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My Dangerous lady

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Pratibha Sharma

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Description

कहते हैं कि जो जैसा दिखता है बेसा होता नही है और जो जैसा नही दिखता है वो बेसा ही होता है। कुछ ऐसा ही है हमारी कहानी के किरदारों के साथ इंडिया के सबसे अमीर आदमी और वर्ल्ड के टॉप 10 बिजनेसमैन में से एक सिद्धार्थ ठाकुर। जो दुनिया भर के लिए एस.टी कंपनीज...

Characters

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अद्विका सिंह राजपूत ( अरु )

Heroine

Total Chapters (18)

Page 1 of 1

  • 1. My Dangerous lady - Chapter 1 (Kon thi vo ladki )

    Words: 1166

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक लड़की, जिसने काले रंग के कपड़े पहने थे और चेहरे पर मास्क लगा रखा था, आँखें बंद करके अपना सिर पीछे कुर्सी पर रखे हुए थी। वह बहुत शांत लग रही थी, पर उसके पास से एक खतरनाक आभा आ रही थी जिससे कोई भी डर सकता था।

    तभी उसके पास एक और लड़की आई और बोली, "बॉस, हमारा काम हो गया है। अब हमें चलना चाहिए।" इतना कहकर वह शांत हो गई।

    उसकी बात सुनकर पहली लड़की ने इशारे से हाँ कहा। फिर उसने सिर कुर्सी से उठाया, धीरे से आँखें खोलीं और अपने हाथ में पकड़े उस खंजर को देखा जो पूरा खून से सना हुआ था। उसे देखकर उसके चेहरे पर एक एविल स्माइल आ गई, पर मास्क के कारण कोई उसे देख नहीं पाया।

    फिर वह उठकर वहाँ से जाने लगी। जैसे ही उसने कदम बढ़ाया, उसके पैर के नीचे कुछ आ गया। उसके पैर के नीचे किसी की लाश पड़ी थी, पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। वह बस चलती गई। वहाँ हर जगह लाशें ही लाशें थीं।

    बाहर आकर वह एक कार में बैठ गई। कार बाहर से तो बाकी कारों जैसी ही थी, पर अंदर से वह बिलकुल अलग थी। उसे देखकर लग रहा था कि कोई उसे फ्यूचर से लाया हो, बिलकुल फुल टेक्नोलॉजी वाली। उसके बैठते ही कार कुछ देर में हवा से बातें करने लगी।


    मुंबई, कहने को तो सपनों की नगरी है जहाँ हर कोई अपनी आँखों में सपने लेकर जाता है, पर मुंबई सपनों की नगरी के साथ-साथ अंडरवर्ल्ड की दुनिया भी है।

    इसी की सबसे फेमस क्लब, द नाइट स्टार क्लब (काल्पनिक नाम), जहाँ हर कोई अपनी थकान मिटाने और मस्ती करने के लिए आता था, यहाँ पर ही अंडरग्राउंड सिंगर, रैपर और डांसर्स अपना हुनर दिखाते और आपस में बैटल करते थे।

    द नाइट स्टार क्लब में, एक टेबल पर तीन लड़कियाँ बैठी थीं, जिन्हें देखकर लग रहा था कि इन्होंने थोड़ी पी रखी है। उनमें से एक लड़की, जिसका नाम अनामिका था, बोली, "यार, फाइनली हम लोगों ने अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट कर ली और हम तीनों पास हो गए। मुझे तो हमारी डिग्री मिलने का इंतज़ार ही नहीं हो रहा है।"

    उसकी बात सुनकर उसके बाईं ओर बैठी लड़की, जिसका नाम प्रिया था, बोली, "हाँ यार, अब रोज़-रोज़ प्रोफेसर के लेक्चर तो नहीं सुनने होंगे।" उस तीसरी लड़की की तरफ़ देखकर, "अरे यार अरु, तुझे क्या हुआ है? तू ऐसे क्यों बैठी है?"

    उसकी बात सुनकर अरु, यानी अद्विका, जिसने अपना सिर टेबल पर रख रखा था, अपना सिर उठाकर आँखें खोलकर हल्की नशेली आवाज़ में बोली, "यार, एक तो तुम लोगों ने मुझे पिला दिया, ऊपर से मुझसे पूछ रहे हो कि मैं ऐसे क्यों बैठी हूँ। अगर भाई को पता चला ना, तो वो मुझे छोड़ने वाले नहीं।"

    प्रिया अपनी ड्रिंक पीते हुए बोली, "यार, आज ही तो हम पी रहे हैं, कौन सा हम अक्सर पीते हैं। और don't worry, भाई को पता नहीं चलेगा।"

    अद्विका तुरंत क्यूट सा फेस बनाकर बोली, "और अगर पता चल गया तो तुम लोग तो खिसक लोगे और मुझे फँसा दोगी।"

    अनामिका ने कहा, "हम भाई को पता चलने देंगे ही नहीं। अब तो तूने पी ली है तो चुपचाप चिल कर।"

    अद्विका ने कहा, "फिर ठीक है। अगर भाई को पता चला तो मैं कह दूँगी ये सब इन दोनों का किया धरा है।"

    प्रिया ने कहा, "अरे यार, तू कह देना, बस खुश हो गई, शांति मिल गई।"

    अद्विका ने कहा, "हाँ, मिल गई।"

    तभी अद्विका उठकर बोली, "मैं वाशरूम होकर आती हूँ।"

    प्रिया तुरंत पूछती है, "मैं चलूँ साथ में?"

    अद्विका उसे मना कर देती है और वह वाशरूम की तरफ़ चली जाती है। वह वाशरूम जा ही रही थी कि अचानक किसी से टकरा जाती है। वह नीचे गिरने ही वाली थी कि किसी मज़बूत हाथों ने उसे पकड़ लिया।

    अद्विका ने गिरने के डर से अपनी आँखें बंद कर लीं, पर जब उसे लगा कि वह गिरी नहीं है, तो उसने अपनी आँखें धीरे से खोलीं। उसने देखा कि किसी ने उसे पकड़ रखा था। उस व्यक्ति ने एक ब्लैक मास्क पहना हुआ था। उसका एक हाथ उसकी कमर पर था, तो दूसरा उसकी पीठ पर।

    एक पल के लिए तो वह उस व्यक्ति की नीली आँखों में खो ही गई थी, पर फिर वह अपने आप को होश में लाकर धीरे से बोली, "अब आप मुझे छोड़ सकते हैं।"

    पर उस व्यक्ति ने तो जैसे कुछ सुना ही नहीं। वह तो बस इस समय अद्विका को देखे जा रहा था। और देखे भी क्यों ना? इस समय उसके नशे में होने के कारण उसका चेहरा हल्का लाल पड़ गया था और उसकी आँखें भी हल्की नशेली थीं, जो किसी को भी मदहोश कर सकती थीं। वैसे तो उसने पोनीटेल बना रखी थी,

    पर उसकी कुछ लटें निकल कर उसके चेहरे पर आ रही थीं, जो उसे और भी सुंदर बना रही थीं। जब अरु ने देखा कि उस व्यक्ति ने सुना ही नहीं, तो उसने थोड़ा जोर से कहा, "अब आप मुझे देखना बंद करके मुझे छोड़ने का कष्ट करेंगे।"

    उसकी आवाज़ सुनकर उसे होश आया, तो उसने अरु को छोड़ दिया। वह व्यक्ति कुछ कहता उससे पहले ही अरु ने कहा, "सॉरी और थैंक यू मुझे गिरने से बचाने के लिए।" इतना कहकर अरु चली गई।

    वह व्यक्ति बस उसे देखता ही रह गया। जब तक अरु उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गई, वह उधर ही देखता रहा। तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसके सामने उसका दोस्त अभिराज खड़ा था।

    अभी ने उससे पूछा, "Sid, तू यहाँ क्यों रुका और उधर क्या देख रहा था?"

    फिर Sid ने एक बार फिर उधर देखा और कहा, "कुछ नहीं, चल हमें चलना चाहिए।"

    इतना कहकर वह वहाँ से चला गया। उसका जवाब सुनकर अभी ने अपना सिर हिला दिया, जैसे कह रहा हो, "इसका कुछ नहीं हो सकता।"

  • 2. My Dangerous lady - Chapter 2 (Introduction)

    Words: 1093

    Estimated Reading Time: 7 min

    अद्विका सिंह राजपूत (अरु)

    आयु – 24

    लम्बे, काले, कमर तक बाल जो हाथों से फिसल जाएँ, काली समुद्र सी गहरी आँखें जिनमें न जाने कितना कुछ छुपा हो, हर कोई उन आँखों में डूबना चाहे। दूध सा गोरा रंग, पिंक लिप्स और परफेक्ट नाक। अगर कुल मिलाकर बोलें तो कयामत है, जिन्हें भगवान जी ने बड़ी ही फुर्सत में बनाया होगा। इनकी स्माइल तो कातिलाना है जो अच्छे-अच्छों को भी खुद में खोने को मंजूर कर दे। ये एक बहुत अच्छी डांसर भी है। ये एक child specialist है और ये अपनी दोस्तों के साथ मिलकर एक NGO भी चलाती थी।


    राजीव सिंह राजपूत, अद्विका के पापा और राजपूत फैमिली के हेड, वैसे ये हैं तो एक प्रोफेसर पर इनके ख्यालात थोड़े पुराने जमाने के थे। इसलिए इनकी और अद्विका की ज्यादा नहीं बनती थी।


    आराध्या सिंह राजपूत, अद्विका की माँ और राजीव जी की पत्नी, पहले ये भी काम करती थी पर अब ये घर को संभालती थी।


    वीर सिंह राजपूत, अद्विका के बड़े भाई, राजीव जी और आराध्या जी के बेटे। इनकी खुद की एक राजपूत टेक्निकल्स कंपनी थी, जो इन्होंने अपने दम पर खड़ी की थी। इनकी तो जान बसती थी इनकी अरु में।


    अनामिका सिंह राजपूत (अनु)

    आयु - 24

    भूरी आँखें, घुंघराले कमर से ऊपर बाल और गोरा रंग। ये एक nutritionist थी और बहुत अच्छी मेकअप आर्टिस्ट भी। इनका ड्रीम था हर जगह अपने सैलून खोलना। ये अद्विका की मौसेरी और चचेरी दोनों तरह से बहनें थीं क्योंकि इनकी माँ अद्विका की मौसी और पापा चाचा थे। ये दोनों बहनें कम बेस्ट फ्रेंड ज्यादा थीं, ये अद्विका के साथ ही कॉलेज में पढ़ी थीं और इनके साथ ही रहती थीं।


    सूरज सिंह राजपूत, अनामिका के पापा, ये हार्ट पेशेंट थे, इनको हार्ट अटैक आ चुका था इसलिए ये घर पर ही रहते थे। इनको हार्ट अटैक क्यों आया था, ये आपको बाद में पता चलेगा।


    सुजाता सिंह राजपूत, अनामिका की माँ, ये हाउसवाइफ थी और अनामिका के भाई निकिल और भाभी रिया के साथ ही रहती थी और अपने पति का ख्याल रखती थी।


    प्रिया सक्सेना (पीहू)

    आयु - 24

    भूरी आँखें, कंधे तक बाल और गोरा रंग। आप प्रिया नाम सुनकर किसी सीधी-साधी या प्यारी लड़की के बारे में मत सोच लेना क्योंकि हमारी प्रिया जो है वो लड़की ही नहीं है, अरे मेरे कहने का मतलब है कि प्रिया लड़की ही है पर वो टॉम्बॉय टाइप की लड़की है। ये एक हड्डियों की डॉक्टर की पढ़ाई कर रही थी, इन्होंने हड्डियों के बारे में पढ़ना इसलिए नहीं चुना कि इन्हें पसंद हो या ये लोगों की हड्डियों के बारे में जानना चाहती हो बल्कि इसलिए चुना कि इन्हें हड्डियाँ जोड़ने से ज्यादा तोड़ने में मज़ा आता था, इसलिए इनसे कॉलेज की लड़कियाँ तो लड़कियाँ, लड़के भी बचकर रहते थे। ये अनामिका और अद्विका की बेस्ट फ्रेंड थी और इन्होंने भी इनके साथ ही पढ़ाई करी थी। इनके पापा आर्यन जी एक डॉक्टर और माँ माधुरी जी वकील थीं। ये लोग ज्यादातर अपने काम में बिजी रहते थे, इसलिए प्रिया भी अनु और अरु के साथ रहती थी, इन तीनों लोगों का एक अपना फ्लैट था।


    सिद्धार्थ ठाकुर (Sid)

    आयु – 26

    ब्लू आइज़, शार्प फेशियल फीचर्स और मस्कुलर बॉडी। इंडिया के मोस्ट हैंडसम हंक में से एक जिनकी लड़कियाँ दीवाना थीं पर ये किसी को भाव देना तो दूर देखते तक नहीं थे। ये अपनी फैमिली से बहुत प्यार करते थे और इनके भाई-बहनों में तो इनकी जान बसती थी। ये एक बिज़नेस मैन था, ये S.T इंडस्ट्री के CEO थे, S.T इंडस्ट्री वर्ल्ड की टॉप 10 कंपनी में से एक थी और इंडिया में टॉप 5 में। ये कंपनी इन्होंने अपनी मेहनत से खड़ी की थी। ये ठाकुर फैमिली के बड़े बेटे थे। पर इनकी लाइफ के कुछ सीक्रेट थे जो कोई नहीं जानता था सिवाय इनके दोस्तों के।


    शिवांश सिंह (शिव)

    आयु - 26

    ये सिद्धार्थ के बहुत अच्छे और सच्चे वाले दोस्त थे। ये Sid के हर राज के बारे में जानते थे, ये S.T कंपनी के पार्टनर थे और इनका होटल्स का बिज़नेस था। ये थोड़े शांत रहने वाले थे पर बात पर्सनल हो जाए तो ये शांत नहीं रहते थे। इनके पापा नहीं थे, इनकी फैमिली में सिर्फ इनकी माँ रघुनी जी जो कि एक फैशन डिजाइनर थी और इनके दादा जी जो एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर थे।


    अभिराज ठाकुर (अभि)

    आयु - 25

    ये Sid के चाचा के बेटे और इनके छोटे भाई थे। ये अपने भाई के साथ ही हर काम में रहते थे बिल्कुल परछाई की तरह, इसलिए ये Sid के असिस्टेंट और राइट हैंड भी थे। वैसे तो ये थोड़े मज़ाकिया किस्म के इंसान थे पर काम के समय सीरियस रहते थे।


    देव ठाकुर (देवू)

    आयु – 22

    सिद्धार्थ के छोटे भाई और सबसे शैतान इंसान। अगर ये जहाँ हो वहाँ समझो शांति रहे ही नहीं सकती, सभी को हँसाने का ठेका इन्हीं का था, अगर कोई भी शरारत हो तो समझो इन्होंने ही की है, पर जैसे भी है सबकी जान थे ये। वैसे तो ये अभी कॉलेज में था और एक नंबर का फ्लर्ट था लेकिन कभी कुछ गलत नहीं किया था।

  • 3. My Dangerous lady - Chapter 3 ( Advika ka Dance)

    Words: 2065

    Estimated Reading Time: 13 min

    जब अद्विका शौचालय की ओर जा रही थी, तब वह किसी से टकरा गई। गिरने के डर से अद्विका ने अपनी आँखें बंद कर लीं। किन्तु जब उसे लगा कि वह नहीं गिरी, तब उसने अपनी आँखें खोलीं। उसने देखा कि किसी के मज़बूत हाथों ने उसे पकड़ रखा था और वह व्यक्ति केवल उसे ही देख रहा था। एक पल के लिए अद्विका भी उसकी नीली आँखों में खो गई। वह उसका चेहरा नहीं देख पाई क्योंकि उसके चेहरे पर ब्लैक मास्क लगा हुआ था। फिर खुद को होश में लाते हुए उसने उस व्यक्ति से कहा, "कृपया करके अब आप मुझे छोड़ दीजिये।"

    पर वह व्यक्ति उसे देखने में इतना खोया हुआ था कि उसे अद्विका की आवाज़ ही नहीं सुनाई दी। फिर अद्विका ने थोड़ी तेज आवाज़ में कहा, "कृपया करके अब आप मुझे छोड़ने का कष्ट करेंगे।"

    तब जाकर वह व्यक्ति होश में आया और अद्विका को सही से खड़ा करके छोड़ दिया। अद्विका वहाँ से चली गई, पर वह व्यक्ति तब तक उसे देखता रहा जब तक अद्विका उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गई। तभी अचानक उसकी पीठ पर किसी ने हाथ रखा। वह नीली आँखों वाला व्यक्ति पीछे मुड़ा और देखा कि यह कोई और नहीं, उसका भाई अभि था। अभि ने उससे पूछा, "क्या हुआ भाई? आप वहाँ क्या देख रहे थे?" उसने कहा, "कुछ नहीं।" और वहाँ से चला गया। अभि ने अपना सिर हिला दिया, जैसे कह रहा हो, "इनका कुछ नहीं हो सकता।" फिर वह भी वहाँ से चला गया।


    कुछ देर बाद अद्विका वापस आई तो अनु ने उससे पूछा, "क्या हुआ? इतनी देर क्यों लग गई?"

    "कुछ नहीं यार, गलती से एक इंसान से टकरा गई थी।" अद्विका ने एक जूस का ग्लास लेते हुए कहा।

    "तुझे चोट तो नहीं लगी ना? तू गिरी तो नहीं?" प्रिया ने तुरंत पूछा।

    "अरे शांत हो जा मेरी माँ! मुझे कुछ नहीं हुआ, कोई चोट नहीं लगी। उसने मुझे गिरने से बचा लिया था।" आरू ने उसे शांत करते हुए कहा।


    इसे सुनकर अनु अपने शरारती अंदाज़ में बोली, "उसने तुझे गिरने से बचाया? फिर वो भी फ़िल्मी स्टाइल में! फिर क्या हुआ? क्या उसने तुझे कुछ कहा? कैसा दिखता था वो? बता ना।"

    "ओ मैडम! अपने इस ख़ुरापाती दिमाग को ज़्यादा कष्ट मत दो, समझी? ऐसा कुछ नहीं हुआ है और मैंने तो उसकी सकल भी नहीं देखी। उसने मास्क लगा रखा था।" अद्विका झेंपते हुए बोली।

    "अरे यार! मुझे लगा कि मुझे कुछ इंटरेस्टिंग जानने को मिलेगा। और यहाँ कौन मास्क लगाकर घूमता है?" अनु मुँह बनाकर बोली।

    "ये सब छोड़ो, चलो डांस करते हैं। चल कर।" प्रिया ने कहा।

    "हाँ यार, चलो डांस करते हैं। म्यूज़िक भी अच्छा चल रहा है।" अनु ने हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा।

    "मुझे नहीं जाना, तुम लोग ही जाओ।" अद्विका ने तुरंत कहा।

    "यार, चल ना।" प्रिया ने उसे मनाते हुए कहा।


    तभी वहाँ उनके पास ही खड़ी कुछ लड़कियों में से एक लड़की, जिसने एक शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी, बड़े एटीट्यूड में बोली, "तुम लोग क्यों अपनी दोस्त को फ़ोर्स कर रही हो? सैयद तुम्हारी दोस्त को डांस करना आता ही नहीं है, विचारी को।" इतना कहकर वह और उसकी सभी चमचियाँ अद्विका का मज़ाक उड़ाते हुए जोर-जोर से हँसने लगीं।


    उन लोगों की बातें सुनकर प्रिया का पारा हाई होने लगा, पर वह कुछ करती उससे पहले ही आरू ने उसे मना कर दिया। लेकिन अनु भी कहाँ चुप रहने वालों में से थी। उसने तुरंत कहा, "तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई हमारी दोस्त के बारे में ऐसा बोलने की? वो बहुत अच्छा डांस करती है।"

    (वो लड़की श्रेया, जिसने शॉर्ट ड्रेस पहनी थी, उसके पापा इस क्लब के 30% के ओनर थे, इसलिए उसे यहाँ पर कोई भी कुछ करने से नहीं रोकता था और वह यहाँ पर अपनी चमचियों यानी कि दोस्तों के साथ आकर मनमानी करती थी।)


    आरू अनामिका को शांत करते हुए बोली, "अनु, रहने दे। हमें फ़ालतू लोगों के मुँह नहीं लगना। हमें किसी भी ऐरे-गैरे को कुछ भी साबित नहीं करना।"

    उसकी बात सुनकर श्रेया बड़े ही एटीट्यूड से बोली, "कुछ साबित नहीं करना या कुछ करना आता ही नहीं है।"

    अब प्रिया और अनामिका दोनों आरू से बोलीं, "आरू, अब तो तुझे डांस करना पड़ेगा। अपने लिए नहीं तो हमारे लिए तुझे करना ही होगा।"

    आरू उन दोनों से आखिर में हार मानकर बोली, "ठीक है बाबा, करूँगी।"

    अब आरू श्रेया से बोली, "अब देखते हैं कि किसको कितना आता है और कौन कितना पानी में है।"

    जिस पर श्रेया की एक चमची बोली, "देख लेना, जीतेगी तो हमारी श्रेया, क्योंकि उससे अच्छा कोई डांस नहीं करता।"

    "हाँ, वो तो कुछ देर में पता चल जाएगा कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा।" प्रिया ने कहा।

    "तो पहले कौन स्टेज पर जाएगा?" आरू ने आगे कहा।

    "Sherya is always first।" श्रेया ने तुरंत कहा।


    इतना कहकर वह मटकती हुई स्टेज पर चली गई। फिर उसने सॉन्ग प्ले करने का इशारा किया तो उसकी एक चमची सॉन्ग स्टार्ट कर देती है।


    श्रेया ने गरमागरम सॉन्ग पर डांस किया। उसके सभी मूव्स कुछ ज़्यादा ही हॉट एंड सेक्सी थे। इसे देखकर लड़के तो खूब चिल्ला रहे थे, पर लड़कियों के तो मुँह बन गए। उसका डांस देखकर प्रिया ने अजीब सा मुँह बनाकर कहा, "ये डांस है? इसे तो डांस कहना ही डांस की बेइज़्ज़ती है।"

    फिर अनामिका बोली, "हाँ, पर उसने ये जानबूझकर किया क्योंकि यहाँ पर ज़्यादा लड़के हैं तो उसके ऐसे डांस करने पर सभी लड़के उसका ही डांस पसंद करेंगे। पर इसे क्या पता कि यहाँ अभी होने वाला क्या है।"


    अब अद्विका का टर्न था डांस करने का। प्रिया जाकर सॉन्ग प्ले करवाती, उससे पहले ही किसी ने सॉन्ग स्टार्ट कर दिया। उस सॉन्ग को सुनकर अनामिका गुस्से में बोली, "इन लोगों ने जानबूझकर ये सॉन्ग चलाया है ताकि आरू सही से डांस न कर पाए।"


    स्टेज पर अद्विका ने जब सॉन्ग सुना तो उसके चेहरे पर एक टेढ़ी सी मुस्कान आ गई। उसने तुरंत अपनी पोज़िशन ली और म्यूज़िक के साथ अपनी परफ़ॉर्मेंस स्टार्ट कर दी।


    सॉन्ग:

    Mushkil Mein Hai Jeena
    Tune Dil Yeh Chheena
    Ho Gayi Pagal Dekho
    Pyar Mein Yeh Haseena.
    Mushkil Mein Hai Jeena
    Tune Dil Yeh Chheena
    Ho Gayi Pagal Dekho
    Pyar Mein Yeh Haseena.
    Dard-E-Dil Ki Rahat Tu
    Dhadkano Ki Mannat Tu
    Husn Ka Dariya Hoon Main
    Aur Mera Saahil Tu.


    (आरू के डांस में Belly, hip-hop और Bollywood style मिक्स था।)


    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Subu Subu Nahi Mera
    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Nahi Mera.


    (आरू ने डांस करते हुए ही अपने बालों का हेयरबैंड निकालकर हाथ में पहन लिया और अपने बालों को खुला छोड़ दिया, साथ में अपनी जैकेट उतारकर अपनी कमर पर बाँध ली। उसने व्हाइट क्रॉप टॉप पहना था, इसलिए अब डांस की स्टेप्स के साथ में उसकी कमर, जो बिल्कुल माखन की तरह चल रही थी, उसे अब हर कोई देख सकता था।)


    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Subu Subu Nahi Mera
    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Nahi Mera.
    Tu Hi Hai Mohabbat
    Aur Tu Hi Hai Nasha
    Tu Nahi Toh Meri
    Yeh Zindagi Saza.
    Naam Leke Mera
    Paas Aaiye Huzoor
    Ishq Mein Humko Bhi
    Kar Dijiye Mashhoor.
    Hai Ibadat Meri Tu
    Jaan Ki Aafat Bhi Tu
    Tu Safar Hai Humsafar Hai
    Safar Ki Mazil Tu.
    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Subu Subu Nahi Mera
    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Nahi Mera.
    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Subu Subu Nahi Mera
    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Nahi Mera.


    (अब आरू के साथ में प्रिया और अनामिका भी डांस करने लगीं। उन लोगों का टीम वर्क एकदम परफेक्ट था, जैसे उन्होंने ना जाने कितनी ही प्रैक्टिस की हो।)


    Nazron Se Vaar Kare
    Ik Na Hazar Kare
    Galiyon Mein Yaar Teri
    Log Beshumaar Mare.
    Kuchh Toh Badal Gaye
    Kuchh Toh Sambhal Gaye
    Aur Kayi Aise Bhi The
    Jaan Se Phisal Gaye.
    Tez Zehar Tera
    Jalwa Kehar Tera
    Kam Kabhi Hoga Nahi
    Uff Asar Tera.
    Tere Jaise Jhootha Lage
    Mujhko Yeh Waada Tera
    Ek Dhokha Tu.
    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Subu Subu Nahi Mera
    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Nahi Mera.


    (अद्विका तो गाने में पूरी तरह खोकर डांस कर रही थी, और उसके फेशियल एक्सप्रेशन्स तो उसके डांस में चार चाँद लगा रहे थे।)


    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Subu Subu Nahi Mera
    Kusu Kusu Kusu Kusu Kusu Tera
    Subu Subu Nahi Mera.
    (By Zahara S Khan, Dev Negi, Tanishk Bagchi)


    जब सॉन्ग ख़त्म हुआ तो आरू ने सबकी तरफ़ देखा तो हर कोई बस उसे ही देख रहा था। तब आरू ने क्यूट सा चेहरा बनाकर कहा, "क्या मैंने इतना बुरा डांस किया है जो कोई भी कुछ कह भी नहीं पा रहा?"


    आरू की प्यारी सी आवाज़ सुनकर सबको होश आया। वो लोग इतने खो गए थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि डांस ख़त्म हो चुका है। तब जाकर सबने जोरदार तालियाँ बजाईं। लड़के तो लड़के, लड़कियाँ तक आरू के डांस की तारीफ़ कर रही थीं।


    ये देखकर आरू के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गई। लेकिन कोई था जो बहुत गुस्से और जलन में था। यह कोई और नहीं, श्रेया थी। वह गुस्से में बोली, "इस लड़की ने मेरी बेइज़्ज़ती करी ना! इसको और इसकी दोस्तों को तो मैं बताती हूँ कि श्रेया से पंगा लेने का अंजाम क्या होता है।"


    इतना कहकर वह एक कोने की टेबल के पास गई, जिस पर कुछ लड़के बैठकर शराब पी रहे थे। उनसे कहती है, "तुम लोगों के लिए एक डील है।"

    उसमें से एक लड़का, जिसका नाम रॉकी था, बोला, "हे श्रेया बेबी, कैसी डील?" तो वह एक स्माइल करते हुए बोली, "वो जो तीन लड़कियाँ तुम्हें स्टेज पर दिख रही हैं ना, उनको उठाना है। उसके बदले तुम इन लड़कियों के साथ कुछ भी कर सकते हो। उस बीच वाली लड़की (अद्विका) को तो अच्छे से सबक सिखाना।"

    रॉकी एक गंदी सी स्माइल करते हुए बोला, "इस मस्त माल के लिए तो मैं खुद ही सोच रहा था। तुम बस तमाशा देखो।" श्रेया वापस अपनी जगह पर जाकर बैठ गई।


    अद्विका, अनामिका और प्रिया स्टेज से नीचे आ चुकी थीं। अब उन लोगों को हल्का-हल्का नशा भी चढ़ रहा था। इन तीनों में से अनामिका को सबसे जल्दी नशा चढ़ता था और आज उसने ज़्यादा भी पी ली थी। इसलिए वह ज़्यादा सही से नहीं चल पा रही थी।


    लेकिन एक जोड़ी नीली आँखें जब से आरू स्टेज पर आई थीं, बस उसे ही देख रही थीं।

  • 4. My Dangerous lady - Chapter 4(Fight aur Nazre milnaa)

    Words: 2934

    Estimated Reading Time: 18 min

    आरू के डांस देखकर सभी लोग उसकी बहुत तारीफ़ करते थे जिससे श्रेया को बहुत जलन होती थी। वह गुस्से से जाकर अपने एक दोस्त रॉकी से आरू और उसकी दोस्तों को उठाने के बाद उनके साथ कुछ भी करने को कहती है, जिसके लिए रॉकी तैयार हो जाता है। रॉकी एक नंबर का प्लेबॉय था; उसे लड़कियों के साथ खेलने में मज़ा आता था।

    आरू, प्रिया और अनामिका ने जो पी था उसका नशा हल्का-हल्का होने लगा था, सबसे ज़्यादा अनामिका पर; लेकिन कोई था जो शुरू से अभी तक आरू को देख रहा था।

    आरू को इतनी देर से देखने वाला इंसान और कोई नहीं, सिद्धार्थ था। असल में सिद्धार्थ अपने भाई देव की ज़िद पर अपने दोस्तों के साथ यहाँ आया था। वे लोग इस समय क्लब के दूसरे फ्लोर पर थे जहाँ की बड़ी सी क्लास विंडो से नीचे का पूरा क्लब दिखता था। इन लोगों की टेबल ऐसी जगह थी जहाँ पर जल्दी किसी का ध्यान न जाए।

    तभी शिवांश सिद्धार्थ से बोला, "क्या हुआ Sid? आज तुझे जबसे उस लड़की ने डांस शुरू किया है, तू उसको ही देख रहा है।"

    सिद्धार्थ अपनी ड्रिंक उठाते हुए बोला, "ऐसा कुछ नहीं है।"

    उसके इतना कहते ही देव बोला, "अरे शिवांश भाई, आप किससे उम्मीद कर रहे हो कुछ होने की? वैसे एक बात तो है, ये लड़की जितनी ब्यूटीफुल है, उतनी ही अच्छी डांसर भी। मैं तो फ़ैन हो गया इनके डांस का।"

    अभी बोला, "हाँ, ये बात तो है। डांसर तो बहुत अच्छी है और इनकी बाकी दोनों फ़्रेंड भी।"

    देव अपने फ़्लैटी अंदाज़ में बोला, "कितनी क्यूट है ना, बिलकुल मेरी तरह! हम दोनों जी जोड़ी कितनी मस्त लगेंगे। शायद मुझे मेरा सच्चा प्यार मिल जाए। अगर मैं इन्हें अपनी गर्लफ़्रेंड बना लूँ तो फिर मेरी लाइफ़ सेट है।"

    जिस पर शिवांश ने ताना देते हुए कहा, "तुझे तो हर बार तेरा सच्चा प्यार मिलते-मिलते रह जाता है।"

    अभी भी पीछे रहता हुआ बोला, "तेरी तो अभी ही एक नई गर्लफ़्रेंड बनी थी ना, उसका क्या हुआ?"

    देव ने चिढ़ते हुए कहा, "उसके साथ तो कब का ब्रेकअप हो गया। जहाँ तक बात रही सच्चे प्यार की, तो मुझे इस बार सच्ची वाली फ़ीलिंग आ रही है।"

    सिद्धार्थ ने उसे अपनी टेढ़ी नज़रों से देखते हुए कहा, "अगर तूने अपना ये गर्लफ़्रेंड वाला चक्कर नहीं छोड़ा, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"

    जिस पर देव ने धीरे से कहा, "आपसे बुरा कोई हो भी नहीं सकता।"

    Sid - "कुछ कहा तूने?"

    जिस पर देव ने घबराते हुए कहा, "न...नहीं भाई, मैं कुछ कहूँगा वो भी आपको बिलकुल नहीं।" फिर धीरे से, "ये तो अब मेरी मन की बातें भी जान लेते हैं। देव भाई, बचकर रहना होगा।"

    असल में तो हमारे सिद्धार्थ बाबू ने देव के मुँह से जब आरू को अपनी गर्लफ़्रेंड बनाने की बात सुनी, तो उसे ये बिलकुल अच्छा नहीं लगा और अच्छा क्यों नहीं लगा, ये उन्हें खुद नहीं पता।

    शिवांश कुछ सोचते हुए बोला, "मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि ये जो लड़की हँस रही है, वो कुछ तो करने वाली है। ज़रा उसकी हरकतें तो देख।"

    नीचे क्लब में, अनामिका को नशा थोड़ा ज़्यादा चढ़ा था, इसलिए आरू बोली, "अब हमें घर चलना चाहिए, वर्ना इन मैडम के ड्रामे यहीं चालू हो जाएँगे।"

    फिर प्रिया अनामिका को संभालते हुए बोली, "हाँ, हमें घर चलना चाहिए, वैसे भी काफ़ी टाइम हो गया है।"

    वे लोग जा ही रहे थे कि उनका रास्ता रॉकी और उसकी पलटन ने घेर लिया।

    जिसे देखकर आरू ने बड़े ही आराम से पूछा, "आप लोगों ने हमारा रास्ता क्यों रोका है? हमें जाने दीजिए।"

    जिस पर रॉकी ने ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा, "अरे जाने देंगे, उससे पहले मेरी एक बात माननी पड़ेगी।"

    आरू ने उसे घूरते हुए कहा, "कैसी बात और क्यों मानें हम तुम्हारी बात?"

    तो रॉकी ने हँसते हुए कहा, "अरे मेरी जान, तुम परेशान क्यों हो रही हो? तुम्हें ज़्यादा कुछ नहीं करना है, बस मेरी गर्लफ़्रेंड बन जाओ।"

    आरू ने बड़े आराम से बोला, "सॉरी, पर मुझे तुम्हारी गर्लफ़्रेंड बनाने में कोई इंटरेस्ट नहीं है, तो अब हमारे रास्ते से हटो।"

    रॉकी थोड़ा गुस्से से बोला, "तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे मना करने की? तू मुझे पसंद आई है और एक बार रॉकी को जो पसंद आता है, वो उसे लेकर रहता है। तू खुद को लकी समझ जो मैं तुझे अपनी गर्लफ़्रेंड बना रहा हूँ, तो अब ज़्यादा नखरे मत कर।"

    प्रिया को बहुत गुस्सा आ रहा था। उसका तो मन हो रहा था कि इस लड़के का मुँह तोड़ दे, पर अभी आरू ने उसे अनामिका को संभालने के लिए कहा था।

    आरू ने उसकी बातों को फ़ुल इग्नोर करते हुए कहा, "प्रिया, चल यहाँ से। यहाँ पर कुछ ज़्यादा ही कुत्ते भौंक रहे हैं।"

    आरू की बात सुनकर सभी लोग हँसने लगे, पर कोई भी ज़ोर से नहीं हँसा क्योंकि सब जानते थे कि रॉकी किसका बेटा है।

    रॉकी अपनी बेइज़्ज़ती सुनकर बहुत गुस्से में आ गया। आरू वहाँ से जा ही रही थी कि रॉकी ने उसका हाथ पकड़ लिया, पर आरू ने अपना हाथ एक ज़ोर के झटके से छुड़ा लिया और एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया। उस थप्पड़ की आवाज़ पूरे क्लब में गूँजी तो सब एकदम शांत हो गए।

    जिसे देखकर देव बोला, "क्या सॉलिड थप्पड़ मारा है!" तो उसके पास बैठा अभी बोला, "सोच ले, अगर तू उसे अपनी गर्लफ़्रेंड बनाने गया, तो ये ही सॉलिड थप्पड़ तुझे भी पड़ेगा।"

    रॉकी चिल्लाकर बोला, "तेरी इतनी हिम्मत की तूने मुझे, रॉकी को थप्पड़ मारा? देख अब मैं क्या करता हूँ! अभी तो मैं तुझे अपनी गर्लफ़्रेंड बनाना चाहता था, पर अब मैं तुझे सिर्फ़ रात भर के लिए अपने बेड की रानी बनाऊँगा। देखता हूँ कौन क्या करता है!"

    वह अपने लोगों को इशारा करता है तो वे लोग इन्हें पकड़ने के लिए आगे बढ़ते हैं। उनमें से एक लड़का अनामिका को छूने ही वाला था, लेकिन वह अनामिका को छूता उससे पहले ही उसके पेट पर एक ज़ोरदार लात पड़ी। ये लात प्रिया ने मारी थी जो इस समय बहुत गुस्से में थी। उस बेचारे को इतनी तेज़ लगी कि वह अपना पेट पकड़कर ज़मीन पर जा गिरा।

    तभी आरू बोली, "मुझे पकड़ना चाहते हो ना? अगर हिम्मत है तो पकड़ के दिखाओ!" इतना कहके आरू ने अपनी जगह से भागना स्टार्ट कर दिया।

    जिस पर रॉकी अपने चमचों से बोला, "पकड़ो उसे! मुझे वो हर हाल में चाहिए!"

    प्रिया ने पहले अनामिका को एक साइड में बैठाया और उससे कहा, "मेरी बात कान खोल के सुन! तू यहाँ से नहीं उठेगी जब तक हम न बोले।" फिर उसने देखा कुछ लड़के उनके पास आ रहे हैं तो उसने चिल्लाकर कहा, "अगर किसी ने मेरी दोस्त को हाथ भी लगाने की कोशिश की, तो भगवान की कसम उसकी पूरी की पूरी 206 हड्डियाँ मैंने न तोड़ी तो कहना!"

    फिर क्या था? जो भी आगे आता उसकी बस हड्डी टूटने की आवाज़ ही आती थी।

    दूसरी तरफ, आरू ने उन लोगों को क्लब में भाग-भाग के अच्छे से बैंड-बाजा दी थी। और तो और, आरू को जो भी सामान मिलता वो उसे उन लोगों को मारने के लिए उन पर फेंक देती। इस चक्कर में न जाने उसने कितने ही ग्लास, प्लेट और न जाने क्या-क्या तोड़ दिया था। लास्ट में वो लोग थककर रुक गए तो आरू ने बड़े ही प्यार से कहा, "क्या हुआ? बस इतने में ही थक गए? मुझे नहीं पकड़ना क्या?"

    वो लोग उसे फिर पकड़ने लगे तो आरू दूसरे फ्लोर पर जाने लगी तो उसने कुछ को तो नीचे गिरा दिया था, पर एक लड़का उसके पीछे ही था। वो अब तक कॉर्नर वाली टेबल, यानी जिस पर सिद्धार्थ और उसके दोस्त बैठे थे, के पास पहुँच गया था। अब आरू के पास जाने का कोई रास्ता नहीं बचा तो वो लड़का अपनी जेब से चाकू निकालकर बोला, "अब कहाँ जाएगी बचकर? बहुत भगाया लिया तूने।"

    आरू के पीछे अब टेबल थी तो आगे वो लड़का। तो वो बहुत ही क्यूट सा चेहरा बनाकर बोली, "अरे ये तो गलत बात है, सरासर चीटिंग है। इस चाकू की क्या ज़रूरत?" वो बात ज़रूर उस लड़के से कर रही थी, पर उसके हाथ पीछे टेबल पर कुछ ढूँढ़ रहे थे। जिसे देखकर देव अभी के कान में बोला, "ये ढूँढ़ क्या रही है?" तो अभी ने भी उसकी तरह ही कहा, "मुझे क्या पता? उसने ही जाके पूछ।"

    सिद्धार्थ समझ गया कि आरू क्या करना चाहती है, तो उसने अपने पास रखी वाइन की बोतल उसके हाथ के पास खिसका दी, जिसे आरू ने पकड़ लिया और उठाकर उस लड़के के सर पर दे मारी। वो लड़का नीचे गिर गया और उसके सर से खून निकलने लगा तो आरू ने कहा, "अब इसमें मेरी कोई गलती नहीं है! तुम ही थे जो मेरे ऊपर अटैक कर रहे थे। अब अद्विका से पंगा लोगे तो और क्या होगा?"

    इतना कहकर वो पीछे पलटी की, उसके पैर से कुछ टकरा गया और वो जाकर सीधा सिद्धार्थ की चेयर पर गिर गई; लेकिन सिद्धार्थ के मूव्स फ़ास्ट थे तो उसने तुरंत आरू को संभाल लिया। अब आरू के दोनों हाथ सिद्धार्थ के कंधे पर थे और सिद्धार्थ के उसकी कमर और पीठ पर।

    ये देखकर तो देव जो ड्रिंक पी रहा था वो उसके मुँह से बाहर ही निकल गई थी और अभी का तो मुँह खुला का खुला रह गया। शिवांश भी शॉक में था, पर वो जल्दी ही शॉक से बाहर आ गया।

    आरू तो बस एकटक सिद्धार्थ को ही देख रही थी और सिद्धार्थ का भी कुछ ऐसा ही हाल था। दोनों लोग एक-दूसरे की आँखों में इस कदर खो गए कि उन्हें अपने आस-पास के लोगों का कुछ ख्याल ही नहीं रहा। फिर दोनों का ध्यान फ़ोन की रिंगटोन से टूटा जो आरू का था।

    जब आरू ने अपना फ़ोन देखा तो उस पर "भाई" लिखा था। ये देखकर तो आरू का मुँह देखने लायक था। उसने रोनी सी सकल बनाकर कहा, "हे भगवान! आज मैं किसका मुँह देखकर उठी थी जो एक मुसीबत खत्म नहीं हुई और दूसरी स्टार्ट हो गई।"

    फिर ऊपर देखते हुए बोली, "हे महादेव! इस बार बचा लो! मैं आपको पूरे के पूरे आधा...नहीं, नहीं, पूरे एक किलो लड्डू चढ़ाऊँगी।"

    उसकी बात सुनके सभी को हँसी आ गई, पर किसी ने हँसने की ज़रूरत भी नहीं की और हमारे सिद्धार्थ बाबू को तो उसकी बातें सुनकर उस पर प्यार आ रहा था और इस टाइम उसे आरू बहुत क्यूट लग रही थी।

    आरू ने फ़ोन रिसीव किया और अपनी आवाज़ को नॉर्मल करते हुए बोली, "हेलो भाई।" तो दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, "तुम लोग अभी तक घर क्यों नहीं पहुँचे और कॉल उठाने में इतनी देर क्यों लगी?"

    तो आरू बोली, "वो भाई, हम लोग बस निकल ही रहे थे और यह म्यूज़िक चल रहा है ना, इसलिए फ़ोन नहीं सुन पाया।"

    तो वीर बोला, "तो ठीक है। अगर बताओ तो मैं तुम लोगों को लेने आ जाता हूँ।"

    आरू तुरंत मना करते हुए बोली, "नहीं-नहीं भाई, उसकी कोई ज़रूरत नहीं है। हम लोग पहुँच जाएँगे।"

    वीर शक करते हुए बोला, "कहीं तुम लोगों ने पी तो नहीं है ना?"

    आरू हकलाते हुए बोली, "पी रखी है...वो भी हम लोगों ने? नहीं भाई, बिल...बिलकुल नहीं भाई, हम लोगों ने पीना तो दूर, ड्रिंक्स को हाथ भी नहीं लगाया।"

    फिर आरू ने बोला, "भाई, यहाँ पर म्यूज़िक बहुत है। हम घर पहुँचकर बात करते हैं, बाय।" इतना कहकर आरू ने फ़ोन काट दिया, तब जाके उसकी साँस में साँस आई।

    लेकिन जब आरू ने अपने चारों ओर देखा कि सब उसे ही देख रहे हैं जैसे उन्होंने आठवाँ अजूबा देख लिया हो, तब जाके आरू को समझ आया कि वो इतनी देर से किसी की गोद में बैठी है। तो आरू ने अपनी आँखें मियाँची, अपने होंठ दाँतों तले दबा लिए। उसकी इस हरकत पर सिद्धार्थ के फ़ेस पर अपने आप स्माइल आ गई, पर वो किसी ने देखी ही नहीं।

    आरू सिद्धार्थ की गोद से तुरंत उठ गई, जो सिद्धार्थ को बिलकुल अच्छा नहीं लगा, पर वो कुछ नहीं कर सकता था। आरू ने सिद्धार्थ से कहा, "आई एम रियली सॉरी। वो मैं गलती से..."

    वो इसके आगे कुछ कहती, उससे पहले ही उसे नीचे से अनामिका की चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी। तो वो तुरंत नीचे की ओर चली गई तो उसने देखा कि रॉकी ने अनामिका के गले पर चाकू रखा था। उसे देखकर रॉकी बोला, "बस बहुत हुआ तुम लोगों का! अब मैं तुम्हारी इस दोस्त को नहीं छोड़ने वाला।"

    आरू ने उससे भारी आवाज़ में कहा, "चुपचाप मेरी बहन को छोड़, वर्ना मुझसे बुरा तेरे लिए कोई नहीं होगा। तेरी लड़ाई मुझसे है ना, तो तू मेरी बहन को छोड़ दे।"

    तभी अनामिका बोली, "आरू, तू मेरी चिंता मत कर। मुझे कुछ नहीं होगा।"

    तभी आरू की नज़र उसके पास रखे एक बीयर के ग्लास पर गई तो उसने कुछ सोचा, फिर प्रिया को इशारा किया तो प्रिया ने अपना सर हाँ में हिला दिया।

    रॉकी को कुछ समझ आता या वो कुछ करता, उससे पहले ही अचानक आरू ने जोर से बोला, "डाउन!" तो अनामिका तुरंत नीचे झुक गई तो आरू ने वो पूरा बीयर का ग्लास रॉकी के ऊपर फेंक दिया जिससे एक पल के लिए उसकी आँखें बंद हो गईं तो प्रिया ने अनामिका को अपनी तरफ़ खींच लिया। तब आरू ने लाइटर जलाकर रॉकी के सर पर फेंक दिया जिससे उसके बालों में आग लग गई। ये सब इतनी जल्दी हुआ कि किसी को कुछ समझ ही नहीं आया।

    रॉकी तो जलने के कारण जोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा, जिसको देखकर उसके लोग डर गए और वहाँ से पतली गली पकड़कर भाग गए।

    लेकिन फिर आरू ने दया खाकर उसके ऊपर एक पानी से भरा जग डाल दिया। इससे उसके बालों में लगी आग बुझ गई और रॉकी ज़मीन पर गिर गया।

    तो अनामिका ने कहा, "देखा? मैंने पहले भी कहा था, हमसे पंगा लोगे तो खुद ही मरोगे।"

    आरू रॉकी के पास जाने लगी तो रॉकी डर के मारे बोला, "मुझे माफ़ कर दो! मैं दुबारा ऐसा नहीं करूँगा।"

    तो आरू उसकी जेब से उसका वॉलेट निकालती है और उसमें से उसका कार्ड निकालकर जोर से चिल्लाती है, "मैनेजर!"

    तो मैनेजर डरकर उसके पास आता है तो आरू वो कार्ड उसे देकर कहती है, "ये लीजिए! आपका जितना नुकसान हुआ है, उसका हिसाब चुका लीजिए।" तो मैनेजर वो कार्ड लेकर उसे थैंक यू बोलता है।

    फिर आरू रॉकी के पास जाकर बोली, "आज के बाद किसी लड़की को परेशान करने से पहले ये अपनी जली हुई चाँद याद कर लेना।" फिर वो लोग वहाँ से जाने लगे।

    ये सब देखकर देव बोला, "ये लड़कियाँ तो बहुत खतरनाक निकलीं! अच्छा हुआ मैंने ट्राई नहीं किया, वर्ना मेरे प्यारे बालों का क्या होता? ये इमेजिन करके ही वो बिना बालों के कैसा लगेगा?" वो जोर से चिल्लाया, "नहीं...! ऐसा बिलकुल नहीं हो सकता!"

    उसकी नौटंकी देखकर अभी ने उसे एक चपत लगाई और बोला, "ओ महान इंसान! तेरे बाल नहीं जले हैं, समझा?"

    अब तक आरू और उसके दोस्त जा चुके थे। अब सिद्धार्थ उठकर बोला, "अभी मुझे इस लड़की के बारे में सारी जानकारी चाहिए।" इतना कहकर वो बाहर जाने लगा।

    उसको जाता देख वो तीनों भी उठ गए और बाहर जाने लगे। फिर देव बोला, "उस लड़की ने ऐसा क्या कर दिया जो भाई को उसके बारे में जानना है?"

    अभी बोला, "क्या पता? पर जो भी हो, मुझे इन्फ़ॉर्मेशन तो देनी है।"

    लेकिन शिवांश के फ़ेस पर एक स्माइल थी, शायद वो कुछ समझ गया था।

  • 5. My Dangerous lady - Chapter 5( Love at first sight)

    Words: 1761

    Estimated Reading Time: 11 min

    सिद्धार्थ क्लब के बाहर अपनी कार में बैठ गया और ड्राइवर को कार चलाने को कहा। फिर आँखें बंद करके सिर बैक सीट पर टिका लिया। तभी उसकी आँखों के सामने आरू का चेहरा आने लगा। उसके होठों ने हल्के से बुदबुदाया – "कौन हो तुम जो सिर्फ एक बार में ही सिद्धार्थ ठाकुर के दिल और दिमाग में बस गई? और तुम्हारी आँखें, जिन्हें देखकर सिर्फ़ उनमें डूबने का दिल करता है।"

    "हाँ, कभी यकीन नहीं था इन बातों पर, लेकिन अब हो गया। आँखें जो देखी उसकी, प्यार हो गया। पहली नज़र में पहले प्यार का एतबार हो गया।"

    "अब तो मैं तुम्हें जानकर ही रहूँगा, मिस क्यूटीपाई।" इतना कहकर उसके होठों पर एक बेहद दिलकश मुस्कान आ गई। अगर कोई लड़की उसकी वह मुस्कान देख लेती, तो अपना दिल दिए बिना न रह पाती।

    तभी सिद्धार्थ का फ़ोन रिंग करने लगा। उसने फ़ोन रिसीव करके सिर्फ़ "हम्म" बोला। दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई – "बॉस, कल रात जो डील हो रही थी, उसे किसी ने बर्बाद कर दिया। यहाँ तक कि उनमें से किसी को ज़िंदा नहीं छोड़ा।"

    सिद्धार्थ ने उस शख़्स से कहा – "हमारे होते हुए भी किसी दूसरे ने यह काम कर दिया, वह भी हमसे पहले? इंट्रेस्टिंग! लेकिन जिसने भी यह किया है, उसका पता लगाओ। आख़िर हम भी तो जानें यह है कौन।" इतना कहकर उसने दूसरी तरफ़ की बात सुने बिना फ़ोन काट दिया और फिर से आँखें बंद करके बैठ गया।

    सुबह के समय, एक लड़की बेड पर बड़े आराम से पूरी दुनियाँ से बेख़बर सो रही थी। लेकिन शायद उसका चैन से सोना किसी को मंज़ूर नहीं था। तभी उसके कमरे में एक लड़की आई। फिर विंडो के पर्दे हटाकर उसे उठाते हुए बोली – "आरू, उठ जा! और कितना सोना है? हम लोगों को एनजीओ भी जाना है। तू भूल तो नहीं गई ना?"

    "बस पाँच मिनट और सोने दे। और हाँ, मुझे याद है कि हमें एनजीओ जाना है।"

    प्रिया कमरे से बाहर जाते हुए बोली – "तू पाँच मिनट सो या पाँच घंटे, मुझे नहीं पता। लेकिन फिर मुझसे मत बोलना कि मैं लेट हो गई या सारे बच्चे मुझसे नाराज़ हो गए।" इतना बोलकर प्रिया कमरे से बाहर चली गई।

    उसकी बात सुनकर आरू ने अपने चेहरे से तकिया हटाकर आँखें मसलते हुए उठी। उसके बाल इस समय बिखरे हुए थे। वह अभी इतनी क्यूट लग रही थी, जैसे कोई बिल्ली का बच्चा हो।

    आरू ने अपना फ़ोन उठाकर टाइम देखा। उसकी नींद ऐसे भागी, जैसे बिल्ली को देखकर चूहा भागता है। वह तुरंत अपने बेड से उठकर जोर से बोली – "ओ गॉड! 10 बज गए और मैं अभी तक सो रही थी! अगर टाइम पर एनजीओ नहीं पहुँची, तो फिर सभी बच्चे तो नाराज़ हो जाएँगे।" फिर उसने जल्दी से अपनी अलमारी से एक सूट निकाला और बाथरूम में घुस गई।

    थोड़ी देर के बाद आरू बाथरूम से बाहर आकर मिरर के सामने खड़ी हो गई। आज आरू ने एक व्हाइट कलर की कुर्ती और ब्लू जीन्स, साथ में एक स्कार्फ़ लिया था और अपने बालों को ऐसे ही खुला छोड़ दिया था। तभी उसकी नज़र अपने हाथ पर गई। उसने परेशान होकर बोली – "मेरा ब्रेसलेट कहाँ गया? ऐसे कैसे मैं उसे खो सकती हूँ? मैं कितनी केयरलेस हो गई हूँ।"

    आरू ने परेशान होकर पूरा कमरा देख लिया, पर उसे उसका ब्रेसलेट नहीं मिला। तब वह कुछ याद करते हुए बोली – "शायद कल क्लब में ही कहीं ब्रेसलेट गिर गया होगा। पर अब मैं कर भी क्या सकती हूँ? यह उन लड़कों की वजह से हुआ है ना? वो हमारा रास्ता रोकते, ना हम उनकी धुलाई करते, ना ही मेरा ब्रेसलेट खोता और ना ही मैं उस इंसान की गोद में..." (वह अपनी बात कहते-कहते रुक गई) "एक मिनट! आख़िर कल हुआ क्या था?"

    फिर अपने दिमाग पर ज़ोर डालती है तो उसे सिद्धार्थ का चेहरा याद आ जाता है और उसका दिल अचानक से ज़ोर से धड़कने लगा। तो वह बोली – "ये मेरा दिल ऐसे क्यों धड़क रहा है? और मैं कल उस इंसान की गोद में बैठकर उसे कैसे घूर रही थी? पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा। आरू क्या-क्या करती रहती है।" फिर हाथ जोड़ते हुए ऊपर देखते हुए बोली, "भगवान जी, आप बस दुबारा उस इंसान से मुझे मत मिलना, बस इतनी सी कृपा आप मुझ पर करना।"

    (😏 अब इन्हें कौन बताए कि यह जिससे न मिलने की दुआ मांग रही है, वह तो इनसे मोहब्बत कर बैठा है। 😆)

    फिर वह तैयार होकर नीचे आई तो देखा प्रिया हमेशा की तरह अपने टॉम्बॉय वाले लुक में थी। वह आते हुए बोली, "अनु कहाँ है? उठी नहीं अभी तक?"

    प्रिया बोली – "उन मैडम को मैंने उठाया था, पर वो नहीं उठी। उसको जाकर अब तू ही उठा सकती है।"

    उसकी बात सुनके आरू सीधा अनामिका के रूम की तरफ़ चली गई। अंदर जाकर उसने देखा कि अनामिका अपने बिस्तर पर बड़े अजीब ढंग से लेटी है। अनामिका सर की जगह पैर और पैर की जगह सर करके लेटी थी और उसका एक हाथ ज़मीन को छू रहा था। उसकी ऐसी अजीब हालत देखकर आरू को बहुत तेज हँसी आ गई। उसने सबसे पहले अपना फ़ोन निकालकर अनामिका का फ़ोटो लिया।

    फिर अपनी हँसी को कण्ट्रोल करके अनामिका के पास जाकर बोली – "अनु जी, क्या अब आप उठने का कष्ट करेंगी या अभी तक रात की नींद उतरी नहीं है?"

    लेकिन अनु ने कोई रिस्पॉन्स ही नहीं दिया। तो आरू ने अपनी आईब्रो उठाकर कहा – "अच्छा जी! तो अब आप ऐसे नहीं उठेगी? कोई नहीं, आरू के पास आपको उठने के बहुत से तरीक़े हैं।" इतना बोलकर वह एक शैतानी स्माइल के साथ अनामिका के पास गई और बिलकुल उसके कान के पास जोर से बोली – "अनु, तेरे ऊपर कॉकरोच।"

    आरू का बस इतना ही कहना था कि अनामिका एकदम उछलकर बेड से उठी और चिल्लाकर बोली – "कॉकरोच? कहाँ है कॉकरोच? कोई भगाओ उसे।"

    जब अनामिका के कानों में किसी के हँसने की आवाज़ आई, तो उसने अपनी आँख खोलकर देखा तो वहाँ पर कोई कॉकरोच तो क्या, कॉकरोच का बच्चा तक नहीं था।

    लेकिन जब उसने वहाँ पर खड़ी आरू को हँसते हुए देखा, तो वह समझ गई यह सब आरू का किया धरा है। तो अनामिका एक चैन की साँस लेते हुए बोली – "ये कौन सा तरीक़ा है उठने का? कोई किसी को ऐसे उठाता है क्या?"

    तो आरू अपनी कुर्ती का कॉलर उठाते हुए बोली – "ये आरू का तरीक़ा है उठने का। चल अब जल्दी से जाकर तैयार हो जा, हमें एनजीओ भी जाना है।"

    तो अनामिका ने अपना सर हिलाकर कहा – "तेरा कुछ नहीं हो सकता।" फिर वह बेमन से बाथरूम में चली गई।

    कुछ देर बाद तीनों तैयार होकर अपनी कार में बैठे थे, जिसे प्रिया चला रही थी। तो आरू ने बैक सीट पर बैठी, नींद लेती हुई अनामिका को देखते हुए बोली – "क्या हुआ? अभी तक तेरी नींद पूरी नहीं खुली? बता तो मैं अच्छे से खोल देती हूँ।"

    उसकी बात सुनकर अनामिका ने अपना सर पकड़े हुए कहा – "नहीं दीदी जी! आपको इतनी कृपा करने की कोई ज़रूरत नहीं है। एक तो वैसे ही मेरे सर में दर्द हो रहा है।"

    तो प्रिया ने तुरंत कहा – "हाँ तो इतनी पीने के लिए किसने कहा था? जब इतनी नहीं झेलती तो पीती ही क्यों है?"

    अनामिका ने मासूम सा फेस बनाकर कहा – "यहाँ तुम्हारी दोस्त के सर में दर्द हो रहा है और तुम हो कि उसे ही सुनाए जा रही हो। कर दो माफ़, थोड़ी सी ओवर पी ली तो।"

    उसकी बात को इग्नोर करके आरू ने उसे एक मेडिसन देकर कहा – "इसे खा ले, दर्द सही हो जाएगा।"

    अनामिका ने मेडिसन लेकर कहा – "हाँ, अब तो तू मेडिसन देगी ही, आख़िर डॉक्टर बन गई है।"

    तभी प्रिया ने कार रोक दी और बोली – "लो, पहुँच गए हम।"

    जब वे लोग बाहर आए तो उनके सामने बड़े बड़े शब्दों में लिखा था – "हैप्पी लाइफ एनजीओ।" यह एनजीओ पहले सिर्फ़ एक अनाथाश्रम था, लेकिन बाद में आरू, अनु और प्रिया ने इसे एक एनजीओ बना दिया, जिसमें अनाथ बच्चे, बूढ़े और बेसहारा औरतों को रहने के लिए मिलता है और उनकी हेल्प की जाती है।

    आरू जैसे ही अंदर गई, एक लड़का उसके सामने आकर बोला – "गर्लफ्रेंड, आपको इतनी देर क्यों हो गई?"

  • 6. My Dangerous lady - Chapter 6(Advika Ka Boyfriend)

    Words: 1710

    Estimated Reading Time: 11 min

    आरू, अनामिका और प्रिया एनजीओ गईं। आरू जैसे ही एनजीओ के अंदर गई, एक लड़का उसके सामने आकर बोला, "गर्लफ्रेंड, आपको आने में इतनी देर क्यों हो गई?"

    वह आवाज सुनकर आरू ने देखा तो एक छोटा, बहुत ही क्यूट सा लड़का उसके सामने मुंह फुलाए खड़ा था। वह शायद 4 या 5 साल का होगा। आरू ने कहा, "सॉरी बॉयफ्रेंड, वो क्या है ना, आपकी अनामिका दीदी सोने में ज्यादा बिजी हो गई थीं। तो इनको उठाने में हमें टाइम लग गया और हम लोग आने में लेट हो गए।"

    तो फिर उस लड़के ने शिकायत करते हुए कहा, "अच्छा तो फिर आप इतने दिनों से हमसे मिलने क्यों नहीं आईं? आदि इज वेरी एंग्री। अब आदि आपसे बात नहीं करेगा।" इतना कहकर वह लड़का पीछे पलट गया।

    उसकी क्यूट सी हरकत देखकर आरू को उस पर बहुत प्यार आ रहा था। आरू ने उदास सा चेहरा बनाकर उसके पास घुटनों पर बैठकर कहा, "अब आदि तो नाराज है, तो मैं किससे बात करूँ? फिर जो मैं चॉकलेट और गिफ्ट लाई थी, वह किसको दूँगी? लगता है अब मुझे सारी चॉकलेट्स और गिफ्ट पीहू को ही देनी पड़ेगी।"

    "अले नहीं नहीं गर्लफ्रेंड! मैं थोड़ी ना आपसे नाराज हूँ। कोई बात नहीं, मैंने आपको माफ़ किया। आप चॉकलेट और गिफ्ट मुझे दे देना, उस पीयू को मत देना।" गिफ्ट और चॉकलेट की बात सुनकर वह बच्चा, यानी आदि, तुरंत बोला।

    उसकी बात सुनकर आरू के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई। फिर उसने उसके गालों को खींचते हुए प्यार से कहा, "हाँ हाँ बॉयफ्रेंड, मैं आपको ही दूँगी।" इतना कहकर उसने अपने बैग से एक चॉकलेट निकालकर उसे दे दी। तभी उसके पास अम्मा आकर बोली, "अरे बेटा, तुम सब लोग कहाँ बाहर खड़े हो? अंदर चलो, अंदर चलकर बात करते हैं। बाकी सारे बच्चे भी तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं, वह सब भी तुमसे मिलना चाहते हैं।"

    अम्मा की बात सुनकर आरू, प्रिया और अनामिका सब लोग अंदर चले गए। अंदर जाते ही उन लोगों को बहुत सारे बच्चों ने घेर लिया। वह सब लोग बातें करने में बिजी हो गए।

    एक बहुत बड़ी बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर, उस बड़े से केबिन में रखी सीईओ की चेयर पर एक आदमी बैठा हुआ अपनी फाइलों में डूबा हुआ था। तभी किसी ने केबिन का दरवाज़ा खटखटाया। वह बिना फाइल से अपनी नज़र हटाए ही बोला, "कम इन।"

    एक लड़का अंदर आकर बोला, "सिद्धार्थ, हमने हमारे नए प्रोजेक्ट के लिए काफी सारी टेक्निकल कंपनी के रिक्वेस्ट आई हैं। मैंने उनमें से कुछ टॉप कंपनीज़ को शॉर्टलिस्ट किया है। इस लिस्ट को तुम एक बार चेक कर लो।"

    सिद्धार्थ ने वह लिस्ट लेकर कहा, "ठीक है शिव, मैं चेक कर लूँगा।"

    तभी केबिन में अभी और देव आते हैं। उन्हें देखकर शिव बोला, "देव, तू यहाँ क्या कर रहा है?"

    देव सोफे पर बैठे हुए बोला, "क्यूँ भाई? मैं यहाँ नहीं आ सकता? वैसे मैं तो यहाँ कुछ जानने आया था।"

    शिव आइब्रो उठाकर बोला, "ऐसा क्या है जो जानने के लिए तू यहाँ ऑफिस तक आ गया? वरना तो तू बिना किसी के कहे आता नहीं है।"

    देव अपने दिल पर हाथ रखते हुए बोला, "ये दिल का मामला है जनाब, आप नहीं समझोगे।"

    सिद्धार्थ देव की बातों को इग्नोर करते हुए अभी से पूछा, "मैंने जो काम दिया था वो हो गया?"

    अभी सिद्धार्थ को एक फाइल दिखाते हुए बोला, "जिनकी इनफॉर्मेशन निकलने के लिए बोला था, उनकी सारी इनफॉर्मेशन इस फाइल में है।"

    "हाँ तो देर किस बात की है? जल्दी से बताओ ना, मैं तो कब से इंतज़ार कर रहा हूँ।" देव तुरंत बोला।

    सिद्धार्थ ने अपनी तिरछी नज़र से पहले देव को देखा, फिर अभी को फाइल पढ़ने का इशारा किया। अभी फाइल पढ़ना शुरू कर देता है: "उनका नाम अद्विका सिंह राजपूत है। इन्होंने अभी ही अपनी मेडिकल स्टडीज़ को पूरा किया है। इनके पापा B.S कॉलेज के प्रोफ़ेसर हैं और इनकी माँ हाउसवाइफ़। इनके एक बड़े भाई भी हैं जिनका नाम है वीर सिंह राजपूत। इनकी एक टेक्निकल कंपनी है। दोनों भाई-बहन एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।"

    "मिस अद्विका ने वर्ल्ड के फ़ेमस डॉक्टर एस.के. शर्मा को दो साल फ़्रांस में असिस्ट किया है। इसलिए ये इंडिया की सबसे यंगेस्ट हार्ट सर्जन हैं। इन्होंने एक बार डॉक्टर शर्मा के न होने पर वहाँ की क्वीन के बेटे की सर्जरी की थी। एक और बात, जो जानने के लिए मुझे हमारी सभी पॉवर का इस्तेमाल करना पड़ा, वो मिस्टीरियस डॉक्टर ए.एस.आर. और कोई नहीं, यही हैं।"

    उसकी यह बात सुनकर वो सब लोग हैरान हो गए। एक पल के लिए तो सिद्धार्थ भी हैरान हुआ, लेकिन फिर उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई।

    देव बोला, "क्या ये वही डॉक्टर हैं ना जिनकी रिसर्च लैब पूरे इंडिया में हैं और हर कोई उन लैब्स में काम करना चाहता है?"

    अभी ने अपना सर हाँ में हिलाते हुए कहा, "हाँ, ये वही हैं। इन्हीं की रिसर्च लैब्स पूरे इंडिया में हैं और इनकी सबसे बड़ी लैब मुंबई में ही है। और हाँ, ये अपनी फैमिली के साथ नहीं रहतीं, बल्कि ये अपनी दोस्त प्रिया और अपनी बहन अनामिका के साथ रहती हैं।"

    शिव ने पूछा, "वो दो लड़कियाँ जो क्लब में इनके साथ थीं?" अभी बोला, "हाँ, जो ज़्यादा नशे में थी वो अनामिका और जो उन लड़कों की बिना साबुन-पानी के धुलाई कर रही थी वो प्रिया।"

    देव ने कहा, "उनका नाम प्रिया किसने रखा? उनके कैरेक्टर से तो बिल्कुल नहीं मिलता।"

    शिव ने कहा, "क्यूँ? तुझे क्या, उस पंडित से मिलना है?"

    देव बोला, "नहीं, मुझे पंडित से तो नहीं, पर हाँ, अद्विका से ज़रूर मिलना है।"

    तभी सिद्धार्थ ने एक सख्त आवाज़ में कहा, "अद्विका नहीं, बल्कि भाभी! वो तेरी होने वाली भाभी है। तो उनका नाम तमीज़ से ले। वो ठाकुर फैमिली की होने वाली बड़ी बहू अद्विका सिद्धार्थ ठाकुर है।"

    उसकी यह बात सुनकर मानो उन तीनों पर बम ही फट गया हो। उन तीनों को जोर का झटका लगा, पूरे 440 वोल्ट का।

    देव ने अभी से कहा, "क्या मैं कोई सपना देख रहा हूँ?"

    अभी ने उसे एक चींटी काटी। देव चिल्लाकर बोला, "आ...आह! चींटी ने काटा!" अभी ने कहा, "तुझे यह बताने के लिए कि यह कोई सपना नहीं, हकीकत है। हमारे सच में किसी लड़की से शादी करना चाहते हैं।"

    शिव ने सिद्धार्थ से पूछा, "तू सच कह रहा है ना? तू सच में अद्विका से शादी करना चाहता है?"

    सिद्धार्थ ने बेहद ही सिद्धत से कहा, "हाँ, सिद्धार्थ ठाकुर अद्विका से शादी करना चाहता है और उससे बेहद प्यार भी करता है।"

    उसकी बात सुनकर देव खुशी से उछलते हुए बोला, "यानी मुझे मेरी भाभी मिल गई! ये तो ब्रेकिंग न्यूज़ है कि S.T. कंपनी के सीईओ सिद्धार्थ ठाकुर को किसी से प्यार हो गया है! जब ये बात दादी माँ को पता चलेगी तब तो वो खुशी से डांस करने लगेंगी।"

    सिद्धार्थ ने उसे मना करते हुए बोला, "नहीं, तू दादी माँ को कुछ नहीं बताएगा और न ही किसी को भी। पहले मैं खुद अद्विका को बताऊँगा, उसके बाद किसी और को। और तू एक बात सुन, अद्विका से दूर रहना।"

    कुछ देर के बाद सब लोग बाहर चले गए। सबके जाने के बाद सिद्धार्थ उठकर अपने केबिन में बनी ग्लास वॉल के पास खड़ा हो गया, जहाँ से पूरा शहर दिखता है। उसने अपनी जेब से कुछ निकाला जिस पर ए.एस.आर. लिखा था। यह वही बेसलिट था जो आरू से क्लब में सिद्धार्थ से टकराते समय उसके शर्ट में गिरा था, जिसे बाद में सिद्धार्थ ने अपने पास रख लिया था। सिद्धार्थ ने उस बेसलिट को देखते हुए बेहद ही जुनून से कहा, "जान, अब से तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ सिद्धार्थ ठाकुर की हो।"

    रात के समय, घर के अंदर आते ही अनामिका सीधे जाकर सोफे पर लेट गई और बोली, "यार, मैं तो बहुत थक गई! पता नहीं आरू, तू कैसे बच्चों के साथ इतनी मस्ती कर लेती है और उन्हें संभाल भी लेती है।"

    आरू ने पानी का ग्लास उठाते हुए कहा, "अब वो इतने प्यारे ही होते हैं कि क्या करें? और मैडम, अगर अब आपका अपना दुख बयाँ करना हो गया हो तो जाकर सो जाओ। कल हमें कॉलेज भी जाना है। हमारा कॉलेज का लास्ट फंक्शन होगा।"

    अनामिका बोली, "हाँ यार, और कल हमें हमारी डिग्री भी मिल जाएँगी। मुझे तो अब इंतज़ार ही नहीं हो रहा।"

    फिर वो तीनों अपने-अपने रूम में चली जाती हैं।

  • 7. My Dangerous lady - Chapter 7(college function aur milna )

    Words: 1767

    Estimated Reading Time: 11 min

    सुबह आरू, अनामिका और प्रिया नाश्ता कर रहे थे। तभी आरू बोली, "जल्दी नाश्ता करो। मुझे सर ने 10 बजे तक पहुँचने के लिए कहा था, और साढ़े नौ बज चुके हैं।"

    अनामिका बोली, "टाइम तो सबके लिए साढ़े दस का है। तुझे पहले क्यों जाना है?"

    प्रिया ने उसके सर पर हाथ मारते हुए कहा, "ओ भुलक्कड़! भूल गई? हमारी आरू मैडम तो यूनिवर्सिटी की टॉपर और स्टूडेंट हेड हैं। इन्हें एक लंबी चौड़ी स्पीच देनी है। इन्हें ही हमारे चीफ गेस्ट और इन्वेस्टर्स के सामने सभी स्टूडेंट्स को रिप्रेजेंट करना है। इसलिए इन्हें जल्दी आने के लिए गुप्ता सर ने कहा था।"

    आरू ने अपनी कमर पर हाथ रखकर दोनों को घूरते हुए कहा, "अब तुम दोनों बातें साइड में रख के मेरे साथ चलोगी या फिर मैं अकेले जाऊँ? अगर मुझे आज गुप्ता सर से डाँट पड़ी तो कसम से तुम दोनों को नहीं छोड़ूंगी (प्रिया की तरफ देखकर) फिर करना खुद की हड्डियों का इलाज।"

    इतना कहकर आरू अपना बैग लेकर बाहर चली गई। उन्हें ऐसे जाते देख वो दोनों भी जल्दी से अपना-अपना बैग लेकर बाहर आ गईं, फिर तीनों कार में बैठ गईं। आज आरू ने व्हाइट टॉप, जींस और उसके ऊपर लाइट पिंक कोट पहना था, अपने बालों को एक पोनीटेल में बाँध रखा था।

    कुछ देर में वे लोग कॉलेज पहुँच गए। आरू कार से बाहर निकलकर बोली, "ओ गॉड! दस क्या, साढ़े दस भी बज गए हैं! आज कॉलेज के लास्ट डे भी मुझे डाँट न पड़ जाए!"

    अनामिका उसे शांत करते हुए बोली, "कुछ नहीं होगा यार, तू टेंशन मत ले। अब चल।"

    तभी प्रिया ने कहा, "यहाँ गेट पर इतनी भीड़ क्यों लगी है?" आरू ने कहा, "चलो चलकर देखते हैं।"

    वे लोग भीड़ के पास पहुँचे तो अनामिका ने एक लड़की से पूछा, "यहाँ पर सभी स्टूडेंट्स क्यों खड़े हैं?"

    उस लड़की ने जवाब दिया, "तुम्हें नहीं पता क्या? आज हमारे कॉलेज में चीफ गेस्ट के लिए S.T कंपनी के सीईओ और उनके भाई आ रहे हैं। मैंने सुना है वो बहुत हैंडसम हैं और वो ज़्यादा मीडिया के सामने नहीं आते, इसलिए यहाँ पर हर कोई उन्हें देखना चाहता है।"

    उसकी बात सुनकर अनामिका बोली, "सच में? अब तो मुझे भी उन्हें देखना है।"

    तभी प्रिया बोली, "यानी आरू, तुझे S.T कंपनी के सीईओ के सामने हमें रिप्रेजेंट करना है। मैंने तो सुना है वो बहुत गुस्से वाले इंसान हैं। अगर कोई भी उन्हें पसंद न आए तो वो उसे अर्श से फर्श पर लाने में समय नहीं लगाते।"

    आरू ने मासूम सी सकल बनाकर कहा, "तुम लोग मुझे बता रहे हो या डरा रहे हो? तुम मेरे ही दोस्त हो ना।"

    उसी समय बहुत सारी कारें अंदर आने लगीं और उनमें से काले कपड़े पहने बॉडीगार्ड्स बाहर निकले और अपनी-अपनी पोजीशन लेने लगे। उन सभी के बीच ये साफ़-साफ़ बता रहे थे कि वे S.T कंपनी के बॉडीगार्ड्स हैं। वे लोग एकदम फुल ट्रेन्ड थे। उन सभी को देखकर सभी स्टूडेंट्स अपने आप पीछे हो गए।

    फिर एक बॉडीगार्ड ने कार का दरवाज़ा खोला। उनमें से एक जोड़ी चमकते हुए जूते दिखाई दिए। फिर उसमें से एक आदमी बाहर निकला जिसने नेवी ब्लू कलर का बिज़नेस सूट पहना था और उसने आँखों पर ब्लैक गॉगल्स पहने थे। उसे देखकर तो मानो लड़कियाँ बेहोश ही हो जाएँगी। वो सभी उसके पास जाना चाहते थे, पर किसी में भी इन बॉडीगार्ड्स से पंगा लेने की हिम्मत नहीं थी। उस आदमी के पीछे तीन और लोग भी थे जो कुछ काम नहीं लग रहे थे।

    (ये हैं हमारे सिद्धार्थ बाबू जो यहाँ आज चीफ गेस्ट बनकर आए थे। वैसे तो ये इतनी आसानी से कहीं नहीं जाते, लेकिन जब इन्हें पता चला कि इनकी दिलरुबा भी इसी यूनिवर्सिटी में है और वो ही रिप्रेजेंटेटिव है तो ये यहाँ आने के लिए तुरंत तैयार हो गए।)

    वहाँ पर कॉलेज के डीन, प्रिंसिपल और गुप्ता सर आगे आए और उन सबका वेलकम करने लगे। सिद्धार्थ ने अपने गॉगल्स निकाल दिए और अपनी नज़र चारों तरफ घुमाकर देखी। जब आरू ने उसकी आँखों को देखा तो उसकी सकल बिलकुल रोने जैसी हो गई और बोली, "हे महादेव! कल ही तो दुआ माँगी थी दुबारा मत मिलना और आपने तो सीधा इन्हें मेरे सामने लाकर खड़ा कर दिया। अब जो आपके एक किलो लड्डू थे वो कैंसल।"

    उसे ऐसे बड़बड़ाते देख अनामिका ने पूछा, "क्या हुआ? ऐसे क्यों खड़ी है? भूत देख लिया क्या?"

    उसकी बात सुनकर आरू बोली, "भूत का तो पता नहीं, पर नीली आँखों वाला मानव ज़रूर देख लिया।"

    प्रिया और अनामिका एक साथ: "मतलब? नीली आँखों वाला मानव कौन?"

    आरू ने सिद्धार्थ की तरफ इशारा करते हुए रोनी सी आवाज़ में कहा, "वो नीली आँखों वाला मानव, ये वो ही है जिससे मैं उस दिन क्लब में टकराई थी और इन्हीं के सामने मैंने उस आदमी का सर फोड़ा था।"

    उसकी बात सुनके दोनों पहले तो हैरान हो गईं, फिर दोनों बोलीं: (अनामिका) "तू सिद्धार्थ ठाकुर से टकराई थी।" (प्रिया) "तूने सिद्धार्थ ठाकुर के सामने नशे में उसका सर फोड़ा था।"

    फिर दोनों एक साथ: "रे छोरी! कर दिया तूने बवाल!"

    तो आरू बोली, "मुझे करना किसी को भी रिप्रेजेंट।" इतना कहके वो पीछे मुड़ी ही थी कि उसे गुप्ता सर ने आवाज़ लगाते हुए कहा, "अद्विका, कम हेयर।"

    ये सुनके तो अद्विका ने अपनी आँखें कस के मियाँची लीं और बोली, "लो अब हो गया कांड!"

    गुप्ता सर की दुबारा आवाज़ सुनके आरू पीछे मुड़ी और अनामिका-प्रिया की तरफ देखकर बोली, "अगर आज मुझे कुछ हो जाए तो तुम लोग मेरी फैमिली को बता देना और मेरे नाम के रसगुल्ले ज़रूर बटवा देना।"

    इतना बोल के आरू गुप्ता सर के पास चली गई। उसे देखकर गुप्ता सर ने कहा, "चलो अच्छी बात है कि आज तुम लेट नहीं हो।"

    तो आरू धीरे से बोली, "इसी बात का तो ग़म है कि मैं आज ही क्यों लेट नहीं हूँ।"

    उसके पास खड़े अभी और देव उसकी बात को अच्छे से सुन सकते थे। उन दोनों को तो आरू के फेस के एक्सप्रेशन देखकर हँसी आ रही थी। तो देव ने उसके पास धीरे से कहा, "वैसे क्या आप रोज़ लेट होती हैं?"

    तो आरू बिना ध्यान दिए बोली, "नहीं, पर अक्सर हो जाती थी। अब क्या करूँ? ये नन्ही सी जान और इतने कम..." फिर होश में आकर देव की तरफ देखकर बोली, "आप कौन?"

    उसकी बात सुनके देव हैरानी से बोला, "आप मुझे नहीं जानती?"

    तो आरू मासूमियत से बोली, "नहीं, मैं तो नहीं जानती।"

    तो देव ने स्टाइल से कहा, "कोई बात नहीं। मायसेल्फ देव ठाकुर। अब तो आप पहचान ही गई होंगी।"

    आरू ने फिर पूछा, "कौन देव ठाकुर? मैं तो किसी देव ठाकुर को नहीं जानती।"

    उसकी बात सुनके उसके पास खड़ा अभी, जो बिचारा कब से अपनी हँसी कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था, उसकी हँसी छूट गई और देव के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "देव बेटा, तेरी यहाँ दाल नहीं गलने वाली।"

    वो लोग आपस में ही बात कर रहे थे, पर कोई था जो उन लोगों को गुस्से से देख रहा था। ये और कोई नहीं, हमारे सिद्धार्थ बाबू ही हैं जो अपने ही भाइयों से जल रहे थे कि अभी तक वो अपनी जान से नहीं मिल पाया और ये लोग उससे हँस-हँस के बातें तक करने लगे।

    तभी प्रिंसिपल सर ने सिद्धार्थ से कहा, "ये है हमारी यूनिवर्सिटी की टॉपर और स्टूडेंट हेड।"

    अपना इंट्रोडक्शन सुनके पहले तो अद्विका सकपका गई, फिर एक गहरी साँस लेके अपने आप को नॉर्मल करके आगे आके फुल कॉन्फिडेंस से बोली, "हेलो सर, दिस इज़ अद्विका सिंह राजपूत, हेड ऑफ़ द स्टूडेंट्स।"

    उसका कॉन्फिडेंस देखकर देव बोला, "ये अभी तो इतना घबरा रही थी और अब देखो भाई के सामने इतने कॉन्फिडेंस से बात कर रही है। अच्छे-अच्छे लोग ये नहीं कर पाते।" तो अभी बोला, "इसीलिए तो इन्हें भाई ने पसंद किया है।"

    उसका ये तुरंत चेंज बिहेवियर देख के सिद्धार्थ के फेस पर एक छोटी सी स्माइल आ गई, पर वो किसी ने नहीं देख पाई। फिर सिद्धार्थ ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा, "हेलो मिस अद्विका... ओ सॉरी, डॉक्टर अद्विका।"

    उसकी बात सुनके आरू के फेस पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई और उसने भी अपना हाथ आगे बढ़ा दिया, पर उसके हाथ से टच होते ही आरू का दिल जोरों से धड़कने लगा। और हमारे सिद्धार्थ बाबू तो आरू की स्माइल में ही खो गए थे। जिसे देख के उसके पीछे खड़े शिव ने उसके कान में कहा, "भाई, तेरी ही है। बाद में जी भर के देख लेना। अभी हाथ छोड़ दे उसका, वर्ना क्या पता सबके सामने कहीं तेरे थप्पड़ न पड़ जाएँ।"

    उसकी बात सुनकर सिद्धार्थ को होश आया और फिर आरू का हाथ छोड़ दिया। फिर शिव को धीरे से कहा, "आजकल कुछ ज़्यादा नहीं बोलने लगा है तू।"

    ये सब देखकर कॉलेज की कुछ स्टूडेंट्स तो अफ़सोस कर रही थीं, तो कुछ जल रही थीं। लड़कियाँ तो अद्विका से जल रही थीं कि वो अकेली ही उन सब हैंडसम बंदों के बीच है और उन सब से बात कर रही है।

  • 8. My Dangerous lady - Chapter 8( Praposal)

    Words: 1801

    Estimated Reading Time: 11 min

    कॉलेज में ग्रेजुएशन सेरेमनी चल रही थी। सभी लोगों को उनकी डिग्री दी जा रही थी। लास्ट में प्रिंसिपल सर ने आकर कहा, "अब मैं हमारे कॉलेज की टॉपर, मिस अद्विका को बुलाना चाहूँगा।"

    अद्विका का नाम सुनते ही पूरे हॉल में तालियों की आवाज गूंज उठी। फिर अद्विका को डीन सर ने उसकी डिग्री और मेडल दिया। अब बारी थी अद्विका की स्पीच की। अद्विका ने माइक लिया और अपनी प्यारी और शांत आवाज में बोलना शुरू किया, "हेलो एवरीवन, दिस इज़ अद्विका सिंह राजपूत…"

    वहाँ पर हर एक स्टूडेंट अद्विका की बातों को बहुत ध्यान से सुन रहा था। अद्विका स्टेज पर बहुत कॉन्फिडेंस और कम्फ़र्टेबल होकर बोल रही थी और उसके हाथों के मूवमेंट्स बहुत ही अट्रैक्टिव थे।

    उसके कॉन्फिडेंस को देखकर सिद्धार्थ बहुत इम्प्रेस हुआ। तभी देव अपने पास बैठे शिव और अभि से बोला, "मुझे तो लगता था कि भाई ही इतनी लंबी-चौड़ी स्पीच देते हैं, पर हमारी होने वाली भाभी भी कुछ कम नहीं हैं। और ये क्लब में तो कितनी क्यूट लग रही थी, और अब एकदम मैच्योर और शांत लग रही हैं।"

    अद्विका जब अपनी स्पीच देकर स्टेज से नीचे गई, तो प्रिया ने उसे पानी की बोतल पकड़ा दी। अनु उसके ऊपर हवा करते हुए बोली, "पानी पी, तेरा गला सूख गया होगा ना, आखिर तूने इतना बोला है।"

    "मैंने कोई इतना बड़ा काम भी नहीं किया जो तुम लोग मुझे वीआईपी ट्रीटमेंट दो," आरू ने पानी पीकर कहा।

    "हमारे लिए तो बड़ा काम ही है," प्रिया ने कहा।

    तभी वहाँ पर एक स्टूडेंट आकर बोला, "अद्विका, गुप्ता सर ने तुम्हें मीटिंग रूम में आने के लिए कहा है।"

    आरू ने अपना बैग लिया और उसमें से एक फाइल निकालकर कहा, "अब मीटिंग शुरू होगी, अच्छा-खासा टाइम लग जाएगा, तो तुम दोनों घर चली जाना। अब डायरेक्ट शाम की पार्टी में मिलेंगे।" इतना बोलकर वह मीटिंग रूम की तरफ चली गई।

    आरू का ध्यान अपनी फाइल में था, इसलिए उसने सामने से आते इंसान को नहीं देखा। वह इंसान भी किसी से फोन पर बात कर रहा था। जिससे आरू जाकर उस इंसान से टकरा गई और उसकी नाक सीधा सामने वाले के सीने पर लगी। आरू बिना उसकी तरफ देखे, अपनी नाक सहलाते हुए बोली, "आह… इंसान हो या खम्बा, मेरी नाक…" जब आरू ने सामने वाले की शक्ल देखी, तो वह बोलते-बोलते रुक गई। फिर अटक-अटक के बोली, "मिस्टर ठाकुर…आप…"

    फिर मन में बोली, "हे महादेव, कौन-से लड्डू आपके उधार रह गए जो आप बदला ले रहे हो? टक्कर करने के लिए भी ये नीली आँखों वाले मानव ही मिले थे क्या?"

    उसके चेहरे के बनते-बिगड़ते एक्सप्रेशन को देखकर, उसे घूरते हुए सिद्धार्थ ने कहा, "आप क्या कह रही थी अभी, मिस अद्विका? इंसान, खम्बा क्या…" (सिद्धार्थ जानबूझकर उससे यह सवाल पूछ रहा था; उसे तो आरू की ऐसी हालत देखकर मज़ा आ रहा था।)

    आरू ने एकदम सफ़ेद झूठ बोलते हुए कहा, "खम्बा कौन-सा? कहाँ का खम्बा? मैंने कब खम्बा कहा? शायद आपने कुछ गलत सुन लिया होगा, मिस्टर ठाकुर। अगर आप चाहें तो मैं आपको बेस्ट कान के डॉक्टर के बारे में बताती हूँ ना, ताकि आप अपना चेकअप करा लें।"

    सिद्धार्थ ने अपनी आइब्रो उठाकर कहा, "मेरे कानों में खराबी है?"

    आरू ने एक फीकी स्माइल करते हुए कहा, "ये तो आप कह रहे हैं, मैंने कब कहा आपके कानों में खराबी है? अब वैसे भी एक डॉक्टर से क्या छिपाना।"

    सिद्धार्थ कुछ बोलता उससे पहले ही आरू बोली, "अच्छा, तो मैं जाती हूँ। मुझे गुप्ता सर ने बुलाया था, अगर नहीं गई तो मुझे आज के दिन सर से डाँट पड़ जाएगी।" इतना बोलकर आरू वहाँ से ऐसे भागी जैसे उसके पीछे भूत पड़ गया हो।

    बिचारे सिद्धार्थ को तो कुछ समझ ही नहीं आया कि अभी क्या हुआ। जब उसे समझ आया कि आरू उसके कानों को ख़राब बोलकर चली गई है, तो उसने कहा, "अभी बोल लो जान जो भी तुम्हें बोलना है, बाद में सबका हिसाब लिया जाएगा।"

    पीछे से शिव की आवाज़ आई, "आज पहली बार द ग्रेट सिद्धार्थ ठाकुर को कोई इंडिरेक्टली बहरा बोलकर चला गया और सिद्धार्थ ठाकुर ने कुछ कहा भी नहीं।"

    तभी उसके कंधे पर देव हाथ रखकर बोला, "भाई, अभी भी सोच लो, टाइम है। बहुत खतरनाक पीस है।"

    उसकी बात सुनकर अभि बोला, "हाँ, तो इस डेंजरस किंग को संभालने के लिए खतरनाक पीस ही चाहिए।"

    सिद्धार्थ उन सबको इग्नोर करके वहाँ से मीटिंग रूम की तरफ चला गया। यह देखकर वे लोग भी उसके पीछे-पीछे चले गए।

    कुछ देर बाद मीटिंग शुरू हो गई। पूरी मीटिंग भर हमारी आरू बहुत सीरियस रही और सभी स्टूडेंट्स को बहुत अच्छे से रिप्रेज़ेंट किया और उनकी ज़रूरतों के बारे में एक्सप्लेन किया, जिससे हर कोई इम्प्रेस हुआ। हमारे सिद्धार्थ बाबू की नज़रें तो उनकी दिलरुबा से हट ही नहीं रही थीं; वह तो प्राउड हो रहे थे कि उनकी जान कितनी टैलेंटेड है।

    जब मीटिंग ख़त्म हुई, तो लोग बाहर जाने लगे। तभी प्रिया और अनामिका अंदर आईं। अंदर आते ही अनामिका ने कहा, "आरू, अब तो पार्टी कुछ ही देर में शुरू होने वाली है और तू तो अभी तैयार भी नहीं हुई।"

    "मुझे पता है यार! कुछ सोचने दे मुझे।" (फिर कुछ सोचकर) "एक मिनट।" इतना बोलते हुए उसने अपना कोट उतारा और अपने बालों की रिबन को निकालकर अपने हाथ में पहन लिया, जिससे उसके बाल खुल गए। उसने अपने बालों को हल्का सेट किया और कहा, "अब ठीक है।"

    प्रिया और अनामिका बोलीं, "ठीक नहीं, मस्त है।"

    आरू ने कहा, "अब बाद में तारीफ़ करना, चलो पहले पार्टी एरिया में।" फिर वे तीनों वहाँ से चली गईं। उनके जाने के बाद देव बोला, "यहाँ इतने हैंडसम बंदे बैठे हैं और ये लोग बिना कुछ कहे बस इग्नोर करके चले गए। मतलब सभी लड़कियाँ हमारे पीछे रहती हैं और इन तीनों को कोई फर्क ही नहीं पड़ा। कहीं मेरे हैंडसम चेहरे को किसी की नज़र तो नहीं लग गई, जो किसी ने नोटिस तक नहीं किया।"

    लेकिन देव ने देखा कि उसके तीनों भाई बिना कुछ बोले उठकर बाहर जा रहे हैं, तो वह चिल्लाकर बोला, "अरे भाई, मेरे लिए तो रुको, मुझे भी तो आना है।"

    पार्टी एरिया में, सभी लोग पार्टी को एन्जॉय कर रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे। तभी सब ने देखा कि अद्विका माइक लेकर स्टेज पर आ रही है। यह देखकर सभी लोग एक्साइटिड हो गए और उसकी तरफ़ देखने लगे।

    अद्विका ने माइक लिया और बड़े ही जोश के साथ खींचते हुए बोलना शुरू किया, "हेलो…एवरीवन…ये हैं आपकी होस्ट और दोस्त अद्विका राजपूत, या आप सबकी प्यारी आरू।"

    उसकी बात सुनकर सभी लोग हूटिंग करने लगे। वहाँ पर यूनिवर्सिटी के प्रिंसिपल, गुप्ता सर और कुछ प्रोफ़ेसर्स थे, साथ ही सिद्धार्थ, शिव, अभि और देव भी। इसी तरह आरू ने पूरी पार्टी को होस्ट किया। जब लास्ट में पार्टी ख़त्म हुई और आरू सबको थैंक्यू बोलकर स्टेज से नीचे जा ही रही थी कि अचानक से सारी लाइट्स ऑफ हो गईं और एक स्पॉटलाइट सिर्फ़ आरू पर पड़ी। यह देखकर सब लोग स्टेज पर आरू की तरफ़ देखने लगे, क्योंकि पीछे स्टेज की स्क्रीन पर कुछ पिक्चर्स शो होने लगीं।

    सब लोग सोच ही रहे थे कि यह क्या हो रहा है कि वहाँ पर एक आवाज़ आई, "अद्विका, जब तुम्हें फर्स्ट ईयर में पहली बार देखा था ना (स्क्रीन पर आरू की एक पिक्चर, जिसमें वह ग्राउंड में बैठकर स्माइल कर रही थी, वह शो होने लगी) और तुम्हारी वह स्माइल देखकर तो मैं तुम्हारा दीवाना ही हो गया था। तब से मैं तुमसे प्यार करने लगा था। मैं सिर्फ़ एक एवरेज स्टूडेंट था, पर तुम एक टॉपर। सिर्फ़ तुम्हारे लिए ही मैंने पढ़ना शुरू किया और टॉपर बना। मुझे स्टेज से डर लगता था, पर तुम्हारे साथ परफ़ॉर्म करने के लिए मैंने उस डर को काबू किया। तुम्हारा वह बच्चों वाली क्यूट हरकतें करना, सबको हँसाना, हम लोगों को हमेशा प्रोफ़ेसर्स से बचाना, पढ़ाई में सबकी हेल्प करना, तुम्हारा सब कुछ करना मुझे पसंद है। आज तक इन पाँच सालों में मैं तुमसे नहीं कह पाया, पर मैं अब सिर्फ़ तुम्हारा एक फ्रेंड, बैंकर नहीं रहना चाहता। आज मैं पूरे कॉलेज के सामने तुमसे कह रहा हूँ, आरू आई लव यू। क्या तुम मेरी लैब पार्टनर से लाइफ़ पार्टनर बनोगी?"

    सभी लाइट्स ऑन हो गईं और इतना कहकर एक हैंडसम (पर हमारे हीरोज से कम) लड़का सामने आया (यह है यूनिवर्सिटी के सेकंड टॉपर और बॉयज़ स्टूडेंट हेड, राघव वर्मा) और अद्विका के सामने अपने घुटनों पर बैठ गया। राघव को देखकर सभी हैरान हो गए, फिर सभी हूटिंग करने लगे और चिल्लाने लगे, "से यस, से यस!"

    पर कोई था जो अपनी जलती हुई आँखों से यह सब देख रहा था; यह है हमारे सिद्धार्थ बाबू, जो इस समय किसी शांत ज्वालामुखी की तरह बैठे थे, जो बस फटने का इंतज़ार कर रहे थे।

    देव बोला, "पहली बार कोई लड़की मेरे भाई को पसंद आई थी और यह लड़का है कि उसे प्रपोज़ कर रहा है। मेरा बस चले तो मैं इसे यहाँ से ले जाकर कहीं दूर फेंक दूँ।"

    सिद्धार्थ को ऐसे देखकर शिव ने उसे कहा, "शांत हो जा, सिद्धार्थ। अभी उसने एक्सेप्ट तो नहीं किया और अगर करेगी भी तो वह उसकी लाइफ़ है, वह किसी को भी अपना लाइफ़ पार्टनर चुन सकती है, तू उस पर अपना प्यार थोप नहीं सकता।" शिव की बात सुनकर सिद्धार्थ ने बस अपना सर हाँ में हिला दिया।

  • 9. My Dangerous lady - Chapter 9( First Hug )

    Words: 1415

    Estimated Reading Time: 9 min

    यूनिवर्सिटी में पार्टी चल रही थी, जिसे आरू होस्ट कर रही थी। पार्टी खत्म होने के बाद, जब आरू स्टेज से जा रही थी, तभी अचानक सारी लाइट्स ऑफ हो गईं। जब सबने देखा तो कॉलेज का टॉपर, राघव वर्मा, आरू को प्रपोज कर रहा था।

    ये देखकर सभी लोग "से यस! से यस!" बोलने लगे। ये सब देखकर सिद्धार्थ को बहुत गुस्सा आ रहा था, पर शिव ने उसे समझाया, "ये उसका फैसला है कि वो किसके साथ रहना चाहती है। हम उस पर प्यार थोप नहीं सकते।"

    Sid शिव की बातें सुनकर कुछ तो नहीं करता, पर उसके मन में डर था कहीं आरू उसे हाँ न कह दे।


    वहाँ पर सभी स्टूडेंट बस यही कह रहे थे कि "से यस!" देव को भी डर था कि कहीं आरू सच में उसे हाँ न कह दे, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो उसके भाई का, जिसने पहली बार किसी लड़की को पसंद किया था, दिल टूट जाएगा।


    तभी स्टेज पर आरू ने पहले सबकी तरफ देखा, फिर अपने घुटनों पर बैठे राघव को खड़ा किया। सबको लगा कि आरू उसे हाँ बोलने वाली है, तो सभी जोर-जोर से हूटिंग करने लगे। ये सब देखकर सिद्धार्थ की आँखें पूरी लाल हो चुकी थीं। वो अब और ये सब नहीं देख सकता था, वरना वो अपने गुस्से और दर्द में कुछ न कुछ जरूर कर देता। अपने भाई की ये हालत देखकर देव की आँखों में आँसू आ गए। वो बस अपने मन में बोल रहा था – "महादेव, कुछ तो चमत्कार कर दो, वरना Sid भाई खुद को कैसे संभालेंगे।"

    (शायद आज महादेव भी यही बात सुनने के मूड में थे।) स्टेज पर आरू ने राघव से उसका माइक लिया और सबकी तरफ देखकर कहा – "साइलेंस, प्लीज!"

    उसके बोलते ही सब शांत हो गए और सिद्धार्थ, जो जा रहा था, वो रुक गया। फिर आरू ने राघव से कहा – "सॉरी, पर मैं तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट नहीं कर सकती।"

    ये सुनकर जहाँ राघव को बहुत बुरा लगा, वहीं सिद्धार्थ के दिल को तो मानो कोई बहुत बड़ा सुकून मिला हो। और देव तो लगभग खुशी से चिल्ला ही देता, अगर समय पर शिव ने उसके मुँह पर हाथ न रखा होता। क्योंकि देव ने अब अपने दिल से आरू को अपनी भाभी मान लिया था।


    राघव ने उदास होते हुए पूछा – "क्यों? तुम मुझे मना क्यों कर रही हो? क्या तुम मुझे अच्छा नहीं लगती?" तो आरू ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा – "देखो, ऐसा नहीं है कि तुम मुझे अच्छे नहीं लगते। तुम मेरे बहुत अच्छे फ्रेंड हो, पर मैं तुमसे प्यार नहीं करती। मुझे पता है कि यहाँ पर सभी को लग रहा होगा कि मैं कितनी घमंडी हूँ, मुझमें बहुत एटीट्यूड है, जो मैंने इतने अच्छे लड़के को मना कर दिया। मैं उनमें से नहीं हूँ जो अभी हाँ बोल दूँ और फिर बाद में हमारा ब्रेकअप हो जाए। और मैं ये जानती हूँ, तुम्हें मुझसे भी अच्छी लाइफ पार्टनर मिलेगी।"

    (ये सब सुनकर सिद्धार्थ को अब चैन मिला था, तो वो वापस अपनी जगह पर आकर बैठ गया।) आरू की बात खत्म होने के बाद राघव बिलकुल शांत हो गया। फिर उसने एक फीकी सी मुस्कान करते हुए कहा – "क्या तुम मुझे एक चांस भी नहीं दे सकती?"

    ये सुनकर देव ने चिढ़ते हुए कहा – "हद है! ये तो भाभी के पीछे ही पड़ गया है।" शिव ने भी कहा – "हाँ, मेरा तो मन कर रहा है कि मैं इसे स्टेज से पकड़कर तालाब में फेंक दूँ।"


    फिर आरू ने कहा – "अगर मैं तुम्हें एक चांस भी दे दूँ, तो क्या तुम इसी रिश्ते में रहना चाहोगे जिसमें तुम्हें ना कोई प्यार मिले और ना ही कोई रेस्पॉन्स?" तो राघव ने अपना सर ना में हिला दिया। अब आरू स्टेज से नीचे चली गई तो अनु और प्रिया उसके पास आ गईं। अनु ने उससे पूछा – "यार, तूने उसे भी मना कर दिया? कितना अच्छा लड़का था वो! आखिर तुझे चाहिए कैसा लड़का?"


    तो आरू ने जवाब दिया – "एक बात बता, जब मेरे अंदर उसके लिए कोई फीलिंग ही नहीं है, तो कैसे मैं उसके साथ रहूँ? और मुझे कैसा भी लड़का नहीं चाहिए। मुझे इंटरेस्ट ही नहीं है।"

    उसकी बात सुनकर अनु उससे थोड़ा दूर हो गई। फिर उसने कहा – "तुझे लड़कों में इंटरेस्ट नहीं होगा, पर मुझे है। मुझे लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं है।"


    तो फिर आरू ने परेशान होकर कहा – "मुझे भी लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं है, समझी? अब मुझे थोड़ी देर फ्रेश हवा में जाना है, तुम दोनों घर जाओ, मैं आ जाऊँगी।" इतना बोलकर वो बिना उनकी बात सुने बाहर चली गई।


    कॉलेज के बाहर गार्डन में, आरू बाहर आकर गार्डन की सीट पर बैठ गई और आसमान को देखने लगी। कुछ देर ऐसे ही बैठने के बाद आरू को फील हुआ कि कोई उसके पास बैठा है। तो उसने देखा तो ये सिद्धार्थ था, जो आरू के बाहर आने पर वो भी बाहर आ गया था।


    अद्विका ने उसे देखकर अपनी जगह से उठकर कहा – "मिस्टर ठाकुर, आप यहाँ?" तो सिद्धार्थ ने उसे ही सवाल पूछा – "क्यों? मैं क्या यहाँ नहीं आ सकता?"


    तो आरू ने कहा – "नहीं, मिस्टर ठाकुर, मेरे बोलने का ये मतलब नहीं है। मैं तो बस ये पूछ रही थी कि आप कब यहाँ आए, मुझे पता ही नहीं चला।" जिस पर सिद्धार्थ ने भी खड़े होकर कहा – "अंदर बहुत शोर हो रहा था, मैं फोन कॉल अटेंड करने के लिए बाहर आ गया और आपको यहाँ अकेले बैठा देखा तो मैं भी यहाँ आ गया।" फिर थोड़ा रुककर कहा – "वैसे आपकी शायद इम्पोर्टेन्ट चीज़ मेरे पास है।"


    तो आरू ने कन्फ़्यूज़ होकर कहा – "मेरी इम्पोर्टेन्ट चीज़? कौन सी?"

    सिद्धार्थ ने अपनी पॉकेट से वो बेसलिट निकालकर अद्विका को दिखाया। उस बेसलिट को देखते ही आरू का चेहरा खुशी से खिल गया। उसने तुरंत उसे ले लिया, फिर एक बड़ी सी स्माइल करते हुए खुशी से कहा – "ये बेसलिट मुझसे उस दिन खो गया था। Thank you very very much।"


    फिर आरू ने बिना ध्यान दिए, अपनी खुशी में ही सिद्धार्थ को हग कर लिया और कहा – "आपको नहीं पता, ये मेरे लिए कितना ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट है। इसे मेरे भाई ने दिया था।"


    सिद्धार्थ, जो आरू के ऐसे अचानक हग करने से शॉक में चला गया था, उसे आरू की बातें सुनकर होश आया तो उसने भी आरू को हग कर लिया। उसे हग करके सिद्धार्थ को ऐसा लग रहा था मानो उसे अपनी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सुकून मिल गया हो।


    कुछ देर के बाद आरू को ये एहसास हुआ कि उसने अभी-अभी क्या किया है, तो उसका चेहरा एकदम पूरा पलट गया। उसने उसे छोड़कर पीछे हटकर इधर-उधर देखते हुए अटक-अटक कर कहा – "वो... मैं कुछ ज़्यादा ही खुश हो गई थी। आई एम सो... सॉरी।"


    सिद्धार्थ आरू की ये हालत देखकर हँसी आ रही थी, पर उसने ये बात आरू को पता नहीं चलने दी। फिर नॉर्मल तरीके से उससे कहा – "कोई बात नहीं, इट्स ओके। वैसे टाइम काफी हो गया है, आप घर नहीं जाएँगी?"


    तो आरू ने कहा – "हाँ, मैंने कैब बुक की है, वो बस आती ही होगी।" उसने इतना ही कहा था कि उसकी कैब आ गई। तो उसने कहा – "तो मैं चलती हूँ, और एक बार फिर से Thank you very very much।"

    इतना कहकर वो चली गई। उसके जाने के बाद सिद्धार्थ भी वहाँ से चला गया।

  • 10. My Dangerous lady - Chapter 10(Shadi ki baat )

    Words: 1342

    Estimated Reading Time: 9 min

    आरू की कैब एक बड़े से घर के सामने रुक गई। आरू अंदर चली गई। घर पूरी तरह से मॉडर्न स्टाइल में बना हुआ था। चारों तरफ़ एक गार्डन भी था, जिसमें एक स्विमिंग पूल था और दूसरी तरफ़ सबके बैठने के लिए जगह बनी हुई थी।

    आरू को देखकर सिक्योरिटी गार्ड ने तुरंत गेट खोल दिया। आरू ने अंदर आकर बड़े ही प्यार से कहा, "और अंकल, कैसे हैं आप? सब बढ़िया?" गार्ड अंकल ने भी मुस्कराते हुए कहा, "हम तो एकदम ठीक हैं। वैसे बेटियाँ, इस बार आप बहुत समय बाद यहां आईं।" आरू ने कहा, "वो क्या है न कि हमारे एग्ज़ाम चल रहे थे, इसलिए हम नहीं आ पाए। पर अब कुछ दिन यहीं रहेंगे।"

    फिर आरू घर के अंदर गई और सीधे किचन की तरफ़ चली गई। वहाँ पर एक औरत, जिसने हल्की गुलाबी सिल्क की साड़ी पहनी हुई थी, जो देखने में बहुत सुंदर थी और उनके बाल बिल्कुल आरू की तरह थे, कुछ बना रही थी।

    आरू ने उनके पीछे जाकर उन्हें पीछे से ही गले लगा लिया। उसके ऐसा करते ही उस औरत के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गई और उन्होंने कहा, "आ गई मेरी लाडो।" आरू ने उनसे अलग होकर कहा, "मम्मा, आपको हमेशा कैसे पता चल जाता है कि ये मैं ही हूँ?" आराध्या जी, यानी आरू की माँ, बोलीं, "अपने बच्चे के बारे में एक माँ को हमेशा पता चल जाता है और तेरे अलावा और कौन इसे कम करता है इस घर में?"

    आरू किचन की स्लैब पर बैठकर बोली, "हाँ, वो तो है।" (बहुत ही मासूम चेहरा बनाकर) "मम्मा, बहुत तेज भूख लग रही है। पेट में चूहे कबड्डी, खो-खो सब खेल रहे हैं।"

    उसकी बात सुनकर आराध्या जी ने हँसते हुए कहा, "हाँ हाँ, हमें पता है कि मेरी लाडो सबसे पहले आकर खाना ही मांगेगी। इसलिए हमने आपकी मनपसंद छोले की सब्जी बनाई है और साथ में गाजर का हलवा भी।"

    ये सुनकर आरू खुशी से चहकते हुए बोली, "सच्ची? गाजर का हलवा? यू अरे! बेस्ट मम्मा! आई लव यू!" आराध्या जी ने कहा, "बस बस, बहुत हो गई माखनबाजी। अब जाकर जल्दी से फ्रेश होकर आओ।" आरू ने भी हाँ में सर हिलाकर ऊपर अपने कमरे की तरफ़ चली गई।

    कुछ देर बाद जब वो फ्रेश होकर नीचे आई, तो उसने देखा कि अनामिका टेबल पर बैठी हुई थी। वो भी उसके पास आकर बैठ गई। तभी अनामिका ने कहा, "माँसी, जल्दी हलवा दीजिए। अब इतनी अच्छी खुशबू आ रही है।" आरू ने तुरंत कहा, "हाँ, मम्मा।"

    उसी समय एक हैंडसम सा लड़का सीढ़ियों से नीचे आते हुए बोला, "माँ, जल्दी खाना दे दो इनको। वरना दोनों भूक्कड़ कहीं प्लेट खाना ही न स्टार्ट कर दें।" फिर वो भी उनके पास आकर बैठ गया। उसने देखा कि दोनों उसे ही घूर रही हैं। ये देखकर उसने कहा, "मुझे क्यों घूर रही हो? कुछ गलत कहा मैंने? वैसे थोड़ा कम खाया करो, मोटियाँ। ज़्यादा मोटी हो गईं तो दोनों के लिए लड़का कहाँ से लाएँगे?"

    ये सुनकर आरू भड़कते हुए बोली, "भाई, अगर आपने दुबारा मोटी कहा न, तो सोच लेना। हमारा तो पता नहीं, पर हाँ आपकी ज़रूर उस दिया से शादी करा दूँगी।"

    दिया का नाम सुनते ही वीर ने मुँह बनाकर कहा, "कितनी बार कहा है कि उस छिपकली का नाम मेरे सामने मत लिया करो।"

    अनामिका ने भी कहा, "हाँ, तो हमने भी कहा है ना कि हमें मोटी मत कहा करो।" फिर कोई कुछ कहता, कि आराध्या जी ने उनको शांत करते हुए कहा, "बस बस, अब तुम लोग लड़ना बंद करो और तू वीर, क्यों मेरी बच्चियों को परेशान करता रहता है?"

    वीर ने शिकायत करते हुए कहा, "माँ, हमेशा मैं परेशान करता हूँ आपकी बच्चियों को। जैसे आपकी बच्चियाँ तो बड़ी सीधी हैं। ये तो कुछ करती ही नहीं हैं।"

    जिस पर दोनों ने बड़ा मासूम सा चेहरा बनाकर कहा, "और नहीं तो क्या? हम तो सीधी ही हैं।" वीर ने उन्हें ऐसे देखा जैसे बोल रहा हो, "सीधी वो भी तुम दोनों? ये चमत्कार कब हुआ?"

    तभी आरू, जो मज़े से अपना हलवा खा रही थी, बोली, "हाँ भाई, ये चमत्कार जब हम पैदा हुए थे, तभी हुआ था। और अब न भाई, आप हमें कुछ नहीं बोल सकते। अब मैं डॉक्टर बन गई हूँ।"

    अनामिका ने भी उसका साथ देते हुए कहा, "हाँ, और माँसी, आपको पता है हमारी आरू ने पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप किया है।"

    जिस पर वीर ने कहा, "ये कितनी भी बड़ी डॉक्टर बन जाए, मेरे लिए तो ये हमेशा मेरी मोटी ही रहेगी।"

    उसी समय वहाँ पर आरू के पापा, राजीव जी आए, तो वो सभी एकदम शांत हो गए। वो अपनी हेड चेयर पर बैठ गए। तभी उन्होंने कहा, "आदित्या, कल तुम घर पर ही रहोगी। तुम्हें देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं।" (इस पर आरू कुछ बोलती, उससे पहले ही राजीव जी ने कहा) "अब तो तुमने अपनी पढ़ाई भी पूरी कर ली है, तो अब कोई बहाना नहीं चलेगा। ये मेरा आखिरी फैसला है।"

    ये सुनकर आरू बिना कुछ बोले उठकर अपने कमरे की तरफ़ चली गई। ये देखकर अनामिका भी उसके पीछे उसे आवाज़ देते हुए चली गई।

    वीर ने गुस्से से कहा, "क्या आप उसे दो पल खाना भी नहीं खाने दे सकते?" फिर वो भी गुस्से से चला गया। आराध्या जी ने दुखी होते हुए कहा, "इतने दिनों बाद वो घर आई थी। क्या आप उसे खाना भी नहीं खाने दे सकते? आपने उससे ये भी नहीं पूछा कि वो कैसी है, बस अपना फैसला सुना दिया।"

    राजीव जी ने गुस्से से कहा, "तुम ही लोगों ने उसे सर पर चढ़ा रखा है। अरे, इतनी बड़ी हो गई है, अब तक लड़कियों की शादी हो जानी चाहिए और वो है कि सुनती ही नहीं। हमेशा घर के बाहर रहती है, क्या करती होगी, किसे पता? इसलिए इससे पहले वो हाथ से निकल जाए, उसकी शादी होना ज़रूरी है।"

    ये सुनकर आराध्या जी बस दुखी होकर रह गईं। वो भी वहाँ से किचन में चली गईं।

  • 11. My Dangerous lady - Chapter 11( tera US ka ticket mai katungi )

    Words: 2091

    Estimated Reading Time: 13 min

    अगली सुबह आरू उदास सी अपने कमरे में बैठी थी। अनामिका उसे देख रही थी। तभी आराध्या जी कमरे में आईं और आरू को ऐसे बैठा देखकर बोलीं, "लाडो, आप अभी तक ऐसे बैठी हो? आप तैयार क्यों नहीं हुई? लड़के वाले आते होंगे।"

    आरू ने आराध्या जी के हाथों को पकड़ते हुए कहा, "माँ, मुझे यह शादी नहीं करनी। मुझे किसी भी लड़के से नहीं मिलना। आप प्लीज़ पापा से बोलो ना, मुझे यह शादी नहीं करनी।"

    उसकी बात सुनकर आराध्या जी ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "बेटा, मैं क्या कर सकती हूँ? तू भी यह अच्छे से जानती है कि तेरे पापा ने अगर एक बार फैसला कर लिया तो वह किसी की नहीं सुनते। और फिर तू तो कितने समय से उनकी बातों और शादी को टाल रही है। अब वह किसी भी कीमत पर तेरी शादी करवाकर ही दम लेंगे।" फिर उसे समझाते हुए कहा, "देखो, हम अब इस सब को रोक नहीं सकते। और फिर शादी तो हर किसी को एक न एक दिन करनी ही होती है। तो आप एक बार लड़के से मिल तो लीजिए, शायद आपको वह लड़का पसंद आ जाए। हमने सुना है कि वह यू.एस.ए. में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और आपके पापा के कॉलेज के प्रिंसिपल का बेटा है।"

    इतना बोलकर वह अनामिका से बोलीं, "अनु बेटा, आप लाडो को तैयार होने में हेल्प कर दीजिए।" फिर वह वहाँ से चली गईं।

    उनके जाने के बाद अनामिका ने कहा, "आरू, यह प्रिंसिपल का बेटा यानी वही है ना, हर्ष, जो मौसी-मौसा जी की एनिवर्सरी की पार्टी में तुझे ही देखे जा रहा था।"

    "मुझे नहीं याद," आरू ने कहा, "और तू जानती है कि मुझे शादी नहीं करनी। पर अब तो मम्मा भी बोल रही है।"

    अनामिका ने उसे समझाते हुए कहा, "देख आरू, तू एक बार उसे मिल ले। अगर तुझे अच्छा लगे तो ठीक है, नहीं तो तू मना कर देना।"

    तभी उसके फ़ोन से प्रिया ने, जो इतनी देर से सबकी बातें सुन रही थी, कहा, "नहीं तो हर लड़के की तरह इसको भी भगा देंगी।"

    उसकी बात मानकर आरू ने कहा, "ठीक है, तुम लोग बोलते हो तो एक बार मिल लेती हूँ। आगे पसंद नहीं आया तो पक्का उसे भगा दूँगी मैं।" इस पर अनामिका और प्रिया दोनों ने "ओके" कहा। फिर तीनों हँसने लगीं।

    कुछ समय बाद, नीचे एक कार आकर रुकी। राजीव जी ने उन लोगों का वेलकम किया और उन्हें अंदर बुलाया। आराध्या जी ने अनामिका को आरू को बुलाने के लिए कहा। अनामिका ने कमरे में आकर आरू को बुलाया। उसने आरू को देखा तो सीटी बजाते हुए कहा, "ओ माय गॉड! आज तो तू पूरी की पूरी इंडियन सूट में पटाका नहीं नहीं बॉम्ब लग रही है! अब तो वह लड़का तुझे देखते ही घायल हो जाएगा।"

    (आरू ने लाइट ब्लू कलर का डिज़ाइनर सूट और उसके साथ व्हाइट प्लाजो पहना था, और व्हाइट दुपट्टे को एक साइड डाल रखा था। उसने कोई ज़्यादा मेकअप नहीं किया, बस आँखों में काजल और हल्की सी पिंक लिपस्टिक लगाई थी और अपने बालों को ऐसे ही खुला छोड़ दिया था। सच में कुल मिलाकर वह आज फुल इंडियन ब्यूटी लग रही थी।)

    वह दोनों नीचे पहुँचीं तो आराध्या जी ने आरू को लड़के वाले के सामने बिठा दिया। आरू को यह सब बहुत ही बोरिंग लग रहा था। वह लड़का, यानी हर्ष, तो बस एकटक आरू को देखे जा रहा था, लेकिन हमारी आरू ने एक बार भी उसे देखने के लिए अपनी पलकें उठाने की जहमत भी नहीं की।

    जब हर्ष की माँ ने उसे और हर्ष को अकेले में बात करने के लिए भेजा, तब जाकर आरू ने उसे देखा। तो उसे वह कोई खास पसंद नहीं आया। वह देखने में उसे ओके-ओके लगा। वह दोनों लोग गार्डन में गए। वहाँ पर बस हर्ष ही बातें करे जा रहा था। तब अंत में आरू ने इरिटेट होकर अपने तेवर दिखाते हुए कहा, "बस यार! इतनी तो मैं या मेरी दोस्त भी बक-बक नहीं करती जितनी तुमने मुझे एक घंटे में पका दिया।"

    उसकी ऐसी बात सुनकर तो हर्ष पहले हैरान हो गया। फिर उसने कहा, "ओ सॉरी, मुझे नहीं लगा कि आपको इतना बुरा लगेगा। वैसे एक बात पूछूँ," (फिर बिना आरू के बोले ही पूछा) "क्या आपका कोई बॉयफ्रेंड है या था? क्योंकि आजकल तो हर लड़की के होते ही हैं, आपके भी होंगे, लेकिन आपको घबराने की ज़रूरत नहीं है। मैं एकदम ओपन माइंड का इंसान हूँ, तो आप बस बताइए, लेकिन शादी के बाद कोई नहीं चलेगा और फिर शादी के बाद तो हम दोनों यू.एस.ए. में ही रहेंगे।"

    यह सब सुनकर अब तो आरू का दिमाग खराब हो गया था। उसने गुस्से से कहा, "बॉयफ्रेंड? हाँ, है। ना वो भी एक नहीं, दो नहीं, पूरे चार बॉयफ्रेंड थे मेरे, और अभी भी एक है।"

    यह सुनकर हर्ष ने हँसते हुए कहा, "अरे! कोई बात नहीं। मेरे भी तो तीन गर्लफ्रेंड थीं और एक अभी भी है, और यू.एस. में तो यह सब नॉर्मल है। अब तो हमारी जोड़ी खूब जमेगी।"

    अब तो अनामिका ने भी आरू के कान में लगे ब्लूटूथ से कहा, "यार अब तो हद हो गई है! कहाँ यह और कहाँ मेरी बहन! अब तो तू इसे दिखा ही दी कि आखिर आरू है क्या चीज़।"

    तो आरू ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा, "हाँ, अब तो इसकी अक्ल ठिकाने लगाने ही पड़ेंगे। यह मुझे अपने साथ यू.एस. ले जाएगा ना? इसे तो मैं यू.एस. पहुँचाती हूँ।"

    हर्ष जो अपने दाँत दिखाते हुए हँस रहा था, वह आगे कुछ बोलता उससे पहले ही आरू ने उससे कहा, "चुप! एकदम चुप! अब अगर तुमने अपने ये दाँत दिखाए ना तो पूरे 32 के 32 दाँत तोड़ दूँगी। जब से आए हो बस बक-बक किए जा रहे हो! और क्या कहा था तुमने कि हमारी जोड़ी खूब जमेगी? अरे! पहले अपनी सूरत देखकर आ आईने में! पूरे के पूरे चिम्पैंज़ी की सूरत है और आए बड़े मेरे साथ जोड़ी बनाने!"

    आरू का यह रूप देखकर तो हर्ष की हालत खराब हो गई थी। तभी आरू ने उसका कॉलर पकड़ा और कहा, "कान खोलकर सुन लो! अगर पाँच मिनट के अंदर तुम और तुम्हारी फैमिली मुझे यहाँ पर दिखाई नहीं देनी चाहिए। एक बात और, अगर तुमने वहाँ सबके सामने कुछ बोला ना तो मैं तुम्हारा बख्शा सबके सामने बना दूँगी।"

    आरू ने जैसे ही उसका कॉलर छोड़ा, वह वहाँ से ऐसे भाग गया जैसे अगर नहीं गया तो वह काम से गया। अंदर पहुँचकर आरू पहले की तरह बेहव करने लगी। तभी हर्ष की माँ ने पूछा, "क्या हुआ हर्ष? तुम इतने डरे हुए से क्यों लग रहे हो? कुछ हुआ है क्या?" उनकी बात सुनकर आरू ने कुछ नहीं कहा और बस हल्के से अपनी पलकें झुका लीं। तो उन्हें लगा कि लड़की शर्मा रही है। (अब इन्हें क्या पता हमारी आरू शर्माने वाली नहीं बल्कि सबकी बैंड बजाने वाली है।) लेकिन हर्ष कुछ बोलता उससे पहले ही आरू ने उसे घूर कर देखा तो विचारे की हवा टाइट हो गई। उसने तुरंत कहा, "वो मॉम, मुझे यू.एस. से कॉल आया है। मुझे वापस जाना होगा, तो अभी-अभी चलिए, मुझे अपनी पैकिंग करनी है।" इतना बोलकर वह वहाँ से अपनी फैमिली को इतनी जल्दी ले गया कि अगर नहीं गया तो आरू उसका टिकट ही काट देती।

    दूसरी तरफ, S.T. कंपनी में एक बड़े से मीटिंग रूम में मीटिंग चल रही थी। मीटिंग खत्म होते ही सिद्धार्थ ने दूसरी पार्टी से कहा, "तो यह डील फ़ाइनल होती है। अब से दुबई वाला प्रोजेक्ट हमारा हुआ।"

    फिर उन लोगों से हाथ मिलाने के बाद वह मीटिंग रूम से बाहर निकल गया और टॉप फ्लोर पर अपने केबिन में चला गया। वहाँ पहुँचकर शिव उससे उसी प्रोजेक्ट से रिलेटेड कुछ बात करने लगा। तभी अभि ने कहा, "बॉस, एक इम्पोर्टेन्ट न्यूज़ है।" उसके "इम्पोर्टेन्ट" बोलने पर शिव और देव उसे देखने लगे। लेकिन सिद्धार्थ अपनी फ़ाइल में देखते हुए ही बोला, "किससे रिलेटेड?" तो अभि ने जवाब दिया, "भाभी से रिलेटेड।"

    यह सुनकर कि बात आरू की है, तो सिद्धार्थ ने अपनी फ़ाइल को साइड में रखा और उसकी तरफ़ देखते हुए उससे पूछा, "आरू की क्या इम्पोर्टेन्ट न्यूज़ है?"

    उसके पूछने पर अभि ने बताया कि, "आज भाभी को देखने लड़के वाले आए थे क्योंकि उनके पापा चाहते हैं कि अब उन्होंने अपनी एजुकेशन कम्प्लीट कर ली है तो अब बस उनकी जल्द से जल्द शादी हो जाए। इसके लिए वह उन्हें हाथ धोकर पीछे पड़ गए हैं जबकि भाभी अभी शादी बिलकुल नहीं करना चाहती। लेकिन उनके पापा अब उन पर शादी के लिए प्रेशर बना रहे हैं।"

    यह सुनकर तो उस प्यार के केबिन का तापमान नीचे गिर गया, जो वहाँ पर हर कोई फील कर सकता था। सिद्धार्थ ने अपनी कोल्ड आवाज़ में पूछा, "तुमने मुझे यह पहले क्यों नहीं बताया?" यह सुनकर अभि ने घबराते हुए कहा, "वो आप उस टाइम मीटिंग में बिज़ी थे और आपको तो बीच में कोई डिस्टर्ब करे पसंद नहीं है।"

    सिद्धार्थ ने अभि को घूरते हुए खड़े होकर कहा, "हाँ, लेकिन आज के बाद आरू से रिलेटेड न्यूज़ मुझे सबसे पहले पता होनी चाहिए। मेरे लिए उससे इम्पोर्टेन्ट कुछ भी नहीं है। गॉट इट?"

    तो अभि ने अपना सर हाँ में हिला दिया क्योंकि अब उसमें बोलने की हिम्मत नहीं थी। सिद्धार्थ ने जाते हुए कहा, "देव, कार निकालो जाने के लिए।" फिर सिद्धार्थ और देव वहाँ से चले गए तो फिर शिव और अभि क्या करते? वह भी उसके पीछे-पीछे ही चले गए।

    हर्ष अपनी फैमिली के साथ जा ही रहा था कि उसकी कार के सामने कुछ कार आ गई और उन्हें रोक दिया। एक कार में से देव और अभि बाहर आए और उनमें से हर्ष को बाहर आने के लिए कहा। तो उसके पापा ने जब पूछा क्यों? तो देव ने जवाब दिया, "अब आपके बेटे ने किंग की क्वीन को लेने की कोशिश की है तो अब इन्हें किंग से मिलना तो पड़ेगा ही।" इतना बोलकर वह हर्ष को बाहर निकालकर ले गए और उसे सिद्धार्थ, जो सच में किसी किंग की तरह कार के बोनट पर बैठा था, ने अपने सनग्लासेस निकालकर हर्ष को अपनी ठंडी नज़रों से देखते हुए कहा, "तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी जान के लिए शादी का रिश्ता ले जाने की?"

    उसकी आवाज़ सुनकर तो हर्ष अंदर तक डर गया और वहाँ पर कड़े बॉडीगार्ड भी। लेकिन अभि, शिव और देव के लिए तो अब आदत हो गई थी इन सब की।

  • 12. My Dangerous lady - Chapter 12( आरू की नफरत)

    Words: 1696

    Estimated Reading Time: 11 min

    आरू को देखने के लिए लड़के वाले आए थे, पर आरू शादी बिलकुल नहीं करना चाहती थी। लेकिन फिर आराध्या जी के समझाने पर, और इस शर्त पर, वह लड़के से मिलने के लिए तैयार हुई कि अगर उसे लड़का पसंद नहीं आया तो वह यह शादी बिलकुल नहीं करेगी।

    जब आरू हर्ष से अकेले में मिली, तो उसकी बातों से परेशान होकर उसने उसे अच्छा-खासा सुनाया और उसे अपनी फैमिली के साथ वापस जाने के लिए कहा। उसने यह भी कहा कि वह खुद बोलेगा कि उसे यह शादी नहीं करनी। हर्ष, आरू की धमकियों और उससे डरकर, वहाँ से अपनी फैमिली के साथ चला गया।

    जब सिद्धार्थ को यह खबर मिली कि अद्विका को देखने के लिए लड़के वाले आए थे और उसके पापा उसकी शादी के लिए उसके पीछे पड़ गए हैं, तो सिद्धार्थ को बहुत गुस्सा आया। उसने अभी को अद्विका को देखने आए लड़के के बारे में पता करने को कहा।

    हर्ष अपनी फैमिली के साथ जा रहा था कि तभी उसकी कार को कई कारों ने घेर लिया। अभी और देव आकर उसे सिद्धार्थ के सामने ले गए।

    अभी और देव हर्ष को ले जाकर सिद्धार्थ के सामने खड़ा कर देते हैं। सिद्धार्थ अपनी कार के बोनट पर बिलकुल किसी किंग की तरह बैठा था। उसने ब्लैक शर्ट और पैंट पहनी थी, अपना कोट उतार रखा था और अपनी शर्ट के दो बटन खुले रखे हुए थे। वह इस समय बहुत ही डैशिंग और हैंडसम लग रहा था; आगे कोई लड़की देख ले तो उसे अपना दिल दिए बिना न रह पाए।

    सिद्धार्थ ने पहले अपने सनग्लासेस उतारे और फिर हर्ष को ऊपर से नीचे देखा। फिर एक खतरनाक मुस्कान के साथ कहा, "मेरे ससुर जी को इस लंगूर में ऐसा क्या दिख गया जो मेरी जान की शादी इसके साथ करवाने चले थे?"

    उसकी बात पर शिव, अभी और देव हँसने लगे। वैसे, हँसी तो वहाँ पर खड़े बॉडीगार्ड्स को भी आ रही थी, पर किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि कोई हँस सके।

    हर्ष ने कन्फ़्यूज़ होकर पूछा, "शादी? पर किससे?" देव ने जवाब दिया, "अभी-अभी तुम जिस लड़की को देख कर आ रहे हो, उसकी बात हो रही है।"

    सिद्धार्थ नीचे उतरकर उसके पास गया और उससे अपने खतरनाक एक्सप्रेशन के साथ कहा, "अगर तुमने अद्विका से शादी के लिए हाँ बोला, तो तुम कभी कुछ बोलने के लायक नहीं बचोगे।"

    उसकी बात सुनकर हर्ष बहुत डर गया। उसने अपना सर हिलाते हुए कहा, "मैं सच में तो क्या सपने में भी मिस अद्विका से शादी के बारे में ना सोचूँ। पहले उन्होंने ही धमका के वहाँ से भगा दिया और अब आप लोग भी डरा रहे हैं। मुझे शादी नहीं करनी, मैं वापस यू.एस. चला जाऊँगा।"

    उसकी बात सुनकर देव ने क्यूरियस होकर पूछा, "मतलब क्या है कि भाभी ने तुम्हें धमकाया?" हर्ष ने बताया, "मैं तो बस उनसे बात कर रहा था, पर पता नहीं उन्हें क्या हुआ, उन्होंने मुझे बहुत सुनाया और कहा कि अगर मैं अपनी फैमिली के साथ वापस नहीं गया तो वो मेरा यू.एस. का टिकट काट देंगी, वो ऐसा कि मैं वापस भी न आ पाऊँ।"

    देव ने हँसते हुए कहा, "भाई, यहाँ तो भाभी भी खुद ये शादी करना नहीं चाहती, हमें तो कुछ करने की ज़रूरत भी नहीं।"

    फिर सिद्धार्थ ने उन लोगों को जाने देने के लिए कहा। उनके जाने के बाद वो लोग भी वापस चले गए।

    यह सिलसिला पूरे हफ्ते भर तक चलता रहा। जो भी लड़का आरू को देखने आता, वह उसे डरा-धमकाकर या किसी दूसरी तरह से भगा देती और जो नहीं मानता, उसे सिद्धार्थ अच्छे से समझा देता।

    आरू के रूम में, आरू अपने बेड पर बैठी थी और उसके दोनों साइड प्रिया और अनामिका। आरू ने परेशान होकर कहा, "देखो, मैं अब यह और नहीं रहूँगी। हम वापस अपने फ़्लैट पर चलते हैं, वरना मेरे पिता श्री मेरी शादी करवाए बिना नहीं मानने वाले और इस रोज़-रोज़ के ड्रामा से मैं तंग आ गई हूँ। अब तो पापा भी बहुत गुस्से में हैं, इसलिए मुझे यहाँ रुकना सही नहीं लग रहा और दो दिन के बाद हम हॉस्पिटल भी ज्वाइन करना है।"

    तो अनामिका और प्रिया भी मान गए। वे अपना सामान लेकर नीचे चले गए। वे लोग नीचे पहुँचकर जब सोफ़े पर बैठे इंसान को देखते हैं, तो अद्विका बोली, "ये त्रिपाठी यहाँ क्या कर रहा है? अगर ये यहाँ आया है, मतलब ये ज़रूर मेरे लिए कोई नया रिश्ता लेकर आया होगा। पता नहीं ये मेरे पीछे क्यों पड़ा है, ये आज भी पापा का ब्रेनवाश करके जाएगा।"

    "(ये हैं शुभ त्रिपाठी। सिर्फ़ नाम ही शुभ है, पर है नहीं। इनका काम है लोगों की शादी के लड्डू खिलाना और उसके बदले अपनी कमीशन लेना। पर पता नहीं ये क्यों हमारी आरू के पीछे ही पड़ गए हैं। जब भी आते हैं, हर बार राजीव जी का ब्रेनवाश कर देते हैं और आरू के लिए नए-नए शादी के रिश्ते ले आते हैं।)"

    प्रिया ने कहा, "इस त्रिपाठी की तो हड्डियों का ऑपरेशन मैं किसी दिन ज़रूर करूँगी। जब देखो तब आरू के पीछे पड़ा रहता है और रिश्ते लाता भी कैसे है—लंदन रिटर्न, एनआरआई! पता नहीं इसे हमसे हमारी दोस्त को क्यों इतनी दूर देखना है।"

    तो अनामिका ने कहा, "हाँ, पिछली बार तो ये मेरी शादी के लिए भी बोलने लगा था। वो तो अच्छा है कि मेरे मॉम-डैड यहाँ नहीं हैं।"

    तभी आरू ने कहा, "बाद में इसको कोसना, अभी वापस रूम में चलो। अगर इसने देखा तो अच्छा नहीं होगा।" तो उसकी बात मानकर वे तीनों वापस जाने लगीं। आरू सबसे पीछे थी। वह जाती, उससे पहले ही उसे पीछे से आवाज़ आई, "आरू बेटा, आप कहाँ जा रही हैं? ज़रा इधर तो आइए।"

    यह सुनकर आरू ने अपनी आँखें बंद कर लीं और कहा, "गई भैंस पानी में।" वह पीछे मुड़ी और नकली मुस्कान के साथ बोली, "हाँ, त्रिपाठी अंकल, बताइए।"

    अब आरू को मजबूरी में नीचे उन लोगों के पास जाना पड़ा। उसके आने के बाद त्रिपाठी ने कहा, "मैंने सुना कि पिछले हफ्ते से जितने भी मैंने शादी के लिए रिश्ते भेजे, आपने उन सभी को मना कर दिया (राजीव जी से)। अगर आपकी बेटी ऐसे ही मना करती रहेगी तो उसे लंदन रिटर्न तो छोड़ो, दिल्ली रिटर्न भी नहीं मिलेगा।"

    यह सुनकर आरू का मन हो रहा था कि वह अपने पास रखी प्लेट उठाकर त्रिपाठी के सर पर मारे और बोले कि मुझे नहीं चाहिए तेरा कोई लंदन या अमेरिका रिटर्न। लेकिन वह अभी कुछ नहीं कर सकती थी, सिवाय उसे घूरने के।

    कुछ देर के बाद त्रिपाठी वहाँ से हर बार की तरह अपने यहाँ के बने लड्डू देकर चला गया। आरू वापस अपने रूम में जाने लगी तो राजीव जी ने उसे रोककर कहा, "अद्विका, अब बहुत हो गया है तुम्हारा ड्रामा। अब अगला जो भी रिश्ता आएगा, तुम उसके लिए कुछ नहीं बोलोगी। मैं भी बाप हूँ तुम्हारा, तुम्हारे लिए कोई खराब लड़का नहीं चुनूँगा।"

    अब आरू से नहीं रहा गया तो उसने कहा, "हाँ, जैसे आपको तो उस लड़के के बारे में सब कुछ पता होगा ना? आपका क्या है? आप तो बस शादी करा देंगे, फिर मेरा क्या? ना उस लड़के को जानती होंगी, ना कुछ। फिर अगर वो लड़का भी आपकी तरह निकला तो मेरी भी लाइफ मम्मी की तरह बर्बाद हो जाएगी। फिर बस वैसे ही लड़ाई-झगड़े होंगे जैसे आपके होते हैं। लेकिन इतना बता दूँ, मैं मम्मी की तरह सब कुछ सहने वाली नहीं हूँ। जैसे पूरी लाइफ वो आपको सहती आ रही है। नफ़रत है मुझे शादी से, सिर्फ़ नफ़रत।"

    लेकिन राजीव जी से यह सब सहन नहीं हुआ तो उन्होंने अद्विका पर हाथ उठा दिया। तो अद्विका ने अपनी आँखें बंद कर लीं, पर राजीव जी ने अपना हाथ हवा में ही रोक दिया। तो आरू ने मुस्कुराकर कहा, "क्या हुआ? रुक क्यों गए आप? मारिए, क्यों सच बर्दाश्त नहीं हुआ ना?"

    यह सब सुनकर आराध्या जी की आँखों में आँसू आ गए, क्योंकि यह सब सच ही तो था। राजीव जी ने चिल्लाकर कहा, "अद्विका, तुम कुछ ज़्यादा ही बोलने लगी हो। बाहर रह-रहकर बिगड़ गई हो। अभी के अभी अपने कमरे में जाओ।"

    तो अद्विका ने दुख भरी मुस्कान के साथ कहा, "उसकी कोई ज़रूरत नहीं है पापा, मैं वैसे भी अपने फ़्लैट पर ही जा रही थी, तो मैं चलती हूँ।" इतना बोलकर आरू ने अपना बैग लिया और फिर एक बार आराध्या जी के गले लगकर कहा, "माँ, अपना ख्याल रखना और दवाइयाँ टाइम पर लेना। मैं अभी चलती हूँ, कोई बात हो तो मुझे ज़रूर बताना।"

    फिर अद्विका वहाँ से बाहर चली गई तो अनामिका और प्रिया भी उसके पीछे चले गए।

  • 13. My Dangerous lady - Chapter 13( Thakur Family)

    Words: 1623

    Estimated Reading Time: 10 min

    रात के समय, बहुत सारी चमचमाती गाड़ियों का काफिला एक बहुत बड़े घर, जो बिल्कुल किसी हवेली की तरह लग रहा था, के सामने पहुँचा। घर के चारों तरफ एक बड़ा-सा बाग़ था जिसमें कई अलग-अलग तरह के सुंदर फूल खिले हुए थे। गेट के अंदर जाते ही एक गणेश जी की मूर्ति और बीच में एक फाउंटेन ⛲ दिखाई दिया। उसके मुख्य द्वार पर एक बड़ी सी नेम प्लेट लगी थी जिस पर सुनहरे शब्दों में लिखा था ‘ठाकुर भवन’।

    गाड़ियों को देखते ही वहाँ खड़े बॉडीगार्ड्स ने तुरंत गेट खोल दिया। सभी गाड़ियाँ अंदर आ गईं। सबसे आगे वाली कार से एक व्यक्ति निकला और बीच वाली कार, जो सबसे अलग लग रही थी, का गेट खोला। उसमें से एक बहुत ही हैंडसम इंसान निकला। उसने अपने गॉगल्स उतारे तो उसकी नीली आँखें उस घर को देखने लगीं। यह कोई और नहीं, हमारे हीरो सिद्धार्थ ठाकुर थे।

    सिद्धार्थ के साथ अभी, देव और शिव भी थे। वे लोग अंदर गए और देखा तो सभी लोग सोफे पर बैठे थे। जब सबने सिद्धार्थ को देखा तो सबकी आँखें खुशी से चमक उठीं।

    यह ठाकुर परिवार है। चलिए, हम आपको ठाकुर परिवार से मिलवाते हैं।

    सबसे पहले मिलते हैं सिद्धार्थ के दादा-दादी से। रणविजय ठाकुर, ठाकुर परिवार के सबसे बड़े सदस्य और रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर थे। वे शांत और आर्मी ऑफिसर होने के कारण अनुशासित इंसान थे। उनकी पत्नी मीरा जी एक धार्मिक और भगवान पर बहुत विश्वास रखने वाली महिला थीं। उन्हें अपने संस्कारों और रीति-रिवाजों से बहुत प्यार था। अब उनकी यही इच्छा थी कि उनके बड़े पोते, यानी सिद्धार्थ, जल्दी शादी कर लें और उनकी बहू आकर उनका ख्याल रखे।

    करण और मधु ठाकुर, सिद्धार्थ के चाचा-चाची और अभी के माता-पिता थे। इन दोनों की लव मैरिज हुई थी और ये दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। करण जी का अपना होटल्स का बिज़नेस था। वे एक खुशमिजाज इंसान थे और मधु जी अपने समय की एक मशहूर क्लासिकल डांसर थीं। लेकिन उन्हें अपने परिवार के साथ रहना और उनका ख्याल रखना ज़्यादा पसंद था। इसीलिए घर में किसी को पता हो या न हो, पर उन्हें सब कुछ पता होता था।

    सिमरन ठाकुर, यानी सिम्मी, घर की इकलौती बेटी और अभी की छोटी बहन थी। वह एक आर्टिस्ट थी। सिम्मी और देव की उम्र में बस एक साल का अंतर था, इसलिए इन दोनों की बहुत बनती थी और दोनों मिलकर शरारतें करते थे। पर जब दोनों आपस में ही लड़ते थे, तो पूरे घर को अपने सर पर उठा लेते थे। वह सबसे छोटी थी, इसलिए सभी उसे बहुत प्यार करते थे।

    नंदनी ठाकुर, सिद्धार्थ की बुआ थीं, जिन्हें रणविजय और मीरा जी ने गोद लिया था। पर उन्होंने बड़े होकर रणविजय जी की बात न मानकर अपने बॉयफ्रेंड से शादी कर ली थी। फिर उनके पति की मौत के बाद वे अपनी बेटी के साथ वापस यहाँ आ गईं और रो-धोकर यहाँ अपना डेरा जमा लिया। वे सिद्धार्थ को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थीं, करती थीं तो सिर्फ़ उसकी दौलत से, क्योंकि वे बहुत लालची थीं।

    नताशा, नंदनी जी की बेटी थी। एकदम पूरी मेकअप की दुकान, हमेशा अपने दोस्तों के साथ पार्टी में बिजी रहती थी और अपनी माँ की तरह चालक और लालची थी। पर जब से बड़ी हुई थी, बस यही चाहती थी कि उसकी शादी सिद्धार्थ से हो जाए ताकि उसकी दौलत उसे मिले।

    संजय ठाकुर, ठाकुर कंपनी को संभालते थे। सिद्धार्थ और देव उनके पिता थे, पर ये दोनों उन्हें पसंद नहीं करते थे क्योंकि वे मानते थे कि उनकी माँ रंजना जी की मौत के वे जिम्मेदार हैं।

    असल में हुआ यह था कि रणविजय जी ने संजय जी की शादी रंजना जी से करा दी थी, पर संजय जी उनसे नहीं, बल्कि किसी और से प्यार करते थे। पहले तो संजय जी अपने बच्चों से बहुत प्यार करते थे, पर जब सिद्धार्थ 5 साल का और देव 1 साल का था, तब रंजना जी और संजय जी में बहुत लड़ाई होने लगी, जिसके कारण रंजना जी हमेशा परेशान और डिप्रैस्ड रहने लगीं। फिर एक दिन उन्हें रात में हार्ट अटैक आने से उनकी मौत हो गई।

    फिर कुछ ही महीनों बाद संजय जी ने अपने पहले प्यार दामिनी जी से शादी कर ली और वह उस समय प्रेग्नेंट भी थीं। इसीलिए मजबूरन मीरा जी ने उन्हें अपना लिया।

    दामिनी जी वैसे तो सबके साथ बहुत अच्छे से रहती थीं और सबका ख्याल रखती थीं, पर वे असल में सिद्धार्थ और देव को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थीं। वे चाहती थीं कि ठाकुर परिवार का प्यार, नाम सब उनके बेटे क्रिश को मिले। इस समय क्रिश अपनी पढ़ाई के लिए यूएस गया हुआ था।


    सिद्धार्थ ने अंदर आकर सबसे पहले अपने दादा-दादी के पैर छुए। दादा जी ने हल्का नाराज़ होते हुए कहा, "ओह, आपको आखिर समय मिल ही गया अपनी फैमिली से मिलने का। आपको दुबई से आए हुए तो एक हफ़्ता हो चुका है, पर आप घर आज आए हैं।"

    "ऐसी बात नहीं है दादा जी, मैं कुछ ज़रूरी काम में बिजी था।" सिद्धार्थ ने कहा।

    यह सुनकर दादी माँ ने तुरंत कहा, "तभी तो मैं कहती हूँ कि इसकी शादी हो जाए, तो कम से कम हमारी बहू ही इसे खींच कर हमसे मिलने ले आएगी।"

    देव अपनी दादी के पास बैठते हुए बोला, "अरे! दादी माँ आप चिंता मत करो, भाभी भी जल्दी आ जाएँगी। अब बस भाभी..." उसने जब सिद्धार्थ को अपनी तरफ़ घूरते हुए देखा तो वह तुरंत चुप हो गया। उसने शिव और अभी की तरफ़ देखा तो दोनों उसे शांत रहने का इशारा कर रहे थे।

    देव को शांत होते देख दादी ने तुरंत पूछा, "भाभी भाभी क्या? आगे बताओ।"

    तो देव, सिद्धार्थ की नज़रों से डरकर अपनी बात घुमाते हुए बोला, "वो दादी, मैं बोल रहा था कि भाभी तो आ ही जाएँगी, बस भाई को कोई पसंद आना चाहिए।"

    यह सुनकर जो सभी ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे, सब निराश हो गए। सिम्मी ने कहा, "अरे! उसके लिए पहले सिद्धार्थ भाई को कोई लड़की पसंद भी आनी चाहिए और वह आएगी भी या नहीं, भगवान ही जाने।"

    लेकिन इस समय अभी और देव दोनों सोच रहे थे कि लड़की पसंद क्या, लड़की से प्यार तक हो गया है और शादी करने की सोच भी ली है।

    तभी वहाँ पर मधु जी आकर बोलीं, "अच्छा, आप सबकी बातें हो गई हों तो सब चलकर डिनर कर लीजिए।"

    "छोटी माँ, मैं फ़्रेश होकर आता हूँ।" सिद्धार्थ ने कहा और वह वहाँ से सेकंड फ़्लोर पर चला गया।

    क्योंकि सभी बड़ों का रूम फ़र्स्ट फ़्लोर पर था और सभी बच्चों का सेकंड पर, जिसमें लेफ़्ट साइड पर सिर्फ़ सिद्धार्थ का ही रूम था और वहाँ पर सभी का जाना मना था, सिर्फ़ उसके भाइयों के अलावा।

    सिद्धार्थ के जाने के बाद देव ने अपनी चमकती हुई आँखों के साथ मधु जी से पूछा, "छोटी माँ, खाने में आपने क्या बनाया है?" मधु जी ने मुस्कुराकर कहा, "हमें पता है कि आपको क्या चाहिए, आपकी मनपसंद चोले की सब्जी बनी है।"

    (बचपन से रंजना जी के जाने के बाद मधु जी ने ही सिद्धार्थ और देव का ख्याल रखा, इसलिए वे दोनों उन्हें छोटी माँ ही बोलते थे।)

  • 14. My Dangerous lady - Chapter 14( Vo aurat meri maa nahi hai )

    Words: 1280

    Estimated Reading Time: 8 min

    सिद्धार्थ फ्रेश होकर नीचे आया तो सभी अपनी-अपनी जगह पर, डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। सिद्धार्थ भी अपनी जगह पर आकर बैठ गया। लेकिन जब उसकी नज़र रणविजय जी के बायीं ओर बैठे संजय जी और दामिनी जी पर पड़ी, तो जो अभी तक उसका मूड ठीक था, वह खराब हो गया। फिर वह उन पर बिना ध्यान दिए अपना खाना खाने लगा। तभी दामिनी जी ने बड़े प्यार से कहा—

    "सिद्धार्थ बेटा, तुम आ गए और एक बार भी हमसे या अपने पापा से नहीं मिले।"

    तो सिद्धार्थ ने बिना किसी भाव के कहा—

    "वो क्या है ना मिसेज़ ठाकुर, अगर किसी को मुझसे मिलना होता तो वो खुद भी मिल सकता था। अब ऐसा तो है नहीं कि किसी को पता नहीं था कि मैं आया हूँ। और बात रही खुद से मिलने की तो मुझे कोई शोक नहीं है।"

    उसकी बातें सुनकर संजय जी ने हल्के गुस्से से कहा—

    "सिद्धार्थ, ये क्या तरीका है अपनी माँ से बात करने का? सीधे तरीके से नहीं बोल सकते?"

    सिद्धार्थ ने दामिनी जी को अपनी माँ सुनकर, अपने हाथ में पकड़े चम्मच पर पकड़ कस ली और उसने बहुत ही गुस्से भरी आवाज़ में कहा—

    "मैंने आपको पहले भी कहा है और अब भी बोल रहा हूँ, आपकी दूसरी पत्नी मेरी माँ नहीं है, ये बात आप समझ लीजिए।"

    संजय जी कुछ बोलते उससे पहले दादा जी ने अपनी कठोर आवाज़ में कहा—

    "ये तुम दोनों ने खाने के समय क्या लगा रखा है? दोनों में से अब कोई कुछ नहीं बोलेगा। सब चुपचाप अपना-अपना खाना खाओ।"

    उनके बोलने पर किसी ने कुछ नहीं कहा। सिद्धार्थ जल्दी से अपना खाना खत्म करके गुस्से में घर के बाहर चला गया। उसे ऐसे गुस्से में जाते देख दादी ने परेशान होकर मधु जी से कहा—

    "पता नहीं कब मेरे बच्चे की ज़िन्दगी में खुशियाँ आएंगी। जब से रंजना गई है, तब से मेरा हँसता-खेलता बच्चा ऐसा हो गया है।"

    मधु जी ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा—

    "आप परेशान मत होइए माँ। देखना, हमारे सिद्धार्थ की ज़िन्दगी में भी खुशियाँ आएंगी। हम उसके लिए ऐसी लड़की ढूँढेंगे जो उसके सभी दुखों को समझे और उसे फिर से सिद्धार्थ, वो पहले वाला हमारा प्यारा सिद्धू बना सके।"

    उनकी बातें सुनकर दादी जी ने भी बस हाँ में अपना सिर हिला दिया। सिद्धार्थ ने बाहर आकर ड्राइवर से कार की चाबी ली और अपनी कार लेकर वहाँ से बिना किसी को कुछ बताए चला गया। सिद्धार्थ फ़ुल स्पीड में अपनी कार चला रहा था। फिर एक सुनसान जगह पर पहुँचकर उसने अपनी कार को ब्रेक लगाया और फिर गुस्से से अपनी कार के स्टीयरिंग व्हील पर अपना हाथ मारते हुए कहा—

    "क्यूँ? क्यूँ उन्हें हर बार मुझे ये करना होता है? उनकी ही वजह से मेरी माँ हमें छोड़कर चली गई। फिर उन्हें हर बार उस औरत को मेरी माँ की जगह क्यों देनी होती है?"

    अपना गुस्सा शांत करने के लिए उसने अपना सिर पीछे की सीट से टिकाकर आँखें बंद कर लीं। थोड़ी देर आँखें बंद करते ही उसे आरू का चेहरा याद आने लगा तो उसने अपनी आँखें खोल लीं। आरू के बारे में सोचते ही अपने आप उसका गुस्सा कम हो गया। अब उसका दिल आरू से मिलने को करने लगा क्योंकि वह पिछले एक हफ़्ते से उससे नहीं मिला था।

    ये सोचकर उसने अपना फ़ोन निकालकर किसी को कॉल किया तो दूसरी तरफ से आवाज़ आई—

    "जी बॉस।"

    तो सिद्धार्थ ने अपनी कोल्ड आवाज़ में पूछा—

    "अद्विका इस समय कहाँ है?"

    अपने बॉस का सवाल सुनकर दूसरी तरफ वाले इंसान ने कहा—

    "बॉस, मैम इस समय स्काई रेस्टोरेंट में है।"

    बस इतना सुनकर सिद्धार्थ ने कॉल काट दिया और अपनी कार को उसी तरफ़ घुमा लिया।

    कुछ ही देर में वह स्काई रेस्टोरेंट पहुँच गया। तभी उसने देखा कि अद्विका अपनी प्रिया और अनामिका के साथ बाहर आई। फिर अद्विका ने कहा—

    "तुम दोनों घर जाओ, मैं कुछ देर में आ जाऊँगी। मुझे थोड़ी देर अकेले इस खुली हवा में रहना है।"

    अद्विका जब से अपने पापा के साथ हुए झगड़े के बाद आई थी, उसका मूड ऑफ़ था। तो उसके मूड को सही करने के लिए प्रिया और अनामिका उसे यहाँ लायी थीं। पहले अद्विका आना नहीं चाहती थी, पर फिर उन दोनों के इतना बोलने और कहने पर वह उनके साथ आने के लिए तैयार हो गई। पर अभी भी उसका मूड पूरा सही नहीं हुआ था। इसलिए वह थोड़ी देर खुली हवा में रहना चाहती थी।

    उसकी बात सुनकर अनामिका ने उसकी चिंता करते हुए कहा—

    "आरू, तेरा अभी मूड ठीक नहीं है और रात भी हो गई है, 9 बज चुके हैं। अगर तुझे रुकना है तो हम भी चलते हैं ना।"

    उसकी बात पर प्रिया ने भी हाँ में हाँ मिला दी।

    तो अद्विका ने उन दोनों को मनाते हुए कहा—

    "नहीं यार, मुझे बस थोड़ी देर खुली हवा में अकेला रहना है। तुम दोनों चिंता मत करो, मैं टाइम पर घर आ जाऊँगी और कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, ये तुम दोनों जानती हो ना?"

    उसकी बात सुनके प्रिया ने कहा—

    "पक्का तू टाइम पर घर आ जायेगी?"

    तो आरू ने कहा—

    "अरे! हाँ मेरी माँ, मैं आ जाऊँगी।"

    तो प्रिया और अनामिका दोनों उसकी बात मानकर चले गए। उनके जाने के बाद आरू वहाँ से दूसरे रास्ते, जहाँ पर ज़्यादा गाड़ियाँ नहीं आती थीं और वह दोनों साइड से पेड़ों से घिरा था, जाने लगी। उसने अपने कानों में हेडफ़ोन लगाए और उस रास्ते पर चलने लगी।

    सिद्धार्थ ने उन लोगों की सब बातें सुन ली थीं क्योंकि वो लोग उसकी कार से ज़्यादा दूर नहीं खड़े थे। तो सिद्धार्थ भी उसके पीछे कार से चला गया।

  • 15. My Dangerous lady - Chapter 15( Dhud ke daat tute nahi aur chale hai ladki chedne )

    Words: 1346

    Estimated Reading Time: 9 min

    संजय जी के दामिनी जी को सिद्धार्थ की माँ कहने पर सिद्धार्थ को गुस्सा आ गया, लेकिन दादा जी के बोलने पर उसने आगे कुछ नहीं कहा। लेकिन वह खाना खाने के बाद वहाँ से गुस्से में अपनी कार लेकर चला गया। थोड़ी दूर जाने के बाद, जब सिद्धार्थ का हल्का गुस्सा शांत हुआ, तो उसे अद्विका की याद आ गई और उसका मन उससे मिलने का हुआ। उसने अपने आदमी, जिसे उसने अद्विका की हर खबर उसे देने के लिए कहा था, उसे कॉल करके अद्विका कहाँ है पूछा और वहाँ चला गया। अद्विका का मूड सही नहीं था, इसलिए वह थोड़ी देर अकेले रहना चाहती थी। वह अकेले ही दूसरे रास्ते, जो थोड़ा शांत रहता था, से चली गई। सिद्धार्थ भी उसके पीछे चला गया।

    अद्विका ने जींस और ब्लैक टॉप पहना हुआ था। वह बस रात की ठंडी हवा और चांद की रोशनी में आराम से गाने सुनते हुए उस रोड पर जा रही थी। उसे किसी बात का डर भी नहीं था। अब उसका मूड पहले से काफी अच्छा था। तभी उसे रास्ते में कुछ लड़कों का ग्रुप दिखा, तो उसने बस उन्हें इग्नोर किया और साइड से जाने लगी।

    जब उन लड़कों ने अद्विका को इतनी रात में अकेले देखा, तो उनमें से एक लड़के ने कहा, "ब्रो, लगता है आज हमारी किस्मत अच्छी है। देख क्या पटाका लड़की है, वो भी अकेली।"

    "हाँ यार, चल मज़े लेते हैं," दूसरे लड़के ने कहा। फिर वे सब अद्विका के पास जाने लगे और जाकर उसका रास्ता रोक लिया। फिर उस पहले लड़के ने कहा, "मैडम जी, इतनी रात को अकेले जा रही हो? बताओ तो हम आपको घर तक छोड़ दें।" फिर वो सब हँसने लगे।

    अद्विका ने उन सब को देखा, तो उसने अपने कानों के हेडफोन निकाले और अपने दो कदम पीछे ले लिए, पर वह बिलकुल भी नहीं डरी। उसने बड़े आराम से कहा, "देखो यार, मेरा मूड अभी वैसे ही खराब है और तुम लोग मुझे और इरिटेट कर रहे हो।"

    उसको बिना डरे इतने आराम से बात करते देख दूसरे लड़के ने बोला, "कोई बात नहीं। तुम्हारा मूड खराब है तो कोई बात नहीं, हम बना देंगे।"

    अद्विका ने पहले उन सब को ध्यान से देखा। वो सब देखने में 21-22 साल के कॉलेज स्टूडेंट लग रहे थे। अद्विका ने कहा, "जाओ और जाकर पहले पढ़ाई-लिखाई करो। अभी दूध के दाँत टूटे नहीं हैं और चले हो लड़की छेड़ने।"

    यह सुनकर उनमें से किसी ने कहा, "क्या बात है? तुझे हमसे डर नहीं लगा जो हमसे ऐसे बात कर रही है?" अद्विका ने हँसते हुए कहा, "डर? वो भी तुमसे!" यह बोलकर वह हँसने लगी।

    उसको अपना मज़ाक बनाते हुए देखकर उन लड़कों को गुस्सा आने लगा। उस दूसरे लड़के ने अपनी जैकेट से चाकू निकाल लिया और उसे दिखाते हुए कहा, "अब बता, बहुत बोल रही थी ना? अब क्यों शांत हो गई?"

    अद्विका ने जब चाकू देखा, तो उसने हँसना बंद कर दिया और सीरियस होकर उन्हें देखने लगी। वहीं सिद्धार्थ, जो उसके पीछे ही था, उसने उन लड़कों को अद्विका को घेरते देखा, तो उसे बहुत गुस्सा आने लगा। पर जब उसने अद्विका को बिना डरे उनसे इतने आराम से बात करते पाया, तो वह रुक गया क्योंकि वह देखना चाहता था कि अद्विका आगे क्या करेगी और अगर कोई कुछ करने की सोचेगा भी तो वह है ही उसे संभालने के लिए।

    जब सिद्धार्थ ने उनके हाथ में चाकू देखा, तो वह तुरंत अद्विका के पास चला गया और उसके पीछे जाकर उन लड़कों को घूरते हुए अपनी खतरनाक आवाज़ में कहा, "अकेली लड़की को परेशान कर रहे हो? अभी के अभी यहाँ से निकलो, वरना तुम में से किसी के लिए भी ठीक नहीं होगा।"

    पहले तो वे लोग सिद्धार्थ की आवाज़ और उसके खतरनाक एक्सप्रेशन देखकर डर गए, लेकिन फिर खुद को मज़बूत दिखाते हुए कहा, "ए हीरो! यहाँ से तू निकल। ज़्यादा हीरोगिरी मत दिखा।" (सिद्धार्थ को चाकू दिखाते हुए) "समझा?"

    (इन नादानों को कौन बताए कि ये लोग जिसे चाकू दिखा रहे हैं, वो तो बचपन से इनसे खेलता आ रहा है। उसे भला इससे क्या डर लगने वाला है?)

    अगर अभी यहाँ पर अद्विका नहीं होती, तो सिद्धार्थ उनसे बात नहीं करता, बल्कि सीधा उसकी बंदूक बात करती, पर वह अभी अद्विका के सामने कुछ करना नहीं चाहता था। वह अद्विका के पीछे खड़ा था, तो अद्विका उसका सिर्फ़ सुन पा रही थी और उसका ध्यान तो उन लड़कों की तरफ़ था। उसने उन लड़कों को घूरते हुए धीरे से अपनी जैकेट को हल्का सा साइड किया, तो उसकी कमर पर लगी गन आसानी से दिखने लगी। उसने उन लड़कों को अपनी आँखों से उस तरफ़ इशारा किया। जब उन लड़कों की नज़र गन पर पड़ी, तो सबकी हवा टाइट हो गई। अब उन्हें समझ आ गया कि यह जो उनके सामने खड़ा है, वह कोई आम इंसान नहीं है, वह कोई खतरनाक इंसान है।

    सिद्धार्थ ने उन सब को चुपचाप वहाँ से चले जाने का इशारा किया, तो वे समझ गए। उस पहले लड़के ने डरते हुए कहा, "सो... सॉरी दीदी। हमें माफ़ कर दो। आप सही थीं। हमें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। हम तो बस मज़ाक कर रहे थे।"

    उसका साथ देते हुए दूसरे लड़के ने भी कहा, "हाँ दीदी, हम बस मज़ाक कर रहे थे। आप जाइए, आराम से जाइए और हम भी जाते हैं।"

    फिर वे लोग वहाँ से अपनी-अपनी बाइक लेकर ऐसे भागे जैसे नहीं गए तो अगले पल यमराज का बुलावा आ जाएगा।

    उन लड़कों को ऐसे डर से भागते देख अद्विका कन्फ़्यूज़ हो गई। उसने पीछे मुड़कर कहा, "ये लोग अचानक कैसे बदल गए? और ये डर के मारे भागे जैसे आपने इन्हें गन दिखा दी हो। ये तो सिर्फ़ आपकी धमकी से ही डर गए।"

    यह सुनकर सिद्धार्थ ने अच्छे से अपनी गन को छुपा लिया, फिर उससे कहा, "पता नहीं, (फिर बात को पलटते हुए) पर आप इस समय यहाँ क्या कर रही हैं, मिस राजपूत?"

    तो अद्विका ने उसे बताया, "मैं तो घर ही जा रही थी, पर मेरा पैदल खुली हवा में जाने का मन हुआ, तो मैंने यह शॉर्टकट चुना, पर इन लोगों को मेरा शांति से जाना भी मंज़ूर नहीं हुआ।" फिर उसकी तरफ़ देखते हुए पूछा, "लेकिन मि. ठाकुर, आप यहाँ इस समय क्या कर रहे हैं?"

    सिद्धार्थ यह सवाल सुनकर पहले सोच में पड़ गया, क्योंकि वह अद्विका को यह तो नहीं बोल सकता था कि वह उसका पीछा कर रहा था और पीछा करते-करते उससे मिलने के लिए यहाँ तक आ गया।

    सिद्धार्थ ने बहाना बनाते हुए कहा, "वो मैं भी घर ही जा रहा था। फिर जब इन लड़कों को आपको चाकू दिखाते हुए देखा, तो मैं आपकी हेल्प करने के लिए आ गया।"

    यह जानकर अद्विका ने स्माइल करते हुए और बहुत ही क्यूट तरीके से कहा, "थैंक यू मेरी हेल्प करने के लिए।"

    फिर अद्विका ने कहा, "अब मुझे घर जाना है, तो मैं चलती हूँ।"

  • 16. My Dangerous lady - Chapter 16(Pyaar aur junun )

    Words: 1210

    Estimated Reading Time: 8 min

    Hello everyone,

    to kese hai aap sab umeed hai badhiya hi honge, Ab bina time waste Kiya hum apni story start karte hai,

    अब तक आपने पढ़ा —  

    आरू को कुछ लड़कों के ग्रुप ने रास्ते में रोक लिया था तो आरू उनसे बिलकुल नहीं डरती तो उन में से एक लड़का चाकू निकल लेता है ।

    चाकू को देख कर सिद्धार्थ जो कब से आरू के पीछे था  , वो उनके सामने आ जाता हा उसे देख के आरू सिद्धार्थ को वहा पर देख कर हैरान हो जाति है । 

    फिर सिद्धार्थ उन लड़कों की बिना आरू के पता चले उन लड़की को गन दिखा कर भागा दिया ।

    अब आगे — 

    उन लड़कों के जाने के बाद अद्विका ने कहा – mr. Thakur अब मुझे मेरे घर जाना चहिए।

    तो सिद्धार्थ ने तुरंत कहा – रात बहुत हो गई  है और यहां पर आपको कोई टैक्सी भी नही मिलेगी । तो आईए मैं आपको आपके घर तक ड्रॉप कर देता हु ।। आरू ने उसे पहले तो मना कर दिया फिर उसके दुबारा बोलने पर आरू ने भी हां बोल दिया । 

    कार में बैठने के बाद आरू ने ध्यान से कार को देखा तो उसे पता चल गया की ये कार काफी हाई फाई है । फिर सिद्धार्थ ने उससे उसका एड्रेस पूछा और उसके घर की तरफ कार घुमा ली । ( उसे तो पहले से ही उसका एड्रेस पता था पर उसे ये बात आरू को नहीं पता चलने देनी थी । कार में एक दम सन्नाटा था । सिद्धार्थ ने देखा की आरू कार के बाहर देख रही थी । 

    जब सिद्धार्थ आरू के सोसाइटी के बाहर पहुंच गया तो उसने अपनी कर रोक दी , फिर उसने जब मुड़ कर आरू को देखा तो वो पहले हल्का हैरान हुआ फिर उसके फेस पर स्माइल आ गई। उसने धीरे से कहा – ये लड़की भी न एसे कैसे किसी की भी कार में ये इतने आराम से बेफिक्र होकर सो सकती है । 

    सिद्धार्थ आरू के चहरे को  निहारा ही रहा था की उसने देखा की उसके चहरे पर आ रहे बाल उसे परेशान कर रहे थे । ये देख के सिद्धार्थ ने अपनी सीट बेल्ट खोली और उसकी तरफ झुक कर बढ़े ही ध्यान से उसके बालो को साइड किया । 

    इस समय वो आरू के चहरे के बहुत करीब था फिर उसने बहुत प्यार से पर धीरे से उसके माथे पर किस किया और उसके उसको प्यार से देखते हुए कहा – जान, बहुत जल्द ही तुम्हे अपने प्यार का एहसास करा दूंगा और तुम मेरे पास होगी ,मेरे करीब ।

    ये सब बोलते हुए उसकी आंखो में जितना प्यार था उतना ही जनून भी । तभी उनकी कार के पीछे से किसी ने हॉर्न बजाया तो आरू की नींद खुल गई लेकिन उससे पहले ही सिद्धार्थ पीछे हो गया था ताकि आरू कही कुछ गलत न समझ ले ।

    आरू ने खुद को कार में देखा तो उसे याद आया की वो सिद्धार्थ के साथ में उसकी कार में थी और वो सो गई। ये सोच कर आरू ने अपने सर पर मरते हुए कहा – आरू तू एसे कैसे सो गई पता नही Mr. Thakur मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे ।  आरू की इन क्यूट हरकतों और एक्सप्रेशन को देख के सिद्धार्थ को हसी आ रही थी पर उसने ये बिलकुल भी अपने फेस पे जाहिर नही होने दिया । 

    अरू अपने आपको डाटने में व्यस्त थी की सिद्धार्थ ने उससे कहा – मिस. अद्विका आपका घर आ चुका है । ये सुन कर आरू ने अपने आस पास देखा तो सच में ये उसकी ही सोसाइटी थी जहां वो रहती थी । ये देख कर आरू ने तुरंत कहा – सो सो सॉरी Mr.Thakur मैने ध्यान ही नही दिया और पता नही मैं कब सो गई।

    तो सिद्धार्थ ने हल्का सीरियस फेस बनाते हुए कहा – वैसे आपको नही लगता की किसी की भी कार मे ऐसे सोने से दूसरा आपका फायदा उठा सकता है या वो कुछ भी कर सकता है ।

    ये सुन कर आरू ने उसे देखते हुए कहा – हां, पर मुझे नही लगता की आप मेरा फायदा उठाएंगे या कुछ करेंगे। तो सिद्धार्थ ने उसकी आंखो में देखते हुए पूछा – और आपको ऐसा क्यू लगता है की मै आपके साथ कुछ भी नही करूंगा ।

    आरू ने भी उसकी आंखो में देखते हुए कहा – भरोसा है आप पर । फिर दोनो ही एक पल के लिए एक दूसरी की आंखो में देखते रहे जैसे एक दूसरे के अंदर झांकना चाहते हो । जब आरू को होश आया की वो क्या कर रही है तो उसने तुरंत अपनी नजरे उस पर से हटा ली। तो सिद्धार्थ ने उससे पूछा – इतना भरोसा क्यू है मुझ पर ? 

    आरू ने अपनी सीट बेल्ट खोल कर कार का गेट खोलते हुए कहा – हैं, तो बस है क्यू मुझे नही पता । फिर कार से बाहर निकल कर कहा –अगेन सॉरी की मेरी वजह से आपको प्रोब्लम हुई और थैंक यू मुझे ड्रॉप करने के लिए ।

    उसकी बात सुन कर सिद्धार्थ ने कहा – आपको इतना फॉर्मल होने की जरूरत नही है । तो आरू ने अपने मन मे कहा – फॉर्मल , आखिर कैसे फॉर्मल ना हूं। इतने बड़े इंसान के साथ सिंपली कैसे बात कर सकती हूं मैं भला। अगर ये बात गलती से भी मीडिया को पता चली तो कल की ताजा खबर आई हेडलाइन होगी "The Great Business Tycoon Siddarth Thakur " खुद किसी लड़की को ड्रॉप करा। 

    सिद्धार्थ ने उसे खुद में खोए देखा तो कहा – क्या हुआ मिस. अद्विका कहां खो गई आप ।

    उसकी बात सुन कर आरू ने होश में आकर कहा – नही कही नही, ओके अब मै जाति हूं एंड गुड नाईट।

    इतना बोले कर आरू वहा से अंडर चली गई । जब तक वो सिद्धार्थ की आंखो से ओझल नहीं हुई वो उसे देखता रहा उसके जाने के बाद सिद्धार्थ ने अपनी कार स्टार्ट की और अपने घर की तरफ निकल गया।

    😁 😁 😁 😁 😁 😁 😁 😁 😁 😁 😁

    अगले चैप्टर मे पढे — 

    सिद्धार्थ ने उसका कॉलर पकड़ते हुए गुस्से से कहा — अगर तुम्हारी डॉक्टर जल्दी से यहां नही आई तो तुम , तुम्हारी डॉक्टर और ये पूरा हॉस्पिटल को मै कही का नही छोडूंगा। 

    तभी पीछे से एक आवाज आई – Mr. Thakur leave him . ये हॉस्पिटल है आपका घर या ऑफिस नही जो आप किसी पर भी चिल्लाएंगे और न ही आपके चिल्लाने से कुछ होने वाला है ।

    ये सुन कर वहा खड़े सभी लोग डर गए की किसकी इतनी हिम्मत हो गई की वो सिद्धार्थ ठाकुर पर चिल्ला रहा है ।

    अभी के लिए इतना ही आगे जानने के लिए अगला चैप्टर जरूर पढ़ें।

    😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊

    Spoiler —

    – आखिर सिद्धार्थ हॉस्पिटल में क्यूं है ? और वो किसकी बात कर रहा था ? 

    – जिसमे इतनी हिम्मत है की वो सिद्धार्थ ठाकुर से एसे बात कर सके ? कोन है वो शख्स?

    – क्या सिद्धार्थ आरू को पाने के  अपने जुनून मे कुछ गलत तो नहीं कर बैठेगा ?

    🤔 🤔 🤔 🤔

    सभी सवालों के जवाब जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ।

    Thank you for reading my novel

    Good Bye Everyone 👋 👋 👋 👋 👋

  • 17. My Dangerous lady - Chapter 17 ( Sher ko shaba sher mil gaya )

    Words: 1598

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगली सुबह ठाकुर भवन में सभी डाइनिंग टेबल पर नाश्ता कर रहे थे। सिद्धार्थ के अलावा सभी मौजूद थे। यह देखकर रणविजय जी ने पूछा, "सिद्धार्थ कहाँ है? क्या उन्हें नाश्ता नहीं करना?"

    अभी ने जवाब दिया, "वो दादा जी, सुबह ही ऑफिस के लिए निकल गए थे।" यह सुनकर किसी को हैरानी नहीं हुई क्योंकि यह आम बात थी। सिद्धार्थ कब आता और कब जाता, किसी को पता नहीं होता था।

    दामिनी जी ने थोड़े उदास स्वर में कहा, "कल वो इतनी देर में आए थे, पता नहीं आते भी थे या नहीं। और आज भी वो बिना किसी को बताए चले गए। मुझे तो अब उनकी चिंता होने लगी है।"

    देव ने थोड़े गुस्से से कहा, "आपको मेरे भाई की चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। उसके लिए अभी बहुत लोग हैं।"

    देव की बात सुनकर संजय जी बोले, "देव, तुम भी अपने भाई की तरह ही बदतमीज़ होते जा रहे हो।" देव कुछ नहीं बोला। संजय जी ने दामिनी की ओर देखते हुए कहा, "और दामिनी, तुम उसकी चिंता मत करो। क्योंकि वो लापरवाह है और लापरवाह की चिंता करने का कोई फ़ायदा नहीं है।" फिर सब नाश्ता करके अपने-अपने काम पर निकल गए।


    शाम के समय दादी जी अपने कमरे में रंजना जी की तस्वीर लेकर उसे देखते हुए बोलीं, "रंजना, देखो ना तुम्हारे जाने के बाद क्या हो गया है तुम्हारे घर का, तुम्हारे बेटे का।"

    तभी पीछे से दादा जी आकर उनके पास बैठते हुए बोले, "मीरा जी, आप फिर से रोने लगीं। आपको पता है ना, टेंशन लेना आपके लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है।"

    दादी जी ने दुखी होते हुए कहा, "कैसे टेंशन ना लें हम? वो कल भी खाना बिना सही से खाए चले गए थे और आज भी उन्होंने खाना खाया ही नहीं। वो अपना बिलकुल ध्यान नहीं रखते।"

    दादी जी ये सब बोल ही रही थीं कि उन्हें कुछ अजीब सा लगने लगा। उनकी साँसें अचानक फूलने लगीं और वो बोलते-बोलते रुक गईं। यह देखकर दादा जी परेशान होते हुए बोले, "क्या हुआ आपको? ये क्या हो रहा है?"


    S.T. कंपनी में सिद्धार्थ अपनी बॉस चेयर पर बैठा था और अभी उसे आज की मीटिंग की जानकारी दे रहा था। जब उसका काम हो गया, तो वो जा ही रहा था कि उसी समय अभी का फ़ोन बजा। उसने देखा तो सिम्मी का कॉल था। यह देखकर उसने कॉल रिसीव किया। दूसरी तरफ से सिम्मी रोते हुए बोली, "भा...भाई।"

    उसे रोता हुआ सुनकर अभी परेशान हो गया। उसने कहा, "क्या हुआ सिम्मी? तू क्यों रो रही है?" सिम्मी अभी भी रो रही थी। तब अभी ने प्यार से कहा, "सिम्मी बच्चा, शांत हो। क्या हुआ मुझे बताओ।"

    यह सुनकर कि सिम्मी का कॉल है और वो रो रही है, सिद्धार्थ और देव भी उसे देखने लगे क्योंकि उन दोनों को भी अपनी बहन की बहुत चिंता थी।

    सिम्मी ने रोते हुए ही कहा, "वो भाई, दादी...।" दादी के बारे में सुनते ही अभी ने तुरंत कहा, "दादी? क्या? दादी को क्या हुआ है?" अब तक देव उसके पास आ गया था और सिद्धार्थ भी अपनी जगह से खड़ा हो गया था।

    सिम्मी ने कहा, "भाई, दादी को हार्ट अटैक आया है। उनकी कंडीशन काफी सीरियस है। हम उन्हें हॉस्पिटल लाए हैं।"

    यह सुनकर अभी ने कॉल काटकर उन दोनों को बताते हुए कहा, "दादी माँ को हार्ट अटैक आया है और वो इस समय हॉस्पिटल में हैं।" यह जानकर सिद्धार्थ ने अपने एक्सप्रेशनलेस चेहरे से कहा, "हॉस्पिटल चलो।"

    इतना बोलकर वो बाहर चला गया, तो वो दोनों भी भागते हुए बाहर चले गए।


    हॉस्पिटल पहुँचते ही वो तीनों वीआईपी फ़्लोर पर चले गए। वहाँ पहुँचकर वो लोग ऑपरेशन रूम की तरफ़ गए। वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि परिवार के सभी लोग वहाँ पर थे, सिवाय संजय जी के।

    सिम्मी ने जैसे ही उन्हें देखा, वो उठकर उनके पास जाकर सिद्धार्थ के गले लग गई और रोते हुए बोली, "भाई, देखो ना दादी माँ को क्या हो गया है। वो ठीक तो हो जाएंगी ना?"

    सिद्धार्थ ने उसे शांत करते हुए कहा, "बच्चा, कुछ नहीं होगा दादी माँ को। हम आ गए हैं ना? तो अब तुम पहले रोना बंद करो, ठीक है?" फिर सिद्धार्थ ने मधु जी को इशारा किया कि वो सिम्मी को संभाल लें। उन्होंने आकर सिम्मी को अपने पास बैठा लिया।

    तभी सिद्धार्थ ने वहाँ खड़े डॉक्टर से पूछा, "दादी माँ की अभी कंडीशन कैसी है और उनका ट्रीटमेंट अभी तक स्टार्ट क्यों नहीं हुआ?"

    सिद्धार्थ के ऐसे पूछने पर डॉक्टर की तो हालत खराब हो रही थी। उसने डरते हुए कहा, "उनकी कंडीशन अभी ठीक नहीं है और उनके इलाज के लिए हमने हमारी बेस्ट हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर को बुलाया है।"

    यह सुनकर तो सिद्धार्थ का माथा ठनक गया। उसने पूछा, "तो कहाँ है तुम्हारी डॉक्टर?" अब तो उस बेचारे की हवा टाइट हो गई थी। उसने भगवान से दुआ करके बड़ी ही हिम्मत से कहा, "वो...वो अभी तक आई नहीं है। बस कुछ ही देर में आती होंगी।"


    फिर क्या, सभी को जिसकी उम्मीद थी वही हुआ। अब सिद्धार्थ का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उसने उस डॉक्टर का कॉलर पकड़कर कहा, "अभी तक आई नहीं है तो कब आएंगी तुम्हारी डॉक्टर? जब उनकी कंडीशन और ज़्यादा खराब हो जाएगी? हाँ? अगर तुम्हारी डॉक्टर को अपने पेशेंट की चिंता ही नहीं है तो फिर वो डॉक्टर ही क्यों है? अगर मेरी दादी माँ को कुछ भी हुआ ना, तो न तो तुम्हारा ये हॉस्पिटल रहेगा और न ही वो डॉक्टर।"

    तभी पीछे से किसी की प्यारी पर तेज आवाज़ आई, "Leave him Mr. Thakur. यह आपका घर या ऑफिस नहीं है जो आप ऐसे गुस्सा कर रहे हैं। यह हॉस्पिटल है और न ही आपके चिल्लाने से कुछ हो जाएगा।"

    यह सुनकर सभी का चेहरा पढ़ गया कि किस में इतनी हिम्मत है जो सिद्धार्थ ठाकुर को चिल्ला सके। शायद इस इंसान को अपनी जान बिल्कुल भी प्यारी नहीं है।

    सिद्धार्थ ने उस डॉक्टर का कॉलर छोड़ दिया। फिर उसने अपनी गुस्से भरी आँखों से पीछे उस आवाज़ की तरफ़ देखा, तो अपने आप ही उसका गुस्सा कम हो गया। सबने देखा कि एक लड़की, जिसने डॉक्टर कोट और अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था, वो सिद्धार्थ को अपनी ठंडी नज़रों से देख रही थी।

    उसने सिद्धार्थ के पास आकर कहा, "यह हॉस्पिटल है। यहाँ पर सिर्फ़ आप ही परेशान नहीं हैं। और लोग भी हैं और आपके चिल्लाने से बाकियों को तकलीफ़ हो सकती है।" इतना बोलकर वो उस पहले वाले डॉक्टर के पास गई और उससे मीरा जी की रिपोर्ट्स लेते हुए उनकी कंडीशन के बारे में पूछा और ऑपरेशन रूम के अंदर चली गई।

    उस डॉक्टर के इतना कुछ सिद्धार्थ को बोलने पर भी सिद्धार्थ को शांत देखकर देव ने कहा, "लगता है शेर को आज शेरनी मिल ही गई।"

  • 18. My Dangerous lady - Chapter 18 ( Can I Hug You )

    Words: 2368

    Estimated Reading Time: 15 min

    एक घंटे बाद ऑपरेशन रूम का गेट खुला और एक डॉक्टर बाहर आई। अभी आगे आकर पूछी, "अब दादी मां कैसी हैं?" डॉक्टर ने अपना मास्क उतारते हुए कहा, "वो अब खतरे से बाहर हैं। उन्हें हार्ट अटैक आया था, लेकिन अभी आप लोग उनसे नहीं मिल सकते। जब उन्हें होश आएगा, तब आप उनसे मिल सकते हैं।"

    जब डॉक्टर ने अपना मास्क उतारा, देव और अभी हैरान हो गए क्योंकि वह अद्विका थीं। फिर अभी ने पूछा, "दादी मां को होश कब तक आएगा?" अद्विका ने कहा, "उन्हें होश कल सुबह तक आएगा। आप सब परेशान मत होइए। आप में से कोई एक यहां पर रुक सकता है उनके पास; आप सब यहां नहीं रुक सकते, इससे बाकियों को दिक्कत हो सकती है, और ये हॉस्पिटल के रूल्स भी हैं।"

    फिर अद्विका सिद्धार्थ के सामने जाकर शांत आवाज़ में बोली, "डॉक्टर भी आपकी ही तरह एक इंसान ही होते हैं, भगवान नहीं होते जो दो पल में कहीं भी पहुँच जाएँ। हम डॉक्टर्स की भी अपनी एक लाइफ होती है और हमें भी अपने पेशेंट की चिंता है। वरना फालतू में एक घंटे के सफ़र को सिर्फ़ बीस मिनट में कवर करके यहां नहीं आती।" इतना बोलकर वह अपने केबिन में चली गई, जो स्पेशली उसी के लिए बना था। (असल में यह हॉस्पिटल Dr. ASR यानी अद्विका ने ही बनवाया था, जिसमें गरीबों का इलाज फ्री, मिडिल क्लास लोगों के लिए बहुत ही कम फीस और अमीरों के लिए जितना चार्ज होता है उतने ही रुपये उनसे लिए जाते हैं। और उससे किसी को प्रॉब्लम भी नहीं थी। अद्विका पहले तो सिर्फ कुछ ही केस लिया करती थी, लेकिन अब वह फुल टाइम as a doctor काम करने वाली थी।)

    आज पहली बार सिद्धार्थ ने आरू की यह साइड देखी। अब उसे थोड़ा बुरा लग रहा था कि उसने गुस्से में शायद कुछ ज़्यादा ही बोल दिया था।

    सिम्मी ने देव से कहा, "सच में भाई, शेर को शेर मिल गया।" देव ने उसे टोकते हुए कहा, "शेर नहीं, शेरनी मिल गई।"

    मधु जी ने कुछ सोचकर देव से कहा, "बेटा, मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि कुछ ऐसा है जो मुझे पता नहीं है।" देव ने कहा, "क्या छोटी मां? कुछ भी तो नहीं है।" इस पर उन्होंने अपनी सख़्त भरी नज़रों से उसको और अभी को देखा।

    फिर सिद्धार्थ ने अभी से कहा, "अभी तुम और देव दोनों सबको घर ले जाओ। दादी मां के पास यहां पर मैं हूँ और उनकी सेफ्टी के सारे इंतज़ाम हो जाने चाहिए।" मधु जी ने कहा, "बेटा, तुम रहने दो। मां के पास मैं रुक जाती हूँ।"

    तो सिद्धार्थ ने उन्हें साफ़ मना कर दिया, फिर अभी और देव को इशारा किया तो दोनों ने अपना सिर हां में हिलाकर बाकी लोगों को घर ले गए। मीरा जी को नॉर्मल वार्ड में शिफ़्ट कर दिया गया था।

    सिद्धार्थ वहां से मीरा जी के वार्ड में चला गया। वह पूरा रूम बिलकुल वीवीआईपी लोगों के लिए ही था; उसमें हर फैसिलिटी थी। वह बिलकुल हॉस्पिटल रूम लग ही नहीं रहा था। सिद्धार्थ अंदर गया और अंदर जाकर अपनी दादी मां के पास बैठ गया। उसने उनके हाथ को थामकर कहा, "दादी मां, आप जानती हैं ना हमें आपकी कितनी फ़िक्र है, तो अब आप बस जल्दी से ठीक हो जाइए।" फिर वह वहां से उठकर वहीं रखे सोफ़े पर जाकर बैठ गया। (सिद्धार्थ अपनी मां के बाद दादी से सबसे ज़्यादा प्यार करता था पर किसी को ज़ाहिर नहीं करता था।)

    रात के 1 बजे, वार्ड का गेट खुला। सिद्धार्थ ने अपने लैपटॉप से नज़रें हटाकर देखा तो अद्विका अंदर आई और उसने बिना उसकी तरफ़ देखे सीधे मीरा जी के पास जाकर उनका चेकअप किया और उनको उनका इंजेक्शन का सेकंड डोज दिया। (आज आरू ने नाइट शिफ़्ट ली थी, इसलिए वह अभी तक हॉस्पिटल में ही थी।)

    सिद्धार्थ उसकी हर मूवमेंट को देख रहा था। आरू की हर मूव एकदम प्रोफ़ेशनल और क्लियर थी। अद्विका ने जाने से पहले एक बार सिद्धार्थ को देखा; तो उसको इस समय भी काम करता देख उसकी आँखें छोटी हो गईं। उसने अपने मन में सोचा, "इनको इस समय भी काम करना है, यह नहीं कि थोड़ा आराम कर लें। लेकिन मैं क्यों यह सोच रही हूँ? इनकी मर्ज़ी, यह जो भी करें, मुझे क्या लेना-देना?" फिर आरू वार्ड से बाहर जाने लगी। उसको खुद को इग्नोर करता देख सिद्धार्थ को लगा कि शायद आरू को उसकी बातों का बहुत बुरा लगा है, इसलिए वह बिना उसकी तरफ़ ध्यान दिए चली गई।

    आरू के जाने के बाद सिद्धार्थ फिर अपना काम करने लगा ताकि वह अपने दिमाग को कुछ देर के लिए भटका सके। कुछ देर के बाद वह अपने काम में पूरी तरह डूब गया। तभी अचानक उसकी आँखों के सामने किसी ने एक कॉफ़ी का कप उसके सामने बढ़ा दिया। तो सिद्धार्थ ने अपनी नज़रें उठाकर देखा तो यह सुंदर सा हाथ किसी और का नहीं बल्कि आरू का ही था।

    सिद्धार्थ को खुद को ऐसे देखता देख, आरू ने अपनी आईब्रो उठाते हुए उसे देखते हुए कहा, "ऐसे मत देखिए, ले लीजिए, ज़हर नहीं मिलाया है मैंने कॉफ़ी में।" यह सुनकर सिद्धार्थ ने पहले उसे घूरा, फिर उसने वह कॉफ़ी ले ली। आरू भी उसी के पास बैठ गई और अपनी कॉफ़ी पीने लगी। सिद्धार्थ ने कॉफ़ी का एक घूँट लेते ही पूछा, "यह कॉफ़ी किसने बनाई है?" आरू ने कहा, "आपको मेरे अलावा और कोई इस फ़्लोर पर नाइट शिफ़्ट में दिखा नहीं ना, तो फिर, सीधी सी बात है, कॉफ़ी मैंने ही बनाई होगी ना।"

    फिर उसके दिमाग में कुछ आया तो उसने अपनी पलकें झपकते हुए पूछा, "क्या कॉफ़ी अच्छी नहीं बनी है जो आप पूछ रहे हैं?" सिद्धार्थ को वह यह पूछते हुए इतनी क्यूट लग रही थी कि उसका मन हो रहा था कि उसके गाल खींच ले, पर फिर उसने कहा, "नहीं, ऐसा नहीं है, अच्छी बनी है।"

    फिर सिद्धार्थ ने अपने शांत चेहरे के साथ कहा, "आज जो कुछ भी मैंने कहा उसके लिए I am really sorry 😐, मुझे वह सब नहीं बोलना चाहिए था।"

    सिद्धार्थ को सॉरी बोलता देख आरू उसे देखने लगी जैसे उसने क्या सुन लिया हो क्योंकि उसने तो जितना सुना और जाना था, उसके हिसाब से तो सिद्धार्थ ठाकुर सिर्फ़ दूसरों से माफ़ी मँगवाता था, तो आज वह खुद कैसे उससे माफ़ी मांग रहा है।

    फिर आरू को लगा कि शायद यह सब सिर्फ़ अफ़वाह है; असल में सिद्धार्थ उतना पत्थर दिल या बुरा इंसान नहीं है। आरू ने भी उसी शांति के साथ कहा, "इट्स ओके, मैं समझ सकती हूँ। आप उस समय अपनी दादी के लिए परेशान थे इसलिए आपने यह सब अपने गुस्से में बोल दिया, और मैं भी जल्दी में आई थी और आपकी बातें सुनकर शायद मैंने भी आपको थोड़ा ज़्यादा सुना दिया।" यह सब सुनने के बाद सिद्धार्थ को चैन मिला कि आरू उससे नाराज़ नहीं है या उसकी बातों का बुरा नहीं माना उसने।

    तभी आरू ने मीरा जी की तरफ़ देखते हुए कहा, "आप बहुत प्यार करते हैं ना अपनी दादी मां से। मैंने देखा था आपकी आँखों में, आप बहुत परेशान थे उनके लिए।"

    यह सुनकर सिद्धार्थ ध्यान से उसे देखने लगा जैसे पूछ रहा हो, "तुम्हें कैसे पता?" तो आरू ने उसकी बात को समझकर कहा, "आप अपनी फैमिली से बहुत प्यार करते हैं, पर कभी किसी को ज़ाहिर नहीं करते, Am I right?"

    यह सुनकर सिद्धार्थ ने अपने मन में सोचा, "जान, तुम मुझे कितना अच्छे से समझती हो, पर खुद को किसी को समझने नहीं देती, किसी पल में कुछ तो किसी में कुछ। लेकिन मैं भी तुम्हें समझकर रहूँगा।"

    अद्विका ने कॉफ़ी ख़त्म होने के बाद उठकर कहा, "मिसेज़ ठाकुर को अभी होश नहीं आने वाला। तो जब तक आप चाहें रेस्ट कर सकते हैं।" तो सिद्धार्थ वापस अपना लैपटॉप उठाने लगा तो अद्विका ने मुँह बनाते हुए कहा, "मैंने रेस्ट करने के लिए कहा है ना कि काम। वैसे आप कितनी देर से यहीं अपना काम कर रहे हैं? आपको थोड़ी फ़्रेश एयर भी लेनी चाहिए, वरना पता चले कि कल दादी मां की जगह आपको हॉस्पिटल बेड पर लेटना पड़े।"

    फिर आरू बिना सिद्धार्थ की बात सुने उसका लैपटॉप साइड में रखा और उसका हाथ पकड़कर उसे उठते हुए कहा, "पर कोई बात नहीं, मैं हूँ आपके ख्याल रखने के लिए (आरू को पता ही नहीं था कि उसने अपनी बातों में क्या बोला है), इसलिए आप मेरे साथ कुछ देर के लिए बाहर चल रहे हैं।"

    सिद्धार्थ उसे कुछ बोलता उससे पहले आरू उसे वार्ड के बाहर, हॉस्पिटल के रूफ़ टॉप पर ले गई। सिद्धार्थ की जब नज़र अपने हाथ पर गई जिसे आरू ने पकड़ा हुआ था तो अपने आप उसके चेहरे पर स्माइल आ गई। लेकिन वह सिर्फ़ कुछ ही देर के लिए। आरू ने वहाँ पहुँचकर उसका हाथ छोड़ दिया तो सिद्धार्थ को यह बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा। तभी उसने देखा कि वहाँ पर हल्की ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी और चांदनी की चमक आरू के चेहरे पर पड़ने से उसका चेहरा चमक रहा था और वह भी स्माइल कर रही थी जो उसकी खूबसूरती को और भी निखार रही थी।

    यह देखकर सिद्धार्थ के दिल को एक अलग ही सुकून मिल रहा था। तभी आरू ने उसकी तरफ़ देखते हुए कहा, "मुझे जब भी कोई चीज़ परेशान करती है या मैं सैड होती हूँ तो हमेशा ऐसी ही प्लेस पर जाती हूँ तो मुझे बहुत रिलीफ़ फील होता है।"

    सिद्धार्थ ने धीरे से कहा, "और मुझे तुम्हें देखकर।" तो आरू ने कहा, "आपने अभी कुछ कहा क्या?" जिस पर सिद्धार्थ ने ना में सर हिला दिया।

    कुछ देर के बाद आरू ने सिद्धार्थ की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाकर स्माइल करते हुए उससे पूछा, "Now can we friends?"

    यह सुनकर सिद्धार्थ ने पहले आरू को देखा, फिर उसके हाथ को, फिर कुछ सोचकर उसने भी अपना हाथ बढ़ाकर उसके हाथ को पकड़कर अपना सर हाँ में हिला दिया। तो यह देखकर आरू ने मुँह बनाकर कहा, "आरू की फ़्रेंडशिप का फ़र्स्ट रूल सिर्फ़ यह सर हिलाने से काम नहीं चलेगा, बोलना भी पड़ता है, आरू को ना बोलने वाले लोग बिलकुल पसंद नहीं।" फिर थोड़ा रुककर कहा, "अब हम नीचे वापस चलना चाहिए।"

    इतना बोलकर वह जाने लगी तो सिद्धार्थ ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया। तो आरू ने पीछे घूमकर उसे सवालिया नज़रों से देखा। सिद्धार्थ ने उसे पूछा, "Can I hug you?"

    यह सुनकर आरू अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके उसे देखने लगी जिससे वह और भी क्यूट लग रही थी, तो सिद्धार्थ ने कहा, "अभी तुम ही ने तो कहा फ़्रेंड्स, तो क्या as a friend हम हग भी नहीं कर सकते?"

    तो आरू ने उसे देखा, फिर कुछ सोचकर उसने अपने दो कदम आगे बढ़ाकर सिद्धार्थ को हग कर लिया जिससे सिद्धार्थ के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई। उसने भी आरू को टाइटली हग कर लिया।

    आरू को हग करने के बाद उसकी दिन भर की टेंशन उड़न-छू हो गई। आरू को भी पता नहीं, पर उसकी बाहों में बहुत अच्छा लग रहा था जैसे वह बस ऐसे ही रहे। कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद आरू उसी धीरे से अलग हो गई, पर उसने अपनी नज़रें उठाकर उसे नहीं देखा और उसने कहा, "मुझे कुछ और पेशेंट्स को भी चेक करना है तो मैं जा रही हूँ।" यह बोलकर वह वहाँ से चली गई तो सिद्धार्थ भी नीचे वापस अपने वार्ड में आ गया।