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MAFIA'S UNDESIRABLE ANGEL 😈

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Gumnam_Writer

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विध्वंस राय ठाकुर, अपने दुश्मनों के लिए एक खौफ़, एक दहशत हैं वहीं पूरी दुनिया उसे एक पॉवरफूल, हार्टलैस, डेंजरस और मिस्ट्रीयस बिजनेसमैन समझती हैं, मगर उसकी असली पहचान से बेख़बर है। जहाँ वो इंसान कम हैवान प्यार शब्द तक से नफ़रत आया है, जिसे उसे मायने त...

Total Chapters (3)

Page 1 of 1

  • 1. MAFIA'S UNDESIRABLE ANGEL 😈 - chapter-1

    Words: 2415

    Estimated Reading Time: 15 min

    आशा भवन,
    मुंबई,
    रात का समय,
    एक छोटा- सा घर, जो दिखने में भले ही छोटा ज़रूर था...मगर था बेहद खूबसूरत। उस घर के चारों ओर हरियाली ही हरियाली छाई हुईं थीं। हर जगह घने- घने पेड़- पौधे, रंग- बिरंगे फूल और ऊपर से उन फ़ूलों और पेड़- पौधों से आती फ़्रेश एयर और अच्छी सुगंध भी! उस घर की दीवार पर, ऊपर  की ओर बड़े- बड़े काले रंग के अक्षरों में "आशा भवन" लिखा हुआ था। आशा भवन, अस्ल में एक बहुत बड़ी संस्था थी जोकि अनाथ और बेसहारा बच्चों की देखरेख और उनका पालन-पोषण करती थी। इस संस्था की मुखिया अब, वंशी भरद्वाज है और उसी के अंडर ये पूरा आशा भवन हैं और अब वहीँ यहाँ की मालकिन है।

    रात का समय था, जहाँ पूरी दुनिया इस वक्त घोड़े बेचकर सोई हुईं थीं...वहीँ आशा भवन के एक कमरे में दो लड़कियाँ जागी हुईं थीं और उनकी आँखों में दूर- दूर तक नींद का नामोनिशान नहीं दिख रहा था या ये कहूँ कि उन दो लड़कियों में से एक लड़की ने दूसरी लड़की की आँखों में से नींद ही छूमंत्र कर दी थी। "मेरी बात को समझ, रूही...अगर काकी को पता चल गया तो वो पूरा घर सिर पर उठा लेंगी।" दूसरी लड़की परेशान होते हुए और अपने सामने खड़ी पहली लड़की  यानी रूही को मनाते हुए बोली और वहीँ रूही मुंह बनाते हुए और अपने हाथ फ़ोल्ड करते हुए बोली-" मुझे कुछ नहीं सुनना, मुझे जाना हैं मतलब जाना हैं...देट्स इट, नौ आर्गुमेंट्स!" तभी उस दूसरी लड़की ने भी मुंह बना लिया और फ़िर अपना मुंह फेरते हुए बोली-" हाँ तो तुझे कौन जाने से रोक रहा है, रूही। तू जाना, लेकिन मुझे फोर्स मत कर।(इतना कहते हुए वो लड़की रूही की तरफ़ मुंह करते हुए बोली) तू नहीं जानती, रूही अगर काकी को ज़रा- सी भी भनक लग गयीं तो वो मुझसे और ज़्यादा नफ़रत करने लगेंगी। पहले ही उनकी मुझसे शिकायतें, नाराज़गी और नफ़रत बहुत हैं और अब अगर तेरे साथ चली गई तो वो मुझसे और ज़्यादा नाराज़, ग़ुस्सा और नफ़रत करने लगेंगी।"

    ये कहकर वो लड़की गहरी साँस भरते हुए बोली-" और अब मुझसे और ज़्यादा ये सब हैंडल नहीं होगा, रूही।" वो लड़की रूही के हाथों को पकड़ते हुए बोली-" प्लीज़ मेरी बात को समझ और तू जा...और खूब एंजॉय करके आ।" मगर रूही मानने वालों में से और पीछे हटने वालों में से कहाँ थी। वो उस लड़की की पकड़ से अपना हाथ हटाते हुए और खुद उसका हाथ थामते हुए, और अपनी बात पर अटल रहते हुए बोली-" उफ्फ, ये काकी- काकी...देख मैं जबतक हूं ना तो तेरी काकी और मेरी माताश्री कुछ नहीं कर पाएंगी। वैसे भी मेरी माताश्री इस वक्त अपनी ब्यूटी स्लीप, मेरा मतलब है घोड़े बेचकर सो रहीं होंगी और अब वो सुबह ही उठेंगी। प्लीज़ चलना...बहुत मज़ा आएगा।"

    इतना कहते हुए रूही बेहद मासूम- सा चेहरा बनाते हुए बोली-" अगर तू नहीं चली ना तो आयशा जी को बुरा लगेगा...और तू जानती है कि फ़िर वो कल कॉलेज में अपनी शिकायतों को कर- करके हमारे कान खा जाएगी। प्लीज़ आहना, चल लेना। सच्ची बता रहीं हूं बहुत मज़ा आएगा।" ये सुनकर आहना रूही की तरफ़ से मुंह फ़ेरते हुए और अपने मन में उठ रहीं अनजानी बैचेनी को जैसे- तैसे रोकते हुए मन ही मन बोली-" अचानक से दिल इतना बैचेन क्यूँ हो रहा है?!" तभी रूही आहना को पलटते हुए और उसे झटसे गले लगाते हुए बोली-" प्लीज़ आहना, चलना! तू वैसे भी ज़्यादा कहीं नहीं जाती हैं। कॉलेज से घर, घर से काम और फ़िर घर और तो और पूरा टाइम तू बस आशा भवन की और इनमें रहने वाले हरएक इंसान की चिंता में लगी रहती हैं। कभी तो अपने बारे में भी सोच...ज़्यादा नहीं पर थोड़ा सही, प्लीज़ आहना!"

    आहना ने गहरी साँस भरते हुए और अपनी मन में अचानक से उठ रहीं बैचेनी को नज़रअंदाज करते हुए बोली-" ठीक हैं।" वहीँ ये सुन रूही बावली- सी हो गयीं और बेपनाह खुश होते हुए आहना को और ज्यादा ज़ोर से हग़ करते हुए बोली-" यू आर दी बेस्ट, मेरी जान! सच में मुझे तो लगा ही नहीं था कि तू हाँ करेगी या नहीं, बट तूने हाँ कर दिया। आई एम सो- सो हैपी!" ये सुनकर आहना रूही से अलग होते हुए और उसकी तरफ़ देखकर मुस्कुराते हुए बोली-" कैसे हाँ नहीं करती, तुझे ना कहना मेरे बसकी बात ही नहीं है और...(इतना कहते हुए आहना रूही के चेहरे पर हाथ रखते हुए, बेहद प्यार से बोली) मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकती हूं!" तभी रूही मुस्कुराते हुए और कुछ खुराफाती- सा अपने दिमाग़ में चलाते हुए बोली-" सच्ची?!" ये सुन आहना ने हाँ में सिर हिला दिया और वहीँ रूही शैतानी से भरी हँसी हँसते हुए सीधा अपनी अलमारी की तरफ़ चली गई और फ़िर एक नज़र आहना की तरफ़ देख दोबारा मुस्कुरा दी।

    वहीं दूसरी ओर, एक अनजान जगह...
    वो जगह दिखने में एक बेसमेंट थी और वहाँ से लगातार कुछ आदमियों के चिल्लाने की, दर्द से कराहने की आवाज़ें वहाँ चारों ओर गूँज रहीं थीं। उस बेसमेंट के अंदर जहाँ एक तरफ़ तीन आदमी ज़मीन पर अधमरी हालत में पड़े हुए थे। वहीं उनके इर्दगिर्द कुछ काले रंग के कपड़ो में कुछ आदमी हाथों में पिस्तौल लिए हुए, नज़रें झुकाये और मनों में बेपनाह खौफ़ लिए हुए खड़े थे। ये खौफ़ था उस हैवान का, जो किसी राजा के जैसे उस किंग साइज कुर्सी पर विराजमान था। उसके चेहरे पर ना तो कोई शिकन की लकीर थी और नाही और कोई भाव! वो उस किंग साइज कुर्सी पर किसी राजा के जैसे बैठे हुए, अपना सिर ऊपर की ओर किए, बस एकटक ऊपर की रेलिंग को निहार रहा था कि तभी उन घायल आदमियों में से एक आदमी चेहरे पर बेपनाह खौफ़ लिए हुए, डर के घुट सटकते हुए और अपनी जान की भीख मांगते हुए बोला-" हमसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयीं, किंग! हमे माफ़ कर दीजिए और सिर्फ़ एक आख़री मौका दे दीजिए। हम अब ऐसी ग़लती सपने में भी नहीं करेंगे, प्लीज़ हमे माफ़ी दे दीजिए।"

    तभी वहाँ रूह कंपा देने वालीं हँसी गूँज उठी और वहाँ सभी मौजूदा लोगों के दिल में डर की दहशत फैल गई और उनका बेपनाह खौफ़ के मारे हल्क बाहर आ गया। वो सभी लोग उस हँसी को हँसने वाले उस बेख़ौफ़, बेरहम बादशाह की ओर देखने लगे कि तभी उस शख़्स ने अपनी गर्दन नीचे की और फिर अपनी क़ातिल और पैनी नज़रों से उन घायल आदमियों को घूरते हुए और अपनी गन को गोल- गोल घुमाने लगा। वहीँइधर रूही ने आहना की आँखों पर पट्टी बाँध दी थी और उसे आराम से पकड़ते हुए सीधा मिरर की तरफ़ लाते हुए, उसके कानों के पास धीमे- से लाते हुए और मुस्कुराते हुए बोली-" चिल्लाईयो मत, वर्ना हमारा अच्छा ख़ासा प्लान फ्लोप हो जाएगा और मेरी माताश्री भी उठ जाएंगी...ठीक हैं।" ये सुनकर आहना लम्बी सांस लेते हुए बोली-" तूने क्या किया हैं, रूही? मुझे डर लग रहा हैं।"

    वहीं रूही मन्द- मन्द हँसने लगी और फ़िर अपनी हँसी कंट्रोल करते हुए बोली-" ऐसा कुछ भी नहीं किया, जिससे मुझे जैल जाना पड़े। अच्छा तू अब आँखों पर से ये पट्टी उतार और जो अस्ल में मैंने किया है ना वो देख।" ये सुनकर आहना ने झटसे अपनी आँखों पर से पट्टी उतारी और फ़िर जैसे ही आंखे खोली...वो दंग रह गयीं और जैसे ही वो चिल्लाने को हुई, उसके मुंह पर रूही ने हाथ रख दिया और हँसते हुए बोली-" मैं जानती थी, तू ऐसा ही करेगी। अरे बाबा इतनी सुन्दर और हॉट लग रही हैं, फ़िर तुझे चिल्लाना क्यूँ हैं?!" ये सुन आहना रूही को घूरते हुए और उसका हाथ कांटते हुए बोली-" रूही की बच्ची, कांड करती हैं और फ़िर पूंछती हैं...चिल्लाना क्यूँ हैं!" वहीँ रूही अपनी उंगली पकड़ते हुए और मासूम चेहरा बनाते हुए अपनी उंगली को एक दफ़ा देखती हैं और फ़िर आहना की ओर देखते हुए बोलती हैं-" इसमें मेरी उंगली खाने की क्या बात थी, नर-भक्षी कहीं की!"

    तभी आहना रूही को घूरते हुए बोली-" मैं नर-भक्षी, हुंह...रुक तुझे बताती हूं।" इतना कहकर आहना उसके पीछे दौड़ी और रूही हँसते हुए उसके आगे- आगे भागने लगी कि रूही एकदम से रूककर और हांफते हुए बोली-" अच्छा बाबा, तू जीती मैं हारी...बस। पर आहना ये देखना तू इस ड्रेस में कितनी प्यारी लग रहीं हैं, कितनी सुन्दर लग रहीं हैं। वैसे भी तू हमेशा उन बोरिंग- सी ड्रेसेस मैं रहती हैं और ये एक पार्टी इवेंट हैं तो तुझपर ये ड्रेस बहुत खिल रहीं हैं। प्लीज़ आहना, यहीं पहनना मेरे लिए, प्लीज़...

    वहीं उधर, उस बेसमेंट में गोली चलने की आवाज़ के साथ एक तेज़ चीख सुनाई दी और वहाँ मौजूदा हर एक इंसान की सांसे ही थम गई, लेकिन उनमें से किसी ने उफ्फ तक नहीं की...सिवाय उन घायल आदमियों में से बचे अब सिर्फ़ उन दो आदमियों के। वो घायल आदमी अपनी बाजू में पड़े म्रत आदमी को देख घबरा गये और उस बेदिल, बेरहम और क्रूर बादशाह की ओर डरके देखने लगे और उन्होंने तुरन्त नज़रें नीचे करली। तभी उन घायल आदमियों से पहला आदमी, दूसरे आदमी की तरफ़ देखते हुए और रोते हुए धीरे- से बोला-" हम नहीं बचेंगे। ये हमे मार देगा। हमारे किए की सज़ा सिर्फ़ और सिर्फ़ मौत हैं।"

    "बिल्कुल सही कहा, तुमने!" 😈 ये शब्द सुनकर वो आदमी शौक़ हो गए और उन दोनों ने तुरन्त अपनी मुंडी घुटने के बल बैठे हुए उस शख़्स यानी की उस बेदर्द और बेरहम बादशाह की ओर करली और वो उसे देख बेपनाह घबरा गये। वहीँ ये देख उस शख़्स के चेहरे पर बेहद आकर्षक, कातिलाना और ख़तरनाक मुस्कुराहट बिखर गयीं। वो शख़्स अपनी जगह से खड़े होते हुए और अपनी गन को अपने दिल से थोड़ी ऊपर की ओर रगड़ते हुए बोला-" मेरी नस- नस से वाकिफ़ थे...फ़िर भी वहीँ ग़लती जानबूझकर की और ये भूल गए कि इसका अंजाम कितना दर्दनाक होगा?" 👿🔥

    उस शख्स ने इतना ही कहा था कि वहाँ फ़िर से गोली चलने की आवाज़ गूंज उठी, मगर उस शख़्स ने उन बचे हुए दो घायल आदमियों पर अपनी गोली नहीं चलाई थी, बल्कि उस शख़्स ने अपनी गन को हवा में करके गोली चलाई थी। जिसे सुन उन दोनों आदमियों के पसीने छूट गए और डर बढ़ने लगा। उनका यहीं डर उस शख़्स के चेहरे की कातिलाना मुस्कुराहट को और बढ़ा रहा था। उस शख़्स ने अपने एक आदमी की तरफ़ इशारा किया और वो आदमी हाँ में सिर हिलाकर वहाँ से बाहर की तरफ चला गया और फ़िर वहाँ कुछ वक्त के लिए बिल्कुल शांति पसर गयीं। तभी वहाँ एक ख़तरनाक दहाड़ सुनाई दी और वहाँ मौजूदा हर एक आदमी की बोलती बंद हो गई और वो लोग बेपनाह घबराने लगे। वहीँ वो शख़्स वापस अपनी किंग साइज कुर्सी पर बैठ गया और सामने रखी टेबल पर अपने पैरों को रखते हुए बोला-" मेरा सबसे वफादार दोस्त ना जाने कबसे राह देख रहा था अपनी मील को टेस्ट करने के लिए, उनसे हूबहू मिलने के लिए अब उसे और ज़्यादा इंतज़ार कराना सही नहीं ना!"

    ये कहते हुए उस शख़्स की नज़रें उस बेसमेंट के दरवाज़े की तरफ़ चली गई और बाकी सभी की। जहाँ वो घायल आदमी अपने डर का घुट सटकते हुए उस दरवाज़े पर देख रहें थे...वहीँ उस शख़्स के आदमी समझ चुके थे कि अब यहाँ मौत का तांडव होगा। उस शख़्स के सभी आदमियों के पसीने छूटने लगे, माहौल पेचीदा होने लगा। वहीँ उस कमरे में, आहना मिरर के सामने खड़ी...क्यूट- सा मुंह बनाते हुए बोली-" तुझे पता तो हैं, रूही मैं ये सब नहीं पहनती। मुझे ऐसे कपड़े पहनने की आदत नहीं (इतना कहते हुए आहना रूही की तरफ़ मुड़ते हुए बोली) और वैसे भी ये ड्रेस तुझे काकी ने तेरे बाइंसवे बर्थडे पर दी थी और तूने इसे अभी तक पहनी भी नहीं हैं, रूही!"

    ये सुनकर रूही आंखे घुमाते हुए बोली-" तो! देख साफ़ बात हैं जो मेरा हैं वो तेरा हैं और जो तेरा हैं...वो मेरा हैं। हमारे बीच ये तेरा- ये मेरा कबसे आ गया, आहना। तू जानती हैं कि मेरे पास ऐसी ड्रेसस रखी रहती हैं और अगर तू एक ले लेगी और पहन लेगी तो पहाड़ नहीं टूट जाएगा। जो मेरा हैं ना, उसपर मुझसे भी पहले हक़ तेरा हैं...क्यूँकी तू मेरी बेस्टफ्रैंड हैं, मेरी बहन हैं, समझी। अब मुझे कुछ नहीं सुनना हैं, जस्ट नौ आर्गुमेंट्स। वैसे भी बहुत लेट हो गया और अगर हमने यहीं बहस में समय बर्बाद कर दिया ना तो हम आयशा की बर्थडे पार्टी मिस कर देंगे। चल अब चलते हैं।" इतना कहकर रूही ने आहना का हाथ पकड़ा और दबे पांव से छिपते- छिपाते कमरे के दरवाज़े की तरफ़ आए और रूही ने बिना कोई शोर किए दरवाज़े से बाहर झांका और रास्ता क्लीयर देख रूही गहरी साँस भरते हुए धीमे- से आहना से बोली-" हम्म, रास्ता क्लीयर हैं चल चलते हैं।"

    आहना और रूही चुपके से आशा भवन से निकल वहाँ से सीधा पार्टी की तरफ़ चली गई। वहीँइधर, उस बेसमेंट में वो दरवाज़ा खुला और फ़िर रूह कंपा देने वालीं एक दहाड़ सुनाई दी और जैसे ही उस शख़्स का आदमी साइड हटा...उन घायल आदमियों की नज़रें अपने ठीक सामने की ओर खड़े खूंखार जानवर की तरफ़ चली गई और उनकी आंखे बड़ी- बड़ी हो गयीं। अपने सामने इतने बड़े और डरावने जानवर को देख उनकी हालत बेहाल होने लगी। वहीँ उस शख़्स ने अपने आदमी को इशारा किया और उसके आदमी ने उस जानवर को छोड़ दिया। वो जानवर सीधा भागते हुए अपने मालिक की तरफ़ आया और उसके चारों ओर जीभ निकालते हुए घूमने लगा। वो जानवर उस शख़्स का पालतू था और बेहद वफ़ादार भी! वो शख़्स उस जानवर की पीठ को सहलाते हुए बोला-" बहुत भूखा है ना, शेरा। वो देख तेरा फ़्रेश खाना...जितना मर्ज़ी हो उतना खा।" इतना कहकर वो शख़्स अपनी जगह से खड़ा हुआ और उन घायल आदमियों को अपने पालतू जानवर शेरा (शेर) के हवाले करते हुए, अपनी जेब में हाथ रखें वहाँ से जाने लगा कि तभी वो घायल आदमी गिड़गिड़ाते हुए बोला-" हमे यहाँ छोड़कर मत जाओ। हमे माफ़ करदो, बस एक आख़िरी मौका दे दो। हमारे गुनाह की इतनी बड़ी सज़ा मत दो... छोड़ दो हमे!"

    ये सुनकर वो शख़्स मुस्कुराते हुए बोला-" हम्म, चलो इतना गिड़गिड़ा ही रहें हो तो ठीक हैं। जाओ छोड़ दिया। लेट्स गो बॉयज!" वो शख़्स तिरछी, कायल मुस्कान लिए अपने आदमियों के साथ वहाँ से बाहर कि तरफ़ आ गया और अपनी गाड़ी की तरफ़ बढ़ने लगा कि तभी उसका फोन बजने लगा। उसने जैसे ही कॉल उठाया सामने से उसका बेहद जिगरी और ख़ास दोस्त बहुत सीरियस टोन में बोला-" विध्वंस...

    ____________________

    आज का भाग इतना ही, मिलते हैं अगले भाग में मेरे प्यारे रीडर्स! अपना प्यार, साथ और भर- भर के कमेन्ट करते रहें। 💗🦚🙏

  • 2. MAFIA'S UNDESIRABLE ANGEL 😈 - chapter- 2

    Words: 2621

    Estimated Reading Time: 16 min

    कुछ समय बाद,
    दी नाइट क्लब,
    आहना और रूही अपनी दोस्त आयशा की बर्थडे पार्टी में आ चुके थे। जहाँ रूही से बिल्कुल भी इंतज़ार नहीं हो रहा था अंदर जाने के लिए, पार्टी को एंजॉय करने के लिए...वहीँ आहना बेपनाह बैचेन और घबरा रही थी। रूही को तो आदत थीं, ऐसी लेट नाइट्स पार्टी में जाने की...पर आहना का तो ये फर्स्ट टाइम था। उसने ऐसी जगह, ऐसे लोग और इतना हल्ला- गुल्ला अपनी जिंदगी में पहली बार देखा और महसूस किया था। ऊपर से आज रूही ने उसे ज़बर्दस्ती ये शॉर्ट ब्लैक ड्रेस पहना दी थी और वो चाहकर भी उसे ना नहीं कह पाई थी। मगर अब दिक्कत ये थी कि वहाँ मौजूद हर एक इंसान की निगाहें सिर्फ़ और सिर्फ़ आहना पर ही टिक गयीं थी और हटने का नाम नहीं ले रहीं थीं...जिससे आहना अन्कम्फर्टबल फिल कर रहीं थीं और अपनी नज़रें इधर-उधर करते हुए उन आती- जाती नज़रों को जैसे- तैसे इग्नोर करने लगी। वहीँ रूही उसे जैसे ही अंदर ले जाने के लिए कुछ बोलती, उसकी नज़र आहना के चेहरे पर पड़ी...और वो उसकी असहजता को समझते हुए और आहना को समझाते हुए बोली-" जानती हूं, तुझे ऐसे माहौल की, ऐसे कपड़ो की आदत नहीं...पर एक बात कहूँ कभी-कभी ना हमे अपने कम्फर्ट जॉन से निकलकर भी कुछ करना चाहिए। क्या पता कब क्या हो जाए...बस इसीलिए जितनी लाइफ आपके पास है, उसे जी भरके जी लेना चाहिए। अब चल!"

    ये कहकर रूही आहना का हाथ पकड़ उसे सीधा क्लब के अंदर ले गयीं और अंदर जाते ही उनकी नज़रें चारों ओर रंग- बिरंगी, जगमगाती रोशनियों में सीधा सामने की ओर झूम- झूम कर, अपनी अलग ही दुनिया में खोए हुए...नाचते हुए लोगों पर पड़ी। जहाँ रूही की नज़रें आयशा को तलाश रहीं थीं, वहीँ आहना की नज़रें पूरे क्लब के चारों ओर घूम रहीं थीं। ये क्लब मुंबई का बहुत ही पॉप्युलर और लैविश क्लब था। आहना पूरे क्लब की ओर देख ही रहीं थीं कि तभी रूही उसे बुलाते हुए बोली-" चल आहना, वो रहीं आयशा।" ये सुन आहना हाँ में सिर हिलाते हुए उसके साथ उस क्लब के काउन्टर की तरफ़ चली गई। वहाँ जाते ही रूही आयशा के गले लगी और फ़िर आहना और दोनों ने उसे स्माइल करते हुए जन्मदिन की मुबारकबाद दी और दोनों पार्टी को एंजॉय करने लगी।

    वहीं दूसरी ओर, एक आलिशान और बेहद खूबसूरत बंगला जिसके मुख्य दरवाज़े पर बड़े- बड़े अक्षरों में "ठाकुर विला" लिखा हुआ था और उस दरवाज़े के चारों ओर हट्टे- कट्टे बॉडीगार्ड हाथों में बड़ी- बड़ी बंदूकें लिए हुए पूरे बंगले की पहरेदारी करते हुए नज़र आ रहें थे। उस बंगले के चारों ओर बेहद शांति और सुकूनमय माहौल बना हुआ था। मगर उस बंगले के दूसरे माले के कमरे से लगती हुईं बाल्कनी में, उस हैवान के बेज़ान सीने में इस वक्त बेहद उफान उठा हुआ था। वो शख़्स शर्टलैस खड़ा और सिगरेट के कश भरते हुए गहरी सोच में डूबा हुआ था। ना जाने उसके उस ख़तरनाक दिमाग़ में क्या चल रहा था और क्या नहीं?! वो शख़्स तो बस अपनी नीली निगाहों से एकटक सामने की ओर उस चांद को देख रहा था। उसके उस बेहद क़ातिल और बेहद आकर्षक चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं था, वो तो अपने होठों के बीच सिगरेट को दबाए ख़ामोशी के साथ बाल्कनी से सटकर खड़ा हुआ था।

    तभी उसका बेहद ख़ास दोस्त और दोस्त से बढ़कर भाई, और उसका राइट हैंड मैन अगस्त्य राठौर, चेहरे पर बेपनाह ग़ुस्से से बोला-" मेरा कॉल कट क्यूँ किया, विध्वंस?"

    विध्वंस राय ठाकुर, ठाकुर एंटरप्राइसीस का मालिक और अंडरवर्ल्ड की दुनिया पर राज़ करने वाला इकलौता बादशाह! 👿 इन्हें कौन नहीं जानता...बड़े- बड़े बिजनेसमैन मैं से एक और जिनका सिर्फ़ नाम ही काफ़ी हैं पूरी दुनिया में तहलका मचाने को। जिनका नाम से, जिनका काम से और जिनकी शख्सियत से पूरी दुनिया भलीभांति परिचित हैं, मगर उनकी दूसरी पहचान से बेपनाह अनजान हैं। केवल सत्रह (17) साल की उम्र में बिजनैस की दुनिया में इन्होंने कदम रखा और अपने पिता के सम्पूर्ण बिजनैस को आज ऊँचाइयों के शिखर पर इस क़दर पहुँचा दिया है कि कोई चाहकर भी उन ऊँचाइयों पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। हर साल नंबर- 1 बिजनेसमैन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड इन्हें ही मिलता है और इनके राइवल सिर्फ़ हाथ पर हाथ मलते हुए ही रह जाते हैं। क्या करे बड़ा ख़तरनाक और जिद्दी किस्म का व्यक्तित्व हैं इनका। मीडिया में, सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर, अखबारों में हर जगह ठाकुर एंटरप्राइसीस और उनके मालिक यानी मिस्टर विध्वंस राय ठाकुर जी के चर्चे मश्हूर हैं। आए दिन उनके बारे में कोई ना कोई खबरें आती ही रहती हैं और वे सुर्खियों में छाए रहते हैं। मगर- मगर- मगर, मिस्टर विध्वंस राय ठाकुर जी को बिल्कुल भी फ़ालतू का फेम और लाइमलाइट में रहना या आना पसन्द नहीं! वे उससे कोसों दूर रहते हैं और सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने काम में लगे रहते हैं और खुदको चाहें रात हो या दिन काम में झोंककर रखते हैं।

    दुनियाभर की लाखों- करोडों लड़कियाँ इनके पीछे पागल हैं और इनके आगे- पीछे मक्खियों के जैसे भिन्न- भिन्नाती रहती हैं। हर लड़की इनके होने का सपना देखती हैं, इनकी अर्धांगिनी बनने के सपने संजोये बैठी है...मगर अफ़सोस इन्हें इन सबमें कोई इंटरेस्ट नहीं, ये तो भयंकर नफ़रत करते हैं प्यार शब्द से भी। इनकी जिन्दगी में प्यार शब्द के लिए दूर- दूर तक कोई जगह नहीं लेकिन- लेकिन- लेकिन अभी इनकी मुलाकात अपनी माशुका, अपनी दिलबर से हुआ नहीं है जो इनके हर ख़यालात को, हर जज़्बात को, इनकी सोच को, और इनके बेज़ान दिल को अपने प्यार की सुगंध से, प्यार की चिंगारी से एक भयावह आग का, एक अनकहे एहसासों का, जुनून और दीवानगी का मंजर बना ही देंगी और ये महाशय बस देखते ही रह जाएंगे और आप सब भी...! 🌚🔥

    "तू जानता था कि मैं तुझपर भड़कुंगाँ...और इसीलिए तूने मेरी पूरी बात सुने बगैर काट दिया, नहीं? मुझे काका ने सब बताया...तुझे क्या मज़ा आता है अपनी जान को जोखिम में डालने में!" अगस्त्य के ये शब्द सुनकर विध्वंस के चेहरे पर कातिलाना मुस्कुराहट बिखर गयीं और फ़िर वो अगस्त्य की तरफ़ देखते हुए और अपने होठों से सिगरेट को निकाल दिया और ज़मीन पर फैंकते हुए और पैरों से कुचलते हुए बोला-"
    यू आर नोट माइ बेबीसिटर, अगस्त्य और नाही मैं कोई दूध पीता बच्चा हूं। आई नौ डेम्न वैल, हाउ टु हैंडल माई मैटर। एनीवे, प्रिपरेशन कैसी रहीं? सारा काम ठीक तरीके से हैंडल हो गया ना?!" ये सुन अगस्त्य आंखे घुमाते हुए और अपने भूरे रंग के बालों पर बेहद एटिट्यूड के साथ हाथ फेरते हुए बोला-" मैं आपका यू ही राइट हैंड मैन नहीं कहलाता, बाबू मोशाय...! जिस काम को मैं अपने हत्थे लेता हूं किसी भी हाल में पूरा करता हूं...!"

    यहाँ उस पार्टी में, रूही और आहना ने एंजॉय करना स्टार्ट ही किया था कि तभी बर्थडे गर्ल आयशा, काउन्टर पर से दो ड्रिंक्स लेकर उनकी तरफ़ आ गयीं और एक ड्रिंक रूही को थमाते हुए बोली-" एंजॉय!" वहीँ दूसरी ड्रिंक आहना को देने लगी तो आहना हिचकते हुए और ड्रिंक को खुदसे दूर करते हुए बोली-" मैं नहीं पीती, आयशा...प्लीज़ इसे मुझसे दूर रखों। इसकी स्मेल भी बहुत बेकार आ रहीं हैं।" ये सुनकर आयशा और उसके साथ खड़ी बाकी लड़कियाँ भी हँसने लगी। ये देख आहना थोड़ा ऑकवर्ड महसूस करने लगी और तभी आयशा आहना के कंधे में हाथ डालते हुए बोली-" यार देख भले ही ये सच है कि इसकी स्मेल बिल्कुल भी अच्छी नहीं होती। इन्फेक्ट शुरू- शुरू में तो रूही जी ने भी बड़े नखरे दिखाए थे...मगर जब उसने इसे मुंह लगाया तो क़सम से ये दिवानी हो गयीं इसकी! मालूम हैं, आहना बड़ी- बड़ी किताबों में भी इसके किस्से बड़े मश्हूर है। जानती है, ये वो जाम हैं जो हर ग़म को भुला देता है। इसे अगर कोई एक बार चखले तो फ़िर कभी इसे चाहकर भी भूल नहीं पाता है।"

    ये कहते हुए आयशा मुस्कुरा दी और आहना की तरफ़ दोबारा गिलास कर दिया। मगर रूही मुस्कुराते हुए और आयशा को रोकते हुए बोली-" छोड़ना, आयशा। वो नहीं पीती हैं...चलना इस गिलास को यहाँ रख और डांस फ्लोर पर चल, वहाँ जाकर खूब डांस करते हैं और पार्टी को यादगार बनाते हैं...चल!" इतना कहकर रूही आयशा को, आहना और बाकी सभी को डांस फ्लोर पर ले गयीं और खूब डांस करने लगी। वहीँ आहना को थोड़ी नर्वसनेस महसूस हो रहीं थीं। जब रूही ने उसे ऐसे देखा तो उसकी कमर पर ठुमका मारते हुए और मुस्कराते हुए उसे डांस करने के लिए कहने लगी और आहना हाँ में सिर हिलाते हुए फाइनली डांस करने लगी और देखते ही देखते हमारी आहना भी ना जाने कब अलग ही दुनिया में चली गई और खुलकर, मग्न होकर ज़ोरों- शोरों से थिरकने लगी, मुस्कुराने लगी। भले ही वो इस जगह अपनी जिंदगी में पहली बार आयी थी, मगर पहली बार ही उसे आज अच्छा, कुछ अलग और खुलकर जीने का एक अलग अंदाज़ का अंदाजा हो रहा था। आज वो खुली हवा में खुलकर साँस ले पा रहीं थी और बेपनाह मुस्कुरा रहीं थीं। एक नज़र रूही ने आहना पर डाली तो उसके चेहरे पर प्यारी-सी मुस्कुराहट तैर गयीं और वो कुछ पल रूककर उसे देखती रहीं फ़िर ख़ुद भी डांस करने में मग्न हो गयीं।

    वहीं उनके ठीक पीछे की तरफ़ कुछ तीन- चार लड़के उन्हें ग़लत और बेशर्मी भरी नज़रों से देख और घूर रहें थे। उन लड़कों में से एक लड़का आहना को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए बोला-" ये वालीं आज रात के लिए मेरी...बाकी अपनी- अपनी देखलो! मैं तो चला...!" इतना कहकर वो लड़का आहना के पास चला गया और उसकी कमर पर हाथ रख उसके साथ नाचने लगा और उसे ग़लत तरीके से छुने लगा। वहीँ बाकी सब भी उसके पीछे- पीछे हो लिए और बाकी लड़कियों के इर्दगिर्द घूमते हुए सिटी मारने लगे। जैसे ही आहना को एहसास हुआ, उसने तुरन्त उस लड़के से खुदको छुड़ाया और दूर खड़ी हो गई। वहीँ रूही उस लड़के की तरफ़ बढ़ी और एक कसके एक थप्पड़ जड़ते हुए बेपनाह ग़ुस्से से बोली-" तेरी हिम्मत कैसे हुईं मेरी बहन को छूने की?"

    वो लड़का अपने गाल पर हाथ रखें रूही की ओर देख हँसते हुए बोला-" अगर वो पटाखा पसन्द ना आयीं होती ना, तो क़सम से तुझे उड़ाकर ले जाता...!" ये सुनकर रूही बेपनाह हँस दी। वो लड़का और उसके सभी बाकी दोस्त कन्फ्यूजन में आ गए कि आख़िर रूही जी हँस क्यूँ रही हैं? और इधर आहना अपने दिल पर हाथ रखें खुदकी बैचेनी को बेपनाह शांत करते हुए रूही की तरफ़ देखने लगी। वहीँ उधर, अगस्त्य अपनी तारीफों के पुल बांधते हुए उस हैवान के आगे शेखी मारते हुए बोला-" सबकुछ सेट हैं एंड पर्सो मीटिंग फाइनल हैं। मेरा कोई भी काम कच्चा नहीं होता। सो बी रेडी...गर्ल्स!"

    उसने इतना ही कहा था कि वो हैवान अगस्त्य की ओर घूरते हुए बोला-" वट!" ये सुनकर अगस्त्य ना में सिर हिलाते हुए वहाँ से चला गया और वहीँ वो हैवान भी अपने कमरे के अंदर चला गया। इधर रूही ने अपनी हँसी पर कंट्रोल किया और फ़िर उन सभी लड़कों की तरफ़ घूरते हुए बोली-" अगर अपनी जान प्यारी हैं ना और जेल में सड़ने का कोई शौक़ नहीं है...तो अभी के अभी भाग जाओ यहाँ से, वर्ना...

    ये सुनकर वो लड़के हँसने लगे और रूही की धमकी से नहीं डरे और ये देख रूही मुंह बनाते हुए बोली-" लास्ट बार बोल रहीं हूं, भाग जाओ वर्ना...बहुत डंडे पड़ेंगे!" मगर वो लड़के अपनी जगह से डिग्गे नहीं और तभी रूही ग़ुस्से से फूंक मारते हुए अपनी गर्ल्स गैंग में से एक लड़की की तरफ़ इशारा करते हुए, कुछ इशारों ही इशारों में बोली और वो लड़की हाँ में सिर हिलाते हुए तुरन्त वहाँ से छुपकर डीजे के पास चली गई और वहीँ रूही चेहरे पर कुटिल हँसी लाते हुए, उन लड़कों की ओर देखते हुए बोली-" लातों के भूत बातों से नहीं मानते,उफ्फ!"

    इतना कहकर रूही मुस्कुराने लगी और तभी वहाँ पुलिस की गाड़ी का तेज़ साइरन बज उठा...जिसे सुन वो लड़के घबरा गये और एक नज़र रूही को देख वहाँ से दुम- दबाकर भाग गए और फ़िर रूही, आयशा और वहाँ मौजूद सभी लोग हँस दिए...मगर आहना के चेहरे पर कोई भाव नहीं था सिवाय एक ख़ामोशी और बेचैनी के! रूही आहना के पास दोनों कान पकड़े आयी और मासूम- सा चेहरा बनाते हुए बोली-" सॉरी आहना, मुझे नहीं पता था कि ऐसा कुछ हो जाएगा। मैं तो बस एंजॉयमेंट का सोचके ही...

    तभी आहना उसे बीच में रोकते हुए और उसे गले से लगाते हुए बोली-" तू बिल्कुल पागल हैं,रूही! अरे इसमें तेरा क्या दोष...ये लड़के ही लफंगे थे। वैसे भी आहना जानती है कि उसकी रूही सपने में भी उसके साथ ग़लत करने का नहीं सोच सकती, इन्फेक्ट कोई दूसरा भी अगर मेरे साथ कुछ ग़लत करने की सोचता है तो तू उसकी बैंड बजा देती हैं। ऐसे में मैं तेरी नियत पर और तुझपर कभी शक नहीं कर सकती। यू आर माइ वर्ल्ड, रूही!" इतना कहते हुए आहना ने रूही के गाल चूम लिए और उसे और ज़ोर से हग़ कर लिया। वहीँ रूही की आंखे भर आयी और गहरी साँस भरते हुए मन ही मन खुदसे बोली-" तू सिर्फ़ मेरी दोस्त या बहन नहीं हैं, आहना...तू भी मेरी पूरी दुनिया हैं। तू मेरी वो अधूरी ख़्वाहिश हैं जिसे मेरे महादेव ने मेरी झोली में डाल दिया और मेरी अधूरी ख़्वाहिश को पूरी कर दिया। अब मैं तुझे कभी भी ख़ुदसे दूर नहीं जाने दूँगी, एक अच्छी बहन के जैसे हमेशा तेरे साथ रहूंगी...तुझे सपोर्ट करूंगी नौ मैटर वट!"

    ये कहते हुए मुस्कुरा दी और वहीँ आहना उससे अलग होते हुए बोली-" बहुत लेट हो गया है, रूही। अब घर चलते हैं।" ये सुनकर रूही ने हाँ में सिर हिला और दोनों ने आयशा को बाइ करके सीधा आशा भवन के लिए रवाना हो गई।

    कुछ देर बाद,
    आशा भवन,
    एक ऑटो सीधा आशा भवन के ठीक सामने आकर रुका और रूही, और आहना ऑटो से उतर गए। जहाँ रूही ऑटो वाले को भाड़ा दे रहीं थीं...वहीँ आहना आशा भवन के अंदर जाने के लिए पीछे के दरवाज़े की ओर बढ़ गयीं। आशा भवन के पीछे के दरवाज़े से अंदर की ओर घुसी, और पीछे की ओर मुड़ी...उसकी आंखे बड़ी- बड़ी हो गयीं और वो हकलाते हुए और बेपनाह ड़रते हुए बोली" का...काकी!"

    वहीं उसकी काकी, चेहरे पर बेपनाह ग़ुस्से और नफ़रत को लिये, और हाथों में खोलता हुआ चिमटा लिए हुए आहना को ही घूर रही थी। तभी वो आहना की तरफ़ बढ़ते हुए और घड़ी की तरफ़ इशारा करते हुए बोली-" ये कोई टाइम हैं...बाहर जाने का और वो भी किसी को बिना बताए या फ़िर यहीं संस्कार मिले हैं तुझे, अपनी स्वर्गवासी माँ से!" ये कहते हुए वंशी उसके ठीक सामने आकर खड़ी हो गई और वहीँ आहना आँखों में बेपनाह डर और आँसू लिए वंशी की तरफ़ देखने लगी और उसने एक दफ़ा अपनी काकी को देखा और फ़िर नज़रें नीचे करली। वहीँ वंशी आहना की कोहनी को ग़ुस्से से दबाते हुए बोली-" तेरे चुप रहने से मेरा ग़ुस्सा, मेरी नफ़रत कम नहीं हो जाएगी। तू खुदको कहीं की महारानी विक्टोरिया समझती हैं कि जब तेरा मन हुआ तू मुंह उठाकर चली जाएगी। टाइम देख रहीं हैं...अरे तुझे खुदकी कोई लाज़- शर्म नहीं है तो हमारी ही इज़्ज़त का ख़्याल रख लेती या फ़िर वो भी बेच खाई...

    वंशी ने इतना ही कहा था कि आहना उसे रोकते हुए, और गहरी साँस भरते हुए सिर्फ़ एक शब्द काकी ही बोल पाई थी कि तभी वंशी ने ज़ोर से चिल्लाते हुए और उसपर वो गर्म- गर्म चिमटा मार दिया और वहीँ आहना के वो चिमटा जैसे ही लगा...उसकी चीख निकल गयीं और उसके आँसू बहने लगे। वहीँ ये नज़ारा देख आहना के ठीक पीछे खड़ी रूही ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली-" आपकी हिम्मत कैसे हुईं, आहना पर हाथ उठाने की...

    ____________________

    आज का भाग इतना ही, मिलते हैं अगले भाग में मेरे प्यारे रीडर्स! अपना प्यार, साथ और भर- भर के कमेन्ट करते रहें। 💗🦚🙏

  • 3. MAFIA'S UNDESIRABLE ANGEL 😈 - Chapter 3

    Words: 3176

    Estimated Reading Time: 20 min

    उसने इतना ही कहा था कि आहना उसे रोकते हुए, और गहरी साँस भरते हुए सिर्फ़ एक शब्द काकी ही बोल पाई थी कि तभी वंशी ने ज़ोर से चिल्लाते हुए और उसपर वो गर्म- गर्म चिमटा मार दिया और वहीँ आहना के वो चिमटा जैसे ही लगा...उसकी चीख निकल गयीं और उसके आँसू बहने लगे। वहीँ ये नज़ारा देख आहना के ठीक पीछे खड़ी रूही ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली-

    " आपकी हिम्मत कैसे हुईं, आहना पर हाथ उठाने की...

    इतना कहते हुए रूही तुरन्त आहना के पास आयी और उसके हाथ को पकड़, उसकी चोट देखते हुए...और बेहद परेशान होते हुए बोली-

    " ये तो बहुत जल गया है, आहना। मेरे साथ रूम में चल, मैं इसपर ऑइंटमेंट लगा देती हूं।" इतना कहकर रूही तुरन्त आहना को रूम के अंदर ले गयीं और रूम के अंदर जाते ही रूही ने आहना को बेड पर बैठाया और ड्रेसिंग टेबल की ड्रोर से फर्स्ट- एड- बॉक्स निकालने लगी। वहीँ आहना रूही की तरफ़ देखते हुए बोली-" मैं ठीक हुँ, रूही तू परेशान मत हो। ज़्यादा चोट नहीं लगी है।" 

    ये सुनकर रूही आहना की तरफ़ आकर उसकी चोट पर मरहम लगाते हुए और बेहद ग़ुस्से में उसे डांटते हुए बोली-

    "चुप एकदम चुप! ज़्यादा चोट नहीं लगी है कि बच्ची। तू ऐसी क्यूँ हैं, आहना! देख अच्छे के साथ अच्छा होना इस मैंडेटरी, बट जो डिजर्व ही नहीं करता उसके लिए क्यूँ?!" इतना कहते हुए रूही ने ऑइंटमेंट अपनी जगह रखा और फ़िर आहना की तरफ़ एक नज़र देखा...और फ़िर सीधा बाहर की तरफ़ चली गई। जैसे ही रूही कमरे से बाहर आयी, वंशी ने एक नज़र रूही को घूरा और फ़िर कॉफी की सीप लेते हुए और आराम से सोफ़े पर पसरते हुए बोली-" आइए- आइए, मैं सोच ही रहीं थीं कि रूही जी कब आयेंगी और अपनी सो- कोल्ड बहन की तरफदारी करेंगी...आफ्टर ऑल, आप तो उनकी वकील हैं ना और वकीलों का तो यही काम होता है! तो बोलिए...नहीं- नहीं सुनाईये भर- भर के बोरी मुझे सुनाईये, हुंह! दुनिया में सब सही हो सकते है, लेकिन अगर कोई ग़लत है तो वो सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं हूं...सुनाईये रूही जी, कोई कसर मत छोड़ना!"

    ये सुनकर रूही अपना पेट पकड़कर बेपनाह हँसने लगी और वहीँ वंशी रूही को घूरने लगी। तभी रूही अपने ठीक सामने रखी टेबल पर ज़ोर से हाथ पटकते हुए और ग़ुस्से से बोली-

    " जिन्दगी में पहली बार, मेरी नोट सो फेवरेट माताश्री ने कोई तो बात पते की कहीं...कि दुनिया में सब सही हो सकते है लेकिन वो कभी नहीं!" ये सुन वंशी की भौंहे ऊपर की ओर उचक गयीं और वो बेपनाह ग़ुस्से से रूही की तरफ़ देखने लगी।

    वहीँ रूही भी बेपनाह ग़ुस्से में घूरते हुए बोली-

    " आपने आहना पर हाथ उठाया भी कैसे? अरे ताने, नफ़रत और ग़ुस्सा कम पड़ गया था जो अब उसपर हाथ उठाने की नौबत आ गयीं! अगर वो कुछ कहती नहीं, चुपचाप आपकी हर बदतमीजी को झेलती है...इसका मतलब ये नहीं कि आप उसपर चढ़ जाएंगी और हाथ उठा देंगी। भले ही आहना ने कभी अपनी लिमिट क्रॉस नहीं की, आपका अनादर नहीं किया और हमेशा आपकी हर बात को सराखों पर रखा...इसका ये मतलब नहीं कि मैं भी वहीँ करने लग जाऊँगी और हर चीज़ को, उसपर होते हर अत्याचार को नजरअंदाज कर दूँगी। अगर आइंदा आपने उसपर हाथ उठाया और उसपर ऊँची आवाज़ भी की ना तो मैं भूल जाऊँगी कि आप मेरी कुछ लगती हैं।"

    ये सुनकर वंशी अपनी जगह से खड़ी हुईं और बेपनाह ग़ुस्से से चिल्लाते हुए बोली-" रूही...

    वहीं रूही भी तेज़ दहाड़ते हुए बोली-" चिल्लाइये मत...क्यूँकी चिल्लाना मुझे भी बहुत अच्छे से आता है, माताश्री! जब पूरी बात पता ना होना तो किसी पर बेवज़ह बिगड़ने वाले को बेवक़ूफ़ समझा जाता है। अरे आहना तो साफ़- साफ़ मना कर रहीं थीं मुझे...कि उसे नहीं जाना। अगर उसकी महान काकी को पता चल गया तो वो उससे और ज़्यादा नफ़रत करने लगेंगी। मगर, मैंने ही उसकी नहीं सुनी और उसे इस जेलखाने से ले गयीं...!" इतना कहकर रूही वंशी की ओर मुस्कुराते हुए बोली-

    " अब आपको पता चल गया ना, की इसमें आहना की कोई गलती नहीं...तो अब वहीँ चिमटा दोबारा से गर्म कीजिए और मुझपर उठाइए ना! उठाइए...!"

    ये सुन वंशी ने कोई रेस्पांस नहीं किया और वहीँ रूही हँसते हुए बोली-

    " क्या हुआ? कोई ज़वाब नहीं...! होगा भी कैसे, खुदकी औलाद पर हाथ नहीं उठाया जाएगा...लेकिन वहीँ दूसरे की औलाद पर चाहें जितना मर्ज़ी सितम करलो, है ना! माएँ ऐसी नहीं होती, और आप जैसी तो बिल्कुल नहीं होती। मुझे तो शर्म आती हैं, आपको अपनी माँ कहने पर भी! जो इंसान किसी के किये एहसान को झटभर में भूल जाए, उस इंसान से उम्मीद ही क्या कर सकते है। जिस इंसान से आप इतनी नफ़रत करती हैं ना, अगर उस दिन उसकी माँ हमारे लिए ढ़ाल बनकर खड़ी नहीं होती ना तो हम दर- दर भटक रहें होते। रोटी खाने तक के लिए मोहताज़ हो जाते। अगर आज इतने एशो- आराम से जी रहें हैं ना तो ये मेहरबानी सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी बुआजी की वज़ह से हैं। आयी बात समझ में...!"

    इतना कहकर रूही ग़ुस्से में वहाँ से चली गयीं और वहीँ वंशी स्तम्भ बनकर, चेहरे पर दुनियाभर का ग़ुस्सा लिए रूही को जाते हुए देखती रही...जबतक वो ओझल नहीं हो गयीं। रूही जैसे ही रूम में आयी...उसकी सबसे पहले नज़र आहना पर पड़ी जो खिड़की के पास खड़ी आँखों में आँसू लिए बाहर झाँक रहीं थीं। ये देख रूही गहरी साँस भरते हुए उसके पास आयीं और उसके कंधे पर हाथ रखदी। वहीँ आहना अपने आँसू पोंछते हुए और रूही की तरफ़ मुड़कर उसे फटकार लगाते हुए बोली-" क्या ज़रूरत थी, रूही!"

    वहीं रूही मुस्कुराते हुए बोली-

    " ज़रूरत थी! मेरे होते हुए तुझे कोई कुछ कहकर तो दिखाए और आज जो कुछ भी किया...वो देख मेरा सब्र टूट गया, आहना। जो कुछ भी कहा मैंने, आई एम नोट सॉरी फॉर देट!" इतना कहकर रूही सोने चली गई और आहना दोबारा खिड़की की तरफ़ मुड़कर रोते हुए बोली-" मैं नहीं चाहती, मम्मा कि मेरी वज़ह से रूही और काकी का रिश्ता खराब हो...लेकिन ना चाहते हुए भी मैं ही वज़ह बन जाती हूं।" इतना कहते हुए आहना ने नज़रें झुकाली और चेहरे पर बेपनाह उदासी लिए सोने चली गई।

    अगली सुबह,
    सुबह के साढ़े सात (7:30), बज रहें थे। जहाँ आहना हमेशा सुबह जल्दी उठ जाती थी...मगर आज वो कल की उधेड़बुन की वज़ह से उठी नहीं पाई थी और वहीँ रूही आज जल्दी उठ गयीं थी और उसने घर के सारे काम फटाक़ से कर दिए थे और कॉलेज जाने के लिए रेडी भी हो चुकी थी। तभी कमरे में जहाँ आहना सोई थी, उसके ठीक पास रखा अलार्म कोक बजने लगा और आहना की नींद खुल गयीं। जैसे ही आहना ने टाइम देखने के लिए अलार्म कोक की तरफ़ देखा...उसकी आंखे बड़ी- बड़ी हो गयीं और वो हड़बड़ाते हुए उठ गयीं। वो अपना माथा पकड़े, खुदको डांटते हुए बोली-

    " क्या आहना, आज तो जल्दी कॉलेज जाना हैं और तू हैं घोड़े बेचकर सोई हुईं हैं। जल्दी से उठ और रूही मैडम को भी उठादे, वर्ना लेट हो जाएंगे!"

    इतना कहकर जैसे ही आहना ने अपने बेड की दूसरी साइड देखा तो वो शौक़ हो गयीं और फ़िर मुस्कुराते हुए खुदी- से बोली-

    " वाह! आज तो लगता है सूरज किसी ओर ही दिशा से निकला हैं।"

    इतना कहते हुए आहना बेड पर से खड़ी हुईं और जल्दी से नहाने और रेडी होने के लिए वाॅशरूम में चली गई। कुछ देर बाद, आहना वाॅशरूम से बाहर टावॅल में लिपटी आयी और अपनी अलमारी की तरफ़ कपड़े लेने गयीं तो उसकी नज़रें बेड पर रखी एक बहुत खूबसूरत अनारकली ड्रेस पर पड़ी। वो तुरन्त बेड की तरफ़ गयीं और उस ड्रेस को उठाते हुए, उसकी नज़रें उस ड्रेस के ठीक साइड में रखे नोट पर पड़ी और उसने उसे उठाते हुए जैसे ही पड़ा...उसके चेहरे पर बड़ी- सी स्माइल आ गयीं। उस नोट पर बेहद खूबसूरत हैंड राइटिंग में बड़ा प्यारा मैसेज लिखा हुआ था, जिसके बोल थे-

    " फॉर माइ ब्यूटीफुल मिस वर्ल्ड,
    आई नौ ये ड्रेस उन बाकी सभी तेरी हाथ की बनाई कलाकारी के एक सैंपल में से एक हैं...लेकिन मैंने दो ड्रेसस  अलग कर दी है। एक आज और दूसरी कल की...! आख़िर उन्हें भी पता चलना चाहिए, कि उनका किससे पाला पड़ रहा हैं...हम्म! सो मैं तेरी ना- नुकी नहीं सुनने वालीं हूं। मैं नीचे हॉल में तेरा वेट कर रहीं हूं, जल्दी आ।"

    फ्राॅम रूही,

    उस नोट को आहना ने वापस बेड पर रख दिया और फ़िर उस ड्रेस को आहना ने पहन लिया और सीधा मिरर के पास पूरे तरीके से रेडी होने आ गयीं। कुछ वक्त में ही आहना रेडी हो गयीं और अपनी मिरर सेल्फी लेते हुए बेपनाह मुस्कुराने लगी।

    आहना का आज का लुक-




    आहना पूरे तरीके से रेडी होकर रूम से बाहर आ गयीं तो और सीढ़ियों से उतरते हुए डायनिंग एरिया की तरफ़ बढ़ गयीं...जहाँ पहले से ही रूही और वंशी बैठे हुए थे। वंशी ने तो नाश्ता करना शुरू भी कर दिया था और वहीँ रूही आहना का वेट कर रहीं थीं और जैसे ही उसने आहना को उसकी पसन्द की ड्रेस में देखा वो बेपनाह मुस्कुरा दी...। जहाँ रूही खुश दिख रहीं थीं आहना को देखकर और उसे उसकी पसन्द की ड्रेस में देखकर...वहीँ वंशी बेपनाह जलभुन रही थी। रूही ने इन सब चीज़ों को इग्नोर करते हुए आहना की तरफ़ हाथ बढ़ाया और मुस्कुराते हुए बोली-" हेव अ सीट, डार्लिंग!"

    ये सुनकर आहना हँस दी और रूही के ठीक बग़ल में बैठ गयीं और एक नज़र वंशी की ओर देख गहरी साँस भरते हुए आंखे नीचे करली। वहीं दूसरी ओर,

    ठाकुर एंटरप्राइसीस,
    मुंबई,
    एक बहुमंजिला इमारत जिसपर बड़े- बड़े, और ब्लैक एंड ग्रे अक्षरों में " ठाकुर एंटरप्राइसीस " लिखा हुआ था। विध्वंस, हमारा हैवान उस ऊँची बिल्डिंग के (14th) चौदहवाँ फ्लोर पर बने अपने कैबिन में कंप्युटर पर हाथ चलाते हुए कोई ज़रूरी काम कर रहा था कि वहीँ उस कैबिन के बाहर खड़ी तीन लड़कियाँ उस हैवान को बिना कोई आवाज़ किए धीमे से पर्दा नीचे करते हुए घूरने लगी और रह- रहकर आहे भरने लगी। उन तीन लड़कियों में से एक लड़की विध्वंस की तरफ़ एकटक देखते हुए और अपने सीने पर हाथ रखे आहे भरते हुए बोली-

    " उफ्फ, कितने हॉट हैं हमारे बॉस...जो भी लड़की इनकी लाइफ में आएगी वो बहुत ज़्यादा लकी होगी।"

    तभी तीसरी लड़की नाक सिकुड़ते हुए और आंखे घुमाते हुए बोली-

    " ऐसा कभी नहीं होगा।"

    ये सुनकर दूसरी और पहली लड़की हैरानी से उस तीसरी लड़की की तरफ़ देखते हुए एक साथ बोल पड़ी-" मगर क्यूँ?"
    वो तीसरी लड़की नखरीली मुस्कुराहट दिखाते हुए बोली-

    " तुमने बेशक पागलपन शब्द को आमतौर पर सुना होगा, मगर मैंने उस शब्द को अपनी आँखों से देखा हैं और जिया भी है। तुम लोगों ने अभी- अभी हाल ही में जॉइन किया है पर मैं यहाँ पिछले दस सालों से काम कर रहीं हूं और जितना मैं जानती हूं उस हिसाब से जो भी लड़की हमारे बॉस की जिन्दगी में आएगी...उसकी जिन्दगी हैल बन जाएगी।"

    ये सुनकर वो दोनों लड़कियाँ एक-दूसरे का चेहरा तकने लगी।उनके चेहरों की तो हवाइयाँ उड़ चुकी थी और वो चौंकते हुए उस तीसरी लड़की को देखते हुए बोली-

    " क्या हमारे बॉस इतने डरावने और ख़तरनाक हैं, शैला?!"

    ये सुनकर वो तीसरी लड़की यानी शैला अपने दोनों हाथों को आपस में मिलाते हुए और उस हैवान की तरफ़ एक बार फ़िर देखते हुए बोली-

    " बिल्कुल...जितना तुमने मैग्जीन में, किताबों में, न्यूज में, सोशल साइट्स पर पढ़ा है या देखा है...उससे कई ज़्यादा हमारे बॉस डेंजरस हैं और इतना ही नहीं हमारे बॉस की जिन्दगी और दुनिया से जुड़ी चीज़े, लोग भी बेहद ख़तरनाक हैं...तो जितना हो सके उतना उनसे दूर रहो, दूरी बनाकर रखों और उनके आसपास भी भटकना बंद करो (इतना कहते हुए शैला उस हैवान से नज़रें एक पल के लिए हटाते हुए और उन लड़कियों पर डालते हुए और कुछ ज़्यादा ही उनकी चिंता दिखाते हुए बोली) वर्ना उनपर बुरी नज़रें डालने का अंजाम क्या होगा...ये तो मैं भी नहीं जानती, बाकी तुम्हारी मर्ज़ी!"

    " गॉसिप हो गयीं हो, तो थोड़ा काम पर भी फोकस करेंगे आप लोग या फ़िर आपको यहाँ सिर्फ़ दुनियाभर की गॉसिप के लिए सैलरी मिलती हैं?!"

    ये शब्द सुनकर वो तीनों लड़कियाँ पीछे की तरफ़ मुड़ी और उन तीनों के सामने खड़ी एक खूबसूरत, मॉडल जैसी दिखने वालीं लड़की पर पड़ी...जोकि विध्वंस, यानी हमारे हैवान की पर्सनल सेक्रेटरी थी। वो लड़की उन तीनों को घूरते हुए देखने लगी, वहीँ शैला मुंह बिगाड़ते हुए उस लड़की को देखने लगी और वो तीनों जल्दी से अपनी- अपनी सीट पर चली गई। इधर वो लड़की इठलाते हुए, और दुनियाभर का एटिट्यूड दिखाते हुए उस हैवान के कैबिन पर एक दफ़ा नाॅक करके सीधा अंदर चली गई और अंदर जाते ही जैसे ही उसकी नज़रें उस हैवान पर पड़ी...उसकी सांसे ही रुक गयीं और वो कुछ पल के लिए उस हैवान को टुकुर- टुकुर देखती रहीं। तभी हमारा हैवान अपने गले को जबर्दस्ती ठीक करते हुए और अम्म- हम्म करते हुए उस लड़की को उसकी औक़ात के बाहर के सपनों की दुनिया से खींचते हुए बाहर लाया और उसकी तरफ़ बिना देखे सर्द आवाज़ में बोला-

    " जो बाते बाहर कहीं, उसपर ज़रा ख़ुद भी गौर फर्माले तो बेहतर होगा...आफ्टर ऑल मैं तुम्हें सैलरी ख़ुदको निहारने के लिए नहीं देता हूं!"

    उस हैवान की बेहद सर्द और रूखी आवाज़ सुनकर उस लड़की के सीने पर साँप लौटने लगे। वो उस हैवान की बातों को इग्नोर करते हुए और उसके कैबिन को अंदर से लॉक करते हुए, उस हैवान की तरफ़ बढ़ते हुए बोली-

    " मुझे उन लड़कियों में शामिल करने की सोचना भी मत, बेबी...(इतना कहते हुए वो लड़की विध्वंस के ठीक सामने आकर खड़ी हो गई और उसके इर्दगिर्द अपने हाथों को उसकी चेयर पर रखते हुए और उसकी तरफ़ झुंकते हुए बोली) आफ्टर ऑल कल की बेस्ट नाइट के बाद तो अब हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं। भले ही यहाँ मैं और तुम सबकी नज़रों में एक बॉस और असिस्टेंट से ज़्यादा कुछ नहीं, पर बेबी इन बंद दरवाज़ो के पीछे हमारी सच्चाई तो हमे पता हैं ना कि हम एक बॉस और असिस्टेंट से कई ज्यादा बढ़कर हैं।"

    ये कहते हुए उस लड़की ने उस हैवान को देखते हुए खुदके होठों को बाइट किया और फ़िर अपने हाथ उस हैवान की छाती के बीचो- बीच चलाने लगी। वहीँ उस हैवान ने उस लड़की के हाथों को बेहद ज़ोर से झटकते हुए ख़ुदसे दूर किया और फ़िर अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ और देखते ही देखते अचानक से पूरे कैबिन में उस  हैवान की हँसी गूँजने लगी और ये देख वो लड़की उस हैवान की तरफ़ उसकी हँसी का मतलब ना समझते हुए उसे देखने लगी।

    वो लड़की उस हैवान को देखते हुए बोली-" तुम इतना हँस क्यूँ रहें हों?...आफ्टर ऑल मैंने कोई जोक नहीं मारा है!"

    ये सुनकर उस हैवान की हँसी और तेज़ हो गयीं और उसकी हँसी को देख उस लड़की को बेइंतहा ग़ुस्सा आने लगा, फ्रस्ट्रेशन होने लगी। वहीँ वो हैवान अपनी हँसी पर कंट्रोल करते हुए और अपनी पैंट की दोनों पॉकेट में हाथ डाले, बेहद एटिट्यूड के साथ और चेहरे पर दुनियाभर की स्माइल लिए हुए बोला-

    " बट देट्स ऑनली अ जोक टु मी, बेबी!"

    ये सुन वो लड़की बौखलाहट और ग़ुस्से में उस हैवान पर बरसते हुए बोली-

    " वट डु यु मीन, विध्वंस? आई एम सीरियस फॉर अस और तुम कह रहें हों...कि ये सब मज़ाक हैं तुम्हारें लिए, बट वाई?! (इतना कहते हुए वो लड़की विध्वंस को घूरते हुए बोली) क्या कोई और हैं तुम्हारी जिन्दगी में? टैल मी...टैल मी डेम्न इट!"

    तभी उस हैवान ने तुरन्त अपनी जेब से हाथ निकाला और उन हाथों की मुट्ठी बनाते हुए, ज़ोर से टेबल पर पटकते हुए बोला-

    " तुम हो कौन...मुझसे ये सवाल करने वालीं, हुंह!"

    इतना कहते हुए विध्वंस उस लड़की के करीब आया और उसकी कोहनी को पकड़ते हुए और ज़ोर से भींचते हुए ग़ुस्से से बोला-

    " डोंट एवर शाॅउट एट मी, वुमेन...दिस इस योर लास्ट वॉर्निंग, गेट ऑउट!"

    इतना कहकर विध्वंस मूड गया और अपने ग़ुस्से को बेइंतहा काबु करने की कोशिश करने लगा कि तभी वो लड़की उसकी तरफ़ आयी और उसकी कॉलर पकड़ते हुए, आँखों में आँसू लिए हुए बोली-

    " मैंने अपनी फर्स्ट किस, यहाँ तक की अपनी वर्जिनिटी तुम्हें दे दी...फॉर सेक ऑफ स्टुपिड लव, बट यू नौ वट यु डोंट डिजर्व इट!"

    ये सुनकर उस हैवान को एक पल के लिए झटका- सा लगा और फ़िर से वहाँ पूरे कैबिन में उस हैवान की हँसी गूँज उठी और वो उस लड़की की तरफ़ देखते हुए बोला-

    " लव...वट अ जोक! मैं तुम्हारी जैसी लड़कियों को बहुत अच्छे से जानता हूँ। अमीर लड़के, उनका बैंक- बैलेंस देखा नहीं कि अपनी दुम हिलाती हुईं उनके पीछे मक्खियों की तरह भिन्न- भिन्नाने लगती हो। वैसे भी मैंने यहाँ किसी को फोर्स नहीं किया था, तुम अपनी मर्ज़ी से मेरे पास आयीं थीं।"

    इतना कहते हुए उस हैवान ने उस लड़की का हाथ अपनी कॉलर से झटकते हुए बोला-

    " नाॅउ लीव एंड नेवर कम बैक...यू आर फायर्ड!"

    ये सुन उस लड़की के पैरों तले से ज़मीन खिसक गयीं। वो लड़खड़ाते हुए हुए और उस हैवान को घूरते हुए बोली-

    " लोग सही कहते हैं, यू आर रिएली हार्टलैस..., बट यू नौ वट आई एम वेटिंग फॉर देट डे जब तुम भी किसी से बेपनाहो वाला, शिद्दतो वाला सच्चा प्यार करोगे और वो तुम्हें नहीं मिलेगी।"

    मगर उस हैवान ने उस लड़की के इन शब्दों को इग्नोर किया और आंखे घुमाते हुए, अपने कैबिन का रूम अनलॉक किया और फ़िर अपनी सिक्युरिटी को कॉल कर दिया।

    तभी उसके कैबिन के अंदर सिक्युरिटी टीम आयी और उस लड़की की तरफ़ देखते हुए बिना किसी भाव के एकदम सर्द लहजे में बोली-" लेट्स गो, मेम...!"

    वहीँ वो लड़की उस हैवान को कुछ सेकंड के लिए घूरती रहीं और फ़िर रोते हुए वहाँ से चली गयीं और उस हैवान की सिक्युरिटी टीम भी। विध्वंस अपनी चेयर पर वापस बैठा ही था कि, अगस्त्य उसके कैबिन के अंदर बिना नॉक किए हुए आ गया और उस हैवान के ठीक सामने रखी राउंड चेयर पर बैठते हुए और कुछ गिनती करते हुए बोला-

    " अम्म, अब तो मैं गिनती करके भी थक चुका हूं कि ये लड़की आख़िर किस नंबर पर हैं...! वैसे तुझे क्या मज़ा आता है हर आती- जाती लड़कियों का दिल तोड़ने में? अरे ऐसे लड़कियों का दिल तोड़ने से अच्छा है कि तू किसी भोली- भाली लड़की को देख, मिल और सेटल होजा!"

    ये सुनकर वो हैवान मुंह बिगाड़ते हुए अगस्त्य को घूरते हुए बोला-" इन योर ड्रीम्स...!"

    ये सुन अगस्त्य भी मुंह बनाते हुए और मन ही मन हँसते हुए, ख़ुदसे बुदबुदाते हुए धीरे- से बोला-" मेरे सपनें में तो तेरी गाड़ी बहुत आगे निकल चुकी हैं...आफ्टर ऑल, मुझे चाचु बोलने वाले, मेरे आगे- पीछे घूमने वाले तेरे चुन्नू-मुन्नू भी आ गए हैं, बट इन रियल, पता नहीं मेरा ये सपना कब पूरा होगा! कब मेरी सुन्दर- सी, क्यूट- सी भाभी उस हॉन्टेड विला में आयेंगी और उसे अपने प्यार और स्नेह से सींचकर एक सुन्दर मन्दिर में तब्दील करेंगी...और इस बेदिल, बेरहम, बेदर्द हैवान को एक नॉर्मल इंसान बनाएंगी!" 😩👿🔥

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    आज का भाग इतना ही, मिलते हैं अगले भाग में मेरे प्यारे रीडर्स! अपना प्यार, साथ और भर- भर के कमेन्ट करते रहें। 💗🦚🙏