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Contracted hearts

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Aarya Rai

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Contracted Hearts Some hearts are never meant to be free... until they're bound by a contract. जब इनाया देशमुख, एक साधारण मगर जिद्दी मिज़ाज की लड़की, एक अमीर अजनबी से टकराती है, उसे क्या पता था कि ये टकराव उसकी प...

Total Chapters (39)

Page 1 of 2

  • 1. Contracted hearts - Chapter 1 Mistaken indentity

    Words: 1636

    Estimated Reading Time: 10 min

    मुंबई का फेमस 7 स्टार Hotel Moonlight आज पूरी तरह से शांत था, खासतौर पर उसका VIP लॉन्ज सेक्शन, जो आम लोगों की पहुंच से कोसों दूर था। इस जगह पर सिर्फ वही लोग कदम रख सकते थे, जिनका नाम, रसूख और पैसा खुद बोलता था। यहाँ आमतौर पर हाई-प्रोफाइल बिजनेस डील्स, सीक्रेट मीटिंग्स या एक्सक्लूसिव प्राइवेट पार्टियाँ होती थीं।

    लेकिन आज... ये जगह एक खास डील के लिए पूरी तरह से बुक थी। ये डील इतनी इंपोर्टेंट थी कि किसी तीसरे की परछाई तक मंज़ूर नहीं थी, ताकि कोई disturbance ना हो।

    उस VIP लॉन्ज में इस वक़्त सिर्फ एक शख़्स मौजूद था।

    ब्लैक थ्री-पीस सूट में सजा, बालों को परफेक्शन से जेल कर सेट किया गया।

    गहरी भूरी आँखों पर महंगे ब्लैक शेड्स, कलाई पर ब्रैंडेड वॉच, जो दूर से अपनी कीमत बयाँ कर रही थी। बूट्स ऐसे चमक रहे थे, मानो अभी ही इंटरनेशनल शो-रूम से सीधे निकले हों।

    छह फीट की हाइट, दूध-सा साफ रंग, और उस पर चारकोल-ब्लैक कपड़ों का तीखा कॉन्ट्रास्ट , मानो क्लास, पॉवर और कातिलाना लुक की चलती-फिरती मिसाल हो।

    उसकी फिजिक , एकदम सिनेमैटिक परफेक्शन। चौड़ा सीना, मस्क्युलर बॉडी, 8-पैक एब्स, और चेहरे पर ऐसा तेज़, जो किसी को भी अपनी ओर खींच ले।

    ये था कायरव रायचंद , Raychand Group of Industries का सीईओ।

    18 की उम्र में बिज़नेस की दुनिया में कदम रखने वाले कायरव ने सिर्फ 7 साल में अपनी कंपनी को देश की टॉप इंडस्ट्रीज़ में शामिल कर दिया था। पिछले पाँच सालों से वो बेस्ट यंग टैलेंट, बिज़नेसमैन ऑफ द ईयर जैसे कई अवार्ड अपने नाम करता आ रहा था। आज, देशभर में उनके लग्ज़री होटल्स, क्लब्स, रिज़ॉर्ट, लॉन्ज, लग्ज़री विला और मॉल्स की चेन है, और अगला कदम , Global Expansion।

    लड़कियों के बीच वो एक क्रश नहीं, क्रेज था। India’s Most Handsome Eligible Bachelor था वो, जो अपने लुक्स, पर्सनैलिटी और कातिलाना अंदाज़ से लड़कियों के दिल पर राज करता था।

    लेकिन उसकी प्राइवेट लाइफ एक मिस्ट्री थी। न कोई गॉसिप, न कोई स्कैंडल। अवॉर्ड्स लेने भी वो खुद नहीं जाता , उसकी जगह उसके असिस्टेंट और बचपन का दोस्त नितिन जाता है।

    कायरव एक बंद किताब था, जिसे पढ़ने की इजाज़त किसी को नहीं थी।

    फिलहाल कायरव, जो जल्दी से किसी बिज़नेस डील के लिए खुद नहीं जाता, वो आज यहाँ अपनी लाइफ की सबसे इंपोर्टेंट डील फाइनल करने खुद आया था। और वक़्त का पाबंद कायरव, जिसका एक-एक सेकंड बहुत कीमती था, वो पिछले आधे घंटे से किसी का इंतज़ार कर रहा था।

    एक बार फिर बेचैनी से यहाँ से वहाँ टहलते हुए, कायरव की नज़र एंट्रेंस पर पड़ी। फिर उसने तीखी नज़रे अपनी कलाई पर मौजूद वॉच पर डाली। इसके साथ ही एक मिश्री सी मीठी, हड़बड़ाई हुई आवाज़ उसके कानों से टकराई –

    "Sorry, sorry, sorry sir... मैं ट्रैफिक में फँस गई थी। निकली तो मैं टाइम पर ही थी, पर लगता है आज पूरी मुंबई गाड़ी लेकर सड़कों पर निकल गई है, इसलिए मुझे यहाँ पहुँचने में इतना टाइम लग गया।"

    कायरव ने अपनी आँखों पर से शेड्स हटाते हुए नज़रे आवाज़ की दिशा में घुमाई। सामने से एक 22-23 साल की लड़की दौड़ती चली आ रही थी। उस लड़की का ध्यान सामने के जगह नीचे फ्लोर के तरफ था।

    ये थी इनाया देशमुख - चलते फिरते तूफान का दूसरा नाम।

    कायरव की नज़रे भी इनाया के पैरों की तरफ चली गईं। उसके पैरों में मामूली सी सैंडल थी, जो भागने के वजह से टूट गयी थी और मिट्टी और कीचड़ से सनी थी, जिससे उस चमचमाते फर्श पर उसके सैंडल के निशान बनते जा रहे थे।

    ये देखकर कायरव की भौंहें सिकुड़कर आपस में जुड़ गईं, और माथे पर कुछ लकीरें खिंच गईं। लेकिन इनाया को इस बात का होश ही नहीं था, या शायद ये बात उसके लिए कोई मायने ही नहीं रखती थी।

    जैसे-तैसे वो जल्दी-जल्दी चलते हुए आगे बढ़ रही थी और ध्यान तो सैंडल में ही उलझा हुआ था। कुछ कदम आगे बढ़ने के बाद, उसने सामने की ओर नज़रे उठाई। और जैसे ही उसकी नज़रें कायरव पर पड़ीं, उसके आगे बढ़ते कदम ठिठक गए। आँखें आश्चर्य से फैल गईं और मुँह से हैरानगी से निकला,

    "तुम... तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"

    इतना कहते ही इनाया के चेहरे के भाव बदल गए। उसने आँखें छोटी-छोटी करके कायरव को घूरा,

    "कहीं तुम मेरा पीछा करते-करते तो यहाँ नहीं पहुँच गए? देखो, मैं पहले ही बता रही हूँ कि उस दिन जो भी हुआ, उसमें मेरी कोई गलती नहीं थी। तुम्हीं इतनी स्पीड में गाड़ी सड़क पर दौड़ा रहे थे, जैसे सड़क तुम्हारे बाप की हो! अब जब सड़कों पर हवा की स्पीड में गाड़ी दौड़ाओगे, तो एक्सीडेंट तो होगा ही। मैंने तो फिर भी इंसानियत के नाते तुम्हें हॉस्पिटल तक पहुँचा दिया था, और तुम्हारे इलाज के पैसे भी भर दिए थे।

    पता भी है तुम्हें? उस दिन तुम्हारी वजह से मेरे पूरे 5000 रुपए खर्च हो गए थे। वो तो मेरा दिल बहुत बड़ा है, इसलिए मैंने कहा कि छोड़ो, जाने दो , किसी का भला हो जाएगा, तो पुण्य ही मिलेगा मुझे। और क्या पता उस नेकी के बदले कृष्ण कन्हैया मुझ पर थोड़ी दया दिखा दे और मुझे कोई अच्छी सी जॉब मिल जाए।

    जॉब तो मिली नहीं, तुम ज़रूर मिल गए। पर इस बार मैं एक पैसा नहीं देने वाली तुम्हें। गलती तुम्हारी थी, तो हर्जाना भला मैं क्यों भरूँ? इसलिए अब तुम्हें मुझसे कुछ नहीं मिलने वाला, तो पतली गली से खिसक लो। मैं यहाँ एक बहुत ज़रूरी काम से आई हूँ, और मैं बिल्कुल नहीं चाहती कि तुम्हारी वजह से मेरा काम बिगड़े। इसलिए चुपचाप यहाँ से चले जाओ, वरना मैं पुलिस में कंप्लेन कर दूँगी कि तुम मुझे स्टॉक कर रहे हो!"

    इनाया एक बार शुरू हुई तो रेडियो की तरह नॉन-स्टॉप बजती ही चली गई। पता नहीं, किस मुलाक़ात की बात कर रही थी वो? क्या हुआ था उस मुलाक़ात में?

    कायरव उसकी बातें सुनकर पहले तो हैरान-परेशान सा उसे देखता ही रह गया।

    आख़िर इनाया कौन सी दुनिया से आई एलियन है और क्या-क्या बकवास किए जा रही है?

    लेकिन जैसे ही इनाया ने पुलिस की बात छेड़ते हुए धमकी दी, कायरव के चेहरे के एक्सप्रेशन एकदम से बदल गए। उसने इनाया को घूरते हुए सख्त लहज़े में कहा,

    "तमीज़ से बात करो मुझसे।"

    अभी उसने इतना कहा ही था कि इनाया ने उसकी बात काटते हुए उसी के लहज़े में जवाब दिया,

    "क्यों? क्यों करूँ तमीज़ से बात? तुम क्या कहीं के प्राइम मिनिस्टर हो?"

    इनाया आँखें चढ़ाए उसे घूरने लगी, और उसके सामने एकदम निडर और निर्भीक होकर तनकर खड़ी हो गई।

    कायरव का गोरा चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने खा जाने वाली नज़रों से घूरकर उसे देखा, फिर गुस्से में एक-एक शब्द चबाते हुए बोला,

    "प्राइम मिनिस्टर तो नहीं, पर जिस जगह अभी तुम खड़ी होकर इतनी ज़ुबान चला रही हो न, उस जगह का ओनर हूँ मैं। और जिसके एक कॉल पर उससे मिलने तुम दौड़ी-दौड़ी यहाँ चली आई हो, वो शख़्स हूँ मैं!"

    कायरव ने जैसे ही ये कहा, इनाया की आँखें आश्चर्य से फैल गईं और मुँह हैरानी से खुला का खुला रह गया।

    "त... तुम... क... कायरव रायचंद हो? जिसके असिस्टेंट ने मुझे यहाँ फोन करके जॉब के सिलसिले में बुलाया था?"

    इनाया ने किसी तरह अटकते-अटकते कायरव से सवाल किया और अविश्वास भरी नज़रों से उसे देखने लगी।

    कायरव ने उसका सवाल सुना और एटीट्यूड के साथ जवाब दिया,

    "येस। मैं ही कायरव रायचंद हूँ। वही कायरव रायचंद, जिसका कुछ दिन पहले तुम्हारी वजह से एक्सीडेंट हो गया था। वही कायरव रायचंद, जिसके असिस्टेंट के कॉल पर तुम जॉब के लिए यहाँ आई हो, और यहाँ आकर तुम मुझसे ही इतनी बदतमीज़ी से बात कर रही हो।"

    कायरव का जवाब सुनकर इनाया के तो चेहरे का रंग उड़ गया। काटो तो खून नहीं , वाला हाल हो गया था उसका। वो फटी आँखों से शॉक्ड सी उसे देखती ही रह गई।

    "न...नही... नही ये सच नही हो सकता। ये बदतमीज़ लड़का The great कायरव रायचंद नही हो सकता। ये ज़रूर डुब्लिकेट माल है जो मुझे बेवकूफ बनाने यहाँ आया है।"

    इनाया खुदमे बड़बड़ाई फिर पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कायरव के सामने खड़ी हो गयी और उसकी आँखों मे आँखे डालते हुए बोली,

    "झूठ बोल रहे हो तुम। तुम कायरव रायचंद हो ही नही सकते। कहाँ वो इतने बड़े और सक्सेसफुल बिज़नेसमैन और कहाँ तुम। तुम्हें तो ठीक से कार भी चलानी नही आती, इतनी बड़ी रायचंद इंडस्ट्री का खाक संभालोगे?....

    मैं सब समझ रही हूँ, तुम डुब्लिकेट कायरव रायचंद हो और मुझे बेवकूफ बनाकर अपना बदला पूरा करना चाहते हो पर मैं ऐसा होने नही दूँगी। मैं कोई फूल नही हूँ, मैं पहचान गयी हूँ, तुम एक फ्रॉड आदमी हो जो ऐसे ही अपनी आइडेंटीटी बदलकर लोगों का फायदा उठाता है।"

    कायरव उसका कॉन्फिडेंस देखकर हैरान था।

    कायरव ने अजीब नज़रों से उसे देखा फिर उसने इनाया के इल्ज़ामों को इग्नोर करते हुए अपने पॉकेट मे हाथ डाला। फोन मे कुछ टाइप किया और स्क्रीन इनाया के तरफ घुमा दी।

    इनाया जो अब तब कायरव को घूर रही थी उसने चिढ़ते हुए कहा,

    "क्या है? "

    "खुद देख लो रियल कायरव रायचंद को"

    कायरव ने एटीट्यूड के साथ जवाब दिया। इनाया की नज़र अब फोन स्क्रीन पर पड़ी। गूगल मे कायरव रायचंद सर्च किया हुआ था जिसके नीचे एक हैंडसम से लड़के की फोटो थी और साथ ही उसके बारे मे लिखा हुआ भी था।

    इनाया ने पहले स्क्रीन पर दिखती फोटो को देखा फिर सामने खड़े कायरव को।

    कृषिका का पूरा बदन जैसे जम गया हो। जिस लड़के को अब तक ‘डुप्लिकेट माल’ कह रही थी, वही उसका नया बॉस था , The Real Kairav Raichand.

    To be continued...

    कैसी लगी आपको मेरी इस न्यू स्टोरी की शुरुआत? ये स्टोरी रैपिड competition के लिए लिख रही हूँ तो स्टोरी के पार्ट जल्दी जल्दी आएंगे। चाहे तो पढ़ सकते है और पढ़ने के बाद कॉमेंट करके मुझे ज़रूर बताइयेगा की स्टोरी कैसी लगी? पसंद आई हो तो लाइक करना न भूले।

  • 2. Contracted hearts - Chapter 2 The contract twist

    Words: 1516

    Estimated Reading Time: 10 min

    "त... तुम सच में कायरव रायचंद हो...? मतलब, तुम रियल वाले मिस्टर रायचंद हो...?"

    उसका रिएक्शन देखकर कायरव ने होंठों पर तिरछी मुस्कान के साथ भौंह सिकोड़कर उसे देखा।

    "अब भी शक है तुम्हें?"

    पहले तो इनाया आंखें फाड़े कायरव को देखती रही जैसे उसके साथ कोई बहुत बड़ा धोखा हो गया हो, फिर उसने मन ही मन खुद को कोसा और खिसियानी हँसी हँसते हुए बोली,

    "अरे सर, आप तो इतनी सी बात पर नाराज़ हो गए। मुझे थोड़े न पता था कि आप कौन हैं? मुझे लगा, आप मेरा पीछा करते-करते यहाँ तक आ गए हैं, इसलिए मैं थोड़ा बदतमीज़ी पर उतर आई थी। गलती से मिस्टेक हो गई... आगे से ऐसी गलती दोबारा कभी नहीं होगी। इस बार इस छोटी सी मासूम सी बच्ची की इस छोटी सी गलती को माफ़ कर दीजिए।"

    इनाया के तो तेवर ही बदल गए थे। कायरव पहले तो उसके इस बदले रूप को देखकर आश्चर्य से उसे देखने लगा, पर कुछ सोचते हुए उसके लबों पर व्यंग्य भरी मुस्कान फैल गई।

    कायरव ने अपनी मुस्कान छुपाते हुए इनाया को निगाहें घुमाते हुए कुछ इस तरह से देखा जैसे कह रहा हो, "छोटी और मासूम... वो भी तुम? Seriously?"

    इनाया उसके तंज को समझते हुए बस बत्तीसी चमकाते हुए क्यूट सी शक्ल बनाकर अपनी पलकों को झपकाया।

    इस वक़्त वो सच मे छोटी बच्ची जैसे क्यूट लग रही थी। कायरव की निगाहें पल भर को उसपर ठहरी फिर गहरी साँसें छोड़ते हुए खुद को शांत करते हुए उससे सवाल किया,

    "तो तुम्हें नितिन ने यहाँ भेजा है?"

    "येस सर, मुझे मिस्टर नितिन ने यहाँ भेजा है।"

    "तुम्हें जॉब चाहिए? रायचंद इंडस्ट्रीज़ में काम करना चाहती हो तुम?"

    "येस सर।"

    "इनाया देशमुख, राइट?"

    कायरव ने अपनी भौंह उचकाते हुए सवाल किया, जिस पर इनाया ने तुरंत ही सहमति में सर हिला दिया।

    कायरव ने अब आँखों से ही वहीं लगे एक टेबल की ओर इशारा करते हुए आगे कहा,

    "आओ, बैठकर बात करें।"
    इनाया ने झट से हामी भरी और कायरव से पहले खुद झट से उस तरफ बढ़ गई। पर उसकी बुरी किस्मत कि उसने अपनी टूटी सैंडल पर ध्यान ही नहीं दिया और जल्दबाज़ी में कदम आगे बढ़ाने के वजह उसका पैर सैंडल की स्ट्रैप में फंस गया।

    बैलेंस बिगड़ा और वो मुंह के बल गिरने को हुई। डर के मारे वो गला फाड़कर चीखी,

    "मम्मईई.............!"

    आवाज़ सुनकर कायरव ने तुरंत पलटकर देखा। ठीक इसी वक़्त इनाया, दोनों बाहों को हवा में लहराते हुए, खुद को बचाने की नाकाम सी कोशिश करते हुए सीधे कायरव के ऊपर जा गिरी।

    इनाया के अचानक पूरे शरीर का वज़न उस पर डालने के वजह से कायरव के कदम ज़रा लड़खड़ाकर पीछे को हट गए। किसी तरह अपना बैलेंस बनाते हुए उसने खुद को और अपने सीने से चिपकी इनाया को गिरने से बचाया।

    इस दौरान अनायास ही कायरव की बाँह उसकी कमर पर लिपट गई थी, जबकि इनाया की दोनों बाहें कायरव के दोनों कंधों पर फैली हुई थीं।

    एक पल को दोनों ही शॉक्ड रह गए। सब इतनी जल्दी हुआ कि वो कुछ समझ ही नहीं सके। इस लम्हे में दोनों की धड़कनों का शोर उस सन्नाटे में गूंज रहा था।

    इनाया का दिल गिरने के डर से ज़ोरों से धड़क उठा था, वहीं कायरव के दिल की धड़कनें भी बढ़ गई थीं। कुछ सेकंड तक दोनों सुन्न से उसी पोज़िशन में खड़े रहे, फिर हड़बड़ाहट में एक-दूसरे से अलग हो गए।

    "देखकर नहीं चल सकती तुम? इंसान हो या चलता-फिरता तूफान?"
    कायरव इनाया को खुद से दूर झटकते हुए नाराज़गी और गुस्से से एकाएक उस पर भड़क उठा, और इस गुस्से के पीछे उसने अपनी असहजता बड़ी ही चालाकी से छुपा ली।

    इनाया, उसके अचानक झटके जाने से दो कदम पीछे हो गई थी और हैरानी से अपनी आँखों की पुतलियाँ फैलाए कायरव को देखने लगी थी। उसने कायरव की बात सुनी और मुँह बिगाड़ते हुए बोली,

    "इंसान ही हूँ मैं, और इंसानों के साथ अक्सर हादसे होते रहते हैं। इसमें इतना भड़कने वाली भी कोई बात नहीं थी। वैसे भी मुझे कोई शौक़ नहीं है आपके सीने से लगने का। वो तो मेरी सैंडल टूट गई थी, इसलिए मैं गिरने लगी थी। वरना आप जैसे सख्त चट्टान से टकराकर मैं अपना सर कभी नहीं फुड़वाती!"

    इनाया ने लगे हाथ कायरव को ही झाड़ दिया और मुँह बनाते हुए टेबल की ओर बढ़ गई।

    कायरव शॉक्ड-सा इनाया को देखता ही रह गया। शायद इनाया पहली लड़की थी जो उसे इतने हल्के में लेती थी, उससे इस तरह से बिहेव करती थी, इसलिए कायरव हैरान था।

    यहाँ कायरव शॉक्ड-सा इनाया को देखते हुए सोच रहा था कि — आखिर ये बला चीज़ क्या है? इतना ऐटिट्यूड थोक के भाव में कहाँ से लाई है वो? उसके साथ ऐसे बिहेव करने की हिम्मत कहाँ से मिली उसे? कौनसे ग्रह से आई है दुनिया का ये सातवां अजूबा, जिस पर उसके पोज़िशन का रौब नहीं जम रहा? उल्टा, वो तो उसे ऐसे फटकार लगा गई जैसे उसका बचपन का दोस्त हो! कैसे, जिसके लिए यहाँ आई, उसकी इतनी इंसल्ट करने के बाद बेफिक्री से जाकर क्वीन जैसी चेयर पर पसर चुकी है?"

    इनाया चेयर पर बैठी मजे से नज़रें घुमाते हुए आसपास देख रही थी, जबकि कायरव हैरान-परेशान-सा उसे ही देख रहा था। कुछ पल बाद भी जब कायरव वहाँ नहीं आया, तो इनाया ने नज़रें कायरव की ओर घुमाईं और भौंहें उचकाते हुए बोली,

    "मिस्टर, अब क्या सारा वक़्त वहीं खड़े रहेंगे या यहाँ आकर जल्दी से इंटरव्यू भी शुरू करेंगे?"

    इनाया की आवाज़ कायरव के कानों में पड़ी, तब कहीं जाकर वो अपने ख्यालों से बाहर आया। उसने सर झटका और पूरे रुआब के साथ उसकी ओर कदम बढ़ाते हुए उसके सामने लगी चेयर पर बैठ गया।

    इनाया ने उसका ऐटिट्यूड और स्टाइल देखकर अपना सीधा हाथ हवा में उठाते हुए ऐसे भाव बनाए जैसे इशारे में उसे वाहवाही दे रही हो।

    कायरव ने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और किसी किंग जैसे उस चेयर पर बैठते हुए उसने अपने कोट को ठीक किया, फिर इनाया की ओर नज़रें घुमाते हुए बोला,

    "मेरे पास तुम्हारे लिए एक ऑफर है।"

    "कैसा ऑफर?" इनाया भौंहें ताने उसे देखने लगी।

    यहाँ कायरव थोड़ा नर्वस नज़र आने लगा था। उसने गहरी साँस छोड़ते हुए सीधे बैठते हुए सीरियस टोन में बोला,

    "It's like a business deal. तुम्हें इस वक़्त जॉब की ज़रूरत है और मैं तुम्हें एक जॉब दे रहा हूँ।"

    "कैसी जॉब? साफ़-साफ़ बताइए। ऐसे बातें घुमाने की कोई ज़रूरत नहीं है आपको, क्योंकि मुझे जलेबी ज़रा भी पसंद नहीं।"

    इनाया ने बुरा-सा मुँह बनाया, जैसे सच में किसी ने उसे ज़बरदस्ती जलेबी खिलाकर उसके मुँह का टेस्ट बिगाड़ दिया।

    कायरव हैरानी से इनाया को देखने लगा। फिर उसने बेबसी से सर हिलाते हुए गंभीरता से आगे कहना शुरू किया,

    "Look, जो मैं कहने जा रहा हूँ उसे ध्यान से सुनना और समझना। और पूरी बात जानने के बाद ही रिएक्ट करना। Okay?"

    इस बार कायरव की आवाज़ में थोड़ी सॉफ्टनेस थी और उतना ही सीरियस भी लग रहा था वो। इनाया ने तुरंत ही सहमति में सिर हिला दिया और कायरव के आगे कहने का इंतज़ार करने लगी।

    कायरव रुका। नर्वसनेस मे सामने रखा ग्लास उठाया और एक सांस मे पूरा पानी पी गया। फिर गहरी सांस छोड़ते हुए कहना शुरू किया,

    "तो तुम्हारी जॉब ये होगी कि एक साल के लिए तुम्हें मेरी वाइफ बनने का नाटक करना होगा। सीधे शब्दों में कहूँ तो हमारी शादी होगी — पर सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए। रियलिटी में हमारे बीच एक कॉन्ट्रैक्ट होगा, जिसके हिसाब से अगले एक साल तक दुनिया और मेरी फैमिली के सामने तुम्हें मेरी वाइफ होने का नाटक करना होगा — सबके सामने ऐसे दिखाना होगा जैसे हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और साथ में बहुत खुश हैं।

    बदले में तुम जो चाहोगी वो तुम्हें मिलेगा। इतना पैसा दूँगा मैं तुम्हें कि मुझसे अलग होने के बाद भी तुम्हें कभी न तो किसी के आगे हाथ फैलाना होगा और न ही जॉब के लिए धक्के खाने पड़ेंगे। तुम अपनी आगे की पूरी लाइफ बिना कोई काम किए आराम से काट सकती हो। अगर तुम अपने करियर मे मेरी हेल्प चाहोगी तो यहाँ भी मैं तुम्हारी हेल्प कर दूँगा। "

    कायरव की नज़रें इनाया पर टिकी थीं और वो दिल थामे उसके जवाब का इंतज़ार कर रहा था, जबकि इनाया तो उसकी बात सुनकर जैसे सदमे में पहुँच गई थी।

    कुछ पल तो वो आँखें फाड़े और मुँह खोले अचंभित-सी उसे देखती ही रह गई। उसकी कही बातों को मन ही मन दोहराते हुए, उसकी बातों का मतलब समझने की कोशिश करती रही, और जैसे ही उसे कायरव की बातों का मतलब समझ आया, उसने चौंकते हुए कहा,

    "मतलब आप मुझसे कॉन्ट्रैक्ट मैरिज करेंगे, एक साल के लिए? और बदले में मुझे पैसे देंगे? एक साल तक हम दुनिया के सामने पति-पत्नी बनकर रहेंगे और कॉन्ट्रैक्ट पीरियड खत्म होते ही हमारे रास्ते अलग-अलग हो जाएँगे? हमारा रिश्ता खत्म हो जाएगा और उस दिखावे की शादी के टूटने के बाद मुझ पर डिवोर्सी का टैग लग जाएगा?"

    कायरव ने सहमति में सर हिला दिया।

    उसके इस जवाब देने की देर थी कि इनाया एकाएक कुर्सी पीछे धकेलते हुए उठकर खड़ी हो गई और कायरव को घूरते हुए गुस्से से उस पर भड़क उठी।

    To be continued...

  • 3. Contracted hearts - Chapter 3 एक्सीडेंट

    Words: 1650

    Estimated Reading Time: 10 min

    "कॉन्ट्रैक्ट पीरियड खत्म होते ही हमारे रास्ते अलग-अलग हो जाएँगे? हमारा रिश्ता खत्म हो जाएगा और उस दिखावे की शादी के टूटने के बाद मुझ पर डिवोर्सी का टैग लग जाएगा?"

    कायरव ने सहमति में सर हिला दिया।

    उसके इस जवाब देने की देर थी कि इनाया एकाएक चेयर पीछे धकेलते हुए उठकर खड़ी हो गई और कायरव को घूरते हुए गुस्से से उस पर भड़क उठी।

    "पागल हो गए हैं आप? मालूम भी है आपको कि क्या बकवास कर रहे हैं? क्या लगता है आपको कि आप अमीर हैं तो सारी दुनिया आपके कदमों में है, और पैसों का रौब दिखाकर आप कुछ भी कर सकते हैं?... क्या सोचा था आपने कि पैसों का लालच देंगे और मैं आपके इस बकवास डील को एक्सेप्ट करते हुए आपके साथ इस दिखावे के बंधन में बंध जाऊंगी? चंद रुपयों के लालच में अपनी पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर लूंगी?

    अगर आप ये सोचकर यहाँ आए थे कि मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूँ और क्योंकि मुझे अभी जॉब और पैसों की ज़रूरत है, तो मैं आपकी इस वाहियात डील को एक्सेप्ट कर लूंगी — तो आपने मुझे बहुत गलत समझ लिया, क्योंकि भले मैं गरीब हूँ और मुझे जॉब और पैसों की ज़रूरत है, पर मिस्टर कायरव रायचंद, मैं बिकाऊ नहीं हूँ।

    मैं अगर मर भी जाऊंगी, तब भी इस डील को कभी एक्सेप्ट नहीं करूंगी। अगर आप इस दुनिया में आखिरी मर्द होंगे न, तब भी मैं आपसे शादी नहीं करूंगी। अगर बदले में आप मुझे सारे जहान की धन-दौलत भी देंगे, तब भी मैं कभी आपके साथ इस दिखावे के रिश्ते में नहीं बंधूंगी।"

    "इनाया, ये डील तुम्हारे फायदे की ही है। एक बार शांत दिमाग से बैठकर अच्छे से इस बारे में सोचो।" कायरव ने इनाया के गुस्से को देखते हुए शांत लहजे में उसे समझाने की कोशिश की, पर इनाया, जो पहले ही गुस्से से भड़की हुई थी, अब उसका गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया और वो एकाएक कायरव पर चीख पड़ी।

    "मला काहीही विचार करायचं नाही! मला स्वतःचा फायदा बघायचा नाही! (मुझे कुछ नहीं सोचना है। मुझे अपना फ़ायदा नहीं देखना है!)

    मी तुला एकदाच आणि शेवटचं सांगते — तुझा करार मला मान्य नाही! (मैं तुझे एक बार और आखिरी बार कहती हूँ — तेरा ये सौदा मुझे मंज़ूर नहीं।)

    मी तुझ्याशी कधीच लग्न करणार नाही — तेही फक्त नाटकासाठी! (मैं तुझसे कभी शादी नहीं करूंगी, और वो भी सिर्फ़ दिखावे के लिए!)

    आज तू माझ्यासमोर ही बकवास केली, पण परत कधी माझ्याशी असं बोलू नकोस! (आज तो तूने ये बकवास मेरे सामने कर दी, लेकिन दोबारा कभी मुझसे ऐसा मत कहना।)

    पुन्हा जर तुझी ती सडलेली तोंड घेऊन माझ्यासमोर आलास ना, तर यावेळी तुला जसा सोडलं, तसाच नाही सोडणार!

    (अगर दोबारा अपनी वो सड़ी हुई शक्ल लेकर आया न, तो इस बार मैं तुझे यूँ ही नहीं छोड़ने वाली।)

    तुझ्या डोक्यात काय चाललंय हे मला माहिती नाही, पण मी बिकाऊ नाही! (तेरे दिमाग में क्या चल रहा है, मुझे नहीं पता — लेकिन मैं बिकाऊ नहीं हूँ!)"

    इनाया गुस्से से उस पर चीखी और अपनी मदरटंग में उसे अच्छे से फटकारने और वार्निंग देने के बाद जलती निगाहों से उसे घूरते हुए गुस्से में पैर पटकते हुए वहाँ से जाने लगी, लेकिन टूटी सैंडल की वजह से उसे प्रॉब्लम हो रही थी।

    गुस्से में भड़की इनाया ने अपनी दोनों सैंडल खोलकर अपने हाथ में ले ली और गुस्से में दनदनाते हुए वहाँ से चली गयी।

    पीछे कायरव बस खामोश बैठा इनाया को वहाँ से जाते हुए देखता रहा। जाने मराठी में कही बात उसे समझ आई थी या नहीं, पर उसके एक्सप्रेशन को देखकर उसके कही बातों का अंदाज़ा लगाना बेहद आसान था।

    शायद कायरव भी सब समझ गया था, इसलिए शांत था — पर ये खामोशी कौन-सा नया तूफान लाने वाली थी, ये तो बस वक़्त ही जानता था।

    "अजीब पागल आदमी है! नौकरी का बोलकर शादी की बात करने लगा — वो भी contract marriage! लगता है, इसने Korean ड्रामा कुछ ज़्यादा ही देख लिया, उसी से inspire हुआ होगा। पर वो तो ड्रामा है और ये रियलिटी। वो लोग तो entertainment के लिए कुछ भी दिखाते हैं — इसका मतलब ये थोड़े ना है कि वो जो दिखाएँ, उसे रियल लाइफ में apply कर लो!

    माना वो पैसे वाला है, पैसे से कुछ भी खरीद सकता है — पर मैं कोई चीज थोड़े ना हूँ! गरीब हूँ, ज़रूरत है मुझे अभी नौकरी और पैसों की, लेकिन इसका मतलब ये थोड़े न है कि चंद पैसों के लिए खुद को ही बेच लूंगी! एक साल की contract marriage... मज़ाक है क्या?"

    गुस्से से भरी इनाया खुद में ही बड़बड़ाए जा रही थी। अचानक ही उसे ज़ोर का झटका लगा और वो अपने ख्यालों से बाहर आई। चिढ़ते हुए उसने ऑटो वाले लड़के को घूरा और मुँह बनाते हुए बाहर देखने लगी।

    दोपहर का टाइम था और बाहर बदन झुलसाने वाली कड़कती धूप। कुछ ही मिनट में इनाया का चेहरा पसीने से भीग गया और दिमाग पुरानी यादों में कहीं खो गया।

    फ्लैशबैक

    जून की कड़कड़ाती धूप में एक लड़की मुंबई की सड़कों पर मायूस-सी घूम रही थी।

    दूध सा गोरा रंग, तीखे नयन-नक्श, और करीब पाँच से साढ़े पाँच फुट की हाइट — न ज्यादा लंबी, न ज्यादा छोटी। सुनहरे, रेशमी कर्ली बालों को हाई पोनी में बाँधा हुआ था, जो कंधे से थोड़ा नीचे तक लहरा रहे थे। कुछ लटें उसके गालों पर अठखेलियाँ कर रही थीं।

    बड़ी-बड़ी काजल से सजी गहरी काली आँखें, गर्मी और धूप से लाल हो चुकी छोटी सी नाक, और गुलाबी चैरी जैसे होंठ। सुराहीदार गर्दन में एक पतली गोल्ड चेन झूल रही थी, जिसमें गणपति का छोटा-सा पेंडेंट था। कानों में छोटे-छोटे टॉप्स, और बाएँ हाथ की कलाई पर एक पुरानी-सी पट्टे वाली घड़ी — जो शायद उसके लिए बहुत ख़ास थी।

    उसने लाइट पर्पल रंग की सिंपल टॉप और डार्क ब्लू जीन्स पहनी थी। गले में स्कार्फ लपेट रखा था और पैरों में शूज़।

    दाईं आँख के नीचे एक छोटा सा तिल — जैसे उसकी खूबसूरती पर खुदा ने अपनी मुहर लगाई हो।

    वो खूबसूरत तो थी ही — पर चेहरे पर कोई गुरूर नहीं।

    सादगी में भी इतनी हसीन... कि देखने वाले की निगाहें उस पर ठहर जाएं।

    उसने कानों में लीड ठूंसी हुई थी, जिससे आस-पास की आवाज़ उसके कानों के आस-पास भी भटक नहीं पा रही थी। शायद वो तेज़ आवाज़ में गाने सुन रही थी। साथ ही अतरंगी मुँह बनाते हुए अपने हाथ में पकड़े पर्स को हिलाते हुए बस चले जा रही थी। कहाँ जा रही थी ये शायद वो खुद नहीं जानती थी — क्योंकि उसका जहाँ मन करता, उसी तरफ मुड़ जाती और अपनी ही धुन में आगे बढ़ती जाती।

    ये है इनाया देशमुख उर्फ ऐना — मिडिल क्लास फैमिली से बिलोंग करती एक आम-सी लड़की।

    इनाया आगे बढ़ते हुए एक ऐसी सड़क की तरफ घूम गयी जहाँ कोई नहीं था। एकदम सुनसान सड़क थी वो। अगर कोई आम लड़की होती, तो शायद उस रास्ते कभी ना जाती — अपनी सेफ्टी का ख्याल करते हुए अपना रास्ता बदल देती। पर सामने कोई आम लड़की नहीं — इनाया थी।

    उसे किसी बात का न तो एहसास था, और न ही उसे कुछ फर्क पड़ रहा था। हर बात से बेखबर, वो बस अपनी ही धुन में मगन चले जा रही थी।

    अभी वो कुछ कदम आगे ही बढ़ी थी कि उसे अचानक ही पीछे से तेज़ हॉर्न की आवाज़ आई — जो उसके कानों में इतने तेज़ से बजी कि एक पल को उसके कान सुन्न पड़ गए।

    इनाया, जो बीच सड़क पर लहराते हुए, गाने की धुन पर झूमती हुई खुद में मगन चल रही थी — उसने तुरंत अपने कानों से लीड निकाली और पलटकर जैसे ही पीछे देखा, उसकी आँखों की पुतलियाँ फैल गईं और मुँह खुला का खुला रह गया। उसकी उन बड़ी-बड़ी आँखों में मौत का खौफ नजर आने लगा।

    एक तेज़ रफ्तार गाड़ी, जो पता नही कब से हॉर्न बजा रही थी और तेज़ी से उसके ही तरफ बढ़ रही थी।

    इस सिचुएशन में इंसान अक्सर साइड हटते हुए अपनी जान बचाते हैं — पर इनाया जाने कौन से गृह से आई थी। वो पहले तो शॉक्ड-सी वहाँ खड़ी, आँखें फाड़े और मुँह खोले, तेजी से अपनी तरफ बढ़ती गाड़ी को देखती रही — और जब वो बड़ी-सी ब्लैक चमचमाती कार उसके करीब पहुँच गई, तो इनाया ने फुर्ती दिखाई।

    अरे-अरे, ठहरिए। ज़रा सब्र करिए — क्योंकि जैसा आप सोच रहे हैं, वैसा कुछ भी नहीं हुआ है। इनाया मैडम अपनी जान बचाते हुए फुर्ती दिखाकर जल्दी से गाड़ी के सामने से हटी नही थीं। बल्कि वो तो फेवीक्विक लगाकर उस जगह पर चिपकी हुई, स्थिर खड़ी थी और फुर्ती से अपनी हथेलियों से अपने कानों को बंद करते हुए डर से मारे तेज़ आवाज़ में चीख पड़ी थीं —

    "आआ... ईई ईई...!"

    इनाया इतनी तेज़ चीखीं कि उसकी आवाज़ उस जगह गूंजने लगी और वो अब भी वही खड़ी, आँखें फाड़े पल-पल तेजी से उसके करीब आती गाड़ी को अपलक देखती रही।

    कार के अंदर मौजूद शख्स, जो पहले बीच रोड पर बहरी बनी नागिन की तरह बलखाते हुए चल रही इस बेवकूफ लड़की को देखकर हैरान था और हॉर्न बजाते हुए उसे सामने से हटने का इशारा दे रहा था — उसने जब अपने सामने खड़ी इस बेवकूफ लड़की को देखा, जो इस दुनिया की लग ही नहीं रही थी — वो तो किसी और ही दुनिया की वासी लग रही थी और आम लोगों से विचित्र थी।

    उसे देखकर उस शख्स का चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

    जब इनाया सामने जमके खड़ी रही, तो आखिर में उस शख्स ने ही अपने हाथ में मौजूद स्टीयरिंग को घुमाते हुए गाड़ी की दिशा बदल दी — और वो तेज़ रफ्तार गाड़ी एक ज़ोरदार झटके के साथ फुटपाथ से टकरा गई।

    कार का बोनट खुल गया और उससे धुआँ निकलने लगा। इनाया ने जब ये नज़ारा देखा, तो डर के मारे उसका दिल उछलकर मुँह में आ गया और साँसें थम-सी गईं।

    To be continued...

    कैसी लग रही है आपको स्टोरी कॉमेंट करके बताए, पसंद आ रही हो तो लाइक ज़रूर करे।

  • 4. Contracted hearts - Chapter 4 अंजान शक्स

    Words: 1559

    Estimated Reading Time: 10 min

    कार में बैठे शख्स ने अपने हाथ में मौजूद स्टीयरिंग को घुमाते हुए गाड़ी की दिशा बदल दी — और वो तेज़ रफ्तार गाड़ी एक ज़ोरदार झटके के साथ फुटपाथ से टकरा गई।

    कार का बोनट खुल गया और उससे धुआँ निकलने लगा। इनाया ने जब ये नज़ारा देखा, तो डर के मारे उसका दिल उछलकर मुँह में आ गया और साँसें थम-सी गईं।

    इनाया कुछ सेकंड आँखें फाड़े वो सीन को देखती रही, फिर जल्दी ही उसने खुद को संभाला और तेज़ी से कार की तरफ कदम बढ़ा दिए।

    "Excuse me... हेलो, कोई है अंदर? ... तुम ठीक हो न? ... मुझे कुछ भी नज़र नहीं आ रहा... कुछ तो बोलो..."

    इनाया बाहर से कार की विंडो पर नॉक कर रही थी, अलग-अलग एंगल से अंदर झाँकने की कोशिश कर रही थी लेकिन अंदर से कोई रिस्पॉन्स नहीं आ रहा था और बहुत कोशिश के बाद भी वो कुछ देख भी नहीं पाई, तो चिढ़ते हुए पीछे हट गई। 

    "ये क्या नई मुसीबत है, मुझे तो कुछ नज़र ही नहीं आ रहा और अंदर से कोई कुछ बोल भी नहीं रहा। जो भी अंदर होगा, वो ठीक तो होगा?... एक बार गेट खोलकर चेक करूँ क्या? क्या पता खुल जाए?"

    खुद में बड़बड़ाते हुए इनाया आगे बढ़ी। उसने हैंडल पकड़कर कार का डोर खोलने की कोशिश की और अगले ही पल उसका मुँह लटक गया।

    "ये तो लॉक है, अब क्या करूँ?... छोड़ दूँ क्या? वैसे भी एक्सीडेंट मेरे वजह से थोड़े हुआ है। कहीं इन सब में बेवजह मैं ही न फँस जाऊँ। अगर किसी ने मुझे यहाँ देख लिया तो पुलिस आ जाएगी, फिर मुझे उठाकर लॉकअप में बंद कर देगी। अगर मैं टाइम पर घर नहीं पहुँची तो आई तो मुझे कच्चा चबा जाएगी... नहीं इनाया, तुझे बेवजह इन पचड़ों में पड़ने की कोई ज़रूरत नहीं है। तू तो पतली गली पकड़ और फटाफट अपनी जान बचाकर यहाँ से निकल। इसका जो होना होगा, हो जाएगा — इसके लिए तू अपनी जान की कुर्बानी क्यों देगी?"

    इनाया ने एक नज़र उस कार को देखा और तुरंत तेज़ कदमों से वहाँ से भागने लगी, पर कुछ दूर आगे जाकर एकदम से रुक गई। दिल से फिर आवाज़ आई,

    "नहीं इनाया, तू इतनी सेल्फिश कैसे हो सकती है? माना तूने एक्सीडेंट नहीं किया, लेकिन थोड़ा बहुत तो तू भी रिस्पॉन्सिबल है। तेरी भी गलती थी। अगर तू इस शख्स को ऐसे ही यहाँ छोड़कर चली गई तो बप्पा तुझे कभी माफ नहीं करेंगे। और अगर इस वजह से वो तुझसे गुस्सा हो गए, फिर क्या होगा तेरा? चल, इंसानियत के नाते देख ले कि अंदर जो भी है, वो ठीक है या नहीं।"

    इनाया तुरंत वापस कार के पास आ गई और परेशान निगाहों से उस लॉक्ड कार को देखने लगी।

    "ये तो लॉक है, अब क्या करूँ? बाहर से तो कुछ नज़र ही नहीं आ रहा और अंदर से कोई कुछ बोल भी नहीं रहा... फिर मुझे कैसे पता चलेगा कि अंदर मौजूद इंसान ठीक है या नहीं?"

    इनाया पसीने से भीगे चेहरे को अपने स्टॉल से पोंछते हुए दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगी। साथ ही उसकी आँखें भी यहाँ-वहाँ भटक रही थीं।

    एक जगह जाकर उसकी नज़रें ठहरीं। दिमाग में अचानक ही कुछ आया और उसके होंठों पर शातिर मुस्कान फैल गई।

    इनाया तुरंत आगे बढ़ी, सड़क किनारे पड़े बड़े से पत्थर को अपने दोनों हाथों से उठाने लगी। पत्थर थोड़ा हेवी था। इनाया ने उसे किसी तरह उठाया और कार के पास आई। ड्राइविंग सीट के ऑपोज़िट साइड जाकर खड़ी हो गई।

    पहले उसने चमकती आँखों से उस पत्थर को देखा, फिर कार के विंडो को — और पूरी जान लगाकर पत्थर के नुकीले हिस्से को विंडो पर दे मारा। दो-तीन बार ऐसे ही किया और तेज़ आवाज़ के साथ विंडो का काँच छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर बिखर गया।

    इनाया ने विक्ट्री स्माइल दी, पत्थर साइड में रखा और जल्दी से आकर विंडो से हाथ घुसाकर कार अनलॉक की, फिर दौड़कर ड्राइविंग सीट की तरफ गई लेकिन फुटपाथ की वजह से उस तरफ का डोर ब्लॉक हो गया था। इनाया वापस घूमकर पैसेंजर सीट की तरफ आई, डोर खोलकर कार के अंदर घुस गई।

    कार में जो भी शख्स था, वो आगे की तरफ लुढ़का हुआ था। इनाया ने उसके सर को स्टीयरिंग से उठाकर पीछे सीट से टिका दिया। जैसे ही उसकी नज़र उस लड़के के चेहरे पर पड़ी, उसकी आँखें चमक उठीं और मुँह हैरानी से खुल गया। ये लड़का कोई और नहीं, बल्कि कायरव ही था — जो इनाया के लिए अंजान था।

    "अगो बाई... हँडसम काय म्हटलं तर हाच!
    असं वाटतंय जणू कोणीतरी के-ड्रामा मधून थेट माझ्यासमोर उतरून आलंय!
    डोळेच हटत नाहीत बघ त्याच्यावरून..."

    (हे भगवान... ये तो हँडसम नहीं, पूरा के-ड्रामा का हीरो लग रहा है! ऐसा लग रहा है जैसे स्क्रीन से निकलकर सीधा सामने आ गया हो!)

    अगले ही पल इनाया की नज़र उसके माथे से चपकते खून पर गई और उसके एक्सप्रेशन एकदम से बदल गए। उसने झट से अपने पर्स से हैंकी निकाला और उसके माथे पर रखकर दबाने लगी।

    "Oh... हेलो मिस्टर, आँखें खोलो प्लीज़... ज़िंदा तो हो न तुम?"

    इनाया ने उसके गाल को थपथपाया, फिर अचानक रुक गई। घबराहट में उसका गला सूखने लगा।

    "कहीं ये सच में मर मरा तो नहीं गया? चोट तो इतनी नहीं है, लेकिन अगर मर गया तो तेरी आगे की पूरी ज़िंदगी जेल में चक्की पीसते ही बीतेगी... तेरी इतनी पढ़ाई-लिखाई सब बर्बाद हो जाएगी..."

    इनाया ने खुद को जेल में बैठकर चक्की पीसते हुए इमेजिन भी कर लिया। अगले ही पल हड़बड़ाते हुए होश में लौटी।

    "नहीं, ऐसा नहीं होगा। इतनी सी चोट में कहीं कोई मरता है?"

    धड़कते दिल के साथ इनाया घबराते हुए अपनी दो उँगलियाँ उसकी नाक के पास लेकर गई — और अगले ही सेकंड खुशी से उछल पड़ी।

    "ज़िंदा है! ज़िंदा है, ज़िंदा है!... इसकी साँसें चल रही हैं। ये मरा नहीं है, बस बेहोश है। अब मैं जेल नहीं जाऊँगी!"

    इनाया पैसेंजर सीट पर पसर गई। अपने पर्स से पानी की बॉटल निकालकर उसने बोतल मुँह से लगा ली। कुछ घूँट पानी अंदर गया, तब जाकर सूखते गले को राहत मिली। भटकती निगाहें ज़ख़्मी कायरव पर पड़ीं, फिर नज़रें झुकाकर उसने अपनी बोतल को देखा।

    एकदम से दिमाग में कुछ आया और उसने झट से बोतल में बचा पानी अपने हाथ में लेकर उसके मुँह पर छिड़क दिया।

    "ओ... हेलो... Excuse me, Mister... अब तो उठ जाओ! अब तो मैंने तुम पर पानी भी डाल दिया — अब उठ भी जाओ!"

    इनाया ने एक बार फिर उसके गाल को थपथपाया। अबकी बार कायरव की पलकें हिलीं। इनाया आँखें बड़ी-बड़ी करके उसे देखने लगी।

    कायरव की आँखें थोड़ी खुलीं। अधखुली भूरी आँखें इनाया के चेहरे पर पड़ीं। अगले ही पल आँखें वापस बंद हो गईं। इनाया जो उसे होश आते देखकर खुश हो रही थी, बुरी तरह चौंक गई।

    "क्या हुआ तुम्हें?... अभी तो होश में आए थे, वापस बेहोश हो गए क्या?... आँखें खोलो... देखो... तुम बिल्कुल ठीक हो..."

    उसने कोशिश बहुत की पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। अंत में हारकर इनाया वापस पैसेंजर सीट पर पसर गई और परेशान निगाहों से कायरव को घूरने लगी।

    "अब क्या करूँ? ये तो वापस बेहोश हो गया... पानी डालने का भी कोई फ़ायदा नहीं हुआ। लगता है इसे हॉस्पिटल ही लेकर जाना पड़ेगा, लेकिन मैं कैसे? इसकी कार की हालत भी खराब है। यहाँ इस सुनसान सड़क पर कोई लिफ्ट भी नहीं मिलेगी... मेन रोड तक जाना पड़ेगा, तब जाकर कुछ होगा..."

    इनाया वापस कायरव की तरफ झुक गई, उसे अपनी बाँहों में भरते हुए बाहर की तरफ खींचने लगी। किसी तरह उसने कायरव को पैसेंजर सीट पर बिठाया। उतने में ही उसकी हालत खराब हो गई थी।

    "चल ऐना, लग जा काम पर! अगर आज तूने इस ज़ख़्मी आदमी को हॉस्पिटल पहुँचा दिया, इसकी जान बचा ली — तो तुझे पुण्य मिलेगा। बप्पा खुश होंगे, तो पक्का तुझे कोई अच्छी सी जॉब दिला देंगे।"

    इनाया ने गहरी साँस छोड़ी और कायरव की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई। उसकी बाँहों को अपनी गर्दन में लपेटा और खींचकर उसे कार से बाहर निकाला। एकदम से कायरव का पूरा वज़न इनाया पर आ गया, उसके कदम लड़खड़ा गए। वो तो उसे लेकर गिर ही गई होती पर कार को पकड़कर उसने किसी तरह बैलेंस बना लिया और लड़खड़ाते कदमों से मेन रोड की तरफ जाने लगी। लेकिन ये आसान नहीं था।

    कायरव उससे लंबा था और अच्छी-खासी मस्क्युलर बॉडी का मालिक था, उसका वज़न भी ज़्यादा था। इनाया आधी झुकी हुई थी, कायरव के पैर ज़मीन पर घिसट रहे थे।

    इनाया लड़खड़ाते कदमों के साथ थोड़ा आगे आई, पर इससे ज़्यादा उससे नहीं हुआ। उसने कायरव को वहीं फुटपाथ पर बिठा दिया — वो वहीं लेट गया। इनाया उसके बगल में बैठ गई। वो बुरी तरह हाँफ रही थी, पसीने से तरबतर — वो लंबी-लंबी साँसें ले रही थी।

    "अब क्या करूँ? ये तो बहुत भारी है, मुझसे तो नहीं उठाया जाएगा। इसे रोड तक ले जाते-ले जाते कहीं मैं ही बप्पा के पास न पहुँच जाऊँ। कुछ और सोचना पड़ेगा..."

    खुद में बड़बड़ाते हुए उसने परेशान निगाहों से कायरव को देखा। एक बार फिर वो अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाते हुए इस प्रॉब्लम से बाहर निकलने का रास्ता ढूँढने लगी। अचानक ही दिमाग में कुछ आया और उसकी मायूस आँखें चमक उठीं। उसने तुरंत नज़रें आस-पास घुमाईं — और फिर तेज़ी से दूसरी दिशा में दौड़ गई।

    कुछ ही देर बाद एक बाइक वहाँ आकर रुकी, उस पर कोई लड़का बैठा था, जिसका चेहरा हेलमेट से कवर था।



    To be continued…

  • 5. Contracted hearts - Chapter 5

    Words: 1563

    Estimated Reading Time: 10 min

    "अब क्या करूँ? ये तो बहुत भारी है, मुझसे तो नहीं उठाया जाएगा। इसे रोड तक ले जाते-ले जाते कहीं मैं ही बप्पा के पास न पहुँच जाऊँ। कुछ और सोचना पड़ेगा..."

    खुद में बड़बड़ाते हुए उसने परेशान निगाहों से कायरव को देखा। एक बार फिर वो अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाते हुए इस प्रॉब्लम से बाहर निकलने का रास्ता ढूँढने लगी। अचानक ही दिमाग में कुछ आया और उसकी मायूस आँखें चमक उठीं। उसने तुरंत नज़रें आस-पास घुमाईं और फिर तेज़ी से दूसरी दिशा में दौड़ गई।

    कायरव की कार के अंदर से उसने अपना पर्स निकाला और किसी को कॉल लगा दिया। जैसे-जैसे रिंग जा रही थी, वैसे-वैसे उसकी धड़कनें भी बढ़ रही थीं।

    कुछ रिंग्स के बाद कॉल रिसीव हुई और दूसरी तरफ से किसी लड़के की आवाज़ आई ,

    "जल्दी बोल, क्या हुआ? बहुत busy हूँ मैं!"

    "मनु, सुन ना..."

    "सुन तो रहा हूँ, जो बोलना है जल्दी बोल!" लड़का, मनु उर्फ मानव की आवाज़ में हड़बड़ी थी। शायद busy था और इनाया परेशान।

    "माणू, माझ्याकडून खूप मोठी गडबड झाली आहे..."

    घबराहट में इनाया मराठी बोल गई, जिससे मानव चिढ़ गया।

    "हिंदी में बोल, कमीनी! क्या बक रही है?"

    "मन्नू, मुझसे बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई है।"

    "अब क्या कांड कर दिया तूने?" मानव एकदम से भड़का। इनाया ने बेचारों-सी शक्ल बना ली।

    "यार, मैंने कुछ नहीं किया। मेरे वजह से कुछ नहीं हुआ है, पर मैं बिना कुछ किए ही एक प्रॉब्लम में फँस गई हूँ और मुझे अभी, इसी वक़्त तेरी ज़रूरत है!"

    "तू बता तो सही कि हुआ क्या है? क्या किया है तूने?"

    इनाया ने शॉर्ट में पूरी कहानी सुना दी। मानव ने अपना सर पकड़ लिया।

    "ऐना, आखिर प्रॉब्लम क्या है तेरी? कोई काम ठीक से क्यों नहीं करती तू? तुझे पता है तुझमें और चुंबक में कोई खास फर्क नहीं है , चुंबक लोहे को अट्रैक्ट करता है और तू मैग्नेट जैसे मुसीबतों को अपने पास बुलाती रहती है!"

    "यार, तू टोंट मारना बंद कर और चुपचाप ये बता कि तू आएगा या मैं कोई और जुगाड़ लगाऊँ?"

    "लोकेशन सेंड कर अपनी। आता हूँ, पर ज़्यादा देर नहीं रुकूँगा, समझी?"

    "Okay, okay... मैं लोकेशन सेंड कर रही हूँ। तू जल्दी आना, मैं वेट करूँगी... okay, bye!"

    इनाया ने झट से कॉल कट की और अपनी लोकेशन सेंड करने के बाद वापिस कायरव के पास आ गई।

    "Upss... ये तो इतनी गंदी जगह ही सो गया!" इनाया ने उसे फुटपाथ पर लेटे देखकर अजीब-सा मुँह बनाया, फिर खुद में बड़बड़ाने लगी ,

    "चल छोड़ यार, बहुत हैवी है, पता नहीं मनु कब तक आएगा? मैं कब तक इसके वजन को संभालती रहूँगी? आराम से लेटा है, तो लेटे रहने देती हूँ।"

    इनाया ने सर झटका और यहाँ से वहाँ चहलकदमी करते हुए मनु का वेट करने लगी, साथ ही उसका बड़बड़ाना भी जारी था।

    कुछ ही देर बाद एक बाइक वहाँ आकर रुकी। उस पर कोई लड़का बैठा था, जिसका चेहरा हेलमेट से कवर था।

    इनाया तुरंत दौड़कर उसके पास चली गई।

    "अच्छा हुआ तू आ गया! अब जल्दी से इसे हॉस्पिटल छोड़ दे। चोट ज़्यादा नहीं लगी, पता नहीं होश क्यों नहीं आ रहा?"

    मानव ने हेलमेट उतारा। अच्छी-खासी हाइट थी, फिट था और देखने में हैंडसम भी था। फॉर्मल कपड़ों में काफी अट्रैक्टिव लग रहा था।

    "पहले मुझे देखने देगी?" मानव ने चिढ़ते हुए उसे घूरा। इनाया ने झट से सर हिला दिया और उसे कायरव के पास ले आई, जो अब भी बेहोश था।

    "चोट तो सच में गहरी नहीं है, फिर होश क्यों नहीं आ रहा इसे?"

    "वही तो मैं सोच रही थी! मैंने तो इस पर पानी भी डाला, इसने आँखें खोली भी, पर फिर वापस बेहोश हो गया। अब तो डॉक्टर ही बता सकते हैं कि आखिर इसे हुआ क्या है! लेकिन तू बाइक लेकर क्यों आया है? बाइक पर इसे कैसे लेकर जाएँगे?"

    "तूने हेलीकॉप्टर दिलाया होता मुझे, तो वही लेकर आता!" मानव ने एक बार फिर तंज कसा और इनाया ने बुरा-सा मुँह बना लिया।

    "तू न आजकल मेरे साथ बहुत रूडली बिहेव करने लगा है! मैं बता रही हूँ तुझे , सुधर जा, वरना मैं तुझसे बात करना ही बंद कर दूँगी!"

    इनाया की धमकी सुनकर मानव ने बेबसी से सर हिलाया और कायरव को उठाने लगा। इनाया और ज़्यादा चिढ़ गई और गुस्से से उसे घूरने लगी, लेकिन मानव ने उस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।

    "अब वहाँ खड़ी-खड़ी मुझे घूर क्या रही है? आकर मेरी हेल्प करवा! तुझे हॉस्पिटल छोड़कर मुझे वापस ऑफिस भी जाना है। कुछ पता भी है तुझे? बॉस को झूठ बोलकर आया हूँ , सिर्फ आधे घंटे का टाइम दिया है। उसके बाद मीटिंग है, अगर तब तक वहाँ प्रेजेंट नहीं मिला, तो आज की ऑफ लगेगी ही और साथ ही बॉस की बातें भी सुननी पड़ेंगी!"

    इनाया मुँह बनाते हुए उसकी हेल्प करने लगी। दोनों ने कायरव की एक-एक बाँह को अपने कंधे पर रखा और किसी तरह संभालकर उसे बाइक तक लेकर आए।

    "तुझसे नही संभेलगा ये, तू आगे बैठ, मैं इसके साथ पीछे बैठता हूँ। बस तू ध्यान से बाइक चलाईयो , कहीं ऐसा न हो कि इसके साथ-साथ हमें भी हॉस्पिटल में एडमिट होने की नौबत आ जाए!"

    इनाया ने सर हिलाया और आगे बैठ गई। मानव ने किसी तरह कायरव को इनाया के पीछे बिठाया और उसके स्टॉल से दोनों को हाथ में बाँध दिया और पीछे खुद बैठ गया।

    "गणपति बप्पा मोरया..." इनाया के होंठ फड़फड़ाए और उसने बाइक स्टार्ट कर दी।

    कुछ देर बाद बाइक पास के हॉस्पिटल के बाहर रुकी। वार्ड बॉय स्ट्रेचर लेकर आया और मानव उसके साथ चला गया।

    "मैंने डॉक्टर से बात कर ली है , शॉक की वजह से बेहोश था वो। थोड़ी देर में होश आ जाएगा। टेंशन लेने वाली कोई बात नहीं है।"

    इनाया की जान में जान आई। वो धम्म से पास में लगी चेयर पर बैठ गई और हाथ जोड़कर मन ही मन बड़बड़ाने लगी ,

    "गणपति बप्पा, थैंक्यू सो मच! मैं तो खामखाँ ही डर गई थी। वैसे तो मैंने कुछ किया नहीं था, पर वहाँ मेरे अलावा कोई और था भी तो नहीं। अगर इसे कोई सीरियस प्रॉब्लम हो जाती, तो फँसती तो मैं ही!"

    "अब क्या बड़बड़ाने लगी तू?" मानव ने टोका। तब जाकर इनाया अपने ख्यालों से बाहर आई और झट से इंकार में सर हिला दिया।

    "ऐना, एक बात बता , तूने मुझे क्यों बुलाया? कोई टैक्सी बुला लेती, तो इतनी प्रॉब्लम नहीं हो रही होती!"

    "टैक्सी वाले को बुलाने का रिस्क कौन लेता! ये तो बेहोश पड़ा था , कहीं टैक्सी वाला मुझे इसकी इस हालत का ज़िम्मेदार समझकर पुलिस में कम्प्लेन कर देता, तो मैं तो बेवजह ही पुलिस स्टेशन पहुँच जाती ना? और मुझे तो कोई छुड़ाने भी नहीं आता!"

    "हमेशा ज़रूरत से ज़्यादा ही सोचती है तू! ले, इसे पी..." मानव ने पानी का ग्लास उसकी तरफ बढ़ाया। इनाया को ज़ोरों की प्यास लगी थी। उसने जल्दी से ग्लास पकड़ा और एक साँस में पूरा ग्लास खाली कर दिया।

    "ऐना, अब मुझे जाना होगा। मेरा जल्दी ही ऑफिस पहुँचना बहुत इम्पॉर्टेंट है। यहाँ तेरा भी अब कुछ खास काम नहीं है , पेमेंट भी हो चुकी है। अगर चलेगी, तो मेरे साथ चल; मैं तुझे ड्रॉप करते हुए ऑफिस चला जाऊँगा।"

    "तू बोल तो सही रहा है। मेरे वजह से कुछ हुआ नहीं था, फिर भी मैंने इतना तो कर दिया इसके लिए , रास्ते से उठाकर हॉस्पिटल ले आई, ट्रीटमेंट का खर्चा भी उठाया। बस, नर्स से बात कर लूँ, फिर चलती हूँ।"

    मानव उसका वेट करने लगा। इनाया कुछ देर बाद नर्स से बात करके आई और मानव के साथ निकल गई।

    कायरव बेहोश था। करीब दो घंटे बाद उसे होश आया। आँखें हल्की-सी खुलीं। खुद को अंजान जगह देखकर वो पहले तो चौंक गया। फिर आस-पास नज़रें घुमाईं, तो समझ आया कि वो इस वक़्त हॉस्पिटल में है।

    ठीक इसी वक़्त गेट खुला और नर्स ने अंदर कदम रखा।

    "होश आ गया आपको? अब कैसा फील कर रहे हैं आप?"

    "Feeling better... पर मैं यहाँ कैसे आया?"

    "एक लड़की और एक लड़का आपको यहाँ लेकर आए थे। आपका एक्सीडेंट हुआ था और शॉक की वजह से आप बेहोश हो गए थे, तो उन्होंने ही आपको एडमिट करवाया। थोड़ी देर पहले ही वो दोनों यहाँ से गए हैं। आपके ट्रीटमेंट की पेमेंट भी करके गए हैं। और जाने से पहले उस लड़की ने मुझसे आपको ये मैसेज देने कहा था , कि ड्राइविंग संभालकर किया कीजिए, ज़रूरी नहीं हर कोई उनके तरह बड़े दिल वाला हो जो आपको ज़ख़्मी हालत में सड़क से उठाकर हॉस्पिटल छोड़ जाए।"

    कायरव के चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन नज़र आ रहे थे। उसे एक्सीडेंट होने वाला पूरा सीन याद आ गया था और आँखों के आगे इनाया का चेहरा घूमने लगा था।

    "क्या आप उनका नाम जानती हैं?"

    कायरव का सवाल सुनकर नर्स थोड़ी उलझी, फिर अपने दिमाग पर ज़ोर डालते हुए बोली ,

    "फॉर्म में उन्होंने अपना नाम शायद इनाया... इनाया देशमुख लिखा था।"

    "इनाया देशमुख..." इनाया का नाम दोहराते हुए कायरव की आँखें कुछ अलग अंदाज़ में चमकीं। उसने नर्स को थैंक्यू कहा। डॉक्टर ने आकर उसे चेक किया, फिर वो भी हॉस्पिटल से निकल गया।

    ऑटो एक घर के बाहर रुका और इसके साथ ही वो अपने ख्यालों से बाहर आई। ऑटो वाले को पैसे देकर नीचे उतर गई।

    अब तक जो कॉन्फिडेंस और गुस्सा उसकी पर्सनैलिटी को एन्हैंस कर रहा था, अब वो कहीं गायब हो गया था और चेहरे पर घबराहट के भाव उभर आए थे।

    To be continued...

    स्टोरी पसंद आ रही हो तो लाइक एंड कॉमेंट करके ज़रूर बताए।

  • 6. Contracted hearts - Chapter 6

    Words: 1530

    Estimated Reading Time: 10 min

    "काम मिला या इस बार भी मुंबई की सड़कों की खाक छानकर खाली हाथ ही लौट आई है?" इनाया ने घर में कदम भी नहीं रखा था कि एक तीखी आवाज़ उसके कानों से टकराई और उसका चेहरा काला पड़ गया।

    इनाया ने घबराकर आवाज़ की दिशा में नज़रें घुमाई। सामने ही एक 45–50 के आसपास की उम्र की लेडी खड़ी थी, जिसने सिंपल सी साड़ी पहनी हुई थी।

    "जवाब क्यों नहीं देती? काम मिला या आज भी बेकार में सड़कों पर हांडकर वक़्त बर्बाद करने के बाद खाली हाथ ही वापिस लौट आई है?"

    सविता जी ने इनाया को पैनी निगाहों से घूरते हुए सवाल दोहराया।

    "आई..." इनाया ने बेचारगी से उन्हें देखा, पर आगे बोलने से पहले ही सविता जी ग़ुस्से में उस पर भड़क गईं।

    "आई, आई क्या करती है? बता, काम मिला या नहीं तुझे?"

    "नहीं मिला, आई।" इनाया की आवाज़ धीमी थी, वहीं सविता जी का चेहरा ग़ुस्से से लाल हो गया।

    "हमारे ही फूटे नसीब थे जो तुझ पर इतने पैसे लुटा दिए। सबके खिलाफ जाकर तुझे इतना आगे बढ़ाया, सोचा था, पढ़-लिख लेगी तो कम से कम हमारा बोझ हल्का करेगी… कुछ कमाएगी, चार पैसे घर में लाएगी तो शायद हमारे भी हालात सुधर जाएँगे।

    लेकिन तूने तो जैसे कसम खा ली है सबके सामने हमें शर्मिंदा करने की। कभी-कभी तो सोचती हूँ कि तुझे उस अनाथालय में ही सड़ते छोड़ दिया होता तो अच्छा होता। उसी लायक थी तू।

    इतना किया तेरे लिए , अनाथाश्रम से उठाकर अपने घर लाई, अच्छे कॉलेज में भेजा, तुझे वो सब दिया जो अपने सगे बच्चों को भी मुश्किल से दे पाते , और बदले में मिला क्या?

    आज भी तू हमारे ही सिर पर बोझ बनकर बैठी है। एक पैसा नहीं कमाया तूने अब तक, बस घर में बैठकर मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ती रहती है।

    लेकिन अब और नहीं, इनाया। अब मेरा सब्र जवाब दे रहा है। तेरे पास सिर्फ़ एक हफ़्ते का वक़्त है। या तो इस हफ़्ते के अंदर कोई नौकरी ढूंढ, और अपनी पहली तनख़्वाह मेरे हाथ में लाकर रख ,

    वरना याद रख, सचिन आज भी तुझसे लगन करने के लिए तैयार बैठा है।

    अगले हफ़्ते तेरा लगन मैं खुद करवा दूँगी, बिना तेरी मर्ज़ी पूछे , ताकि इस बोझ से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाए।

    फिर जो करना हो, अपने ससुराल जाकर करना , हमारे सर से तो एक मुसीबत टल जाएगी।"

    सविता जी के कहे तीखे शब्द इनाया के सीने पर जाकर लगे। दिल में दर्द सा उठा और बेबसी आँखों में नमी बनकर उतर आई। वो सर झुकाए चुप सी सब सुनती रही।

    सविता जी ने अपनी सारी भड़ास निकाल ली। इनाया को अच्छे से सुनाने के बाद कर्कश स्वर में बोली ,

    "अब यहाँ खड़ी होकर ज़मीन को क्या घूर रही है? खुद महारानी जैसे अब लौटी है और अभी भी यहाँ से हिलने को तैयार नहीं। घर का काम क्या तेरा बाप करेगा?

    एक तो पहले ही आधा दिन यूँ ही बाहर बर्बाद करके आई है , नौकरी तो मिलती नहीं, बस बहाने बनाकर रोज़ सड़कों पर आवारागर्दी करने निकल जाती है।

    चल जा, जा के कुछ काम कर , कम से कम घर के कामों में ही हाथ बटा दे। और किसी लायक तो तू है नहीं! थोड़े हाथ-पाँव ही चला ले, वरना ससुराल जाएगी तो वहाँ से भी हमें ही चार बातें सुनने को मिलेंगी।"

    सविता जी उसे सुनाते हुए वहाँ से चली गईं। इनाया ने टूटी हुई सैंडिल साइड में पटकी, पर्स लेकर अपने रूम में चली गई। उस 50 गज के घर में एक छोटा सा कमरा उसका भी था।

    रूम में कदम रखते ही इनाया की आँखें बरसने लगीं। भीगी पलकें सामने की ओर उठीं, जहाँ छोटा सा मंदिर बना था और उसने बप्पा की प्यारी सी मूर्ति रखी हुई थी।

    "बप्पा, मैंने क्या ग़लत किया है? मेरे साथ ही हमेशा ऐसा क्यों होता है? इतनी कोशिश करती हूँ मैं, फिर भी मुझे कोई ढंग की जॉब क्यों नहीं मिलती?

    आप जानते हैं मुझे जॉब मिलना कितना ज़रूरी है, फिर भी आप मेरा साथ नहीं देते।

    इतना मानती हूँ मैं आपको, पर आपको मेरी कोई परवाह ही नहीं है।

    माना आपके बहुत बड़े-बड़े भक्त हैं और वो आपको बहुत कुछ चढ़ाकर आपको खुश करते हैं, लेकिन मैं छोटी सी ही सही पर भक्त तो हूँ आपकी।

    इतनी श्रद्धा से आपको हर रोज़ मोदक चढ़ाती हूँ और माँगती क्या हूँ? बस एक ठीक-ठाक सी नौकरी, ताकि मुझे रोज़-रोज़ के इन तानों से छुटकारा मिल जाए।

    लेकिन आप मेरी इतनी छोटी सी विश भी पूरी नहीं करते।
    हर बार नौकरी मेरे हाथ में आते-आते ही निकल जाती है।
    अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आई सच में उस सुअर से मेरा लगन करवा देगी ,

    और अगर ऐसा हो गया तो देखना, मैं आपके ही मंदिर के सामने आकर अपनी नस काटकर अपनी जान दे दूँगी, पर कभी उससे शादी नहीं करूँगी।"

    इनाया ने अपने आँसू पोंछे, कपड़े बदले और घर के कामों में लग गई।

    घर की सफ़ाई से खाना बनाने तक, सब काम जैसे उसी की राह देख रहे थे। साथ ही सविता के कड़वे ताने किसी बैकग्राउंड म्यूज़िक जैसे बज रहे थे।

    सारे दिन की थकी-हारी वो शाम को लेटी ही थी कि उसका फोन बजने लगा। स्क्रीन पर चिम्पैंज़ी की फोटो आ रही थी।

    इनाया ने कॉल रिसीव किया और धड़ाम से बिस्तर पर गिर गई।

    "हैलो बोल, क्यों फोन किया तूने?"

    "तुझे क्या हुआ? इतनी डाउन क्यों लग रही है, सब ठीक है न?"

    "अपनी लाइफ में सब बढ़िया ही रहता है," इनाया मुस्कुराई जैसे अपना ही मज़ाक उड़ा रही हो। वहीं मानव परेशान हो गया।

    "ऐना, क्या हुआ है? तू ठीक है ना?"

    "मिलेगा अभी मुझसे?" इनाया ने एकदम से कहा। मानव चौंक गया, फिर कुछ सेकंड सोचने के बाद बोला ,

    "ठीक है, मैं पंद्रह मिनट में तेरे घर के पास वाले पार्क में पहुँच रहा हूँ। तू वहीं मिलियो मुझसे।"

    "Okay, bye."

    दोनों ने कॉल कट कर दी। इनाया उठकर बैठ गई, जल्दी-जल्दी अपना हुलिया ठीक किया, हाथ मुँह धोया और घर से बाहर निकलते हुए चिल्लाई ,

    "आई, मैं मानव से मिलने जा रही हूँ, थोड़ी देर में आ जाऊँगी।"

    सविता जी ने ग़ुस्से से उसे घूरा पर कुछ कह नहीं सकीं। इनाया ने उन्हें मौका ही नहीं दिया और चप्पल पैर में घुसाते हुए जल्दी से भाग गई।

    कुछ देर बाद दोनों पार्क में घास पर आलती-पालती मारकर बैठे थे।

    इनाया मुँह फुलाए घास उखाड़ रही थी और मानव परेशान से गौर से उसके चेहरे को देखते हुए उसके दिल में क्या चल रहा है, ये समझने की कोशिश कर रहा था।

    जब इनाया ने खुद से कुछ नहीं कहा तो मानव ने ही बात शुरू की ,

    "अब क्या हुआ तुझे? क्यों सड़े हुए कद्दू जैसी शक्ल बनाकर बैठी है? कुछ बताएगी भी?

    तूने ही मुझे यहाँ मिलने बुलाया और जब से आया हूँ, तू मुँह फुलाए बैठी बस घास उखाड़ रही है।

    अगर कोई प्रॉब्लम है तो मुझे बता तो सही , तभी तो मैं कोई सॉल्युशन दे पाऊँगा।"

    इनाया ने अब झुकी पलकों को उठाया और मुँह बिचकाते हुए मायूसी से बोली,

    "तू जानता तो है , मेरी ज़िंदगी में मुसीबतें नहीं हैं, बल्कि मेरी ज़िंदगी खुद एक बहुत बड़ी मुसीबत है।"

    "साफ-साफ बता ना , इस बार क्या हुआ?" मानव अलर्ट होकर बैठ गया।

    "तू जानता है मैं कितनी बेकार हूँ, ज़रा सी बात भी बर्दाश्त नहीं करती , और मेरी इसी आदत की वजह से मेरे हाथ से इतनी अच्छी opportunity चली गई थी।

    कितनी जगह धक्के खाने के बाद पिछले महीने इतनी मुश्किल से एक जॉब मिली भी , पर फिर से मेरी कैंची जैसी ज़ुबान की वजह से दो दिन में धक्के मारकर मुझे वहाँ से निकाल दिया गया।

    अब दूसरी नौकरी मिलना कोई आसान बात तो नहीं। पाव भाजी थोड़े है कि ठेले पर गए और खरीदकर खा लिया।

    इतने दिनों से धक्के खा रही हूँ, पर कहीं काम ही नहीं मिलता। और अगर कहीं मिल भी गया तो वो कबूतर मुझे काम करने नहीं देगा।

    मेरी आई, कम यमराज, मेरी गर्दन पर शादी की तलवार लेकर चढ़ी है , और तैयार है मेरा सर कलम करने को।
    उनका बस चले तो अभी ही मेरा लगन उस कबूतर से करवाकर मुझसे अपना पीछा छुड़वा ले।

    उसने मुझे एक हफ़्ते का टाइम दिया है और कहा है कि अगर काम नहीं मिला और मैंने पैसे उसके हाथ में नहीं रखे ,
    तो अगले हफ़्ते उस सुअर से मेरा लगन पड़वा देगी।

    अब कहाँ से लाऊँ नौकरी, जब काम मिल ही नहीं रहा?"

    इनाया अपना सर पकड़कर बैठ गई। वो सच में बहुत इरिटेट हो गई थी।

    "मुझसे पैसे लेकर उन्हें दे दे। अगले महीने तक, बप्पा ने चाहा तो तुझे कोई न कोई नौकरी मिल ही जाएगी। वरना मैं ही कोई जुगाड़ लगाऊँगा तेरे लिए।"

    "नहीं रे, ऐसे काम नहीं बनेगा। आज तुझसे पैसे ले लूँगी , पर अगले महीने क्या होगा? जॉब मिलनी बहुत ज़रूरी है।"

    इनाया पल भर रुकी, फिर अचानक ही उसके दिमाग में कुछ आया और उसकी आँखें जुगनुओं सी चमक उठीं।

    "मनु, एक काम कर न यार, तू मुझसे शादी कर ले ना।
    सारी प्रॉब्लम ही सॉल्व हो जाएगी। मैं उस घर से बाहर निकल जाऊँगी , उस सुअर की औलाद से भी छुटकारा मिल जाएगा।"

    इनाया की बात सुनकर मानव के चेहरे का रंग उड़ गया।


    To be continued...

  • 7. Contracted hearts - Chapter 7

    Words: 1570

    Estimated Reading Time: 10 min

    "नहीं रे, ऐसे काम नहीं बनेगा। आज तुझसे पैसे ले लूँगी, पर अगले महीने क्या होगा? जॉब मिलनी बहुत ज़रूरी है।"

    "जहाँ आज इंटरव्यू के लिए गयी थी, वहाँ क्या हुआ?" मानव ने जैसे ही ये सवाल किया, इनाया की आँखों के सामने कायरव का चेहरा आ गया। उसका गोरा मुखड़ा गुस्से की शिद्दत से लाल हो गया, वो एकदम से चिल्लाई,

    "वो साला सटका हुआ था। पागल बना रहा था मुझे।"

    "क्या मतलब? मैं कुछ समझा नहीं। ज़रा डिटेल में बता कि आखिर इंटरव्यू में हुआ क्या और अचानक से तुझे इतना गुस्सा क्यों आ गया?" मानव बुरी तरह चौंका, माथे पर परेशानी की रेखाएँ खिंच गयीं।

    "वो कायरव रायचंद कोई और नहीं बल्कि वही लड़का है, जिसका उस दिन एक्सीडेंट हुआ था और तेरी हेल्प से मैं उसे हॉस्पिटल लेकर गयी थी। मुझे तो लगता है, उस एक्सीडेंट में ज़रूर उसके सर पर कोई गहरी चोट लगी थी, जो डॉक्टर को भी नज़र नहीं आई।"

    "सच कह रही है तू... मतलब वो लड़का कायरव रायचंद है? उस दिन तेरे वजह से उसका एक्सीडेंट हुआ, और आज तू जॉब के लिए उसी के पास पहुँच गयी।" मानव हैरान था और इनाया फ्रस्टेट।

    "हाँ, वही था वो। उसी ने बुलाया था मुझे इंटरव्यू के लिए। तुझे नहीं पता, वो आदमी पूरा पागल है, उसके दिमाग के सारे तार हिले हुए हैं। मुझे तो लगता है, उस एक्सीडेंट की वजह से उसका मेंटल बैलेंस बिगड़ गया है।"

    "तू ऐसा क्यों कह रही है? उस दिन तो ठीक-ठाक दिख रहा था, चोट भी ज़्यादा गहरी नहीं थी और डॉक्टर ने भी तो कहा था कि वो बिल्कुल ठीक है, बस शॉक की वजह से बेहोश हो गया था। फिर तू उसे पागल क्यों कह रही है? अब ऐसा क्या हो गया तुम दोनों के बीच कि तूने उसे सीधे मेंटल ही बना दिया?"

    "मैंने बनाया थोड़े न है वो मेंटल है, अपनी हरकतों से उसने साबित किया है कि उसके दिमाग का सर्किट हिला हुआ है।"

    "ऐसा भी क्या कर दिया उसने जो तू उस पर इतना भड़क रही है?"

    "तू ये पूछ रहा है कि उसने क्या किया? अरे, ये पूछ कि उसने क्या नहीं किया..."

    इनाया झल्लाई। मानव ने अपना सर पकड़ लिया।

    "देवी जी, अब बात को घुमाती ही रहेगी या बताएगी भी कि हुआ क्या है?"

    "हुआ तो कुछ नहीं, करना तो वो बहुत कुछ चाहता था, पर मैंने उसके इरादों को पूरा होने नहीं दिया।"

    इनाया ने गुस्से में जबड़े भींचे। मानव चिढ़ गया और भौंहें सिकोड़े उसे घूरने लगा।

    "इनाया, आई शपथ! अगर एक और बार तूने काम की बात बताने के जगह ये बकवास की, तो मैं उठकर चला जाऊंगा। बताना है तो साफ-साफ बता कि क्या हुआ है, वरना मुँह बंद रख अपना। एक तो मैं पहले ही थका हुआ हूँ, ऊपर से तू मुझे और पकाए जा रही है।"

    इनाया ने मुँह बना लिया।

    "अब कुछ बोलेगी भी या मुँह ही बनाती रहेगी?"

    मानव ने फिर टोका। इनाया नाक सिकोड़ते हुए बोली,

    "बहुत बुरा है तू। जानता है, तेरे अलावा मेरी लाइफ में और कोई नहीं जिससे मैं अपने दिल की बात शेयर कर सकूँ, अपनी प्रॉब्लम बता सकूँ, अपने मन की भड़ास निकाल सकूँ। तू ही तो बप्पा के बाद मेरा बेस्ट बडी है, और अब तू भी मुझे बोलने नहीं दे रहा।"

    इनाया की नौटंकी देखकर मानव ने बेबसी से सर हिला दिया और गहरी साँस छोड़ते हुए बोला,

    "हो गया इमोशनल ब्लैकमेलिंग का नाटक? तो अब काम की बात बोल, बता क्या हुआ आज तेरे इंटरव्यू में?"

    इनाया पहले तो चिढ़ गयी फिर तुरंत ही आँखे बड़ी बड़ी करके उसे देखने लगी।

    "तुझे पता है, उसने मुझे इंटरव्यू पर बुलाकर क्या कहा?"

    "मुझे कैसे पता होगा?" मानव ने नासमझी में कंधे उचकाए। इनाया ने सर हिलाते हुए कहा,

    "हाँ, तुझे कैसे पता होगा? चल, मैं ही बता देती हूँ। उसने अपने असिस्टेंट से बोलकर मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया, और वहाँ बुलाकर मुझे कहता है कि मुझे उससे शादी करनी होगी, और शादी भी कैसी — कॉन्ट्रैक्ट मैरिज! एक साल के लिए उसकी वाइफ बनकर उसके साथ रहना होगा, फिर वो मुझे डिवोर्स दे देगा। और इस शादी के बदले वो मुझे पैसे देगा, मेरा करियर बनाने में भी मेरी हेल्प करेगा।

    अब तू बता, ये कोई बात होती है? पागल ही था न वो, जो इंटरव्यू पर बुलाकर शादी का प्रपोज़ल दे रहा था — वो भी मुझे! मैंने तो मुँह पर मना कर दिया और इतना सुनाया कि मरते दम तक याद रखेगा और दोबारा कभी मेरे सामने नहीं आएगा।"

    कायरव को याद करते हुए इनाया ने पहले गुस्से से आँखे सिकोड़ी अगले ही पल खुद पर इतराने लगी। मानव शॉक्ड था, वो फटी आँखों से हैरान-परेशान-सा बस उसे देखता ही रह गया।

    "You mean to say... मतलब कायरव रायचंद ने तुझे इंटरव्यू पर बुलाया, शादी का प्रपोज़ल दिया? कॉन्ट्रैक्ट मैरिज — एक साल की — और तू उसे सुनाकर आ गयी?"

    "और नहीं तो क्या? उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसी बात करने की? सारी दुनिया में उसे क्या मैं ही मिली थी? गरीब हूँ और पैसों की ज़रूरत है, तो क्या कुछ भी करने को तैयार हो जाऊँगी? मैंने तो अच्छे से सुनाया उसे — उसके कान से खून आने लगा होगा।"

    इनाया ने जबड़े भींच लिए, वही मानव गहरी सोच में खो गया।

    "ऐना, एक बार ठंडे दिमाग से इस ऑफर के बारे में सोच। अगर तू ये डील कर लेती है, तो तेरी सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी।"

    मानव के शब्द इनाया के कानों में पड़े और आँखें हैरानी से फैल गयीं।

    "पागल हो गया है तू? कहीं अपना दिमाग बेचकर खा तो नहीं गया? पता भी है तुझे कि क्या बकवास कर रहा है?"

    इनाया गुस्से से चीखी, मानव ने गंभीरता से जवाब दिया।

    "हाँ, पता है। और जो भी कह रहा हूँ, अच्छे से सोचने-समझने के बाद ही कह रहा हूँ। सोच — बस एक साल उसकी पत्नी बनकर रहना है। फिर तू आज़ाद होगी और उसके पैसों से अपना कोई अलग काम शुरू कर सकेगी। फिर तुझे रोज़ खाने के साथ अपनी आई की गालियाँ नहीं सुननी पड़ेंगी। रोज़-रोज़ की किच किच से छुटकारा मिल जाएगा। सचिन नाम की मुसीबत से भी तेरा पीछा छूट जाएगा।"

    "मनु, बकवास मत कर। मैं खुद को बेचने नहीं वाली हूँ।"

    "तू नहीं बेचेगी, तो तेरी आई बेच देगी तुझे उस सचिन को। उसके चंगुल से तो तू कभी निकल भी नहीं सकेगी। इसलिए एक बार कायरव रायचंद से जाकर मिलकर अच्छे से बात कर। जान कि आखिर वो ऐसी शादी तुझसे करना क्यों चाहता है, और इससे उसे क्या फायदा होगा।

    कोशिश तो करके देख। क्या पता बप्पा ने तुझे इस चॉल और इस घुटन, जिल्लत भरी ज़िंदगी से दूर भेजने के लिए उसे ज़रिया बनाकर भेजा हो। तू खुद सोच ना — वो इतना अमीर और पावरफुल है, तू उसकी वाइफ बनेगी तो किसी की हिम्मत नहीं होगी तुझ पर गंदी नज़र डालने की। इस डील के बदले लाखों-करोड़ों रुपये मिलेंगे तुझे। तू सब कुछ छोड़कर किसी नई जगह जाकर एक न्यू लाइफ शुरू कर सकती है। बस एक साल की बात है... एक बार बात करने में प्रॉब्लम ही क्या है?

    जा, उससे मिल — एक बार आराम से बैठकर बात कर और उसके बाद सोचियो कि तुझे ये करना है या नहीं।"

    "जो भी हो... मैं उसके मुँह पर मना करके आई हूँ। अब दोबारा कैसे जा सकती हूँ? कोई इज़्ज़त है कि नहीं मेरी? वैसे भी मुझे अभी शादी-वा mदी नहीं करनी है। किसी का सहारा लेकर आगे बढ़ने का कोई शौक नहीं है मुझे। मैं अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर कुछ करना चाहती हूँ।"

    "और क्या कर लिया तूने अपनी इस मेहनत और टैलेंट के दम पर? एक ढंग की नौकरी तक नहीं ढूँढ पाई तू। आज भी उसी घर के छोटे से कमरे में पड़ी है। रोज़ अपनी आई की खरी-खोटी सुनती है। नौकरों जैसी औकात है वहाँ तेरी — उनसे भी बुरा ही हाल है।

    इतना लड़-झगड़कर पढ़ाई की थी ना तूने, पर आज सड़क की खाक छान रही है। इंसान को मौका मिलता है न, तब वो मेहनत करके खुद को प्रूफ करता है। अगर मौका ही नहीं मिलेगा, तो टैलेंट भी किसी काम का नहीं रहता।

    दोस्त हूँ तेरा, जानता हूँ कि तू आज जहाँ है, वहाँ तक पहुँचने के लिए कितना स्ट्रगल किया है तूने, कितनी प्रॉब्लम्स फेस की हैं। नहीं चाहता कि तेरी लाइफ बर्बाद हो। इसलिए कह रहा हूँ — एक बार सोच इस बारे में। ये एक मौका तेरी लाइफ बदल सकता है। वरना एक हफ्ते बाद तेरी आई तेरी शादी उस सचिन से करवा देगी। फिर तू ज़िंदगी भर उस चारदीवारी के अंदर सड़ती रहेगी और उस कमीने की गुलामी करते हुए अपनी लाइफ बर्बाद कर लेगी।"

    मानव के तीखे शब्द इनाया के दिल पर जाकर लगे। उसकी अब तक की ज़िंदगी उसकी आँखों के सामने घूमने लगी। सचिन से शादी का सोचकर ही उसका मन घिन से भर गया।

    "कर ले यार उस लड़के से शादी और निकल जा यहाँ से बाहर। तू इस लाइफ के लिए नहीं बनी है। वो तुझे वो सब देगा, जो तू डिज़र्व करती है।"

    "मनु, एक काम कर न यार... तू मुझसे शादी कर ले ना।

    सारी प्रॉब्लम ही सॉल्व हो जाएगी। मैं उस घर से बाहर निकल जाऊँगी, उस सुअर की औलाद से भी छुटकारा मिल जाएगा मुझे।"

    इनाया की बात सुनकर मानव के चेहरे का रंग उड़ गया। वो सीरियस थी — और मानव शॉक्ड।

    To be continued...

    कैसा लगा आपको ये पार्ट और स्टोरी कैसी लग रही है कॉमेंट करके बताइये, पसंद आ रही हो तो लाइक करे।

  • 8. Contracted hearts - Chapter 8

    Words: 1648

    Estimated Reading Time: 10 min

    "मनु, एक काम कर न यार... तू मुझसे शादी कर ले ना।

    सारी प्रॉब्लम ही सॉल्व हो जाएगी। मैं उस घर से बाहर निकल जाऊँगी, उस सुअर की औलाद से भी छुटकारा मिल जाएगा मुझे।"

    इनाया की बात सुनकर मानव के चेहरे का रंग उड़ गया। वो सीरियस थी और मानव शॉक्ड।

    "तेरा दिमाग तो ठिकाने पर है? किसी बात का सदमा-वदमा तो नहीं लग गया तुझे? ये क्या बकवास कर रही है? तुझे खुद को समझ आ रहा है?... मुझे कह रही है कि मैं तुझसे शादी कर लूँ? Seriously...?"

    मानव का रिएक्शन देखकर इनाया के एक्सप्रेशन बिगड़ गए।

    "बकवास की क्या बात है इसमें? और तू ऐसे रिएक्ट क्यों कर रहा है? मैंने बस शादी करने ही तो कहा है! किसी से तो करेगा न तू, तो मुझसे कर ले। प्रॉब्लम क्या है इसमें?"

    "प्रॉब्लम ही प्रॉब्लम है! तू जानती है कि हम सिर्फ फ्रेंड्स हैं। मेरे दिल में तेरे लिए वैसी वाली फीलिंग्स नहीं हैं। तू मेरी बहुत अच्छी दोस्त है... बचपन से साथ रहे हैं हम, एक-दूसरे को बहुत अच्छे से जानते हैं... पर शादी , वो भी तुझसे? नहीं, ये पॉसिबल नहीं है।"

    "क्यों पॉसिबल नहीं है? प्रॉब्लम क्या है मुझसे शादी करने में? तूने ही कहा न कि हम बचपन से साथ हैं, एक-दूसरे को बहुत अच्छे से जानते हैं, इतनी बढ़िया केमिस्ट्री है हमारी। तू मेरे बारे में सब जानता है।

    जब तू मुझे एक अंजान लड़के से कॉन्ट्रैक्ट मैरिज करने के लिए कह सकता है, तो खुद मुझसे शादी क्यों नहीं कर सकता? क्या मैं तुझे पसंद नहीं, या तुझे मैं तेरे लायक नहीं लगती? कहीं ऐसा तो नहीं कि तू मेरी प्रॉब्लम्स में फँसना नहीं चाहता, इसलिए मना कर रहा है?"

    इनाया इस वक़्त काफ़ी सीरियस नज़र आ रही थी और मानव की आँखों में झाँक रही थी, जो कुछ परेशान नज़र आने लगा था।

    "अगर मुझे तेरी प्रॉब्लम्स से दूर रहना होता, तो तुझसे दोस्ती ही नहीं करता। मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ तुझे, तू बहुत अच्छी है, और वो लड़का लकी होगा जिसकी लाइफ में तू होगी। लेकिन मैं वो लकी लड़का नहीं बन सकता।

    क्योंकि तू मेरे नहीं बल्कि मैं तेरे लायक नहीं हूँ।

    तू किसी ऐसे लड़के को डिज़र्व करती है जिसके पास पैसा और पावर हो, जो तुझे सचिन और तेरी आई से प्रोटेक्ट कर सके, तुझे वो लाइफ दे सके जो तुझे मिलनी चाहिए थी।

    मैं मिडल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करने वाला एक मामूली सा लड़का हूँ। 9 से 7 की जॉब करता हूँ ताकि मेरा घर चल सके। मैं न तो तेरे बड़े-बड़े सपनों को पूरा कर सकता हूँ, न आगे बढ़ने में तेरी हेल्प कर सकता हूँ और न ही सचिन जैसे गुंडे से तुझे बचा सकता हूँ।

    इसलिए कह रहा हूँ, बहुत अच्छा मौका मिला है तुझे , उसका फ़ायदा उठा।"

    इनाया मायूस हो गयी और मुँह लटकाकर बैठ गयी।

    "मैं ऐसी शादी नहीं करना चाहती यार। मैं कैसे समझाऊँ तुझे कि जो तुझे अभी हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन नज़र आ रहा है , वो मेरी लाइफ की सबसे बड़ी प्रॉब्लम बन सकती है।"

    "तू कहना क्या चाहती है, साफ-साफ बोल।"

    इनाया ने नज़रें उठाकर उसे देखा, कुछ कहने ही वाली थी कि उसका फ़ोन बजने लगा। स्क्रीन पर "आई" लिखा आ रहा था।

    "चल, छोड़ यार। मैं ही सोचती हूँ कुछ... अभी तू जा। ऑफिस से थककर आया है, घर पर काकी भी इंतज़ार कर रही होंगी। मैं भी जाती हूँ , आई का फ़ोन आ गया है। नहीं गयी तो फिर चार बातें सुनने को मिलेंगी।"

    बात अधूरी ही रह गई थी, पर मानव ने उसे रोका नहीं और दोनों जल्दी ही दोबारा मिलने का बोलकर अपने-अपने घर के लिए निकल गए।

    इनाया ने घर की चौखट पार ही की थी कि सविता जी यमराज जैसे उसके सामने आकर खड़ी हो गईं।

    "सॉरी आई, वो नौकरी की बात कर रही थी, उसी में थोड़ा टाइम लग गया।"

    सविता जी के चिल्लाने से पहले ही इनाया ने सिर झुकाते हुए सफाई दे दी। वो अब भी ग़ुस्से से उसे घूर रही थीं।

    "जा, जाकर खाना बना , तेरा बाप आने ही वाला होगा।"

    कठोर स्वर में ऑर्डर देने के बाद वो ग़ुस्से से उसे घूरते हुए वहाँ से चली गईं। इनाया ने गहरी साँस छोड़ी और किचन में चली गई।

    ---

    दो दिन बाद

    रात का वक़्त था।

    मुंबई का फेमस नाइट क्लब "Vortex" के बाहर लंबी लाइन में खड़े लोग अंदर की एक झलक पाने को बेताब थे, और क्लब के बाउंसर हर एंट्री को स्कैन कर रहे थे।

    क्लब के वीआईपी सेक्शन में तेज़ म्यूज़िक, रंग-बिरंगी रोशनी और हँसी-ठहाकों का शोर था। चारों तरफ़ महंगी ब्रांडेड ड्रिंक्स, एक्स्पेंसिव डिशेज, खिले चेहरे और कैमरे की फ्लैश चमक रही थी।

    इस वक़्त यहाँ पार्टी चल रही थी , शहर के रईस ख़ानदानों के लड़के-लड़कियाँ एकसाथ जश्न मना रहे थे। पुराने स्कूल के दोस्त, कॉलेज के ग्रुप, कुछ जाने-पहचाने चेहरे , सब मस्ती में डूबे हुए।

    ड्रिंक, डांस, हँसी-मज़ाक के बीच पुराने दिनों की यादें ताज़ा की जा रही थीं। डांस फ्लोर, बार काउंटर, सिटिंग एरिया , हर जगह अलग-अलग ग्रुप नज़र आ रहे थे।

    उस भीड़ से ज़रा हटकर, कोने के एक राउंड सोफ़ा सीट पर इस वक़्त कायरव बैठा था।

    काली शर्ट की बाँह आधी मोड़ी हुई थी, हाथ में वाइन का ग्लास थामे वह कुछ सोच रहा था। उसके सामने बैठा था उसका असिस्टेंट कम चाइल्डहुड फ्रेंड , नितिन , जो ड्रिंक करते हुए गौर से उसके चेहरे को देख रहा था।

    "इतनी देर से क्या सोच रहा है तू? कुछ बताएगा?"

    नितिन ने बात की शुरुआत की। कायरव की नज़रें ग्लास से हटकर उस पर ठहर गईं। उसने चिढ़ते हुए कहा ,

    "क्यों लाया है तू मुझे यहाँ? तू जानता है , मुझे ये सब बिल्कुल भी पसंद नहीं है। तेरी ज़िद की वजह से मैं इस वक़्त यहाँ बैठा बोर हो रहा हूँ।"

    "तो किसने कहा है तुझे बोर होने? सामने बैठा हूँ तेरे , कर बात।"

    "मुझे नहीं करनी। इस वक़्त मुझे बस यहाँ से बाहर निकलना है। ये रंग-बिरंगी रोशनी, इतना लाउड म्यूज़िक, इन चेहरों को देखकर इरिटेशन हो रही है मुझे।"

    कायरव डेस्पेरेट लग रहा था। वो तो उठने भी लगा था, पर नितिन ने उसे वापस बिठा दिया।

    "इन सब पर ध्यान मत दे , और मुझे बता कि उस दिन तू उस लड़की से मिलने गया था न... क्या नाम था उसका..."

    नितिन अटका और याद करने की कोशिश करने लगा, इतने में कायरव की आवाज़ कानों में पड़ी ,

    "इनाया... इनाया देशमुख।"

    "हाँ, वही मिस इनाया देशमुख... उससे मीटिंग फिक्स करवाई थी न तूने? मिला था या नहीं? मुझे तो तूने कुछ बताया ही नहीं। अब बता, क्या हुआ उस मीटिंग में? आई थी न वो?"

    "हाँ, आई थी।"

    "फिर? क्या बात हुई तेरी उससे? तूने उसे बताया न कि तूने उसे क्यों बुलाया था?"

    "हाँ बताया भी , और समझाने की कोशिश भी की।"

    "बात बनी? क्या कहा उसने?"

    नितिन एक्साइटमेंट में उसके तरफ़ झुककर बड़ी ही बेसब्री से जवाब का इंतज़ार करने लगा। वहीं कायरव को इनाया से हुई मुलाकात याद आ गई , और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बिगड़ गए।

    "मना कर दिया। मुझे ठीक से बात समझाने का मौक़ा भी नहीं दिया और पता नहीं क्या-क्या सुनाकर चली गई। मुझे तो समझ भी नहीं आया।"

    "तुझे सुनाकर चली गई...? तुझे , कायरव रायचंद को मना कर दिया...?

    Are you serious? कहीं तू मेरे साथ मज़ाक तो नहीं कर रहा?"

    नितिन बुरी तरह चौंका। उसे विश्वास ही नहीं हुआ और वो आँखे फाड़े उसे देखने लगा , जिससे चिढ़ते हुए कायरव ने उसे घूरते हुए कहा ,

    "इसमें तुझे क्या मज़ाक लग रहा है? और ऐसे क्यों रिएक्ट कर रहा है तू , जैसे मैंने कोई इम्पॉसिबल बात बोल दी हो?"

    "क्योंकि तूने ऐसा किया है… तू जानता है तू कौन है ,

    कायरव रायचंद। जिसकी एक झलक काफ़ी है किसी भी लड़की को उसकी दीवानी बनाने के लिए। स्कूल से लेकर कॉलेज तक , हर लड़की का क्रश था तू। उनके सपनों का राजकुमार।

    हमारे ऑफिस की एम्प्लॉयीज़ हों या फीमेल क्लाइंट्स, बिज़नेस associates, हर कोई तुझे लेकर बातें करता है। आज भी तेरा वही चार्म है, वही अट्रैक्शन... तेरी एक नज़र के लिए लड़कियाँ मरती हैं।

    तूने आज तक अपने स्टैंडर्ड के बराबर कितनी लड़कियों को रिजेक्ट किया है!

    तेरी वाइफ बनने की होड़ में न जाने कितनी 'परफेक्ट' लड़कियाँ खड़ी थीं… लेकिन तूने कभी किसी लड़की में इंटरेस्ट ही नहीं दिखाया।

    और अब, एक मामूली सी लड़की... जो तेरे सामने कहीं भी नहीं टिकती , जिसके पास फैमिली नेम, पोज़िशन, स्टेटस कुछ भी नहीं... उस लड़की ने तुझे रिजेक्ट कर दिया?

    और सिर्फ रिजेक्ट नहीं किया , तुझे सुनाकर चली गई।

    तुझे... कायरव रायचंद को।

    Honestly, it’s still hard to believe. Like… how?"

    नितिन हैरान था , वही कायरव फ्रस्ट्रेट हो चुका था।

    "मुझे अभी इस बारे में कोई बात नहीं करनी।"

    कायरव ने ड्रिंक का ग्लास उठाया और अपने होंठों से लगा दिया। इतने में उनके कुछ पुराने फ्रेंड्स वहाँ आ गए और नितिन ने भी उस बात को वहीं छोड़ दिया।

    अभी कुछ वक़्त ही गुज़रा था कि एकदम से वहाँ का माहौल बदल गया।

    ---

    "Damn… who is she...?"

    "She is so hot, yaar..."

    "Looking sexy!"

    "लगता है क्लब ने आज VIP के लिए स्पेशल अरेंजमेंट किया है!"

    "अगर ये वेट्रेस है, तो मैं हर दिन यहीं पार्टी करूंगा!"

    "चेहरा देखा इसका? सर्वेंट जैसी तो बिल्कुल नहीं लग रही..."

    "यार, लड़की में बात तो है... क्या कहता है, ट्राई मारूँ? पट गई तो मज़ा आ जाएगा!"

    तरह-तरह के कॉमेंट्स कायरव के कानों में पड़े। वो तो सबके बीच भी चुपचाप बैठा ड्रिंक करते हुए इनाया के बारे में सोच रहा था।

    कायरव ने नज़रें उठाकर देखा , सारे लड़के एक ही डिरेक्शन में देख रहे थे। कायरव को थोड़ा अजीब लगा। उसने उनकी निगाहों का पीछा किया और जैसे ही नज़र सामने पड़ी , उसकी आँखें अविश्वास से फैल गईं।

    "ये यहाँ क्या कर रही है?"

    "अब बहुत हो गया।" कायरव के होंठ फड़फड़ाए और अगले ही पल वो उठकर उस दिशा मे बढ़ गया।


    To be continued...

  • 9. Contracted hearts - Chapter 9

    Words: 1509

    Estimated Reading Time: 10 min

    क्लब के उस VIP सेक्शन में रीयूनियन पार्टी चल रही थी। हर कोई शराब के नशे में डूबा था। झिलमिलाती रोशनी, लाउड म्यूज़िक के बीच कुछ पुरानी यादें ताज़ा हो रही थीं। कायरव भी उस भीड़ का हिस्सा था, पर वहाँ रुकना नहीं चाहता था।

    अचानक ही वहाँ का माहौल बदल गया। हर किसी की नज़र एंट्रेंस पर जाकर थम गई।

    वहाँ से एक वेट्रेस ने एंट्री ली थी। वाइट एंड ब्लैक कॉम्बिनेशन की शॉर्ट ड्रेस, हाई हील्स, हाई पोनी में बंधे बाल, चेहरे पर लाइट मेकअप, गुलाबी लिपग्लॉस से चमकते होंठों पर जेंटल स्माइल।

    कायरव की नज़र जैसे ही इस वेट्रेस पर पड़ी, वो बुरी तरह चौंक गया।

    "इनाया... ये लड़की इस वक़्त इस गेटअप में यहाँ क्या कर रही है?"

    कायरव बड़बड़ाया। उसकी गहरी, कोल्ड निगाहें इनाया पर ठहर गईं। कानों में अब भी आसपास मौजूद लड़कों के गंदे कॉमेंट्स गूंज रहे थे।

    हाथ में ट्रे थामे, इनाया इन सब बातों को इग्नोर करते हुए कॉन्फिडेंस के साथ आगे बढ़ रही थी, पर दिल ही दिल में घबरा भी रही थी।

    "गणपति बप्पा, ये कहाँ फंसा दिया आपने मुझे? यहाँ तो सब मुझे गिद्ध की निगाहों से घूर रहे हैं। कैसे घटिया कॉमेंट कर रहे हैं! अगर मुझे पैसों की ज़रूरत नहीं होती तो कभी यहाँ कदम नहीं रखती। एक-एक की आँखें फोड़ देती, जिस मुँह से मुझ पर कॉमेंट कर रहे हैं वो मुँह तोड़ देती। लेकिन आपने मुझे ये सब करने और सहने पर मजबूर कर दिया है, और कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा मेरे पास।

    अब मुझे पैसों के लिए चुपचाप सब सहना ही होगा। बस इतना कर देना कि कोई मेरे साथ मिस बिहेव न करे। मैं शांति से अपना काम खत्म करके निकल जाऊंगी।"

    इनाया ने गहरी सांस छोड़ी और साइड वाले टेबल की तरफ बढ़ गई। उसने वहाँ मौजूद लड़के-लड़कियों को ड्रिंक सर्व करना शुरू किया।

    "Miss gorgeous, पहले कभी तुम्हें यहाँ नहीं देखा... न्यू हो?"

    "इतनी हॉट लड़की और वेट्रेस? तुम इस काम के लिए नहीं बनी। कहो तो मैं अपनी पर्सनल असिस्टेंट के लिए तुम्हें हायर कर लूँ। तुम्हें बस मुझे खुश करना होगा... मैं तुम्हारी पूरी लाइफ बदल दूँगा।"

    "Hey sweetheart, एक ड्रिंक दे दो... और एक स्माइल भी।"

    "कौन भेजता है इतनी हसीन वेट्रेस... खुद पे कंट्रोल नहीं हो रहा..."

    उस टेबल पर बैठे लड़के इनाया को ऐसे घूर रहे थे, जैसे उसे अंदर तक स्कैन कर रहे हों। उनके घटिया कॉमेंट्स सुनकर इनाया ने गुस्से में ट्रे पर मुट्ठियाँ कस लीं। ज़हर के घूँट पीकर सब इग्नोर करते हुए जैसे ही लास्ट ग्लास टेबल पर रखने लगी, साइड में बैठे लड़के ने उसकी कमर को मसल लिया।

    इनाया बुरी तरह चिहुँक गई। थरथराते होंठों से हल्की सिसकी निकल गई और हड़बड़ी में पीछे हटते हुए ग्लास से ड्रिंक टेबल के पास फर्श पर गिर गई।

    इनाया ने घूरती निगाहें उस लड़के की तरफ उठाईं, जो बेशर्मी से मुस्कुरा रहा था। फिर एकदम से शरीफ बनकर बोला,

    "अरे, तुमने तो ड्रिंक गिरा दी! It's okay... इतनी खूबसूरत लड़की की एक गलती तो माफ कर ही सकते हैं। बस तुम इसे साफ करो और दूसरी ड्रिंक लेकर आओ।"

    इनाया ज़हर के घूँट पीकर शांत रह गई। उस शॉर्ट ड्रेस में उसे नीचे झुकने में प्रॉब्लम हो रही थी। वो किसी तरह पैरों को आपस में क्रॉस करते हुए नीचे बैठी और क्लीनिंग क्लॉथ से फ्लोर क्लीन करने लगी।

    बैठने की वजह से पीछे से उसकी ड्रेस हल्की ऊपर उठ गई थी और कई लड़कों की नज़रें वहीं थीं। झुकने की वजह से क्लीवेज और हल्का सीना दिखने लगा। ड्रिंक गिराने वाला लड़का ललचाई नज़रों से उसे देख रहा था। उसने जीभ होंठों पर फेरी और अपनी हथेली से इनाया के कंधे को सहलाने लगा।

    "What the hell!" कायरव से अब ये सब और बर्दाश्त नहीं हुआ। गुस्से से उसका चेहरा जल उठा और साँसें तेज़ चलने लगीं।

    इनाया ने अपनी आँखों को कसके भींच लिया, जैसे खुद को कंट्रोल कर रही हो। लेकिन अगले ही पल वो गुस्से में उसका हाथ झटकते हुए उठकर खड़ी हो गई, चीखने ही वाली थी कि अचानक ही एक जानी-पहचानी सी आवाज़ उसके कानों से टकराई,

    "Hello miss, can you bring me Glenfiddich 1990 single malt…"

    इनाया के होंठ कसमसाते हुए वापिस बंद हो गए। वो चौंकते हुए पलटी। जैसे ही नज़र सामने कुछ कदमों की दूरी पर खड़े कायरव पर पड़ी, इनाया की आँखें अविश्वास से फैल गईं।

    कायरव ने आँखों से ही कुछ इशारा किया, जिसे समझते हुए इनाया ने झट से सर हिला दिया।

    "Of course, sir."

    इनाया जबरदस्ती की स्माइल होंठों पर चिपकाते हुए वहाँ से जाने लगी। कायरव ने अब जलती निगाहों से उस लड़के को घूरा, जो उसके बीच में आने पर चिढ़ गया था।

    "ये यहाँ क्या कर रहा है? शक्ल से ऐसा लगता तो नहीं कि ऐसे घटिया लोगों से उसका कोई रिश्ता हो। पर किसी की शक्ल पर नहीं जाना चाहिए। इन लोगों के साथ है, तो इन्हीं के जैसा होगा... छोड़ यार, कुछ भी हो, मुझे इससे क्या? मेरा तो काम ही आसान हो गया। अगर उस वक़्त वो बीच में नहीं आता तो मैं उस कमीने का हाथ तोड़कर मुँह में दे देती और फिर ये जॉब भी मुझसे छिन जाती... और अभी मुझे इस जॉब की सख्त ज़रूरत है।"

    खुद में बड़बड़ाते हुए इनाया उस हॉल से बाहर निकल गई और आगे बढ़ी ही थी कि किसी ने उसकी बाँह पकड़कर उसे सुनसान कॉरिडोर में खींच लिया, जहाँ दूर-दूर तक भी कोई नहीं था।

    इनाया के हाथों से ट्रे छूटकर नीचे गिर गई। वो चीखने ही वाली थी कि किसी ने उसके मुँह को अपनी हथेली से दबाकर बंद कर दिया और घुमाते हुए उसे दीवार से चिपका दिया।

    इनाया की चीखें उसके मुँह में घुटकर रह गईं। वो बुरी तरह छटपटाने लगी, पर जैसे ही नज़र सामने खड़े शख्स पर पड़ी, उसकी आँखों की पुतलियाँ फैल गईं।

    "रिलैक्स... कुछ नहीं कर रहा मैं तुम्हारे साथ। छोड़ रहा हूँ तुम्हें, पर शोर मत करना।"

    कायरव ने आँखों से इशारा किया और इनाया को छोड़ते हुए एक कदम पीछे हट गया। इतनी सी देर में इनाया का पूरा चेहरा लाल पड़ गया था और साँसें तेज़ चल रही थीं।

    "क्या बदतमीज़ी है ये? हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी मुझे छूने की?"

    इनाया गुस्से में भड़की। कायरव की आँखों के आगे अंदर का सीन घूमने लगा और भौंहें खतरनाक अंदाज़ में सिकुड़ गईं।

    "ये तेवर तब कहाँ थे जब वो तुम पर घटिया कॉमेंट कर रहा था, तुम्हें घूर रहा था, छूने की कोशिश कर रहा था?"

    कायरव ने गुस्से में अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं। इनाया के चेहरे पर कुछ अजीब से भाव उभरे। चेहरा फेरते हुए वो चुप रह गई, जिससे कायरव का गुस्सा बढ़ गया। उसने जबड़े भींचते हुए सवाल किया ,

    "क्या कर रही हो तुम इस वक़्त यहाँ?"

    "दिखाई नहीं देता? मैं अपना काम कर रही हूँ।" इनाया ने तुनकते हुए कहा।

    "काम...? ये काम कब से शुरू किया तुमने? और सारी दुनिया में तुम्हें करने के लिए यही काम मिला?"

    "हाँ, यही काम मिला। क्यों? तुम्हें कोई प्रॉब्लम है? और अगर है भी, तो वो तुम्हारी प्रॉब्लम है, मेरी नहीं। ये मेरी लाइफ है, मैं जो चाहे कर सकती हूँ। तुम्हें कोई राइट नहीं मेरे काम पर कॉमेंट करने और मेरी पर्सनल लाइफ में इंटरफेयर करने का। जाकर अपनी पार्टी एंजॉय करो, तुम्हारे फ्रेंड्स तुम्हारा वेट कर रहे होंगे... और मुझे मेरा काम करने दो।"

    इनाया ने तीखे तेवर दिखाते हुए आँखों से उसे वॉर्न किया और जैसे ही जाने लगी, कायरव ने उसकी बाँह पकड़कर वापिस उसे दीवार से चिपका दिया। उसके करीब आया और दाँत पीसते हुए बोला ,

    "मैंने तुम्हें इतना अच्छा मौका दिया था, पर तुमने मेरे प्रपोज़ल को रिजेक्ट कर दिया! और अब यहाँ आकर घटिया-सी जॉब कर रही हो! मुझसे शादी करके मेरी वाइफ बनकर एक लक्ज़ूरियस लाइफ जी सकती थी तुम... लेकिन तुमने उसे छोड़कर मामूली-सी वेट्रेस बनना चुना। क्या इसका रीजन जान सकता हूँ मैं?"

    "मिस्टर, घटिया जॉब नहीं... तुम जैसे लोगों की सोच होती है। तुम जैसे अमीर परिवार की बिगड़ी औलादों की वजह से मुझ जैसी लड़कियों को ये सब सहना पड़ता है।

    क्या कहा तुमने? कि तुमने मुझे शादी का प्रपोज़ल दिया, पर मैंने ठुकरा दिया? अगर हाँ कर देती तो ये काम कभी नहीं करना पड़ता?

    तो इसका जवाब भी सुन लो , मुझे तुम्हारी वाइफ बनना मंज़ूर नहीं है। चाहे मुझे कुछ भी क्यों न करना पड़े, लेकिन मैं तुमसे उस कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए कभी 'हाँ' नहीं करूँगी।"

    "क्यों?... क्यों 'हाँ' नहीं कहोगी? क्या रीजन है कि तुम मेरी वाइफ बनने को तैयार नहीं, पर वेट्रेस बनकर लोगों की गंदी नज़रों का शिकार बनने को तैयार हो?"

    अंजाने में इनाया की बाँह पर उसकी पकड़ कस गई। इनाया की आँखों में हल्की नमी उतरी, पर उसने खुद को कमज़ोर नहीं पड़ने दिया।

    "तुम मुझे ऑब्जेक्टिफाई कर रहे हो। अपने पैसों और पावर का यूज़ करके मुझे खरीदना चाहते हो। तुम्हें मुझसे शादी नहीं करनी... डील करनी है। और मैं बिकाऊ नहीं हूँ... नहीं बनना मुझे किसी की वाइफ, नहीं करनी किसी से शादी।"

    "मैं तुम्हें खरीद नहीं रहा... एक डील कर रहा हूँ जिससे हम दोनों को फ़ायदा होगा।"

    कायरव थोड़ा नर्म पड़ गया। अगले ही पल इनाया गुस्से से चीखी।


    To be continued...

  • 10. Contracted hearts - Chapter 10

    Words: 1605

    Estimated Reading Time: 10 min

    "मैं तुम्हें खरीद नहीं रहा... एक डील कर रहा हूँ, जिससे हम दोनों को फ़ायदा होगा।"

    कायरव थोड़ा नर्म पड़ गया। अगले ही पल इनाया गुस्से से चीखी,

    "नहीं चाहिए मुझे कोई फ़ायदा, नहीं करनी मुझे कोई डील। मुझे इज़्ज़त से सर उठाकर जीना है, अपने सपने पूरे करने हैं। नहीं बनना मुझे तुम्हारे हाथों की कठपुतली। जिसे देखो, यहाँ बस अपना फ़ायदा ही देख रहा था। किसी को मुझसे शादी करनी है, तो किसी को मेरे साथ रात बितानी है। किसी की नज़र मेरे बदन पर है, तो कोई मेरी मजबूरी का फ़ायदा उठाकर मुझे अपनी जागीर बनाना चाहता है। क्यों, तुम लड़के मुझे चैन से जीने नहीं देते? क्यों पड़े हो मेरे पीछे? नहीं है इंटरेस्ट मुझे तुम जैसे लड़कों में, छोड़ दो मेरा पीछा, मुझे मेरा काम करने दो।"

    इनाया ने गुस्से में कायरव को खुद से दूर धकेल दिया और एक बार फिर चिल्लाई,

    "दूर... दूर रहो तुम मुझसे... कोई राइट नहीं तुम्हें मुझे छूने का। अंदर तो मेरी मजबूरी थी, जो मैं चुपचाप सब बर्दाश्त करती रही, लेकिन अब मैं ये सब और बर्दाश्त नहीं करूँगी। अगर तुमने मेरी मर्ज़ी के खिलाफ मुझे छुआ या मेरे करीब आने की कोशिश भी की, तो वो हाल करूँगी तुम्हारा कि दोबारा गलती से भी मेरे सामने नहीं आओगे।"

    इनाया जैसे ही जाने को पलटी, कायरव के शब्द उसके कानों में पड़े,

    "अब कहाँ जा रही हो तुम?"

    इनाया का चेहरा गुस्से से लाल हो गया, वो झटके से उसकी तरफ मुड़ी,

    "मैं कहीं भी जाऊँ, कुछ भी करूँ, तुम्हें इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए। अंजान हो, अंजान बनकर रहो, मेरी पर्सनल लाइफ़ में इंटरफेयर करने की कोई ज़रूरत नहीं तुम्हें। अपने काम से काम रखो और मुझसे दूर रहो।"

    अंदर जो हुआ, उन सबका गुस्सा इनाया कायरव पर उतार चुकी थी। गुस्से में फुंफकारते हुए वो जैसे ही वहाँ से जाने लगी, किसी के कदमों की आवाज़ आई और कायरव ने फुर्ती से उसकी बाँह पकड़कर उसे पिलर के पीछे खींच लिया।

    "श्शश्श... आवाज़ मत करना, कोई आ रहा है।"

    इनाया पिलर से चिपकी हुई थी और कायरव उसके बिल्कुल करीब खड़ा था, उसकी उंगली इनाया के गुलाबी होंठों को छू रही थी।

    इनाया एक सेकंड के लिए शॉक्ड-सी उसे देखती ही रही। जैसे ही कदमों की आवाज़ धीमी हुई, इनाया ने उसके पैर पर अपनी हील्स दे मारी। कायरव के होंठों से सिसकी निकल गई, कदम लड़खड़ाए। इनाया ने उसे खुद से दूर धकेल दिया और घूरते हुए बोली,

    "ज़्यादा एडवांटेज लेने की कोशिश मत करो। खबरदार जो दोबारा मेरे पास आए या छुआ। इस बार तो सिर्फ पैर ही घायल किया है, अगली बार ऐसी जगह मारूँगी कि किसी को बता भी नहीं पाओगे... समझ आई बात?"

    इनाया उसे धमकाने के बाद जल्दी से वहाँ से निकल गई। कायरव अपने पैर को पकड़े बस हैरान-परेशान-सा उसे देखता ही रह गया।

    "उफ्फ, क्या लड़की है! शांति से बात भी नहीं सुनती।"

    कायरव ने अफसोस से सर हिलाया और वापस अंदर चला गया। नितिन ने इशारे से उससे सवाल किया, पर कायरव का मूड खराब हो चुका था। वो उसे कुछ भी बोले बिना वहाँ से फौरन निकल गया।

    इनाया दोबारा उस जगह नहीं गई। अपनी शिफ्ट खत्म करके वो कपड़े बदलकर पीठ पर पिट्ठू बैग टांगे क्लब से बाहर निकली और मेन सड़क पर पहुँची ही थी कि अचानक ही एक कार उसके सामने आकर रुकी।

    इनाया चौंकते हुए दो कदम पीछे हट गई और आँखें बड़ी-बड़ी करके उस कार को देखने लगी।

    अगले ही सेकंड कार की विंडो का मिरर नीचे हुआ। इनाया की नज़र अंदर बैठे शख़्स पर पड़ी और आँखें खतरनाक अंदाज़ में सिकुड़ गईं, चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

    "क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी? क्यों पीछा कर रहे हो तुम मेरा? मैंने इतनी बार कह दिया तुम्हें कि मुझे तुममें कोई इंटरेस्ट नहीं है, नहीं करनी मुझे तुमसे शादी... इतनी-सी बात समझ नहीं आती तुम्हें?"

    "जितना बोलना था, बोल लिया। अब बैठो, मैं तुम्हें ड्रॉप कर देता हूँ।"

    कायरव ने शांत और गंभीर स्वर में कहा। इनाया पहले तो चौंक गई, फिर मुँह ऐंठते हुए बोली,

    "No thanks. मैं खुद से चली जाऊँगी, मुझे तुम्हारे एहसान की कोई ज़रूरत नहीं है।"

    इनाया की अकड़ से अब कायरव फ्रस्ट्रेट होने लगा था।

    "देखो, बेकार की ज़िद मत करो। रात बहुत हो गई है, तुम्हारा अकेले जाना सेफ नहीं है। सुनसान जगह से... बैठो, मैं तुम्हें ड्रॉप कर देता हूँ।"

    "क्या गारंटी है कि तुम्हारे साथ मैं सेफ रहूँगी? मुझे तो लगता है कि इस वक़्त मुझे सबसे ज़्यादा खतरा तुमसे है। इसलिए मैं तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाऊँगी।"

    इनाया ने उसे घूरा और नाक सिकोड़ते हुए वहाँ से निकल गई। कायरव परेशान निगाहों से उसे देखने लगा।

    "इतनी ज़िद्दी क्यों हो तुम?"

    "अजीब आदमी है, मेरे पीछे ही पड़ गया है। मैंने जब एक बार मना कर दिया, तो समझ जाना चाहिए था ना कि मुझे उसमें और उसके ऑफर में कोई दिलचस्पी नहीं है। इतनी बार कह दिया कि दूर रहे मुझसे, फिर भी ज़बरदस्ती मेरे करीब आने की कोशिश कर रहा है। अरे भई, अपने काम से काम रख, अपना ख्याल मैं खुद रख लूँगी। लेकिन नहीं, बेवजह मेरी लाइफ़ में घुसने में लगा है।"

    खुद में बड़बड़ाते हुए इनाया आगे बढ़ रही थी। अचानक ही एक स्पोर्ट्स कार उसके बगल में चलने लगी। इनाया ने पहले नज़रअंदाज़ किया और उससे दूर हो गई, पर वो कार फिर उसके बगल में आकर चलने लगी। इनाया का माथा ठनका और उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उस कार की भी स्पीड बढ़ गई।

    "जानेमन, इतनी रात को अकेले कहाँ जा रही हो? आओ, हम तुम्हें कंपनी दे दें।"

    इनाया ने आवाज़ सुनकर चौंकते हुए सर घुमाकर देखा। अंदर वही लड़के बैठे थे, जिन्हें उसने ड्रिंक्स सर्व की थी।

    "कोई ज़रूरत नहीं मुझे तुम्हारी कंपनी की।" इनाया ने खीझते हुए कहा और आगे बढ़ गई। वो कार अब भी उसके पीछे थी।

    "अरे, तुम तो नाराज़ हो गई। हम तो genuinely तुम्हें हेल्प ऑफर कर रहे हैं। थक गई होगी तुम, इतनी रात गए, इस सुनसान जगह पर अकेले कहाँ भटकोगी? आओ, हम तुम्हें छोड़ देते हैं।"

    इनाया ने इग्नोर किया और जल्दी से दूसरी तरफ मुड़ गई। कुछ देर बाद उसे एहसास हुआ कि कार अब उसके पीछे नहीं है, तो उसने पलटकर देखना चाहा कि कार एकदम से उसके सामने आकर खड़ी हो गई। डोर खुला और वो लड़के बाहर आ गए।

    "चल, आजा। ज़्यादा नखरे मत दिखा। अभी प्यार से बोल रहे हैं, चल हमारे साथ वरना उठाकर ले जाएँगे।"

    इनाया शॉक्ड थी। सब इतने अचानक हुआ कि पहले तो वो कुछ समझ ही नहीं सकी। जैसे ही उनमें से एक लड़के ने इनाया को छुआ, वो एकदम से अपने सेंसेस में लौटी, न कुछ देखा न सोचा और तुरंत एक झापड़ उसके गाल पर रसीदते हुए चिल्लाई,

    "Don't you dare to touch me! वहाँ चुप थी और खामोशी से तुम्हारी बदतमीज़ियाँ सह रही थी, क्योंकि वो मेरा वर्कप्लेस था और मैं वहाँ कोई हंगामा नहीं चाहती थी, पर मेरी उस खामोशी को मेरी कमज़ोरी समझने की भूल मत करना।"

    वो लड़का बिल्कुल भी इसके लिए तैयार नहीं था। झापड़ की आवाज़ उसके कान में गूंज रही थी, चेहरा एक तरफ को लुढ़क गया था।

    इनाया के थप्पड़ ने उसके गुरूर को ललकारा था। इनाया जैसे ही चुप हुई, उसने उसकी कलाई को जकड़ते हुए उसे झटके से अपने क़रीब खींच लिया और उसके बाँह को मोड़कर उसकी पीठ से सटा दिया।

    "साली मुझ पर हाथ उठाती है? औकात क्या है तेरी? एक क्लब की मामूली-सी वेट्रेस होकर अमन सक्सेना पर हाथ उठाती है? पहली नज़र में अच्छी लग गई थी तू मुझे, इसलिए अभी तक तो मैं तेरे साथ बहुत प्यार से पेश आ रहा था, लेकिन मुझ पर हाथ उठाकर तूने अच्छा नहीं किया। अब तू देख कि मैं तेरा क्या हाल करता हूँ।"

    "छोड़ मुझे कमीने! पास मत आ मेरे, मैं मार दूँगी तुझे!"

    इनाया चीख रही थी, चिल्ला रही थी, उससे छूटने के लिए छटपटा रही थी। अमन ने उसकी दोनों बाज़ुओं को पीछे क तरफ मोड़कर उसे खुद से चिपकाया हुआ था और उसके बालों को अपनी मुट्ठियों में भींचे उसके चेहरे के तरफ झुक रहा था।

    "छोड़ मुझे हरामज़ादे... जान से मार दूँगी मैं तुझे..."

    "और चीख, और चिल्ला! पर यहाँ कोई नहीं जो तेरी चीख सुनकर तेरी हेल्प करे। आज तुझे मुझसे कोई नहीं बचा सकता।"

    इनाया ज़ोर-ज़ोर से अपना सर हिलाने लगी, बाकी सबकी शैतानी हँसी वहाँ गूंज रही थी, अमन हवस भरी निगाहों से उसे घूर रहा था।

    अमन इनाया को किस करने ही वाला था कि इनाया ने अपना पैर उठाया और सीधे उसके प्राइवेट पार्ट पर निशाना लगा दिया। तेज़ चीख के साथ, दर्द से बिलबिलाते हुए अमन सड़क पर जा गिरा।

    इनाया ने तुरंत भागने को कदम बढ़ा दिए। इतने में पीछे से अमन गुस्से से चीखा,

    "पकड़ इसे! साली बचकर नहीं जानी चाहिए।"

    उसके दोस्त सब इनाया के पीछे भागने लगे। वो भी किसी तरह उठकर धीरे-धीरे उसके पीछे दौड़ने लगा।

    बदहवास-सी भागती इनाया ने जब उन्हें अपने क़रीब आते देखा, तो अपने बैग को दोनों हाथों से कसके पकड़ा और ज़ोर से घुमाया। बैग सीधे उनके मुँह पर जाकर लगा और जब तक वो सँभले, इनाया जल्दी से दूसरी सड़क पर दौड़ गई।

    इस वक़्त इनाया अपनी जान के लिए भाग रही थी। उसे नहीं पता था कि वो कहाँ जा रही है, बस बदहवास-सी उन अंधेरी सुनसान सड़कों पर भागे जा रही थी। बार-बार पीछे मुड़कर देख रही थी। वो लड़के अब भी उसके पीछे थे।

    दौड़ते हुए अचानक इनाया ने टर्न लिया। कार की हैडलाइट की तीखी रोशनी से उसकी आँखें कुछ सेकंड के लिए बंद हो गईं, कान में हॉर्न की तेज़ आवाज़ गूंजी और फ़िज़ाओं में इनाया की चीख से दहल गई।

    "आईई......!"

    To be continued...

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  • 11. Contracted hearts - Chapter 11

    Words: 1584

    Estimated Reading Time: 10 min

    इस वक़्त इनाया अपनी जान के लिए भाग रही थी। उसे नहीं पता था कि वो कहाँ जा रही है, बस बदहवास-सी उन अंधेरी सुनसान सड़कों पर भागे जा रही थी। बार-बार पीछे मुड़कर देख रही थी। वो लड़के अब भी उसके पीछे थे।

    दौड़ते हुए अचानक इनाया ने टर्न लिया। कार की हैडलाइट की तीखी रोशनी से उसकी आँखें कुछ सेकंड के लिए बंद हो गईं, कान में हॉर्न की तेज़ आवाज़ गूंजी और फ़िज़ाएं इनाया की चीख से दहल गई।

    "आईई......!"

    कार के अंदर बैठे शक्स की आँखे भी डर से फैल गयीं, उसने एकाएक ब्रेक मारा और तेज़ आवाज़ के साथ घसीटते हुए कुछ आगे जाकर रुकी।

    इनाया ने डर के मारे अपनी आँखों को भींच लिया। कार उसके एकदम करीब थी, इतने पास कि अगर एक सेकंड की और देर होती तो इनाया को ठोककर आगे निकल जाती।

    कार का डोर खुला और एक जोड़ी कदमों ने बाहर निकले जो तेज़ी से इनाया के तरफ बढ़ने लगे।

    "तुम ठीक हो?" इनाया के कानों मे एक जानी पहचानी सी आवाज़ पड़ी, उसने चौंकते हुए अपनी आँखे खोल दी। जैसे ही पास खड़े कायरव पर गयी, उसकी आँखों की पुतलियाँ हैरानी से फैल गयीं।

    "तुम यहाँ..."

    ठीक इसी वक़्त उनके कानों मे तेज़ आवाज़ के साथ कार के रुकने की आवाज़ पड़ी जिसने दोनों का ध्यान अपनी तरफ खींचा।

    "अब बचकर कहाँ जाएगी तू?" पीछे से अमन की गुरुर भरी आवाज़ आई।

    इनाया ने घबराकर पलटकर देखा। अमन अपनी पूरी गैंग के साथ होंठों पर शैतानी मुस्कान सजाए उसके तरफ बढ़ रहा था।

    हैड लाइट की रोशनी के वजह से कायरव ने अपनी आँखों को ढक लिया था। आवाज़ सुनकर उसने तुरंत ही आँखे खोली और झटके से इनाया की बाँह पकड़कर उसे खींचकर अपने पीछे कर लिया।

    "सोचना भी मत, अगर एक कदम और इसके तरफ बढ़ाया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा तुम्हारे लिए।"

    इनाया आँखे बड़ी बड़ी करके उसे देखने लगी। कायरव की धमकी सुनकर अमन ने अपने फ्रेंड्स को हाथ दिखाकर रुकने का इशारा किया और गुस्से से कायरव को घूरने लगा।

    "ये मेरा शिकार है, तू बीच मे मत आ। इस लड़की ने मेरी इंसल्ट की है, इसका बदला तो मैं इससे लेकर रहूँगा, अगर तू बीच मे आया तो तुझे भी नही छोडूंगा इसलिए अगर चाहता है कि मैं तुझे कुछ न करूँ तो चुपचाप लड़की को मेरे हवाले कर दे।"

    "जब तक मैं हूँ तू इसका कुछ नही बिगाड़ सकता। अगर तूने या तेरे फ्रेंड्स ने एक कदम भी इसके तरफ बढ़ाया या इसे किसी तरह से हार्म करने की कोशिश की तो उसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना, इनाया को अगर एक भी खरोंच आई तो सबको जान से मार दूंगा मैं।

    मुझे वार्निंग दे रहा था न तू, अब मैं तुझे प्यार से समझा रहा हूँ, इनाया मेरे साथ है उसकी परछाई से भी दूर रह वरना अंजाम अच्छा नही होगा।"

    दोनों गुस्से से लाल आँखों से एक दूसरे को घूर रहे थे। इनाया आँखे बड़ी बड़ी करके कभी कायरव को देखती तो कभी अमन को।

    अमन तिरछा मुस्कुराया और जैसे ही कदम आगे बढाए, एक के बाद एक कई ब्लैक कार्स वहाँ आकर रुकी और देखते ही देखते ब्लैक कपड़े पहने trained बॉडीगार्ड्स ने कायरव और इनाया को पूरी तरह कवर कर लिया। उन सबका निशाना अमन और उसके फ्रेंड्स थे ये नज़ारा देखकर इनाया की आँखे बाहर आने लगी।

    "इस बार तो तूने इसे मुझसे बचा लिया पर कब तक बचाएगा? अब ये अमन सक्सेना का टार्गेट है, जिसे मुझसे कोई नही बचा सकता। इसने मुझपर हाथ उठाया है, मेरी इंसल्ट की है, इसका अंजाम तो इसे भुगतना होगा, मैं इसे छोडूंगा नही।"

    अमन ने नफरत से कायरव को घूरा, एक नज़र इनाया पर डाली और गुस्से मे ज़मीन को अपने पैरों तले रौंदते हुए वापिस अपनी कार के तरफ बढ़ गया। गुस्सा इतना था कि टायर पर ज़ोर पर किस मारी और सबके साथ बैठकर वहाँ से निकल गया।

    कायरव ने अब नज़रें घुमाते हुए आँखों से कुछ इशारा किया जिसे समझते ही सारे गार्ड्स अपनी गन अंदर रखते हुए पीछे हटकर वापिस कार्स मे बैठ गए।

    कायरव ने नज़रें घुमाकर इनाया को देखा जो शॉक्ड सी खड़ी थी।

    "अब बैठो अंदर या और किसी के आने का वेट करना है? अगर करना हो तो शौक से करो बस इतना याद रखना कि मैं हर वक़्त तुम्हें बचाने नही आऊंगा।"

    कायरव की आवाज़ कानों से टकराई तब कही जाकर इनाया अपने सेंसेस मे लौटी।

    "अब चलो भी, मैं सेफ्ली तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा दूँगा और अगर उनके लौटकर आने का इंतज़ार करना है तो बता दो, मैं चला जाऊंगा और आइंदा से बीच मे भी नही आऊंगा।"

    कायरव का अकड़ का भरा अंदाज़ देखकर इनाया खींझ गयी और गुस्से से उसे घूरने लगी।

    "तुम कहना क्या चाहते हो, मैं जानबूझकर ऐसी सिचुएशन मे फंसी थी? शौक है मुझे ऐसे घटिया लड़कों से उलझने का? या तुमने मुझे उनसे बचाकर मुझपर कोई एहसान कर दिया है जो इतनी अकड़ दिखा रहे हो?"

    "शौक का तो मुझे पता नही पर इस सिचुएशन मे फंसी तुम अपने ही वजह से थी। मैंने तो तुम्हें पहले ही कहा था कि इतनी रात को अकेले इन सुनसान सड़कों पर निकलना सेफ नही है। लिफ्ट भी ऑफर की थी पर तुम्हारे tantrums ही खत्म नही हो रहे। तुम मेरे वॉर्न करने के बावजूद अकेले निकली और उन्हे मौका मिल गया, अगर अभी मैं सही वक़्त पर नही आता तो तुम्हारे साथ क्या होता शायद ये तुम मुझसे बेहतर जानती होगी।"

    "ये सब तुम्हारी प्लाइनिंग है न? तुम्हारा इस क्लब मे आना, तुम्हारे फ्रेंड्स के मेरे साथ मिस बिहेव करना, तुम्हारा बीच मे आना, मुझे लिफ्ट ऑफर करना, तुम्हारे फ्रेंड्स का मेरा पीछा करना और अब तुम्हारा मुझे यहाँ मिलना सब कुछ plained था।"

    इनाया शक भरी नज़रों से उसे घूरने लगी। कायरव हाथ बांधे उसके ठीक सामने आकर खड़ा हो गया और भौंह उछालते हुए सवाल किया,

    "तो तुम्हें लगता है कि आज जो भी हुआ वो सब मैंने प्लैन किया हुआ था। तो अब ये बताओ कि ये सब करके मुझे क्या मिलेगा? मेरा इसमें क्या फ़ायदा है? मैं ऐसा क्यों करूँगा?"

    "वो तो तुम्हें पता होगा न कि आखिर तुम करना क्या चाहते हो? मुझे तो लगता है तुम मुझे स्टॉक कर रहे हो।"

    "स्टॉक मैं और वो भी तुम्हें...Seriously...." कायरव चौंका, इनाया ने तुरंत ही तुनकते हुए कहा,

    "और नही तो क्या। अगर तुम मुझे स्टॉक नही कर रहे होते तो कैसे पता होता तुम्हें कि मैं यहाँ काम करती हूँ? मैंने आज ही क्लब जॉइन किया और तुम अपने फ्रेंड्स के साथ यहाँ पहुँच गए। मैं उन्हे जानती भी नही थी और बस अपना काम कर रही थी पर वो मेरे साथ मिस बिहेव करने लगे।

    जब मैं घर जाने के लिए निकली तो तुम अचानक ही मेरे सामने आकर खड़े हो गए, मुझे वॉर्न करने लगे और जब मैं तुम्हारे ऑफर को रिजेक्ट करके आगे बढ़ गयी तो तुम्हारे फ्रेंड्स मेरे पीछे पड़ गए। उनसे बचने के लिए मैं रात के ग्यारह बजे सुनसान अंधेरी सड़कों पर दौड़ रही थी और एक बार फिर तुम मेरे सामने आकर खड़े हो गए, अपने साथ अपने इन खली जैसे आदमियों को भी ले आए, मुझे अपने दोस्तों से बचाया।....

    ये सब coincidence तो नही हो सकता, ज़रूर तुमने सब प्लैन किया हनज़ार"

    "For your kind information वो लड़के जो तुम्हारे पीछे पड़े थे वो मेरे फ्रेंड्स नही दुश्मन थे। अमन सक्सेना पहले स्कूल, फिर कॉलेज और अब बिज़नेस मे मेरा रायवल है। वो शुरुआत से ऐसा ही था, हर खूबसूरत लड़की उसे उसकी बाँहों मे चाहिए होती थी फिर चाहे ये प्यार से हो या जबरदस्ती। उसके लिए लड़कियाँ सिर्फ दिल बहलाने का ज़रिया है, यूज़ एंड थ्रो मैटेरियल जिसे एक बार इस्तेमाल करने के बाद वो उसकी तरफ देखता तक नही और इसी वजह से हमारी कभी नही बनी। मैं हमेशा से उसके रास्ते मे आ जाता था इसलिए वो हेट करता है मुझे।

    आज क्लब मे reunion पार्टी हो रही थी। तुम्हारी खूबसूरती के वजह से वो तुम्हारे तरफ अट्रैक्ट हुआ, उस वक़्त तो मैंने तुम्हें बचा लिया था पर मैं अमन को बहुत अच्छे से जानता था। एक बार जो लड़की उसकी नज़रों मे आ गयी वो उसे इतनी आसानी से नही छोड़ता। मुझे डाउट था कि वो ऐसा ही कुछ करेगा इसलिए मैनें तुम्हें लिफ्ट ऑफर की थी।

    जैसे तुम मुझे एटीट्यूड दिखाकर गयी थी मैं भी तुम्हें तुम्हारे हाल पर छोड़कर जा रहा था पर तुम्हारी फिक्र थी मुझे, नही चाहता था मैं की अमन तुम्हारे साथ कुछ भी गलत करे इसलिए वापिस आ रहा था जब अचानक तुम मेरी कार के सामने आ गयी।

    तुम मुझपर विश्वास करो न करो पर मैंने तुम्हें एक एक बात सच बताई है।"

    कायरव सीरियस था। इनाया गौर से उसे देख रही थी।

    "अगर तुम्हें मुझपर ट्रस्ट नही और मेरे साथ नही जाना चाहती तो मैं तुम्हें फोर्स नही करूँगा, बस अपना ख्याल रखना, अभी तो वो वापिस नही आएगा पर हो सकता है कि future मे तुम्हें परेशान करे। ये मेरा कार्ड है, कभी भी तुम किसी भी प्रॉब्लम मे हो, बस मुझे एक बार कॉल देना पॉसिबल हुआ तो मैं तुम्हारी हेल्प ज़रूर करूँगा।"

    कायरव ने अपना कार्ड उसके तरफ बढ़ाया जिसे इनाया ने लिया नही। तो उसने उसे वापिस अपनी पॉकेट मे रखते हुए कहा,

    "शायद तुम्हें इसकी ज़रूरत नही,.... Good bye and take care।"

    इनाया अब भी एकटक उसे देख रही थी जैसे उसकी आँखों मे सच्चाई तलाश रही थी। कायरव जैसे ही जाने के लिए पलटा, इनाया ने हड़बड़ाते हुए उसकी बाँह पकड़ लिए, कायरव हुए पलटा, अगले ही पल इनाया ने ऐसा सवाल किया जिसे सुनकर कायरव बुरी तरह चौंक गया।

    To be continued...

  • 12. Contracted hearts - Chapter 12

    Words: 1764

    Estimated Reading Time: 11 min

    "क्यों कर रहे हो तुम ये सब? "

    "What do you mean?... क्या कर रहा हूँ मैं? " कायरव की भौंहे सोचने के अंदाज़ में सिकुड़ गयी।

    "ये सब जो तुम मेरे लिए कर रहे हो, क्यों कर रहे हो? क्या  मोटिव है तुम्हारा? "

    "तुम कहना क्या चाहती हो? साफ साफ कहो, क्या कर रहा हूँ मैं? "

    "क्लब में जब तुम्हारा वो दोस्त दुश्मन जो भी है वो कमीना आदमी मुझे छू रहा था तो तुमने बीच मे आकर मुझे वहाँ से भेज दिया। मुझे लिफ्ट ऑफर की, मेरे लिए वापिस आए, उस घटिया आदमी के गंदे इरादों का शिकार बनने से मुझे बताया, अभी भी मेरी फिक्र कर रहे थे।

    तुमने ही कहा था न कि वो तुम्हारा दुश्मन है तो मेरे लिए तुम उसके एगेंस्ट क्यों गए? अब वो तुमसे और ज्यादा चिढ़ेगा। तुमने मुझे शादी के लिए प्रोपोज़ किया पर मैंने रिजेक्ट कर दिया तुम्हारी इतनी इंसल्ट भी की फिर तुम मेरे लिए ये सब क्यों कर रहे हो?

    देखो मैं तुम्हें पहले ही बता रही हूँ तुम कुछ भी क्यों न कर लो, मेरे सामने कितने ही अच्छे क्यों न बन लो पर मैं तुमसे ये contract मैरिज नही करूँगी। "

    इनाया ने जिस अंदाज़ में ये बात कही, कायरव ना चाहते हुए भी मुस्कुरा उठा।

    "तुम्हें लगता है कि मैं ये सब तुम्हें इंप्रेस करने के लिए कर रहा हूँ। तुम्हारे सामने अच्छा बनने की कोशिश कर रहा हूँ ताकि तुम मेरी डील को एक्सेप्ट कर लो।"

    इनाया अब भी उसे घूर रही थी। उसके तरफ से खामोशी ही रही तो कायरव ने ही संजीदगी से आगे कहा

    "ऐसा कुछ भी नही है। ये बात सच है कि मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी डील एक्सेप्ट कर लो और मैंने अभी भी हार नही मानी है लेकिन आज मैंने जो भी किया उसके पीछे मेरा कोई मोटिव नही था। तुम्हारे जगह अगर कोई और लड़की होती तब भी मैं यही करता।

    जैसे आज मैं अमन के रास्ते मे आया हूँ वैसा पहले बहुत बार हो चुका है, मैंने बहुत बार उसे उसके घटिया मकसद को पूरा करने और इनोसेंट लड़कियों की लाइफ बर्बाद करने से रोका है इसलिए वो मुझे अपना दुश्मन समझता है। "

    इसके बाद कुछ सेकंड रुकते हुए उसने सीरियस अंदाज़ मे कहा,

    "वैसे तो तुम कहाँ जाती हो, क्या काम करती हो ये तुम्हारा पर्सनल मैटर है। फिर भी एक एडवाइस दूँगा, तुम्हें मुझसे शादी नही करनी मत करो, पर ये काम छोड़ दो। ये जगह तुम्हारे लिए सेफ नही है। क्लब है ये, यहाँ कैसे कैसे लोग आते है, जितनी खूबसूरत तुम हो, तुम्हें देखकर किसी की भी नियत बिगड़ जाए। "

    "जैसे तुम्हारी बिगड़ गयी है। " इनाया ने एकदम से कहा।  कायरव बुरी तरह चौंका और हैरानगी से सवाल किया।

    "What ? "

    "अब ऐसे आँखे फाड़कर क्या देख रहे हो मुझे? " इनाया ने झुंझलाते हुए सवाल किया। कायरव के एक्सप्रेशन बदल गए।

    "मैंने तुम्हारे साथ मिस बिहेव किया है, कुछ गलत कहा है? "

    "नही पर तुम शादी के लिए मेरे पीछे तो पड़े हो। "

    "शादी नही contract marriage और उसके पीछे कुछ रीजन्स है जो मैं तुम्हें नही बता सकता। "

    "अच्छा तो तुम कहना चाहते हो कि मेरी ब्यूटी का असर तुमपर नही हुआ? " इनाया ने आँखों को बड़ा बड़ा करके उसे देखा। कायरव की निगाहें पल भर को उसकी हसीन चेहरे, उसकी आँख के नीचे मौजूद तिल पर ठहर गयी, पर जल्दी ही उसने खुदको उन गहरी काली कजरारी आँखों मे खोने से बचाया और निगाहें फेरते हुए बोला।

    "नही और अब मेरे पास तुमसे बहस मे बर्बाद करने के लिए फालतू टाइम नही है तो तुम्हें जो सोचना है सोचती रहो, मैं जा रहा हूँ। "

    इसके बाद कायरव एक सेकंड के लिए भी वहाँ नही रुका। तुरंत ही पलटा और लंबे लंबे कदमों से चलते हुए कार मे बैठ गया। अपनी सीट बेल्ट लगाकर वो कार स्टार्ट करने ही वाला था कि दूसरे तरफ के विंडो पर नॉक हुआ। कायरव ने नज़रें घुमाई, वहाँ खड़ी इनाया इशारे से उसे कुछ कह रही थी।

    कायरव ने जैसे ही कार unlock की, इनाया डोर खोलकर अंदर बैठ गयी।

    "इस लिफ्ट के बदले मैं तुमसे शादी के लिए हाँ नही कहूंगी, okay "

    पहले तो कायरव चौंका फिर उसकी बात सुनकर हल्के से मुस्कुरा दिया और आगे बिना कुछ कहे कार स्टार्ट कर दी। इनाया विंडो खोले बाहर देखते हुए किन्ही ख्यालों में खोई थी।

    "इनाया एक बात बताओ, तुम्हें मुझसे प्रॉब्लम क्या है? अगर तुम मेरी डील को एक्सेप्ट कर लेती हो तो तुम्हारी सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो सकती है फिर इंकार क्यों कर रही हो? जबकि मैं तो तुम्हें रियलिटी मे मुझसे शादी करने भी नही कह रहा। "

    कायरव का सवाल सुनकर इनाया ने पलटकर उसे देखा और बिना किसी एक्सप्रेशन के बोली,

    " क्योंकि तुम्हें मुझसे प्यार नही है, मैं तुम्हें पसंद हूँ तुम इसलिए मुझसे शादी नही करना चाहते। इन्फैक्ट तुम तो मुझसे शादी ही नही करना चाहते। तुम तो एक डील कर रहे हो, वन ईयर की contract मैरेज.... तुमने शादी जैसे रिश्ते को एक सौदा बना दिया है और मैं इसमें तुम्हारा साथ नही दे सकती। मुझे ऐसी शादी नही करनी। "

    इनाया ने वापिस अपनी निगाहें फेर ली। दोनों के बीच आगे कोई बात नही हुई। कार इनाया के घर से कुछ दूरी पर रुकी। इनाया पहले ज़रा चौंक गयी फिर सर हिलाते हुए सीट बेल्ट खोलने लगी।

    "लिफ्ट देने और सेफली मुझे मेरे घर पहुँचाने के लिए थैंक्यू। "

    "इसकी ज़रूरत नही है। " कायरव हल्के से मुस्कुराया। इनाया कुछ देर उसे देखते हुए कुछ सोचती रही फिर कार से नीचे उतर गयी। जब तक वो अपने घर के अंदर नही चली गयी, कायरव वही खड़ा रहा, उसने आस पास नज़रें घुमाई, अचानक ही चेहरे पर गंभीर भाव उभर आए। अपना फोन निकालकर उसने किसी को फोन किया और वहाँ से निकल गया।

    इनाया ने घर में कदम रखा ही था कि सविता जी उसके सामने आकर खड़ी हो गयी। आज जितनी टिप उसे मिली थी उसने सब निकालकर उनकी हथेली पर रख दी। पैसे देखकर उनकी आँखों मे चमक आ गयी। वो पैसे गिनते हुए वहाँ से चली गयी।

    इनाया भी थकी हारी अपने बिस्तर पर जाकर गिर गयी। उसे न कपड़े बदलने का होश रहा और न ही खाना लाने की तागत थी। भूख लगी थी पर वो इतना थक गयी थी कि हिलने का भी दिल नही कर रहा था। आज पूरे दिन के बारे मे सोचते हुए ही उसकी आँख लग गयी।


    तीन दिन और यूँही गुज़र गए थे। इनाया ने क्लब वाली जॉब छोड़ दी थी क्योंकि उसके लिए उसकी जान, इज़्ज़त पैसों से ज्यादा इंपोर्टेट थी।

    अब उसका सारा सारा दिन जॉब ढूँढने मे बीतता था पर हर जगह निराशा ही हाथ लगी। कोशिश बहुुत कर रही थी पर किस्मत ही साथ नही दे रही थी। सविता जी के ताने बदस्तूर जारी थे, मानव ने भी उसके लिए जॉब ढूंढ रहा था पर मिल नही रही थी।

    सुबह के आठ बज रहे थे। इनाया घर से कुछ दूरी पर बने  गणपति बप्पा के मन्दिर आई हुई थी, मानव भी उसके साथ था। दोनों ने दर्शन किये फिर मन्दिर प्रांगण मे बने बेंच पर बैठ गए।

    "इनाया मैं अब भी कह रहा हूँ, उस प्रोपोज़ल को तुझे एक्सेप्ट कर लेना चाहिए। तू खुद देख रही है न, कही जॉब नही मिल रही तुझे, इतनी जल्दी कोई ढंग की जॉब मिलेगी भी नही।

    अब बस दो दिन बचे है अगर उसमे भी तुम्हें जॉब नही मिली तो इस बार तेरी आई तुझे और टाइम नही देंगी और सचिन से तेरी शादी करवा देंगी। उसके बाद तू चाहकर भी अपने लिए कुछ नही कर सकेगी। "

    इनाया बहुत बड़ी प्रॉब्लम मे थी और मानव उसके लिए परेशान था। इस बार इनाया ने पलटकर कुछ भी नही कहा और न ही नज़र उठाकर उसे देखा। सर झुकाए खामोश बैठी कुछ सोचती रही।

    मानव को जब कोई रिस्पोंस नही मिला तो उसने उसके हाथ पर अपनी हथेली रख दी।

    " क्या सोच रही है तू? क्या करेगी आगे? अभी तेरे पास दो रास्ते है, या तो मुझसे पैसे लेकर अपनी आई को दे दे, इससे तुझे टाइम मिल जाएगा, एक महीने मे शायद तुझे जॉब मिल जाए, वरना कुछ और जुगाड़ लगा लेंगे लेकिन ये परमानेंट सोल्युशन नही है क्योंकि जैसे वो सचिन तेरे पीछे पागल है जब तक वो तुझसे शादी नही कर लेता वो तुझे कही भी चैन से जीने नही देगा।

    दूसरा रास्ता कायरव रायचंद के प्रोपोज़ल को एक्सेप्ट कर ले। वो ना सिर्फ तुझे इन सब प्रॉब्लम्स से बाहर निकाल सकता है, बल्कि तेरा फ्यूचर भी सिक्योर कर सकता है। वो इतना पावरफुल है की सचिन तो क्या उसका बाप भी तेरा कुछ नही बिगाड़ पाएगा। वो प्रोटेक्ट करेगा तुझे और एक साल बाद तू इन सबसे दूर जाकर अपने हिसाब से अपनी ज़िंदगी बिता सकती है।

    मैं पर्सनली सेकंड ऑप्शन चूज़ करने कहूँगा। जितना मैंने सोशल साइट्स पर देखा है और रिसर्च करके जाना है, कायरव रायचंद अच्छा इंसान है। तुझमे interested है , हो सकता है कि एक साल साथ बिताने के बाद वो तुझे खुदसे दूर ही न जाने दे। तेरी लाइफ सैट हो जाएगी। सोच एक बार इस बारे मे। "

    इनाया खामोशी से उसे देखती रही, अब भी उसके पास कहने को कुछ नही था। पर उसके दिमाग मे प्रोटेक्ट करने वाली बात घूमने लगी थी। क्लब वाला हादसा याद आ गया था उसे जब कायरव ने उसे बचाया था।

    कुछ देर रुकने के बाद मानव उठकर खड़ा हो गया।

    "चल तुझे तेरे घर छोड़ दूँ फिर मुझे ऑफिस के लिए निकलना है। "

    "तू जा मैं थोड़े देर यहाँ अकेले बैठना चाहती हूँ। "

    मानव ने गौर से उसे देखा। आज वो उसकी इनाया लग ही नही रही थी। ऐसा लग रहा था अपनी किस्मत से लड़ते लड़ते अब वो थक गयी थी, हारकर अपने हथियार डाल दिये थे, ज़िंदगी से बिल्कुल निराश हो चुकी थी।

    मानव ने ठंडी आह्ह् भरी और उसके कंधे पर हाथ रख दिया।

    "इतना मत सोच बप्पा सब ठीक करेंगे। मुझे अभी निकलना होगा तू भी जल्दी घर चली जाइयो। "

    इनाया ने सर हिला दिया। मानव के जाने के बाद वो सर घुमाकर सूनी निगाहों से अंदर मौजूद बप्पा की बड़ी सी मूर्ति को देखने लगी। उसकी नम आँखों मे अनकही ही शिकायत झलक रही थी।

    "बप्पा, सब कहते हैं तू सब ठीक करता है, तो फिर मेरे साथ ही क्यों गड़बड़ है सब कुछ?"

    धीरे धीरे वक़्त गुजरने लगा, मंदीर की भीड़ कम हुई।

    इनाया अब भी कड़कती धूप मे वही बैठी थी, अचानक ही कोई उसके और सूरज के बीच आकर खड़ा हो गया। इनाया ने धीरे से सर उठाया, सामने खड़े इंसान को देखकर उसके चेहरे पर अजीब से भाव उभर आए।


    To be continued...

  • 13. Contracted hearts - Chapter 13

    Words: 1519

    Estimated Reading Time: 10 min

    "कायरव, उस मामूली सी लड़की ने तुझे इतनी बार रिजेक्ट कर दिया, फिर तू क्यों बार-बार उसके पास पहुँच जाता है?"

    ये नितिन था, जो काफ़ी परेशान नज़र आ रहा था। कायरव उसके ठीक सामने बैठा था, एकदम शांत। नितिन की बात सुनकर उसकी आँखों के आगे इनाया का चेहरा आ गया।

    "वो कोई मामूली लड़की नहीं है, जो बात उसमें है वो किसी और में नहीं, छोड़, तू नहीं समझेगा।"

    "क्यों नहीं समझूँगा? तू समझाने की ट्राई तो कर, सब समझ जाऊंगा मैं। बता मुझे कि ऐसा क्या देख लिया तूने उस लड़की में जो ज़िद लिए बैठा है की उसी से शादी करेगा?"

    "वो लड़की नहीं, चलता फिरता तूफान है। उसकी पर्सनैलिटी, बोलने का अंदाज़, कॉन्फिडेंस और बोल्डनेस, तीखे कातिलाना तेवर.... एक अलग ऑरा है उसका। आज कुछ भी नहीं उसके पास, पर एटीट्यूड देखेगा तो देखता ही रह जाएगा।

    अगर वो रायचंद मेंशन में घुस गयी, तो समझ कि हवाओं का रुख बदल जाएगा। वो एक-एक को सही रास्ते पर ले आएगी। मुझे उसे कुछ बताना नहीं पड़ेगा, वो खुद सबको हैंडल कर लेगी। जिस मकसद से मैंने इस कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के बारे में सोचा है, इनाया उसे पूरा करने के लिए बिल्कुल परफेक्ट है।"

    "तो कोई दूसरी लड़की ढूढ़ लेते हैं, पैसों के लिए कोई भी लड़की तेरा काम करने को तैयार हो जाएगी।"

    "यही तो बात है कि वो पैसों के लिए ऐसा करेगी, अगर मुझसे ज्यादा पैसे उसे मेरी फैमिली ने ऑफर कर दिया तो गेम को पलटते टाइम नहीं लगेगा, लेकिन इनाया के साथ ऐसा नहीं है। पैसों और पॉवर का उसपर कोई इफेक्ट नहीं होता। वो एक स्ट्रांग कैरेक्टर की लड़की है, अगर एक बार मेरे साइड आ गयी तो कुछ भी क्यों न हो जाए वो कभी मुझे डबल क्रॉस नहीं करेगी।

    बाकी लड़कियों को समझाना पड़ेगा तो वो वैसी बनने की एक्टिंग करेंगी, जैसी वाइफ की तलाश मुझे है, लेकिन इनाया नेचुरली ही वैसी है, उसे कुछ भी समझाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, वो एक्टिंग नहीं करेगी बल्कि जो है वो बनकर रहेगी तो मिस्टकेस के चांसेस कम होंगे।

    मुझे कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, वो खुद सब संभाल लेगी। वो बिल्कुल वैसी लड़की है जैसी लड़की कि तलाश मुझे थी। तू जानता है उस घर में रहने वाले लोगों का नेचर, उनसे निपटने के लिए इनाया ही बेस्ट है।

    इनाया बाकी लड़कियों से बहुत अलग है, जो बात उसमें है वो किसी और में नहीं और इन सिचुएशन्स में मेरी वाइफ का रोल उससे अच्छे से कोई और नहीं निभा सकता, शी इज परफेक्ट फॉर दिस रोल इसलिए मुझे वही चाहिए।"

    "लेकिन वो तो मानने को तैयार ही नहीं, इतनी कोशिश करके देख ली तूने। मेरी मान तो लिस्ट में और कैंडिडेट्स के नेम एड करते है, कोई न कोई ऐसी लड़की मिल जाएगी जो तेरे एक्सपेक्टेशन्स को पूरा करे।"

    "नहीं, इतना वक़्त नहीं हमारे पास कि अब और कैंडिडेट्स ढूँढे। बस पंद्रह दिन बचे है। उसमे मुझे सब फाइनल करना है। इनाया मेरी वाइफ के रोल को प्ले करने के लिए बेस्ट कैंडिडेट है, मेरी कॉन्ट्रैक्ट लव और वाइफ बनेगी तो बस वही बनेगी, दैट्स फाइनल।"

    "और कैसे बनेगी? वो तो तेरे मुँह पर इंकार करके चली गयी। इतनी बार तुझे और तेरे प्रपोज़ल को रिजेक्ट कर दिया। कैसे मनाएगा तू उसे?"

    "वो तो मुझपर छोड़ दे और बस देखता जा कि मैं क्या करता हूँ।" कायरव मिस्टीरियस अंदाज़ में मुस्कुराया। कुछ चल रहा था उसके दिमाग में जिससे नितिन और इनाया दोनों ही अंजान थे।

    "क्या करने वाला है तू?" नितिन ने शक भरी नज़रों से उसे देखा।

    "बस तू देखता जा कि मैं क्या करता हूँ और कैसे इनाया को इनाया देशमुख से मिसेस इनाया कायरव रायचंद बनाता हूँ।"

    कायरव अपनी बात पूरी करते हुए उठकर खड़ा हो गया। नितिन ने एकदम से सवाल किया।

    "कहाँ जा रहा है तू इस वक़्त?"

    "अपने प्लैन को सक्सेसफुल करने का इंतज़ाम करने जा रहा हूँ।"

    "कैसा प्लैन?"

    "इनाया को तेरी भाभी बनाने का प्लैन!"

    कायरव दिलकशी से मुस्कुराया। नितिन आँखे फाड़े शॉक्ड सा बस उसे देखता ही रह गया। कायरव कार की चाबी हाथ मे घुमाते हुए वहाँ से निकल गया।

    "पता नहीं क्या चल रहा है इसके दिमाग में? अब क्या करने वाला है ये। जिस लड़की के पीछे भाग रहा है वो सच मे कोई आम लड़की नहीं है, जिसने कायरव रायचंद को रिजेक्ट कर दिया उसमें कुछ तो खास बात होगी... कहीं इसका प्लैन इसी पर भारी ना पड़ जाए। I hope कि सब ठीक हो और वो लड़की इस बार इस डील के लिए मान जाए।"

    इनाया मंदिर प्रांगण में बनी बेंच पर बैठी थी। तेज़ धूप से उसका गोरा चेहरा जलने लगा था फिर भी वो अपने ख्यालों में खोई एकटक गणपति बप्पा की मूर्ति को देखती रही।

    अचानक ही कोई उसके और सूरज के बीच आकर खड़ा हो गया। उसके ऊपर पड़ती धूप को छाँव मे बदल दिया। इनाया ने धीरे से सर उठाया, सामने खड़े इंसान को देखकर उसके चेहरे पर अजीब से भाव उभर आए।

    "क्या कर रहे हो तुम यहाँ? क्या तुम सच मे मेरा पीछा कर रहे हो?"

    इनाया के चेहरे पर गुस्से और हैरानी के मिले जुले भाव मौजूद थे। पर उसके सामने खड़ा कायरव शांत नज़र आ रहा था।

    "तुम जो चाहो समझने के लिए बिल्कुल फ्री हो, मैं यहाँ तुमसे कुछ इंपोर्टेंट बात करने आया हूँ।"

    "मुझे अभी तुमसे या किसी से कोई भी बात नहीं करनी है। मेरा मूड पहले ही बहुत खराब है। मैं अकेले रहना चाहती हूँ तो जैसे यहाँ आए हो वैसे ही वापिस चले जाओ, समझ आई बात?"

    इनाया ने तल्ख लहज़े में कहा और उसे घूरते हुए दूसरे साइड खिसककर बैठ गयी कायरव फिर उसके सामने आकर खड़ा हो गया।

    "मैं जो बात तुमसे करने आया हूँ वो बहुत इंपोर्टेंट है और अभी ही करना ज़रूरी है।"

    "तुम्हें क्या प्यार से कही मेरी बात समझ नहीं आ रही कि अभी मैं किसी से भी किसी भी तरह की कोई भी बात करने के मूड मे नहीं हूँ? ..... "

    "इनाया," कायरव ने कुछ कहना चाहा पर इनाया बीच में ही उसकी बात काटते हुए गुस्से से बोली,

    "कितने ढीठ हो तुम, इतनी बार बोल दिया मैंने पर तुम्हें कुछ समझ ही नहीं आता। मैं अकेले रहना चाहती हूँ पर तुम हाथ मुँह धोकर मेरे पीछे ही पड़ गए हो। ... ठीक है नहीं जाओगे न तुम यहाँ से तो मैं खुद ही चली जाती हूँ, तुम करो आराम से इस बेंच से अपनी मोस्ट इंपोर्टेंट बात।"

    इनाया ने खींझते हुए अजीब सा मुँह बनाया और उसे घूरते हुए उठकर वहाँ से जाने लगी। कुछ कदम आगे जाने के बाद उसने पलटकर पीछे देखा और बुरी तरह चौंक गयी।

    "ये कहाँ चला गया? अभी तो यही था फिर अचानक कहाँ गायब हो गया? जितना डेस्पिरेट था मुझसे बात करने के लिए मुझे तो लगा था ये मेरे पीछे आएगा पर इसने तो एक बार और मुझसे बात करने की कोशिश ही नहीं की, मुझे रोका तक नहीं और अब खुद पता नहीं कहाँ चला गया है... लेकिन ये ऐसे अचानक यहाँ से गायब कैसे हो गया?"

    इनाया कुछ देर कंफ्यूज सी यहाँ वहाँ नज़रें घुमाती रही पर जब कायरव उसे कहीं नहीं दिखा तो नाक सिकोड़ते हुए उसने कंधे उचकाए और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी।

    इनाया मेन रोड पर पहुँची ही थी कि अचानक एक कार उसके सामने आकर खड़ी हो गयी। उस अंजान कार को देखकर इनाया तुरंत पीछे हट गयी। अगले ही सेकंड विंडो के काँच नीचे हुआ और अंदर बैठे शक्स को देखकर इनाया की आँखे हैरत से फैल गयी।

    "त.... तुम यहाँ?"

    "हाँ मैं यहाँ, क्यों मैं यहाँ नहीं हो सकता?"

    कायरव ठहरी हुई गंभीर आवाज़ उसके कानों मे पड़ी और उसने आइब्रो चढ़ाते हुए सवाल किया। कायरव को अपने सामने देखकर इनाया के दिमाग का फ्यूज़ उड़ गया।

    "तुम यहाँ कैसे, मतलब तुम तो वहाँ थे फिर यहाँ कैसे आए? मैं तुमसे पहले निकली थी फिर तुम मुझसे पहले यहाँ कैसे पहुँच गए?... क्या तुम्हारे पास कोई सुपरपावर है? तुम एक जगह से दूसरे जगह टेलिपोर्ट होना जानते हो?"

    उंगली से पीछे मन्दिर के तरफ इशारा करते हुए इनाया फटी आँखों से उसे देख रही थी।

    "बिल्कुल नहीं, न मेरे पास कोई सुपरपावर है और न ही मैं टेलिपोर्ट हो सकता हूँ। मैं भी तुम्हारे तरह ही एक नॉर्मल इंसान हूँ।"

    "लेकिन तुम मुझसे पहले यहाँ कैसे पहुँचे और अचानक गायब कहाँ हो गए थे?"

    "मैं दूसरे साइड से गया था क्योंकि मेरी कार उस साइड पार्क थी, अगर अब तुम्हें तुम्हारे सभी सवालों के जवाब मिल गए हो तो अंदर आओ कुछ बात करनी है।"

    कायरव ने दूसरे तरफ का गेट ओपन कर दिया।

    "मुझे नहीं करनी अभी तुमसे कोई भी बात।"

    इनाया ने मुँह बनाया और जैसे ही दूसरे तरफ से जाने लगी कायरव की गंभीर आवाज़ उसके कानों में पड़ी और उसके आगे बढ़ते कदम ठिठक गए।

    "मैं जानता हूँ तुम क्यों इतनी टेन्स्ड हो एंड ट्रस्ट मी मैं तुम्हारी सारी प्रॉब्लम सॉल्व कर सकता हूँ। बस एक बार आराम से बैठकर शांति से मेरी बात सुनो..... कम सिट... "

    इनाया पलटकर उसे देखने लगी। कायरव ने अंदर बैठने का इशारा किया।

    To be continued...

    कैसा लग आपको ये पार्ट और इनाया अब क्या करेगी कॉमेंट करके बताइये। स्टोरी पसंद आ रही हो तो लाइक एंड शेयर करे।

  • 14. Contracted hearts - Chapter 14

    Words: 1510

    Estimated Reading Time: 10 min

    "मैं जानता हूँ तुम क्यों इतनी tensed हो, एंड ट्रस्ट मी, मैं तुम्हारी सारी प्रॉब्लम सॉल्व कर सकता हूँ। बस एक बार आराम से बैठकर शांति से मेरी बात सुनो... Come sit..."

    इनाया पलटकर उसे देखने लगी। कायरव ने अंदर बैठने का इशारा किया।

    इनाया ने कुछ सेकंड सोचा, फिर घूमकर आकर पैसेंजर सीट पर बैठते हुए सवालिया निगाहें उसकी तरफ घुमाई।

    "ऐसी क्या बात करनी है तुम्हें मुझसे और मैं पहले ही मना कर चुकी हूँ, फिर मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?"

    "मैं तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छा ऑफर लाया हूँ।"

    "कैसा ऑफर?" इनाया ने भौंह उचकाते हुए सवाल किया। कायरव कुछ सेकंड रुका, फिर गहरी सांस छोड़ते हुए गंभीरता से बोला।

    "तुम्हारे लिए मैंने डील में कुछ changes किये है, पर उससे पहले मैं तुम्हे कुछ बताना चाहता हूँ। एक्चुली मैंने तुम्हारे बारे में पूरी इंफोर्मेशन निकलवाई है। तुम्हारे माँ बाप तुम्हारी शादी चॉल के किसी गुंडे से करवाना चाहते है। अगर तुम मुझसे शादी नही करोगी तो उस लड़के से तुम्हे शादी करनी पड़ेगी। और जहाँ तक मुझे पता है, तुम्हे वो लड़का बिल्कुल पसंद नही है, पर वो लड़का तुम्हारे बदले तुम्हारे माँ बाप के लिए कर्ज को माफ करके उन्हें पैसे देने वाला है।

    सोचो अगर मैं उनके पास चला गया तो पैसों के बदले वो तुम्हे मुझे बेचने में, मतलब मुझसे तुम्हारी शादी करवाने में ज्यादा वक़्त नही लगाएंगे और तब तुम चाहो या न चाहो पर तुम्हे मुझसे शादी तो करनी ही पड़ेगी।

    मतलब अगर देखा जाए तो तुमसे शादी तो मैं किसी भी सूरत में करके रहूँगा, अब ये तुमपर डिपेंड करता है कि तुम सीधे से मेरी बात मानती हो या मुझे तुम्हारे मां बाप को जरिया बनाना होगा।"

    जैसे जैसे कायरव बोल रहा था, इनाया के एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे। कायरव ने उसके बारे में पता करवाया और अब पैसों के बदले उसे खरीदने की बात कर रहा है, ये देखकर उसका चेहरा गुस्से से जलने लगा, पर उसने खुद पर से कंट्रोल नही खोया। उसे मानव की कही बात याद आ गयी कि इस वक़्त उसकी हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन कायरव है, उसे एक बार आराम से बात करने के बाद कोई भी डिसीज़न लेना चाहिए।

    इनाया ने गहरी सांस छोड़ी और गंभीरता से सवाल किया, "आप मुझसे ही शादी क्यों करना चाहते है और ये contract मैरिज का क्या मतलब हुआ?"

    "पहले तुम मुझे बताओ की तुम शादी करने से क्यों कतरा रही हो? एज हो गयी है तुम्हारी शादी की और तुम्हारे माँ बाप तुम्हे शादी के लिए प्रेशराइज् भी कर रहे है। अगर तुम खुदसे कोई अच्छा लड़का नही ढूंढती या सैटल नही हो जाती तो तुम्हारी शादी होने और तुम्हारी ज़िंदगी बर्बाद होने से कोई नही बचा सकता। फिर जब मैं तुम्हे इन सब प्रोब्लम्स से बाहर निकलने का एक चांस दे रहा हूँ, प्रोमिस कर रहा हूँ कि मुझसे शादी करने के बाद तुम्हारा फ्यूचर ब्राइट होगा, मैं तुम्हारे करियर के मामले मे भी तुम्हारी हेल्प कर सकता हूँ तो इंकार क्यों कर रही हो तुम?"

    "क्योंकि मुझे नफरत है मर्दों से, वो एतबार के काबिल ही नही होता। उनके साथ रिश्ता जुड़ने से बस ज़िन्दगी बर्बाद होती है और मुझे अपनी अच्छी खासी ज़िंदगी को तबाह और बर्बाद करने का कोई शौक नही है। फिर आपको मैं जानती ही कितना हूँ? मैं कैसे चंद पैसों या अच्छे फ्यूचर के लिए खुद को बेच सकती हूँ? इतनी भी मजबूर नही मैं, अब भी मुझमें सेल्फ रिस्पेक्ट बाकी है।"

    "That's the point. जो भी वजह हो पर तुम शादी नही करना चाहती, पर तुम्हारी मां तुम्हे प्रेशराइज् कर रही है और मैं शादी नही करना चाहता, पर मेरी फैमिली मेरे इस डिसीज़न के एगेंस्ट है। अगर मैंने खुदसे कोई लड़की ढूंढकर शादी नही की तो वो मेरी शादी उस इंसान से करवा देंगे जो मुझे रत्ती भर नही पसंद। मैं आज़ादी से अपनी ज़िन्दगी जीना चाहता हूँ..."

    कायरव ने इतना कहा ही था कि इनाया उसकी बात काटते हुए बोल पड़ी।

    "You mean to say लड़कियों के साथ hangout, nightout and all?... "

    "No, शादी के बाद इंसान रिस्पांसिब्लिटिज़ के बीच उलझकर रह जाता है, स्पेशली तब जब आपका लाइफ पार्टनर वैसा नही जैसा आप चाहते है। फिर वो रिश्ता सिर्फ एक unwanted burden बनकर रह जाता है जिसमे हर टाइम आपको कंप्रोमाइज् करना पड़ता है। सोसाइटी और फैमिली के प्रैशर मे न चाहते हुए भी उसे निभाना पड़ता है और इन सबमे आपकी रियल हैप्पीनेस कहीं खो जाती है।

    मैं ऐसी लाइफ नही चाहता। अपनी ज़िन्दगी किसी और के तरीके से या एडजस्ट करते करते नही बिता सकता। सोसाइटी और फैमिली को दिखाने के लिए खुश रहने की एक्टिंग नही कर सकता। नही बिता सकता उस इंसान के साथ अपनी पूरी लाइफ जिसे मैं लव क्या लाइक तक नही करता और न ही फ्यूचर मे कभी कर पाऊंगा।"

    "तो फिर कॉंट्रेक्ट मैरिज क्यों करना चाहते हो? तब भी दुनिया के सामने तुम बंधन में बंद चुके होगे। तुम्हें फैमिली और सोसाइटी के बीच उस रिश्ते मे खुश होने की एक्टिंग करनी पड़ेगी। सारी लाइफ न सही पर कुछ टाइम के लिए कंप्रोमाइज् करना पड़ेगा, उस शक्स के साथ रहना होगा जिससे तुम प्यार नही करते।"

    "I know और इसलिए मैंने कॉंट्रेक्ट मैरिज के बारे मे सोचा है जहाँ मेरी शादी होगी पर बस एक साल के लिए। दुनिया के और मेरी फैमिली के सामने मैं मैरिड होऊंगा जिसके वजह से वो मेरी दूसरी शादी नही करवा पाएंगे। हम बस दुनिया के लिए हसबैंड एंड वाइफ होंगे पर एक दूसरे से हमारा कोई रिश्ता नही होगा।

    न वो मेरी लाइफ मे इंटरफेयर करेगी, न मैं उसकी। एक दूसरे पर हम कोई रेस्ट्रेक्शंस नही लगाएंगे। एक दूसरे से हमें कोई एक्सपेक्टेशन नही होगी, लाइफ टाइम साथ नही रहना होगा तो कंप्रोमाइज़ेज़ नही करने होंगे। शादी के बंधन मे बांधकर भी हम आज़ाद होंगे, अपनी मर्ज़ी से और अपने तरीके से फ्रीलि अपनी लाइफ जीने के लिए।

    एक साल बाद किसी बहाने से डिवोर्स ले लूंगा और फिर डिवोर्सि से तो सिया कभी शादी नही करेगी, अगर करना चाहेगी भी तो भी मैं कह सकता हूँ कि मैं अपनी वाइफ से बहुत प्यार करता हूँ और उसके अलावा कोई मेरी लाइफ मे आए ये मुझे मंज़ूर नही।"

    "तुमने मुझे ही क्यों चूज़ किया?"

    "क्योंकि तुम दिखने मे खूबसूरत हो, परस्नैलिटि भी काफी अच्छी है, समझदार हो, मेरी वाइफ बनने के काबिल हो और सबसे बड़ी बात की मेरी ही तरह शादी नही करना चाहती पर शादी के लिए प्रेशर है, मतलब साफ है अगर हम साथ हो जाते है तो हम दोनों की प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी और जो सबसे बड़ी बात है वो है तुम्हारी खुद्दारी।

    तुम वो पहली लड़की हो जो पैसों की ज़रूरत होते हुए मेरे सामने नही झुकी। जिसने मेरे प्रोपोज़ल को ठुकरा दिया ये जानते हुए की ये कॉंट्रैक्ट तुम्हारी सारी प्रॉब्लम सॉल्व कर सकता है और तुम्हे एक स्टेबल ब्राइट फ्यूचर दे सकता है। तुमने पैसे और पावर के जगह अपनी सेल्फ respect को चुना और तुम्हारी यही खासियत तुम्हें बाकी लड़कियों से अलग बनाती है। इसलिए मैं तुमसे शादी करने मे interested हूँ।"

    कायरव ने कुछ सेकंड रुकते हुए आगे कहा, "तुम शादी नही करना चाहती, अपना करियर बनाना चाहती हो तो हमें लाइफ टाइम एक साथ नही रहना होगा। मैं तुम्हारे करियर को सैट करने मे तुम्हारी हेल्प करूँगा।

    डिवोर्स के बाद तुम उस unsuccessful marriage के लिए मुझे ब्लेम कर देना और कह देना की अब दोबारा शादी कभी नही करोगी। तुम्हारे पास तब इतना पैसा होगा कि इन सबसे दूर किसी नई जगह पर जाकर नए सिरे से अपनी लाइफ स्टार्ट कर सकती हो। तुम्हारी प्रॉब्लम हमेशा हमेशा के लिए सॉल्व हो जाएगी। डिवोर्स के बाद भी हर महीने तुम्हे alimony मिलती रहेगी।

    इस कॉंट्रेक्ट मैरिज से हम दोनों की प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी, ये हम दोनों के लिए विन विन situation है और बस वन ईयर की बात है।"

    कुछ सेकंड के लिए वहाँ सन्नाटा पसर गया। कायरव को इनाया के रिस्पोंस का वेट था। इनाया ने ध्यान से उसकी बात सुनी और अच्छे से सोचने के बाद उसके तरफ निगाहें उठाते हुए बोली।

    "तुम्हारी सारी बातें ठीक है, पर अब भी मेरे मन मे कुछ डाउट्स है।"

    "यही हूँ मैं, जो भी डाउट्स है क्लीयर कर लो।"

    "अगर एक साल बाद तुम अपनी बात से मुकर गए तो?
    अगर तब आपने मुझे डिवोर्स नही दिया तो?"

    "तुम्हे मेरी इंटेंशन पर डाउट है?"

    कायरव की आँखे नॉर्मल से बड़ी हो गयी थी। वो हैरान था पर इनाया सीरियस लग रही थी।

    "ऐसा भी सोच सकते है। एक मर्द हो तुम और मर्दो का ईमान कब डोल जाए कोई नही जान सकता। मुझे तो वैसे भी मर्दों पर विश्वास नही और तुमको जानती भी नही तो तुम पर विश्वास कैसे कर लूँ कि फ्यूचर मे तुम अपनी बात से पलटोगे नही?"

    कायरव ने ठंडी आह्ह् भरी।

    "Contract पेपर्स साइन करेंगे हम जिसपर सारी terms and conditions लिखी होंगी। उसकी एक कॉपी मेरे पास रहेगी और एक तुम्हारे पास। वैसे तो ऐसा होगा नही पर अगर हुआ, तो तुम कोर्ट जा सकती हो।"

    "अगर इस एक साल साथ रहने के दौरान हम मे से किसी को सामने वाले से प्यार हो गया तो?"

    "ये question important है?" कायरव ने चौंकते हुए सवाल किया।

    To be continued...

  • 15. Contracted hearts - Chapter 15

    Words: 1553

    Estimated Reading Time: 10 min

    "अगर इस एक साल साथ रहने के दौरान हममें से किसी को सामने वाले से प्यार हो गया तो?"

    "ये क्वेश्चन इम्पोर्टेंट है?" कायरव ने चौंकते हुए सवाल किया, इनाया ने तुरंत सर हिलाया।

    "यस, इम्पोर्टेंट नहीं, बहुत इम्पोर्टेंट है। सोचो अगर एक साल मेरे साथ रहते-रहते तुम्हें मुझसे प्यार हो गया तो क्या होगा? और अगर प्यार नहीं भी हुआ और इस एक साल में कभी तुम अपने दिल के हाथों मजबूर होकर मेरे करीब आ गए, मुझ पर पति होने का हक जताया, तो क्या करोगे तुम और मैं इस सिचुएशन में क्या करूँगी?"

    बातों में लॉजिक था। कायरव ने संजीदगी से जवाब दिया,

    "अगर इस एक साल में मुझे तुमसे प्यार हो जाता है या हमारे बीच वो सब हो जाता है जो आमतौर पर हसबैंड वाइफ के बीच होता है तो उसकी पूरी रिस्पांसिबिलिटी लूँगा मैं।"

    "रिस्पांसिबिलिटी लेने से तुम्हारा क्या मतलब है?"

    "उस केस में कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो जाएगा और अगर तुम्हारी मर्ज़ी होगी तो मैं लाइफ़टाइम एक हसबैंड होने के सभी ड्यूटीज़ निभाऊँगा। हमारी कॉन्ट्रैक्ट मैरिज सिंपल मैरिज बन जाएगी और तब मैं पूरी दुनिया के सामने तुमसे शादी करूँगा।"

    "और अगर तुम्हें नहीं, मुझे बाय चांस तुमसे प्यार हो गया तो?" इनाया ने तुरंत ही अगला सवाल किया जिसे सुनकर कायरव बुरी तरह चौंक गया।

    "ऐसा पॉसिबल है? मतलब तुम्हें मुझसे प्यार हो सकता है?"

    इस वक़्त कायरव की आँखों में अजीब सी बेचैनी और चमक थी।

    इनाया ने झेंपते हुए कहा, "नहीं हो सकता, फिर भी सिक्योरिटी के लिए सब पहले ही पूछ लेना चाहिए।"

    कायरव के एक्सप्रेशन एकदम से बदल गए। उसने ठंडी आह्ह् भरते हुए जवाब दिया।

    "अगर मुझे तुमसे प्यार नहीं हुआ तो जो तुम चाहोगी वही होगा। न मैं जबरदस्ती तुम्हें खुद से दूर करूँगा और न ही बिना तुम्हारी इजाज़त के तुम्हें अपने साथ रखूँगा। उस सिचुएशन में हमारे रिश्ते का फ्यूचर क्या होगा ये तुम डिसाइड करोगी।"

    कायरव का जवाब सुनकर इनाया चौंक गयी, "तुम ऐसा कैसे कह सकते हो? हो सकता है न कि मुझे तुमसे प्यार हो पर तुम्हें न हो। मैं तुम्हारे साथ रहना चाहूँ पर तुम ऐसा न चाहते हो, फिर तुम ऐसा कैसे कह सकते हो कि जो मैं चाहूँगी वही होगा? तुम क्या खुद को मेरे साथ रहने के लिए फ़ोर्स करोगे? पर ऐसा क्यों करोगे तुम? और अगर बिना मन के तुम मेरे साथ रहे तो क्या खुश रह पाओगे और तब मुझे खुश रख सकोगे?"

    "मैं खुद को फ़ोर्स नहीं करूँगा। मैं तुम्हें इस कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए प्रेशराइज़ कर रहा हूँ तो इसके कॉन्सिक्केन्सेस भी फेस करने होंगे। इसलिए अगर इस कॉन्ट्रैक्ट रिलेशन के बीच तुम्हें मुझसे प्यार हो जाता है तो मैं रेस्पांसिबिलिटी लूँगा और आखिरी डिसीज़न लेने का राइट तुम्हारे पास होगा।

    अगर तुम चाहोगी तो कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करके हम रियल कपल जैसे साथ रहेंगे। मैं कोशिश करूँगा कि तुम्हें कभी मुझसे प्यार करने और शादी करने के डिसीज़न पर रिग्रेट न हो। मैं तुम्हें खुश रख सकूँ।"

    "पर तुम तो बंधन में बंधना ही नहीं चाहते तभी तो कॉन्ट्रैक्ट मैरिज करना चाहते है।" इनाया ने तपाक से सवाल किया और आँखे बड़ी बड़ी करके उसे देखने लगी।

    "मैं किसी से जबरदस्ती के बंधन में नहीं बंधना चाहता पर अगर उस रिश्ते में प्यार और अंडरस्टैंडिंग हो तो मुझे ऐसे रिश्ते को निभाने में कोई प्रॉब्लम नहीं।"

    "तो तुम मुझसे ऐसे शादी करने की जगह अपने लिए कोई ऐसी लड़की क्यों नहीं ढूँढते जिसके साथ तुम्हें शादी का सौदा न करना पड़े। जिससे तुम प्यार के अटूट बंधन में बंधो हमेशा हमेशा के लिए, ना कि एक साल का ट्रायल पीरियड के लिए।"

    "सबसे पहली बात कि प्यार कोई प्लैन करके करने की चीज़ नहीं। वो कब किसे किससे हो जाए कोई नहीं जानता। पता नहीं कब मेरी लाइफ़ में वो लड़की आएगी या कभी आएगी भी या नहीं? फिर मेरे पास इतना टाइम भी नहीं और न ही प्यार दो दिन में होने की चीज़ है। फ़िलहाल जिस सिचुएशन में मैं फंसा हूँ उससे बाहर निकलने का एक ही रास्ता है.... कॉन्ट्रैक्ट मैरिज।"

    "तब भी तुम इतने अमीर हो। तुम्हें तुम्हारी क्लास, स्टेटस और बैकग्राउंड वाली कोई भी अच्छी लड़की मिल जाएगी इस काम के लिए, फिर तुमने मुझ जैसी मिडिल क्लास लड़की को ही क्यों चुना? और मुझसे ही कॉन्ट्रैक्ट मैरिज क्यों करना चाहते हो?"

    "सबसे पहली बात तो ये कि कोई भी रिच फैमिली की लड़की जिसके पास किसी चीज की कोई कमी न हो वो अपनी लाइफ़ का सौदा कभी करना नहीं चाहेगी और अगर किसी ने किया भी तो वो उसका कोई न कोई मतलब छुपा होगा। हो सकता है ये कॉन्ट्रैक्ट उसके लिए मेरी ज़िंदगी में घुसने का एक जरिया बन जाए और बाद में वो मेरे लिए कोई प्रॉब्लम क्रिएट कर दे।

    मिडिल क्लास फैमिली से किसी दूसरी लड़की को चूज़ करना भी रिस्की है क्योंकि वो भी अपना फ़ायदा देखेगी। पावर और पैसे के लिए मेरी डील एक्सेप्ट करेगी, अगर उसका लालच बढ़ा तो फ्यूचर में मेरे लिए प्रॉब्लम क्रिएट कर सकती है जो मैं नहीं चाहता।

    तुम्हें चूज़ करने के पीछे कई रीज़न्स है। जिनमें से कुछ मैं पहले बता चुका हूँ और जो मेन रीज़न है वो है तुम्हारा नेचर। तुम पर मेरे पॉवर, पैसे, पोजीशन किसी का कोई असर नहीं हुआ। तुम जानती थी कि इस डील से तुम्हें बहुत फायदा होगा, तुम्हारी सारी प्रॉब्लम्स सॉल्व हो जाएगी। फिर भी तुमने मेरी डील रिजेक्ट कर दी, अपने फायदे के जगह अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट को चुना। तुम्हारी यही खूबी मुझे पसंद आ गयी।

    जितना मैंने तुम्हें समझा और जाना है, मैं तुम पर ट्रस्ट कर सकता हूँ। तुम बिल्कुल वैसी हो जैसी लड़की की तलाश मुझे थी अपनी कॉन्ट्रैक्टेड वाइफ बनने के लिए। एंड आई डोंट थिंक कि तुम्हारी जैसी मुझे कोई दूसरी मिलेगी। मेरे पास ज्यादा टाइम भी नहीं है यही वजह है कि मैं तुम्हें कन्वेंस करने की इतनी कोशिश कर रहा हूँ।"

    इनाया के दिमाग में कायरव की कही बातें घूम रही थी। पॉइंट था उसमें, इनाया कन्वेंस होने लगी थी।

    कायरव ने कुछ सेकंड रुकते हुए आगे कहा।

    "आई प्रॉमिस अगर तुम मेरी डील एक्सेप्ट करती हो तो कॉन्ट्रैक्ट पीरियड के लिए तुम्हारी सारी रेस्पांसिब्लिटी मेरी होगी। इस एक साल में मैं तुम्हें इस लायक बना दूँगा कि उसके बाद तुम्हें कभी किसी के सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। मैं तुम्हारे फ्यूचर को सिक्योर कर दूँगा। प्रोफेशनली आगे बढ़ने में तुम्हारी हेल्प करूँगा। एक साल के टाइम पीरियड के बाद अगर हम अलग होते है तो मैं इंश्योर करूँगा कि उसका तुम्हारी ज़िंदगी पर ज्यादा असर न पड़े, तुम अपनी ज़िंदगी आराम से जी सको।"

    "ऐसे कैसे ज्यादा असर नहीं पड़ेगा? डिवोर्स के बाद मैं तो इस दुनिया के लिए छोड़ी हुई औरत बन जाऊंगी, बिल्कुल उस टिशु पेपर्स की तरह जिसे तुम जैसे अमीर लोग इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते है। मेरी तो पूरी ज़िंदगी ही बर्बाद हो जाएगी।"

    "नहीं होगी बर्बाद। तुम पर हमारे रिश्ते के टूटने का कोई नेगेटिव इफेक्ट नहीं पड़ेगा ये मेरा वादा है तुमसे। बस जब हम कपल के तरह साथ रहेंगे तब तुम्हे कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसे लॉयल रहना होगा। किसी भी स्कैंडल में फंसने से बचना होगा।

    तुम्हारा नाम मुझसे जुड़ा होगा तो मेरी इमेज का ध्यान रखते हुए कुछ भी करना होगा और सबसे इम्पोर्टेंट बात। मेरी फैमिली और दुनिया के सामने ऐसे प्रिटेंड करना होगा जैसे हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है और साथ में बहुत खुश है। इस दौरान तुम्हारा किसी के साथ कोई अफेयर या रिलेशन नहीं होना चाहिए।"

    "तुम्हारी इस बात से मैं अभी भी कन्वेंस नहीं हूँ की डिवोर्स का मेरी लाइफ पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन अभी के लिए इस बात को यही छोड़ देते है। जो होगा वो देखा जाएगा फ़िलहाल मुझे कुछ और बातें क्लीयर करनी है।"

    "बोलो"

    "इस कॉन्ट्रैक्ट पीरियड के दौरान तुम मेरे करीब आने या मुझे छूने की कोशिश नहीं करोगे।"

    "जब तक तुम नहीं चाहोगी मैं तुम्हारे करीब नहीं आऊंगा।"

    इनाया को ये जवाब थोड़ा अटपटा सा लगा। पर उसने ज्यादा ना सोचते हुए सर हिला दिया।

    "अच्छा एक और सवाल था मेरे मन में।"

    "वो भी पूछ लो, जो भी डाउट है अभी ही क्लीयर कर लो।"

    इनाया ने अपनी हाथ की उंगलियों को आपस में उलझाया और झिझकते हुए बोली,

    "अगर बाय चांस इस एक साल के दौरान मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो क्या होगा?"

    इनाया नज़रें चुराते हुए कातर निगाहों से कायरव को देखा जो अब भी एकदम शांत नज़र आ रहा था।

    "इसमें केसेस बनते है। जैसे अगर तुम मेरे साथ रहकर उस बच्चे की परवरिश करना चाहो और मेरी भी यही इच्छा हुई तो हम अपनी फैमिली बनाएंगे।

    दूसरा, अगर मैं तुम्हे और उस बच्चे को चाहता हूँ पर तुम मुझसे दूर जाना चाहती हो तो मैं तुम्हे रोकूंगा नहीं पर मेरा बच्चा मेरे पास रहेगा। उसे न मैं तुम्हे मारने की इजाजत दूंगा और न ही अपने साथ ले जाने की परमिशन दूँगा।

    तीसरा केस, अगर तुम उस बच्चे को लेकर मेरे साथ फैमिली बनाना चाहो पर मैं इसके लिए तैयार न होऊँ तो मैं तुम्हारे और बच्चे की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से उठाऊँगा। कोशिश करूँगा कि मेरे वजह से तुम्हे और उस बच्चे को कोई परेशानी न हो।"

    कायरव का नॉर्मल रिएक्शन देखकर इनाया भी नॉर्मल हो गयी और कॉन्फिडेंस के साथ अपना पॉइंट ऑफ़ व्यू उसके सामने रखने लगी।

    "अगर तुम्हारी खुशी हमारे नहीं किसी और के साथ हुई तब क्या करोगे तुम?"

    To be continued...


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  • 16. Contracted hearts - Chapter 16

    Words: 1564

    Estimated Reading Time: 10 min

    कायरव का नॉर्मल रिएक्शन देखकर इनाया भी नॉर्मल हो गयी और कॉन्फिडेंस के साथ अपना पॉइंट ऑफ व्यू उसके सामने रखने लगी।

    " अगर तुम्हारी खुशी हमारे नही किसी और के साथ हुई तब क्या करोगे तुम ?"

    "मैं अपनी ख़ुशी के लिए अपनी रेस्पांसिब्लिटीज़ को इग्नोर नही कर सकता।" कायरव सीरियस था। इनाया ने तुरंत ही अगला सवाल किया।

    "लेकिन उस ज़िम्मेदारी मे तुम्हें कभी खुशी नही मिलेगी और जब तुम खुद खुश नही रहोगे तो हमें कैसे खुश रखोगे इससे अच्छा तो होगा कि हम तुम्हारी ज़िंदगी से दूर चले जाए।

    "इसकी फ्रीडम होगी तुम्हे । ये राइट होगा तुम्हारे पास की फाइनल डिसीज़न तुम ले सको। पर तब भी मैं तुम्हारी और बच्चे की पूरी ज़िम्मेदारी उठाऊँगा । उस बच्चे को मेरा नाम मिलेगा । "

    "और अगर मैं अपने बच्चे के साथ तुमसे दूर जाना चाहूँ, उसके साथ एक नॉर्मल लाइफ बिताना चाहूँ तो? "

    "नही रोकूंगा तुम्हे पर एक बच्चे के साथ ज़िंदगी की मुश्किलों के सामना करने के लिए तुम्हे अकेला भी नही छोडूंगा ।"

    "क्या मतलब हुआ इस बात का? तुम्हारी दोनों बातें contradict कर रही है। "

    "मतलब ये कि अगर तुम्हें लगा कि मैं तुम्हें और हमारे बच्चे को वो खुशियाँ नही दे पा रहा जो तुम दोनों डिज़र्व करते हो। तुम्हें लगता है कि मुझसे दूर जाकर तुम दोनों ज्यादा खुश रहोगे और तुम मुझसे दूर गयी तो मैं तुम्हें रोकूंगा नही, तुम्हारी लाइफ मे इंटरफेयर भी नही करूँगा लेकिन तुम्हारी और हमारे बच्चे की सारी रिस्पांसिब्लिटि उठाऊँगा। तुम्हारे सामने नही आऊंगा पर खबर सब रखूँगा और ज़रूरत पड़ने पर तुम मुझे अपने साथ खड़ा पाओगी।

    इन सबके अलावा एक प्रोमिस और करता हूँ आज मैं तुम्हें। अगर हमारी शादी होती है, तो इस मैरेज के एक contract होने के बावजूद मेरी लाइफ मे तुम्हारे अलावा कोई दूसरी लड़की कभी नही आएगी। हम साथ रहे या न रहे पर जब जब मेरी वाइफ का ज़िक्र होगा वहाँ तुम्हारा ही नाम आएगा। Contract पेपर्स पर साइन हम दोनों के होंगे तो इस रिश्ते से जुड़ा है डिसीज़न हम दोनों मिलकर लेंगे, चाहे वो अलग होने का हो या साथ रहने का। "

    इनाया शॉक्ड थी और फटी आँखों से टकटकी लगाए उसे देखे जा रही थी।

    "क्या सच मे कोई इंसान इतना अच्छा हो सकता है? "

    इनाया ने दिमाग में यही सवाल आया और इसके साथ ही उसके एक्सप्रेशन बदल गए।

    "तुम कुछ ज्यादा ही अच्छे बनने का नाटक नही कर रहे? "

    भौंह सिकोड़े इनाया गहरी निगाहों से उसे घूरने लगी। कायरव के लब हल्के से खिंच गए।

    "नाटक है या हकीकत ये तो तुम्हे आजमाने के बाद ही पता चलेगा, मेरे साथ contract मैरिज करो, एक साल बिताओ मेरे साथ, उसके बाद देखते है कि मेरे बारे मे तुम्हारी ये perception बदलती है या नही। "

    इनाया सोच मे पड़ गयी। कुछ सेकंड की खामोश के बाद उसके लब कसमसाए और हलकी आवाज़ बाहर आई।

    "मुझे कुछ वक़्त चाहिए सोचने के लिए। "

    "ये लो मेरा कार्ड इसपर मेरा नंबर लिखा हुआ है। कल सुबह तक मुझे अपना जवाब बता देना उसके एकोर्डिंग ही मैं आगे की प्रिपरेशन करूँगा।

    वैसे तो मैं सीधे तुम्हारे पैरेंट्स के पास भी जा सकता हूँ तब मुझे तुम्हारी हाँ की ज़रूरत नही पड़ेगी और मेरा काम भी हो जाएगा पर मैं ऐसा करना नही चाहता। मैं चाहता हूँ कि जो हो तुम्हारी मर्ज़ी से हो।

    तुमपर कोई प्रेशर नही है। अच्छे से सोचने के बाद कोई भी डिसीज़न लेना। अगर तुम्हारी हाँ होगी तो हम दोनों के ही लिए बहुत अच्छा होगा। लेकिन अगर तुमने इंकार किया तब भी थोड़ी मुश्किलों के बाद ही सही पर मैं दूसरी लड़की ढूंढ ही लूँगा और मेरा काम बन जाएगा पर तुम्हारी प्रॉब्लम वैसी की वैसी ही रह जाएगी। "

    "मैं कल सुबह तक तुम्हें अपना जवाब दे दूँगी। "

    "Good.... " कायरव मुस्कुराया, "सीट बेल्ट लगाओ, धूप बहुत है मैं तुम्हें तुम्हारे घर ड्रॉप कर देता हूँ। "

    "नही, दिन का टाइम है अगर किसी ने मुझे तुम्हारे साथ देख लिया और बात मेरे घर तक पहुँच गयी तो मेरे लिए प्रॉब्लम हो जाएगी, मैं खुदसे चली जाऊँगी, वैसे भी मुझे आदत है, रोज़ का यही काम है मेरा कुछ खास फर्क नही पड़ेगा। "

    इनाया तुरंत मना करके कार से उतरने लगी पर फिर रुक गयी और सवालिया निगाहें कायरव के तरफ घूम गयी।

    "क्या हुआ? " कायरव ने उसे यूँ देखते देखकर सवाल किया।

    "तुम्हें कैसे पता चला कि मैं यहाँ मन्दिर में हूँ, तुम मुझे स्टॉक कर रहे हो न? "

    "मैं तुम्हें स्टॉक नही कर रहा पर मेरी नज़रें हर पल तुमपर रहती है। तुम कब कहाँ होती हो? मुझे सब पता होता है और इसके पीछे मेरा कोई गलत इंटेंशन नही है। तुम अमन की नज़र मे आ चुकी हो और वो हर जगह पागलों जैसे तुम्हें ढूंढ रहा है। तुम्हारी सेफ्टी के लिए मुझे तुम्हें अपनी निगाहों के दायरे मे रखना पड़ता है। "

    "मतलब तुमने मेरे पीछे अपने जासूसो को लगाया हुआ है जो तुम्हें मेरी सारी इंफोर्मेशन देते है? " इनाया आँखे फाड़े हैरान परेशान सी उसे देखने लगी। कायरव अब भी बिल्कुल नॉर्मल था।

    "येस "

    "अभी भी तुम्हारे आदमियों की नज़र मुझपर है? "

    "तुम्हारे घर से निकलने के बाद वापिस घर जाने तक हर सेकंड उनकी नज़र तुमपर रहती है और तुम कब क्या करती हो, कहाँ जाती हो मुझे सारी इंफोर्मेशन मिलती रहती है। "

    "फिर तो तुम्हें ये भी पता होगा कि इतने दिनों मे मैं कहाँ कहाँ जॉब के लिए भटकी। "

    "Ofcourse... मुझे तुम्हारे बारे में छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी सारी बातें पता है।"

    इनाया शॉक्ड थी और अब थोड़ा घबरा भी गयी थी। उसने अपनी चील सी नज़र कार से बाहर चारों तरफ घुमाते हुए अगला सवाल किया।

    "तुम्हारे आदमी हमेशा मेरे आस पास रहते है, तुम्हें मेरे बारे में सब बताते रहते है। पर मैंने तो कभी किसी suspicious इंसान को अपने आस पास नही देखा।

    " तुम्हारी नज़रों मे आए बिना उन्हे काम करने के ऑर्डर मिले है। उन्हे तुम्हें प्रोटेक्ट करना है पर ऐसे कि न तुम्हें इसका पता चले और ना किसी और को इसकी खबर हो। यही उनकी ड्यूटी है जिसे कैसे निभाना है वो बहुत अच्छे से जानते है। "

    इनाया ने सर घुमाकर कायरव को देखा जो काफी सीरियस नज़र आ रहा था। थूक निगलते हुए उसने अपने सूखते गले को तर किया और झिझकते हुए बोली,

    "जितनी भी लड़कियों को तुमने अमन से बचाया है क्या उन सबकी सेफ्टी के लिए ऐसे ही उनके पीछे अपने आदमी लगाए हुए है और ऐसे ही प्रोटेक्ट करते हो उन्हे? "

    "तुम स्पेशल हो। "

    कायरव ने संजीदगी से जवाब दिया। इनाया उसकी आँखों मे झाँकने लगी।

    "क्यों? मैं स्पेशल क्यों हूँ? "

    " क्योंकि तुम मेरी would be wife हो और अमन जान चुका है कि तुमसे मेरा अलग रिलेशन है, तो वो तुम्हें टार्गेट करेगा ताकि मुझे हरा सके और मैं ऐसा होने नही दे सकता। इसलिए तुम्हारी सेफ्टी का ध्यान रखना मेरी रिस्पांसिब्लिटि है।"

    "Ohhh... " इनाया ने सर हिलाया और बाहर निकलते हुए उसने सहमी निगाहो को चारों तरफ घुमाया और तेज़ तेज़ कदमों से लगभग दौड़ते हुए वहाँ से निकल गयी। कार मे बैठा कायरव उसकी हरकतें देखकर मुस्कुरा उठा।

    "So cute "

    उसके होंठ फड़फड़ाए और स्टीयरिंग घुमाते हुए वो वहाँ से निकल गया।

    "ये तो बहुत dangerous है, मुझे कुछ पता ही नही और इसके पास मेरे पल पल की खबर पहुँच रही है। मुझे कभी एहसास तक नही हुआ। "

    इनाया अब भी खुदमे बड़बड़ाते हुए, चारों तरफ नज़रें घुमाते तेज़ तेज कदमों से आगे बढ़ रही थी। अचानक ही उसका सर किसी सख्त चीज से टकरा गया , हल्की आह्ह् के सर उसने अपने सर को अपनी हथेली से मसलते हुए सर उठाकर देखा।

    उसके सामने एक 25-26 साल का लड़का खड़ा था। जिम मे बनाई सख्त बॉडी, उसपर बनियान के उपर खुली हवाई शर्ट, कटी फटी गंदी सी जीन्स, गले मे सोने की मोटी सी चैन, आगे से चेहरे पर दोनों तरफ फैले और पीछे छोटी सी चोटी मे बंधे बाल, दोनों हाथ की उंगलियों मे सोने की अंगूठियां, धूल से सने पैरों मे साधारण सी चप्पल।

    ये सचिन था जो दांतों के बीच टूथपिक दबाए चमकती आँखों से उसे देख रहा था।

    इनाया को देखते ही सचिन मुस्कुराया, वही इनाया का मन गुस्से से भर गया।

    "इतनी धूप मे यहाँ सड़क पर क्या रेली है तू? कित्ती बार बोला है अपुन तेरेको, धूप मे बाहर मत निकला कर, रंग काला हो जाएगा तेरा। "

    इनाया का चेहरा लाल हो गया और गुस्से से उसने जबड़े भींच लिए।

    "तू होता कौन है मुझसे सवाल जवाब करने वाला। मैं कही भी जाऊँ कुछ भी करूँ उससे तुझे क्या? .. समझता क्या है आखिर तू खुदको? किस हक से मुझपर रोक टोक लगाता है? सोच भी कैसे लिया तूने कि मैं तेरी बात मानकर घर में बंद हो जाऊंगी? "

    "रानी इतना भड़क काइको रई है, अपुन तो तेरे लिएच बोला। धूप मे निकलेगी तो तेरा चाँद सा गोरा चेहरा काला हो जाएगा। "

    "मैं धूप में निकलूँ या रात के अंधेरे में तेरा इससे कोई मतलब नही, मैं काली होऊँ या नीली पीली तुझे कोई हक नही कुछ भी बोलने का। मेरा चेहरा है न तो इसकी चिंता भी मैं खुद कर लूंगी, तू मुझसे और मेरे मामलों से दूर रहा कर, समझ आई बात। "

    इनाया ने जलती निगाहों से उसे घूरा पर वो अब भी मुस्कुरा रहा था। इनाया ने कदम आगे बढाए पर सचिन ने उसकी कलाई थाम ली।


    To be continued...

  • 17. Contracted hearts - Chapter 17

    Words: 1688

    Estimated Reading Time: 11 min

    "मैं धूप में निकलूँ या रात के अंधेरे में तेरा इससे कोई मतलब नही, मैं काली होऊँ या नीली पीली तुझे कोई हक नही कुछ भी बोलने का। मेरा चेहरा है तो इसकी चिंता भी मैं खुद कर लूंगी, तू मुझसे और मेरे मामलों से दूर रहा कर, समझ आई बात। "

    इनाया ने जलती निगाहों से उसे घूरा पर वो अब भी मुस्कुरा रहा था।

    " दूर कैसे रहूँ रानी, अब तो सारी दूरियाँ मिटाकर पास आने का टेम आया है। बहुत तड़पाया तूने अपुन को, अपुन की शराफत का फ़ायदा उठाकर 4 साल इंतजार कराया। अब बस दो दिन और फिर अपुन तुझसे लगन करके तुझे हमेशा के लिए अपुन के पास ले आएगा, फिर तुझपर सिर्फ अपुन का हक होगा और तू वइच करेगी जो अपुन बोलेगा। "

    सचिन बेशर्मी से मुस्कुराया। इनाया का खून खौल उठा, अगले ही पल गुस्से से चीखी,

    "तुझसे शादी करने से अच्छा मैं अपनी जान दे दूँ, बड़ा आया मुझसे शादी करने वाला, शक्ल देखी है कभी शीशे में अपनी, तूने ये सोच भी कैसे लिया की मैं तुझ जैसे आवारा गुंडे से शादी करूँगी? "

    "तेरे बाप ने उधारी लिया है अपुन से और जुबान दिया है, दो दिन बाद लगन है हमारा, तेरे माँ बाप सब बात कर गए है, अब तो तेरा अपुन से लगन होकर रहेगा। "

    "सपने ही देख तू क्योंकि ऐसा तेरे सपनों मे ही हो सकता है, हकीकत मैं मर जाऊंगी पर कभी तुझसे शादी नही करूँगी और अगर किसी ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की तो उसे भी जान से मार दूँगी। अब हट सामने से और मेरा पीछा मत करना, समझ आई बात। "

    इनाया ने उसे खुदसे दूर धकेला और गुस्से से फुंफकारते हुए वहाँ से चली गयी। सचिन के मुस्कुराते लब सिमट गए। आँखों मे अजीब सा जुनून और पागलपन झलकने लगा।

    "लगन तो तेरा अपुन से होकर रहेगा।"

    उसने टूथपिक निकालकर ज़मीन पटककर पैरों से मसलते हुए वहाँ से चला गया।

    इनाया का सर गुस्से से फट रहा था। सचिन ने शादी की बात कही मतलब सच मे सविता जी ने उससे शादी की बात पक्की कर ली है, इस बार ये कोरी धमकी नही थी।

    इनाया का खून खौल रहा था। कुछ देर वो गुस्से मे यहाँ से वहाँ चहलकदमी करती रही फिर बेड पर बैठ गयी। अपनी पॉकेट कार्ड निकला और उसे उंगलियों के बीच घुमाते हुए सोचने लगी।

    " कायरव ठीक कह रहा था। वो इतना रिच और पावरफुल है। उसे तो कोई भी लड़की मिल जाएगी, उसके एक इशारे मे कोई भी लड़की उसकी वाइफ बनने के लिए रेडी हो जाएगी और उसकी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी पर मेरे पास अभी उसके अलावा और कोई दूसरा ऑप्शन नही है।

    इस वक़्त कायरव रायचंद मेरी हर प्रॉब्लम का सोल्युशन है। अगर मैं इस डील को एक्सेप्ट कर लेती हूँ तो सब कुछ ठीक हो जाएगा और मैं यहाँ से बाहर निकल जाऊंगी। फ्यूचर में क्या होगा ये तो मैं नही जानती, शायद एक साल बाद मेरी प्रोब्लम्स बढ़ जाए, आसान न हो कायरव से दूर होना लेकिन अगर मैंने ये शादी नही की तो अभी ही मेरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी। अगर मुझे सचिन से शादी करने से बचना है तो कायरव की डील एक्सेप्ट करनी ही होगी। "

    इनाया ने मन ही मन कुछ फैसला लिया, और कार्ड को संभालकर अपने पर्स में रख लिया।

    कायरव ऑफिस पहुँचा और अपने कैबिन मे एंटर किया ही था कि वहाँ पहले से मौजूद नितिन को देखकर चौंक गया।

    "तू यहाँ क्या कर रहा है? " कायरव ने कदम आगे बढ़ाते हुए भौंह उठाकर उसे देखा। नितिन तुरंत ही अपनी चेयर से उठकर खड़ा हो गया।

    "मैं तेरा ही वेट कर रहा था। तू इनाया से मिलने गया था न, क्या हुआ? मान गयी वो या एक बार फिर तू रिजेक्ट होकर आ गया है? "

    नितिन की बात सुनकर कायरव ने तीखी निगाहो से उसे घूरा और एटिट्यूड के साथ अपनी चेयर पर तनकर बैठ गया।

    "मैं कुछ करना चाहूँ और वो न हो ऐसा कभी हुआ है? "

    "नही, तूने जिस भी काम को शुरू किया है उसे सक्सेस्फुल्लि complete भी किया है और यही तेरी सबसे बड़ी खासियत है कि तू एक बार जो ठान ले उसे करके ही रहता है,चाहेe रास्ते मे कितनी ही difficulties क्यों ना आए पर तुझे तेरी मंज़िल तक पहुँचने से कोई नही रोक सकता। "

    "जब सब जानता है तो सवाल ही क्यों किया? "

    "तू कहना क्या चाहता है? तुझे सक्सेस मिल गयी, तूने मिस इनाया को तुझसे contract marriage करने के लिए convince कर लिया? "

    नितिन बुरी तरह चौंका और आँखे बड़ी बड़ी करके उसे देखने लगा। कायरव के होंठों पर शातिर मुस्कान फैल गयी।

    "समझ ले काम हो गया, अब किसी भी वक़्त उसका कॉल आएगा और वो डील साइन करने के लिए हाँ कह देगी। "

    "ऐसा क्या किया है तूने? इतना कॉन्फिडेंट कैसे है तू कि मिस इनाया हाँ ही कहेंगी? वो तो इस डील के बिल्कुल ही एगेंस्ट थी तो तूने उन्हे convince कैसे किया? " नितिन ने हैरानगी से पूछा, जवाब देने के जगह कायरव शातिर अंदाज़ मे मुस्कुराया।

    "नही बताएगा? "

    "नही " कायरव मुस्कुराया और लैपटॉप ऑन करते हुए बोला।

    "बहुत हो गयी बातें, चल अब फ्रेंड से वापिस असिस्टेंट के रोल मे आ जा और कुछ काम कर ले। "

    नितिन ने चिढ़ते हुए कायरव को घूरा पर उसपर कोई असर नही हुआ। अंत मे नितिन झुंझलाते हुए वहाँ से चला गया।

    उसके जाते ही कायरव एकदम से सीरियस हो गया।

    " ये तो बस शुरुआत है अभी आगे मुझे बहुत कुछ करना है, आई हॉप इनाया ये सब हैंडल कर ले। "

    लैपटॉप की स्क्रीन ऑन हुई। कायरव की नज़र जैसे ही वहाँ गयी उसके एक्सप्रेशन एकदम से बदल गए। आँखों मे अजीब सी चमक उभरी और होंठ हल्के से खिंच गए।

    पूरी स्क्रीन पर इनाया की प्यारी सी फोटो लगी थी जिसमे वो खिलखिलाकर हँस रही थी।

    आज का दिन भी जैसे तैसे बीत गया।

    रात के आठ बज रहे थे, कायरव अपने रूम मे पहुँचा ही था कि उसका फोन बजने लगा। स्क्रीन पर इनाया का नाम चमक रहा था। कायरव के होंठो पर गहरी मुस्कान फैल गयी। उसने थोड़ा वेट करवाया और फिर कॉल रिसीव करते हुए काउच पर पैर पर पैर चढ़ाकर बैठ गया।

    "हैलो "

    "हैलो मैं इनाया... "

    "I know आगे कहो। "

    कायरव का attitude भरा अंदाज़ देखकर इनाया थोड़ी confuse हो गयी। कायरव ने उसे चुप देखकर ज़रा सॉफ्टनेस् दिखाई।

    " चुप क्यों हो, बोलो क्यों कॉल किया तुमने मुझे इस वक़्त? "

    "वो तुमने कहा था ना कल मॉर्निंग से पहले तुम्हें answer दे दूँ, बस इसलिए कॉल किया था मैंने। "

    "Ohh तो तुमने डिसाऐड कर लिया कि तुम्हें क्या करना है? बताओ क्या डिसीज़न लिया है तुमने? "

    इनाया इन सेकंड के लिए रुकी, अपने निचले होंठ को दांतों तले दबाया फिर गहरी सांस छोड़ते हुए बोली।

    "मुझे तुम्हारी डील मंज़ूर है, मैं तुम्हारे साथ contract मैरेज करने के लिए तैयार हूँ लेकिन तुम्हें जो करना होगा कल ही करना होगा। परसो मेरी आई मेरी शादी करवाने वाली है उससे पहले तुम्हें मुझे यहाँ से निकालना होगा और उससे पहले मेरे आई बाबा को हमारी शादी के लिए convince करना होगा.... और एक बात हमारे बीच जो डील हो रही है उसके बारे मे मेरे साइड मे किसी को पता नही चलना चाहिए।"

    " बाकी सब तो ठीक है पर तुम्हारे मम्मी पापा को convince करने वाली बात मुझे समझ नही आई। क्या तुम्हें मुझसे शादी करने के लिए उनकी परमिशन की ज़रूरत है? "

    "नही, नही है पर मैं नही चाहती कि आगे चलकर वो कोई प्रॉब्लम क्रेट करे इसलिए तुम्हें कुछ ऐसा करना होगा कि वो मेरा पीछा छोड़ दे और दोबारा कभी मेरी लाइफ मे इंटरफेयर करने की कोशिश न करे। उन्हें ये कहने का मौका ना मिले कि उन्होंने मुझे पाल पोस कर बड़ा किया और एक दिन मैं एक अमीर लड़का ढूंढकर उनके एहसानों का बदला चुकाए बिना ही भाग गयी। "

    इनाया के चेहरे पर कुछ अजीब से भाव मौजूद थे। कायरव अब एकदम से सीरियस हो गया था।

    "उनकी टेन्शन तुम मत लो, मैं देख लूँगा कि उन्हे कैसे हैंडल करना है। तुम जो चाहती हो वो हो जाएगा, और कुछ? "

    " हाँ तो मुझे पूछना था कि मुझे क्या करना होगा। "

    "वो बनकर रहना होगा जो तुम हो, वो करना होगा जो मैं कहूँ। मैं तुम्हें पहले भी बता चुका हूँ कि इस contract पीरियड के दौरान तुम्हें कुछ बातों का ख्याल रखना होगा। मैं तुमसे ज्यादा कुछ एक्सपेक्टेशन नही रखूँगा लेकिन ये चाहूंगा कि तुम लॉयल्टी से उस रिश्ते को निभाओ, किसी के सामने ये बात न आए की हमारी शादी एक contract है, जब तक तुम मेरे साथ हो किसी भी तरह के स्कैंडल मे फंसने से बचना। तुम मेरी वाइफ बनोगी तो मेरे अलावा किसी और लड़के के साथ तुम्हारा रिश्ता नही होना चाहिए। ... Understand? "

    इनाया ने गौर से उसकी बात सुनी, जहाँ लड़के का ज़िक्र आया उसकी आँखों के आगे मानव का चेहरा आ गया, उसने तुरंत ही सवाल किया।

    "और किसी लड़के को तो मैं जानती नही और मैं तुम्हें चीट भी नही करूँगी पर मेरा बेस्ट फ्रेंड है मानव। क्या इस डील के वजह से मुझे उससे भी दूर होना पड़ेगा? "

    " ऐसा तो नही कहा मैंने। अगर वो सिर्फ तुम्हारा फ्रेंड है तो इसमें कोई प्रॉब्लम नही लेकिन सिर्फ तब तक जब तक तुम दोस्ती की लिमिट मे रहकर उससे रिश्ता रखती हो। इन शॉर्ट मैं बस ये कहना चाहता हूँ कि तुम्हारा किसी लड़के से उस तरह का रिलेशन नही होना चाहिए जिससे हमारे रिश्ते पर सवाल उठे, समझ रही हो न तुम मेरी बात? "

    "Hmm"

    इनाया ने झट से सर हिला दिया।

    "चलो ये आखिरी रात उस घर मे बिता लो, कल तुम मेरे साथ होगी और वो भी तुम्हारे पैरेंट्स के परमिशन के साथ। ये वादा है तुमसे। "

    इनाया का चेहरा सपाट था। कॉल कटने के बाद उसने फोन रखा और उठकर अपने कबर्ड के पास आ गयी। उसने कबर्ड खोला और अपने कपड़ों के नीचे दबाकर रखे फोटो फ्रेम को निकाल लिया।

    उस फोटो पर नज़र पड़ते ही इनाया के चेहरे पर अजीब से भाव उभरे और आँखों मे हलकी नमी उतर आई।


    To be continued...

  • 18. Contracted hearts - Chapter 18

    Words: 1591

    Estimated Reading Time: 10 min

    इनाया के हाथ मे एक फोटो फ्रेम थी। कोई लेडी थी जिन्होंने खूबसूरत सा गाउन पहना हुआ था। इनाया जैसी ही बेहद खुबसूरत लग रही थी वो, एज भी उसके आस पास की ही लग रही थी, इनाया के फेशियल फीचर कुछ कुछ उनसे मिलते थे या ये कहे कि इनाया मे उनकी झलक आती थी।

    फोटो के साथ एक डायरी भी थी। इनाया कुछ देर उस डायरी के पन्नों को पलटकर देखती रही फिर उसे साइड मे रख दी और एकटक उस फोटो को देखने लगी।

    "सॉर्री आई, आपने मुझे कहा था कि जो गलती आपने की वो गलती मैं कभी न करूँ। पर अब मैं वही करने जा रही हूँ। आपने तो जो किया अंजाने मे किया और आपके उस एक गलत फैसले ने आपसे आपकी ज़िंदगी और खुशियों को छीन लिया। लेकिन मैं जानबूझकर वही गलती करने जा रही हूँ क्योंकि इस वक़्त इसके अलावा और कोई रास्ता नही मेरे पास।

    अगर मैं ऐसा नही करूँगी तो आई बाबा मेरी शादी सचिन से करवा देंगे। सचिन तो बाबा से भी गंदा है, मैं उसके साथ शादी करके अपनी लाइफ बर्बाद नही कर सकती इसलिए मुझे ये करना ही होगा।

    आप मुझसे नाराज़ मत होना आई, और बप्पा से कहना की अब मेरी लाइफ मे और कोई मुश्किल ना लाए। अब मैं इन मुश्किलों से लड़ते लड़ते थक गयी हूँ। मैं सुकून की ज़िंदगी चाहती हूँ। और आप भी दुखी मत होना, मेरी ज्यादा चिंता मत करना। मैं अपना ख्याल रखूंगी।

    मैं तो आपको बताना ही भूल गयी। आपकी बेटी शादी करने जा रही है। मैंने अपने लिए किसी गलत लड़के को नही चुना। जहाँ तक मैंने उसे जाना है वो अच्छा है पर हमारा रिश्ता सिर्फ एक डील है। वो मुझसे contract मैरेज करना चाहता था और मैंने हाँ कह दी। अब एक साल मैं उसकी बीवी बनकर उसके साथ रहूँगी उसके बाद वो मुझे डिवोर्स दे देगा जैसे बाबा ने दिया था आपको।

    आई पता है, कभी कभी मुझे लगता है जैसे आपके चेहरे के साथ मैं आपकी जैसी किस्मत भी ले आई हूँ। लेकिन मैं आपके जैसी नही हूँ। आप बहुत सीधी और शरीफ थी तभी सबने आपकी इनोसेंस का फायदा उठाया लेकिन मैं किसी को अपना फायदा नही उठाने दूँगी। मैं अपने हक के लिए लडूंगी और कभी किसी को मुझसे मेरी खुशियों और ज़िंदगी को छीनने नही दूँगी। आपकी बेटी बहुत ब्रेव है देखना मैं कभी ज़िंदगी से हार नही मानूँगी।"

    इनाया ने अपनी आई अनाया की फोटो को अपने होंठों से चूम लिया। आँखों की नमी को साफ किया, फोन उठाकर मानव को एक msg ड्रॉप किया और फोटो को अपने सीने से लगाकर लेट गयी।

    मानव सारे दिन की थकान के बाद बिस्तर पर लेटा ही था की फोन मे नोटिफिकेशन की बीप बाजी। उसने यूँही फोन उठाकर देखा, इनाया का मैसेज पढ़कर जैसे उसे ज़ोर का झटका ज़ोरों से लगा। वो एकदम से उठकर बैठ गया।

    अभी कुछ ही सेकंड हुए थे कि इनाया का फोन बजने लगा। मानव की कॉल देखकर उसने फोटो साइड मे रखी और कॉल पिक करके फोन कान पर लगाया ही था कि दूसरे तरफ से मानव की हैरानी भरी आवाज़ आई।

    "ऐना ये क्या मैसेज किया है तूने? "

    "वही जो सच है। "

    इनाया ने शांति से जवाब दिया जिससे मानव और ज्यादा चौंक गया।

    " इनाया ये क्या कह रही है तू मुझे कुछ समझ नही आ रहा। तूने मुझे मैसेज किया कि तो कायरव रायचंद से शादी करने वाली है। और अब तू कह रही है कि ये सच है... मतलब ये कब और कैसे हुआ? तू तो मेरे इतने समझाने के बाद भी तू उससे शादी करने के लिए तैयार नही थी फिर अब अचानक ये सब कैसे? "

    "तू नही कहता था कि मेरी हर प्रॉब्लम का सोल्युशन इस वक़्त कायरव रायचंद है। शायद उसे बप्पा ने ही मेरी लाइफ मे भेजा है। मुझे इस डील को एक्सेप्ट कर लेना चाहिए।

    मैंने आज अच्छे से अपनी हालत और तेरी बातों के बारे मे सोचा तो एहसास हुआ कि तू तो बिल्कुल ठीक कह रहा है। इस वक़्त जितनी ज़रूरत कायरव को मेरी है उससे ज्यादा मुझे है उसकी। अगर मैं इस डील के लिए हाँ कह देती हूँ तो मुझे इन सब प्रोब्लम्स से छुटकारा मिल जाएगा। मैं इस चॉल की घुटन भरी ज़िंदगी और हर रोज़ के डर से आज़ाद हो जाऊंगी।

    बस इसलिए मैंने डिसाऐड कर लिया कि मैं ये शादी करूँगी। सचिन से शादी करके अपनी लाइफ बर्बाद करने से अच्छा है कि मैं कायरव से ये contract marriage कर लूँ, मैंने उसे हाँ भी कह दी है और अब तुझे बता रही हूँ क्योंकि मेरे अपनों में तेरे अलावा और कोई भी नही। "

    इनाया थोड़ी इमोशनल हो गयी थी, मानव ने भी ये फील किया और मुस्कुराते हुए बोला।

    "बहुत अच्छा फैसला लिया है तूने। मैं अब बप्पा से बस यही प्रे करूँगा कि ये एक साल का contract लाइफ टाइम का रिश्ता बन जाए, कायरव के साथ तू हमेशा खुश रहे और अब तेरी लाइफ मे और कोई प्रॉब्लम न आए। "

    इनाया फीका सा मुस्कुरा दी। शायद उसे इस रिश्ते से कुछ खास उम्मीदें नही थी। कुछ सेकंड बाद मानव ने ही सवाल किया।

    "ऐना तूने अच्छे से सोचने के बाद हाँ कहा है ना? मतलब तूने पहले कायरव से इस बारे मे डिटेल मे सारी बातें कर ली है न? सब क्लीयर कर लिया है ना, जल्दबाज़ी मे तो ये डीसीज़न नही लिया? कही ऐसा न हो कि आगे चलकर ये डील तेरे लिए कोई न्यू प्रॉब्लम खड़ी कर दे। "

    उसकी आवाज़ मे इनाया कि फिक्र झलक रही थी जिसे महसूस करते हुए वो हल्के से मुस्कुराई।

    " तू टेंशन मत ले, मैंने पहले उससे सारी बात कर ली थी और उसके बाद अच्छे से सोचने समझने के बाद ये फैसला लिया है। "

    इनाया ने आज कायरव से हुई मुलाकात और बातों के बारे मे डिटेल मे उसे सब बता दिया जिससे मानव की टेंशन खत्म हो गयी।

    "बाकी सब तो ठीक है पर तेरे आई बाबा का क्या? तेरे बाबा ने तो पहले ही तेरा सौदा उस सचिन से कर रखा है और तेरी आई ने उससे तेरी शादी भी फिक्स कर दी है तो उन दोनों को इस रिश्ते के लिए कैसे मनाएगी? क्या तू घर से भागने की सोच रही है? कहीं ऐसा न हो कि वो बादमे तेरे लिए परेशानी खड़ी कर दे..... और सचिन का क्या करेगी कुछ सोचा है तूने? "

    "नही, मैंने अभी उसके बारे मे कुछ नही सोचा और न ही कुछ सोचना चाहती हूँ। मेरी शादी की शर्त रखकर उससे पैसे बाबा ने लिए थे मैंने नही, आई ने उसे कहा था की परसो उसकी मुझसे शादी है मैंने हाँ नही कहा था। इन सबमे किसी ने कही मुझसे कुछ नही पूछा तो अब आगे जो होगा उसके लिए मैं ज़िम्मेदार नही होऊँगी।

    जिन्होंने ये रायता फैलाया है वो खुद सोचे की वो सब कैसे संभालेंगे। रही बात आई बाबा की तो उनसे कायरव बात करेगा। उसने कहा है की वो सब संभाल लेगा इसलिए मैं टेंशन नही ले रही। "

    "ये तो अच्छी बात है, आई हॉप की सब ठीक हो। "

    "Hmm "

    कुछ देर बातें करने के बाद दोनों ने कॉल कट किया और सोने के लिए लेट गए पर नींद दोनों को ही नही आ रही थी। कितना ही कहा था पर कल क्या होगा और कैसे? ये चिंता उन्हे सता रही थी।

    कायरव कॉल कट करने के बाद, नितिन को कॉल करके कुछ बातें समझाई।

    "तुझे सब अच्छे से समझ आ गया न? जैसा मैंने कहा है सब वैसा ही होना चाहिए। लॉयर से बात कर मुझे कल तक पेपर्स रेडी चाहिए। "

    "तू टेंशन मत ले सब हो जाएगा पर तूने अच्छे से सोच लिया है न कि तुझे ये करना है? देख जितना आसान तुझे ये सब लग रहा है उतना आसान होगा नही। सबसे पहले तो तेरे पैरेंट्स ही इस रिश्ते के एगेंस्ट होंगे , तू सब संभाल लेगा ना? कहीं इन सबके बीच बेवजह इनाया ना फंस जाए। "

    "ये सब मैं संभाल लूँगा तू इसकी चिंता मत कर। मुझे बहुत अच्छे से पता है कि मैं क्या और क्यों कर रहा हूँ और इसका इम्पैक्ट क्या होगा? मैं जो भी कर रहा हूँ वो करना बहुत इंपोर्टेंट है और इसके जो भी consequences होंगे उसके लिए मैं रिस्पांसिबल होऊंगा तो सब हैंडल भी मैं ही करूँगा। इनाया इन सबके बीच नही आएगी। मैं किसी को भी उसे हार्म नही करने दूँगा।"

    इनाया का ज़िक्र आते ही कायरव के लहज़े मे अजीब सा जुनून झलकने लगा था जिसे नितिन ने भी फील किया।

    "के, एक बात सच सच बताएगा। "

    "मैंने कभी तुझसे कुछ झूठ कहा है ? "

    "नही, झूठ तो नही कहा पर आज कल मुझे ऐसा लगने लगा है जैसे तू मुझसे बहुत सी बातें छुपाने लगा है,  सीक्रेट्स रखने लगा है। तू दिन ब दिन मेरे लिए मिस्टीरियस होता जा रहा है। "

    इस बात के जवाब मे कायरव ने कुछ नही कहा।

    "कायू क्या तू इनाया को पहले से जानता है? मुझे ऐसा लगता है जैसे वो तेरे लिए बहुत स्पेशल है... कुछ तो है उसके बारे मे जो तू मुझसे छुपा रहा है। क्या अब भी मुझे नही बताएगा? "

    "सही वक़्त आने पर तुझे सब बता दूँगा, बाय "

    कायरव ने उसे आगे कुछ कहने का मौका न देते ही कॉल कट कर दी। उठकर कबर्ड के पास आया, लोकर खोला और एक खूबसूरत से बॉक्स को बाहर निकाला। उसके अंदर एक प्यारा सा ब्रेसलेट था।

    कायरव ने उसे अपनी उंगलियों से छुआ, लब मुस्कुराए और आँखों के आगे इनाया का चेहरा आ गया।


    To be continued...

    स्टोरी कैसी लग रही है कॉमेंट करके बताए।

  • 19. Contracted hearts - Chapter 19

    Words: 1539

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगले दिन सुबह के सात बज रहे थे। कायरव अपनी वॉच पहनते हुए तेज़ कदमों से नीचे उतर रहा था, कान मे ब्लूटूथ लगा था और चेहरे पर सीरियस लुक्स मौजूद थे।

    कायरव फोन पर बात करते हुए लिविंग रूम से गुजरते हुए गेट के तरफ बढ़ ही रहा था कि पीछे से किसी लेडी की आवाज़ आई।

    "कायरव इतनी सुबह सुबह कहाँ जा रहे हो तुम? "

    शब्द कानों मे पड़े और कायरव के आगे बढ़ते कदम ठिठक गए। वो आवाज़ की दिशा मे पलटा, सामने ही कुछ कदमों की दूरी पर सिल्क की नाईटी पहने मिसेस रायचंद खड़ी थी।

    "कुछ इंपोर्टेंट काम है मुझे। "

    "तो उसे कैंसल करो। कितने टाइम से सिया तुमसे मिलना चाहती है पर हमेशा busy होने का बहाना बना लेते हो। आज तुम्हारे डैड ने मल्होत्राज़ को ब्रेकफास्ट पर इनवाइट किया है और वो चाहते है कि उस वक़्त आप भी प्रेसेंट हो, सिया से मिले, बात करे।"

    "मुझे किसी से नही मिलना, किसी से कोई बात नही करनी, मैंने नही कहा था किसी को ब्रेकफास्ट या डिनर पर इनवाइट करने, जिन्होंने इनवाइट किया है वही उनके साथ टाइम स्पेंड करे। मेरे पास इन फालतू चीजों के लिए बिल्कुल भी टाइम नही है, इसके अलावा और भी बहुत से इंपोर्टेंट काम होते है जिन्हें मुझे करना होता है... सो please excuse me "

    कायरव ने बड़ी ही बेरुखी से जवाब दिया और जैसे ही जाने को पलटा एक सख्त रौबदार आवाज़ उसके कानों से टकराई।

    "तुम कही नही जाओगे, जो भी काम है उसे कैंसल करो। मिस्टर मल्होत्रा उनकी फैमिली, स्पेशली उनकी बेटी से मिलना अभी तुम्हारी फर्स्ट प्रायोरिटि होनी चाहिए। मैंने उन्हे नाश्ते पर इसलिए इनवाइट किया है ताकि साथ बैठकर सारी बातें फाइनल हो जाए और तुम भी इंटेजमेंट फिक्स होने से पहले एक बार सिया से मिल लो। "

    गुस्से से कायरव की भौंहे तन गयी और चेहरा सख्त हो गया। उसने मिस्टर रायचंद को घूरते हुए कहा।

    " आप जो करना चाहते है मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ। आप भी मेरी एक बात अच्छे से समझ लीजिये, मैं आपकी इस प्लाइनिंग में कभी आपका साथ नही दूँगा। मुझे सिया मल्होत्रा मे कोई interest नही है, I don't like her... मैं उससे शादी कभी नही करूँगा। मैं उस लड़की को अपनी लाइफ मे शामिल करूँगा जिससे मुझे मोहब्बत है। मैं अपनी लाइफ और खुशियों को आपकी बिजनेस डील का हिस्सा कभी नही बनने दूँगा।  

    इसलिए आपके लिए अच्छा यही होगा कि जो भी आपने किया है या करने वाले है उसे यही रोक दे। वरना आगे जो होगा उसके रिस्पांसिबल आप खुद होंगे फिर मुझे ब्लेम मत कीजियेगा। "

    कायरव उनकी आँखों से आँखे मिलाकर बात कर रहा था ये बात मिस्टर रायचंद को नागवार गुज़री और उनका सारा गुस्सा निकला सीधे मिसेस रायचंद पर।

    "देख रही हो अपने बेटे की हरकतें, कैसे बाप से ज़ुबान लड़ा रहा है? ... समझा दो इसे की इसके सर पर जो मोहब्बत का फितूर चढ़ा है उसे उतार दे और वो करे जो हम करने कह रहे है। हम मिस्टर मल्होत्रा से रिश्ते की बात कर चुके है और ये बहुत अच्छा मौका है बिजनेस रिलेशन को रिश्तेदारी मे बदलने का, इससे हमें करोड़ों का प्रॉफिट होगा। "

    कायरव के होंठों पर तिरछी व्यंग्य भरी मुस्कान फैल गयी।

    "प्रॉफिट... डील... बिज़नेस.... हाँ हमेशा से यही सब तो इंपोर्टेंट है आपके लिए । मेरी खुशी, मेरी इच्छा,  मेरी मर्ज़ी की तो कभी से आपकी नज़रों मे कोई इंपोर्टेंस ही नही रही । आपने हमेशा मुझसे वही करवाया जो आप चाहते थे और आज भी आप चाहते है कि मैं सर झुकाकार आपकी बात मान लूँ, जिस लड़की के साथ आप मेरी शादी... नही एक्चुली मेरी लाइफ का सौदा करना चाहते है, अपने बिज़नेस और प्रॉफिट के लिए उससे शादी कर लूँ।

    But sorry डैड, आज तक मैंने आपकी और मॉम की हर बात मानी, वो सब किया जो आप चाहते थे, जिसके आप एगेंस्ट वो सब चीजें पीछे छोड़कर आगे बढ़ गया लेकिन इस बार मैं आपकी नही सुनूँगा। मुझे ये डील मंज़ूर नही है, मैं सिया से शादी नही करूँगा, मेरी लाइफ मे वही लड़की आएगी जिससे मैं प्यार करता हूँ। "

    अब भी वो सीना तानकर उनके खिलाफ खड़ा था ये देखकर मिस्टर रायज़ादा का चेहरा गुस्से से काला पड़ गया।

    "अगर तुम्हारा यही फैसला है, तो हमारा फैसला भी सुन लो। तुम्हारी शादी उसी से होगी, जिससे हम चाहते हैं। मिस्टर मल्होत्रा आज अपनी फैमिली के साथ आ रहे हैं। तुम सिया से मिलो या न मिलो, पर आज हम तुम्हारे रिश्ते की बात पक्की करेंगे। और कंपनी की 50th एनिवर्सरी के मौके पर, तुम्हारी इंगेजमेंट के साथ दोनों फैमिलीज़ के बिज़नेस कोलैबोरेशन की न्यूज़ भी अनाउंस करेंगे।

    अगर तुम हमारे खिलाफ गए, हमारे प्लान में रुकावट डाली, या सिया के अलावा किसी और लड़की के बारे में सोचने की गलती भी की… तो हम वो करेंगे जो तुम सोच भी नहीं सकते। तुम्हारे लिए बेहतर यही होगा कि दिल बहलाने के लिए जो करना है करो, जिसके साथ मर्ज़ी रिश्ता रखो पर जब शादी की बात आए… तो बिना एक शब्द कहे सिया से शादी कर लो। समझे?"

    कायरव के चेहरे पर कुछ अजीब से भाव उभरे और गुस्से से उसने अपनी मुट्ठियाँ कस ली।

    "Ohh तो आप मुझे वही advice दे रहे है जो आप खुद आज तक फॉलो करते आए है, मुझे वो करने कह रहे है जो आप करते है। मुझे भी आप अपने जैसा बनाना चाहते है। ..... but sorry डैड मैं आपके जैसा नही हूँ और न ही कभी बनना चाहता हूँ। आपकी ये लाइफ आपको मुबारक, मैं अपनी लाइफ अपने तरीके और अपनी मर्ज़ी से जीऊंगा, वो करूँगा जो मैं चाहता हूँ।

    मैं नही हूँ आपके तरह। आपने मॉम से बिज़नेस डील ही की थी न और आज तक दुनिया के सामने ideal couple होने का दिखावा करते आ रहे है लेकिन इस रिश्ते की हकीकत मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ और मैं ऐसा रिश्ता नही चाहता, मैं कभी किसी लड़की के साथ ऐसा नही कर सकता जो आपने मॉम के साथ किया और शायद दुनिया मे कोई लड़की ये बर्दाश्त भी नही करेगी।

    वो तो मॉम कुछ कहती नही, जिस दिन उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी आपने ये जो इडियल हसबैंड एंड फैमिली मैन वाली इमेज बनाई हुई है ना वो टुकड़ों मे टूटकर बिखर जाएगी और जब आपकी असलियत दुनिया के सामने आएगी तो जो लोग आज आपकी इज़्ज़त करते है, वही नफरत करेंगे आपसे। "

    कायरव के चेहरे पर हिकारत के भाव थे। उसने मिस्टर रायचंद को आईना दिखा दिया था,उसकी कड़वी बातें सुनकर वो गुस्से से तिलमिला उठे।

    "कायरव.... "

    "चिल्लाइये मत, चिल्लाना मुझे भी आता है और किस बात पर इतना गुस्सा आ रहा है आपको? सच्चाई ही तो कही थी मैंने फिर इतनी कड़वी क्यों लगी आपको?.... आपको क्या लगा? मैं नही जानता की आप आए दिन जिन बिज़नेस ट्रिप्स पर जाते है वहाँ क्या करते है? क्यों आप एक दिन भी घर मे नही रहते? सारी सारी रात कहाँ बिताते है? मॉम के साथ कैसे बिहेव करते है?....

    मैं सब जानता हूँ डैड... आज से नही बचपन से, मैंने अपनी आँखों से आपको नशे मे धुत्त बिखरी हालत मे घर मे कदम रखते देखा है, अपनी से आधी उम्र की लड़कियों संग अय्याशी करते, उनके लिए मॉम से लड़ते उनपर हाथ उठाते देखा है। और मैंने तभी डिज़ाइड कर लिया था कि मैं आपके जैसा कभी नही बनूँगा। होंगे आप एक बहुत बड़े बिजनेसमैन, बहुत नाम होगा आपका पर मेरी नज़रों मे आप इस लायक भी नही कि मैं आपको रिस्पेक्ट के साथ अपना डैड कह सकूँ। "

    कायरव गुस्से से काँप गया, उसके चेहरे पर गुस्सा घिन और नफरत जैसे भाव मौजूद थे। मिस्टर रायचंद शॉक्ड थे। मिसेस रायचंद भी शर्मिंदा हो गयी थी, उनकी आँखों मे बेबसी के आंसू आ गए थे। जिन्हें उन्होंने जल्दी ही छुपाया और सख्ती से कायरव को टोका,

    "कायरव ये कैसे बात कर रहे हो तुम इनसे? ये डैड है तुम्हारे ... "

    "Oh come on, मॉम… सिर्फ एक स्पर्म दे देने और बेसिक मोनेटरी नीड्स पूरी कर देने से कोई आदमी डैड नहीं बन जाता। पूछिए इनसे, आज तक डैड होने की कौन-सी ज़िम्मेदारी निभाई है इन्होंने? उनका बेटा इतना बड़ा हो गया, क्या एक भी ऐसा पल इन्हें याद है जब मुझे अपने डैड की ज़रूरत थी… और ये मेरे साथ थे?

    इनके लिए मैं औलाद नहीं, एक ट्रॉफी हूँ… जिसे दिखाकर ये दुनिया के सामने अपना गुरुर बढ़ाते हैं। मुझे इस दुनिया में लाने का मकसद प्यार नहीं, बल्कि एक वारिस पैदा करना था—जो इनके बाद इनके बिज़नेस को संभाल सके, इनकी लेगेसी आगे बढ़ा सके।

    फिर भी, रिश्ते में ये मेरे डैड थे… इसलिए अब तक मैंने इनकी हर बात मानी, हर फ़ैसला स्वीकार किया। लेकिन अब जो ये मुझसे चाहते हैं, मैं नहीं करूँगा। और अगर आपने मुझ पर ज़बरदस्ती करने की कोशिश की, तो मैं ये घर छोड़ दूँगा। भूलकर भी ये धमकी मत दीजियेगा कि मुझे बिज़नेस या प्रॉपर्टी से बेदखल कर देंगे—क्योंकि मुझे आपके बिज़नेस की नहीं, आपके बिज़नेस को मेरी ज़रूरत है। मैं इतना काबिल हूँ कि अपने दम पर सब कुछ खड़ा कर सकता हूँ… और मुझे आपके एहसान की कोई ज़रूरत नहीं।"

    मिस्टर रायचंद का खून खौल गया। कायरव ने अपनी बात कही और गुस्से में वहाँ से निकल गया। मिस्टर रायचंद ने जलती निगाहों से मिसेस रायचंद को घूरा और गुस्से से चीखे।

    To be continued...

  • 20. Contracted hearts - Chapter 20

    Words: 1590

    Estimated Reading Time: 10 min

    मिस्टर रायचंद का खून खौल गया। कायरव ने अपनी बात कही और गुस्से में वहाँ से निकल गया। मिस्टर रायचंद ने जलती निगाहों से मिसेस रायचंद को घूरा और गुस्से से चीखे।

    "ये सब तुम्हारी वजह से हो रहा है, एक बच्चे की ठीक से परवरिश नही की गयी तुमसे, उसके दिमाग मे उसके बाप के लिए ऐसी बातें भर दी। अगर तुमने अपनी किटी पार्टीज़ के जगह थोड़ा ध्यान अपनी औलाद पर दिया होता तो आज वो अपने बाप से इतनी बदतमीज़ी से बात नही कर रहा होता। "

    "कायरव सिर्फ अकेले मेरा बेटा नही। उसकी upbringing की रिस्पांसिब्लिटी जितनी मेरी थी उतनी तुम्हारी भी थी, अगर मैंने ध्यान नही दिया तो तुम दे देते.... अगर मेरे पास टाइम नही था, मैं पार्टीज़ मे busy थी तो तुम टाइम स्पेंड करते उसके साथ। मैं एक अच्छी मॉम नही बनी तो तुम बन जाते एक अच्छे डैड जैसे तुम दुनिया को दिखाते हो, मैंने रोका तो नही था तुम्हें।

    और क्या कहा तुमने कि मैंने उसके दिमाग मे तुम्हारे लिए वो बातें डाली है? .... मुझपर ऐसा इलज़ाम लगाने की सोचना भी मत, मैंने कभी उसके सामने तुम्हारे बारे मे एक गलत शब्द नही कहा। कभी हमारे रिश्ते की हकीकत उसके सामने ज़ाहिर नही की, हमेशा तुम्हारी हर गलती को छुपाती रही... उसने आज जो कहा वो मैंने नही सिखाया उसे, उसने जो खुद देखा वही जाना और इसके लिए मैं नही तुम रिस्पांसिबल हो। "

    उनके बीच भयंकर बहस शुरू हो गयी। बाहर जाते कायरव के कानों मे भी उनके चीखने चिल्लाने की आवाज़ें जा रही थी पर उसका चेहरा सपाट था। उसने शेड्स लगाए, कार मे बैठा और वहाँ से निकल गया।

    नीचे ग्राउंड फ्लोर के कॉरिडोर के पास खड़ी एक ओल्ड लेडी ने ये पूरा नज़ारा अपनी आँखों से देखा था। उनके झुर्रियों भरे चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी।

    सुबह का टाइम था, इनाया घर के कामों मे लगी थी तभी अचानक डोर बेल बजी।

    "इतनी सुबह सुबह कौन आ गया? " इनाया  की भौंहे सोचने के अंदाज़ मे सिकुड़ गयी।

    खुदमे बड़बड़ाते हुए वो गेट तक पहुँची, जैसे ही दरवाज़ा खोला और नज़र सामने खड़े शक्स पर पड़ी वो बुरी तरह चौंक गयी।

    "त.... तुम य....... " इनाया ने तेज़ आवाज़ मे इतना कहा ही था कि कायरव ने उसकी कमर मे बाँह फंसाते हुए उसे अपने तरफ खींचा और उसके मुँह को अपनी हथेली से दबाकर बंद कर दिया।

    इनाया के शब्द उसके मुँह मे घुटकर रह गए और आँखे बाहर आने को हो गयी। वो उससे दूर हटने के लिए छटपटाते हुए चिल्लाने की कोशिश करने लगी जिसके वजह से घुटी घुटी अजीब सी आवाज़ें बाहर आने लगी पर वो कायरव से छूट न सकी।

    "श्श्श.... शांत हो जाओ और ध्यान से मेरी बात सुनो। "

    कायरव की धीमी पर गंभीर आवाज़ इनाया के कानों से टकराई और वो एकदम से शांत हो गयी।

    "छोड़ रहा हूँ तुम्हें लेकिन अब चिल्लाना मत, okay "

    इनाया ने झट से सर हिला दिया। कायरव उसे छोड़कर एक कदम पीछे हट गया, इनाया ने अपने सीने पर हथेली रख ली और गहरी गहरी साँसे लेने ली। वो बुरी तरह हाँफ रही थी, धड़कनों का शोर कायरव बखूबी सुन पा रहा था।

    "Are you okay? ... वैसे मैंने इतनी ज़ोर की भी नही पकड़ा था। "

    इनाया ने सर उठाया और पैनी निगाहो से उसे घूरा, कायरव एकदम से चुप हो गया। इनाया ने खुदको सम्भाला और हैरानगी से सवाल किया।

    "तुम इस वक़्त यहाँ मेरे घर के बाहर क्या कर रहे हो? "

    "इनाया कौन आया है? " अंदर से सविता जी की सख्त आवाज़ आई और इनाया बुरी तरह घबरा गयी।

    "त.... तुम जाओ यहाँ से, अगर आई ने देख लिया तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी। इससे पहले की वो बाहर आ जाए और तुम्हें देखकर सवालों की बौछार कर दे, तुम निकलो यहाँ से, हम बादमे कही अकेले मे मिल लेंगे। "

    इनाया उसे जाने के लिए धक्का देने लगी, घबराहट के मारे उसके चेहरे पर पसीने की बूँदे झिलमिलाने लगी थी।

    कायरव पहले खामोशी से उसके तेज़ी से बदलते एक्सप्रेशन को देखता रहा फिर उसकी दोनों कलाई को पकड़कर रोकते हुए गंभीरता से बोला

    "मैं यहाँ तुमसे नही तुम्हारे पैरेंट्स से ही मिलने आया हूँ। "

    "तुम्हें इतना घबराने की ज़रूरत नही है, मैं तुमपर कोई बात नही आने दूँगा। तुम्हें कुछ भी करने या कहने की ज़रूरत नही है, मैं सब संभाल लूँगा। you just pretend like you don't know me...okay "

    "Why? " इनाया बुरी तरह चौंक गयी। कायरव उसे एक के बाद एक झटके ही दे रहा था।

    "Just do as I said " कायरव ने उसे आँखों से कुछ इशारा किया। इतने मे किसी के कदमों की आहट महसूस हुई और इनाया छिटककर उससे दूर हट गयी।

    "कौन हो तुम? किससे मिलना है? यहाँ क्यों आए हो? "

    इनाया ने सवाल किया ठीक इसी वक़्त सविता जी वहाँ पहुँची और सख्त अंदाज़ मे सवाल किया।

    "कौन है? किससे इतनी देर से बात कर रही है? "

    "पता नहीं कौन है? मैं जानती ही नही, मैंने तो इन्हें पहले कभी देखा भी नही। इतनी देर से मैं इनसे यही तो पूछ रही हूँ कि कौन है? किस काम से यहाँ आए है और किससे मिलना है। "

    इनाया इनोसेंट बनकर सेफ साइड चली गयी। कायरव उसकी एक्टिंग देखकर दिल ही दिल में मुस्कुराया।

    सविता जी की घूरती नज़र अब कायरव के तरफ घूम गयी। अपने सामने इतना हैंडसम लड़का देखकर उनकी आँखे चौन्धिया गयी। कायरव के कपड़े, जूते, अंदाज़ और पीछे खड़ी उसकी कार सब उसके अमीर होने की गवाही दे रहे थे।

    "कौन हो तुम और किससे काम है? किससे मिलना है तुम्हें? "

    सविता जी के तेवर ही बदल गए। आवाज़ मे शहद सी मिठास घुल गयी। इनाया का मुँह बन गया तो वही कायरव पर इसका कोई असर ही नही हुआ।

    "एक्चुली मैं यहाँ इनाया के पैरेंट्स से मिलने आया हूँ, मुझे इनाया के बारे मे कुछ बहुत इंपोर्टेंट बात करनी है। "

    "इनाया के बारे मे.... क्या किया इसने? " हैरानी गुस्से मे बदली और जबड़े भींचे वो इनाया को घूरने लगी।

    "क्यों री, अब क्या किया है तूने?"

    "मैंने कुछ नही किया आई, सच्ची.... " इनाया हड़बड़ा गयी   उसकी बात अनसुनी करते हुए सविता जी गुस्से मे उसके तरफ बढ़ी ही थी कि कायरव बीच मे आ गया।

    "आप गलत समझ नही है, इनाया ने कुछ नही किया है ये तो मुझे जानती भी नही। मैं यहाँ उसकी शिकायत लगाने नही आया बल्कि उसके और अपने बारे मे कुछ बहुत इंपोर्टेंट बात करने आया हूँ। "

    सविता जी के एक्सप्रेशन बदल गए। उन्होंने शक भरी नज़रों से इनाया को घूरा। उसने सकपकाते हुए इनोसेंट सी शक्ल बनाई और झट से इंकार मे सर हिलाया जैसे कह रही हो कि उसे इस बारे मे कुछ नही पता।

    सविता जी कि जाँचती निगाहें अब कायरव के तरफ घूम गयी।

    "इनाया हमारी ही बेटी है, क्या बात करनी है तुम्हें उसके बारे मे हमसे? "

    "यहाँ बाहर ये सब बातें करना सही नही है, अगर अंदर बैठकर आराम से बात हो जाती और आपके साथ साथ इनाया के डैड भी आ जाते तो अच्छा होता। "

    "जा जाकर अपने बाप को उठाकर ला। "

    "मैं? " इनाया के चेहरे का रंग उड़ गया।

    "तू नही तो क्या तेरा बाप जाएगा? " सविता जी गुस्से मे भड़की और आँखे तरेरकर उसे घूरा। इनाया सर हिलाते हुए अंदर चली गयी। पर जाते जाते उसके चेहरे पर जो खौफ दिखा उसने कायरव को चिंता मे डाल दिया।

    कुछ देर बाद कायरव अंदर चेयर पर बैठा था। उसके सामने ही सविता जी बैठी थी पर उसकी निगाहो को तो शिद्दत से इनाया के आने का इंतज़ार था। अंदर से इनाया की धीमी धीमी और किसी आदमी की तेज़ आवाज़ मे चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थी।

    कुछ देर बाद वो आई, उसके साथ एक आदमी भी था। बनियान के साथ धोती स्टाइल लुङ्गी पहने। बिखरे बाल खूनी रंग मे रंगी डरावनी आँखे जिससे साफ ज़ाहिर था कि वो नशे मे है और अब कायरव इनाया के डर की वजह समझ गया था।

    प्रकाश जी रौब के साथ आए और सविता जी के बगल मे बैठ गए। इनाया वही साइड मे खड़ी थी । कायरव ने चंद सेकंड मे उसे सर से लेकर पैर तक स्कैन कर लिया था कि वो ठीक है या नही।

    अचानक वहाँ एक कड़क आवाज़ गूंजी " बोलो कौन हो तुम और यहाँ हमारे घर क्यों आए हो? "

    सबका ध्यान प्रकाश जी के तरफ चला गया जो अजीब नज़रों से कायरव को घूर रहे थे।

    "मुझे आप दोनों से आपकी बेटी इनाया के बारे मे कुछ इंपोर्टेंट बात करनी है। "

    कायरव ने इतना कहा ही था कि सविता जी गुस्से से भड़क उठी।

    "अब तू यहाँ खड़े खड़े हमारी बातें क्या सुन रही है? तेरा यहाँ कोई नही, जा जाकर अपना काम कर, आधे घंटे मे मुझे खाना तैयार चाहिए, वरना आज खैर नही तेरी। "

    उनकी धमकी सुनकर इनाया ने बेचारगी से कायरव को देखा, उसने आँखों से ही उसे रिलेक्स होने और जाने का इशारा कर दिया। उसपर विश्वास करके इनाया चुपचाप वहाँ से चली गयी। अब वहाँ बस कायरव और मिस्टर एंड मिसेस देशमुख ही रह गए थे और दोनों की नज़रें कायरव पर टिकी थी।

    कायरव ने गहरी सांस छोड़ी और गंभीरता से बोला,

    " मैं यहाँ आपसे आपकी बेटी का हाथ मांगने आया हूँ। मैं इनाया को पसंद करता हूँ और उससे शादी करना चाहता हूँ। "

    कायरव के शब्द किसी बम के धमाके जैसे बरसे। जिसने सामने बैठे दोनों लोगों के होश उड़ा दिये, अगले ही पल प्रकाश जी अपनी चेयर से उठकर खड़े हो गए और उनकी गुस्से भरी कर्कश आवाज़ वहाँ गूंज उठी।


    To be continued...