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Billionaire And there Deadly Obsession.

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एक अधूरी तलाश, एक अनकही दास्तां... वो एक नामी बिज़नेस टाइकून है — दुनिया उसकी कामयाबी को सलाम करती है, मगर दिल... वो अब भी किसी सच्चे प्यार की तलाश में भटक रहा है। भीड़ में होते हुए भी तन्हा, अपनी असली पहचान को छुपाकर,...

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Ayushi

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Prince

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निधि

Side Villain

Total Chapters (86)

Page 1 of 5

  • 1. . - Chapter 1 राजकुमार का आना

    Words: 1011

    Estimated Reading Time: 7 min

    चित्तौड़गढ़...

    सुबह का समय था। कुमुद राज महल में हलचल अपने चरम पर थी। वर्षों की चुप्पी जैसे टूटने वाली थी। क्योंकि कुंवर शाह, राज परिवार के सबसे बड़े बेटे, आज विदेश से पढ़ाई पूरी करके लौट रहे थे।

    ...एक ऐसा नाम, जिसे हर कोई जानता था—मगर किसी ने देखा नहीं।

    राज महल के भीतर—

    “अरे ओ रामू! जल्दी-जल्दी हाथ चला रे! टाइम देख, थोड़ा सा भी लेट हुए तो... बड़े साहब की फ्लाइट निकल जाएगी!!”

    श्याम बाबू पसीने में भीगे हुए, गमलों के पास खड़े रामू को हड़काते हुए बोले।

    “जी श्याम बाबू, ये फूल अभी लेकर जाता हूँ...!” रामू ने थके गले से जवाब दिया।

    तभी... एक तेज़, कड़क आवाज़ गूंजी—

    “सब जहाँ हैं, वहीं रुक जाओ...!”

    सभी ने घबराकर पीछे देखा।

    सीढ़ियों से उतरती एक महिला—बनारसी साड़ी, गहनों की जगमगाहट, और चेहरे पर शाही ठाठ।

    कुसुम बड़ी रानी सा...!

    उम्र चालीस, मगर रंग रूप ऐसा कि कोई कह ही नहीं सकता—दो बच्चों की माँ। उनका गौर चेहरा, तेज़ आँखें और आत्मविश्वास से भरी चाल सबका ध्यान खींच रही थी।

    रामू के हाथ से फूल गिर गए।

    “श्याम कहाँ हो तुम?” रानी सा ने गूंजती आवाज़ में पुकारा।

    श्याम दौड़ते हुए आया। हाथ बाँधे, झुका सिर।
    “जी, रानी सा।”

    “तुम भूल गए थे कि कुंवर शाह को गेंदे के फूल से एलर्जी है? मैंने बताया था ना?” उनका स्वर अब तलवार की धार जैसा हो चुका था।

    “माफ़ कर दीजिए, रानी सा... दिमाग से उतर गया था,” श्याम काँपते हुए बोला।

    “इन्हें तुरंत हटाओ। इस महल में मुझे एक भी गेंदे का फूल नहीं दिखना चाहिए... एक भी नहीं! और याद रहे—इस बार अगर चूक हुई... नौकरी ही नहीं, जीने की उम्मीद भी छिन जाएगी तुमसे!”

    “जी, अभी हटाता हूँ!” श्याम काँपता हुआ फूल समेटने लगा।

    तभी एक कोमल, मीठी आवाज़ आई—

    “भैया को पीले गुलाब और सफेद गुलाब पसंद हैं...”

    रानी सा चौंक कर मुड़ीं। सामने उनकी बेटी—नंदिनी, 19 वर्ष की, गुलाबी लॉन्ग फ्रॉक में, एक चंचल मुस्कान के साथ दौड़ती आई और माँ से लिपट गई।

    “माँ! कैसी लग रही हूँ मैं? और मैंने सही बताया ना—भैया को यही फूल पसंद हैं?”

    रानी सा का चेहरा पिघल गया। उन्होंने अपनी बेटी को गले लगाते हुए कहा—

    “तुम्हें सब याद है, नंदिनी... भैया की हर पसंद-नापसंद। कितनी समझदार हो गई हो...”

    नंदिनी मुस्कराई— “आपकी ही बेटी हूँ, माँ... असर तो पड़ेगा ही!”

    लेकिन इस उत्साह के बीच, नंदिनी की आवाज़ हल्के डर में बदल गई— “पर माँ... फ्लाइट तो आधे घंटे लेट थी ना?”

    रानी सा ने सिर हिलाया— “हाँ, पर क्यों?”

    नंदिनी ने झट से फोन उठाया—और उधर से एक आवाज़ आई...

    “नंदू बेटा, भैया की फ्लाइट लैंड करने ही वाली है... टाइम बदल गया है।”

    नंदिनी का चेहरा चमक उठा— “सच में पापा? भैया आ रहे हैं?”

    फोन कट होते ही वह उछलते हुए चिल्लाई—

    “माँ! दादी! भैया आ गए!!”


    महल के दरवाज़े पर…

    ढोल-नगाड़ों की आवाज़ अब और तेज़ हो चुकी थी। पूरा महल उत्सव के रंग में रंग चुका था। फूलों की वर्षा, इत्र की खुशबू, और हवा में तैरती भीड़ की आवाज़ें—सब कुछ इस बात का संकेत थीं कि कोई विशेष व्यक्ति आने वाला है।

    “रानी सा, कुंवर सा आ गए!”

    यह सुनते ही सबकी साँसें एक पल को थम गईं।

    रानी सा ने हाथ में आरती की थाली थामी और अपने चेहरे पर सौम्यता और गर्व की परतें ओढ़ लीं। दादी माँ अपने शॉल को ठीक करती हुईं धीरे-धीरे आगे बढ़ीं। उनके चेहरे पर वर्षों की प्रतीक्षा का मिश्रण था—उत्साह और अश्रुओं की मिलीजुली चमक।

    महल के मुख्य द्वार पर…

    गाड़ियों का काफिला रुका। सबसे आगे की कार का दरवाज़ा खुला।

    और...

    एक लम्बा, आकर्षक पुरुष—नीले रंग के सूट में, आँखों पर काला चश्मा, चेहरा मास्क से ढँका—बाहर आया।

    हर ओर से नारे गूंजने लगे—

    “कुंवर सा जिंदाबाद! कुंवर शाह अमर रहें!”

    आसमान से फूलों की बारिश होने लगी। उसके जूते की चमक में सूरज की किरणें भी खुद को गौरवान्वित समझ रही थीं। हाथ में चमकती घड़ी... चाल में शाही ठाठ।

    वह कुंवर शाह थे।

    भीड़ में से कई लोगों ने उनके चेहरे को देखने की कोशिश की, पर मास्क ने रहस्य को बरकरार रखा। यही उनकी पहचान थी—गोपनीयता।

    दादी माँ आगे बढ़ीं। उनकी आँखों में आंसू थे।

    आरती की थाली से पूजा कर, उन्होंने कुंवर शाह के माथे पर तिलक लगाया।

    “आशीर्वाद है तुझे, बेटा... तू हमेशा विजयी रहे।”

    कुंवर शाह ने चुपचाप उनके चरण छुए।

    तभी एक छोटी बच्ची—माया, महल की ओर दौड़ती हुई आई। शायद कोई गरीब बस्ती से आई थी, बिखरे बाल, फटी फ्रॉक, लेकिन आँखों में मासूम चमक।

    सेवक उसे रोकने ही वाला था कि दादी माँ ने सख्ती से कहा—

    “राम माफ़ करेगा... हटाना मत इस बच्ची को।”

    बच्ची झिझकते हुए कुंवर शाह के पास आई। वह झुक कर उसके सामने बैठ गए। अपनी जेब से एक चॉकलेट निकाल कर उसे दी।

    “क्या नाम है तुम्हारा, बेटी?” उन्होंने कोमल स्वर में पूछा।

    “माया।”
    “और तुम्हारा?” उसने आँखों में चमक लिए पूछा।

    कुंवर शाह ने मुस्कराते हुए कहा—

    “प्रिंस।”

    “तुम्हें गिफ्ट चाहिए?”
    माया हँसते हुए बोली—“हाँ!”


    रानी सा, जो ये दृश्य देख रहीं थीं, कुछ पल के लिए ठहर गईं। उस बेटे में न जाने कौन सा रूप देख लिया था उन्होंने—राजसी व्यक्तित्व और इंसानी संवेदना का अनोखा संगम।

    कितने प्यारे है हमारे राजकुमार किसी की नजर न लगे कोई कह सकता है ये विदेश से a रहे और इनका अपना पन देख कर तो हर कोई उन्हें अपना बना ले ....

    आज हम इनकी नजर उतारेंगे कभी कभी अपने की भी नजर लग जाती है

  • 2. - Chapter 2 एक आम आदमी बनना है

    Words: 1020

    Estimated Reading Time: 7 min

    "चलो, अब तुम खेलो ठीक है?" उसे अपनी गोदी से नीचे उतार दिया गया।

    बच्ची खिलखिलाती हुई भागते हुए सीधा अपनी मम्मी के पास गई। तभी...

    दरवाज़ा खुला।


    कुंवर सा — प्रिंस — धीमे लेकिन ठोस क़दमों से अंदर आए। सामने खड़ी रानी सा के पैर छुए, और दादी माँ के गले लगे। उसी पल... नंदिनी भागते हुए आई और सीधे प्रिंस से लिपट गई।

    "भैया! भैया! मेरे गिफ्ट कहाँ है?" नंदिनी की आँखों में वही चिर-परिचित मासूम जिद थी।

    प्रिंस मुस्कुराए, हल्की शरारत से —
    "अरे, मैं आ गया हूँ — ये काफ़ी नहीं है क्या? तुझे तो गिफ्ट भी चाहिए?"

    "हाँ भैया, आप भी चाहिए और गिफ्ट भी!" वह मुंह फुलाकर बोली।

    रानी सा हँसते हुए उसे चुप करा दिया। प्रिंस, नंदू के सिर पर प्यार से हल्की सी चपत लगाते हुए बोले —
    "तेरा गिफ्ट गाड़ी में है... अभी थोड़ी देर में देता हूँ।"

    थोड़ी देर बाद प्रिंस अपने कमरे में चले गए। लेकिन घर का माहौल अब हल्का, फिर भी एक रहस्यमय एहसास से भरा था।


    रात का डिनर। डाइनिंग टेबल पर सब मौजूद थे।

    चांदी के बर्तनों की खनक, धीमी बातचीत, और कभी-कभी ठंडी हवा की सरसराहट माहौल में गूंज रही थी।

    अचानक — नंदिनी पूछ बैठी:

    "भाई... आप अपना चेहरा सबसे छुपाकर क्यों रखते हैं? आप इतने बड़े बिज़नेसमैन हैं... और एक राजपूत खानदान से हैं... फिर भी हमेशा चेहरा ढँका रहता है... क्यों?"

    एक क्षण को टेबल पर सन्नाटा छा गया। सभी की नज़रें अब प्रिंस पर टिक गईं।

    प्रिंस हल्के से मुस्कुराए। एक रहस्यभरी परिपक्वता उनके चेहरे पर झलकती थी।

    "कुछ सवालों के जवाब... वक़्त पर मिलते हैं। अगर वक़्त से पहले उन्हें जानने की कोशिश की जाए... तो सिर्फ़ अपना समय बर्बाद होता है।"

    उसके बाद नंदिनी चुपचाप सिर झुकाकर खाना खाने लगी। लेकिन एक सवाल, सबके मन में रह गया — प्रिंस क्या छुपा रहे हैं?


    राजा चंद्रसेन जी बोले:

    "बेटा प्रिंस, अब जब तुम यहाँ आ ही गए हो, तो क्यों न हमारा बिज़नेस संभाल लो? वैसे भी, हमें नए इंटर्न की ज़रूरत है... तो तुम उनका इंटरव्यू ले लेना।"

    प्रिंस ने गंभीरता से कहा —
    "पापा... इस बार इंटर्न पैसों के बल पर नहीं, मेहनत और समर्पण से चुने जाएँगे। मैं खुद उनका टेस्ट लूँगा।"

    "और..." उन्होंने कुछ पल रुककर कहा —
    "मैं कुछ समय के लिए आप सबसे दूर रहना चाहता हूँ। एक आम इंसान की तरह जीना चाहता हूँ। मैं उसी कॉलेज में जाऊँगा जहाँ से इंटर्न चुने जाएँगे।"

    रानी सा और दादी माँ एक-दूसरे की ओर देखती हैं... कुछ असहजता के साथ।

    "इतना सब कुछ होने के बाद, बेटा... तुम आम ज़िंदगी कैसे जी पाओगे?" दादी माँ बोलीं।

    "अगर कुछ ज़रूरत हुई तो आप सबसे माँग लूँगा दादी... मैं वहाँ सिर्फ़ काम के लिए जा रहा हूँ।"

    राजा चंद्रसेन जी थोड़ी देर सोचते हैं और फिर बोले —
    "ठीक है बेटा, जैसा तुम्हारा मन। पर डिनर के बाद मेरे कमरे में आना। कुछ ज़रूरी बात करनी है।"


    डिनर के बाद।

    प्रिंस धीरे से राजा चंद्रसेन जी के कमरे की ओर बढ़े। कमरे के बाहर खड़े होकर दरवाज़े पर दस्तक दी।

    "पापा?"

    "आ जाओ बेटा, अब तुम्हें परमिशन लेने की ज़रूरत नहीं।"

    प्रिंस कमरे में दाखिल हुए। राजा साहब लैपटॉप पर कुछ फाइलें देख रहे थे।

    "मैंने तुम्हारे चाचा से बात कर ली है। कॉलेज के डीन से तुम्हारा एडमिशन हो जाएगा। किसी ने तुम्हें वहाँ देखा नहीं है, तो तुम आराम से रह सकते हो। वहाँ तुम्हारी जान को कोई ख़तरा नहीं।"

    "थैंक यू, डैड... कल ही मैं निकलता हूँ। पर जाने से पहले, कुछ बिज़नेस फाइल्स देख लूँगा।"

    राजा साहब सिर हिलाते हैं। कुछ तो है जो वो कह नहीं पा रहे थे... शायद वक़्त आने पर कहेंगे।


    रात को प्रिंस अपने कमरे में था। दादी माँ और रानी सा इंतज़ार कर रही थीं।

    "बेटा," दादी माँ धीरे से बोलीं, "हमें अच्छा लगा कि तू विदेश में रहकर भी अपनी परंपराएँ नहीं भूला।"

    "पर बेटा," रानी सा की आँखों में चिंता झलकती थी, "क्या तू ये सब अकेले कर पाएगा?"

    "मम्मी, प्लीज़... मुझे जाने दो।"

    "ठीक है..." रानी सा एक गहरी साँस लेकर बोलीं —
    "पर हर संडे तुम्हें हमारे साथ समय बिताना होगा।"

    "प्रॉमिस मम्मी।"

    थोड़ी देर बाद प्रिंस सो गया। रानी सा और दादी माँ चुपचाप उठकर कमरे की लाइट बंद करके बाहर निकल गईं।


    अगली सुबह।

    डाइनिंग टेबल पर सब बैठे थे। प्रिंस सीढ़ियों से नीचे उतरे और अपनी सीट पर आकर बैठे।

    "अंकल जी, ब्रेकफास्ट जल्दी ख़त्म कर लीजिए... मुझे कॉलेज के लिए निकलना है। और हाँ, वहाँ रहने की व्यवस्था..."

    "होटल में कर दी है," चाचा बोले।

    "नहीं अंकल, होटल नहीं। अगर होटल में रहूँगा तो सबको पता चल जाएगा। कोई पीजी देख लीजिए।"

    "तुम क्या बोल रहे हो? एक राजमहल का प्रिंस अब पीजी में रहेगा?"

    "कुछ समय की बात है अंकल। फिर सब नॉर्मल हो जाएगा।"

    अंकल चुप रह गए। प्रिंस निकल गया।


    कुछ देर बाद...

    प्रिंस अपने दोस्त अमित को कॉल करता है।

    "जो कहा था, लेकर आ गए?"

    अमित, बैग लेकर आया — उसमें कुछ साधारण कपड़े, किताबें, और हेयर जेल था।

    "थैंक यू, अमित। बस तुम बाहर वेट करो। मैं जल्दी तैयार होकर आता हूँ।"

    प्रिंस अब बस "प्रिंस" नहीं है। अब वह एक आम लड़का बनने जा रहा है... जिसका नाम सब जानना चाहेंगे... लेकिन कोई भी उसका सच नहीं जान पाएगा।

  • 3. - Chapter 3 फर्स्ट डे इन कॉलेज

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    थोड़ी देर बाद, बाथरूम का दरवाज़ा खुला, और प्रिंस बाहर निकला। सामने अमित खड़ा था—पर जैसे उसने किसी अनजान इंसान को देख लिया हो!

    "ओ भाई साहब! ये तू है...? यार, मैं तो पहचान ही नहीं पाया!" अमित हैरान रह गया।

    प्रिंस ने एक पुरानी, ओवरसाइज़ चेकदार शर्ट पहनी थी, जो उसकी साइड से लटक रही थी। नीचे एक ढीली-सी पैंट थी, जिसमें एक काले रंग का बेल्ट लटक रहा था। हाथ में एक जंग खाई हुई घड़ी थी, बालों में जेल इतना लगा हुआ था कि वे पूरी तरह चिपक चुके थे। आँखों पर बड़े-बड़े, मोटे फ्रेम वाला चश्मा और चेहरे पर हल्का डार्क मेकअप था।

    "अब कोई ये कह सकता है कि मैं एक राजकुमार हूँ?" प्रिंस मुस्कुराते हुए बोला।

    "नहीं... बिल्कुल भी नहीं!" अमित ने सिर हिलाया।

    "चल, अब कॉलेज के लिए लेट हो रहे हैं।"


    कॉलेज पहुँचते ही प्रिंस सीधा ऑफिस की ओर बढ़ा, लेकिन जैसे ही वह अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था, वहाँ खड़े टीम मेंबर्स ने उसे रोक लिया।

    "रुको! तुम अंदर नहीं जा सकते!"

    प्रिंस कुछ बोल पाता, इससे पहले ही एक भारी आवाज गूँजी—"हटिए रास्ते से!"

    वह थे राजा उग्रसेन—प्रिंस के अंकल। जैसे ही वे अंदर आए, सारा ऑफिस सन्न हो गया। वे कड़कते लहजे में बोले:

    "आप लोग जानते भी हैं, ये कौन है? ये मेरे भतीजे हैं—प्रिंस। और ये कॉलेज में एक मिशन के तहत आया है। अगर किसी ने भी इसकी पहचान उजागर करने की कोशिश की, तो हम इस कॉलेज से अपना सारा कॉन्ट्रैक्ट तोड़ देंगे!"

    डीन घबरा कर बोल पड़ा, "न-नहीं सर! आप निश्चिंत रहिए। किसी को भी इस बारे में कुछ नहीं बताया जाएगा।"

    प्रिंस आगे बढ़ते हुए बोला, "यहाँ के टीचर्स तक को नहीं पता चलना चाहिए।"

    "ठीक है, जैसा आप चाहेंगे।"

    "अब रहने दीजिए चाय-नाश्ता, हम अपना काम कर चुके हैं।" उग्रसेन ने कहा और दोनों निकल गए।


    कुछ देर बाद, कॉलेज के मेन गेट से एक पुरानी, खर्र-खर्र करती बाइक अंदर आई। सभी स्टूडेंट्स एकटक उसी की ओर देख रहे थे—वह था प्रिंस।

    वह बस हल्की सी मुस्कान के साथ सबको देखता हुआ, पार्किंग में गाड़ी लगाकर किताबें उठाता है और क्लास की ओर बढ़ा।

    तभी...

    पास खड़ी एक लड़की से वह हकलाते हुए पूछा, "ए-ए-एक्सक्यूज मी... क्लास... किधर?"

    लड़की ने उसे ऊपर से नीचे देखा, और जोर से हँस पड़ी!

    "हाहाहा! ओ हेलो... दूर रहो मुझसे! कहाँ-कहां से चले आते हो तुम लोग! देखो मेरी ड्रेस कितनी एक्सपेंसिव है—गलती से भी छूना मत मुझे!"

    प्रिंस सहम गया।

    "म-माफ करना... मैं..."

    "नाम क्या है तेरा? झींगुर या लक्खड़?" लड़की ने ताना मारा।

    "प्... प्रिंस..." उसने धीरे से कहा।

    लड़की फिर हँसी, "नाम तो राजकुमार वाला है... पर शक्ल देखी है अपनी? तू तो पूरा फट्टू दिखता है!"

    "चल भाग यहां से, वरना मेरा बॉयफ्रेंड देख लेगा तो तुझे ऐसा सबक सिखाएगा, जो ज़िंदगी भर याद रहेगा!"

    प्रिंस चुप था। आँखों में दर्द उतर आया। उसने कुछ नहीं बोला—बस आगे बढ़ गया।


    कॉलेज गार्डन...

    एक पेड़ के नीचे चुपचाप बैठा था प्रिंस। उसकी आँखें ज़मीन पर थीं, और दिमाग़ में कई सवाल थे।

    तभी...

    एक नर्म सा एहसास उसके कंधे पर हुआ।

    वह चौंककर पीछे देखा।

    एक लड़की खड़ी थी—थोड़ी भारी-सी, वेस्टर्न कपड़े पहने, हाथ में चिप्स का पैकेट, और गले में हेडफोन।

    "हाय! मायसेल्फ निधि!" उसने हँसकर कहा।

    प्रिंस धीरे से मुस्कुराया, "ह्ह... हे... मायसेल्फ प्रिंस..."

    "तुम और तान्या के बीच जो हुआ, मैंने देखा। वो है ही ऐसी—बिगड़ी हुई! उसकी डैड यहाँ के फिजिक्स टीचर हैं, तभी सब सहते हैं उसको।"

    "चलो, मैं तुम्हें पूरा कैंपस दिखाती हूँ, और अपना क्लासरूम भी।" उसने हाथ आगे बढ़ाया।

    प्रिंस थोड़ा हिचका, लेकिन फिर उसका हाथ थाम लिया।

    "निधि... एक बात पूछूँ?"

    "बोलो।"

    "तुम मेरी हेल्प क्यों कर रही हो? सब लोग तो मुझसे दूर जा रहे हैं..."

    निधि मुस्कुरा दी। "क्योंकि मैं जानती हूँ—इंसान की कीमत उसके पैसों से नहीं, उसके दिल से होती है।"

    "यहाँ सब अपने दम पर आए हैं। पैसे वाले भी और हम जैसे भी।"

    "मुझे पता है मिडिल क्लास से आना क्या होता है—क्योंकि मेरे पापा भी वहीं से आए थे। उन्होंने हमेशा कहा है—'कभी किसी का मज़ाक मत उड़ाओ। किस्मत कब बदल जाए, कौन जानता है।' और... एक गरीब दोस्त, सबसे अच्छा दोस्त होता है। उसके पास पैसा नहीं होता, लेकिन प्यार होता है... अपनापन होता है।"

    प्रिंस बस उसे देखता रह गया—आँखों में पहली बार कोई चमक थी। धीरे से अपने मन में कहता है, ऐसे लोग भी होते हैं.. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि यह मेरी हेल्प कर रही है। खैर, जैसा भी है कुछ वक्त में पता चल जाएगा। पर वह सब तो ठीक है, कहीं मैंने ज़्यादा ही तो 90s का नहीं बन गया हूँ। अब क्या ही करना है प्रिंस बेटे, जो होना था हो गया, जो बना था बन गया। अब आगे का ध्यान दो, ढूंढो अपनी प्रेमिका।

    पर इतने बड़े कॉलेज में मिलेगी कहाँ पर? खैर, जहाँ भी होगी मिल जाएगी। किसी ने सच ही कहा है, लव विल फाइंड यू, यू हैव टू be patients and just trust for her.

    यह देखकर प्रिंस मुस्कुरा रहा था। उसको मुस्कुराता देख निधि धीरे-धीरे से कहती है, "क्या हुआ भाई? कहाँ घूम गए इतना? मन ही मन क्यों मुस्कुरा रहे हो? कोई पसंद आ गई क्या?" प्रिंस निधि की तरह घर का देखते हुए कहता है, "चुप करो तुम! कुछ भी बोलती हो ऐसे कैसे? कुछ भी बोलता हूँ तुम इतना ब्लश कर रही हो कि गाल लाल हो गए हैं। तो मेरे कलर का मज़ाक बना रही होनी थी ना बाबा ना! मैं तो बस ऐसे ही कहा। सॉरी अगर ऐसा लगा तो।" प्रिंस जोर से हँसने लगता है। रास्ते में कहता है, "अरे मज़ाक कर रहा हूँ, चल।"

  • 4. - Chapter 4 धाकड़ गर्ल

    Words: 1014

    Estimated Reading Time: 7 min

    "इसलिए मैं तेरे पास आई हूँ।" निधि की यह बात सुनकर प्रिंस हल्का-सा मुस्कुराया।

    जैसे भीड़ में एक चुप सा फूल खिल गया हो... जैसे पहली बार किसी ने उसे इंसान की तरह देखा हो।

    फिर दोनों कैंपस की गलियों से होते हुए क्लास तक घूमे। रास्ते भर निधि हँसते हुए बात करती रही, और प्रिंस धीरे-धीरे सहज होता गया।

    "देख प्रिंस, अब बार-बार मुझे 'आप' मत कह। हम दोस्त हैं। और दोस्त ऐसे बात नहीं करते! मैं कोई बुढ़िया थोड़े ना हूँ... हाँ, थोड़ी मोटी हूँ... पर इतनी भी नहीं!" निधि मुँह बनाकर बोली।

    दोनों ठहाका लगाकर हँसने लगे।

    "तुझे आज किसी खास से मिलाने वाली हूँ..." निधि ने आँखें चमकाकर कहा।

    "क-किससे?" प्रिंस थोड़ा झिझकते हुए बोला।

    "बस देखते जा।" फिर वह धीमे से बोली, "वो स्कॉलरशिप पर आई है, और कॉलेज में आते ही सबके छक्के छुड़ा दिए। तेरी बात बता दूँ? रिच फैमिली के जितने भी लड़के थे, सब ट्राय मार चुके उसपे... लेकिन किसी को भाव नहीं दिया उसने।"

    "थोड़ी गुस्सैल है, लेकिन क्यूट है बहुत। जब उसके सामने जाओ, तो कुछ भी ऐसा-वैसा मत कर बैठना... नहीं तो वहीं डाँट पड़ जाएगी!"

    "न-नहीं निधि जी, मैं ध्यान रखूँगा।"

    "फिर ठीक है। क्योंकि अगर तूने सलीके से बात की, तो वो तुझे अपना फ्रेंड बना लेगी। चल, अब उसके आने का टाइम हो गया है।"

    पीपल के पेड़ के नीचे, चबूतरे पर दोनों बैठे थे।

    तभी निधि की नज़र मेन गेट की ओर गई। "वो देख! वो आ रही है!"

    प्रिंस किताबों में खोया हुआ था।

    निधि ने धक्का दिया। "जिसकी बात कर रही थी... वो! देख उधर!"

    प्रिंस ने जैसे ही सर उठाया, उसकी धड़कनें तेज हो गईं।

    वो लड़की लाल सूट में थी। खुले बाल, चेहरे पर उड़ते हुए बालों को सँवारते हाथ, पैरों में जूती। वो सीधी हवा के साथ चलती हुई आ रही थी।

    प्रिंस बस उसे देखता रह गया... मानो वक़्त वहीं थम गया हो।

    "हाय निधि! हाउ आर यू?" लड़की मुस्कुरा कर बोली।

    "आई एम गुड! हाउ आर यू, आयुषी?"

    "आई एम ग्रेट!" कहते हुए आयुषी ने निधि को गले लगाया।

    "आयुषी, मिलो प्रिंस से — माय न्यू क्लासमेट।"

    "हेलो प्रिंस, माईसेल्फ आयुषी।"

    "म-मायसेल्फ प्रिंस..." कहते हुए जैसे ही उसने हाथ मिलाया, वो जैसे उसके स्पर्श में खो सा गया। कुछ सेकंड तक हाथ पकड़ कर रखा।

    आयुषी थोड़ी असहज हुई। "अम्म...?"

    "स-सॉरी!" प्रिंस हड़बड़ा गया।

    "गाइज़, क्लास का टाइम हो गया है। चलो!" आयुषी ने कहा।

    तीनों क्लास की ओर बढ़े। जैसे ही क्लास में पहुँचे, हर कोई प्रिंस को देख रहा था। कोई सीट शेयर नहीं करना चाहता था। लेकिन आयुषी ने बिना कुछ कहे अपनी सीट के बगल में उसे बिठा लिया।

    क्लास में कानाफूसी शुरू हो गई, लेकिन तभी प्रोफेसर आ गए।

    "सिट डाउन, क्लास!" वो बोले।

    प्रोफेसर बोर्ड की ओर बढ़ते हैं, तभी उनकी नज़र प्रिंस पर पड़ती है।

    "यू! कम हियर!"

    प्रिंस ने खुद को इशारा करते हुए पूछा, "मैं?"

    "हाँ, तुम ही। आओ यहाँ!"

    प्रिंस आगे गया।

    "क्यों? स्कूल देख के नहीं आए थे? ये क्या पहन रखा है? यहाँ तो जो स्वीपर हैं, वो भी तुमसे बेहतर दिखते हैं!"

    पूरे क्लास में हँसी गूंज गई।

    प्रिंस चुप रहा।

    "अच्छा, नाम तो बताओ।"

    "प्रिंस..." उसने कहा।

    "नाम तो राजाओं जैसा... और शक्ल देखो, स्कॉलरशिप वालों की तरह! यही होते हैं ये लोग!"

    आयुषी की आँखों में गुस्सा भर गया। उसने गुस्से में पेन डेस्क पर रगड़कर तोड़ दिया।

    निधि ने उसे इशारे से शांत किया।

    प्रोफेसर बोले, "जाओ बैठो!"

    प्रिंस चुपचाप जाकर बैठ गया। उसकी आँखों में आँसू भर आए। लेकिन उसने सिर झुकाए किताब की ओर देखना जारी रखा।

    आँसू किताबों पर टपकने लगे।

    आयुषी ने धीरे से उसका हाथ पकड़ कर उसे इशारे से शांत किया।

    "जो क्वेश्चन मैंने कल दिया था, किसने सॉल्व किया है?" प्रोफेसर ने कहा।

    सब सिर झुका लेते हैं।

    तभी... प्रिंस खड़ा हो जाता है।

    सब उसे देखने लगते हैं।

    "क्या हुआ? भागना है क्लास से?" प्रोफेसर ताना मारते हैं।

    प्रिंस कुछ नहीं कहता। चुपचाप बोर्ड पर जाकर सवाल सॉल्व करना शुरू करता है।

    सन्नाटा।

    मार्कर चलता जाता है... और पूरा सवाल हल हो जाता है — बिलकुल सटीक उत्तर के साथ।

    प्रोफेसर के होश उड़ जाते हैं।

    तभी आयुषी तालियाँ बजाने लगती है। निधि भी साथ देती है। फिर बाकी क्लास।

    प्रोफेसर गुस्से में, "शट अप! साइलेंस!"

    आयुषी खड़ी होती है, "सर, बिना बुक ओपन किए आप जज कर बैठे। आपने जो कहा, वो किसी को भी तोड़ सकता है... लेकिन प्रिंस जैसा बच्चा अपने ज्ञान से जवाब देता है!"

    "हम स्कॉलरशिप वाले पैसे से भले अमीर ना हों, लेकिन दिल से होते हैं। और पढ़ाई से — वॉरियर्स!"

    प्रोफेसर गुस्से से बिफरते हैं, "आयुषी, एक शब्द और कहा, तो प्रिंसिपल के पास भेज दूँगा!"

    "ठीक है सर, चलिए। मैंने आपकी सारी बातें रिकॉर्ड कर ली हैं। प्रिंसिपल से बात वहीं होगी।"

    यह सुनते ही प्रोफेसर बिफर उठते हैं, "क्लास ओवर!" और वो बाहर निकल जाते हैं।

    बच्चे एक-दूसरे को देख कर फुसफुसाते हैं, "क्या बात है यार, धाकड़ लड़की से पंगा लेना भारी पड़ गया!"

    प्रोफेसर वहाँ से जा रहा था। वह दाँत पीसते हुए कहता है, "आयुषी, यह तुम्हें बहुत महँगा पड़ेगा! तुम्हें पता नहीं तुमने किससे पंगा लिया है!" आयुषी दाँत पीसते हुए कहती है, "सर, गुस्सा मुझे भी आता है, बहुत! लहजे के साथ आपसे कह रही हूँ, चले जाइए, वरना यह वीडियो सोशल मीडिया पर डालने से मैं पीछे नहीं हटूँगी और इसके बाद आपके साथ जो होगा आप समझ जाएँगे और आपको जो करना है कर लीजिएगा, मैं देख लूँगी और हाँ, मैं किसी से डरती नहीं हूँ।"


    अब सवाल यह है... क्या प्रिंस अब अपने नए लुक, नए हौसले और नए दोस्तों के साथ कॉलेज में अपनी पहचान बना पाएगा? या फिर कोई और तूफ़ान उसकी सच्चाई उजागर करने के लिए तैयार खड़ा है...?

  • 5. - Chapter 5

    Words: 1035

    Estimated Reading Time: 7 min

    इतना सब कुछ होने के बाद, प्रिंस स्कूल की कैंटीन में बैठा हुआ था, और गहरी सोच में खोया हुआ था। वह यह सोच रहा था—

    "क्या हर किसी के साथ ऐसा ही होता है? क्या टीचर भी ऐसा कर सकते हैं? और अगर किसी के पास पैसा नहीं है, तो इंसान इतना गिर सकता है?"

    तभी, उसके कंधे पर किसी के हाथ का एहसास हुआ। जैसे ही उसे उस एहसास का पता चला, वह तुरंत होश में आ गया। मुड़कर देखा, तो सामने आयुषी और निधि खड़ी थीं।

    वो प्रिंस से कहती हैं, "प्रिंस, ज्यादा टेंशन मत लो। रही बात प्रोफेसर की, तो उनकी कम्प्लेन करके हम उन्हें सीधा कर देंगे।"

    यह सुनते ही प्रिंस कम्प्लेन करने से मना कर दिया। थोड़ी देर बाद, चौंक कर निधि ने पूछा,

    "प्रिंस, तुमने वो इतना कठिन सवाल कैसे सॉल्व कर लिया? आई मीन, वो सवाल जो किसी को भी क्लास में नहीं आता था, क्लास के टॉपर्स को भी नहीं! वो तुमने कैसे सॉल्व कर लिया?"

    यह सुनते ही आयुषी भी उत्साहित होकर पूछती है, "हां यार, बताओ ना!"

    प्रिंस मुस्कुराते हुए बताता है, "ऐसा है कि मुझे ये सवाल आते हैं। मैंने इन सबकी प्रैक्टिस पहले से की हुई है।"

    यह सुनते ही आयुषी प्रिंस से कहती है,

    "क्यों न हम एक डील करें? तुम्हारी हेल्प से हम फिजिक्स समझ लेंगे, और जो तुम्हें नहीं आता रहेगा, वो हम तुम्हें सिखा देंगे!"

    यह सुनकर प्रिंस कहता है, "ठीक है!"

    तभी पीछे से एक लड़का आता है और कहता है,

    "Hello guys! कैसे हो सब?"

    पीछे मुड़कर देखते हैं, तो एक 25 साल का लड़का खड़ा था। उसे देखकर प्रिंस, आयुषी और निधि थोड़े चौंके। आयुषी और निधि तुरंत खड़ी होकर कहती हैं,

    "Hello राहुल सर!"

    उसे देखकर प्रिंस भी खड़ा हो जाता है और नम्रता से कहता है,

    "Hello सर!"

    राहुल एक कुर्सी अपनी तरफ खींचता है और बैठते हुए कहता है,

    "बैठो guys, आप लोगों से एक डिस्कशन करनी है।"

    निधि और आयुषी कहती हैं, "जी सर, बोलिए।"

    राहुल हँसते हुए कहता है,

    "ज्यादा कुछ नहीं। हमने एक स्पेशल पार्टी रखी है। जितने भी नए स्टूडेंट्स आए हैं, उनके लिए वेलकम पार्टी रखी गई है। साथ में कुछ खास सीनियर्स को भी बुलाया गया है। उसी का इनविटेशन देने आया हूँ। और आज मैंने प्रिंस के बारे में बहुत सुना... इसका तो सुपर वेलकम बनता है ना!"

    "मैं आशा करता हूँ कि तुम लोग वहाँ पार्टी में आओगे। प्लीज, टाइम से आ जाना। टाइमिंग और लोकेशन की जानकारी तुम्हें दे दी जाएगी।"

    "जी सर!" निधि और आयुषी हाँ में जवाब देती हैं।

    इसके बाद राहुल दूसरे टेबल की तरफ चला जाता है।

    राहुल के जाते ही, सब लोग फिर से अपनी जगह पर बैठ जाते हैं। आयुषी हल्की चिंता के साथ कहती है,

    "देखना, केयरफुल रहना। इन सीनियर्स पर आसानी से भरोसा नहीं किया जा सकता। इनके दिमाग में कुछ न कुछ खुराफात जरूर चल रही होगी।"

    निधि हँसते हुए कहती है,

    "अरे तू भी ना, आयुषी! सब पर शक करती रहती है। कुछ नहीं होगा। उन्होंने सबको इनवाइट किया है। खैर, देखना मैं उस दिन क्या पहन कर आ रही हूँ... तुझे व्हाट्सएप कर दूँगी।"

    फिर निधि कहती है,

    "प्रिंस को भी अपने ग्रुप में ऐड कर दे। आज से ये भी तो हमारा फ्रेंड हो गया!"

    "हाँ, ठीक है। रुक जा। मैं अभी ऐड करती हूँ... प्रिंस, अपना नंबर बताओ।"

    तभी पीछे की सीट पर बैठे दो-तीन लड़के आपत्तिजनक बातें करते हैं:

    "अरे वो लाल ड्रेस वाली मैडम! उसका नंबर लेकर क्या करोगे? वो तो वैसे भी तोतली है और सूखी लकड़ी जैसी दिखती है!"

    "आप हमारा नंबर ले लो ना! उससे ज्यादा मज़ा हमारे साथ आएगा!"

    "क्यों, आप उसके पीछे पड़े हो? हम क्या आपको नज़र नहीं आते?"

    ये सुनते ही प्रिंस गुस्से से बौखला गया! उसने पास रखा जूस उठाकर उन पर फेंका और चिल्लाकर कहा,

    "तुम्हें शर्म नहीं आती? लड़कियों से ऐसे बात करते हो?"

    वह लड़कों के पास जाकर एक को पकड़कर जोरदार थप्पड़ मार दिया। यह देखकर बाकी लड़के प्रिंस पर टूट पड़े!

    आयुषी और निधि जल्दी से प्रिंस को पीछे खींचने की कोशिश करती हैं। आस-पास के लोग भी झगड़ा शांत करने लगे, लेकिन लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही थी।

    तब तक आयुषी ने प्रिंसिपल को कॉल कर दिया था। जैसे ही प्रिंसिपल के आने की घोषणा हुई, हर कोई अपने-अपने सामान छोड़कर क्लास में भाग गया।

    आयुषी और निधि, घायल प्रिंस को मेडिकल रूम में ले जाती हैं और उसके घाव पर दवाई लगाते हुए कहती हैं,

    "क्या जरूरत थी लोगों से लड़ने की? बोलने देते... उन्हें इग्नोर कर देते!"

    प्रिंस धीमे स्वर में कहता है,

    "आदत हो गई है ऐसे शब्द सुनने की... कभी तुम लोगों ने टीचर से कम्प्लेन नहीं की?"

    निधि गंभीर होकर कहती है,

    "टीचर से कम्प्लेन करके क्या मिलेगा? आधे बच्चे तो टीचर्स के बच्चे हैं... राधे उनके दोस्त! और कुछ अमीर बाप के राजकुमार हैं। जो खुद को खुदा समझते हैं।"

    प्रिंस चुपचाप बैठा रहता है।

    आयुषी थोड़े आराम से कहती है,

    "चलो शुक्र है कि ज्यादा चोट नहीं लगी। हल्की सी है, जल्दी ठीक हो जाएगी। और वैसे भी अब तो छुट्टी भी हो गई है, कॉलेज टाइमिंग खत्म... चलो चलते हैं, हॉस्टल भी जाना है।"

    "प्रिंस, तुम्हारा हॉस्टल किधर है? चलो साथ में निकलते हैं।"

    प्रिंस थोड़ा झिझकते हुए बोलता है,

    "अभी तो मैंने हॉस्टल देखा नहीं है। समझ नहीं आ रहा कि रहूँ कहाँ। नया हूँ यहाँ... कुछ पता नहीं। सोचा था स्कूल के हॉस्टल में मिल जाएगा, पर कुछ मिला नहीं।"

    यह सुनते ही निधि बोलती है,

    "आयुषी, अगर तुम्हें बुरा न लगे, तो हमारे हॉस्टल के बगल में जो रूम मिलते हैं, क्यों न प्रिंस को वहीं दिला दें? पास में रहेगा, तो आना-जाना भी रहेगा। और पढ़ाई भी हो जाएगी। टॉपर हमारे हाथ लगा है... इसका फायदा तो उठाना बनता है!"

    यह सुनते ही आयुषी और प्रिंस हँसने लगते हैं।

    आयुषी हँसते हुए कहती है,

    "हाँ क्यों नहीं! बल्कि वहीं ठीक रहेगा। साथ में क्लास आना-जाना भी हो जाएगा।"

    क्या मोड़ लेगी इनकी दोस्ती? और क्या होगा जब आयुषी को पता चलेगा प्रिंस की सच्चाई?

    आयुषी और निधि, प्रिंस को अपने साथ लेकर अपने हॉस्टल की ओर निकल पड़ते हैं।

  • 6. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 6

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    यह बात सुनते ही निधि बोली, "आयुषी, अगर तुम्हें बुरा न लगे तो हमारे हॉस्टल के बगल में जो रूम मिलते हैं, क्यों न हम प्रिंस को वहीँ रूम दिला दें? प्रिंस पास में भी रहेगा, तो आना-जाना भी लगा रहेगा, और इस समय स्टडीज भी हो जाएँगी। टॉपर हमारे हाथ लग चुका है, इसका फायदा तो उठाना बनता है।"

    यह सुनकर आयुषी और प्रिंस हँसने लगे। आयुषी बोली, "हाँ, क्यों नहीं, बल्कि वहाँ पर रहना भी सही रहेगा, साथ में क्लास आना-जाना भी हो जाएगा।"

    आयुषी और निधि, प्रिंस को अपने साथ लेकर हॉस्टल की तरफ़ निकल गईं।

    आयुषी ऑटो रुकते हुए बोली, "भैया, रामनगर चलोगे?"

    "जी मैडम," ऑटो वाला जवाब दिया।

    तीनों लोग ऑटो में बैठ गए। थोड़ी देर बाद ऑटो रामनगर पहुँच गई।

    प्रिंस ने पूछा, "कितना हुआ, भैया?"

    ऑटो वाला बोला, "सर, तीनों का मिलाकर ₹60।"

    प्रिंस ने ₹60 ऑटो वाले को देते हुए कहा, "यह लीजिए।"

    फिर प्रिंस आयुषी से बोला, "अब चले?"

    आयुषी ने जवाब दिया, "हाँ, चलो चलते हैं।"

    आयुषी बाहर खड़ी आंटी को प्रणाम करते हुए बोली, "प्रणाम आंटी, हमारे एक फ्रेंड हैं, जो हमारे साथ कॉलेज में पढ़ते हैं। इन्हें रूम की ज़रूरत है रेंट पर रहने के लिए। बहुत दूर से आए हैं। आप क्या, कमरा खाली हो तो दे दीजिए?"

    आंटी बोलीं, "हाँ बेटा, एक रूम खाली है, पर वह सबसे ऊपर वाला।"

    आयुषी बोली, "ठीक है आंटी, चलेगा।"

    आंटी फिर बोलीं, "अच्छा बेटा, सुनो, मुझे ₹10,000 एडवांस दे दो, ताकि एक कन्फर्मेशन रहे।"

    यह सुनते ही प्रिंस अपने जेब से ₹10,000 निकालकर आंटी को दे दिया।

    आयुषी यह देखकर थोड़ी शॉक हुई और बोली, "तुम्हारे पास इतने पैसे अचानक से कैसे आए?"

    प्रिंस मुस्कुराते हुए बोला, "अरे, वो मैंने कॉलेज की फीस के लिए कुछ सेविंग की थी। यह वही पैसे हैं। मैं फिर तो भर दूँगा, लेकिन यह मेरे पास बचे हुए थे। फिर जॉब करके यह पैसे कमा लूँगा। अभी रूम में रहना ज़रूरी है, ना?"

    आयुषी बोली, "हाँ, तुम ठीक कह रहे हो, चलो, जाओ आराम करो, शाम को मिलते हैं।"

    प्रिंस ने जवाब दिया, "ठीक है।"

    आयुषी अपने हॉस्टल में चली गई।

    थोड़ी देर बाद, प्रिंस का कॉल आया, "आयुषी, सुनो ना, आज शाम को मैं एक काम से बाहर जा रहा हूँ, तो आने में लेट हो जाऊँगा। कल सीधा तुमसे कॉलेज में मिलूँगा।"

    आयुषी बोली, "ठीक है प्रिंस, नो प्रॉब्लम।"

    आयुषी यह कहकर फ़ोन काट दिया।

    रात के 8 बजे...

    आयुषी मार्केट से अपने घर की तरफ़ लौट रही थी और उसे आज हॉस्टल आने में लेट हो गया था। वह अपने मन में सोचते हुए बोली, "आज तो खड़ूस वार्डन मुझे मार ही डालेगी! एक तो लेट हो रही हूँ, ऊपर से आज ऑटो भी नहीं मिल रहा है। अगर ऐसे ही रहा, तो गेट भी बंद हो जाएगा। फिर मैं जाऊँगी कहाँ? एक तो यह मौसम भी, नशे किए हुए हैं! कब से बारिश और बिजलियाँ दिखा रहा है। भगवान, बचा लेना यार!"

    वह खुद से बोली, "रुक जा थोड़ी देर और हॉस्टल पहुँच जाने दे, ओ भगवान, रुक जाओ न..."

    तब तक, आयुषी की नज़र सामने पीट रहे एक आदमी पर गई। उस आदमी की गाड़ी पेड़ से टकरा गई थी और उसे कुछ गुंडे मिलकर पीट रहे थे।

    आयुषी यह देखकर पुलिस को कॉल करने लगी, लेकिन नेटवर्क और मौसम की खराबी की वजह से कॉल नहीं लग पा रही थी।

    तब तक उसे कुछ याद आया कि उसने अपने फ़ोन में सेफ्टी के लिए पुलिस के सायरन की आवाज़ डाउनलोड की थी।

    वह अपने बैग से साउंड निकालकर अपने फ़ोन का ब्लूटूथ कनेक्ट करके सायरन बजने लगी। सायरन की जोर की आवाज़ की वजह से वहाँ पर जितने भी गुंडे थे, वे सब डरकर भाग गए।

    आयुषी दौड़कर उस आदमी के पास गई और बोली, "हेलो सर, मेरा नाम आयुषी है। आपके घर वालों को इन्फ़ॉर्म कर दूँ? कृपया करके अपने फ़ोन का पासवर्ड खोल दीजिए।"

    आयुषी देखती है कि उस आदमी का फ़ोन गिरने की वजह से टूट गया है और उसकी बैटरी भी ऑफ़ हो गई है, और वह इंसान बेहोशी के हालात में था।

    आयुषी अपने बैग से पानी की बोतल निकालकर उसके ऊपर हल्का सा पानी छिड़कती है, फिर उसे उठाकर हल्का सा पानी पिलाती है। इसके बाद आदमी को जैसे ही थोड़ा सा होश आता है, वह आयुषी से कहता है, "बेटा, तुम यहाँ से चली जाओ, यह तुम्हारे लिए खतरा हो सकता है। यह लोग सही नहीं हैं। वे कभी भी फिर से यहाँ पर आ सकते हैं। मैं जान को खतरा महसूस कर रहा हूँ, और तुम्हें भी हो सकता है खतरा।"

    आयुषी बोली, "देखिए अंकल जी, आपने मुझे बेटी बोला है, और बेटी होने के नाते मैं आपको ऐसे छोड़कर तो नहीं जा सकती। अभी आपकी हालत भी ठीक नहीं है, और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ। ऐसा करिए, पास में मेरा हॉस्टल है। आप वहाँ तक मेरे साथ चलिए, उसके बाद हम वार्डन की मदद से आपको हॉस्पिटल में लेकर जाएँगे।"

    आदमी कहता है, "पर बेटा, अगर उन्होंने तुम्हें कुछ कर दिया तो..."

    आयुषी चुप करते हुए बोली, "अपनी चिंता मत करें। अगर मगर बाद में। अभी आप मेरे साथ चलिए।"

    यह कहकर, आयुषी उस आदमी को कंधे का सहारा देकर अपने हॉस्टल की तरफ़ ले जाने लगी।

    तब तक एक ऑटो दिखाई दी। वह ऑटो को हाथ देती है और कहती है, "भैया, जल्दी से सिटी हॉस्पिटल चलिए।"

  • 7. . - Chapter 7

    Words: 1212

    Estimated Reading Time: 8 min

    थोड़ी देर में वे सिटी हॉस्पिटल पहुँचे। ऑटो वाला रुक गया और आयुषी ने ऑटो वाले को पैसा देकर धन्यवाद कहा। उन्होंने अंकल जी को सहारा देते हुए अस्पताल के अंदर प्रवेश किया। फिर उन्होंने नर्स को जोर से आवाज़ लगाई, "इनको देखिए, जल्दी से इलाज की ज़रूरत है, कृपया करके जल्दी करें।"

    नर्स दौड़कर उनके पास आई और बोली, "हम इनका चेकअप करने ले जा रहे हैं, पर उससे पहले, आप वहाँ फॉर्म सबमिट कर दीजिए, और साथ में पैसे भी जमा कर दीजिए।"

    "कितने पैसे जमा करने हैं?" आयुषी ने पूछा।

    "₹25,000, अभी जमा कर दीजिए, बाकी का डिस्चार्ज के बाद," नर्स ने उत्तर दिया।

    "तो मेरे पास ₹25,000 नहीं है, पर ठीक है, आप इनका इलाज शुरू करें। मैं बाकी के पैसे बाद में दे दूंगी," आयुषी ने कहा।

    आयुषी काउंटर पर गई और फॉर्म सबमिट किया। उसने अपने बैग से ₹15,000 निकाल कर काउंटर पर रख दिए। "आप इलाज करें, और जब तक इनको होश आ जाएगा, तब तक बाकी के पैसे दे दूंगी," उसने कहा।

    थोड़ी देर बाद, अस्पताल में अलग सा माहौल छा गया क्योंकि उस आदमी का ब्लड ग्रुप A पॉजिटिव था और ऐसा ब्लड ग्रुप नहीं मिल रहा था। सभी ब्लड बैंक में पता करने के बाद भी...

    "किसी के पास यह पॉजिटिव ब्लड नहीं था।" सिस्टर आकर आयुषी से बोली, "क्या आपके घर में कोई ऐसा है, जिसका ब्लड A पॉजिटिव हो? क्योंकि यह पॉजिटिव ब्लड किसी का मिल नहीं रहा है, और इनको इस टाइम ब्लड की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है।"

    "पर हमें ये सड़क पर घायल मिले हैं, मुझे नहीं पता कि उनके घर का कोई है या नहीं, और उनका फोन भी टूटा हुआ है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।" तब तक आयुषी ने कहा, "मेरा ब्लड ग्रुप A पॉजिटिव है! आपको जितना खून चाहिए, मेरा खून निकाल लीजिए।"

    इसके बाद, वे आयुषी को अंदर ले गए और अंकल के बगल में लिटा दिया। आयुषी के हाथ में नीडल लगाकर, ब्लड निकाला गया। थोड़ी देर बाद, जितना ब्लड उन्हें चाहिए था, उतना निकाल लिया गया। फिर आयुषी ने अंकल जी के होश में आते ही पूछा, "अंकल जी, कोई घर का सदस्य है, जिसे हम बुला सकें? कोई फोन नंबर कुछ हुआ? बता दीजिए, मैं ट्राई कर लेती हूँ।"

    "बेटा, मेरे पर्स में कार्ड है, उस पर कॉल कर दो," अंकल ने जवाब देते हुए कहा। यह कहकर, अंकल बेहोश हो गए। तब तक नर्स आकर आयुषी से बोली, "अभी उनके तबीयत ठीक नहीं है, कृपया ज़्यादा बात मत करिए।" फिर आयुषी ने उनके पर्स से वह कार्ड निकाला और उस पर कॉल करके कहा,

    "आपका एक सदस्य का एक्सीडेंट हो गया है, वह पास के सिटी अस्पताल में एडमिट है। कृपया करके आकर उनके पास इनका ध्यान रखें।"

    फिर आयुषी अंकल जी के पास आई और उनसे बोली, "अंकल जी, मैं आपके घर वालों को इन्फॉर्म कर दिया है। अब मैं चलती हूँ, मेरे हॉस्टल बंद होने का टाइम हो गया है।" यह कहकर, आयुषी वहाँ से चली गई। तब तक वहाँ पर उस व्यक्ति के घरवाले आ गए, और वह कोई और नहीं बल्कि प्रिंस के पिताजी थे, जिनका एक्सीडेंट हुआ था। प्रिंस की दादी माँ, प्रिंस की माँ, प्रिंस की बहन, और प्रिंस के चाचा सब दौड़ते हुए आए और उनको इस हालत में देख घबरा गए।

    वे डॉक्टर से पूछते हैं, "डॉक्टर, अभी इनकी हेल्थ कैसी है?" इस पर डॉक्टर कहते हैं, "भला करें उस लड़की का, जिन्होंने इन्हें सही टाइम पर यहां लाकर एडमिट किया और जिन्होंने अपना खून इन्हें दिया। साथ ही, उन्होंने इतना बिल भी भर दिया है।" यह देख कर वे हैरान हो जाते हैं कि आज के जमाने में कोई इतना कर सकता है!

    आखिर, क्या आयुषी जान पाएगी कि वो अंकल कौन थे? क्या आयुषी की जान भी मुसीबत में पड़ जाएगी?


    जिनका एक्सीडेंट हुआ था, प्रिंस की दादी माँ, माँ, बहन और चाचा सब दौड़कर आए। उन्हें इस हालत में देखकर वे घबरा गए और डॉक्टर से पूछा,

    "डॉक्टर! अभी इनकी हेल्थ कैसी है?"

    डॉक्टर गंभीरता से बोले,

    "भला करिए उस लड़की का जिसने इन्हें सही समय पर यहां लाकर भर्ती किया, अपना खून दिया, और इतना बड़ा बिल भी भर दिया।"

    यह सुनकर सब हैरान रह गए — "आज के जमाने में इतना कौन करता है!"


    तभी दौड़ते हुए प्रिंस अस्पताल पहुँचा। अपने पापा को इस हालत में देख, वह फूट-फूटकर रोने लगा।

    "पापा! आपकी यह हालत किसने की? बताइए, मैं उनका जीना हराम कर दूँगा!"

    पापा धीरे से बोले,

    "सबसे पहले, उस लड़की को ढूँढो जिसने मेरी जान बचाई है..."

    "...क्योंकि अब उसकी जान भी खतरे में है। उन गुंडों ने उसे भी नहीं छोड़ा होगा..."


    प्रिंस हड़बड़ाकर पूछता है, "पर पापा! हम उस लड़की को ढूँढेंगे कैसे?"

    तभी चाचा जी कहते हैं,

    "यहाँ उस लड़की का सिग्नेचर और एड्रेस है। वो रामनगर के पांडे हॉस्टल में रहती है। नाम है - आयुषी।"

    प्रिंस चौंक गया!

    "यह तो वही लड़की है, जो हमारे कॉलेज में पढ़ती है और मेरे बगल वाले रूम में रहती है!"

    वह तुरंत हॉस्पिटल से निकलकर होस्टल की तरफ़ दौड़ पड़ा।


    रास्ते में उसने निधि को कॉल किया, पर कॉल नहीं लगा। फिर विधि का कॉल आया।

    "निधि! आयुषी हॉस्टल में है क्या? जल्दी बताओ!"

    विधि कहती है,

    "नहीं, वो हॉस्टल में नहीं है... पिछले हफ़्ते से बहुत परेशान भी दिख रही थी।"

    "पर तू इतना परेशान क्यों हो रहा है? हुआ क्या है?"

    "कुछ नहीं... सब ठीक है। बस अगर आयुषी आए, तो मुझे तुरंत बताना।"

    "ठीक है, अगर वो आती है तो मैं बात करा दूँगी। पर आज तो बहुत लेट हो गया है। अभी तक वो आई नहीं है... कुछ गड़बड़ लग रही है।"


    उधर आयुषी, अस्पताल से निकलकर ऑटो खोज रही थी। थोड़ा आगे जाकर, एक जीप में चार-पाँच गुंडे थे। वे जीप से उतरकर उसकी तरफ़ तेज़ी से आये।

    आयुषी उन्हें देखकर डर गई... और भागने लगी! गुंडे तेज़ी से उसका पीछा करने लगे। एक गुंडा उसके मुँह पर कपड़ा रख दिया। आयुषी बेहोश हो गई...


    जब उसे होश आया, तो वह खुद को एक अंधेरे कमरे में पाई। कमरा किसी फैक्ट्री के गोदाम जैसा लग रहा था। हर तरफ़ कपड़े कटे पड़े थे, बड़ी-बड़ी मशीनें थीं। वह जोर से चिल्लाई, पर कोई सुनता नहीं था।


    थोड़ी देर बाद, एक गुंडा आया। गुस्से में वह बोला,

    "चुपचाप बैठ जा! यहाँ तेरी कोई नहीं सुनेगा! ज़्यादा बोली, तो यहीं गोली मार दूँगा!"

    डरी हुई आयुषी ने पूछा,

    "तुमने मुझे किडनैप क्यों किया? मेरी क्या गलती है? तुम लोग मुझसे चाहते क्या हो?"

    गुंडा हँसते हुए बोला,

    "सब बताएँगे... मेरे बॉस आते ही होंगे।"


    कुछ देर बाद, दरवाज़ा खुला। एक आदमी अंदर आया, पर अंधेरे में उसका चेहरा साफ़ नहीं दिख रहा था। वह बोला,

    "कौन हो तुम? और चंद्रसेन से क्या रिश्ता है? उसकी जान क्यों बचाई? सच-सच बताओ वरना जान से जाओगी।"

    आयुषी डरते हुए बोली,

    "मैं किसी चंद्रसेन को नहीं जानती। मैंने तो बस इंसानियत में उनकी मदद की थी... प्लीज़, मुझे जाने दो!"

    "अच्छा? आजकल अजनबियों की भी मदद होने लगी है? चुपचाप सच्चाई बता दे, वरना बहुत पछताएगी!"

  • 8. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 8

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    वह गुंडा बंदूक निकालकर आयुषी के सामने लहराया। आयुषी कांपने लगी। तभी लाइट जली। गुंडा उसकी खूबसूरती देखकर ठहर गया।

    "वाह! ये तो मेरी पत्नी बनने लायक है! इसे कोठरी में लाओ, मैं इससे शादी करूँगा!"

    आयुषी यह सुनकर कांप गई।


    फिर उसे जबरदस्ती एक कोठरी में ले जाया गया। वहाँ दो औरतें जबरन शादी का जोड़ा पहनाने लगीं। आयुषी विरोध करती रही, लेकिन मार-पीट कर उसे तैयार कर दिया गया। फिर उसे मुँह पर पट्टी बाँधकर, हाथ-पैर बाँधकर मंडप में लाया गया।


    मंडप में गुंडा बैठा था—मोटा, भद्दा, चेहरे पर बड़ा सा तिल, एक आँख से अंधा और सिर पर बाल भी नहीं। आयुषी उसे देखकर डर से कांपने लगी... खुद को छुड़ाने की भरसक कोशिश की, पर असफल रही। और मौका देखकर, उसने पास पड़े सिंदूर की थाली उछाल दी और सबकी आँखों में वह सिंदूर लगने लगा। वह मौका देखकर भाग गई।


    उसको भागते देख, वह लोग चिल्लाकर कहने लगे, "पकड़ो! वह भाग रही है! भागने मत दो!"


    आयुषी उन गुंडों को अपनी तरफ आता देख और तेज़ी से भागने लगी, पर गुंडों की तेज रफ़्तार ने आयुषी को पीछे कर दिया और उन्होंने आयुषी के मुँह पर एक कपड़ा रख दिया जिसकी वजह से आयुषी बेहोश हो गई। फिर जब आयुषी को होश आया, वह खुद को एक अंधेरे कमरे में पाई। वह कमरा उसे एक फैक्ट्री के कारख़ाने जैसा लगा। उसके आस-पास ढेर सारे कटे हुए कपड़े पड़े हुए थे और वहाँ पर ढेर सारी मशीनें थीं। आयुषी चिल्लाई, पर वहाँ उसकी आवाज़ गूँजती रही और उसके अलावा वहाँ कोई भी नहीं था।


    थोड़ी देर बाद एक गुंडा फैक्ट्री के अंदर आया और उससे कहा, "यह लड़की, चुपचाप अपना मुँह बंद करके बैठ जा। यहाँ पर तेरी सुनने वाला कोई भी नहीं है। और ज़्यादा बोलेगी तो अभी यहीं के यहीं गोली मार दूँगा।" डर के मारे आयुषी ने उससे कहा, "पर तुमने मुझे किडनैप क्यों किया है? मेरी क्या गलती है? तुम लोग क्या चाहते हो मुझसे?" आयुषी रोती रही, पर तब वह गुंडा हँसते हुए बोला, "रुक जा, तुझे सारे सवालों के जवाब मिल जाएँगे मेरे बॉस के आते ही।"


    यह कहकर वह आदमी उसे कमरे से बाहर चला गया। और वह जैसे ही बाहर गया, दरवाज़ा फिर से खुला और दरवाज़े की रोशनी में एक आदमी दिखाई दिया, पर उसकी परछाई ही ज़्यादा दिखाई दे रही थी। अंधेरे की वजह से आदमी ज़्यादा साफ़ आयुषी को नज़र नहीं आ रहा था। वह अंधेरे में ही बैठ गया और बोला, "कौन हो तुम? और क्या रिश्ता है तुम्हारा चंद्रसेन के साथ? और तुमने उसकी जान क्यों बचाई? क्या रिश्ता है? सच-सच बताओ, वरना तुम अपनी जान से जाओगी।" यह बात सुनकर आयुषी रोते हुए बोली, "कौन चंद्रसेन? मैं किसी चंद्रसेन को नहीं जानती। मैंने बस उसको वहाँ मार खाते हुए देखा था, इसलिए मैंने उसकी हेल्प की। प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिये, मैं नहीं जानती उनको।" "अच्छा, ऐसी बात है? आजकल अजनबियों की भी हेल्प होने लगी है?"


    "चुपचाप तू अपनी सच्चाई बता दे, वरना तेरे लिए बहुत दिक्कत होने वाली है।" तब तक वह आदमी आयुषी के सामने बंदूक तान लेता है। आयुषी बंदूक देखकर डर गई। फिर वह आदमी दूसरे आदमी से कहता है, "सुन, री लाइट जलाना ज़रा।" जैसे ही दूसरे आदमी ने लाइट जलाई, वह आयुषी की खूबसूरती पर फ़िदा हो गया और बोला, "यार, ये तो मेरी पत्नी बनने के लायक है! इसे थोड़े टाइम बाद अपने कोठरी में लेकर आओ और इससे शादी करूँगा। मैं खैर में दुश्मन की जो भी लगती हो, पर आज से मेरी पत्नी बनेगी।" आयुषी यह सुनकर अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी, पर वह खुद को छुड़ाने में असमर्थ रही।


    यह कहता हुआ गुंडा वहाँ से बाहर चला गया। फिर थोड़ी देर बाद उसके आदमी आये और आयुषी को जबरदस्ती वहाँ से उठाकर उसके कोठरी में ले गए। वहाँ पर दो औरतें शादी का जोड़ा लिए खड़ी थीं और आयुषी से जबरदस्ती करने लगीं। पर आयुषी वह जोड़ा पहनना नहीं चाहती थी। उन्होंने मारपीट करके जबरदस्ती आयुषी को शादी का जोड़ा पहना दिया। उसके बाद फिर आयुषी के मुँह पर पट्टी बाँधकर, उसके हाथ-पैर बाँधकर उसे मंडप में लाया गया। और मंडप में वह गुंडा बैठा था, जो देखने में बिल्कुल भी अच्छा नहीं था—मोटा, भद्दा और मुँह पर एक बड़ा सा तिल, और एक आँख से अंधा और सर पर बाल नहीं थे। आयुषी उसको देखकर पूरी तरह चौंक गई। आयुषी अपने आप को और तेज़ी से छुड़ाने लगी, पर वह अपने आप को वहाँ से छुड़ा पाने में असमर्थ थी।


    शिवा गुंडा, बंदूक दिखाते हुए पंडित से बोला, "ओ पंडित जी, मंत्र चालू करो। आज इतनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी हमारी शादी करो। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा।"


    पंडित बोला, "नहीं, मैं ऐसी शादी नहीं कर सकता जिसमें दुल्हन तैयार ही ना हो शादी करने के लिए। यह शादी नहीं, जबरदस्ती कर रहे हो तुम उसके साथ।" इस पर वह गुस्से से पंडित के ऊपर बंदूक तानते हुए बोला, "देखो, ज़्यादा फ़ज़ूल की बातें तो तेरी टाँगें तोड़ दूँगा। और ज़्यादा अगर दिक्कत हो रही हो तो तुम्हारी बेटी को उठाकर लाते हैं।"


    पंडित यह सुनते ही डरकर चुपचाप मंत्र पढ़ने लगा। आयुषी बगल में बैठे खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। फिर पंडित बोला कि "कन्या के मांग में सिंदूर डालें।" आयुषी अपना सर दूसरी तरफ़ खींच रही थी। ऐसा करते हुए गुंडा हँसता हुआ आयुषी के मांग में सिंदूर डालने लगा। पर जैसे ही उसका हाथ आयुषी के मांग की तरफ़ बढ़ा, एक जोरदार डंडा जाकर उसके हाथ में लगा।


    कौन था वो जिसने गुंडे को मारा?

  • 9. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 9

    Words: 1295

    Estimated Reading Time: 8 min

    पंडित ने यह सुनते ही डरकर चुपचाप मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया। आयुषी, बगल में बैठी, घबराहट में खुद को छुड़ाने की कोशिश करती रही। तभी पंडित ने कहा, "कन्या के मांग में सिंदूर डालें।"

    आयुषी ने अपना सिर दूसरी तरफ खींचने की कोशिश की, पर वह गुंडा हँसते हुए जबरदस्ती आयुषी के मांग में सिंदूर डालने लगा। लेकिन जैसे ही उसका हाथ आयुषी की मांग की तरफ बढ़ा, एक जोरदार डंडा उसके हाथ पर लग गया।

    डंडा लगते ही गुंडा चीखता हुआ तिलमिलाकर उठ गया। आयुषी उम्मीद भरी निगाहों से दरवाजे की तरफ देखती रही, लेकिन पीछे से उजाला होने के कारण वह व्यक्ति का चेहरा साफ नहीं देख पाई। वह आदमी धीरे-धीरे, साहस के साथ आगे बढ़ा, हाथ में बंदूक लिए हुए।

    आसपास के सारे गुंडे उस पर हमला करने लगे, लेकिन वह फिल्मों के हीरो की तरह बहादुरी से लड़ता हुआ आयुषी के दिल का सच्चा हीरो बन गया और सारे गुंडों को गिरा दिया। एक गुंडा जो वहाँ से डर के मारे भाग रहा था, उसे भी उसने दौड़कर पकड़ लिया।

    जैसे ही शिवा का सिर दीवार से टकराया, कमरे में लगे चादर और पर्दे गिर गए और कमरे में पूरा उजाला हो गया।

    तभी पुलिस आ गई। सायरन की आवाज सुनते ही सारे गुंडे भाग गए। इसके बाद वह आदमी आयुषी की तरफ बढ़ा, पर आयुषी बेहोश हो चुकी थी और उसका चेहरा ठीक से नहीं देख पाई। उसे बस वह जैकेट, चेहरे पर आते बाल और नीली आंखें नजर आईं।

    जब आयुषी को होश आया, उसने खुद को अस्पताल में पाया। उसके बगल में बैठी निधि चिंता के साथ सेब खा रही थी।

    निधि ने उसे होश में आते देखकर हँसते हुए कहा, "लो झांसी की रानी उठ गई!" फिर वह दौड़कर बाहर खड़े लोगों को बुलाने लगी। आयुषी ने धीरे-धीरे आँखें खोलीं और देखा कि सामने वही व्यक्ति खड़ा है जिसकी उसने कभी जान बचाई थी—प्रिंस के पिता, राजा चंद्रसेन।

    राजा चंद्रसेन मुस्कुराते हुए आयुषी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले, "बेटा, तुम्हारे माँ-बाप ने तुम्हें बहुत अच्छे संस्कार और परवरिश दी है। बहुत-बहुत धन्यवाद मेरी जान बचाने के लिए। और माफ़ी भी चाहूँगा कि मेरी वजह से तुम मुसीबत में पड़ गईं।"

    आयुषी ने संकोच में कहा, "अरे अंकल जी, इसमें थैंक यू की कोई बात नहीं है। कृपया मुझे शर्मिंदा न करें, वो तो मेरा फर्ज़ था। लेकिन अब पटना से आपको छोड़ा नहीं जाएगा... पहले मुझे आइसक्रीम खिलानी पड़ेगी! और आज से हम और आप फ्रेंड्स। तभी हम आपको माफ़ करेंगे!"

    यह सुनकर राजा चंद्रसेन हँसते हुए बोले, "ठीक है! तुम ठीक हो जाओ, फिर हम आराम से बैठकर आइसक्रीम खाएँगे।"

    तभी निधि ने झूठी नाराज़गी में कहा, "वाह भाई, दोस्त को तो भूल ही गई! आप दोनों की आइसक्रीम पार्टी हो रही है, हम कहाँ जाएँगे?"

    राजा हँसते हुए बोले, "ठीक है बाबा, तुम भी आ जाना। हाँ, ये सही रहेगा ना?"

    राजा ने फिर कहा, "बेटा, मैं अब जा रहा हूँ। मेरा ड्राइवर बाहर खड़ा है। तुम्हें जैसे ही डिस्चार्ज मिलेगा, वो तुम्हें हॉस्टल तक छोड़ देगा।"

    आयुषी ने कहा, "नहीं नहीं अंकल जी, आप उसको लेकर जाइए। मैं पास ही हॉस्टल में रहती हूँ, चली जाऊँगी।"

    राजा ने कहा, "ठीक है बेटा, जैसा तुम कह रही हो।" इतना कहकर वे बाहर चले गए।

    आयुषी ने निधि से पूछा, "मुझे अस्पताल कौन लाया था?"

    निधि ने कहा, "मुझे खुद नहीं पता, मैं तो देर से आई थी।"

    "फिर कौन लाया?"

    "अरे, कोई भी लाया हो, तू ज़िंदा है, सही-सलामत है—बड़ी बात है!"

    आयुषी ने कहा, "पर मैं उसको थैंक यू तो बोलना चाहती हूँ। उसने मेरी जान बचाई है... वैसे मैं दुल्हन के कॉस्ट्यूम में लग तो अच्छी रही थी, है ना?"

    निधि हँसते हुए बोली, "मुँह तोड़ देना है तेरा! ज़्यादा दुल्हन की ड्रेस में देखने का शौक है तो खुद पहन लेना!"

    आयुषी गुस्से में बोली, "मैं तो वैसे भी शादी नहीं करना चाहती, और वो मोटा काला सांड... उससे तो बिल्कुल नहीं! थैंक यू मेरे बाँके बिहारी ने मुझे बचा लिया, वरना आज मेरी बलि चढ़ जाती!"

    फिर आयुषी ख़्वाबों में खोते हुए बोली, "वैसे निधि, जिसने मेरी जान बचाई... यार, उसकी बॉडी! उसकी आँखें... नीली आँखें! मैं पूरा चेहरा नहीं देख पाई, लेकिन I wish उससे दोबारा मुलाक़ात हो पाती..."

    निधि ने चुटकी लेते हुए कहा, "हो गया तेरा सपनों की दुनिया? अब बाहर आ जाओ और चुपचाप हॉस्टल चलो!"


    हॉस्टल में पहुँचने के बाद, जैसे ही आयुषी गेट पर आई, प्रिंस दिखाई दिया। वह स्कूटी से उतर ही रही थी कि प्रिंस दौड़कर उसे पकड़ लिया और फ़िक्र भरे लहजे में निधि से कहा, "संभल कर यार! रिक्शा कर लिया होता।"

    प्रिंस ने आयुषी की तरफ़ देखकर गंभीरता से कहा, "I’m sorry, आयुषी! मैं सही टाइम पर नहीं आ सका। अचानक एक बहुत ज़रूरी काम आ गया था। लेकिन जैसे ही मुझे पता चला, मैं खुद को रोक नहीं पाया। कब से तुम्हारे हॉस्टल के बाहर वेट कर रहा था। लगा तुम अंदर जा चुकी हो... कॉल करने की सोच रहा था लेकिन हिम्मत नहीं हुई।"

    आयुषी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "अब मैं ठीक हूँ।"

    तभी पीछे से निधि ने शरारत से कहा, "आयुषी, दिल हार कर आई हो किसी नीली आँखों वाले पर?" फिर हँसते हुए जोड़ा, "वैसे आयुषी, सुना है नीली आँखों पर भरोसा नहीं करना चाहिए! धोखा दे जाती हैं!"

    यह सुनते ही आयुषी झुंझलाकर बोली, "कुछ भी बोल रही है तू! मैं किसी को दिल-विल देकर नहीं आई हूँ, और वैसे भी इतना कुछ हो गया... मैं बस थैंक यू बोलना चाहती हूँ।"

    फिर वे वार्डन की परमिशन लेकर प्रिंस के साथ ऊपर सीढ़ियों से गए। प्रिंस एक तरफ़ से और निधि दूसरी तरफ़ से सहारा देकर आयुषी को उसके कमरे तक पहुँचाया।

    बिस्तर पर लेटते ही, निधि और प्रिंस झगड़ने लगे कि आयुषी का ध्यान कौन रखेगा। गुस्से में निधि ने पास रखा जग उठाकर प्रिंस के मुँह पर फेंक दिया। प्रिंस पूरी तरह भीग गया और चौंककर खड़ा हो गया।

    भीगते ही प्रिंस को याद आया कि उसने मेकअप कर रखा है, और पानी की वजह से वह बहने लगा है। उसने जल्दी से तौलिया लिया, मुँह पोछा और जैसे ही आईने में खुद को देखा, घबराकर स्टोल से मुँह ढकते हुए कमरे से बाहर भाग गया।

    आयुषी हँसते हुए बोली, "देख, तूने उसे डरा दिया ना! बेचारा तो वैसे ही कितना मासूम है!"

    तभी निधि को नीचे गिरा हुआ आई लेंस मिला। वह हैरान होकर पूछी, "तू कब से आई लेंस यूज़ करने लगी?"

    आयुषी चौंककर बोली, "आई लेंस? ये मेरे नहीं हैं। मुझे तो पता ही नहीं ये यहाँ कैसे आया... हमारे हॉस्टल में कोई आई लेंस यूज़ भी नहीं करता।"

    तभी एक और लड़की कमरे में आई और बोली, "कैसी हो, आयुषी?"

    आयुषी ने जवाब दिया, "मैं तो ठीक हूँ यार, बस हल्की सी चोट है। तू बता?"

    लड़की उत्साहित होकर बोली, "क्या बताऊँ! आज नीचे सीढ़ियों से एक लड़का इतनी तेज़ी से भाग रहा था... नीली आँखों वाला! ऐसा लग रहा था जैसे किसी का खून करके भाग रहा हो!"

    आयुषी एकदम चौंककर बोली, "नीली आँखों वाला? कहाँ था वो?"

    निधि ने उसे रोकते हुए कहा, "ओए मेरी माँ! तेरा वही वाला नीली आँखों वाला लड़का नहीं है! हर नीली आँखों वाले लड़कों के पीछे मत भाग!"

    फिर वो लड़की चुटकी लेते हुए बोली, "ये वही वाला लड़का कौन है आयुषी? कोई नया आया है क्या? जीजा जी से मिलवा तो सही!"

    इतना सुनते ही निधि ने उसे डाँटते हुए कहा, "चुपचाप बाहर जा! आयुषी को आराम करना है। थोड़ी देर बाद आना।"

  • 10. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 10

    Words: 1144

    Estimated Reading Time: 7 min

    इस पर वह लड़की कहती है, "यह वही वाला लड़का कौन है?"

    आयुषी: "हां, कोई नया आया है क्या?"

    "जीजा जी से हमें कब मिलवा रही हो?"

    उसकी बात सुनते ही निधि उसे दांतों से घूरती है। "चुपचाप यहां से बाहर जा, आयुषी को आराम करना है और अभी प्लीज, थोड़ी देर बाद आना।"

    "हां, जा रही हूं! ना आयुषी की चमची," यह कहते हुए वह लड़की गेट की तरफ़ बढ़ती है।

    "चुप कर जा, बड़ी मोटी कहीं की! देख, जवान संभाल कर बात करना, तेरे बाप का नहीं खाती हूं। हां, और तेरा बाप और तू यहां आकर मुझे पैसे नहीं देते हैं!"

    "मोती बोला ना तो यही मोटी तेरे ऊपर चढ़ जायेगी, दम घुट के मर जायेगी, कोई पूछने नहीं आयेगा।"

    निधि की यह बात सुनकर वह लड़की गुस्से में कमरे से बाहर चली जाती है। फिर आयुषी निधि से कहती है, "क्यों लड़ती रहती हो यार तुम दोनों?"

    वह आयुषी से कहती है, "देख आयुषी, एक बात बता दो, या तो तू उसके साथ है, मेरे साथ रहे। वैसे भी वह चुड़ैल मुझे जरा सा भी नहीं पसंद है।"

    "खैर, अपना मूड क्यों खराब कर रही हो? आज कॉलेज में फ्रेशर पार्टी है, शायद तो भूल रही हो।"

    "आज ऐसे बन कर जाना है ना कि देखने वालों पर बिजलियां गिर जाएं!"

    "और साथ में 8-10 बॉयफ्रेंड तो पक्के हैं!" यह कहकर आयुषी हंसने लगती है।

    इस पर निधि उसे डांटते हुए कहती है, "हां, हां, तेरे विचार हैं, उसे गंजी आंखों वाले का क्या होगा? वह नीली आंखों का मगरमच्छ है!"

    "अरे, वह मगरमच्छ नहीं है, रे! वह बहुत क्यूट था! प्लीज, हां उसे मगरमच्छ मत बोल!"

    "ओ मैडम, ने अभी तक उसको देखा नहीं, फिर भी इनको जलन हो रही है, बुरा लग रहा है!" यह कहकर दोनों तकिए लेकर आपस में लड़ाई करने लगती हैं।

    तब तक वहां प्रिंस वापस आता है। प्रिंस को देखकर निधि कहती है, "आगे फूलन देवी! हल्का सा पानी डाल दिया! तुम तो नाराज होकर चले गए, और ऊपर से जाते-जाते उसका तौलिया भी लेकर गए! एम सॉरी यार!"

    "यह निधि तो कुछ भी करती रहती है! प्लीज, बुरा मत मानना।"

    प्रिंस: "नहीं, नहीं, मैं बुरा नहीं मान रहा। दरअसल मुझे कुछ काम याद आ गया था। मैंने अपने किचन में गैस ऑन करके रखा हुआ था। बस, उसे बंद करने के लिए मैं भागता हुआ यहां से गया, और तुम्हें टेबल भी नहीं छोड़ पाया। खैर, मैं बाद में आते वक्त ले आऊंगा।"

    तब तक आयुषी प्रिंस से कहती है, "प्रिंस, तू आज पहन क्या रहा है?"

    प्रिंस: "क्या मतलब? क्या पहन रहा हूं, कुछ खास है क्या?"

    आयुषी: "अरे, आज फ्रेशर पार्टी है ना कॉलेज में! देखा, हमने तो डिसाइड कर लिया है! तो जल्दी से रेडी होकर शाम को आ जाना!"

    "और सुन, शाम को साथ में चलना है, लेट मत करना!"

    प्रिंस: "हां, ठीक है!"

    आयुषी: "हां, ठीक है! मैं शाम को साथ में ही चलूंगा! मैं तब तक जाकर कुछ रेडी होने के लिए देख लेता हूं।"

    आयुषी: "रुक रुक, तुझे कोई भी आईडिया नहीं है! तू मुझे पता है, कैसे पहन कर आएगा। निधि, तू इसकी हेल्प कर दे, प्लीज।"

    निधि: "पास के स्टोर से कुछ ढंग का खरीद के दे दे इसको, और प्लीज, अंकल टाइप मत खरीदना! वरना मेरे से तुझे कोई भी नहीं बचा पाएगा!"

    प्रिंस: "ठीक है, बाबा! मैं लेकर जा रही हूं प्रिंस को, और इसको अच्छा सा कपड़ा दिला दूंगी। बट, बट मैं इतना कर रही हूं तुम्हारे लिए, तो इसके बदले—"

    "आज की आइसक्रीम ट्रीट प्रिंस की तरफ से होगी!"

    प्रिंस: "ठीक है, बाबा! मैं आइसक्रीम ट्रीट देने के लिए रेडी हूं! अभी चलें, लेट हो रहा है!" यह कहकर प्रिंस उनके साथ निकल जाता है।

    प्रिंस और निधि पास के स्टोर में जाकर प्रिंस के लिए अच्छा सा कपड़ा सेलेक्ट करके वापस आते हैं, जो आयुषी को भी पसंद आता है। फिर आयुषी प्रेम से कहती है, "तीन घंटे बाकी हैं, हम लड़कियों को तैयार होने में टाइम लगता है!"

    "प्रिंस, तू जल्दी से रेडी होकर शाम के टाइम गेट के बाहर मिलना, और प्लीज, हां, छुप कर जाना! वार्डन तुझे देख न पाए!"

    प्रिंस: "ठीक है, बाबा! मैं छुप कर ही जाऊंगा!"

    यह कहकर वह वहां से चला जाता है।

    शाम के समय…

    प्रिंस आयुषी के हॉस्टल के बाहर उसका इंतजार कर रहा होता है।

    प्रिंस: "क्या यार, आयुषी कहां पर हो? हम कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं! अब आओ भी, नीचे!"

    आयुषी: "हां, बाबा, बस पांच मिनट और दो हमें!"

    थोड़ी देर बाद आयुषी और निधि गेट के नीचे आती हैं। उन्हें नीचे देखकर प्रिंस कहता है, "कान्हा ओ कृष्णा! थैंक यू, आर इन्हें भेजने के लिए! कम से कम इन्होंने टाइम की वैल्यू तो समझी!"

    आयुषी उसे रिप्लाई देती है, "हां, हां, यह टाइम की वैल्यू तब भी हम देखेंगे, जब तुम्हारी गर्लफ्रेंड बनेगी! और देखते हैं, कितना वह महारानी टाइम लगाएगी! तो फिर कितना तुम इंतजार करते हो और कितना तुम कान्हा का थैंक यू करते हो! अब चलो भी, लेट नहीं हो रहा तुम्हें!"

    प्रिंस: "हां, बाबा, चलो! तुम ही लोगों ने लेट किया हुआ है, मैं तो कब से रेडी हूं! प्लीज, प्रिंस, तुम्हें नहीं पता लड़कियों के लिए उनका हुस्न, उनका रूप, उनका जिगर बहुत मायने रखता है! एक बार अपनी बॉयफ्रेंड को शेयर कर सकती है, बट अपना मेकअप नहीं खराब कर सकती!"

    निधि की यह बात सुनकर प्रिंस कहता है, "ओ मेरी माता! बस करो, हमें ना दो मेकअप पर ज्ञान!"

    प्रिंस को इरिटेट होते देख आयुषी और निधि आपस में हंसने लगती हैं।

    थोड़ी देर बाद, वे सब लोग कॉलेज की स्पेशल पार्टी में पहुंच जाते हैं। वहां पहुंचने के बाद, निधि, प्रिंस और आयुषी का एक अच्छा खासा वेलकम होता है क्योंकि यह पार्टी उनके सीनियर द्वारा ऑर्गेनाइज की गई होती है। पार्टी में सब इंजॉय कर रहे होते हैं। एक साइड में प्रिंस, आयुषी और निधि आपस में बात कर रहे होते हैं, तब तक पीछे से एक आवाज आती है:

    "Excuse me, guys! Can I have your attention please?"

    इस आवाज को सुनते ही सब मुड़कर स्टेज की तरफ़ देखने लगते हैं।

    स्टेज पर उनका सीनियर अमित होता है, जो कॉलेज का मोस्ट पॉपुलर लड़का था।

    अमित: "वेलकम, guys! तुम सब का इस फ्रेशर पार्टी में खूब-खूब स्वागत है! I mean, You guys are very welcome to this party. Enjoy करो, और फिर हमको भी इंजॉय करने दो! फॉर योर किंड इंफॉर्मेशन, हमें यहां से कुछ बच्चों के नाम भी मिले हैं, जो आते ही यहां पर अपनी दबंगई दिखाने चालू करते हैं! तुम उनसे, मैं एक ही बात कहना चाहूंगा— बेटा, अभी तुम जूनियर हो, इसलिए थोड़ा सा संभल कर रहना! थोड़ा सा संभल कर रहना, पंगे नहीं लेना, अच्छी बात नहीं है!"

    निधि इस पर आयुषी से कहती है, "यह तो ऐसे बोल रहा है, मानो सारे पंगे इसने ले रखे हैं, और इसका कोई वैल्यू ही नहीं है!"

    आयुषी और निधि आपस में हंसने लगती हैं।

  • 11. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 11

    Words: 1165

    Estimated Reading Time: 7 min

    स्टेज पर इनका सीनियर अमित था। वह कॉलेज का सबसे पॉपुलर लड़का था।

    अमित ने कहा, "वेलकम, guys! तुम सब का इस फ्रेशर पार्टी में खूब-खूब स्वागत है! आई मीन, You guys are very welcome to this party."

    इतना सब कहने के बाद अमित स्टेज से नीचे आया। वह नीचे आकर वहां पास खड़े आयुषी, निधि और प्रिंस के पास गया। उसने आयुषी और निधि से कहा, "क्या हमारे साथ डांस करना पसंद करोगी?" आयुषी और निधि हंसते हुए हाँ कर गईं।

    फिर अमित और उसका दोस्त इन दोनों को स्टेज पर ले गए। स्टेज पर जाने के बाद अमित डीजे वाले से म्यूजिक प्ले करने को कहा। जैसे ही म्यूजिक प्ले हुआ, अमित आयुषी के क्लोज होने की कोशिश करने लगा। पर इस चीज़ को देखकर परेशान आयुषी थोड़ा सा दूर होने लगी। फिर उसने अमित से कहा, "मुझे डांस नहीं करना, मैं स्टेज से नीचे जा रही हूँ।"

    उसकी बात सुनकर अमित ने कहा, "अरे, अभी थोड़ा सा और डांस कर लो ना! हम तो तुम्हारे सीनियर हैं, इतना तो हमारे लिए कर सकती हो। देखो, लोग इंजॉय कर रहे हैं! यह लो, ड्रिंक ले लो! स्पेशली तुम्हारे लिए मैंने बनवाया हुआ सॉफ्ट ड्रिंक है। इनका टेंशन ना लो, कोई वाइन नहीं मिक्स है। अगर तुम्हें प्रॉब्लम हो, तो मैं पी लेता हूँ।"

    आयुषी कुछ नहीं बोली।

    वह अमित यह कहकर आयुषी से वह ड्रिंक पीने को मजबूर करने लगा। लेकिन प्रिंस दूर खड़ा आयुषी को इस हालत में देख रहा था। वह सामने आया और कहा, "सुनो, तुम्हारे कॉल आ रहे हैं, घर से चलो, बाहर चलो फिर आओ!" यह कहकर वह आयुषी को वहां से ले गया।

    आयुषी जैसे ही प्रिंस के साथ बाहर गई, उसने उससे कहा, "क्या है? इतना अच्छा, मैं पार्टी इंजॉय कर रही थी! किसका कॉल आ रहा है? तुम्हारे पास मेरे पेरेंट्स का नंबर कहां से है जो तुम्हारे पास कॉल आने लगा?"

    प्रिंस ने कहा, "आयुषी, तुम समझ नहीं रही हो। उन लोगों ने ड्रिंक में कुछ मिलाया हुआ है। वह तुम्हें इसलिए फोर्स कर रहे हैं ड्रिंक पीने को।"

    "तुम भी, प्रिंस! अपनी जासूसी फिल्में देख कर जासूसी करना बंद करो! ऐसा कुछ भी नहीं है। वह हमारे सीनियर हैं और उनका फर्ज है हमारा फ्रेशर पार्टी में अच्छे से स्वागत करना।"

    प्रिंस के लाख समझाने पर आयुषी, गुस्से में, दांत करके अंदर आ गई। वही देखकर अमित फिर उसके पास गया।

    अमित ड्रिंक का ग्लास लिए आयुषी से कहा, "लो, अब तो इसे पी लो यार! ड्रिंक भी शर्मा रही है तुम्हारी चार्म को देखकर। देखो, अब जल्दी से इसे खत्म करो। तुम लोग तो मॉडर्न गर्ल हो, फिर भी तुम लोग नहीं पी पा रही हो! दिखा दो अपने सीनियर्स को, तुम भी किसी से कम नहीं हो!"

    यह बात सुनते ही आयुषी वह ड्रिंक लेकर पी गई। ड्रिंक पीते ही थोड़ी देर में वह नशे में होने लगी और प्रिंस उसे प्रोटेक्ट करने की कोशिश कर रहा था। यह देख अमित अपने दोस्तों से इशारा किया।

    वे लोग प्रिंस को अपने पास बुलाया और उससे बात करते हुए कहा, "क्या बात है, तुमने तो आते ही टीचर की छुट्टी कर दी। तुम तो बड़े इंटेलिजेंट हो! हमें भी क्लासेस दे दिया करो। पहले हम तुम्हारे सीनियर हैं, तो क्या हुआ? इसी बहाने प्रीवियस ईयर के क्वेश्चंस तो पढ़ लेंगे, सर! अभी पार्टी इंजॉय कर ले! हम यह बात स्कूल में भी कर सकते हैं।"

    प्रिंस की यह बात सुनकर उनके सीनियर ने कहा, "अरे, पार्टी तो चलती रहती है! पार्टी तो एक बहाना होता है न, लोगों से मिलने का, नए लोगों से खुलने का। और तुम क्या अकेले खड़े हो? चलो, आ जाओ हमारे साथ! पार्टी इंजॉय करो!" और फिर जबरदस्ती प्रिंस को वहां से दूर ले गए।

    तब तक स्टेज पर नाचते हुए निधि नीचे गिर गई। निधि जैसे ही नीचे गिरी, उसे देखकर सब कहने लगे, "वह भैंस तो गिर गई!"

    "गई भैंस पानी में!" और यह कहकर हर कोई हंसने लगा। सबको हंसते हुए देख आयुषी गुस्से में आ गई और उसने खींच कर उस लड़के को थप्पड़ लगा दिया जिसने निधि को यह बात बोली थी। फिर उसने कहा, "सीनियर हो तो अपने लिमिट में रहो! आइंदा अगर तुमने किसी बच्चे को कुछ भी कहा तो तुम्हारे लिए खैर नहीं है! और वह तुम्हारे बाप का क्या? जो मोटी है, पतली है, तुम बॉडी शेमिंग कर रहे हो? तुम्हें शर्म नहीं आती? तुम्हारे घर में मां-बहन नहीं है क्या?"

    आयुषी की यह हरकत देखकर अमित उसके पास आया। उसने भी उस लड़के को थप्पड़ लगाया और उसे डराया, "यह क्या तरीका है लोगों से बात करने का?"

    आयुषी यह देखकर खुश हुई कि चलो, कोई ना सही, पर सीनियर तो उसके साथ है। फिर आयुषी अमित को थैंक यू बोलकर उसके साथ ड्रिंक के इंतजार करने लगी।

    थोड़ा टाइम बाद, आयुषी ड्रिंक के नशे की वजह से बेहोश होने के कगार पर थी। अमित यह सुनहरा अवसर नहीं गँवाना चाहता था। उसने आयुषी को बेहोश होते देखा, तो उसने आयुषी के ड्रेस पर ड्रिंक का गिलास गिरा दिया और कहा, "एम सॉरी, मुझसे गलती से गिर गया। एक काम करो, तुम वॉशरूम में जाकर साफ कर लो।"

    "हाँ, आप सही कह रहे हो, मैं साफ कर के आती हूँ..." आयुषी ने कहा।

    यह कहकर वह वॉशरूम की तरफ जाने लगी, लेकिन उसके पैर लड़खड़ा रहे थे। तो अमित ने कहा, "मैं तुम्हारी हेल्प कर दूं क्या?"

    "नहीं, मैं चली जाऊँगी, थैंक यू!" आयुषी ने कहा।

    लेकिन आयुषी ड्रिंक के नशे की वजह से आगे नहीं बढ़ पाई। फिर अमित ने कहा, "देखो, तुम गिर जाओगी, तुम्हें चोट लग जाएगी। मैं तुम्हारी हेल्प कर देता हूँ।" आयुषी मुस्कुरा कर बोली, "थैंक यू, सर!" और वह अमित के साथ वॉशरूम की तरफ चलने लगी।

    आयुषी जैसे ही वॉशरूम के अंदर जाकर गेट लॉक करती है, वह देखती है कि पहले से ही तीन-चार लड़के खड़े हैं। वह उन्हें देखकर चिल्लाई, "छोड़ो मुझे, छोड़ो!" फिर अमित हंसते हुए अंदर आया, "तुम्हें यहां बचाने वाला कोई नहीं आएगा! पार्टी के डीजे की आवाज फुल है, देखो, चुपचाप मान जाओ और हमारी हो जाओ! वरना हम सब तुम्हें कुत्तों की तरह नोच खाएंगे!"

    आयुषी उनकी यह बात सुनकर गुस्से में अमित के मुँह पर थूक दिया और कहा, "अरे शर्म है तुम पर! एक अकेली लड़की पर जोर कस रहे हो! पापी हो रहे हो! इतना ही हिम्मत है तो जाकर अपनी मां-बहन की इज्जत बचा लो! दूसरों की इज्जत लूट रहे हो! कल को तुम्हारे मां-बहन की भी इज्जत लूटेगी, तो तुम्हें समझ आएगा!"

    इस पर अमित हंसते हुए कहा, "अगर मां-बहन होती, तो मैं तुम्हारे पास क्यों आता? और रही बात मां-बहन की, इन सब चीजों के लिए नहीं है! और मजा तुमसे नहीं लेंगे तो किससे लेंगे? तुम्हारे तो बड़े पर फड़फड़ाते हैं, ना!"

  • 12. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 12

    Words: 1020

    Estimated Reading Time: 7 min

    अमित ने गुस्से से आयुषी के बाल पकड़ लिए। आयुषी दर्द से चीखी। उसे तड़पते देख अमित ने अपने होंठों पर जुबान फेरी और कहा, "चलो, आज तो यह देशी मछली मिली! नखरे हैं, पर तुम्हें भी मज़ा आएगा... हाँ, haha!"

    "तुम्हारी यह कमिशन, जवानी, पतली कमर, तिरछी निगाहें! हमें तुम्हारा दीवाना बना देती हैं!" अमित गाया।

    आयुषी को पकड़े हुए अन्य लोग हँसने लगे। आयुषी ने उन्हें छुड़ाने की कोशिश की, पर उनकी पकड़ आसान नहीं थी। जैसे ही अमित आयुषी के गले के पास अपना मुँह बढ़ाया, पीछे से दरवाज़े पर जोर की लात लगी।

    वॉशरूम का दरवाज़ा टूट गया और टूटते ही अमित को लगा। अमित गुस्से में पीछे मुड़कर देखा तो एक नया लड़का खड़ा था।

    "तुम्हारी जान प्यारी है? जो यहां आ गए, चले जाओ! वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा!" अमित ने कहा।

    लेकिन वह लड़का वहीं खड़ा रहा। अमित के दोस्त उसे मारने के लिए आगे बढ़े, लेकिन वह लड़का सबको पीटकर अधमरा कर दिया।

    फिर उसने सबको छोड़ आयुषी को अपनी जैकेट निकालकर दी और आयुषी ने अपनी बॉडी को कवर कर लिया। वह रो रही थी। उस लड़के ने आयुषी को पानी लाकर दिया, फिर उसे पास की बेंच पर बिठाकर समझाया, "देखो, कुछ भी नहीं हुआ! हम उनके खिलाफ़ कल एक्शन लेंगे और कल हम और कॉलेज के डीन से बात करके इनको रिस्ट्रिक्टेड कर देंगे।"

    आयुषी का रोना थम नहीं रहा था। लड़के ने अपनी जेब से रुमाल निकालकर आयुषी को दिया। आयुषी ने उससे अपने आँसू पोछे।

    "मुझे मेरे घर जाना है, प्लीज, मुझे मेरे घर ड्रॉप कर दो! मुझे इस पार्टी में नहीं रहना!" आयुषी ने कहा।

    "ठीक है, बाबा! चलो, मैं तुम्हें घर ड्रॉप कर देता हूँ!" लड़का बोला और आयुषी को लेकर हॉस्टल की तरफ़ चलने लगा।

    इधर, प्रिंस और निधि आयुषी को ढूंढने में परेशान हो गए। थोड़ी देर बाद, आयुषी का ना मिलने पर, प्रिंस ने निधि से कहा, "क्या आयुषी हॉस्टल तो नहीं चली गई? अगर वह हॉस्टल चली गई होगी तो मुझे भी हॉस्टल जाकर देखना पड़ेगा। और आई होप, आयुष ठीक हो! वह कान्हा जी, प्लीज आयुषी को ठीक रखना! मेरी कब से दाईं आँख फड़क रही थी, और मैं इन लड़कों की हरकतों पर भी कब से डाउट हो रहा था।"

    मैंने आयुषी को समझाया भी था। अब वह लड़के भी ना दिख रहे थे और ना ही आयुषी। निधि ने कहा, "एक काम करते हैं, प्रिंस, हम क्यों ना पूरा अपार्टमेंट ढूंढ लेते हैं? सुनो, तुम उधर साइड जाओ, और मैं इधर साइड जाती हूँ।" प्रिंस ने सिर हिलाकर हाँ किया। फिर वे दोनों आधा-आधा करके पूरा कॉलेज छान मारा।

    पर उन्हें आयुषी कहीं भी नहीं मिली। फिर एक बार उन्होंने कॉल मिलाई, तब तक आयुषी के फ़ोन से एक आवाज़ आई, "हाँ, आयुषी अपने हॉस्टल में है।" यह कहकर कॉल कट गई। वह आवाज़ उस लड़के की थी, पर प्रिंस समझ नहीं पाया कि यह किसकी आवाज़ थी। उसने निधि से कहा, "आयुषी हॉस्टल पहुँच गई। हमें भी हॉस्टल जाना चाहिए।"

    वे दोनों पार्टी छोड़कर सीधा हॉस्टल की तरफ़ गए। जैसे ही वे हॉस्टल के सामने पहुँचे, निधि ने वार्डन को अपनी बातों में उलझा कर रखा, और प्रिंस समय देखते ही आयुषी के कमरे की तरफ़ निकल गया। फिर निधि भी उसके पीछे-पीछे उसके कमरे की तरफ़ गई।

    वे जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खोला, देखा कि आयुषी दरी सेमी हुई रूम के एक कोने में, जैकेट ओढ़े, रोते हुए बैठी हुई थी। उसे देखकर दौड़ते हुए निधि और प्रिंस उसके पास गए।

    "क्या हुआ? तुम ऐसे रो क्यों रही हो? क्या हुआ? ये निशान कैसे हैं तुम्हारे शरीर पर?" निधि ने आयुषी से पूछा। आयुषी अपने निशानों को छुपाने लगी। फिर वह प्रिंस के गले लगकर उसे पकड़कर रोने लगी और बोली, "प्रिंस, काश मैं तुम्हारी बात मान ली होती, तो आज यह सब ना होता।"

    "यह सब किसने किया? बताओ, मैं उन सब को छोडूँगा नहीं!" प्रिंस गुस्से में बोला। वह उठकर वहाँ से जाने लगा, लेकिन आयुषी ने उसका हाथ कस के पकड़ लिया और कहा, "प्लीज, अभी मुझे छोड़कर कहीं मत जाओ!" और यह कहकर उसके गले लगकर कस के रोने लगी।

    वह आयुषी को शांत करने लगा, फिर निधि लाकर आयुषी को पानी दिया। उसने आयुषी को पानी पिलाया, आयुषी प्रिंस से छोटे बच्चों की तरह लिपटी हुई थी।

    थोड़ी देर बाद, आयुषी सो गई। प्रिंस ने उसे उसके बिस्तर पर लिटा दिया। लेकिन आयुषी के चेहरे पर आ रहे उसके बाल, उसकी मासूमियत को और बढ़ावा दे रहे थे। प्रिंस ने उन बालों को धीरे से उसके चेहरे से हटाया और उसकी आँखों के बीच बहते हुए आँसुओं को साफ़ किया।

    फिर उसे धीरे से बिस्तर पर लिटाकर जाने लगा, लेकिन आयुषी ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, "प्लीज, अभी यहां से कहीं मत जाओ!" उसकी बात सुनकर प्रिंस हाँ कर दिया और वह आयुषी के बगल में बैठ गया। थोड़ी देर बाद, आयुषी सो गई, और निधि भी बगल के बेड पर सो गई।

    अगली सुबह...

    अगली सुबह, जब आयुषी की आँख खुली, तो उसने देखा कि उसने प्रिंस का हाथ पकड़ रखा था। प्रिंस वैसे ही बेड के नीचे पड़ा था, उसके हाथ पर सो रहा था। यह देखकर वह खुद से बोली, "क्या आयुषी, कल रात के चक्कर में इसको भी परेशान कर दिया?" वह प्रिंस को उठाना चाहती थी, लेकिन प्रिंस को सोते हुए देख, वह कुछ नहीं बोली।

  • 13. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 13

    Words: 1193

    Estimated Reading Time: 8 min

    अगली सुबह आयुषी की आँख खुली तो उसने देखा कि प्रिंस का हाथ उसके हाथ में था, और प्रिंस वैसे ही बेड के नीचे पड़ा, उसके हाथ को पकड़े सो रहा था। यह देखकर वह खुद से बोली, "क्या आयुषी! कल रात के चक्कर में इसको भी परेशान कर दिया?"

    वह प्रिंस को उठाना चाहती थी, पर उसे गहरी नींद में सोता देख कुछ नहीं बोली।

    तभी अचानक प्रिंस नींद से जाग गया। आयुषी को बेड पर बैठा देखकर बोला, "आयुषी, तुम ठीक तो हो?"

    "मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ! और तुम भी उठ जाओ, कॉलेज नहीं जाना क्या? वैसे भी आज मैं बहुत अच्छे से बन-ठन के कॉलेज जाऊँगी!" आयुषी झट से उठकर जोर से बोली। फिर वह निधि की ओर मुड़कर गुस्से से बोली, "ओ बहन, उठ जा! कॉलेज नहीं चलना क्या?"

    और तब आयुषी पास रखे म्यूजिक बॉक्स से म्यूजिक चलाकर डांस करने लगी। आयुषी का यह नया रूप देखकर प्रिंस और निधि दोनों ही हैरान रह गए।

    "क्या चल रहा है ये सब? कल की वजह से इसे कोई दौरा तो नहीं पड़ गया? हमें इसे हॉस्पिटल ले जाना चाहिए!" निधि, प्रिंस से बोली।

    "अरे चुप करो! तुम भी कुछ भी मत बोलो। ऐसा कुछ नहीं है... वो खुद से लड़ रही है, खुद को बिज़ी रख रही है ताकि जो भी उसके साथ हुआ है, उसे भूल सके। हमारे सामने खुश रहने का नाटक कर रही है।" प्रिंस ने जवाब दिया।

    तभी अचानक उनके दरवाज़े पर जोर से दस्तक हुई।

    "दरवाज़ा खोलो लड़कियां! तुम्हारे कमरे में कोई लड़का घुसा है क्या?"

    "अगर ऐसा कुछ हुआ, तो आज ही तुम्हें हॉस्टल से निकाल दूँगी!"

    "अरे ये मोटी वार्डन! अब क्या करेगी?" निधि घबराकर बोली।
    "प्रिंस, तू जल्दी से कहीं छुप जा!"

    प्रिंस तुरंत बेड के नीचे और फिर खिड़की के पीछे छिपने लगा।

    उसे ऐसे छिपते देख निधि बोली, "अरे भाई, पकड़े जाएँगे!"

    "आइडिया सुन! तू जाकर दरवाज़ा खोल और बोलना कि मैं बाथरूम में नहा रही हूँ।" आयुषी बोली।

    वो प्रिंस को बाथरूम में ले जाकर छिपा देती है। जैसे ही वार्डन अंदर आई, उसने पूरा कमरा चेक किया और पूछा, "आयुषी कहाँ है?"

    "आयुषी नहा रही है।" निधि हाथ मलते हुए बोली।

    वार्डन वॉशरूम का दरवाज़ा खटखटाने लगी। अंदर से आयुषी दरवाज़ा थोड़ा खोलकर सिर बाहर निकालकर बोली, "जी, कहिए? मैं नहा रही हूँ।"

    "तुम बाहर आओ, मुझे बाथरूम चेक करना है!" वार्डन बोली।

    "आप बाथरूम भी चेक करेंगी? वैसे आपको भरोसा नहीं है, तो मैं ऐसे ही बाहर आ जाती हूँ!" आयुषी तपाक से बोली। उसने टॉवेल से खुद को ढँक रखा था।

    "आप लड़कियों के वॉशरूम में भी चेक करेंगी? हमें नहाते हुए भी शक करते हैं! हमें आपके इरादे ठीक नहीं लग रहे! निधि, कम कर... अभी की अभी वीडियो बना इनका! अगर बाथरूम से कुछ नहीं निकला तो हम ये वीडियो प्रूफ रखेंगे।"

    "हां, रुक जाइए! मैं कैमरा ऑन करती हूँ!" निधि बोली।

    उनकी बात सुनकर वार्डन घबरा गई और पीछे हट गई। वह वहाँ से चली गई।

    वार्डन के जाने के बाद निधि बोली, "वो आयुषी का दिमाग चलाया है! अच्छा हुआ चुड़ैल चली गई। लेकिन अब प्रिंस कैसे कमरे से बाहर जाएगा?"

    "अरे, उसका भी जुगाड़ है मेरे पास!" आयुषी मुस्कराकर बोली।

    "प्रिंस को बाहर निकालने के लिए हमें मेरी प्यारी राइट हैंड, अनाहिता की ज़रूरत पड़ेगी।"

    "तुझे पता है ना, तुम दोनों की बनती नहीं!" निधि बोली।

    "आज हमें उसकी मदद चाहिए, प्लीज़ निधि... आज उससे झगड़ा मत करना!" आयुषी ने गंभीरता से कहा।

    "ठीक है, तेरी बात मान रही हूँ... लेकिन मैं उसकी हेल्प नहीं लेने वाली!" निधि ने नाराज़ होते हुए जवाब दिया।


    और दूसरी बात, अगर वो मुझे कुछ उल्टा-सीधा कहेगी, तो मैं उसकी माँ...

    (निधि को बीच में टोकते हुए)
    "अरे-अरे! गाली नहीं देते। गाली देना गलत बात है। अच्छा, जाकर बुला कर लाओ... कुछ नहीं कहेगी आयुषी के कहने पर।"

    निधि वहाँ से जाकर अनाहिता को बुला लाई। अनाहिता कमरे में आई और आयुषी से बोली:

    "देख बहन, पिछले वीकेंड तेरा बॉयफ्रेंड आया था... और हमने चुड़ैल से छुपाकर उसे कमरे तक लाया था। सेफली बाहर भी निकाल दिया था!"

    "अब तू हमारी हेल्प कर दे, हमारे फ्रेंड की मदद कर दे बाहर जाने में।"

    "हाँ, मैं हेल्प कर दूँगी। पर मेरी एक शर्त है।" आयुषी मुस्कुराकर बोली।

    "कैसी शर्त है?" निधि गुस्से से पूछी।

    "देख, जो आयुषी पर लाइन मारता है... वो दूसरी गली का वैभव, उसे तुम लोगों को मेरा बॉयफ्रेंड बनाना पड़ेगा। क्योंकि वो मुझे बहुत पसंद है।"

    "अरे, पर तेरा तो बॉयफ्रेंड है ना?" आयुषी चौंककर बोली।

    "हाँ, पता है! पर वो कुत्ता मुझे चीट कर रहा है। अगर वो चीट कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं?"
    "और वैसे भी, मैं अपनी लाइफ अपने तरीके से जीना चाहती हूँ। आया बड़ा कमीनाऽऽ! आंटियों को भी प्रपोज करके घूमता है... और मुझ पर बंदिशें लगाता है!"

    "उसी दिन दादाजी के साथ रोड क्रॉस करते हुए देखा उसे... बोलता है कि तुमने पैसों के लिए शुगर डैडी ढूंढ लिया है!"
    "अब बताओ यार, शुगर डैडी अगर पटाऊंगी भी तो ढंग का पटाऊंगी ना! झूलते मीनार तो नहीं पटाऊंगी!"

    उसकी बात सुनकर आयुषी और निधि जोर से हँसने लगीं।

    "ठीक है, चल... मैं हेल्प करने को तैयार हूँ। अब मेरी मदद कर!"

    अनाहिता अपने फ़ोन में कुछ करती है, और थोड़ी देर में कुछ और लड़कियाँ कमरे में आ जाती हैं।

    "देखो, अपने फ्रेंड को बोलो कि हमारे पीछे छुप जाए। हम धीरे-धीरे नीचे जाते रहेंगे। जैसे ही नीचे पहुँचेंगे, तुम लोग जाकर वार्डन को बातों में उलझा देना। हम वार्डन को दूसरी तरफ़ घुमा देंगे। फिर तुम्हारा फ्रेंड मौका देखकर बाहर निकल जाएगा।"

    "ठीक है, चलो! बिना देर किए शुरू करते हैं।"

    जैसा अनाहिता ने कहा था, वैसा ही सब करते हैं। चारों लड़कियों ने एक ग्रुप बनाया, उनके पीछे-पीछे प्रिंस छिपकर सीढ़ियों से नीचे उतरता है। फिर अनाहिता और निधि वार्डन को अपनी बातों में उलझा देती हैं।

    "मैम, आपको पता है? बगल के बॉयज़ हॉस्टल में जो अंकल हैं... वो आप पर लाइन मार रहे थे!"
    "हमसे कह रहे थे कि अगर हम आपके नंबर उन्हें दे दें, तो वो हमें पिज़्ज़ा पार्टी देंगे!"
    "अब आप ही बताइए... हम इतने भी गिरे हुए नहीं हैं कि आपके नंबर के बदले पिज़्ज़ा ले लें!"
    "लड़के के नंबर दे सकते हैं, पर आप...? आप तो हमें पिज़्ज़ा भी नहीं देतीं!"

    "आप तो इतनी जवान हो, हॉट हो... कोई देखे तो फिसल जाए!" अनाहिता ने कहा।

    निधि भी हामी भरते हुए बोली:
    "हां! बात तो सही कह रही हो। मैंडम को इतना हॉट एंड यंग देखकर हर कोई पूछता है कि इनके आगे क्या है!"

    वार्डन हँसते हुए बोली:
    "आज दोनों सौतन दोस्त कैसे बन गईं? ऐसा तो हमारे सीरियल में भी नहीं हुआ! क्या बात है!"

    "हां, हम दोनों तो बहनों की तरह हैं! लड़ते भी बहुत कम हैं!" दोनों एक साथ बोलीं।

    उसी दौरान, अनाहिता धीरे से इशारा करती है और प्रिंस गेट से बाहर निकल जाता है।

  • 14. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 14

    Words: 1031

    Estimated Reading Time: 7 min

    अनाहिता ने कहा, "चलो, मुसीबत टाली!"

    "क्या कह रही हो तुम? कैसी मुसीबत टाली? कुछ नहीं, यह तो बातूनी है, कुछ भी बोलती रहती है!" निधी ने तेजी से उसे चिकोटी काट दी।

    फिर अनाहिता ने उसकी तरफ़ देखकर दिखावटी हँसी करते हुए कहा, "हाँ, यह सही कह रही है। चलिए, हम चलते हैं!"

    यह कहकर, दोनों वहाँ से चली गईं।

    वहाँ से जाने के बाद, वे सीधा आयुषी के कमरे में गईं। अनाहिता ने आयुषी से कहा, "समझा लो इस मोटी को, वरना किसी दिन सुई चुभाकर सारे हवा को निकाल दूंगी!"

    यह सुनते ही, निधी ने कहा, "ज्यादा मत बोल, वरना यही पटक कर—"

    "अरे अरे, गाली नहीं, निधी! कंट्रोल!" आयुषी की बात सुनकर, निधी ने कहा, "रुक जा मेरी माँ! मुझे पूरा बोलने दे! तेरे दिमाग में गाली भरी है, मेरे नहीं! मैं कह रही हूँ कि अगर इसने मुझे 'मोटी' बोला, तो यही पटक कर इसके ऊपर बैठ जाऊँगी और इसका दम घुट जाएगा, और मर जाएगी यह!"

    आयुषी ने उसकी बात सुनी और अनाहिता के बोलने से पहले कहा, "सुनो, अनु, उसकी तरफ़ से मैं माफ़ी माँगती हूँ। हमें लेट हो रहा है कॉलेज के लिए, चलो जाओ, हमें रेडी होने दो।"

    अनाहिता पैर पटककर वहाँ से चली गई।

    आयुषी और निधी थोड़ी देर बाद रेडी होकर कॉलेज के लिए निकल गईं।

    कॉलेज पहुँचते ही, आयुषी, निधी और प्रिंस ने देखा कि सारा कॉलेज उन्हें घूर रहा था।

    आयुषी और निधी थोड़ा हैरान हुईं। "सारा कॉलेज हमें क्यों देख रहा है?"

    आयुषी और निधी ने अपनी स्पीड और तेज कर, सीधा क्लास की तरफ़ जाना शुरू कर दिया। प्रिंस को कुछ समझ नहीं आ रहा था। "इस टाइम करें तो क्या करें?" फिर वह भी उनके पीछे-पीछे चल रहा था।

    थोड़ी देर बाद, जैसे ही वे कॉरिडोर में पहुँचीं, उन्होंने देखा कि आयुषी की कुछ अजीबोगरीब पिक्स लगी हुई थीं।

    यह देखकर, आयुषी सारी पिक्स उखाड़ते हुए, सीधा क्लास की तरफ़ भागी। क्लास में जाकर, आयुषी ने देखा कि सारे बच्चे उस पर हँसने लगे।

    फिर अमित और उसके सारे ग्रुप आकर आयुषी से बोले, "जो उखाड़ना है, उखाड़ लो! शायद तुम भूल रही हो, मेरे अंकल और हमारे सारे फैमिली मेंबर्स इस स्कूल से बहुत पुराने रिश्ते रखते हैं। और रही बात, अगर तुमने ज़्यादा चू-चपड़ की तो तुम्हारा वीडियो सबके पास वायरल कर दूँगा।"

    "और कहाँ गया वह आशिक, जो तुम्हें कल बचाने आया था? आज तो वह नहीं दिख रहा, तो आज तुम्हें कौन बचाएगा?"

    यह सुनकर, सब आयुषी को चारों तरफ़ से घेर लेते हैं। आयुषी का दुपट्टा उसके पास से छीन लिया गया। यह देखकर, निधी सीधा सर को बुलाने के लिए भागी।

    तब तक, वह लड़का जो कल आयुषी को बचाने आया था, फिर से आया और सब से कहा, "क्या हुआ? कल की मार अभी तुम भूल नहीं पाए? और मार खानी है? और एक बात बताओ, तुम्हें अगर ज़्यादा मार खानी हो तो अभी बता दो, एक बार में खिला देता हूँ!"

    यह सुनते ही, अमित और उसके दोस्त गुस्से में आकर उसकी तरफ़ मुक्के तानकर मारने गए। तब तक, वहाँ पर टीचर्स और प्रिंसिपल आ गए। उन्हें देख, अमित और उसका ग्रुप वहाँ से चला गया।

    प्रिंसिपल ने आयुषी से कहा, "क्या हुआ बेटा? सब ठीक है?"

    इस पर, आयुषी कुछ नहीं बोल रही थी। वह लड़का, जिसने आयुषी की जान बचाई थी, आगे जाकर प्रिंसिपल को सब कुछ बताना चाहता था, लेकिन आयुषी ने उसका हाथ पकड़कर पीछे खींच लिया।

    आयुषी ने इशारे से उसे कुछ भी बताने से मना कर दिया। फिर उसने प्रिंसिपल से कहा, "सब ठीक है, सर। बस ऐसे ही हल्की सी रैगिंग कर रहे थे।"

    यह सुनकर, प्रिंसिपल ने कहा, "बेटा, आगे अगर ये लोग परेशान करें, तो मुझे बताना।"

    "जी सर, अगर आगे से ये लोग परेशान करेंगे, तो मैं आपको ज़रूर बताऊँगी," आयुषी ने कहा।

    इसके बाद, प्रिंसिपल वहाँ से चले गए। वहाँ पर खड़ा हिंदी का टीचर बोला, "बेटा, मैं सब कुछ देख चुका हूँ। तुम टेंशन मत लो, मैं अभी इन लोगों को सबक सिखाता हूँ।"

    तब तक, अमित का ग्रुप फिर से क्लास में आया और सर का कॉलर पकड़ लिया। "ओ चुपचाप पढ़ने आते हो, पढ़ाओ! तुम्हें अपनी नौकरी प्यारी नहीं है क्या? शायद तुम भूल रहे हो कि हमारे अंकल यहाँ पर डोनेशन दिया करते हैं! अगर एक कंप्लेंट किया तो नौकरी से हाथ धोकर जाओगे!"

    फिर वे बोले, "सुना है, तुम्हारी जवान बेटी भी है, एक बेटा भी... कब बेटा स्कूल से रोड क्रॉस कर रहा हो और ट्रक मार दे, कब बेटी स्कूल जाए और घर न लौटे, और कब तुम्हारी वाइफ सीडीओ से गिरकर मर जाए, और कब तुम्हारी दोनों टांगें टूट जाएँ! तो थोड़ा सोच-समझ के..."

    यह कहने के बाद वे उसका कॉलर छोड़कर वहाँ से चले गए। आयुषी सर के पास आई, "सर, आप जाने दीजिए, मैं इन लोगों को देख लूँगी।" तब तक दौड़कर प्रिंस वहाँ पर आया। "क्या हुआ है? सब ठीक तो है ना?" नीति ने आयुषी का दुपट्टा उठाकर उसे दिया। "हाँ, सब ठीक है। दरअसल, वह हल्का सा रैगिंग कर रहे थे।" आयुषी की बात सुनकर प्रिंस भी गुस्से में आ गया। वह उनकी तरफ़ गुस्से से जा ही रहा था कि निधी ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया, "नहीं, प्रिंस! गुस्से में कुछ ऐसा मत करना, जो बाद में और दिक्कत दे।"

    फिर आयुषी ने निधी और प्रिंस से कहा, "यही है, जिसने कल मुझे उन लोगों से बचाया।"

  • 15. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 15

    Words: 1203

    Estimated Reading Time: 8 min

    "हेलो, माइसेल्फ प्रिंस।"

    "हेलो, प्रिंस! माय सेल्फ आदित्य।"

    "हेलो, निधी!"

    "तुम्हें मेरा नाम कैसे पता?" निधी ने शौक से पूछा।

    "अरे बाबा! तुम्हारा नाम तो इस कॉलेज में मशहूर है। तुम जिसके ऊपर एक बार बैठ जाओ, उसका दम घुट के मर जाए।"


    "क्या?"

    "अरे, मतलब मैं मजाक कर रहा हूँ। बाबा, बस मैं ऐसे ही सुना हुआ हूँ। और यह है हमारी प्यारी आयुषी।"


    "हाँ, आयुषी प्यारी तो है।" आदित्य और आयुषी ने एक-दूसरे को देखकर हल्की सी मुस्कान पास की।

    फिर आयुषी ने प्रिंस और निधी से कहा, "तुम लोग चलो, मैं थोड़ी देर में आती हूँ।" इसके बाद प्रिंस और निधी वहाँ से चले गए। आयुषी और आदित्य दोनों साथ में गार्डन की तरफ निकल गए। आदित्य वहाँ गार्डन में खड़े आइसक्रीम वाले से दो आइसक्रीम लेकर आया और आयुषी को दी।

    "अब आयुषी, आगे क्या करना है? बताओ, क्यों नहीं दिया और कब कंप्लेंट कर रहे हो सबके खिलाफ?"

    "क्योंकि अगर तुम इस तरह वीक पद्धति रहोगी, तो तुम्हें और डराते रहेंगे।"

    "यहाँ पर बात कंप्लेंट की नहीं है, आदित्य। मेरी फैमिली इतनी चीज़ों को अगर जरा सा भी जान गई, तो मेरा कॉलेज आना बंद कर देगी। और दूसरी बात, उन लोगों को वैसे भी सब चीज़ों से फर्क नहीं पड़ता। और वह उनके अंकल ट्रस्ट चाहिए। और ऐसा है, और मेरे यहाँ कोई कुछ नहीं। मैं बहुत मुश्किल से यहाँ पर आई हूँ, ऊपर से स्कॉलरशिप से आई हूँ। तो मैं एक गाँव से हूँ। अगर हल्की सी भी यहाँ की बात वहाँ लग गई, तो मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा।"


    "तो क्या, इन सबको ऐसे झेलती रहोगी?"

    "हाँ, झेलना तो पड़ेगा ही, अब क्या ही कर सकते हैं।"


    "पर वह वीडियो?"

    "अरे, वह वीडियो वायरल नहीं करेंगे। उसमें तो वह सब भी तो है।"

    "हाँ, पर वह अपना फेस ब्लर करके वायरल कर सकते हैं?"


    "भगवान जाने, मुझे मेरे कान्हा जी पर विश्वास है। वह कुछ गलत नहीं होने देंगे। खैर, क्लास का टाइम हो गया, हम क्लास में चलते हैं।"


    "आज शाम को, वैसा, तुम फ्री हो?"

    "हाँ, मैं फ्री ही रहती हूँ, क्यों? क्या हुआ?"

    "अरे, दरअसल मैं सोच रहा था कि अभी-अभी मैं सिटी में आया हूँ। काश यहाँ की कॉफी पीने को मिल जाती, तो और साथ में अपने फ्रेंड्स के साथ।"

    "हाँ, लेकिन मैं अकेले नहीं आऊँगी। मेरे साथ निधी और प्रिंस भी आयेंगे। वह दोनों मेरे अच्छे दोस्त हैं।"

    "हाँ बाबा, मुझे कोई दिक्कत नहीं है, बट एक बात और। हम कोल्ड कॉफी ज्यादा पीते हैं, तो ही हमारे लिए। कोल्ड कॉफी, और ये ट्रीट तुम्हारी होगी।"

    "हाँ बाबा, ठीक है, मैं तैयार हूँ। ठीक देने के लिए, तुम लोग आ जाना।"


    "और आयुषी, तुम चिंता ना करो। मेरी भी पहचान है कॉलेज में। मैं कुछ ना कुछ करके उन लोगों को सबक सिखा दूँगा।"

    "ठीक है आदित्य, जैसा तुम्हें लगे, कर लेना। पर याद रहे कि ऐसा कुछ ना हो, जिससे मुझे कुछ भुगतना पड़े।"

    "ठीक है बाबा, इस चीज़ का मैं पूरा ध्यान रखूँगा कि इससे तुम्हें कोई हानि ना हो।"

    आदित्य की बात सुनकर आयुषी हल्का सा मुस्कुराकर आगे चली गई और क्लास में बैठकर अपनी किताबों के पन्नों को पलट रही थी, और बस किसी के ख्यालों में खोई रही। सर लेक्चर दे रहे थे। अचानक से सर का ध्यान आयुषी पर गया। उन्होंने आयुषी को तीन-चार बार आवाज लगाई, पर आयुषी अपने इमेजिनेशन में खोई मुस्कुरा रही थी। यह देख निधी ने उसे धक्के से उठाया, "आयुषी! सर बुला रहे हैं, क्लास से बाहर जाना है क्या?"


    "सॉरी सर, सॉरी सर, वह मेरा दिमाग..."

    "बेटा, दिमाग तुम्हारा! तुम जैसे पढ़ने वाले बच्चे भी अगर ऐसे करने लग गए हैं, तो फिर मुझे एक्शन लेना ही पड़ेगा।"

    "सॉरी सर, सॉरी सर, दोबारा ऐसा नहीं करूँगी!"

    "ठीक है, बैठ जाओ, और प्लीज बोर्ड पर ध्यान दो। इम्पॉर्टेन्ट टॉपिक से एग्जाम में से रिलेटेड क्वेश्चन आ सकते हैं।"

    "जी सर।"

    फिर निधी ने आयुषी को हल्का सा पिंच करते हुए पूछा, "कहाँ खो गई महारानी? मुझे पता है आज जो हुआ, वह तेरे लिए बहुत ही ज्यादा डरावना था, पर ऐसे डर के तो नहीं रह सकते ना?"

    "अरे पागल, तूने नेगेटिव ही सोचना है? उसके साथ कुछ अच्छी चीज़ भी हुई, उसको तुमने देखा?"

    "क्या अच्छी चीज़ हुई?"

    "अरे, अच्छी चीज़ है! मतलब कि आदित्य हमारे अच्छे दोस्त बनकर, आदित्य ने मेरी हेल्प की, और आज शाम को हम सब आदित्य के साथ कॉफी पीने जा रहे हैं।"

    "क्या? और तूने मुझे कुछ बताया भी नहीं!"

    "अरे, मैंने प्रॉमिस कर दी। अब तुम लोग को चलना ही पड़ेगा।"

    "चल, ठीक है, तेरे लिए चल लेते हैं।"


    "अच्छा सुन, मुझे प्रिंसिपल ऑफिस से कुछ काम है, मैं वहाँ से आता हूँ। ठीक है?"

    "जा तू!" इसके बाद निधी सर से परमिशन लेकर प्रिंसिपल ऑफिस निकल गई।

    और निधी जैसे ही गेट के पास पहुँची, उसने देखा कि वहाँ पर कोई लड़का टीचरों से बात कर रहा था, और उन सबके खिलाफ कंप्लेंट कर रहा था। जो जो चीज़ उन्होंने आयुषी के साथ की थी, उन्हें समझा रहा था। फिर वह लड़का जैसे ही मुड़ा, उसने मास्क लगा रखा था, पर उसकी आँखें नीली थीं। यह देखकर निधी चौंक गई!


    निधी ने कहा, "अरे, यह तो वही नीली आँखों वाले का लड़का तो नहीं! इसके बारे में आयुषी बात कर रही थी, जिसने आयुषी की जान बचाई थी!"


    "पर दुनिया में तो कई नीली आँखों वाले लड़के हैं, क्या पता वह हो?" फिर वहाँ से वह बिना प्रिंसिपल ऑफिस गए सीधा आयुषी के पास चली गई और आयुषी से कहा, "सुन, सुन, सुन! जल्दी चल, मैं अभी-अभी उसे, नीली आँखों वाले लड़के को, प्रिंसिपल ऑफिस में देखा है!"


    "क्या? यह वही तो नहीं है!" आयुषी उसकी बात सुनकर के खड़े पैर वहाँ से भागी और सीधा प्रिंसिपल ऑफिस के पास आकर रुक गई, पर उसने देखा कि अब वह लड़का जा चुका था। वह सीधा प्रिंसिपल मैम के ऑफिस में गई।


    "मैम, may I come in?"

    "Yes, come in, Ayushi."

    "क्या बात है, सब ठीक?"

    "Yes, mam, सब ठीक है।"


    फिर उसने पूछा, "वह था कौन, कौन था, मैम, वह लड़का?" प्रिंसिपल ने कहा, "देखिए, इन सब चीज़ों को बताने के लिए इजाज़त और अनुमति नहीं है। वह हमारे हेड के बेटे हैं।" यह सुनकर वह दोनों बाहर चली गईं।


    "सीट! यार, तूने पहले नहीं बुलाया था? एक बार कन्फर्म हो जाता है, यह वही है या दूसरा। खैर छोड़, जो भी हो, पता कर लेंगे। वह तेरे लिए यहाँ पर आया था। तेरे साथ जो जो हुआ, वह उसके खिलाफ कंप्लेंट कर रहा था। यह कहीं आदित्य का कोई फ्रेंड तो नहीं?" आयुषी ने निधी से कहा, "आदित्य बोल रहा था कि उसका यहाँ पर अच्छा जान पहचान है।"

    "चल रे, तू भी! क्या आदित्य को लेकर आई है?" फिर तब तक आदित्य सामने से आता हुआ दिखाई दिया। आदित्य ने भी वैसी जैकेट डाल रखी थी, जैसी उसने लड़के ने डाली हुई थी। फिर निधी ने कहा, "यार, यह तो वही जैकेट है जो उस लड़के ने डाली थी।"

    इसके बाद आयुषी हल्का सा मुस्कुराई और निधी के साथ सीधा क्लासरूम की तरफ चली गई।

    क्या आयुषी जान पाएगी सच?

  • 16. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 16

    Words: 842

    Estimated Reading Time: 6 min

    शाम के समय आदित्य अपनी काली कार लेकर आयुषी के हॉस्टल के सामने आया और आयुषी को कॉल किया।

    "सुनो आयुषी, मैं हॉस्टल के नीचे हूँ। तुम लोग आ जाओ जल्दी से!"

    "बस बाबा! पाँच मिनट में आ रहे हैं हम। रुको, तुम वहीं रहो, मैं प्रिंस को कॉल कर लेती हूँ।"

    "ठीक है, जल्दी करो!"

    थोड़ी देर बाद आयुषी और निधि नीचे आ गईं।

    आदित्य की लंबी कार देखकर निधि ने कहा,

    "Wow... my dream car!"

    और वह दौड़ कर कार के पास गई और सेल्फी लेने लगी।

    आदित्य बाहर निकला, चश्मा निकालकर पॉकेट में रखते हुए मुस्कराया।

    "Wow यार, तुम तो बड़ी अच्छी लग रही हो कर्ली हेयर में! और ये ब्लैक टॉप... कमाल का लग रहा है!"

    "थैंक्यू आदि..."

    "योर वेलकम!"

    "अब तुम्हारा दोस्त प्रिंस कहाँ रह गया? अभी तक आया नहीं?"

    "बस आता होगा... दरअसल, वो थोड़ा सा 'टिक के' काम करता है, तो टाइम लगाता है।"

    "क्या मतलब 'टिक के' काम करता है? मैं समझा नहीं।"

    "अरे मतलब, वो थोड़े से कामों को सोच-समझकर... स्लोली करता है!"

    "वो बंटी... तेरा साबुन स्लो है... ऐड वाले की तरह?"

    "हाँ हाँ! उसकी तरह!"

    यह कहकर तीनों ज़ोर से हँसने लगे। और पीछे खड़ा प्रिंस यह सब सुन रहा था।

    प्रिंस ने कहा,

    "मैं इतना भी स्लो नहीं हूँ... और शायद अच्छे से सुन सकता हूँ! यार, तुम क्यों किसी के कर्मों का मज़ाक उड़ाते हो?"

    प्रिंस की आवाज़ सुनकर सब पीछे मुड़ गए। आयुषी और निधि घबरा गईं।

    "प्रिंस, ऐसा कुछ नहीं है... प्लीज़ गलत मत समझो! हम तो बस ऐसे ही आपस में बातें कर रहे थे।"

    "हाँ, वो तो दिख रहा है! आज किसी नए के सामने तुम मुझे, यानी अपने पुराने दोस्त की बुराई कर सकती हो। मज़ाक उड़ाकर उस पर हँस सकती हो! कल को तुम और भी बहुत कुछ कर सकती हो!"

    "I am sorry... मुझे नहीं पता था कि मेरा स्लो होना तुम्हारे लिए इतना बड़ा इश्यू है।"

    "जो भी किया... उसके लिए thank you. अब प्लीज़ मुझे जाने दो।"

    यह कहकर प्रिंस वहाँ से चला गया।

    प्रिंस को जाता देख आयुषी और निधि उदास हो गईं, पर आदित्य को उससे कोई फर्क नहीं पड़ा। वह धीरे से बोला,

    "चला गया कबाब में हड्डी... अब इस निधि को कैसे भगाऊँ?"

    "तुमने कुछ कहा क्या आदित्य?"

    "नहीं आयुषी, मैं कह रहा हूँ... बेचारा चला गया बुरा मान के। गलती हमारी भी है, ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। हमें उसे सॉरी बोलना चाहिए।"

    "हाँ यार, तुम सही कह रहे हो। हमने अनजाने में ही सही, पर उसका मज़ाक तो बनाया है। और किसी का मज़ाक बनाना इतना अच्छा नहीं होता। खैर, मेरे पास एक सॉल्यूशन है – क्यों न हम जाकर प्रिंस की फेवरेट चीज़ खरीद लें?"

    "और निधि से कह देते हैं कि वो प्रिंस को मना कर लाए!"

    निधि चिप्स खाते हुए बोली,

    "मैं उसको मनाने जाऊँ और तुम दोनों गाड़ी से जाओगे? ना बाबा ना!"

    "प्लीज़ यार मान जा न नीति... प्लीज़, प्लीज़!" आदित्य ने हल्की सी स्माइल के साथ कहा।

    निधि, उसकी बात मान गई और बालों को कानों के ऊपर करते हुए बोली,

    "तुम्हारे लिए कुछ भी!"

    आदित्य कार का गेट खोला, आयुषी बैठ गई। फिर आदित्य भी बैठा और वे वहाँ से चले गए।

    निधि चिप्स खाते हुए प्रिंस के हॉस्टल की तरफ जाने लगी। तभी उसकी नज़र पास खड़ी आदित्य की कार से भी बड़ी और महंगी कार पर गई। वह हैरान रह गई।

    "Oh my goodness! इतनी लंबी कार?"

    "पहले तो आदित्य की काली कार देखकर मेरा दिल आ गया... अब इसको देखकर तो मेरा लिवर, गुर्दा, फेफड़ा... पूरा शरीर आ गया!"

    "इस पर फोटो तो बनती है! ताकि एक दिन मैं भी ऐसी कार खरीद सकूँ... और आयुषी को दिखाऊँ – देख तेरे जाने के बाद, मैं भी महंगी कार में लिफ्ट लेती हूँ!"

    यह सोचकर निधि सीधे कार की ओर बढ़ गई। जैसे ही वह कार के पास पहुँची, वहाँ दो आदमी बातें कर रहे थे। निधि पास के पेड़ के पीछे छुप गई और उनके हटने का इंतज़ार करने लगी।

    वह सुनती है कि उनमें से एक कहता है,

    "देखो, आज बॉस मेंशन वापस जा रहे हैं। गलती से उन्हें गुस्सा मत दिला देना!"

    "और दूसरी बात... सारी सिक्योरिटी कहाँ है? अगर बॉस को कुछ भी हो गया, तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी!"

    तभी एक और आदमी कहता है,

    "सर, सिक्योरिटी आ रही है। पाँच मिनट में पहुँच जाएगी।"

    "ठीक है, तुम जाओ!"

    तभी तेज़ रोशनी के साथ एक जैसी कई कारें वहाँ आकर उस लाल कार के पीछे लग गईं। फिर उसमें से एक आदमी बाहर निकला – सफेद कुर्ता-पायजामा, हाथों में सोने की अंगूठियाँ और घड़ी, गले में सोने की मोटी चेन और स्टाइलिश चश्मा।

    पूरा का पूरा वह किसी राजा जैसा लग रहा था। उसके पीछे दो बॉडीगार्ड भी थे।

    निधि यह सब देखकर कहती है,

    "भाई... ये कौन है यार!"

    उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था...

  • 17. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 17

    Words: 980

    Estimated Reading Time: 6 min

    (सड़क किनारे भीड़ के बीच...)

    तब तक वह सूट-बूट वाला आदमी कहता है, "क्या हुआ? अभी तक कुंवर सा आए नहीं? क्या?"
    "सुनो, कॉल करो उसे!" जैसे ही उनका बॉडीगार्ड प्रिंस को कॉल करने जा ही रहा होता है, प्रिंस अपने हॉस्टल से इन लोगों की तरफ आता दिखाई दिया।
    उसे आता देख बॉडीगार्ड रुक गया।

    (निधि मन ही मन चौंकती हुई...)
    "प्रिंस...? ये यहाँ क्या कर रहा है? इसका इन लोगों से क्या कनेक्शन हो सकता है...? प्रिंस तो एक गरीब घर से है। वो इन लोगों को कैसे जानता है?"
    फिर वह सोचती है, "नहीं-नहीं... शायद प्रिंस कहीं और जा रहा हो, और ये लोग संयोग से यहाँ खड़े हों। मैं ही बेवजह इमेजिन कर रही हूँ..."

    थोड़ी देर में प्रिंस पास आया और उस आदमी के पैर छुए।
    भीड़ के शोर के कारण निधि को कुछ भी सुनाई नहीं दिया।

    फिर वह आदमी प्रिंस को गले लगाता है।

    तभी वह सूट-बूट वाला आदमी अपने हाथ को ऊपर करता है। पास खड़े सारे आदमी उसके हाथ के इशारे को देखकर सर झुका लेते हैं और शांत हो जाते हैं। उसकी घूरती निगाहों को देख सब पीछे हट जाते हैं।

    फिर वह प्रिंस से कहता है—
    "बेटा, पहले तू अपने असली रूप में आ जा। इस हाल में देखना बहुत तकलीफदेह है। कहाँ तू राजकुमार, इतने बड़े बिजनेसमैन... और कहाँ ये रूप! क्या बन के रह गया है तू!"
    "सुनो, कार में सब कुछ रखा है। जल्दी से खुद को चेंज कर लो। हमें वैसे भी खन्ना साहब के यहाँ मीटिंग में जाना है... और तुम्हारा वहाँ जाना बहुत ज़रूरी है।"

    प्रिंस चिंतित होकर कहता है—
    "पर पापा... अगर मैंने यहाँ कपड़े बदले, तो लोग मुझे देख लेंगे। और आपको पता है, मैं अपना चेहरा भी नहीं दिखाना चाहता!"

    इस पर चंद्रसेन जी (प्रिंस के पापा) ताली बजाते हैं। सभी बॉडीगार्ड्स अपनी पीठ प्रिंस की तरफ करके, सिर दूसरी ओर मोड़कर खड़े हो जाते हैं और चारों ओर से उसे घेर लेते हैं।

    (निधि हैरान होकर फुसफुसाती है...)
    "ओ तेरी...! प्रिंस, इनका बेटा है??"

    "क्या मतलब यार...? फिर इसने हमसे झूठ क्यों बोला...? इतना बड़ा झूठ??"

    "नहीं, अब इससे पहले ये कोई और झूठ बोले... मैं ये सब रिकॉर्ड कर लेती हूँ!"

    (निधि अपने आप से बड़बड़ाती है और फोन का कैमरा ऑन कर देती है।)

    थोड़ी देर बाद, प्रिंस कार से बाहर आता है। उसने ग्रे कलर का सूट पहना हुआ है, बालों में जेल लगाया है... काफी हॉट लग रहा था।

    पर अभी भी निधि उसका चेहरा नहीं देख पाती। थोड़ी देर बाद प्रिंस अपना चेहरा घुमाता है। निधि उसे देखकर शॉक्ड रह जाती है!

    "ये... ये तो वही गोलू-मोलू, धीरे चलने वाला प्रिंस है!!"
    "अब तो पूरा का पूरा बदल चुका है... एकदम किसी स्टोरी का हीरो लग रहा है — हैंडसम, फिट, स्टाइलिश!"

    निधि कुछ पल के लिए जैसे खो ही जाती है...

    फिर प्रिंस अपनी लाल गाड़ी में बैठता है और अपने पापा के साथ वहाँ से चला जाता है।

    (निधि तंज में बोलती है...)
    "बचोगे कहाँ प्रिंस बाबू...? अब तो सबूत हाथ लग गया है!"
    "तुमने इतनी बड़ी बात हमसे छुपाई? जब तुम इतने अमीर थे, तो हॉस्टल में क्यों रहने आए? क्या राज है...?"
    "अब तो जानकर ही रहूंगी, मिस्टर प्रिंस!"


    (दृश्य बदलता है — खन्ना मेंशन)

    प्रिंस और उसके पिताजी की गाड़ी खन्ना मेंशन के सामने रुकती है। वहाँ पहले से इंतज़ार कर रहे लोग उनका स्वागत करते हैं।

    खन्ना साहब हँसते हुए जल्दी से बाहर आते हैं—
    "अरे राजा चंद्रसेन साहब...! कितने दिन बाद पधारे हैं! हम नाचीज़ का प्रणाम स्वीकार करें!"

    चंद्रसेन जी हँसते हुए गले लगते हैं—
    "अरे खन्ना साहब! ऐसे मत कहिए। आप नाचीज़ नहीं... हमारे लिए बहुत मूल्यवान हैं।"

    थोड़ी देर बाद, प्रिंस गाड़ी से उतरता है। उसने मास्क और चश्मा पहन रखा है। चेहरा पूरी तरह ढका हुआ है।

    खन्ना साहब कहते हैं—
    "क्या बेटा...? अब भी चेहरा नहीं दिखाओगे?"

    प्रिंस ठंडी और तीखी आवाज़ में कहता है—
    "आपको हमारे चेहरे से क्या मतलब? आप डील करने आए हैं — डील कीजिए और जाइए।"

    प्रिंस की आवाज़ सुनकर खन्ना साहब थोड़ा घबरा जाते हैं और पीछे हटते हैं।

    फिर प्रिंस कहता है—
    "और खन्ना अंकल, सब खैरियत तो है न?"

    "हाँ-हाँ बेटा, सब ठीक है..." खन्ना जी जवाब देते हैं।

    प्रिंस कड़क स्वर में बोलता है—
    "तो फिर बाहर खड़े-खड़े बिज़नेस डील करनी है क्या? अंदर नहीं बुलाओगे?"

    "सॉरी बेटा! माफ़ी चाहता हूँ। बातों में खो गया। आइए, अंदर आइए!" कहकर वे सभी को अंदर ले जाते हैं।


    (खन्ना मेंशन का हॉल)

    प्रिंस पास पड़े सोफे पर बैठता है। बगल में पिताजी और पीछे दो-तीन गार्ड्स खड़े हैं।

    कुछ देर बाद, एक वेटर पानी लेकर आता है—
    "सर... प्लीज़ थोड़ा पानी ले लीजिए..."

    प्रिंस केवल हाथ का इशारा करता है—"नहीं।"
    वेटर तुरंत पीछे हट जाता है।

    प्रिंस (सख्त लहजे में):
    "खन्ना साहब, खातिरदारी की ज़रूरत नहीं। सीधा मुद्दे पर आइए। डील में क्या दिक्कत है? इतना टाइम क्यों लग रहा है?"
    "आपको अपनी जान प्यारी नहीं क्या?"

    खन्ना साहब घबरा जाते हैं—
    "प्रिंस बाबू, माफ़ कीजिए... एक छोटा-सा अड़चन आ गई है।"

    "क्या अड़चन?"

    "विनोद नाम का एक एम्प्लॉय है... उसके पास एक वीडियो है — जिसमें आप और आपके पिताजी हैं। वह धमकी दे रहा है कि अगर पावर प्लांट उसके गांव से हटाया गया, तो वह वीडियो लीक कर देगा।"

    "उसकी शर्तें?"

    "वह कह रहा है कि उसके गांव के मजदूरों को काम दो और प्लांट वहीं लगाओ। पर उसका गांव ना बिजली से जुड़ा है, ना आबादी है, ना ज़मीन उपयुक्त है।"

    प्रिंस हल्की मुस्कान के साथ कहता है—
    "खन्ना अंकल... छोटे-छोटे मुद्दों से डरने की ज़रूरत नहीं। एक काम कीजिए — विनोद साहब को कॉल कीजिए। हम भी मिल लेते हैं।"

    "कभी-कभी इंसान को खरीदने के लिए ताकत नहीं, बुद्धि का इस्तेमाल करना पड़ता है।"
    "बिज़नेस में साम, दाम, दंड, भेद... सब कुछ लगाना पड़ता है।"

  • 18. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 18

    Words: 1445

    Estimated Reading Time: 9 min

    जी सर, बॉडीगार्ड ने प्रिंस के अनुसार वहीं खड़ा होकर थोड़ी देर में विनोद की बेटी को मैसेज भेज दिया। इसके बाद प्रिंस मुस्कुराते हुए, नकाब के पीछे से तेज़ी से हँसा और बोला, "अब ले जाओ इसको, दफना दो कहीं पर। चलो, इतना रहम कर देता हूँ, 2 गज का कब्र दे देता हूँ।"


    "खन्ना अंकल, ऐसी छोटी-छोटी बातों के लिए ना पापा को परेशान मत किया करिए। बंदूक चलाना सीख लीजिए, वरना नामर्द कहलाएँगे। हमारे भाषा में कहे तो ट्रैफिक पर भीख माँगने वाले से कम ना हो आप।"


    "सब कुछ है पर बंदूक चलाने से डरते हो? यह भूल जाते हो कि आपके ऊपर पापा का हाथ है, यानी कि चंद्रसेन जी का।" प्रिंस खन्ना जी को समझा ही रहा था कि तभी एक गार्ड आकर धीरे से प्रिंस के कान में कुछ कहा।


    यह बात सुनकर प्रिंस अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ। "पापा, अभी हमें चलना होगा। हम आपसे घर पर मिलते हैं। फिलहाल, हम जिस काम के लिए कॉलेज आए हैं, वह तो कर लें।"


    "ठीक है बेटा, जाओ।" यह कहकर दोनों आपस में गले मिले।


    फिर वह खन्ना के वॉशरूम में जाकर अपना हुलिया बदला। फिर से वह मोटा-तगड़ा और चश्मिश, गोलू-मोलू सा, प्रिंस बन गया।


    फिर वहाँ से वह ऑटो पकड़कर सीधा अपने हॉस्टल आ गया। यहाँ निधि उसका गेट पर इंतज़ार कर रही थी। वह चिप्स खाते हुए बोली, "आओ आओ प्रिंस, मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ।"


    "क्या करें? तुम हो ही इतनी स्वीट, इंतज़ार करना पड़ रहा है।" प्रिंस धीरे से बोला। "क्यों? जब मज़ाक बनाया था तब नहीं समझ में आया? अब मक्खन लगाने आ गई?" इस पर निधि अपने बालों को हाथों से घुमाते हुए बोली, "अब अगर कोई अपनी सच्चाई छुपाकर रखेगा प्रिंस, तो मज़ाक तो बनेगा ही। फिर मोटी तो मैं भी हूँ, मेरा क्या मज़ाक नहीं बनता? क्या मैं बुरी मानती हूँ? नहीं ना! तो तुमने क्यों उस बात को बुरा मान लिया?"


    "ये सब छोड़ो, मैं तुम्हें कुछ दिखाती हूँ..."


    निधि ने अपने फोन से वीडियो चलाकर प्रिंस को दिखाया। प्रिंस ने जैसे ही वह वीडियो देखा, उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसके माथे पर सिकन और पसीना होने लगा। उसे देखते ही निधि अपने जेब से रुमाल निकाला। "हेलो, साफ़ कर लो।" और जैसे ही प्रिंस रुमाल से अपना माथा पोछा, उसके सारे काले रंग उसके रुमाल पर आ गए। प्रिंस उसको भी देखकर चौंक गया। इस पर निधि हँसते हुए बोली, "यार, कम से कम मेकअप तो ढंग का ले लिया होता। इतने रहीश हो फिर भी!"


    "इसमें मैंने मेकअप क्लीनर मिलाया हुआ था। मुझे पता था कि तुम कोई और हो।"


    "तुमने इतनी बड़ी बात हमसे छुपाई क्यों?" पर प्रिंस हैरान कम और मुस्कुराता ज़्यादा रहा। वह राक्षसों की तरह तेज़ी से हँसने लगा और उसने बड़े प्यार से निधि के पास जाते हुए कहा, "अभी-अभी एक खून करके आ रहा हूँ। तुम्हें भी मौत के घाट उतार दूँगा! वैसे भी तुम लोगों को भी क्या है? सबको मेरे हाथों ही मरना है। आज तक मेरा सच जिसे जाना है, वह ज़िंदा नहीं रहा, क्योंकि प्रिंस चंद्रसेन सिंघानिया को किसी ने आज तक देखा नहीं, और तुम वह इकलौती लड़की हो जिसने मुझे देखा है। तुम्हारा ज़िंदा रहना मेरे लिए खतरे से खाली नहीं।"


    "देखा, तुमने जरा सा भी कुछ किया तो मैं अभी के अभी पुलिस को कॉल कर दूँगी। लेकिन मेरे पास मत आना, मेरे पास मत आना, वरना मैं शोर मचा दूँगी।"


    प्रिंस ने अपनी जेब से फोन निकाला, उसमें कुछ किया, फिर फोन जेब में डाल दिया। "लगाओ, लगाओ पुलिस को कॉल करो। मैं लगाकर दूँ क्या? रुको!" प्रिंस ने निधि के हाथ से उसका फोन ले लिया और पुलिस कमिश्नर के पास सीधा कॉल लगा दिया।


    निधि: "हेलो, हेलो कमिश्नर, प्लीज़ मुझे इससे बचा लीजिए। यह मुझे मारना चाहता है। यह प्रिंस चंद्रशेखर सिंघानिया मेरे पीछे पड़ा हुआ है।"


    कमिश्नर: "हेलो, तुम्हारी आवाज़ नहीं आ रही... हेलो, आवाज़ नहीं आ रही... तुम्हारी और तुम्हें उससे कोई नहीं बचा सकता। भलाई इसी में है कि जैसा वह कहता है, मान जाओ, वरना अपनी जान से जाओगी। हेलो, फिर से बोलो, तुम्हारी आवाज़ नहीं आ रही... मुझे अगर मेरी आवाज़ तुम्हें सुनाई दे रही हो तो बेटा समझो, उसकी बातों को मानो। एक वही है जो तुम्हें तुम्हारी जान बचा सकता है।"


    निधि यह सुनकर बहुत ज़्यादा डर गई। उसके मुँह से कुछ शब्द नहीं निकल रहे थे। वह प्रिंस के सामने हाथ जोड़ते हुए बोली, "प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो प्रिंस, मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँगी कि तुम कौन हो? क्या हो? मैं भूल जाऊँगी कि तुमको मैंने असलियत में देखा है। और रही बात इस वीडियो की, यह लो, मैं इसको डिलीट कर देती हूँ।" प्रिंस ने उसके हाथ से वह फोन ले लिया और उस फोन को उठाकर पटकते हुए उसे तोड़कर फेंक दिया। उसने इतनी बुरी तरीके से तोड़ा कि मानो उसकी कोई ठीक भी न कर सके।


    निधि यह देखकर रोने लगी। तब तक वहाँ पर फिर से एक काली कार आई। उसमें से एक आदमी बाहर निकला, वह अपने हाथ में एक बैग लिए हुए था। वह बैग प्रिंस को देकर चला गया। प्रिंस निधि को रोते हुए देखा और उससे कहा, "खैर, इतना बुरा भी नहीं हूँ। तुमने मेरी बहुत मदद की है। हाँ, पहली बार जब मैं कॉलेज आया था, तो तुमने मुझसे दोस्ती की। दोस्ती का फ़र्ज़ तो निभाऊँगा। चलो, एक चांस दे देता हूँ, पर गलती से तुमने किसी को कुछ बताने की कोशिश करी तो तुम यह भूल जाना कि तुम्हें ज़िंदा रहने का कोई हक़ है। हमारे आदमियों की नज़र तुम पर हमेशा रहेगी। नज़र ना भी रहे तो मेरी बातों का ख्याल रखना।"


    निधि रोते हुए, डरते हुए धीरे से सर हिलाई। प्रिंस ने अपने हाथ में लिया बैग निधि को दिया और उसकी आँखों से अपने हाथों से आँसू पोछते हुए कहा, "अच्छे बच्चे रोते नहीं। अब से नॉर्मल बिहेव करना है। और जरा सा भी किसी को डाउट हुआ कि तुम मुझसे दूर भाग रही हो या फिर कुछ ऐसा कर रही हो जैसे पहले थी, अगर वैसा रिएक्ट नहीं किया तो!" वह सीटी बजाते हुए गले पर चाकू मारने का इशारा किया। "बाकी तुम समझदार हो निधि।"


    "चलो अब जल्दी से रोना बंद करो और इस बैग में देखो क्या है, तुम्हारे लिए सरप्राइज है।" निधि अपनी आँखों से आँसू पूछते हुए इस बैग में हाथ डाला तो देखिए उसमें एक iPhone था। वह देखकर खुश तो होना चाहती थी पर उसके डर के आगे खुशी जैसे आई ना रही थी।


    फिर उसने और हाथ डाला तो उसके पास iPhone की तरह Apple कंपनी का वॉच, चार्जर और AirPods, ऐसे ढेर सारे सामान थे। प्रिंस मुस्कुराते हुए बोला, "इतना तो काफी कीमत है ना तुम्हारे मुँह को बंद करने के लिए? कहाँ वह तुम्हारा सस्ता सा फोन, कहाँ ये तुम्हारे लिए iPhone? चलो अब अच्छे दोस्तों की तरह बिहेव करो और मुझे कॉफ़ी तुम अपने पैसे की पिला रही हो।" निधि ने फिर धीरे से सर हिलाया और हल्के से मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई। फिर प्रिंस निधि से बोला, "देखो, मैं इस कॉलेज में बहुत बड़े मकसद से आया हूँ और मैं इतना बुरा भी नहीं हूँ। सो यह बात किसी को बताना मत।"


    फिर निधि ने हिम्मत करके उससे कहा, "एक बात बताओ, तुम्हीं ने आयुषी को बचाया था ना? वह नीली आँखों वाले तुम ही थे ना, जिसने प्रिंसिपल को... मेरा मतलब डीन को डाँट लगाई थी?"


    "हाँ, वह मैं ही था। और मुझे पता है कि तुम लोगों ने मुझे देख लिया था। इसलिए मैं आते टाइम मुझे रास्ते में आदित्य टकराया और मैंने वह जैकेट आदित्य को दे दिया। पर गलती से इस बात का भनक आयुषी के सामने कभी मत करना।"


    "हाँ, हाँ, मैं इस बात का जिक्र आयुषी के सामने कभी नहीं करूँगी। I promise, मुझे ज़िंदा रहना है। प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो।"


    Umm that's good desion...


    यह कहते हुए प्रिंस मुस्कुराता हुआ निधि के साथ चला गया। फिर निधि बोली, "चलो, आदित्य और आयुषी हमारा वेट कर रहे होंगे, हमें वहाँ पर चलना चाहिए।"

  • 19. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 19

    Words: 1271

    Estimated Reading Time: 8 min

    फिर वे सब होटल कैफे के पास पहुँचे। वहाँ पहुँचकर निधि ने आयुषी को कॉल किया। आयुषी ने कॉल पिक करते हुए कहा, "कहाँ पर है तू?" "अरे बाबा, आ गए हम लोग। तुम लोग कहाँ पर हो?" इस पर आयुषी ने कहा, "मैं अंदर बैठी हूँ। तुम गेट से सीढ़ी टेबल नंबर 3 पर आओ।" "ठीक है, हम आते हैं।"


    निधि और प्रिंस सीधा गेट से होटल के अंदर गए। टेबल नंबर 3 पर पहुँचकर देखा तो आदित्य और आयुषी वहाँ बैठे हुए थे।


    प्रिंस और निधि वहाँ जाकर बैठ गए। इस पर आदित्य ने कहा, "यार, इसको ब्यूटी पार्लर लेकर गई थी या फिर मनाने लगी गई थी? डेढ़ घंटे लेट आ रहे हो तुम दोनों।" इस पर आयुषी ने आदित्य को डाँटते हुए कहा, "चुप कर जा आदित्य! हर टाइम मज़ाक अच्छा नहीं लगता।" "सॉरी, सॉरी। मैं बस मूड लाइट करने के मन से ऐसा बोल रहा था।"


    "हाँ, निधि कहाँ रह गई थी? इतना लेट कैसे हो गया?" "अरे Ayushi, प्रिंस कहीं चला गया था और उसको आने में थोड़ा सा टाइम लग गया। वह आया, फिर मैंने उससे बात की और हम यहाँ पर आए।"


    "चलो कोई नहीं।" प्रिंस ने कहा, "I am sorry 😔। मेरा कोई इंटेंशन नहीं था तुम्हें हर्ट करने के लिए।" "हेलो, यह क्या है? मैं नाराज़ नहीं हूँ तुमसे। इतना तो होता रहता है। चिल यार।" प्रिंस की बात सुनकर आयुषी ने कहा, "एक छोटा सा गिफ्ट है मेरी तरफ से। प्लीज़ रख लो। प्रिंस, मना मत करना।"


    प्रिंस ने जैसे ही गिफ्ट हाथ में लिया, तभी आदित्य ने कहा, "उसको खोलकर नहीं देखोगे? देखा तो लो, तुम्हारे बजट में है, रिटर्न करने के लायक हो या नहीं?" फिर आयुषी आदित्य को घूरने लगी। "अरे बाबा, मैं मज़ाक कर रहा हूँ। खोलकर तो देखो सही।"


    इधर निधि अपने मन में कहती है, "इस आदित्य को अपनी जान प्यारी नहीं क्या? पैसे का कुछ ज़्यादा घमंड, वह भी किसके आगे दिख रहा है? फिर मुझे क्या? मुझे तो मुँह बंद रखना है। मुझे मेरी जान बहुत प्यारी है।" फिर प्रिंस ने उस बॉक्स को ओपन किया। उसमें एक ब्रांड न्यू वॉच थी। वह वॉच ब्लैक कलर की थी और काफी अच्छी लगी।


    फिर आदित्य ने टोकते हुए कहा, "ज़रा ध्यान से देखना, उसमें प्राइस टैग भी लगा हुआ है।" आयुषी फिर गुस्से से आदित्य की तरफ़ बोली, "मैं तुमसे कहा था ना, प्राइस टैग हटा देना। फिर तुमने हटाया क्यों नहीं?"


    "अरे आयुषी, chill... लोगों को एहसास तो होने दो, वह हमारे लिए कितने कीमती है।" इसमें प्रिंस हल्का सा मुस्कुराकर आदित्य से कहता है, "दोस्ती कभी पैसों से नहीं खरीदी जाती। और तुम्हें लगता है कि प्राइस टैग मेरे लिए वैल्यू रखता होगा, तो यह घड़ी तुम रिटर्न ले लो।" फिर आदित्य कहता है, "अरे बाबा, एक बार प्राइस टैग तो देखो तो।" प्रिंस ने टैग देखा। उस पर ₹20000 का प्राइस टैग लगा हुआ था।


    "आयुषी, इतनी महँगी घड़ी लेने की क्या ज़रूरत थी? और तुम्हारे पास इतने पैसे आए कहाँ से?"


    "बाबा, तुम उसकी टेंशन ना करो। यह घड़ी काफी स्पेशल है, हमारी फ़्रेंडशिप की निशानी है। और तुम आदित्य की बातों में ध्यान मत देना। और इस प्राइस टैग के लिए मैं माफ़ी चाहूँगी।"


    आयुषी यह कहते हुए उस प्राइस टैग को निकालती है और अपने हाथों से घड़ी प्रिंस के हाथों में डाल देती है। फिर आदित्य, तानों के तीर छोड़ते हुए कहता है, "हाँ, घड़ी तो मानो प्रिंस के शरीर से मिल रही है, पता ही नहीं चल रहा कि उसने घड़ी पहनी हुई है। पर अच्छा लग रहा है प्रिंस तुम्हारे हाथों में।" वह इसी बहाने प्रिंस के काले रंग पर प्रश्न कर रहा था।


    प्रिंस गुस्से में वहाँ पर पड़े ग्लास को कस के दबाने ही वाला होता है कि निधि उसका हाथ पकड़ लेती है। निधि उसे इशारा करती है। प्रिंस फिर से शांत हो जाता है।


    तब तक आयुषी का ध्यान निधि के हाथ में लिए उसके फ़ोन पर जाता है। वह उसे देखकर कहती है, "Wow, iPhone dude... किसने दिया तुझे?"


    यह देखकर निधि थोड़ी सी घबरा जाती है। निधि पहले कुछ बोलती, इससे पहले प्रिंस आयुषी से कहता है, "मैं यही तो लेने गया था। दरअसल, निधि के फैमिली से किसी ने यह भेजा था और यह इसके लिए सरप्राइज़ था।"


    "उस दिन निधि के कॉल पर कॉल आया। Luckily, मैंने उसका कॉल उठा लिया था। तो उन्होंने मुझे सब कुछ बता दिया था, अंकल जी ने। एड्रेस देते हुए बोले कि वहाँ पर आकर ले लेना। तो बस उसे ही लेने के लिए गया था।"


    "मुझे लगा कि थोड़ा सा एनवायरमेंट चेंज रहेगा, तो निधि को सरप्राइज़ करूँगा, तो ज़्यादा मज़ा आएगा। पर खैर, कोई नहीं।"


    तो फिर निधि भी प्रिंस की हाँ में हाँ मिलाने लगती है, "हाँ, वह दादा ने यह भिजवाया मेरे लिए।"


    इस पर आयुषी कहती है, "Wow यार, you are so lucky! यह बहुत अच्छी है। तो आज का बिल तू दे रही है ना, फिर iPhone जो लिया है?" "हाँ हाँ, मैं ही दूँगी।"


    "आयुषी, तो बताओ तुम्हें क्या खाना है? मेन्यू से ऑर्डर कर लो।" आयुषी वेटर को बुलाते हुए कहती है, "Excuse me." "Yes ma'am, how can I help you?" "हमें ऑर्डर देना था।" "Ya sure ma'am, दीजिए, क्या लाना है?" "चार कोल्ड कॉफी और पाइनएप्पल पिज्ज़ा। और guys, तुम लोग को क्या खाना है?" इस पर निधि कहती है, "मेरे लिए एक सैंडविच, एक बर्गर।" प्रिंस कहता है, "मुझे बस कोल्ड कॉफी चाहिए और चीज़ पिज्ज़ा मँगा सकते हो तो मँगा लो। और आदित्य, तुम क्या लेना पसंद करोगे?" आदित्य मुस्कुराते हुए कहता है, "आयुषी, मैं जो तुम खा रही हो वही टेस्ट करना चाहूँगा। पाइनएप्पल पिज्ज़ा।" "चलो ठीक है। भैया, आप जल्दी लेकर आइएगा।" "Ji ma'am, हम जल्दी ही करेंगे।"


    उनका ऑर्डर आ ही रहा होता है कि पास पड़े मैगज़ीन को आयुषी उठाती है और उस मैगज़ीन के कवर पेज को दिखाते हुए कहती है, "प्रिंस चंद्रसेन सिंह के बारे में सुना है क्या तुम लोगों ने? टॉप क्लास बिज़नेसमैन है, hunk, हैंडसम, टॉल एंड हॉट। बट आज तक किसी ने उसका चेहरा नहीं देखा। अपना चेहरा क्यों छुपाता है लोगों से वो?"


    "बहन, तू जिसकी बात कर रही है, वहीँ पर है।" निधि ने आयुषी की बात पूरी होने से पहले ही यह बात कह दी।


    यह सुनते ही प्रिंस पानी पी रहा था, उसे खांसी आने लगती है। निधि फिर से अपनी जीभ को अपने दाँतों से दबाते हुए आयुषी से पूछती है, "क्या कहना चाह रही हो तुम? वह यहाँ पर कैसे?" "अरे, मतलब यह मैगज़ीन में है, तो यहीं पर हुआ ना? और ऐसे भी, वह मेरा क्रश है। वह तो जहाँ-जहाँ मैं, वहाँ वह मेरे दिल में राज करता है।"


    "वह बिना देखे क्रश बना लिया महारानी ने।" "अरे, पैसे वाला है, तो क्रश बना ही लेंगे ना? देखना-ना-देखना एक साइड है।" निधि की बात सुनकर आयुषी कहती है, "वो भाव भी न देगा तुझे। जाने दे।"


    फिर प्रिंस की तरफ़ देखते हुए निधि ने धीरे से अपने कान को हाथों से छुआ और मतलब उसने उससे माफ़ी माँगी। प्रिंस ने अपनी पलकें दो बार झपकाईं। उसके बाद वे लोग फिर बात करने में बिज़ी हो गए।


    पर आदित्य का ध्यान प्रिंस और निधि पर था।


    क्या आदित्य जान पाएगा निधि और प्रिंस के बीच की बातें?


    और क्या मकसद था प्रिंस का, उसे कॉलेज में आना?


    क्या खुल जाएगा आयुषी के सामने प्रिंस का राज? और क्यों छुपा रहा है प्रिंस आयुषी से वह राज?

  • 20. Billionaire And there Deadly Obsession. - Chapter 20

    Words: 1206

    Estimated Reading Time: 8 min

    "वह बिना देखे क्रश बना लिया महारानी ने," "अरे पैसे वाला है तो क्रश बना ही लेंगे ना, देखना-देखना एक साइड है," निधि की बात सुनकर आयुषी ने कहा, "वो भाव भी नहीं देगा तुझे, जाने दे।"

    फिर प्रिंस की तरफ देखते हुए निधि ने धीरे से अपने कान को हाथों से छुआ और मतलब उसने उससे माफी माँगी। प्रिंस ने अपनी पलकें दो बार झपकाईं। उसके बाद वे लोग फिर बात करने में व्यस्त हो गए।

    पर आदि का ध्यान प्रिंस और निधि पर नहीं था।

    तब तक वेटर ऑर्डर लेकर आ गया। फिर उसने उसे सर्व करके वहाँ से चला गया।

    तब तक अचानक आदित्य का फ़ोन बजने लगा।
    "Excuse me guys..."

    यह कहकर आदित्य उसे कॉल अटेंड करने चला गया। "हेलो? कौन?", "चुपचाप अभी के अभी वॉशरूम में आओ।" यह कहकर फ़ोन कट गया।

    आदि थोड़ा सा कन्फ़्यूज़ था। उसने वहाँ आयुषी से कहा, "तुम लोग शुरू करो, मैं आता हूँ।"
    "कहाँ जा रहे हो, आदि?"
    "अरे, वॉशरूम।"
    "ओह, ohk। जल्दी आना, हम वेट कर रहे हैं।"
    "हाँ, बस यूँ गया और यूँ आया।"

    यह कहकर आदि वहाँ से चला गया।

    आदित्य सिटी बजाते हुए वॉशरूम की तरफ बढ़ ही रहा था कि अचानक उसे किसी के हाथों का एहसास उसके कंधे पर हुआ। वह पीछे मुड़कर कुछ समझ पाता, उससे पहले ही वह आदमी उसे खींचकर एक कमरे में ले गया। और उसका खींचना इतना तेज था कि आदित्य को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला। आदित्य कुछ बोल पाता, उससे पहले ही उसने उसका मुँह दबा दिया।

    फिर आदि ने जैसे ही अपने हाथों से उसके नकाब को हटाया और उसे देखकर चौंक गया। "तुम यहाँ क्या कर रही हो? अगर गलती से भी किसी ने तुम्हें देख लिया तो सारे प्लान पर पानी फिर जाएगा। मेरा सारा पैसा, मेरा सारा धन-दौलत, सब दांव पर लगा है।"

    "और तुम क्या चाहती हो? कि हम गरीब हो जाएँ, कंगाल हो जाएँ? और जीत जाने दे उसको? तुम्हें मैंने मना किया था ना, मेरा पीछा मत करना।"

    "हाँ, मैं तुम्हारा पीछा नहीं करती, पर मैं तुम्हारी आदतें भी जानती हूँ। शायद तुम भूल रहे हो, कभी मैं भी कुछ और थी, और तुम्हारी भी कोई और थी। पर उन बातों को करने का कोई फ़ायदा नहीं है। नहीं, तुम उस लड़की से दूर रहो। तुम्हें पता है ना, वह लड़की तुम्हारे लिए खतरा है।"

    इस पर आदित्य डेविल हँसी में बोला, "खतरों से खेलने में ही मज़ा है। और तुम शायद भूल रही हो कि जब अपने पास दुरूप का इक्का हो, तो परेशान नहीं हुआ करते। खतरे को काटने के लिए खतरे का ही इस्तेमाल करना पड़ता है।"

    "क्या मतलब? कहना क्या चाहते हो तुम?"
    "अरे मेरी जान, जैसे शीशा शीशे को काटता है, वैसे ही दुश्मन दुश्मन को काटेगा!"

    "पर तुम ही सब कैसे करोगे? और अगर गलती से उसकी भनक लग गई तो तुम्हारी जान खतरे में चली जाएगी!" इस पर आदित्य फिर हँसने लगा। "भूलो मत, मैं आदित्य हूँ। आदित्य। मैं अपना हक़ लेना जानता हूँ, और अपनी माँ का बदला तो लेकर रहूँगा। प्रिंस के पिताजी ने जो किया, वो सही नहीं था। अब उनसे इतना गहरा रिश्ता है मेरा, तो पॉलिटिक्स तो मेरे खून में भी दौड़ती है।" इससे पहले कि आदि कुछ और बोलता, वह लड़की उसका मुँह दबाते हुए बोली, "ज़रा धीरे बोलो, दीवारों के भी कान होते हैं। कुछ बातों को छुपाकर रखो तो ही बेहतर होता है।"

    तब तक एक आदमी बाहर से बोला, "कौन है वहाँ पर?"
    "कौन?"
    "अभी तुम यहाँ से जाओगी। किसी ने हम दोनों को साथ देख लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी। तुरंत जाओ।"

    वह लड़की वहाँ की खिड़की से भाग गई। दरवाज़ा खोलकर आदमी बोला, "सर, आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"

    "सॉरी, मैं गलती से वॉशरूम की जगह यहाँ पर आ गया।"
    "इट्स ओके सर। वॉशरूम आगे से राइट है।"
    "थैंक यू।"
    "योर वेलकम सर।"

    प्रिंस सिटी बजाते हुए आकर टेबल पर बैठा और आयुषी से बोला, "यार, यह पाइनएप्पल पिज़्ज़ा दिखने में तो टेस्टी लग रहा है।"
    "Can I take one slice...?"

    "हाँ, क्यों नहीं? लो। और फिर कोल्ड कॉफ़ी। और जल्दी से ख़त्म करो, हमें लेट हो रहा है। वरना हॉस्टल का गेट बंद हो जाएगा और वार्डन से भाई-बहस करने में हमारी तो हालत ख़राब हो जाएगी। ठीक है? चलो।" आदि ने आयुषी से कहा।

    "चलो, आयुषी, तुम और आदित्य आगे चलो। हम और प्रिंस बिल भर के आते हैं।"

    "ओके, ठीक है। जैसा तुम्हारा इच्छा। निधि, हम तुम्हारा बाहर वेट कर रहे हैं।" यह कहकर आयुषी आदित्य के साथ जाने लगी। पर आदित्य अब फिर से मुड़कर प्रिंस और निधि को ही देख रहा था और अपने दिमाग में सोच रहा था कि अचानक से इनके अंदर इतनी बॉन्डिंग कहाँ से आ गई?

    प्रिंस निधि के साथ काउंटर पर बिल जमा ही रहा था कि उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। प्रिंस पीछे मुड़कर देखा, फिर से वहाँ पर कोई नहीं दिखा।

    प्रिंस ने धीरे से अपना फ़ोन निकालकर उसका कैमरा ऑन करके देखा, तो एक नकाबपोश उसके पीछे खड़ा हुआ उस पर नज़र बनाए हुए था। उसने निधि से इशारा किया, पर निधि उसका इशारा समझ नहीं पाई।

    इस पर उसने निधि से कहा, "तुम चुपचाप यहाँ आदि और आयुषी को लेकर रहो। मुझे थोड़ा सा काम है। कुछ भी बहाना बना लेना, पर तुम संभाल लेना, ठीक है?"

    "Ok, मैं...मैं कोशिश करती हूँ।"

    फिर प्रिंस पीछे मुड़ा। वह जानबूझकर नकाबपोश के बगल से निकल गया ताकि नकाबपोश को यह न लगे कि प्रिंस ने उसको देख लिया है। वह नकाबपोश प्रिंस का पीछा ही कर रहा था कि प्रिंस अपना फ़ोन निकालकर कुछ टाइप करता है। थोड़ी दूर आगे जाने पर जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, नकाबपोश गायब हो गया था। प्रिंस हल्की सी स्माइल देता है और वहाँ से चला जाता है।

    इधर, निधि कार में आकर बैठती है, तो उससे आयुषी पूछती है, "प्रिंस कहाँ रह गया?"

    "अरे, चलो, उसके घर से कोई कॉल आया था। वह किसी काम से गया हुआ है। वह हमें कल मॉर्निंग में क्लास जाते टाइम मिल जाएगा।"

    "क्या इस बंदे का क्या करें?" तब तक आदित्य शीशे में देखते हुए निधि की तरफ देखता है। "निधि, कुछ ज़्यादा ही नहीं तुम्हारी प्रिंस के साथ बॉन्डिंग बन रही है? क्या बात है?"
    "क्यों? अब दोस्ती करने में भी कोई प्रॉब्लम आ गई क्या? आदित्य, मैं स्टैंडर्ड देखकर तो दोस्ती नहीं करती, तुम्हारी तरह। और उससे बॉन्डिंग बन रही है तो कोई प्रॉब्लम है तुम्हें?"
    "मैंने तुमसे पूछा, तुम किससे बात कर रही हो या किससे दोस्ती कर रही हो?"

    "नहीं, मुझे क्यों प्रॉब्लम होगी?"

    "तो बन रही, बनने दो ना। तुमसे पहले वह हमारी लाइफ़ में आया है, और वह हमारा अच्छा दोस्त भी है। तुम्हें कितने दिन हो रहे हैं?"