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गुनाह –ए –मोहब्बत

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कनिका — एक मासूम लड़की, जिसकी जिंदगी एक पल में बदली जब उस पर लगे आरोपों ने उसे हर किसी से दूर कर दिया। युग — एक कड़क पुलिस अफसर, जो सच की तह तक जाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। लेकिन जब युग को शक होता है कि कनिका उसका दुश्मन है, तो उनका रिश्...

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युग कपूर

Hero

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कनिका सिंघानिया

Heroine

Total Chapters (18)

Page 1 of 1

  • 1. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 1(प्रोमो)

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    " ...सुबह का समय.... चिलचिलाती धूप में एक लड़की शादी का जोड़ा पहने कोर्ट के अंदर भाग रही थी, उसने रेड कलर का बहुत प्यारा जोड़ा पहना हुआ था, उसने अपने सर पर एक पिंक कलर का दुप्पटा डाला हुआ था जो आधे से ज्यादा जमीन को छू रहा था, उसने अपने लहंगे को दोनो हाथो से ऊंचा पकड़ा हुआ था...!"

    " वो लड़की भाग कर कोर्ट में आई, और वाह बैठे वकील को देख कर बोली, लीजिए ये पेपर्स...!" पेपर्स आगे टेबल पर रखते हुए...!"

    वकील — आप के हसबैंड नही आइए, मतलब जिनसे आप की शादी होने वाली है वो..!" 

    ".... उम्म्म अभी आ रहे है, इतना बोल वो लड़की उस टेबल के पास खड़ी हो गई...!"

    " धीरे धीरे में आधा घंटा निकल गया था, वो लड़की अपने सर पर हाथ रखे किसी को लगातार फोन कर रही थी, उसने चारो और देखा तो कुछ कपल वाह आ गए थे, उस वकील ने उस लड़की को देख कर कहा...!"

    "... प्लीज आप थोड़ा जल्दी बुला ले ,और भी लोग है, वकील ने इतना कहा और फाइल में कुछ काम करने लगा...!"

    " वो लड़की वही खड़ी होकर किसी को लगातार फोन कर रही थी, लेकिन दूसरी और से फोन में रिंग तो जा रही थी, लेकिन किसी ने भी फोन रिसीव नहीं किया...!"

    एक लड़का— प्लीज आप थोड़ा जल्दी कर ले, और साइड होकर फोन कर ले पहले हमारा नंबर आ जाने दे आप..!"

    "उस लड़की ने एक आस से सब को देखा और थोड़ा साइड जेसे ही हुई की,उसकी नजर सामने से आ रहे एक लड़के पर पड़ी जिसने पुलिस की वर्दी पहनी हुई थी, उस लड़की ने आगे बढ़ कर उस लड़के का हाथ पकड़ा और कहा....!" इतना लेट केसे हो गए चलो ना शादी कर लेते है, कहा रह गए थे तुम...!"

    " उस लड़के ने उस लड़की को देखा और अपना हाथ दूर करके कहा...." हाथ छोड़ो मेरा...!" मिस्टर पांडे अरेस्ट कीजिए इन्हे..!"

    " उस लड़के के मुंह से अरेस्ट का सुन उस लड़की का ध्यान उसकी ड्रेस पर गया तो एक पल को वो लड़की हक्की बक्की रह गई उसकी आंखो में तुरंत आंसू आ गए उसने उस लड़के की और देख का कहा...!"

    ".... ये  क्या मजाक है ... हम यहां शादी करने आए है और तुम मेरे साथ इतना घटिया मजाक कर रहे हो,...!"


    " पांडे जी ने जेसे ही उस लड़के की बात सुनी तो लेडीज कांस्टेबल को इशारा किया तो उस लेडीज ने उस लड़की के हाथ में हतकडी लगा दी..!" उस लड़की ने अपना हाथ देखा और उस लड़के की और देख कर कहा...!" सब झूठ था... तुम मुझसे प्यार नही करते थे, तुमने नाटक किया मेरे साथ प्यार का, सब झूठ था, तुम पुलिस वाले हो, तुमने मुझसे ये बात छुपाई, मेरा प्यार , विश्वास सब तोड़ दिया, तुम मुझे कुछ भी करने को बोलते ना तो में तैयार थी, लेकिन तुमने तो खेल खेल लिया मेरे साथ...." सच में पुलिस वालो में दिल नही होता, ये पत्थर दिल इंसान होते है, सब कुछ खत्म हो गया...!" एक बार बोल दो, ना की सब झूठ था, तुम्हारा मेरे लिए प्यार भी पांच महीनों में तुम्हे मुझसे प्यार नही हुआ...!" अपने हाथो को छुड़ाकर उसके कॉलर को पकड़ कर...." मेरी आंखों के देख कर बोल दो ना...!"

    " उस लड़के ने उस लड़की की और एक बार भी नही देखा था, उसने अपनी नजरे फेर ली, उस लड़की ने उस लड़के को देखा और एक स्माइल के साथ रोते हुए उसके पैरो को पकड़ कर नीचे जमीन पर बैठ गई और रोने लगी...!"


    " उस लड़के ने एक बार भी उस लड़की और नही देखा था उसके फेस पर कोई भाव नहीं थे उसने नीचे झुक कर उस लड़की का हाथ पकड़ा और घसीटते हुए बाहर ले जाने लगा...!"



    राझण ढूड़न मैं चलिया
    राझण मिलया ना ये
    जिगरा विच अगन लगा के
    रब लक़ीरां विच लिख दी जुदाई

    खो गया, गुम हो गया
    वक़्त से चुराया था जो
    अपना बनाया था, हो तेरा, वो मेरा
    वक़्त से चुराया था जो
    सपना सजाया था

    " कोर्ट के सभी लोग उन दोनो को देख रहे थे, उस लड़की ने एक नजर चारो और देखा और खुद को संभालने की कोशिश करने लगी, उसके सर का दुप्पटा जमीन पर घिस रहा था, उसके लहंगे में उसका पैर बार बार आ रहा था, उस लड़के ने उस लड़की का हाथ कस कर पकड़ा हुआ था जिससे उसकी चूड़ियां टूट कर उसके हाथो में घुस चुकी थी जिससे उसके कोमल हाथों से खून बह रहा था...!" फिर भी वो लड़की आंखो के आंसू लिए उस लड़के को बार बार आवाज दे रही थी...!"



    चदरिया जीनी रे जीनी
    चदरिया जीनी रे जीनी
    आँखें भीनी ये भीनी ये भीनी
    यादें झीनी रे झीनी रे झीनी
    चदरिया जीनी रे जीनी
    चदरिया जीनी रे जीनी
    हे आँखें भीनी ये भीनी ये भीनी
    यादें झीनी रे झीनी रे झीनी

    ऐसा भी क्या मिलना, साथ हो के तन्हा
    ऐसी क्यों सजा हमने है पाई
    रांझणा वे, फिर से मुझे जीना
    तुझ पे है मरना
    फिर से दिल ने दी है ये दुहाई
    साजना वे, लकीरों पे लिख दी क्यों जुदाई

    हो ग़ैर सा हुआ खुद से भी, ना कोई मेरा
    दर्द से कर ले चल यारी, दिल ये कह रहा
    खोलूं जो बाहें, बस ग़म ये सिमट रहे हैं
    आँखों के आगे, लम्हें ये क्यों घट रहे हैं
    जाने कैसे कोई सहता जुदाइयाँ

    चदरिया झीनी रे जीनी
    चदरिया झीनी रे जीनी
    आँखें भीनी ये भीनी ये भीनी
    यादें झीनी रे झीनी रे झीनी
    चदरिया झीनी रे जीनी
    चदरिया झीनी रे जीनी




    " वो लड़की उस लड़के के पीछे चली जा रही थी, उस लड़के ने सामने देखते हुए गाड़ी का गेट खोला और खुद आगे आकर बैठ गया, लेडीज कांस्टेबल ने उस लड़की को बैठाया और वो जिप वह से चली गई...!"




    Coming soon........



    आशा करती हूं ये स्टोरी भी और स्टोरी से ज्यादा आप सब को पसंद आएगी, एक ऐसी कहानी जो दो दिलों को करीब लाकर जुदा करेगी, क्या खेल होगा इसमें क्या, मिल पाएंगे ,या नफरत की आग ले आयेगी दोनो को दूर.......



    रिया पाराशर

  • 2. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 2

    Words: 1018

    Estimated Reading Time: 7 min

    दिल्ली........


    "  गहराती रात में सड़क पर सिर्फ आवाज आ रही थी  तो, किसी के सिसकने की, और भागने  कि, दिल्ली की ये कोई सुनसान सड़क थी, जहा एक दो ही गाड़ियां गुजर रही थी, तो वही पर एक लडकी दुल्हन के जोड़े में नंगे पांव दौड़े जा रही थी, उसकी आंखो से बेशुमार आंसू निकल रहे थे, उस लड़की ने पिंक कलर का दुल्हन का जोड़ा, पहना हुआ था उसके बालो का जुड़ा अब पूरी तरह से खुल चुका था, उसके हाथो में कुछ ही चूड़ियां बची थी उसके हाथो से हल्का हल्का खून आ रहा था, और उसके सर पर भी हल्का सा खून निकल रहा था!" ...... वो लड़की लगातार भागे जा रही थी, की तभी अचानक आ रही मोटरसाइकिल से उसकी टक्कर हो गईं...." अचानक से हुई इस टक्कर से और इन सब भाग दौड़ से थकने की वजह से वो लड़की गिरते ही बेहोश हो गई थी, बाइक पर बैठे लड़के ने अपने फेस से हेलमेट हटाया और हेलमेट को गाड़ी पर रख जल्दी से उतरकर उस लड़की के पास आया और उसे उठाते हुए बड़बड़ाने लगा,....!" ओह हेलो मिस मोहतरमा..... उठिए... मेरी ही बाइक मिली थी क्या...!" हे भगवान.... अब क्या करू..... इतना बोल उस लड़के ने उस लड़की के गाल पर हाथ रखा और उसकी और देखने लगा कुछ देर देखने के बाद  उसने उसे गोद में उठाया और उसके सर से दुप्पटा लेकर अपनी पीठ से उस लड़की को बांधा और बाइक पर बैठकर अपना हेलमेट लगा लिया!"  क्या मुसीबत है यार..... अच्छा खासा मुशीबत में पड़ गया!" कहा लेकर जाऊ इस लड़की को....!" ओह गॉड.... इतना बोल वो लड़का अपनी बाइक की स्पीड तेज करता है और कुछ ही देर में उसे एक घर के बाहर लाकर गाड़ी रोकता जाइए और उस लड़की को अपनी गोद में लेकर अंदर चला जाता है, उस घर में काम कर रहे एक नौकर ने जब उस लड़के की बाहों में एक लड़की को देखा तो उसने अपना काम छोड़ा और उस लड़के के पास आकर कहा...." कुछ चाइए क्या साहब जी....?" उस नोकर का सवाल सुनकर उस लड़के ने अपनी गर्दन को ना में हिलाया और उस लड़की को अपने साथ एक रूम में ले आया और उसे बेड पर लिटा दिया....!"


    " वो लड़की अभी भी बेहोश थी, उसकी हालत सच मे खराब हो रखी थी, सर से पहले से खून निकल रहा था, और अब गाड़ी से टकराने की वजह से और ज्यादा निकलने लगा था!" उस लड़के ने उस लड़की को ध्यान से देखा और वाह से चला गया....!" कुछ ही देर में वो लड़का वापस आया उसके हाथ में एक टावल और पानी का बाउल था, वो लड़का उस लड़की के पास बैठा और उसके माथे पर से टॉवल को गीला करके साफ करने लगा, उसने उसके फेस को साफ किया और  पास ही के ड्रॉर से बैंडेज निकाल के उस लड़की के माथे पर लगा दी...!" वो लड़का लगातार उस लड़की को देख रहा था!" उसने डॉक्टर को फोन कर दिया था, तब तक डॉक्टर भी आ चुके थे, उन्होंने उस लड़की को चेक किया और उस लड़के की और देख कर कहा...." युग.... थकान की वजह से और स्ट्रेस की वजह से ये लड़की बेहोश है, लेकिन इसे देखकर लग था है, जेसे इसे कई दिन से खाने पीने को ना दिया गया हो.... और इसे जेसे मारा गया हो....!" देखो इसके फेस पर ये निशान...!" डॉक्टर के इतना बोलते ही युग ने उस लड़की की और देखा जो इन सब से बेफिक्र होकर सोई हुई थी, युग ने उस लड़की से तुरंत अपनी नजरे फेर ली...!" और डॉक्टर की और देखकर कहा...." इसे कितनी देर में होश आ जायेगा डॉक्टर...?" युग का सवाल सुनकर डॉक्टर ने युग को एक पर्ची थमाई और कहा..." मेने एक इंजेक्शन दे दिया है, ये ठीक हो जाएगी और रही बात होश में आने की तो इंजेक्शन की वजह से ये सोई हुई है, कुछ देर में इसे होश आ जायेगा...!" मैं चलता हूं कुछ और प्रॉब्लम हो तो आप मुझे बुला लीजिएगा!" इतना बोल वो डॉक्टर वाह से चले गए!"


    "युग ने उस लड़की को एक अजर वापस देखा, और वाह से निकल के अपने रूम में आ गया  था, उसने अपनी कमर पर हाथ  रखा हुआ था, और वो लगातार अपने रुम में इधर से उधर चक्कर निकाल रहा था!" उसने एक हाथ अपने कमर और एक हाथ अपने मुंह पर रखा और खुद से ही बड़बड़ाने लगा...." कोन है ये लड़की..... ओह गॉड में किसी मुसीबत में तो नही पड़ गया ना.... इसे जेसे ही होश आया है मैं इसे यहां से रफा दफा करता हूं....!" इतना बोल उसने अपने फेस से हाथ हाय और बेड आर बैठ गया और वैसे ही बेड पर लेट गया!" 

    " अचानक हुई दरवाजे पर खटखटाहट से उस लड़के की आंख खुल गई थी, उसने उठते हुए दरवाजे की और  देखा और उठ कर दरवाजा खोला तो वाही नोकर खड़ा हुआ था...!" उस नोकर ने युग को देखा और कहा..." साहब जी खाना लगा दु?" खाने का नाम सुनकर उस लड़के ने दरवाजे से अंदर रूम में लगी घड़ी में टाइम देखा तो रात के ग्यारह बज चुके थे, उस लड़के ने उस नोकर की और देखा और कहा..." नही मेरा मन नही है शंभू... तुम जाकर सो जाओ, मुझे भूख लगेगी तो मैं खा लूंगा..." इतना बोल युग रूम में आ गया और शंभू वह से चला गया!"


    " ओह गॉड मेरी आंख लग गई अचानक से, सुबह से थक गया हूं, और नींद अब आने वाली है नही..." इतना बोलते हुए अचानक युग को उस लड़की का ख़्याल आया तो वो अपने रूम से निकला और दूसरे रूम में चला गया, उसने धीरे से रूम का दरवाजा खोला तो शंभू पानी का जग रख रहा था!" शंभू को देखकर युग के फेस पर अजीब भाव आ गए थे वो अन्दर आया और शंभू को देखकर बोला..." तुम यहां क्या कर रहे हो...?" युग की बात सुनकर शंभू ने उसे देखा और कहा..." साहब जी भाभी को पानी रखने आया था!" मुझे लगा उन्हे प्यास लगेगी तो...!"



    To be continue.........



    न्यू स्टोरी को तो प्यार दोगे ना या उसे भी नही देने वाले आप सब, चले कॉमेंट कीजिए,


    रिया पाराशर

  • 3. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 3

    Words: 1023

    Estimated Reading Time: 7 min

    युग ने शंभू को घूरा और कहा... जाओ यहां से और मुझसे बिना पूछे रूम में दोबारा मत आना...." युग के इतना बोलते ही शंभू तुरंत वाह से चला गया, शंभू के जाते ही युग ने उस लड़की को देखा और वहीं पास में रखे सोफे पर बैठ गया,.... उसकी आंखो में अब नींद बिलकुल नही थी, वो लगातार एकटक उस लङकी को देखे जा रहा था!"  और इन सब से बेपरवाह होकर वो लड़की आराम से गहरी नींद में सोई हुई थी!" युग ने उस लड़की को देखा और पास में रखी एक बुक उठा के पढ़ने लगा, बुक पढ़ते पढ़ते उसकी कब आंख लगी उसे पता ही नही चला....!"



    अगली सुबह..... खिड़कियों से आती धूप जब सीधे युग पर गई तो उसकी आंख खुल गई, युग ने उठते ही टाइम देखा तो  सुबह के सात बज गए थे, उसने एक नजर उस लड़की को देखा जो अभी भी सो रही थी, युग सोफे से उठा और बड़बड़ाते हुए रूम से बार निकल गया...." अजीब लड़की है, दूसरे के घर में भी बड़े चैन से सोई हुई है!" इतना बोलते हुए युग अपने रूम में आ गया था, उसने रूम में आकर अलमीरा से अपने कपड़े लिए और वाशरूम में चला गया!"


    " तो वाही उस रूम में लेटी हुई उस लड़की के हाथो मे हल्की सी हलचल हो रही थी, उस लङकी ने अपनी आंख खोली और धीरे से लेटे हुए ही उस कमरे को देखने लगी, वो धीरे से उठी और बेड पर टिकते हुए चारो और देखकर खुद से ही बोलने लगी..." मैं... मैं.... यहां... कोन लेकर आया हैं यहां, इतना बोल उस लड़की ने अपने सर पर हाथ रख लिया था, उसने जेसे ही अपने सर पर पट्टी देखी तो वो लड़की जल्दी से बेड से उतरी और सामने लगे आईने के सामने खड़ी हो गई...."  दूध जैसा गोरा रंग, जिस पर पिंक कलर का दुल्हन का जोड़ा " बालो का जुड़ा जो की बिलकुल खुल चुका था, माथे पर पट्टी, मोटी मोटी आंखे, सुर्ख गुलाबी होठ...." नैन नक्श भी काफी अच्छे थे इस लड़की के, और सबसे कमाल थी इसकी आंखे..." एक अलग ही भाव था इसकी आंखो मे!" उस लड़की ने काफी देर तक खुद को देखा और अपने पास रखे अपने दुप्पटे को उठाया और रूम से बाहर आ गई, वो बाहर निकल के एक एक चीज को बड़े ध्यान से देख रही थी!" तभी उसकी नजर सीढ़ियों के पास रखे बहुत प्यारे फ्लावर पर गई जो की टेबल पर यूंही रखा हुआ था, उस लड़की ने उस फ्लावर को हाथ में लिया और उसे देखने लगी, उसने उसे पास ही रखे फ्लावर पॉट में लगा दिया!" उसने जेसे ही फ्लावर लगाया की तभी उसके कान में युग की आवाज आई...!"

    " ये तुम क्या कर रही हो...?" युग जो की रेडी होकर बाहर ही आया था अचानक से उसकी नजर उस लड़की पर गई तो वो उसके पीछे आकर खड़ा हो गया!" उस लड़की ने युग की आवाज सुनी और पीछे पलट के देखा तो युग खड़ा हुआ था, उसने युग को एक नजर देखा, गोरा रंग, एकदम फिट बॉडी, ब्राउन आंखे, 6’फिट हाइट, ब्लू जींस और साथ में ब्लैक शर्ट युग इन सब में बहुत हैंडसम लग रहा था!" वो लड़की अभी भी युग को देख रही थी, युग ने उसे देखा और उसके आगे चुटकी बजाते हुए कहा..." कुछ पूछा है मेने तुमसे...? तुम यहां क्या कर रही हो?" युग का सवाल सुनकर उस लड़की ने युग से नजरे हटाई और कहा.." हमे नही पता हमे यहां कोन लाया है सच्ची... कसम से" उस लड़की ने अपने गले पर हाथ रख कर कसम खाते हुए कहा" ये सब बोलते हुए वो बहुत प्यारी और मासूम लग रही थी!"

    युग ने उस लड़की को देखा और एक गहरी सांस लेकर कहा..." मैं ही लाया था तुम्हे, कल तुम मेरी बाइक के आगे बेहोश हो गई थी, अभी कैसी है तबीयत...?" युग ने जेसे ही ये सब बताया उस लड़की ने युग की और देखा और कहा..." धन्यवाद आप का !" अभी हम ठीक है,! इतना बोल वो लड़की चुप हो गई उसने अपनी नजरे नीची की और अपने दुप्पटे को अपने हाथो से पकड़ने लगी, युग उसकी एक एक हरकत देख रहा था, ! उसने अपने दो कदम पीछे लिए और कहा..." नीचे आ जाओ चलकर नाश्ता कर लो!" उस लड़की ने युग को देखा तभी युग ने भी उसे देखा तो उस लड़की ने वापस से अपनी नजरे नीची कर ली!" युग वाह से दो कदम ही चला था की वो अचानक रुका और उस लड़की की और पलटते हुए बोला" तुम्हारा नाम क्या है, और तुम कहा से हो बताओ मैं तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ आऊंगा...!"

    " कनक.... कनक नाम है हमारा! " कनक ने बड़े प्यार और आराम से अपना नाम बताया और चुप हो गई, युग ने भी इसे आगे उससे कुछ नही पूछा था, वो नीचे चला गया था, युग के जाते ही उस लड़की ने अपने सीने पर हाथ रखा और धीरे से खुद से कहा..." ओह गॉड इस इंसान के सामने तो सांसे ही रुक गई थी, लग रहा था, जेसे सांस भी ली तो मारे जायेंगे!" इतना बोल वो लड़की वाह से नीचे आई ,वो अभी भी पूरे घर को देख रही थी, घर ज्यादा बड़ा तो नही था, लेकिन इसे छोटा भी नही बोल सकते थे, एक एक चीज बडी कीमती थी, और साथ ही सलीके से राखी हुई थी, कनक अभी भी चारो और देख रही थी, की तभी उसे युग दिखाई दिया जो की डाइनिंग टेबल पर बैठा पेपर पढ़ रहा था!" कनक ने हिम्मत की और धीरे धीरे डाइनिंग टेबल के पास आकर खड़ी हो गई, उसे समझ ही नही आ रहा था की वो कहा बैठे वो बस इंतजार कर रही थी तो युग के बोलने का...!" लेकिन युग का ध्यान सिर्फ न्यूज पेपर मे था, तभी शंभू ने लाकर बाउल को टेबल पर रखा और कनक की और देखकर कहा..." भाभी आप यहां बैठिए ना...!" कनक ने जेसे ही भाभी सुना तो उसने शंभू को देखा और जेसे ही कुछ बोलने को हुई की उसकी नजर युग पर गई जो शंभू को ही घूरे जा रहा था!"


    To be continue......


    पढ़ कर कमेंट और फॉलो जरूर दीजियेगा,




    रिया पाराशर

  • 4. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 4

    Words: 1039

    Estimated Reading Time: 7 min

    कनक ने हिम्मत की और धीरे धीरे डाइनिंग टेबल के पास आकर खड़ी हो गई, उसे समझ ही नही आ रहा था की वो कहा बैठे वो बस इंतजार कर रही थी तो युग के बोलने का...!" लेकिन युग का ध्यान सिर्फ न्यूज पेपर मे था, तभी शंभू ने लाकर बाउल को टेबल पर रखा और कनक की और देखकर कहा..." भाभी आप यहां बैठिए ना...!" कनक ने जेसे ही भाभी सुना तो उसने शंभू को देखा और जेसे ही कुछ बोलने को हुई की उसकी नजर युग पर गई जो शंभू को ही घूरे जा रहा था!"

    " शंभू ने युग की और देखा और कहा..." माफी कीजिएगा साहब जी...!" इतना बोल शंभू ने अपनी गर्दन झुका ली! युग ने शंभू से अपनी नजर हटाई और कनक की और देखकर कहा..." खड़ी ही रहना है क्या...? बैठ जाओ ! इतना बोल युग ने प्लेट उठाई और नाश्ता लेने लगा, नास्थे में पोहा देखकर कनक का मुंह बन गया था!" वो चुप चाप बैठी बस एकटक प्लेट को घूर रही थी, एक तो वो दो आदमियों के बीच और ऊपर से अनजान लोग, उसके अन्दर तक की रूह में सिरहन दौड़ रही थी!" कनक चुप चाप बैठी प्लेट को देख ही रही थी, की तभी  युग के कान में उसकी आवाज आई...." नास्था करो तुम !" युग की आवाज सुनकर कनक ने नजरे ऊंची की और उसे देखा और जल्दी से थोड़ा सा पोहा प्लेट में लिया, उसे तो कैसे खाना था ये भी समझ नही आ रहा था!" युग बड़े ही आराम से और धीरे धीरे खा रहा था!"  कनक ने एक चमच्च को लिया और खाने लगी, वो जेसे जेसे खा रही थी, उसका मुंह बन रहा था, उसने थोड़ा सा खाया और उठ गई, लेकिन अचानक ही उसकी नजर युग पर गई तो, वो वापस से बैठ गईं!"

    " तुम्हारे घर का एड्रेस दो मैं तुम्हें घर छोड़ दूंगा...." – युग ने कनक को देखा और बड़े ही आराम से कहा!"

    " कनक ने जेसे ही अपने जानें का सुना तो उसने युग को देखा और कहा..." नही हम ख़ुद से चले जायेंगे" आपने हमारी जान बचाई उसके लिए आप का शुक्रिया! इतना बोल कनक उठी और जाने लगी की तभी युग ने उसका हाथ पकड़ा और कहा!" मेने बोला ना मैं छोड़ दूंगा वैसे तुम कहा से हो...? और रात को भाग क्यों रही थी,  किससे बच रही थी तुम...?  युग के एक एक सवाल पर कनक के हाथो की मुठिया भींच रही थी, और साथ ही उसके हाथ पैर कांपने लगे थे!"  युग ने जब कनक को ना बोलते देखा तो उसने कनक से वापस कहा..."  मैं पूछ नही रहा  बता रहा हूं, इसलिए तुम रेडी हो जाओ!"  और अगर अब तुम नही बताओगी तो हम पुलिस स्टेशन लेकर चलता हूं!"

    "  पुलिस का नाम सुनते ही कनक के हाथ पैर ठंडे पड़ गए, उसके शरीर में कम्पन सी होने लगी थी, कनक ने अपने लहंगे में उंगलियां फसाई और कहा...." – हमारा इस दुनिया में कोई नही है, ना ही हमारा कोई ठिकाना है, हमे कुछ लोग पकड़ने की कोशिश कर रहे थे, उनसे बच के हम भाग रहे थे, प्लीज हमे कहीं नही जाना, हमे पुलिस स्टेशन नही जाना आप टैंशन मत लीजिए हम यहां से कहीं चले जाएंगे !" प्लीज इतना बोल कनक ने युग को देखा और कहा..." बस हमे यहां से बाहर जाने का रास्ता बता दीजिए हम चले जायेंगे!"

    " युग ने कनक को देखा और कहा..." – जब तक  तुम चाहो यहां रह सकती हो...!" और तुम जब तक ठीक भी नही होती कही नही जाओगी, इसलिए रूम में जाकर आराम करो, और हा चेंज.... इतना बोल युग चुप गया उसने कनक को देखा और कहा..." तुम्हारे लिए कपड़े ...? अच्छा रुको में अभी मंगवा देता हूं तुम रूम में जाकर रेस्ट करो!"  इतना बोल युग ने अपनी पॉकेट से फोन लिया और किसी को फोन करने लाग कनक ने कुछ देर तो उसे देखा और वाह से वापस ऊपर आकर उसी तुम में आकर बैठ गई, उसे कुछ समझ ही नही आ रहा था!" उसकी नजर खिड़की पर गई तो, वो बेड से उठी और वाह से खिडकी के पास आकर खड़ी हो गई, वो एकटक लगातार बाहर देख रही थी!"  उसकी आंखो मे हल्की सी नमी आ गई थी, उसने खिडकी से अपना सिर टिका लिया और खुद से कहा...."  क्या क्या देखना पड़ेगा भगवान जी, एक अच्छी लाइफ मांगी थी, लेकिन आपने तो लाइफ ही खराब कर दी, किसके घर वाले ऐसे होते हैं जो अपने ही बच्चो के...!" इतना बोल कनक चुप हो गई!" तो वाही उसकी नजर नीचे से आ रहे एक लड़के पर गई जिसके हाथ में कुछ बैग्स थे, उस लड़के को देख कनक ने खिड़की बंद की और बेड पर आकर वापस बैठ गई!

    " तो वाही युग सोफे पर बैठा कोई काम कर रहा था, उसके पैरो पर रखा लैपटॉप जिसमे लगातार उसकी उंगलियां चल रही थी!" तभी किसी ने आने की आवाज सुनकर युग ने लैपटॉप बंद किया और मोबाइल हाथ में ले लिया, तभी उसकी नजर सामने से आते हुए लड़के पर गई जिसके हाथ में दो बैग्स थे!"  युग ने उस लड़के को देखा और कहा..." इतना टाइम लग गया क्या तुम्हें सार..... सार ने जेसे ही युग की बात सुनी और कहा,...." यार भाई मेरे कपड़े होते तो कबका ले आता लेकिन आपने तो एक लड़की के कपड़े लाने को कहा है, वैसे कोन है वो लड़की....?"   सार के इतना बोलने पर युग ने उसके कंधे पर मारा और कहा!" जितना बोला जाए उतना ही किया करो एडवांस मत चलो, और ये कपड़े उस लड़की को दे देना!"  इतना बोल युग वाह से बाहर निकल गया!" सार ने युग को देखा और एक नजर अपने हाथो पर डाल कर खुद से ही बड़बड़ाने लगा।" आखिर युग के घर में कोन ऐसी लड़की आ गई,जिसके लिए मुझे कपड़े लाने पड़े!"  चलो मिलते है इनसे भी इतना बोल सार सीढ़ियों से ऊपर जाने को हुआ ही था की उसे शंभू नजर आ गया, उसने उसे देख और कहा...!" वो न्यू लङकी आई है वो कौनसे रूम मैं है!" सार के पुछते ही शंभू ने कहा..." साहब जी के  बगल वाले रूम में है सार भैया, सार ने शंभू को देखा और वाह से रूम में चला गया!"


    To be continue....

    कॉमेंट करना ना भूले!"

    रिया पाराशर

  • 5. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 5

    Words: 1007

    Estimated Reading Time: 7 min

    सार के इतना बोलने पर युग ने उसके कंधे पर मारा और कहा!" जितना बोला जाए उतना ही किया करो एडवांस मत चलो, और ये कपड़े उस लड़की को दे देना!"  इतना बोल युग वाह से बाहर निकल गया!" सार ने युग को देखा और एक नजर अपने हाथो पर डाल कर खुद से ही बड़बड़ाने लगा।" आखिर युग के घर में कोन ऐसी लड़की आ गई,जिसके लिए मुझे कपड़े लाने पड़े!"  चलो मिलते है इनसे भी इतना बोल सार सीढ़ियों से ऊपर जाने को हुआ ही था की उसे शंभू नजर आ गया, उसने उसे देख और कहा...!" वो न्यू लङकी आई है वो कौनसे रूम मैं है!" सार के पुछते ही शंभू ने कहा..." साहब जी के  बगल वाले रूम में है सार भैया, सार ने शंभू को देखा और वाह से रूम में चला गया!"



    " सार ने  कनक का रूम ढूंढा और उसके बाहर आकर दरवाजा नॉक किया!"  कनक जो की बेड पर बैठी हुई थी उसने जैसे ही डोर की आवाज सुनी उठकर डोर के पास आई है और आराम से पूछा कौन है क्या काम था!"  कनक की  इतनी प्यारी आवाज सुन. सार ने दरवाजे को देखा और आराम से कहा....."– युग ने आपके लिए कपड़े लाने को बोला था मैं वही लेकर आया हूं, आप ये बैग्स ले लीजिए!"


    " कनक ने सार की बात सुनी और दरवाजा खोल लिया उसने सामने देखा तो एक  लड़का खड़ा हुआ था, जो लगभग 5 फीट 8 इंच, था देखने ने अच्छा खासा था, उसके हल्के हल्के बियर्ड्स गोरा रंग, सार लगातार एकटक कनक को देख रहा था तो वही कनक उसकी नजरों से अहसहज महसूस हो रही थी,  उसने सर के हाथ से बैग लिया और कहा..."– जी धन्यवाद इतना बोल कनक ने जेसे ही दरवाज़ा लगाना चाहा की उसे पहले ही सार ने दरवाज़े के बीच अपना हाथ रख ओर कहा..." डोंट वरी मैं खा नही जाऊंगा तुम्हे, वैसे तुम्हारा नाम क्या है...!"

    " सार की बात सुनकर कनक ने उसे देखा और अपनी गर्दन को ना में हिलाते हुए बोली..." जी कनक "

    " सार ने जेसे ही कनक के मुंह से नाम सुना और कहा...."–तुम रूम में बैठ कर क्या कर रही हो बाहर आओ ना मैं हूं शंभू भैया  है, अकेले बोर नहीं हो रही हो चलो  नीचे आ जाओ, इतना बोल सार वाह से चला गया!"  कनक ने उसे जाता देखा और दरवाजा बंद करके अंदर आ गई, उसने बैग्स देखे तो दो बैग्स थे कनक ने बैग्स को देखा और उसमे से कपड़े देखने लगी, काफी महंगी महंगी कुर्ती थी, ड्रेस को देखकर कनक को थोड़ा अजीब कागज क्योंकि उसने आजतक इतनी महंगी ड्रेस नही पहनी थी!" कनक ने एक ड्रेस ली और वाशरूम में चली गईं , कनक जेसे ही वाशरूम में आई तो उसकी नजर शावर पर गई, उसने उसे देखा, उसे  समझ ही नही आ रहा था, की वो कैसे ऑन करे वो कभी  डाइवेटर को नीचे करती तो कभी ऊपर कर रही थी, लेकिन उससे हो ही नही रहा था!" काफी कोशिश करने के बाद जब भी कनक के शॉवर ऑन नही हुआ तो उसने जल्दी से गुस्से में नीचे लगे हुए मिक्सवॉल को लेफ्ट किया तो नीचे लगे हुए नल से पानी आने लगा, कनक ने पानी आता देखा और  कहा!"  हे भगवान एक हमारा घर था, नल गुमाया इतना पानी आता था, और एक ये है, इसमें तो पानी आता नही और ये वाला छोटा बाल उसने बड़ी मुश्किल से ही सही आने तो लगा!"

    " तो वही सार नीचे बैठा हुआ फोन में कुछ देख रहा था, तभी शंभू उसके लिए चाय लेकर आया और टेबल पर रखते हुए बोला..." – पहली बार साहब जी के साथ किसी लड़की को इस घर में आते देखा है वो भी शादी के जोड़े में... हम क्या बोलते है साहब जी ने शादी कर ली क्या इनसे, क्योंकि वो शादी का जोड़ा पहने हुए है और अगर वो कोई होती तो चली जाती ये तो अभी तक यही है,  और अब तो साहब जी ने उनके लिए कपड़े भी मांगा दिए...?"

    " सार चाय पीते हुए सुन रहा था, उसने एक सिप चाय की ली और कप को टेबल पर रखते हुए बोला..." शंभू भैया, वो युग है, ये सब उसके सामने गलती से भी मत बोल देना वरना आप अपनी ये अच्छी खासी जॉब से हाथ पैर ही क्या नहा धोकर बैठ जायेंगे, इसलिए अपना ये छोटा सा दिमाग ना चलाइए और और जाकर किचन में चाकू चलाइए सब्जियों पर जो दोपहर का लंच बने, और रही बात कनक को यहां लाने की तो उसके सर पर चोट लग गई थी और वो बेहोश हो गई थी इसलिए वो उसे यहां लेकर आ गया!" इसलिए अब इस बात को खत्म कीजिए और अपने दिल और दिमाग से ये बेफिजूल की बाते निकाल दीजिए शुक्र मनाइए यहां युग नही है वरना दोनो अब तक घर के बाहर होते..!" इसलिए आप जाइए और दोपहर के लंच की तैयारी कीजिए!" सार के बोलते ही शंभू ने अपनी गर्दन को हा में हिलाया और वाह से किचन में चला गया!" शंभू के जाते ही सार ने अपनी गर्दन को ना में हिलाया और कहा..." एक बार को तो पुलिस वाले भी इतनी इन्वेस्टिगेशन नही करते जितनी ये शंभू भैया करते है!" इतना बोल सार की नजर सीढ़ियों की और गई तो उसकी नजर सीढ़ियों से आ रही कनक पर ही ठहर गई थी!" खुले कमर तक आते बाल, जिनकी गूंथ के चोटी बनाई हुई थी, रेड कुर्ता और व्हाइट पजामा विथ व्हाइट दुप्पटा इन सब में कनक बहुत प्यारी लग रही थी, लेकिन वही जान रही थी, उसने ये कैसे पहना हुआ था!" इतने अच्छे कपड़े उसने कभी भी पहने थे!" ऊपर से वो अब जिस माहौल में थी, उसे दुप्पटा भी रखना जरूरी था, उसने सार को देखा तो फिर से उसे अजीब लगने लगा!" वो धीरे धीरे आई और सामने लगे सोफे पर जेसे ही बैठने को हुई की वो अचानक ही रुक गई और साइड वाले सोफे पर बैठ गई!" वो सार की नजरे खुद पर मेहसूस नही होने देना चाहा रही थी!"


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    रिया पाराशर

  • 6. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 6

    Words: 1009

    Estimated Reading Time: 7 min

    इतना बोल सार की नजर सीढ़ियों की और गई तो उसकी नजर सीढ़ियों से आ रही कनक पर ही ठहर गई थी!" खुले कमर तक आते बाल, जिनकी गूंथ के चोटी बनाई हुई थी, रेड कुर्ता और व्हाइट पजामा विथ व्हाइट दुप्पटा इन सब में कनक बहुत प्यारी लग रही थी, लेकिन वही जान रही थी, उसने ये कैसे पहना हुआ था!" इतने अच्छे कपड़े उसने कभी भी पहने थे!" ऊपर से वो अब जिस माहौल में थी, उसे दुप्पटा भी रखना जरूरी था, उसने सार जो देखा तो फिर से उसे अजीब लगने लगा!" वो धीरे धीरे आई और सामने लगे सोफे पर जेसे ही बैठने को हुई की वो अचानक ही रुक गई और साइड वाले सोफे पर बैठ गई!" वो सार की नजरे खुद पर मेहसूस नही होने देना चाहा रही थी!"


    " कनक को थोड़ा अजीब लग रहा था, तभी शंभू ने पानी का ग्लास लाकर रखा और  कहा...." आप को क्या चाइए, चाय या कॉफी या जूस... शंभू के बोलते ही कनक ने उसे देखा और अपनी गर्दन को ना में हिला दिया..." नही भैया कुछ नहीं चाइए...!" इतना बोल कनक वापस से नीचे देखने लगी, उसे चाय पीने का मन हो रहा था, लेकिन उसे अजीब भी लग रहा था!" उसने इसी वजह से मना किया था!"

    सार ने कनक को ऐसे उलझन ने देखा तो उसने कहा..." चाय ही ले आओ शंभू भैया इसमें पूछना क्या है..;" सार ने इतना बोल और कनक की और देखकर मुस्कुरा दिया, कनक ने भी उसी समय सार की और देखा और एक हल्की सी स्माइल देकर वापस नीचे देखने लगी!"

    " सार ने ध्यान से कनक को देखा, तो वो समझ गया था की वो यहां असहज महसूस कर रही है, सार ने कनक को देखा और कहा..." तुम अब यहां सेफ हो.... तुम्हें यहां किसी से डरने की जरूरत नही है, तुम यहां कंफर्टेबल होकर रहो, इतना बोल सार वापस से अपना न्यूज पेपर पढ़ने लगा!"

    सार के बोलते ही कनक ने एक चैन की सांस ली, उसे सार की बात से तसल्ली हो गई थी की वो यहां सेफ है, उसने एक नजर सार को देखा और अपने मन में कहा..." ये जगह अच्छी है कनक तुम यहां तो सेफ ही हो, इतना सोचते हुए कनक ने वापस सार को देखा और कहा..." सर नही है यहां...?" उसने काफी धीरे से कहा...." सार ने कनक की आवाज सुनी और पेपर को साइड करके उसकी और देखते हुए कहा!"

    सार ने जैसे ही कनक की बात सुनी उसने उसकी ओर देखकर कहा ......" वो थोड़ी देर में आ जाएगा किसी काम से बाहर गया हुआ तुम्हें कुछ काम था क्या उससे....?"  सार के ऐसा बोलते ही कनक ने उसकी ओर देखा और अपनी पलकों को नीचे करके कहा..." नहीं वह बस ऐसे ही पूछ रहे थे वैसे आप से एक बात पूछनी थी हमे अगर आप बुरा ना माने तो....."  कनक के बोलते ही सार के फेस पर स्माइल आ गई उसने अपनी गर्दन को हा में हिलाया और कहा..." इसमें बुरा मानने की क्या बात है मुझे पता है तुम ऐसा कुछ नही पूछोगी... जिससे मुझे बुरा लगेगा पूछो क्या पूछना है तुम्हे....?"  सार के बोलते ही कनक ने कहा...." आप लोग क्या करते हो और ये घर किसका है...?" कनक का सवाल सुनकर सार ने उसे देखा तो वाही बाहर से अंदर आ थे युग के कदम ये सवाल सुनकर वही रुक गए थे, उसने सामने बैठी कनक को देखा और सार को देखते हुए अंदर आने लगा, सार भी कनक को देख रहा था!" अचानक ही वो जोर जोर से हसने लगा, सार को इस तरह से हसता हुआ देखकर कनक को भी अपने पूछे हुए सवाल पर बहुत अजीब महसूस हो रहा था!" सार ने कनक को देखा और कहा..." वैसे कुछ भी कहो तुम्हारी तरह ही तुम्हारा सवाल भी बहुत मासूम था!" वैसे ये घर तो हमारा ही है, जो हमारे बड़े बुजुर्गो का है, और हम, हम जॉब करते है, सार आगे कुछ बोलता उससे पहले ही युग उसके बगल में आकर बैठ गया, युग को देखकर सार चुप हो गया और उसने शंभू को आवाज देते हुए कहा..." भैया चाय और एक कॉफी जल्दी ले आओ!"

    सार के बोलते ही,  कनक ने धीरे से कहा..." रहने दीजिए हम लेकर आते है, इतना बोल कनक जेसे ही उठने को हुई उसके कान में युग की आवाज आई..." तुम रहने दो शंभू ले आएगा तुम बैठ जाओ, इतना बोलते हुए भी युग ने एक बार भी कनक या किसी और की और नही देखा था, वो अपने फोन में कुछ देख रहा था!" युग दिखने में भी काफी सिरियस लगता था और वो था भी काफी सिरियस, कनक उसके बोलते ही  चुप चाप वापस सोफे पर बैठ गई वो अब तक कंफर्टेबल थी लेकिन युग के आने के बाद उसे थोड़ा अजीब लग रहा था वो अपनी नजरे नीचे करके बैठी हुई थी!"

    कुछ ही देर में शंभू सबके लिए चाय , कॉफी ले आया था , कनक ने चाय ली और पीने लगी, युग एकटक उसे देख रहा था, कितनी मासूम लग रही थी, उसे देखकर कोई बता ही भी नही सकता था की ये वही लड़की है,, जिसकी रात को ऐसी हालत थी, युग ने कनक को देखा और एकदम सख्त भाव से पूछा...." तुम्हारी तबियत ठीक है ना..? युग के बोलते ही कनक ने चाय को टेबल पर रखा और युग की और देखकर कहा..." हा अभी ठीक है, इतना बोल कनक चुप होकर बैठ गई थी, सार कनक को देखकर समझ चुका था की वो युग से अहसज हो रही है, और उसके ऐसे गुस्से में रहने से डर थी है, क्योंकि कनक को युग की आवाज से भी डर सा लग रहा था!"

    वैसे युग तुम कहा गए थे...?" कोई जरुरी काम था क्या...?" सार ने युग से सवाल किया , सार का सवाल सुनकर युग ने उसे देखा और कहा..." हम्मम थोड़ा काम था इसलिए गया था, अब हो गया तो आ गया!" तू मुझे रूम में मिलना काम है, उतना बोल युग ने कप को टेबल पर रखा और वाह से चला गया!"


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    रिया पाराशर

  • 7. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 7

    Words: 1014

    Estimated Reading Time: 7 min

    " वैसे युग तुम कहा गए थे...?" कोई जरुरी काम था क्या...?" सार ने युग से सवाल किया , सार का सवाल सुनकर युग ने उसे देखा और कहा..." हम्मम थोड़ा काम था इसलिए गया था, अब हो गया तो आ गया!" तू मुझे रूम में मिलना काम है, इतना बोल युग ने कप को टेबल पर रखा और वाह से चला गया!"


    " कनक चुपचाप बैठी हुई थी, उसकी मजबूरी थी यहां रहना वरना उसका मन बिलकुल नही लग रहा था!" उसने सार को देखा और कहा..." क्या मैं घर देख सकती हु क्या...?" मेरा मन नही लग रहा!"  कनक के बोलते ही सार ने उसे देखा और कहा..." आराम से देखो, इतना बोल सार भी वाह से उठकर युग के रूम में चला गया!"  कनक सब के जाते ही सोफे से उठी और इधर उधर देखते हुए घर में घूमने लगी!"

    " कनक एक एक  चीजों को छू छू कर देख रही थी जितना घर दिखने में सुंदर था, उतने ही महंगे सामान घर में रखे हुए थे उसने चारों ओर देखा और अपने मन में सोचने लगी लग तो इतना अमीर आदमी रहा है पता नहीं ऐसा क्या काम करता है कहीं यह भी तो कोई उनकी टीम से हुआ तो अगर इसने मुझे नहीं..... नहीं.... नहीं ... मैं यहां नहीं रह सकती हे भगवान क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा!" कुछ सोचते हुए "  बट देखने से लगता तो नहीं है यह आदमी ऐसा है हमेशा जब देखो  सीरियस टाइप बनके रहता है!"  इतना बोल कनक ने अपने कंधे सीधे देखिए और युग की नकल करने लगी...!"  जब देखो बस ऐसे चलता रहता है!"  ऐसे बोलते हुए कनक आगे बढ़ी कि अचानक से उसके सामने किसी  से  उसकी टक्कर हो गई "उसने सामने देखा और अपना सर पकड़ा और कहा " हे भगवान  इतना बोल उसने जेसे ही नजरे ऊंची करके सामने देखा तो युग खड़ा हुआ था युग को देखते ही  कनक की बोलती बंद हो गई उसके गले से आवाज  ही नहीं निकल रही थी!" उसने युग से नजरे फेरी और जेसे ही वाह से भागने को हुई की अचानक उसका पर अपने लगाए हुए दुप्पटे में उलझा और उसका बैलेंस बिगड़ गया वो जेसे ही गिरने को हुई की अचानक ही कनक ने युग का हाथ  पकड़ लिया!" अचानक हाथ पकड़ने से युग का भी बैलेंस नही बना और वो भी कनक के साथ नीचे गिर गया!" युग कनक के ऊपर था!" और एकटक उसे देख रहा था!" तो वही कनक भी उसे ही देख रही थी, लेकिन उसे अब असहज महसूस होने लगा तो उसने धीरे से कहा..." हटिए मेरे ऊपर से..!" इतना बोल कनक ने अपने दोनो हाथ युग के कंधे पर जोर से लगा दिए!"

    " युग ने कनक की हरकत देखी और उसके ऊपर से साइड हो गया उसने साइड में बैठते हुए कहा ...." बड़ी बदतमीज लड़की हो तुम एक तो खुद मुझे गिराई हो और मुझे बोल रही हो, मेरे ऊपर से हटो..." पागल हो क्या तुम !" इतना बोल युग खड़ा हुआ और अपने हाथ फटकारते करते हुए अपने कोर्ट को ठीक करने लगा कनक अभी भी नीचे ही बैठे हुई थी उसे लगा शायद वो अपना हाथ देगा लेकिन वह गलत थी !" युग ने उसे एक नजर भी नही देखा वहां से चला गया था कनक ने उसे देखा और उठते हुए खुद से कहा ..." मुझे बदतमीज बोलता है कोई इसे बताओ की ये खुद अकडू की दुकान तो खुद है जब देखो ऐसे एक एटीट्यूड में रहता है!"
    इतना बोलते हुए कनक एक एक रूम एक एक जगह को ध्यान से देख रही थी, सच ने ये घर काफी बड़ा था!" कनक को अजीब भी लग रहा था! लेकिन उसने खुद को अभी तक यहां सेफ महसूस किया हुआ था खुद को यहां!" उसने पूरा घर देख और अपने रूम में आकर  बेड पर बैठ गई की तभी उसे सार की आवाज आई जो दरवाजे पर खड़ा हुआ था !" कनक ने उसे देखा तो सार ने कनक की और देखकर कहा...." चलो नीचे आ लंच बन गया है!" इतना बोल सार वाह से नीचे चला गया था!" कनक ने एक नजर उसे देखा और अपना दुप्पटा लेकर नीचे आ गई उसकी नजर फिर से युग पर गई ! तो वो चुप चाप टेबल पर आकर बैठ गई!"


    " उसने प्लेट्स लगाई और खाना खाने लगी, उसे अब तो इतनी दिक्कत नही हो रही थी फिर भी उसे अजीब महसूस हो रहा था और यही देखते हुए सार ने उसे सहज महसूस करने के लिए कहा.... " वैसे कनक तुम आई कहा से हो...? कोन कोन है फैमिली में...? मतलब तुम्हारे बारे कुछ तो बताओ...?" सार कनक के बारे में जानना चाहता था!" लेकिन कनक तो ये सब सुनकर एकदम चुप हो गई थी, उसके हाथ प्लेट में ही रुक गए थे, उसकी हिम्मत  ही नहीं हो रही थी की वो अपनी गर्दन ऊंची करके कुछ बोल सके!" लेकिन वही सार और युग दोनो कभी एक दूसरे की तो कभी कनक की और देख रहे थे!" कनक ने अपनी गर्दन ऊंची की और हिम्मत करके दोनो की और देखते हुए कहा..." हमारी फैमिली नही है, हम अनाथ है सर...! इतना बोल कनक ने अपनी गर्दन नीचे कर ली उसकी आंखो ने नमी आ गई थी, कनक के बोलते ही युग और सार दोनो एक दूसरे की और देख रहे थे! उन दोनो के बीच क्या चल रहा था ये बताना बहुत मुश्किल था!" कनक ने दोनो को देखा और कहा..." आप दोनो क्या करते है, वैसे... और ये घर इतना बड़ा है यहां आप दोनो ही रहते है, इतने बड़े में अकेले या कोई और भी है यहां!" कनक के पुछते ही   युग और सार ने उसे देखा तो सार कुछ नही बोला तो युग ने कहा...." हम्मम जो भी यहां रहते है वो अभी बहार है कल तक आ जायेंगे तब देख लेना!" और रही बात हमारे काम की तो, हम दोनो एक कंपनी में काम करते है!"  इतना बोल युग चुप चाप खाना खाने लगा कनक ने भी उसके बोलने के बाद हा में गर्दन हिलाई और चुप चाप खाना खाने लगी!"


    To be continue......


    पढ़ कर बताईए पार्ट केसा लगा!"

    रिया पाराशर

  • 8. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 8

    Words: 1106

    Estimated Reading Time: 7 min

    "अगली सुबह युग जल्दी उठ गया था , वह हॉल में रखे सोफे पर बैठकर न्यूजपेपर देख रहा था उसने अपनी नजरों को तिरछा करके देखा तो कनक सीडीओ से उतर कर आ रही थी तभी युग ने न्यूज़पेपर का पेज पलट कर देखा और थोड़ा तेज आवाज में पढ़ते हुए कहा" दिल्ली  पुलिस ने एक लड़की को अभी तक नही पकड़ा  कत्ल करने की जुर्म में और क्या लिखा है इसमें " इतना बोल युग उसे ध्यान से देखने लगा"  ओह तो उस लड़की  ने उस आदमी को चाकू से मार दिया,  ओह गॉड पता नहीं कितनी खतरनाक लड़की थी ! जो भी होगी पक्का वह किसी बड़ी गैंग से होगी! युग के यह बातें बोलते ही जहां कनक अपने धुन में ही आ रही थी!  उसने युग की आवाज और यह बातें सुनकर अपने कदम वहीं सीडीओ में ही रोक लिए थे!" युग की बोली गई बातों से कनक के हाथ पैर कांपने लगे थे उसने अपनी आंखें बंद की तो उसे सब कुछ धुंधला धुंधला सा नजर आने लगा था!"





    "कनक ने अपनी आंखें खोली और वही खड़ी रही उसके पैर और हाथ उसका साथ दे ही नहीं रहे थे तभी उसके कानों में अचानक युग की एक जोरदार  और कड़क आवाज पड़ी–" तुम वहां क्यों खड़ी रह गई नीचे आ जाओ आराम से मेरे पास आकर बैठो मैं तुम्हें न्यूज़ सुनाता हूं !" आज की लड़कियों को  सेफ रहना चाहिए , अरे नहीं यार आजकल लड़कियों को नहीं लड़कों को सेफ रहना चाहिए ऐसा बताया जा रहा है !" तुम्हें पता है..?" कनक की और देखकर " पहले तुम नीचे आओ, कनक युग की बात सुनकर नीचे आ गई थी, वह जाकर युग के बगल में सोफा पर बैठी तो युग ने उसे देखकर वापस कहा–" तुम्हें पता है उस लड़की ने उस लड़के को मार दिया मतलब हद है , यार पर इस लड़की का नाम मालूम हुआ नही ना वो मिली अभी तक!"
    युग की बात सुनकर कनक एकटक जमीन को घूर रही थी , उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह इस पर क्या जवाब दे। कनक या युग कुछ बोलते उससे पहले ही सार की आवाज दोनों के कान में पड़ी–"ऐसी लड़कियों को तो ना जल्दी से जल्दी अरेस्ट हो जाए ना वही बहुत अच्छी बात है ना , हर लड़की के लिए हर इंसान के लिए खतरा है" और मर्डर करना ही क्यों है पुलिस किस काम के लिए , कानून किस काम के लिए बनाया गया है , उन्हें बताओ अपनी प्रॉब्लम!" इतना बोल कर  सार युग और कनक के सामने सोफे पर बैठ गया !" कनक ने अपने हाथों की मुठिया भींची और उनकी और देखकर कहा–"यह भी तो जरूरी नहीं है ना कि हर इंसान अपनी मर्जी से मर्डर करता हो क्या पता कोई किसी मजबूरी में जाकर करें या फिर क्या पता कोई अपने बचाव से करें तो हम किसी की साइड नहीं बोल सकते ना इतना बोल  कनक एक आस भरी नजरों से युग और सार को देखने लगी कि जैसे हां वह उसके जवाब में सही बोलेंगे!"

    " युग ने कनक की बात सुनी और कहा–"  वह ठीक है मैं जानता हूं है ना लेकिन मजबूरी भी हम खुद क्रिएट करते हैं ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई उस लड़की ने मर्डर तक कर दिया अगर उसकी इतनी ही मजबूरी थी तो यार रास्ते खुद हम चुनते हैं कोई सा भी रास्ता हो , वह हमे खुद तय करना पड़ता है !" शायद उसने खुद ही वो सब चुना होगा, और दूसरी बात बचाऊ की तो हां बचाव में मर्डर हो सकता है लेकिन फिर उसके प्रूफ देकर वह निर्दोष भी तो साबित हो सकते हैं ना " यूं पुलिस से भागना मतलब साफ है ! पर जहां तक हमें पता है वह लड़की किसी गैंग से मिली हुई थी!  युग ने सार की और देखकर कहा" सार ने युग की बात में हां मिलाते हुए कनक की ओर देखकर कहा " लेकिन अभी तक वह लड़की अरेस्ट हुई ही नहीं, तुम्हें पता है कनक उस लड़की को किसी ने नहीं देखा शिवाय जो लड़का मारा था और उसके एक साथी के पर वह साथी कहां है!"  यह किसी को नहीं पता अभी तक अगर वह पकड़ा गया ना तो वह लड़की तुरंत पकड़ी जा सकती है, वरना तो वह लड़की अभी भी खुलेआम घूम रही होगी पता नहीं अपनी गैंग के साथ मिलकर कितनों को मर्डर कर देगी हमें तो यह भी नहीं पता वह दिखती कैसी है !" सार के यह बोलते ही कनक ने उसे देखा और कहा –" आप लोग चलिए हम नाश्ता लगा देते हैं इतना बोल कनक वहां से उठकर किचन में चली गई थी युग और सार ने कनक के जाते ही एक नजर खुद को देखा और हल्का सा मुस्कुराकर दोनों उठकर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए


    "कनक किचन में आई तो शंभू काका बाउल में खाना लगा रहे थे,  कनक ने उन्हें देखा और कहा–"  आप यह बाहर लेकर चलिए काका और मैं लेकर  आती हूं, कनक की बात सुनकर काका वहां से चले गए कनक ने स्लिप पर हाथ रखा और वही गहरी सांस लेने लगी उसकी आंखों में जो अब तक एक अजीब से भाव थे वह तुरंत आंसुओं में बह गए थे उसने अपनी आंखों को बंद किया और खुद को नॉर्मल करते हुए खुद से ही कहा·"यह सब जरुरी तो नहीं है ना इंसान अपनी मर्जी से ही करें क्या पता किसी इंसान की मजबूरी हो इतना बोल कनक चुप हो गई उसने अपनी आंखों को साफ किया और खाने की प्लेट लेकर बाहर निकल गई!"

    " कनक खाने की प्लेट लेकर बाहर आई थी कि तभी , घर की डोर बेल बचने की आवाज आई , कनक ने प्लेट को टेबल पर रखा और जैसे ही जाने को हुई कि सार ने उसको देखकर कहा –" तुम बैठो शंभू भैया देख लेंगे, सार की बात सुनकर कनक टेबल पर बैठ गई थी शंभू ने जाकर दरवाजा खोला तो उसके सामने एक लड़की खड़ी हुई थी,  उस लड़की ने शंभू भैया को एक नजर देखा और मुस्कुराते हुए कहा –" खड़े क्यों है शंभू भैया आप हमारा वेलकम भी नहीं करेंगे , उस लड़की की यह बोलते ही शंभू ने मुस्कुरा कर उसे देखा और कहा–" आओ ना इतना बोल वह लड़की मुस्कुराते हुए अंदर आ गई उसने हाल में से ही चिल्लाते हुए कहा"  भाई कहां है आप....? युग भाई कहां हो...?" युग, सार और कनक ने जैसे ही यह आवाज सुनी सब उठकर हाल में आ गए थे,  सार ने हाल में खड़ी लड़की को देखा और मुस्कुराने लगा ! युग उस लड़की को देखा और अपने गले लगाते हुए कहा" 


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    स्टोरी कैसी है कमेंट में जरूर बताएं


    Riya parashar

  • 9. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 9

    Words: 1066

    Estimated Reading Time: 7 min

    " हमें बता देती , तुम्हें लेने आ जाता ना, तुमने तो कहा था तुम्हारी फ्लाइट लेट की है इतनी जल्दी कैसे आ गई तुम इतनी सुबह ही, युग की बात सुनते ही, उस लड़की ने मुस्कुराकर युग को देखा और कहा–"  इसे सरप्राइज बोलते हैं भाई समझें में यहां आपको सरप्राइज देने आई थी  आप तो कभी हमें देते नहीं है !" लेकिन हम आपको दे रहे हैं ना ले लीजिए हमारा सरप्राइज !" हमारा प्लान था हमें लगा हम आप लोगों को सरप्राइज करेंगे लेकिन आप लोगों के रिएक्शन देखकर तो लग रहा है जैसे आप हमारे आने से खुश है ही नहीं !" उस लड़की के यह बोलते ही युग ने  उसके गालों को खींचा और कहा–"  हो सकता है कभी कि हम तुम्हारे आने से खुश ना हो बहुत खुश हूं सही टाइम पर आई हो " चलो आओ बैठकर नाश्ता करते है, युग के बोलते ही" उस लड़की ने मुस्कुरा कर अपनी गर्दन को हां में हिलाया और जैसे ही एक कदम बढ़ाया की तभी उसकी नजर सार के पास खड़ी हुई कनक पर गई सार को देखकर उस लड़की के फेस पर एक स्माइल थी!"  उसने सार से बोला और उस लड़की की ओर देखकर कहा–"  यह कौन है...?"

    "युग ने उस लड़की को देखा और कहा –" यह!  यह कनक है सार की होने वाली वाइफ" युग ने  यह बोलते हुए सार की तरफ आंख मार दी थी, सार ने मुस्कुराते हुए कहा और कनक हाथ पड़कर बोला "हां यह मेरी वाइफ है होने वाली उस लड़की ने उसे घूर के देखा और वहां से ऊपर चली गई!"

    "कनक अभी भी असमंजस की स्थिति से दोनों को देख रही थी अभी-अभी यहां जो भी हुआ था वह सब सोच कर उसे अजीब लग रहा था!"  सार ने उसका हाथ तुरंत छोड़ा और कहा–"  सॉरी यार बस यह युग ने  उसे चिडाने के लिए सब बोला है तुम टेंशन मत लो!"  रियली वेरी सॉरी!  कनक ने अपनी गर्दन को हां में हिलाया और कहा–" हमे लगता है वह नाराज होकर चली गई!"  सार ने युग की और देखा और कहा –" आपको यह बोलने की क्या जरूरत थी?  हो गई ना वह गुस्सा ...?" उसे मैं कैसे मनाऊंगा यार बहुत मुश्किलों से मानती है तुम्हें पता है ना तुम्हारी बहन कैसी है , फिर भी तुमने उसे नाराज कर दिया!"  उसने मनाने में मुझे जिंदगी निकल जाएगी यार" युग ने एक नजर सार को देखा और अपने पेंट की जेब में अपने हाथ डालकर कहा–"  हां तो जाओ मनाकर लेकर आओ उसे ऊपर से और हां सिर्फ 10 मिनट है तुम्हारे पास हम नास्थे के लिए ज्यादा वेट नहीं करेंगे,  इतना बोलकर युग ने कनक का हाथ पकड़ा और डाइनिंग टेबल की ओर चला गया,  कनक एकटक युग को देख रही थी,  उसका युग का यूं हाथ पकड़ना कनक के दिल की धड़कन बढ़ने के  बराबर था



    " तो वही मुंबई का एक बड़ा सा घर जिसमें बड़े-बड़े अक्षरों में " सिंघानिया हाउस " लिखा हुआ था!" वो काफी पड़ा था किसी बंगलो जैसा उस घर के अंदर एक आदमी एक रूम की दीवार को देख रहा था जिस पर एक लड़की की फोटो लगी हुई थी उसने उन फोटो को देखा और उस तस्वीर पर हाथ फिर आते हुए कहा–" क्यों चली गई आप अगर आपको किसी से इतनी मोहब्बत थी तब हमसे बोल देती क्यों इस तरह हमारी रेपुटेशन खराब करके घर से भाग जाना अच्छा नहीं था बेटा अगर आप उस लड़के से इतना प्यार करती थी तो आप एक बार हमसे बोलते हम आपकी खुशी-खुशी शादी करवा देते!"  आपको पता है आपके  जाने से हम सबको  कितना बड़ा धक्का लगा है क्यों किया आपने वो सब   क्यों चली गई बेटा और सिर्फ लिखा तो एक खत कम से कम आखिरी बार हमसे मिलकर हमसे बात करती,  तुम कहां चली गई..? लोट आओ बच्चे

    " वह आदमी उस तस्वीर को देखकर यही सब बोल रहा था कि तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा उसने पीछे पलट कर देखा तो एक 50 साल की औरत खड़ी हुई थी जिन्होंने काफी ज्वेलरी और हैवी साड़ी पहनी हुई थी उन्होंने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा–" बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया उसने बिल्कुल भी अगर वह किसी से इतना प्यार करती तो एक बार अपनी मां से तो बोलती,  हम  लोग खुशी-खुशी उसकी शादी करवा देते पर उसने तो कभी हमें अपना समझा ही नहीं!  क्यों हमारी इज्जत की धज्जियां उड़ा कर चली गई...?  अब तो यह भी नहीं पता कि वह कहां है..?"  किसके साथ गई है"  आखिर कौन सा लड़का है जिसके साथ वह शादी रचाकर हमें छोड़ कर भाग गई बडी ही बदतमीज लड़की निकली ! हमने पता नही प्यार में कौनसी कमी रख दी!"

    वो आदमी –" हमें कुछ समझ नहीं आ रहा हम क्या करें ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन हमें मिली नहीं रही वो, पता नही कहा चली गई, कुछ समझना ही मुश्किल है!"

    औरत –" अगर इंसान खो जाए ना तो उसे ढूंढा जाता है पर जो इंसान खुद घर छोड़कर जाए उसे कैसे ढूंढेंगे आप ...?" अपनी मर्जी से उसे अपनी लाइफ किसी और के साथ जीनी थी !" इसलिए भाग गई वो अपने आशिक के साथ,  खैर जाने दीजिए क्यों आप उसकी इतनी टेंशन ले रहे हैं उसे हमारी तो कभी परवाह ही नहीं  थी!" ना ही उसे आपकी है!"   सिर्फ पापा पापा करती रहती थी , वो बस!
    अगर आपको  वह अपना सच में मानती ना तो  छोड़कर नहीं चली जाती"  खैर अब जो भी हुआ  उसे भूल जाइए और चलकर नाश्ता कर लीजिए इतना बोलकर वह औरत वहां से चली गई थी

    " उस आदमी ने उसे औरत की बात सुनी और एक नजर उस तस्वीर को देखकर अपनी आंखों में आई नमी को साफ करके वहां से चला गया!"

    "तो वही कनक अभी भी युग को घूर रही थी और युग का ध्यान बिल्कुल भी किसी भी चीज पर नहीं था, वो अपने फोन पर कुछ कर रहा था
    तो वही एक कमरे में वह लड़की बेड पर बैठी सिर्फ एकटक सीलिंग को घूर रही थी , उसकी आंखों में हल्की सी नमी थी तभी सार ने उसके कंधे पर हाथ रखा  तो उस लड़की ने तुरंत अपना कंधा झटकते हुए कहा –" क्यों बात करनी है?" जाओ जाकर अपनी उस वाइफ से बात करो ना,  लगती क्या हुं मैं तुम्हारी जो तुम्हें मुझसे बात करनी है बताओ?  "


    To be continue........



    स्टोरी कैसी लग रही है, कॉमेंट करना ना भूले !"


    रिया पाराशर

  • 10. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 10

    Words: 1015

    Estimated Reading Time: 7 min

    "तो वही कनक अभी भी युग को घूर रही थी और युग का ध्यान बिल्कुल भी किसी भी चीज पर नहीं था, वो अपने फोन पर कुछ कर रहा था
    तो वही एक कमरे में वह लड़की बेड पर बैठी सिर्फ एकटक सीलिंग को घूर रही थी , उसकी आंखों में हल्की सी नमी थी तभी सार ने उसके कंधे पर हाथ रखा  तो उस लड़की ने तुरंत अपना कंधा झटकते हुए कहा –" क्यों बात करनी है?" जाओ जाकर अपनी उस वाइफ से बात करो ना,  लगती क्या हुं मैं तुम्हारी जो तुम्हें मुझसे बात करनी है बताओ?  "


    अब आगे........




    "सार ने उस लड़की का हाथ पकड़ा और खड़ा कर के अपने सीने पर उसका हाथ रख कर कहा–"  तुम यहां बस्ती हो तुम्हें लगता है अपनी धड़कन को कभी दूर कर सकता हूं इतना बोल सार ने उस लड़की के सर से  अपना सिर टिका लिया उस लड़की ने सार को देखा और कहा–"  तो फिर वह कौन है?"

    "सार ने उस लड़की को देखा और कहा–" उसे युग लेकर आया था!" उस लड़की ने उसे घूर के देखा और कहा–"  भाई के साथ-साथ मजाक तुमने भी किया था,  तो सबसे पहले खबर तुम्हारी  लेनी पड़ेगी, बेटा!" इतना बोल उस लड़की ने सार के सीने पर अपने हाथों से मारने लगी,  सार अपने दोनों हाथ बांधे उस लड़की को देख रहा था !" जो उसके सीने पर मारते हुए किसी बच्चे जैसी लग रही थी,  दो-तीन मिनट मारने के बाद उस लड़की ने कसकर सार को अपने गले लगा लिया था!



    " तुम्हें पता है मैंने तुम्हें कितना मिस किया उस लड़की के  यह बोलते ही सार ने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रखें और उसकी और देखकर कहा–"  और तुमसे ज्यादा मिस मैंने तुम्हें किया , इतना मिस कि शायद ही कोई किसी को करता होगा !" इतना बोल सार ने उस लड़की के सर पर किस किया और उसे पकड़ कर नीचे ले आया उन दोनों को साथ आता देखकर युग और कनक के फेस पर स्माइल आ गई थी!"  उस लड़की ने एक नजर टेबल को देखा और वहां से चाकू उठाकर युग के पास आ गई उसने युग की गर्दन पर चाकू रखा और कहा –" आप मुझसे मजाक करेंगे वह भी इतना सीरियस वाला अगर एक दो मिनट में खड़ी रहती ना  यहां पर तो मुझे सच में अटैक आ जाता !"
    " और फिर कल का न्यूज़ पेपर में खबर होती, ‍ द  इन्स.... इतना बोल वो लड़की चुप हो गई, उसकी नजर युग और सार पर गई जो की उसे ही घुर के देख रहे थे!" उस लड़की ने कनक की और देखा जो उसे अजीब तरह से देख रही थी!"

    युग–" शांति से नाश्ता करो स्वरा

    " युग के बोलते ही ही स्वरा चुप चाप बैठ गई, उसे पता था की किसी के सामने फालतू कभी कुछ नही बोलना होता! क्योंकि युग को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं था!"  वो चुप होकर नाश्ता करने लगी तभी कनक ने सबकी और देखकर कहा –" आप इन्स.. उसके आगे क्या बोल रही थी..? आपने अपनी बात अधूरी क्यों छोड़ दी..?"

    " कनक की बात सुनकर स्वरा ने कनक को देखा और कहा –"कुछ नही मजाक कर रही थी, आप नाश्ता कीजिए फिर हम बात करते है फ्री होकर !"


    " कुछ ही देर में सब लोग फ्री होकर बात करने लगे, कनक को स्वरा के आने से थोड़ा बहुत अच्छा लग रहा था,

    स्वरा –"कनक की और देखकर बोलते हुए " अब बताओ अब मैं तुमसे आराम से पूछूंगी तुम्हारी फैमिली में कौन-कौन है तुम कहां से आई हो ...?"

    " स्वरा की बात सुनकर कनक ने उसकी तरफ देखा वह कुछ बोलती है उससे पहले युग ने उसकी और देखकर कहा–"उसकी फैमिली में कोई नहीं है , और अब यह हमारे साथ यही रहेगी , तो आइंदा से इस सवाल को वापस न दोहराया जाए तो ही तुम सबके लिए अच्छा होगा!"  इतना बोलकर युग वहां से उठकर चला गया !" कनक अभी भी जाते हुए युग को देख रही थी , उसे आए हुए अभी  यहां कुछ दिन ही हुए थे , लेकिन युग का बर्ताव उसके लिए काफी अच्छा था , उसे कभी-कभी अच्छा फील होने लगा था युग के साथ , उसे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि युग उसे गलत नजरों से देखता है और सार के साथ तो उसे हमेशा भाई वाली फीलिंग आती थी !" वैसे ही सबके साथ खुश रहने लगी थी बिल्कुल नॉर्मल दिन निकल रहे थे और धीरे-धीरे में एक महीना यूं ही निकल गया था कनक भी अब इस घर में काफी घुल मिलकर रहने लग गई थी वह सबके लिए नाश्ता बना रही थी उसने डाइनिंग टेबल पर लाकर एक बाउल रखा और सब की ओर देखकर कहा–" आ जाइए सब नाश्ता तैयार है !


    "कुछ ही देर में सब लोग आकर नाश्ता करने के लिए रेडी हो गए थे , कुछ देर में सब ने नाश्ता किया तो कनक ने एक नजर सार और युग की तरफ देखकर कहा–"हम सोच रहे थे कि हम भी आगे कुछ कर लेते ....आप लोगों पर कब तक ऐसे बोझ कर रहेंगे,  अब हम चले जाते हैं यहां से आप लोगों ने हमारी इतनी मदद की एक महीना यहां रहने दिया बहुत बड़ी बात है"

    "कनक के  बोलते ही सबके हाथ वहीं रुक गए  सार ने कनक को देखा और कहा–"  और तुम कहां जाओगी , कोई ठिकाना है तुम्हारे पास जाने के लिए ...?" सार की बात सुनकर कनक ने अपनी गर्दन नीचे झुका ली थी वह जानती थी कि उसे इस जगह के अलावा कोई भी सेफ जगह नहीं मिलेगी !" युग ने कनक को देखा और बड़ी ही पोलाइटली तरीके से कहा–" तुम्हे यहां रहने में अगर कुछ प्रॉब्लम है तो बताओ ना " हम तुम्हें तुम कहोगी तो कहीं छोड़ देंगे...?"  लेकिन ना तुम्हारे पास कहीं जाने की जगह है ना ही कुछ ,   और तो और पढ़ी-लिखी भी नहीं हो कि तुम कहीं जाओ,  कहीं रहो , कुछ कर सको अकेली !" तुम्हें क्या लगता है वह जो लोग तुम्हें ढूंढ रहे थे वह तुम्हें ढूंढेंगे नहीं ...?"
    "



    To be continue......


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    रिया पाराशर

  • 11. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 11

    Words: 1012

    Estimated Reading Time: 7 min

    सार की बात सुनकर कनक ने अपनी गर्दन नीचे झुका ली थी वह जानती थी कि उसे इस जगह के अलावा कोई भी सेफ जगह नहीं मिलेगी !" युग ने कनक को देखा और बड़ी ही पोलाइटली तरीके से कहा–" तुम्हे यहां रहने में अगर कुछ प्रॉब्लम है तो बताओ ना " हम तुम्हें तुम कहोगी तो कहीं छोड़ देंगे...?"  लेकिन ना तुम्हारे पास कहीं जाने की जगह है ना ही कुछ ,   और तो और पढ़ी-लिखी भी नहीं हो कि तुम कहीं जाओ,  कहीं रहो , कुछ कर सको अकेली !" तुम्हें क्या लगता है वह जो लोग तुम्हें ढूंढ रहे थे वह तुम्हें ढूंढेंगे नहीं ...?"तुमने बताया नही वो लोग कोन थे...?"  इतने सवालों में से जैसे ही कनक ने यह सवाल सुना कि वह लोग कौन थे उसकी आंखें अचानक ही धुंधली सी पड़ने लगी थी उसने अपने हाथों की मुठिया भींची और युग की ओर देखकर कनक ने कहा–"बताया तो था हमने आपको कि हमारे चाचा चाची जबरदस्ती शादी करवा रहे थे तो बस उसी के लोगों

    " किसी ने कुछ नहीं कहा था, स्वरा कॉलेज जाने लग गई थी और युग और सार ऑफिस चले गए थे,  घर पर सिर्फ कनक अकेली थी!" उसने आसपास देखा और घर में रखें लैंडलाइन फोन को देखा और किसी को फोन करने लगी, उसने एक नजर चारों तरफ देखा और फोन को कान के लगाकर कुछ नंबर डायल करने लगी उसने फोन डायल किया तो तुरंत ही रिंग जाने लगी कुछ ही देर में उधर से फोन उठाया गया जैसे ही फोन उठाया!"  वो कुछ बोलती उससे पहले ही उसके कानों में एक औरत की आवाज आई–" कोन बोल रहा है....?"

    "कनक ने जैसे ही वह आवाज सुनी मानो उसके पूरे शरीर की रूह कांप गई थी,  उसने बिना कुछ बोले उस फोन को कट किया और वापस रखकर वहीं बैठ गई और जोर से  सांस लेने लगी,  उसे अभी भी घबराहट हो रही थी उसकी आंखों से कुछ आंसू निकलकर उसके हाथो पर गिर रहे थे!"


    "माना आप मुझसे नफरत करती थी,  लेकिन इतनी नफरत की आपने मेरे साथ इतना कुछ कर दिया मैंने आपको अपना सब कुछ माना था , हां यह भी जानते हैं कि आप हमें कभी अपना नहीं मानती थी पर आपने क्या किया आपने हमारे विश्वास को ही तोड़ कर रख दिया!"  जिसकी वजह से आज हम यहां इस हालत में है अपने घर वालों से भी नहीं मिल पा रहे सिर्फ आपकी वजह से हम आपको कभी भी माफ नहीं करेंगे कभी भी नहीं ,आपकी वजह से हम खूनी बन चुके हैं!"कनक यही सब सोच रही थी और यह सब सोचते हुए उसका सर बहुत बुरी तरह से दर्द हो रहा था!"  उसने दोनों हाथों से अपने सर को कसकर पकड़ लिया था!"



    " कनक उठकर अपने रूम में चली गई थी!" वो अपने रूम में आई और बेड पर लेट गई, इतने दिनो में आज उसका सर बुरी तरह से दर्द कर रहा था!" उसने खुद से ही मन में कहा –" तुम्हारा नंबर केसे बंद आ रहा है यार, केसे मिलु तुमसे, तुम कहा हो, तुम्हारी जरूरत है मुझे,  एक तुम ही तो हो, जो सब कुछ ठीक कर सकते हो, क्या करूं इतना बोल कनक बेड पर अपना सर टीका कर आंखे बंद करके बैठ गई!"

    " तो वही एक औरत जो की बड़े से कमरे में बेड पर आराम से बैठी हुई थी, वो जितनी आराम से बैठी हुई थी, उससे कई ज्यादा गुना उसके चहरे पर परेशानी के भाव थे! उसने अपने फोन को देखा और फोन पर चिल्लाते हुए कहा –" एक महीना हो गया, और तुमसे एक काम ढंग से नहीं हुआ...? तुम्हे वो लड़की अभी तक नही मिली मैं बता रही हूं अगर वो नही मिली तो तुम लोगो की लाशे भी नही मिलेगी, तुम्हारे परिवार वालो को समझे ! इतना बोलकर उस औरत ने फोन काट दिया!" और जोर से बेड पर पटक कर खुद से ही कहा –" तुम बच नही पाओगी मेरे हाथो से, लेकिन तुम्हे ढूंढना भी जरूरी है,  अच्छा नही किया तुमने मुझे चकमा देकर, मेरी नजरो से गायब हो गई, और वो आदमी भी पता नही अचानक केसे गायब हो गया, अभी तक साला हाथ नही लगा मेरे ,पर कोई ना तुम बहुत जल्दी मेरे पास होगी!" इतना बोल वो औरत जोर जोर से हंसने लगी!"


    शाम का समय था , हाल में सब लोग बैठे हुए थे, स्वरा भी कॉलेज से आ गई थी, वो कोई न्यूज़ पेपर पढ़ रही थी, उसने न्यूज पेपर पढ़ते हुए सबकी और देखकर कहा..." भाई आप सबको मालूम है आजकल क्या खबर सुनने को मिल रही है,...?" कोई गैंग है, कुछ लोगो का जिसमे एक लड़की भी है, वो अमीर लोगों को फसाती है और उन्हें लूट कर भाग जाती है....!" 


    " स्वरा के ये बोलते ही कनक के फेस का रंग ही उड़ गया था, वो एकटक स्वरा को देख रही थी, उसने अपने हाथो की मुठिया भींच ली थी, , युग ने एक नजर स्वरा को देखा और कनक की और देखने लगा उसने बड़े ही आराम से कहा...." हर कोई ऐसा नही होता, क्या पता उन गैंग वाले लोगो के दिमाग में क्या चल रहा है, बड़े ही तेज दिमाग के होते है..? पर मेरा मानना है गलती गलती होती है, सजा तो मिलनी चाइए मेरे हाथ लग जाए ना तो में सीधा उसे जेल में भेजूंगा! 


    युग के ये बोलते ही कनक ने उसकी और देखा और धीरे से कहा...."  ये तो है, लेकिन हो सकता है, उन लोगो की कोई मजबूरी हो, क्योंकि आजकल मजबूरी के चलते ही ये सब करती है लड़कियां ! वरना अपनी मर्जी से ऐसे काम कोन करता है,  हो सकता है उसकी कोई मजबूरी  ही रही हो...?




    " कनक के ये बोलते ही सार ने उसे देखा और चाय को टेबल पर रखते  हुए कहा...." कोई मजबूरी नही होती, इन लड़कियों की, सब खुद से करती है, अच्छा इंसान दिख जाए तो उसके साथ रात बिता कर सुबह तक उसे बर्बाद करके निकल लेती है! बहुत सुनने में आता है आजकल ये सब! तुम अभी इतना नही जानती लगता है दुनियादारी, जब तुम लोगो को समझने लगोगी तो तुम्हे मालूम हो जायेगा!" 

  • 12. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 12

    Words: 1050

    Estimated Reading Time: 7 min

    कनक के ये बोलते ही सार ने उसे देखा और चाय को टेबल पर रखते  हुए कहा...." कोई मजबूरी नही होती, इन लड़कियों की, सब खुद से करती है, अच्छा इंसान दिख जाए तो उसके साथ रात बिता कर सुबह तक उसे बर्बाद करके निकल लेती है! बहुत सुनने में आता है आजकल ये सब! तुम अभी इतना नही जानती लगता है दुनियादारी, जब तुम लोगो को समझने लगोगी तो तुम्हे मालूम हो जायेगा!" 




    " युग सार को तो कभी कनक को देख रहा था, उसने धीरे से कहा...." तू कोई पुलिस वाला है...? नही ना तो ये सब बंद कर और चाय पिलो, तुझे उससे क्या काम है, पुलिस अपना काम खुद से कर लेगी! 




    सार — अच्छा बाबा ठीक है, जान गया! की में पुलिस वाला नही हूं, लेकिन मैं पुलिस के साथ हूं, जिस दिन वो लड़की मिली न मुझे तो कसम से उम्र कैद की सजा सुनवा दूंगा!" उसकी गलती की सजा तो उसे मिलेगी उसने मर्डर भी तो किया है ना!


    स्वरा –" मिलेगी तब देखना, अभी रहने दो यार

    कनक — आप कुछ लोगे....?  इतना बोल कनक सार की और देखने लगी, उसके चहरे पर अजीब भाव थे, और साथ ही एक अलग ही डर था!" 




    कनक  वाह से उठकर चली गई, युग ने उसे एक नजर देखा और सार की और देखकर कहा...." फालतू की हरकत कम करो, समझे! और अपने काम पर फोकस करो,  जिस काम के लिए यहां हो उस पर ध्यान दो, बाकी जो होगा देखा जायेगा, इतना बोल युग भी उठ गया!" सार ने उसे देखा और कहा...." खडूस, जब देखो खडूस बना रहता है, ना हसता और न हसने देता है, इतना बोल सार ने टेबल पर देखा और एप्पल उठाकर वाह से चला गया!" 




    " कनक बालकनी में बैठी हुई थी, उसके दिमाग में क्या क्या चल रहा था, ये वही जानती थी, उसे रह रह कर सार और स्वरा और युग की बाते याद आ रही थी, उसने चारो और देखा और जेसे ही उठने को हुई की उसकी नजर अपने पीछे हाथ बांधे खड़े युग पर गई, युग को देखकर कनक ने खुद को काफी नॉर्मल करना चाहा लेकिन उससे हो ही नही रहा था!" युग बाल्कनी में रखे सोफे पर बैठा और कनक को बैठने का इशारा कर दिया..." उसकी बात पर ध्यान मत देना, उसे बोलने की आदत है, वो कभी कुछ नही सोचता बोलने से पहले इसलिए ज्यादा ध्यान मत दो...!" 




    " कनक ने एक नजर उठकर युग को देखा और कहा..." हम्मम!  हम क्यो ध्यान देने लगे , लेकिन हम भी तो आप लोगो के लिए अजनबी है ना, इसलिए इतनी सी टेंशन हो रही है उनके बोलने से, हम चले जाते है, यहां से,  आप लोगो को हमारी वजह से कुछ प्रॉब्लम ना हो! 

    " कनक के ये सब बोलते ही युग ने उसे घूर के देखा और कहा...." हम सिर्फ़ ट्रस्ट कर सकते है, लोगो के दिमाग में क्या चल रहा है, क्या नही ये बताना मुश्किल है, इसलिए तुम। ज्यादा मत सोचो, और तुम आराम से यहां रह सकती हो, बाकी सार बहुत अच्छा है,और स्वरा बिल्कुल बच्ची है  वो बस कभी कभी बीना सोचे कुछ भी बोल जाते है!" 




    " कनक ने युग को देखा और कहा..." अगर दुनिया में सब लोग आप जेसे हो जाए तो हम लड़कियां कितनी सेफ रहे ना, पता नही क्यो लेकिन हम यहां  खुद को सेफ महसूस करते है, एक डर जिसने हमें जकड़ा हुआ है, वो अब लगता ही नही है, इतना बोल कनक चुप हो गई! 




    " वैसे तुम्हारा पूरा नाम क्या है...?और क्या हुआ था तुम्हारे साथ..? युग के ये पुछते ही कनक ने फिर से उसकी और देखा और कहा..." कुछ नही बस हम अपनी शादी से भाग कर आए थे, क्योंकि हमारी शादी हमसे बड़ी उम्र के लड़के के साथ की जा रही थी, और हमें नही करनी थी!" बस घर में चाचा चाची थे जिन्हें हम बोझ लग रहे थे!" बस 




    " तुमने पढ़ाई कितनी की हुई है...?" युग के ये बोलते ही कनक ने उसे देखा और कहा..." हम ज्यादा नही पढ़े हुए.... बस थोड़ा बहुत हिंदी बोल लेते है, हमारी पढ़ाई हुई नही पूरी , आप ने सवाल क्यों पूछा हमसे कनक ने युग की आंखों में देखते हुए कहा। " युग भी कनक को देख रहा था! उसने धीरे से कहा..." नही मतलब तुम ज्यादा पढ़ी हुई होती तो तुम कोई जॉब कर सकती थी ना , घर में मन नही लगता होगा ना, तो बस इसलिए पूछ रहे थे! खेर कोई बात नही अब तो !"  वैसे तुमने अपना पूरा नाम नही बताया...?

    कनक ने युग को देखा और कहा –" कनक...कनक शर्मा

    " युग के ये बोलते ही कनक ने उसे देखा और कहा...." हम पढ़ना तो चाहते है,i लेकिन हम किसी का अहसान नहीं ले सकते, हम हमेशा से अकेले रहे है, चाचा चाची थे लेकिन उन्होंने कभी पढ़ने भेजा नही, बस इसलिए अभी हमारा पढ़ने का मन करता है लेकिन हम पढना नहीं चाहते आपने हम पर इतना एहसान किया आपने हमें अपने घर रखा वही हमारे लिए बहुत बड़ी बात है इतना बोलकर कनक चुप हो गई थी

    " युग ने कनक को देखा और वापस कहा..." तो तुम अपनी शादी से भाग कर आई हो " युग के यह बोलते ही कनक ने अपनी गर्दन ऊंची कर के युग को देखा तो युग ने बात को बदलते हुए कहा"  नही मतलब जिस तरह से तुमने जोड़ा पहना हुआ तो लग रहा था! कि तुम अपनी शादी से खुश नहीं हो इसलिए भागकर आई हो या फिर तुम किसी और को प्यार करती हो...?  नहीं आजकल चलता है ना बहुत सुनने में आता है!" युग के इतने सारे सवाल सुनकर कनक ने अपनी गर्दन झुका ली थी उसके हाथ बार-बार अपने कुर्ते पर चल रहे थे उसने मुट्ठी में अपने दोनों कुर्तों को साइड से पकड़ लिया था उसे समझ ही नहीं आ रहा था वह क्या बोले वह अंदर ही  अंदर से बुरी तरह कांप पर थी!" उसने खुद से मन में ही कहा –" क्या बोलूं अब इनसे!"




    " बताया तो अभी आपको हम शादी से खुश नहीं थे हमारे चाचा चाची हमारी शादी जबरदस्ती करवा रहे थे, और हम अभी शादी नहीं करना चाहते!" बस इसलिए वहां से भाग कर आना पड़ा और जिससे हमारी शादी हो रही थी ना वह आदमी फिर अच्छा नहीं था ताकि हम किसी से प्यार नहीं करते!" 

    "

  • 13. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 13

    Words: 1021

    Estimated Reading Time: 7 min

    बताया तो अभी आपको हम शादी से खुश नहीं थे हमारे चाचा चाची हमारी शादी जबरदस्ती करवा रहे थे, और हम अभी शादी नहीं करना चाहते!" बस इसलिए वहां से भाग कर आना पड़ा और जिससे हमारी शादी हो रही थी ना वह आदमी फिर अच्छा नहीं था ताकि हम किसी से प्यार नहीं करते!" 

    " युग बार बार कनक से वही सारे सवाल कर रहा था,!" युग कनक की बातें आराम से सोच रहा था उसने जैसे ही कनक की बात पूरी हुई वापस कहां–"  तो फिर वह पीछे तुम्हारे जो गुंडे लगे हुए थे वह किसके आदमी थे और क्यों पकड़ना चाहते थे वह तुम्हें...?" 

    " युग का फिर एक बार सवाल सुनकर कनक ने उसे देखा और धीरे से कहा–"  हर इंसान शायद आपका जैसा नहीं होता हो , कि अनजान लड़की को देखकर उसकी मदद कर दे कुछ लोग बुरे भी होते हैं , वह हमारे साथ जबरदस्ती करना चाहते होंगे इसलिए हमारा पीछा कर रहे होंगे,  हम एक बार तो उनके हाथ भी लग गए थे , पता नही उस रात हम जिंदा होते भी या नहीं!" कनक के ये लाइन बोलते ही युग ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया था उसने कनक कि आंखों में देखते हुए कहा...." मैं नहीं तो कोई और मिल जाता हर इंसान बुरा नहीं होता पर हर इंसान अच्छा भी नहीं होता!  बाकि ऐसी बातें नहीं करते तुम चाहो तो मैं तुम्हारा एडमिशन करा सकता हूं तुम पढ़ाई करो!" 




    " कनक युग के इतना करीब होने से घबरा रही थी उसने युग की आंखों में देखा और अपनी गर्दन को ना में हिलाने लगी युग ने उसकी ओर देखा और अपने गर्दन को हिलाकर पूछा जैसे ..." क्या कहना चाहती हो !" कनक ने वापस युग को देखा और अपने हाथ से अपने मुंह की ओर इशारा करके युग के हाथ की तरफ इशारा किया  "  युग को जैसे ही याद आया कि उसने उसके मुंह पर हाथ रखा हुआ था,तो युग ने तुरंत अपना हाथ हटाया और कहा "ओह सॉरी मेरा ध्यान नहीं रहा " 




    " कनक ने एक गहरी सांस ली और कहा–"  हम अभी आते हैं इतना बोलकर कनक जैसे ही उठी , तभी युग ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी और खींच लिया अचानक युग के हाथ पकड़ कर खींचने से कनक संभल नहीं पाई और सीधा युग के ऊपर आकर गिर गई,  कनक के खुले बाल युग के चेहरे को ढक रहे थे!" यूह कनक और युग का इतना करीब आना दोनों कोई अलग एहसास दे रहा था कनक ने युग को देखा और फटाफट से दूर होकर कहा–"  यह क्या था...?




    " युग— कुछ नहीं आते हुए मेरे लिए काफी ले आना!" इतना बोल युग वहां से चला गया था, युग के जाते ही कनक भी वहां से किचन में आ गई थी !" उसने किचन में आकर किचन की स्लैब पर हाथ रख गहरी सांस लेने लगी , उसके दिमाग में युग के पूछे गए एक-एक सवाल से उसे  घुटन हो रही थी !" उसने अपनी आंखें बंद की और धीरे से खुद से कहा–"  अगर वह लोग मुझे  ढूंढते हुए यहां आ गए तो!"  नहीं.....नहीं .... वो मुझे पकड़ के वापस ना भेजें  दे वो वाह पर, क्या करूं यहां से चली जाऊं ..? या यहीं पर रहूं!"
    कभी लगता है यहां पर रहना सेफ है पर कभी डर सा भी लगता है , लोगों से तो मैं छुप सकती हूं , पर इन लोगों के सवालों से कैसे छुपु!" इतने दिन हो गए लेकिन इनके सवाल बंद होने के बजाए बढते ही जा रहे है, !" क्या करूं ऐसा! की इनके  सवाल बंद हो जाए" आई डॉन्ट अंडरस्टैंड व्हाट टू डू !"  आई कांट बिलीव दैट यू कैन डू समथिंग लाइक दिस...?"  इतना बोल कनक ने अपने सर पर हाथ रख लिया, लेकिन अचानक ही उसने खुद के सर पर हाथ मारते हुए कहा –" ओह गॉड अभी तो किसी ने सुन लिया होता ना तो   मैं पकड़ी जाती!"
    इतना बोल कनक ने अपनी आंखों को कस के बंद कर लिया था! 




    " युग और सार दोनों कमरे में बैठे हुए थे, युग ने सार को देखते हुए कहा...." पता करो जो जो  मेने तुम्हे  बताया है, सारी डिटेल्स निकालो समझे तुम कुछ अजीब नहीं लगता  तुम्हे...?" बाकी मैंने तुम्हें जो भी बताया है, वह सब करवा देना समझे ना और  कनक को इस रूम में मत आने  देना,  इतना बोल युग ने सार को कोई इशारा किया और दोनों वहां से निकल गए !"

    " युग ने  सामने से आती हुई कनक को देखा वह सार की ओर देखकर कहा–"  याद रखना कल फैमिली की सभी मेंबर आ रहे हैं, तो उन्हें लेने तुम खुद एयरपोर्ट चले जाना समझे!" युग की बात कनक ने सुन ली थी उसने युग को कॉफी देते हुए कहा..." अगर आपको कुछ और चाहिए तो हमें बता दीजिएगा और कल कौन-कौन आ रहा है आप हमें बता देते  तो हम उस हिसाब से थोड़ा बहुत कुछ काम करवा देते!" वैसे भी हम बैठे-बैठे बोर हो रहे थे! और पिछली बार स्वरा आई थी तब भी आपने नही बताया था, इस पर फैमिली मेंबर आ रहे है तो हम उनका स्वागत करते है ना अच्छा सा!"


    " सार ने कनक की बात सुनी और कहा–" और वो लोग बहुत सिंपल है, दादी मां को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए बाकि तुम टैंशन मत लो!"

    " युग वाह से अपने रूम में चला गया उसके पीछे सार भी आ गया था उसने युग को परेशान देखा और कहा –" क्या हुआ युग परेशान सा लग रहा है

    " युग ने सार की बात सुनी और बालकनी की रेलिंग पर अपना हाथ रखकर कहा–" हा कनक को केसे मिलवाएंगे ये तो सोचा ही नहीं!" एक तो ये अचानक से आ रहे है, ऊपर से कनक इसके बारे में भी तो जानना जरूरी है, हम इसे यहां से कही भेज भी नही सकते ना! और दादी ने इसे देखा तो तुम जानते हो ना, उनको अच्छा नही लगेगा!"  मां को केसे मनाऊंगा, और तो और दादी,पापा, मुझे तो अजीब लग रहा है सब एक साथ आ क्यो रहे है, वो भी अचानक से, हमे तो पता भी नही चलता,  वो तो स्वरा ने बता दिया,!"

  • 14. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 14

    Words: 1048

    Estimated Reading Time: 7 min

    युग ने सार की बात सुनी और बालकनी की रेलिंग पर अपना हाथ रखकर कहा–" हा कनक को केसे मिलवाएंगे ये तो सोचा ही नहीं!" एक तो ये अचानक से आ रहे है, ऊपर से कनक इसके बारे में भी तो जानना जरूरी है, हम इसे यहां से कही भेज भी नही सकते ना! और दादी ने इसे देखा तो तुम जानते हो ना, उनको अच्छा नही लगेगा!"  मां को केसे मनाऊंगा, और तो और दादी,पापा, मुझे तो अजीब लग रहा है सब एक साथ आ क्यो रहे है, वो भी अचानक से, हमे तो पता भी नही चलता,  वो तो स्वरा ने बता दिया,!"


    " सार ने युग के कंधे पर हाथ रखा और कहा –" टैंशन मत लो, सब कुछ ठीक हो जायेगा,, और फैमिली को तो संभाल लेंगे हम, बता देना उन सबको!"  या फिर कुछ बहाना बना लेना! बाकि आने दो कल उनको सब कल देख लेंगे!"  इतना बोल सार वाह से चला गया!" युग को उसकी बात सही लगी,!" वो भी अपने आप में ही कुछ सोच रहा था! उसने खुद से ही कहा –" कोन हो तुम...? क्या है तुम्हारा राज!"  मुझे सब जानना है, क्या छुपा रही हो तुम हम सबसे, सच तो तुम बोलोगी और वो भी बहुत जल्दी!"




    सुबह हो गई थी सब अपने अपने काम में लगे हुए थे, युग जल्दी ही कही चला गया था!" वो जब कुछ घंटो में आया तो उसके हाथ में एक फाइल थी, उसने इधर उधर देखा और उस फाइल को सोफे पर रखकर जल्दी से सार के रूम में चला गया, उसका ध्यान उस फाइल पर गया ही नही वो कुछ देर सार से बात करके वाह से सीधा अपने रूम में चला गया!"


    तो वही कनक जब नीचे आई तो उसकी नजर उस फाइल पर गई उसने ध्यान से उस फाइल को देखा और उसे खोलकर देखना चाहा की तभी सार ने उसके हाथ से फाइल ले ली थी, उसने जेसे ही फाइल ली तो कनक ने उसकी और देखा तो सार ने कहा –" तुम्हारे काम की नही है, युग की है वो मंगा रहा है में देकर आता हूं! वैसे भी तुम्हे तो पढ़ना नही आता होगा ना...?"

    सार के बोलते ही कनक ने अपनी गर्दन को ना में हिलाया और धीरे से कहा–" ज्यादा इंग्लिश नही आती! इतना बोल कनक वाह से चली गई उसके जाते ही सार ने चैन की सांस ली और ऊपर चला गया, तो वही कनक किचन में आई और सेल्ब पर हाथ रखकर  खुद से बोली–" अरेस्ट वारंट...? किसका था वो आह्ह्ह्ह मेने अच्छे से देखा तक नही, लेकिन वो इस घर में क्या कर रहा है..? किसके नाम का अरेस्ट वारंट था वो और यहां क्यों, और सार क्यों बोल रहा था की वो युग के काम की फाइल है...? मुझसे कुछ गलती तो नही हो रही इन लोगो को जानने में...? नही नही.... मुझे संभल कर रहना होगा!"



    युग अपने रूम में था वो चेंज करके बाहर ही आया था की तभी सार ने उस फाइल को जोर से बेड पर पटकते हुए कहा –" तू पागल है क्या..? इस फाइल को वाह नीचे छोड़ आया शुक्र माना वो कनक ज्यादा पढ़ी लिखी नही है, लेकिन उसे थोड़ा बहुत आता है पढ़ना, अगर उसने ये देख लिया होता तो सब खराब हो जाता!" युग ने जेसे ही सुना उसने अपने सर पर हाथ रख लिया, और कुछ सोचते हुए बोला–" मुझे ना सच में लग रहा है, जेसे ये बहुत कुछ छुपा रही है, ये तो कन्फर्म है की इसी ने उसे मरा था, लेकिन बस इसके मुंह से निकलवाना होगा और उसके लिए मेरे पास अब एक ही आइडिया है, इतना बोल युग मुस्कुराने लगा!"


    सार समझ चुका था उसने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा–" हो सकता है लेकिन मेरा मन ही नही मान रहा की ये ऐसी लड़की है, यार वो कितनी अच्छी है और भाई जो तू करने का सोच रहा है वो बहुत गलत है, क्या पता उससे तुम दोनो हर्ट हो, क्या पता उस लड़की के दिल में तुम्हारे लिए फीलिंग आ जाए देख तूने ऐसे काम बहुत बार किए है लेकिन इसके साथ प्लीज नही ना यार  सार के बोलते ही युग ने उसे देखा और कहा –" ज्ञान मत दे मुझे जो करना है मैं कर लूंगा!" और मुझे पता है इन लड़कियों के साथ क्या करना होता है!"




    कुछ ही देर में सब लोग एक साथ नीचे बैठकर बात कर रहे थे आज स्वरा भी यही थी , वो और सार बातो में लगे हुए थे तभी युग ने कनक की और देखकर कहा –" शाम को टेरेस पर मिलना काम है मुझे तुमसे! युग के ये बोलते ही कनक ने हा में गर्दन हिलाई और सबकी और देखकर बोली–" डिनर मैं आप सब क्या खायेंगे, उसके ये बोलते ही स्वरा ने कहा –" आज तो भाई के हाथ के पनीर के पराठे बहुत अच्छे बनाते है भाई, स्वरा के बोलते ही युग ने उसे देखा और गर्दन को ना में हिलाया लेकिन स्वरा मानने को तैयार ही नही थी, उसने युग का हाथ पकड़ा और कनक के हाथ को पकड़ कर उसमे देते हुए बोली–" जाओ और भाई की हेल्प करो और पनीर पराठे बनाओ, उसके ये बोलते ही युग की नजर कनक पर गई जिसके फेस पर स्माइल आ गई कनक भी युग के यूं देखने से शर्मा कर रह गई थी,  उसने अपने एक हाथ से अपने बालो को पीछे किया और उठकर किचन में चली गई,


    युग भी उसके पीछे पीछे आ गए था, दोनो किचन में पराठे बना रहे थे, लेकिन दोनो की दिल की धड़कन काफी तेज गति से चल रही थी, और बीच बीच में दोनो एक दूसरे को देख रहे थे, नॉर्मल सी बात होती है अगर एक लड़का और एक लड़की एक साथ रहेंगे तो नॉर्मल ही बात है दोनो के बीच अट्रेक्शन और प्यार तो होगा ही और यही कुछ इशारे इनके प्यार के थे, कनक अपनी नजरे युग से बचाकर बीच बीच में उसे ही देख रही थी, लेकिन युग को ये बात आराम से पता चल रही थी, उसने अपने एक हाथ में आटा लिया और कनक के फेस पर लगा दिया !"


    कनक के फेस पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई थी, उसने भी अपने हाथ में आटा लिया और युग के फेस पर लगा दिया उसके इस हरकत पर युग ने उसे देखा और मुसुराने लगा,

  • 15. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 15

    Words: 1037

    Estimated Reading Time: 7 min

    युग से बचाकर बीच बीच में उसे ही देख रही थी, लेकिन युग को ये बात आराम से पता चल रही थी, उसने अपने एक हाथ में आटा लिया और कनक के फेस पर लगा दिया !"


    कनक के फेस पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई थी, उसने भी अपने हाथ में आटा लिया और युग के फेस पर लगा दिया उसके इस हरकत पर युग ने उसे देखा और मुसुराने लगा, उसने कुछ भी नही बोला था और आज कनक को युग का यूं बदला हुआ अंदाज अजीब सा लग रहा था! दोनो ने कुछ ही देर में पराठे बना लिए थे, और सब मिलकर अब डिनर कर रहे थे!"



    शाम और रात को हो गई थी कनक ऊपर छत पर खड़ी हुई थी तभी उसे लगा जेसे कोई उसके पीछे हो उसने देखा तो युग था जिसके हाथ में कॉफी थी, उसे कनक की और आगे बढ़ाते हुए बोला–" कॉफी पीए आई थिंक जो सोच रही हो अच्छे से सोच पाओ!"


    कनक ने युग को देखा और कहा–" कुछ नही सोच रहे थे, आप बताइए आपको क्या बात करनी थी! कनक के बोलते ही युग ने कॉफी के मग को रेलिंग पर रखा और कहा –" अपने दिल की बात बोलने आया था, कु दिनों से एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी, तुम्हे देखें बिना रह नहीं सकता और तुमसे दूर जा भी नही पा रहा इसलिए आज हिम्मत करके आया हुं, कनक आई लव यू, आई नो तुम्हे ये सब अचानक अजीब लगेगा लेकिन ये सच है, में तुमसे पता नही कब प्यार कर बैठा, मुझे खुद पता ही नही चला!" इतना बोल युग शांत हो गया"


    कनक ने उसे देखा और कहा–" जानते है, प्यार एक अलग ही अहसास है, अगर इन्सान के मन में आ जाए तो उसे अपना दीवाना बना देता है, ये अहसास हर किसी के।लिए अच्छा होता है, और शायद मैं भी आपके लिए कुछ ऐसा ही फील करने लगी हूं, जब भी आपको देखती हूं मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगती है!" उसके इतना बोलते ही युग ने उसके एक हाथ को पकड़ा और अपने एक हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे अपने करीब कर लिया!"


    दोनो अभी एक दूसरे की बाहों में थे और युग के हाथ कनक की कमर पर और एक हाथ उसके चहरे के बालो को सही कर रहे थे!" तभी कनक ने युग से कहा –" हमे कुछ बताना है आप को...?"


    उसके ये बोलते ही युग के फेस पर स्माइल आ गई उसने मुस्कुराते हुए धीरे से कहा–"  बोलो क्या बोलना है, उसने इतना कहा और तुरंत एक हाथ साइड करके अपना फोन निकाला और उसमे कुछ ऑन कर दिया!" तभी कनक ने कहा –" मुझे इंग्लिश सीखनी है आप इतने पढ़े लिखे है और मैं... मैं तो कुछ जानती ही नही हुं मैं आपके बराबर की भी नही हूं!"



    " युग के चहरे के जो भाव बदले थे वो अब फिर बदल गए थे उसने अपना फोन रखा और कहा–" ओके पक्का थी बात बोलनी थी और कुछ बोलना ना..?" युग के ये बोलते ही कनक ने उसे देखा और कहा–" बोलना है ना!"

    " उसके इतना बोलते ही युग के चहरे पर फिर से मुस्कुराहट आ गई थी उसने फिर अपना फोन ऑन कर लिया था! तभी कनक ने उसकी और पलटकर उसके चहरे के पास आते हुए धीरे से कहा –" आई लव यू...... उसने इतना बोला और उसकी आंखो में देखने लगी!" और आगे बढ़कर उसके होठों को चूम लिया!" युग ने कनक की ये हरकत देखी तो उसके फेस पर स्माइल आ गई उसके फेस के भाव बदला गए थे उसने कनक को कमर से पकड़ा और उसे गोद में उठाकर वाह से नीचे अपने रूम में ले आया था!"


    " तो वही स्वरा और सार एक साथ रूम में बेठे हुए थे , स्वरा फोन में कुछ कर रही थी और सार उसके पीछे बैठा उसके  बालो में तेल की मालिश कर रहा था!

    युग कनक को लेकर अपने रूम में आया और उसे बेड पर लिटा दिया!" कनक की आंखो में कोई भाव नहीं थे उसने युग के हाथ को अभी भी कस के पकड़ा हुआ था युग ने उसे देखा और उसी के पास लेट गया दोनो एक दूसरे की बाहों में थे!" कनक बस युग को देख रही थी! उसे सच में बहुत सुकुन मिल रहा था ! और सुकुन के साथ उसे लग रहा था मानो वो इन हाथो में महफूज है! लेकिन युग के मन में क्या चल रहा था ये सिर्फ युग जानता था! युग ने कनक को देखा और कहा–" क्या एक किस.... इतना बोल वो चुप हो गया कनक ने उसे देखा और उठ गई उसने युग को देखा और तुरंत आगे बढ़कर युग के होठों पर अपने होठ रख दिए!" और तुरंत ही दूर होकर वापस से युग के सीने पर अपना सर रखकर युग के चेस्ट पर अपने हाथ रखकर अपनी आंखे बंद कर ली!"

    " युग को एक बार को हैरानी तो हुई लेकिन उसके चहरे पर मुस्कान भी आ गई थी, उसने कनक को अपने साथ लिया और वही अपनी बाहों में लेकर सो गया!"




    तो वही मुंबई में एक घर जो दिखने में काफी सुंदर था, लेकिन उस पूरे घर की लाइट्स ऑफ थी सिवाए एक रूम के, उस रूम की खिडकी पर खड़े उस लड़के के चहरे पर हवा की तरह भाव बदल रहे थे, उसने अपना एक हाथ अपनी कमर पर और एक हाथ अपने सर पर रखा हुआ था, उसने अपने हाथ की दोनो उंगलियों को माथे पर रगड़ा और अपने हाथ को उस खिडकी की दीवार पर जोर से मारकर कहा –" कहा हो आखिर तुम....? कहा ढूंढू तुम्हे...? मिल क्यों नही रही हो तुम!" इतना बोल वो लड़का वही खिड़की से टिककर बैठ गया, हवा से भी तेज उसके चहरे के भाव हर पल में बदल रहे थे, लेकिन उसका दिमाग काम ही नही कर रहा था!"



    तो वही अगली सुबह कनक के कानो में घर में हो रहे शोर शराबे की आवाज आई तो उसकी आंख खुल गई, उसने देखा तो वो युग के रूम में थी, और यही देखकर उसके चहरे पर शर्माहट साफ दिखाई पड़ रही थी, उसने एक नजर खुद को देखा जो बिल्कुल सही थी, वो रूम से निकली और बाहर देखा तो घर में एक औरत और एक बुजुर्ग महिला थी,

  • 16. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 16

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    तो वही अगली सुबह कनक के कानो में घर में हो रहे शोर शराबे की आवाज आई तो उसकी आंख खुल गई, उसने देखा तो वो युग के रूम में थी, और यही देखकर उसके चहरे पर शर्माहट साफ दिखाई पड़ रही थी, उसने एक नजर खुद को देखा जो बिल्कुल सही थी, वो रूम से निकली और बाहर देखा तो घर में एक औरत और एक बुजुर्ग महिला थी, दोनो को देखकर कनक को समझते देर भी नही लगी की ये युग की फैमिली है, और उनके यूं आने से कनक के फेस पर शर्म साफ नजर आ रही थी!"  वो अपने रूम में गई और रेडी होकर नीचे जाने के लिए अपने रूम से बाहर आई की तभी युग उसे दरवाजे पर ही मिल गया उसने कनक को पकड़ कर रूम में लिया और उसकी कमर पर हाथ रखकर बोला–" अभी नीचे कुछ मत बताना, मैं सब कुछ अपने तरफ़ से हैंडल करूंगा, इसलिए मॉम, दादी, डैड या अनु कुछ भी पूछे तो ज्यादा जवाब मत देना!"


    " कनक को अजीब लगा लेकिन वो ये भी जानती थी की अचानक से उनके रिश्ते की बात करना भी सही नही होगा, इसलिए उसने ज्यादा ध्यान नही दिया और एक बार फिर भी युग की और देखकर बोली–" आप तो हमसे प्यार करते है ना..? तो क्या दिक्कत है फिर नीचे बोलने में वैसे भी तो आप बात करेंगे!

    " कनक की बात सुनकर एक ही मिनट में युग के फेस के रंग उड़ गए थे ,लेकिन उसे सिचुएशन हैंडल करना आता था, उसने अपने हाथ को थोड़ा सा दबाया और कनक को अपने और करीब करके कहा –" तुम बताओ हार्ट पैसेंट वाले को सीधा तो नही बता दोगी ना, वैसे ही अचानक से मेरी शादी और तुम्हारा सुनकर मेरी दादी की हालत खराब हो सकती है, इसलिए में सबको अपने हिसाब से बताऊंगा, इसलिए तुम टेंशन मत लो, मैं ये नही बोल रहा की तुम अपनी आईडी ही छुपा लो, लेकिन  इतना सब कुछ अचानक से बताना बस इसलिए बोल रहा था!

    " कनक ने उसके चेहरे को देखा जिसपर भाव थे लेकिन उसे समझने में काफी अजीब लग रहे थे, उसने युग की तरफ देखा और अपना हाथ से उसके हाथ को  हटा दिया और कहा –" ओके! इतना बोल कनक वाह से चली गई!"


    युग ने एक नजर उसे देखा और वाह से खुद भी नीचे चला गया! नीचे सब लोग एक साथ बैठकर बातें कर रहे थे,  कनक को देखते ही दादी और युग की मॉम की बोहे तन गई थी, दो लडको के बीच एक लड़की घर में रहना उन्हे बिलकुल अच्छा नही लगा था और ये बात उनके चहरे पर साफ दिखाई पड़ रहा था!"

    युग कुछ बोलता उससे पहले ही उसकी मॉम ( पल्लवी जी) ने युग की और देखकर अपना सवाल रखा–" युग ये कोन है...?"


    युग ने कनक की और देखकर कहा–" मॉम ये सार की कजन है


    पल्लवी जी ने कनक को देखा और कहा–" क्या नाम है वैसे और मेने तो कभी भी  नही सुना सार से..?"

    सार ने युग की बात सुनी और खुद से ही धीरे से बड़बड़ाया –" वाह मेरी कजन भी आ गई और मुझे ही पता नही चला, अमेजिंग! उसके पास खड़ी स्वरा ने ये बात सुन ली थी, उसके चहरे पर मुस्कुरहाट आ गई तभी उसने धीरे से बुदबुदाते हुए कहा–" भाई ने बता दिया ना!


    कनक ने पल्लवी जी की बात सुनी और कहा –" कनक नाम है मेरा! आप लोग बैठिए मैं चाय लेकर आती हुं, इतना बोल कनक वाह से रसोई मे आ गई थी, उसने वाह आकर चैन की सांस ली और  खुद से कहा –" कहा... कहा फसा दिया, खुद की ही लाइफ से घुटन हो रही है, मन तो कर रहा है अभी जाऊ और सबको सब बताऊं लेकिन इंसान और कानून दोनो ही सबूत पर विश्वास करते है,  मुझे केसे भी करके बात करनी होगी उससे, एक वही इंसान है जो बिना किसी सबूत के  मुझ पर विश्वास कर सकता है,  इतना बोल कनक ने कप में चाय ली और  वाह से बाहर आ गई उसने सब को चाय दी और खुद भी बैठ गई, उसने सबको देखा तो सब एक दूसरे से बहुत अच्छे से बात कर रहे थे, उसने उन सब को साथ देखा तो उसके फेस पर स्माइल आ गई लेकिन उसकी आंखो में हल्की नमी भी थी,  उसने तुरंत अपनी आंखो को सबसे बचते हुए साफ की और वापस से सबको देखने लगी जो एक दूसरे से बस प्यार से बात कर रहे थे!"


    कुछ ही देर में सब लोग अपने अपने रूम में चले गए थे , कनक ने एक नजर सीढियों से पास खड़े होकर चारो तरफ देखा और नीचे हाल में आ गया उसने इधर उधर देखा तो कोई नही था, उसने टेबल पर रखे फोन को उठाया और उसमे एक नंबर डायल करने लगी, उसने नंबर डायल किया तो सामने से फोन ऑफ आ रहा था!"  सामने से फोन के ऑफ आने पर कनक ने अपने सीने पर हाथ रख लिया,  और खुद से बोली–" एक तुम हो जो हेल्प कर सकते हो, और आज तो जब  तुम्हारी मदद चाइए तब ही ये सब, ओह गॉड, इतना बोल उसने वापस से फोन डायल किया लेकिन वापस से ऑफ आ रहा था!" उसने जेसे ही दोबारा फोन डायल करने के लिए हाथ आगे बढाया था की तभी उसके कानो में पल्लवी जी की आवाज आई जो सबको खाने के लिए बोल रही थी!"

    कनक के हाथ पैर कांपने लगे थे, उसने फोन रखा और वाह से सोफे पर बैठ गई, तभी सब लोग नीचे आ गए थे, सबको आया देखकर कनक खड़े होते हुए बोली–" आप लोग आइए मैं डिनर लगवा देती हुं! इतना बोल  वो वाह से किचन में चली गई!"


    कनक किचन में रामू भैया की मदद कर रही थी, दोनो सबके लिए डिनर लगा रहे थे, सब लोग एक साथ बैठकर डिनर कर रहे थे, कनक ने युग को देखा जिसने आज उससे अच्छे से बात भी नही की थी, उसे अजीब लग रहा था, उसने जल्दी से खाना खाया और अपने रूम में चली गई !"

  • 17. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 17

    Words: 1043

    Estimated Reading Time: 7 min

    कनक किचन में रामू भैया की मदद कर रही थी, दोनो सबके लिए डिनर लगा रहे थे, सब लोग एक साथ बैठकर डिनर कर रहे थे, कनक ने युग को देखा जिसने आज उससे अच्छे से बात भी नही की थी, उसे अजीब लग रहा था, उसने जल्दी से खाना खाया और अपने रूम में चली गई !"


    युग ने कनक को देखा और उसने भी खाना ख़त्म किया और सबके साथ अपने रूम में चला गया, सब लोग अपने अपने रूम में थे!" युग ने टाइम देखा तो रात के बारह बज रहे थे, वो निकल कर कनक के रूम के बाहर आया तो देखा उसके रूम की लाइट ऑन थी!" उसने अपने रूम कनक के रूम की और बढ़ा लिए , कनक बेड पर बैठी हुई थी, युग उसके पास आया और बैठते हुए बोला–" क्या हुआ गुस्सा हो?"

    कनक ने युग की आवाज सुनी और बेड से उठकर सही से बैठते हुए बोली–" नही तो!

    युग ने कनक को देखा और अपने फोन को अपने हाथ में लेकर कनक के थोड़ा सा करीब आते हुए बोला–" मुझे तो लग रहा है तुम नाराज हो, क्या हुआ है बताओ तो! "

    कनक ने युग की बात सुनी और बोली –" ऐसा नही है, मैं क्यो गुस्सा होने लगी,



    युग ने कनक को देखा और अपने एक हाथ को उसके चहरे के पास लेकर गया और उसके बालो को कान के पीछे करते हुए बोला–" हम्मम तो सोई क्यों नही तुम अभी तक?"

    कनक के शारीर में सिरहन सी दौड़ने लगी थी, उसने एक हाथ से बेडशीट को कस लिया था, और बस युग को देख रही थी, तभी उसने कहा–" कुछ नही बस मुझे नींद नही आ रही थी,




    युग ने कनक के कंधे पर हाथ रखा और अपने पास करते हुए बोला–" प्यार में सबसे पहले एक दूसरे को विश्वास होना चाइए, और अपने पार्टनर से झूठ नही बोलना चाइए जो भी राज हो, या कोई भी बात हो उसे बता देना चाइए, इसलिए मेने पूछा लेकिन जब तुम्हे बताना ही नही है तो क्या करूं!"


    कनक चुप थी, उसने युग से काफी कुछ छुपाया था, लेकिन उसे नींद आ रही थी, उसने अभी युग से झूठ बोला था, उसने युग के कंधे पर अपना सर रखा और बोली–" तुम्हे ना मुझे बहुत जरूरी बात बतानी है, मैं ना ..... मेने ना  इतना बोल कनक कुछ देर चुप हो गई!"

    युग ने उसके सर पर हाथ फिराया और एक हाथ से अपना फोन ऑन कर दिया, और कहा –" हा मैं जानता हुं, कुछ तो है तुम्हारे साथ जो तुम छुपा रही हो, लेकिन बताओगी नही तो मालूम केसे होगा, इसलिए बताओ में सुन रहा हुं, दिल में जो भी है सब कुछ बाहर निकाल दो!"


    युग बस बेसब्री से कनक के बोलने का इंतजार कर रहा था, लेकिन कनक कुछ नही बोल रही थी, जब काफी देर तक कनक कुछ नही बोली तो उसने उसके चेहरे को ऊंचा करके देखा तो कनक सो गई थी, युग को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन अचानक से उसकी नजर कनक पर गई तो उसकी नजर कनक पर ही ठहर गई थी, वो सोते हुए बहुत प्यारी लग रही थी, उसके बालो उसके गालों पर आ रहे थे, और उसके युग को पकड़ा हुआ था उसका हाथ युग की बाजू और एक हाथ उसके पेट पर था, युग ने कुछ देर उसे देखा और फिर बेड पर लिटा दिया, उसने अपने कमर पर हाथ रखा और इधर उधर सोचने लगा, लेकिन उसे तो कुछ समझ नही आ रहा था!" लेकिन तभी जेसे उसे कुछ याद आया, उसने मुस्कुराते हुए कनक को देखा और उसके पास बेड पर हो सो गया!"

    सुबह जब कनक की आंख खुली तो उसने देखा , युग उसके बगल में सोया हुआ था, ये देखकर कनक को हैरानी हुई लेकिन उसके फेस पर एक मुस्कान भी आ गई थी, उसने युग को देखा और मन में कहा–" हो तो तुम बड़े प्यारे फिर इतना गुस्सा नाक पर लेकर क्यों चलते हो !"
    इतना बोल उसने उसके नाक को टच किया की तभी युग ने नींद में करवट बदल ली थी, कनक उसके उठ जाने के डर से बेड से उठ गई थी, वो जल्दी से रेडी होकर रूम में आई और अपने बालो को टॉवल से साफ करने लगी, की तभी युग की आंख खुल गई थी उसकी नजर अन्यास ही कनक पर गई लाईट पिंक कुर्ते में और खुले बाल ऊपर से बालो में से पानी निकलकर उसके चहरे पर आ रहा था युग की नजर उस पर से हट ही नही रही थी, की तभी युग ने अपने सर के नीचे हाथ रखा और करवट बगलकर बस कनक को देखने लगा और अचानक से खुद मन में सोचने लगा–" पता नही क्यो मैं तुम्हारी तरफ खींचा चला आता हूं, तुम से दूर रह ही नही पा रहा, कभी कभी तो लगता है तुम्हारे पास आने का नाटक मुझे खुद महंगा ना पड़ जाए लेकिन उससे पहले ही मुझे कुछ करना होगा!"





    कनक ने आईने में से युग को देखा और अपने हाथ में पकड़े टॉवल को युग पर डाल कर नीचे चली गई!" कनक जेसे ही रूम से निकली की तभी युग की मोम की नजर उसपर गई, उन्होंने जाति हुई कनक को देखा और कुछ बोलती उससे पहले ही कनक के रूम से जाते युग पर नजर गई तो वो हैरान रह गई!" लेकिन उन्होंने ज्यादा रिएक्ट भी नहीं किया!"वो तुरंत वाह से चली गई थी, युग भी उठ गया था और अपने रूम में रेडी होने लगा था, उसके दिमाग में कल की बात चल रही थी कितना कुछ किया था उसने कनक के मुंह से सच सुनने के लिए लेकिन अचानक ही उसे नींद आ गई यही सब लगातार युग के मन में चल रहा था कि अचानक उसे कनक का अहसास छू कर निकला, जब कल वो सो रही थी तो कितनी प्यारी लग रही थी,


    तो वही कनक अपने रूम में आ गई थी और वहीं एक साइड बैठकर अपने बालों को सुख रही थी, लेकिन उसके दिल में भी कही न कही वही युग के खयाल घूम रहे थे जो उसे उसकी और खींचने पर मजबूर कर रहे थे, कनक युग की और खींची चली जा रही थी, और अब शायद युग का भी कही न कही वहीं हाल था लेकिन उसके चेहरे से ऐसा अभी तक कुछ नहीं लगता था,

  • 18. गुनाह –ए –मोहब्बत - Chapter 18

    Words: 423

    Estimated Reading Time: 3 min

    तो वही कनक अपने रूम में आ गई थी और वहीं एक साइड बैठकर अपने बालों को सुख रही थी, लेकिन उसके दिल में भी कही न कही वही युग के खयाल घूम रहे थे जो उसे उसकी और खींचने पर मजबूर कर रहे थे, कनक युग की और खींची चली जा रही थी, और अब शायद युग का भी कही न कही वहीं हाल था लेकिन उसके चेहरे से ऐसा अभी तक कुछ नहीं लगता था,

    कुछ देर में कनक तैयार हुई और नीचे आ गई थी जहां सब लोग बैठे हुए थे सब नाश्ता कांड के लिए एक साथ आए थे तभी युग की मॉम ने कनक को देखा और कहा–" तुम इतना लेट कैसे हो गई आज?"

    उनका सवाल सुनकर कनक ने कुछ देर उन्हें देखा और कहा–" वो नींद नहीं खुली थी,

    तभी पल्लवी जी ने कहा–" अच्छा लेट सोई थी या नींद पूरी नहीं हुई होगी "

    उनकी बात सुनकर कनक ने कुछ नहीं कहा था लेकिन युग ने जेसे ही सुना उसने पल्लवी जी को देखकर कहा–" मेने उसे बुलाया था मेरे साथ थी,

    युग की बात सुनकर पल्लवी जी के अलावा सब के सब युग को देख रहे थे, लेकिन वो नाश्ता करने में बीजी था उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, पल्लवी जी ने युग को देखा और कहा–" नाश्ता करके हमे हमारे रूम में मिलना, बहुत जरूरी बात करनी है तुमसे इतना बोल सब नाश्ता करने लगे लेकिन कनक को अब आकवर्ड फील हो रहा था, उसने हल्का फुल्का नाश्ता किया और उठकर वाह से चली गई!"


    युग ने उसे नोटिस किया था लेकिन उसने कुछ नहीं कहा था, कुछ देर में सबने नाश्ता किया और अपने अपने काम में लग गए!"



    कनक अपने रूम में थी उसने बहुत हिम्मत की और स्वरा के रूम में आई उसने देखा तो स्वरा अपने कपड़े निकाल रही थी उसने दरवाजे पर कनका को देखा तो कहा –" क्या हुआ आप यहां?"

    कनका ने स्वरा को देखा और अंदर आते हुए बोली–" वो एक सेकंड आपका फोन चाहिए था कल युग ने कुछ पढ़ाया था तो वही एक बार देखना था मैं उनका फोन ले लेती लेकिन वो आंटी के रूम में है, उसके इतना बोलते ही स्वरा ने अपना फोन उठाया और कनक को देते हुए बोली–" आधे घंटे बाद में जाऊंगी तब तक रख लो, इतना बोल वो वॉशरूम में चली गई!"

    कनक ने जल्दी से फोन लिया और अपने रूम में आ गई उसने फोन ओपन किया और जल्दी से एक नंबर डायल किया लेकिन सामने से फोन ऑफ आ रहा था !"""""