कहते हैं इश्क जिंदगी के मायने बदल देता हैं जहां हम खुद के लिए नहीं किसी और के लिए जीते हैं लेकिन हमारी बंधन शर्मा की जिंदगी के मायने तो एक शादी ने बदल दिये जहां उसका सबकुछ बदल गया और फिर शुरू हुई एक ऐसी दास्तान जिसने बंधन को ही बदल दिया तो क्या होग... कहते हैं इश्क जिंदगी के मायने बदल देता हैं जहां हम खुद के लिए नहीं किसी और के लिए जीते हैं लेकिन हमारी बंधन शर्मा की जिंदगी के मायने तो एक शादी ने बदल दिये जहां उसका सबकुछ बदल गया और फिर शुरू हुई एक ऐसी दास्तान जिसने बंधन को ही बदल दिया तो क्या होगा - एक ऐसा शादी का जिसकी नींव ही समझौता हो ? क्या बंधन कभी अपनी जिंदगी बदल पायेगी । जिसे कभी किसी का प्यार नसीब नहीं हुआ ... वो किसी का प्यार हासिल कर पायेगी ? जानने के लिए पढ़िये....बंधन - एक समझौता ।
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एक साधारण से घर में पली बड़ी बंधन शर्मा की शादी उसके माता-पिता ने एक अपर मिडिल क्लास फैमिली में कर दी ...!! बंधन में बचपन से अपने परिवार में शादी के नाम पर समझौते और जिम्मेदारियां ही देखी थी जहां पर दो लोग सिर्फ जिम्मेदारियां की वजह से एक दूसरे के साथ है ना कि प्यार की वजह से...!! अपनी माता-पिता के चार बच्चों मे बंधन चौथे नंबर पर आती थी , जिनकी तीन बेटियां और एक बेटा था ...!! बंधन के माता-पिता को बंधन से कुछ खास लगाव नहीं था क्योंकि वह इस दुनिया में उनकी खुद की गलती की वजह से आई थी वरना वह कभी चौथा बच्चा करना ही नहीं चाहते थे जब उनके तीसरी औलाद एक बेटा हो गया था । इसी वजह से वह हमेशा शांत ही रहती थी । अपनी बहनों के कपड़े पहनना उनकी किताबें यूज करना... मतलब उसे आज तक सब कुछ उनका उतरा हुआ ही मिला था । जब उसकी बड़ी बहनों का किसी चीज से मन भर जाता तो वह चीज बंधन के हिस्से आ जाती थी । 1 साल में केवल दिवाली पर उसे नए कपड़े मिलते थे लेकिन बंधन ने कभी शिकायत करना सही नहीं समझा ... इसलिए जब उसके माता-पिता ने उसकी शादी उसके ग्रेजुएशन करते ही एक दूसरे शर्मा परिवार में कर दी । बंधन को ऐसा लगता था कि वह अपने परिवार पर एक बोझ है और अब वह बोझ किसी दूसरे परिवार पर डाल दिया गया हैं लेकिन बंधन ने तो कभी विरोध करना सीखा ही नहीं .....!!
बंधन की शादी आहिल शर्मा से हुई है जो एक सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर है और उसकी महीने की तनख्वाह 120000 और उसके परिवार ने दहेज की मांग भी नहीं रखी और यही कारण था कि उसके माता-पिता ने शादी करने में कोई भी ढिल नहीं की ...!!
बाकी बातें आगे कहानी में चलते हुए करेंगे .....
पूरा कमरा रंग बिरंगी फूलों से सजा था और उसमें खामोशी से एक लड़की बेड पर बैठी थी । अभी कुछ पल पहले उसके कुछ सपने टूटे थे लेकिन बंधन को उनके टूटने का कोई दुख नहीं था क्योंकि सपने देखना तो उसने वक्त के साथ बहुत पहले ही छोड़ दिया था अब तो वह सिर्फ जी रही थी ... वह भी बीना किसी ख्वाहिश के ...
अहिल कुछ देर पहले ही रुम में आया था और उसे आराम से सोने के लिए कहकर एक कंबल उठाये छत पर चला गया उसने अपने लहंगे को संभालते हुए कमरे की खिड़की की तरफ कदम बढ़ा दिये और बाहर देखने लगे .... बाहर आसपास बहुत सारे घर थे और हर घर के आगे एक छोटा सा गार्डन .... अहिल के घर के आगे भी था जिसमें बहुत सारे फूल लगे थे और उनके बीच ही एक झूला .......!!
फिर एकाएक ही उसकी नजरे चांद पर चली गयी और उसके मुंह से शब्द निकलने लगे -
शायद इस रिश्ते का अंजाम हमें पहले से पता था इसलिए भी हमने इसे चुना ..... हमें अहिल जी से शिक़ायत बिल्कुल भी नहीं हैं क्योंकि उन्होंने पहले ही कहां था कि वो हमसे शादी सिर्फ अपनी मां के कहने पर कर रहे हैं । दुःख हुआ था एक पल के लिए कि फिर हम किसी पर बोझ बन गये ... लेकिन दिल में एक ठंडक सी उतरी , जब उन्होंने कहां कि उनके दिल में कोई नहीं हैं । हम कभी भी उनसे यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाते कि उनके दिल में कोई और हैं क्या ? शादी के लिए मना करने की हिम्मत.... हममें नहीं थी कि क्योंकि आज तक हमसे कोई भी फैसला लेने से पहले किसी ने अपनी राय रखने ही नहीं दी लेकिन दुःख भी नहीं हुआ.... क्योंकि उनकी आंखों में एक सच्चाई थी। उनकी मां से पता चला कि पहले अहिल जी की सगाई हो गयी थी लेकिन लड़की ने हमपर दहेज का केस लगा दिया था क्योंकि उसे किसी और लड़के से प्यार था ।
एक पल के लिए दिल में डर बैठ गया लेकिन वो हमारे मामा जी के जानकार थे तो खुद को समझा लिया ।
दूसरों से क्या शिकायत जब हमारे परिवार को ही हमारी चिंता नहीं बस अपना हर फर्ज निभाना चाहते हैं क्योंकि प्यार और इंसानियत की उम्मीद लगाना हमनें बहुत पहले छोड़ दिया ।
इसके बाद उसे अपना दिल हल्का महसूस हुआ तो वह गहने उतारने लगी । सभी गहनों को संभालकर अलमारी में रखने के बाद , उसने कपड़े बदले और एक सिंपल सी साड़ी पहनकर ... सोने के लिए बिस्तर पर चली गयी ।
...............
सुबह का समय ...
छ: बजे
बंधन ने नहाने के बाद , एक लाल कलर की साड़ी पहनी और फिर बाल झाड़ते हुए खिड़की के सामने खड़ी हो गयी । सूरज हल्का सा बाहर आने लगा था ।
तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी तो उसने फटाफट मांग में सिंदूर भरकर सिर पर पल्लू लेते हुए दरवाजे की तरफ चली गयी । उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने अहिल खड़ा था । उसने , अहिल को हैरानी से देखा और फिर नासमझी में - आप ........!!
अहिल ने बीना किसी भाव के - हां मैं , यह मेरा भी कमरा हैं तो आ सकता हूं ।
बंधन हैरानी से साइड में हटते हुए - जी ...... !!
अहिल अंदर आते हुए - आप घर में किसी को बताना मत कि रात को मैं कमरे में नहीं था .... मां परेशान होगी ।
इतना कहकर , वह अपने कपड़े लिए बाथरुम में चला गया और बंधन बस उसे हैरानी से देखती रह गयी । जो एक पल में सारी बातें कहकर बाथरुम में घूस गया था ।
उसने भी बालों को कंघी करी और बिंदी लगाकर नीचे की तरफ बढ़ गयी । उसने अभी तक बाहर हाॅल से अपने कमरे तक का ही सफर तय किया था .....जो पहले फ्लोर पर था और वह सीढियां उतरते हुए ग्राउंड फ्लोर पर हाॅल में आ गयी ।
हाॅल में बिल्कुल सन्नाटा था और वह बस नासमझी से इधर-उधर देख रही थी । उसे क्या पता था कि इस घर में सात बजे से पहले कोई नहीं उठता सिर्फ अहिल को छोड़कर...!! उसने चारों तरफ देखा तो पूरा हाॅल , शादी के कामों की वजह से बिखरा पड़ा था और बिना एक पल भी सोच उसने हाॅल की सफाई करनी शुरू कर दी । वह एक एक सामान को उठाकर उनकी सही जगह रख रही थी और साथ ही उसने डस्टिंग भी करनी शुरू कर दी ...... आधे घंटे में उसने पूरा हाॅल चमका दिया था और फिर हाॅल के साइड में बने मंदिर में चली गयी और जैसे ही उसने मंदिर को देखा तो उसकी आंखें वहीं पर टिक गयी और उसकी आंखों में नमी के साथ खुशी भी छलक आयी ।
जारी हैं ...........
आगे ........
बंधन ने पूरी जिंदगी में यही देखा था कि अगर परिवार के लोगों को खुश रखना हैं और खुदको , उनके गुस्से से बचाना हैं तो सारे काम बीना कहे किया जाये और इसलिए उसने अपने घर में हर काम अकेले ही किये थे और वक्त के साथ ,यह उसकी आदत बन गयी ..... इस उम्मीद में की कभी तो वो उससे , प्यार करेंगे लेकिन ऐसा तो हुआ नहीं पर बंधन घर के हर काम में जरुर पारंगत हो गयी ।
बंधन की आंखों में सामने कान्हा जी मूर्ती देखकर आंसू ही आ गये थे । आज से एक साल पहले ...
उसने तीन महिनों तक पैसे जोड़े थे क्योंकि उसे कान्हा जी कि एक खुबसूरत सी मूर्ती खरीदनी थी और आज वह बड़ा खुश थी कि आखिर कल जन्माष्टमी के लिए वह , कान्हा जी की मूर्ती खरीद ही लेंगी और उसने अपना चेहरा बांधा और निकल गयी बाजार ..... और तीन घंटे की मेहनत के बाद उसने एक खुबसूरत सी मूर्ती ढूंढ ही ली लेकिन तभी एक लड़का , उसके सामने आ गया और उससे - क्या आप यह मूर्ती , आप मुझे दे देंगी ...... बंधन ने वह मूर्ती बहुत मेहनत से ढूंढ़ी थी इसलिए जैसे ही वह गर्दन ना में हिलाने वाली थी । वह लड़का जल्दी से - देखिए मना मत कीजिए क्योंकि आज , मेरी मां का जन्मदिन हैं और मैं , उनको बेस्ट गिफ्ट देना चाहता हूं ।
अपनी मां के लिए , उसकी बातों में प्यार साफ छलक रहा था और इसलिए बंधन ने दुःखी मन से वह मूर्ति , उस लड़के की तरफ बढ़ा दी और वह लड़का उसके हाथ में पैसे रखते हुए चला गया और बंधन सिर्फ देखती रह गयी ।
बंधन मुंह पर हाथ रखते हुए - मतलब वो अहिल जी ही थे तभी उनको देखकर लग रहा था कि उनको मैंने कभी तो देखा था । उसने फटाफट मंदिर साफ किया और किचन की तरफ चली गयी । सारा किचन भी बिखरा पड़ा था और सिंक में बर्तनों का ढेर पड़ा था । सबसे पहले ... उसने किचन की सफाई करी और बर्तनों को सिंक में ही छोड़कर हाॅल में आकर घड़ी में टाइम देखा ... जिसमें सात बज गये थे लेकिन शादी की थकान की वजह से अभी तक कोई भी नहीं उठा था । उसने फिर से किचन की तरफ कदम बढ़ा दिये । तभी बाहर से घंटी बजने की आवाज आयी । वह फटाफट भागते हुए हाॅल की तरफ से मैन गेट की तरफ भागी जहां एक दूधवाला खड़ा था और उसे भी नहीं पता था कि वह शर्मा परिवार की नयी बहूं थी । वो - दीदी कुछ लाइए ना दूध देकर जाना हैं ।
बंधन खामोशी से वापिस किचन की तरफ भागी और फिर एक बड़ा डिब्बा लेकर दरवाजे पर आ गयी और दूधवाले ने उसमें तीन किलों दूध डाल दिया । जिस पर बंधन हैरानी से - इतना दूध .....।।
वह दूधवाला - वो दीदी , मैम साहब की नयी बहूं कि आज पहली रसोई होगी ना तो मैम साहब ने खीर बनवाने के लिए ज्यादा दूध मंगवाया हैं । इतना कहकर , वह निकल गया और बंधन फटाफट , दूध लेकर किचन की तरफ भागी ......!!
उसने सबसे पहले मंदिर से आरती की थाल लाकर चूल्हा पूजन की रस्म करी और फिर दूध को गैस पर चढ़ा दिया और एक एक डिब्बें का ढक्कन हटाकर , चावल चीनी और ड्राइ फ्रूट्स ढूंढने लगी ।
कुछ देर की मशक्कत के बाद आखिर उसने सारे सामान ढूंढकर स्लैब पर रखे और फिर दूध में चावल डालकर , गैस को थोड़ा धीमा किया और बर्तनों को धोने में लग गयी । सारे बर्तन धोकर और पोंछकर .... वह सबकुछ सही जगह रखने लगी ।
फिर गहरी सांस लेकर चारों तरफ घूमकर देखने के बाद - परफेक्ट .... और कुछ देर बाद वह कटे हुए ड्राइफ्रूट्स खीर पर डालते हुए - पहले कान्हा जी को भोग लगाती हूं ।
वह भोग लेकर जाने ही वाली थी कि ... उसे बाहर से आवाज आयी - सुमन आंटी .....मेरी चाय ।
यह आवाज तो अहिल जी की हैं , यह सोचते हुए वह किचन से बाहर आकर - जी ......!!
सामने सिंपल लोवर और टिशर्ट में अहिल सोफे पर बैठा था और उसके सामने एक लैपटाॅप रखा था । उसने जैसे ही कोई अनजान आवाज सुनी तो हैरानी से किचन के दरवाजे की तरह नजरें उठायी तो वहां लाल कलर की साड़ी में दोनों हाथों को बांधे और सिर पर पल्ला लिये बंधन खड़ी थी ।
अहिल को थोड़ी सी हिचकिचाहट होने लगी । जिस शख्स के सामने आने से भी वह बचने की कोशिश कर रहा था....वह इस वक्त खुदको समेटे , उसके ही सामने खड़ी थी लेकिन अब बात तो करनी ही थी ।
अहिल खुदको संभालकर - सुमन आंटी .... आपको नहीं बुलाया ।
बंधन नासमझी में - जी ..उसे सच में ही समझ नहीं आया था कि सुमन आंटी कौन थी ।
अहिल - घर की मेड़ हैं और रोज सुबह सात बजे आ जाती हैं ।
जिस पर बंधन गर्दन हिलाते हुए - वो नहीं आयी ....!! अहिल ने पहली बार , बंधन के मुंह से जी के अलावा कोई और वर्ड सुना था लेकिन इस पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए - ओके ..
!
बंधन हिचकिचाते हुए - आपको कुछ चाहिए था । हाॅल और किचन में कुछ ज्यादा फासला नहीं था और इसलिए बंधन की धीमी और शांत आवाज भी अहिल को साफ सुनायी दे रही थी ।
अहिल ने एक पल के लिए उसे देखा और फिर - एक कप अदरक वाली चाय ...!!
बंधन गर्दन हिलाते हुए - जी अभी लाते हैं । इतना कहकर , वह वापिस किचन में घूस गयी और इधर अहिल चारों तरफ देखते हुए - यह हाॅल तो काफी बिखरा पड़ा था । मां अभी तक भी फिवर की वजह नहीं उठी हैं । यशी अभी तक भी सो रही हैं और सुमन आंटी अभी तक आयी नहीं हैं तो फिर हाॅल को साफ किसने किया फिर अचानक ही उसके मुंह से निकला - बंधन ने लेकिन .....वो यह सब क्यों करेंगी...पर उसके सिवा हाॅल में कोई और था भी तो नहीं....तो क्या , यह सबकुछ उसने किया ? वह अफसोस से अपनी आंखें बंद कर लेता हैं और एक महिनें पहले की यादों में खो जाता हैं .......... अहिल ने अपने पिताजी को साइलेंट अटैक आने की वजह से खो दिया था जब वह बाहरवी क्लास में पढ़ता था । उस वक्त , उसने सिर्फ जिंदगी को समझना शुरू किया था कि उसके और उसके परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया । सारी जिम्मेदारीया उस पर ही आ गयी ....उसकी मां तो बिल्कुल टूट चुकी थी और उसकी बहन ...वह तो सारे दिन रोती ही रहती थी । सबकुछ अहिल को ही संभालना पड़ा और इसके लिए उसने खुद को मजबूत बनाना शुरू कर दिया .... फाइनेंशियल उसके परिवार को ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ी क्योंकि उसके पापा सरकारी नौकरी में थे तो उसकी मम्मी को पेंशन मिलने लगी थी लेकिन इन सब में अहिल का बचपन कहीं खो सा गया । जो बच्चा हमेशा शरारतें करता रहता था ....जिसके पैरेंट्स आये दिन आने वाली शिकायतों से परेशान रहते थे ...वो कुछ खामोश और गंभीर होता गया । उसकी मां बीमार रहने लगी थी तो अहिल को अपने ही सिटी के काॅलेज में बीटेक के लिए एडमिशन लेना पड़ा । शुरु से ही दिमाग में तेज था और अब तो उसका सारा ध्यान ...अपनी मां और बहन का ख्याल रखने में और पढ़ने में ही रहता था तो वो सबकुछ बहुत अच्छे से हैंडल करने लगा था । वक्त के साथ सब संभलने लगे थे लेकिन इन सब में अहिल कहीं खो सा गया और जब तक उसकी मां को इस बात का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो गयी । उसे बिटेक के बाद एक अच्छी कंपनी में अच्छे पैकेज पर जाॅब मिल गयी थी और अब उसकी लाइफ में भी खुशियां आ जाये इसलिए उसकी मां , उसकी शादी करवाने पर जोर देने लगी थी । अहिल ने भी खामोशी से हांमी भर दी क्योंकि वो इन सब में अपनी मां को नहीं खो सकता था पर उसके मन में शादी को लेकर अजीब सा डर था .....जिसका किसी को अहसास तक ना था ।
अहिल की मां ने लड़कियां देखनी शुरू कर दी और अंत में उन्होंने एक मंदिर में बंधन को देखा था ... मासूम सी दिखने वाली साधारण सी लड़की, जो ज्यादा खुबसूरत तो नहीं थी लेकिन उसके चेहरे पर एक अलग ही तेज था जो सबको अपने मोह पाश में बांध लें । अहिल की मां काव्या जी भी उसके मोह पाश में इस तरह बंधी की उन्होंने तय कर लिया कि उनके बेटे की बहूं तो बंधन ही बनेगी और फिर उन्होंने बंधन की फैमिली के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया और तभी उन्हें पता चला कि बंधन के मामाजी , उनके पड़ोस में ही रहने वाला शुक्ला जी के जानकार थे तो बस उन्होंने, शुक्ला जी के जरीए , बंधन के मामाजी के कान में रिश्ते की बात डाल दी ।
जब वह अपने बेटे और बेटी के साथ बंधन के माता पिता से बंधन का हाथ मांगने गयी तो उन्होंने तो यह सुनकर ही हांमी भर दी कि उनको दहेज नहीं देना पड़ेगा और जब अहिल को बंधन से बात करने भेजा गया तो बस उसके मुंह से शब्द निकले थे कि वो अभी के लिए इस शादी के लिए तैयार नहीं था और अगर वो चाहे तो शादी के लिए इंकार कर दे । वो सिर्फ अपनी जिम्मेदारीया निभा सकता है जब और इससे ज्यादा वो उससे कोई और उम्मीद नहीं रखें।
उस वक्त बंधन की आंखों में सवाल थे और उन आंखों में आये सवाल को देखकर , उसके मुंह से अपने आप निकल गया था - कि अगर उनकी शादी होगी तो बंधन , उसकी जिंदगी में आने वालीं पहली और आखिरी लड़की होगी ।
उसे तो लगा था कि वो लड़की शादी के लिए मना कर देंगी लेकिन उसने तो हांमी भर दी और आज उसकी जिंदगी में भी शामिल हो चुकी थी ।
सबकुछ याद करते हुए अहिल की आंखें बंद थी और तभी किसी आवाज से उसकी आंखें खुली और बस फटी ही रह गयी ।
जारी हैं ........
अहिल के मन के डर को बंधन समझ पायेगी ?
आगे ...........
अहिल ने जैसे ही आहट से आंखें खोली तो बंधन उसके बिल्कुल करीब खड़ी थी और उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी और धड़कने बिल्कुल रुक सी गयी लेकिन इन सबसे अनजान बंधन .....चाय का कप रखते हुए - मां का रुम कौन-सा हैं ?
उसकी बात सुनकर, अहिल ने उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा तो , बंधन हिचकिचाते हुए - वो चाय .....इतना कहकर उसने , अपने हाथ में पकड़े ट्रे की तरफ इशारा किया, जिसमें एक कप चाय रखी थी ।
अहिल , उसका सवाल समझते हुए एक तरफ इशारा करते हुए - वो हैं , जिसपर बंधन तो उस तरफ चली गयी लेकिन अहिल खुद से ही - बड़ी ही अजीब हैं आज ससुराल में पहला दिन हैं और काम तो इस तरह कर रही हैं जैसे पता नहीं कितने सालों से रह रही हैं ? आई नो दैट कि यह सब बस दिखावा हैं । मैं भी देखता हूं कि कितने दिन तक इस तरह दिखावा करेंगी।
इधर बंधन ने हाथ में ट्रे पकड़े दरवाजा खटखटाया तो अंदर से बस एक आवाज आयी - आ जाओ !
हमेशा की तरह सुबह की चाय , काव्या जी के लिए सुमन ही लेकर आती थीं तो उनको लगा कि वहीं होगी लेकिन जैसे ही दरवाजा खुला और काव्य जी की नजर सामने गेट पर खड़ी बंधन पर पड़ी तो उनके मुंह से हैरानी से निकला - तुम ....!!
बंधन हिचकिचाते हुए अंदर जाकर - वो आपके लिए चाय लाये थे ...!!
जिसपर काव्या जी अपने सिर को पकड़े - हमें लगा कि शादी की थकावट की वजह से तुम आराम कर रही होगी लेकिन तुमने चाय क्यों बनायी ...तुम्हारी तो पहली रसोई भी अभी तक नहीं हुई....!!
लेकिन बंधन का ध्यान दो काव्य जी की बातों पर नहीं उनके हाथों पर था जो उनके सर को पकड़े बैठे थे ।
बंधन बीच में ही - आपके सिर में दर्द हैं .....!! काव्य जी हैरानी से - मतलब......!! जिस पर बंधन गर्दन ना में हिलाते हुए - जी ....वो आप सिर पकड़े बैठी हैं ना तो बस लगा कि सिर में दर्द होगा ....वैसे आप टेंशन मत लिजिए , हमने चूल्हा पूजन की रस्म भी कर ली और कान्हा जी के लिए भोग भी बना दिया हैं बस भोग लगाना बाकी हैं .......!!
काव्या जी बस हैरानी से बंधन को ही देख रही थी जो बस यह बताने में बीजी थी कि उसने क्या क्या कर लिया हैं ?
वो एकदम से - चुप ......!! उनके इतना कहते ही बंधन चुप हो गयी । उसके चेहरे पर एक अलग ही डर सा छा गया और
वह हल्का सा कांपने लगी थी ।
काव्या जी को उसके शरीर में कंपन सा महसूस हुआ तो वह शांति से - तुम अब बिल्कुल चुप रहोगी और इतना सबकुछ अकेले क्यों किया । फिर ट्रे की तरफ देखते हुए - एक कप चाय ... तुमने चाय पी ली ....!!
जिस पर बंधन गर्दन ना में हिलाते हुए - नहीं तो ....!! वो इतना सारा काम ....!!
वो आगे कुछ बोलती तब तक काव्या जी - हम्म ....काम तो बहुत सारा हैं लेकिन खुद के लिए भी वक्त निकाल लेना चाहिए । जाकर अपने लिए चाय लेकर आओ तब तक मैं, तुम्हारा इंतजार कर रही हूं । अबसे हम दोनों साथ में ही चाय पियेंगे।
बंधन हिचकिचाते हुए - कल से पक्का , आपके साथ ही चाय पियेंगे मां लेकिन अभी के लिए जाये वो .......!!
लेकिन काव्या जी का मन तो एक शब्द में ही अटक गया था - मां ....बंधन के मुंह से यह शब्द , उनको बहुत प्यारा लग रहा था ।
काव्या जी गर्दन हां में हिलाते हुए - ठीक हैं ...!!
बंधन बाहर की तरफ जाते हुए - जी मां , आप जल्दी से तैयार होकर आओ तब तक मैं....!!
तब तक बंधन बाहर जा चुकी थी और उसकी आवाज इतनी धीमी थी कि काव्या जी को आगे का कुछ सुनाई नहीं दिया और उनकी बंद होती आंखों से एक बूंद आंसू टपक कर नीचे गिर गया । कुछ तो काव्या जी के दिल में , वो खुद से - मैं , तुम्हें कभी भी दुःखी नहीं होने दूंगी बंधन, तुम मेरे और मेरे परिवार के लिए एक अनमोल हिरा हो ।
इधर बंधन जैसे ही किचन में आयी तो वहां अहिल खड़ा था कमर पर हाथ रखे .....बंधन जिसने अपने घर में मर्दों को किचन के अंदर पैर रखते हुए भी नहीं देखा था वो घबरा गयी और घबराहट भरी आवाज में - जी आप किचन में क्या कर रहे हैं ? कुछ चाहिए आपको .... मैं लेकर आती हूं ।
लेकिन अहिल एकदम से चीढ़ गया , वो झूंझलाते हुए - क्यों? मैं किचन में नहीं आ सकता क्या और इसमें , ऐसा कौन-सा पहाड़ टूट गया जो तुम .....!! उसके सवाल पर बंधन बोलती कि बाहर से डोरबैल की आवाज आयी .... अहिल का ध्यान उस तरह चला गया और वो खुद भी डोर खोलने के किचन से बाहर चला गया । बंधन के शब्द , उसके मुंह में ही रह गये जो वो बोलने वाली थी - क्योंकि अपने पापा या फिर भाई को मैंने किचन में कदम रखते नहीं देखा ।
अहिल ने जैसे ही गेट खोला तो वहां सुमन आंटी खड़ी थी परेशानी से - अहिल बाबा सारी , वो क्या हैं ना बगल वाली शांता से झगड़ा हो गया तो मैं आने में लेट हो गयी पर अभी फटाफट काम निपटाती हैं ।
अहिल भी अंदर आते हुए - हम्म ! बट आगे से ध्यान रखिएगा।
इतना कहकर वह अंदर आते हुए - आप नाश्ते की तैयारी किजिए। इतना कहकर वह लैपटॉप उठाये उपर अपने रुम में चला गया ।
इधर सुमन खी खी करते हुए - अब तो बीवी आ गयी ना बाबा तो बस उसके पल्लू से बंधे रहेंगे। वैसे आपकी मेहरारू अभी भी कमरे में आराम फरमा रही हैं क्या ? वो क्या हैं ना आजकल की लड़कियां बड़ी छुईमुई होती हैं ।
सुमन आंटी की आदत थी मजाक करने की और अहिल का चिढ़ा हुआ चेहरा उन्हें सुकून सा देता था और इसके पीछे भी एक राज था लेकिन अहिल को यह बात दिल पर लग गयी और बंधन जो यह देखने के लिए किचन के गेट पर आयी थी कि बाहर कौन आया हैं ... उसकी आंखों में यह सुनकर आंसू आ गये । ऐसा होना भी शायद लाजमी थी । बंधन जो सुबह से बस घर के कामों में लगी थी और जब सुमन आंटी के मुंह से यह सुना तो उसकी दिल टुकड़ों में बंट गया .... आखिर वो हर बात को दिल से लगा लेती थी ।
सुमन आंटी की बात सुनकर अहिल गुस्से से - मैंने, आपको मेरे रुम के अंदर क्या हो रहा हैं इस पर राय देने के लिए नहीं कहां ...? मेरी वाइफ आराम फरमा रही होती अगर आप अपने झगड़े पर ध्यान देने के बजाय टाइम पर आने पर ध्यान देती ...!! आप बड़ी हैं तो इज्जत से बात करता हूं वरना अपनी वाइफ के बारे में एक ग़लत बात बर्दाश्त नहीं करुंगा मैं ...चाहे आपने वह मजाक में ही क्यों ना कहीं हो ?
सुमन आंटी का तो मुंह बन गया क्योंकि पहली बार उन्हें, इस तरह का जवाब मिला था और बंधन उसके चेहरे पर एक हल्का सी मुस्कुराहट आ गयी ... किसी को पहली बार अपना साथ देते देख ...!!
जारी हैं ..............
आगे .........
अहिल अपने रूम में जा चुका था लेकिन उसे अहसास तक नहीं था कि बंधन की उम्मीद है उससे जुड़ने लगी .....!! जिस इंसान को जिंदगी में सिर्फ जिल्लत मिली हो और हर तरफ से यही सुनने को मिला हो कि वह किसी काम की नहीं है उस इंसान के लिए अगर कोई एकदम से स्टैंड ले तो वह उसके लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं होता है ....और इस वक्त बंधन की नजरों में वह भगवान से कम नहीं था । खैर वह अहिल को एक नजर देखकर , किचन में चली गयी और सुमन आंटी मुंह बनाते हुए खुद भी किचन में आ गयी । जब वह किचन में घूसी तो वहां लाल साड़ी में लिपटी , बंधन को देख कर उनका मुंह हैरानी से खुला रह गया और उन्हें अहिल का गुस्सा भी बहुत अच्छे तरीके से समझ आ गया ।
सुमन आंटी अंदर आकर हैरानी से - हे ..बहुरानी ..!! तुम तो किचन में है वो भी बिल्कुल संस्कारी गेटअप में ...!!
सुमन आंटी की बातें , बंधन के सिर के ऊपर से गुजर गयी और वो हैरानी से सिर्फ उनको ही देखने लगी ...!! बंधन की एक ही कमजोरी थी कि उसे ताने या फिर घूमाफिरा कर की गयी बातें समझ नहीं आती थी और इसी वजह से हर कोई अपनी भड़ास , उस पर ही निकाल देता था ।
सुमन आंटी , उसको खुद की तरफ देखते देख सिर झटककर - अरे बहुरानी ! साइड हटो ना हमको नाश्ता बनाना हैं और फिर डस्टिंग भी करना हैं ।
बंधन सिर झटकते हुए - नाश्ता , मैंने बना दिया हैं तो आप बस डस्टिंग कर लिजिए। इतना कहकर वह हाथ में भोग की थाली लिए बाहर निकल गयी । पहली बार उसने इस तरह का बर्ताव किया था क्योंकि , उसे सुमन आंटी से खुद को दूर रखना था ।
सुमन आंटी, उसे हैरानी से देखकर - यह हमको इग्नोर मारकर गयी ।
इधर बंधन जब बाहर आयी तो काव्या जी , अपने रुम से बाहर ही आ रही थी । काव्या जी चेहरे पर मुस्कुराहट लिये - बंधन बेटा ! मैं चाहती हूं कि आज कान्हा जी को भोग , तुम लगाओ ।
जिस पर बंधन सिर हिलाते हुए काव्या जी के साथ कान्हा जी के उस खुबसूरत से मंदिर के सामने आकर खड़ी हो गयी । बंधन आंखों में नमी लिये , कान्हा जी की आरती करके भोग लगा रही थी और पीछे खड़ी काव्या जी की आंखें बंद थी वो खुद से ही सोच रही थी - तुममें , हमें अपने परिवार की खुशियां नजर आती हैं बंधन ...उस घर में तुमको जो कुछ भी नहीं मिला ...वो सबकुछ हम देंगे और बदलें में तुमसे , तुम्हारी और अपने परिवार की खुशियां मांगेंगे।
इधर अहिल भी आकर हाथ जोड़े , काव्या जी के बगल में खड़ा हो गया था ।
वो खुद से सोच रहा था - मुझे शक्ति देना कान्हा जी कि मैं , बंधन की असलियत सबके सामने ला सकूं । उसके चेहरे से इस मासूमियत के नकाब को हटाकर दूर फेंक सकूं ।
इधर बंधन भी भोग लगाते हुए खुद से - मुझे आप मिल गये तो सबकुछ मिल गया कान्हा जी ... मुझे अहिल जी की मां की आंखों में अपने लिए भी वो ही प्यार नजर आता हैं जो अहिल जी के लिए हैं । मुझे इतनी ताकत देना की मैं हमेशा , हर परिस्थिति में इस परिवार की ढाल बनकर रहूं ।
सबके मन में अलग अलग सोच चल रही थी अब देखना यह था कि किसकी प्रार्थना पूरी होती हैं ।
कान्हा जी को भोग लगाकर , बंधन पीछे मुड़ी तो अहिल को देखकर एक पल के लिए तो चौंकी फिर सबसे पहले काव्या जी का आशीर्वाद लेकर , उनके हाथ में प्रसाद रख दिया । काव्या जी , उसके सिर पर हाथ रखते हुए - हम्म .... तुम्हें इस दुनिया की सारी खुशियां मिले ....!!
फिर उसने अहिल की तरफ प्रसाद देने के लिए हाथ बढ़ाया तो प्रसाद लेकर अहिल ऊपर चला गया अपने रुम में क्योंकि उसका फोन वापिस बजने लगा था .....!!
फिल्हाल काव्या जी की वजह से बंधन बहुत खुश थी । बंधन हिचकिचाते हुए - मां, यशु अभी तक नहीं उठी तो क्या ?
जिस पर काव्या जी हंसते हुए - तुम ना बहुत प्यार बोलती हैं वैसे यशु , अहिल की बहुत लाडली हैं । ऐसा मान लो की अहिल ने उसे अपनी बेटी की तरह पाला है । अहिल ...!! उसकी आंखों में एक आंसू तक बर्दाश्त नहीं कर सकता । यशु के लिए वह कुछ भी कर सकता है ... और यशु भी अपने भैया पर जान छिड़कती है । उसकी सुबह हमेशा आहिल को देखकर ही होती है तो जब तक अहिल उसे जगाने नहीं जाएगा .... वह नहीं जागेगी ।
जिस पर गर्दन हिलाते हुए बंधन -- अच्छा......!!
तब तक सुमन आंटी की आवाज आई....मैंने टेबल पर नाश्ता लगा दिया मेमसाब.......!!
काव्या जी - बंधन , तुम ना अहिल को जाकर बोलों की यशु को लेकर नीचे आ जाये ... मैं नाश्ते पर इंतजार कर रही हूं ।
जिस पर बंधन गर्दन हिलाते हुए खुशी से ऊपर की तरफ बढ़ गयी क्योंकि उसे , अहिल से थैंक्यू भी बोलना था ।
इधर अहिल अपने लैपटॉप पर बिजी था जब बंधन ने अपने रुम में कदम रखा । वो अपने हाथ मसलते हुए - आप यशु दी को लेकर नीचे आ जाये .... मां ने नाश्ते के लिए बुलाया हैं । सबकुछ एक सांस में कहकर उसने गहरी सांस ली और जाने के लिए मुड़ गयी ।
यह सबकुछ इतना जल्दी हुआ कि अहिल को कुछ समझ ही नहीं आया कि वो लड़की आंधी की तरह आकर तूफान की तरह जा रही थी । । बंधन खुदसे - एक थैंक्यू ही तो बोलना हैं बंधन ....वो भी नहीं बोल सकती तो इनके साथ जिंदगी कैसे गुजारेंगी । उसने आंखें जोर से भींच ली और मुड़कर - वो थैंक्यू .....?
अहिल को उसका थैंक्यू समझ ही नहीं आया कि उसने थैंक्यू क्यों कहां तो वह नासमझी में - थैंक्यू किसलिए ..?
जिस पर बंधन नज़रें झुकाए हुए ही - वह सुमन आंटी के सामने आपने हमारे लिए बोला तो बस थैंक यू....
जिस पर आहिल थोड़े कठोर भावसे - इसमें इतना ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है अगर तुम्हारी जगह कोई और लड़की होती और उस पर भी सवाल उठाते तो मैं उसके लिए भी स्टैंड लेता तो तुम कोई स्पेशल नहीं हो ...??
इतना कह कर आहिल तो रूम से निकलते हुए यशु के रूम की तरफ बढ़ गया लेकिन बंधन की आंखों में पानी छोड़ गया ...!! बंधन एक मजबूत लड़की थी जिसे हालातो ने बहुत मजबूत बना दिया था और उसके लिए रोना बहुत मुश्किल था क्योंकि उसे हमेशा से लगता था कि रोना औरतों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है अगर वह रोना छोड़ देंगी तो वह मजबूत बन जाएगी लेकिन आहिल की बातों ने बंधन के अंदर पनपी उस छोटी सी उम्मीद को कांच की तरह किंरचो में तोड़ दिया ।
बंधन फिकी मुस्कान के साथ खुद से - तुम भी कमाल करती हो बंधन ...... आग से इश्क करके जलने से डर रही हो ..!! खैर हमारे लिए यह रिश्ता हमेशा आग में ही जलता रहेगा । मुझे लगा कि आपने मेरे सम्मान की रक्षा , पति होने के नाते की लेकिन आप तो इंसानियत दिखा गये ।
आपका यह कहना कि " तुम स्पेशल नहीं हो "' अंदर तक घुस रहा हैं , आज तक सबकुछ सुनती रहती थी किसी के तानों पर भी मुस्करा देती और दिखाती कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आता लेकिन आज , आपकी यह साधारण सी बात भी चुभ गयी । सही कहते हैं लोग - जिनकी किस्मत खराब होती हैं वो उम्मीदों का महल नहीं बनाते क्योंकि भगवान के साथ इन्सान भी वक्त वक्त पर , उनकी उम्मीदे तोड़ते रहते हैं । वैसे भी उम्मीद लगा कर पाप मैंने किया क्योंकि इस रिश्ते में कभी भी फर्ज जिम्मेदारी के अलावा और कुछ था ही नहीं ...ना उम्मीद और ना कुछ और.. इसकी सजा तुम्हें मिलनी ही थी बंधन ताकि आगे तुम हकीकत की दुनिया में रहों ।
उसकी आंखों से झर झर झर पानी बह रहा था फिर भी खुद से बड़बड़ा रही थी उसे होश तब आया जब नीचे से काव्या जी की आवाज आई जो उसे नीचे नाश्ते के लिए बुला रही थी उसने मिरर में खुद का चेहरा देखा और आंसू को ढंग से पोंछकर खुद को सही करते हुए अपने दर्द को अपने अंदर समेटकर कर नीचे की तरफ चल दी ।
जारी हैं ............
आगे .........
बंधन सभी को नाश्ता सर्व कर रही थी कि तभी काव्या जी - बंधन , तुम्हारी आंखें इतनी लाल क्यों हो रही हैं ?
उनकी बात पर बंधन एक पलके लिए तो घबरायी फिर सधी सी आवाज में - कुछ नहीं मां बस काजल की वजह से .. आंखें हल्की लाल हो गयी हैं ।
इतना कहकर वह यशु को सर्व करने लगी । यशु खीर देखकर चहकते हुए - थैंक्यू भाभी ! खीर मुझे बहुत पसंद हैं । इतना कहकर उसने खड़े होकर बंधन के गाल चूम लिये ।
बंधन के लिए यह अहसास बड़े ही खुबसूरत थे । इस परिवार में उसे अलग ही अपनापन लगा रहा था जहां हर किसी को उसकी फिक्र थी और वो लोग उसके काम की तारीफ करना भी जानते थे । ऐसी खुशी , उसने आज तक कभी भी फील नहीं की थी तो बंधन के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कराहट आ गयी ।
फिर उसकी नजरें अहिल पर गयी जो एकटक उसे ही देख रहा था या गुस्से से घूर रहा था कहां नहीं जा सकता था लेकिन बंधन की मुस्कराहट फीकी पड़ गयी । वो खुद से मन में - घूर तो ऐसे रहे हैं जैसे कच्चा चबा खायेंगे पर मुझे क्या ? वैसे भी इनको , मुझसे कौन-सा फर्क पड़ता हैं .....!!
इतना सोचकर , वह सिर झटकते हुए अहिल की प्लेट में नाश्ता डालने लगी ।
सभी लोगों को नाश्ता सर्व करने के बाद , बंधन सभी की तरफ बैचेनी से देख रही थी क्योंकि वह जानना चाहती थी कि सबको , उसका बनाया नाश्ता कैसा लगा ?
काव्या जी , जैसे ही पहला निवाला खाने वाली थी उनके हाथ रुक गये - वो बंधन को देखते हुए - बंधन, तुम भी हमारे साथ बैठो .....!!
बंधन हैरानी से - मैं ......प...र ...कैसे ...उसके शब्द अटक रहे थे पर ऐसा क्यों था ? यह बात वहां कोई समझ ही नहीं पाया लेकिन काव्या जी के चेहरे के भाव बदल गये लेकिन शांत मन से - बंधन ...! बहु घर की लक्ष्मी होती हैं और सबसे पहले भोग देवी मां को ही लगाया जाता हैं । तुम अब से हमारे साथ ही बैठकर नाश्ता करोगी । फिर सुमन की तरफ देखकर - तुम नाश्ता सर्व करो ...बंधन को .....!!
बंधन की धड़कनों ने रफ्तार पकड़ ली थी और उसके मन में कुछ तो चल रहा था इसलिए वो अपने एक हाथ को मसलते हुए बैठ गयी ।
सबने एक साथ नाश्ता करना शुरू किया था । काव्या जी ने यशु ने , उसके खाने की बहुत तारीफ की थी और उसे नेग में गिफ्ट्स भी दिये थे लेकिन अहिल ने एक शब्द भी नहीं कहां था । वो सिर झुकाए अपना नाश्ता कर रहा था । बंधन भी धीरे धीरे खाना खा रही थी लेकिन आज उसकी आंखों में ख़ुशी साफ चमक रही थी और डर भी कि अगर कभी अहिल ने इस बेनाम रिश्ते को तोड़ने के बारे में कहां तो वह सब कुछ खो देंगी ।
नाश्ता खत्म होने के बाद यशु ने अपने भाई को चिढ़ाने के लिए - भाई ..!! आपने तारीफ नहीं कि भाभी के बनाये नाश्ते की ....!! उसकी बात पर अहिल ने सबकी तरफ नजरें उठायी तो सभी जिज्ञासा से उसे ही देख रहे थे लेकिन बंधन , वो इधर उधर ही देख रही थी ।
अहिल ने एक पल के लिए सबको देखा और फिर शांत आवाज में - अच्छा था ।
इतना कहकर वह उठते हुए अपने रुम की तरफ चला गया । वह खुद ही जान पा रहा था कि यह दो शब्द कहने में उसने कितनी प्राॅब्लम फेस की थी ।
बंधन की निगाहें एक बार फिर उसकी तरफ उठी लेकिन फिर कुछ पल पहले का वाक्या याद आते ही उसने खूद को डांटा और फिर काव्या जी की तरफ देखते हुए - मां .... कुछ काम बचा हो तो ......!!
वो आगे कुछ कहती तब तक काव्या जी - वो सुमन कर लेगी ...!! तुम हमारे साथ चलों ... तुम्हें बात भी कर लुंगी और यशु के बालों में चंपी भी कर दूंगी ।
.....................
काव्या जी बेड पर बैठी थी और यशु की चंपी करते हुए बंधन से बातें कर रही थी जिनका जवाब ....वो बस हां , ना में ही दे रही थी । उसकी नजरें तो बस यशु और काव्या जी पर टिकी थी ।
तभी यशु - भाभी , आप प्लीज पानी ला देंगी , मुझे प्यास लग रही हैं ।
जिस पर खामोशी से सिर हिलाते हुए बंधन बाहर निकल गयी और जैसे ही वो किचन में गयी तो सुमन आंटी काॅफी बना रही थी ।
बंधन हिचकिचाते हुए - यह काॅफी ........!!
उसकी बात सुनकर , सुमन आंटी - अहिल बाबा के दोस्त नीरज सर आये हैं तो उनके लिए काॅफी बना रही हैं मैं ......!!
उसकी बात सुनकर बंधन फ्रीज से पानी की बोतल निकालकर , सुमन आंटी से - आप मां के रुम में पानी लेकर जाइए , काॅफी मैं बना देती हूं ।
इतना कहकर वो काॅफी बनाने लगी । काॅफी बनने के बाद उसने ट्रे में कप में काॅफी डाली और लेकर अपने रुम की तरफ चल दी लेकिन जब वह अपने रुम के बाहर आयी तो .....उसके कदम ठहर गये और चेहरे पर आंसू की बूंदें फिसल गयी ।
अंदर से आवाज आयी । नीरज - तो क्या भाभी से शादी तूने जबरदस्ती की है ।
अहिल गर्दन ना में हिलाते हुए - नहीं .....पर मुझे उसके बारे में बात ही नहीं करनी । मुझे बस जल्दी ही उसे अपनी जिंदगी से बाहर निकालकर फेंकना हैं वरना वह ... मेरे परिवार को बर्बाद कर देंगी । उसके मासूम से चेहरे के पीछे छिपे घिनौने चेहरे को सिर्फ मैं , जानता हूं ।
नीरज - लेकिन आंटी .... तुम ऐसे ही फैसला नहीं ले सकते हो ....पहले जान लो कि भाभी सच में वैसी ही हैं क्या या फिर वो सही हैं ।
नीरज की बात पर अहिल सिर झटकते हुए - नहीं ..... मैंने खुद उसकी हकीकत देखी हैं ??
बंधन की आंखों से आंसूओं की बाढ़ आ गयी और वह उल्टे पैर ही नीचे लौट आयी । तब तक सुमन आंटी .... काव्या जी के रुम की तरफ से ही आ रही थी ।
बंधन ने वो ट्रे , उसे पकड़ायी और लेकर जाने का कहकर किचन की तरफ चली गयी । वो चाहकर भी अपने आंसू रोक नहीं पा रही थी । इस वक्त , उसे ऐसे इंसान की सख्त जरुरत महसूस हो रही थी .....जिसके साथ अपना दर्द बांट सकें । पता नहीं ऐसा क्या हुआ था ....जो शादी से पहले अहिल का व्यावहार ठीक ठाक था वो बिल्कुल बद्तर होता जा रहा था । इस वक्त ....जो भी वह सुनकर कर आ रही थी ... उसका दिल जोर जोर से रोने का कर रहा था । आज फिर खुशीयां , उसके दर पर आकर वापिस मुंह फेर चुकी थी और उसकी जिंदगी में एक और दर्द जुड़ गया । अपनें अंदर गहरा दर्द समेटे बैठी बंधन को आज फिर एक गहरा दर्द मिल गया था जो उसे किस रास्ते लेकर जायेगा कुछ कहां नहीं जा सकता
जारी हैं .…
हेम रिडर्स दिस इज सिंपल स्टोरी , जो ज्यादा लम्बी नहीं होगी । इसके रोज दो या तीन चैप्टर्स आयेगे तो प्लीज अगर आपको कहानी पसंद आई रही हैं तो कहानी के साथ जुड़े रहिए और कमेंट्स करके .... मुझे कहानी लिखने के लिए मोटिवेट करते रहे और सबसे इम्पोर्टेंट मेरी प्रोफाइल को फाॅलो जरुर करे
आज का दिन इसी तरह निकल गया और दोपहर के बाद बंधन थोड़ी खामोश ही हो गयी थी लेकिन बंधन के चेहरे को देखकर ... किसी के लिए भी यह पता लगा पाना मुश्किल था कि उसके मन में क्या चल रहा हैं .... मुस्कुराहट का मुखौट ओढ़ लेना उसके लिए मुश्किल काम नहीं था । मुस्कुराते हुए कान्हा जी के आगे दिया रख रही थी जब अहिल , अपने दोस्त नीरज के साथ दोपहर का गया अब लौटा था ।
बंधन की नजरें जैसे ही अहिल पर पड़ी तो अहिल ने भी एक पल के लिए उसकी तरफ देखा तो बंधन ने एक फीकी मुस्कान के साथ नजरें फेर ली । अहिल यह देख खुद से - अब इसे क्या हुआ ? पर मुझे क्या ? फिर वह आवाज लगाते हुए - मां .......बाहर आइए .....??
कुछ पल में ही काव्या जी बाहर आयी तो अहिल ने उनकी तरफ एक पाॅलिथिन का पैकेट बढ़ाते हुए - यह यशु के लिए , उसने आईसक्रीम मंगवायी थी ना तो .........!!
जिस पर काव्या जी , उसके हाथ से आईसक्रीम लेते हुए - अच्छा ....!! कितने पैकेट हैं जिस पर अहिल ने कहां - तीन .....!!
उसकी बात सुनकर काव्या जी , यशु को आवाज लगाते हुए पैकेट लेकर सोफे पर ही बैठ गयी और बंधन को भी बुला लिया । सुमन आंटी अभी भी किचन में खटपट कर रही थी । अब हल्की शाम होने लगी थी तो उनको भी अपने घर जाना था ।
यशु तो चहकते हुए आकर सोफे पर बैठ गयी और एक्साइमेंट के जरीए ..... चिल्लाने लगी कि उसे जल्दी ही आईसक्रीम खानी थी ।
काव्या जी ने जैसे ही पाॅलिथिन खोली तो उनके चेहरे के भाव बदल गये और चेहरे पर एक अलग ही गंभीरता और गुस्से ने जगह ले ली ।
वहीं यशु चहकते हुए - - मेरे लिए चाॅकलेट फ्लेवर , मम्मी का वनीला ओर यह दूसरा चाॅकलेट फ़्लैवर ....यह तो सुमन आंटी को पसंद हैं तो .... भाभी का कहां पर हैं !!
उसके मुंह से यह बात निकल तो गयी थी लेकिन बंधन , उसके चेहरे पर मायूसी छा गयी । उसकी आंखें हल्की भर आयीं क्योंकि थोड़ी देर पहले यशु ने ही बताया था कि भैया जब भी आईसक्रीम लाते हैं तो सबके लिए लाते हैं इवन सुमन आंटी के लिए भी .........तो क्या उसकी हैसियत अहिल की जिंदगी में एक नौकर जितनी भी नहीं थी या फिर कुछ भी नहीं थी । जब वह ही उसे पत्नी नहीं मानता तो वह , इस घर में थी ही क्यों ?
लेकिन इस सवाल जवाब , उसके पास नहीं था इधर काव्या जी कि आंखों में गुस्सा उतर आया था लेकिन बंधन , उसकी नजरें एक पल के लिए अहिल की तरफ उठी तो अहिल को उन आंखों में नाराजगी , दर्द , शिकवा , शिकायत सबकुछ एक साथ नजर आया और उसने एक पल में ही नजरे हटा ली । वो नहीं सहन कर पाया उन आंखों का ताप .....!!
इधर बंधन की आवाज में कोई भी भाव नहीं थे जब उसने कहां था - मां , मैंने ही अहिल जी को मना किया था मेरे लिए आईसक्रीम लाने को क्योंकि मेरे गले में सुबह से ही हल्की खरास थी ।
इतना कहकर वह खामोशी से खड़ी रही और फिर बीना कुछ कहे , किचन की तरफ चली गयी ।
आंखें भर आयीं थी लेकिन इसका दोष भी वह , ख़ुदको ही दे रही थी क्योंकि यह रिश्ता सिर्फ उसने चुना था अहिल की साफ इंकार थी ।
क्या हुआ कि वह अपनी मां से उनके रिश्ते के लिए मना नहीं कर पाया ? पर इसमें उसकी खुद की भी तो गलती नहीं थी... उसे तो चुनाव करने का अधिकार ही नहीं था ? तो कैसे बस साफ इनकार कर देती कि वह यह शादी नहीं कर सकती लेकिन अब तो शादी हो चुकी थी तो क्या उसकी जिंदगी अब और भी गहरे दर्द के सागर में डूब चुकी थी । इसका जवाब बंधन के पास नहीं था लेकिन इस वक्त दिल में जो दर्द उठा था उसे कैसे संभालती वह ......... आंखों से निकलता पानी उसने आंखों में ही पी लिया और चेहरे पर एक झूठी मुस्कराहट सजाए किचन में घुस गई ।
किचन में जैसे ही वह घूसी ....सुमन आंटी बोल पड़ी - अरे ओ! बहुरानी ......सारा काम खत्म होने वाला हैं तो हम आज जल्दी जायेंगे ।
जिस पर बंधन फ्रीज से पानी की बोतल निकालते हुए - यह आप मां को बता दिजिए और अहिल जी आईसक्रीम लाये हैं तो आपको मां ने बाहर बुलाया हैं ।
उसकी बात सुनते ही सुमन आंटी , अपनी साड़ी से गीले हाथ पोंछते हुए - अरे ! सच में .... मुझे तो चाकलेट वाली आईसक्रीम बहुत पसंद हैं .....अहिल बाबा कितना भी गुस्सा करें पर मेरे लिए लाना नहीं भूलते .....!! इतना कहते हुए सुमन आंटी तो बाहर चली गयी और बंधन एक एक घूंट पानी गले से उतारने लगीं।
यशु अपनी आईसक्रीम लेकर चहकते हुए अपने रुम में चली गयी और काव्या जी गुस्से से - तुमने यह सही नहीं किया अहिल शर्मा .....काव्या जी , जब बहुत ज्यादा गुस्से में होती थी तब ही अहिल को उसके पूरे नाम से बुलाती थी ।
अहिल की आंखें अफसोस से बंद हो गयी क्योंकि जो कुछ भी ....वह सुबह से देख रहा था , उससे यह ही लग रहा था कि उसकी मां , बंधन से बहुत ही ज्यादा अटैच हो चुकी थी और अभी वह , अपनी मां को हर्ट कर चुका था लेकिन हकीकत भी यह नहीं थी कि वह जानबूझकर बंधन के लिए आईसक्रीम नहीं लाया । जब वह आईसक्रीम ले रहा था तब वह सच में भूल चुका था बंधन के बारे में ......उसे याद ही नहीं रहा कि उसके परिवार में अब एक और सदस्य जुड़ चुका था ।
वह कुछ बोलता तब तक सुमन आंटी दांत दिखाते हुए सामने प्रकट हो गयी तो काव्या जी को अपना गुस्सा शांत करना पड़ा ।
इधर किचन में खड़ी बंधन के सामने एक पुरानी याद आ गयी - पापा , मुझे भी आईसक्रीम खानी हैं .....वो चाॅकलेट वाली ....जो दिदू और भैया खा रहे हैं ।
उसके पापा गुस्से से - हां और तुम बीमार हो जाओ तो फिर तुम्हारी दवाईयों पर फालतू खर्चा करु । बीमार तो उसके भाई बहिन भी हो जाते थे लेकिन मना सिर्फ उसे ही किया जाता और फिर वक्त के साथ उसने कहना ही मना कर दिया । जिस बंधन की आंखें बचपन में आईसक्रीम के लिए ललचाती थी वह आंखें अब आईसक्रीम की तरफ देखना भी पसंद नहीं करती थी । उसने अपनी यह पसंद भी छोड़ दी लेकिन आज अहिल का उसे इस तरह नजरंदाज करना बिल्कुल पसंद नहीं आया । उसे ...आईसक्रीम से और ज्यादा नफ़रत हो गयी क्योंकि अब फिर उसे आईसक्रीम की वजह से अपनी अहमियत पता चली गयी ।
एक आंसू टपक कर नीचे गिर गया और बाहर से आती सुमन आंटी की हंसने की आवाज ने उसे हकीकत में लाकर पटक दिया ।
जारी हैं ........
रिश्ते ऐसे ही होते हैं इनको बहुत संभालकर सहेजना पड़ता हैं । हमारी एक छोटी सी हरकत या फिर एक छोटा शब्द लोगों का दिल छलनी कर जाता हैं और हमें अहसास तक नहीं होता ......फिर चाहें वह रिश्ता कितना भी गहरा हो
आपको क्या लगता हैं यहां गलत कौन था बंधन , अहिल या फिर हालात
आगे ......
शाम को उस इंसीडेंट के बाद काव्या जी , अहिल से नाराज़ थी और अहिल ... उसने अपनी सफाई में कुछ नहीं कहां क्योंकि हकीकत कहने पर काव्या जी और नाराज हो जाती ...सबने डिनर कर लिया था और अब अहिल रुम में ना होकर स्टडी रुम में था । बंधन ने एक हल्का सा सूट पहना और हमेशा की तरह अपनी डायरी लेकर बाल्कनी में रखे सोफे पर बैठ गयी । यह डायरी ही उसके सुख दुःख की साथी थी ...अपना दर्द किसी से ना कहने वाली बंधन सबकुछ अपनी डायरी से कह देती थी क्योंकि उसे विश्वास था कि यहां उसके दर्द और हालातों का मज़ाक़ नहीं उड़ाया जायेगा । उसने अपना वह सुनहरा सा पेन लिया और बाहर के उसे शांत से माहौल को देखते हुए लिखने लगी .....
....खिड़की से आती हवा ने पूछा,
क्यों आंखों में समंदर छुपा रखा है?
मैंने बस मुस्कुरा कर कह दिया,
ये दर्द... सीने पर रखा है।
हर किसी के हिस्से मुस्कराहट थी,
पर मेरे लिए बस खामोशी बची,
जैसे बचपन से ही मेरा हिस्सा,
हमेशा अधूरा ही रखा है।
लोग कहते हैं, छोटी-छोटी बातें मत सोचो,
पर उन्हें क्या पता,
रिश्तों की नींव तो इन्हीं बारीकियों पर टिकी होती है।
आज फिर याद दिला दिया किसी ने,
कि मेरा होना... किसी के लिए ज़रूरी नहीं।
काश! पूछता कोई,
मैंने क्या चाहा था ज़िंदगी से,
काश! किसी ने देखा होता,
इन मुस्कुराहटों के पीछे छुपा हुआ सच।
अब बस इतना ही लिख पाई हूँ,
वरना यह दिल और भी रो देगा,
कल फिर हिम्मत जुटाऊँगी लिखने की,
आज बस... दर्द को सीने पर ही रखूंगी।
इसके साथ ही होंठों को भींचते हुए वह खुदको शांत करने लगी ।
इधर अहिल का भी आज स्टडी रुम में काम में मन नहीं लग रहा था । वह जब भी लैपटॉप स्क्रीन पर नजरें गड़ाता तो उसकी आंखों के सामने बंधन की आंखें आ जाती जिनमें दर्द , शिकवा , शिकायत सबकुछ थी जिनसे वह नजरें फेर चुका था ।
उसने बैचेनी से अपनी मुट्ठी भींची और खड़े होकर , स्टडी रुम की खिड़की खोल दी जो लगभग बंद ही रहती थी । वह , खिड़की से टेक लगायें बाहर देखते हुए सोचने लगा - आज अनजाने में गलती हो गयी मुझसे महादेव ! मैंने किसी की अहमियत को अपनी नजरों में कम बना दिया ।
अहिल को बंधन पहली नजर में भा गयी थी लेकिन अब वह उसकी नजरों में एक झूठी और मक्कार के अलावा कुछ भी नहीं थी । पता नहीं ऐसा क्या हुआ जो उसे बंधन से नफ़रत हो गयी पर अब उसे दुःख हो रहा था । बंधन की नजरों की वह तकलीफ उसे सीने पर खंजर की तरह चुभ रही थी ।ऐसा लग रहा था कि आज उससे अनजाने में हुई गलती किसी को बहुत बुरे तरीके से तोड़ चुकी थी । वह समझ ही नहीं पा रहा था कि यह बंधन सच हैं जो उसे अभी दिख रही थी - एकदम साफ , मासूम और सबसे प्यार करने वाली या फिर वह जिसे सिर्फ पैसों से प्यार था ... लेकिन जो उसने आंखों से देखा और कानों से सुना ... उसे कैसे झूठला दे ।
वो आगे कुछ और सोचता तब तक काव्या जी स्टडी रुम का दरवाजा खोलते हुए अंदर आ गयी । गेट खुलने की आहट से अहिल की नजरें जैसे ही गेट की तरफ मुड़ी तो वहां काव्या जी को देखकर वह चौंक सा गया और उनके पास आते हुए - माॅम , आपको इस वक्त आराम करना चाहिए था और आप यहां क्या कर रही हैं ।
काव्या जी बीना किसी भाव के अहिल की आंखों में देखते हुए - तो क्या हमें अपने बेटे से बात करने के लिए भी परमिशन चाहिए होगी ।
जिस पर अहिल हड़बड़ाते हुए - नो माॅम , आप बोलिए क्या बोलना था ।
इतना कहकर वह काव्या जी को सोफे पर बैठाकर खुद सामने रखी चेयर पर बैठ गया । वैसे तो वह जानता था कि काव्या जी उससे क्या बात करने आयी थी लेकिन वो फिर भी सुनना चाहता था ।
काव्या जी - मुझे सिर्फ सच सुनना हैं........ मेरा बेटा कभी किसी के साथ इतना गलत तो नहीं कर सकता है और जब वह उसकी पत्नी है तो बिल्कुल भी नहीं ....!!
इस वक्त उनकी आंखों में कोई भाव नहीं थे और वह सिर्फ आहिल पर टिकी इस जवाब के इंतजार में कि उनका बेटा उनके विश्वास को गलत साबित नहीं होने देगा ।
उनकी बात सुनकर आहिल की आंखें शर्म से झुक गई वो बिल्कुल शांत आवाज में - आई एम सॉरी माॅम .....!! उस वक्त मैं किसी से कॉल पर बात कर रहा था और मुझे पता ही नहीं चला कि मैं बंधन के बारे में भूल चुका हूं और आइसक्रीम वाले को सिर्फ तीन आइसक्रीम पैक करने के लिए कहां था । मुझे लास्ट तक भी इस बात का एहसास नहीं हुआ।
काव्य जी गहरी आवाज में- इस वक्त मुझे तुम पर गुस्सा होना चाहिए तुम जानते भी हो कि तुम्हारी एक छोटी सी गलती से बंधन के दिल को कितनी ठेस पहुंची होगी । तुम्हारी एक हरकत की वजह से उसकी खुद की नजरों में तुम्हारी जिंदगी में खुद की हैसियत एक नौकर से भी कम लगी होगी और हमें यह उसकी आंखों में साफ दिखा था ।
तुम जल्दबाजी में उसे भूल चुके थे लेकिन उसका तुम्हारी जिंदगी में होना इतना नामायने है कि तुम्हें, वह याद तक ना रही । जो लड़की अपना सबकुछ छोड़कर ....तुम्हारी जिंदगी में सिर्फ तुम्हारे भरोसे आयी ....जिसने तुमसे जुड़ा हर रिश्ता प्यार और अपनेपन के साथ अपनाया ...... तुम्हें वह तक याद ना रही । उसकी हर जरुरत और हर ख्वाहिश सिर्फ तुमसे जुड़ी हैं अहिल और इस तरह तुम उसके भरोसे पर खरे उतरोगे ?
रिश्ते बहुत कमजोर होते हैं । एक औरत को सबकुछ बर्दाश्त होता हैं ...वह हर परिस्थिति में खुशी के साथ जी लेती हैं अगर उसके साथ उसके पति का साथ और भरोसा होता हैं । अगर उसी औरत की कद्र उसका पति ही ना करें तो हर शख्स ... उसे जूते की नोंक पर रखता हैं और अगर वह औरत खुद साहसी ना हो तो .... उसकी तो पूरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी । हमने बंधन को बहुत करीब से जाना है अहिल ... कुछ ऐसा मत कर देना कि हमने तुम्हारे लिए जो हिरा चुना वो कांच की तरह किरचों में बिखर जाये । हमें तुम्हारी आंखों में साफ दिखता हैं कि तुम , उसे अपनी पत्नी नहीं मानना चाहते लेकिन हमनें, तुम्हारे साथ जबरदस्ती तो नहीं की थी । इससे ज्यादा मैं कुछ और नहीं कहना चाहती हूं .....आई होप तुम समझ गये होंगे और मुझे पूरा विश्वास हैं कि मेरा बेटा कभी मेरी परवरिश पर सवाल नहीं उठने देगा । अब आगे क्या करना हैं वो तुम सोचो क्योंकि माफी मांगने से ज्यादा जरुरी यह होता हैं कि तुम खुदकी गलती सुधारों.....
इतना कहकर काव्या जी तो चली गयी ई लेकिन एक बार फिर अहिल को गहरी सोच में डाल गयी थी । उसका दिल कह रहा था कि अगर उसकी खुदकी माॅम को बंधन के साफदिल पर इतना भरोसा था तो वह सच में एक नेकदिल लड़की थी लेकिन दिमाग पिछली कुछ बातों में उलझा था ....वो लड़की उसके परिवार को बर्बाद कर देंगी । किस पर भरोसा करें समझ नहीं पा रहा था और फिर उसने एक फैसला लिया ...जो आगे जाकर सबकुछ बदल कर रख देने वाला था ।
जारी हैं .......
बंधन को जो लग रहा था वो उसकी नजर में ठीक था लेकिन अहिल की नजरों से तो मामला कुछ अलग ही था । उनका रिश्ता इतना भी ठीक नहीं था कि वो इन गलतफहमियों को आपसी बातचीत से सुलझाते और ना ही इतना ठीक की वो एक दूसरे पर भरोसा करते .......
बंधन एक समझौता ....एक साधारण सी कहानी हैं जहां कोई बहुत बड़े विलन नहीं हैं बस वो दोनों और उनकी सोच ही ......उनके रिश्ते का सबसे बड़ी विलन बन जायेगी । यह कहानी आपको बस यह बताने के लिए हैं कि कुछ रिश्ते हमारी जिंदगी में बहुत मायने रखते हैं और यह अहसास उन रिश्तों को गंवाने के बाद होता हैं पर उसके बाद भी हमारा इगो बिच में आ जाता हैं । गलतफहमी हर रिश्ते को दिमक की तरह खोखला कर देती हैं और उस वक्त सबसे जरुरी होता हैं विश्वास ..... ।। लेकिन विश्वास भी कुछ शर्तों पर होना चाहिए ... अगर अपना आत्मसम्मान खोना पड़े या फिर सफाई देनी पडे तो उस रिश्ते को छोड़ना बेहतर होता हैं
तो आपको क्या लगता हैं कि अहिल का फैसला क्या होगा और आगे बंधन की जिंदगी कैसी होने वाली थी
आगे .........
अहिल अपने मन में फैसला लेते हुए अपने रुम की तरफ चला गया । उसने सोच लिया था कि वह बंधन से अपनी ग़लती के लिए माफी मांग लेगा और कोशिश करेगा वो उसे समझने की। वो अब कोई भी फैसला सोच समझकर लेगा । हो सकता हैं कि उसने जो सुना वो ग़लत हो ......उसे अपने कमरे की तरफ बढ़ते हुए बैचेनी भी हो रही थी और साथ ही घबराहट भी ..... क्या बंधन ! उसे माफ करेगी ......यही सोचते हुए वह जैसे ही कमरे में गया तो वहां कोई नहीं था तभी उसकी नज़र बाल्कनी के खुले गेट पर गयी । कुछ सोचकर वह उस तरफ बढ़ गया ।
बाल्कनी में रखी टेबल पर डायरी के पन्ने हवा से फड़फड़ा रहे थे और बंधन खुद को सिकोड़े , उस छोटे से सोफे पर सो रही थी । उसके बाल चारों तरफ बिखरे थे और पैरों को हाथों में समेट रखा था । वह हल्की आहट के साथ , उसके सामने जाकर खड़ा हो गया - जैसे ही उसने अपनी नजरें , उसके चेहरे पर जमायी .... उसकी आंखें फटी ही रह गयी । बंधन के चेहरे पर सुखे हुए आंसुओं के निशान साफ दिख रहे थे .....जैसे वह रोयी हो ।
अहिल की आंखें अफसोस से बंद हो गयी ..... उसने जैसे ही डायरी उठाने के लिए हाथआगे बढ़ाया तो गलती से टेबल पर रखा वास नीचे गिरकर टूट गया और उसकी आवाज से बंधन एक झटके में उठ गयी । उसने जैसे ही अहिल को अपनी तरफ झूके देखा तो ..... उसकी आंखें घबराहट से फ़ैल गयी और वो थोड़ा और सिकुड़ कर बैठ गयी ।
अहिल ने उसकी नजरों में डर के भाव पढ़ लिये थे तो वो एकदम बोल पड़ा - मैं .....वो ...... बस... तुम्हारी डायरी .... उसके शब्द लड़खड़ा रहे थे कि अगर बंधन ने उसे गलत समझ लिया तो .... एक तरफ वह बंधन को अपनी जिंदगी का हिस्सा नहीं मानना चाहता था और दूसरी तरफ उसके दिल में डर भी था कि अगर बंधन ने उसे गलत समझ लिया तो ...मतलब उसे बंधन से फर्क तो पड़ता था ... उसे फर्क पड़ता था कि वह बंधन की नजरों में गलत बन गया तो ... लेकिन इसका अहसास उसे नहीं था ।
बंधन की नजरें जैसे ही अपनी डायरी पर गयी , जिसके पन्ने अभी भी हवा से फड़फड़ा रहे थे .... उसकी आंखें हल्के डर भरे भाव से फ़ैल गयी । उसने फटाफट से डायरी लेकर अपने सिने में समेट ली और खड़े होकर - जी .......!!
तब तक अहिल खड़ा हो चुका था । उसको समझ ही नहीं आया कि वो बंधन के जी का क्या जवाब दे ..?
उसकी नजरें बंधन की हिरणी जैसी गहरी काली आंखों पर टिकी थी जो डर से बार बार फड़फड़ा रही थी ।
उसने दूपट्टे को चारों तरफ समेट रखा था ....जब बहुत देर तक भी अहिल ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसकी नजरों की तपिश से बैचेनी होकर , बंधन अंदर की तरफ जाने के लिए मुड़ गयी ।
तभी उसके अंदर की तरफ जाने से अहिल को होश आया और उसके मुंह से निकले शब्दों से बंधन के पैर वही के वही जम गये - मेरे मना करने के बाद भी आपने इस शादी से इंकार क्यों नहीं किया ? ऐसी क्या वजह थी कि आपने इस शादी के लिए हांमी भर दी ?
बंधन की आंखें हैरानी से फ़ैल गयी लेकिन उससे ज्यादा सवाल थे जब शादी से पहले कभी भी अहिल ने यह सवाल नहीं पूछा था तो अब , उसे यह सवाल पूछने की वजह समझ नहीं आयी थी ।
बंधन की आंखों में सवाल थे और यह समझकर अहिल ने अपनी गर्दन पर हाथ फेरा और फिर - बस मन में सवाल आया तो पूछ लिया ?
आज तक बंधन ने किसी पर अपना गुस्सा नहीं निकाला था ... अगर उसे गुस्सा भी आता तो , उसके बर्ताव में झलकता भी नहीं था क्योंकि उसका , अपने गुस्से पर अच्छा खासा कंट्रोल था लेकिन सुबह से ही अहिल के बुरे बर्ताव को झेल रही बंधन की आवाज में तल्खी आ ही गयी और जिसने आज तक कभी किसी पर गुस्सा नहीं उतरा था ... उसका गुस्सा अहिल पर फूट पड़ा - आपको बड़ी जल्दी , यह सवाल याद आया ? वैसे भी हर किसी को चुनाव का अधिकार नहीं होता .....!!
इतना कहकर , वह बीना रुके ही मुड़कर अंदर चली गयी और डायरी को संभालकर रखते हुए बेड पर एक साइड लेट गयी । अहिल तो भौंचक्का सा देखता ही रह गया । उसकी सोच बंधन को लेकर कैसी भी हो लेकिन आज तक कभी भी उसने बंधन को किसी से इस तरह बात करते हुए तो नहीं देखा था । फिर उसका यह गुस्सा ... उसके लिए था ।
उसने सिर झटकते हुए अपने सीने के बायीं और हाथ रखा तो बंधन की उन घूरती आंखों से डरकर , उसका दिल तेजी से धड़क रहा था । वो वहीं सोफे पर बैठ गया और कांच के उस दरवाजे से उस पार सोयी हुयी ... बंधन को देखने लगा , जिसकी पीठ उसकी तरफ ही थी । इन सब में वह , यह बात भी भूल गया कि उसे बंधन से माफी मांगनी थी ।
वह खुद से - मैं सच में नहीं समझ पा रहा कि तुम क्या हो बंधन ? दिल कहता हैं कि तुम पर विश्वास करुं लेकिन दिमाग कहता हैं कि उन बातों को कैसे झूठला दूं । तुम्हारा कौनसा रुप सच्चा हैं समझ ही नहीं आ रहा हैं लेकिन इस बार कोई भी फैसला , मैं सोच समझकर लेना चाहता हूं ।
इधर बंधन की आंखें पनीली थी और शरीर डर से हल्का कांप रहा था । उसके मन में तो अलग ही उधेड़बुन चल रही थी - उसने तो आज तक किसी पर गुस्सा नहीं किया था तो उसने अहिल जी से इतनी तेज आवाज में बात कैसे कर ली ? अगर अहिल जी ने भी उसको मारा तो जैसे उनके पास रहने वाले भैया , अपनी पत्नी को मारते थे । यह सोचते ही ... उसका दिल दहल गया । पूरा चेहरा डर और घबराहट से कांप सा गया । उसने खुद को और ज्यादा सिकोड़ लिया था । उसने खुद देखें थे ... उन भाभी की पीठ पर बेल्ट के घांव .... कितना दर्द होता होगा उनको ... क्या अहिल जी ने ऐसा बर्ताव किया तो वह सहन कर पायेगी ... बिल्कुल भी नहीं पर ... वह किससे मदद लेगी - काव्या जी लेकिन वो अपने बेटे के होते हुए , उसका साथ कैसे देंगी । बंधन इस वक्त पागल सी हो गयी थी । उसके सोचने समझने की शक्ति बिल्कुल क्षीण हो चुकी थी ।
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जारी हैं ....
क्या माफी मांग पायेगा अहिल , बंधन से ....?? और अगर बंधन के दिल का डर सच साबित हो गया तो क्या जी पायेगी वह .....जानने के लिए पढ़ते रहिए और अपने प्यारे प्यारे कमेंट्स से मेरा दिल खुश करते जाइए
आज भी इस समाज में मर्दों का अपनी पत्नीयों पर बस अपने इगो सेटिस्फेक्शन के लिए हाथ उठाना आम बात हैं और ऐसा में अपने आस पास रोज देखती हूं । वैसे मुझे लगता हैं कि एक थप्पड़ का दर्द इंसान भूल जाता हैं लेकिन एक ग़लत शब्द का दर्द कभी नहीं भूल पाता ... अपनी जिंदगी के आखिरी वक्त तक भी वह सूल की तरह सीने में चुभता ही हैं ।
आगे........
अहिल बहुत टाइम तक सोचता रहा लेकिन उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था । रात के लगभग बारह बज चुके थे और उसका दिमाग बिल्कुल तक चुका था । उसने गहरी सांस ली