यह कहानी 21 वर्षीय अभय की है, जो एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। अपने अमीर दोस्तों के बीच, अभय हमेशा ही आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ महसूस करता है, जिसके चलते उसे प्यार में भी धोखा मिलता है। एक दिन, एक रहस्यमय फोन कॉल उसके जीवन में एक ऐसा मोड़ लाता है जिस... यह कहानी 21 वर्षीय अभय की है, जो एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। अपने अमीर दोस्तों के बीच, अभय हमेशा ही आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ महसूस करता है, जिसके चलते उसे प्यार में भी धोखा मिलता है। एक दिन, एक रहस्यमय फोन कॉल उसके जीवन में एक ऐसा मोड़ लाता है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसे पता चलता है कि उसके दादाजी, जिन्हें वह मृत मानता था, जिंदा हैं और एक अथाह संपत्ति के मालिक हैं। यह संपत्ति अभय को मिलती है, पर क्या यह खुशी का स्रोत बन पाएगी या एक नए संघर्ष की शुरुआत? अभय के जीवन में आए इस अचानक बदलाव के साथ नए दोस्त, नए दुश्मन, और नए रहस्य भी सामने आते हैं। क्या अमन इस नई जिंदगी में अपनी पहचान बना पाएगा? क्या वह अपने प्यार को पा लेगा? या फिर ये नई संपत्ति उसके लिए विनाश का कारण बनेगी? एक रोमांचक सफर, भरे हुए हैं धोखे, प्रेम और एक ऐसे राज़ से जो अभय के जीवन को हमेशा के लिए बदल देगा।
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मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी, और अपनी आगे की पढ़ाई उस यूनिवर्सिटी से कंप्लीट करना वहां के हर स्टूडेंट का सपना होता है।
उसकी वजह है उस यूनिवर्सिटी की स्टडीज बहुत ही हायर लेवल की है और वहां लगभग सारे डिपार्टमेंट है साइंस से लेकर इंजीनियरिंग, आर्ट्स, कॉमर्स, इकोनॉमिक्स और लाॅ भी... डिफरेंट वैरायटी ऑफ़ कोर्स के लिए वह यूनिवर्सिटी पूरे शहर क्या पूरे राज्य में फेमस है, इसके अलावा वह यूनिवर्सिटी और कई सारी और भी चीजों के लिए फेमस है जैसे कि वहां का माहौल जिसे वहां पर पढने वाले अमीर बच्चों ने अपने हिसाब से ढाल कर रखा हुआ है और वो हमेशा ही अपनी मनमानी करते हैं।
उसी यूनिवर्सिटी के गार्डन में साइड से दो लड़के चलते हुए आ रहे हैं। उन दोनों की हाइट लगभग बराबर ही है, और उम्र भी यही कोई 21 22 साल की ही होगी लेकिन उन दोनों के ओवरऑल लुक में काफी फर्क नजर आ रहा है और उन दोनों में से थोड़ा आगे चल रहे लड़के ने अपने लुक को कंप्लीट करने के लिए ब्रांडेड कपड़ों के ऊपर काफी एक्सपेंसिव डार्क ब्राउन लेदर जैकेट पहनी हुई है, वह लड़का देखने में ठीक-ठाक ही है लेकिन उसके एक्सपेंसिव चमचमाते लेदर शूज, कपड़े और उसके हाइलाइटेड एक्स्ट्रा बढ़े हुए बाल और उसके भीड़ से काफी अलग दिखा रहे हैं, इसके साथ ही उसने लाइट ब्राउन येलो कलर के सनग्लासेस भी लगाए हुए हैं और उसके हाथ में कार की चाबी भी नजर आ रही है जो कि चाबी से ज्यादा उस कार को ओपन करने का रिमोट है जिसे देख कर ही पता चल रहा है वह किसी महंगी कार का मालिक है।
वहीं उससे थोड़ी दूरी बनाकर कुछ कदम पीछे चलता हुआ हुआ दूसरा लड़का जो कि शक्ल सूरत और हाइट पर्सनैलिटी में उससे कहीं ज्यादा अच्छा दिख रहा है लेकिन उसके पर्सनैलिटी और कपड़े कुछ मैच नहीं हो रहे, उसने बहुत ही नॉर्मल कपड़े पहने हुए हैं, इसके अलावा जूते भी उसके कुछ पुराने से लग रहे हैं। उसका चेहरा भी मायूसी से लटका हुआ है और वह काफी धीरे-धीरे अपने आगे वाले लड़के से थोड़ी दूरी बनाकर चल रहा है।
वह दोनों देखने में दोस्त तो कहीं से भी नहीं लग रहे हैं क्योंकि वह पीछे चल रहा लड़का उस बहुत ही ज्यादा अमीर दिख रहे लड़के के साथ बिल्कुल भी कंफर्टेबल नहीं लग रहा।
तभी उस ब्राउन लेदर जैकेट वाले लड़के ने अपनी जगह पर रुक कर चेहरे पर एक तिरछी मुस्कुराहट के साथ पीछे चल रहे लड़के की तरफ देखा
फिर उसकी तरफ आते हुए उसके कंधे पर हाथ रखकर उसने बोला, "अरे यार अभय! बता ना साक्षी को कब प्रपोज कर रहा है फिर तू।"
उस लड़के की यह बात सुनकर अभय एकदम से हड़बड़ा गया और अपने आसपास चारों तरफ देखते हुए बोला, "आराम से रोहन! चिल्ला क्यों रहे हो, तुम्हें यह पता चल गया कि मैं साक्षी को पसंद करता हूं तो क्या हर बार यही सवाल करोगे मुझसे?"
अभय की इस बात को बहुत ही लापरवाही से हवा में उड़ाते हुए रोहन ने कहा, "अरे इतना क्या घबरा रहे हो, प्रपोज ही तो करना है, हो जाएगा यार!"
रोहन ने यह बात इस तरह से कहीं जैसे कि यह बिल्कुल भी बड़ी बात नहीं है और उसका तो रोज का ही काम हो लेकिन उसकी यह बात सुनकर रोहन अभय ने रोहन को ऊपर से नीचे तक एक नजर देखा और अपने मन में सोचा, "इसे क्या हो गया है यह मुझे इतना क्यों इनकरेज कर रहा है साक्षी को प्रपोज करने के लिए और वैसे भी मैं अभी खुद इस बात को लेकर श्योर नहीं हूं लेकिन हां अच्छी तो लगती है वह मुझे वैसे मैं ही आधे कॉलेज का ही क्रश है साक्षी पर..."
अभय काफी खोया हुआ था वहां पर खड़ा इन सब चीजों के बारे में सोच रहा है तभी रोहन ने उसके चेहरे के आगे चुटकी बजाते हुए कहा, "हे अभय! कहां खो गए? मैं तो बोल रहा हूं कर दो इससे पहले कोई और उसे अपनी गर्लफ्रेंड बना ले।"
रोहन की यह बात सुनकर अभय के चेहरे के एक्सप्रेशन थोड़े से चेंज हुए और अब उसके चेहरे पर टेंशन नजर आ रही थी क्योंकि यह ख्याल तो उसके मन में भी आता रहता था कि वह बस डरता और इस बारे में सोचता रह जाए कहीं कोई और साक्षी को ना प्रपोज कर दे यह सोचकर उसने तुरंत ही कहा, "नहीं नहीं कोई और नहीं... आई लाइक हर सो मच और मैंने इस बारे में सोचा भी है आज रात की रेस, अगर मैं जीत गया तो कल मैं पक्का उसे प्रपोज कर दूंगा!"
रोहन ने लापरवाही से अपने कंधे उचकाते हुए कहा, "रेस तो तुम जीत ही जाओगे वह तुम्हारे लिए कौन सी बड़ी बात है, हमेशा ही जीत जाते हो।"
लेकिन यह बात बोलते हुए रोहन के चेहरे पर कुछ अजीब से एक्सप्रेशन नजर आ रहे थे जैसे कि उसे इस बात को लेकर अभय से जलन हो रही हो लेकिन जैसे ही अभय ने उसकी तरफ देखा उसने फिर से अपने चेहरे पर एक झूठी मुस्कुराहट सजा ली।
अभय को उस पर पहले से ही कुछ खास भरोसा नहीं है इसलिए उसने भी उसकी ही तरह एक जबरदस्ती की स्माइल पास की और फिर एक्सक्यूज मी बोलते हुए वहां से गेट की तरफ बढ़ गया।
रोहन भी पार्किंग एरिया में पार्क अपनी कार की तरफ आया और हाथ में पकड़ी हुए कार की चाबी से बटन दबाकर उसने कार का गेट खोला और सीधा अपने कार की तरफ बढ़ गया, लेकिन तभी रास्ते में उसके ग्रुप के दो-तीन दोस्त वहां पर आ गए और वह कार के पास ही खड़ा होकर उनसे बातें करने लगा।
अभय ने एक नजर पीछे मुड़कर उन सब की तरफ देखा और उसने नोटिस किया कि सब उसकी तरफ देख कर ही कुछ बात कर रहे हैं उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर भी उसने इस बात को पूरी तरह से इग्नोर किया और साइड में खड़े हुए अपनी पुरानी सी दिखने वाली सेकंड हैंड होंडा बाइक की तरफ ही बढ़ गया फिलहाल उसके पास तो वही थी लेकिन वह पार्किंग एरिया में खड़ी अपनी बाइक तक पहुंच पाता उससे पहले ही वह सामने से आती एक लड़की से टकरा गया क्योंकि उसका ध्यान पीछे खड़े रोहन और उसके दोस्तों की तरफ भी था इसलिए उसने सामने की तरफ नहीं देखा।
उस लड़की से टकराया तो उसके हाथ में पकड़ी हुई किताबें फाइल या जो कुछ भी सामान था, वह जमीन पर गिर गया और अभय ने तुरंत ही उस लड़की की तरफ देखते हुए कहा, "ओह सॉरी! सॉरी... मेरी गलती है मेरा ध्यान कहीं और..."
इतना बोलते हुए अभय ने अपने सामने की तरफ देखा तो उसे नीचे जमीन पर बैठकर अपना सामान उठाती हुई वह लड़की नजर आई और उसके सारे बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे और वह नीचे की तरफ ही देख रही थी जिससे अभय को उसका चेहरा नजर नहीं आया!
उस लड़की ने उसी तरह अपना सामान समेटते हुए अभय की तरफ देखे बिना ही कहा, "नो नो इट्स फाइन! मेरा भी ध्यान शायद कहीं और ही था।"
यह सुनकर अभय ने और कुछ नहीं बोला लेकिन उसकी मदद करने के लिए वो हल्का सा चुका लेकिन तब तक वह लड़की एकदम हड़बड़ाहट में जल्दी-जल्दी अपना सारा सामान हाथ में समेट कर वहां से आगे बढ़ गई।
अभय को उस लड़की का बर्ताव कुछ अजीब लगा लेकिन उसने उस पर इतना ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसे घर जाने के लिए लेट हो रहा था तो वह सीधा अपनी बाइक लेकर वहां से निकल गया।
To Be Continued...
कैसा लगा आपको को इस कहानी का पहला भाग पहले ही बार हम लव स्टोरी के अलावा कुछ और नया ट्राई कर रहे हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसमें लव स्टोरी नहीं होगी लेकिन उस पर शुरुआत से फोकस नहीं होगा, वह कैसे और क्या होगा आप लोगों को बाद में पता चलेगा लेकिन अभय के लिए किस किस को बुरा लगा? बताइए कमेंट में 👇🥰
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रात के 12:00 बजे के बाद का वक्त, उस जगह पर शहर की नॉर्मल रोड से कुछ ज्यादा ही सन्नाटा था क्योंकि वो जगह सिटी से थोड़ा दूर पर है।
उस एरिया में, जहां पर अभी कुछ देर पहले तक अंधेरा था। एकदम से ही एक-एक करके चारों तरफ लगी हुई बड़ी बड़ी सी रोड लाइट जल जाती है और उसकी रोशनी में नजर आते हैं, वहां पर खड़े हुए बहुत सारे लोग... लोग भी नहीं एक तरह से उन्हें भीड़ कहेंगे क्योंकि वह सब इकट्ठा होकर एक जगह खड़े हुए थे और सभी एक तरफ ही देख रहे थे!
वो वहां का सीक्रेट रेसिंग ट्रैक था जो कि रात के इस वक्त ही आबाद होता था और दिन में वह एक नॉर्मल सड़क की तरह ही यूज होता था।
इस वक्त उस जगह को रेसिंग के लिए पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया जाता था और वहां पर काफी ज्यादा भीड़ लगी हुई है। उसी बीच लोग आपस में बातें करते हुए और चिल्लाते हुए नजर आ रहे हैं।
वह एक प्राइवेट रेस है जिसे कुछ अमीर परिवार के लोग सिक्रेटली ऑर्गेनाइज करते हैं और इसके अपने अलग रूल होते हैं। उसमें पार्टिसिपेट करने वाले लोग भी सारे उनके जान पहचान के और अमीर घर के लड़के ही होते हैं, जिन्हें बाइक रेसिंग और स्पीड का शौक होता है। इसके अलावा उन्हें सपोर्ट करने के लिए वह सारे लोग वहां पर आए हुए हैं जिन्हें इस तरह की बाइक रेसिंग देखने और उस पर शर्त लगाने का शौक होता है।
वह सभी अपनी अपनी जगह को इंजॉय कर रहे हैं लेकिन उस जगह से कुछ दूर, वहां पर छिपते छिपाते दो लड़कियां साइड में बड़े-बड़े ट्रकों और जो कुछ भी वहां पर छिपने लायक जगह है, उसके पीछे होती हुई चल रही है जिससे कि उन दोनों पर किसी की भी डायरेक्ट नजर ना पड़े।
उनमें से एक लड़की ने ब्लैक जींस के साथ ब्लैक ओवरसाइज हूडी पहनी हुई है और उसके हुड से अपना फेस भी लगभग आधा कवर किया हुआ है। उसके बाल खुले हुए हैं, लेकिन उसके चेहरे पर डर बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा है और वह आगे चल रही है।
वहीं दूसरी तरफ उसके पीछे चलती हुई दूसरी लड़की जिसने व्हाइट डेनिम के साथ ब्लू क्रॉप टॉप और वाइट जींस पहनी हुई है वह अपने आगे वाली लड़की के कंधे को पकड़कर बहुत ही डरी सहमी हुई सी इधर उधर देखती हुई उसके पीछे पीछे ही चल रही है और उसने डर की लजह से अनजाने ही आगे वाली लड़की के कंधे पर अपने नाखून गड़ाते हुए कहा, "यार! नंदिता क्या कर रही है तू? मुझे लगता नहीं हमें इतना बड़ा रिस्क लेना चाहिए यहां आकर... वैसे भी हम यहां पर इनवाइटेड..."
इतना बोलते हुए उस पीछे वाली लड़की का गला एकदम सूखा हुआ लग रहा है और डर की वजह से इधर-उधर देखती हुई उसके चेहरे पर पसीने की और लगातार नंदिता के हाथ पर अपने नाखून गढ़ाते हुए उस पीछे वाली लड़की ने लगभग उसके हाथ में छेद सा कर दिया है और इस बात से एडिटेट होकर नंदिता एकदम ही उसका हाथ झटक कर हटाते हुए पीछे मुड़कर देखती हुई बोली, "क्या है यार कृति! छेद करेगी क्या हाथ में?"
"यार! तुझे डर नहीं लगता क्या, और ऐसे काम करने में क्या मजा आता है तुझे, मेरी तो हालत खराब हुई जा रही है डर की वजह से... यार किसी ने देख लिया या फिर हम पकड़ लिए गए फिर क्या होगा, देख तो कितने लंबे चौड़े सिक्योरिटी गार्ड खड़े हैं वहां पर और काफी टाइट सिक्योरिटी है यहां की, आई डोंट थिंक सो इट्स अ गुड आईडिया!" - नंदिता के पीछे खड़ी कृति ने फिर से उसी तरह डरे सहमे हुए अंदाज में बोली
उसकी यह बात सुनकर नंदिता , जो कि आगे देखती हुई इधर उधर चारों तरफ नजर घुमाकर शायद कुछ या फिर किसी को ढूंढ रही थी, वह एक पल के लिए रुक कर एक गहरी सांस लेते हुए पीछे मुड़ी और बोली, "यार इतना ही डर लगता था तो फिर तू मेरे साथ आने के लिए रेडी क्यों हुई थी? पहले ही बोल देती कि तुझे साथ नहीं आना है।"
नंदिता ने काफी ज्यादा इरिटेट होते हुए कहा और वह जैसे ही पीछे कृति की तरफ मुड़ी एक स्पॉटलाइट जैसे उसके चेहरे पर पड़े जिसमें उसका खूबसूरत चेहरा नजर आया, उसने मेकअप के नाम पर कुछ भी नहीं किया हुआ है। सिर्फ उसके बाल खुले हैं जो कि उसके आधे माथे को ढक रहे हैं बाकी ओवरसाइज हूडी और जींस में भी वह काफी अच्छी लग रही है और उसे देखकर ऐसा लग रहा है जैसे वह अक्सर ऐसे कपड़े पहनती है तो वह उनमें काफी कंफर्टेबल है।
नंदिता का इरिटेटेड फेस देखकर कृति ने कहा, "क्या यार! तो फिर क्या मैं तुझे ऐसे अकेले आने देती यहां पर, इतना खतरा है और फिर हॉस्टल में अगर मैं अकेले रुकती तेरे बिना और फिर तेरे बारे में जब कोई मुझसे पूछता तब क्या बताती मैं बस इसलिए मुझे यही ठीक लगा, लेकिन यहां पर आने से पहले मैंने यह सब नहीं सोचा था कि यहां पर ऐसे इतने बड़े पैमाने पर यह सब कुछ होता होगा।"
कृति ने फिर से उसी तरह डरी सहमी हुए अपने आसपास चारों तरफ नज़र घुमाते हुए कहा, लेकिन तभी उसे ऐसा लगा कि कोई उस तरफ आ रहा है तो वह हल्का सा झुक गई और साथ ही उसने नंदिता को भी नीचे ही खींच लिया और झुक कर बैठे रहने का इशारा किया क्योंकि जहां पर वह लोग झुक कर बैठी हुई है, वहां पर काफी अंधेरा है और वह ट्रक के पीछे वह दोनों छुपी हुई है तो दूर से नजर नहीं आ रही।
कृति के ऐसा करने पर नंदिता काफी लापरवाही से बोली, "अरे यार इतना भी खतरा नहीं है जितना तू डर रही है और वैसे भी यह सारी चीजें खुद ही इल्लीगल है तो ऐसे में कोई पुलिस केस नहीं बनता और अगर बना भी तो वैसे भी मैं इनसे ज्यादा कानून जानती हूं। ये हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे, सो रिलैक्स!"
इतना बोलते हुए नंदिता बहुत ही कूल नजर आ रही है लेकिन वह फिर भी वह कृति को पूरी तरह से कन्वेंस नहीं कर पाई। लेकिन अब तो वो यहां तक आ गई है और जिस काम के लिए आई है वह तो करना ही था।
नंदिता की ऐसी लापरवाही भरी बातें सुनकर कृति बेबसी से अपना सिर हिलाती हुई बोली , " तुझ से बहस करने का कोई फायदा है क्या, तू कब किसी की बात मानती है, चल चलते हैं और देखते हैं, कहां है तेरा हीरो... आखिर उसी के लिए तो इतना रिस्क लेकर यहां आई है ना तू?"
कृति ने जैसे ही इतना कहा तो नंदिता का पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया शायद जिसके बारे में कृति बात कर रही है उसके बारे में सोचते हुए और तभी नंदिता ने कहा, "क्या यार! इस तरह से तो मत बुलाया कर, कुछ नाम भी है उसका?"
" हां... हां ठीक है नाम भी पता है मुझे लेकिन चल पहले ढूंढते हैं और मुझे नहीं लगता कि वह यहां पर होगा... देख अपने कॉलेज के सारे बिगड़े रईसज़ादे और हाई क्लास स्टूडेंट नजर आ रहे हैं और वह बेचारा तो..." - इतना बोलते बोलते कृति रुक गई क्योंकि उसे नंदिता के चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते हुए नजर आए।
To Be Continued....
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नंदिता तुरंत ही बात बदलती हुई बोली, "यार पता है मुझे भी ये सब और इसीलिए तो मुझे शक है, चलो उस तरफ चलते हैं वो देखो सारी बाइक स्टार्टिंग लाइन पर आकर खड़ी हो गई है और वह लास्ट वाली बाइक नहीं आई, मुझे तो उस पर ही शक है। चलो देखते हैं।" - इतना बोलते हुए वह दोनों फिर से उसी तरह छुपते छुपाते ही वहां से एक तरफ बढ़ी है और उनकी किस्मत अच्छी थी कि अभी तक वह दोनों किसी की नजर में नहीं आई और उन दोनों ने कपड़े भी काफी अच्छे पहने हुए थे तो किसी की भी उन पर इतनी अलग से नजर नहीं पड़ी और वह दोनों भी उसी तरह के लोगों की भीड़ का हिस्सा लग रही है जैसे कि ज्यादातर वहां पर आए हुए हैं।
नंदिता और कृति आगे आईं ,वह दोनों बाइक स्टार्टिंग लाइन वाले एरिया की तरफ बढ़ ही रही थी कि तभी उन दोनों के कान में एक आवाज पड़ी आवाज।
" हां हां, ठीक है जो डील हुई थी, वही होगा और अगर तुम यह रेट जीत गए तो इस हम साथ में जितने भी पैसे जीतेंगे उसमें से आधे तुम्हारे लेकिन तुम्हें हमारी शर्त याद है ना किसी को भी इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए।" - यह बात सुनाई देते ही नंदिता के माथे पर बल पड़ गए हैं और वह समझ गई कि कुछ तो ठीक गड़बड़ है और उसने कृति की तरफ देखा, तो वह भी कंफ्यूज से उसकी तरफ ही देख रही थी।
वहां पर क्या चल रहा है पूरी बात जानने के लिए वह दोनों वहां से थोड़ा आगे बढ़ी तो देखा कि वहां पर दो लड़के आमने सामने खड़े हुए हैं जिनमें से एक का उन्हें चेहरा नजर आ रहा है और दूसरे की सिर्फ पीठ उनकी तरफ है लेकिन उन दोनों लड़कों ने ही एकदम सेम आउटफिट पहना हुआ है। एकदम सेम कलर की जींस और सेम कलर की टी-शर्ट। लेकिन हां पर जैकेट सिर्फ एक ही थी और रेड और ब्लैक कलर की रेसर जैकेट जिस पर बड़े-बड़े इंग्लिश के कैपिटल लेटर्स में रोहन लिखा हुआ था। और 10 नंबर भी...
सामने खड़े लड़के को नंदिता ने देखा। वह उसे अच्छी तरह से पहचानती है। वह उसी की कॉलेज के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट दिखा देंगे जो भी उस में पढ़ने वाला लड़का रोहन मल्होत्रा है जो कि बहुत ही ज्यादा अमीर है और कॉलेज में एक प्लेबॉय टाइप का है इसलिए नंदिता उसे कुछ खास पसंद नहीं करती, लेकिन वह पूरे कॉलेज में काफी पॉपुलर है। खासकर यहां होने वाली सारी रेस जीतने की वजह से कॉलेज में उसकी पापुलैरिटी और भी ज्यादा है।
इसलिए नंदिता उसे देखते ही पहचान गई लेकिन उसके सामने जो लड़का खड़ा है, उसे देखने के लिए वो बहुत ही ज्यादा उतावली है और इसी बीच उसने अपना मोबाइल फोन भी निकाल कर अपने हाथ में पकड़ लिया और आगे बढ़ते हुए उसने अपने मोबाइल का कैमरा भी ऑन कर लिया।
उसके आगे बढ़ते ही पीछे खड़ी कृति हुए बोल, "रुक जा नंदिता ! उधर कहां जा रही है तू हम फंस गए तो यार!"
मंदिरा की बात सुनकर नंदिता ने पीछे मुड़कर उसकी तरफ देखा और उसे आंखों से चुप रहने और वहीं पर रुकने का इशारा किया और खुद मोबाइल फोन लेकर एकदम चुपके चुपके दबे पांव से वहां से आगे बढ़ी और वह उस साइड पर आ गई। जहां से उसे दोनों के चेहरे एकदम साफ नज़र आ रहे थे।
उसे दूसरे लड़के की शक्ल नजर आते ही वह अपने आप से धीमी आवाज़ में बोली, "यस आई न्यू इट! ऐसा ही कुछ है इस रोहन के बच्चे को कहां बाइक चलाना आता होगा और चला तो भले ही ले लेकिन यह जीत नहीं सकत, यह सारी रेस तो सिर्फ मेरा अभय ही जीत सकता है, माई हीरो लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा यह इस रोहन की इतनी बात क्यों मान रहा है। इतना बोलते हुए उसने उन दोनों की कुछ फोटोस क्लिक की और तभी उसने देखा कि रोहन ने अपने हाथ में पकड़ी हुई अपने नाम की जैकेट उसे दे दी जिसे कि अभय ने पहन लिया और अब वह एकदम रोहन की तरह ही लग रहा है।
रोहन वहां साइड में बने हुए एक रूम के अंदर चला गया और उसने अभय को वहां से बाइक की तरफ जाने का इशारा किया और अभय ने वहां से जाने से पहले एक गहरी सांस ली और फिर हेलमेट अपने सिर पर लगा लिया जिससे कि सारे लोग उसे रोहन ही समझ रहे थे और तभी दो लड़के प्रतीक और शिवम उसके आसपास आकर खड़े हो गए। बिल्कुल इस तरह से जैसे वह कॉलेज में अपने दोस्त रोहन के साथ रहते हैं जिससे कि सभी लोगों को यही लगे कि वह लड़का जिसने बाईकर का ड्रेस, हेलमेट और जैकेट पहना हुआ है, वह अभय नहीं, बल्कि रोहन है।
यह पूरी बात समझ आते ही नंदिता की आंखें हरानी से बड़ी होकर उसने अपने आप से ही बात करते हुए कहा, "इतना बड़ा धोखा? शक तो मुझे पहले से ही था लेकिन अभय... उसकी ऐसी क्या मजबूरी है, वह क्यों इन लोगों की बात मान रहा है। क्या सच में सिर्फ पैसों के लिए नहीं... नहीं सिर्फ पैसों के लिए वह ऐसा तो नहीं करेगा।"
ये सब सोचते हुए नंदिता वहां पर खड़ी है तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो वो एकदम से चौंक पर पीछे मुड़ी लेकिन फिर अपने सामने कृति को देखकर उस ने राहत की सांस ली और अपने दिल पर हाथ रखती हुईबोली, "क्या यार! अभी हार्ट अटैक आ जाता मुझे, मैंने तुझे बाहर रुकने को बोला था ना?
कृति ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "इतनी देर से तू आई नहीं क्या कर रही थी यहां और पता चला व़ो दूसरा लड़का कौन था और उन दोनों ने सेम कपड़े क्यों पहने थे?"
कृति ने एक के बाद एक नंदिता से सवाल पूछना चालू किया तो नंदिता ने भी एक गहरी सांस लेते हुए उसे पूरी बात एक्सप्लेन की और फिर वह दोनों भी रेस स्टार्ट होते ही वहां पर आ गई और सभी के साथ एकदम आगे ही खड़े होकर वह रेस देखने लगी और उन्होंने देखा कि वहां पर ज्यादातर लोग रोहन का नाम चिल्लाते हुए चीयर कर रहे हैं क्योंकि अरे शुरू हो गई है और रोहन की बाइक ही सबसे आगे थी, लेकिन वह बाइक कौन चला रहा था, यह सच सिर्फ नंदिता और कृति जानती हैं ।
पर सब कुछ जानते हुए भी वह कुछ नहीं कर सकती इसलिए उसने मायूसी से एक गहरी सांस छोड़ी और कृति ने हमदर्दी में उसके कंधे पर हाथ रखकर हल्के से थपथपाया नंदिता ने कुछ भी नहीं कहा और कुछ ही देर में वह रस फिनिश हुई और रोहन की बाईक ने ही सबसे पहले फीनिशिंग लाइन पर की और सभी लोग तेज आवाज में चिल्लाने लगे खासकर रोहन के सपोर्टर लेकिन बाइक वह फिनिशिंग लाइन से थोड़ा आगे लेकर चला गया।
शायद उस जगह पर जहां रोहन छुपा हुआ था और पता नहीं कब उन दोनों ने वह पोजीशन एक्सचेंज की और जब तक नंदिता वहां पर पहुंची उसने देखा कि अपना हेलमेट उतारते हुए अभय की जगह रोहन बैठा हुआ उस बाइक पर मुस्कुरा रहा था और जैसे ही वो बाइक से नीचे उतरा तब ही दो तीन लड़कियों और तीन चार लड़कों के साथ छह सात लोगों का एक ग्रुप एकदम से उसकी तरफ बढ़ा और उन सब ने एक ग्रुप हग किया और सेलिब्रेट करते हुए उन लोगों ने रोहन को अपने कंधों पर उठा लिया और उस पूरी जगह का एक चक्कर लगाया।
लेकिन नंदिता को वह सब कुछ देख कर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा, उसने बुरा सा मुंह बनाया और वहां से आगे बढ़ गई। तभी उसने साइड में खड़े हुए अभय को देखा जिसके हाथ में कुछ पैसे थे और वह उन्हें उन पैसों को गिन रहा था, उसके कपड़े अभी भी वही पहले वाले हैं लेकिन उसने इस वक्त वह जैकेट नहीं पहनी हुई क्योंकि वह जैकेट अब रोहन ने पहनी हुई थी, जिसे पहनकर वो रेस कर रहा था।
नंदिता को पूरा मामला समझ में आ गया लेकिन वह जाकर अभय से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और सब कुछ जान कर भी कृति के साथ वहां से वापस आ गई।
To Be Continued...
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अभय जब तक अपने घर पहुंचा तो अब तक रात के 2:00 बज चुके थे और उसके पास घर की एक्स्ट्रा चाबियां थी तो वह चुपचाप घर का दरवाजा खोल कर दबे पांव अंदर आया।
हमेशा की तरह अभय को लगा कि आज भी उसके मम्मी पापा सो गए होंगे क्योंकि इतनी रात तक कोई भी उसका इंतजार नहीं करता लेकिन आज वो जैसे ही हॉल में आया वैसे ही उसके कानों में एक आवाज पड़ी , "इतनी रात को कहां से आ रहे हो?" ये अभय के पापा की आवाज थी ।
जिसे सुनकर वह वहां पर अपनी जगह पर ही रुक गया और धीमी आवाज में खुद से बोला, "शिट यार! इस आदमी की आंख कैसे खुल गई आज..."
"मैं कुछ पूछ रहा हूं अभय जवाब दोगे कहां से आ रहे हो?"
"काम से... मैं किसी जरूरी काम से बाहर गया था।"
"रात के 2:00 बजे ऐसा कौन सा जरूरी काम था तुम्हें..."
"पैसे कमाने है मुझे अपने लिए और उसके लिए मुझे जिस वक्त, जो भी काम मिलेगा मैं वह करूंगा।"
"इतनी भी क्या जरूरत है तुम्हें पैसों की अभय? हर वक्त पैसा पैसा करते रहते हो, देखो बेटा इतना लालच अच्छा नही होता और मैं और तेरी मां हम दोनों आखिर तेरे लिए ही तो काम करते हैं और तेरी हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश भी करते हैं।"
"हर ख्वाइश पूरी... कौन सी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं आप लोग मेरी, वैसे अगर पूरी करना चाहे ना तो भी नहीं कर सकते क्योंकि मेरी सारी ख्वाहिशों में पैसों की जरूरत होती है वह भी आप दोनों की सैलरी से कहीं ज्यादा पैसे... मुझे लैपटॉप लेना है स्पोर्ट्स बाइक लेनी है स्पोर्ट्स कार लेनी है ब्रांडेड कपड़े जैसे कि मेरे कॉलेज में सारे लड़के और लड़कियां पहन कर आते हैं, उनके सामने अपने इन बेकार से कपड़ों में वहां पर मैं बिल्कुल किसी भिखारी की तरह लगता हूं ,आपको क्या पता डैड मुझे कितनी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। "
"काफी शर्मिंदगी बेटा, जितना तुम्हारे पास है और लोगों के पास इतना भी नहीं होता लेकिन अगर तुम हमेशा अमीर घर की लड़की लड़कियों के साथ खुद को कम प्यार करोगे तो तुम्हें जितना भी मिल जाए हमेशा कम ही लगेगा और तुम हमेशा इसी तरह पैसो के पीछे भागों के अभय तो तुम्हें कभी भी सच्ची खुशी नहीं मिलेगी समझ लो इस बात को..."
"पैसों से ही सच्ची खुशी मिलती है पापा! पता नहीं आप इस बात को कब समझेंगे और मुझे कोई बहस नहीं करनी आपसे मैंने कहा ना मैं अपने शौक पूरे करने के लिए खुद ही पैसे कमा लूंगा चाहे जैसे भी..."
इतना बोलते हुए अभय वहां से सीधा अपने रूम में चला गया और उसने अंदर से अपने रूम का दरवाजा बंद कर दिया और अपने जेब से पैसे निकाल कर वहां बेड पर फेंक दिए और फिर कुछ देर बाद बैठकर उन्हें गिनने लगा।
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अगली दोपहर,
यूनिवर्सिटी कैंपस;
इस वक्त लगभग दोपहर के 2:00 बज रहे हैं और ज्यादातर क्लासेस खत्म हो चुकी है, हल्की सर्दियां शुरू हो गई है। इसलिए ज्यादातर स्टूडेंट्स कॉलेज और क्लासेज से बाहर मैदान और गार्डन में ही नजर आ रहे हैं।
वहीं उन सब के बीच एक लड़की, जिसने की वाइन कलर की वन पीस नी लेंथ शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई है और उसकी वह ड्रेस देखने में ही काफी महंगी और डिजाइनर लग रही है इसके अलावा हाथ में डायमंड ब्रेसलेट और डायमंड रिंग भी उसमें पहनी हुई है उसके पूरे लुक को देते हुए वह बहुत ही अमीर लड़की लग रही है।
वह जहां से भी चलते हुए आगे बढ़ रही है वहां के सारे लोगों का ध्यान उसकी तरफ से ही हो जा रहा है लेकिन इन सब लोगों पर ध्यान लिए बिना ही कोई लड़की अपनी बातें करते हुए वहां से आगे बढ़ रही है तभी एक लड़का एकदम से ही उसके रास्ते में आया तो वो लड़की अपनी ही जगह पर रुक गई और उसने बहुत ही डिस्गस्टिंग सा चेहरा बना कर उसे नीचे तक देखा और उसके साथ खड़ी लड़कियों ने भी कुछ इसी तरह का रिएक्शन दिया।
वह लड़का कोई और नहीं अभय है और उसके अपीयरेंस को देखते ही वह लोग इस तरह के आड़े तेडे़ मुंह बना रही है लेकिन मैंने सभी के ऐसे रिएक्शन को इग्नोर किया और बीच में खड़ी लड़की की तरफ देखकर बोला, "साक्षी! मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, आई मीन... मुझे... तुमसे..."
इतना बोलते हुए अभय थोड़ा सा इंबैरेस्ड फील कर रहा है और अपने बालों में हाथ डालते हुए मुस्कुरा कर उसने इधर उधर देखा और फिर से वह कुछ बोलने ही वाला था उससे पहले ही उस लड़की साक्षी के बगल में खड़ी हुई दूसरी लड़की ने कहा, "हे यू लूज़र! जस्ट गेट ऑफ... हमारे रास्ते से हट जाओ और साक्षी को तुमसे कोई बात नहीं करनी...है ना बेब!"
"Take it easy नताशा! बोल लेने दो बेचारे को... आई मीन... हां कहो तुम, क्या कहना है तुम्हें?" - इतना बोलते हुए साक्षी ने अपने चेहरे पर लगाए हुए बड़े से सनग्लासेस उतार कर हाथ में पकड़ लिए।
उसकी बात सुनकर अभय के अंदर थोड़ी हिम्मत आई, इस वक्त उसने पिछली रात से काफी ज्यादा अच्छे काफी अच्छे कपड़े पहने हुए हैं जो कि देखने में भी नए लग रहे हैं, ऐसा लग रहा है उसने बस आज ही उन कपड़ों को खरीदा है और वह काफी खुश भी नजर आ रहा है।
इसलिए जैसे ही साक्षी ने उससे कहा कि वह बोल सकता है। उसके सामने तो वह जैसे इतना खुश हो गया जैसे कि उसे दुनिया की सारी खुशियां मिल गई हो और वह तुरंत ही अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपने जेब से एक गुलाब का फूल निकालकर उसके सामने बढ़ाते हुए बोला, "हे साक्षी! आई... आई रियली... रियली लाइक यू, वुड यू बी माय गर्लफ्रेंड! मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं पिछले दो सालों से..."
इतना बोलते हुए शर्म की वजह से उसके गाल भी गुलाबी हुए जा रहे हैं और वह बिल्कुल किसी नई दुल्हन की तरह ही शर्मा रहा है शायद इसलिए क्योंकि वह अपनी लाइफ में पहली बार ही किसी को अप्रोच कर रहा है, उसके लिए यह सब कुछ काफी स्पेशल है
वहीं दूसरी तरफ उसके सामने खड़ी साक्षी पर जरा भी असर नहीं हुआ, उसने सिर्फ अपनी आइज रोल की लेकिन उसके साथ खड़ी लड़कियों ने अभय की तरफ देख कर एक दूसरे को एक स्माइल पास किया और वो तीनों ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी।
साक्षी ने भी उसका मजाक उड़ाने वाली टोन में कहा , "व्हाट! व्हाट डू यू मीन, क्या कहा तुमने? हे गर्ल्स! मैंने सही सुना ना... इसने अभी-अभी मुझे प्रपोज किया ना अपनी गर्लफ्रेंड बनने के लिए पूछा, है ना?"
साक्षी की यह बात सुनकर उसके साथ खड़ी नताशा ने कहा, "मैं तो तुम्हें पहले ही मना कर रही थी कि ऐसे लोगों से बात करने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन तुमने ही इसे एक चांस दिया बोलने का तो फिर अब, झेलो!"
साक्षी ने एक हिकारत (घृणा) भरी नजर अभय पर डालते हुए कहा, "क्या कहा मैं झेलूं और वह भी इस जैसे फटीचर को, साक्षी खन्ना किसी को भी नहीं झेलती, लेकिन मैं तो बस यह सोच रही हूं कि इसकी इतनी हिम्मत कैसे हुई मुझे प्रपोज करने की औकात ही की है तूने अपनी औकात ना सही तो अपने कपड़े अपीयरेंस और शक्ल ही देख लेता।"
साक्षी ने सबके सामने उसकी इंसल्ट करते हुए इतना कुछ कहा और अभय को उसकी ये बातें बहुत ही ज्यादा किसी तीर की तरह चुभ रही थी और उसका अब तक चमकता चेहरा भी एकदम मुरझा गया।
लेकिन फिर भी खुद को डिफेंड करते हुए वो अपनी जगह से उठकर खड़े होते हुए बोला, "व्हाट डू यू मीन साक्षी? मैं कोई फटीचर नहीं हूं माना कि मैं तुम्हारी जितना अमीर नहीं हूं, लेकिन प्लीज तुम इस तरह से सबके सामने मेरी इंसल्ट तो मत करो।"
अभय ने अपने आप को बहुत ही ज्यादा कंट्रोल करते हुए यह बात बोली क्योंकि वह साक्षी को पसंद करता था और जिसे भी वह पसंद करता है, उसकी बाकी लोगों के सामने इंसल्ट करने में भरोसा नहीं रखता।
अभय की यह बात सुनकर साक्षी जोर से हंसते हुए बोली, "सीरियसली? तुम्हें यह इंसल्ट लग रही है। अभी तो मैंने तुम्हारी इंसल्ट करना स्टार्ट भी नहीं किया है। आखिर तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई साक्षी खन्ना को प्रपोज करने की... अपनी औकात तो देख लेते एक बार मेरे साथ खड़े होने की भी हैसियत नहीं है।"
साक्षी की ऐसी बातें सुनकर अभय का दिल टूट कर बिखर कर टुकड़े टुकड़े हो गया, उसकी आंखों में आज पहली बार ही आंसू नजर आ रहे हैं और उसे इस हालत में देखकर सारे लोग वहां पर खड़े होकर हंस रहे और उसका मजाक उड़ा रहे हैं।
उसे भी अपने आसपास होती हुई कुछ बातें सुनाई दे रही है और तभी उसके कान में एक जानी पहचानी सी आवाज पड़ी, "कम ऑन बेबी! डोंट बी सो मीन और वैसे भी अच्छा खासा एंटरटेनमेंट तो करवा दिया ना इसने हमारा, देखो सब ही इंजॉय कर रहे हैं और सबसे ज्यादा तो मैंने इंजॉय किया, Isn't it fun!"
अपने नजदीक आती उस आवाज की तरफ जैसे ही अब मैंने देखा तो हैरानी से उसकी आंखें बड़ी हो गई और हो इस तरह थोड़े समय से बोला, "तुम?"
To Be Continued...
5
"हां मैं... बट इतना क्या शाॅक लगा तुम्हें हीरो तो लेट एंट्री ही मारता है ना सीन में..."
वह आवाज सुनते ही साक्षी भी उस तरफ देखकर खुश होती हुई बोली, "ओ बेबी थैंक गॉड तुम आ गए नहीं तो मैं अकेले ही इस बेवकूफ से डील कर रही थी, हिम्मत तो देखो इसकी तुम्हारी गर्लफ्रेंड को प्रपोज कर रहा है।"
साक्षी की यह बात सुनकर तो अभय की चौंक गया क्योंकि उसने आज तक पब्लिकली कॉलेज में साक्षी को किसी भी लड़के के साथ नहीं देखा था और वो दोनों एक दूसरे को इतना कंफर्टेबली सबके सामने बेबी बुला रहे हैं जैसे कि काफी टाइम से एक-दूसरे को डेट कर रहे हो
अभय के साथ-साथ वहां आसपास खड़े काफी सारे लोग इस बात को लेकर सदमे में है और आपस में कुसूर फुसुर भी कर रहे हैं सिर्फ साक्षी के साथ खड़ी दोनों लड़कियां हल्का-हल्का मुस्कुरा रही है जैसे कि उन्हें इस बारे में पहले से ही पता था।
सभी साक्षी ने जैसे अनाउंसमेंट करते हुए कहा, "ओके , सो लेट मी इंट्रोड्यूस माय बेबी, रोहन!"
इतना बोलते हुए उसने एक तरफ इशारा किया तो रोहन बहुत ही प्राउडली एटीट्यूड में उधर से चलते हुए आया और वहां आकर उसने सबके सामने साक्षी के होठों पर हल्के से किस किया और बोला, "यस बेबी! I am yours..."
एक दूसरे की तरफ देखा और उन दोनों को साथ देखकर सामने खड़े अभय के हाथ की मुट्ठियां गुस्से में एकदम कस गई और जबड़े भींच कर आंखें बंद करते हुए उसने किसी तरह खुद को कंट्रोल किया।
रोहन से मिले धोखे के बाद से अभय अभी तक सदमे में है क्योंकि उसे इस बारे में बिल्कुल भी अंदाजा तक नहीं था कि रोहन जो कल तक खुद ही उसे साक्षी को प्रपोज करने के लिए इनकरेज कर रहा था, वह खुद ही साक्षी का बॉयफ्रेंड होगा।
अभय उन दोनों को अपने सामने साथ देखकर काफी कुछ बोलना चाह रहा है लेकिन उसके मुंह से जैसे शब्द ही नहीं निकल रहे हैं।
फिर भी आखिरकार अपनी पूरी हिम्मत बटोरते हुए गुस्से में उसने सवाल किया, "क्यों रोहन? आखिर क्यों किया तुमने यह सब जानबूझकर, जब तुम दोनों खुद ही रिलेशनशिप में हो तो फिर क्यों मेरे साथ ये खेल खेला, क्या मिला तुम्हें?"
अभय का सवाल सुनकर रोहन हंसते हुए आगे आया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "तुम सच में इतने भोले हो या फिर भोले बनने की एक्टिंग करते हो, वैसे सच कहूं तो बहुत ही बेकार एक्टिंग स्किल है तुम्हारी... कभी भी ट्राई मत करना। एक्टिंग में" - इतना बोल कर वो साक्षी को हाई-फाई देता हुआ हंसने लगा।
उसके सामने खड़े अभय को अभी भी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा कि उसके साथ यहां पर ये सब कुछ हुआ है, इसलिए वो पलके झुका है उन दोनों की तरफ ही देख रहा है।
वहीं दूसरी तरफ कॉरिडोर के एंड में एक पिलर के पीछे खड़ी हुई लड़की भी वह सारा ड्रामा देख रही है। वो वहां गार्डन एरिया में नहीं है, वहां से थोड़ी ही दूर पर है जिससे बाकी किसी की नजर उस पर नहीं पड़ रही है लेकिन वह सब कुछ देख और सुन रही है और उसे अभय के लिए बुरा भी लग रहा है।
वो लड़की और कोई नहीं नंदिता है जो कि ना जाने कब से अभय को पसंद करती है लेकिन फिलहाल इस वक्त वो भी अब है कि सामने से आकर कोई मदद नहीं कर पा रही है क्योंकि अभय उसे नहीं जानता और ना ही उन दोनों की कभी पर्सनली कोई भी बात हुई है इसलिए साक्षी ने चुपचाप वहां पर खड़े होकर सब देखना ही ठीक समझा।
अभय ने उन दोनों से एक आखिरी सवाल किया, "रोहन! मुझे ये तो पता था कि तुम मुझे अपना दोस्त नहीं मानते लेकिन मैंने यह नहीं सोचा था कि तुम ऐसी कोई हरकत करोगे? क्या सच में तुम दोनों का यह प्लान था सिर्फ मुझे बेइज्जत करने के लिए... अगर तुम मुझे पहले बता देते कि तुम दोनों..."
अभय अपनी बात पूरी कर पाता, उससे पहले ही रोहन आगे आते हुए बोला, "पहले बता देते तो फिर यह इतना बढ़िया सा ड्रामा कैसे देखने को मिलता, वो क्या है ना काफी दिनों से कुछ मिला नहीं मुझे इंजॉय करने को और फिर जब मुझे पता चला कि तुम साक्षी के बारे में ऐसा फील करते हो तो सच कहूं पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने सोचा। तुम्हारे चेहरे पर एक जोरदार पंच मार कर तुम्हारे जो ये हैंडसम चेहरा है ना उसे पूरा बिगाड़ दूं लेकिन फिर मैंने सोचा क्यों ना तुम्हें अलग तरह से सबक सिखाया जाए और फिर मैंने साक्षी से इस बारे में बताया तो वह भी राजी हो गई आखिर इतना अच्छा मौका कौन छोड़ता है भला ? And then this is it here we are!"
रोहन की ऐसी बातें सुनकर अभय को बहुत बुरा लगा और उसे गुस्सा भी आ रहा है कि उन लोगों ने सिर्फ अपने मजे के लिए उसके साथ यह सब किया।
इसके बाद रोहन थोड़ा गुस्से में दांत पीसते हुए बोला, "और वैसे भी तुम्हारे जैसे लोगों को तुम्हारी औकात याद दिलाना भी तो जरूरी होता है, कैसे तुम साक्षी जैसी लड़की के सपने देख सकते हो? अपनी औकात देखी है तुमने, हो क्या तुम उसके आगे? तुऐ पता है जितना वह पर डे खर्च कर देती है उतना तो तुम्हारे घर में मंथली सैलरी भी नहीं आती होगी तुम्हारे डैड की और चले हो साक्षी को प्रपोज करने, तो याद रखो अपनी औकात?" - रोहन इस बार थोड़े गुस्से में अभय को उंगली दिखाते हुए बोला, जिस पर अब अभय मन कर रहा था कि उंगली समेत उसका हाथ ही तोड़ दे,
लेकिन अपनी फाइनेंसियल कंडीशन की वजह से उसने खुद को बहुत ही ज्यादा कंट्रोल किया क्योंकि उसे पता था। अगर वह रोहन से फाइट करता है तो कॉलेज में सब उसे ही ब्लेम करेंगे। यहां तक टीचर भी रोहन की साइड लेंगे फिर चाहे इसमें रोहन की गलती हो।
साक्षी ने भी जब रोहन को थोड़ा गुस्से में देखा तो वह उसका हाथ पकड़ कर नीचे करते हुए बोली, "रिलैक्स बेबी! इसे तो अच्छा खासा लेसन मिल गया है जो इसे हमेशा याद रहेगा वैसे भी अब इसकी हिम्मत भी नहीं होगी हमारे आसपास भटकने की।"
इतना बोलते हुए साक्षी ने रोहन का हाथ पकड़ा और उसे लेकर वहां से चली गई।
उन दोनों की बातें और अपनी इंसलटिंग याद करके वहां पर खड़े हुए अभय की आंखों से आंसू निकला और मायूसी से उसका चेहरा लटका हुआ है, उन दोनों के जाने के बाद वह भी वहां से भागता हुआ सीधा कॉलेज के गेट से बाहर निकल गया क्योंकि बाकी सारे लोग खड़े होकर उस पर हंस रहे थे और उसका मजाक उड़ा रहे थे इसलिए वो वहां पर ज़रा भी देर नहीं रूका लेकिन वहां से जाते वक्त उसने अपने हाथ में जो फूल और एक गिफ्ट बॉक्स पकड़ा हुआ था, वहीं पर छूट कर गिर गया, जोकि बहुत प्यार और उम्मीदों से उसने साक्षी के लिए खरीदा था।
अभय रोहन साक्षी और उसकी सहेलियों के वहां से जाने के बाद, बाकी सारे लोग भी जो अब तक वहां पर खड़े होकर वह सारा सीन इंजॉय कर रहे थे। वह भी वहां से एक-एक कर चले गए और उसे एरिया में एकदम ही सन्नाटा हो गया।
सभी के वहां जाने के बाद नंदिता जो कि दूर खड़ी हुई यह सब कुछ देख रही थी,वहां पर आई और उसकी नजर उस जमीन पर पड़े हुए गुलाब पर पड़ी जो अभय लाया तो था साक्षी को देने के लिए लेकिन साक्षी ने उसे एक्सेप्ट नहीं किया।
नंदिता ने इधर-उधर देखते हुए जमीन पर पड़ा गुलाब का फूल उठा लिया और उसे अपने हाथ में पकड़ कर बहुत ही प्यार से देखने लगी और वह वहां से जाने ही वाली थी कि तभी उसकी नजर उस अपने पैर के पास पर एक छोटे से बॉक्स पर पड़ी तो झुककर उसने वह बॉक्स भी उठा लिया और उसे खोल कर देखा तो उसके अंदर एक काफी प्यारा सा सिल्वर ब्रेसलेट था, जिस पर हार्ट बना हुआ था और बीच में लव लिखा हुआ।
नंदिता समझ गई कि जरूर वह गिफ्ट भी अभय साक्षी के लिए लेकर आया होगा, लेकिन उसे दे ही नहीं पाया तो कुछ सोचते हुए उसने वो ब्रेसलेट भी अपने बैग में चुपचाप रख लिया और वहां से चली गई।
To be continued
6
वहां कॉलेज में अपना मजा आपको बनवाने और इतने इंसल्ट सहने के बाद, अभय बहुत ही गुस्से में अपने घर वापस आता है और घर का दरवाजा लगभग पटकते हुए उसने खोला लेकिन किसी ने कुछ भी नहीं कहा क्योंकि इस वक्त उसके घर में कोई भी नहीं है क्योंकि उसके मम्मी पापा दोनों ही जॉब करते हैं, उसके पापा एक कॉलेज में प्रोफेसर है और मम्मी स्कूल टीचर ताकि उसे एक अच्छी लाइफ दे सकें लेकिन अभय कभी भी अपनी इस लाइफ से खुश नहीं रहा उसे बहुत ही ज्यादा पैसे चाहिए होते हैं और एकदम उन अमीर लोगों की तरह लाइफ जिस तरह के लोगों ने आज उसे इंसल्ट किया है और आज भी उसे यही लग रहा है कि अगर उसके पास भी उसने पैसे होते या उसके डैड भी उतने ज्यादा अमीर होते जितने की रोहन और साक्षी के हैं तो वह लोग कभी भी उसकी इस तरह से सबके सामने इंसल्ट नहीं कर पाते और वो इस बात को लेकर बहुत ही ज्यादा फ्रस्ट्रेटेड है उसे समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करें उसने वहां पर हॉल में रखी हुई चीजों को गुस्से में उठाकर इधर-उधर फेंकना शुरू कर दिया क्योंकि उसे समझाने या रोकने के लिए वहां पर कोई भी नहीं है।
अभय का पूरा बचपन भी इस तरह से अकेले ही बीता है उसके मम्मी पापा काम की वजह से कभी उसके साथ नहीं होते थे और वह ज्यादातर अपने आसपास इसी तरह की चीज देखकर बड़ा हुआ है कि अमीर लोगों की सबसे ज्यादा इज्जत होती है इसलिए बस उसे कैसे भी करके अमीर बनना है और इसके लिए वह जितना बन पड़ता है उतना करता है, लेकिन आज जो कुछ भी हुआ उसके बाद इतना उसे समझ में आ गया है कि इस तरह से बाइक रेसिंग शर्त लगाकर या फिर अलग-अलग तरह के काम जो वो अमीर बच्चों के लिए करके पैसे कमाता है उसे वह कभी भी बहुत अमीर तो नहीं बन पाएगा।
हां, उसके थोड़े बहुत शौक और खर्चे पूरे हो जाते थे लेकिन बाकी चीज नहीं और यह बात समझ में आते ही अभय जब थोड़ा शांत हुआ तो वहां पर अपना सिर पकड़ कर बैठ गया और लगभग चिल्लाते हुए खुद से बोला, "क्यों? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है वहां पर इतने सारे लोग हैं लेकिन नहीं उन लोगों ने मुझे ही चूज किया इस तरह से बुली करने के लिए और सबके सामने मेरी इंसल्ट भी की, मैं छोडूंगा नहीं उन दोनों को लेकिन... लेकिन मैं आखिर कर भी क्या सकता हूं वह दोनों इतने पैसे वाले पावरफुल हैं कि मैं उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता और यही असलियत है अभय! जितनी जल्दी हो सके इसे एक्सेप्ट कर लो यू आर गुड फॉर नथिंग!"
इतना बोलते हुए वह खुद को काफी बेबस और लाचार महसूस कर रहा है तभी उसकी नजर जमीन पर पड़े हुए एक ऑरेंज कलर के एनवेलप पर पड़ी जो कि वही सारा सामान गिरने की वजह से वहां पर जमीन में बिखर गया है वह शायद एक किताब के बीच पर रखा हुआ था और वह किताब भी इस वक्त जमीन में गिरी हुई है।
वह एक कुरियर की तरह लग रहा है और वह एनवेलप खुला हुआ है जिसमें से कुछ पेपर भी आधे बाहर आ गए हैं और वह देखने में कोई लीगल डाक्यूमेंट्स लग रहे हैं जिन्होंने अभय का ध्यान अपनी तरफ खींचा और अभय जैसे ही उसकी नजर उन पेपर्स पर पड़ी वह अपनी जगह से उठा और उसने झुककर उन पेपर्स को उठा लिया।
"यह क्या है?" - इतना बोलते हुए अभय ने उस एनवेलप में से वह सारे डॉक्यूमेंट निकाले और फिर उसे अलट पलट कर देखने लगा।
तभी उसकी नजर हेडिंग पर पड़ी जो की काफी बोल्ड और ब्लैक लेटर्स में लिखी हुई थी और उसे पर लिखा हुआ था "लीगल डॉक्यूमेंट ऑफ प्रॉपर्टी अनाउंसमेंट!" — यह पढ़ते ही अभय को उसमें थोड़ा और इंटरेस्ट आया और उसने अपने आप से बात करते हुए कहा, "यह मॉम डैड ने कोई प्रॉपर्टी ली है क्या उसके ही पेपर हैं शायद लेकिन मुझे कुछ बताया क्यों नहीं उन्होंने इस बारे में और मुझे नहीं लगता था उनकी सैलरी में से इतना बच जाता है कि वह कोई प्रॉपर्टी ले पाए?"
इतना बोलते हुए अभय ने ध्यान से वह पेपर पढ़ना शुरू किया तो उसे पर उसके पापा का नाम लिखा हुआ था लेकिन उसके साथ ही एक और नाम लिखा था, अविनाश प्रताप सिंह सन ऑफ मिस्टर नरेंद्र प्रताप सिंह और उसके आगे जो कुछ भी लिखा था वह सब पढ़ते हुए अभय की आंखें एकदम ही हैरानी से बड़ी हो गई और पहले तो जैसे उसे इस बात पर यकीन नहीं हुआ और उसने नहीं में अपना से हिलाते हुए कहा , "नहीं यह सच नहीं हो सकता, मैं... मैं ज़रूर कोई सपना देख रहा हूं मेरे डैड इतने बड़े मिलियनेयर के बेटे हैं और उन्होंने आज तक मुझसे इस बारे में कुछ भी नहीं बताया और यह पेपर इस पर भी डैड ने अब तक साइन नहीं किया है, डैड सच में पागल है क्या?"
इतना बोलते हुए अभय ने जल्दी-जल्दी उन सारे पेपर को अलट पलट कर देखा लेकिन उसे किसी भी पेज पर अपने डैड के सिग्नेचर नहीं दिखे लेकिन सबसे लास्ट में उसे उस डॉक्यूमेंट से अटैच एक लेटर नजर आया, जिस पर कुछ लिखा था अभय वह लेटर पढ़ने लगा और सबसे लास्ट में उसने एनवेलप पर देखा तो उसमें एड्रेस भी मेंशन था।
उस लेटर में लिखा हुआ था – "अविनाश मेरे बेटे वापस लौट आओ मुझे बहुत ही पछतावा है, 25 साल पहले जो कुछ भी मैंने तुम्हारे साथ किया वह सब बहुत गलत था और अपनी उस गलती की सजा मैं आज भी भुगत रहा हूं अकेला रह कर, तुम्हारे अलावा आखिर मेरा था ही कौन और तुम्हें खुद से दूर करके एक भी दिन ऐसा नहीं गया है जब मैं चैन की नींद सो पाया हूं मेरा यकीन करो मेरी आंखों में आंसू सूख गए हैं तुम्हें याद कर करके और जब से मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ है तब से ही मैं तुम्हें यह सारे पेपर और यह लेटर भेज रहा हूं आज यह 10वां लेटर में तुम्हें लिख रहा हूं मुझे पता है तुम्हें यह मिलता है और तुम इसे पढ़ते भी होगे, क्या तुम्हें अपने बूढ़े बाप की याद नहीं आती? बेटा एक बार बस एक बार अपने इस बूढ़े बाप को माफ कर दो ताकि मैं चैन से मर पाऊं तुम्हें शायद नहीं पता लेकिन अभी मैं हॉस्पिटल में हूं मुझे कल रात ही हार्ट अटैक आया था प्लीज एक बार मुझसे मिलने आ जाओ चाहो तो मुझे माफ ना करना लेकिन आखिरी वक्त में मैं अपने बहू बेटे और पोते को अपने साथ देखना चाहता हूं और तुम सबसे अपनी गलती की माफी भी मांगना चाहता हूं प्लीज मुझे माफी मांगने का ही एक मौका दो।"
तुम्हारा गैर जिम्मेदार पिता...
यह पूरा लेटर पढ़कर अभय काफी इमोशनल हो गया और उसने अपने आप से कहा, "इतनी बार माफ़ी मांगी है दादाजी ने क्यों पापा उन्हें माफ नहीं कर सकते और ऐसा क्या किया था दादाजी ने कौन सी गलती की बात कर रहे हैं पापा उनसे दूर क्यों रहते हैं इस बारे में उन्होंने कभी मुझे नहीं बताया कुछ भी मुझे तो यही लगता था कि मेरे ग्रैंडपेरेंट्स इस दुनिया में नहीं है लेकिन यह तो कुछ और ही... देखना पड़ेगा!"
इतना बोलते हुए अभय ने उस एड्रेस की एक फोटो अपने फोन में क्लिक कर ली और फिर उन सारे पेपर्स की भी और फिर वो उन पेपर्स और बाकी सारी चीजों को उठाकर अपनी जगह पर रखने लगा और फिर सब कुछ ठीक तरह से रखने के बाद अभय तुरंत ही घर से बाहर निकल गया उसके मन में इस वक्त काफी कुछ चल रहा था जो कि शायद सिर्फ वही जान सकता था।
To be continued...
7
एक हफ्ते बाद; वही सेम यूनिवर्सिटी कैंपस लेकिन आज किसी की लाइफ तो पूरी तरह से बदल गई है क्योंकि वहां गेट पर जैसे ही गोल्डन येलो कलर की बुगाटी कार आकर रुकी, वहां आस पास खड़े सबकी ही नज़रें उसे कार की तरफ हो गई क्योंकि आज से पहले किसी ने भी वैसी कार से किसी को भी यूनिवर्सिटी आते नहीं देखा था।
वो बहुत ही ज्यादा महंगी स्पेशल एडिशन कार है इसलिए उस कार ने सभी का ध्यान अपनी तरफ अट्रैक्ट किया खासकर के लड़कियों का क्योंकि उस कार अंदर से एक बहुत ही ज्यादा हैंडसम लड़का जिसने ऊपर से नीचे तक एक से एक महंगे ब्रांडेड कपड़े, शूज और सनग्लासेस लगाए हुए थे, वो बाहर निकला और एकदम एटीट्यूड में उसने पैर से कार का दरवाजा बंद किया और फिर कार की कीज़ को अपनी बेल्ट में स्टक करते हुए वो एटीट्यूड में आगे बढ़ा।
वो लड़का बहुत ही ज्यादा हैंडसम लग रहा है और जिसकी वजह से कोई उसे पहचान भी नहीं पाया और सबको येी लग रहा है कि उन लोगों ने उसे आज पहली बार ही वहां यूनिवर्सिटी कैंपस में देखा है और सारी लड़कियां जैसे उसके पीछे पागल हुई जा रही है और एक लाइन बनाकर बिल्कुल इस तरह से उसके पीछे चलने लगी जैसे कि चीटियां शक्कर के पीछे आती है और लड़कों को उस लड़के को देखकर बहुत ही ज्यादा जलन हो रही है खासकर उसकी महंगी कार और महंगे कपड़ों को देखकर जिसकी वजह से वो लड़कियों की अट्रैक्शन अपनी तरफ खींच रहा है।
"कौन है ये, कोई न्यू एडमिशन है क्या?"
"नहीं नवंबर में कहां न्यू एडमिशन होता है?"
"तो फिर आज से पहले तो किसी को भी इस कार से आते नहीं देखा किसी ने नई कार खरीदी है क्या?"
"और शायद नए कपड़े और नया चेहरा भी..."
अपने आसपास ये सारी बातें सुनकर उस लड़के के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कुराहट आ गई और एकदम सेंटर में आकर खड़े होते हुए उसने अपने सनग्लासेस उतारते हुए कहा, "न्यू एडमिशन तो नहीं लेकिन यू अपीयरेंस ज़रूर है मेरा, वैसे तुम सब मुझे जानते ही होगे, आई एम अभय प्रताप सिंह और जो नहीं जानते थे ना अब तक वो भी अब ज़रूर जान जाओगे।"
अभय ने इस तरह से एटीट्यूड में अपना इंट्रोडक्शन देते हुए कहा तो काफी सारे लोगों का मुंह खुला का खुला रह गया क्योंकि सनग्लासेस हटने और अपना खुद ही इंट्रोडक्शन देने के बाद अब काफी सारे लोग गौर से देख कर उसे पहचान गए थे।
रोहन, साक्षी और उनकी गैंग का तो अभय को इस अवतार में देखने के बाद मुंह खुला का खुला रह गया उन लोगों को तो जैसे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था और साक्षी के बगल में खड़े हुए रोहन ने कहा, "ये इस फटीचर की लॉटरी वाॅटरी लगी है क्या या फिर मैं कोई सपना देख रहा हूं?"
"कम ऑन बेबी! इतने बुरे दिन भी नहीं आए हमारे कि हम इसके सपने देखेंगे।" - साक्षी तुरंत ही बुरा सा मुंह बनाते हुए बोली
"ओह शटअप साक्षी! मुझे तो लगता है जिसके अच्छे दिन चल रहे होंगे ना अब तो उसे ही इसके सपने आएंगे।" - साक्षी के साथ खड़ी नताशा ने अभय की तरफ देखते हुए कहा जो उन लोगों को पूरी तरह से इग्नोर करते हैं वो वहां से आगे निकल गया।
रोहन के साथ खड़े एक लड़के ने भी अभय को नोटिस करते हुए कहा, "लॉटरी ही लगी है शायद! देखो तो पूरा एटीट्यूड ही बदल गया इस फटीचर का तो..."
नताशा ने फिर से अभय की तारीफ में कहा, "ऐट लीस्ट अब उसे फटीचर तो मत बोलो, उसके आगे तो अब हम लोग ही मिडिल क्लास लग रहे हैं।"
नताशा की ये बात सुनकर रोहन और उसके साथ खड़े लड़कों ने अपने-अपने कपड़ों और ओवरऑल लुक की तरफ देखा जो कि सच में अभय के नए ब्रांडेड कपड़ों के मुकाबले कुछ भी नहीं लग रहे थे और अभय की सारी चीज एकदम ब्रांडेड और ब्रांड न्यू लग रही थी इसलिए उन सभी की फिलहाल बोलती बंद हो गई।
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नंदिता भी वहां पर सेम यूनिवर्सिटी में है लेकिन उसका डिपार्टमेंट अलग है इसलिए अभी-अभी ये जो कुछ भी ड्रामा हुआ अब है की एंट्री से लेकर अब तक उसे इस बारे में कुछ भी नहीं पता और वो एकदम नॉर्मली अपने क्लास से निकलकर गार्डन एरिया की तरफ आ रही थी लेकिन तभी अभय से टकरा गई क्योंकि आज वो पहले से काफी अलग लग रहा था इसलिए पहले तो नंदिता उसे पहचान नहीं पाई इसलिए काफी गौर से उसकी तरफ देखने लगी।
नंदिता जैसे ही उस से टकराई वो एकदम ही लड़खड़ा गई और गिरने ही वाली थी अभय ने उसके कंधे कसकर पकड़ लिए और जाने अनजाने ही उसका एक हाथ नंदिता की कमर पर चला गया, और उन दोनों के चेहरे एकदम ही नजदीक आ गए नंदिता को अपनी सांसे रूकती हुई सी महसूस हुई अब ऐसे इतने ज्यादा करीबी की वजह से और वो उससे नज़रें भी नहीं मिल पा रही है।
दूसरी तरफ अब है उसने भी जैसे नंदिता की आंखों में इतने करीब से उसे देखा वह उसमें एकदम ही कोसा गया आज उसने पहली बार ही नंदिता को नोटिस किया है और वह उसे बहुत ही खूबसूरत लग रही है लेकिन फिर उसकी खूबसूरती के बारे में सोचते हुए अभय के दिमाग में एकदम ही साक्षी का चेहरा आया और तुरंत ही उसके चेहरे की एक्सप्रेस एकदम सख्त हो गए और उसने अपने मन में कहा, "नहीं अभय नहीं… अब तो ऐसे ही किसी के खूबसूरत चेहरे पर नहीं फिसल सकता एक बार धोखा खा कर भी अभी अकल नहीं आई है क्या तुझे क्या असलियत छिपी होती है ऐसे खूबसूरत चेहरे के पीछे और यह भी आज तुझे ऐसे लुक में देख कर जानबूझकर ही तुझ पर ट्राई मार रही होगी आज से पहले तो कभी नोटिस भी नहीं किया होगा इसने तुझे…?"
अब है अपने मन में यह सब कुछ बोलते हुए खुद को समझा रहा है और दूसरी तरफ जैसे ही नंदिता को अभय का हाथ अपनी कमर पर महसूस हुआ वो काफी ज्यादा एंबैरेस्ड फील करने लगी और तुरंत ही सीधी होकर खड़ी हो गई।
अभय ने भी तुरंत उसे छोड़ दिया और कुछ कदम पीछे हट गया फिर उसकी तरफ देखकर तिरछी मुस्कुराहट के साथ तंजिया लहजे में बोला, "ओ वाओ! काफी फास्ट हो तुम तो बाकी लड़कियां तो बस पीछे ही लगी है और तुम तो सीधा गोद में ही आकर गिरी जा रही हो, वैसे गलती तुम्हारी भी नहीं है पैसा चीज ही ऐसी है अच्छे अच्छों का ईमान डोल जाए।"
अभय का लुक तो आज पहले से बदला हुआ ही नजर आ रहा था और उस पर उसकी ऐसी बातें सुनकर नंदिता को बहुत ही बुरा लगा लेकिन वो भी चुपचाप रहकर सुनने और सहने वालों में से नहीं है भले ही वो अभय को कितना भी पसंद करती हो लेकिन अपने लिए वो ऐसी बातें नहीं सुन सकती उसके लिए उसकी सेल्फ रिस्पेक्ट सबसे ऊपर आती है।
उसने तुरंत ही उसे जवाब देते हुए कहा, "ओ हेलो मिस्टर! मैंने ना ये जानबूझकर नहीं किया, एक्सीडेंटली ही लड़खड़ा गई थी और इतनी ही बुरी और मौका परस्त हूं मैं तो तुमने क्यों पकड़ा फिर मुझे, मैं भी तुमसे बोल सकती हूं कि तुम एडवांटेज ले रहे थे मेरा, तुमने जानबूझकर ये सब किया और प्लीज मुझे ना कभी उन लड़कियों में काउंट मत करना जो कि पैसे देखकर ही लोगों के आगे पीछे घूमती है क्योंकि मैं तुम्हें पहले से..."
नंदिता की ये बात सुनकर अभय की भी बोलती बंद हो गई और उसे सच में नंदिता का एटीट्यूड बाकी सारी लड़कियों से काफी अलग लगा लेकिन नंदिता अपनी बात पूरी करने से पहले ही चुप हो गई और उसने आगे कुछ नहीं कहा
अभय को उसकी आंखों में काफी कुछ नज़र आया और वो कुछ पल के लिए जैसे एकदम खो सा गया नंदिता की उन बड़ी-बड़ी खूबसूरत भूरी आंखों में गए।
नंदिता ने उसे खोया हुआ देखकर उसके चेहरे के सामने चुटकी बजाई।
"ओ हेलो! क्या हुआ मिस्टर… अब क्या घूर कर देख रहे हो, हटो रास्ते से मेरे और अपने पैसों का रोब उन पर ही जमाना जो पैसों पर मरते हैं।" - वो अभय के कंधे पकड़कर उसे साइड करते हुए वहां से आगे निकल गई और अभय को तुरंत ही अपनी गलती रियलाइज़ हुई और उसे लगा कि उसे सारे लोगों को एक तरह से ट्रीट नहीं करना चाहिए क्योंकि नंदिता उसे सच में बाकी लड़कियों से काफी अलग लगी इसलिए उसके वहां से आगे जाते ही अभय तुरंत उसके पीछे भागता हुआ आया।
नंदिता ने इस वक्त ब्लैक जींस पर व्हाइट कलर का टैंक टॉप पहना हुआ था और ऊपर से ब्लैक एंड व्हाइट श्रग भी डाला हुआ था जिसमें वो काफी खूबसूरत और एलिगेंट लग रही थी।
अभय को उसका नाम नहीं पता था इसलिए उसने उसे पीछे से आवाज लगाई, "हे मिस ब्लैक ड्रेस… रुको 1 मिनट प्लीज सॉरी मेरी बात तो सुनो 1 मिनट..."
"अब क्या चाहिए इसे पहले ही कम सुनाया है क्या, वैसे सच कहूं तो आज पहली बार ही रिग्रेट हो रहा है कि मैं इसे पसंद करती थी सच में इतना एटीट्यूड आ गया इसमें पैसों की वजह से, मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा था अपने अभय को..." - पीछे से आई हुई उसकी आवाज सुनकर नंदिता अपने आप से ये सब बोली लेकिन वो वहां पर रुकी नहीं तो अभय लगभग दौड़ते हुए उसके पीछे आया और फिर उसके आगे आकर उसका रास्ता रोकते हुए खड़ा हो गया और बोला, "सुनाई नहीं देता है क्या कब से आवाज लग रहा हूं?"
"और क्या करूं सुनकर, मुझे नहीं सुननी तुम्हारी नॉनसेंस बातें हटो मेरे रास्ते से..." - नंदिता ने अपने दोनों हाथ सामने की तरफ बांधते हुए पूरे एटीट्यूट में कहा लेकिन अभय अपनी जगह से बिल्कुल भी नहीं हिला।
To Be Continued…
8
नंदिता भले ही उसे पिछले दो सालों से पसंद करती है लेकिन फिर भी वह उसके सामने पूरे एटीट्यूड में ही बात कर रही है क्योंकि वह उसे यह शो नहीं करना चाहती कि उसके लिए वह वीक है लेकिन अभय को ऐसा लगा जैसे कि बेवजह ही उसने साक्षी रोहन उसकी गैंग और बाकी सारे लोगों का गुस्सा उस लड़की पर निकाल दिया और आप उसे ऐसा लग रहा है जैसे सच में वह एक्सीडेंटली ही उसे टकराई थी उसने इंटेंशनली कुछ भी नहीं किया।
इसीलिए नंदिता के सामने आकर उससे माफी मांगते हुए अभय बोला, "आई एम सॉरी!"
"सॉरी फॉर व्हाट?" - नंदिता ने अपनी एक आईब्रो अप करते हुए इस तरह एटीट्यूड में पूछा
"फाॅर बिहेविंग लाइक एन ईडियट, आई एम नॉट लाइक दिस बट..." - अभय एक ठंडी सांस छोड़ते हुए बोला और उसने ऊपर से नीचे तक खुद को देखा तो उसकी बात पर नंदिता एकदम से ही बोल पड़ी, "आई नो दैट!"
अभय की बात सुनकर नंदिता के मुंह से एकदम ही यह बात निकल गई क्योंकि वह सच में उसे पहले से ही डाल दिया और उसे अच्छी तरह से पता है कि अभय बिल्कुल भी ऐसा नहीं है और वह यह सब कुछ दिखावा शायद बदला लेने के लिए या फिर उन लोगों को सबक सिखाने के लिए कर रहा है लेकिन जैसे ही उसने यह बात बोली अभय ने शक भरी नज़रों से उसकी तरफ देखते हुए कहा, "हाऊ? तुम्हें कैसे पता मैं कैसा हूं।"
उसके इस सवाल पर नंदिता थोड़ा सा झेंप प गई और उससे नज़रें चुराती हुई इधर-उधर देखने लगी।
उसके इस तरह से इधर-उधर देखने पर उसकी नजरों का पीछा करते हुए अभय भी इधर-उधर देखने लगा लेकिन उसे ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया तो उसने कहा, "हे! क्या देख रही हो इधर-उधर, कुछ पूछ रहा हूं मैं क्या जानती हो तुम मेरे बारे में?"
"नहीं... कुछ नहीं मैं... मैं कैसे भी कुछ जाऊंगी मैं कैसे कुछ भी जाऊंगी मैं तो बस हां यह बोल रही थी कि आई नो... कि तुम सॉरी बोल रहे हो दिल से, ओके मैं तुम्हें माफ किया!" - नंदिता थोड़ा सा अटकते हुए बोली
अभय सफाई देते हुए बोला, "ओह थैंक्स! मुझे माफ करने के लिए बट आई एम रियली फील गिल्टी मैं किसी और का गुस्सा किसी और पर निकाल दिया, बट ट्रस्ट में मैंने कुछ भी मैं करके नहीं बोला वह बस ऐसे ही..."
"ओके, इट्स फाइन मैंने कहा ना... मैंने माफ किया तुम्हें अच्छा अब मैं चलती हूं!" - इतना बोलते हुए नंदिता वहां से आगे जाने लगी है तो अब है फिर से उसके रास्ते में सामने आ गया तो नंदिता ने उसकी तरफ देखकर कहा अब क्या है?
अभय ने फिर से वही पूछा, "तुमने मुझे सच में माफ किया ना?"
नंदिता अब थोड़ा सा इरिटेट होते हुए बोली, "हां अब क्या लीगल पेपर्स पर लिखवा कर दूं, हटो रास्ते से..."
अभय एक तरह से रिक्वेस्ट करता हुआ बोला, "अरे नहीं... ऐसे नहीं प्लीज़ क्या हम दोस्त बन सकते हैं देखो प्लीज नहीं मत बोलना क्योंकि अगर तुमने नहीं बोला तो मुझे यही लगेगा तुमने मुझे माफ नहीं किया।"
नंदिता पहले से ही अभय को पसंद करती है और उसके मन में जो फिलिंग्स उसके लिए है वह एक दोस्त से कहीं ज्यादा है इसलिए वह उसे झूठी दिखावे वाली दोस्ती नहीं करना चाहती वो भी सिर्फ उसकी खुशी के लिए...
इसलिए उसने तुरंत ही मना करते हुए कहा, "नहीं तुम्हें जो भी समझना है समझो, बट मैं तुम्हें दोस्त नहीं बना सकती।"
नंदिता ने ऐसे सीधे ही मना किया और उसे हाथ भी नहीं मिलाया अभय का हाथ ऐसे ही हवा में रह गया और उसे थोड़ा सा बुरा लगा तो वह अपना हाथ पीछे करने ही वाला था कि तभी एक दूसरी लड़की ने आकर उसके हाथ पर अपना हाथ मिलाते हुए कहा, "कोई बात नहीं उसने मना कर दिया तो क्या हुआ लेकिन हम दोस्त बन सकते हैं, अभय!"
उसे लड़की ने एकदम ही चाहते हुए बोला तो अभय और नंदिता दोनों ने ही चौंक कर उसकी तरफ देखा वह बहुत ही खुश मिजाज गोल चेहरे वाली प्यारी सी लड़की थी जो कि इस वक्त भी स्माइल करते हुए अभय की तरफ देख रही थी और अभय ने भी उसे हाथ मिलाते हुए स्माइल किया और बोला, "ओ हाय! और तुम मेरा नाम जानती हो, ओके वे कैन फ्रेंड्स बट अपना नाम तो बताओ मुझे।"
वह लड़की इस तरह से खुश होकर अपना इंट्रोडक्शन देते हुए बोली, "सो आई एम कृति! नंदिता की फ्रेंड और तुम ना बुरा मत मानना नंदिता को ना ज्यादा दोस्त बनाने पसंद नहीं है लेकिन हम दोनों आज से फ्रेंड्स, ओके!"
उसकी बात सुनकर अभय को भी काफी अच्छा लगा और उसने भी हां में अपना सिर हिलाया और तभी नंदिता गुस्से में घूर कर उसे लड़की की तरफ देखते हुए बोली, "कृति क्या कर रही है तू चल यहां से, और हमें ऐसे ही किसी से भी दोस्ती नहीं करनी चाहिए।"
आखरी बात नंदिता ने अभय की तरफ देखते हुए बोली और अभय भी उसकी नजरों का मतलब समझ गया और उसने कहा, "व्हाट डू यू मीन बाय ऐसे ही किसी से भी, पता भी है तुम्हें कौन हूं मैं अभय प्रताप सिंह!"
अभय अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही नंदिता ने बीच में उसकी बात काटते हुए बोल दिया,"नहीं... पता करना मुझे कोई भी हो तुम और मुझे फर्क नहीं पड़ता कि तुम कितने अमीर हो कितने बड़े घर से हो या फिर किस पॉलिटिशियन से तुम्हारे रिलेशन है मैं बस अपनी दोस्त से बात कर रही हूं और कृति तू चल रही है मेरे साथ या फिर मैं जाऊं अकेले?"
"अरे... अरे यार चल रही हूं नाराज क्यों हो रही है।" - कृति तुरंत ही नंदिता की बात का जवाब देती हुई बोली और फिर अभय की तरफ देखकर बोली, "अभी के लिए गुड बाय अभय वो क्या है ना मैं अपने दोस्त के लिए पुराने दोस्त को तो नाराज नहीं कर सकती ना इसलिए हम बाद में मिलते हैं वैसे मैं और नंदिता दोनों लॉ डिपार्मेंट के स्टूडेंट है फाइनल ईयर!"
नंदिता गुस्से में पर पटकते हुए वहां से आगे बढ़ गई तो प्रीति भी उसके पीछे ही जाते हुए पीछे मुड़कर अभय की तरफ देखते हुए बोली तो अब है पता नहीं क्यों उन दोनों की तरफ देखकर मुस्कुराया कृति उसे बहुत ही क्यूट फ्रेंडली नेचर वाली लड़की लगी लेकिन उसे अट्रैक्ट किया नंदिता की मिस्टीरियस पर्सनालिटी ने और वह जिस तरह स्ट्रेट फॉरवार्ड होकर सारी बातें करती थी अभय को ऐसा लगा कि अब तक उसने इस नोटिस क्यों नहीं किया।
इस बात का अभय को थोड़ा अफसोस हो रहा था लेकिन नंदिता की आंखों में उसे काफी कुछ नजर आया था जब वह उसके करीब था और उसके बाद नंदिता ने जिस तरह उससे दोस्ती के लिए भी मना कर दिया वह अभय को थोड़ा बुरा लगा लेकिन कम से कम उसकी दोस्त प्रति ही उसकी दोस्त बन गई है इस बहाने को कभी ना कभी तो नंदिता से फिर मिल पाएगा।
वह यह सब कुछ सोच ही रहा है तभी उसका मोबाइल फोन रिंग हुआ और उसने अपना ब्रांडेड एकदम न्यू आईफोन 13 प्रो अपनी जेब से निकाला और वहां से थोड़ा सा आगे बढ़ते हुए कॉल पर बात करने लगा और कॉल पर दूसरी तरफ से आवाज आई, "छोटे मालिक! कहां है आप बड़े मालिक कब से आपको याद कर रहे हैं और उनकी हालत अभी ठीक नहीं है वह बार-बार आपका और आपके पापा का नाम ले रहे हैं क्या आपने यहां लेकर आ सकते हैं?"
अभय एकदम सीरियस होकर कॉल पर उसे आदमी की बात का जवाब देते हुए बोलो,"हां, मैं ट्राई करता हूं पता नहीं पापा का क्या रिएक्शन होगा लेकिन अगर वह नहीं भी आए तो मैं वहां पर आ जाऊंगा कुछ ही देर में तुम बस डॉक्टर को बोलो कि दादाजी को कुछ नहीं होना चाहिए।"
इतनी बात करके अभय ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी और फिर वहां से वह सीधा कॉलेज में पार्किंग एरिया की तरफ आ गया क्योंकि उसे तुरंत ही वहां से अपने घर जाना था अपने पापा से बात करने के लिए और वह इस तरह जल्दबाजी में वहां से निकल गया।
To Be Continued...
9
शहर के सबसे बड़े हॉस्पिटल का एक बहुत ही बड़ा सा वीआईपी रूम और उस बड़े से रूम में जिसमें कि 5 से 6 बेड आराम से आ सकते हैं, उसमें अभी सिर्फ एक ही बड़ा सा बेड रखा हुआ है और उस पर लगभग 70 साल का एक बूढ़ा सा दिखने वाला आदमी लेटा हुआ है जिसकी बॉडी से काफी सारी तारें अटैच है और वीको भी, उसके आसपास काफी सारी मशीनें रखी हुई है। उसके चेहरे पर भी ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ और उसकी आंखें इस वक्त बंद है।
दरवाजा खुलते ही कुछ लोग वहां पर अंदर आते हैं और डॉक्टर के साथ कुल मिलाकर 4 - 5 लोग हैं और उनमें से एक ने आगे आते हुए धीमी में आवाज में बोला, "पापा…"
वो आवाज सुनकर वहां बेड पर लेटे हुए उस आदमी की पलकें हिली और उस बूढ़े आदमी ने धीरे से आंखें खुली।
वह बूढ़ा आदमी जो अब तक बेहोश या दवाओं की वजह से नींद में लग रहा था ये आवाज सुनते ही उसके आगे एकदम से ही खुली और उन पीली पड़ी आंखों में अब एक उम्मीद की चमक नजर आ रही है।
हॉस्पिटल बेड पर लेटे हुए उस बूढ़े आदमी ने उस आवाज की तरफ देखते हुए कहा, "बेटा… बेटा तुम आ गए, मुझे… मुझे माफ कर दो अपने पापा को आखिरी वक्त में तो माफ कर दो मैं…मैंने जो कुछ भी किया, उसका बोझ लेकर मैं मरना नहीं चाहता।"
इतना बोलते हुए उसे बूढ़े का चेहरा एकदम मायूस हो गया और उसकी आंखों में भी आंसू छलक आएं।
"पापा आप कैसी बातें कर रहे हैं, कुछ नहीं होगा आपको आपका ट्रीटमेंट चल रहा है। आप ठीक हो जाएंगे!" - उस आदमी ने आगे आकर... बेड पर लेटे उस बूढ़े आदमी का हाथ पकड़ते हुए कहा और उसके पीछे एक लड़का भी वहां पर आ गया।
अंदर आते हुए उस लड़के ने कहा, "दादा जी देखिए मैं ले आया आपके बेटे को..."
"हां, मेरा पोता बहुत ही लायक है और मैंने बहुत ही अच्छा फैसला किया है, अपनी पूरी जमीन जायदाद कंपनी सब कुछ तुम्हारे नाम करके, मुझे पता है तुम बहुत अच्छे से संभालोगे।" हॉस्पिटल बेड पर लेटे हुए बूढ़े आदमी ने मुस्कुराकर उस लड़के की तरफ देखते हुए कहा
वो लड़का कोई और नहीं अभय है जो कि अपने पापा के साथ वहां पर आया है और वो बूढ़े आदमी अभय के दादाजी, और शहर के जाने माने उद्योगपति नरेंद्र प्रताप सिंह है, उन दोनों की तरफ देखते हुए उनका चेहरा पहले से कुछ ठीक लग रहा है।
ऐसा लग रहा है जैसे कि उसकी आधी बीमारी तो उन दोनों को सामने देखकर ही कम हो गई है लेकिन अभय के आगे खड़े उसके पापा ने उस बूढ़े आदमी की बात सुनकर चौंकते हुए कहा, "पापा! क्या बोल रहे हैं आप? सारी प्रॉपर्टी अभय के नाम... ऐसा क्यों किया आपने, वो सब कुछ आपका था, अभय का नहीं, आप इसे इस तरह से कैसे सब कुछ दे सकते हैं , वैसे भी यह अभी छोटा है, सब कुछ कैसे संभालेगा?"
ये बात बोलते हुए अभय के पापा बहुत ही ज्यादा परेशान लग रहे हैं और उन्हें इस तरह से परेशान देखकर उस बूढ़े आदमी ने कहा, "अरे बेटा, मैं तो सब कुछ तुम्हें देना चाहता था क्योंकि आखिर ये सब कुछ तुम्हारा ही तो है मेरे बाद लेकिन मुझे पता था तुम इतनी आसानी से कुछ भी स्वीकार नहीं करोगे इसीलिए मैंने अपने पोते को दे दिया आखिर ये भी तो तुम्हारा खून है!"
"पापा मैं आपका सगा बेटा हूं ना फिर आप इस तरह से क्यों बोल रहे हैं और वैसे भी दादाजी की हालत देखिए कैसे वो सारा काम संभाल पाएंगे? और आप ही तो पहले ही कितनी बार उन्हें मना कर दिया है, ऐसे में किसी को तो आगे आना होगा ना?" - अभय ने भी अपने पापा की बात पर कहा, उसे लगा कहीं उसके पापा की बात सुनकर उसके दादाजी उससे सारी प्रॉपर्टी पैसे सब कुछ वापस ना ले ले जो कि बस अभी अभी उसको मिला था और उसका रातों रात मिलियनर बनने का सपना पूरा होने से पहले ही चकनाचूर ना हो जाए।
अभय की ये बात सुनकर उसके पापा अविनाश ने पीछे मुड़कर उसकी तरफ देखा और कहा, "अभय बेटा! तुम बाहर जाओ... मुझे पापा से अकेले में कुछ बात करनी है।"
"अरे लेकिन मैं बाहर... क्यों?" - अभय ने उनकी बात काटते हुए कहा तो उसके पापा ने उसे घूर कर देखा तो फिर अभय ने उनसे बहस नहीं की और उन लोगों को वहां पर छोड़ कर बाहर चला गया।
इस वक्त वहां पर अभय के दादा और पापा के साथ, उनके फैमिली लाॅयर मिस्टर सुजॉय चौधरी भी हैं।
अपने पापा के बोलने पर अभय दरवाजे से बाहर तो चला गया, लेकिन उसने दरवाजा बाहर से बंद नहीं किया और वहां गेट पर ही खड़ा होकर अंदर हो रही बातें सुनने लगा।
अभय के पापा ने अपने पापा से कहा, "पापा प्लीज़! आप क्यों ये सब अभय के नाम कर रहे हैं, इस तरह से तो वो और बिगड़ जाएगा अगर अचानक उसे इतने पैसे मिल गए, वो हमेशा से ही पैसों के पीछे भागता रहता है।"
अपने बेटे की बात सुनकर अभय के दादाजी हल्का सा मुस्कुराकर बोले, "अगर वो भागता रहता है तो ये समझो कि उसकी दौड़ अब खत्म हुई क्योंकि जब उसे सब कुछ मिल जाएगा तो वो ऐसा कुछ भी नहीं करेगा और मुझे पता है वो बहुत समझदार लड़का है।"
अपने दादाजी की बात सुनकर बाहर दरवाजे के पास खड़ा अभय बहुत ही ज्यादा खुश हो गया, लेकिन उसके पापा ने फिर से कई बार दलीलें दी, लेकिन उसके दादाजी नहीं माने, क्योंकि वो पहले ही सब कुछ अभय के नाम पर कर के उसे अपनी पूरी संपत्ति का इकलौता वारिस बना चुके हैं और इस वजह से ही अभय आज इतनी ठाट बाट से कॉलेज गया था और उसने शो ऑफ करने में कोई भी कमी नहीं छोड़ी थी।
उन दोनों की बात सुनकर वकील ने आखिर में बोला, "अगर आप चाहे तो सब कुछ आपके नाम पर भी हो सकता है और नॉमिनी में आपके बेटे का नाम पड़ जाएगा, लेकिन उसके लिए आपको कोर्ट आकर काफी सारे डॉक्यूमेंट साइन करना होगा और सारी शर्तों के लिए राजी भी होना होगा।"
वकील की ये बात सुनकर अभय के पापा ने तुरंत ही मना करते हुए कहा, "नहीं, मुझे कुछ भी नहीं चाहिए और मैं ये सब कुछ इसलिए नहीं बोल रहा हूं कि मुझे सारी प्रॉपर्टी चाहिए पापा आप तो मुझे अच्छी तरह से जानते हैं ना, मुझे ये सब कुछ नहीं चाहिए और आप तो कब से मुझे वापस बुला रहे थे लेकिन मैंने कुछ भी एक्सेप्ट नहीं किया।"
अपने बेटे की बात सुनकर अभय के दादाजी ने अपना हाथ हल्का सा ऊपर उठाते हुए उसके हाथ अपने बेटे के हाथ पर रखने की कोशिश की और फिर वो उसकी तरफ देखकर बोले, "हां, बहुत अच्छी तरह से जानता हूं मैं अपने बेटे को... उसके लिए उसके उसूल और आदर्श औ उसका स्वाभिमान ही सबसे बड़ा है और मुझे पता है तू कभी भी मेरी सारी प्रॉपर्टी एक्सेप्ट नहीं करता इसीलिए मैंने सब कुछ अभय के नाम पर किया है और अब तुझे क्या प्रॉब्लम है इस से?"
अपने पापा की बात सुनकर उन्होंने अब आगे कुछ नहीं बोला और कहा, "मुझे कोई भी प्रॉब्लम नहीं है, पापा! मैं बस ये चाहता हूं कि अभय किसी भी गलत रास्ते पर ना जाए क्योंकि जिसको भी बिना मेहनत के ऐसे आसानी से सब कुछ मिल जाता है। वो अक्सर ही दौलत के नशे में चूर होकर गलत रास्ते पर निकल पड़ते हैं और फिर उन्हें सही रास्ते पर वापस जाना बहुत मुश्किल हो जाता है।"
अभय के पापा ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा तो उसके दादाजी भी थोड़ी सोच में पड़ गए और उन दोनों को इस तरह से चुप देखकर अभय थोड़ा सा घबरा गया और उसे लगा कहीं उस के दादाजी यह सब सुनकर कन्वेंस ना हो जाए इसलिए वो तुरंत ही दरवाजे से अंदर आता हुआ बोला, "नहीं पापा मैं... मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा और मैं किसी गलत रास्ते पर नहीं जाऊंगा और सब कुछ अच्छे से हैंडल करने की कोशिश करूंगा, आपके गाइडेंस में..."
To Be Continued....
10
अभय ने एकदम ही कमरे के अंदर आते हुए यह बात बोली तो सभी ने मुड़कर उसकी तरफ देखा।
अभय के इस तरह अचानक से अंदर आते हुए यह सारी बात बोलने पर उसके पापा ने उसे डांटते हुए कहा, "तुम छिप कर हमारी बातें सुन रहे थे, अभय?"
इस पर अभय नहीं में अपना सिर हिलाते हुए बोला, "नहीं नहीं। मैं तो बस वापस आ रहा था ये सोच कर कि आपकी बातें खत्म हुई या नहीं और अभी मैंने बस इतना ही सुना... और पापा प्लीज़ आप मुझ पर विश्वास करिए, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा और आप भी तो मेरे साथ हैं ना?"
उसके पापा ने तुरंत ही मना करते हुए कहा, "नहीं, मैं... मैं इन सब में तुम्हारे साथ नहीं हूं और मैं उस घर में वापस भी नहीं आ रहा... हां, मैं यहां पर पापा से मिलने उन्हें देखने आता रहूंगा। लेकिन पापा ने मेरी सोनल को कभी एक्सेप्ट नहीं किया इसलिए मैं उनके घर में वापस जाकर नहीं रह सकता, पापा के लिए भी नहीं, और अपने बेटे के लिए भी नहीं।"
इस पर अभय के दादाजी ने भी कुछ भी नहीं बोला और अभय के पापा इतना बोलकर वहां से चले गए।
उनके जाने पर अभय ने नोटिस किया कि उसके दादाजी उदास हो गए तो वो अपने दादाजी के सिरहाने रखे हुए स्टूल पर बैठते हुए बोला, "दादा जी मैं हूं ना आपके साथ और आप बस जल्दी से ठीक हो जाइए, फिर हम दोनों साथ रहेंगे और पापा मम्मी को भी मैं एक ना एक दिन मना लूंगा, आई प्रॉमिस!"
अभय ने ये बात बहुत ही विश्वास के साथ कहीं तो उसकी बात सुनकर उसके दादा को भी काफी अच्छा लगा और वो हल्का सा मुस्कुराए।
उसके बाद दादा दादा जी ने अभय को वकील के साथ जाकर बाकी सारी फॉर्मेलिटी पूरी करने के लिए कहा, जिससे कि अभय को सारी चीजें अपने हिसाब से इस्तेमाल करने का अधिकार मिल जाए।
अभय इस चीज के लिए पहले ही काफी एक्साइटेड था क्योंकि अभी बस उसे थोड़े बहुत पैसे ही मिले थे जिससे उसने अपनी पसंद की चीजें खरीदी और घर पर खड़ी हुई कार को लेकर कॉलेज गया था लेकिन अब पूरा बिजनेस सब कुछ अपने अंडर होने की बात सुनकर तो जैसे अभय के पैर जमीन पर ही नहीं पढ़ रहे थे और वो खुशी-खुशी वकील के साथ वहां से चला गया।
कुछ दिनों बाद;
अभय इन दिनों में एक दो बार ही अपने दादा जी से मिलने हॉस्पिटल आया लेकिन अपने घर अपने मम्मी पापा के पास तो वो एक बार भी नहीं गया लेकिन कॉलेज वो रोज़ बस कुछ देर के लिए ही जाने लगा क्योंकि अब उसके ठाठ बाट और रईसी देखकर कॉलेज में कोई भी प्रोफेसर यहां तक प्रिंसिपल भी उसे कुछ नहीं कहते थे और सब को पता चल गया था कि वो मशहूर बिल्डर ग्रुप के मालिक, नरेंद्र प्रताप सिंह का पोता है और उन का शहर में काफी नाम है, इस वजह से सब अभय की भी इज्जत करने लगे।
ये सब नाम पैसा और इज्जत कुछ भी उसने खुद नहीं कमाया। ये सब कुछ उसे अचानक ही किस्मत से मिल गया इसलिए वो सारी चीजों का पूरा फायदा उठाने लगा और उसने उन लोगों से बदला लेने की भी सोची जिन लोगों ने पहले उसके साथ बुरा बर्ताव किया था और उसका यूज़ किया था, इसके लिए सबसे पहले उसने अपने लिए दो अपनी फेवरेट सबसे महंगी स्पोर्ट्स बाइक खरीद ली, जो वो हमेशा से ही खरीदना चाहता थाऔर रेसिंग स्पोर्ट पर अपना नाम भी दर्ज करवा दिया लेकिन अभी उसने अपना रियल नाम नहीं लिखवाया था क्योंकि वो रेस में सबको हराने के बाद ही अपनी आइडेंटिटी सबके सामने भी करना चाहता था और अभी रेस होने में कुछ दिन बाकी थे।
इन कुछ हफ्तों में ही अभय बहुत ही ज्यादा बदल गया था, क्योंकि उसके पास अब इतना पैसा और पावर था कि वह जो भी चाहता वह पैसे से खरीद सकता था और हर चीज उसके सिर्फ एक ऑर्डर पर उसके घर में आ जाती थी।
उसे घर का बाहर का कहीं का भी कोई काम नहीं करना पड़ता था क्योंकि घर में इतने सारे नौकर जाकर पहले ही थे और बाहर का काम भी उसने पूरा वकील मैनेजर और ऑफिस स्टाफ पर ही छोड़ रखा था, अभय बस अब तक एक बार ही ऑफिस गया था यह दिखाने की अब से वह कंपनी का मालिक है, इसके अलावा कंपनी में क्या चल रहा है क्या नहीं है इसके बारे में उसे कोई भी खबर नहीं रहती है।
इतने सारे आराम और लग्जरी चीजों के बीच अभय अब पहले से बहुत ही ज्यादा बदल गया है और अमीर होते ही उसके अंदर भी उन्हीं लोगों जैसा घमंड आ गया है जिन्हें वो कभी पसंद नहीं करता था और अब वह किसी को भी अपने आगे कुछ नहीं समझता है कॉलेज में भी हमेशा साक्षी रोहन और बाकी अमीर लड़के लड़की जो उसे कम अमीर है उन को नीचा दिखाता रहता है और अपने पैसों का रौब भी...
अभय का यह बदला हुआ रूप और उसका ऐसा बर्ताव देखकर सबसे ज्यादा दुःख नंदिता को होता है और वो बहुत अफसोस करती है लेकिन कुछ कर नहीं पाती, पर कॉलेज के अलावा नंदिता अब उसे उसके घर में भी कभी-कभी देख पाती है लेकिन अभय ने अभी तक उसे नोटिस नहीं किया है।
एक दिन,
शाम का वक्त;
इस वक्त शाम के यही कोई 06:00 या 7:00 बजे हैं और अभय रोज़ की ही तरह रेडी अपने घर से निकल कर कहीं जा रहा था।
वह थोड़ी जल्दबाजी में है या फिर थोड़ा एक्साइड की समझ नहीं आया लेकिन अपने आप में ही खोया हुआ अभय दरवाजे से अंदर आती हुई एक लड़की से टकरा गया और उस लड़की ने उसे देख लिया था तो वो अपनी जगह पर रुक गई इसलिए वह दोनों ज्यादा नहीं लड़खड़ाए और अभय भी वहां पर रुक गया।
उस लड़की की तरफ देखते ही अभय उसे पहचान गया और हैरानी से बोला, "नंदिता तुम... तुम यहां क्या कर रही हो?"
अभय को वहां पर सामने देखकर नंदिता इतनी ज्यादा हैरान नहीं हुई जितना कि अभय हैरान लग रहा है।
नंदिता ने बहुत ही आराम से अपने दोनों हाथ सामने की तरफ बांधते हुए कहा, "क्या कर रही हूं मतलब... अपना काम कर रही हूं!"
अभय ने नंदिता को ऊपर से नीचे तक एक नजर गौर से देखते हुए कहा, "तुम... तुम यहां पर काम करती हो, कौन सा काम... साफ सफाई का, नहीं... तुम्हारे कपड़े देखकर तो नहीं लगता?"
नंदिता उसकी तरफ देखकर डिसएप्वाइंटमेंट से बोली, "अच्छा तो तुम भी उन्हीं लोगों में से हो गए हो जो लोगों के कपड़े देखकर उन्हें जज करते हैं और साफ सफाई का काम भी काम ही होता है,अभय!"
नंदिता ने थोड़ी नाराजगी से कहा तो अभय तुरंत ही उसे सफाई देते हुए बोला, "अरे नहीं, मैं बस पूछ रहा था कि कौन सा काम क्योंकि और कोई तुम्हारे लायक काम तो मुझे समझ नहीं आया।"
अभय थोड़ा सोचते हुए ये सब बोला क्योंकि नंदिता की हाजिर जवाबी पर... वो और कुछ ऐसे ही नहीं बोलना चाहता जिससे कि नंदिता पर उसका गलत इंप्रेशन पड़े।
उसे इस तरह से सफाई देते हुए सुनकर नंदिता एकदम सपाट लहजे में बोली, "हां, तुम्हें शायद पता नहीं लेकिन मैं यहां के लीगल इश्यूज देखती हूं और तुम्हें पता है ना मैं एक लॉ स्टूडेंट हूं और सुजाॅय सर को असिस्ट कर रही हूं जो तुम्हारे फैमिली लॉयर हैं और उन्होंने ही मुझे भेजा है, ये इन लीगल डॉक्यूमेंट पर एक मुझे तुम्हारे साइन चाहिए, इन्हें कल सुबह ही कोर्ट में सबमिट करना है।"
नंदिता की बात सुनकर अभय ने कहा, "ओके बट अभी तो मेरे पास इसके लिए टाइम नहीं है तुम एक काम करो, इसे चाह कर मेरे स्टडी रूम में रख दो तुम्हें पता होगा ना स्टडी रूम कहां पर है और मैं कल साइन कर दूंगा।"
अभय की इस बात पर नंदिता ने कहा, "अरे नहीं, इतना ज्यादा टाइम नहीं लगेगा, तुम बस साइन कर दो... एक साइन ही तो चाहिए इस बारे में तुम्हारी सुजाॅय सर से बात हो गई होगी ना?"
अभय ने नंदिता की बात सुनकर काफी ध्यान से उसकी तरफ देखा और फिर सोचने की एक्टिंग करते हुए बोला, "हां लॉयर अंकल से तो मेरी बात हो गई है लेकिन तुम यहां पर आई हो इस काम के लिए इसका मतलब यह तुम्हारा कोई असाइनमेंट या टेस्ट होगा ना?"
To Be Continued...
11
नंदिता ने उसे कन्वेंस करने की कोशिश करते हुए कहा, "नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है मैं बस सर की हेल्प करने के लिए ही यह कर रही हूं बट अगर तुम अभी यह कर दोगे तो मेरी काफी हेल्प होगी कम से कम मैं उन्हें थोड़ा इंप्रेस कर पाऊंगी कि मैं उनका दिया काम इतनी जल्दी कर लिया।"
अभय बहुत ही लापरवाही से बोला, "अच्छा ठीक है लेकिन अभी मुझे थोड़ी जल्दी में कहीं जाना है इसलिए मैं बाद में ये देखता हूं।"
उसकी बात सुनकर नंदिता को उस पर थोड़ा सा गुस्सा आया क्योंकि एक साइन करने में कितनी ही देर लगती है,अगर वो उन डॉक्यूमेंट को पढ़ कर भी साइन करता, तब भी 10 मिनट से ज्यादा ना लगते लेकिन फिर भी ये काम उसने जानबूझकर कल पर टाला तो नंदिता ने नाराजगी से उसकी तरफ देखा लेकिन वो चाहकर भी ज्यादा कुछ नहीं बोल पाई और उसने बस इतना कहा, "इस तरह से हर काम को कल पर टालना अच्छा नहीं होता है, अभय!"
नंदिता ने उसे एडवाइज देते हुए कहा तो वो रुक कर उसकी तरफ देखते हुए बोला, "यार तुम तो एकदम मेरे पापा की तरह बातें करती हो। लॉयर अंकल की असिस्टेंट हो या फिर मेरे पापा की?"
ये बात उसने ऐसे ही मजाक में बोली तो नंदिता ने उसे घूर कर देखा तो अभय ने कहा, "यार, तुम इतने सीरियस क्यों रहती हो, मूड खराब है क्या तुम्हारा? आओ मेरे साथ चलो मैं तुम्हें एक जगह पर लेकर चलता हूं पूरा मूड ठीक हो जाएगा।"
इतना बोलते हुए अभय ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर नंदिता का हाथ पकड़ने की कोशिश की तो नंदिता ने तुरंत ही अपना हाथ पीछे कर लिया और अपनी एक आईब्रो उठाकर उसकी तरफ देखते हुए बोली, "hey what do you mean by मैं लेकर चलता हूं... और मैं तुम्हारे साथ क्यों कहीं पर भी जाऊंगी, मुझे तो ये भी नहीं पता है कि तुम जा कहां रहे हो?"
नंदिता ने एक ही बार में इतने सवाल किया तो अभय ने कहा, "क्या तुम मुझ पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करती? आई मीन हम दोस्त हैं ना तो दोस्तों के साथ तो हम कहीं भी जा सकते हैं ना?"
नंदिता ने बहुत ही कंफ्यूजन से कहा, "मैंने कब तुमसे दोस्ती की मुझे तो याद नहीं आ रहा।"
नंदिता के इस तरह से मना करने पर अभय का पता नहीं क्यों उसे अपने साथ ले जाने का और मन कर रहा है इसलिए वो थोड़े से एटीट्यूड में बोला, "अच्छा ठीक है, दोस्त नहीं तो जो मन करे वह समझ लो और चलो मैं तुम्हें एक ऑफर देता हूं तुम्हारा ही फायदे का सौदा है तुम अभी अगर मेरे साथ चलोगे तो मैं रात को ही वापस आकर तुम्हारे पेपर साइन कर दूंगा कल सुबह से पहले ही..."
नंदिता को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि अभय ऐसा कुछ बोलेगा और अपने बॉस को इंप्रेस करने के लिए नंदिता को अन पेपर पर साइन चाहिए था अभय का इसलिए इस बार उसने तुरंत मना नहीं किया और कुछ सोचते हुए उसने अभय से पूछा, "पहले ये बताओ कि तुम कहां जा रहे हो?"
अभय ने बहुत ही कैजुअली उसकी बात का जवाब दिया, "अरे वो नाइट क्लब में पार्टी है, सारे कॉलेज फ्रेंड्स भी आ रहे हैं तो बस वहीं..."
"नाइट क्लब? पार्टीज... तुमने ये सब कब शुरु कर दिया? - नंदिता ने काफी ज्यादा हैरान होते हुए पूछा
लेकिन उसके हैरान होने से अभय को कुछ खास फर्क नहीं पड़ रहा और वो बहुत ही लापरवाही से बोला, "ऐसे क्या सरप्राइज हो रही हो और इसमें बुराई क्या है और अगर जाना शुरू कर भी दिया तो वैसे भी जब पहले मेरे पास पैसे नहीं थे तब भी मेरा ये सब करने का मन होता था लेकिन उस वक्त तो नहीं कर पाया तो अब अपने शौक पूरे करने में क्या बुराई है?"
अभय की बातें सुनकर नंदिता समझ गई कि वो बहुत ही ज्यादा अंधा हो चुका है, इस वक्त पैसों की चमक में उसकी उसे पैसों के आगे कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। और जो कुछ भी उसे इस वक्त ठीक लग रहा है, वो सब कुछ वो करने पर उतारू है।
ये सब करते हुए वो किसी मुसीबत में ना पड़ जाए ये सोचकर आखिर नंदिता उसके साथ जाने के लिए राजी हो गई।
नंदिता एक गहरी सांस लेकर उसकी बात का जवाब देती हुई बोली, "हां कोई बुराई नहीं है जब तक हम खुद किसी के साथ कुछ बुरा नहीं करते और वैसे ठीक है मुझे तुम्हारा ऑफर मंजूर है चलती हूं मैं भी तुम्हारे साथ लेकिन पहले एक फोन कॉल कर लूं।"
उसकी यह बात सुनकर अभय के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई और वो खुश होते हुए बोला, "थैंक गॉड फाइनली राइट डिसीजन, और जल्दी आओ कॉल पर बात खत्म करके मैं कार में तुम्हारा वेट कर रहा हूं।"
इतना बोलकर अब है वहां से बाहर निकल गया और नंदिता ने अपनी फ्रेंड कृति को भी कॉल करके बुला लिया क्योंकि वो अभय के साथ वहां क्लब में अकेले नहीं रहना चाहती।
नंदिता के मन में अभय के लिए पहले से ही फीलिंग है और वो उसके साथ होती है तो ना चाहते हुए भी बार-बार उसकी तरफ ही देखती रहती है।
नंदिता वहां से बाहर निकाल कर आई उसने कर के पास खड़े अभय को देखा और अभी भी अभय की तरफ देखते हुए वह अपने मन में सोच रही है, "अभय! कितना बदल गए हो तुम, क्या सच में तुम वही अभय हो जिसे कभी मैं इतना पसंद करती थी, क्या हो गया है तुम्हें और क्या सच में पैसा आने से लोग इतने बदल जाते हैं?"
ये सब सोचते हुए नंदिता उसकी तरफ ही देख रही है और तभी अभय ने ये नोटिस किया तो उसके चेहरे के सामने चुटकी बजाते हुए बोला, "अब कहां खो गई, क्या सोच रही हो...पता है मुझे मैं हैंडसम हूं लेकिन फिर भी इस तरह से डायरेक्टली ही घूरकर देखोगी क्या?"
अभय की आवाज सुनकर नंदिता अपने ख्यालों से बाहर आई और एकदम एटीट्यूड में आइस रोल करते हुए बोली, "कुछ ज्यादा ही गलतफहमी में रहते हो तुम, चलो अब लेट नहीं हो रहा तुम्हें?"
इतना बोलते हुए नंदिता अभय से पहले ही कर में आकर बैठ गई लेकिन पूरे रास्ते उसने कुछ भी नहीं बोला और अपना फोन चलाने की एक्टिंग करती रही क्योंकि अब ऐसे कुछ भी बात करने में वह काफी ऑकवर्ड फील कर रही है और अभय भी कोई बात शुरू नहीं कर पाया।
कुछ देर के बाद डेस्टिनेशन पर पहुंचकर कार रुकते ही वहां से बाहर निकल गई और क्लब के गेट के पास पहुंची तो कृति उन से पहले ही वहां पर पहुंचकर उनका वेट कर रही थी क्योंकि उसका घर इस क्लब से पास था।
नंदिता को वहां पर आते देख कृति बहुत ही ज़्यादा खुश होकर उससे गले लग गई और बोली, "वाओ आखिर तुम दोनों एक साथ, तूने प्रपोज कर दिया क्या उसे या फिर उसने ही..."
नंदिता और अभय दोनों को साथ देखकर कृति ने बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड होते हुए ये बात बोली तो नंदिता उसे चुप रहने का इशारा करते हुए बोली, "चुप कर यार! मरवाएगी क्या?"
नंदिता की बात पर कृति में कंफ्यूजन से देखा वह आगे कुछ और बोलने ही वाली थी लेकिन तब तक उसके पीछे वहां पर आते हुए अभय ने ये बात सुन ली और बोला, "कौन, किसे प्रपोज करने वाला है? कृति तुम किसी को पसंद करती हो क्या?"
अभय की बात सुनकर नंदिता और कृति दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और अभय ने उनकी बातें सुन ली ये समझ में आते ही नंदिता गुस्से में कृति को घूर कर देखने लगी।
नंदिता के इस तरह से घूरने पर कृति ने जल्दी से बात संभालते हुए कहा, "नहीं... मैं किसी को प्रपोज नहीं करने वाली, तुम्हें पता है ना लड़कियां कभी प्रपोज नहीं करती।"
कृति ने उस बात को एकदम मजाक में ले जाते हुए कहा तो उसकी बात पर अभय हंसने लगा और फिर आगे उसने इस बारे में कुछ नहीं पूछा तो नंदिता ने भी राहत की सांस ली और वो तीनों एक साथ ही क्लब के अंदर इंटर हुए।
अभय इस क्लब का वीआईपी मेंबर बन गया है और उसने वीआईपी एक्सेस लिया हुआ है और वह लगभग रोज ही वहां पर आता है तो उसे अब तक सब अच्छे से पहचान गए हैं इसलिए किसी ने भी अभय और उसके साथ आई उन दोनों लड़कियों को नहीं रोका।
To Be Continued...
12
नंदिता अमीर फैमिली से है और वो पहले भी इस तरह के नाइट क्लब में आ चुकी है दोस्तों के साथ लेकिन सिर्फ एक दो बार ही क्योंकि उसे इस तरह से नाइट क्लब और पार्टीज इतना ज्यादा पसंद नहीं है।
अभय के लिए भी ये पहला एक्सपीरियंस नहीं है, पिछले कुछ हफ्तों में तो उसने लगातार ही ऐसे pub, bars or night clubs आना शुरू कर दिया है लेकिन कृति और नंदिता के साथ वो पहली बार ही वहां पर आया है। उससे पहले वो ज्यादातर उसके नए बने बिजनेस पार्टनर या काॅलेज फ्रेंड के साथ आता था।
डार्क ब्लू डेनिम जैकेट के साथ वाइट टी-शर्ट और व्हाइट ट्राउजर में अभय काफी हैंडसम लग रहा था, अपने उस लुक में इसलिए वहां पर अंदर आते ही काफी सारी लड़कियां खुद से भी उसे आकर अप्रोच कर रही थी और नंदिता कृति के साथ वहां पर साइड में अकेली खड़ी हुई थी।
अभय ने वहां पर आते ही म्यूजिक पर डांस करना शुरू किया और जो लड़कियां उसके आसपास आ रही थी वह भी उन सब से स्माइल करके मिलने लगा और फिर बार एरिया के पास आकर अभय ने एक के बाद एक ड्रिंक लेना शुरू किया और वो लगातार व्हिस्की के शॉर्ट्स पीटा जा रहा है।
उसे इस तरह से उन लड़कियों के साथ और ड्रिंक करते देखकर नंदिता ने धीरे से कहा, "कुछ ज्यादा ही दौलत का नशा चढ़ गया है इसके सर पर, मुझे नहीं लगता कि हम कभी भी अब साथ हो सकते हैं।"
नंदिता ने बहुत ही मायूसी से अभय की तरफ देखते हुए ये बात बोली तो उसके साथ खड़ी कृति ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे तसल्ली देते हुए कहा, "अरे यार! तू उम्मीद क्यों छोड़ रही है इतनी? वैसे भी इतना बुरा नहीं है वो तूने कुछ तो देखकर पसंद किया होगा ना? सोच वो अच्छाई अभी भी उसमें होगी और वैसे भी ड्रिंक करने में क्या बुराई है?"
इतना बोलते हुए कृति ने उसकी तरफ देखा तो अभय अब तक दो लड़कियों के बीच जाकर वहां पर डांस कर रहा था और उसका एक हाथ लड़की की कमर पर था और लड़की भी उसे नेक और सोल्डर चेस्ट पर अलग तरह से ही टच कर रही थी या फिर ये कहो कि उसे सेड्यूस करने की कोशिश कर रही थी और इतनी ज्यादा ड्रिंक की वजह से अभय भी अब अपने होश में नहीं था क्योंकि इतने दिनों में अभी उसे इतनी ड्रिंक करने की आदत नहीं पड़ी है।
"देख लो ध्यान से और फिर बोलो यार... और सच में मुझे नहीं लगता कि हमारा कुछ भी हो सकता है।" - इतना बोलते हुए नंदिता ने उसे तरफ से अपनी नज़रें फेर ली और कृति ने नंदिता के कंधे पर हाथ रखकर उसे सलाह देते हुए कहा, "अरे यार! तो तू जाकर उसे अप्रोच क्यों नहीं करती, क्यों दूसरे लोगों को बीच में आने दे रही है। आई एम श्योर वो नशे में है, नहीं तो वो ऐसा नहीं करता और वैसे भी कोई सीरियस नहीं लग रहा उन लोगों को लेकर और वह लड़कियां तो खुद ही उसके आसपास मंडरा रही हैं।"
इतना बोलते हुए कृति ने उसे तरफ गौर से देखा तो नंदिता ने भी उसकी नजरों का पीछा किया और उसकी बात पर सोचने लगी।
कृति भी अभय को थोड़ा बहुत जानती है और जब से उन दोनों की दोस्ती हुई है, कॉलेज में उन दोनों की दो तीन बार बात हुई है तो अभय उसे काफी जेन्युइन लड़का लगा और उसने कभी भी उसके साथ फ्लर्ट करने या फिर ऐसी कोई बात करने की कोशिश नहीं की, जिस कृति उसके साथ अनकंफरटेबल फुल करें।
कृति को वो हमेशा अपनी अच्छी दोस्त की तरह ही ट्रीट करता था लेकिन इस बहाने वो नंदिता से भी बात करने की कोशिश करता रहता था और यही देखकर कृति को लगा था कि अभय को भी नंदिता में इंटरेस्ट है लेकिन अभी अपने सामने वो इस तरह से उन दोनों को दूर-दूर देख रही है तो उसे बुरा लग रहा है।
कृति की सलाह सुनकर नंदिता बोली, "नहीं यार! तुझे पता तो है, मैं उसे अप्रोच नहीं कर सकती,अगर करना होता तो इतने दिन वेट नहीं करती और वैसे भी अगर अब मैं उसे अप्रोच करूंगी ना तो उसे यही लगेगा कि वो अब रातों रात करोड़पति बन गया है इसीलिए अब मुझे भी उस में इंटरेस्ट आ रहा है।"
नंदिता ने एकदम सही बात बोली क्योंकि अभय इस वक्त इसी तरह से सोचता था कि लोग उसके आगे पीछे घूमते हैं तो सिर्फ उसके पैसों की वजह से तो ऐसे में नंदिता अगर अपने इतने दिन पुराने और सच्चे प्यार का भी उससे इजहार करती तो भी अभय को यही लगता है कि वह अब इतना ज्यादा अमीर एक मिलेनियर बन चुका है इसीलिए नंदिता भी उसे सामने से अप्रोच कर रही है।
नंदिता नहीं चाहती थी कि उन दोनों के बीच कोई गलतफहमी हो, इसलिए वो उसे दूर से ही देख कर खुश है और तभी उसने अपने लिए एक एप्पल जूस ऑर्डर किया और अभय की तरफ से ध्यान हटाकर अपना जूस पीने लगी।
कृति उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए बोली, "डोंट वरी यार! सब ठीक हो जाएगा और उसे कुछ दिनों में तो समझ आ ही जाएगा कि हमेशा तो ऐसे नहीं चलने वाला, अभी ये दौलत शोहरत सब नया नया मिला है ना शायद इसलिए..."
नंदिता वहां काम करती है उनके फैमिली लॉयर के साथ इसलिए उसे प्रॉपर्टी विल के बारे में सब कुछ पता और उसने कृति को भी इस बारे में बता दिया है क्योंकि कृति उसकी बहुत अच्छी दोस्त है।
वो दोनों आपस में बात कर ही रही हैं कि तभी एक लड़का वहां पर आया और उन दोनों के बीच आकर खड़े होते हुए बोला, "हेलो ब्यूटीज़! इतनी सुंदर लड़कियां और साथ में कोई नहीं..."
उस लड़के ने कृति से ज्यादा नंदिता को नोटिस करते हुए कहा तो कृति ने कहा, "हम हैं ना, एक दूसरे के साथ..."
कृति की बात सुनकर वह लड़का उसकी तरफ देखते हुए बोला, "ओह सॉरी! आई कैन सी यू बट आई मीन टू से कोई लड़का नहीं है आप के साथ तो क्या मैं आप दोनों ब्यूटीफुल लेडीस को ज्वाइन कर सकता हूं?"
नंदिता उसे सीधा मना करने ही वाली थी, लेकिन तभी कृति ने देखा कि उस लड़के के आने के बाद से अभय उन दोनों की तरफ ही देख रहा है और उन्हें नोटिस कर रहा है तो कृति ने भी उसे इनवाइट करते हुए कहा, "yeah! Why not..."
इतना बोलते हुए वो अपनी चेयर से उठकर साइड में बैठ गई और उस लड़के को उसने अपने और नंदिता के बीच वाली चेयर दे दी तो वह लड़का भी है खुशी-खुशी अपने दांत दिखाता हुआ उन दोनों के बीच वाली चेयर पर बैठ गया।
वो तीनों बार काउंटर के पास ही बैठे हैं और उस लड़के ने अपने लिए ड्रिंक ऑर्डर करते हुए उन दोनों की तरफ देखकर पूछा, "व्हाट यू लाइक टू हैव?"
"नंथिंग!" - नंदिता ने धीरे से सिर हिला कर मना कर दिया और कृति ने कहा, "आई लाइक टू हैव अ मॉकटेल और उस लड़के ने कृति के लिए मॉकटेल ऑर्डर किया और अपने लिए व्हिस्की...
फिर ड्रिंक करते हुए उसे लड़के ने पहले कृति से कुछ बात की और फिर नंदिता की तरह घूमते हुए बोला, "आप हमेशा ही इतना चुप रहती है क्या, बाई द वे आई एम साहिल?"
वो काफी अच्छी तरह से बात कर रहा था और नंदिता को वो बिल्कुल भी अनकंफर्टेबल फील नहीं करा रहा तो आखिर उसने भी आप अपना हाथ आगे बढ़ाकर उस से हाथ मिलाते हुए कहा, "आई एम नंदिता !"
उसका नाम सुनकर साहिल बोला, "वाओ नाइस नेम नंदिता !"
इसके बाद वो उससे कुछ बात करने लगा और तभी उसने कुछ ऐसा कहा, जिससे नंदिता को हंसी आ गई और वो अपने चेहरे पर हाथ रख कर हंसने लगी और अभय ने उनकी तरफ देखा तो उसे पता नहीं क्यों अच्छा नहीं लगा नंदिता को इस तरह से उसके साथ देख कर तो अपने साथ वाली लड़की को छोड़कर वो वहां से नंदिता की तरफ आने लगा।
तभी पीछे से एक लड़की ने उसका हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा, "कहां जा रहे हो बेबी? कम एंड लेट्स एंजॉय!"
To Be Continued...
13
अभय ने पीछे मुड़कर उस लड़की की तरफ घूर कर देखा और बोला, "Just Leave my hand, I'm not in the mood..."
इतना बोलते हुए अभय ने झटक कर उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाया और वहां से सीधे नंदिता की तरफ ही आने लगा।
कृति ने ये नोटिस किया और वो चुपचाप वहां से खिसक ली और बाकी का सारा ड्रामा देखने के लिए वहां से थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गई।
अभय नंदिता और उसे लड़के के बीच आते हुए बोला, "कौन है ये और तुम यहां पर मेरे साथ आई हो या फिर इसके साथ?"
अभय को इतने गुस्से में देखकर साहिल ने उसकी तरफ देखते हुए नंदिता से कहा, "ओह सॉरी, मुझे नहीं पता था तुम अपने बॉयफ्रेंड के साथ यहां पर आई हो, quiet possessive man!"
उसकी इस बात पर नंदिता सफाई में कुछ भी बोल पाती उससे पहले ही अभय ने कहा, "अब पता चल गया ना, चलो निकलो यहां से..."
इतना बोलते हुए उसने सामने बैठे साहिल को हल्के से पूछ लिया तो वो भी उठ कर खड़ा होते हुए बोला, "ईजी मैन! शी इनवाइटेड मी और मैंने पहले ही पूछा था।"
इतना बोलते हुए उसने भी गुस्से से अभय की तरफ देखा, अभय पहले से ही काफी ज्यादा नशे में है और फिर उस लड़के की ऐसी बातें सुनकर उसका गुस्सा और भी बढ़ रहा है इसलिए उसने गुस्से में दांत पीसते हुए कहा, "तुझे अगर पता होता ना मैं कौन हूं तो इस तरह से मेरे सामने खड़े होकर बोलने की हिम्मत ना करता, इससे पहले मैं कुछ कर दूं गुस्से में निकल ले यहां से..."
इतना बोलते हुए अभय ने फिर से साहिल को धक्का दिया और वो लड़का इतने ज्यादा अमीर परिवार से नहीं था और आज शायद पहली बार ही वहां पर नाइट क्लब में आया था इसलिए उसने अभय से पंगा लेना ठीक नहीं समझा क्योंकि वो काफी गुस्से में लग रहा था, अभय की बातें सुनकर वह लड़का घबरा गया और चुपचाप ही वहां से चला गया।
साहिल को वहां से डर कर भागते देख नंदिता पीछे से बोली, "अरे नहीं ये मेरा कोई बॉयफ्रेंड... नहीं..."
नंदिता अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले ही अभय ने घूर कर उसकी तरफ देखा और बोला, "इतना क्या ज़रूरी है सबको एक्सप्लेन करना कि मैं कौन हूं और कौन नहीं, वैसे भी वो कौन लगता था तुम्हारा, इतनी जल्दी स्ट्रेंजर्स पर भरोसा मत कर लिया करो।"
"वो स्ट्रेंजर... और तुम कौन हो?" - नंदिता ने उसकी तरफ देखकर तंजिया लहजे में मुस्कुराते हुए कहा तो उसकी इस बात पर अभय को गुस्सा आ गया और अभय ने उसका हाथ कसकर पकड़ा और एकदम ही अभय ने उसकी बांह पर कसकर पकड़ते हुए अपनी उंगलियां उसके हाथ में गड़ाई और गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोला, "क्या कहा तुमने... मैं... मैं भी तुम्हारे लिए एक अनजान हूं नंदिता ? इतने दिनों से तो तुम मुझे जानती हो, शायद जो मैंने तुम्हें नहीं बताया है। वो सब भी जानती हो तुम मेरे बारे में और फिर भी ऐसे क्यों... इसके अलावा तुम मेरे साथ ही तो आई थी यहां पर... मैंने इसमें गलत क्या बोला?"
"हां, तुम्हारे साथ आई हूं लेकिन तुमने मुझे खरीद नहीं रखा हुआ जो इस तरह से हक जता रहे हो, दूर हटो अभय! तुम अभी होश में नहीं हो।" - इतना बोलते हुए नंदिता ने अपना हाथ उसके हाथ से उसका हाथ हटाने की कोशिश की और हल्का सा उसे पीछे कुछ किया, लेकिन अभय बिल्कुल भी पीछे नहीं हुआ बल्कि वो नंदिता के और नजदीक आते हुए एकदम डीप वॉइस में बोला बोला, "और अगर मैं कहूं कि मैं तुम पर हक जताना चाहता हूं तो?"
उसकी ये बात सुनकर नंदिता को एकदम ही सदमा लगा और वो अपनी जगह पर एकदम ही जम गई।
उसे समझ नहीं आया कि अभय ये बात किस बेस पर बोल रहा है, लेकिन तभी उसे ध्यान आया कि वो नशे में है शायद इसलिए ही कुछ भी बोल रहा है और ये बात ध्यान आते ही नंदिता फिर से उसे अपने से दूर करती हुई बोली, "स्टॉप इट अभय! हद होती है एक चीज की, दूर हटो तुम नशे में हो और किस बात का हक, मैं क्या लगती हूं तुम्हारी?"
अभय ने मायूसी से शिकायत करते हुए कहा, "मुझे नहीं पता क्या लगती हो लेकिन मैं बस तुम्हें किसी और के साथ नहीं देख सकता, मुझे बहुत बुरा लगा तुम जिस तरह से उसके साथ बैठकर यहां हंस रही थी, तुमने एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा?"
अभय की यह बात सुनकर नंदिता को भी अब गुस्सा आ गया और उसने इस बार पूरे जोर से उसे धक्का देकर खुद से दूर करते हुए कहा, "तुम्हें... बुरा लगा वाओ! लेकिन उससे पहले तुम्हें ध्यान आया क्या मेरे बारे में, एक बार भी... क्या कर रहे थे तुम स्टेज पर उन लड़कियों के साथ, तब याद नहीं था तुम्हें कि तुम मेरे साथ यहां पर आए हो। किस तरह से तुम्हारा हाथ उनकी कमर पर..."
इतना बोलते हुए नंदिता रुक गई क्योंकि वो चाह कर भी आगे नहीं बोल पाई और अभय ने उसकी आंखों में देखा, जहां पर उसे गुस्सा, नाराज़गी और हक़ एकदम साफ नजर आ रहा है।
लेकिन इसके अलावा और भी कुछ था नंदिता की आंखों में जो शायद इस वक्त अभय समझ नहीं पाया, क्योंकि वो पूरी तरह होश में नहीं है लेकिन आप वह उतना ज्यादा नशे में भी नहीं है उसका नशा उतर रहा है।
नंदिता के आंखों में नजर आ रहे जज्बातों को इग्नोर करते हुए अभय ने कहा, "अच्छा अगर तुम्हें बुरा लगा तो सामने से आकर बोलो ना, जैसे मैंने तुम्हें बोला... और अगर उनकी कमर पर मेरा हाथ होने से तुम्हें ऐतराज है तो... यहां पर ठीक है?"
इतना बोलते हुए अभय ने अपना हाथ नंदिता की कमर पर रखा और उसे अपने करीब करते हुए बहुत ही इंटेंसिटी के साथ उसकी आंखों में देखने लगा।
अभय नशे में है ये बात नंदिता को पता है पर वो पूरी तरह से होश में है लेकिन फिर भी वो इस पल में खुद को अभय से दूर नहीं कर पाई और उसकी ऐसी बातें पता नहीं उस पर क्या जादू कर रही है कि उसने अभय को नहीं रोका।
वो आगे आया और उसने नंदिता के होंठों पर अपने होंठ रखें और उसे एकदम प्यार से डीपली किस करने लगा।
किस करते हुए उन दोनों को ही आसपास की जगह का कोई होश नहीं है वह दोनों एक दूसरे में खोए हुए हैं।
नंदिता और अभय किस करते हुए बार काउंटर से थोड़ी दूर वहां साइड में आ गए, जहां पर इस वक्त कोई भी नहीं था और वो जगह बार काउंटर के पीछे थी और अभय ने उसे दीवार से लगा दिया और इस वक्त भी इस तरह पूरी शिद्दत से नंदिता को किस कर रहा है।
अभय खुद भी समझ नहीं पा रहा है कि नंदिता आखिर उस पर क्या जादू कर रही है जो उससे वो इतना ज्यादा अटैच फील कर रहा है और चाह कर भी उससे दूर नहीं हो पा रहा। शायद वो उसे पसंद करने लगा है लेकिन ये बात अभी तक उसने बोली नहीं, क्योंकि उसे रिजेक्शन का डर है।
दूसरी तरफ नंदिता उसके किस को डीपली फील करते हुए अपने हाथ के नाखून शर्ट के ऊपर से ही अभय की पीठ पर कसकर गड़ाए हुए है और वो उस किस में एकदम खोने ही वाली थी कि तभी दीवार के साइड पर रखी हुई कुछ खाली बोतल पर अभय का हाथ लगा और वह बोतल वहां जमीन पर गिरी जिसकी आवाज से नंदिता को एकदम ही होश आया और वह तुरंत ही रुक गई।
अपना चेहरा पीछे करते हुए नंदिता ने अपने आसपास की जगह पर देखा और उसने अभय से कहा, "अभय प्लीज! तुम होश में नहीं हो और जब तुम होश में आओगे तो..."
अभय के हिसाब से सब कुछ ठीक हो रहा था लेकिन इस तरह नंदिता के अचानक पीछे होने की वजह से अभय दोबारा से नंदिता का चेहरा अपने हाथों में भरते हुए बोला, "मैं... मैं पूरी तरह से होश में हूं, नंदिता एंड बिलीव मी मुझे इस पल का कभी भी कोई पछतावा नहीं होगा।"
इतना बोलते हुए अभय ने उसके गाल पर हल्के से किस किया और फिर उसकी जाॅ लाइन से होते हुए दोबारा से उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में लेते हुए दोबारा से उसे किस करने लगा और अभय की ऐसी बात सुनकर नंदिता इस बार चाह कर भी अपनी जगह से पीछे नहीं हट पाई और कुछ ही देर में वो भी अभय का साथ देने लगी।
To Be Continued...
14
एक तरफ अभय और नंदिता दोनों एक दूसरे में खोए हुए हैं वही दूसरी तरफ कृति उन दोनों को इधर-उधर ढूंढ रही है उसकी नजर जरा देर के लिए उनकी तरफ से हटी और वह दोनों ही वहां से गायब हो गए, लेकिन कृति ने उन दोनों को साथ में देखा था इसलिए उसे उनकी इतनी ज्यादा फिक्र नहीं है, चारों तरफ देखने के बाद भी उसे वो दोनों कहीं नज़र नहीं आए तो वो खुद ही साहिल के साथ इंजॉय करने लगी।
दूसरी तरफ,
अभय और नंदिता किस करते हुए वहां से थोड़ी दूर पर बने हुए एक रूम की तरफ ही आ गए जो कि उस नाइट क्लब का स्पेशल वीआईपी रूम था और अभय के पास उसका एक्सेस था क्योंकि पिछले हफ्ते ही वो इस क्लब का परमानेंट वी आई पी मेंबर बना है और हर वी आई पी मेंबर को इस तरह का एक रूम अलॉट होता है।
अभय के पास उस रूम की चाबी भी थी और कमरे के दरवाजे के सामने आते ही उसने तुरंत ही चाबी से उस रूम को खोला नंदिता को किस करते हुए वो उसे रूम के अंदर ले आया।
अभय का एक हाथ नंदिता की कमर पर था और नंदिता का हाथ भी अभय की चेस्ट पर और किस करते हुए उन दोनों ने एक एक हाथ से एक दूसरे को चेहरे को भी पकड़ा हुआ है
नंदिता अभय को दूर करना चाहती है और खुद को भी रोकना चाहती है क्योंकि कहीं ना कहीं से पता है कि ये सब कुछ सच नहीं है। अभय बस गुस्से और जलन में ये सब कुछ कर रहा है। वो उसके लिए कुछ फील नहीं करता, लेकिन ये सच नहीं था।
अभय को नंदिता के लिए बहुत कुछ फील हो रहा था जिसे वो अभी समझ नहीं पा रहा था तभी उस पर बस नंदिता को अपना बनाने का जुनून सवार था।
अपने जुनून में उसने नंदिता को बेड पर धकेल दिया और खुद उसके ऊपर आकर उसके होठों को छोड़ने के बाद उसकी नेक पर किस करने लगा और अभय की नजदीकी से इतने दिनों से नंदिता के दिल में दबे हुए जज़्बात भी बाहर आ रहे हैं और वह भी उसका पूरा साथ दे रही है और नंदिता ने भी अभय की शर्ट के बटन खोल दिया और उसकी चेस्ट पर किस करते हुए उसे भी अपने प्यार की निशानियां दे रही है
एक दूसरे में इस तरह से गोए हुए कब उन दोनों ने प्यार की सारी हदें पर कर दी उन्हें खुद भी पता नहीं चला लेकिन इस तरह एक दूसरे की बाहों में उन्हें बहुत ही सुकून महसूस हो रहा है और एक अलग सी फीलिंग उन दोनों के दिलों दिमाग पर छा चुकी है।
अगली सुबह;
नंदिता की आंख अभय से पहले खुली और उसे अपने पूरे बदन में एक तेज दर्द महसूस हुआ उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका बदन टूट रहा है।
इसके साथ ही उसे अपनी राइट साइड पर कुछ हैवी सा फील हुआ और उसने उसे तरफ देखा तो अभय पेट के बल उसके शोल्डर पर अपना सिर रख कर लेटा हुआ था और नंदिता सीधा लेटी हुई थी, दोनों ही एक कंबल के अंदर थे।
अभय सो रहा था या फिर नशे की वजह से बेहोश ये नंदिता को समझ नहीं आया लेकिन उसने उन दोनों की हालत देखी उन दोनों ने ही कपड़े नहीं पहने हुए थे और नंदिता को अपने कपड़े इधर-उधर बिखरे हुए नजर आए।
अभय के कपड़े भी वहीं पर पड़े थे और खुद को इस हालत में देखते नंदिता हल्का सा ऊपर की तरफ सरकते हुए आधा उठकर बैठी और उसने बेड क टेक लगा लिया और फिर उसने अपने बाल बालों में हाथ डालते हुए अपना सिर कसकर पकड़ लिया, वो बहुत ही ज्यादा फ्रस्ट्रेटेड लग रही है।
"ये सब क्या... क्या किया मैंने कल रात, मैं क्यों खुद पर काबू नहीं कर पाई... डैम इट ! क्या करूंगी मैं अब?" - इतना बोलते हुए उसने अभय का हाथ अपने ऊपर से हटाया और बहुत ही मायूसी से एक नज़र उसने सोते हुए अभय की तरफ देखा।
अभय की तरफ देखते हुए उसके मन में बहुत सारे इमोशंस आ रहे हैं और उसी तरह इमोशनल होकर उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और सोते हुए अभय के चेहरे को हल्के से टच किया।
सरप्राइजिंगली नंदिता को बहुत ही अच्छा फील हुआ और उसके चेहरे पर एक प्यारी मुस्कुराहट आ गई लेकिन फिर तभी उसने अभय की तरफ से इस सारे मामले पर सोच और एकदम ही उसकी वह मुस्कुराहट गायब हो गई और तुरंत उसने अपना हाथ पीछे कर लिया।
उसने अभय के ऊपर से वह कंबल हटाया और खुद को उसी में समेटते हुए चुपचाप बेड से उठी और नीचे जमीन पर बिखरे पड़े अपने कपड़े उठाने लगी, उसकी आंखों में इस वक्त आंसू है दुख के या फिर पछतावे के उसे भी नहीं पता... और फिर अपने कपड़े लेकर वो वॉशरूम की तरफ बढ़ गई।
कुछ देर बाद वो कपड़े पहनकर वॉशरूम से निकली, वहां पर साइड में रखे ड्रेसिंग मिरर में देखकर उसने अपना हुलिया ठीक किया और फिर टाइम देखा तो अभी सुबह के 5:00 बज रहे थे और अभय अभी भी उन सब चीजों से बेखबर एकदम गहरी नींद में सो रहा था।
नंदिता वहां से दरवाजे की तरफ बढ़ी और बाहर जाने से पहले उसने रुक कर एक बार पीछे मुड़कर सोते हुए अभय की तरफ देखा और धीमी आवाज में बोली, "आई लव यू अभय! आई रियली लव यू और कल जो कुछ भी हुआ हमारे बीच, वो सब कुछ बहुत ही स्पेशल था मेरे लिए। क्योंकि तुम बहुत ही स्पेशल हो मेरे लिए बट तुम्हारी तरफ से पता नहीं मुझे क्या था वह सब? क्यों किया तुमने ऐसा लेकिन तुम होश में आने के बाद हमारी स्पेशल नाइट को लेकर रिग्रेट करो, ये मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी, so goodbye!"
इतना बोलते हुए वो थोड़ा सा आगे बेड के पास आई, उसने हल्का सा झुककर अभय के माथे पर किस किया और फिर लगभग भागते हुए उस रूम से बाहर निकल गई।
नंदिता को समझ नहीं आया कि इस वक्त इतनी सुबह वो कहां जाए क्योंकि घर पर वह अपनी फैमिली के साथ रहती है अगर इस वक्त उसके घर वाले उसे घर आते देखे तो अलग-अलग तरह के सवाल करते हैं और इस वक्त वह किसी भी सवाल के जवाब देने की हालत में नहीं थी इसलिए उसे कृति की याद आई क्योंकि कृति अपनी रूम मेट के साथ PG पर रहती है तो वह वहां से सीधा कृति के घर ही चली गई।
लगभग 2-3 घंटे बाद सुबह 8:00 बजे अभय को होश आया।
उसका सिर भारी था क्योंकि उसे खुद भी नहीं पता कि कल रात उसने कितनी ज्यादा ड्रिंक कर ली थी और अपनी आंख खोलते हुए जैसे ही खिड़की उसकी आंखों में रोशनी पड़ी उसकी आंख दोबारा से बंद हो गई क्योंकि तेज रोशनी की वजह से उसके सिर में बहुत तेज दर्द हुआ।
"आह्! क्या क्या हुआ है मुझे मेरा सिर..." - अपना सिर पर करते हुए अभय उठकर बैठा
उसकी परफेक्ट टोंड बॉडी एकदम साफ नजर आ रही है क्योंकि उसने अभी भी अपनी अपर बॉडी पर कुछ नहीं पहना है और उसकी लोअर बॉडी पर सिर्फ ऐसे ही कंबल का एक कोना पड़ा हुआ है, उसके पैर भी नजर आ रहे हैं और वो अपना सिर पकड़ कर बैठा हुआ है।
सिर में एक तेज दर्द के साथ उसकी आंखों के सामने धुंधली सी पिछली रात की मेमोरीज फ्लैश होने लगी और उसने एकदम से कहा, "शिट अभय! ये क्या किया तूने, वो भी नंदिता के साथ... वो जरूर तुझे प्लेबॉय समझ रही होगी But it was my first time also!"
इतना बोलते हुए अभय ने जल्दी से उठ कर अपने कपड़े पहने और पूरे रूम में सबसे पहले उसने इधर-उधर नंदिता को ढूंढा लेकिन कहीं ना कहीं वो समझ गया था कि नंदिता वहां पर नहीं है, उसके उठने से पहले ही वो वहां से जा चुकी है।
अभय ने बहुत ही ज्यादा टेंशन में आते हुए आप से कहा, "नंदिता , आई एम सॉरी... मैं ये सब करना नहीं चाहता था, पता नहीं वो क्या सोच रही होगी मेरे बारे में शिट... मुझे उससे बात करनी होगी।"
इतना बोलते हुए वो वहां से बाहर निकला और अपनी कार लेकर सीधा अपने बंगले में वापस आ गया जहां पर फिलहाल वो एकदम अकेला ही रहता है, बहुत सारे नौकर चाकर स्टाफ और असिस्टेंट के साथ इसके अलावा लॉयर अंकल वहां पर आते जाते रहते हैं और ऑफिस का कुछ स्टाफ भी...
अभय कभी-कभी ऑफिस भी चला जाता है लेकिन सिर्फ नाम के लिए बाकी सारे काम उसने अपने मैनेजर और इंचार्ज पर ही छोड़े हुए हैं।
वो घर आया और वहां से निकलकर सबसे पहले सीधा अपने कमरे में गया और कार की चाबी बेड पर सीखते हुए वो सीधा वॉशरूम में घुस गया और अपनी शर्ट उतार कर उसने शावर ऑन किया और शावर के नीचे खड़ा हो गया।
तभी बाथरूम में सामने लगे मिरर पर उसकी नजर पड़ी और उसे अपनी बॉडी पर कुछ लव बाइट्स नजर आए।
अभय ने उन हाथ फेरा और उन दोनों के बीच हुए प्यार भरे उस मोमेंट को याद करने लगा और बोला, "इसका मतलब कल रात मैंने उससे फोर्स नहीं किया था। उसने खुद अपनी मर्जी से ये सब किया, तभी तो ये निशान मेरी बॉडी पर भी है इसका मतलब कि नंदिता .. वो भी मुझे पसंद करती है, क्या जो मैं सोच रहा हूं वो सच है?"
इतना बोलते हुए अभय कन्फ्यूजन से मुस्कुराया और फिर नहाकर बाहर निकलते ही उसने तुरंत नंदिता का नंबर डायल किया, लेकिन दूसरी तरफ से उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था तो अभय उसके लिए काफी परेशान हो गया।
To Be Continued...
15
अपने सारे कॉन्टेक्ट्स का use करके अभय ने नंदिता को ढूंढने की बहुत कोशिश की और उसके घर का एड्रेस भी पता कर लिया लेकिन पता नहीं क्यों वो उसके घर नहीं जा पाया शायद उसके अंदर नंदिता का सामना करने की हिम्मत नहीं हो रही थी इसलिए वो बार-बार उसे कॉल कर रहा था लेकिन नंदिता उसकी कॉल रिसीव नहीं कर रही थी और उसका फोन भी अब स्विच ऑफ बता रहा था, अभय ने कृति को भी कॉल किया लेकिन उसने भी कोई रिस्पांस नहीं दिया।
"प्लीज नंदिता कहां हो तुम, एक बार बात कर लो मुझे सब क्लियर करना है।" - अभय ने अपने हाथ में पकड़े हुए मोबाइल की तरफ देखते हुए कहा और उसके वॉलपेपर पर नंदिता की ही फोटो लगी हुई थी जो कि कॉलेज में एक दिन उसने ही चुपके से क्लिक की थी, उसे खुद भी नहीं पता था कि उसने उस दिन ऐसा क्यों किया?
वह अपने मोबाइल की स्क्रीन पर लगी हुई नंदिता के फोटो को बहुत ही प्यार से और हल्के हाथ से स्क्रीन पर टच किया और बोला, "आई थिंक, आई लाइक यू सो मच बट तुम कहां चली गई इस तरह से मुझे अकेला छोड़कर वापस आ जाओ नंदिता! मैं पहले ही बहुत अकेला हो गया हूं मम्मी पापा के बिना..."
अभय के ऐसे बदले हुए बर्ताव को देखने के बाद उसके मम्मी पापा भी उससे बहुत ज्यादा नाराज है क्योंकि पैसे के आगे उसे कुछ भी नजर नहीं आता है, इन सब से दुःखी हो कर उसके पापा ने उसे पैसे और फैमिली में से एक को चूज़ करने को कहा तो अभय ने पैसों को ही चूज़ किया।
उसके पापा नहीं चाहते थे कि अभय को इस तरह से बिना मेहनत किए सब कुछ मिल जाए और वो पैसों के लालच में अंधा हो जाए या फिर बहुत ही ज्यादा बिगड़ जाए इसलिए वह उसे अपने साथ ले जाना चाहते थे लेकिन वो अपनी ऐशो आराम से भरी हुई लग्जरियस लाइफ जो उसे अभी-अभी मिली थी वह सब छोड़कर अपने पापा मम्मी के साथ नहीं गया।
अभय की आंखों पर अभी भी दौलत की चमक धमक का पर्दा पड़ा हुआ है जिसके आगे वो शायद अपने रिश्ते भी देख नहीं पा रहा है, लेकिन कल रात नंदिता के साथ जो कुछ भी हुआ वो भी उसके दिमाग से नहीं निकल रहा है।
वह अपने रूम की बालकनी में बैठा हुआ यह सब कुछ सोच रहा है और काफी परेशान भी लग रहा है, तभी उसका मोबाइल फोन रिंग हुआ और उसने एकदम से कॉल रिसीव किया उसे लगा कि शायद नंदिता का कॉल है या फिर जितने लोगों से उसने नंदिता के बारे में पता करने के लिए कहा था उनमें से किसी का कॉल होगा उसे कुछ इनफार्मेशन देने के लिए...
लेकिन जब अभय ने कॉल रिसीव किया तो उसे दूसरी तरफ से पता चला किसी और का ही कॉल है, तो वो काफी सीरियस होकर कॉल पर बात करने लगा और कुछ भी देर में उसने कॉल डिस्कनेक्ट करके एक गहरी सांस ली ।
"चलो वहां पर ही चलता हूं क्योंकि रेसिंग तो आखिर मेरा पहला प्यार है ना, वहां पर जरूर मुझे सुकून मिलेगा और इस बार तो मुझे कुछ और भी करना है।" - अभय यह बात अपना मोबाइल फोन हाथ में कसकर पकड़े हुए इस तरह से बोली जैसे कि उसके दिमाग में कुछ उल्टा ही चल रहा है।
उसके पास अभी-अभी रेस ऑर्गेनाइजर्स का कॉल आया था क्योंकि अब वो भी शहर के पावरफुल अमीर लोगों में उसका नाम आता है तो उसे इस बारे में आसानी से पता चल गया कि एक हफ्ते बाद इस रेस ट्रैक पर रेस होने वाली है, उसी की मीटिंग के लिए अभय को आज वहां पर बुलाया गया है।
दूसरी तरफ;
कृति का पीजी रूम,
कृति के गले लगी हुई नंदिता लगातार रोए जा रही है और कृति उसकी पीठ पर अपना हाथ फेर रही है।
कृति ने उसे समझाते हुए बोला, "बस भी कर यार और कितना रोएगी तू? अब जो हो गया वो तो हो गया ना, उसे कोई बदल नहीं सकता लेकिन इस तरह रोने से क्या होगा तू बस अपनी हालत खराब कर रही है और कुछ नहीं..."
सुबह जब से नंदिता यहां पर आई है तब से वह इस तरह ही रोए जा रही थी और अभी तक तकिए में अपना मुंह छुपा कर रो रही थी क्योंकि वो कृति को परेशान नहीं करना चाहती थी लेकिन फिर जब कृति सोकर उठी और उसने नंदिता को इस तरह से नोटिस किया तो फिर उसने ज़ोर देकर पूछा और आखिर नंदिता ने उसे पूरी बात बता दी।
पिछली रात वहां क्लब के रूम में उसके और अभय के भी जो कुछ भी हुआ और उसके बाद वह अभय के जागने से पहले ही यहां पर आ गई और अब वो अपने घर भी नहीं जा पा रही है वह गिल्ट की वजह से...
कृति नंदिता की बात सुन रही है लेकिन फिर भी उसे समझ नहीं आ रहा है और ना ही उसका रोना बंद हो रहा है, उसे खुद भी नहीं समझ आ रहा है क्यों इस बात को लेकर वो इतना ज्यादा रो रही है, उसकी आंखों से लगातार आंसू निकल रहे हैं और रोते हुए वो कुछ बोल भी नहीं पा रही है।
कृति उसे काफी देर से कंट्रोल कर रही है लेकिन नंदिता फिर भी उसी तरह का बर्ताव कर रही है तो कृति ने नंदिता के कंधे पड़कर उसे अपने से थोड़ा सा दूर किया और उसकी आंखों में देखती हुई बोली, "बस कर यार! कब से मैं तुझे समझा रही हूं लेकिन तू है कि बस रोए जा रही है और वैसे भी तू तो कब से अभय से प्यार करती थी, तो क्या हो गया अगर प्यार में जाने अनजाने तुम दोनों ही उस हद तक आगे बढ़ गए और इंटिमेट हो गए आखिर एक ना एक दिन तो यह होना ही था ना... ये कोई इतनी बड़ी बात नहीं है।"
नंदिता उसकी बात सुनकर थोड़ा सा चौंकते हुए बोली, "कृति ये तू क्या बोल रही है? हां, यह सच है मैं अभय से सबसे ज्यादा प्यार करती हूं और वह भी पिछले 3 सालों से लेकिन मैंने कभी भी ये सब कुछ नहीं सोचा था कि हमारे बीच बिना किसी रिश्ते के सीधा फिजिकल रिलेशन बन जाएंगे और वो भी वन नाइट स्टैंड जो शायद उसे तो अब याद भी नहीं होगा।"
ये बात बोलते हुए वो अभी भी सुबक कर रही है।
"नहीं याद होगा तो तुम याद दिला देना ना, अभय अच्छा लड़का है यार वो तुम्हें ब्लेम नहीं करेगा और वैसे भी सब कुछ तुम दोनों की ही मर्जी से हुआ है ना?" - कृति ने उसे समझाते हुए पूछा तो उसकी इस बात पर नंदिता ने थोड़ा सा सोचते हुए हां में अपना सिर हिलाया।
अब उसका रोना भी कम हो गया था, उसकी आंखों में सिर्फ पहले के ही आंसू भरे हुए हैं।
उसे थोड़ा नॉर्मल होते देख कृति ने कहा, "मेरा भी फोन ऑफ करवा कर रखा है तूने अब मैं फोन ऑन कर लूं?"
कृति की इस बात पर नंदिता ने धीरे से अपना सिर हिला कर कहा, "वो तो अभय की वजह से ही... क्योंकि मेरे बाद वो तुझे भी तो कितनी कॉल कर रहा था लेकिन प्लीज तू अभी उसका कॉल रिसीव मत करना अगर कर भी लेना तो उसे यह मत बताना कि मैं तेरे साथ हूं।"
नंदिता की यह बात सुनकर कृति तुरंत ही बोली, "वो इतने फोन कॉल कर रहा है फिर भी तुझे समझ नहीं आ रहा कि वो तेरी फिक्र करता है और हो सकता है उसे तुझसे बात करनी हो, सब कुछ क्लियर करना हो तो कब तक इस तरह उससे भागेगी?"
"मुझे नहीं पता लेकिन अभी बस मुझे थोड़ा टाइम चाहिए प्रोसेस करने के लिए यह सब कुछ बहुत ही अनएक्सपेक्टेड है मेरे लिए..." - नंदिता ने दूसरी तरफ देखते हुए कृति की बात का जवाब दिया तो कृति बोली, "अच्छा ठीक है लेकिन इतना ज्यादा टाइम भी मत ले लेना कि किसी और को तुम दोनों के बीच आने का मौका और टाइम मिल जाए, मैं बस तुम दोनों को साथ में और खुश देखना चाहती हूं।"
एकदम सीरियस होकर कृति ने यह बात कही तो नंदिता ने धीरे से सहमति में अपना सिर हिलाया और जब तक कृति अपना मोबाइल फोन लेकर उठकर खड़ी हुई और नंदिता को साइड हग करके वहां से थोड़ा सा आगे बढ़ गई और अपना फोन ऑन होते ही फोन चेक करने लगी।
To Be Continued...
16
एक हफ्ते बाद; अभय अपने असिस्टेंट और बॉडीगार्ड के साथ वहां रेसिंग ट्रैक पर आया हुआ है लेकिन उसने अभी अपनी आइडेंटिटी छुपाने के लिए कैप और गॉगल्स लगाए हुए हैं और फेस मास्क भी लगाया है इसके अलावा उसने पूरे ब्लैक कपड़े पहने हुए हैं और बहुत ही साइड में एक कम रोशनी वाली जगह पर खड़ा है जिससे कि किसी की भी नजर उस पर ना पड़े।
अभी कुछ देर पहले हुई अनाउंसमेंट के बाद उन्हें पता चला कि अब रेस शुरू होने में बस कुछ टाइम ही बचा है लेकिन वहां पर लोगों की भी लगातार बढ़ती ही जा रही है और वहां पर मौजूद ज्यादातर लोग हमेशा की तरह रोहन का नाम लेकर ही चीयर कर रहे हैं।
अभय जब से मिलियनेयर बना है तब से आज पहली बार ही वो रेस ऑर्गेनाइज हो रही है।
इस बीच कॉलेज के अलावा रोहन या उसकी गैंग में से किसी ने अभय से कांटेक्ट नहीं किया या फिर यह कह लो कि अभय ने खुद ही उन लोगों को मुंह नहीं लगाया क्योंकि उन सब की असलियत अभय के सामने आ चुकी है और उसने अब अपने पैसे और पावर की बल पर उन सब की इंसल्ट करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है और आज भी वो इसी इरादे से यहां पर आया है।
"सर! हमें नहीं लगता आपको इस तरह की चीजों में पार्टिसिपेट करना चाहिए यह रेस पूरी तरह से इल्लीगल है मैंने पता किया है और इसमें बहुत सारे ऐसे लोगों के नाम भी शामिल है जिनका क्रिमिनल बैकग्राउंड भी है।" - अभय के पीछे खड़े लगभग 27 28 साल के आदमी ने उस सलाह दी।
"अखिल! तुम्हें यह आज पता चला है बट मुझे यह सब पिछले 4 सालों से पता है लेकिन आज तक कोई भी फर्क नहीं पड़ा इन सब बातों से और अब अगर कुछ फर्क पड़ता भी है तो मुझे हाथ लगाने की हिम्मत है क्या किसी में अभय प्रताप सिंह को..." - अभय एकदम अलग ही रौब झाड़ते हुए बोला
अखिल उसका पर्सनल असिस्टेंट है जो कि उससे पहले उसके दादाजी के लिए काम करता था और अब उनके बीमार होने की वजह से दादाजी के बॉडीगार्ड और असिस्टेंट दोनों ही अभय के साथ रहते हैं।
अखिल ने उसे समझाने की एक और कोशिश करते हुए कहा, "सर, पहले की बात अलग थी बट अभी आप इतने बड़े बिजनेसमैन के खानदान के इकलौते वारिस है अब अगर आपका नाम ऐसी चीजों में जुड़ेगा तो कंपनी के साथ-साथ आपको और बड़े मालिक को भी प्रॉब्लम हो सकती है।"
अभय ने बहुत ही एटीट्यूड में उसकी बात का जवाब दिया, "नहीं, कोई प्रॉब्लम नहीं होगी और अगर कोई प्रॉब्लम होती की है तो तुम दोनों किस लिए हो, प्रॉब्लम सॉल्व करना।"
इतना बोलते हुए अभय वहां से चलकर थोड़ा सा आगे आया जहां पर एकदम नई रेड कलर की स्पोर्ट्स बाइक खड़ी थी, और उसी बाइक के एक हैंडल पर रेड और व्हाइट कलर की जैकेट टंगी हुई थी जिस पर रोहन लिखा हुआ था और नंबर 10 भी पड़ा हुआ था।
ये बिल्कुल उसी तरह की जैकेट थी जो पहन के अभय ने पिछली बार रोहन के लिए बाइक रेसिंग की थी और हमेशा ही वो ऐसी ही जैकेट पहन के उसके नाम से ये करता था जिसके लिए रोहन उसे अच्छे पैसे देता था।
अभय के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था, चेहरे पर एक तिरछी मुस्कुराहट के साथ अभय ने वह जैकेट उठाकर पहन लिया और फिर उसकी चेन बंद की उसके बॉडीगार्ड असिस्टेंट दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा लेकिन अब उन दोनों ने अभय से कुछ भी नहीं कहा क्योंकि वह समझ गए थे कि अभी उससे कुछ भी कहने या उसे कुछ समझाने का कोई मतलब नहीं है वो किसी की नहीं सुनेगा और जो करने आया है वही करेगा।
बाइक पर ही ब्लैक कलर का हेलमेट भी रखा हुआ था जिसके शीशे भी ब्लैक थे जिससे कि हेलमेट पहनने वाले का चेहरा बिल्कुल भी नजर नहीं आए।
अभय ने वह हेलमेट लगाया और बाइक पर बैठकर बाइक स्टार्ट करने लगा, बाइक स्टार्ट करने से पहले उसने उन दोनों से कहा, "तुम दोनों यहीं पर रुक कर मेरा इंतजार करना मैं रेस खत्म होने के बाद यहां पर ही आ जाऊंगा।"
अभय की बात सुनकर उन दोनों ने धीरे से हां में अपना सर हिलाया और कुछ नहीं बोला, रेस लगभग स्टार्ट होने वाली थी लोगों की बढ़ती हुई आवाजों के साथ इस बात का साफ पता चल रहा है।
वह सारे लोग रोहन और जिसे भी सपोर्ट कर रहे हैं उसका नाम लेकर चिल्ला रहे हैं तभी अभय भी अपनी बाइक लेकर वहां रेसिंग ट्रैक पर पहुंचा और रोहन पहले ही अपनी बाइक के साथ वहां पर खड़ा था और तभी लोगों ने देखा कि दो लोगों ने रोहन की नाम की जैकेट पहनी हुई है और उनकी बाइक भी लगभग सेम है लेकिन एक बाइक एकदम नई लग रही है।
अभय ने अपनी बाइक रोहन के एकदम बगल में लाकर खड़ी कर दी और उसने अपना सर मोड़ कर उसे तरफ देखा लेकिन रोहन हेलमेट की वजह से उसे बिल्कुल नहीं पहचान पाया और वह थोड़ा कंफ्यूज हो गया कि आखिर उसके नाम से और कौन रेस करने आ गया है?
लेकिन अभी इस बारे में सोचने या कुछ भी बात करने का बिल्कुल भी वक्त नहीं था क्योंकि रेस स्टार्ट होने की अनाउंसमेंट हुई और वहां स्टार्टिंग लाइन पर खड़े आदमी ने फ्लैग डाउन करते हुए तेज आवाज में चिल्लाया, "3... 2... 1... Go..."
रेस स्टार्ट होते ही सभी ने एक साथ अपनी बाइक स्टार्ट किया और एक तेज आवाज के साथ सभी की बाइक स्टार्टिंग लाइन से आगे बढ़ गई और एक रोहन की बाइक ही सबसे ज्यादा आगे थी।
दूसरे रोहन की बाइक काफी पीछे रह गई और उसके आगे दो और लोग आ गए क्योंकि रोहन आज पहली बार ही बाइक रेसिंग कर रहा है अभय के बिना, वह बाइक रेसिंग में जीत नहीं पाता इसीलिए वह अपनी जगह पर अभय से रेस करवाता था।
अभय आज ये सच सब के सामने लाने के प्लान से ही यहां पर आया है, वहां पर चीयरिंग करते हुए लोग कंफ्यूज है और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि जिस रोहन को वह इतने दिनों से सपोर्ट करते हैं जो हमेशा ही यह रेस जीता है वह उनमें से कौन सा है जो आगे चल रहा है वो या फिर जो पीछे रह गया है वो वाला क्योंकि सभी ने हेलमेट लगा रखे हैं तो किसी का भी चेहरा नज़र नहीं आ रहा है और रेस में बाइक अब तक वहां स्टार्टिंग लाइन से काफी ज्यादा आगे भी निकल गई है।
"अरे देखो, वह रोहन तो फिनिश लाइन के एकदम करीब पहुंच गया है। हां, यही हमारा रोहन है जो हर बार जीतता है येइइइइ कम ऑन रोहन... गो फॉर ईट!" - रोहन की गैंग ने उसके लिए चीयर करते हुए तेज आवाज में चिल्लाया जो आवाज शायद उसे तक पहुंची भी नहीं क्योंकि वहां रेस ट्रैक पर बाइक की ही आवाज बहुत ज्यादा तेज है।
उन सारी बाइक के बीच दौड़ती हुई वह नई बाइक जिस पर रोहन नाम की जैकेट पहन कर लड़का बैठा हुआ है जो कि असल में अभय है, जैकेट और हेलमेट के अंदर वो सबसे आगे निकल गया क्योंकि उसे रेस का बहुत ही ज्यादा एक्सपीरियंस है और इसके अलावा उसे बाइक रेसिंग बहुत ही ज्यादा पसंद है उसका पहला प्यार ही बाइक रेसिंग है और उसे स्पीड पसंद है इसलिए उसने अपनी बाइक की स्पीड बहुत ही ज्यादा बढ़ा दी और वो फिनिशिंग लाइन के एकदम ही नजदीक पहुंच गया है बाकी सारी बाइक उससे काफी पीछे रह गई और वो फिनिशिंग लाइन पार करता हुआ आगे निकल गया।
उसके फिनिशिंग लाइन पार करते ही रेफरी ने सिटी बचाई और वो रेस वही खत्म हो गई।
उसके बाद बाकी सारे लोगों की बाइक एक-एक करके फिनिशिंग लाइन से आगे आए लेकिन जब तक अभय वापस स्टार्टिंग लाइन के पास वहां पर आ गया था, जहां भीड़ में सारे लोग थे और रोहन... रोहन... का नाम लेकर चिल्ला रहे थे और अभय वहां पर आया और जहां पर स्पॉटलाइट एकदम उस पर ही पड़ रही थी।
उस जगह पर उसने अपनी बाइक रोकी और सबसे पहले उसने अपनी जैकेट की चेन खोली और उसने जैकेट उतार कर वहीं फेंक दी जो कि भीड़ में खड़े किसी फैन ने जल्दी से कैच कर ली।
उन सब ने देखा कि उसने अंदर एक टी शर्ट पहनी हुई थी जिस पर अभय लिखा हुआ था और वह देखकर सभी को काफी हैरानी हुई और वहां पर बैठे हुए कमेंटेटर जो की रेस जीतने वाले का नाम अनाउंस करने ही वाले थे उन लोगों ने भी जब रोहन की जैकेट के नीचे अभय का नाम लिखा हुआ देखा तो वो सब रुक गए और तभी अभय ने हेलमेट उतारा और उसे देखकर सारे लोगों की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई और सबसे ज्यादा तो रोहन और उसकी गैंग, फिर उन लोगों ने फिनिशिंग लाइन की तरफ देखा तो अब रोहन की बाइक फिनिशिंग लाइन के पास पहुंची थी जबकि अब तक रेस खत्म हुए 5 10 मिनट हो गए हैं।
अभय वो रेस जीत चुका था और उसकी आइडेंटी भी अब सबके सामने आ गई और वो वहां अपनी बाइक पर बैठा हुआ मुस्कुरा रहा था क्योंकि वो जो करना चाहता था उसने कर दिया।
To Be Continued...
17
बहुत सारे लोगों ने रोहन पर बेट लगाई हुई थी हमेशा की तरह लेकिन आज अभय के रेस जीतने पर वह सारे लोग ही अपने पैसे हार गए थे और अभय को बहुत ही ज्यादा फायदा हुआ था लेकिन उसने यह सब कुछ पैसों के लिए बिल्कुल भी नहीं किया था वह बस सबको अपनी असली पहचान और अपनी स्किल दिखाना चाहता था।
एनाउंसर ने भी अभय प्रताप सिंह का नाम विनर के तौर पर अनाउंस किया और आज पहली बार विनर में अपना नाम सुनकर उसे बहुत ही सुकून महसूस हुआ लेकिन दूसरी तरफ रोहन और उसकी पूरी गैंग बहुत ही ज्यादा चिढ़ गए थे कि इस तरह अभय ने सबके सामने आकर अपना फेस रिवील कर दिया नहीं तो उन सब लोगों को यही लगता कि हमेशा की तरह रोहन ही ये रेस जीता है।
अभय अपनी बाइक में एकदम बीच में ही खड़ी थी और उसका साइड स्टैंड लगाते हुए पूरी एकदम स्टाइल में बाइक से उतरा।
वहां भीड़ में खड़ी हुई एक लड़की ने अभय को नोटिस करते हुए कहा, "वाओ यार! कितना अमेजिंग है ये और अब तक कहां था ये हैंडसम, आज तक इसने कभी भी रेस में पार्टिसिपेट क्यों नहीं किया।"
"हां यार सच में, ऐसा लग रहा था जैसे बाइक को हवा में उड़ा रहा हो... रोहन जैसों की तो यह कब की छुट्टी कर देता।" - उसके साथ खड़ी दूसरी लड़की ने भी अभय की तारीफ करते हुए कहा तभी रोहन, साक्षी और अपनी पूरी गैंग के साथ वहां से निकल रहा था और यह बात सुनकर उसे बहुत तेज गुस्सा आया गुस्से में उसने अपने हाथ की कसकर मुट्ठी बांध दिया और अपने दांत पीसता हुआ वो एकदम ही अभय की तरफ बढ़ा और एक तेज पंच उसने अभय के चेहरे पर जड़ दिया।
"तेरी हिम्मत कैसे हुई, यह सब करने की क्या समझता है तू खुद को?" - रोहन उसके सामने आता हुआ बोला
अभय भी मुस्कुराता हुआ उन लोगों की तरफ ही आ रहा था लेकिन उसे इस बात की उम्मीद नहीं थी कि रोहन आते ही एकदम उसके चेहरे पर मुक्का जड़ देगा इसलिए एकदम से हुए इस अटैक पर वह खुद को डिफेंड नहीं कर पाया और उसके होंठ के किनारे से खून निकलने लगा।
अभय ने अपने सामने खड़े रोहन और उसकी गैंग की तरफ घूरकर देखा और तभी एक साथ चार-पांच सिक्योरिटी गार्ड वहां पर आ गए उन्होंने रोहन और उसके साथ खड़े सारे लड़कों को पकड़ लिया।
उनमें से सबसे ज्यादा लंबा चौड़ा आदमी रोहन के सामने आकर खड़ा हुआ, "हमारे बाॅस पर हाथ उठाने की तेरी हिम्मत कैसे हुई लड़के, अब तुझे इसकी सजा मिलेगी।"
बॉडीगार्ड रोहन और उसकी गैंग के सारे लड़कों को उठाकर वहां से ले जाने लगे, उन लोगों ने लड़कियों को टच नहीं किया लेकिन तभी सारे लड़के चिल्लाने लगे।
रोहन एकदम ही हैरान रह गया क्योंकि उसे समझ नहीं आया कि ये क्या हुआ, उसे लगा था ये वहां के रेस ऑर्गेनाइज करने वालों के सिक्योरिटी गार्ड हैं जो कि उन लोगों को लड़ाई से रोकने आए हैं लेकिन यह लोग तो सिर्फ रोहन और उसके लोगों को ही धमका रहे थे इसलिए रोहन की भी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई और अभय उनके सामने खड़ा बहुत ही तसल्ली के साथ मुस्कुरा रहा है।
उन बॉडीगार्ड से अपना हाथ छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए रोहन गुस्से में बोला, "बॉस कौन बाॅस और हमें कहां लेकर जा रहे हो, छोड़ो हम सबको... यह हमारा आपसी मामला है और इस लड़के ने हमें धोखा दिया है इसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे रेस में हराने की..."
रोहन ने फिर भी बोलने की हिम्मत की क्योंकि उसके पापा भी बहुत ज्यादा अमीर बिजनेसमैन है इसलिए वो किसी से भी नहीं डरता है और इस तरह के इल्लीगल रेस में भी वो रेगुलर पार्टिसिपेट करता है।
"मैंने तुम्हें हराया नहीं है, तुम खुद ही हारे हो और तुम्हें बाइक रेसिंग नहीं आती तो फिर यहां पर आते ही क्यों हो अपनी इंसल्ट करवाने?" - अभय ने बहुत ही सहूलियत से रोहन की बात का जवाब दिया।
इतना बोलते हुए अभय जोर से हंसा और उसके साथ पीछे खड़ा हुआ उसका असिस्टेंट भी उसके साथ ही हंसने लगा और रोहन को सच में अपनी इंसल्ट फील हुई, तभी अभय ने उन सारे बॉडीगार्ड को इशारा किया उन लोगों को छोड़ देने का..
अभय का इशारा मिलते ही उन सारे बॉडीगार्ड ने रोहन और उसके साथी लड़कों को छोड़ दिया और वहां से अभय के पीछे आकर खड़े हो गए तो अभय इस बार गुस्से में रोहन के एकदम सामने आया और उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखता हुआ बोला, "अगली बार से सोच समझ कर हाथ उठाना क्योंकि अगर मैं अपने पर आ गया ना, तो मुझे तुम्हारे जैसे पर हाथ उठाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।"
इतना बोलते हुए अभय ने उसके चेस्ट पर हाथ रखकर हल्के से थपथपाया और फिर वहां से आगे बढ़ गया उसके पीछे ही उसका असिस्टेंट और उसके साथ के वह सारे 5 , 6 बॉडीगार्ड भी उसके पीछे ही वहां से चले गए.
"इसके तो तेवर ही बदल गए हैं, कुछ करना पड़ेगा इस अभय के बच्चे का!" - अभय के वहां से जाने के बाद पीछे मुड़कर उसकी तरफ देखा हुआ रोहन बोला तभी उसकी बात पर साक्षी ने कहा, "ओह प्लीज़ रोहन! कुछ नहीं कर पाओगे तुम अब उसका, वो तुमसे कहीं ज्यादा अमीर और पावरफुल हो गया है इसके अलावा उसने गलत क्या कहा आखिर वो सही ही तो कह रहा था तुम्हें बाइक रेसिंग तो छोड़ो ठीक से बाइक चलानी भी नहीं आती है, पता नहीं क्यों बेवजह ही खुद को हीरो दिखाने के लिए इतने दिनों से यह झूठा नाटक करते आ रहे हो।"
साक्षी ने भी अपनी आइज़ रोल करते हुए ये बात बोली और उसकी बात सुनकर रोहन को बहुत बुरा लगा जितना उसे अभय की इंसल्ट पर भी बुरा नहीं लगा था और फिर साक्षी ने अपने पीछे खड़ी अपनी दोनों फ्रेंड्स को साथ आने के लिए कहा और वह तीनों लड़कियां ही वहां से चली गई।
अब वहां से साइड में आया और उसने अपने असिस्टेंट बॉडीगार्ड को वहां से जाने के लिए कहा क्योंकि रेस ऑलमोस्ट खत्म हो गई थी।
वो लोग उसे वहां पर छोड़कर जाने के लिए रेडी नहीं थे लेकिन अभय कुछ देर अकेला रहना चाहता था इसलिए उसने उन्हें वहां से जाने का ऑर्डर दिया तो आखिर वो लोग चले गए लेकिन तभी दूसरी रेस स्टार्ट होने की अनाउंसमेंट हुई ये एक सरप्राइज रेस थी तो अभय ने सोचा कि क्यों ना वो इसमें भी पार्टिसिपेट कर ले और अब तक रोहन और उसकी गैंग भी वहां से चले गए थे तो इस बार हो किसी को दिखाने या हराने के लिए नहीं बल्कि अपने लिए रेस करेगा।
वो अनाउंसमेंट सुनकर अभय वहां पर रुक गया और बाकी भी काफी सारे लोग रुक गए लेकिन उन्हें वहां रेस ट्रैक पर कोई भी बाइक नहीं दिखी इसलिए अभय भी अभी साइड में ही खड़ा हुआ है तभी वहां पर पुलिस के सायरन की आवाज सुनाई दी और उन लोगों को समझ में आ गया कि यह सब कुछ एक ट्रिक थी उन सारे लोगों को पकड़ने के लिए... इस तरह से झूठी अनाउंसमेंट करवाई गई जबकि एक रेस खत्म होने के बाद कभी भी तुरंत दूसरी रेस नहीं होती है।
अभय को यह सब समझ नहीं आया क्योंकि उसके सामने यह सब कुछ पहली बार हो रहा है लेकिन वो भी अपनी बाइक छोड़कर वहां से दूर सड़क की तरफ भागा, क्योंकि अगर वह बाइक से भागता तो आसानी से नजर में आ जाता और वो वहां से थोड़ा ही दूर आया, तब ही एक ब्लैक कलर की SUV कार उसके सामने आकर रुकी और अभय कुछ भी समझ पाता उससे पहले ही कार का दरवाजा खुला और उसमें से एक हाथ निकला, जिसने अभय को कार के अंदर खींच लिया।
एक झटके से अभय उस कार की बैक सीट पर आ गिरा और संभलकर सीधा बैठने लगा तब उसे समझ आया कि उसके साथ ही कोई और भी है उस कार में जिसने उसे पुलिस और वहां पर पकड़े जाने से बचने के लिए अपनी कार में खींचा था।
जिस तरह से यह सब कुछ हुआ अभय काफी इरिटेट होते हुए एकदम से बोला, "व्हाट द हेल, क्या है यह सब और तुम..." लेकिन जैसे ही उसने नजर घुमा कर अपने साइड में देखा वो आगे कुछ नहीं बोल पाया क्योंकि वहां पर जो शख्स उसके साथ बैठा हुआ था, उसके वहां पर होने की अभय को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी।
To Be Continued...
18
अभय के कार के अंदर आते ही वह कार स्टार्ट हो गई और वहां से आगे बढ़ गई, वह एकदम खाली सड़क है जहां पर उस कार के अलावा और कोई भी गाड़ी नजर नहीं आ रही।
अभय एकदम एक तक बिना पलके झपकाएं ही उस तरफ देख रहा है क्योंकि उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा और उसे ऐसा लग रहा है जैसे कि वह खुली आंखों से सपने देख रहा है क्योंकि उस कार में उसके साथ बैक सीट पर कोई और नहीं नंदिता बैठी हुई है।
नंदिता , जिसे वह पिछले एक हफ्ते से पागलों की तरह ढूंढ रहा है और उसे कांटेक्ट करने की सारी कोशिश करके थक हार चुका है वह खुद ही ऐसे इस तरह से उसके सामने आ गई वह बहुत ही खुश है, नंदिता को वहां पर देखकर लेकिन उसे लगा नहीं था वह ऐसे वहां पर उसे बचाने के लिए आएगी।
उसे इस तरह अपनी तरफ देखते हुए पाकर नंदिता ने उसे डांटना शुरू किया, "अब ऐसे क्या देख रहे हो, एक नंबर के इडियट हो तुम अभय! क्या कर रहे हो तुम यहां पर ऐसे अकेले अपने साथ किसी बॉडीगार्ड को भी लेकर नहीं आए और अभी पुलिस वाले तुम्हें पकड़ लेते तो तुमने सोचा है इसमें तुम्हारा और कंपनी का कितना नाम खराब होता साथ ही दादाजी का भी..."
उसकी डांट सुनकर अभय मुस्कुरा रहा है, उसे बहुत अच्छा लग रहा है कि नंदिता उसकी इस तरह से फिक्र कर रही है लेकिन उसने आगे कुछ भी नहीं बोला बल्कि आगे आकर उसने नंदिता को कसकर गले से लगा लिया।
उसके इस तरह से गले लगने पर नंदिता की बोलती एकदम ही बंद हो गई और वो जो कुछ भी आगे कहने वाली थी, वह भूल गई उसकी आंखें हैरानी से बड़ी है और अभय के इस तरह प्यार से गले लगने पर उसे अपने दिल की धड़कन रुकती हुई सी महसूस हुई और वह सामने से अभय को गले भी नहीं लगा पाई लेकिन अभय उसे एकदम कसकर पड़े हुए उसके गले लगा हुआ है और उसे जैसे छोड़ना ही नहीं चाहता।
नंदिता को खुद भी समझ नहीं आता कि अभय के आसपास वो इतनी ज्यादा कमजोर कैसे पड़ जाती है जैसे कि अभी वह उस पर गुस्सा कर रही थी और उसे डांट रही थी लेकिन उसके इस तरह से गले लगाने पर वह जैसे एकदम ही पिघल गई और उसका सारा गुस्सा भी गायब हो गया।
उसी तरह नंदिता के कस कर गले लगे हुए अभय ने बोलना शुरू किया, "कहां... कहां चली गई थी तुम नंदिता ? उस दिन के बाद से तुम्हें पता है मैंने तुम्हें पागलों की तरह कितना और कहां-कहां नहीं ढूंढा, प्लीज़... प्लीज़ प्लीज़ अब कहीं भी मत जाना मुझे इस तरह से अकेला छोड़कर, मुझे नहीं पता मैं तुम्हारे बिना क्या करूंगा?"
इतना बोलते हुए उसकी पकड़ और ज्यादा मजबूत हो गई और ऐसा लग रहा था जैसे वह नंदिता को छोड़ना ही नहीं चाहता है।
"और क्यों ढूंढ रहे थे तुम मुझे?" - नंदिता ने बस इतना पूछा और उसका यह सवाल सुनते ही अभय की पकड़ ढीली हो गई और उसे अपनी पोजीशन रियलाइज हुई।
अभय थोड़ा सा दूर होकर नंदिता के चेहरे की तरफ देखा हुआ बोला, "क्यों से क्या मतलब है तुम्हारा, 1 मिनट... तुम मुझे क्या समझती हो नंदिता , क्या तुम्हें लगता है कि मैं रोज ही ऐसे एक लड़की के साथ नाइट स्पेंड करता हूं जो मेरे लिए ये सब कुछ इतना नॉर्मल होगा और सुबह तुम इस तरह से भाग गई और पता नहीं कहां पर जाकर छुप गई, तुम्हें पता भी है मेरा क्या हाल था और मुझे तुम्हारी कितनी फिक्र थी ऐसा क्यों किया तुमने?"
नंदिता की आंखों में देखते हुए अभय ने उससे ये सारे सवाल किए, उसकी यह बातें सुनकर नंदिता एकदम ही अपनी जगह पर जम गई क्योंकि उसे यह लगा था कि अभय को उस रात का कुछ भी याद नहीं होगा क्योंकि वो उस दिन नशे में था लेकिन अभी अब है जो कुछ भी बोल रहा था वह सब सुनकर नंदिता को एहसास हुआ कि अभय भी उसकी जैसी ही सिचुएशन में है।
नंदिता ने उससे नज़रें चुराते हुए पूछा, "तुम... तुम्हें... तुम्हें वो सब कुछ याद है?"
अभय ने कन्फ्यूजन से पूछा, "क्या मतलब याद है अभी इतने दिन भी नहीं हुए एक हफ्ता ही तो हुआ है, इतनी जल्दी कौन भूल जाता है इतनी बड़ी बात और तुम इस तरह से इधर-उधर क्या देख रही हो? मेरी आंखों में देखो मेरी तरफ.."
"कुछ नहीं, और अगर मुझे यह लगता भी है तो तुम्हारे लिए सच में कौन सी बड़ी बात होगी और कौन सा वो उस दिन पहली बार होगा तुम्हारे लिए..." - नंदिता ने आखिर अपने दिल की बात उसके सामने बोल ही थी इतने टाइम से वह इसी बात को लेकर परेशान थी और उसके सामने नहीं आ रही थी लेकिन अभी जब अभय ने खुद से ही यह बात बोली तो नंदिता से भी रहा नहीं गया।
नंदिता की यह बात सुनकर अभय को एकदम से ही बहुत गुस्सा आया और उसने नंदिता की दोनों बाजू को एकदम कसकर पकड़ लिया और उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "नो... नो वे नंदिता ! तुम... तुम मुझे गलत समझ रही हो ऐसा... ऐसा कुछ भी नहीं था और उस दिन तुम्हारे साथ जो कुछ हुआ वो बहुत स्पेशल था और मैंने आज तक किसी भी लड़की को उस नज़र से देखा तक नहीं सिर्फ तुम ही वो लड़की हो जिसे मैं पता नहीं क्यों मैं एक पल के लिए भी किसी और के साथ नहीं देख पाया और हां, उस वक्त शायद मैं थोड़ा सा ज्यादा पजेसिव हो गया था तुम्हें लेकर लेकिन..."
नंदिता ने भी उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए गुस्से में कहा, "लेकिन क्या मिस्टर अभय प्रताप सिंह, ऐसा भी क्या हो गया था तुम्हें जो तुम खुद को कंट्रोल नहीं कर पाए और मुझे अब तक वही यही लगता था कि तुमने वह सब कुछ नशे में किया और अब तक तो तुम उस बारे में भूल भी गए होंगे लेकिन नहीं तुम्हें तो सब कुछ याद है तो बताओ फिर क्यों किया तुमने ऐसा क्यों... क्या मैं ही मिली थी तुम्हें... और क्यों पजेसिव हो गए थे तुम, मैं कोई तुम्हारी गर्लफ्रेंड या लवर नहीं हूं!"
इतना बोलते हुए नंदिता ने उसका हाथ अपने बाजुओं पर से झटक कर हटा दिया और अभी भी वह घूर कर उसको ही देख रही है।
नंदिता के ऐसे बर्ताव पर अभय ने भी उसकी आंखों में आंखें डालकर सवाल किया, "अच्छा तो जो कुछ भी हुआ उसमें मेरी गलती है, चलो मैं मान लेता हूं लेकिन क्या सिर्फ मेरी गलती है? मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया तो तुम रुक जाती क्या फिर मुझे रोक देती, जहां तक मुझे याद है मैंने तुम्हें फोर्स नहीं किया था तो फिर क्यों... वह सब हम दोनों की मर्जी से हुआ था, बताओ फिर आखिर तुम क्यों आई थी मेरे नज़दीक?"
उसके इस सवाल पर नंदिता को उस रात की सारी बातें एकदम साफ याद आने लगी कि किस तरह से वह दोनों है एक दूसरे की नजदीकियों में खो गए थे और दोनों में से कोई भी दूर नहीं होना चाहता था और नंदिता के लिए तो वह सब कुछ बहुत ही स्पेशल था लेकिन उसे नहीं लगा था कि अभय के लिए भी ऐसा कुछ होगा बस इसीलिए वह बहुत ही ज्यादा इनसिक्योर फील कर रही थी लेकिन अभी जिस तरह से अभय ने उससे ये सवाल किया तो वह उससे नज़रें नहीं मिल पाई क्योंकि कहीं ना कहीं अभय एकदम सच बोल रहा है।
नंदिता को उसने इस तरह से देखा तो उसका हाथ अपने हाथों में लेकर बहुत ही आराम से बोला, "आई डोंट नो नंदिता ! तुमने मुझे क्यों नहीं रोका लेकिन मैं तुम्हें पसंद करता हूं और तुम्हें लेकर मेरे दिल में जो फिलिंग्स है वह आज तक किसी भी लड़की के लिए नहीं आई और ना हीं मैं किसी लड़की के इतना नज़दीक गया, प्लीज बिलीव मी!"
"साक्षी के लिए भी नहीं..." - अभय के कन्फेशन पर नंदिता ने एकदम ही बोला तो अभय ने चौंककर उसके चेहरे की तरफ देखा और वह काफी सरप्राइज लग रहा है।
उसे इस तरह से सरप्राइज देखकर नंदिता तिरछी मुस्कुराहट के साथ बोली, "ऐसे क्या देख रहे हो, मैं भी सेम यूनिवर्सिटी में हूं मुझे पता है तुम्हारे और साक्षी के बारे में, तुम उससे तो प्यार करते थे ना?"
एकदम से ऐसे पिछली बातें बीच में लाने की वजह से अभय को समझ नहीं आया कि वह नंदिता की बात तो क्या जवाब दे इसलिए उसने नंदिता का हाथ छोड़ दिया और कार की खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगा क्योंकि साक्षी का नाम बीच में आने की वजह से उनके बीच की सिचुएशन काफी ऑकवर्ड हो गई थी।
उसके ऐसे रिएक्शन पर नंदिता ने भी हल्का सा मुस्कुराया और वो भी दूसरी तरफ देखने लगी क्योंकि उसे शायद कहीं ना कहीं ऐसे ही रिएक्शन की उम्मीद थी जो अभय से उसे मिला।
अभय नंदिता की उस बात का उस वक्त कोई जवाब नहीं दे पाया।
To Be Continued...
19
कुछ दिनों बाद; दिन के 12:00 बज रहे थे और अभय अपने दादाजी के उस बंगले के एक बड़े से कमरे में जो कि अब पिछले 1 महीने से उसका बेडरूम है, वहां पर पेट के बल लेटा हुआ सो रहा है।
उसका मोबाइल फोन बार-बार रिंग हो रहा है जिसकी वजह से अभय की नींद में काफी डिस्टर्ब हो रहा है और उसने साइड में पड़ा हुआ तकिया उठाकर अपने कान पर रख लिया और अपना कान और चेहरा ढक कर वह उस आवाज को इग्नोर करने लगा उसे लगा कि शायद अलार्म रिंग हो रहा है लेकिन बार-बार मोबाइल फोन की रिंगटोन बजती ही जा रही थी क्योंकि उसका यह अलार्म रिंग नहीं हो रहा था बल्कि फोन पर किसी की इनकमिंग कॉल आ रही है।
लेकिन अभय इतनी ज्यादा नींद में है कि उसे अलार्म और इनकमिंग कॉल की रिंगटोन में फर्क ही समझ नहीं आ रहा है।
पिछले आधे घंटे में 15 से 20 बार उसका मोबाइल फोन रिंग हो चुका है इसलिए अब तक अभय काफी ज्यादा इरिटेट हो गया और फिर उसी तरह लेते हुए अपना हाथ बढ़ा कर बेड और साइड टेबल पर सारी जगह अपना मोबाइल फोन ढूंढने लगा।
वो बिना आंख खोल इस तरह से लोड लेटा हुआ इधर-उधर हाथ बढ़ाकर मोबाइल फोन ढूंढ रहा है इसीलिए उसे मोबाइल फोन नहीं मिला लेकिन फोन अभी भी रिंग हो रहा है तो अभय ने आखिरकार अपनी आंखें खोली और जमाई लेते हुए वह बेड पर उठकर बैठ फिर उसने साइड में देखा तो तकिया के बीच में पड़ा हुआ उसे अपना मोबाइल फोन नजर आया।
वह अभी भी नींद में है और अपने आंख मल रहा है एक हाथ से उसे कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा सब कुछ काफी धुंधला सा लग रहा है, लेकिन मोबाइल फोन पर स्क्रीन लाइट ऑन है तो मोबाइल फोन उसे नजर आ गया उसने मोबाइल फोन उठाया और अलार्म समझ कर उसे बंद ही करने वाला था तभी उसने स्क्रीन पर देखा तो वह अलार्म नहीं बल्कि उसके मैनेजर की कॉल थी।
मोबाइल स्क्रीन पर मैनेजर के नाम की कॉलर आईडी देखकर अभय काफी इरिटेट होते हुए बोला, "ये इस बेवकूफ मैनेजर को क्या हो गया है, सुबह-सुबह कॉल पर काॅल करता जा रहा है इतनी देर से इसका कॉल ही आ रहा था क्या जिसे मैं अलार्म समझ रहा था!"
इतना सोचते हुए आखिर अभय ने वह कॉल रिसीव कर लिया और मोबाइल फोन अपने कान पर लगाते हुए बहुत ही आलस के साथ बोला, "हां, बोलो महेश क्या हुआ है कब से कॉल क्यों कर रहे हो इतनी सुबह-सुबह..."
अभय ने लगभग उसे कॉल पर डांटे हुए कहा तो दूसरी तरफ से उसकी आवाज आई, "सॉरी सॉरी टू डिस्टर्ब यू सर लेकिन बड़े मालिक की तबीयत ज़्यादा खराब हो गई है और उन्हें इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया गया है आपके यहां पर होना चाहिए बस यही इन्फॉर्म करने के लिए..."
अभय अपनी ही जगह पर एकदम सीधा होकर उठ कर बैठते हुए बोला, "शिट! दादाजी की तबीयत खराब... क्या हो गया उन्हें कल तक तो ठीक है वैसे ज्यादा खराब तो नहीं हुई है ना और कब ले जाया गया उन्हें इमरजेंसी में और तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया बेवकूफ कहीं के यहां पर किसी को भेज देते अगर मैं कॉल रिसीव नहीं कर रहा था तो..."
अपनी खुद फोन ना उठाने की गलती को छुपाने के लिए अब है मैनेजर पर ही गुस्सा निकालने लगा।
मैनेजर ने बहुत ही आराम से कहा, "सॉरी सर, बट मुझे लगा कि हम सब का यहां पर रहना ज्यादा जरूरी है और आप अभी भी आ सकते हैं वैसे दो-तीन घंटे से डॉक्टर ट्रीटमेंट कर रहे हैं अभी कुछ पता नहीं चला है।"
"हां.. हां मैं... मैं बस आता हूं तुम बाकी सब देखना जब तक और कौन-कौन है वहां पर अच्छा रहने दो, मैं खुद आकर ही देख लूंगा।" - एकदम हड़बड़ाहट में इतना बोलते हुए अभय ने आखिर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और तुरंत ही बेड से उठकर वॉशरूम की तरफ भागा।
कुछ देर बाद,
शहर का सबसे बड़ा प्राइवेट हॉस्पिटल;
पिछले 1 महीने या फिर शायद उससे पहले से अभय के दादाजी वहां पर ही एडमिट है और तब से लेकर अब तक उनकी तबीयत में कुछ भी खास सुधार देखने को नहीं मिला है और उनके हालात दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है।
शुरुआत में तो अब है उनसे मिलने आता रहता था लेकिन एक हफ्ते के बाद जब से सब कुछ उसके नाम पर हुआ और वह प्रॉपर्टी में से सारी चीज गाड़ी पैसे और सब कुछ बिना किसी से पूछे उसे कर सकता था तब से ही धीरे-धीरे करके वह अपनी मौज मस्ती पैसे खर्च करने और बाकी शौक पूरे करने में इतना ज्यादा मगन हो गया कि रात को नशे में घर आने के बाद उसे दादरी तो क्या अपना खुद का भी ध्यान नहीं रहता था।
अभय फिलहाल अभी अपनी कार में है, कहीं उसके वहां पहुंचने से पहले दादाजी को कुछ ना हो जाए इस बात को सोचकर अभय बहुत ही घबराया हुआ है और उसके मन में काफी गिल्ट भी है कि इतने दिनों से एक बार भी उसने अपने दादा की खोज खबर नहीं ली और वह उनसे मिलने भी नहीं आया।
जैसे ही ड्राइवर ने उसकी कार अस्पताल के गेट के बाहर रोकी, वो एकदम भागता हुआ सा अपनी कार से निकला, और उसी तरह से भागते हुए अस्पताल के अंदर आया।
अभय भागते हुए वहां से एक तरफ जा रहा था लेकिन उसे यह नहीं पता एक्जेक्टली इमरजेंसी वार्ड किस तरफ है इसलिए रुक कर उसे रिसेप्शन पर उसे बारे में पूछना पड़ा और उसके दादाजी वहां के वी आई पी वार्ड में इतने दिनों से एडमिट है इसलिए अभय को ज्यादा प्रॉब्लम नहीं हुई और उसे तुरंत ही उनके बारे में पता चल गया।
रिसेप्शन पर इमरजेंसी बोर्ड का डायरेक्शन पूछ कर अभय सीधे ही उसे तरफ आया और वहां पर वह लगभग दौड़ते हुए आया लेकिन वहां वार्ड के बाहर इतने सारे लोगों को खड़े देखकर वह थोड़ी दूर पर ही रुक गया लेकिन उसके इस तरह से हल बड़ाहट में भागते हुए आने पर सारे लोगों की नजर एक बार तो उस पर गई।
अभय ने देखा कि उसके मम्मी पापा वहां पर बाहर खड़े हुए हैं इसके अलावा वकील उसका मैनेजर और उनके साथ नंदिता भी वहां पर खड़ी हुई है।
बाकी सारे लोग जीने सच में उसके दादाजी की फिक्र है या किसी भी तरह से वह उनसे रिलेटेड है वह सारे लोग ही अभय से पहले ही वहां पर पहुंच चुके हैं और अभय ही सबसे आखिर में वहां पर आया इसलिए वो थोड़ी दूर पर रुक गया और फिर धीरे-धीरे चलता हुआ सबसे पहले मैनेजर के पास आया और उससे ही दादाजी के बारे में पूछने लगा।
अभय के पापा ने उसे वहां पर देखकर उसे गुस्से में डांटते हुए कहा, "कहां थे तुम, अभय! तुम इतने गैर जिम्मेदार और लालची कैसे हो सकते हो तुम्हें सच में सिर्फ अपने दादाजी की दौलत से मतलब है वो तुम्हें मिल गई और अब वो यहां मरे या जिए तुम्हें क्या ही फर्क पड़ता है।"
अभय की मां भी काफी इमोशनल होते हुए बोली, "मुझे तो यह नहीं समझ आ रहा है कि हमारी परवरिश में ऐसी क्या कमी रह गई जो यह ऐसा निकल गया।"
अपने मम्मी पापा के ताने सुनकर सामने खड़े अभय ने उसे वक्त कुछ भी नहीं कहा और अपना सिर नीचे झुका लिया क्योंकि वह वहां हॉस्पिटल में कोई भी सीन क्रिएट नहीं करना चाहता और अभी वह इमरजेंसी वार्ड से डॉक्टर के बाहर आने का वेट कर रहा है जिससे कि पहले उसे दादाजी की कंडीशन के बारे में पता चल पाए।
To Be Continued...
20
अभय वहां अकेला खड़ा उन सब की बातें सुन रहा है और सिर्फ मैनेजर से जाकर ही उसने बातचीत की और दादाजी के हाल-चाल के बारे में पूछा, बाकी नंदिता भी वकील अंकल के साथ थोड़ी दूर पर खड़ी बीच-बीच में उसकी तरफ देख रही है लेकिन नंदिता ने उससे बात करने में कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई।
अभय उससे बात करना चाहता है, लेकिन यहां पर सबके सामने नहीं क्योंकि उसे नहीं पता नंदिता कैसे रिएक्ट करेगी और अभी उसके मम्मी पापा ने जिस तरह से उसे सबके सामने डांटा वह थोड़ा सा एम्बेरस्ड भी फील कर रहा है।
उसे थोड़ा बहुत गिल्ट है दादाजी की तबीयत खराब होने के वक्त उनके पास नहीं होने का, लेकिन फिर भी इस बात में वह अपनी पूरी गलती नहीं मानता। क्योंकि दादाजी की तबीयत पहले से ही खराब थी, तो वह इसमें भला क्या ही कर सकता है। अगर वह उनके पास सारा दिन बैठा भी रहे, तब भी कौन सा उनकी तबीयत ठीक होने वाली है ऐसा उसे लगता है।
अभय बीच-बीच में नंदिता को देख रहा है और एक दो बार उसे भी नंदिता की नजरे अपने ऊपर फील हुई, लेकिन जैसे ही उसने नंदिता को देखा। वहां दूसरी तरफ ही देखती हुई पूरी तरह उसे इग्नोर करने लगी।
उसी दिन जब नंदिता ने उसे साक्षी वाली बात बोली थी उसी दिन से लेकर अब तक अभय बहुत ही ज्यादा कंफ्यूज था। लेकिन फिर उसने इस बारे में सोचा तो उसे समझ आ गया। वह साक्षी से बिल्कुल भी प्यार नहीं करता था।
उसे सिर्फ अट्रैक्शन था जबकि प्यार वह नंदिता से करता है और इस बीच वह एक बार साक्षी से मिला भी था और तब उसकी सारी कन्फ्यूजन एकदम क्लियर हो गई थी, लेकिन यह सारी बातें वह नंदिता को बात नहीं पा रहा, क्योंकि नंदिता उससे मिलने के लिए तैयार ही नहीं है।
वह सब वहां पर खड़े हैं तभी डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड से निकाल कर आए और उन्हें देखकर अभय के पापा सबसे पहले डॉक्टर की तरफ भागे। उनके पीछे ही वहां पर अभय आया और तभी डॉक्टर ने एकदम मायूसी से चेहरा लटका कर कहा, "सॉरी टू से बट उनकी कंडीशन बहुत ही क्रिटिकल है, आप में से जो भी मिलना चाहे एक दो लोग जाकर उनसे मिल सकते हैं क्योंकि हम अभी कुछ कह नहीं सकते।"
"नहीं डॉक्टर आप ऐसा कैसे बोल सकते हैं प्लीज मेरे पापा को बचा लीजिए कुछ भी करके..." - अभय के पापा ने डॉक्टर की तरफ देखकर कहा।
जबकि अभय यह बात सुनकर एकदम सदमें में वहां पर ही खड़ा है उसे इस बात की उम्मीद नहीं थी और डॉक्टर की बात सुनकर वह तुरंत ही दरवाजा खोलते हुए कमरे के अंदर गया।
"दादाजी!" - अंदर आते हुए अभय ने अपने दादा को बुलाया और उसकी आवाज सुनकर उसके दादा ने धीरे से अपनी आंखें खोली उनके चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ है और पूरे हाथ में भी जगह-जगह पर कई सारी तारे लगी हुई है। जो की मशीन से जुड़ी है उनकी नाक में भी राईल्स ट्यूब लगी हुई है। जिसकी वजह से वह ज्यादा तेज आवाज में बोल नहीं सकते लेकिन फिर भी अभय की आवाज सुनकर उन्होंने धीरे से अपनी आंखें खोली और नजर घुमा कर उसकी तरफ देख अभय जब तक खुद भी उनके पास आ गया।
उनके बेड के सिरहाने बैठते हुए अभय ने दादाजी का हाथ पकड़ लिया। उनके हाथ पर भी ड्रिप लगी हुई है, उसे संभाल कर अभय ने उनका हाथ अपने हाथ में लिया और एकदम रूआंसा होते हुए बोला, "दादा जी मुझे माफ कर दीजिए दादाजी मैं बहुत ही सेल्फिश हो गया था और आपके पैसे मिलने के बाद में आपको ही भूल गया। प्लीज मुझे माफ कर दीजिए और जल्दी से ठीक हो जाइए।"
इतना बोलते हुए अभय की आंखों से आंसू निकलने लगे और तभी उसके पापा और नंदिता भी वहां दरवाजे से अंदर आए अभय की मां वहां बाहर ही रुकी थी, क्योंकि उन्हें पता था उसके ससुर उसे इतना पसंद नहीं करते इसलिए बाकी लोगों के साथ वह अंदर नहीं आई। मैनेजर वकील और डॉक्टर भी वहां बाहर ही खड़े हुए हैं।
"मैं तुमसे नाराज नहीं हूं बेटा लेकिन अब मेरा जाने का वक्त आ गया है और मुझे पता है तुम बहुत काबिल हो, मेरे बाद भी तुम मेरी कंपनी और सारे कारोबार को अच्छे से संभालोगे।" - अभय के दादाजी बहुत ही धीमी आवाज में बोलें और इतनी बात बोलते हुए उन्हें खांसी आने लगी। तो अभय के पापा जल्दी से उनकी तरफ आए और उनके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले, "पापा चुप रहिए आप बात क्यों कर रहे हैं अभय! तुम भी क्यों पापा से कुछ बोलने के लिए कह रहे हो?"
"बेटा तुमने मुझे माफ कर दिया ना अपने बाप को, उसके अंतिम समय में और बहू को बुलाओ मैं उससे भी माफी मांगना चाहता हूं।" - अपने बेटे की तरफ देखते हुए अभय के दादाजी ने बोला उनकी आंखों में इस वक्त आंसू है और अभय के पापा भी रो रहे हैं उन्होंने जल्दी-जल्दी हां में अपना सिर हिलाया और कहा, "नहीं किरण आपसे नाराज नहीं है और बड़े लोग छोटे से माफी नहीं मांगते पापा... आपने कोई गलती नहीं की जिसके लिए आपको माफी मांगना पड़े। आप बस थोड़े से नाराज थे क्योंकि मैंने आपकी बात नहीं सुनी और वक्त के साथ तो वह नाराज़गी खत्म भी हो गई है!"
इतना बोलते हुए अभय के पापा ने मुस्कुराया और उनकी बातें सुनकर अभय जब तक बाहर जाकर अपनी मम्मी को भी बुलाकर अंदर ले आया और वह अपने पति के बगल में आकर खड़ी हो गई।
पहली बार उनके ससुर ने उन दोनों को साथ में देखकर आशीर्वाद दिया और फिर आंखें बंद करते हुए उन्होंने अपनी गहरी सांस ली।
अब तक डॉक्टर और नर्स भी अंदर आ गए थे उन्होंने दादाजी के हाथ की नब्ज चेक की, जो कि एकदम धीरे चलती हुई लगभग बंद हो गई और हार्ट बीट भी एकदम स्लो होती हुई, बंद हो गई और ईसीजी मशीन पर लकीर एकदम सीधी चलने लगी यह देखकर वह सभी लोग रोने लगे और नंदिता भी वहां पर खड़ी चुपचाप आंसू बहा रही है, अभय की भी हालत खराब है और तभी डॉक्टर ने कंफर्म किया कि अब वो जिंदा नहीं रहे और उनके चेहरे को हॉस्पिटल की वाइट चादर से कवर कर दिया।
इतने दिनों के अकेलेपन और पछतावे के बाद आखिर के दादाजी को कम से कम सुकून की मौत नसीब हुई और मरते वक्त उनके चेहरे पर हल्की सुकून भरी मुस्कराहट थी।
वह सारे लोगों की डेड बॉडी लेकर अस्पताल से उनके बंगले पर आ गए जहां पर उनका बहुत ही ज्यादा बड़े पैमाने पर फ्यूनरल किया गया, क्योंकि वह शहर के प्रतिष्ठित जाने माने रईस आदमी थे तो बहुत सारे लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए अभय के पापा ने और अभय ने मिलकर अपने दादाजी को मुखाग्नि दी और फिर वह लोग वहां से वापस आए।
इस बीच अब कंपनी का सारा कार्यभार अभय के कंधों पर आ गया है जिसके लिए वह बिल्कुल भी तैयार नहीं था और अब तक उसने सिर्फ पैसे खर्च ही किए हैं। एक बार भी उसने पैसे कमाने के बारे में नहीं सोचा और कंपनी को बढ़ाने लेकिन उसके दादाजी ने आखिरी टाइम में उसे जो कहा था वह बातें उसे याद है।
इसलिए अब उसने इस तरफ भी ध्यान देने के बारे में सोच और दादाजी की 13वीं तक उसके पापा वहां पर रुके थे, उसके साथ लेकिन फिर वह वापस अपनी पत्नी के साथ अपने घर चले गए अभय ने उन्हें रोका लेकिन वो वहां पर रहना नहीं चाहते थे उन्होंने यह कहा कि जब वह अपने पापा के साथ वहां पर नहीं रह पाए तो अब किसके लिए वहां पर रुकेंगे।
इतना बोल कर वह वहां से चले गए और नंदिता भी दादाजी के तेरहवीं के बाद वहां से जाने लगी और उस वक्त वहां पर कोई नहीं था। अभय बहुत बुरी तरह से रो रहा था नंदिता ने उसे इस तरह देखा तो उसे ऐसा लगा कि एक बार को उसके पास जाकर उसे गले से लगाकर चुप कराए लेकिन कुछ तो था उन दोनों के बीच जो नंदिता को अभय के करीब जाने से रोक रहा था। इसलिए चुपचाप अपने आंसू पोंछती हुई वह भी वहां से चली गई।
To Be Continued....