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JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤

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Darshana Patel

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दो जुड़वा बहनो की कहानी, एक को है, बडे-बडे सपने जीने से मतलब तो दुसरी है सबकी खुशी मे खुश रहने वाली। अपनी जिन्दगी मे कुछ करने की चाह रखने वाली। तो क्या रंग लाती है इनकी जिंदगी? वही लड़कियाँ पैसो के पीछे भागती है ये सोच रखने वाले प्लेबॉय वंश सिन...

Total Chapters (55)

Page 1 of 3

  • 1. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 1

    Words: 646

    Estimated Reading Time: 4 min

    वंश सिंघानीया



    Mumbai


    मुंबई का एक बडा सा क्लब जहा जोरो-शोरो से म्यूज़िक बज रहा था। सभी लड़का-लड़के एक दूसरे से फ्लर्ट तो शराब के नशे मे एक-दूसरे को किस कर रहे थे।


    वही एक जगह सोफे पर कुछ लड़को का ग्रुप बेठा हुआ था। उन्ही ग्रुप मे से एक अलग ही आदमी जो एक लड़के के ठीक सामने बेठा हुआ था वो रिक्वेस्ट करते हुए बोला, "प्लीज ऐसा मत किजीये मिस्टर सिन्घानीया मै लुट जाऊंगा, बरबाद हो जाऊंगा। वो तो मुजे आपकी राइवल पार्टी ने बोहोत सारे पैसे दिये थे ताकी मै आपके हाई प्रोफाइल प्रोजेक्ट को अप्रूवल ना दू।" ये सुनकर उस लड़के का चेहरे के भाव गंभीर हो जाते है।


    तब वही वो लड़का एविल स्माइल करके बोला - "वंश सिन्घानीया के सामने तुमने उस सुरेश ओबेरोय को importance दी। बोहोत बडी गलती करदी तुमने मिस्टर शाह। तुम नही जानते की अगर उस सुरेश के आगे से ओबेरोय निकाल दिया जाये तो उसकी कोई औकात नही है। लेकिन वंश का तो सिर्फ नाम ही काफी है।"


    Mr.Shah - "माफ कर दीजिये सर, मै लालच मे आ गया था। मुजे एक मौका दे दीजिये।"


    वंश - "ओके, तो बताओ। मेरे उस contract को तुम सरकारी साइन लगाकर हरि झंडी दोगे या नही? वरना मै तुम्हारी झूठी इमानदारी का सारा कच्छा-चिठ्ठा तुम्हारे हैड डिपार्टमेंट को बतादू? Choice is yours"


    मिस्टर शाह- "ऐसा मत करना मिस्टर सिन्घानीया मै लुट जाऊंगा। आप जो कहेंगे मै वो करूंगा।" वंश बेहद खुशी के साथ एक बडी एविल स्माइल करके उसे अपने हाथ से जाने का इशारा करता है। मिस्टर शाह बीना वक़्त गवाये वहाँ से निकल गये।


    उसके जाने के बाद उनमे से एक लड़का ड्रिंक करते हुए बोला, "अरे, यार चलो अब बोहोत हो गया ये सब। अब कुछ फन करते है।"


    दुसरा लड़का - "अरे, बस करो और कितना पियोगे?  और चलो अब घर।"


    तीसरा लड़का - "अरे यार विकी, तेरी इतनी फटती क्यू है? तु इन लडकियो से इतना दूर क्यू भागता है?"


    विकी - "क्युकी मेरी लाइफ मे सिर्फ एक ही लडकी है जिसे मै बोहोत प्यार करता हूँ। और किसिको देखने का मुजे कोई शोख नही है।"


    फिर विकी वंश जो शराब पे शराब पीए जा रहा था उसको देखकर बोला, "वंश अब चल भी, और तु ये सबकुछ छोड क्यू नही देता? कोई एक लडकी अच्छी सी पसंद करके शादी क्यू नही कर लेता? इतना अच्छा और नम्बर वन बिजिनस मेन है तो तुजे कौन लडकी मना करेगी?"


    वही वो लड़का जिसका नाम वंश था वो बोला, "किसी लडकी मे इतनी औकात नही विकी , जो वंश सिन्घानीया को मना कर सके और यहाँ लडकियो को सिर्फ दो ही चीज चाहिये हमसे पैसा और जिस्म। बस पैसा फेंको और खुद ब खुद चलकर हमारे पास आ जायेंगी।"


    विकी जो वंश का बेस्ट फ्रेंड था वो बोला, "बोहोत गलत सोच है तेरी। तु आज-तक सिर्फ लडकियो के साथ सोया है और फिर उसे यूज़ करके चल दिया है लेकिन एक दिन ऐसा आएगा जब तुजे भी किसीसे सच्चा प्यार होगा।"


    ये सुनकर वंश उसे देखने लगा और फिर हंसकर बोला, "प्यार, हा हा हा हा। देख मेरे भाई, यहा का एक ही उसूल है पैसा फेंको और वो चीज अपनी बना लो। बस फिर उसे जिंदगी भर अपने सर पर बेठाकर मत रखो।" विकी लाचारी से अपना सर हिला देता है। तब एक लडकी वंश के पास आई और बोली, "हेय हेंडसम, लेट'स डांस।"


    वंश उसे एक नजर नीचे से उपर देखता है। उस लडकी ने थाई तक की शोल्डर लेस ड्रेस पहनी हुई थी जिसमे उसकी क्लिवेज दिख रही थी। बोहोत मेकअप किया हुआ था। वंश उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर बोला,  "श्योर बेबी।" इतना कहकर वह विकी को आँख मारकर उस लडकी को लेकर निकल गया।


    अब आगे next part मे ✍✍✍


    तो ये है एक ऐसी जुनून और बेइंतहा प्यार की कहानी जो बदलकर रख देगी खुशमिजाज, जिंदा दिल लडकी सई की जिंदगी। जानने के लिए पढते रहे,,,,,


    थैंक यू,,,,,❤

  • 2. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 2

    Words: 1761

    Estimated Reading Time: 11 min

    इंटिमेसी




    अब आगे



    मुंबई क्लब मे



    एक लडकी वंश के पास आई और बोली, "हेय हेंडसम, लेट'स डांस।"



    (अब जानते है वंश सिन्घानीया के बारे मे। एक हेंडसम, गोरा रंग, 28 साल का नौजवान, काली गहरी आंखे, नम्बर वन बिजिनस मेन, पर एक प्लेबौय जो लडकियो के साथ एक रात बिता कर फिर अपनी जिंदगी से आउट कर देता था। उसके हिसाब से लडकियाँ बस पैसो की वजह से करीब आती है। पैसो के सिवा इस दुनिया मे कुछ नही है। अब देखते है उसकी ये सोच कौन बदलता है?)



    वंश उसे एक नजर नीचे से उपर देखता है। उस लडकी ने थाई तक की शोल्डर लेस ड्रेस पहनी हुई थी जिसमे उसकी क्लिवेज दिख रही थी। बोहोत मेकअप किया हुआ था। वंश उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर बोला,  "श्योर बेबी।" इतना कहकर वह विकी को आँख मारकर उस लडकी को लेकर निकल गया। विकी लाचारी से अपना सर हिला देता है।



    वंश उस लडकी के साथ डांस फ्लोर पर आता है और तब म्यूज़िक चेंज होता है,,,



    अरे लड़की ब्यूटीफुल कर गयी चुल,



    (वो लडकी वंश के गले मे अपना हाथ लपेट लेती है और दोनो एक-दूसरे से चिपककर डांस कर रहे थे। वंश की गाली गहरी आंखो मे वो लडकी मदहोश हो रही थी। वंश के हाथ उसकी कमर पर लिपटे हुए थे। वही वंश के बाकी के साथी भी दुसरी लडकियो के साथ डांस करने चले गये। सिवाय विकी के। विकी वहाँ पर बेठा ये सब देख रहा था तब एक लडकी उसके पास आई और उसके चेहरे पर हाथ फेराते हुए बोली, "हेय हेंडसम, लेट'स डांस।")



    देख तेरा रंग साँवला हुआ बावला,
    लड़की नहीं तू है गरम मामला,
    बोलती बंद मेरी कहूँ क्या भला,
    कुछ भी कहा नहीं जाये,
    चल नाचे तो दिल्ली, हिले है लन्डन



    (विकी पहले तो उसे गुस्से से घूरता है फिर उसका हाथ अपने चेहरे से झटककर चिल्लाया, "निकल यहाँ से चल फुट।" 😝 वो लडकी अपना मुँह बनाकर निकल गई। वही वो लडकी वंश के और करीब होने लगी।)



    मटक-मटक जैसे रवीना टंडन,
    आग लगाने आई है बन-ठन,
    गोली चल गयी धांय,
    नखरे विलैती, इगो में रहती,
    टशन दिखाती फुल,


    अरे लड़की ब्यूटीफुल कर गई चुल...



    (लडकी उसके चेहरे पर अपनी उंगली फेरते हुए कहती है, "कैसा लग रहा है मेरे साथ डांस करके हेंडसम।" वंश फीकी हँसी के साथ बोला, "वैसा ही जैसा सबके साथ लगता है।" ये बात सुनकर उस लडकी को जैसे अपनी इन्सल्ट फिल हुई। वो लडकी वंश की ओर पीठ करके अपनी कमर हिलाते हुए डांस करने लगी।)



    अरे दाँये-बाँये कैसे कमर तू झुलाये,
    फिजिक्स समझ नहीं आये,


    अरे लड़की ब्यूटीफुल कर गई चुल,,,,
    अरे दाँये-बाँये...


    सेंडल मेरे चम-चम करते हैं ये हाई ब्रांड दे,
    एयरप्लेन मुंडेया दे मेरे हील ते, होंदे लैंड वे,
    सारी कुड़ियाँ हाय देसी चिड़ियाँ,
    क्लब की मैं बुलबुल,



    (वो लडकी अब वंश की ओर पलटकर उसके गले मे बांहे डालकर बोली, "चलो मेरे साथ तुम्हे शिकायत का मौका नही दूंगी। मेरे साथ वक़्त बिताने के बाद तुम भी फिर यही कहोगे की मुज मे और बाकी लडकियो मे फर्क है। क्युकी मेरा नशा ही कुछ ऐसा है।" वंश एविल स्माइल करते हुए कहता है, "देखते है।" इतना कहकर वह उस लडकी के कमर पर अपना हाथ रखकर उसके साथ जाने लगा।)



    मैं लड़की ब्यूटीफुल कर गई चुल...
    अरे लड़की ब्यूटीफुल कर गयी चुल...



    (वही विकी उसे जाते हुए देखकर बोला, "जबतक तेरी जिंदगी मे तुजे सच्चे प्यार का एहसास करवाने वाली नही आ जाती तबतक तु नही सुधरने वाला।" इतना कहकर वह भी वहाँ से मायुस होकर अपने घर के लिए निकल गया। वंश के बाकी के साथी भी लडकियो को लेकर रूम मे जाने लगे।)



    कोई बचा लो, मुझे संभालो, अरे इसे उठा लो,
    अरे लड़की ब्यूटीफुल कर गयी चुल..।।"



    यहाँ वंश उस लडकी के साथ एक रूम मे आता है और वो लडकी रूम लॉक कर देती है। फिर वंश की ओर बढती है। वंश के पास जाकर उसका चेहरा पकड़ कर उसके चेहरे पर किस करने लगती है। जब वो लडकी उसके होंठो की तरफ बढती है तो वंश ने उसके गाल पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा, "लिप किस करने की कोशिश भी मत करना। मुजे तुम लडकियो को अपने मुँह लगाना पसंद नहीं है।"



    लडकी उसके गले मे अपनी बांहे डालकर रोमन्टिक अंदाज मे बोली, "कोई नही डार्लिंग, मुँह लगाना ना सही सीने से ही लगा दो।" इतना कहकर वह वंश की शर्ट की बटन्स खोलने लगी और फिर उसे निकालकर फेंक दिया। वंश की मस्क्युलर बॉडी देखकर वो लडकी अपने होश खो रही थी। उसने वंश को बैड पर धक्का दे दिया और खुद के कपड़े रीमूव करने लगी।



    वंश अपनी नशीली आँखों से उसे देख रहा था। कुछ देर मे अपनी ड्रेस रीमूव करने के बाद वो वंश की ओर बढती है। वो लडकी अभी सिर्फ इनरवेअर मे थी। वो वंश के उपर आकर उसकी चेस्ट पर किस करने लगती है। वंश उसकी पीठ पर अपने हाथ रखकर उसके इनरवेअर रीमूव करता है। फिर उसे लेकर पलटकर उसके उपर आकर उसके गले, कॉलर बोन और कंधे  पर किस और बाइट करने लगा जिससे उस लडकी की आंहे निकल रही थी। वंश वाइल्ड होता जा रहा था। उसके हाथ उस लडकी के बॉडी पर मूव हो रहे थे।



    लडकी भी उसके एहसास मे खो रही थी। कुछ देर मे दोनो के बचे-कुचे कपड़े जमीन पर फैले हुए थे। वंश उसकी बॉडी पर किस करते हुए झटके से उसके अंदर एंटर करता है जिससे उस लडकी की सिसकियाँ और आंहे घुंज ने लगती है। उसके हाथ वंश के बालो पर कस जाते हैं। वंश अब पुरी तरह से वाइल्ड हो चुका था। दोनो ही एक-दूसरे मे पुरी तरह से समा गए थे।



    काफी घंटो बाद वंश उससे अलग हुआ और उसके पास लेट्कर उसकी ओर देखता है जो सो चुकी थी। वंश कुछ देर बाद वहाँ से उठ्कर अपने कपड़े पहनकर फिर कुछ पैसे अपनी जेब से निकालकर उसके पास रखकर कहता है, "तुम मे और बाकी लडकियो मे कोई फर्क नही बेबी। ऐसी कोई लडकी बनी नही जो वंश का नशा बन सके।" इतना कहकर वह वहाँ से निकलकर अपनी कार मे बेठ जाता है और फिर ड्राईवर कार उसके घर की तरफ ले चलता है।




    सिन्घानीया मेंशन



    आधे घंटे बाद वहाँ पोहोंचते ही वंश अपनी कार से उतरकर घर के अंदर जाने लगा। उसका घर बडा ही आलिशान था। पुरा हवेली की तरह लग रहा था। वो अंदर आकर सीधा अपने रूम मे जाने लगा तब उसकी नजर हॉल मे बेठी एक औरत पर गई। उसे देखकर वो उसके पास जाकर बोला, "माँ, आप अभी भी जाग रही है? आपको सो जाना चाहिये। मैने कितनी बार कहा है की मेरा इन्तजार मत किया किजीये।"



    वंश की माँ जिसका नाम निलम था। वो बोली, "जब जवान बेटा ऐसे रात-रात भर लडकियो के साथ रहेगा और लाइफ बर्बाद करेगा तो माँ को नीन्द कैसे आ सकती है?"



    वंश उसके पास बेठकर - "माँ, तो इसमे प्रोबलम क्या है? हर कोई यही तो करता है। इसिका नाम तो जिंदगी है।"



    नीलम - "बेटा, किसी एक से वफादार होना सही मायने मे जिंदगी जीने का नाम है। मै कितने रिश्ते लेकर आई तुम्हारे लिये पर तुम हो की एक भी रिश्ते के लिए तैयार नही हुए। ऐसा कबतक चलेगा?"



    वंश- "माँ, आप जानती है ना वो सारे मुजसे पैसा देखकर शादी करने के लिये मरे जा रही थी। उनमे से कोई भी लोयल नही हो सकती और लाइफ मे यही सच है।"



    नीलम- "तु देखना एक दिन तु खुद आकर मुजसे कहेगा की तुजे कोई लडकी पसंद है और तु उसीसे शादी करेगा।"



    वंश हंसते हुए कहता है - "क्या माँ आप भी, अब ये आपका और पापा जैसा जमाना नही रहा जहाँ सच्चा प्यार होता था। यहाँ तो बस लोग पैसो के पीछे भूखे है। पैसा फेंको तो वो चीज हमारी। चलिए छोडिए इन सब बातो को, और सो जाइए।" 



    इतना कहकर वह चला गया। नीलम उसे जाते हुए देखकर बोली, "तुम चाहे कुछ भी कहो वंश पर मै जानती हूँ इस दुनिया मे ऐसे लोग भी है जो खुद्दार और लोयल भी है। और ऐसा तेरी जिंदगी मे बोहोत जल्द आएगा।" ये सोचकर वो भी अपने रूम मे जाकर सो जाती है।




    जानते है वंश की फैमिली के बारे मे,,,


    नीलम सिन्घानीया - वंश की माँ जो एक हाऊस वाइफ है। उनके पति विशाल सिन्घानीया की किसी बीमारी के चलते उनकी मौत के बाद सारे परिवार की जिम्मेदारी वंश ने निभाई। अपने पापा की कंपनी जो 5th पोजीशन पर थी। उसे कडी मेहनत और लगन से उसे नम्बर वन पर लेकर आया। वो अपनी माँ और दादी शालिनि सिन्घानीया के साथ रहते है। और उनके लाडले भी है।





    अगली सुबह



    मुंबई



    गोरेगांव के एक मीडियम से बंगलो मे एक औरत आवाज देते हुए, "सवी अरे ओ सवी, अरे उठजा भई सूरज दादा भी तेरे सर पर चढ़कर तुजे जगाते हुए थककर वापस चले गए। कितना सोयेगी?"



    तभी एक आदमी जो सोफे पर बैठ कर पेपर पढ रहा था वो मुसकुराते हुए कहता है, "क्यू गला फाड रही है पूनम? उठ जाएगी वैसे भी जन्माष्टमी की छुट्टीयाँ  है तो सोने दो उसे।"



    पूनम नाराज होते हुए- "ये आपने अपने लाड़-प्यार मे तीनो बेटियो को सर पर चढा रखा है। और एक वो छोटे नवाब उन्हे तो बस पढ्ना-लिखना है नही सिर्फ क्रिकेट खेलते रहो पुरे दिन।"



    तब एक और आदमी अपने रूम से बाहर आकर सोफे पर बैठ कर हंसते हुए कहता है, "भाभी, वो जरूर क्रिकेटर ही बनेगा देखना। वैसे पढाई मे उसका मन लगता कहाँ है? वैसे हमारी बाकी दो भतीजियों का कहीं अता-पता नही है।  वो कहाँ गई है?"



    पूनम -  "दुर्गा तो मंदिर गई है और सई को तो तुम जानते हो ना पुरे दिन अपने आइडल उस वंश सिन्घानीया की माला झपती रहेगी और पता है ना शेखर आज के दिन कहाँ होंगी?"



    शेखर और उसके बडे भाई दोनो एक साथ- "मटकी फोड़ने।" पूनम मुसकुराते हुए, "हम्म्म्म, और कहाँ हो सकती है। अपने कान्हा जी की मटकी को कैसे भुल सकती है?"



    वही एक जगह रोड पर दो बडे से फ्लेट के बीच की रोड पर एक उंची मटकी बंधी हुई थी। और वही नीचे खड़ा एक ग्रुप आंखो मे चमक लिये उस मट्की को देख रहे थे। काफी आस-पास के लोगो की भीड लगी हुई थी। तब एक लड़का मट्की देखकर बोला, "अरे यार सई, ये मट्की आज नही टूटी तो हमारा इनाम हाथ से चला जाएगा।"



    सई - "डोंट वरी वीर मट्की तो आज हम ही फोड़ेंगे और इनाम भी हम ही ले जाएंगे।" तब और लड़के-लड़कियाँ सई को चीयरअप करते हुए, "तो हो जाये?" सई और वीर उन्हे थम्स अप करते हुए हाँ मे इशारा करते है। तब म्यूजिक बजता है,,,,



    अब आगे next part मे ✍✍✍



    क्या वंश को मिलेगा उसका सच्चा प्यार? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 3. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 3

    Words: 2216

    Estimated Reading Time: 14 min

    सई जोशी और मटकी प्रतियोगिता



    अब आगे



    मुंबई



    वही एक जगह रोड पर दो बडे से फ्लेट के बीच की रोड पर एक उंची मटकी बंधी हुई थी। और वही नीचे खड़ा एक ग्रुप आंखो मे चमक लिये उस मट्की को देख रहे थे। काफी आस-पास के लोगो की भीड लगी हुई थी। तब एक लड़का मट्की देखकर बोला, "अरे यार सई, ये मट्की आज नही टूटी तो हमारा इनाम हाथ से चला जाएगा।"



    सई जिसने वाइट कलर की शोर्ट घुटने तक की कुर्ति नीचे ब्लू जीन्स और एक दुपट्टा सर पर और दुसरा दुपट्टा कमर पर बान्धा हुआ था। वो मटकी को देखकर बोली - "डोंट वरी वीर मट्की तो आज हम ही फोड़ेंगे और इनाम भी हम ही ले जाएंगे।" तब और लड़के-लड़कियाँ सई और वीर को चीयरअप करते हुए, "तो हो जाये?"



    सई और वीर उन्हे थम्स अप करते हुए हाँ मे इशारा करते है। तब म्यूजिक बजता है,,,,



    (सई - वीर और उसके साथ बाकी का उनका ग्रुप डांस स्टेप करने लगे,,,,)


    गो गो गो गोविंदा,
    गो गो गो गोविंदा,
    गो गो गो गोविंदा,
    गो गो गो गोविंदा



    (वीर एक तरफ बॉयस के साथ नाच रहा था तो दुसरी तरफ सई अपनी दोस्तो के साथ। सभी मस्ती और जोश मे नाच रहे थे। वही गुलाल एक-दूसरे पर उडा रहे थे।)



    अट्के मटके झट्के मारे है,
    तू आज शोला तो हम भी फ़ुआरे है,
    तू आसमान पे है तो चाँद तारे है हम,



    (तभी वही वंश और विकी अपनी कार से ऑफिस के लिए निकले हुए थे। रोड पर काफी भीड देखकर वंश इरिटेट होते हुए कहता है, "ये कौन से रास्ते पर ले आया है तु विकी? कितनी भीड है यहाँ पर यार।" उसपर विकी ने ड्राइव करते हुए कहा, "अरे यार आज हर जगह यही है। वो जिस रास्ते पर से हम रोज जाते है वहाँ रोड रिपेरिंग का काम चालू है तो क्या कर सकते है! अभी रोकनी पड़ेगी कार। चलना देखते है, आजा। मजा आयेगा।" इतना कहकर वह कार स्टॉप  करके नीचे उतर गया।)



    अट्के मटके झट्के मारे है,
    तू आज शोला तो हम भी फ़ुआरे है,
    तू आसमान पे है तो चाँद तारे है हम



    चाहे दम निकले यह दम
    है कसम तेरी कसम…
    तुझे आज छोड़ेंगे न हम…
    गो गो गो गोविंदा
    गो गो गो गोविंदा



    (वंश भी अपना मुँह बनाकर कार से बाहर आकर उसके पास आकर खडा रहा। और सामने हो रहे डांस को देखने लगा। वो देखता है सई अपने दोस्तो के साथ मजे से डांस कर रही थी।)



    क्या ये दिल्लगी है क्या ये आशिकी है
    मूड में दीवानगी है
    क्या ये दिल्लगी है
    बोलो बोलो बोलो…



    (सई डांस करते हुए अपने हाथ मे गुलाल लेकर सबकी ओर फेंकती है जिससे गुलाल वंश और विकी पर भी आकर गिरा। जिससे विकी तो मुस्कुरा दिया लेकिन वंश चिढते हुए अपना कोट झाडते हुए कहता है, "यू सिली गर्ल। मेरा सूट खराब कर दिया।" ये देख विकी हंसने लगता है।)



    क्या ये दिल्लगी है क्या ये आशिकी है
    मूड में दीवानगी है
    आज हवाओ में आज फिज़ाओ में
    कैसे ये तिश्नगी है
    आज मस्ती में तेरी गुम होंगे हम तो



    (सई का ग्रुप अब मटकी के नीचे राउंड बनाने लगा। धीरे-धीरे एक के उपर एक सब चढकर पिलर बनाते गये। वही आखिर मे सई उपर की ओर जाने लगी।)



    आज धुनकी में तेरी तुन होंगे हम तो
    चाहे दम निकले यह दम
    है कसम तेरी कसम…



    (सई को उपर जाते हुए देखकर विकी शॉक होकर बोला, "ये लडकी मटकी फोड़ेगी क्या?" वंश अपने गोगल्स निकालकर उपर की ओर देखने लगा। वही सई बिना किसी डर के उपर की ओर बढ रही थी। आखिर मे वीर और वो खुद, दो जन लास्ट मे उपर की ओर थे।)



    तुझे आज छोड़ेंगे न हम…
    गो गो गो गोविंदा
    गो गो गो गोविंदा



    (विकी चिंता करते हुए - अरे यार गीर जायेंगी।" वंश बिना कुछ बोले बिना भाव के सई को मटकी की ओर जाते हुए देख रहा था। अंत मे सई पोहोंचने वाली थी तब वीर ने कहा, "कमोन, सई। यू डू इट।" सई आखिर मे मटकी के पास पोहोंच गई और मटकी की रस्सी पकड़कर वहाँ भी नाचने लगी और फिर मटकी मे से नारियल निकालकर उस मटकी को फोड दिया।)



    ये मटकी तोड रे
    गो गो गो गोविंदा
    गो गो गो गोविंदा
    गो गो गो गोविंदा
    गो गो गो गोविंदा
    गो गो गो गोविंदा
    गो गो गो गोविंदा....।।"



    मटकी फुटते ही सब एक साथ बोलने लगे, "बोलो श्री कृष्ण कन्हैया लाल की जय।"



    फिर वहाँ खड़े सभी एक साथ गाने लगे,,,,

    "नंद घेर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की,
    हाथी - घोडा पालखी जय हो नंदलाल की ।

    नंद घेर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की,
    हाथी - घोडा पालखी जय हो नंदलाल की ।।"



    विकी खुश होकर - "क्या मटकी फोडी है यार, है ना?"



    वंश सई को देखकर अपने गोगल्स वापस पहनते हुए - "Whatever....चल अब देर हो रही है।" वंश कार की ओर जाने लगा। विकी मुँह बनाकर उसके पीछे-पीछे चला गया।



    वही सई अब धीरे-धीरे नीचे आने लगी। फिर सभी लोग नीचे आकर शोर मचाने लगे। कुछ देर बाद सई और उसकी टीम को 1,00,000 का प्राइज़ मिला। सभी जोरो से चिल्लाते हुए फिर कुछ देर मस्ती करके अपने-अपने घर को निकल गये।



    यहाँ सई घर पोहोंचकर चिल्लाती हुई कहती है, "हुररररे.... ये देखो पापा, चाचू, मम्मा, सवी, दुर्गा दी,  देव हमे पुरे 1,00,000 का इनाम मिला है।" सभी खुश होकर उसके पास आए। सई भागती हुई जाकर अपने पापा के गले लग जाती है। तब पूनम ने उसे टोकते हुए कहा, "ए दूर रेह खुद तो पूरी गुलाल से भरी हुई है अपने पापा के कपड़े भी बिगाड़ देगी। जा पहले नहाकर आ।" सई अपना मुँह बना लेती है।



    सई के पापा - "अरे भाग्यवान क्यू डांट रही हो मेरी बेटी को? कुछ खराब नही होगा।"



    सवी खुश होकर - "वैसे सई, ला मेरा हिस्सा। मुजे मेकअप का सामान लेना है।" सभी अपना सर पिट लेते है।



    सई मुस्कुराकर बोली, "हाँ हाँ, मैने हम दोनो का हिस्सा ले लिया है।" सवी खुश हो जाती है।



    तब देव नाराज होते हुए कहता है - "अरे वाह और मेरा हिस्सा?"



    सवी - "तुजे मिलेगा ठेंगा।" सई और दुर्गा हंसने लगते है। तब देव ने नाराजगी से कहा, "ये सही नही है। मुजे भी मेरा हिस्सा चाहिये।"



    सई - "अच्छा भई रो मत, ये ले मेरा हिस्सा तु लेले बस। अभी हम पुरा ग्रुप थे तो मै अकेली हम सबका हिस्सा तो नही माँग सकती थी ना।" देव ने खुश होकर वो पैसे ले लिये।



    दुर्गा - "चल अब जा नहा ले और आजा फिर नाश्ता करते है।" सई हाँ में अपना सर हिला कर अपने रूम मे जाने लगी। कुछ देर बाद सई तैयार होकर आती है और फिर दुर्गा के साथ नाश्ता करने बेठ जाती है।




    तो अब जानते सई के परिवार के बारे मे,,,,,



    जोशी फैमिली


    विवेक जोशी - सई के पापा जिनकी एक छोटी सी कंस्ट्रक्शन कंपनी है दोनो भाई मिलकर उसे ही संभालते है। अच्छी-खासी कमाई हो जाती है।


    पूनम जोशी - विवेक की पत्नी, जो एक हाउस वाइफ है।



    दुर्गा जोशी - विवेक और पूनम की बडी बेटी। उम्र 26 साल, स्वभाव से बिलकुल गाय। दिखने मे भी  खूबसूरत। जो एक इवेंट कंपनी मे जोब कर रही है।



    सई जोशी - विवेक और पूनम की दुसरी बेटी, उम्र 24 साल, गोरा रंग, कंधे के नीचे के बाल। थोड़ी शरारती, पर मासूम और काइंड hearted पर्सन। पढाई खतम करके अब उसका सपना है अपने आइडल वंश सिन्घानीया से मिलना और उसकी तरह एक सक्सेसफुल इंसान बनना।



    सवी जोशी - विवेक और पूनम की तीसरी बेटी और सई की हुबहू जुड़वा बहन पर सई से 6 मिनिट बडी। दिखने मे भले ही एक लेकिन उसके सपने बडे घर के पैसे वाले लड़के से प्यार और शादी करना, मोडर्न रहना उसे ज्यादा पसंद। पैसो की तरफ ज्यादा झुकती है। रंग गोरा, शॉर्ट कंधे तक के बाल। फिल्हाल वो कुछ नही कर रही है।


    देव जोशी - विवेक और पूनम का छोटा बेटा। जो अभी 9th की पढाई कर रहा है। बोहोत ही शरारती।


    शेखर जोशी - विवेक का छोटा भाई। उनकी बीवी की एक बस एक्सिडंट मे मौत हो गई। उसके बाद उन्होने शादी नही की।



    तो ये है जोशी की happy family अब आगे चलकर देखते है और क्या-क्या ट्विस्ट आयेँगे इनकी जिंदगी मे? बाकी के किरदार story को पढते हुए दिखाई देंगे।




    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ कंपनी


    वंश अपने केबिन मे अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था। विकी उसके सामने बेठ्कर उसे घुर रहा था तब वंश लैपटॉप को देखते हुए कहता है, "पुछ सकता हूँ घूरने की वजह मिस्टर विकी सबरवाल?"



    विकी गुस्से मे आंखे दिखाते हुए कहता है, "फिर से तुने वही किया जो तु हमेशा करता है। एक बात बता मेरे भाई, From where I will find a good workaholic secretary for you? I am really fed up from you man...ye Anita भी गई। Can't you control your self?"



    वंश अपने एटीट्यूड मे बोला, "You know my charms are irresistible....मेरे लिये उसने अपने लोयल बौयफ्रेंड से चीट किया तो इसमे मै कुछ नही कर सकता। अब जब वो सामने से मुजे सिड्युस करके invite करती है तो मै खुद को क्यू रोकू?"



    विकी - "ok, अब इसमे आगे मै कुछ नही केह सकता क्युकि अब भेंस के आगे बीन बजाने का कोई फायदा नही है। मेरा काम है आपके लिये नई सेक्रेटरी ढूँढना, तो वो मै ढूँढ लूँगा सर। अब आप उसके पीछे-पीछे मत भागना।"



    वंश चेयर से थोड़ा आगे की ओर झूककर घमंड से बोला, "पीछे-पीछे? पीछे-पीछे का क्या मतलब है विकी? तुम जानते हो लड़कियाँ सामने से आती है, मै कभी किसीके पीछे नही जाता। अब ऐसा करो इसबार किसी लो क्लास की, सती-सावित्री बहन जी टाईप की लडकी को ढूँढना मेरे लिए। क्युकी वो लो क्लास लड़कियाँ मेरे टाइप की नही है।"



    विकी गुस्से से उसे घूरने लगता है। और वहाँ से चला जाता है। वंश मुसकुराते हुए अपने लैपटॉप पर काम करने लगता है। विकी वंश के दोस्त के साथ-साथ वंश का अकाउंटेन्ट भी था।



    वही सई, दुर्गा, सवी, देव और शेखर मिलकर हॉल मे बेठे बाते कर रहे थे। शेखर थोडे मजाकिया किसम के इन्सान थे। इसलिए बच्चो को उनके साथ रहना अच्छा लगता था।



    तब देव ने कहा, "वैसे चाचू, वो सामने वाली दया आंटी आपके बारे मे पुछ रही थी।"



    शेखर अपनी आंखे बडी करते हुए कहता है, "वो मेरे बारे मे क्या पूछेगी और क्यू पुछ रही थी, चिपकु कही की।"



    सई उसके कंधे पर अपने कंधे से मारते हुए कहती है, "ओहो चाचू मन मे लड्डू तो फुट रहे है और अंजान बनने का नाटक हम्म्म्म?"



    शेखर उसके सर पर हल्के से चपाट लगाते हुए - "चुप कर बदमाश। कुछ भी बोलती है। तुम सब जानते हो की वो कितनी चिपकु है। जब देखो तब यहाँ चली आती है शक्कर लेने के बहाने।" सभी हँस ने लगते है।



    तब देव ने मजाकी अंदाज मे बोला, "चाचू-चाचू, आपके लिये इस टाईम पर एक मस्त शेयर याद आया है। आप दया आंटी को सुनाना, सुनाऊ क्या?"



    सभी एक साथ - "नही-नही, तेरे पकाऊ jokes बंध कर।"



    देव झल्लाकर - "अरे यार एक बार सुन तो लो।"



    दुर्गा - "अच्छा चल बोल।"



    देव अपना गला साफ करके बोला,



    "सुबह-सुबह जब कोई बोले,
      की मुजे अपना बनालो,



    सई बीच में - "वाह....वाह, वाह....वाह।" देव ने आगे कहा,,,,,,



     सुबह-सुबह जब कोई बोले,
    की मुजे अपना बनालो,

    तो समज लो की अब वक़्त आ गया है,
    गोदरेज हेयर डाई खोलो, घोलो और लगालो...।"



    ये सुनकर सवी, दुर्गा और सई जोर-जोर से हंसने लगी। वही शेखर उसे घूरते हुए सोफे से उठ्कर उसके पास जाने लगा जिससे देव हँसते हुए भागने लगा।



    शेखर उसके पीछे भागते हुए कहता है, "भागता कहाँ है नालायक यहाँ आ। बुढ्ढा किसको बोला तुने?"



    देव भागते हुए - "अरे चाचू मै तो सिर्फ शायरी कर रहा था। ताकी आपकी ये शायरी सुनकर दया आंटी और ज्यादा इंप्रेस हो जाये।"



    देव की ऐसी बाते सुनकर शेखर और चिढ गया और उसके पीछे भागते हुए बोला, "तेरी दया आंटी की तो ऐसी की तैसी तु पहले यहाँ आ। भैया को बोलता हूँ तुजे हॉस्टल मे डालने के लिए, कुछ ज्यादा ही जबान लडाने लग गया है।" दोनो ही भागते हुए गार्डन मे चले जाते है। तीनो बहने हँसी जा रही थी तब दुर्गा का फ़ोन बजता है।



    दुर्गा अपना फ़ोन देखकर सबको एक नजर देखकर साइड मे चली जाती है। कॉल रिसीव करती है,,,,



    दुर्गा - "जी कहिये।"



    सामने से - "तो सुनिये, घरवालो के साथ प्यार भरी बातचीत पूरी हो गई हो तो थोड़ा प्यार और बाते मुज बेचारे के लिए भी तो बाकी रखिये मोहतरमा। कब आ रही हो मुजसे मिलने?"



    दुर्गा- "अभी नही आ सकती। सब घर पर है।"



    सामने से - "हेय दुर्गा, This is not fair यार। तुमने कहा था की मुजसे मिलने आओगी। वैसे तो तुम अपनी जॉब से फ़्री होकर बडी मुश्किल से कभी-कबार मिलती हो। मुजे तुमसे मिलना है, बस।"



    दुर्गा - "अच्छा, ठीक है मै आ रही हूँ।"



    सामने से खुशी भरी आवाज आई - "वाओ, तो हमेशा मिलते है वही पर, ओके?"



    दुर्गा मुसकुराते हुए कहती है - "हम्म्म्म, ओके बाय।"



    सामने से - "हम्म लव यू बाय।" इतना कहकर दोनो तरफ से कॉल कट हो जाती है।



    दुर्गा अब मुसकुराते हुए पलटती है तो उसकी आंखे बडी हो जाती है।



    अब आगे next part मे✍✍✍



    कैसे ढूँढेगा विकी वंश के लिए सेक्रेटरी? कौन है जिससे दुर्गा बात कर रही थी? कौन आ गया दुर्गा के सामने जिससे वो चौंक गई ? जानने के लिए पढते रहे.....


    थैंक यू 🙏❤

  • 4. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 4

    Words: 2272

    Estimated Reading Time: 14 min

    सई का ऑफीस मे पहला दिन



    अब आगे



    दुर्गा अपना फ़ोन देखकर सबको एक नजर देखकर साइड मे चली जाती है। कॉल रिसीव करती है,,,,



    दुर्गा - "जी कहिये।"



    सामने से - "तो सुनिये, घरवालो के साथ बातचीत पूरी हो गई हो तो थोड़ा प्यार और बाते मुज बेचारे के लिए भी तो बाकी रखिये मोहतरमा। कब आ रही हो मुजसे मिलने?"



    दुर्गा हैरान होकर - "अभी नही आ सकती। सब घर पर है।"



    सामने से - "हेय दुर्गा, This is not fair यार। तुमने कहा था की मुजसे मिलने आओगी। वैसे तो तुम अपनी जॉब से बडी मुश्किल से कभी-कबार मिलती हो। मुजे तुमसे मिलना है, बस।"



    दुर्गा गहरी सांस लेकर कहती है - "अच्छा, ठीक है मै आ रही हूँ।"



    सामने से खुशी भरी आवाज आई - "वाओ, तो हमेशा मिलते है वही, ओके?"



    दुर्गा मुसकुराते हुए कहती है - "हम्म, ओके बाय।"



    सामने से - "हम्म लव यू बाय।" इतना कहकर दोनो तरफ से कॉल कट हो जाती है।



    दुर्गा अब मुसकुराते हुए पलटती है तो उसकी आंखे बडी हो जाती है।



    दुर्गा देखती है की सई शक भरी नजरों से उसे ही देख रही थी। तब दुर्गा ने बात को संभालते हुए कहा, "क्या? ऐसे क्या घुर रही है?"



    सई अपनी कमर पर हाथ रखकर उसे एकटक देखकर कहती है - "ये छुप-छुप के किससे बाते हो रही थी दी? वो भी शर्माते हुए?"



    दुर्गा हडबडाकर - "अरे, छुपकर कहाँ? और शर्माना क्या? क्या कुछ भी बोल रही है! मै तो बस साइड मे आई हूँ।"



    सई अपना सर नाँ मे हिलाकर शक भरी नजरो से उसे देखकर बोली, "कुछ नही है तो वहाँ हम सबके सामने बात नही कर सकती थी?" फिर CID की तरह अपने हाथ की acting करते हुए कहती है, "समज रहे हो, कुछ तो गड़बड़ है दया।"



    दुर्गा हँसती हुई उसके सर पर चपाट लगाते हुए कहती है, "चल चुप, बडी आई ACP प्रद्युमन बनने वाली। मै अपनी फ्रेंड से बात कर रही थी। उससे मिलकर आती हूँ।" सई हँसते हुए हाँ में अपना सर हिला देती है।



    दुर्गा वहाँ से चली जाती है। सई वापस से सबके पास आकर सोफे पर बेठ जाती है। सभी बातो मे लग जाते है।



    कुछ देर बाद एक पार्क में एक लडकी एक बेंच पर बैठ कर किसीका इन्तजार कर रही थी। तब कोई आकर पीछे से उसके आंखो पर हाथ रख देता है। तब वो लडकी नाराज होते हुए कहती है, "हम्म, कबसे मुजे इन्तजार करवाकर अब आए है जनाब।"



    वो लड़का वहाँ से उसके पास जाकर उसके पास बेठकर बोला, "sorry दुर्गा, वो एक अर्जेंट का काम था इसलिए लेट हो गया।"




    दुर्गा हैरानी से उसे देखकर - "अर्जेंट काम? ऐसा कौनसा काम था विकी?"



    ये विकी था, वंश का दोस्त कम भाई ज्यादा। और वो सई की ही बहन दुर्गा से प्यार करता था।



    विकी परेशान होकर कहता है - "अरे यार वंश के लिए एक सेक्रेटरी ढूँढना है वो भी एक मेहनती, इमानदार। अब ऐसी लड़कियाँ कहाँ मिलती है, आजकल?"



    विकी की बात पर दुर्गा मन ही मन सोचती है - "वंश सिन्घानीया! सई के आइडल वंश! क्यू ना सई का नाम बतादू। वो कबसे मिलना चाहती थी, उनसे! तो अब उसे इसी बहाने बोहोत कुछ सिखने को भी मिल जायेगा वंश से।"



    विकी उसके आगे चुटकी बजाते हुए कहता है, "कहाँ खो गई मेडम?"



    दुर्गा होश मे आकर उसे देखकर - "वो मेरी नजर में एक लडकी है। जैसा आपने कहा वैसी ही है, बिलकुल डिसेंट & लोयल। काम के मामले मे कोई कोंप्रोमाईज नही। कहो तो मै भेज दू?"



    विकी खुश होकर उसे गले लगाते हुए कहता है, "ओह, दुर्गा। you are सो cute....यू नो, आर सो लकी फ़ॉर मी। तुम जानती हो अभी कितना वर्क लोड है? ऐसे में एक अच्छी लडकी का कंपनी मे वंश की सेक्रेटरी के तौर पर आना आशीर्वाद ही कहलायेगा। तो इसमे पुछना क्या है? कल भेज देना उसे ऑफिस, मै वंश से बात कर लूँगा।"



    दुर्गा कंफ्यूजन मे उसे देखकर कहती है - "अच्छी लडकी मतलब विकी? आपने ऐसा क्यू कहा?"



    विकी बात को घूमाते हुए कहता है, "कुछ नही बस तुम उसे कल भेज देना।"



    विकी इस बात से अंजान था की वो लडकी दुर्गा की ही सगी बहन है। विकी बात सुन, फिर दुर्गा हाँ में अपना सर हिला देती है।




    कुछ देर बाते करने के बाद विकी दुर्गा को घर छोडकर फिर अपने घर को निकल जाता है। दुर्गा घर आकर सबको बुलाती है। सभी उसके पास आ गये। तब दुर्गा सई को देखकर बोली, "सई तुम्हारे लिये एक सरप्राइज है।"



    सई कन्फ्यूज होकर - "कैसा सरप्राइज दी?"



    दुर्गा नही जानती थी की उसकी बहन की जिंदगी और किस्मत अब बदलने वाली थी। दुर्गा और सई दोनो ही इसबात से अंजान थी की जिस वंश सिन्घानीया को वो अच्छा इन्सान समज रही है वो दरसल एक डेविल प्लेबॉय है। जो लडकियो को सिर्फ इस्तेमाल करने की चीज मानता है। उसकी नजर मे लड़कियाँ लॉयल नहीं होती।



    दुर्गा सई को देख - "तेरे लिए जॉब का ओफर आया है। और गेस कर कहाँ से आया है, तुम्हारे आइडल वंश सिन्घानीया की ऑफीस से। उनकी सेक्रेटरी बनने का।"



    सई ये सुनकर अपनी आंखे बडी करते हुए फिर दुर्गा को देखकर हौरानी से बोली, "क्या? वंश सिन्धानिया? The Vansh Singhaniya, दी? Singhaniya Group Of Company के मालिक?"



    "हाँ हाँ, वही वंश सिन्घानीया। जिनसे मिलना तेरा ड्रीम है। और देख, तुझे तो उनके साथ काम करने का मौका मिल रहा है।" दुर्गा ने उसके गाल पर हाथ रखकर कहा।



    "नहीं-नहीं। मतलब क्या ये सच है? जरा मुजे चिमटी काटना तो। मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है।" सई की इस बात पर, सवी जोरसे उसे चिमटी काट देती है जिससे वो हल्का चीखकर अपना हाथ सहलाने लगी।



    फिर एकदम से जोर से चिल्लाते हुए दुर्गा के गले लग जाती है। सभी उसकी इस हरकत पर हंसने लगे। दुर्गा हंसते हुए कहती है, "कल जाना है तुजे। फिर वहाँ तुजे तेरा काम बता दिया जाएगा।"



    सई उससे अलग होकर - "तो मुजे बोहोत सारी तैयारियाँ करनी है, दी। सुना है, काम को लेकर वंश सर बोहोत स्ट्रिक्ट है। इसलिए मै गलती से भी कोई गलती नहीं करूंगी। उन्हे बिलकुल भी गुस्सा नही दिलाऊंगी।"



    "हम्म्म...वेरी गुड बच्चा।" शेखर ने हामी भरते हुए कहा।



    "अब मै जाती हूँ। कल क्या पहनना है, क्या जवाब देना है सब सोचकर रखना है। क्युकी फ़र्स्ट impression is last impression....तो मै अभी से तैयारियाँ करती हूँ।"



    इतना कहकर वह अपने रूम में चली जाती है। सभी अपना सर हिलाकर हंसने लगते है। दुर्गा भी सई की वर्क प्रोफाइल विकी को भेज देती है।



    सवी अब सबको देखकर बोली, "मम्मी-पापा, मै अपनी फ्रेंड्स के साथ बाहर जा रही हूँ शाम तक आ जाऊंगी।"



    पूनम उसे रोकते हुए - "कहाँ जा रही है? किसके साथ जा रही है और कबतक आएगी?"



    सवी चिढ़कर - "अरे, मम्मी कितने सवाल करती हो यार? मै आ जाऊंगी कुछ देर मे। लंच के लिए जा रही हूँ, बाय।" 



    इतना कहकर वह निकल गई। सभी अपने-अपने रूम मे चले गये। दुर्गा और पूनम किचन मे खाना बनाने मे लग गई।




    5 स्टार होटल



    कुछ टाईम बाद सवी अपने दोस्तो के साथ वहाँ पर आई हुई थी। कुछ देर में लंच हो जाने के बाद सवी अपने दोस्तो के साथ बाहर जा रही थी तब किसीसे टकरा जाती है।



    सामने वाला इन्सान उसे कमर से थाम लेता है। तब सवी उसे देखकर मुस्कुराकर कहती है, "थैंक यू मिस्टर हेंडसम।"



    सामने खडा इन्सान उसे उपर उठाते हुए कहता है, "आंखे सही जगह इस्तेमाल करोगी, तो कम टकराओगी।"



    सवी उसके लूक पर फिदा होते हुए- "आपको देखकर तो किसीकी भी नजर फिसल सकती है जनाब।"



    वही वो इन्सान अपनी eye roll करते हुए, फिर उसे ध्यान से देखकर एकदम से बोला, "मटकी वाली?"



    सवी कन्फ्यूज होकर - "what?" वो वंश था जो सवी से टकराया था और अब उसको सई समज रहा था।



    वंश ने कहा, "तुम तो वही होना जो आज सुबह मटकी फोड रही थी और,,,,।" फिर उसे नीचे से उपर एक नजर देखते हुए कहता है, "तब कुछ और दिख रही थी और अभी कुछ और ही लग रही हो।"



    सवी अब सब समझते हुए उसे रोककर कहती है - "वेट....वेट....मै वो नही थी। वो मेरी सिस्टर थी , हम twins है। मै कोई मटकी-वटकी नहीं फोडती।"



    उसकी बात सुन वंश कुछ बोलता उससे पहले कोई आकर बोला, "सर, वो आ चुके है।" वंश हाँ में अपना सर हिला कर ""हम्म्म"" कहकर वहाँ से निकल जाता है।



    सवी उसे जाते हुए देखकर - "Wow! कितना हेंडसम है यार? पैसे वाला भी होगा।"



    तब एक लड़का उसके सर पर मारते हुए कहता है, "बेवकूफ वो वंश सिन्घानीया है।""



    सवी हैरान होकर _ "क्या? वही वंश सिंघानिया है?" वो लडका हाँ में अपना सर हिला कर फिर कहता है _ "अपने बोयफ्रेंड के सामने किसी और की तारिफ करते हुए शर्म नही आती तुम्हे?"



    सवी मुस्कुराकर उसके गले मे अपने हाथ लपेटकर- "अरे, तुम तो मेरा प्यार हो और वो तो बस कुछ पल का एक attraction था। अब नाराज मत हो, चलो चलते है।"



    इतना कहकर वह सभी चले गये। वही वंश अपनी मिटिंग के लिए आया हुआ था। तो वहाँ के एक रूम में मिटिंग के लिए चला जाता है।




    कुछ समय बाद वंश अपनी मिटिंग attend करके फिर वापस ऑफिस चला जाता है। ऐसे ही दिन बित गया। अब कलसे आएगा सई की जिंदगी मे एक नया मोड।




    अगली सुबह



    सई जल्दी से तैयार होकर नाश्ता करके अपनी जॉब के लिए निकल गई। आज उसका पहला दिन था, इसलिए वो लेट होकर अपने बॉस को नाराज नही करना चाहती थी।




    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ कंपनी



    वंश अपने केबिन मे बेठा लैपटॉप पर काम कर रहा था। वो किसी जरूरी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था।



    तब विकी उसके केबिन मे आया और कहा, "कल शाम से कहा था तू? कितने कॉल किये तुझे! एक भी रिप्लाई नही।"



    "वो मै क्लब मे था। एक जरूरी काम था, किसीसे मिलने गया था।" वंश ने लैपटॉप मे देखते हुए ही कहा।



    विकी उसे घुरते हुए कहता है _ "मतलब, फीरसे लडकी? तू फिर कल रात किसी लडकी के साथ था? हद है यार।"



    "चील, इतना क्या भडक रहा है! उसने मुझे बुलाया था, मै कोई मरा नही जा रहा था, उससे मिलने के लिए। पता है, पिछ्ले एक महिने से ट्राई कर रही थी, मुझसे contact करने के लिए। देखा तुने, मुझसे मिलने के लिए इतनी तडप! जबकी उसका ऑलरेडी boyfriend है। ऐसी होती है लड़कियाँ।"



    वंश के कहने पर विकी अपना सर हिला कर कहता है _ "तू कब बंद करेगा ये सब, यार?"



    "अब तू भाषण मत दे। जो बात करने आया है, वो कर।" वंश चिढ़ते हुए कहता है।



    विकी गहरी सांस लेकर कहता है _ "finally I have found a good sensible girl who is bahanaji in your sense & yes, she is good so please be sensible with her."



    Vansh काम पर concentrate करते हुए - "Good, you have serch in very short period & you know my taste ये बहनजी टाइप लडकियो से मै कोसो दूर रहता हूँ। तो अब उसे भेजो मेरे पास already बोहोत काम है। मै भी तो देखु की कितनी workholic है?" वंश की बात सुनकर विकी वहाँ से उठकर, अब बिना कुछ बोले सई को बुलाने चला जाता है।



    विकी अब सई के पास आता है। उसे देखता है तो हैरान होकर कहता है, "तुम!"



    सई विकी को देख और सुनकर, पहले पीछे मुडकर देखती है और फिर जब उसे लगा की विकी उससे ही बात कर रहा है तो वो बोली, "सॉरी। पर सर, क्या आप मुजे जानते है?"



    विकी मुसकुराते हुए- "हाँ हाँ बिलकुल, तुम वही हो ना जो उस दिन मटकी फोड रही थी?"



    सई भी मुस्कुराकर - "अ....हाँ, सर।"



    विकी उसकी तारीफ करते हुए कहता है - "वैसे काफी स्ट्रोंग हो तुम। चलो अब बाकी बाते बाद में। अब जाओ वंश तुम्हे बुला रहा है। बिना डरे उसके सारे सवालो के जवाब देना। ok, best of luck"



    सई हाँ में अपना सर हिला कर वंश के केबिन की तरफ चली जाती है। ये पहली बार है, जब सई का वंश से यानी अपने आइडल से आमना-सामना होना था।



    वंश उसके लिये एक inspiration था। जिसने कडी मेहनत से अपनी कम्पनी को कहाँ से कहाँ पोहोंचा दिया था।



    वंश के केबिन के बाहर खड़े होकर गहरी सांस लेकर, gate knock करती है। तब अंदर से कम इन की कडक आवाज से सई केबिन में जाकर अंदर का नजारा देखकर अपनी आंखे बडी करके केबिन देखने लगी। वंश का केबिन बडा, luxurious इन्टीरियर और design देखकर सई दंग रह जाती है।



    पहले तो वो सिन्घानीया कंपनी देखकर चौंक गई थी, और अब ये वंश का ऑफीस।



    किसीके कदमो की आवाज सुनकर वंश अपने laptop मे देखकर ही अपनी कडक आवाज में कहता है, "I know my office is marvellous पर अब क्या पुरे दिन देखती ही रहोगी या कुछ काम भी करोगी?"



    सई ये सुनकर झेंप जाती है और तेज कदमो से वंश की table के पास आकर खडी हो गई।



    सई की फ़ाईल देखते हुए वंश ने कहा, "मेरे दोस्त ने आपकी बोहोत तारिफ की है, मिस जोशी। तो मुजे उम्मिद है की आप उसे निराश नही करेगी? क्या आप संभाल पायेंगी सारा काम?"



    सई खुश होकर कॉन्फिडेंट के साथ बोली, "येस सर, मै आपको शिकायत का कोई मौका नही दूंगी।"



    वंश उसे उसकी file देते हुए- "हम्म good, जाओ बाहर और वही मिस्टर Bose आपको आपका सारा काम समजा देंगे।"



    वंश का ध्यान अभी भी अपने laptop पर था। सई अपनी file लेकर वहाँ से जाने लगी।



    वंश अपना चेहरा घुमाकर उसे पीछे से देखते हुए कहता है, "ऐसा लग रहा है, काफी attractive है but मेरे type की नही है।" फिर smile करके वापस अपने काम पर लगता है।



    अब आगे next part मे ✍✍✍



    क्या सई को लेकर बदलेगी वंश की सोच? क्या मोड लेगी सई की जिंदगी? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 5. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 5

    Words: 2586

    Estimated Reading Time: 16 min

    वंश और सई




    अब आगे



    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ कंपनी



    आज का पहला दिन सई का सारा काम सिखने मे लग गया। ऐसे ही दिन बीत गया। ऑफिस hours खतम होते ही सभी एम्प्लोयी अपने-अपने घर चले जाते हैं।



    वही विकी और वंश भी कार से घर जा रहे थे तब विकी ने कार ड्राइव करते हुए कहा, "वैसे तेरी नई सेक्रेटरी सई जोशी कैसी लगी?"



    वंश सिगरेट के कश भरते हुए कहता है, "हम्म, ठीक ही है। वैसे अच्छी है, आज उसका काम मे लगा मन देखकर लगा कि वो मेहनती है। और तू कुछ भी मत समजना, क्युकी उसका और मेरा कोई मेच नही है।"



    ये सुनकर विकी मन ही मन कहता है, "चलो अच्छा है वंश कमसेकम सई से दूर तो रहेगा। वैसे भी वो बोहोत मासूम लगती है।" ये सब सोचते हुए कुछ देर मे वे घर पोहोंच जाते हैं।



    वही सई आज खुश होकर अपने परिवार को वंश सिन्घानीया के ऑफिस के बारे मे बता रही थी। फिर वो सबको देखकर बोली, "आज वंश सर का काम करने का तरीका दिखा मुजे। एक पल के लिये भी उन्होने मेरी तरफ नजर तक नही की। उनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ अपने काम पर था।"



    उसे खुश देखकर सभी खुश और चिंतामुक्त थे, क्युकि उनकी नजर मे वंश एक सीधा - साधा और शरीफ लडका था।




    पूनम ने कहा - "ठीक है, चल अब खाना खा ले। अपने वंश सर की तारिफ बाद मे कर देना।"



    सभी खाना खाने लगे। कुछ देर मे सबका खाना हो जाने के बाद सभी कुछ देर hall मे मस्ती करने के बाद अपने-अपने रूम मे जाकर सो जाते हैं।



    सई, सवी और दुर्गा का रुम एक ही था। वही देव अपने चाचा शेखर के रूम मे उनके साथ रहता था।




    अगली सुबह



    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ कंपनी



    सई जैसे ही वंश के केबिन की तरफ जा रही होती है, तो सामने से आ रही एक लडकी से टकरा जाती है।



    सई उसे देखकर सॉरी बोल देती है तब वो सामने वाली लडकी उसे नीचे से उपर देखकर बोली, "तुम कौन  हो?"



    सई मुसकुराते हुए कहती है, "वो मै वंश सर की सेक्रेटरी हूँ।" ये सुनकर वो लडकी हंसने लगी।



    सई कन्फ्यूज होकर उसे देखने लगी। तब एक और लडकी उनके पास आई और बोली, "क्या हुआ ऋतु?"



    ऋतु मजाकिया अंदाज में कहती है - "ये बहन जी बोल रही है की ये वंश सर की सेक्रेटरी है।"



    दुसरी लडकी सई को घुरते हुए कहती है - "ये सही बोल रही है ऋतु। विकी सर के source से जॉब लगवाई है इसकी यहाँ पर।"



    ऋतु हैरानी से - "वॉट? ये बहन जी और सर की सेक्रेटरी? लूक ऐट हर, ये बडे-बडे झुमके, कुर्ति-जीन्स & दुपट्टा its old टिपिकल देहाती। दुपट्टा कौन लेता है, यार और अब ऐसे कपड़े कौन पहनता है?"



    उसकी बात पर सई अपने कपडों की तरफ देखने लगी। उसे बोहोत इन्सल्टींग फ़ील हुआ था कि आखिर उसने ऐसा क्या पहन लिया, जो ये उसका मजाक बना रही है?



    दुसरी लडकी सई को देख - "हम्म, ये तो है और वैसे भी विकी सर बडे भोले है। जरूर इमोशनल ब्लेक मेल करके उन्हे बेवकूफ बनाया होगा। but वंश सर किसीके झांसे मे नही आने वाले। इसलिए इतना इतराने की जरूरत नहीं है। कुछ ही दिनो मे यहाँ से बाहर होंगी तुम। हुँह, बडी आई सेक्रेटरी बनने वाली।"



    इतना कहकर वह दोनो हंसने लगती है। ये सब सुनकर सई की आंखे नम हो जाती हैं।



    तब विकी वहाँ पर आकर कडक आवाज में बोला, "क्या चल रहा है यहाँ?"



    वो दोनो लड़कियाँ गबरा जाती है और बहाना बनाकर वहाँ से चली जाती है। विकी अब उन्हे जाते हुए देखकर सई को देखता है जिसकी आँखों में अब आँसू थे।



    तब विकी ने उसके आंसू पोंछकर उसे समजाते हुए कहा, "हेय...नो-नो , डोंट cry सई। मैने सब सुन लिया है। आजकल के लोग इंडिया मे रहकर ही उसकी ट्रेडिशनल और बोली की इन्सल्ट करते है। तुम्हारा लूक जैसा भी है परफेक्ट है और ऐसा बिलकुल भी नही है की मेरी सिफारिश की वजह से तुम्हे ये जॉब मिली है। तुम्हारे work profile और इमानदारी को देखकर मुजे सच मे लगा की तुम मेहनती हो। इसलिए ये जॉब तुम deserve करती हो, सो चिंता मत करो और जाओ। किसीकी बातो पर ध्यान मत दो।"



    विकी बाते सुनकर सई को हिम्मत मिलती है और राहत भी। सई उसे देखकर मुसकुराते हुए वंश के केबिन मे चली जाती है। विकी भी वहाँ से अपने केबिन मे चला जाता है।



    सई केबिन मे आकर पुरा केबिन अच्छे से हैरान होकर देखने लगती है क्युकी कल वंश के टोकने की वजह से ठीक से देख नही पाई थी।



    फिर विंडो ग्लास के वहाँ जाकर बाहर देखकर नीचे देखकर आंखे बडी करके कहती है, "अरे बाप रे, ये देखो तो सब नीचे कितने छोटे लग रहे है।"



    थोड़ी देर बाद सई वापस जाकर वंश के लिए कॉफी बनाकर लेकर आती है फिर उसे स्मेल करते हुए मुँह बनाकर कहती है, "छी-छी, पता नही इसे कैसे पीते है सर? कॉफी वो भी काली, कौन पीता है!" इतना कहकर वह कॉफी टेबल पर रख देती है।



    वही वंश अपने केबिन मे आकर सई को ऐसे अपने केबिन मे टहलता हुआ देखकर गुस्सा हो जाता है। और तेज आवाज मे कहता है, "ये कोई गार्डन नही है, जो मन में आए वैसे घुम रही हो मिस जोशी। ये मेरा केबिन है। अगर ऐसे टाईमपास करना है तो निकलो यहाँ से।"



    वंश की तेज आवाज सुनकर सई चौंक जाती है और फिर डरते हुए बोली, "लग गई वाट।"



    इतना बुदबुदाते हुए वह पीछे मुडती है। उसपर नजर पडते ही वंश की सांसे मानो अटक सी गई। वक़्त जैसे वही थम गया। उसका गुस्सा एक पल मे ही गायब हो गया।



    सई की pure खूबसूरती को देखकर वंश अपनी जगह जम सा गया। वो देखता है, येल्लो लौंग कुर्ति, जिसमे पेट से नीचे तक का कट, नीचे ब्लेक जीन्स, गले मे स्काफ, बालो की चोंटी बनाकर आगे कंधे पर लाई हुई, एक हाथ मे चूडिया, दुसरे हाथ मे घड़ी, कानो में बडे झुमके, नाक मे nose pin, मेकअप के नाम पर सिर्फ आंखो मे काजल और होंठो पर लिपबाम । कोई भी उसे देखकर दीवाना हो जाये।



    सई के चेहरे से होते हुए, वंश की नजर अब सई के होंठो पर जाती है। आज पहली बार वंश की नजर किसी लडकी के होंठो पर गई थी।



    उसके गुलाबी पतले होंठ वंश को उसकी तरफ खिंच रहे थे। वो अपने खयालो मे खोया हुआ था तब उसके कानो मे आवाज आई, "सर....सर, क्या हुआ?"



    वंश अपनी सेन्स मे आया और सई को देखता है। जो उसके चेहरे के आगे अपना हाथ हिलाकर उसे बुला रही थी।



    तब वो उसे अपने पास देखकर हैरान होकर मन ही मन बोला, "ये क्या हो गया था मुजे जो मै अपनी काम की जगह पर किसी लडकी के बारे में सोच रहा था? और ये मेरे पास कब आई मुजे पता भी नही चला! ये क्या...? बार-बार मेरी नजर इसके होंठो पर क्यू जा रही है? जबकी मैने आजतक किसी लडकी को लिप किस नही किया। ये क्या हो रहा है मुजे आज?"



    वो अपनी सोच मे गुम था कि तब उसे फिरसे आवाज आई _ "I...I am so sorry सर, आप ऐसा भयानक मुँह मत बनाइये। वो मै सिर्फ यहाँ आपकी कॉफी रखने आई थी।"



    वंश फिरसे अपने खयालो से बाहर आया और उसे देखकर बोला, "hmm ok, just be careful next time, मुजे गलती करने वाले लोग पसंद नही।"



    फिर एकदम से अपनी भोंहे सिकुडकर बोला, "What did you say, भयानक? मै तुम्हे भयानक लगता हूँ?" सई अपनी आंखे बडी करके जोरसे नाँ मे अपना सर हिला देती है।



    वंश को अचानक से उसे देखकर याद आया और वो बोला, "एक second तुम तो वही होना होटल वाली? जो मुजसे टकराई थी? तब तो बडी वेस्टर्न कल्चर वाली हाय-फाय लग रही थी। आज एक ही दिन में लूक चेंज, एकदम से ट्रेडिशनल लूक!"



    सई कुछ याद आते ही बोली, "अरे, नही-नही सर। वो होटल में मै नही थी। वो तो मेरी सिस्टर थी सवी जोशी। हम twins है ना?"



    वंश अपना सर हिला कर - "ओह! मतलब की मटकी वाली?"



    सई ना समज मे - "क्या सर?"



    वंश अपना सर जटककर अपनी चेयर पर जाकर बेठते हुए - "नही-नही कुछ नही। जाओ तुम जाकर आज की मेरी स्केडुल की फ़ाईल लेकर आओ।" सई हाँ में अपना सर हिला कर वहाँ से चली जाती है।



    वंश उसे जाते हुए देखकर बोला - "twins? रियली? इस दुनिया में कोई इतना सेम भी होता है क्या? होगा मुजे क्या?" ये सोचकर वो अपने लैपटॉप पर काम करने लगता है।




    कुछ देर बाद सई के डोर नॉक करने पर फिर वो अंदर आती है और वंश की स्केडुल की फ़ाईल खोलकर उसे पढने लगती है।



    उसकी स्पीच इतनी साफ थी की कोई नही केह सकता था की सई को कोई एक्सपीरियंस नही था। उसका काम में इतनी लगन और मेहनत देखकर वंश भी इंप्रेस हो गया था।



    वंश अब उसे देखकर उसकी तारीफ मे बोला, "मिस जोशी जॉब के लिये तुम्हारा dedication देखकर कोई नहीं कह सकता की तुम्हे कोई एक्सपीरियंस नही है। इस dedication की कोई खास वजह?"



    सई मुस्कुराकर - "वजह है आप सर। मैने आपके बारे मे सब जाना है की किस तरह से आपने अपनी कडी मेहनत से अपनी इस कंपनी को नम्बर वन कम्पनी बनाया है। इसलिए मै आपकी तरह इतनी बडी इन्सान तो नही पर छोटी ही सही एक बिजिनस वुमन बनना चाहती हूँ। आप मेरे आइडल है, सर।" इतना कहकर वह चली जाती है।



    वंश उसे जाते हुए देखकर अपना सर हिला कर हंसकर बोला, "अब समझा। ये झूठे और स्टुपिड morals सुनाकर तुम मेरा दिल जितना चाहती हो, मिस जोशी? क्युकी आगे भी यही सब fake बाते सुनाकर मेरी पुरानी सेक्रेटरी मेरे साथ इंटिमेट हुई थी। अब तुम भी वही करना चाहती हो! अपना ये मासूम सा चेहरा बनाकर मुजे फसाने की कोशिश अच्छी है तुम्हारी मिस जोशी। ठीक है, तुम अपनी चाल चलो और मै अपनी चाल चलूंगा। मै भी ऐसा ही दिखावा करूंगा जैसे की मै तुम्हे जान ही नही पाया की तुम क्या करना चाहती हो। जरा मै भी तो देखु ये स्टुपिड morals की देवी मिस सई जोशी का राज कब खुलता है?" इतना कहकर वह अपने काम में लग गया।



    वही बेचारी सई बाहर आकर खुश होकर बोली, "वंश सर की आँखों मे मैने देखा है की वो काफी इंप्रेस लग रहे थे। अब बस मेहनत से सब काम करना है। कोई भी शिकायत का मौका नही देना है। फिर कुछ ही सालो मे मै भी एक बिजिनस वुमन कहलाऊंगी।"



    मासूम सई इसबात से बेखबर थी की वंश की सोच उसको लेकर क्या है?



    सई अपनी डेस्क पर बेठकर कुछ फाइल्स देखने लगी। फिर दोपहर मे लंच के टाईम पर सई अपना टिफ़िन लेकर उसे खोलने लगी। तब विकी वहाँ से गुजर रहा था तब सई की और विकी की नजरे एक-दूसरे से जा मिली तब सई ने कहा, "अरे सर, आप लंच के लिए नही गये?"



    विकी मुसकुराते हुए कहता है - "नही, वो मै होटल जाकर बाद मे खा लूँगा।"



    सई हिचकिचाते हुए कहती है, "सर अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो आप मेरे साथ मेरा लंच शेयर कर सकते है।"



    विकी ने जब टिफ़िन मे देखा तो छोले और पराठे लाई हुई थी साथ मे सलाड, एक बॉटल मे छाश, गुड। वो सब देखकर विकी को भी घर के खाने की याद आ गई तब वो बोला, "अ...दिक्कत तो कुछ नही है पर सोच लो अगर मैने सबकुछ चट कर दिया तो?"



    सई हंसते हुए कहती है, "क्या सर, ऐसा कुछ नही होगा मै थोड़ा ज्यादा ही लाई हूँ, आइये।"



    विकी दुसरी चेयर लेकर बेठ जाता है। फिर सई एक प्लेट मे उसे खाना सर्व करती है। और खुद भी अपना खाना एक छोटी सी dish मे निकालकर अब दोनो ही खाने लगे।



    पहला निवाला खाते ही विकी ने कहा, "वाह! क्या बात है सई। बोहोत ही tasty है। सच कहा है किसिने की घर के खाने की बात ही कुछ अलग है।"



    सई खाते हुए कहती है, "सर आप घर से लंच नही लाते है?"



    विकी एक फीकी मुस्कुराहट के साथ - "मेरा कोई नही है सई। इसलिए मै अक्सर बाहर ही खाता हूँ। बस रिलेटिव के नाम पर सिर्फ वंश है मेरा यार, मेरा जिगरी, मेरा भाई, मेरा सबकुछ।"



    विकी को उदास देख सई मायूस होकर - "आईम सॉरी सर। पर सर, प्लीज ऐसा मत कहिये की आपका कोई नही है। अगर आपको प्रोबलम ना हो तो क्या मै आपके लिए रोज अपने साथ टिफ़िन लेकर आ सकती हूँ?"



    विकी मना करते हुए - "अरे, नही-नही सई। तुम्हे परेशान होने की जरूरत नही है। मै रोज मेनेज कर ही लेता हूँ।"



    सई ने कहा - "इसमे परेशानी की क्या बात है सर? वैसे भी रोज बाहर का खाना आपकी सेहत के लिए ठीक नही है और मुजे भी अच्छा लगेगा, अगर मै आपके कुछ काम आई तो।"



    सई की जिद पर विकी उसे मना नही कर पाया - "ठीक है फिर, तो ले आना। अबसे हम साथ मे ही लंच करेंगे।" 



    सई खुश होकर हाँ में अपना सर हिला देती है। कुछ देर बाद लंच हो जाने के बाद विकी वंश के पास चला गया। सई अपने काम मे लग जाती है।



    विकी जब वंश के केबिन मे आया तब वंश ने कहा, "क्या यार कितना लेट कर दिया? चल अब लंच के लिये चलते है, बोहोत भूख लगी है।"  ये सुनकर विकी अपने दाँतो तले जीभ दबा देता है तब वंश ने उसकी शकल देखकर कहा, "क्या हुआ?"



    विकी अपना मुँह बनाकर धीमी आवाज मे - "सॉरी यार, मैने खाना खा लिया। तुजे तो मै भुल ही गया।"



    वंश शॉक होकर बोला - "What? तुने मेरे बिना खाना खा लिया? अकेले होटल चला गया?"



    विकी नाँ मे अपना सर हिला कर कहता है - "नही, होटल नही घर का खाना। सई के साथ खाया।"



    वंश चोंकते हुए कहता हैं, "क्या तुम मिस जोशी के साथ खाकर आ गये?"



    विकी खुश होकर बोला, "हाँ हाँ, सई के साथ। अरे क्या खाना था यार, पुछ मत। होटल का खाना तो कुछ भी नही था इसके आगे। छोले-पराठे, छाश, सलाड, गुड। आहा! मजा आ गया।"



    ये सब सुनकर वंश के मुँह मे भी पानी आ गया। फिर खुद को संभालते हुए चिढ़कर बोला, "तु ऐसा कैसे कर सकता है? अब क्या मै अकेला जाऊ?"



    विकी अपना मुँह बनाकर - "अरे अब तो तुजे रोज आदत डालनी होंगी बाहर अकेले जाने की।"



    वंश हैरानी से उसे देखकर - "क्यू?"



    विकी - "क्युकी अब से वो रोज मेरा भी टिफ़िन अपने साथ ही लाया करेगी। कितनी अच्छी है ना यार वो? वरना आज कल के जमाने में कोई एक ग्लास पानी भी नही पूछता और ये मेरे बारे मे और मेरी सेहत के बारे में जानकर खाना रोज घर का लेकर आने को बोलने लगी। उसकी जिद देख, मै मना नही कर पाया।"



    वंश को आज कुछ अजीब लग रहा था। वही विकी वहाँ से जाते हुए बोला, "अच्छा अब तु जा, जाकर खाना खाले। मुजे काम है तो मै जा रहा हूँ, बाय।"



    वंश उसे जाते हुए देखकर मन ही मन बोला, "ये कल की आई, एक लडकी ने आज मेरे दोस्त पर ऐसा जादू कर दिया की वो आज पहली बार मुजे भुल गया? क्या हो तुम मिस जोशी? तुम तो मेरी सोच से भी कई ज्यादा अलग हो। मेरे भोले भाले दोस्त को अपनी तरफ कर लिया! अच्छा जादू करना जानती हो। पर मै ऐसा होने नही दूंगा, तुम्हारा असली चेहरा बोहोत जल्द मै विकी के सामने लेकर आऊंगा। its my promise"



    अब आगे next part मे ✍✍✍



    क्या करेगा वंश खुद को सही प्रूफ करने के लिए? क्या होने वाला है सई की जिंदगी मे? क्या सई को लेकर वंश की सोच बदल पाएगी? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 6. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 6

    Words: 2332

    Estimated Reading Time: 14 min

    जलन की ओर पहला कदम




    अब आगे



    सिन्घानीया ग्रुप औफ़ कंपनी



    शाम के वक़्त अब वंश ने कुछ सोचकर घड़ी मे टाईम देखकर कहा, "हम्म, ऑफिस hours खतम हो गया है तो घर जाने का टाईम हो गया है सेक्रेटरी जी का, तो क्यू ना कुछ उनके सो called सब्र का test लिया जाए।" 



    फिर अपने फ़ोन से सई को landline पर कॉल किया। सई ने जैसे ही कॉल रिसीव किया वैसे ही वंश अपनी कडक आवाज मे बोला, "10 seconds.... only 10 seconds में तुम मुजे अपने केबिन में चाहिये मिस जोशी। जरा मै भी तो देखु आप टाईम की कितनी पक्की है।"



    इतना कहकर वह बिना सई की कुछ सुने कॉल कट कर दिया।



    वही सई शॉक होकर फ़ोन को देख रही थी फिर एकदम से भागते हुए वंश के केबिन की तरफ जाने लगी। वही वंश की नजर अपनी घड़ी पर थी। वही यहाँ 10 seconds जैसे ही खतम हुए सई दरवाजे से अंदर आई।



    वंश की नजर फिर से एक बार उसपर पडते ही थम सी गई। तेज सांस लेती ये लडकी उस पर कुछ तो जादू कर रही थी, जिसे देखकर वंश को आज मेकअप की हुई हाई क्लास कपड़े पहने हुई सारी लड़कियाँ फीकी लग रही थी।



    सई हाँफते हुए कहती है, "क्या हुआ सर? कोई गलती हो गई मुजसे क्या?"



    वंश अपनी सेन्स मे आया और उसे अपने सामने की chair पर इशारा करते हुए बोला, "पहले बेठो वहाँ।" सई तुरंत आकर वंश के सामने की चेयर पर बैठ जाती है।



    सई के चेहरे पर गबराहट देखकर, वंश पानी का ग्लास उसकी ओर बढा देता है, जिससे सई ने ग्लास लेकर जल्दी से पानी एक ही जटके मे पी लिया।



    फिर वंश अब उसे देखकर बोला, "क्या कुछ टाईम निकाल सकती हो? तुम्हारे काम करने का जोश मुजे पसंद आया तो सोचा क्यू ना बिजिनस रिलेटेड कुछ सिखा दू, अगर तुम चाहो तो?"



    सई ने पहले अपनी घड़ी मे टाईम देखा तो परेशान हो गई, तब वंश ने उसके चेहरे के भाव पढ़्कर कहा, "What happen any problem, मिस जोशी?"



    सई हिचकिचाते हुए कहती है - "नही सर कोई प्रोबलम तो नही है पर ऑफिस hours खतम हो गये है ना, तो घर मे सब चिंता करेंगे।"



    वंश रूड होकर कहता है - "अब तुम्हे इन सब बातों की आदत डालनी होंगी मिस जोशी। काम सिखना है तो घर आने-जाने के timing भी चेंज होते रहेंगे। तो सोच लो choice is yours. वरना और भी छोटी-मोटी कंपनियाँ है, जहाँ आप जा सकती है।"



    सई नाँ मे अपना सर हिला कर - "नही-नही सर कोई बात नही है। आपसे कुछ सिखना तो बोहोत बडी बात है मेरे लिए। आप सिखाईये, मै घर में बता दूंगी।"



    वंश हाँ में अपना सर हिला कर फिर एक लैपटॉप उसकी ओर रखकर बोला, "ये तुम्हारे लिए है मिस जोशी। मैने इसमे बिजिनस रिलेटेड कुछ ऐप्लिकेशन डाल दिये है, जो तुम्हे काम आयेँगे। check it" सई लैपटॉप खोलकर उसे ऑन करके देखने लगी।




    वही वंश एकटक सई को देख रहा था। तब वंश वहाँ से उठ्कर सई के पीछे आने लगा। सई इस बात से बेखबर लैपटॉप में सब देखने लगी।



    वंश अब उसके पीछे आकर उसकी तरफ झूककर उसके बालो को स्मेल करने लगा। सई के इतने करीब होने से वंश बहकने लगा था।



    तब सई की आवाज उसके कानो मे पडी, "सर ये graphical portion मे ये rate कैसे बढेगी, ये पॉइंट मुजे समज नही आया, क्या आप सिखा देंगे?"



    वंश अब उसके पास आकर उसके पास चेयर पर बैठ जाता है और फिर उसे समजाने लगता है। वंश जिस तरह से उसे समजा रहा था, तब उस वक़्त कोई नही कह सकता था की ये एक play boy है।



    कुछ देर बाद सब समज जाने के बाद सई ने घड़ी मे टाईम देखकर बोली, "सर 7 बज गए हैं, तो क्या अब मै घर जाऊ?"



    वंश ने हाँ में अपना सर हिला दिया। सई उठकर जाने लगी तब वंश ने उसे रोकते हुए कहा, "wait मिस जोशी। ये लैपटॉप आपका है इसे ले जाइए अपने साथ।"



    सई नाँ मे अपना सर हिला कर बोली, "नही सर ये तो बोहोत महँगा है। मै इसे नही ले सकती।" ये सुनकर वंश शॉक हो गया क्युकी अबतक उसने जिसे भी कोई एक्सपेंसिव गिफ्ट दिया है तो सबने खुशी-खुशी ले लिया है और ये लडकी वंश को ना बोल रही थी।



    वंश अपने खयालो से बाहर आकर बोला, "ये कंपनी की तरफ से तुम्हे दिया जा रहा है मिस जोशी। ताकी ये बिजिनस मे तुम्हारी हैल्प के लिए काम आए। मना करने के बारे में सोचना भी मत। मुजे नाँ सुनने की आदत नही और कोई मेरे ऑर्डर फॉलो ना करे मुजे ये बरदाश्त नही।"



    सई ने जिजकते हुए वो लैपटॉप ले लिया तब वंश ने कहा, "चलो मै तुम्हे घर छोड देता हूँ।"



    सई ने फिर मना करते हुए कहा, "नही सर आपको तकलीफ लेने की कोई जरूरत नहीं है, मै खुद चली जाऊंगी।"



    वंश ने कडक आवाज में कहा, "मेरे कारन लेट हुआ है ना, तो मेरी जिम्मेदारी है की तुम्हे सही सलामत तुम्हारे घर पोहोंचा दू और मुजे चीजे रिपिट करने की आदत नही है। मुजे नाँ सुनना पसंद नही है, चलो।" सई लैपटॉप लेकर आगे-आगे चलने लगी।



    वंश उसके पीछे-पीछे आते हुए मन ही मन कहता है, "ये भारतीय नारी, मिस जोशी। क्या तुम सच मे इतनी अच्छी हो या सिर्फ मेरे सामने दिखावा कर रही हो? वंश सिन्घानीया ने आजतक सबके नाटक को एक जटके मे पकडा हुआ है, पर तुम्हारे नाटक को मै पकड़ ही नही पाया। कोई बात नही कबतक बचती रहोगी, तुम्हारा असली चेहरा तो सामने लाना ही है।"



    सई ने अपनी डेस्क से अपना बैग लिया और वंश के साथ जाने लगी। ऑफिस के नीचे आते ही वंश के ड्राईवर ने कार का गेट खोला तो सई वही खडी रही। उसे लगा पहले वंश बेठेगा।



    वंश ने उसे देखकर कहा, "बेठो मिस जोशी।"



    सई चुपचाप अंदर जाकर बेठ गई। उसके बाद वंश भी बेठ गया और वंश के कहने पर सई ने ड्राईवर को अपने घर का पता बता दिया।




    कुछ देर बाद उस रस्ते को देखकर वंश मन ही मन कहता है, "ये तो वही रास्ता है जिस दिन हम ऑफिस जाने के लिए यहाँ से होकर निकले थे। इसका मतलब यह है कि इस मेडम का घर ऑफिस जाने वाले रास्ते में ही पड़ता है?"




    कुछ देर बाद वंश की कार एक घर के बाहर आकर रुकी। वंश उस घर को देखता है तो उस घर के गेट पर बोर्ड लगाया हुआ था और उसमे लिखा था, "Joshi House"



    ड्राईवर जैसे ही कार से उतरने लगा, वैसे ही सई ने उसे रोकते हुए कहा, "नही...नही भैया, आप तकलीफ मत उठाइये। मै खुद गेट खोलकर उतर जाऊंगी।" वंश को उसकी ये बात भा गई।



    सई अब कार से उतरकर फिर एक बार वंश को देखकर बोली, "सर, घर आइये ना। सब आपसे मिलकर बोहोत खुश होंगे।"



    वंश हिचकिचाते हुए- "उम्म....नही आज नही। फिर कभी, अभी मुजे देर हो रही है।" सई हाँ में अपना सर हिला कर वहाँ से चली जाती है।



    वंश उसे जाते हुए कहता है, "अगर ये भी सभी की तरह हुई तो एक बार पलटकर जरूर मुजे देखेगी। आखिर मेरा चार्म ही ऐसा है।"



    पर सई तो तेज कदमो से अपने घर के अंदर जा रही थी और फिर कुछ देर में घर मे चली गई। इसबार भी वंश गलत साबित हो गया।



    उसे कुछ समज नही आ रहा था की ये लडकी आखिर है क्या? फिर उसके कहने पर, ड्राईवर कार स्टार्ट कर देता है।




    रात 11 बजे



    वंश अपने रूम में  बेठा सई की फ़ाईल पढ रहा था। उसने अपने PA से कहकर सई की पूरी कुंडली निकलवाता है। उसकी फ़ाईल मे लिखा था,,,



    सई जोशी - इंटेलीजेंन्ट & स्मार्ट,


    फैमिली उसकी जान,


    दो बेस्ट फ्रेंड वीर और सिया, सिया वीर की गर्लफ्रेंड है,


    single now,


    बडी बहन इवेंट कंपनी मे जॉब करती है,


    जुड़वा बहन को जॉब की तलाश,


    जुड़वा बहन का बोयफ्रेंड है जिसका नाम क्रिश है,


    छोटा भाई अभी स्कूल में है,


    पापा और चाचा एक कंस्ट्रक्शन कंपनी चला रहे है,


    माँ housewife है।


    मिडल क्लास, लेकिन happy family है।




    उसकी फ़ाईल पढने के बाद उसके नीचे सई की एक तस्वीर थी। उस तस्वीर को देखकर वंश ने कहा, "क्या हो तुम? तुम्हारी पूरी इन्फोर्मेशन है मेरे पास फिर भी तुम मेरे लिये एक secret हो। आज पहली बार ऐसा हुआ है की वंश सिन्घानीया सामने से किसी लडकी के बारे मे जानने के लिए इतना बेताब है।"



    इतना कहकर वह फिले drawer मे रखकर, बैड पर लेटकर कुछ पलो में सो जाता है।




    अगली सुबह



    सई तैयार होकर जाते हुए अपनी माँ के हाथ से टिफ़िन लेते हुए कहती है, "मम्मा वो...?"



    उसके इतना कहते ही पूनम बीच में बोल पडी, "हाँ हाँ, तेरे विकी सर के लिए भी खाना रख दिया है मैने।"



    सई मुस्कुराकर पूनम के गले लग कर, उसका गाल चूमकर वहाँ से अपने ऑफिस के लिए निकल जाती है।



    वही दुर्गा, शेखर, विवेक अपने-अपने काम पर चले जाते हैं और देव स्कूल चला जाता है। वही सवी अपनी मम्मी को घर के कामो मे मदद कराने लगी।




    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ कंपनी



    सई अपनी बैग में कुछ देखते हुए डेस्क पर जा रही थी की किसीसे टकरा जाती है। तब वो सामने देखकर एकदम से बोल पडी, "सॉरी....सॉरी।"



    सामने से एक लड़का उसे देखकर- "नो-नो I am sorry वो इतनी सारी फाइल्स थी ना हाथों मे तो संभालने के चक्कर मे, मै तुम्हे देख ही नही पाया।"



    उस लड़के की सारी फाइल्स गीर जाती है। वो लड़का उठाने के लिए नीचे बेठ जाता है।



    सई भी नीचे बैठ कर उसकी हैल्प करने लगी। तब वो लड़का बोला, "तुम नई हो यहाँ क्युकी पहले तुम्हे कभी यहाँ पर नही देखा।"



    सई उसे एक-एक फ़ाईल देते हुए, "हाँ, मैने अभी-अभी जोइन किया है।"



    वो लड़का - "मेरा नाम शेष है और तुम्हारा नाम क्या है?"



    सई - "सई....सई जोशी।"



    शेष सारी फाइल्स अब लेकर वहाँ से उठते हुए कहता है _ "थैंक यू हैल्प करने के लिए सई।"



    सई मुसकुराते हुए कहती है, "इसमे सॉरी कैसा?"



    वे बात ही कर रहे थे, तब वंश लिफ्ट से होते हुए अपने केबिन मे जाने लगा तब सई को किसीसे बात करते हुए देखकर, उसकी भोंहे सिकुड गई और उसे अचानक ही गुस्सा आने लगा।



    क्यू अब वो तो उसे भी नही पता था। दोनो को खुशी से बात करते हुए देखकर वंश उस ओर चला गया और अपनी कडक आवाज में कहा, "गप्पे मारना हो गया हो तो थोड़ा काम भी करलो मिस जोशी।"



    दोनो ही एकदम से चोंक जाते हैं और फिर वंश शेष को घूरते हुए गुस्से में बोला, "What the hell are you doing here? मुजे लगता है की तुम किसी केफे मे आए हो, सिन्घानीया ग्रुप ऑफ कंपनी में नही। ऐसे सैर-सपाटा करने वाले मुजे मेरी कंपनी में नही चाहिये। resign देने के लिए तैयार हो जाओ।"



    सई बीच में ही बोल पडी - "नही सर, इसमे इनकी कोई गलती नही है। वो तो ये फ़ाईल्स गीर गई थी तो मै बस हैल्प कर रही थी। प्लीज, इन्हे जॉब से मत निकालिये।"



    सई का किसी लड़के के लिए स्टेन्ड लेना वंश को पसंद नही आया, तब उस लड़के ने भी कहा, "I am सॉरी सर। आगे से ऐसा नही होगा।"



    वंश खुद को शांत करते हुए- "हम्म बेटर। आगे से ध्यान रहे। now गो"



    शेष तुरंत वहाँ से निकल गया। वंश अब सई को देखता है, जो शेष को जाते हुए देख रही थी। ये देखकर वंश गुस्से में सई की ओर अपने कदम बढा देता है।



    सई अब जब वंश को अपनी ओर आता हुआ देखकर डर के मारे अपने कदम पीछे लेने लगी।



    सई अब पीछे दिवार से लग जाती है। वंश को अपना सर उठाकर देखकर बोली, "सॉरी सर, अब आगे से ऐसा नही होगा। माना की मुजे गप्पे मारना पसंद है, लेकिन हम सच मे गप्पे नही मार रहे थे। मै तो बस उसकी हैल्प कर रही थी।"



    सई की मासूमियत भरी बातो को सुनकर और उसका चेहरा देखकर वंश के चेहरे पर हल्की स्माइल आ जाती है, फिर तुरंत अपनी स्माइल को छुपाकर बोला, "अपने आपको लड़को से दूर रखो सई। तुम नही जानती, ये दुनिया बोहोत बुरे लड़को से भरी पडी है, जो तुम्हारी मासूमियत नही जान पाती है।"



    सई उसकी आँखो मे देखने लगी। तब वंश उसके गाल पर टेप करते हुए कहता है - "so be careful next time girl, understand?"



    वंश के ऐसे छुते ही सई हड़बड़ाकर हाँ में अपना सर हिला देती है। वंश महसूस करता है कि कैसे उसके सिर्फ छूने भर से सई डरी हुई और असहज हो गई थी।



    तब वंश ने कहा, "गुड, अब जाओ मेरी schedule फ़ाईल लेकर आओ।" इतना कहकर वह चला जाता है।



    सई अपने सीने पर हाथ रखकर चैन की साँस लेती है और वंश की फ़ाईल लेने चली जाती है। समय बीतने के साथ अब लंच टाइम पर जब वंश खाना खाने के लिए, अपने केबिन से बाहर निकलकर जाने लगा तब विकी और सई को एक साथ खाना खाते हुए देखकर वंश को कुछ अच्छा नही लगा।



    वो गुस्सा होकर उन दोनों को घूरते हुए वहाँ से चला जाता है। वंश अब अपनी कार में बेठकर मन ही मन सोचता है, "What nonsense, What the hell is this? क्या मुजे जलन हो रही है पर किससे अपने ही जिगरी यार विकी से? पर क्यू, सुबह भी सई को उस लडके के साथ देखकर मुजे गुस्सा आ गया था और अब ये देखकर भी! ये हो क्या रहा है? मै कबसे जलने लगा किसीसे और वो भी अपने ही दोस्त से।"



    फिर उसने अपने खयालो को जटका और ड्राईवर को कार घर ले जाने को कहा।




    कुछ टाईम बाद लंच करके वापस ऑफिस आने के बाद जब सई वंश के केबिन में आते ही कुछ बोलती, उससे पहले ही वंश ने कहा, "मिस जोशी, कल तैयार रहना, कल तुम्हे मेरे साथ आउट ऑफ मुम्बई जाना है एक जरूरी मिटिंग के लिए।"



    वंश के साथ बाहर जाने की बात सुनकर सई के चेहरे पर एक गबराहट छा जाती है।



    अब आगे next part मे ✍✍✍



    क्या होगा अब, क्या सई वंश के साथ बाहर जाने के लिए मानेगी? क्या करने वाला है वंश सई के साथ? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 7. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 7

    Words: 1921

    Estimated Reading Time: 12 min

    सई का वंश के साथ बाहर जाना



    अब आगे



    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ कंपनी, मुंबई



    कुछ टाईम बाद लंच करके वापस ऑफिस आने के बाद जब सई वंश के केबिन में आते ही जैसे कुछ बोलती उससे पहले ही वंश ने कहा, "मिस जोशी, कल तैयार रहना। कल तुम्हे मेरे साथ आउट ऑफ मुम्बई जाना है एक जरूरी मिटिंग के लिए।"



    वंश के साथ ऐसे अकेले बाहर जाने का सुनकर ही सई के चेहरे पर गबराहट छा जाती है।



    सई धीमी आवाज मे गबराते हुए कहती है, "सर वो...वो आपके साथ ऐसे अकेले बाहर जाने में मेरी फैमिली मुजे allow नही करेगी।"



    ये सुनकर वंश की भोंहे सिकुड गई। सई का नाँ कहना उसको खल गया और वो गंभीर होकर थोडा तेज आवाज मे बोला, "तुम समजती क्या हो अपने आपको, मिस जोशी? मै कोई तुम्हे डेट पर नही ले जा रहा हूँ। अगर नही आ सकती तो अभी के अभी जॉब से रीजाइन करदो।"



    ये सुनते ही सई की आंखो मे नमी आ जाती है। वंश का ये कहना की रीजाइन करदो, ये उसे चुभ गया। आखिर उसका हमेशा से सपना था, सिन्घानीया कम्पनी मे काम करके बोहोत कुछ सिखना।



    सई भरे गले से कहती हैं, "नही स....सर वो....वो मै।"



    उसे एक्सप्लेनेशन देते देख, वंश और गुस्सा हो गया और चेयर से उठकर जोर से बोला, "वो मै, वो मै क्या? Choice is yours मिस जोशी, आओगी as a secretary वरना अभी के अभी ये जॉब छोडकर जा सकती हो। वैसे भी बोहोत से लोग हैं, जो इस कम्पनी मे काम करने के लिए लाईन में खडे है। और तुम्हे बिना tuff interview के source से जॉब क्या मिली, तुम्हे तो कोई कदर ही नही है?"



    सई की आँखो मे आँसू आ गए। वो अब उसके टेबल के पास आई और बोली, "ए...ऐसा नही है सर। I am sorry, आगे से ऐसा नही होंगा। मै चलूंगी सर। मै अपनी फैमिली को मना लुंगी।"



    वंश अब खुद को calm करता है और बोला, "ठीक है, जाओ आज घर और अपनी फैमिली से बात करो। अभी मुजे एक मिटिंग के लिए जाना है। कल मै सीधा तुम्हे तुम्हारे घर से पिकअप कर लूंगा ।"



    सई अपना सर हिलाकर अपने आंसू पोछते हुए, वहाँ से चली जाती है।



    उसके जाते ही वंश अपनी चेयर पर बैठ कर, खुद से कहता है, "उसके ना कहने से मै इतना गुस्सा क्यू हो गया? Whatever... चलो कुछ test उसके वही हो जायेंगे।" इतना कहकर वह अपनी मिटिंग के लिए निकल गया।




    यहाँ सई अब घर आई तब पूनम उसे देखकर बोली, "अरे आज इतना जल्दी कैसे आ गई? सब ठीक तो है ना? और तेरी तबियत तो ठीक है ना?"



    सई उसे शांत कराते हुए कहती है, "शांत मम्मा, मै बिलकुल ठीक हूँ। वो मुजे आपसे कुछ बात करनी है।"



    पूनम उसे सोफे पर बेठाकर फिर खुद उसके पास बेठकर बोली, "हम्म, बता क्या बात है?"



    सई हिचकिचाते हुए बोली, "मम्मा वो मुजे कल वंश सर के साथ मुंबई से बाहर जाना है, किसी मिटिंग को attend करने।"



    पूनम अब सोचते हुए - "बेटा ऐसे कैसे अकेले तुम्हे...?"



    सई उसके हाथ पर अपने हाथ रखकर बोली, "मम्मा प्लीज समझोना। ये मेरा काम है, मै कबतक ऐसे हर बात पर बहाना देकर सर को मना करती रहूंगी? इससे तो मेरी जॉब चली जायेंगी। और मै ये जॉब नही खोना चाहती। प्लीज जाने दिजीये ना।"



    पूनम उसे देखकर - "कबतक आयेगी?"



    सई ने कहा - "वो तो पता नही, जल्दी आ भी सकते है या देर भी हो सकती है।"



    पूनम फिर खुद को शांत करते हुए बोली, "ठीक है, पर पहले अपने पापा से पुछ। अगर उन्होने मना कर दिया तो तुम जिद नही करोगी, समजी?"



    सई खुश होकर हाँ में अपना सर हिलाकर उसके गले लग जाती है। पूनम मुस्कुरा कर उसके सर पर हाथ रख देती है। पर कही ना कही उसे डर था ऐसे अकेले किसी आदमी के साथ सई को बाहर भेजना।




    अब शाम होते ही सभी घर लौटने लगे। फिर रात को सब एकसाथ डिनर करने बेठे हुए थे, तब सई ने पूनम को इशारा किया कि वो विवेक से बात करे। तब पूनम ने गला साफ करने की ऐक्टिंग की और फिर विवेक को देखकर बोली, "जी सुनिये।"



    विवेक बडे ही रोमांटिक अंदाज मे कहता है - "जी मेरी जान कहिये।" ये सुनकर सब हंसने लगे तो पूनम ने विवेक को आंख दिखा दी।



    विवेक अब सीरियस होकर कहता है - "अच्छा बाबा बोलिए।"



    पूनम उसे सई की कही हुई सारी बातें बता देती है। विवेक सई को देखता है, जो उम्मिद भरी नजरों से अपने पापा को देख रही थी।



    फिर वो पूनम को देखता है जो नाँ मे अपना सर हिला देती है, जैसे कह रही हो, "आप ही मना कर दिजीये जाने से, तो मान जायेगी।"



    विवेक फीरसे सई की ओर देखता है जो बडी आस लगाये अपने पापा को देख रही थी। तब दुर्गा ने कहा, "जाने दिजीये ना पापा। काम में तो बाहर जाना ही पडता है ना?"


    सवी ने भी सहमति जताई और कहा - "हाँ, पापा। अब सई कोई बच्ची नही है जो उसे घर में कैद करके रखोगे। बाहर जायेगी तो थोडा डरना बंध करेगी।" सई उसे देखकर अपना मुंह बना लेती है।



    विवेक हाँ में अपना सर हिलाकर बोला, "ठीक है बेटा जाओ। बस अपना ख्याल रखना। और अगर आने मे देर हो जाये और अगर वहाँ रुकना पडे तो एक फोन कर देना।"



    सई खुश होकर वहाँ से उठकर अपने पापा के गले लग जाती है। विवेक मुस्कुराकर उसके सर पर हाथ रख देता है।



    वही पूनम विवेक को घुर रही थी, तब विवेक उसे पलखे झपकाकर इशारा कर देता है। फिर सभी खाना खाने लगे।



    डिनर के बाद जब सब अपने - अपने रुम में थे तब पूनम ने शिकायत करते हुए कहा, "क्यू इजाजत दी आपने सई को जाने की?"



    विवेक बैड से टिककर अपने हाथ बांधे उसे देखकर बोला, "तो आपने ही क्यू मना नही कर दिया, जब उसने आपसे पुछा था?"



    पूनम नजरें चुराते हुए कहती है - "वो....वो अगर मै मना करती तो मेरी बच्ची मुजसे नाराज नही हो जाती और दुखी भी हो जाती।"



    विवेक हंसते हुए कहता है, "अच्छा जी, तो आप चाहती है की हमारी बेटी भले ही हमसे नाराज हो जाये। फिर भी हम उसे जाने से रोक ले? देखो पूनम तुम चिंता मत करो। हमारी सई समजदार है, वो खुद को संभालना जानती है।"



    पूनम चिंता जताते हुए अपना कहती है - "हाँ, पर वो मासूम भी तो है। वो किसिके चेहरे के पीछे का असली चेहरा नही जान पाती। सब पर भरोसा कर लेती है।"



    उसे चिंता मे देख, विवेक उसके कन्धे पर हाथ रखकर - "डोंट वरी कुछ नही होगा। चलो अब सो जाओ।" अब सभी सोने लगे।




    अगली सुबह



    सई अब तैयार होकर अपना बैग लेकर घर का डोर खोलकर बाहर की ओर निकलकर आई कि तब पूनम उसको आवाज देकर रोककर उसके पास आती है।



    फिर आकर उसे कुमकुम का टिका लगाते हुए कहती है, "भगवान तेरी रक्षा करे। तुजे हिम्मत दे हर कदम पर। कभी तुजे हारने न दे।"



    पूनम के मुंह से ऐसी बाते सुनकर विवेक मजाकि अंदाज मे बोला, "अरे पूनम, सई मिटिंग के लिए जा रही है, कुछ सिखने जा रही है। तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे ये किसी सरहद पर जंग मे जा रही हो।"



    सई, दुर्गा और शेखर हंसने लगे। वही देव स्कूल गया हुआ था और सवी अभी भी घोड़े बेचकर सो रही थी।



    "आप चुप रहिये जी, आपको कुछ नहीं पता।" पूनम ने विवेक को नाराजगी से देखकर कहा। विवेक मुस्कुरा दिया।



    जहाँ वे सभी हंसी-मजाक कर रहे थे। वही कोई था जो सई को ही देख रहा था।



    वो वंश था जो सई के घर के बाहर कार लेकर खडा उसका इन्तज़ार कर रहा था।



    विवेक अब सई के पास आकर बोला, "अरे आशीर्वाद देना है तो ये कहिये की, मेरी बच्ची तुजे इस दुनिया मे खुब कामयाबी मिले। तेरे सारे सपने पुरे हो।"



    सई खुश होकर अपने पापा के गले लग जाती है। पूनम अपना मुंह बना लेती है। सई फिर अपनी माँ, दीदी, और चाचा के गले लगती है। तब वंश जोर-जोर से होर्न बजाता है।



    सई वहाँ से तेज कदमो से चलती हुई पीछे मुडकर सबको हाथ दिखाकर by करती हुई चलकर वंश की कार के पास आती है और पीछे का गेट खोलकर अंदर बेठ जाती है। सई की फैमिली भी एक नजर उसे देख, फिर अब घर के अन्दर चली जाती है।



    सई पीछे बेठी ही थी, तब उसके कानो मे एक ठंड अवाज आई, "मै तुम्हारा ड्राईवर नही हूँ मिस जोशी, आगे बेठो।"



    सई अब अपने बाजू मे देखती है तो वंश वहाँ पर नही था। फिर आगे देखती है तो वंश driving सिट पर बेठा रेअर व्यू मिरर से सई को देख रहा था।



    सई हडबडाते हुए कार से बाहर आई और आगे जाकर बेठ गई और बोली, "सॉरी सर।"



    ये गलतफहमी उसे इसलिये हुई क्युकी उसे लगा था की कार ड्राईवर चला रहा होगा और वंश पीछे बेठा होगा। और कार के ग्लास ब्लेक होने की वजह से सई अंदर देख नही पाई थी।



    वंश उसे देखता है। सई ने elbow स्लिव्स की रेड t-shirt, लॉन्ग ब्लेक skirt और गले मे ब्लेक स्कार्फ डाला हुआ था। उसे बाल खुले रखना ज्यादा पसंद नही था। इसलिये उसने मेसी चोंटी बनाई हुई थी और आगे कंधे पर डाली हुई थी। कुछ लटे उसके गालो को छू रही थी।



    मीडियम सिल्वर एअरिंगस, एक हाथ मे चूडिया और एक में घड़ी, नाक में nose pin. आँखो में काजल और होंठो पर लाईट शेड।



    वंश उसे घॉर से देख रहा था। सिंपल लूक में भी वो बोहोत प्यारी लग रही थी। उपर से उसके सर पर कुमकुम टिका उसकी खुबसूरती को और बढा रहा था। तब सई बेल्ट लगाते हुए उसे देखकर बोली, "क्या हुआ सर?"



    वंश अपनी सेन्स मे आया और बोला, "वो ये टिका, ये क्यू? हम किसी मंदिर मे नही जा रहे है, मिस जोशी।"



    सई मुस्कुराकर बोली, "पता है सर, पर वो मेरी मम्मा कहती है की कोई भी अच्छा काम करने जाओ तब टिका लगाना शुभ होता है।"



    वंश अपना सर हिला कर बोरियत से कहता है - "ये सब कहने की बाते है, ये कोई मेरे लिए तो नया नहीं है। मैने ऐसी बोहोत सी मिटिंग हेंडल की है बीना टिका लगाये। फिर भी सक्सेस हुआ हूँ।"



    सई ने कहा - "सर, ये तो सबकी अपनी-अपनी सोच होती है। भले ही आपके लिए ये मिटिंग नॉर्मल होंगी पर मेरे लिए तो ये मेरा पहला कदम है ना सक्सेस पाने का।"



    वंश उसकी बातो पर हल्का सा मुस्कुरा दिया और फिर कार स्टार्ट करके अपनी मंजिल की ओर चल पडा।



    सई खिडकी से बाहर का नजारा देख रही थी तो वंश अपनी कार ड्राइव कर रहा था और बीच-बीच में तिरछी नजरो से सई को देख रहा था।



    वो चाहते हुए भी खुद को रोक नहीं पा रहा था, सई को देखने से। उसे देख वो मन ही मन कहता है, "कमाल है यार, आज तक जो भी लडकी मुजसे मिली है उसने कभी मुज पर से नजरे नहीं हटाई और ये है की मुजे देख भी नही रही है। उपर से आज पहली बार सामने से मेरी नजरें ना चाहते हुए भी बार-बार उसपर चली जा रही है। नो वंश नो, खुद को कंट्रोल कर। इसके झांसे मे नही आना है। ये सब इस लडकी का दिखावा है। तू बस अपने मिशन पर ध्यान दे।"



    ये सोचते हुए उसने अपनी कार की रफ्तार तेज करदी।



    अब आगे next part में ✍✍✍



    क्या होने वाला है इस सफर में? क्या वंश कर देगा अपनी हर हद पार, सई के साथ? क्या वंश का असली चेहरा आ जायेगा सई के सामने या होगा इससे उल्टा? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 8. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 8

    Words: 2422

    Estimated Reading Time: 15 min

    सई तुम्हारी बहन है?



    अब आगे



    वंश और सई कंपनी के काम से मुंबई से बाहर जा रहे थे। वंश खुद सई को उसके घर लेने आया था।



    करीबन एक-डेढ घंटे बाद वे लोग मुंबई से अब काफी दूर आ चुके थे। वंश कार ड्राइव करते हुए बोला, "सो मिस जोशी तुम्हारे पेरेंट्स मान गए?"



    सई हल्का मुस्कुराती हुई बोली - "हाँ, सर वो दुर्गा दी भी तो थी ना, तो उन्होने मना लिया। सब बोहोत प्यार करते है ना मुजसे।"



    वंश ने अपना सर हिला कर कहा - "हम्म। वैसे फैमिली की क्या अहमियत है तुम्हारे लिए मिस जोशी?"


    सई बडे ही सरलता से बोली, "परिवार वो है जहाँ हम अपनो की और वे हमारी परवाह बीना की किसी नफा-नुकसान का सोचकर करते है। फैमिली वो है जो बीना किसी अपेक्षा से एक-दूसरे से प्यार करते है। फैमिली का साथ और प्यार हमे हिम्मत देता है दुनिया की हर मुश्किल से लड़ने मे।" इतना कहकर वह वापस से खिडकी के बाहर देखने लगी।



    सई की बाते वंश के दिल को छू ली और उसने मन ही मन सोचा, "I can't believe क्या तुम सच मे इतनी अच्छी हो सई? या मै ही तुम्हारी अच्छाई को गलत नजरिये से देख रहा हूँ? ओह गॉड मै पागल हो जाऊंगा ये सब सोच-सोचकर। अब तो कुछ भी हो तुम्हारी असलियत तो मै जान ही जाऊंगा आज की मै गलत हूँ या तुम?"



    कुछ देर बाद वंश ने कहा, "मिस जोशी मै चाहता हूँ की आज की इस मिटिंग में presentation तुम दो।"



    सई हैरान होते हुए बोली, "मै? सर मै कैसे? मुजे तो कोई एक्सपीरियंस भी नही है।"



    वंश कार ड्राइव करते हुए - "हाँ, तो यही वक़्त है कुछ सिखने का। और मै जानता हूँ कि तुम कर लोगी। अब मुजे कोई एक्सक्यूज़ नही चाहिये।"



    सई का ये पहला presentation था। उसे बोहोत डर लग रहा था। वो खिडकी से बाहर देखते हुए अपने हाथों को एक दुसरे से रगड रही थी।



    वंश ने उसकी ये गबराहट देखकर उसके हाथो पर अपना हाथ रखा और कहा, "हेय, don't be panic...रिलेक्स"



    सई उसे देखकर हिचकिचाते हुए बोली, "सर अगर मेरी वजह से आपका नुकसान हो गया तो? मुझसे कोई गलती हो गई तो?"



    वंश अब उसके हाथो पर से अपना हाथ हटाकर, कार रोककर अपना लैपटॉप पीछे की सिट से लेकर उसे देते हुए कहता है, "इसमे सारी डिटेल्स है, इसे अच्छे से स्टडी करो, समज जाओगी।"



    सई ने लैपटॉप लेकर उसे ऑन करके उस presentation की फ़ाईल को ओपन करके उसे ध्यान से देखने लगी।



    सई उस presentation को ध्यान लगाकर देख रही थी। लैपटॉप पर अपने हाथ चलाते हुए उसकी चूडियो की खनक वंश को सुकून दे रही थी।



    वंश बार-बार सई की हरकतो को नेटिस कर रहा था जो presentation समजते हुए कभी अपने नाखून चबाती तो कभी अपना मुंह बनाकर सर खुजा देती। ये सब देखकर उसके चेहरे पर अनायास ही स्माइल आ जाती है।



    बीच-बीच मे वो वंश से किसी टॉपिक पर सवाल भी कर लिया करती। जिसका जवाब वंश सरलता से उसे समझा देता।



    कुछ समय बाद वे लोग मुंबई से भी आगे एक 7 स्टार होटल मे जा पोहोंचे। वंश के कार रोकते ही दोनो अब कार से उतर गए। तभी वहाँ एक गार्ड भागता हुआ आया। वंश ने अपनी कार key उसे दे दी। और सई को लेकर होटल के अंदर जाने लगा। गार्ड वंश की कार को पार्क करने लगा।



    सई ने जब अंदर आकर होटल को देखा तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई। होटल बोहोत ही शानदार और खूबसूरत था। तब सई धीरे से बुदबुदाई, "सिर्फ एक मिटिंग के लिए इतना खर्चा कौन करता है?" ये सब सुनकर वंश जो उसके साथ चल रहा था वो हंस देता है और तुरंत फिर चुप हो जाता है।



    तब होटल का मेनेजर वंश के पास आकर उसे और सई को ग्रीड़ करता है। और वंश से कहता है, "सर वो सब आ चुके है आपका इन्तजार ही कर रहे है।"



    मेनेजर वंश और सई को रुम मे ले जाने लगा जहाँ मिटिंग रखी गई थी। सई को अब गबराहट हो रही थी। जैसे वे लोग रुम में पोहोंचे तब वहाँ already तीन लोग बेठे हुए थे।



    उन्हे देखकर सई की गबराहट और बढ गई। अब दोनो जाकर सोफे पर बैठ गए। वे तीनो मे से एक आदमी सबका introduction देने लगा। मिस्टर वंश मै हूँ, हरीश। फिर दुसरे इन्वेस्टर से मिलवाते हुए कहता है, "ये है मिस्टर अनुपम और ये जो तीसरे इन्वेस्टर है ये है मिस्टर जीत माथुर।"



    उन सबने वंश के बाद सई को ग्रीड़ किया पर एक लड़का जिसका नाम था जीत माथुर जो करीबन वंश की ही उमर का था उसने सई के आगे अपना हाथ बढा दिया।



    वही सई ने ये देखकर हल्का सा मुस्कुराकर अपने हाथ जोड़कर उसे ग्रीड़ किया। जिस पर वंश मन ही मन मुस्कुरा दिया। वही वो जीत थोडा चिढते हुए insult फील करते हुए वापस से अपनी जगह बेठ गया।



    वंश अब सबको देखकर बोला, "आज का presentation मिस जोशी आपको explain करेगी। सो रेडी?" सभी हाँ में अपना सर हिला देते है। वंश सई को इशारा करता है।



    सई हाँ में अपना सर हिलाकर अब एक बार उपर की ओर देखकर अपने हाथ जोड़कर प्रार्थना करती है और लैपटॉप ओपन करने लगी। वंश उसके ये करते ही हल्का स्माइल कर देता है।



    सई अब एक गहरी सांस लेकर उस presentation को स्टेप बाय स्टेप explain करने लगी। सभी घॉर से उसे सुन रहे थे। उसके explain करने के तरीके को देखकर कोई ये नही कह सकता की उसे कोई एक्सपीरियंस नही है। वंश तो जैसे उसमे खो ही गया था।



    सई अब लैपटॉप जो तीन इन्वेस्टर आये हुए थे उसे दिखाकर आगे के स्टेप समजाने लगी। वंश उसकी मेहनत साफ़-साफ़ देख सकता था। वही कोई और था जिसकी नजरे सई के presentation से ज्यादा सई पर थी। और वो जीत था, जो उसे उपर से नीचे एकटक देख रहा था।



    वंश ने उसकी नजरो को भांप लिया था। उसे गुस्सा तो बोहोत आ रहा था पर फिलहाल कोई तमाशा नही करना चाहता था। उसे बस अब presentation खतम होते ही सई को लेकर यहाँ से निकलना था।




    कुछ टाईम बाद presentation खतम होते ही उन तीनो ने सई के लिए तालियाँ बजा दी जिसे देखकर सई खुश हो गई। फिर उनमे से एक इन्वेस्टर हरीश ने कहा, "बोहोत खुब कितनी अच्छी तरीके से explain कीया है आपकी secretary ने मिस्टर वंश सिन्घानीया।"



    वंश को आज किसिका सई को उसकी secretary कहना अच्छा नही लगा। तब जीत ने कहा , "सो मिस जोशी आपतो सच में कमाल है। खूबसूरत होने के साथ-साथ आप इंटेलिजेंट भी है।"



    सई ने कोई जवाब दिया सिर्फ मुस्कुरा दिया। तब उसका फोन बजता है। सई देखती है की उसकी माँ का कॉल था। वो वंश की तरफ देखती है तो वंश ने कहा, "Go and receive the call."



    सई हाँ में अपना सर हिलाकर फिर उन इन्वेस्टर्स को देखकर एक्सक्यूज़ करती है। और वहाँ से उठकर रुम से बाहर चली जाती है। वंश की नजर उस जीत पर थी जो सई को जाते हुए देख रहा था।



    तब वो हरीश सई की तारिफ मे बोला, "आपकी secretary सच में तारिफ की हकदार है मिस्टर सिन्घानीया। चेहरे से ही उसकी इमानदारी और मेहनत साफ झलक रही है।" वंश हल्का मुस्कुराकर अपना सर हिला देता है



    तब उस जीत ने बडी ही बेशर्मी से कहा, "वैसे कहाँ से ढूंढा इस कोहिनूर हीरे को मिस्टर सिन्घानीया? काश पहले मुजे मिली होती तो मै इसे अपना बना लेता।"



    सभी उसकी और अजीब तरीके से देखते है तब जीत ने बात को बदलते हुए कहा, "I mean to say, अपनी PA बना लेता। और एक बात, मिस्टर सिन्घानीया जब आप इससे बोर हो जाये तब आप इसे मेरे पास भेज दिजीयेगा मै इसे अपनी कम्पनी मे जॉब दे दूंगा।"



    वंश उसे घुरने लगा जिससे जीत ने दोबारा कहा, "मेरा मतलब है की अब सेक्रेटरी तो बदलती ही रहती है तो इस बेचारी को भी काम की जरुरत तो होंगी ही! तो मै इसे दे दूंगा....काम।" जीत की बातो का डबल मिनिंग को बखुबी समजते हुए वंश की मुठ्ठीयाँ कस जाती है।



    वही अनुपम ने हरीश के कान के पास जाकर कहा, "ये ठरकी जीत, अपनी हरकतो से बाझ नही आयेगा। कही इसकी ऐसी बातो से वंश सिन्घानीया नाराज होकर हमसे डील करने से मना ना करदे।"



    हरीश हाँ में अपना सर हिलाकर बोला, "हाँ हाँ, मुजे भी यही डर है। हमे बात को बदलना चाहिये।"



    उतने में ही सई भी अपना कॉल attend करके वापस आ चुकी थी। सई अब वापस आकर सोफे पर बेठती उससे पहले ही वंश ने गुस्से में अब किसीको बीना जवाब दिये और वहाँ से उठकर सई का हाथ पकड़ कर उसे बेठने से रोकते हुए थोडा सर्द अवाज में कहता है, "तो अब आप सबका जो भी जवाब हो मुजे बता दीजियेगा।"



    सई ने अपना बैग और लैपटॉप ले लिया। तब अनुपम  ने थोडा गबराते हुए कहा, "इतनी भी क्या जल्दी है मिस्टर वंश, आइये लंच करते है।"



    वंश सई को दरवाजे की ओर ले जाते हुए कहता है - "नो थैंक्स हमे लेट हो रहा है। हम चलते है।"



    इतना कहकर वह सई का हाथ पकड़ कर अपने साथ ले जाने लगा। सभी हैरानी से उसे जाते हुए देख रहे थे।



    यहाँ सई भी वंश के इस बिहेवियर को समज नही पा रही थी। वही वंश बीना कुछ बोले तेज कदमो से सई का हाथ मजबूती से थामे होटल से बाहर ले जाने लगा। उसके तेज कदमो से सई को जल्दी चलने मे प्रॉब्लम हो रही थी। सई हैरानी से वंश के इस बिहेवियर को देख रही थी। उसकी पकड से सई को अपने हाथ मे पहनी हुई घड़ी हल्की चुभ रही थी।



    वंश अब सई को कार मे बेठाकर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ कर गुस्से में कार ड्राइव करने लगा।



    कार की स्पीड बढते हुए देखकर सई डर रही थी। सई ने डरते हुए कहा, "स....सर क्या हुआ? आप ऐसे क्यू?"



    वही वंश को बार-बार उस जीत की कही हुई बात उसके कानो मे घुंज रही थी,,,


    •••••••


    "सो मिस जोशी आपतो सच में कमाल है। खूबसूरत होने के साथ-साथ आप इंटेलिजेंट भी है।"

    "वैसे कहाँ से ढूंढा इस कोहिनूर हीरे को मिस्टर सिन्घानीया? काश पहले मुजे मिली होती तो मै इसे अपना बना लेता।"

    "I mean to say, अपनी PA बना लेता। और एक बात मिस्टर सिन्घानीया जब आप इससे बोर हो जाये तब आप इसे मेरे पास भेज दिजीयेगा मै इसे अपनी कम्पनी मे जॉब दे दूंगा।"

    "मेरा कहने का मतलब है की अब सेक्रेटरी तो बदलती ही रहती है तो इस बेचारी को काम की जरुरत तो होंगी ही तो मै इसे दे दूंगा....काम।"


    •••••••



    ये सब याद आते ही वंश की पकड स्टीयरिंग पर कस गई। और उसने कार की स्पीड और बढा दी जिससे सई ने गबराहट के मारे सीट को कसके पकड़ लिया और उसे अवाज देने लगी, "सर....प्लीज धीरे चलाइये मुजे डर लग रहा है।"



    वंश को तो जैसे कुछ सुनाई ही नही दे रहा था। सई अब देखती है की सामने से एक ट्रक आ रहा है। जिससे उसकी आंखे बडी हो जाती है और गबराहट से वो जोर से चिख पडी, "सर.....।"




    वही आज दुर्गा और विकी एक restaurant मे मिलने आये हुए थे। दोनो लंच ऑर्डर करके फिर बाते कर रहे थे तब दुर्गा ने कहा, "वैसे कैसा लगा मिस सई जोशी का काम आपके दोस्त को?"



    विकी मुस्कुराकर - "बोहोत मेहनती है वो लडकी। और एकदम काइंड hearted भी। सच कहू, तो कभी-कभी मुजे उसमे तुम्हारी परछाई दिखती है। ऐसा लगता है कि जैसे तुम दोनो बहने हो!"



    दुर्गा हंसते हुए कहती है - "अरे, तो इसमे लगना क्या है? हम बहनें ही तो हैं।"



    विकी की मुस्कुराहट गायब हो गई और वो हैरानी से बोला, "क्या? सई तुम्हारी बहन है?"



    दुर्गा अपना सर हिला कर कहती है - "हाँ। लगता है, शायद आपने नाम पर ठीक से घॉर नही किया? मिस सई विवेक जोशी और मै दुर्गा विवेक जोशी।"



    "अरे हाँ, मैने इस बात पर ध्यान कैसे नही दिया? इतनी बडी गलती कैसे हो गई मुझसे?" विकी ने अपना सर पकड लिया और मन ही मन खुद को कोसने लगा।



    तब दुर्गा की आवाज आई _ "वैसे भी उसका सपना था वंश सर के साथ काम करने का और वो मौका आपने मुजे दे दिया। जब ये बात मैने सई को बताई वो तो बोहोत खुश हो गई थी। थैंक यू विकी आपने बोहोत अच्छा किया।"



    सई के लिए दुर्गा का प्यार देखकर विकी हल्की स्माइल कर देता है। सई की नेचुरल ब्यूटी को देखकर अब विकी भी परेशान हो जाता है। उसे डर था की कही वंश सई को बाकी लडकियो की तरह समजकर उसका गलत फायदा उठाने की कोशिश ना करे।



    विकी अब दुर्गा को देखकर सीरियस होकर पूछता है, "सई का क्या कहना है वंश के बारे मे, दुर्गा? उसकी क्या सोच है उसको लेकर? उसे कैसा लगा वंश?"



    दुर्गा मुस्कुरा कर बोली, "पूछिये ही मत। अरे, वो तो बोहोत तारिफ करती है और कहती है वो बोहोत ही workholic, काम के लिए dedicated और ये भी कह रही थी कि बोहोत स्ट्रीक्ट है।"



    ये सुनकर विकी ने चैन की सांस ली और सोचता है की वंश को सई की खुबसूरती से कोई लेना-देना नही है क्युकी सई हाई क्लास लडकियो जैसी नही थी।



    विकी इसबात से बेखबर था की वंश ऑलरेडी सई की खुबसूरती से अफेक्ट हो चुका था।




    Joshi House


    वही सवी अपने घर से जल्दबाजी मे निकल रही थी। तब पूनम ने उसे रोकते हुए कहा, "कहाँ जा रही है सवी? वैसे भी आज का मौसम कुछ खास अच्छा नही लग रहा है। बारिश की सीज़न शुरु हो रही है तो कभी भी तुफान आ सकता है।"



    सवी ने पीछे मुडकर उसे देखकर कहा - "मम्मा वो मै प्रीती के साथ एक पार्टी मे जा रही हूँ, फिर रात को उसके घर ही सो जाऊंगी।"



    पूनम उसे टोकते हुए कहती है - "बेटा तू कब जिम्मेदार बनेगी? ऐसा अकेले बाहर घुमना सही नही है कुछ ऊंच-नीच हो गई तो?"



    सवी पूनम के हाथो को थामकर बोली, "मम्मा आपको आपकी परवरिश पर भरोसा है ना, तो फिर चिंता मत किजीये। मै खुद को संभाल सकती हूँ, चलो बाय। love you.." इतना कहकर वह उसके गले लगकर निकल जाती है।



    पूनम उसे जाते हुए देखकर अपना सर लाचारी से हिलाकर कहती है - "हे भगवान बडे सपनो की चक्का-चौंध मे ये लड्की कुछ नहीं समज पा रही है। इससे कोई गलती ना हो जाए इसबात का ध्यान रखना।" फिर वो भी जाकर अपने काम मे लग जाती हैं।



    अब आगे next part में ✍✍✍



    क्या होगा अब सई और वंश के साथ? क्या पूनम का डर सवी के लिए सच साबित हो जायेगा? क्या विकी का सई के लिए डर सच साबित हो जायेगा? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 9. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 9

    Words: 2310

    Estimated Reading Time: 14 min

    I Am Impressed By Your Answer



    अब आगे



    यहाँ कार में



    वंश अपने होश खोए, तेज गति से कार चला रहा था। उसे किसी चीज का होश नहीं था। उसके दिलो-दिमाग मे तो बस सिर्फ जीत की कही हुई बाते याद आ रही थी।



    सई कबसे वंश को आवाज दे रही थी पर वंश तो जैसे किसी और ही दुनिया मे था। वंश ने कार की स्पीड और बढा दी जिससे सई गबराहट के मारे सीट को कसके पकड़ लिया और उसे अवाज देने लगी, "सर....प्लीज धीरे चलाइये मुजे ड....डर लग रहा है।"



    वंश को तो जैसे कुछ सुनाई ही नही दे रहा था। सई अब देखती है की सामने से एक ट्रक आ रहा है तो सई की आंखे बडी हो जाती है और गबराहट से वो जोर से चिल्लाई, "सर.....।"



    तब वंश एकदम से अपनी सेन्स मे आया और ट्रक को देखकर अपनी कार को जटके से घुमा दिया और साइड करके ब्रेक मारकर कार रोक दी। वो खुद नही समज पा रहा था कि उसे क्या हो गया था?



    वो अपने बालो मे हाथ फेराते हुए खुद को शांत करता है तब उसकी नजर सई पर जाती है जो अपने चेहरे को अपनी हथेली मे छुपाकर सिसक रही थी।



    वंश को अब एहसास हुआ की वो अकेला नही था, सई भी उसके साथ है। उसने सई के कन्धे पर हाथ रखा।



    सई ने अपने हाथों को अपने चेहरे से हटाकर वंश को देखा और रोने लगी। वंश को अब खुद पर ही गुस्सा आ रहा था कि उसने सई को कितना डर दिया है।



    सई रोते हुए बोली, "स....सर आपको क्या हो गया था? मैने आपको कितनी आवाज दी, आप इतने गुस्से मे क्यू है? क्या आप मुझसे नाराज हैं? मैने....मैने presentation अच्छा नही दिया क्या?"



    वंश नाँ मे अपना सर हिला कर उसका चेहरा अपने हाथों में थामकर उसके आँसू पोछकर बोला, "I'm....I am so sorry Sai, मैने तुम्हे डरा दिया। वो पता नही, पर मै कुछ और सोच रहा था, थोडा परेशान था। तुम...तुम डरो मत हम्म, सब ठीक है ओके? और मै तुमसे बिलकुल भी नाराज नहीं हूँ, तुमने बोहोत अच्छे से presentation को explain किया था।"



    फिर उसे कार से पानी की बॉटल लेकर देते हुए कहा, "लो पानी पीयो और शांत हो जाओ।"



    सई ने सुबकते हुए पानी पीकर खुद को शांत किया और वंश ने फिरसे कार ड्राइव करना स्टार्ट किया।



    सई अब खुद को शांत करके खिडकी से बाहर देख रही थी। पर उसके दिमाग मे अभी भी ये ख्याल आ रहा था कि वंश को हुआ क्या था, अचानक से? सई को नॉर्मल देखकर वंश को भी तसल्ली हुई।



    वही कुछ समय बाद सई भी अब नॉर्मल हो चुकी थी तब वंश ने चुप्पी तोड़ी और कहा, "Better now?"



    सई ने उसकी ओर देखकर हाँ में अपना सर हिला कर कहा, "हम्म।"



    वंश अब अपनी कार एक होटल के पास आकर रोकता है लंच के लिए। अब दोनो ही कार से उतरकर होटल के अंदर जाने लगे। अंदर आकर अपने टेबल पर बेठकर वंश उसे देखकर पूछता है - "क्या खाओगी?"



    सई नोर्मली कहती है - "सर, जो भी मंगवाना है मँगवा लिजिये। I don't Mind..."



    सई को होटल को ऐसे देखते हुए देखकर वंश ने पूछा - "क्या हुआ तुम्हे होटल पसंद नही आया?"



    सई ने होटल को देखकर कहा, "नही सर, ऐसा नही है। खाना ही तो खाना है, चाहे होटल मे बेठकर खाओ या खुले आसमान के नीचे बेठकर। पेट भरने से मतलब है।"



    वंश कंफ्यूजन मे - "तुम क्या कभी होटल मे खाना खाने नही गई ?"



    सई मुस्कुराकर बोली, "नही....नही सर ऐसा नही है की मै कभी गई नही हूँ ऐसे होटल मे खाना खाने पर मुजे ज्यादा तर रोड पर जो वो भैया लोग अपनी लारी लेकर खडे होते है ना वही खाना पसंद है।"



    वंश अपना मुंह बनाकर - "तुम वैसा खाना कैसे खा सकती हो?"



    सई नासमझी मे कहती है - "क्यू सर? मै जानती हूँ आप इतने बडे इन्सान है इसलिए आपको आदत नही है। पर पता है इसके दो फायदे है। पहला की वो खाना हमारी नजरो के सामने ही बनता है और दुसरा की होटल के महंगे फूड तो हर कोई खाता ही है और अगर हम ऐसे किसी लारी वाले से कुछ खायेंगे तो उसकी कमाई भी हो जायेंगी और उसके घर मे भी कोई भूखा नही सोयेगा।"



    सई की मासूमियत ने और उसकी बातों ने फिरसे एक बार वंश के दिल मे हलचल पैदा करदी। उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ जाती है। फिर वेटर के आने पर वंश ने खाना ऑर्डर किया।



    कुछ देर में खाना आ जाने के बाद दोनो ने खाना खाया और फिर वापस से कार मे बेठकर निकल पडे।




    Club Venue, Mumbai



    वही सवी अपने बॉयफ्रेंड क्रिश और कुछ दोस्तो के साथ क्लब आई हुई थी। आज यहाँ उनके ग्रुप के फ्रेंड की बर्थडे पार्टी थी। इसलिए वही सब इकट्ठा हुए थे। अभी और भी दोस्त आना बाकी थे। ऐसे ही समय बितता गया।



    अब जानते है क्रिश मेहता के बारे में, जो 5.9" का हेंडसम 28 साल का लड़का, एक कान मे छोटी सी एअरिन्ग, गोरा रंग, काले बाल, एक जानिमानी फैमिली से belong करता है।



    उसके पापा की एक इवेंट कम्पनी थी। जिसे अब क्रिश ही संभालता था क्युकी उसके पापा एक ऐक्सीडेंट की वजह से दिमाग से काफी कमजोर हो चुके थे जिससे क्रिश ने अब उन्हे रिटायर होने को कहकर घर पर आराम करने को कहा था।



    क्रिश और सई एक wedding के function में मिले थे जिससे उन दोनो के बीच अच्छी दोस्ती हो गई और फिर प्यार।



    सवी और क्रिश के प्यार के बारे में दुर्गा और सई जानती है। क्रिश की फैमिली मे सिर्फ उसकी माँ जानती थी।



    कुछ देर मे सभी दोस्त आने लगे। अब शाम को 7 बज चुके थे। वही बाहर का मौसम भी अब खराब हो चला था। सीज़न के हिसाब से तुफान के साथ-साथ बारिश भी शुरु हो चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे सच मे किसीकी जिंदगी मे तुफान आने वाला है।



    वही दुर्गा ने आज का दिन अच्छे से विकी के साथ मनाया था और फिर विकी उसे घर छोडकर सीधा अपने घर को निकल गया।




    वही सई और वंश भी बारिश से होते हुए कार लेकर आगे बढ रहे थे। तभी आगे चलकर अचानक से उनकी कार रुक जाती है। सई ने गबराते हुए कहा, "सर क्या हुआ?"



    वंश ने एक-दो बार कार चालू करने का ट्राई किया पर दुर्भाग्यवश कार बंध पड़ गई थी। सई को बहुत डर लग रहा था, वो बोली, "अब क्या होगा सर?"



    वंश उसे देखकर दिलासा देते हुए कहता है - "रिलेक्स, चिंता मत करो। तुम यही बेठो मै अभी आता हूँ।"



    सई हाँ में अपना सर हिला देती है। वंश कार से बाहर जाकर कोई हैल्प ढूँढने लगा।



    वही सई अपना फोन लेकर अपने घर कॉल करने का ट्राई करने लगी। पर नेटवर्क इश्यू की वजह से कॉल नही लग रहा था।



    कुछ देर बाद वंश आकर उसकी साइड का डोर खोलकर सई को बोला, "चलो, यहाँ रुकना सेफ नही है। बाहर आओ।" वंश काफी भीग चुका था।



    सई भी कार से बाहर निकलकर वंश के साथ जाने लगी। वंश उसे एक छोटे से कॉटेज के वहाँ लेकर गया। जहाँ कोई नही था। और डोर पर ताला लगा हुआ था।



    वंश ने ताला एक पथ्थर की मदद से तोड दिया। ये देखकर सई ने आंखे बडी करके हैरानी से कहा, "सर ये क्या किया आपने? ऐसे किसिके घर मे घुसना crime है।"



    वंश डोर खोलते हुए कहता है - "ये crime का पाठ बाद मे पढाना। अभी हमारा किसी सेफ जगह रुकना जरूरी है। चलो अंदर।" दोनो अब कॉटेज के अंदर चले जाते है। वंश डोर बंध कर देता है।



    सई देखती है की कॉटेज बोहोत ही छोटा पर खुबसूरत था। सिर्फ एक रुम था वही उसमे ही छोटा सा किचन भी था। एक जगह एक छोटा सा चारपाई बैड था। और बाहर की ओर बाथरूम था।



    वंश भीग जाने की वजह से वही पडी एक बैग मे कुछ ढूँढने लगा अपने लिए। तब उसमे से उसने एक सादी सी t-shirt और ट्राऊजर निकाला और बाथरूम में जाकर चेंज करने चला गया।



    वही सई अपने घर दुर्गा को कॉल करने लगी। इसबार कॉल लग जाने पर सई ने यहाँ रुकने के बारे में सबकुछ बता दिया। तब सई के पिता विवेक भी वही पर थे जिन्होने उसे खुद का ख्याल रखना कहकर फिर फोन कट कर दिया। अब सई को राहत मिली की उसके घर वालो को सब पता था की वो कहाँ पर है?



    वही वंश चेंज करके आया फिर सई को देखा, जो किचन में कुछ ढूँढ रही थी। वंश उसके पास आकर बोला, "तुम्हे चेंज नही करना, तुम भी तो भीग चुकी हो।"



    सई पीछे मुडकर उसे देखकर बोली, "नही सर, मै इतना भी नही भीगी हुई हूँ। चल जाएगा।"



    वंश सवालिया होकर - "वैसे क्या ढूँढ रही थी तुम?"



    सई - "कुछ खाना बनाने के लिए सामान ढूँढ रही थी सर। पर यहाँ पर तो सिर्फ कुछ ही सामान है जिससे सिर्फ पुलाव ही बन पायेगा।"



    वंश मुस्कुरा कर बोला, "तुम्हे खाना बनाना आता है?"



    सई जटसे बोल पडी - "हाँ हाँ, सर मै भी अच्छा खाना बना लेती हूँ। मेरी मम्मा जैसा तो नही बनता फिर भी बना लेती हूँ।"



    वंश - "तो ठीक है, बनाओ फिर।"



    सई हाँ में अपना सर हिला कर बोली, "सर आप बाहर वैट किजीये, मै कुछ ही देर में बनाकर लाती हूँ।" वंश हम्म्म कहकर वहाँ से चल जाता है।



    वंश बाहर जाकर अपनी कार से एक shampen  की बॉटल लेकर आता है। वंश ड्रिंक करता था इसलिए उसकी कार मे बॉटल कई बार पडी रहती थी। फिर वही पडी एक चेयर पर बैठ कर वहाँ साइड से ग्लास लेकर उसमे ड्रिंक डालने लगा। उसे लगा था की सई भी नॉर्मल shampen तो पिती ही होंगी इसलिए उसने दो ग्लास मे वो ड्रिंक निकाली।



    और अपनी ड्रिंक करते हुए अपना मोबाइल लेकर उसमे mail चेक करने लगा। बीच-बीच में वो तिरछी नजरो से सई को देखता था जिसका ध्यान कुकिंग मे था।



    कुछ समय बाद सई दो प्लेट मे पुलाव निकालकर लेकर एक प्लेट वंश को देकर दुसरी प्लेट खुद लेकर फिर वही नीचे बेठकर खाने लगी।



    वंश ने उसे उसकी ग्लास दी तब सई ने कहा, "सर मै ड्रिंक नही करती। मै ये नहीं पी सकती।"



    वंश हँसते हुए कहता है, "रियली मिस जोशी आर यू किडिंग मी? You don't drink like , seriously? Alchohol and parties are addiction for the youngsters nowadays & तुम्हे एक सिम्पल सी shampen भी नही पीनी है?"



    सई सीरियस होकर बोली, "जरूरी तो नहीं सर की आज की इस addiction को हर यंगस्टर follow करे। मेरी parents की सिख को मै कभी गलत प्रूव नहीं होने दूंगी। वैसे भी क्या रखा है इस alchohol में? सिर्फ cool रहने और किसीको दिखाने के लिए इसे पीना जरूरी है तो नही, मै ऐसे ही cool हूँ। cool दिखने के लिए ऐसे जबरदस्ती के दिखावे मुजे पसंद नही। coolness आपके attitude और intelligence मे होती है। ना की इन स्टुपिड से ड्रिंकिंग और parties में। मै तो कहती हूँ आपको भी नही पीना चाहिए सर।"



    सई की clean bold बाते सुनकर वंश स्माइल कर देता है और बोला, "I am impress by your answer मिस जोशी। & you know what, तुम beauty और intelligence का एक परफ़ेक्ट combination हो।" सई ने मुस्कुराते हुए अपना खाना शुरु किया।



    वंश ने पहला स्पून पुलाव खाते ही उसके चेहरे पर स्माइल आ गई और धीरे से बोला, "बिलकुल माँ जैसा खाना बनाती हो तुम सई।" जो सई ने नहीं सुना था। दोनो ही खाना खाने लगे।




    वही क्लब में जोरो-शोरो से पार्टी चल रही थी। तब सवी बाहर का नजारा देखकर क्रिश से बोली, "क्रिश हम घर कैसे जायेंगे? ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही है।"



    क्रिश उसके गले मे अपना हाथ लपेटकर कहता है - "डोंट वरी जान, अगर बारिश रुक गई तो ठीक है वरना यहाँ पर भी तो रूम्स है ही, हम वही ठहर जायेंगे।"



    वही कोई था जो क्रिश और सवी की बाते सुन रहा था। वो अब ड्रिंक करते हुए बोला, "आज मै तुम्हे पाकर रहूंगा सवी। बोहोत घमंड है ना तुम्हे अपनी इस खुबसूरती पर। तो आज ये खुबसूरती मेरी होंगी।"



    तब वो लड़का एक ग्लास मे कुछ मिलाकर एक वैटर को बुलाकर वो ग्लास सवी को देने के लिए कहता है।



    सवी वही एक टेबल पर अकेली बेठी हुई थी। क्रिश कॉल attend करने साइड मे गया हुआ था। तब सवी के पास वो वैटर आया और ज्यूस का ग्लास उसकी ओर बढा दिया। सवी ने वो ग्लास ले लिया और पीने लगी।



    वही वो लड़का सवी को ड्रिंक पीते देख, एक शैतानी स्माइल कर देता है। और वहाँ से कही चला जाता है। सवी अब ज्यूस पी लेने के बाद कुछ देर में उसे चक्कर जैसा आने लगा। उसे नशा सा चढने लगा। जिससे वो अब वहाँ से उठकर बाथरूम की ओर जाने लगी।



    तब क्रिश भी अपना कॉल खतम करके सवी के पास आता है और उसे वहाँ ना देखकर उसे ढूँढने लगता है।



    वही सवी लडखडाते हुए बाथरूम मे आती है तब वही लड़का उसके पास आकर उसकी कमर कस कर उसे अपने करीब करके कहता है, "हेय बेबी। What are you doing here? Come with me, हम अपना टाईम एन्जॉय करते है।"



    सवी अपना सर उठाकर उसे देखकर गुस्से मे उसे धक्का देकर बोली, "निलेश तुम? जस्ट stay away from me, understand?"



    सवी वहाँ से जाने लगी। तब निलेश नशे मे उसका फायदा उठाते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचकर उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा।



    सवी उसे खुद से दूर करने लगी। पर नशा चढ़ जाने के कारण वो ज्यादा हिम्मत नही कर पा रही थी। वो चिल्लाए जा रही थी, "लीव मी।"



    तब एक जोर का मुक्का निलेश के मुंह पर आकर पडता है जिससे वो सवी से दूर जाकर गिरता है।



    अब आगे next part मे✍✍✍



    कौन है जो आया है सवी को बचाने? क्या सई की अच्छाइया जानकर सई के प्रती अपनी सोच को बदल पायेगा वंश? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 10. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 10

    Words: 2006

    Estimated Reading Time: 13 min

    सवी और क्रिश का रोमांस ❤






    अब आगे



    क्लब, मुंबई



    क्रिश फोन पर बात करने के लिए चला जाता है, तब सवी के पास वो वैटर आया और ज्यूस का ग्लास उसकी ओर बढा दिया। सवी ने बिना सोचें-विचारें वो ग्लास ले लिया और ज्यूस पीने लगी।



    वही वो लड़का, जिसने उस वैटर को भेजा था, वो एक शैतानी स्माइल कर देता है। और वहाँ से कही चला जाता है। सवी अब ज्यूस पी लेने के बाद कुछ देर में उसे चक्कर जैसा आने लगा। उसे नशा सा चढने लगा। सवी अब वहाँ से उठकर वॉशरूम की ओर जाने लगी।



    तब क्रिश भी अपना कॉल खतम करके सवी के पास आता है और उसे वहाँ ना देखकर हैरान होकर, उसे ढूँढने लगता है। वो अपने दोस्तों से सवी के बारे मे पूछने लगा।



    वही सवी लडखडाते हुए बाथरूम की ओर आती है तब वही लड़का उसके पास आकर उसकी कमर कस कर उसे अपने करीब खींचकर कहता है, "हेय बेबी। वॉट are you doing here? Come with me, हम अपना टाईम एन्जॉय करते है।"



    सवी अपना सर उठाकर उसे देखकर गुस्से मे उसे धक्का देकर बोली, "निलेश तुम? जस्ट stay away from me, understand?"



    सवी वहाँ से जाने लगी। तब निलेश नशे मे उसका फायदा उठाते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचकर उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा।



    सवी उसे खुद से दूर करने लगी। पर नशा चढ़ जाने के कारण वो ज्यादा हिम्मत नही कर पा रही थी। वो चिल्लाए जा रही थी, "लीव मी।" निलेश अपनी मनमानी कर रहा था।



    तब एक जोर का मुक्का निलेश के मुंह पर आकर पडता है जिससे वो सवी से दूर जाकर गिरता है।



    निलेश मुडकर देखता है तो क्रिश गुस्से मे उसके सामने खडा उसे घुर रहा था। वो अब निलेश के पास जाकर उसका कॉलर पकड़ कर उपर उठाकर उसकी जम के पिटाई करता है। निलेश के मुंह से खुन आने लगा था।



    फिर उसे warning देते हुए कहता है, "मेरी सवी से दूर रहना। अगर अब तुजे मैने उसके आसपास भी देखा तो जान से मार दूंगा, चल निकल यहाँ से।" कहकर उसे धक्का दे देता है।



    निलेश उन दोनो को घुरता हुआ जा रहा होता है। अब क्रिश सवी के पास आया, जो दीवार से सटकर खडी थी।



    क्रिश उसे पकड़ कर आवाज देता है, तब सवी अपनी आंखे खोलकर उसे देखकर मुस्कुरा कर अपनी नशीली आवाज मे उसके गले मे अपनी बांहे डालकर बोली, "क्रिशु My love तुम कहाँ चले गये थे? वो कमीना निलेश मुजे छेड रहा था। तुम्ही ने उसे भगा दिया ना?"



    क्रिश उसकी आंखे देख हैरान होकर, फिर गंभीर आवाज मे बोला, "तुमने ड्रिंक की है, सवी?"



    सवी जटसे नाँ में अपना सर हिला कर बोली, "नहीं....नहीं, ज्यूस...सिर्फ ज्यूस पिया था। मैने तो सिर्फ ज्यूस पिया था, फिर भी चक्कर आ रहे है।" क्रिश समज चुका था ये जरूर निलेश की ही चाल होंगी।



    तब सवी उसके चेहरे के करीब आकर नशीली आवाज मे कहती है - "you know What, I love you so much Krishu. मुजसे कभी दूर मत जाना। मै तुम्हारे बीना नही जी पाऊंगी।"



    क्रिश मुस्कुराकर उसकी फोरहेड पर किस करके कहता है, "I love you too sweetheart और मै भी नही जी सकता तुम्हारे बीना।"



    सवी मुस्कुराते हुए क्रिश के और करीब आकर अपने होंठो को क्रिश के होंठो से जोड़कर उसे किस करने लगी। क्रिश वही जम गया। उसने एक्सपेक्ट नही किया था कि सवी ऐसा कुछ करेगी!



    सवी उसके बालो मे अपने हाथ फेराते हुए पेशनेट किस कर रही थी, जिससे क्रिश भी अब उसे किस बेक करने से खुद को रोक नही पाया। दोनो की आंखे बंद हो जाती हैं।



    क्रिश उसकी कमर और सर पर अपने हाथ रखकर डीप किस करने लगा। वही कोई था जो उनके इस प्यार भरे लम्हे को अपने फोन मे कैद कर रहा था और वो निलेश था जो क्रिश और सवी की विडियो बना रहा था।



    उनकी विडियो बनाकर निलेश शैतानी मुस्कुराहट से बोला, "अब देखो मै क्या करता हूँ, डार्लिंग सवी। बोहोत पिटवाया है, तुमने मुझे इस क्रिश से। मेरी insult करके अच्छा नही किया, तुमने। तुम दोनो को तो अब मै सबख सिखाऊंगा।"



    इतना कहकर वह वहाँ से निकल गया। वही कुछ देर बाद क्रिश सवी से दूर होता है। सवी उसके गले लगकर गहरी सांसे ले रही थी। क्रिश अब उसे अपनी गोद मे उठाकर वही क्लब के एक रुम में ले जाता है। सवी की हालत ठीक ना होने पर क्रिश को उसे इस समय घर ले जाना सही नही लगा।



    सवी अपने हाथ क्रिश के गले में लपेटकर अपनी नशीली आंखो से मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी। वही क्रिश ने भी थोडी ड्रिंक की हुई थी जिससे उसे भी अब थोडा नशा चढ़ रहा था। वो भी उसे ईंटेंस नजरो से देखते हुए रुम की ओर बढ गया।





    मुंबई से दूर



    वही वंश और सई का खाना खतम होने के बाद अब बारी थी सोने की। अब बैड, जो कि छोटे से चारपाई जैसा था। वो एक और सोने वाले थे दो लोग। तो क्या होता?



    सई जो किचन मे पानी पी रही थी, वो अब पानी पीकर बाहर आती है। तब वंश बैड की बेडशीट ठीक करके बैड पर बेठकर कहता है, "चलो let's sleep मिस जोशी।"



    सई ये सुनकर अपनी आंखे बडी करके वंश को देख रही थी। वो उसे जवाब देने से डर रही थी। वो अपनी ही जगह पर खडी एकटक वंश को देख रही थी और इस बात से डर रही थी की कही वंश उसकी बाते सुनकर फिरसे नाराज ना हो जाये।




    क्लब के रूम मे, मुंबई



    वही क्रिश अब सवी को रुम मे लाकर बैड पर लेटाकर उसकी फोरहेड पर किस करके कहता है, "अब आराम करो। बारिश रुकते ही हम घर चलते है, ओके?" इतना कहकर वह दुसरे रुम मे जाने लगा।



    सवी उठकर भागती हुई आकर रुम के डोर को बंध करके लॉक कर देती है। क्रिश उसे हैरानी से देख रहा था। सवी आज किसी और ही मुड में थी। वो आज क्रिश से दूर नही होना चाहती थी। सवी मुडकर क्रिश को देखने लगी।



    क्रिश ने कुछ कहना चाहा तो सवी ने अपने होंठ पर उंगली रखकर उसे चुप रहने का इशारा किया और वही पडे म्युजिक सिस्टम को ऑन कर दिया। उसमे एक रोमांटिक गाना प्ले हुआ.....



    सवी अपने होंठो पर उंगली रखकर उस गाने की लिप सिंग करती हुई क्रिश के पास आती है,,,,



    ""होंठों पे बस तेरा नाम है
    तुझे चाहना मेरा काम है



    (क्रिश मुस्कुराता हुआ रुम का डोर खोलने जाने लगा। सवी ने उसकी जेकेट पीछे से पकडकर उसे रोक दिया। और गाते हुए उसे पीछे से गले लगाकर आगे गाने लगी,,,,,)



    होंठों पे बस तेरा नाम है
    तुझे चाहना मेरा काम है
    तेरे प्यार में पागल हूँ मैं सुबह-ओ-शाम
    जानम आई लव यू, यू लव मी



    (सवी अब क्रिश के सामने आकर अपनी पीठ क्रिश के सीने से लगा देती है। क्रिश उसके पेट पर अपने हाथ कसकर लिप सिंग करने लगा और डांस करने लगता है,,,,)



    होंठों पे बस तेरा नाम है
    तुझे चाहना मेरा काम है
    तेरे प्यार में पागल हूँ मैं सुबह-ओ-शाम
    जानम आई लव यू, यू लव मी..



    (सवी अब आगे के म्युजिक मे अपनी जेकेट उतारकर फेंक देती है। और अपने बालो को खोल देती है। क्रिश ईंटेंस नजरो से सवी को देख रहा था। शर्ट - जीन्स और खुले बालो मे सवी बोहोत attractive लग रही थी। अब सवी डांस करती हुई क्रिश के पास आकर उसका चेहरा पकड़ कर आगे गाती है,,,,)



    ये रात सोई, है खोई-खोई,
    अरमान मेरे, हैं जागे-जागे,
    ये क्या मुझे हो गया,



    (क्रिश उसकी कमर पर अपने हाथों को कस कर खुद से सटाकर उसके फिर उसके बालो की लटो को उसके कान के पीछे करते हुए फिर एक हाथ से उसका सर पकड़कर आगे गाता है,,,,)



    ज़ुल्फों के साये, चिलमन बनाये,
    आ मैं दीवानी, इनको हटा दूँ,
    देखूँ तेरा चेहरा,



    (सवी उसके होंठो के नजदीक आकर आगे गाती है,,,)



    दीवानगी का जाम है, तू इश्क का ईनाम है



    (क्रिश अब उसके गले पर किस करते हुए आगे गाता है,,,)



    तेरे प्यार में पागल हूँ मैं सुबह-ओ-शाम,



    (सवी उसके बालो मे हाथ फेरते हुए,,,,



    जानम आई लव यू, यू लव मी?



    (क्रिश उसके गले, कॉलरबोन पर किस करते हुए गाता है,,,,)



    जानम आई लव यू, यू लव मी..



    (सवी अब क्रिश की जेकेट उतारकर उसके शर्ट के उपर के दो बटन खोलकर उसके सीने पर किस करती है। जिससे क्रिश बहक रहा था, वो अपने हाथ से पीछे से सवी के बालो को कसके पकड़कर उसका चेहरा उपर करके उसके होंठो की तरफ बढता है। तब सवी मुस्कुराती हुई उसे हल्का सा धक्का देकर  वहाँ से भागती हुई बाल्कनी मे चली जाती है। क्रिश अपने बालो मे हाथ फेराता हुआ उसके पीछे-पीछे बाल्कनी मे जाता है। सवी बाल्कनी मे सीलिंग से सटकर अपने हाथो को फैलाकर बारिश मे भिगती हुई अपनी कमर लचकाकर डांस करते हुई गाती है,,,,)



    ठंडी हवाएँ, जादू जगाये,
    मेरी निगाहें हैं, प्यासी-प्यासी,
    छाने लगा है नशा,



    (वही क्रिश पर भी अब पर नशा छा गया था। शराब का नही पर सवी की खुबसूरती का और उसके प्यार का। वो पीछे से उसे अपनी बांहो मे भरकर अपना चेहरा उसके गले मे छुपाकर आगे गाता है,,,)



    ये गोरी बाहें, तुझको बुलायें,
    आजा मिटा दूँ, दूरी ज़रा-सी,
    हो ना कोई फ़ासला,



    (सवी अब उसकी ओर पलटकर उसके कंधे पर हाथ लपेटकर गिरने लगी। तब क्रिश उसे कमर से पकड़कर रोक लिया और उसके उपर झुककर उसके गले पर किस कर रहा था। वही सवी उसके एहसास मे खोई अपनी आंखे बंद करके आगे गाती है,,,,)



    दिल का यही पैगाम है, तू चैन है, आराम है



    (क्रिश अब झटके से उसे उपर उठाते हुए आगे गाता है,,,,)



    तेरे प्यार में पागल हूँ मैं सुबह-ओ-शाम,



    (सवी उसका चेहरा पकड़ कर पुरे चेहरे पर किस करते हुए गाती है,,,)



    जानम आई लव यू, यू लव मी?,



    (क्रिश उसकी पीठ पर अपने हाथ फेराते हुए,,,,)



    जानम आई लव यू, यू लव मी?



    (अब सवी क्रिश के होंठो पर अपने होंठ रख देती है और दोनो एक-दूसरे को पेशनेट किस करने लगे। दोनो ही बारिश की आती हुई छींटो से भीग चुके थे।)



    होंठों पे बस तेरा नाम है
    तुझे चाहना मेरा काम है



    (क्रिश भी उसे किस बेक करता है। दोनो ही अब सबकुछ भूलकर एक-दूसरे मे खोने लगे थे।)



    तेरे प्यार में पागल हूँ मैं सुबह-ओ-शाम
    जानम आई लव यू, यू लव मी?
    जानम आई लव यू, यू लव मी?..।।"




    क्रिश उसे किस करते हुए अपनी गोद मे उठा लेता है और रुम मे ले जाने लगता है। रुम मे लाकर उसे किसी फूल की तरह बैड पर प्यार से लेटा देता है। सवी उसकी शर्ट को पकड़ कर उसे अपने उपर खिंचती है।



    क्रिश उसके उपर गिर जाता है। दोनो की किस डीप होने लगी थी। क्रिश अब उसके होंठो को छोडकर उसके गले पर किस और बाइट करने लगता है। जिससे सवी की सिसकिया निकलती है। क्रिश और सवी दोनो ही एक-दूसरे मे खो गये थे।



    सवी उसके शर्ट के बटन्स को खोलकर उसकी शर्ट रीमूव करती है। वही क्रिश की मस्क्युलर बॉडी सवी को उसकी तरफ खिंच रही थी। क्रिश भी सवी के शर्ट के बटन्स खोलकर उसे रीमूव करता है और नीचे बढते हुए किस और बाइट कर रहा था।



    क्रिश उसकी बॉडी पर अपने निशान छोड रहा था। सवी के हाथ क्रिश के बालो मे उलज रहे थे। कुछ देर में दोनो के कपडे जमीन पर बिखरे हुए थे।



    क्रिश अपना हाथ लंबाकर साइड से लाईट ऑफ कर, अब दोनो के उपर कम्बल खिंच लेता है। अब क्रिश के हाथ सवी की बॉडी पर मूव होने लगे।



    क्रिश अब सवी के होंठो पर अपने होंठ रखकर उसके अंदर एंटर करता है। जिससे सवी के हाथ क्रिश के बालो पर कस जाते है और उसकी आँखों से आंसू आ जाते है।



    उसकी आवाज उसके मुंह मे रह जाती है। अब क्रिश उसे तकलीफ ना हो उस तरह से मूव होने लगा। दोनो एक-दूसरे के प्यार मे पूरी तरह से खो जाते है।



    अब आगे next part में ✍✍✍



    ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤



    क्या असर होगा क्रिश और सवी के इस प्यार भरे लम्हों का सई की जिंदगी पर? क्या वंश के मन से आज सई को लेकर सारी गलतफहमियां दूर हो पायेगी? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 11. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 11

    Words: 2264

    Estimated Reading Time: 14 min

    सई के लिए प्यार की परिभाषा





    अब आगे



    मुंबई से दूर, कॉटेज मे



    वंश बैड की बेडशीट ठीक करके बैड पर बेठकर कहता है, "चलो let's sleep मिस जोशी।"



    सई ये सुनकर अपनी आंखे बडी करके वंश को देख रही थी। वो उसे जवाब देने से डर रही थी। वो अपनी ही जगह पर खडी एकटक वंश को देख रही थी और इस बात से डर रही थी की कही वंश उसकी बाते सुनकर फिरसे नाराज ना हो जाये।



    सई को अपनी जगह ऐसे ही जमे हुए देखकर वंश थोडा गुस्से मे उसे देखते हुए कहता है, "पूरी रात क्या वही खडे होकर बितानी है तुम्हे? Look मिस जोशी, मै already बोहोत थका हुआ हूँ इसलिए चुप चाप सो जाओ, कोई ड्रामा किये बीना और हमे सुबह होते ही जल्दी निकलना भी है। मैने अपने PA से कहकर कार ठीक करवाने के लिए मेकेनीक को भी बुलवा लिया है। अब सुबह बारिश रुकते ही हम निकल जायेंगे।"



    सई अपना skirt अपनी मुठ्ठी मे कसकर  हिचकिचाते हुए बोली, "मै आपके साथ ऐसे एक ही बैड पर नही सो सकती सर।"



    सई की बात वंश के पहाड जैसे ईगो पर जैसे लग जाती है। अब वंश गुस्से मे बैड से उठकर सई के पास आकर उसकी बाजुओ को कसकर पकड़ अपने करीब करके कडक आवाज मे कहता है, "तुम समजती क्या हो अपने आपको मिस जोशी? तुम्हे क्या लगता है की मै मरा जा रहा हूँ तुम्हारे साथ सोने के लिए या तुम्हे लगता है की मुजे तुम्हारा attention चाहिए? तुम इतने ज्यादा नखरे वंश सिन्घानीया को दिखा रही हो?"



    वंश का चेहरा सई के चेहरे के बेहद करीब था। दोनो की सांसे एक-दूसरे से टकरा रही थी। सई उसकी बातो को और गुस्से को देखकर अपनी नजरे झुकाकर उसे समजाते हुए कहती है, "न....नही सर, आप...आप मुजे गलत समज रहे है। मेरा कहने का वो मतलब नही था। वो आप मेरे लिए एक पराये मर्द है। & Without any relationship I can't share bed with you...मै अपने माता-पिता के दिये हुए संस्कारो को कैसे भुल सकती हूँ? उन्होने पहली बार मुझे बडे ही भरोसे के साथ आपके साथ भेजा है, तो मै उनका वो भरोसा कैसे तुटने दे सकती हूँ? Please try to understand sir.."



    सई की बातो से वंश को धक्का सा लगा। उसे लगा था की अकेले में सई उसे seduce करने का कोई मौका नही छोडेगी बाकी लडकियो की तरह। लेकिन यहाँ seduce करना तो छोडो पर सई नॉर्मल एक बैड भी share नही करना चाहती थी।



    सई को डरते हुए देखकर अब वंश शांत होकर उसकी बाजूओ को छोडकर प्यार से बोला, "इट्स ओके, I understand, जाओ तुम बैड पर लेट जाओ। मै नीचे सो जाता हूँ।"



    वंश अब वहाँ पडी एक mat लेकर उसे बिछाकर तकिया लेकर लेटने लगा तब सई ने कहा, "सर आप क्यू नीचे सो रहे हैं? आपको आदत नहीं है, मै सो जाती हूँ आप बैड पर लेट जाइये।"



    सई की परवाह सुनकर वंश कडक आवाज मे बोला, "मुजे ऑर्डर देना पसंद है मिस जोशी, लेना नहीं। जो बोला है वो करो। जाओ जाकर सो जाओ।"



    सई अब बैड पर चली जाती है और लेट जाती है। वो जब करवट लेती है तभी वंश भी उसकी ओर करवट लेता है। और दोनो की नजरे एक-दूसरे से जा मिलती है।



    सई उसे देखकर प्यारी सी मुस्कुराहट देती है और बोली, "गुड नाइट सर।"



     जिसे देखकर वंश भी हल्का सा मुस्कुरा देता है और बोला, "हम्म, गुड नाइट मिस जोशी।"



    सई अब अपनी आंखे बंद कर देती है। वंश कुछ देर तक उसे देखता रहा, फिर अपनी आंखे बंद कर देता है। कुछ तो बदला था आज। सई को लेकर वंश की गलतफहमियां तो दूर हो गई थी पर क्या उसकी अच्छाई के चलते वंश सुधरेगा या सई को पाने के लिए कोई नया गेम खेलेगा? ये तो वक़्त ही बतायेगा।




    अगली सुबह



    वंश की जब आंखे खुली तो देखा सूरज की हल्की धुप छोटी सी खिडकी से होते हुए कॉटेज के अंदर आ रही थी। उसके साथ ही पंछियों की चहचहाट से वहाँ का माहोल और भी खूबसूरत लग रहा था।



    वंश अब वहाँ से उठकर बाथरूम की ओर जाने लगा तब उसकी नजर सई पर पडती है। सई को सुकून से सोते हुए देखकर वंश स्माइल कर देता है।



    वंश उसके पास जाकर बैड पर बैठ जाता है। सई को बीना किसी फिकर के चैन से सोता हुआ देखकर वंश को भी एक अलग सा सुकून मिल रहा था। फिर उसे कम्बल ओढाकर उसकी फोरहेड पर किस कर देता है। फिर वहाँ से उठकर बाथरूम मे चला जाता है।




    कुछ देर बाद जब वंश अपने कपड़े पहनकर तैयार होकर अपने शर्ट की बाजुओ के फ़ोल्ड करता हुआ अंदर आता है, तो देखता है सई बैड पर बेठी अपनी आंखे बार-बार झपका रही थी। नीन्द मे उसका क्यूट सा चेहरा देखकर वंश मुस्कुराकर कहता है, "गुड मॉर्निंग मिस जोशी, अब उठ जाओ वरना हम लेट हो जायेंगे।"



    सई अब वहाँ से उठकर जाने लगी तब नीन्द में होने की वजह से अपनी आंखे रगडते हुए आ रही थी, कि तब अचानक से वो लडखडा जाती है। वो नीचे गिरती उससे पहले वंश उसे थाम लेता है। अब सई की नीन्द पूरी तरह से उड गई थी।



    वंश उसके चेहरे को देखकर बोला, "लगता है तुम्हारी नीन्द अभी तक खुली नही है।"



    सई तुरंत उससे दूर होते हुए बोली _ "नही सर, ऐसा नही है। वो नई जगह है ना इसलिए मुजे ठीक से नीन्द नही आई थी।"



    वंश ने अपना सर हिला कर कहा - "ठीक है, बाद में ठीक से रेस्ट कर लेना। अब जल्दी से तैयार हो जाओ। हमे निकलना है।"



    सई हाँ में अपना सर हिला कर बाथरूम मे चली जाती है। कुछ देर बाद सई के आने के बाद अब दोनो ही वहाँ से कार मे बेठ कर निकल गये।





    क्लब के रुम मे



    वही रुम मे सवी और क्रिश सुकून से सो रहे थे। तब सवी की आंख खुलने लगी थी। उसके सर मे हल्का सा दर्द हो रहा था। वो उठने लगी तब उसे अपनी कमर पर भारीपन महसूस हुआ। जब वो अपना चेहरा उठाकर देखती है तो क्रिश का हाथ उसकी कमर पर लपेटा हुआ था। फिर अपना चेहरा घुमाकर देखती है तो क्रिश उसके बाजू मे सोया हुआ था।



    वो क्रिश का हाथ धीरे से हटाकर उठकर बेठ जाती है। तब उसे दर्द का एहसास होता है। जब वो अपने कपड़े जमीन पर देखती है और खुद की और क्रिश की हालत देखकर उसे समजने मे जरा भी देर नही लगती की उन दोनो के बीच कल रात को क्या हुआ था?



    उसे अब सब याद आने लगा था। जिसकी वजह से उसकी आँखों से आंसू आ गये थे। वो खुद को blanket से ढककर रोने लगी। तब उसके सिसकने की आवाज सुनकर क्रिश कसमसाते हुए अपनी आंखे खोलता है।



    सवी को रोता हुआ देखकर तुरंत बेठ जाता है और उसके कन्धे पर हाथ रखकर उसे शांत कराते हुए कहता है, "सवी।"



    सवी उसे देखकर रोते हुए बोली, "ये ठीक नही हुआ क्रिशु। ये गलती कैसे हो गई? मुजे ये पाप नही करना चाहिए था।" इतना कहकर वह और रोने लगी।



    क्रिश उसका चेहरा अपने हाथों मे थामकर प्यार से कहता है, "शश्श....रोना बंध करो सवी। हमारे प्यार को पाप का नाम मत दो। ये पाप तब होता जब हम एक-दूसरे से अंजान और प्यार नही कर रहे होते। & I am so sorry, मुजे ध्यान रखना चाहिए था। पर पता नही ये सब...."



    सवी नाँ मे अपना सर हिलाकर बोली, "नही, इसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं है क्रिशु। क्या मुजे नही पता की आज से पहले कभी तुम मेरी मर्जी के बगैर मेरे करीब नही आये। पता नही मुजे ही क्या हो गया था? पता नही मै ही कैसे बहक गई ?"



    क्रिश उसके आंसू पोछते हुए कहता है, "तुम्हे निलेश ने ड्रिंक मे कुछ पिला दिया था। इसिलिए तुम्हे होश नही था।"



    सवी ये सब सुनकर कल रात का याद करने लगी और इस बात से खुद को कोसने लगी की उसने वो ज्यूस पिया ही क्यू? वो अपनी आंखे बंद करके खुद से ही गुस्सा हो रही थी।



    तब क्रिश ने उसका चेहरा थामकर प्यार से उसकी फोरहेड पर किस करके उसे समजाते हुए कहा, "किसी भी तरह का गिल्ट फील मत करो सवी। मेरा प्यार तुम्हारे लिए सिर्फ जिस्मानी नही था। तुम मेरी रूह से जुडी हुई हो। & I promise मै कभी तुम्हारा साथ नही छोडूंगा।" सवी उसके गले लगकर रोने लगती है।



    क्रिश उसके सर को सहलाते हुए कहता है, "मै बोहोत जल्द माँ-पापा से बात करूंगा हमारी शादी के लिए।"



    फिर कुछ देर बाद दोनो अलग होकर सवी बैडशीट को पकड़ कर उठने को हुई तो उसे दर्द महसूस हो रहा था। जिससे वो उठ नही पा रही थी। पर क्रिश से कहने मे हिचकिचा रही थी।



    क्रिश ये समजते हुए अब वहाँ से उठकर सवी के पास आता है। सवी देखती है की क्रिश ने सिर्फ अपनी जीन्स पहनी हुई थी। बाकी वो शर्ट लेस था, तो अपनी नजरे इधर-उधर करने लगी।



    क्रिश अब उसे बैडशीट के साथ अपनी गोद मे उठाकर बाथरूम मे ले जाने लगा। तब क्रिश उसे ले जाते हुए कहता है, "तुम कहो तो मै नहला दू?"



    सवी ये सुनकर बैड शीट से अपना चेहरा जटसे ढककर नाँ मे अपना सर हिला देती है जिससे क्रिश हंसने लगा और उसे बाथटब में बेठाकर उसके कपड़े बाथरूम ने रखकर फिर वहाँ से बाहर चला जाता है। सवी गर्म पानी बाथटब मे भरने लगी। कुछ देर मे सवी बाथ लेकर रेडी हो जाती है।



    उसके बाहर आने के बाद क्रिश अब शॉवर लेने चला जाता है। कुछ देर बाद अब दोनो ही तैयार होकर घर के लिए निकल जाते है।




    वही दूसरी ओर कार मे सई खिडकी से अपना सर टिकाकर बाहर का नजारा देख रही थी। तब वंश ने ड्राइव करते हुए अचानक से पुछ लिया, "प्यार क्या है तुम्हारे लिए मिस जोशी?"



    सई एकदम से हैरान हो गई वंश के मुंह से ऐसी बात सुनकर। वो हैरानी से उसे देखकर बोली, "क्या?"



    वंश हिचकिचाते हुए कहता है, "अ....I mean to say की प्यार की क्या परिभाषा है तुम्हारे लिए? क्या तुम प्यार जैसी चीजो मे मानती हो?"



    सई खिडकी से बाहर का सुन्दर सा नजारा देखकर कहती है, "बिलकुल मानती हूँ। प्यार या प्रेम एक एहसास है सर, जो दिमाग से नहीं दिल से होता है। प्यार एक भावना है जो आमतौर पर किसी के प्रति एक मजबूत स्नेह से जुड़ी होती है। प्यार वो है जो सिर्फ जिस्म से ही नही रूह से महसूस किया जाता है। पवित्र प्रेम वह है, जहां किसी तरह की कोई शर्त नहीं होती, वह किसी भी तरह की सीमा से परे है। न जन्म का बंधन, न जात पात, न उंच नीच, न ही कोई योग्यता, केवल दो निर्मल दिलो का एक दूसरे से मिलना, एक दूसरे की ख़ुशी के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने के लिए तैयार रहना, एक दूसरे के सुख में सुखी और दुख में दुखी होना यही पवित्र प्रेम है। पवित्र प्रेम का सबसे अच्छा उदाहरण राधा कृष्ण का प्रेम, मां बच्चे का प्रेम है। और सर वो प्रेम के बारे में कहा गया है ना कि,,


    "प्रेम न खेतो उपजै, प्रेम न हाट बिकाई,
    राजा प्रजा जेहि रूचे, सिर दे सो ले जाई।।"



    सई के मुंह से प्यार को लेकर इतनी गहरी बाते सुनकर वंश के चेहरे पर मुस्कान छा जाती हैं।



    वंश अब थोडा सीरियस होकर उससे पूछता है, "क्या तुम्हारी जिंदगी मे कोई ऐसा है? I mean बोयफ्रेंड वगैरा?"



    सई उसकी बात सुनकर हल्का मुस्कुराकर कहती है _ "नहीं सर, मेरी जिंदगी मे अभी तक ऐसा कोई भी नहीं है। मै सिर्फ अपनी फैमिली से प्यार करती हूँ। वो दुनिया है मेरी।"



    सई की बात पर कि उसकी लाइफ मे कोई बोयफ्रेंड वगैरा नही है, ये जानकर वंश को एक अलग ही खुशी मिली थी।



    "वैसे तुम कैसा जीवनसाथी expect करती हो? I mean तुम्हारी भी तो अपने जीवनसाथी को लेकर कोई तो सोच होंगी ही?"



    सई मुस्कुराकर उसे देखकर बोली, "है ना सर। मुजे ऐसा लड़का अपने जीवनसाथी के रूप मे चाहिए जो मुजसे बोहोत प्यार करे, भले ही मुजे बडे गिफ्ट्स नही भी देगा तो चलेगा, पर मेरी रिस्पेक्ट करे, मेरे परिवार को भी मान-सन्मान दे। एक लडकी यही तो चाहती है। शकल-सुरत ठीक-ठाक होंगी तो चलेगा पर उसका दिल खुबसूरत होना चाहिए, पैसा भी ज्यादा नही होगा तो भी कोई परेशानी नही है। बस एक चिज होनी चाहिए और वो है लोयल। मुजे ना ये प्ले बॉय टाइप लड़को से सख्त नफरत है। जो किसी एक से वफादार नही होते और कपडो की तरह लड़कियाँ बदलते है। अगर ऐसा इन्सान कभी मेरे सामने आ जाये तो मै तो उसका मुंह काला करके गधे पर बिठाकर पुरे शहर मे घुमाऊ।" ये सुनते ही वंश को खांसी आ जाती है।



    वंश अब सई की बात सुनकर अपना मुंह बनाकर बुदबुदाया, "यहाँ लड़कियाँ मेरे पैसे और मेरा चार्म देखकर ही तो मरती है मुज पर। यही तो चीजे है मेरे पास एक पैसा-पावर और हेंडसम सी शकल और मेडम को यही नही चाहिए, हुँह।"



    सई ने वंश की ओर देखकर कहा, "कुछ कहा सर आपने?"



    वंश झूठी मुस्कुराहट के साथ बोला, "नही तो, बस यही की ऐसा लड़का ढूँढने के लिए Best of Luck..."



    सई खुश होकर बोली, "थैंक यू सर।"



    वंश लाचारी से अपना सर झटक लेता है। कुछ समय बाद वंश की कार सई के घर के आगे रुकती है।



    सई वंश को देखकर बाय कहकर वहाँ से निकल जाती है। वंश उसे जाता हुआ देख रहा था। फिर अपनी कार ड्राइव करके अपने घर के लिए निकल गया।



    अब आगे next part मे ✍✍✍



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    क्या सवी की ये गलती उसकी फैमिली मे किसीको पता चल पायेंगी? क्या वंश अपनी जगह बना पायेगा सई के दिल मे? क्या होगा जब सई जानेगी वंश की असलियत? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 12. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 12

    Words: 2477

    Estimated Reading Time: 15 min

    एक नई उभरती भावना






    अब आगे



    सिन्घानीया मेंशन, मुंबई



    वंश अब घर पोहोंचकर घर के अंदर जाता है तब निलम वंश की माँ उसे रोककर कहती है, "आ गये जनाब? कहाँ थे पूरी रात, एक फोन नही होता तुमसे?"



    वंश मुस्कुराकर उसके पास आकर कहता है - "सॉरी माँ, वो कॉल नही कर पाया। वो ज्यादा बारिश की वजह से कार भी खराब हो गई थी इसलिए एक कॉटेज मे रुक गये थे।"



    नीलम अपना सर हिला कर कहती है - "हम्म, आज भी एक नई लडकी के साथ रात बिताकर आए हो ना तुम? कब ये सब छोडोगे वंश?" कहते हुए उसकी आवाज गंभीर थी।



    वंश बीच मे ही बोल पडा - "नही माँ, ऐसा कुछ नही है। आपको पता है मै मीटिंग के लिए गया था और उसमे सई भी मेरे साथ थी। बारिश की वजह से मैने ठीक नही समजा कि उसे लेकर रिस्क लू।"



    नीलम अपने हाथ आपस मे बांधते हुए कहती है - "हम्म, सई? बोहोत अच्छा नाम है। विकी ने बोहोत तारिफ की है उसकी। अब इस नई सेक्रेटरी को कब भगाने का इन्तज़ाम किया है मेरे सुपुत्र ने?"



    वंश मुस्कुराते हुए कहता है, "मै जानता हूँ आप क्या कहना चाहती हो माँ? पर मै बता दू कि हमारे बीच ऐसा कुछ नही हुआ कल।"



    नीलम चौंकते हुए कहती है _ "वॉट? ये चमत्कार कैसे हो गया? बतायेंगे जरा?"



    वंश कही खोए हुए अंदाज मे कहता है, "हाँ माँ ये चमत्कार ही तो है। बाकी लडकियो की तरह मेरी सई को लेकर भी यही सोच थी लेकिन इन दिनों मे मैने उसे जाना कि वो बोहोत अलग है। you know what माँ, बाकी लड़कियाँ बडी और महंगे गिफ्ट्स देखकर खुश होती है और सई....सई छोटी-छोटी चीजो मे खुशियाँ ढूँढ लेती है। बाकी लड़कियाँ पहले अपने शोख, अपनी लाइफ के बारे मे सोचती है पर सई उसे सबसे पहले अपने परिवार का ख्याल आता है। अपने माता-पिता के संस्कार उनके प्रती उसका प्रेम ही सबकुछ है उसके लिए। मेरे साथ पूरी रात रहने के बावजूद भी उसने एक नजर मुजे उस नजर से देखा तक नही। सच मे उसकी सोच बोहोत अलग है माँ।"



    नीलम घॉर से उसके चेहरे को देखती है, वंश आज उसे बदला-बदला सा लग रहा था। ये महसूस कर उसके चेहरे पर खुशी छा जाती है। ऐसा लग रहा था कि जिस दिन का उसे इन्तज़ार था वो दिन आज आ ही गया। वो हल्का मुस्कुरा देती है।



    नीलम अब बोली, "अच्छा, तो अब तो मुजे भी मिलना है उससे कि आखिर ऐसा कौन है, जिसने मेरे बेटे के दिल मे अपनी जगह बना ली है?"



    वंश उसे हैरानी से देखकर बोला, "What जगह? ऐसा वैसा कुछ नही है माँ। आप...आप कुछ भी मत सोचिये।" इतना कहकर वह अपने रूम मे चला जाता है।



    नीलम उसे जाते हुए देखकर मुस्कुराकर बोली, "तुम चाहे कुछ भी कहो वंश, पर तुम्हारी बातो मे मैने गहराई महसूस की है। सई की बात करते वक़्त तुम्हारे चेहरे पर जो चमक थी, वो मैने अच्छे से नोटिस की है। कुछ तो है, जो बदल रहा है तुम्हारे अंदर। अब तो जरुर मिलना चाहूंगी, मै तुमसे सई।" इतना कहकर वह अपने रुम मे चली जाती है।



    वही सई अपने घर आकर अपने रुम मे जाकर शॉवर लेकर रेडी हो जाती है तब वो देखती है सवी मिरर में देखकर मायुसी से बाल बना रही थी। तब सई उसके पास आई और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोली, "क्या हुआ सवी? सब ठीक है ना?"



    सवी अपनी सेन्स मे आकर सई की ओर मुडती है और एकदम से उसके गले लग जाती है। सई उसके इस बिहेवियर से गबरा जाती है और उसकी पीठ पर हाथ रखकर बोली, "कुछ हुआ है क्या सवी, बताना यार? बोहोत डर लग रहा है मुजे।"



    सवी उसके गले लगे ही बोली, "नही, कुछ नही हुआ है। सब ठीक है और सई जब भी मुजे तेरी जरूरत होंगी तो तु मेरा साथ देगी ना?"



    सई मुस्कुराते हुए बोली, "अरे, ये भी कोई पूछने की बात है। मै हमेशा तेरे साथ हूँ, हम्म? चल अब नाश्ता करते है, फिर मुजे ऑफिस भी जाना है।"



    सवी भी उससे अलग होकर मुस्कुराकर हाँ में अपना सर हिला कर दोनो अब नीचे हॉल मे जाने लगी।



    वे दोनो अब नीचे हॉल मे आकर dinning area मे आकर बेठ जाते है और नाश्ता करने लगे। सई नाश्ता करते हुए सबको उसका पहला presentation देने की खुशी जाहिर करती है। सभी उसे खुश देखकर बोहोत खुश थे।




    कुछ देर मे सबका नाश्ता हो जाने के बाद सभी काम के लिए निकल जाते है। देव पहले ही स्कूल चला गया था। अब सवी और पूनम ही घर पर थे। तब सवी को एक कॉल आता है। सवी कॉल रिसीव करके बात करने के बाद पूनम के गले लगकर बोली, "मम्मा....मम्मा....मम्मा मै बोहोत खुश हूँ। वो कॉल सेंटर से कॉल आया था। उन्होने मुजे आज ही इंटरव्यू के लिए बुलाया है।"



    पूनम खुश होकर उसके सर पर किस करते हुए बोली, "अरे वाह, जा मेरी बच्ची। देखना तु पास हो जायेंगी इस इन्टरव्यू मे, मेरा आशीर्वाद है।"



    सवी मुस्कुराते हुए बोली, "मम्मा मै चलती हूँ, बाय।"



    पूनम अपना सर हिला कर - "हाँ, बाय बेटा।" सवी भी अब अपनी मंजिल की तरफ पहला कदम बढाने निकल पडी थी। पूनम अपने कामो मे लग जाती है।




    सिन्घानीया ग्रुप औफ़ कंपनी



    यहाँ सई आकर रोज के अनुसार वंश की schedule फ़ाईल और कॉफी लेकर वंश के केबिन मे जाती है। तब वंश अपने लैपटॉप में देखते हुए कहता है, "मिस जोशी कुछ देर में ऑफिस के फ़र्स्ट फ्लोर पर जाना है। कुछ इम्पोर्टेन्ट बात करनी है।"



    सई येस सर कहकर वहाँ से चली जाती हैं। वंश उसे जाते हुए देखकर अपनी चेयर पर लीन होकर कहता है, "फ़र्स्ट टाईम किसीको लेकर वंश सिन्घानीया को गलती हो गई सई। और मुजे खुशी है कि ये गलती मुजसे हुई, अगर ये गलती मुजसे नही हुई होती तो कैसे मै तुम्हारी इस प्यारी सी इनोसंस को जान पाता? ये दुनिया बोहोत बुरी है सई और इस बुरी दुनिया से मै हमेशा तुम्हे सिक्योर करके रखूंगा। I promise you that....be mine Sai forever & ever...अब तुम चाहो या ना चाहो किसीको भी मै तुम्हारे पास नहीं आने दूंगा। तुम्हे अब हमेशा-हमेशा के लिए मेरी ही बनना है।"



    वही सई केबिन से बाहर निकलकर मुस्कुरा कर खुद से कहती है, "वंश सर कितने ज्यादा अच्छे है। High class society के सबसे रिच & फेमस इन्सान होने के बावजूद भी कितने सरल है। मम्मा ऐसे ही मुजे लेकर डर रही थी। मै पूरी तरह से सेफ हूँ उनके साथ। मुजे उनसे डरने की कोई जरूरत नहीं है।"




    कुछ देर बाद सभी नीचे जमा हो चुके थे। सभी ये जानने के लिए उत्सुक थे कि वंश ने सबको क्यू बुलाया है ऐसे? कुछ देर बाद सई, विकी और वंश वहाँ पर आ जाते है।



    विकी अब सबको देखकर बोला, "हल्लौ everybody, तो आपको पता होगा की परसो मंडे को इस कंपनी को शुरु हुए पुरे 50 साल हो जायेंगे। इसलिए वंश की मॉम नीलम आंटी ने यहाँ एक पूजा organize की है। सो, Monday सुबह सब तैयार होकर आ जाना। पूजा और लंच के बाद ऑफिस का काम कंटीन्यू होगा।" सभी खुश होकर तालियाँ बजा देते है।



    वंश और विकी अब वहाँ से निकल जाते है। तब वंश की एम्प्लोयी जिसका नाम ज्योती था वो सई के पास आई और बोली, "Hiii, तुम नई हो यहाँ पर?"



    सई उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा कर बोली, "हा, मै सर की नई सेक्रेटरी मिस सई जोशी और तुम?"



    ज्योती मुस्कुराकर - "Hiii my self मिस ज्योती मेहरा। मैने अभी दो महिने पहले ही जोइन किया हुआ है।" दोनो ही बात करने लगी। दोनो के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी। कुछ देर के बाद सई उपर के फ्लोर पर अपने डेस्क पर चली जाती है।





    लंच टाईम होने पर विकी और सई रोज की तरह साथ मे लंच करने लगे। तब वंश अपने केबिन से बाहर आकर, उन दोनो को देख, उनके पास आकर उन्हे देखने लगा।



    सई और विकी बाते ही कर रहे थे तब विकी और सई दोनो की नजर वंश पर जाती है तब विकी ने कहा, "अरे, वंश तुम गये नही लंच के लिए?"



    वंश सई को एक नज़र देखकर फिर विकी से कहता है, "तुम चलो मेरे साथ।"



    विकी हैरानी से कहता है - "अरे पर मेरा खाना तो?"



    वंश उसकी बाजू पकड़ कर उसे उठाते हुए बोला, "मै अकेला नहीं जाऊंगा, तु भी मेरे साथ चल बस।"



    विकी अपनी बाजू छुडवाते हुए कहता है, "अरे पर मुजे नही जाना, मुजे घर का खाना ही खाना है।"



    सई भी अपनी चेयर से उठकर बोली, "क्या हुआ सर? विकी सर तो रोज ही...."



    वंश उसे रोकते हुए बोला, "तुम चुप करो। क्या जरूरत है सबके लिए समाज-सेवा करने की? खुद अपना ख्याल रखा करो। मेरे दोस्त का ख्याल रखने के लिए मै हूँ, अंडरस्टैंड?" सई अपना मुंह बना लेती है।



    वंश फिर विकी को देखकर बोला, "तुम चलो।"



    विकी टिफिन को देखकर ललचाई नजरों से बोला, "अरे यार पर...."



    वंश उसे खींचकर ले जाते हुए कहता है, "नो पर-वर अब चलो चुप-चाप।" विकी अपना मुंह लटकाकर वंश के साथ चला गया।



    सई अब अपने कंधे उचकाते हुए बोली, "पता नही सर को क्या हो गया अचानक से? लगता है अकेले खाना खाने से बोर हो रहे होंगे इसलिए विकी सर को लेकर गये है।" पर बात तो कुछ और ही थी सई को क्या पता की उसके ये डेविल बॉस अपने ही दोस्त से जल रहे थे।



    सई फिर अपने आप से ही बोली, "चलो तो सई मेडम, अकेले ही शुरु हो जाओ।" तब उसे आवाज आई, "तुम्हे बुरा ना लगे तो हम साथ मे लंच करे?"



    सई देखती है तो ज्योती अपना टिफिन लेकर आई थी। सई खुश होकर उसे हाँ कह देती है फिर दोनो ही खुशी-खुशी लंच करने लगे।




    यहां होटल मे वंश ने खाना ऑर्डर कर दिया था। फिर वो विकी को देखता है जो उसे ही खा जाने वाली नजरों से घुर रहा था। तब वंश ने एटीट्यूड से बोला, "क्या? ऐसे क्या घुर रहा है? डरा रहा है क्या मुजे?"



    विकी उसे घुरते हुए कहता है - "सच-सच बता प्रॉब्लम क्या है तेरी? क्यू मुजे यहाँ लेकर आया तु?"



    वंश बेफिक्र अंदाज मे कहता है - "इसमे प्रॉब्लम क्या हो सकती है? तु मेरा दोस्त है तो तुजे मेरे साथ रहना चाहिए ना की किसी और के साथ।"



    विकी चिढ़कर कहता है - "अरे ठीक है ना, तो कल से ले जाता, आज तो मेरा फेवरेट कढी-चावल था। कितने दिन हो गये घर के कढी-चावल खाए हुए?" कहकर उसने मायूस सा मुँह बना लिया।



    वंश ने शांत आवाज मे कहा - "कोई बात नहीं मै माँ को बोल दूंगा वो बना देंगी, हम्म?"



    विकी घॉर से उसे देखकर कहता है - "कुछ तो झोल है, बता क्या बात है?"



    वंश अपनी भोन्हे सिकुड़कर - "बात क्या हो सकती है? मै तो बस...."



    विकी शक भरे लहजे में बीच मे ही बोल पडा - "तु क्यू मुजे उसके साथ लंच नही करने देना चाहता है? एक second अब समजा, The Vansh Singhaniya जिसे देखकर लड़कियाँ उसे seduce करने का कोई मौका नही छोड़ती और आज पहली बार ऐसी एक प्यारी सी लडकी ने तुजे छोडकर मुजे भाव दिया इसलिए जलन हो रही है?"



    वंश उसे आंखे छोटी करके घुरते हुए कहता है, "क...क्या बकवास है? मै क्यू जलूँगा? मै तो तेरी भलाई के लिए तुजे उससे दूर रहने का बोल रहा हूँ।"



    विकी अपनी दोनो भोंहे उठाते हुए कहता है - "अच्छा, बच्चू? चल बता इसमे कौनसी मेरी भलाई दिखी तुजे, जरा मै भी तो जानु?"



    वंश कुछ सोचकर फिर जटसे कहता है - "वो....हाँ, अगर तेरी दुर्गा को पता चल जायेगा तो वो क्या सोचेगी? उसे थोडी ना अच्छा लगेगा, तुझे ऐसे किसी और के साथ देखकर?"



    विकी मुस्कुरा कर कहता है - "वो कुछ नही सोचेगी, क्युकी दुर्गा सई की बडी बहन है।"



    वंश ने हैरानी से कहा - "क्या?"



    विकी अपना सर हिला कर - "हम्म।"



    वंश अपने सर पर हाथ फेरते हुए धीरे से बुदबुदाया, "अच्छा तो ये मेरी ही साली साहिबा का मजनू है?"



    विकी अपनी आंखे छोटी करते हुए बोला, "क्या....क्या? क्या बोला तु, फीरसे बोल?"



    वंश मेन्यू कार्ड पढने का नाटक करते हुए बोला, "कुछ नही, तेरे कान बज रहे है।"



    वही विकी उसके हाव-भाव देखकर मन ही मन बोला, "मेरे कोई कान नहीं बज रहे है भाई। कुछ तो है जो तु छुपा रहा है। पता लगाना होगा।"



    कुछ देर में खाना आ जाने के बाद दोनो लंच शुरु करते है। ऐसे ही दिन बीत गया। अब शाम को ऑफिस hours खतम होने के बाद जब वंश और विकी ऑफिस से निकलकर कार मे बेठकर निकल रहे थे तब विकी की नजर सई पर पडी जो वहाँ खडी रिक्शा का वैट कर रही थी।



    विकी उसके पास चला गया। वंश ने उस ओर देखा तो वो भी विकी के पीछे चल दिया। विकी ने सई से कहा, "अरे, सई तुम यहाँ?"



    सई उसे देखकर मुस्कुरा कर बोली, "सर वो मै रिक्शा का वैट कर रही हूँ।"



    विकी - "चलो हम छोड देते है। आज वैसे भी कोई रिक्शा दिख नही रही है।" कहते हुए वो रास्ते पर नजर दौडाने लगा।



    सई मना करते हुए कहती है - "नही, सर। मै मेनेज कर लुंगी। थैंक यू।"



    तब वंश की कडक आवाज आई, "तुम्हे कितनी बार कहा है मिस जोशी की हमेशा ये नाँ-नुकुर करना बंद करो और बेठो गाडी मे।"



    सई हाँ में अपना सर हिला कर विकी के पास आ गई। वंश आगे और विकी - सई पीछे-पीछे बाते करते हुए आ रहे थे। ड्राईवर जैसे ही कार का डोर खोलता है तब सबसे पहले सई बेठती है और जैसे ही वंश बेठने को हुआ विकी जल्दी से आकर सई के पास आकर बेठ गया।



    वंश उसे देखने लगा तब विकी मुस्कुरा कर बोला, "क्या हुआ वंश? आजा बेठ जा।"



    वंश अपना मुंह बनाकर बुदबुदाते हुए बेठने लगा, "ये कबाब मे हड्डी कभी नही सुधरेगा।" उसके बेठते ही कार सई के घर वाले रास्ते पर चल पडी।



    विकी सई को देखकर - "वैसे सई कल तो हॉलिडे है ऑफिस मे, संडे है इसलिए। तो क्या प्लान होता है संडे के दिन?"



    सई उसे देखकर - "कोई प्लान नही सर, बस फैमिली के साथ वक़्त बिताना। उस दिन सभी घर पर होते है तो सबके साथ मस्ती भरा दिन बन जाता है।"



    विकी मुस्कुरा कर कहता है - "हम्म, गुड। फैमिली comes first for you?"



    सई मुस्कुराकर हाँ में अपना सर हिला देती है। वंश उन दोनो की बाते मुंह बनाकर सुन रहा था। विकी और सई बराबर गप्पे मारने में लगे हुए थे। कुछ देर मे कार सई के घर के आगे रुकी।



    सई कार से उतरकर खिडकी से देखते हुए बोली, "अच्छा, बाय सर। थैंक यू सो मच।" वंश और विकी दोनो ही हाँ में अपना सर हिला देते है।



    सई मुस्कुराकर चली जाती है। कुछ ही पल मे वो आंखो से ओझल हो जाती है। कार वापस से चल पडती है।



    अब आगे next पार्ट मे ✍✍✍



    ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤



    क्या वंश को हो रहा है प्यार का एहसास या लाएगा कोई नया तुफान सई की जिंदगी मे? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 13. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 13

    Words: 2443

    Estimated Reading Time: 15 min

    बारिश मे बहनों की मस्ती





    अब आगे



    Joshi House, Mumbai



    सई के घर पर सभी रात का खाना खाकर कुछ देर हॉल मे बेठकर बाते करते है। तब सई ने सवी से पूछा, "तेरा इंटरव्यू कैसा रहा सवी?"



    सवी ने कहा - "इंटरव्यू तो अच्छा रहा। अब देखते है की मंडे को क्या जवाब आता है?"



    देव ने चहकते हुए कहा - "अगर दी को जॉब मिल गई तो पार्टी देनी पड़ेगी।"



    सवी अपना सर हिला कर मुस्कुराकर - "हाँ हाँ, भई ले लेना पार्टी। पहले जॉब लगने तो दे।"




    कुछ देर बात करने के बाद सभी वहाँ से अपने-अपने रुम मे सोने चले जाते है।




    अगली सुबह



    जोशी परिवार सभी मिलकर नाश्ता करके सभी काम समेटकर फिर हॉल मे बेठे बाते कर रहे थे, तब उनके दरवाजे पर किसिने नॉक किया। सबकी नजर उस ओर जाती है तब देव ने शेखर के कान के पास जाकर फुसफुसा कर कहा, "अरे, वाह चाचू आज तो सवेरे-सवेरे दया आंटी ने दर्शन दे दिये?"



    शेखर उसे घुरते हुए कहता है - "अच्छा, तो जा अब प्रसाद भी लेले।" बाकी सभी हंस रहे थे।



    पूनम दया को देखकर बोली, "अरे दया बहन आओ ना। वहाँ क्यू खडी हो?"



    दया जो की उनके पड़ोस में रहती थी वो अंदर आकर बोली, "वो क्या है ना, पूनम भाभी। आज घर मे बेसन खतम हो गया था और मुजे कढी बनानी है, तो बेसन लेने आई हूँ।"



    पूनम उसके हाथ से कटोरी लेकर मुस्कुरा कर बोली, "ठीक है, मै अभी लाती हूँ। आप बेठिये।"



    दया सबसे बाते करने लगी। सभी बच्चे भी उससे बाते कर रहे थे। तब शेखर ने एकदम से कहा, "वैसे दया बहनजी...."



    दया बीच मे रोकते हुए कहती है, "आप क्यू बहन बोल रहे है शेखर जी?"



    शेखर अपना मुंह बनाकर बोला _ "तो क्या आंटी बोलू?" ये सुनकर सभी बच्चे हंस देते है। वही विवेक जो बेठकर पेपर पढ रहा था, उसकी भी हंसी छुट जाती है।



    दया भी अब झूठी हंसी हंसते हुए बोली, "क्या आप भी शेखर, बडे मजाकि इंसान है। अरे हम दोस्त है, पडोसी है तो दया बोलिए सिर्फ दया।"



    शेखर अपना सर हिलाकर कहता है - "ठीक है तो फिर सिर्फ दया जी, 😜 आपकी ये चीजे रोज-रोज क्यू खतम हो जाती है? घर मे स्टॉक रखने मे क्या जोर आता है आपको?"



    दया मायुसी से कहती है - 'अरे आप तो जानते है ना ज्यादा स्टॉक रखने से उसमे कीडे पड जाते है। इसलिए जितना चाहिए  उतना ही लाती हूँ।"



    शेखर पेपर लेकर अपने चेहरे के आगे करके धीरे से बुदबुदाया - "अरे सबसे बड़ा जहरीला कीड़ा तो तुम हो, जो हर वक़्त हमारे घर मे आकर बिन-बिनाती रहती हो।" 😝



    दया के सिवाय बाकी सबने ये सुना था तो वे सब मुंह दबाकर हंस रहे थे। उतने मे पूनम बेसन लेकर आती है। तब दया उसके हाथ से कटोरी लेकर कहती है, "थैंक यू भाभी।"



    पूनम कुछ बोलती इससे पहले ही शेखर ने टौंट मारते हुए कहा, "आपके इतने थैंक यू जमा हो गये है की अब घर मे रखने की जगह ही नही बची है।"



    दया उसे देखती है, तो पूनम ने कहा, "शेखर की बातो का बुरा मत लगाना दया। ये ऐसे ही है, बस मजाक करते रहते है।"



    दया ने अपना सर हिला कर कहा - "अरे नही....नही, मुजे बिलकुल बुरा नही लगता। अच्छा मै अब चलती हूँ, बाय।" सभी उसे बाय करते है सिवाय शेखर के।



    पूनम शेखर के पास बेठकर कहती है - "क्या शेखर तुम भी, क्यू बेचारी को परेशान करते हो?"



    शेखर इनोसंट बनते हुए कहता है - "भाभी मै और परेशान? मै किसीको परेशान नही करता, वो ही मुंह उठाकर चली आती है। अरे रोज कुछ ना कुछ खतम हो ही जाता है इसके घर मे।"



    देव ने जटसे कहा - "इसपर एक शायरी याद आई है चाचू। बताऊ क्या?"



    शेखर उसे डांटते हुए कहता है - "खबरदार, अगर कुछ उल्टा-सीधा बोला तो।"



    देव अपना सर हिला कर - "अरे नही-नही चाचू, बोहोत अच्छी है। सुनिये तो सही।" फिर गाल साफ करता है, अहम....अहम,,,,


    ••••••

    "मुझे आखिरी पल में भी उम्मीद थी कि वो जरूर आएगा.....😕😕

    मुझे आखिरी पल में भी उम्मीद थी कि वो जरूर आएगा.....😕😕

    वो आया तो...🙄🙄 पर अपने हाथ में राखी के साथ। 😄🤣😂😜।।"


    ••••••



    शेखर खुश होकर कहता है - "हाँ हाँ, अब तो सच मे ऐसा ही करूंगा।"



    सई जोर से हंसते हुए देव की तारीफ मे - "वाह....वाह क्या बात है।"



    शेखर विवेक को और पूनम को देखकर - "देख रहे है भैया-भाभी, जनाब आज-कल बडी शायरियाँ कर रहे है।"



    पूनम देव को घुरने लगी तो देव ने कहा, "अरे, नही मम्मी। मै तो बस ऐसे ही मन मे जो आता है वो बोल देता हूं।"



    शेखर - "तो बोलता ही क्यू है? अब अगर बोला ना तो पुरा एक दिन तुजे उस दया के सामने बेठा दूंगा। फिर वो तुजे अपनी बातो से पकायेंगी और तु पकते रहना।" सभी हंस देते है तो देव चुप हो जाता है। ऐसे ही सबका समय बीत रहा था, मस्ती मे।




    शाम को शेखर और विवेक किसी काम के लिए बाहर चले गये थे। बाकी सब हॉल मे सोफे पर बैठ कर टीवी देख रहे थे तब अचानक से बारिश शुरु हो जाती है। जिसे देखकर सई और दुर्गा बाहर आकर देखती है तो खुश हो जाती है।



    सई दुर्गा को देखकर कहती है - "चलिए ना दी, भिगते है।" दुर्गा नाँ मे अपना सर हिला देती है। तब सई दुर्गा का हाथ पकड़ कर जबरदस्ती ले जाने लगती है। वही सवी हॉल मे पडे म्युजिक सिस्टम को ऑन कर देती है जिसमे म्युजिक प्ले होता है,,,,



    सई बारिश मे आकर इस गाने की लाईन पर डांस करने लगी।



    "मेरे ख़्वाबों में जो आए, आके मुझे छेड़ जाए



    (सवी और दुर्गा भी उसके पास जाकर डांस करने लगी।)



    मेरे ख़्वाबों में जो आए, आके मुझे छेड़ जाए

    उस से कहो, कभी सामने तो आए
    मेरे ख़्वाबों में जो आए ...



    (वे तीनो बहनें झुमकर भिगते हुए डांस कर रही थी। वही कोई था जो बडी ही शिद्दत से सई को देख रहा था। वो थे वंश बाबू, जो सई के घर के बाहर कार लेकर अंदर बेठे सई को देख रहा था। सई अब आगे की लाईन पर डांस करने लगी,,,,भिगे हुए सई काफी attractive लग रही थी। उसे भीगा हुआ देखकर वंश उसकी तरफ खींच रहा था। उसकी नजरें उसपर से हटने का नाम नही ले रही थी।)



    कैसा है कौन है वो जाने कहाँ है
    कैसा है कौन है वो जाने कहाँ है



    (फिर दुर्गा के पास आकर अपने होंठो पर उंगली रखकर अपना सर हाँ में अपना सर हिला कर लिप सिंग करते हुए फिर सवी के पास जाने लगी,,,,)



    जिसके लिए मेरे होंठों पे हाँ है
    अपना है या बेगाना है वो
    सच है या कोई अफ़साना है वो



    (फिर सवी को देखकर अपनी आंखे बडी करके अपने हाथ से दूर तक दिखाते हुए गाने लगी,,,,,)



    देखे घूर-घूर के यूँही दूर-दूर से
    उससे कहो मेरी नींद न चुराए,



    (फिर तीनो बहने वापस से डांस करने लगे।)



    मेरे ख़्वाबों में जो आए, आके मुझे छेड़ जाए
    मेरे ख़्वाबों में जो आए, आके मुझे छेड़ जाए

    उस से कहूँ कभी सामने तो आए....




    (वही सई और दुर्गा के पास अब देव आता है वो तीनो मिलकर डांस करने लगे। तो वही सवी अब उसकी और क्रिश की मुलाकत और प्यार भरे लम्हे को याद करते हुए अपने हाथों से अपना चेहरा छुपाते हुए गाने लगी,,,,,)



    जादू से जैसे कोई चलने लगा है
    जादू से जैसे कोई चलने लगा है,



    (फिर अपने दिल पर हाथ रखकर गाने लगी। फिर सई और दुर्गा को दोनो को दोनो तरफ से hug करके गाती है,,,,,)



    मैं क्या करूँ दिल मचलने लगा है



    (दुर्गा अब विकी को याद करते हुए गाते हुए डांस करने लगी,,,,)



    तेरा दीवाना कहता है वो
    चुप-चुप से फिर क्यों रहता है वो



    (सई इस लाईन पर अपना हाथ गाल पर रखकर गाई,,,जिसे देखकर वंश मुस्कुरा देता है।)



    कर बैठा भूल वो,



    (सवी ने अब फुल अपने हाथ मे लेकर उसको सूंघते हुए मुस्कराई,,,,,)



    ले आया फूल वो



    (दुर्गा आसमान मे इशारा करते हुए गाती है,,,,)



    उससे कहो जाए चाँद लेके आए,,,,



    (अब तीनो बहने और उसका भाई चारो मिलकर हाथ पकड़ कर गोल-गोल घूमते हुए डांस करने लगे,,,,,)



    मेरे ख़्वाबों में जो आए, आके मुझे छेड़ जाए
    मेरे ख़्वाबों में जो आए, आके मुझे छेड़ जाए

    उस से कहूँ कभी सामने तो आए....।।"




    सभी मस्ती भरा माहोल जी रहे थे, बारिश मे झूम रहे थे। तब उन्हे पूनम की आवाज आई, "चलो लडकियो - देव अब बस हो गया। ज्यादा देर रहोगे तो बिमार हो जाओगे।"



    सई को छोडकर बाकी के तीनो घर के अंदर जाने लगे। वही हमारी सई अभी भी बारिश का मजा ले रही थी।



    तब उसे देखकर वंश ने कहा, "तो मेडम को बारिश पसंद है? हाह....सई What are you doing? मै तुम्हारी ओर खींचता जा रहा हूँ। क्या जादू किया है तुमने मुज पर सई? आज पहली बार किसीकी प्योर खुबसूरती मुजे उसकी ओर खींच रही है। तुम ऐसी पहली लडकी हो जो मेरे दिल पर काबू कर रही हो। ये क्या हो रहा है मुजे, मै खुद भी नहीं समज पा रहा हूँ। तुम पागल बना रही हो मुजे। मै तुम्हारे साथ अपने दिल की बात शेयर करना चाहता हूँ सई। और तुम्हे सुनना ही है।" इतना कहकर वह कार स्टार्ट करके नीकल गया।



    पूनम अब सई को आवाज देकर बोली, "अरे सई, चल बेटा बिमार हो जायेगी।"



    सई - "हाँ मम्मा आई।" इतना कहकर वह मुंह बनाकर घर मे चली गई।



    चारो अब अपने रुम मे चेंज करने चले गये। पूनम किचन मे खाने की तैयारियों मे लग गई। तब विवेक और शेखर भी आ गये। शेखर भी रुम मे चला गया। वही विवेक किचन में आकर पूनम के पास आकर रोमांटिक अंदाज मे गाने लगा,




    "भीगी-भीगी रातों में, मीठी-मीठी बातों में,
       ऐसी बरसातो मे कैसा लगता है?"



    तब पूनम ने कहा, "ऐसा लगता है की भांग चढाकर आये है और इसिलिए ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रहे है।"



    विवेक अपना मुंह बनाकर बोला, "क्या पुरे रोमांस का सत्यानाश कर दिया पूनम। यार कभी तो हमारे पुराने दिन याद कर लिया करो। कैसे हम और तुम ऐसे बारिश मे भीगकर बारिश का मजा लिया करते थे। याद है ना?"



    पूनम मुस्कुरा कर - "हम्म, याद है मुजे सब। फिर वो क्या गाना था? हाँ... 'आज रपट जाये तो हमे ना उठईयो, आज फिसल जाए तो हमे ना उठईयो'।"



    तब विवेक ने उसे साइड से hug करते हुए गाया, "हमे जो उठईयो तो, खुद भी रपट जैयो,
    हाँ खुद भी फिसल जैयो, आज रपट आहा....।।" फिर दोनो ही हंसने लगे।



    फिर विवेक ने यादे याद करते हुए कहा, "वो भी क्या दिन थे ना पूनम?"



    पूनम अपना सर हिला कर - "हम्म, सचमुच बोहोत हसीन और यादगार पल थे।"



    विवेक - "मै क्या कहता हूँ पूनम, क्यू ना आज उन पलो को और उन यादो को फीरसे जीले? चलो ना भिगते है, मजा आएगा।"



    पूनम अपनी आंखे बडी करके उससे दूर होते हुए कहती है - "अरे हटो जी, क्या आपको भी इस उम्र मे रोमांस सुज रहा है? बच्चे और शेखर क्या सोचेंगे?"




    विवेक कुछ बोलता उससे पहले उनके कानो मे एक साथ कई आवाजें पडी, "जी नहीं, हम बस यही सोचेंगे की मौका अच्छा है। जाओ जी लो अपनी जिंदगी।"



    विवेक और पूनम देखते है कि शेखर, सई, सवी, दुर्गा और देव किचन के एंट्रेंस पर खडे मुस्कुराते हुए उन्हे ही देख रहे थे।



    विवेक अपने सर पर हाथ रखकर मुस्कुरा देता है। वही पूनम हडबडाकर सब्जी काटने लगी। तब दुर्गा उनके पास आई और बोली, "माँ लाइये ये हम कर देंगे। आप और पापा थोडी देर बाते किजीये।"



    पूनम कुछ बोलती उससे पहले सवी भी वहाँ आकर बोली, "हाँ मम्मा, अब जाइये भी आपका हीरो बेताब है अपनी heroine के साथ क्वॉलिटी टाईम स्पेन्ड करने के लिए।" पूनम का हाल शर्म के मारे खराब हो रहा था।



    सई ने विवेक के कन्धे पर हाथ रखकर कहा, "तो मिस्टर हीरो ये heroine ऐसे नही मानने वाली। अब अपनी दुल्हन को उठाकर ले ही जाओ।"



    विवेक हंसने लगा, तब चारो बच्चो ने एक साथ दोनो को बाहर भेज दिया। विवेक पूनम को लेकर बारिश मे भीगने चला गया। वही देव अब तिरछी नजर से शेखर को देखकर बोला, "चाचू आप कहे तो, मै दया आंटी को भी बुला लू। आपका भी दिन बन जायेगा!" 😝



    शेखर उसके कान पकड़ कर बाहर ले जाते हुए कहता है, "तु फिर बोला? चल तुजे तो मै बराबर करता हूँ।" वही सई, सवी और दुर्गा हँसते हुए खाना बनाने मे लग गये।



    दुर्गा आटा गुंदते हुए - "सई कल तेरी ऑफिस मे पूजा है ना? तो कल क्या पहन कर जायेगी?"



    सई सब्जी काटते हुए - "अरे हाँ दी, ये तो मैने सोचा ही नहीं । क्या पहन कर जाऊ?"



    सवी सलाड काटते हुए - "कोई अच्छा सा gown पहन ले।"



    सई अपना मुँह बनाकर - "नहीं यार सवी पूजा है, पार्टी थोडी।"



    दुर्गा - "तो ऐसा कर कोई अच्छी सी चुडीदार ड्रेस पहन ले।"



    सई - "देखती हूँ, कुछ और नहीं सूजा तो वही सही। चलो कुछ और सोचते है फिर।" तीनो अब बातें करते हुए डिनर रेडी करने लगी।




    कुछ समय बाद डिनर रेडी हो जाने के बाद सभी ने डिनर किया फिर कुछ देर बाते की और अपने-अपने रुम में सोने चले गये।




    अगली सुबह



    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ कंपनी



    यहाँ पूजा की सारी तैयारियाँ हो चुकी थी। सभी employees, इन्वेस्टर्स, कुछ बिजिनस रिलेटेड लोग, shareholders धीरे-धीरे करके पूजा में आने लगे थे। वही वंश की माँ नीलम, वंश और विकी भी मौजुद थे। वंश की दादी की तबियत ठीक ना होने की वजह से वे नहीं आ पाई थी।



    वंश बार-बार अपनी घड़ी में देख रहा था, जैसे उसे किसी खास का इन्तज़ार हो। तब पंडित जी ने कहा, "तो वंश बेटा पूजा शुरु करे?"



    वंश - "बस कुछ देर मे करते है पंडित जी।" पंडित जी हाँ में अपना सर हिला देते है।



    "कहाँ हो सई? अब तक आई क्यों नही? देखना है, मुझे तुम्हे और माँ से भी मिलवाना है।" बेचैनी से वंश खुद से मन ही मन बाते कर रहा था।



    वही नीलम को भी बेताबी से सई का इन्तज़ार था। मुहरत बीत रहा था, इस पंडित जी के कहने पर, अब सभी पूजा मे पीछे बेठने लगे। नीलम, विकी भी बेठ जाते हैं।



    वंश भी बेठने लगा तब इस शांती भरे माहोल मे किसिके चूडियों की खनक सुनाई दी जिससे सभी का ध्यान उस ओर चला जाता है।



    वंश जब उस ओर देखता है तो जैसे उसके लिये वक़्त वही पर रुक गया। उसका दिल जैसे कुछ पल के लिए धडकना बंद हो हो गया हो। उसकी सांसे उसके गले मे ही अटक गई। अचानक से उसका हाथ अपने दिल पर चला गया।



    अब आगे next part में ✍✍✍



    ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤



    किसे देखकर वंश का हुआ है हाल बेहाल? क्या वंश अपने दिल में उमड रहे जजबातो को समज पायेगा? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 14. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 14

    Words: 1900

    Estimated Reading Time: 12 min

    पूजा और काला साया




    अब आगे



    अगली सुबह



    सिन्घानीया ग्रुप औफ़ कंपनी, मुंबई



    आज यहाँ सिन्घानीया ऑफीस मे पूजा रखी गई थी। पूजा की सारी तैयारियाँ हो चुकी थी। सभी employees , इन्वेस्टर्स, कुछ बिजिनस रिलेटेड लोग, shareholders धीरे-धीरे करके पूजा में आने लगे थे।



    वही वंश की माँ नीलम, वंश और विकी भी मौजुद थे। वंश की दादी की तबियत ठीक ना होने की वजह से वे नहीं आ पाई थी।



    वंश बार-बार अपनी घड़ी में देख रहा था जैसे उसे किसी खास का इन्तज़ार हो। तब पंडित जी ने कहा, "तो वंश बेटा पूजा शुरु करे?"



    वंश ने उन्हे देखकर कहा - "बस कुछ देर मे करते है पंडित जी।" पंडित जी हाँ में अपना सर हिला देते है।



    "कहाँ हो यार सई, तुम्हे मैने कहा था ना कि वक़्त पर आ जाना! तो अब तक क्यु नही आई?" वंश डोर की तरफ देखते हुए मन ही मन कहता है।



    वही नीलम को भी बेताबी से सई का इन्तज़ार था। अब मुहरत बीतने पर पंडित जी के कहने पर इसबार वंश मना नही कर पाया। बाकी सभी पूजा मे पीछे बेठने लगे।



    नीलम, विकी भी बेठ जाते हैं। वंश भी अपना सर लाचारी से हिलाकर बेठने लगा, तब इस शांती भरे माहोल मे किसिके चूडियों की खनक सुनाई दी जिससे सभी का ध्यान उस ओर चला जाता है।



    वंश जब उस ओर देखता है तो जैसे उसके लिये वक़्त वही पर रुक गया। उसका दिल जैसे कुछ पल के लिए धड़कना भूल गया था। उसकी सांसे उसके गले मे ही अटक गई। उसके आजू-बाजू जैसे एक शांत रोमांटिक म्युजिक बजने लगा। उसकी आंखे तो जैसे पलख झपकना ही भुल गई थी, और मुँह हल्का हैरानी से खल गया।



    ऐसे मे अचानक से उसका हाथ खुद-ब-खुद अपने दिल पर चला गया।



    वंश देखता है की सई अपनी सारी ठीक करती हुई ऑफिस के अंदर आ रही थी। उसने मेरून कलर की सिल्क की सारी पहनी हुई थी। जिसके ब्लाउज़ की शोर्ट स्लिव्स, हाथो मे चूडियां, कानो मे थोडे बडे एअरिंगस, आंखो मे काजल, नाक मे डाइमंड की नोज पीन, आज बालो की haistyle चोंटी बनाकर कन्धे पर डाली हुई थी। ये hairstyle उसे सवी ने बनाकर दिया था।



    सई की नेचुरल ब्यूटी देखकर वंश अपने दिल पर अपना हाथ tap करते हुए धीमी आवाज मे कहता है, "रिलेक्स वंश, ये क्या हो रहा है तुझे? मेरा दिल मेरे काबू मे क्यू नही है आज? सई ये तुमने क्या कर दिया यार? क्यू खेल रही हो मेरे दिल के साथ ऐसे? तुम आज क्या लग रही हो, मै बयाँ नही कर सकता! ट्रेडिशनल और सिम्पल लूक मे भी कोई इतना खूबसूरत कैसे लग सकता है? मेरा मन करता है कि इसी वक़्त तुम्हे अपनी बांहो मे लेलू। तुम्हारे ये होंठ, मुझे तुम्हारी ओर बार-बार attract कर रहे है। नही-नही, कमॉन वंश रिलेक्स। concentrate on this Pooja...वरना माँ की डांट खानी पड़ेगी।"



    सई अब ज्योती के पास आकर खडी हो जाती है। ज्योती सई को देखकर इशारे से अच्छी लगने का कोम्पलीमेंट देती है तो सई मुस्कुरा देती है।



    वही नीलम वंश की नजरों को भांपते हुए उसे ये जानने में बिलकुल भी देरी नहीं लगी की ये ही सई है। नीलम उसे एक नजर नीचे से उपर देखती है। फिर मन ही मन सई को देखकर बोली, "तुम सच में बोहोत खूबसूरत हो। और साथ ही पारंपरिक तरीके से रहने वाली लडकी हो। वंश सही कहता था की तुम काफी अलग रहने मे विश्वास रखती हो। पहली ही नजर मे तुम मुझे भा गई।" ये सब सोचते हुए उसके चेहरे पर स्माइल आ गई।



    वंश अब होश मे आकर, ऑफिस में सबकी नजरों को भांपता है तो देखता है आज सबकी नजर सई पर ही थी।



    लडके तो लडके पर लड़कियाँ भी उसे देख रही थी। जिससे वंश का चेहरा कठोर हो जाता है और वो तेज आवाज में बोला, "पूजा मे आये है तो सब पूजा मे ध्यान दो।"



    हडबड़ाते हुए सभी की नजरें अब सई से हटकर वंश की तरफ जाती है। फिर वंश पंडित जी को देखकर कहता है - "पंडित जी पूजा शुरु करे।" अब सबका ध्यान सई से हटकर पूजा में चला गया था।



    सभी अब नीचे बेठ जाते हैं। पूजा शुरु होते ही सई अपनी सारी का पल्लू लेकर अपना सर ढक लेती है। उसकी इस हरकत ने फीरसे सबका ध्यान उसकी तरफ केंद्रित किया। बाकी की high class लडकियो का जलन के मारे मुंह बन जाता है।



    ज्योती उसे हैरानी से देखती हैं तो सई ने मुस्कुराकर कहा, "वो मम्मा कहती है की पूजा करते वक़्त कभी सर खुला नहीं छोड़ते।"



    ज्योती ने भी अब अपना दुपट्टा लेकर अपने सर पर ओढ लिया। नीलम, वंश और विकी तीनो के चेहरे पर स्माइल आ जाती है सई की ये बात सुनकर। अब तो नीलम भी अपना सर ढक लेती है।



    बाकी लड़कियाँ तो वेस्टर्न लूक में आई हुई थी इसलिए कैसे सर ढक पाती। अब सभी हाथ जोड़कर बेठे हुए थे। पंडित जी पूजा शुरु करते है।



    वंश तो वैसे भी इन सब बातों में थोडा कम ही मानता था। पर नीलम की इच्छा का मान रखते हुए उसने ये पूजा रखवाई थी। पूजा करते हुए वंश की नजर बार-बार सई पर ही जा रही थी।



    नीलम जी उसकी नजरों को देखते हुए, उसे हल्की कोहनी मारकर उसके कान के पास जाकर फुसफुसाई, "अब देखना हो गया हो तो थोडा भगवान जी पर भी ध्यान देदे बेटा, वरना वो कहेंगे आज मेरा दिन है यहाँ, फिर भी मुजे तो तु देखता ही नहीं।"



    वंश हडबडाकर अंजान बनने का ड्रामा करते हुए पूजा मे ध्यान देने लगा। उसकी शकल देख नीलम को मन ही मन हंसी आ गई।





    कुछ समय बाद पूजा खतम होते ही आरती शुरु हुई इसलिए सभी अपनी जगह से खडे हो जाते है। ऐसे ही सुख-शांती से पूजा समाप्त हुई। फिर सभी ने आरती ली और प्रसाद भी।



    कुछ देर बाद पंडित जी अब अपनी दक्षिणा लेकर भोजन गृहण करके वापस लौट गये। फिर सारे ऑफिस स्टाफ और बाकी मेहमानो ने लंच शुरु किया।




    सई पूजा से लेकर अब तक सिर्फ ज्योती के साथ ही थी। सई और ज्योती दोनो ही एक-दूसरे के साथ काफी कम्फर्टेबल फ़ील करती थी। ज्योती भी सई की तरह सीधी-सादी और एक मिडल क्लास फैमिली से थी। वे दोनो हंसी-मजाक करते हुए अपना खाना शुरु करते है।



    तब ज्योती ने कहा, "आज तुम वाकेही मे बोहोत खुबसूरत लग रही हो सई। तुमने देखा नही आज सभी कैसे तुम्हे घुर-घुर के देख रहे थे!"



    सई खाते हुए कहती है - "देखे, मुजे क्या? वैसे आज तुम भी बोहोत अच्छी लग रही हो और सबसे प्यारा लग रहा है तुम्हारा ये चश्मा।" ये कहकर सई हंसने लगी। तो ज्योती भी मुस्कुरा देती है। वही वंश जो विकी और नीलम के साथ लंच कर रहा था। उसका ध्यान खाने मे कम और सई पर और उसके चेहरे की मुस्कुराहट पर ज्यादा था।



    विकी ने उसे देख सवालिया होकर कहा, "What happen Vansh? तुम खा क्यू नही रहे हो? कुछ और चाहिए क्या?"



    वंश उसे देखकर मुस्कुरा कर नाँ मे अपना सर हिला कर मन ही मन बोला _ "हाँ, चाहिये ना। सई को खाने का मन कर रहा है आज, तो क्या तु लाकर देगा? बडा आया पूछने वाला। जैसे मै कहूंगा और तु लाकर दे देगा.... हुँह।" 😜




    कुछ देर बाद सभी का लंच हो जाता है। तब नीलम के कहने पर विकी नीलम को सई के पास लेकर जाता है।



    विकी सई को देखकर कहता है - "सई, ये नीलम आंटी है। वंश की mother."



    सई उन्हे देखकर अपने हाथ जोड़कर बोली, "नमस्ते आंटी, कैसी है आप?"



    नीलम मुस्कुराकर उसके सर पर हाथ रखकर कहा, "नमस्ते बेटा, मै ठीक हूँ। वैसे तुम नई आई हो ना यहाँ पर?"



    सई ने अपना सर हिला कर कहा - "हाँ, आंटी। अभी कुछ ही दिन हुए है मुजे यहाँ जोइन हुए। विकी सर की वजह से मुझे वंश सर के साथ काम सिखने का मौका मिला है।" नीलम और विकी दोनो उसकी बात पर मुस्कुरा दिये।



    नीलम ने उसकी तारीफ मे कहा - "वैसे तुम आज बोहोत अच्छी लग रही हो बेटा।"



    सई मुस्कुराकर खुश होते हुए कहती है - "थैंक यू आंटी।"



    दोनो ही बातो मे लग जाती है। वंश जो दूर से उन दोनो को बाते करते हुए देख रहा था, वो अब मन ही मन मुंह बनाकर कहता है _ "ये माँ ऐसी क्या और कितनी बाते करेगी? आज ही अपनी बहू बनाकर ले जायेंगी क्या?"



    कुछ देर सई से बात करने के बाद नीलम अब वंश से कहकर फिर अपनी कार से घर के लिए निकल जाती है। बाकी सब भी जो मेहमान थे वो घर के लिए निकल जाते है। और ऑफिस का स्टाफ सारा वापस से काम मे लग गया।



    सई हमेशा की तरह वंश की schedule फ़ाईल लेकर वंश के केबिन में चली जाती है। वंश जो की कुछ सोच रहा था, उसका ध्यान डोर नॉक होने से टूटा। उसके कम इन कहने पर सई अंदर आती है।



    सई को देखते ही वंश फीरसे अपना दिल हार, सुध-बुध खो बेठा। वो चाहकर भी खुद को आज सई की ओर खींचने से रोक नही पा रहा था।



    सई उसे फ़ाईल देते हुए कहती है - "सर, ये आज की आपकी schedule फ़ाईल।" 



    वंश अपनी सेंस मे आकर, वो फ़ाईल लेकर उसे पढने लगा। सई वहाँ से जाने लगी। सई को जाते हुए देखकर वंश ने चेयर पर लीन होकर कहा, "उफ्फ....सई, तुम आज मुझे पागल कर दोगी। और मुझे मेरे पागलपन को शांत करना ही होगा। मिस सई जोशी, सॉरी। पर आज एक बार अपने इस दीवाने से आपका सामना हो ही जाये। तुमने इस सोते हुए शेर को जगाया है तो अब इस शेर को सुकुन भी तुम्ही दोगी।"




    पुरा दिन बीत जाने के बाद अब फाइनली ऑफिस hours खतम होने के बाद सभी अब धीरे-धीरे करके जाने लगे थे। तब एक प्युन जो सामने से चाई के खाली कप लेकर जा रहा था, वो गलती से सई से टकरा जाता है जिससे उस कप मे बची-कुची थोडी चाई सई की सारी पर गीर जाती है।



    प्युन हडबडाते हुए कहता है - "मुजे माफ कर देना मेडम। वो गलती से....."



    सई अपनी सारी झाडते हुए कहती है - "कोई बात नही भैया। साफ हो जायेगा।"



    प्युन अब वहाँ से निकल गया। ज्योती उस के पास थी पर उसके घर से बार-बार कॉल आ रहा था।



    सई ज्योती को देखकर - "तुम जाओ तुम्हे देर हो जायेंगी। मै ये साफ करके फिर रिक्शा करके चली जाऊंगी।"



    ज्योती ने कन्फर्म करते हुए कहा - "Are you sure Sai?"



    सई हाँ में अपना सर हिला देती है। ज्योती भी वहाँ से चली जाती है। सई वापस से जाने लगी washroom की तरफ अपनी सारी पर लगा दाग साफ करने के लिए।



    पुरा ऑफिस खाली हो चुका था। सई कुछ देर मे अपनी सारी साफ करके washroom से बाहर निकल ही रही थी, कि तब अचानक से लाईट ऑफ़ हो जाती है। पुरे ऑफिस मे घना अंधेरा छाया हुआ था। कुछ दिखाई नही दे रहा था।



    सई अब अँधेरा देखकर बोली, "ये....ये लाईट अचानक से कैसे...."



    उसके इतना कहते ही किसिने उसका हाथ पकड़ कर खींचकर उसे दीवार से सटा दिया। ये सब इतनी जल्दी हुआ की सई को कुछ समजने का मौका ही नही मिला।



    अँधेरा होने की वजह से सई को सामने वाला इन्सान दिख नही रहा था। सिर्फ एक काला साया जैसा दिख रहा था। सई उसे देखकर गबराने लगती है।



    अब आगे next part मे ✍✍✍



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    कौन है वो काला साया? क्या होने वाला है आज सई के साथ? क्या चल रहा है वंश के दीमाग में? जानने के लिए पढते रहे....

  • 15. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 15

    Words: 2372

    Estimated Reading Time: 15 min

    Vansh kissed to Sai






    अब आगे



    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ कंपनी, मुंबई



    ऑफिस मे पुरा दिन बीत जाने पर, अब फाइनली ऑफिस hours खतम होने के बाद सभी अब धीरे-धीरे करके जाने लगे। सई और ज्योती भी घर के लिए निकल रहे थे, तब एक प्युन जो सामने से चाई के खाली कप लेकर जा रहा था कि वो गलती से सई से टकरा जाता है जिससे सई की सारी पर कप मे बची हुई चाई गीर जाती है।



    प्युन गबराते हुए कहता है - "वो...वो मुजे माफ कर देना मेडम। वो गलती से....."



    सई अपनी सारी झाडते हुए - "कोई बात नही भैया। ये साफ हो जायेगा।" प्युन वहाँ से निकल गया। ज्योती उसके पास ही थी पर उसके घर से बार-बार कॉल आ रहा था। जिससे ज्योती परेशान हो गई थी।



    सई ज्योती को परेशान देखकर - "तुम जाओ तुम्हे देर हो जायेंगी। मै ये साफ करके फिर रिक्शा करके चली जाऊंगी।"



    ज्योती कन्फर्म करते हुए कहती है - "Are you sure Sai?"



    सई मुस्कुरा कर हाँ में अपना सर हिला देती है। ज्योती भी वहाँ से उसे बाय करके चली जाती है। सई वापस से जाने लगी washroom की तरफ अपनी सारी साफ करने के लिए।



    पुरा ऑफिस खाली हो चुका था। सई कुछ देर मे अपनी सारी साफ करके washroom से बाहर निकल ही रही थी तब अचानक से लाईट ऑफ़ हो जाती है, जिससे उसके कदम वही ठहर जाते है। पुरे ऑफिस मे घना अंधेरा छाया हुआ था। कुछ भी साफ-साफ दिखाई नही दे रहा था।



    सई अब धीरे-धीरे चलते हुए यहाँ-वहाँ चेहरा करके अँधेरा देखकर बोली, "ये....ये लाईट अचानक से कैसे...."



    उसके इतना कहते ही किसिने उसका हाथ पकड़ कर खींचकर उसे दीवार से सटा दिया। ये सब इतनी जल्दी हुआ की सई को कुछ समजने का मौका नही मिला।



    अँधेरा होने की वजह से सई को सामने वाला इन्सान दिख नही रहा था। सिर्फ एक काला साया जैसा दिख रहा था। सई उसे देखकर गबराने लगती है।



    वो साया उसके काफी करीब था, जिससे सई उसके सीने पर हाथ रखकर उसे खुद से दूर करके गबराते हुए बोली, "क....कौन हो तुम? और ये क्या बत्तमीजी है, छोडो मुजे?" फिर भी वो साया उसे नही छोड रहा था। उसकी ओर एकटक देख रहा था।



    सई ने गुस्से मे कहा, "मैने कहा छोडो मुझे, वरना मै चिल्लाऊंगी।"



    पर उस साये पर तो जैसे आज सई का भुत सवार था। उसकी बाजुओ को इतनी कसके पकडा हुआ था, जिससे सई उसे खुद से दूर नही कर पा रही थी।



    सई चिल्लाने लगी _ "ह....हैल्प, कोई है? बचाओ....। प्लीज, छोडो मुजे कौन हो तुम? क्या चाहते हो मुजसे?"



    फिर भी जब वो साया उससे दूर नहीं हुआ तब सई फीरसे किसीको हैल्प के लिए पुकारने लगी, "क....कोई है, हैल्प....हैल्प मी...हेल...." इतना कहते हुए वो अचानक से चुप हो गई क्युकी उस साये ने अपना चेहरा करीब करके उसकी नाक से अपनी नाक टच करदी थी। उस साये की गर्म सांसो को सई अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी, जिससे सई बुरी तरह से कांप रही थी।



    सई उसके इरादो को भांप चुकी थी। फिर भी वो गबराते हुए धीरे से भरे गले से बोली, "क...कौन हो तुम?"



    उसके इतना बोलते ही उस साये ने उसका सर पीछे से पकड़ कर अपने होंठ सई के होंठो से जोड़ लिये और उसे सॉफ़्ट किस करने लगा।



    सई की आंखे शॉक से बडी हो जाती है, उसे तो उम्मिद ही नही थी की उसके साथ कभी ऐसा भी कुछ होगा! उसकी आंखों से आंसू आने लगे।




    चाँद तोड लाने की  जुनूनियत
    मंजिलों को पाने की जुनूनियत,
    हो....ख्वाब को एक दिन बना लूँ मै, बस हकीकत,



    (सई उसके सीने पर अपने मुक्कों की बरसात करने लगी। पर उसपर तो जैसे कोई असर ही नही हो रहा था। वो सई को किस करने मे, उसके एहसास मे खोया हुआ था।)



    किस्मते बदलने की जुनूनियत,
    तेरे बीन साडा गुजारा नई,
    ओ तेरे बीन जग मे बहारा नई,



    (सई उसे पूरी ताकत लगाकर खुद से दूर करती है, जिससे वो साया उसकी कमर और उसके सर पर अपनी पकड़ मजबूत कर देता है। सई फीरसे उसके सीने पर मारने लगती है।)



    तुजसे मेरी हाँ, मेरी रूहानियत वे,

    जुनूनियत....जुनूनियत....जुनूनियत
    जुनूनियत....जुनूनियत....जुनूनियत



    (सई बुरी तरह से कांप रही थी, उसकी कंपन महसूस होते ही वो साया उसे कसके अपनी बांहो मे भर लेता है। उसे किस करते हुए वो साया मदहोश रहा था। उसकी सॉफ़्ट किस अब डीप हो रही थी। वो सई के होंठो को और सई को महसूस कर रहा था।)



    जागी जागी सी है,
    जागी सी है रूहानियत वे,,,,

    जुनूनियत....जुनूनियत....
    जुनूनियत....जुनूनियत....जुनूनियत...।।"





    कुछ देर बाद जब सई को सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी तब वो साया उसके होंठो को फ़्री कर देता है। पर अभी भी उसने उसे अपनी बांहो मे लिया हुआ था।



    सई की सांसे गहरी हो रही थी। उस साये का सर सई के सर से अभी भी टिका हुआ था। दोनो की तेज सांसे आपस मे एक-दूसरे से टकरा रही थी।



    सई को पहले तो लगा की जैसे ये उसका एक भयानक सपना है, पर उस बेचारी को क्या पता की वो एक devil की नजरों में आ चुकी है। जब उसे एहसास हुआ की ये उसका डरावना सपना नही बल्कि सच था की वो अभी भी किसीकी बांहो मे फँसी हुई है तब वो फफककर रोने लगी। और उससे छूटने के लिए छटपटाने लगी। आज तक सई के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।



    सई उसे लगातार खुद से दूर कर रही थी, तब सई के कानो मे एक शांत आवाज पडी _ "शश्श....डोंट क्राई माय Love...." ये सुन अचानक से सई का रोना बंध हो गया। वो हैरान रेह गई।



    तब फीरसे उस साये की आवाज आई _ "सॉरी, तुम्हारी बीना मर्जी के तुम्हे किस किया। पर आज तुम्हे इस सारी में देखकर मै खुद को रोक नही पाया। अगर किस नही करता, तो शायद खुद का सांस लेना मुश्किल हो जाता।"



    सई छटपटाकर रोते हुए बोली, "क....कौन हो तुम, छोडो मुजे?"



    साया - "तुम्हारा दीवाना।"



    सई उसकी बात पर शॉक हो जाती है। फिर उसने सई के होंठो के सहलाते हुए कहा _ "हाँ, सही सुना तुमने। मै तुम्हे चाहता हूँ, मै तुम्हारा दीवाना हूँ।" ये कहकर वह उसके होंठों पर हल्की किस कर देता है।



    सई उसे धक्का देते हुए कहती है, "just shut-up. छोडो मुजे, मै तुम्हारे खिलाफ कम्प्लेन करूंगी।"



    साया अब सर्द आवाज में बोला - "Ok, तो करो कम्प्लेन जान। I don't care...लेकिन अब तुम एक बात साफ-साफ सुन लो, आज ये किस मेरी तुम पर अपने प्यार की मोहोर है। ये समज लो की ये मेरे प्यार का पहला तोहफा है। तो आज के बाद किसी और की तुम्हारी लाइफ में कोई जगह नहीं होनी चाहिए, समझ मे आई मेरी बात? मेरे सिवा तुम किसीकी नही हो सकती।"



    इतना कहकर वह उसकी गाल पर किस कर देता है। सई तो जैसे उसकी बातो से सदमे में आ गई थी। तब वहाँ पर लाईट ऑन हुई जिससे सई की आंखे एक पल को कसके बंद हो जाती है। फिर वो अपनी आंखे धीरे-धीरे खोलकर अपने आस-पास देखती है तो कोई नही था। वो हैरान होकर इधर-उधर देखने लगी।



    फिर वापस से washroom मे जाकर washbesin में अपना चेहरा वॉश करने लगी। फिर वो खुद को मिरर में देखती है। अपने लाल होंठो को देखकर वो रोने लगी। कुछ देर बाद खुद को शांत करके वो अपनी सारी के पल्लू से अपना चेहरा और अपने आंसू पोछ्ती है।



    वहाँ से भागते हुए बाहर निकलती है। वो गबराकर पीछे देखते हुए भागे जा रही थी। पीछे देखते हुए भागे जा रही थी कि तब वो किसीसे टकरा जाती है।



    सामने वाला इन्सान उसे पकड़ लेता है, जब वो अपने सामने देखती है तो वंश उसे पकडे खडा उसे बीना भाव के देख रहा था। सई उससे थोडा दूर हो गई।



    सई के रोने से उसकी आंखे, नाक और गाल लाल देखकर वंश ने गहरी आवाज मे कहा, "क्या हुआ मिस जोशी?"



    सई उसे देखकर रोने लगी और पीछे की तरफ अपने हाथ से इशारा करते हुए सुबकती हुई बोली, "स....सर, वो....वो वहाँ पर क...कोई....।" सई इतनी डरी हुई थी की ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी।



    वंश ने उसके कन्धे पकड़ कर उसे कहा, "रिलेक्स, come."



    फिर उसे वहाँ पडी एक चेयर पर बैठा देता है और उसे पानी देता है। सई नाँ में अपना सर हिला कर बोली, "न....नहीं, म....मुजे घर जाना है।"



    वंश उसे समजाते हुए कहता है - "ठीक है, जायेंगे घर। ये लो पहले पानी पीयो।"



    सई उसके हाथ से ग्लास लेकर पानी पीने लगती है, पर उसके हाथ कांपते हुए देखकर वंश ग्लास पकड़ कर उसे पानी पिलाने लगता है।



    पानी पीने के बाद वंश ने नोर्मल होकर पूछा, "Now tell me, What happen?"



    सई सहमी हुई कहती है - "वो मै...मै washroom से आ रही थी तब क....किसिने मेरे साथ....।" इतना कहकर वह रोने लगी।



    वंश उसका हाथ थामकर कहता है, "अच्छा, ये बताओ क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है? शायद उसने कोई....?"



    सई नाँ में अपना सर हिला कर बोली, "न....नही सर, मेरा कोई boyfriend नही है। मुजे नही पता वो कौन था? कोई ऐसी घटिया हरकत कैसे कर सकता है?"



    वंश अपना सर खुजाते हुए मन ही मन अपना मुंह बनाकर कहता है, "सॉरी सई....आईम रियली सॉरी, ये हरकत मैने ही की थी। पर मै क्या करू, गलती मेरी अकेले की नही, तुम्हारी भी तो थी ना! तुम्हे क्या जरूरत थी, ऐसे सारी पहनकर इतना खूबसूरत दिखने की? तुम्हे देखकर मै खुद को रोक नही पाया तुम्हे किस करने से। और सच मानो मैने जो भी किया और कहा उसमे कोई पाप या छ्ल नही था। मै सच में तुमसे प्यार करने लगा हूँ। और मेरा प्यार करने का तरीका थोडा अलग है। बोहोत जल्द मै तुम्हारे सामने भी आऊंगा और अपने प्यार का इजहार भी करूंगा। मैने आज तक किसी भी लडकी से लिप किस नही किया है, पर तुम्हे देखकर पहली बार तुम्हे किस करने को मन किया। और मुजे इसबात की खुशी है सई, की ये हम दोनो की पहली लिप किस थी। पर मुजे क्या पता था की तुम एक किस से इतना डर जाओगी? अरे एक किस करने से इतना कौन रोता है यार? चलो अब कोई नही, मैने तुम्हे रुलाया है ना तो अब मै ही तुम्हे संभालूंगा भी, क्युकी अब तुम मेरी जो हो।"



    ये सब सोचते हुए वो सई को देखता है जो अभी भी रो रही थी।



    सई की आंखे, गाल, नाक और होंठ रोने से लाल होते हुए देखकर वंश फीरसे दिल हार बेठा और मन ही मन  बोला, "अरे तुम तो रोते हुए भी कितनी क्यूट लगती हो यार! शादी के बाद मै महिने मे एक बार तुम्हे जरूर रुलाऊंगा ताकी ये तुम्हारा क्यूट चेहरा रोते हुए भी देख सकू।" 😛



    सई इतनी डरी हुई थी की ना उसे वंश की आवाज पहचानने मे आई और ना ही उसके पास आने का कोई एहसास हुआ की वो कोई और नही, बल्की वंश ही था।



    फिर भी उसे ऐसे रोते और डरे हुए देख, वंश का दिल कचोट गया। वो अब उसके आंसू पोछते हुए शांत आवाज मे कहता है, "अच्छा, तुम रोना बंध करो। मै पता करूंगा की वो कौन था, हम्म? चलो अब मै तुम्हें घर छोड देता हूं।"



    सई अब वहाँ से उठकर अपना बैग लेकर जाने लगी। सई और वंश ऑफिस से बाहर निकलकर कार में बेठ गये। ड्राइवर कार को सई के घर की ओर ले जाने लगा।



    सई खिडकी से सर टिकाकर बाहर का नजारा देखकर आज जो हुआ उसे सोच रही थी। उसे बार-बार उस साये की यानी वंश की कही हुई बात याद आने लगती है,,,,,

    ••••


    "सॉरी, तुम्हारी बीना मर्जी के तुम्हे किस किया। पर आज तुम्हे इस सारी में देखकर मै खुद को रोक नही पाया। अगर किस नही करता, तो शायद खुद का सांस लेना मुश्किल हो जाता।"

    "हाँ, सही सुना तुमने। मै तुम्हे चाहता हूँ, मै तुम्हारा दीवाना हूँ।"

    "अब तुम एक बात साफ-साफ सुन लो, आज ये किस मेरी तुम पर अपने प्यार की मोहोर है। ये समज लो की ये मेरे प्यार का पहला तोहफा है। तो आज के बाद किसी और की तुम्हारी लाइफ में कोई जगह नहीं होनी चाहिए, समझ मे आई मेरी बात।? मेरे सिवा तुम किसीकी नही हो सकती।"

    ••••



    सई मन ही मन कहती है, "तुम जो कोई भी हो, मै तुम्हे इस घटिया हरकत के लिए कभी माफ नही करूंगी। और जिस दिन मुजे पता चला की तुम कौन हो, मै तुम्हे छोडूंगी नही।"



    वंश बार-बार उसे देखकर फिर कुछ सोचते हुए मन ही मन बोला, "वैसे आज तक तो देखा है की लड़कियाँ जब रोती है तब सामने वाले इन्सान के गले लगकर अपना दुख बांटती है। पर सई तुम क्या हो, तुम तो रोते हुए भी वैसी ही हो! ये क्या किया तुने वंश? वैसे भी पहले भी देखती तक नही थी और अब तो इतना डर रही है की ऐसे दूर जाकर बेठी है जैसे मै इसे अभी निगल जाऊंगा।" 😜




    कुछ देर बाद सई का घर आ जाने पर सई बीना कुछ बोले कार से उतर जाती है और बीना वंश की तरफ देखे तेज कदमो से अपने घर की ओर जाने लगी।



    वंश उसे जाते हुए देखकर बोला, "कमाल है आज तो ये भी नही कहा की घर चलो! एक बार कहती तो क्या मै मना करता? चलो कोई नही एक ना एक दिन तो इस घर का दामाद बनना ही है।" ये कहते हुए उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल थी।




    वही आगे बेठा हुआ ड्राइवर कबसे मिरर से वंश को शॉक होकर देखकर मन ही मन सोचता है, "ये आज हमारे devil बॉस को क्या हो गया है? आज तक तो कभी लडकियो पर इतना घॉर करते हुए नही देखा। जो हर लडकियो को सिर्फ timepass समज रहे थे वो आज किसिके घर का दामाद बनने की बात कर रहे है!"



    वंश की नजर जब उसपर पडती है तो उसकी स्माइल गायब हो जाती है और अपनी भोन्हे उचकाते हुए बोला _ "क्या? ऐसे क्या देख रहे हो? अपने काम पर ध्यान दो वरना जॉब से रीजाइन करदो।"



    ड्राइवर हडबड़ा जाता है और कार स्टार्ट करके वंश के घर की तरफ चल पडता है। वंश कार से पीछे अपना सर टिकाकर अपनी आँखे बंद कर देता है और सई के बारे मे सोचने लगता है।



    अब आगे next part में ✍✍✍



    😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊



    क्या सई जान पायेगी वो साया और कोई नहीं बल्कि वंश था? क्या सई कभी वंश से प्यार कर पायेगी? जानने के लिए पढते रहे... .

  • 16. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 16

    Words: 2046

    Estimated Reading Time: 13 min

    She is My first Love





    अब आगे



    जोशी हाउस, मुंबई




    वंश के घर छोडने पर, अब सई घर के अंदर आती है। सब उसी का वैट कर रहे थे। तब पूनम ने कहा, "क्या हुआ बेटा, इतनी देर कैसे हो गई ?"



    सई सबको देखकर खुद को संभाल नही पाई और रोते हुए अपने रुम मे भाग जाती है। उसे ऐसे रोते हुए देखकर सब सोफे से उठकर गबराकर उसके पीछे-पीछे जाने लगे।



    सई अपने रुम मे आकर अपने बैड पर उल्टी लेटकर तकिये मे अपना मुंह छुपाकर रोने लगी। वो अभी भी इस सदमे से उभरी नही थी।



    सभी अब उसके रुम मे आ गये। पूनम उसके पास बेठकर उसके सर पर हाथ रखकर बोली, "क्या हुआ बेटा, तु रो क्यू रही है? कुछ हुआ है क्या, हम्म?"



    सभी डर गये थे की हमेशा खुश रहने वाली सई को आज क्या हो गया है? सभी उसके आस-पास बैड पर बेठ जाते है। विवेक उसके पास आकर उसके सर पर हाथ रखकर कहता है, "क्या हुआ बेटा? देख, तु बताएंगी नहीं तबतक हम उस परेशानी को कैसे सॉल्व करेंगे?"



    पूनम अब उसकी चिंता करते हुए भरे गले से बोली, "क्या बात है बेटा बताना, मेरा दिल बेठा जा रहा है। कुछ हुआ है क्या बोलना?"



    सवी पूनम को देखकर - "अरे, मम्मी आप शांत हो जाओ पहले। वरना आपकी तबियत खराब हो जायेंगी।" फिर सई को देखकर बोली, "सई क्या हुआ है यार बताना?"



    सई सिसकते हुए मन ही मन खुद से कहती है, "नही, मै किसीको कुछ नही बता सकती। सब बीना जाने भी कितना परेशान हो गये है? अगर ये सब पता चलेगा तो मम्मा की तो तबियत ही खराब हो जायेंगी।" सई अब वहाँ से बैड पर बेठ जाती है।



    पूनम उसका चेहरा अपने हाथों में थामकर प्यार से पूछा, "बोलना बेटा, क्या हुआ है हम्म्म? अपने परिवार को नही बतायेगी? देख, तेरे मम्मी-पापा है ना तेरे साथ!"



    सई अब सुबकते हुए कहती है, "मम्मा, वो...वो आज ऑफिस मे..."



    दुर्गा ने सवालिया होकर कहा - "ऑफिस में क्या सई बोलना?"



    सई सबको देखकर कहती है - "वो...वो आज ऑफिस में सर ने मुजे डांटा।" सभी ये सुनकर चैन की सांस लेते है। देव अपना सर पीट लेता है।



    शेखर भी मुस्कुराते हुए कहता है - "क्या सई बेटा, तुमने तो हमे डरा ही दिया था। इतनी सी बात पर भी कोई रोता है क्या?"



    देव हंसकर कहता है - "क्या सई दी, तु तो कितनी फट्टू है? मुजे तो रोज डांट पडती है फिर भी देख, मै नही रोता। मुजे तो कुछ असर ही नही होता।" 😛



    सभी उसे घुरने लगे तो वो अपना मुंह बनाकर चुप हो गया।



    पूनम अब सई के आंसू पोछते हुए मुस्कुरा कर बोली, "तो क्या हो गया बेटा? अगर हमसे कोई गलती हो जाये तो हमे उनकी डांट भी सुननी चाहिए ना? चल अब रोना बंध कर, हम्म्म!"



    सई उसके गले लगकर मन ही मन रोते हुए बोली, "I am sorry मम्मा-पापा, चाचु। पर मै आप सबको ये सब बताकर टेंशन नही दे सकती।"



    वही सवी और दुर्गा शक की नजरों से सई को ही देख रही थी। पूनम अब उससे अलग होकर बोली, "चल अब तु कपड़े चेंज करके आ। मै खाना लगाती हूँ फिर।" सई हाँ में अपना सर हिला देती है।



    सवी और दुर्गा को छोडकर बाकी सभी वहाँ से चले जाते है। सई जब उठने को हुई तब सवी ने उसका हाथ पकड़ कर कहती हैं, "रुक सई, चल अब बता सच क्या है?"



    सई झूठी मुस्कान के साथ कहती है _ "क्या सच? कहा तो सही की सर ने मुझे...."



    दुर्गा बिच मे ही बोल पडी - "तुम सबको बेवकूफ बना सकती हो पर हमे नही, सई। हमे पता है की सिर्फ किसिके डांटने के ये आंसू नही है। चल बता, हम तेरे साथ है।"



    सई की आंखे फिर से भर आई। वो अब दुर्गा के गले लगकर रोने लगी। सवी भी उसके पास जाकर बोली, "बताना यार सई, डर लग रहा है मुजे।"



    सई अब दुर्गा से अलग होकर उन दोनों को देखकर बोलने लगी - "वो आज मै जब घर आ रही थी तब मेरी सारी पर चाई गिरने की वजह से मै सारी साफ करने चली गई और जब washroom से बाहर आई तब...." सई ने उन दोनों को किस की और वंश की कही हुई सारी बाते बता दी।



    दुर्गा और सवी दोनो शॉक होकर एक-दूसरे को देखते है।


    तब सवी परेशान होकर कहती है - 'ऐसा कौन कर सकता है सई? क्या तुजे अपने ऑफिस में किसी पर शक है की कभी किसिने तुजे उस नजर से देखा हो? क्युकी, कुछ भी हो वो बंदा है तो तेरे ऑफिस का ही।"



    सई नाँ में अपना सर हिला कर बोली, "नही सवी ऐसा कोई नही है। सभी बोहोत अच्छे हैं।"



    दुर्गा सोचते हुए कहती है - "कमाल है तो फिर ऐसी घटिया हरकत कौन कर सकता है?"



    सई रोते हुए कहती है - "मै अब कल से ऑफिस ही नही जाऊंगी।"



    दुर्गा और सवी एक-दूसरे को देखकर फिर सई को समजाने लगी। सवी ने कहा - "अरे पागल, घर पर रहना कोई solution नही है। तेरे घर पर रहने से नुकसान किसका होगा?"



    दुर्गा ने सई के गाल पर हाथ रखकर कहा, "सवी सही कह रही है। तुम ऑफिस मत छोडो। अभी इन सबके बारे में मत सोचो। देखना एक ना एक दिन वो भी पकडा जायेगा। चल अब चेंज करले। मै विकी से बात करूंगी, इसबारे मे।" सई चेंज करने चली जाती है।



    सवी बाहर चली गई तो वही दुर्गा विकी को कॉल करके सई की सारी बाते उसे बताने लगी। जिससे विकी पता लगाये की ये हरकत किसने की हैं?



    कुछ देर बाद सई चेंज करके आई फिर दुर्गा के साथ डिनर के लिए चली जाती है। अपनी बहनो से ये बात शेयर करने के बाद सई थोडा रिलेक्स फील करती है। अभी उसके चेहरे पर थोडी मुस्कान थी। सभी बेठकर डिनर शुरु करते है।




    Club मे_



    वही वंश वे सब फ्रेंड्स आज क्लब मे मिलने वाले थे। विकी भी आने वाला था। कुछ देर मे उसके आने के बाद वंश वे सब मिलकर डिनर करने लगे।



    इस दौरान वंश को विकी का बिहेवियर कुछ ठीक नही लग रहा था। कुछ देर मे डिनर हो जाने के बाद सभी बेठकर ड्रिंक कर रहे थे तब एक लडकी वंश के पास आई और उसके चेहरे पर अपनी उंगली फेरते हुए बोली _ "हेय, हेंडसम। लेट्स डांस & want to enjoy with me?"



    विकी का मुंह बन जाता है और वही वंश उस लडकी का हाथ झटककर बीना उसे देखे बोला, "Not interested, Get lost"



    वंश के सभी दोस्त शॉक होकर उसे देख रहे थे। वो लडकी मुँह बनाकर वहाँ से चली जाती है।



    वंश के दोस्त मे से एक दोस्त जिसका नाम विशाल था वो बोला _ "ये कोई सपना है या हकीकत? मतलब हमारे ग्रेट वंश सिन्घानीया ने किसी लडकी को get lost बोल दिया और ये जादू कैसे हुआ वंश बाबा, क्या आप बता सकते है?"



    वंश अपनी ड्रिंक लेते हुए कहता है - "अपनी बकवास बंध कर।"



    तब वंश विकी को देखता है जो किसी सोच मे था। वंश विकी को देखकर कहता है - "क्या हुआ? ऐसे फेस क्यू बना रखा है? तेरी दुर्गा फीरसे नाराज हो गई है क्या?"



    विकी उसे सवालिया नजरो से देखकर पूछता है _ "जानता है आज सई के साथ ऑफिस मे क्या हुआ है?" सभी दोस्त उनकी ये बाते सुन रहे थे।



    वंश के हाथ ड्रिंक करते हुए रुक जाते है। फिर उसे देखकर कहता है, "क्या हुआ है?"



    विकी उसे सारी बाते बता देता है। फिर विकी ने आगे कहा, "जानता है उसने तो अपने घर पर अपने मम्मी-पापा को क्या कहा? ये झूठ कहा की तुने उसे डांट दिया इसलिए वो रो रही है? ये तो अकेले मे दुर्गा के पुछने पर उसने बताया की उसके साथ क्या हुआ है और अब दुर्गा मुजे फोर्स रही है की मै पता करु की वो कौन है?"



    तभी उनमे से दुसरा लड़का जिसका नाम तरुण था वो बोला _ "एक second , कोई बतायेगा ये क्या बाते हो रही है? और ये सई कौन है?"



    विकी ने बताया - "वो वंश की नई सेक्रेटरी है जो बेचारी मासूम है और किसिने उसके साथ आज ऑफीस मे बत्तमीजी की थी।"



    तब वंश ने एकदम से बीच में कहा _ "हाँ, तो इसमे सोचना क्या और ढूँढना क्या है? बता दे उन्हे की वो मै हूँ।"



    ये सुनकर वीकी और उसके बाकी के दोस्तो की आंखे शॉक से बडी हो जाती है। उन्हे देखकर वंश ने कहा, "हम्म, मै सच कह रहा हूँ। मैने ही आज सई को ऑफीस मे उसकी मर्जी के बगैर किस किया था।"



    तभी उनमे से एक और लड़का जो यश था वो बोला, "I knew it, मुजे पता था की ये हरकत वंश के सिवा और कोई नही कर सकता। अरे उस बेचारी को तो बक्श देता कमसेकम। बेशर्मी की भी हद होती है, यार।"



    तब विकी ये सुनकर गुस्से मे बोला _ "What? तुने उस बेचारी के साथ ये सब किया? तुजे शर्म नही आई, तु अपनी ये हरकते अब सई के साथ शुरु कर रहा है? मैने कहा था ना की वो मासूम है, वो बाकी लडकियो की तरह नही है...."



    वंश उसे टोकते हुए बिच मे बोला _ "तभी तो दिल मे बसी है वो वंश सिन्घानीया के।"



    वंश की ये बात सुनकर उन चारो दोस्तो को एक और झटका लगा। तब विकी ने शॉक होकर बात को कन्फर्म करते हुए कहा _ "क....क्या कहा तुने, फिरसे बोल?"


    वंश ने चिढकर कहा - "मुजे बातें रिपिट करने की आदत नही है।"



    विकी उसे घुरते हुए कहता है - "तुने ये ठीक नही किया वंश। तु जानता है वो इतनी डरी हुई है की ऑफिस आने से भी मना कर रही है। और हम इतनी लोयल, workholic और ऑनेस्ट सेक्रेटरी को नही खो सकते।" ये सुनकर वंश का चेहरा जो अबतक नॉर्मल था वो कठोर हो जाता है।



    वंश अपनी ग्लास पर अपना हाथ कसते हुए कहता है, "ऑफिस तो उसे आना ही है। अब वो मुजसे दूर नही जा सकती है। वो चाहे तब भी नही। उसे मेरे साथ ही रहना है।" सभी दोस्त एक-दूसरे को ही देख रहे थे।



    तब विकी उसका गुस्सा देखकर उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर सीरियस होकर बोला _ "क्या तु उसके लिये सीरियस है या बाकी लडकियो की तरह One night stand करके फिर छोड....."



    वंश बीच मे ही तेज और कडक आवाज मे उसे घुरते हुए कहा _ "विकीई...."



    विकी चुप हो जाता है और फिर वंश गुस्से में उसे घुरते हुए नाँ में अपना सर हिला कर कहता है, "सई को लेकर कोई गलत बात नहीं। सई को उन सब लडकियो के साथ कम्पैर मत कर।"



    विकी भी थोडे गुस्से मे बोला _ "हाँ....तो तु बताना, तु किस नजर से देखता है उसे? क्या importance है सई की तेरी लाइफ मे?"



    वंश तुरंत बोला _ "She is My First Love, My Life, My Soul, My everything & I have not given anyone the right to say anything about her, Understand?."



    ये सुनकर ही विकी की आंखे शॉक से बडी हो गई और मुंह खुल गया 😯। वही उनके बाकी दोस्तो का भी यही हाल था।



    वंश उन्हे देखकर चिढते हुए झल्लाकर बोला _ "Shut your mouth and stop staring me like this."



    विकी अपना मुंह बनाकर मुंह बंद करके फिर बोला, "ये कब, कहाँ, क्यू और कैसे हुआ?"



    यश - "हाँ, कल तक जो लडकियो को सिर्फ खिलौना समजता था उसे कैसे प्यार हो गया?"



    वंश विकी को घूरकर कहता है - "ये सब तेरी वजह से हुआ है।"



    विकी ना समझी मे पूछता है - "मेरी वजह से? 🤔 मैने क्या किया यार?"



    वंश - "तु ही लेकर आया ना उसे मेरी सेक्रेटरी बनाकर?"



    विकी कंफ्यूजन होकर कहता है - "तो?"



    वंश बिना कुछ कहे बस उसे घुरे जा रहा था, तब फीरसे विकी ने कहा, "हाँ, तो मैने तेरी टाइप की नही थी, वैसी ही लडकी पसंद की थी और तु तो खुद ही कहता था ना की ऐसी बहन जी टाइप लडकियो से तु दूर ही रहता है फिर क्या हुआ, कैसे खींचता चला गया सई के पास?"



    तरुण मुस्कुराते हुए कहता है - "ओह, तो एक सीधी-सादी मासूम सी लडकी ने दिल जीता है हमारे वंश बाबु का ? तो अब बता ये सब कैसे शुरु हुआ?"



    अब आगे next part में ✍✍✍



    😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊



    क्या जवाब देगा वंश अपने दोस्तो के सवालो का? क्या वंश सई को अपने दिल की बात बता पायेगा? जानने के लिए पढते रहे....

  • 17. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 17

    Words: 2234

    Estimated Reading Time: 14 min

    मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनीया






    अब आगे



    क्लब, मुंबई



    जब वंश ने अपने दिल की बात अपने दोस्तो से कही, ये सुनकर ही विकी की आंखे शॉक से बडी हो गई और मुंह खुल गया 😯। वही उनके बाकी दोस्तो का भी यही हाल था। वंश उन्हे देखकर चिढते हुए बोला, "Shut your mouth and stop staring me like this."



    विकी अपना मुंह बनाकर मुंह बंद करके फिर बोला, "ये कब, कहाँ, क्यू और कैसे हुआ?"



    यश हैरानी से कहता है - "हाँ, कल तक जो लडकियो को सिर्फ खिलौना समजता था उसे कैसे प्यार हो गया?"



    वंश विकी को घूरकर - "ये सब तेरी वजह से हुआ है।"



    विकी ना समझी मे - "मेरी वजह से? 🤔 मैने क्या किया यार?"



    वंश - "तु ही लेकर आया था ना उसे मेरी सेक्रेटरी बनाकर?"



    विकी कंफ्यूजन मे - "तो?"



    वंश बिना कुछ कहे बस उसे घुरने लगा तब फीरसे विकी ने कहा, "हाँ, तो मैने तेरी टाइप की नही थी, वैसी ही लडकी पसंद की थी और तु तो खुद ही कहता था ना की ऐसी बहन जी टाइप लडकियो से तु दूर ही रहता है फिर क्या हुआ, कैसे खींचता चला गया सई के पास?"



    तरुण मुस्कुराकर मजाकिया अंदाज मे कहता है - "ओह, तो एक सीधी-सादी मासूम सी लडकी ने दिल जीता है हमारे वंश बाबु का ? तो अब बता ये सब कैसे शुरु हुआ?"



    वंश विकी को देखकर कहता है - "वो मैने उसके कुछ चीजो मे जाना-परखा, जिससे मुजे पता चला की वो बाकी लडकियो की तरह नहीं है।"



    विकी शक भरी नजरों से देखकर कहता है - "कैसे? क्या किया तुने?"



    वंश अब सई के साथ जो बाकी लडकियो से कैसे अलग थी। महंगा लैपटॉप लेने से इन्कार करना, घर जाने के लिए लिफ्ट लेने से इन्कार करना, देर तक बाहर रहने से घरवालो के बारे में चिंता करना, पैसो से ज्यादा फैमिली की importance, प्यार की परीभाषा और जब वे मिटिंग में गये तब उसने सई की मासूमियत को जाना, बैड शेयर करने से मना करना, वो सब बता दिया।



    विकी ने गुस्से में कहा, "यानी की तुने उसका test लिया? तु ऐसा ऐसे कर सकता है यार? उसका चेहरा देखकर भी क्या तुजे समज नही आया की उसके दिल में क्या है?"



    वंश बिना भाव से कहता है - "इस दुनिया में अक्सर लोग दो चेहरे लेकर घूमते है। और सई के लिए भी मेरा शक करना कुछ गलत नही था। उसपर शक किया तभी तो जान पाया, वरना कैसे पता चलता की सई जैसी लड़कियाँ भी इस दुनिया में होती है?"



    तरुण विकी को देखकर कहता है - "चलना छोड़ना यार, अब जो किया सो किया इससे कमसेकम हमारे वंश बाबू प्यार को लेकर सीरियस तो हो गये।"



    विकी वंश से कहता है - "और जब सई ये बात जानेगी की तु कैसा है, तब? और तुने ही मुजे कहा था ना की सई को प्ले बॉय टाइप लड़को से सख्त नफरत है, फिर?"



    वंश ड्रिंक करते हुए कहता है - "वो मै संभाल लूंगा, तु अब ज्यादा पका मत। चल अब घर चलते है।"



    विकी अपना सर लाचारी से हिला देता है। फिर कुछ देर मे सभी अब अपने घर जाने लगे।





    अगली सुबह


    जोशी हाउस



    सभी नाश्ता कर रहे थे तब विवेक ने कहा, "मै सोच रहा था की क्यू ना अब दुर्गा के लिए एक अच्छा सा लड़का ढूँढ लिया जाये?"



    दुर्गा के हाथ नाश्ता करते हुए रुक जाते है। सई दुर्गा को ही देख रही थी।



    पूनम ने खुश होकर कहा - "हाँ हाँ, क्या आपकी नजर में कोई लड़का है? अगर हाँ तो कहाँ है, कैसा है और क्या करता है?"



    शेखर उसके सवालो से हंसने लगता है। तब विवेक ने कहा, "अरे मेरी एक्सप्रेस जरा शांत हो जा। अभी सिर्फ ढूँढने की बात की है मैने।" फिर दुर्गा को देखता है, जो कुछ मायुस लग रही थी।



    विवेक ने उसके मन की बात जान ली थी और बडे प्यार से कहा, "कौन है वो लड़का दुर्गा?"



    दुर्गा हडबड़ा जाती है और डरते हुए बोली, "क...कौन लड़का पापा?"



    विवेक मुस्कुरा कर उसे शांत करके कहता है - "डरो मत बेटा। मै बाप हूँ तुम्हारा और माँ-बाप बच्चो की हर हरकत को भांप लेते है। और मै जानता हूँ की अगर तुमने किसी लडके को पसंद किया होगा तो लाखो में एक ही होगा। बता कौन है वो?"



    दुर्गा एक नजर सबको देखकर फिर अपनी नजरे झुकाकर कहती है - "पापा....पापा, वो उनका नाम विकी है।"



    सई विकी का नाम सुनकर चौंक जाती है और बोली, "विकी सर? क्या हमारे ऑफिस के विकी सर, दी?"



    दुर्गा हाँ में अपना सर हिला देती है। सई खुश होकर कहती है, "अरे ये तो बोहोत ही खुशी की बात है। पापा, विकी सर ना बोहोत ही अच्छे इन्सान है। लाखो में नही करोडो में एक है। दी की चॉइस बुरी नही है।"



    विवेक और पूनम मुस्कुरा देते है। तब विवेक ने कहा, "ठीक है तो आज ही बुलाओ उसे शाम को। हम बात करेंगे उससे।" दुर्गा खुश होकर हाँ में अपना सर हिला देती है। सभी नाश्ता करने लगते है।



    सवी ने कहा - "अरे सई, मुजे भी तुजे एक बात बतानी है?" सई उसे सवालिया नजरों से देख रही थी तब सवी खुश होकर कहती है - "मेरी भी जॉब लग गई है।"



    सई बोहोत खुश हुई और बोली, "अरे वाह, आज एक साथ दो-दो खुशखबरी? तो आज तो मुजे ट्रीट चाहिए।"



    विवेक ने सहमति जताई - "ठीक है तो शाम को विकी से बात करने के बाद सब बाहर डिनर के लिए जायेंगे।" चारो बच्चे जोर से चिल्ला देते है, "येएएएएए...." उस पर शेखर ने भी उनका साथ दे दिया, "येएएएए...." विवेक और पूनम हंसने लगे।



    कुछ देर बाद सबका नाश्ता हो जाने के बाद सभी अपने-अपने काम पर चले जाते है। पूनम घर के कामो में लग जाती है और देव स्कूल चला जाता है।




    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ़ कंपनी



    यहाँ वंश अपनी चेयर पर बैठ कर बेचैन हो रहा था। क्युकी सई अबतक ऑफिस नही आई थी। वंश अपने सर को उंगली से सहलाते हुए खुद से ही बोला, "सई क्यू नही आई अबतक? तुम्हे आना होगा सई, तुम ऐसे जॉब नही छोड सकती।"




    तब उसका डोर नॉक हुआ। वंश चिढते हुए कम इन कहता है। डोर खुलते ही उस तरफ देखता है तो सई को देखकर उसके चेहरे पर खुशी छा जाती है। लेकिन उसके सामने जाहिर नही होने देता।



    सई उसके पास जाकर उसकी schedule की फ़ाईल उसकी ओर बढाकर उसे दिखाकर सब बताती है। वंश वो फ़ाईल लेकर उसे देखने लगता है।



    सई जब जा रही थी तब वंश उसे रोकते हुए कहता है, "वैट मिस जोशी।" सई रुककर वंश की ओर पलटकर देखती है।



    सई उसे देखकर - "जी सर?"



    वंश - "वो कल जो हुआ था वो....मेरा मतलब है की तुम ठीक हो?"



    सई मुस्कुरा कर बोली, "हाँ, सर मै ठीक हूँ। वैसे भी वो मेरे लिए एक बुरे सपने से ज्यादा और कुछ नही था। मै ऐसी बुरी यादो को याद नही करना चाहती।" इतना कहकर वह चली जाती है।



    वंश उसे जाते हुए देखकर गहरी आवाज मे कहता है, "नो सई, ये कोई बुरा सपना या कोई बुरी याद नही थी। ये हमारे प्यार की तरफ बढाया हुआ मेरा पहला कदम था। जिसे तुम इतनी आसानी से नही भुल सकती। और मै तुम्हे भूलने भी नहीं दूंगा।" वंश एक गहरी सांस लेकर अब अपने काम मे लग जाता है।



    वही दुर्गा भी विकी को आज उसके घर आने को बोल देती है। विकी ने वंश और नीलम को साथ ले जाने को कहा था, क्युकी उनके सिवाय उसका इस दुनिया में कोई नही था। बीतते वक़्त के साथ शाम को विकी वंश को लेकर पहले ही निकल चुका था।




    जोशी हाउस



    यहाँ पूनम, विवेक, दुर्गा, शेखर और देव मेहमानों के आने की तैयारियाँ कर रहे थे। कुछ देर बाद एक कार आकर जोशी हाउस के गेट पर रुकी। ड्राईवर आकर कार का डोर ओपन करते ही उसमे से नीलम, वंश और विकी बाहर आते है।



    वंश को इन सबमे इंटरेस्ट कम था। विकी के जोर देने पर वो मान गया था यहाँ आने के लिए। तीनो जब गेट के अन्दर आते हैं तब सामने से विवेक, शेखर और पूनम उनका स्वागत करने आ रहे थे। वे उन्हे घर के अन्दर लेकर जाते हैं।




    सभी अब वहाँ बेठकर बातें करने लगते है। दुर्गा ने पहले ही विकी की फैमिली के बारे में अपनी फैमिली को सब बता दिया था। विकी अब नीलम और वंश को सबसे मिलवाता है। सभी बेठकर बाते कर रहे थे तब सवी जॉब से अपने घर लौटी सवी ने सबको देखकर ग्रीड़ किया तब विकी ने कहा, "अरे सई, तुम्हे भी हमारे साथ आ जाना चाहिए था।"



    वंश उसके कान के पास जाकर बोला, "ये सई नही है सवी जोशी है। सई की twins"



    विकी कुछ रिएक्ट करता उससे पहले सई भी गेट से अंदर आकर घर के अंदर आ रही थी। सई भी सबको देखकर मुस्कुरा देती है।



    विकी और नीलम तो एकटक सई और सवी को घुर रहे थे। तब विकी ने हैरानी से कहा, "ऐसा लग रहा है की जैसे तुम दोनो के बीच आइना रख दिया हो।" दोनो ही हंस देती है।



    वही वंश तो सई का हँसता हुआ चेहरा देखकर मुस्कुरा रहा था। दोनो ही अब अपने रुम मे जाने लगी फ्रेश होने। वही दुर्गा सबके लिए चाई-नाश्ता लेकर आई। चाई-नाश्ता टेबल पर रखकर वो सबसे पहले जाकर नीलम के पैर छूती है। नीलम मुस्कुरा कर उसके सर पर हाथ रखकर उसे आशीर्वाद देती है।



    दुर्गा को नीलम अपने पास बिठाकर बाते करने लगती है। विकी चोर नजरो से दुर्गा को देख लिया करता था। पूनम को इतने बडे लोगो के सामने थोडा डर लग रहा था, की कही खातिरदारि में कोई कमी ना हो जाये। कुछ देर बाद सई और सवी भी आकर वही बेठ जाते है।



    सई ने विकी को देखकर बोली, "वैसे आप तो बडे छुपा-रुस्तम निकले सर। मुजे बताया ही नही की आप मेरी ही दी से प्यार करते है।"



    विकी मुस्कुरा कर - "वैसे तुमने भी कहाँ बताया की तुम दुर्गा की बहन हो? मुजे भी कुछ दिन पहले ही पता चला।"



    सई और विकी तो आपस में गप्पे मारने लग जाते है और वही वंश मुंह बनाकर उन दोनों को ही देख रहा था।



    अब नीलम ने विवेक से कहा, "हमे दुर्गा पसंद है भाई साब। हम जल्द से जल्द सगाई का मुहरत निकलवाकर आपको बताते है।"



    सभी बोहोत खुश हो जाते हैं। विवेक और पूनम ने हाँ में अपना सर हिला दिया। कुछ देर बाते और चाई-नाश्ता करने के बाद वे लोग वहाँ से निकल गये।



    उनके जाने के बाद सई, देव और सवी एक साथ दुर्गा को देखकर उसके आस-पास गोल-गोल घुमकर नाचते हुए गाने लगे,



    "मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनीया,
      सजके आयेंगे विकी राजा,
      भैया राजा बजाएगा बाजा,
      भैया राजा बजाएगा बाजा।।"



    दुर्गा शर्माते हुए मुस्कुरा देती है। वही विवेक, पूनम और शेखर वहाँ खडे ताली बजाते हुए मुस्कुरा रहे थे। अब सभी रात के डिनर के लिए बाहर जाने के लिए तैयार होने लगे। कुछ टाईम बाद सभी तैयार होकर कार में बेठकर डिनर के लिए निकल जाते है। सभी के पास आज एक और वजह थी celebrate करने के लिए की दुर्गा उन्हे पसंद आ गई थी।



    कुछ देर बाद एक अच्छे से होटल मे सभी डिनर के लिए जाने लगे। वहाँ की एक टेबल बुक करके उसपर बेठकर मेन्यू देखने लगे। फिर एक वैटर को बुलाकर शेखर खाना ऑर्डर करता है।



    सभी बाते कर रहे थे तब विवेक का फोन बजता है। विवेक कॉल रिसीव करके उनसे बात करके फिर सबको देखकर एक खुशी के साथ कहता है, "दो दिन बाद सगाई की डेट फिक्स हुई है।"



    सभी खुश हो जाते है तब पूनम ने चिंता करते हुए कहा, "दो दिन बाद सब कैसे होगा? वे लोग कितने बडे लोग हैं। तैयारियों मे कुछ आगे-पीछे हो गया तो?"



    सई - "मम्मा, कुछ नही होगा। डोंट वरी सब हो जायेगा। हम सब है ना।"



    शेखर - "हाँ हाँ, भाभी चिंता मत किजीये।" पूनम चैन की सांस लेती है। कुछ देर बाद खाना आने के बाद सभी खाना शुरु करते है। सभी आने वाली खुशी का सोचकर बोहोत खुश थे। क्युकी ये उनके नई पीढी की पहली शादी थी।



    कुछ देर मे सबका खाना हो जाने के बाद शेखर बिल pay करता है। तब देव एक जोर का डकार मारता है। ये देख, वो वैटर भी मन ही मन हँसता हुआ चला जाता है।



    वही सई और दुर्गा की हंसी छुट जाती है और सवी अपना मुंह बनाकर चिढ्ते हुए बोली, "देव ये क्या हरकत है यार, गंदे कही के।"



    देव अपनी भोन्हे सिकुड़कर ना समझी मे कहता है - "अरे इसमे गन्दा क्या हैं दी? ये तो गैस है किसीको भी निकल सकती है। आप नही निकालती हो क्या?"



    सवी झल्लाकर कहती हैं - "छी...चुप कर। पागल। 🤫😖"



    देव - "अरे छी क्या? अब ये तो नेचुरल है। मेरी तो सिर्फ मुंह से आई है, लोगो को तो कही और से भी आती है। अब सबको आती है तो मेरी कैसे अंदर रहेगी?" 😝



    वही विवेक, शेखर, सई और दुर्गा हँस रहे थे - "😆😆"



    पूनम देव को इशारे से चुप रहने का बोलती हैं - "🤫"



    सवी देव को घुरने लगी - "😠"



    देव सवी को देखकर उसे चिढ़ाते हुए - "😛"



    बिल pay हो जाने के बाद सभी अपने घर को निकल जाते है। कुछ देर बाद घर पोहोंचते ही सभी अपने-अपने रुम में जाकर चेंज करके सो जाते है।



    अब आगे next part में ✍✍✍



    ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤



    आगे के पार्ट मे बने रहिये हमारे साथ दुर्गा और विकी की सगाई के function में धमाल और मस्ती के साथ। जानने के लिए पढते रहे....

  • 18. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 18

    Words: 2605

    Estimated Reading Time: 16 min

    दुर्गा और विकी की सगाई 💍






    अब आगे



    अगली सुबह



    जोशी हाउस, मुंबई



    सुबह सभी तैयार होकर dinning टेबल पर बेठकर नाश्ता कर रहे थे। तब पूनम जी बार-बार सीने और पेट पर हाथ फेर रही थी तब सई ने कहा, "क्या हुआ मम्मा?"



    पूनम ने कहा - "अरे कुछ नही बेटा वो ये बाहर के खाने में कितना oil और मसाले पडते है जिससे एसीडीटी हो गई है। अभी दुध पी लुंगी ठीक हो जायेगा।"



    शेखर ने कहा - "कल का खाना कुछ ज्यादा ही स्पाईसी था क्या?"



    सवी नाँ मे अपना सर हिला कर - "नही तो चाचु, क्यू?"



    शेखर अपना मुंह बनाकर देव को घुरते हुए कहता है - "तो पता नही ये देव कहाँ कहाँ से gas निकाल रहा था। ठीक से इसकी आवाजो ने सोने भी नही दिया मुजे।"



    दुर्गा और सई खाते हुए हँस पडे - "🤭🤭"



    सवी गुस्से में देव को देखकर - "तु कब सुधरेगा देवला? कोई मेहमान आएगा तब उनके सामने भी ऐसा ही करेगा क्या?" फिर विवेक को देखकर - "पापा आप कुछ कहते क्यू नही इसे?"



    विवेक अपनी हंसी दबाते हुए हाँ में अपना सर हिला कर बोला, "हाँ हाँ, अभी कहता हूँ।"



    विवेक के बोलने से पहले ही देव भी उसी लहजे में बोल पडा - "हाँ, तो इसमे किसीका बस थोडी चलता है? और पापा मुजसे क्या कहेंगे और क्यू कहेंगे? वैसे भी अगर कोई मेहमान हो भी तो क्या वो प्लास्टिक के बने है जो उनकी gas नही छूटती होंगी? 😝"



    फिर शेखर को देखकर बच्चो जैसा मुंह बनाकर बोला, "This is not fair चाचु। आप कई बार gas के नाम पर इतने बडे-बडे धमाके करते है रात को। तो मैने कभी कुछ बोला क्या? चुप चाप अपने कानो को समजाते हुए सोया पडा रहता था। और आप है की सबके सामने मेरी insult कर रहे हैं।" 😆😆



    शेखर जो चाई पी रहा था, ये सुनकर उसके मुंह से सारी चाई बाहर आ गई 🤮।



    बाकी सब ठहाके के साथ - "🤣🤣😆"



    फिर शेखर देव को - "😡😡"



    देव बेचारा सा मासूम सा चेहरा बनाकर - "🙂😊☺️☺️"




    ऐसे ही हंसी-मजाक करते हुए सबका नाश्ता होने के बाद सभी अपने-अपने काम पर निकल गये और पूनम घर के कामो मे लग जाती है।  ऐसे ही काम करने में सबके दो दिन बीत जाते है।



    सगाई के लिए सारी शॉपिंग हो चुकी थी। सगाई जोशी हाउस के कुछ दूरी पर एक hall में रखी गई थी। कुछ गिने-चुने और important मेहमानो को बुलाया गया था।




    सगाई के आगे का दिन



    जोशी हाउस



    रात को सब जोशी हाउस में डिनर कर रहे थे तब पूनम ने कहा, "कल सबको जल्दी उठना है, तैयार होकर hall भी जाना है। वे सब हमसे पहले आ गये तो अच्छा नही लगता। और खास करके सवी तु।"



    सवी अपना मुंह बना लेती है। बाकी सभी हाँ में अपना सर हिला कर फिर कुछ देर मे अपना खाना खतम करते है।



    शेखर, विवेक और देव सगाई की सभी तैयारियाँ एक बार hall में देखने चले जाते है। वही सवी, दुर्गा और सई घर के कामो में लग जाती है। पूनम दुर्गा के कल  पहनने के लिए कपड़े, गहने जो लिये हुए थे उसे निकाल कर रही थी।



    कुछ देर बाद विवेक वे सब भी अब वापस आ चुके थे। फिर सभी बाते करके अपने-अपने रुम मे सोने चले जाते है।




    अगली सुबह



    एक नई सुबह का आगमन हुआ। दुर्गा तैयार हो रही थी। वो नाहकर फिर अपने बाल सुखा रही थी। वही सई अपने कपड़े कबर्ड से निकालकर पहनने लगी। पूनम जल्दी तैयार होकर दुर्गा के पास आई उन्हे रेडी करने के लिए।



    तीनो का रेडी होना बाकी देखकर पूनम झल्लाकर बोली, "अरे लडकियो, तुम तीनो अभी तक तैयार नही हुई हो? दुर्गा जल्दी कर बेटा लडके वाले आ जायेंगे किसी भी वक़्त।"



    सवी जो अभी बाथरूम से बाथरोब पहनकर बाहर आई थी वो बोली, "अरे चिल मम्मी, अभी डेढ घंटा है। सब हो जायेगा। क्यू चिंता कर रही हो?"



    तब देव अपने शॉर्ट्स और t-shirt में उनके रुम में आया तब उसे देखकर पूनम थोडा गुस्सा करते हुए बोली, "देव तु कबतक इस चड्डी में घूमता रहेगा? कब तैयार होंगा तु?"



    देव अपनी शर्ट पूनम को दिखाते हुए कहता है, "अरे पर मम्मा ये देखो ना मेरी शर्ट का बटन लूज़ हो गया है। इसे ठीक कर दिजीये ना।"



    तब शेखर की आवाज आई बाहर से, "आजा देव मै कर देता हूँ, उन्हे तैयार होने दे।"



    पूनम - "जा चाचु कर देंगे।" देव वहाँ से चला जाता है। दुर्गा ने अपना लहंगा पहन लिया था। अब पूनम उसके बाल बनाने लगी। कुछ देर मे सई और सवी भी अपने कपड़े पहनकर उनके पास आ गये।



    दुर्गा ने ग्रीन कलर का लहंगा पहना हुआ था। हल्की ज्वेलरी, हल्का मेकअप, माथे पर ग्रीन बिंदी, बालो को खुला छोडकर कर्ल किया हुआ था। बोहोत ही खूबसूरत लग रही थी।




    सई और सवी भी अब तैयार हो चुकी थी। सई ने लॉन्ग kurti और नीचे स्कर्ट पहना हुआ था। बालो को half पोनी में  क्लिप लगाकर कर्ल किया हुआ था। सवी ने पर्पल कलर का क्रोप टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था। जिसमे उसकी गोरी कमर और पेट दिख रहा था, बालो को खुला छोडा हुआ था। दोनो भी सिम्पल लूक में बोहोत खुबसूरत लग रही थी।




    कुछ देर बाद सभी तैयार होकर hall के लिए निकल जाते है। कुछ टाईम बाद hall में पोहोंचकर वे देखते है की विकी, वंश और पूनम आ चुके थे और सब मेहमान भी। सभी मेहमानो में नाश्ता और ज्यूस सर्व हो रहा था।



    सबको देखकर पूनम गबराते हुए बोली, "देखा मैने कहा था ना की जल्दी करो। सब आ गये है, पता नही सब क्या सोचेंगे हमारे बारे मे।"



    विवेक - "तुम शांत हो जाओ भाग्यवान, कोई कुछ नही सोचेगा। अब चलो, बेठते है।"



    वही दुर्गा को देखते ही विकी की नजर उसपर थम जाती है। वो उसे एक नजर नीचे से उपर देखकर फिर मुस्कुरा देता है। विवेक, शेखर और पूनम जाकर वंश, विकी और नीलम से मिलते है और वही लगे सोफे पर बैठ जाते है।



    वही वंश बाबू का भी हाल बेहाल था। वो अपने मोबाइल में अपने e-mail चेक करते हुए जब सई को देखता है तो देखता ही रहता है।



    वही सवी क्रिश को बोहोत मिस कर रही थी। तब उसका फोन बजता है। सवी फोन देखकर खुश होकर कॉल रिसीव करती है।



    सवी - "मै अभी तुम्हे ही याद कर रही थी।"



    क्रिश - "हम्म, देखा इसलिए तो कॉल किया है। वरना तुम तो मुजे भुल ही गई थी।"



    सवी - "नही क्रिशु, मै तुम्हे कैसे भुल सकती हूँ। & I am so sorry की मै तुम्हे सगाई में invite नही कर पाई।"



    क्रिश - "अरे इट्स ओके जान। मुजे पता है, तुम सैड फील मत करो और function अच्छे से एन्जॉय करो हम्म? दुर्गा दी को मेरी तरफ से congratulation वीश कर देना।"



    सवी मुस्कुरा कर - "हाँ हाँ, पक्का।"



    क्रिश - "ओके, एन्जॉय। बाय, लव यू।"



    सवी - "हम्म, लव यू टू। बाय।"



    इतना कहकर वह फोन रख देती है तब दुर्गा और सई उसके पास जाकर सवी को मायुस देखकर फिर दूर्गा बोली, "चिंता मत करो सवी। मेरी सगाई का function खतम होने के बाद मै माँ-पापा से तुम्हारी और क्रिश की बात करूँगी।"



    सवी मुस्कुरा कर उसके गले लग जाती है। सई भी उन दोनों के गले लग जाती है।



    पूनम अब आकर उन्हे टोकते हुए बोली, "अरे लडकियो, सारा भरत मिलाप आज ही कर दोगी? वो बेचारा विकी कबसे राह देख रहा है।"



    विकी को स्टेज पर आते देखकर तीनो बहनें एक-दूसरे से अलग हुई और दुर्गा को लेकर स्टेज पर चले जाते है।



    सई वंश के पास खडी थी। वंश तो जैसे उसमे खो सा गया था उसे अपने आसपास का कोई होश नही था।



    सई जब पीछे हो रही थी तब उसकी टक्कर से वंश अपनी सेन्स में आता है। सई पीछे मुडकर उसे देखकर मुस्कराई और बोली, "सॉरी सर।"



    वंश भी मुस्कुरा कर हाँ में अपना सर हिला देता है। पूनम और नीलम दुर्गा और विकी को रिंग देती है। सभी के हाथो में फूलों की पंखुडिया थी। दुर्गा और विकी रिंग लेकर एक-दूसरे को पहना देते है। सगाई होते ही सभी उन पर फूल डालने लगे।



    वही वंश मुस्कुराकर अपने हाथो में पकडे फूलो की पंखुडिया सई के सर पर डाल रहा था। सई को ये महसूस होते ही वो अपने सर पर हाथ रखकर देखती है और पंखुडिया अपने हाथो में लेकर उसे हैरानी से देखकर फिर पीछे मुडकर इधर-उधर देखकर फिर वंश को देखती है।



    वंश अपने कन्धे उचकाते हुए बोला, "What happen मिस जोशी? शायद पीछे से कही से आये हो।" सई अपना सर हिलाकर वापस से दुर्गा को देखने लगी। वंश मुस्कुरा देता है।




    अब सगाई होने के बाद सभी उन दोनों को बधाइयाँ देने लगे। कुछ देर मे सगाई खतम होते ही सभी अब लंच के लिए दूसरे area मे जाने लगते है।



    सई जब washroom के लिए वहां से कॉरिडोर की तरफ जाने लगी तब उसे लगा की जैसे कोई उसके पीछे आ रहा है।



    वो रुककर पीछे मुडकर देखती है तो सारे मेहमान थे। मेहमान ज्यादा होने की वजह से सई को किसी पर भी शक नही हुआ। सभी मेहमान यहाँ से वहाँ जा रहे थे। सई वापस से मुडकर खुद से बोली, "मुजे ऐसा क्यू लगा की जैसे कोई मेरे पीछे आ रहा था।"



    वो सोच ही रही थी तब उसके कानो में किसीकी आवाज पडी _ "मेरे बारे में सोच रही हो My love? So, Don't worry I am always with you.... वैसे आज तुम बोहोत खुबसूरत लग रही हो।"



    इतना कहकर वह उसके कान पर किस कर देता है। उसकी आवाज से सई वही जम जाती है। उसके किस करने पर सई अपने सेन्स में आकर तुरंत पीछे मुडकर देखती है तो वहाँ मेहमानो की भीड में कोई नही दिख रहा था। वो वहाँ से गायब हो चुका था।



    सई गबराने लगती है। डर के मारे उसे पसीना आने लगता है। तब कोई उसके कन्धे पर हाथ रख दिया जिससे सई पीछे मुडकर देखती हैं। सामने देव था, वो उसे डरा हुआ देखकर बोला, "मै हूँ दी। क्या हुआ आपको? आप इतने गबराये हुए क्यू हो? सब ठीक है ना?"



    सई खुद को शांत करके बोली, "हाँ हाँ, मै....मै ठीक हूँ। तु....तु यहाँ खडा रहेगा मै अभी washroom होकर आती हूँ?"



    देव - "हाँ हाँ, जाकर आइये मै यही बाहर खडा रहता हूँ।"



    सई वहाँ से जल्दी से washroom के लिए चली जाती है और फिर कुछ देर मे बाहर आकर देव के पास जाकर दोनो ही अब लंच area में सबके पास चले जाते हैं।




    सई जब वहाँ आई तब वो यहाँ-वहाँ सब जगह नजर दौडाने लगी। तब उसके फोन पर एक मेसेज आया।



    सई अपना फोन लेकर उस मेसेज को ओपन किया। तो उसकी आंखे शॉक से बडी हो जाती है। क्युकी उसमे प्राइवेट नंबर से एक मेसेज आया था, जिसमे लिखा था, "तुम्हारी ये खूबसूरत आंखे मुजे ढूँढ रही है ना? मै यही हूँ तुम्हारे आस-पास, जान। अभी भी तुम्हे ही देख रहा हूँ। जानने के लिए बेताब हो ना की मै कौन हूँ तो हम जरुर मिलेंगे & I promise ये इन्तज़ार बोहोत जल्द खतम होगा।"



    सई नम आँखों से यहाँ-वहाँ देखते हुए खुद से ही बोली, "ये....ये यहाँ तक कैसे आ गया? अब क्या करू? दी को बताऊ? नही-नही आज उनकी इतनी बडी खुशी के दिन पर मै उन्हे ऐसे परेशान नही कर सकती। मै यहाँ सबके पास ही रहूंगी, तो वो कुछ नही कर पायेगा।"



    तब विकी जो सबसे बाते कर रहा था उसकी नजर सई पर पडी, जो बोहोत डरी हुई नजरो से हर तरफ देख रही थी।



    तब वो उसके पास आया और उसके कन्धे पर हाथ रखा, जिससे सई चोंककर पीछे मुडकर देखती है।



    जिससे विकी उसके चेहरे पर गबराहट देख, हैरानी से कहता है _ "सई Are you ok? मै हूँ। ये तुम इतनी डरी हुई क्यू हो? क्या हुआ है, मुझे बताओ?"



    सई खुद को शांत कर, विकी को देखकर झूठी मुस्कान के साथ कहती है - "न....नही तो जीजू, कुछ भी नही हुआ है। मै बिलकुल ठीक हूँ।"



    "तुम सच बोल रही हो ना?" विकी के फीरसे पूछने पर सई ने मुस्कुराकर हाँ में अपना सर हिला दिया।



    विकी को फिर भी कुछ शक हो रहा था। इसलिए उसने सई से अब ज्यादा कुछ ना कहकर, वो सीधा वंश के पास चला गया।



    वंश जो की एक चेयर पर बैठ कर होंठो पर हल्की मुस्कान के साथ सई को ही देख रहा था।



    विकी उसके पास आया, तब अपने पास उसे देख वंश की मुस्कुराहट गायब हो जाती है। विकी उसे शक भरी नजरों से घुर रहा था।



    तब वंश वहाँ से उठकर उसे देखकर बोरियत से बोला, "सगाई तेरी ही थी ना? तो ये क्या बेकार सा मुंह बनाकर रखा हुआ है? थोडा खुश भी हो जा।"



    विकी उसके कान के पास जाकर फुसफुसाया - "सई इतनी डरी हुई क्यू है?" उसकी बात पर वंश को हंसी आ गई।



    "मैने क्या जोक मारा है, जो दाँत दिखा रहा है, अपने?" विकी ने चिढ़ते हुए कहा।



    वंश मुस्कुराते हुए कहता है, "कमाल है ना ये लडकी भी यार? इसकी तारिफ की फिर भी डर रही है! इससे ज्यादा आज तो कुछ किया भी नही है मैने, सच्ची।"



    विकी अपनी भोन्हे सिकुड़कर - "तारिफ? कैसे?"



    वंश ने उसे सब बता दिया तब विकी ने उसे घुरते हुए कहा, "क्यू परेशान कर रहा है तु उस बेचारी को? क्या जरूरत थी उसके पास जाने की? देख, मै बता रहा हूँ तुझे... तु ना अपनी ये हरकतें छोड दे, वरना...."



    विकी की आधी-अधुरी धमकी भरी बात सुनकर वंश ने अपनी आंखे बडी करके हंसते हुए कहा, "उप्स! ओ माय-माय....क्या बात है! मेरा दोस्त तो अभी से ही अपने ससुराल वालो का हो गया! और अपने ही दोस्त को warning दे रहा है। तो चल मै आज के दिन तुजसे प्रोमिसे करता हूँ, अब मै उसे परेशान नही करूंगा, ओके?"



    विकी अपना सर हिला कर कहता है - "हम्म...बेटर। अबसे उसके आस-पास भी मत भटकना।"



    वंश अपनी भोंहे सिकुड़कर तुरंत बोल पडा - "वैट-वैट मेरे यार। मैने ये कहा है की मै उसे परेशान नही करूंगा, ये नही कहा की मै उसे भुल जाऊंगा।"



    विकी सवालिया होकर उसे देखकर कहता है  - "क्या मतलब? क्या करने वाला है तु?"



    वंश अब सई को देखकर - "अपने प्यार का इजहार, और वो भी दिल्ली में।"



    विकी कंफ्यूज होकर कहता है - "दिल्ली? तु दिल्ली जा रहा है?"



    वंश ने उसे देखकर कहा - "सिर्फ मै ही नही हम सब जा रहे है। क्युकी वहाँ पर मिस्टर रायजादा के इवेंट की एक हाई प्रोफाइल पार्टी है जिसमे मुजे invite किया है और मेरी सेक्रेटरी होने के नाती सई को भी आना है और वही तरुण के कजिन की शादी की reception पार्टी भी है, तो वहाँ हम सब फ्रेंड्स को जाना है। तब उसी दिन डिनर के बाद मै उसे एक लॉन्ग ड्राइव पर ले जाऊँगा और अपने दिल की बात बता दूंगा।"



    विकी हल्का मुस्कुराकर कहता है - "क्या तुजे लगता है की सई दो दिन के लिए दिल्ली आने के लिए मानेगी?"



    वंश सई को देखकर सीरियस आवाज मे कहता है - "उसे आना होगा विकी...चाहे कुछ भी हो जाये उसे आना ही है।"



    विकी अब आगे कुछ नही बोल पाया। एक तरफ वो चाहता था की वंश को सई मिल जाये जिससे वंश अपनी लाइफ में सेट हो जाये। पर उसे ये भी डर था की सई के मना करने पर वंश कहीं अपना डेवील रूप उसे ना दिखा दे!



    अब वे सब भी लंच के लिए चले जाते है। ऐसे ही हंसी-खुशी सगाई का function खतम हुआ। वंश ने उसके बाद से एक बार भी सई को परेशान नहीं किया था।



    अब आगे next part में ✍✍✍



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    क्या सई दिल्ली जाने के लिए मानेगी? क्या वंश कर पायेगा अपने प्यार का इजहार या उससे पहले ही आ जायेगी वंश की सच्चाई सई के सामने? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 19. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 19

    Words: 2471

    Estimated Reading Time: 15 min

    सई और वंश दिल्ली मे 🛫






    अब आगे



    जोशी हाउस, मुंबई



    विकी और दुर्गा की सगाई होने के बाद अब सभी अपने-अपने घर लौट आये थे। सभी चेंज करके हॉल में बेठे बाते कर रहे थे।



    देव दुर्गा के लिए आये हुए गिफ्ट्स खोलकर देख रहा था। वही सई अपने खयालो में घूम थी। वो बार-बार उस मेसेज भेजने वाले के बारे में सोचकर परेशान हो रही थी।



    अब सभी आधे दिन के लिए ही सही पर अपने-अपने काम पर चले जाते है।



    सिन्घानीया ग्रुप ऑफ़ कंपनी



    वही सई भी वहाँ पोहोंचकर अपना काम करने लगी। आज वंश की कही मीटिंग्स नही थी। क्युकी आज के दिन वंश ने जो भी मीटिंग्स थी, वो सब पोस्पॉन करवा दी थी।



    सई लैपटॉप पर कुछ काम सिख रही थी तब लैंडलाइन पर फोन आता है। सई ने उठाकर कान पर लगाया तो वहाँ से वंश की आवाज आई, "मिस जोशी, Come to my cabin right now"



    सई अपना लैपटॉप बंध करके वंश के केबिन की तरफ चली जाती है। कुछ देर मे door लॉक करने के बाद वंश की आवाज से वो केबिन में जाती है। सई उसके टेबल के पास जाकर खडी हो जाती है।



    वंश जो की लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था। वो अपना सर उठाकर सई को देखकर कहता है, "मिस जोशी, कल हमे दिल्ली जाना है, दो दिन के लिए।"



    सई दो दिन किसि के साथ ऐसे अकेले बाहर रहने का सोचकर ही परेशान होने लगी। वंश उसके हर एक एक्सप्रेशन को नोट कर रहा था।



    तब सई वंश को देखकर हिचकिचाते हुए बोली, "सर, द...दिल्ली क्यू?"



    वंश बीना भाव से कहता है - "दो वजह है मिस जोशी, पहली ये की वहाँ एक हाई प्रोफाइल पार्टी है और दुसरी मेरे एक फ्रेंड के कजिन की reception पार्टी है। सबसे important वो इवेंट पार्टी attend करना जरूरी है, जिसमे तुम्हे भी बोहोत से लोगो से मिलने का मौका मिलेगा। और जहाँ मुजे invite किया गया है वहाँ मेरी सेक्रेटरी होने के नाती तुम्हारा आना जरूरी है।"



    सई कुछ सोचते हुए धीमी आवाज में कहती है - "स....सर वो इतनी दूर...."



    वंश अपनी चेयर से उठकर उसके पास आते हुए बोरियत से कहता है, "Not again मिस जोशी। I Don't want any excuses, मैने तुम्हे पहले ही कहा था की अब तुम्हे इन सबकी आदत डालनी होंगी। तुम हर बार इस तरह से excuses नही दे सकती हो। कुछ सिखने के लिए थोडा सा कोंप्रोमाईज तो करना पडता है, Am I right?" सई हाँ में अपना सर हिला देती है।



    उसके चेहरे पर परेशानी देखकर, वंश उसके कन्धे पर हाथ रखकर प्यार से कहता है, "हेय...डोंट टेक अ स्ट्रेस, हम्म! जाकर तैयारी करो, हमे कल सुबह ही निकलना है। विकी आ जायेगा तुम्हे airport के लिए लेने।"



    सई बेमन से अपना सर हिलाकर वहाँ से चली जाती है। आखिर ये उसकी जॉब का सवाल था, कैसे वो हरबार इन्कार कर सकती थी।



    वंश बीना भाव से उसे जाते हुए देख रहा था। फिर कुछ समय बाद ऑफिस hours खतम होने के बाद सभी एम्प्लोयी अपने-अपने घर के लिए निकल जाते है।



    जोशी हाउस


    वही घर आने के बाद सई दुर्गा से दिल्ली जाने की बात करती है। विकी ने भी दुर्गा को दिल्ली जाने की बात बताई थी। इसलिए दुर्गा भी समझ रही थी कि काम के लिए तो कही भी जाना पड सकता है।



    रात के डिनर के टाईम दुर्गा ने जैसे-तैसे करके सबको मना ही लिया था। विवेक खुशी-खुशी मान गया था पर एक माँ को तो सबसे ज्यादा चिंता लगी रहती है अपने बच्चो की।



    पर फिर भी, उसने सई की खुशी के लिए बेमन से हाँ कर दिया था। डिनर खतम करके सई अपनी पेकिंग मे लग जाती है।



    दुर्गा और सवी उसकी हैल्प कर रहे थे। तब सई ने मजाकिया अंदाज मे सवी को छेडते हुए कहा, "सवी, वैसे क्रिश बाबु कब आ रहे है, तुम्हारे लिये रिश्ता मांगने?"



    सवी मायुस होकर अपना मुँह बनाकर कहती है - "हम्म, वही तो। वो पंद्रह दिन के लिए हैदराबाद जा रहा है। उसके बाद आएगा।"



    दुर्गा और सई एक-दूसरे को देख, फिर सवी को हैरानी से देखकर कहती है - "हैदराबाद क्यू?"



    सवी - "वो वहाँ पर उसे उसका पहला प्रोजेक्ट देना है। इसलिए बिजिनस के काम से जा रहा है।"



    दुर्गा सवी का गाल पींच करते हुए कहती है - "हम्म, इसिलिए हमारी सवी इतनी खोई-खोई है?" सवी अपना मुंह बनाकर हाँ में अपना सर हिला देती है।



    सई और दुर्गा हँस पडी - "😀😀" कुछ देर बाद सभी सो जाते है।




    अगली सुबह



    संडे का दिन



    सई जल्दी से उठकर तैयार होकर अपना सामान लेकर घर से बाहर आती है। विकी वही कार से टिककर अपने हाथ बांधे खडा एक रुम की तरफ देख रहा था।



    तब सई उसके पास आई और उसकी नजरों का पीछा करते हुए हल्का मुस्कुराकर बोली, "आज संडे है इसलिए दी अभी तक सोई है, तो उनके दर्शन करने को नही मिलेंगे, जीजू।"



    विकी अपनी सेन्स में आकर सई को देखकर मुस्कुरा कर उसका सामान कार में रखते हुए बोला, "वैसे बडी समजदार हो तुम साली साहिबा।"



    दोनो ही हंसते हुए, अब कार में बेठ जाते है। तब विकी ने कार स्टार्ट करते हुए कहा, "हम्म, so, कैसे लगे तुम्हे तुम्हारे ये जीजु?"



    सई एक खुशी जताते हुए कहती है  - "आप बोहोत अच्छे है जीजु। I am very happy for my Di...."



    दोनो बहनो का एक-दूसरे के लिए इतना प्यार देखकर विकी मुस्कुरा देता है। कुछ टाईम बाद ऐसे ही बाते करते हुए विकी और सई airport पोहोंच जाते है।



    विकी सई को एअरपोर्ट पर डिकी के पास जाने लगा, तब सई ने कहा, "जीजु आप नही आ रहे हैं?"



    विकी उसका सामान निकालते हुए कहता है - "मै कल परसो reception पार्टी के लिए आऊंगा सई।"



    सई अपना सर हिला कर मुस्कुरा देती है। विकी अब वहाँ से चला जाता है। वंश के बॉडीगार्ड के थ्रू सई वंश के प्राइवेट प्लेन तक पोहोंच जाती हैं।



    थोडे टाईम बाद वंश भी आकर सई की बाजू वाली सीट में आकर बेठ जाता है। वंश उसे देखकर हल्का सा मुस्कुराकर बोला, "सो, मिस जोशी इसबार कैसे मनाया अपनी फैमिली को?"



    सई ने कहा - "वो दी थी ना, तो उन्होने मना लिया सर।"



    थोडे टाईम बाद जेट प्लेन चलने लगता है। जिससे सई थोडा चौंक गई। सई पहली बार प्लेन में बेठी थी।



    विवेक और शेखर एक-दो बार काम के सिलसिले में प्लेन में सफर कर चुके थे, पर बाकी सबमे से कोई नही गया था।



    जेट प्लेन की movement की वजह से पहली बार बेठी सई डर की वजह से वंश की बाजू को अपने दोनो हाथों से कसकर पकड़ लेती है और अपना सर वंश के कंधे पर रख देती है।



    सई के ऐसे पकड़ने से वंश की बॉडी में एक करंट सा दौड पडता है। जो कभी किसी भी लडकी के टच होने से फील नही हुआ वो सई को अपने पास देखकर और उसके छूने से फील हो रहा था।



    सई अपनी आंखे कसके बंद करके बोली, "सॉरी सर, पर मुजे बोहोत डर लग रहा है। पेट में गुदगुदी जैसा हो रहा है।" उसे लगा, उसका इस तरह से वंश को पकड़ने से कही, वो नाराज ना हो जाये!



    वंश उसकी मासूमियत देखकर मुस्कुरा देता है और उसके गाल पर अपना हाथ रखकर कहा, "शश्श....रिलेक्स सई, ये प्लेन अभी चल रहा है इसलिए तुम्हे ऐसा फील हो रहा है। जब आसमान में होंगे तब कुछ नही होगा। Don't worry you can hold my hand...Don't be scare...I'm here...."



    इतना कहकर वह सई के हाथ पर अपना हाथ रखकर उसे tightly पकड लेता है। वंश के ऐसा करने से सई उसमे खो सी जाती है। वंश हमेशा से उसका आइडल रहा है। वो वंश के हाथ अपने हाथ पर महसूस कर स्माइल कर देती है।




    फाइनली, कुछ घंटो के सफर के बाद वे मुंबई से दिल्ली पोहोंच जाते है। एअरपोर्ट से निकलकर अब वंश और सई एक शानदार होटल Taj-Mahal में पोहोंचते है।



    वहाँ का स्टाफ और मेनेजर वंश और सई का अच्छे से स्वागत करता है।



    वंश के लिए तो ये सब नॉर्मल था, पर सई ये सब देखकर खुश हो रही थी। वो अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट से सब देख रही थी। ये सब देखकर सई को मन ही मन बोहोत प्राउड फील हो रहा था की वो वंश की असिस्टेंट है।



    "सर, आपके लिये कितना अच्छा है ना! सब आपको कितना मानते है और कैसे आपकी आव-भगत कर रहे है! आपको तो मजा आता होगा ना, हर बार ऐसे अपनी धासू एन्ट्री होते देखकर?"



    वंश उसकी ओर चेहरा करके पहले हैरानी से देखकर कहता है _ "धासू? ये क्या होता है?"


    "मतलब, grand entry सर।" सई के कहने पर वंश हंसकर, फिर अपना मुँह बनाकर कहता है _ "उम्म....सच कहू तो नही। मुझे अब ये सब देखकर अच्छा नही लगता। पहली बार ये सब देखने मे अलग लगता है, पर हर बार! ठीक ही लगता है।"



    सई मन ही मन मुस्कुराते हुए कहती है _ "वाह! कितने अच्छे है सर! उन्हे इस बात का जरा भी घमंड नहीं है कि सब उनके आगे झुकते है।"



    विकी ने पहले ही वहाँ दो रुम बुक करवा दिये थे। वहाँ का स्टाफ दोनो को लिफ्ट से होते हुए अब उनके रूम्स दिखाने ले जाने लगा।



    सई यहाँ-वहाँ नजरें करती हुई होटल को देखते हुए वंश के साथ चल रही थी। वही वंश तिरछी नजरों से उसकी हरकतो को देखकर मुस्कुरा रहा था। उसे उसकी यही मासूमियत भा गई थी।



    कुछ देर मे दोनो को अपने रुम में पोहोंचाकर स्टाफ उनका सामान वही रुम मे रखकर चले जाते है।



    सई अपने दोनो गालों पर हाथ रख, रुम को देखकर जोर से चिल्लाई, "ओ बाप रे, इतना बडा रुम? इसमे मै अकेली रहूंगी?"



    फिर सई जल्दी से अपना फोन निकालकर दुर्गा को विडियो कॉल करती है। कुछ ही पल बाद दुर्गा कॉल रिसीव करती है तब सई ने उसे देखकर मुस्कुरा कर कहा, "दी, कैसे हो सब? मै पोहोंच गई दिल्ली।"



    दुर्गा के पास उसका पुरा परिवार था। वे सब उसे देखकर मुस्कुरा देते है।



    तब पूनम ने उसे देख सवालों की लाईन लगादी, "तु कहाँ रुकी हुई है? रुम कैसा है? वहाँ के इन्सान कैसे है? तु....तु ठीक है ना?"



    विवेक हल्का मुस्कुराकर - "अरे भाग्यवान उसे सांस तो लेने दो। अभी तो पोहोंची है वो वहाँ।" फिर सई को देखकर कहता है - "बेटा, कैसा रहा सफर?"



    सई खुशी से कहती है - "बोहोत अच्छा पापा, और ये देखीये ये मेरा रुम है। सिर्फ मेरे अकेली का। पता है, अब इतने बडे रुम मे मै अकेली रहने वाली हूँ! ऐसा किजीये, आप सब भी आ जाइयेना। मजा आएगा।"



    सभी उसकी बात पर हँस पडे - "😃😃"



    सई पुरा रुम दिखाने मे बिज़ी थी। वही वंश डोर से टिककर, खडा उसे खुश और बच्चो जैसी हरकतें देखकर हँस रहा था। उसने सबकुछ सुना था, जो सई ने अभी-अभी अपने परिवार से कहा था।



    कुछ देर बाद सई अपना कॉल खतम करके जब पीछे मुडकर देखती है, तो एकदम से चौंक जाती है।



    तब वंश अपनी हंसी छुपाते हुए, रुम के अंदर आकर कहा, "रिलेक्स, इसमे डरने की कोई जरूरत नहीं है। ये टाईम तुम्हारा है तो इसे अच्छे से एन्जॉय करो। पर अभी लंच का टाईम है तो चलो अभी लंच कर देते है, फिर आराम कर लेना।" सई हाँ में अपना सर हिला कर वंश के साथ जाने लगी।




    कुछ देर बाद सई वंश के साथ लंच करने वहाँ के बनाये restaurant में जाकर एक टेबल पर बेठ जाते है। वंश दोनो के हिसाब से फूड़ ऑर्डर करता है। सई वहाँ खेल रहे कुछ बच्चो को देखकर मुस्कुरा रही थी। वंश अपने फोन में कुछ कर रहा था। कुछ देर मे उनका खाना आ जाने के बाद दोनो अपना खाना एन्जॉय करने लगे।




    Cafe, Mumbai



    यहाँ सवी क्रिश से मिलने आई हुई थी। दोनो टेबल पर एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर बेठे हुए थे। सवी अभी भी मायुस लग रही थी। क्रिश ने उसका मुड ठीक करने के लिए कहा, "सवी मै तो कहता हूँ तुम भी चलो साथ मे।"



    सवी उसे देखकर हैरानी से कहती है - "मै कैसे आ सकती हूँ, क्रिशु? मेरी अभी-अभी जॉब लगी है और तुम्हे लगता है कि ऐसे मेरी फैमिली allow करेगी तुम्हारे साथ जाने के लिए?"



    क्रिश कुछ सोचते हुए कहता है - "उम्म...ओके, तो चलो शादी कर लेते है।" सवी ये सुनकर मुस्कुरा देती है और बोली, "क्या तुम भी? तुम कल ही जा रहे हो और शादी करने को बोल रहे हो।"



    क्रिश मुस्कुराकर उसके हाथ को चूमकर रिलेक्स होकर कहता है - "थैंक गॉड तुम मुस्कुराई तो सही। मै आकर हमारी शादी की बात करूंगा, ओके?"



    सवी मुस्कुराकर हाँ में अपना सर हिला देती है। फिर दोनो अपने लिये कुछ ऑर्डर करते है। फिर कुछ देर में खाना खाकर क्रिश उसे घर छोडने चला जाता है।



    कुछ टाईम बाद घर के बाहर पोहोंचते ही दोनो एक-दूसरे से गले लगकर फिर सवी कार से उतरकर क्रिश को बाय कहकर घर के अंदर चली जाती है और क्रिश भी उसे देखकर वहाँ से निकल गया।




    होटल ताज-महल, न्यू दिल्ली



    वंश और सई का भी खाना खतम होने के बाद दोनो रुम के वहाँ पोहोंचते ही वंश ने कहा, "मिस जोशी मै एक बिजिनस क्लाइंट के साथ एक मिटिंग के लिए  बाहर जा रहा हूँ। वहाँ मै तुम्हे नही लेजा सकता, इसलिए तुम अब आराम करो। हो सकता है मुजे आने में रात को लेट हो जाये, इसलिए तुम इस लैंडलाइन से reception पर कॉल करके तुम्हे जो चाहिए वो मंगवाकर डिनर कर देना और सो जाना, ओके?" सई हाँ में अपना सर हिला देती है।



    वंश वहाँ से अपना फोन निकालकर किसीको कॉल करता हुए चला जाता है। सई उसे जाते हुए देख, फिर अपने रुम का गेट बंध करके भागती हुई बैड पर जंप करती है और चिल्लाकर बोली, "येएएए....अब मै अकेली, अच्छे से मजा करूँगी।"



    सई हंसते हुए अब कुछ देर के लिए लेट जाती है। इन पलो मे वो वंश के unknown नंबर से किए हुए मेसेज के बारे मे पूरी तरह से भूल चुकी थी।



    वही वंश होटल से बाहर अपने PA अमर जो उसके सारे काम संभालता था, वो वहाँ कार लेकर आ जाता है। वंश कार में बेठ जाता है। ड्राईवर कार स्टार्ट कर देता है।



    अमर मिरर से वंश को देखते हुए कहता है, "सर आपने मुजे क्यू बुलवा लिया?"



    वंश खिडकी से बाहर देखते हुए कहता है - "क्युकी उस मिटिंग में सभी men है और सई उन सबको देखकर uncomfortable फील करती इसलिए मुजे उसे ले जाना सही नही लगा।" अमर अपना सर हिला देता है। उसने आगे कुछ पुछना जरूरी नही समजा।



    जोशी हाउस, मुंबई



    वही सवी अपने रुम में बैड पर बेठी एक बुक पढ रही थी, तब उसे एक unknown नंबर से कॉल आता है।



    सवी उस कॉल को रिसीव करके अपने कान पर लगाती है। तब सामने वाले की आवाज सुनकर सवी की आंखे शॉक से बडी हो जाती है।



    अब आगे next part में ✍✍✍



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    क्या होने वाला है सई और वंश की जिंदगी मे ? किसका कॉल आने पर सवी शॉक हो जाती है? जानने के लिए पढते रहे.....

  • 20. JUNOONIYAT : THE DANGEROUS GAME OF LOVE ❤ - Chapter 20

    Words: 1794

    Estimated Reading Time: 11 min

    Nilesh called Savi




    अब आगे



    जोशी हाउस, मुंबई



    सवी अपने रुम में बैड पर बेठी एक बुक पढ रही थी तब उसे एक unknown नंबर से कॉल आता है।



    कुछ देर सवी अपने फोन को देखती रही, फिर कॉल को रिसीव करके अपने कान पर लगाती है। तब सामने वाले की आवाज सुनकर सवी की आंखे शॉक से बडी हो जाती है।



    सवी को सामने से आवाज आई, "कैसी हो जानेमन? पहचाना, मै कौन हूँ?"



    सवी गुस्से मे हैरानी के मिले-झूले भाव से कहती है - "निलेश तुम? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुजे कॉल करने की और तुम्हे मेरा नंबर कहाँ से मिला?"



    निलेश बेशर्म हंसी हँसते हुए कहता है - "अरे नंबर पता करना कौनसी बडी बात है? तुम जैसी हॉट लडकियो के बारे में मै सब खबर रखता हूँ।"



    सवी - "Just Shut-up, ओके!"



    इतना कहकर वह कॉल कट कर देती है। वही निलेश फोन को घुरते हुए कहता है, "बडी गर्मी है ना तुजमे? अब कल देख तुजे एक सरप्राइज देने वाला हूँ मै।"




    सवी वापस से बुक पढ्ने लगी पर अब उसका मन डाइवर्ट हो गया था, जिससे उसे किताब पढ्ने में मन नही लग रहा था। वो अपनी किताब साइड में रखकर रुम से बाहर निकल कर गार्डन में आ गई। ऐसे ही दिन ढलता गया।




    रात 8:30 बजे



    होटल ताज-महल, न्यू दिल्ली



    यहाँ सई काफी देर आराम करने के बाद अब उठकर फिर बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर अपने कपड़े चेंज करके night wear पहन लेती है और फिर वंश के कहे अनुसार लैंडलाइन से reception में कॉल करके डिनर ऑर्डर करती है।



    कुछ देर बाद गेट नॉक होता है। सई जाकर डोर ओपन करती हैं। रुम सर्विस वाला आकर उसका मंगवाया हुआ खाना अंदर आकर टेबल पर रखकर वहाँ से चला जाता है। सई डोर बंध करके लॉक कर  देती है।



    सई अब टीवी ऑन करके उसमे मूवी लगा देती है और couch पर बेठकर अपना खाने का packet ओपन करने लगी। उसने पानी की दो बोटल्स, पनीर टिका मसाला, नवरत्न कोरमा, नान, बिरियानी, Maaza ड्रिंक, कुछ स्नैक्स जैसे वेफ़र्स, popcorn, फ़्रैंच फ्राइज, मंगवाया हुआ था जिसे वो मूवी देखते टाईम खाने वाली थी।




    सई अब पनीर टिका मसाला, नवरत्न कोरमा, नान, बिरियानी निकालकर, टीवी देखते हुए खाने लगी। टीवी में 'हमको तुमसे प्यार है' मूवी चल रही थी। सई खाते हुए बडी घॉर से वो मूवी देख रही थी।




    ऐसे ही टीवी देखते हुए उसका डिनर खतम होता है। डिनर होने के बाद उसी फिल्म का एक गाना बजता है, "तेरे इश्क़ में पागल हो गया, दीवाना तेरा रे,
         सच होते-होते हो गया अफसाना मेरा रे।।"




    सई को गाना पसंद था, जिससे वो भी अब उस गाने पर couch से उठकर डांस करने लगी। ऐसे ही गाने के बोल पर उसका डांस भी हो गया और खाने के बाद हल्की एक्सरसाइज़ भी हो गई।



    कुछ देर में गाना खतम होते ही सई वापस से couch पर पैर फैलाकर बेठकर टीवी देखने लगी। मूवी में अर्जुन रामपाल और अमीषा पटेल के प्यार भरे रोमांटिक सीन देखकर सई खुश हो रही थी।
    फिर कुछ दुख भरे पल देखकर वो सैड भी हो रही थी।



    ऐसे ही उसने और भी मूवी देखने में रात के 3:45 बजा दिये थे। मूवी देखते-देखते उसने popcorn, Maaza ड्रिंक, फ़्रैंच फ्राइज, वेफ़र्स के मजे लिये थे।



    करीबन 4 बजे वो सोई थी। वंश भी थोडा लेट आया हुआ था, वो ये सोचकर सई को देखने नही गया की वो सो गई होंगी। पर उसे क्या पता की वो अभी भी टीवी देख रही थी। वो आकर सीधा अपने रुम मे चला गया था।





    अगली सुबह



    10:30 बजे



    वंश तैयार होकर सई के रुम की तरफ जाता है। वंश उसके रुम के बाहर आकर उसके गेट को नॉक करता है। पर सई अंदर के रुम में इतनी गहरी नीन्द में थी की उसे नॉक की आवाज सुनाई ही नही दी।



    काफी बार डोर नॉक करने पर भी जब सई ने डोर ओपन नही किया, तो वंश को अब उसकी चिंता होने लगी थी।



    फिर उसने रुम सर्विस वाले से मास्टर key मंगवाकर फिर सई के रुम का door खोलकर अंदर चला जाता है।



    रुम के अंदर का लिविंग रुम का नजारा देखता है तो दंग रह जाता है। हॉल के रुम में खाने की प्लेट, glasses, food wrapers, वेफ़र्स के पेकेटस, ड्रिंक की बोटल सब टेबल पर यहाँ-वहाँ बिखरे पडे हुए थे।




    वंश ये सब हैरानी से देखते हुए, अब बेडरूम की तरफ जाता है तो पाता है सई खुद को पूरी तरह से रजाई से कवर करके चैन से चेहरे पर मोसूमियत लेकर सो रही थी।



    वंश एक पल को उसे देखकर डोर पर ही रुक जाता है। फिर एकदम से हंस देता है और धीरे से कहता है, "तुम अभी तक सो रही हो और पता नही तुम्हारे डोर ना खोलने पर मै कितना डर गया था! जाने कैसे-कैसे खयाल आ रहे थे मन मे!"



    वंश अब उसके पास जाकर बैड पर बैठ कर उसका चेहरा देखता है जो पुरा रजाई से ढका हुआ था। सिर्फ उसकी बंध आंखे दिख रही थी। और उन बंध आंखो पर बालो की लटे उड रही थी। वंश उसके आधे दिखे चेहरे को देखकर फिर उसके आंखो पर से वो लटे हटाता है।



    सई तब कसमसाकर अपने पुरे चेहरे पर रजाई डालते हुए नीन्द में बोली, "मम्मा, प्लीज सोने दो थोडी देर। रात को 4 बजे तक मूवी देखा था, इसलिए लेट सोई थी।"



    वंश मुस्कुराते हुए कहता है, "Really Miss Joshi! 4 बजे तक?"



    वंश की आवाज कानो मे पडते ही, सई जटसे बैड पर बेठ जाती है और अपनी नीन्द भरी आंखो से उसे देखकर फिर आंखे बडी करके डरते हुए बोली, "सॉरी, सर वो टाईम का ध्यान ही नही रहा।"



    सई को डर था की वंश इतनी देर तक सोने पर उसपर गुस्सा करेगा। तब वंश उसे प्यार से समजाते हुए कहता है _ "रिलेक्स मिस जोशी, इसमे डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैने पहले भी कहा है, जो तुम्हे अच्छा लगे वो करो उसमे कोई बुराई नही है। ये तो तुम डोर नही खोल रही थी, तो मुझे चिंता होने लगी कि तुम ठीक हो या नही? इसलिए मुजे मास्टर key यूज़ करके चेक करने आना पडा। अभी भी अगर नीन्द आ रही है तो सो सकती हो, no problem" सई नाँ में अपना सर हिला देती है।



    वंश का तब फोन रिंग करता है। वंश फोन देखकर फिर सई से कहता है, "तुम तैयार होकर नीचे restaurant area में आ जाना। मेनेजर तुम्हे मेरे टेबल के वहाँ ले आएगा।" सई रिलेक्स होकर हाँ में अपना सर हिला देती है।




    वंश अपना कॉल attend करके बात करता हुआ वहाँ से चला जाता है। वंश के गुस्सा ना होने पर सई उसे जाते हुए देखकर मुस्कुरा देती है, फिर बाथरूम में चली जाती है।



    कुछ समय बाद शॉवर लेकर तैयार होकर सई restaurant area में चली जाती है। जहाँ मेनेजर उसे वंश के टेबल के पास लेकर जाता है।



    सई चेयर पर बैठ जाती है और फिर वंश खाना ऑर्डर करता है। क्युकी ब्रेकफास्ट का टाईम निकल चुका था।



    कुछ देर बाद वैटर खाना सर्व करके चला जाता है। दोनो ही खाना खाने लगे तब वंश ने कहा, "मिस जोशी आज शाम को तैयार रहना, हमे पार्टी के लिये जाना है और हाँ तुम्हारे ये नॉर्मल कपड़े वहाँ नही चलेंगे इसलिए मैने अमर से बोल दिया है, वो तुम्हारे लिये एक वेस्टर्न gown भिजवा देगा।"



    वेस्टर्न gown  का नाम सुनकर सई गबरा जाती है और उसका हाथ खाते हुए रुक जाता है। क्युकी उसे लगा था की वेस्टर्न gown डीप क्लिवेज और टाँगे दिखे ऐसे होते है। और ऐसे कपड़े उसे बिलकुल पसंद नही थे। पर वो ये सब वंश को कैसे एक्सप्लेईन करे समज नही पा रही थी। वो बिना कुछ कहे, बेमन से खाना वापस से शुरु करती है।



    पर वंश ने उसके हाव-भाव देख लिये थे और समज गया था की सई क्या सोच रही है? तब वो एकदम से हंस देता है।



    सई अपना सर उठाकर उसे हैरानी से देखती है तब वंश ने अपनी हंसी रोक कहा _ "तुम डरती बोहोत हो बात-बात पर, मिस जोशी। तुम gown को लेकर परेशान हो ना? So, don't worry...."



    सई उसे हैरानी से देख रही थी तब वंश आगे बोला _ "तुम जानती हो मुजे काम के सिल-सीले मे कितने ही लोगो से मिलना पडता है! ना जाने कितनी ही party और meetings attend की है मैने। बिजिनस और इन्सानो की परख है मुजे। तुम्हारे मन की बात को और तुम्हे पुरी तरह से समज और जान चुका हूँ मै। ये gown westarn और party वेअर जरूर है पर decent है, जैसा तुम्हे पसंद हो वैसा है। तुम्हारे संस्कारो को गिरने नही दूंगा मै।"



    ये सब सुनकर सई के दिल में वंश के लिए respect और बढ जाती है। उसे देखकर मुस्कुरा देती है।



    दोनो का लंच फिनिश होता है तब वंश उसे देखकर कहता है, "तुम अपना gown चेक कर लेना। मै अपने फ्रेंड से मिलने जा रहा हूँ क्युकी कल उसके वहाँ पार्टी में भी जाना है। शाम को रेडी रहना। (फिर उसके चेहरे के थोडा करीब जाकर उसकी आँखो मे देखकर प्यार से कहता है) और हाँ, remember की आज तुम्हे बोहोत ही खुबसूरत लगना है। हमेशा लगती हो उससे भी ज्यादा, ओके? बाय।"



    इतना कहकर वह मुस्कुराकर निकल गया और सई उसे जाते हुए देख, फिर अपने रुम में आती है और सोफे पर बैठ कर अपने घर कॉल करती है।




    जोशी हाउस, मुम्बई



    पूनम को सई का कॉल आने पर उससे बात करने लगती है। दुर्गा, देव भी उससे बात कर रहे थे। उसे वहाँ खुश और सेफ देखकर उन्हे एक सुकुन था।




    वही यहाँ सवी को फीरसे निलेश का कॉल आता है तब निलेश ने उसे धमकी दी थी की, इसबार भी अगर वो आज उससे नही मिलने आई तो पछतायेगी। तब डर के मारे सवी को ना चाहते हुए भी उससे मिलने जाना पडा।



    वही क्रिश भी सुबह-सुबह ही अब हैदराबाद के लिए निकल जाता है।




    Cafe



    यहाँ सवी निलेश से मिलकर वहाँ बेठे हुए उसे घूरकर बोली, "क्या है? क्यू बुलाया है मुजे?"



    निलेश मुस्कुराकर - "रिलेक्स! No hiii....No smile सीधा काम की बात? पहले बेठो। बोलो क्या पियोगी? चाई, ज्यूस या कॉफी?"



    सवी गुस्से में - "मुजे कुछ नही चाहिए तुम ये बताओ क्या काम है तुम्हे? क्यू बुलाया है मुजे?"



    निलेश - "वैसे सुना है तुम्हारा वो boyfriend हैदराबाद गया हुआ है?"



    सवी अपनी eyes roll करते हुए कहती है - "अगर यही बाते करनी है तो मै चलती हूँ।" वो वहाँ से उठने लगी वैसे ही निलेश आगे बोला, "wait wait, बोहोत जल्दी है तुम्हे जाने की! चलो मै तुम्हे कुछ दिखाता हूँ।"



    इतना कहकर वह अपना फोन निकालकर कुछ प्ले करके सवी के आगे कर देता है। जिसे देखकर सवी की आंखे शॉक से बडी हो जाती है।



    अब आगे next part में ✍✍✍



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    क्या हैं ऐसा जिसे देखकर सवी शॉक हो जाती है? क्या सवी बच पायेगी निलेश के इरादो से? जानने के लिए पढते रहे....