मीरा जो एक गाँव की खुबसूरत लडकी थी पुरे गाँव में उससे खुबसूरत लडकी नहीं थी । और यही खुबसूरती उसके लिए मुसिबत बन गई जब मसहूर बदमाश विजय ठाकुर उससे जबरदस्ती शादी करना चाहता था लेकिन उस समय मीरा उसको चकमा दे कर शादी के मंडप से भाग जाती है । और जा फसती ह... मीरा जो एक गाँव की खुबसूरत लडकी थी पुरे गाँव में उससे खुबसूरत लडकी नहीं थी । और यही खुबसूरती उसके लिए मुसिबत बन गई जब मसहूर बदमाश विजय ठाकुर उससे जबरदस्ती शादी करना चाहता था लेकिन उस समय मीरा उसको चकमा दे कर शादी के मंडप से भाग जाती है । और जा फसती है । एक शर्तों के जाल में क्या करेगी मीरा जब एक मुसिबत से बचने के लिए दुसरी मुसिबत में फस जाती है । या यु कहे की उसे उसका जीवन साथी मिल गया ये जानेगे कहानी में . . . . . . .
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हवेली जो दुल्हन कि तरह साजी हुई थी जिससे ये पता चल रहा था वहाँ किसी कि शादी है लेकिन अंदर का महौल ऐसा था जैसे मातम हो एक लडका जिसका उम्र 30 साल हो गी जो दुल्हा के शेरवानी में था और उसके चेहरे पर सिर्फ मौत था वही उसके आगे 50 से 55 साल के एक आदमी और एक औरत घुटनों पर बैठे हुए थे और उनके हाथ जुड़े हुए थे वही वो दुल्हा गुस्से में अपनी बंदुक उन पर तानते हुए गुस्से में कहता है - " कहा है मीरा "
वही वो दोनों उसके गुस्से से डरते हुए कहते हैं - " ठाकुर साहब हम नहीं पता आखिरी बार जब उसके रूम में गई थी तब वो तैयार हो रही थी पता नहीं कब और कैसे भागी "
वही उसकी बात सुन कर उस आदमी का गुस्सा और बड जाता है और वो उसी गुस्से में पुरे होल में अपने आदमी लोग को देखते हुए कहता है - " डुडो उसको किसी भी किमत में मोहरत खत्म होने के पहले मेरे समाने होनी चाहिए "
वही उसकी बात सुन कर उसके आदमी चारों तरफ फैल जाते हैं कोई हवेली के अंदर तो कोई हवेली के बाहर चारों तरफ़ फैल गए थे ।
वही एक लडकी दुल्हन के कपडो में थी और उसने उसके ऊपर से काले रंग का साल ओडा हुआ था जिससे उसका चेहरा और उसके कपड़े लगभग चुप गए थे और वो इस समय बस के सबसे आखरी सीट पर बैठी हुई थी उसने अपना चेहरा छुपाया हुआ था और उसका जितना भी चेहरा का झलक दिख रहा था उसको देख कर कोई भी बोल सकता है की वो कितनी खुबसूरत है
वही जब हवेली में कुछ नहीं मिला तो उस दुल्हा जिसका नाम विराज ठाकुर था उसके पास जा कर कहते हैं - " ठाकुर साहब लगता है ठकुरानी हवेली से बाहर चली गई है "
वही उसकी बात सुन कर तो मानो विराज ठाकुर का गुस्सा सातवें आसमान में पहुँच चुका था वो गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है - " तो तुम सब यहाँ क्या कर रहे हो यहाँ जितने भी बस 1 घंटे में गई है उन सब का पिछा कर और किसी को रेल्वे स्टेशन भेज दो वही
वही उस लडकी जो लगभग शहर के अंदर आ गई थी और बस एक जगह रूक गई थी वही बस के इस तरह आचानक से रूकने से बस में बैठे सभी लोग बस कंडेक्टर से पुछ ने लगते हैं कि बस को क्या हुआ
बस कंडेक्टर सभी को अपनी जगह पर शांत बैठने का कह कर कहता है की वो बस खराब हो गया है तो यहाँ पर 1 घंटा लग सकता है जिनको इस जहाँ पर उतरना है वो उतर सकता है हम इस समय शहर में ही है और जिसको आगे जाना है वो रूके रहे और अगर आप सभी को जल्दी है तो आप सभी यहाँ से अपना सधान ले सकते हैं
वही उस कंडेक्टर की बात सुन कर वह लडकी एक नजर बस के बाहर देखती है और फिर खुद को अच्छे से कवर के बैठ जाती है वही उसके पास बैठी औरत उसको बहोत ही अजीब नजरो से देख रही थी ।
वही विराज ठाकुर के आदमी चारो तरफ फैल गए थे और वहा से निकलने वाले सारे बस का भी पीछा कर रहे थे तभी बस में एक लडका जो दिखने में ही बदमाश लग रहे थे
वो अंदर गुसते हुए हर सीट के पास जा रहा था तभी वो लडकी जो उस लडके को देख कर डर गई थी वो बस के दुसरे दरवाजे से बाहर आ जाती है अभी वो थोडी ही दुर गई थी कि उन बदमाशों में से एक उसको देख लेता और आवाज दे कर कहता है - " भाई वो लड़की वो भाग रही है "
वही उसकी बात सुन कर सभी लोग बाहर आ जाते हैं और उसका पिछा करने लगते हैं ।
वही एक VIP बार के VIP रूम में 5 , 6 लडके पार्टी कर रहे थे और सभी अपनी मस्ती में मस्त थे तभी उनमें से एक लडका अपनी गिलास उठाते हुए कहता है - " अभीर सिंह रायजाद मानना पड़ेगा तुम कभी भी नहीं हारते फिर चाहे वो बिजनेस हो खेल हो या फिर पिना हो " वही उस बात सुन एक लडका जो कद से 6 फुट तो होगा ही और वहाँ बैठे सारे लडको में सबसे ज्यादा हेडसम और तो वो इन सभी में सब से ज्यादा बिगडा हुआ रईस जादा जो सिर्फ अपनी मनमानी करता है इनके बगडे पन के किस्से पुरे शहर में फेमस है लेकिन जो कहता है वो करता है इनमें यही एक अच्छी आदत है या बुरी ये तो सिर्फ हालत ही बता सकते हैं
अभीर भी अपनी जगह से उठता है और अपनी हाथ में पकडी बोतल को उसके गिसाल से ठक्कराते हुए कहता है - " I am sorry रमन वो प्रोजेक्ट तुमसे छिनने के लिए लेकिन क्या करे ये सब तो बिजनेस में होता रहता है अगली बार अच्छी प्लेनिंग से आना तुम मेरे दोस्त हो इस लिए सलाह दे रहा हु "
वही उसकी उसकी बात सुन कर रमन को गुस्सा तो बहोत आता है लेकिन वो अपने चेहरे पर नहीं दिखता और सारा गिलास एक बार में ही खाली कर देता है
वही बाकी बैठे लडके हंसने लगता है वही जहाँ ये सब बैठे वहाँ के दिवार कांच के थे जहाँ अंदर का बाहर से कुछ नहीं दिखता लेकिन अंदर से बाहर सब कुछ दिख रहा था
वही मीरा जो उन बदमाशों से भाग रही थी इस समय अपने शाल को अच्छे से पकड़े हुए थे कई बार तो गिरते - गिरते बची क्यों की उसका लहगा बहोत भारी था जिससे पहन कर चलना मुसकील था मीरा भाग रही थी और वो बदमाश भी उसके पिछे पडे थे ।
वही अभीर जो उसी VIP रूम में बैठे हंसी मजाक कर रहे थे तभी रमन अभीर से कहता है - " अभीर मुझसे शर्त लगा ले जो काम में तुझसे बोलु गा तु वो कभी भी नहीं कर पाएगा "
उसकी बात सुन कर अभीर हंसते हुए कहता है - " ऐसा कोई काम नहीं है जो मै ना कर सकु तु अच्छा मजाक कर लेता है "
वही अभीर की बात पर रमन भी हंसते हुए कहता है - " ठीक है अगर तुझको खुद पर इतना ही विशवास है तो तुम फिर मेरे साथ शर्त लगाओ "
अभीर भी हंसते हुए कहता है - " ठीक है कहो क्या शर्त है "
वही अभीर को हा करते देख कर अभीर के पास ही बैठा उसका बहोत ही अच्छा दोस्त यश कहता है - " अभीर छोड़ ना ये सब बचपना "
लिए अभीर उसकी नहीं सुनता और रमन की तरफ देख कर कहता है - " हाँ तो बता क्या है तेरा शर्त "
राम राम
।।
वही अभीर की बात पर रमन भी हंसते हुए कहता है - " ठीक है अगर तुझको खुद पर इतना ही विशवास है तो तुम फिर मेरे साथ शर्त लगाओ "
अभीर भी हंसते हुए कहता है - " ठीक है कहो क्या शर्त है "
वही अभीर को हा करते देख कर अभीर के पास ही बैठा उसका बहोत ही अच्छा दोस्त यश कहता है - " अभीर छोड़ ना ये सब बचपना "
लिए अभीर उसकी नहीं सुनता और रमन की तरफ देख कर कहता है - " हाँ तो बता क्या है तेरा शर्त "
अब आगे
उसकी बात सुन कर रमन अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लाते हुए नीचे दरवाजे की तरफ इसारा करते हुए कहते हैं - " इस दरवाजे से जो भी पहली लडकी अंदर आएगी तु उससे शादी कर सकता है "
उसकी बात सुन कर पहले तो अभीर उसको घुर कर देखती है वही अभीर के ऐसे देखने से वो हंसते हुए कहता है - " मैं कोई जबरदस्ती तो नहीं करने को कह रहा हूँ नहीं करना हो तो मत करो हार मान जाओ और मुझे वो प्रोजेक्ट दे दो "
और फिर अपने एक पैर पर दुसरा पैर रख कर अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान लाते हुए अपनी मन मैं सोचता है - " अभीर जैसा तुम्हारा इंमैज है उससे तो इस शहर की कोई भी लडकी तुमसे शादी करने को तैयार नहीं होगी "
वही उसको ऐसे मुस्कुराते देख कर अभीर चीड जाता है और कहता है - " किस ने कहा कि ये मै नहीं कर सकता मै कर करूँगा और जीत कर भी दिखाऊगा "
वही अभीर की बात सुन कर भी रमन रिलेक्स ही बैठा था उसको अपने प्लेन पर पुरा भरोसा है ।
वही दोनों को इस तरह शर्त लगाते हुए देख कर यश को छोड़ बाकी सब हुठींग करने लगते हैं
फिर सभी अपनी नजर दरवाजे पर ठिका कर बैठ जाते हैं वही मीरा का का भाग कर हालत खराब हो गई थी लेकिन वो लोग कभी भी उसके पिछे पडे हुए थे वह अपनी जगह पर खड़े हो कर आस पास नजर घुमाती है कि कही उसको छुपने को जगह मिल जाए तभी उसको अपने समाने एक बडा सा क्लब दिखा जिसको वो होटल समझ कर अंदर चली जाती है और जैसे ही दरवाजे की तरफ जाने वाली होती है की कुछ सोच कर रूक जाती है और एक पेड़ के पिछे अधेर में छुप जाती है
वही वो बदमाश भी उस तरफ आ जाते हैं और चारो तरफ देखते हुए कहते हैं - " कहाँ गई वो "
अभी तो इसी तरफ़ आई थी इतनी जल्दी कहाँ जा सकती है तभी एक लडका उस क्लब कि तरफ इसारा करते हुए कहता है - " भाई कही इस क्लब में तो नहीं गई
उसकी बात सुन कर वो आदमी उस तरफ आते हुए कहता है - " चलो चल कर अंदर जाते हैं "
वो सभी क्लब के अंदर आते हैं और मैन दरवाजे की तरफ बढते हैं तभी गाड रोकते हुए कहता है - " आप के पास VIP मैम्बरसिप है तभी आप अंदर जा सकते हैं " ।
वही उस गाड की बात सुन कर वो सभी बदमाश उसका कोलर पकड लेते हैं और गुस्से में कहते हैं - " कि हमे कुछ काम " वो कभी अपनी बात पुरी भी नहीं की थी की वो गाड उस आदमी का हाथ को मुडते हुए कहता है - " यहाँ ये सब करने का सोचना भी मत नहीं तो अपने पैर पर वापस नहीं जा पाओ गे "
वही अभीर और उसके सभी दोस्त अभी भी दरवाजे पर नजर गाडाऐ बैठे हुए थे तभी उनमें से एक दोस्त बोलता है - " यार हम लोग आधे घंटे से भी ज्यादा हो गया है दरवाजा देखते देखते पर अभी तक कोई नहीं आया अगर ऐसे कब तक वेट करेंगे ।
तभी रमन अभीर की तरफ देख कर कहता है - " अभी 11 : 30 बज रहे हैं तुम्हारे पास एक बजे तक का समय है "
अभीर भी उसी ताव में कहता है - " ठीक है "
वही बाहर वो सारे गाड उन बदमाशों में उलझे हुए थे और उसी का फायदा उठा कर मीरा क्लब में अंदर घुस जाती है उसने अपना पुरा चेहरा सोल से डक रखा है लेकिन उसके मेंहदी व चोडी से भरे सुन्दर हाथ दिख रहे थे उसका लेहगा दिख रहा था कुल मीला कर वो बीना चेहरा दिखाऐ हुए भी बहुत खुबसूरत लग रही थी ।
वही अभीर अपनी आखे बंद करके सोफे पर सर रखा था तभी उसके दोस्त नीचे देखते हुए बोलता है लगता है - " अभीर की दुल्हन आ गई "
उसके ऐसा बोलते ही सभी विंडो के पास आ कर खड़े हो जाते हैं वही अभीर भी छटके से अपनी आखे खोलता है और अपनी जगह से उठते हुए विंडो पर आता है नीचे देखता है की वो लडकी कैसे अपना चेहरा छुपा कर इधर उधर देख रही है
अभीर तुरंत ही रूम से बाहर निकला और उसके पिछे पिछे उसके सारे दोस्त भी रमन का तो उस लडकी को देख कर दिमाग ही खराब हो गया ।
वही अभीर वो नीचे आ कर सीधा उसके पास खडा़ हो जाता है वही मीरा जो दरवाजे के तरफ देख कर पिछे पलट रही थी उसकी पिठ जा कर अभीर से टक्करा गई ऐसा होते ही मीरा चौक गई और वोट तुरंत पलट कर देखा और अपने सामने इतने सारे लडको को खडा देख कर वो डर गई और घबराहट में उसके हाथ से उसका सोल छूट गया और वो सौल नीचे गिर गया और अब मीरा का चेहरा सभी के सामने था और उसकी खुबसूरती देख कर तो वहाँ खड़े सभी लडके खो गया वही जब मीरा को होश आया तो वो जल्दी से अपना सोल उठा कर फिर से ओड लेती है और थोडा झुक कर कहती है - " Sorry "
और वहाँ से जैसे ही आगे बढने के लिए कदम बडाती है तभी अभीर जो उसके sorry बोलने से होश में आया था वो मीरा का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ करता है जिससे मीरा का सोल एक बार फिर उसके चेहरे से हट जाता है इस बार उसके चेहरे पर सवाल था जैसे हाथ पकडने का कारण पुछ रही हो ।
आप सभी को story कैसी लगी कमैंट में बताना और सैर भी करना
राम राम
और वहाँ से जैसे ही आगे बढने के लिए कदम बडाती है तभी अभीर जो उसके sorry बोलने से होश में आया था वो मीरा का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ करता है जिससे मीरा का सोल एक बार फिर उसके चेहरे से हट जाता है इस बार उसके चेहरे पर सवाल था जैसे हाथ पकडने का कारण पुछ रही हो ।
अब आगे
वही अभीर और उसके सारे दोस्त उसकी खुबसूरती देख कर खो जाते हैं तभी मीरा अपना हाथ उससे छुठाने का कोशिश करती है जिससे अभीर अपनी सोच से बाहर आता है और मीरा को देख कर कहता है - " मुझसे शादी कर लो "
वही मीरा जो अपने परस ली थी उसमें से अभीर को मारने के लिए हथियार डुड रही थी की अभीर की बात सुन कर उसके हाथ रूक जाते हैं और वो अभीर को ऐसे देख रही थी जैसे वो कोई पागल हो ।
वही मीरा की ऐसी नजर देख कर अभीर भी जैसे समझ गया हो वो अपने जेब से अपना इन्टोरोडक्शन काड देते हुए कहता है - " ये मेरा काड है देख लो तुम जो मागो गी वो तुम्हे दे सकता हु
वही उसकी ऐसी बात सुन कर और ये देख कर कि अभीर इस समय नाशे में है तो वो झटके से अपना हाथ छुटाती है और बार से बाहर की तरफ जाती है वही उसका ऐसे रिएक्शन देख जहाँ अभीर को गुस्सा आता है वही रमन अंदर ही अंदर खुश हो रहा था की अब वो शर्त जीत जाए गा वही मीरा इस समय बहोत डरी हुई थी वो बाहर निकलने के बारे में सोच ही रही थी तभी वो बाहर देखती है की बो गुंडे अभी भी बार के सामने घुम रहे हैं ।
वो तुरंत ही वापस आती है और अभीर के पास आती है और अभीर की आखों में आख डाल कर कहती है - " ठीक है मै तुमसे शादी करने को तैयार हु "
वही उसकी बात सुन कर अभीर जहाँ खुश हो रहा था तो वही रमन का चेहरा काला पड गया है वही उसके बाकी के दोस्त हुडिंग करने लगता है
अभीर तुरंत मीरा का हाथ पकड़ कर कहता है - " चलो फिर शादी करे "
वही उसकी ऐसी बात सुन कर मीरा शौक हो जाती है और अभीर को उसी शौक एक्प्रेशन से देखते हुए कहती है - " अभी शादी "
अभीर जो एक हाथ से मीरा का हाथ पकडा था और दुसरे से अपने असिस्टेंट को फोन कर रहा था वो उसको बाहर ले जाते हुए कहता है - " हा कभी इसी वक़्त शादी करना है "
उसका असिस्टेंट जो गाड़ी ले कर बाहर खडा़ था वो तुरंत बाहर आता है और अभीर और मीरा के लिए दरवाजा खोलता है वही अभीर मीरा को बैठने को कहता है ।
और पिछे अपने दोस्त को देखते हुए कहता है - " तुम लोग भी पास के मदिंर आ जाओ "
और खुद भी गाड़ी में बैठ जाता है वही मीरा जो ये सोच कर शादी के लिए शादी के लिए हा बोली थी की वो उस बार से सही सलामत निकल जाएगी लेकिन अब उसका प्लेन उसी के ऊपर भारी पड रहा था वो अपने मन में सोचती है - " अभी तो शादी से पिछा छुडा कर आई हु और फिर इसी झमेले में फस गई कैसे भागु यहाँ से "
वही अभीर जो अपने असिस्टेंट से को कह रहा था वो एक दम से मीरा कि तरफ देखते हुए कहता है - " तुम्हारा नाम क्या है "
वही उसके ऐसे बोलने से मीरा अपनी सोच में घुम थी वो एक दम से हडबडा जाती है और चौक कर अभीर की तरफ देखत है उसका ऐसा लुक देख कर अभीर फिर से उससे सवाल करता है ?
" तुम्हारा नाम क्या है ?
मीरा " मीरा विंडो से बाहर देखते हुए कहती है
वही असिस्टेंट भी शौक था और वो अपने मन मे सोचता है - " सर उस लडकी से शादी करने जा रहे हैं जिसका नाम तक नहीं पता ये भगवान् ये आदमी कभी नोरमल नहीं रह सकते "
वही अभीर जिसमें अब हल्का हल्का नशा हो रहा था वो सीट से अपना सर लगा कर आख बंद करे हुए ही कहता है - " मीरा तुम्हारे पास कोई आईडी प्रुफ है "
मीरा गाड़ी के बाहर देख रही थी वो एक दम से चौक के अभीर को देखते हुए कहती है - " जी "
उसकी धीमी सी आवाज सुन कर अभीर हल्का सा आख खोल उसकी तरफ देखते हुए कहता है - " आईडी प्रुफ "
अभीर के इस तरह बोलने से मीरा तुरंत अपने प्रष से अपना आईडी निकाल कर अभीर की तरफ बडा देती है ।
अभीर भी आईडी लेते हुए उस पर हल्की सी नजर डालता है और फिर अपने असिस्टेंट की तरफ बडाते हुए कहता है - " सारी फोरमेटि कल सुबह दस बजे के पहले हो जानी चाहिए "
वही मीरा खुद को फिर से कोस रही थी कि - " कि क्यों पागलो सी हरकत कर रही है वो कैसे अपना आईडी दे सकती है ।
वही जल्द ही सब मन्दिर पहुँच गए अभीर गाड़ी से उतर कर मन्दिर की तरफ जाने लगता है लेकिन मीरा जो गाड़ी से उतरी तक नहीं थी वो अभी भी वहाँ से भागने के बारे में ही सोच रही थी तभी उसके तरफ का दरवाजा खुला लेकिन मीरा को क्या फरक पड रहा था वो अपने ही सोच में कोई हुई थी वही जो अभीर जब अपने साथ मीरा को नहीं देखता तो वो उसको लेने आ जाता है और जब से दरवाजा खोल कर खडा था लेकिन मीरा कि तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही मिलती ।
वही अभीर के सारे दोस्त जो पिछे से आ रहे थे उनकी गाड़ी भी वहाँ पहुंच गई वही अभीर को ऐसे गाड़ी से बाहर और मीरा को अंदर देख कर रमन अपने दोस्तों के तरफ देख कर कहता है - " लगता है लडकी ने शादी से मना कर दिया है ।
राम राम . . . . . . .
वही अभीर के सारे दोस्त जो पिछे से आ रहे थे उनकी गाड़ी भी वहाँ पहुंच गई वही अभीर को ऐसे गाड़ी से बाहर और मीरा को अंदर देख कर रमन अपने दोस्तों के तरफ देख कर कहता है - " लगता है लडकी ने शादी से मना कर दिया है । "
अब आगे
वही अभीर ने भी रमन की बात सुन ली थी उसकी बात सुन कर उसको गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन इस समय वो उससे ज्यादा मीरा पर चिडा हुआ था जो अभी तक रिऐक्ट ही नहीं कर रही थी ।
अभीर उसके हाथ को पकड़ कर उसे लगभग खीचते हुए बाहर निकालता है और उसको मन्दिर के अंदर ले जाता है ।
वही इस तरह आचनक खीचे जाने से मीरा कुछ समझ नहीं पाती और एक दो जगह पर लखडा जाती है लेकिन अभीर ने उसके हाथ को इतने जोर से पकडा था कि वो गिर भी नहीं पाई जैसे तैसे दोनों मन्दिर में पहुंचे जहां अभीर का असिस्टेंट पंडित जी को सब कुछ समझा रहा था ।
वही अभीर के सारे दोस्त अभीर को इस तरह उस लडकी को ले जाते हुए देख कर कहते हैं - " ये हो क्या रहा है "
तभी रमन सब कि तरफ देख कर कहता है - " कही अभीर उस लडकी से तो जबरदस्ती शादी तो नहीं कर रहा है "
और फिर सभी भागते हुए मंदिर में जाते हैं
वही अभीर मीरा को लेकर वेदी पर बैठ चुका था और पंडित जी कुछ मंत्र पड रहे थे और कुछ फुल और अक्षत लेकर दोनों की तरफ बडाते है जहाँ अभीर तो ले लेता है लेकिन मीरा अभी भी किसी सोच में घुम थी
तभी अभीर उसके कान के पास आ कर कहता है - " अब तुम पिछे नही हठ सकती इस लिए शांति से जैसा पंडित जी कह रहे हैं वैसा करो "
तभी कोई आता है और मीरा का हाथ पकड़ कर उसको उठा देता है ।
वही मीरा अभीर को ही देख रही थी की कोई उसके हाथ को पकड़ कर उठा ता है तभी अभीर भी गुस्से से देखते हुए कहता है - " रमन ये क्या हरकत है "
वैसे ही रमन भी गुस्से में देखते हुए कहता है - " अभीर शर्त ये थी लडकी अपने मरजी से तुझसे शादी करेगी ना कि जबरदस्ती "
वही अभीर मीरा का हाथ पकड़ कर अपने पिछे करते हुए कहता है - " और तुम्हे किसने कहा कि शादी जबरदस्ती हो रहा है "
रमन भी उसी तरह चिडते हुए कहता है - " किसी को कुछ बताने कि क्या जरूरत है मुझे देख कर ही पता रहा है "
वही अभीर उसकी बात सुन कर कहता है - " उसकी चिंता तुम मत करो मै हूँ ना तुम्हारी गलतफहमी को दुर करता हूँ "
और फिर मीरा की तरफ देख कर कहता है - " तुम ये शादी अपनी मर्जी से कर रही हो हां या ना जल्दी बोलो "
वही मीरा जो आज सुबह से उसके साथ कुछ ना कुछ हो रहा था इतना घबरई हुई थी वही वही अभीर जो इतने गुस्से मे था कि उसके मुह से हा के सीवा कुछ भी नहीं निकला "
वो जल्दी से पंडित जी की तरफ देख कर कहता है - " पंडित जी सुरू किजिए "
वही पंडित जी भी सारे रश्म जल्दी ही कर रहे थे जल्दी ही पंडित जी दोनों को फेरा लेने के लिए खंडा कराते हैं और फेरा सम्पन्न होते ही अभीर की तरफ सिंदूर बडाते हुए कहते हैं - " इसे वधु के माग में भरो "
अभीर इतनी जल्दी में था कि उसने एक मुठठी सिंदूर उठा कर उसके माग में भर दिया जिससे मीरा का पुरा बाल माथा नाक सब दुर सिंदूर हो गया था वही पंडित जी मंगलसूत्र मागते है जो जल्दी- जल्दी में असिस्टेंट लाना भुल गया था वही अभीर जब उसको घुर कर देखता है फिर अपने गले से एक लोकेट वाला चैन उतार कर मीरा को पहना देता है
पंडित जी शंख बजाते हुए कहता है - " बहोत ही अच्छे मुहुर्त पर आप का विवाह सम्पन्न हुआ ऐसे मुहुर्त पर विवाह होना विवाहित जीवन के लिए शुभ होता है "
अभीर अपनी जगह से उठते हुए रमन के पास जाता है और एक मुस्कान के साथ कहता है - " अब मैं शर्त जीत चुका हूँ तो वो शैर मेरे नाम हो जाने चाहिए "
रमन भी उसी अकड़ में कहता है - " ये शादी तुमने कानूनी नहीं की कौन जाने असली शादी हैं या नकली है तो मैं तुम्हें शैर कैसे दु "
वही उसकी बात सुन कर अभीर को बहोत गुस्सा आता है और वो रमन का कौलर पकड़ लेता है लेकिन फिर उतने ही प्यार से उसका कौलर छोडते हुए कहता है - " कोई बात नहीं मुझे पता था हर मुमकिन कोशिश करेगा जिससे तु वो शैर बचा सके लेकिन कोई बात नहीं मैने उसका भी व्यवस्था किया है "
फिर अपने असिस्टेंट के तरफ देखते हुए कहता है - " मेरी शादी और वो शैर कल सुबह मेरे उठने से पहले हो जाने चाहिए "
वही रमन चिड कर रह जाता है
वही अभीर मीरा का हाथ पकड़ कर कहता है - " अच्छा good night🌃 अब घर चलते हैं "
और फिर गाड़ी में जा कर बैठ जाता है वही मीरा भी किसी झडे पत्ते की तरह जहाँ उसको हवा ले जा रही है वहाँ चली जा रही है " वही गाड़ी में बैठते ही अभीर फिर से आखे बंद कर के पिछे सर ठिका लिया
वही मीरा तो इतनी बैचेन थी कि बता या ही नहीं जा सकता की उसकी जिंदगी में क्या हो रहा है वो कहाँ जा रही है उसकी किससे शादी हुई है कही एक दलदल से बचने के लिए उसने खुद को दुसरे दलदल में तो नहीं फसा लिए "
सोच में घुम थी की उसकी नजर गाड़ी में लगे मीरर पर पडती है अपने माँग में सिंदुर देख कर तो उसको कुछ समझ ही नहीं आता
वो बस खुद को देखती ही रह जाती है आज वो खुद को ही नहीं पहचान पा रही थी ।
राम राम
। ।
वही उसकी बात सुन कर अभीर को बहोत गुस्सा आता है और वो रमन का कौलर पकड़ लेता है लेकिन फिर उतने ही प्यार से उसका कौलर छोडते हुए कहता है - " कोई बात नहीं मुझे पता था हर मुमकिन कोशिश करेगा जिससे तु वो शैर बचा सके लेकिन कोई बात नहीं मैने उसका भी व्यवस्था किया है "
फिर अपने असिस्टेंट के तरफ देखते हुए कहता है - " मेरी शादी और वो शैर कल सुबह मेरे उठने से पहले हो जाने चाहिए "
वही रमन चिड कर रह जाता है
वही अभीर मीरा का हाथ पकड़ कर कहता है - " अच्छा good night🌃 अब घर चलते हैं "
और फिर गाड़ी में जा कर बैठ जाता है वही मीरा भी किसी झडे पत्ते की तरह जहाँ उसको हवा ले जा रही है वहाँ चली जा रही है "
वही गाड़ी में बैठते ही अभीर फिर से आखे बंद कर के पिछे सर ठिका लिया ।
वही मीरा तो इतनी बैचेन थी कि बता या ही नहीं जा सकता की उसकी जिंदगी में क्या हो रहा है वो कहाँ जा रही है उसकी किससे शादी हुई है कही एक दलदल से बचने के लिए उसने खुद को दुसरे दलदल में तो नहीं फसा लिए "
इन सोच में घुम थी की उसकी नजर गाड़ी में लगे मीरर पर पडती है अपने माँग में सिंदुर देख कर तो उसको कुछ समझ ही नहीं आता ।
अब आगे
वो बस खुद को देखती ही रह जाती है आज वो खुद को ही नहीं पहचान पा रही थी
तभी असिस्टेंट गाड़ी रोकते हुए कहता है - " सर घर पहुँच गए "
अभीर जिसका सर नशे से भारी हो गया था वो हल्के से अपना आख खोल कर बाहर देखता है और फिर गाड़ी को दरवाजा खोल कर बाहर आता है और डगमगाते हुए मीरा के पास पहुचता है और उसका दरवाजा खोल कर उसका हाथ पकड़ कर बाहर आता है और अपने असिस्टेंट कि तरफ देख कर कहता है - " जितना काम कहा है उतना काम कल मेरे उठने से पहले हो जाना चाहिए "
और फिर मीरा का हाथ पकड़ कर उसको अंदर की तरफ ले कर जाने लगता है वही मीरा उसका बगलो जैसा घर देखते ही रहा गई
( ऐसा नहीं था कि मीरा गरीब हो वो भी अपने गाँव के अच्छे परिवार में से एक थी लेकिन अभीर तो उससे बहोत अमीर था)
वही अभीर जो नशे में था तो उसके कदम लडखडा रहे थे ऊपर से पुरे होल में अंधेरा था जिस वजह से वह होल में रखा एक वाश तोड़ देता है जिससे पुरे घर में जोर की आवाज घुजती है जिससे थोडे ही वक़्त मे घोल की लाईट जलती है और उसी के साथ एक औरत जो इस समय नाइटी पहनने हुईं थी वो होल में आती है और अभीर और मीरा को देख कर जोर से चिलाती है - " माँ, माँ, माँ , "
वही उनके ऐसे चिलाने से अभीर अपने कान पर हाथ रख कर कहता है - " मिसिस रायजादा आप कोई चीला रही है मेरा सर दुख रहा है "
वही उस औरत को तो जैसे कोई फर्क नहीं पडा वो जैसे अभीर कि बात सुनी ही नहीं हो वो अभी भी सिर्फ " माँ , माँ " रट लगाऐ हुए थे
वही अभीर अब इरिटेट हो गया था वो अपनी आवाज ऊची का कहता है - " चुप कब से माँ, माँ लगा रखा है मै तब से कह रहा हूँ मेरा सर दुख रहा है सुनाई नहीं देता क्या "
और फिर मीरा के कंधे पर हाथ रख उस पर अपना आधा वजन डाल आधी खुली आखो से उनको देख रहा था ।
वही मीरा जो मासिक तोर पर इतना कुछ जेल रही थी और सुबह से भागते रहने के कारण बुरी तरह थक गई थी ऊपर से ये भारी लहगा और अब अभीर का आधा भार उससे खडा होना भी मुसकील हो रहा था
वही वो औरत जिसका नाम सुनिता सिंह रायजादा है ये अभीर की सौतेली माँ है
वही बाहर से इतना सोर सुनकर सभी अपने रूम से बाहर आ रहे थे एक बुजुर्ग महिला जिनकी उम्र 70 के लगभग हो गी वो भी बाहर आती है और सुनीता जी के पास जा कर कहती है - " क्या हुआ क्यों चीखे मार रही है "
वही सुनिता जी उनका हाथ पकड़ कर कहती है - " माँ वहाँ देखो अभीर क्या कर के आया है "
वही सुनिता जी की बात सुन वो महिला भी उस तरफ देखती है जहाँ पर अभीर खडा़ है एक दुल्हन के साथ या कह लो उसके सहारे साफ देख कर पता चल रहा था कि मीरा उसको नहीं संभाल पा रही थी उसको ऐसे देख कर वो माहिला अपनी आवाज कडक करते हुए कहती है - " अभीर ये सब क्या है और ये लडकी कौन है और यहाँ क्या कर रही है "
( माधुरी सिंह रायजादा ये इस घर की सबसे बडी सदस्य और अभीर की दादी जिनकी बात वो मानता है या ये कह लो ले ही है जो अभीर को कंट्रोल कर सकती है बस )
वही अभीर जो नशे में पुरी तरिके से चला गया था वो एक नज़र अपनी दादी को देखता है और फिर मीरा के पिछे जा कर उसको पकडता है और फिर उसके कंधे पर अपना हाथ रख कर और पर मीरा का एक हाथ ऊपर उठा कर कहता है - " दादी ये मेरी पत्नी है इससे मैने शादी की है सुंदर है ना "
इतना कह कर वो अपना सारा वजन मीरा के ऊपर डाल कर उसी के कंधे पर सो जाता है वही अब मीरा को उसको संभालना मुश्किल हो रहा था
वही अभीर की ऐसी बात सुन कर सुनिता चिड जाती है और दादी की तरफ देख कर कहती है - " माँ आप देख रही है ना की ये बेशर्म लडका क्या कह रहा है आप को पता है ना इसके पापा को पता चलेगा तो वो कितने गुस्से में होगे "
तभी बाहर से बहोत ही कडक आवाज आती है - " यहाँ क्या हो रहा है "
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राम राम
वही सुनिता जी की बात सुन वो महिला भी उस तरफ देखती है । जहाँ पर अभीर खडा़ है एक दुल्हन के साथ या कह लो उसके सहारे साफ देख कर पता चल रहा था कि मीरा उसको नहीं संभाल पा रही थी उसको ऐसे देख कर वो माहिला अपनी आवाज कडक करते हुए कहती है - " अभीर ये सब क्या है और ये लडकी कौन है और यहाँ क्या कर रही है "
( माधुरी सिंह रायजादा ये इस घर की सबसे बडी सदस्य और अभीर की दादी जिनकी बात वो मानता है या ये कह लो ले ही है जो अभीर को कंट्रोल कर सकती है बस )
वही अभीर जो नशे में पुरी तरिके से चला गया था वो एक नज़र अपनी दादी को देखता है और फिर मीरा के पिछे जा कर उसको पकडता है और फिर उसके कंधे पर अपना हाथ रख कर और पर मीरा का एक हाथ ऊपर उठा कर कहता है - " दादी ये मेरी पत्नी है इससे मैने शादी की है सुंदर है ना "
इतना कह कर वो अपना सारा वजन मीरा के ऊपर डाल कर उसी के कंधे पर सो जाता है वही अब मीरा को उसको संभालना मुश्किल हो रहा था ।
वही अभीर की ऐसी बात सुन कर सुनिता चिड जाती है और दादी की तरफ देख कर कहती है - " माँ आप देख रही है ना की ये बेशर्म लडका क्या कह रहा है आप को पता है ना इसके पापा को पता चलेगा तो वो कितने गुस्से में होगे "
तभी बाहर से बहोत ही कडक आवाज आती है - " यहाँ क्या हो रहा है "
अब आगे
वही ये आवाज सुन कर जहाँ सुनिता खुश हो जाती है और मन - मन सोचती है आज तो इस लडके को घर के बाहर फेकवा हि दुगी ।
वही वो आदमी दादी जी के पास जा कर उनके पैर छुता है और फिर उनकी तरफ देख कर कहता है - " माँ यहाँ ये सब क्या हो रहा है "
अभी दादी जी कहती उससे पहले ही सुनिता जी कहती है - " देखिए ना अभीर नशे में इस लडकी से शादी कर आया आप ही बताये ये लडका बस ऐसे ही उटपटांग हरकते करता रहता है "
वही उसके इतना कहते ही अशोक जी ( अशोक सिंह रायजादा ये अभीर के पिता है) वहाँ देखते है जहाँ पर अभीर मीरा के सहारे खडा था ।
वही सुनिता जी अभी भी कुछ ना कुछ कहे जा रही थी तभी अशोक जी जोर से कहते हैं - " रवी "
उनके इतना कहते ही एक 30 साल का लडका भाग कर आता है और कहता है - " Yas sir "
" अभीर को उसके रूम में छोड़ कर आधे घंटे में स्टडी रूम में मिलो अशोक जी उसको घुरते हुए कहते हैं "
" जी " कह रवी अभीर के पास आता है और उसको मीरा से दुर कर अपने कंधे पर करते हुए उसको उसके रूम के तरफ ले जाता है
वही अभीर के जाते ही सुनिता तुरंत ही मीरा कि तरफ बडते हुए कहती है - " अब तुम यहाँ क्या खडी हो अब जाओ "
वही मीरा उसको तो कुछ समझ ही नहीं आता वो सुनिता जी से कहती है - " मैं कहाँ जाऊगी "
वही मीरा की बात सुन कर सुनिता चिडते हुए मीरा का हाथ पकडती है और उसको घर के बाहर की तरफ ले जाते हुए कहती है - " क्या वो रोज नशे में शादी करेगा और हम हर लडकी को घर पर रखते जाएगे क्या "
तभी दादी जी सुनिता जी को डाटते हुए कहती है - " सुनिता उसको हाथ छोडो चाहे जैसे पर अब वो हमारे घर की बहु है समझी "
वही उनकी बात सुन कर तो सुनिता को गुस्सा तो बहोत आता है लेकिन अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहती है - " माँ बहोत अच्छी है आप को लोगों की चलाकी नहीं दिखती है "
और फिर मीरा का हाथ पकड़ उसको खिचते हुए ले जा रही थी तभी अशोक जी गुस्से में सुनिता जी से कहते हैं - " क्या तुम्हे समझ नहीं आता माँ ने क्या कहा या तुम जान बुझ कर ये सब कर रही हो "
उनके डाटते ही सुनिता जी गुस्से में मीरा का हाथ झटक कर अपने रूम में चली गई ।
तभी अशोक जी माधुरी जी तरफ देख कर कहते हैं - " माँ आप भी आराम करो मै कुछ भी गलत नहीं होने दुगा "
अशोक जी के इतना कहते ही माधुरी जी उसके सर पर हाथ रख फिर मीरा के पास जाती है जो अपना सर नीचे कर बस रो रही थी तो माधुरी जी उसके सर पर हाथ रखती है जिससे मीरा का रोना और बड जाता है
वो उसके आसु पोछते हुए कहती है - " डरो मत अब तुम हमारी बहु हो और मैं अपनी बहु को अपने घर से कही नही जाने दुगी इस लिए डरना नही "
मीरा भी बस अपना सर हिला देती है सुबह से इतना कुछ होने के बाद अब उसको ठोडा से प्यार मिला तो उसके अंदर का सारा दर्द बाहर आ गया ।
तभी अशोक जी मीरा कि तरफ देखते हुए कहते हैं बेटा मेरे साथ आओ मुझे तुमसे कुछ बात करनी है उसके बाद दादी जी को रूम में जाने को कह कर वो मीरा अपने स्टडी रूम में ले जाते हैं और उसको सोफे पर बिठाने को कहते हैं और साथ ही उसके आगे पानी रख देते हैं वही मीरा भी पानी का गिलास उठा कर एक दो घुट पानी पी वापस रख देती है तभी अशोक जी कहते हैं - " क्या तुम महेश आहुजा की बेटी मीरा आहुजा हो "
वही मीरा जो इतने समय से नीचे देख रही थी वो अपने पापा और अपना नाम सुन कर अशोक जी को शौक में देखने लगती है वही अशोक जी उसका ऐसा रिक्शेन देख कर मुस्कुरा देते हैं
वही कुछ आधे घंटे बात करने के बाद अशोक जी मीरा के सर पर हाथ रख कर कहते हैं - " मुझे भरोसा है कि ये काम सिर्फ तुम ही कर सकती हो बेटा "
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वही मीरा जो इतने समय से नीचे देख रही थी वो अपने पापा और अपना नाम सुन कर अशोक जी को शौक में देखने लगती है वही अशोक जी उसका ऐसा रिक्शेन देख कर मुस्कुरा देते हैं
वही कुछ आधे घंटे बात करने के बाद अशोक जी मीरा के सर पर हाथ रख कर कहते हैं - " मुझे भरोसा है कि ये काम सिर्फ तुम ही कर सकती हो बेटा "
अब आगे
मीरा भी बस अपना सर हिला देती है अशोक जी मुस्कुराते हुए कहते हैं - " अब जा कर आराम कर लो वैसे ही कुछ समय में सुबह है जाएगा "
और फिर दोनों स्टडी रूम से बाहर आ जाते हैं तो बाहर ही रवी सर नीचे किए हुए खडा़ था उसको ऐसे देख कर अशोक जी अफसोस में सर हिला कर कहते हैं - " मीरा को अभीर का रूम दिखा कर आओ मे तुम्हारा यही पर वेट कर रहा हूँ "
रवी भी अपना सिर हा में हिला कर मीरा को आगे बढने का इसारा करता है मीरा भी उसके पिछे - पिछे किसी बच्चे कि तरह चल रही थी जिसको स्टडी रूम के दरवाजे पर खड़े अशोक जी देख कर हंस देते हैं
रूम के दरवाजे पर पहुँच कर रवी मीरा की तरफ देख कर कहता है - " यही है रूम "
मीरा हल्की मुस्कान के साथ कहती है - " Thanks भाईया "
और फिर रूम के अंदर चली जाती है ।
वही रवी तो जैसे कही खो गया हो उसके भाई
मीरा जब रूम में आई तब वो देखती है की अभीर लगभग पुरे बैड पर फैल कर सोया हुआ है और उसके चेहरे पर बहुत ही अजीब भाव थे जैसे वो इस समय बहुत ही डरा हुआ हो उसके चेहरे पर ऐसे भाव देख कर मीरा उसी के पास बैड पर बैठती है और उसके चेहरे को देखते हुए कहती है - " तुम जैसे भी इंसान हो लेकिन आज तुम्हारी वजह से में शैफ हु और आज सिर्फ तुम्हारी वजह से मेरे पास सर छुपाने की जग जगह है नहीं तो पता नहीं मेरे साथ क्या होता "
और फिर कुछ देर उसका चेहरा देखने के बाद वो देखती है कि अब उसके चेहरे के भाव पहले से ठीक लग रहे है तो वो बैड से उठ कर जैसे ही आगे आने को होती है तो उसको अपना दुप्पटा कही फसा फसा लगता है और खिचाव की वजह से वो आगे नहीं बड पाती तो वो तुरंत बैड कि तरफ देखती है जहाँ पर अभीर सो रहा था और उसी से उसके दुप्पटे को कस कर पकड़ रखा था मीरा अपने दुप्पटे को छुडाने की बहुत कोशिश करती है लेकिन अब नहीं कर पाती तो अपना दुप्पटे का पिन निकाल वही छोड़ देती है और सोल को अच्छे से ओड कर सोफे पर ही सो जाती है
वही स्टडी रूम में रवी सर झुकाए खड़ा था और अशोक जी उसको घुर कर देख रहे थे जब कुछ समय देखने के बाद भी रवी कुछ नहीं कहता तो अशोक जी उसको डाटते हुए कहते हैं - " अब तुम कुछ कहो गे भी या नहीं "
उनको गुस्से में देख रवी उसी तरह सर झुकाए हुए ही कहता है - " सर sorry मुझे नहीं पता था ऐसा होगा जाएगा "
अशोक जी फिर जोर से अपना हाथ टेबल पर मारते हुए कहते हैं - " तुम्हे कितनी बार कहाँ है मुझे सर मत बोलो तुम्हे एक बार में समझ नहीं आता "
रवी फिर उसी तरह कहता है - " Sorry मामा "
अब आशोक जी थोड़ा शांत होते हुए कहते हैं - " बताओ आज क्या हुआ "
रवी एक नज़र अशोक जी की तरफ देखता है फिर सब कुछ आशोक जी को बता देता है ।
वही उसकी सारी बात सुन कर आशोक जी रवी की तरह देखते हैं फिर अपनी जगह से उठते हुए कहते हैं - " अभीर ने जैसा कहाँ है वैसा करो और फिर रूम के बाहर जाने लगते हैं तभी रवी थोड़ा डरते हुए कहता है - " मामा "
आशोक जी उसकी तरफ देखते हुए कहते हैं - " तुम परेशान मतलब हो अभीर को कुछ भी पता नहीं चले गा "
और फिर वो अपने रूम में चले जाते हैं
वही उस हवेली में अभी भी विजय ठाकुर बैठा हुआ था और वो इस समय पागलो से कम नहीं लग रहा था वो उसको देखकर कर कोई भी डर सकता था वो अपने सभी आदमीयो कि तरफ देख कर कहता है - " तुम लोग एक लडकी को नहीं डुड पाए "
तभी उन्ही में से एक लडका कहता है - " ठाकुर साहब ठाकुराई दिल्ली में दिखी थी उसके बाद पता नहीं कहाँ गायब हो गई हम लोगों को दिखी ही नहीं "
वही उसकी बात सुन कर विजय का पारा और हाई हो गया वो अपने समाने पडे टेबल पर लात मारते हुए कहता है - " तुम कितने सारे लोगों के नाक के नीचे से इतनी सी लडकी भाग गई और तुम लोग उसको डुड भी नहीं पाए "
वही उसकी बात सुन कर सभी अपना सर नीचे कर लेते हैं वो गुस्से में उसमें से एक आदमी का गला पकड़ कर गुस्से में एक एक शब्द चबा का कहता है - " अगर एक हफ्ते में उसको मेरे समाने नहीं लाए तो मैं तुम सब को जान से मार दुगा " और फिर उस आदमी को वही छोड़ सभी वहाँ से चले जाते हैं ।
वही रायजादा पैलिश में सुनिता जी अभी भी गुस्से में इधर - उधर पुरे रूम में चक्कर काट रही थी वो चिडते हुए कहती है - " आज ये मनहूस शादी कर आया कल को इसके बच्चे हो जाएगें तो ये मेरे बच्चों का हक उनसे छिन लेगा उस तक नौबत पहुंचे उससे पहले ही मुझे कुछ ना कुछ ना करना होगा "
तभी आशोक जी रूम में आते और सुनिता जी को ऐसे रूम में चक्कर लगाते देखते हैं ।
" क्या हुआ अभी तक क्यों यहाँ वहाँ हो रही हो सोई क्यों नहीं "
उनके ऐसे कहने पर सुनिता जी थोड़े गुस्से में आशोक जी के पास आते हुए कहती है - " आप के बेटे ने जो आज किया है ना आप को लगता है उसके बाद चैन से सोया जा सकता है और अब आप इसका क्या करेगे ये बताइये "
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वही रायजादा पैलिश में सुनिता जी अभी भी गुस्से में इधर - उधर पुरे रूम में चक्कर काट रही थी वो चिडते हुए कहती है - " आज ये मनहूस शादी कर आया कल को इसके बच्चे हो जाएगें तो ये मेरे बच्चों का हक उनसे छिन लेगा उस तक नौबत पहुंचे उससे पहले ही मुझे कुछ ना कुछ ना करना होगा "
तभी आशोक जी रूम में आते और सुनिता जी को ऐसे रूम में चक्कर लगाते देखते हैं
" क्या हुआ अभी तक क्यों यहाँ वहाँ हो रही हो सोई क्यों नहीं "
उनके ऐसे कहने पर सुनिता जी थोड़े गुस्से में आशोक जी के पास आते हुए कहती है - " आप के बेटे ने जो आज किया है ना आप को लगता है उसके बाद चैन से सोया जा सकता है और अब आप इसका क्या करेगे ये बताइये "
अब आगे
वही आशोक जी एक नज़र सुनिता जी कि तरफ देख कर फिर अलमारी से अपने कपड़े निकालते हुए कहते हैं - " सुनिता इसके बारे में तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है वो मेरा बेटा है और उसकी पत्नी मेरी बहु तो तुम्हारा इससे कोई लेना देना नहीं है इस लू मेरे बेटे के बारे में सोचने कि जरूरत नहीं है वो मै देख लुगा "
वही उनकी ऐसी कडवी बात सुन कर सुनिता जी उनके पास आ थोड़ा चिडते हुए कहती है - " आप कहना क्या चाहते हैं की अभीर मेरा बेटा नहीं है हा "
वही उसकी ऐसी बात सुन आशोक जी बहुत ही शांत ही आवाज़ में कहते हैं - " हा वो तुम्हरा बेटा नहीं है और ना ही तुम्हारा उससे क़ोई रिस्ता है वो सिर्फ मेरा और अनुराधा का बेटा है आज तुम्हारे ऊपर एक बार विश्वास कर के बार अपने बेटे को खुद से दुर कर चुका हु तो तुमसे बहोत ही साफ शब्दों में समझा रहा हूँ की उससे दुर रहो आज अभीर जैसा भी उसकी जिम्मेदार तुम हो और अब अगर तुमने और कुछ किया तो तुम्हे में अपने परिवार में नहीं रहने दुगा "
वही उनकी बात सुन कर सुनिता जी तो सोक हो जाती है और बहुत ही ज्यादा डर जाती है ।
वही मीरा कई दिनों से ठीक से नहीं सोई थी तो उसको भी गहरी नींद आ गई तभी उसको कोई आवाज़ आता है जिससे वो एक दम से उठती है उसको कुछ समझ नहीं आता वो कहा है तभी उसकी नजर समाने पडती है जिसको देख वो सुन पड जाती है ।
अब आगे
वो एक दम से उठती है तो समाने अभीर बैड सर सीधा सोया हुआ था और उसके शट के सारे बटन खुले हुए थे और वो मीरा के दुप्पटे को ओडे हुए था वही मीरा गहरी नींद से उठ कर एक दम से अपने समाने एक लडका देखा डर जाती है तभी उसको कल तो कुछ भी वो सब याद आता अभी वो खुद को संभाल पाती उससे पहले फिर एक बार आवाज आता है जिससे मीरा सोफे से उठते हुए रूम में चारो तरफ नजर दौडाती लेकिन उसको समझ नहीं आता ये आवाज कहाँ से आ रहा है तभी इस बार आवाज थोड़ा जोर से होता है जिससे मीरा को समझ आता है कि ये आवाज दरवाजे से आ रहा है वो शोल को ठीक कर के दरवाजा खोलती है जहाँ दादी जी एक मैड के साथ खडी थी
मीरा के दरवाजा खुलते ही वो थोडा अंदर आती है मैड जो समान पकडी दादी उसको रखने का इसारा कर बाहर जाने को कहती है ।
वही मैड के जाने के बाद मीरा अपने शोल को अपने सर पर करते हुए दादी जी के पैर छुती उसके ऐसे करते दादी के चेहरे पर मुस्कान का जाता है और मुस्कुराते हुए कहती है - " सदा सुहागन रहो बहु और जल्दी हमारे परिवार बडाओ "
उनकी बातें मीरा को अजीब लगता है लेकिन वो बस हल्के से मुस्कुरा देती है
वही दादी की नजर बैड पर जाता है अभीर को ऐसे मीरा का दुपट्टा ओडा देख उनके चेहरे पर मुस्कान का जाती है
तभी मीरा भी दादी को ऐसे अभीर को ऐसे देखते हुए देख कर कहती है - " दादी वो "
वो कभी अपनी बात पुरी करती उससे पहले दादी उन समान की तरफ इसारा कर कहती है - " ये कुछ साड़ी और गहने है इन्हें पहन कर तैयार हो जाओ और जल्दी नीचे आओ आज भगवान् की आरती तुम्हे करनी है "
मीरा अपनी बात पुरी भी नहीं करती बस अपना सर हा में हिला देती है दादी भी उसके सर पर हाथ रख कर रूम से चली जाती है वही मीरा उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था बस एक दिन में वो कहा से कहा आ गई वो सोचती है " लेकिन अभी मुझे इससे अच्छा और शेफ जगह नहीं मीलेगा इस लिए कुछ भी कर के जब तक मेरा कही और रहने की व्यवस्था नहीं होता मैं ये घर छोड़ कर नहीं जाऊगी "
और फिर उन साडीयो को देखती है और उन्ही में से एक लाला हैवी साड़ी उठा लेती है और वाशरूम की तरफ चली जाती है
वही दादी जब नीचे आती है तो उन्हें होल में ही आशोक जी बैठे दिख जाते हैं वो news paper पड रहे थे वही दादी शोफे पर आ कर बैठती है और अपने मे ही मुस्कारा रही थी
वही जब अशोक जी की नजर उन पर पडी तो वो उनक गौर से देखते हुए कहती है - " क्या बात है माँ आप बहुत खुश लग रही है "
वही उनकी बात सुन कर दादी जो अपने सोच में थी वो उससे बाहर आते हुए कहती है ; " तुम्हे पता है अभी में अभीर के रूम से आ रही हु और तुझे पता है वो अभी भी सो रहा है तुझे पता है पुरे 15 साल बाद उसको ऐसे सोते हुए देखा है नही तो उस हादसे के बाद " वो बोलते हुए चुप हो जाती है इस समय उनका चेहरा फिर से गम्भीर हो गया था ।
राम राम
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राम राम
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मीरा अपनी बात पुरी भी नहीं करती बस अपना सर हा में हिला देती है दादी भी उसके सर पर हाथ रख कर रूम से चली जाती है वही मीरा उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था बस एक दिन में वो कहा से कहा आ गई वो सोचती है " लेकिन अभी मुझे इससे अच्छा और शेफ जगह नहीं मीलेगा इस लिए कुछ भी कर के जब तक मेरा कही और रहने की व्यवस्था नहीं होता मैं ये घर छोड़ कर नहीं जाऊगी "
और फिर उन साडीयो को देखती है और उन्ही में से एक लाला हैवी साड़ी उठा लेती है और वाशरूम की तरफ चली जाती है ।
वही दादी जब नीचे आती है तो उन्हें होल में ही आशोक जी बैठे दिख जाते हैं वो news paper पड रहे थे वही दादी शोफे पर आ कर बैठती है और अपने मे ही मुस्कारा रही थी ।
वही जब अशोक जी की नजर उन पर पडी तो वो उनक गौर से देखते हुए कहती है - " क्या बात है माँ आप बहुत खुश लग रही है "
वही उनकी बात सुन कर दादी जो अपने सोच में थी वो उससे बाहर आते हुए कहती है ; " तुम्हे पता है अभी में अभीर के रूम से आ रही हु और तुझे पता है वो अभी भी सो रहा है ।
तुझे पता है ।
पुरे 15 साल बाद उसको ऐसे सोते हुए देखा है नही तो उस हादसे के बाद " वो बोलते हुए चुप हो जाती है इस समय उनका चेहरा फिर से गम्भीर हो गया था ।
अब आगे
फिर खुद के चेहरे पर वापस मुस्कान लाते हुए कहती है - " खैर ये सब छोड पर अभीर बहु बहुत प्यारी लाया है "
उनकी बात सुन अशोक जी के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है वो कहते हैं - " जिंदगी में पहली बार उसने कुछ अच्छा किया है "
वही मीरा नहा कर बाहर आ गई थी और इस समय उस भारी सी साड़ी को पहनने के लिए मेहनत करी रही थी ।
थोडे समय मेहनत करने के बाद आखिर कार साड़ी पहन ही लेती है इस समय उसके बाल गीले थे इसलिए वो अपने बालो को खुला ही छोड़ देती है फिर उन गहनो को देखने लगती है उसको वो गहने पहनने कि इच्छा तो नहीं थी लेकिन दादी के कहने के कारण वो उसमें जो सब से हल्के गहने थे उसे पहन लेती है और फिर वो खुद को मिरर में देखती है ।
इस समय उसने भारी साड़ी और गहने में थी फिर भी उसको कुछ कमी लग रही थी पर वो समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या भुल रही है ।
उसने बिलकुल भी मेकअप भी नहीं किया था ।
तभी उसकी नजर अपने माग में जाता है जो इस समय खाली था ।
वो अपने हाथ से अपने माग को छु कर देखती है फिर दादी के दिए समान में भी वो सिंदूर डुडती है जब नही मिलता है तो अपने सर पर पल्लू रख कर रूम से बाहर निकल जाती है ।
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वही दादी और अशोक जी अभी भी बात ही कर रहे थे तभी उनकी नजर सीडी से नीचे आती मीरा पर पडा जो अपने सर पर पल्लू रखे अपने साड़ी को संभालते हुए नीचे आ रही थी वही उसको ऐसे देख दादी जी के आखो मे आसु आ जाती है और उसी तरह कहती है - " ये तो बिलकुल अनुराधा जैसे लग रही है " वही उनकी बात सुन कर अशोक जी भी इमोशनल होते हुए कहते हैं - " हा मा ऐसा लग रहा है जैसे वो खुद आ रही हो "
तभी मीरा उन दोनों के सामने आ जाती है और पहले दादी जी पैर छुती है दादी जी बस उसके सर पर हाथ रख देती है इस समय उनसे कुछ कहा नही जाता ।
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वही मीरा फिर अशोक जी के पैर छुती है जिससे अशोक जी के आखो मे आसु और चेहरे पर मुस्कान था वो उसके सर पर हाथ रख के कहते हैं - " खुश रहो बेटा "
तभी दादी जी मीरा को देखते हुए कहती है - " बेटा पहले ठाकुर जी के लिए भोग बना लो फिर आरती करेगे "
उनकी बात पर हामी भरते हुए अपना सर हमी में हिलती है जिससे उसका पल्लू थोड़ा सरक जाता है जो दादी जी देख लेती है और मीरा कहती है - " ये क्या बेटा तुम ने माग नहीं भरा "
जिस पर मीरा थोडा डर जाती है और वैसे ही डरे हुए दादी जी से कहती है - " दादी जी वो अपने जो समान दिया था ना उसमें सिंदूर नहीं था "
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उसकी बात सुन दादी जी अपने सर पर हल्के से मारते हुए कहती है - " बुढापे पर आज कल कुछ याद ही नहीं रहता एक काम करो जा कर पहले मंदिर से सिंदूर लगा लो फिर भोग बना लेना "
मीरा भी उनकी बात मानते हुए मंदिर में चली जाती है और फिर अपना माग में सिंदूर भी कर भगवान् में समाने हाथ जोड़कर उसने अपनी मदद करने को कहती है ।
तभी को मीरा का एक दम से हाथ पकड़ कर खिचने लगता है ।
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मीरा जब समाने देखती है तो सुनीता जी गुस्से से अपना लाल चेहरा लिए खडी थी वो गुस्से में मीरा को खिचते हुए मंदिर से बाहर लाती है ।
और वही मीरा अपना हाथ उनके पकड़ से छुडाने की बहुत कोशिश कर रही थी ।
तभी सोर सुन कर दादी जी और अशोक जी जो बाहर गाडन में टहलने जा रहे थे वो वापस होल में आते हैं . . . . .
और ऐसे सुनिता जी को मीरा का पकड़ खिचता देख गुस्से में कहते हैं - " सुनिता बहु का हाथ छोडो "
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राम राम . . . . . . .
तभी दादी जी मीरा को देखते हुए कहती है - " बेटा पहले ठाकुर जी के लिए भोग बना लो फिर आरती करेगे "
उनकी बात पर हामी भरते हुए अपना सर हमी में हिलती है जिससे उसका पल्लू थोड़ा सरक जाता है जो दादी जी देख लेती है और मीरा कहती है - " ये क्या बेटा तुम ने माग नहीं भरा "
जिस पर मीरा थोडा डर जाती है और वैसे ही डरे हुए दादी जी से कहती है - " दादी जी वो अपने जो समान दिया था ना उसमें सिंदूर नहीं था "
उसकी बात सुन दादी जी अपने सर पर हल्के से मारते हुए कहती है - " बुढापे पर आज कल कुछ याद ही नहीं रहता एक काम करो जा कर पहले मंदिर से सिंदूर लगा लो फिर भोग बना लेना "
मीरा भी उनकी बात मानते हुए मंदिर में चली जाती है और फिर अपना माग में सिंदूर भी कर भगवान् में समाने हाथ जोड़कर उसने अपनी मदद करने को कहती है
तभी कोई मीरा का एक दम से हाथ पकड़ कर खिचने लगता है।
मीरा जब समाने देखती है तो सुनीता जी गुस्से से अपना लाल चेहरा लिए खडी थी वो गुस्से में मीरा को खिचते हुए मंदिर से बाहर लाती है और वही मीरा अपना हाथ उनके पकड़ से छुडाने की बहुत कोशिश कर रही थी तभी सोर सुन कर दादी जी और अशोक जी जो बाहर गाडन में टहलने जा रहे थे वो वापस होल में आते हैं और ऐसे सुनिता जी को मीरा का पकड़ खिचता देख गुस्से में कहते हैं - " सुनिता बहु का हाथ छोडो "
अब आगे
वही उनको इस तरह आचनक देख कर एक पल को सुनिता जी घबरा जाती है लेकिन फिर खुद की सम्भाल कर आशोक जी की तरफ देख कर कहती है - " कौन सी बहु की बात कर रहे हैं आप ये जिसको आपके बेटे ने नाशे में धुत घर ले आया पता नहीं शादी की भी है या नहीं "
वही उनकी बात आवाज इतनी तेज थी की उनकी आवाज सुन कर उनकी बेटी अपने रूम से बाहर आ जाती है और ऐसे अपनी माँ को किसी लडकी का हाथ ऐसे पकड़ कर और ऐसे लडते देख वो अपनी माँ से कुछ पुछने को होते हैं ।
तभी पुरे घर में आशोक जी की तेज आवाज गुजती है जो गुस्से में सुनिता जी के पास आते है और उनके हाथ से मीरा का हाथ छुडा कर कहते हैं - " सुनिता मैने तुम्हे कल ही समझिया था की तुम्हारा मेरे बेटा और बहु से कोई लेना देना नहीं है समझी और इसके बाद भी तुम मुझे मजबूर करती हो तो मेरा फैसला तुमसे बरदाश्त नहीं होगा "
वही उनको इतने गुस्से में और ऐसी बातें करते देख कर सुनिता जी को डर तो लग रहा था पर आज कैसे भी मीरा को घर से बाहर करना चाहती थी इस लिए वो अपनी आवाज थोड़ी धीमी करते हुए कहती है - " ठीक है आप को इस लड़की को बहु मनाना है मानो पर ये मेरे घर पर नहीं रहेगी "
अभी वो अपनी बात पुरी करते उससे पहले दादी जी कहती है - " सुनिता कौन सा तुम्हारा घर ये घर मेरा है और तुम कैसे मेरे घर से मेरी बहु को निकाल सकती हैं "
वही दादी जी की बात सुन कर सुनिता जी पुरी तरिके से चिड जाती है और गुस्से में मीरा को घुरते हुए अपने रूम में चली जाती है वही उनके पिछे - पिछे उनकी बेटी भीचलीं जाती है
वही दादी जी मीरा को देखती है जो अपना सर नीचा कर के आसु बहा रही थी दादी जी उसके पास जाती है और उसके आसु को पोछते हुए कहती है - " अरे बेटा ऐसे नहीं रोते चलो भोग बनाओ भगवान् को ऐसे कब तक भुखा रखेगे "
उनकी बात सुन मीरा अपना सर हिला देती है तभी दादी जी कहती है - " तु घबरा मत इस बार में तेरे पास रहुगी तुझे अकेला नहीं छोडुंगी "
उनकी बात सुन कर मीरा हल्का सा मुस्कुरा देती है उसकी उतनी प्यारी सी मुस्कान देख कर आशोक जी के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाता है वो प्यार से उसके सर पर हाथ रख वही होल में बैठ जाते हैं की कही सुनिता जी कोई तमाशा ना करने लगे और दादी मीरा को लेकर रसोई में चली गई
वही अभीर के रूम में नीचे से आ रही इतनी आवाज से उसकी निंद खुल गई आख खुलते ही उसको अपने सर पर बहोत तेज दर्द हुआ अभी वो अपने दोनों हाथ ऊपर कर सर कपडने को होता है तभी देखता है की उसके हाथ में एक लडकी का लाल दुपट्टा है अभीर उस दुप्पटे को देख कर चौक जाता है
वो तुरंत अपनी नजर चारो तरफ करता है ये तो उसका ही रूम है लेकिन वो सोफे पर एक तरफ देखता लडकियो के कपड़े और समान देखता है वो सब देख कर उसके सर का दर्द और बड जाता है और वो अपने हाथ से अपना सर पकड़ कर आखे बंद करता है तभी उसको कल रात का सब कुछ अपने आखो के समाने किसी फिल्म सी चलती हुई लगी और उसको कल रात जो कुछ हुआ उसका मीरा से मिलना और शादी करना औरघर आना उसके बाद - उसके बाद
वो एक दम से अपनी आखे खोलता है और और अपने हाथ की मुठठी बाधते हुए कहता है घर आने के बाद क्या हुआ मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा और वो लडकी कहा गई कही दिख नही रही अरे यार "
तभी उसका फोन बजता है
अभीर जो सोच में खोया था वो अपनी सोच से बाहर आता है और ये बीना देखे की किस का फोन है वो उठा लेता है तभी दुसरी तरफ से उसको असिस्टेंट कहता है - " सर आप का काम हो गया "
वही उसकी आवाज सुन वो एक बार फोन को अपने कान से दुर कर फोन देखता है फिर कान पर लगाते हुए कहता है - " रवी कौन सा काम "
वही दुसरी तरफ रवी जो अभीर का असिस्टेंट भी है वो कहता है - " आप ने ही तो कहा था ना शादी रजिस्टर कर देना "
वही उसकी बात सुन कर अभीर को भी ध्यान आता है वो कहता है - " हाँ और उस शैर का क्या हुआ रमन ने वो मेरे नामकिए "
" हा बस अभी वही कर के बाहर आ रहा हूँ "
उसकी बात सुन कर अब जा के अभीर को चैन पडता है की चलो जिसके लिए इतना तमाशा किया वो काम तो हो गया "
वही मीरा जो भोग बना चुकी थी और भगवान् को भोग लगा रही थी फिर सभी को प्रसाद दे देती है तभी दादी जी कहती है - बहु जाओ जा कर अपने रूम में आराम करो
उनकी बात सुन कर मीरा अपना सर हिला कर रूम की तरफ जाने लगती है अभी उसको घबराहट हो रहा था कि सुबह से सभी के रिऐक्शन अलग - अलग है अब पता नहीं अभीर क्या कहेगा यही सब सोचते हुए रूम का दरवाजा खोलती है
वही अभीर भी जो रवी से बात कर रहा था वो फोन रखते हुए कहता है - " अब ये लडकी कहा है "
और रूम से बाहर जाने को दरवाजा खोलता है वही दुसरी तरफ से मीरा दरवाजा खोलने की को धक्का देती है उससे पहले ही दरवाजा खुल जाता और मीरा का बैलेंस बिगड़ जाता है और वो सीधा अभीर के ऊपर गीरती है
अभी अभीर कुछ समझ पाता की उसके ऊपर कोईथा जो उसके आखो मे ही देख रहा था जिसमें डर घबराहट सब कुछ था और उसकी खुबसूरती का तो क्या ही कहना अभीर अभी कुछ कहता उससे पहले उसकी नजर
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राम राम
वही मीरा जो भोग बना चुकी थी और भगवान् को भोग लगा रही थी फिर सभी को प्रसाद दे देती है तभी दादी जी कहती है - बहु जाओ जा कर अपने रूम में आराम करो
उनकी बात सुन कर मीरा अपना सर हिला कर रूम की तरफ जाने लगती है अभी उसको घबराहट हो रहा था कि सुबह से सभी के रिऐक्शन अलग - अलग है अब पता नहीं अभीर क्या कहेगा यही सब सोचते हुए रूम का दरवाजा खोलती है
वही अभीर भी जो रवी से बात कर रहा था वो फोन रखते हुए कहता है - " अब ये लडकी कहा है "
और रूम से बाहर जाने को दरवाजा खोलता है वही दुसरी तरफ से मीरा दरवाजा खोलने की को धक्का देती है उससे पहले ही दरवाजा खुल जाता और मीरा का बैलेंस बिगड़ जाता है और वो सीधा अभीर के ऊपर गीरती है
अभी अभीर कुछ समझ पाता की उसके ऊपर कोई था जो उसके आखो मे ही देख रहा था जिसमें डर घबराहट सब कुछ था और उसकी खुबसूरती का तो क्या ही कहना अभीर अभी कुछ कहता उससे पहले उसकी नजर
अब आगे
अभीर अभीर मीरा के आखो मे ही देख रहा था तभी उसकी नजर मीरा के पहने हुई साड़ी पर पडी और उसकी साड़ी देख कर तो वो जैसे गुस्से से पागल हो गया हो वो मीरा को अपने ऊपर से धक्का देकर एक तरफ कर देता है और खुद उठ कर मीरा को घुरते हुए कहता है - " ये लडकी तुम्हे ये साड़ी तुम्हे कहाँ से मीली "
वही इस समय उसका चेहरा लाल पड चुका था वही उसको ऐसे देखकर तो मीरा की तो हिम्मत भी नहीं हो रही थी की वो उठ कर खडी हो जाए वही अभीर के धक्का देने से उसको चोट भी लग चुकी थी
वो अभी सोच ही रही थी की क्या ऐसा कहे की अभीर का गुस्सा शांत हो जाए और अभीर की ऐसी हरकत देख कर गुस्सा तो इस समय मीरा को भी बहुत आ रहा था लेकिन अभी वो कोई भी लगत फैसला नहीं ले सकती हैं
अभी वो यही सब सोच रही थी तभी अभीर उसके साड़ी के पल्लू कर पकड़ के खीचते हुए कहता है - " ये लडकी अभी ये साड़ी उतारो अभी "
वही अभीर की ऐसी बचकानी बात सुन कर तो कर अब तो मीरा से बरदास्त नहीं हुआ उसको इतना गुस्सा आ रहा था की सारा डर कहाँ चला गया उसको पता भी नहींचला वो गुस्से में खड़े होते हुए उसके हाथ से अपना पल्लू खिचती है और फिर अभीर को धक्का देती है जिससे अभीर दरवाजे से जा लगता है फिर मीरा अपनी बडी - बडी आखो से अभीर को घुरते हुए कहती है - " पहली बात मेरा नाम मीरा आहुजा है ना की ये लडकी अगर आगे कभी मुझसे बात करनी हो तो मेरे नाम ले कर करना और क्या तुम चार साल के बच्चे हो जो मेरी साडी पकड कर खीच रहे हो तमीज तो तुम मे है ही नहीं "
इतना कह कर मीरा दो कदम पिछे हो जैसे ही वाशरूम में घुसने के बारे में सोच रही थी तभी अभीर जो इस तरह आचानक मीरा का गुस्सा देख कर सुन पडा था उसका दिमाग बहुत ही तेजी से काम किया और दो कदम पिछे हुई मीरा का हाथ पकड़ अपनी तरफ खिचता है और उसको दरवाजे पर लगा कर खुद उसके सामने खडा़ हो जाता है और उसको घुरने लगता है वही उसकी ऐसी नजर से मीरा को नजर अंदाज करते हुए दुसरी तरफ जाने को होती है तब अभीर अपने दोनों हाथ उसके दोनों तरफ रख देता है और अभी भी उसी तरह देख रहा था
अब मीरा पुरी तरिके से चिड चुकी थी वो सीधा अभीर के आख में देखते हुए कहती है - " क्या है फिर से तुम बच्चों की तरह तरकत कर रहे हो "
वही उसकी बात सुन और खुद के लिए बच्चे शब्द के लिए अभीर चिड कर कहता है - " मैने तुमसे क्या कहा ये साड़ी अभी बदलो " उसकी बात सुन मीरा भी चिड जाती है और सोचने लग जाती है कि ये कैसा आदमी है जो एक साड़ी के पिछे पड गया है
अभी वो यह सब सोच रही थी तभी अभीर फिर से कहता - " तुम्हे एक बार में समझ नहीं आता मैंने कहा ये साड़ी बदलो "
वही मीरा जो अपनी सोच में घुम थी वो एक दम से कहती है - " नहीं बदलु गी " वही बोलने के बाद उसको होश आता है की उसने अभी क्या कहा वो अपनी नजर उठा कर अभीर की तरफ देखती है जो गुस्से से उसे ही घुर कर देख रहा था इस बार उसकी नजर में जैसे आग हो
वही मीरा अब पुरी तरके से चिड चुकी थी वो अभीर को खुद से थोडा दुर धक्का देते हुए कहती है - " मेरे पास इसके आलव कुछ नहीं है पहनने को और वैसे भी मुझे ये साड़ी दादी ने दी है और तुम क्यों इतना इस साड़ी के लिए रो रहे हो कही ये तुम्हारी साड़ी तो नहीं लेकिन तुम साड़ी का क्या करोगे "
फिर थोड़ा सोचने का नाटक करते हुए कहती है - " कही ऐसा तो नहीं की तुम साड़ी पहनते हो " ये बात वो मजाक उडाने के लहजे में कहती है ।
वही मीरा को अपना मजाक उडाते देख कर अभीर गुस्से में दो कदम उसकी तरफ बडाते हुए कहता है - " ये लडकी तुम ज्यादा नहीं बोल रही "
मीरा भी उसके दो कदम आगे आते हुए कहती है - " वो तो मैने भी आप से कहा है की मेरा नाम है मीरा तो अगर मुझसे बात करनी हो तो मेरा नाम ले कर करो "
इतना कह वो जैसे ही पिछे होने को होती है उसका पैर उसकी साड़ी में ही फस जाता है वो गिरने ही वाली होती है तभी अभीर उसको पकड़ लेता है वही मीरा गिरने के डर से अपनी आखे बंद कर लेती है
वही अभीर तो उसके मासूम से चेहरे को देखता है फिर हल्का सा हंस कर बोलता है - " बात बड़ी कर रही थी लेकिन सीधा चला भी नहीं जाता जब देखो तब गिरती रहती है "
वही मीरा उसकी बात सुन तुंरत अपनी आखे खोलते खडी होती है और अभीर की तरफ देख कर कहती है - " हाँ तो मैने नहीं कहा था तुम्हे की मुझे पकड़ो "
अभीर उसको घुरते हुए कहता है - " तुम "
राम राम