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Shivaya ,,the crown of shadows The revenge of a daughter

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हम सब ने वो वाली प्रेम कहानी तो कभी ना कभी तो सुनी ही होगी ना ""सिंड्रेला वाली"" एक राजकुमार और एक आम सी लड़की राजकुमार को उस आम सी लड़की से प्यार हो जाता है और प्यार की परीक्षा पार करके वह दोनों एक हो जाते हैं राजकुमार आम सी लड़की से शादी कर लेता है...

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Shivaya the princess of emotionless ,, she is the most powerful girl who wanted to revenge for her mother ,,after her mother is passed away she's know about her mother's past and she wanted the punished all criminals who ruined her mother's

Heroine

Total Chapters (2)

Page 1 of 1

  • 1. Shivaya ,,the crown of shadows <br>The revenge of a daughter - Chapter 1

    Words: 2149

    Estimated Reading Time: 13 min

    आर्य गढ़ ! आज भी ये रियासत राजपरिवारों के प्रभाव में था आर्य गढ़ के चार मुख्य राज परिवारों में से एक राजपरिवार ठाकुर राजपरिवार में मुंशी थे उसके पिता जिनका नाम जीवनदास राजपूत जीवनदास ने अपनी जिंदगी में दो शादियां की थीं । नित्या के जन्म के बाद ही उसकी मां चल बसी और दुधमुंही बच्ची को संभालने के लिए लोगों की सलाहनुसार जीवनदास ने बीना से शादी कर ली ।

    हां ये बात अलग थी बीना ने कभी उस दुधमुंही बच्ची को कभी नहीं संभाला । बीना की जल्द ही अपनी भी दो संतानें हो गईं, मोहन और पायल ।
    नित्या अपनी कम उम्र में ही काफी समझदार हो गई थी । पढ़ने में भी और घर के कामों में भी वह दोनों में ही बहुत माहिर थी इसलिए ठाकुर परिवार के मुखिया विश्वदीप सिंह ठाकुर उसे बहुत स्नेह करते थे ।
    विश्वदीप सिंह ठाकुर के दो बेटे थे । उनके परिवार में पिछली सात पीढ़ियों में कोई बेटी नहीं थी । इसलिए वह अपने दोनों बेटों शिवराज और शास्वत से ज्यादा नियति को मानते थे ।
    इसी चीज ने बचपन में शिवराज और नित्या को बहुत लड़ाया था लेकिन यह लड़ाई दोस्ती और दोस्ती से कब प्यार में बदल गई उन्हे खुद पता नहीं चला । 
    शिव(शिवराज) को पहले प्यार हुआ नित्या से और प्यार ही नहीं ये एक जुनूनी प्यार था । नित्या की तरफ कोई आंख उठा कर भी देखता ये उसे बर्दाश्त नहीं था । शिव की शादी एक और राजपरिवार प्रताप राजपरिवार की राजकुमारी पत्रलेखा सिंह राजवंश से तय हो चुका था लेकिन ,शिव ने सबके सामने ऐलान कर दिया था कि वह नित्या से प्यार करता है । और उसी से शादी करेगा ।
    नित्या भी शिव से प्यार करती थी लेकिन उसे अपने प्यार का प्रदर्शन शिव की तरह करना पसंद नहीं था । वो कभी अपनी सीमा पार नहीं करती थी और ना ही आगे भविष्य में करना चाहती थी । उसे शादी से पहले अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी ।
    यह बात शिव भी जानता था इसलिए वह हमेशा नित्या और उसके हर फैसले की इज्जत करता था । उसने कभी भी नित्या पर कोई दवाब नहीं डाला कि वह उसकी तरह खुलकर जाहिर करे ।
    शिव एक बहुत अच्छा दोस्त, और हमसफर था लेकिन वह कहते हैं ना हर इंसान में कोई ना कोई कमी होती है तो जाहिर सी बात है शिव में भी थी एक कमी वह कमी थी उसका गुस्सा उसका अपने गुस्से पर कोई काबू नहीं था । गुस्से में मानो वो पागल हो उठता था और फिर उसका खुद पर काबू पाना मुश्किल हो जाता था ।
    शिवराज एक राजकुमार था लेकिन अपने गुस्से के कारण वह हर दूसरे दिन मारपीट में उलझ जाता था । ऐसे में नित्या उसे शांत करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती थी । कई बार तो हालात ऐसे हो जाते थे कि शिव गुस्से में सांस तक नहीं ले पाता था । नित्या इसलिए उसके गुस्से से बहुत ज्यादा घबराती थीं भगवान ही मलिक था फिर उसका इसलिए अभी हमेशा नित्या को अपने पास रखना चाहता था क्योंकि उसके गुस्से की एकमात्र दवाई वही थी । 
    महल में जीवनदास और विश्वदीप के अलावा इस रिश्ते को लेकर कोई खुश नहीं था । शिवराज की मां बैजयंती सिंह ठाकुर को नित्या बिल्कुल भी पसंद नहीं थी । उन्हे राजसी खून चाहिए था और वह कब का पत्रलेखा को अपनी बहू मान बैठी थी । उन्हें लगता था कि नित्या ने राजपाठ के लिए उनके बेटे को फंसाया था ।
    वह कभी नहीं चाहती थी की उनका सबसे बड़ा बेटा एक आम सी लड़की से शादी करके अपने समाज में उनकी नाक कटा दे लेकिन उनके पति और बेटे पर उनकी बिल्कुल भी नहीं चलती थी ।
    वहीं बीना को लगता था की ऐसे कैसे नित्या को सब मिल जाएगा । अगर उनकी दुर्गा के भाग्य में राजपाठ नहीं है तो नित्या के भाग्य में भी नहीं होना चाहिए था । 
    लेकिन नित्या और शिव को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था । नित्या और शिव को बस ये इंतजार था की कब नित्या की पढ़ाई पूरी हो और वह दोनों शादी के बंधन में बंध सके लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था ।
    धीरे धीरे नित्या के खिलाफ अफवाह फैलनी शुरू हो गई थी और नित्या के सबसे अच्छे दोस्त आकाश को उसका प्रेमी बना दिया गया । नियति पर तरह-तरह के लांछन लगने लगे और ऐसे ऐसे सबूत शिवराज के सामने रख दिए की वो चाहकर भी उन सबूतों को नकार नहीं सकता था ।
    नित्या के बार-बार सफाई पेश करने के बावजूद बार-बार खुद को निर्दोष साबित करने के बावजूद शिव का उस पर से विश्वास उठने लगा और वो दिन भी आया जब शिव ने इन सब बातों पर पूरी तरह से विश्वास कर लिया ।
    शिव ने नित्या को अपनी जिंदगी से निकाल फेंका और यहीं बैजयंती सिंह ठाकुर को मौका मिल गया । उन्होंने प्रताप परिवार के साथ मिलकर आनन फानन में शिवराज और पत्रलेखा की शादी करवा दी । 
    नित्या इस शादी के बाद टूट गई । शिवराज ने एक बार भी उसके बारे में नहीं सोचा और अब उसकी शादी के बाद नित्या खुद पत्रलेखा के साथ अन्याय नहीं करना चाहती थी । 
    नित्या रातों को जागती रहती थी । उसका प्यार उससे दूर हो सकता था यह उसने कभी नहीं सोचा था सबसे बड़ी बात की उसके आसपास के सभी लोग उसे चरित्रहीन समझते थे ।
    ऐसा कोई दिन नहीं था जब बिना उसे ताने नहीं देती थी । ऐसे में एक सिर्फ उसका छोटा भाई मोहन ही था जो इसका सहारा बना हुआ था ।
    शिवराज की शादी के बाद नित्या कभी राजमहल नहीं गई । शिवराज ने भी अपनी शादी के बाद उसे नहीं देखा । हालांकि शिवराज ने अपनी पत्नी पत्रलेखा को वादा किया था की वो उसे पत्नी होने के पूरे अधिकार देगा उसने वो वादा निभाया भी था । उनके बीच नित्य कभी नहीं आई और ना शिवराज ने उसे आने दिया था ।
    की शादी के ठीक एक साल बाद पूरे राजमहल में खुशियों की लहर दौड़ गई जब सबको पता चला की पत्रलेखा मां बनने वाली है । 
    शिवराज बहुत खुश था और उसकी मां बैजयंती सिंह ठाकुर ने मन्नतें मांगने शुरू कर दी थी कि अब तो एक बेटी इस राजमहल में आनी ही चाहिए । 
    नित्या को भी यह खबर मिली । वो शिवराज और पत्रलेखा के लिए खुश थी लेकिन यह भी तय हो चुका था  अब उसके लिए यहां पर कुछ भी नहीं था । उसकी पढ़ाई की खत्म होने को पांच महीने बाकी थे इसके बाद वह हमेशा हमेशा के लिए आर्य गढ़ छोड़कर जाने वाली थी । पर सब इतनी आसानी से हो जाता तो बात ही क्या थी । अब जिंदगी और भगवान मिलकर नित्या की और परीक्षा लेने वाले    थे । 
    शिवराज के चाचा अमरदीप सिंह ठाकुर के इकलौते बेटे सिद्धांत सिंह ठाकुर की शादी हो रही थी । उसकी शादी शिवराज के एक बहुत अच्छे दोस्त राठौड़ राजपरिवार के राजा सूर्यभान सिंह राठौड़ की साली साहिबा श्वेता से हो रही थी ।
    राजा सूर्यभान सिंह राठौड़ सबसे उम्र में काफी बड़े थे लेकिन शिवराज को बहुत मानते थे ।
    यह तय किया गया की शिवराज का राज्याभिषेक पत्रलेखा की गोद भराई और सिद्धांत और श्वेता की शादी सब एक साथ ही मिलकर होगा ।
    राजमहल में इसकी तैयारियां चल रही थी और श्वेता की जिद थी की उसकी सबसे अच्छी दो सहेलियां इसमें शामिल हों ।
    उसकी एक सहेली राजा सूर्यभान सिंह की बहन अंबिका सिंह राठौड़ थी और दूसरी नित्या थी शिवराज और पत्रलेखा की शादी के बाद अंबिका तो नित्या से कटी कटी रहने लगी थी लेकिन श्वेता ने उसका साथ नहीं छोड़ा था इसलिए उसने नित्या को शादी में आने के लिए मना लिया था । नित्या शादी में शामिल हुई लेकिन पत्रलेखा और श्वेता के अलावा किसी ने उसका स्वागत नहीं किया । पत्रलेखा का स्वागत काफी अच्छा था उसने नित्या को कभी नीचा नहीं दिखाया । 
    वह उस वक्त दो महीने की गर्भवती थी । प्रेगनेंसी की चमक उसके फेस पर साफ दिखाई दे रही थी ।
    शिवराज ने भी नित्या को काफी टाइम बाद देखा था । नित्या काफी कमजोर हो गई थी उसके चेहरे की चमक और मुस्कान दोनो गायब थी लेकिन शिवराज ने उससे मुंह मोड़ लिया । शादी के दिनों के बीच ही नित्या को एक लेटर मिला की राजधानी में उसकी नौकरी मंजूर हो गई थी । उसने सोहम के अलावा किसी को नहीं बताया । वह शादी के बाद बिना किसी को बताए हमेशा के लिए आर्यगढ़ छोड़कर चली जाना चाहती थी ।
    पर शादी से ठीक पहले संगीत वाली रात कुछ ऐसा हुआ कि नित्या की पूरी जिंदगी बिखर गई ।
    उस रात नित्या को खाना खाने के बाद कुछ अजीब सा महसूस हुआ उसने नंदिनी से कहा नंदिनी उसे कमरे में छोड़कर दवाई लेने के लिए बाहर चली गई ।
    नित्या को उसके बाद कुछ याद नहीं था उस रात आखिर हुआ क्या था ।
    सुबह के करीब 6:00 बजे अवंतिका अपने पति को ढूंढते हुए उसने अपने कमरे का दरवाजा खोला तो उसे अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा झटका लगा ।
    सामने शिवराज और नित्या एक दूसरे की बाहों में खुद को समाएं हुए सो रहे थे और जिस तरह की दोनों की हालत थी कोई भी बता सकता था कि उन दोनों के बीच रात को क्या हुआ होगा।
    अवंतिका की भाभी ने भी यह नजारा देख लिया और पूरे राजमहल में हल्ला मचा दिया ।
    सुबह-सुबह हि नित्या पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए गए । नित्या की सौतेली मां बीना ने उसको सबके सामने बहुत मारा । जीवनदास जी भी चुपचाप खड़े रहे । 
    शिवराज को कुछ याद नहीं था सिवाय इसके की उन्हे एक जूस पीने को मिला था और उसके बाद क्या हुआ उन्हे कुछ नहीं पता था ।
    बैजयंती ठाकुर और पत्रलेखा की भाभी सुरेखा का कहना था कि नित्या ऐसे शिवराज को पा नहीं सकी इसलिए उसने यह घटिया और गिरा हुआ तरीका अपनाया । 
    पत्रलेखा के भाई इंद्रजीत सिंह राजवंश ने जब सफाई देती नित्या को तमाचा मारा और नित्या का सर टेबल से टकरा गया तो शिवराज की मुठियां एक पल के लिए भींची थी लेकिन फिर खुल गई ।
    यहां यह सब चल ही रहा था की राठौड़ खानदान से खबर आई की श्वेता की हत्या हो चुकी है । सब सकते में आ गए शादी का माहौल पूरा मौत के मातम में बदल गया । 
    श्वेता की लाश महल के पीछे वाले हिस्से में काफी अस्त व्यस्त हालत में पड़ी थी । उसे किसी ने चाकू मारा था लेकिन सबको बहुत बड़ा झटका तब लगा जब वहां सोहम की चेन मिली ।
    इसके बाद मोहन के कमरे की तलाशी ली गई जहां एक खत मिला जिसे मोहन ने अपनी बड़ी बहन नित्या के लिए लिखा था । उसमें लिखा था की उसने और नित्या ने मिलकर राजपरिवार से अपना बदला ले लिया । जो बदनामी उसकी बहन को सहनी पड़ी वही अब राजपरिवार झेलेगा बल्कि उससे ज्यादा झेलेगा ।
    पूरा आर्यगढ़ सदमे में चला गया । बीना और जीवनदास ने नित्या से सभी रिश्ते तोड़ लिए और सारा ठीकरा नित्या के मत्थे मड़ दिया ।
    इतना सब काफी नहीं था की अपनी बहन की मौत की खबर सुन श्वेता की बड़ी बहन और राजा सूर्यभान सिंह की पत्नी नंदिनी सिंह राठौड़ का बीपी हाई हो गया और उन्हें हार्ट अटैक आ गया । अस्पताल ले जाते वक्त उनकी मौत हो गई और अपने पीछे वह दो बेटों को छोड़ गई जिसमें से छोटा बेटा अभी सिर्फ 1 साल का हुआ था । 
    राजा सूर्यभान सिंह राठौड़ पागल हो चुके थे । वह नित्या को अपने हाथों से मार डालना चाहते थे लेकिन किसी तरह उन्हें विश्वदीप सिंह ठाकुर ने संभाल लिया ।
    ठाकु रपरिवार, राजवंश परिवार, राठौड़ परिवार तीनों ने अपने आदमी मोहन के खोजबीन में लगा दिए । जिंदा या मुर्दा उनको मोहन किसी भी हालत में चाहिए था ।
    नित्या को राजमहल में ही कैद कर लिया था मारपीट के बाद उसे 2 दिन से भूखा रखा गया था । वह वहां उस काले कमरे में पड़े पड़े अपनी मौत का इंतजार कर रही थी ।
    उस वक्त उसका साथ उस इंसान ने दिया जिसके बारे में उसने कभी नहीं सोचा था उसकी छोटी सौतेली बहन पायल ।
    पायल हमेशा उससे लड़ती झगड़ती रहती थी । जब तब उसे उल्टे जवाब देती थी लेकिन उस रात वो नित्या को वहां से निकालने आई थी ।

    agr story pasand aa rhi he toh plss support kare🥺🙏🙏 is novel ko and rating 🌟🌟🌟bhi de and comments krna mt bholiyega 🫣😊😊💗💗,,age ki episodes jald hi ane wala he 👍👍💗💗 ,toh age bhi bane rahiye humare sath 🙏🥺🎀🎀🦋🦋 yeh novel dusre kush platform me bhi available he jaha humari team milkr likh rhe he app baha bhi visit kr sakte he ,,agr un platform ke bareme janna he to pls comments me bata dijiyega plss and age ki episodes keliye follow krna mt bholiyega 🎀🦋🦋

  • 2. Shivaya ,, - Chapter 2

    Words: 1496

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब तक आपने पढ़ा.......
    नित्या की सौतेली बहन पायल नित्या को बचाने के लिए आती है और साथ में वो नित्या और अपना सारा सामान, सारे दस्तावेज और कुछ पैसे उठा लाई थी ।

    उसने नित्या के हाथों और पैरों से बंधे रस्सियों को खोलते हुए: बड़े राजा साहब और शिवराज और कोई भी आदमी इस महल में नहीं हैं सब मोहन भाई सा को ढूंढने गए हैं जिनके बारे में अफवाह फैली है कि वह जाकर डाकुओं से मिल गए हैं इसलिए सारी  औरतें मौके का फायदा उठाकर तुम्हें जहर देने की बातें कर रही हैं । अगर मरना नहीं चाहती तो चलो यहां से ।
    नित्या ने उसकी तरफ देखा और फिर बीमार सी आवाज में बोली: क्यों कर रही हो ऐसा ? मेरे लिए खुद को खतरे में मत डालो पायल ।

    पायल उसकी तरफ देखते हुए बोली: मुझे अपने बड़े भाई बहन पर पूरा भरोसा है वो ऐसी नीच हरकत कभी नहीं कर सकते बाकी मैं खतरे में नहीं डाल रही हूं खुद को हमारे मां पिताजी को अक्ल नहीं है लेकिन अब इस आर्यगढ़ में हमारे लिए कुछ नहीं बचा है मैं तुम्हें और खुद को बचा रही हूं ।

    अब उठो इससे पहले की यहां कोई आ जाए । 
    नित्या पायल और और शिवराज के छोटे भाई शाश्वत के रिश्ते के बारे में जानती थी उसने बहुत धीमे से कहां: और शाश्वत ? 
    पायल ने ठंडी आवाज में कहा: तुमने भी एक राजकुमार से प्यार किया था ना तुम्हारे साथ क्या हुआ ? तो तुम क्या चाहती हो मेरे साथ भी वही हो ? वैसे भी शाश्वत भी मानकर बैठा है मेरा भाई कातिल और बहन वैश्य है ।
    नित्या चुप हो गई । पायल ने भी बिना कुछ कहे उसे आजाद करवाया और फिर अपना सालों में महलों में आने जाने का फायदा उठाते हुए नित्या को सफाई से महल से बाहर ले गई । लेकिन महल का अभिशाप कहां उनका पीछा छोड़ने वाला था । दोनों लड़कियों के भागते ही तीनों राजपरिवारों ने लड़कियों के पीछे अपने आदमी भेज दिए । वह आदमी भी उन भागती हुई बहनों के पीछे पड़ गए ।

    आर्यगढ़ से वह दोनों बहने काफी दूर निकल आई थी जब एक ट्रेन में उन आदमियों ने उन्हें ढूंढ निकाला ट्रेन में ही उन आदमियों ने पहले पायल को नित्या से अलग कर दिया और एक आदमी ने नित्या के तरफ बढ़ते हुए कहा: तुम्हें क्या लगा ? युवराज शिवराज सिंह ठाकुर तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ देंगे ? तुमने उनके परिवार उनकी पत्नी को ठेस पहुंचाई है उनका आदेश है कि तुम्हे आर्यगढ़ वापस लाया जाए एक लाश के रूप में । 
    यह सुनकर नित्या आंखें हैरानी से बड़ी हो गई । उसे शिवराज के गुस्से का पता था लेकिन शिवराज का गुस्सा इतना भयानक और क्रूर हो सकता था उसे यह नहीं पता था ।
    उस आदमी ने अपना खंजर निकाल कर नित्या पर हमला किया ही था कि पीछे से छह-सात तीस के उम्र के आदमियों ने आकर उन राजसी गार्ड्स के ऊपर हमला कर दिया । उन छह-सात आदमियों ने उन राजसी गार्ड्स को मारकर भगा दिया और नित्या और पायल को उनसे बचा लिया । जा दोनों बहनों को पता चला वह पुराने रह चुके गुंडे हैं को कभी एक गैंग का हिस्सा हुआ करते थे ।
    अभी वह सजा काटकर आ रहे हैं जेल से  सीधा मुंबई जा रहे हैं ।
    उन में से जो उनका सरदार था जिसको सब दादा या फिर अन्ना बुलाते थे । वैसे उसका नाम कबीरा था लेकिन सबके लिए वो दादा या अन्ना था । बाकी के छह उसके साथी थे । 

    उन सातों ने बैठकर नित्या और पायल की समस्या पूछी तो नित्या ने तो नहीं लेकिन पायल ने ऊपरी तौर पर सब कुछ उन्हें बता दिया ।  
    अन्ना ने कहा: तुम दोनों चाहो तो हमारे साथ चल सकती हो ।
    हमारे यहां एक मोहल्ला है जहां तुम्हें सुरक्षा भी मिलेगी और परिवार भी बाकी तुम लोगों की मर्जी अगर तुम चाहो तो जहां जाना चाहो वहां हम तुम्हे पहुंचा देंगे । 
    पायल और नित्या ने एक दूसरे की तरफ देखा । अपनों के धोखे के बाद अजनबियों पर भरोसा करना बहुत मुश्किल था लेकिन फिर भी............:_
    दोनों बहनें अन्ना के साथ मुंबई पहुंच गई ।
    मुंबई में अन्ना और उसके साथी एक चॉल में रहते थे जहां और भी औरतें थी  जिनमें से कइयों को उनके पतियों ने छोड़ा था कई विधवा थी कोई रेप का शिकार ।
    अन्ना और यह सारा चॉल मिलकर एक गैरेज, एक टिफिन सर्विस और एक ढाबा चलाता था । कुल मिलाकर पच्चीस लोग इस चॉल में रहते थे । 
    नित्या उनकी कैशियर बन गई और अन्ना की मदद से पायल की आगे की पढ़ाई शुरू करवा दी ।

    नित्या सब कुछ भूल जाना चाहती थी । आर्यगढ को उसके साथ हुई चीजों को और सबसे बड़ी बात........

    शिवराज सिंह ठाकुर को लेकिन दो महीने बाद ही उसे पता चला की शिवराज की निशानी वह साथ लेकर आई है । उस रात का परिणाम उसकी कोख में पल रहा था । 
    पहले तो नित्या ने सोचा कि बच्चे को गिरा दे लेकिन फिर उसकी हिम्मत जवाब दे गई । इन सब में इस बच्चे की क्या गलती ? उसे क्या पता राजपरिवारों की साजिशों का ।
    पूरी चॉल और पायल ने उसके इस फैसले की बहुत इज्जत की और पूरे मोहल्ले के लोगों ने नित्या की प्रेगनेंसी में उसका पूरा साथ दिया और उसका पूरा ध्यान भी रखा ।

    अन्ना ने उसे अपनी बहन बना लिया था अब नित्या के कहे शब्द उस मोहल्ले के लिए पत्थर की लकीर थी । उसके बिना कोई भी जरूरी फैसला नहीं होता था । नित्या के आठवें महीने में ही उसे लेबर पेन शुरू हो गया था उसके बच्ची का जन्म आठवें महीने में ही हो गया था ।
    नित्या को जब बच्ची की रोने की आवाज आई तो वो सारे दर्द भूल कर शिवराज ने जो उसे दिया था । उसने अपनी बच्ची को खुद पालने का फैसला किया । 

    बच्ची उस मोहल्ले में पलने लगी । नित्या कभी नहीं चाहती थी की उसकी बच्ची की हालत भी उसकी तरह हो वो हमेशा अपनी बेटी को इन अमीर परिवारों से दूर रहने के लिए कहती थी । उसने अपनी बेटी को हमेशा यही सीख दी:::""डू नॉट लव अ प्रिंस" !नेवर एवर""! 
    नित्या ने एक कड़ा फैसला कर लिया था कि वह कभी आर्यगढ़ लौट कर नहीं जाएगी ना ही कभी अपनी बेटी को वहां कभी भेजेगी फिर भी कहीं ना कहीं उसके मन में अधूरी चाहत दबी पड़ी थी इसलिए उसने अपनी बेटी को वही नाम दिया जो उसने और शिवराज सिंह ठाकुर ने अपनी संतान के लिए सोचा था 
                   """""शिवाया""""" 
    बीस साल बाद आर्यगढ़ में, 
    आज शिवाया ब्लैक हुडी और ब्लैक जींस के साथ व्हाइट शूज पहने सर पर ब्लैक कैप लगाए और अपने हाथों में एक बड़ा सा ट्रॉली बैग लिए अपने सामने बड़े से सफेद महल को देख रही थी उस महल के ऊपर बड़े-बड़े शब्दों में ""ठाकुर निवास""  लिखा हुआ था । उस महल के बाहर एक बड़ा सा महल था और वह महल आज भी अपनी पूरी शानोशौकत के साथ खड़ा था ।
    शिवाया का चेहरा देखकर महल के सभी पुराने नौकर हैरान हो गए थे । शिवाया ने अपनी जेब से एक चिट्ठी निकाली और दाता हुकुम यानी विश्वदीप सिंह ठाकुर के पास एक गार्ड के हाथों भिजवा दिया ।
    ठीक पांच मिनट बाद गार्ड ने तुरंत आकर उस बड़े से  गेट को खोल दिया और शिवाया से कहा: आपको बड़े राजा साहब ने अंदर बुलाया है ।

    शिवाया ने अपना सर झुका लिया और उसने अपनी जींस के जेब में अपना बायां हाथ डाल दिया और फिर आगे बढ़ गई उसकी आंखें बिल्कुल खाली थी ।
    जो भी शिवाया को देखता वह हैरानी से उसकी तरफ देखता ही रह जाता । 

    शिवाया मुख्य दरवाजे पर पहुंचकर जरा सी ठिठकी और फिर दरवाजा धकेल कर सीधा अंदर चली गई ।
    अंदर शायद कोई जश्न चल रहा था तीनों राजपरिवार यानी ठाकुर राजपरिवार, राजवंश राजपरिवार, राठौड़ राजपरिवार वहीं मौजूद था ।
    उन सबकी नजरें शिवाया की तरफ घूमी और सब के सब सुन्न पड़ गए । बैजयंती ठाकुर के हाथों में पकड़ा हुआ जूस का ग्लास नीचे जा गिरा और एक जोरदार आवाज आई ।

    शिवाया ने अपनी कैप उतार दी और सूनी आंखों से सब की तरफ देखा । पत्रलेखा ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया और वहीं दाता हुकुम मुस्कुरा दिए ।

    इसी बीच दूसरी तरफ बनी सीढ़ीयों से शिवराज नीचे उतर कर आए । शिवाया उनकी तरफ पलटी तो उनकी भी आंखें फैल गईं । और उन्हें देखकर शिवाया को समझ आया की सब उसे देखकर हैरान क्यों हो रहे हैं । 

    शिवराज अपने सामने खड़ी शिवाया को ऐसे देख रहे थे मानो उनका ही अक्स उनके सामने खड़ा है जो कभी बीस साल का था । शिवाया हूबहू उन्हीं की तरह लगती थी । शिवाया की आंखें भी शिवराज को देखकर सिकुड़ गई थी तो यह उसका पिता था "राजा शिवराज " 

    that's for today,,........milte he agle chapter me 🤭🎀🎀🎀🎀🎀pls ,,rating or comment kr dena dear reader's 🥺❤️🎀🎀plssssss🤞🤞🙏🦋💘🎀🎀🎀🎀