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बंधन -एक समझौता

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rimjhim Sharma

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कहते हैं इश्क जिंदगी के मायने बदल देता हैं‌ जहां हम खुद के लिए नहीं किसी और के लिए जीते हैं लेकिन हमारी बंधन शर्मा की जिंदगी के मायने तो एक शादी ने बदल दिये जहां उसका सबकुछ बदल गया और फिर शुरू हुई एक ऐसी दास्तान जिसने बंधन को ही‌ बदल दिया तो क्या होग...

Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. बंधन -एक समझौता - Chapter 1 शादी या समझौता

    Words: 1111

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक साधारण से घर में पली बड़ी बंधन शर्मा की शादी उसके माता-पिता ने एक अपर मिडिल क्लास फैमिली में कर दी ...!! बंधन में बचपन से अपने परिवार में शादी के नाम पर समझौते और जिम्मेदारियां ही देखी थी जहां पर दो लोग सिर्फ जिम्मेदारियां की वजह से एक दूसरे के साथ है ना कि प्यार की वजह से...!! अपनी माता-पिता के चार बच्चों मे बंधन चौथे नंबर पर आती थी , जिनकी तीन बेटियां और एक बेटा था ...!! बंधन के माता-पिता को बंधन से कुछ खास लगाव नहीं था क्योंकि वह इस दुनिया में उनकी खुद की गलती की वजह से आई थी वरना वह कभी चौथा बच्चा करना ही नहीं चाहते थे जब उनके तीसरी औलाद एक बेटा हो गया था । इसी वजह से वह हमेशा शांत ही रहती थी । अपनी बहनों के कपड़े पहनना उनकी किताबें यूज करना... मतलब उसे आज तक सब कुछ उनका उतरा हुआ ही मिला था । जब उसकी बड़ी बहनों का किसी चीज से मन भर जाता तो वह चीज बंधन के हिस्से आ जाती थी । 1 साल में केवल दिवाली पर उसे नए कपड़े मिलते थे लेकिन बंधन ने कभी शिकायत करना सही नहीं समझा ... इसलिए जब उसके माता-पिता ने उसकी शादी उसके ग्रेजुएशन करते ही एक दूसरे शर्मा परिवार में कर दी । बंधन को ऐसा लगता था कि वह अपने परिवार पर एक बोझ है और अब वह बोझ किसी दूसरे परिवार पर डाल दिया गया हैं लेकिन बंधन ने तो कभी विरोध करना सीखा ही नहीं .....!!

    बंधन की शादी आहिल शर्मा से हुई है जो एक सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर है और उसकी महीने की तनख्वाह 120000 और उसके परिवार ने दहेज की मांग भी नहीं रखी और यही कारण था कि उसके माता-पिता ने शादी करने में कोई भी ढिल नहीं की ...!!

    बाकी बातें आगे कहानी में चलते हुए करेंगे .....

    पूरा कमरा रंग बिरंगी फूलों से सजा था और उसमें खामोशी से एक लड़की बेड पर बैठी थी । अभी कुछ पल पहले उसके कुछ सपने टूटे थे लेकिन बंधन को उनके टूटने का कोई दुख नहीं था क्योंकि सपने देखना तो उसने वक्त के साथ बहुत पहले ही छोड़ दिया था अब तो वह सिर्फ जी रही थी ... वह भी बीना किसी ख्वाहिश के ...

    अहिल कुछ देर पहले ही रुम में आया था और उसे आराम से सोने के लिए कहकर एक कंबल उठाये छत पर चला गया ‌ उसने अपने लहंगे को संभालते हुए कमरे की खिड़की की तरफ कदम बढ़ा दिये और बाहर देखने लगे .... बाहर आसपास बहुत सारे घर थे और हर घर के आगे एक छोटा सा गार्डन .... अहिल के घर के आगे भी था जिसमें बहुत सारे फूल लगे थे और उनके बीच ही एक झूला .......!!

    फिर एकाएक ही उसकी नजरे चांद पर चली गयी और उसके मुंह से शब्द निकलने लगे -

    शायद इस रिश्ते का अंजाम हमें पहले से पता था इसलिए भी हमने इसे चुना ..... हमें अहिल जी से शिक़ायत बिल्कुल भी नहीं हैं क्योंकि उन्होंने पहले ही कहां था कि वो हमसे शादी सिर्फ अपनी मां के कहने पर कर रहे हैं । दुःख हुआ था एक पल के लिए कि फिर हम किसी पर बोझ बन गये ... लेकिन दिल में एक ठंडक सी उतरी , जब उन्होंने कहां कि उनके दिल में कोई नहीं हैं । हम कभी भी उनसे यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाते कि उनके दिल में कोई और हैं क्या ? शादी के लिए मना करने की हिम्मत.... हममें नहीं थी कि क्योंकि आज तक हमसे कोई भी फैसला लेने से पहले किसी ने अपनी राय रखने ही नहीं दी लेकिन दुःख भी नहीं हुआ.... क्योंकि उनकी आंखों में एक सच्चाई थी। उनकी मां से पता चला कि पहले अहिल जी की सगाई हो गयी थी लेकिन लड़की ने हमपर दहेज का केस लगा दिया था क्योंकि उसे किसी और लड़के से प्यार था ।

    एक पल के लिए दिल में डर बैठ गया लेकिन वो हमारे मामा जी के जानकार थे तो खुद को समझा लिया ।

    दूसरों से क्या शिकायत जब हमारे परिवार को ही हमारी चिंता नहीं बस अपना हर फर्ज निभाना चाहते हैं क्योंकि प्यार और इंसानियत की उम्मीद लगाना हमनें बहुत पहले छोड़ दिया ।

    इसके बाद उसे अपना दिल हल्का महसूस हुआ तो वह गहने उतारने लगी । सभी गहनों को संभालकर अलमारी में रखने के बाद , उसने कपड़े बदले और एक सिंपल सी साड़ी पहनकर ... सोने के लिए बिस्तर पर चली गयी ।‌

    ...............

    सुबह का समय ...

    छ: बजे

    बंधन ने नहाने के बाद , एक लाल कलर की साड़ी पहनी और फिर बाल झाड़ते हुए खिड़की के सामने खड़ी हो गयी । सूरज हल्का सा बाहर आने लगा था ।

    तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी तो उसने फटाफट मांग में सिंदूर भरकर सिर पर पल्लू लेते हुए दरवाजे की तरफ चली गयी । उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने अहिल खड़ा था । उसने , अहिल को हैरानी से देखा और फिर नासमझी में - आप ........!!
    अहिल ने बीना किसी भाव के - हां मैं , यह मेरा भी कमरा हैं तो आ सकता हूं ।
    बंधन हैरानी से साइड में हटते हुए - जी ...... !!
    अहिल अंदर आते हुए - आप घर में किसी को‌ बताना मत कि रात को मैं कमरे में नहीं था .... मां परेशान होगी ।
    इतना कहकर , वह अपने कपड़े लिए बाथरुम में चला गया और बंधन बस उसे हैरानी से देखती रह गयी । जो एक पल में सारी बातें कहकर बाथरुम में घूस गया था ।
    उसने भी बालों को कंघी करी और बिंदी लगाकर नीचे की तरफ बढ़ गयी । उसने अभी तक बाहर हाॅल से अपने कमरे तक का ही सफर तय किया था .....जो पहले फ्लोर पर था और वह सीढियां उतरते हुए ग्राउंड फ्लोर पर हाॅल में आ गयी ।
    हाॅल में बिल्कुल सन्नाटा था और वह बस नासमझी से इधर-उधर देख रही थी । उसे क्या पता था कि इस घर में सात बजे से पहले कोई नहीं उठता सिर्फ अहिल को छोड़कर...!! उसने चारों तरफ देखा तो पूरा हाॅल , शादी के कामों की वजह से बिखरा पड़ा था और बिना एक पल भी सोच उसने हाॅल की सफाई करनी शुरू कर दी । वह एक एक सामान को उठाकर उनकी सही जगह रख रही थी और साथ ही उसने डस्टिंग भी करनी शुरू कर दी ...... आधे घंटे में उसने पूरा हाॅल चमका दिया था और फिर हाॅल के साइड में बने मंदिर में चली गयी और जैसे ही उसने मंदिर को देखा तो उसकी आंखें वहीं पर टिक गयी और उसकी आंखों में नमी के साथ खुशी भी छलक आयी ।


    जारी हैं ...........

  • 2. बंधन -एक समझौता - Chapter 2 बंधन एक पहेली

    Words: 1702

    Estimated Reading Time: 11 min

    आगे ........

    बंधन ने पूरी जिंदगी में यही देखा था कि अगर परिवार के लोगों को खुश रखना हैं और खुदको , उनके गुस्से से बचाना हैं तो सारे काम बीना कहे किया जाये और इसलिए उसने अपने घर में हर काम अकेले ही किये थे और वक्त के साथ ,यह उसकी आदत बन गयी ..... इस उम्मीद में की कभी तो वो उससे , प्यार करेंगे लेकिन ऐसा तो हुआ नहीं पर बंधन घर के हर काम में जरुर पारंगत हो गयी ।

    बंधन की आंखों में सामने कान्हा जी मूर्ती देखकर आंसू ही आ गये थे । आज से एक साल पहले ...

    उसने तीन महिनों तक पैसे जोड़े थे क्योंकि उसे कान्हा जी कि एक खुबसूरत सी मूर्ती खरीदनी थी और आज वह बड़ा खुश थी कि आखिर कल जन्माष्टमी के लिए वह , कान्हा जी की मूर्ती खरीद ही लेंगी और उसने अपना चेहरा बांधा और निकल गयी बाजार ..... और तीन घंटे की मेहनत के बाद उसने एक खुबसूरत सी मूर्ती ढूंढ ही ली लेकिन तभी एक लड़का , उसके सामने आ गया और उससे - क्या आप यह मूर्ती , आप मुझे दे देंगी ...... बंधन ने वह मूर्ती बहुत मेहनत से ढूंढ़ी थी इसलिए जैसे ही वह गर्दन ना में हिलाने वाली थी । वह लड़का जल्दी से - देखिए मना मत कीजिए क्योंकि आज , मेरी मां का जन्मदिन हैं और मैं , उनको बेस्ट गिफ्ट देना चाहता हूं ।

    अपनी मां के लिए , उसकी बातों में प्यार साफ छलक रहा था और इसलिए बंधन ने दुःखी मन से वह मूर्ति , उस लड़के की तरफ बढ़ा दी और वह लड़का उसके हाथ में पैसे रखते हुए चला गया और बंधन सिर्फ देखती रह गयी ।‌

    बंधन मुंह पर हाथ रखते हुए - मतलब वो अहिल जी ही थे तभी उनको देखकर लग रहा था कि उनको मैंने कभी तो देखा था । उसने फटाफट मंदिर साफ किया और किचन की तरफ चली गयी । सारा किचन भी बिखरा पड़ा था और सिंक में बर्तनों का ढेर पड़ा था । सबसे पहले ... उसने किचन की सफाई करी और बर्तनों को सिंक में ही छोड़कर हाॅल में आकर घड़ी में टाइम देखा ... जिसमें सात बज गये थे लेकिन शादी की थकान की वजह से अभी तक कोई भी नहीं उठा था । उसने फिर से किचन की तरफ कदम बढ़ा दिये । तभी बाहर से घंटी बजने की आवाज आयी । वह फटाफट भागते हुए हाॅल की तरफ से मैन गेट की तरफ भागी जहां एक दूधवाला खड़ा था और उसे भी नहीं पता था कि वह शर्मा परिवार की नयी बहूं थी । वो - दीदी कुछ लाइए ना दूध देकर जाना हैं ।

    बंधन खामोशी से वापिस किचन की तरफ भागी और फिर एक बड़ा डिब्बा लेकर दरवाजे पर आ गयी और दूधवाले ने उसमें तीन किलों दूध डाल दिया । जिस पर बंधन हैरानी से - इतना दूध .....।।

    वह दूधवाला - वो दीदी , मैम साहब की नयी बहूं कि आज पहली रसोई होगी ना तो मैम साहब ने खीर बनवाने के लिए ज्यादा दूध मंगवाया हैं । इतना कहकर , वह निकल गया और बंधन फटाफट , दूध लेकर किचन की तरफ भागी ......!!

    उसने सबसे पहले मंदिर से आरती की थाल लाकर चूल्हा पूजन की रस्म करी और फिर दूध को गैस पर चढ़ा दिया और एक एक डिब्बें का ढक्कन हटाकर , चावल चीनी और ड्राइ फ्रूट्स ढूंढने लगी ।

    कुछ देर की मशक्कत के बाद आखिर उसने सारे सामान ढूंढकर स्लैब पर रखे और फिर दूध में चावल डालकर , गैस को थोड़ा धीमा किया और बर्तनों को धोने में लग गयी । सारे बर्तन धोकर और पोंछकर .... वह सबकुछ सही जगह रखने लगी ।

    फिर गहरी सांस लेकर चारों तरफ घूमकर देखने के बाद - परफेक्ट .... और कुछ देर बाद वह कटे हुए ड्राइफ्रूट्स खीर पर डालते हुए - पहले कान्हा जी को भोग लगाती हूं ।

    वह भोग लेकर जाने ही वाली थी कि ... उसे बाहर से आवाज आयी - सुमन आंटी .....मेरी चाय ।

    यह आवाज तो अहिल जी की हैं , यह सोचते हुए वह किचन से बाहर आकर - जी ......!!

    सामने सिंपल लोवर और टिशर्ट में अहिल सोफे पर बैठा था और उसके सामने एक लैपटाॅप रखा था । उसने जैसे ही कोई अनजान आवाज सुनी तो हैरानी से किचन के दरवाजे की तरह नजरें उठायी तो वहां लाल कलर की साड़ी में दोनों हाथों को बांधे और सिर पर पल्ला लिये बंधन खड़ी थी ।

    अहिल को थोड़ी सी हिचकिचाहट होने लगी ‌। जिस शख्स के सामने आने से भी वह बचने की कोशिश कर रहा था....वह इस वक्त खुदको समेटे , उसके ही सामने खड़ी थी लेकिन अब बात तो करनी ही थी ।

    अहिल खुदको संभालकर - सुमन आंटी .... आपको नहीं बुलाया ।

    बंधन नासमझी में - जी ..उसे सच में ही समझ नहीं आया था कि सुमन आंटी कौन थी ।

    अहिल - घर की मेड़ हैं और रोज सुबह सात बजे आ जाती हैं ।

    जिस पर बंधन गर्दन हिलाते हुए - वो नहीं आयी ....!! अहिल ने पहली बार , बंधन के मुंह से जी के अलावा कोई और वर्ड सुना था लेकिन इस पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए - ओके ..

    !

    बंधन हिचकिचाते हुए - आपको कुछ चाहिए था । हाॅल और किचन में कुछ ज्यादा फासला नहीं था और इसलिए बंधन की धीमी और शांत आवाज भी अहिल को साफ सुनायी दे रही थी ।

    अहिल ने एक पल के लिए उसे देखा और फिर - एक कप अदरक वाली चाय ...!!

    बंधन गर्दन हिलाते हुए - जी अभी लाते हैं । इतना कहकर , वह वापिस किचन में घूस गयी और इधर अहिल चारों तरफ देखते हुए - यह हाॅल तो काफी बिखरा पड़ा था । मां अभी तक भी फिवर की वजह नहीं उठी हैं । यशी अभी तक भी सो रही हैं और सुमन आंटी अभी तक आयी नहीं हैं तो फिर हाॅल को साफ किसने किया फिर अचानक ही उसके मुंह से निकला - बंधन ने लेकिन .....वो यह सब क्यों करेंगी...पर उसके सिवा हाॅल में कोई और था भी तो नहीं....तो क्या , यह सबकुछ उसने किया ? वह अफसोस से अपनी आंखें बंद कर लेता हैं और एक महिनें पहले की यादों में खो जाता हैं .......... अहिल ने अपने पिताजी को साइलेंट अटैक आने की वजह से खो दिया था जब वह बाहरवी क्लास में पढ़ता था । उस वक्त , उसने सिर्फ जिंदगी को समझना शुरू किया था कि उसके और उसके परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया । सारी जिम्मेदारीया उस पर ही आ गयी ....उसकी मां तो बिल्कुल टूट चुकी थी और उसकी बहन ...वह तो सारे दिन रोती ही रहती थी । सबकुछ अहिल को ही संभालना पड़ा और इसके लिए उसने खुद को मजबूत बनाना शुरू कर दिया .... फाइनेंशियल उसके परिवार को ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ी क्योंकि उसके पापा सरकारी नौकरी में थे तो उसकी मम्मी को पेंशन मिलने लगी थी लेकिन इन सब में अहिल का बचपन कहीं खो सा गया । जो बच्चा हमेशा शरारतें करता रहता था ....जिसके पैरेंट्स आये दिन आने वाली शिकायतों से परेशान रहते थे ...वो कुछ खामोश और गंभीर होता गया । उसकी मां बीमार रहने लगी थी तो अहिल को अपने ही सिटी के काॅलेज में बीटेक के लिए एडमिशन लेना पड़ा । शुरु से ही दिमाग में तेज था और अब तो उसका सारा ध्यान ...अपनी मां और बहन का ख्याल रखने में और पढ़ने में ही रहता था तो वो सबकुछ बहुत अच्छे से हैंडल करने लगा था । वक्त के साथ सब संभलने लगे थे लेकिन इन सब में अहिल कहीं खो सा गया और जब तक उसकी मां को इस बात का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो गयी । उसे बिटेक के बाद एक अच्छी कंपनी में अच्छे पैकेज पर जाॅब मिल गयी थी और अब उसकी लाइफ में भी खुशियां आ जाये इसलिए उसकी मां , उसकी शादी करवाने पर जोर देने लगी थी । अहिल ने भी खामोशी से हांमी भर दी क्योंकि वो इन सब में अपनी मां को नहीं खो सकता था पर उसके मन में शादी को लेकर अजीब सा डर था .....जिसका किसी को अहसास तक ना था ।

    अहिल की मां ने लड़कियां देखनी शुरू कर दी और अंत में उन्होंने एक मंदिर में बंधन को देखा था ... मासूम सी दिखने वाली साधारण सी लड़की, जो ज्यादा खुबसूरत तो नहीं थी लेकिन उसके चेहरे पर एक अलग ही तेज था जो सबको अपने मोह पाश में बांध लें । अहिल की मां काव्या जी भी उसके मोह पाश में इस तरह बंधी की उन्होंने तय कर लिया कि उनके बेटे की बहूं तो बंधन ही बनेगी और फिर उन्होंने बंधन की फैमिली के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया और तभी उन्हें पता चला कि बंधन के मामाजी , उनके पड़ोस में ही रहने वाला शुक्ला जी के जानकार थे तो बस उन्होंने, शुक्ला जी के जरीए , बंधन के मामाजी के कान में रिश्ते की बात डाल दी ।

    जब वह अपने बेटे और बेटी के साथ बंधन के माता पिता से बंधन का हाथ मांगने गयी तो उन्होंने तो यह सुनकर ही हांमी भर दी कि उनको दहेज नहीं देना पड़ेगा और जब अहिल को बंधन से बात करने भेजा गया तो बस उसके मुंह से शब्द निकले थे कि वो अभी के लिए इस शादी के लिए तैयार नहीं था और अगर वो चाहे तो शादी के लिए इंकार कर दे । वो सिर्फ अपनी जिम्मेदारीया निभा सकता है जब और इससे ज्यादा वो उससे कोई और उम्मीद नहीं रखें।

    उस वक्त बंधन की आंखों में सवाल थे और उन आंखों में आये सवाल को देखकर , उसके मुंह से अपने आप निकल गया था - कि अगर उनकी शादी होगी तो बंधन , उसकी जिंदगी में आने वालीं पहली और आखिरी लड़की होगी ।

    उसे तो लगा था कि वो लड़की शादी के लिए मना कर देंगी लेकिन उसने तो हांमी भर दी और आज उसकी जिंदगी में भी शामिल हो चुकी थी ।

    सबकुछ याद करते हुए अहिल की आंखें बंद थी और तभी किसी आवाज से उसकी आंखें खुली और बस फटी ही रह गयी ।

    जारी हैं ........

    अहिल के मन के डर को बंधन समझ पायेगी ?

  • 3. बंधन -एक समझौता - Chapter 3

    Words: 1211

    Estimated Reading Time: 8 min

    आगे ...........

    अहिल ने जैसे ही आहट से आंखें खोली तो बंधन उसके बिल्कुल करीब खड़ी थी और उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी और धड़कने बिल्कुल रुक सी गयी लेकिन इन सबसे अनजान बंधन .....चाय का कप रखते हुए - मां का रुम कौन-सा हैं ?

    उसकी बात सुनकर, अहिल ने उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा तो , बंधन हिचकिचाते हुए - वो चाय .....इतना कहकर उसने , अपने हाथ में पकड़े ट्रे की तरफ इशारा किया, जिसमें एक कप चाय रखी थी ‌।

    अहिल , उसका सवाल समझते हुए एक तरफ इशारा करते हुए - वो हैं , जिसपर बंधन तो उस तरफ चली गयी लेकिन अहिल खुद से ही - बड़ी ही अजीब हैं आज ससुराल में पहला दिन हैं और काम तो इस तरह कर रही हैं जैसे पता नहीं कितने सालों से रह रही हैं ? आई नो दैट कि यह सब बस दिखावा हैं । मैं भी देखता हूं कि कितने दिन तक इस तरह दिखावा करेंगी।

    इधर बंधन ने हाथ में ट्रे पकड़े दरवाजा खटखटाया तो अंदर से बस एक आवाज आयी - आ जाओ !

    हमेशा की तरह सुबह की चाय , काव्या जी के लिए सुमन ही लेकर आती थीं तो उनको लगा कि वहीं होगी लेकिन जैसे ही दरवाजा खुला और काव्य जी की नजर सामने गेट पर खड़ी बंधन पर पड़ी तो उनके मुंह से हैरानी से निकला - तुम ....!!

    बंधन हिचकिचाते हुए अंदर जाकर - वो आपके लिए चाय लाये थे ...!!

    जिसपर काव्या जी अपने सिर को पकड़े - हमें लगा कि शादी की थकावट की वजह से तुम आराम कर रही होगी लेकिन तुमने चाय क्यों बनायी ...तुम्हारी तो पहली रसोई भी अभी तक नहीं हुई....!!

    लेकिन बंधन का ध्यान दो काव्य जी की बातों पर नहीं उनके हाथों पर था जो उनके सर को पकड़े बैठे थे ।

    बंधन बीच में ही - आपके सिर में दर्द हैं .....!! काव्य जी हैरानी से - मतलब......!! जिस पर बंधन गर्दन ना में हिलाते हुए - जी ....वो आप सिर पकड़े बैठी हैं ना तो बस लगा कि सिर में दर्द होगा ....वैसे आप टेंशन मत लिजिए , हमने चूल्हा पूजन की रस्म भी कर ली और कान्हा जी के लिए भोग भी बना दिया हैं बस भोग लगाना बाकी हैं .......!!

    काव्या जी बस हैरानी से बंधन को ही देख रही थी जो बस यह बताने में बीजी थी कि उसने क्या क्या कर लिया हैं ?

    वो एकदम से - चुप ......!! उनके इतना कहते ही बंधन चुप हो गयी । उसके चेहरे पर एक अलग ही डर सा छा गया और

    वह हल्का सा कांपने लगी थी ।

    काव्या जी को उसके शरीर में कंपन सा महसूस हुआ तो वह शांति से - तुम अब बिल्कुल चुप रहोगी और इतना सबकुछ अकेले क्यों किया । फिर ट्रे की तरफ देखते हुए - एक कप चाय ... तुमने चाय पी ली ....!!

    जिस पर बंधन गर्दन ना में हिलाते हुए - नहीं तो ....!! वो इतना सारा काम ....!!

    वो आगे कुछ बोलती तब तक काव्या जी - हम्म ....काम तो बहुत सारा हैं लेकिन खुद के लिए भी वक्त निकाल लेना चाहिए । जाकर अपने लिए चाय लेकर आओ तब तक मैं, तुम्हारा इंतजार कर रही हूं । अबसे हम दोनों साथ में ही चाय पियेंगे।

    बंधन हिचकिचाते हुए - कल से पक्का , आपके साथ ही चाय पियेंगे मां लेकिन अभी के लिए जाये वो .......!!

    लेकिन काव्या जी का मन तो एक शब्द में ही अटक गया था - मां ....बंधन के मुंह से यह शब्द , उनको बहुत प्यारा लग रहा था ।

    काव्या जी गर्दन हां में हिलाते हुए - ठीक हैं ...!!

    बंधन बाहर की तरफ जाते हुए - जी मां , आप जल्दी से तैयार होकर आओ तब तक मैं....!!

    तब तक बंधन बाहर जा चुकी थी और उसकी आवाज इतनी धीमी थी कि काव्या जी को आगे का कुछ सुनाई नहीं दिया और उनकी बंद होती आंखों से एक बूंद आंसू टपक कर नीचे गिर गया । कुछ तो काव्या जी के दिल में , वो खुद से - मैं , तुम्हें कभी भी दुःखी नहीं होने दूंगी बंधन, तुम मेरे और मेरे परिवार के लिए एक अनमोल हिरा हो ।

    इधर बंधन जैसे ही किचन में आयी तो वहां अहिल खड़ा था कमर पर हाथ रखे .....बंधन जिसने अपने घर में मर्दों को किचन के अंदर पैर रखते हुए भी नहीं देखा था वो घबरा गयी और घबराहट भरी आवाज में - जी आप किचन में क्या कर रहे हैं ? कुछ चाहिए आपको .... मैं लेकर आती हूं ।

    लेकिन अहिल एकदम से चीढ़ गया , वो झूंझलाते हुए - क्यों? मैं किचन में नहीं आ सकता क्या और इसमें , ऐसा कौन-सा पहाड़ टूट गया जो तुम .....!! उसके सवाल पर बंधन बोलती कि बाहर से डोरबैल की आवाज आयी .... अहिल का ध्यान उस तरह चला गया और वो खुद भी डोर खोलने के किचन से बाहर चला गया । बंधन के शब्द , उसके मुंह में ही रह गये जो वो बोलने वाली थी - क्योंकि अपने पापा या फिर भाई को मैंने किचन में कदम रखते नहीं देखा ।

    अहिल ने जैसे ही गेट खोला तो वहां सुमन आंटी खड़ी थी परेशानी से - अहिल बाबा सारी , वो क्या हैं ना बगल वाली शांता से झगड़ा हो गया तो मैं आने में लेट हो गयी पर अभी फटाफट काम निपटाती हैं ।

    अहिल भी अंदर आते हुए - हम्म ! बट आगे से ध्यान रखिएगा।

    इतना कहकर वह अंदर आते हुए - आप नाश्ते की तैयारी किजिए। इतना कहकर वह लैपटॉप उठाये उपर अपने रुम में चला गया ।

    इधर सुमन खी खी करते हुए - अब तो बीवी आ गयी ना बाबा तो बस उसके पल्लू से बंधे रहेंगे। वैसे आपकी मेहरारू अभी भी कमरे में आराम फरमा रही हैं क्या ? वो क्या हैं ना आजकल की लड़कियां बड़ी छुईमुई होती हैं ।

    सुमन आंटी की आदत थी मजाक करने की और अहिल का चिढ़ा हुआ चेहरा उन्हें सुकून सा देता था और इसके पीछे भी एक राज था लेकिन अहिल को यह बात दिल पर लग गयी और बंधन जो यह देखने के लिए किचन के गेट पर आयी थी कि बाहर कौन आया हैं ... उसकी आंखों में यह सुनकर आंसू आ गये । ऐसा होना भी शायद लाजमी थी । बंधन जो सुबह से बस घर के कामों में लगी थी और जब सुमन आंटी के मुंह से यह सुना तो उसकी दिल टुकड़ों में बंट गया .... आखिर वो हर बात को दिल से लगा लेती थी ।

    सुमन आंटी की बात सुनकर अहिल गुस्से से - मैंने, आपको मेरे रुम के अंदर क्या हो रहा हैं इस पर राय देने के लिए नहीं कहां ...? मेरी वाइफ आराम फरमा रही होती अगर आप अपने झगड़े पर ध्यान देने के बजाय टाइम पर आने पर ध्यान देती ...!! आप बड़ी हैं तो इज्जत से बात करता हूं वरना अपनी वाइफ के बारे में एक ग़लत बात बर्दाश्त नहीं करुंगा मैं ...चाहे आपने वह मजाक में ही क्यों ना कहीं हो ?

    सुमन आंटी का तो मुंह बन गया क्योंकि पहली बार उन्हें, इस तरह का जवाब मिला था और बंधन उसके चेहरे पर एक हल्का सी मुस्कुराहट आ गयी ... किसी को पहली बार अपना साथ देते देख ...!!

    जारी हैं ..............

  • 4. बंधन -एक समझौता - Chapter 4

    Words: 1409

    Estimated Reading Time: 9 min

    आगे .........

    अहिल अपने रूम में जा चुका था लेकिन उसे अहसास तक नहीं था कि बंधन की उम्मीद है उससे जुड़ने लगी .....!! जिस इंसान को जिंदगी में सिर्फ जिल्लत मिली हो और हर तरफ से यही सुनने को मिला हो कि वह किसी काम की नहीं है उस इंसान के लिए अगर कोई एकदम से स्टैंड ले तो वह उसके लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं होता है ....और इस वक्त बंधन की नजरों में वह भगवान से कम नहीं था । खैर वह अहिल को एक नजर देखकर , किचन में चली गयी और सुमन आंटी मुंह बनाते हुए खुद भी किचन में आ गयी । जब वह किचन में घूसी तो वहां लाल साड़ी में लिपटी , बंधन को देख कर उनका मुंह हैरानी से खुला रह गया और उन्हें अहिल का गुस्सा भी बहुत अच्छे तरीके से समझ आ गया ।

    सुमन आंटी अंदर आकर हैरानी से - हे ..बहुरानी ..!! तुम तो किचन में है वो भी बिल्कुल संस्कारी गेट‌अप में ...!!

    सुमन आंटी की बातें , बंधन के सिर के ऊपर से गुजर गयी और वो हैरानी से सिर्फ उनको ही देखने लगी ...!! बंधन की एक ही कमजोरी थी कि उसे ताने या फिर घूमाफिरा कर की गयी बातें समझ नहीं आती थी और इसी वजह से हर कोई अपनी भड़ास , उस पर ही निकाल देता था ।

    सुमन आंटी , उसको खुद की तरफ देखते देख सिर झटककर - अरे बहुरानी ! साइड हटो ना हमको नाश्ता बनाना हैं और फिर डस्टिंग भी करना हैं ।

    बंधन सिर झटकते हुए - नाश्ता , मैंने बना दिया हैं तो आप बस डस्टिंग कर लिजिए। इतना कहकर वह हाथ में भोग की थाली लिए बाहर निकल गयी । पहली बार उसने इस तरह का बर्ताव किया था क्योंकि , उसे सुमन आंटी से खुद को दूर रखना था ।

    सुमन आंटी, उसे हैरानी से देखकर - यह हमको इग्नोर मारकर गयी ।

    इधर बंधन जब बाहर आयी तो काव्या जी , अपने रुम से बाहर ही आ रही थी । काव्या जी चेहरे पर मुस्कुराहट लिये - बंधन बेटा ! मैं चाहती हूं कि आज कान्हा जी को भोग , तुम लगाओ ।

    जिस पर बंधन सिर हिलाते हुए काव्या जी के साथ कान्हा जी के उस खुबसूरत से मंदिर के सामने आकर खड़ी हो गयी । बंधन आंखों में नमी लिये , कान्हा जी की आरती करके भोग लगा रही थी और पीछे खड़ी काव्या जी की आंखें बंद थी वो खुद से ही सोच रही थी - तुममें , हमें अपने परिवार की खुशियां नजर आती हैं बंधन ...उस घर में तुमको जो कुछ भी नहीं मिला ...वो सबकुछ हम देंगे और बदलें में तुमसे , तुम्हारी और अपने परिवार की खुशियां मांगेंगे।

    इधर अहिल भी आकर हाथ जोड़े , काव्या जी के बगल में खड़ा हो गया था ।

    वो खुद से सोच रहा था - मुझे शक्ति देना कान्हा जी कि मैं , बंधन की असलियत सबके सामने ला सकूं । उसके चेहरे से इस मासूमियत के नकाब को हटाकर दूर फेंक सकूं ।

    इधर बंधन भी भोग लगाते हुए खुद से - मुझे आप मिल गये तो सबकुछ मिल गया कान्हा जी ... मुझे अहिल जी की मां की आंखों में अपने लिए भी वो ही प्यार नजर आता हैं जो अहिल जी के लिए हैं । मुझे इतनी ताकत देना की मैं हमेशा , हर परिस्थिति में इस परिवार की ढाल बनकर रहूं ।

    सबके मन में अलग अलग सोच चल रही थी अब देखना यह था कि किसकी प्रार्थना पूरी होती हैं ।

    कान्हा जी को भोग लगाकर , बंधन पीछे मुड़ी तो अहिल को देखकर एक पल के लिए तो चौंकी फिर सबसे पहले काव्या जी का आशीर्वाद लेकर , उनके हाथ में प्रसाद रख दिया । काव्या जी , उसके सिर पर हाथ रखते हुए - हम्म .... तुम्हें इस दुनिया की सारी खुशियां मिले ....!!

    फिर उसने अहिल की तरफ प्रसाद देने के लिए हाथ बढ़ाया तो प्रसाद लेकर अहिल ऊपर चला गया अपने रुम में क्योंकि उसका फोन वापिस बजने लगा था .....!!

    फिल्हाल काव्या जी की वजह से बंधन बहुत खुश थी । बंधन हिचकिचाते हुए - मां, यशु अभी तक नहीं उठी तो क्या ?
    जिस पर काव्या जी हंसते हुए - तुम ना बहुत प्यार बोलती हैं वैसे यशु , अहिल की बहुत लाडली हैं । ऐसा मान लो की अहिल ने उसे अपनी बेटी की तरह पाला है । अहिल ...!! उसकी आंखों में एक आंसू तक बर्दाश्त नहीं कर सकता । यशु के लिए वह कुछ भी कर सकता है ... और यशु भी अपने भैया पर जान छिड़कती है । उसकी सुबह हमेशा आहिल को देखकर ही होती है तो जब तक अहिल उसे जगाने नहीं जाएगा .... वह नहीं जागेगी ।
    जिस पर गर्दन हिलाते हुए बंधन -- अच्छा......!!
    तब तक सुमन आंटी की आवाज आई....मैंने टेबल पर नाश्ता लगा दिया मेमसाब.......!!
    काव्या जी - बंधन , तुम ना अहिल को जाकर बोलों की यशु को लेकर नीचे आ जाये ... मैं नाश्ते पर इंतजार कर रही हूं ।
    जिस पर बंधन गर्दन हिलाते हुए खुशी से ऊपर की तरफ बढ़ गयी क्योंकि उसे , अहिल से थैंक्यू भी बोलना था ।

    इधर अहिल अपने लैपटॉप पर बिजी था जब बंधन ने अपने रुम में कदम रखा । वो अपने हाथ मसलते हुए - आप यशु दी को लेकर नीचे आ जाये .... मां ने नाश्ते के लिए बुलाया हैं । सबकुछ एक सांस में कहकर उसने गहरी सांस ली और जाने के लिए मुड़ गयी ।
    यह सबकुछ इतना जल्दी हुआ कि अहिल को कुछ समझ ही नहीं आया कि वो लड़की आंधी की तरह आकर तूफान की तरह जा रही थी । । बंधन खुदसे - एक थैंक्यू ही तो बोलना हैं बंधन ....वो भी नहीं बोल सकती तो इनके साथ जिंदगी कैसे गुजारेंगी । उसने आंखें जोर से भींच ली और मुड़कर - वो थैंक्यू .....?
    अहिल को उसका थैंक्यू समझ ही नहीं आया कि उसने थैंक्यू क्यों कहां तो वह नासमझी में - थैंक्यू किसलिए ..?
    जिस पर बंधन नज़रें झुकाए हुए ही - वह सुमन आंटी के सामने आपने हमारे लिए बोला तो बस थैंक यू....
    जिस पर आहिल थोड़े कठोर भावसे - इसमें इतना ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है अगर तुम्हारी जगह कोई और लड़की होती और उस पर भी सवाल उठाते तो मैं उसके लिए भी स्टैंड लेता तो तुम कोई स्पेशल नहीं हो ...??
    इतना कह कर आहिल तो रूम से निकलते हुए यशु के रूम की तरफ बढ़ गया लेकिन बंधन की आंखों में पानी छोड़ गया ...!! बंधन एक मजबूत लड़की थी जिसे हालातो ने बहुत मजबूत बना दिया था और उसके लिए रोना बहुत मुश्किल था क्योंकि उसे हमेशा से लगता था कि रोना औरतों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है अगर वह रोना छोड़ देंगी तो वह मजबूत बन जाएगी लेकिन आहिल की बातों ने बंधन के अंदर पनपी उस छोटी सी उम्मीद को कांच की तरह किंरचो में तोड़ दिया ।
    बंधन फिकी मुस्कान के साथ खुद से - तुम भी कमाल करती हो बंधन ...... आग से इश्क करके जलने से डर रही हो ..!! खैर हमारे लिए यह रिश्ता हमेशा आग में ही जलता रहेगा । मुझे लगा कि आपने मेरे सम्मान‌ की रक्षा , पति होने के नाते की लेकिन आप तो इंसानियत दिखा गये ।
    आपका यह कहना कि " तुम स्पेशल नहीं हो "' अंदर तक घुस रहा हैं , आज तक सबकुछ सुनती रहती थी किसी के तानों पर भी मुस्करा देती और दिखाती कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आता लेकिन आज , आपकी यह साधारण सी बात भी चुभ गयी । सही कहते हैं लोग - जिनकी किस्मत खराब होती हैं वो उम्मीदों का महल नहीं बनाते क्योंकि भगवान के साथ इन्सान भी वक्त वक्त पर , उनकी उम्मीदे तोड़ते रहते हैं । वैसे भी उम्मीद लगा कर पाप मैंने किया क्योंकि इस रिश्ते में कभी भी फर्ज जिम्मेदारी के अलावा और कुछ था ही नहीं ...ना उम्मीद और ना कुछ और.. इसकी सजा तुम्हें मिलनी ही थी बंधन ताकि आगे तुम हकीकत की दुनिया में रहों ।
    उसकी आंखों से झर झर झर पानी बह रहा था फिर भी खुद से बड़बड़ा रही थी उसे होश तब आया जब नीचे से काव्या जी की आवाज आई जो उसे नीचे नाश्ते के लिए बुला रही थी उसने मिरर में खुद का चेहरा देखा और आंसू को ढंग से पोंछकर खुद को सही करते हुए अपने दर्द को अपने अंदर समेटकर कर नीचे की तरफ चल दी ।
    जारी हैं ............

  • 5. बंधन -एक समझौता - Chapter 5

    Words: 203

    Estimated Reading Time: 2 min

    आगे .........

    बंधन सभी को नाश्ता सर्व कर रही थी कि तभी काव्या जी - बंधन , तुम्हारी आंखें इतनी लाल क्यों हो रही हैं ?
    उनकी बात पर बंधन एक पल‌के लिए तो घबरायी फिर सनी सी आवाज में - कुछ नहीं मां बस काजल की वजह से .. आंखें हल्की लाल हो गयी हैं ।
    इतना कहकर वह यशु को सर्व करने लगी । यशु खीर देखकर चहकते हुए - थैंक्यू भाभी ! खीर मुझे बहुत पसंद हैं । इतना कहकर उसने खड़े होकर बंधन के गाल चूम लिये ।
    बंधन के लिए यह अहसास बड़े ही खुबसूरत थे । इस परिवार में उसे अलग ही अपनापन लगा रहा था जहां हर किसी को उसकी फिक्र थी और वो लोग उसके काम की तारीफ करना भी जानते थे । ऐसी खुशी , उसने आज तक कभी भी फील नहीं की थी तो बंधन के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कराहट आ गयी ।
    फिर उसकी नजरें अहिल पर गयी जो एकटक उसे ही देख रहा था या गुस्से से घूर रहा था कहां नहीं जा सकता था लेकिन बंधन की मुस्कराहट फीकी पड़ गयी । वो खुद से मन में - घूर तो ऐसे रहे हैं जैसे कच्चा चबा खायेंगे .....!!