कहते हैं इश्क जिंदगी के मायने बदल देता हैं जहां हम खुद के लिए नहीं किसी और के लिए जीते हैं लेकिन हमारी बंधन शर्मा की जिंदगी के मायने तो एक शादी ने बदल दिये जहां उसका सबकुछ बदल गया और फिर शुरू हुई एक ऐसी दास्तान जिसने बंधन को ही बदल दिया तो क्या होग... कहते हैं इश्क जिंदगी के मायने बदल देता हैं जहां हम खुद के लिए नहीं किसी और के लिए जीते हैं लेकिन हमारी बंधन शर्मा की जिंदगी के मायने तो एक शादी ने बदल दिये जहां उसका सबकुछ बदल गया और फिर शुरू हुई एक ऐसी दास्तान जिसने बंधन को ही बदल दिया तो क्या होगा - एक ऐसा शादी का जिसकी नींव ही समझौता हो ? क्या बंधन कभी अपनी जिंदगी बदल पायेगी । जिसे कभी किसी का प्यार नसीब नहीं हुआ ... वो किसी का प्यार हासिल कर पायेगी ? जानने के लिए पढ़िये....बंधन - एक समझौता ।
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एक साधारण से घर में पली बड़ी बंधन शर्मा की शादी उसके माता-पिता ने एक अपर मिडिल क्लास फैमिली में कर दी ...!! बंधन में बचपन से अपने परिवार में शादी के नाम पर समझौते और जिम्मेदारियां ही देखी थी जहां पर दो लोग सिर्फ जिम्मेदारियां की वजह से एक दूसरे के साथ है ना कि प्यार की वजह से...!! अपनी माता-पिता के चार बच्चों मे बंधन चौथे नंबर पर आती थी , जिनकी तीन बेटियां और एक बेटा था ...!! बंधन के माता-पिता को बंधन से कुछ खास लगाव नहीं था क्योंकि वह इस दुनिया में उनकी खुद की गलती की वजह से आई थी वरना वह कभी चौथा बच्चा करना ही नहीं चाहते थे जब उनके तीसरी औलाद एक बेटा हो गया था । इसी वजह से वह हमेशा शांत ही रहती थी । अपनी बहनों के कपड़े पहनना उनकी किताबें यूज करना... मतलब उसे आज तक सब कुछ उनका उतरा हुआ ही मिला था । जब उसकी बड़ी बहनों का किसी चीज से मन भर जाता तो वह चीज बंधन के हिस्से आ जाती थी । 1 साल में केवल दिवाली पर उसे नए कपड़े मिलते थे लेकिन बंधन ने कभी शिकायत करना सही नहीं समझा ... इसलिए जब उसके माता-पिता ने उसकी शादी उसके ग्रेजुएशन करते ही एक दूसरे शर्मा परिवार में कर दी । बंधन को ऐसा लगता था कि वह अपने परिवार पर एक बोझ है और अब वह बोझ किसी दूसरे परिवार पर डाल दिया गया हैं लेकिन बंधन ने तो कभी विरोध करना सीखा ही नहीं .....!!
बंधन की शादी आहिल शर्मा से हुई है जो एक सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर है और उसकी महीने की तनख्वाह 120000 और उसके परिवार ने दहेज की मांग भी नहीं रखी और यही कारण था कि उसके माता-पिता ने शादी करने में कोई भी ढिल नहीं की ...!!
बाकी बातें आगे कहानी में चलते हुए करेंगे .....
पूरा कमरा रंग बिरंगी फूलों से सजा था और उसमें खामोशी से एक लड़की बेड पर बैठी थी । अभी कुछ पल पहले उसके कुछ सपने टूटे थे लेकिन बंधन को उनके टूटने का कोई दुख नहीं था क्योंकि सपने देखना तो उसने वक्त के साथ बहुत पहले ही छोड़ दिया था अब तो वह सिर्फ जी रही थी ... वह भी बीना किसी ख्वाहिश के ...
अहिल कुछ देर पहले ही रुम में आया था और उसे आराम से सोने के लिए कहकर एक कंबल उठाये छत पर चला गया उसने अपने लहंगे को संभालते हुए कमरे की खिड़की की तरफ कदम बढ़ा दिये और बाहर देखने लगे .... बाहर आसपास बहुत सारे घर थे और हर घर के आगे एक छोटा सा गार्डन .... अहिल के घर के आगे भी था जिसमें बहुत सारे फूल लगे थे और उनके बीच ही एक झूला .......!!
फिर एकाएक ही उसकी नजरे चांद पर चली गयी और उसके मुंह से शब्द निकलने लगे -
शायद इस रिश्ते का अंजाम हमें पहले से पता था इसलिए भी हमने इसे चुना ..... हमें अहिल जी से शिक़ायत बिल्कुल भी नहीं हैं क्योंकि उन्होंने पहले ही कहां था कि वो हमसे शादी सिर्फ अपनी मां के कहने पर कर रहे हैं । दुःख हुआ था एक पल के लिए कि फिर हम किसी पर बोझ बन गये ... लेकिन दिल में एक ठंडक सी उतरी , जब उन्होंने कहां कि उनके दिल में कोई नहीं हैं । हम कभी भी उनसे यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाते कि उनके दिल में कोई और हैं क्या ? शादी के लिए मना करने की हिम्मत.... हममें नहीं थी कि क्योंकि आज तक हमसे कोई भी फैसला लेने से पहले किसी ने अपनी राय रखने ही नहीं दी लेकिन दुःख भी नहीं हुआ.... क्योंकि उनकी आंखों में एक सच्चाई थी। उनकी मां से पता चला कि पहले अहिल जी की सगाई हो गयी थी लेकिन लड़की ने हमपर दहेज का केस लगा दिया था क्योंकि उसे किसी और लड़के से प्यार था ।
एक पल के लिए दिल में डर बैठ गया लेकिन वो हमारे मामा जी के जानकार थे तो खुद को समझा लिया ।
दूसरों से क्या शिकायत जब हमारे परिवार को ही हमारी चिंता नहीं बस अपना हर फर्ज निभाना चाहते हैं क्योंकि प्यार और इंसानियत की उम्मीद लगाना हमनें बहुत पहले छोड़ दिया ।
इसके बाद उसे अपना दिल हल्का महसूस हुआ तो वह गहने उतारने लगी । सभी गहनों को संभालकर अलमारी में रखने के बाद , उसने कपड़े बदले और एक सिंपल सी साड़ी पहनकर ... सोने के लिए बिस्तर पर चली गयी ।
...............
सुबह का समय ...
छ: बजे
बंधन ने नहाने के बाद , एक लाल कलर की साड़ी पहनी और फिर बाल झाड़ते हुए खिड़की के सामने खड़ी हो गयी । सूरज हल्का सा बाहर आने लगा था ।
तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी तो उसने फटाफट मांग में सिंदूर भरकर सिर पर पल्लू लेते हुए दरवाजे की तरफ चली गयी । उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने अहिल खड़ा था । उसने , अहिल को हैरानी से देखा और फिर नासमझी में - आप ........!!
अहिल ने बीना किसी भाव के - हां मैं , यह मेरा भी कमरा हैं तो आ सकता हूं ।
बंधन हैरानी से साइड में हटते हुए - जी ...... !!
अहिल अंदर आते हुए - आप घर में किसी को बताना मत कि रात को मैं कमरे में नहीं था .... मां परेशान होगी ।
इतना कहकर , वह अपने कपड़े लिए बाथरुम में चला गया और बंधन बस उसे हैरानी से देखती रह गयी । जो एक पल में सारी बातें कहकर बाथरुम में घूस गया था ।
उसने भी बालों को कंघी करी और बिंदी लगाकर नीचे की तरफ बढ़ गयी । उसने अभी तक बाहर हाॅल से अपने कमरे तक का ही सफर तय किया था .....जो पहले फ्लोर पर था और वह सीढियां उतरते हुए ग्राउंड फ्लोर पर हाॅल में आ गयी ।
हाॅल में बिल्कुल सन्नाटा था और वह बस नासमझी से इधर-उधर देख रही थी । उसे क्या पता था कि इस घर में सात बजे से पहले कोई नहीं उठता सिर्फ अहिल को छोड़कर...!! उसने चारों तरफ देखा तो पूरा हाॅल , शादी के कामों की वजह से बिखरा पड़ा था और बिना एक पल भी सोच उसने हाॅल की सफाई करनी शुरू कर दी । वह एक एक सामान को उठाकर उनकी सही जगह रख रही थी और साथ ही उसने डस्टिंग भी करनी शुरू कर दी ...... आधे घंटे में उसने पूरा हाॅल चमका दिया था और फिर हाॅल के साइड में बने मंदिर में चली गयी और जैसे ही उसने मंदिर को देखा तो उसकी आंखें वहीं पर टिक गयी और उसकी आंखों में नमी के साथ खुशी भी छलक आयी ।
जारी हैं ...........
आगे ........
बंधन ने पूरी जिंदगी में यही देखा था कि अगर परिवार के लोगों को खुश रखना हैं और खुदको , उनके गुस्से से बचाना हैं तो सारे काम बीना कहे किया जाये और इसलिए उसने अपने घर में हर काम अकेले ही किये थे और वक्त के साथ ,यह उसकी आदत बन गयी ..... इस उम्मीद में की कभी तो वो उससे , प्यार करेंगे लेकिन ऐसा तो हुआ नहीं पर बंधन घर के हर काम में जरुर पारंगत हो गयी ।
बंधन की आंखों में सामने कान्हा जी मूर्ती देखकर आंसू ही आ गये थे । आज से एक साल पहले ...
उसने तीन महिनों तक पैसे जोड़े थे क्योंकि उसे कान्हा जी कि एक खुबसूरत सी मूर्ती खरीदनी थी और आज वह बड़ा खुश थी कि आखिर कल जन्माष्टमी के लिए वह , कान्हा जी की मूर्ती खरीद ही लेंगी और उसने अपना चेहरा बांधा और निकल गयी बाजार ..... और तीन घंटे की मेहनत के बाद उसने एक खुबसूरत सी मूर्ती ढूंढ ही ली लेकिन तभी एक लड़का , उसके सामने आ गया और उससे - क्या आप यह मूर्ती , आप मुझे दे देंगी ...... बंधन ने वह मूर्ती बहुत मेहनत से ढूंढ़ी थी इसलिए जैसे ही वह गर्दन ना में हिलाने वाली थी । वह लड़का जल्दी से - देखिए मना मत कीजिए क्योंकि आज , मेरी मां का जन्मदिन हैं और मैं , उनको बेस्ट गिफ्ट देना चाहता हूं ।
अपनी मां के लिए , उसकी बातों में प्यार साफ छलक रहा था और इसलिए बंधन ने दुःखी मन से वह मूर्ति , उस लड़के की तरफ बढ़ा दी और वह लड़का उसके हाथ में पैसे रखते हुए चला गया और बंधन सिर्फ देखती रह गयी ।
बंधन मुंह पर हाथ रखते हुए - मतलब वो अहिल जी ही थे तभी उनको देखकर लग रहा था कि उनको मैंने कभी तो देखा था । उसने फटाफट मंदिर साफ किया और किचन की तरफ चली गयी । सारा किचन भी बिखरा पड़ा था और सिंक में बर्तनों का ढेर पड़ा था । सबसे पहले ... उसने किचन की सफाई करी और बर्तनों को सिंक में ही छोड़कर हाॅल में आकर घड़ी में टाइम देखा ... जिसमें सात बज गये थे लेकिन शादी की थकान की वजह से अभी तक कोई भी नहीं उठा था । उसने फिर से किचन की तरफ कदम बढ़ा दिये । तभी बाहर से घंटी बजने की आवाज आयी । वह फटाफट भागते हुए हाॅल की तरफ से मैन गेट की तरफ भागी जहां एक दूधवाला खड़ा था और उसे भी नहीं पता था कि वह शर्मा परिवार की नयी बहूं थी । वो - दीदी कुछ लाइए ना दूध देकर जाना हैं ।
बंधन खामोशी से वापिस किचन की तरफ भागी और फिर एक बड़ा डिब्बा लेकर दरवाजे पर आ गयी और दूधवाले ने उसमें तीन किलों दूध डाल दिया । जिस पर बंधन हैरानी से - इतना दूध .....।।
वह दूधवाला - वो दीदी , मैम साहब की नयी बहूं कि आज पहली रसोई होगी ना तो मैम साहब ने खीर बनवाने के लिए ज्यादा दूध मंगवाया हैं । इतना कहकर , वह निकल गया और बंधन फटाफट , दूध लेकर किचन की तरफ भागी ......!!
उसने सबसे पहले मंदिर से आरती की थाल लाकर चूल्हा पूजन की रस्म करी और फिर दूध को गैस पर चढ़ा दिया और एक एक डिब्बें का ढक्कन हटाकर , चावल चीनी और ड्राइ फ्रूट्स ढूंढने लगी ।
कुछ देर की मशक्कत के बाद आखिर उसने सारे सामान ढूंढकर स्लैब पर रखे और फिर दूध में चावल डालकर , गैस को थोड़ा धीमा किया और बर्तनों को धोने में लग गयी । सारे बर्तन धोकर और पोंछकर .... वह सबकुछ सही जगह रखने लगी ।
फिर गहरी सांस लेकर चारों तरफ घूमकर देखने के बाद - परफेक्ट .... और कुछ देर बाद वह कटे हुए ड्राइफ्रूट्स खीर पर डालते हुए - पहले कान्हा जी को भोग लगाती हूं ।
वह भोग लेकर जाने ही वाली थी कि ... उसे बाहर से आवाज आयी - सुमन आंटी .....मेरी चाय ।
यह आवाज तो अहिल जी की हैं , यह सोचते हुए वह किचन से बाहर आकर - जी ......!!
सामने सिंपल लोवर और टिशर्ट में अहिल सोफे पर बैठा था और उसके सामने एक लैपटाॅप रखा था । उसने जैसे ही कोई अनजान आवाज सुनी तो हैरानी से किचन के दरवाजे की तरह नजरें उठायी तो वहां लाल कलर की साड़ी में दोनों हाथों को बांधे और सिर पर पल्ला लिये बंधन खड़ी थी ।
अहिल को थोड़ी सी हिचकिचाहट होने लगी । जिस शख्स के सामने आने से भी वह बचने की कोशिश कर रहा था....वह इस वक्त खुदको समेटे , उसके ही सामने खड़ी थी लेकिन अब बात तो करनी ही थी ।
अहिल खुदको संभालकर - सुमन आंटी .... आपको नहीं बुलाया ।
बंधन नासमझी में - जी ..उसे सच में ही समझ नहीं आया था कि सुमन आंटी कौन थी ।
अहिल - घर की मेड़ हैं और रोज सुबह सात बजे आ जाती हैं ।
जिस पर बंधन गर्दन हिलाते हुए - वो नहीं आयी ....!! अहिल ने पहली बार , बंधन के मुंह से जी के अलावा कोई और वर्ड सुना था लेकिन इस पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए - ओके ..
!
बंधन हिचकिचाते हुए - आपको कुछ चाहिए था । हाॅल और किचन में कुछ ज्यादा फासला नहीं था और इसलिए बंधन की धीमी और शांत आवाज भी अहिल को साफ सुनायी दे रही थी ।
अहिल ने एक पल के लिए उसे देखा और फिर - एक कप अदरक वाली चाय ...!!
बंधन गर्दन हिलाते हुए - जी अभी लाते हैं । इतना कहकर , वह वापिस किचन में घूस गयी और इधर अहिल चारों तरफ देखते हुए - यह हाॅल तो काफी बिखरा पड़ा था । मां अभी तक भी फिवर की वजह नहीं उठी हैं । यशी अभी तक भी सो रही हैं और सुमन आंटी अभी तक आयी नहीं हैं तो फिर हाॅल को साफ किसने किया फिर अचानक ही उसके मुंह से निकला - बंधन ने लेकिन .....वो यह सब क्यों करेंगी...पर उसके सिवा हाॅल में कोई और था भी तो नहीं....तो क्या , यह सबकुछ उसने किया ? वह अफसोस से अपनी आंखें बंद कर लेता हैं और एक महिनें पहले की यादों में खो जाता हैं .......... अहिल ने अपने पिताजी को साइलेंट अटैक आने की वजह से खो दिया था जब वह बाहरवी क्लास में पढ़ता था । उस वक्त , उसने सिर्फ जिंदगी को समझना शुरू किया था कि उसके और उसके परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया । सारी जिम्मेदारीया उस पर ही आ गयी ....उसकी मां तो बिल्कुल टूट चुकी थी और उसकी बहन ...वह तो सारे दिन रोती ही रहती थी । सबकुछ अहिल को ही संभालना पड़ा और इसके लिए उसने खुद को मजबूत बनाना शुरू कर दिया .... फाइनेंशियल उसके परिवार को ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ी क्योंकि उसके पापा सरकारी नौकरी में थे तो उसकी मम्मी को पेंशन मिलने लगी थी लेकिन इन सब में अहिल का बचपन कहीं खो सा गया । जो बच्चा हमेशा शरारतें करता रहता था ....जिसके पैरेंट्स आये दिन आने वाली शिकायतों से परेशान रहते थे ...वो कुछ खामोश और गंभीर होता गया । उसकी मां बीमार रहने लगी थी तो अहिल को अपने ही सिटी के काॅलेज में बीटेक के लिए एडमिशन लेना पड़ा । शुरु से ही दिमाग में तेज था और अब तो उसका सारा ध्यान ...अपनी मां और बहन का ख्याल रखने में और पढ़ने में ही रहता था तो वो सबकुछ बहुत अच्छे से हैंडल करने लगा था । वक्त के साथ सब संभलने लगे थे लेकिन इन सब में अहिल कहीं खो सा गया और जब तक उसकी मां को इस बात का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो गयी । उसे बिटेक के बाद एक अच्छी कंपनी में अच्छे पैकेज पर जाॅब मिल गयी थी और अब उसकी लाइफ में भी खुशियां आ जाये इसलिए उसकी मां , उसकी शादी करवाने पर जोर देने लगी थी । अहिल ने भी खामोशी से हांमी भर दी क्योंकि वो इन सब में अपनी मां को नहीं खो सकता था पर उसके मन में शादी को लेकर अजीब सा डर था .....जिसका किसी को अहसास तक ना था ।
अहिल की मां ने लड़कियां देखनी शुरू कर दी और अंत में उन्होंने एक मंदिर में बंधन को देखा था ... मासूम सी दिखने वाली साधारण सी लड़की, जो ज्यादा खुबसूरत तो नहीं थी लेकिन उसके चेहरे पर एक अलग ही तेज था जो सबको अपने मोह पाश में बांध लें । अहिल की मां काव्या जी भी उसके मोह पाश में इस तरह बंधी की उन्होंने तय कर लिया कि उनके बेटे की बहूं तो बंधन ही बनेगी और फिर उन्होंने बंधन की फैमिली के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया और तभी उन्हें पता चला कि बंधन के मामाजी , उनके पड़ोस में ही रहने वाला शुक्ला जी के जानकार थे तो बस उन्होंने, शुक्ला जी के जरीए , बंधन के मामाजी के कान में रिश्ते की बात डाल दी ।
जब वह अपने बेटे और बेटी के साथ बंधन के माता पिता से बंधन का हाथ मांगने गयी तो उन्होंने तो यह सुनकर ही हांमी भर दी कि उनको दहेज नहीं देना पड़ेगा और जब अहिल को बंधन से बात करने भेजा गया तो बस उसके मुंह से शब्द निकले थे कि वो अभी के लिए इस शादी के लिए तैयार नहीं था और अगर वो चाहे तो शादी के लिए इंकार कर दे । वो सिर्फ अपनी जिम्मेदारीया निभा सकता है जब और इससे ज्यादा वो उससे कोई और उम्मीद नहीं रखें।
उस वक्त बंधन की आंखों में सवाल थे और उन आंखों में आये सवाल को देखकर , उसके मुंह से अपने आप निकल गया था - कि अगर उनकी शादी होगी तो बंधन , उसकी जिंदगी में आने वालीं पहली और आखिरी लड़की होगी ।
उसे तो लगा था कि वो लड़की शादी के लिए मना कर देंगी लेकिन उसने तो हांमी भर दी और आज उसकी जिंदगी में भी शामिल हो चुकी थी ।
सबकुछ याद करते हुए अहिल की आंखें बंद थी और तभी किसी आवाज से उसकी आंखें खुली और बस फटी ही रह गयी ।
जारी हैं ........
अहिल के मन के डर को बंधन समझ पायेगी ?
आगे ...........
अहिल ने जैसे ही आहट से आंखें खोली तो बंधन उसके बिल्कुल करीब खड़ी थी और उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी और धड़कने बिल्कुल रुक सी गयी लेकिन इन सबसे अनजान बंधन .....चाय का कप रखते हुए - मां का रुम कौन-सा हैं ?
उसकी बात सुनकर, अहिल ने उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा तो , बंधन हिचकिचाते हुए - वो चाय .....इतना कहकर उसने , अपने हाथ में पकड़े ट्रे की तरफ इशारा किया, जिसमें एक कप चाय रखी थी ।
अहिल , उसका सवाल समझते हुए एक तरफ इशारा करते हुए - वो हैं , जिसपर बंधन तो उस तरफ चली गयी लेकिन अहिल खुद से ही - बड़ी ही अजीब हैं आज ससुराल में पहला दिन हैं और काम तो इस तरह कर रही हैं जैसे पता नहीं कितने सालों से रह रही हैं ? आई नो दैट कि यह सब बस दिखावा हैं । मैं भी देखता हूं कि कितने दिन तक इस तरह दिखावा करेंगी।
इधर बंधन ने हाथ में ट्रे पकड़े दरवाजा खटखटाया तो अंदर से बस एक आवाज आयी - आ जाओ !
हमेशा की तरह सुबह की चाय , काव्या जी के लिए सुमन ही लेकर आती थीं तो उनको लगा कि वहीं होगी लेकिन जैसे ही दरवाजा खुला और काव्य जी की नजर सामने गेट पर खड़ी बंधन पर पड़ी तो उनके मुंह से हैरानी से निकला - तुम ....!!
बंधन हिचकिचाते हुए अंदर जाकर - वो आपके लिए चाय लाये थे ...!!
जिसपर काव्या जी अपने सिर को पकड़े - हमें लगा कि शादी की थकावट की वजह से तुम आराम कर रही होगी लेकिन तुमने चाय क्यों बनायी ...तुम्हारी तो पहली रसोई भी अभी तक नहीं हुई....!!
लेकिन बंधन का ध्यान दो काव्य जी की बातों पर नहीं उनके हाथों पर था जो उनके सर को पकड़े बैठे थे ।
बंधन बीच में ही - आपके सिर में दर्द हैं .....!! काव्य जी हैरानी से - मतलब......!! जिस पर बंधन गर्दन ना में हिलाते हुए - जी ....वो आप सिर पकड़े बैठी हैं ना तो बस लगा कि सिर में दर्द होगा ....वैसे आप टेंशन मत लिजिए , हमने चूल्हा पूजन की रस्म भी कर ली और कान्हा जी के लिए भोग भी बना दिया हैं बस भोग लगाना बाकी हैं .......!!
काव्या जी बस हैरानी से बंधन को ही देख रही थी जो बस यह बताने में बीजी थी कि उसने क्या क्या कर लिया हैं ?
वो एकदम से - चुप ......!! उनके इतना कहते ही बंधन चुप हो गयी । उसके चेहरे पर एक अलग ही डर सा छा गया और
वह हल्का सा कांपने लगी थी ।
काव्या जी को उसके शरीर में कंपन सा महसूस हुआ तो वह शांति से - तुम अब बिल्कुल चुप रहोगी और इतना सबकुछ अकेले क्यों किया । फिर ट्रे की तरफ देखते हुए - एक कप चाय ... तुमने चाय पी ली ....!!
जिस पर बंधन गर्दन ना में हिलाते हुए - नहीं तो ....!! वो इतना सारा काम ....!!
वो आगे कुछ बोलती तब तक काव्या जी - हम्म ....काम तो बहुत सारा हैं लेकिन खुद के लिए भी वक्त निकाल लेना चाहिए । जाकर अपने लिए चाय लेकर आओ तब तक मैं, तुम्हारा इंतजार कर रही हूं । अबसे हम दोनों साथ में ही चाय पियेंगे।
बंधन हिचकिचाते हुए - कल से पक्का , आपके साथ ही चाय पियेंगे मां लेकिन अभी के लिए जाये वो .......!!
लेकिन काव्या जी का मन तो एक शब्द में ही अटक गया था - मां ....बंधन के मुंह से यह शब्द , उनको बहुत प्यारा लग रहा था ।
काव्या जी गर्दन हां में हिलाते हुए - ठीक हैं ...!!
बंधन बाहर की तरफ जाते हुए - जी मां , आप जल्दी से तैयार होकर आओ तब तक मैं....!!
तब तक बंधन बाहर जा चुकी थी और उसकी आवाज इतनी धीमी थी कि काव्या जी को आगे का कुछ सुनाई नहीं दिया और उनकी बंद होती आंखों से एक बूंद आंसू टपक कर नीचे गिर गया । कुछ तो काव्या जी के दिल में , वो खुद से - मैं , तुम्हें कभी भी दुःखी नहीं होने दूंगी बंधन, तुम मेरे और मेरे परिवार के लिए एक अनमोल हिरा हो ।
इधर बंधन जैसे ही किचन में आयी तो वहां अहिल खड़ा था कमर पर हाथ रखे .....बंधन जिसने अपने घर में मर्दों को किचन के अंदर पैर रखते हुए भी नहीं देखा था वो घबरा गयी और घबराहट भरी आवाज में - जी आप किचन में क्या कर रहे हैं ? कुछ चाहिए आपको .... मैं लेकर आती हूं ।
लेकिन अहिल एकदम से चीढ़ गया , वो झूंझलाते हुए - क्यों? मैं किचन में नहीं आ सकता क्या और इसमें , ऐसा कौन-सा पहाड़ टूट गया जो तुम .....!! उसके सवाल पर बंधन बोलती कि बाहर से डोरबैल की आवाज आयी .... अहिल का ध्यान उस तरह चला गया और वो खुद भी डोर खोलने के किचन से बाहर चला गया । बंधन के शब्द , उसके मुंह में ही रह गये जो वो बोलने वाली थी - क्योंकि अपने पापा या फिर भाई को मैंने किचन में कदम रखते नहीं देखा ।
अहिल ने जैसे ही गेट खोला तो वहां सुमन आंटी खड़ी थी परेशानी से - अहिल बाबा सारी , वो क्या हैं ना बगल वाली शांता से झगड़ा हो गया तो मैं आने में लेट हो गयी पर अभी फटाफट काम निपटाती हैं ।
अहिल भी अंदर आते हुए - हम्म ! बट आगे से ध्यान रखिएगा।
इतना कहकर वह अंदर आते हुए - आप नाश्ते की तैयारी किजिए। इतना कहकर वह लैपटॉप उठाये उपर अपने रुम में चला गया ।
इधर सुमन खी खी करते हुए - अब तो बीवी आ गयी ना बाबा तो बस उसके पल्लू से बंधे रहेंगे। वैसे आपकी मेहरारू अभी भी कमरे में आराम फरमा रही हैं क्या ? वो क्या हैं ना आजकल की लड़कियां बड़ी छुईमुई होती हैं ।
सुमन आंटी की आदत थी मजाक करने की और अहिल का चिढ़ा हुआ चेहरा उन्हें सुकून सा देता था और इसके पीछे भी एक राज था लेकिन अहिल को यह बात दिल पर लग गयी और बंधन जो यह देखने के लिए किचन के गेट पर आयी थी कि बाहर कौन आया हैं ... उसकी आंखों में यह सुनकर आंसू आ गये । ऐसा होना भी शायद लाजमी थी । बंधन जो सुबह से बस घर के कामों में लगी थी और जब सुमन आंटी के मुंह से यह सुना तो उसकी दिल टुकड़ों में बंट गया .... आखिर वो हर बात को दिल से लगा लेती थी ।
सुमन आंटी की बात सुनकर अहिल गुस्से से - मैंने, आपको मेरे रुम के अंदर क्या हो रहा हैं इस पर राय देने के लिए नहीं कहां ...? मेरी वाइफ आराम फरमा रही होती अगर आप अपने झगड़े पर ध्यान देने के बजाय टाइम पर आने पर ध्यान देती ...!! आप बड़ी हैं तो इज्जत से बात करता हूं वरना अपनी वाइफ के बारे में एक ग़लत बात बर्दाश्त नहीं करुंगा मैं ...चाहे आपने वह मजाक में ही क्यों ना कहीं हो ?
सुमन आंटी का तो मुंह बन गया क्योंकि पहली बार उन्हें, इस तरह का जवाब मिला था और बंधन उसके चेहरे पर एक हल्का सी मुस्कुराहट आ गयी ... किसी को पहली बार अपना साथ देते देख ...!!
जारी हैं ..............
आगे .........
अहिल अपने रूम में जा चुका था लेकिन उसे अहसास तक नहीं था कि बंधन की उम्मीद है उससे जुड़ने लगी .....!! जिस इंसान को जिंदगी में सिर्फ जिल्लत मिली हो और हर तरफ से यही सुनने को मिला हो कि वह किसी काम की नहीं है उस इंसान के लिए अगर कोई एकदम से स्टैंड ले तो वह उसके लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं होता है ....और इस वक्त बंधन की नजरों में वह भगवान से कम नहीं था । खैर वह अहिल को एक नजर देखकर , किचन में चली गयी और सुमन आंटी मुंह बनाते हुए खुद भी किचन में आ गयी । जब वह किचन में घूसी तो वहां लाल साड़ी में लिपटी , बंधन को देख कर उनका मुंह हैरानी से खुला रह गया और उन्हें अहिल का गुस्सा भी बहुत अच्छे तरीके से समझ आ गया ।
सुमन आंटी अंदर आकर हैरानी से - हे ..बहुरानी ..!! तुम तो किचन में है वो भी बिल्कुल संस्कारी गेटअप में ...!!
सुमन आंटी की बातें , बंधन के सिर के ऊपर से गुजर गयी और वो हैरानी से सिर्फ उनको ही देखने लगी ...!! बंधन की एक ही कमजोरी थी कि उसे ताने या फिर घूमाफिरा कर की गयी बातें समझ नहीं आती थी और इसी वजह से हर कोई अपनी भड़ास , उस पर ही निकाल देता था ।
सुमन आंटी , उसको खुद की तरफ देखते देख सिर झटककर - अरे बहुरानी ! साइड हटो ना हमको नाश्ता बनाना हैं और फिर डस्टिंग भी करना हैं ।
बंधन सिर झटकते हुए - नाश्ता , मैंने बना दिया हैं तो आप बस डस्टिंग कर लिजिए। इतना कहकर वह हाथ में भोग की थाली लिए बाहर निकल गयी । पहली बार उसने इस तरह का बर्ताव किया था क्योंकि , उसे सुमन आंटी से खुद को दूर रखना था ।
सुमन आंटी, उसे हैरानी से देखकर - यह हमको इग्नोर मारकर गयी ।
इधर बंधन जब बाहर आयी तो काव्या जी , अपने रुम से बाहर ही आ रही थी । काव्या जी चेहरे पर मुस्कुराहट लिये - बंधन बेटा ! मैं चाहती हूं कि आज कान्हा जी को भोग , तुम लगाओ ।
जिस पर बंधन सिर हिलाते हुए काव्या जी के साथ कान्हा जी के उस खुबसूरत से मंदिर के सामने आकर खड़ी हो गयी । बंधन आंखों में नमी लिये , कान्हा जी की आरती करके भोग लगा रही थी और पीछे खड़ी काव्या जी की आंखें बंद थी वो खुद से ही सोच रही थी - तुममें , हमें अपने परिवार की खुशियां नजर आती हैं बंधन ...उस घर में तुमको जो कुछ भी नहीं मिला ...वो सबकुछ हम देंगे और बदलें में तुमसे , तुम्हारी और अपने परिवार की खुशियां मांगेंगे।
इधर अहिल भी आकर हाथ जोड़े , काव्या जी के बगल में खड़ा हो गया था ।
वो खुद से सोच रहा था - मुझे शक्ति देना कान्हा जी कि मैं , बंधन की असलियत सबके सामने ला सकूं । उसके चेहरे से इस मासूमियत के नकाब को हटाकर दूर फेंक सकूं ।
इधर बंधन भी भोग लगाते हुए खुद से - मुझे आप मिल गये तो सबकुछ मिल गया कान्हा जी ... मुझे अहिल जी की मां की आंखों में अपने लिए भी वो ही प्यार नजर आता हैं जो अहिल जी के लिए हैं । मुझे इतनी ताकत देना की मैं हमेशा , हर परिस्थिति में इस परिवार की ढाल बनकर रहूं ।
सबके मन में अलग अलग सोच चल रही थी अब देखना यह था कि किसकी प्रार्थना पूरी होती हैं ।
कान्हा जी को भोग लगाकर , बंधन पीछे मुड़ी तो अहिल को देखकर एक पल के लिए तो चौंकी फिर सबसे पहले काव्या जी का आशीर्वाद लेकर , उनके हाथ में प्रसाद रख दिया । काव्या जी , उसके सिर पर हाथ रखते हुए - हम्म .... तुम्हें इस दुनिया की सारी खुशियां मिले ....!!
फिर उसने अहिल की तरफ प्रसाद देने के लिए हाथ बढ़ाया तो प्रसाद लेकर अहिल ऊपर चला गया अपने रुम में क्योंकि उसका फोन वापिस बजने लगा था .....!!
फिल्हाल काव्या जी की वजह से बंधन बहुत खुश थी । बंधन हिचकिचाते हुए - मां, यशु अभी तक नहीं उठी तो क्या ?
जिस पर काव्या जी हंसते हुए - तुम ना बहुत प्यार बोलती हैं वैसे यशु , अहिल की बहुत लाडली हैं । ऐसा मान लो की अहिल ने उसे अपनी बेटी की तरह पाला है । अहिल ...!! उसकी आंखों में एक आंसू तक बर्दाश्त नहीं कर सकता । यशु के लिए वह कुछ भी कर सकता है ... और यशु भी अपने भैया पर जान छिड़कती है । उसकी सुबह हमेशा आहिल को देखकर ही होती है तो जब तक अहिल उसे जगाने नहीं जाएगा .... वह नहीं जागेगी ।
जिस पर गर्दन हिलाते हुए बंधन -- अच्छा......!!
तब तक सुमन आंटी की आवाज आई....मैंने टेबल पर नाश्ता लगा दिया मेमसाब.......!!
काव्या जी - बंधन , तुम ना अहिल को जाकर बोलों की यशु को लेकर नीचे आ जाये ... मैं नाश्ते पर इंतजार कर रही हूं ।
जिस पर बंधन गर्दन हिलाते हुए खुशी से ऊपर की तरफ बढ़ गयी क्योंकि उसे , अहिल से थैंक्यू भी बोलना था ।
इधर अहिल अपने लैपटॉप पर बिजी था जब बंधन ने अपने रुम में कदम रखा । वो अपने हाथ मसलते हुए - आप यशु दी को लेकर नीचे आ जाये .... मां ने नाश्ते के लिए बुलाया हैं । सबकुछ एक सांस में कहकर उसने गहरी सांस ली और जाने के लिए मुड़ गयी ।
यह सबकुछ इतना जल्दी हुआ कि अहिल को कुछ समझ ही नहीं आया कि वो लड़की आंधी की तरह आकर तूफान की तरह जा रही थी । । बंधन खुदसे - एक थैंक्यू ही तो बोलना हैं बंधन ....वो भी नहीं बोल सकती तो इनके साथ जिंदगी कैसे गुजारेंगी । उसने आंखें जोर से भींच ली और मुड़कर - वो थैंक्यू .....?
अहिल को उसका थैंक्यू समझ ही नहीं आया कि उसने थैंक्यू क्यों कहां तो वह नासमझी में - थैंक्यू किसलिए ..?
जिस पर बंधन नज़रें झुकाए हुए ही - वह सुमन आंटी के सामने आपने हमारे लिए बोला तो बस थैंक यू....
जिस पर आहिल थोड़े कठोर भावसे - इसमें इतना ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है अगर तुम्हारी जगह कोई और लड़की होती और उस पर भी सवाल उठाते तो मैं उसके लिए भी स्टैंड लेता तो तुम कोई स्पेशल नहीं हो ...??
इतना कह कर आहिल तो रूम से निकलते हुए यशु के रूम की तरफ बढ़ गया लेकिन बंधन की आंखों में पानी छोड़ गया ...!! बंधन एक मजबूत लड़की थी जिसे हालातो ने बहुत मजबूत बना दिया था और उसके लिए रोना बहुत मुश्किल था क्योंकि उसे हमेशा से लगता था कि रोना औरतों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है अगर वह रोना छोड़ देंगी तो वह मजबूत बन जाएगी लेकिन आहिल की बातों ने बंधन के अंदर पनपी उस छोटी सी उम्मीद को कांच की तरह किंरचो में तोड़ दिया ।
बंधन फिकी मुस्कान के साथ खुद से - तुम भी कमाल करती हो बंधन ...... आग से इश्क करके जलने से डर रही हो ..!! खैर हमारे लिए यह रिश्ता हमेशा आग में ही जलता रहेगा । मुझे लगा कि आपने मेरे सम्मान की रक्षा , पति होने के नाते की लेकिन आप तो इंसानियत दिखा गये ।
आपका यह कहना कि " तुम स्पेशल नहीं हो "' अंदर तक घुस रहा हैं , आज तक सबकुछ सुनती रहती थी किसी के तानों पर भी मुस्करा देती और दिखाती कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आता लेकिन आज , आपकी यह साधारण सी बात भी चुभ गयी । सही कहते हैं लोग - जिनकी किस्मत खराब होती हैं वो उम्मीदों का महल नहीं बनाते क्योंकि भगवान के साथ इन्सान भी वक्त वक्त पर , उनकी उम्मीदे तोड़ते रहते हैं । वैसे भी उम्मीद लगा कर पाप मैंने किया क्योंकि इस रिश्ते में कभी भी फर्ज जिम्मेदारी के अलावा और कुछ था ही नहीं ...ना उम्मीद और ना कुछ और.. इसकी सजा तुम्हें मिलनी ही थी बंधन ताकि आगे तुम हकीकत की दुनिया में रहों ।
उसकी आंखों से झर झर झर पानी बह रहा था फिर भी खुद से बड़बड़ा रही थी उसे होश तब आया जब नीचे से काव्या जी की आवाज आई जो उसे नीचे नाश्ते के लिए बुला रही थी उसने मिरर में खुद का चेहरा देखा और आंसू को ढंग से पोंछकर खुद को सही करते हुए अपने दर्द को अपने अंदर समेटकर कर नीचे की तरफ चल दी ।
जारी हैं ............
आगे .........
बंधन सभी को नाश्ता सर्व कर रही थी कि तभी काव्या जी - बंधन , तुम्हारी आंखें इतनी लाल क्यों हो रही हैं ?
उनकी बात पर बंधन एक पलके लिए तो घबरायी फिर सधी सी आवाज में - कुछ नहीं मां बस काजल की वजह से .. आंखें हल्की लाल हो गयी हैं ।
इतना कहकर वह यशु को सर्व करने लगी । यशु खीर देखकर चहकते हुए - थैंक्यू भाभी ! खीर मुझे बहुत पसंद हैं । इतना कहकर उसने खड़े होकर बंधन के गाल चूम लिये ।
बंधन के लिए यह अहसास बड़े ही खुबसूरत थे । इस परिवार में उसे अलग ही अपनापन लगा रहा था जहां हर किसी को उसकी फिक्र थी और वो लोग उसके काम की तारीफ करना भी जानते थे । ऐसी खुशी , उसने आज तक कभी भी फील नहीं की थी तो बंधन के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कराहट आ गयी ।
फिर उसकी नजरें अहिल पर गयी जो एकटक उसे ही देख रहा था या गुस्से से घूर रहा था कहां नहीं जा सकता था लेकिन बंधन की मुस्कराहट फीकी पड़ गयी । वो खुद से मन में - घूर तो ऐसे रहे हैं जैसे कच्चा चबा खायेंगे पर मुझे क्या ? वैसे भी इनको , मुझसे कौन-सा फर्क पड़ता हैं .....!!
इतना सोचकर , वह सिर झटकते हुए अहिल की प्लेट में नाश्ता डालने लगी ।
सभी लोगों को नाश्ता सर्व करने के बाद , बंधन सभी की तरफ बैचेनी से देख रही थी क्योंकि वह जानना चाहती थी कि सबको , उसका बनाया नाश्ता कैसा लगा ?
काव्या जी , जैसे ही पहला निवाला खाने वाली थी उनके हाथ रुक गये - वो बंधन को देखते हुए - बंधन, तुम भी हमारे साथ बैठो .....!!
बंधन हैरानी से - मैं ......प...र ...कैसे ...उसके शब्द अटक रहे थे पर ऐसा क्यों था ? यह बात वहां कोई समझ ही नहीं पाया लेकिन काव्या जी के चेहरे के भाव बदल गये लेकिन शांत मन से - बंधन ...! बहु घर की लक्ष्मी होती हैं और सबसे पहले भोग देवी मां को ही लगाया जाता हैं । तुम अब से हमारे साथ ही बैठकर नाश्ता करोगी । फिर सुमन की तरफ देखकर - तुम नाश्ता सर्व करो ...बंधन को .....!!
बंधन की धड़कनों ने रफ्तार पकड़ ली थी और उसके मन में कुछ तो चल रहा था इसलिए वो अपने एक हाथ को मसलते हुए बैठ गयी ।
सबने एक साथ नाश्ता करना शुरू किया था । काव्या जी ने यशु ने , उसके खाने की बहुत तारीफ की थी और उसे नेग में गिफ्ट्स भी दिये थे लेकिन अहिल ने एक शब्द भी नहीं कहां था । वो सिर झुकाए अपना नाश्ता कर रहा था । बंधन भी धीरे धीरे खाना खा रही थी लेकिन आज उसकी आंखों में ख़ुशी साफ चमक रही थी और डर भी कि अगर कभी अहिल ने इस बेनाम रिश्ते को तोड़ने के बारे में कहां तो वह सब कुछ खो देंगी ।
नाश्ता खत्म होने के बाद यशु ने अपने भाई को चिढ़ाने के लिए - भाई ..!! आपने तारीफ नहीं कि भाभी के बनाये नाश्ते की ....!! उसकी बात पर अहिल ने सबकी तरफ नजरें उठायी तो सभी जिज्ञासा से उसे ही देख रहे थे लेकिन बंधन , वो इधर उधर ही देख रही थी ।
अहिल ने एक पल के लिए सबको देखा और फिर शांत आवाज में - अच्छा था ।
इतना कहकर वह उठते हुए अपने रुम की तरफ चला गया । वह खुद ही जान पा रहा था कि यह दो शब्द कहने में उसने कितनी प्राॅब्लम फेस की थी ।
बंधन की निगाहें एक बार फिर उसकी तरफ उठी लेकिन फिर कुछ पल पहले का वाक्या याद आते ही उसने खूद को डांटा और फिर काव्या जी की तरफ देखते हुए - मां .... कुछ काम बचा हो तो ......!!
वो आगे कुछ कहती तब तक काव्या जी - वो सुमन कर लेगी ...!! तुम हमारे साथ चलों ... तुम्हें बात भी कर लुंगी और यशु के बालों में चंपी भी कर दूंगी ।
.....................
काव्या जी बेड पर बैठी थी और यशु की चंपी करते हुए बंधन से बातें कर रही थी जिनका जवाब ....वो बस हां , ना में ही दे रही थी । उसकी नजरें तो बस यशु और काव्या जी पर टिकी थी ।
तभी यशु - भाभी , आप प्लीज पानी ला देंगी , मुझे प्यास लग रही हैं ।
जिस पर खामोशी से सिर हिलाते हुए बंधन बाहर निकल गयी और जैसे ही वो किचन में गयी तो सुमन आंटी काॅफी बना रही थी ।
बंधन हिचकिचाते हुए - यह काॅफी ........!!
उसकी बात सुनकर , सुमन आंटी - अहिल बाबा के दोस्त नीरज सर आये हैं तो उनके लिए काॅफी बना रही हैं मैं ......!!
उसकी बात सुनकर बंधन फ्रीज से पानी की बोतल निकालकर , सुमन आंटी से - आप मां के रुम में पानी लेकर जाइए , काॅफी मैं बना देती हूं ।
इतना कहकर वो काॅफी बनाने लगी । काॅफी बनने के बाद उसने ट्रे में कप में काॅफी डाली और लेकर अपने रुम की तरफ चल दी लेकिन जब वह अपने रुम के बाहर आयी तो .....उसके कदम ठहर गये और चेहरे पर आंसू की बूंदें फिसल गयी ।
अंदर से आवाज आयी । नीरज - तो क्या भाभी से शादी तूने जबरदस्ती की है ।
अहिल गर्दन ना में हिलाते हुए - नहीं .....पर मुझे उसके बारे में बात ही नहीं करनी । मुझे बस जल्दी ही उसे अपनी जिंदगी से बाहर निकालकर फेंकना हैं वरना वह ... मेरे परिवार को बर्बाद कर देंगी । उसके मासूम से चेहरे के पीछे छिपे घिनौने चेहरे को सिर्फ मैं , जानता हूं ।
नीरज - लेकिन आंटी .... तुम ऐसे ही फैसला नहीं ले सकते हो ....पहले जान लो कि भाभी सच में वैसी ही हैं क्या या फिर वो सही हैं ।
नीरज की बात पर अहिल सिर झटकते हुए - नहीं ..... मैंने खुद उसकी हकीकत देखी हैं ??
बंधन की आंखों से आंसूओं की बाढ़ आ गयी और वह उल्टे पैर ही नीचे लौट आयी । तब तक सुमन आंटी .... काव्या जी के रुम की तरफ से ही आ रही थी ।
बंधन ने वो ट्रे , उसे पकड़ायी और लेकर जाने का कहकर किचन की तरफ चली गयी । वो चाहकर भी अपने आंसू रोक नहीं पा रही थी । इस वक्त , उसे ऐसे इंसान की सख्त जरुरत महसूस हो रही थी .....जिसके साथ अपना दर्द बांट सकें । पता नहीं ऐसा क्या हुआ था ....जो शादी से पहले अहिल का व्यावहार ठीक ठाक था वो बिल्कुल बद्तर होता जा रहा था । इस वक्त ....जो भी वह सुनकर कर आ रही थी ... उसका दिल जोर जोर से रोने का कर रहा था । आज फिर खुशीयां , उसके दर पर आकर वापिस मुंह फेर चुकी थी और उसकी जिंदगी में एक और दर्द जुड़ गया । अपनें अंदर गहरा दर्द समेटे बैठी बंधन को आज फिर एक गहरा दर्द मिल गया था जो उसे किस रास्ते लेकर जायेगा कुछ कहां नहीं जा सकता
जारी हैं .…
हेम रिडर्स दिस इज सिंपल स्टोरी , जो ज्यादा लम्बी नहीं होगी । इसके रोज दो या तीन चैप्टर्स आयेगे तो प्लीज अगर आपको कहानी पसंद आई रही हैं तो कहानी के साथ जुड़े रहिए और कमेंट्स करके .... मुझे कहानी लिखने के लिए मोटिवेट करते रहे और सबसे इम्पोर्टेंट मेरी प्रोफाइल को फाॅलो जरुर करे
आज का दिन इसी तरह निकल गया और दोपहर के बाद बंधन थोड़ी खामोश ही हो गयी थी लेकिन बंधन के चेहरे को देखकर ... किसी के लिए भी यह पता लगा पाना मुश्किल था कि उसके मन में क्या चल रहा हैं .... मुस्कुराहट का मुखौट ओढ़ लेना उसके लिए मुश्किल काम नहीं था । मुस्कुराते हुए कान्हा जी के आगे दिया रख रही थी जब अहिल , अपने दोस्त नीरज के साथ दोपहर का गया अब लौटा था ।
बंधन की नजरें जैसे ही अहिल पर पड़ी तो अहिल ने भी एक पल के लिए उसकी तरफ देखा तो बंधन ने एक फीकी मुस्कान के साथ नजरें फेर ली । अहिल यह देख खुद से - अब इसे क्या हुआ ? पर मुझे क्या ? फिर वह आवाज लगाते हुए - मां .......बाहर आइए .....??
कुछ पल में ही काव्या जी बाहर आयी तो अहिल ने उनकी तरफ एक पाॅलिथिन का पैकेट बढ़ाते हुए - यह यशु के लिए , उसने आईसक्रीम मंगवायी थी ना तो .........!!
जिस पर काव्या जी , उसके हाथ से आईसक्रीम लेते हुए - अच्छा ....!! कितने पैकेट हैं जिस पर अहिल ने कहां - तीन .....!!
उसकी बात सुनकर काव्या जी , यशु को आवाज लगाते हुए पैकेट लेकर सोफे पर ही बैठ गयी और बंधन को भी बुला लिया । सुमन आंटी अभी भी किचन में खटपट कर रही थी । अब हल्की शाम होने लगी थी तो उनको भी अपने घर जाना था ।
यशु तो चहकते हुए आकर सोफे पर बैठ गयी और एक्साइमेंट के जरीए ..... चिल्लाने लगी कि उसे जल्दी ही आईसक्रीम खानी थी ।
काव्या जी ने जैसे ही पाॅलिथिन खोली तो उनके चेहरे के भाव बदल गये और चेहरे पर एक अलग ही गंभीरता और गुस्से ने जगह ले ली ।
वहीं यशु चहकते हुए - - मेरे लिए चाॅकलेट फ्लेवर , मम्मी का वनीला ओर यह दूसरा चाॅकलेट फ़्लैवर ....यह तो सुमन आंटी को पसंद हैं तो .... भाभी का कहां पर हैं !!
उसके मुंह से यह बात निकल तो गयी थी लेकिन बंधन , उसके चेहरे पर मायूसी छा गयी । उसकी आंखें हल्की भर आयीं क्योंकि थोड़ी देर पहले यशु ने ही बताया था कि भैया जब भी आईसक्रीम लाते हैं तो सबके लिए लाते हैं इवन सुमन आंटी के लिए भी .........तो क्या उसकी हैसियत अहिल की जिंदगी में एक नौकर जितनी भी नहीं थी या फिर कुछ भी नहीं थी । जब वह ही उसे पत्नी नहीं मानता तो वह , इस घर में थी ही क्यों ?
लेकिन इस सवाल जवाब , उसके पास नहीं था इधर काव्या जी कि आंखों में गुस्सा उतर आया था लेकिन बंधन , उसकी नजरें एक पल के लिए अहिल की तरफ उठी तो अहिल को उन आंखों में नाराजगी , दर्द , शिकवा , शिकायत सबकुछ एक साथ नजर आया और उसने एक पल में ही नजरे हटा ली । वो नहीं सहन कर पाया उन आंखों का ताप .....!!
इधर बंधन की आवाज में कोई भी भाव नहीं थे जब उसने कहां था - मां , मैंने ही अहिल जी को मना किया था मेरे लिए आईसक्रीम लाने को क्योंकि मेरे गले में सुबह से ही हल्की खरास थी ।
इतना कहकर वह खामोशी से खड़ी रही और फिर बीना कुछ कहे , किचन की तरफ चली गयी ।
आंखें भर आयीं थी लेकिन इसका दोष भी वह , ख़ुदको ही दे रही थी क्योंकि यह रिश्ता सिर्फ उसने चुना था अहिल की साफ इंकार थी ।
क्या हुआ कि वह अपनी मां से उनके रिश्ते के लिए मना नहीं कर पाया ? पर इसमें उसकी खुद की भी तो गलती नहीं थी... उसे तो चुनाव करने का अधिकार ही नहीं था ? तो कैसे बस साफ इनकार कर देती कि वह यह शादी नहीं कर सकती लेकिन अब तो शादी हो चुकी थी तो क्या उसकी जिंदगी अब और भी गहरे दर्द के सागर में डूब चुकी थी । इसका जवाब बंधन के पास नहीं था लेकिन इस वक्त दिल में जो दर्द उठा था उसे कैसे संभालती वह ......... आंखों से निकलता पानी उसने आंखों में ही पी लिया और चेहरे पर एक झूठी मुस्कराहट सजाए किचन में घुस गई ।
किचन में जैसे ही वह घूसी ....सुमन आंटी बोल पड़ी - अरे ओ! बहुरानी ......सारा काम खत्म होने वाला हैं तो हम आज जल्दी जायेंगे ।
जिस पर बंधन फ्रीज से पानी की बोतल निकालते हुए - यह आप मां को बता दिजिए और अहिल जी आईसक्रीम लाये हैं तो आपको मां ने बाहर बुलाया हैं ।
उसकी बात सुनते ही सुमन आंटी , अपनी साड़ी से गीले हाथ पोंछते हुए - अरे ! सच में .... मुझे तो चाकलेट वाली आईसक्रीम बहुत पसंद हैं .....अहिल बाबा कितना भी गुस्सा करें पर मेरे लिए लाना नहीं भूलते .....!! इतना कहते हुए सुमन आंटी तो बाहर चली गयी और बंधन एक एक घूंट पानी गले से उतारने लगीं।
यशु अपनी आईसक्रीम लेकर चहकते हुए अपने रुम में चली गयी और काव्या जी गुस्से से - तुमने यह सही नहीं किया अहिल शर्मा .....काव्या जी , जब बहुत ज्यादा गुस्से में होती थी तब ही अहिल को उसके पूरे नाम से बुलाती थी ।
अहिल की आंखें अफसोस से बंद हो गयी क्योंकि जो कुछ भी ....वह सुबह से देख रहा था , उससे यह ही लग रहा था कि उसकी मां , बंधन से बहुत ही ज्यादा अटैच हो चुकी थी और अभी वह , अपनी मां को हर्ट कर चुका था लेकिन हकीकत भी यह नहीं थी कि वह जानबूझकर बंधन के लिए आईसक्रीम नहीं लाया । जब वह आईसक्रीम ले रहा था तब वह सच में भूल चुका था बंधन के बारे में ......उसे याद ही नहीं रहा कि उसके परिवार में अब एक और सदस्य जुड़ चुका था ।
वह कुछ बोलता तब तक सुमन आंटी दांत दिखाते हुए सामने प्रकट हो गयी तो काव्या जी को अपना गुस्सा शांत करना पड़ा ।
इधर किचन में खड़ी बंधन के सामने एक पुरानी याद आ गयी - पापा , मुझे भी आईसक्रीम खानी हैं .....वो चाॅकलेट वाली ....जो दिदू और भैया खा रहे हैं ।
उसके पापा गुस्से से - हां और तुम बीमार हो जाओ तो फिर तुम्हारी दवाईयों पर फालतू खर्चा करु । बीमार तो उसके भाई बहिन भी हो जाते थे लेकिन मना सिर्फ उसे ही किया जाता और फिर वक्त के साथ उसने कहना ही मना कर दिया । जिस बंधन की आंखें बचपन में आईसक्रीम के लिए ललचाती थी वह आंखें अब आईसक्रीम की तरफ देखना भी पसंद नहीं करती थी । उसने अपनी यह पसंद भी छोड़ दी लेकिन आज अहिल का उसे इस तरह नजरंदाज करना बिल्कुल पसंद नहीं आया । उसे ...आईसक्रीम से और ज्यादा नफ़रत हो गयी क्योंकि अब फिर उसे आईसक्रीम की वजह से अपनी अहमियत पता चली गयी ।
एक आंसू टपक कर नीचे गिर गया और बाहर से आती सुमन आंटी की हंसने की आवाज ने उसे हकीकत में लाकर पटक दिया ।
जारी हैं ........
रिश्ते ऐसे ही होते हैं इनको बहुत संभालकर सहेजना पड़ता हैं । हमारी एक छोटी सी हरकत या फिर एक छोटा शब्द लोगों का दिल छलनी कर जाता हैं और हमें अहसास तक नहीं होता ......फिर चाहें वह रिश्ता कितना भी गहरा हो
आपको क्या लगता हैं यहां गलत कौन था बंधन , अहिल या फिर हालात
आगे ......
शाम को उस इंसीडेंट के बाद काव्या जी , अहिल से नाराज़ थी और अहिल ... उसने अपनी सफाई में कुछ नहीं कहां क्योंकि हकीकत कहने पर काव्या जी और नाराज हो जाती ...सबने डिनर कर लिया था और अब अहिल रुम में ना होकर स्टडी रुम में था । बंधन ने एक हल्का सा सूट पहना और हमेशा की तरह अपनी डायरी लेकर बाल्कनी में रखे सोफे पर बैठ गयी । यह डायरी ही उसके सुख दुःख की साथी थी ...अपना दर्द किसी से ना कहने वाली बंधन सबकुछ अपनी डायरी से कह देती थी क्योंकि उसे विश्वास था कि यहां उसके दर्द और हालातों का मज़ाक़ नहीं उड़ाया जायेगा । उसने अपना वह सुनहरा सा पेन लिया और बाहर के उसे शांत से माहौल को देखते हुए लिखने लगी .....
....खिड़की से आती हवा ने पूछा,
क्यों आंखों में समंदर छुपा रखा है?
मैंने बस मुस्कुरा कर कह दिया,
ये दर्द... सीने पर रखा है।
हर किसी के हिस्से मुस्कराहट थी,
पर मेरे लिए बस खामोशी बची,
जैसे बचपन से ही मेरा हिस्सा,
हमेशा अधूरा ही रखा है।
लोग कहते हैं, छोटी-छोटी बातें मत सोचो,
पर उन्हें क्या पता,
रिश्तों की नींव तो इन्हीं बारीकियों पर टिकी होती है।
आज फिर याद दिला दिया किसी ने,
कि मेरा होना... किसी के लिए ज़रूरी नहीं।
काश! पूछता कोई,
मैंने क्या चाहा था ज़िंदगी से,
काश! किसी ने देखा होता,
इन मुस्कुराहटों के पीछे छुपा हुआ सच।
अब बस इतना ही लिख पाई हूँ,
वरना यह दिल और भी रो देगा,
कल फिर हिम्मत जुटाऊँगी लिखने की,
आज बस... दर्द को सीने पर ही रखूंगी।
इसके साथ ही होंठों को भींचते हुए वह खुदको शांत करने लगी ।
इधर अहिल का भी आज स्टडी रुम में काम में मन नहीं लग रहा था । वह जब भी लैपटॉप स्क्रीन पर नजरें गड़ाता तो उसकी आंखों के सामने बंधन की आंखें आ जाती जिनमें दर्द , शिकवा , शिकायत सबकुछ थी जिनसे वह नजरें फेर चुका था ।
उसने बैचेनी से अपनी मुट्ठी भींची और खड़े होकर , स्टडी रुम की खिड़की खोल दी जो लगभग बंद ही रहती थी । वह , खिड़की से टेक लगायें बाहर देखते हुए सोचने लगा - आज अनजाने में गलती हो गयी मुझसे महादेव ! मैंने किसी की अहमियत को अपनी नजरों में कम बना दिया ।
अहिल को बंधन पहली नजर में भा गयी थी लेकिन अब वह उसकी नजरों में एक झूठी और मक्कार के अलावा कुछ भी नहीं थी । पता नहीं ऐसा क्या हुआ जो उसे बंधन से नफ़रत हो गयी पर अब उसे दुःख हो रहा था । बंधन की नजरों की वह तकलीफ उसे सीने पर खंजर की तरह चुभ रही थी ।ऐसा लग रहा था कि आज उससे अनजाने में हुई गलती किसी को बहुत बुरे तरीके से तोड़ चुकी थी । वह समझ ही नहीं पा रहा था कि यह बंधन सच हैं जो उसे अभी दिख रही थी - एकदम साफ , मासूम और सबसे प्यार करने वाली या फिर वह जिसे सिर्फ पैसों से प्यार था ... लेकिन जो उसने आंखों से देखा और कानों से सुना ... उसे कैसे झूठला दे ।
वो आगे कुछ और सोचता तब तक काव्या जी स्टडी रुम का दरवाजा खोलते हुए अंदर आ गयी । गेट खुलने की आहट से अहिल की नजरें जैसे ही गेट की तरफ मुड़ी तो वहां काव्या जी को देखकर वह चौंक सा गया और उनके पास आते हुए - माॅम , आपको इस वक्त आराम करना चाहिए था और आप यहां क्या कर रही हैं ।
काव्या जी बीना किसी भाव के अहिल की आंखों में देखते हुए - तो क्या हमें अपने बेटे से बात करने के लिए भी परमिशन चाहिए होगी ।
जिस पर अहिल हड़बड़ाते हुए - नो माॅम , आप बोलिए क्या बोलना था ।
इतना कहकर वह काव्या जी को सोफे पर बैठाकर खुद सामने रखी चेयर पर बैठ गया । वैसे तो वह जानता था कि काव्या जी उससे क्या बात करने आयी थी लेकिन वो फिर भी सुनना चाहता था ।
काव्या जी - मुझे सिर्फ सच सुनना हैं........ मेरा बेटा कभी किसी के साथ इतना गलत तो नहीं कर सकता है और जब वह उसकी पत्नी है तो बिल्कुल भी नहीं ....!!
इस वक्त उनकी आंखों में कोई भाव नहीं थे और वह सिर्फ आहिल पर टिकी इस जवाब के इंतजार में कि उनका बेटा उनके विश्वास को गलत साबित नहीं होने देगा ।
उनकी बात सुनकर आहिल की आंखें शर्म से झुक गई वो बिल्कुल शांत आवाज में - आई एम सॉरी माॅम .....!! उस वक्त मैं किसी से कॉल पर बात कर रहा था और मुझे पता ही नहीं चला कि मैं बंधन के बारे में भूल चुका हूं और आइसक्रीम वाले को सिर्फ तीन आइसक्रीम पैक करने के लिए कहां था । मुझे लास्ट तक भी इस बात का एहसास नहीं हुआ।
काव्य जी गहरी आवाज में- इस वक्त मुझे तुम पर गुस्सा होना चाहिए तुम जानते भी हो कि तुम्हारी एक छोटी सी गलती से बंधन के दिल को कितनी ठेस पहुंची होगी । तुम्हारी एक हरकत की वजह से उसकी खुद की नजरों में तुम्हारी जिंदगी में खुद की हैसियत एक नौकर से भी कम लगी होगी और हमें यह उसकी आंखों में साफ दिखा था ।
तुम जल्दबाजी में उसे भूल चुके थे लेकिन उसका तुम्हारी जिंदगी में होना इतना नामायने है कि तुम्हें, वह याद तक ना रही । जो लड़की अपना सबकुछ छोड़कर ....तुम्हारी जिंदगी में सिर्फ तुम्हारे भरोसे आयी ....जिसने तुमसे जुड़ा हर रिश्ता प्यार और अपनेपन के साथ अपनाया ...... तुम्हें वह तक याद ना रही । उसकी हर जरुरत और हर ख्वाहिश सिर्फ तुमसे जुड़ी हैं अहिल और इस तरह तुम उसके भरोसे पर खरे उतरोगे ?
रिश्ते बहुत कमजोर होते हैं । एक औरत को सबकुछ बर्दाश्त होता हैं ...वह हर परिस्थिति में खुशी के साथ जी लेती हैं अगर उसके साथ उसके पति का साथ और भरोसा होता हैं । अगर उसी औरत की कद्र उसका पति ही ना करें तो हर शख्स ... उसे जूते की नोंक पर रखता हैं और अगर वह औरत खुद साहसी ना हो तो .... उसकी तो पूरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी । हमने बंधन को बहुत करीब से जाना है अहिल ... कुछ ऐसा मत कर देना कि हमने तुम्हारे लिए जो हिरा चुना वो कांच की तरह किरचों में बिखर जाये । हमें तुम्हारी आंखों में साफ दिखता हैं कि तुम , उसे अपनी पत्नी नहीं मानना चाहते लेकिन हमनें, तुम्हारे साथ जबरदस्ती तो नहीं की थी । इससे ज्यादा मैं कुछ और नहीं कहना चाहती हूं .....आई होप तुम समझ गये होंगे और मुझे पूरा विश्वास हैं कि मेरा बेटा कभी मेरी परवरिश पर सवाल नहीं उठने देगा । अब आगे क्या करना हैं वो तुम सोचो क्योंकि माफी मांगने से ज्यादा जरुरी यह होता हैं कि तुम खुदकी गलती सुधारों.....
इतना कहकर काव्या जी तो चली गयी ई लेकिन एक बार फिर अहिल को गहरी सोच में डाल गयी थी । उसका दिल कह रहा था कि अगर उसकी खुदकी माॅम को बंधन के साफदिल पर इतना भरोसा था तो वह सच में एक नेकदिल लड़की थी लेकिन दिमाग पिछली कुछ बातों में उलझा था ....वो लड़की उसके परिवार को बर्बाद कर देंगी । किस पर भरोसा करें समझ नहीं पा रहा था और फिर उसने एक फैसला लिया ...जो आगे जाकर सबकुछ बदल कर रख देने वाला था ।
जारी हैं .......
बंधन को जो लग रहा था वो उसकी नजर में ठीक था लेकिन अहिल की नजरों से तो मामला कुछ अलग ही था । उनका रिश्ता इतना भी ठीक नहीं था कि वो इन गलतफहमियों को आपसी बातचीत से सुलझाते और ना ही इतना ठीक की वो एक दूसरे पर भरोसा करते .......
बंधन एक समझौता ....एक साधारण सी कहानी हैं जहां कोई बहुत बड़े विलन नहीं हैं बस वो दोनों और उनकी सोच ही ......उनके रिश्ते का सबसे बड़ी विलन बन जायेगी । यह कहानी आपको बस यह बताने के लिए हैं कि कुछ रिश्ते हमारी जिंदगी में बहुत मायने रखते हैं और यह अहसास उन रिश्तों को गंवाने के बाद होता हैं पर उसके बाद भी हमारा इगो बिच में आ जाता हैं । गलतफहमी हर रिश्ते को दिमक की तरह खोखला कर देती हैं और उस वक्त सबसे जरुरी होता हैं विश्वास ..... ।। लेकिन विश्वास भी कुछ शर्तों पर होना चाहिए ... अगर अपना आत्मसम्मान खोना पड़े या फिर सफाई देनी पडे तो उस रिश्ते को छोड़ना बेहतर होता हैं
तो आपको क्या लगता हैं कि अहिल का फैसला क्या होगा और आगे बंधन की जिंदगी कैसी होने वाली थी
आगे .........
अहिल अपने मन में फैसला लेते हुए अपने रुम की तरफ चला गया । उसने सोच लिया था कि वह बंधन से अपनी ग़लती के लिए माफी मांग लेगा और कोशिश करेगा वो उसे समझने की। वो अब कोई भी फैसला सोच समझकर लेगा । हो सकता हैं कि उसने जो सुना वो ग़लत हो ......उसे अपने कमरे की तरफ बढ़ते हुए बैचेनी भी हो रही थी और साथ ही घबराहट भी ..... क्या बंधन ! उसे माफ करेगी ......यही सोचते हुए वह जैसे ही कमरे में गया तो वहां कोई नहीं था तभी उसकी नज़र बाल्कनी के खुले गेट पर गयी । कुछ सोचकर वह उस तरफ बढ़ गया ।
बाल्कनी में रखी टेबल पर डायरी के पन्ने हवा से फड़फड़ा रहे थे और बंधन खुद को सिकोड़े , उस छोटे से सोफे पर सो रही थी । उसके बाल चारों तरफ बिखरे थे और पैरों को हाथों में समेट रखा था । वह हल्की आहट के साथ , उसके सामने जाकर खड़ा हो गया - जैसे ही उसने अपनी नजरें , उसके चेहरे पर जमायी .... उसकी आंखें फटी ही रह गयी । बंधन के चेहरे पर सुखे हुए आंसुओं के निशान साफ दिख रहे थे .....जैसे वह रोयी हो ।
अहिल की आंखें अफसोस से बंद हो गयी ..... उसने जैसे ही डायरी उठाने के लिए हाथआगे बढ़ाया तो गलती से टेबल पर रखा वास नीचे गिरकर टूट गया और उसकी आवाज से बंधन एक झटके में उठ गयी । उसने जैसे ही अहिल को अपनी तरफ झूके देखा तो ..... उसकी आंखें घबराहट से फ़ैल गयी और वो थोड़ा और सिकुड़ कर बैठ गयी ।
अहिल ने उसकी नजरों में डर के भाव पढ़ लिये थे तो वो एकदम बोल पड़ा - मैं .....वो ...... बस... तुम्हारी डायरी .... उसके शब्द लड़खड़ा रहे थे कि अगर बंधन ने उसे गलत समझ लिया तो .... एक तरफ वह बंधन को अपनी जिंदगी का हिस्सा नहीं मानना चाहता था और दूसरी तरफ उसके दिल में डर भी था कि अगर बंधन ने उसे गलत समझ लिया तो ...मतलब उसे बंधन से फर्क तो पड़ता था ... उसे फर्क पड़ता था कि वह बंधन की नजरों में गलत बन गया तो ... लेकिन इसका अहसास उसे नहीं था ।
बंधन की नजरें जैसे ही अपनी डायरी पर गयी , जिसके पन्ने अभी भी हवा से फड़फड़ा रहे थे .... उसकी आंखें हल्के डर भरे भाव से फ़ैल गयी । उसने फटाफट से डायरी लेकर अपने सिने में समेट ली और खड़े होकर - जी .......!!
तब तक अहिल खड़ा हो चुका था । उसको समझ ही नहीं आया कि वो बंधन के जी का क्या जवाब दे ..?
उसकी नजरें बंधन की हिरणी जैसी गहरी काली आंखों पर टिकी थी जो डर से बार बार फड़फड़ा रही थी ।
उसने दूपट्टे को चारों तरफ समेट रखा था ....जब बहुत देर तक भी अहिल ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसकी नजरों की तपिश से बैचेनी होकर , बंधन अंदर की तरफ जाने के लिए मुड़ गयी ।
तभी उसके अंदर की तरफ जाने से अहिल को होश आया और उसके मुंह से निकले शब्दों से बंधन के पैर वही के वही जम गये - मेरे मना करने के बाद भी आपने इस शादी से इंकार क्यों नहीं किया ? ऐसी क्या वजह थी कि आपने इस शादी के लिए हांमी भर दी ?
बंधन की आंखें हैरानी से फ़ैल गयी लेकिन उससे ज्यादा सवाल थे जब शादी से पहले कभी भी अहिल ने यह सवाल नहीं पूछा था तो अब , उसे यह सवाल पूछने की वजह समझ नहीं आयी थी ।
बंधन की आंखों में सवाल थे और यह समझकर अहिल ने अपनी गर्दन पर हाथ फेरा और फिर - बस मन में सवाल आया तो पूछ लिया ?
आज तक बंधन ने किसी पर अपना गुस्सा नहीं निकाला था ... अगर उसे गुस्सा भी आता तो , उसके बर्ताव में झलकता भी नहीं था क्योंकि उसका , अपने गुस्से पर अच्छा खासा कंट्रोल था लेकिन सुबह से ही अहिल के बुरे बर्ताव को झेल रही बंधन की आवाज में तल्खी आ ही गयी और जिसने आज तक कभी किसी पर गुस्सा नहीं उतरा था ... उसका गुस्सा अहिल पर फूट पड़ा - आपको बड़ी जल्दी , यह सवाल याद आया ? वैसे भी हर किसी को चुनाव का अधिकार नहीं होता .....!!
इतना कहकर , वह बीना रुके ही मुड़कर अंदर चली गयी और डायरी को संभालकर रखते हुए बेड पर एक साइड लेट गयी । अहिल तो भौंचक्का सा देखता ही रह गया । उसकी सोच बंधन को लेकर कैसी भी हो लेकिन आज तक कभी भी उसने बंधन को किसी से इस तरह बात करते हुए तो नहीं देखा था । फिर उसका यह गुस्सा ... उसके लिए था ।
उसने सिर झटकते हुए अपने सीने के बायीं और हाथ रखा तो बंधन की उन घूरती आंखों से डरकर , उसका दिल तेजी से धड़क रहा था । वो वहीं सोफे पर बैठ गया और कांच के उस दरवाजे से उस पार सोयी हुयी ... बंधन को देखने लगा , जिसकी पीठ उसकी तरफ ही थी । इन सब में वह , यह बात भी भूल गया कि उसे बंधन से माफी मांगनी थी ।
वह खुद से - मैं सच में नहीं समझ पा रहा कि तुम क्या हो बंधन ? दिल कहता हैं कि तुम पर विश्वास करुं लेकिन दिमाग कहता हैं कि उन बातों को कैसे झूठला दूं । तुम्हारा कौनसा रुप सच्चा हैं समझ ही नहीं आ रहा हैं लेकिन इस बार कोई भी फैसला , मैं सोच समझकर लेना चाहता हूं ।
इधर बंधन की आंखें पनीली थी और शरीर डर से हल्का कांप रहा था । उसके मन में तो अलग ही उधेड़बुन चल रही थी - उसने तो आज तक किसी पर गुस्सा नहीं किया था तो उसने अहिल जी से इतनी तेज आवाज में बात कैसे कर ली ? अगर अहिल जी ने भी उसको मारा तो जैसे उनके पास रहने वाले भैया , अपनी पत्नी को मारते थे । यह सोचते ही ... उसका दिल दहल गया । पूरा चेहरा डर और घबराहट से कांप सा गया । उसने खुद को और ज्यादा सिकोड़ लिया था । उसने खुद देखें थे ... उन भाभी की पीठ पर बेल्ट के घांव .... कितना दर्द होता होगा उनको ... क्या अहिल जी ने ऐसा बर्ताव किया तो वह सहन कर पायेगी ... बिल्कुल भी नहीं पर ... वह किससे मदद लेगी - काव्या जी लेकिन वो अपने बेटे के होते हुए , उसका साथ कैसे देंगी । बंधन इस वक्त पागल सी हो गयी थी । उसके सोचने समझने की शक्ति बिल्कुल क्षीण हो चुकी थी ।
........
जारी हैं ....
क्या माफी मांग पायेगा अहिल , बंधन से ....?? और अगर बंधन के दिल का डर सच साबित हो गया तो क्या जी पायेगी वह .....जानने के लिए पढ़ते रहिए और अपने प्यारे प्यारे कमेंट्स से मेरा दिल खुश करते जाइए
आज भी इस समाज में मर्दों का अपनी पत्नीयों पर बस अपने इगो सेटिस्फेक्शन के लिए हाथ उठाना आम बात हैं और ऐसा में अपने आस पास रोज देखती हूं । वैसे मुझे लगता हैं कि एक थप्पड़ का दर्द इंसान भूल जाता हैं लेकिन एक ग़लत शब्द का दर्द कभी नहीं भूल पाता ... अपनी जिंदगी के आखिरी वक्त तक भी वह सूल की तरह सीने में चुभता ही हैं ।
आगे........
अहिल बहुत टाइम तक सोचता रहा लेकिन उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था । रात के लगभग बारह बज चुके थे और उसका दिमाग बिल्कुल थक चुका था । उसने गहरी सांस ली और अंदर की तरफ बढ़ गया । उसे बेड पर , बंधन के साइड में अपना कंबल दिखा तो वह उसे उठाने के लिए उसकी तरफ बढ़ गया । अखिल अपनी ही सोच में गुम होकर कंबल उठा रहा था जब उसे बंधन के हल्के कांपने का एहसास हुआ साथ ही उसकी बड़बड़हट भी - मुझे मत मारो प्लीज बहुत दर्द हो रहा है आगे से कभी भी ऊंची आवाज में बात नहीं करूंगी । प्लीज.....!! अब और सहा नहीं जा रहा ...!! अहिल का पूरा बदन जम सा गया और आंखें गुस्से और दर्द से लाल हो गयी ।
बेड पर पड़ी बंधन झटपटा रही थी । उसकी तेज होती सांसों और चिल्लानें का शोर , उस बंद कमरे में अहिल को साफ सुनाई दे रहा था । उसने फटाफट से बंधन को हिलाने के लिए हाथ बढ़ाए लेकिन फिर रुक गया कि अगर इन सब से बंधन जाग गयी तो फिर उसे ही ग़लत समझेंगी । वो वहीं बगल में बंधन के करीब बैठ गया और धीरे धीरे उसके सिर को सहलाने लगा । उसकी नजरे तो बंधन के उस मासूम से चेहरे पर टिकी थी जहां इस वक्त डर, भय , आंतक , घबराहट , उदासी के सिवा कुछ नहीं था । उसने अपने हाथ से उसके बालों को किनारे किया और फिर हल्के हाथ से उसके सिर को सहलाता रहा ...लगभग आधे घंटे बाद बंधन के चेहरे पर एक शांत और सुकून भरी लकीरें ठहर गयी और वह फिर गहरी नींद में गोते खाने लगी लेकिन अहिल की नींद अब उड़ चुकी थी ।
उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि इस एक दिन में उसके साथ क्या क्या हो गया ? जिस बंधन को वो चैन से जीने नहीं देना चाहता था वो बंधन तो खुद बैचेन थी । जिस लड़की के नसीब में चैन से सोना नहीं लिखा था .... उसे तो बर्बाद करने के लिए कुछ करने की जरुरत ही नहीं थी वो तो खुद पहले से बर्बाद थी लेकिन वो यह सोचकर पागल हुए जा रहा था कि बंधन के इस तरह के बर्ताव का मतलब क्या हो सकता था । क्या उस पर हाथ उठाया जाता था ?
उसके दिमाग में अभी भी कुछ देर पहले के शब्द गुंज रहे थे - मुझे मत मारो....... प्लीज अब दर्द हो रहा हैं .........!!
क्या सच हो सकता हैं इन शब्दों का ..... क्या बंधन एक गहरे ट्रामा से गुजर रही हैं । अगर यह सच हैं तो कभी , उसके बर्ताव में यह सब क्यों नहीं दिखा ...... उसे डाॅक्टर से बात करनी होगी । बार बार उसकी नजरें बंधन पर ही जा रही थी जो इस वक्त काफी डरी हुई थी । उसने रुमाल से उसके सिर पर चमकती पसीने की बूंदों को साफ किया और फिर उसको एकटक देखते देख - पता हैं .....शादी से डर लगता था मुझे बंधन पर तुम्हें देखते ही चेहरे पर एक मुस्कराहट आयी थी जैसे अब तुम ही मेरी दुनिया बन चुकी हो । अगर तुमने वह सब नहीं किया होता तो आज हम एक खुशहाल जिंदगी जीते ..... मैं नहीं जानता कि उस वक्त तुम गलत थी या फिर सही ..... पर जब भी तुम्हारी तरफ कदम बढ़ते हैं तो वो सबकुछ ही याद आता हैं ...? माॅम , तुमसे बहुत ज्यादा अटैच हो चुकी हैं और अगर तुम्हारा वो रुप असली हुआ तो .....मैं कभी नहीं चाहूंगा कि तुम मेरे परिवार को बर्बाद कर दो । फिर अफसोस भरे स्वर में - पर मैं अपने दिल का क्या करुं जो इस वक्त , तुम्हें दर्द में छटपटाते नहीं देख पा रहा हैं । बहुत दर्द हो रहा हैं सीने में लेकिन यह दर्द तो अब मेरी किस्मत बन चुका हैं क्योंकि दिल भी एक बेदिल सनम से लगा हैं ।
इधर बंधन सो तो गयी थी लेकिन सोते वक्त , उसके दिमाग में जो चल रहा था वो ही सपने में आकर उसे डराने लगा था .....एक काली सी खुंखार सी दिखने वाली परछाई ...लगातार उस पर बेल्ट बरसाये जा रही थी और मासूम बंधन पैर सिकोड़ कर बैठी बस रो रही थी और नहीं मारने के लिए कह रही थी । वो दर्द से इस तरह छटपटा रही थी जैसे शरीर से जान पूरी तरह निकलने को तैयार थी पर फिर अचानक ही उसे लगा कि किसी के प्रेम भरे स्पर्श ने उसके सिर कोसहलाया हो और धीरे धीरे उसके चेहरे पर एक अलग ही सुकून पसरता गया ।
अहिल ने जैसे ही बंधन के चेहरे पर सुकून देखा तो वो उठने के लिए खड़ा होने लगा । अहिल उठने ही वाला था कि अचानक बंधन ने करवट बदलते हुए उसकी शर्ट कसकर पकड़ ली और उसके करीब खिंच आई। अहिल के कदम वहीं थम गए। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, जैसे किसी ने सीने पर पत्थर रख दिया हो। बंधन के गर्म सांसों की तपिश उसकी गर्दन को छू रही थी और उसका नन्हा-सा बदन जैसे किसी बच्चे की तरह डर के मारे सहारा ढूंढ रहा था।
अहिल की सांसें उलझने लगीं, उसने धीरे से बंधन की उंगलियाँ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन बंधन नींद में ही बुदबुदाई – “मत छोड़ो… प्लीज़…” और और कसकर लिपट गई। अहिल का पूरा बदन एक पल के लिए सुन्न हो गया।
धीरे-धीरे बंधन की सांसें सामान्य होने लगीं। उसके चेहरे पर जो आतंक का साया था, वो अब हल्का पड़ चुका था। उसके होंठों पर बहुत महीन-सी शांति उतर आई थी।
अहिल ने उसकी ओर झुककर फुसफुसाया—
"काश... तुम जान पाती कि तुम्हारे इस डर ने मेरे भीतर कितनी लड़ाइयाँ छेड़ दी हैं।" उसकी पलकों पर नींद का नामोनिशान नहीं था। वो बस बंधन के पास बैठा, उसके सुकून की रखवाली करता रहा। कमरे की घड़ी ने एक बजा दिया था, रात गहरी थी... मगर अहिल की बेचैनी उससे भी गहरी।
सुबह का सूरज चारों तरफ अपना उजाला फैला रहा था लेकिन शर्मा निवास में आज एक अजीब सी शांति पसरी थी । बंधन जब उठी तो आज भी वो रुम में अकेली ही थी । उसे रात की बात याद आयी कि किस तरह उसने तल्खी के साथ अहिल से बात करी थी पर फिर चेहरे पर निराशा पसर गयी कि कल रात भी अहिल इस कमरे में नहीं। रहा क्योंकि वो खुद जो थी इस कमरे में .......!! उसने एक गहरी सांस ली और फ्रेश होने के लिए चली गयी। इन सब में उसने ध्यान ही नहीं दिया कि सुबह के सात बजने वाले थे ......!!
जारी हैं .........
अगला एपिसोड रात तक आ जायेगा
वैसे भी अगले एपिसोड में धमाका नम्बर वन होने वाला हैं .....किसी ऐसे की एंट्री , जो बंधन के नाक में दम करके रख देगा
आगे ................
अहिल की हालत बहुत खराब हो चुकी थी । सारी रात एक ही पाॅजिशन में बैठे रहने की वजह से , उसकी पूरी बाॅडी अकड़ गयी थी । अभी भी वह हाॅल में बैठा दर्द से कराह रहा था । काव्या जी के साथ यशु की नजरें भी उसके चेहरे पर जमी थी । वहीं बगल में डस्टिंग कर रही , सुमन आंटी ..... अहिल की हालत पर दबे मुंह हंस रही थी ।
वो हंसते हुए - अहिल बाबा .... बहुरानी ने आपको सारी रात ... क्या कुर्सी पर बैठाके रखा था जो सारा शरीर ही अकड़ रहा हैं ...?
उनकी बात सुनकर अहिल की मुट्ठियां कस गयी लेकिन काव्या जी की नजरें सिर्फ़ अहिल की लाल आंखों पर टिकी थी । उन्होंने शांत आवाज में - रात भर सोये क्यों नहीं ...?
अब अहिल कैसे बताता कि उनकी बहूं ने सारी रात , उसे सोने ही नहीं दिया - कुछ नहीं माॅम , बस आॅफिस का कुछ जरुरी काम था ।
इतना कहकर , वह हाथ सीधे करने लगा ..... इधर बंधन ने जैसे तैसे तैयार होकर हाॅल में कदम रखा तो सबको वहीं देखकर , वह काव्या जी के सामने आकर गर्दन झुकाए - साॅरी मां ....वो थोड़ा लेट हो गया लेकिन आगे से ध्यान रखेंगे ।
जिस पर काव्या जी मुस्कराकर - कोई बात नहीं बेटा ! वैसे भी कोई इतना जरुरी काम नहीं था ।
इसके बाद बंधन ने मंदिर में दिया जलाया और आरती बोलकर भोग लगाने के बाद सभी को प्रसाद देकर किचन की तरफ चली गयी क्योंकि उसे सबके लिए चाय बनानी थी ।
इधर काव्या जी किसी से फोन पर बात कर रही थी - जी समधन जी , मैं भेज दूंगी । अरे क्यों नहीं ...!! आप टेंशन मत लिजिए अहिल भी आ जायेगा ।
इधर काॅल कट करने के बाद काव्या जी , बंधन को आवाज लगाते हुए - बंधन ..........!!
उनकी आवाज सुनते ही किचन में चाय बनाती बंधन , गैस का फ्लैम कम करते हुए बाहर की तरफ भागी ।
बंधन जैसे ही काव्या जी के सामने आयी तो काव्या जी - समधन जी का काॅल आया था । पगफेरे की रस्म के लिए तुमको अपने मायके जाना हैं तो तुम अपना बैग पैक कर लो फिर अहिल के साथ चले जाना .... काव्या जी , बंधन को अहिल के साथ भेजना चाहती थी और इसके पीछे क्या कारण था ...ये सिर्फ वो ही जानती थी । वो नहीं चाहती थी कि उस घर में बंधन अकेले जाये ........!!
इधर अपने मायके जाने की बात से ही बंधन के चेहरे के भाव बदल गये ....उसकी मुट्ठियां हल्की कस गयी । उसने सिर झटकते हुए - जी ही कहना चाहा था तब तक अहिल उठते हुए - नाॅ माॅम .... मुझे इम्पोर्टेंट काम हैं तो मैं नहीं जा पाऊंगा ।
काव्या जी उठते हुए गुस्से से - अहिल .......!!
अहिल - माॅम , मुझे सच में इम्पोर्टेंट काम हैं । अभी के अभी मीटिंग में जाना हैं । आई प्राॅमिस .... मैं खुद लेने जाउंगा बंधन को ।
काव्या जी गुस्से से कुछ और कहती तब तक बंधन बीच में ही ...... नहीं मां ...!! हम कैब से चले जायेंगे और फिर अहिल जी को जरुर कोई इम्पोर्टेंट काम होगा फिर मैं पहली बार जा रही हूं लेकिन उस घर का हिस्सा तो हूं ना ....!!
अहिल की नजरें बंधन पर टिकी थी फिर उसने सिर झटकते हुए कहां - जी माॅम ..... !! इतना कहकर उसने यशु को एक नजर देख - यशु , अपनी भाभी के लिए कैब बुक कर देना ...!!
बंधन को बुरा लगा था कि अहिल ने एक बार भी नहीं कहां कि वो उसे छोड़ देगा लेकिन वो कुछ बोल भी नहीं पायी और काव्या जी की तरफ देखकर - मैं बैग पैक कर लेती हूं मां .....!!
इतना कहकर वह ऊपर की तरफ चली गयी - मैं कभी उस घर में कदम नहीं रखना चाहती हूं । यह आखिरी बार होगा जब मैं वहां कदम रखूंगी । आज सबकुछ एक झटके में खत्म करना होगा वरना हर चीज जिंदगी भर तकलीफ देती रहेगी । जिस घर में तकलीफ के सिवा कुछ नहीं मिला .. जिंदगी आज फिर वहीं ले जा रही हैं ।
उसने कुछ ज्यादा सामान नहीं रखा था बस एक जोड़ी कपड़े एक हैंडबैग जैसे पर्स में रखें और खुदको ठीक करके नीचे आ गयी साथ में ही वो अपनी डायरी रखना नहीं भूली थी ।
इधर काव्या जी काफी परेशान थी वो उस घर में बंधन को अकेले नहीं भेजना चाहती थी इसलिए अहिल को साथ भेजना चाहती थी पर अहिल ने तो जाने से इंकार कर दिया और यशु , उसका खुदका काॅलेज था ।
जैसे ही बंधन नीचे आयी । काव्या जी , उसे नजर का टीका लगाते हुए - नजर ना लगे हमारे बच्चे को किसी की ........!!
बंधन की आंखें उनके ममता भरे भाव से ही नम पड़ गयी क्योंकि उसने ऐसा प्यार , अपनापन कभी महसूस ही नहीं किया था ।
वो एकदम से काव्या जी के गले लग गयी और मुस्कराने की कोशिश करते हुए - मैं पहली ऐसी बहूं होगा मां जो ससूराल से मायके जाने पर रो रही हैं । मैं बहुत खुशनसीब हूं जो मुझे आप मां के रुप में मिली ।
फिर वह यशु के सामने आकर , उसके गाल खिंचते हुए - माई स्वीट यशु , मैं चाहती हूं कि हम दोनों ननद भाभी की जगह दोस्त बनकर रहे इसलिए यह तुम्हारे लिए ...!! इतना कहकर एक बड़ा चाॅकलेट का रैपर , उसने यशु को पकड़ा दिया ।
बंधन , यशु के साथ एक अच्छा बाॅन्ड बनाना चाहती थी इसलिए शादी से पहले , उसने यशु के लिए उसके फेवरेट चाॅकलेट्स खरीदें थे लेकिन कल से चल रही परेशानी यो के चलते थे वो उसे दे ही नहीं पायी ।
पूरा डिब्बा आकर देंगे ..... इतना कहते ही यशु ने खुशी से बंधन के गाल चूम लिये और फिर उसके गले लगकर - आप दुनिया की सबसे स्वीट भाभी हो ...!!
और तुम नन्द....!!
तब तक यशु की बुक की हुई कैब आ गयी थी । जिसमें काव्या जी ने सुमन आंटी के हाथों कुछ गिफ्ट्स रखवा दिये और बंधन ने नम होती आंखों के साथ विदा ली । चाहे अहिल का बर्ताव ठीक ना हो पर इस घर में उसे प्यार और सम्मान भरपुर मिला था । इन दो दिनों में बंधन ने जाना था कि असल में परिवार होता कैसा हैं ? अहिल का बर्ताव भले ही बुरा था लेकिन उसने , बंधन के साथ कोई बद्तमीजी नहीं की थी ।
इधर बंधन के निकलते ही काव्या जी के पास किसी का काॅल आया । काॅलर आईडी पर शो होते नाम को देखकर ही काव्या जी के। चेहरे पर मुस्कान छा गयी ....वो फोन उठाकर खुशी से - पाय लागु बुआ दादी .... आप तो मुझे भूल ही गयी हैं ....!!
उधर से उम्रदराज आवाज आयी - अरे ! अब तने कइसे भूल सकूं हूं । वो तो तने ही म्हारी याद ना आवे री ...!!
काव्या जी - ऐसा नहीं हैं बुआ दादी ... अब एक आप ही तो हैं जिन्हें मैं अपना कह सकती हूं । वैसे भी मैं आपसे नाराज़ हूं .... आप अहिल की शादी में जो ना आयी ....!!
जिस पर बुआ दादी - अरे तो म्हारे को ताव हुआ था ना .... पर तू चिंता मत कर ... म ...थारे वास्ते पूरे तीन महिने खातिर आ रही हैं । तू बस म्हारे पोते को मने लेणे भेज देना स्टेशन पर....!! अब बाकी बात तन बरजेश बता देगा .... ट्रेन चलण वाली स ......!!
इतना कहकर उन्होंने काॅल कट कर दिया । काव्या जी के तोते उड़ गये । अगर गलती से भी बंधन , बुआ दादी को पसंद नहीं आयी तो ....इन तीन महिनों में बंधन कैसे सब कुछ संभाल पायेगी ? उनके शरीर में एक अलग ही सिहरन सी दौड़ गयी और वो सिर पकड़कर बैठ गयी क्योंकि बुआ दादी नाम के आतंक के दिल में जगह बनाने में उन्होंने अपनी पूरी जवानी गुजारी थी लेकिन बंधन .........!!
.......
अहिल ने जैसे ही घर की दहलीज पर कदम रखा तो बंधन के मुंह से निकले शब्दों ने उसे झंझोड़ कर रख दिया - पैसों के लिए मैं कुछ भी कर सकतीं हूं ...... कुछ भी मतलब कुछ भी .......!! सामने का नजारा उसके लिए चौंका देने वाला था ।
जारी हैं .......
आपको क्या लगता हैं कि आगे क्या होगा ? क्या बंधन सच में पैसों के लिए कुछ भी कर सकती हैं ......?
एक बात ....कभी भी बीना दोनों पक्ष जाने फैसला नहीं लेना चाहिए । बीना सामने वाले की पूरी बात सुने लिए गये फैसले अक्सर गलत ही साबित होते हैं । लोग कहते ही कि आंखें हमेशा सच बोलती हैं लेकिन वो ही आंखें गहरे राज भी दफन कर लेती हैं ।
आंखों की भाषा पढ़ना किसे आया हैं जनाब .....
यहां लोग हकीकत से मुंह फेर लेते हैं ......
तकदीर में हो तो मंजिल भी मिल जाती हैं
वरना मुकद्दर से मौत कौन छीन पाया हैं .....
बंधन को मिलेंगी , उसकी मंजिल या फिर टूटेगा दुखों का पहाड़ .......!! जानने के लिए पढ़िये - बंधन एक समझौता
आगे ..........
कैब की खिड़की खुली थी जिसमें से हवा कम और शोर ज्यादा आ रहा था लेकिन बंधन के दिल में मचे शोर के आगे वो कुछ भी नहीं था। कैब के अंदर धीमी आवाज में बजता गाना, उसके जज्बातों को साफ बयां कर रहा था।
तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
हो हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से
परेशान हूँ मैं
हो परेशान हूँ मैं
जीने के लिए सोचा ही नहीं
दर्द सँभालने होंगे
मुस्कुराये तो मुस्कुराने के
क़र्ज़ उतारने होंगे
मुकुराउं कभी तो लगता है
जैसे होठों पे क़र्ज़ रखा है
तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
हो हैरान हूँ मैं
आज अगर भर आयीं हैं
बूंदें बरस जायेगी
कल क्या पता इनके लिए
आँखें तरस जाएंगी
जाने कब घूम हुआ, कहाँ खोया
एक आंसू छुपा के रखा था
तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
हो हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से
परेशान हूँ मैं
हो परेशान हूँ मैं"
बंधन ने पूरी जिंदगी अपने परिवार के हर शख्स का कहां सिर झुकाकर माना था।
उसे शांति पसंद थी और इसलिए कभी भी बगावत का फैसला नहीं लिया लेकिन इन सबको, उसकी कमजोरी समझ लिया गया। जिस मां बाप के भरोसे एक बच्चा ... इस दुनिया में आता हैं ..वो मां बाप ... कभी भी उसके पास थे ही नहीं ......!! वो बंधन से नफ़रत करते थे क्योंकि उसका जन्म हुआ तब वे लोग समाज की नजरों में हंसी के पात्र बन गये क्योंकि उनकी नजरों में तो बच्चा पैदा करने की उम्र ही निकल चुकी थी। खैर समाज का नाम आते ही बंधन के चेहरे पर एक व्यंग्य वाली हंसी आ गयी क्योंकि इस समाज ने तो अच्छे लोगों पर भी ताने कसे थे तो क्या वो अच्छाई छोड़ दें जिस तरह उसके मां बाप ने उसे छोड़ दिया। वे उससे नफ़रत करते थे लेकिन उसने खुद तो नहीं कहां था कि उसे पैदा करें .....अगर गलती खुदकी थी तो जिम्मेदार वो कैसे हुई ...... अक्सर लोग खुद को सही साबित करने के चक्कर में खुदकी गलती का ठीकरा दूसरे के सिर फोड़ देते हैं। उसने हर वो रास्ता अपनाया ....जो उसे, उसके मां बाप, परिवार का प्यार दिला दे लेकिन नफ़रत के आगे उन्हें कुछ दिखा ही नहीं .... उसकी कोशिशें भी नहीं और फिर धीरे-धीरे वो मासूम दिल बेजार हो गया। आज वह मासूम सी बंधन उन लोगों के लिए इतनी पत्थरदिल हो चुकी थी कि वे उसके लिए अब कोई मायने नहीं रखते थे। वैसे भी अब उसको काव्या मां मिल चुकी थी। जिनका प्यार काफी था उसके लिए .......!!
बंधन आगे कुछ सोचती तब तक कैब के हाॅर्न से उसका ध्यान टूटा। कैब रूक चुकी थी और सामने उसका घर था ....... वही घर जिसे देख कर तकलीफ के सिवा कुछ याद नहीं आता था। बहुत मुश्किल से उसने अपने जज्बातों को समेटा और पर्स लिए घर की जानिब चली गई जहां एक और नया गम उसका इंतजार कर रहा था।
बंधन ने जैसे घर में कदम रखा और सब उससे प्यार से बात कर रहे थे ........!!!
बंधन की मां चहकते हुए - आज मैं तेरे सबसे पसंदीदा छोले की सब्जी बनाई है जल्दी से हाथ, मुंह धोकर आजा .......!!
लेकिन बंधन ने बिना किसी भाव के - लेकिन मुझे तो छोले पसंद ही नहीं है ..... खैर कितनी बेमतलब बात है कि इतने सालों में आप मेरी पसंदीदा सब्जी तक नहीं जान पाई......!! इसके बाद वह बिना पीछे मुड़े ही अपने कमरे की तरफ चली गई जहां पर चारों तरफ उसकी बड़ी बहन का सामान फैला था और उसका कुछ गिना चुना सा सामान और कुछ किताबें कमरे के साइड कोने में रखी हुई थीं जैसे उसके साथ ही उसके सामान को भी इस घर से निकाल दिया गया हो। बंधन इतना तो समझ गई थी कि अब इस घर में उसकी तवज्जो और अहमियत जो पहले भी ना के बराबर थी वह बिल्कुल नहीं बची है। उसके शरीर में एक अलग ही ऐंठन होने लगी और साथ ही दर्द उबाल मारने लगा ....कैसी जिंदगी थी उसकी जहां वह हर किसी के बारे में सोचती रहती लेकिन कोई भी उसके बारे में सोचना ही नहीं चाहता था। उसने अपने जबड़े कस लिए और बिना किसी भाव के अपना सादा सा सूट लिए बाथरूम में घुस गई।
कुछ वक्त बाद वह नीचे हॉल में थी जहां हर कोई उस पर प्यार लुटा रहा था लेकिन इस प्यार में भी बंधन को साजिश की बू आ रही थी। वह बस जानना चाहती थी। कब सबका यह झूठा दिखावा कब खत्म होगा और वह कब असली मुद्दे पर आएंगे।
इधर अखिल एक बड़े से हॉस्पिटल के एक खूबसूरत से केबिन में डॉक्टर के सामने बैठा था। डॉक्टर बत्रा जो इस शहर की सबसे काबिल साइकैटरिस्ट थी। वह उनके सामने बैठा रात को हुई बंधन की हालत के बारे में बता रहा था कि कैसे वह सपने में बड़बड़ा रही थी वह बस ऐसा जानना चाहता था कि बंधन की हालत कहीं ज्यादा खराब तो नहीं थी या फिर वह किसी गहरे ट्रामा से गुजर रही हो वह उससे नफरत करना चाहता था लेकिन दिल था कि मानने को तैयार नहीं था वह जितना उससे नफरत करने की कोशिश करता हूं। उतना ही खुद को हारा हुआ महसूस कर रहा था।
डॉक्टर बत्रा, अहिल की बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी और आखिर में जैसे ही, अहिल शांत होकर बेचैनी से उन का चेहरा देखने लगा।
डॉक्टर बत्रा ने एक पल को गहरी सांस ली, उनकी आंखों में वो नरमी थी जो किसी सख़्त सच को बताने से पहले आती है। उन्होंने अपनी कुर्सी की पीठ सीधी की, और धीरे-धीरे बोलना शुरू किया, “आहिल… कुछ लोग होते हैं जो चीख़ कर, रो कर, या टूट कर अपना दर बाहर निकाल देते हैं। उनका घाव दिखाई देता है, उनका दर्द सबको सुनाई देता है। पर कुछ लोग…” उन्होंने हल्की सी नज़र नीचे झुकाई, “कुछ लोग बिल्कुल उलटे होते हैं। वो हर चोट, हर तकलीफ़ को अपने भीतर छुपा लेते हैं। किसी को भी अंदाज़ा तक नहीं होने देते कि वो किस अंधेरे से गुजर रहे हैं। बंधन भी उन्हीं में से एक है।”
आहिल ने सिर थोड़ा सा झुकाया, उसकी उंगलियाँ अपने में ही उलझी थी । डॉक्टर बत्रा आगे बोलीं, “तुमने शायद नोटिस किया होगा… वो ज़्यादा नहीं बोलती। उसका चेहरा अक्सर एक-सा ही रहता है, न ग़ुस्सा, न शिकायत। ऐसे लोगों के लिए सभी समझते हैं कि वो मज़बूत है, लेकिन हक़ीक़त यह है कि वह मजबूरी से चुप रहते है। बचपन से ही जब किसी का दर्द सुना ही न जाए, तो वो इंसान सीख जाता है उसे चुपचाप जीना। वो मान लेता है कि बोलने से कुछ बदलने वाला नहीं। धीरे-धीरे उसका दर्द उसकी आदत बन जाता है, और आदत उसकी खामोशी बन जाती है और खामोशी हमेशा के लिए उसका बर्ताव ......शायद बंधन ने अपने हिस्से के इतने ताने, इतनी ठुकराहट देखी है,” डॉक्टर बत्रा ने रुककर फिर कहा, “कि उसका दिल एक क़िले की तरह बन गया है। बाहर से आप जो देखते हैं, वह उसका मुखौटा है। अंदर उसका मासूम दिल अब भी धड़कता है, लेकिन वो अपने ज़ख्म किसी को नहीं दिखाती। ये उसका सुरक्षा कवच है, एक तरह की ढाल। ताकि कोई उसकी कमज़ोरी को हथियार न बना ले। ताकि उसे फिर चोट न लगे। इसलिए वह सबको मुस्कान दिखाती है, पर रोती है अंदर। वह सबके सामने मुस्कराती रहती हैं ताकि कोई उसके दर्द तक ना पहूंच पाये .....सबको लगे की वो बहुत खुश हैं । ” आहिल की सांस जैसे कहीं अटक गई हो .....सच में इन दो दिनों में बंधन का बर्ताव इसी तरह का था ।
डॉक्टर बत्रा अब धीमे लेकिन और गहरे स्वर में बोलीं, “ऐसा नहीं है कि उसे किसी की ज़रूरत नहीं। वो चाहती है कि कोई उसका दर्द सुने। लेकिन जब बरसों तक कोई हाथ न थामे, तो इंसान भरोसा करना भूल जाता है। उसे लगता है कि अगर वो खुला या फिर उसने अपना दर्द दिखाया तो उसको वापिस दूगनी तेजी से तोड़ा जायेगा और इस डर में वह अपने ही आँसुओं को पी जाता है । अपने ही दर्द को दबा लेता है। बंधन भी उन्ही लोगों में से एक हैं और यही कारण है कि आज तुम जो देख रहे हो , वो उसका मौन नहीं, उसकी पुकार है… बस पुकार का रंग बदल गया है। उसने खामोशी में जीना सीख लिया हैं "
डॉक्टर बत्रा ने अपनी उंगलियाँ जोड़कर सामने रखीं, “आहिल, कभी-कभी सबसे बड़ी चीख़ वही होती है जो सुनाई नहीं देती। और बंधन की हर खामोशी एक चीख़ है। जो इंसान बाहर से बिल्कुल ठंडा, बिल्कुल सामान्य लगता है, उसके भीतर सबसे बड़ा तूफ़ान चल रहा होता है। और जब तक उसे यह यक़ीन नहीं होता कि कोई उसकी इस खामोशी को बिना जज किए, बिना शर्त सुनेगा, तब तक वो अपना सच किसी को नहीं बताएगी। यही बंधन की हालत है।”
उन्होंने हल्की सी सांस छोड़ी, “ये खामोशी कमजोरी नहीं, उसकी बची हुई ताक़त है। उसने अपनी तकलीफ़ को भीतर कैद कर लिया ताकि वो बाहर टूट कर न बिखरे। वो बोलती नहीं है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो महसूस नहीं करती। वो सब महसूस करती है, बस कहती नहीं।”
डॉक्टर बत्रा की आवाज़ में एक गहरी तसल्ली थी, “उसे किसी ऐसे इंसान की ज़रूरत है, जो उसके शब्दों से नहीं, उसकी खामोशी से बात कर सके। जो उसके दर्द को सुने, चाहे वो ज़ुबान से न कहे। तभी शायद, वो धीरे-धीरे खुद को खोल पाएगी।”
मैं यही कहूंगी की इस तरह के पेशेंट्स की हालत में सुधार सिर्फ प्यार और सपोर्ट से आ सकता हैं । उसे हर वक्त एहसास दिलाना होगा कि तुम उसके साथ खड़े हो .... हर कंडीशन में तुम उसका साथ दोगे । तुम उसके लिए अनकंडीशनल हो ......!!
अहिल गर्दन हिलाते हुए खड़े होकर - ओके डाॅक्टर पर प्लीज आप यह सब कुछ माॅम को मत बताना ......!!
डॉक्टर बत्रा, काव्या जी की अच्छी दोस्त थी और अहिल नहीं चाहता था कि यह सब काव्या जी को पता लगे वरना वो ज्यादा टेंशन लेने लगेंगी ।
जारी हैं ....
अगला पार्ट रात तक आ जायेगा
आगे .......
अहिल की हालत ऐसी नहीं थी कि वो कुछ भी सोच समझ पाये । वह बस पागल सा हो गया था कि बंधन की हालत सही में ऐसी थी कि क्या ? वो रियल में ही मेंटल ट्रामा से गुजर रही थी पर ऐसा हो कैसे सकता था ? सबकुछ समझ से बाहर था लेकिन दिल को बैचेनी ने घेर रखा था । वो बस इस वक्त इतना ही जानना चाहता था कि बंधन सही सलामत हो .........!!
वो हाॅस्पीटल से बाहर ही आया था कि काव्या जी का काॅल आ गया - अहिल , तुम बंधन को उसके मायके से ले आओगे । देखो अहिल ! इस बार मैं ना नहीं सुनना चाहती हूं । अगर तुम नहीं गये तो आस पास के लोग तरह तरह की बातें बनायेंगे और मैं नहीं चाहती हूं कि बंधन पर कोई सवाल उठाये ।
लेकिन अहिल तो खुद मना नहीं करना चाहता था इस वक्त वह सिर्फ बंधन को देखकर खुद की दिल की बैचेनी को शांत करना चाहता था कि वह सही सलामत है ।
इसलिए हांमी भरते हुए, उसने काॅल कट कर दिया । इधर काव्या जी खुद ही कैब से बुआ दादी को लेने के लिए निकल गयी थी क्योंकि अगर बंधन को घर छोड़कर , अहिल बुआ दादी को लेने जाता तो उन्हें स्टेशन पर इंतजार करना पड़ता और दूसरी तरफ , उनको बंधन की भी टेंशन थी कि वो उस घर में कैसे रहेगी जहां उससे कोई सही तरीके से बात तक नहीं करता था ।
इधर अहिल ने अपनी कार , बंधन के मायके की तरफ मोड़ दी ।
जहां अलग ही हंगामा मचाया जा रहा था । सारे पड़ोसियों को आहट तो थी लेकिन उन्होंने तांका झांकी बिल्कुल नहीं करी क्योंकि फिर नरेश जी और सुगंधा जी , उनकी बेइज्जती करने से भी पीछे नहीं रहते थे ।
दोनों बहने प्रिति और मानसी .... एक तरफ खड़ी होकर बड़बड़ा रही थी । वहीं भाई पंकज गुस्से से बंधन को ही घूर रहा था ।
नरेश जी , उसके सिर पर चढ़कर खड़े थे और सुगंधा जी एक कौने में खड़ी थी लेकिन आज बंधन कुछ अलग ही थी । उसकी आंखों का तेज हर किसी से छूपा था लेकिन उसने अपना अंतिम फैसला जैसे कर लिया था ।
नरेश जी गुस्से से चिल्लाते हुए - तुम वो पैसे हमें दोंगी या नहीं ........ तुम शायद भूल रही हो कि वो पैसे तुम्हारी शादी के लिए थे ।
बंधन हाथ बांधे - सही कहां आपने ..... वह पैसे मेरी शादी के लिए थे लेकिन आपने तो मेरी शादी में ₹1 भी खर्च नहीं किया तो किस हक से वह पैसे मांग रहे है ।
नरेश जी गुस्से से चिल्लाते हुए- तुम्हारे बाप होने के हक से ....वैसे भी वो पैसे हमारी मां के थे ....!!
बंधन भी उसी तरह - वैसे बाप होने का हक बड़ी जल्दी याद आ गया आपको ..... दादी ने सबको बराबर दिया था और जो मेरे पास हैं वो मेरा हिस्सा हैं तो भूल जाइए कि वो पैसे आपको मिलेंगे ।
सुगंधा जी रोते हुए - बंधन , तुम इतनी पत्थरदिल मत बनों । वो पैसे तुम्हारी शादी के लिए थे और शादी तो हो चुकी हैं ना तो उन पैसों कि तुम्हें क्या जरुरत .....? इसलिए तुम अपने पापा को पैसे दे दो । तुम्हारे भाई ने लाॅन ले लिया घर पर और अगर पैसे नहीं दिये तो घर नीलाम हो जायेगा ।
बंधन का दिल पसीजा जरुर लेकिन अगले ही पल , उसके साथ हुई ज्यादतियां याद आ गयी वह कठोरता से - मैं पैसे नहीं दूंगी ।
उसकी बड़ी बहन प्रिति आगे , आते हुए - देख बंधन ! पैसा तो तुम्हें देना पड़ेगा और फिर बीस लाख का तुम क्या करोगी ... तुम्हारा पति तो इतना कमाता है । मेरे ससुराल वालों को भी दो लाख चाहिए वरना वो मुझे छोड़ देंगें ।
बंधन को अब समझ आ रहा था कि आज उस पर इतना प्यार क्यों लुटाया जा रहा था । क्यों हर कोई , उससे प्यार से बात कर रहा था लेकिन अब तो उसे आदत सी हो गयी थी इन सबकी ..... पर अब वो उन सबकी बातों में नहीं आना चाहती थी । उसकी दादी से उसने वादा किया था कि वो अपना हिस्सा कभी उन लोगों को नहीं देंगी .....जिन लोगों को उसकी फिक्र बिल्कुल नहीं थी ।
उसने अपने आपको सख्त किया और फिर - फिर भी नहीं और अपने ससुराल की चिंता आप खुद कीजिए प्रिति दी ....अगर कल को मेरे ससुराल वालों को भी पैसा चाहिए होगा तो .... आप लोगों से थोड़े ना मांगूंगी और फिर आप लोगों से तो उम्मीद भी नहीं हैं तो प्लीज मुझे बख्श दो । पैसा तो मैं आप लोगों को वैसे भी नहीं दूंगी । वैसे कितने शर्म की बात हैं ना जब मुझे आप लोगों की जरुरत थी तो आपमें में से कोई मेरे पास नहीं था तो फिर मैं , क्यों आपकी फिक्र करूं और जब लाॅन , आपके बेटे ने लिया हैं तो उसे बोलिए ना चुकाने के लिए .......!!
नरेश जी भी गुस्से से - तुम्हें पाल पोसकर इतना बड़ा किया हैं हमने ......!!
बंधन ने सभी की तरफ देखकर - पाल पोसकर तो इन लोगों को भी बड़ा किया हैं फिर इन लोगों से तो कभी बदले में कुछ भी नहीं लिया आपने .....!! मेरा ज्यादातर खर्चा दादी मां ने दिया हैं और आठ साल की उम्र से घर का सारा काम ..... मैंने खुद किया हैं । अगर नौकरानी रखते तो आठ से दस हजार तो उसे भी देना पड़ता इसलिए मुझे पालकर ... आपमें से किसी ने भी कोई अहसान नहीं किया हैं ।
पंकज गुस्से से आगे आकर - आप दूर हटिए पापा ...!! इससे तो मैं बात करता हूं । शादी हो गयी हैं फिर भी तमीज नहीं आयी ......!!
बंधन ने एक पल को पंकज को घूरा और फिर - तमीज की बात कौन कर रहा हैं जिसने अपनी अय्याशियों के लिए यह घर नीलाम कर दिया .... बड़े बड़े शौक जो पाल रखे हैं ।
बंधन के इतना कहते ही पंकज सकपका गया क्योंकि घर में सबको इतना ही पता था कि उसने पैसे किसी बिजनेस में इन्वेस्ट किये हैं । बंधन ने इतनी बार कहां .... अपने पापा से उसकी गलत हरकतों के बारे में लेकिन बेटे के मोह में अंधे... उन लोगों को कुछ नहीं दिखता था सबको बंधन ही ग़लत लगती थी ।
नरेश जी गुस्से से - तुम मेरे बेटे पर इस तरह इल्जाम नहीं लगा सकती हो और बहुत ज़बान चलने लगी हैं तुम्हारी .... मुझे साफ साफ बताओं कि वो पैसा .... तुम दोगी या नहीं ....!!
बंधन आगे आकर , नरेश जी की आंखों में देखते हुए - लोग कहते हैं कि मैं , आप पर गयी हूं तो जिद्द तो मेरी समझ ही गये होगे ना ......!! लाॅन सिर्फ पांच लाख का हैं ..... आपके पास बीस लाख की एफडी हैं तो उससे चुकाइए.....!!
नरेश जी - मतलब ..!! तुम पैसे नहीं दोगी।
बंधन भी - नहीं मतलब नहीं ..... उन ...पैसों के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं मतलब कुछ भी ........!!
उसकी बात सुनते ही नरेश जी ने उसको थप्पड़ मारने के लिए जैसे ही हाथ उठाया , बंधन उनका हाथ पकड़कर उन्हें रोक चुकी थी ।
इधर अहिल ने बैचेन हालत में बंधन के घर के बाहर कदम रखा तो ...गेट खुला था । उसने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया ....... अंदर से चिल्लाने की आवाजें आ रही थी और अहिल ने जैसे ही घर की दहलीज में कदम रखा तो उसके कानों में बंधन की आवाज सुनाई दी - ...पैसों के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं मतलब कुछ भी ........!!
इसके अलावा , उसने कुछ नहीं सुना था पर सामने का नजारा। चौंका देने वाला था जहां बंधन ने , अपने पापा का हाथ पकड़ रखा था ।
अहिल के दिमाग में सिर्फ यही गुंज रहा था कि बंधन पैसों के लिए कुछ भी कर सकती हैं तो वो ........!!
बंधन की नजरें जैसे ही अहिल पर गयी , उसने नरेश जी का हाथ छोड़ दिया और घबराकर अहिल की तरफ बढ़ना चाहा लेकिन कदमों में हिम्मत ही नहीं बची थी । आज फिर अहिल की आंखों में सवाल थे और उसका दिल बिल्कुल बैठ गया अगर उसने , बंधन को गलत समझ लिया था । अभी तो उनका रिश्ता सुधरा भी नहीं था और ........!!
उम्मीद की शम्मा अब बुझ कर राख हो गई,
हर ख्वाब की रौशनी भी तन्हाई में ढल गई।
जिससे चाहा था सहारा, वही बोझ बना गया,
रिश्तों की मिठास अब सिर्फ़ छलकती प्यास बन गई।
दिल में मोहब्बत थी, मगर हालात के हाथों हार गई,
बंधन अब मोहब्बत नहीं, सिर्फ़ तन्हाई की तस्वीर बन गई।
दुआओं का सहारा भी अब असर नहीं करता,
टूटा हुआ दिल अब किसी के पास ठिकाना नहीं पाता।
खामोशी ही अब आवाज़ बन गई है,
उम्मीद से जूझते-जूझते, रूह भी थक गई ....!!
जारी हैं ............
क्या फिर अहिल के मन में शक आ जायेगा ? या फिर वह बंधन का पहलू सुनेगा ? अगर इस बार भी बीना बंधन का साइड सुने .... उसने फैसला सुना दिया तो ......?
क्या होगा आगे ......जानने के लिए पढ़िये बंधन एक समझौता......
आगे ..........
अहिल ने खुद को संयमित किया और आगे बढ़ा ..... उसे बंधन पर गुस्सा आ रहा था कि वो अपने पिता का हाथ कैसे पकड़ सकती हैं। क्या वह इतनी बद्तमीज हो गयी जो .......!!
उसका गुस्सा बंधन पर बढ़ता जा रहा था लेकिन तभी उसके दिमाग में अपनी मां के शब्द गूंजे और वह, वहीं ठहर गया -
एक औरत को सबकुछ बर्दाश्त होता हैं ... वह हर परिस्थिति में खुशी के साथ जी लेती हैं अगर उसके साथ उसके पति का साथ और भरोसा होता हैं। अगर उसी औरत की कद्र उसका पति ही ना करे तो हर शख्स ... उसे जूते की नोंक पर रखता हैं।
हमने बंधन को बहुत करीब से जाना है अहिल ... कुछ ऐसा मत कर देना कि हमने तुम्हारे लिए जो हीरा चुना वो कांच की तरह किरचों में बिखर जाये।
उसकी नज़रें फिर सामने खड़े सभी लोगों पर ठहर गयीं। सब की आंखों में गुस्सा नजर आ रहा था लेकिन बंधन की आंखे सिर्फ अहिल पर टिकी थीं जिनमें बैचेनी, बेकरारी और निराशा साफ दिखाई दे रही थी।
अहिल ने खुद को समझाया और फिर शांत आवाज में कहा - तुम अभी मेरे साथ चल रही हो बंधन .... जाकर अपना सामान लेकर आओ।
इधर बंधन को लग रहा था कि अहिल पहले ही उसे गलत समझता था और अगर आज सबके सामने .... उसने ही बंधन को जलील कर दिया तो उन सभी की हिम्मत और बढ़ जायेगी और फिर वो लोग उन पैसों को पाने के लिए अहिल का सहारा लेंगे। वह मन ही मन सोच रही थी कि अगर - आज आहिल जी ने उसका साथ नहीं दिया तो शायद वह हमेशा हमेशा के लिए उसकी नजरों में गिर जाएगे।
लेकिन आहिल के शब्द उसके दिल पर ठंडक की तरह थे .... उसने राहत भरी सांस ली और ऊपर अपना सामान लेने चली गई।
इधर प्रीति, अहिल के सामने आकर खड़ी हो गई। उसके चेहरे पर आंसू थे, लेकिन उनमें भी नकलीपन झलक रहा था। साड़ी का पल्लू बार-बार मरोड़ते हुए वो बेहद मासूम बनने की कोशिश कर रही थी, मगर उसकी हर बात में ज़हर साफ टपक रहा था “अहिल जी…” उसने धीमी और टूटी-सी आवाज़ में कहा, “आज जो कुछ हुआ ना… उसके लिए आप हमें माफ़ कर दीजिए। असल में गलती हमारी है, हम बंधन को अच्छे संस्कार नहीं दे पाए। सबसे छोटी थी ना… तो सबका प्यार उसी पर बरसा। और नतीजा ये हुआ कि वो आज इतना बिगड़ गई हैं कि उसका अपने शब्दों और हरकतों पर बिल्कुल भी काबु नहीं रहा।" उसकी आँखें नीचे थीं लेकिन बार-बार चालाकी से आहिल के चेहरे की तरफ उठ रही थीं, जैसे देख रही हो कि उसका हर तीर कितनी गहराई तक लगा है, “सच कहूँ तो उसमें जरा भी तहज़ीब नहीं है। न बड़ों से बात करने का ढंग, न रिश्तों की इज़्ज़त करना आता है। मुँहफट इतनी कि कई बार हमें खुद शर्म आ जाती है। आप यकीन मानिए, मोहल्ले वाले तक हमसे कहते हैं – ‘क्या यही आपकी छोटी बेटी है?’ हमें तो सच में ज़मीन फट जाए और हम उसमें समा जाएं, ऐसी हालत हो जाती है।”
प्रीति का चेहरा दर्द से भरा हुआ लग रहा था, मगर उसकी आँखों में चमक साफ थी । आज प्रीति अपनी सारी हदें पार कर रही थी । पता नहीं , बंधन के लिए इतना जहर .... उसने कब से अपने मन में दबा कर रखा था । यहां अहिल तो पहले से ही उसपर भरोसा नहीं करता था और अब .........“औरत की असली पहचान उसकी शर्म और उसकी जुबान से होती है… लेकिन बंधन में ये दोनों ही नहीं हैं। आप खुद देख लीजिए, अपने ही पिता का हाथ पकड़कर सबके सामने खड़ी हो गई। ये कैसा बर्ताव है? आपको गुस्सा आया होगा ना? हमें तो खुद उस पर अफसोस है। लेकिन आप उसके पति हैं… आपके पास हक है… आप चाहें तो आज ही उसे सबक सिखा सकते हैं।”
वो थोड़ा रुकी, और फिर आँसू पोंछने का नाटक करते हुए बोली, “देखिए अहिल जी, हम सब आपके साथ खड़े हैं। अगर बंधन कभी आपके घरवालों से बदतमीज़ी करे, आपकी इज़्ज़त खराब करे, तो आप बेझिझक उसे छोड़ दीजिए। हमें कोई ऐतराज़ नहीं होगा। बल्कि हमें तो तसल्ली मिलेगी कि आपकी ज़िंदगी उसकी वजह से बर्बाद नहीं होगी। आप जैसे शरीफ और इज्ज़तदार इंसान के लिए बंधन जैसी लड़की बिल्कुल भी ठीक नहीं है।”
उसने पलकें झुकाईं, मगर होंठों पर हल्की-सी संतोष की मुस्कान आ गई थी , “हमने उसे हमेशा समझाने की कोशिश की… लेकिन बंधन कभी हमारी बात मानती ही नहीं। बड़ों के सामने, रिश्तेदारों के सामने… सबके सामने नीचा दिखाना उसकी आदत है। आप ही बताइए… कौन चाहता है ऐसी लड़की को अपनी बहू बनाना? हमारी तो बस यही दुआ है अहिल जी, कि आप अपने परिवार और अपनी इज़्ज़त को सबसे ऊपर रखें। अगर बंधन जरा भी आपके खिलाफ गई, तो आप उससे किनारा कर लीजिए। हम सब आपके फैसले के साथ रहेंगे।”
इतना कहकर प्रीति ने अपने आंसुओं को हल्का सा पौंछा और फिर साइड में आकर खड़ी हो गयी लेकिन अजीब बात थी कि परिवार के किसी भी शख्स ने बंधन के लिए आवाज नहीं उठायी । सभी लोग खामोशी से खड़े रहे ...... सबकी आंखों में बंधन के लिए गुस्सा भरा था । बंधन से कोई मतलब नहीं था उन्हें सिर्फ और सिर्फ पैसे चाहिए थे जो बंधन की दादी ने उसके अकाउंट में जमा करवाए थे ....! सबको यही लग रहा था। कि अहिल ने बंधन से किनारा कर लिया तो बंधन के पास कोई सहारा नहीं बचेगा और फिर उसे खुद का रिश्ता बचाने के लिए उन लोगों को पैसे देने ही होंगे ।
आहिल उन सबके चेहरे देख रहा था उसके दिल में उलझनों का एक अलग ही तूफान चल रहा था हो सकता है कि प्रीति उसे झूठ बोल रही हो वह बंधन को लेकर कुछ भी बकवास कर रही हो लेकिन बंधन का पूरा परिवार..... क्या उसके माता-पिता भी चाहेंगे कि उसका घर बर्बाद हो जाए और उन दोनों का रिश्ता आग में जलकर राख हो जाए ।
इधर प्रीति मन ही मन अपनी इस चाल पर मुस्कुरा रही थी । आज तक उसने हर रिश्तेदार के यहां बंधन की तारीफ ही सुनी थी । उसके आगे प्रीति को कोई पूछता तक नहीं था । उसका पति सरकारी नौकरी करता था लेकिन उसे बंधन से इस हद तक जलन थी कि वह यह देख ही नहीं पा रही थी कि उसकी शादी एक अच्छे घर में हो गई थी । वह बस उसका रिश्ता तोड़ना चाहती थी । वह चाहती थी कि बंधन हमेशा दर्द भरी जिंदगी जिए और इसके लिए आज उसने अपनी खुद की बहन , जिसके साथ उसका खून का रिश्ता था । उसकी जिंदगी में जहर घोलने से पहले एक पल भी सोचने के लिए नहीं लिया ।
इन सबसे अनजान कि नीचे उसकी गैरमौजूदगी में क्या हो रहा था ......ऊपर बंधन अपना सामान पैक कर रही थी । उसने कसम खा ली थी कि वह आज के बाद इस घर में दोबारा कभी कदम नहीं रखेगी । उसके चेहरे पर एक अलग संतोष और सुकून छाया था कि नीचे आहिल ने उसके पूरे परिवार के सामने उसका और उनके रिश्ते का तमाशा नहीं बनाया था । उसका दिल मन ही मन में आहिल को एक अच्छा इंसान मान चुका था लेकिन क्या यह हकीकत थी ? क्या आहिल उसकी उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा ? क्या बंधन के परिवार की असलियत कभी अहीर के सामने आपाएगी ? क्या अहिल कभी बंधन को अपनी पत्नी का मान दे पाएगा ? सवाल बहुत है लेकिन जवाब कहानी में मिलेंगे इसलिए पढ़ते रहिए बंधन एक समझौता एक ऐसी कहानी जो आपके रिश्तों की नई परिभाषा और अहमियत समझाएगी ...... जो समझाएगी की जिनके पास अपना कहने के लिए कोई रिश्ता नहीं होता ...... यह समाज उनकी जिंदगी कितने हद तक नर्क बना देता है .....
जारी हैं ......
आगे ...........
अहिल कार चला रहा था और उसके बगल में बैठी बंधन की नजरें सिर्फ और सिर्फ उसी पर टिकी थीं। वो, ये समझने की नाकाम कोशिश कर रही थी कि अहिल के दिमाग में क्या चल रहा था, लेकिन उसे अहिल और नीरज के बीच की बातचीत के बारे में पता था इसलिए वो उन दोनों के बीच कोई भी गलतफहमी नहीं आने देना चाहती थी।
बंधन की शांत आवाज ने उस खामोशी को तोड़ने का काम किया था - वो पैसे, मेरे खुद के थे। दादी ने मरते वक्त सभी को बराबर हिस्से दिए थे, एक मम्मी-पापा को और चार हम भाई-बहनों को। उनका मानना था कि ये पैसे हम अपनी पढ़ाई में या फिर शादी में किसी भी तरीके से खर्च करने के लिए आजाद थे और हमें अपनी दादी से वादा किया था कि हम अपना हिस्सा खुद के लिए इस्तेमाल करेंगे, किसी को भी देंगे नहीं....... इसलिए हम ये हिस्सा कभी भी किसी को नहीं दे सकते....... जब तक मुझे ये ना लगे कि वाकई में उन पैसों की जरूरत है, इसलिए मैंने वे पैसे अपने पापा को देने से मना कर दिए। वो मुझपर हाथ उठा रहे थे, लेकिन मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। मेरे लिए वे कभी बहुत अनमोल थे इसलिए मैं नहीं चाहती थी कि वो अपनी ही बेटी पर हाथ उठाकर पाप कमाएं इसलिए उनके हाथ को रोका था ......!! आपका और मेरा रिश्ता अभी तक ढंग से जुड़ा भी नहीं... और मैं नहीं चाहती कि आगे चलकर गलतफहमी की वजह से इस रिश्ते में किसी भी तरीके की दरार आये इसलिए अभी सब कुछ साफ-साफ बताना बेहतर लगा, वैसे भी इसमें कुछ भी छुपाने जैसा नहीं था।
बंधन इतना कह कर शांत हो गई और बाहर खिड़की की तरफ देखने लगी। अहिल का पूरा ध्यान सिर्फ बंधन की बातों में था और थोड़ी-थोड़ी उसकी नज़रें बंधन की नजरों पर पड़ रही थीं जिनमें सच्चाई साफ दिख रही थी, लेकिन अगर बंधन सच कह रही थी तो प्रीति जी.... जो कि उसकी खुद की बड़ी बहन थी उसने ऐसा क्यों कहा.....?? उसका ऐसा करने की वजह उसे समझ नहीं आई, लेकिन वह बहुत बुरी तरीके उलझ गया था, उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि कौन सही है और कौन गलत.......!! अभी के लिए उसने सभी विचारों को दरकिनार किया और बंधन की तरह एक पल के लिए नजर उठायी.....!! बाहर शाम ढलने लगी थी और कार की खुली खिड़की से हल्की धूप के साथ हवा भी आ रही थी। धूप की वजह से बंधन के बाल चमक रहे थे और उसकी फड़फड़ाती पुतलियां.... खामोश होंठ और आंखों में लगा गहरा काजल..... जैसे ही अहिल ने बंधन के चेहरे को गौर से देखा तो उसके सीने के बांयी तरफ एक बीट मिस होती महसूस हुई। उसका सारा ध्यान ड्राइविंग से हटकर बंधन पर चला गया था और बंधन का ध्यान बाहर के नजारों को देखने में व्यस्त था। तभी पीछे से आते हुए हार्न की आवाज की वजह से आहिल का ध्यान टूटा और उसने खुद के सिर पर चपत लगाते हुए आगे की तरफ ध्यान कर लिया।
इधर काव्या जी , बुआ दादी को लेने के लिए स्टेशन पर पहुंच गई थीं। स्टेशन पर गाड़ियों की सीटी, कुलियों की आवाज़ें, और लोगों की भागदौड़ चारों तरफ गूंज रही थी। शाम का वक्त था, ठंडी हवा में भीड़ की गर्माहट घुली हुई थी। काव्या जी प्लेटफॉर्म पर बेचैनी से इधर-उधर देख रही थीं। जैसे ही ट्रेन धीमे-धीमे रुकने लगी, उनके चेहरे पर खुशी की चमक फैल गई। थोड़ी देर बाद भीड़ के बीच से एक परिचित साया नज़र आया—बुआ दादी। जिनसे काव्या जी को एक अलग ही लगाव था और हो भी क्यों ना? उनके हर बुरे वक्त में बुआ दादी ढाल बनाकर उनके साथ खड़ी थी।
सफेद लहंगे-ओढ़णी में लिपटी, माथे पर गोल बिंदी, कानों में भारी झुमके और हाथ में एक बड़ी पोटली। उम्र ने चेहरे पर झुर्रियां ज़रूर दी थीं, लेकिन चाल-ढाल और आंखों की चमक अब भी राजसी लग रही थी। उनके पीछे धीरे-धीरे चल रही थी एक भोली सी लड़की—खुशबू। लंबा कद, साधारण सलवार-कुर्ते में लिपटी, चेहरे पर मासूमियत और हल्की सी झिझक। काव्या जी तुरंत आगे बढ़ीं, भावुक होकर दादी के पैर छुए और बोलीं, “बुआ दादी, आप आ ही गईं… घर में सब, आपका इंतजार कर रहे हैं।” इतने वक्त बाद में उनके गले लगाकर काव्या जी की आंखें आंसुओं से भर गई थीं, उन्होंने किसी तरह अपने आंसू को पौंछा और फिर मुस्कुराते हुए, "यहाँ तक का सफर तय करने में बहुत वक्त लगा दिया आपने"। बुआ दादी ने अपने दोनों हाथ आशीर्वाद में उठाए और मधूर लहजे में बोलीं, “घणी उमंग आवे री बेटा तने देख के… म्हारो जी तो परसों सुथरो हो गयो।”
काव्या जी मुस्कुरा उठीं। “आपके बिना घर अधूरा लगता है बुआ दादी।”
दादी ने पास खड़ी खुशबू को हल्का सा आगे खींचते हुए कहा, “ए छोरी, सकुचाई मत… थोड़ो आगे आ। अरे बेटा, ई है खुशबू....म्हारी सखी की पोती। अजकाल ई म्हारे संग रहवे लागी है।”
खुशबू ने धीमी आवाज़ में “नमस्ते” कहा और आंखें झुका लीं। उसके चेहरे पर सादगी, और आंखों में झिझक साफ झलक रही थी, लेकिन इसके अलावा भी कुछ और भी था उसके चेहरे पर.....!
काव्या जी ने स्नेह से उसका हाथ थाम लिया, “स्वागत है खुशबू, अब तुम भी हमारे परिवार का हिस्सा हो। घर में सबको बहुत अच्छा लगेगा।”
तभी दादी ने अपनी भारी पोटली की तरफ इशारा करते हुए हंसकर कहा, “ए काव्या, रै पोटलो कद तक थाम्यूं रहूं मैं? थोड़ो तो सहाय कर!” उनकी बात सुनकर काव्या जी के चेहरे पर मुस्कुराहट छा गई। उनकी सास ने हमेशा ही बुआ दादी आपका बहुत मान रखा था। जब काव्या जी नयी-नयी शादी करके अपने ससुराल आई थीं तो बुआ दादी का रवैया, उनके लिए बहुत कड़क रहा था और इससे वह बहुत डरती भी थीं। उनको बहुत साल लगे बुआ दादी के दिल में अपनी जगह बनाने में...... लेकिन इसके साथ काव्या जी ने जाना की बुआ दादी, जिनसे बेहद प्यार करती थीं उनकी फिक्र और देखभाल भी बहुत ही प्यार से करती थीं, बस हालात ने उन्हें बाहर से बहुत कठोर कर दिया था लेकिन उनका दिल अंदर से मॉम की तरह था बिल्कुल नर्म....!!
काव्य की बुआ दादी की पोटली उठाती तब तक खुशबू ने अपने चेहरे पर मासूम से मुस्कुराहट लिए उसे पोटली को उठा दिया और फिर बहुत ही धीमी आवाज में बोली - मेरे होते हुए आप तकलीफ क्यों लेंगी काकी सा...!!
काव्या जी की नजरें एक पल के लिए खुशबू की मासूम सी सूरत और मीठी सी आवाज पर ही टिककर रह गई, लेकिन फिर उन्होंने अपना ध्यान उस पर से हटाया। इसके बाद वह बुआ दादी को अपने हाथ से सहारा देते हुए .... उनको भीड़ से बचाकर स्टेशन से बाहर ले आई जहाँ उनकी बुक की हुई कैब उनके ही आने का इंतजार कर रही थी, उन्होंने सहारा देकर बुआ दादी को अंदर बिठाया और खुशबू को भी बैठने के लिए कह कर बाहर लगी छोटी-छोटी दुकानों की तरफ बढ़ गई क्योंकि वह साथ में पानी लाना भूल गई थी और जानती थी कि बुआ दादी को सफर में प्यास का एहसास होता है।
जारी हैं ......
क्या होगा आगे खुशबू का आना अहिल और बंधन की जिंदगी में क्या तूफान लेकर आएगा? जाने के लिए पड़ी है बंधन एक समझौता
आगे ......
बंधन के लिए , यही काफी था कि अहिल ने खामोशी से उसकी बात सुनी और अहिल , उसके पास तलाशने के बाद भी बोलने के लिए शब्द नहीं थे । वो बस अब सबकुछ पता करना चाहता था और इसके लिए कुछ भी करने को तैयार था ।
इसलिए उसने भी खामोशी साद ली लेकिन अब वह कब तक खामोशी रह पायेगा .... यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा ।
इधर बुआ दादी ने जैसे ही काव्या जी के साथ शर्मा निवास में कदम रखा तो यशु चहकते हुए , बुआ दादी के गले पड़ गयी । बुआ दादी ने भी उसके सिर पर हाथ फैरकर ढेरों आशीर्वाद दे दिए थे । उनकी बुढी आंखें नम हो गयी थी ।
यशु , उनकी आंसू पोंछते हुए - ओ हो ! दादू आप फिर आंसू बहाने लगी । मुझे तो लगा था कि आप , मेरे साथ मिलकर अपने चंट पोते की नाक में दम करके रख देगी ।
बुआ दादी ने भी यशु के सलोने मुखड़े को चुमते हुए , “अरे रै छोरी! थारा बिना घर सूना लागे है, पण अब देख, थारी मदद सूं अहिल रो नाक में दम लागै बिना मैं रह नहीं सकूँ!”
यशु ने हँसते हुए कहा “दादू , अब तो मजा ही आ जायेगा हैं।”
बुआ दादी ने अहिल की मासूम शक्ल को याद करते हुए कड़क लहजे में कहा , “मासूम लागे है, पण म्हारी नजर में यो छोरो चाँद जैसा बड़ा है! और चाँद को परेशान किए बिना मज़ा कहाँ? अब देख, छोरी, थारा संग मिलके इसे हल्का डर भी दिखावेंगे, हल्की मार भी!”
यशु चहकते हुए फिर से उनके गले लग गई । बुआ दादी , यशु के साथ बिल्कुल बच्चा बन जाती थी....शायद ऐसा इसलिए भी क्योंकि यशु , उनके बहुत करीब थी ।
खुशबू तो अपनी आंखों को टिमटिमाते हुए बस उस सुंदर से घर को देख रही थी । उसकी आंखें तो वहां की सुंदरता पर टिकी थी । ऐसा नहीं था कि राजस्थान में बुआ दादी का घर छोटा था वह घर भी बहुत बड़ा था लेकिन वो गांव के परिवेश में ढला हुआ घर था लेकिन यहां की चमचमाती फर्श ... जिसमें शक्ल भी दिखे , महंगे फर्नीचर ... शानदार झूमर ... लाइटिंग .... धर्म , मुलायम सोफे .... सब उसको अलग ही तरह से आकर्षित कर रहे थे ।
ना तो काव्या जी का और ना ही यशु का .... किसी का भी ध्यान उसकी तरफ नहीं था लेकिन सुमन आंटी एक कोने में खड़ी बस उसको ही घूर रही थी ।
उनकी नजरें , खुशबू से हट गयी जब काव्या जी ने उसे , बुआ दादी के लिए पानी लाने को कहां था । सभी लोग सोफे पर बैठकर बातें करने लगे ।
खिड़की से आ रही हवा में बंधन के बाल बार बार उसके चेहरे पर बिखर रहे थे और वह बार बार उनको संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी । तब अहिल ने कार चलाते हुए ही अपना रुमाल , बंधन की तरफ बढ़ा दिया ।
उसके रुमाल बढ़ाने पर बंधन सवालिया निगाहों से उसकी तरफ देखने लगी । बंधन के देखने पर अहिल - बालों की वजह से परेशान हो रही हो । इन बालों को रुमाल से बांध सकती हो फिर परेशान नहीं करेंगे ।
बंधन की नजरें , अहिल के मासुमियत भरे चेहरे पर टिक गयी । यह इंसान हर बार उसे हैरान कर देता था । कभी चेहरे पर गुस्सा तो कभी उसका यह कहना कि बंधन उसकी जिंदगी में कोई मायने नहीं रखती हैं और फिर इस तरह फिक्र करना .... पर फिक्र करते हुए वह बड़ा ही मासुम लग रहा था । बंधन का मन किया कि वो उसके गले से लग जाये ... इतना सोचते ही उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया
आंखें मींचकर गहरी सांस लेते हुए ... उसने , अहिल के साथ से रुमाल लिया और फिर अपने बालों को उससे बांध लिया । सही में अब उसे सुकून फील हो रहा था वरना अब तक वह पूरी तरीके से झूझला गयी थी ।
उसके ख्यालों में इस वक्त अपने अहिल जी का चेहरा छाया हुआ था और नजरों में एक अलग ही नशा ....जैसे इतनी सी फिक्र ने , बंधन को आबाद कर दिया हो । शेरों शायरी का शौक रखने वाली बंधन के दिल में कुछ शब्द गुनगुने लगे .......
तेरी खामोशी में भी इक सवाल उतर आता है,
ये कैसी परवाह है, जो दिल को छू जाती है।
तेरी नज़रों की हल्की नरमी देख कर लगता है,
हर बार पास हो, तो दिल थोड़ा थम जाता है।
बालों को संभालते तेरी छोटी सी मदद पर,
मेरी साँसें जैसे चुपचाप मुस्कुरा जाती हैं।
तेरा मासूम चेहरा जब सामने ठहर जाता है,
कुछ कहना नहीं, बस दिल इधर-उधर उछल जाता है।
बंधन ने गहरी सांस ली और पीठ गाड़ी की सीट से टिका दी और आंखें बंद कर ली । आंखें बंद करते ही चारों तरफ अंधेरा था । उस अंधेरे में हल्की रोशनी ने , उसे अहिल का चेहरा नजर आया और उसने झटके से आंखें खोल दी । उसने घबराकर अहिल की तरफ देखा ..... जिसकी नजरें सामने की तरफ ठहरी थी और निगाहें सड़क पर । उसने सीने पर हाथ रखते हुए गहरी सांस ली कि अहिल ने , उसके इस तरह के बर्ताव को नोटिस नहीं किया था वरना उसका अहिल को जवाब देना मुश्किल हो जाता .... क्या कहती उससे कि उसे आंखें बंद करते ही उसका चेहरा नजर आया ....!!
कुछ ही पल बाद उनकी कार ट्रैफिक में फंस गयी । तो एक बुढ़ी महिला हाथों में गजरे लिए ...उनकी गाड़ी के पास आकर गजरे खरीदने के लिए कहने लगी । अहिल उनको मना करता तब तक बंधन ने मुस्कराते हुए कहां - आप यह सारे गजरे कितने में देंगी मांजी ......!! उसके इतना कहने पर अहिल ने उस बुढ़ी औरत की टोकरी की तरफ देखा जिसमें बीस के लगभग तो गजरे होंगे .....!! उसकी आंखें हैरानी से फ़ैल गयी क्योंकि बंधन , इतने गजरों का करेंगी क्या ...??
इधर बंधन के इतना कहते ही वो बुढ़ी औरत खुशी से - अरे मैम साहब ! आप पूरे खरीदेंगी तो दो हजार के गजरे पंद्रह सौ में दे देंगी मैं ....!!
बंधन के चेहरे पर उदासी छा गयी लेकिन फिर वह बोली - अरे मांजी , मैम साहब नहीं बेटा कहिए और फिर अपने पर्स से दो हजार का नोट निकालकर उनको देते हुए .... और पैसे कम करने की जगह अपना आशीर्वाद दिजिए क्योंकि मेरी दादी कहती थी कि बड़ों के हाथ सिर्फ आशीर्वाद के लिए होते हैं । इतना कहकर उसने , उनके हाथ से गजरे ले लिए और पीछे वाली सीट पर रख दिये ।
इस वक्त बंधन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी और उसकी नजरें उन बुढ़ी औरत पर टिकी थी जो लगभग आठ साल की बच्ची को अपनी गोद में लिए खुशी से उसका सिर चूम रही थी और अहिल...... उसकी निगाहें सिर्फ बंधन पर टिकी थी । जब तक ट्रैफिक क्लीयर हो गया और उनकी कार आगे बढ़ गयी ।
जब अहिल से रहा नहीं गया तो उसने बंधन से पूछ ही लिया - इतने सारे गजरो का करेंगी क्या आप ?
जारी हैं .......
क्या होगा बंधन का जवाब ....??
कहानी धीरे धीरे आगे बढ़ रही हैं एंड आई वांट टू नो दैट .कि आपको कहानी कैसी लग रही हैं ? प्लीज गिव कमेंट्स
आगे ........
जब अहिल से रहा नहीं गया तो उसने बंधन से पूछ ही लिया - इतने सारे गजरो का करेंगी क्या आप ?
बंधन ने गहरी नजरों से शीशे से पीछे खड़ी उन बुढ़ी औरत की तरफ देखा और फिर - मेरी दादी कहती थी कि अगर पैसों से ज्यादा आशीर्वाद कमा लिया तो बेशक आप एक अच्छे इंसान हैं और शायद सबसे अमीर भी । आदमी की सोच , उसके काम में छलकनी चाहिए ना कि पहनावे में अक्सर लोग अच्छा सूट पहन कर और एक अच्छी गाड़ी में बैठकर इन्हीं गरीब लोगों के सपने कुचलने में एक पल का भी वक्त नहीं लगाते और उन्हें अहसास तक नहीं होता कि उनके छोटे से काम की वजह से किसी की पूरी जिंदगी बर्बाद हो चुकी है....!! बेशक मैं इतने सारे गजरों का कुछ नहीं करूंगी लेकिन उनके बदले आज मैंने उन बुढ़ी मां की मुस्कुराहट खरीद ली और उस मुस्कुराहट की कीमत 2000 के नोट से कहीं ज्यादा थी......!! जिंदगी में हम बुरे से बुरे हालात देखते हैं और शायद एक वक्त ऐसा भी होता है जब हमारे झोली में सारे जहां की खुशियां होती है...... पर हालात चाहे कैसे भी हो हम दूसरों की मुस्कुराहटों का कारण बन जाए तो हमारी जिंदगी के मायने बदल जाते हैं ।
इतना कहकर , बंधन शांत हो गयी लेकिन अहिल की नजरें उसी पर टिकी थी । वो अब सिर्फ बंधन से बात करना चाहता था ताकि उसके बारे में और जान पाये इसलिए - लेकिन यह गजरे तो बर्बाद हो जायेंगे क्योंकि आप इतने सारों को एक साथ नहीं लगा सकती । जिसपर बंधन ने जो कहां अहिल को बिल्कुल ही चौंका गया था वो सोच भी नहीं पाया कि किसी का दिमाग इतना तेज भी चल सकता हैं - आपसे किसने कहा कि मैं इन गजरा को बर्बाद होने दूंगी। औरतों का एक उसूल होता है अहिल जी वह छोटी-छोटी चीजों में खुश होना जानती है.... हम यह सारे गजरे मां के साथ मिलकर सोसाइटी की औरतों को अपनी तरफ से गिफ्ट देंगे.... वह खुश भी हो जाएगी और इससे सोसाइटी में हमारा नंबर भी बढ़ जाएगा.....!! इस वक्त उसके चेहरे पर अलग ही गंभीरता थी और अहिल आज फिर उस गंभीरता को नहीं समझ पाया लेकिन वह उसकी मॉम से भी बढ़कर थी .... क्योंकि वह जानती थी की बुराई को भी अच्छाई में कैसे बदलना है ...!! शायद इसीलिए वह उसकी मां की नजरों में हिरा थी अगर वह सच में ही दिल की इतनी अच्छी थी तो जो उसने सुना वह क्या था ? कैसे भी करके अब उसे बंधन की जिंदगी के राज जानने थे जो उसे उन सभी उलझनों से छुटकारा दिला सकते थे जो उनके रिश्ते के बीच में दरार बनकर बैठी थी ।
आहिल अपने इस मिशन में कितना कामयाब हो पता है यह तो आगे जान ही जाएंगे ।
अहिल ने अब अपने सभी ख्यालों को झटका और कार की स्पीड बढ़ा दी ।
बंधन की फैमिली में इस वक्त एक अलग ही जंग छिड़ी थी ।
मानसी ने आगे आते हुए कहां - आपको बंधन के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था दी ....!! मुझे उस लड़की से कोई लगाव नहीं है लेकिन फिर भी मैं इतनी कठोर तो नहीं कि उसकी जिंदगी का अब फिर से तमाशा बनाना शुरू कर दूं । उसकी शादी हो चुकी है अब उसे अपने हाल पर जीने दो आप सब मिलकर उसकी जिंदगी में फिर से जहर भरने पर क्यों तूले हो ? आपने यह ठीक नहीं किया प्रीती दीदी ..... भगवान ना करें कभी आपके सामने भी ऐसी स्थिति आई तो आप कहीं की नहीं रहेगी क्योंकि बंधन को सहन करना आता है लेकिन आप सहन नहीं कर पाएगी । मैं अब और इस कड़वाहट के बीच नहीं रहना चाहती इसलिए अपने ससुराल लौट रही हूं । आप भी बंधन की जिंदगी पर ध्यान देने की बजाय अपने खुद के परिवार पर ध्यान दीजिए क्योंकि जिंदगी आपको बंधन के साथ नहीं अपने परिवार के साथ बितानी है । इतना कहकर मानसी कमरे में अपना सामान लेने चली गई लेकिन प्रीति अभी भी गुस्से से बौखलाए हुए चिल्ला रही थी - मैं बंधन को कभी खुश रहने ही नहीं दूंगी जो बीज मैंने बोया है ना वह एक दिन जहर बनकर उसे जरूर काटेगा और मुझे सिर्फ उस दिन का इंतजार रहेगा जब उसके पास में कुछ नहीं बचेगा .... उसकी वजह से हर जगह हमेशा मुझे नजरअंदाज होना पड़ा और तुम नहीं समझ पाओगी कि उसका दर्द क्या होता है ...?? पर प्रीति को क्या पता था कि कर्मा वापस लौट कर आता है जो जैसा करता है वह अपनी जिंदगी में वैसा ही भरता है ।
सुगंधा जी की आंखों में इस वक्त कोई भाव नहीं थे क्योंकि उन्होंने भी बंधन के साथ इन सबसे कुछ अलग नहीं किया था ? वह एक अच्छी मां तो दूर की बात एक अच्छी इंसान भी नहीं बन पाई । जिस बेटी को दर्द सहते हुए जन्म दिया... वह खुद उसके लिए अपने दिल में नफरत बढ़ाती रही तो आज किस हक से , वह उसे अपनी बेटी कह सकती थी । उन्होंने ताने सुने, लोगों की बुरी नजरों का सामना किया तो इसमें बंधन की नहीं सिर्फ और सिर्फ उनकी खुद की गलती थी और यह समाज तो हर किसी को गलत ही ठहरता है । पंकज और नरेश जी के दिमाग में तो सिर्फ बंधन के लिए गुस्सा भरा हुआ था उन्हें वह पैसे दिख रहे थे जिन्हें देने से बंधन ने साफ इनकार कर दिया था ।
इन सबसे यह तो साफ था कि बंधन की आने वाली जिंदगी बहुत मुश्किलों से भरी होने वाली थी ।
बुआ दादी ने उत्सुकता से कहा - यो छोरो काई हांय? अण थारी बिंदणी... ऊँकां होश भी कोनी कि बुआ दादी आ गी, तो ऊँकां मिल ल्यो जावां...!!
काव्या जी उनकी तरफ पानी का गिलास बढ़ाते हुए - बंधन , पगफेरे की रस्म के लिए अपने मायके गई है बुआ दादी और आहिल उसे लेने ही गया है और वह दोनों कुछ ही वक्त में आते भी होंगे ।
बुआ दादीहंसते हुए - अरे बहु तो बदिया लायी हंन....!!
जिस पर काव्य की कुछ कहती उससे पहले यशु चहकते हुए - दादू , भाभी अच्छी नहीं बहुत अच्छी है बिल्कुल मासूम सी आप उनको मुस्कुराते हुए देखेंगे ना तो उनमें खो जाएगी लेकिन पता नहीं क्यों बहुत कम मुस्कुराती है ? बिल्कुल साॅफ्ट से गाल हैं और पता हैं आपको .... मुझसे बहुत प्यार भी करती हैं ।
बुआ दादी हल्की गंभीरता के साथ ... म्हारो अनुभव है, हालात अण वकत के संग री मनख्यां बदलवा मां देरी कोनी लागे... अण बहु-सास रो तो रिस्तो ही झगड़ो रो होवेला। इस वक्त उनके चेहरे पर छाई गंभीरता यह दिखा रही थी कि उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत से बुरे हालातो का सामना किया है और अपनी आंखों के सामने लोगों को बदलते हुए देखा है । साफ दिख रहा था उनकी आंखों में कि उनकी जिंदगी में गहरा दर्द छुपा था जिससे उन्होंने हर किसी को अनजान रखा।
जिस पर काव्य जी का यह कहना -लेकिन कुछ रिश्ते अलग होते हैं बुआ दादी, जैसे आपका और मेरा... जिसमें प्यार, भरोसा, ममता और स्नेह के अलावा किसी और चीज की जगह नहीं है।
काव्या जी की बात पर बुआ दादी बिल्कुल खामोशहो गई क्योंकि वह काव्य जी की इस बात को झुठला नहीं सकती थी ।
जारी हैं ......
खुशबू और बुआ दादी का आना बंधन की जिंदगी में क्या बदलाव लेकरआएगा ?
आने वाले वक्त में बंधन का परिवार उसकी जिंदगी में किस तरीके से जहर घोलने की कोशिश करेगा ?
क्या अहिल जान पाएगा बंधन की जिंदगी के दर्द और रिश्तो की कड़वाहट को ?
जाने के लिए पढ़िए .... बंधन एक समझौता .......!!
डियर रीडर्स ....सॉरी मैं कल पार्ट नहीं देख पाई लेकिन कोशिश करूंगी की आज चार या पांच पार्ट अपलोड कर पाऊं ।
अगर आपको यह कहानी अच्छी लग रही है तो मेरी प्रोफाइल को फॉलो करना ना भूले और कमेंट करके बताएं कि आपको यह कहानी कितनी अच्छी लग रही है रेटिंग देना तो ना भूले ...!!
आगे ......
उन सभी की बातों में खलल तब पड़ा जब डोर बेल बजाने की आवाज आई । काव्य की उठते हुए -- लगता है वह दोनों आ गये । इतना कह कर वह दरवाजे की तरफ बढ़ गई...!!
दरवाजे के सामने खड़ा अहिल बेल बज रहा था और बंधन कार से सूटकेस निकालकर ला रही थी कि तभी काव्या जी ने दरवाजा खोल दिया और मुस्कराते हुए - मैं तुम दोनों का ही वेट कर रही थी .....!!
बंधन के साथ अहिल ने भी झुक कर उनका आशीर्वाद लिया और उनके साथ ही मुस्कुराते हुए अंदरआ गए । अहिल को तो पता था कि बुआ दादी आने वाली है लेकिन बंधन तो उनसे पूरी तरह अनजान थी ।
वह दोनों काव्या जी के साथ अंदर बढ़ गए जहां हाॅल के अंदर सोफे पर बुआ दादी बैठी थी ।
अहिल तो मुस्कुराते हुए उनकी तरफ बढ़ गया और बंधन सवालिया निगाहों से उनको देखनेलगी ।
अहिल ने पहले उनके पैर छुए फिर उनके गले लगाते हुए - आई मिस यू दादी.......!!
जिस पर बुआ दादी - म्हारे पास यह अंग्रेजी में गटर-पटर ना करया कर छोरा ...!! इतना कह कर उन्होंने आहिल को गले लगा लिया । इस वक्त उनकी आंखें हल्की नाम थी जो सिर्फ बंधन को ही दिखाई दी।
आहिल उनके सामने घुटनों के बल बैठा था और बुआ दादी उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसके ही चेहरे को निहार रही थी । हां यह सच था कि उनको आहिल को चीढाने में बड़ा मजा आता था लेकिन यशु और अहिल उनके दिल के बहुत करीब थे ।
बंधन सिर्फ उनके बीच के प्यार को देख रही थी .... अपनी दादी को याद करते हुए बंधन की आंखें नम हो गई .... बहुत साल पहले वह उसको छोड़ कर जा चुकी थी लेकिन इस पूरी दुनिया में अकेली वही थी जो बंधन से प्यार करती थी ..... उन्हीं के प्यार की सहारे तो बंधन जिंदा थी वरना अब तक वह कब की मर चुकी होती । इस वक्त उसके दिल में सिर्फ एक ख्याल चल रहा था - बहुत खुशनसीब होते हैं वह लोग जिनके पास कहने के लिए कोई अपना होता है .... वरना जिंदगी एक बोझ के अलावा कुछ नहीं रह जाती .... वह जानती थी कि अहिल उससे नफरत करता है .... और अपनी किस्मत से डरती थी जिसने आज तक उसे कभी भी खुश नहीं रहने दिया....!!
काव्य जी , बंधन के पास आकर - बंधन यह मेरी बुआ दादी हैं । मेरे ससुर जी की छोटी बहन ...... खास तुमसे मिलने आई है .....जाकर आशीर्वाद लें लो ...!!
काव्या जी इतना कहते ही बंधन गर्दन हिलाते हुए बुआ दादी के सामने जाकर खड़ी हो गई । इस वक्त वह अहिल के पीछे खड़ी थी जैसे अहिल को एहसास हुआ कि उसके पीछे बंधन खड़ी है वह हटकर साइड हो गया ..... अब बंधन और बुआ दादी आमने-सामने थी बुआ दादी बंधन को ऊपर से नीचे तक घूर कर देख रही थी जिससे बंधन कुछ असहज सी हो गई ....... लेकिन उनको घूरना अभी भी जारी था ..!!
बंधन ने जी झुकते हुए उनके पैर छुए और अपनी धीमी सी आवाज में - प्रणाम बुआ दादी ....!!
बुआ दादी को बंधन की आवाज एक पल के लिए मीठी सी लगी ... उन्होंने इस ख्याल को झटकते हुए बंधन को एक नजर घूर कर मुंह बना लिया और अकड़ से - हां हां .... रहन दे छोरी .....!!
बंधन को उनका बर्ताव कुछ अजीब सा लगा जैसे वह अपने सामने बंधन को देखकर खुश नहीं हुई .... लेकिन बंधन को ऐसी नजरों की आदत थी तो उसे कुछ खास फर्क नहीं पड़ा । काव्या जी की नजरे गहराई से बुआ दादी की तरफ देखने लगी और वो खुद से ही - प्लीज कान्हा जी .... बंधन , बुआ दादी के दिल में अपनी जगह बना पाए ...!!!
तभी बंधन को कुछ याद साया और वह दरवाजे के पास रखें अपने सूटकेस और एक छोटे से बैग की तरफ बढ़ते हुए - मैं अभी आयी ....!! इतना कह कर वह अपना पर्स लेकर वापस आ गई .....!!
बुआ दादी के साथ सभी लोग बंधन को ही देख रहे थे लेकिन आहिल समझ गया था कि वह इस तरह भाग कर क्यों गई ?
इधर सुमन आंटी ने जैसे ही बंधन की आवाज सुनी तो किचन से बाहरआते हुए - ऐ बहुरानी .... तुम इतनी जल्दी मायके से आ गयी .... मुझे तो लगा था तुम एक-दो महीना तो रुक कर आओगी ही ....!!
इतना कहकर वह खुद ही ताली पीट कर हंसने लगी .... सुमन आंटी के इतना बोलते ही आहिल की मुठिया फिर से कस गई..... लेकिन वह कुछ बोलता उससे पहले काव्य जी मुस्कराकर - तुम्हारी जुबान कुछ ज्यादा चलने लगी हैं सुमन ...!!
आज पहली बार काव्या जी के मुंह से कुछ निकला था और इसी कारण सुमन आंटी ने चुप्पी साध ली लेकिन बुआ दादी की चेहरे पर एक गहरी मुस्कुराहट आ गई ।
इधर बंधन अपना पर्स लेकर आ गयी थी और फिर उसकी नजर सामने बैठी बुआ दादी पर पड़ी... जिन्होंने इस वक्त प्योर राजस्थानी घाघरा और चोली पहन रखा था । हल्के पीले रंग की चुनरी ...जिसे उन्होंने सलिके से सिर पर ओढ़ रखा था .... माथे पर सजी मोटी सी बिंदी .... उनके चेहरे पर छाये कड़कपन को जाहिर कर रही थी और हल्की झुरिया दिखा रही थी कि उन्होंने अपनी जिंदगी का बहुत सा वक्त गुजार दिया हैं .... लेकिन इन सबसे दूर बंधन तो कुछ अलग ही तौल भाव करने में लगी थी ..... उसने पर्स में से टटोलकर एक गजरा निकाला और फिर हल्की मुस्कान सजाये .... जो एक पल में ही वापस सिमट गई थी और उसकी जगह गंभीरता ने ले ली थी- मुझे आपके आने के बारे में नहीं पता था बुआ दादी जी वरना मैं आपके लिए एक अच्छा सा तोहफा लाती ... मेरी दादी कहती थी कि कभी भी आप किसी से पहली बार मिलो तो खाली हाथ नहीं मिलते हैं और मेरे लिए उनकी बातें और अपना परिवार दोनों बहुत मायने रखते हैं ... इसलिए यह छोटा सा तोहफा आपके लिए ... अभी इस वक्त आपको देने लिए ..... मेरे पास इससे ज्यादा कुछ भी नहीं है । उम्मीद हैं आपको यह पसंद आएगा .......!!
लेकिन बुआ दादी का ध्यान तो सिर्फ उस गजरे पर ही टिका था...!! जो उन्हें अपनी जिंदगी की कुछ हसीन यादें , याद दिल गया । उनके पति भी तो जब भी वो रुठती तो उनके लिए गजरा ही लेकर आते थे । क्योंकि उन्हें फूलों की खुशबू से अलग ही लगाव था और जब उनके पति कहते कि - गायत्री जी , देखीए हमने आपकी पसंद को आपके सिर में सजा दिया ... अब आप इन फूलों की पंखुड़ियां से आई भीनी भीनी खुशबू को हर पल महसूस कर सकती हैं तो उनका दिल अपने पति के मन में अपने लिए छिपे प्यार को देखकर खुश हो उठता था । बहुत वक्त गुजर गया जब वह उनको छोड़कर हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गये । इसके बाद , उनके बालों में किसी ने गजरा सजाया ही नहीं .... और वक्त के साथ उनकी यह इच्छा दिल के किसी कोने में सिमट कर रह गई .....!! लेकिन आज फिर किसी के दो मुलायम से हाथ उनकी तरफ बड़े थे जो उनको उनकी जवानी के खूबसूरत से पल याद दिला गए ....!! उनके चेहरे पर इस वक्त प्रशंसा वाले भाव थे लेकिन उन्होंने अपने चेहरे को कठोर ही बनाए रखा ..... और खुशबू की तरफ देखते हुए - खुशबू , छोटी बिंदनी से गजरा लेकर म्हारे बाला म सजा दे ......!!
जारी हैं............
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आगे ........
बंधन को अब और बुआ दादी के सामने रहने में असहज फील हो रहा था क्योंकि उनकी घूरती निगाहें , सिर्फ बंधन पर टिकी थी इसलिए वो काव्या जी की तरफ देखकर ,पर्स में से बहुत सारे गजरे निकाल कर .... उनके हाथों में थमा देती हैं और फिर - मां , हम सूटकेस कमरे में रखकर आते हैं ।
अहिल सिर्फ बंधन को ही देख रहा था इसलिए थोड़ी तेज आवाज में , सुमन आंटी आप बंधन की हेल्प कर दिजिए ....!!
यशु भी शरारती मुस्कान लिए - हां ... आन्टी....!! उसके चेहरे पर छाई मुस्कुराहट देखकर , अहिल थोड़ा सा झेंप गया । बंधन सुमन आंटी के साथ सूटकेस लिए ऊपर जा चुकी थी इधर खुशबू सिर्फ बंधन को घूर रही थी लेकिन किसी का भी ध्यान खुशबू पर नहीं था ......!! बुआ दादी की तीखी नजरे सिर्फ बंधन की पीठ पर टिकी थी वो मन ही मन - सही में हिरा चुना हैं काव्या ने म्हारे पोते वास्ते ..... जो छोरी सभी के चेहरे पर खुशियों बांटना जाने है वह गलत हो ही नहीं सके पर म्हारे को जानणा हैं कि थारा... मन सच्चा छ या छलावा ......!!
काव्या जी हैरानी से - यह सब क्या है अहिल .... इतने सारे गजरों का हम क्या करेंगे ?
जिस पर अहिल को बंधन के कहे शब्द याद आये और काव्या जी के सामने आकर कुछ पल ठहरने के बाद - माॅम , आपकी बहू ... इनके बदले किसी के लिए मुस्कुराहट खरीद कर लायी हैं और फिर उसको सोसाइटी में अपने नंबर बढाने का भी शौक चढ़ा हैं ....!!
काव्या जी नासमझी से - मतलब....!!
जिस पर अहिल , बुआ दादी के बगल में सोफे पर बैठते हुए - हम्म .... आपकी बहू को लगता है कि वह आपके साथ मिलकर सोसाइटी की औरतों को यह गजरे बांटेगी इस तरह उनकी बुराई को अच्छाई में बदल सकती है ।
यह सुनते ही बुआ दादी की हंसी छूट गई और वह हंसते हुए -अरे तन्ने याद है काव्या बहू... तू भी तो ऐसो ही कर्यो थो जद सब रिश्तेदार थारी सास ने ताना कसता रह्या था कि ऐसी पढ़ी-लिखी बहू ल्याई अर अपनै पैऱां पर कुल्हाड़ी मार ली।( अरे तने याद हैं काव्या बहूं ... तुमने भी तो ऐसा ही किया था जब सब रिश्तेदार ... तुम्हारी सास पर ताने कसे रहे थे कि तुम जैसी पढ़ी लिखी बहु लाकर ... उन्होंने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी हैं । )
जिस पर काव्या जी हंसते हुए - हम्म .... मुझे भी वही याद आ रहा था अभी बुआ दादी .... किस तरह सभी रिश्तेदारों का मुंह बंद करने के लिए मैंने उन सभी को सुंदर-सुंदर डिजाइनर साड़ियां बांटी थी और एक ही पल में वह लोग मेरी अच्छाइयों में कसीदे पढ़ने लगे थे पर इन सब में मेरी सारी खूबसूरत साड़ियां चली गयी ।
यशु नासमझी में - पर मॉम.... ! कोई एक साड़ी में कैसे खुश हो सकता है ।
इस पर काव्य जी कुछ बोलती उससे पहले ही बंधन के ख्यालों में खोया हुआ आहिल - हम्म ....औरतों का एक उसूल होता है यशु कि वह छोटी-छोटी चीजों में खुश होना जानती है ।
काव्या जी हैरानी से - दैट्स राइट लेकिन तुम्हें यह सब कैसे पता क्योंकि आज तक तो तुमने इस तरह की चीजों में कोई दिलचस्पी दिखाई नहीं ....!! हैरान तो बुआ दादी भी थी क्योंकि जिस अहिल को , वह जानती थी वह सिर्फ और सिर्फ अपने परिवार को खुश रखने में और अपनी जिम्मेदारियां को निभाने में ही ध्यान देता था । काव्या जी की तरह वह भी अहिल के अगले जवाब का इंतजार कर रही थी । वही उनके इस सवाल पर , अहिल अपने ख्यालों से बाहर लौटा था और उसने मन ही मन खुद को कोस कि उसने यह सब बोला ही क्यों ? फिर उसकी निगाहें काव्य जी और बुआ दादी पर ठहरी , जो उसकी तरफ ही देख रही थी ।
उसने खुद को एक बार देखा और फिर उन दोनों को देखते हुए - आप इतना हैरान क्यों हो रही है ? वैसे भी यह सब मैंने नहीं कहा है ? आपकी प्यारी बहू ने कहा जब मैंने भी यही सवाल पूछा था ।
काव्य जी गहरी सांस लेते हुए - ओह ! अच्छा ....!! उनका रिएक्शन इस तरह का था जैसे वह इस तरह के जवाब की उम्मीद आहिल से नहीं कर सकती थी और जैसे ही उन्हें पता चला कि बंधन का जवाब था तो उन्होंने खुद को रिलैक्स किया था ।
लेकिन यशु , अहिल के गले से लटकते हुए - लेकिन मुझे अभी भी कुछ समझ नहीं आया ....!!
अहिल खड़े होते हुए - और वह समझने के लिए अभी तुम बहुत छोटी हो ....!!
खुशबू जो अब तक खामोशी से अहिल को ही निहार रही थी वो बेख्याली में - अहिल जी सही कह रहे हैं ...!!
उसके इतना कहते सभी ने चौंक कर उसकी तरफ देखा ... क्योंकि अब तक सभी अपने में ही मशगूल थे और इन सब में खुशबू तो किसी को दिखी ही नहीं ....!!
खुशबू की आवाज सुनकर अहिल ने पहले एक नजर उसको देखा फिर उससे नज़रें हटाकर काव्या जी की तरफ देखते हुए पलकें उचकायी तो उसका सवाल समझ कर काव्या जी - बुआ दादी की दोस्त की पोती हैं । अभी बुआ दादी के साथ ही रहती हैं। उसने कभी शहर देखा नहीं तो शहर घूमने के लिए उनके साथ यहां आयी हैं .....!!
अहिल ने गर्दन हिलाते हुए घड़ी की तरफ देखा , जिसमें छ: बज चुके थे फिर उसकी नजर सीढ़ियों से नीचे आ रही .... सुमन आंटी पर पड़ी तो वो खड़े होकर - माॅम ! बुआ दादी को अभी रेस्ट करना चाहिए । थोड़े वक्त में डिनर का टाइम भी हो ही जाएगा .... तो आप उनको रूम में लेकरजाइए ... तब तक मैं भी चेंज करके आता हूं ....!!
इतना कह कर ...वो बुआ दादी , यशु और काव्या जी के माथे को चुमते हुए , ऊपर अपने रुम की तरफ बढ़ गया ।
अहिल सीढियों की तरफ बढ़ा और सुमन आंटी सीढियों से नीचे आ रही थी जब अहिल , उनके नजदीक से गुजरा तो सुमन आंटी ने आवाज़ लगाते हुए अहिल को रोकनें की कोशिश करी लेकिन वो उनको इग्नोर करते हुए ऊपर चला गया ।
उसने जैसे ही धड़ाम से अपने रूम का दरवाजा खोला तो उसकी आंखें हैरानी से फटी रह गई ...
और इधर सुमन आंटी - आज तो अहिल बाबा गए ......!!
जारी हैं .........
आगे..........
उसने जैसे ही धड़ाम से अपने रूम का दरवाजा खोला तो उसकी आंखें हैरानी से फटी रह गई ...
उसकी धड़कनें एकदम ही रुक गयी और फिर वहां दो चीखें निकली .....एक बंधन की और दूसरी अहिल की .....अहिल एकदम से पलटते हुए - तुममें इतने भी मेनर्स भी नहीं हैं क्या ? कपड़े चैंज करने के लिए रुम नहीं चेंजिंग रुम होता हैं ...!!
उसके इतना बोलते ही बंधन ने खुदको देखा । इस वक्त उसने ..सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज ही पहन रखा था और साड़ी की प्लेटें ... उसके हाथ में थी । घबराहट और शर्म के मारे ... उसके हाथ से प्लेटें छूटकर नीचे गिर गयी । उसे एक अजीब सी बैचेनी ने घेर लिया ...!! वो अपनी स्थिति संभालने की कोशिश कर ही रही थी । अहिल की आवाज से उसका दिमाग गर्म हो गया - अब मुंह में दही क्यों जमा रखा हैं ?
इस वक्त बंधन के सामने , अहिल की पीठ थी और अहिल का चेहरा दरवाजे की तरफ ....जिसे उसने अंदर से लाॅक कर दिया था ।
बंधन फटाफट प्लेट्स बनाते हुए - अब मेनर्स तो आपमें भी होने चाहिए ना कि किसी के रुम में आने से पहले नाॅक कर दिया जाये ।
बंधन का इतना कहना अहिल को गुस्सा दिला गया । उसने पीछे की तरफ घूमते हुए - तुम ... फोर योवर काइंड इन्फोर्मेशन मिस बंधन .... यह रुम .. मेरा हैं ।
लेकिन उसकी धड़कनें फिर से रुक गयी क्योंकि सामने बंधन झूककर अपना पल्ला उठा रही थी । अहिल वापिस पीछे मुड़कर गुस्से से - तुम फटाफट पहले अपनी साड़ी पहनो और ....!!
वो आगे कुछ बोलता तब तक बंधन जिसका दिमाग ... मिस बंधन में अटका था । उसका गुस्से का पारा एकदम हाई हो गया । अहिल का बार बार यह याद दिलाना कि वो उसे ...अपनी वाइफ नहीं मानता हैं ..... यही उसके गुस्से को ट्रिगर कर गया । उसकी आंखें गुस्से से लाल पीली हो गयी । उसने पल्ला अपने कन्धे पर रखा और फिर गुस्से से - आई एम नाॅट मिस बंधन .... आई एम मिसेज बंधन अहिल शर्मा ...और यह बात अच्छे से याद कर लिजिए क्योंकि आपको शायद भूलने की बिमारी हैं तब ही हर बार अपनी वाइफ को भूल जाते हैं ।
उसको गुस्से में देखकर , अहिल की सांसें थम सी गयी । उसकी निगाहें वापिस बंधन की तरफ उठी ... जो बिल्कुल तैयार खड़ी थी । उसने राहत भरी सांस ली और फिर खुद से - इसे मिस बंधन कहने पर ही इतना गुस्सा आ गया ....!!
लेकिन उसने अपना सिर झटका और फिर - मैं तो नहीं भूला कि आप मेरी पत्नी हैं बंधन लेकिन आपको शायद बार बार याद करने की जरुरत पड़ती हैं । तभी तो आप मुझे अपने ही कमरे में आने के लिए ... नाॅक करने के लिए बोल रही हैं एंड वन मोर थिंग अगर आपको ऐसे देख भी लिया तो इसमें कोई बुरी बात भी नहीं क्योंकि आप मेरी लिगली वाइफ हैं और इस बात का ढिंढोरा तो अभी अभी , आपने खुद पीटा हैं ।
पता नहीं इस वक्त में ऐसा क्या था कि अहिल सबकुछ भूलकर .... अब तक बंधन के बिल्कुल करीब आ चुका था और बंधन की निगाहें उसकी निगाहों में कुछ इस तरह उलझी की उसकी किसी और चीज का होश ही ना रहा ...!!
अहिल , उसके बिल्कुल करीब आकर अपनी एक अंगुली से ... उसके गालों को चूमती ... छोटी सी ज़ुल्फ को कानों के पीछे करके .... और मुंह से उसके चेहरे पर फूंक मारते हुए कान में सरगोशी से - आपको हर तरह से देखने का हक सिर्फ हमें ही हैं मोहतरमा .....तो इतनी बैचेनी अच्छी नहीं .... पर गुस्से में और क्यूट लगती हैं आप बिल्कुल लाल टमाटर ....!! इतना कहकर ... अहिल चेंजिंग रुम में चला गया लेकिन उसके बोले गये शब्द ... बंधन के कान में मिश्री की तरह घुल रहे थे ।उसका दिल उछलकर बाहर आने को तैयार था । उसको होश तब आया जब चेंजिंग रुम का दरवाजा बंद होनी की आवाज आयी । उसने अपनी झुकी हुई निगाहों को सामने मिरर में खुदको देखने के लिए उठाया तो अपने हया से सबरोबर लाल चेहरे को एक पल देखकर ही ... पलकें वापिस नीचे गिर गयी । उसका दिल अलग ही रफ्तार से धड़क रहा था और नसों में बहता खून ...एक पल को जम सा गया था ... उसका मन कर रहा था कि जाकर एक अंधेरे कोने में छूप जाये ताकि वो खुद ही खुदका अक्श ना देख पाये ।
इधर अहिल चेंजिंग रुम के दरवाजे से सिर टिकाकर गहरी गहरी सांसें लेने लगा । उसे अपने अंदर एक अलग ही उफान उठता सा महसूस हुआ था ....खुदके अंदर उठी बैचेनी को शांत करना ... उसके लिए बहुत मुश्किल हो गया था। उसे नहीं पता था कि बंधन की हल्की सी करीबी ... उसे इस हद तक बैचेन कर देंगी ....... अनजाने में ही आज वह कुछ ऐसा कर आया जिसकी उसे खुद को उम्मीद नहीं थी लेकिन उस वक्त वह खुद को एक अलग ही मोहपाश में बंधा हुआ पा रहा था । उसका खुद पर ना तो कोई कंट्रोल था और ना ही होश ... कि वह कर क्या रहा था लेकिन अभी कुछ पल पहले ही उसने जो किया ... उसके बाद अब उसे बंधन से नजरें मिलाने के अहसास भर से झिझक हो रही थी । उसे अच्छे से याद था - उसने ...जो कुछ भी अब तक बंधन से कहां था ....ना तो वह उसे अपनी पत्नी मानता हैं और ना ही उसे बंधन से प्यार था फिर किस हक से , वह उसके इतने करीब चला गया ....और जो उसने कहां ... अहिल को अब खुद को आॅक्वर्ड फील हो रहा था । जिस तरह का उनका रिश्ता था ... उसमें ऐसी बातों की जगह ही नहीं थी फिर वो तो बंधन पर गुस्सा कर रहा था तो एकदम से उसका मुड़ चेंज कैसे हुआ ? उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसको हो क्या रहा था ? उसने गुस्से से खुदकी मुट्ठी को कसकर दिवार पर मार दिया और फिर दर्द के अहसास से तिलमिला सा गया ।
अहिल इन सब के बारे में तो सोच रहा था लेकिन उसे अहसास तक ना था कि उसकी एक हरकत आगे जाकर बंधन को किस तरह तोड़ेगी ....!
जारी हैं ..........
वैल बहुत मुश्किल से पार्ट लिखा हैं तो कमेंट्स भी आने ही चाहिए एंड डियर रिडर्स .... अगर आपको कहानी पसंद आई रही हैं तो कमेंट्स करना ना भूले और फाॅलो माई प्रोफाइल आल्सो ......☺️☺️☺️
आगे .........
बंधन के चेहरे पर एक अलग ही हिचकिचाहट और शर्म थी लेकिन तभी उसके दिमाग में एक बात गुंजी - मैं , यह शादी सिर्फ अपनी मां के लिए कर रहा हूं .... -....और शादी से पहले अहिल का उससे बातें करना ....वो उनकी पहली काॅफी डेट .....फिर सबकुछ एकदम से ही बदल गया .......आप मेरी लिए जिम्मेदारी से बढ़कर कुछ नहीं ......और उसका नीरज से यह कहना ....नहीं .....पर मुझे उसके बारे में बात ही नहीं करनी । मुझे बस जल्दी ही उसे अपनी जिंदगी से बाहर निकालकर फेंकना हैं वरना वह ... मेरे परिवार को बर्बाद कर देंगी । उसके मासूम से चेहरे के पीछे छिपे घिनौने चेहरे को सिर्फ मैं , जानता हूं ।
उसका हर वक्त , उसे इग्नोर करना ..... कड़वी बातें कहना .... सबकुछ एक पल में ही याद आ गया .... बंधन की आंखें दर्द से बंद हो गयी और एक बूंद आंसु टपककर .... कहीं गुम सा हो गया । अभी कुछ देर पहले के मीठे पल ... अब उसे ख्वाब से लगने लगे । जिस इंसान ने कुछ ही दिनों में उसे दर्द से भर दिया ...वो कैसे एक पल में ही सारे दर्द भूल सकती थी । उसे अब इसमें भी अहिल की कोई चाल नजर आने लगी । जिस इंसान की नजरों में वह धोखेबाज और मक्कार से ज्यादा कुछ नहीं ...वो इंसान उसके इतने करीब आकर .. इतनी प्यार भरी बातें करेगा शायद इसमें अहिल जी की कोई चाल ही होगी । उन्होंने यह सबकुछ मुझे तोड़ने के लिए ही किया होगा लेकिन उन्हें क्या पता कि मैंने तो सहने की हर सीमा पार करी हैं । कोई दर्द , ऐसा नहीं जो मुझे तोड़ पाये ...बंधन के मन में इस वक्त यही सबकुछ चल रहा था ।
कुछ पल पहले का खुशनुमा पल अब जहर में बदल गया था । बंधन और अहिल के दिमाग में इस वक्त अलग अलग बातें चल रही थी जहां अहिल सोच रहा था कि वो अब बंधन का सामना कैसे करेगा ? वहीं बंधन की नजरों में तो वह गलत साबित हो चुका था ।
अब मसला यह नहीं था कि अहिल को बंधन की नीयत पर शक था बल्कि मसला , यह बन चुका था कि अहिल , बंधन को अपनी नीयत पर भरोसा कैसे दिलवा पायेगा ?
खैर बंधन ने सारे ख्यालों को सिरे से नकारा और बाहर जाने के लिए बढ़ गयी । कुछ देर पहले जो गाल , शर्म से गुलाबी हो रहे थे वो अब गुस्से से लाल हो गये थे .... आंखें हल्की तीखी और गुस्से से भरी थी ।
बंधन के मन में सिर्फ एक ख्याल चल रहा था कि वो इस बार अहिल जी को जाने नहीं देंगी ... उन्होंने सोच भी कैसे लिया कि वो उसके साथ इतनी घटिया हरकत कर सकते थे ।
अहिल अपने कपड़े चेंज कर चुका था और बस बंधन के रुम से बाहर जाने का ही इंतजार कर रहा था जैसे ही उसे दरवाजा खुलकर बंद होने की आवाज आयी । उसने चेंजिंग रुम के दरवाजे को हल्का सा खोला और हल्का सा सिर बाहर निकालकर देखा कि असल में बंधन कमरे से जा चुकी थी और फिर बाहर आकर उसने गहरी सांस ली थी । कुछ पलों में ही उसे नानी याद आ गयी थी और वो तो दस बार कसम भी खा चुका था कि अब बंधन के करीब से भी नहीं गुजरेगा । अब उसकी यह कसम कहां तक मुकम्मल होने वाली थी यह तो भगवान को ही पता ...!!
वो अब बिल्कुल रिलैक्स फील कर रहा था और फिर वह बिल्कुल बेड़ पर गिर ही गया । इन सब में वह भूल चुका था कि वो सुबह ही डाॅक्टर से मिलकर आया था वो भी बंधन के हेल्थ इश्यू को लेकर .....!!
इधर बंधन जैसे ही नीचे आयी तो काव्या जी भी शायद बुआ दादी के रुम से ही आ रही थी । सुमन आंटी भी जा चुकी थी .... बंधन ने जैसे ही काव्या जी को देखा तो उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट आ गयी ....जब तक वह काव्या जी के पास पहुंची , उसने अपनी मुस्कराहट को समेट लिया .... काव्या जी ने बंधन को देखा तो वह मुस्कराते हुए - अरे बेटा ! अभी तो डिनर में वक्त हैं और तुम इतनी जल्दी ...!!
जिस पर बंधन , एक नजर चारों तरफ देखकर - मैंने सोचा कि कुछ वक्त आपके साथ बीता लूं । सुबह से आपसे बात करने का मौका ही नहीं मिला और फिर बुआ दादी का आज इस घर में पहला दिन हैं तो उनके लिए कुछ स्पेशल तो बनना पड़ेगा ना मां .......!!
उसकी बात सुनकर काव्या जी - तुम सबके बारे में कितना सोचती हो बेटा ...!! वैसे मैं , उनके लिए उनकी पसंद का शुगर-फ्री मुंग दाल का हलवा ही बनाने जा रही थी ... उनको और अहिल को बहुत पसंद हैं ना इसलिए .....!!
जिस पर बंधन मन में - तो इनको मुंग दाल का हलवा पसंद हैं । कड़वे करेले जैसे तो हैं और खाने में मीठा पसंद हैं .... उसने बुरा सा मुंह बनाया क्योंकि बंधन को मीठा बिल्कुल पसंद नहीं था सिर्फ गिनी चुनी चीजों को छोड़कर .....!!
फिर सिर झटकते हुए - मां .... तो आपके साथ मैं भी किचन में चली रही हूं । आप , मुझसे बातें करना और मैं हलवा बना दूंगी ।
जिस पर काव्या जी गर्दन हिलाते हुए बंधन के पीछे चल दी लेकिन उनके मन में एक ही ख्याल चल रहा था - हम , तुम्हारी मासुमियत को कभी नहीं खोने देंगे बेटा .... क्योंकि तुम हमारे लिए वो हीरा हो जिसे कान्हा जी ने बिना किसी कोशिश के हमारी झोली में डाल दिया । हम जल्दी ही तुम्हारे सारे जख्मों को भर देंगे और फिर तुम खुलकर मुस्कराओगी जैसे यशु मुस्कराती हैं ।
इधर बंधन के दिमाग में एक अलग ही शरारत चल रही थी । काव्या जी के प्यार की वजह से बंधन बदल रही थी और इसकी शुरुआत अब होने को थी और इसकी पहली झलक भी उनको बहुत जल्द देखने को मिलने वाली थी ।
बुआ दादी के दिमाग में सिर्फ एक ख्याल चल रहा था कि कैसे भी उनको यह पता चल जाये कि बंधन , उनके पोते के लिए एक सही जीवनसाथी थी भी या नहीं .....!!
खुशबू , उसकी निगाहें तो बस उस घर की खुबसूरती को कैद करने में लगी थी जो उसने सिर्फ सिरियल में ही देखी थीं ।
यशु चहकते हुए बुआ दादी को सबकुछ बताने में बीजी थी ... उसे पता ही नहीं था कि आसपास चल क्या रहा हैं... लेकिन अहिल इस वक्त चैन से सोया था ।
जारी हैं ........
वैसे बंधन की शरारत क्या बवाल मचाने वाली थी शर्मा निवास में ....और काव्या जी अपने मकसद में कामयाब हो पायेगी .... जानने के लिए बंधन एक समझौता .....