कहते हैं इश्क जिंदगी के मायने बदल देता हैं जहां हम खुद के लिए नहीं किसी और के लिए जीते हैं लेकिन हमारी बंधन शर्मा की जिंदगी के मायने तो एक शादी ने बदल दिये जहां उसका सबकुछ बदल गया और फिर शुरू हुई एक ऐसी दास्तान जिसने बंधन को ही बदल दिया तो क्या होग... कहते हैं इश्क जिंदगी के मायने बदल देता हैं जहां हम खुद के लिए नहीं किसी और के लिए जीते हैं लेकिन हमारी बंधन शर्मा की जिंदगी के मायने तो एक शादी ने बदल दिये जहां उसका सबकुछ बदल गया और फिर शुरू हुई एक ऐसी दास्तान जिसने बंधन को ही बदल दिया तो क्या होगा - एक ऐसा शादी का जिसकी नींव ही समझौता हो ? क्या बंधन कभी अपनी जिंदगी बदल पायेगी । जिसे कभी किसी का प्यार नसीब नहीं हुआ ... वो किसी का प्यार हासिल कर पायेगी ? जानने के लिए पढ़िये....बंधन - एक समझौता ।
Page 1 of 1
एक साधारण से घर में पली बड़ी बंधन शर्मा की शादी उसके माता-पिता ने एक अपर मिडिल क्लास फैमिली में कर दी ...!! बंधन में बचपन से अपने परिवार में शादी के नाम पर समझौते और जिम्मेदारियां ही देखी थी जहां पर दो लोग सिर्फ जिम्मेदारियां की वजह से एक दूसरे के साथ है ना कि प्यार की वजह से...!! अपनी माता-पिता के चार बच्चों मे बंधन चौथे नंबर पर आती थी , जिनकी तीन बेटियां और एक बेटा था ...!! बंधन के माता-पिता को बंधन से कुछ खास लगाव नहीं था क्योंकि वह इस दुनिया में उनकी खुद की गलती की वजह से आई थी वरना वह कभी चौथा बच्चा करना ही नहीं चाहते थे जब उनके तीसरी औलाद एक बेटा हो गया था । इसी वजह से वह हमेशा शांत ही रहती थी । अपनी बहनों के कपड़े पहनना उनकी किताबें यूज करना... मतलब उसे आज तक सब कुछ उनका उतरा हुआ ही मिला था । जब उसकी बड़ी बहनों का किसी चीज से मन भर जाता तो वह चीज बंधन के हिस्से आ जाती थी । 1 साल में केवल दिवाली पर उसे नए कपड़े मिलते थे लेकिन बंधन ने कभी शिकायत करना सही नहीं समझा ... इसलिए जब उसके माता-पिता ने उसकी शादी उसके ग्रेजुएशन करते ही एक दूसरे शर्मा परिवार में कर दी । बंधन को ऐसा लगता था कि वह अपने परिवार पर एक बोझ है और अब वह बोझ किसी दूसरे परिवार पर डाल दिया गया हैं लेकिन बंधन ने तो कभी विरोध करना सीखा ही नहीं .....!!
बंधन की शादी आहिल शर्मा से हुई है जो एक सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर है और उसकी महीने की तनख्वाह 120000 और उसके परिवार ने दहेज की मांग भी नहीं रखी और यही कारण था कि उसके माता-पिता ने शादी करने में कोई भी ढिल नहीं की ...!!
बाकी बातें आगे कहानी में चलते हुए करेंगे .....
पूरा कमरा रंग बिरंगी फूलों से सजा था और उसमें खामोशी से एक लड़की बेड पर बैठी थी । अभी कुछ पल पहले उसके कुछ सपने टूटे थे लेकिन बंधन को उनके टूटने का कोई दुख नहीं था क्योंकि सपने देखना तो उसने वक्त के साथ बहुत पहले ही छोड़ दिया था अब तो वह सिर्फ जी रही थी ... वह भी बीना किसी ख्वाहिश के ...
अहिल कुछ देर पहले ही रुम में आया था और उसे आराम से सोने के लिए कहकर एक कंबल उठाये छत पर चला गया उसने अपने लहंगे को संभालते हुए कमरे की खिड़की की तरफ कदम बढ़ा दिये और बाहर देखने लगे .... बाहर आसपास बहुत सारे घर थे और हर घर के आगे एक छोटा सा गार्डन .... अहिल के घर के आगे भी था जिसमें बहुत सारे फूल लगे थे और उनके बीच ही एक झूला .......!!
फिर एकाएक ही उसकी नजरे चांद पर चली गयी और उसके मुंह से शब्द निकलने लगे -
शायद इस रिश्ते का अंजाम हमें पहले से पता था इसलिए भी हमने इसे चुना ..... हमें अहिल जी से शिक़ायत बिल्कुल भी नहीं हैं क्योंकि उन्होंने पहले ही कहां था कि वो हमसे शादी सिर्फ अपनी मां के कहने पर कर रहे हैं । दुःख हुआ था एक पल के लिए कि फिर हम किसी पर बोझ बन गये ... लेकिन दिल में एक ठंडक सी उतरी , जब उन्होंने कहां कि उनके दिल में कोई नहीं हैं । हम कभी भी उनसे यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाते कि उनके दिल में कोई और हैं क्या ? शादी के लिए मना करने की हिम्मत.... हममें नहीं थी कि क्योंकि आज तक हमसे कोई भी फैसला लेने से पहले किसी ने अपनी राय रखने ही नहीं दी लेकिन दुःख भी नहीं हुआ.... क्योंकि उनकी आंखों में एक सच्चाई थी। उनकी मां से पता चला कि पहले अहिल जी की सगाई हो गयी थी लेकिन लड़की ने हमपर दहेज का केस लगा दिया था क्योंकि उसे किसी और लड़के से प्यार था ।
एक पल के लिए दिल में डर बैठ गया लेकिन वो हमारे मामा जी के जानकार थे तो खुद को समझा लिया ।
दूसरों से क्या शिकायत जब हमारे परिवार को ही हमारी चिंता नहीं बस अपना हर फर्ज निभाना चाहते हैं क्योंकि प्यार और इंसानियत की उम्मीद लगाना हमनें बहुत पहले छोड़ दिया ।
इसके बाद उसे अपना दिल हल्का महसूस हुआ तो वह गहने उतारने लगी । सभी गहनों को संभालकर अलमारी में रखने के बाद , उसने कपड़े बदले और एक सिंपल सी साड़ी पहनकर ... सोने के लिए बिस्तर पर चली गयी ।
...............
सुबह का समय ...
छ: बजे
बंधन ने नहाने के बाद , एक लाल कलर की साड़ी पहनी और फिर बाल झाड़ते हुए खिड़की के सामने खड़ी हो गयी । सूरज हल्का सा बाहर आने लगा था ।
तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी तो उसने फटाफट मांग में सिंदूर भरकर सिर पर पल्लू लेते हुए दरवाजे की तरफ चली गयी । उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने अहिल खड़ा था । उसने , अहिल को हैरानी से देखा और फिर नासमझी में - आप ........!!
अहिल ने बीना किसी भाव के - हां मैं , यह मेरा भी कमरा हैं तो आ सकता हूं ।
बंधन हैरानी से साइड में हटते हुए - जी ...... !!
अहिल अंदर आते हुए - आप घर में किसी को बताना मत कि रात को मैं कमरे में नहीं था .... मां परेशान होगी ।
इतना कहकर , वह अपने कपड़े लिए बाथरुम में चला गया और बंधन बस उसे हैरानी से देखती रह गयी । जो एक पल में सारी बातें कहकर बाथरुम में घूस गया था ।
उसने भी बालों को कंघी करी और बिंदी लगाकर नीचे की तरफ बढ़ गयी । उसने अभी तक बाहर हाॅल से अपने कमरे तक का ही सफर तय किया था .....जो पहले फ्लोर पर था और वह सीढियां उतरते हुए ग्राउंड फ्लोर पर हाॅल में आ गयी ।
हाॅल में बिल्कुल सन्नाटा था और वह बस नासमझी से इधर-उधर देख रही थी । उसे क्या पता था कि इस घर में सात बजे से पहले कोई नहीं उठता सिर्फ अहिल को छोड़कर...!! उसने चारों तरफ देखा तो पूरा हाॅल , शादी के कामों की वजह से बिखरा पड़ा था और बिना एक पल भी सोच उसने हाॅल की सफाई करनी शुरू कर दी । वह एक एक सामान को उठाकर उनकी सही जगह रख रही थी और साथ ही उसने डस्टिंग भी करनी शुरू कर दी ...... आधे घंटे में उसने पूरा हाॅल चमका दिया था और फिर हाॅल के साइड में बने मंदिर में चली गयी और जैसे ही उसने मंदिर को देखा तो उसकी आंखें वहीं पर टिक गयी और उसकी आंखों में नमी के साथ खुशी भी छलक आयी ।
जारी हैं ...........
आगे ........
बंधन ने पूरी जिंदगी में यही देखा था कि अगर परिवार के लोगों को खुश रखना हैं और खुदको , उनके गुस्से से बचाना हैं तो सारे काम बीना कहे किया जाये और इसलिए उसने अपने घर में हर काम अकेले ही किये थे और वक्त के साथ ,यह उसकी आदत बन गयी ..... इस उम्मीद में की कभी तो वो उससे , प्यार करेंगे लेकिन ऐसा तो हुआ नहीं पर बंधन घर के हर काम में जरुर पारंगत हो गयी ।
बंधन की आंखों में सामने कान्हा जी मूर्ती देखकर आंसू ही आ गये थे । आज से एक साल पहले ...
उसने तीन महिनों तक पैसे जोड़े थे क्योंकि उसे कान्हा जी कि एक खुबसूरत सी मूर्ती खरीदनी थी और आज वह बड़ा खुश थी कि आखिर कल जन्माष्टमी के लिए वह , कान्हा जी की मूर्ती खरीद ही लेंगी और उसने अपना चेहरा बांधा और निकल गयी बाजार ..... और तीन घंटे की मेहनत के बाद उसने एक खुबसूरत सी मूर्ती ढूंढ ही ली लेकिन तभी एक लड़का , उसके सामने आ गया और उससे - क्या आप यह मूर्ती , आप मुझे दे देंगी ...... बंधन ने वह मूर्ती बहुत मेहनत से ढूंढ़ी थी इसलिए जैसे ही वह गर्दन ना में हिलाने वाली थी । वह लड़का जल्दी से - देखिए मना मत कीजिए क्योंकि आज , मेरी मां का जन्मदिन हैं और मैं , उनको बेस्ट गिफ्ट देना चाहता हूं ।
अपनी मां के लिए , उसकी बातों में प्यार साफ छलक रहा था और इसलिए बंधन ने दुःखी मन से वह मूर्ति , उस लड़के की तरफ बढ़ा दी और वह लड़का उसके हाथ में पैसे रखते हुए चला गया और बंधन सिर्फ देखती रह गयी ।
बंधन मुंह पर हाथ रखते हुए - मतलब वो अहिल जी ही थे तभी उनको देखकर लग रहा था कि उनको मैंने कभी तो देखा था । उसने फटाफट मंदिर साफ किया और किचन की तरफ चली गयी । सारा किचन भी बिखरा पड़ा था और सिंक में बर्तनों का ढेर पड़ा था । उसने हाॅल में आकर घड़ी में टाइम देखा ... जिसमें सात बज गये थे लेकिन शादी की थकान की वजह से अभी तक कोई भी नहीं उठा था और तभी बाहर से घंटी बजने की आवाज आयी । वह फटाफट भागते हुए हाॅल की तरफ से मैन गेट की तरफ भागी जहां एक दूधवाला खड़ा था और उसे भी नहीं पता था कि वह शर्मा परिवार की नयी बहूं थी । वो - दीदी कुछ लाइए ना दूध देकर जाना हैं ।
बंधन खामोशी से वापिस किचन की तरफ भागी और फिर एक बड़ा डिब्बा लेकर दरवाजे पर आ गयी और दूधवाले ने उसमें तीन किलों दूध डाल दिया । जिस पर बंधन हैरानी से - इतना दूध .....।।
वह दूधवाला - वो दीदी , मैम साहब की नयी बहूं कि आज पहली रसोई होगी ना तो मैम साहब ने खीर बनवाने के लिए ज्क्षादा दूध मंगवाया हैं ।