई तो अपनी प्लेट में खाना लेकर अपने रूम में आ गई थी उसने रूम में आकर देखा तो उसका पूरा रूम बिखरा पड़ा था उसने पहले प्लेट को वही टेबल पर रखा और रूम को समेटने में लग गई कुछ ही देर में जब उसने अपना रूम समेट लिया तो अचानक से उसकी नजर अपनी अलमारी पर गई उसने वह अलमारी खोली और सामने ही रखें छोटी सी तस्वीर को उठा लिया जो किसी औरत की थी उसने इस तस्वीर पर हाथ फिर आते हुए कहा–" आपको पता है छोटी मां बहुत अच्छी है बस वह कभी-कभी है ना मुझ पर गुस्सा कर देती है बाकी सच में छोटी मां बहुत अच्छी है, वह बिल्कुल आपके जैसा प्यार करती है पर वह आप नहीं है ना!" इतना बोल इश्की ने उस फोटो पर एक किस किया और उस फोटो को वही टेबल पर रख दिया!"
उसकी नजर अपनी अलमारी पर गई उसने वह अलमारी खोली और सामने ही रखी छोटी सी तस्वीर को उठा लिया जो किसी औरत की थी उसने इस तस्वीर पर हाथ फिर आते हुए कहा–" आपको पता है छोटी मां बहुत अच्छी है बस वह कभी-कभी है ना मुझ पर गुस्सा कर देती है बाकी सच में छोटी मां बहुत अच्छी है, वह बिल्कुल आपके जैसा प्यार करती है पर वह आप नहीं है ना!" इतना बोल इश्की ने उस फोटो पर एक किस किया और उस फोटो को वही टेबल पर रख दिया!"
" तो वही रणबीर अपने घर आ चुका था उसने घर आते ही सबसे पहले अमन से बात की और उससे कुछ बातें डिस्कस करने के बाद वह सीधा अपने रूम में आ गया उसने देखा तो उसके रूप में ऑलरेडी एक लड़की बैठी हुई थी उसने उस लड़की को देखा और एक स्माइल करते हुए कहा–" ओ माय गॉड तुम यहां कैसे...?"
" रणवीर का सवाल सुनकर उस लड़की ने कहा–" मैं बस यहां बैठकर सिर्फ तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी बहुत अच्छा लगा कि तुम यहां आए!"
" उस लड़की की बात सुनते ही रणवीर ने अपने कोर्ट को उतार कर टेबल पर रखा और कहा–" बट मुझे तुमसे फिलहाल कोई बात नहीं करनी है इसलिए तुम जा सकती हो इतना बोल सीधा अपने कपड़े लेकर वहां से वॉशरूम में चला गया था वह लड़की अभी भी जाते हुए रणबीर को देख रही थी उसकी आंखों में रणबीर के लिए हल्का सा गुस्सा जरूर नजर आ रहा था लेकिन वह कुछ नहीं कर सकती थी तो वो अपने पैर पटकते हुए उस रूम से बाहर निकल चुकी थी!"
" उस लड़की के वहां से जाते ही रणवीर वापस से अपने रूम में आया उसने एक चैन की सांस ली और वहीं बेड पर लेट गया उसने अपनी आंखें यूं ही बंद की थी कि तभी उसकी आंखों के सामने इश्की का चेहरा आने लगा उसने तुरंत अपनी आंखें खोली और वहां से उठकर अपने ही रूम में बनी हुई बालकनी में आ गया उसने अपने पॉकेट से एक सिगरेट का पैकेट निकाला और उसमें से एक सिगरेट निकाल कर पीने लगा!"
" अगली सुबह........
इश्की रोज की तरह अपना सारा काम करके घर से निकल गई थी वह अपने पापा के पास दुकान पर आई और देखा तो दुकान पर भीड़ थी, उसने जल्दी से आकर अपने पापा की मदद करने लगी, तभी उसने देखा आज सामने सिग्नल पर बहुत भीड़ थी, उसने अपने हाथ में एक छोटा सा टोकरा लिया और रोड पर आ गई, जहा अधिकतर सभी बड़ी बड़ी गाड़ियां थी, उसने वाह आकर सबको अपने टोकरे में रखे रोल देना शुरू कर दिए!"
तो वही एक कार जो ब्लैक कलर की थी इश्की उसके आगे आकर रुकी और उसने उस कार का विंडो जैसे ही बजाया की तभी आगे से अमन ने कांच को नीचे करते हुए कहा– " कुछ भी नहीं चाहिए उसने इतना कहा ही था कि तभी उसकी नजर इश्की पर गई, इश्की ने भी उसे देख लिया था लेकिन वह तुरंत वहां से पलट गई थी!" वो अपना सामान जल्दी जल्दी बेचने में लगी हुई थी, तभी उसकी नजर पास में बेठे कुछ बच्चो पर गई, उसने उनके पास आकर उन्हें रोल दिए और उनसे बात करने लगी, कार में बैठा रणवीर ये सब देख रहा था, उसने इश्की को देखा और मुस्कुराते हुए कहा–" इंट्रेस्टिंग!"
तभी एक बच्चे ने इश्की से कहा –" दीदी यह हमारे पेन ले लो ना इससे हमें जो पैसे मिलेंगे ना उसे हम घर पर खाना लेकर जाएंगे उन बच्चों का इतना बोलना ही था इश्की कि ने उन्हें बड़े ही उदास मन से देखा और उनके हाथ से सारे पेन लेते हुए बोली–" इतने सारे तो मैं नहीं ले सकती लेकिन मैं इन्हें बेचने में तुम्हारी मदद जरूर कर सकती हूं!" इतना बोल इश्की ने सभी पेन लिए और वापस वही आ गई, उसने कुछ पेन इधर उधर दिए, की तभी उसकी नजर वापस से एक ब्लैक गाड़ी पर गई उसने इस बार आगे का कांच ना खटखटा कर पीछे का कांच खटखटा दिया था, पीछे बैठे रणवीर ने विंडो नीचे की और इश्की को देखने लगा!"
" इश्की ने भी रणवीर को पहचान लिया था लेकिन उसने ज्यादा ध्यान न देकर सीधा कहा–" प्लीज आप पेन ले लेंगे ज्यादा नहीं सिर्फ ₹5 का एक है इतना बोल रणवीर की तरफ देखने लगी पर रणवीर अभी भी एकटक इश्की को देख रहा था तभी इश्की ने वापस से अपने हाथ को हिलाते हुए कहा–" आप पेन ले लेंगे या में आगे जाऊं उसका इतना बोलना ही था कि रणबीर ने उसके हाथ से सारे पेन ले लिए और उसे 500 का नोट देते हुए बोला–" पुरे रख लो, इतना बोल उसने पेन को अपने बैग में डाल दिए !"
इश्की ने रणवीर को देखा और मुस्कुराते हुए कहा–" थैंक यू सर, इतना बोल वो अपने ही पास में खड़े उस बच्चे को वो 500 का नोट देते हुए बोली–" अब सीधे घर जाओ, इतना बोल उसने उन बच्चो के सर पर हाथ फिराया और वाह से वापस से जाने को पलटी की तभी रणवीर ने उसको आवाज देते हुए कहा–" सुनो...
इश्की ने रणवीर की आवाज सुनी और उसके पास वापस आते हुए बोली–" जी सर बोलिए..?"
रणवीर ने इश्की को देखा और कहा–" वो पैसे तुमने..?"
इश्की ने मुस्कुराते हुए रणवीर को देखा और कहा–" वो पैन मेरे नही थे, तो पैसे केसे मेरे होंगें, मैं तो बस उनकी मदद कर रही थी, इतना बोल इश्की वाह से चली गई थी, अमन ने एक नजर इश्की को देखा और रणवीर से कहा –" जितना अच्छा बोलती है उतनी ही बतमीजी से बात करती है, यही है उस सिंघानिया की बेटी जिसने हमें भगा दिया था,
अमन की बात सुनकर रणवीर ने जाती हुई इश्की को देखा और मुस्कुराते हुए कहा–" कोशिश करते रहो शायद मान जाए वरना मैं हुं अभी तुम अरमान के घर चलो, उसकी मॉम और दादी ने कसम दी है वाह रहने की शादी तक ,
तो वही इश्की अपनी दुकान पर आ गई थी उसने जाति हुई गाड़ियों को देखते हुए खुद से कहा–" कितने अच्छा तो था, लोग बोलते है बड़े लोगो के बड़े बड़े राज होते है लेकिन ये तो दिल से बहुत अच्छा आदमी लगता है एक बार में पांच सो का नोट दे दिया हमारे जेसे पांच का देने में दो बार सोचते है,
अमन की बात सुनकर रणवीर ने जाती हुई इश्की को देखा और मुस्कुराते हुए कहा–" कोशिश करते रहो शायद मान जाए वरना मैं हुं अभी तुम अरमान के घर चलो, उसकी मॉम और दादी ने कसम दी है वाह रहने की शादी तक ,
तो वही इश्की अपनी दुकान पर आ गई थी उसने जाति हुई गाड़ियों को देखते हुए खुद से कहा–" कितने अच्छा तो था, लोग बोलते है बड़े लोगो के बड़े बड़े राज होते है लेकिन ये तो दिल से बहुत अच्छा आदमी लगता है एक बार में पांच सो का नोट दे दिया हमारे जेसे पांच का देने में दो बार सोचते है,
तो वही जिस रणवीर से पूरा शहर कांपता था, जिसका दर सबके मन में था, उसी के बारे में इश्की सोच रही थी, सब जानते थे की रणवीर एक नंबर का साइको था उसे जो चीज एक बार पसंद आ जाए तो वो उसे हासिल करके रहता है चाहे उसे फिर उसके लिए कुछ भी करना पड़े, रणवीर के दो चेहरों के बारे में अभी तक ज़्यादा लोग नही जानते और यही गलती करने जा रही थी इश्की वो कब से रणवीर के बारे में सोच रही थी, कुछ ही घंटो में वो रेडी होकर अरमान के घर आ गई थी,उसने मिठाइयों की सभी देख रेख खुद से की और सब कुछ सही से करने के बाद वो एक साइड में आकर खड़ी हो गई तभी अरमान की वाइफ और उसकी मां इश्की के पास आए और बोली–" तुम यहां क्या कर रही हो? हमारे साथ आओ ना हल्दी का फंक्शन स्टार्ट हो ने वाला है तुम भी एंजॉय करो, और ये ड्रेस लो और रेडी होकर आ जाओ, तुम तो मेहमानो की तरह एक साइड में आकर बैठ गई तुम भी एंजॉय करो, इश्की ने ड्रेस ली और वाह से एक रूम में चली गई, उसने रूम में आकर देखा तो अंधेरा था, उसने इधर उधर देखा तो उसे कही स्विच नजर नही आ रहा था, उसके अपने कदम एक दो बढ़ाए की अचानक ही वो किसी से टकरा गई, अचानक टकराने से इश्की उस इंसान के हाथो को पकड़ कर खड़ी हो गई थी,
इश्की ने अपने हाथ से उस इंसान को धक्का दिया और जल्दी से पीछे जाने को हुई की तभी तभी उस लड़के ने उसके मुंह पर हाथ रख लिया, इश्की ने वापस से हिम्मत की और अपने पैर से उस लड़के के पैर पर मारा और जेसे ही आगे बढ़ी की तभी उसके पैर नीचे बिछे कारपेट पर पैर उलझा और वो सीधा जमीन पर जा गिरी, अचानक ही उसका हाथ दीवार से जा लगा था जिससे रूम की लाइट ऑन हो गई थी, उसने पीछे पलटकर देखा तो सामने रणवीर था वो भी बिना कपड़ो के, उसने अपने शरीर पर कोई शर्ट नही पहना था इश्की ने तुरंत अपना मुंह फेरा और कहा –" रूम का दरवाजा खोलकर अंधेरे में कपड़े कोन पहनता है..?
रणवीर ने एक स्माइल की और अपने कपड़े पहनते हुए कहा–" तुम तो ऐसे रिएक्ट कर रही हो जेसे मैं बिना कपड़ो के हुं मेने सिर्फ शर्ट नही पहनी और तुम तो ऐसे कर रही हो, आजकल की लड़की होकर भी ये सब,
इश्की ने रणवीर की बात सुनी और कहा –" आज की लड़किया तो पता नही क्या क्या करती है तो मैं भी कर लूं..? मुझे नही पसंद, इतना बोल वो उठी और जेसे ही सामने देखा तो आईने में उसके पीछे रणबीर ने शर्ट पहन ली थी , इश्की ने पलटकर रणवीर को देखा और कहा–" शायद मैं ही गलत रूम में आ गई, इतना बोल उसने जमीन पर पड़े बेग को उठाया और जाने को हुई की रणवीर ने उसका हाथ पकड़ा और कहा–" यही चेंज कर लेना, मेरा हो गया है, इतना बोल वो वाह से चला गया था!"
इश्की अभी भी वही खड़ी बस रणवीर के बारे में सोच रही थी, वो कितने अच्छे से बात कर रहा था उससे रणवीर के बारे में सोचते हुए इश्की के फेस पर मुस्कान आ गई थी,
तो वही रूम से बाहर जाते ही रणवीर ने अपना फोन देखा जिसमे किसी के तीन मिसकॉल थे रणवीर ने जेसे ही फोन लगाया सामने से किसी ने फोन उठाते हुए कहा–" सर जी कुछ बता ही नही रहा, अब क्या करे, और जो बोला है वो मान नही रहा,
रणवीर ने एक शैतानी स्माइल की और कहा –" खत्म कर दो, इतना बोल उसने फोन रख दिया, उसने फोन को अपने हाथ में लिया और स्माइल उसी रूम की और दी जहा इश्की थी, वो वाह से मुस्कुराते हुए चला गया था,
तो वही नीचे हाल में हल्दी का फंक्शन था, इश्की ने येलो कलर का बहुत प्यारा सूट पहन पहना हुआ था उसके बाल खुले थे, वो सच में बहुत प्यारी लग रही थी, उसने सबको देखा और अरमान की वाइफ के पास आकर खड़ी हो गई!
सब लोग फंक्शन बहुत अच्छे से एंजॉय कर रहे थे और इसकी फंक्शन के साथ अपना काम भी बहुत अच्छे से कर रही थी, हाल में नाच गाना चल रहा था, इश्की एक साइड खड़ी होकर देख रही ठीक तभी अरमान की बेटी उसका हाथ पकड़कर वाह ले आई और उसके साथ डांस करने लगी इश्की भी उसके साथ और बाकी सबके साथ डांस कर रही थी तभी उसके हाथ में पहना हुआ उसका ब्रेसलेट वही टूट कर गिर गया था,रणवीर ने आगे बढ़कर उसका ब्रेसलेट उठा लिया था!" वो साइड खड़ा हुआ था कि तभी अमन ने उसके पास खड़े होते हुए कहा–" ये वही लड़की है इसका कुछ करना चाहिए हमे
" रणवीर ने अमन की बात सुनी और हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा–" तुम उसे कुछ नहीं करो और दूर रहना बाकी मैं खुद देख लूंगा चलो आओ चलते हैं इतना बोलकर दोनों वहां से निकल गए थे!"
" तो वही इश्की घर पर आई तो उसने देखा रेवती जी सोफे पर बैठी हुई थी और उनके पास ही पूजा भी कुछ कर रही थी पूजा को अपना फोन चलाते हुए देखकर इश्की ने उसके हाथ से फोन लेकर टेबल पर रखा और कहा–" डॉक्टर ने तुमसे कहा है ना फोन कम यूज किया करो
तो वही इश्की घर पर आई तो उसने देखा रेवती जी सोफे पर बैठी हुई थी और उनके पास ही पूजा भी कुछ कर रही थी पूजा को अपना फोन चलाते हुए देखकर इश्की ने उसके हाथ से फोन लेकर टेबल पर रखा और कहा–" डॉक्टर ने तुमसे कहा है ना फोन कम यूज किया करो
थोड़ा बहुत चला लिया करो लेकिन पूरा दिन फोन में भी नहीं लगे रहना पूजा!"
" इश्की के बोलते ही पूजा ने उसे देखा और सोरी बोलकर फोन रख दिया, वह तीनों अभी आराम से बैठे हुए ही थे कि तभी किसी ने जोर से घर का दरवाजा खटखटाया इश्की ने आगे जाकर दरवाजा खोला तो देखा सामने दो-तीन आदमी हाथ में डंडे लिए खड़े हुए थे!"
इश्की ने उन्हें देखा और कहा–" कोन हो तुम...?" इश्की के इतना बोलते ही उन आदमियों ने इश्की को लगभग घूरते हुए कहा–" पैसे लेने आया हूं तुम हमसे पूछ रही हो?" हमको हमारे पैसे कैसे भी आज चाहिए ही चाहिए!"
उन आदमियों के बोलते ही इश्की ने उनको देखा और कहा–" देखो पापा अभी यहां नहीं है आएंगे तब हम उनसे बोल देंगे और अभी वैसे भी पैसे नहीं है आएंगे तब मैं खुद तुम्हें दे दूंगी तब तक के लिए प्लीज थोड़ा रुक जाओ!"
इश्की की बात सुनकर उस आदमी ने इश्की को जोर से धक्का दिया और अंदर आ गए उन्होंने अंदर के समान को उठाकर बाहर निकाल दिया था आसपास के सभी लोग बाहर इकट्ठा हो गए थे रेवती जी भी बाहर खड़ी उन पर चिल्ला रही थी पूजा ने तुरंत यशपाल जी को फोन लगा दिया था इश्की उन सबको रोकने में लगी थी लेकिन कोई रुक ही नहीं रहा था इन सब में इश्की के सर पर हल्की सी चोट लगी थी जिससे उसकी सर का खून निकलने लगा था वहीं दूर खड़े रणवीर ने सब यह देख लिया था!"
" उसने सबको लगभग रोकने की बहुत कोशिश की पर कोई रोकने को तैयार ही नहीं था तभी उसने एक आदमी के आगे अपना हाथ जोड़ते हुए कहा–" देखो बस थोड़ा सा टाइम दे दो कि सामान निकालने से ना तुम्हें कुछ मिलेगा ना हमें मिलेगा हम तुम्हारे पैसे बहुत जल्दी लौटा देंगे प्लीज थोड़ा सा टाइम तो दो बस एक महीना 1 महीने में दे देंगे!"
" उसे आदमी ने इश्की का हाथ पकड़ कर उसे दूर किया और कहा–" 1 महीने में कहां से लाओगे तुम ₹300000 मैं तो कहता हूं घर मेरे नाम कर दो तुम्हारा मेरी तरफ से सारा कर्जा माफ हो जाएगा!"
तभी यशपाल जी वाह आ गए थे, उनको देखकर सभी लोग उनसे पैसे मांगने लगे थे, तभी उस आदमी ने अपने एक आदमी को कुछ इशारा किया तो वो अपना डंडा लेकर यशपाल जी के पास आ गया था, इश्की उनके इशारों को समझ रही थी वो यशपाल जी के पास आकर खड़े होते हुए बोली–" 1 महीने में पैसे पूरे लौटा देंगे!"
यशपाल जी ने उसकी बात सुनी और जैसे ही कुछ बोलने को हुए की तभी एक आदमी ने उन पर अपने डंडे से जैसे कि वार किया की इश्की बीच में आ गई, वह डंडा सीधा इश्की के माथे पर जाकर लगा था, डंडा लगते ही उसके सर से खून निकलने लगा था लेकिन जैसे उन आदमियों को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था तभी दूसरे आदमी ने वापस से इश्की के ऊपर अपना डंडा उठाया ही था कि तभी किसी ने बीच में ही उस डंडे को पकड़ लिया था इश्की की डर से आंखें बंद हो चुकी थी सबने सामने देखा तो रणबीर खड़ा हुआ था, इश्की ने भी अपनी आंखों को खोल कर देखा तो रणवीर खड़ा था जिसने उस डंडे को अपने हाथ में ही पकड़ लिया था!"
रणवीर ने एक नजर सबको देखा तो सब आदमी अपनी अपनी जगह रुक गए थे रणबीर ने सबको आंख दिखाते हुए कहा–" हाथ लगाने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी..?
तभी रणवीर के कानों में एक आवाज सुनाई दी–" कोन है ये जो बीच में बोल रहा है,
रणवीर ने एक नजर सबको देखा और गुस्से से कहा–" अगर यह रणवीर रायजादा अपनी पर आ गया ना तो तुम लोग यहां खड़े भी नहीं रह पाओगे इसलिए बोल रहा हूं जैसे चलकर आगे थे वैसे चले जाओ तुम्हारे पैसे तुम्हारे घर तक पहुंच जाएंगे उसके इतना बोलते ही वहां खड़े लोग एक सेकंड में गायब हो गए थे नाम सुना था जयपुर का सबसे अमीर आदमी सबसे बेदर्द जिसे किसी की जान की कभी परवाह थी ही नहीं उसके बारे में लोगों ने काफी कुछ सुन रखा था लेकिन कभी किसी ने आंखों से कुछ नहीं देखा था, बड़े-बड़े लोग रणवीर से डरते थे, इश्की ने जैसे ही पूरा नाम सुना उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी रणवीर रायजादा जाना माना नाम था लेकिन वह कभी भी न्यूजपेपर या टीवी में दिखाई नहीं दिया था!"
रणवीर ने एक नजर आसपास सबको घूर कर देखा तो सब लोग वहां से चले गए थे रेवती जी और पूजा वापस से अपने सामान को अंदर रख रही थी यशपाल जी ने इश्की को देखा और कहा–" तुम्हे चोट लगी है तुम पहले पट्टी कर लो,
यशपाल जी ने रणवीर को देखा और कहा–" आपका धन्यवाद आपने उन्हें यहां से जाने का बोला, लेकिन आप पैसे मत देना ने खुद दे दूंगा, इतना बोल वो अंदर चले गए थे,
इश्की ने रणवीर को देखा और कहा–" थैंक यू आप प्लीज पापा ने जो बोला है वही करना, इतना बोल वो जेसे ही जाने को हुई की रणवीर ने उसका हाथ पकड़ा और उसके थोड़ा करीब जाते हुए बोला–" तुम्हारे सर से खून बह रहा है, इतना बोल उसने अपने पॉकेट से रूमाल निकाला और इश्की के सर पर बांध दिया, इश्की ना चाहते हुए भी रणवीर की और खींची जा रही थी,
रणवीर ने उसके सर पर रूमाल बांधा और कहा –" डॉक्टर को दिखा लेना, इतना बोल वो वाह से चला गया था, लेकिन इश्की के मन में उसके लिए कोई बुराई नही थी उसने जेसे लोगो से सुना था वो उसे अपोजिट था, इश्की अभी भी उसके बारे में ही सोच रही थी, तभी उसका ध्यान बहार पड़े सामना पर गया उसने सामान उठाया और अंदर आ गई,
तो वही रणवीर अपनी कार के पास खड़ा मुस्कुरा रहा था, उसने अपने सामने देखा तो वही आदमी खड़े थे जो अभी कुछ देर पहले इश्की के घर से आए थे,
इश्की अभी भी उसके बारे में ही सोच रही थी, तभी उसका ध्यान बहार पड़े सामना पर गया उसने सामान उठाया और अंदर आ गई,
तो वही रणवीर अपनी कार के पास खड़ा मुस्कुरा रहा था, उसने अपने सामने देखा तो वही आदमी खड़े थे जो अभी कुछ देर पहले इश्की के घर से आए थे, उन सबको देखकर रणवीर ने कहा–" दो दिन बाद फिर से जाना , इतना बोल उसने उन्हें कुछ पैसे दिए और वाह से चला गया, वो सीधा अपने विला में आ गया था, तभी उसकी नजर अमन पर गई जो की वही बैठा उसका ही इंतजार कर रहे था,
अमन ने सोफे पर से उठते हुए थोड़े परेशानी से कहा –" बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई अगर वो जमीन हमने कुछ दिनो में नही ली तो वो डील हमारे हाथो से निकल जायेगी, और जो पैसा हमने लगाया है वो भी वेस्ट हो जाएगा, उस पुरी प्रोपर्टी में एक वही जमीन है जो बीच में आ रही है अगर वो मिल जायेगी तो वो पूरा एरिया हमारा होगा,
रणवीर ने अमन को बैठने को कहा और खुद सोफे पर बैठते हुए बोला–" तुम जाना उसके घर वापस से वही डील लेकर , इतना बोल वो किसी से फोन पर बात करने लगा था!"
तो वही इश्की ने पूरा सामान रख दिया था, वो सब मिलकर एक साथ खाना खा रहे थे, तभी रेवती जी ने यशपाल जी को देखते हुए तंज भरे स्वर में कहा–" ये जिल्लत भरी जिंदगी सहने को तैयार है हम लेकिन ये वो जमीन नही बिकनी चाइए , चाहे हम मर जाए, हमारी इज्जत जाए, मेरी बेटी अपनी बीमारी से मर जाए लेकिन तुम्हे अपने उस जमीन को संभालकर रखना है, और उसे बेच कर इन सब का कर्जा क्यों नही चुका देते हो,
यशपाल जी ने सब सुनकर भी सब अनसुना कर दिया था, उन्होंने कुछ नही कहा तो रेवती जी ने वापस से कहा –" माना वो जमीन इसकी मां इसके नाम करके गई है लेकिन हम भी तो इसे बचपन से संभाल रहे है ना तो क्या ये उसे बेचकर हमारा भला नही सोच सकती क्या, अरे सोचे तो जरा ये लड़की!"
यशपाल जी ये सब सुनकर परेशान हो गए थे उन्होंने अपने पास टेबल पर रखे पानी के जग को देखा और जोर से उठाकर फेंक दिया, उसकी आवाज से सब सहम गए थे, इश्की ने यशपाल जी को गुस्से में देखा तो उसने यशपाल जी के कंधे पर हाथ रखा और कहा–" सही तो कहा है मां ने, क्या करूंगी में उस जमीन का, देखो ना पूजा के इलाज के लिए पैसे आ जायेंगे, हमारा सारा कर्जा चूक जायेगा, और साथ ही, सब सही हो जाएगा प्लीज पापा!"
यशपाल जी ने इश्की को देखा और उठकर वाह से चले गए!" इश्की अभी भी चुप चाप वही खड़ी थी!"
ऐसे ही आज का दिन निकल गया था, और धीरे धीरे में दिन निकल रहे थे, एक दो दीन ही हुए थे सब लोग एक साथ बैठकर सुबह की चाय पी रहे थे, इश्की दुकान पर जाने को तेयार हो रही थी!" उसने आगे बढ़कर दरवाजा खोला ही था की उसकी नजर सामने दरवाजे पर गई जहा अमन खड़ा हुआ था, उसने अमन को देखा और कहा–" तुम फिर से आ गए.? तुम्हे समझ नही आता क्या, सीधे मुंह समझने में नानी याद आती है क्या, नही न तो मुंह उठाए काहे आ जाते हो, इश्की के इतना बोलते ही अमन ने उसकी और देखा और कहा –" मैं तो तुम्हारे लिए ऑफर लाया था मेने सुना कल यहां बहुत कुछ हुआ है, तुम्हे चोट भी लग गई, सोचा तो तुम्हे जमीन का ऑफर दे दूं अगर तुम आज बेचती हो तो तुम्हे एक करोड़ रुपए ज्यादा मिलेंगे!"
इश्की ने अमन को देखा और उसके मुंह पर दरवाज़ा बंद करते हुए बोली–" निकलो वरना इतने बुरी बेइज्जती होगी की यह आस पास दिखाई भी नही दोगे, इतना बोल उसने गेट बंद कर दिया था!"
इश्की जेसे ही अंदर आई तो यशपाल जी ने उसे देखते हुए कहा–" ये मांगने वाले भी ना पूरा दिन कभी भी आ जाते है, अच्छा हुआ जो तुमने भागा दिया!" इतना बोल वो हल्का सा मुस्कुरा दिए, इश्की ने यशपाल जी से कहा –" वो उन्होने पैसे दे दिए ना, हम थोड़े से पूजा के लिए और थोड़े पैसे हम किसी को दे देते है, इतना बोल उसने वही टेबल से एक डायरी उठाई और उसमे देखते हुए बोली–" काका के चालीस हजार रुपए दे देते है, बाकी बचे हुए हैं रख लेते है,
इश्की की बात सुनकर यशपाल जी ने कहा–" नही पहले उसके देंगे देखा नही तुमने केसे हंगामा किया है उसने, कल अगर वो रणवीर नही आता तो शायद वो कुछ भी कर सकता था!"
तभी उन दोनो की बात को बीच में रोकते हुए रेवती जी ने कहा–" ये सही है, उस जमीन को रखकर रखो हम मर जाए तब काम आ जायेगी, तुम्हे कर्जा किया लेकिन उस जमीन को नही बेचा, तुमने मेरी बेटी के इलाज के लिए भी पैसा कर्जा किया, कभी कभी तो तुम पैसे देते भी नहीं हो, क्या करोगे उस जमीन का ,
यशपाल जी ने रेवती जी को देखा और कहा–" वो जमीन नही बेचेंगे, और दूसरी बात पूजा का इलाज टाइम टू टाइम करवा रहे है लेकिन फिर भी तुम्हे उस ज़मीन की पड़ी है, नही तुम चाहती क्या हो तुम, एक बार में ही बता दो, वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा, इतना बोल वो वाह से चले गए थे, उनको देखते हुए इश्की भी वाह से चली गई थी!"
कुछ ही देर में इश्की दुकान पर आ गई थी, उसके साथ यशपाल जी भी आ गए थे, दोनो साथ ने बैठकर काम कर रहे थे की तभी किसी ने काउंटर को बजाया तो इश्की वाह से उठकर बाहर आ गई उसने बाहर आकर देखा तो सामने रणवीर खड़ा था रणवीर को देखते ही इश्की ने कहा–" आप यहां..?" देखिए हमने आपसे माना किया था की उनको पैसे आप मत देना, हम खुद देंगे, और ऊपर से अब आप अपने पैसे भी मांगने आ गए लगता है,
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इश्की की बात रणवीर बड़े ध्यान से सुन रहा था उसके फेस पर कोई भाव नहीं थे उसने अपनी आंखो से चश्मा हटाया और कहा–" तुम अपनी शॉप पर आने वाले से ऐसे बात करती हो!"
उसके इतना बोलते ही इश्की एकदम से चुप हो गई थी, उसने अटकते हुए कहा–" क्या मतलब, मेने क्या बोला आप क्यो आए है यहां..? आप यहां आए है तो ऐसा सवाल तो करूंगी ना मैं , वरना आप जेसे लोग यहां क्यो आने लगे!"
रणवीर ने इश्की को देखा और कहा–" क्या मतलब अब शॉप पर भी इंसान ना आए, मुझे स्वीट्स लेनी थी, एंड मेने सुना है यहां की कचोरी बहुत फेमस है तो इसलिए मैं यहां आ गया, पैक कर दो
उसके इतना बोलते ही इश्की ने तुरंत उसके बताई मिठाई रखी और अलग से कचोरी रखकर उसके आगे करते हुए बोली–" मुझे तो उम्मीद नही थी की आप जेसे बड़े लोग हमारे जेसी शॉप से ये सब भी लेते है, इतना बोल उसने पैकेट को आगे करते हुए कहा–" पांच सो पचास उसके इतना बोलते ही रणवीर ने दो पांच पांच सो के नोट दिए और जेसे ही जाने को हुआ की तभी इश्की ने कहा–" रुक जाइए , इतना बोल उसने उसके बचे हुए पैसे दे दिए , रणवीर ने उसे देखा और पैसे लेते हुए बोला–" और हम जेसे लोग कहा जाएंगे, इतना बोल वो चला गया, इश्की को तो अभी भी हैरानी हो रही थी, जिस इंसान के बारे में वो गलत सोच रही थी, लेकिन अब और भी ज्यादा कन्फ्यूज हो रही थी, उसने अंदर आते हुए कहा–" हद है पापा ये वो रणवीर यहां हमारी दुकान पर सामान लेने आया है मुझे तो उम्मीद नही थी,
यशपाल जी ने इश्की की बात सुनकर कहा –" सब कुछ अजीब मुझे भी लग रहा है, पहले जमीन का हमे ऑफर आना, फिर उन लोगो का आना ऊपर से उन्होंने तुम पर डंडा भी उठा दिया, फिर रणवीर का तुम्हे बचाना, मुझे तो सब कुछ समझ ही नही आ रहा,
इश्की ने यशपाल जी को देखा और कहा–" ऐसा कुछ नही है, अच्छा आप बैठिए मैं मेरे दोस्तो के पास जा रही हुं, इतना बोल इश्की वाह से निकल गई थी वो जेसे ही बाहर निकलकर आई तो उसकी नजर एक साइड गई जहा रणवीर कुछ बच्चो को मिठाई दे रहा था, और उन्हें कुछ पैसे भी दे रहा था!" इश्की के फेस पर हल्की सी स्माइल आ गई थी, वो वाह से जानें के लिए ऑटो ही देख रही थी लेकिन कोई रुक ही नही रहा था, तभी उसके बगल में रणवीर आकर खड़े होते हुए बोला–" मैं छोड़ दूं? उसके इतना बोलते ही इश्की अचानक से चोक गई थी, उसने अपने बगल में देखा तो एकपल वो उसकी आंखो में देखते ही रह गई थी, लेकिन अगले ही पल वो जेसे ही आगे बढ़ी की तभी रणवीर ने कहा–" मैं छोड़ दूंगा तुम्हे, इतना बोल उसने पास खड़ी अपनी कार का दरवाजा खोल दिया, इश्की ने कुछ नही कहा और चुप चाप बैठ गई, उसने इधर उधर देखा और खुद मन में सोचने लगी–" आज तो इसके बारे में पता करके रहूंगी, मुझे तो इस इंसान ने कन्फ्यूज कर दिया,
रणवीर ने एक नजर इश्की को देखा और डैविल स्माइल की और उसकी और देखकर कहा –" तुम ने कुछ सोचा है उन लोगो का कर्जा कैसे देना है?
रणवीर की बात सुनकर इश्की ने रणवीर की और देखते हुए कहा–" सोचा तो कुछ नहीं है बस मैं सोच रही हूं अलग से जॉब कर लूं!"
रणवीर ने इश्की की बात सुनी और अपने माथे पर उंगलियां रगड़ते हुए बोला–" गुड आइडिया , तुम्हारी कोई जमीन नहीं है क्या देखो अच्छा नहीं लगता लोग ऐसे आकर पैसे मांगते है और उस दिन जो हुआ वो तो तुमने देख ही लिया था, वो तो तुम बीच में आ गई थी वरना चोट तुम्हारे पापा को लग सकती थी, ऐसी जमीन भी किस काम की जो तुम्हारे इस बुरे समय में भी काम न आए !"
रणवीर की बात सुनकर इश्की ने उसे देखा और कहा,–" कार रोकिए,
इश्की के ऐसे अचानक बोलते ही रणवीर ने उसे देखा और कार रोक दी, वो कुछ बोलता उससे पहले ही इश्की ने उसको देखते हुए कहा–" थैंक यू लेकिन ये हमारा फैसला होगा हमे क्या करना है , आप टैंशन मत लीजिए , इतना बोल वो कार से उतर गई, रणवीर ने अपने हाथों की मुठ्ठी कस ली और एक हाथ स्टेरिंग पर दे मारा, और उसने इश्की को देखते हुए कहा–" मेरा ऑफर रिजेक्ट किया है न तुमने, तुम्हारे लिए बिल्कुल अच्छा नहीं होगा, देखती जाओ अब क्या क्या होता है तुम्हारे साथ तुम्हे तो पता भी नहीं है कि रणवीर रायजादा को ना सुनने की आदत ही नहीं है, इतना बोल उसने सामने देखा तो इश्की दो लड़के और एक लड़की के साथ खड़ी हुई थी, एक लड़के ने इश्की के कंधे पर हाथ रखा हुआ था!"
इश्की ने अपने दोस्तों को देखते हुए कहा–" कुछ खाते है यार बहुत भूख लग रही है!"
तभी उसकी एक दोस्त ने कहा –" क्यों तुम्हारी उस मम्मी ने खाना नहीं दिया क्या ?"
इश्की ने उस लड़की को देखा और कहा–" कोमल यार ऐसा नहीं है घर से खा कर आई हूं लेकिन भूख लग रही है,
इश्की के साथ खड़े उसके दोनों दोस्तों ने कोमल को देखा और कहा–" बस करो कुछ खाते है फिर चलते है , मैं तो बस देखना चाहता था इसलिए तुम ठीक हो ना और बाकी सब ठीक है न!
इश्की ने उस लड़के को देखते हुए कहा–" सब ठीक है सागर, टैंशन मत लो!"
कुछ ही देर में इश्की उन लोगो से मिलकर वाह से निकल गई थी, वो ऑटो में बैठकर दुकान के लिए निकली थी लेकिन अचानक रास्ते में उसका ऑटो खराब हो गया वो बाहर ऑटो वाले के पास खड़ी बहस कर रही थी–" अरे भैया जब खराब है तो काहे मुझे बैठाया मना कर देते न
उस ऑटो वाले ने इश्की को देखा और कहा–" अरे बेटा मुझे मालूम होता तो काहे बैठाता अभी तुम दूसरा रिक्शा लो और जाओ ये पता नहीं कब ठीक होगा!"
इश्की के साथ खड़े उसके दोनों दोस्तों ने कोमल को देखा और कहा–" बस करो कुछ खाते है फिर चलते है , मैं तो बस देखना चाहता था इसलिए तुम ठीक हो ना और बाकी सब ठीक है न!
इश्की ने उस लड़के को देखते हुए कहा–" सब ठीक है सागर, टैंशन मत लो!"
कुछ ही देर में इश्की उन लोगो से मिलकर वाह से निकल गई थी, वो ऑटो में बैठकर दुकान के लिए निकली थी लेकिन अचानक रास्ते में उसका ऑटो खराब हो गया वो बाहर ऑटो वाले के पास खड़ी बहस कर रही थी–" अरे भैया जब खराब है तो काहे मुझे बैठाया मना कर देते न
उस ऑटो वाले ने इश्की को देखा और कहा–" अरे बेटा मुझे मालूम होता तो काहे बैठाता अभी तुम दूसरा रिक्शा लो और जाओ ये पता नहीं कब ठीक होगा!"
इश्की ने उसे कुछ पैसे दिए और वाह से साइड आ गई लेकिन उसे कुछ मिल ही नहीं रहा था तभी अचानक से उसके सामने एक व्हाइट कलर की कार आकर रुकी इश्की कार के रुकते ही अचानक से पीछे हो गई थी उस कार की विंडो नीचे हुई तो उसमें एक औरत बैठी हुई थी, इश्की ने जेसे ही उस औरत को देखा तो उसने मुस्कुराते हुए कहा–" हैलो चित्रा भाभी, आप यहां?"
चित्रा ( अरमान की वाइफ) ने इश्की को देखा और कहा–" आओ न हम तुम्हे ड्रॉप कर देते है आ जाओ, उसके बोलते ही इश्की कार में बैठ गई, आगे की सीट पर चित्रा अरमान और पीछे की सीट पर ईशा बैठी हुई थी ईशा ने इश्की को देखा और उछलते हुए कहा–" स्वीट वाली, स्वीटी दीदी, उसके इतना बोलते ही इश्की के फेस पर स्माइल आ गई थी!"
अरमान ने कुछ ही देर में इश्की को उसकी दुकान के आगे छोड़ दिया था इश्की भी उन दोनो को थैंक यू बोलकर दुकान में चली गई थी, तभी चित्रा ने इश्की को देखा और अरमान से कहा–" छोटे भैया की और इश्की की जोड़ी अच्छी लगेगी न?"
अरमान ने चित्रा को देखा और कहा–" जोड़ी तो अच्छी लगेगी लेकिन तुम न ज्यादा सोचती हो, तुम अयान को नहीं जानती उसे इतनी जल्दी लड़कियां पसंद नहीं आती और साथ ही इश्की अच्छी है क्या पता उसे भी अयान पसंद न आए!" खैर ज्यादा मत सोचो बाकी लड़की सच में अच्छी है, मेरी वाइफ की पसंद वाकई में बहुत अच्छी है,
अरमान की बात से चित्रा के फेस पर स्माइल आ गई!" वो तो अब बस इश्की और अयान के बारे में सोच रही थी,
इश्की दुकान पर आ गई थी उसने वाह आकर देखा तो दुकान बंद थी, उसने अपना फोन निकाला और यशपाल जी को फोन किया लेकिन उनका फोन बंद आ रहा था, उसने तुरंत अपने कदम घर की और बढ़ा लिए थे, कुछ ही मिनट में वो घर भी आ गई थी उसने घर आकर देखा तो घर पर कोई भी नही था इश्की ना जाने इन कुछ ही मिनटों में कितने अजीब अजीब ख्याल आ गए थे, उसने उसने अपने पास वाले मकान की डोर बेल बजाई तो एक औरत बाहर निकल कर आई उसने इश्की को देखा और कहा–" तुम्हारी बहन की तबीयत खराब हो गई थी तुम्हारे मम्मी पापा उसे हॉस्पिटल लेकर गए है, उसके इतना बोलते ही इश्की ने पूजा के फोन पर फोन किया तो कुछ ही रिंग में यशपाल जी ने फोन उठाया था उन्होंने उस और से कहा–" कहा हो बेटा, हम mk हॉस्पिटल है पूजा की तबीयत अचानक से खराब हो गई थी तुम जल्दी आ जाओ,
इश्की ने तुरंत फोन रखा और वाह से निकल गई उसने ऑटो लिया और जल्दी से आ गई लेकिन हॉस्पिटल से कुछ दूर पहले सिग्नल चल रहा था, और ये लाइन बहुत लंबी लगी हुई थी इश्की ने ऑटो वाले को पैसे दिए और जल्दी जल्दी में पैदल चलने लगी वो सिग्नल क्रॉस करके राइट में चली गई थी कि अचानक से वो एक सामने से आ रही कार से टकरा गई लेकिन कार की स्पीड ज्यादा नहीं थी, इसलिए उसे धक्का लगा वो और जमीन पर जाकर गिरी, इश्की के गिरते ही कार रुक गई और उसमें से एक लड़का निकलकर बाहर आया ब्लैक कलर के शूट में बहुत हैंडसम लग रहा था वो, आंखो पर चश्मा और चेहरे पर एक अलग ही रॉब था उसने आगे आकर इश्की को देखा और उसके पास बैठते हुए बोला–" आप ठीक हो ना?"
उसका सवाल सुनकर इश्की ने उसे देखा तो एक पल को वो देखती ही रह गई उस लड़के की नजरे भी इश्की पर थी, इश्की ने उसे देखते हुए कहा– मैं ठीक हुं, और वैसे भी गलती मेरी थी, थैंक यू इतना बोल वो उठने को हुई की उससे उठा ही नहीं गया, वो लड़का अपनी जगह खड़ा हुआ और अपना हाथ आगे करके इश्की को खड़े होने में हेल्प करते हुए बोला–" आई थिंक आपको चोट लगी है, एक मिनट या तो आप बैठिए मैं आपको बैंडेज कर देता हूं या प्लीज आप मेरे साथ हॉस्पिटल चल लीजिए!"
इश्की ने उस लड़के को देखा और कहा–" आप जैसे लोग भी होने चाहिए दुनिया में, एनीवेज थैंक यू लेकिन फिलहाल मैं लेट हो रही हूं, इतना बोल इश्की ने अपने बैग से रूमाल निकाला और पैर पर बांध लिया, और वाह से साइड होकर हॉस्पिटल में चली गई,!" वो लड़का भी इश्की को देख रहा था ,वो भी अपनी कार लेकर वाह से चला गया था!"
इश्की हॉस्पिटल में आ गई थी उसने अंदर आकर एक साइड देखा तो टेबल पर रेवती जी बैठी हुई थी और यशपाल जी एक साइड थे, इश्की उनके पास आई और उनको देखते हुए बोली –" क्या हुआ अचानक से पूजा को वो तो ठीक थी न सुबह तक अचानक क्या हुआ उसे?"
यशपाल जी कुछ बोलते उससे पहले ही रेवती जी ने कहा–" तुझे क्या है जा तू तो अपने दोस्तो के साथ घूम और फोन मत उठाना किसी का, तुझे हमारी परवाह कहा है आज पूजा की जो भी हालत है न वो तेरी वजह से है, और तू आई क्यों है किसने बुलाया था, हम कर लेंगे सब!" आने के टाइम तो आना नहीं है मैडम को,
इश्की ने रेवती जी की इतने बाते सुनकर भी कोई जवाब नहीं दिया उसने रेवती जी को देखते हुए कहा–" क्या बताया डॉक्टर ने?"
इश्की की बात पर रेवती जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो यशपाल जी ने कहा –" वो फिलहाल ठीक है लेकिन डॉक्टर का कहना है कि हमे ऑपरेशन जल्द से जल्द करवाना चाहिए वरना बाद में ज्यादा दिक्कत हो सकती है और ये मामला किडनी का है,
इश्की ने जेसे ही सुना तो वही बैठ गई उसने अपना फोन निकाला और उसमें कुछ देखने लगी उसने तुरंत उठते हुए यशपाल जी से कहा–" मैं क्या बोल रही थी पापा मेरे पास कुछ पैसे हो जाएंगे और हम वो जमीन बेच देते है न, तो हम सबका हिसाब भी कर देंगे और पूजा का ऑपरेशन भी हो जाएगा!"
यशपाल जी ने इश्की की बात सुनी और बोले–" वो जमीन तुम्हारी अपनी है और मैं उसे नहीं बेचूंगा ये मेरा लॉस्ट फैसला है, उन्होंने इतना ही कहा था कि रेवती जी ने इश्की का हाथ पकड़ा और कहा –" हाय ये लड़की मर क्यों नहीं जाती, उस जमीन का क्या आचार डालोगे तुम बाप बेटी जब मेरी बेटी मर जाएगी तो, मैं जानती हूं ये सब तुम कर रही हो न कि शादी के बाद तुम्हारी खुद की जमीन रहेगी लेकिन महारानी अभी का तो सोच ले, इतना बोल उन्होंने इश्की को धक्का देकर साइड कर दिया
इश्की दीवार से टकरा गई थी उसने रेवती जी को देखा और कहा–" आपको ऐसा क्यो लगता है मम्मी की में पूजा का इलाज नहीं करवाना चाहती , मैं तो पापा से बोलती हूं कि वो जमीन बेच दे,
यशपाल जी ने इश्की को देखा और कहा–" तुम जाओ यहां से, ये दवाई ले आना नीचे से!" और हा डॉक्टर से भी एक बार बात कर लेना, यशपाल जी के बोलते ही इश्की वाह से चली गई थी, वो नीचे आई और कुछ दवाई लेकर वाह से वापस ऊपर ही जा रही थी कि उसे याद आया कि उसे डॉक्टर से भी मिलना था उसने अपने कदम केबिन के साइड बढ़ा लिए उसने केबिन के आगे आकर नॉक किया तो अंदर से एक आवाज आई–" कौन है अंदर आ जाओ, अंदर से आवाज सुनकर इश्की अंदर आ गई उसने सामने चेयर पर देखा तो एक लड़का बैठा हुआ था उसकी उम्र लगभग सताइश साल होगी उसने इश्की को देखा और कहा–" बैठो,इतना बोल उसने अपने सामने चेयर पर बैठे एक लड़के की और देखकर कहा –" दो मिनट में इनसे बात कर लूं, इतना बोल उसने इश्की की और देखा और कहा–" अब कैसी है पूजा, देखो इश्की मैने तुमसे पहले भी कहा है हमे किडनी ट्रांसप्लांट करनी होगी, तुम उसकी कंडीशन नहीं समझ पा रही हो,
इश्की ने उस लड़के को देखते हुए कहा–" मुझसे बेहतर कौन समझेगा, आप ऐसा कीजिए डोनर को रहने दीजिए मैं अपनी एक किडनी देना चाहती हूं, प्लीज आप मेरे टेस्ट कर लीजिए और पूजा का ऑपरेशन स्टार्ट कर दीजिए डॉक्टर ! "
डॉक्टर ने इश्की की बात सुनी और कहा –" ये तो ईजी नहीं है, तुम अपनी एज और कंडीशन देख रही हो, तुम्हारा पूरा फ्यूचर पड़ा है आगे, आगे जाकर तुम्हे पता नहीं क्या क्या दिक्कत हो सकती है और मुझे तो टेस्ट करने के बाद पता लगेगा कि टेस्ट की रिपोर्ट क्या आती है, इसलिए तुम डोनर देख लो कोई, मैं तुम्हे अच्छी ही एडवाइस दूंगा, बाकी मुझे टेस्ट करने में क्या ही प्रॉब्लम होगी!"
इश्की के चेहरे पर उदासी उतर आई थी उसने डॉक्टर की बात सुनी और चेयर से उठकर जैसे ही जाने को मुड़ी की उसका पैर चेयर से लग गया जिससे उसकी एक चीख निकल आई थी– " आ मम्मी इश्की ने तुरंत चेयर को पकड़ लिया था लेकिन तभी किसी ने उसके हाथ को पकड़ा और अपनी और किया तो इश्की ने अपने बगल में देखा तो एक लड़का खड़ा हुआ था इश्की ने उसे देखा और कहा –" आप यहां..?"
इश्की के ये बोलते ही उस लड़के ने कहा –" बैठिए मेरी वजह से आपको चोट लग गई थी पहले, इतना बोल उसने अपने सामने बेठे लड़के को देखा और कहा–" नीरज फर्स्ट एड किट देना !"
नीरज ने उस लड़के की बात सुनी और फर्स्ट एड किट देते हुए कहा–" तुम दोनो एक दूसरे को जानते हो अनुराग?"
अनुराग ने इश्की के पैर की और इशारा किया तो इश्की कन्फ्यूज हो गई कि वो पैर कहा रखे लेकिन तभी अनुराग ने उसकी परेशानी समझते हुए उसके पैर को नीचे से पकड़ा और अपने घुटने पर रख लिया, इश्की को ये थोड़ा अनकॉफटेबल लग रहा था, लेकिन उसका ध्यान अनुराग पर था जिसका ध्यान उसकी चोट पर था!"
अनुराग ने नीरज की बात सुनी और कहा–" नहीं मैं अभी आ रहा था तो ये गाड़ी से टकरा गई थी, इश्की ने अपने पैर को उठाते हुए कहा–" मैं खुद कर लूंगी सर आप क्यों तकलीफ ले रहे है, इतना बोल उसने पैर हटाना चाह की तभी नीरज ने कहा –" लो भई तुम एक डॉक्टर से पट्टी नहीं करवा रही तो किससे करवाओगी?" इतना बोल उसने उठते हुए कहा–" तुम पट्टी करो में एक राउंड देखकर आता हूं, इतना बोल नीरज वाह से चला गया,!"
नीरज के जाने से इश्की को अजीब लग रहा था, लेकिन अनुराग का ध्यान इश्की की चोट पर था उसने उसके पैर पर दवाई लगाई तो इश्की ने उसे शोल्डर से पकड़ लिया, अनुराग के फेस पर स्माइल आ गई थी उसने उसकी चोट पर फुक मारते हुए कहा–" इतनी सी चोट से इतना दर्द, इश्की ने उसे देखा और कहा–" नहीं आपने दवाई लगाई न तो जलन हो रही थी, थैंक यू, इतना बोल उसने पैर नीचे ले लिया!"
अनुराग ने उसे देखा और कहा–" मैं तुम्हे नहीं जानता लेकिन इतना कहूंगा कि नीरज ने जो भी कहा है वो सही कहा है एक डॉक्टर होने के हिसाब से मुझसे बेहतर कोई जानता भी नहीं होगा कि तुम्हारी कंडीशन किडनी देने जैसी नहीं है, इश्की ने अनुराग की बात सुनी और बोली–" आप डॉक्टर है..?"
अनुराग ने हा में गर्दन हिला दी, इश्की ने उसकी और देखा और कहा–" थैंक यू, इतना बोल वो जाने को हुई की अनुराग ने कहा–" तुम जा रही हो?"
इश्की ने मुड़कर उसे देखा और कहा –" क्या मतलब
अनुराग ने हा में गर्दन हिला दी, इश्की ने उसकी और देखा और कहा–" थैंक यू, इतना बोल वो जाने को हुई की अनुराग ने कहा–" तुम जा रही हो?"
इश्की ने मुड़कर उसे देखा और कहा –" क्या मतलब
अनुराग ने इश्की को देखा और कुछ सोचते हुए कहा–" नहीं वो अगर कुछ इन्फॉर्मेशन चाहिए तो, बाकी तुम्हारी मर्जी!"
इश्की ने अनुराग को देखा और अपने पर्स से एक पेपर पर नंबर लिखकर देते हुए बोली–" ये मेरा नंबर है, इतना बोलकर वो वाह से चली गई, अनुराग ने नंबर उठाया और अपने फोन में नंबर डायल करके इश्की का नंबर सेव कर लिया तभी नीरज ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा–" क्या चल रहा था वो सब?"
अनुराग ने नीरज की बात सुनी और हल्का सा स्माइल करते हुए बोला–" पता नहीं क्यों जब से मिला हूं ये लड़की अच्छी लगने लगी है,
नीरज ने अनुराग के कंधे पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए कहा–" ओह मतलब पहली बार अनुराग कश्यप ने आगे से किसी लड़की में दिलचस्पी दिखाई है, वरना तो आंटी रोज लडकियों की लाइन लगाती है, वैसे मुझे लगता है तुम्हे प्यार हो गया है,
अनुराग ने नीरज की बात सुनी और कहा–" नहीं पता बस अच्छी लगती है, लग रहा था बस आंखों के सामने रहे, वैसे इसकी बहन हॉस्पिटल में है न एक बार में देख लूं!"
नीरज ने अनुराग को देखा और कहा –" मैं भी वही जा रहा हूं तुम भी आ जाओ, इतना बोल दोनो वाह चले गए!"
इश्की वाह से निकलकर यशपाल जी के पास आ गई थी यशपाल जी ने जेसे ही इश्की के पैर को देखा तो उन्होंने कहा –" चोट केसे लगी तुम्हे, तुम ठीक हो ना!"
इश्की ने उनकी बात सुनते हुए कहा –" मैं ठीक हुं आ रही थी तब गिर गई थी, मैं पूजा को देख लेती हूं इतना बोल इश्की पूजा के रूम के अंदर जैसे ही जाने को हुई की तभी रेवती जी ने उसका हाथ पकड़ा और धक्का देकर दूर कर दिया, इश्की गिरती उससे पहले ही किसी ने उसे अपने हाथो में थाम लिया, इश्की ने और रेवती जी और यशपाल जी ने देखा तो नीरज और अनुराग दोनों थे, अनुराग ने इश्की को ठीक से खड़ा किया और अंदर जाते हुए कहा –" हॉस्पिटल है आपका घर नहीं, इतना बोल वो रूम में चल गया नीरज ने इश्की को देखा और उसे अंदर आने का बोलकर अंदर चला गया!"
इश्की अंदर नहीं गई थी, वो वही साइड में खड़ी थी यशपाल जी अंदर चले गए थे , नीरज पूजा को चेक कर रहा था,अनुराग उसकी रिपोर्ट्स देख रहा था, तभी अनुराग ने यशपाल जी को देखते हुए कहा–" देखिए आप ऑपरेशन जितना जल्दी हो सके करवा लीजिए, और डोनर देखिए, और हा इश्की ने कहा है कि वो अपनी किडनी देना चाहती है, लेकिन में आपसे यही कहूंगा उसकी खुद की कंडीशन ठीक नहीं है, और उसकी पूरी लाइफ है, आप डोनर देख लीजिए!" हम जल्द से जल्द पूजा का इलाज स्टार्ट कर देंगे!"
यशपाल जी ने उनके मुंह से ऐसी बात सुनी तो उन्होंने कहा–" इश्की ने कहा आपसे, आप उसकी बात पर ध्यान मत दीजिए, हम डोनर देखते है और अगर आप किसी को जानते हो तो प्लीज
तभी उन सबकी बात सुनकर रेवती जी ने कहा–" अगर उसकी किडनी मैच हो जाती है तो क्या दिक्कत है काफी लोग है जो एक किडनी पर जिंदा है वो भी रह लेगी, क्या हो जाएगा मर नहीं जाएगी लेकिन मेरी पूजा वो तो मर जाएगी न !"
रेवती जी के मुंह से ऐसी बाते सुनकर यशपाल जी और अनुराग को तो बहुत ही ज्यादा गुस्सा आया था लेकिन नीरज वो उनके ऐसे बर्ताव को समझ रहा था, उसने उनको देखते हुए कहा–" हम पूजा को कुछ नहीं होने देंगे लेकिन इसका मतलब ये नहीं है एक को बचाने के लिए आप दूसरी की जान रिश्क में डाल दे, नीरज के बोलते ही रेवती जी तुरंत वाह से चली गई थी उनके जाने के बाद इश्की अंदर आ गई थी, उसने एक नजर सबको देखा और नीरज को देखते हुए बोली–" पूजा को घर ले जा सकते है.?"
नीरज ने अनुराग को देखा जिसने गर्दन को ना में हिला दिया तो नीरज ने कहा –" कल डिस्चार्ज कर देंगे, आज यही रहने दो, उसके इतना बोलते ही इश्की ने हा में गर्दन हिला दी थी!" इश्की और यशपाल जी बाहर आ गए थे इश्की ने उनको देखते हुए कहा–" आप मम्मी को लेकर घर जाइए पापा मैं यही रुकती हूं!"
इश्की की बात सुनकर यशपाल जी ने कहा –" तुम और तुम्हारी मां चली जाओ मैं रुक जाऊंगा, उनके इतना बोलते ही इश्की ने कहा–" नहीं पापा मैं रुकती हूं आप जाइए, मैं हूं यहां !" यशपाल जी ने उसकी बात सुनी और रेवती को लेकर वाह से चले गए!"
तो वही रणवीर अपने हाल में सोफे पर बैठा हुआ था उसने सामने रखे अपने लेपटॉप को घूर के देखा और अपने फोन से किसी को फोन लगाते हुए बोला–" क्या इन्फॉर्मेशन है, मेने जो कहा वो कब होगा तुमने अभी तक उसकी फोटो क्यों नहीं भेजी!" मेने कहा था न नजर रखो उस पर उसने रणवीर रायजादा को ना बोला है, जो मुझे सुनना बिल्कुल भी पसंद नहीं है इतना बोल उसने फोन रख दिया, कुछ ही देर में उसके लैपटॉप पर पिक्चर चल रही थी जिसमें इश्की एक लड़के के साथ थी, इश्की तो दिखाई दे रही थी लेकिन उस लड़के का चेहरा बिल्कुल भी नहीं दिख रहा था, और दूसरी फोटो में भी यही था उस लड़के की बाहों में इश्की थी लेकिन उस लड़के का चेहरा इस फोटो में भी नहीं दिख रहा था, रणवीर ने कुछ देर उस फोटो को देखा और उठकर अपने लैपटॉप को बंद किया और किसी को फोन करते हुए कहा–" पता लगाओ ये लड़की यहां क्या कर रही है, इतना बोल वो घर से बाहर निकला और अपनी कार लेकर वाह से कही चला गया!"
तो वही एक बड़े से घर में एक लड़की बैठी हुई थी उसने एक शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी, उसके कंधे तक आते बाल जिसकी उसने एक पोनी बना रखी थी उसने सोफे से अपना फोन उठाया और किसी को फोन लगाने लगी लेकिन सामने से कोई जवाब नहीं आ रहा था, उसने कई बार ट्राई किया लेकिन सामने से फोन नहीं उठाया गया,
तो वही एक बड़े से घर में एक लड़की बैठी हुई थी उसने एक शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी, उसके कंधे तक आते बाल जिसकी उसके एक पोनी बना रखी थी उसने सोफे से अपना फोन उठाया और किसी को फोन लगाने लगी लेकिन सामने से कोई जवाब नहीं आ रहा था, उसने कई बार ट्राई किया लेकिन सामने से फोन नहीं उठाया गया, उस लड़की ने अपने फोन को जोर से सोफे पर पटका और चिल्ला उठी–" रणवीरररररररर, इतना बोल उसने पास रखे फ्लावर पॉट को उठाकर फेंक दिया!"
तो वही रणवीर वाह से mk हॉस्पिटल के बाहर आ गया था, उसने चारों और देखा और स्टेयरिंग पर हाथ घुमाते हुए खुद से कहा–" क्या बहाना बनाऊं, इतना बोल उसने अपने डैशबोर्ड में देखा तो एक बियर की बोतल की थी उसने उस बोतल को लिया और अपने सर पर मार लिया, उसके सर से हल्का हल्का खून निकलने लगा था, उसने कार को साइड किया और उतरकर अपना सर पकड़कर अंदर चला गया, वो अंदर आया तो नर्स उसे अंदर ले गई उसने इधर उधर देखा तो उसे इश्की कही नजर नहीं आई उसने उस नर्स को देखा और कहा–" डॉक्टर को बुलाओ मुझे उनसे पट्टी करवानी है,
रणवीर की बात सुनकर उस नर्स ने एक नजर उसे देखा और मुस्कुराते हुए कहा–" इतनी सी चोट के लिए डॉक्टर को क्यों परेशान करना अगर कुछ बड़ा होता तो डॉक्टर को बुला लेते पट्टी में कर देती हूं जाते वक्त आप मिलकर चले जाना, इतना बोल उसने रणवीर के सर पर पट्टी कर दी, रणवीर ने उसे देखा और उसकी नजरों को समझते हुए कहा–" तुम यहां नहीं मेरे पास अच्छी लगोगी इतना बोल वो वाह से चला गया,
वो वाह से निकलकर इधर उधर देख रहा था कि अचानक से उसकी नजर इश्की पर गई तो उसके फेस पर एक स्माइल आ गई, उसने एक नजर उसे देखा और उसकी और कदम बढ़ा लिए, उसने इश्की के पास आकर एक नजर उसको देखा और कहा–" तुम यहां क्या कर रही हो?"
इश्क़ी ने अचानक से किसी की आवाज सुनी तो एकपल को वो भी घबरा गई उसने तुरंत पीछे देखा तो रणवीर था रणवीर को देखकर इश्की ने कहा –" हॉस्पिटल में लोग घूमने तो नहीं आते होंगे न, इतना बोल उसने एक नजर रणवीर को देखा तो उसकी नजर उसकी चोट पर गई तो उसने वापस कहा –" आई थिंक आप भी ये चोट पर मरहम पट्टी करवाने आए थे?"
रणवीर को गुस्सा तो आ रहा था लेकिन उसने खुद को कंट्रोल किया और मुस्कुराते हुए कहा–" मेरा वो मतलब नहीं था, मैं पूछ रहा था किसके साथ आई हो, घर पर सब ठीक है ना,?"
रणवीर ने इतना पूछा ही था कि नीरज उसके पास आया और उसकी और देखकर मुस्कुराते हुए बोला–" ये दवाई पूजा को दे देना, उसने कहा है कि वो तुमसे दवाई लेगी और है केबिन में आओ बात करनी है,
इश्की ने नीरज की बात सुनी और मुस्कुराते हुए कहा–" उसने आपको परेशान किया हो तो सॉरी, वो मैं पूछ रही थी कि डॉक्टर साहब गए?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा तो नीरज ने कहा–" केबिन में आ जाना, वेट कर रहा हूं इतना बोल वो वाह से चला गया!"
रणवीर उन दोनो की बाते सुन रहा था इश्की ने उसे देखा और कहा–" ओह सॉरी मैने आप पर ध्यान नहीं दिया आप कुछ बोल रहे थे?"
रणवीर ने इश्की को देखा और कहा–" पूजा को क्या हुआ है..?" अगर कुछ हेल्प चाहिए हो तो बताना, इतना बोल वो उसे देखकर मुस्कुरा दिया!"
इश्की ने उसे देखा और कहा–" थैंक यू आपने पहले ही हेल्प कर दी वही काफी है, अब नहीं चाहिए, इतना बोल वो वाह से चली गई!"
रणवीर ने गुस्से से जाती हुई इश्की को देखा और अपने हाथो की मुठिया भींच ली उसने खुद से कहा–" मुझे इग्नोर करना और ना करने तुम्हारी जिंदगी में तबाही लेकर आने वाला है, जितना खुश होना है हो लो कुछ दिन और देखती जाओ अब तुम्हारे साथ अब क्या क्या होता है!" इतना बोल रणवीर वाह से चला गया!"
इश्की पूजा को दवाई देकर केबिन में आ गई थी रात के नो बज रहे थे उसने केबिन में आकर देखा तो अनुराग और नीरज के साथ एक लड़की बैठी हुई थी, इश्की के कदम दरवाजे पर ही रुक गए थे उसने वही से उन लोगो को देखा तो नीरज की नजर उसपर चली गई उसने इश्कि को देखते हुए कहा–" अंदर आ जाओ, उसके इतना बोलते ही इश्की अंदर आ गई थी उस लड़की ने इश्की को देखा और नीरज की और इशारा किया तो नीरज ने स्माइल की और कहा –" बैठो न सही टाइम पर आई हो हम डिनर करने का सोच रहे थे अब तुम आ ही गई तो साथ में करते है,!"
इश्की ने नीरज की बात सुनी और सोचते हुए कहा–" मैं..? आप लोगों के साथ आप लोग कीजिए मैं बाद में आती हुं इतना बोल इश्की उठने को हुई की अनुराग ने उसके हाथ पर हाथ रखते हुए कहा–" बैठो ना सब साथ में करते है,
इश्की चुप चाप बैठ गई थी लेकिन कही से भी इन लोगों के बीच कांफ्टेबल नहीं थी उसने अपने पास में बैठी उस लड़की को देखा तो उसने मुस्कुराते हुए कहा–" मेरा नाम दिव्या है और मैं नीरज की इकलौती वाइफ हूं!" उसके इतना बोलते ही सबके फेस पर स्माइल आ गई उसने इश्की को देखा और वापस बोली–" आई नो वाइड इकलौती होती है लेकिन सच बताऊं इतना बोल वो इश्की के कान के पास आई और बोली–" डॉक्टर है कोई और लड़की पसंद आ गई तो इसलिए बोलना पड़ता है,
दिव्या को इश्की के कान में कानाफूसी करते देख नीरज ने कहा–" मेरी तारीफ हो रही है क्या?"
दिव्या ने नीरज की बात सुनी और कहा–" तुम तारीफ करने लायक नहीं हो हमारी बात हो रही थी, इतना बोल उसने पलेट में खाना डाला और इश्की को देते हुए बोली–" ट्राई करके बताओ कैसा बना है मेने बनाया है!"
इश्की ने खाने को देखा और एक नजर सबको देखते हुए बोली–" आप लोग भी लीजिए न साथ मै करते है इतना बोल सब एक साथ खाना खाने लगे इश्की इतनी सी देर में दिव्या से गहरी दोस्ती कर चुकी थी और दिव्या भी डॉक्टर थी लेकिन वो बहुत सरल और हंसमुख स्वभाव की थी, लेकिन इश्की को तो अभी भी अजीब लग रहा था, अनुराग की नजरे इश्की पर आकर रुक जाती बीच बीच में वो उसकी हसी पर खो जाता था,
दिव्या के बोलते ही इश्की ने खाने को देखा और एक नजर सबको देखते हुए बोली–" आप लोग भी लीजिए न साथ मै करते है इतना बोल सब एक साथ खाना खाने लगे इश्की इतनी सी देर में दिव्या से गहरी दोस्ती कर चुकी थी और दिव्या भी डॉक्टर थी लेकिन वो बहुत सरल और हंसमुख स्वभाव की थी, लेकिन इश्की को तो अभी भी अजीब लग रहा था, अनुराग की नजरे इश्की पर आकर रुक जाती बीच बीच में वो उसकी हसी पर खो जाता था, खाना खाकर उसने बहुत तारीफ कर दी थी सब लोग एक साथ बैठकर खाना खा रहे थे तभी नीरज ने दिव्य को कुछ इशारा किया कौर उठते हुए बोला–" पैकिंग कर लेना अनुराग खाना खाकर!" फिर हम एयरपोर्ट ड्रॉप कर देंगे तुम्हे , चलो दिव्या इतना बोल दोनो वाह से चले गए
उनके जाते हो केबिन में इश्की और अनुराग थे इश्कीं ने अनुराग को देखा और कहा–" कुछ पूछूं उसके इतना बोलते ही अनुराग ने हा में गर्दन हिला दी थी ,
इश्की ने एक नजर उसे देखा जो बड़े आराम आराम से खाना खा रहा था इश्की से रहा नहीं जा रहा था और उसने अनुराग से कहा –" आप जयपुर के नहीं है..?"
अनुराग ने उसकी बात सुनी और मुस्कुराते हुए कहा–" जयपुर का ही हूं लेकिन फिलहाल एक हॉस्पिटल में इमरजेंसी कैस है तो उसके लिए मुंबई जा रहा हूं, कुछ दिन में आऊंगा उसके बाद एक दिल्ली में है फिर पता नही, बट मेरा ऑन कॉल ज्यादा होता है इसलिए जयपुर का नंबर कम ही आता है!"
इश्क़ी ने उसकी बात सुनी और कहा–" ओह ओके, कुछ देर बात करने के बाद इश्की वाह से पूजा के पास आ गई थी
ऐसे ही दस पन्द्रह दिन निकल गए थे इश्की पूजा को लेकर घर आ गई थी नीरज ने इश्की के जोर देने पर उसके टेस्ट ले लिए थे इश्की रोज की तरह दुकान पर जाने को तैयार हो रही थी कि तभी उसके घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया उसने दरवाजा आकर खोला तो सामने बलवंत के साथ कुछ और भी लोग थे, बलवंत को देखकर इश्की ने गुस्से से कहा –" क्या है अब?"
उसके इतना बोलते ही बलवंत ने कहा–" म्हारे पैसे लेन आया हूं, बुला तेरे बाप को बहुत दे दिया तुमको टाइम, मुझे मेरे पैसे आज चाहिए!" और बिना पैसे लिए मैं यहां से हिलने वाला ना हूं!" इतना बोल उसने इश्की को साइड किया और अंदर आकर बैठ गया!"
अंदर से यशपाल जी , रेवती जी और पूजा तीनों आ गए थे, यशपाल जी ने बलवंत को देखते हुए कहा–" मैं दे दूंगा तुम्हारे पैसे मुझे थोड़ा सा टाइम दे दो!"
बलवंत ने यशपाल जी की बात सुनी और एक स्माइल करते हुए बोला–" ना टाइम ना है म्हारे पास इतना बोल उसने अपने आदमियों को इशारा किया तो वो लोग उनका सामना उठाकर इधर उधर पटकने लगे इश्की उन्हें रोक रही थी, रेवती जी ने यशपाल जी को देखा और कहा–" अच्छा लग रहा होगा न लेकिन जमीन को रख कर मर जाओ तुम, तुम्हारी वजह से कितनी बेइज्जती होती है लेकिन तुमको क्या, इतना बोल उन्होंने बलवंत को देखा और कहा–" देखो बलवंत हमारी बात सुनो हमारे पास तो पैसे है नहीं लेकिन हमारे पास जमीन है और तुम कुछ दिन का टाइम दो हमारे पास एक जमीन लेने वाला है हम शाम को ही उसे देकर जमीन पैसे ले लेंगे और तुम्हारा हिसाब कर देंगे, बस दो दिन का टाइम दे दो!"
रेवती जी की बात सुनकर यशपाल जी ने कहा–" वो जमीन नही बेचेंगे, इश्की ने उनकी बात सुनी और बोली–" हम वो जमीन बेचेंगे और इनके पैसे दें देंगे मैं बात करती हूं उस अमन से इतना बोल इश्की चुप हो गई!"
यशपाल जी ने इश्की की बात सुनी और बलवंत की और देखकर अपने हाथ जोड़ते हुए बोले–" मैं हाथ जोड़ता हूं, प्लीज तुम चले जाओ तुम्हारे सारे पैसे को इंतजाम करके मैं तुम्हे दे दूंगा!" इतना बोल यशपाल जी चुप हो गए,
बलवंत ने उनकी बात सुनी और वाह से उठकर चला गया, उसके आदमी भी वाह से निकलकर चले गए रेवती जी भी वही जमीन पर बैठ गई थी इश्की ने सारा सामना रखना शुरू कर दिया था!"
रेवती जी ने इश्क़ी को देखा और कहा–" अब कहा से ढूंढोगी उस अमन को क्या पता उसने कोई और जमीन ले ली हो,
रेवती जी का सवाल सुनकर इश्की ने कुछ सोचते हुए कहा–" नहीं उसने जमीन ली नहीं होगी जिस तरह वो हमारे पास आता है लगता है उसे इस जमीन की ज्यादा जरूरत है, और देखना आ ही जाएगा वो कल तक खुद !" इतना बोल इश्की सामान रखते हुए पूजा से बोली–" तुम यह क्या कर रही हो जाओ रेस्ट करो रूम में उसके इतना बोलते ही पूजा वाह से चली गई!"
तो वही रणवीर इधर से उधर घूम रहा था तभी उसके फोन पर किसी का फोन आने लगा उसने देखा तो मुस्कुरा दिया उसने फोन उठाया और कहा –" क्या कहा..?" हुआ काम
सामने से बलवंत की आवाज आई–" आपका काम हो गया गया और कहा है कि वो कोई अपनी जमीन बेचकर अपना पैसा देगा!"
बलवंत की बात सुनकर रणवीर के फेस पर एक स्माइल आ गई उसने मुस्कुराते हुए कहा–" तुम्हारे पैसे तुम्हारे पास आ जाएंगे
सामने से बलवंत ने फोन कट कर दिया था, रणवीर ने मुस्कुराते हुए कहा–" तुम फंस गई रणवीर के जाल में रणवीर को ना सुनने की आदत नहीं है, इतना बोल वो अपना सर सोफे से लगाकर बैठ गया!"
तो वही मुंबई में अनुराग होटल में इधर से उधर चक्कर निकाल रहा था उसने अपने फोन में देखा तो इश्की की एक फोटो थी जिसमें वो दिव्या से बात कर रही थी, उसने कुछ देर उस फोटो को देखा और इश्की के नंबर निकाल लिए वो उसे कॉल करना चाहता था लेकिन उसके हाथ हमेशा रुक जाए थे और इन दिनों में वो बहुत बीजी भी था उसने टाइम देखा तो दोपहर हो रही थी, उसने फोन को देखा जिसके चार्ज नहीं था उसने फोन को चार्ज लगाया और खुद से बोला–" शाम को करना चाहिए शायद, इतना बोल वो मुस्कुराते हुए वही बेड पर लेट गया!" उसने सीलिंग को देखते हुए कहा–" प्यार प्यार प्यार और मुझे तुमसे हो गया है, अनुराग को प्यार हो गया है,
तो वही मुंबई में अनुराग होटल में इधर से उधर चक्कर निकाल रहा था उसने अपने फोन में देखा तो इश्की की एक फोटो थी जिसमें वो दिव्या से बात कर रही थी, उसने कुछ देर उस फोटो को देखा और इश्की के नंबर निकाल लिए वो उसे कॉल करना चाहता था लेकिन उसके हाथ हमेशा रुक जाए थे और इन दिनों में वो बहुत बीजी भी था उसने टाइम देखा तो दोपहर हो रही थी, उसने फोन को देखा जिसके चार्ज नहीं था उसने फोन को चार्ज लगाया और खुद से बोला–" शाम को करना चाहिए शायद, इतना बोल वो मुस्कुराते हुए वही बेड पर लेट गया!" उसने सीलिंग को देखते हुए कहा–" प्यार प्यार प्यार और मुझे तुमसे हो गया है, अनुराग को प्यार हो गया है, फाइनली मुझे प्यार हो गया, अनुराग एंड इश्की अनुष्की इतना बोल वो मुस्कुराते हुए अपनी आंखे बंद कर लिया!"
तो वही अमन रणबीर के सामने बैठा हुआ था उसने रणवीर की बात सुनकर कहा –" तुम्हे लगता है वो जमीन बेचेगी कितनी बार तो हम ऑफर लेकर गए है लेकिन वो लड़की मुंह पर ना बोल देती है,
रणवीर ने अमन की बात सुनी और बोला–" इस बार करेगी, अगर नहीं करेगी तो भुगतेगी इतना बोल उसने अपने सामने पड़ी फाइल को उठाकर अमन की और कर दिया, अमन फाइल लेकर खड़ा हुआ तो रणवीर ने कहा–" तुम जा नहीं रहे कही भी, इस बार वो खुद तुम्हारे पास आएगी बैठ जाओ इतना बोल उसने अपने माथे पर दो उंगलियां रगड़ी और अपने पॉकेट से सिगरेट जलाकर पीने लगा
इश्की ने बोल तो दिया था लेकिन उसे भी अब टेंशन हो रही थी, उसने अपना फोन देखा लेकिन उसके पास नंबर थोड़ा न थे, उसने फोन रखा और यशपाल जी को देखते हुए बोली–" पापा मुझे दुकान के लिए थोड़ा सामान लाना था मैं लेकर आती हूं, और हा अगर वो अमन आए तो मुझे फोन कर देना, इतना बोल इश्की ने वाह से बैग उठाया और पैसे लेकर चली गई!"
कुछ ही देर में इश्की मार्केट में आ गई थी, उसने मार्केट में आकर कुछ जरूरी सामना ले लिया था, वो घर के लिए निकल ही रही थी कि तभी उसकी नजर एक साइड कैफे पर गई जहा रणवीर किसी लड़की के साथ बैठा हुआ था, इश्की ने रणवीर को किसी लड़की के साथ देखा तो वो अपने कदम रोक नहीं पाई उसे रणवीर से भी बात करनी थी, वो जेसे जैसे पास जा रही थी सामने बैठी लड़की के गिड़गिड़ाने की आवाज हल्की हल्की उसे आ रही थी लेकिन रणवीर के फेस पर कोई भाव नहीं थे, उसने उस लड़की को उंगली दिखाई और धक्का देकर खुद से दूर करते हुए वाह से चला गया, वो लड़की पीछे की और गिर गई थी इश्की भागकर उसके पास आई और उसको उठाते हुए बोली–" आप ठीक है ना, आपको चोट तो नहीं लगी ना!"
उस लड़की ने एक नजर इश्की को देखा और हा में गर्दन हिला दी तो इश्की ने उसे टेबल पर बिठाया और पानी का ग्लास उसके सामने रखते हुए बोली–" ये आपसे इस तरह बात कर रहे थे..?" पति है आपके?"
उस लड़की ने इश्की को कुछ देर देखा और कहा–" नहीं लेकिन मैं... ये भी मुझसे प्यार करता था और अब में प्रेग्नेंट हूं और ये मेरे बच्चे को अपनाने की जगह मुझसे बोल रहा है कि मैं उसे मार दूं, मैं अपना अबोर्शन करवा लूं!" इश्की के तो इतना सुनते ही पेरो तले जमीन ही खिसक गई थी, इश्की के हाथ से उसका फोन जमीन पर गिर गया था उसने झुककर टेबल के नीचे निकालने को बैठी की तभी सामने से रणवीर वापस आया और उस लड़की को देखते हुए बोला–" कल जाकर एबॉर्शन करवा लेना समझी और पैसे पकड़ो इतना बोल उसने टेबल से अपना फोन उठाया और जेसे ही कुछ बोलने को हुआ की तभी इश्की नीचे से उठकर खड़ी हो गई उसकी नजर इश्की पर गई तो वो हैरान सा उसे देख रहा था लेकिन उसने अपने चेहरे से बिल्कुल भी इश्की को अहसास नहीं हों दिया,
इश्की ने रणवीर को देखा और उसके सामने आकर गुस्से से उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ रख दिया थप्पड़ की आवाज से आस पास के लोग सब उन दोनो को देखने लगे वो लड़की भी अपनी जगह से खड़ी हो गई थी रणबीर की आंखो में गुस्सा खून की तरह उतर आया था, उसने इश्की को देखा और अपने हाथों की मुठिया का ली इश्की जीन्स उंगली दिखाए और बोली–" छी कितने घटिया आदमी हो तुम, मुझे लगा तुम और लोगो जैसे नहीं हो जो लोग तुम्हारे बारे में बाते करते है तुम वैसे नहीं हो" तुम्हारा वो सब करना और वो अच्छापन क्या था वो शर्म करो अपनी गलती को एक्सेप्ट करने के बजाय तुम इसे कसूरवार बोल रहे हो, तुम जैसे घटिया लोगों को तो बीच चौराहे पर मारना चाहिए!" तुम्हारे जैसे लोगों के लिए एक ही थप्पड़ क्या हजारों थप्पड़ होने चाहिए, उसके इतना बोलते ही उसके आदमियों ने इश्की पर बंदूक लगा दी, इश्की ने उन सबको देखा और कहा–" नीच कर लो मैं नहीं डरती, डरते तो ये है को तुम सब चमचों को साथ लेकर घूमते है, इतना बोल इश्की ने उस लड़की का हाथ पकड़ा और वाह से निकल गई!"
रणवीर को इश्की पर हद से ज्यादा गुस्सा आ रहा था, वो गुस्से से वाह से निकल और गाड़ी में आकर बैठ गया उसके खुद से ही कहा–" तुम्हारा बुरा टाइम अभी से शुरू हो गया, मुझे ,मुझे थप्पड़ मारकर तुमने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती आज कर दी, और इस एक थप्पड़ का बदल तुम्हारी बर्बादी है, इतना बोल वो गुस्से से घर चला गया उसने अमन को फोन किया और कुछ देर बात कर ली!"
इश्की भी सामान लेकर घर आ गई थी उसने मोनिका को उसकी कार तक छोड़ दिया था वो कुछ देर में घर आई तो घर के बाहर एक कार थी उसके अंदर आकर देखा तो अमन था अमन को देखते ही इश्की ने उसे सीधा पूछा..?" कितना दोगे उस जमीन का..?"
अमन ने इश्की को देखा और कहा–" ज्यादा तो नहीं लेकिन पचास लाख दे सकते है, सर का मूड चेंज हो गया अब,
इश्की भी सामान लेकर घर आ गई थी उसने मोनिका को उसकी कार तक छोड़ दिया था वो कुछ देर में घर आई तो घर के बाहर एक कार थी उसके अंदर आकर देखा तो अमन था अमन को देखते ही इश्की ने उसे सीधा पूछा..?" कितना दोगे उस जमीन का..?"
अमन ने इश्की को देखा और कहा–" ज्यादा तो नहीं लेकिन पचास लाख दे सकते है, सर का मूड चेंज हो गया अब,
इश्की ने यशपाल जी को देखा तो बीच में रेवती जी ने कहा –" ये तो बहुत कम है, इतने में तो सब सही नहीं हो जाएगा, हम जमीन बेचने को तैयार है,
अमन ने इश्की को देखा और कहा–" अब देख लीजिए, सर को चाहिए था तब आप लोगो ने नहीं दिया और अब उनका मूड चेंज हो गया, लेकिन एक ऑफर में दे सकता हूं, अगर आप अपना मकान गिरवी रखते है तो उसके बदले में ज्यादा पैसे मिल सकते है, फिर आप अपने हिसाब से हर महीने किसते रखते रहना,
उसके इतना बोलते ही इश्की वापस से यशपाल जी को देखने लगी, यशपाल जी वापस कुछ बोलते उससे पहले ही रेवती जी ने कहा–" ये बात तो सही है, ले लेते है पूजा का इलाज हो जाएगा उस बलवंत को लग जाएगा और हम एक घर ले लेंगे और बाद में धीरे धीरे हर महीने किसते देकर इस घर को ले लेंगे!"
यशपाल जी को भी ये सही लगा तो उन्होंने है कर दिया, अमन ने इश्की को देखा और कहा–" पैसे आपको शाम तक मिल जाएंगे आप यहां दो जगह साइन कर दीजिए, इतना बोल उसने एक स्टाम्प उसके आगे किया और बोला–" इसपर साइन आप कर दीजिए यशपाल जी ये मकान के पेपर दे दीजिए ,
इश्की ने स्टाम्प को देखा और कहा–" इसपर साइन क्यों कारण आहे ऊपर से ये खाली है..?"
अमन ने इश्की की बात सुनी और बोला–" इसपर सींग इसलिए ताकि में इसपर शर्त लिखवा सकू कि आप हर महीने किस्त देंगे न आपको दिक्कत न हमे, और ये मकान गिरवी है,
रेवती जी ने इश्की के सवाल उन तो उन्होंने उसे फटकार लगाते हुए कहा–" तुम चुप करो इतना बोल उन्होंने उसे रूम में भेज दिया, कुछ देर में अमन चला गया था तो उसने दस लाख रुपए उन्हें अभी दे दिए थे, इश्की ने तुरंत बलवंत को फोन लगा दिया था, कुछ ही देर में उन्होंने बलवंत को पैसे दे दिए थे, इश्की अपने रूम में थी लेकिन न तो उसे नींद आ रही थी न ही उसे भूख लग रही थी वो इधर से उधर चक्कर निकाल रही थी तभी यशपाल जो उसके रूम में आए तो इसकी को परेशान देख उन्होंने कहा–" क्या सोचा जा रहा है इतना..?"
। इश्की ने उनकी बात को सुनकर कहा–" पाता नहीं पापा लेकिन एक अजीब सा डर लग रहा है, जैसे कुछ गलत होने वाला है, और सब कुछ खराब हो जाएगा न,
यशपाल जी ने उसके माथे पर हाथ रखा और कहा–" टेंशन न लो, सब ठीक होगा अब तो पूजा का इलाज भी करवा लेंगे!"
यशपाल जी वाह से चले गए थे इश्की भी सोने की कोशिश कर रही थी, लेकिन नींद उसकी आंखो से कोसों दूर थी, उसे रह रह कर मकान का गिरवी रखना अजीब लग रहा था, और साथ ही उसे रणवीर और उस लड़की की बाते याद आ रही थी, उसे ये सब बहुत अजीब लग रहा था, इन ही सब उधेड़ बुन में उसकी आंख लग गई थी!"
सुबह रोज की तरह इश्की काम के लिए दुकान पर जा रही थी कि घर की डोर बेल बजी तो रेवती ने दरवाजा खोला तो सामने अमन था उसके साथ एक आदमी और था, अमन को देखते ही रेवती ने मुस्कुराते हुए कहा–" आइए न, इतना बोल वो साइड हो गई, इश्की और बाकी सभी भी आ गए थे, उसने यशपाल जी को पूरे एक करोड़ रुपए दे दिए थे, और उसने वो स्टाम्प अपने पास रख लिया था, उनके जाते ही रेवती जी ने उस बेग को उठाया और अपने पास लेकर जैसे ही जाने को हुई की यशपाल जी ने उनके हाथ को रोकते हुए कहा–" तुम्हारी जिद ने जमीन तो बिकवा दी, लेकिन ये पैसे मेरी बेटी के है, इतना बोल उन्होंने इश्की को बेग दिया और बोले–" शाम को हिसाब कर देंगे सब का, और बचे हुए पेसो से पूजा का इलाज करवा लेंगे और फिर एक घर देख लेंगे चाहिए अभी मैं दुकान जाता हूं तुम आ जाना थोड़ी देर में, इतना बोल वो चले गए थे, इश्की ने बेग रखा और वाह से चली गई थी,उसके जाते ही रेवती जी गुस्से से इधर उधर चक्कर निकाल रही थी
तो वही इश्की पैदल ही दुकान पर जा रही थी कि अचानक से उसके सामने एक कार आकर रुकी उसने सामने देखा तो कार का शीशा नीचे होने लगा उसकी अंजार अंदर बैठे रणवीर पर गई तो वो तुरंत निकलकर बाहर आ गया उसने इश्की को देखा और कहा–" देखो कल तुमने जो भी सुना और देखा वो गलत था, मैं उस लड़की से प्यार नहीं करता वो बस किसी और के बच्चे को मेरे सर डाल रही है, यकीन नहीं है तो हम टेस्ट करवा सकते है,
इश्की ने रणवीर की बात सुनी और बोली–" ओह हेलो मुझे क्यों बता रहे हो मेने की करना है, और रही बात टेस्ट की तो मेरे देखने से क्या होगा,..?" हटो यह से अब, इतना बोल वो जाने को हुई की रणवीर ने अपना हाथ आगे कर उसे रोकते हुए कहा–" मैं बता नहीं रहा मैं सोच रहा था कि कही तुम मुझे गलत न समझो वैसे भी लोग मेरे बारे में गलत राय बनते है और एक तुम हो जिसे इन सब से अलग हो, इसलिए बता रहा था,
इश्की ने रणवीर की बात सुनी और अपने दोनो हाथ बांधते हुए बोली–" अगर आप वैसे भी निकले का जैसा लोग आपके बारे में बोलते है तो भी मैं आपसे नहीं डरने वाली, और हाथ हटाओ मुझे लेट हो रहा है, समझे और उस दिन हेल्प के लिए बहुत बहुत थैंक यू आगे से कोई अहसान मत करना, इतना बोल वो निकल गई, रणवीर उसके जाते ही अपने कोर्ट को ठीक किया और कार में बैठकर कही निकल गया!"
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इश्की ने रणवीर की बात सुनी और अपने दोनो हाथ बांधते हुए बोली–" अगर आप वैसे भी निकले का जैसा लोग आपके बारे में बोलते है तो भी मैं आपसे नहीं डरने वाली, और हाथ हटाओ मुझे लेट हो रहा है, समझे और उस दिन हेल्प के लिए बहुत बहुत थैंक यू आगे से कोई अहसान मत करना, इतना बोल वो निकल गई, रणवीर उसके जाते ही अपने कोर्ट को ठीक किया और कार में बैठकर कही निकल गया!"
, रेवती जी पूजा के साथ बैठी हुई थी उन्होंने उसे दवाई दी ही थी कि तभी किसी ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी उन्होंने पूजा को सोने का बोल उठकर बाहर आकर दरवाजा खोला तो सामने रणबीर खड़ा था रणबीर को देखकर रेवती जी ने कहा–" जी कहिए..?"
रणवीर ने रेवती जी को देखा और कहा–" आंटी अंदर नहीं आने देंगी आप?"
रेवती जी ने रणवीर की बात सुनी और हा में गर्दन हिला दी, उनके हा करते ही रणवीर अंदर आ गया था, उसने रेवती जी को देखा और कहा–" पैसे लाया था उस बलवंत को देने के लिए, लगा आप सब खुद दे देंगे तो अच्छा होगा,
उसके इतना बोलते ही रेवती जी ने कहा–" हमने अपनी जमीन बेचकर उसके पैसे दे दिए, और अब पूजा का इलाज भी हो जाएगा!"
रणवीर ने रेवती जी को देखा और कहा–" ऐसे ही किसी को भी आपने मकान गिरवी रखवा दिया, आपके पास कुछ प्रूफ है, नहीं क्या है ना आप उसके बॉस से तो मिले होंगे या ऐसे ही देखिए मैं तो आपको समझा सकता हूं वो लोग कुछ भी कर सकते है कल को उनका मन बदल गया और मकान नहीं दिया तो, इसलिए समझदार रहिए, वैसे घर पर कोई नहीं है आज...?"
रेवती जी ने कहा–" पूजा आराम कर ही है, और वो दुकान गए!"
रणवीर ने रेवती जी को देखा और कहा–" और आपकी दूसरी बेटी क्या नाम था उसका" इश्की वो कहा है,
रेवती जी ने रणवीर को देखा और कहा–" गई होगी कही मुझे नहीं पता, और वो मेरी नहीं यशपाल जी की बेटी है, आप बैठिए मैं चाय ले आती हूं,
रणवीर ने रेवती जी की बात सुनी और उठते हुए बोला–" उसकी कोई जरूरत नहीं है आप बैठिए में चलता हूं, इतना बोल रणवीर चला गया था लेकिन रेवती जी के मन में बहुत से सवाल छोड़ गया था जो उन्हें परेशान कर रहे थे
इश्की दुकान पर आ गई थी, धीरे धीरे में एक महीना निकल गया था सब कुछ सही चल रहा था, उसके बाद न अमन उन्हें दिखाई दिया था और न कुछ हा रणवीर कभी कभी इश्की को मिल लेता था, आज इश्की और सागर एक साथ खड़े बाते कर रहे थे उसके दोस्त कोमल और माहिर भी साथ ही थे, तभी वाह एक ब्लैक कार आकर रुकी उसका शीशा नीचे हुआ तो रणवीर ने बाहर खड़ी इश्की को देखा जो कि सागर से मुस्कुराते हुए बात कर रही थी, उसका हाथ सागर ने पकड़ा हुआ था, रणवीर ने दोनो को देखा और एक फोटो ले ली, इश्की कुछ ही देर में वाह से निकल गई थी
इश्की दुकान पर आ गई थी उसने यशपाल जी को देखते हुए कहा–" पापा कल पहली किस्त है और हमें वो देनी है पैसे हुए क्या..?"
यशपाल जी ने उदास चेहरे से कहा–" पैसे नहीं हुए लेकिन कल तक हो जाएंगे तुम टेंशन मत लो, वरना जो पैसे है उसमें से दे देंगे न,
इश्की चुप चाप काम करने लगी, शाम को इश्की और यशपाल जी घर आ गए थे अगली सुबह इश्की यशपाल जी दोनों घर से जा ही रहे थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई उन्होंने दरवाजा खोला तो सामने अमन था अमन को देखते ही इश्की ने कहा –" हम आपका ही इंतजार कर रहे थे ये आपके पहले महीने की किस्त, इतना बोल उसने जेसे ही पैसे देना चाहा कि अमन ने कहा –" एक महीने के पैसे..?" पूरे पचास लाख देने की बात हुई थी, आप लोगो ने कहा था एक महीने में पूरे पचास लाख दोगे, और अगर नहीं दे पाए तो ये मकान खाली कर दोगे, !"
अमन की बात सुनकर इश्की के पैरों से जमीन ही सरक गई थी उसने यशपाल जी को देखा यशपाल जी ने कहा –" क्या बोल रहे हो झूठ क्यों बोल रहे हो, हमने तय किया था न कि हम एक एक महीने करके पैसे चुकाएंगे तुम ऐसे झूठ कैसे बोल सकते हो...?"
अमन ने यशपाल जी को देखा और कहा–" लेकिन सच यही है, आप लोग ये मकान खाली कीजिए आपका टाइम खत्म!"
इश्की ने खींचकर अमन के गाल पर थप्पड़ रखा और बोली–" शर्म नहीं आती झूठ बोलते हो, दो वो स्टाम्प पेपर उसमें सब लिखा हुआ है न,
अमन ने इश्की को घूरा और उसक हाथ में वो पेपर देते हुए बोला–" अच्छे से पढ़ लेना और हा कल तक ये मकान खाली कर देना वरना हमारे बास खुद आयेंगे!" इतना बोल अमन चला गया!"
यशपाल जी कुर्सी पर बैठ गए थे रेवती जी बस दोनो को देख रही थी उन्होंने इश्की को देखा और उस पर चिल्लाते हुए कहा–" हाय ये लड़की जो भी बोलती है उल्टा बोलती है सब तेरी वजह से हुआ है,
यशपाल जी ने अपना सर पकड़ लिया था उनका सर बुरी तरह से घूमने लगा था इश्की ने उस पेपर को देखा और पढ़ने लगी उसमें जो जो अमन ने बोला था वही लिखा हुआ था, इश्की ने यशपाल जी को देखा और कहा–" कुछ नहीं होगा बाबा हम पैसे दे देते है उसे,हम बात करते है उससे, इतना बोल उसने रेवती जी को देखा और कहा–" मेने नहीं कहा था आप को जल्दी थी और अब आप मुझ पर इल्जाम लगा रहे हो मां, अभी जाइए और उन पेसो को देखिए कितने है हम देखते है और पैसे हमारे पास इतना बोल इश्की अंदर चली गई रेवती जी भी अंदर गई और बेग ले आई उन्होंने इश्की के सामने पैसे रखे और बोली–" चालीस लाख है, बस और वो इस महीने के साथ पचपन लाख लेगा, इश्की ने उन पेसो को देखा और कहा–" हम अभी यही दे देते है बाद में और दे देंगे
इश्की के सामने पैसे रखे और बोली–" चालीस लाख है, बस और वो इस महीने के साथ पचपन लाख लेगा, इश्की ने उन पेसो को देखा और कहा–" हम अभी यही दे देते है बाद में और दे देंगे
इश्की तुरंत घर से बाहर निकली तो वह कोई नहीं था उसकी नजर एक साइड में गई जहा एक कार खड़ी थी इश्की वाह उसके पास गई तो दो लोग आपस में बात कर रहे थे इश्की जैसे ही उस और जाने को हुई की उसके कान में एक आवाज पड़ी–" घर कल खाली करवा देना, और है जैसा बोला है वही करना इतना बोल वो लड़का घुमा और अपनी आंखो पर चश्मा लगाते हुए कार में बैठ गया ,रणवीर को देखकर इश्की के पैरों तले जमीन ही न रही थी, उसने खुद को संभाला और खुद से कहा–" तुम इतने गिरे हुए हो सकते हो सोचा भी नहीं था, ये सब तुमने किया है, नफरत हो रही है तुम जैसे इंसान से, इतना बोल इश्की वापस से अंदर चली गई!"
इश्की चुप चाप आकर बैठ गई रेवती जी ने उसे देखा और बोली–" क्या हुआ...?"
इश्की ने उनको देखा और कहा–" कल आयेगा तब बात करते है अभी वो गया, और पापा आप टेंशन मत लीजिए सब सही होगा, अभी मैं दुकान पर जाती हूं आप यही रेस्ट कीजिए, इतना बोल इश्की वाह चली गई!"
रणवीर अपने घर आ गया था उसने अमन को देखा और कहा–" इसका घमंड ऐसे ही टूटेगा बहुत घमंड था न उसमें, अब नहीं रहेगा थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था उसे मुझे, बहुत बड़ी गलती कर दी थी उसने, जिसकी साजा उसे उम्र भर मिलेगी क्योंकि रणवीर रायजादा को ना सुनने की आदत नहीं है, कल जो बोला है वो कर देना, अभी तुम जाओ इतना बोल रणवीर मुस्कुराने लगा उसे सामने इश्की कि यादें चलने लगी जब वो पहली बार उससे मिली थी,
तो वही आज का दिन सबके लिए टेंशन से भरा था, अगले दिन सुबह सुबह सब लोग बैठे हुए थे कि अचानक से दरवाजा खुला तो सामने से अमन चलकर आया उसके इश्की को देखा और मुस्कुराते हुए बोला–" अपना सामान उठाओ और निकले अब,
इश्की ने अमन को देखा और कहा–" देखो अमन ये तो तुम भी जानते हो कि तुम झूठ बोल रहे हो, लेकिन हम बैठकर बात करते है न हमारे पास चालीसा तैयालीश लाख रुपए है तुम वो ले लो बाकी के पैसे हम जड़ी ही तुम्हे दे देंगे, इश्की की बात से अमन हैरान था उसने सोचा भी नहीं था कि इश्की ऐसा कुछ बोलेगी ,उसने अपने फोन को रणवीर के पास चालू कर दिया था
अमन ने इश्की की बात सुनी और बोला–" लेकिन सर को पूरे पैसे एक साथ चाहिए, वरना ये मकान खाली करो आ जाओ उसके इतना बोलते ही कुछ आदमी आए और सामान फेकने लगे सब लोग रोकने में लगे हुए थे, इश्की उन आदमियों को रोक रही थी की अचानक ही एक आदमी ने उसे धक्का दिया तो वो जेसे ही गिरने को हुई की रणवीर ने उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया, इश्की ने देखा तो रणवीर था रणवीर को देखते ही इश्की को कल की बात याद आ गई उसने रणबीर से खुद को दूर किया और रणवीर के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए बोली–" कितने घटिया हो तुम,
रणवीर के थप्पड़ मारते ही सब लोग इश्की पर अपनी बंदूक रख चुके थे अमन ने तो लगभग उसके ऊपर हाथ ही उठा लिया था, यशपाल जी ने इश्की को पीछे किया और बोले–" क्यों मारा तुमने उन्हें वो तो हमारी मदद कर चुके है ना
इश्की ने यशपाल जी को देखा और बोली–" मदद नहीं की पापा इसने हमसे झूठ बोलकर ये सब काम करवाया है, ये जो भी हो रहा है न सब इसने किया है हमारे साथ, ये सब इसी के आदमी है,
इश्की की बात सुन कर सबके चेहरबे के रंग ही जैसे उड़ गए थे। उसने वापस से अपने पास में खड़े यशपाल जी को देखा और कहा–" आपको तो पता भी नहीं है डैड ये दोनों एक ही हवा उर हमारे साथ मिलकर धोखा कर रहे है, जो भी अब तक हमारे साथ है है वो इन दोनों का किया धारा है, ये आदमी सिर्फ हमसे हमारी जमीन लेने के लिए इतना गिर जाएगा मैने कभी नहीं सोचा था, हमने तुम्हे एक अच्छा इंसान समझा था लेकिन तुम इतना बुरे और इतनी नीचता तक।गिर होंगे ये तो हमने नहीं सोचा था इश्की की बाते सुनकर
यशपाल।जी ने रणवीर को देखा और बोले–" हमने तुम्हे इतना अच्छा इंसान माना और तुम इतना गिर गई अरे लोग क्या कुछ नहीं बोलते थे तुम्हारे बारे में लेकिन मुझे यकीन ही नहीं हुआ मेने कभी तुम्हारे बारे में गलत नहीं सोचा और न ही किसी को सोचने दिया कितना मानते थे उस दिन तो तुमने इश्की की और मेरी दोनो की जान उस बलवंत से बचाई थी और आज क्या हुआ तुम ही ये सब कर रहे हो...?"
रणवीर ने एक स्माइल की और सबको देखकर आगे बढ़कर अंदर आया और अपने एक पैर को टेबल पर रखा और एक हाथ से चेयर को सरका कर उस पर पैर रखते हुए बैठ गया, उसका ऐसा अंदाजा देख कर यशपाल जी को बुरी तरह चक्कर आने लगे थे
इश्की ने रणवीर को देखा और कहा–" तुम्हे प्रॉब्लम क्या है, आखिर तुम ऐसा कर क्यों रहे हो, हम तुम्हारे सभी पैसे देने को तैयार है लेकिन फिर भी तुम्हारा अलग ही चल रहा है कौनसा बदला ले थे हो तुम देखो तुम जो भी हो तुम्हारी जहां भी चलती है वाह जाकर चलाओ यहां से दूर रहो!"
रणवीर ने एक स्माइल की और आगे बढ़कर इश्की का हाथ पकड़ा और कमर उसकी और झुका था वो जानता था एक लड़की के लिए उसकी इज्जत क्या होती है वो भी बाप के सामने इश्की ने उसे पीछे करने की कोशिश की लेकिन वो उससे हिल भी नहीं पा रहा था यशपाल जी ने जेसे ही हाथ लगाने को हाथ आगे बढ़ाया एक से रणवीर ने उनका हाथ पकड़ लिया तभी अमन ने उन्हें पकड़ लिया था रणवीर ने इश्की के कान में कहा –"