अन्या, भुवनेश्वर की एक सफल और आत्मनिर्भर वास्तुकार, अपनी आधुनिक और सुव्यवस्थित ज़िंदगी में अचानक हलचल महसूस करती है जब उसके लिए रोहन नाम के एक पारंपरिक सोच वाले डॉक्टर से अरेंज मैरिज का प्रस्ताव आता है। रोहन पुरी का रहने वाला है — सौम्य, समझदार, लेकि... अन्या, भुवनेश्वर की एक सफल और आत्मनिर्भर वास्तुकार, अपनी आधुनिक और सुव्यवस्थित ज़िंदगी में अचानक हलचल महसूस करती है जब उसके लिए रोहन नाम के एक पारंपरिक सोच वाले डॉक्टर से अरेंज मैरिज का प्रस्ताव आता है। रोहन पुरी का रहने वाला है — सौम्य, समझदार, लेकिन पारंपरिक मूल्यों में गहराई से विश्वास रखने वाला। शुरुआत में अन्या इस रिश्ते के लिए बिल्कुल तैयार नहीं होती। उसे रोहन की दुनिया, ओड़िया रीति-रिवाज़ और पारिवारिक अपेक्षाएँ बोझ जैसी लगती हैं। दोनों की सोच, जीवनशैली और दृष्टिकोण में ज़बरदस्त टकराव होता है, जिससे उनके बीच दिलचस्प टकराव और कई हास्यपूर्ण स्थितियाँ पैदा होती हैं। लेकिन समय के साथ, इन गलतफहमियों और टकरावों के बीच दोनों एक-दूसरे को धीरे-धीरे समझने लगते हैं। तकरार से शुरू हुई ये मुलाकातें धीरे-धीरे सम्मान में और फिर अप्रत्याशित स्नेह में बदल जाती हैं। जब शादी की तारीख पास आने लगती है, तो उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है — परिवार का दबाव, सांस्कृतिक अंतर और आंतरिक संघर्ष — जो उनके नये-नवेले रिश्ते की परीक्षा लेते हैं। इन सब मुश्किलों से गुजरते हुए अन्या और रोहन एक-दूसरे के करीब आते हैं, और एक ऐसा रिश्ता गढ़ते हैं जिसमें परंपरा और आधुनिकता साथ चलती हैं। अंततः, उनका विवाह एक रंगारंग ओड़िया समारोह में बदल जाता है, जो केवल दो लोगों का नहीं, बल्कि दो दृष्टिकोणों का मिलन बन जाता है। उनकी प्रेम कहानी इस बात की मिसाल बनती है कि जब दिल खुले हों और समझदारी हो, तो अरेंज मैरिज भी सच्चे और गहरे प्रेम में बदल सकती है — एक ऐसा प्रेम जो बदलाव, स्वीकृति और साझी यात्रा की खूबसूरती को दर्शाता है।
The Unexpected Bridegroom
Heroine
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अप्रैल का महीना था....
भुवनेश्वर की उमस भरी हवा आज कुछ ज़्यादा ही भारी लग रही थी । अधूरी इमारत की सबसे ऊँची मंज़िल पर खड़ी अन्या, अपने नए प्रोजेक्ट को नज़र भर देख रही थी ।
नीचे शहर फैल रहा था—कभी-कभी प्राचीन मंदिरों की छाया में, तो कभी तेज़ रफ्तार भागती ज़िंदगी की धड़कनों में ।
एक ओर लिंगराज मंदिर की कलश दूर से चमक रही थी, और दूसरी ओर पास ही एक कॉलेज कैंपस में हलचल थी । क्लासेस से निकलते छात्र-छात्राएं गलियों में बिखर रहे थे—किसी की कंधे पर किताबें, किसी के हाथ में समोसे और चाय के कुल्हड़ । कहीं चाय की टपरी पर लड़कों के झुंड खड़ा था तो किसी बालकनी से लड़कियाँ झाँक रही थीं, नीचे गुजरते लड़कों को चुपके से देखकर हँस रही थीं ।
अन्या उन सबको ऊपर से देख रही थी—शांत, स्थिर, लेकिन भीतर से भरी हुई । उसे यह माहौल अच्छा लगता था । यह हलचल, यह युवा ऊर्जा, यह बेफिक्री—यह सब कुछ उसने भी कभी जिया था । पर अब, वह उनसे बहुत ऊपर खड़ी थी—एक सफल आर्किटेक्ट, अपने ही बनाए स्टील और कंक्रीट के साम्राज्य की शासिका । अपने खूबसूरत ख्यालों में डुबकी लगा रही थी कि तभी उसका फ़ोन वाइब्रेट हुआ ।
"डिनर सात बजे । देर मत करना । कुछ लोग मिलने आ रहे हैं ।" माँ का मैसेज था ।
बस पाँच शब्द, पर उनमें पीढ़ियों का बोझ छुपा था ।
उसने गहरी साँस ली और नज़र फिर से नीचे दौड़ाई—कॉलेज के गेट के पास कुछ लड़के स्कूटर पर तेज़ी से निकले। एक ने बगल में ब्लूप्रिंट थाम रखा था—शायद आर्किटेक्चर का छात्र होगा, उसने सोचा ।
फोन फिर से बजा । मा ही होगी... उसने इरिटेशन के साथ मन ही मन सोचा और पॉकेट से फोन निकाला । मां नहीं बस का फोन था ।
"पुरी में नया प्रोजेक्ट अप्रूव हुआ है । डिटेल्स भेज रहे हैं ।"
एक हल्की मुस्कान आई अन्या के चेहरे पर । काम की दुनिया उसका आराम था—वहाँ वह कुछ भी अपने हिसाब से बना सकती थी । कोई दखल नहीं, कोई परंपरा नहीं ।
लेकिन फिर वही नाम दिमाग में आया—रोहन ।
एक डॉक्टर । मां के हिसाब से उसके होने वाले 'वर'। एक ऐसा इंसान जिसे उसने कभी देखा नहीं, कभी चाहा नहीं, लेकिन अब उसके नाम के साथ उसका भविष्य जोड़ा जा रहा था । मां पूरी ताकत लगा रही थी यह शादी फिक्स करने में ।
माँ ने कहा था—"बहुत अच्छा लड़का है, समझदार है, पारिवारिक है ।"
और अन्या सोचती थी—"क्या वह मेरी दुनिया को समझ पाएगा ? क्या मैं उसकी दुनिया में रह पाऊंगी ?"
नीचे कॉलेज की घंटी बजी । छात्र-छात्राएँ फिर से उमड़ने लगे, हँसी, भागदौड़ और उमंग से भरे हुए ।
अन्या उन्हें देखते हुए कहा—जी लो यारों । इसी पल में ही जिंदगी है । एक दिन तुम्हें भी इन सब से गुजरना पड़ेगा ।
सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था । शहर की रौशनी जगमगा उठी थी, लेकिन अन्या के भीतर अब भी एक धुंध सी थी—अनिर्णय, उलझन और आने वाले कल का डर।
वो जानती थी, आज रात का डिनर एक साधारण खानपान नहीं था । यह एक नई कहानी का पहला पन्ना था । और उस कहानी की रूपरेखा उसने नहीं बनाई थी ।
अब आगे ...
अन्या और रोहन के पहले मुलाकात कैसी रहेगी ? मिलने के बाद क्या बो रोहन को पसंद करेगी ? क्या वह रोहन को हमको पसंद आएगी ?? यह सारे सवालों का जवाब आगे अध्याय में...