प्यार, भरोसे और झूठ के बीच उलझी एक कहानी… जहां हर चेहरा मुस्कान लिए है, लेकिन दिल में दबी हुई सच्चाई! डॉ. सान्वी मेहरा, 24 साल की एक प्रतिभाशाली न्यूरोसर्जन, जिसने हाल ही में एक दर्दनाक हादसे में अपने मंगेतर को खोया है। आरव खुराना, 26 साल का... प्यार, भरोसे और झूठ के बीच उलझी एक कहानी… जहां हर चेहरा मुस्कान लिए है, लेकिन दिल में दबी हुई सच्चाई! डॉ. सान्वी मेहरा, 24 साल की एक प्रतिभाशाली न्यूरोसर्जन, जिसने हाल ही में एक दर्दनाक हादसे में अपने मंगेतर को खोया है। आरव खुराना, 26 साल का एक सफल बिज़नेसमैन, जो अपनी पहचान से भाग रहा है — और एक ऐसा सच छुपा रहा है, जो किसी को भी तोड़ सकता है। और डीसीपी रणवीर शेखावत, 28 साल का तेज़तर्रार पुलिस अफसर, जो इस रहस्य से भरे केस को सुलझाने के लिए कुछ भी कर सकता है। जब तीन जिंदगियाँ टकराती हैं, तो हर रिश्ते की परतें खुलती हैं — और सामने आता है एक झूठा मर चुका प्यार… जो दरअसल अब तक ज़िंदा था। क्या सान्वी उस शख्स को पहचान पाएगी जिसने उसके दिल को फिर से धड़काना सिखाया, या वो पुलिस की जाँच में खो जाएगा — एक मुजरिम की तरह? "वो फिर लौट आया" एक रोमांचक लव स्टोरी, जिसमें प्यार है, धोखा है, और एक ऐसा ट्विस्ट... जिसे आप आखिरी पन्ने तक भूल नहीं पाएंगे।
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(धीमी साज़ पर एक लड़की की आवाज़ सुनाई देती है)
> "कहते हैं ना... जब कोई सच्चा प्यार करता है, तो वो वापस ज़रूर आता है...
पर क्या हो अगर वो लौटे तो पहचान में ही ना आए?"
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मुम्बई, बारिश की रात
बारिश की बूँदें जैसे पुराने घावों पर गिर रही थीं।
डॉ. सान्वी मेहरा, 24 वर्षीया न्यूरोसर्जन, नाइट ड्यूटी से बाहर निकली ही थी जब एक एक्सीडेंट केस आया —
मरीज का चेहरा खून से लथपथ, लेकिन धड़कनें अब भी ज़िंदा थीं।
नाम लिखा था — आरव खुराना, उम्र 26 साल।
एक बिज़नेसमैन, जो सड़क किनारे अचेत मिला। साथ कोई नहीं।
सान्वी ने जब उसका चेहरा देखा, उसकी उंगलियाँ कांप गईं।
वो चेहरा... कुछ जाना-पहचाना सा था।
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फ्लैशबैक: एक साल पहले
सान्वी की ज़िंदगी एक हँसते-खिलखिलाते प्यार से भरी थी —
उसका मंगेतर आदित्य वर्मा, एक इंटेलिजेंट, सुलझा हुआ इंसान।
दोनों की शादी तय हो चुकी थी। लेकिन शादी से बस 2 हफ्ते पहले,
आदित्य एक एक्सीडेंट में मारा गया... कहा गया कि कार ब्रेक फेल हो गया।
पुलिस ने केस बंद कर दिया, और सान्वी ने जीवन से मोह तोड़ लिया।
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वर्तमान
सान्वी ने जैसे-तैसे आरव का ऑपरेशन किया।
पर जैसे-जैसे दिन बीते, आरव की आँखों में कुछ अजीब था —
वो उसे ऐसे देखता जैसे बरसों से जानता हो।
उसका अंदाज़... उसकी मुस्कान...
और एक पुराना पेंडेंट जो उसके पास था —
जिसमें वही फोटो थी... जो कभी सान्वी ने आदित्य को दी थी।
"ये कैसे हो सकता है?"
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नया किरदार: डीसीपी रणवीर शेखावत
28 वर्षीय तेज़तर्रार, जिद्दी और ईमानदार पुलिस अफसर।
वो इस बार पुराने अधूरे केसों को फिर से खोल रहा था।
और एक केस उसके दिल के करीब था —
आदित्य वर्मा की मौत का मामला।
उसने शक जताया था कि वो एक्सीडेंट नहीं था —
बल्कि एक प्लान्ड मर्डर था।
अब उसका सामना होता है उसी डॉक्टर से — सान्वी —
और उसके नए मरीज़ से — आरव खुराना से।
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कहानी की उलझन
जैसे-जैसे डीसीपी रणवीर तहकीकात करता है,
वो पाता है कि आरव नाम का आदमी तीन साल पहले अमेरिका में मरा हुआ घोषित किया गया था।
लेकिन अब वह जिंदा है — और मुंबई में।
क्या आरव असली है? या कोई और है जो किसी और की पहचान लेकर जी रहा है?
और तब सान्वी को मिलता है वो सीटी स्कैन —
एक साल पुराना — आदित्य वर्मा का।
जो ये साबित करता है कि उसका दिमाग की चोटें किसी एक्सीडेंट से नहीं,
बल्कि जानबूझकर किए गए वार से हुई थीं।
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दिल की लड़ाई, दिमाग की जंग
सान्वी के सामने दो रास्ते थे:
या तो वो डॉक्टर बनकर केस की सच्चाई बाहर लाए —
या एक प्रेमिका बनकर उसी इंसान की हिफ़ाज़त करे जो शायद उसे धोखा दे रहा है।
"क्या तुम वही हो?"
सान्वी ने एक रात चुपचाप पूछ लिया।
आरव ने सिर्फ इतना कहा:
> "प्यार कभी मरता नहीं... बस पहचान बदल लेता है।"
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सस्पेंस गहराता है
डीसीपी रणवीर अब आरव को गिरफ़्तार करने के करीब है।
लेकिन वो एक ऐसा सच सामने लाता है…
जो सबको हिला देता है:
> सान्वी के पिता — डॉ. महेश मेहरा — ने आदित्य के खिलाफ केस दर्ज करवाया था।
क्यों?
क्योंकि आदित्य "सामान्य घर" से था, और उनकी बेटी एक प्रतिष्ठित डॉक्टर।
उन्होंने उसे सबक सिखाने की कोशिश की थी —
लेकिन वो हादसा जानलेवा बन गया।
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क्लाइमेक्स: सच का सामना
जब आरव (उर्फ़ आदित्य) ने अपनी मौत का नाटक किया,
उसका एक ही मकसद था —
सान्वी को उस सच्चाई से बचाना जिसे वो सह नहीं पाएगी।
लेकिन अब जब सब सामने है —
क्या वो फिर बिछड़ेंगे?
या अबकी बार प्यार और न्याय एक साथ खड़े होंगे?
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> "कुछ रिश्ते वक्त के साथ टूटते नहीं...
वो छुप जाते हैं, चुप हो जाते हैं —
और फिर लौट आते हैं…
‘वो फिर लौट आया’"
मुंबई की सड़कों पर उस रात कुछ अलग ही सन्नाटा था।
बरसात की बूँदें जैसे शहर की दीवारों से टकराकर कोई पुराना दर्द दोहरा रही थीं।
घड़ी रात के 2:47 बजा रही थी — और डॉ. सान्वी मेहरा, साउथ मुंबई के एक प्रतिष्ठित अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट में नाइट ड्यूटी पर थी।
उसे आज नींद कम, बेचैनी ज़्यादा सता रही थी।
एक साल हो गया था… लेकिन कुछ सपने अब भी पीछा नहीं छोड़ते।
आदित्य वर्मा।
उसका मंगेतर। उसका प्यार। उसकी अधूरी ज़िंदगी।
"डॉक्टर, एक एक्सीडेंट केस आया है। बहुत गंभीर है!"
नर्स की आवाज़ ने उसके ख्यालों की डोर तोड़ दी।
सान्वी भागती हुई इमरजेंसी रूम की ओर बढ़ी।
स्टेचर पर एक आदमी था — पूरा खून से लथपथ, चेहरा चोटों से बिगड़ा हुआ।
लेकिन उसकी आँखें... बंद होते हुए भी कुछ कहती थीं।
"नाम?"
"कोई आईडी कार्ड नहीं मिला, बस शर्ट में से एक विज़िटिंग कार्ड मिला — आरव खुराना।"
सान्वी के हाथ रुक गए।
उसने धीमे से उसका चेहरा पोंछा, ताकि घाव साफ़ हो सकें।
पर जैसे ही चेहरा साफ़ हुआ —
वो सिहर गई।
उसके सामने लेटा शख्स...
उसकी आँखें... उसका जबड़ा... उसके बालों की लटें...
"ये… ये आदित्य जैसा क्यों लग रहा है?"
"डॉक्टर?" नर्स ने दोबारा पुकारा।
सान्वी ने झटका लिया और ऑपरेशन की तैयारी में लग गई।
पर सर्जिकल टेबल पर उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं —
ना जाने क्यों, उस चेहरें को छूते हुए उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
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ऑपरेशन थिएटर — 3:13 AM
ऑपरेशन शुरू हुआ।
सिर में गहरी चोट थी, दाहिने कंधे में फ्रैक्चर।
पर सबसे ज़रूरी था — ब्रेन हेमरेज को कंट्रोल करना।
सान्वी ने घावों को साफ़ करते हुए देखा —
उसकी गर्दन में एक लॉकेट था।
जैसे ही नर्स ने वो लॉकेट उतारना चाहा,
सान्वी ने हाथ रोक दिया।
वही लॉकेट…
जिसमें एक छोटी सी फोटो थी — सान्वी की।
अब उसका पूरा शरीर सुन्न हो गया था।
"ये लॉकेट… ये मैंने सिर्फ आदित्य को दिया था… फिर ये इसके पास कैसे आया?"
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अगले दिन
जब तक मरीज को ICU में शिफ्ट किया गया,
सान्वी की आंखों में नींद नहीं थी।
वो फाइल पढ़ती रही —
नाम: आरव खुराना
उम्र: 26
पता: खाली
फोन: नहीं मिला
और फिर… दरवाज़ा खुला।
डीसीपी रणवीर शेखावत, 28 वर्षीय पुलिस अफसर, अंदर आया।
"डॉ. सान्वी मेहरा?"
"जी…"
"आपने जिस शख्स का ऑपरेशन किया है, उसके खिलाफ़ हमारे पास कुछ संदेह हैं।"
"क्या मतलब?" उसने पूछा, अब तक खुद ही उलझी हुई थी।
रणवीर ने एक फोटो निकाली।
"क्या ये वही है?"
फोटो में था — आदित्य वर्मा।
सान्वी की आंखें भर आईं।
रणवीर उसकी आंखों में कुछ पढ़ने की कोशिश कर रहा था।
"क्या आप जानती हैं कि आदित्य वर्मा एक साल पहले मृत घोषित हो चुका है?
लेकिन अब… अब वो शायद लौट आया है — नए नाम, नई पहचान के साथ… आरव खुराना बनकर।"
सान्वी खामोश खड़ी रही।
एक तरफ़ डॉक्टर का फर्ज़ था — सच की जांच करना।
दूसरी तरफ़ एक दिल था — जो अब भी उसी धड़कन को पहचानता था।
शायद...
प्यार वाकई लौट आया था।
लेकिन किस चेहरे में?
किस नाम में?
पिछले अध्याय से आगे... एक रहस्यमय घायल मरीज़, जिसे अस्पताल में "आरव खुराना" के नाम से लाया गया, उसके पास वही लॉकेट था जो डॉ. सान्वी मेहरा ने कभी अपने मंगेतर आदित्य वर्मा को दिया था। अब, पुलिस भी इस गुत्थी में शामिल हो चुकी है —.
और डीसीपी रणवीर शेखावत को शक है कि ये वही आदमी है, जिसे एक साल पहले मृत घोषित कर दिया गया था। --- 📍
मुंबई सिटी हॉस्पिटल – ICU – सुबह 7:20 मॉनिटर पर हलकी-हलकी बीपिंग की आवाज़ चल रही थी। सान्वी ICU के दरवाज़े पर खड़ी थी, नज़रें उस आदमी के चेहरे पर टिकी थीं। उसकी आँखें अब भी बंद थीं, लेकिन चेहरे पर अजीब सी शांति थी — जैसे किसी ने कई ज़िंदगियाँ जी ली हों। वो अकेली थी वहाँ, लेकिन अंदर से जैसे हज़ारों सवालों की भीड़ उसके चारों ओर मंडरा रही थी। > "अगर ये आदित्य है… तो वो वापस क्यों आया है?" "और अगर नहीं है… तो उस लॉकेट की तस्वीर वहाँ कैसे पहुँची?" ---
📍सिटी पुलिस कमिश्नरेट – रणवीर का ऑफिस –
सुबह 9:00 डीसीपी रणवीर शेखावत, अपने हाथ में दो फाइलें लिए बैठा था — एक आदित्य वर्मा की मृत्यु की रिपोर्ट, दूसरी आरव खुराना के बैंक ट्रांज़ैक्शन्स की डीटेल। "Sir," एक सब-इंस्पेक्टर अंदर आया, "वो आदमी ICU में अब भी बेहोश है। लेकिन उसकी फिंगरप्रिंट्स का मैच नहीं मिला।" "Match नहीं मिला?" रणवीर ने चौंक कर पूछा। "सर, उसके फिंगरप्रिंट्स किसी भी सरकारी रिकॉर्ड में नहीं हैं।" रणवीर की आँखें सिकुड़ गईं। > "या तो ये आदमी बहुत चालाक है…" "या फिर ये कोई और ही खेल खेल रहा है…" ---
📍सिटी हॉस्पिटल – उसी दिन दोपहर 2:17 सान्वी मरीज के कमरे में फिर से आई। उसके कदम धीमे थे, और दिल तेज़। तभी एक हलचल हुई। उसने देखा — मरीज की उंगलियाँ हिलीं। फिर आँखें धीरे-धीरे खुलीं। उसने पहली बार उसकी आँखों में देखा। वो गहरी थीं… और थकी हुई… पर जैसे जानती हों कि सामने कौन खड़ा है। "क… कहाँ हूँ मैं?" उसकी आवाज़ धीमी और कांपती हुई थी। "सिटी हॉस्पिटल में। एक्सीडेंट हुआ था तुम्हारा," सान्वी ने डॉक्टर वाला लहज़ा अपनाया। "आप कौन हैं?" उस सवाल ने जैसे एक सन्नाटा ला दिया। वो खुद को रोक नहीं पाई — "मुझे तुम पहचानते नहीं?" उसने पूछा। वो कुछ पल चुप रहा, फिर सिर हिलाया, "नहीं… पहली बार देख रहा हूँ आपको।" ---
📍सान्वी का अपार्टमेंट – उसी रात वो खुद से ही लड़ रही थी। क्या वो सच में आदित्य नहीं है? पर उसकी आँखें… उसकी साँसें… उसका चेहरा… और फिर वो लॉकेट? कोई अजनबी उस लॉकेट तक कैसे पहुँच सकता है जिसमें मेरी तस्वीर है? उसी रात उसने एक पुराने ड्राइव से एक सीसीटीवी फुटेज निकाली — शादी से पहले की एक वीडियो क्लिप, जिसमें आदित्य उसकी हँसी पर मुस्कुरा रहा था। उसकी स्माइल… बिल्कुल वैसी ही थी… ---
📍रणवीर की टीम – जांच आगे बढ़ती है "सर, हमने पता लगाया है कि आरव खुराना नाम का कोई व्यक्ति अमेरिका में 3 साल तक एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में था। लेकिन वो 18 महीने पहले गायब हो गया था। और तब से कोई संपर्क नहीं।" रणवीर: "क्या कंपनी ने कोई रिपोर्ट दर्ज की?" "नहीं सर। उसने कंपनी छोड़ने से पहले खुद इस्तीफा दे दिया था।" रणवीर अब और गहराई से सोच रहा था। > "एक मरा हुआ आदमी… वापस ज़िंदा होकर नए नाम के साथ भारत आता है… और सीधा उसी लड़की के हॉस्पिटल में पहुंचता है जिसकी ज़िंदगी उसने बर्बाद की थी… ये इत्तिफाक नहीं हो सकता।" ---
📍तीन दिन बाद – फिर से आमना-सामना आरव अब थोड़ा ठीक हो चुका था। रणवीर पूछताछ करने खुद आया। "आपका नाम?" "आरव खुराना।" "कहाँ रहते हो?" "कोई स्थायी पता नहीं है। मैं कुछ साल अमेरिका में था। फिर वापस आया।" "क्या भारत आने की कोई वजह?" "बस… कुछ अधूरे काम पूरे करने हैं।" अधूरे काम। ये दो शब्द रणवीर के कानों में गूंजने लगे। "तुम आदित्य वर्मा को जानते हो?" आरव की आँखों में एक पल को हलचल हुई। लेकिन उसने सिर हिलाया — "नहीं।" रणवीर मुस्कराया। उसे झूठ और सच की पहचान थी। और ये आदमी झूठ बोल रहा था। ---
📍फ्लैशबैक — एक साल पहले आदित्य की माँ अपने बेटे की राख लेकर रोती रही थी — लेकिन वो राख भी उसके नहीं थी। दरअसल, उस रात एक और युवक की जलती गाड़ी में लाश मिली थी। चेहरा जल गया था — डीएनए टेस्ट नहीं हुआ। और आदित्य "लापता" कहलाया। अब रणवीर को यकीन हो चला था — "आरव" ही "आदित्य" है। पर क्यों छिपा? क्या वो सिर्फ बचना चाहता था? या कोई और सच्चाई भी है? ---
📍सान्वी और आरव — एक सन्नाटे भरी बातचीत एक शाम, जब बारिश फिर से शुरू हुई, सान्वी ने उसका कमरा खामोशी से खोला। "मुझे सच जानना है," उसने कहा। आरव उसकी ओर देखा। "तुम वही हो न? आदित्य?" आरव चुप रहा। "मैंने तुम्हारे लिए सब खो दिया। पर आज… अगर तुम भी झूठ बोलोगे, तो मैं टूट जाऊँगी।" बहुत देर तक चुप रहने के बाद उसने कहा: > "मैं मरना नहीं चाहता था… पर जीते हुए भी हर दिन मर रहा था। और अब वापस आया हूँ — ताकि जो छीन लिया गया… उसे वापस पा सकूं।" ---
उसी रात, रणवीर को एक कॉल मिला — "सर, हमें वो कार मिल गई है जिसमें आदित्य का एक्सीडेंट हुआ था। और उसके अंदर एक सीक्रेट रिकॉर्डर मिला है… जिसमें कुछ गुप्त बातें दर्ज हैं।" रणवीर ने फाइल उठाई और तेज़ी से बाहर निकला। दूसरी तरफ़, आरव ने आईने में खुद को देखा। "अब वक्त आ गया है," उसने कहा। "प्यार की सच्चाई को भी सामने आने का हक़ है… और इंसाफ़ को भी।"
पिछले अध्याय में:
आरव, जो शायद आदित्य था, जाग गया। पर पहचान से इंकार करता रहा।
डीसीपी रणवीर ने शक को यकीन में बदलने के सबूत जुटाने शुरू कर दिए थे।
सान्वी की उलझनें बढ़ गई थीं… और अब उसके दिल में एक नई बेचैनी ने जन्म लिया था।
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📍सान्वी का फ्लैट – रात 11:30
बारिश थम चुकी थी, पर सान्वी की आँखों में वो आँधियाँ अब भी चल रही थीं जो किसी जवाब की तलाश में थीं।
वो आदित्य की पुरानी डायरी के पन्ने पलट रही थी —
हर शब्द जैसे दिल की कोई पुरानी नब्ज़ छू रहा था।
> "अगर मैं कभी लौटूं, तो मत पूछना कहाँ था… सिर्फ ये जान लेना कि तुम्हारे बिना साँस भी अधूरी थी।"
– आदित्य वर्मा, 14 मार्च, 2023
सान्वी की उंगलियाँ काँप उठीं।
क्या उसने सच में ये लिखा था?
या फिर ये किसी और की लिखावट थी?
उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो आदमी अब अस्पताल में भर्ती है, वही उसका अधूरा प्यार हो सकता है।
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📍हॉस्पिटल – अगले दिन सुबह 7:00
आरव अब बोलने-चलने की हालत में था।
पर उसकी आँखों में अजनबीपन अब भी झलक रहा था।
"आपका नाम क्या है?"
"आरव खुराना।"
"और पिछली यादें?"
"कुछ धुंधली हैं… कुछ साफ़ नहीं…"
उसकी आवाज़ में हिचक थी, जैसे वो खुद से झूठ बोल रहा हो।
सान्वी ने कड़ा रुख अपनाया —
"देखो, अगर तुम आदित्य हो… तो मुझे बताओ। ये झूठ ज़्यादा देर तक नहीं चलेगा।"
वो कुछ पल चुप रहा, फिर बस इतना बोला —
"मैं जानता हूँ तुम कौन हो… पर मैं वो नहीं हूँ जो तुम समझ रही हो।"
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📍रणवीर का ऑफिस – उसी समय
रणवीर अब सबूतों के टुकड़े जोड़ रहा था।
एक नया क्लू सामने आया था —
दिल्ली से एक कॉल लॉग उस रात जब आदित्य की गाड़ी एक्सीडेंट में मिली थी।
और कॉल किया गया था… एक सरकारी नंबर पर, जो अब बंद हो चुका था।
"इस नंबर की डीटेल निकालो," उसने कहा।
"सर, ये नंबर एक पूर्व क्रिमिनल-लॉयर के नाम से रजिस्टर्ड था — मिहिर सहाय।"
रणवीर की निगाहें चमक उठीं।
> "मिहिर सहाय… वही वकील जो अंडरवर्ल्ड से जुड़े केस में बरी हुआ था?"
"तो क्या आदित्य को किसी ने मारने की कोशिश की थी?"
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📍फ्लैशबैक – 18 महीने पहले
(नarration style – तेज़, टुकड़ों में)
आदित्य एक सुनसान कॉफी हाउस में बैठा था।
वो घबराया हुआ था — उसके सामने मिहिर सहाय बैठा था।
"मैं उन्हें सब कुछ बता दूंगा। मैंने जो नहीं किया, उसका बोझ नहीं उठा सकता।"
मिहिर मुस्कराया।
"तो फिर मरने के लिए तैयार रहो, मिस्टर वर्मा।"
उसके बाद की बातें धुंधली थीं…
बस एक धमाका…
धुएँ में लिपटी गाड़ी…
और काला पर्दा।
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📍वर्तमान – हॉस्पिटल – दोपहर
रणवीर ने आरव से पूछताछ शुरू की।
"क्या तुम मिहिर सहाय को जानते हो?"
"नहीं।" (तेज जवाब)
"अजीब बात है। तुम्हारे नाम से एक मेल गया है मिहिर को 3 महीने पहले — ‘I’m coming back.’"
आरव की पलकों में हरकत हुई, पर चेहरा शांत रहा।
रणवीर ने कहा,
"अगर तुम सच में आरव हो… तो तुम्हारे पास छिपाने को क्या है?
और अगर तुम आदित्य हो… तो बताओ, किससे लड़ाई है तुम्हारी?"
वो उठा, धीरे से मुस्कराया,
"कुछ कहानियाँ अधूरी ही सही लगती हैं… जब तक उनका अंत न बदल दिया जाए।"
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📍सान्वी का मन – उलझा हुआ रास्ता
सान्वी अब खुद से लड़ रही थी।
उसने कबसे खुद को एक सख़्त डॉक्टर, प्रोफेशनल और आत्मनिर्भर स्त्री की तरह खड़ा किया था।
लेकिन अब… उसकी ज़िंदगी में फिर एक परछाई लौट आई थी —
जो हर लम्हा उसके दिल को हिला रही थी।
वो लॉकेट अब भी उसकी जेब में था।
आदित्य की तस्वीर अब भी मुस्करा रही थी।
उस रात उसने पहली बार माना —
> "शायद… वो फिर लौट आया है। लेकिन अगर आया है… तो क्या वो मेरे लिए आया है?"
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📍एक और रहस्य — फोटोग्राफर की गवाही
रणवीर को एक फोटोग्राफर से कॉल आया।
"सर, मैंने उस रात एक फोटो ली थी… जलती हुई कार की। उसमें एक और शख़्स छुपकर देख रहा था।"
"तुम्हारे पास वो फोटो है?"
"हाँ… मैंने डर के मारे नहीं दिखाई थी, लेकिन अब दिखा रहा हूँ।"
रणवीर ने फोटो को ज़ूम किया —
एक लंबा आदमी, ब्लैक जैकेट, चेहरे पर दाढ़ी।
"ये कोई और नहीं… वो खुद है — जो खुद को 'आरव' कह रहा है।"
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उस रात, रणवीर सान्वी को लेकर आरव के कमरे में पहुँचा।
"अब झूठ नहीं चलेगा। हमारे पास सबूत है — तुम वही हो, आदित्य वर्मा।"
आरव ने सिर झुका लिया।
सान्वी की आँखों में आँसू थे —
"क्यों किया ये सब? क्यों छिपाया?"
आरव ने पहली बार साफ़ शब्दों में कहा —
> "क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता था… और मैंने तुम्हें दर्द नहीं देना चाहा।
लेकिन अब… जब मैं जान गया हूँ कि वो जो मेरी मौत चाह रहे थे, अब भी ज़िंदा हैं —
तो मुझे भी जीना पड़ेगा। और लड़ना भी।"
रणवीर ने पूछा, "किससे?"
आरव की आवाज़ में आग थी —
> "उनसे… जिन्होंने मेरी ज़िंदगी छीनी। और अब मैं उनकी पहचान उजागर करने जा रहा हूँ।"
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📍1. अंधेरी रात का सच
वो रात फिर से लौट आई थी — वैसी ही चुप, वैसी ही भारी।
दिल्ली के बाहरी इलाके में, एक पुरानी बिल्डिंग के बेसमेंट में, कोई फाइलें जल रही थीं।
काले कोट में एक आदमी — उसके चेहरे पर दाढ़ी, हाथ में दस्ताने।
वो हर पन्ना ध्यान से देखता और आग के हवाले कर देता।
किसी फाइल पर लिखा था — "A. Verma – Witness Dossier (2018)"
एकाएक उसके फोन की स्क्रीन जगमगाई:
"DCP Ranveer Singh is back on the case."
आदमी की आंखों में खतरे की परछाईं थी।
> “अब खेल शुरू होता है…” – वो बुदबुदाया।
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📍2. सान्वी – विश्वास की डोर पर
सान्वी रात भर सो नहीं सकी थी।
उसका दिमाग दो हिस्सों में बँटा था —
एक हिस्सा चाहता था कि वो आदित्य को गले लगाकर कह दे: "मैं जानती थी तुम लौटोगे..."
और दूसरा हिस्सा अब भी इस बात से डरा हुआ था कि ये सब बस एक बहुत बड़ा धोखा है।
वो उस लॉकेट को बार-बार खोल रही थी जिसमें दोनों की तस्वीर थी।
वो तस्वीरें अब किसी पुरानी ज़िंदगी की गवाही लग रही थीं —
एक ज़िंदगी जो अधूरी रह गई थी।
उसी समय उसे एक कॉल आया।
रणवीर:
“मुझे मिलना है तुमसे। अभी। जरूरी है।”
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📍3. रणवीर की रणनीति
काफ़ी हाउस की पिछली सीट पर रणवीर गंभीर बैठा था।
“सान्वी, मुझे अब यकीन है कि आरव ही आदित्य है। लेकिन उससे भी जरूरी बात ये है — किसी ने उसे मारने की कोशिश क्यों की?”
सान्वी ने पूछा, “क्या तुम मिहिर सहाय तक पहुँच पाए?”
रणवीर ने उसकी आँखों में देखा।
> “मिहिर गायब है। लेकिन उसकी एक प्रॉपर्टी मिली है गुरुग्राम के पास — ‘S-4 Safe House’।
और यही वो जगह है जहाँ आदित्य के ‘गायब होने’ से पहले आखिरी लोकेशन मिली थी।”
सान्वी का दिल कांप उठा।
“तो क्या… आदित्य को वहीं कुछ हुआ था?”
रणवीर ने सिर हिलाया।
“और मैं चाहता हूँ कि तुम भी वहाँ चलो। शायद तुम्हारे सामने उसका रवैया बदले।”
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📍4. S-4 Safe House
गुरुग्राम के बाहरी इलाके में, धूल भरी सड़क पर एक टूटी-सी कोठी खड़ी थी।
इसी जगह से आदित्य की आखिरी कॉल ट्रेस हुई थी।
रणवीर, सान्वी और दो जवान अंदर दाखिल हुए।
कमरे में हर तरफ़ गंदगी और सन्नाटा था, लेकिन नीचे एक तहखाना मिला —
जहाँ दीवार पर एक नाम उकेरा गया था…
“A.V. – I Will Return”
सान्वी सन्न रह गई।
तहखाने में एक पुराना CCTV मॉनिटर था।
रणवीर ने डिस्क कलेक्ट की और कहा — “शायद ये हमारी सबसे बड़ी क्लू हो।”
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📍5. आदित्य और आरव – सच्चाई के दो पहलू
हॉस्पिटल में आरव की तबीयत अब स्थिर थी।
लेकिन वो बात कम करता जा रहा था।
जब सान्वी उसके पास पहुँची, वो चुपचाप एक किताब पढ़ रहा था —
“1984 by George Orwell”
“अजीब पसंद है,” सान्वी ने कहा।
आरव मुस्कराया — “डबलथिंक का ज़माना है। सच और झूठ में फ़र्क मिटता जा रहा है।”
सान्वी ने पूछा, “क्या तुम्हें ये नाम याद है — मिहिर सहाय?”
आरव की उंगलियाँ काँपीं, लेकिन उसने चेहरा छुपा लिया।
“वो नाम किसी बुरे सपने जैसा है,” उसने कहा।
“क्या वो तुम्हें ब्लैकमेल करता था?”
आरव ने गहरी साँस ली —
> “उसने मेरी गवाही खरीदनी चाही थी… जब मैंने मना किया, तो मेरी मौत तय कर दी गई।”
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📍6. वो रात जब सब कुछ टूटा
फ्लैशबैक – (18 महीने पहले)
दिल्ली कोर्ट के बाहर आदित्य अपनी कार में बैठा था।
उसके पास एक पेन-ड्राइव थी जिसमें एक फाइल थी — "Operation Saanjh: Underworld Funding Records"
ये वही फाइल थी जिससे कई नेताओं, पुलिस अधिकारियों और माफियाओं की मिलीभगत साबित होती थी।
उसे ये फाइल गलती से एक केस की जांच के दौरान मिल गई थी।
वो इसे डीसीपी रणवीर को सौंपना चाहता था… पर तभी…
उसकी कार में एक धमाका हुआ।
आग, धुआँ… और फिर अंधेरा।
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📍7. फिर लौटा… पर बदला हुआ
सान्वी ने उस रात आदित्य के सामने सारी बातें रख दीं।
उसने कहा:
“अगर तुम फिर लौटे हो… तो बताओ, क्यों?”
आरव/आदित्य ने कहा —
> “क्योंकि अब मैं डरता नहीं। अब मैं लड़ने आया हूँ।
जिन लोगों ने मेरी पहचान छीनी… मैं उन्हें उनके चेहरे के साथ दुनिया के सामने लाऊँगा।”
वो एक सेकंड रुका, फिर कहा —
“लेकिन उससे पहले… मैं तुम्हारा विश्वास वापस जीतना चाहता हूँ।”
सान्वी की आँखों में आँसू थे।
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📍8. सीसीटीवी का सच
रणवीर ने S-4 Safe House से लाया गया CCTV फुटेज चलवाया।
डिस्क की एक क्लिप में साफ दिखा —
मिहिर सहाय, दो नकाबपोश गुंडे, और एक घायल आदित्य।
वो उसे पीट रहे थे। और मिहिर चिल्ला रहा था —
“ये फाइल अगर बाहर गई, तो हम सब गए। खामोश रहो, वरना खत्म कर देंगे!”
उसके बाद की फुटेज कटी हुई थी।
रणवीर बुदबुदाया:
“अब हमारे पास सबूत है। लेकिन हमें मिहिर को पकड़ना होगा — ज़िंदा।”
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📍9. जाल बिछता है
रणवीर ने एक ऑपरेशन प्लान किया।
सान्वी को भी साथ लेना पड़ा, क्योंकि मिहिर को केवल वो ही एक जाल में फंसा सकती थी।
सान्वी ने मिहिर को एक नए ईमेल से मैसेज किया:
> “मेरे पास वो फाइल है। और मैं जानती हूँ कि आदित्य जिंदा है।
अगर मुझसे मिलना है, तो कल शाम 6 बजे ‘लोधी गार्डन’ आओ। अकेले। वरना सब बाहर आ जाएगा।”
रणवीर ने पूरा पार्क घेर लिया।
लेकिन शाम 6:00 बजे जो आया… वो मिहिर नहीं था।
वो एक और आदमी था — जिसका चेहरा पूरी तरह जला हुआ था।
उसने बस इतना कहा —
> “मिहिर तुम्हें नहीं मिलेगा। लेकिन आदित्य को मिल जाएगा एक और मौत।”
और वो गोलियाँ चला कर भाग गया।
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📍10. नई शुरुआत – नई लड़ाई
सान्वी की बाँह छिल गई थी, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं टूटी।
रणवीर अब समझ चुका था कि मामला सिर्फ ब्लैकमेल का नहीं —
बल्कि पूरे सिस्टम की पोल खोलने वाला है।
अब आदित्य का दुश्मन सिर्फ मिहिर नहीं, बल्कि वो पूरी व्यवस्था थी
जिसे वो बेनकाब करना चाहता था।
और अब इस लड़ाई में सान्वी और रणवीर दोनों उसके साथ थे।