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बंधन -एक समझौता

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rimjhim Sharma

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कहते हैं इश्क जिंदगी के मायने बदल देता हैं‌ जहां हम खुद के लिए नहीं किसी और के लिए जीते हैं लेकिन हमारी बंधन शर्मा की जिंदगी के मायने तो एक शादी ने बदल दिये जहां उसका सबकुछ बदल गया और फिर शुरू हुई एक ऐसी दास्तान जिसने बंधन को ही‌ बदल दिया तो क्या होग...

Total Chapters (1)

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  • 1. बंधन -एक समझौता - Chapter 1

    Words: 379

    Estimated Reading Time: 3 min

    एक साधारण से घर में पली बड़ी बंधन शर्मा की शादी उसके माता-पिता ने एक अपर मिडिल क्लास फैमिली में कर दी ...!! बंधन में बचपन से अपने परिवार में शादी के नाम पर समझौते और जिम्मेदारियां ही देखी थी जहां पर दो लोग सिर्फ जिम्मेदारियां की वजह से एक दूसरे के साथ है ना कि प्यार की वजह से...!! अपनी माता-पिता के चार बच्चों मे बंधन चौथे नंबर पर आती थी , जिनकी तीन बेटियां और एक बेटा था ...!! बंधन के माता-पिता को बंधन से कुछ खास लगाव नहीं था क्योंकि वह इस दुनिया में उनकी खुद की गलती की वजह से आई थी वरना वह कभी चौथा बच्चा करना ही नहीं चाहते थे जब उनके तीसरी औलाद एक बेटा हो गया था । इसी वजह से वह हमेशा शांत ही रहती थी । अपनी बहनों के कपड़े पहनना उनकी किताबें यूज करना... मतलब उसे आज तक सब कुछ उनका उतरा हुआ ही मिला था । जब उसकी बड़ी बहनों का किसी चीज से मन भर जाता तो वह चीज बंधन के हिस्से आ जाती थी । 1 साल में केवल दिवाली पर उसे नए कपड़े मिलते थे लेकिन बंधन ने कभी शिकायत करना सही नहीं समझा ... इसलिए जब उसके माता-पिता ने उसकी शादी उसके ग्रेजुएशन करते ही एक दूसरे शर्मा परिवार में कर दी । बंधन को ऐसा लगता था कि वह अपने परिवार पर एक बोझ है और अब वह बोझ किसी दूसरे परिवार पर डाल दिया गया हैं लेकिन बंधन ने तो कभी विरोध करना सीखा ही नहीं .....!!
    बंधन की शादी आहिल शर्मा से हुई है जो एक सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर है और उसकी महीने की तनख्वाह 120000 और उसके परिवार ने दहेज की मांग भी नहीं रखी और यही कारण था कि उसके माता-पिता ने शादी करने में कोई भी ढिल नहीं की ...!!
    बाकी बातें आगे कहानी में चलते हुए करेंगे .....

    पूरा कमरा रंग बिरंगी फूलों से सजा था और उसमें खामोशी से एक लड़की बेड पर बैठी थी । अभी कुछ पल पहले उसके कुछ सपने टूटे थे लेकिन बंधन को उनके टूटने का कोई दुख नहीं था क्योंकि सपने देखना तो उसने वक्त के साथ बहुत पहले ही छोड़ दिया था अब तो वह सिर्फ जी रही थी ... वह भी पीना किसी ख्वाहिश के ...