प्यार? प्यार के बारे में हर किसी को पता ही है, बल्कि देखा है.. महसूस किया है.. पर यह लव स्टोरी आने वाले 2050 की है, यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जो एक ही समय पर न जाने कितने लोगों के साथ दिखाई देती है, समय बिरला जो एयर इंडिया का मोस्ट पावरफुल बिजनेसमै... प्यार? प्यार के बारे में हर किसी को पता ही है, बल्कि देखा है.. महसूस किया है.. पर यह लव स्टोरी आने वाले 2050 की है, यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जो एक ही समय पर न जाने कितने लोगों के साथ दिखाई देती है, समय बिरला जो एयर इंडिया का मोस्ट पावरफुल बिजनेसमैन था, समय बिरला जो अपना समय बिल्कुल भी बर्बाद नहीं करता, पर कहते है ना समय का कोई समय नहीं होता, और समय बिरला तब बर्बाद होता है जब उसकी लाइफ में अदा नाम की लड़की आती है, यह कहां से आती है? और किसके कहने पर आती है? इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं पता, पर हां पर इसके जाने से समय जरूर पागल हो जाता है | और जब उसके बारे में वह पता लगाता है, तो दिल दहला देने वाली बाते पता चलती है, वह इंसान नहीं ब्लकि मशीन से प्यार करता था | आख़िर कौन है ये अदा? जो एक ही शक्ल के अनेक लोगों के पास दिखाई देती है | जानने के लिए पढ़ते रहिये ' virtual Heartbeat' सिर्फ Story Mania पर !
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लिगसी हॉस्पिटल के वीआईपी रूम में एक लड़का दर्द से तड़प रहा था। यूँ कहा जाए तो वह अपनी ज़िंदगी और मौत से लड़ रहा था। उसी वक्त एक हट्टा-कट्टा पहलवान दौड़ते हुए डॉक्टर के केबिन में गया और जोर-जोर से आवाज़ देकर कहने लगा, "पेशेंट का कंडीशन खराब हो रहा है! प्लीज जल्दी चलिए!"
जो सुनकर दो डॉक्टर भागते हुए वार्ड में गए और तुरंत पेशेंट का ट्रीटमेंट करने लगे। यह देख वह आदमी पूछने लगा,
"What is all this? It's been two days and the patient's condition is getting worse instead of getting better."
उसका इतना कहना था कि उनमें से एक डॉक्टर ने कहा,
"I am sorry Mr. Bala but we are trying our best to make sure that the patient recovers as soon as possible. We hope that he recovers within 72 hours."
बाला रिक्वेस्ट करते हुए आगे बोला, "डॉक्टर, कुछ भी कीजिए, लेकिन प्लीज मेरे बॉस को जल्द से जल्द ठीक कीजिए।"
डॉक्टर और बाला का 10 मिनट तक कन्वर्सेशन चलता रहा। उसके बाद डॉक्टर उसे हौसला देते हुए वार्ड से बाहर चले गए।
डॉक्टर के जाते ही बाला अपना मोबाइल निकाला और इंडिया का न्यूज़ देखने लगा, जो दो रात से हाईलाइट हो रहा था।
सारे न्यूज़ चैनल और न्यूज़ रिपोर्टर का यही कहना था कि समय बिरला, जो इंडिया के मोस्ट पावरफुल बिजनेसमैन थे, आखिर ऐसा क्या हुआ कि रातों-रात वह बर्बाद होकर सड़क पर आ गए? आखिर क्यों उन्होंने अपने ही देश में अपने ही लोगों से गद्दारी की?
तो वहीं दूसरे न्यूज़ रिपोर्टर का कहना था कि आखिरकार अभी तक नंबर वन बिज़नेस चलाने वाले समय बिरला की कंपनी रातों-रात घोटाले में कैसे आ गई?
वही वेदांत कटारिया, जो टॉप 10 बिज़नेस में आते थे, आज नंबर वन पर है। आखिर यह सब कैसे हो गया?
न्यूज़ रिपोर्टर के पास लोगों के बहुत सारे सवाल थे, जिसका जवाब देने के लिए इस वक्त ना समय और ना ही उसकी सिक्योरिटी मौजूद थी।
यूँ कहा जाए तो समय बिरला की द ग्रुप ऑफ़ बिरला डूबने के कगार पर आ गई थी।
यह सारे न्यूज़ देखकर बाला बहुत ही फ्रस्ट्रेशन में आ गया था। वह वार्ड के बाहर बैठा बहुत परेशान होने लगा था। यूँ कहा जाए तो वह ऐसी सिचुएशन में फँस गया था जहाँ उसका दिमाग 1% भी काम नहीं कर रहा था।
वह इंडिया में कंपनी को बचाए या यहाँ अपने बॉस के हेल्थ का ध्यान रखे, वह परेशान होकर बैठा था। वह बहुत कुछ सोच ही रहा था कि तभी मोबाइल में उसे वेदांत कटारिया का लाइव कॉन्फ्रेंस दिखा, अपनी कंपनी की तरक्की के बारे में कुछ लाइनें बता रहा था।
"हर इंसान अपनी कंपनी को नंबर वन पर देखना चाहता है, पर सबकी बस की बात नहीं है। कुछ लोग ही उस ऊँचाइयों को छू पाते हैं, और जो लोग बहुत तेजी से ऊँचाई पर चढ़ते हैं, वे बहुत जल्द नीचे गिर जाते हैं!
एग्जांपल के तौर पर समय बिरला ही देख लीजिए, इतने सालों से नंबर वन पर थे, पर क्या हुआ? आज एकदम से नीचे, डाउन फ्लोर पर आ गए हैं!
मैं तो यही कहूँगा इतनी तेजी से तरक्की करना अच्छी बात नहीं है। वह कहानी तो सुना होगा, खरगोश और कछुए वाली, अब आप लोग समझदार हो, समझ लीजिये!"
वेदांत कटारिया इतना बोलकर अपनी आँखों पर गॉगल्स लगाते हुए मुस्कुराया और वहाँ से चला गया।
उसकी बातें सुनकर बाला के शरीर में आग लग गई। उसका खून इस वक्त खौल रहा था और वह अपना पूरा गुस्सा मोबाइल पर निकाल रहा था। अगर इस मोबाइल की जगह वेदांत कटारिया होता तो शायद उसका खून पी जाता।
बाला अपने दाँत पीसते हुए मन ही मन गालियाँ देते हुए कहा, "तरक्की! और तूने तरक्की किया है, एक नंबर का धोखेबाज़, सबसे बड़ा चीटर तो तू निकला... जितना तुझे उड़ान भरना है भर ले, एक बार मेरे बॉस को ठीक हो जाने दे, फिर देखना? तेरी उड़ान इतनी तेज़ी से भरेंगे कि तू ज़मीन पर लौट कर नहीं आएगा, वेदांत कटारिया!"
मोबाइल बंद करने के बाद बाला बड़े ध्यान से अपने बॉस को देख रहा था और तुरंत उसने अपना मोबाइल लेकर किसी को कॉल लगाया और बातें करते हुए कहा, "हेलो रॉनी, कहाँ हो तुम? मुझे तुम्हारी हेल्प की बहुत ज़रूरत है!"
कॉल की दूसरी तरफ से आवाज़ आई, "बोलो, क्या काम है? मैं तो तुम्हारे लिए हर वक्त हाज़िर रहता हूँ!"
इधर से बाला बोला, "इस वक्त तुम्हें बहुत बड़ा काम सौंप रहा हूँ, और बड़ी होशियारी से यह काम तुम्हें करना होगा, क्योंकि जो काम तुम्हें देने जा रहा हूँ, इसके बारे में किसी को भी कानों-कान भनक नहीं लगनी चाहिए!"
जो सुनकर रॉनी बोला, "क्या बात है बाला? बहुत परेशान लग रहे हो?"
उसकी बातें सुन बाला लंबी साँस छोड़ते हुए कहा, "हाँ, मैं बहुत परेशान हूँ, पर तुम्हें फ़ोन पर कुछ कह नहीं सकता। तुम्हारे मोबाइल पर एक लड़की का फ़ोटो भेज रहा हूँ, मुझे यह लड़की ज़िंदा या मुर्दा किसी भी हाल में चाहिए!"
बाला का इतना कहना था कि कॉल की दूसरी तरफ से रॉनी हँसते हुए बोला, "यार बाला, शेर को तुम लोमड़ी का शिकार करने के लिए कह रहे हो। यह तो तुम किसी को भी कह सकते थे, यूँ छुटकियों में कर देगा। मुझे शेर का शिकार करने में मज़ा आता है, और तुम मामूली सी लड़की का शिकार करने के लिए कह रहे हो!"
बाला सीरियस होते हुए कहा, "रॉनी, इस लड़की को कोई मामूली मत समझना, यह एक शेर नहीं बल्कि 100 शेर के बराबर है। अगर तुम इसका शिकार कर सकते हो तो बहुत बढ़िया, वरना मुझे नहीं लगता तुमसे यह काम होगा!"
बाला सीधे-सीधे रॉनी को ललकार रहा था। जो देख रॉनी को अपने ताकत का मज़ाक बनते हुए लगा और वह तुरंत रिएक्ट करते हुए बोला, "तुम रॉनी को चैलेंज दे रहे हो? वह भी एक लड़की की वजह से? तुम जल्दी से मुझे फ़ोटो भेजो और हाँ, बहुत जल्द हम दोनों की मुलाक़ात होगी!"
"i hope"
बाला इतना बोला और कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और रॉनी के व्हाट्सएप पर एक फ़ोटो भेजा।
उस फ़ोटो को बाला बड़े गौर से घूर-घूर कर देख रहा था और दाँत पीसते हुए कहा, "तुम्हारी वजह से मेरे बॉस की यह हालत हुई है, अब देखना अब मैं तुम्हारा क्या हश्र करता हूँ, तुम दुनिया के किसी भी कोने में रहो, तुम्हें एक न एक दिन ढूँढ कर तोड़ के चकनाचूर कर दूँगा, अदा मेहरा... i kill you!"
इंडिया - अल्फा इनफिनिटी इंडस्ट्री -
बहुत बड़ी बिल्डिंग थी जिसके शीशे दूर से ही चमक रहे थे। देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता था कि यह करोड़ों की बिल्डिंग होगी और यह वेदांत कटारिया की तरक्की की मेहनत दर्शाता था। जो देखकर कोई भी कह सकता था कि आखिर वेदांत कटारिया साल भर में इतनी तरक्की कैसे हासिल कर लिया। पर वेदांत के पास अपनी मेहनत का सबूत था; उसने बहुत सारे नए बिज़नेस स्टार्ट किए थे, इंडिया से लेकर विदेश तक, और वह बहुत तेज़ी से तरक्की करने लगा था।
वहीँ टॉप फ्लोर पर वेदांत बड़े से केबिन में एक पैर दूसरे पैर पर रख, बड़े शान से बैठा था। उसके सामने उसके भरोसेमंद लोग बैठे थे। और सबसे खास बात यह थी कि वह वीडियो कॉल पर बात कर रहा था। टेढ़ा मुस्कुराते हुए उसने कहा, "अब कैसी हो अदा..? मैं तुमसे पर्सनली मिलकर बात करना चाहता था, बल्कि तुम्हें थैंक्स भी तो कहना है, और हाँ, सबसे खास बात, तुम्हारा इनाम तुम्हें देना ही पड़ेगा..!"
वेदांत के हाथ में उस वक्त आईपैड था और वह मुस्कुराते हुए बोल रहा था। वीडियो कॉल की दूसरी साइड से उस लड़की ने कहा, "थैंक यू बॉस, वैसे आप आज बहुत हैंडसम दिख रहे हैं..!"
उस लड़की का इतना कहना ही था कि वेदांत के चेहरे का रंग बदल गया। वह बहुत गंभीर दिखाई दे रहा था और वह गुस्से भरे लहजे में बोला, "अपनी औकात भूल रही हो तुम? यह मत भूलो कि मैंने तुम्हें खरीदा है, बहुत बड़ी कीमत लगाई है, तो अपनी हैसियत में रहो, मुझ पर अपना जादू मत चलाना, वरना? पता है ना? तुम्हारे साथ क्या होगा..!"
वेदांत का इतना कहना ही था कि आईपैड में जो लड़की का चेहरा दिखाई दे रहा था, वह तुरंत माफ़ी मांगते हुए बोली, "सॉरी बॉस, आइंदा ऐसा कभी नहीं होगा, आपकी सारी शर्तें सिर आँखों पर..!"
"Good."
वेदांत इतना बोलकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और अपने दोनों हाथों को आपस में जोड़ते हुए बोला, "किसी को भी अपने करीब ज़्यादा दिन नहीं रखना चाहिए, वरना वह अपनी औकात भूल जाता है, वक़्त रहते उसे उसकी औकात दिखा देनी चाहिए और अब तुम्हारी बारी है..!"
इतना बोलकर वह शैतान की तरह हँसने लगा!
न्यू दिल्ली - कोऑपरेट कंपनी
यह दिल्ली की सबसे बड़ी कॉरपोरेट कंपनी थी, जहाँ हज़ारों एम्प्लॉइज़ काम करते थे। यहाँ दिल्ली के ही नहीं, बल्कि ना जाने कहाँ-कहाँ के लोग आकर जॉब करते थे। इस कॉरपोरेट कंपनी में लड़के-लड़कियाँ अनगिनत डे-नाइट शिफ्ट में काम करते थे। जहाँ लड़के-लड़कियाँ हों, वहाँ जाहिर सी बात है कि अफ़ेयर, प्यार, या आसान शब्दों में कहें तो लव बर्ड्स होते ही हैं, भले ही वे मैरिड हों या अनमैरिड!
इस कॉरपोरेट बिल्डिंग का रंग एकदम ब्लैक था। वहीँ थर्ड फ्लोर पर हंसिका नाम की एक लड़की लगभग दो साल से जॉब कर रही थी। हंसिका का शिफ्ट चेंज होता रहता था, पर उसे अपने काम या टाइम से कोई आपत्ति नहीं थी। पर हाँ, वह शिफ्ट तभी चेंज करवाती थी जब उसकी फ़्रेंड आयशा का शिफ्ट चेंज होता था।
क्योंकि हंसिका और आयशा की जोड़ी बहुत बेस्ट थी। उन्हें देखकर बहुत लोगों को जलन भी होती थी, यूँ कहें तो वे दोनों लव बर्ड्स की तरह रहती थीं। कई लोगों को तो उन पर शक भी होता था कि कहीं इन दोनों के बीच में कुछ गड़बड़ तो नहीं है ना? और अक्सर यह सब कुछ लड़के ही सोचा करते थे, पर वे सामने से उन्हें कह नहीं पाते थे। अगर उन्होंने उन्हें कुछ कहा तो यह बहुत बड़ा मुद्दा बन जाता, जिसकी वजह से वे सिर्फ़ अंदाजा लगाया करते थे।
कुछ लड़कियों को भी उन पर शक होता था, बल्कि वे उन दोनों पर नज़र भी रखती थीं, पर कुछ फ़ायदा नहीं क्योंकि उन्हें कोई सबूत नहीं मिलता था। लड़कियों में आपस में गॉसिप भी होती थी कि हंसिका का चाल-चलन एकदम मर्दाना जैसा है, तो वहीँ आयशा भी कोई कम नहीं है। देखा नहीं कैसे टच करती है, मुझे तो बिल्कुल भी उसका छूना, देखना पसंद नहीं है!
आयशा और हंसिका 15 दिन डे शिफ्ट में जॉब कर रही थीं, पर जब नाइट शिफ्ट उनका आता तो दोनों बहुत खुश हो जाती थीं, जैसे उन्हें आजादी मिल जाती। कल से उन्हें नाइट शिफ्ट दे दिया गया था। और वे दोनों अपने-अपने घर से बहुत जल्दी निकलती थीं। वे दोनों साथ में बैठकर काम भी करती थीं और उन दोनों का आपस में छूना, देखना, बोलना, मज़ाक-मस्ती बहुत ही अलग तरीके से होता था।
जो कोई नया इंसान अगर उन दोनों को देख ले तो वह समझने में बहुत कंफ्यूज़ हो जाएगा। उन्हें तो यही लगेगा कि ये दोनों कपल हैं, भले ही दिखने में लड़कियाँ दिखती हैं।
कल से वे दोनों टाइम से पहले जाकर कैंटीन में बैठकर गॉसिप करती रहीं, उसके बाद अपना काम जाकर करती थीं। पर कुछ रातें वे दोनों साथ में ही बाथरूम में जाती थीं और बहुत देर से निकलती थीं।
रात करीब 1:00 बजे वे दोनों साथ में बाथरूम के अंदर घुस गईं। वहीं हंसिका ने आयशा की गर्दन पकड़कर उसे अपने करीब किया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर पैशनेट किस करने लगी। बल्कि दोनों भूखी शेरनियों की तरह एक-दूसरे को किस कर रही थीं, और दोनों का हाथ दोनों के शरीर पर घूम रहा था। वहीं हंसिका को कंट्रोल नहीं हो रहा था और उसने तुरंत अपना एक हाथ आयशा के पेंट के अंदर डाल दिया। तभी दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आई जिससे दोनों एक झटके में एक-दूसरे से अलग हो गईं!
आयशा फटाफट अपने आप को और ड्रेस को ठीक करने लगी। वहीँ हंसिका भी अपने आप को ठीक कर रही थी और दोनों साथ में दरवाज़ा खोला। बाहर एक लड़की खड़ी थी और दोनों को देख उसकी आँखें फैल गईं। मुस्कुराते हुए बोली, "अरे तुम दोनों अंदर क्या कर रही हो..?"
उसका इतना कहना ही था कि हंसिका मुस्कुराते हुए बोली, "अरे! वो आयशा को डर लग रहा था, इसलिए मैं इसके साथ अंदर आ गई..!"
"डर! किस बात का डर..? कौन है यहाँ जिससे तुम्हें डर लग रहा है..?"
हंसिका आयशा का हाथ पकड़ बाहर जाते हुए बोली, "तुम नहीं समझोगी..!"
इतना बोलकर वह चली गई। वहीँ वह लड़की अपने कंधे ऊपर करते हुए बाथरूम के अंदर गई। उसे बहुत अजीब सा फील हो रहा था, पर उसने बगैर किसी रिएक्शन के दरवाज़ा बंद कर दिया।
दोनों लड़कियाँ अपने डेस्क पर आकर बैठ गईं। वहीं थोड़ी देर बाद हंसिका का हाथ आयशा की जांघ पर था। अब दोनों लड़कियाँ थीं इसलिए उन पर कोई ध्यान नहीं देता था।
यहाँ क्या? बहुत से लड़के-लड़कियाँ थे जो मज़ाक-मस्ती करते थे और यह तो कॉरपोरेट कंपनी थी, यहाँ तो यह सब चलना मामूली सी बात थी।
To be continued....
थाईलैंड में रॉनी अपने सीनियर लीडर के कॉल के बाद से ही लड़की को ढूँढ़ने के काम में जुट गया था। उसने बाकी लोगों को भी इस काम में लगा दिया था। रॉनी यहाँ एन्जॉय करने आया था, पर उसके नसीब में यह नहीं था। वह अपना 100% देने को तैयार हो गया था। उसने अपने आदमियों को फोटो शेयर करते हुए कहा, "यह लड़की कहीं भी हो, किसी भी हाल में हो, मुझे चाहिए... मतलब चाहिए!"
उसके आदमियों ने सबसे पहले भारत में तलाश शुरू कर दी थी क्योंकि लड़की की शक्ल-सूरत और नाम से वह भारतीय लग रही थी। इसलिए उन्होंने हर जगह उसकी तलाश शुरू कर दी थी।
लंदन के लेगेसी हॉस्पिटल में रात का समय था। बाला ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठा था। उसका दिमाग बिल्कुल काम नहीं कर रहा था क्योंकि वह हमेशा अपने बॉस के हिसाब से चलता था। पर आज वह मजबूर था। वह अपने मालिक के होश में आने का इंतज़ार कर रहा था। डॉक्टर जितनी बार आते, वह उतनी बार पूछता, "कब उन्हें होश आएंगे?" डॉक्टर एक ही बात कहते, "अभी हम कुछ नहीं कह सकते। आप बस भगवान से प्रार्थना कीजिए कि उन्हें जल्दी होश आ जाए। हम तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं।"
बाला बाहर कुर्सी पर बैठा अपने मोबाइल को देख रहा था। उसके पास दो मोबाइल थे, जिनमें से एक उसने बंद कर दिया था। वह मन ही मन बोला, "मैं यहाँ से कहीं नहीं जा सकता। कहीं ऐसा न हो कि दुश्मनों को पता चल जाए कि मैं और मेरे बॉस यहाँ मौजूद हैं। कहीं उन्हें मौका न मिल जाए!"
यह सोचकर वह परेशान होने लगा और खुद से वादा किया, "जब तक बॉस को होश नहीं आ जाता, मैं यहाँ से कहीं नहीं जाऊँगा। मेरे बॉस बहुत जल्द होश में आएँगे, वह ठीक हो जाएँगे। उसके बाद बहुत लोगों से बदला लेना है!"
रात 1:00 बजे वार्ड में कुछ डॉक्टर आए जो दिखने में बहुत सीनियर लग रहे थे। उनकी उम्र लगभग 55-60 वर्ष होगी। जैसे ही वे दरवाजे तक पहुँचे, बाला ध्यान से उन्हें देखने लगा। बाला उनसे बात करने ही वाला था कि वे डॉक्टर अंदर चले गए। बाला दरवाजे पर खड़ा होकर अंदर की तरफ देख रहा था। वहाँ एक छोटा-सा काँच का दर्पण लगा हुआ था। डॉक्टर अंदर जाकर चेकअप कर रहे थे।
काफी देर तक दोनों डॉक्टर पेशेंट का चेकअप करते रहे। जब वे दोनों बाहर निकले तो बाला सामने खड़ा हो गया और हाथ जोड़ते हुए बोला, "डॉक्टर, कैसे हैं मेरे बॉस? और कब तक ठीक हो जाएँगे? प्लीज़ कुछ तो बताइए?"
उनमें से एक डॉक्टर ने कहा, "आप पेशेंट के क्या लगते हैं?"
डॉक्टर का इतना कहना था कि बाला घबराते हुए उन्हें देखने लगा और बोला, "मैं उनके बॉडीगार्ड हूँ और ये मेरे बॉस हैं।"
यह सुनकर डॉक्टर ने कहा, "आप मेरे साथ केबिन में चलिए।"
इतना कहने के बाद बाला डॉक्टर के साथ केबिन में गया। उसके चेहरे का भाव एकदम बदल गया था। वह अंदर से बहुत घबराया हुआ था कि कहीं डॉक्टर कुछ नकारात्मक बातें न कह दें। यही सब सोच वह परेशान हो रहा था। डॉक्टर चेयर पर बैठते हुए बाला को भी बैठने के लिए कहा।
केबिन में एकदम शांति का माहौल था। रात का समय था। डॉक्टर ने बाला के सामने एक फाइल रखते हुए कहा, "पेशेंट को जो आंतरिक चोट लगी है, वह किसी लकड़ी या हाथ से नहीं लगी है, बल्कि यह मज़बूत लोहे से मारा गया है। उनकी कुछ जगह पर नसें डैमेज हो गई हैं जिससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक से नहीं हो पा रहा है, जिससे पेशेंट को होश आने में वक़्त लग रहा है।"
बाला बड़े ध्यान से बातें सुन रहा था। 2 मिनट रुकने के बाद डॉक्टर ने आगे कहा, "इतना टेस्ट करने के बावजूद भी, आखिरकार जहाँ पर उन्हें चोट लगी है, ऐसा कोई टेस्ट के लिए कुछ मिल नहीं रहा है...? जैसे कि इतनी चोट लगने के बावजूद जिस हथियार से उन्हें मारा गया, उस हथियार का कुछ पार्ट अगर मिल जाता था, तो हम लोग लैब में उसे चेक कर सकते थे। बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड पेशेंट है।"
"ऐसे यह सब होने के समय तुम कहाँ थे?"
डॉक्टर का सवाल सुन बाला अंदर से घबरा रहा था, पर उसने अपने चेहरे पर यह नहीं दिखाया। हिम्मत करते हुए बोला, "डॉक्टर साहब, माना वह मेरे बॉस हैं, पर उनकी पर्सनल और प्रोफ़ेशनल लाइफ़ भी है। कुछ समय वह अकेले भी बिताते हैं, और जब यह सब हुआ तब मैं वहाँ पर नहीं था।"
बाला की बातें सुनने के बाद डॉक्टर बोले, "खैर! जो भी हो, मेरा नाम Enzo है, मुझे इटली से बुलाया गया है, और आज से पेशेंट का ट्रीटमेंट मैं करूँगा।"
बाला और डॉक्टर थोड़ी देर और बात करते रहे। उसके बाद बाला केबिन से बाहर निकला और अपने बॉस की निगरानी करने लगा। कुछ देर बाद डॉक्टर वापस ऑपरेशन थिएटर में गए और पेशेंट का ट्रीटमेंट करना शुरू कर दिया। वे अपने तरीके से पेशेंट को ठीक करने की कोशिश कर रहे थे।
इधर भारत में, अल्फा इनफिनिटी कंपनी में वेदांत कटारिया अपनी सफलता की ढेरों बधाइयाँ बटोर रहा था। उसे देश-विदेश से सभी लोग बधाई दे रहे थे। आज वह बहुत खुश था। इतनी खुशियाँ मिलने के बावजूद भी, जब वह एक मिनट भी अकेला रहता तो उसके चेहरे का रंग उड़ जाता था। पता नहीं ऐसी कौन सी बात थी जो उसे अंदर से खाए जा रही थी। वह कहीं न कहीं परेशान दिख रहा था। यूँ कहा जाए तो इतनी खुशियाँ मिलने के बावजूद भी वह अंदर से कहीं न कहीं खुश नहीं दिखाई दे रहा था।
पर अपनी खुशी को बनाए रखने के लिए उसने अपने गार्ड को अपने पास बुलाया और कहा, "अगर कोई मुझसे मिलना चाहे तो उसे कह देना कि मैं इस वक़्त भारत में नहीं हूँ, क्योंकि मैं अकेला रहना चाहता हूँ।"
उसका आदेश सुनते ही उसके गार्ड ने सिर हिला दिया।
क्रमशः...
क्या रॉनी को उस लड़की का पता मिलेगा? आखिर पेशेंट कौन है जिसे अभी तक होश नहीं आया? और वेदांत कटारिया जो इतनी सफलता मिलने के बावजूद भी परेशान है? सारी गुत्थी को सुलझाने के लिए कृपया कहानी को पढ़ते रहिए। वर्चुअल हार्टबीट
कृपया, टिप्पणी और समीक्षा देना न भूलें।♥️🙏
एक हफ़्ते बाद
देखते-देखते एक हफ़्ता बीत गया, पर समय बिरला की तबीयत में कोई बदलाव नहीं आया। जो देखा, उसका बॉडीगार्ड बाला परेशान होता जा रहा था।
उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था कि वह क्या करे जिससे उसका बॉस ठीक हो जाए।
रोज नए-नए डॉक्टर आकर उसका ट्रीटमेंट कर रहे थे, पर कोई भी गारंटी नहीं ले रहा था कि समय बिरला उठकर बैठ सकता है।
बाला अपनी उम्मीदें खोता जा रहा था। वह दिन-रात डॉक्टरों की लिस्ट देख रहा था और दुनिया के सबसे बेस्ट डॉक्टरों को हायर कर रहा था।
पर कुछ फायदा नहीं हुआ। समय बिरला एक लाश की तरह बेड पर पड़ा था। इन एक हफ़्तों में न जाने कितने सारे डॉक्टर उसका इलाज कर चुके थे, पर होश में आना तो दूर, उसकी बॉडी का एक भी पार्ट मूव नहीं कर रहा था।
बाला अपने बॉस को छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकता था क्योंकि उसके दुश्मन इतने थे कि ना जाने कब फूंक मारते हुए यहां टपक जाएँ। इसलिए वह बड़ी सावधानी से छुपाकर उसका लंदन में इलाज करवा रहा था।
करीब देर रात को एक लेडिज डॉक्टर वार्ड में इंटर हुई। वह इस वक़्त अपने चेहरे पर मास्क लगाई हुई थी। वह अंदर जाते ही पेशेंट से थोड़ी दूरी बनाकर खड़ी हो गई और बड़े गौर से पेशेंट को निहारने लगी।
वहीं बाला बाहर बेंच पर बैठे-बैठे सो गया क्योंकि वह दिन-रात अपने बॉस का ख्याल रख रहा था। पर एक वक़्त शरीर भी जवाब देने लग जाता है। वही हाल बाला का भी था; वह थक चुका था और न जाने कब वह गहरी नींद में सो गया।
अंदर लेडिज डॉक्टर ने पेशेंट का इलाज करना शुरू कर दिया। वह काफी देर तक उसका इलाज करती रही। थोड़ी देर में बाला को महसूस हुआ कि वार्ड के अंदर बहुत से लोग आ जा रहे हैं।
जिससे वह अचानक अपनी आँखें खोलकर देखा तो वहाँ कोई नहीं था। और वह अपने आप को रिलैक्स करने लगा। पर जैसे ही उसने वार्ड के अंदर झाँककर देखा,
तो उसका बॉस वहाँ पर नहीं था। उसे यकीन नहीं हुआ तो उसने अपनी आँखें मसलते हुए ध्यान से देखा, तो सचमुच उसका बॉस नहीं था।
बाला तो सदमे में जाने के कगार पर आ गया। उसके चेहरे पर हज़ारों तरह के भाव दिखाई देने लगे। उसने वार्ड का दरवाज़ा जोर से खोलकर अंदर गया तो वहाँ पर उसका बॉस नहीं था। वह हर जगह झाँककर देखने लगा।
यहाँ तक कि बेड के नीचे और वॉशरूम में जाकर भी उसे अपना बॉस नहीं मिला। वह जल्दी से वार्ड से बाहर निकला। रात भी काफी हो गई थी और वह दौड़ते हुए डॉक्टर के केबिन में गया।
जैसे ही वह अंदर गया, उसी वक़्त किसी ने पीछे से उसके चेहरे पर कुछ किया जिससे वह बेहोश हो गया और वहीं गिर गया। उसके बाद उसके साथ क्या हुआ, उसे कुछ नहीं पता।
करीब सुबह के 4:10 बजे,
बाला के सिर में बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था और वह धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलने की कोशिश कर रहा था। जैसे ही उसने पूरी तरह अपनी आँखें खोलकर देखा, तो वह किसी कमरे में बंद था।
यह देखकर वह हड़बड़ाकर पूरी तरह अपने आप को होश में लाया और अपने दिमाग पर ज़ोर देते हुए सोचने लगा कि वह इसके पहले कहाँ था और इस वक़्त कहाँ है? और उसे सब कुछ याद आने लगा कि वह सोया था और जब उसकी आँख खुली तो उसका बॉस वहाँ पर नहीं था।
यह सब कुछ याद आते ही वह परेशान हो गया और अपने आस-पास देखा तो वह एक कमरे में अकेला बंद था। और वह यहां से निकलने के लिए दरवाज़ा ढूंढने लगा। जैसे ही उसे दरवाज़ा मिला, उसने उसे खोलने की कोशिश की। वह जोर-जोर से दरवाज़े पर हाथ पीटने लगा, पर किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला।
अब उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? उसे यहाँ आखिर किसने लाया? उसे समझने में देरी नहीं लगी कि यह ज़रूर उसके किसी दुश्मन का ही काम है!
बाला लगातार दरवाज़ा जोर-जोर से बजा रहा था, तो वहीं एक कमरे में एक लड़की उसे देख रही थी।
जब उसे रहा नहीं गया, तो वह तुरंत उठकर गई। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, अंदर बाला जो परेशान होकर बैठा था, वह तुरंत उठकर देखने लगा।
जैसे ही उसने सामने देखा, वह चौंककर बोला, "करिश्मा तुम... तुम ज़िंदा हो? और ये सब क्या है? तुमने मुझे यहाँ कैद करके रखा है... और बॉस कहाँ है!?"
बाला एक साथ कई सारे सवाल पूछ लिए। यह सुनकर करिश्मा कुछ नहीं बोल रही थी। तो वहीं बाला को गुस्सा आने लगा और वह चिढ़ते हुए बोला, "तुम कुछ बोलोगी या ऐसे ही मुझे देखती रहोगी? मेरे सारे सवालों का जवाब दो!"
करिश्मा दो मिनट शांत रही, उसके बाद बोली, "मैं कैसे बच गई यह सब तुम्हें बाद में बताऊँगी। अगर मैं सही वक़्त पर आकर तुम्हें ना बचाती, तो आज तुम और बॉस दोनों की जान ख़तरे में थी!"
"यह तुम क्या कह रही हो?? यह कैसे पॉसिबल है..?"
बाला बोल ही रहा था कि उतने में करिश्मा हाथ में आईपैड लिए उसे एक वीडियो दिखाने लगी, जो कि हॉस्पिटल के बाहर कुछ लोग कैसे मंडरा रहे थे, और उनकी नज़र बाला पर ही थी।
करिश्मा उसे सब कुछ बताने लगी। जो सुनकर बाला भी शॉक्ड हो गया और वह करिश्मा पर शक नहीं कर रहा था, क्योंकि करिश्मा उसके बॉस के लिए ही काम करती थी।
पर अचानक हुए हमले की वजह से वह गायब हो गई थी और सभी को यही लगा था कि वह मर गई होगी। पर उसे ज़िंदा देखकर सबसे ज़्यादा बाला को खुशी हुई।
करिश्मा ने आईपैड बंद करके साइड में रख दिया और गहरी सोच में सोचते हुए बोली, "मेरी मुलाक़ात रॉनी से हुई और रॉनी ने ही बताया कि तुम यहाँ हो, और मैं बिना वक़्त गँवाए यहाँ आ गई... पर जैसे ही अंदर आई, मुझे कुछ लोगों के बारे में पता चला और जब मैं उन पर निगरानी करने लगी, बाकी तो तुम देख ही सकते हो। और अगर तुम्हें और बॉस को यहाँ नहीं ले आती, तो न जाने आज क्या हो जाता!"
बाला उसे थैंक्स कहने लगा, पर वह अपने बॉस के लिए परेशान होते हुए बोला, "बाकी सब तो ठीक है, पर बॉस का इलाज यहाँ कैसे होगा?"
यह सुनकर करिश्मा बोली, "तुम्हें इसकी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है। जो काम उन डॉक्टरों ने नहीं कर सके, वह सब अभी यहाँ होगा!"
करिश्मा का इतना कहना था कि बाला उसे ध्यान से देखने लगा क्योंकि उसे कुछ भी समझ में नहीं आया कि करिश्मा कहना क्या चाहती है।
क्रमशः...
आखिर कौन है यह करिश्मा और क्या करना चाहती है? कहानी में आगे क्या मोड़ आने वाला है, यह जानने के लिए प्लीज़ पढ़ते रहिये वर्चुअल हार्टबीट!
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करिश्मा की बातें बाला को बिल्कुल भी समझ में नहीं आईं, जिसके चलते उसने सवाल करते हुए पूछा, "करिश्मा, तुम क्या कहना चाह रही हो? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा। प्लीज, मुझे साफ-साफ शब्दों में बताओ, तुम कहना क्या चाहती हो?"
करिश्मा अजीब तरह से मुस्कुराई और बोली, "तुम्हें ऐसे समझ में नहीं आएगा, चलो, मैं तुम्हें कुछ दिखाती हूँ!"
करिश्मा बाला को अपने साथ एक सीक्रेट रूम में ले गई, जहाँ पर बड़ी मुश्किल से लोग अंदर जाते थे।
बाला जैसे ही अंदर गया, वह वहाँ का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया क्योंकि अंदर एकदम ठंडा मौसम था। इतना ठंडा कि बाहर जो उसे इतनी गर्मी हो रही थी, अब उसे अंदर एकदम से ठंड लगने लगी।
और जैसे ही उसकी नज़र सामने स्ट्रेचर पर सुलाए गए उसके बॉस पर गई, उसे देखकर बाला भागते हुए एकदम सामने गया और बोला, "करिश्मा, तुम मेरे बॉस के साथ क्या करना चाहती हो? और यह सब क्या है? और इन्हें डॉक्टर की ज़रूरत है, तुम इन्हें यहाँ पर क्यों लाई हो?"
बाला सवाल पर सवाल करता जा रहा था। करिश्मा दो मिनट चुप रही, उसके बाद बोली, "बाला, तुम जितना हाइपर होते हो ना, उतना बिल्कुल भी काम नहीं करते। तुम इन्हें डॉक्टर के पास लेकर गए थे... क्या हुआ? क्या डॉक्टर ने इन्हें ठीक कर दिया? नहीं ना? और तुमने इंडिया के सारे न्यूज़ देख लिए ना, कि सर के बारे में क्या-क्या अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं? और तुम हो कि एक मामूली से डॉक्टर के सहारे बैठे हो। पता नहीं बॉस को ठीक होने में कितना वक्त लग सकता है, और हम ऐसे चुपचाप नहीं बैठ सकते। हमें उसे वेदांत कटारिया का मुँह तोड़ जवाब देना है!"
"और वो कैसे?" बाला अजीब तरह से देखते हुए करिश्मा से पूछा।
बाला का रिएक्शन देखकर करिश्मा समंदर की गहराई जैसा मुस्कुराई। उसकी मुस्कराहट के पीछे भी न जाने कितने राज़ छुपे थे? वहीँ बाला उसे घूर रहा था।
करिश्मा उसे समझाते हुए बोली, "बाला, दुनिया को वही दिखाई देता है जो वह सामने दिखाता है, पर जो वह सामने देखता है उसके पीछे का राज़ किसी को पता नहीं। और इस वक्त बॉस का सब कुछ बर्बाद हो रहा है, और हम दोनों उनके लेफ्ट और राइट हैंड हैं। और हमें अपने बॉस को इस वक्त बचाना बहुत ज़रूरी है, बल्कि उनकी सभी चीज़ों को हासिल करना है जो उन्होंने खोया है। क्या कहते हो तुम?"
बाला करिश्मा की बातें बड़े गौर से सुन रहा था और बोला, "तुम जो कह रही हो, वह तो ठीक है। तुम कहना क्या चाहती हो, वह साफ़-साफ़ शब्दों में मुझे बताओ। यूँ ही पहेलियाँ मत बुझाया करो!"
करिश्मा टेढ़ी मुस्कुराई और बोली, "जो काम अदा ने और उसके साथी ने मिलकर बॉस के साथ किया, उसका जवाब भी हम उसी तरह देंगे!"
करिश्मा बोल ही रही थी कि बीच में बाला टोकते हुए कहा, "यह क्या बकवास है? तुम क्या उन लोगों की तरह पागल हो गई हो? तुम्हें क्या इतना नहीं पता, इंसान और मशीन में फ़र्क? और तुम चली हो एक जादुई शक्तिशाली मशीन के साथ लड़ाई करने। उसके आगे हम इंसान कमज़ोर पड़ जा रहे हैं। देखा नहीं उसने बॉस का क्या हाल कर दिया? अरे, वह तो जान से मारने की उतावली हो गई थी! और तुम कह रही हो कि उससे हम लोग पंगा लें? अरे, शुक्र मानाओ कि बॉस की जान बच गई है, पर पता नहीं इन्हें कब होश आएगा। और हम दोनों बच गए हैं। मुझे तो पहले लगा कि तुम मर गई हो, पर तुम्हें देख मुझे फिर से उम्मीदें जाग रही हैं। पर हम अब पहले जैसे खिलाड़ी नहीं रहे, क्योंकि हमारे बॉस पेशेंट की हालत में पड़े हैं। बिज़नेस पूरी तरह बर्बाद हो चुका है, और तो और हमारे साथी कितने मारे गए, सब बर्बाद हो गया है!"
बाला की बातें सुनकर करिश्मा को गुस्सा आने लगा और वह चिढ़ते हुए बोली, "बाला, बकवास मत कर। मैं बकवास में नहीं हूँ, तुम कर रहे हो। जिन लोगों ने हमारे बॉस को बर्बाद किया है, वह बहुत ही शातिर और चालाकी के साथ किया है। क्या हम नहीं वैसे कर सकते? हम भी वैसे ही करेंगे जैसे कि उन लोगों ने किया है, पर तुम्हें देखकर तो यही लग रहा है कि तुम मेरा साथ नहीं देना चाहते... गीदड़ की तरह पीछे हट रहे हो। यह मत भूलो बाला... कि तुम्हारा नाम बॉस ने ही रखा है बाला। तुम वह बाला हो जो एक वक्त में पाँच से दस लोगों को मार गिराते थे, पर आज तुम्हें क्या हो गया है? क्यों इतने भीगे गीदड़ की तरह पीछे हट रहे हो?"
करिश्मा जिस तरह से बोल रही थी, उसे देख यही लग रहा था कि वह बाला को उकसाने का काम कर रही है। वहीँ बाला भी भड़कते हुए बोला, "हाँ, मैं बन गया हूँ गीदड़, सियार, बंदर, जो तुम्हारे दिल में आ रहा है वह सब में बन गया हूँ, क्योंकि मैं कोई भी काम जल्दबाज़ी में नहीं करता। इतना मैंने अपने बॉस से सीखा है। और आज मेरा बॉस अस्पताल के बेड पर पड़ा है, जिसकी वजह से मैं कुछ भी नहीं कर सकता। मुझे किसी भी हालत में उन्हें बचाना है, उसके लिए मुझे बंदर, घोड़ा, गधा, जो बना है वह सब में बनने के लिए तैयार हूँ!"
बाला इतना बोलकर इमोशनल हो गया। उसको इस तरह देख करिश्मा उसे समझाते हुए बोली, "देखो बाला, मैं जानती हूँ तुम बहुत दुखी हो, जिस तरह तुम दुखी हो वैसे ही मैं भी हूँ। और हम दोनों चाहते हैं कि हमारे बॉस जल्द से जल्द ठीक हो जाएँ, पर पता नहीं उन्हें ठीक होने में कितना वक्त लग सकता है। इसलिए मेरी बात ध्यान से सुनो। जिस दिन बॉस अगर ठीक हो गए, क्या उन्हें बुरा नहीं लगेगा कि उनकी कंपनी किसी ने छीन ली है, राज़ कर रहा है? तो उसी तरह हमें भी एक मौका आजमाना चाहिए, क्या पता सब कुछ ठीक हो जाए!"
"करिश्मा, जो तुम कह रही हो, और कोई आसान काम नहीं है। इससे तुम भी पकड़ी जाओगी, मैं भी। और कहीं यह न हो कि हमारे बॉस का जान चली जाए तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा। अगर उन्हें पता चल गया कि बॉस अभी भी ज़िंदा है तो वह ढूँढते-ढूँढते यहाँ तक पहुँच जाएँगे!"
बाला बोल ही रहा था कि उसकी बात बीच में काटते हुए करिश्मा बोली, "बाला, इंसान से एक बार गलती होती है, बार-बार नहीं। और इस बार हम फूँक-फूँक कर कदम रखेंगे। और अपने दुश्मनों से इतना तो सीख गए हैं कि दुश्मनी किस तरह से निभाता है? तुम परेशान मत हो बाला, सब सही होगा!"
बाला भी अपने बॉस का बदला लेना चाहता था, पर वह इस वक्त अकेला पड़ चुका था और उसका दिमाग कुछ काम नहीं कर रहा था। उसे अपने बॉस को भी बचाना था, इसलिए वह कोई भी कदम नहीं उठा पा रहा था। पर करिश्मा का ज़िद और जुनून देखकर वह भी उसके बातों में आ गया।
करिश्मा बाला को एक सीक्रेट रूम में ले गई और उसे आगे कदम उठाने के लिए कहने लगी।
To be continue...
करिश्मा बाला को लेकर एक सीक्रेट रूम में गई। कमरे के माहौल से अजीबोगरीब वाइब्स आ रहे थे। यह देखकर बाला ने अजीब सा चेहरा बनाते हुए करिश्मा की ओर देखा और कहा, "यह कैसा कमरा है..? मुझे यहाँ बहुत अजीब लग रहा है..?"
करिश्मा बाला के एकदम पास आई और उसे समझाते हुए बोली, "अभी तुम्हें सब कुछ समझ आ जाएगा..!"
करिश्मा ने ताली बजाई और आवाज़ दी, "मिस्टर मैक्सवेल, प्लीज़ प्लीज़ आप बाहर आ जाइए..!"
करिश्मा की आवाज़ सुनकर एक आदमी, चेहरे पर मार्क्स लगाए हुए, बाहर आया। उसके साथ दो-तीन और लोग भी थे। वे सभी बाहर आकर अपना परिचय दिया।
"हेलो, माई नेम इज़ मैक्सवेल, जस्टी, केविन, मसीहा, फेलिक्स..!"
वहाँ मौजूद सभी लोगों ने अपना नाम और काम बताया। उन्होंने बताया कि वे डॉक्टर हैं और साथ ही बहुत बड़े साइंटिस्ट भी हैं।
उनका नाम और काम सुनकर बाला घबराई हुई निगाहों से उन्हें देख रहा था। वहीं करिश्मा उनका स्वागत करने लगी।
करिश्मा ने आगे कहा, "तो, जैसे कि आप लोगों से मेरी पहले ही बात हो चुकी है, हमारे बॉस का एक्सीडेंट हुआ है। यह बात मैंने आप लोगों को पहले ही बता दी है। यह एक्सीडेंट उनके दुश्मनों के हमले की वजह से हुआ है। उन्हें ऐसा लगता है कि वे मर चुके हैं। और देखा जाए तो हमारे बॉस को अभी तक होश नहीं आया है। इसलिए यह कह पाना मुश्किल हो रहा है कि कब उन्हें होश आएगा या नहीं? या आने में काफी वक्त लग सकता है?"
"जिसके कारण हर किसी को जवाब देना मुश्किल हो रहा है, यहाँ तक कि घरवाले, न्यूज़ रिपोर्टर, मीडिया, प्रेस, हर किसी को। और अगर ऐसे ही रहा, तो जब बॉस को होश आएगा, तब तक वे पूरी तरह बर्बाद हो चुके रहेंगे..!"
"अभी वक्त है कि हम उन्हें बचा सकते हैं। हमारे बॉस का इलाज जारी रहेगा, पर दुनिया वालों और घर वालों के लिए वे सही-सलामत और ज़िंदा रहेंगे। जिसकी वजह से आप लोगों को हूबहू उनके जैसा ही रोबोट तैयार करना होगा..!"
करिश्मा की बातें सुनकर वहाँ मौजूद लोगों में से मैक्सवेल ने कहा, "आपने हमें यह अवसर दिया है, तो हम आपको निराश नहीं करेंगे। यह मेरी टीम है, मैं इनका लीडर हूँ। मेरी टीम में ग्राफ़िक डिजाइनर और इंजीनियर सभी लोग हैं। हम सभी मिलकर जैसा आप चाहती हैं, वैसा रोबोट तैयार कर देंगे..!"
"कितना वक्त लगेगा..?"
करिश्मा ने सवाल किया। बाला सदमे में था। उसे यह सब सुनकर और देखकर अजीब सा लगने लगा।
वहीं मैक्सवेल ने कहा, "मुझे एक महीने का समय चाहिए, पर आपको देखकर मुझे लगता है कि यह काम जल्दी होना चाहिए। इसलिए हम एक महीने के अंदर कोशिश करेंगे कि हूबहू आपके बॉस, यानी समय बिरला जैसे रोबोट तैयार कर सकें..!"
वह साइंटिस्ट बोल ही रहा था कि बाला बीच में बोल पड़ा, "क्या सच में तुम मेरे बॉस, यानी समय बिरला जैसा मशीन बना सकते हो..?"
यह सुनकर मैक्सवेल अजीब तरह से मुस्कुराया और कहा, "आपको देखकर यही लगता है कि आप बहुत पिछड़ गए हैं। दुनिया बहुत तरक्की कर चुकी है और आजकल तो मशीनों का जमाना है। इंसानों से ज़्यादा मशीनों की ज़रूरत हमें दिन-ब-दिन पड़ रही है..!"
उसकी बातें सुनकर बाला ने अपने हाथ से अपने माथे को रगड़ना शुरू कर दिया। यह देखकर करिश्मा आगे बोली, "क्या तुम भूल गए बाला? अदा ने जो हमारे बॉस के साथ किया और उससे बदला लेने के लिए यह मशीन ही मशीन को तोड़ेगा, समझ रहे हो तुम मेरी बात?... तुम ही कह रहे थे ना कि हम उससे नहीं लड़ सकते? तो मान लिया हम नहीं लड़ सकते, पर यह मशीन तो उससे लड़ सकता है ना? लोहा लोहे को ही काटता है, और यह लोहा उसे काटेगा..!"
करिश्मा की बातें अब जाकर बाला को समझ में आईं और उसने उसे देखते हुए कहा, "हाँ, तुम सही कह रही हो... लोहा लोहे को काटता है और अदा मेहरा को यह रोबोट ही नाश करेगा। ठीक है, तो अब हमें क्या करना होगा..?"
बाला का हाँ सुनकर करिश्मा खुश हो गई और बोली, "हमें अब कुछ नहीं करना है, जो करना है यह टीम करेगी। तब तक हम बॉस की निगरानी करेंगे और उनके लिए मैं डॉक्टर बुलाती हूँ। आज से उनका यहीं इलाज होगा। यह बहुत ही सुरक्षित जगह है, जहाँ किसी को कुछ नहीं पता और हम यहाँ रोज नहीं आएंगे। वरना कोई हमारा पीछा कर ले, तो दुश्मनों को यहाँ तक खबर मिल जाएगी..!"
यह सुनकर बाला बोला, "हाँ, तुम सही कह रही हो। मैं तब तक इंडिया जाकर बॉस के घरवालों का हालचाल ले लेता हूँ। आखिर वहाँ क्या चल रहा है?" यह सुनकर करिश्मा ने सिर हिलाकर हाँ में उत्तर दिया।
उधर थाईलैंड में-
रॉनी ने अदा का फोटो अपनी सभी खबरियों को भेज दिया था और वह भी इस काम में लग चुका था, पर उसे कोई सबूत नहीं मिल रहा था।
इतने बड़े जगत में एक आम सी लड़की को ढूँढ़ना मुश्किल हो रहा था। रॉनी को समझ नहीं आ रहा था कि उसे कहाँ से शुरूआत करनी चाहिए। वैसे उसके खबरियों ने हर जगह उसे खोजा, पर रॉनी खुद कशमकश में था क्योंकि उसे रिजल्ट जल्द देना था।
आखिरकार, रॉनी अपनी छुट्टियाँ बर्बाद करते हुए भारत आने का फैसला किया, ताकि वह यहीं से खोज शुरू कर सके।
वह जानता था कि इस लड़की के बारे में कुछ न कुछ सबूत यहीं मिल सकता है। इसलिए उसने बिना वक्त गँवाए भारत के लिए रवाना हो गया।
रॉनी बाला से संपर्क करने की कोशिश कर रहा था, पर इस वक्त संपर्क नहीं कर पा रहा था क्योंकि बाला किसी अलग काम पर था और अलग जगह पर था जिस वजह से नेटवर्क फेल बता रहा था।
रॉनी काफी देर तक उसे संपर्क करता रहा और जब संपर्क नहीं हो पाया तो उसने तुरंत शाम की फ्लाइट पकड़कर भारत के लिए रवाना हो गया।
To be continue...
एक बहुत बड़े कमरे में, जहाँ मैक्सवेल अपनी टीम के साथ ड्यूटी पर पहुँचा था, वह कमरा नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा गोदाम था। यहाँ से बाहर की कोई आवाज़ नहीं आ सकती थी, और ना ही कोई अंदर जा सकता था।
यह गोदाम पूरी तरह से पैक था। अंदर रखे सिस्टम को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता था कि यह डॉक्टर का काम है; बाकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैक्सवेल अपनी टीम को बहुत बारीकी से समझा रहा था।
उसकी टीम अपने-अपने नोटपैड में सब कुछ नोट कर रही थी। थोड़ी देर बाद, उन्होंने एक बड़े एलईडी टीवी पर एक तस्वीर बनाई जो लोहे के आकार जैसी मानव शरीर जैसी दिख रही थी। वहीं, बगल के कंप्यूटर की स्क्रीन पर समय बिरला का चेहरा लगा हुआ था।
मैक्सवेल बहुत ध्यान से समय बिरला के फोटो को देख रहा था। नाक, नक्श, सब कुछ ध्यान से देखने के बाद, उसने पेंसिल लेकर एक कागज़ पर ड्राइंग करना शुरू कर दिया। उसकी टीम उसे बहुत ध्यान से देख रही थी। इसके बाद, वह अपने कंप्यूटर में उसका स्ट्रक्चर बनाने लगा।
मैक्सवेल सबसे पहले काम शुरू करता था, फिर उसे अपनी टीम को सौंप देता था। टीम में मौजूद डिजाइनर ने तुरंत डिजाइन करना शुरू कर दिया।
यह प्रक्रिया बहुत तेज़ी से चल रही थी। वहीं, दूसरे कमरे में समय बिरला एक बेड पर सोया हुआ था। उसके बगल में दो डॉक्टर मौजूद थे जो उसका इलाज कर रहे थे।
डॉक्टर अपनी जी-तोड़ मेहनत कर रहे थे ताकि समय बिरला जल्द से जल्द ठीक हो जाए। पर उसकी बॉडी इतनी ज़्यादा डैमेज हो चुकी थी कि डॉक्टरों को काम करने में काफी मेहनत लग रही थी। यूँ कहा जाए तो, मरीज़ को रिकवर होने में काफी वक़्त लग सकता था, या यह भी हो सकता था कि मरीज़ हमेशा के लिए बेड पर लेटा ही रहे।
बाला रोज पूछ-पूछ कर थक चुका था। इस वजह से वह चुपचाप एक तरफ़ बैठा हुआ था। डॉक्टरों ने चेक करने के बाद करिश्मा और बाला को अपडेट दे दिया और अंदर बने केबिन में जाकर बैठ गए, क्योंकि डॉक्टर यहीं रहकर उसका इलाज करने वाले थे।
बाला को इंडिया से खबर चाहिए थी। आखिरकार 8 दिन से ज़्यादा हो गए थे और उसे बिरला परिवार से अभी तक कोई अपडेट नहीं मिला था। वह खुद वहाँ से कोई पूछताछ नहीं कर सकता था, वरना सभी लोग उस पर चढ़ आते।
इसलिए बाला वहाँ से निकला और बाहर आकर सबसे पहले रॉनी को कांटेक्ट करने की कोशिश की। पर जैसे ही वह बाहर आया, रॉनी के मैसेज के साथ उसके मिस कॉल भी दिखाई दिए। यह देखकर बाला ने अपनी उंगलियों से माथे को रगड़ा और जल्दी से रॉनी को कॉल लगाया।
पहली बार तो रॉनी ने उसका कॉल रिसीव नहीं किया, पर दूसरी बार में उसने तुरंत कॉल रिसीव किया।
"रॉनी, मैं तुम्हें एक काम सौंप रहा हूँ। मुझे फ़टाफ़ट बिरला मेंशन का इनफॉर्मेशन चाहिए!" बाला ने आदेश देते हुए कहा।
"पहली बात, मैं इंडिया आ गया हूँ, और दूसरी बात, तुमने मुझे पहले ही एक काम सौंप रखा है, और वह है उस लड़की के बारे में पता लगाना। तो अब तुम डिसाइड करो, पहले मैं कौन सा काम करूँ?" रॉनी ने तुरंत कहा।
यह सुनकर बाला हैरान होते हुए बोला, "क्या? कहाँ-कहाँ तुम? तुम इंडिया पहुँच गए? चलो, ठीक ही है। अब जल्दी से मुझे बिरला ग्रुप ऑफ़ कंपनी और मेंशन, दोनों का अपडेट देते रहो। और दूसरी बात, अपने आदमियों को काम पर लगा दो, उस लड़की का कोई न कोई इनफॉर्मेशन मिलेगा।"
बाला की बातें सुनकर रॉनी ने हाँ भर दिया। वहीं बाला उसे और ज़ोर देकर बोला, "रॉनी, मैं बहुत सीरियस हूँ, और तुम भी इस काम को एकदम सीरियस होकर करो। हमें कोई भी लापरवाही नहीं करनी, वरना बहुत कुछ बदल सकता है।"
बाला का इतना कहना था कि रॉनी ने उसे हौसला देते हुए कहा, "बाला मेरे भाई, तुम परेशान मत हो। यह सारा कांड इंडिया से शुरू हुआ था, तो अब स्टार्ट भी यहीं से होगा। ठीक है, मैं पहले तुम्हें मेंशन का इनफॉर्मेशन दे देता हूँ, उसके बाद तुम्हें आगे का अपडेट देता रहूँगा।"
दोनों ने एक-दूसरे को शाबाशी देते हुए कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। इधर बाला परेशान था, तो उधर रॉनी को इतने सारे काम की जिम्मेदारियाँ मिल चुकी थीं, पर उसे तो सब करना ही पड़ेगा। और वह तुरंत अपने काम पर लग गया।
रॉनी खुद तो मेंशन नहीं जा सकता था, जिसकी वजह से उसने किसी और के ज़रिए तुरंत पता लगवा लिया।
मुंबई, मलाड।
बहुत बड़े एकड़ में फैला हुआ मेंशन, जो दिखने में टॉवर जैसा दिख रहा था, दूर-दूर से दिखाई दे रहा था। यह बिरला मेंशन था। चलिए, अंदर जानते हैं कौन-कौन रहता है।
यह मेंशन जितना बड़ा था, इसमें रहने वाले लोग भी बहुत ज़्यादा थे। इस घर में दो बुज़ुर्ग थे, जो समय बिरला के दादा-दादी थे। वहीं उसकी माँ मीना देवी और डैड अभिजीत बिरला, और भाई-बहन भी थे जिनका ज़िक्र बाद में होगा।
रॉनी ने ऐसे शख्स को भेजा जो मेंशन में इस वक़्त क्या चल रहा है, पूरी इनफॉर्मेशन लेकर आया और उसने रॉनी को सब कुछ डिटेल्स में बता दिया।
वहीं रॉनी ने रात को फ़ुरसत से बाला को कॉल किया और बताया, "सुनो बाला, आज की खबर ये है कि घर वाले यही समझ रहे हैं कि समय बिरला ने एक लड़की के लिए सब कुछ बर्बाद कर दिया है, और वह इस वक़्त उसके साथ फ़रार हो गया है। पर उनकी मॉम को यकीन नहीं है। उनका कहना है कि 'एक लड़की के पीछे मेरा बेटा अपनी दौलत-शोहरत बर्बाद कर दे? अरे! वह तो अपनी पूरी ज़िन्दगी लूटा दे, तब भी ख़त्म नहीं होगा।'"
"बॉस, ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि उन्हें किस चीज की कमी थी? और वहीं कुछ लोगों का कहना है कि समय बिरला अब इस दुनिया में नहीं रहा।" रॉनी ने आगे कहा।
यह सारी बातें सुनकर बाला का दिमाग चकराने लगा क्योंकि वह बहुत ज़्यादा परेशान हो गया था। क्योंकि उसके बॉस की यहाँ बदनामी हो रही थी और वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था। अगर वह खुद जाकर सफ़ाई देगा तो पता नहीं वह वापस लौटकर आएगा कि नहीं, और दुश्मनों को तुरंत पता चल जाएगा। इसलिए बाला खुद सामने नहीं जा रहा था।
बाला कुछ देर तक रॉनी से बातें करता रहा और कॉल काट दिया क्योंकि वह बहुत अपसेट हो गया था।
वह करिश्मा के पास गया और उदास मन से सब कुछ बताने लगा। यह सुनकर करिश्मा भी अपसेट हो गई। अब उनकी उम्मीद सिर्फ़ मैक्सवेल से थी।
जो उनकी लाइफ़ इतनी तबाह हुई है, वह शायद कुछ परसेंट ठीक हो सके? अब वह दोनों एक नई उम्मीद लगाकर बैठे थे।
To be continue....
एक महीने बाद, बहुत कुछ बदल चुका था। शुरुआत में जो समस्या शुरू हुई थी, वह अब शांत हो गई थी। शांत इसलिए कि समय बिरला के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं मिली थी। वेदांत कटारिया के बयान—कंपनी का घोटाला, शेयर मार्केट में गड़बड़ी, वगैरह-वगैरह—पर लोगों ने यकीन कर लिया था।
पर समय बिरला के माता-पिता को लगता था कि उनके बेटे के साथ कोई दुर्घटना हुई है। रिश्तेदारों का मानना था कि समय बिरला अपनी गर्लफ्रेंड के साथ किसी दूसरी कंट्री में रह रहा होगा। जितने लोग, उतनी बातें!
समय के पिता, अभिजीत जी, अपने बेटे को दिन-रात ढूंढ रहे थे, पर वह कहीं नहीं मिला। इन दिनों उनकी कंपनियाँ पूरी तरह लॉस में थीं। यह सदमा वह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। वह रात में अपने कमरे में बैठकर सोच रहे थे कि समय अचानक कहाँ गायब हो सकता है? कितना ढूंढने के बावजूद भी उसका कोई नामोनिशान नहीं मिल रहा था।
अगर होगा तो जरूर इस धरती पर कहीं तो होगा? कुछ तो उसका सबूत मिलना चाहिए। वह बहुत सारे सवालों में उलझ चुके थे। उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? एक महीना बीत गया था, जिसकी वजह से वह अपनी कंपनी में बचे हुए काम को संभाल रहे थे, ताकि कम से कम जीने खाने की व्यवस्था तो बन सके।
इधर, रॉनी मुंबई में अदा मेहरा को ढूंढना शुरू कर चुका था। जिस दिन से समय बिरला गायब हुआ था, उसी दिन से अदा मेहरा भी गायब थी। उसके बाद किसी का कोई पता नहीं चला। रॉनी को पता था कि समय कहाँ है, पर अदा के बारे में कोई सबूत नहीं मिल रहा था।
रॉनी के लिए ताज्जुब की बात यह थी कि आज तक वह कभी हार नहीं मानता था, पर अब अदा को ढूंढने के लिए वह इतना थक चुका था क्योंकि एक भी सबूत उसके हाथ नहीं लग रहा था। फिर भी वह लगातार काम कर रहा था, ताकि कुछ तो उसे मिल जाए।
वहीं, सीक्रेट रूम में मैक्सवेल और उसकी टीम 50 से 60% काम कर चुके थे। वे दिन-रात लगे हुए थे क्योंकि करिश्मा और बाला का उन पर दबाव था। वे यह रिजल्ट जल्द से जल्द चाहते थे और उनके लिए यह प्रोजेक्ट बहुत ही महत्वपूर्ण था।
क्योंकि वहीं से वे मार्केट में अपना टैलेंट दिखाना चाहते थे। देर रात मैक्सवेल ने करिश्मा और बाला को सीक्रेट रूम में बुलाया और उन्होंने अपना काम दिखाया।
बाला को कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा था, पर करिश्मा ने उसके काम की तारीफ़ करते हुए कहा, "Good मैक्सवेल, तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो। एक महीने में तुमने बहुत काम कर लिया है, पर मैं और भी जल्दी रिजल्ट चाहती हूँ। जितना लेट होगा, उतना ही हमारे बॉस का नुकसान होगा।!"
मैक्सवेल ने कहा, "बस, आप समझिए कि हमारी टेस्टिंग रह गई है। बस एक बार टेस्टिंग कर लें, उसके बाद आपको रिजल्ट बताएँगे।!"
करिश्मा ने अपनी पलकें झपकाईं। बाला सिर्फ़ उसकी बातें सुन रहा था। उसके बाद वह दूसरे कमरे में गया जहाँ समय अभी भी लेटा हुआ था। उसके शरीर में कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
डॉक्टर उसका इलाज कर रहे थे, पर वह जिस तरह से बिस्तर पर सोया था, उसी तरह सोया हुआ था क्योंकि वह कोमा में चला गया था।
इधर, इंडिया में रॉनी मुंबई का चप्पा-चप्पा छान चुका था, कोई सबूत नहीं मिला। बल्कि वह दूसरे राज्यों में भी ढूंढना शुरू कर चुका था।
वह अकेला नहीं, उसकी पूरी टीम अदा मेहरा को ढूंढ रही थी और दूसरे देशों में भी उसकी खोज चल रही थी। आखिर अदा अचानक कहाँ गायब हो गई?
क्या उसे धरती ने निगल लिया? या आसमान में छुप गई? गई तो गई कहाँ??
यह सवाल रॉनी के दिमाग में घूम रहा था। वह एक मामूली सी लड़की को नहीं ढूंढ पा रहा था, जिसकी वजह से उसे कभी-कभी अपने ऊपर शर्म आने लगती थी। इससे पहले तो वह अंडरवर्ल्ड माफिया को भी मार चुका था!
रॉनी समय बिरला का आदमी था, पर वह ज्यादातर इंडिया से बाहर रहता था। समय को जब भी उसकी जरूरत पड़ती थी, वह उसे बुला लेता था। और आज भी उसकी जरूरत थी, जो बाला ने उसे काम सौंपा था, पर वह नहीं कर पा रहा था।
रॉनी यहाँ से वेदांत कटारिया की भी जानकारी देता था, पर उसके बारे में रॉनी को कुछ खास न्यूज़ नहीं मिल पा रही थी। वह बहुत ही सुरक्षित था, न जाने क्यों वह क्या छिपा रहा था।
आज रॉनी को दिल्ली जाना था क्योंकि लास्ट वन एयरलाइन का चेक करना था। एक महीने में इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट देखना चाहता था कि आखिर अदा अगर इंडिया से बाहर गई होगी तो वह झट से पता लगा लेगा। एयरलाइन तो समय बिरला की ही थी, बस उसे जाकर पूछताछ करनी थी।
शाम होते ही रॉनी मुंबई से दिल्ली के लिए रवाना हो गया। रात को वह होटल में जाकर आराम करने लगा।
क्योंकि अगले दिन वह टीम को लेकर सभी पैसेंजर के फोटो देखने वाला था। वह अकेले नहीं, सबका पासपोर्ट चेक करने वाला था।
क्योंकि उसे शक था कि अदा अपना नाम बदलकर बाहर जा सकती है, पर फोटो देखकर तो वह समझ ही जाएगा कि अदा यहाँ से बाहर गई या इंडिया में ही है।
रॉनी रात को डिनर कर रहा था और जब अपने कमरे में आया तो खुद से कहा, "बस एक बार ट्रांसपोर्ट चेक कर लूँ, उसके बाद सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। मैं भी तो देखूँ तुम कहाँ छुप कर बैठी हो अदा मेहरा?? बहुत अपने आप को चालक समझ रही हो ना, पर बहुत जल्द तुम्हें मैं ढूंढ निकालूँगा!"
रॉनी ने तुरंत अपना सेल फोन निकाला और किसी को कॉल किया और कहा, "सुबह 10:00 बजे मैं तुमसे मिलता हूँ, रेडी रहना।!"
इतना बोलकर रॉनी ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।
क्रमशः
अगली सुबह - दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रॉनी एयरपोर्ट नहीं, बल्कि ऑफिस गया। वहाँ लगभग दो-तीन लोग लैपटॉप लेकर बैठे थे। रॉनी उनके साथ बैठ गया। उनमें से एक आदमी ने "गुड मॉर्निंग" कहा और अपना लैपटॉप चालू किया। रॉनी ने जो फ़ोटो भेजा था, उसने उसे स्कैन करके अपलोड कर दिया।
२०५० चल रहा था। जाहिर है, टेक्नोलॉजी बहुत आगे बढ़ चुकी थी। इस वजह से अदा मेहरा के नाम से कोई भी आउट ऑफ़ कंट्री जाने का रिकॉर्ड निकालना उनके लिए आसान था। उसके फ़ोटो से स्कैन करने पर भी कोई प्रमाण नहीं मिला।
यह सुनकर रॉनी हैरान हो गया। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है? इसका मतलब वह इंडिया में ही है। रॉनी रिलैक्स होकर चेयर पर बैठ गया और अपने दोनों हाथों को आपस में जोड़ते हुए कहा, "क्या तुम लोगों ने एकदम सही तरीके से चेक किया है ना?"
उनमें से दूसरे ने कहा, "सर, जैसे आपका कॉल आया, वैसे ही हम काम पर लग गए। अगर आपको यकीन नहीं तो आप किसी और से भी यह चेक करवा सकते हैं।!"
यह सुनकर रॉनी बोला, "कोई बात नहीं, तुम्हारा काम हो गया। अब तुम लोग यहाँ से जा सकते हो।!"
रॉनी उनके साथ लगभग एक घंटे तक बैठा रहा। जब वे चले गए, तो उसने अपना सेल फ़ोन निकाला और बाला को कॉल लगाया।
उधर से बाला बोला, "बोलो, क्या इनफ़ॉर्मेशन देना चाहती हो..?"
यह सुनकर रॉनी बोला, "कुछ खास तो नहीं देने वाला, पर हाँ, इतना पता चल गया कि अदा मेहरा इंडिया में ही है।!"
यह सुनकर बाला शॉक्ड हो गया और कहा, "कहाँ है वह? देखो, उसे ज़िंदा ही मेरे सामने खड़ा करना। उससे मैं बदला लूँगा, उसे इतना दर्दनाक मौत दूँगा कि..?"
बाला का गुस्सा रॉनी अच्छे से समझ गया। अपनी बात रखते हुए वह आगे बोला, "बाला, वह अभी मुझे मिली नहीं है। अभी मैं दिल्ली आया हूँ और मैंने एयरपोर्ट से उसकी इनफ़ॉर्मेशन निकलवाई। वह इंडिया से बाहर नहीं गई है। इसका मतलब इंडिया में ही है।!"
बाला जो २ मिनट पहले इतना एक्साइटेड हो गया था, अब वह निराश हो गया और भड़कते हुए बोला, "रॉनी, क्या तुम भी लापरवाह हो गए हो? किस तरह की इनफ़ॉर्मेशन दे रहे हो आज..? बॉस का यह हालत क्या हुआ, तो तुम सारे के सारे ठंडे पड़ गए हो। अब तुम में वह पहले वाला जोश और जुनून नहीं रहा? कहाँ है वह पहले वाला रॉनी? जो सिर्फ़ एक बार कहना पड़ता था और वह वक़्त से पहले अपना काम कर देते थे। रहने दो, यह तुमसे नहीं होगा।!"
बाला की बातें सुनकर रॉनी उदास हो गया और बोला, "सॉरी बाला, मैं जानता हूँ तुम इस वक़्त बहुत अपसेट हो और तुमने जो मुझे काम दिया है, मैं ठीक तरह से कर नहीं पा रहा हूँ। अगली बार तुम्हें आधी-अधूरी इनफ़ॉर्मेशन नहीं दूँगा।!"
उधर से बाला बोला, "तुम मुंबई से दिल्ली पहुँच गए, पर एक बार भी तुमने अपना दिमाग लगाया? तुम्हें क्या लगता है, वह एरोप्लेन से आउट ऑफ़ कंट्री जाएगी और तुम्हारे लिए सबूत छोड़ेगी? अरे! वह बहुत चालाक है। वह कहाँ से गई होगी, किसी को कोई पता नहीं चलेगा। तुम उसे हल्के में मत लो कि वह एक लड़की है और तुम उसे हरा नहीं सकते हो। ऐसा गलती से भी मत सोचना... मैंने उसे अपनी आँखों से देखा है। खैर! जाने दो, तुम्हें बातकर कोई मतलब नहीं, तुम उसे जानते नहीं हो।!"
इतना बोलकर बाला ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। कॉल कट होते ही रॉनी परेशान होकर सोचने लगा और वह खुद पर ही गुस्सा करते हुए कहा, "बाला सही कह रहा है, वह इतनी आसानी से इतना प्रूफ़ थोड़ी ना छोड़ेगी। हो सकता है वह किसी समुद्री इलाके से बाहर गई हो। बहुत सारे रास्ते हैं। वह कहीं और से गई हो या प्राइवेट जेट से गई हो।!"
मेरा भी दिमाग काम नहीं कर रहा। मैं उसे इतने आसानी से ढूँढ लूँगा, तो वह नहीं मिल सकती। मुझे पहले जैसा जुनून जागना होगा, तब जाकर मैं उसे ढूँढ सकता हूँ। बाला सही कह रहा है, मैं अपना दिमाग सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रहा हूँ।
रॉनी दोपहर के समय होटल आ गया था। वह बार-बार अपने आदमियों को कॉल करके परेशान कर रहा था कि उसे जल्द से जल्द अदा मेहरा का पता चाहिए।
शाम होते ही रॉनी सोचा कि अब दिल्ली आ ही गया हूँ, तो थोड़ा घूम लिया जाए। और वह रात को क्लब जाने का सोचा, वैसे भी उसका मूड बहुत अपसेट था।
रात ९:०० बजे, सनराइज़ क्लब
रॉनी ९:०० बजे ही क्लब में पहुँच गया। क्लब में बहुत शोर-शराबा था। रॉनी ड्रिंक करने लगा क्योंकि वह दोपहर से ही बहुत अपसेट था और ड्रिंक करके वह अपने आप को परेशानी से कम करना चाहता था।
वह लगातार ड्रिंक कर रहा था। थोड़ी देर बाद उसके पास एक हॉट लड़की आई और उसे ड्रिंक सर्व करने लगी। रॉनी समझ गया कि वह कॉल गर्ल है। वैसे भी वह दूसरे देशों में भी रहा है और उसे यह सब कुछ पता था। रॉनी उसके हाथ से ड्रिंक करने लगा। थोड़ी देर बाद रॉनी उसके साथ डांस भी करने लगा। वह फ़ुल एन्जॉय कर रहा था।
वह अच्छे से जानता था कि इसे पैसे चाहिए और वह उसके साथ रात बिताना चाहती है। और रॉनी इन सब में माहिर था। लगभग रात ११:०० बजे वह उस लड़की के साथ एक रूम में फ़िजिकल इंटिमेट होने लगा।
उस पूरे कमरे में उस लड़की के कराहने की आवाज़ जोर-जोर से आ रही थी। रॉनी बहुत ही स्पीड में उसके साथ सेक्स कर रहा था। रॉनी आए दिन लड़कियों के साथ यह सब करता है और इसका अच्छा-खासा पे भी कर देता है। और वह अच्छे से उसकी पूरी कसर निकाल रहा था। और उस लड़की को भी यह सब करने में मज़ा आ रहा था क्योंकि वह खुद से उसके पास गई थी।
लगभग रात १२:०५ बजे रॉनी उसे छोड़ दिया और अपनी जेब से पैसे की गड्डी निकालकर उसके हाथ में दे दिया। वह लड़की बहुत थकी हुई थी और पैसा देखकर उसके होठों पर लंबी स्माइल आ गई।
और वह रॉनी के गालों पर उंगली फेरते हुए बोली, "बेबी, कैसा लगा सर्विस..?"
यह सुनकर रॉनी बोला, "पूरी रात का तुम्हें चार्ज दिया हूँ, पर तुम्हें २ घंटे में छोड़ भी दिया। जाओ, अब जाकर दूसरे को सर्विस दो।"
इतना बोलकर रॉनी अपने कपड़े पहनने लगा। वह लड़की मुस्कुराते हुए उन पैसों को चूमने लगी और वह भी अपने कपड़े पहन मेकअप करने लगी क्योंकि उसे अब दूसरे बंदे चाहिए थे।
रॉनी रूम से बाहर निकला और वापस ड्रिंक किया। वह बहुत ज्यादा नशे में था क्योंकि पहले भी बहुत नशा कर चुका था। थोड़ी देर बाद वह क्लब से बाहर निकला और कार में जाकर बैठ गया। वह लड़खड़ा रहा था, उसकी पलकें भी झुक रही थीं, पर वह होटल जाना चाहता था।
वह कार में बैठकर वहाँ से निकल गया। काफी दूरी जाने के बाद सिग्नल लगा था, और वहाँ पर पुलिस भी खड़ी थी क्योंकि दिल्ली जितना बड़ा था, आए दिन वहाँ पर कुछ ना कुछ प्रॉब्लम होता ही रहता है और पुलिस रात को रोड पर खड़ी थी।
रॉनी नशे में था, वह ठीक तरह से गाड़ी चला भी नहीं पा रहा था। उसे देखकर आगे से पुलिस ने गाड़ी रोकने की कोशिश की। उसके बगल से एक कार आई।
पर उसे समझ नहीं आया कि पुलिस वाले किसकी कार रोक रहे हैं, जिसकी वजह से वह कार भी रुक गई। रॉनी जैसे ही उस कार की तरफ देखा, तुरंत ब्रेक लगा दिया और वह झट से उस कार की तरफ देखा कि उस कार में एक लड़की थी और वह बिना कार रोके आगे चली गई।
वहीं पुलिस वाले रॉनी के पास आकर उसे शीशा नीचे करने के लिए कहा। रॉनी ने शीशा नीचे करने की बजाय कार वापस स्टार्ट की क्योंकि उसे उस कार का पीछा करना था, पर उसके हालात भी ठीक नहीं थे और पुलिस ने उसकी गाड़ी रोक ली।
क्रमशः…
पुलिस ने रॉनी को हिरासत में लिया क्योंकि वह शराब पीकर गाड़ी चला रहा था और सड़क पर लगे डिवाइडरों को भी नुकसान पहुँचाया। वह किसी और का एक्सीडेंट भी कर सकता था।
रॉनी इतना नशे में था कि उसे ठीक से बात नहीं आ रही थी। वह पुलिस वाले से बहुत आक्रामक और बदतमीजी से बात करने लगा। पुलिस ने उसकी बात नहीं सुनी और उसे हिरासत में ले लिया।
करीब एक घंटे बाद उसका पार्टनर वहाँ पहुँचा। उसने अपना आईडी कार्ड दिखाया और मामला सुलझा दिया। फिर वह रॉनी को लेकर होटल पहुँचा। इन सब में करीब दो से तीन घंटे लग गए।
होटल पहुँचते ही रॉनी लगातार बड़बड़ा रहा था। इससे उसका पार्टनर पृथ्वी परेशान हो गया। पर वह जानता था कि रॉनी नशे में है, इसलिए उसने रॉनी को उसके कमरे में छोड़कर दूसरे कमरे में सोने चला गया।
रॉनी बेड पर पेट के बल लेटा था। उसकी आँखें बंद होने लगीं और वह धीरे-धीरे कुछ बोल रहा था। वह क्या बोल रहा था, साफ़ समझ में नहीं आ रहा था।
पर हाँ, इतना शब्द उसके मुँह से ज़रूर निकला, "मैंने उसे लड़की को दिखा... मैंने उसे लड़की को दिखा... मैंने उसे लड़की को दिखा..."
पृथ्वी ने उसकी बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि वह दो-तीन घंटे परेशान हो चुका था। वह अपने कमरे में आराम करने चला गया।
सुबह 10:00 बजे के करीब रॉनी की आँखें खुलीं और वह अंगड़ाई लेते हुए उठा। जैसे ही उसने अपनी आँखें खोली, उसने पृथ्वी को उसके सामने बैठा देखा।
उसे देखकर वह हड़बड़ाकर बोला, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो? और मैं यहाँ कब आया?"
रॉनी का इतना कहना था कि पृथ्वी बोला, "वही तो याद दिलाने के लिए यहाँ बैठा हूँ कि तुम यहाँ कब आए? और कैसे आए? और क्यों आए?"
रॉनी अपने माथे पर हाथ फेरते हुए बोला, "क्या हुआ? इतना चिढ़कर क्यों बात कर रहे हो?"
"क्या तुम्हें सच में कुछ याद नहीं? या जानबूझकर अनजान बन रहे हो?"
रॉनी बेड से अपने दोनों पैर नीचे फर्श पर रखा और बोला, "अब बोलो भी!"
"क्या ज़रूरत थी तुम्हें यहाँ पर शराब पीकर तमाशा करने की? वह भी पुलिस वालों के साथ?"
पृथ्वी का इतना कहना था कि रॉनी मुँह बनाते हुए उसकी तरफ़ देखने लगा। उसके सिर में काफी दर्द भी हो रहा था। वह याद करने लगा और धीरे-धीरे उसे सब कुछ याद आने लगा।
क्योंकि वह तो बहुत बार शराब पी चुका था और लोगों के साथ बदतमीजी भी कर चुका था। और रात की बातें वह हमेशा भूल जाता था।
पर पृथ्वी इस बार उस पर बहुत गुस्सा कर रहा था। उसके गुस्से की वजह से रॉनी को रात को जो कुछ हुआ था, सब कुछ याद आने लगा। उसे यह सब याद आया कि उसने पुलिस वाले के साथ बदतमीजी की थी। इसी वक़्त एक कार में बैठी हुई लड़की की झलक उसके दिमाग में आई। उसे याद करते ही वह पृथ्वी से बोला, "पृथ्वी, हम जिस काम के लिए आए थे, यानी वह लड़की... अदा मेहरा, उस लड़की को मैं कल रात को देखा!"
रॉनी का इतना कहना था कि पृथ्वी हँसने लगा और उसका मज़ाक बनाते हुए बोला, "ओह रियली! तुमने उस लड़की को देखा? कैसे देखा? क्या वह तुम्हारे सामने आकर खड़ी थी? क्या उसने तुम्हें ड्रिंक पीने के लिए मजबूर किया?"
पृथ्वी का इस तरह मज़ाक बनाते देख रॉनी सीरियस हो गया और बोला, "प्लीज़ मेरी बात को सीरियस लो तुम, मैं झूठ नहीं कह रहा हूँ। मैं सच कह रहा हूँ। उसके चक्कर में ही पुलिस वालों के साथ मेरी बहस हो गई!"
पृथ्वी उसकी बातों पर जरा भी यकीन नहीं कर रहा था। वह भी सीरियस होते हुए बोला, "पहली बात, तुम खुद होश में नहीं थे। तुम्हें तो मैंने सब कुछ याद दिलाया। अब गाड़ी में न जाने कितने लोग आ जा रहे थे और नशे में तुमने किसी को भी देखा होगा। क्योंकि इन दिनों हम उस लड़की को ढूँढ रहे हैं, इसलिए तुम्हारे दिमाग में छाई हुई है, बाकी कुछ नहीं। और अब हमें यहाँ से मुंबई के लिए रवाना होना है, तो तुम यह बहकी-बहकी बातें करना छोड़ो!"
रॉनी दो कदम आगे बढ़ा और बहुत सीरियस होकर गहरी सोच में बोला, "नहीं पृथ्वी, मैं मुंबई नहीं जाऊँगा। मुझे उस लड़की को ढूँढना है और कैसे ढूँढना है, वह मैं खुद पता लगा लूँगा। पर उसे ढूँढकर रहूँगा। बहुत जल्द तुम तक पहुँच रहा हूँ अदा मेहरा! तुमने सबको बेवकूफ़ बनाया है। अब तुम्हारा पर्दाफ़ाश करूँगा। तुमने हमारे बॉस को लाचार और बेबस करके तुम खुद यहाँ मजे से जी रही हो। अब तुम्हारी ज़िंदगी जहन्नुम नहीं कर दी तो मेरा नाम रॉनी नहीं!"
रॉनी जिस तरह से बोल रहा था, वहीं बैठा पृथ्वी तुरंत उठ खड़ा हुआ। उसके चेहरे पर हाव-भाव बदल गए, जैसे कि उसे भी सिग्नल मिल गया हो कि रॉनी सच कह रहा है। अब भला वह उसे अकेला छोड़कर कैसे जा सकता था!
दोपहर का वक़्त था। पृथ्वी और रॉनी कैफ़ेटेरिया में बैठकर लंच कर रहे थे और इसी के साथ वे दोनों अदा मेहरा के बारे में भी बात कर रहे थे।
लंच करने के बाद रॉनी पृथ्वी को उस जगह पर ले गया जहाँ पर उसका पुलिस वालों के साथ विवाद हुआ था। उसने अच्छे से बताया कि वह अपनी गाड़ी लेकर वहाँ रुका था और ठीक उसके बगल में उस कार में उसने उस लड़की को एक झलक देखा था। इसका मतलब वह यहीं आस-पास में कहीं तो है, पर उसे ढूँढे कैसे?
यह सुनकर पृथ्वी बोला, "अगर तुम कह रहे हो कि वह यहीं आस-पास है, तो यहाँ के सभी इलाके ढूँढने चाहिए। वह ज़रूर इस रोड से आएगी-जाएगी, तो हमें एक बंदे को यहीं खड़ा करना होगा ताकि वह उस पर नज़र रखे!"
पृथ्वी का सुझाव रॉनी को अच्छा लगा और वह अपना सिर हाँ में हिलाते हुए बोला, "हाँ, तुम सही कह रहे हो। बल्कि एक नहीं, हमें बहुत से लोगों को हायर करना होगा ताकि उस पर नज़र रखें। क्योंकि जल्द से जल्द यह रिजल्ट चाहिए पृथ्वी, जल्दी से बंदे को काम पर लगा दो!"
दोनों होटल आए और उन्होंने अपने एक बंदे को बुलाया। उसे सब कुछ अच्छे से समझा दिया और वह जाकर बाकी सभी को अच्छे से समझा दिया। सब लोग उस हाईवे पर खड़े हो गए। उनके पास अदा मेहरा का फ़ोटो था।
पृथ्वी ने सबको काम पर लगा दिया था। सभी लोग चौकन्ना होकर वहाँ पर निगरानी करने लगे। शाम तक कोई पता नहीं चला।
जो देखकर रॉनी पृथ्वी से बोला, "रॉनी, ऐसा तो नहीं कि हम टाइम वेस्ट कर रहे हैं? वह एक जगह थोड़ी ना कहीं रुक सकती है। हमें यहाँ के आस-पास के इलाके भी चेक करने चाहिए। क्या पता वह छुपाकर कहीं रह रही हो!"
यह सुनकर पृथ्वी बोला, "हाँ, तुम सही कह रहे हो। हमें जल्द से जल्द आस-पास के इलाके भी चेक करने चाहिए।" उसने कुछ लोगों को फिर से काम पर लगाया कि आस-पास के होटल और इलाके सब कुछ चेक करें। दोनों यह काम बहुत जल्दी निपटाना चाहते थे।
बिना देरी किए सब लोग काम पर लग गए। ऐसे ही दो दिन बीत गए पर कोई पता नहीं चला।
पृथ्वी को तो यही लग रहा था कि रॉनी को गलतफ़हमी हुई होगी। पर वह उसके मुँह पर जल्दी बोल नहीं पा रहा था, वरना रॉनी गुस्से में कुछ कर बैठता।
क्रमशः
अब आगे -
After one weeks -
देखते - देखते एक हफ्ता बीत गया पर राॅनी और पृथ्वी दोनों को कोई सबूत उस लड़की के रिगार्डिंग नहीं मिला, कई दफा तो रॉनी अपने आदमी को ऊपर गुस्सा भी करने लगा |
क्योंकि उसे यही लगता था कि उसके आदमी किसी भी काम की नहीं रहे क्योंकि उसने अपनी आंखों से उसे लड़की को देखा था और उसके आदमी एक स्टेट में उसे ढूंढ नहीं पा रहे तो पूरी कंट्री में कब ढूंढेंगे??
राॅनी कल रात से ही बहुत परेशान था, सोच- सोच कर उसका दिमाग खराब हो गया था, जिसके वजह से कई बार ड्रिंक करने लगा, ज्यादा दिमाग पर जोर देने की वजह से उसके दिमाग में आइडिया आया |
बहुत सोचने के बाद आखिरकार उसका दिमाग काम कर गया और वह रिमाइंड वही सोचने लगा कि मैंने उस लड़की को करीब आधी रात को उसको देखा था, इसका मतलब वह बहुत ही सावधानी से यहां रह रही है |
वैसे तो राॅनी बहुत कुछ सोच रहा था और वह आज रात अपनी कार लेकर वहीं हाईवे पर जाकर खड़ा था वह इंतजार करने लगा शायद देर रात से वह जरूर इस रूट से वह जाएगी |
राॅनी करीब 9:00 बजे जाकर खड़ा हो गया था, रात 1:00 बज गये, पर उसे वह लड़की दिखाई नहीं दी, भला यह पॉसिबल भी कैसे हो सकता हाईवे पर दिन में और रात न जाने कितनी गाड़ियां आती है और जाती है, और वह कैसे उसे पर नजर रख सकता फिर भी राॅनी हार नहीं मान रहा था |
करीब सुबह के 4:00 गए, आखिरकार हार मानकर वह होटल आ गया वह बहुत थक चुका था और आते ही उसे नींद लग गया और वह सो गया |
पृथ्वी ने भी उसे उठाया नहीं क्योंकि वह जानता है की पूरी रात वह जागा था इसलिए उसे सोने दिया, करीब सुबह 11:00 बजे अब जाकर राॅनी उठा और फिर से सोचने लगा की पूरी रात वह हाईवे पर खड़ा रहा फिर भी इसके अंदर अभी भी जिद होगा क्योंकि वह कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ता है पर इस बार वह जो कर रहा था उसमें सिर्फ उसका टाइम वेस्ट हो रहा क्योंकि इस तरह भला कोई रोड पर खड़ा रहकर किसी का पता लगा सकता है क्या..!
राॅनी पहले फ्रेश हुआ उसके बाद वह कैफेटेरिया में आया, पृथ्वी भी उसके नीचे आने का ही इंतजार कर रहा था और दोनों ब्रेकफास्ट करने बैठ गये |
रॉनी कुछ बोल नहीं रहा था, तो वही पृथ्वी बोला_" वैसे तुमने अब आगे का क्या सोचा है..? "
जो सुनकर राॅनी बगैर उसके तरफ देख कहा_" जब तक वह लड़की मिलेगी नहीं तब तक मैं हार नहीं मानने वाला, चाहे उसके लिए मुझे रोज क्यों ना रोड पर खड़ा होना पड़े..! "
राॅनी का यह जिद देखकर पृथ्वी आखिर क्या ही बोले, वह चुप ही रहा क्योंकि अगर वह कुछ कहता तो राॅनी भड़क जाता, जिसकी वजह से वह कुछ बोला नहीं, पूरा दिन बीत गया रात होते ही राॅनी फिर से जाकर वही खड़ा हो गया|
रॉनी को देखकर ही लग रहा था कि वह अदा को ढूंढने के लिए उसके ऊपर जुनून सवार हो गया हो और उसका पता न मिलने से उसे और भी चिढ़ा रहा था |
राॅनी एक दिन नहीं बल्कि रोज जाकर वही खड़ा होने लगा, यह सिलसिला लगभग एक हफ्ते तक चलता रहा और राॅनी को वह लड़की क्या उसकी साया तक उसे दिखाई नहीं दे रहा..!
पूरे एक हफ्ते तक राॅनी रोज जाकर अदा को ढूंढ रहा था, पर उसे वह मिली नहीं आखिरकार वह हार मानकर आज नहीं गया क्योंकि एक-दो दिन ही बल्कि पूरे एक हफ्ते बन जाकर वहां रोका था |
पृथ्वी भी उसे बहुत अच्छे से समझाया कि वह इस तरह से ढूंढने से नहीं मिलेगी, हमें कोई और जाल बिछाना होगा तभी वह आसानी से मिल सकती है रॉनी उसकी बातें अच्छे से समझ रहा था |
पर वह कुछ बोला नहीं दूसरे दिन भी रॉनी जाने का सोच रहा था पर गया नहीं वह लगातार तीन दिन में ही गया क्योंकि उसे भी पता था कि वहां जाकर उसे कुछ हासिल होने वाला नहीं है..!
इन 1 हफ्तों में बाला उसे कई दफा कॉल कर चुका था, बाला भी समझ रहा था कि अदा इतनी जल्दी किसी के हाथ नहीं लगेगी, बाला वहां पर था जिसकी वजह से वह कुछ कर नहीं सकता था |
इधर आज रॉनी का ड्रिंक करने का बहुत मन था और वह क्लब जाना चाहता था और वह करीब 11:00 क्लब गया और ड्रिंक करने लगा बल्कि ऐयाशी भी किया, तब जाकर वह सेटिस्फाई हुआ आज वह करीब 12:00 बजे के बाद क्लब से निकल गया और आज ज्यादा ड्रिंक नहीं किया था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि आज भी कोई डिवाइडर से टकराये |
राॅनी जैसे क्लब से बाहर निकला और पार्किंग एरिया के तरफ जाने लगा, तभी उसकी नजर सामने गया, जस्ट थोड़ी सी बगल में एक कार पार्क था और उसके अंदर दो लोग एक दूसरे को passionate kiss कर रहे थे |
रॉनी को इन सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह यही सब करके तो निकल रहा था, पर जब उसने ध्यान से देखा तो तो यह दो लड़कियां थी |
राॅनी तो अपने आइब्रो सिकुड़ा लिया और मन ही मन खुद से कहा_" अज़ीब लड़किया है, क्या इन्हें लड़कों मे कोई इंटेरेस्ट नहीं है?
रॉनी यह सोचकर मुस्कुराया और अपने कार कार के तरफ बढ़ गया और जाने लगा, वह दोनों एक दूसरे से अलग हो गई , उन दोनों में से एक की शक्ल तो रॉनी को दिखाई दिया और एक की बैक साइड उसे दिखाई दे रहा था |
राॅनी अपने कार तक पहुंचा नहीं था कि तब तक उसका मोबाइल रिंग करने लगा और वह अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर देखा तो यह कॉल पृथ्वी का आ रहा था और वह तुरंत कॉल रिसीव कर लिया और बातें करने लगा |
उधर पृथ्वी उसे फ़िक्र करता हुआ पूछ रहा था कि वह कब होटल आएगा क्योंकि वह नहीं चाहता था कि पिछली बार की तरह इस बार भी वह पुलिस से पंगा ले इसलिए वह सीधे उसे घर आने के लिए कह रहा था |
रॉनी पृथ्वी से कॉल पर बातें करने लगा कि तब तक वह जो अभी कुछ सेकंड पहले कर देखा था वह तुरंत स्टार्ट हो गया और वह लड़की रिवर्स लेकर कर जाने लगी |
उसके कार रिवर्स लेने की वजह से राॅनी साइड हो गया पर जैसे उसकी नजर कार ड्राइविंग करने वाली लड़की पर गया कि वह एकदम से शॉक्ड हो गया क्योंकि जिसे वह लगातार दो हफ्ते से ढूंढ रहा है फाइनली वह उसकी आंखों के सामने है वह एक पल के लिए एकदम से ब्लैंक हो चुका था |
वह कुछ रिएक्ट करता की तब तक वह कर गेट पर पहुंच गई, राॅनी पीछे से आवाज देने लगा तब तक वह कर गेट से बाहर निकल गई रॉनी तेजी से अपने कार में जाकर बैठ और वह जब तक कर स्टार्ट किया और बाहर तक आया और देखा तो वह कर उसे दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा |
वह अपनी नजर दोनों तरफ फेर रहा था, पर दोनों साइड उसे कार दिखाई नहीं दिया वैसे तो उस रोड पर बहुत सारे गाड़ियां आ जा रही थी पर उसने जो ब्लैक कलर की कर देखा वैसे तो रोड पर अनगिनत कर थी |
रॉनी का दिमाग काम नहीं कर रहा था कि वह किस साइड जाए तो भी वह लेफ्ट साइड निकल गया और बहुत दूर तक वह देखने लगा पर उसे वह कार नहीं दिखी उसका कॉल अभी भी चालू ही था और जब वह आगे जाकर कार रोका और अपना मोबाइल देखा तो कॉल चालू होने की वजह से वह अपने कान पर लगाया और शांत आवाज में बोला_" पृथ्वी तुम परेशान मत हो मैं होटल ही आ रहा हूं..! "
इतना बोलकर उसने कॉल कट कर दिया और एक बार फिर से सोचने लगा_" यह लड़की मेरे आंखों के सामने थी और मेरी यह गलती की वजह से वह है फिर से बच गई, पर इतना तो मैं जान गया हूं कि वह यहीं कहीं आसपास में है पर कैसे इसका पता लगाई?? "
" अगर, मैंने बाला को बताया तो वह मुझे ही चलाएगा क्योंकि वह फिर से मेरी आंखों के सामने से निकल गई नहीं नहीं पहले तो मुझे इसके बारे में अच्छे से पता लगाना होगा पर कैसे तभी उसे तुरंत याद आया कि क्लब? अगर क्लब का वह सीसीटीवी फुटेज चेक करूंगा तो जरूरी है लड़की मिल जाएगी क्योंकि यह क्लब से तो बाहर निकली थी और दूसरी बात कि वह लड़की के साथ kiss कर रही थी??? ये कैसे पॉसिबल है?? वह तो हमारे बॉस के साथ? "
" क्या इसका टेस्ट गर्ल्स की है, जो इसने हमारे बॉस को धोखा दिया?? बहुत जल्द तुम्हें ढूंढ निकालूँगा.. अदा मेहरा और सबका जवाब तुम्हें देना पड़ेगा |"
To be continue....
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रॉनी ने पृथ्वी को सब कुछ बता दिया था। पृथ्वी को अभी भी उस पर यकीन नहीं हो रहा था।
पर वह क्या कर सकता था? उसके हां में हां उसे मिलना ही पड़ रहा था। 2 मिनट का पोज़ लेकर, उसके बाद उसने कहा, "अगर तुम कह रहे हो कि तुमने सिटी में उसे दो बार देखा है, इसका मतलब कि वह ज़रूर यही है, तो आगे का तुमने क्या सोचा..?"
रॉनी ने एक नज़र उसकी तरफ़ घूर कर देखा और कहा, "यह तुम कैसी बातें कर रहे हो कि सिटी में है? मैंने उसे अपनी आँखों से देखा। क्या तुम्हें अभी भी मुझ पर यकीन नहीं? अगर नहीं है तो तुम प्लीज़ यहाँ से जा सकते हो। मुझे किसी की मेहरबानी की ज़रूरत नहीं है क्योंकि मैं उसे ढूँढ निकालूँगा।"
ऐसा नहीं था कि पृथ्वी उस पर यकीन नहीं करता था, पर इन दिनों वह न जाने क्यों उसे ऐसा लगता था कि रॉनी का भ्रम हो सकता था!
पृथ्वी के दिमाग में ही सब चल रहा था, तो वहीं रॉनी बहुत सीरियस था। सीरियस होते हुए उसने कहा, "कल मैं क्लब जाने वाला हूँ और वह CCTV फ़ुटेज चेक करूँगा क्योंकि वह भी उस क्लब के अंदर थी। जब मैं बाहर निकला तो वह दूसरी लड़की को kiss कर रही थी!"
उसका इतना कहना था कि पृथ्वी मुँह बना लिया, क्योंकि उसे भी बहुत अजीब लग रहा था। यह सुनकर कि दो लड़कियाँ आपस में किस कर रही थीं? पर जो भी हो, उसे क्या? और वह भी तैयार हो गया क्योंकि वह भी देखना चाहता था कि रॉनी कितना सच बोल रहा है।
अगले दिन रॉनी और पृथ्वी दोनों क्लब पहुँच गए। उसने क्लब के मैनेजर से एक दिन पहले का CCTV फ़ुटेज माँगा। पहले तो मैनेजर ने इन्क्वायरी की, उसके बाद उसने उनके कहने पर वह फ़ुटेज दिखाना शुरू किया।
रॉनी ज़्यादा वक़्त नहीं माँग रहा था क्योंकि उसे टाइम पता था कि किस वक़्त उसने देखा था। उसने वक़्त बताया, जिससे मैनेजर को कम समय में उसका काम हो गया।
सबसे पहले उसने रॉनी का देखा कि वह क्लब से कितने बजे बाहर निकला था। उसने उसका वीडियो देखा। करीब 12:00 बजे के बाद ही रॉनी बाहर निकला था, तो मैनेजर ने उसके पहले का रिकॉर्डिंग चेक करना शुरू किया।
जिसमें साफ़-साफ़ वह लड़की दिखाई दे रही थी। यह देख रॉनी की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं और वहीं पृथ्वी भी शॉक्ड हो गया। रॉनी जिसे ढूँढ रहा था, वह अदा मेहरा थी और वह करीब 9:00 बजे क्लब के अंदर आई थी। थोड़ी देर के बाद एक लड़की और आई और दोनों साथ में क्लब के अंदर डांस कर रही थीं।
और वे दोनों बहुत जल्द क्लब से बाहर भी निकल गईं। करीब 1 घंटे तक तो वे दोनों कार में बैठकर रोमांस कर रही थीं। जो कार का क्लियर व्यू कमरे में दिखाई नहीं दे रहा था, पर हाँ उनका टच करना, इतना क्लोज़ रहना...जिस कमरे में साफ़ दर्शा रहा था कि दोनों बहुत ही क्लोज़ हैं!
उस रिकॉर्डिंग में उसकी कार का नंबर प्लेट भी दिखाई दे रहा था। जो देखकर रॉनी के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई, जैसे कि अब तो वह यूँ उसे ढूँढ सकता है। रॉनी ने अपनी जेब से एक मोटी नोट की गड्डी निकालकर उसे मैनेजर को दे दी और पृथ्वी के साथ वहाँ से निकल गया। दोनों अपने कार में आकर बैठ गए।
रॉनी होटल आया और पृथ्वी और अपने बाकी लोगों को काम पर लगा दिया। पृथ्वी ने सबसे पहले उस कार के नंबर प्लेट से उस लड़की की इनफ़ॉर्मेशन निकाली। तो यह कार उसके नाम पर नहीं, बल्कि किसी बिज़नेसमैन के नाम पर थी।
जिसका नाम था करण ओबरॉय। रॉनी के आदमी उसके ऑफ़िस तक पहुँच गए और सब कुछ इनफ़ॉर्मेशन निकलवा ली। यह कार करण ओबरॉय की थी। वह दिल्ली का बहुत बड़ा बिज़नेसमैन था। जब उसने अदा मेहरा का फ़ोटो उसे दिखाया तो उसने साफ़ इनकार कर दिया कि वह उसे नहीं पहचानता और ना ही जानता है!
जब यह बात रॉनी के आदमियों ने उसे जाकर बताई तो रॉनी अचंभित में पड़ गया कि ऐसे कैसे हो सकता है? उसकी कार कल रात क्लब के बाहर खड़ी थी। बल्कि अदा मेहरा उस कार में बैठी थी और वह ड्राइव भी कर रही थी।
रॉनी का दिमाग काम नहीं कर रहा था। एक प्रॉब्लम के बाद एक प्रॉब्लम तैयार हो रहा था और उसने काफ़ी देर तक सोचा आखिर क्या करे?
बहुत सोचने के बाद रॉनी का दिमाग काम किया क्योंकि वह जानता था कि कोई भी काम सीधे और आसान तरीके से तो नहीं हो सकता। अब उसे अपना असली रूप दिखाना ही होगा। और वह गन हाथ में लेने को हुआ कि पृथ्वी ने उसे आगे जाकर रोक लिया और कहा, "जल्दबाज़ी में कोई भी गलती मत करो रॉनी। यह मत भूलो कि वह लड़की इतनी आसानी से कोई चल नहीं सकती। वह बहुत चालाक है और जैसे वह चालाकी से अपना काम कर रही है, इस तरह हमें भी अपना दिमाग लगाना होगा। समझ रहे हो तुम!"
पृथ्वी की बातें सुनकर पहले तो रॉनी को गुस्सा आया, पर पृथ्वी ने उसे काफ़ी देर तक समझाया और उसके समझाने से रॉनी को समझ आया।
पृथ्वी ने कहा, "देखो, अब हमें यह तो समझ आ गया है कि अदा मेहरा इस कार में बैठकर वह क्लब में आई थी। इसका मतलब वह ज़रूर करण ओबरॉय झूठ बोल रहा है या तो अदा मेहरा सबको बेवकूफ़ बना रही है। हमें और शांति से उन दोनों पर नज़र रखना होगा। अगर करण ओबरॉय झूठ बोल रहा है, तब उसे छोड़ेंगे नहीं और अगर अदा मेहरा झूठ बोल रही है तो उसका इलाज हमें अलग तरीके से करना होगा।"
पृथ्वी का इतना कहना था कि रॉनी अपना सिर हिला दिया। इस बार वे दोनों मिलकर उन दोनों पर नज़र रखने लगे। रॉनी कुछ लोगों को लेकर अदा पर नज़र रख रहा था, तो वहीं पृथ्वी अपने कुछ साथियों को लेकर करण ओबरॉय पर नज़र रखने लगा।
क्रमशः…
पृथ्वी और रॉनी दोनों ने करण ओबरॉय पर नज़र रखी थी, क्योंकि अदा मेहरा उसे मिल नहीं रही थी। उन्हें दो-चार दिन बीत गए। एक दिन, उसके बंगले से वही कार बाहर निकली।
पर उस कार को कोई और नहीं, बल्कि उस दिन सीसीटीवी में दिखी दूसरी लड़की चला रही थी। उसे देखकर पृथ्वी अचंभित हो गया और मन ही मन बोला, "ओ तेरी! अब समझ में आया।"
पृथ्वी सीधे उनके घर के वॉचमैन से पूछताछ नहीं कर सकता था। इसके बजाय, उसने आस-पास के लोगों से पूछताछ की। उसे पता चला कि कार में बैठी लड़की करण ओबरॉय की बहन, हंसिका है, जो एक कॉर्पोरेट कंपनी में जॉब करती है।
अब जाकर पृथ्वी को सारा माजरा समझ आया कि उस दिन अदा मेहरा का फोटो देखकर करण ओबरॉय ने क्यों इनकार कर दिया था। आज रॉनी नहीं गया था क्योंकि पृथ्वी जानता था कि रॉनी को बात-बात पर गुस्सा आ जाता है।
इसलिए उसने उसे होटल में रुकने के लिए कहा था। जब वह होटल आया, तो पृथ्वी ने उसे सब कुछ अच्छे से एक्सप्लेन कर दिया। सारी वारदात सुनने के बाद, रॉनी ने पृथ्वी से कहा, "तो अब हमें कॉर्पोरेट कंपनी चलना चाहिए क्योंकि अब करण ओबरॉय की बहन ही सब कुछ बता सकती है कि आखिर अदा मेहरा के साथ उसका क्या चक्कर है?"
पृथ्वी और रॉनी दूसरे दिन से हंसिका का पीछा करने लगे। जब वह कॉर्पोरेट कंपनी गई, तो वे दोनों बाहर ही रुके थे। कंपनी बहुत बड़ी थी और गेट पर तैनात सिक्योरिटी उन्हें अंदर नहीं जाने देती।
यह देखकर वे दोनों बाहर ही रुके रहे। पृथ्वी ने रॉनी से कहा, "अब वह अंदर काम करने गई है, तो हमें यहां बाहर रुककर कुछ मतलब नहीं है। अच्छा, अब हम सात-आठ घंटे बाद आएंगे।"
यह सुनकर रॉनी मान नहीं रहा था। वह इतने घंटे रुकने को तैयार नहीं था। उसे डर था कि कहीं अदा मेहरा चकमा देकर भाग न जाए। पर पृथ्वी के समझाने के बाद वह उसकी बात मान गया और उसके साथ होटल आया।
देर रात, करीब 10:00 बजे, दोनों लड़कियां ऑफिस से बाहर निकलीं। पृथ्वी और रॉनी की नज़र उन दोनों पर थी। जैसे ही रॉनी ने अदा मेहरा को देखा, उसकी आँखों में चमक आ गई।
वह तुरंत जाने को हुआ, कि पृथ्वी ने उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला, "यहाँ पर तमाशा करके कुछ मतलब नहीं है। पहले हमें इस पर नज़र रखना होगा। आखिर यह रहती कहाँ है?"
रॉनी उसकी बात मान गया और दोनों कार में बैठ गए। जब वे दोनों वहाँ से जाने लगीं, तो ये दोनों उनकी कार का पीछा करने लगे।
आज कार ड्राइविंग हंसिका कर रही थी। करीब आधे घंटे बाद, वह एक अपार्टमेंट के पास पहुँची और हंसिका ने अदा मेहरा को वहाँ पर ड्रॉप किया।
ड्रॉप करने से पहले, दोनों ने कार में ही एक-दूसरे को फ्रेंच किस किया, जो करीब 5 मिनट तक चला। उन दोनों का रोमांस रॉनी और पृथ्वी अच्छे से देख रहे थे।
हंसिका ने अदा मेहरा को बाय बोलकर वहाँ से विदा किया। पृथ्वी ने हंसिका पर अपने एक गार्ड को नज़र रखने के लिए कहा। हंसिका सीधे अपने बंगले गई।
कुछ देर बाद, रॉनी अंदर जाने के लिए तैयार हुआ। पृथ्वी उसे रोक रहा था क्योंकि उसका कहना था कि अभी सही टाइम नहीं है, पर रॉनी कहाँ सुनने को तैयार था!
वह अपनी दुश्मन को एक भी मौका नहीं देना चाहता था और वह तुरंत अंदर जाने के लिए तैयार हो गया। अब पृथ्वी भी क्या कर सकता था? वह भी उसके साथ चल दिया और जाते ही उसने घंटी बजाई।
करीब दो बार घंटी बजाई गई और जैसे ही दरवाज़ा खुला, सामने अदा मेहरा को देखकर रॉनी की आँखों में खून उतर आया।
रॉनी बहुत गुस्से से उसे देख रहा था। अपने घर के सामने दो लोगों को देखकर, उसने रिएक्ट करते हुए कहा, "कौन हो आप लोग?"
इतना कहना था कि रॉनी तुरंत घर में घुस गया और उसके साथ पृथ्वी भी। उसने पैर से दरवाज़ा बंद कर दिया।
अपने घर में अनजान लोगों को देखकर, वह घबराते हुए तेज आवाज़ में बोली, "कौन हो तुम लोग? और तुम मेरे घर में कैसे आ गए?"
इतना बोलते हुए वह जैसे भागने की कोशिश करने लगी, कि रॉनी पीछे से उसके बालों को पकड़ लिया। उसने इतना जोर से पकड़ा था और दांत पीसते हुए बोला, "बहुत भागने का शौक चढ़ा है तुझे? कब तक भागती रहेगी? आज नहीं तो कल तुझे ढूँढ ही लेता मैं। तुझे क्या लगा था कि हमारे बॉस को तूने चकमा दे दिया तो सबको दे देगी?"
वह अपने दोनों हाथों से बालों को पकड़कर छुड़ाने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उसे बहुत दर्द हो रहा था। वह तेज आवाज़ में बोली, "किसकी बात कर रहे हो तुम लोग? कौन बॉस? मैं तुम लोगों को नहीं जानती हूँ। कौन हो तुम लोग? और मैंने तुम लोगों का क्या बिगाड़ा है?"
उसका इतना कहना था कि रॉनी को और भी गुस्सा आने लगा और उसने उसके बालों पर अपना हाथ कस दिया। वह तेज तर्रार आवाज़ में बोला, "तुझे क्या लगता है, तेरी बातों में मैं आ जाऊँगा? अदा मेहरा, इन्हीं अदाओं में तुमने मेरे बॉस को अपनी जाल में फँसाया और उन्हें रातों-रात तूने बर्बाद कर दिया।"
रॉनी का बार-बार एक ही शब्द कहना, उसे इरिटेट कर रहा था। अपनी पूरी ताकत लगाकर उसने उसे धक्का देते हुए बोला, "यह क्या बदतमीज़ी है? मेरे घर में आकर मुझे ही नहीं जाने कैसी घिनौनी बातें कर रहे हो। शर्म नहीं आता!"
रॉनी का गुस्सा बढ़ने लगा था, जो पृथ्वी देख सकता था। तुरंत पृथ्वी ने जवाब देते हुए कहा, "इतना अनजान बनने की ज़रूरत नहीं है। तुम सच-सच बताओगी या हमें मजबूर कर रही हो सच उगलवाने के लिए? अब बताओ, किसके कहने पर तुमने यह सब किया...?"
"क्या किया? और किसके साथ? तुम लोग क्या कह रहे हो? मुझे समझ में नहीं आ रहा है। और मैं आज तक इसके पहले तुम लोगों को देखी भी नहीं हूँ। देखो, जल्दी से यहाँ से निकलो, वरना मैं चिल्लाकर सभी को इकट्ठा कर लूँगी और पुलिस कंप्लेंट करूँगी कि मेरे घर में घुसकर मुझे चोट पहुँचा रहे हो!"
वह बोल ही रही थी कि रॉनी दांत पीसते हुए आगे बढ़ा और बोला, "अरे तू पुलिस के पास तब जाएगी, जब तुझे मैं छोड़ूँगा। तेरा तो मैं ऐसी दुर्दशा करूँगा... दिल तो कर रहा है यहीं तुझे जान से मार दूँ, पर मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि बाला ने कहा है तुझे सही-सलामत लेकर आने को!"
रात 1:00 बजे, रॉनी और पृथ्वी ने उसे किडनैप कर लिया था और एक सुनसान कमरे में उसे बंद कर रखा था। उन्होंने उसका फोटो निकालकर बाला को भेज दिया।
जब बाला ने अदा मेहरा का फोटो देखा, तो उसने तुरंत रॉनी को कॉल बैक किया और डार्क एक्सप्रेशन के साथ कहा, "रॉनी, कहाँ मिली तुम्हें ये? उसे अपनी नज़रों से दूर मत करना। बहुत चालाक लड़की है, उसके बातों में बिल्कुल भी मत आना!"
बाला की बातें सुनकर रॉनी ने एक नज़र उस लड़की की तरफ देखा और कहा, "तुम परेशान मत हो, अब यह यहाँ से कहीं भागकर नहीं जा सकती!"
इतना बोलकर दोनों ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। रॉनी ने एक नज़र उसकी तरफ देखा और बाहर निकल गया। उसने बाहर से दरवाज़ा लॉक कर दिया।
रॉनी और पृथ्वी दोनों बाहर आकर बातें करने लगे। रॉनी को इस बात का अच्छा लगा कि उसने अदा मेहरा को पकड़ लिया था। वहीं पृथ्वी कुछ सोचते हुए बोला, "मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है। अगर इसने बॉस को हज़ारों करोड़ों का नुकसान करवाया, बल्कि वह बिज़नेस के टॉप 3 में हमेशा आते थे, तो यह यहाँ क्या कर रही है? इस छोटे से घर में क्यों रह रही है? मुझे कुछ समझ में नहीं आया। इसके पास पैसा ही पैसा होगा, तो यह ऐसी ज़िन्दगी क्यों जी रही है?"
पृथ्वी ने एक महत्वपूर्ण बात कही थी। यह सुनकर रॉनी भी सोच में पड़ गया। पर उसका दिमाग बहुत तेज था और वह उसे समझाते हुए बोला, "पृथ्वी, यह बहुत चालाक है। इतने करोड़ का हज़म करने के बावजूद भी यह यूँ ही शांति से नहीं रहेगी। ना जाने अब किसको अपना मोहरा बनाने वाली थी? इसका इंटरेस्ट देखा ना लड़कियों में है, हो सकता है जिस लड़की के साथ है, उसके भाई को इसने पटा रखा होगा!"
दोनों इसी तरह बातें कर रहे थे और उसके होश में आने का इंतज़ार कर रहे थे क्योंकि उसे बेहोश करके यहाँ लाया गया था।
क्रमशः...
रात 3:00 बजे उसे होश आया। वह धीरे-धीरे अपनी पलकें झपकाने लगी और पूरी तरह अपनी आँखें खोलकर आसपास देखने लगी। वह एक कमरे में बंधी हुई थी; उसके हाथ-पैर भी बंधे हुए थे।
वह चिल्लाने लगी, पर उसके मुँह पर टेप लगा हुआ था जिससे वह चिल्ला नहीं सकती थी। बाहर सीसीटीवी कैमरे में पृथ्वी उसे देख रहा था।
जब उसे होश आया, तो पृथ्वी बड़े गौर से उसे स्कैन कर रहा था- उसके चाल-चलन, भाव-भाव, सब कुछ।
करीब 10 मिनट तक वह इसी तरह छटपटाती रही और पृथ्वी बहुत ध्यान से उसे देखता रहा। उसके बाद वह उठा, एक प्लेट में खाना लेकर दरवाज़ा खोला और अंदर गया। उसने उसके मुँह पर से टेप निकाला और उसका बंधा हुआ हाथ खोलते हुए कहा, "जल्दी से खाना खा लो।!"
पृथ्वी ने जैसे ही उसे रिहा किया, वह रोते हुए कहने लगी, "प्लीज मुझे यहाँ से जाने दो। कौन हो तुम लोग? और मुझे क्यों यहाँ लेकर आए हो? मैं तो तुम लोगों को नहीं जानती हूँ।!"
वह लगातार बोलती जा रही थी। पृथ्वी को उसके बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा; बल्कि उसके भाव-भंगिमाओं से वह बहुत कुछ ऑब्जर्व कर रहा था।
वहीँ वह गुस्से में बोली, "जब मेरे घरवालों को पता चलेगा ना, तो वह तुम्हें छोड़ेंगे नहीं, समझे!"
वह गुस्से में बोल ही रही थी कि तभी बाहर से रॉनी अंदर आते हुए कहा, "अच्छा! तो तेरी फैमिली भी है जो इस गेम में शामिल है। चल, बता इसमें इस गेम में कौन-कौन शामिल है...?"
इतना बोलकर रॉनी गुस्से में उसे देखने लगा। वहीँ वह आँखों में आँसू लिए बोली, "क्यों आप लोग ऐसा कर रहे हो? मैं तो आप लोगों को नहीं जानती हूँ। मैंने आपका क्या बिगाड़ा है? प्लीज मुझे जाने दीजिए।!"
उसका बार-बार ऐसा कहना रॉनी का गुस्सा भड़काने लगा और वह अपने माथे पर हाथ फेरते हुए कहा, "बस कर दे। अब तेरा झूठ और तेरी नौटंकी मुझ पर नहीं चलेगा, समझी... जो लोग इस गेम में शामिल थे ना, एक-एक को ढूँढ कर जान से मारूँगा।!"
"यह क्या बकवास कर रहे हो? कौन सा गेम? और कौन से लोग? मैं तो तुम लोगों को जानती भी नहीं हूँ... प्लीज मुझे यहाँ से जाने दीजिए।!"
उसकी बातें सुनकर रॉनी हँसने लगा और बोला, "कितनी मासूम और भोली बनती है ना, तूने इसी तरह मेरे बॉस को बहका लिया और रातों-रात ही रोड पर ला दी।!"
रॉनी बोल ही रहा था कि वह ध्यान से उसे देखने लगी और लड़खड़ाती हुई आवाज़ में बोली, "तुम्हारा बॉस? कौन सा बॉस? मैं तुम्हारे बॉस को नहीं जानती। मैं तो किसी को नहीं जानती। मैं तो अपना घर और ऑफिस, बस इतना ही मेरी लाइफ है। इसके आगे तो मैं किसी को जानती भी नहीं हूँ और मेरी फ्रेंड हंसिका मेरे आगे-पीछे, और कोई नहीं है।!"
उसका बार-बार एक ही बात सुनकर अब रॉनी पक गया और बाहर जाने लगा। जाते-जाते पृथ्वी से बोला, "यह लड़की बहुत चालू है, यह ऐसे नहीं सुधरेगी। इसके लिए मैं कुछ इंतज़ाम करता हूँ।" इतना बोलकर वह चला गया।
वहीँ पृथ्वी उसे ध्यान से देख रहा था और एकदम उसके करीब जाकर बोला, "तुम सच क्यों नहीं बताती? आखिर बॉस को बर्बाद क्यों किया? उनकी business रातों-रात बर्बाद कैसे हो गई? और तो और, तुमने पूरी कंपनी का इन्फॉर्मेशन लीक कर दिया। किसके कहने पर तुमने ये सब किया? बोलो? देखो, जिसके लिए भी तुम काम कर रही हो, सब बता दो, वरना तुम्हारे साथ वाला तुम्हारा बहुत दुर्व्यवहार करेगा!"
अंदर पृथ्वी बोल रहा था, तो वहीँ बाहर आकर रॉनी कमरे में देखने लगा। थोड़ी देर में पृथ्वी भी बाहर आ गया और दोनों कमरे में देखने लगे। वह अंदर चिल्ला-चिल्लाकर जोर-जोर से रोने लगी।
"मैं किसी को नहीं जानती हूँ। बल्कि मैं तो दिल्ली से कभी बाहर गई भी नहीं हूँ। बल्कि इस सिटी से भी मैं बाहर कहीं नहीं गई हूँ। मुझे कोई नहीं जानता और मैं भी किसी को नहीं जानती हूँ, आप लोगों को भी नहीं जानती हूँ।!"
काफी देर तक वह यूँ ही चिल्ला-चिल्लाकर रोती रही और वह अपनी फ्रेंड हंसिका के बारे में भी सोच रही थी। वह डर रही थी कि पता नहीं अब मेरे साथ ये लोग क्या करेंगे।
दूसरी तरफ, हंसिका ने करीब 11:00 बजे उसे मैसेज किया, पर उसका रिप्लाई उसकी फ्रेंड ने नहीं दिया। उसे लगा वह बिजी होगी। बदले में उसने उसे कॉल भी किया, पर उसने उठाया नहीं, जिसके चलते वह परेशान हो गई।
पर उसे क्या पता था कि उसका मोबाइल इस वक्त रॉनी के हाथ में था। रॉनी और पृथ्वी दोनों उसके मैसेज और कॉल्स को देख रहे थे कि आज तक उसने किन-किन लोगों के साथ मैसेज किया है, बातें की है?
उसके मोबाइल में ज़्यादा किसी का कांटेक्ट नंबर नहीं था। अगर सबसे ज़्यादा वह बात करती थी तो वह थी हंसिका। जब उसका व्हाट्सएप मैसेज चेक किया गया, जिसमें उन दोनों की बहुत सारी प्राइवेट बातें थीं।
यहाँ तक कि कुछ ऐसे फोटो थे जो नहीं देखने चाहिए थे; बहुत ही रोमांटिक और यौन तरीके से वे दोनों एक-दूसरे का फोटो भेजती थीं। यहाँ तक कि एक-दूसरे के बॉडी पार्ट्स के भी फोटो भेजे थे।
जो देखकर पृथ्वी तो हैरान हो गया था, वहीँ रॉनी बोला, "देखा इसकी पसंद? इसको लड़कियों में इंटरेस्ट है, और इसने हमारे बॉस के साथ धोखा किया।!"
बहुत सोचने के बाद पृथ्वी बोला, "रॉनी, तुम्हें क्या लगता है? मुझे कुछ माज़रा अलग लग रहा है। पता नहीं इतने करोड़ की बर्बादी करने के बाद एक लड़की मामूली से अपार्टमेंट में रहती है, यहाँ तक कि उसकी चॉइस भी अजीब तरह से है। इतना घोटाला करने के बाद इसकी तो लॉटरी लग गई, फिर भी यह इंडिया में है और आम सी ज़िंदगी जी रही है। मुझे कुछ हज़म नहीं हो रहा।!"
यह बात तो रॉनी को भी हज़म नहीं हो रहा था, पर यही तो अदा शर्मा है जिसने उसके बॉस को तबाह किया, पर हाँ उसने अपना नाम बदल दिया है, अब उसका नाम आयशा है।!
रॉनी तो गरम दिमाग का था; उसे तो बस यही लग रहा था कि उसने अदा मेहरा को पकड़ लिया है, पर पृथ्वी चालक था। उसे कहीं ना कहीं यह मैटर उलझता हुआ दिखाई दे रहा था।
वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या हकीकत है? क्योंकि जब से उन्होंने उसे पकड़ा था, तब से वह सिर्फ रोती जा रही थी और एक ही बात कह रही थी कि मैं किसी को नहीं जानती हूँ, मुझे कुछ नहीं पता। और उसके कांटेक्ट डिटेल से भी कोई पता नहीं चला।
अगली सुबह, हंसिका जब सोकर उठी तो सबसे पहले अपने मोबाइल से आयशा को गुड मॉर्निंग का मैसेज किया, पर वह देख सकती थी कि जो उसने रात को मैसेज किया है उसका अभी तक उसे रिप्लाई नहीं आया, पर हाँ मैसेज तो आयशा ने देखा है। उसने तुरंत कॉल किया; मोबाइल लगातार रिंग बज रहा था।
हंसिका सोचने लगी, क्या हुआ? यह कॉल क्यों नहीं उठा रही है, और ना ही मैसेज का रिप्लाई दे रही है? रात को जब मैं उसे ड्रॉप की तो वह ठीक थी। कहीं ऐसा तो नहीं वह बीमार है? मुझे जाकर देखना चाहिए।!
वह यह सब सोचने लगी और जल्दी से जाकर फ्रेश हुई। वह जल्दी से निकलना चाहती थी क्योंकि उसे आयशा को देखना था। जैसे ही वह फ्रेश हुई, उसने ठीक तरह से ब्रेकफास्ट भी नहीं किया और जल्दी से आयशा के अपार्टमेंट पहुँच गई।!
पर जैसे ही वह अपार्टमेंट गई, तो उसका घर का दरवाज़ा खुला ही था। जो देखकर उसे बहुत अजीब लगा। जब वह अंदर गई तो वहाँ का माहौल देखने लगी; जो चीज़ें इधर-उधर बिखरी हुई थीं।
क्योंकि जब रात में रॉनी और पृथ्वी आए थे, तो आयशा भागने की कोशिश कर रही थी, जिसके चलते बहुत सारे सामान बिखर गए थे। यह सब देखकर तो हंसिका परेशान हो गई। बल्कि वह सब कुछ चेक करने लगी और आयशा को कॉल करने लगी, जो कि रिंग तो जा रहा था पर कॉल कोई नहीं उठा रहा था।!
वह जल्दी से बाहर आई और आसपास की चीज़ें देखने लगी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हुआ है, आखिर आयशा गई कहाँ? उसके साथ कुछ तो गलत हुआ है?
वह यही सब कुछ सोचने लगी और उसने अपना मोबाइल लेकर जल्दी से अपने गार्ड को कॉल किया, आखिर वह करण ओबेरॉय की बहन थी, जो दिल्ली के बहुत मशहूर बिज़नेसमैन की बहन थी। उसने अपने गार्ड को पता लगाने के लिए कह दिया।
आयशा बहुत परेशान थी। उसने यहाँ तक कि कमिश्नर को भी कॉल किया और आयशा के नाम से मिसिंग कंप्लेंट कर दी।!
पहले तो कमिश्नर ने कहा कि हो सकता है कि वह वापस आ जाए, कहीं गई हो।!
पर आयशा बहाने बिल्कुल भी सुनना नहीं चाहती थी। उसे तुरंत रिजल्ट चाहिए था और वह एक ही बात रिपीट किए जा रही थी कि मेरी आयशा बगैर मुझे बताए कहीं आती-जाती नहीं है।!
जिसके चलते कमिश्नर ने पुलिस कांस्टेबल को ऑर्डर दिया कि वह तुरंत वेरिफिकेशन करें। पुलिस ने सबसे पहले रात के सीसीटीवी कैमरे चेक किए, जहाँ से आसानी से उन्हें पता चल गया कि जब वह दोनों रात में घर लौट रही थीं, तो उनके पीछे एक कार फॉलो कर रही थी।
और जैसे ही हंसिका वहाँ से गई, उस कार में से दो लोग निकले और आयशा के अपार्टमेंट में गए और उसे अपने साथ लेकर बाहर निकले। और उन दोनों की शक्ल भी बड़ी आसानी से दिख रही थी, जो उनके फोटो कैप्चर कर लिए गए।
हंसिका ने जैसे ही कैमरे में यह सब देखा, तो उसका खून उबल गया और उसने तुरंत अपने भाई को कॉल किया, क्योंकि उसे यही लगा कि यह ज़रूर दोनों गुंडे-मवाली हैं, और उन्होंने आयशा का किडनैपिंग कर लिया है और पुलिस को पता लगाने में बहुत टाइम लगेगा। इसलिए वह अपने भाई की मदद से उन दोनों को जल्दी पकड़ सकती है और उन्हें ऐसी सज़ा देना चाहती थी कि जो कभी ज़िंदगी में भी उन्होंने सोचा नहीं होगा कि किसके साथ उन्होंने पंगा लिया है।!
करीब 1:00 बजे दिल्ली में यह न्यूज़ फैल गया कि रात को दो गुंडे-मवाली ने एक लड़की का अपहरण कर लिया। और यह न्यूज़ बड़ी तेज़ी से वायरल हुआ। कुछ देर बाद जब पृथ्वी ने यह न्यूज़ देखा, क्योंकि उन दोनों के फ़ोटो हाईलाइट हो चुके थे।
वह तो यह न्यूज़ देखकर पागल होने के कगार पर आ गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि दिल्ली पुलिस ने यह न्यूज़ अपडेट किया है। वह तुरंत रॉनी को कॉल किया और बुलाया क्योंकि वह इस वक्त कहीं बाहर गया था।
To be continue.....
न्यूज़ देखकर पृथ्वी बहुत परेशान हो गया था। उसने तुरंत रॉनी को बताया। रॉनी ने न्यूज़ देखी तो उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब हो भी सकता है।
पृथ्वी रॉनी को समझाने लगा, "देखो रॉनी, हमें दिमाग से काम करना होगा। मुझे कुछ अजीब लग रहा है क्योंकि यह लड़की मुझे अदा अदा मेहरा बिल्कुल भी नहीं लग रही। तुम ही सोचो, करोड़ों की प्रॉपर्टी उसने बर्बाद कर दी और वह ऐसे कैसे रह सकती है? उसके बोलने का तरीका? उसके चाल-चलन? सब उसका अलग ही रुतबा रहा है, यह सब इसके अंदर बिल्कुल भी नहीं है। क्या तुम्हें नहीं लगता कहीं कुछ तो गड़बड़ है?"
रॉनी बोला, "अब तो दूध का दूध और पानी का पानी इसकी फ्रेंड ही करेगी। चलो, चलकर उससे मिलते हैं।"
पृथ्वी अपनी बातें समझाना चाहता था, पर रॉनी समझने के बजाय जज्बाती होता जा रहा था। थोड़ी देर बाद वह आयशा के पास गया और कहा, "तेरी फ्रेंड का कांटेक्ट नंबर बता, वरना उसे भी उठाने में वक्त नहीं लगेगा।"
अपनी फ्रेंड का नाम सुनते ही आयशा घबरा गई। उसने अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा, "नहीं, प्लीज, तुम लोग उसे कुछ नहीं करोगे। आखिर हम दोनों ने क्या बिगाड़ा है? क्यों ऐसा कर रहे हो तुम लोग?"
आयशा रोने लगी, पर रॉनी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। पृथ्वी ने कहा, "अगर अपने घर जाना चाहती हो तो जल्दी से अपनी फ्रेंड का नंबर बता दो।"
आयशा बताना नहीं चाहती थी, पर रॉनी ने उसे बहुत धमकी दी। तब जाकर उसने उसका कांटेक्ट नंबर बताया। रॉनी ने तुरंत उसे कॉल लगाया। उधर, इस वक्त हंसिका अपने बंगले पर आ गई थी।
वह बहुत परेशान थी। उसने अपने भाई को कहकर गार्ड को ढूँढने के लिए लगा दिया था। जब उसका मोबाइल रिंग हुआ तो उसने कॉल इग्नोर कर दिया। पर जब दूसरी बार मोबाइल रिंग हुआ, तो इस बार उसने कॉल रिसीव कर ली। जैसे ही उसने "हेलो" बोला,
रॉनी बोला, "तुम्हारी फ्रेंड इस वक्त मेरे कब्जे में है।"
रॉनी का इतना कहना था कि हंसिका, जो सोफे पर बैठी थी, वह तुरंत उठ खड़ी हुई। परेशानी से भरे भाव से बोली, "कौन हो तुम लोग? और क्या चाहते हो? कहाँ है मेरी फ्रेंड? आयशा? आयशा?"
हंसिका की परेशानी वाली आवाज सुनकर रॉनी मुस्कुराने लगा और बोला, "इतनी आसानी से तुम्हारी फ्रेंड तुम्हें नहीं मिल सकती। उसके लिए तुम्हें खुद चलकर यहाँ आना पड़ेगा। और कोई भी चालाकी मत करना, नहीं तो गर्दन के पास एक नस है, जिसे सेकंड लगेगा हल्का सा दबाने में, और यह दुनिया छोड़कर चली जाएगी। समझ में आई बात? जरा सा भी गलती किया तो समझ जाना कि क्या होगा।"
हंसिका को बहुत गुस्सा आ गया। वह बहुत ही रुबाब में बोली, "ए... तू कौन है? और क्या चाहता है? हल्के में मुझे भी मत लेना समझना, वरना तेरी अकड़ तोड़ने में मुझे वक्त नहीं लगेगा। अब सीधे-सीधे बता दे, आना कहाँ है? और मेरी फ्रेंड से मुझे बात करवा।"
रॉनी मुस्कुराया और कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। उसने आयशा का एक फोटो निकालकर उसे व्हाट्सएप पर भेज दिया। जैसे ही हंसिका ने आयशा की हालत देखी, वह दर्द से तड़प उठी। उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उसके चेहरे पर हज़ार तरह की परेशानी दिखाई देने लगी।
वह चाहकर भी पुलिस को इन्फॉर्म नहीं कर सकती थी। उसने सबसे पहले अपने भाई को इन्फॉर्म किया और उसके बाद वह खुद अकेले जाने लगी, क्योंकि अगर वह अपने भाई को लेकर जाएगी तो कहीं मैटर बिगड़ न जाए? वह कुछ भी आयशा के साथ कर सकता है।
यही सोचकर उसने अपने भाई को बाद में आने के लिए बोलकर खुद चली गई। कुछ ही देर में हंसिका उसके बताए हुए एड्रेस पर पहुँच गई। यह बहुत ही अलग जगह था जहाँ पर लोग बिल्कुल भी नहीं थे। यह एक सुनसान इलाके में था।
हंसिका के पास इस वक्त पिस्टल था और वह बेधड़क अंदर गई। जाते ही वह गुस्से में देखने लगी। उसके सामने पृथ्वी और रॉनी दोनों खड़े थे। वह तेज तर्रार आवाज में बोली, "कहाँ है मेरी फ्रेंड?"
रॉनी दो कदम आगे बढ़ा और बोला, "तुम्हें क्या लगता है, तुम आओगी और तुम्हारी फ्रेंड को मैं जाने दूँगा? बिल्कुल नहीं। उसे तो मैं यहाँ से लेकर, बल्कि इंडिया से लेकर बाहर जाने वाला हूँ। और यह मत भूलो, तुम दोनों ने जो मिलकर मेरे बॉस के साथ किया, वह बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया।"
हंसिका को रॉनी की बात समझ में नहीं आई। वह उंगली पॉइंट करते हुए बोली, "क्या बोल रहा है तू? कौन तेरा बॉस? और हम दोनों ने मिलकर किसका क्या बिगाड़ा है? तुझे तो मैं जानती तक नहीं हूँ। और अपनी यह बकवास बातें करना बंद कर, मेरी फ्रेंड को यहाँ पर बुला।"
हंसिका बहुत ही कॉन्फिडेंस के साथ बोल रही थी। पृथ्वी उसके बोलने के तरीके को नोटिस कर रहा था। जैसे ही रॉनी बोलने के लिए मुँह खोला, पृथ्वी उसके पास आकर उसका हाथ पकड़ उसे रोकते हुए बोला, "रॉनी, तुम 2 मिनट साइड हो जाओ।"
वह सामने आकर बोला, "देखो, तुम दोनों का क्या प्लान है, यह हमें नहीं पता, पर तुम्हारी फ्रेंड ने मेरे बॉस के साथ बहुत गलत किया। वह उनके साथ रिलेशनशिप में थी और सारी इनफॉर्मेशन लीक की। यहाँ तक कि उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर दिया। आज वह ज़िन्दगी और मौत से लड़ रहे हैं।"
"यह क्या बकवास कर रहे हो? तुम लोग मेरी फ्रेंड और तुम्हारे बॉस के साथ रिलेशनशिप में कभी नहीं! नेवर? वह कभी दिल्ली से बाहर गई ही नहीं है। अपनी बकवास करना बंद कर दो, समझे।"
रॉनी तो बहुत गुस्से में था। पृथ्वी ने अपना मोबाइल निकाला और कुछ फोटो दिखाने लगा, जिसमें अदा मेहरा और समय बिरला दोनों साथ में डेट कर रहे थे। यह उन दोनों की रिलेशनशिप वाली फोटो थीं, जहाँ वे दोनों कई जगह घूम रहे थे। बहुत ही क्लोज़ उन दोनों की फोटो थीं।
यह फोटो देखकर हंसिका हैरान हो गई। उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया। वह रिएक्ट करते हुए बोली, "इम्पॉसिबल! यह मेरी आयशा नहीं है, बिल्कुल भी नहीं! मेरी आयशा तो दिल्ली क्या, इस एरिया से भी बाहर नहीं गई है। अगर तुम्हें यकीन नहीं तो मैं तुम्हें प्रूफ दे सकती हूँ।"
पृथ्वी थोड़ी तेज आवाज में बोला, "अगर तुम सही हो तो मैं भी अपनी जगह से ही हूँ। आखिर यह कौन है जो मेरे बॉस के साथ फोटो में दिखाई दे रही है? बताओ? क्या तुम दोनों मिलकर अमीर लोगों को फँसाया करती हो? बोलो? जवाब दो?"
पृथ्वी की घटिया बातें सुनकर हंसिका को बहुत गुस्सा आया। वह तेज आवाज में चिल्लाकर बोली, "अपनी बकवास बातें बंद करो, समझे! तुम्हारी घर की औरतें यह सब करती होंगी, हम नहीं! और यह क्या लगा के रखा है? यह भी हो सकता है कि तुम लोग हम जैसे शरीफ लोगों को फँसाने के लिए यह सब काम कर रहे हो? क्या प्रूफ है कि तुम्हारे पास मेरी फ्रेंड आयशा थी? यह कब का फोटो है?"
रॉनी बोला, "2 हफ़्ते पहले का।"
हंसिका गुस्से में बोली, "और अगर तुम लोग फँसाने की कोशिश कर रहे हो तो भूल जाना कि अपनी आगे की ज़िन्दगी जीने के लिए, क्योंकि मैं वह दुर्दशा करूँगी जो तुम लोगों ने सोचा भी नहीं होगा।"
हंसिका ने अपना मोबाइल लिया और कॉरपोरेट कंपनी में कॉल किया। उसने आयशा के दो महीने के वर्किंग रिपोर्ट माँगी। कुछ ही देर में उसे उसके वर्किंग रिपोर्ट व्हाट्सएप पर आ गई। उसने वह रिपोर्ट रॉनी और पृथ्वी को दिखाई।
वह दोनों हैरान थे। हंसिका ने आगे कहा, "अगर तुम्हें यकीन नहीं तो मैं सीसीटीवी फुटेज, बल्कि बहुत सारी ऐसी चीज़ें हैं जो मैं तुम्हें दिखा सकती हूँ।"
रॉनी शॉक्ड हो गया था कि यह कैसे हो सकता है? क्योंकि आयशा के मोबाइल में उन दोनों का फोटो भी था।
रॉनी और पृथ्वी दोनों हैरान होकर हंसिका को देखने लगे। उन्हें भी समझ में नहीं आ रहा था कि वे दोनों कैसे रिएक्ट करें।
क्रमशः…
हंसिका के पास बहुत सारे प्रूफ थे और उसने सब कुछ उन दोनों को दिखाया। देखकर वे दोनों दंग रह गए। आखिर ऐसा कैसे हो सकता था?
अगर दोनों में कोई फ़र्क था, तो वह थोड़ा रहन-सहन का ही फ़र्क था, वरना दोनों एकदम एक जैसी दिखाई दे रही थीं। हंसिका गुस्से में बोली, "अब तुम लोग यह बताओ, आखिर तुम लोगों को मैं कौन सी सजा दूँ? क्योंकि तुम्हारे वजह से मेरी फ़्रेंड ट्रबल में फंसी हुई है। यहाँ तक कि वह एकदम इनोसेंट है और तुम लोगों ने उसे एक रात और एक दिन किडनैप करके रखा। इसका बदला तो लेना बनता है!"
पृथ्वी उसकी बातें सुन रहा था, लेकिन रानी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाई और गुस्से में बोला, "तुम तो अपना बता रही हो, पर मेरे बॉस के साथ जो कुछ हुआ, आखिर वह कौन था? कौन है? मुझे तुम दोनों पर यकीन नहीं। ज़रूर तुम दोनों ने ऐसा प्लान बनाया होगा ताकि कल को किसी को पता चले? तो तुम दोनों ने बड़ी आसानी से बॉस को..."
यह सुनकर हंसिका हँस दी और बोली, "वैसे यह बताओ, तुम दोनों रहते कहाँ हो? कहाँ के हो तुम दोनों? कहीं ऐसा तो नहीं कि गांजा पीने के बाद तुम दोनों ऐसी ही हरकतें करते हो?"
हंसिका के कहने के बाद पृथ्वी अंदर गया और आयशा को लेकर आया। उसकी हालत देखकर हंसिका भावुक हो गई, तो वहीं आयशा अपनी फ़्रेंड को आँखों के सामने देखकर जोर-जोर से रोने लगी।
उन दोनों को देखकर रॉनी को अजीब लगा क्योंकि वह साफ़ देख सकता था कि दोनों की शक्ल एक जैसी है, पर बाकी सब कुछ बहुत डिफ़रेंट था। और उसके अनुसार जितने भी प्रूफ थे, वे सब इनके फ़ेवर में ही थे।
कुछ देर तक उन दोनों में और भी बहस हुई, पर हंसिका आयशा को लेकर वहाँ से चली गई। उसके जाते ही पृथ्वी रॉनी से बोला, "हमें अपने आदमियों को इन दोनों पर नज़र रखने के लिए कह देना चाहिए और हमें यहाँ से मुंबई के लिए चलना होगा, वरना यहाँ रहेंगे तो बात और बढ़ती जाएगी!"
उधर, हंसिका नहीं चाहती थी कि बात और बढ़े, जिसके वजह से उसने पुलिस में इन्फ़ॉर्म कर दिया कि उसकी फ़्रेंड मिल गई है। वह भी थोड़ी अचंभित हो गई थी क्योंकि पृथ्वी जो फ़ोटो दिखा रहा था, वह लड़की हूबहू आयशा दिख रही थी। हंसिका नहीं चाहती थी कि बात और बढ़े और कोई प्रॉब्लम हो।
पृथ्वी रॉनी को लेकर मुंबई आना चाहता था, पर रॉनी परेशान हो गया क्योंकि उसने तो बाला को बता दिया था कि उसने अदा मेहरा को पकड़ लिया है। जिसकी वजह से अब वह बाला को क्या जवाब देगा? वह यही सब सोच-सोचकर और भी परेशान होने लगा।
और जो रॉनी को डर था, वही हुआ। शाम को जब बाला का कॉल आया, तो वह अदा मेहरा के बारे में पूछने लगा। रॉनी के पास कोई जवाब नहीं था। वह उसके बारे में क्या बताता? और उसकी खामोशी सुनकर बाला बार-बार उसके बारे में पूछने लगा। यह देखकर पृथ्वी ने रॉनी के हाथ से मोबाइल लेकर बोला, "बाला, यह लड़की अदा मेहरा नहीं है, यह कोई और है!"
"क्या बकवास कर रहे हो? अदा मेहरा नहीं है तो कौन है?"
यह सुनकर पृथ्वी बोला, "दिख तो वही रही है, पर यह है नहीं। क्योंकि जब अदा मेहरा बॉस के साथ डेट कर रही थी, तब यह लड़की यहीं थी। क्योंकि इसकी सारी इनफ़ॉर्मेशन आज हमें मिली। यह पास के कॉर्पोरेट कंपनी में जॉब करती है। बल्कि यह तो दिल्ली से कभी बाहर गई ही नहीं... इसके सारे डिटेल्स कंपनी से मिल गए। और तो और, यह छोटे से अपार्टमेंट में रहती है? और इसके आगे-पीछे कोई है भी नहीं, सिवाय इसकी एक फ़्रेंड के, हंसिका ओबेरॉय!"
पृथ्वी की सारी बातें सुनने के बाद बाला चिढ़ते हुए बोला, "उस लड़की को हल्के में मत लेना। इसी तरह अकेली अबला नारी बनकर वह बॉस की ज़िंदगी में आई थी और आज उन्हें मौत के घाट उतार दिया, रातों-रात उन्हें बर्बाद कर दिया और आज फिर से तुम दोनों को उसने बेवकूफ़ बना दिया, क्योंकि तुम दोनों सच में बेवकूफ़ ही हो!"
बाला इस वक़्त बहुत गुस्से में था और गुस्से में वह क्या बोल रहा था, उसे ही नहीं पता। उसने तुरंत कॉल काट दिया। उसका इतना गुस्सा देखकर करिश्मा भी परेशान हो गई और बोली, "क्या हुआ बाला? तुम बहुत परेशान नज़र आ रहे हो?"
करिश्मा का इतना पूछते ही बाला सब कुछ उसे बता दिया। वैसे तो अदा मेहरा मिल गई थी, यह बात करिश्मा को भी पता चल गया था, पर आज जो कुछ हुआ, यह सब सुनकर वह भी दंग रह गई। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि एक ही शक्ल के दो लोग? इम्पॉसिबल! यह ज़रूर अदा मेहरा अपने चक्रव्यूह में सभी को फँसा रही है!
बाला करिश्मा से बोला, "अगर बॉस इस हालत में नहीं होते, तो अभी इसी वक़्त मैं इंडिया जाता और उस लड़की को अपने हाथों गला घोंटकर जान से मार देता!"
उसका गुस्सा करिश्मा साफ़-साफ़ देख रही थी और उसने धैर्य देते हुए बोला, "बाला, सब्र करो। अगर वह मिल गई है, तो ज़रूर यह दिन तुम्हें देखने को मिलेगा और तुम अपने हाथों से उसकी वह दुर्दशा करना जो वह सपने में भी नहीं सोची होगी!"
करिश्मा ने बाला को बहुत समझाया, तब जाकर वह शांत हुआ और बोला, "हाँ, तुम सही कह रही हो। बॉस एक बार होश में आ जाए, फिर तो मैं इंडिया जाकर सबसे पहले उसका काम तमाम करूँगा!"
देर रात मिशन रूम में मैक्सवेल अपनी टीम के साथ जोर-शोर से काम कर रहा था। देखा जाए तो उसने ७५-८०% काम इन दिनों में कर लिया था, क्योंकि उसे इन सब चीज़ों का एक्सपीरियंस था। उसने पहले भी दूसरी टीम के साथ काम किया था, पर कहीं न कहीं उसकी काबिलियत पर उसकी सीनियर ने उंगली उठाई थी, जिसके वजह से वह आज अपने बलबूते पर अपनी नई टीम बनाकर यह काम करना चाहता था।
इधर, इंडिया में पृथ्वी रॉनी को लेकर मुंबई आ गया था, क्योंकि वेदांत कटारिया पर नज़र भी तो रखनी थी कि वह क्या कर रहा है? पर इन दिनों वह इतना पॉपुलर और अमीर हो गया था कि उसकी झलक देखने के लिए भी लोग तरस रहे थे। वह क्या कर रहा था? किसी को कुछ नहीं पता था। कहाँ जाता है? कहाँ रहता है? कोई सुराग नहीं मिल रहा था, क्योंकि उसने अपनी सिक्योरिटी अलर्ट कर दी थी।
उधर, दिल्ली में हंसिका आयशा को लेकर अपने बंगले पर आ गई थी। उसे सही-सलामत देखकर करण ओबेरॉय को भी अच्छा लगा क्योंकि उसकी बहन जिस तरह परेशान हुई थी, वह भी अपनी बहन के लिए परेशान हो गया था। बल्कि उसने तो अपने गार्ड को उसे ढूँढने के लिए लगा दिया था ताकि वह जल्द से जल्द मिल जाए!
हंसिका ने आयशा से कहा, "आज से तुम यहीं रहोगी, मेरे आँखों के सामने। मैं तुम्हें अपार्टमेंट में अब अकेली नहीं रहने दूँगी!"
यह सुनकर आयशा बोली, "नहीं, तुम बात को नहीं समझ रही हो। मेरा यहाँ रहना ठीक नहीं है!"
"पर क्यों???" हंसिका रिएक्ट करते हुए बोली।
यह सुनकर आयशा बोली, "वक़्त आने पर तुम्हें बताऊँगी!"
"और तुम्हारा वक़्त कब आएगा? मुझे अभी जानना है। कोई भी बात तुम मुझसे नहीं छुपाओगी। बताओ सच-सच क्या बात है?"
आयशा बोली, "क्योंकि तुम्हारा भाई मुझे उस नज़र से देखता है, जिस नज़र से तुम मुझे देखती हो। तुम्हारा भाई मुझे पसंद करता है!"
यह सुनकर हंसिका चौंकते हुए बोली, "क्या बकवास कर रही हो तुम? ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। वह तो तुम्हारे लिए फ़िक्र कर रहे थे!"
"ऐसा तुम्हें लगता है। अगर मैं यहाँ रहूँ, तो वह मेरे करीब आने की कोशिश करेंगे। क्योंकि जब भी मैं तुमसे मिलने आती हूँ, तो वह मुझे एकदम से निहारते रहते हैं, और उनके देखने का तरीका भी बहुत अलग है!"
भला हंसिका आयशा की बातों पर क्यों नहीं यकीन करती? वह भी उसकी बातों पर यकीन करने लगी और अब प्यार से बोली, "ठीक है, तुम अपार्टमेंट में रहोगी, पर वहाँ नहीं। अब मैं तुम्हारे लिए कहीं अच्छी सी जगह का इंतज़ाम कर देती हूँ और तुम्हारे साथ एक गार्ड भी रखूँगी ताकि तुम्हें कोई दिक्कत न आए।" यह सुनकर आयशा ने अपनी पलकें झपका दीं!
इतना बोलकर हंसिका आयशा के होठों पर अपने हाथ रखकर किस करने लगी। बल्कि दोनों बाथरूम में जाकर साथ में नहाने लगीं और उनका एक-दूसरे के बॉडी को टच करना बहुत अलग था।
बाहर उसके भाई को क्या पता कि दोनों अंदर क्या कर रही हैं? उसे तो यही लगता था कि उसकी बहन की फ़्रेंड है।
To be continue.....
एक महीना बीत गया। समय बिरला की तबीयत में कोई बदलाव नहीं आया, और न ही मैक्सवेल के मिशन में। वह अपने मिशन के बहुत करीब पहुँच गया था।
पर कुछ चीज़ों की वजह से उसका मिशन फेल हो रहा था। आम शब्दों में कहा जाए तो, उसका बनाया हुआ हूबहू समय बिरला, इस वक्त चाह कर भी work नहीं कर रहा था। उसने जो डिवाइस उसके अंदर लगाया था, वह वर्क नहीं कर रहा था। इससे मैक्सवेल थोड़ा परेशान हो गया। उसे अपनी काबिलियत पर भरोसा तो था, पर कहीं न कहीं वह फेल होते हुए नज़र आने लगा। उसने बाला और करिश्मा को प्रॉमिस किया था कि वह बहुत जल्द रेडी कर देगा, पर यह सब देख वे दोनों भी निराश होने लगे। उन्हें ऐसा लगता था कि कहीं मैक्सवेल उन्हें बेवकूफ बना रहा है।
मैक्सवेल की टीम में और भी लोग काम कर रहे थे। जिसमें से एक का नाम था जस्टिन। उसने मैक्सवेल को सलाह देते हुए कहा, "अगर ऐसा ही रहा तो मुझे नहीं लगता कि हमें सक्सेस मिलेगा। क्यों ना तुम जहाँ पहले ट्रेनिंग लिए थे वहाँ से कुछ हेल्प ले लो?"
जस्टिन का इतना कहना था कि मैक्सवेल भड़क गया और बोला, "क्या तुम भी मेरी काबिलियत पर उंगली उठा रहे हो? मैं यहाँ जी जान लगाकर मेहनत कर रहा हूँ और तुम कह रहे हो कि दूसरों की मदद लूँ? नहीं, मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करूँगा। अगर फेल हो गया तो भी चलेगा, पर मैं उन लोगों की मदद नहीं लूँगा!"
मैक्सवेल और जस्टिन में बातें हो ही रही थीं कि इस वक्त बाला आ गया और उसने भी उनकी बातें सुन लीं। वह बोला, "क्यों तुम किसी और की मदद नहीं ले सकते? अगर तुम नहीं ले सकते तो मैं ले लेता हूँ। पर मुझे यह काम बहुत जल्दी चाहिए। इन सब में एक महीने से ऊपर हो गया है और तुमने तो बहुत ही कॉन्फिडेंस के साथ कहा था कि यह काम बहुत जल्द हो जाएगा, पर ऐसा कुछ हुआ नहीं!"
बाला का गुस्सा जायज़ था। यह देख मैक्सवेल शांत आवाज़ में कहा, "मैं आपकी प्रॉब्लम अच्छी तरह से समझता हूँ। मैं अपनी पूरी कोशिश कर रहा हूँ कि जल्द से जल्द आपको रिजल्ट दे सकूँ, पर कुछ प्रॉब्लम लग रहा है, जो मैं ठीक करने की पूरी कोशिश में लगा हूँ। आई होप जल्दी ठीक हो जाए!"
यह सुन बाला बोला, "तो हाँ, ठीक है ना। आपने बहुत अच्छा काम किया है। मैं आपके काम पर कोई उंगली नहीं उठा रहा हूँ, पर अगर यह वर्क नहीं कर रहा तो आप किसी की मदद लीजिए ताकि यह काम जल्द से जल्द हो जाए। आप मेरी प्रॉब्लम समझने की कोशिश कीजिए। आप अपना ईगो साइड में रख दीजिये और पहले वाली टीम से बात कीजिए!"
बाला की बातें सुन मैक्सवेल बोला, "अगर मैंने उन्हें यह बता दिया कि मैं चोरी-छुपे मिशन पर लगा हूँ तो वे लोग ढूँढ कर इसे तोड़फोड़ देंगे या यहाँ से उठाकर ले जायेंगे। उनकी सोच में और मेरी सोच में जमीन आसमान का फ़र्क है। मैं वहाँ पर उनके साथ काम किया हूँ, मुझे पता है वे लोग किस किस्म के हैं!"
मैक्सवेल की बातें सुन बाला चुप हो गया। आखिर वह क्या कहता? पर अब उसकी परेशानी और बढ़ने लगी। जो उम्मीद थी, वह उम्मीद टूटे हुए नज़र आने लगी।
इस वक्त करिश्मा भी अंदर आई और सबको सैड होते देख बोली, "गाइस, क्या बात है? आप लोग इतने परेशान क्यों दिख रहे हो?"
यह सुनकर जस्टिन सब कुछ उसे बताने लगा। अब तो करिश्मा भी परेशान हो गई क्योंकि सारा आइडिया उसका ही था। बाला तो रेडी भी नहीं हो रहा था और अब जब वह रेडी हो गया तो मिशन काम नहीं कर रहा था!
सभी लोग बैठे बहुत कुछ सोच रहे थे। बाला बोला, "ऐसा तो कोई होगा जो हमारी मदद कर सके।"
मैक्सवेल अपना सर ना में हिलाते हुए बोला, "नहीं, ऐसा तो कोई नहीं है जो हमारी बाहर से मदद कर सके!"
यह देखकर करिश्मा बोली, "ठीक है, तुम उनकी मदद नहीं ले सकते हो तो तुम वहाँ जाकर कहना कि तुम वापस ज्वाइन कर रहे हो और तुम ज्वाइन भी कर लेना और जैसे टाइम मिले तुम यहाँ आकर अपना मिशन भी कंप्लीट कर लेना!"
मैक्सवेल बोला, "तुम्हें पता नहीं है, मैंने वहाँ से जॉब नहीं छोड़ी थी, बल्कि मुझे उन लोगों ने निकाला था क्योंकि हमारी किसी बात पर आर्गुमेंट हो गया था। वे लोग जितना अच्छे बनते हैं, वे हैं नहीं। अंदर की कहानी तुम्हें पता नहीं है। मैं वहाँ पर था, मुझे पता है कि वे लोग कैसा बिज़नेस करते हैं!"
आखिर बाला और करिश्मा भी तो समझदार ही थे और वे मैक्सवेल की बातों को अच्छी तरह से समझ गए। पर मैक्सवेल का दिमाग तुरंत काम किया और बोला, "वे लोग मुझे तो जानते हैं पर जस्टिन को नहीं जानते। तो जस्टिन जा सकता है क्योंकि यह तो नया रहेगा और वे लोग इसे नहीं पहचानते कि यह मेरे लिए काम कर रहा है। तो मैं जो तुम्हें पूछूँगा, तुम मुझे वह बता देना!"
भला जस्टिन क्यों मन करेगा? वह तो तुरंत तैयार हो गया और बोला, "ठीक है, मैं इस काम के लिए तैयार हूँ और मैं पूरी कोशिश करूँगा कि आप लोगों को बिल्कुल भी निराश ना करूँ!"
मैक्सवेल ने वहाँ का सब कुछ रूल बता दिया ताकि जस्टिन को कोई प्रॉब्लम ना आए। अगले दिन जस्टिन...
मैक्सवेल ने जहाँ जस्टिन को भेजा था, उस ग्रुप की कंपनी का नाम शॉर्टकट में JSA था, पर उसे दो तरह के नाम से जाना जाता था।
यह बहुत जानी-मानी, बहुत बड़ी कंपनी थी। वैसे तो यह दुनिया के लिए कुछ अलग थी, पर इसके अंदर क्या होता था यह किसी को नहीं पता, सिवाय मैक्सवेल को छोड़कर। और मैक्सवेल बाहर यह बात कहीं बताना नहीं चाहता था।
जस्टिन ने अपना प्रोफाइल दिखाया और वह यहाँ पर जॉब करने के लिए अप्लाई किया और उसे हायर भी कर लिया गया क्योंकि उसका फील्ड यही था।
पर वहाँ का रूल था कि नए फ्रेशर लोगों को ईज़ी वाला काम देना, जो कि जस्टिन को दिया गया था। क्योंकि उनके नज़रों में तो वह अभी एकदम से फ्रेशर था, पर वह चालाक बहुत था, इसलिए तो मैक्सवेल ने उसे भेजा था। वह बहुत जल्दी काम सीख जाएगा और उसे जो इनफॉर्मेशन चाहिए वह भी मिल जाएगी।
जस्टिन ने वहाँ अपनी आस-पास के लोगों से दोस्ती बना ली, बल्कि उनके छोटे-मोटे काम भी करने लगा ताकि वह जो पूछेगा वह उसका जवाब दे सके, बल्कि उसे काम सीखना था।
जस्टिन JSA में जाना शुरू कर दिया। वह बहुत बड़ी कंपनी थी। हर किसी को हर जगह जाना अलाउड नहीं था। वहाँ सीक्रेट रूम बहुत थे और बड़े-बड़े मैनेजर, सीनियर थे।
जस्टिन को थोड़ा प्रॉब्लम लग रहा था क्योंकि वह नॉर्मली काम तो करने लगा था, पर जिसलिए वह आया है, वह सब इतनी आसानी से उसे नहीं मिल सकता था।
वह शाम में जब घर जाता था तो मैक्सवेल को सारी इनफॉर्मेशन देता था कि आज उसने क्या सीखा और क्या देखा। मैक्सवेल उसे फ़्लोर और रूम नंबर भी बताया था जहाँ पर सीक्रेट रूम में क्या-क्या होता था, पर जस्टिन को वहाँ पर जाना अलाउड नहीं था। मैक्सवेल की बात अलग थी और इसकी बात अलग है!
यह सब काफी दिन तक चलता रहा। यह देखकर बाला को सच में अब गुस्सा आने लगा था और वह एक दिन मैक्सवेल से कहा, "तुम हमारा प्रॉब्लम सॉल्व करोगे या हम सब मिलकर तुम्हारा प्रॉब्लम सॉल्व करें? क्योंकि यह सब तो तुम्हारा पर्सनल मैटर लग रहा है!"
मैक्सवेल बाला का गुस्सा देख सकता था, और जाहिर सी बात है उसे आएगा ही क्योंकि उसने एक महीने का टाइम दिया था और अपना काम नहीं कर पाया था, बल्कि अब वक्त बहुत ज़्यादा हो चुका था।
बाला काफ़ी देर तक मैक्सवेल पर चिल्लाता रहा, पर मैक्सवेल एक शब्द भी नहीं बोला क्योंकि वह बिल्कुल भी आर्गुमेंट नहीं करना चाहता था।
बाला करिश्मा से बातें करने लगा कि इस तरह ऐसा चलता रहा तो हम कुछ नहीं कर पाएँगे, बल्कि हमारा वक्त बर्बाद हो रहा है। हमें कुछ और सोचना चाहिए। हम इस तरह हाथ पर हाथ रखे बैठे रहेंगे तो हारते हुए नज़र आ रहे हैं। अब करिश्मा भी निराश होने लगी थी पर वह हार मानने वालों में से नहीं थी।
बाला ने साफ़-साफ़ शब्दों में करिश्मा से बोला, "हमें अपने बॉस के लिए डॉक्टर चेंज करना होगा, ताकि वह जल्द से ठीक हो सकें। जब तक बॉस ठीक नहीं होंगे, तब तक हम कुछ नहीं कर सकते!"
यह बात सही थी और इस बात से करिश्मा भी एग्री हो रही थी। पर कितने सारे डॉक्टर चेंज किए पर उसके बॉस ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहे थे!
To be continue....
कुछ समय बाद, जस्टिन को मैक्सवेल की मदद करने का कोई मौका नहीं मिल रहा था। वह दिन भर कंपनी में इधर-उधर भटकता रहा, पर कोई ऐसा दोस्त भी नहीं था जिसकी वह मदद ले सके।
वह रोज़ नई उम्मीद लेकर आता था, पर चाहकर भी बेचारा कुछ नहीं कर पाता था। पर हाँ, वहाँ एक लड़की थी जो स्टाफ़ वर्किंग का काम करती थी। जस्टिन उसे रोज़ देखा करता था।
बल्कि वह भी उसे देखने लगी थी। यहाँ तक कि वे दोनों आँखों ही आँखों से एक-दूसरे को चाहने लगे थे। एक दिन टी ब्रेक में दोनों साथ में कैंटीन में जाकर कॉफी पीने लगे और उसी दिन से थोड़ी-थोड़ी उनकी जान-पहचान होने लगी। यह दोनों एक-दूसरे से बातें करने में कम्फ़र्टेबल हो गए।
उसका नाम था लारा। जस्टिन ने उससे पूछा, "आखिर तुम यहाँ क्या काम करती हो?" तो उसने उसे बताया कि वह बैक ऑफ़िस में काम करती है। यह सुनकर जस्टिन को बहुत अच्छा लगा।
जस्टिन को लगा कि यह ज़रूर उसकी मदद कर सकती है। इसे तो सब कुछ पता होगा कि कौन से सीक्रेट रूम में क्या-क्या होता है...? यह सारी बातें उसके दिमाग में आने लगीं और उसने सोच लिया कि वह उसकी मदद लेगा, पर इतना जल्दी नहीं, पहले उसे ट्रस्ट करना होगा।
जस्टिन आज से ही उसके साथ बहुत ही प्यार भरी बातें करने लगा; यूँ आम शब्दों में कहा जाए तो फ़्लर्ट करने लगा। पर ऐसा नहीं था, वह दिल से उसे चाहने लगा था। और शाम को भी वह उससे बातें किए बिना घर नहीं जाता था। यह सिलसिला काफ़ी दिनों तक चला और वे दोनों बहुत क्लोज़ आ गए।
एक दिन जस्टिन और लारा दोनों ऑफिस से साथ में निकले। लारा को देखकर ही पता चल रहा था कि वह कितनी थकी हुई है। और वह अपने काम के बारे में बताने लगी।
जस्टिन को यही मौका मिला कि वह उसे बहुत कुछ पूछ ले। और वह अपनी छोटी-मोटी बातों में उसे पूछने लगा।
लारा उसे कुछ नहीं छिपा रही थी। जो सच था, वह सब बताने लगी। "मैं यहाँ 6 साल से जॉब कर रही हूँ। मुझे यहाँ का सब रूल पता है। यहाँ के लोगों के बारे में भी पता है कि कौन कैसा है? किसके साथ कितनी बातें करनी चाहिए? बट मेरी मैनेजर मैम बहुत अच्छी हैं। मैं तो कितनी दफ़ा जॉब छोड़ने की कोशिश भी की, पर वह मुझे जाने नहीं देती क्योंकि उन्हें पता है मैं बहुत अच्छा काम करती हूँ।"
जस्टिन थोड़ा संकोच करते हुए बोला, "तुम्हें तो यहाँ का सब पता होगा? कि कौन सा काम कैसे करते हैं? मेरा कहने का मतलब है कि कौन सी डिपार्टमेंट में कौन सा क्या काम होता है? मतलब यहाँ जो भी काम है, वह सब तुम्हें पता ही होगा?"
"सब तो नहीं बता सकती, पर बहुत कुछ मुझे पता है।" लारा बोली।
जस्टिन बोला, "वह तो बहुत अच्छी बात है। देखो, तुम बैक ऑफ़िस में काम करती हो, पर तुम्हें बहुत कुछ पता है। मैं तो एक डिजाइनर ग्राफ़िक हूँ, तो भी मुझे इतना नहीं पता होगा जितना कि तुम्हें पता है।"
अपनी तारीफ़ सुनकर लारा मुस्कुराने लगी और बोली, "धीरे-धीरे आपको भी सब कुछ पता चल जाएगा, पर थोड़ा वक़्त लगेगा।"
वे दोनों इसी तरह बातें करते हुए आगे जा रहे थे। जस्टिन सच में पड़ गया था। क्या करूँ? आगे बात बढ़ाऊँ कि नहीं बढ़ाऊँ? यही सोच रहा था।
पर बेचारे को रहा नहीं गया और वह आगे बात बढ़ाते हुए बोला, "मुझे ना तुम्हारी एक हेल्प चाहिए।"
"कैसी हेल्प?" लारा तुरंत पूछी।
"यही कि मुझे यहाँ का सब कुछ जानना है? सीखना है? ताकि मैं जल्द से जल्द सीख लूँ और अपनी पेमेंट बढ़ाने का डिमांड रख सकूँ, क्योंकि मुझे बहुत ज़्यादा सैलरी चाहिए।"
उसकी बातें सुनकर लारा जोर से हँसी और बोली, "कैसी बातें कर रहे हो तुम? मुझे तो लगा कि तुम खुद एक दिन अपना बिज़नेस चालू करोगे। लोग यही सपना देखते हैं कि एक दिन सीखने के बाद मैं अपना वजूद बनाऊँगा, और तुम हो कि सैलरी का डिमांड कर रहे हो?"
उसकी बातें सही थीं। यह सुनकर जस्टिन बोला, "पर मैं इतना काबिल तो नहीं हूँ कि मैं अपना बिज़नेस चालू कर सकूँ।"
लारा बोली, "कोशिश करोगे तो सब कुछ कर सकते हो। ऐसा नहीं कहना चाहिए कि मैं कुछ नहीं कर सकता। बहुत कुछ कर सकते हो।"
लारा बहुत प्यारी बातें करती थी। यही तो जस्टिन को उसका बहुत नेचर बहुत अच्छा लगता था। और वह आगे बोला, "ठीक है, तुम जो कह रही हो सही है। तो क्या तुम मेरी मदद करोगी? मुझे बताओगी यहाँ पर काम कैसे होते हैं ताकि मैं सब कुछ सीख सकूँ।"
यह सुनकर लारा मुस्कुराते हुए बोली, "अरे! ज़रूर। मुझे जितना आता है मैं तुम्हारी उतनी हेल्प कर दूँगी। और रही बात तुम्हारी काबिलियत की, जब तुम खुद का बिज़नेस चालू करोगे, तो मुझे वहाँ पर काम के लिए रख लेना।"
यह कुछ ज़्यादा हो गया था। अब जस्टिन बहुत जोर-जोर से हँसने लगा था, बल्कि दोनों हँस रहे थे।
जस्टिन आज लारा को छोड़ नहीं रहा था। बल्कि कंपनी से रिलेटेड वह बहुत कुछ उससे इन्फ़ॉर्मेशन निकालने लगा। यहाँ तक कि बाहर से जो भी चीज़ कंपनी में आती थी, वह सब लारा देखती थी।
उसे पता था कि कंपनी में क्या-क्या चीज़ आती है? जैसे कि रोबोट को किन-किन चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है। यह सारे बिल उसके पास रहते थे और वह बहुत अच्छे से जानती थी। जो कि उसने जस्टिन को बहुत कुछ बताया।
जस्टिन यह जानता था कि लारा अभी बोल रही है, पर वह बाद में भूल जाएगी। जिसके वजह से वह दिमाग दौड़ते हुए बोला, "तुम ऐसा क्यों नहीं करती, कल जब ऑफ़िस जाओगी तो मुझे कुछ bills के फ़ोटो भेज देना, ताकि मैं भी तो देखूँ किन-किन चीज़ों का यह लोग use करते हैं।"
लारा ने तुरंत हाँ भर दी। लारा के मोबाइल में कुछ फ़ोटोस थे, उसने उसे दिखाए। उसके बाद भी दोनों पास के होटल में जाकर साथ में खाना खाया। वे दोनों बहुत क्लोज़ हो रहे थे, बल्कि सारी बातें एक-दूसरे को शेयर करने लगे, वह पर्सनल हो या प्रोफ़ेशनल।
नेक्स्ट डे वे दोनों अब तो चैटिंग भी करते थे, क्योंकि कंपनी बहुत बड़ी थी और दोनों का डिपार्टमेंट अलग-अलग था।
जस्टिन बार-बार उसे कंपनी के रिगार्डिंग बहुत कुछ पूछने लगा और लारा उसे सब कुछ बताती जा रही थी। यहाँ तक कि कुछ कोड भी थे जो उसने उसे शेयर करने लगे और लारा को कुछ नहीं पता था।
वह तो उसकी हेल्प करने की कोशिश कर रही थी। वह तो जस्टिन की हेल्प करना चाहती थी। उसे नहीं पता था कि जस्टिन यह काम किसके लिए कर रहा है।
लारा के भेजे हुए सारे कोड और बिल यह सारे मैक्सवेल को सेंड करता था। जो देखकर मैक्सवेल को भी सब कुछ याद आता था और वह कहने लगा था कि और कुछ इसके अलावा डिटेल्स चाहिए।
लारा आए दिन उसे कुछ न कुछ बताती थी, पर जो इम्पॉर्टेंट था वही तो मैक्सवेल को मिल नहीं पा रहा था, क्योंकि सारी चीज़ जस्टिन मैक्सवेल को सेंड करता था।
To be continue...
ऐसे ही कुछ वक्त बीत गया। एक दिन करीब एक करोड़ का बिल था और लारा की मैनेजर ने उसे वह बिल अकाउंट में भेजने को कहा। साथ ही जल्द से जल्द पेमेंट ट्रांसफर करने को भी कहा। वह बिल लेकर अपने डेस्क पर जा बैठी।
वह कुछ और काम कर रही थी। थोड़ी देर बाद, जब उसने बिल को ध्यान से देखा, तो उसे अमाउंट बहुत बड़ा लगा। यह बिल उसने पहले भी देखा था। उसने अकाउंट डिपार्टमेंट को कॉल करके बता दिया।
लारा वह बिल लेकर अकाउंट डिपार्टमेंट जा ही रही थी कि उसे अचानक लगा कि इसका फोटो निकालकर जस्टिन को भेज देना चाहिए। उसने जल्दी से अपने मोबाइल में फोटो क्लिक कर ली और बिल अकाउंट में सबमिट करवा दिया।
पर लारा जस्टिन को फोटो नहीं भेज पाई क्योंकि वह काम में बिजी थी। पूरा दिन बीत गया, उसे फोटो भेजने की याद ही नहीं आई।
जब वे दोनों शाम को ऑफिस से निकले, तब फिर से बातें करने लगे। जस्टिन ज्यादातर कंपनी के बारे में ही बातें करता था। थोड़ी देर बात करने के बाद उसे याद आया कि उसने बिल का फोटो मोबाइल में सेव किया है। उसने जल्दी से जस्टिन को दिखाया। वह देखकर जस्टिन हैरान रह गया क्योंकि बिल का अमाउंट बहुत ज़्यादा था।
"यह क्या खरीदा है? जो इतना बड़ा अमाउंट है..!" जस्टिन ने कहा।
"अरे! यही तो मेन है, जो रोबोट में डिवाइस लगते हैं, बस मुझे तो इतना ही पता है। और यह हर महीने बिल आता है और इन्हें जल्दी से पेमेंट देना पड़ता है..!" लारा मुस्कुराते हुए बोली।
"अच्छा ठीक है, तुम यह फोटो मुझे भेज दो, ताकि इन फ्यूचर कभी God ने चाहा तो मैं भी अपना बिजनेस चालू करूंगा तो मुझे छोटी-मोटी चीज पता होनी चाहि..!" जस्टिन बात बनाते हुए बोला।
जस्टिन की नज़र उस बिल के एड्रेस पर थी। लारा ने तुरंत उसे व्हाट्सएप पर भेज दिया। कुछ देर तक वे दोनों आपस में बातें करते रहे, यहां तक कि साथ में खाना भी खाया।
उसके बाद अपने-अपने घर चले गए। जस्टिन ने तुरंत मैक्सवेल को बिल भेजा। जब मैक्सवेल ने बिल देखा तो वह मुस्कुराने लगा क्योंकि यही डिवाइस उसे चाहिए थी और उसे नहीं पता था कि यह कहाँ मिलती है। पर बिल पर दिया गया एड्रेस देखकर उसे तसल्ली मिल गई।
क्योंकि मैक्सवेल जब यहाँ काम करता था, तो उसे सारी चीजों का पता था, पर यह चीज कहाँ से पर्चेज़ की जाती है, यह उसे नहीं पता था। पर अब उसे यह भी पता चल गया।
मैक्सवेल दूसरे दिन बाला को लेकर उस एड्रेस पर पहुँच गया। उन्हें पता था कि एक डिवाइस करोड़ों में मिलती है, और इस वक्त मैक्सवेल के पास इतना पैसा नहीं था। पर बाला ने तुरंत पैसों का इंतज़ाम किया, वह अपनी बॉस के लिए कुछ भी कर सकता था।
और उन्होंने करोड़ों रुपये देकर एक डिवाइस ले ली। वह डिवाइस लेकर जब वे सिगरेट रूम में आए, तब भी उसपर बहुत काम करना था, जो मैक्सवेल करने लगा। वह जस्टिन को थैंक्स कहने लगा क्योंकि उसके वजह से ही यह पॉसिबल हो पाया।
और जस्टिन अपने मन ही मन लारा को थैंक्स कहने लगा क्योंकि यह उसके वजह से पॉसिबल हुआ।
करीब एक हफ्ते बाद, जब मैक्सवेल ने वह डिवाइस रोबोट के अंदर फिट की और टेस्टिंग करने लगा, तो उसमें से एक स्टैंडर्ड आवाज़ निकली जो बहुत ही अजीब थी। और यह आवाज़ मैक्सवेल ने पहले कभी सुनी थी।
मैक्सवेल अपनी टीम के साथ ताली बजाने लगा बल्कि उन्हें कांग्रेचुलेशन कहने लगा क्योंकि उनका रोबोट सक्सेसफुल हो गया।
रात में जब मैक्सवेल ने जस्टिन को बताया तो वह भी बहुत खुश हो गया। और सबसे ज़्यादा वह लारा के लिए खुश हो रहा था। अगर लारा ने वह बिल का फोटो नहीं दिया होता तो उन्हें यह डिवाइस कभी नहीं मिल पाती। दूसरे दिन जस्टिन उसे अपने साथ रेस्टोरेंट पर ले गया। उसे इतना जल्दी कुछ नहीं बताना था, कहीं वह गलत ना समझ ले!
JSA कंपनी के टॉप फ्लोर पर सारे रोबोट को एक सीक्रेट रूम में रखा जाता था। जो क्लाइंट उसे लेना चाहता था, जैसा बनवाना चाहता था, वह ऊपर जाकर डील करते थे।
ऊपर जाना किसी को भी अलाउड नहीं था। पर हाँ, इसके पहले लारा बहुत बार ऊपर गई थी क्योंकि कभी-कभी उसकी मैनेजर उसे बुलाती थी। क्योंकि लारा यहाँ काफी टाइम से जॉब करती थी, उसे बहुत कुछ पता था और वह एक ट्रस्टेड एम्प्लॉई थी।
आज जब लारा ऊपर गई, तो नीचे आने के बाद उसने जस्टिन को बताया, "आज मैं ऊपर गई थी, क्लाइंट कुछ रोबोट परचेज़ करने आए हैं।"
"लारा, मैं भी ऊपर जाना चाहता हूँ, एक बार देखना चाहता हूँ..!" जस्टिन ने कहा।
"अरे! तुम्हें तो अंदर, क्या गेट तक भी जाने का अलाउड नहीं है। वापस सिक्योरिटी खड़ा रहता है।" लारा ने वहाँ के सारे रूल्स बता दिए।
यह सुनकर जस्टिन खामोश हो गया। उसे इस तरह उदास देख लारा बोली, "पर तुम्हारे लिए एक आईडिया है, कहो तो बताऊँ?"
यह सुनकर जस्टिन मुस्कुरा दिया और अपनी पलकें झपका दी। यह देख लारा बोली, "अगली बार जाऊँगी ना, एक छोटा सा वीडियो बनाकर लाऊँगी, तुम देख लेना, ठीक है..!"
जस्टिन और लारा दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। जस्टिन लारा को यह नहीं बता पा रहा था कि वह यहाँ एक मकसद से आया हुआ है, वरना वह उसकी मदद नहीं करेगी।
और दूसरी बात, वह सभी को बता दे तो... यही सब सोचकर वह उसे कुछ भी नहीं बता रहा था। और जस्टिन यहाँ कुछ गलत काम करने नहीं आया था, उसे कुछ ऐसी इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए थी ताकि वह मैक्सवेल की हेल्प कर सके।
जस्टिन खुद ऊपर सीक्रेट रूम में जाना चाहता था, पर वहाँ तक जाना इम्पॉसिबल था। वह लारा के ऊपर ध्यान देने लगा कि जब वह ऊपर जाएगी तो किसी न किसी बहाने से वह भी ऊपर जाना चाहता था।
लारा कब ऊपर जाती थी, उसे नहीं पता था, क्योंकि वह काम में बिजी रहता था। क्योंकि वह एक ग्राफ़िक डिजाइनर था, वह आए दिन ग्राफ़ बनाता था और उसे जितना काम दिया जाता था, वह उसे उतना ही करना पड़ता था। बाकी का काम वह नहीं सीख पा रहा था।
यहाँ तक कि सभी के पासवर्ड अलग-अलग थे। वह चाहकर भी कुछ देख नहीं सकता था, कुछ छू नहीं सकता था क्योंकि यहाँ की सिक्योरिटी अलर्ट बहुत थी।
To be continue....
दोपहर का लंच टाइम था। जस्टिन और लारा कैंटीन में लंच कर रहे थे। बातों ही बातों में जस्टिन ने लारा से कहा, "मुझे ना बहुत सारे ड्राइंग देखना है, पर यहां तो सब पर पासवर्ड लगा रखा है, मैं कुछ देख भी नहीं सकता हूं..!"
वह खाना खाने लगा। उतने में लारा बोली, "अरे! तुम उदास क्यों होते हो? यहां के रूल्स तो तुम्हें पता ही है। और अगर तुम देखना चाहते हो तो मैं तुम्हारी हेल्प कर सकती हूं..!"
लारा का इतना कहना था कि जस्टिन ने अपनी नज़र उठाकर उसकी तरफ़ देखा और हैरान होते हुए कहा, "कैसे..?"
लारा ने अपनी आईब्रो उठाते हुए कहा, "वह तो मैं तुम्हें नहीं बता सकती हूं। पर मुझे इतना पता है कि कौन सी चीज़, कौन से पेन ड्राइव, कहां पर है। मैं तुम्हारी हेल्प कर सकती हूं, पर मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए। क्योंकि मैं नहीं रहूंगी तो मैं यह काम कर लूंगी।"
जस्टिन हैरान होते हुए बोला, "और अगर तुम्हारी मैडम को तुम्हारे ऊपर शक हो गया तो वह तुम्हें फायर कर देंगी। फायर नहीं, बल्कि बहुत बुरी सज़ा देंगी।"
जस्टिन का इतना कहना था कि लारा हंसने लगी। उसे इस तरह हंसता देख जस्टिन ने अपनी आईब्रो सिकोड़ ली। लारा अपनी हंसी रोकते हुए बोली, "अगर मैं तुम्हारी मर्डर कर दूं ना तो भी मुझ पर कोई यकीन नहीं करेगा, क्योंकि सब मुझे बहुत अच्छा मानते हैं। क्योंकि आज तक का मेरा रिकॉर्ड रहा है कि मैं कभी भी सवाल-जवाब नहीं करती... मैडम जितना भी मुझे काम देती हैं, मैं उससे दुगुना करती हूं। उन्हें मुझ पर बहुत ज़्यादा ट्रस्ट है और आज तक मैंने उनकी ट्रस्ट तोड़ी नहीं है। तुम पहले बंदे हो जो मुझसे यह सब इनफ़ॉर्मेशन मांग रहे हो और मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूं क्योंकि मैं तुम्हें पसंद करती हूं। और मैं यह भी जानती हूं कि तुम बहुत स्ट्रगल कर रहे हो और एक न एक दिन तुम बहुत अच्छी मुक़ाम हासिल करोगे..! और मैं कोई ग़लत नहीं कर रही हूं, बस तुम्हारी छोटी-मोटी हेल्प कर रही हूं ताकि तुम यहां से जब जाओ तो सब कुछ सीखकर जाओ..!"
लारा का इतना कहना था कि जस्टिन ने उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपने हाथ में ले लिए और प्यार से किस करने लगा। वह बहुत ज़्यादा खुश था। लारा ने उसे तुरंत रोकते हुए कहा, "बस...बस...अभी हम ऑफ़िस में हैं..!"
यह सुनकर जस्टिन बोला, "आज रात क्या तुम मेरे रूम पर चलोगी..?"
जस्टिन उसे ऑफ़र दे रहा था। यह देख लारा मुस्कुराते हुए बोली, "शाम को सोच कर बताऊंगी..!"
थोड़ी देर बाद दोनों अपने-अपने काम में बिज़ी हो गए। लारा अपनी मैडम के बाहर जाने का इंतज़ार कर रही थी ताकि उसकी गैर-हाज़िरी में वह पेन ड्राइव ले सके। क्योंकि उसे पता था कि उसकी मैडम सारे डिटेल्स कहां रखती है। क्योंकि वह मैनेजर थी और बहुत सारी चीज़ों का कोटेशन और ड्राइंग उसके पास ही रहता था। बल्कि 50% काम तो वही देखती थी।
और उसकी मैडम बीच-बीच में बाहर भी जाती थी, क्लाइंट से मीटिंग भी करती थी। और उसकी गैर-मौजूदगी में लारा ने वह पेन ड्राइव ले ली। शाम को जस्टिन के साथ जब बाहर निकली तो उसे वह पेन ड्राइव देते हुए बोली, "इसे तुम कॉपी कर लो और सुबह मुझे दे देना। मैं ऑफ़िस जल्दी आकर वही रख दूंगी..!"
उस दिन जस्टिन ने जैसे ही वह पेन ड्राइव लिया, उसने तुरंत उसे अपने करीब खींचते हुए उसके होठों पर होठ रखकर किस करने लगा। वह बहुत ही सॉफ्ट किस कर रहा था।
दोनों के शरीर में एक सनसनी सी लहर दौड़ उठी थी। बल्कि दोनों इससे भी आगे बढ़ना चाहते थे। जस्टिन बहुत ही अपने आप को कंट्रोल कर रहा था।
और वह बहुत ही सेड्यूसिव वॉइस में बोला, "क्या कुछ वक़्त तुम मेरे साथ बिताना चाहोगी...प्लीज़..?"
जस्टिन का रिक्वेस्ट सुनकर लारा ने अपना सिर हां में हिला दिया। जस्टिन खुश हो गया और उसे आज रात अपने घर ले गया। पहले तो उसने उसे खाने के लिए ऑफ़र दिया, जिसमें लारा ने उसकी खाना बनाने में हेल्प की। दोनों ने साथ में खाना बनाया और खाया। और बेडरूम में जाते ही एक-दूसरे को किस करने लगे।
काफी देर तक वह दोनों एक-दूसरे को किस कर रहे थे। और इसी के साथ जस्टिन ने लारा के कपड़े उतारने लगा और लारा भी उसकी हेल्प कर रही थी। और कुछ ही देर में लारा की सिसकियां पूरे कमरे में सुनाई देने लगीं।
वहीं जस्टिन उसके ऊपर तेज़ी से अपना स्पीड बढ़ा रहा था। दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था और दोनों एक-दूसरे के साथ कम्फ़र्टेबल थे। बल्कि दोनों अच्छी परफ़ॉर्मेंस दे रहे थे।
वैसे तो जस्टिन ने उसे कुछ वक़्त के लिए ही लेकर आया था, पर देखते-देखते आधी रात बीत गई, तो भी उसे छोड़ नहीं रहा था।
जब दोनों पूरी तरह थक हार गए तो एक-दूसरे से अलग हुए। अब रात बहुत हो गई थी और लारा बहुत थक चुकी थी। यह देख जस्टिन ने रिक्वेस्ट करते हुए उसे आज रात ही वहीं रोक लिया। और दोनों कुछ देर प्यार भरी बातें करने लगे और सो गए।
अगली सुबह दोनों थोड़ा लेट सोकर उठे। जब जस्टिन उठा तो वह हड़बड़ाते हुए उठा क्योंकि उसे पेन ड्राइव की कॉपी भी करनी थी क्योंकि आज लारा उसे लेने वाली थी।
वह 5 मिनट से पहले ही रेडी हो गया। पेन ड्राइव को जल्दी से अपने लैपटॉप में लगाया और उसमें जो कुछ था उसने कॉपी-पेस्ट कर लिया और वह पेन ड्राइव लारा को दे दिया।
थोड़ी देर में दोनों ऑफ़िस के लिए निकल गए। जस्टिन को सब कुछ देखना था इसलिए वह दोपहर में ही बीमार होने का नाटक करके घर आ गया और जो पेन ड्राइव में था वह सब कुछ देखने लगा।
एक फ़ाइल थी जिसमें बहुत सारे पिक्चर्स थे। जस्टिन उसे ओपन करके देखने लगा। अनगिनत डिजाइन, ग्राफ़िक्स थे, जो वहां पर लोग काम करते हैं..
वह एक-एक फ़ोटो ध्यान से देखने लगा। ऐसे ही एक घंटा बीत गया। जस्टिन एकदम उसमें घुस गया था। उसे टाइम का भी ख्याल नहीं रहा, वह एक-एक चीज़ बारीक़ी से देखने लगा।
हूबहू लोगों जैसे ही रोबोट रेडी हुए थे। यहां तक कि कुछ रोबोट तो इंसानों की तरह बात भी कर रहे थे। यह देख एक पल के लिए जस्टिन भी चौंक गया।
रोबोट में लड़कियां, लड़के, बल्कि जवान, बूढ़े सभी के रोबोट बने हुए थे। कुछ तो लोगों ने इमेजिन करके बनाया था, पर बहुत से लोगों ने ऑर्डर देकर बनवाया था।
जिन लोगों ने ऑर्डर दिया था उनके इंसान का फ़ोटो और डिटेल्स सब कुछ वहां पर मेंशन था। और जो इमेजिन करके बनाया था उसका कुछ भी नहीं था वहां पर। सब कुछ लिखा हुआ था। जस्टिन तो यह सब देखकर दंग हो गया था। बल्कि उसने बहुत कुछ देखा, वह न जाने कितने सारे फ़ोटोस देख चुका था।
उसे पेन ड्राइव में कुछ ऐसा भी मिला जो कि उसने मैक्सवेल को स्क्रीनशॉट शेयर किया। ज़्यादा तो नहीं, पर बहुत कुछ मैक्सवेल की हेल्प हो गई।
जस्टिन ने इम्पोर्टेन्ट चीज़ें बहुत कुछ मैक्सवेल को भेज दी थीं। वही मैक्सवेल उसे कुछ दिनों के लिए अपने पास बुला रहा था क्योंकि यहां पर भी बहुत कुछ काम पेंडिंग था।
जस्टिन ने लारा को बताया कि वह फैमिली से मिलने जा रहा है। लारा ने उसे कुछ नहीं कहा, बल्कि प्यार से उसे जाने दिया। जस्टिन आते ही मैक्सवेल को बहुत कुछ बताया और अब उनके काम में बहुत कुछ हेल्प हो गई थी।
खास करके तो वह डिवाइस था जो पहले उन्हें मिल गया था और उन्होंने अपनी प्रोसेस चालू कर दी थी।
करीब एक हफ़्ता और। इस एक हफ़्ते में सब जस्टिन और उसकी टीम ने मिलकर पूरे 100% दिया और उसका रोबोट रेडी हो गया। खूब समय बिताने जैसा ही उन्होंने बनाया, कुछ भी कमी नहीं थी।
मैक्सवेल रात में टेस्टिंग लेने लगा। वह पहले तो कंप्यूटर के ज़रिए उसे हिला-डुला रहा था और वह परफ़ेक्ट तरीके से मूविंग करने लगा। यह देख उसकी टीम ताली बजाने लगी।
सभी लोग खुश थे क्योंकि उन्होंने वह कर दिखाया जिसकी उम्मीद कुछ दिन पहले टूट गई थी। अब सिर्फ़ रह गई थी बातें करना, सब कुछ उसके अंदर वही फ़िट करना जो कि समय बिड़ला करता था। उसकी बोली-भाषा, उसका दिमाग, उसकी रहन-सहन, जो उसके दिमाग में था वह सब कुछ रोबोट में भरना था।
मैक्सवेल ने उसके अंदर जो डिवाइस लगाया था वह जितना फ़िट किया था वह उतना ही बोल रहा था। जस्टिन जल्दी से बाला को इन्फ़ॉर्म किया। और बाला और करिश्मा जब वह सीक्रेट रूम में आए तो उन्होंने अपने सामने समय बिड़ला का हूबहू रोबोट खड़ा देखा। यह देखकर वह दोनों तो चौंक गए क्योंकि यकीन नहीं हो रहा था कि यह उसका बॉस है।
बाला ने रिस्पेक्ट देते हुए कहा, "हेलो बॉस..!"
यह देख रोबोट ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा, "हेलो मिस्टर बाला..!"
समय बिड़ला का इस तरह बात करना बाला तो अचंभित होकर देखने लगा, क्योंकि आज तक उसका बॉस इस तरह से बात नहीं करता था।
उसे पता था कि उसका बॉस किस तरह से उससे पेश आता है। यह देखकर बाला मैक्सवेल की तरफ़ देखकर बोला, "मेरे बॉस इस तरह मुझसे बात नहीं करते। यह तो सेकंड नहीं लगेगा लोग पहचान लेंगे...? बॉस कौन है और नौकर कौन है...? क्योंकि मेरे बॉस का रुतबा बहुत अलग है...जिन्हें मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं...वह कभी भी किसी के आगे झुकते नहीं है, और ना ही कभी झुकेंगे। आज अगर मेरे बॉस बिस्तर पर पड़े हैं, तो वह सिर्फ़ और सिर्फ़ अदा मेहरा की वजह से। और उसने बहुत ही चालाकी और बेरहमी से उनका यह हाल किया है..!"
यह सब सुनकर मैक्सवेल ने बाला को धैर्य रखते हुए कहा, "मैं जानता हूं आप क्या कहना चाहते हैं, इसलिए मुझे बहुत कुछ जानकारी चाहिए जो कि मैं इसमें फ़िट कर सकूं। और अब तो ऑलमोस्ट हमारा काम हो ही गया है..!"
क्रमशः...