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In the Shadows of a Billionaire

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Description

एक अधूरी तलाश, एक अनकही दास्तां... वो एक नामी बिज़नेस टाइकून है — दुनिया उसकी कामयाबी को सलाम करती है, मगर दिल... वो अब भी किसी सच्चे प्यार की तलाश में भटक रहा है। भीड़ में होते हुए भी तन्हा, अपनी असली पहचान को छुपाकर, वो गलियों में फिर रहा है — उ...

Characters

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Ayushi

Heroine

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Prince

Hero

Total Chapters (2)

Page 1 of 1

  • 1. In the Shadows of a Billionaire - Chapter 1

    Words: 488

    Estimated Reading Time: 3 min

    📖 क़िस्सा मोहब्बत का: Episode 1 – पहली झलक, पहला ज़ख्म

    इस्तांबुल की सुबह, कुछ धुंधली, कुछ भीगी-सी। आसमान पर बादल लटके थे, और समुद्र के ऊपर से गुज़रती तेज़ हवाएं जैसे कुछ कह रही थीं।

    कमाल सोयदर, एक मध्यमवर्गीय लड़का, अपने ख्वाबों की तलाश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। उसके पास न तो शोहरत थी, न दौलत — बस मेहनत, ईमानदारी, और एक सादा दिल। उस दिन, वो रोज़ की तरह मेट्रो बस में बैठा था, किताब हाथ में, दुनिया से बेखबर।

    उसी समय, निहान सज़ल, एक अमीर घर की बागी बेटी, तेज़ी से बस की ओर भाग रही थी। बालों को समेटते हुए, कंधे पर स्केचबुक लटकती, वो आख़िरी पलों में बस में चढ़ी — और तभी...

    झटका। बस अचानक ब्रेक मारती है।

    निहान का संतुलन बिगड़ता है और वो सीधे कमाल की गोद में गिरती है।

    कमाल (हैरान): "आप ठीक हैं?"

    निहान (शर्मिंदा पर मुस्कुराते हुए): "लगता है मेरी एंट्री फिल्मी हो गई..."

    दोनों हँस पड़ते हैं। लेकिन उन हँसी की परछाइयों में कुछ और भी था — पहचान का पहला अहसास। कुछ पलों के लिए दोनों एक-दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। बस के कोनों में बैठे लोग शायद कुछ देख न पाए हों, लेकिन वक़्त ने उस पल को हमेशा के लिए दर्ज कर लिया।


    ---

    🎨 निहान की दुनिया

    निहान एक आज़ाद रूह थी — अमीर बाप की लाडली, लेकिन दिल से एक कलाकार। उसकी ज़िंदगी में हर चीज़ खूबसूरत दिखती थी, लेकिन अंदर एक अजीब सूनापन था।
    उसके घर में प्यार की जगह समझौते थे, और हँसी के पीछे मजबूरी।

    जब वो उस शाम घर लौटी, उसकी नज़र अपने स्केचबुक पर पड़ी — और अनजाने में उसने उसी लड़के की आँखें बना डालीं।

    निहान (खुद से): "कौन था वो लड़का? उसकी आँखों में कुछ था... जैसे कोई दर्द... कोई गहराई..."


    ---

    🏗️ कमाल का संघर्ष

    कमाल के लिए ज़िंदगी सीधी-सादी थी। कॉलेज, पार्ट-टाइम जॉब और छोटे-छोटे सपने। उस शाम जब वो अपने दोस्तों के साथ बैठा था, एक दोस्त ने पूछा—

    "क्या हुआ कमाल? आज कुछ अलग लग रहे हो?"

    कमाल ने हल्की मुस्कान दी —
    "आज किसी की आँखों ने मुझे देख लिया... जैसे मैं वाकई मौजूद हूँ।"


    ---

    🕯️ किस्मत की चाल

    उधर, एक आलीशान महल जैसा घर। और अंदर बैठा था एमिर कोज़जूओग्लु — अहंकार, पैसा, और जुनून से भरा एक आदमी, जो हर चीज़ को "मालिकाना हक़" समझता था... निहान को भी।

    उसने अपने वफादार को फोन किया —
    "मैंने कह दिया है निहान मेरी है। जो भी उसके करीब आएगा... मिटा दूँगा।"


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    🌌 एपिसोड का अंत: पहली मुलाक़ात, पहली दस्तक

    रात को निहान अपने कमरे में बैठी थी, खिड़की से चाँद को निहारती हुई। वहीं कमाल अपनी छत पर लेटा था, तारे गिनता हुआ।

    दूर-दूर तक कोई आवाज़ नहीं थी — लेकिन उनके दिलों में हलचल थी।

    दो अलग दुनिया के लोग,
    जिन्हें मोहब्बत ने पहली बार छुआ था,
    मगर क़िस्मत की किताब में लिखा था — मोहब्बत आसान नहीं होगी।

  • 2. In the Shadows of a Billionaire - Chapter 2

    Words: 537

    Estimated Reading Time: 4 min

    बहुत बढ़िया! अब प्रस्तुत है Episode 2 का पूरा उपन्यासिक रूप — भावनात्मक गहराई, दृश्यात्मक विवरण और संवादों के साथ:


    ---

    📖 क़िस्सा मोहब्बत का: Episode 2 – टकराहटें, तहकीक़ात और तक़दीर

    सुबह की हल्की धूप इस्तांबुल की गलियों को छू रही थी।
    कमाल रोज़ की तरह कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था, लेकिन आज उसके चेहरे पर एक अलग सी रौशनी थी।
    वो निहान को भुला नहीं पा रहा था।

    कमाल (आईने में खुद को देखते हुए):
    "कभी-कभी एक मुलाक़ात सारी सोच बदल देती है... लेकिन क्या वो सिर्फ़ एक इत्तेफाक़ था?"

    उधर, निहान भी बेचैन थी। उसने बार-बार अपनी स्केचबुक खोली — और उस अजनबी लड़के की आँखों का स्केच उसे जैसे खींच रहा था।
    उसने अपने भाई ओज़ान से मज़ाक में कहा—

    निहान:
    "तुम्हें कभी किसी अजनबी की आँखों में अपना अक्स दिखा है?"

    ओज़ान (हँसते हुए):
    "नहीं बहन, मैं आँखों से नहीं, कार से इश्क़ करता हूँ।"


    ---

    💼 कॉलेज की मुलाक़ात

    कमाल और निहान की दूसरी मुलाक़ात कॉलेज के आर्ट एग्ज़िबिशन में होती है।
    निहान की बनाई हुई पेंटिंग्स लगी हैं — और उनमें से एक पेंटिंग को देख कर कमाल ठिठक जाता है।

    कमाल (धीरे से):
    "ये… मेरी आँखें हैं?"

    निहान (पीछे से आती है, मुस्कुराते हुए):
    "शायद… कभी किसी अजनबी को देखकर भी इंसान की उंगलियाँ चल पड़ती हैं।"

    कमाल:
    "आपने मेरी आँखों को यूँ देखा जैसे मुझे समझ लिया हो…"

    दोनों एक-दूसरे को कुछ पल चुपचाप देखते हैं। कोई शब्द नहीं, पर दिलों की धड़कनें बोल रही थीं।


    ---

    ⚠️ ख़तरा क़रीब है

    उसी शाम एमिर को खबर मिलती है कि निहान किसी "ग़रीब लड़के" से बात कर रही है।
    उसका खून खौल उठता है। वो हमेशा की तरह नियंत्रण चाहता है, प्यार नहीं।

    एमिर (क्रोधित):
    "उस लड़के का नाम क्या है? पता लगाओ। और अगर वो फिर निहान के करीब आया… उसकी ज़िंदगी नर्क बना दूँगा।"


    ---

    🧭 दो राहें, एक रास्ता

    उधर, कमाल और निहान के बीच बातचीत बढ़ती है।
    वे शहर के एक पुराने किले की दीवारों पर बैठे होते हैं, जहाँ निहान स्केच बना रही होती है और कमाल उससे सवाल करता है—

    कमाल:
    "क्या तुम हमेशा इतनी आज़ाद रही हो?"

    निहान (थोड़ी उदासी के साथ):
    "मेरे घर की दीवारें सोने की हैं, पर वो भी क़ैद करती हैं।"

    कमाल:
    "कभी उन दीवारों को तोड़ने का मन नहीं करता?"

    निहान:
    "हर रोज़… पर कुछ बंधन ऐसे होते हैं, जो दिल नहीं तोड़ने देता… परिवार, ज़िम्मेदारियाँ…"

    कमाल उसकी तरफ़ देखता है, जैसे उसके अंदर छिपे दर्द को पढ़ रहा हो।


    ---

    🏠 रात की दस्तक

    कमाल घर लौटता है, और उसका छोटा भाई तारिक पूछता है—

    तारिक:
    "भैया, आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं?"

    कमाल (हल्की हँसी के साथ):
    "शायद मैं पहली बार... किसी से जुड़ने लगा हूँ।"


    ---

    🌘 एपिसोड का अंत: पहला इम्तिहान

    एपिसोड के अंत में, कमाल और निहान एक बार फिर मिलते हैं — लेकिन इस बार सिर्फ़ संयोग नहीं, बल्कि दिलों की चाहत है।

    तभी दूर एक काली गाड़ी रुकी — और उसमें बैठा एमिर, दोनों को देख रहा था, आँखों में जहर लिए।

    एमिर (धीरे से, खुद से):
    "कमाल सोयदर… अब तू मेरा दुश्मन है।"


    ---

    क्या आप चाहेंगे कि मैं Episode 3 भी इसी शैली में लिखूं?
    कहानी अब और ज़्यादा गहरी, खतरनाक और इमोशनल होने वाली है।