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Hhhj yy.

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Aman Aj

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Description

बाहर से सैनिक बंदूकन के साथ अंदर आए तो वह यह देखकर हैरान हो गई कि यहां पर तो कुछ भी नहींबदला। दरवाजा बंद होने से पहले कुछ सैनिक यहां पर आ गए थे जबकि बाद में जिन सैनिकों ने की कोशिश की थी वह दरवाजे से बाहर हीरह गए थे। सबको हैरानी हो रही थी...

Total Chapters (8)

Page 1 of 1

  • 1. Hhhj yy. - Chapter 1

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 2. Hhhj yy. - Chapter 2

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 3. Hhhj yy. - Chapter 3

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 4. Hhhj yy. - Chapter 4

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 5. Hhhj yy. - Chapter 5

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 6. Hhhj yy. - Chapter 6

    Words: 2004

    Estimated Reading Time: 13 min

    पिछले भाग में आपने देखा वह नंबर की सजा लगातार बढ़ाई जा रही थी और उसे इतना दर्द दिया जा रहा था जितना वह सहन भी नहीं कर सकता था।

    वहीं अन्य को पकड़ने के बाद और उसे शंभू की सुरक्षा में छोड़कर संयोगिता विनम्र को बचाने के लिए निकल गईथी।

    अब कहानी में आगे

    सुरक्षा सलाहकार विनम्र को दर्द से तड़पता हुआ छोड़कर यहां से चला गया था और उसके रसिया के खिंचाव को भी मैक्सिमम करके अब छोड़ दिया गया था।

    कमरे में सिर्फ तीन ही सुरक्षा कर्मी थे जबकि बाकी का सहारा पहरा कमरेके बाहर था। कमरे के बाहर एक गैलरी थी जिसकी दोनों ही दीवारों पर सैनिक आमने-सामने चेहरा करके खड़ेथे। गैलरी में सैनिकों की कुल संख्या दो दर्जन से भी ज्यादा की होगी।

    फिर एक बड़ा दरवाजा था चलो लोहे का बना हुआ था और परमाणु बम के हमले को भी सहने की क्षमता कररखा था। इस दरवाजे को सुरक्षा सलाहकार के कार्ड से ही खोला जा सकता था या फिर इमरजेंसी होने पर एक सीक्रेट कोड से जो सिर्फ अंदर मौजूद सैनिकों में से किसी एक को हीपता था।

    इन 2 तरीकों के अलावा बाहर से इस दरवाजे को खोलने का और कोई रास्ता नहीं था। संयोगिता गाड़ी लेकर पहुंची और ब्रह्मचर्य का इस्तेमाल करते हुए सभी सैनिकों को चकमा देकरसुरक्षा गर्मियों से बचते हुए बिल्डिंग के पास आ गई।

    अभी नंबर को बंदी बनाकर यहीं पर रखा गया था तो किस बिल्डिंग के नीचे ही बनकर बना हुआ था और ऐसे बंद करो शेरों की हर एक बड़ी बिल्डिंग के नीचे बने हुए थे। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि यह सरकार की चौथीथे।

    संयोगिता ने कर को रोका और फिर नीचे उतरकर आराम से चलने लगी जैसे उसे किसी चीज की फिक्र हीना हो। संयोगिता को लग रहा था वह पकड़ी नहीं जाएगी क्योंकि वह भी नंबर के दोबारा सिखाए गए ब्रह्मचारी का इस्तेमाल कर रही थी लेकिन उसका दिमाग इतना संतुलित नहीं था जितना विनम्रकथा।

    दरवाजे के पास पहुंचते पहुंचते उसका ब्रह्मचर्य टूट गया और वह सैनिकों को दिखाई देनेलगी। जैसे ही सेंको ने उसे देखा वह सारे सैनिक सतर्क हो गई और तेजी से संयोगिता की तरफ पलटते हुएबोले , “कौन हो तुम और यहां पर क्या कर रही हो तुम अचानक हवा में कैसेप्रकट हुई? ”

    संयोगिता ने अपनी आंखों को कसकर बंद कर लिया और धीरे से खुद से हीबोली , “और नहीं मैंपकड़ी गई हूं। मुझे पकड़े नहीं जाना था आखिर मैंने यह क्या किया मेरी पकड़ इतनी कमजोर कैसे होसकती है। ”

    संयोगिता ने सुदर्शन चक्र को हवा में किया जिससे उसके अंदर से बिजली निकलने लग गई और फिर वह चारों तरफ घूम गई और अपने आसपास के मौजूद सैनिकों के ऊपर बिजली गिरादी।

    जैसे ही सैनिकों के ऊपर बिजली गिरी वह जुलस्कर वहीं पर गिरपड़े। संयोगिता आगे बड़ी और दरवाजे के पास पहुंचते ही सुदर्शन चक्र को जोर से सेक्स कर दरवाजे कीतरफ मारा।

    सुदर्शन चक्र जैसे ही दरवाजे से टकराया वह धमाके के साथ टूट गया और ऐसे बिखर गया जैसे वह कागज का बना हुआहो।

    दूसरी तरफ से मौजूद सैनिकों ने अपनी बंदूके निकाल ली और संयोगिता पर गोलियां चलाना शुरु कर दी भगत सहयोगिता ने सामने सुदर्शन चक्र को कर दिया जिसे सारी गली हवामें ही रुक गई।

    फिर सहयोगिता में सुदर्शन चक्र को झटका दिया जिसे जो गोलियां हवा में रुकी थी वह वापस उन्हें सैनिकों की तरफ जाग गई और उनसे टकरानेलगे। कॉलेज की रफ्तार काफी तेज थी यहां तक कि जब वह बंदूक से निकली थी तब भी उनकी रफ्तार इतनी अधिक नहीं थी जितनी सुदर्शन चक्र से झटका मिलने के बादहो गई थी।

    सारे सैनिक वहीं पर मर गई किसी का हाथ छिल गया था किसी की गर्दन चल गई थी तो किसी का खोपड़ा उड़ गयाथा।

    संयोगिता आगे बढ़ी और उसे दरवाजे की तरफ जाने लगी जो एक बड़ा और भारी भरकम दरवाजा था और उसे खोलने के तरीके यानी कि पासवर्ड सिर्फ दो लोगोंके पास ही था।

    संयोगिता जैसे ही उसे दरवाजा के करीब 5 मीटर की दूरी पर रही उसने फिर से सुदर्शन चक्र का इस्तेमालकिया। सुरक्षा चेक करने दरवाजे को तोड़ दिया और दूसरी तरफ के सभी दो दर्जन से अधिक सैनिक जो करनेहो गए।

    हालांकि जो सैनिक पास थे वह दरवाजे के टूटने की वजह से उसकी चपेट में आगे और वहीं पर घायल हो गए लेकिन दूर के सैनिकों ने गोलियों को चलाना शुरुकर दिया था।

    संयोगिता ने एक बार फिर से सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया और उन सभी सैनिकों को भी ठिकाने लगा दिया।

    सैनिकों को ठिकाने लगाने के बाद वह अंदर पहुंची जहां भी नंबर को राशन से उल्टा लड़का गया था और चारों राशियों को कर अलग-अलग कोनों की तरफ खींचा गयाथा।

    यह नंबर नहीं जैसे ही संयोगिता को देखा वहबोला , “मैं उम्मीद नहीं की थी तुम इतनी जल्दीआ जाओगी। ”

    संयोगिता ने विनम्र किस हालत को देखा औरकहा , “तुम्हारी हालत देखकर लग रहा है मुझे जल्दी नहीं आना चाहिएथा, तुम काफी कम मामलों में इतने बुरे फास्ट हो ऐसे में अगर आज फंसे हो तो तुम्हें थोड़ी देर और फसने रहनेदेना चाहिए था। ”

    विनम्रना हंसते हुए कहा , “रहनेदो, मुझे इस तरह से फंसकर मजा नहीं आ रहा है और तो मेरा मजाक मत बनाओ जल्दी से रसिया को खोलो वरना मेरी जाननिकल जाएगी। ”

    सहयोगिता ने सुदर्शन चक्र के इस्तेमाल से राशियोंको खोल दिया। जैसे ही वे नंबर नीचे गिरा उसकी सांस मेंसांस आई। वह पानी के ऊपर ना गिरे इसलिए संयोगिता ने पहले से ही सुदर्शन चक्र की इस्तेमाल से पानी को यहां से हटा दियाथा।

    पिछले भाग में आपने देखा वह नंबर की सजा लगातार बढ़ाई जा रही थी और उसे इतना दर्द दिया जा रहा था जितना वह सहन भी नहीं कर सकता था।

    वहीं अन्य को पकड़ने के बाद और उसे शंभू की सुरक्षा में छोड़कर संयोगिता विनम्र को बचाने के लिए निकल गईथी।

    अब कहानी में आगे

    सुरक्षा सलाहकार विनम्र को दर्द से तड़पता हुआ छोड़कर यहां से चला गया था और उसके रसिया के खिंचाव को भी मैक्सिमम करके अब छोड़ दिया गया था।

    कमरे में सिर्फ तीन ही सुरक्षा कर्मी थे जबकि बाकी का सहारा पहरा कमरेके बाहर था। कमरे के बाहर एक गैलरी थी जिसकी दोनों ही दीवारों पर सैनिक आमने-सामने चेहरा करके खड़ेथे। गैलरी में सैनिकों की कुल संख्या दो दर्जन से भी ज्यादा की होगी।

    फिर एक बड़ा दरवाजा था चलो लोहे का बना हुआ था और परमाणु बम के हमले को भी सहने की क्षमता कररखा था। इस दरवाजे को सुरक्षा सलाहकार के कार्ड से ही खोला जा सकता था या फिर इमरजेंसी होने पर एक सीक्रेट कोड से जो सिर्फ अंदर मौजूद सैनिकों में से किसी एक को हीपता था।

    इन 2 तरीकों के अलावा बाहर से इस दरवाजे को खोलने का और कोई रास्ता नहीं था। संयोगिता गाड़ी लेकर पहुंची और ब्रह्मचर्य का इस्तेमाल करते हुए सभी सैनिकों को चकमा देकरसुरक्षा गर्मियों से बचते हुए बिल्डिंग के पास आ गई।

    अभी नंबर को बंदी बनाकर यहीं पर रखा गया था तो किस बिल्डिंग के नीचे ही बनकर बना हुआ था और ऐसे बंद करो शेरों की हर एक बड़ी बिल्डिंग के नीचे बने हुए थे। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि यह सरकार की चौथीथे।

    संयोगिता ने कर को रोका और फिर नीचे उतरकर आराम से चलने लगी जैसे उसे किसी चीज की फिक्र हीना हो। संयोगिता को लग रहा था वह पकड़ी नहीं जाएगी क्योंकि वह भी नंबर के दोबारा सिखाए गए ब्रह्मचारी का इस्तेमाल कर रही थी लेकिन उसका दिमाग इतना संतुलित नहीं था जितना विनम्रकथा।

    दरवाजे के पास पहुंचते पहुंचते उसका ब्रह्मचर्य टूट गया और वह सैनिकों को दिखाई देनेलगी। जैसे ही सेंको ने उसे देखा वह सारे सैनिक सतर्क हो गई और तेजी से संयोगिता की तरफ पलटते हुएबोले , “कौन हो तुम और यहां पर क्या कर रही हो तुम अचानक हवा में कैसेप्रकट हुई? ”

    संयोगिता ने अपनी आंखों को कसकर बंद कर लिया और धीरे से खुद से हीबोली , “और नहीं मैंपकड़ी गई हूं। मुझे पकड़े नहीं जाना था आखिर मैंने यह क्या किया मेरी पकड़ इतनी कमजोर कैसे होसकती है। ”

    संयोगिता ने सुदर्शन चक्र को हवा में किया जिससे उसके अंदर से बिजली निकलने लग गई और फिर वह चारों तरफ घूम गई और अपने आसपास के मौजूद सैनिकों के ऊपर बिजली गिरादी।

    जैसे ही सैनिकों के ऊपर बिजली गिरी वह जुलस्कर वहीं पर गिरपड़े। संयोगिता आगे बड़ी और दरवाजे के पास पहुंचते ही सुदर्शन चक्र को जोर से सेक्स कर दरवाजे कीतरफ मारा।

    सुदर्शन चक्र जैसे ही दरवाजे से टकराया वह धमाके के साथ टूट गया और ऐसे बिखर गया जैसे वह कागज का बना हुआहो।

    दूसरी तरफ से मौजूद सैनिकों ने अपनी बंदूके निकाल ली और संयोगिता पर गोलियां चलाना शुरु कर दी भगत सहयोगिता ने सामने सुदर्शन चक्र को कर दिया जिसे सारी गली हवामें ही रुक गई।

    फिर सहयोगिता में सुदर्शन चक्र को झटका दिया जिसे जो गोलियां हवा में रुकी थी वह वापस उन्हें सैनिकों की तरफ जाग गई और उनसे टकरानेलगे। कॉलेज की रफ्तार काफी तेज थी यहां तक कि जब वह बंदूक से निकली थी तब भी उनकी रफ्तार इतनी अधिक नहीं थी जितनी सुदर्शन चक्र से झटका मिलने के बादहो गई थी।

    सारे सैनिक वहीं पर मर गई किसी का हाथ छिल गया था किसी की गर्दन चल गई थी तो किसी का खोपड़ा उड़ गयाथा।

    संयोगिता आगे बढ़ी और उसे दरवाजे की तरफ जाने लगी जो एक बड़ा और भारी भरकम दरवाजा था और उसे खोलने के तरीके यानी कि पासवर्ड सिर्फ दो लोगोंके पास ही था।

    संयोगिता जैसे ही उसे दरवाजा के करीब 5 मीटर की दूरी पर रही उसने फिर से सुदर्शन चक्र का इस्तेमालकिया। सुरक्षा चेक करने दरवाजे को तोड़ दिया और दूसरी तरफ के सभी दो दर्जन से अधिक सैनिक जो करनेहो गए।

    हालांकि जो सैनिक पास थे वह दरवाजे के टूटने की वजह से उसकी चपेट में आगे और वहीं पर घायल हो गए लेकिन दूर के सैनिकों ने गोलियों को चलाना शुरुकर दिया था।

    संयोगिता ने एक बार फिर से सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया और उन सभी सैनिकों को भी ठिकाने लगा दिया।

    सैनिकों को ठिकाने लगाने के बाद वह अंदर पहुंची जहां भी नंबर को राशन से उल्टा लड़का गया था और चारों राशियों को कर अलग-अलग कोनों की तरफ खींचा गयाथा।

    यह नंबर नहीं जैसे ही संयोगिता को देखा वहबोला , “मैं उम्मीद नहीं की थी तुम इतनी जल्दीआ जाओगी। ”

    संयोगिता ने विनम्र किस हालत को देखा औरकहा , “तुम्हारी हालत देखकर लग रहा है मुझे जल्दी नहीं आना चाहिएथा, तुम काफी कम मामलों में इतने बुरे फास्ट हो ऐसे में अगर आज फंसे हो तो तुम्हें थोड़ी देर और फसने रहनेदेना चाहिए था। ”

    विनम्रना हंसते हुए कहा , “रहनेदो, मुझे इस तरह से फंसकर मजा नहीं आ रहा है और तो मेरा मजाक मत बनाओ जल्दी से रसिया को खोलो वरना मेरी जाननिकल जाएगी। ”

    सहयोगिता ने सुदर्शन चक्र के इस्तेमाल से राशियोंको खोल दिया। जैसे ही वे नंबर नीचे गिरा उसकी सांस मेंसांस आई। वह पानी के ऊपर ना गिरे इसलिए संयोगिता ने पहले से ही सुदर्शन चक्र की इस्तेमाल से पानी को यहां से हटा दियाथा।

    विनम्र ने तुरंत अपने कपड़ेपहने। फिर संयोगिता के हाथ को पकड़ा और उसे सुदर्शन चक्र लेकर मायाजल का इस्तेमाल किया। मायाजाल के इस्तेमाल से ऐसे दृश्य पैदा होकर जैसी यहां पर कुछ हुआ ही ना हो और विनम्र अभी भी राशियों सेबन पड़ा है।

    बाहर से सैनिक बंदूकन के साथ अंदर आए तो वह यह देखकर हैरान हो गई कि यहां पर तो कुछ भी नहींबदला। दरवाजा बंद होने से पहले कुछ सैनिक यहां पर आ गए थे जबकि बाद में जिन सैनिकों ने की कोशिश की थी वह दरवाजे से बाहर हीरह गए थे।

    सबको हैरानी हो रही थी की आखिरी है कैसे हो सकता है कैसे अभी कुछ देर पहले जो मरते टूटी हुई थी वह दोबारा से सही हो सकतीहै

    क्योंकि यह सब कुछ सुदर्शन चक्र के मायाजाल की वजह से हो सकता है इसकी जानकारी सिर्फ सुरक्षा सलाहकार कोथी। नॉर्मल सैनिकों को इसकी जानकारी नहीं थी और ना ही वह इसका अंदाजा लगा सकते थे। नॉर्मल सैनिक बस हैरान हो सकते थे और यह हैरानी इस वक्त दिखाईदे रही थी।

  • 7. Hhhj yy. - Chapter 7

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 8. Hhhj yy. - Chapter 8

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min