" कितनी मोहब्बत है " ये कहानी जुड़ी है दो दिलों से जो जन्म के साथ ही एक अटुट बंधन मे बंध गए थे । जिनका नाता एक दूजे उस वक़्त जुड़ा था जब दोनों ही उस रिश्ते को समझने के काबिल नही थे । जिसे दोनों ही अपनाने से कतराते थे पर क्या हो जब वो दो लोग जो एक दूस... " कितनी मोहब्बत है " ये कहानी जुड़ी है दो दिलों से जो जन्म के साथ ही एक अटुट बंधन मे बंध गए थे । जिनका नाता एक दूजे उस वक़्त जुड़ा था जब दोनों ही उस रिश्ते को समझने के काबिल नही थे । जिसे दोनों ही अपनाने से कतराते थे पर क्या हो जब वो दो लोग जो एक दूसरे से बिल्कुल जुदा थे , एक दूसरे को सख्त नापसंद करते थे , एक दूसरे से दूर जाने के , उस रिश्ते को तोड़ने के बहाने ढूंढा करते थे एक दूजे से बेइंतेहा मोहब्बत कर बैठे पर उनकी मोहब्बत पर मौत का काला सायां मंडरा जाए ? क्या मौत को मात देकर वो एक दूसरे को पा सकेंगे , क्या किस्मत के इस खेल मे उनके प्यार की जीत होगी , क्या वक़्त की कसौटियों को पार करते हुए उनकी मोहब्बत मुकम्मल होगी या दो लोग जिनका नाता उनके जन्म से जुड़ा था उनमे से एक की मौत उन्हें हमेशा हमेशा के लिए एक दूसरे से जुदा कर देगी और उनके नसीब मे लिखी वो अधूरी मोहब्बत एक कसक बनकर ताउम्र उन्हें तड़पाएगी ?
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"पापा, आपसे मैंने हॉस्टल की बात की थी, फिर ऐसा क्यों किया आपने मेरे साथ? मुझे अंकल के घर नहीं रहना है, फिर आपने अंकल से क्यों कहा कि मैं वहाँ रहकर अपनी स्टडीज़ कंप्लीट कर लूँगी? मुझे वहाँ नहीं जाना है, आप प्लीज़ अंकल को कह दें कि मैं हॉस्टल में रहकर ही पढ़ना चाहती हूँ।"
पायल ने नाराज़गी से अपने मोटे-मोटे गालों को फुलाते हुए शिकायती अंदाज़ में अपना फैसला सुना दिया और बेड पर आलती-पालती मारकर बैठ गई।
पायल... पायल अग्रवाल, अपने नाम की ही तरह खनकती आवाज़, सारा दिन छनर्-छनर करती फिरती, समुद्र की लहरों सी शोख़, चंचल, थोड़ी सी शैतान, ज़रा नादान और बातूनी इतनी कि उसकी बातें सुनकर लोगों के कान दर्द करने लगते पर बोलते-बोलते उसका मुँह नहीं थकता था।
अपने पापा धीरज जी की लाडली, आँखों का तारा, दिल का टुकड़ा, उनका गुरूर और माँ सुनैना जी के लबों की मुस्कान, उनकी पहली औलाद और एकलौती लाडली प्यारी सी गुड़िया जैसी बेटी।
पायल से छोटा उनका बेटा भी है अनय, पर पायल घर की जान है जिससे उनके आँगन की रौनक और खुशहाली है। पायल को नाराज़ देखकर धीरज जी चिंतित हो गए और चेहरे पर विवशता के भाव उभर आए।
"बेटा, मैंने तो बस शेखर को तुम्हारे वहाँ जाने के बारे में बताया था, मैं तुम्हारी इच्छा अनुसार तुम्हारे रहने का इंतज़ाम हॉस्टल में ही करना चाहता था, पर शेखर ने इतनी मोहब्बत से कहा कि जब वहाँ तुम्हारा अपना घर है, परिवार है तो तुम्हें हॉस्टल में जाकर रहने कि क्या ज़रूरत है? वहाँ तो कोई तुम्हारा ख्याल रखने वाला भी नहीं होगा। उसके घर में रहोगी तो परिवार के साथ रहोगी, उसे भी खुशी होगी और हमें भी तसल्ली रहेगी... तो मैं चाहकर भी मना नहीं कर सका क्योंकि ये सच है कि अगर तुम हॉस्टल में रहोगी तो हमें तुम्हारी चिंता लगी रहेगी, शेखर के घर में रहोगी तो हम निश्चिंत रहेंगे कि हमारी बेटी अपने दूसरे घर में सुरक्षित है और वहाँ उसका ख्याल रखने वाले लोग मौजूद हैं।"
धीरज जी ने अपनी मजबूरी और चिंता से पायल को रूबरू करवाया पर वो अब भी मुँह फुलाए नाराज़गी से उन्हें घूरे जा रही थी। धीरज जी ने अब समर्थन के लिए अपनी अर्धांगिनी मतलब सुनैना जी को याद किया और वो पायल के पास आकर बैठ गयी।
"पायल बेटा... भाई साहब और भाभी कितनी मोहब्बत करते है तुमसे। अपने सगे बेटे से ज्यादा चाहते है तुम्हे, कितना ध्यान रखती है तुम्हारा भाभी। फिर क्यों तुम वहाँ नहीं जाना चाहती? वो अपना परिवार है, वहां तुम खुश रहोगी और भाई साहब और भाभी जी तुम्हारे साथ होंगे तो हम भी निश्चिंत रहेंगे।"
सुनैना जी ने भी पायल को समझाने की कोशिश की। पायल ने उनकी बात सुनी और जैसे ही वो चुप हुई खींझते हुए बोल पड़ी।
"माँ, अंकल-आंटी से मुझे कोई परेशानी नहीं। वो दोनों तो बहुत अच्छे और स्वीट से है, मैं खुशी खुशी उनके साथ रह सकती हूँ... पर परेशानी ये है कि उनके उस घर मे उनका वो बेटा भी रहता है, जो मुझे बिल्कुल भी नहीं पसंद और वो भी मुझे कुछ खास पसंद नही करते।
आज तक सीधे मुँह बात तक तो की नहीं है उन्होंने मुझसे। जब आते है बस मेरी कोई न कोई गलती ढूंढकर बारूद के गोले जैसे मुझपर फट पड़ते है और आप लोग मुझे वहाँ भेजना चाहते है ताकि वो चलता फिरता ज्वालामुखी आपकी इस मासूम सी बेटी को अपनी लपटों से जलाकर भस्म कर दे।"
पायल की बातें सुनकर पहले तो धीरज जी और सुनैना जी दोनों हैरान परेशान से एक दूसरे की शक्लें देखने लगे। फिर धीरज जी पायल के पास आकर बैठ गए और मोहब्बत से उसके सर पर हाथ फेरते हुए नरम लहज़े मे उसे समझाने लगे।
"ऐसा नहीं है बेटा। आप दोनों के बीच कंयुनिकेशन गैप है। इतने सालों मे आप दोनों की कभी ठीक से बात ही नहीं हुई इसलिए तो हमने ये फैसला लिया है। आप दोनों को साथ रहकर एक दूसरे को जानने और समझने का मौका मिलेगा। हम बड़ों की इच्छा से तो आप दोनों भली भाँति परिचित है। ... पर जब हमने वो फैसला लिया उस वक़्त आप दोनों ही बहुत छोटे थे। हम हमारी इच्छा आप दोनों पर थोपना नहीं चाहते, शादी ज़िंदगी का सबसे अहम फैसला होता है। हम आप दोनों को खुश देखना चाहते है इसलिए आप दोनों को एक मौका दे रहे है ताकि अच्छे से सोचने समझने और एक दूसरे को जानने के बाद अपना फैसला हमें बताए। अगर आप दोनों एक दूसरे को पसंद करते है तो हम हमारी दोस्ती को रिश्तेदारी मे बदल देंगे और अगर आप दोनों की नहीं बनती है तो आपके लिए जीवनसाथी की तलाश करेंगे।"
धीरज जी की बातें सुनकर पायल किलस उठी "पापा, मुझे तो समझ नहीं आता कि आपको किस बात की जल्दबाज़ी थी जो मेरे जन्म के साथ मेरा रिश्ता उस खडूस से जोड़ दिया। आपको पता है वो कितना चिढ़ते है मुझसे, जब मुँह खोलते है बस ज़हर उगलते है।"
"ऐसी बात नहीं है बेटा। रुद्र स्वभाव से थोड़ा सख्त है पर दिल का बहुत अच्छा है और तुम्हारी बहुत इज़्ज़त भी करता है। हमारी नज़रों मे आज भी आपके लिए उनसे बेहतर जीवनसाथी और कोई नहीं हो सकता... फिर भी हम मानते है कि उस वक़्त जो हमने फैसला लिया वो ज़ज़्बाती होकर लिया था। जिसे अब आप दोनों पर थोपना ठीक नहीं है इसलिए हम चाहते है कि ये दो साल का वक़्त जो आपको मिल रहा है। उसमे आप दोनों एक साथ रहकर एक दूसरे को जाने और समझे। उसके बाद जो आप दोनों का फैसला होगा, वही हमारा भी अंतिम फैसला होगा। ... अब अपने पापा की बात मान लीजिये। शेखर ने बहुत दिल से आपको अपने घर रहने के लिए कहा है, उनकी बात और हमारे वचन का मान रख लीजिये।"
धीरज जी की दलीलों के आगे आखिर मे पायल की हार हुई। उनकी इमोशनल बातों मे वो आखिरकार फँस ही गयी और मुँह बिसोरते हुए बोली।
"जब आप सब यही चाहते है और इसी मे आपकी खुशी है तो मैं खुशी खुशी अपनी आज़ादी और ज़िंदगी को बलि चढ़ाकर उस शेर के पिंजरे मे कैद हो जाऊंगी।"
"कैसी बातें करती हो बेटा?... वहाँ आपको पूरी आज़ादी मिलेगी और हम रुद्र को समझा देंगे कि आपसे नरमी से पेश आए।"
सुनैना जी कि बात सुनकर पायल ने मुँह बनाया फिर झूठ मुठ उबासी लेते हुए बोली।
"अब आप दोनों बाहर जाइये, मुझे नींद आ रही है। कल से तो मेरी रातों की नींद और दिन का चैनो करार हराम होने ही वाला है, कम से कम आज तो मुझे अपने घर मे, अपने कमरे मे सुकून की नींद सोने दीजिये।"
To be continued.....
सुनैना जी की बात सुनकर पायल ने मुँह बनाया, फिर झूठ-मुठ उबासी लेते हुए बोली।
"अब आप दोनों बाहर जाइये, मुझे नींद आ रही है। कल से तो मेरी रातों की नींद और दिन का चैनो करार हराम होने ही वाला है, कम से कम आज तो मुझे अपने घर मे, अपने कमरे मे सुकून की नींद सोने दीजिये।"
पायल ने भी बातों-बातों में अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर ही दी थी जिसने उन दोनों लोगों की चिंता और फिक्र बढ़ा दी थी।
"ठीक है बेटा, आप सो जाइये, हम जाते है।" धीरज जी ने प्यार से उसके सर को चूमते हुए कहा और सुनैना जी के साथ कमरे से बाहर निकल गए। पायल नाक-मुँह सिकोड़ते हुए बेड पर लेटी ही थी कि अनय उसके कमरे मे आ धमका।
"दी, आपको रुद्र भैया से आखिर परेशानी क्या है? इतने तो अच्छे है वो, जब भी आते है मेरे लिए कोई न कोई गिफ्ट लेकर आते है।"
अनय की बात सुनकर पायल एक झटके मे उठकर बैठ गयी और आँखे तरेरकर उसे घूरते हुए उसपर बरस पड़ी।
"इतने ही अच्छे है तो तु करले ना उनसे शादी, तेरा कमरा गिफ्ट्स से भर देंगे और मेरा भी इस अनचाही मुसीबत से पीछा छुट जाएगा।"
पायल की बात सुनकर अनय की आँखों की पुतलियाँ फैल गयी और हैरत से मुँह खुल गया।
"हाय रब्बा... बोलने से पहले कुछ तो सोचा करे दी, मेरी इतनी सुंदर और प्यारी सी गर्लफ़्रेंड है, कितना चाहते है हम एक दूसरे को। मैं तो उसी से शादी करूँगा। रुद्र भैया तो आपको ही मुबारक हो, उनकी जोड़ी आपके साथ ही जँचती है।"
"बकवास बंद कर अपनी वरना एक घूंसे मे मुँह तोड़ दूँगी तेरा। फिर कुछ बोलने के लायक ही नही बचेगा।" पायल ने मुक्का दिखाते हुए उसे धमकाया और गुस्से मे दांत किटकिटाए। पर अनय बाज़ ना आया उसने फिर अपना मुँह खोल दिया।
"मुझे मुक्का दिखाने से क्या होगा? सब जानते है कि आप जितना मर्ज़ी चिढ़ती रहे पर शादी आपकी रुद्र भैया से ही होगी और वही मेरे जीजू बनेंगे... इसलिए अपने छोटे भाई का कहना मानिए और अब ये लड़ना-झगड़ना और गुस्सा छोड़कर प्यार मोहब्बत से डील करिये उनसे।"
अनय के ये कहने की देर थी कि पायल जो खार खाए बैठी थी, हत्थे से उखड़ गयी और चिंटू पर धावा बोल दिया।
"चिंटू के बच्चे। आज अगर तू अपनी खैरियत चाहता है तो पहली फुर्सत मे यहां से दफ़ा हो जा। वरना आज मैंने तेरा मुँह नोचकर, थोपड़े का पूरा नक्शा बिगाड़ देना है। फिर वो तेरी जो निब्बी है न घास भी नही डालेगी तुझे।"
चिंटू बेचारा अपना हैंडसम से चेहरा बचाते हुए दुम दबाकर उल्टे पाओ भाग खड़ा हुआ और पायल गुस्से मे अपना खून फुंकते हुए कमरे मे चहलकदमी करने लगी और मन ही मन खुदसे बड़बड़ाने लगी।
"रुद्रांश अग्निहोत्री मेरी ज़िंदगी मे ये जो भूचाल आया है इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ तुम हो पर मेरी नींद और चैन हराम करने के बाद सुकून से तो मैं तुम्हे भी नही रहने दूँगी। इस बार ऐसा मज़ा चखाऊंगी की सात जन्मों तक नही भुलोगे मुझे। तुम्हारी हर ज़्यादती का अगर मैंने इस बार गिन-गिनकर बदला न लिया तो मेरा नाम भी पायल अग्रवाल नही।"
अपने खतरनाक इरादों के साथ पायल अब तैयार थी रुद्रांश का सामना करने के लिए, जिससे बचपन से ही उसका कुछ ख़ास अच्छा रिश्ता नही रहा था। जिसकी एक वजह कही न कही वो रिश्ता भी था जो उसके जन्म के साथ उससे दो साल बड़े रुद्रांश से जोड़ दिया गया था। एक तरफ हमारी पायल समुद्र की शोख़ लहरों जैसी चंचल और बातूनी तो दूसरे तरफ रुद्रांश अपने नाम की ही तरह धीर गंभीर, कम बोलने वाला और गुस्से का ज़रा तेज़ लड़का था। नदी के दो किनारों जैसे थे दोनों जिनकी आपस मे बनती नही थी और दोनों ही एक दूसरे से दूर रहना पसंद करते थे।
मन ही मन रुद्रांश से बदला लेने की प्लाइनिंग करते हुए पायल नींद की आगोश मे समा गयी थी।
अगली सुबह पायल इस जंग पर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी। सभी अस्त्रों शस्त्रों से लैस वो अब निकलने ही वाली थी। जब सुनैना जी उसे अपने सीने से लगाए रो पड़ी। पायल ने कुछ देर सब्र किया पर फिर और ज्यादा उससे बर्दाश न हुआ और वो फट से बोल पड़ी।
"माता श्री बस कर दीजिये, मैं बस दो साल के लिए पढ़ने जा रही हूँ, फिर वापिस यही आना है मुझे। अभी से मेरी बिदाई इमेजिन करके अपने आँखों से गंगा-जमुना बहाकर हमारे घर मे सुनामी ना लाइये।"
पायल ने तंज कसा जिसे सुनकर सुनैना जी ने भीगी निगाहों से उसे देखा और दुखी स्वर मे नाराज़गी से बोली।
"जब खुद माँ बनोगी तब हमारा दर्द समझोगी तुम कि जिस बेटी को 20-25 साल अपने सीने से लगाकर लाड प्यार से पाला हो, फूलों सा सहेजकर रखा हो उसे खुदसे दूर भेजते हुए माँ के दिल पर क्या कयामत गुज़रती है।"
"पर मुझे खुदसे दूर भेजने का फैसला भी तो आप दोनों का ही था, वरना मैं तो अपना PG भी यही से करना चाहती थी।"
पायल ने जैसे उन्हें उनकी गलती याद दिलाई थी जिसके आगे सुनैना जी आँसू पोंछते हुए खामोश रह गयी। धीरज जी ने उसे ढेरों हिदायतें दी, खूब लाड किया फिर प्यार से उसके सर को चूम लिया।
"अपने सीने पर पत्थर रखकर आपको खुदसे दूर भेज रहे है। दिल लगाकर पढियेगा, हमारा नाम रौशन करके लौटियेगा और वहाँ जाकर अपना ख्याल रखियेगा, ज्यादा शैतानियाँ मत कीजियेगा।"
"Okay पापा मैं सब याद करूँगी और बिल्कुल अच्छी बच्ची बनकर रहूँगी, I promise"
पायल ने मासूमियत से पलकें झपकाई और उसकी ये बात सुनकर सुनैना जी, धीरज जी संग अनय कुछ इस तरह मुस्कुराया जैसे उसकी कही बात का मज़ाक उड़ा रहे हो। ये देखकर पायल खींझ उठी, तभी मौका पाकर अनय उसके सीने से लग गया और शरारती मुस्कान लबों पर सजाते हुए बोला।
"बाय दी आने की कोई जल्दबाज़ी मत कीजियेगा, मैं यहाँ मम्मी-पापा का अच्छे से ख्याल रखूँगा।"
उसकी बात सुनकर पायल की भौंहें तन गयी।
"चिंटू अगर मेरी गैर मौजूदगी मे तूने मेरे कमरे मे कदम भी रखा, मेरी किसी चीज़ को हाथ भी लगाया तो तेरे हाथ पैर तोड़कर तुझे लूला लंगड़ा बना दूँगी... इसलिए खबरदार जो मेरे कमरे के आस पास भी भटका।"
पायल की धमकी पर अनय की आँखे शरारत से चमकी और लबों पर कुटिल रहस्मयी मुस्कान बिखर गयी। पायल अभी उससे उलझती उससे पहले ही धीरज जी ने देर होने की बात कही और पायल आँखों से चेतावनी देते हुए उनके साथ एयरपोर्ट के लिए निकल गयी।
To be continued.....
पुणे अग्निहोत्री हाउस
शहर के जानेमाने बिजनेसमैन शेखर अग्निहोत्री, धीरज जी के बचपन के परम मित्र। जिनकी दोस्ती अलग-अलग शहरों मे रहने के बावजूद इतनी गहरी है जैसे दोनों दोस्त नही सगे भाई हो। एक दूसरे के घर आना-जाना, मिलना-मिलाना लगा ही रहता है। दोनों परिवारों के बीच भी गहरे संबंध है। धीरज जी जो कि खुद पेशे से एक डॉक्टर थे अपनी बेटी को भी डॉक्टर बनाने का उनका सपना अपनी मंज़िल पर पहुँचने के आखिरी चरण पर था। जिसके लिए उन्होंने अपने दिल के टुकड़े को खुदसे दूर करने का कठोर फैसला लिया था।
वहाँ अग्रवाल निवास मे पायल के चले जाने से माहौल गमगीन था, वही उसके आने की खबर से अग्निहोत्री हाउस मे अलग ही रौनक लगी थी। मिस्टर एंड मिसेस अग्निहोत्री नाश्ते के टेबल पर बैठे थे, जब रुद्र ने वहाँ कदम रखा। लगभग छः फुट के करीब हाइट, दूध सा गोरा रंग, गहरी काली स्याह आँखे, खड़ी नाक जिसपर गुस्सा हर वक़्त सवार रहता है..... ऐसा हमारी पायल जी को लगता है।
चौड़े कंधे, मस्क्युलर बॉडी जिसपर अक्सर लड़कियां फ़िदा हो जाती थी। हैंडसम से चेहरे पर हल्की बियर्ड्स जो उसकी पर्सनैलिटि को और भी आकर्षक बना रही थी। रुद्रांश अग्निहोत्री..... हैंडसम हंग, प्रिंस चार्मिंग जो कई लड़कियों के सपनो का राजकुमार था।
अवंतिका जी और शेखर जी को देखकर उसने मुस्कुराकर उन्हें मॉर्निंग विश किया।
"Good morning mom dad" उफ्फ उसकी कातिलाना मुस्कान कोई देख ले तो उसकी मुस्कुराहट पर ही मर मिटे। उसके मॉर्निंग का जवाब दोनों ने मुस्कुराकर दिया। फिर शेखर जी ने निगाहें अवंतिका जी को ओर घुमाते हुए सवाल किया।
"अवनि पायल के लिए कमरा तैयार हो गया?"
अवंतिका जी ने तुरंत ही सहमति मे सर हिलाते हुए जवाब दिया "जी.... सब हो गया है और मैंने पूरा कमरा उसकी पसंद के हिसाब से तैयार करवाया है। लंच मे भी उसकी पसंद का खाना बनाने को कह दिया है। मेरे तरफ से सारी तैयारियां हो गयी है आप ज़रा भी चिंता न करे।"
"ये तो अच्छी बात है। खास ध्यान रखियेगा कि कही कोई कमी न रह जाए। अबसे पायल यही हमारे साथ रहेगी तो उन्हें यहाँ अपने घर जैसा माहौल मिलना चाहिए और सब कुछ उनकी पसंद के हिसाब से होना चाहिए।"
अवंतिका जी ने तो तुरंत ही सर हिला दिया। पर पायल की खातिर मे लगे अपने माँ बाप को देखकर रुद्र खींझ उठा और तंज भरे लहज़े मे बोला।
"एक काम कीजिये डेड, इस घर को चिड़िया घर बना दीजिये.... क्योंकि जिस लड़की को आपने यहाँ रहने के लिए बुलाया है, उसे इंसानों से ज्यादा जानवरों और पक्षियों से प्यार है..... और वो कोई इंसान नही चलता फिरता तूफान है जो बहुत जल्द यहाँ आकर आपके इस महल जैसे घर को तबाह करने वाली है।"
रुद्र की बात सुनकर दोनों ने चौंकते हुए उसे देखा। शेखर जी ने रुद्र को आँखे दिखाई और सख्त लहज़े मे बोले।
"रुद्र अपने व्यवहार पर आप खास ध्यान दीजिये। पायल अबसे यही रहेंगी तो बेहतर होगा कि आप उनके साथ अच्छे से पेश आए और हमें हमारे दोस्त के आगे शर्मिंदा न करे। वैसे भी पायल से आपका रिश्ता तय हो चुका है तो वो जैसी है उन्हें अपनाने की कोशिश कीजिये, आपकी शादी उन्ही से होनी है और आपको उनके साथ ही अपनी पूरी ज़िंदगी बितानी है।"
शेखर जी ने पहले उसे सख्त अंदाज़ मे समझाया, फिर चेतावनी भरी निगाहों से देखते हुए आगे बोले।
"हमे ऑफिस जाना है। वक़्त पर पायल को रिसीव करने एयरपोर्ट पहुँच जाना और उनके साथ अच्छे से पेश आना। उनके मामले मे हम आपकी कोई भी गलती बर्दाश नही करेंगे।"
"मुझे कभी कभी शक होता है डेड कि मैं आपका एकलौता बेटा हूँ या पायल आपकी सगी बेटी है।"
उनका ये रवैया देखकर रुद्र झल्लाते हुए उठकर खड़ा हो गया और गुस्से मे पैर पटकते हुए वापिस सीढ़ियों की ओर बढ़ गया। उसके इस तरह के व्यवहार को देखकर शेखर जी और अवंतिका जी के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गयी। शेखर जी को परेशान देखकर अवंतिका जी ने मुस्कुराते हुए कहा।
"आप चिंता मत कीजिये। दोनों ने एक दूसरे के साथ ज्यादा वक़्त नही बिताया और थोड़े अलग है इसलिए अभी उनकी बनती नही है। पर साथ रहेंगे, एक दूसरे को जानेंगे, समझेंगे तो धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा। हमें पूरा विश्वास है कि बच्चों का वही फैसला होगा जो हमारी इच्छा है।"
"बस इसी उम्मीद पर हमने पायल को यहाँ आने कहा है पर आपके बेटे के गुस्से को देखकर कभी कभी हम सोच मे पड़ जाते है कि पायल जैसी प्यारी सी बच्ची के लिए रुद्र सही जीवनसाथी साबित होगा भी या नही? कही अपनी ख्वाहिश पूरी करने के लिए हम पायल के साथ कोई अन्याय न कर दे।"
शेखर जी गहन विचार मे खो गए और चिंतित स्वर मे अपने मन की दुविधा को अवंतिका जी संग साँझा किया। जिसे सुनकर उन्होंने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए पूरे विश्वास के साथ उन्हें समझाया।
"इस मामले मे हमारा मानना आपकी सोच से बहुत अलग है। हमें तो लगता है पायल जैसी नादान, शोख़ चंचल, बोलने वाली शैतानी लड़की को हमारा धीर गंभीर बेटा ही संभाल सकता है और हमारे इस गुस्सैल, अकडू बेटे को पायल की संगति ही सुधार सकती है। दोनों एक दूसरे से बिल्कुल जुदा है पर उनकी जोड़ी खूब जमेगी। बस इसके लिए हमें थोड़ा इंतज़ार करना होगा।"
शेखर जी ने बस सर हिला दिया। अवंतिका जी ने रुद्र का नाश्ता उसके कमरे मे भिजवाया और दोनों साथ बैठकर नाश्ता करने लगे।
मुंबई एयरपोर्ट
समय दोपहर का था, बाहर चिलचिलाती धूप और उमस से भरी गर्मी। रुद्र इस वक़्त आँखों मे शेड्स चढाये एग्ज़िट गेट पर खड़ा था और शेड्स के नीचे से उसकी चील की तेज़ निगाहें सामने से आते लोगों को स्कैन करते हुए, उस भीड़ मे किसी एक चेहरे को तलाश रही थी। कुछ ही देर बाद उसकी निगाहें एक चेहरे पर आकर ठहर गयी और खोये हुए अंदाज़ मे वो शेड्स हटाते हुए एकटक उस चेहरे को निहारने लगा, जिसे वो लगभग एक साल बाद देख रहा थाl।
ब्लैक कलर का ऑफ शोल्डर क्रॉप टॉप, नीचे से ऑफ वाइट जीन्स जो घुटने पर से फटी हुई थी, सुनहरे बालों को मैसी बन मे बांधकर क्लेचर् में जकड़े, जिनसे निकलती कर्ली लटें उसके चेहरे और गर्दन पर बिखरी हुई थी। गहरी सुनहरी आँखों मे काजल की पतली लकीर खींचे, होंठों पर लाइट शेड लिपस्टिक लगाए, चेहरे पर दुनिया जहान की मासूमियत समेटे वो अपने बिखरे बिखरे अंदाज़ मे भी बहुत प्यारी लग रही थी।
सूरज की किरणों के टकराने से आँखे हीरे जैसे चमकने लगी थी और होंठों पर सजी वो दिलकश मुस्कान आने जाने वाले लोगों की निगाहों को उसपर ठहरने पर मजबूर कर रही थी। वो लग ही इतनी हसीन और क्यूट रही थी कि किसी की भी नज़रें उसे देखकर बगावत कर जाए और दिल इस हसीन चेहरे पर फिसल जाए।
पायल अपनी चमकती आँखों को यहाँ वहाँ मटकाते हुए समान से लदी ट्रोली खींचते हुए आगे बढ़ रही थी और खुद ही खुद मे मुस्कुरा रही थी। उसके इस बदले बदले से अंदाज़ पर रुद्र की निगाहें पल भर को ठहरी, फिर उसने वापिस शेड्स अपनी आँखों पर चढ़ा लिए पर नज़रें अब भी उसके खूबसूरत वजूद पर ठहरी थी।
पायल के कदम उसके ठीक सामने आकर रुके। मुस्कुराते लब सिमट गये और चेहरे के भाव कुछ बिगड़ गए। उसकी घूरती निगाहों को खुदपर टिके देखकर रुद्र ने शेड्स को उतारकर बड़े की स्टाइल से कॉलर पर लगाया और भौंह उचकाते हुए रूखे अंदाज़ मे बोला।
"तुम्हारे वहाँ किसी से बहुत वक़्त बाद मिलने पर हाय हैलो करने के जगह उसे घूरने का रिवाज़ है क्या?"
To be continued.....
कैसा लगा आपको आजका पार्ट और क्या लगता है आपको, दोनों की ये मुलाकात क्या रंग लाएगी ?
पायल के कदम उसके ठीक सामने आकर रुके। मुस्कुराते लब सिमट गये और चेहरे के भाव कुछ बिगड़ गए। उसकी घूरती निगाहों को खुदपर टिके देखकर रुद्र ने शेड्स को उतारकर बड़े की स्टाइल से कॉलर पर लगाया और भौंह उचकाते हुए रूखे अंदाज़ मे बोला।
"तुम्हारे वहाँ किसी से बहुत वक़्त बाद मिलने पर हाय-हेलो करने के जगह उसे घूरने का रिवाज़ है क्या?"
उसकी सर्द आवाज़ सुनकर पायल के दिल की धड़कनें थम गयी। उसकी शख़्सियत ही कुछ ऐसी थी कि पायल के शब्द लरज जाते थे। उसकी रौब्दार पर्सनैलिटि, अक्खड़ स्वभाव और सख्त चेहरे के आगे वो चाहकर भी कुछ कह नही पाती थी। कुछ उनके दरमियाँ मौजूद रिश्ते का भी असर था कि उससे कतराती फिरती थी।
सारे रास्ते कितनी प्लाइनिंग करती आई थी उसके खिलाफ पर उसे देखते ही सारे शब्द जैसे हड़ताल पर बैठ गए थे, दिल अलग ही दुनिया मे मगन था और उसकी हालत अभी ऐसी थी जैसे किसी भयानक खुँखार कुत्ते के सामने मौजूद उस क्यूट सी बिल्ली की होती है जिसे हर पल अपनी जान जाने का भय सताता रहता है।
"ह...... हैलो" बमुश्किल उसके लबों से चंद बिखरे हुए शब्द निकले। रुद्र ने गहरी सांस छोड़ते हुए अफ़सोस मे सर हिलाया और उसके हाथ से ट्रॉलि के हैंडल छुड़वाकर उसे लेकर आगे बढ़ गया। पायल ने गुस्से मे जबड़े भींचे और मन ही मन खुदपर झल्लाई।
"इस गुस्सासुर को देखते ही तेरी घिग्गी क्यों बंध जाती है पायल? कितना कुछ सोचा था तूने पर अगर यही हाल रहा तो तेरे सारे प्लैंस पर पानी फिर जाएगा। तू इससे घबराती रह जाएगी और ये अजगर किसी दिन तुझे कच्चा निगलकर डकार तक नही लेगा।"
"अब चलोगी भी या सारी ज़िंदगी यही खड़ा रहने का इरादा है तुम्हारा?" रुद्र ने उसे वही खड़े देखकर सख्त लहज़े मे उसे टोकते हुए आँखे दिखाई। पायल ने बुरा सा मुँह बनाया और खींझते हुए आगे बढ़ गयी। रुद्र ने समान पीछे डिग्गी मे रखा और ड्राइविंग सीट पर बैठने ही वाला था कि नज़र पायल पर पड़ी जो पीछे का दरवाजा खोल रही थी और ये देखकर उसकी भौंहे तन गयी।
"मैडम आगे आकर पैसेंजर सीट पर बैठिये, मैं कोई ड्राइवर नही हूँ तुम्हारा जो मैं ड्राइव करूँगा और तुम मालकिन जैसे पीछे की सीट पर बैठकर ऐश करोगी।"
उफ्फ एक बार फिर वही कड़वी ज़ुबान से निकले तीखे शब्द, पायल मन ही मन किलस गयी और पैर पटकते हुए आकर पैसेंजर सीट पर बैठ गयी।
कार स्टार्ट हुई इसके साथ ही इसके साथ ही उस सन्नाटे मे तेज़ आवाज़ गूंज उठी
Main sharabi, main sharabi
Main sharabi, main sharabi
Main sharabi, main sharabi
पायल ने पहले चौंकते हुए बगल मे बैठे रुद्र की ओर निगाहें घुमाई जो भौंह सिकोड़े उसे घूरने लगा था फिर अपनी आँखों को बेबसी से भींचते हुए उसने जीभ को दाँतों तले दबा दिया।
"अब बैठी क्या हो?... उठाओ फोन" उम्मीद के मुताबिक रुद्र उसकी इस हरकत पर भड़क चुका था। रुद्र की गुस्से भरी आवाज़ कानों मे पड़ने पर पायल ने झट से आँखे खोली और हड़बड़ी मे अपने साइड बैग मे अपना फोन तलाशने लगी। फोन हाथ मे लगते ही उसने कॉल रिसीव की।
"हैलो पापा"
दूसरे तरफ से धीरज जी की चिंता भरी आवाज़ आई।
"बेटा कहाँ है आप?...... कॉल रिसीव करने मे इतनी देर क्यों लग गयी आपको?"
"अब आपको क्या बताऊँ पापा....... रहने दीजिये मेरी न किस्मत ही खराब है।" पायल ने मुँह बिसोरते हुए आखिरी की बात मन मे कही। इतने मे दूसरे तरफ से फिरसे धीरज जी की चिंता भरी आवाज़ उभरी।
"बेटा आप ठीक तो है?...... कहाँ है अभी आप? ठीक से पहुँच गयी न?"
अपने पापा को यूँ परेशान होते देखकर पायल ने अपना मूड ठीक किया और सौम्य सी मुस्कान लबों पर बिखेरते हुए जवाब दिया।
"हाँ पापा, पहुँच गयी... और आप परेशान मत होइये आपकी बेटी बहुत ब्रेव है और एकदम फर्स्ट क्लास भी।"
पायल की खनकती आवाज़ सुनकर धीरज जी ने राहत की सांस ली।
"आप हमेशा यूँही चहकती रहे यही मनोकामना है हमारी तो। अच्छा बेटा आप कहाँ है अभी?.... घर पहुँच गयी?"
"नही पापा अभी रास्ते मे हूँ।"
"शेखर लेने आया है तुम्हे?"
धीरज जी के इस सवाल पर पायल ने तिरछी निगाहों से बगल मे बैठे रुद्र को देखा जो भावहीन सा कार ड्राइव कर रहा था।
"नही पापा अंकल नही आए थे लेने..... रुद्र आए है।"
"अच्छा उससे बात करवाओ बेटा।"
ये सुनते ही पायल के चेहरे के भाव बदल गए और वो एकदम से उनपर बरस पड़ी।
"पापा आपने मुझसे बात करने के लिए फोन किया है या उनसे? आपकी एकलौती बेटी पहली बार अकेले इतनी दूर आई है और आपको मेरे जगह उनसे बात करनी है।......... उनके पास अपना फोन है, अगर उन्ही से बात करनी है तो उनके नंबर पर कॉल करिये। मैं नही करवाती आपकी बात किसी से.... और अब मुझे भी आपसे कोई बात नही करनी.......बाय"
पायल ने अपनी सारी चिढ़ और खींझ उनपर निकाल दी थी और गुस्से मे फोन काट दिया। रुद्र भले ही भावहीन बना बैठा था पर उसका ध्यान तो पायल पर ही था और अब वो तिरछी निगाहों से उसे घूर रहा था।
रुद्र की निगाहों का शिकार होने से बचने के लिए पायल ने झट से अपने दोनो कानों में इयरफोन ठूँसे, आँखों पर गोगल्स का पहरा लगाया और विंडो से बाहर देखने लगी।
मतलब साफ था कि रुद्र की मौजूदगी को वो पूरी तरह से नज़रंदाज़ कर रही थी, ये देखकर रुद्र की आँखे खतरनाक अंदाज़ मे सिकुड़ गयी।
इतने मे एक बार फिर उस सन्नाटे मे धीमी और सौम्य सी रिंगटोन कि आवाज़ गूंजी। रुद्र ने कार की स्पीड कम करते हुए कॉल रिसीव कर लिया।
"नमस्ते अंकल"
"नमस्ते बेटा कैसे है आप?"
"मैं बिल्कुल ठीक हूँ अंकल, आप बताईये।"
"हम भी ठीक है बेटा। ...... बेटा आप वक़्त पर एयरपोर्ट तो पहुँच गए थे न? पायल को कोई परेशानी तो नही हुई?"
उनके सवाल और आवाज़ मे पायल के लिए चिंता साफ झलक रही थी, जिसे महसूस करते हुए रुद्र ने सौम्य स्वर मे जवाब दिया।
"जी मैं वक़्त पर पहुँच गया था। पायल की फ्लाइट के लैंड होने से पहले वहाँ मौजूद था। पापा मीटिंग में गए थे इसलिए मैं पायल को पिक करने गया था।"
"बेटा बचपना बहुत है अभी उसमे और पहली बार हम सबसे इतनी दूर गयी है.... ख्याल रखियेगा उनका, उनकी गलतियों को नज़रंदाज़ करके उनसे नरमी से पेश आने की कोशिश कीजियेगा।"
"जी अंकल मैं ख्याल रखूँगा, आप फिक्र न करे। अच्छा अंकल आंटी को मेरा नमस्ते कहियेगा। मैं आपसे बाद मे बात करता हूँ अंकल। अभी ड्राइव कर रहा हूँ।"
"ठीक है बेटा।"
इसके बाद रुद्र ने कॉल कट कर दिया। पायल कानों मे लीड ठूँसकर तो बैठी थी पर वो फोन से कनेक्ट नही था और उसका पूरा ध्यान रुद्र की बातों पर था। बातों से इतना तो समझ गयी थी कि धीरज जी से बात कर रहा है और जितने प्यार से, विनम्र लहज़े मे उनसे बात कर रहा था, गोगल्स के पीछे छिपी उसकी आँखे हैरत से फैल गयी थी और मन ही मन वो खींझ उठी थी।
"पापा से तो आवाज़ मे मिश्री घोलकर बात कर रहे थे ताकि उन्हे अपनी साइड कर सके.... और मेरी बारी मे तो
खडूस अजगर जब मुँह खोलता है बस ज़हर ही उगलता है।"
पायल ने बुरा सा मुँह बनाया वही तिरछी निगाहों से उसे घूरते हुए रुद्र भी मन ही मन बिगड़ते हुए बोला।
"अजीब पागल लड़की है यार, ऐसा रिंगटोन कौन लगाता है?"
To be continued.....
कुछ रास्ता कट गया था। कार मे मौजूद दोनों लोगो के बीच गहरी खामोशी छाई हुई थी। एक दूसरे से उनकी चिढ़ की पहली वजह एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत नेचर और उनके दरमियाँ का वो अनचाहा रिश्ता था जिसकी डोर से दोनों बंधे थे.... और दूसरी अहम वजह थी उनके परिवार का उनसे ज्यादा दूसरे को प्यार करना, एहमियत देना। इन्ही वजहों ने उन्हे कभी एक दूसरे संग घुलने नही दिया और आज भी वो एक ही कार मे दो अजनबी लोगों जैसे खामोश बैठे थे।
मौसम ने अचानक ही करवट बदली, सूरज अपनी किरणों को समेटते हुए बादलों के पीछे जा छुपा, आकाश मे पीले, केसरी, नीले, काले बादल घिर आए। शीतल हवाओं ने अपना रुख बदला और गर्मी और उमस से निजात मिला, मौसम के मिजाज बिगड़ते देखकर पंछी अपने अपने घोंसलों की ओर लौटने लगे, जिनके चहचहाहट की धुन मधुर संगीत जैसे फ़िज़ाओं मे गूंजने लगी।
एकदम से ही बाहर खुशनुमा मौसम हो गया था। पायल ने गोगल्स इयरफोन सब वापिस अपने बैग मे रखकर उसे डैशबोर्ड पर रख दिया और विंडो खोलकर आँखे मूंदे ठंडी हवाओं का लुफ्त उठाने लगी। उसका बिगड़ा मूड पल भर मे ठीक हो गया था और सब भूलकर वो अब उस दिलकश मौसम को एंजॉय करने लगी थी। कुछ ही पल बाद ठंडी हवाओं मे बारिश की ठंडी बुँदे भी घुलने लगी। ये देखकर पायल बच्चों जैसे चहक उठी।
खुली खिड़की से ठंडी हवा का बारिश की बूंदों से भीगा झोंका बलखाते हुए कार के अंदर दाखिल हुआ और रुद्र के चेहरे से जा टकराया और उन ठंडी ठंडी बूंदों से उसका चेहरा भीग गया। रुद्र ने चौंकते हुए निगाहें घुमाई तो नज़र पायल के चेहरे पर जाकर ठहर गयी। उसके चेहरे पर जगह जगह ठहरी बारिश की बूंदें मोतियों जैसे चमक रही थी, भीगी पलकें कभी झुककर रुखसारों को चूमती तो कभी बारिश की बूंदों संग अटखेलियाँ करती। हवाओं संग उलझती उसकी लटें उसके चेहरे पर बिखरी हुई थी, अपनी दोनों हथेलियों को विंडो से बाहर निकाले वो लबों पर मोहक मुस्कान सजाए बड़ी ही उत्सुकता से बारिश की बूंदों संग मस्ती कर रही थी।
दुनिया जहान से बेखबर वो अपनी ही धुन मे मग्न कभी बूंदों को अपनी हथेलियों को चूमते देख खिलखिला उठती तो कभी आँखे मूंदे इन शीतल बूंदों को अपने चेहरे पर ठहरते और फिसलते हुए महसूस करती। इस वक़्त वो यूँ मस्ती करके बच्चों जैसी मासूम और प्यारी लग रही थी। उसके भीगे भीगे से वजूद पर पल भर को रुद्र की नज़रें ठहरी, अगले ही पल उसकी निगाहें कार के अंदर दाखिल होते पानी पर पड़ी और इसके साथ ही उसकी भौंहे तन गयी।
"पायल विंडो बंद करो पानी अंदर आ रहा है।" एक बार फिर वही सख्त लहजा, जिसे सुनकर पायल की मुस्कान सिमट गयी और मुँह बिगड़ गया।
"पानी ही तो है... तेज़ाब तो नही।" पायल खींझते हुए मन ही मन बोली और विंडो बन्द करके मुँह फुलाए शांत सी बैठ गयी। पहले उसका बचपना भरा व्यवहार और अब ये बच्चों जैसे नाराज़गी जताने का तरीका। रुद्र बस सर हिलाकर रह गया।
इसके बाद घर पहुँचने तक कार मे अजीब सा सन्नाटा पसरा रहा। खिड़की से सर लगाए बैठी पायल उदास सुनी निगाहों से बाहर गरजते बादलों और झमाझम बरसती बरसात को देखकर किलसती रही और रुद्र एहतियात के साथ कार ड्राइव करते हुए बीच बीच मे उसे देखता रहा।
कार अग्निहोत्री मेंशन मे दाखिल होते हुए सीधे गैराज मे जाकर रुकी। रुद्र के साथ पायल भी बाहर निकली और अगले ही पल सीधे दौड़ते हुए खुले लोन मे पहुँच गयी। रुद्र शॉक्ड सा खड़ा बस उसे देखता ही रह गया जबकि पायल अब खुले आकाश मे स्वच्छंद उड़ने वाले पंछी जैसे अपनी दोनों बाहों को फैलाए सर ऊपर की ओर उठाए चहकते हुए बारिश मे झूम रही थी। अब उसपर किसी किस्म की कोई बंदिश नही थी।
कुछ कदमों की दूरी पर खड़ा रुद्र कुछ पल सर्द निगाहों से उसे बारिश मे झूमते मस्ती करते, हँसते खिलखिलाते देखता रहा फिर उसने निराशा से सर हिलाया और उसका सामान लेकर घर के अंदर चला गया। जैसे ही लिविंग रूम मे पहुँचा, अवंतिका जी उसके पास चली आई और आस पास नज़रें दौड़ाते हुए सवाल किया।
"रुद्र आप पायल का सामान लेकर आए है पर पायल कहाँ है? उन्हें कहाँ छोड़ आए आप?"
"आपकी लाडली बाहर लोन मे बारिश मे नहा रही है।"
रुद्र ने उखड़े अंदाज़ मे जवाब दिया और समान वही छोड़कर सीढ़ियों की ओर बढ़ गया। अवंतिका जी पहले तो हैरान परेशान सी उसे देखती रही, फिर सर्वेंट से टॉवल मंगवाया और बाहर की ओर बढ़ गयी।
"पायल बेटा आप पूरी भीग गयी है। अब यहाँ आ जाइये, ज्यादा भीगने से आपकी तबियत खराब हो जाएगी।"
अवंतिका जी ने गलियारे मे खड़े होकर पायल को आवाज़ लगाई। उनकी आवाज़ मे चिंता और पायल के लिए फिक्र झलक रही थी। पायल ने उनकी आवाज़ सुनी तो दौड़ते हुए उनके पास पहुँच गयी और उसकी कोयल सी मीठी खनकती आवाज़ वहाँ गूंज उठी।
"आंटी कोई तबियत खराब नही होगी। देखिये तो आप, कितनी मस्त बारिश हो रही है। आइये आप भी मेरे साथ मस्ती कीजिये। आपको भी बहुत अच्छा लगेगा और हम साथ मिलकर बहुत मज़ा करेंगे।"
अवंतिका जी उसे रोकती रह गयी पर पायल उनकी बाँह पकड़कर उन्हें भी बारिश मे ले आई और उनके दोनों हथेलियों को थामकर गोल गोल घूमने लगी। पहले तो अवंतिका जी बारिश से बचकर जाने की कोशिश करती रही पर फिर वो भी पायल के साथ बारिश को खुलकर एंजॉय करने लगी।
ऊपर अपने रूम की बालकनी मे खड़ा रुद्र हाथ बाँधे खामोशी से दोनों को देख रहा था। पायल के यहाँ कदम रखते ही जैसे हवाओं का रुख और घर का माहौल बदलने लगा था।
To be continued.....
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"रुद्र बेटा जाओ जाकर देखो तो सही पायल अब तक नीचे क्यों नही आई? बुलाकर लाओ उसे, खाना ठण्डा हो रहा है।"
रुद्र लंच के लिए नीचे आया ही था कि अवंतिका जी ने उसे पायल को बुलाने का काम सौंप दिया।
"मॉम मैं क्यों जाऊँ उसे बुलाने?... आप नीलू को कहिये वो जाकर बुला लाएगी और मेरा खाना लगाइये मुझे भूख लगी है।" रुद्र ने उखड़े अंदाज़ मे कहा और अपनी चेयर पर आकर बैठ गया। उसने जैसे ही सामने रखी प्लेट सीधी की अवंतिका जी ने उसे वापिस उल्टा कर दिया और सख्त स्वर मे उसे लगभग ऑर्डर दे डाला।
"हमने आपको कहा है तो जाकर पायल को बुलाकर लाइये, उनके आने के बाद ही आपको खाने को कुछ मिलेगा। इसलिए अगर आपको खाना चाहिए तो जाकर उन्हें अपने साथ लेकर आइये।"
"ये अजीब दादागिरी चल रही है आपकी।" रुद्र ने खींझते हुए कहा और मजबूरी मे उठकर गुस्से मे पायल के कमरे के तरफ बढ़ गया।
"पायल..... पायल मोम लंच के लिए नीचे बुला रही है तुम्हे.... पायल और कितनी देर लगेगी तुम्हे...... कुछ तो जवाब दो और कितना इंतज़ार करे हम तुम्हारा?"
रुद्र ने गुस्से के घूँट पीकर जितना मुमकिन था उतने नर्मी से बाहर से उसे आवाज़ दे रहा था पर जवाब मे जब अंदर से हर बार खामोशी ही आई तो रुद्र का सब्र जवाब दे गया। उसने झुंझलाते हुए गेट पर हाथ मारा और अगले ही पल दरवाजा खुल गया, ये देखकर रुद्र पहले तो चौंक गया फिर ज़रा हिचकिचाते हुए उसने अंदर झांककर देखा। पूरे रूम मे जब उसे पायल कही नज़र नही आई तो पूरा दरवाजा खोलकर वो अंदर कमरे मे घुस गया। पूरे कमरे मे नज़रें दौड़ाने के बाद उसने बाथरूम का रुख किया पर वो भी बाहर से बंद था ये देखकर रुद्र की भौंहे सिकुड़कर आपस मे जुड़ गयी और माथे पर चिंता की रेखाएँ उभर आई।
उसने वापिस बाहर जाने के लिए कदम बढाए पर अगले ही पल दिमाग मे कुछ आया और उसके आगे बढ़ते कदम एकाएक ठिठक गए। कुछ सोचते हुए उसने कदम बालकनी की ओर बढ़ा दिये। ग्लास डोर स्लाइड करके जैसे ही उसने पीछे के गार्डन की ओर खुलती बालकनी मे कदम रखा, उसकी नज़रें सामने पड़ी और उसके आगे बढ़ते कदम ठिठक गए।
अंदर कमरे की दीवारों पर जंगल, पहाड़, जानवरों, झरनों, पेड़-पौधों, फूलों, तितलियों, पंछियो के वॉल्पपेर लगे थे। सीलिंग पर बादलों जैसा डिज़ाइन बना था और चाँद सितारे भी जगमगा रहे थे। बेड के चारों और आर्टिफिशल बेल लताएं लिपटी हुई थी। कमरा, कमरे के जगह नेचुरल सीनरि वाली प्यारी सी जगह लग रही थी। अंदर तो सब कुछ आर्टिफिशल था पर बाहर बालकनी तो असली के खूबसूरत पौधों से सजी थी और उनके बीच सिलिंग से हैंगिंग स्विंग लटका हुआ था जिस पर इस वक़्त पायल दोनों पैरों को चढाए सिमटी हुई सी आँखे मूंदे आड़ी तिरछी पोजिशन मे बैठी थी ...... या शायद सो रही थी।
नहा धोकर फ्रेश हो चुकी थी वो, भीखे बाल उसके चेहरे और पीठ पर बिखरे थे, ढीली सी ब्लू टीशर्ट और शॉर्ट मे एकदम तरोताजा लग रही थी और अगर इस वक़्त कोई उसे देखता तो स्लीपिंग ब्यूटी का खिताब उसके नाम कर जाता। पायल के मासूम और प्यारे से चेहरे पर नज़र पड़ते ही रुद्र की आँखों से सामने वो दृश्य घूम गया जब लगभग घंटे भर तक वो अवंतिका जी के संग बारिश मे मस्ती कर रही थी और बालकनी मे खड़ा रुद्र उतनी देर मे एक बार भी वहाँ से नही हटा था, बस खामोशी से पायल को देखता रहा था।
कुछ सोचते हुए रुद्र के चेहरे पर चिंता के भाव उभरे और धीमे कदमों से चलते हुए वो पायल के पास चला आया। हिचकिचाते हुए उसने पायल के माथे और गर्दन को छूकर उसका टैंपरेचर् चैक किया। सब सामान्य मिलने पर उसके चेहरे के भाव कुछ बदले। पल भर को वो खामोशी से बेपरवाह सी खुदमे सिमटे सोती पायल को देखता रहा फिर एहतियात के साथ उसे अपनी बाहों मे उठाकर कमरे की ओर बढ़ गया। गहरी नींद मे सोती पायल ने नींद मे उसके सीने मे अपना चेहरा छुपा लिया। रुद्र के कदम पल भर को ठिठके, फिर उसने ठंडी आह्ह भरी और आगे बढ़ गया।
पायल को बेड पर ठीक से लिटाकर, ब्लैंकेट से कवर करते हुए वो उल्टे पाओ कमरे से बाहर निकल गया।
"मम्मा पायल सो रही है, जब उठे तब उसे खिला दीजियेगा। अभी मेरी प्लेट लगवा दीजिये, मुझे लंच के बाद ऑफिस भी जाना है।"
रुद्र जब लौटा तो उसका लहजा पहले के मुकाबले काफी नरम था, जिसपर अवंतिका जी ने खासा ध्यान दिया। फिर सर हिलाते हुए उसके लिए प्लेट लगाने लगी।
शाम का वक़्त था। शेखर जी संग रुद्र भी आज जल्दी घर लौट आया था और इस वक़्त दोनों फ्रेश होकर बैठे आपस मे कुछ बात कर रहे थे, जब नींद मे झुलती अल्साइ हुई पायल खुदमे उलझी हुई सी वहाँ पहुँची। अपने बिखरे बालों को समेटते हुए शेखर जी के पास जाकर बैठ गयी और उनके कंधे पर सर टिकाते हुए अपनी आँखों को मूंद लिया।
"नमस्ते अंकल" हल्के हिलते लबों से नींद से चूर आवाज़ आई, जिसे सुनकर शेखर जी मुस्कुरा उठे और प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोले।
"खुश रहो बेटा, लगता है हमारी बेटी की नींद अभी पूरी नही हुई है, कुछ देर और सो जाती आप।"
"भूख लग आई मुझे" पायल ने नींद से बोझिल पलकों को उठाते हुए उन्हें देखा और क्यूट सी शक्ल बना ली।
"भूख तो लगेगी ही। लंच किये बिना ही सो गयी थी आप। हमने तो रुद्र को आपको बुलाने भी भेजा था पर
आप सो रही थी इसलिए उन्होंने आपको डिस्टर्ब नही किया। आप रुकिए हम आपके खाने के लिए कुछ मंगवाते है।"
अवंतिका जी की बात सुनकर पायल की सारी नींद एक झटके मे गायब हो गयी और हैरत भरी निगाहें सामने बैठे रुद्र की ओर उठ गयी। उसकी निगाहें जैसे ही रुद्र की उन गहरी काली स्याह नज़रों से टकराई पायल ने हड़बड़ाते हुए उसपर से निगाहें फेर ली और झट से उठकर खड़ी हो गयी।
"हाँ आंटी आप मेरे लिए खाने को कुछ मंगवा दीजिये, मैं बस अभी आई।"
शेखर जी और अवंतिका जी उसे रोकते रह गए पर वो पलक झपकते ही वहाँ से गायब हो चुकी थी और रुद्र की गहरी इंटेंस निगाहों ने दूर तक उसका पीछा किया था। कमरे मे जाकर पहले तो पायल ने दो चार बार अपने मुँह पर पानी मारते हुए खुदको होश मे लाने की कोशिश की, फिर सामने लगे आईने मे खुदको देखते हुए उलझे स्वर मे बोली।
To be continued.....
शेखर जी और अवंतिका जी उसे रोकते रह गए पर वो पलक झपकते ही वहाँ से गायब हो चुकी थी और रुद्र की गहरी इंटेंस निगाहों ने दूर तक उसका पीछा किया था। कमरे मे जाकर पहले तो पायल ने दो चार बार अपने मुँह पर पानी मारते हुए खुदको होश मे लाने की कोशिश की फिर सामने लगे आईने मे खुदको देखते हुए उलझे स्वर मे बोली।
"मेरे सोने के बाद रुद्र कमरे मे आए थे, उन्होंने आंटी को बताया कि मैं सो रही हूँ....... तो क्या वही मुझे बालकनी से कमरे मे लाए थे?....."
अपने इस ख्याल पर पायल ने हैरत से अपनी आँखों को बड़ा बड़ा किया, अगले ही पल खुद ही इसे झुठलाते हुए दलील देने लगी।
"नही.... वो इतने अच्छे नही कि बालकनी से उठाकर मुझे कमरे मे लेकर आए। जितने खडूस वो है और जैसे हर वक़्त बस मुझपर भड़कते रहते है, वो खामोशी से मुझे बालकनी से कमरे मे लेकर नही आते..... पहले मुझे जगाते, फिर सौ बातें सुनाते.... तब जाकर उनके दिल को सुकून मिलता और अगर इससे भी मन नही भरता हो मुझे उठाकर बालकनी से नीचे फेंक देते... एक बार मे सारा किस्सा ही खत्म हो जाता।"
पायल ने मुँह बिसोरा, फिर टॉवल से मुँह पोंछते हुए कमरे मे चली आई।
"आंटी ये आपके लिए मम्मी ने भेजा है, देखिये रंग कितना प्यारा है..... आपको पता है, खुद मैंने पसंद किया है। आपपर बहुत अच्छा लगेगा।"
पायल ने खूबसूरत सी साड़ी अवंतिका जी को देते हुए चहकते हुए कहा। उसकी बात सुनकर अवंतिका जी ने प्यार से उसके गाल को छुआ और मुस्कुराते हुए ज़रा संकोच से बोली।
"है तो बहुत प्यारा बेटा, आखिर हमारी बेटी ने जो पसंद किया है..... पर इसकी क्या ज़रूरत थी?"
"आंटी अब आप फॉर्मेलिटि मत निभाइये। आप भी तो हर त्योहार पर मेरे लिए कपड़े भेजती है, मैं तो कभी लेने मे नखरे नही करती.... फिर माँ कहती है कि अगर कोई प्यार से कुछ दे तो ले लेना चाहिए। इसलिए आप भी इन फॉर्मेलिटि के चक्करों मे उलझना बंद कीजिये और देखिये तो सही कितनी खूबसूरत साड़ी है ये।"
पायल ने अपनी वाकपटुता के हुनर का इस्तेमाल करके उन्हें अपनी बातों मे फंसा लिया, फिर दूसरा शोपर लेकर शेखर जी के पास पहुँच गयी।
"अंकल ये आपके लिए, अच्छा है न।" पायल ने शोपर से ब्लू कलर का बिजनेस सूट निकालकर उन्हें दिखाया। उसकी खुशी से खिला चेहरा देखकर, शेखर जी भी मुस्कुरा उठे।
"हाँ बेटा बहुत अच्छा है।"
"आप तो आंटी जैसे नखरे नही करेंगे?" पायल ने नाक सिकोड़ते हुए भौंह चढ़ाते हुए सवाल किया और उसकी इस अदा पर शेखर जी हंस पड़े।
"बिल्कुल नही बेटा। हमारी बेटी इतने प्यार से हमारे लिए कुछ लाई है, हमे तो बहुत खुशी हुई?"
उनका जवाब सुनकर पायल खुशी से चहक उठी और टेबल पर रखा सूट उठाकर नीलू के पास पहुँच गयी।
"नीलू ये तुम्हारे लिए.... पहनकर दिखाना मुझे, बहुत खिलेगा तुमपर ये रंग।"
"थैंक्यू बीबी जी।" नीलू उसका अपनापन और प्यार देखकर भावुक हो गयी। पायल ने साथ लाए बाकी सारे गिफ्ट्स भी बाकी नौकरों, ड्राइवर, माली और गार्ड को दिये। सबने उसका धन्यवाद दिया और अपने अपने काम पर लग गए। सबको सबके तोहफे देने के बाद वो अभी खाने बैठी ही थी कि अवंतिका जी का सवाल सुनकर वो एकदम से ठिठक गई।
"बेटा आप सबके लिए गिफ्ट्स लाई, रुद्र के लिए कुछ नही लाई आप?"
"रुद्र के लिए" मन ही मन बड़बड़ाते हुए पायल ने तिरछी नज़रों से रुद्र को देखा, जो पूरी तरह से अपने फोन मे घुसा हुआ था। जैसे उसे यहाँ होने वाली किसी बात से कोई सरोकार ही नही।
उसे देखकर पायल ने मुँह बनाया फिर झूठी मुस्कान लबों पर बिखेरते हुए बोली।
"लाई हूँ न आंटी, एक मिनट"
इतना कहकर पायल खाली पड़े शोपर्स में कुछ ढूँढने लगी। कुछ देर की मेहनत के बाद उसके हाथ कुछ लगा और और उसकी आँखे चमक उठी। अगले ही पल वो हाथ मे बॉक्स थामे रुद्र के सामने खड़ी थी।
"ये मम्मा ने भेजी है आपके लिए और पापा की पसंद है। अगर पसंद न आए तो बता दीजिये, पापा चेंज करवा देंगे।"
"अंकल आंटी को मेरे तरफ से इसके लिए थैंक्स बोल देना।" रुद्र ने घडी लेते हुए कहा फिर पल भर रुकने के बाद उसने आगे कहा।
"रहने दो मैं खुद उन्हें थैंक्स कह दूंगा।"
हर बार के तरह उसका लहजा सर्द था और चेहरे पर कठोर भाव मौजूद थे। पायल ने नाक सिकोड़ते हुए मुँह ऐंठा और अवंतिका जी के बगल मे बैठते हुए फुसफुसाइ।
"आंटी ये क्या हमेशा करेला और नीम चबाए रहते है जो इनकी ज़ुबान इतनी कड़वी हो गयी है? कुछ मीठा खिलाया करे इन्हें ताकि शब्दों मे मिठास घुले और सिखाए उन्हें कि हमेशा ऐसे सड़ी हुई शक्ल बनाकर रखना ज़रूरी नही। इंसान को हमेशा न सही..... पर कभी कभार हंस और मुस्कुरा भी लेना चाहिए।"
अवंतिका जी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी, वही पायल मुँह बनाते हुए पोहा खाने लगी।
रुद्र जो अब तक फोन मे डुबा हुआ था, अब नज़रें पायल की ओर उठाई और रुख पर नाराज़गी के भाव उभर आए।
"मैडम को सबसे आखिरी मे मुझे गिफ्ट देना याद आया। सबके लिए खुद गिफ्ट्स पसंद किये और मुझे खास बताया गया कि उसने नही, अंकल आंटी ने दिया है।"
रुद्र ने मन ही मन शिकायत की और वापिस ध्यान फोन पर लगा लिया, जबकि पायल अवंतिका जी और शेखर जी से बातें करने मे मगन थी।
To be continued.....
अगली सुबह रुद्र रोज़ के तरह उठकर बालकनी मे आया तो अनायास ही नज़र नीचे गार्डन की ओर चली गयी। वो तो रोज़ के तरह सुबह सुबह ताज़ी हवा की ताज़ागी संग अपने दिन की शुरुआत करने यहाँ आया था पर आज की सुबह रोज़ से कुछ अलग थी।
रुद्र की निगाहें नीचे गार्डन मे मैट बिछाकर उसपर योगा करती पायल पर जाकर ठहरी थी। कल जबसे वो यहाँ आई थी और जितनी बार वो पहले उससे मिला था पायल उसके लिए उस चलते फिरते तूफान जैसी थी जो जहाँ जाती तहलका मचा देती, फिर वहाँ सिर्फ उसकी आवाज़ें गूंजती और अपने हंसमुख, खुशमिजाज, नटखट नेचर से वो न सिर्फ सबका मन मोह लेती थी बल्कि रौनक ही उसकी मौजूदगी से लगती थी।
रुद्र ने उसे कभी शांत नही देखा पर इस वक़्त वो आँखे मूंदे ध्यान लगा रही थी, रुख पर अलग ही तेज और कशिश बिखरी हुई थी। लबों पर मंद मुस्कान सजी थी। सूरज की सुनहरी किरणें उसके चेहरे पर पड़ रही थी जिससे उसका गोरा मुखड़ा सोने सा दमक रहा था। कल की बारिश के बाद सब कुछ धुला धुला सा लग रहा था और उस प्रकृति के बीच बैठी पायल भी उसी खुबसुरती का अभिन्न अंग लग रही थी।
रुद्र खामोशी से खड़ा उसे देखने लगा। ध्यान के बाद पायल ने कुछ देर और योगा किया, फिर उठकर साइडों में लगी फूलों की क्यारियों के पास चली आई और अपनी उंगलियों से वहाँ खिले खूबसूरत फूलों को छूते हुए खुदमे ही मुस्कुराने लगी। कुछ देर बाद अचानक ही पायल ने रुद्र की बालकनी की ओर निगाहें उठाई, जैसे ही निगाहें रुद्र की निगाहों से टकराई सीने मे मौजूद दिल पहली दफा कुछ अलग अंदाज़ मे धड़का और अगले ही पल पायल ने सकपकाते हुए उसपर से निगाहें फेर ली। रुद्र ने उसे हड़बड़ी मे अंदर जाते देखा फिर वापिस अपने कमरे मे चला गया।
नाश्ते की टेबल पर भी पायल रुद्र से कतराती और नज़रें चुराती हुई नज़र आई, जबकि रुद्र ने उसे अपनी निगाहों की जद मे रखा हुआ था।
नाश्ते के बाद रुद्र अपना ऑफिस बैग लेकर नीचे आया और बाहर की ओर बढ़ा ही था कि अवंतिका जी ने उसे आवाज़ देकर रोक लिया।
"रुद्र ऑफिस जाते हुए रास्ते मे पायल को कॉलेज भी छोड़ देना। आज पहला दिन है इनका, आप साथ जाएंगे तो अच्छा लगेगा हमें।"
रुद्र ने ठहरते हुए एक भरपूर नज़र पायल पर डाली जो नज़रें झुकाए खड़ी, परेशान सी अपनी हाथ की उंगलियों को आपस मे उलझा रही थी फिर बेफिक्री से जवाब दिया।
"मुझे कोई प्रॉब्लम नही, अगर पायल चलना चाहे तो आ जाए बाहर। छोड़ दूँगा मैं उसे कॉलेज।"
इतना कहकर वो बाहर निकल गया। उसके जाने के बाद पायल ने नाराज़गी भरी नज़रों से अवंतिका जी को देखा और गालों को फुलाते हुए बोली।
"आंटी आपने उन्हें मुझे कॉलेज छोड़ने क्यों कहा? मैं ड्राइवर अंकल के साथ चली जाती।"
"आज आपका कॉलेज का पहला दिन है बेटा। ऐसे कैसे आपको हम ड्राइवर के साथ भेज देते? अगर आपके अंकल होते तो वही आपको छोड़कर आते। अब वो नही है तो रुद्र आपको छोड़ आएगा।"
अवंतिका जी ने प्यार से उसे समझाया। बेचारी पायल दिल ही दिल खींझकर रह गयी और मरे कदमों से बाहर पहुँची तो रुद्र पहले से कार मे बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था। उसके वहाँ पहुँचते ही रुद्र ने दरवाजा खोल दिया। पायल बेमन से जाकर उसके बगल की सीट पर बैठ गयी।
"पायल तुमने MBBS तो दिल्ली से किया फिर PG यहाँ से करने के शौक कैसे चढ़ गया तुम्हे?"
रुद्र ने कार स्टार्ट करते हुए सवाल किया। पायल ने सवाल सुनकर सर घुमाकर उसे देखा और उखड़े अंदाज़ मे जवाब दिया।
"कोई शौक नही चढ़ा था मुझे। पापा की इच्छा थी कि जहाँ से उन्होंने PG की वही से मैं भी करूँ वरना मैं अपनी दिल वालों की नगरी दिल्ली, अपना परिवार और दोस्तों को छोड़कर यहाँ कभी नही आती।"
"Hmm..... मतलब तुमने अंकल की ख्वाहिश पूरी करने के लिए अपने घर, अपनी फैमिली, अपने फ्रेंड्स और अपने शहर को सैक्रिफ़ाइज् कर दिया... I am इंप्रेस्ड।"
रुद्र ने उसे सराहा, उसकी तारीफ की पर पायल ने कुछ खास रिस्पोंस नही किया जिसके बाद उनके बीच अजीब सी खामोशी फैल गयी।
"क्या बात है आज तुम्हारा मूड कुछ खराब लग रहा है।"
रुद्र ने कुछ देर बाद उसके उतरे हुए चेहरे और बिगड़े हुए भावों को देखते हुए उससे सवाल किया। पायल ने उसका सवाल सुनकर मुँह बनाते हुए जवाब दिया।
"मेरा मूड अच्छा हो या खराब आपको इससे क्या?....... आपको तो वैसे भी उसे खराब ही करना होता है।"
"पर आज तो अभी तक मैंने न कुछ किया और न ही कहा फिर ये तंज किस खुशी मे कसा जा रहा है मुझपर? और मूड क्यों बिगड़ा हुआ है तुम्हारा?.... जबकि तुम्हारा कॉलेज का पहला दिन है, तुम्हे तो खुश और एक्साइटेड होना चाहिए कि अपने सपने की ओर एक और कदम बढ़ाने जा रही हो।"
"आपने आंटी को इंकार क्यों नही किया?.... क्यों मुझे छोड़ने जा रहे है?"
पायल ने रुद्र की बातों को नज़रंदाज़ करते हुए तुनकते हुए उल्टा उसी से सवाल कर लिया, जिसे सुनकर रुद्र पहले तो चौंक गया फिर गंभीर स्वर मे बोला।
"मुझे ऐतराज नही था तो नही किया इंकार, अगर तुम्हे मेरे साथ नही आना था तो खुदसे कह देती मम्मा को। मेरी बात तो वो वैसे भी नही सुनती पर तुम इंकार करती तो ज़रूर मान जाती।"
रुद्र के इस जवाब पर पायल चुप्पी साध गयी और गालों को गुब्बारे जैसे फुलाए बाहर देखने लगी। रुद्र ने भी ध्यान ड्राविंग पर लगाया पर पायल की ये उदासी भरी खामोशी उससे ज्यादा वक़्त तक बर्दाश नही हुई और उसने फिरसे बात छेड़ दी।
"वैसे पायल मुझे ये बात समझ नही आती कि तुम्हारे जैसी डरपोक और लापरवाह, Clumsy लड़की डॉक्टर कैसे बन सकती है?"
To be continued.....
रुद्र ने तो पायल को छेड़ दिया । वो पहले से भड़की हुई थी और रुद्र ने पेट्रोल के टैकर को लाइटर दिखा दिया अब कौनसा धमाका होगा ? अब पायल उसका क्या हाल करेगी ?
रुद्र ने भी ध्यान ड्राविंग पर लगाया पर पायल की ये उदासी भरी खामोशी उससे ज्यादा वक़्त तक बर्दाश नही हुई और उसने फिरसे बात छेड़ दी।
"वैसे पायल मुझे ये बात समझ नही आती कि तुम्हारे जैसी डरपोक और लापरवाह, Clumsy लड़की डॉक्टर कैसे बन सकती है?"
जैसा कि रुद्र का अंदाज़ा था उसके ये कहने की देर थी कि पायल के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए। उसने चौंकते हुए रुद्र की ओर सर घुमाया और आँखे बड़ी बड़ी करके हैरानगी से बोली।
"आपने मुझे डरपोक, लापरवाह और clumsy कहा?"
"जो हो वही कहा।" रुद्र ने बेफिक्री से कंधे उचकाते हुए जवाब दिया, जिस पर पायल ने अबकी बार जबड़े भींचते हुए तेज़ स्वर मे कहा।
"आपको मैं डरपोक, लापरवाह और बेढंगी लगती हूँ?"
"जो हो वही लगोगी?" एक बार फिर रुद्र ने लापरवाही से जवाब दिया। ये सुनते ही पायल गुस्से मे उसपर बरस पड़ी।
"मैं मानती हूँ की थोड़ी सी लापरवाह हूँ मैं, आपके तरह हर चीज़ मे परफेक्शन नही ढूँढती, थोड़ी बहुत गड़बड़ भी हो जाती है मुझसे....... पर डरपोक नही हूँ मैं।"
"अच्छा पर जैसे तुम मेरे सामने आने से कतराती हो, मुझसे बात करने से घबराती हो, मुझसे नज़रें मिलाने से बचती हो और मुझसे दूर दूर रहती हो.... मुझे तो डरपोक ही लगती हो।"
रुद्र ने हल्के फुल्के अंदाज़ मे ये बात कही थी और अंत मे व्यंग्य भरी मुस्कान लबों पर सजाते हुए पायल को चिढ़ाया और रुद्र के ज़रा सी तीली लगाने पर पायल सर से लेकर पाऊँ तक सुलग उठी।
"कोई डरपोक वरपोक नही हूँ मैं, आप एक नंबर के गुस्सैल, अकडू, घमंडी और बदतमीज़ आदमी है। ज़हरीले एनाकोंडा है आप, जब मुँह खोलते है बस ज़हर ही उगलते है इसलिए मैं आपसे दूर रहने मे ही अपनी भलाई समझती हूँ।"
पायल ने मन ही मन भड़ास निकाली थी। लब खामोश थे पर चेहरे के बनते बिगड़ते भाव उसके दिल और दिमाग के ख्यालों को बखूबी बयाँ कर रहे थे। रुद्र गहरी निगाहों से उसे देख रहा था। पायल को खामोश देखकर आखिर मे उसने उसे टोक ही दिया।
"मन ही मन मुझपर भड़ास निकालने से अच्छा होगा की जो कहना है मेरे मुँह पर कहो। आखिर मुझे भी तो मेरे बारे मे तुम्हारे नेक ख्यालों का पता चले।"
"ख्याल तो मेरे बहुत नेक है पर आप उस नेकी के काबिल नही है।" पायल ने तुनकते हुए जवाब दिया और मुँह बना लिया।
रुद्र कुछ पल खामोशी से उसे देखता रहा फिर भौंह उचकाते हुए गंभीर स्वर मे सवाल किया।
"इतना डरती क्यों हो तुम मुझसे कि जब मेरे साथ होती हो तो ज्यादातर बातें मन मे होती है तुम्हारी और टेप रिकॉर्डर जैसे चलने वाली ज़ुबान फेवी क्विक लगाकर चिपक जाती है?"
रुद्र की ये बात सुनकर पायल अंदर तक सुलग उठी और गुस्से मे जबड़े भींचते हुए बोली।
"देखिये आप मुझे प्रोवोक् मत कीजिये। मैं बस अंकल आंटी के वजह से आपको बर्दाश्त करती हूँ, आपसे बेवजह की बहस नही करना चाहती इसलिए चुप रह जाती हूँ..... वरना डरती वरती तो मैं अपने बाप से भी नही।"
"Good for you..... तो एक काम करना अब ज़रा ये साबित करके दिखाना मुझे कि तुम डरती नही हो मुझसे। तुम्हे मोम डेड का लिहाज करने की कोई ज़रूरत नही है, अबसे तुम्हारे दिल मे जो भी हो बेझिझक मुझसे कह देना, मैं भी तो देखूं कि कितनी हिम्मत है तुममे?"
रुद्र का ये चैलेंज पायल मे पलक झपकते ही स्वीकार कर लिया।
"ठीक है फिर.... अबसे बराबर की टक्कर होगी हमारी इसलिए आगे से मुझसे बहस करने और टकराने से पहले सौ नही हज़ार बार सोच लीजियेगा।"
"मुझे सोचने की ज़रूरत नही, तुम्हे करने की ज़रूरत है।" रुद्र कुटिलता से मुस्कुराया। पायल कुछ पल उसे घूरती रही फिर निगाहें फेरकर बैठ गयी।
"पता नही पापा मम्मी को इस डायनासोर मे क्या अच्छाई नज़र आई जो मेरा रिश्ता इससे जोड़ दिया। उनके जल्दबाज़ी मे लिए इस फैसले के कारण मैंने अपनी ज़िंदगी मे इतने अच्छे अच्छे हैंडसम और जैंटलमैन टाइप बंदों के प्रोपोज़ल को रिजेक्ट कर दिया, कभी किसी दूसरे लड़के को घास तक नही डाली, इस खडूस आदमी के अलावा कभी किसी का ख्याल भी नही आया मेरे मन मे और इन्हें मेरी और मेरी इन कुर्बानियों को ज़रा भी कदर ही नही।
पता नही किस बात का इतना गुरुर है इन्हें कि पैर ज़मीन पर टिकते ही नही। आखिर समझते क्या है खुदको? कही के तानाशाह शासक है जो मैं इनसे डरती फिरूँगी। एक तो खुद कभी मुझसे दो बोल भी प्यार के नही बोलते पर बहस करने और तंज कसने मे कभी पीछे नही रहते। इन्हें मुझे ऐसे ही चिढ़ाने और मेरा खून फूकने मे मज़ा आता है.... और मैं बेवजह ही इनसे उम्मीदें लगाए बैठी हूँ, इनके पीछे अपनी जवानी के इतने कीमती साल बर्बाद कर रही हूँ।"
पायल मन ही मन बड़बड़ाते हुए अपने मन की भड़ास निकाल रही थी। वही रुद्र पायल के मनोभावों से पूरी तरह अंजान बना हुआ था। उसको देखते हुए रुद्र के लब हल्के से खिंच गए।
To be continued.....
क्या लगता है आपको क्या चल रहा है इन दोनों के बीच ?
पायल को अग्निहोत्री हाउस आए कुछ वक़्त गुज़र गया था। पायल का बचपन से यहाँ आना जाना था तो जल्दी ही इस माहौल मे पूरी तरह से घुलमिल गयी थी, एडजस्ट हो गयी थी। शेखर जी से उसे हमेशा से धीरज जी जैसा ही प्यार मिलता था, अब भी वो बहुत हद तक उनकी कमी पूरी करने की कोशिश करते थे और अवंतिका जी सुनैना जी जैसे उसका ख्याल रखती थी। फिर भी अपना घर, अपना परिवार, अपना शहर, दोस्त... सब याद तो आते थे। फोन पर सबसे बात हो जाती थी। धीरज जी और सुनैना जी तो उसके लौटने के दिन गिन रहे थे।
रुद्र और पायल का रिश्ता भी पहले जैसा ही था। रुद्र अब भी उसपर गुस्सा करता तो पायल सामने से पलटकर जवाब नही दे पाती थी। एक झिझक और घबराहट उसे कुछ भी कहने और करने से रोक लेते थे इसलिए वो ज्यादातर रुद्र से दूर ही रहती थी। रुद्र ही था जो बात बेबात पर उसपर भड़क जाता, तंज कसता.... जैसे बात करने की कोशिश करना चाह रहा हो। सामने से तो पायल को खूब एटीट्यूड दिखाता पर सुबह पायल को योगा करते निहारता, उसपर ख़ास ध्यान देता था जिससे पायल बेखबर थी। कई बार उसे लेने और छोड़ने भी चला जाता था।
पायल थी कि रुद्र की ओर कदम बढ़ाने को तैयार नही थी, रुद्र अपनी सख्ती छोड़कर उसके लिए नरम रवैया अपनाने से जाने क्यों कतराता था और शेखर जी अवंतिका जी उनके बीच की दूरियों को कम करने की कोशिशें करने मे लगे थे।
आज पायल कॉलेज से जल्दी लौट आई थी। शाम का वक़्त था वो लिविंग रूम के सोफे पर पड़ी टीवी देख रही थी। अवंतिका जी पास मे बैठी रात के लिए सब्जी काट रही थी और नीलू पायल के साथ टीवी देखते हुए कपड़े तह कर रही थी।
घडी ने शाम के छः बजाए और ठीक उसी वक़्त रुद्र ने वहाँ कदम रखा। रुद्र को आते देखकर पायल हड़बड़ी मे उठकर बैठ गयी। रुद्र ने एक उड़ती नज़र उसपर डाली फिर अवंतिका जी के तरफ निगाहें घुमाते हुए थकान भरे लहज़े मे बोला।
"मम्मा एक स्ट्रांग कॉफी मेरे कमरे मे भिजवा दीजिये, आज लगातार तीन मीटिंग हुई, अब सर दर्द से फट रहा है।"
बोलते हुए रुद्र ने माथे पर सिलवटें डालते हुए अपनी दो उंगलियों से सर की मसाज की और सीढ़ियों की ओर बढ़ गया। पायल की आँखे जिनमें कुछ अलग से भाव झलक रहे थे, जाते हुए रुद्र का पीछा कर रही थी। जब अवंतिका जी की आवाज़ ने उसका ध्यान अपनी ओर खींचा।
"पायल बेटा रुद्र के लिए कॉफी बनाकर उसके कमरे मे दे आओ और उससे पूछकर सर की मसाज भी कर देना।"
"आंटी मैं?" पायल अवंतिका जी की बात सुनकर बुरी तरह से चौंक गयी और फटी आँखों से उन्हें देखने लगी। उसके सवाल पर अवंतिका जी ने तुरंत हामी भरी और गंभीर स्वर मे बोली।
"हाँ बेटा तुम, कुछ वक़्त बाद से तो सब तुम्हे ही संभालना है तो अभी से शुरुआत करो, रुद्र के छोटे मोटे काम किया करो, उसके साथ वक़्त बिताओ, एक दूसरे को समझो जानो। तभी तो आगे चलकर साथ ज़िंदगी बिता पाओगे।"
"पर आंटी मुझे नही पता वो कैसी कॉफी पीते है, कुछ गड़बड़ होगी तो बेवजह उनके गुस्से की भेंट चढ़ जाऊंगी।" पायल ने मिमियाते हुए बहाना बनाया, जिसे अवंतिका जी ने तुरंत ही अपनी दलील से नकार दिया।
"करोगी तभी तो सिखोगी बेटा।"
"मैं तो अभी पढ़ रही हूँ न आंटी। नीलू बना देगी, मैं बादमे पक्का से सीख लुंगी।" पायल ने बिजली की रफ्तार से टेबल पर रखी बुक उठाकर यूं पढ़ना शुरू किया जैसे बीते दो चार घंटों से बेचारी ने बुक पर से एक मिनट के लिए भी नज़र ही नही हटाई थी।
"तुम बनाओगी तो मुझे अच्छा लगेगा बेटा। अपनी आंटी की इतनी सी बात नही मानोगी?"
पायल की नौटंकी पर अवंतिका जी का इमोशनल नाटक भारी पड़ गया। उसके सारे बहाने उनकी इस एक बात पर आकर खत्म हो गए।
"जी आंटी"
पायल मन मसोसकर रह गयी थी। अवंतिका जी उसका जवाब सुनकर मुस्कुराई, प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा फिर फोन आने पर उठकर वहाँ से चली गयी। पायल ने उनके जाते ही मौके का फ़ायदा उठाया और उठकर नीलू के पास चली आई।
"नीलू ये मैं कर देती हूँ, तुम छोटे साहब के लिए कॉफी बना दो।"
बेचारी नीलू आँखों की पुतलियाँ फैलाए हैरान परेशान सी उसे देखने लगी। अभी वो कुछ कह भी नही सकी थी कि वहाँ रुद्र की नाराज़गी भरी सर्द आवाज़ गूंज उठी।
"एक कॉफी बनाने मे इतने नखरे.... कुछ ज्यादा ही भाव नही चढ़ गए है तुम्हारे? एक कॉफी बनाने में क्या तुम्हारे हाथ घिस जाएंगे या बिल गेट्स हो जो पूरी कंपनी का बोझ तुम्हारे नाज़ुक कंधे पर है इसलिए तुम्हारे पास एक कॉफी तक बनाने की फुर्सत नही। ...... वैसे जितना वक़्त तुमने बहाने बनाने मे बर्बाद किया, उतने मे 10 बार कॉफी बन चुकी होती।"
अचानक आई इस आवाज़ से दोनों ही हड़बड़ा गयी। चौंकते हुए उन्होंने आवाज़ की दिशा मे देखा तो रुद्र सीढ़ियों पर हाथ बांधे खड़ा था और उसकी नाराज़गी भरी निगाहें पायल पर ठहरी थी। उसे वहाँ खड़े देखकर पायल पहले तो सकपका गयी फिर उसकी घूरती आँखों को देखकर चिढ़ उठी।
"कॉफी बनाने में तो नही पर आपके लिए बनाने में ज़रूर घिस जाएंगे। ... ठीक कहा आपने... हाँ हूं मैं बिल गेट्स, नही है वक़्त मेरे पास आप पर बर्बाद करने के लिए.... और मेरा वक़्त मैं चाहे बहाने बनाने मैं बर्बाद करूँ या खड्डे मे डालूँ, आप कौन होते है मुझे ताने मारने वाले?"
हमेशा की तरह पायल मन ही मन भुनभुनाइ और चिढ़ भरे भाव चेहरे पर उभर आए। जिसे देखकर रुद्र की स्याह आँखे गहरा गयी।
"गालियाँ दे रही हो मुझे मन में?"
"मैं गाली नही देती हूँ।"
पायल तुनकते हुए बोली और मुँह ऐंठते हुए किचन की ओर बढ़ गयी, पीछे खड़ा रुद्र उसके ये तीखे तेवर देखकर शॉक्ड रह गया। उसके सामने गूंगी बनी रहने वाली छुईमुई सी लड़की आज शेरनी जैसे दहाड़कर् गयी थी।
कुछ देर रुद्र बेयकिनी से रसोई मे जाती पायल को देखता रहा फिर सर झटकते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ गया।
To be continued.....
पायल कॉफी के साथ रुद्र के कपड़े लेकर कमरे तक पहुँची। बाहर से गेट नॉक किया पर कोई जवाब नही आया। उसने हल्का सा दरवाजा खोलते हुए अंदर झाँका और पूरा रूम खाली देखकर बेधड़क कमरे मे घुस गयी। इस कमरे मे उसका आना जाना लगा ही रहता था और पूरे घर मे सबसे अच्छा, बड़ा और व्यवस्थित कमरा यही था। खूबसूरत पेंटिंग, तस्वीरों और एंटीक चीजों से सजा खूबसूरत सा रूम..... पर पायल के लिए ये कमरा एकदम फीका, बेरंग और भद्दा था। कमरे को देखते हुए पायल ने मुँह बनाया और आगे बढ़ी तो कानों मे पानी गिरने की आवाज़ पड़ी। मतलब रुद्र शॉवर ले रहा था।
पायल की आँखों सितारों सी चमक उठी। उसने कॉफी मग टेबल पर रखा और जल्दी जल्दी रुद्र के कपड़े उसके कबर्ड मे सलीके से लगाने लगी।
"कॉफी बनाने मे कुछ ज्यादा ही देर नही लग गयी तुम्हे?"
पायल हड़बड़ी मे अपना काम निपटाकर कमरे से बाहर निकलने ही वाली थी कि रुद्र की तल्ख आवाज़ उसके कानों से टकराई और उसके आगे बढ़ते कदम ठिठक गए। उसने अपनी आँखों को कसके भींच लिया।
"भागी कहाँ जा रही हो तुम, मम्मा ने तुम्हे मेरे सर की मसाज भी करने कहा था.... भूल गयी क्या?"
पायल को पीठ किये स्थिर खडे देखकर रुद्र ने एक बार फिर उसे टोका। रुद्र ने वहाँ खड़े होकर उनकी सारी बातें सुनी, ये देखकर पायल मन ही मन बुरी तरह से चिढ़ गयी पर मन के भावों को चेहरे पर नही आने दिया और उसकी ओर पलटते हुए झूठी मुस्कान लबों पर सजाते हुए बोली।
"मुझे आने में देर हो गयी, अब तो आपने नहा लिया तो तेल मालिश थोड़े न करवाएंगे।"
"सर बहुत दर्द हो रहा है और भारीपन भी लग रहा है...... इसलिए करवाउंगा।"
रुद्र ने तो पल भर में पायल की पूरी प्लाइनिंग ही बर्बाद कर दी, जिससे पायल खींझ उठी।
"तो दवाई खाइये न, मेरे हाथ मे क्या जादू है जो मालिश से सर दर्द ठीक हो जाएगा?"
रुद्र की भौंहे सिकुड़कर आपस मे जुड़ गयी और उसने व्यंग्य भरे लहज़े मे कहा "मेरी मम्मा के हाथों मे तो जादू है, तभी तुम आए दिन तेल लेकर उनके पास पहुँच जाती हो। वही जादू अपने हाथों मे भी ले आओ और अब बहाने बनाना बंद करो।....... चुपचाप आकर यहाँ बैठो वरना अभी मम्मा को बताता हूँ कि उनकी लाडली उनके बातों को कितना मानती है।"
अंत में रुद्र ने उसे चेतावनी भरी नज़रों से घूरते हुए धमकाया और कॉफी मग थामते हुए काउच पर जाकर पसरकर बैठ गया। उसकी धमकी सुनकर पायल झल्ला उठी।
"भीगे बालों में तेल कौन लगाता है?"
"ठीक है, जाओ तुम।" रुद्र ने कॉफी की सिप लेते हुए बिना किसी भाव के कहा। उसकी बात सुनकर पायल चौंक गयी। कुछ पल फटी आँखों से उसे देखती रही, फिर मुँह बिचकाते हुए कमरे से बाहर चली गयी। गेट बंद होने की आवाज़ पर रुद्र ने निगाहें उस ओर घुमाई। सर्द आँखे और भावहीन चेहरे के साथ कुछ पल बंद दरवाजे को देखता रहा।
......
रुद्र आँखे मूंदे काउच की बैक से टेक लगाए बैठा था और हल्के हल्के से अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली से अपने सर की मसाज पर रहा था, जब किसी की नाज़ुक उंगलियों ने उसके हाथ को पकड़कर रोक दिया। स्पर्श पहचानते ही रुद्र ने चौंकते हुए आँखे खोली और सर घुमाया। नज़रें सीधे पायल की नज़रों से टकराई और इससे पहले ही रुद्र के लबों से फूल झड़ते, पायल गाल फुलाते हुए तपाक से बोल पड़ी।
"इतनी भी पत्थर दिल इंसान नही हूँ मैं कि किसी के दर्द और तकलीफ को देखकर भी बेअसर रह जाऊँ पर इतनी भी बेगैरत नही की किसी की डाँट और ताने सुनकर भी उसकी सेवा में लगी रहूँ...... इसलिए अभी मुझे डाँटने या ताना मारने से पहले सोच लीजिये। अबकी बार गयी तो कभी वापिस लौटकर इस कमरे में कदम भी नही रखूंगी।"
रुद्र की आँखों में झलकते सवाल के जवाब के साथ पायल ने उसे धमकी भी दे दी। रुद्र के लब हिल तक ना सके और उसने चुपचाप वापिस सर सामने की ओर घुमाते हुए अपनी आँखे मूंद ली और एक हल्की सी मुस्कान की रेखा उसके लबों पर खिंच गयी।
पायल मुँह बनाते हुए उसके सर पर बाम लगाकर अपनी नाज़ुक उंगलियों से हल्के हल्के से उसके सर की मसाज करने लगी। उसके नरम कोमल लम्स को महसूस करते हुए रुद्र की मुस्कान गहरी हो गयी और कुछ देर पहले तक जिस चेहरे पर थकान, चिढ़, नाउम्मीदी, दर्द जैसे भाव मौजूद थे अब वहाँ सुकून उतर आया था।
To be continued.....
"मम्मा मेरी ब्लैक शर्ट कहाँ रखी है आपने?" रुद्र अपने कमरे से चिल्लाया और आवाज़ ने नीचे किचन मे मौजूद अवंतिका जी के संग पायल को भी हिलाकर रख दिया। उसका रुटिन था सुबह अवंतिका जी की नाश्ता तैयार करने मे मदद करवा देती थी। आज भी वो उनकी मदद ही करवा रही थी, जब अचानक आई रुद्र की तेज़ आवाज़ सुनकर वो चौंक गयी।
अवंतिका जी ने अफसोस से सर हिलाया, फिर पायल की ओर पलटते हुए बोली।
"पायल बेटा तुमने कल उसके कपड़े रखे थे न, जाकर देखो शर्ट कहाँ गयी?"
"आंटी मैं कैसे? आप जाकर देख लीजिये न, मैं यहाँ संभाल लूँगी।" पायल उनकी बात सुनकर बुरी तरह हड़बड़ा गयी। सुबह सुबह वो रुद्र के सामने किसी कीमत पर नही जाना चाहती थी और न उसका अभी उसकी डाँट सुनकर अपना पूरा दिन बर्बाद करने का कोई इरादा था इसलिए उसने सीधे से इंकार कर दिया।
"बेटा तुम जाओ, जाकर देखो। मुझे वक़्त लगेगा और तुम तो जानती हो रुद्र को कितनी जल्दी गुस्सा आता है उसे।" अवंतिका जी ने अब बड़ी ही मोहब्बत से उसे जाने को कहा और एक बार फिर बेचारी हमारी मासूम पायल उनकी मोहब्बत भरे आग्रह के आगे हार गयी।
"अब शिकायत करने का क्या फ़ायदा, ये तो आपको नाम रखने से पहले सोचना चाहिए था।"
पायल किलसते हुए मन ही मन बड़बड़ाई और नाराज़गी से पैर पटकते हुए किचन से बाहर निकल गयी।
अपने कबर्ड को खोलकर उसके सामने खड़ा रुद्र एक बार फिर चिल्लाने की पूरी तैयारी मे था, जब पायल की चिढ़ भरी आवाज़ उसके कानों से टकराई।
"हटिये ज़रा आप।"
"तुम यहाँ, मम्मा कहाँ है?" रुद्र चौंकते हुए उसकी ओर पलटा। उसके सवाल पर पायल ने बुझे मन से खींझते हुए जवाब दिया।
"आंटी बीज़ी है उन्होंने ही मुझे भेजा है इसलिए अब आप हटिये। जल्दी से आपकी शर्ट ढूंढकर मुझे भी तैयार होने जाना है।"
रुद्र चुपचाप साइड हट गया। पायल ने हैंकर्स हटाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था की रुद्र ने तुरंत उसे टोका।
"यहां ढूंढ चुका हूँ मैं।"
"पर मैंने तो नही ढूंढा न इसलिए आप चुपचाप खड़े रहिये और मुझे मेरा काम करने दीजिये।"
पायल ने एक नजर उसे घूरा और अपना काम करने लगी। कबर्ड के ऊपर वाले पोर्शन में उसने हर जगह तलाश किया पर जब कही भी शर्ट नही मिली तो उसके माथे पर बल पड़ गए।
"मिल गयी दिल को तसल्ली, जब मैंने कहा तब तो विश्वास नही किया। अब एक काम करो माइक्रोस्कोप लगाकर ढूँढ लो, क्या पता खाली आँखों से नजर न आ रहा हो।"
इतने देर से खामोश खड़े रुद्र ने मौका पाते हुए तंज कस दिया। पायल जो पहले ही परेशान थी उसके ताने सुनकर उसपर भड़क उठी और आँखे छोटी छोटी किये उसे घूरने लगी।
"आप तंज कसना बन्द करेंगे या मैं जाऊँ यहाँ से?"
"जाओ....ये इतना गुरुर किसे दिखा रही हो? मैंने नही बुलाया था तुम्हे।" रुद्र ने भी उसी के अंदाज़ मे पलटवार किया।
"हाँ.... आप तो दो साल के छोटे बच्चे जैसे एक मामूली सी शर्ट के लिए गला फाड़ फाड़कर अपनी मम्मी को बुला रहे थे, खुदका इतना सा काम तो किया नही गया और मुझे ताने मार रहे है।"
पायल ने भी उसे काँटें की टक्कर दी पर अफसोस की सारी भड़ास मन मे ही निकाली। उसे यूँ खुदमे गुम खामोश देखकर रुद्र ने तीखी निगाहों से उसे घूरा और तल्ख लहज़े मे सवाल किया।
"ये तुम घडी घडी कहाँ खो जाती हो?"
"क.... कही नही" पायल हड़बड़ाते हुए होश मे लौटी और झट से इंकार मे सर हिला दिया और झट से वापिस ध्यान शर्ट ढूँढने मे लगा दिया।
"यही तो टाँगी थी कल मैंने शर्ट, रात भर मे कहां गायब हो गयी कम्बख्त?" पायल खींझी हुई सी मन ही मन बड़बड़ाते हुए पूरे कबर्ड मे शर्ट ढूँढने लगी और लगभग पूरे कबर्ड की तलाशी लेने के बाद सबसे नीचे के कैबिनेट मे शर्ट ठूंसी हुई नजर आई। बेचारी पायल के तो चेहरे के रंग ही उड़ गए थे और आँखे सदमे के तहत फैल गयी।
"कपड़े किसने रखे थे मेरे?"
रुद्र ने अपनी शर्ट कि हालत देखकर तीखी निगाहों उसे घूरते हुए सख्त लहज़े मे सवाल किया। पायल सवाल सुनकर घबराते हुए उसकी ओर पलटी।
"म ...... मैंने"
"ये जगह होती है शर्ट रखने की?.. इतना नही पता तुम्हे कि उसे हैंग करके रखा जाता है, कैबिनेट में ठूंसा नही जाता?" रुद्र ने कठोर लहज़े मे सवाल किया। बेचारी पायल जो अभी तक खुद कुछ समझ नही सकी थी उसका गुस्सा देखकर मिमियाते हुए बोली।
"मैंने हैंग ही किया था.... सच्ची, पता नही यहाँ कैसे पहुँच गया?...."
"अच्छा तो अब तुम कहना चाहती हो की तुमने तो हैंकर में ही टांगा था पर शर्ट के हाथ पैर आ गए और वो खुद हैंकर से निकालकर कैबिनेट में घुस गया। बेचारा लटके लटके थक गया होगा न तो सोचा थोड़ा आराम फरमा ले...... क्यों सही कहा न मैंने?"
रुद्र ने तीखी नज़रो से उसे घूरते हुए व्यंग्य भरे अंदाज़ मे कहा और अबकी बार उसके ये ताने सुनकर पायल खींझ उठी।
"मुझे क्या पता, हो भी सकता है।"
"पायल" रुद्र गुस्से मे दहाड़ा और पायल सहम गयी। उसने मुँह बिचकाया और रुँधे स्वर मे बोली।
"मैं सच कह रही हूँ.... कान्हा की सौगंध, मैंने हैंकर् में ही टांगा था। मुझे नही पता की कैबिनेट मे कैसे पहुँचा।"
पायल की उन बड़ी बड़ी आँखों मे मोटे मोटे आँसू देखकर रुद्र का सारा गुस्सा पल भर मे ठण्डा हो गया। चेहरे पर नर्म भाव उभर आए। उसने तुरंत ही हाथ बढ़ाकर पायल की भीगी पलकों से नमी को चुराते हुए चिंतित स्वर मे कहा।
"अच्छा... अच्छा नही डाँट रहा तुम्हे, कुछ नही कहूंगा। रोना बंद करो please"
रुद्र की आवाज़ मे बिखराव था। पायल के आँसू देखकर वो बेचैन हो उठा था, ये देखकर पायल हैरान थी। पल भर को वो शॉक्ड सी उसे देखती रही फिर उसके हाथ को झटकते हुए कमरे से बाहर भाग गयी। पीछे खड़े रुद्र ने खींझते हुए अपने बालों को अपनी मुट्ठियों मे भींच लिया।
To be continued.....
आप क्या कहना चाहेंगे आज के इंसिडेंट पर ? जल्दी जल्दी कमेंट कीजिये ताकि अगला भाग आपतक पहुँच सके।
शाम का वक़्त था। सुबह के वाक्ये के बाद पायल रुद्र के सामने ही नही आई थी। अभी अभी वो कॉलेज से लौटी थी। अपने रूम की ओर बढ़ते हुए जब वो रुद्र के कमरे के सामने से गुज़री तो अनायास ही उसकी आँखों के सामने सुबह का सारा नज़ारा किसी चलचित्र की भाँति घूम गया और चेहरे के भाव बिगड़ गए। रुद्र की डाँट याद आते ही उसने आँखे छोटी छोटी करके, उस कमरे के बंद दरवाज़े को घूरा और मन ही मन बड़बड़ाने लगी।
"खडूस, अकडू, बदतमीज़, एनाकोंडे जैसी शक्ल का घमंडी आदमी। सुबह मुझपर बेवजह चिल्लाए थे न, अब देखो मैं क्या करती हूँ।"
पायल की सुनहरी आँखे शरारत से चमक उठी और लबों पर कुटिल मुस्कान बिखर गयी। दरवाज़े को धकेलते हुए वो मन मे खतरनाक इरादों को लिए, रुद्र की गैरमौजूदगी मे उसके कमरे मे दाखिल हो गयी।
कुछ देर बाद रुद्र घर में दाखिल हुआ और उसे देखते ही पायल पहली फुर्सत में वहाँ से गायब हो गयी। उसे रफूचक्कर होते देखकर रुद्र की भौंह सिकुड़ गयी पर फिर सर झटकते हुए वो कॉफी का बोलकर सीढ़ियों की ओर बढ़ गया।
रुद्र ने जैसे ही कपड़े निकालने के लिए कबर्ड खोला अंदर रखे कपड़े धडधड़ाते हुए फर्श पर बिखर गये। उसके अलग अलग जगह व्यवस्थित करके रखे जाने वाले कपड़ो की आपस मे मिलकर खिचड़ी बनकर तैयार थी। सारे कपड़े गुड़मुड़ होकर आपस मे बुरी तरह उलझे हुए थे, जैसे उनके बीच खूब गुत्थम गुत्थी हुई है। कुछ तो कबर्ड खोलते ही पके हुए आम जैसे फर्श पर बिखर गए थे तो कुछ आधे नीचे लटके हुए थे।
अपने कबर्ड और कपड़ों का ये हाल देखते ही रुद्र का सर चकरा गया और कुछ सोचते हुए उसकी स्याह आँखे खतरनाक अंदाज़ मे सिकुड़ गयी। कुछ पल वो आँखे छोटी छोटी किये कबर्ड को घूरता रहा, फिर फोन निकाला और किसी को कॉल लगा दिया।
कुछ ही मिनट बाद पायल ने उसके कमरे मे कदम रखते हुए सवाल किया "आपने मुझे इस वक़्त यहाँ क्यों बुलाया?"
"मेरे कबर्ड और कपड़ों का ये हश्र किसने किया है?" बिना कोई भूमिका बांधे रुद्र ने सीधे ही कबर्ड के तरफ इशारा करते हुए सपाट लहज़े मे सवाल किया। पायल ने एक नजर कबर्ड को देखा फिर हैरत से आँखों की पुतलियाँ फैलाते हुए बोली।
"ये क्या हाल बनाया हुआ है आपने अपने कबर्ड का?..... ऐसा लग रहा है जैसे कबर्ड नही जंग मे मैदान है, जहाँ सारे सिपाही आपस मे लड़ कटकर मर गए है।"
"ये सब मैंने नही किया है और इसके पीछे कौन है मुझे उसका नाम जानना है..... इसलिए ओवर एक्टिंग करना बंद करो और जवाब दो मेरे सवाल का कि किसने किया ये सब?"
रुद्र ने शब्दों मे सख्ती थी और चेहरा कठोर। पायल पल भर को घबरा गयी, फिर पूरी तरह से अंजान बनते हुए उसने बेफिक्री से कंधे उचकाते हुए जवाब दिया।
"मुझे क्या पता?"
"तो किसे पता है जब यहाँ तुम्हारे और माँ के अलावा किसी को आने की इज़ाज़त नही तो?" रुद्र ने गुस्से मे उसकी ओर कदम बढ़ाते हुए दांत किटकिटाए और उसका गुस्से से भरा चेहरा देखकर पायल हड़बड़ाते हुए कदमों को पीछे की ओर घसीटने लगी।
"आ..... आप मुझसे सवाल जवाब क्यों कर रहे है?"
पीछे हटते हुए पायल दरवाज़े से जा लगी और आँखों की पुतलियाँ फैलाए घबराई हुई सी उसे देखने लगी। रुद्र के कदम ठीक उसके सामने आकर ठहरे और अपनी गहरी काली आँखों से वो पायल को घूरने लगा।
"क्योंकि मैं जानता हूँ कि ये तुम्हारी ही शरारत है। इस घर मैं तुम्हारे अलावा और कोई नही जो मेरे कमरे में घुसकर ऐसी हरकत करने की जुर्रत करे। इसलिए अब तुम्हारी भलाई इसी में है कि अपनी गलती एक्सेप्ट करो और जो काम बिगाड़ा है उसे ठीक करो।
क्योंकि फिल्हाल तो मैं तुम्हारे साथ बहुत प्यार से डील कर रहा हूँ, नर्मी से पेश आ रहा हूँ..... पर अगर तुमने अब और झूठ कहा या अपनी गलती की ज़िम्मेदारी लेने से इंकार किया और मुझे मेरा कबर्ड पहले जैसे साथ सुथरा और व्यवस्थित वापिस नही मिला तो मेरी सख्ती और गुस्सा तुम्हारा नाज़ुक वजूद सह नही पाएगा।"
रुद्र ने उसके वजूद पर गहरी नजर डाली और चेतावनी भरी निगाहों से उसे घूरते हुए आगे बोला।
"जाओ जाकर अपनी गलती सुधारों, मैं नहाकर आऊँ तब तक मुझे सब व्यवस्थित नजर आना चाहिए।"
ऑर्डर देते हुए रुद्र वापिस कबर्ड की ओर बढ़ गया
। उन कपड़ों के ढेर से किसी तरह अपना एक लोवर टीशर्ट ढूंढकर निकाला और बाथरूम की ओर बढ़ गया। पायल जो साँसे रोके छिपकली जैसे गेट से चिपकी पड़ी थी, रुद्र के जाने के बाद उसने गहरी सांस ली और खुदमे ही बड़बड़ाते हुए कबर्ड की ओर बढ़ गयी।
"जल्लाद कही का... ऑर्डर तो ऐसे देकर गया है जैसे खुद कही का शहनशाह है और मैं इसकी दासी..... मैं नहाकर आऊँ तब तक मुझे सब व्यवस्थित नजर आना चाहिए। (पायल ने मुँह बनाते हुए उसकी नकल उतारी फिर उस कपड़े को ढेर को देखते हुए मायूसी से बोली)
खराब करने में तो ज़रा भी वक़्त नही लगा पर अब सब सही करके रखने मे तुझे नानी याद आने वाली है, ऊपर से वो हिटलर तुझे धमकी देकर गया है।.... क्या ज़रूरत थी तुझे उस दानव को जगाने की, ये सब करके उसे परेशान करने की?...... अब आ गयी न मुसीबत तेरे ही सर। इतनी जल्दी सब होने से रहा पर अब गलती की है तो सज़ा तो भुगतनी ही पड़ेगी।"
खुद ही खुद मे बड़बड़ाते हुए पायल सब कपड़ों को अलग अलग करने लगी।
To be continued.....
कैसा लगा आपको पायल का ये कारनामा और उसपर रुद्र का ये अंदाज़ ?
"आंटी श्याम काका कहाँ है?" पायल ने अंदर आते हुए अवंतिका जी से सवाल किया। घडी 10 बजा रही थी और पायल पूरी तरह से तैयार थी, कंधे पर बैग भी टांगा हुआ था। ये देखकर अवंतिका जी कुछ चौंक गयी।
"छुट्टी पर है बेटा, क्यों क्या हुआ?... कुछ काम था आपको?"
"जी आंटी, वो कॉलेज जाना था।" पायल ने तुरंत ही सर हिलाते हुए जवाब दिया, जिसे सुनकर अवंतिका जी ने उलझन भरी निगाहों से उसे देखते हुए एक बार फिर सवाल किया।
"पर आज तो आपकी छुट्टी थी ना बेटा"
"हाँ आंटी पर सर ने अभी इंफोर्म किया कि आज ही assignment सबमिट करना है क्योंकि फिर वो इंटरनेशनल सेमिनार के लिए कंट्री से बाहर चले जाएंगे।"
"अच्छा.... पर ड्राइवर तो छुट्टी पर है, तुम्हारे अंकल भी घर पर नही और तुम्हारे अंकल ने मुझे गाड़ी चलाने से मना किया हुआ है....... तुम एक काम रुद्र को कहो तुम्हे छोड़ आएगा।"
अवंतिका जी ने सोचते हुए जवाब दिया पर उनकी बात सुनकर पायल चौंक गयी और आँखे बड़ी बड़ी करके हैरान परेशान निगाहों से उन्हें देखने लगी।
"पर आंटी उन्होंने तो आज आराम करने के लिए छुट्टी ली है न, आपने ही तो कहा था कि सुबह पांच बजे लौटे है और सो रहे है.... तो मैं उन्हें डिस्टर्ब कैसे कर दूँ?"
असल मे पिछले कुछ दिनों से रुद्र कुछ व्यस्त चल रहा था। सुबह जल्दी निकलता रात को देर से लौटता और आज उसने आराम करने के लिए छुट्टी ली थी, ये बात सुबह नाश्ते के टेबल पर शेखर जी ने बताई थी इसलिए पायल अवंतिका जी की बात सुनकर कुछ परेशान हो गयी थी। उसे यूँ परेशान होते देखकर अवंतिका जी ने प्यार से उसे समझाया।
"बेटा आराम करने के लिए पूरा दिन पड़ा है। तुम्हे लेजाएगा, साथ लेकर आ जाएगा।उसके बाद आराम ही तो करना है। ..... जाओ जाकर उठा दो उसे और कहना की मैंने कहा है तुम्हे कॉलेज लेजाने के लिए।"
"आंटी मैं उठाने जाऊँ, आप जाकर जगाकर कह दीजिये न।" पायल ने सकपकाते हुए कहा और घबराई निगाहों से उन्हें देखने लगी। सोते शेर को जगाने के नाम पर ही उसके हाथ पैर कांपने लगे थे और चेहरे का रंग सफेद पड़ गया था। वो जाना नही चाहती थी पर अवंतिका जी के दबाब डालने पर मन मसोसकर रह गयी और अपने कान्हा जी को मन ही मन याद करते हुए शेर की गुफा की ओर कदम बढ़ा दिया।
पायल ने गेट नॉक करते हुए रुद्र को आवाज़ दी पर जब दो चार बार ऐसा करने पर भी अंदर से कोई जवाब नही आया तो दरवाज़े को हल्के हाथों से धकेलते हुए कमरे मे घुस गयी। रूम मे पहला कदम रखते ही उसकी नज़र सीधे बेड पर गयी, जहाँ रुद्र सिर्फ लोवर में सो रहा था। उपरी धड़ निरावरण था, जिसे देखते ही पहले तो पायल की आँखे आश्चर्य से फैल गयी पर अगले ही पल उसने घबराकर अपनी आँखों को भींचते हुए हड़बड़ी मे अपनी हथेलियों से उन्हें ढक लिया और दबी आवाज़ मे बड़बड़ाने लगी।
"ये क्या मुसीबत है यार?.... ऐसे नंगु पंगु होकर कौन सोता है? ...... और जब ऐसे बिना कपड़ों के ही सोना था तो दरवाजा तो लॉक करना चाहिए था। ..... तू कहाँ फंस गयी पायल?.... इससे अच्छा तो तु कैब से चली गयी होगी।"
सोचते हुए पायल ने मुँह बिचकाया फिर दो उंगलियों को हटाते हुए हल्के से आँख खोलकर रुद्र को देखा, गहरी सांस अपने फेफड़ों मे भरी और थूक निगलते हुए उसकी ओर बढ़ गयी।
"रुद्र....... रुद्र उठ जाइये आंटी बुला रही है आपको......"
पायल ने रुद्र की बाँह को पकड़कर हिलाते हुए उसे पुकारा। कानों मे पायल कि मीठी सी आवाज़ पड़ते ही एकदम से रुद्र ने अपनी आँखे खोल दी और अपनी तरफ झुकी पायल के चेहरे पर नजर पड़ते ही चौंकते हुए हैरानगी से सवाल किया।
"त.... तुम यहाँ क्या कर रही हो?"
"म..... मैं आपको जगाने आई थी।" पायल हड़बड़ी मे कदम पीछे हटाते हुए सीधी खड़ी हो गयी।
रुद्र झट से उठकर बैठ गया और फटी आँखों से उसे देखते हुए अचंभित सा बोला।
"What"
अगले ही पल उसने आँखे छोटी छोटी करके उसे घूरते हुए भौंह सिकोड़ी।
"किसने परमिशन दी तुम्हे अंदर आने की? इतनी तमीज नही तुममे कि किसी लड़के के कमरे में ऐसे बेधड़क नही घुसते। .... तुम लड़कियों जैसे हमारी भी कुछ प्राइवेसी होती है।"
पायल जो शर्मिंदा सी नज़रें झुकाए खुदमें सिमटी हुई सी खड़ी थी। रुद्र की ये बात सुनकर तुनकते हुए बोली।
"मैं कोई शौक से यहाँ आपके अर्ध नग्न बदन की प्रदर्शनी देखने नही आई हूँ। आंटी ने मुझे जबरदस्ती भेजा है।"
"मम्मा ने" रुद्र ने चौंकते हुए सवाल किया, गुस्सा कुछ कम हो गया था। पायल ने तुरंत ही सर हिलाया और तनते हुए जवाब दिया।
"हाँ आपकी मम्मा ने।"
"क्यों?"
"पहले आप कपड़े पहनिये न।" पायल ने नज़रें चुराते हुए कहा। उसकी बात सुनकर रुद्र का ध्यान खुदपर गया और उसने तुरंत ही बगल मे पड़ी टीशर्ट उठाकर पहन ली।
"बोलो मम्मा ने क्यों भेजा तुम्हे मुझे जगाने के लिए?"
"वो मुझे कॉलेज जाना था, ड्राइवर अंकल छुट्टी पर है, अंकल घर पर नही तो आंटी ने कहा कि आपको उठाकर कह दूँ कि आंटी ने आपको मुझे कॉलेज लेकर जाने को कहा है।"
"आज तो छुट्टी थी न तुम्हारी तो कॉलेज क्यों जाना है?"
रुद्र ने भौंह उचकाते हुए सवाल किया। पायल ने भी तपाक से जवाब दे दिया।
"असाइंमेंट सबमिट् करना है मुझे। अब अगर KBC खेलकर आपका मन भर गया हो और थानेेदारी करने से फुर्सत हो तो बता दीजिये की छोड़ने चलेंगे या नही?......मैं अपना कोई इंतज़ाम करूँ।"
पायल ने मुँह बनाते हुए बात खत्म की। रुद्र के चेहरे पर कुछ अजीब से भाव उभर आए और लफ़्ज़ों मे तल्खी घुल गयी।
"चल रहा हूँ। नीचे चलकर बैठो, आता हूँ पंद्रह मिनट मे और किसी से काम करवाते है तो पोलाइटलि रिक्वेस्ट की जाती है, यूँ घमंड नही दिखाया जाता।"
"मैंने कब घमंड दिखाया?" पायल ने हैरानगी से सवाल किया और आँखे बड़ी बड़ी करके उसे देखने लगी। रुद्र ने पल भर उसे तीखी निगाहों से घूरा फिर बेड से नीचे उतरते हुए बोला।
"अपने बोलने के लहज़े पर ज़रा गौर करना तो ये सवाल पूछने की ज़रूरत नही पड़ेगी ...... और हाँ, अगली बार मेरी इज़ाज़त के बिना इस कमरे में कदम मत रखना।" जाते जाते रुद्र उसे चेतावनी दे गया था और पायल ठगी सी वहाँ खड़ी ही रह गयी।
कुछ सेकंड तो वो चकित सी खड़ी उसकी बात का मतलब समझने की कोशिश करती रही, फिर उसने बाथरूम के बंद दरवाज़े को घूरा और नाक सिकोड़ते हुए बोली।
"उफ्फ.... कैसा खडूस बंदा है, इसके साथ मैं पूरी ज़िंदगी कैसे बिताऊंगी?"
पायल ने मुँह बिसोरा और पैर पटकते हुए वहाँ से चली गयी।
To be continued.....
चलिए जाते जाते आप ही इस सवाल का जवाब दे जाइये की हमारी स्वीट सी पायल आखिर इस लकड़बग्घे के साथ सारी ज़िंदगी कैसे रहेगी ?
"कितनी देर लगेगी तुम्हे?" रुद्र की आवाज़ सुनकर पायल गेट खोलते खोलते ठहर गयी।
"वो तो अंदर जाकर पता चलेगा पर आपको मेरा इंतज़ार करने की ज़रूरत नही है। आप चले जाइये मैं कैब से आ जाऊंगी।"
सारे रास्ते वो मुँह पर टेप लगाए चुप सी बैठी थी और बुरी तरह बोर होने के साथ उकता भी गयी थी और वही चिढ़ रुद्र का सवाल सुनकर उसके चेहरे और अल्फ़ाज़ों मे झलकने लगी।
"यही हूँ। ज़रा जल्दी वापिस आना, अब जाओ।" रुद्र ने पायल की बात को पूरी तरह से अनसुना कर दिया, ये देखकर पायल खींझते हुए कार से उतरकर अंदर चली गयी। रुद्र कार साइड मे लगाकर उसके आने का इंतज़ार करने लगा।
करीब डेढ़ घंटे के इंतज़ार के बाद पायल आई। जैसे ही कार मे बैठी रुद्र की तल्ख आवाज़ उसके कानों से टकराई।
"इतनी देर लगती है एक असाइंमेंट सबमिट् करवाने मे?"
"इतने बड़े कॉलेज मे सर को ढूँढने मे वक़्त लगता है और फिर दोस्तों ने रोक लिया तो क्या करती? हो गयी देर..... और आप मुझपर क्यों भड़क रहे है? इंतज़ार करने का फैसला आपका था, मैंने आपको नही कहा था यहाँ रुकने को।"
पायल ने उसी के अंदाज़ मे उसे जवाब दिया और मुँह फेरकर बैठ गयी। उसके ये तीखे तेवर देखकर रुद्र कुछ पल खामोशी से उसे घूरता रहा फिर सर झटकते हुए कार स्टार्ट कर दी। एक बार फिर कार मे मौजूद उन दो लोगों के बीच अजीब सा सन्नाटा पसरा था। अभी वो थोड़ी दूर ही आए थे कि अचानक ही एक पिल्ला दौड़ते हुए गाड़ी के सामने आ गया। रुद्र ने एकाएक ब्रेक लगाई और एक बाँह से पायल को कवर कर लिया।
झटके से कार रुकने के कारण रुद्र और पायल दोनों ही सामने की ओर झुक गए पर रुद्र ने खुदको भी संभाला और पायल को भी चोट लगने से बचा लिया। पायल ने अपने आगे किसी सुरक्षा कवच जैसे मौजूद हाथ को देखा फिर आँखों की पुतलियाँ फैलाए हैरानगी से बगल मे बैठे रुद्र को देखने लगी।
"तुम ठीक तो हो, चोट तो नही लगी तुम्हे?" रुद्र की चिंता भरी आवाज़ सुनकर पायल होश मे लौटी। निगाहें रुद्र के परेशान चेहरे और बेचैन निगाहों पर पल भर को ठहरी, फिर अपनी पलकें झपकाते हुए उसने सर हिला दिया।
"जी, मैं बिल्कुल ठीक हूँ।"
"Thank god" रुद्र ने राहत की सांस ली। पायल अचरज से उसे देखने लगी कि उसके लिए रुद्र किस कदर बेचैन और परेशान हो गया था और उसे ये सब किसी ख्वाब जैसा लग रहा था।
रुद्र ने गहरी सांस छोड़ी और दरवाजा खोलते हुए कार से बाहर निकल गया। उसके पीछे पीछे पायल भी बाहर निकली और जैसे ही उसकी नजर रुद्र के हाथ में मौजूद वाइट कलर के क्यूट से पपि पर पड़ी, उसकी आँखे खुशी से चमक उठी और एकसाइटमेंट में दौड़ते हुए वो रुद्र के पास पहुँच गयी।
"पपी"
पायल ने तुरंत ही उस पपि को रुद्र के हाथो से ले लिया और उसे सहलाने लगी।
"Ohh कितना क्यूट पपी है, पर बेचारा कितना गंदा और कमज़ोर लग रहा है। लगता है इसका ख्याल रखने वाला कोई नही।"
पायल ने उदासी से कहा फिर रुद्र की ओर निगाहें घुमाते हुए बोली।
"हम इसे अपने साथ ले चले?"
"बिल्कुल नही। मेरे घर में कुत्ते बिल्ली जैसे जानवरों के लिए कोई जगह नही है।....... घर है वो हमारा, कोई चिड़ियाघर या डॉग हाउज़ नही कि तुम्हे जो भी लावारिस जानवर या गली मैं भटकते कुत्ते मिले, उनपर तरस खाकर उन्हें हमारे घर मैं बसाती जाओ।"
रुद्र ने तुरंत ही ऐतराज जताया। उसके यूँ इंकार करने से पायल और ज्यादा मायूस हो गयी और मुँह बिचकाते हुए बोली।
"बस इसे लेजाने की बात कर रही हूँ मैं।"
"हाँ आज इसे लेकर जाने के लिए कह रही हो, कल किसी और जानवर को लेकर घर मैं बसा दोगी और एक वक़्त ऐसा आएगा जब हमारा घर, घर नही चिड़ियाघर बन जाएगा और लोगों से ज्यादा वहाँ जानवर नजर आएंगे।" रुद्र ने खींझते हुए पायल को फटकार लगाई। उसकी बात सुनकर पायल झल्ला उठी।
"कितने निर्दयी है आप, आपको इस बेचारे की हालत पर ज़रा भी तरस और दया नही आ रही?"
"आ रही है..... पर अपने घर और वहाँ रहने वाले लोगों पर जिन्हें मैं तुम्हारे जानवर प्रेम की बलि नही चढ़ने दे सकता।"
"Please न, देखिये कितना क्यूट है..... लेजाने दीजिये न घर।" पायल अपनी पलकों को झपकाते हुए क्यूट सी शक्ल बनाकर, उसे मस्का लगाते हुए मिन्नत करने लगी। रुद्र कुछ पर सख्त निगाहों से उसे घूरता रहा फिर गंभीर स्वर मे सवाल किया।
"पायल जहाँ तक मुझे याद है तुम्हारे घर मे तो कोई जानवर नही, फिर मेरे घर को तुम चिड़ियाघर क्यों बनाना चाहती हो?"
"घर पर मम्मी पैट नही लाने देती।" पायल ने तुरंत ही जवाब दिया और मुँह बिचका लिया। उसकी उम्मीद भरी नज़रें रुद्र पर टिकी थी पर रुद्र ने बड़ी ही बेदर्दी से उसकी सारी उम्मीद एक झटके मे तोड़कर बिखेर दी।
"और यहाँ मैं तुम्हे कोई जानकर अपने घर नही लेजाने दूँगा इसलिए बेहतर होगा कि अपनी ज़िद छोड़ो और पपि को फुटपाथ पर बिठाकर आकर गाड़ी मे बैठो,वरना तुम्हे भी यही सड़क पर छोड़ जाऊंगा। फिर कंपनी देती रहता इस पपि को और अच्छे से सहानुभूति दिखाना।"
रुद्र ने कठोर लहज़े मे अपना फैसला सुनाया और उसे धमकाते हुए मुँह फेरकर कार की ओर बढ़ने लगा था, जब पायल के नाराज़गी भरे शब्द उसके कानों से टकराए।
"बहुत बुरे है आप, ज़रा भी रहम नही आता आपको किसी पर।"
"निर्दयी हूँ तुम्ही ने तो कहा था।" रुद्र बेफिक्री से जवाब देते हुए कार मे बैठ गया। सामने खड़ी पायल मुँह बिचकाए नाराज़गी भरी निगाहों से उसे घूरती रही। रुद्र ने भौंह उचकाते हुए इशारे मे कुछ सवाल किया जिसे समझते हुए पायल ने मुँह ऐंठा, फिर झुंझलाते हुए रुद्र पर से निगाहें फेरते हुए फूटपाथ की ओर बढ़ गयी। कार मे बैठा रुद्र पायल को उस पपी की बैक सहलाते, उससे बातें करते खामोशी से देख रहा था।
कुछ देर बाद मुँह लटकाए पायल पैसेंजर सीट पर बैठ गयी और अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए मुँह बनाते हुए खिड़की से बाहर फुटपाथ पर पुंछ हिलाते उस क्यूट से पपी को देखने लगी।
कार आगे बढ़ रही थी पर पायल सर घुमाए उस पपी को देखे जा रही थी और जब पपी दिखना बन्द हो गया तो
मुँह फुलाकर बैठ गयी। रुद्र बस खामोशी से उस बच्ची को देख रहा था जो उम्र मे तो काफी बड़ी हो चुकी थी पर हरकतें और नाराज़गी दिखाने का तरीका बच्चों जैसा था। जिसमे बचपना आज भी जिंदा था।
To be continued.....
To be continued.....
रात के 11 बज रहे थे। रुद्र अपने रूम मे बैठा लैपटॉप पर काम कर रहा था जब अवंतिका जी वहाँ चली आई।
"मम्मा आप अभी तक सोई नही?" रुद्र ने इन्हें इस वक़्त तक जागते देखकर सवाल किया। जवाब मे अवंतिका जी ने चिंतित स्वर मे कहा।
"बेटा नींद कैसे आएगी, जब अभी तक पायल घर नही लौटी है?"
उनकी बात सुनकर रुद्र बुरी तरह से चौंक गया। उसने आँखे बड़ी बड़ी करके उन्हे देखा और हैरानगी से सवाल किया।
"पायल अब तक घर नही आई?"
"नही बेटा। हमने बताया था न की वो आज अपने सीनियर के साथ सर्जरी मे असिस्ट कर रही थी। उसी मे उन्हे इतनी देर हो गयी। अभी अभी उनका फोन आया था कि अब वो फ्री है, घर के लिए निकलेगी...... पर वक़्त देखो। रात ज्यादा हो गयी है, अकेले आना ठीक नही इसलिए हमने उन्हे वही रुकने को कहा है। हम तो ड्राइवर को उन्हे लेने भेजने वाले थे पर अब वो भी जा चुका है। इसलिए तुम्हारे पास आए है, जाकर पायल को ले आओ। तुम साथ रहोगे तो हमें उनकी चिंता नही रहेगी।"
रुद्र जो पायल के अब तक घर ने आने की खबर सुनकर पहले ही परेशान था उनकी बात सुनकर बिना एक पल की देरी किये सहमति मे सर हिलाया और लैपटॉप बंद करके अपनी कार की चाबियाँ लेकर पायल को लेने निकल गया।
दूसरे तरफ पायल अपने कॉलेज के गेट पर खड़ी थी। अकेली नही थी वो। उसके साथ एक लड़का और दो लड़कियां भी थी। लड़का था समीर, पायल का बचपन का दोस्त। स्कूलिंग के बाद उन्होंने MBBS भी साथ किया और अब PG भी साथ ही कर रहे थे। बाकी दोनों लड़कियों से उसकी नई नई दोस्ती हुई थी। चारों आपस मे बातें कर रहे थे, पायल बार बार कलाई पर बंधी घडी मे टाइम देख रही थी।
अचानक ही एक कार उनके सामने सड़क के दूसरे तरफ आकर रुकी। स्ट्रीट लाइट की रोशनी मे पायल एक झलक मे ही उस कार को पहचान गयी और इसके साथ ही उसके थकान भरे चेहरे पर राहत के भाव उभर आए। अगले ही पल कार का दरवाजा खुला और ब्लैक टीशर्ट, ब्लैक ट्राउज़र पहने रुद्र ने कार से बाहर कदम रखा। बिखरे बाल जो माथे को चूम रहे थे, पैरों मे स्लीपर्स पहने हुए थे। जैसा घर मे था जल्दबाज़ी मे वैसे ही उठकर आ गया था। पर उसके हैंडसम चेहरे और आकर्षक परस्नैलिटि का चार्म अब भी कम न हुआ था।
स्ट्रीट लाइट की मद्धम रोशनी मे उसका वजूद दूर से भी निखरा हुआ नजर आ रहा था। चेहरे पर हमेशा जैसे गंभीर भाव लिए वो तेज़ कदमों से पायल की ओर बढ़ रहा था।
सड़क के दूसरी ओर खड़ी पायल टकटकी लगाए उसे ही देख रही थी, जब एक जानी पहचानी आवाज़ ने उसका ध्यान अपनी ओर खींचा।
"Oye पायल ये हैंडसम और स्मार्ट बंदा कौन है यार?.... तुझे देखते हुए तेरी ही तरफ बढ़ रहा है...... भाई है तेरा?"
पायल ने सवाल सुनकर चौंकते हुए सर घुमाया तो उसके बगल में खड़ी उसकी दोस्त ललचाई निगाहों से रुद्र को ताड़ने मे लगी थी।
"भाई न..... नही तो। मेरा भाई तो छोटा है और वो दिल्ली मे है, ये भाई नही है मेरे।" पायल भाई शब्द सुनते ही हड़बड़ाहट मे बोल पड़ी। रुद्र... और भाई... सोचकर ही दिल अजीब सा हो गया।
"तो कौन है यार?" ये सवाल दूसरी लड़की ने किया था। उसका भी रुद्र को देखकर हाल पहली वाली जैसा ही था।
"म..... मैं बादमे मिलती हूँ तुमसे।" पायल ने रुद्र पर उनकी नियत खराब होते देखकर हड़बड़ी मे बात टालते हुए जवाब दिया और बाय बोलकर जल्दबाज़ी मे रुद्र की ओर बढ़ गयी।
समीर सर्द निगाहों से पायल को देखता रहा, जबकि पायल तेज़ कदमों से रुद्र के पास पहुँची और पल भर उसे देखने के बाद गाड़ी की ओर बढ़ गयी। रुद्र ने एक नजर पीछे खड़े पायल के दोस्तों को देखा, फिर सर झटकते हुए आगे बढ़ गया।
"आप मुझे लेने क्यों आए है?..... ड्राइवर अंकल कहाँ है?" पायल ने रुद्र के कार मे बैठते हुए उखड़े स्वर मे सवाल किया, जिसे सुनकर रुद्र ने पहले चौंकते हुए उसे देखा, फिर भौंह उछालते हुए गंभीर अंदाज़ मे बोला।
"वक़्त तो देख ही रही होगी कि कितनी रात हो गयी है.... और ड्राइवर को भी अपनी ड्यूटी के बाद घर जाना होता है। इसलिए मोम ने मुझे तुम्हे पिक करने के लिए भेज दिया...... क्यों तुम्हे मेरे आने से कोई परेशानी है?"
रुद्र का सवाल सुनकर पायल ने सकपकाते हुए इंकार मे सर हिलाया।
"आप मुझे लेने या छोड़ने आए तो कार से बाहर मत निकला कीजिये।"
कुछ पल की खामोशी के बाद पायल ने मुद्दे की बात की, जिसे सुनकर रुद्र चौंक गया।
"क्यों?"
To be continued.....
क्यों कहा पायल ने ऐसा ?.... और रुद्र के इस सवाल का क्या जवाब देगी अब वो ?
"आप मुझे लेने या छोड़ने आए तो कार से बाहर मत निकला कीजिये।"
कुछ पल की खामोशी के बाद पायल ने मुद्दे की बात की, जिसे सुनकर रुद्र चौंक गया।
"क्यों?"
"मेरे फ्रेंड्स आपको देखते है तो सवाल करते है।" पायल ने मुँह बिसोरते हुए कहा। रुद्र ने तुरंत ही भौंह उचकाते हुए अगला सवाल उसपर दागा।
"कैसा सवाल?"
"यही कि ये हैंडसम बंदा कौन है?... मेरा क्या रिश्ता है आपसे?" पायल ने तुनकते हुए जवाब दिया और रुद्र के प्रति अपने दोस्तों का व्यवहार याद करते हुए बुरा सा मुँह बना लिया। रुद्र पल भर उसके चेहरे के भावों को गहराई से नोटिस करता रहा, फिर कार टर्न करते हुए लापरवाही भरे अंदाज़ मे अगला सवाल किया।
"तो क्या परेशानी है? जवाब दे दिया करो उनके सवाल का।"
"क्या जवाब दूँ?...कौन है आप?... और क्या रिश्ता है मेरा आपसे?" पायल खींझते हुए मुँह सिकोड़े रुद्र को घूरने लगी। रुद्र ने नज़रें उसकी ओर घुमाई और बेफिक्री भरे अंदाज़ मे जवाब दिया।
"वही जो सच है।"
"क्या सच है?" पायल ने तीखी निगाहों से उसे घूरते हुए सवाल किया। जिसके जवाब मे रुद्र इंटेंस निगाहों से उसे देखने लगा और चेहरे पर संजीदगी के भाव उभर आए।
"तुम बताओ, क्या रिश्ता है मेरा तुमसे?"
"कोई रिश्ता नही आपका मुझसे..... आप मेरे भाई हो नही सकते और उसके अलावा कोई रिश्ता है नही हमारे बीच।" पायल ने तुनकते हुए जवाब दिया, जिसे सुनकर रुद्र कि आँखे गहरा गयी और व्यंग्य भरी मुस्कान लबों पर आ ठहरी।
"अच्छा कोई रिश्ता नही हमारा और बेवजह मैं तुम्हारा ड्राइवर बना हुआ हूँ?"
रुद्र ने तन्जिया लहज़े मे कहा और शब्दों मे अनकही सी नाराज़गी घुलने लगी, जिसका आभास तक पायल को न हो सका। वो तो पहले ही चिड़ि हुई थी। रुद्र के तंज कसने पर तुनकते हुए बोल पड़ी।
"मैंने थोड़े न आपको ड्राइव बनने कहा है। आप आंटी के कहने पर आए है, फिर मुझे ताने मारकर एहसान क्यों जता रहे है?"
रुद्र कुछ पल खामोशी से उसके चिढ़ और नाराज़गी भरे चेहरे को देखता रहा, फिर इंटेंस निगाहों से उसे देखते हुए संजीदगी से सवाल दोहराया।
"क्या वाकई कोई रिश्ता नही हमारा?"
उसकी उन गहरी काली आँखों मे एक आस का दीपक जगमगा रहा था, जिसे पायल न देख सकी और झल्लाते हुए बोली।
"किसी को बता सकूँ, कम से कम ऐसा तो कोई रिश्ता नही..... क्योंकि मै सबको ये तो कह नही सकती कि मेरे डेड के फ्रेंड ने मेरे जन्म के साथ ही मेरे डेड से मेरा रिश्ता अपने बेटे के लिए मांग लिया था और आप वही है जिनसे मेरे जन्म के साथ मेरा रिश्ता जोड़ दिया गया था। .... वो हँसेंगे मुझपर, मज़ाक उड़ाएँगे मेरा।"
पायल फ़्रस्टेशन मे जो भी मन मे आया सब एक सांस मे बोल गयी और जैसे ही चुप हुई रुद्र की सर्द और गंभीर आवाज़ उसके कानों से टकराई।
"तो क्या चाहती हो, डेड से बात करूँ?"
"किस बारे मे?" पायल चौंकते हुए आँखे बड़ी बड़ी करके उलझन भरी निगाहों से उसे देखने लगी। रुद्र ने एक बार फिर गंभीर स्वर मे जवाब दिया।
"हमारे रिश्ते के बारे मे। शादी तो तुम्हारे सपने के पूरे होने के बाद होनी ही है। अभी सगाई कर लेते है, फिर कोई सवाल करे तो पूरे हक है जवाब देना की मंगेतर हूँ तुम्हारा।"
रुद्र कि बात सुनकर पहले तो पायल चौंक गयी और फटी आँखों से अचंभित सी उसे देखने लगी। अगले ही पल उसके चेहरे के भाव बदल गए। उसने सख्त निगाहों से उसे घूरते हुए तीखे लहज़े मे सवाल किया।
"और आपको ये किसने कह दिया कि मैं आपसे शादी करने मे इंट्रस्टेड हूँ?"
"तो क्या नही हो?" रुद्र ने उल्टा उसी से सवाल पूछा और भौंह उचकाते हुए उसे देखते लगा। पायल ने तुरंत ही हामी भरते हुए जवाब दिया।
"बिल्कुल नही हूँ। .... हाँ माना कान्हा जी ने आपको शक्ल सूरत और परस्नैलिटि ठीक ठाक दी है जिसका क्रेडिट भी अंकल को जाता है पर उसके अलावा आपमें ऐसा कुछ भी नही कि मैं आपसे शादी करूँ। ....... अगर आपका नेचर ज़रा भी अंकल आंटी पर गया होता तो मैं आपके बारे मे सोचती भी पर जितने खडूस और अकडू आप है, जैसा व्यवहार आप मेरे साथ करते है। मैं तो आपको अपना भैया भी न बनाऊँ, सैया तो बड़ी दूर की बात है। तो शादी.... और आपसे..... नो नेवर् एवर।"
पायल ने आज अपने मन की भड़ास रुद्र पर निकाल ही ली। रुद्र के चेहरे के भाव जस के तस बने रहे। उसने पायल के चुप होते हुए गंभीर स्वर मे आगे कहा।
"पर शादी तो तुम्हारी मेरे ही साथ होनी है, ये तो बचपन से तय है।"
ये सुनने की देर थी कि बेचारी पायल के चेहरे पर दुख, निराशा, अफसोस के बादल छा गए।
"यही मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा रोना है। पता नही पापा को क्या सूझी थी जो अंकल की बात मानकर हामी भर दी। भला आज के ज़माने मे भी कोई बचपन मे रिश्ता पक्का करता है? उन दोनों दोस्तों की ख्वाहिशो के बीच मेरी इच्छाओं की बलि चढ़ गयी।"
पायल ने भारी दुख और अफसोस ज़ाहिर किया। रुद्र भावहीन सा कुछ पल उसे देखता रहा फिर चेहरा फेरते हुए ध्यान ड्राइविंग पर लगा दिया और पायल अपने ही गमों मे डूबी अजीब अजीब से मुँह बनाती रही। इसके बाद उनका पूरा रास्ता खामोशी से कटा। घर पहुँचने के बाद जब रुद्र ने पायल की ओर निगाहें घुमाई तो कुछ चौंक सा गया।
पायल कार मे ही सो गयी थी। नींद मे उसका सर लुढ़ककर खिड़की पर ठहरा था, कुछ बिखरी लटें उसके चेहरे को चूम रही थी और नींद मे भी वो अजीब अजीब सी शक्लें बना रही थी। रुद्र जिसका मूड पायल की बातों से खराब हो चुका था, इस वक़्त उसकी क्यूट सी शक्लें देखकर पल भर मे ठीक हो गया।
"शायद आज कुछ ज्यादा ही थक गयी है।" रुद्र ने मन ही मन कहा। कुछ पल खामोशी से उसे निहारता रहा, फिर बेख्याली मे ही रुद्र की उंगलियाँ उसके चेहरे पर जा ठहरी और उसके चेहरे पर बिखरी लटों के संग उलझने लगी।
पायल नींद मे कसमसाइ, तब कही जाकर रुद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ और उसने तुरंत ही हड़बड़ाते अपने हाथ को पीछे खींच लिया।
"पायल उठो, हम घर पहुँच गए है।"
रुद्र ने उसके कंधे को थपथपाते हुए उसे जगाने की कोशिश की। पायल पहले नींद मे कुनामुनाइ फिर जैसे ही कानों में कई दफा रुद्र के यही शब्द पड़े, उसका दिमाग अलर्ट हुआ उसने झटके से अपनी आँखे खोल दी और सकपकाते हुई सीधे बैठते हुए आस पास निगाहें घुमाने लगी।
"हम पहुँच गए।"
"Hmm" रुद्र ने संक्षिप्त मे जवाब दिया और दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया। पायल जिसपर अब भी नींद की खुमारी छाई थी। उसने बुरा सा मुँह बनाकर रुद्र की बैक को घूरा फिर मन ही मन भुनभुनाते हुए अपना समान लेकर अंदर की ओर बढ़ गयी। लॉबी मे कदम रखते ही उसकी नजर रुद्र पर पड़ी जो तेज़ कदमों से सीढियाँ चढ़ रहा था।
"बेटा आप हाथ मुँह धोकर फ्रेश हो जाइये, हम आपके लिए खाना लगाते है।"
अवंतिका जी की आवाज़ सुनकर पायल ने रुद्र पर से निगाहें फेरी और उन्हे देखकर सर हिलाते हुए हामी भर दी।
To be continued.....
कैसा लगा आपको आजका भाग ? क्या होगा इन दोनों का समीक्षा करके बताइये?
कुछ दिन बाद
रात के करीब 11 बज रहे थे। सब सो रहे थे पर पायल की आँखों मे नींद का एक कतरा तक नही था। लॉन मे तन्हा बैठी वो किन्ही ख्यालों मे खोई थी। आँखों के सामने आज दोपहर का कैंटीन का सीन घूम गया था।
फ्लैशबैक
"समीर ये सब क्या कह रहे हो तुम?" पायल ने आस पास की रोमांटिक डेकोरेशन और सामने हाथ मे रिंग लिए घुटने टेककर बैठे लड़के को फटी आँखों से देखते हुए हैरानगी से सवाल किया।
"I love you पायल।" समीर अब उठकर पायल के सामने खड़ा हो गया। उसने मुस्कुराते हुए पायल की हथेली थामने के लिए हाथ बढ़ाया पर पायल जो उसका इज़हार सुनकर शॉक्ड थी एकदम से दो कदम पीछे हट गयी और बेयकिनी से उसे देखने लगी।
"ये क्या कह रहे हो तुम समीर?"
पायल का सवाल सुनकर समीर के चेहरे पर संजीदगी के भाव उभर आए।
"वही जो सच है। मैं प्यार करता हूँ तुमसे और अपनी पूरी ज़िंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ। बहुत वक़्त से अपने दिल की बात तुम्हे बताना चाह रहा हूँ पर कभी हिम्मत ही नही हुई.... पर आज मैं सबके सामने अपने प्यार का इज़हार कर रहा हूँ, because मैं तुम्हे खोना नही चाहता।"
"तुम जानते हो कि ये मुमकिन नही है।"
पायल जैसे हैरानी के समुद्र मे गोते खा रही थी। दिल की धड़कनें तेज़ थी और मन ये सब सुनकर बुरी तरह घबरा रहा था।
"क्यों मुमकिन नही है?" समीर ने उसके इंकार से तैश मे आकर सवाल किया। पायल ने धड़कते दिल के साथ जवाब दिया।
"मेरा रिश्ता पहले से किसी और से जुड़ा हुआ है और ये बात तुम भी बहुत अच्छे से जानते हो।"
"जानता तो मैं ये भी हूँ कि वो रिश्ता तब जोड़ा गया था जब तुम्हारा जन्म हुआ था, जो अब तुम्हारे पैरों की बेड़ियाँ बन गया है पर तुम्हारी खुशी मेरे साथ है। वो रिश्ता तुम्हारी मजबूरी है और मैं तुम्हारी चाहत।"
समीर ने सबके सामने पायल की ज़िंदगी के इस राज़ पर से पर्दा उठा दिया। पूरे एतमाद के साथ पायल की मोहब्बत को अपने नाम कर लिया। पायल उसकी बात सुनकर पहले तो घबरा गयी, फिर खुदको संभालते हुए उसने सख्त लहज़े मे सवाल किया।
"तुम्हे ये गलतफहमी कैसे हो गयी कि मैं तुम्हे चाहती हूँ?"
"अच्छा अगर तुम मुझे नही चाहती और तुम्हारे दिल मे मेरे लिए कोई एहसास नही तो जो हमारे बीच था, वो सब क्या था?"
समीर के इस सवाल पर पायल बेयकिनी से उसे तकती ही रह गयी। इतने लोगों के बीच उठे इस सवाल ने उसे शर्मिंदा कर दिया पर उसने हिम्मत से इस सिचुएशन का सामना करने का फैसला किया और उसकी नज़रों से नज़रें मिलाते हुए गंभीरता से जवाब दिया।
"दोस्ती थी.... उससे ज्यादा और कुछ भी नही। बचपन से साथ है हम, मानती हूँ की जैसा रिश्ता मेरा तुम्हारे साथ है, वैसा किसी के साथ नही। तुम मेरे लिए बहुत खास हो और तुम्हारी मेरी ज़िंदगी मे एक अलग जगह है, बहुत एहमियत रखते हो तुम मेरे लिए क्योंकि मैंने तुम्हारे साथ बचपन से जवानी तक का सफर तय किया है। मेरे हर सुख दुख मे तुम मेरे साथी रहे हो, ज़िंदगी के हर मुश्किल घडी मे तुमने मेरा साथ दिया है। जितना तुम मुझे जानते हो, समझते हो ... उतना और कोई नही समझता इसलिए तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड हो।
मैंने तुम्हे हमेशा से अपना बेस्ट फ्रेंड ही माना है। तुमसे दोस्ती थी इसलिए फॉर्मेलिटि नही निभाती थी, तुम्हारे साथ घूमना फिरना, बातें करना, हँसी मज़ाक, मस्ती सब कुछ एक दोस्त के तरह की किया है मैंने क्योंकि मैं जानती थी कि मैं किसी और की अमानत हूँ। इसलिए मैंने कभी खुदको भटकने की इज़ाज़त नही दी, कभी उस तरह से किसी लड़के के बारे मे नही सोचा, ऐसा ख्याल तक अपने दिल मे नही आने दिया।
मैंने कभी किसी लड़के को दोस्ती से आगे नही बढ़ने दिया। समीर मैंने तुम्हारे साथ भी कभी अपनी मर्यादा लाँघकर कुछ ऐसा नही किया जिससे तुम्हे कुछ गलत इंडिकेशन मिले। मैंने हमेशा एक सीमा बनाकर रखी जिसे न कभी खुद क्रॉस किया और न ही तुम्हे करने दिया। मैंने तुमसे कभी ऐसी कोई बात तक नही की, कभी दोस्ती की सीमा को नही लांघा।
मैंने तुम्हे हमेशा सिर्फ अपना दोस्त ही माना है और एक फ्रेंड के जैसा ही रिश्ता था मेरा तुम्हारे साथ। अगर जाने अंजाने मेरी किसी बात या एक्शन से तुम्हे ऐसा लगा कि मैं तुममे उस तरह से इंटरस्टेड हूँ तो मैं उसके लिए माफी मांगती हूँ पर मेरे दिल मे तुम्हे लेकर ऐसे कोई एहसास नही। मैंने अपने लाइफ पार्टनर के रूप मे कभी रुद्र के अलावा किसी के बारे मे सोचा ही नही है। हमारा रिश्ता जैसे भी जुड़ा हो पर मेरी शादी उससे होना तय है और मुझे इससे कोई एतराज नही।
मैं तुम्हे नही चाहती.... I am sorry. मैं तुम्हारा दिल तोड़ना नही चाहती पर मैं सच मे तुम्हारे लिए ऐसा कुछ महसूस नही करती। मेरे दिल मे दोस्ती से बढ़कर कोई एहसास नही तुम्हारे लिए। मैं तुम्हारी मोहब्बत को एक्सेप्ट नही कर सकती, लेकिन इन सबके कारण अपने दोस्त को खोना भी नही चाहती।
तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त है, please अपनी इन फीलिंग्स को हमारी दोस्ती के बीच मत आने दो, मैं तुम्हारे जैसा अच्छा दोस्त खोना नही चाहती।"
पायल की आँखे नम थी और उन भीगी आँखों मे एक डर समाया था। चेहरे पर अजीब से भाव मौजूद थे और बेचैन दिल अब भी ज़ोरों से धड़क रहा था। वो जैसे ही चुप हुई समीर बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया और पायल बस उसे खुदसे दूर जाते देखती ही रह गयी। आज शायद इस मोहब्बत के चक्कर मे उसने अपना दोस्त खो दिया था जिसका दर्द और बेबसी उसके चेहरे पर झलक रही थी।
कुछ देर बाद पायल कॉलेज से बाहर आई तो गेट पर ही
रुद्र कार से टेक लगाए खड़ा उसका इंतज़ार कर रहा था। पायल का उदास मुरझाया हुआ चेहरा, हल्की गुलाबी आँखे देखकर रुद्र की भौंहें सोचने के अंदाज़ मे सिकुड़ गयी, चेहरे पर चिंता के भाव उभर आए और माथे पर सिलवटें डालते हुए उसने चिंतित स्वर से बेचैनी भरे अंदाज़ मे सवाल किया।
"क्या हुआ, सब ठीक तो है?"
"Hmm.... बस सर दर्द है।" पायल ने बिना किसी भाव के जवाब दिया और पैसेंजर सीट पर बैठ गयी। रुद्र के ज़हन मे सवाल तो कई थे, पायल के जवाब से वो संतुष्ट नही था और मन व्याकुल था पर उसने आगे कोई सवाल नही किया। सारे रास्ते पायल सीट से सर टिकाए आँखे मूंदे खामोश सी बैठी रही। वो कॉलेज मे जो हुआ उसके वजह से डिस्टर्ब और परेशान थी। रुद्र समझ तो रहा था कि किसी बात को लेकर वो बहुत परेशान और दुखी है पर वजह नही समझ पा रहा था।
पायल को घर छोड़कर उसे न चाहते हुए भी ऑफिस जाना पड़ा और पायल उसके बाद सारे दिन खुदमें खोई खोई सी, गुमसुम उदास और खोई खोई सी थी।
To be continued.....
"कहाँ गुम हो मैडम?" अचानक ही कानों मे पड़ी इस आवाज़ के साथ पायल होश मे लौटी और चौंकते हुए सामने देखा तो रुद्र उसके ठीक सामने खड़ा था, सोचने के अंदाज़ मे भौंहे सिकुडी हुई थी और सवालिया निगाहें पायल पर ठहरी थी।
"क...... कही नही" पायल रुद्र को सामने खड़े देखकर सकपका गयी और हड़बड़ाते हुए उठकर खड़ी हो गयी।
रुद्र ने गौर से उसके चेहरे को देखा, फिर नरम लहज़े मे बोला।
"उठ क्यों गयी?... बैठो, मैं कोई मारकर तुम्हे यहाँ से भगाने तो नही आया और न ही तुम्हे डिस्टर्ब करने का मेरा कोई इरादा था। वो तो मैं बालकनी मे आया और इत्तफाक से नजर तुमपर पड़ गयी। तुम्हे इस वक़्त यहाँ यूँ अकेले बैठे देखा तो थोड़ा अजीब लगा, बस इसलिए चला आया। तुम्हें मुझसे घबराने की ज़रूरत नही, रिलेक्स होकर आराम से बैठो।"
रुद्र अब तक की ज़िंदगी मे शायद पहली बार उससे इतने प्यार से पेश आया था और इतनी नर्मी से उससे बात कर रहा था। पायल फटी आँखों से अचंभित सी उसे देखे जा रही थी, जब रुद्र ने भौंह उछालते हुए आँखों से ही सवाल किया तो पायल हड़बड़ी मे इंकार मे सर हिलाते हुए वापिस बैठ गयी।
रुद्र उससे कुछ दूरी बनाते हुए उसके पास ही बैठ गया और खोई खोई सी पायल को पल भर देखने के बाद निगाहें सामने की ओर घुमाते हुए सवाल किया।
"क्या बात है, आज इस वक़्त यहाँ अकेली यूँ चुपचुप् और गुमसुम सी बैठी हो। कोई परेशानी है क्या?"
"नही" पायल ने बिना किसी भाव के संक्षिप्त मे जवाब दिया और चुप हो गयी। कुछ पल खामोशी से गुज़र गए, फिर दोबारा रुद्र ने ही बात शुरू की।
"आज कॉलेज से लौटने के बाद से तुम कुछ बुझी बुझी सी, उदास और परेशान सी लग रही हो। अगर कोई परेशानी नही तो क्या घर की याद आ रही है?"
रुद्र ने अपनी ओर से अंदाज़ा लगाया था और पायल ने सहमति मे सर हिला दिया।
"अभी तो ज्यादा देर हो गयी है, कल फोन करके बात कर लेना। अभी जाकर सो जाओ, कल सुबह कॉलेज भी जाना होगा।"
"मुझे नींद नही आ रही, आप जाकर सो जाइये।" पायल का ये जवाब सुनकर रुद्र एक बार फिर खामोशी से उसे देखने लगा।
"पायल अगर इसके अलावा कोई परेशानी है तो तुम मुझसे शेयर कर सकती हो, शायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूँ।"
रुद्र का अपनेपन से भरी बात सुनकर पायल ने चौंकते हुए निगाहें उसकी ओर घुमाई और हैरानगी से बोली।
"मैं अपनी पर्सनल बात आपसे क्यों शेयर करूँगी? हमारे बीच ऐसा रिश्ता कबसे बन गया कि मैं अपनी परेशानियां आपसे बाँट सकूँ? और आज आप मुझपर इतना मेहरबान क्यों हो रहे है? आमतौर पर आप मुझसे इतनी नर्मी से तो पेश नही आते, प्यार से बात नही करते, मेरा हाल चाल पूछने नही बैठते।"
"नही करता तो क्या कभी कर भी नही सकता?" रुद्र ने संजीदगी से सवाल किया, जिसे सुनकर पायल ने तुरंत ही जवाब दिया।
"हाँ नही कर सकते। आप जैसे है, वैसे ही रहिये।मुझपर ज्यादा तरस खाने या मेरी ज्यादा चिंता और फिक्र जताने की आपको कोई ज़रूरत नही है।"
पायल गुस्से मे उसपर भड़क उठी और फिर झुंझलाते हुए वहाँ से चली गयी। अकेलापन चाहती थी वो। पहले से परेशान थी, ऐसे मे रुद्र का आना, उसका ये बदला बदला सा अंदाज़, उसकी उलझनों और परेशानी को बढ़ा गया। अंजाम गुस्सा बनकर बाहर आया और शिकार रुद्र बन गया। रुद्र खामोश बैठा बस उसे खुदसे दूर जाते देखता रहा।
एक तरफ रुद्र की रात बेचैनी से कटी तो दूसरे तरफ पायल भी सारी रात परेशानी रही। अगले दिन सुबह योगा करने भी नही गयी। बिस्तर पर निढाल सी पड़ी रही। टाइम हुआ तो बुझे मन से कॉलेज जाने के लिए तैयार होकर नीचे पहुची पर जैसे ही उसकी नज़र ड्राविंग रूम मे बैठे लोगों पर पड़ी उसका मुरझाया हुआ चेहरा एकदम से खिल उठा। वो उदास चिड़िया एकदम से चहक उठी और खुशी से चीख पड़ी।
"मम्मा, पापा, चिंटू ......."
पायल की खुशी से खनकती तेज़ आवाज़ ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इतने मे पायल दौड़ती हुई जाकर अपने मम्मी पापा के गले से लग गयी। इतने दिनों या ये कहे महीनों बाद अपनी बेटी से मिलकर वो दोनों ही कुछ भावुक हो गए थे और उसे अपने सीने से लगा लिया था।
"कैसा है मेरा बेटा?"
धीरज जी ने पायल को खुदसे दूर करते हुए प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और उनका सवाल सुनकर पायल दिलकशी से मुस्कुराई और खनकती आवाज़ मे जवाब दिया।
"आप सबसे मिलने के बाद बहुत बहुत बहुत अच्छी हो गयी हूँ। आपको पता है मैंने आपको और मम्मा को बहुत सारा मिस किया। मुझे आप दोनों की इतनी याद आ रही थी कि मैं क्या बताऊँ। मेरा बस चलता तो मैं उडकर आपके पास पहुँच जाती और फिर कभी भी आपसे जुदा नही होती। मैंने आप दोनों को बहुत याद किया और आज मैं आप सबको यहाँ देखकर बहुत खुश हूँ, बहुत ज्यादा खुश हूँ।"
उसकी आँखे सजल थी और लब मुस्कुरा रहे थे। सिर्फ उसका ही नही धीरज जी और सुनैना जी का भी यही हाल था। पहली बार अपने जिगर के टुकड़े को खुदसे इतने दूर भेजा था, ये तो वही जानते थे कि उन्होंने पायल के बिना ये महीने कैसे गुज़ारे थे?
धीरज जी ने प्यार से पायल के सर को चूम लिया। सुनैना जी ने भी उसे खूब लाड किया। अनय एक तरफ खड़ा तीनों को देखता रहा, फिर जब उससे यूँ नज़रंदाज़ किया जाना और बर्दाश्त नही हुआ तो आखिर मे वो मुँह फुलाते हुए नाराज़गी से बोल पड़ा।
"मम्मी पापा आपका तो मैं जानता हूँ कि आप दोनों को सबसे ज्यादा प्यार दी से है, उनके आगे आपको मैं कभी से नज़र ही नही आता ........ पर दी आपसे मुझे ये उम्मीद नही थी। सिर्फ मम्मी पापा ही नही, मैं भी खास आपसे मिलने के लिए अपनी छुट्टी लेकर यहाँ आया हूँ पर आपको भी मेरी कोई कदर नही। मैंने तो आपको इतना मिस किया कि आपसे मिलने यहाँ तक चला आया और आपने मुझे देखा तक नही।"
धीरज जी और सुनैना जी से लिपटी पायल उछलते हुए चिंटू के पास पहुँच गयी और उसके फुले फुले गालों को पकड़कर खींचते हुए बोली।
"Ohh चिंटू मैंने भी तुझे और तेरे इन मोटे मोटे गालों को बहुत मिस् किया। मैं तुझे बता नही सकती कि कितनी याद आ रही थी मुझे।"
"मेरी या मेरे गालों की?" चिंटू ने उसका हाथ झटकते हुए तूनकते हुए सवाल किया।
"दोनों की।" पायल ने खिलखिलाते हुए जवाब दिया और उसे गले से लगा लिया। चिंटू भी अपनी सारी नाराज़गी भूलकर झट से उससे लिपट गया।
To be continued.....
कैसा लगा आजका भाग समीक्षा करके बताइये ।
" पापा मम्मा आप सब अचानक यहाँ कैसे आ गए?.... मुझे तो किसी ने कुछ बताया ही नही।"
नाश्ते के बाद सब साथ ही बैठे थे जब अपने मम्मी पापा और भाई से बातें करते हुए अचानक ही पायल के दिमाग मे ये सवाल आया, जिसे सुनते ही धीरज जी की निगाहें रुद्र की ओर घूम गयी। जो सामने शेखर जी के साथ बैठा बस पायल को देख रहा था और चेहरे पर सुकून के भाव मौजूद थे।
"हमें पता चला कि हमारी बेटी हम सबको याद करके बहुत उदास है तो पहली फ्लाइट लेकर आपके पास पहुँच गए। प्लैन अचानक बना तो सोचा आपको सरप्राइज दिया जाए।"
धीरज जी ने सहजता से जवाब दिया। पायल पहले आँखे बड़ी बड़ी करके उन्हें देखती रही, फिर उनकी नज़रों का पीछा करते हुए जब निगाहें रुद्र से टकराई तो और ज्यादा चौंक गयी। बीती रात रुद्र से हुई बातें ज़हन मे ताज़ा हो गयी और सारी बात समझते हुए शर्मिंदगी से उसका सर झुक गया।
"अच्छा किया भाई साहब हो आप सब आ गए। देखिये तो आप सबके आने से पायल कितनी खुश हो गयी।"
अवंतिका जी ने बात का रुख मोड़ा और पायल धीरज जी के सीने से लग गयी। एक बार फिर सब बातों मे गुम हो गए, हँसी मज़ाक के साथ महफ़िलें जमने लगी।
कुछ दिन हँसी खुशी अपनी बेटी के साथ बिताकर चिंटू के साथ धीरज जी व सुनैना जी वापिस दिल्ली लौट गए थे। ये दिन पायल के लिए यादगार रहे थे। कॉलेज की छुट्टी लेकर उसने पूरा वक़्त अपने परिवार के साथ बिताया था, दोनों परिवार साथ मे पिकनिक मनाने भी गए थे जहाँ सबने खूब एंजॉय किया। चिंटू की तो रुद्र से खूब पटती थी पर पायल और रुद्र के बीच अब भी दूरियाँ बरकरार थी। उस रात हुई बहस के बाद दोनों की आपस मे कोई बात भी नही हुई थी, हालांकि एक घर मे रहने पर आमना सामना हो जाता था पर दोनों ही खामोश थे।
समीर ने इस वक़्त मे अपनी एकतरफा फीलिंग को हैंडल करना सीख लिया था और धीरे धीरे उन दोनों का रिश्ता फिरसे दोस्ती की पटरी पर दौड़ने लगा था।
शाम का वक़्त था। पायल आज ज़रा जल्दी वापिस आ गयी थी। घर मे इस वक़्त सिर्फ वही थी। दोपहर मे सोने के बाद अभी कुछ देर पहले ही जागी थी।
इस वक़्त पायल लॉबी में बैठी कोई किताब पढ़ रही थी। जब अचानक ही उसके कानों मे एक जानी पहचानी सी आवाज़ पड़ी। उसने चौंकते हुए आवाज़ की दिशा मे निगाहें उठाई और जैसे ही सामने का नज़ारा देखा, उसे 440 वॉल्ट का ज़ोर का झटका ज़ोरों से लगा। सामने से रुद्र एक खूबसूरत सी लड़की के साथ चला आ रहा था और दोनों किसी बात पर हँस रहे थे।
पायल कुछ पल तक सदमे की स्थिति मे फटी आँखों से बेयकिनी से उसे देखती रही, फिर उसे उस लड़की के साथ यूँ हँसते मुस्कुराते बातें करते देखकर पायल की भौंहे सिकुड़कर आपस मे जुड़ गयी और चेहरे पर सख्त भाव उभर आए।
"कौन है ये लड़की?.... और ये इनके साथ कैसे हँस हँसकर बात कर रहे है, मेरी बारी मे तो इनके अंदर एनाकोंडा की रूह घुस जाती है। जब मुँह खोलते है बस ज़हर उगलते है और हमेशा सड़ी शक्ल बनाकर घूमते रहते है ...... और अब खूब बत्तीसी चमका चमकाकर बातें हो रही है, जैसे क्लोज़अप का एड चल रहा हो।"
पायल दोनों को घूरते हुए मन ही मन भुनभुनाइ। ये चिढ़ थी या जैलेसि ये तो वो नही जानती थी पर रुद्र को किसी और लड़की के साथ इतना फ़्रैंक होते देखकर उसका मन सुलग हुआ था और दिल अजीब सा होने लगा था।
रुद्र उस लड़की से बातें करते हुए पायल के पास पहुँच गया पर उन्हे घूरने मे व्यस्त पायल को इसका एहसास तक न हुआ। रुद्र के साथ खड़ी लड़की ने पायल की घूरती निगाहों को खुदपर टिके देखा, फिर निगाहें घुमाकर रुद्र को देखते हुए सवाल किया।
"रुद्र ये मोहतरमा कौन है? आज से पहले तो इन्हें कभी नही देखा।"
रुद्र जिसका ध्यान पायल पर था उसने तुरंत ही उस लड़की का रुख किया।
"ये पायल है। डेड के childhood फ्रेंड की बेटी। पढ़ने के लिए यहाँ आई है और हमारे साथ ही रहती है।"
"कैसा आधा अधूरा इंट्रोडक्शन दिया है मेरा। फ्यूचर वाइफ कहने में तो जैसे इनकी ज़ुबान झुलस जाएगी और सही भी है। अगर बता देंगे कि पहले से बुक्ड है तो ऐसे फ्रीलि लड़कियों को अपने आगे पीछे कैसे घुमा पाएंगे?"
पायल रुद्र का जवाब सुनकर किलस उठी और जबड़े भींचते हुए मन ही मन बड़बड़ाई। अभी वो यही सोचते हुए रुद्र को तीखी निगाहों से घूरने मे लगी थी, जब उस लड़की ने उसका ध्यान अपनी ओर खींचा।
"हाय..... मैं दीप्ति। रुद्र की कॉलेज फ्रेंड, फिल्हाल साथ में एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है। रुद्र ने घर चलने के लिए फोर्स किया तो मैं आ गयी कि इसी बहाने अंकल आंटी से मुलाकात हो जाएगी।"
"हैलो" पायल ने फीकी मुस्कान लबों पर सजाते हुए उसके आगे बढे हाथ को थाम लिया।
"पायल मोम कहां है?" रुद्र ने निगाहें चारों तरफ दौड़ाते हुए सवाल किया। पायल ने फॉर्मेलिटि निभाते हुए बेमन से जवाब दे दिया।
"आंटी अपनी फ्रेंड्स के साथ पार्टी में गयी है।"
"नीलू भी कही नजर नही आ रही।" रुद्र ने अगला सवाल किया जिसपर एक बार फिर पायल का भावहीन सा जवाब आया।
"वो आधे दिन की छुट्टी लेकर गयी है।"
"मतलब घर मे सिर्फ तुम हो?"
रुद्र की निगाहें अब पायल पर आकर ठहर गयी।
"जी.... आपकी बदकिस्मती से तो अभी सिर्फ मैं ही हूँ।" खींझी हुई पायल हामी भरते हुए मन ही मन बड़बड़ाई। उसे अपने ख्यालों मे गुम देखकर रुद्र ने उसके आगे चुटकी बजाते हुए उसे टोका।
"हैलो मिस"
"ह.... हाँ" पायल चौंकते हुए अपने ख्यालों से बाहर आई। रुद्र ने भौंह सिकोड़ते हुए उसे देखा और तन्जिया लहज़े मे आगे बोला।
"ये तुम खड़ी खड़ी कहाँ खो जाती हो? मुझे तो लगता है तुम्हे कोई ज़हनी बीमारी है, डॉक्टर बनने से पहले खुदको किसी अच्छे से साइकाइट्रिस्ट से दिखा लो।"
मुक्त मे मिली से एडवाइस सुनकर पायल के तेवर ही बिगड़ गए। उसने गुस्से भरी निगाहों से उसे घूरा और तूनकते हुए बोली।
"इस फिज़ूल के मशवरे के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया पर मुझे इसकी ज़रूरत नही। अलबत्ता आप खुदको किसी बढ़िया से डॉक्टर से ज़रूर दिखा लीजियेगा। ये जो तंज कसने की बीमारी लगी है न आपको, शायद ठीक हो जाए और मेरे जैसे कुछ मासूम लोगों को आपके इस टॉर्चर से छुटकारा मिल जाए।"
पायल ने बिदकते हुए करारा जवाब उसके मुँह पर दे मारा, फिर मुँह बिसोरते हुए वहाँ से चली गयी।
To be continued.....
दीप्ति का आना क्या रंग लाएगा ? कैसा लगा आपको पायल का अंदाज़ ?