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Our cruel destiny

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Prachi

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बड़ी अजीब होती हैं ये " किस्मत " जो सोचा न हो वो कर जाती है ।" किस्मत " उन लोगों से मिलवाती है जिनका मिलना किस्मत में नहीं होता , मिलवाने के बाद ऐसे जुदा करती है जैसे शरीर से आत्मा । तारा मलिक , जिसकी जिंदगी में प्यार कि कमी है...

Total Chapters (26)

Page 1 of 2

  • 1. Our cruel destiny - Chapter 1

    Words: 1515

    Estimated Reading Time: 10 min

    " सातों जन्म के लिए अब मै तुम्हारा हुआ ।"
    " सातो जन्म क्या मै तो हर जन्म बस तुम्हारी हूं ।"

    एक लड़की जो hospital bed पर लेटी हुई थी और उसके बगल मे एक लड़का जो सटूल मे बैठा हुआ था । उस लड़के ने उसकी मांग मे सिंदूर भरते हुए वो शब्द कहे थे और उस लड़की ने अपनी बात कहने के बाद ही अपनी आंखें बंद कर ली थी ।

    वो लड़का रोते हुए बोला_" प्लीज मुझे छोड़ कर मत जाओ , तुम्हारे बिना मै कैसे रहूंगा , प्लीज तुमने मुझसे वादा किया था तुम हमेशा मेरे साथ रहोगी तो तुम कैसे जा सकती हो ।"

    वो उसका हाथ पकड़ कर जोर जोर से रोने लगा था । उस लड़की कि अब तक सांसें थम चुकी थी । और जो जा चुका था वो रोने से तो वापस नहीं आ सकते न । वहीं पर एक लड़की खड़ी थी जिसको देखने से ही पता चल रहा था कि वो doctor है । वो उस लड़की को ट्रीट कर रही थी और उसको बचा नहीं पायी ।

    उसके बगल मे खड़ी नर्स उसके कंधे पर हाथ रख कर बोली _" doctor Tara आप ठीक तो है न , आप ठीक नही लग रही है ।"

    तो तारा ने अपनी नजरे उन दोनों पर टिकाये हुए बोली_" ये दोनों कितना प्यार करते है न एक-दूसरे से पर ये किस्मत ... इसको ये बात हजम थोड़ी होती है ।"

    तो वो नर्स उसकी बात पर हामी भरते हुए बोली _" हम्म आप सही कह रहीं है पर किस्मत का लिखा भला कौन बदल सकता है ।"

    तारा गौर से उन दोनों को देख रही थी । वो लड़का रोये जा रहा था और वो लड़की जा चुकी थी हमेशा हमेशा के लिए और कभी भी वापस नहीं आने वाली थी । उसकी गनमेटल ग्रे आइस बहुत शांत लग रही थी । अभी अभी उसकी एक पेशेंट कि देथ हुई थी और ये उसके लिए बहुत बड़ी बात थी । उसको किसी को चुप कराना नहीं आता था इसलिए वो बस खड़ी हुई थी । उसको न बचा पाने का गम उसको भी था । वो चाहती थी कि वो ठीक हो जाए और वो दोनों हमेशा साथ रहे ।

    तभी तारा का फोन बजने लगता है । उसने अपनी फोन कि स्क्रीन को देखा तो उसकी भौं आपस मे जुड़ गयी । वो फोन पिक कर के फोन को अपने कान पर रख कर बोली _" अब क्या कर दिया मैने जो आपको मेरी याद आ रही हैं ।"

    तो दूसरी तरफ से एक आदमी कि मोटी सी आवाज आई _" हमेशा कि तरह मेरा जीना हराम ।"

    तो तारा उस वार्ड से बाहर निकलते हुए बोली _" thanks for the compliment ।"

    तो वो आदमी गुस्से से बोला _" चुपचाप ऊपर आओ ।"

    तो तारा तिरछी मुस्कान के साथ बोली _" और मै ऊपर क्यों आऊं ? इसमे मेरा क्या फायदा है ?"

    तो वो आदमी गुस्से से दांत पीसते हुए बोला _" प्लीज , मै रिक्वेस्ट करता हू तुमसे ऊपर आओ मेरे केबिन मे ।"

    तारा लिफ्ट के अंदर गयी और top floor का बटन दबा कर बोली _" न , न इतनी आसानी से नही , थोड़ा सा और गिड़गिड़ाइये ।"

    तो उस आदमी ने एक गहरी सांस ली और जबरदस्ती बोला _" प्लीज तारा मलिक ऊपर आइए मुझे आपसे बहुत जरुरी बात करनी है ।"

    तारा उसके केबिन के पास जाते हुए बोली _" ये हुई न बात पिता श्री ।"

    इतना कहते ही उसने केबिन का गेट जोर से खोला और उसकी नजरे सीधे उसके पिता श्री यानि कि संस्कार मलिक से जा मिली । वो मुस्कुराते हुए आई और सीधे सोफे पर बैठ गयी और कहा _" आपने बुलाया और मै चली आई , देखिए कितनी अच्छी बेटी हूं न मै पिता श्री ।"

    संस्कार ने घूर कर उसको देखा और गुस्से से दांत पीसते हुए बोला _" कल रात तुम पार्टी मे क्यों नहीं आई ?"

    तो तारा अपने हाथ बांध कर बोली _" क्योंकि मेरा मन नहीं था ।"

    तो संस्कार ने पेपर उठा कर जोर से फेंका । उसकी आवाज बहुत तेज थी । वो पेपरवेट तारा के बगल से होते हुए निकल गया और दिवाल पर जा लगा । तारा को चोट नही आई थी पर वो पेपरवेट टूट कर बिखर गया था ।

    तारा ने एक नजर उस टूटे हुए पेपरवेट को देखा और फिर गुस्से से उबलते हुए अपने उस बाप को ।

    वो खड़ी हुई और संस्कार के सामने जा कर खड़ी हो गयी और उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोली _" आपको पता है न अगर वो पेपरवेट मुझे लगा होता तो मै ... आपकी बेटी , तारा मलिक ......... आपके इज्जत के चिथड़े उड़ा देती , बाहर वालो को क्या पता जिस फैमिली को वो लोग हैपी फैमिली बोलते है असलियत मे वो हैपी नही फेक फैमिली है , you know न fake family , a f**king fake family ।"

    तभी पूरे केबिन मे एक थप्पड़ कि आवाज गूंज गयी । तारा का हाथ अपने गाल पर था और उसका चेहरा हल्का सा झूका हुआ था ।

    उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और गुस्से से चिल्ला कर बोली _" दिमाग गटर मे छोड़ कर आ गये है क्या आप ।"

    तो संस्कार भी गुससे से चिल्ला कर बोला _" अरे गटर मे मेरा दिमाग नही बल्कि तुम्हारा दिमाग है , कहा था न वहां सब लोग होंगे हमारे hospital के खातिर आ जाना पर नही तुम्हें तो अपनी मर्जी चलानी है ।"

    तो तारा तेज आवाज में बोली _" हां चलानी है और एक बात ये hospital आपका है इसके इज्जत का ठेका मैने नही लिया है ।"

    संस्कार ने उसका गला दबाते हुए कहा _" अपनी औकात मे रहा करो , तुम कौन हो ये जानती हो न ।"

    तो तारा अपना गला छुड़ाने कि कोशिश करते हुए बोली _" आपके काम कि चीज ।"

    उसके इतना कहते ही संस्कार ने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी तो तारा ने अपने गले से उसका हाथ हटाने के बजाय संस्कार का ही गला दबाने लगी । तारा कि पकड़ बहुत मजबूत हो रहीं थीं और संस्कार कि ढीली । आखिर मे संस्कार ने अपना हाथ पीछे ले लिया ।

    तारा अपने गले को सहलाते हुए बोली _" आप बूढ़े हो गये है पिता श्री जरा संभल कर कही टपक न जाए और अपनी औकात मे रहना संस्कार मलिक , दूनिया के लिए मेरे बाप होगे पर मुझे और हमारे घर कि चार दिवारियों को बहुत अच्छे से पता है कि हम क्या है तो ये कभी मत सोचना कि मै डर कर पीछे हट जाऊंगी , मै तारा मलिक हूं साधना मलिक नही जो डर कर अपनी जान दे दे ।"

    तो संस्कार ने उसको घूरते हुए कहा _" अपनी जबान से उस मनहूस का नाम भी मत लेना ।"

    तो तारा तिरछी मुस्कान के साथ बोली _" मै तो लूंगी रोक सको तो रोक लो ।"

    संस्कार ने अपना हाथ उठाया ही था कि तारा उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोली _" अगर फिर से हाथ उठा तो फिर आपके काम कि चीज आपके हाथो से रेत कि तरह बह जाएगी तो संभल कर पिता श्री , जोश मे होश नहीं खोते वरना .......... आप बहुत कुछ खो बैठोगे , you know न ।"

    तो संस्कार उसको घूरते हुए बोला _" मेरी इसी कमजोरी का तो तुम फायदा उठाती हो वरना अभी तक मैने तुमसे पीछा छोड़ा लिया होता पता नहीं किस मनहूस घड़ी मे वो बुड्डा कोमा मे चला गया और तुम्हें मेरे सर पर डाल दिया , बस वो चीज मेरे हाथ लगने दो फिर देखता हूं ।"

    तो तारा मुस्कुराते हुए बोली _" शौक से देखिए , मेरा चेहरा बड़े प्यारा है ।"

    संस्कार अपना चेहरा दूसरी ओर कर के बोला _" निकल जाओ यहां से ।"

    तो तारा सीधे संस्कार के चेयर पर जा कर बैठ गयी और अपने पैर टेबल पर रख कर उसको देखते हुए बोली _" और मै क्यों जाऊं पिता श्री ?"

    तो संस्कार उसको घूरते हुए बोला _" क्योंकि मै चाहता हूं ।"

    तो तारा हंसते हुए बोली _" अरे मेरे भोले से पिता श्री , आपके चाहने न चाहने से यहां मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता अगर मुझे भेजना ही है तो आपको क्या करना चाहिए ये तो आपको इतने सालो मे पता चल ही गया होगा ।"


    संस्कार ने एक गहरी सांस ली और फिर अपना क्रेडिट कार्ड उसके सामने रख दिया । तो तारा मुस्कान हुए बोली _" आपको पता है आप जब गुस्से मे होते है तो आप न बिल्कुल छिले हुए आलू लगते है पिता श्री , इतना गुस्सा नही करते बीपी हाई हो गया और आप टपक गये तो ?"

    संस्कार दांत पीसते हुए बोला _" दफा हो जाओ यहां से , अभी के अभी ।"

    तारा आराम से उठी और जाते हुए बोली _" धन्यवाद पिता श्री , भगवान आपको जल्दी उठा ले ये मेरा आशिर्वाद है आपको ।"

    तारा कि बात सुनते ही संस्कार चिल्ला कर खुद से बोला _" इस लड़की को तो मै छोड़ूंगा नही बस एक बार वो सब मुझे मिल जाए फिर एक एक चीज का हिसाब लूंगा इससे ।"

    **********************************************


    Thanks for reading .

  • 2. I don't want to marry her - Chapter 2

    Words: 1501

    Estimated Reading Time: 10 min

    इंडिया ,देहरादून ,
    सुबह का वक्त ,
    SA Security company ,

    एक आदमी आराम से अपने office मे बैठा काम कर रहा था । उसकी काली गहरी आंखें file मे गड़ी हुई थी । उसकी black shirt के ऊपर के दो बटन खुले हुए बाल और sleeves को fold कि गयी थी । सब कुछ normal लग रहा था पर कुछ अजीब था ।

    उसके सामने ही एक आदमी बैठा हुआ था जिसकी सर नीचे कि ओर था , देख कर लग रहा था कि वो भी काम कर रहा है ।

    तभी केबिन का गेट खुला और एक लड़की दनदनाते हुए अंदर चली आई । वो लड़की अंदर आने के बाद बहुत ज्यादा चासनी में घुली हुई आवाज में बोली _" स्वास्तिक आज डैड ने हमारी डेट फिक्स कि थी , तुम आ रहे हो न ?"

    स्वास्तिक ने अपनी नजरे file से बिल्कुल नहीं हटाई और उसको बिना देखे बहुत ठंडी सी आवाज मे बोला_" नहीं ।"

    तो वो लड़की उसके टेबल के सामने आ कर खड़ी हो गयी और उसको अपनी उम्मीद भरी नजरो से देखते हुए बोली _" तुम मजाक कर रहे हो न , मुझे पता है तुम मजाक कर रहे हो ।"

    तो स्वास्तिक ने जोर से फाइल बंद कि और उसको बिना किसी भाव के देखते हुए बोला _" तुम मुझसे पूछ रही हो या मुझे बता रही हो तमन्ना गोस्वामी ।"

    तमन्ना एकदम मासूमियत भरी बोली _" तुम , ऐसे क्यों बोल रहे हो ?"

    स्वास्तिक अपनी नजरों से उसको डरा रहा था और ये बात उसको बहुत अच्छे से पता थी । वो बोला _" get out ।"

    तो तमन्ना हड़बड़ाते हुए बोली _" वो ..... हमारी डेट ।"

    स्वास्तिक उसकी बात को बीच मे काटते हुए बोला _" दफा हो जाओ इससे पहले कि मै तुम्हे इस दुनिया से गायब करवा दूं ।"

    उसकी बात सुनते ही तमन्ना के डर के मारे रोंगटे खड़े हो गए थे । वो जानती थी कि स्वास्तिक मजाक तो बिल्कुल भी नहीं कर रहा । वो बोल रहा था , तो वो कर भी सकता था ।

    उसका शरीर हल्का सा कांप रहा था और गलती से उसका हाथ उसके बगल मे बैठे हुए आदमी को लग गया और फिर धड़ाम कि आवाज आई । वो आदमी गिर गया ।

    जब तमन्ना कि नजर उस पर पड़ी तो कुछ पल के लिए तो वो सांस लेना ही भूल गयी थी । जब होश आया तो उसकी एक जोरदार चीख निकली और वो गिरते-गिरते बची, उसने टेबल को पकड़ लिया वरना वो भी इस वक्त जमीन मे होती ।

    उसने अपना हाथ अपने मुंह पर रख लिया । उस आदमी के सर के बीचों बीच गोली लगी हुई थी और उसका पूरा चेहरा खून से ढका हुआ था । वो आदमी तो मर चुका था पर उसकी आंखें खुली हुई थी जिसको कोई भी normal इंसान देख ले तो उसको सदमा लग जाये ।

    तमन्ना कांपती हुई आवाज नहीं बोली _" स्वास्तिक ....... ये ..... वो ।"

    तो वो उसकी बात बीच मे काट कर बोला _" I said get lost , didn't yo hear that ?"

    तमन्ना बिना कुछ बोले वहां से रोते रोते भाग गयी । उसके जाने के बाद स्वास्थ्य ने अपने assistant को call कर के बुलाया ।

    उसका असिस्टेंट कार्तिक अंदर आया और उसकी नजर सीधे उस आदमी के डेड बाडी पर गयी । उसने एक बार उसको देखा फिर स्वास्तिक को ।

    तो स्वास्तिक अपनी भौं उठा कर बोला _" ये क्या कोई celebrity है जिसको तुम देख रहे हो ?"

    तो उसने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया _" नो सर ...... वो .... मै इसको ठिकाने लगाता हूं ।"


    कार्तिक को बहुत अच्छे से उसका काम पता था । ये उसके लिए नयी बात नही थी । पर बेचारा स्वास्तिक को देखते ही एक डर सा लगता था । वो था ही ऐसा कि किसी को भी अपनी आंखों से ही डरा दे ।

    कार्तिक ने अपना काम किया और एक फाइल को देखते हुए बोला _" सर आपकी एक बजे एक मीटिंग है और फिर पांच बजे उसके बाद आप फ्री है ।"

    तो स्वास्तिक खड़ा हुआ और उसके सामने आ कर रुक गया । उसकी हाइट लगभग 6.4 फीट तो थी ही । वो


    उसको बिना किसी भाव के देखते हुए बोला _" मै कभी भी फ्री हो सकता हूं , मुझे क्यों बांध कर नहीं रख सकता है कार्तिक ।"

    **********************************************

    तमन्ना रोते हुए बाहर आ गयी थी और कैंटीन मे बैठी हुई थी । वो खुद से मन मे बोली _" तुम मेरे हो चाहे कुछ भी हो जाए हमारी शादी तो हो कर रहेगी स्वास्तिक , कोई हमारे बीच नही आ सकता , मै आने ही नही दूंगी ।"

    वो स्वास्तिक से बचपन से कुछ ज्यादा ही obsessed थी । वो उसके पीछे पूरी पागल थी और उससे शादी करना ये तो उसके बचपन का सपना था , ऐसा सपना जो उसको दिखाया गया था ।

    उन दोनो के फादर बेस्ट फ्रेंड थे और उन दोनों कि शादी करवाना चाहते थे ।

    वो खुद से ही बात करे जा रही थी तभी उसकी नजर अंदर आते हुए सार्थक अग्निहोत्री यानि कि स्वास्तिक के फादर पर पड़ी और उसने जबरदस्ती अपने आंसू बहाने शुरू कर दिए । वो रो रही थी जबरदस्ती । आंखे तो पहले‌ से ही लाल थी उसकी ।

    सार्थक कि नजर जब उस पर पड़ी तो वो सीधे उसके पास आ गये और फिक्र करते हुए बोले _" क्या हुआ बेटा तुम रो क्यों रही हो ?"

    उसके मगरमच्छ के आंसूओं ने सार्थक को अपने जाल मे फंसा ही लिया । आखिर वो तो पूरे साफ दिल का इंसान‌ था किसी के भी बातो मे आ जाता था और उसकी इसी आदत कि वजह से उसको बहुत परेशानी भी उठानी पड़ती थी, पर क्या करें? था तो आदत से मजबूर ।

    तो तमन्ना सिसकते हुए बोली _" वो स्वास्तिक ... मेरे साथ ... डेट पर नहीं गया डैड , वो मुझसे ढंग से बात भी नही करता ।"

    तो सार्थक उसको चुप कराते हुए बोला _" मेरे साथ चलो बेटा , मै देखता हूं कैसे नही जाता वो डेट पर ।"

    तमन्ना मन ही मन मुस्कुरा रही थी । वो हमेशा लोगों को बेवकूफ बना देती थी और अपना काम निकलवा ही लेती थी ।

    *********************************************

    वो दोनों ऊपर स्वास्तिक के केबिन मे आए । स्वास्तिक और कार्तिक बात ही कर रहे थे । उन दोनों कि नजर उन दोनो पर पड़ी।

    स्वास्तिक को अच्छे से पता था कि तमन्ना क्या चीज थी । उसने सार्थक को अपनी बातो मे फंसा लिया था हमेशा‌ कि तरह और स्वास्तिक को ये बात बिल्कुल भी नही पसंद थी । एक तो उसको तमन्ना से शादी करनी नही थी पर उसके फादर भी अपनी जिद्द पर अड़े हुए थे । बेटा भी जिद्दी और बाप भी जिद्दी । उन दोनों मे से कोई कम नही था ।

    स्वास्तिक अपने मन मे बोला _" मेरा मन करता है कि इसको किसी सुनसान आईलैंड मे छोड़कर आ जाऊं , इसकी तो वहां पर जानवरों से दोस्ती भी हो जाएगी , उन लोगों से कम थोड़ी है ये ।पर हर बार डैड कि वजह से रुक जाता हू ।"

    सार्थक तमन्ना को अपने साथ अंदर ले कर आते हुए गुस्से से स्वास्तिक से बोले _" तूझे कौन सा सुकून मिल जाता है इसको रुला कर , चुपचाप डेट पर क्यों नहीं गया ?"

    तो स्वास्तिक उनको देखते हुए बोला _" डैड मेरे पास बहुत काम होते है , मेरे पास इसको घूमाने के लिए बिल्कुल टाइम नहीं है ।"

    वो मन में बोला _"मेरे पास टाइम होगा भी तो इस पर वेस्ट न करूं मै ।"

    सार्थक तमन्ना को देख कर बोले _" आज रहने दो कल चली जाना उसके साथ ।"

    उन्होंने तमन्ना को वापस भेज दिया और कार्तिक को उसको छोड़ने के लिए ।

    अब वो स्वास्तिक को देखते हुए बोला _" तू क्यों नहीं मानता ?"

    तो स्वास्तिक एक गहरी सांस ले कर बोला _" आप क्यों नहीं समझते ,‌मुझे उससे शादी नही करनी ।"

    तो सार्थक बोला _" और क्यों नहीं करनी ?"

    तो वो उसको देखते हुए बोला _" क्योंकि बिना प्यार कि शादी नहीं करनी है मुझे ।"

    तो उसके फादर उसको समझाते हुए बोले _" शादी के बाद प्यार हो जाएगा ।"

    तो स्वास्तिक बोला _" तो आपने क्यों शादी नही कि मां के जाने के बाद ।"

    सार्थक के पास अब कुछ बोलने के लिए नही था । राधिका का जिक्र आते ही वो ज्यादा बोल नहीं पाता था । उन दोनों कि लव मैरिज हुई थी और एक एक्सिडेंट मे राधिका कि देथ हो गई थी । वो बस नौ साल का था जब राधिका उन दोनो को छोड़ कर चली गयी थी । सार्थक राधिका से इतना प्यार करता था कि वो उसने दूसरी शादी नही कि । उसके फादर जो अब इस दुनिया में नहीं थे उन्होंने उसको शादी करने के लिए बार-बार कहा पर वो हर बार बस एक ही बात बोल कर टाल देता कि राधिका को बुरा लगेगा , वो क्या सोचेगी कि वो उससे प्यार नहीं करता ।

    **********************************************

    Thanks for reading .

  • 3. I hate you - Chapter 3

    Words: 1514

    Estimated Reading Time: 10 min

    कार्तिक तमन्ना को उसके घर छोड़ने के लिए जा रहा था । तमन्ना का मुंह तो अभी भी गुस्से से फूला हुआ था । वो आगे चले जा रही थी और कार्तिक उसके पीछे-पीछे । जब वो दोनों पार्किंग एरिया में पहुंचे तो कार्तिक ने उसके लिए अपने कार कि पैसेंजर सीट का दरवाजा खोल दिया और उसको देखने लगा ।

    तमन्ना बिना उसको देखे कार मे बैठ गयी और खुद से जोर से दरवाजा बंद कर दिया । बेचारे कार्तिक के हाथ कि उंगलियां तो टूटते टूटते बची ।

    कार्तिक भी कार‌ मे बैठते हुए मन मे बोला _" हर बार सब लोग इसको मेरे सर मे तांडव करने के लिए क्यों छोड़ देते है ?"

    कार्तिक को अच्छे से पता था कि तमन्ना स्वास्तिक के पीछे कैसे पागल थी और उसके पागलपन के चक्कर मे कभी भी किसी भी मुसीबत में पड़ जाती थी और आखरी मे उसी को उसको बचाने जाना पड़ता था क्योंकि स्वास्तिक को तो उससे घंटा फर्क नहीं पड़ता था ।

    कार्तिक ने कार start कि और उसको उसके घर ले जाने लगा । वहां बिल्कुल शांति थी । दोनों मे से कोई कुछ बोल नही रहा था ।

    अचानक तमन्ना उसको देख कर बोली _" तुम हर बार क्यों उसकी जगह मेरे साथ होते हो ? इस वक्त उसको मेरे साथ होना चाहिए पर नहीं हमेशा कि तरह तुम ही हो , I don't like it ।"

    तो कार्तिक अजीब सा मुंह बनाकर बोला _" देखो मुझे कोई शौक नहीं है तुम्हारे साथ रहने का , मुझे तुम्हें सही सलामत घर छोड़ कर आने का काम सौंपा गया है इसलिए मै तुम्हारे साथ हूं ।"

    तो तमन्ना उसको घूरते हुए बोली _" तो मै कौन‌ सा तुम्हारे साथ रहने के लिए मर रही हूं ।"

    उनके बहस के कुछ पल मे ही तमन्ना का घर आ गया । वो उतर कर जाने ही वाली थी कि कार्तिक उसको रोकते हुए बोला _" अपनी ये chocolate ले कर जाओ ।"

    पर वो तो जा चुकी थी । ज्यादातर वो दोनों साथ मे ही होते थे । सिचुएशन ही ऐसी हो जाती थी और उसकी वजह से तमन्ना अपना समान कार्तिक के कार मे ही छोड़ कर चली जाती थी । उसके मेकअप तक का समान कार्तिक के कार मे पड़ा हुआ था ।

    **********************************************

    देहरादून ,
    रात का वक्त ,
    मलिक मेंशन ,

    तारा कि कार गेट से अंदर आते हुए सीधे पार्किंग एरिया में रुकी । वो कार से बाहर आई और आराम से कार से अपनी सारी shopping bags को पकड़ कर मेंशन के अंदर आ गई । वो अपने बेडरूम मे जा ही रही थी कि उसकी नजर हाल मे लगे एक बड़े से फैमिली फोटो पर गयी जिसमे वो नहीं थी । वो फोटो उसके पैदा‌ होने के पहले खींचीं गयी थी ।

    उस फोटो मे उसके फादर और उनकी वाइफ साधना और उसके दादाजी और दादीजी थे । उस फोटो मे वो साधना को‌ घूर रही थी ।

    वो घूरते हुए बोली _" i hate you , मेरी इस हालत कि ज़िम्मेदार आप है साधना मलिक अगर आपने जो किया वो अगर आपने नहीं किया होता तो शायद मेरी जिंदगी कुछ और ही होती , शायद मै खुश होती , प्यार के लिए तड़पने के लिए आपने मुझे इस फैमिली मे उठा कर पटक दिया और खुद डरपोक कि तरह डर कर खुद्खुशी कर ली और आजाद हो गयी , i hate you ।"

    इतना कह कर वो सीधे अपने बेडरूम मे चली गयी और उन बैग्स को सोफे पर रख कर वो सीधे फ्रेश होने चली गयी । उसके दिमाग में आज जो कुछ भी हुआ वो एक रील कि तरह चल रहा था ।

    शावर का पानी उसको भीगो रहा था । उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और बस चुपचाप खड़ी थी । एक बच्चे को प्यार चाहिए होता है पर वो प्यार उसको कभी किसी से नहीं मिला । बचपन खराब था उसका और उस वजह से वो ऐसी । बदतमीज , जिद्दी , ये चीजें उसमे कुट कुट कर भरीं हुई थी ।

    धीरे-धीरे उसका दिमाग शांत हो गया और वो फ्रेश हो कर बाहर आ गयी । वो अपने बाल सुखाते हुए बेड के पास जा रही थी कि उसका फोन बजा ।

    स्क्रीन पर फ्लैश हो रहे नाम को देख कर उसकी आंखों में खुशी नजर आ रही थी । उसने फोन पिक किया और मुस्कुराते हुए बोली _" हेलो , तुझे मेरी याद नहीं आती न , आयेगी भी कैसे रिश्ता जो पक्का हो गया है तेरे सालो के प्यार से ।"

    वो उसको tease कर रही थी ।

    दूसरी तरफ से एक लड़की कि आवाज आई _" ऐसा नहीं है , बात तो ये है कि तूझे मेरी याद नहीं आती क्योंकि तूझे तो अपने काम से फुर्सत ही नहीं मिलती , पन्द्रह दिन बाद शादी कि रशमें शुरू हो जाएंगे और तू अभी तक आई नहीं है ।"

    तारा बेड पर बैठ कर बोली _" पन्द्रह दिन है न , आ जाऊंगी , बहुत सारी सर्जरी पेंडिंग है पहले उनको निपटाना पड़ेगा न माही।"

    माही हल्का सा गुस्सा करते हुए बोली _" पूरी दुनिया मे तू ही अकेली cardiologist है क्या ? बाकि लोगो को एलियन उठा कर ले गये ?"

    उसकी बात सुन तारा को हंसी आ गयी । वो बोली _" नहीं तो , बस मेरे पिता श्री ने सारी जिम्मेदारी मेरे ही सर डाल दी है इस हफ्ते कि इसलिए ।"

    तभी एक दूसरी लड़की कि आवाज आई _" अरे तुम दोनो मुझे भूल गयी क्या ? हे भगवान ये दिन आने से पहले मुझे उठा क्यों नहीं लिया आपने ? मेरे बेस्ट फ्रेंड मुझे , कियारा शुक्ला को भूल गये ।"

    तो माहि बोली _" तेरी नौटंकी बंद नहीं हो सकती न ?"

    तो कियारा हंस कर बोली _" कभी नही ।"

    कब बात करते-करते वो सब कुछ भूल‌ गयी पता ही नहीं चला। बात करने के बाद वो सो गयी ।

    **********************************************

    स्वास्तिक अपनी सारी मीटिंग खत्म कर के अपने मेंशन के लिए निकल गया था । उसकी कार को देखते ही गार्ड्स पहचान गये थे कि ये किसकी कार है और उन्होंने गेट खोल दिया। वो गेट इतना सुंदर था कि आते जाते लोगो कि नजर उस पर ठहर जाती थी ।

    उसकी कार अंदर आई । गेट और मेंशन बीच अच्छी खासी दूरी थी लगभग दस मिनट कार से जाने मे लग जाते थे । उसने अपनी कार मेंशन के सामने रोकी और सीधे अंदर चला गया ।

    तभी उसके फोन मे एक मेसेज आया । जब उसने उस मेसेज को पढ़ा तो उसके चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ गयी ।

    वो मन मे बोला _" अब तो तुम्हें मेरा पीछा छोड़ना ही पड़ेगा तमन्ना।"

    वो अपने बेडरूम में आया । वो मास्टर बेडरूम था । हर तरफ सफेद और ग्रे कलर दिख रहा था । सफेद कलर के पर्दे और ग्रे बेडशीट । वहां बस यही दो कलर थे । वो बालकनी कि तरफ गया और तभी उसकी नजर आउट हाऊस कि तरफ चली गयी और उसकी आंखें डार्क हो गई ।

    उसकी काली आंखें इस वक्त हद से ज्यादा खतरनाक लग रही थी ।

    वो खुद से धीमी आवाज में बोला _" I swear मम्मा आपने जो कहा था मै उसको पूरा कर के रहूंगा , मै उसको कहीं से भी ढूंढ कर लाऊंगा चाहे जो हो जाए और जिस डायरी कि बात आपने कि थी वो भी बहुत जल्द मेरे हाथ मे होगी , पता नहीं उस डायरी मे ऐसा क्या था कि उसकी वजह से .......... ढूंढना तो पड़ेगा ।"

    तभी उसके फादर पीछे से आते हुए एकदम प्यार से बोले _" मेरे बेटे .... मेरी एकलौती औलाद ।"

    उनकी आवाज सुनते ही वो मन मे बोला _" नो , नो , फिर से नही ।"

    सार्थक फिर से बोलें _" जरा मेरी बात तो सुन ।"

    स्वास्तिक ने पीछे मुड़कर उनको देखा और उसकी नजर सीधे उनके हाथो मे पकड़े हुए खानें कि प्लेट पर चली गयी और उसके शक्ल के भाव बिगड़ गये । वहीं सार्थक वो मुस्कुराते हुए उसको देख रहे थे और उनकी आंखों में इस वक्त एक अलग ही चमक थी।

    उसने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा _" क्या है डैड ? आप अपने एकलौते बेटे कि जान क्यों लेना चाहते है ?"

    तो सार्थक प्लेट को काफी टेबल पर रखते हुए बोलें _" ये कैसी बाते कर रहा है ? मै तेरा बाप हूं , तेरा‌ दूश्मन थोड़ी हूं , चल आजा और टेस्ट कर के बता कैसा बना है , मैने नयी रेसीपी ट्राई कि ही।"

    बेचारा दूनिया को डरा सकता था पर अपने बाप का क्या करे । वो धीरे-धीरे अपने कदम दरवाजे कि ओर बढ़ाते हुए बोला _" आप क्यों मुझे अपने इस जहर जैसे experiment का शिकार बनाते है हर बार ?"

    तो वो हल्का सा गुस्सा करते हुए बोलें _" तू ऐसा कैसे बोल सकता है ? मैने इतनी मेहनत से ये डीश बनाई है और तू इसको जहर कह रहा‌ है , शर्म नहीं तूझे ?"

    तो वो रुक कर बोला _" बिल्कुल नहीं आती ।"

    इतना टह कर वो‌ भागने ही वाल था पर सार्थक ने उसको पकड़ लिया और जबरदस्ती उसको खाना खिलाने लगा ।

  • 4. हिसाब बराबर- Chapter 4

    Words: 1508

    Estimated Reading Time: 10 min

    देहरादून, शाम का वक्त ,
    Health and care hospital ,

    तारा सुबह से back to back surgery कर रही थी । पूरे दिन वो बस काम कर रही थी । उसके शक्ल पर बाहर बजे हुए थे । उसके बाल पूरी तरीके से बिखरे हुए थे और उसके कपड़े उथल पूथल लग रहे थे ।

    वो थोड़ी देर पहले ही ओटी से बाहर आई थी और अपना हाथ धो रही थी कि तभी एक नर्स भागते हुए उसके पास आई और पैनिक करते हुए बोली _" dr. Tara वो एक एमरजेंसी है ।"

    तारा उसको देखते हुए सीरियस टोन में बोली _" details !"

    नर्स बोली _" गोली लगी है , दिल के पास और ब्लड लास के वजह से पेशेंट बेहोश हो गया है , सारे doctors बीजी है इसलिए आपको ही चलना पड़ेगा ।"

    तारा ने बिना एक पल गंवाए कहा _" OT ready करो , मै आ रही हूं ।"

    तारा कभी अपने काम से पीछे नही हटती थी । ये उसकी आदत थी । इसी काम में उसको सुकून मिलता था । जब भी उसको रियलिटी से थोड़ा दूर जाना होता था तो वो अपने आप को काम मे डूबो लेती थी । कोई प्यार करके उसको सूलाने वाला‌ तो था नहीं तो काम को ही उसने अपना दोस्त बना लिया था । वो सब कुछ छोड़ सकती थी पर अपना काम नहीं ।

    थोड़ी देर बाद वो अपना हाथ साफ करके ओटी के अंदर आई । पेशेंट एक पुलिस वाला था और उसकी फैमिली ने सर्जरी के लिए हामी भर दी थी तो कोई परेशानी नहीं थी ।एक मेडिकल टीम उसके लिए रेडी थी । उसने ग्लव्ज और मास्क उठाया और पहना । उसने एक गहरी सांस ली अब वो सर्जरी के लिए रेडी थी ।

    वो स्ट्रेचर के पास आई और नर्स कि तरफ हाथ बढ़ा कर बोली _" स्कैल्पल ।"

    नर्स ने उसके हाथ में स्कैल्पल थमा दिया । नर्स ने पहले ही उसको पेशेंट कि हालत कि सारी जानकारी दे दी थी ।

    तारा ने अपना काम करना शुरू कर दिया । वो बहुत स्कील्ड लग रही थी और ऐसा था भी पर बात ये थी कि वो अपने सीनियर्स से भी ज्यादा अच्छी थी और इस वजह से बहुत से सीनियर उसको पसंद नही करते थे । ऊपर से हास्पिटल भी उसका था । सब को उसकी किस्मत से जलन होती होती थी ।

    पर अगर कोई सब कुछ जान ले कि उसकी किस्मत कैसी है , उनको अपनी जिंदगी से प्यार हो जाएगा ।

    गोली दिल के बहुत पास लगी थी पर दिल तक पहुंच नहीं पायी थी । तारा ने गोली निकाल दी और उस‌ जगह पर stitches लगाने लगी ।

    उसने अपना काम किया और सारा काम करने के बाद बाहर आई । उस पेशेंट कि फैमिली के लोग तुरंत उसके पास आ गये और उसकी वाइफ रोते हुए बोली _" वो ठीक है न डाक्टर ?"

    तो तारा ने हां में अपना सर हिला दिया तो वो बोली _" thank you doctor thank you ao much ।"

    तो तारा बोली _" ये मेरा काम है और मैने बस अपना काम किया है और उनको कुछ घंटे बाद होश आ जाएगा ।"

    इतना कह कर वो जाने लगी । उसने एक बार पीछे पलटकर देखा तो उसकी वाइफ नर्स के लग कर रो रही थी । ऐसे जब वो प्यार करने वाली फैमिली देखती थी तो उसको अपनी कमी और खलने लगती थी ।

    वो मन मे बोली _" he is lucky ।"

    इतना कह कर वो जाने लगी तभी वो एकदम से रुक गयी । उसका सर एकदम भारी लग रहा था । आंखों के सामने डाॅटस आ रहे थे । अचानक उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वो बेहोश हो कर गिर गयी ।

    **********************************************

    अगला दिन ,

    तारा कि आंख धीरे धीरे खुलने लगी । रोशनी कि वजह से उसने अपनी आंखें वापस बंद कर फिर धीरे से खोली । कुछ पल सीलिंग को देखते रहने के बाद उसने अपनी नजर चारों ओर घुमायी तो पाया कि वो हास्पिटल मे है और हास्पिटल बेड पर पड़ी हुई है । उसके हाथ में एक ड्रीप लगी थी , उसको उसने अपने हाथ से निकाला ।

    वो मन मे बोली _" क्या दिन आ गये है मेरे doctor हो कर अपने पेशेंट कि जगह पड़ी हुई हूं , उठ जा नालायक ।"

    अपने आप को इसी तरह डांटने के बाद वो उठी और धीरे-धीरे अपने केबिन मे चली गयी । वहां वो फ्रेश हुई और फिर कैंटिन चली गयी । आखिर वो बेहोश न खाने कि वजह से ही तो हुई थी और उसको ये बात बहुत अच्छे से पता थी ।

    उसने अच्छे से पेट भर कर खाया और गुनगुनाते हुए बाहर जाने लगी तभी सामने से एक और doctor उसके पास आते हुए बोली _"आप ठीक तो है न ?"

    तारा को बहुत अच्छे से पता था कि उसको उसकी कोई चिंता नहीं है बस उसके सामने अच्छे बनने का ठोंग कर रही है ताकि उसका pramotion हो जाए ।

    तारा उसको देख कर मुस्कुरा कर बोली _" नौटंकी करने कि जरुरत नहीं है , मुझे पता है तुम कैसी हो ।"

    उसने ये बात थोड़ी तेज आवाज में कही थी और आस पास के लोगो ने उनकी बात सुन भी ली थी । वो doctor उसको गुस्से से घूर रही थी । उसने एक बार चारो तरफ देखा और बोली _" तुम ढंग से बात नहीं कर सकती क्या ?"

    तो तारा मुस्कुराते हुए बोली _" बिल्कुल नहीं ।"

    सब को पता था कि तारा कैसी थी इसलिए उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया । सब अपने मे बीजी हो गये ।

    वो दोनों बात कर ही रहे थे कि किसी ने तारा को पीछे से गलत तरह से छुआ । तारा झट से मुड़ी तो उसको अपने पास बस एक ही आदमी मिला और उसको लगा उसी ने ये गंदी हरकत कि है तो उसने अपनी हाथ मे पकड़ी हुई कोल्ड काफी सीधे उस इंसान के मुंह मे फेंक दी ।

    और चिल्ला कर बोली _" what the fu*k , क्या कर रहे हो तुम ?"

    जब उन दोनों कि नजरे आपस में टकराई तो उन दोनों को ही अपने दील और दिमाग में एक अजीब सा एहसास हुआ । उन दोनों कि आंखों के सामने कुछ धूंधला सा आने लगा । क्या हो रहा था दोनों को ही नहीं पता था । कुछ पल इस तरह एक-दूसरे को देखने के बाद वो होश मे आए ।

    वो आदमी जिसके ऊपर उसने वो काफी फेंकी थी वो उसको बहुत शांति से घूर रहा था । उसने अपने चेहरे को रुमाल से साफ़ किया और बहुत ही सर्द आवाज में बोला _" ये क्या बदतमीजी है ?"

    तो तारा उसका काॅलर पकड़ कर खींचते हुए बोली _" ये तो मुझे पूछना चाहिए।"

    फिर से सब कुछ रीपिट हो रहा था । वो एहसास , ये छुअन , ये सब कुछ जाना पहचाना लग रहा था । कुछ ऐसा था जिससे वो दोनो अंजान थे । किस्मत कुछ तो खेल खेल रही थी । सब कुछ बिखेरने कि सजिश थी या समेटने कि , ये तो वक्त ही बताएगा ।

    सब लोग उन दोनों को देख रहे थे और कुछ तो वीडियो भी बना रहे थे । आखिर उस आदमी को सब जानते थे कि वो कौन है ।

    तो उस आदमी ने उसका हाथ झटक कर उसको हल्का सा धक्का दिया और वो doctor जो थोड़ी देर पहले तारा से बात कर रही थी । उसके हाथ से काफ़ी ले कर सीधे उसने उसको तारा के मुंह पर फेंक दिया ।

    अब उन दोनों के कपड़े खराब हो चुके थे । तारा ने घूर कर उसको देखा तो उस आदमी मे ने भी उसको घूर कर देखा ।

    वो उसके पास आया और उसके कान मे झुक कर बोला _" हिसाब बराबर , स्वास्तिक अग्निहोत्री को एहसान रखना बिल्कुल नहीं पसंद । "

    इतना कह वो‌ कर वो चला गया और तारा उसको घूरती रह गयी ।

    वो‌ गुस्से से वाशरूम कि तलफ बढ़ गई । वो गुस्से में दांत पीसते हुए खुद से बोली _" इसकी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ, तारा मलिक के साथ ऐसा करने कि , इस आदमी कि तो ।"

    **********************************************

    स्वास्तिक बाहर आया और अपनी कार से एक पानी कि बोतल बाहर निकाल कर सीधे अपने सर मे डालने लगा । उसने अपना मुंह साफ कियाऔर खुद से बोला _" अमीर बाप कि बिगड़ी हुई औलाद लग रही थी , अगर पापा के मेडिकल रिपोर्ट नहीं लेने होते तो यहां बिल्कुल नहीं आता ,‌तुमहे तो मै छोड़ूंगा नही ।"

    सार्थक कुछ दिनो पहले बेहोश हो गये थे और उनके चेक अप कि रिपोर्ट लाना वो भुल गये थे और ये बेहोश होने वाली बात स्वास्तिक को आज पता चली थी । उसने सार्थक को एक अच्छा खासा लेक्चर दिया था हेल्थ के मामले में ।

    गलती सार्थक कि थी इसलिए वो बोल नही पाये । स्वास्तिक का दिमाग उस वजह से पहले ही खराब था और वो डीश उसने तो उसके मुंह का स्वाद ही बिगाड़ दिया था और अब तारा ने । उसके साथ एक ही दिन मे इतना कुछ हो गया था ।

  • 5. कमजोरी - Chapter 5

    Words: 1505

    Estimated Reading Time: 10 min

    "हमें मरना मंजूर है परन्तु आपसे विवाह करना नहीं ।" एक लड़की ने कहा , जो एक महल के छत के किनारे पर खड़ी थी । रो रहीं थी , आंखें लाल , नफरत से भरी हुई उसकी आंखें । देखने से लग रहा था कि आज उसकी शादी है । लाल जोड़े में सजी हुई थी पर किस्मत उसको कहां ले आई थी । मरना चाहती थी वो ।

    "मेरे पास आओ कथा वरना ठीक नहीं होगा ।" एक आदमी ने कहा , जो उससे सात कदम कि दूरी पर था । उसके शक्ल पर गुस्सा था और एक डर भी कि कही उसको कुछ हो न जाए ।

    उसने अपने कदम पीछे खिसकाते हुए कहा _" कभी नहीं हम कभी भी तुम्हारे पास नहीं आएंगे , तुमने हमसे हमारा सब कुछ छीन लिया है , हमारा परिवार , हमारा प्यार ।"

    उसकी नजर वहीं एक आदमी कि लाश पर चली गयी । वो खुन से लथपथ था और उसने भी शेरवानी पहन रखी थी । उन दोनों कि शादी होने वाली थी पर हो नहीं सकी ।

    वो आदमी उसके तरफ अपने कदम बढ़ाने वाला था कि कथा चिल्ला कर बोली _" हमारी बद्दुआ है तुम्हें , तुम कभी भी न इस जन्म मे न उस जन्म मे खुश नहीं रहोगे , तुम तड़पोगे प्यार के लिए पर कोई नहीं होगा तुम्हारे पास ।"

    इतना कह कर उसने छत से कूद कर अपनी जान दे दी और वो आदमी चिल्लाते हुए छत के किनारे पर आया और जमीन पर उसके शरीर को देखने लगा । वो मर चुकी थी । सब कुछ खत्म हो गया था ।

    "तारा मलिक होश में आओ ।" एक औरत ने तारा के हाथ पर हाथ रख कर कहा ।

    " क्या ?" तारा ने कहा । उसके चेहरे पर पसीना आने लगा था ।

    वहीं जो औरत उसके सामने बैठी हुई थी वो उसको पानी का गिलास थमाते हुए बोली _" पानी पिओ ।"

    तारा ने बिना बहस के सारा पानी पी लिया और एक गहरी सांस ले कर बोली _" मेरा ध्यान भटक गया था doctor ।"

    तो वो औरत बोली _" कोई बात नहीं , तुम अपने nightmare के बारे मे बताते हुए तुम खो गयी थी पर तुम्हारी psychiatrist तुम्हें वापस इस दुनिया मे ले आई ।"

    वो औरत उसकी psychiatrist थी । अर्चना शर्मा , एक जानी-मानी psychiatrist थी और तारा बहुत सालो से उसके पास आती थी । उसके nightmares बचपन से उसका पीछा नही छोड़ रहे थे ।

    अर्चना उसको देखते हुए बोली _" तो इस बार तुम्हें कुछ साफ दिखा , मेरा मतलब उनका चेहरा या फिर हर बार का तथह सब कुछ धूंधला सा था ।"

    तारा अपने एक हाथ से अपना सिर दबाते हुए बोली _" हमेशा कि तरह धूंधला ।"

    तो वो बोली _" तुमने सच मे ऐसा कुछ रियालिटी मे नहीं देखा ?"

    तो तारा चिढ़ कर बोली _" कितनी बार बोलूं doctor , मैने नहीं देखा है , पता नहीं क्यों ये सब कुछ मेरे सपने मे आता है , मै परेशान हो चुकी हू ।

    अर्चना उसको शांत कराते हुए बोली _" okay fine , relax ........... पर तुम्हें पता है जो चीज हम सपने मे देखते है वो चीज हमने रियलिटी मे कहीं न कहीं देखी होती है वरना वो चीज हमारे सपने मे नहीं आ सकती और तुम कह रही हो तुमने ऐसा कुछ नहीं देखा है तो मुझे लगता है कि ।"

    इतना कह कर वो रुक गयी । तो तारा curiosity से उसको देखते हुए बोली _" क्या लगता है आपको ?"

    अर्चना बोली _" it can be a rebirth case ।"

    तारा अविश्वास के साथ तेज आवाज में बोली _" wwwhat ?"

    तो वो बोली _" rebirth ।"

    तो तारा उसको देखते हुए बोली _" मेरी जगह आपको इलाज कि जरुरत है , पागल हो गयी है आप ।"

    तो अर्चना उसको समझाते हुए बोली _" ऐसा हो सकता है तारा और मै पागल नहीं हूं , मैने कुछ केसेज पढ़ें है , ऐसा होता है , शायद तुम्हारे केस मे भी ऐसा हो ।"

    तारा अजीब नजरों से उसको देखते हुए बोली _" नो , इट्स नॉट पासिबल ।"

    तो अर्चना बोली _" येस ईट इस ।"

    **********************************************

    स्वास्तिक अपने सामने बैठे अपने psychiatrist को देखते हुए बोला _" are you out of your mind doctor ?"

    तो नीरज बोला _" ऐसा होता है , पुनर्जन्म होता है स्वास्तिक ।"

    तो स्वास्तिक खड़ा हुआ और बोला _" कोई बात नही मै आपको किसी अच्छे psychiatrist का नम्बर दे दूंगा बाय ।"

    इतना कहकर वो चला गया । वो बाहर चलते हुए लिफ्ट कि तरफ जा ही रहा था कि वो किसी से टकरा गया ।

    उसने उस इंसान को गिरने से बचा लिया । उसने एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा हुआ था और दूसरे से उसकी पीठ । जब उन दोनों कि नजरे मिली तो उसके चेहरे के भाव हल्के से बिगड़ गये ।

    वो धीरे से बोला _" Troublemaker । "

    तो वो लड़की चिढ़ कर बोली _" तारा मलिक नाम है मेरा समझे ।"

    तो स्वास्तिक के दिमाग में कुछ आया और उसके चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ गयी । तारा ने उसको confusion से देखा पर तभी स्वास्तिक ने उसको छोड़ दिया और तारा सीधे जमीन पे जा गिरी और उसकी जोर कि चीख निकली । उसको बहुत जोर से लगी थी ।

    तारा ने अपने कमर पर हाथ रख लिया और चिल्ला कर बोली _" दिमाग कचरें के डब्बे मे छोड़ कर आये हो क्या ?"

    तो वो मुस्कुराते हुए बोला _" कचरें के डब्बे जैसी तो तुम्हारी शक्ल है troublemaker ।"

    तो तारा खड़ी हुई और उसको गुस्से से घूरते हुए बोली _" मेरी शक्ल तो तुमसे लाख गुना अच्छी है मगरमच्छ कहीं के ।"

    स्वास्तिक के चेहरे के भाव बिगड़ गये वो बोला _" मै तुम्हे किस एंगल से मगरमच्छ लगता हू ?"

    इस बार तारा मुस्कुराते रहे बोली _" हर एंगल से ।"

    तभी तारा का फोन बजा । उसको हास्पिटल से फोन आ रहा था । वो बिना कुछ बोले वहां से भागते हुए चली गयी ।

    **********************************************

    रात का वक्त ,
    अग्निहोत्री मेंशन ,

    स्वास्तिक रात को घर वापस आया था और फ्रेश हो रहा था । जब वो बाहर आया तो उसकी नजर दरवाजे के अंदर आते हुई तमन्ना पर पड़ी पर उसके अंदर आने के पहले ही स्वास्तिक तेज आवाज मे बोला _" stop there ।"

    तमन्ना के कदम दरवाजे कि दहलीज पर ही ठहर गये । वो बहुत मासूमियत से बोली _" डैड ने कहा था कि तुम्हें डिनर के लिए बुला लाऊं इसलिए मै यहां आई थी ।"

    स्वास्तिक बिना किसी भाव के सर्द आवाज में बोला _" get lost ।"

    तमन्ना ने उससे बहस नहीं कि और सीधे वहां से भाग गयी । उसको बहुत अच्छे से पता था कि अगर वो ज्यादा देर तक उसके कमरे के पास रुकती तो स्वास्तिक सीधे उसको मेंशन के बाहर फिंकवा देता और सार्थक कुछ कर नहीं पाते ।

    स्वास्तिक मन मे बोला_" इसको इसकी औकात दिखानी ही पड़ेगी , इसकी जगह मे इसको विपस भेजना पड़ेगा ।"

    स्वास्तिक लिफ्ट मे गया और ground floor का बटन प्रेस कर दिया । उसका रुम 4th floor पर था और वो पूरा एरिया सिर्फ उसका था और उसको बिल्कुल नहीं पसंद था कि कोई उसके बेडरूम के आस पास भी आए पर सार्थक के चक्कर मे तमन्ना हर बार बच जाती थी पर अब स्वास्तिक के पास तमन्ना कि एक कमजोरी थी ।

    उसको यूस कर के वो उसको अपने आप से दूर करने वाला था ।

    वो नीचे आया और डाइनिंग टेबल के पास बेठ गया । सार्थक और तमन्ना भी वहीं थे ।

    सार्थक प्यार से बोले _" तमन्ना जा कर स्वास्तिक के बगल मे बैठ जाओ ।"

    तमन्ना मुस्कुराते हुए उसके पास जाने लगी पर स्वास्तिक ने घूर कर उसको देखा जिससे उसके कदम रुक गये ।

    उसने एकदम ठंडी आवाज में कहा _" अगर ये मेरे पास भी आई तो मै इस घर को और आप को छोड़ कर चला जाऊंगा।"

    सार्थक ने तमन्ना को देखा तो तमन्ना उससे दूर बैठ गयी । सार्थक उसके बिना नहीं रह सकता था आखिर उसके आलावा उसका कोई नही था । राधिका तो उसको छोड़ कर इस दुनिया से जा चुकी थी और अब वो अपने बेटे को नही खोना चाहता था । बहुत प्यार करता था अपने बेटे से ।

    सन्नाटा छा गया था और सभी ने उसी शांति से अपना डिनर किया । तमन्ना वहां आती जाती रहती थी और कभी-कभी रुक भी जाती थी । तमन्ना को गुस्सा तो आ रहा था पर वो कुछ बोल नहीं रही थी । वो इस बात से अंजान कि उसकी सबसे बड़ी कमजोरी स्वास्तिक के हाथ लग गयी है वो बस उसके साथ रहने के तरीके सोच रही थी ।

    स्वास्तिक के दिमाग मे बहुत कुछ था । कुछ राज जो किसी कि जिंदगी बर्बाद कर सकते थे । डायरी , उसकी मां , और उसका सपना सब कुछ उसके दिमाग मे था । एक एक कर के सारी चीज सुलझानी थी । बहुत राज थे उसके चेहरे के पीछे ।

    **********************************************

    Thanks for reading.

  • 6. बेचैनी - Chapter 6

    Words: 1527

    Estimated Reading Time: 10 min

    सड़क पर एक कार चल रही थी जिसमें तारा और उसके साथ कियारा भी थी । तारा drive कर रही थी और कियारा पैसेंजर सीट पर बैठी हुई थी । कार से जाने का आइडिया कियारा का था क्योंकि उसको रोड ट्रिप enjoy करनी थी ।

    वो दोनों आराम से जा‌ रहे थे । इतनी जल्दी कैसे तेरह दिन निकल गये पता ही नहीं चला । माही कि शादी राजस्थान के रायगढ़ में हो रही थी । क्योंकि उसको वो जगह अपने शादी के लिए अच्छी लग रही थी और ऊपर से जहां शादी हो रही थी वो पैलेस तारा के दादाजी का था । पीढ़ी दर पीढ़ी वो पैलेस उनको रियासत मे मिली थी । तारा हमेशा से ही देहरादून में रही थी कभी भी राजस्थान नहीं आई ।

    उसको राजस्थान जाने के नाम से ही एक अजीब सी बेचैनी होने लगती थी इसलिए वो हर बार राजस्थान जाने कि बात को टाल देती थी पर माही को तो वहीं शादी करनी थी । फिर भी वो पहले से नहीं गयी , सारी रस्में शुरू होने के एक दिन पहले जा रही थी ।

    माही ने उसको बहुत बोला था कि पहले आ जा पर वो नहीं मानी ।

    मौसम साफ था । कियारा खिड़की से बाहर झांक रहीं थी । ठंडी हवाएं उसके चेहरे को छू कर जा रही‌ थी । थोड़ी देर बाद उनकी कार रायगढ़ में आ कर रुकी ।

    उनकी कार पैलेस से थोड़ी दूरी पर रुकी थी । कियारा तारा को देखते हुए बोली _" कार यहां क्यों रोक दी ?"

    तारा वो सामने पैलेस को देख रही थी । उसके चेहरे और हाथो पर पसीना आने लगा था। उसको एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी जिसको वो रोक नही पा रही थी । उसके दिल कि धड़कन शोर कर रही थी । उसकी सांसें तेज हो थही थी । तेज हवाएं चलने लगी थी और जो मौसम साफ था वो बिगड़ने लगा था ।

    वो एकटक उस पैलेस को देख रही थी । कियारा उसके कंधे पर हाथ रख कर बोली _" क्या हुआ तूझे इतना पसीना क्यों आ रहा है ? तू ठीक है न ?"

    तो तारा खुद को संभाल कर बोली _" नहीं , वो बस तबीयत ठीक नही लग रही कुछ ।"

    कियारा उदास होते हुए बोली _" sorry मेरी वजह से तूझे इतनी दूर तक drive करना पड़ा , शायद इसलिए तेरी तबीयत खराब हो रही है ।"

    तारा उसको देख कर बोली _" ऐसा कुछ नहीं है , तूझे पता है न लो सुगर है मुझे , खाऊंगी तो सब ठीक हो जाएगा और कार आगे नही जा पायेगी हमे चल कर जाना पड़ेगा ।"

    वो दोनों कार से उतर गई और चलते हुए पैलेस के पास जाने लगी । जैसे-जैसे तारा उस पैलेस के पास जा रही थी वैसे-वैसे उसकी बेचैनी बढ़ रही थी । कियारा ने उससे बहुत पूछा पर वो बता नही पा रही थी । बताने कि हालत मे नही थी वो ।

    वो दोनो पैलेस के गेट के पास आई । वहां पर कुछ लोग थे जो उन्हीं के आने का वेट कर रहे थे । उन लोगों ने उनका अच्छे से स्वागत किया और उन्हें अंदर आने को कहा ।

    जब तारा ने अपना पहला कदम उस पैलेस के गेट के अंदर रखा तो बरसात होनी शुरू हो गयी । आंधी तूफान आने वाली नौबत हो गयी थी । वो दोनो अंदर आए ।

    तभी माही जिसको उनके आने कि खबर मिल चुकी थी वो भागते-भागते उनके पस आई और उनको गले लगा लिया।
    वो खुशी से चहकते हुए बोली _" finally तुम दोनों आ गये ।"

    तीनों एक-दूसरे को गले लगाये खड़े हुए थे । वो अलग हो कर बोली _" मैने तुम दोनों को कितना मिस किया ।"

    तो तारा और कियारा एक साथ बोले _" हमने भी ।"

    तारा तो कुछ पल के लिए भूल ही गयी थी कि उसको कैसा लग रहा था ।

    वो माही से बोली _" मै जा रही हूं , मुझे आराम करना है , तू मुझे रुम बता दे ।"

    तो माही बोली _" तू भी न कमाल करती है , पैलेस तेरा है पर रुम नही पता ।"

    माही ने उसको उसके रुम मे छोड़ दिया और चली गयी ।

    तारा ने रुम को बंद किया और चारो तरफ देखने लगी । उसकी आंखों के सामने फिर से कुछ धूंधली सी यादे आने लगी । उसका सर भारी हो रहा था । वो जा कर सीधे बेड पर बैठ गयी ।

    उसको ऐसा लग रहा था कि वो पहले भी यहां आई है । सब कुछ अपना सा लग रहा था । ये कमरा ,‌ ये पैलेस , ये जगह सब कुछ उसको अपना लग रहा था ।

    वो बेड पर लेट गयी । समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे । उसके पैर बेड से नीचे लटक रहे थे । उसने अपनी आंखें बंद कि और थोड़ी ही देर में उसको नींद आ गयी और वो सो गयी ।

    **********************************************

    रात का वक्त ,
    देहरादून ,
    अग्निहोत्री मेंशन ,

    आउट हाऊस में स्वास्तिक सोफे पर बैठा हुआ था और उसकी आंखें बंद थी । वो नीरज कि बातों के बारे मे सोच रहा था । उसको उस पर विश्वास ही नही हो रहा था । ये पहली बार था कि वो आउट हाऊस मे था और उसके दिमाग में राधिका के आलावा कोई और बात थी ।

    उसको राधिका कि बहुत याद आ रही थी इसलिए वो यहां चला आया । यहां उसकी मां कि सारी चीजें रखी हुई थी । उसका सामान सारा यही रखा हुआ था क्योंकि जब भी सार्थक को उसकी कोई चीज दिखाई देती थी वो अपने आप को संभाल नहीं पाता था । उसका दर्द वापस से हरा हो जाता था ।

    स्वास्तिक नीरज कि बातो को अपने दिमाग से हटा कर राधिका कि डायरी को कैसे पाया जाए ये सोच रहा था ।

    उसके दिमाग में कुछ आया और वो खुद से बोला _" हां वो आदमी उसके बारे मे पता लगाना पढेंगा ।"

    **********************************************

    तमन्ना अपने बेडरूम में बैठी हुई थी और मुंह खोल के अपने फोन मे आए मेसेज को देख रही थी । उसकी आंखों में हैरानी , परेशानी और डर साफ दिख‌ रहा था ।

    वो खुद से हकलाते हुए बोली _" नो ... नो ............नो , ऐसा नही हो सकता , ऐसा हो ही नहीं सकता , मै कैसे ये , अगर सब को पता‌ चल गया तो मेरी और स्वास्तिक कि शादी नहीं होगी , वो मुझसे दूर हो जाएगा नहीं , मै , ऐसा नही होने दूंगी , पर ये कौन है जो मुझे ये मेसेज कर रहा है और इसको कैसे पता कि मै , मै क्या करूं ?"

    वो डर के मारे रोने लग गयी थी । उसके दिमाग ने तो काम करना ही बंद कर दिया था । उसकी असलियत उसको पतख चल गयी थी और वो नही चाहती थी कि ये किसी और को पता चले । वो कैसे ऐसा होने दे सकती थी ? अगर ऐसा हो गया , सब पता चल गया कि वो कौन है , उसकी असली जगह तो सब तो उसको उसके स्वास्तिक से दूर कर देंगे और वो सब कुछ छोड़ सकती थी पर उसके स्वास्तिक को तो वो मर के भी न छोड़ें ।

    वो अपने बालों को खींचते हुए बोली _" नहीं ।"

    उसने अपने बालो को छोड़ा और अपना फोन उठा कर उस इंसान को मेसेज किया _" तुम कौन हो ? तुम्हें कैसे पता ये ?"

    तो दूसरी तरफ से रिप्लाई आया _" मै कौन हूं ये तुम्हें जानने कि जरुरत नहीं है और कैसे पता ये मै तुम्हे बताना जरूरी नहीं समझता ।"

    मेसेज से तो साफ था कि ये कोई आदमी है ।

    तमन्ना ने मेसेज किया _" क्या चाहिए तुम्हें ?

    तो वो आदमी ने मेसेज किया _" स्वास्तिक से दूर रहो वरना सब को बता दूंगा कि तुम कौन हो ।"

    वो हड़बड़ा रही थी । उसने फिर मेसेज किया _" तुम्हें पैसे चाहिए ? मै तुम्हे सब कुछ दे सकती हू पर उससे दूर नही रह सकती प्लीज किसी को मत बताना ।"

    तो दूसरी तरफ से मेसेज आया _" जो चाहिए वो बता दिया , अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो सबको मै सब बता दूंगा ।"

    तमन्ना के तो हाथ भी टाईप करने मे कांप रहे थे । उसका पूरा चेहरा रोने का वजह से लाल लग रहा‌ था । उसकी आंखों में अभी भी पानी था । वो रुक नही रहे थे ।

    वो अब चिल्ला चिल्ला कर रो रही थी । वो इतना सिर्फ स्वास्तिक के लिए रो सकती थी किसी और के लिए नही और सब कोई उसको उससे दूर करने मे तूले हुए थे , वो कैसे न रोये । वो बचपन से उससे शादी करने के सपने देखते आई है अचानक कोई आ कर बोलेगा उससे दूर हो जाओ तो वो बेचारी और क्या करे ।

    ऊपर से जो आज उसको पता चला था । उससे तो उसकी पूरी जिंदगी उसको झूठी लग रही थी । सब कुछ बिगड़ा हुआ सा लग रहा था । उसकी जगह , उसके एहसास सब कुछ ।

    **********************************************

    Thanks to my all readers who are reading my novel . You all are my precious reader.
    Thanks for reading .

  • 7. तो तू आ गयी , किस्मत का लिखा बदलने - Chapter 7

    Words: 1018

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगला दिन , रायगढ़ ,

    आज माही कि मेंहदी थी और सुबह से सभी तरफ उसी कि तैयारियां चल रही थी । पूरे पैलेस को बहुत अच्छे से सजाया गया था । सब तरफ चहल पहल बनी हुई थी । सब तरफ खुशी का माहौल था ।

    माही अपने रुम मे ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी हुई थी और तारा , कियारा और माही कि मम्मी निशा सब मिल कर उसको तैयार कर रहे थे । सबके चेहरे पर खुशी थी पर तारा थोड़ी सी अलग लग रही थी , वो खुश थी इसमे कोई शक कि बात नहीं थी ।

    बात ये थी कि ये जगह उसको अजीब लग रही थी । तारा ने माही का मांग टीका अच्छे से लगाते हुए मुस्कुरा कर कहा _" perfect ।"

    तो माही भी मुस्कुरा दी । कियारा ने अपना फोन उठाया और फिर माही कि एक फोटो खींच ली और चहकते हुए बोली _" जीजू को ये फोटो भेजते है , वो बेचारा तो बेहोश ही हो जाएगा आखिर उसकी होने वाली बीवी इतनी अच्छी जो है ।"

    तो निशा उन तीनो को डांटते हुए बोली _" तुम सब बात ही करती रहोगी कि नीचे भी चलोगी , मेहंदी कि रस्म का मुहूर्त निकल जाएगा , चलो ।"

    वो सभी नीचे आए और माही को बैठा दिया । बैठने कि अरेंजमेंट बहुत अच्छे से कि गयी थी । गाना बज रहा था और कुछ लड़कियां बीच मे ग्रुप बना कर डांस भी कर रही थी ।

    एक मेंहदी आर्टिस्ट माही के बगल मे आ कर बैठी और उसके हाथो में मेंहदी लगाना शुरू कर दिया । वहां पर फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर अपना काम कर रहे थे ।

    और सब से अलग तारा उस पैलेस की एक एक चीज को गौर से देखने मे बीजी थी ।

    कियारा उसके सामने आ कर बैठ गयी और उसका हाथ अपने हाथ मे ले कर बोली _" तूझे क्या हो गया है ? जब से आई है तब से देख रही हूं कहीं खोई हुई है ।"

    तो तारा बोली _" ये पैलेस कुछ अजीब नहीं लग रहा तूझे ?"

    तो कियारा उसके हाथ पर मेंहदी लगाते हुए बोली _" नहीं तो , सब कुछ तो अच्छा है , क्या अजीब लग रहा है ?"

    "पता नहीं कुछ बहुत अजीब सी feeling आ रही है ।"

    तो कियारा बोली _" सब ठीक है तू यहां पहली बार आई है इसलिए शायद ऐसख हो रहा है ।"

    तारा ने कुछ कहा नहीं वो मन मे बोली _" नो , कुछ तो है ।"

    माही कि मेंहदी लग चुकी थी और सेरिमनी भी खत्म होने को थी ।

    तारा माही से बोली _" मै पैलेस का एक चक्कर मार के आती हूं ।"

    इतना कह कर वो अकेली ही चली गयी । वो बहुत गौर से सबको देख रही थी । चलते-चलते वो पैलेस के पीछे कि साइड आ गयी थी । वहां पर एक झील था । तारा झील के पास जा कर खड़ी हो गई और पानी मे अपना चेहरा निहारने लगी ।

    अचानक उसके आंखों के सामने उस झील मे उसको अपना चेहरा तो नजर आ रहा था पर वो तारा नहीं लग रही थी । वो कोई और ही थी तारा के चेहरे मे । तारा ने अविश्वास के साथ उसको देखा और फिर अपनी आंखें बंद कर ली और मलने के बाद देखा तो सब normal लग रहा था ।

    वो खुद से बोली _" what the f*"ck is happening । "

    उसको कुछ समझ ही नही आ रहा था कि आखिर उसके साथ हो क्या रहा है । उसने अपने कदम पीछे लेने शुरू कर दिए । तभी उसको एक आवाज आई _" तो तु आ गयी , किस्मत का लिखा बदलने ।"

    उसके कदम रुक गये उसने पीछे पलटकर देखा तो वहां पर एक बूढ़ी औरत खड़ी थी जिसकी हालत कुछ ठीक नहीं थी । कपड़े पुराने लग रहे थे , चेहरे पर धूल सनी हुए थी और बाल बिखरे हुए थे , वो पागल लग रही थी ।

    एक पल के लिए तो तारा कि सांसें अटक गयी थी । वो अपने दिल वाली जगह पर हाथ रख कर बोली _" डरा दिया मुझे , मै हार्ट अटैक से मर जाती तो ?"

    वो औरत अपनी बूढ़ी आवाज में फिर बोली _" किस्मत खेल रही है , बहुत अच्छा खेल रही है , सब कुछ फिर से होगा पर कुछ तो बदला है ।"

    तारा उसको अजीब नजरों से देखते हुए खुद से बोली _" लगता है सठिया गयी है ।"

    तारा वहां से से चली गई और वो औरत बड़बड़ाते हुए वहीं खड़ी रह गये । तारा जा ही रही थी । उसने पलटकर पीछे देखते हुए कहा_" इसने तो आज मुझे डरा कर मार ही दिया था ।"

    वो पीछे कि तरफ देख कर चल रही थी कि कही वो औरत उसका पीछा तो नहीं कर रही पर वो चलते हुए किसी से टकरा जाती है ।

    उस इंसान ने उसकी कलाई पकड़ कर उसको गिरने से बचा लिया था वरना तारा अभी जमीन मे पड़ी हुई होती । उन दोनों के बीच मे एक पर्दा था जो उन दोनों को एक-दूसरे कि शक्ल देखने से रोक रहा था ।

    तारा खुद को संभाल कर बोली _" thanks ।"

    तो वो आदमी बोला _" तो तुम thanks भी बोलती हो troublemaker ।"

    troublemaker ये शब्द उसके कानो में जाते ही उसको पता चल गया कि वो कौन था ।

    वो धीरे से बोली _" ये पागल आदमी यहां क्या कर रहा है ?"

    उसकी आवाज धीरे थी पर स्वास्तिक के कानो तक पहुंच गई थी । वो दूसरे हाथ से पर्दा हटाते हुए बोला _" शादी , तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड कि शादी मेरे बेस्ट फ्रेंड से हो रही है ।"

    वो हैरानी से उसको देख रही थी । उसको यकिन नहीं हो रहा था कि किस्मत ने उसको फिर से उस इंसान के सामने ऐसे ला कर खड़ा कर दिया है कि वो जा नहीं सकती । शादी वो कैसे भागे वहां से ।

    तभी उसने उसका हाथ छोड़ दिया । तारा हल्का सा लड़खड़ाई पर संभल गयी । स्वास्तिक यहां पर शादी के कुछ काम से आया था ।

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    Thanks for reading .

  • 8. खाई में फेंक दूंगी - Chapter 8

    Words: 874

    Estimated Reading Time: 6 min

    स्वास्तिक अपना काम कर के चला गया । पर तारा उसके दिमाग में ठहर गयी थी , वो भी पहली मुलाकात से । सब कुछ था ही अजीब , उसको नहीं पता था कि आखिर उसके साथ तारा ने वो क्यों किया पर अब किया था तो हिसाब बराबर तो उसने वहीं कर लिया था पर ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं हुआ था , तो इतनी आसानी से वो तारा को जाने नहीं देने वाला और उसके जिंदगी में तूफ़ान लाने कि तैयारी उसने शुरु कर दी थी ।

    और तारा उसने जो गलती कि थी उसके बारे मे उसको पता चल गया था । जब वो स्वास्तिक से झगड़ा कर के वाशरूम जा रही थी तभी एक doctor ने उसको बताया कि उसने गलत इंसान को पकड़ लिया है , जिसने उसको टच किया था ,वो तो कोई और ही था और उसने एक ब्लैक कलर कि हुडी पहनी हुई थी जिससे उसकी शक्ल नहीं दिख रही थी ।

    उसको जब पता चला कि उसने गलत किया है तो वो खुद से बोली ' वो मेरे पीछे था ही क्यों ? अगर मेरे पीछे नहीं होता तो मै उसको गलत ही नहीं समझती , गलती तो उसकी ही है , मैने तो बस एक्सन का रिएक्शन दिया , हां अब गलत इंसान को दे दिया पर गलती उसकी है ' यहीं बोल कर उसने अपनी गलती नजर अंदाज कर दी । वो कभी अपनी गलती मानती ही नहीं थी ।

    अगला दिन ,
    पैलेस ,

    माही कि हल्दी कि सारी तैयारियां गार्डन मे कि गयी थी । अधिक जिससे माही कि शादी होने वाली थी , उसकी फैमिली भी पैलेस के दूसरे हिस्से में ठहरी हुई थी और उन दोनों कि हल्दी एक साथ ही हो रही थी गार्डन मे ।

    तो दोनों तरफ के रिलेटिव गार्डन में थे और हल्दी लगा रहे थे । तारा पैलेस से बाहर चलते हुए आ रही थी पर उसकी नजर अपने फोन मे थी । उसने mustard yellow कलर का अनारकली पहना हुआ था जो कि बैकलेस था और sleeveless था । उसके बाल खुले हुए थे , वो सिंपल पर प्यारी लग रही थी ।

    और वहीं स्वास्तिक जो गार्डन मे जूस काउंटर कि तरफ खड़ा था जैसे ही उसकी नजर तारा पर पड़ी उसकी नजर उस पर ठहर गयी । उसकी नजरे उस पर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी ।

    हल्की सी हवाएं चल रही थी जिससे उसके बाल हल्के हल्के उड़ रहे थे ।

    उसके मुंह से बस एक शब्द निकला _" Perfect ।"

    तारा को जब किसी के नजरो कि तपिश महसूस हुई तो उसने सर उठा कर चारों तरफ देखा तो उसकी नजरें स्वास्तिक कि नजरो से जा मिली और उसकी आंखें छोटी हो गई ।

    स्वास्तिक उसको चिढ़ाने के लिए ही मुस्कुराते हुए उसको देख रहा था । वो जानबूझकर ऐसा कर रहा था क्योंकि तारा को तो देख कर ही लग रहा था कि उसको स्वास्तिक कि smile से कितनी irritation हो रही थी ।

    तारा ने उससे अपनी नजरें फेर ली और माही को हल्दी लगाने चली गयी । हल्दी लगाने के बाद वो फोन पर कुछ काम करते-करते झील कि तरफ चली गयी ।

    तभी पीछे से कोई आया और उसके सर पर हल्दी वाला पानी डाल दिया । तारा जोर से चिल्लाई और पलट कर देखा तो स्वास्तिक मुस्कुराते हुए उसको देख रहा था । उसके हाथ मे पानी की बाल्टी थी जो अब खाली हो चुकी थी ।

    वो मुस्कुराते हुए बोला _" ऐसे कितनी सुन्दर लग रही हो तुम troublemaker , just like a pig ।"

    तारा जोर से चिल्ला कर बोली _" क्या पागलपंती है ये ? दिमाग खराब है क्या तुम्हारा पागल आदमी और तुम मुझे पिग कैसे बोल सकते हो ?।"

    स्वास्तिक कि मुस्कुराहट और भी बड़ी हो गयी । अब उसको तारा को चिढ़ते हुए देख कर मजा आ रहा था । उसका रिएक्शन उसको सुकून दे रहा था ।

    वो मुस्कुराते हुए बोला _" मुंह से troublemaker ।"

    तारा उसका काॅलर पकड़ कर खींचते हुए बोली _" अपनी ये बत्तीसी दिखाना बंद करो वरना ठीक नहीं होगा ।"

    तो स्वास्तिक बोला _" क्या कर लोगी तुम ?"

    उसकी बात सुनते ही तारा के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है और वहीं उसकी मुस्कान देख कर स्वास्तिक कि मुस्कान फिकी पड़ जाती है । वो कुछ कर पाता कि उससे पहले तारा ने उसको जोर का धक्का दिया और स्वास्तिक सीधे झील मे गिर गया ।

    वो दोनों झील के पास मे ही खड़े थे । तारा पूरी भीग चुकी थी और बेचारा स्वास्तिक वो तो पानी मे नहा चुका था ।

    स्वास्तिक पानी से अपना सर निकाल कर हांफते हुए बोला _"पागल औरत मारना चाहती हो क्या मुझे ? "

    तो तारा अपने किये पर proudly smile करते हुए बोली _" पागल मै नहीं तुम हो मगरमच्छ कि औलाद और अगर मेरा दिमाग खराब किया न तो अभी तो झील मे फेंका है अगली बार खाई मे फेंक दूंगी समझे ।"

    इतना कह कर वो खुशी से झूमते हुए चली गयी और स्वास्तिक उसको घूरता रह गया ।

    वो झीर से बाहर आ कर बोला _" जितना झुमना है झूम लो फिर तो रोना ही रोना है ।"

    वो सीधे अपने रुम कि तरफ चला गया ।

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    Thanks for reading .

  • 9. सुअर कि शक्ल का नमूना / Jojo- Chapter 9

    Words: 1009

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात का वक्त ,
    पैलेस ,

    सुबह हल्दी के रस्म के बाद से तारा अपने रुम से नहीं निकली थी । उसको ये जघह कुछ ज्यादा ही अजीब सी लग रही थी और उसको न ढंग से नींद आ रही थी और न ही चैन मिल रहा था । ऊपर से hospital मे जो हुआ , जिसने उसको टच किया था गंदी तरीके से उसका तो पता ही नहीं था कि वो कौन है ।

    तारा ने hospital के सारे CCTV cameras चेक करवा लिए थे पर उस आदमी कि शक्ल ही नहीं दिख रही थी । संगीत सेरेमनी के लिए वो रेडी हो रही थी । उसने एक baby pink कलर का गाउन पहना था । गाउन मे बहुत सुंदर सी इंब्रॉयडरी कि गयी थी ।

    वो नीचे जाने वाली थी और उसने अपना फोन उठाया तभी उसका फोन एक नोटिफिकेशन कि आवाज से बजा । उसने चेक किया तो एक अननोन नम्बर से उसको मेसेज आया था । उस मेसेज मे लिखा था कि' मै आ गया हूं कथा अब हमें कोई अलग नहीं कर सकता ' जब तारा ने वो मेसेज पड़ा तो वो फ्रीज हो गयी‌ थी ।

    वो अपनी जगह पर खड़ी उस मेसेज को ढंग से समझने कि कोशिश कर रही थी ।

    तारा मेसेज को घूरते‌ हुए खुद से बोली _" लगता है किसी से गलती हो गयी है , कथा ? "

    उसने वो नाम अपने दिमाग में दो तीन बार रीपीट किया । उसको ये नाम अपना सा लग रहा था । एक अजीब सी हलचल मच रही थी उसके सीने मे । उसने अपनी दिल वाली जगह पर हाथ रखा और अपनी आंखें बंद कर ली । उसने एक गहरी सांस ली ।

    तारा मन में बोली _" बस कुछ दिन और फिर यहां कभी कदम नहीं रखूंगी मै ।"

    उसने अपने आप को शांत किया और नीचे चली गयी । सब तरफ खुशी का माहौल था । चहल-पहल थी पर तारा को लग रहा था कि कोई उसको घूर रहा है । उसने चारो तरफ देखा पर उसको कोई नहीं दिखा । गाने चल रहें थे और कुछ कपल्स डांस भी कर रहे थे ।

    वहीं एक कोने में एक आदमी खड़ा हुआ था जो छुप कर तारा को देख रहा था । उसकी नजरे कोई देख लो तो उसकी सांसें ही अटक जाए । वो इस कदर उसको देख रहा था , जैसे उसको कैद करना चाहता हो , उसकी आंखों मे एक चमक थी , ऐसी चमक जो तारा कि जिंदगी कि चमक छीन सकती थी , होठो पर अजीब सी मुस्कान , जो तारा को हमेशा के लिए अपना बनाने कि चाहत रख रही थी ।

    तारा ने सब कुछ नजर अंदाज कर माही और कियारा के पास आ गयी और मुस्कुराते हुए बोली _" तुम दोनों बिल्कुल पाताल से आई अप्सरा लग रही हो ।"

    उसकी बात सुनते ही दोनों के शक्ल के नक्शे से बिगड़ गये वो दोनों एक साथ तेज आवाज में बोली _" तारा ।"

    तो तारा हंस कर बोली _" क्या तारा ? "

    तो माही बोली _" कुछ ‌भी हो जाए पर तू चिढ़ाना नही छोड़ सकती ।"

    तो तारा मुस्कुराते हुए बोली _" बिल्कुल नही ।"

    वो तीनो बात करने मे बीजी हो गये पर इस बात से अंजान कि एक तूफान उनकी जिंदगी में आने वाला है , जो शायद सब कुछ तबाह कर दे ।

    जब वो तीनो बात कर ही रहे थे तब एक आदमी आया और मुस्कुराते हुए उन तीनो से बोला _" hello beautiful girls ।"

    तो वो तीनों मुस्कुराते हुए एक साथ बोली _" hello Jojo ।"

    जोजो नाम सुनते ही बिचारे के शक्ल के बारह ही बज जाते हैं । वो चिढ़ते हुए बोला _" क्या यार ? तुम तीनो न , मेरा निकनेम चेंज नहीं कर सकती क्या ? इस निकनेम के चक्कर मे कोई भी मजाक उड़ा कर चला जाता है पर नही तुम्हें अपने प्यारे से कजन और दोस्त कि बेइज्जती ही करनी होती है न ।"

    तो तारा हां मे सिर हिला कर बोली _" बिल्कुल सही बोला तुमने आश्रय वर्मा ।"

    आश्रय माही के चाची का बेटा था और वो सभी एक ही स्कूल मे पढ़ते थे और तभी से उनकी दोस्ती हो गयी थी ।

    आश्रय ने लाचारी से तीनों को देखा पर कुछ हो नहीं सकता ।

    आश्रय तारा और कियारा को देख कर उन्हें टीस करते हुए बोला _" तो तुम दोनों का सिंगल मरने का इरादा है क्या ?"

    तो कियारा भी उसको चिढ़ाते हुए बोली _" हम तो अपनी मर्जी से सिंगल है , तेरी तो हर गर्लफ्रेंड तूझे छोड़ कर भाग जाती है ।"

    तीनों कि हंसी छूट गयी और बेचारे आश्रय का चेहरा गुस्से से फूल गया । तारा इस बात से अंजान कि कोई उसको और आश्रय को अपनी जलती हुई निगाहों से देख रहा था ।

    थोड़ी ही दूरी पर स्वास्तिक अपने हाथ में जूस का गिलास ले कर खड़ा उनको घूर रहा था । उसको पता नहीं क्यों पर आश्रय खटक रहा था बहुत ज्यादा । तारा ने अचानक उसके कंधे पर अपना हाथ रखा जिसको देखते ही स्वास्तिक कि आंखें और डार्क हो गयी ।

    वो‌ खुद से मन में बोला _" ऐसा भी क्या बोल दिया इस सुअर कि शक्ल वाले नमूने ने जो ये दांत दिखा कर हंस रही है ? "

    तभी अधिक ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला _" ऐसे क्या घूर रहा है जैसे आंखों से ही उस नमूने कि जान ले लेगा ? "

    तो स्वास्तिक बिना अपने नजरें हटाएं जूस का एक सिप ले कर बोला _" कुछ नहीं ।"

    वो ऐसा था कि अपनी ज्यादा चीजें किसी से शेयर नही करता था । तो अधिक बोला _" नहीं बताना तो मत बता पर ....... तूझे नही लगता जब से तू यहां आया है तारा को कुछ ज्यादा ही घूर रहा है ।"

    स्वास्तिक ने घूर कर उसको देखा तो अधिक मुस्कुराते हुए बोला _" तू सब को डरा सकता है पर मुझे नहीं समझा ।"

    तभी वहां पर कोई लड़की आई और स्वास्तिक को कस कर गले लगा लिया ।

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    Thanks for reading .

  • 10. stalker - Chapter 10

    Words: 1016

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक लड़की जो स्वास्तिक के गले लग गयी थी और ये सब इतनी अचानक हुआ कि स्वास्तिक उसको रोक नहीं पाया पर उसके गले लगने के दो सेकंड बाद ही स्वास्तिक ने उस लड़की को जोर का धक्का दिया और वो लड़की सीधे किसी और आदमी कि बाहो मे जा गिरी ।

    उस लड़की कि पीठ उस आदमी के सीने से लगी हुई थी और उस आदमी ने उसके कंधों को पकड़ कर उसको गिरने से बचा लिया था । वो लड़की बहुत ज्यादा मासूमियत से उसको देख रही थी पर स्वास्तिक उसको बिना किसी भाव के देख रहा था ।

    उसकी नजर उससे होते हुए उस आदमी पर पड़ी और वो उसको देखते हुए बोला _" कार्तिक तुम इसको यहां क्यों ले कर आ गये ?"

    तो कार्तिक उसको ढंग से खड़ा कर के बोला _" sorry boss वो आपके फादर का order था कि तमन्ना को आपके पास छोड़ आऊं ।"

    तो स्वास्तिक ने जूस का गिलास वहीं काउंटर पर जोर से रखते हुए सर्द आवाज आई कहा _" तुम मेरे assistant हो या मेरे डैड के कार्तिक ?"

    तो कार्तिक अपनी थूक निगल कर बोला _" आपका ।"

    तो स्वास्तिक उसको घूरते हुए बोला _" exactly my point , मेरे , तो मुझ से बिना पूछे इसको उठा कर मेरे पास मत लाया करो अगली बार से ऐसा नही होना चाहिए वरना तुम्हें परमानेंटली छुट्टी मिल जाएगी औफिस से ।"

    कार्तिक अपने किये पर पछता रहा था । वो बोला _" yes boss ।"

    तमन्ना जो इतने समय तक चुप थी वो एकदम प्यार से बोली _" स्वास्तिक मुझे तुम्हारी याद आ रही थी इसलिए मै ।"

    इससे आगे वो कुछ बोल पाती कि स्वास्तिक उसकी बात बीच मे काट कर बोला _" get lost ।"

    तमन्ना और कुछ बोल ही नहीं पायी । उसके शब्द उसके मुंह में ही रह गये और वो पैर पटकते हुए वहां से चली गयी । वहीं तारा जिसकी नजरें उन दोनों पर ही टीकी हुई थी । वो मन मे बोली _" तो इस मगरमच्छ कि मगरमच्छी भी है ।"

    संगीत अब खत्म होने को आया था । माही और अधिक ने साथ मे डांस भी किया था । तारा अब बहुत थक गयी थी तो वो अपने रुम कि तरफ जा रही थी । वो जा ही रही थी कि उसको ऐसा लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है पर जब उसने पीछे पलट कर देखा तो वहां कोई नहीं था ।

    उसको अब थोड़ी सी घबराहट होने लगी थी क्योंकि वहां पर कोई नहीं था उसके अलावा । ऊपर से अंधेरा भी था । उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और वो कमरे में जाने ही वाली थी कि उसको ऐसा लगा कि किसी ने उसके कंधे को छुआ पर उसने आस पास देखा पर वहां कोई भी था ।

    इस बार उसको चिढ़ मच रही थी कि कोई भी आ कर उसको छु कर जा रहा था और वो कुछ कर भी नहीं पा रही थी । वो रुम मे आई और सारी खिड़कियां और दरवाजे बंद कर दिए और सीधे जा कर बेड पर पेट के बल लेट गयी और आंखें बंद कर ली ।

    उसके फोन मे एक नोटिफिकेशन फिर से आया । इस बार मेसेज चेक करने मे तारा को अजीब लग रहा था पर फिर भी उसने फोन उठाया और मेसेज चेक करने लगी ।

    उस मेसेज को देखते ही उसकी आंखें लगभग बाहर ही आ गयी थी । उस मेसेज मे लिखा था कि ' कथा बोलता हूं मै तुमहे पर इस बार तुम तारा हो , मेरी तारा को मेरी छुअन से परेशानी हो रही है ये तो गलत बात है न '

    तारा के हाथ से फोन छुट गया । वो वैसे ही लेटी हुई थी पर उसकी सांसें भारी हो गयी थी । उसको घबराहट हो रही थी ।
    वो धीरे से बोली _" कोई स्टॉक कर रहा है मुझे , स्टॉकर ।"

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    स्वास्तिक पैलेस के दूसरी तरफ अपने बेडरूम में था और सो रहा था । वो बार-बार करवट बदल रहा था । आंखें बंद होने के बावजूद उसके माथे पर परेशानी कि शिकन थी । पसीना आ रहा था ।

    अचानक वो जोर से चिखते हुए उठ गया _" कथा ।"

    वो गहरी सांसे ले रहा था । उसके बाल बिखरे हुए थे और वो उठ कर बैठ गया था । उसको फिर से एक बुरा सपना आया‌ था । अचानक उसके दिमाग में तारा का ख्याल आया और उसने अपना फोन उठा लिया और अधिक को फोन किया ।

    तो दूसरी तरफ अधिक फोन उठा कर नींद भरी आवाज मे बोला _" तूझे रात को भी चैन नहीं है ? बोल मेरे नींद के दूश्मन क्या हुआ ?"

    तो स्वास्तिक बोला _" तारा , नंबर दे उसका ।"

    अब अधिक कि सारी नींद उड़ गई थी वो लगभग चिल्लाते हुए बोला _" क्या ? तारा तूझे उससे प्यार हो गया क्या ?"

    तो स्वास्तिक अपने सर पर हाथ रख कर बोला _" जो बोला है वो कर , बाद मे बात करेंगे इस बारे मे ।"

    उसने फोन काट दिया और थोड़ी ही देर में उसको तारा का नंबर मिल गया । उसने सीधे उसको फोन कर दिया ।

    तारा सो नहीं रही थी । उसकी नजर अपने फोन पर पड़ी जो बज रहा था । उसने धीरे से फोन देखा तो एक अननोन नंबर से फोन आ रहा था । उसने बड़ी हिम्मत कर के फोन उठाया पर कुछ कहा नहीं ।

    स्वास्तिक बोला _" हेलो troublemaker ।"

    उसकी आवाज सुनते ही तारा ने एक राहत कि सांस ली और फिर बोली _" इतनी रात को कौन फोन करता है ? हां पता है तुम पागल हो पर इतने ? "

    तो स्वास्तिक गहरी सांस लें कर बोला _" shut up troublemaker ।"

    तारा बोली _" फोन क्यों किया ?"

    इसका जवाब तो उसके पास खुद नहीं था । उसने बिना कुछ कहे फोन काट दिया और अपने बालो मे हाथ डाल कर बोला _" what the f*ck , क्या सोच के उसको फोन कर रहा है स्वास्तिक ?"

    अपने आप को इसी तरह डांटते हुए कब उसकी नींद पड़ रहा पता ही नही चला ।

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    Thanks for reading.

  • 11. चुपचाप चलों वरना यही छोड़ कर चला जाऊंगा - Chapter 11

    Words: 934

    Estimated Reading Time: 6 min

    पैलेस,
    रात का वक्त ,

    तमन्ना स्वास्तिक से बात करने के बाद से पैलेस के गार्डन में लगे एक बेंच के पास बैठी हुई थी और चुपचाप अपनी आंसूओं से भरी नजरो से सामने देख रही थी । उसके चेहरे पर आसूंओं के निशान दिख रहे थे , बिखरे बाल , लाल आंखें । उसकी हालत खराब लग रही थी । वो जब से बाहर आई थी तब से रो ही रही थी ।

    वहीं थोड़ी दूरी पर कार्तिक खड़ा हुआ था जो उसको देख रहा था । उन दोनों को अभी तक यहां से देहरादून के लिए निकल जाना था पर तमन्ना कहीं जाना ही नहीं चाहती थी । उसका रोना बंद हो गया था पर वो अभी भी सिसक रही थी ।

    कार्तिक उसको देखते हुए softly बोला _" हमें अब चलना चाहिए तमन्ना , मुझे बहुत काम है ।"

    तमन्ना ने उसको घूर कर देखा । जब कार्तिक ने उसका चेहरा देखा तो एक पल के लिए वो फ्रिज हो गया था । तमन्ना कि आंखें बहुत लाल लग रही थी ।

    कार्तिक तुरंत उसके पास आया और उसका चेहरा अपने रुमाल से पोंछते हुए बोला _" क्या करती हो तुम तमन्ना ? अपनी हालत देखो , कितने टाइम से रो रही हो , जब तुम्हें पता है कि boss तुम्हें भगा देंगे तो क्यों जाती हो ?"

    जब तमन्ना ने उसकी बात सुनी तो उसने गुस्से में कार्तिक का हाथ झटक दिया और दांत पीसते हुए बोली _" shut up कार्तिक , मुझे वो चाहिए , वो मेरा है और उसके पास जाऊंगी जितनी बार दूर धकेलेगा मै उतनी बार उसके पास जाऊंगी ।"

    तो कार्तिक भी गुस्से में बोला _" क्यों ?"

    तो तमन्ना उसको घूरते हुए बोली _" क्योंकि मै पसंद करती हूं उसको , मुझे उससे शादी करनी है ।"

    तो कार्तिक उसके कंधों को पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर बोला _" पसंद ? सिर्फ इसलिए कि वो तुम्हें पसंद है तुम उनसे शादी कर लोगी , पसंद तो कोई भी आ जाता है तो क्या हर किसी से तुम्हें शादी करनी है ?"

    तमन्ना के पास इस सवाल का जवाब नहीं था । वो पसंद करती थी प्यार नही , वो obsessed थी पर प्यार नहीं करती थी । जब बचपन में सभी लोगो ने उसको बोला था कि उसकी और स्वास्तिक कि शादी होगी तो , उसका दिमाग खुद को उससे शादी के सपने सजाने से रोक नहीं पाया ।

    और कार्तिक उसको तमन्ना का बार बार स्वास्तिक के करीब जाना बिल्कुल नहीं पसंद था । उसको नहीं पसंद था जब वो बार-बार रोते हुए जाती थी । उसको उसका रोना नहीं पसंद था । उसका बस चले तो वो उसको कभी रोने न दें ।

    उन दोनों के चेहरे बहुत पास थे । जब कार्तिक को एहसास हुआ कि वो दोनों जरुरत से ज्यादा पास थे तो उसने तमन्ना को छोड़ दिया और सामने देखते हुए बोला _" चुपचाप चलो वरना यहीं छोड़ कर चला जाऊंगा ।"

    इतना बोल कर वो खड़ा हो गया और अपनी कार कि तरफ जाने लगा और तमन्ना बिल्कुल छोटे बच्चों कि तरह उसके पीछे-पीछे जाने लगी । उसने मन मे कार्तिक को बहुत गालियां दी पर उसके सामने नहीं दी क्योंकि कार्तिक आज कुछ अलग ही लग रहा था । वो गुस्से में था जो कभी कभी ही होता था ।

    कार्तिक गुस्से में जरुर था पर फिर भी उसने तमन्ना के लिए पैसेंजर सीट का दरवाजा खोल दिया । तमन्ना चुपचाप जा कर बैठ गयी । और वो दोनों देहरादून के लिए निकल गये । कार्तिक को बहुत काम था क्योंकि स्वास्तिक अभी वहां था नहीं तो सारी जिम्मेदारी उसके कंधों पर थी इसलिए वो लोग वहां नहीं रुके ।

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    देहरादून, रात का वक्त ,
    मलिक मेंशन ,

    संस्कार अपने स्टडी रुम मे बैठा एक पेपर को देख रहा था । देख क्या ? वो घूर रहा था ।

    वो मन में बोला _" बस दो साल और फिर सब कुछ तुम्हारे नाम हो जाएगा तारा , सारी जायदाद तुम्हारे नाम हो जाएगी फिर मै सब कुछ तुमसे छीन लूंगा ........... मै उसको ढूंढ रहा हूं पर वो मिल ही नहीं रही पता नहीं कहां होगी वो ........ सब कुछ तुम्हारी वजह से हुआ है साधना अगर तुमने वो नहीं किया होता तो आज सब कुछ ठीक होता ।"

    उसकी आंखों मे गुस्सा उतर आया था । अतीत कि कुछ बुरी यादें उसको गुस्सा दिलाने के लिए काफी थी । वो तारा को सिर्फ जायदाद के लिए नहीं रख रहा था एक और वजह थी जो तारा को पता नही थी । उसको क्या? किसी को नहीं पता थी ।

    **********************************************

    रायगढ़ , रात का वक्त ,

    एक पैलेस मे एक आदमी सोफे पर अपने दोनो पैर फैला कर बैठा हुआ था । उसका सर सोफे पर टिका हुआ था और उसकी आंखें बंद थी । चारों तरफ अंधेरा था सिर्फ खिड़कियों से चांद कि रोशनी नजर आ रही थी ।

    चांद कि रोशनी से उस आदमी का चेहरा नजर आ रहा था । कैरिमल स्किन थी और वो बहुत अच्छा दिख रहा था । अचानक उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई और वो मुस्कुराते हुए बोला _" कथा मेरी कथा , तुम्हें कुछ याद नहीं है , तुम्हें मै याद नहीं , ये तो गलत है न , मुझे तुम याद हो पर तुम्हें मै याद नहीं पर कोई बात नहीं मै तुम्हे हर चीज याद दिलाऊंगा सिवाय इस चीज के कि तुम किसी और से प्यार करती थी न कि मुझसे ।"

    बाहर तूफान चल रहा था । मौसम बहुत खराब हो राह था । किसी अनहोनी का संकेत खुद मौसम दे रहा था ।

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    Thanks for reading .

  • 12. इस बार नहीं छोड़ने वाला मैं - Chapter 12

    Words: 1038

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगला दिन ,
    पैलेस ,

    आज माही और अधिक कि शादी थी । सभी रस्में मुहूर्त के हिसाब से हो रही थी और शादी का मुहूर्त सुबह दस बजे तक का था तो सुबह से ही उसकी तैयारियां शुरू हो गयी थी । सभी काम मे हाथ बढ़ा रहे थे ।पैलेस को बिल्कुल दुल्हन कि तरह सजाया गया था ।

    माही ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी हुई थी और दो मेकअप आर्टिस्ट मिलकर उसको तैयार कर रही थी । तारा और कियारा अपने रुम मे थी और रेडी हो रही थी ।

    तारा अपने बेडरूम मे थी और मिरर के सामने खड़ी हुई थी और लिपस्टिक लगा रही थी तभी उसको लगा जैसे कोई उसके रुम में आया । उसके हाथ रुक गये और उसकी नजरे चारों तरफ घूमने लगीं आखिर मे उसने एक गहरी सांस ली और बोली _" लगता है मै पागल हो रही हू फिर से एक बार डाक्टर अर्चना के पास जाना पड़ेगा और इस बार बूरे सपनों के लिए नहीं बल्कि इसलिए क्योंकि मै सच मे पागल हो रही हूं ।"

    तभी उसके रुम में किसी ने नाॅक किया। तारा तो एक पल को डर गयी थी पर जब दरवाजे पर स्वास्तिक को देखा तो उसने चैन कि सांस ली ।

    अब वो confusion से उसको देखते हुए बोली _" तुम पागल वागल हो गये हो क्या ? कल रात फोन और अब मिलने आ गये ।"

    तो स्वास्तिक टाइट स्माईल के साथ बोला _" तुमसे मिलने से अच्छा मै किसी पागल से न मिल लूं ।"

    तो तारा ने उसको घूर कर देखा और कहा _" पागल भी तुम्हें देख कर डर जाएगा , वो क्या है न कि वो भी बता देगा कि तुम उससे भी बड़े वाले पागल हो , कहीं बेचारा तुम पर तरस खा कर तुम्हें अपनी दवाईयां न दें दे ।"

    तो स्वास्तिक ने भी उसको घूरा और बोला _" तुम्हें नीचे बुला रहें है , शादी शुरू होने वाली है ।"

    तो तारा उसकी तरफ बढ़ते हुए बोली _" तो तुम्हें किसने भेज दिया ?"

    तो स्वास्तिक जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोला _" वो मै तुम्हे बताना जरूरी नहीं समझता troublemaker ।"

    तो तारा उसके कंधे को अपने कंधे से मारते हुए चली गयी । स्वास्तिक ने अपने कंधे पर हाथ रख लिया और खोए हुए बोला _" कुछ तो अजीब है , इसकी मौजूदगी मुझे कुछ अलग ही एहसास देती है , जैसे हम दोनों एक दूसरे को पहले से जानते है ।"

    अधिक कि मां ने ही स्वास्तिक को तारा को बुलाने के लिए भेजा था क्योंकि माही बहुत नर्वस हो रही थी और उसके पास कोई और नहीं था ।

    वो उसी तरह खोया हुआ खड़ा हुआ था तभी उसका फोन बजा । उसने फोन उठाया और बोला _" हेलो ।"

    दूसरी तरफ से अधिक कि आवाज आई _" आपने कुछ करने से मना किया था तो मैने सब कुछ केंसल कर दिया जो हम मिस तारा मलिक के साथ करने वाले थे ।"

    स्वास्तिक बिना किसी भाव के बोला _" good और उस तमन्ना का क्या ? मैने कहा था न कि उसकी कमजोरी का यूज कर के उसको मुझसे दूर रहने के लिए blackmail करना है पर कल तो वो जैसे आ कर मेरे गले मे लटक गयी थी , उसको देख कर लग नहीं रहा था कि वो डरी है ।"

    अधिक बोला_" मैने किया था पर वो मान नहीं रही पर डर जरूर गयी थी , थोड़ा सा और डराना है फिर मान जाएगी Boss ।"

    स्वास्तिक ने बिना कुछ कहे फोन काट दिया और नीचे गार्डन कि तरफ चला गया ।

    गार्डन मे ही शादी कि सारी तैयारियां कि गयी थी। मंडप के पास दुल्हा बैठा हुआ था और पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे । सारे गेस्ट वहीं पर थे ।

    तभी पंडित जी बोले _" वधू को बुलाया जाए ।"

    निशा ने तारा को मेसेज कर के माही को नीचे लाने के लिए कह दिया । तारा माही को ले कर आ रही थी । अब सभी कि नजरे माही पर ही जम गयी थी । उसने रेड कलर का लंहगा पहना हुआ था और वो बहुत प्यारी लग रही थी और उसके बगल मे ही तारा थी जो उसको ले कर आ रही थी । उसने नेवी ब्लू कलर का लहंगा पहना था ।

    वो माही को ले कर मंडप तक आ गयी और माही का हाथ अधिक के हाथो मे सौप दिया और उसको देखते हुए बोली _" ध्यान रखना ।"

    तो अधिक मुस्कुराते हुए बोला _" अपने आप से भी ज्यादा ।"

    तो माही भी मुस्कुरा दी । शादी कि रस्में धीरे-धीरे होने लगी । वहीं स्वास्तिक जिसकी नजरे तारा से हट ही नहीं रही थी वो चलते हुए उसके पास आ रहा था तभी को किसी से टकरा गया ।

    वो आदमी चिढ़ते हुए बोला _" देख कर नहीं चल सकते क्या ?"

    पर जब उसने स्वास्तिक को देखा तो उसकी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी । उसने माफी मांगी और भाग गया । स्वास्तिक एक बार फिर तारा कि तरफ बढ़ने लगा । उसको खुद नहीं पता था कि वो क्या कर रहा है ‌ । शादी लगभग पूरी ही हो गयी थी । वो उसकी मांग में सिंदूर भर रहा था ।

    तारा मुस्कुराते हुए उनको देख रही थी । तभी उसको किसी ने फिर गलत जगह पर टच किया और उसने पलट कर उसको जोरदार थप्पड़ दे मारा । सब तरफ सन्नाटा छा गया और सब कि नजरे उन दोनों पर चली गयी । तारा मंडप के पास ही खड़ी थी इसलिए सबकी नजरे उन पर बहुत जल्दी चली गयी ।

    तारा कि आंखें गुस्से से भरी हुई थी पर जब उसने देखा कि इस बार फिर उसने गलती कर दी है तो वो फ्रीज हो गयी थी । उसने फिर से स्वास्तिक को गलत समझ लिया था । स्वास्तिक का चेहरा दूसरी ओर झूका हुआ था और उसका हाथ उसके गाल पर था ।

    किसी कि वीडियो बनाने कि हिम्मत नहीं हुई वरना अंजाम सबको पता था । स्वास्तिक ने अपना सर उठा कर तारा कै देखा । उसकी नजरे बहुत ज्यादा ठंडी लग रही थी । उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे ।

    उसने उसको देखते हुए कहा _" इस बार नहीं छोड़ने वाला‌ मै , you will regret it ।"

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  • 13. You are under arrest - Chapter 13

    Words: 873

    Estimated Reading Time: 6 min

    स्वास्तिक के शब्द तारा के कान तक पहूंचे और वो गलती मानने के बजाय अपने आप को सही साबित करते हुए बोली _" तुम हर बार मेरे पीछे ही क्यों खड़े रहते हो ? सब तुम्हारी गलती है ।"

    स्वास्तिक ने कुछ नहीं कहा और वहां से चला गया । अधिक तारा से बोला _" ये क्या किया तारा ? उसने बोला है कि वो तुम्हें छोड़ेगा नही तो वो बिल्कुल नहीं छोड़ेगा ।"

    तो तारा भी झट से बोली_" करने दो जो करना है तारा मलिक किसी के बाप से भी नहीं डरती ।"

    इतना कह कर वो भी चली गयी ।

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    शाम का वक्त ,
    पैलेस ,

    शादी हो चुकी थी और सभी वापस जाने कि तैयारी कर रहे थे उनकी रिसेप्शन पार्टी देहरादून में ही होने वाली थी । तारा नीचे हाल मे अपना लगेज ले कर खड़ी हुई थी और कियारा का वेट कर रही थी । वो दोनों साथ में ही जाने वाली थी ।

    तभी कोई आया और तारा के सामने खड़ा हो कर बोला _" You are under arrest तारा मलिक ।"

    जैसे ही तारा ने उसकी बात सुनी उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। वो confusion से पुलिस आफिसर को देखते हुए बोली _" मैने क्या किया ?"

    तो वो लेडी आफिसर बोली _" आपके ऊपर केस किया गया है कि आपने उनकी परमिशन के बिना उनके बहू कि सर्जरी कि और उनकी देथ हो गयी ।"

    तो तारा गुस्से से घूरते हुए बोली _" what the hell are you talking ? मैने आज तक ऐसा कभी नहीं किया है ।"

    तो वो आफिसर उसके हाथ पर हथकड़ी लगाते हुए बोली _" वो तो आप पुलिस स्टेशन मे बताना ।"

    वहां पर उसके और कियारा के अलावा कोई नहीं था । सब चले गये थे । बस वही दोनों बचे हुए थे ।

    तभी कियारा वहां आ कर बोली _" ये आप क्या बोल रही है ? आपको कोई misunderstanding हुई होगी , तारा ऐसा नहीं कर सकती ।"

    पर वो तो सुनने को ही तैयार नहीं थी । वो तारा को खींचते हुए पुलिस जीप कि तरफ ले गयी और कियारा कुछ नहीं कर पायी । वो रायगढ़ कि पुलिस थी बाद मे उसको देहरादून भेज दिया जाएगा ।

    तारा ने कियारा को देखा और थोड़ी ही देर में उनकी जीप वहां से चली गयी । कियारा को तो देख कर ही लग रहा था कि वो रो देगी ।

    उसने तारा के lawyer को फोन किया और उनको सारी बात बता दी कि तारा के साथ क्या हुआ तो उन्होंने कहा कि ' वो सब कुछ देख लेंगे पहले तारा को देहरादून transfer करने दो ।'

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    देहरादून ,
    मलिक मेंशन ,

    संस्कार को तारा के साथ जो हुआ वो पता चल गया था और उसको क्या? पूरे देहरादून को पता चल गया था और तारा पर सवाल खड़े हो रहे थे और hospital पर भी । संस्कार को तारा कि चिंता तो नहीं थी पर उसको सही सलामत रखने के अलावा उसके पास कोई option ही नहीं था ।

    hospital कि reputation को ले कर वो बौखलाया हुआ था । उसने सारी न्यूज को बाहर आने से रोकनी कि बहुत कोशिश कि पर कुछ कर नहीं पाया । उसका दिमाग बहुत खराब हो रहा था ।

    इस वक्त वो अपने स्टडी रूम में था जिसको देख कर कहीं से भी ये नहीं लग रहा था कि वो स्टडी रूम है । पूरा रुम बिकरा पड़ा था । संस्कार ने गुस्से में सब कुछ इधर-उधर फेंक दिया था ।

    वो चेयर पर बैठे हुए अपने दोनों हाथों से अपने बल खींचते हुए बोला _" तारा मलिक तुम्हें छोड़ूंगा नही मै , सारी जिंदगी इस लड़की ने मेरी बर्बाद कर दी है , एक बार तुम सामने आओ तुम्हें तो मै ।"

    उसका तो फ्यूज ही उड़ गया था ।

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    सुबह का वक्त ,
    देहरादून ,
    अग्निहोत्री मेंशन ,

    स्वस्तिक आराम से अपने बेड पर लेटा आईपैड पर न्यूज देख रहा था । सभी तरफ तारा कि ही बात हो रही थी ।

    वो तिरछी मुस्कान के साथ बोला _" troublemaker तुम खुद के लिए मुसीबतें खड़ी करना कोई तुमसे सीखे ।"

    उसने तारा से बदला लेने क प्लैन केंसिल कर दिया था पर तारा के थप्पड़ कि वजह से उसने वो कर दिया जो वो करने से रुक गया था । तारा को उसने झूठे केस मे फंसा दिया था । उसने उस पेशेंट के हसबैंड के गुस्से का फायदा उठाकर उससे झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी ।

    वो तो पहले से ही अपनी बीवी कि देथ के लिए doctor को जिम्मेदार मानता था और स्वास्तिक ने उसी का फायदा उठाया । वो बस छोटी सी बात के लिए तारा को इतने बड़े इल्जाम में नहीं फंसाने वाला था पर उसके थप्पड़ ने उसको मजबूर कर दिया ।

    उसकी कोई गलती ही नहीं थी फिर भी तारा ने दो बार उसको बिना किसी वजह के उस पर गुस्सा उतारा था तो उसको भी तो झेलना पड़ेगा शायद ज़िन्दगी भर क्योंकि उसका लाइसेंस केंसिल हो सकता है और ये बात उसको बहुत अच्छे से पता थी ।

    उसको पता था का तारा को अपना काम कितना प्यारा है इसलिए उसने वहीं पर वार किया था जहां पर उसको सबसे ज्यादा दर्द होने वाला था ।

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  • 14. कैसा लग रहा है जेल में ?- Chapter 14

    Words: 909

    Estimated Reading Time: 6 min

    अगला दिन ,
    दोपहर का वक्त ,

    तारा अभी भी जेल मे थी और संस्कार ने अपनी पूरी कोशिश कर ली थी उसको जेल से बाहर निकलवाने कि पर पता नहीं क्यों उसको बेल मिल ही नहीं रही थी । उसका lawyer और संस्कार सुबह से उसको छुड़ाने मे लगे हुए थे पर कुछ हो ही नहीं रहा था ।

    तारा सेल मे चुपचाप बैठी हुई थी और उसका सर नीचे कि तरफ झूका हुआ था । वो जमीन को घूर रही थी । उसकी आंखों में अभी भी गुस्सा साफ झलक रहा था । उसको पता था कि ये सारा किया धरा स्वास्तिक का है पर वो अभी कुछ नहीं कर पा रही है और यही उसको और गुस्सा दिला रहा था ।

    तभी उसके सेल के बाहर संस्कार आ कर खड़े हो गये और गुस्से में दांत पीसते हुए बोलें _" मिल गयी तुम्हें शांति , आ गया सुकून , अपने साथ साथ तुमने मेरे hospital का नाम भी बदनाम कर दिया , पता नहीं अब क्या होगा , तुम कुछ बोलोगी कि नहीं ?"

    तो तारा ने अपनी नजरे उठाई और संस्कार को देखा । जब संस्कार ने उसका चेहरा देखा , खासकर कि उसकी आंखें तो एक पल के लिए तो वो डर ही गया था । वो उसको ऐसे घूर रही थी , जैसे उसको घूर घूर कर ही मार डालेगी ।

    वो उसी तरह उसको घूरते हुए अपने एक एक शब्द को चबाते हुए बोली _" हां मिल गयी मुझे शांति , और अच्छे से मिलती अगर आपका खून कर के यहां पर बैठी होती तो ।"

    संस्कार के तो शरीर के रोंगटे ही खड़े हो गये थे । जिस तरीके से तारा उसको मारने कि बात कर रही थी , वो तरीका संस्कार को डराने के लिए काफी था ।

    वो अपनी नजरे फेरते हुए बोला _" जेल मे बैठी है पर अकड़ नहीं गयी अभी तक ।"

    तो तारा बोली _" और जाने भी नहीं वाली पिता श्री , जल्दी से यहां से निकलवाइये वरना आपकी जायदाद कभी आपके नाम नहीं करूंगी ।"

    संस्कार ने घूर कर उसको देखा तो तारा ने भी बदले मे उसको घूर कर देखा ।

    संस्कार गुस्से में वहां से चले गये । वो चलते-चलते बोला _" इसी कमजोरी का तो ये फायदा उठाती है ।"

    वहीं उसके जाने के बाद तारा के सेल के बाहर स्वास्तिक आ कर खड़ा हो गया और अपनी तिरछी मुस्कान के साथ तारा को देखने लगा और जब तारा को लगा कि कोई आया है तो , उसको लगा फिर से संस्कार ही आया होगा तो वो तेज आवाज में बोली _" मेरा दिमाग खराब करना बंद करिए पिता श्री वरना जो बोला है वो कर के दिखाऊंगी आपको ।"

    तभी उसको स्वास्तिक कि चिढ़ाने वाली आवाज आई _" तो troublemaker कैसा लग रहा है जेल में ?"

    जब तारा ने उसकी आवाज सुनी तो एक पल के लिए वो शांत हो गयी और फिर उसकी आंखों में गुस्से कि आग उतर आई । उसने अपना सिर उठा कर स्वास्तिक को।

    स्वास्तिक मुस्कुराते हुए बोला _" ये जगह तुम्हारे लिए perfect है troublemaker , तुम इसी जगह के लिए बनी हो ।"

    तो तारा गुस्से से अपनी लाल हुई आंखों से उसको घूरते हुए बोली _" अगर ये जगह मेरे लिए सही है तो तुम्हें भी तो mental asylum में होना चाहिए न मगरमच्छ कहीं के ।"

    तो स्वास्तिक टाइट स्माईल के साथ बोला _" लगता है तुम्हें अपने मायके कि‌ याद आ गयी troublemaker ।"

    तो तारा तेज आवाज मे बोली _" अपना मुंह बंद करो और निकलो यहां से ।"

    तो स्वास्तिक के फेस पर एक गहरी मुस्कान आ गयी । वो मुस्कुराते हुए बोला _" नहीं बिल्कुल नहीं troublemaker , मै तो तुमसे मिलने आया हूं तुम्हारा हाल चाल जाने बगैर मै कैसे चला जाऊं ।"

    उसकी बात सुन कर तारा अपनी जगह से खड़ी हुई और उसके सामने जा कर खड़ी हो गई और सेल के अंदर से ही अपना हाथ निकाल कर उसने अचानक से स्वास्तिक का गला ही पकड़ लिया और उसका गला दबाते हुए बोली _" तुम्हें मरने का बहुत शौक चढ़ा है न , तो तुम्हारा ये शौक मै आज पूरा कर ही दूंगी स्वास्तिक अग्निहोत्री उर्फ मगरमच्छ।"

    स्वास्तिक हैरानी से उसको देख रहा था । उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गयी थी । उसने बिल्कुल नहीं सोचा था कि तारा कुछ ऐसा करने वाली है । उसने उसका हाथ अपने गले से हटाने कि कोशिश करते हुए कहा _" पागल हो गयी हो तुम , मेरा गला छोड़ो ।"

    स्वास्तिक ने अपना गला तारा के हाथ से छुड़ाया और तीन कदम पीछे हट कर अपना गला सहलाते हुए बोला _" तुम्हें तो mental asylum मे होना चाहिए troublemaker , पागल हो चुकी हो तुम , पूरी तरीके से ।"

    तो तारा उसको घूरते हुए बोली _" एक बार बहर आने दो फिर बताती हूं ये पागल तुम्हें कैसे पागल बनाती है मगरमच्छ कि औलाद ।"

    उसी वक्त स्वास्तिक का फोन बजा और वो वहां से चला गया । वो फोन उठा कर कुछ बोल पता कि दूसरी तरफ से अधिक कि आवाज आई _" boss ............................. "

    अधिक कि बात सुनते ही स्वास्तिक अपनी जगह पर फ्रीज हो गया । दूसरी तरफ से अधिक हैलो हैलो कर रहा था पर स्वास्तिक के कान मे तो कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था । अचानक उसकी आंखें बड़ी हो गयी और वो भागते हुए अपनी कार के पास आया और फुल स्पीड मे चला गया ।

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  • 15. Heart attack - Chapter 15

    Words: 857

    Estimated Reading Time: 6 min

    Health and care hospital ,

    स्वास्तिक को अधिक का फोन आय था और अधिक ने उसको बताया कि उसके फादर यानि कि सार्थक को हार्ट अटैक आया है , उसने स्वास्तिक को एड्रेस भी बता दिया था । उसकी बात सुनते ही स्वास्तिक सीधे hospital आ गया ।

    उसने रिसेप्शनिस्ट से सार्थक के वार्ड का नंबर पूछा और भागते हुए वहां चला गया । जब वो वहां पहूंचा तो देखा अधिक वहां पर खड़ा था और उसके चेहरे पर परेशानी साफ नजर आ रही थी ।

    स्वास्तिक उसके पास आया और उससे बोला _" डैड ठीक है न ? "

    सार्थक ने एक गहरी सांस ली औश्र फिर बोला _" boss problem हो गयी है । "

    तो स्वास्तिक उस पर लगभग चिल्लाते रहते बोला _ " क्या हुआ है सीधे point पे आओ कार्तिक । "

    कार्तिक अपने चेहरे पर आ रहे पसीने को पोंछते हुए बोला _ " boss ....... उनकी हालत बहुत critical है , उनको पहले भी एक बार हार्ट अटैक आया था जिससे इस बार compliance बढ़ गयी है और सारे कार्डियोलॉजिस्ट सर्जरी मे बीजी है और पंद्रह मिनट मे सर्जरी नहीं हुई तो ..... उनको बचा पाना ....... । "

    तो स्वास्तिक एकदम ठंडी आवाज में बोला _ " तो तुम क्या कर रहे हो ? "

    उसकी आवाज ही बहुत खतरनाक लग रही थी । कार्तिक बोला _" शहर मे जितने डाक्टर है उनको contact कर के देख लिया , सब बीजी है या तो आउट आफ टाउन है । "

    स्वास्तिक के दिमाग मे बस एक ही इंसान आयी और वो थी तारा मलिक , कार्डियोलॉजिस्ट तारा मलिक ।

    स्वास्तिक बोला _" सारी तैयारियां कर के रखना यहां पर डाक्टर ले कर आ रहा हूं मै ।"

    कार्तिक ने पहले से ही ओटी रेडी करवा दिया था । नर्स अंदर थी पर वो सिर्फ उसको जिंदा रखने कि कोशिश कर सकती थी , उससे ज्यादा कुछ नहीं ।

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    पुलिस स्टेशन ,

    स्वास्तिक भागते हुए सीधे तारा के सेल कि तरफ आया । वो उसके सेल के सामने जा कर खड़ा हो गया और उसको देखते हुए बोला _" troublemaker मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए ।"

    उसके चेहरे पर किसी को खोने का डर साफ झलक रहा था । उसके चेहरे पर परेशानी कि लकीरें उभर आई थी। उसको देख कर लग रहा था कि वो कितनी जल्दी में था । उसको कितनी desperately तारा कि जरुरत थी ।

    तारा ने उसको देखा पर कुछ बोली नहीं । स्वास्तिक ने उसकी बेल करवा दी थी बस उसको बताया नहीं था । एक कांस्टेबल आया और लाक खोल दिया और चला गया ।

    स्वास्तिक अंदर आया और एक सांस मे बोला _" troublemaker i need your help , मेरे साथ चलो ।"

    इतना कह कर उसने तारा का हाथ पकड़ कर उसको ले जाने कि कोशिश कि पर तारा अपनी जगह से हिली भी नहीं । स्वास्तिक ने उसको देखा तो तारा उसका हाथ झटक कर बोली _" और मै तुम्हारी मदद क्यों करूं ? "

    स्वास्तिक ने अपनी आंखें बंद कि और बोला _" मेरे डैड को हार्ट अटैक आया है । "

    तारा के दिमाग मे एक बात आई कि 'पूरे देहरादून में डाक्टर कि कमी पड़ गई है क्या ? '

    तारा उस बात को इग्नोर कर के बोली _" मै नहीं जाऊंगी ।"

    स्वास्तिक को इस वक्त बहुत तेज गुस्सा आ रहा था पर उसने उस पर चिल्लाना सही नहीं समझा ।

    वो सीधे पाइंट पर आया _" क्या चाहती हो तुम ? "

    तो तारा के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ गयी वो बोली _" get on your knees and beg । "

    स्वास्तिक ने जब उसकी बात सुनी तो वो एक पल के फ्रीज हो गया था पर उसके पास बहस करने का समय नहीं था ।

    उसने बिना किसी भाव के उसको देखा और अगले ही पर उसके सामने अपने घूटने टेक दिए और उसको देखते ही तारा कि स्माइल और गहरी हो गयी ।

    स्वास्तिक उसको घूरते हुए बोला _" please troublemaker i need your help , please help me । " वो एक एक शब्द पर जोर दे कर बोल रहा था ।

    तारा भाव खाते हुए बोली _" again ।"

    स्वास्तिक उसी तरह फिर बोला _" please , please , i really need your help । "

    तारा मुस्कुराते हुए बोली _" ये हुई न बात , चलो चलते है पर ......... "

    अब स्वास्तिक का दिमाग बहुत कराब हो चुका था वो तेज आवाज में बोला _" now what troublemaker ? "

    तारा बोली _" ये सारा रायता जो तुमने फैलाया है ये मेरी सर्जरी खत्म करने से पहले साफ हो जाना चाहिए वरना ......... तुम्हें तो पता है मै कुछ भी कर सकती हूं ।"

    अब स्वास्तिक उसकी बकवस नहीं सुनने वाला था । उसने सीधे तारा को अपने कंधे पर उठाया और उसको ले कर जाने लगा ।

    तारा चिल्ला कर बोली _" क्या कर रहे हो ? "

    पर स्वास्तिक ने उसकी किसी भी बात का जवाब नहीं दिया । उसकी तो गुस्से से आंखें लाल हो खयी थी । उसको इतनी जल्दी गुस्सा आता नहीं था पर आज सार्थक को खोने का डर उस पर हावी हो गय था ।

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  • 16. मरने से पहले उसने मुझसे कहा था - Chapter 16

    Words: 804

    Estimated Reading Time: 5 min

    तारा ओटी मे थी और अपना काम कर रही थी और उस पर जो केस किया गया था उसको वापस ले लिया गया था । उस पर जितने झूठे आरोप न्यूज चैनल वाले लगा रहे थे सब झूठे साबित हो गये थे और ये सब स्वास्तिक ने ही करवाया था ।

    गुस्सा तो उसको तारा पर बहुत आया था पर वो उसके डैड कि सर्जरी भी कर रही थी इसलिए उसकी गलती के बावजूद भी उसने उस पर लगाये सारे आरोप गलत साबित करवा दिए ।

    और जो डाक्टर उस समय बीजी थे , ये सब करवाने मे संस्कार का हाथ था । उसको पता था कि ये सब करवाने मे स्वास्तिक का हाथ था और तारा को निकलवाने के लिए ही उसने ये सब किया था पर स्वास्तिक तो उसको छोड़ने वाला नहीं था पर पहले सार्थक ठीक हो जाए ।

    स्वास्तिक ओटी के बाहर दिवाल से टिक कर खड़ा था और बिना किसी भाव के जमीन को घूर रहा था । तारा ने जिस तरह उससे अपने आप को मनाने के लिए कहा था वो स्वास्तिक के दिमाग में था पर उससे उसको उतना फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि वो सार्थक को बचाने के लिए था और उसको बचाने के लिए वो कुछ भी कर सकता था ।

    लगभग कुछ घंटे बाद ओटी से तारा बाहर आई और स्वास्तिक और तारा कि नजरे आपस मे टकरा गयी । दोनों बिना किसी भाव के एक दूसरे को देख रहें थे । वो उसको वैसे ही देखते हुए बोली _" he is out of danger । "

    स्वास्तिक को ये सुन कर बहुत सुकून मिला । वो धीमें कदमों से चलते हुए तारा के पास आया और उसको देखते हुए बोला _" i hate you । "

    तो तारा मुस्कुरा कर बोली _" i hate you too , so f**king much । "

    इतना बोल कर‌ वो चली गयी ।

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    अगला दिन ,

    health and care hospital ,

    तारा सार्थक को चेक कर रही थी । वो उसको चेक करने के बाद मुस्करा कर बोली _" अंकल आप पहले से बेटर हो बस आपको अपना ज्यादा ध्यान रखना पड़ेगा । "

    तो सार्थक भी मुस्कुराते हुए बोला _" thank you बेटा ।"

    तारा वहीं स्टूल पर बैठ गयी और उनको देखते हुए बोली _" ऐसा मत बोलिए अंकल , ये तो मेरा काम है । "

    वै दोनों बात कर ही रहे थे कि वहां पर गेट खोल कर‌ स्वास्तिक अंदर आया और सार्थक कि आंखों में कुछ तो बदला था उसको वहां देख कर । उसको कुछ देर पहले ही होश आया था और स्वास्तिक और वो अभी मिल रहे थे ।

    तारा स्वास्तिक को देखते हुए बोली _" अंकल , आप तो इतने अच्छे हो ये किस पर चला गया ।"

    उसकी बात सुनते ही सार्थक को हंसी आ गयी पर अचानक उसको अपनी दिल वाली जगह पर दर्द हुआ तो उन्होंने वहां पर अपना हाथ रख लिया । उनके चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था ।

    तारा और स्वास्तिक दोनों एक साथ उसके हाथ को पकड़ कर बोलें _" आप ठीक तो है न ? "

    उन दोनों ने गलती से एक ही हाथ को पकड़ लिया । स्वास्तिक ने अपना हाथ पीछे खींच लिया और सार्थक को पानी पिलाया । तारा उन दोनों को वहां छोड़ कर चली गयी ।

    अब सार्थक स्वास्तिक को देखते हुए सीरियस टोन में बोलें _" तुमने मुझसे इतनी बड़ी बात कैसे छुपाई । "

    स्वास्तिक को अब तक पता चल चुका था कि सार्थक को हारट अटैक आखिर आया क्यों था ।

    वो सीधा खड़ा हो कर सार्थक से बोला _" डैड इस‌ तरह आप को मेरे स्टडी रुम मे जा कर सामान चेक नही करना ज
    चाहिए और रही बात न बताने कि तो रीजन आपके सामने है , आप झेल चुके है । "

    तो सार्थक उससे बोला _" मतलब तमन्ना वो नहीं है जो हम सब समझते आ रहें है ? "

    तो स्वास्तिक ने हां में अपना सिर हिला दिया और बोला _" तो मुझे अब उससे शादी नहीं करनी पड़ेगी । "

    तो सार्थक उसको घूरते हुए बोला _" तूझे तो बस शादी से पीछा छुड़ाना होता है , तूझे क्या लगता है थ
    तू बच गया ? "

    तो स्वास्तिक आई रोल कर के बोला _" नो डैड आप जैसे सोच रहें है वैसा नहीं होने वाला । "


    तो सार्थक भी झट से बोला _" होगा उसने मुझसे वादा लिया है , मरने से पहले उसने मुझे कहा था , पता नहीं क्यों मैने ढंग से उसकी बात नहीं सुनी पर अब मुझे सब पता है तो उसको ढूंढना शुरू कर दो समझे । "

    तो सार्थक ने लाचारी से अपनी आंखें बंद कर ली और मन मे बोला _" तमन्ना से मुक्ति मिली तो वो मेरे गले मे फांसी का फंदा बन कर लटकने वाली है । "

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  • 17. तुम्हारा आशिक हूं - Chapter 17

    Words: 910

    Estimated Reading Time: 6 min

    SA security company ,

    सुबह का वक्त ,

    स्वास्तिक confrence room मे हेड चेयर पर बैठा हुआ था । वहां पर एक बात चल रही थी कि किस तरह वो लोग क्लाइंट्स कि सिक्योरिटी को और अच्छा बना सकते है जिससे उनको किसी और सिक्योरटी कि जरुरत न पड़े ।

    स्वास्तिक अपने expression less फेस के साथ बोला _" राजस्थान कि रानी सा कि सिक्योरिटी बढ़ा दो और ये काम जल्द ही हो जाना चाहिए , मै नहीं चाहता कि उनकी सिक्योरिटी कि जिम्मेदारी हमारे राइवल ग्रुप को मिले । "

    लगभग एक घंटे बाद उनकी मीटिंग खत्म हो चुकी थी । स्वास्तिक बाहर आया और उसके साथ मे ही अधिक था । वो सामने देखते हुए स्वास्तिक से बोला _" boss आपने जो कहा था वो हो गया है , हमारी स्पेशल टीम ने health and care hospital कि सारी सिक्योरिटी सिस्टम को हैक कर के उड़ा दिया है । "

    health and care hospital संस्कार का ही था और स्वास्तिक उसके साथ ऐसा इसलिए कर रहा था क्योंकि जब सार्थक को इलाज कि जरुरत थी उस वक्त उसने उसको तारा को छुड़ाने के लिए मजबूर कर दिया था और अगर उसके पास समय कि कमी नहीं होती तो वो एक से बढ़ कर एक डाक्टर सार्थक के लिए लि सकता था पर समय कि कमी के कारण उसको तारा के सिवा कोई नहीं दिखा ।

    तारा ने जो पुलिस स्टेशन मे उससे करवाया था , वो उसके दिमाग को घर कर गया था । वो चीज उसके दिमाग से निकल ही नहीं रहीं थी और इस वजह से उसको तारा अब बिल्कुल पसंद नहीं आ रही थी । पहले कि बात अलग थी , उसने तारा को इतना सीरियसली नहीं लिया था पर वो थप्पड़ फिर उसका उससे please , please करवाना उसको तारा को hate करने पर मजबूर कर रहा था ।

    आज तक उसने जितनी लड़ाई तारा के साथ कि थी उतनी उसने किसी के साथ नहीं कि थी और जो तारा ने उससे करवाया था इतनी हिम्मत आज तक किसी और मे नहीं थी । उसने hospital पर वार ईस लिए किया था क्योंकि उससे उन दोनों यानी कि तारा और संस्कार दोनों को फर्क पड़ता था । तारा को उसको पेशेंट से फर्क पड़ता था और पेशेंट को तो hospital चाहिए तो तारा को भी उससे परेशानी तो होनी ही थी ।

    स्वास्तिक चलते हुए बोला _" good , उसकी बर्बादी कि शुरुआत हो चुकी है । "

    **********************************************

    health and care hospital ,

    संस्कार अपने केबिन मे था और इधर-उधर घूम रहा था । उसके शक्ल से ही पता चल रहा था कि वो कितनी बड़ी मुसीबत में है । पूरा सिक्योरिटी सिस्टम उड़ चुका था । पूरे सीसीटीवी कैमरा हैक हो चुके थे और रिकार्ड पूरा डीलीट हो चुका था ।

    ऐसा होने से सब कुछ बिगड़ गया था । पेशेंट कि सिक्योरिटी पर बात आ गयी थी । वो सब कुछ रिकवर करवाने कि कोशिश कर रहा था पर हो नहीं पा रहा था । इसी टेंशन में उसका दिमाग खराब हो रहा था ।

    तारा वो अभी-अभी एक पेशेंट को चेक कर के आ रही थी तभी उसी वक्त एक मेसेज आया । उस मेसेज कि आवाज सुन कर सबसे पहला ख्याल उसको अपनें स्टाकर का आया ।

    वो अपनी जगह रुक गयी थी । उसने धीरे धीरे अपना फोन निकाला और उसको चेक करने लगी ।

    stalker : " मेरी तारा कैसी है ? उसको मेरी याद नहीं आई ?, very bad , तुम्हें पता है i hate it जब कोई तुम्हारे पास आए .... तुम्हें छुए ..... तुम्हें देखे और तुमने किसी गैर मर्द को खुद को छूने दिया , उसने तुम्हें कंधे पर उठाया और तुमने उसको उठाने दिया फिर ............ punishment तो मिलनी चाहिए न तारा ।"

    तारा ने जब मेसेज पढ़ा तो उसकी पकड़ अपने फोन पर कस गयी । उसको बिल्कुल नहीं पसंद आ रहा था कि कोई उसके हर एक मोमेंट पर नजर गड़ाए बैठा हुआ है । वो क्या कर रही है , कहां जा रही है , हर चीज उस आदमी को पता थी और तारा उसको रोक नहीं पा रही थी । ये चीज उसको गुस्सा दिला रही थी । वो खुद को बचा नहीं पा रही थी ।

    अगर वो इंसान उसके सामने होता तो तारा ने अभी तक उसका दिमाग ठिकाने लगा दिया होता पर वो तो छुप कर बैठा है ।

    तारा : " punishment ? तुम होते कौन हो मुझे सजा देने वाले ? अगर हिम्मत है तो सामने आओ , ऐसे छुप छुप कर stalk करने से क्या होता है ? i dare you हिम्मत है तो सामने आओ फिर बताती हूं सजा देना किसको कहते है । "

    तारा को अच्छे से फील हो रहा था कि वो आदमी इस वक्त मुस्कुराते हुए अपने फोन को देख रहा था और तारा का मन कर रहा था कि उसकी उस मुस्कान को वो अपने हाथो से उसको मार मार कर खत्म कर दे ।

    stalker : " मै तुम्हारा आशिक हूं और रही बात बात सामने आने कि तो ............. मेरी तारा मुझे देखना चाहती है ? बहुत जल्द हम साथ में होंगे । "

    तारा गुस्से से फूल गयी थी पर वो उसका कुछ कर नहीं पा रही थी ।

    तारा : " कभी नहीं , तुम और मैं कभी हम नहीं हो सकते तो साथ मे रहने के सपने छोड़ दो । "

    तभी वहां कि सारी लाइट्स बंद हो गयी और तारा को किसी ने एक रुम मे धक्का दे दिया ।

  • 18. मुझे छुने के बहाने ढूंढने लगी हो - Chapter 18

    Words: 743

    Estimated Reading Time: 5 min

    किसी ने तारा को स्टोर रुम मे धक्का दे दिया था और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था । तारा स्टोर रुम के पास मे ही थी और वहां ज्यादा कोई आता जाता नहीं था । उस रुम मे बहुत सारी फाइलें रखी हुई थी और पूरा अंधेरा था क्योंकि लाइट्स तो पता नहीं कैसे बंद हो गयी थी और स्विच बोर्ड तो बाहर था तो वो लाइट आन भी नहीं कर सकती थी ।

    तारा को धक्का लगने के बाद वो सीधे उस रुम में जमीन पर गिर गयी । वो अपने हाथ झड़ाते हुए खड़ी हुई और दरवाजे को एक लात मार कर गुस्से से बोली _" मेरी तो किस्मत ही फूटी है , फोन भी बाहर गिरा कर आ गयी और ये डरपोक stalker इस डरपोक ने पनिशमेंट के नाम पे यहां बंद कर दिया , एक बार ये मेरे सामने आ जाए इसको छोड़ूंगी नहीं ...... पर अब यहां से कैसे निकलूं । "

    वो सोचते हुए इधर-उधर घूमने लगी । चिल्लाने से कोई फायदा नहीं था क्योंकि यहां पर कोई आता नहीं था । यहां पर शांति होती है इसलिए तारा थोड़ी देर के लिए यहां आई थी ।

    वो‌ उसी तरह इधर-उधर घूम रही थी कि बाहर उसको किसी के चलने कि आवाज आई । उसने दरवाजे पर अपना कान लगा कर देखा कि कहीं उसको वहम तो नहीं हो रहा पर बाहर सच मे किसी के कदमों कि आहट आ रही थी ।

    तारा जोर से चिल्ला कर बोली _" कोई है क्या ? "

    उसी वक्त बाहर जो आदमी खड़ा हुआ था, वो दरवाजे के पास जा कर बोला _" troublemaker , what the hell are you doing there ? "

    तो तारा चिढ़ते हुए बोली _" यहां बैठ कर‌ धूप सेक रही हूं , wanna join ? "

    स्वास्तिक कि भौं सिकोड़ते हुए बोला _" अंदर फंसी है पर जबान कंट्रोल नहीं होती इससे । "

    तो तारा फिर से बोली _" पागल आदमी बाहर निकालो मुझे यहां से । "

    स्वास्तिक के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ गयी । वो बोला _" और मै क्यों करूं ऐसा troublemaker ? "

    तारा ने जब उसकी बात सुनी तो उसको अपनी जेल वाली बात याद आ गई कि कैसे उसने स्वास्तिक से घूटने टिकवाकर उससे मदद कि भीख मंगवयी थी । अब तारा अपने आप को मन ही मन डांटने लगी‌ ।

    तारा उससे बोली _" क्या चाहते हो ? "

    तो स्वास्तिक आराम से बोला _" say please and beg । "

    तारा को उस पर गुस्सा तो आ रहा था पर उसके सिवा यहां कोई नहीं था और इस बात की कोई गारंटी भी नहीं थी कि कोई आने वाला है ।

    स्वास्तिक सार्थक को घर ले जाने आया‌ था क्योंकि आज सुबह ही सार्थक को डिस्चार्ज मिला था और फोन पर बात करते-करते वो यहां पर आ गया था और उसको तारा स्टोर रूम में बंद मिल गयी ।

    तारा गुस्से में दांत पीसते हुए बोली _" please help me स्वास्तिक , please , please । "

    स्वास्तिक वहीं दरवाजे पर टिक कर खड़ा हो गया और‌ मुस्कुराते हुए बोला _" थोड़ा और troublemaker , इतने मे कहां कुछ होगा मेरा । "

    तारा ने अपना हाथ जोर से दरवाजे पर मारा और चिल्ला कर बोली _" नहीं निकालना तो निकलो यहां से । "

    तो स्वास्तिक शांति से बोला _" नहीं मेरा मन नहीं है जाने का , अगर एक बार मुझसे अपने थप्पड़ कि माफी मांग लोगी तो शायद मै दरवाजा खोल दूं । "

    तो तारा एक गहरी सांस ली कर बोली _" ठीक है बोलती हूं । "

    स्वास्तिक बोला _" मै सुन रहा हूं । "

    तारा बड़ी मुश्किल से बोली_" I'm sorry । "

    तो स्वास्तिक फिर से उसको चिढ़ाते हुए बोला _" ओके बाय , मै चलता हूं । "

    तारा ने फिर से दरवाजे को मुक्का मारने के लिए हाथ उठाया ही था कि स्वास्तिक ने दरवाजा खोल दिया और उसका हाथ सीधे स्वास्तिक के सीने मे लगा और वो खुद थोड़ी लड़खड़ा गयी और उसके सीने से टकरा गयी ।

    स्वास्तिक का हाथ उसके कमर पर आ गया और वो दोनों अपनी-अपनी जगह फ्रीज हो गये । दोनों के दिल कि धड़कने शोर कर रहीं थी ।

    तारा का हाथ उसकी दिल वाली जगह पर था इसलिए उसकी धड़कन साफ महसूस कर सकती थी । थोड़ी देर बाद स्वास्तिक उसके कान के पास आया और धीमी आवाज मे बोला _" troublemaker तो मुझे छुने के बहाने ढूंढने लगी है । "

  • 19. you wanna kiss me- Chapter 19

    Words: 936

    Estimated Reading Time: 6 min

    तारा ने जब स्वास्तिक कि बात सुनी तो उसका तो मुंह ही बन गया वो स्वास्तिक को धक्का दे कर‌ बोली _" तुम्हें छूने से अच्छा मै अपने stalker को न छू लूं । "

    स्वास्तिक के कानों में तो अब एक ही बात गूंज रही थी । वो एकदम उसके करीब आ कर बोला _" stalker ? "

    तो तारा ने फिर उसको धक्का देने के हाथ उठाया था कि स्वास्तिक ने उसका हाथ पकड़ कर उसके पीठ से लगा दिया और उसके चेहरे के एकदम करीब आ कर सीरियस टोन में बोला _" don't you dare troublemaker , अगर अगली बार तुम्हारा हाथ मुझे धक्का देने के लिए उठा तो मै तुम्हे तुम्हारे ही hospital कि छत से धक्का दे दूंगा । "

    तो तारा अपना हाथ छुड़ाने कि कोशिश करते हुए बोली _" leave my hand , और मै तो धक्का दूंगी , चाहे छत से फेंकों कि कुतुब मीनार से , तुम्हारी धमकियों से तारा मलिक डरने वाली नहीं है समझे । "

    तभी स्वास्तिक ने उसके हाथ को हल्का सा मरोड़ा पर तारा ने अपने शक्ल पर अपना दर्द आने ही नहीं दिया । वो दोनों एक-दूसरे को घूर रहे थे जैसे मौका मिलने पर एक-दूसरे को मार डालेंगे । तारा पहली वो लड़की थी जो स्वास्तिक से इस तरह बिना किसी डर के बहस करती थी ।

    स्वास्तिक ने एकदम से उसका हाथ झटक दिया और फिर वहां से चला गया ।

    तारा अपना हाथ सहलाते हुए बोली _" मगरमच्छ कहीं का । "

    तारा अपना हाथ सहलाते हुए जाने लगी तभी रास्ते में उसको आश्रय मिल गया ।

    आश्रय मुस्कुराते हुए उससे बोला _" मै तुम्हारे लिए लंच लाया था , चलो मिल कर खाते है । "

    इतना कह कर उसने तारा का हाथ पकड़ लिया और दोनों कैंटिन कि तरफ जाने लगे । वहीं स्वास्तिक जो उन दोनों के हाथ को घूर रहा था । उसको आश्रय का तारा के पास जाना पसंद नहीं आ रहा था ।

    वो मन मे बोला _" ये सुअर कि शक्ल का नमूना जब देखो तब troublemaker से चिपकता क्यों रहता है ? बिल्कुल जोंक कि तरह । "

    वो दोनों कैंटिन में बैठे थे और तभी आश्रय ने तारा कि तरफ खाने का एक निवाला बढ़ाया पर तारा वो निवाला खा पाती कि किसी ने उसका चेहरा अपने हाथ से दूसरी तरफ कर दिया और खुद वो निवाला खा लिया ।

    तारा और आश्रय ने जब देखा कि वो कौन है तो वहां पर स्वास्तिक बैठा हुआ था जो आश्रय को घूर रहा था । तारा ने गुस्से में उसको देखा और चिढ़ते थे बोली _" तुम क्या अपना दिमाग कहीं दान कर के आ गये हो या किसी ने तुम्हारा दिमाग चोरी कर लिया है । "

    तो स्वास्तिक ने आश्रय को घूरते हुए ही तारा से कहा _" मेरा दिमाग कोई चोरी नहीं कर सकता । "

    तो तारा भी उसको चिढ़ाते हुए बोली _" हां बिल्कुल ठीक कहा तुमने मगरमच्छ क्योंकि अगर तुम्हारा दिमाग चुरा लिया तो फिर उसको कचरे के डब्बे मे फेंकना पड़ जाएगा न क्योंकि तुम्हारे दिमाग मे तो कचरा भरा पड़ा है । "

    तो स्वास्तिक आश्रय से बोला _" now you can f*ck off , दिखता नहीं दो प्यार करने वालो को तुम परेशान कर रहे हो । "

    जब आश्रय ने उसकी बात सुनी तो वो हैरानी से कभी उसको देखता तो कभी तारा को , जो खुद मुंह खोल कर स्वास्तिक को देख रही थी । वो उसका कालर पकड़ कर उसको अपने पास खींच कर बोली _" बिना दिमाग के पागल आदमी , मेरी बात कान खोल कर सुनो , अपनी ये जो बकवास है न ये अपनी मगरमच्छी को सुनाना । "

    स्वास्तिक ने confusion से उसको देखा और बोला _" मगरमच्छी ?? कौन मगरमच्छी ?? "

    तो तारा बोलीं _" your girlfriend , जो तुमसे माही के संगीत के दिन चिपक रही थी । "

    स्वास्तिक को‌ याद आया कैसे तमन्ना उस दिन उसके गले मे सांप कि तरह लटक गयी थी और शायद तारा ने उसको उसकी girlfriend समझ लिया था ।

    स्वास्तिक अपनी एक भौं उठा कर बोला _" तो तुम्हें जलन हो रहीं है troublemaker और ...... you wanna kiss me । "

    तारा जोर से बोली _" whatt ????? "

    तो स्वास्तिक उसके चेहरे के करीब जाते हुए बोला _" हां और नही तो क्या ? मै मेरी troublemaker को जानता हूं , जब वो गुस्से मे होती है तो उसको मुझे किस करने का मन करता है और तुम , तुम अब तक गये नहीं ?? you wanna see us kissing ? "

    आश्रय वो बिना कुछ कहे वहां से उठ कर चला गया । तारा ने उसका कालर छोड़ दिया और उठ कर जाने लगी तभी स्वास्तिक ने उसका हाथ पकड़ कर खींचा जिससे वो सीधे उसके गोद मे जा गिरी ।

    तारा ने दांत पीसते कि कहा _" तुम अपनी मगरमच्छी को इस तरह धोका दे रहे हो । "

    तो स्वास्तिक आई रोल कर के बोला _" she is not my girlfriend । "

    तो तारा उसको हाथ अपनी कमर से हटाने की कोशिश करते हुए बोली _" इस तरह से आई रोल किया तो आंखे नोच लूंगी तुम्हारी मै । "

    तो स्वास्तिक तिरछी मुस्कान के साथ बोला _" आंखो को छोड़ो तुम मेरी पीठ को नोच सकती हो troublemaker , you know na what i mean ? "

    तारा ने पीछे से उसके बालो को जोर से खींचा जिससे स्वास्तिक कि पकड़ तारा कि कमर पर ढीली हो गयी और स्वास्तिक कि एक चीख निकल गयी । कैंटिन मे बैठे सभी लोग उनको अजीब नजरों से देख रहे थे । तारा उठी और भाग गयी ।

    **********************************************

  • 20. जहन्नम कि सैर - Chapter 20

    Words: 1036

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात का वक्त ,

    तारा‌ hospital के काम से फ्री हो चुकी थी और घर जाने के लिए वो अपनी कार मे बैठ गयी और वहां से चली गयी । उसकी शक्ल देख कर लग रहा‌ था कि वो ढ़ग से सोई नहीं थी । उसके बिखरे हुए बाल , उसके आंखों मे नींद थी ओर डार्क सर्कल्स , पूरी body काम कर कर के थक चूकी थी ।

    तारा आराम से अपनी कार चला रही थी । वो सड़क अभी सुनसान थी । वहां पर तारा कि कार के अलावा और कोई कार नजर नहीं आ रही थी । कार कि खिड़की खुली हुई थी और ठंडी-ठंडी हवाए तारा के चेहरे को छू कर जा रही थी । उसके बालों का मेसी बन बना हुआ था पर सामने कि कुछ लटे उड़ रही थी ।

    सब कुछ ठीक चल रहा था पर तभी उसकी बगल मे एक कार आ कर आई और उसकी कार के साथ ही चलने लगी । तारा ने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया पर तभी उसकी दूसरी साइड भी एक बाइक आ गयी ।

    अब तिरा पूरी तरीके से अलर्ट मोड पर आ गयी थी । उसने कार कि खिड़कियों को बंद किया और अपनी कार कि स्पीड बढ़ा दी ।

    तारा मन मे बोली _" एक तो इतनी थक गयी हूं पर ........ अब इन लंगूरों को भी जहन्नम कि सैर तो करवानी ही पड़ेगी , कुछ ज्यादा ही जवानी छाई है । "

    उन दोनों बाइक पर सवार लोगों ने एक दूसरे को कुछ इशारा किया और अपनी बाइक कि स्पीड बढ़ा दी और तारा कि कार को रोकने के लिए सड़क के बीचों बीच जा कर रोक दी । तारा कि कार पहले से ही स्पीड मे थी जिससे उसने कार एक झटके के साथ रोकी ।

    तारा का सर फूटते फूटते रह गया । वो गुस्से में उन लोगों को देखने लगी । तभी उनमे से एक लड़के ने कहा _" कहां जा रही हो मैडम , तुम कहो तो हम भी चले क्या ? कंपनी मिल जाएगी । "

    इतना कह कर वो लोग हंसने लगे । वो तीन लोग थे जिनके इरादे कहीं से भी नेक नही लग रहे थे । तारा को तो उनको देख कर ही इतना गुस्सा आ रहा था कि , उसका मन कर रहा‌ था कि उनका सर फोड़ दे । उसको अपने ऊपर उनकी गंदी नजरें बर्दाश्त नहीं हो रही थी ।

    तारा ने गुस्से से उनको घूरते हुए अपने मन मे कहा _" आज इनको मैने hospital bed पर न पहूंचाया न तो मै भी तारा मलिक नहीं । "

    तारा डर कर भागने वालो मे से बिल्कुल नहीं थी । उसको बिल्कुल भी डर नहीं लगता था किसी को उसकी औकात दिखाने मे । उन लोगों ने इस बार अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली थी । उनको लग रहा था कि एक लड़की ही तो है क्या कर लेगी पर उनको क्या पता तारा उनको जहन्नम कि सैर करवाने वाली थी । जिसको वो लोग अबला नारी समझ रहे थे जिसका कोई भी तबला बजा कर जा सकता है , वो तो उनकी ही बैंड बाजा बारात निकालने वाली थी ।

    तारा ने एक नजर उनको देखा फिर अपने बैकसीट पर रखे हाकी स्टिक को । उसको देखते ही उसके फेस पर एक तिरछी मुस्कान आ गयी ।

    वो बोली _" अब इनको इनका पूरा खानदान याद आने वाला‌ है । "

    उसने वो हाकी स्टिक उठाई और अपनी कार का दरवाजा खोल कर वो बाहर आ गयी । वहीं उसको बाहर आता देख उन लड़कों कि हंसी थोड़ी कम हो गयी क्योंकि ऐसे मे कोई लड़की बाहर आने से डरती थी । उनकी नजर तारा के हाथ मे पकड़े हाकी स्टिक पर गयी और अब उनको लग रहा था कि क्या ही करेगी वो , एक लड़की और तीन लड़के ।

    वो उसकी तरफ आ रहे थे तभी उनमे से एक ने तारा को पकड़ने के लिए अपना हाथ आगे बढाया ही था कि तारा ने उसका हाथ पकड़ लिए जोर से मोड़ दिया और उसकी पीठ से लगा दिया , जिससे उस लड़के की जोर दार चीख निकल गई । तारा ने उसको जोर का धक्का दिया और वो मुंह के बल गिर‌ गया ।

    दूसरे लड़के ने तारा को मारना चाहा तो तारा ने अपने घूटने से उसके मेन‌ पार्ट पर किक किया । वो लड़का चिल्लाते हुए वहीं बैठ गया ।

    जो तीसरा लड़का था , वो थोड़ा सा डरपोक था । उसको तो तारा को देख कर ही डर लग रहा था और वो हल्का हल्का सा कांप भी रहा था ।

    वो तीसरा लड़का भागने ही वाला था कि तारा ने पीछे से उसको धक्का दिया जिससे वो चिल्लाते हुए गिर गया । अब तक उनको पता चल चुका था कि तारा को वो डरा नहीं सकते इसलिए अब वो सब भागने कि कोशिश करने लगे पर तारा ने उन लोगों को स्टिक से इतना मारा , इतना मारा कि बेचारे अब चल भी नहीं पा रहे थे ।

    उनमे से एक लड़का गिड़गिड़ाते हुए बोला _"प्लीज हमें छोड़ दो , जाने दो , आज के बाद कभी किसी लड़की को नहीं छेड़ेंगे । "

    तो तारा उसको पैर से मार कल बोली _" वो तो मै वैसे भी नहीं करने दूंगी क्योंकि तुम लोग जेल जाने वाले हो पता है ..... वहां तुम लोगो को मुझसे भी ज्यादा मारने वाले है । "

    तारा ने कार से उतरने के पहले ही आश्रय को मेसेज कर दिया था और वो पुलिस के साथ आ रहा था ।

    थोड़ी देर बाद आश्रय पुलिस के साथ आ गया था और तारा को चारों तरफ घूम घूम कर देखने लगा कि कहीं उसको लगी तो नहीं है ।

    उन तीनों को पुलिस अपने साथ ले गयी । आश्रय कि शक्ल पर फिक्र साफ दिख रही थी । वो तारा के कंधों को पकड़ कर बोला _" तुम ठीक हो न , कहीं लगी तो नहीं ? "

    तो तारा उबते हुए बोली _" अरे जोजो तुम भी न , तुम्हें सच मे लगता है कि कोई मुझे कुछ कर सकता है ? "

    तो आश्रय ह़स कर बोला _" पता है मुझे फिर भी । "

    तभी वहां पर एक कार आ कर रुकती है ।

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    Thanks for reading .