आरव ओर आयु की कहानी
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निशांत ने आयु को किडनैप कर लिया था और वह अब आयु का नाम लेकर आरव को ब्लैकमेल कर रहा था। आरव की चाल को निशांत ने जल्द ही समझ लिया था और उसने आरव से यह कहा कि वह जाकर माहिरा को उन सब से बाहर निकले बदले में वह महिला को उसके धोके के बारे में नहीं बताएगा। अब इतनी आसानी से निशांत की बात नहीं मानने वाला था उसने कबीर को चिप के साथ दुबई भेज दिया जबकि खुद चंडीगढ़ जाने के लिए निकल गया था इस बीच आई यू निशांत के साथ उसके घर पर थी। निशांत ने अपने हाथ में एक प्लेट ले रखी थी जिसमें फ्रूट कटे हुए थे वह उसे आयु को देते हुए बोला, “यह लो चुपचाप से खा लो और उचित मत करो तुम प्रेग्नेंट हो अपने लिए ना सही अपने बच्चों के बारे में सोचो। ” आयु ने उसके हाथ से प्लेट में उसने सुबह से कुछ नहीं खाया था इसलिए आगे में बहस नहीं की। फिर भी आयु गुस्से में थे उसने निशांत को घूरते हुए कहा, “तो तुम माहिरा लूथरा के आदमी हो। जिस हिसाब से तुमने हमारे घर पर आकर हरकत की थी उससे मुझे समझ जाना चाहिए था जब तुम मुझे मारने के लिए यहां आए थे तो फिर एक्सीडेंट से मुझे बचाया क्यों तुम्हारे लिए तो तुम्हारा काम और भी आसान होने वाला था। ” “क्योंकि मैं नहीं जानता था तुम वही लड़की हो जिसे मैं पसंद करता हूं सच कहूं तो मैं आरव खुराना की पत्नी की फोटो तक नहीं देखी थी बस उसे ढूंढ लूंगा इसी विश्वास के साथ यहां आया था। अब तो मुझे मिल गई हो तो मेरा काम आसान हो गया आई प्रॉमिस मैं तुम्हें बहुत प्यार से रखूंगा। ” निशांत ने जवाब दिया। आयु ने उसे देखकर सारकास्टिकली सर हिला कर कहा, “क्या तुम्हें बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता कि मैं किसी और से प्यार करती हूं इस वक्त किसी और के बच्चे की मां बनने वाली हूं फिर भी तुम मुझसे शादी करना चाहते हो और अपने फ्यूचर के सपने देख रहे हो? ” “हां तो क्या फर्क पड़ता है मैं नैरो माइंडेड इंसान नहीं हूं। किसी के साथ रिलेशनशिप में नहीं था यह इसका मतलब यह नहीं कि मैं किसी के साथ फिजिकल रिलेशनशिप में भी नहीं था। चलो पास में हम दोनों के साथ जो भी हुआ उसे जाने देते हैं फ्यूचर में दोनों एक दूसरे के साथ रहेंगे और एक दूसरे को डेडीकेटेड रहेंगे। ” निशांत ने काफी बेपरवाही से कहा। आयु में उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप फ्रूट्स खाने लगी वह मन ही मन बड़बड़ाकर बोली, “मुझे आरव की कमजोरी नहीं बनना है। वह इंडिया आया हुआ है उसके पीछे की लोकेशन से पता चल रहा था कि वह इस वक्त हमारे मुंबई वाले घर में है। प्लीज अब इस बेवकूफ़ आदमी की बातों में बताना और अपने प्लेन के हिसाब से ही चलना। पता नहीं मैं कहां आकर फंस गई। ” आयु ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और उसे लम्हे को याद करने लगी जब वह निशांत के जाल में फंस गई थी। सुबह के करीब जब आयु आर्य के साथ हॉस्पिटल पहुंची थी तब सारे टेस्ट करवाने के बाद वह आर्य के साथ उसके केबिन में थी। आर्य ने आयु से कहां, “मॉम आप कैब लेकर घर चले जाइए। मुझे आने में थोड़ा टाइम लगेगा और ऐसी हालत में आपको ड्राइव नहीं करना चाहिए। ” “अच्छा ठीक है पर बार-बार मुझे कॉल करके मेरी हेल्प अपडेट मत लेना हॉस्पिटल में तुम्हारे साथ ही फिर भी तुम 50 कॉल कर चुके हो मुझे। ” आयु ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा। “हां ठीक है पर आप भी केयरफुल रहिएगा। घर आकर मुझे अंकल आंटी से आपकी शिकायतें नहीं सुनाई है तो एक गुड गर्ल बनकर रेस्ट कीजिएगा। ” आर्य ने मुस्कुरा कर कहा। आर्य से बात करने के बाद आयु वहां से बाहर आ गई तभी उसने देखा कि वहां निशांत अपनी गाड़ी से टिककर खड़ा था। “यह बेशर्म इंसान यहां तक आ गया। ” आयु ने मन ही मन बड़बड़ा कर कहा और उसे इग्नोर करके आगे जाने लगी तभी निशांत जल्दी से उसके सामने आकर खड़ा हो गया था। आयु ने उसे देखकर गुस्से में कहा, “मेरा रास्ता छोड़ो और यहां मैं तुम्हारी बातों में नहीं आने वाली हूं।” “अच्छा जो भी है उसे जाने देते हैं। अकेले कहां भटकोगी मैं तुम्हें घर ड्रॉप कर देता हूं और तुम्हारा घर जानता भी हूं तो मुझ पर यकीन कर सकती हो मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। ” निशांत ने कही प्यार से कहा। “नो थैंक्स मेरी टैक्सी आते ही होगी और मैं किसी अजनबी के साथ कहीं भी जाने का रिस्क नहीं उठा सकती हैं। ” आयु ने जवाब दिया। “टैक्सी वाला भी कौन सा तुम्हारा रिश्तेदार लगता है वह भी अजनबी ही होगा अच्छा मुझे एक टैक्सी ड्राइवर समझ कर पैसे दे देना। ” निशांत ने जिद करते हुए कहा। आयु ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया वह चुपचाप वहां कहीं टैक्सी का वेट कर रही थी 15 मिनट बीत जाने के बाद भी जब वहां कोई टैक्सी नहीं आई तो उसके पास खड़ा निशांत बोला, “देखो जिद करने से कुछ नहीं होगा साफ पता चल रहा है तुम थक गई हो और कमजोर भी लग रही हो आई प्रॉमिस में कोई भी उल्टी सीधी हरकत नहीं करूंगा पूरे रास्ते चुप रहूंगा। ” “ठीक है अपना मुंह बंद रखना।” आयु में जवाब दिया और निशांत के साथ जाने के लिए तैयार हो गई। गाड़ी में बैठते ही आयु अपनी रिपोर्ट पढ़ने लगी तभी निशांत की नजर उन रिपोर्ट्स पर गई। उसे पता चल गया था की आयु प्रेग्नेंट है और यह उसके पास अच्छा मौका था अब को ब्लैकमेल करने का ऊपर से महिला के साथ जो भी हुआ था उसके बारे में उसे पता भी था। अचानक निशांत ने यू टर्न लिया और उसे जबर्दस्ती अपने पास हॉस्टेज बना लिया था। फ्रूट खाने के बाद आयु में निशांत की तरफ देखकर कहां, “देखो मैं तुम्हें नहीं जानती हूं साथ ही मुझे यह भी नहीं पता कि तुमने मुझे कब और कहां देखा जिससे बात मैं तुम्हें पसंद आ गई तुमसे मिलने के बाद एक बात तो साफ है कि तुम महिला के जैसे नहीं हो क्यों उसे जैसी औरत के साथ काम कर रहे हो? ” निशांत में आयु की तरफ देखा और सिर हिलाकर कहा, “पैसों के लिए और किस लिए? वह मुझे उसके पास रहने के हर एक मिनट के पैसे देती है चाहे मैं उसके लिए उसे एडवाइज दूं या उसके पास में बैठकर एक सिंपल सा डिनर ही क्यों ना करूं बेचारी अकेली औरत है कोई दोस्त वगैरा है नहीं तो बस मैं उसका दोस्त बन गया और वह मुझे उसे दोस्ती की कीमत दे रही है।” “पैसा ही सब कुछ नहीं होता है यह तुम्हें एक दिन समझ आ जाएगा आज जैसे माहिरा लूथरा अकेली है और दोस्त बनाने तक के पैसे दे रही हूं वैसा ही हाल तुम्हारा होगा। ” आयु ने निशांत को समझाने की कोशिश की। “नहीं मैं अकेला नहीं रहूंगा क्योंकि तुम मेरे साथ रहोगी। मुझे पता चला है कि तुम्हारा और आरव का पहले ही डाइवोर्स हो चुका है। उसे फिर से माहिरा के पास जाना पड़ेगा और तुम्हें मुझसे शादी करनी है शादी के बाद भी मैं तुम्हें छोड़ने वाला हूं बाकी मुझे तुम्हारे बच्चों को कोई प्रॉब्लम नहीं है ऐसा मुझे बच्चे अच्छे लगते हैं क्या फर्क पड़ता है अगर इसका बाप आरव खुराना हो। ” निशांत ने जवाब दिया वह अभी तक अपनी जिद पर अड़ा हुआ था आयु समझ गई थी कि निशांत को समझाने का कोई फायदा नहीं है वह इतनी आसानी से नहीं मानने वाला था। फ्रूट्स खाने के कुछ ही देर में आयु को नींद आ गई थी निशांत उसके आसपास टहल रहा था। उसे आरव की अगली अपडेट का वेट था इस बीच आरव चंडीगढ़ पहुंच चुका था और आते ही वह सीधे खुराना मेंशन में गया। आर्य पूरे दिन से हॉस्पिटल में था इस वजह से उसे पता नहीं चला की आयु घर नहीं पहुंची है सर्जरी में बिजी रहने की वजह से वह अपना मोबाइल भी ऑन नहीं कर पाया था वहीं युवराज और प्रिया को लग रहा था कि आयु आर्य के साथ हॉस्पिटल में रुक गई है। आरव ने जैसे ही खुराना मेंशन में कदम रखा सिक्योरिटी गार्ड उसकी तरफ हैरानी से देखने लगा आरव में उसे इग्नोर किया और अंदर गया। हमेशा की तरह युवराज लिविंग रूम में बैठे ऑफिस का काम देख रहे थे तो प्रिया उनके पास बैठकर मोबाइल में लगी हुई थी। आरंभ में इतने टाइम बाद उन्हें देखा था ऊपर से आयु की जो सिचुएशन थी उसमें वह इमोशनल हो रहा था फिर भी उसके पास इमोशनल होने का टाइम नहीं था। आरव ने गहरी सांस ली और फिर युवराज और प्रिया की तरफ देखकर तेज आवाज में कहा, “मॉम डैड। ” आरव की आवाज सुनकर युवराज और प्रिया ने तुरंत ऊपर देख उन्हें तो अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि अब घर लौट आया है प्रिया ने कुछ नहीं सोचा समझा वह जल्दी से खड़ी हुई और दौड़कर गले लग गई इस वक्त उसकी आंखों में आंसू थे। “मेरा दिल कहता था कि एक दिन तुम जरूर आओगे। तुम वापस आ गए हो ना अब हम सबके पास। ” प्रिया ने रोते हुए कहा। युवराज भी अब को देखकर काफी खुश था वह उसके पास आकर उसके कंधे को सहलाने लगा आरव प्रिया से अलग हुआ और बोला, “हां मैं वापस आ गया हूं लेकिन उससे पहले मुझे बहुत जरूरी चीज देखनी है सबसे पहले मुझे यह बताइए कि आर्य कहां है?” “वह आयु के साथ हॉस्पिटल में है मैं उसे कॉल करके यहां बुला देता हूं। ” प्रिया ने जवाब दिया। “नहीं मॉम, आर्य आयु के साथ हॉस्पिटल में नहीं अकेले हॉस्पिटल में है और आदमी को इस वक्त माहिरा के किसी आदमी ने किडनैप कर रखा है फिलहाल आप आर्य वह घर पर बुलाइए मैं देखता हूं कि मुझे क्या करना है। ” आरव में जवाब दिया वही आयु के किडनैप होने की खबर सुनकर युवराज और प्रिया दोनों ही चौंक गए थे साथ ही उनके चेहरे पर घबराहट के भाव भी थे। आरव को जल्द से जल्द आयु को ढूंढना था ताकि वोमाहिरा के खिलाफ उसने लेकर हमेशा के लिए उसकी कैद से आजाद हो सके। °°°°°°°°°°°°°°°°
hello
आरव ने बहुत मुश्किल से आयु के पास वापस आने का प्लान बनाया था लेकिन अचानक ही निशांत ने पूरा पासा बदल दिया था उसने आयु को किडनैप कर लिया था ऊपर से वो प्रेग्नेंट भी थी निशांत आरव को ब्लैकमेल कर रहा था कि वो आयु को छोड़ दे और माहिरा के पास चला जाए। आरव ने निशांत की बात नहीं मानी और उसने कबीर को दुबई भेज दिया था इस बीच आरव चंडीगढ़ अपने घर पर पहुंचा और अपने मॉम डैड से मिलकर आयु के किडनैप होने की बात बताई। आरव को अपनी हेल्प के लिए आर्य की जरूरत थी इसलिए उसने युवराज को आर्य को बुलाने के लिए कहा। युवराज ने उसकी बात पर हामी भरते हुए कहा, “तुम चिंता मत करो बेटा तुमने इतनी हिम्मत की है तो हम तुम्हारा साथ देंगे। ” वो लोग बात कर ही रहे थे तभी आर्य वहां पर पहुंच गया आरव को वहां देखकर आर्य भी बहुत हैरान हुआ उसे लगा कि आरव को आयु ने बुलाया होगा क्योंकि वो प्रेग्नेंट है। आर्य आरव को देखते ही उसके गले लग गया। उसकी आंखें नम हो रही थी उसने इमोशनल वॉइस में कहा, “हमने आपको बहुत मिस किया दादा। मुझे पता था मोम के प्रेग्नेंट होने के बाद सुनकर आप यहां जरूर आओगे। आपने मुझे और आदिश को भी बहुत प्यार किया था तो आने वाला बच्चे भी आपके लिए बहुत स्पेशल है। ” आरव आयु की प्रेगनेंसी के बारे में जानता था लेकिन जैसे ही युवराज और प्रिया ने सुना वो दोनों हैरान रह गए प्रिया ने जल्दी से कहा, “क्या आयु प्रेग्नेंट है लेकिन कैसे आरव तो...” बोलते हुए प्रिया रुक गई थी और उसे सब समझ आ गया था। आरव ने गहरी सांस लेकर प्रिया और युवराज से कहा, “फिलहाल सही वक्त नहीं है आपको सब समझा दूंगा लेकिन एक बात याद रखिए मैं ना तो आयु को और ना ही आप लोगों को कभी अकेला छोड़ा था। ” युवराज और प्रिया इस बात से अनजान थे कि उनके बिजनेस को आयु नहीं बल्कि दूर बैठे आरव ही हैंडल कर रहा था। आरव ने आगे कहा, “मैं नहीं चाहता कि जो तीस साल पहले हुआ था वो आज फिर से हो। तभी वो प्रेग्नेंट थी और हम बहुत खुश थे फिर माहिरा ने सब कुछ बिगाड़ दिया था। ” “इस बार मैं उसे ऐसा कुछ नहीं करने दूंगा। ” आर्य गुस्से में बोला। आरव ने उसे समझाते हुए कहा, “हां हमें उसे रोकना ही होगा और हमारे पास ज्यादा टाइम भी नहीं है। कुछ भी करके निशांत के ठिकाने के बारे में पता लगाना होगा क्या तुम लोगों को पता है कि वो कहां ठहरा है? ” आरव के पूछते ही युवराज ने तुरंत कहा, “वो लड़का यहां तुम्हारा दोस्त बनने के लिए आया था और उसने अपना कार्ड दिया था उसने कहा था कि अगर एक बार भी हमें उसकी बात पर यकीन हो तो उसे मिलने के लिए बुला ले वो किसी होटल का कार्ड था मैं लेकर आता हूं। ” युवराज ने उसे कार्ड को रख दिया था निशांत इस बात को भूल गया था कि वो अपना एड्रेस आयु की फैमिली को देकर आया है। आरव ने उसे देखा और आर्य से कहा, “वैसे तो वो वहां अकेला होगा लेकिन फिर भी मैं रिस्क नहीं ले सकता ऐसा करो प्लीज को इन्फॉर्म कर दो और उसके खिलाफ किडनैपिंग का केस फाइल कर देना तुम पुलिस लेकर वहां पहुंचे तब तक मैं आयु को देखता हूं। ” इतना कह कर आ रहा वहां से जाने को हुआ तभी आर्य ने उसका हाथ पकड़ लिया वो ना में हिला कर बोला, “इस बार मैं आपको किसी भी हाल में अकेला नहीं छोडूंगा। इस बार मेरी हिम्मत नहीं है ना आपके बिना जीने के बारे में सोच भी सकूं। ” “ठीक है तुम लोग निकले पुलिस कंप्लेंट हम लोग फाइल कर देंगे। ” युवराज ने कहा। कबीर के वहां न होने पर आरव एक पल के लिए अकेला महसूस कर रहा था लेकिन आर्य के साथ आ जाने से उसे भी अच्छा लग रहा था। जल्दी आरव आर्य के साथ उसे होटल में पहुंचे जहां निशांत रुका हुआ था किस्मत से वो अभी भी आयु के साथ वहीं पर थे जब उसके स्वीट की डोर बेल बजे तो निशांत को लगा कि रूम सर्विसिंग के लिए आए होंगे। निशांत ने काफी रूडली चिल्ला कर कहा, “मुझे कुछ चाहिए होगा तो मैं खुद ही बुला लूंगा मैं तुम्हें कहा था कि मेरी प्राइवेसी में किसी भी तरह का इंटरेक्शन नहीं चाहिए मुझे...” निशांत ने गहरी सांस लेकर कहा, “लगता है अब तो दरवाजा खोलना ही पड़ेगा।” बोलते हुए उसने मुस्कुराते हुए अपने लेफ्ट साइड देखा और फिर दरवाजा खोलने के लिए चला गया। सामने आरव खड़ा था उसे देखकर निशांत मुस्कुराते हुए बोला, “मुझे लगा ही था कि तुम यहां जरूर आओगे। चलो आ जाओ बैठ कर आराम से बात करते हैं वैसे तुम्हारी ही कमी थी। ” आरव के साथ आर्य भी अंदर आने को हुआ तभी निशांत ने कहा, “लगता है कि तुम्हारा बेटा है माहिरा ने एक बार इसकी तस्वीर दिखाई थी मुझे काफी बड़ा हो गया है लेकिन इसका यहां कोई काम नहीं है। ” आर्य ने उसे पूरी तरह इग्नोर किया और अंदर आ गए थे अंदर आते ही उन दोनों की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई वहां माहिरा मौजूद थी और उनके कुछ गुंडे भी आगे वहां चेयर से बंधी हुई थी और इस वक्त उसके ऊपर एक बम लगा हुआ था। माहिरा की आंखें इस वक्त गुस्से से लाल हो रखी थी वो आरव के पास आई उसके हाथ में एक गण थी वो गण को आरव के गाल पर रखकर बोली, “कहा था ना धोखा मत देना तुमने कहा मैं तुम्हारे करीब नहीं आऊंगा तो मैं तुम्हारी इस शर्त को माना फिर भी तुमने मुझे धोखा दे दिया तुमने ही पुलिस को मेरे खिलाफ सबूत भेजे थे तुम्हें क्या लगा था मैं बाहर नहीं निकल पाऊंगी बहुत कच्छे खिलाड़ी देने के लिए आरव खुराना तुमने नया जन्म ले लिया लेकिन पुराने आरव की बात ही अलग थी वो हमेशा अपने तीन-चार प्लांट्स के साथ रेडी रहता था यहां बिना सोचे समझे अपनी वाइफ को बचाने के लिए आ गए वैसे खेल खेलने में और भी ज्यादा मजा आएगा पता चला है कि ये फिर से मां बनने वाली है। ” जैसे-जैसे माहिरा बोले जा रही थी आरव के दिल की धड़कनें तेज हो रही थी उसने एक नजर आयु की तरफ देखा जो बेहोश थी। ऐसी सिचुएशन में आरव कमजोर नहीं पढ़ना चाहता था लेकिन न चाहते हुए भी उसे पुरानी बातें याद आने लगी वो पार्टी जहां सब बहुत खुश थे और आरव और आयु ने अपनी प्रेगनेंसी अनाउंस की थी। उसके बाद माहिरा का बदला लेने के लिए होटल में ब्लास्ट करने के लिए उन सब का मारना और फिर आरव का आयु को अपनी आंखों के सामने मारते हुए देखना ये सब कुछ उसके लिए बहुत पेनफुल था। ऐसे लग रहा था आरव का अंदर से कोई गला दबा रहा था उसे सांस आना बंद हो गया था आरव ने गहरी सांस चली और खुद के इमोशंस को कंट्रोल करके माहिरा से कहा, “तुम क्यों कर रही हो मेरे साथ ऐसा मैं बहुत प्यार करता हूं इसे और तुम मुझे बार-बार इससे अलग कर रही हो अब तक मैं तुमसे गुस्से में ही बात की है लेकिन आज तुम्हारे आगे हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट कर रहा है प्लीज हमें डर मत करो मैं इसे बहुत प्यार करता हूं अपने बच्चों से भी...।” “और मेरे प्यार का क्या? ” माहिरा ने गुस्से में चिल्ला कर कहा। “मैं नहीं जानता मुझे क्या करना चाहिए या क्या नहीं ये तुम्हारे इमोशंस काम है क्या करूं पर प्लीज इसे कुछ मत करना। मैं इससे दूर नहीं रहना चाहता हूं चाहे तो तुम मेरी जान ले लो लेकिन अब मुझे इससे दूर रहना बर्दाश्त नहीं हो रहा है। ” आरव ने कहा उसकी आंखों से आंसू का कटरा बह गया होगा माहिरा ने अपने सामने आरव को इतना कमजोर कभी नहीं देखा था जहां उसकी आंखों में आंसू तक आ गए थे। माहिरा आरव से दूर हुई और बोली, “तुम जानते हो कि मैं तुम्हारी जान नहीं ले सकती सारी मुसीबत की जरिया लड़की है तो इसे ही खत्म कर देता हूं ना पिछली बार तुम्हें मरने से रोक नहीं पाई थी पर इस बार रोक लूंगी।” माहिरा के कहते हैं आरव दौड़कर आयु के पास जाने लगा तभी उसके गुंडो ने आरव को पकड़ लिया था आर्य को इन सब में बहुत गुस्सा आ रहा था वो माहिरा पर चिल्ला कर बोला, “तुम्हें किसी ने बताया नहीं माहिरा लूथरा तुम दुनिया की सबसे घटिया इंसान हो। जबरदस्ती किसी से प्यार नहीं करवाया जा सकता है हमेशा मेरे मॉम डैड को अलग करने की कोशिश की तुमने पर कुछ हासिल नहीं हुआ इस बार भी नहीं होगा। ” महिला आर्य की तरफ देख रही थी तभी आज आगे आया और माहिरा का गला दबाने लग गया उसने माहिरा के हाथ से गन छीनी और उसे गन पॉइंट पर लेकर चिल्लाकर कहा, “अगर किसी ने कोई भी हरकत की तो आई स्वर में इस औरत को गोली मार दूंगा।” बोलते हुए आर्य ने निशांत की तरफ देखकर कहा, “अभी इसी वक्त मेरी मॉम के ऊपर से बम हटाओ। ” “और नहीं हटाया तो? चलो ऐसा करो तुम माहिरा लूथरा को मार दो और मेरे आदमी आरव खुराना को मार देंगे। फिर मेरा काम और भी आसान हो जाएगा। ” निशांत ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा। “ठीक है तो फिर सबसे पहले तुम ही मरो। ” आर्य गुस्से में बोला और उसने निशांत के गले के बीचो बीच शूट कर दिया था। आर्य का निशाना इतना सटीक होगा ये किसी ने भी नहीं सोचा था। शायद इसी दिन के लिए वो पिछले 5 साल से ट्रेनिंग ले रहा था ताकि कभी माहिरा या उसका आदमी बीच में आया तो वो उसकी जान लेने से पहले एक पल के लिए बिना हिचकी चाय अगले ही पल निशांत की लास्ट जमीन पर गिरी हुई थी। निशांत को करने के बाद आर्य ने फिर से माहिरा को गन पॉइंट लेकर चिल्लाकर कहा, “मैंने कहा मेरे डैड को छोड़ दो जैसे इसको मारा है वैसे इस औरत को भी मार दूंगा फिर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पुलिस मुझे क्या सजा देती है। ” आर्य की धमकी पर उन गुंडों का असर हुआ उन्होंने आरव को छोड़ दिया था आरव जल्दी से दौड़ कर आयु के पास जाने लगा इस पीस निशांत का थोड़ा ध्यान भटक गया था हालांकि उसने अभी भी माहिरा को गन पॉइंट पर ले रखा था लेकिन उसने उसका गला दबाना बंद कर दिया था। माहिरा ने मौके का फायदा उठाया और अपने पॉकेट में डालकर बम एक्टिवेट कर दिया था अचानक वहां घड़ी की टिक टिक की आवाज आने लगी इसी के साथ माहिरा जोर-जोर से हंसने लगी। “अब मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता तुम्हें मुझे मारना भी है तो मार दो लेकिन ये लड़की कभी मेरे आरव के करीब नहीं जा पाएगी देख लो आरव खुराना आज वही मंजर है इस तरह बम लगे हुए हैं तुम्हारी पत्नी को तुम नहीं बचा पाओगे मुझे किस्मत तो देखो कि ये फिर से मां बनने वाली है शायद इसे तुम्हारे करीब जाने की सजा मिली है और फिर ये अगर आगे 10 जन्म भी लेकर आएगी फिर भी मैं तुम्हें इस तुम्हारा नहीं होने दूंगी। ” माहिरा हंसते हुए बोली। आर्य को उसे पर इतना गुस्सा आया कि उसने माहिरा की कनपटी पर दो बार शूट किया माहिरा की लास्ट जमीन पर पड़ी हुई थी किसने सोचा था कि माहिरा की जान आज लगा उसकी लास्ट देखते हुए आर्य ने गुस्से में कहा, “ये मेरा बदला है तुमसे जो मैंने इतने साल मेरे मां-बाप के बिना बताए मेरी बहन और दादी की जान लेने का बदला माहिरा लूथरा। ” आर्य की आंखों में नफरत थी। माहिरा और निशांत के मरने के बाद उनके आदमियों को कमान देने वाला कोई नहीं था। आरव ने उनकी तरफ देखकर कहा, “यहां पुलिस आती ही होगी बेहतर होगा कि तुम लोग यहां से निकल जाओ। ये दोनों तो मर चुके हैं लेकिन तुम लोग अपनी जान बचा सकते हो अगर पूरी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे नहीं बितानी है तो चले जाओ यहां से। ” आरव का इशारा बातें ही वो वहां से जाने को हुए तभी पुलिस वहां पहुंच चुकी थी ऊपर से गोली चलने की आवाज भी आई थी आर्य ने सेल्फ डिफेंस में माहिरा और निशांत को मारा था ऊपर से कबीर ने दुबई जाने से पहले माहिरा के खिलाफ जो भी देता उसे मास्टरशेफ में था वो पुलिस को दे दिया था सबको पता चल गया था कि वो एक माफिया लेडी है। आरव ने पुलिस की तरफ देखकर कहा, “जल्दी से बम स्क्वॉड को बुलाए मेरी वाइफ... इसे कुछ नहीं होना चाहिए ज्यादा टाइम नहीं है। ” पुलिस ने आयु के लागे बम में टाइम देखा तो वहां सिर्फ 15 मिनट बचे हुए थे। टाइम काफी कम था इनमें से एक आगे आया और उसने कहा, “इतनी देर में बम स्क्वायड नहीं आ पाएगी मैं कोशिश करके देख सकता हूं लेकिन अगर बम डिफ्यूज होने के बजाय फट गया तो सब की जान जा सकती है। ऐसा कीजिए आप सब बाहर चले जाइए क्योंकि अगर बम फटा तो सिर्फ हम दोनों की ही जान जाएगी।” “मैं अपनी मिसेज खुराना को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा फिर कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके साथ एक बार फिर मुझे अपनी जान भी देनी पड़े। ” सब ने समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन आरव मानने के लिए तैयार ही नहीं था। आरव एक पुलिस वाला और आयु अभी भी उसे होटल रूम में थे और सेफ्टी के लिए वहां फिर उसे फ्लोर को पूरी तरह खाली कर दिया गया था तभी 15 मिनट बाद एक बड़ा सा धमाका हुआ। “नहीं एक बार फिर मैं अपने मॉम डैड को नहीं खो सकता। ” आर्य ने कहा और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे सबको लगा था कि बम डिफ्यूज हो जाएगा लेकिन वहां एक ब्लास्ट हुआ था। °°°°°°°°°°°°°°°° कंक्लुजन वाला पार्ट कल आएगा आई मीन एक पार्ट और है जो ज्यादा बड़ा तो नहीं होगा लेकिन देखते हैं क्या होगा। चलिए पढ़कर रिएक्ट कर दीजिएगा अगले पथ पर मिलते हैं।
This is a gripping story! Here's the revised version with punctuation and some minor grammatical corrections. I've also added some paragraph breaks to improve readability. स्वर इस वक्त, धुन के साथ, हॉस्पिटल से वापस आ रहा था। धुन के चोट लग गई थी। चोट गहरी नहीं थी, फिर भी सवार उसे लेकर हॉस्पिटल पहुँच गया था। तो वहीं दूसरी तरफ, अभय और प्रदीप ने पुलिस को बुला लिया था। उन्होंने अभय के खिलाफ अरेस्ट वारंट तैयार करवा दिया था। वहीं, टीवी पर हो रहे इस सारे तमाशे को मिताली अपने घर पर देख रही थी। मिताली के दिल की धड़कनें तेज थीं। वह यही चाहती थी कि अंशुमन जल्दी से जल्दी पकड़ा जाए और उसका असली चेहरा सामने आ जाए। टीवी पर न्यूज़ देखते हुए, मिताली ने खुद से कहा, “आई होप इसके बाद स्वर को सच्चाई पर यकीन हो जाए और वह अपने सो कॉल्ड ‘रियल’ दादा का साथ देना छोड़कर वापस घर आ जाए। बहुत हो गया अंशुमन! तुम्हारा मेरे स्वर को ढाल बनाकर मुझे बर्बाद करना चाहते थे। वह टाइम बीत गया जब मैं तुम्हें दिल से प्यार करती थी और तुम्हारे गलत कामों को भी सपोर्ट करती थी। तुम्हारे चक्कर में मैंने अपने फैमिली, फ्रेंड्स, सब कुछ छोड़ दिया। अब मैं खुद को और मेरे बेटे को और बर्बाद नहीं होने दूंगी।” मिताली न्यूज़ देखने में खोई हुई थी। तभी उसके पास में रूही आकर बैठ गई। उसे अहसास तक नहीं हुआ था। रूही ने अचानक से मिताली के हाथ पर अपना हाथ रखा, तो मिताली का ध्यान टूटा। मिताली ने रूही को पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया था। अचानक उसे वहाँ देखकर मिताली ने हैरानी से कहा, “तुम यहाँ क्या कर रही हो?” “कम ऑन, मॉम…” रूही ने आँखें घुमाते हुए कहा, “मैं आप ही की बेटी हूँ। मुझसे ज़्यादा प्यार तो आप अपनी सौतेली बेटी, वंशिका दीदी से करती हैं। आपको मुझे यहाँ देखकर खुश होना चाहिए, लेकिन आप तो ऐसे मुँह बना रही हैं जैसे मैंने ना जाने आपके साथ क्या कर दिया।” रूही के तेवर देखकर मिताली समझ गई थी कि वह यहाँ क्यों आई होगी। मिताली ने गहरी साँस ली और अपने गुस्से को काबू करके कहा, “देखो रूही, मेरा मूड बिल्कुल भी ठीक नहीं है, तो प्लीज़ उसे और खराब करने की कोशिश मत करो। मैं अच्छे से जानती हूँ कि तुम यहाँ क्यों आई हो।” रूही के चेहरे पर तिरछी मुस्कान थी। उसने सिर हिलाकर कहा, “अरे, वह तो आप काफी इंटेलिजेंट हैं! वैसे तो मेरा वीकेंड पर यहाँ आने का कोई प्लान नहीं था, लेकिन टीवी पर जो भी ड्रामा हो रहा था, उसे देखने के बाद खुद को रोक नहीं पाई।” “अपने रूम में जाओ, रूही। आई डोंट वांट टू टॉक टू यू।” मिताली ने सख्त आवाज़ में कहा। “लेकिन मैं तो आपसे बात करने के लिए ही यहाँ पर आई थी। आप ऐसे मुझे निकाल नहीं सकती हैं। चलिए, कुछ देर के लिए मुझे अपनी बेटी ना समझकर दोस्त समझ लीजिए। एक दोस्त के तौर पर बात करते हैं, मॉम।” रूही ने जवाब दिया। “तुम जैसे दोस्त तो दुश्मनों को भी ना मिलें। न जाने कौन सी कमी रह गई थी मेरी परवरिश में, जो तुम्हारे अंदर इतना ज़हर भरा हुआ है।” मिताली ने हल्के गुस्से में कहा। रूही अभय की बेटी थी, तो वह बिल्कुल उसी की तरह थी। उसे बस खुद की खुशी और फायदे से मतलब होता था। मिताली के इतना गुस्सा करने के बाद भी रूही ने उसे इग्नोर किया और हल्का मुस्कुरा कर कहा, “आपकी परवरिश में कोई कमी नहीं रही, मैं बस अपने मॉम-डैड जैसी ही हूँ। वैसे क्या सोचा है, मॉम? अब तो आपका पुराना पति लौट आया है और वह काफी अमीर भी हो गया है। क्या आप उसके पास वापस जाने के बारे में सोच रही हैं?” रूही की बातें अब मिताली के बर्दाश्त के बाहर हो रही थीं। उसने दोनों हाथों से रूही को पकड़ा और गुस्से में चिल्लाकर कहा, “माइंड योर लैंग्वेज, रूही! मैं बार-बार तुम्हारी बदतमीज़ी बर्दाश्त नहीं करूँगी। कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हें तुम्हारे बाप का प्यार नसीब हो!” रूही ने मिताली के हाथों को झटका और कहा, “अच्छा, तो आप मुझे मेरे डैड से छीनना चाहती हैं, जैसे आपने सालों पहले स्वर भैया से उनके दादा को छीना था। मान गई, मॉम! आप मेरे अंदर कमियाँ निकालती हैं, मुझे सेल्फिश कहती हैं, तो आप क्या हैं? आपके पति को जब आपकी ज़रूरत थी, तब आप उसे छोड़कर चली गईं। आज जब आपका पति वापस अमीर बनकर आया है, तो आप उसी के पास वापस जाने के बारे में सोच रही हैं, ना?” रूही की बात खत्म ही हुई थी कि उसके गालों पर एक जोरदार तमाचा पड़ा, जो मिताली ने मारा था। वह उसका हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए बाहर ले जाने लगी, “तुम मेरे प्यार के लायक ही नहीं हो। हमेशा तुम्हें हर प्रॉब्लम और नेगेटिविटी से दूर रखा, लेकिन मुझे क्या पता था कि सबसे बड़ी नेगेटिविटी और इविल स्पिरिट तुम खुद हो। आगे से तुम बिन कॉल किए यहाँ पर कदम भी नहीं रखोगी।” इतना कहकर मिताली ने रूही को बाहर का रास्ता दिखाकर दरवाज़ा बंद कर लिया था। वह गुस्से में तेज़ साँसें ले रही थी। रूही भी इस वक्त बहुत गुस्से में थी। उसने अपने गाल पर हाथ रखा और कहा, “आई बेट यू, मॉम! यह जो आपने डबल गेम खेला है, इसमें आप बहुत बुरी तरह फँसने वाली हैं। न जाने डैड इस औरत की बातों में कैसे आ गए। अच्छा मौका है! अगर यह अपने एक्स-हस्बैंड के पास चली जाए, तो दादा के सर से इसके प्यार का भूत उतर जाएगा। स्वर भी वापस नहीं आ पाएगा। ऐसे में सारी प्रॉपर्टी मेरी होगी।” रूही वहाँ ख्याली पुलाव बना रही थी, तभी उसका मोबाइल बजा। यह कॉल मिताली ने किया था, जो इस वक्त बालकनी में खड़ी उसे देख रही थी। मिताली ने रूही को कॉल पर कहा, “मेरे घर से चली जाओ, रूही खुराना… आज तुमने मुझे जो कुछ भी सुनाया है, उसके बाद तुम्हारे मेरे साथ कोई रिश्ता नहीं है। अब इस घर में तुम तभी कदम रखोगी जब तुम्हारी किसी से शादी होने वाली होगी।” रूही ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और कॉल काट दिया। वह गुस्से में पैर पटकती हुई वहाँ से चली गई। वहीं दूसरी तरफ, पुलिस चैतन्य के अपार्टमेंट के आगे पहुँच चुकी थी। पुलिस के आते ही प्रदीप उसके साथ हो गया था। पुलिस वालों ने सबसे पहले मीडिया को वहाँ से हटाया। फिर इंस्पेक्टर ने आगे जाकर स्टेटमेंट देते हुए कहा, “देखिए, हम समझ सकते हैं कि हर एक न्यूज़ को कवर करना आपका अधिकार है और जनता तक सच पहुँचना चाहिए। फिलहाल हम यही चाहते हैं कि आप हमारे साथ कोऑपरेट करें। हम यहाँ मिस्टर अंशुमन सिंघानिया को अरेस्ट करने के लिए आए हैं। हमारे पास उनका अरेस्ट वारंट है। उम्मीद है कि आप हमारे लिए कोई नई मुसीबत खड़ी नहीं करेंगे।” इतना कहकर इंस्पेक्टर ऊपर जाने लगे, तो वहीं प्रदीप मीडिया के सामने आया और बोला, “आप लोग मुझे ही गलत ठहरा रहे थे ना अब तक, जबकि आप लोग तो पूरा सच जानते तक नहीं थे। हाँ, मैंने कुछ कड़े फैसले लिए थे, जिनमें कुछ फैसले गलत भी थे, पर मैंने कभी सहगल लेबल्स का बुरा नहीं चाहा था। उम्मीद है अब आपकी आँखों से स्वर खुराना के प्यार की पट्टी उतर गई होगी। किसी भी सेलेब्रिटी से प्यार करना या उससे अपना समझना एक आम बात है, लेकिन जब तक किसी के बारे में पूरा सच ना जानें, तब तक आँखें मूँदकर भी उनके साथ मत जाइए। देख लिया आपका रॉकस्टार स्वर खुराना कैसा है।” इन सब में स्वर की कोई गलती नहीं थी, फिर भी प्रदीप ने बहुत सफाई से लोगों के सामने उसकी इमेज खराब कर दी थी। हालात भी कुछ ऐसे ही चल रहे थे कि लोगों को प्रदीप की बात पर यकीन हो रहा था। वहीं ऊपर, अंशुमन अपने कमरे में थे। चैतन्य ने जब टीवी न्यूज़ के ज़रिए उन्हें अरेस्ट होने की बात सुनी, तो वह बुरी तरह घबरा गया था। चैतन्य जल्दी से अंशुमन के कमरे में आकर बोला, “अंकल, आप यहाँ हाथ पर हाथ धरकर बैठ कैसे सकते हैं? स्वर को मजबूरी में जाना पड़ा, लेकिन आपको तो मामला संभालना चाहिए ना? मैंने न्यूज़ में सुना कि वह लोग आपको अरेस्ट करने के लिए आ रहे हैं। प्लीज़ डू समथिंग! मामू सर बहुत इमोशनल हैं। वह आपके साथ यह सब होते हुए नहीं देख पाएँगे। ऊपर से वह लोग नीचे स्वर की इमेज को डाउन करने की कोशिश कर रहे हैं। वह ऑलरेडी काफी कुछ भुगत रहा है। क्या हमेशा उनकी ही जीत होती रहेगी?” बोलते हुए चैतन्य इमोशनल हो गया था। वह काफी लाचार महसूस कर रहा था। उसके इतना कहने के बाद भी अंशुमन पर कोई असर नहीं हुआ। वह बिल्कुल रिलैक्स खड़े हुए थे। उन्हें इतना रिलैक्स देखकर चैतन्य को और गुस्सा आ रहा था। चैतन्य ने उनकी तरफ़ देखकर सिर हिलाकर कहा, “ऐसी सिचुएशन में भी आप इतने कूल कैसे रह सकते हैं? अगर आपसे कुछ नहीं हो रहा है, तो मैं मॉम-डैड को कॉल कर दूँगा। वह इस मामले को संभाल लेंगे, लेकिन कुछ तो कहिए।” चैतन्य को परेशान देखकर अंशुमान ने उसे दोनों हाथों से पकड़ा और गहरी साँस लेकर कहा, “हो गया तुम्हारा? तुम यंग जनरेशन की यही प्रॉब्लम है। छोटी-छोटी बातों पर हाइपर हो जाते हो, फिर सॉल्यूशन निकालने के बजाय अपने लिए एक और नई प्रॉब्लम खड़ी कर लेते हो।” “फिलहाल तो प्रॉब्लम आपके ऊपर है। पुलिस आती ही होगी यहाँ। तो बाहर निकलने का कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। मैं आपकी इमेज डाउन होते हुए नहीं देख सकता हूँ।” चैतन्य ने जवाब दिया। “मैंने कहा ना, शांत हो। जो पुलिस यहाँ आए, ज़रूर है और अरेस्ट भी करके ले जाएगी, लेकिन मुझे नहीं, किसी और को।” अंशुमान ने शांत लहजे में जवाब दिया। “किसी और को?” चैतन्य ने हैरानी से पूछा, “आप किसकी बात कर रहे हैं, मामू? हम सब जानते हैं कि सालों पहले आपके साथ बहुत गलत हुआ था, पर कुछ गलतियाँ आपसे भी हुई हैं। हमारे पास सबूत हैं, हम कोर्ट में साबित कर देंगे, पर फिलहाल तो पुलिस आपको ही ले जाएगी ना?” “मैंने कहा ना, जस्ट वेट एंड सी… अंशुमन सिंघानिया की बस एक ही कमज़ोरी है और वह है उसका बेटा, स्वर सिंघानिया… मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी आज ताकत बनकर मेरे साथ खड़ी है, तो वह लोग मेरा बाल भी बांका नहीं कर पाएँगे। चलो बाहर आओ, गेम ट्विस्ट करने का टाइम आ गया है।” अंशुमान ने हल्का मुस्कुराकर कहा। चैतन्य के चेहरे पर गहरी हैरानी थी। वह नहीं समझ पा रहा था कि अंशुमन क्या और किस बारे में बात कर रहा है। उनकी बातचीत के बीच घर की डोरबेल बजी और पुलिस वहाँ पहुँच चुकी थी। अंशुमन बाहर जाने को हुआ, तभी चैतन्य ने उसका हाथ पकड़ लिया। वह ना में सिर हिलाकर बोला, “प्लीज़ बाहर मत जाइए। मैं पैसों के बदले मामला सेटल करने के बारे में सोचता हूँ।” “ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं है। तुम मेरे साथ बाहर चलो।” अंशुमान ने हँसते हुए कहा। अंशुमान ने चैतन्य का हाथ अपने हाथ से अलग किया और बाहर आ गया था। उन्होंने पुलिस के लिए दरवाज़ा खोला। लगभग एक घंटे बाद…!! सभी न्यूज़ चैनल पर एक ही न्यूज़ पढ़ी जा रही थी। “फिलहाल की सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ यही निकलकर आ रही है कि प्राइम चैनल के सीईओ, मिस्टर अभय खुराना और सहगल लेबल्स के एक्ज़ीक्यूटिव सीईओ, मिस्टर प्रदीप सहगल को अरेस्ट कर लिया गया है। ताज़ा मिली जानकारी से यही सामने आया है कि उनका जुर्म इतना संगीन है कि उन्हें ज़मानत तक मिलने के आसार नहीं हैं।” °°°°°°°°°°°°°°°° अंशुमान ने तो पूरी गेम ही पलट दी। अब यह गेम कैसे पलटी है, आपको आगे वाले पार्ट्स में पता चल जाएगा। प्लीज़ पढ़कर समीक्षा दीजिएगा। अगले पार्ट पर मिलते हैं। I hope this helps! Let me know if you'd like any further assistance.
इशिका के सच्चाई सबके सामने आ चुकी थी और साथ ही आयशा की भी। आयशा की तबीयत खराब होने की वजह से उसे तुरंत ऑपरेट करने के लिए ले जाया जाने लगा। इशिका आयशा के बारे में पता लगाने के लिए उसके पास ऑपरेशन थिएटर की तरफ जा रही थी तभी उसने नक्ष और उसके फैमिली की बातें सुनी नकुल और उर्वशी नक्ष पर गुस्सा कर रहे थे क्योंकि वह आयशा की सच्चाई नहीं जान पाया। नकुल तो गुस्से में वहां से जा चुके थे लेकिन नक्ष ने जैसे तैसे करके उर्वशी को मना लिया था जैसे ही नक्ष कमरे से बाहर निकाला उसे इशिका दिखाई दी। इशिका को देखते ही नक्ष को पुराने लम्हे याद आ गए थे वह उसे बहुत प्यार करता था लेकिन आयशा के भड़काने की वजह से उसने इशिका से सारे रिश्ते तोड़ लिए थे। नक्ष इशिका के पास गया और धीमी आवाज में बोला, “इशिका वह मुझे माफ...।” नक्ष इतना इमोशनल हो रहा था कि उसकी आंखें नम होने लगी और वह आगे बोल भी नहीं पाया उसका मन किया कि वह इशिका को कस के गले लगा ले और अपने हर एक गलती के लिए उससे माफी मांगे। इशिका ने एक नजर नक्ष की तरफ देखा और फिर उसे इग्नोर करके वहां से चली गई नक्ष के पास पछताने के अलावा कुछ नहीं था फिर भी वह इशिका के पीछे ऑपरेशन थिएटर की तरफ जाने लगा तो उर्वशी ने उसका हाथ पकड़ कर शक्ति से कहा, “अभी कुछ बाकी रह गया है क्या जो तुम उसके पास जा रहे हो? जानते हो ना वहां आयशा का ऑपरेशन हो रहा है। हमारे साथ उसका कोई रिश्ता नहीं है उसे तलाक दो और उससे पीछा छुड़ाओ। ” “मॉम मेरी पत्नी है वह... वो ठीक हो जाए उसके बाद बाकी चीज भी होती रहेगी। ऐसे में मैंने उसे छोड़ा तो हमारी इमेज खराब हो जाएगी। ” नक्ष ने बहाना बनाया जिस पर उर्वशी कन्वेंस हो गई थी उर्वशी ने नक्ष का हाथ छोड़ दिया था तो वह ऑपरेशन थिएटर की तरफ जाने लगा। अरमान और अभिमन्यु भी उसी के पीछे आ रहे थे अरमान में एक नजर इशिका को देखा तो उसने अपने मन में कहा, “मुझे यह लड़की थोड़ी बहुत चाचू जैसी लगती है। चाचू भी राधिका सिंघानिया को लेकर कुछ ज्यादा ही प्रोटेक्टिव हो जाते हैं कहीं ऐसा तो नहीं पेस्ट में उनके बीच कोई रिश्ता था इससे जाकर बात भी नहीं कर सकता कुछ कहा तो सीधे-सीधे राधिका सिंघानिया के कैरेक्टर पर उंगली उठाने जैसा होगा। जो भी हो यह मुझे अपने फैमिली मेंबर की तरह लगती है।” अरमान वहीं पर खड़ा हो गया इशिका आईसीयू के आगे खड़ी थी वह इशिका को देख रहा था इस बीच डॉक्टर बाहर निकले और उन्होंने मालविका से कहा, “पेशेंट के बहुत ज्यादा खून बह रहा है और इंफेक्शन बढ़ गया है अनफॉर्चूनेटली हमें उनका यूटरस बाहर निकलना होगा। ” “क्या? नहीं डॉक्टर आप ही नहीं कर सकते हैं अगर ऐसा हुआ तो वह कभी मन नहीं बन पाएगी। ” मालविका ने रोते हुए कहां। “अगर हमने यह नहीं किया तो उनकी जान जा सकती है आप प्लीज फोन पर साइन कर दीजिए। ” डॉक्टर ने जवाब दिया। लगभग 1 मिनट बाद नर्स एक फार्म के साथ पहुंची मालविका उसे पर साइन करने तभी उसे पहले नर्स ने पूछा, “आपका पेशेंट के साथ क्या रिश्ता है क्या आप उसकी मां है? ” इसी के साथ मालविका के हाथ रुक गए थे वह लीगली आयशा की मां नहीं थी। अंदर से एक नर्स तुरंत बाहर आई और बोली, “प्लीज जल्दी सेंड कीजिए पेशेंट की हालत बिगड़ती जा रही है। ” मालविका कंफ्यूजन में वहां खड़ी थी तभी नक्ष आया और उसने कहा, “मैं उसका पति हूं मैं साइन करता हूं। ” इतना कहकर नक्ष में साइन कर दिया था और इसी के साथ डॉक्टर और नर्स अंदर चले गए। उनके जाते ही मालविका ने नक्ष का हाथ पकड़ कर कहा, “थैंक यू सो मच मिस्टर आज वंश ऐसी हालत में अपने आयशा का साथ दिया आखिर आप दोनों पति-पत्नी है और कुछ भी हो जाए पति पत्नी के बीच का प्यार कभी कम नहीं होता। ” नक्ष ने सर्द निगाहों से मालविका की तरफ देखा और अपना हाथ उसके हाथ से अलग कर लिया वह अपने हाथ को रुमाल से साफ कर रहा था जैसे मालविका के छूने से उसका हाथ गंदा हो गया हो। नक्ष ने मालविका की तरफ देखते हुए शक्ति से कहां, “हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है सर्जरी के पैसे मैं पे कर दूंगा। उम्मीद है इसके बाद वह बिना किसी ड्रामा के डाइवोर्स पेपर पर साइन कर देगी। ” “क्या डिवोर्स आप उसे तलाक नहीं दे सकते हैं। मिस्टर राजवंश आप अच्छे से जानते हैं सर्जरी के बाद आयशा कभी मां नहीं बन पाएगी ऐसे में उससे शादी कौन करेगा। ” मालविका ने रोते हुए कहा उसने नक्ष के सामने अपने हाथ पर जोड़ दिए थे। नक्ष ने उसे पूरी तरह नजर अंदाज किया जाने से पहले उसने एक नजर आईसीयू की तरफ डाली और फिर बिना किसी भाव के वहां से निकल गया उसके जाते ही मालविका घुटनों के बाल फर्श पर बैठकर रोने लगी थी उसने दोनों बच्चों को यह सोचकर बदला था कि उसकी बेटी को एक अच्छी जिंदगी मिलेगी पर किसने सोचा था कि आज आयशा के साथ ऐसा हो जाएगा। मालविका रोते हुए बोली, “मेरी बच्ची के साथ यह क्या हो गया अब उससे कौन शादी करेगा। ” रोते हुए उसकी नजर इशिका की तरफ गई जो वहीं पर खड़ी थी। मालविका जल्दी से इशिका के पास गई और उसके पैर पकड़ते हुए बोली, “इशिका प्लीज उन लोगों को समझो कि वह मेरी बेटी को तलाक ना दे। मैं बचपन में तुम्हें पाला था उसे नाते तो तुम मुझ पर इतना एहसान कर ही सकती हो। ” इशिका पहले से ही मालविका से नफरत करती थी ऊपर से मालविका ने जब यह कहा कि उसने उसे पाला है तो इशिका का मन किया कि वह उसका गला दबा दे। मालविका ने बचपन में इशिका को बहुत मारा पीटा था उसे बेच तक दिया था उसे खाना नहीं देती थी और अब बोल रही थी कि उसने उसे पाला था वह राधिका थी जिसकी बदौलत आज इशिका जिंदा थी। इशिका मालविका से दो कदम दूर हुई और बोली, “मालविका मैं तुम्हें एक बात कहना चाहती हूं।” मालविका सवालिया नजरों से इशिका की तरफ देख रही थी तभी इशिका बोली, “अगर किसी को मारना का कानूनन अपराध नहीं होता तो अब तक में तुम दोनों मां बेटे को मार चुकी होती।” इशिका की आवाज में नफरत और गुस्सा था। मालविका ने गुस्से से इशिका की तरफ देखकर कहा, “यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है अगर मैं तुम्हें बचपन में ही मार देती तो आज किसी को सच का पता नहीं चलता तुम्हारी वजह से मेरी बेटी की यह हालत हुई है मैं तुम्हें छोडूंगी नहीं।” बोलते हुए मालविका इधर-उधर देखने लगी। कुछ देर पहले मालविका ने इशिका को मारने की धमकी दी थी तब उसने चाकू उठा लिया था और वह चाकू दूसरे कमरे के दरवाजे पर ही गिरा हुआ था मालविका जल्दी से उसे लेकर आई और वह इशिका के ऊपर वार करने वाली थी तभी किसी ने मालविका के गले को पीछे से कस के पकड़ लिया था। वह कोई और नहीं अभिमन्यु था इशिका मालविका के पास आई और उसके गाल पर कसकर तमाचा लगाया। अभिमन्यु मालविका के सामने आकर बोला, “अब तक तुमने इसे बहुत तकलीफ पहुंचाई है लेकिन आप उसकी सूद समेत हिसाब होगा। आई विल मेक सुरे कि तुम्हें जेल में और भी पूरी जिंदगी मिले और मैंने इसके पूरे इंतजाम भी किए हैं। ” इस बीच क्रिस्टल में बाकी पुलिस फोर्स को बुला लिया था मालविका के खिलाफ वह पहले ही एड्रेस पॉइंट लेकर आई थी और जिस तरह से मालविका हरकत कर रही थी उसके बाद तो उसे जेल होना पक्का था मालविका को अरेस्ट कर लिया गया था। जाने से पहले क्रिस्टल इशिका के पास आई और उसके गले लगा कर बोली, “तुमने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ सहन किया है लेकिन अब सब अच्छा ही होगा। तुम्हारे साथ अभिमन्यु है और अब तो तुम्हें तुम्हारा असली मॉम डैड भी मिल गए। ” इशिका मुस्कुराते हुए क्रिस्टल से अलग हुई और आज के लिए उसे थैंक यू कहा क्रिस्टल वहां से जा चुकी थी उसके जाने के बाद इशिका मिसेज सिंघानिया के कमरे में जाने लगी। अरमान भी उसके साथ जा रहा था वह काफी देर से इशिका और केशव के रिश्ते के बारे में सोच रहा था अब उसे रहा नहीं गया वह इशिका के पास जाकर बोला, “क्या सच में आदर्श सिंघानिया तुम्हारे दादा है? ” इशिका ने गुस्से में उसे घूरा और कहां, “तुम्हारे कहने का क्या मतलब है क्या मिसेज सिंघानिया अपनी शादी में लॉयल नहीं थी? ” इशिका को अभी भी राधिका को मन कहने की आदत नहीं लगी थी सच कुछ देर पहले ही उसके सामने आया था। अरमान ने हड़बड़ाते हुए कहा, “अरे नहीं मेरे कहने का वह मतलब नहीं है। एक्चुअली मैं वह कहना चाहता था... ” इशिका ने अरमान की बात को बीच में काटते हुए कहा, “तुम क्या कहना चाहते थे या तुम्हारी बात का क्या मतलब है उससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है बस मेरी फैमिली और उनके पर्सनल मैटर्स से दूर रहो।” इशिका नहीं चाहती थी कि कोई भी राधिका के कैरेक्टर पर सवाल उठाए। उसने अरमान से काफी बदतमीजी से बात की और अंदर चली गई उसके जाते ही अरमान ने अभिमन्यु से कहा, “यह तुम्हारी वाइफ मुझे किस तरीके से बात कर रही थी उसे समझाओ कि मुझे ऐसी बदतमीजी से बात करने वाले लोग पसंद नहीं है।” “लेकिन मुझे तो उसके बात करने के तरीके में कोई कमी नजर नहीं आई।” अभिमन्यु ने भौंहें चढ़ा कर कहा। अभिमन्यु अपनी बातों से अरमान को चिढ़ा रहा था फिर वह वहां से इशिका के पीछे चला गया अरमान वापस नीचे की तरफ आया तो उसे क्रिस्टल दिखाई दी वह जल्दी से क्रिस्टल के पास जाकर बोला, “ऑफिसर मुझे आपसे एक बात कंफर्म करनी थी। क्या आयशा सिंघानिया के खिलाफ कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड है या कोई भी सबूत? ” “नहीं अभी तो कोई सबूत नहीं है क्योंकि माहिर ने जो भी स्टेटमेंट दिया था उसे वक्त वह काफी इमोशनल था। उसने अपने स्टेटमेंट में यह भी बताया था कि आयशा ने माहिर को धोखा दिया है। किसी को धोखा देना कानून अपराध नहीं होता है अक्सर ब्रेकअप और कपल्स के बीच झगड़े होते रहते हैं अपने आप को मारना भी माहिर का ही डिसीजन था। ” क्रिस्टल ने बताया अचानक उसका चेहरा मायूस हो गया और वह धीरे से बोली, “आयशा के साथ काफी बुरा हुआ है और अब वह कभी मन नहीं बन पाएगी मुझे कहीं ना कहीं डर लग रहा है कि वह ठीक होने के बाद वापस आएगी और इशिका को परेशान करेगी वैसे भी वह लड़की बहुत घटिया है। ” क्रिस्टल इशिका के लिए परेशान हो रही थी तभी अरमान ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा, “आपने मुझे बहुत अच्छी बात बताई है और डॉन'टी वरी अब आयशा सिंघानिया कभी इशिका को परेशान नहीं करेगी। ” क्रिस्टल अरमान की बातों को समझ नहीं पाई थी लेकिन अरमान ने काफी कुछ प्लान कर लिया था। वहीं दूसरी तरफ अभिमन्यु इशिका के पास पहुंचा इतनी भीड़भाड़ में उसे इसी बात से बात करने का मौका नहीं मिला इशिका वहां अकेली खड़ी थी उसकी आंखों में चमक थी उसे कुछ देखकर अभिमन्यु को भी अच्छा लग रहा था अभिमन्यु इशिका के पास गया तो इशिका ने उसे गले लगा लिया। अभिमन्यु ने इशिका के बालों को सहलाते हुए पूछा, “अब तो खुश होना तुम? ” “बहुत ज्यादा ऐसा लग रहा है जैसे मेरा सब कुछ मुझे मिल गया हो। ” इशिका ने जवाब दिया। अभिमन्यु ने अभी भी इशिका को अपने सीने से लगा रखा था वह आगे बोला, “अच्छा तुम्हें तो आदर्श सिंघानिया पसंद नहीं है ना? एडजस्ट कर पाओगी उनके साथ? ” “क्या फर्क पड़ता है? ” इशिका ने मुस्कुरा कर कहा और फिर अभिमन्यु से अलग हो गई अचानक उसे कुछ याद आया इशिका ने कुछ भी कहने से पहले इधर-उधर देखा और फिर अभिमन्यु के पास आकर बिल्कुल धीमी आवाज में फुसफुसाते हुए कहां, “अच्छा तुम्हें क्या लगता है क्या आदर्श को पता है कि मैं उनकी बेटी नहीं हूं? ” ऐसा करते वक्त इशिता बहुत क्यूट लग रही थी क्योंकि उसकी हाइट अभिमन्यु से छोटी थी और वह उसके कान के पास आने के लिए अपने पंजों के बाल खड़ी हो गई थी अभिमन्यु मुस्कुराते हुए थोड़ा नीचे झुका और फिर इशिका के कान के पास जाकर उसी के अंदाज में कहां, “मुझे लगता है उसे पता है। ” “अच्छा तुम्हें ऐसा क्यों लगता है? ” इशिका ने हैरानी से पूछा। अभिमन्यु सीधा खड़ा हुआ और सिर हिला कर बोला, “क्योंकि उन दोनों के बीच का रिलेशन नॉर्मल नहीं है ऐसे लगता है बीच में एक दीवार सी है। ” इशिका को कुछ समझ नहीं आया तो अभिमन्यु उसे समझाते हुए बोला, “अच्छा मिसेज सिंघानिया ने हमेशा तुम्हारे साथ अच्छा बर्ताव किया उन्होंने अपने पति की नाजायज औलाद को अपनाया क्योंकि आदर्श सिंघानिया ने भी राधिका सिंघानिया के बच्चे को एक्सेप्ट किया था। आदर्श तुमसे नफरत करता था ताकि वह राधिका की नजरों में पड़ा बन पाए राधिका सिंघानिया कोई आम पर्सनालिटी नहीं है इशिका मित्तल फैमिली सिंघानिया फैमिली और न जाने कितनी बिजनेस फैमिलीज के साथ उनके अच्छे रिलेशन रह चुके हैं और सब उनकी रिस्पेक्ट करते हैं सोचो इतने बड़े घर की औरत अगर किसी आदमी की नाजायज औलाद को एक्सेप्ट कर रही है तो इसके पीछे कोई बड़ा कारण रहा होगा। उनकी आंखों में गेट था कि वह आदर्श को अपना बच्चा नहीं दे पाई इसलिए उनके बच्चे को एक्सेप्ट करके वह उसे दिल को दूर करना चाहती थी। ” अभिमन्यु के सब समझने पर इशिका को समझ आ गया था। उसने अभिमन्यु से पूछा, “हां बेहोश होने से पहले उन्होंने वह फोटो देखी थी और वह मुझे कुछ बताना चाहती थी मुझे अभी भी नहीं लगता कि उनके आदर्श के अलावा किसी और के साथ रिलेशन रही होंगे तो क्या कुछ जानती है कि मेरा बायोलॉजिकल फादर कौन है? ” अभिमन्यु ने हां में सिर हिलाया और फिर वह दोनों वहां से राधिका के कमरे में जाने लगे वह दोनों थोड़े ही आगे पहुंचे थे तो उन्होंने देखा केशव और आदर्श एक दूसरे के सामने खड़े थे और बहस कर रहे थे। आदर्श ने गुस्से में कहा, “तुम यहां क्यों आए हो तुम जानते हो राधिका तुम्हें देखकर परेशान हो जाएगी यहां से चले जाओ मैं उसका ध्यान अच्छे से रख रहा हूं। ” “हां बहुत अच्छे से रख रहे हो तभी तुम्हारी सो कॉल्ड गर्लफ्रेंड ने बचपन में राधिका से उसके बच्चे को उससे अलग कर दिया था। ” केशव ने सारकास्टिकली जवाब दिया। आदर्श को भी सच का पता चल गया था उसके पास देने को कोई जवाब नहीं था तो वह बात बदलते हुए बोला, “मुझे नहीं लगता राधिका भी तुमसे मिलना चाहती होगी तो तुम प्लीज यहां से चले जाओ। ” राधिका का नाम आते ही केशव चुप हो गया था और वह वहां से चला गया उसके जाते ही इशिका और आदर्श की नजरे एक दूसरे से जा मिला कुछ देर तक दोनों बिना कुछ बोले एक दूसरे को देखते रहे तभी आदर्श ने इशिका को कहा, “कमरे के अंदर आ जाओ राधिका को अकेला नहीं छोड़ता है। ” इतना कहकर आदर्श कमरे में चला गया और उसके पीछे इशिका भी जाने लगी वही वहां से निकलकर केशव नीचे चला गया था आदर्श के बताओ की वजह से उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने अपने सिगरेट निकाली और स्मोकिंग करने लगा तभी अरमान दौड़ते हुए आया और हांफते हुए बोला, “अंकल इशिका आदर्श सिंघानिया की बेटी नहीं है वह आपकी बेटी है ना? ” °°°°°°°°°°°°°°°° किसी और को पता लगाने में इंटरेस्ट हो या ना हो लेकिन लगता है कि अरमान सब पता लगा लगा वैसे तो आज मेरा पाठ लिखने का बिल्कुल मूड नहीं था लेकिन फिर भी मैंने रात तक आते अच्छी दिया तो पढ़ कर रिएक्ट कर दीजिएगा अगले पार्ट पर मिलते हैं थैंक्स फॉर योर लव एंड सपोर्ट।
अभिमन्यु और इशिका राजवंश हाउस लौट आए थे। पूरे रास्ते अभिमन्यु वसुधा की हेल्थ को लेकर कुछ ज़्यादा ही परेशान था। घर आते ही उसने इशिका की तरफ़ ध्यान नहीं दिया और जल्दी से निकलकर वसुधा के विला की तरफ़ तेज कदमों से जाने लगा; इशिका उसके पीछे आ रही थी। वहाँ पहुँचकर उन दोनों ने देखा कि बाकी की राजवंश फैमिली वहीं पर इकट्ठी थी। अभिमन्यु को देखते ही उसके डैड, प्रशांत ने कहा, “मेरी माँ सबसे ज़्यादा इस लड़के से प्यार करती है, लेकिन इसे अपनी पत्नी से फुर्सत ही नहीं मिलती। पिछले दो दिनों से यह उसके साथ हॉस्पिटल में था। इसे जरा भी फ़िक्र नहीं कि इसके पीछे से मेरी माँ की क्या हालत हो रही है। जब से यह लड़की यहाँ पर आई है, इसने माँ की तरफ़ ध्यान देना छोड़ दिया है।” प्रशांत भी अच्छे से जानता था कि अभिमन्यु की पहली प्रायोरिटी वसुधा थी और वह अपना पूरा काम छोड़कर उसके पास आ जाता था। अभिमन्यु ने गुस्से से एक नज़र उनकी तरफ़ देखी और फिर वसुधा के कमरे में चला गया। इशिका भी अभिमन्यु के साथ कमरे में आई थी। उन्होंने देखा कि वसुधा आराम से सोई हुई थी। उन्हें ठीक देखकर अभिमन्यु और इशिका ने कुछ हद तक राहत की साँस ली। वसुधा को देखने के बाद अभिमन्यु और इशिका कमरे से बाहर आए। वसुधा का डॉक्टर भी वहीं पर था। अभिमन्यु ने उसकी तरफ़ देखते हुए पूछा, “दादी की हालत अब कैसी है?” “फ़िलहाल तो वह बिल्कुल ठीक है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उनके पास अब ज़्यादा टाइम बचा है; मुश्किल से तीन या चार महीने वह निकाल पाएँगी।” डॉक्टर ने जवाब दिया। बाकी लोगों को इस बात पर जरा भी हैरानी नहीं हुई, क्योंकि पहले ही डॉक्टर ने बता दिया था कि वसुधा की हेल्थ के चलते अब उनके पास ज़्यादा टाइम नहीं बचा है। सच जानते हुए भी, अभिमन्यु ने यह सब फिर से सुना तो उसका दिल टूट गया था। इशिका अभिमन्यु के पास जा रही थी ताकि उसके इस मुश्किल वक़्त में वह उसके साथ खड़ी रह सके। इशिका अभिमन्यु के पास जाकर कुछ कहती, उससे पहले अभिमन्यु ने डॉक्टर से पूछा, “क्या कोई भी रास्ता नहीं है जिससे दादी की जान बचाई जा सके?” डॉक्टर ने हाँ में सर हिलाकर कहा, “मैं आपसे बात करने के लिए आ ही रहा था। आप हमेशा डॉक्टर अनामिका की बनाई हुई दवा के बारे में पूछते रहते हैं, तो मैं आपको बताना चाहता हूँ कि डॉक्टर अनामिका की रिसर्च पूरी हो चुकी है और दवाइयाँ अब अपने क्लिनिकल ट्रायल पर आ चुकी हैं।” यह एक अच्छी खबर थी, जिससे अभिमन्यु की आँखों में उम्मीद की किरण दिखाई दी; तभी डॉक्टर ने आगे कहा, “क्लिनिकल ट्रायल उनके लैब के हॉस्पिटल में, दिल्ली में हो रहा है। बताया जा रहा है कि यह अब तक की दवाइयों में सबसे असरदार दवा साबित होने वाली है, लेकिन…” डॉक्टर बोलते हुए बीच में रुक गया, तो अभिमन्यु ने जल्दी से पूछा, “लेकिन क्या, डॉक्टर?” “लेकिन जिन भी पेशेंट को यह इलाज मिल रहा है, उन्हें पहले ही सेलेक्ट कर लिया गया है। ऊपर से सभी पेशेंट्स काफ़ी कम उम्र के हैं। इलाज के दौरान उन्हें हॉस्पिटल में ही रहना पड़ेगा और मुझे नहीं लगता कि फ़िलहाल के लिए वसुधा जी के लिए किसी भी तरह का ट्रैवल करना उनकी हेल्थ के लिए सही रहेगा।” डॉक्टर ने पूरी बात बता दी थी। दवाई अपने क्लिनिकल ट्रायल में थी, इसलिए बाहर भी नहीं भेजी जा सकती थी। अभिमन्यु एक पल रुका और फिर सख्त आवाज़ में बोला, “उनकी कंपनी खरीद लो।” उसने जरा भी नहीं सोचा यह फैसला सुनाने से पहले। अभिमन्यु के कहते ही नकुल ने तुरंत कहा, “पागल हो गए हो तुम? जो कंपनी यह दवाई बना रही है, वह एक इंटरनेशनल कंपनी है। वह आसानी से तुम्हें अपनी इतनी बड़ी कंपनी क्यों बेचेगी, जो फ़िलहाल टॉप 2 में आती है? हमारे पास पैसे हैं, इसका मतलब यह भी नहीं कि हम जाकर हर दूसरी चीज़ को खरीदने लग जाएँ।” अभिमन्यु ने गुस्से में उसकी तरफ़ देखा। अभिमन्यु ने पहले भी वह कंपनी खरीदने की कोशिश की थी और उस कंपनी में जिसके भी शेयर्स थे, उनसे कांटेक्ट किया था। उसने लगभग सभी को मना लिया था, लेकिन डॉक्टर अनामिका से वह आज भी कांटेक्ट नहीं कर पाया था। डॉक्टर अनामिका उस कंपनी की रिसर्चर थी, जिसके नाम पर लगभग 30% शेयर थे। अभिमन्यु इस बात से अनजान था कि वह रिसर्चर डॉक्टर कोई और नहीं, इशिका ही थी। अभिमन्यु ने गहरी साँस ली और डॉक्टर से कहा, “मैं अपनी तरफ़ से कंपनी खरीदने की कोशिश करूँगा, लेकिन आप भी अपनी तरफ़ से कैसे भी करके वह दवाई हासिल करने की कोशिश कीजिए; मैं आपको इसके लिए कोई भी कीमत देने के लिए तैयार हूँ।” डॉक्टर ने उसकी बात पर हामी भरी। इशिका ने दादी का केस पहले ही भेज दिया था, लेकिन वह नहीं चाहती थी कि डॉक्टर अनामिका के तौर पर उसकी पहचान सामने आए। वह अपना नाम इसलिए छुपा कर रखना चाहती थी ताकि बाकी कोई कंपनियाँ पैसों के दम पर उसे हायर करने की कोशिश करें। इशिका ने कुछ पल सोचा और फिर कहा, “मुझे पता चला है कि दादी का केस वहाँ पहुँच चुका है।” इशिका उन्हें आगे भी बताना चाहती थी, लेकिन नकुल ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, “माना कि तुम डॉक्टर हो, लेकिन इस फ़ील्ड में तुम्हारी कोई जान-पहचान नहीं है; बिना सोचे-समझे कुछ भी मत बोलो। डॉक्टर ने अभी कहा कि जिन पर ट्रायल किया जा रहा है, उनकी उम्र काफ़ी कम है, जबकि दादी की उम्र बहुत ज़्यादा हो चुकी है। जिन भी लोगों को ट्रायल के लिए चुना गया है, वह हॉस्पिटल ने खुद से चुना है या फिर कुछ लोगों को अपनी पहचान के दम पर वहाँ जगह मिली है। थैंक्स टू अभिमन्यु राजवंश, जिसकी वजह से हमारे दिल्ली में किसी भी बिज़नेस फैमिली या पॉवरफ़ुल आदमी के साथ कोई कनेक्शन नहीं है।” अभिमन्यु ने सर्द निगाहों से नकुल की तरफ़ देखा, तो प्रशांत ने कहा, “अपने बड़े भाई को इस तरह देखने की ज़रूरत नहीं है; सारी गलती तुम्हारी ही है। अगर तुम अपनी माँ के साथ रिलेशन सही कर लेते, तो आज हमें इतनी दिक्कत नहीं आती।” नकुल मन ही मन खुश हुआ, क्योंकि हमेशा की तरह प्रशांत ने उसका साथ दिया था। नकुल ने इशिका की तरफ़ देखा और कहा, “और तुम इतना बड़बड़ाकर क्यों बोल रही हो? तुम भी बिल्कुल अपने पति की तरह हो। दिल्ली की वन ऑफ़ द पॉवरफ़ुल फैमिली है सिंघानिया फैमिली; उनसे तुम्हें रिलेशन स्ट्रांग करने चाहिए, ताकि वह हमारे काम आ सकें।” इशिका उन्हें जवाब देने वाली थी, तभी अभिमन्यु ने पूछा, “मुझे इन लोगों की बहस से कोई लेना-देना नहीं है, इशिका तुम मुझे बताओ कि क्या हमें डॉक्टर अनामिका से वह दवाइयाँ मिल सकती हैं।” नकुल ने फिर से दखल देते हुए कहा, “अरे तुम इसे क्यों पूछ रहे हो? मैं बताता हूँ; डॉक्टर अनामिका ने क्लिनिकल ट्रायल के लिए खुद पेशेंट को सेलेक्ट किया है। राजवंश फैमिली पॉवरफ़ुल है, लेकिन दिल्ली की सभी पॉवरफ़ुल फैमिलीज़ ने पहले ही सीट फ़ुल कर दी थी। हाँ, यह बात अलग है कि हमें दादी के लिए जगह मिल गई है। यह सब नायरा की वजह से हुआ।” इशिका यह सुनकर चौंक गई थी। अभी तक ट्रायल किए गए पेशेंट को भी शॉर्टलिस्ट करना ज़रूरी था, फिर इतना कन्फ़र्म होकर वह दादी का नाम कैसे ले सकते थे? उसके लिए नायरा का नाम भी नया था। नायरा का नाम आते ही प्रशांत ने तुरंत पूछा, “क्या तुम सच कह रहे हो?” “बिल्कुल डैड, मैं झूठ क्यों बोलूँगा? आप तो जानते हैं नायरा अपनी स्टडीज़ के लिए दिल्ली गई हुई थी। वहाँ हमारे लिए वह कुछ कर रही है; उसकी यूनिवर्सिटी ग्रेड भी काफ़ी अच्छे थे। आपको पता है वह किसी लड़के के साथ रिलेशनशिप में है और उसी की वजह से हमें दादी के लिए दवाइयाँ मिल पा रही हैं।” नकुल ने खुश होकर बताया। “यह तो बहुत अच्छी बात है; जब मैं उसे पहली बार मिला था, तभी समझ गया था कि वह काफ़ी इंटेलिजेंट है।” प्रशांत ने जवाब दिया। नकुल ने खुश होकर कहा, “आप जानते हैं उसका बॉयफ्रेंड कौन है? वह दिल्ली के टॉप बिज़नेस फैमिलीज़ में से आता है। वह वहाँ की जिंदल फैमिली से बिलॉन्ग करता है; नायरा इस बार उसे अपने साथ लेकर आ रही है और वह दोनों सगाई करने वाले हैं।” “हाँ, तो उसे कहो कि वह यहाँ पर आकर रहे और उसकी शादी भी राजवंश विला से ही होगी।” प्रशांत ने कहा। इशिका अभी भी समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर यह नायरा कौन थी। जैसे ही नायरा के घर पर रहने आने की बात हुई, उर्वशी गुस्से में चिल्लाकर बोली, “लेकिन वह इस घर में कैसे आ सकती है, डैड? आप अच्छे से जानते हैं कि वह नकुल की नाज़ायज़ बेटी है; इस तरह की लड़कियाँ इस घर में नहीं रह सकती हैं।” उर्वशी की बातों से इशिका को समझ आ गया था, नायरा कौन है। वह नकुल की बहन थी, चाहे वह उसे बड़ी हो या छोटी। उर्वशी के बीच में दखल देने पर प्रशांत ने नाराज़गी दिखाते हुए कहा, “तुम लोगों को इस छोटी सोच से आगे बढ़ना चाहिए। हमेशा प्रोफ़ेशनल रिश्तों में पर्सनल रिश्ते ले आते हो; तभी हम आज कैपिटल सिटी में अपना बिज़नेस नहीं जमा पा रहे हैं। पहले तो अभिमन्यु की वजह से सब ख़राब हुआ और अब तुम बीच में दखल दे रही हो। अगर जिंदल फैमिली के साथ हमारे रिलेशन अच्छे होंगे, तो फिर चौहान फैमिली हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। पिछली बार अभिमन्यु भी मॉम की वजह से हमें जो भी नुकसान उठाना पड़ा, उसके बाद चौहान फैमिली ने हमारी काफ़ी इमेज डाउन की थी।” चौहान फैमिली और अपनी मॉम का ज़िक्र आते ही अभिमन्यु की आँखें गुस्से से सर्द होने लगी थीं। उसने इस फैमिली और बिज़नेस के लिए बहुत कुछ किया था, लेकिन फिर भी आज उसे ताने सुनाए जा रहे थे। अभिमन्यु भले ही कुछ न कहे, लेकिन इशिका आगे आई और उसने गुस्से में कहा, “आज राजवंश अंपायर पूरे इंडिया में टॉप कंपनी में से आता है, फिर भी आप लोग अभिमन्यु को ब्लेम कर रहे हो; यह सब उसी की वजह से है। कैपिटल सिटी मायने नहीं रखती; अगर किसी को बिज़नेस करना होगा, तो वह खुद यहाँ आएगी, जैसे मित्तल फैमिली आई थी। किसी के सामने झुककर या चापलूसी करके आप कुछ हासिल करते हैं, तो वह अपने दम पर नहीं होता है और अभिमन्यु ने कभी भी अपने उसूलों के साथ समझौता नहीं किया था।” अभिमन्यु के लिए कभी उसका परिवार मायने नहीं रखता था। वह चाहे उसे कुछ भी कहे, वह ज़रूरत पड़ने पर ही पलटकर जवाब देता था, लेकिन आज इशिका उसके लिए खड़ी थी, यह देखकर उसके चेहरे पर वही ना दिखने वाली स्माइल आ गई थी। राजवंश फैमिली में शायद ही वसुधा के अलावा कोई होगा जो अभिमन्यु के लिए खड़ा होता था, लेकिन आज उनकी एब्सेंस में इशिका अभिमन्यु का साथ दे रही थी। नकुल ने आँखें छोटी करके इशिका की तरफ़ देखकर कहा, “तो तुम्हें लगता है कि किसी की मदद माँगना उसके सामने झुकना होता है? तो रहो अपने पति के इसी एटीट्यूड के साथ। क्या तुम लोगों का घमंड ज़्यादा ज़रूरी है या फिर दादी की बीमारी? आज नायरा की वजह से हमें दादी के लिए सीट मिली है और दवाइयाँ मिल रही हैं। उनका एहसान मानने के बजाय तुम यहाँ ज्ञान दे रही हो।” फिर उन्होंने अभिमन्यु को टारगेट करते हुए कहा, “ज़िन्दगी में कभी-कभी ज़रूरत पड़ने पर झुकना भी पड़ता है। तुम्हारी बहुत पहचान होगी या हमारे पास पैसे भी होंगे, लेकिन डॉक्टर अनामिका से आज तक हमारा कांटेक्ट नहीं हो पाया है। आज नायरा की वजह से हमें दवाइयाँ मिल पा रही हैं, क्योंकि उसके कांटेक्ट अच्छे हैं। अगर तुम्हारे इसी घमंड की वजह से दादी को कुछ हो गया, तो फिर क्या जवाब दोगे तुम खुद को, अभिमन्यु?” अभिमन्यु ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। क्लिनिकल ट्रायल के बाद में भी दवाई मार्केट में आने में कम से कम 1 साल का टाइम लग जाता था और इतना टाइम वसुधा के पास नहीं था। अभिमन्यु को एक पल के लिए उनकी बातें सही लग रही थीं कि कई बार किसी के सामने झुकना या उनकी मदद माँगना ग़लत नहीं होता। इन सब के बीच इशिका के मोबाइल की घंटी बजी। उसने कॉल रिसीव किया, तो सामने से राधिका की कमज़ोर और धीमी आवाज़ आई, “मैं ठीक हूँ, इशिका। क्या तुम मुझसे मिलने के लिए आ रही हो?” राधिका को होश आ गया था; होश आते ही वह सबसे पहले इशिका से बात करना चाहती थी। उनकी आवाज़ सुनकर इशिका की आँखें नम होने लगीं। वह जल्दी से बोली, “मैं बस अभी आ रही हूँ, मॉम।” इशिका को भी राधिका से बहुत सारी बातें करनी थीं। सच्चाई सामने आने के बाद उसने एक बार भी उनसे बात नहीं की थी। वह जानना चाहती थी कि आखिर इसका असली बाप कौन है। इशिका बात करने के लिए दूसरी तरफ़ आई थी। कॉल रखने के बाद भी उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। वह दूसरी तरफ़ पलटी, तो सामने अभिमन्यु था। “मिसेज़ सिंघानिया को होश आ गया क्या?” अभिमन्यु ने इशिका के चेहरे की तरफ़ देखकर पूछा, तो उसने हाँ में सिर हिला दिया था। अभिमन्यु इशिका के साथ जाना चाहता था, लेकिन अचानक ही उसका ध्यान दादी के कमरे की तरफ़ चला गया। इशिका उसके कशमकश को समझ सकती थी। उसने अभिमन्यु का हाथ सहलाते हुए कहा, “तुम यहाँ दादी के पास रहो; मैं मिसेज़ सिंघानिया से मिलकर आती हूँ।” अभिमन्यु ने उससे कोई ज़िद नहीं की। उसने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और कॉल पर कहा, “पृथ्वी, तुम इशिका को लेकर हॉस्पिटल जाओगे। उसे किसी चीज़ की ज़रूरत हो, तो ध्यान रखना।” उसके बाद अभिमन्यु ने इशिका से कहा, “अगर मेरी ज़रूरत हो, तो कॉल कर देना।” इशिका ने मुस्कुराते हुए हामी भरी। उनके बीच का रिश्ता बाकी कपल्स जितना गहरा नहीं था, लेकिन दोनों एक-दूसरे को काफ़ी अच्छे से समझते थे। इशिका बाहर आई और वह पृथ्वी के साथ गाड़ी में थी। हालाँकि उसे तेज गाड़ी चलाने पर दिक्कत होती थी, तो हमेशा की तरह गाड़ी नॉर्मल स्पीड में चल रही थी; फिर भी इशिका का मन कर रहा था कि वह उड़कर राधिका के पास पहुँच जाए और उसे अपने गले लगाए। लगभग 1 घंटे बाद इशिका जब हॉस्पिटल पहुँची, तो उसकी नज़र पार्किंग एरिया में गई, जहाँ दूर-दूर तक केशव की गाड़ी नज़र नहीं आ रही थी। “लगता है मिस्टर सिंघानिया यहाँ से चले गए हैं। खैर, मुझे क्या? मुझे तो मॉम से बात करनी है। हमेशा मैंने यही सपना देखा था कि काश मिसेज़ सिंघानिया मेरी माँ होती; वह मेरी ही माँ है।” इशिका ने नम आँखों से कहा; बार-बार उसकी पलकें भीग रही थीं। अब इशिका एक पल का भी इंतज़ार नहीं करना चाहती थी; वह दौड़ते हुए ऊपर पहुँची। °°°°°°°°°°°°°°°°
सोना सोना सोना सोना सोना सोना सो
आहान और चाहत के एक्सीडेंट को पूरा एक हफ्ता बीत चुका था। आहान पूरी तरह से रिकवर हो चुका था जबकि चाहत की चोटें ।अभी ठीक नहीं हुई थी ऊपर से उसकी डिलीवरी भी हुई थी। पूरे एक हफ्ते बाद चाहत को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा रहा था आहान उसके साथ था इस एक हफ्ते में आहान को चाहत से बात करने का बिल्कुल भी मौका नहीं मिला था। साथ आने पर अचानक चाहत ने आहान से कुछ बातों के बारे में पूछा जो उसे राजवीर से पता चली थी। आहान के चेहरे पर मुस्कुराहट थी क्योंकि उसने चाहत को पहचान लिया था आहान के कोई जवाब न देने पर चाहत ने फिर से पूछा, “आहान आपने बताया नहीं कि हम दोनों एक दूसरे को बचपन से जानते हैं क्या?” आहान चाहत की तरफ पलटा और उसके बालों को कान के पीछे करते कहा, “तुम्हारी मेमोरी तो बहुत वीक है डॉल। क्या तुम्हें सच में याद नहीं है कि पार्क में जो लड़का तुम्हें प्रोटेक्ट करता था वो मैं था? ” चाहत के दिमाग में ज्यादातर यादें धुंधली हो चुकी थी ऊपर से इस वक्त वो काफी छोटी भी थी चाहत सोचने की कोशिश कर रही थी कुछ ना याद आने पर उसके चेहरे पर मायूसी के भाव थे। आहान ने गहरी सांस थी और चाहत की आंखों में देखते हुए कहा, “खुद के दिमाग पर इतना जोर मत डालो। मैं तुम्हें सब बता दूंगा। फिलहाल तुम्हें खुद का और हमारे बच्चे का ध्यान रखना है। ” इतना कह कर आहान ने अपने बच्चों को गोद में उठाया। वो उसे काफी गौर से देख रहा था जिसकी शक्ल काफी हद तक आहान से मिलती थी बस आंखें चाहत जैसी थी। चाहत का मूड लाइट करने के लिए आहान ने कहा, “अच्छा डाल तुमने हमारे बेटे का क्या नाम सोचा है? आजकल कपल्स अपने नाम को जोड़कर अपने बच्चों का नाम रखते हैं। ” “मुझे ऐसा नहीं करना है। मुझे अपने बच्चे का नाम अलग ही रखना है। ” चाहत ने जल्दी से कहा। आहान ने चाहत के चेहरे की तरफ देखा जो नाम सोचने की कोशिश कर रही थी। उसका चेहरा देखकर आहान की हंसी छूट पड़ी। चाहत ने इतने टाइम में कभी भी आहान को इस तरह हंसते हुए नहीं देखा था। उसने हैरानी से पूछा, “आप हंस क्यों रहे हो मैं तो कोई जोक नहीं सुनाया? ” “तुम्हारा चेहरा किसी जोक से कम नहीं है। हरकतें अभी भी बच्चे वाली है कौन कहेगा कि तुम एक बच्चे की मां बन चुकी हो। नाम बाद में सोच लेना ऐसे मुंह बनाकर नाम सोचने का नहीं कहा था मैंने। ” आहान ने जवाब दिया। इतना कहकर आहान ने उसके फॉरहेड पर किस किया। चाहत ने उसकी बात पर हम ही भारी आहान का ये बदला हुआ रूप देखकर उसे बहुत हैरानी हो रही थी ऊपर से आहान की याददाश्त भी वापस आ चुकी थी। चाहत खोई हुई निगाहों से आहान की तरफ देख रही थी तो आहान ने उसके सामने चुटकी बजाकर कहा, “क्या सोच रही हो? घर नहीं चलना क्या? ” “हां चलना है लेकिन आप काफी शांत नजर आ रहे हो। आपकी याददाश्त वापस आ गई है। आप पहले की तरह गुस्सा नहीं कर रहे हो ना ही पहले की तरह रूड हो। पहले आपको इस तरह कभी हंसते हुए नहीं देखा तो हैरानी हो रही है। ” चाहत ने बताया। “अगर नहीं देखा है तो अब देखने की आदत डाल लो ढोल। आपसे तुम्हें और हमारे बच्चे को मेरा येी नया रूप देखने को मिलेगा। ” आहान ने जवाब दिया और फिर चाहत के पास आकर उसे हल्के से हग कर लिया था। वो दोनों बातें कर रहे थे उतने में शिवानी वहां पहुंच चुकी थी उसने आहान और चाहत से कहा, “चलो डिस्चार्ज की सारी फॉर्मेलिटी पूरी हो चुकी है। आहान तुम सिक्योरिटी का देख लो। मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। तब तक मैं चाहत को नर्स के साथ बाहर लेकर आती हूं। ” आहान ने उसकी बात पर हामी भरी और बाहर आ गया उसके दिमाग में चाहत की बातें गूंज रही थी जब उसने ये कहा था कि उसने कभी उसे हंसते हुए नहीं देखा जहां अंदर आहान के चेहरे पर मुस्कुराहट थी और उसका मूड काफी लाइट था वहीं बाहर आते ही उसके चेहरे के भाव सर्द हो गए थे। “मेरा गुस्सा और नफरत जिसकी वजह से है ये अब इस पर उतरेगा ना की तुम पर डॉल... मेरे इस गुस्से और अग्रेशन का असर है अपने बच्चों पर बिल्कुल नहीं होने दूंगा। एक बच्चे की जिंदगी में उसके पेरेंट्स के रिलेशन और बिहेवियर का बहुत बड़ा रोल होता है मैं नहीं चाहता कि बचपन में जो मैंने अकेले खेला था उसका साया भी मेरे बेटे पर पड़े। ” आहान ने अपने मन में कहा। इतने कम वक्त में ही वो अपने बच्चों को लेकर काफी प्रोटेक्टिव हो गया था। बाहर आते ही आहान ने अपनी गाड़ी की पूरी जांच करवाई। गाड़ी को पूरी तरह चेक करने के बाद आहान के सिक्योरिटी गार्ड ने उसके पास आकर कहा, “सर गाड़ी बिल्कुल फाइन है। मैंने फ्यूल टैंक और बाकी चीज चेक कर ली है। आगे की सिक्योरिटी के लिए आपकी गाड़ी के आगे पीछे गार्डों की गाड़ियां चलेगी। ” आहान ने हां में सिर हिलाया। उनकी गाड़ी को आयुष ड्राइव करके ले जाने वाला था। अगले ही पल चाहत आयुष और शिवानी भी बाहर पहुंच चुके थे। आयुष गाड़ी ड्राइव कर रहा था शिवानी उसके पास बैठी थी तो वहींं बैक सीट पर आहान और चाहत थे। बच्चों को आहान ने अपनी गोद में ले रखा था। इतनी सारी सिक्योरिटी देखकर चाहत ने आहान से पूछा, “क्या हमारा एक्सीडेंट किसी ने प्लान किया था जो आप सिक्योरिटी का इतना ध्यान रख रहे हैं? ” “मुझे अभी पूरा पता नहीं है फिर भी मैं रिस्क नहीं ले सकता हूं। ” आहान ने जवाब दिया। हालांकि वो बदलने की पूरी कोशिश कर रहा था पर फिर भी उसकी आवाज से साफ जाहिर था कि इस वक्त उसका मूड थोड़ा उखड़ा हुआ है। चाहत ने आगे कुछ नहीं पूछा कुछ ही देर में वो हॉस्पिटल से घर पहुंच चुके थे आयुष ने घर को चाहत के वेलकम के लिए तैयार करवाया था श्रद्धा और तनु वहींं पर थी और उसी ने सारी अरेंजमेंट देखी थी। इतना बम वेलकम देखकर चाहत के चेहरे पर मुस्कुराहट थी साथ ही वो थोड़ा इमोशनल हो रही थी उसने आहान की तरफ देखकर नम आंखों से कहा, “आज अगर मम्मा येां पर होती तो वो बहुत खुश होती। ” शिवानी चाहत के पास आई और उसे सहलाते हुए कहा, “मैं तुम्हारी मां की तरह ही हूं। बेटा तुम कभी खुद को अकेला मत समझना मैं अगर पहले कभी तुमसे शक्ति से बात की हो या किसी चीज की वजह से तुमसे नाराज हो गई हूं तो मुझे माफ करना। ” वहां का माहौल इमोशनल होते देखकर आयुष ने जल्दी से कहा, “अरे नहीं येां रोना-धोना अलाऊ नहीं है। कहा मैं शाम को पार्टी करने का सोचा था और आप लोग हैं कि येां पर इमोशनल हो रहे हैं अभी तो हमने बच्चे का नाम तक नहीं सोचा है। ” आयुष का साथ देते हुए तनु ने कहा, “ये बिल्कुल ठीक कह रहा है पिछले एक हफ्ते में जिसे देखो बात-बात पर रोए जा रहा है। भाई अब सब ठीक है तो खुशियां मनाईए।” आहान उन सबको रोकना नहीं चाहता था पर फिर भी हॉस्पिटल से घर आने के बीच चाहत थोड़ा थक चुकी थी उसने सख्त आवाज में कहा, “अब ये पार्टी वगैरा तुम लोग शाम को करना डॉल को रेस्ट की जरूरत है। ” “कम ऑन यार तुम आज तो हम सबको कुछ भी करने की छूट दे ही सकते हो। सीधे-सीधे कहो ना अपनी वाइफ को अकेले में ले जाकर उससे बात करनी है। चाहत के थकने का बहाना मत बनाओ। ” तनु ने मुंह बनाकर कहा वहां सिर्फ तनु हुई थी जो वहां की बात को काटकर उसे कुछ कह सकती थी। “बहाना नहीं है डॉल की हेल्थ के आगे में कुछ भी अंडरस्टीमेट नहीं करूंगा। दूसरी बात पार्टी में बाहर के लोग अलाउड नहीं होंगे। ” आहान ने जवाब दिया। उसकी चाहत के लिए करे सब समझ सकते थे किस्मत अच्छी थी जो चाहत और उसका बच्चा बच गए थे वरना वो सब उन दोनों को ही खोने वाले थे। श्रद्धा ने उसके इमोशंस को समझते हुए कहा, “ओके डन जीजू, हम लोगों के अलावा येां कोई नहीं होगा और चाहत के आराम करने के बाद ही हम पार्टी करेंगे। ” “बाकी सब तो ठीक है लेकिन बाहर के लोगों को आने से क्यों मना किया मैंने कार्तिका को बोल दिया था अब मुझे कॉल करके उसे मना करना पड़ेगा। ” आयुष ने मुंह बनाकर कहा। आयुष कार्तिका को कॉल करने को हुआ तभी आहार उसे रोकते हुए बोला, “रहने दो वो हमारी पार्टी को अटेंड कर सकती है मुझे उसे पर यकीन है पिछले एक हफ्ते में उसने डॉल का काफी अच्छे से ख्याल भी रखा है। ” आहान कार्तिक को वहां आने की इजाजत दी थी इसका मतलब साफ था कि उसे कार्तिक पर यकीन था ये देखकर आयुष को दिल ही दिल में काफी राहत महसूस हुई। उन सबको वहींं पर छोड़कर आहान चाहत को लेकर अपने बेडरूम में गया चाहत को प्रॉब्लम ना हो इसलिए उसने अपना रूम नीचे शिफ्ट कर लिया था। कमरे के अंदर आते ही आहान ने चाहत से कहा, “मैं बाहर हूं मुझे कुछ चीज देखनी होगी तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत पड़े तो इंटरकॉम से कॉल कर देना। ” चाहत ने उसकी बात पर सिर हिलाया वो जानती थी कि आहान को इस वक्त क्या काम हो सकता है। इतने दिनों तक चाहत के चलते आहान ने खुद को कंट्रोल कर रखा था वरना अब तक वो इस बात का पता लगा चुका होता कि उनका एक्सीडेंट किसने किया था। आहान कमरे से बाहर निकल कर आया चाहत अपने कमरे में बिजी थी तो उसके बाकी घर वाले लिविंग रूम में शाम की पार्टी की तैयारी कर रहे थे आज इस वक्त बाहर निकाला उसके चेहरे के भाव सर्द थे। आहान इस वक्त सीसीटीवी कंट्रोल रूम में गया वो वहां के गार्ड से तेज आवाज में बोला, “मुझे एक हफ्ते पहले की सारी फुटेज देखनी है। क्या येां कोई अनजान आदमी काम करने के लिए आया था? ” “नहीं सर रेगुलर स्टाफ ही काम कर रहा है। मैं आपको फुटेज निकाल कर दे देता हूं।” गार्ड ने धीमी आवाज में कहा और फिर आहान के बताए काम पर लग गया था। वहींं दूसरी तरफ आयुष ने कार्तिका को शाम की पार्टी के लिए इनवाइट किया था इस वक्त वो अपने घर पर थी और तैयार हो रही थी कार्तिक से छोटे दो भाई और एक आहान थी उसका उनके अलावा इस दुनिया में और कोई नहीं था। वो जिस घर में रहती थी वो भी किराए का था ऊपर से काफी छोटा भी था। “समझ नहीं आ रहा क्या पहनू आज तक इस तरह की किसी पार्टी को अटेंड नहीं किया है ऊपर से गिफ्ट भी लेकर जाना पड़ेगा। ” कार्तिक ने परेशान स्वर में कहा तभी उसके घर का दरवाजा एक झटके में खुला। कार्तिक जल्दी से कमरे से बाहर आई उसने देखा सामने अक्षर थी और उसके हाथ में कुछ बैग्स थे अक्षर ने उन बैग्स को वहां लगे पुराने सोफे पर पटकते हुए कहा, “मुझे लगा ही था कि तुम्हारे पास गिफ्ट खरीदने तक के पैसे नहीं होंगे। इसमें कुछ कपड़े और बच्चों के हिसाब से गिफ्ट है तो तुम इन्हें लेकर जा सकती हो।” अक्षरा कार्तिक के बारे में इतना सोच रही थी ये देखकर कार्तिक के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई वो जल्दी से बोली, “थैंक यू अक्षु दीदी... अगर मैं आपसे पहले ही मिली होती तो शायद हमारी जिंदगी इतनी मुश्किल नहीं होती। ” कार्तिक उन गिफ्ट्स को खोलकर देखने लगी वहीं उसकी बात सुनकर अक्षरा ने आइस रोल की उसने धीमे से बड़बड़ा कर कहा, “सही कहा है किसी ने जरूरत पड़ने पर गड्ढे को भी बाप बनाना पड़ता है। ” कार्तिका गिफ्ट्स और ड्रेस को देखकर थोड़ी एक्साइटेड हो रही थी ये सब अक्षर को थोड़ा इरिटेट कर रहा था उसने सख्त आवाज में कहा, “मैं तुम्हारे ऊपर खर्च कर रही हूं पर मुझे ऐसी जगह इन्वेस्ट करना पसंद नहीं जहां मेरे पैसे वेस्ट हो एक बात कान खोल कर सुन लो उनका विश्वास जी तो उसके बाद में तुम्हें मेरा बहुत बड़ा काम करना है। ” कार्तिक ने उसकी तरफ देखा और हां में सिर हिला कर कहा, “मैं पहले की तरह उनकी हर एक न्यूज़ आप तक पहुंचती रहूंगी पर आपने अब तक मुझे बताया क्यों नहीं कि मुझे कौन सा काम करना है? ” कार्तिका की बात का जवाब देने के बजाय अक्षर चुपचाप खरीदी उसके चेहरे पर इविल स्माइल थी कुछ पर रख कर उसने कहा, “सही टाइम आने पर मैं तुम्हें बता दूंगी। एक बात कान खोल कर सुन लो अगर उन्हें तुम पर जरा सा भी शक हुआ या मेरा नाम आगे आया तो भूल जाना कि हमारे बीच में कोई रिश्ता था।” इतना कहकर अक्षर वहां चली गई वहींं कार्तिक हैरानी से उसे जाते हुए देख रही थी वो आहान और अक्षरा के पास से अनजान थी ऊपर से अक्षरा ने उसे कुछ बताया भी नहीं था। बाहर निकलते हुए अक्षरा ने अपने बालों को झटकते हुए कहा, “तुमने मुझे ठुकराया था ना आहान ओबेरॉय, अब देखो तुम्हें तुम्हारा प्यार खुद ठुकराएगा। मैं तुम्हें किसी लायक नहीं छोडूंगी। ” °°°°°°°°°°°°°°°° ओके सबसे पहले पाठ इतने दिनों बाद देने के लिए आई एम रियली सॉरी सच कहूं तो मैं इस आहान ने के बारे में भूल ही गई थी और आहान ने पूरी दिमाग से निकल गई अब जब पाठ देना शुरू किया है तो कोशिश करूंगी की एक दिन के गेट से दे सकूं बाकी पढ़कर समीक्षा कर दीजिएगा क्या लगता है अक्षरा के दिमाग में क्या चल रहा होगा।
युविका के सामने ईशानी के मरने की सच्चाई आ चुकी थी वह इस मामले में इशिका को गुनहगार समझ रही थी और उसे पुलिस स्टेशन ले जाना चाहती थी पर अभिमन्यु वहां आ गया था अभिमन्यु ने युविका को उसी के घर में बंदी बना लिया था इशिका की देखरेख के लिए अभिमन्यु वहीं पर था और अब उसने पूरा मामला अपने हाथ में ले लिया था। अभिमन्यु इशिका से नाराज था इसी का उसकी नाराजगी दूर करने में लगी थी और इस बीच उन दोनों के दरमियान एक मोमेंट क्रिएट हुआ वह दोनों उसी में खोए हुए थे वही उनसे अलग युविका अपने कमरे में घर से भगाने के तरीके ढूंढ रही थी। युविका ने अपने वॉर्डरोब से एक साड़ी निकाल वह उसे रस्सी की तरह इस्तेमाल करना चाहती थी उसका कैमरा सेकंड फ्लोर पर था उसे एक और रास्ते की जरूरत थी इसलिए उसने दो साड़ियों को आपस में बांध दिया था। युविका के कमरे की पिछले खिड़की चौधरी मेंशन के पिछले तरफ खुलती थी उसे तरफ कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं था और इस बात का फायदा युविका उठा रही थी।