कहते है आग और पानी एक नहीं होसकते। युवराज सिंघानिया एक एरोगेंट और घमंडी आदमी है, जिसको अपने अलावा किसी से प्यार नहीं। और रही बात लड़कियों की, उनसे तो उसे सख्त नफरत है। अनजाने में युवराज के बारे में दीक्षा, जो एक कॉलेज की सिंपल सी स्टूडेंट है, एक राज़... कहते है आग और पानी एक नहीं होसकते। युवराज सिंघानिया एक एरोगेंट और घमंडी आदमी है, जिसको अपने अलावा किसी से प्यार नहीं। और रही बात लड़कियों की, उनसे तो उसे सख्त नफरत है। अनजाने में युवराज के बारे में दीक्षा, जो एक कॉलेज की सिंपल सी स्टूडेंट है, एक राज़ पता चल जाता है जिसकी वजह से युवराज उसे खुद के साथ रहने को मजबूर करता है। क्या होगा जब दो नफरत करने वाले इंसान एक साथ रहेंगे? और आखिर कौन सा राज़ था जिसकी वजह से उसने उठाया इतना बड़ा कदम ? जानने के लिए पढ़िए, "My Darling Devil 👿।
Yuvraj Singhania
Hero
Diksha Mehta
Heroine
Samrat Chauhan
Healer
Arnav Singhania
Side Hero
Kartik Mehta
Side Hero
Miheer Sharma
Side Hero
Aryan Singhania
Side Hero
Virat Numani
Side Hero
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Hello guys! I am Hayat Khan! So basically ye story kidnapping, muder, forcefully content se bhri hui hai, to agar ap sach mein ese content ko padhna chahte hai tbhi is story ko padhe.
इसका मकसद किसी की भावनाओ को ठेस पहुँचाना नहीं है।
" Yuvraj Singhania "
" युवराज सिंघानिया" एक ऐसा इंसान जिसका सिर्फ चेहरा ही अच्छा है । युवराज अपने माँ बाप का बड़ा बेटा और सिंघानिया ग्रुप ऑफ कंपनी का मालिक। देखने में इतना हैंडसम की जो एक बार देख ले बस देखता ही रह जाए ।
कई लड़कियों ने जब युवराज को रिझाने की कोशिश लेकिन युवराज ने उन्हें इतना जलील किया की वो लड़कियाँ दोबारा युवराज के आसपास भी नहीं दिखी। वो एक निर्दये इंसान था जिसे किसी के उपर तरस नहीं आता था ।
एक सेप्टेंबर् की रात को घने जंगल की एक कोठरी से किसी के चीखने की बहुत तेज आवाज़ आ रही थी ।
एक काली कोठरी में युवराज एक बड़ी सी कुर्सी पर बैठा हुआ था । उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था । उसने अपने एक हाथ में बंदूक पकड़ी हुई थी और उसके सामने खडा आदमी उससे खुद की जान की भीख मांग रहा था ।
लेकिन युवराज के चेहरे पर एक डेविल स्माईल थी और उसके चेहरे पर जरा भी दया की भावना नज़र नहीं आ रही थी ।
थोड़ी देर के बाद एक गोली की आवाज़ के साथ वो आदमी नीचे जमीन पर गिर गया ।
" ले जाओ इसको और जाकर जंगली जानवरो की भूख मिटा दो " - युवराज ने सख्त आवाज़ के साथ कहा ।
युवराज के एक आदमी ने उस मृत आदमी को उठा लिया और बाहर की तरफ ले जाने लगा ।
तभी उनके कानों में एक आवाज़ आई - " तुमने इसको मार दिया " ?
जैसे ही वहाँ खड़े सब लोगों की नज़र उस आवाज़ की दिशा में गयी तो वो सब लोग हैरान रह गए ।
एक लड़की जिसने रेड कलर का सूट पहना हुआ था, दरवाजे पर डरी सहमी सी खड़ी हुई थी। वो लड़की देखने में इतनी खूबसूरत थी की रात का अंधेरा भी उसकी इस चमक को कम नहीं कर पा रहा था ।
युवराज ने जब उस लड़की को देखा तो वो भी थोड़ी देर के लिए अपनी जगह जम गया लेकिन तभी उसने गुस्से भरी आवाज़ में कहा - " पकड़ो इसको " ।
दीक्षा को जब ये रीलाईंज़ हुआ की अब वो पकड़ी जायेगी। वो जल्दी से वहाँ से भागने लगी। युवराज का एक आदमी उसके पीछे उसको पकड़ने के लिए भागा ।
दीक्षा काफी तेज भाग रही थी क्योंकि वो अपने कॉलेज में स्पोर्ट्स की काफी अच्छी प्लेयर रही थी ।
लेकिन फिर भी उसके पीछे भाग रहा आदमी उस तक पहुँचने ही वाला था की उस आदमी का पैर एक बेल में फंस गया और वो आदमी अपने मुँह के बल जमीन पर गिर गया ।
दीक्षा ने इसी बात का फायदा उठाया और वो उस आदमी से काफी दूर निकल गई। काफी दूर आ जाने के बाद दीक्षा ने एक चैन की सांस ली और वो जोर - जोर से हांपने लगी।
अचानक से दीक्षा के कंधे पर किसी ने हाथ रखा। दीक्षा अचानक से डर गयी। डरते हुए जब वो पीछे मुड़ी तो उसको अंधेरे के कारण उस आदमी का चेहरा दिखाई नहीं दिया ।
तभी उस आदमी ने कहा -" दीक्षा तुम कहाँ चली गयी थी "। ।
उस आदमी की आवाज़ सुनकर दीक्षा ने एक चैन की सांस ली और उसने उस आदमी को गले लगा लिया। वो और कोई नहीं बल्कि दीक्षा का बॉयफ्रेंड युग था ।
आज रात दीक्षा ,युग और अपने कुछ दोस्तों के साथ जंगल के किनारे पर मौजूद एक झील के किनारे कैंपेन करने आई थी। लेकिन जब वो जंगल में थोड़ी दूर लकड़ियाँ ढूंढने गयी तो दीक्षा अचानक से जंगल में गुम हो गयी ।
युग ने जब दीक्षा को इतना घबराया हुआ देखा तो उसने प्यार से दीक्षा के सर पर हाथ फेरते हुए कहा - " क्या हुआ ? तुम इतनी डरी हुई क्यों हो " ?
दीक्षा इस वक्त कुछ नहीं बोलना चाहती थी । वो बस अभी के लिए युग की बाहों में रिलेक्स करना चाहती थी ।
युग दीक्षा को वापस उस जगह पर लेकर गया , जहाँ पर वो आज रात के लिए रुके हुए थे । जैसे ही वो वहाँ पहुंचा आलिया जोकि दीक्षा की बेस्ट फ्रेंड थी वो भागकर उनके पास आई ।
" तुम आ गयी ! हम सब बहुत ज्यादा घबरा गए थे "आखिर तुम चली कहाँ गयी थी " - आलिया ने थोड़ा परेशान होते हुए पूछा ।
" तुम दोनों बातें करो मैं दीक्षा के लिए पानी लेकर आता हूँ " - ये कहकर युग दीक्षा के लिए पानी लेने चला गया। । । ।
"ओह तुम मिल गयी ! मैने सोचा की तुम शायद जंगल के जानवरो के साथ पिकनिक मनाने चली गयी " - पीहू जोकि उनकी काफी अच्छी दोस्त थी वो वहाँ आ गयी।
" चुप करो तुम " - आलिया ने पीहू को डांटते हुए कहा।
युग भी दीक्षा के लिए पानी का ग्लास लेकर आ गया था । उसने दीक्षा को एक कॉम्फोर्टटेबल जगह बिठा दिया और उसे पानी का ग्लास दिया ।
दूसरी तरफ वो आदमी जो दीक्षा को पकड़ नहीं पाया था , अब वो युवराज के सामने खडा था। उसका शरीर पूरी तरह से कांप रहा था
उस आदमी ने डरते हुए कहा -' बॉस माफ कर दीजिये ! मैं उसको पकड़ने ही वाला था पर " ।
वो आदमी इतना ही कह पाया था की युवराज ने एक दूसरे आदमी को इशारा किया और फिर दो आदमी आये और उन्होंने उस आदमी को उठा लिया। वो आदमी चिल्लाता रहा लेकिन युवराज को उसके उपर थोड़ा भी तरस नहीं आया।
तभी एक आदमी अपने हाथ में एक लेडीज पर्स पकड़ कर अंदर आया ।
" बॉस! शायद ये उसी लड़की का पर्स है ! जो अभी - अभी यहाँ थी " - वो आदमी बोला ।।
" ठीक से चेक करो इसको " - युवराज ने ऑर्डर दिया ।
पर्स को चेक करने के बाद उस आदमी को उसमे से एक कार्ड मिला ।
उस आदमी ने वो कार्ड युवराज को पकडा दिया। युवराज ने उस कार्ड को ध्यान से देखा । ये कार्ड किसी कॉलेज का आईडेंटिटी कार्ड था । युवराज ने ध्यान से उस कार्ड को देखा इसमे दीक्षा का नाम उसका फोटो और उसकी सब बेसिक डिटेल्स थी ।
युवराज ने ऑर्डर देते हुए -" उस लड़की को उठा लो।
तो आगे क्या होगा क्या युवराज , दीक्षा को किडनैप कर पाएगा तो जानने के लिए पढ़ते रहिए।My Darling Devil 👿।by Hayat Khan 💗 😍। याद से follow...kardena और rating,comment dena mat bhulna।
उस आदमी ने वो कार्ड युवराज को पकडा दिया। युवराज ने उस कार्ड को ध्यान से देखा । ये कार्ड किसी कॉलेज का आईडेंटिटी कार्ड था । युवराज ने ध्यान से उस कार्ड को देखा तो इसमे दीक्षा का नाम और उसकी फोटो और उसकी सब बेसिक डिटेल्स थी ।
युवराज ने ऑर्डर देते हुए -" उस लड़की को उठा लो" ।
अब आगे...।
इधर दीक्षा ने युग, आलिया और पीहू को सब कुछ बता दिया। जो भी उसके साथ जंगल में हुआ। वो तीनो हैरान थे । लेकिन तभी युग ने अपना फोन निकाल कर और एक नंबर डायल किया।
युग के पापा शहर के एस.पी थे इसलिए युग चाहता था की उसके पापा जल्द से जल्द इस मामले को हैंडल करे ।
उसने अपने पापा को सारी बात बता कर फोन कट कर दिया।
फ़ोन काटने के बाद ने दीक्षा से कहा - " तुम चिंता मत करो ! पापा पर्सनली इस मामले को हैंडल करेंगे "।
दीक्षा ने बस अपना सर हिला दिया।
सुबह होते ही उन्होंने सबने अपना सामान पैक कर लिया। दीक्षा को अपना बैग नहीं मिल रहा था तभी उसको याद आया की वो तो अपना बैग जंगल में कहीं छोड़ आई है ।
अब वो इतने घने जंगल में उस बैग को कहाँ ढूँढ़ेगी। दीक्षा परेशान सी खड़ी थी की युग उसके पास आया और उसने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा - "चले "।
" अरे युग मैने अपना बैग जंगल में कहीं खो दिया है ! अब मैं क्या करूँ ! उसमे मेरा कॉलेज का आईडेंटिटी कार्ड था " ।
" तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे लिए उसे दोबारा बनवा दूंगा ! आखिर युग सक्सेना की इतनी तो चलती ही है" - युग की बात सुनकर दीक्षा मुस्कुरा दी।
युग ने अपनी ही कार में दीक्षा और बाकी सबको ड्रॉप कर लास्ट में दीक्षा को उसके घर ड्रॉप कर दिया।. उसके बाद युग दीक्षा को " बाय " बोलकर वहाँ से निकल गया।
दीक्षा गेट से कुछ दूरी पर थी । वो धीरे - धीरे अपने घर के गेट की की तरफ बड़ रही थी लेकिन तभी दीक्षा के सामने एक गाड़ी आकर रुकी और पलक झपकते ही उस गाड़ी के अंदर दीक्षा को खींच लिया गया ।
इससे पहले की दीक्षा चिल्ला पाती एक आदमी ने उसके मुँह पर रुमाल रख दिया और दीक्षा उसी वक्त बेहोश हो गयी।
युवराज " सिंघानिया ग्रुप " की बड़ी बिल्डिंग के अपने आलीशान केबिन में बैठा हुआ था। वो लैपटॉप पर काफी सीरियस होकर कुछ काम कर रहा था
अचानक से फोन की रिंग ने उसका ध्यान भटका दिया। युवराज ने गुस्से से उस फोन की तरफ देखा लेकिन जैसे ही उसने फोन करने वाले का नाम देखा उसने जल्दी से अपना फ़ोन उठा लिया।
" बोलो "- युवराज ने अपनी एरोगेंट आवाज़ में कहा।
" बॉस ! हमने उस लड़की को पकड़ लिया है ! हमें उसका क्या करना होगा " ।
" उसे मेरे विला में लेकर जाओ "- युवराज ने ऑर्डर दिया और उसके बाद उसने फोन को काट दिया। युवराज ने एक सिगरेट निकाली और कुछ सोचते हुए उसके लंबे - लंबे कश भरने लगा ।
रात को जब युवराज अपने विला पहुंचा तो वो सीधा अपने रूम में गया। उसने जाते ही सबसे पहले अपना कोट उतारा और फिर अपनी शर्ट उतारने लगा। अपनी शर्ट उतारते वक्त उसका ध्यान अचानक से अपने बेड के उपर गया ।
उसका बेड जो हमेशा से खाली होता था । आज उसके उपर एक अप्सरा जैसी लड़की सोई हुई थी। उस लड़की ने वाइट कलर के सूट के साथ रेड दुपट्टा लिया हुआ था ।और वो सोते हुए किसी मासूम बच्चे की जैसी लग रही थी ।
युवराज ये सब देखकर खुश नहीं हुआ बल्कि गुस्से से भर गया।वो गुस्से के साथ अपने रूम से बाहर निकला । और थोड़ी देर में युवराज बड़े से सोफे पर बैठा हुआ था और उसके सामने वो आदमी खड़े हुए थे। जो दीक्षा को लेकर आये थे।
उनमे से एक ने कहा " बॉस हमे माफ कर दीजिये " जब आपने ये कहा की आप उस लड़की को अपने विला में चाहते है। तो हमे ये ही लगा की आज रात आप उस लड़की के साथ सोना चाहते है।
" बस " युवराज ने गुस्से से एक शब्द कहा और वो चुप हो गया। उसका एक शब्द " बस " सुनकर वो आदमी कांप गए।
युवराज उठा और उसने उनकी तरफ बिना देखे कहा. " अपनी इस गलती की सज़ा लेने को तैयार हो जाओ. " इतना कहकर युवराज वहाँ से निकल गया।
वो आदमी पीछे से चिल्लाते रहे लेकिन युवराज ने उनकी एक नहीं सुनी। वो सच में एक हैवान था । एक ऐसा हैवान जिसे किसी के मरने जीने से कोई फर्क नहीं पड़ता था।.
युवराज वापस उस कमरे में नहीं गया । उसने दूसरे कमरे में जाकर शावर लिया और वहीं सो गया।
दीक्षा की जब सुबह नींद खुली तो उसने अपने आपको एक बड़े से बेड के उपर पाया । दीक्षा ने अपने आस देखा तो वो हैरान रह गई।
वो रूम काफी बड़ा था। लेकिन बहुत अजीब था क्योंकि उस रूम की हर चीज काले और गोल्डेन कॉलर की थी। उस कमरे की बेडशीट से लेकर पर्दे, फर्निचर सब कुछ काले और गोल्डेन कॉलर का था ।
उस रूम को देखकर ऐसा लग रहा था ।जैसे उस रूम के मालिक की जिंदगी में इन दो कलर को छोड़ कर कोई और कलर होगा ही नहीं।
दीक्षा ने अजीब मुंह बना कर कहा "कैसा अजीब सा रूम है "।
का सर काफी भारी हो रहा था । उसको समझ में नहीं आ रहा था की वो किस जगह है। जहाँ तक की उसको याद था। उसको कल कुछ आदमियों ने पकड़ लिया था।
दीक्षा बहुत ज्यादा घबराई हुई थी । आखिर किसने उसे पकडा होगा । उसके दिमाग में ये सब ही चल रहा था।
वो धीरे से बेड से उठी और उसने बहुत सावधानी से रूम का डोर ओपन किया उसे आस ,पास कोई दिखाई नहीं दिया । इसलिए वो बाहर आ गयी।
वो शायद घर की दूसरी मंजिल पर थी । दीक्षा इस बड़े से घर को देखकर काफी हैरान थी। उसने आजतक कभी इतना बड़ा घर नहीं देखा था।
लेकिन दीक्षा को इस घर का डिजाईन काफी अजीब लग रहा था । ये घर कम और भूतिया हवेली ज्यादा लग रही थी।
तो आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए।My Darling Devil 👿 💕।by Hayat Khan 💗 😍।याद से follow...kardena और rating,comment dena mat bhulna।
वो शायद घर की दूसरी मंजिल पर थी । दीक्षा इस बड़े से घर को देखकर काफी हैरान थी। उसने आजतक कभी इतना बड़ा घर नहीं देखा था।
लेकिन दीक्षा को इस घर का डिजाईन काफी अजीब लग रहा था । ये घर कम और भूतिया हवेली ज्यादा लग रही थी।
अब आगे....।
क्योंकि इस घर का सब सामान काले और गोल्डेन कलर का था। जिसकी वजह से ये काफी डरावना प्रतीत होता था।
काफी दूर चलने के बाद भी दीक्षा को कुछ दिखाई नहीं दिया। फिर वो थोड़ा दूर और चली । उसके बाद उसको आखिर में सीढियाँ मिल ही गयी।
जब दीक्षा को सीढियाँ मिले तो वो काफी खुश हो गयी। जैसे ही वो सीढियाँ उतरने वाली थी । उसे नीचे से कुछ आवाजे सुनाई दी।
उन आवाज़ों को सुनकर दीक्षा दीवार के पीछे छुप गयी । उसने धीरे से अपनी गर्दन निकाल कर नीचे की तरफ देखा ।
नीचे एक काले रंग के सोफे पर एक आदमी बैठा हुआ था। दीक्षा उस आदमी का चेहरा ठीक से नहीं देख पा रही थी ।क्योंकि उस आदमी की पीठ दीक्षा की तरफ थी।
उस आदमी के आगे बहुत सारे लोग लाइन लगा कर खड़े हुए थे । जैसे वो सब अपने शहनशा के ऑर्डर मिलने का इंतज़ार कर रहे हो।
दीक्षा चुपके - चुपके सीढियाँ उतरने लगी । ताकि वो वहाँ से भाग सके। वहाँ पर दूसरी सीढ़ियां भी थी । जहाँ से दीक्षा को वो लोग दिखाई नहीं दे रहे थे। इसलिए वो वहाँ से नीचे उतर गयी।
जैसे वो नीचे उतरी उसे बाहर जाने का रास्ता दिखाई दिया । दीक्षा चुपके - चुपके वहाँ से जाने लगी।.
लेकिन तभी उसे अपने पीछे से एक रोबदार आवाज़ आई
" वहीं रुक जाओ " ।
आवाज़ को सुनकर दीक्षा एक जगह ही जम गयी। "अब तो में गयी " दीक्षा ने मन ही मन कहा ।
वो धीरे से पीछे मुड़ी । लेकिन जैसे ही उसने पीछे मुड़कर अपने सामने खड़े हुए इंसान को देखा तो वो शॉकड हो गयी। दीक्षा ने जैसे ही अपने पीछे खड़े इंसान को देखा । उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी।
उसकी पूरी बॉडी पूरी तरह से कांपने लगी। युवराज की आँखो से आग झलक रही थी। उसने गुस्से से कहा " तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई । यहाँ से भागने की "।
दीक्षा ने अपने आपको सम्भाला क्योंकि वो इस वक्त युवराज के सामने अपने आपको वीक नहीं दिखाना चाहती थी।
दीक्षा ने भी थोड़ा एटीटीयुड के साथ कहा. " तुम मुझे यहाँ पकड़ कर क्यों लाये हो " । आखिर तुम चाहते क्या हो मुझसे।
दीक्षा को इतना कंफिडेंट देखकर युवराज के चेहरे पर एक डेविल स्माईल आ गयी।
वो सीधा जाकर उसके सामने खडा हो गया ।उसने उसकी आँखो में देखते हुए कहा " तुम यहाँ से नहीं जा सकती " ।
दीक्षा बुरी तरह से घबरा गयी लेकिन उसने अपनी घबराहट को चेहरे पर जाहिर नहीं होने दिया। उसने गुस्से में अपनी कमर पर हाथ रख कर कहा " अरे कहे... मैं यहाँ से क्यों नहीं जा सकती "।
क्योंकि तुमने मुझे उस आदमी को मारते हुए देख लिया है । और मैं बिल्कुल नहीं चाहता की मेरे राज किसी और को पता चले। युवराज ने बिना भाव के साथ कहा।
मैं तुम्हारे बारे में किसी से कुछ नहीं कहूंगी । आई प्रोमिस। तुम बस मुझे यहाँ से जाने दो दीक्षा बोली।
और तुम ये तब कह रही हो । जब तुमने पहले ही पुलिस को सब बता दिया है। पूरे शहर की पुलिस मुझे ही ढूंढ रही है। युवराज ने थोड़ा चिड़ते हुए कहा।
"क्या " तभी दीक्षा को याद आया की युग ने अपने पापा को ये मामला हैंडल करने को कहा था।
दीक्षा ने फिर से कुछ सोचते हुए कहा । तो तुमने मुझे पकड़ कर क्यों रखा हुआ है। मुझे जाने दो। मैं इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहूंगी।
बिल्कुल भी नहीं । जब तक तुम मर नहीं जाती । तब तक तुम यहीं रहोगी। युवराज ने बोला।
उसके बाद उसने कुछ लोगों को ऑर्डर देते हुए कहा " इसको उपर ले जाओ " ।
उसके बाद दो आदमी आये और उन्होंने दीक्षा को उसकी बाजुओं से पकड़ लिया। दीक्षा चिल्लाई लेकिन वहाँ पर उसकी बात सुनने वाला कोई नहीं था।
तभी युवराज को कुछ याद आया और उसने उन आदमियों से कहा " रुको "।
वो आदमी अपनी जगह रुक गए।
युवराज ने आगे कहा " इसको मेरे कमरे में नहीं बल्कि दूसरे कमरे में लेकर जाना " ।
" ओके बॉस " ये कहकर वो दोनों आदमी दीक्षा को वहाँ से लेकर चले गए।.
दूसरी तरफ दीक्षा के घरवाले दीक्षा को ढूंढ - ढूंढ कर परेशान हो गए थे। ऐसे अचानक से उनकी बेटी का गायब होना । उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था।
उन्होंने दीक्षा के सब दोस्तों से कोंटेक्ट् किया । लेकिन किसी को भी दीक्षा के बारे में कुछ नहीं पता था। युग को जब दीक्षा के गायब होने की बात पता चली तो वो भी बुरी तरह से घबरा गया।
उसने दीक्षा को ढूंढने के लिए पूरी एडी चोटी का दम लगा दिया। बावजूद इसके दीक्षा का कुछ पता नहीं चल पा रहा था।
दूसरी तरफ रात को युवराज अपने काम से लौटा था। फ्रेश होने के बाद जब वो खाना खाने बैठा तो एक 52 साल की औरत जिसका नाम " देवकी " था । वो युवराज के लिए खाना बनाती थी । उसने युवराज से कहा कहा ।" बेटा उसने अभी तक कुछ नहीं खाया है " ।
युवराज ने जो हाथ खाने के लिए उपर उठाया था । वो हवा में ही रुक गया । वो स्वलियाँ नजरो से उस बुढी आंटी की तरफ देखने लगा।
तभी उस आंटी ने कहा " वो लड़की जिसे तुम अपने साथ लेकर आये हो । उसने सुबह से कुछ नहीं खाया है " ऐसे तो वो बीमार हो जायेगी ।
युवराज ने कुछ नहीं कहा । और वो उठकर उस रूम की तरफ जाने लगा जहाँ पर दीक्षा को रखा गया था।
मानसी का दरवाजा बाहर से लॉक था । इसलिए युवराज वो दरवाजा खोलकर अंदर आया। उसने देखा की दीक्षा सिकुड़ कर अपने बिस्तर पर बैठी हुई है।.उसकी आँखो में आँसू थे।
तुमने खाना क्यों नहीं खाया । युवराज ने पूछा।
दीक्षा ने अपनी नजरे उठा कर युवराज की तरफ देखा तो उसका पारा हाई हो गया। उसने गुस्से से कहा " मैं कुछ नहीं खाऊँगी ।तुम बस मुझे यहाँ से जाने दो " ।
ये ख्याल अपने दिमाग से निकाल दो । तुम यहाँ से कहीं नहीं जाओगी । इसलिए चुपचाप होकर खाना खा लो।
मैं यहाँ रहने से अच्छा मरना पसंद करूंगी । दीक्षा ने गुस्से से कहा।
युवराज को अब दीक्षा के उपर बहुत गुस्सा आ रहा था। आज तक उसने किसी भी लड़की के इतने नखरे नहीं सहे थे । युवराज का मन कर रहा था की दीक्षा को अभी यहीं जान से मार दे लेकिन वो कभी भी जानवरो और लड़कियों के उपर हाथ नहीं उठाता था।
इस बार युवराज ने कुछ नहीं कहा और दीक्षा को अपनी बाहों में उठा लिया। दीक्षा ने जैसे ही अपने पीछे खड़े इंसान को देखा उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी।.
उसकी पूरी बॉडी पूरी तरह से कांपने लगी। युवराज की आँखो से आग झलक रही थी। उसने गुस्से से कहा " तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई । मुझे नखरे दिखाने की " ।
दीक्षा ने अपने आपको सम्भाला क्योंकि वो इस वक्त युवराज के सामने अपने आपको वीक नहीं दिखाना चाहती थी।
तो आगे जाने के लिए पढ़ते रहिए । My Darling Devil 👿 💕 ।by Hayat Khan 💗 😍।।याद से follow...kardena और rating,comment dena mat bhulna।
उसकी पूरी बॉडी पूरी तरह से कांपने लगी। युवराज की आँखो से आग झलक रही थी। उसने गुस्से से कहा " तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई । मुझे नखरे दिखाने की " ।
दीक्षा ने अपने आपको सम्भाला क्योंकि वो इस वक्त युवराज के सामने अपने आपको वीक नहीं दिखाना चाहती थी।
अब आगे...।
जब युवराज को एहसास हुआ कि उसने एक लड़की को अपनी गोद में उठाया हुआ है, तो उसने एकदम से मानसी को वापस उसी बेड पर पटक दिया।
दीक्षा दर्द से कराह उठी।
"क्या तुम पागल हो! अगर हाँ, तो अपने दिमाग का इलाज करवाओ," दीक्षा गुस्से में बोली।
युवराज ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और वहाँ से चला गया। अब उसे दीक्षा के लिए बिल्कुल बुरा नहीं लग रहा था। वो नीचे गया और खाना खाने लगा।
"बेटा, वो नहीं आई?" देवकी जी ने युवराज से पूछा।
"उसको जब भूख लगेगी, वो खुद खा लेगी," युवराज ने चिढ़कर कहा।
"ऐसे तो वो बीमार " देवकी जी इतना ही बोल पाई थीं कि युवराज ने अपना हाथ उठाकर उन्हें आगे बोलने से रोक दिया। युवराज ने अपना खाना खाया और अपने रूम में चला गया।
देवकी बस परेशान सी वहाँ खड़ी रही – "काश, ये लड़की मेरे युवी बाबा को बदल पाती ," देवकी ने मन ही मन कहा।
युवराज के घर में सिर्फ देवकी ही एक औरत थीं क्योंकि युवराज सिर्फ उनके हाथ का बना खाना खाता था । वो बचपन से ही युवराज का ख्याल रखती थीं और उसके लिए खाना बनाती थीं।
जब उन्होंने देखा कि युवराज किसी लड़की को अपने साथ घर लेकर आया है, तो उनके मन में एक उम्मीद जगी कि आखिर उसके बाद कोई तो युवराज का ध्यान रखेगा। लेकिन वो गलत थीं । इस लड़के के दिल में जगह बनाना सच में बहुत मुश्किल है।
ऐसा नहीं था कि युवराज की कोई फैमिली नहीं थी। उसके परिवार में उसकी माँ, पापा उसके दो भाई और दादी थीं, जिनमें वो अपनी दादी के सबसे करीब था। युवराज की माँ और पापा दोनों बिजनेस करते थे। उन्होंने बचपन से ही युवराज पर कोई ध्यान नहीं दिया था, इसलिए शायद युवराज इतना कठोर और निर्दयी था। वो बस अकेला रहना पसंद करता था । देवकी जी को युवराज के लिए अब काफी बुरा लग रहा था।
उधर युवराज अपने बिस्तर पर सोने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पता नहीं क्या चीज उसे सोने नहीं दे रही थी। युवराज को फिर जाकर याद आया कि ये दीक्षा की खुशबू थी, जो रात में उसके सोने की वजह से उसके बेड पर रह गई थी।
युवराज ने उठकर वो बेडशीट एक तरफ फेंक दी।
सुबह युवराज की नींद एक फोन कॉल से खुली। उसने देखा कि उसके पापा " आरव सिंघानिया" फ़ोन कर रहे हैं।
युवराज ने जैसे ही फोन कान पर लगाया, उसके पापा ने दूसरी तरफ से कहा, "मिस्टर कपूर मर चुके हैं। उनकी लाश जंगल में मिली है। क्या इसमें तुम्हारा हाथ है?"
"हाँ, मैंने ही उसे मारा है। वो इसी लायक था," युवराज ने बिना भाव से कहा।
"तुम. मैं क्या करूँ तुम्हारा! तुम्हें पता है, पूरे शहर की पुलिस 'मिस्टर कपूर' के कातिल को ढूंढ रही है। अगर इसमें तुम्हारा नाम आ गया, तो मेरी सालों की कमाई हुई इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी।"
"आप चिंता मत कीजिए, आपकी इज़्ज़त पर मैं बिल्कुल भी आँच नहीं आने दूंगा," युवराज ने एक-एक शब्द चबाते हुए कहा। उसके बाद उसने बिना कुछ सुने फोन काट दिया।
आरव सिंघानिया ने जब ये देखा कि युवराज ने उनका फोन काट दिया है, तो उन्होंने गुस्से से फोन फेंक दिया।
"मेरे बेटे को कुछ नहीं होना चाहिए," मिसेज सिंघानिया (युवराज की माँ) ने अपने पति से कहा।
"हाँ, क्यों नही तुम्हारा बेटा क्राइम करे और मैं उसके ऊपर पर्दा डालूँ, ये ठीक है," आरव सिंघानिया ने गुस्से से कहा।
उधर युवराज ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुका था। जब वो नीचे आ रहा था, तब उसकी नज़र दीक्षा के रूम की तरफ चली गई। न चाहते हुए भी वो उस रूम की तरफ बढ़ गया। उसने देखा कि दीक्षा ऐसे ही बैठे-बैठे सो रही है। उसके चेहरे से पता लग रहा था कि वो बहुत ज्यादा थकी हुई है।
दीक्षा सोती हुई किसी छोटी बच्ची की तरह प्यारी लग रही थी, लेकिन युवराज को उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं था और ना ही उसे उसके लिए कुछ फील होता था।
उसे देखने के बाद युवराज दरवाजा बंद करके वहाँ से चला गया। देवकी जी युवराज के लिए खाना लगा रही थीं। वो दीक्षा के बारे में युवराज से पूछना चाहती थीं, लेकिन युवराज के चेहरे को देखकर उन्होंने उससे कुछ नहीं पूछा।
युवराज खाना खाकर जब ऑफिस के लिए निकलने लगा, तो उसने देवकी जी की तरफ बिना देखे कहा, "उसको खाना खिला देना।"
दीक्षा के कॉलेज में:
आलिया दीक्षा के गुम होने की वजह से लगातार रोए जा रही थी। पीहू की आँखों में भी आँसू थे। उसने आलिया को सँभालते हुए कहा, "तुम चिंता मत करो, पुलिस उसे ढूंढ रही है। वो जल्दी ही मिल जाएगी।"
तभी उन दोनों की नजर युग पर जाती है, जो किसी से फोन पर बात कर रहा था। पीहू ने युग को आवाज़ दी, "युग!"
युग ने जैसे ही पीहू की आवाज़ सुनी, तो वो उनकी तरफ ही बढ़ गया।
"दीक्षा का कुछ पता चला?" पीहू ने पूछा।
"नहीं, अभी तक तो नहीं," युग ने मायूस होकर जवाब दिया।
युग का जवाब सुनने के बाद आलिया और जोर से रोने लगी।
"पापा का कहना है कि उस रात जंगल में दीक्षा ने जो कुछ भी देखा, उसका दीक्षा के गायब होने से लिंक हो सकता है, लेकिन अभी तक उन्हें इस मामले में कोई भी क्लू नहीं मिला है।"
युग काफी मायूस लग रहा था। वो दीक्षा से बहुत ज्यादा प्यार करता था। उसके बिना उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।
दीक्षा के घर में सबके रो-रोकर बुरे हाल हो गए थे। दीक्षा की माँ की तो जान हलक में अटकी हुई थी। दीक्षा के पापा एक स्कूल में टीचर की नौकरी करते हैं, लेकिन अपनी बेटी के गुम हो जाने के सदमे से वो वहाँ भी नहीं जा रहे थे।
दीक्षा के घर में इस वक्त लोगों की भीड़ लगी हुई थी। दीक्षा की माँ औरतों से घिरी हुई थी, और उसके पापा साइड में बुत बने खड़े थे। दीक्षा का एक छोटा भाई था और वो भी अपने पापा के पास खड़ा रो रहा था।
दीक्षा घर की लाडली थी। उसके यूँ अचानक से गायब हो जाने से उसकी फैमिली अंदर तक हिल गई थी।
तो आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए । My Darling Devil 👿 💕 ।by Hayat Khan 💗 😍।।।याद से follow...kardena और rating,comment dena mat bhulna।
दीक्षा के घर में इस वक्त लोगों की भीड़ लगी हुई थी। दीक्षा की माँ औरतों से घिरी हुई थी, और उसके पापा साइड में बुत बने खड़े थे। दीक्षा का एक छोटा भाई था और वो भी अपने पापा के पास खड़ा रो रहा था।
दीक्षा घर की लाडली थी। उसके यूँ अचानक से गायब हो जाने से उसकी फैमिली अंदर तक हिल गई थी।
अब आगे...।
युवराज के विला में:
युवराज आज जल्दी ही वापस आ गया। उसने आते ही देवकी जी से पूछा, "उसने खाना खाया?"
देवकी जी ने निराशा के साथ कहा, "नहीं। मैंने उसको खाना खिलाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसने बार-बार खाने को नकार दिया।"
देवकी जी की बात सुनकर युवराज की मुट्ठियाँ आपस में बंद हो गईं। युवराज ने और कुछ नहीं पूछा, वो सीधा दीक्षा के रूम की तरफ चल दिया।
युवराज दरवाजा खोलकर दीक्षा के रूम में गया। युवराज ने देखा कि दीक्षा अभी भी बेड पर बेबस सी पड़ी थी। दीक्षा की आँखें रो-रोकर सूज गई थीं और उसका कोमल चेहरा अब बहुत ज्यादा कठोर लग रहा था।
दीक्षा ने जब दरवाजे के खुलने की आवाज़ सुनी, तो उसने अपनी नज़रें उठाकर देखा। जैसे ही उसने दरवाजे पर खड़े इंसान को देखा, उसकी आँखें नफरत से भर गईं।
युवराज दीक्षा की आँखों में खुद के लिए नफरत देख सकता था, लेकिन उसे इसकी कोई परवाह नहीं थी। वो धीरे-धीरे चलकर उसके बेड के नज़दीक गया।
उसने पास पड़ी कुर्सी को खींचा और उसके ऊपर बैठ गया। वो दीक्षा के ठीक सामने बैठा हुआ था। दीक्षा नफरत से उसे घूरे जा रही थी।
युवराज ने बिना वक्त बर्बाद किए कहा, "मैं तुम्हें यहाँ से जाने दूंगा, लेकिन एक शर्त पर।"
युवराज अपनी बात कहकर रुक गया और दीक्षा के एक्सप्रेशन देखने लगा।
युवराज की बात सुनने के बाद दीक्षा के एक्सप्रेशन अचानक से बदल गए। उसने अपना मुँह खोला और कहा, "शर्त? कैसी शर्त?"
युवराज के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई। दीक्षा उसे अभी भी नफरत से देख रही थी। उन दोनों के ही दिल में एक-दूसरे के लिए नफरत के अलावा कुछ नहीं था।
युवराज ने कुछ सोचा और कहा, "मैं तुम्हें यहाँ से जाने दूंगा, लेकिन इससे पहले कि तुम यहाँ से जाओ, तुम्हें मेरी एक प्रॉब्लम सॉल्व करके जाना होगा।"
"प्रॉब्लम? कैसी प्रॉब्लम?" दीक्षा ने हैरानी से पूछा।
"जो इंसान खुद चलती-फिरती प्रॉब्लम हो, वो कैसे किसी प्रॉब्लम में फँस सकता है," दीक्षा ने मन ही मन सोचा।
"मैं भी प्रॉब्लम में फँस सकता हूँ । मैं भी एक इंसान हूँ," युवराज दीक्षा का चेहरा देखते हुए बोला ।
दीक्षा अवाक होकर युवराज का चेहरा देखने लगी। "आखिर इसको मेरे मन की बात कैसे पता चली." उसने सोचा। फिर अचानक खुद को सँभालते हुए बोली, "तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है?"
युवराज ने हल्की मुस्कान के साथ उसे देखा, फिर गहरी आवाज़ में बोला, "मुझे तुम्हारे लिए एक ऐसा काम करना होगा जो तुम्हारे लिए शायद आसान नहीं होगा।"
"कौन सा काम?" दीक्षा ने कड़े लहजे में पूछा।
युवराज ने उसकी आँखों में देखकर कहा, "मुझे किसी पर भरोसा नहीं होता । कोई भी मेरे करीब नहीं आ सकता। मुझे लगता है कि तुम इस दीवार को तोड़ सकती हो।"
दीक्षा हतप्रभ रह गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि युवराज जैसे कठोर व्यक्ति ने उसके सामने ये बात क्यों कही। कुछ पलों की खामोशी के बाद, उसने ठंडी आवाज़ में कहा, "और तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हारी मदद करूँगी?"
युवराज ने उसकी ओर गंभीरता से देखा और कहा, "क्योंकि तुम्हारे पास और कोई रास्ता नहीं है। या तो तुम मेरी मदद करोगी और यहाँ से आज़ाद हो जाओगी, या फिर."
उसके "या फिर" के बाद आई खामोशी ने दीक्षा के मन में बेचैनी पैदा कर दी। उसने गहरी साँस ली और बोली, "ठीक है, मैं ये शर्त मानने को तैयार हूँ। लेकिन मुझे कोई उम्मीद मत देना कि मैं तुम्हें बदल सकती हूँ।"
युवराज ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और कहा, "मुझे किसी की उम्मीद नहीं चाहिए । बस इतना ही कि तुम कोशिश करो।"
इसके बाद युवराज उठ खड़ा हुआ और दीक्षा की ओर देखकर बोला, "आज से तुम मेरे साथ काम करोगी। मुझे देखोगी, समझोगी, और फिर ये जानने की कोशिश करोगी कि मैं क्या चाहता हूँ।"
दीक्षा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि युवराज आखिर उससे क्या चाहता है। वो केवल उसकी नज़रों में छुपे गहरे राज़ को पढ़ने की कोशिश कर रही थी।
कुछ देर बाद युवराज ने उसकी ओर पलटकर कहा, "कल सुबह आठ बजे तैयार रहना। तुम्हें ऑफिस भी मेरे साथ ही जाना होगा।"
दीक्षा ने सहमति में सिर हिला दिया, लेकिन उसके मन में सवालों का तूफान चल रहा था।
दीक्षा ने थोड़ा गुस्से में युवराज से कहा, "जो इंसान किसी को बिना सोचे-समझे पलभर में मार सकता है. और एक लड़की को बिना उसकी मर्जी के कैद करके रख सकता है । वो इंसान नहीं, राक्षस होता है, राक्षस।"
मानसी की आवाज़ से ही उसका दुःख साफ-साफ पता चल रहा था.
युवराज ने उसकी बात पर कोई रिएक्ट नहीं किया, क्योंकि उसको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि दीक्षा उसके बारे में क्या सोचती है।
युवराज ने थोड़ी देर कुछ सोचा फिर कहा, " ओह के अगर तुम मेरी बात नहीं मानना चाहती तो मत मानो । लेकिन फिर ज़िंदगी भर यहीं पर सड़ना, क्योंकि मैं तुम्हें यहाँ से इतनी आसानी से नहीं जाने दूंगा।"
इतना कहकर युवराज वहाँ से जाने लगता है ।
दीक्षा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे और क्या करे । लेकिन वो किसी भी हालत में यहाँ से निकलना चाहती थी ।
"अच्छा बताओ, क्या काम करना है?" दीक्षा ने जाते हुए युवराज से पूछा।
युवराज अपनी जगह पर रुक गया । उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल थी । वो जाकर वापस उसी जगह पर बैठ गया।
युवराज ने बिना किसी एक्सप्रेशन के अपनी बात शुरू की, "मेरी फैमिली अभी यहाँ आयेगी । तुम्हें बस इतना करना है कि तुम्हें उनके सामने मेरी लवर बनने का दिखावा करना है।"
युवराज की बात खत्म होते ही दीक्षा चिल्लाई, "क्या बकवास कर रहे हो । तुम्हारी लवर बनने की एक्टिंग करनी होगी , सकल देखी है अपनी??" वो इस भेड़िये को एक भी मिनट बर्दाश्त नहीं कर सकती थी । और उसकी लवर बनने की बात सुनकर ही उसको उल्टी करने का मन कर रहा था ।
"हाँ बोहोत अच्छी है ," युवराज बिना भाव के साथ बोला।
"अगर तुम्हें नहीं करना तो रहने दो," ये कहकर युवराज फिर से उठने लगा।
"नहीं , नहीं , मैं करूँगी," दीक्षा ने सोचा कि उसको सिर्फ एक्टिंग ही तो करनी है । उसके बाद अगर ये मुझे जाने देता है तो इसमें मेरा ही फायदा है।
"लेकिन अगर इसने ऐसा नहीं किया तो " ये ख्याल आते ही दीक्षा का दिल सहम गया। उसने युवराज से आगे कहा, "अगर तुम बाद में अपनी बात से मुकर गए तो?"
"युवराज सिंघानिया कभी भी अपनी बात से नहीं मुकरता. लेकिन अगर तुम्हें यकीन नहीं है तो मैंने पहले ही इसके लिए कॉन्ट्रैक्ट बना लिया है।"
तो क्या है उस कॉन्ट्रैक्ट में और आगे क्या होने वाला है जाने के लिए पढ़ते रहिए।My Darling Devil 👿 💕 ।by Hayat Khan 💗 😍।।।।याद से follow...kardena और rating,comment dena mat bhulna।
"युवराज सिंघानिया कभी भी अपनी बात से नहीं मुकरता. लेकिन अगर तुम्हें यकीन नहीं है तो मैंने पहले ही इसके लिए कॉन्ट्रैक्ट बना लिया है।"
अब आगे...।
पहले तो दीक्षा को उसका नाम सुनकर शॉक लगा । युवराज सिंघानिया । क्या ये वही बिजनेस टाइकून युवराज सिंघानिया है । जिसके बारे में उसकी सब फ्रेंड्स बात करती रहती थीं?" दीक्षा ने मन ही मन सोचा, "लेकिन ये तो पूरा का पूरा जानवर है।"
लेकिन । जब उसने युवराज की दूसरी बात सुनी तो उसने शॉक होकर पूछा, "क्या तुमने इतनी सी बात के लिए कॉन्ट्रैक्ट भी बना लिया?"
"हाँ, क्योंकि मुझे पता था कि तुम इस बात पर बिना कॉन्ट्रैक्ट के विश्वास नहीं करोगी," युवराज बोला।
"क्या ये इंसान सच में पागल है?"दीक्षा ने मन ही मन सोचा उसके बाद उसने युवराज से वो कॉन्ट्रैक्ट पेपर लिया और उसे पढ़ने लगी ।
लेकिन जैसे ही उसने उस कॉन्ट्रैक्ट पेपर को पढ़ा , उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं । इस कॉन्ट्रैक्ट पेपर में साफ-साफ लिखा था कि दीक्षा को युवराज के साथ पूरे छः महीने तक रहना है।
दीक्षा कभी कॉन्ट्रैक्ट को देखती तो कभी अपने सामने मौजूद युवराज को ।
"क्या ये इंसान सच में पागल है?" दीक्षा ने मन ही मन सोचा।
"प्लीज़ अगर तुम्हारे दिमाग के पुर्जे ढीले हैं तो अपना इलाज करवाओ । यहाँ मेरा दिमाग खराब मत करो । मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ," दीक्षा थोड़ा गुस्से से चिल्लाई।
युवराज ने अपनी पीछे की जेब से एक बंदूक निकाली और कहा, "ठीक है । फिर तुम भी मेरे किसी काम की नहीं।" ये कहकर उसने वो बंदूक दीक्षा की तरफ प्वाइंट कर दी।
बंदूक को देखकर दीक्षा को वो रात याद आ गई । जब युवराज ने कुछ सोचे-समझे बिना एक आदमी को मौत के घाट उतार दिया था । दीक्षा की जान अचानक से उसके हलक में अटक गई।
उसने डरते हुए कहा, "ठीक है , ठीक है । मैं तुम्हारी शर्त मानने के लिए तैयार हूँ।"
" इसमें साइन करो," युवराज ने कॉन्ट्रैक्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा । दीक्षा ने जल्दी से उस कॉन्ट्रैक्ट पर साइन कर दिए । उसके बाद युवराज ने उससे वो कॉन्ट्रैक्ट छीन लिया ।
"छः महीने के बाद तुम अपने रास्ते और मैं अपने," ये कहकर वो वहाँ से जाने लगा । लेकिन एक बात याद करते हुए वो आधे रास्ते में ही रुक गया। वो पीछे मुड़ा और उसने दीक्षा को खुद को घूरते हुए पाया ।
"अभी देवकी आंटी तुम्हारे लिए खाना लेकर आएगी । उसको खा लेना और ज्यादा नखरे मत दिखा , समझी अगर तुमने नहीं खाया तो " इसके बाद युवराज ने अपने हाथ में पकड़ी बंदूक को अजीब ढंग से छुआ।
युवराज के वहाँ से जाने के बाद दीक्षा ने बेड पर रखे हुए तकियों को गुस्से से नीचे जमीन पर फेंक दिया ।
युवराज अपने स्टडी रूम में बैठा था । उसके सामने दीक्षा का साइन किया हुआ कॉन्ट्रैक्ट पड़ा हुआ था। वो लगातार उसको घूर रहा था।
"आज दिन में जब वो अपने ऑफिस में था । तब उसकी दादी वहाँ आ गई थी। उसकी दादी पूरी तैयारी के साथ वहाँ आई थी । उन्होंने अपने साथ एक चाकू और एक बंदूक लाई हुई थी।
उन्होंने युवराज को ब्लैकमेल किया कि अगर उसने एक महीने के अंदर शादी नहीं की तो वो आज ही अपनी जान ले लेगी । उसकी दादी ने तो उसके लिए लड़की भी पसंद की हुई थी ।
लेकिन युवराज शादी नहीं करना चाहता था । वो भी उस लड़की से जो उसकी दादी ने पसंद की हो । लेकिन तभी युवराज को दीक्षा का ख्याल आया और उसके दिमाग घंटी बजी।
फिलहाल अभी तो वो किसी भी कीमत पर उसको छोड़ नहीं सकता था । क्यों न वो उसको अपनी फेक लवर बना ले।
थोड़ा सोचने के बाद उसने अपनी दादी से कहा, "दादी मैं शादी करूँगा, लेकिन अभी नहीं क्योंकि अभी मेरी गर्लफ्रेंड शादी के लिए तैयार नहीं है।"
"गर्लफ्रेंड?" दादी ने शक करते हुए युवराज से पूछा।
" हां दादी मेरी एक गर्लफ्रेंड है । और हम दोनों साथ ही रहते हैं," युवराज बोला।
"क्या? क्या तुम सच बोल रहे हो?" दादी बोली।
"आपको लगता है कि मैं झूठ बोल सकता हूँ?" युवराज की बात सुनकर दादी थोड़ी शांत हो गईं। जाने से पहले दादी ने कहा, "मैं आज शाम को उससे मिलने आऊँगी।"
सब मामले सेटल करने के लिए ही युवराज को आज जल्दी घर आना पड़ा ।
इस पूरी दुनिया में वो सबसे करीब अपनी दादी के रहा है । इसलिए वो उनको नाराज नहीं करना चाहता था ।
दीक्षा ने भी अब खाना खा लिया था । इतने दिन भूखी रहने की वजह से उसकी भूख दोगुनी हो गई थी । दीक्षा ने देखा कि देवकी उसके रूम को लॉक करना भूल गई है । दीक्षा की आँखों में अचानक से चमक आ गई ।
वो धीरे-धीरे चलकर नीचे गई । नीचे कोई नहीं था । दीक्षा ने एक गहरी सांस ली और मेन दरवाजे से बाहर जाने लगी। तभी उसके पीछे से एक आवाज़ आई, "तुम क्या सोचती हो तुम यहाँ से भाग सकती हो?"
दीक्षा एकदम से अपनी जगह रुक गई। "ओह गॉड, में फिर से पकड़ी गई ।"
"तुम्हें किसने कहा कि मैं यहाँ से भाग रही हूँ । मैं तो बस घर को देख रही थी," दीक्षा ने युवराज का एक्सप्रेशनलेस चेहरा देखकर कहा ।
तभी मेन दरवाजे से एक काले कपड़े पहने एक आदमी अंदर आया। उसके हाथ में बहुत सारे शॉपिंग बैग्स थे।
"बॉस, ये रहा वो सामान जो आपने मंगाया था । ये सब सामान मैं उसी डिज़ाइनर से लाया हूँ जिससे आपने कहा था," उस आदमी ने अंदर आते ही कहा।
"उसको वहाँ रख दो," युवराज ने उस आदमी की तरफ बिना देखे कहा । उसकी कठोर नज़रें अभी भी दीक्षा के ही ऊपर थीं।
युवराज के इस तरह से घूरने से दीक्षा परेशान हो चुकी थी। बाद में उसने चिढ़कर कहा, "क्या है । कभी कोई खूबसूरत लड़की नहीं देखी है क्या?"
"इसमें तुम्हारे लिए कुछ कपड़े हैं," युवराज ने उन बैग्स की तरफ इशारा करते हुए कहा । जो अभी-अभी वो आदमी अंदर लेकर आया था ।
दीक्षा ने एक नज़र उन बैग्स की तरफ देखा, उतने में उसको युवराज की आवाज़ दोबारा सुनाई दी, "नहा-धोकर इन साफ कपड़ों को पहन लो । कितने दिन से एक ही कपड़े पहने हुई हो गंदी कहीं की," इतना कहकर युवराज वहाँ से चला गया।
आज के लिए इतना ही आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए । My Darling Devil 👿 💕 ।by Hayat Khan 💗 😍।याद से follow...kardena और rating,comment dena mat bhulna।
दीक्षा ने एक नज़र उन बैग्स की तरफ देखा, उतने में उसको युवराज की आवाज़ दोबारा सुनाई दी, "नहा-धोकर इन साफ कपड़ों को पहन लो । कितने दिन से एक ही कपड़े पहने हुई हो गंदी कहीं की," इतना कहकर युवराज वहाँ से चला गया।
अब आगे...।
युवराज की बात सुनकर दीक्षा आग बबूला हो गयी और बढ़ बढ़ाने लगी "इस आदमी की हिम्मत भी कैसे हुई मुझे गंदा कहने की!"
दीक्षा ने अपने पैर गुस्से से पटके और उन शॉपिंग बैग्स को उठा कर अपने रूम में चली गयी। जब वो नहा कर बाथरूम से निकली तो युवराज उसी के रूम में बैठा था। दीक्षा ने एक बाथरोब पहना हुआ था।
उसे पता नहीं था कि युवराज उसका बाहर बैठकर इंतज़ार कर रहा होगा। जैसे ही बाहर निकली, उसने युवराज को चेयर पर बैठे हुए देखा। उसे देखते ही दीक्षा की चीख निकल गयी।
उसने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
युवराज ने भी दीक्षा को देखकर ऐसे ही रिएक्ट किया । उसे नहीं लगा था कि दीक्षा बाथरोब पहने बाथरूम से निकलेगी। उन दोनों के बीच अचानक से स्थिति अजीब हो गयी।
दीक्षा ने जो बाथरोब पहना हुआ था । वो काफी छोटा था, जिसमें उसकी गोरी टांगे दिख रही थीं। दीक्षा को अब बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी। वो जैसे ही वापस से बाथरूम में भागने वाली थी, उतने में ही युवराज बोल पड़ा, "मैं बाहर जा रहा हूँ।"
इतना कहकर युवराज वहाँ से तुरंत निकल गया। उसके जाते ही दीक्षा ने एक गहरी सांस ली। उसे एहसास हुआ कि युवराज ने उसकी तरफ एक बार भी ठीक से नज़र उठा कर नहीं देखा। अगर उसकी जगह कोई और लड़का होता तो वो दीक्षा को इस हालत में देखकर उसका जरूर फायदा उठाना चाहता।
दीक्षा ने कुछ और देर तक इसके बारे में सोचा । जब से वो इस घर में आई थी, तब से ही युवराज ने उसकी तरफ एक बार भी गलत इरादे से नहीं देखा था । और न ही उसने एक बार भी उसे छूने की कोशिश की। इससे साफ था कि युवराज के उसे लेकर कोई गलत इरादे नहीं थे।"
"इसकी गर्लफ्रेंड कितनी लकी होगी ना । जो ये उसके लिए इतना लॉयल है । लेकिन इसकी गर्लफ्रेंड होगी कौन, वो तो सच में बहुत डेयरिंग होगी," दीक्षा ने मन ही मन सोचा।
लेकिन तभी दीक्षा को याद आया कि फिलहाल के लिए तो वो उसकी गर्लफ्रेंड है। फिर उसने अपने सिर पर एक चपत मारी। फिलहाल तो वो इस समय काफी डेयरिंग थी।
जब दीक्षा नीचे तैयार होकर आई तो उसने देखा कि नीचे कुछ लोग आए हैं। "क्या युवराज की फैमिली के लोग यहाँ आ गए," दीक्षा धीरे से बुदबुदायी।
दीक्षा के नीचे आते ही युवराज खड़ा हो गया और उसके पास जाकर कहा, "मॉम ,दादी ,ये है मेरी गर्लफ्रेंड दीक्षा।"
दीक्षा ने पहले से ही युवराज की फैमिली के सामने कैसे बिहेव करना है । उसके बारे में सोच लिया था। उसने मुस्कुराकर अपने सामने मौजूद उन दोनों लेडीज को ग्रीट किया।
वो दोनों ही लेडीज देखने में हाई क्लास की लग रही थीं, उन्होंने महंगे ब्रांड के कपड़े पहने हुए थे। दीक्षा ने मन ही मन सोचा, "ये शायद युवराज की दादी और माँ हैं।"
युवराज की दादी ने दीक्षा को ऊपर से नीचे तक देखा जैसे वो उसके अंदर तक झांकने की कोशिश कर रही हों। दीक्षा ने एक गुलाबी रंग की लॉन्ग ड्रेस पहनी हुई थी, वो उसमें काफी ज्यादा सुंदर लग रही थी।
युवराज की दादी ने मुस्कुराते हुए दीक्षा से कहा, "मेरे पास आओ।" दीक्षा भी मुस्कुराते हुए उनके पास चली गयी।
युवराज की दादी ने प्यार से दीक्षा का चेहरा छुआ और कहा, "तुम तो बहुत प्यारी हो । मेरा खडूस पोता तुम्हें ज्यादा परेशान तो नहीं करता?"
"नहीं, बिल्कुल नहीं । आपका पोता तो बल्कि बहुत स्वीट है, और मुझे इससे पहली ही नज़र में प्यार हो गया था," ये कहते हुए दीक्षा ने युवराज की साइड देखा।
युवराज की निगाहें दीक्षा को ऐसे घूर रही थीं । जैसे वो कहना चाहता हों कि "अगर तुमने कुछ भी उल्टा-सीधा कहने की हिम्मत की तो मैं तुम्हें जान से मार दूंगा।"
युवराज की माँ "मिसेज सिंघानिया" को भी दीक्षा काफी पसंद आई थी। उन्होंने दीक्षा की तारीफ करते हुए कहा, "मॉम सही कह रही हैं । तुम सच में काफी सुंदर हो।"
इतना कहकर मिसेज सिंघानिया ने अपना फोन हाथ में लेकर कहा, "तुम और युवराज जरा साथ में खड़े होना, मैं तुम्हारी साथ में एक फोटो लेना चाहती हूँ । ताकि अपनी फ्रेंड्स के सामने ये दिखा सकूँ कि मेरी बहू कितनी सुंदर है । और मेरे बेटे और बहू की जोड़ी इस दुनिया की सबसे बेस्ट जोड़ी है।"
मिसेज सिंघानिया की बात सुनकर दीक्षा , युवराज को घूरने लगी, तभी युवराज ने कहा, "मॉम इसकी क्या जरूरत है ।"
"अच्छा अगर तुम फोटो नहीं खिंचवाना चाहते तो मुझे तुम दोनों की एक अच्छी सी फोटो सेंड कर देना । मैं उसी से काम चला लूँगी," मिसेज ओब्रॉय बोलीं।
"अ. आप एक काम कीजिए । आप हम दोनों की एक नई फोटो ले लीजिए," युवराज ने कहा।
"क्यों, तुम्हारी फोटो नहीं है क्या एक साथ?" दादी ने शक करते हुए पूछा।
"है , लेकिन वो सब पुरानी हो गयी हैं." यूवी6 ने जवाब देते हुए कहा।
दीक्षा को युवराज की ऐसी हालत देखकर बहुत हँसी आ रही थी। इतने बड़े माफिया को अपने घर वालों के सामने मजबूर होते हुए देखकर दीक्षा को सच में बहुत खुश हुई थी।
युवराज को जैसे दीक्षा के मन की बात पता चल गयी थी। वो धीरे से चलकर दीक्षा के पास गया और उसका हाथ पकड़कर कहा, "मॉम, खींचिये हमारी फोटो।"
उसके बाद वो दोनों फोटो खिंचवाने के लिए खड़े हो गए। युवराज को बिल्कुल आईडिया नहीं था कि फोटो कैसे खिंचवाते हैं। वो बस सीधा मूर्ति की तरह खड़ा हुआ था । जैसे कोई सीरियस काम कर रहा हो।
दीक्षा से इस बार अपनी हँसी कंट्रोल नहीं हुई और वो जोर-जोर से हँसने लगी। उसने हँसते हुए कहा, "अपना चेहरा देखो, ऐसे कौन फोटो खिंचवाता है?"
और तभी मिसेज सिंघानिया चिल्लाई, "यूवी, तुमने ये कैसा चेहरा बनाया हुआ है । क्या तुम बॉर्डर पर लड़ाई करने जा रहे हो, जो इतना सीरियस चेहरा बनाया हुआ है?"
युवराज को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसा चेहरा बनाए क्योंकि उसने आज तक कभी भी ऐसे फोटो नहीं खिंचवाया था। अब वो फ्रस्ट्रेट हो रहा था, और ऊपर से उसे दीक्षा के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था, क्योंकि वो लगातार उस पर हँसे जा रही थी।
थोड़ी देर के बाद उनका ये फोटोशूट खत्म हो गया। लेकिन उसमें युवराज का एक भी फोटो मुस्कुराते हुए नहीं था, लेकिन अब वो कर भी क्या सकते थे।
आज के लिए इतना ही आगे जाने के लिए पढ़ते रहिए । My Darling Devil 👿। 💕 By Hayat Khan 💗 😍।याद से follow...kardena और rating,comment dena mat bhulna।
थोड़ी देर के बाद उनका ये फोटोशूट खत्म हो गया। लेकिन उसमें युवराज का एक भी फोटो मुस्कुराते हुए नहीं था, लेकिन अब वो कर भी क्या सकते थे।
अब आगे...।
उसके बाद वो सब खाना खाने बैठ गए। दादी ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटा दीक्षा। तुम्हारा शादी करने का क्या इरादा है । मेरा मतलब है कि तुम कब तक शादी करना चाहती हो?"
दीक्षा दादी की बात सुनकर थोड़ी देर के लिए शांत हो गयी। उसे नहीं पता था कि वो इस बात का क्या जवाब दे। तभी युवराज ने कहा, "दादी, जब हमें शादी करनी होगी तब करेंगे और आपको भी बता देंगे।"
युवराज इस बार काफी रुड था। दीक्षा ने देखा कि युवराज की बात सुनकर दादी थोड़ी उदास हो गयी हैं। तभी दीक्षा ने कहा, "दादी आप ऐसे उदास मत होइये । आप जल्द ही अपने हाथों में अपना परपोता खिलायेंगी।" इतना कहकर दीक्षा ने शातिर नजरों से युवराज की तरफ देखा।
दीक्षा की बात सुनकर दादी एकदम से खुश हो गयीं, और वहीं युवराज के चेहरे के भाव बदल गए। उसे अब दीक्षा के ऊपर काफी गुस्सा आ रहा था।
दीक्षा डाइनिंग टेबल पर युवराज के पास ही बैठी थी। युवराज ने थोड़ी लो वॉइस में उससे कहा, "तुम्हें क्या लगता है । दादी यहीं रहेंगी । वो खाना खाते ही यहाँ से चली जाएंगी । उसके बाद मैं तुम्हें बताऊंगा कि कैसे किसी की मजबूरी का फायदा उठाकर हँसा जाता है।"
युवराज की बात सुनने के बाद दीक्षा के गले में खाना अटक गया और उसे खाँसी आ गयी। युवराज ने जल्दी से दीक्षा को पानी का गिलास पास कर दिया।
अब युवराज को दीक्षा की हालत देखकर मज़ा आ रहा था। तभी युवराज की मॉम ने पूछा, "वैसे तुम दोनों पहली बार मिले कहाँ?"
"जंगल में" दीक्षा ने बिना सोचे समझे जवाब दिया। तभी उसे युवराज की ख़तरनाक नजरें खुद पर महसूस हुईं और उसने अपनी बात को ठीक करते हुए कहा, "मेरा मतलब है। हम दोनों जंगल के किनारे जो पार्क है, वहाँ पर एक-दूसरे से मिले।"
"जंगल के पार्क में । युवी, तुम कबसे पार्क जैसी जगह पर घूमने लगे?" मिसेज सिंघानिया ने पूछा।
" वो मेरा मूड ठीक नहीं था इसलिए मैं वहां चला गया था," ये कहकर युवराज ने गुस्से से दीक्षा को घूरा। "ये लड़की आज मुझे पता नहीं कितना शर्मिंदा करेगी," उसने मन ही मन सोचा।
खाना खत्म करने के बाद वे सभी सोफे पर बैठ गए। युवराज उनके जाने का इंतजार कर रहा था कि तभी उसके विला की बेल बजी। एक नौकर ने जब दरवाजा खोला तो उसने हैरान होकर युवराज की तरफ देखते हुए कहा, "साहब पुलिस आई है।"
"पुलिस." ये नाम सुनकर वहाँ सब लोग शॉक्ड हो गए । सिवाय युवराज के। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। उसने बड़े आराम से कहा, "उन्हें अंदर आने दो।"
पुलिस ऑफिसर्स अंदर आए और कमरे में सन्नाटा छा गया। युवराज की माँ और दादी थोड़ी चिंतित लग रही थीं। दीक्षा भी परेशान हो गई, उसे समझ नहीं आ रहा था कि पुलिस यहाँ क्यों आई है।
ऑफिसर्स ने युवराज से कहा, "हमें आपसे कुछ सवाल पूछने हैं।"
युवराज ने शांत स्वर में जवाब दिया, "पूछिए।"
एक अधिकारी ने कहा, "हमें जानकारी मिली है कि आप एक बड़े बिजनेस डील में शामिल हैं, जिसमें कुछ संदिग्ध गतिविधियाँ हो रही हैं। हम चाहते हैं कि आप हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलें और कुछ औपचारिकताएँ पूरी करें।"
युवराज की दादी और माँ घबराई हुई थीं। दादी ने चिंतित होकर युवराज का हाथ थाम लिया और कहा, "बेटा, सब ठीक तो है न?"
युवराज ने हल्की सी मुस्कान के साथ दादी को सांत्वना दी, "आप चिंता मत कीजिए, मैं जल्द ही वापस आ जाऊँगा। यह सिर्फ एक औपचारिकता है।"
दीक्षा भी असमंजस में थी कि आखिर क्या हो रहा है। उसे लगा कि युवराज की जिंदगी में बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनके बारे में उसे पता नहीं है।
युवराज पुलिस के साथ बाहर जाने लगा तो दीक्षा ने हिम्मत जुटाकर कहा, "युवराज, मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगी।"
युवराज ने एक पल के लिए दीक्षा की ओर देखा और हल्की मुस्कान के साथ बोला, "तुम्हें कोई जरूरत नहीं है, दीक्षा। मैं जल्दी वापस आ जाऊँगा।"
युवराज के जाने के बाद दीक्षा और उसके परिवार वालों के मन में बेचैनी सी छा गई। दीक्षा ने सोचा कि क्या उसे युवराज के बारे में और ज्यादा जानने की जरूरत है?
वहाँ पुलिस को देखकर सबकी आँखों में हैरानी के भाव थे..... और उन सबके बीच जो पुलिस को देखकर वहाँ खुश थी वो थी " दीक्षा " ........ क्योंकि वहाँ कोई और नहीं युग के पापा आये थे। वो इस शहर के एस. पी थे।........
युवराज से दीक्षा की ये खुशी ज्यादा देर तक छिप नहीं पायी...... वो उसका चेहरा देखकर ही बता सकता था की.... दीक्षा कितनी खुश है।..... " ज्यादा खुश मत हो तुम यहाँ से तब तक नहीं जा सकती जब तक मैं ना चाहू " ....... युवराज ने मन ही मन कहा।
......... आशु सक्सेना ( युग के पापा ) अंदर आये तो उनके पीछे - पीछे कुछ और पुलिस वाले भी थे।...... वो सीधा अंदर आये और युवराज के आगे खड़े हो गए।........ उन्होंने इधर - उधर नहीं देखा और यहाँ तक की उन्होंने एक बार भी दीक्षा की साइड नहीं देखा।
..... " बैठो " युवराज ने उन्हें इशारा करते हुए कहा।..... एस. पी आशु सक्सेना ( युग के पापा) सोफे पर बैठ गए।..... उन्होंने युवराज से बड़े तमीज से बात करते हुए कहा... " हमें बस आपसे एक मामले के बारे में कुछ बात करनी थी " ।
... " क्या मैं आपको इतना फालतू दिखता हूँ, जो आपसे कभी भी बात करने के लिए फ्री होऊंगा " ... युवराज ने बिना भाव के कहा।
.. " नहीं, नहीं...... आप तो बहुत ही बिजी आदमी है....हमें तो आपसे मिलने के लिए पहले अपॉइंट्मेंट् लेना पड़ा था " .......... आशु सक्सेना ने थोड़ा घबरा कर कहा।
दीक्षा को अपने कानों पर यकींन नहीं हो रहा था . .... की एस. पी तक इस क्रिमिनल से इतने अच्छे से बात कर रहे है । ..... जो उम्मीद उसको उन्हें देख कर हुई थी.... वो शायद अब कहीं न कहीं उसको कम होती दिखाई दे रही थी ।
युवराज ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया.... । वो अपनी दादी की तरफ मुडा और उसने कहा.... " दादी आप घर जाईये.... रात को ज्यादा देर तक जागना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है " ......।
... " ठीक है . . . . ठीक है .... हम जा रहे है.... तुम अपना और मेरी बहु का ख्याल रखना " ..... दादी ने कहा।
...... " युवराज उठा और दादी और अपनी मोम को छोड़ने बाहर तक गया " ..... युवराज के घूरने की वजह से दीक्षा को भी उसके साथ दादी और मोम को छोड़ने बाहर तक जाना पडा।
आज के लिए इतना ही जाने के लिए पढ़ते ररहिए।My Darling Devil 👿। 💕 By Hayat Khan 💗 😍।याद से follow...kardena और rating,comment dena mat bhulna।
" युवराज उठा और दादी और अपनी मोम को छोड़ने बाहर तक गया " ..... युवराज के घूरने की वजह से दीक्षा को भी उसके साथ दादी और मोम को छोड़ने बाहर तक जाना पडा।
अब आगे...।
एस. पी को ऐसा लग रहा था की उसने युवराज के साथ वाली लड़की को कहीं देखा था . . . . . । तभी उन्हें कुछ याद आया . . . " ये तो युग की दोस्त दीक्षा है जो गायब हो चुकी थी ... लेकिन ये युवराज सिंघानिया के साथ क्या कर रही है...... " ।
और वहीं बाहर दादी दीक्षा के गले मिली और उसे बहुत सारा प्यार दिया। उसके बाद मिसेज सिंघानिया युवराज के गले मिली।....... दीक्षा को युवराज के आने से पहले एस. पी आशु से बात करनी थी । ..... इसलिए वो कुछ बहाना बनाकर युवराज से पहले अंदर चली गयी।.....
.... दीक्षा के जाने के बाद युवराज के भाव कठोर हो गए.....। उसने दादी की तरफ देखकर कहा.. " अपना ध्यान रखियेगा " ।
.. " बेटा अगर किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बता देना " मिसेज सिंघानिया बोली।
... " मुझे आपकी और आपके पति की कोई मदद नहीं चाहिए " युवराज ने एक - एक शब्द पर जोर देते हुए कहा...।
युवराज का ऐसा बदला हुआ रूप देखकर मिसेज सिंघानिया ने कहा... " युवी.... अभी तक तो तुम.... " ।....मिसेज सिंघानिया इतना ही बोल पायी थी की युवराज बीच में बोल पड़ा " अभी तक मैं आपके साथ इसलिए अच्छा बिहेव कर रहा था क्योंकि मैं नहीं चाहता की किसी को भी हमारे बीच रिश्ते खराब होने की बात पता चले इसलिए आप मुझसे ज्यादा उम्मीदे मत रखिये .. .. .... ... इतना कहकर युवराज वहाँ से चला गया।
युवराज को ऐसे जाते देख मिसेज सिंघानिया की आँखो में आँसू आ गये।......
... " तुम चिंता मत करो..... मुझे लगता है की वो लड़की जरूर युवराज के दिल में तुम्हारे लिए जो कड़वाहट भरी है . . . . उसको मिटा देगी..... तुमने देखा नहीं की उस लड़की के आते ही हमारे युवराज में कितना चेंज आ गया है " .... दादी ने मिसेज सिंघानिया को समझाते हुए कहा। उनकी बात सुनने के बाद मिसेज सिंघानिया का दिल थोड़ा हल्का हो गया.... उन्हें भी अब दीक्षा से काफी ज्यादा उम्मीदे बंधने लगी थी ।
उधर दीक्षा जैसे ही अंदर गयी..... वो सीधे एस. पी आशु के सामने जाकर खड़ी हो गयी। एस. पी आशु भी उसको देखकर अचानक से खड़े हो गए ।
" बेटा, तुम यहाँ क्या कर रही हो..... तुम्हारे घर वाले कितने परेशान है . . . . तुम्हें पता भी है . . . . " आशु सक्सेना बोला।
.... " अंकल..... वो......मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ..... " दीक्षा ने हांपते हुए कहा।
... " हाँ, बोलो " क्या बात है। आशु सक्सेना ने पूछा।
... " अंकल प्लीज़ मुझे... " दीक्षा इतना ही बोल पायी थी की उसके पीछे से एक खतरनाक आवाज़ आई..... " तो आप लोग एक दूसरे को जानते है " .....।
युवराज ठीक दिसा के पीछे ही खडा था।... उसके हैंडसम फेस पर अभी गुस्सा साफ - साफ दिखाई दे रहा था । .....
..... युवराज की आवाज़ सुनकर दीक्षा की सांसे रुक सी गयी।..... उसको युवराज का फेस देखकर ही अब डर लग रहा था।..... वो पहले वाला युवराज जो एक शैतान से भी बत्तर था वो अब वापिस आ चुका था .....जो थोड़ी देर पहले कहीं गायब सा हो गया था।...........
..... एस. पी आशु ने डरते हुए कहा... " अ... हाँ.... ये मेरे बेटे की दोस्त है ...... ये कुछ दिनों पहले गायब हो गयी थी " .... इसलिए मैं इसको यहाँ देखकर शॉकड था । .......
........ " गायब नहीं हुई थी . . . . . ये मेरे साथ भाग कर यहाँ आई है..... हम एक दूसरे से प्यार करते है ..... इसलिए हम एक साथ रहते है.... " ....... युवराज ने सोफे के उपर बैठते हुए कहा।
... " ओह..... अच्छा....ऐसा है " आशु सक्सेना ने कहा।
.... " दीक्षा का चेहरा पुरा सफेद पड़ चुका था " .....। युवराज ने उसको ऑर्डर देते हुए कहा... " तुम जाकर सो जाओ.... काफी रात हो चुकी है " ......।
दीक्षा वहाँ से जाना नहीं चाहती थी . . . . . लेकिन युवराज उसको इस तरह से घूर रहा था की जैसे वो अभी उसकी जान ही ले लेगा।.......
..... ना चाहते हुए भी दीक्षा को वहाँ से जाना पड़ा... लेकिन उसकी नजरे अभी भी पीछे मुड़ - मुड़ कर एस. पी सक्सेना को आस लगाकर देख रही थी । ........
... ..... दीक्षा को युवराज तब तक घूरता रहा जब तक वो रूम में नहीं चली गयी।...... उसके बाद वो एस. पी आशु की तरफ मुडा और उसने कहा... " बताईये आपको क्या बात करनी है " ।
... " अ.....बात ये है की मिस्टर कपूर की फैमिली ने आपके खिलाफ कंप्लेन की है की आपने उनको मारा है . . . " ये कहकर एस. पी चुप हो गया।
... " आपके पास कोई सबूत है " ..... युवराज ने बिना किसी भाव के साथ पूछा।
" नहीं.... लेकिन उनके साथ आपकी लास्ट बार बात हुई थी .... हम ये जानना चाहते है की आपकी उनके साथ क्या बात हुई थी " ....... एस. पी आशु बोले।
.. " हमारी बात बिजनेस के सिलसिले में हुई थी " ..... युवराज ने कहा।
... " ओह अच्छा... " ये कहकर वो एस. पी चुप हो गया।
" अगर आपकी पूछताछ खत्म हो गयी हो तो क्या मैं सोने जा सकता हूँ " .... युवराज बोला।
" हाँ, आप जाईये " ... एस. पी आशु बोले।
वो सीधे अपने घर चले गए . . . . . उन्होंने घर जाकर देखा की उनका बेटा अभी भी बालकनी में खडा है । ..... वो धीरे से अपने बेटे के पास गए और उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखा... " सोये नहीं अभी तक " .... वो बोले।
... " पापा..... क्या दीक्षा का कुछ पता चला " ..... युग ने परेशान होते हुए पूछा।
... तभी आशु सक्सेना को दीक्षा का ख्याल आया और उन्होंने कहा.... " वो लड़की युवराज सिंघानिया की प्रेमिका है . . . . और वो उसके साथ ही रहती है...... तुम प्लीज उसके घर वालों को ये बता दो.... वो खामखा परेशान हो रहे होंगे " । आजकल के बच्चे भी ना.....।
... अपने पापा की बात सुनने के बाद युग के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गयी। उसने दोबारा से अपने पापा से पूछा . . . " पापा... आप क्या कह रहे है " .... दीक्षा युवराज सिंघानिया की लवर है और वो उसके साथ रहती है " .....।
... " हाँ " क्या तुम उसके घर वालों को बता दोगे... "आशु सक्सेना बोले।
.. युग को अब उनकी कोई बात सुनाई नहीं दे रही थी । ..... वो धीरे से बुद्बुदाया.. " दीक्षा मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती.... वो... वो किसी और की नहीं हो सकती " .....।
ये कहते हुए वो घर से बाहर निकल गया।
आशु सक्सेना ने चिल्ला कर कहा... " अरे फ़ोन करके उसके घर वालों को बता दो..... वहाँ स्पेशल जाने की क्या जरूरत है ... वो भी इतनी रात को " । लेकिन युग को उनकी एक बात सुनाई नहीं दी।
... वो कार लेकर वहाँ से निकल गया। बहुत से लोगों को फोन घुमाने के बाद उसको आखिर में युवराज सिंघानिया के घर का पता मिल ही गया और उसने सीधा वहाँ के लिए अपनी कार मोड दी।
आखिर आगे क्या होगा युग वहां जाकर क्या करेगा। जानने के लिए पढ़ते रहिए। My Darling Devil 👿। 💕 By Hayat Khan 💗 😍।
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...वो कार लेकर वहाँ से निकल गया। बहुत से लोगों को फोन घुमाने के बाद उसको आखिर में युवराज सिंघानिया के घर का पता मिल ही गया और उसने सीधा वहाँ के लिए अपनी कार मोड दी।
अब आगे...।
दीक्षा रूम के एक बड़े से बेड पर सो रही थी.....। उसकी आँखो में नींद का एक कतरा तक नहीं था।...... उसको बस इस बात का डर सता रहा था की जब उसके घर वालों को ये बात पता चलेगी की वो एक लड़के के साथ भाग गयी है तो उसके घर वालों का क्या हाल होगा.... उनके उपर क्या बीतेगी।
.... उसकी आँखो से आँसू एक - एक करके उसके गालों से होते हुए उसके पिल्लो पर गिरने लगे।....अब उसे युवराज से काफी नफरत होने लगी थी ।...
युवराज अभी अपने स्टडी रूम में बैठा हुआ था । उसके आगे सिगरेट का ढेर लगा हुआ था . .... जो उसने अभी - अभी पी कर खत्म की थी।......... उसके दिमाग में वो वाला सीन चल रहा था.... जब उसने फोटो खिंचवाने के लिए मानसी का हाथ पकडा था ।
.... उसने कैसे उसका हाथ पकड़ लिया था..... और उसको बिल्कुल अजीब नहीं लगा।..... आमतोर् पर वो लड़कियों से दूरी बनाकर रखता था.....। उसको बिल्कुल पसंद नहीं था की कोई लड़की उसको टच करने की कोशिश करे लेकिन आज उसने खुद एक लड़की को छुआ था...... और उसको कुछ अजीब महसूस नहीं हुआ था।
.... उसके बाद वो ध्यान से अपना उस हाथ देखने लगा जिससे उसने दीक्षा को टच किया था.....। अपने हाथ को गोर से देखते हुए उसने सिगरेट का एक लंबा कस लिया।.........
...... .. तभी उसको खिड़की से कुछ आवाजे सुनाई दी।.. वो खडा होकर खिड़की के पास गया । उसने देखा की एक लड़का नीचे खडा होकर चिल्लाये जा रहा था.... । वो लड़का लगातार अंदर आने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसको गार्ड्स के द्वारा पकडा हुआ था।
...... युवराज ने सिगरेट अपने पैरो से मसल दी और अपने रूम से निकल गया।....... उसने नीचे गेट पर पहुँच कर .... उस लड़के को ध्यान से देखा.... लेकिन उसको ध्यान नहीं आ रहा था की उसने उस लड़के को कहीं देखा है।.......
... जब यश ने युवराज को देखा तो .... उसने गुस्से से कहा... " तो तुम भी ही हो युवराज सिंघानिया " ।
... युवराज ने अपनी भौहें उपर चड़ाते हुए कहा... " हाँ , मैं ही हूँ " ।
... युग ने युवराज को घूरते हुए कहा... " मेरी दीक्षा कहाँ है . . . . तुमने उसे कहाँ छुपा कर रखा है..... मुझे उससे मिलना है . . . बोलो " ।
" दीक्षा... तो ये दीक्षा के लिए यहाँ आया है " ..... युवराज ने मन ही मन सोचा।.....
.... " छोड़ दो इसको " .... युवराज ने अपने गार्ड्स को इशारा किया।
... युवराज का इशारा मिलते ही उन गार्ड्स ने यश को छोड़ दिया।...... यश जल्दी से युवराज के आगे जाकर खडा हो गया।..... युवराज के बॉडीगार्ड भी तुरंत वहाँ आ गए.... ताकि अगर यश कुछ करने की कोशिश करे तो वो तुरंत उसको दबोच ले।.....
...... " कौन हो तुम...... " युवराज ने यश को घूरते हुए कहा। . .. . . .
.... " मैं दीक्षा का बॉयफ्रेंड हूँ ..... और हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते है . . . . " यश बोला।
... युग की बात सुनने के बाद युवराज को बहुत गुस्सा आया...। उसने गुस्से से अपनी मुट्ठियाँ भींच ली।..... उसको पता नहीं पर यश की बात सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था ।......
उसने बस एक नज़र अपने बॉडीगार्ड्स की तरफ देखा....। उसके बाद उसके बॉडीगार्ड्स ने युग को पिटना शुरू कर दिया।
अचानक से दीक्षा की बाजू को एक मजबूत हाथ ने पकड़ लिया। दीक्षा ने देखा की युवराज ने उसे पकडा हुआ था । ...... युवराज ने उसे एकदम से उपर खींच कर खडा कर दिया।.......... जिसकी वजह से दीक्षा एकदम से नीचे गिर गई।
.....दीक्षा ने चिल्लाते हुए कहा... " तुम पागल हो..... तुमने इसके साथ ऐसा क्यों किया..... " । ये कहते हुए दीक्षा ने गुस्से से युवराज को मारना शुरू दिया।..... दीक्षा युवराज के सीने पर लगातार जोर - जोर से मुक्के मार रही थी लेकिन युवराज को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था . . . . . . वो अपनी जगह खंबे की तरह खडा था . . . .. और दीक्षा को घूर - घूर कर देखे जा रहा था । .....
" ये लड़की प्यार में पागल है . . . . . लेकिन उसके नहीं किसी और के..... उसके लिए वो उसे मार रही है " ..... युवराज को अपने दिल में पता नहीं क्यों एक अजीब सा दर्द महसूस हुआ।.......
उसने कस कर दीक्षा के दोनो हाथ पकड़ लिए । ... उसके बाद वो उसको खींचते हुए अंदर ले जाने लगा।...... लेकिन दीक्षा युग को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहती थी..... वो तुरंत जमीन पर बैठ गयी।........ उसने रोते हुए कहा.... " छोड़ दो मुझे.... प्लीज मुझे मेरे युग के पास रहने दो " ....।
ऐसा लग रहा था मानो दीक्षा को कंपनी देने के लिए...। आज ऊपर से आसमान भी अचानक से रोने लगा है...., न जाने कहां से बिन बुलाए बादल आकर इस चाँदनी रात में धमाचौकड़ी मचा रहें थे.....।
सामने ज़मीन पर युग खून से लतपथ निढ़ाल होकर अब भी पड़ा हुआ था.... ,जिसके माथे से अभी भी ताज़े खून बह रहे थे.... जो उस बरसते हुए पानी में मिलकर उन्हें भी अपनी तरह रंगीन बना रहे थे....।
.... " उसको मार दो " युवराज ने अपने एक आदमी से कहा।
उसकी बात सुनकर उस आदमी ने बंदूक निकाल ली।..... दीक्षा ने जब ये देखा तो उसने चिल्लाते हुए बोली... " नहीं...नहीं....उसको मत मारो.... तुम उसके साथ ऐसा क्यों कर रहे हो...... उसको छोड़ दो मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ। ..........
... " अगर तुम नहीं चाहती की ये मर जाए . . . . तो मेरे साथ अंदर चलो " .... युवराज ने एक - एक शब्द को चबाते हुए कहा।
...... " हाँ ठीक है....म... मैं.. मैं तुम्हारे साथ चलूंगी . . . . जहाँ तुम कहोगे........ लेकिन उसको तुम कुछ मत करना " ...... दीक्षा ने रोते हुए कहा।
..... युवराज ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया.... वो बस उसको पकड़ कर अंदर ले गया।..... युवराज दीक्षा को खुद के रूम में ले गया.... उसने उसको बेड पर पटक दिया....। उसके बाद वो उसको बाहर से लॉक करके चला गया ....।
. . . जब वो बाहर गया तो युग अभी भी जमीन पर बेहोश पड़ा हुआ था । तभी युवराज से किसी ने कहा... " बॉस हमने इसके बारे में पता कर लिया है . . . . . ये शहर के एस. पी का बेटा है . . . . " ।
ये सुनकर युवराज के चेहरे पर एक डेविल स्माईल आ गयी।....
तो युवराज युग क्यों मार रहा है ? क्या कभी दीक्षा युवराज के कैद से निकलेगी ? तो जानने के लिए पढ़ते रहिए।My Darling Devil 👿 💕 by Hayat Khan 💗😍 ।
aur aap log mujhe follow kar lijiye....। taki apko aage episode ka pata chal jaye....।याद से follow...kardena और rating,comment dena mat bhulna।
जब वो बाहर गया तो युग अभी भी जमीन पर बेहोश पड़ा हुआ था । तभी युवराज से किसी ने कहा... " बॉस हमने इसके बारे में पता कर लिया है ।ये शहर के एस. पी का बेटा है" ।
ये सुनकर युवराज के चेहरे पर एक डेविल स्माईल आ गयी ।
अब आगे...।
युवराज ने वही से जवाब दिया" उसे सही सलामत उठाकर किसी हॉस्पिटल के बाहर फेंक आओ ,और हां वो इस धरती पर अभी जिंदा चाहिए मुझे"।
इतना कह कर युवराज तेजी से सीढ़ियां चढ़ कर दीक्षा के रूम की तरफ चला गया।
वो आदमी अभी भी कंफ्यूजन में युग को देखकर अपना सिर खुझला रहा था, और सोच रहा था, उसके बॉस अभी-अभी जो कुछ उससे कह कर गए है आंखिर उन सब बातों का मतलब क्या था? फिर वो युग को दया भाव के साथ देखने लगा जिसे देख कर लग रहा था अब उसका बच पाना नामुमकिन है, उसने अपने तीन आदमियों को बुलाया और उनसे युग को उठा कर गाड़ी में रखने के लिए कहा और खुद भी गाड़ी की तरफ बढ़ गया।
इधर युवराज दीक्षा के रूम मेकी तरफ आया तो देखा दीक्षा अब भी दरवाजा जोर जोर से पीट रही है। यह देख कर युवराज रूम का दरवाजा खोला। जब दीक्षा ने दरवाजा खुलते देखा तो वह साइड होगाई और बिना सामने देखे कि किसने दरवाजा खोला है। रूम से बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन युवराज ने बाहर जाने नहीं दिया। उसे पकड़कर कर अंदर से दरवाजा लॉक करदिए। दीक्षा युवराज के बाहों में छटपटा रही थी और ज़ोर-ज़ोर से उसके सीने पर अपना हाथ पिट रही थी लेकिन युवराज पर कोई असर नहीं हो रहा था ।
दीक्षा ने छटपटाकर रोते हुए कहा" छोड़ो राक्षस छोड़ो , तुम मुझे इस तरह से मुझे रूम में बंद नहीं कर सकते। मुझे बाहर जाने दो,वो मर जाएगा। You know what?No one treat me before,as you are? How can you treat me like this ?are you mad?("तुम्हें पता है क्या? इससे पहले किसी ने मेरे साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया, जैसा तुम कर रहे हो? तुम मेरे साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हो? क्या तुम पागल हो?")
युवराज ने कोल्डली कहा "Did you really think?ha, ha just keep your mouth off, and just except it, Because I would never change for you , specially for you ' Miss diksha ' and yes i am mad more than mad person "। (क्या तुमने सच में सोचा? हा हा बस अपना मुंह बंद रखो, और बस इसे स्वीकार करो, क्योंकि मैं तुम्हारे लिए कभी नहीं बदलूंगा, विशेष रूप से तुम्हारे लिए ' मिस दीक्षा 'और हाँ मैं पागल व्यक्ति से भी ज्यादा पागल हूँ ) l
दीक्षा ने उसके गर्दन पर अपने नाखूनों से खड़ौचते हुए कहा "Huh seriously you are a person? What do you think of yourself? I said just leave me right now, otherwise.." ( हंह सच में तुम एक इंसान हो? तुम अपने बारे में क्या सोचते हो? मैंने कहा बस मुझे अभी छोड़ दो, वरना )" इतना कहकर दीक्षा चुप होगई।
युवराज ने पूछा "Otherwise? What?"
दीक्षा ने कहा-"Otherwise".
इतना कह कर दीक्षा ने युवराज के सीने में ज़ोर से अपने दाँत गाड़ दिए ।जिससे युवराज की अंदर ही अंदर दर्द से एक चीख़ निकल गई । और उसने दीक्षा को बुरी तरह से ले जा कर किंग साइज बेड के ऊपर ज़ोर से पटक दिया जिससे दीक्षा कि एक हल्की सी आह निकल गई।
दीक्षा ने झुंझुलाकर कहा "आह बेरहम क़ातिल आदमी क्या तुम एक पत्थर के बने हुए मूरत हो ? बेवकूफ़ आदमी क्या तुम्हारे अंदर गलती से भी कोई इमोशन्स नहीं हैं ?"
इतना कह कर दीक्षा बिस्तर पर उठ कर खड़ी हो गई और उसने उठते ही युवराज का कोलर पकड़कर उसे बुरी तरह से झकझोर दिया।लेकिन युवराज अब भी अपने एक्सप्रेशन लेस चेहरे के साथ चुपचाप खड़ा हुआ उसे ही घूर रहा था।
दीक्षा ने चीख़ते हुए कहा " युवराज सिंघानिया तुम मुझे एक ही बारी में मार क्यों नही देते ? क्यों बार-बार इतना टॉर्चर कर रहे हो मुझे ? आंखिर मुझसे तुम ये किस बात का बदला ले रहें हो? और युग ,उसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था? "
युग का नाम सुनते ही युवराज एक बार फ़िर से आग बबूला हो गया और उसने अपनी मुठियों को ज़ोर से बांध लिए।
दीक्षा ने आगे रोते हुए कहा " युग ने तुम्हारा कभी कुछ भी नहीं बिगड़ा लेकिन फ़िर भी तुमने उसे क्यों मार"
युवराज ने चीख़ते हुए कहा- "इनफ"।
उसकी आवाज़ सुन कर दीक्षा डर गई लेकिन उसने फ़िर भी उसे घुरते हुए कहा "आंखिर तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है? अगर उसे कुछ भी हुआ ना तो मैं तुम्हें छोडूंगी नहीं युवराज सिंघा.. "।
युवराज ने ज़ोर से शीवि का गला पकड़ लिया था जिससे दीक्षा के आधे शब्द उसके मुंह के अंदर ही रह गए और वो अपने आंखों में आंसू रोककर चुपचाप खड़ी होकर युवराज के चेहरे को नफ़रत से देखने लगी थी।
युवराज ने उसके गले को दबाते हुए कहा " क्या सुनना चाहती हो ? यही ,मैं तुम्हारे साथ ये सब कुछ क्यों कर रहा हूँ ?तो सुनो ,क्योंकि तुम इसी के लायक हो,और अभी जान से मारा नहीं है उसे, तुम्हारा आशिक़ अभी जिंदा है, औऱ हां तुम जानती हो वो अभी भी जिंदा क्यों है? सिर्फ तुम्हारी वजह से।"
युवराज उस पर पूरी तरह से हावी हो चुका था, दीक्षा का युग के करीब जाना अभी भी उसके आंखों के आगे नाच रहा था ,उसे लग रहा था जैसे किसी ने उससे उसकी आत्मा ही निचोड़ कर उससे कोसों दूर फेंक दी है।
अपने ग़ुस्से में अभी वो ये भी भूल गया थकी उसने दीक्षा का गला कितनी जोर से थमा है क्योंकि वो दीक्षा के लिए भी तरह पजेसिव महसूस कर रहा था, वो युग को शीवि के इतने करीब देख कर पागल हो गया था ,जिससे उसे ये भी एहसास ही नही हो रहा था कि उसके इस तरह से गला दबाने से अभी दीक्षा पर क्या गुज़र रही है।
डीसा से अब साँसे भी नहीं ली जा रही थी और उसे लग रहा था जैसे कि उसकी आत्मा उसके शरीर से उछल कर अभी बाहर कूदने वाली है। और वो मरने वाली है।
दीक्षा ने बड़ी मुश्किल से कहा "तु..म ये क्या कर रहे हो..? देखों, मैं को..कोई डरती वरती नही तुमसे , सुन रहें हो तुम ?"
दीक्षा के सिल्की हेयर उसके मासूम वह घुसेल चेहरे पर आए हुए थे जो अभी उड़कर युवराज के चेहरे पर भी लहराने लगे थे जिससे युवराज अब अपना होश खो रहा था।
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दीक्षा ने बड़ी मुश्किल से कहा-"तु..म ये क्या कर रहे हो..? देखों, मैं को..कोई डरती वरती नही तुमसे , सुन रहें हो तुम ?"
दीक्षा के सिल्की हेयर उसके मासूम वह घुसेल चेहरे पर आए हुए थे जो अभी उड़कर युवराज के चेहरे पर भी लहराने लगे थे जिससे युवराज अब अपना होश खो रहा था।
अब आगे...।
युवराज ने उसकी गर्दन छोड़ दी और अपने एक हाथ से उसके मुंह को पकड़कर दबाते हुए कहा "क्या तुम उस लड़के के लिए अभी तक रो रही हो ? लुक दीक्षा तुम्हे इस खूबसूरत चेहरे के साथ ये सब करने की इजाज़त नहीं है। आर यू अंडरस्टैंड?"
दीक्षा ने उसे नफ़रत से घुरते हुए खींचकर कहा " हां हां हां मैं रों रही हूँ उसके लिए ,और इसी तरह से रोती रहूँगी जब तक मैं उसे सही सलामत अपने इन आँखों से देख नहीं लेती"।
युवराज ने अपनी आंखों को बंद करते हुए कहा "दीक्षा"।
अभी भी उसके हाथ दीक्षा के मुहं को उसी तरह से पकड़े हुए था।
दीक्षा ने रोते हुए कहा " प्यार करती हूं मैं उससे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं ,लेकिन तुम ये कभी नहीं समझ सकते"।
युवराज अपनी आंखें खोल कर उसे अपनी ठंडी निगाहों से घुरने लगा।
दीक्षा ने अपने मुंह से उसका हाथ पकड़ कर दूर झटकते हुए अपने एक एक वर्ड पर ख़ास ज़ोर देते हुए कहा "और क्या कह रहे थे तुम ? ये चेहरा? तो ये मेरा चेहरा है ,और मैं जो चाहूं ना,अपने इस चेहरे साथ कर सकती हूं।आंखिर तुम होते कौन हो मुझसे ये सब कहने वाले ?"
इतना कह कर दीक्षा ने फ़िर से उसके सीने में ज़ोर से बाइट कर दिया।
युवराज इसबार उसकी बाइट से खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और उसने ज़ोर से दीक्षा के बालों को पकड़ कर उसे खुद से अलग कर दिया और दीक्षा के नरम वह नाजुक से दीखने वाले होंठो पर अपने शख़्त होंठो को रख दिये फिर अपनी आंखों को बंद करके उसे ग़ुस्से से चूमने लगा।
दीक्षा का ये फर्स्ट किश था जो युवराज ने इस तरह से उससे छीन लिया था ,वो तो अभी भी सदमें में थी, ये सोचकर कि क्या उसने इस जानवर के लिए अपनी इतनी क़ीमती ,अनमोल किश को अब तक बचा कर रखा था ? युवराज के इतने अग्रेसिवली चूमने से उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि उसकी जान ही निकल जाएगी।
जब आलिया उससे कहती थी लवर्स के बीच उनका पहला किश जब होता है तो वो सबसे खूबसूरत एहसास होता है जो वो अपनी पूरी जिंदगी नहीं भूलते यहां तक की अपने ग्रैंडसन को भी अपने बुढ़ापे में उस पहली किश की प्यार भरी किस्से सुनाते है।
तब दीक्षा सोचने लगती ऐसा भी क्या है इस पहले किश में ?बस दो कपल्स के होंठो को ही तो आपस मे टकराना होता है ,जो हर किश में टकराते है फिर चाहे वो पहला ,दूसरा ,तीसरा या फ़िर आंखरी ही क्यों न हो। लेकिन दीक्षा के लिए उसका पहला किश ही एक बुरा मंजर बन गया था, जिसके किस्से वो अपने ग्रैंडचिल्ड्रन तो दूर कभी खुद भी याद नहीं रखना चाहती थी।
युवराज ने अभी अपने दोनों हाथों से दीक्षा के दोनों हाथों को दबाते हुए पकड़ा हुआ था,और रफली एंड रुडली उसे किश कर रहा था,वो बेसिकली युग का ग़ुस्सा, दीक्षा पर इस तरह से उतार रहा था।
उन दोनों की शांसे ज़ोर-ज़ोर से चलने लगी थी जो आपस मे टकरा रहे थे।काफी देर तक उसके होंठो को टेस्ट करने के बाद उसने अचानक ही दीक्षा को छोड़ दिया और उसे छोड़ते ही उसे बेड पर बुरी तरह से धकेल दिया।बाहर से मौसम की एक खतरनाक गर्जन ग़ुज गई और उसी के साथ दीक्षा भी ज़ोर-ज़ोर से शांसे ले कर रोने लगी।
युवराज ने उसे देख कर कहा "तुम अपने इस चेहरे के साथ अब से किसी दूसरे इंसान के लिए केअर महसूस तक नही कर सकती ,तो प्यार तो बहुत दूर की बात है"।
दीक्षा ने उसे एक बार भी नज़र उठा कर नहीं देखा युवराज ने उसके आंखों में खुद के लिए नफ़रत ग़ुस्सा पहले ही देख लिया था और अब वो ये भी जानता था कि ये लड़कीं उससे आज के बाद सिर्फ नफ़रत ही करेगी, लेकिन उसे इस बात से कोई फ्रर्क नहीं था। लेकिन दीक्षा के इस तरह से रोने से उसे बहुत ज्यादा फ्रर्क पड़ रहा था ,और इसी बात पर उसने अपने मुठियों को फ़िर से भींच लिए।
उसके चेहरे के एक्सप्रेशन एक बार फ़िर से चेंज हो गए थे,उसे देख कर लगता लग रहा था मानो उसके हाथों आज जरूर कुछ बड़ा अनर्थ होने वाला है,वो अपने उस घुसेल चेहरे के साथ इस वक्त तप रहा था। दीक्षा अभी भी लम्बी - लम्बी शांसे ले रही थी सायद युवराज उसे इस तरह कुछ देर और चूमता तो सायद उसकी जान भी जा सकती थी।
कहते हैं ग़ुस्सा ,जलन और लालच ये तीनों इंशानो को एक हैवान बना देता है फ़िर युवराज तो बिना खौफ के जीता था, जिसे सही मायने में प्यार क्या होता है ? मालूम ही नहीं था, अगर होता तो क्या वो दीक्षा के साथ कभी भी ये सब करता ? युवराज उसे बिना देखे ही उस रूम से बाहर निकल गया और उसने ज़ोर से डोर पटकते हुए बन्द कर दिया ।
जब दीक्षा को ये एहसास हुआ अब वो शैतान इस रूम से बाहर जा चुका है तो खुद को ज़ोर से गले लगा कर बैठ गईं , अभी तक वो उसके कुछ देर पहले के दिए दर्द से ही रिकवर नहीं हुई थी और अब ये सब…
दीक्षा को लग रहा था जैसे कि उसमें अब जान ही नहीं बची है,एक बार फिर से आसमान से लाइटनिंग के साथ ही जोर-जोर से मौसम भी रोने लगा था, जिससे दीक्षा कि सिसकियां भी अब उस बारिश के पानी के साथ ही घुलने लगी थी।
दीक्षा ने आगे कहा "युग , तुम ठीक तो हो ना ? काश तुम यहाँ आते ही नहीं , सॉरी युग "
ये कह कर वो और ज़ोर से रोने लगी वो अभी एक भयानक दर्द से तड़प रही थी उसके आंखों के सामने बार-बार युग का वो खून से भीगा हुआ चेहरा नजर आ रहा था जिसके लिए वो आज एक स्टैंड भी नहीं ले पाई थी।
दीक्षा वही बिस्तर पर दुबक कर लेट गयी "Damn you hurt me rascal, I just hate you Yuvraj Singhania hate you" ("अरे तुमने मुझे बहुत दुख पहुंचाया बदमाश, मैं तुमसे नफरत करती हूं युवराज सिंघानिया नफरत करती हूं ) l
दीक्षा अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा नफरत से ये सब बोल रही थी, आज पहली बार किसी के लिए उसके दिल से अब-शब्द निकले थे।
दीक्षा ने अपने जख्मी हो चुके लिप्स को अपने उंगलियों से छू लिया , उसके होठों से अभी भी हल्की सी खून निकल रही थी।एक बार फ़िर से दीक्षा के आंखों के सामने वो मंजर नाचने लगा ,जिसे बस याद करते ही वो ज़ोर-ज़ोर से अपने दोनों हाथों से अपने लिप्स मसलने लगी जिससे अब उसके लिप्स औऱ अधिक ज़ख्मी होने लगे थे और वो थकहार फिर से अपनी आंखों को बन्द करके अपने पैरों को पीटते हुए फुट-फुट कर रोने लगी।
आज के लिए इतना ही । आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए । My Darling Devil 👿 । 💕 By Hayat Khan 💗 😍।
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दीक्षा ने अपने जख्मी हो चुके लिप्स को अपने उंगलियों से छू लिया , उसके होठों से अभी भी हल्की सी खून निकल रही थी।एक बार फ़िर से दीक्षा के आंखों के सामने वो मंजर नाचने लगा ,जिसे बस याद करते ही वो ज़ोर-ज़ोर से अपने दोनों हाथों से अपने लिप्स मसलने लगी जिससे अब उसके लिप्स औऱ अधिक ज़ख्मी होने लगे थे और वो थकहार फिर से अपनी आंखों को बन्द करके अपने पैरों को पीटते हुए फुट-फुट कर रोने लगी।
अब आगे...।
और रोते रोते मन में बोली " हे , भगवान क्या मैं इतनी बुरी हूँ जो आपने मुझे इससे मिलवाया " । उसके बाद उसने आस - पास देखा तो उसको वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया। तो वो अपने रूम से निकल कर सिड़ियों से नीचे उतर गयी और बाहर की तरफ जाने लगी । वो किसी भी तरह युग के बारे में जानना चाहती थी लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे से बाहर जाने की कोशिश की उसको वहाँ पर युवराज के बॉडीगार्ड्स ने रोक लिया ।
दीक्षा को पता था की वो यहाँ से भाग नहीं सकती इसलिए उसने उन बॉडीगार्ड्स से पूछा " क्या तुम मुझे बता सकते हो की जिस आदमी को यहाँ अभी पीटा गया था वो कहाँ है " ।
दीक्षा की बात सुनकर उन बॉडीगार्ड्स में से एक ने कहा " सॉरी मिस हम आपको कुछ नहीं बता सकते " ।
दीक्षा को ये सुनकर बहुत बुरा लगा । उसने आगे कुछ नहीं कहा और वापिस अपने रूम में आ गयी।
और युवराज का अपने रूम में आ चुका था , दीक्षा के लिप्स से निकलने वाले खून की गर्माहट से युवराज अब और भी ज्यादा तड़प रहा था , युवराज की आँखों से इस वक्त जलन की ज्वाला फूट रही थी ,उसे अब खुद से ही सदीद नफरत होने लगी थी इस वक्त वो सच मुच अपने इस ग़ुस्से के चलते हैवानों की हदें तक पार कर आया था ।
उसकी एक ख़तरनाक चीख़ निकल गई "अहह..उसका खुद से सिर्फ एक ही सवाल था।आंखिर क्यों क्यों क्यों?"में उसके उसके करीब चला जाता हूं क्यों मुझे उसे किसी और के साथ देखकर जलन महसूस होती है । उसे आज अपनी बेवकूफी पर काफी गुस्सा आ रहा था " उसको आखिर क्यों दीक्षा और युग को एक साथ देखकर गुस्सा आ रहा था । क्यों वो दीक्षा को किसी और के साथ देखकर पागल हो गया था । क्यों उसको दीक्षा और उस लड़के की नज़दीकियां बर्दाश नहीं हो पा रही थी । और उसने उस लड़के को पकड़ कर क्यों रखा है " ।
वो चाह कर भी किसी को भी यह बात बता नहीं सकता था वो इतना बेबस आंखिर क्यों था ? उसमें तो कोई फीलिंग्स ही नहीं बची हुई थी ,फिर उसे ये सब क्यों महसूस हो रहा था ? वो क्यों उस लड़की को तकलीफ़ में देख कर उस तकलीफ़ को खुद पर महसूस करने लगा था? वो बुरी तरह से झुलश गया।
वह उसे वक्त गुस्से में पागल हो गया था उसने खुद को बहुत कंट्रोल किया था लेकिन फ़िर भी दीक्षा के साथ वो सब करने से वो खुद को रोक नहीं पाया था।
युवराज ने टेबल पर रखा कुछ सामान गुस्से से नीचे जमीन पर फेंक दिया और उसके बाद उसने अपना फोन निकाल कर किसी को कॉल की और कहा " वो लड़का चाहे जिंदा हो या मर गया हो उसे इसी वक्त ले जाकर एस. पी के घर के आगे फेंक दो " ।
इतना कहकर उसने फोन काट दिया । उसके बाद वो बाथरूम मे चला गया। वो शावर के नीचे खडा था और ठण्डा पानी भी उसके अंदर जल रही आग को शांत नहीं कर पा रहा था।
रात के दो बज चुके थे युवराज अभी तक नहीं सोया था। पता नहीं क्यों पर वो अपने रूम से बाहर निकल गया और उसके कदम अपने आप ही दीक्षा के रूम की तरफ बड़ गए ।
वो दरवाजा खोलकर अंदर गया । उसने देखा की दीक्षा बेड के एक किनारे पर सिकुड़ कर सो रही है । उसको सोता देख युवराज को थोडी शांति मिली। वो धीरे - धीरे अपने कदम बड़ा कर उसके बेड की तरफ चला गया।
उसने ध्यान से दीक्षा के चेहरे को देखा उसको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो अभी - अभी सोई थी । और सोने से पहले शायद काफी ज्यादा रोई भी थी । फिर उसकी नजर उसके लिप्स पर गई । जो सूजे हुए थे । फिर युवराज ने उसको कम्बल उढ़ाया और धीरे से कहा " तुम्हारे जैसी जिद्दी लड़की मैने आजतक नहीं देखी । और ये भूल कर भी नहीं सोचना की युवराज सिंघानिया तुमसे प्यार करता है क्योंकि मैं सिर्फ खुद से प्यार करता हूँ " । इतना कहकर युवराज वहाँ से निकल गया।
" वो दोनो अपनी किस्मत से अंजान एक दूसरे से बस नफरत करते थे । लेकिन कहीं प्यार का बीज पनप चुका था और कहीं पनपना बाकी था " ।
उधर युवराज के आदमियों ने युग को जख्मी हालत में उसके घर से थोड़ा दूर फेंक दिया। इस बात से अंजान एस.पी ने युग के बारे में पूछने के लिए दीक्षा के घर फोन किया क्योंकि युग का फोन नहीं लग रहा था । उन्हें वहाँ से पता चला की युग तो उनके घर पहुंचा ही नहीं।
उसके बाद उन्होंने दीक्षा के घर वालों को दीक्षा के बारे में सब सच बता दिया।
दीक्षा के घर से काफी तेज - तेज आवाजे आ रही थी। मिस्टर राजीव मेहता ( दीक्षा के पापा ) अपने हाथ में बहुत सारा सामान जलती हुई आग में डाल रहे थे।
साइड में खड़ी मिसेज भारती मेहता ( दीक्षा की मम्मी) काफी तेज रोई जा रही थी ।
" रोना बन्द करो उसके लिए वो हमारे लिए मर चुकी है ।" मिस्टर मेहता ने गुस्से से कहा।
" लेकिन वो है तो हमारी बेटी ही ना । आप उसका सामान ऐसे कैसे बाहर फेंक सकते है "मिसेज मेहता बोली।....
" हमारी बेटी । हमारी बेटी होती तो हमारे बारे में सोचती हमारी इज़्ज़त के बारे में सोचती इस कदर किसी लड़के के साथ भाग कर हमारा नाम बदनाम नहीं करती " मिस्टर मेहता बोले।
दीक्षा का भाई कार्तिक अभी - अभी कॉलेज से आया था । उसने जब अपनी बहन के जलते हुए सामान को देखा तो उसने चिल्लाते हुए कहा " पापा आप क्या कर रहे है । आप दीदी का सामान इस कदर क्यों जला रहे है " कार्तिक की आँखो में एकदम से आँसू आ गए ।
" तुम दोनों माँ - बेटे कान खोलकर सुन लो अगर आज के बाद इस घर में उस लड़की का नाम लिया गया या तो तुम दोनों में से किसी ने उससे मिलने की कोशिश की तो मैं तुम दोनों से भी अपना रिश्ता तोड़ दूंगा " ये कहकर मिस्टर मेहता अंदर चले गए ।
दीक्षा की माँ के आंसू अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।.... तभी कार्तिक ने उनके पास आते हुए कहा " माँ , क्या हम दीदी को आज के बाद कभी देख नहीं पाएंगे " .....।
उसकी बात सुनकर मिसेज मेहता और भी ज्यादा रो दी लेकिन उनके मुँह से कुछ नहीं निकला।
और दूसरी तरफ कुछ आदमियों ने युग को सड़क के किनारे पर पडे हुए देखा तो उन्होंने तुरंत एस.पी को खबर करदी। एस. पी तुरंत वहाँ पहुँच गए। जैसे ही उन्होंने युग को देखा तो उन्होंने जल्दी से उसको उठाने की कोशिश करते हुए कहा.... " युग बेटा तुम्हें क्या हो गया है उठो " ।
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और दूसरी तरफ कुछ आदमियों ने युग को सड़क के किनारे पर पडे हुए देखा तो उन्होंने तुरंत एस.पी को खबर करदी। एस. पी तुरंत वहाँ पहुँच गए। जैसे ही उन्होंने युग को देखा तो उन्होंने जल्दी से उसको उठाने की कोशिश करते हुए कहा.... " युग बेटा तुम्हें क्या हो गया है उठो " ।
अब आगे...।
युवराज के विला में :-
सुबह के नौ बज चुके थे । लेकिन दीक्षा अभी तक जागी नहीं थी । युवराज डाइनिंग टेबल पर बैठा न्यूज़ पेपर पड़ रहा था ।
युवराज बाबा " आपका नाश्ता " देवकी ने युवराज के लिए नाश्ता लगाकर कहा।
युवराज ने एक नज़र नाश्ते की तरफ देखा ।
तभी देवकी जी ने थोड़ा डरते हुए पूछा " युवराज बाबा वो दीक्षा नहीं उठी अभी तक.... " ।
" जब उठना होगा तब उठ जायेगी " युवराज ने न्यूज़ पेपर साइड में रखते हुए कहा। उसके बाद युवराज नाश्ता खा कर ऑफिस के लिए निकल गया।
सुबह के ग्यारह बज चुके थे । लेकिन दीक्षा अभी तक नहीं उठी थी। देवकी जी ने अब दीक्षा के रूम में जाकर उसको उठाने का सोचा। जब वो दीक्षा के रूम में पहुंची तो उसने दीक्षा को अभी भी सोया हुआ पाया।
वो धीरे से चलकर दीक्षा के बेड के नज़दीक गयी। उसने दीक्षा को पुकारा " दीक्षा.... दीक्षा... बेटा दीक्षा... " ।
लेकिन दीक्षा ने कोई जवाब नहीं दिया। इससे देवकी ने परेशान होकर दीक्षा के उपर से कम्बल को हटाया। दीक्षा बेसुध होकर बेड पर पड़ी कांप रही थी । देवकी ने जल्दी से दीक्षा का माथा अपने हाथ से छुआ।
दीक्षा का माथा किसी आंगरे की तरह झुलस रहा था। देवकी अचानक से डर गयी। उसको समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे। इसलिए उसने जल्दी से नीचे जाकर युवराज को फोन कर दिया।
युवराज इस वक्त एक मीटिंग में था । इसलिए उसने फोन को साईलेंट मोड पर डाला हुआ था । ताकि उसको कोई डिस्टर्ब ना कर सके।
देवकी को बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे। एक तो वो ज्यादा पड़ी - लिखी भी नहीं थी । युवराज अपने विला में हर एक किस्म की दवाईयां रखता था । लेकिन देवकी को बिल्कुल अंदाजा नहीं था की बुखार की दवाई कौन सी है ।
देविका जल्दी से किचन में गयी और एक बर्तन में ठण्डा पानी और पट्टी लेकर दीक्षा के रूम में चली गयी। उसने पट्टी को भीगा कर दीक्षा के सर के उपर रख दिया लेकिन बहुत देर प्रयास करने के बाद भी दीक्षा का बुखार कम नहीं हुआ।
दीक्षा का बुखार घटने की बजाए बड़ता जा रहा था । देवकी अब परेशान हो चुकी थी । उसको तो युवराज के डॉक्टर का नंबर तक पता नहीं था । उसको सिर्फ युवराज का नंबर याद था।
तभी एक नौकर भाग कर उपर आया और उसने देवकी से कहा " देवकी जी , साहब का फोन आया है " ।
उस नौकर की बात सुनते ही देवकी जल्दी से नीचे गयी और उसने फोन उठाया। उसके फोन उठाते ही युवराज ने कोल्ड आवाज़ में कहा " कहिये , कुछ बात है , क्या ?
". यूवी बाबा वो दीक्षा बिटिया को बहुत ज्यादा बुखार हो गया है हमने उनके उपर ठण्डे पानी की पट्टी भी रखी लेकिन उन्हें कुछ आराम नहीं हुआ और तो और उनका बुखार और भी ज्यादा बड़ गया है।
" क्या, उसको बुखार है " युवराज के हाथ फोन पर कस गया । " मैं अभी आ रहा हूँ । आप मेरा इंतज़ार कीजिये " इतना कहकर युवराज तुरंत ऑफिस से निकल गया।
थोड़ी देर के बाद विला के बाहर गाडियाँ रुकने की आवाज़ आई । देवकी ने जब ये आवाज़ सुनी तो उसको पता लग गया की युवराज आ गया है । वो तुरंत मेन डोर के पास गयी और युवराज के अंदर आने का इंतज़ार करने लगी।
युवराज ने अंदर आते ही कहा " अब कैसी है, वो " ।
" अभी भी काफी बुखार है " देवकी ने परेशान होते हुए कहा।
युवराज थोड़ी देर के लिए भी वहाँ नहीं रुका और वो सीधा दीक्षा के रूम में चला गया। " दीक्षा काफी ज्यादा वीक लग रही थी " युवराज ने पहले दीक्षा के सर को छुआ और फिर उसके हाथ की नब्ज़ चेक की।
उसके बाद वो सीधा उस रूम में गया । जो पुरा मेडिकल स्टोर जैसा लगता था ।
" जब युवराज एक टीनेज था तब उसको किसी ने गलत दवाई देकर मारने की कोशिश की थी । लेकिन खुशकिस्मती से वो उस टाइम बच गया । उसके बाद उसने डॉक्टरी की पढाई की ताकि फ्यूचर में जाकर उसको दोबारा ऐसी परिस्थिति का सामना ना करना पड़े "।
और उसको डॉक्टर के पास जाना बचपन से ही पसंद नहीं था। इसलिए भी शायद उसने सब कुछ खुद ही जानना बेहतर समझा और वो ज्यादातर दवाईयां अपने पास ही रखता था ।
युवराज ने उस रूम से कुछ दवाईयां ली और उन्हें लेकर दीक्षा के रूम में गया । उसने कुछ दवाईयां हाथ में ली और देवकी से पानी का ग्लास लेकर उन्हें दीक्षा को खिलाने के लिए आगे बड़ा लेकिन वो इन्हें खिलाये कैसे ।
दीक्षा बिल्कुल बेसुध थी । वो बिल्कुल भी उठ कर उन दवाईयों को नहीं खा सकती थी । युवराज ने इशारा करके देवकी जी से दीक्षा को उठाने को कहा।
बहुत कोशिश करने के बाद भी दीक्षा को होश नहीं आया। देवकी ने लाचार होकर युवराज की तरफ देखा। युवराज ने अपना हाथ दिखाकर उन्हें रूम से जाने का इशारा किया।
उसकी बात मानते हुए देवकी रूम से बाहर निकल गयी। युवराज ने दीक्षा के सुंदर चेहरे को देखा और फिर अपने मुँह में दवाई डाल ली।
वो धीरे- धीरे करके दीक्षा के करीब चला गया। कुछ देर के बाद उसने अपने लिप्स दीक्षा के लिप्स पर रख दिये । उसके लिप्स को टच करते ही युवराज के पूरे शरीर में एक अजीब सी सिहरन दोड गयी।
उसे बोहोत अच्छा लग रहा था । लेकिन फिर उसने अपने दिमाग को झटका और दीक्षा के मुँह को अपनी जीभ से खोल कर उसमे दवाई डाल दी। उसके बाद उसने पानी पिया और वैसा ही प्रोसेस दोहराया।
दीक्षा को दवाई खिलाने के बाद युवराज की नज़र दोबारा से दीक्षा के सुर्ख गुलाबी होंठों पर चली गयी। उसका मन हुआ की वो एक बार फिर से उन्हें छूले ।
लेकिन तभी उसके दिमाग में दीक्षा की बात घूम गयी... " में तुमसे नफरत करती हूं नफरत।
एक बार फिर से उसने दिल के उपर दिमाग को रखा । और दीक्षा के रूम से निकल गया।
रूम से बाहर निकलते ही उसने देवकी को देखा जो वहीं खड़ी थी ।" जब उसको होश आ जायेगा मुझे इंफ्रॉम कर देना " इतना कहकर युवराज वहाँ से निकल गया।
" क्या युवी बाबा ने दीक्षा को दवाई खिला दी " देवकी ने मन ही मन सोचा और फिर वो दीक्षा के रूम में चली गयी।
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रूम से बाहर निकलते ही उसने देवकी को देखा जो वहीं खड़ी थी ।" जब उसको होश आ जायेगा मुझे इंफ्रॉम कर देना " इतना कहकर युवराज वहाँ से निकल गया।
" क्या युवी बाबा ने दीक्षा को दवाई खिला दी " देवकी ने मन ही मन सोचा और फिर वो दीक्षा के रूम में चली गयी।
अब आगे...।
हॉस्पिटल में युग आई.सी.यू में था । उसकी माँ " मिसेज सक्सेना " काफी परेशान लग रही थी।
और वहीं आशु सक्सेना भी काफी ज्यादा परेशान और गुस्से में थे " आखिर उनके बेटे को इस कदर मारने की हिम्मत किसने की थी " .....।
तभी एक डॉक्टर वहाँ आई और उसने आशु सक्सेना से कहा.. " आपके बेटे को होश आ गया है.... अब आप उनसे मिल सकते है " .....इतना कहने के बाद वो डॉक्टर वहाँ से चली गयी।......
... आशु सक्सेना और मिसेज सक्सेना तुरंत अपने बेटे से मिलने दोड पड़े।.... उन्होंने अंदर जाकर देखा तो उनका बेटा अपनी जगह से उठने की कोशिश कर रहा था । .....
.. वो दोनों तुरंत भाग कर युग के पास गए । ...
... " ये तुम क्या कर रहे हो..... तुम अभी भी ठीक से रिकवर नहीं हुए हो " .... मिसेज सक्सेना ने युग से कहा।......
... " माँ, दीक्षा... मुसीबत में है . ... मुझे उसे बचाने जाना होगा " ...युग ने उठने की कोशिश करते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर आशु सक्सेना ने थोड़े गुस्से से कहा... " तुम चुप होकर यहाँ आराम करो.... और तुम्हें किसने कहा.... की दीक्षा मुसीबत में है . ... मैं उसे खुद देखकर आया हूँ.... वो एकदम ठीक है..."..।
" नहीं पापा.... आपको नहीं पता..... कुछ बात तो जरूर है जो दीक्षा उसके साथ रह रही है . . . . मुझे उसे बचाने जाना ही होगा " .... युग बोला।
" तुम कहीं नहीं जाओगे ये मेरा ऑर्डर है..... " आशु सक्सेना ने गुस्से से कहा।......
.. " लेकिन.. " युग इतना ही बोल पाया था की आशु सक्सेना ने फिर से थोड़ा गुस्से में कहा... " लेकिन... वेकिन कुछ नहीं.... जब तक तुम पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते तब तक तुम कहीं नहीं जाओगे...... पर मुझे ये समझ में नहीं आया की तुम्हे इतना मारा किसने..... ऐसी हालत किसने की तुम्हारी " .....।
......युग अपने पापा की बात सुनकर चुप हो गया.... उसको पता था की अगर उन्हें सच पता चला तो वो बहुत गुस्सा करेंगे....। इसलिए युग ने कहा... " मुझे नहीं पता... जब मैं रात को जा रहा था तो किसी ने हमला कर दिया " ।
.. " जरूर कॉलेज में किसी से लडाई की होगी.... वैसे भी लडाई करने में तुम नंबर एक हो " ... आशु सक्सेना बोले।
उनकी बात सुनकर युग ने कुछ नहीं कहा... लेकिन मिसेज सक्सेना ने आशु सक्सेना को डांटते हुए कहा.... " आप यहाँ क्या बात लेकर बैठ गए हो... एक तो हमारे बेटे को इतनी चोट लगी है . . . और उपर से आप.... उसको ही डाँट रहे है " ।
... ये कहते हुए मिसेज सक्सेना ने युग को गले से लगा लिया। तभी दरवाजे से युग के कुछ दोस्त अंदर आ गए। ये देखकर आशु सक्सेना और मिसेज सक्सेना बाहर चले गए ताकि युग के दोस्त उससे अच्छे से मिल सके।
और वहीं युवराज के विला में दीक्षा की आँखे भी धीरे - धीरे खुलने लगी थी । देवकी वहीं उसके पास बैठी हुई थी । जब उन्होंने दीक्षा को आँखे खोलते हुए देखा तो वो खुश हो गयी।
दीक्षा की नज़र जब उन पर गयी तो वो उठने लगी।....
" अरे, आराम से ... तुम्हारी तबियत वैसे भी ठीक नहीं है .... " ये कहते हुए देवकी ने दीक्षा को उठने में मदद की।
दीक्षा का सर अभी भी भारी हो रहा था । उसने अपना सर पकड़ते हुए कहा" मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है " ।
"तुम्हें बहुत तेज बुखार था । यूवी बाबा ने खुद तुम्हें दवाई खिलाई है । " देवकी ने कहा।
दीक्षा को युवराज के बारे में जानकर कोई खुशी नहीं हुई। वो उससे पहले भी नफरत करती थी और अब भी नफरत करती है ।
देवकी ने दीक्षा के सर पर हाथ फेराते हुए कहा " तुमने कल से कुछ नहीं खाया है। भूख लगी होगी ना , मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आती हूँ " इतना कहकर देवकी वहाँ से जाने लगी।
तभी दीक्षा ने कहा " मुझे खाना नहीं खाना , मुझे भूख नहीं है "।
देवकी दीक्षा की बात सुनकर मुस्कुराई और वहाँ से चली गयी। दीक्षा ने अपनी आँखे बन्द करली लेकिन आँखे बन्द करते ही उसके दिमाग में युग का चेहरा आ रहा था। उसने अचानक से आँखे खोलते हुए कहा "युवराज सिंघानिया तुमने ये ठीक नहीं किया है । इसका हिसाब तो तुम्हें चुकाना ही होगा " ।
उधर देवकी जी ने नीचे जाते ही एक नौकर को दीक्षा का खाना लगाने के लिए कह दिया था । उसके बाद वो सीधा युवराज के रूम की तरफ गयी। उन्होंने बाहर से नॉक करते हुए कहा "यूवी बाबा हम है " ।
.. " हाँ, बोलिये " युवराज की कोल्ड आवाज़ रूम के अंदर से आई । ....
" वो दीक्षा बिटिया को होश आ गया है " देवकी जी ने बोला।
उनके इतना बोलते ही युवराज ने अंदर से दरवाजा खोल लिया और कहा.. " आप पहले उन्हें खाना खिला दीजिये.... मैं उससे बाद में मिलूँगा पता लगा की मुझे देखते ही वो अपनी भूख भूल गयी और खाने लग पड़ी मुझे " ।
युवराज के मुँह से ऐसी बात सुनकर देवकी मुस्कुराई और युवराज को " ठीक है " बोलकर वहाँ से निकल गयी।....
जब वो खाना लेकर दीक्षा के रूम में पहुंची तो दीक्षा आँखे बन्द करके बैठी हुई थी । उसने अपना सिर बेड पर टीकाया हुआ था । किसी के आने की आहट सुनकर दीक्षा ने अचानक से अपनी आँखे खोल ली।
सामने देखा तो देवकी अपने हाथ में खाने की प्लेट लेकर खड़ी थी । . " मैने कहा था . . . की मुझे भूख नहीं है . . . . फिर आप क्यों लेकर आई खाना " दीक्षा ने मुँह फेरते हुए कहा।
" गुस्सा कभी भी खाने के उपर नहीं निकालते क्योंकि ये खुश किस्मत वालों को नसीब होता है.... कई लोग इस खाने की वजह से भूखे ही मर जाते है । इसलिए हमे कभी भी इसका अनादर नहीं करना चाहिय " ..... देवकी ने दीक्षा को समझाते हुए कहा।
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" गुस्सा कभी भी खाने के उपर नहीं निकालते क्योंकि ये खुश किस्मत वालों को नसीब होता है.... कई लोग इस खाने की वजह से भूखे ही मर जाते है । इसलिए हमे कभी भी इसका अनादर नहीं करना चाहिय " ..... देवकी ने दीक्षा को समझाते हुए कहा।
अब आगे...।
दीक्षा ने पलट कर देवकी को देखा जो उसके ही पास बेड पर बैठ गयी थी । पता नहीं क्यों देवकी को देखकर दीक्षा को अपनी माँ की याद आ गयी क्योंकि शायद दीक्षा की माँ भी दीक्षा के गुस्से होने पर खाना ना खाने ना के कारण उसको यही कहती थी । जो अभी - अभी देवकी ने कहा था ।
दीक्षा से और ज्यादा रुका नहीं गया और वो देवकी के गले लग गयी और जोर - जोर से रोने लगी।....
उसने रोते हुए कहा... " युवराज बहुत बुरा है.... बहुत बुरा . . . " ।
.. " वो बुरे नहीं है.... वो बस अकेले है . . . . और इसी अकेलेपन ने उन्हें ऐसा कठोर और निर्दये बना दिया है " देवकी ने कहा।
... दीक्षा ने रोते हुए अपनी गर्दन हिला दी और कहा.... " नहीं वो बहुत बुरा है । वो एक शैतान है . . . . शैतान " ।
इस बार देवकी ने दीक्षा की बात का कोई जवाब नहीं दिया..... और उसने फिर दीक्षा को खुल कर रोने दिया।.....
बहुत देर रोने के बाद दीक्षा का मन काफी हल्का हो गया। उसके बाद देवकी ने अपने हाथो से दीक्षा को खाना खिलाया । ......
खाना खिलाने के बाद देवकी दीक्षा को नहाने का बोलकर चली गयी।... दीक्षा का कुछ भी करने का बिल्कुल मन नहीं कर रहा था . . . . . लेकिन वो इस तरह से भी नहीं रह सकती थी . . .... । अब उसको खुद ही कुछ करना होगा और यहाँ से निकलना होगा।.....
ये सोचते हुए.. ..वो बाथरूम की और बड़ गयी।.... जब वो नहाकर बाहर आई तो उसने एक ब्ल्यू रंग की लोंग ड्रेस पहनी हुई थी । ..... उसमे वो काफी ज्यादा सुंदर लग रही थी . . . . . लेकिन अब वो पहले से काफी ज्यादा पतली हो गयी थी । .....
थोड़ी देर के बाद वो नीचे गयी....। नीचे जाकर उसने देखा तो 3 लोग आए हुए थे । युवराज भी उनके साथ ही नीचे बैठा हुआ था । यह युवराज का भाई आर्यन सिंघानिया और दोस्त विराट नोमानी और तीसरा युवराज का बिजनेस पार्टनर अनुज भाजपाल।
जब उन्होंने दीक्षा को सीढ़ियों से नीचे आते हुए देखा तो उन तीनों की नजरों में हैरानी अगई ।.... युवराज ने जब ये देखा की उन तीनों का ध्यान कहीं और है और वह किसी को बड़ी हैरानी से देख रहे हैं तो उसने भी अपनी गर्दन घुमा कर उस तरफ देखा । ...
उसके पीछे मुड़ते ही युवराज और दीक्षा की नज़र आपस में मिल गयी। दीक्षा के चेहरे पर युवराज के लिए नफरत थी और वहीं युवराज के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे ।
युवराज ने फिर उन तीनों की तरफ देखा उनके चेहरे पर हैरानी साफ - साफ दिखाई दे रही थी और वो दोनों युवराज को ही स्वलियाँ नजरों से देख रहे थे .... ।
युवराज की नजरे बस दीक्षा के उपर थी..... तभी युवराज के दोस्त विराट ने युवराज से पूछा... " यूवी... तुम्हारे घर में यह लड़की.... कौन है ये.... " ।
युवराज ने विराट की बात सुनकर एक नज़र दीक्षा की और देखा , जो देविका जी की टैनिंग टेबल में प्लेट लगाने में मदद कर रही थी.....और उसको पूरी तरह से इग्नोर कर रही थी । ..... यहाँ तक की उसने एक बार भी युवराज की तरफ नहीं देखा था . ...। जिससे युवराज को गुस्सा आ गया।...... उसने थोड़ा गुस्से से कहा.. " ये मेरी नौकर और कुछ नहीं..... और वीर्य तुम अपने काम पर ध्यान दो..... फालतू की चीजों पर नहीं " ये कहकर युवराज ने गुस्से से दीक्षा को देखा........ । । ।
देवकी, युवराज की बात सुनकर हैरान थी । ... उन्होंने मन ही मन कहा.. " ये यूवी बाबा.... सच में बहुत खराब है " ।
.... दीक्षा ने फिर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया और ना ही उसने युवराज को एक नजर देखा....। उसने देवकी को प्लेट दी और कुछ बिना बोले वापिस किचन में चली गयी। युवराज अपने लिए उसकी आँखों में नफरत साफ - साफ देख सकता था लेकिन उसे उससे कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था ......... ।
आर्यन और विराट दोनों इस बात को अच्छे से जानते थे की युवराज कभी भी किसी लड़की को ऐसे ही अपने घर में नहीं रखेगा।..... उनको शक हो चुका था..... की युवराज शायद उस लड़की को पसंद करता है . . . . लेकिन वो चाह कर भी ये कभी एक्सेप्ट नहीं करेगा..... ।
उसके बाद वो दोनों अपना - अपना , खाना - खाने लगे ।
.... विराट अनुज को अपने साथ इसलिए लाया था .... क्योंकि अनुज , युवराज से कुछ बिजनेस के सिलसिले में बात करना चाहता था।.... खाना खाने के बाद वो तीनों युवराज के स्टडी रूम में बैठकर बिजनेस के सिलसिले में कुछ इंपोर्टेंट डिस्कशन कर रहे थे .... । । । ।
चलो आपको आर्यन सिंघानिया और विराट सिंघानिया से introduce करते हैं.....।
आर्यन सिंघानिया युवराज का बड़ा भाई... यह हमारी स्टोरी के एक इंपॉर्टेंट कैरेक्टर है..... । यह एक फेमस क्रिमिनल लॉयर है। मिजाज के थोड़े सख्त और थोड़े नर्म..... । यह भी युवराज की तरह दिखने में हैंडसम है.....। इनके बारे में आपको आगे पढ़ने को मिलेगा.....। और बात रही विराट नोमानी की यह एक बिजनेस मेन है। और वो भी दिखने में किसी से कम नहीं.... । यह सांत स्वभाव का है.... । इनके बारे में भी आपको पढ़ने को मिलेगा..... ।
अब आते हैं स्टोर में.....।
तभी आर्यन ने उन सबको ड्रिंक करने का ऑफर दिया और वो सब तुरंत राजी हो गए ....। युवराज के पर्सनल बार में पहुँचने के बाद वो सब ड्रिंक करने लगे.....। ड्रिंक करने के बाद तीनों वापस अपने अपने घर जाने लगे .....। फिर युवराज उन्हें " बाहर " छोड़ कर अपने रूम में चला गया....। रूम में जाने से पहले युवराज एक बार दीक्षा को देखने उसके रूम में गया.....। उसके रूम की लाईट बन्द थी...। युवराज ने पहले लाईट जलाई और उसके बाद उसने दीक्षा को देखा । । ।
..... दीक्षा किसी बच्चे के जैसे बेड पर सो रही थी..... बिल्कुल सिमट कर.... उसका कम्बल दीक्षा के शरीर से नीचे आ चुका था...... जिससे उसे ठण्ड लग रही थी .....। युवराज ने पहले ध्यान से दीक्षा के चेहरे को देखा और उसके बाद उसे ठीक से कम्बल से कवर कर दिया....। लाईट बन्द करके युवराज वहाँ से निकल गया.....।
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युवराज एक बार दीक्षा को देखने उसके रूम में गया.....। उसके रूम की लाईट बन्द थी...। युवराज ने पहले लाईट जलाई और उसके बाद उसने दीक्षा को देखा..... दीक्षा किसी मासूम बच्चे के जैसे बेड पर सो रही थी..... बिल्कुल सिमट कर.... उसका कम्बल दीक्षा के शरीर से नीचे आ चुका था...... जिससे उसे ठण्ड लग रही थी .....। युवराज ने पहले ध्यान से दीक्षा के चेहरे को देखा और उसके बाद उसे ठीक से कम्बल से कवर कर दिया....। लाईट बन्द करके युवराज वहाँ से निकल गया.....।
अब आगे....।
...... सुबह के नो बज चुके थे.....
... सूरज की रोशनी भी अब काफी तेज हो चुकी थी जो सीधे दीक्षा के चेहरे पर पड़ रही थी । जिससे दीक्षा की नींद खुल गयी।
धीरे - धीरे आँखे खोलने के बाद उसने सबसे पहले युवराज का एक्सप्रेशनलेस चेहरा देखा...। युवराज शर्टलेस् था .... दीक्षा एकदम से डर गयी। उसने युवराज को जोर से धक्का दिया....। युवराज बेड के बिल्कुल किनारे पर सोया हुआ था . . . . जिसकी वजह से वो एकदम से जमीन पर गिर गया।...
युवराज को जैसे झटका लगा और वो एकदम से खड़ा हो गया ...। उसने गुस्से से दीक्षा की तरफ देखा। .....
... दीक्षा ने उसे इस तरह से देखकर अपनी आँखे बन्द करली...। उसने अपने चेहरे पर हाथ रखे हुए कहा... " तुमने कपड़े क्यों नहीं पहने है.... " ।
... युवराज ने अपनी आँखे छोटी करके कहा... " में ऐसे ही रात को शर्ट उतार कर सोता हूं " ....।
... दीक्षा ने अपने हाथ की उंगलियों के बीच से युवराज को देखा। वो अपना मुँह खोले उसको देखे जा रही थी।....
..... दीक्षा ने थोड़ा गुस्से से कहा...." तुम मेरे रूम में क्या कर रहे हो..... " जिसके जवाब में युवराज बोला "यह घर मेरा है और इसके रूम भी मेरे है.....। मेरी मर्जी जहां चाहूं वहां जा सकता हूं..... तुम्हे क्या....। कल जब युवराज दीक्षा के रूम से होकर अपने रूम गया और अपनी शर्ट उतार कर अपने बेड पर अपनी आंखें बंद कर लेट गया.... ।
लेकिन उसके दिमाग में बार बार दीक्षा का वो मासूम चेहरा का खयाल आराह था.... और वो उसे बार बार झटक रहा था...। इतने झटकने के बावजूद भी युवराज अपने दिमाग से उसका ख्याल निकल नहीं पाया....। और चिढ़कर अपने बेड से उठकर रूम से बाहर निकाल कर दीक्षा के रूम की तरफ चला गया....। दीक्षा के रूम में जाकर देखा....दीक्षा आंखें बंद किए कुछ बड़बड़े रही थी.... और साथ में रो भी रही थी....। यह देखकर युवराज दौड़कर उसके पास गया...।
और उसका चेहरा थपथपा कर बोला" दीक्षा क्या हुआ तुम्हें... तुम रो क्यों रही हो, दीक्षा उठो क्या हुआ... उठो दीक्षा...। युवराज के बार-बार उसका चेहरा थपथपा ने से और पुकारने ने से दीक्षा ने आंखें खोल दी....। और सामने दिखने लगी.... सामने युवराज को पाकर वह जोर से युवराज के गले लग गई....। और उसके गले लगते हुए ही वो रोने लगी....।
उसे रोता हुआ देखकर युवराज खबरा गया और उसका सर अपने सीने से लगा कर उससे कहने लगा " क्या हुआ दीक्षा तुम रो क्यों रही हो... क्या कोई बुरा सपना देखा है तुमने....। उसकी बात सुनकर दीक्षा ने हा में सर हिला कर और रोने लगी.....। युवराज उसे और ज्यादा रोता देखकर उसको और अपने करीब कर लिया फिर उसका सर सहलाकर उससे चुप कराने लगा....। लेकिन दीक्षा ने उसे खुद से दूर नहीं किया....। बल्कि उससे और ज्यादा चिपक गई.... आखिर में युवराज को ना चाहते हुए भी दीक्षा के पास लेटना पड़ा।.... पहले तो काफी देर तक वो रोती रही और फिर युवराज को हग करके गहरी नींद में सो गयी..... ।
.....युवराज काफी देर तक दीक्षा के चेहरे को निहारता रहा....। दीक्षा के गालों पर उसके काले सिल्की बाल की कुछ लटें जो उसके गालों को छू रहे थे....। ...... युवराज ने उसके गालों पर से उसके बालों की लटों हटाकर कर उसके कान के पीछे कर दिया....फिर उसके गालों को प्यार से सेहलाकर कहा.... " तुम्हें छूने का हक किसी को नहीं है.....अगर किसी ने ऐसा करने की हिम्मत की तो उसका हाल में बुरा करूँगा " ....।
... उसके बाद युवराज दीक्षा के ही पास लेट गया और कुछ देर बाद ही उसको गहरी नींद आ गयी.....।
युवराज की बात सुन कर दीक्षा का माथा सटक गया और वो चिल्ला कर बोली " तुम पागल हो गए हो..... अपनी बकवास बंद करो.....। दीक्षा के इतनी जोर से चिल्लाने से युवराज अपने ख्यालों से बाहर आया और दीक्षा को देखने लगा....उसके बाद दीक्षा उठ कर युवराज को बिना देखे बाथरूम में जाने लगी.......।
... युवराज ने एकदम से उसकी बाजू पकड़ ली।... दीक्षा ने बिना पलटे कहा.. " अब क्या चाहिए तुम्हें " ....।
..... " तुम्हें कल क्यों रो रही थी क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था " युवराज ने सीरियस होकर पूछा...... ।
.... दीक्षा पीछे पलटी और युवराज से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन युवराज की पकड़ उसके उपर काफी मजबूत थी...... ।
दीक्षा ने युवराज के उपर चिल्लाते हुए कहा.... " छोड़ो मुझे.... तुम्हारा दिमाग स्टक गया है, क्या "...... ।
" पूरी रात तुम मुझमें चिपक कर सोई हो... एक सैकेंड के लिए भी तुमने मुझे अकेला नहीं छोड़ा है..... और अब ऐसे बिहेव कर रही हो जैसे तुम्हें मुझे इस तरह से देखने में भी शर्म आती है " ..... युवराज ने दीक्षा की आँखों में देखते हुए कहा......।
.... युवराज के द्वारा कही बात सुनकर दीक्षा का चेहरा गुस्से और शर्म से लाल हो गया क्योंकि आजतक वो कभी कभी भी किसी लड़के के इतना क्लोज नहीं हुई थी.....।... दीक्षा ने भी युवराज की आँखों में देखते हुए कहा.... " मैं रात बहुत ज्यादा डर गयी थी..... और वैसे भी रात में मुझे अकेले सोने से डर लगता है और इसकी वजह भी तुम ही हो जो भी हुआ उसमे तुम्हारी ही सबसे ज्यादा गलती है..... ना तो तुम मुझे यहाँ जबर्दस्ती कैद करके रखते और ना ही में रात अकेले सोती और न ही मुझे बुरे सपने आते.... " ।
.... दीक्षा जैसे - जैसे अपनी बात पूरी किये जा रही थी . . . वैसे - वैसे युवराज के एक्सप्रेशन डार्क होते जा रहे थे ....। दीक्षा की बात कड़वी जरूर थी लेकिन ....सच थी । अगर वो उसको अगवा नहीं करता तो उसकी हालत ऐसी नहीं होती.... वैसे तो उसे इन सब चीजो से फर्क नहीं पड़ना चाहिए था लेकिन पता नहीं क्यों दीक्षा को रोते हुए देख कर उसे अच्छा नहीं लगा....। और ये भी सच था की उसके साथ सबसे ज्यादा गलत किया है . . . वो "इंसान वो खुद है . ..।
आज के लिए इतना ही आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए My Darling Devil 👿। 💕 by Hayat Khan 💗 😍।
aur aap log mujhe follow kar lijiye....। taki apko aage episode ka pata chal jaye.... और rating,comment dena mat bhulna।
इस चैप्टर को पढ़ने से पहले इसके अगले चैप्टर को पढ़ लीजिए ताकि आपको टोरी समझ में आ सके....।
अब तक आपने पढ़ा....।
.... दीक्षा जैसे - जैसे अपनी बात पूरी किये जा रही थी . . . वैसे - वैसे युवराज के एक्सप्रेशन डार्क होते जा रहे थे ....। दीक्षा की बात कड़वी जरूर थी लेकिन ....सच थी । अगर वो उसको अगवा नहीं करता तो उसकी हालत ऐसी नहीं होती.... वैसे तो उसे इन सब चीजो से फर्क नहीं पड़ना चाहिए था लेकिन पता नहीं क्यों दीक्षा को रोते हुए देख कर उसे अच्छा नहीं लगा....। और ये भी सच था की उसके साथ सबसे ज्यादा गलत किया है . . . वो "इंसान वो खुद है . ..।
अब आगे....l
युवराज ने कुछ सोचकर दीक्षा का हाथ छोड़ दिया और कहा... " तुम अपने घर जा सकती हो " ....।
....... दीक्षा उसने युवराज बात सुनकर ऐसा लगा जैसे उसने कुछ गलत सुन लिया हो।...... उसने दोबारा युवराज से पूछा .. " तुमने अभी क्या कहा.... जरा दोबारा कहना " ।
.. " युवराज सिंघानिया अपनी बात कहने के बाद दोबारा दोहराता नहीं है..... " ... ।
.. " ओके... ओके... मत दोहराओ.... " दीक्षा के चेहरे पर खुशी साफ - साफ दिखाई दे रही थी . ... वो अपने सामने खड़े युवराज के अचानक से गले लग गयी..... । युवराज अपनी जगह स्तब्ध रह गया.... वो दीक्षा की खुशबु बहुत करीब से महसूस कर सकता था . .... इस खुशबु को उसने पुरी रात को महसूस किया था....।
... उसने दीक्षा को खुद से दूर नहीं किया और नाही उसको गले लगाने के लिए अपने हाथ आगे बड़ाये।... थोड़ी देर बाद दीक्षा खुद ही उससे अलग हूई...।. उसने खुश होते हुए कहा .. " ठीक है... अब मैं जा रही हूँ.... जितनी जल्दी यहाँ से जाऊंगी उतनी जल्दी सही करेगा.... क्या पता बाद में तुम्हारा मुड़ बदल जाए.. ' ।
...... उसके बाद दीक्षा वहाँ से निकल गयी। उसको इतना खुश देखकर युवराज को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था..... क्योंकि वो इस बात से खुश थी.... की आज वो युवराज को छोड़कर जा रही है...।
... " ठीक है .... अगर जा रही है .... कम से कम मेरे गले से आफत तो छुटेगी.... " इतना कहकर युवराज रूम से निकल कर अपने रूम में चल गया।....
...... देवकी का पर्सनल काम जल्दी खत्म हो गया था इसलिए वो सुबह ही युवराज के लिए खाना बनाने के किया विला में आ गयी .. . थी। उन्होंने जब दीक्षा को अपने रूम से बाहर निकलते हुए देखा तो उनके चेहरे पर एक स्माईल आ गयी ।.......
.... दीक्षा सीढ़ी से उतर कर नीचे आ गयी।..... युवराज वहाँ पहले से ही था ।..... युवराज डाइनिंग टेबल पर बैठा अपना नाश्ता कर रहा था । ......
...... देवकी ने दीक्षा को देखकर आवाज़ लगाते हुए कहा.. " दीक्षा बेटा.... आओ नाश्ता करलो " .....। अरे कुछ तो खा कर जाओ " ....। " नहीं... मुझे भूख नहीं है " .... ये कहकर दीक्षा घर के बाहर निकल गयी।...... युवराज ने फिर भी कुछ नहीं कहा...। उसने एक बार भी जाती हुई दीक्षा की तरफ नहीं देखा....।
..... लेकिन कुछ ही देर में दीक्षा मुँह लटकाये वापस आ गयी। देवकी उस वक्त वहाँ नहीं थी । ..... युवराज अभी भी नाश्ता कर रहा था . . . . । दीक्षा जाकर युवराज के साइड में खड़ी हो गयी...।
वो खाना खा रहा था . . . . । दीक्षा जाकर युवराज के साइड में खड़ी हो गयी...।
.. " अब वापस क्यों आई हो " ... युवराज ने उसकी तरफ बिना देखे कहा...। " यहाँ से घर काफी दूर है . . . . . और मेरे पास वहाँ जाने के पैसे नहीं है . . . . " ..... दीक्षा बच्चो जैसा मुँह बनाते हुए बोली।
... " युवराज ने टिशु पेपर से अपने हाथ साफ किये और अपने पर्स से कुछ केश निकाल कर दीक्षा को दे दिया " ।
उन पैसो को गिनते हुए दीक्षा ने कहा... " अरे ये तो बहुत सारा पैसा है . . ... इतना नहीं चाहिए मुझे..... मुझे बस घर जाना है . . . विदेश नहीं " ।
... " रखना है तो रखो वरना रहने दो " युवराज बोला।.....
... " बिटर " .... दीक्षा ने मन ही मन कहा....और पैसे लेकर दीक्षा वहाँ से निकल गयी।
.... युवराज का उसको इतनी खुशी से जाते हुए देखकर दिल भारी होने लगा था...।" क्या, उसको उसकी आदत हो चुकी थी... या वो उससे प्यार करने लगा था " ..... ये ख्याल आते ही युवराज की आँखे आग उगलने लगी। .......
.... उसको कभी किसी लड़की से प्यार हो ही नहीं सकता...। ये सोचकर वो भी ऑफिस के लिए निकल गया।
... दो घंटे के सफर के बाद दीक्षा अपने घर के सामने उतर गयी....।.... उसने टैक्सी ड्राईवर को पैसे दिये और घर की तरफ बड़ने लगी।.... उसको अपने घर को देखकर ऐसा लग रहा था . . . . जैसे प्यासे को कई साल बाद पानी मिला हो।
..... दीक्षा अपने घर के गार्डन में थी . . .. तभी उसको अपने घर से आने वाली कुछ आवाजे सुनाई देने लगी....।... वो सीधा अंदर नहीं गयी बल्कि दरवाजे के पास खड़ी होकर अंदर से आने वाली आवाज़ों को सुनने लगी।....
..... " मैने कितनी बार कहा है की तुम्हें उसके लिए रोने की जरूरत नहीं है . . . . . . वो जा चुकी है . . . . " दीक्षा के पापा ने कहा ।
दीक्षा को जैसे ही अपने पापा की ये बात सुनाई दी उसको अचानक से झटका लगा।..... वो तो ये भूल ही चुकी थी..... की उसके घर तो उसके बारे में ये पता होगा की वो भाग चुकी है . . . ।
...... तभी उसको किसी के चलने की आवाज़ आई . . . . . वो एक खम्बे की पीछे छुप गयी.....ताकि उसको कोई देख न सके। उसने खंबे के पीछे से देखा तो उसके पापा घर से बाहर निकल रहे है ।
जब तक उसके पापा कार में बैठकर वहाँ से निकल नहीं गए . . . तब तक दीक्षा खम्बे के पीछे से बाहर नहीं निकली...।
..... उसके पापा के जाने के बाद वो खम्बे के पीछे से बाहर निकल कर आई और अपने घर के अंदर एंटर हुई। घर के अंदर जाते ही उसने अपनी माँ को देखा जो किचन में बर्तन धो रही थी . . . . ।
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अब तक अपने पढ़ा...।
..... उसके पापा के जाने के बाद वो खम्बे के पीछे से बाहर निकल कर आई और अपने घर के अंदर एंटर हुई। घर के अंदर जाते ही उसने अपनी माँ को देखा जो किचन में बर्तन धो रही थी . . . . ।
अब आगे....।
दीक्षा ने अपनी माँ को जैसे ही देखा तो उसकी आँखो में आँसू आ गए... । उसके मुँह से एकाएक ही निकला.. " माँ " ....।
..... दीक्षा की माँ को जैसे ही दीक्षा की आवाज़ सुनी तो उन्हें ये लगा.... जैसे उन्हें उसकी आवाज़ सुनने का वहम हुआ है....। लेकिन तभी दीक्षा का भाई वहाँ आ गया...।
... " दीदी " .... दीक्षा के भाई ने दीक्षा को देखकर कहा। वो दीक्षा को देखकर काफी खुश था . ..। जैसे ही दीक्षा ने कार्तिक ( दीक्षा का भाई) को देखा तो उसके चेहरे पर एक स्माईल आ गयी....।
... कार्तिक सीधा जाकर दीक्षा के गले लग गया। उसने लगभग रोते हुए कहा... " दीदी... आप कहाँ चले गए थे.... मैने आपको बहुत मिस किया " ....।
... बाहर से आती कुछ आवाज़ों को सुनकर मिसेज मेहता भी बहार आ चुकी थी . . . . । उन्होंने जैसे ही दीक्षा और कार्तिक को गले मिले देखा तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा....।
...... वो खुश होते हुए दीक्षा के पास गयी और अपनी कांपती हुई आवाज़ में कहा... " दी....दी.... दीक्षा...." ।
..... दीक्षा ने जैसे ही अपनी माँ की आवाज़ सुनी तो वो पीछे पलटी...। उसकी माँ आँखो में आँसू लिए उसकी ही तरफ देखे जा रही थी....। दीक्षा ने तुरंत अपनी माँ को गले लगा लिया और कहा... ' माँ.... आई मिस यू ' ।
.. " कहाँ चली गयी थी बेटा तु... क्या तु सच में किसी लड़के के साथ चली गयी थी . ...." दीक्षा की माँ ने पूछा ।
.. " माँ भारती जी , वो...... " .... दीक्षा को समझ में नहीं आ रहा था की वो इस बात का क्या जवाब दे .... ।
... " बेटा... तुम्हारे पापा तुमसे बहुत ज्यादा गुस्सा है.... तुम्हें कम से कम हमे इस बारे में बताना तो चाहिए था.. " दीक्षा की माँ भारती जी ने दीक्षा को चुप देखकर कहा....।
... " माँ, मैं उस लड़के के साथ अपनी मर्ज़ी से नहीं गयी थी..... " उसके बाद दीक्षा ने अपनी माँ और भाई को सब बात बता दी...।
दीक्षा की पूरी बात सुनने के बाद दीक्षा का भाई और माँ दोनो हैरान थे....।...... तभी दीक्षा की माँ ने कहा.. " इतना कुछ हो गया.... और हमे पता भी नहीं चला " ....।
.... तभी घर के बाहर किसी के गाड़ी रुकने की आवाज़ आई " .... कार्तिक ने दरवाजे के बाहर जाकर देखा तो उसके पापा वापस आ गए थे।.... कार्तिक घबराते हुए अंदर आया ...।
... " पापा वापस आ गए है " ... कार्तिक बोला...।
उसकी बात सुनने के बाद दीक्षा की माँ भारती जी ने दीक्षा का हाथ पकड़ा और उसको घर के दूसरी तरफ लेकर गयी।... उन्होंने हडबड़ाहट में दीक्षा से कहा... " बेटा.... तुम अभी अपने पापा के सामने नहीं आ सकती.... मुझे नहीं पता की वो तुम्हें अचानक से देखकर कैसे रिएक्ट करेंगे..... इसलिए तुम अभी के लिए यहीं रहो.... मैं पहले तुम्हारे पापा से बात करती हूँ .."....।
...... ये कहकर मिसेज मेहता वापस से किचन में चली गयी।..... दीक्षा वहीं खड़ी होकर इंतज़ार करने लगी....।.... मिसेज मेहता ने अपने पति के लिए खाना लगाया और उन्हें पानी देते हुए.... उनके ही पास की चेयर पर बैठ गयी।.......
... " उस नालायक लड़की के अलावा अगर कुछ बात करने को है . . . . तो बोलो.... " मिस्टर मेहता अपनी पत्नी के घूरने पर बोले।.....
.... उनकी बात सुनने के बाद मिसेज मेहता का चेहरा लटक गया....। उन्होंने थोड़ा परेशान होते हुए कहा.... " व...व.... वो दीक्षा आई थी " .
..... जैसे ही उन्होंने अपने शब्द पूरे किये ....... मिस्टर मेहता खाना खाते हुए रुक गए। .. " कहाँ है वो " .... ये कहते हुए वो अपनी जगह से उठने लगे।.....
.... तभी कार्तिक ने आगे आकर कहा.... पापा दीदी चली गयी है..... मिसेज मेहता ने भी कार्तिक का साथ देते हुए कहा... " हाँ, वो तो कबकी चली गयी है . . . . " ...।
..... उनकी बात सुनने के बाद मिस्टर मेहता वापस से चेयर पर बैठ गए....। उन्होंने गुस्से से कहा... " अच्छा हुआ खुद ही चली गयी.... वरना मैं ही उसको घर से निकाल देता " .....।
..... " व....वो खुद से उस लड़के के साथ नहीं गयी थी.... उस लड़के ने ही उसके साथ जबरदस्ती की थी " .... मिसेज मेहता ने हिम्मत करके कहा....।
.... " उसने कहा.... और तुमने मान लिया.... वो झुठ भी तो बोल सकती है . . . .और तुम दोनों आज से उसको इस घर में नहीं आने दोगे....समझे तुम......और अब उसकी बात इस घर में नहीं होगी...." मिस्टर मेहता (राजीव जी ) ने गुस्से से कहा....।
लेकिन वो हमारी बच्ची है..... वो कहाँ जायेगी " ... मिसेज मिसेज मेहता ने लगभग चिल्लाते हुए कहा....।
... " जहाँ वो पहले गयी थी..... हमे छोड़कर.... और अब मुझे इस घर में कोई और तमाशा नहीं चाहिए " मिस्टर मेहता ये कहकर अपनी जगह से उठ गए । ......
..... मिसेज मेहता अपनी जगह बैठी हुई रोने लगी। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था की अब वो क्या करे....।
और वहीं दीक्षा ने भी ये सब सुन लिया था . . . . । उसकी तो मानो दुनिया ही उजड़ गयी थी . . . । वो बिना कुछ बोले वहाँ से चली गयी....।
.... अपने पति के वहाँ से जाने के बाद मिसेज मेहता तुरंत वहाँ से उठकर दीक्षा को देखने चली गयी... लेकिन वहाँ दीक्षा नहीं थी . . . . । कार्तिक भी अपनी माँ के साथ दीक्षा को देखने आया था .... उसने चिन्ता करते हुए अपनी माँ से कहा... " दीदी ने शायद पापा की बातें सुन ली होगी...... इसलिए वो चली गयी " ।
... " ऐसी हालत में वो कहाँ जायेगी.... बेटा, तु जा और देख वो आसपास ही कहीं होगी...... हम तेरे पापा को किसी भी तरह मना लेंगे आखिर वो बेटी तो उनकी ही है . . . . वो अपनी बेटी को कभी भी सड़क पर मरने के लिए नहीं छोड़ेंगे " .....।
एक सुनसान रास्ते पर दीक्षा अपने आँसुओ से तरबतर बेसुद हो कर बस चले जा रही थी इस वक्त वो पूरी तरह से हारकर टूट गई थी ।
दीक्षा ने मायूस होकर कहा-"सब खत्म हो गया,अब मैं कहा जाउंगी?मैं ही क्यों इतनी अनलकी हूँ?"
यह कहते हुए वह ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी, रो-रो कर उसकी दोनों आंखें सूज गई थी लेकिन फिर भी उसके आंखों से आंसू रुकने को नहीं हो रहे थे, उसका पूरा चेहरा रो-रोकर अब लाल हो चुका था,और वह बस पागलों की तरह चले जा रही थी।
करीब एक डेढ़ घंटे से भी ऊपर इसी तरह चलने के बाद कुछ सोच कर वह अपने फेवरेट कैफे की तरफ चली गई जब भी उसे कोई टेंशन या फिर प्रॉब्लम होती थी वह हमेशा इस झील किनारे बने अपने फेवरेट कैफे में ही अपना मैक्सिमम टाइम स्पेंड करती थी,क्योंकि वहां उसे एक अलग ही सुकून मिलता था शांति मिलती थी ,वह उस जगह से एक अलग सा लगाव महसूस करती थी।
जैसे ही वह रोते,हाँफते उस कैफ़े के बाहर पहुँची तो एक बार के लिए फ़िर से उसकी पूरी बॉडी में एक झन झनाहट तैर गई जिससे एक बार फ़िर से उसके बढ़ते कदम उसी जगह पर जम गए।
जिस जगह पर कभी वह बैठ कर अपने सुकून के पल युग के साथ बाटा करती थी उस जगह पर उसी युग के साथ उसकी जगह आज युग की एक्स गर्लफ्रेंड् निशा बैठी हुई थी, वह दोनों एक दूसरे में खोए हुए हाथों में हाथ डाले बिल्कुल न्यूली बोर्न कपल्स की तरह ही लग रहे थे,और यह सब देख कर दीक्षा की आंखें जैसे फटी की फटी रह गई उसे लगा जैसे उसे किसी अपने ने एक बार फ़िर से उसका ज़ख्मी सीना एक खंजर नुमा हथियार से दोगुनी प्रहार से चीर कर उससे अलग कर दिया है।
दीक्षा इस युग के लिए कितनी टेंस थी ,वह किस हाल में होगा और वह यहां आराम से उसे भूल भालकर हंस कर निशा के साथ प्यार प्यार खेल रहा था।
दीक्षा उनकी बातें सुन नहीं सकती थी ,लेकिन वह बाहर से क्लीयरली सब देख सकती थी,लेकिन उन दोनों बेशर्मो की नजरें तो एक दूसरे पर ही टिकी हुई थी, इसलिए वह तो उसे यहां पर अभी इमेजिन भी नहीं कर सकते थे ,तभी आगे जो हुआ उसने तो दीक्षा को जैसे पल भर में ही उस आसमान से उतारकर सीधा इस धरती पर लाकर पटक दिया था ।
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दीक्षा उनकी बातें सुन नहीं सकती थी ,लेकिन वह बाहर से क्लीयरली सब देख सकती थी,लेकिन उन दोनों बेशर्मो की नजरें तो एक दूसरे पर ही टिकी हुई थी, इसलिए वह तो उसे यहां पर अभी इमेजिन भी नहीं कर सकते थे ,तभी आगे जो हुआ उसने तो दीक्षा को जैसे पल भर में ही उस आसमान से उतारकर सीधा इस धरती पर लाकर पटक दिया था ।
अब आगे....।
युग ने अपने हाथों से निशा को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खिंच लिया और वह दोनों ही एक दूसरे के करीब होकर आपस में लिपलॉक करने लगे , निशा के दोनों हाथ इस वक्त युग के चेहरे पर नाच रहे थे, और युग के हाथ उसकी कमर और गर्दन पर,कुछ घँटों तक बस उनकी सिर्फ किसिंग की पोजीशन ही बदली थी,वह दोनों इसवक्त इंटेंसली अपनी सारी हदे पार कर रहे थे,और उन्हें यह सब करते हुए किसी भी दुनियां जहां की कोई परवाह नहीं थी।
यह दिखने में एक छोटा सा कैफ़े था,जहाँ ज्यादा लोग आते जाते भी नहीं थे ,लेकिन इन्हें परवाह तो फ़िर भी किसी की नहीं थी।
दीक्षा उनसे अपनी नज़रे हटाकर मुड़ गई फिर ज़ोर से उसने अपनी आंखें बंद कर लिए-" युग तुम यह सब मेरे साथ कैसे कर सकते हो ? तुम्हें तो मुझसे प्यार था ? फ़िर यह सब क्या है?" वह उसे कितना चाहती थी.... लेकिन युग ने उसके साथ इतना घटिया धोखा दिया वो सोच भी नहीं सकती... दीक्षा की तो दुनिया ही उजड़ चुकी थी....। बिचारी दीक्षा उसे उसके प्यार ने धोखा दिया.... लेकिन यह सब होना भी जरूरी है ताकि वो युवराज के पास जाए और सिर्फ उसकी बन कर रहे...।☺️
ohk come to the story....।
दीक्षा यह सब अपने उन मॉसुम आंखों से और नहीं देख पाई, और वह अपने आंखों में डबल दर्द वह आँशु लेकर उल्टे पैर वहाँ से दौड़ती हुई चली गई।
दीक्षा का पूरा चेहरा लाल से अब काला वह उसकी सूजी हुई आंखें रो रो कर अब पूरी लाल हो गई थी,और वह सोचने लगी-"किस तरह जब उसने पहले एक दिन अपने यूनिवर्सिटी के लाइबेरी में युग और निशा को एक साथ देखा था,और तब उन्होंने उसे बड़ी ही आसानी से बेवकूफ बना दिया था, और वह युग के उन चिकनी-चुपड़ी बातों में आसानी से आ भी गयी थी।"
इस वक्त उसे ये सारी पुरानी बातें एक एक करके याद आने लगी थी और वह उस झील के दूर एक दूसरे किनारे पर जा कर अपने पैरों को उन लहराती हुई....। तरंगों में डाल कर आंखे बंद करके गहरी सांस लेकर खुद को महसूस करने लगी,उसकी जिंदगी के दो किस्से आज एकसाथ खत्म हो रहे थे, जिससे वो बुरी तरह से अब टूट गई थी, वह सब दृश्य अभी भी उसके आंखों के सामने रिपीट टेलीकास्ट हो रहे थे ।
अब दीक्षा को युवराज के उपर बहुत गुस्सा आ रहा था . . . । . . . . . उसकी वजह से ये सब हुआ था.. ...सिर्फ और सिर्फ उसकी वजह से। जो नफरत उसके दिल में युवराज के लिए थी . . . . वो धीरे - धीरे कम होने लगी थी लेकिन अब दोबारा से उसके दिल में अचानक से युवराज के लिए नफरत बड़ गयी थी.....।
..... उसका सब कुछ अब खत्म हो चुका था . . . . वो भी सिर्फ और सिर्फ युवराज की वजह से....। उसने अपनी आँखे बन्द करली और कहा... " युवराज सिंघानिया "..... मैं आ रही हूँ..... तुम्हें बर्बाद करने..... तुमसे तुम्हारा सब कुछ छिनने ..... जैसे तुमने मेरा सब कुछ छिन लिया...... ।
झील किनारे।
चांदनी रात में दीक्षा खुद में खोई हुई अभी भी इन लहरों में ही डूबी हुई थी,वह नहीं जानती थी उसे अब कहां जाना चाहिए, और क्या करना चाहिए? उसके सारे Love once ने उसे आज त्याग दिया था....।
तभी सामने से किसी ने बहुत सख्त मगर नर्म सी आवाज में कहा -"हेलो ब्यूटीफुल"।
दीक्षा ने हड़बड़ाहट में कहा-"क..कौन?" फ़िर वह धीरे-धीरे करके पलटने लगी।
वही दीक्षा ने आज अचानक जब इतने दिनों बाद एक सख्त मगर नर्म सी वॉइस सुनी तो उसने पलट कर देखा उससे जस्ट कुछ ही दूरी पर एक वाइट शर्ट पहने हुए टोल हैंडसम एंड दुनिया का सबसे खूबसूरत स्माइली चेहरे वाला नौजवान खड़ा हुआ था, जो धीरे-धीरे उसकी तरफ ही अपने कदम बढ़ा रहा था।
दीक्षा उसे देखकर कुछ पल तो उसकी सुंदरता में खो सी गयी थी फिर उसने अचानक जब महसूस किया, यह एक चांदनी रात ही सही but एक काली भयानक रात भी है और यह हैंडसम आदमी क्या पता उसका फायदा उठाना चाहता हो? यह सब सोचकर ही उसने धीरे-धीरे अपनी मुट्ठी में रेत भरने शुरू कर दिए इतने दिनों में तो वो अब समझ ही चुकी थी सारे मर्द एक जैसे ही होते हैं कायर और बेरहम ,इसीलिए वह अब किसी पर भी ट्रस्ट नहीं कर सकती थी चाहे फिर वह कितनी मीठी जुबान क्यों ना बोलता हो।
उस नौजवान ने अपना एक हाथ बढ़ाकर कहा जेंटली कहा -"क्या मैं एक हसीन नौजवान को इस मून नाइट में अपनी कंपनी दे सकता .."।उसकी अभी बात भी पूरी नहीं हुई थी ,तभी दीक्षा ने बुरी तरह से उस पर रेत उड़ेल दिया।
फ़िर दीक्षा ने उसे वार्निंग टोन में कहा-" मैं तुम जैसे बदतमीज मर्द को बहुत अच्छी तरह से जानती हूं ,अकेली लड़की देखी नहीं कि ईमान डोल ने लगते हैं ,शर्म नहीं आती? देखो मुझे कमजोर मत समझना क्योंकि उस डेविल के आगे तो तुम किसी खेत की मूली भी नहीं हो "।यह कहकर वह उठकर जाने को लगी।
पीछे से उस लड़के ने दर्द से तड़पते हुए कहा-"हेय मेरी आंखे जल रही है, यह तुमने क्या किया? तुम इस तरह अपने बॉयफ्रेंड का गुस्सा मुझे पर क्यों उतार रही हो ?"वह आदमी बुरी तरह से इस वक्त अपनी आंखों को मचल रहा था, वह रेत के कण उसके आंखों के अंदर जाकर उसके आंखों को तकलीफ दे रहे थे ।
दीक्षा ने उसे अपनी खा जाने वाली नजरों से देख कर कहा, सही किया मैंने तुम्हारे साथ तुम इसी लायक हो....और क्या कहा? बॉय फ्रेंड ? हह मरो यहीं ?" और फिर वह वहाँ से नंगे पैर दूसरी दिशा में दौड़ने लगी।
पीछे से उस आदमी ने अपनी रिक्वेस्टिंग टोन में कहा-" अरे मुझे देखती तो जाओ? मैं उस तरह का आदमी नहीं हूं.... तुम मेरी बात तो सुनो कैसी अजीब सी लड़की है ,आह"। इतना कहकर वो आदमी अपना फेस साफ करने लगा....।
आज के लिए इतना ही आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए My Darling Devil 👿 By Hayat Khan 💗 😍।और एक जरूरी बात मैं आपसे कहना चाहती हूं की कुछ गड़बड़ी की वजह से चैप्टर नंबरिंग चेंज हो चुकी है आप बस मेरे चैप्टर के नंबर देखकर चैप्टर पड़े या फिर आप लाइन बाई लाइन भी पढ़ सकते हैं अगर आपको कुछ समझ नहीं आया तो मुझसे पूछ सकते हैं....।