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"लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!!

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Farheen Rajput

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आरना कमरे में रखे सोफे पर मध्यम रोशनी के बीच बैठी हुई थी! उसके दिमाग में बीते चौबीस घंटे में मची उथल पुथल चल रही थी,उसे यकीन ही नही हो रहा था कि एक दिन में उसकी जिंदगी में इतना बड़ा बदलाव,इतना बड़ा तूफान आ खड़ा हुआ था! उसका दिल एक अनजाने डर और खौफ से...

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"लाईफ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!!!

Rebel

Total Chapters (71)

Page 1 of 4

  • 1. \"लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल\"....!! - Chapter 1

    Words: 1311

    Estimated Reading Time: 8 min

    (मुंबई….) एक लग्जरियस ऑफिस था जहाँ की हर चीज़ वहाँ के लग्ज़री होने का दावा कर रही थी। महँगी-महँगी पेंटिंग्स दीवारों पर लगी थीं। एक शेल्फ पर कई अवार्ड रखे थे। दूसरी तरफ मिनी रिफ्रेशमेंट बार और 4-5 लोगों की मीटिंग के लिए शानदार कुर्सियाँ और टेबल का इंतज़ाम था। कुल मिलाकर, हर चीज़ एंटीक और कीमती लग रही थी। उसी ऑफिस में लगभग 26-27 साल का एक हैंडसम लड़का बैठा था। उसकी आँखें लाइट ब्लू, बाल हल्के सुनहरे और रंग गोरा था। उसकी शानदार पर्सनैलिटी (जो आमतौर पर अगर जन्मजात न भी हो तो पैसा सब बना ही देता है😋) थी। वह बॉस की कुर्सी पर एक टांग पर दूसरी टांग रखकर, टेबल पर रखे किसी नवाब या राजा की तरह बैठा था। उसके चेहरे से घमंड और एटीट्यूड झलक रहा था। उसके बाल सलीके से सेट किए हुए थे। महँगे ब्रांडेड सूट के साथ मैचिंग कीमती जूते और हाथ में ब्रांडेड घड़ी थी। उसके कपड़ों से आती महँगी परफ़्यूम की खुशबू उसके स्टेटस का बखान कर रही थी। उसके सामने 19-20 साल की एक लड़की खड़ी थी। उसकी आँखें गहरे भूरे रंग की थीं, जिनमें बेबसी साफ़ झलक रही थी। उसके कोमल गुलाबी होंठ हल्के कांप रहे थे। कमर तक के काले घने बाल और लाइट ग्रीन कलर का सूट पहने वह उस शख्स के सामने खड़ी थी। लड़की (रिक्वेस्ट करते हुए): "मिस्टर अग्निहोत्री प्लीज़ हम लोगों की मदद कीजिए। मेरे पापा की रेपुटेशन और उनकी इज्ज़त को बचा लीजिए!" लड़का (फुल एटीट्यूड स्माइल के साथ): "और मैं आपकी मदद करूँगा? आपको ऐसा क्यों लगता है… (कुछ पल रुक कर)… मिस आरना कपूर…" आरना (अपने हाथ जोड़ते हुए): "प्लीज़ मिस्टर अग्निहोत्री ऐसा मत कहिए। आप मेरी आखिरी उम्मीद हैं और अगर आपने मेरी मदद नहीं की तो…" लड़का: "तो तुम्हारे पापा और उनका ऑफिस और यहाँ तक कि घर भी पूरी तरह बैंकक्रप्ट हो जाएगा। (एविल स्माइल के साथ) मगर एक राज़ की बात बताऊँ, यही तो रिदांश अग्निहोत्री असल में चाहता है!" आरना (आँसू भरी लाचार आँखों से): "ऐसा मत कहिए मिस्टर अग्निहोत्री। आपके सिवा हमारी मदद कोई भी नहीं करेगा क्योंकि कोई भी आपके खिलाफ नहीं जाएगा। मैं नहीं जानती कि आपकी हमसे क्या दुश्मनी है जो आप हमारे साथ ऐसा बदला ले रहे हैं, पर मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ, प्लीज़ मेरे पापा की इज्ज़त को बचा लीजिए!" रिदांश (अपनी जगह से खड़े होते हुए): "चलो अब तुम इतनी रिक्वेस्ट कर रही हो तो ठीक है, मैं तैयार हूँ, लेकिन…" आरना: "लेकिन क्या?" रिदांश (अपनी पैंट की जेब में हाथ डालकर): "लेकिन ये कि सब जानते हैं कि रिदांश अग्निहोत्री कभी घाटे का सौदा नहीं करता। सब जानते हैं कि मैं एक बिज़नेसमैन हूँ, तो ज़ाहिर है कि मुझे किसी भी सौदे में अपना फायदा चाहिए। मतलब, एक हाथ से दे तो दूसरे हाथ से ले!" आरना: "मुझे मंज़ूर है। आप जो कहेंगे मैं तैयार हूँ। जैसे ही सब कुछ ठीक हो जाएगा मैं आपकी पाई-पाई चुका दूँगी और…" रिदांश (बीच में ही टोक कर, आरना की तरफ़ कदम बढ़ाते हुए): "आँ, आँ… नो स्वीटहार्ट, नो… रिदांश कल के भरोसे कुछ नहीं छोड़ता। मैं मदद अभी करूँगा तो मुझे उसके बदले में अपनी कीमत भी अभी ही चाहिए, वरना भूल जाओ फिर!" आरना (परेशान होकर): "नो, नो प्लीज़… ऐसा मत करिए। लेकिन मेरे पास अभी कुछ भी नहीं है जो मैं आपको दे सकूँ, पर मैं वादा करती हूँ कि…" रिदांश (ज़ोर से हँसते हुए): "और तुम्हें क्या लगता है कि मैंने ये इतना बड़ा बिज़नेस वादों पर खड़ा किया है? (सीरियस होकर) आई थिंक तुम यहाँ सिर्फ़ मेरा कीमती वक़्त बर्बाद करने आई हो, जो कि ऑलरेडी बहुत कर चुकी हो तुम। (वापस अपनी कुर्सी की तरफ़ मुड़ते हुए) नाउ लीव, गेट आउट!!" आरना (हड़बड़ा कर): "नो, नो… प्लीज़… आप जो बोलेंगे वो मैं करूँगी। आपको जो भी कीमत चाहिए, मैं चुकाने के लिए तैयार हूँ, बस प्लीज़ मेरी मदद कीजिए!" रिदांश यह सुनकर वापस से आरना की तरफ़ पलटता है और एविल स्माइल के साथ उसकी तरफ़ अपने कदम बढ़ाता है। कुछ ही पल में वह ठीक उसके सामने खड़ा था। क्योंकि आरना उसके कंधे तक ही आ रही थी, इसलिए सिर झुकाकर एविल मुस्कान के साथ उसे एकटक देख रहा था। रिदांश: "आर यू श्योर… कि तुम मुझे कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हो?" आरना (रिदांश की करीबी से असहज होते हुए): "य… यस!" रिदांश (आरना को एकटक देखते हुए): "तो फिर ठीक है, मैं तुम्हारी बात मानने के लिए तैयार हूँ। तुम्हारे बाप की इज्ज़त और रेपुटेशन को दुबारा से वही मुक़ाम हासिल हो जाएगा, लेकिन… (एक पल रुक कर) मुझे तुम चाहिए!" आरना (दो कदम पीछे लेते हुए, आँखें फाड़कर): "क… क्या मतलब?" रिदांश (बेपरवाही से, एविल स्माइल के साथ आरना के गाल पर अपनी उंगली घुमाते हुए): "बिल्कुल ठीक सुना तुमने। मेरे सारे फ़ेवर के बदले की कीमत तुम होगी मिस कपूर। सिर्फ़ एक रात और फिर तुम आज़ाद। और इस एक रात के बदले मैं तुम्हें…" रिदांश अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि कैबिन में एक ज़ोरदार थप्पड़ की आवाज़ गूंज उठी। (24 घंटे बाद…) आरना कमरे में रखे सोफ़े पर मध्यम रोशनी में बैठी हुई थी। उसके दिमाग में बीते चौबीस घंटे की उथल-पुथल चल रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक दिन में उसकी ज़िंदगी में इतना बड़ा बदलाव हो गया। उसका दिल अनजाने डर और खौफ से बैठा जा रहा था। अभी वह अपनी किस्मत की उलझन में ही उलझी थी कि तभी कमरे का दरवाज़ा खुलता है और उसे तेज़ आवाज़ के साथ बंद करते हुए रिदांश अंदर आता है। आरना को ऊपर से नीचे देखते हुए घमंड भरी मुस्कान उसके होंठों पर तैर जाती है। रिदांश (सोचने का नाटक करते हुए): "आँ… क्या कहा था तुमने कि मैं चाहे जो कर लूँ लेकिन तुम्हें कभी झुका नहीं सकता, कभी तुम्हारा आत्मविश्वास तोड़ नहीं सकता… (घमंड भरी मुस्कान के साथ) च च च च च… लेकिन अफ़सोस, तुम्हारा आत्मविश्वास और तुम्हारा वजूद दोनों ही एक झटके में मेरे जूते की नोक पर आ गए हैं!" आरना (पूरी हिम्मत जुटाकर): "अगर आपको लगता है मुझे मजबूर करके आप मुझसे जीत जाओगे तो यह आपकी गलत फ़हमी है, क्योंकि भले ही मैं इस वक़्त कमज़ोर हूँ, लेकिन मेरा आत्मविश्वास अभी भी मुझमें ज़िंदा है। और एक बात और, ऊपर वाले की लाठी में आवाज़ नहीं होती रिदांश अग्निहोत्री, और जिस दिन वह आपसे हिसाब लेगा ना, तब आपको अपनी गलती का एहसास होगा, लेकिन अफ़सोस तब तक बहुत देर हो चुकी होगी!" रिदांश दो पल के लिए ज़ोर से हँसता है, मगर अगले ही पल वह आरना के बालों को अपने बाएँ हाथ में कसकर पकड़ लेता है। आरना दर्द से कराह उठती है और उसके दोनों हाथ अपने बालों पर से रिदांश की पकड़ को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। रिदांश के चेहरे पर इस वक़्त गुस्सा और उससे भी ज़्यादा दुनियावी घृणा साफ़ झलक रही थी। रिदांश (गुस्से और घृणा से): "मेरे सामने अपना यह अच्छा और बिचारी बनने का नाटक ना ही करो तो बेहतर है, क्योंकि तुम और तुम्हारी औक़ात क्या है यह मुझसे बेहतर कोई भी नहीं जानता। घिन आती है मुझे तुमसे और तुम्हारे पूरे वजूद से!" आरना (आँसू भरी आँखों से): "आखिर मेरा क़सूर क्या है? क्यों आप मुझे यह सज़ा दे रहे हैं?" रिदांश (एविल स्माइल के साथ): "इस सब की इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान… और वैसे भी अब तो पूरी लाइफ़ पड़ी है सब जानने और समझने के लिए… सो जस्ट वेट स्वीटहार्ट… (आरना के कान के पास जाकर धीरे से) एंड वेलकम टू माय हेल… (कुछ पल रुककर, तिरछी मुस्कान के साथ)… वाइफ़ी!" इतना कहकर रिदांश झटके से आरना के बाल छोड़कर उसे किसी कचरे की तरह ज़मीन पर गिरा देता है और बिना एक बार भी उसकी तरफ़ देखे सीधा रूम से बाहर चला जाता है। आरना, जो अब तक अपने आँसुओं को रोके हुए थी, अब और उन्हें नहीं रोक पाई और वहीं ज़मीन पर गिरे हुए ही सिसकने लगती है।

  • 2. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 2

    Words: 1655

    Estimated Reading Time: 10 min

    (मुंबई… (न्यू ईयर नाईट))

    (एक हवेली-नुमा घर के अंदर रात के लगभग 12:30 बजे)…

    सीढ़ियों से दबे पांव, हाथ में सैंडल पकड़े हुए, एक लड़की चारों तरफ देखते हुए बड़ी सावधानी से नीचे उतरी। उसकी उम्र 19-20 साल की होगी, गहरी भूरी आँखें थीं। उसने अपने कोमल गुलाबी होठों को दांतों तले दबा रखा था। कमर तक के काले, घने बाल और रॉयल ब्लू कलर की घुटनों तक की वेस्टर्न ड्रेस में वह बहुत जच रही थी। वह लड़की दबे पांव उतरते हुए दरवाजे पर पहुँची और चारों तरफ देखकर एक गहरी साँस लेते हुए दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि एकाएक एक आवाज़ से उसके हाथ डर के मारे रुक गए। वह बिना पीछे पलटे, आँखें बंद किए हुए ईश्वर से खुद को बचाने की प्रार्थना करने लगी। हर बढ़ते पल के साथ उसे अपनी तरफ बढ़ते कदमों की आहट महसूस हो रही थी!

    एक कड़कदार आवाज़ आई, "कहाँ जा रही हो इतनी रात में तुम!! वो भी ऐसे अकेले?"

    लड़की डरते हुए पीछे पलटी। "वो मैं…वो…पापा…वो मैं…मैं…"

    "वैसे मुझे नहीं पता था कि तू कभी-कभी बकरी भी बन जाती है!"


    लड़की ने जब अपनी नज़रें ऊपर उठाकर देखीं, तो एक गहरी साँस के साथ उसकी जान में जान आई। लेकिन अगले ही पल, वह अपने सामने खड़े शख्स पर चिल्लाने के लिए मुँह खोलने वाली थी कि वह उसके करीब आते हुए उसके मुँह पर हाथ रखकर उसे शोर न करने का इशारा किया। दोनों दबे पांव बाहर का दरवाजा खोलकर बाहर निकल गए। बाहर निकलते ही लड़की उस शख्स को घूरने लगी और अगले ही पल उसे मारना शुरू कर दिया। ब्लैक कलर की जींस पर व्हाइट टीशर्ट और ब्लैक कैज़ुअल ब्लेज़र पहने, होंठों पर शरारती मुस्कान और आँखों में मस्ती लिए हुए वह लड़का भी काफी अच्छा लग रहा था।

    लड़का खुद को बचाते हुए बोला, "अरे, अरे!! आरना की बच्ची, मोटी!! रुक जा!! जान ही लेगी क्या अब मेरी?"

    "तुझे तो आज मैं छोड़ूंगी नहीं राहुल के बच्चे!!! एक पल को तो मेरी जान ही निकल गई थी पापा की आवाज़ सुनकर!"

    "हाँ तो जब तू बिना बताए मुझे अकेले छोड़कर न्यू ईयर पार्टी के लिए जाने का सोचेगी, तो तुझे सबक सिखाने के लिए इतना ड्रामा तो मैं कर ही सकता हूँ!" उसने अपना कॉलर ऊपर उठाया। "वैसे भी, बंदा तो टैलेंटेड ही हूँ मैं!"

    "टैलेंटेड माय फ़ुट! और इस खुशफ़ैमी में रहने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है कि तुझे मैं अपने साथ लेकर भी जाऊँगी!"

    राहुल: "ठीक है फिर! इस बार सच में मैं अंकल को बुला ही लेता हूँ! " (ज़ोर से बोलते हुए) "अंक…"

    आरना (राहुल के मुँह पर हाथ रखकर): "अच्छा अच्छा ठीक है! मर…भाव मत खा और शांत रह! चल तू भी!"

    राहुल (दाँत दिखाते हुए): "हम्म! अब ठीक है। और वैसे भी, अगर तू मना भी करती तब भी मैं तेरे साथ आता ही, क्योंकि तुम दोनों लड़कियों को इतनी रात में मैं अकेले किसी कीमत पर नहीं जाने दे सकता था!"

    आरना (मुँह बनाते हुए): "हाँ, जैसे तू तो बड़ा खली है! हमें अच्छे से खुद को संभालना आता ही नहीं है ना!! "

    राहुल: "जी हाँ! क्योंकि एक तू है आधा दिमाग और दूसरी तरफ वो तेरी दोस्त और खाली दिमाग नैना!"

    "अच्छा मैं खाली दिमाग हूँ… वेरी बेड राहुल… मैं हमेशा तुम्हारी साइड रहती हूँ और इसके बावजूद तुम मेरे लिए ऐसा बोलते हो!"

    ग्रीन कलर की वेस्टर्न ड्रेस में, होंठों पर लाल डार्क लिपिस्टिक और कर्ली बालों के साथ आरना की दोस्त नैना राहुल को घूर रही थी।

    राहुल: "अरे मेरा मतलब ये नहीं था! बल्कि मैं तो ये कह रहा था कि तुम बहुत भोली हो और साथ ही दोनों लापरवाह भी। और वैसे भी आज न्यू ईयर पार्टी है, जाने कैसे-कैसे लोग आते हैं, इसीलिए तुम दोनों किसी कीमत पर भी अकेले नहीं जाओगी! " उसने अपने हाथ बाँध लिए। "अब फैसला तुम्हारा है कि जाना है कि नहीं?"

    नैना और आरना एक-दूसरे की तरफ देखती हैं और फिर आखिर में राहुल को अपने साथ ले जाने के लिए हामी भर देती हैं। तीनों राहुल की गाड़ी में साथ ही निकल पड़े।

    आरना जाने-माने बिज़नेस मैन मिस्टर राघव कपूर की बेटी थी। जब उसका जन्म हुआ, तब ही उसकी माँ चल बसी थी। फैमिली के नाम पर उसके पास राहुल था, जो मिस्टर कपूर के एक बहुत अच्छे दोस्त मिस्टर मेहरा का बेटा था। एक कार एक्सीडेंट में उनके और उनकी बीवी के मरने के बाद वह बचपन से ही आरना और मि. कपूर के साथ उनके घर में रहता था। मि. कपूर उसकी बहुत सराहना और तारीफ करते थे। आरना के लिए राहुल एक दोस्त, मेंटर और अपनी हर बात और दुख-सुख शेयर करने वाला इंसान था। दूसरी तरफ थी नैना, जो आरना की स्कूल टाइम से उसकी दोस्त थी और वक्त के साथ दोनों की दोस्ती गहरी हो गई थी। दोनों के घर भी कुछ ही दूरी पर थे। इन दोनों के सिवा उसकी ज़िंदगी में थे उसके पिता मि. कपूर, जिनसे खुद की एक तारीफ सुनने और प्यार के एक बोल के लिए आरना हमेशा अपनी जान लगा देती थी, लेकिन हमेशा ही उसे तिरस्कार और नफ़रत के बोल ही सुनने को मिलते थे। वह आज तक समझ ही नहीं पाई थी कि आखिर क्यों उसके पिता उससे सौतेलों जैसा व्यवहार करते हैं और क्यों उससे नफ़रत भरे शब्दों से ही बात करते हैं। वह लाख कोशिश कर ले, लेकिन आज तक अपने पिता के चेहरे पर अपनी किसी बात से खुशी या सुकून नहीं दे पाई। उसे लगता था कि उसकी वजह से उसकी माँ की जान चली गई; शायद यही वजह है उसके पिता की उससे नफ़रत करने की। कभी-कभी उनके तीर जैसे शब्द सीधा उसके दिल को छलनी कर जाते और वह पूरी तरह टूट जाती, लेकिन फिर खुद को हौसला देकर अपने पापा का विश्वास और प्यार पाने का संकल्प भी करती। राहुल और नैना दोनों आरना की इस हालत से बखूबी वाकिफ़ थे और दोनों लाख कोशिशों के बाद भी उसकी परेशानी दूर नहीं कर पाए थे। यही वजह थी कि दोनों उसे अपने साथ ज़्यादा से ज़्यादा खुश रखने की कोशिश करते और उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करते। आरना भी यह बात अच्छे से समझती थी और ऐसे दोस्त पाकर ईश्वर का धन्यवाद करती थी। ये दोनों जहाँ भी जातीं, राहुल इनके साथ साये की तरह रहता था। आज भी तीनों न्यू ईयर पार्टी के लिए साथ ही निकले थे। राहुल और आरना आगे बैठे और नैना पीछे। कुछ ही देर में इन तीनों की गाड़ी मुंबई के एक बड़े और फ़ेमस डिस्को क्लब के आगे रुकी। तीनों अपनी गाड़ी पार्क करने के बाद एक्साइटेड होकर अंदर गए। आमतौर पर भी यह क्लब लड़के और लड़कियों की भीड़ से भरा रहता था, आज तो फिर न्यू ईयर था, तो आज तो यहाँ हद से ज़्यादा ही रश था। पूरा क्लब रंग-बिरंगे कपड़े पहने नई उम्र के लोगों से भरा हुआ था। यहाँ आकर आरना को उनके बाकी दोस्त और क्लासमेट भी मिले।


    सब लोग पूरी मस्ती और जश्न के मूड में थे। आरना भी दुनिया-जहाँ की सारी परेशानियाँ भूलकर नैना के साथ डांस फ़्लोर पर थिरक रही थी। इस बात से बिल्कुल बेखबर कि किसी की नज़रें सिर्फ़ उस पर ही टिकी हैं। उसे एक-दो बार महसूस भी हुआ कि जैसे उस पर किसी की नज़रें जमी हैं, लेकिन चारों तरफ देखने के बाद भी जब उसे कोई नज़र नहीं आया, तो वह इसे अपना वहम समझकर वापस से अपने डांस में मगन हो गई थी। वह कभी भी ड्रिंक नहीं करती थी, इसीलिए आज भी उसने हमेशा की तरह अपने लिए सॉफ़्ट ड्रिंक ही ऑर्डर की थी। लेकिन आज पता नहीं, इसे पीने के बाद उसे कुछ अजीब ही नशा सा महसूस हो रहा था। राहुल अपने बाकी कॉलेज दोस्तों के साथ बातों में बिज़ी था और नैना एक बार फिर उसे खींचकर डांस फ़्लोर पर ले आई थी। दोनों फिर से गाने की ताल पर थिरकने लगीं। तभी अचानक डिस्को की सारी लाइट बिल्कुल डीम होकर गोल-गोल घूमने लगीं और इसी के साथ अब आरना का सर भी जोरों से घूमने लगा था। वह अपना बैलेंस खोकर बस फ़्लोर पर गिरने ही वाली थी कि दो मज़बूत हाथ उसे अपनी बाहों में थाम लेते हैं। आरना के नथुने उस शख्स के अपने करीब आते ही एक कठोर और दिल-नशीं खुशबू से टकराते हैं और उसका दिल जोरों से धड़क उठा। वह अपनी बोझिल और अधखुली आँखों से उस शख्स के चेहरे को देखने की कोशिश करती है, लेकिन उसके चेहरे पर लगे मास्क से सिर्फ़ उसकी खूबसूरत और मंत्रमुग्ध करने वाली आँखें झाँक रही थीं। इन्हें देखकर आरना कुछ पल तक अपने आस-पास चल रहे वातावरण को बिल्कुल भूल ही गई थी। साथ ही, वह उसका चेहरा न देख पाने की वजह से फ़्रस्ट्रेट भी हो रही थी। वह अपनी ही धुन में सवार उस शख्स का चेहरा देखने के लिए, उसका मास्क हटाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाती है, लेकिन वह शख्स बीच में ही उसका हाथ पकड़कर उसे अपने करीब खींच लेता है। आरना का सर उसकी पत्थर जैसी छाती पर ठहर जाता है और वह अपना बैलेंस और खुद को गिरने से बचाने के लिए उसके मज़बूत कंधों को थाम लेती है और लगभग आधी नींद और नशे के हाल में बड़बड़ाते हुए उसे पूछने लगती है:

    आरना (लड़खड़ाती ज़ुबान में): "ह…हू आर यू?"

    शख्स (सर्द आवाज़ में आरना के कान के पास जाकर धीरे से): "योर डेस्टिनी!"


    आरना ने जब उस शख्स की सर्द आवाज़ सुनी और उसके होठों के इतना करीब होने की वजह से उसकी गरम साँसों की तपिश को अपनी गर्दन और कान पर महसूस किया, तो उसके पूरे बदन में एक झुरझुरी सी दौड़ पड़ी थी। लाख कोशिशों के बाद भी अब अपनी आँखें खोलना उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था। कुछ पल बाद ही वह गहरे अंधेरे के आगोश में चली गई थी। इसी के साथ वह शख्स आरना को अपनी मज़बूत बाहों में उठाकर डांस फ़्लोर की भीड़ को चीरता हुआ वहाँ से बाहर निकल आया…..

  • 3. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 3

    Words: 2029

    Estimated Reading Time: 13 min

    आरना एक अंधेरे कमरे के बीचों-बीच खड़ी थी। चारों तरफ घना अंधेरा ही अंधेरा था, और आरना डर की वजह से पसीने में लथपथ हो रही थी। कुछ पल बाद, आरना यहां से बाहर निकलने के लिए रास्ता खोजने के लिए कमरे में चारों तरफ दौड़ी, लेकिन सिवाय घने अंधेरे के उसे कुछ भी नज़र नहीं आया। आरना का डर और यह अंधेरा हर बढ़ते पल के साथ गहरा होता जा रहा था, और उसे महसूस हो रहा था कि जैसे कुछ पल में ही यह अंधेरा उसे पूरी तरह अपने आगोश में भर लेगा। जैसे ही आरना की सारी उम्मीदें टूटने लगी थीं, वैसे ही तभी कमरे में किसी और के कदमों की आहट उसे सुनाई देने लगी। कुछ पल में ही एक शख्स उसके ठीक सामने खड़ा था, और तभी एक चमकदार रोशनी कमरे के कुछ हिस्से में जल उठी। आरना उस शख्स का चेहरा देखने की बहुत कोशिश करती रही, लेकिन वह मद्धम रोशनी सिर्फ उस शख्स की मंत्रमुग्ध करने वाली आँखों पर पड़ रही थी, और उसकी वह आँखें एक अलग ही दास्तान बयां कर रही थीं। आरना धीरे-धीरे उस शख्स की तरफ अपने कदम बढ़ाती गई। तभी अचानक आरना का खुद के ड्रेस में पैर फँसने से बैलेंस बिगड़ गया, और वह शख्स उसे अपनी मज़बूत बाहों में थाम लिया। उसकी वह खूबसूरत आँखें आरना को एक अलग सी बेचैनी दे रही थीं!

    "हू आर यू?" आरना ने पूछा।

    शख्स आरना के कान के पास जाकर, सर्द आवाज़ में बोला, "योर डेस्टिनी…"

    "योर डेस्टिनी! योर डेस्टिनी! योर डेस्टिनी! योर डेस्टिनी!"

    ये यही दो शब्द आरना के कानों में गूंजने लगे, और इसी के साथ आरना हड़बड़ाकर झट से अपनी आँखें खोली और बिस्तर पर उठकर बैठ गई। उसका सपना टूट गया, और वह इस वक्त पसीने से तर-बतर थी, और उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। आरना कमरे में चारों तरफ नज़र दौड़ाती है, और वह अपनी धुंधली और भारी आँखों से कमरे को पहचानने की कोशिश करती रही, क्योंकि यह न तो उसका कमरा था और न ही यह उसका घर था। उसका सिर बहुत तेज़ दर्द कर रहा था, जिसकी वजह से उसका सिर पूरा घूम रहा था।

    तभी दरवाज़ा खोलकर नैना उसके लिए नींबू पानी लेकर अंदर आई। आरना को समझ आ गया कि वह आखिर कहाँ है!

    "गुड मॉर्निंग अरु… कैसा फील कर रही हो अब?" नैना ने पूछा।

    "हाय! यार मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा है!!" आरना ने अपना सिर पकड़ते हुए कहा।

    "इसे पी लो… बेहतर फील करोगी!" नैना ने आरना को नींबू पानी देते हुए कहा।

    आरना ने एक सांस में नींबू पानी पीने के बाद पूछा, "मुझे तुम्हारे घर कौन ले कर आया?"

    "अब ज़ाहिर है कोई सुपरमैन तो आया नहीं होगा… मैं और राहुल ही ले कर आए। अगर तुझे घर ले कर जाते तो अंकल तुझे ऐसी हालत में देखकर हंगामा कर देते, इसीलिए राहुल तुझे यहाँ छोड़कर वापस घर चला गया था!" नैना ने बताया।


    "लेकिन वो... वो अलग सी आँखों वाला इंसान... वो कहाँ गया?" आरना ने पूछा।

    "कौन सी अलग सी आँखों वाला इंसान... किसकी बात कर रही है तू?" नैना ने कन्फ्यूज्ड होकर पूछा।

    "वही जो कल रात को मुझे क्लब में मिला था और उसकी आँखें अजीब सी, आकर्षण रखने वाली थीं। और वो खुद को मेरी... मेरी डेस्टिनी बता रहा था और फिर वो मुझे अपनी बाहों में उठाकर वहाँ से ले गया था और फिर मुझे आगे कुछ याद नहीं!" आरना ने कहा।

    "क्या अनाप-शनाप बोल रही है... तू कल रात को पूरे वक्त मेरे साथ ही थी और फिर अचानक से तू गायब हो गई। इसके बाद राहुल और मैं जब तुझे ढूँढ़ने निकले, तब तू वहीं पर आराम से टेबल पर सर रखे सो रही थी। उसके बाद राहुल तुझे उठाकर गाड़ी तक ले गया और फिर उसी ने मुझे बोला कि मैं तुझे अपने साथ घर ले आऊँ ताकि अंकल तुझे इस हाल में न देखें। और फिर राहुल हम दोनों को यहाँ छोड़कर वापस चला गया... बस यही सब हुआ था कल रात को और तू पता नहीं क्या अंट-शंट बक रही है नीली-पीली आँखों के बारे में!" नैना ने कहा।

    "नहीं, मैं सच बोल रही हूँ नैना... मैंने उसे अभी-अभी सपने में भी देखा!" आरना ने कहा।

    "अच्छा, कैसा दिखता है? वो हैंडसम है?" नैना ने दाँत दिखाते हुए पूछा।

    "पता नहीं, मैंने उसकी शक्ल नहीं देखी, बस उसकी वो आँखें..." आरना ने कहा।

    "मेरी माँ, बस कर! आँखें ना हुईं, फ़्रेंच फ़्राइज़ हो गईं! ये सिर्फ़ और सिर्फ़ तेरा सपना था और कुछ नहीं!" नैना ने कहा।

    "लेकिन... मैंने तो उसे खुद देखा था कल!" आरना ने कहा।

    "वो सब तेरी उन परी-शहजादियों वाली फ़िज़ूल कहानियों का असर है जो तू हर वक्त पढ़कर अपना दिमाग खपाती रहती है। और बाकी तूने ना कल पहली बार ट्राई की है, इसीलिए तुझे ज़्यादा ही चढ़ गई थी। इसीलिए दोनों बातों के मिलान करके तू कुछ का कुछ इमेजिन करने लगी होगी!" नैना ने कहा।

    "इमेजिन?" आरना ने पूछा।

    "हाँ, मेरी जान, इमेजिन! जब मैंने पहली बार पी थी ना, तब मुझे भी तेरी ही तरह कुछ भी उल-जुलूल दिख रहा था... इसीलिए तू ज़्यादा मत सोच और राहुल हमें पिक करने आता ही होगा, इसीलिए तू जल्दी से फ़्रेश हो जा। इतने में तेरे लिए बढ़िया सी कॉफ़ी बनाती हूँ!" नैना ने कहा।

    "हम्म, शायद तू ठीक कह रही है। ये सिर्फ़ मेरा वहम ही होगा!" आरना ने कहा।

    "हम्म!... अच्छा, ठीक है। अब जल्दी से नीचे आ जा। मैंने तेरे कपड़े निकालकर बाथरूम में ही रख दिए हैं। अब तू जल्दी से रॉकेट की स्पीड से नीचे आ जा, बड़ी भूख लगी है मुझे तो!" नैना ने कहा।

    "बस पाँच मिनट में आती हूँ!!" आरना ने मुस्कुराकर कहा।


    इसके बाद आरना नहाने के लिए चली गई। अक्सर आरना और नैना एक-दूसरे के घर रुकने आ जाया करती थीं, इसीलिए उनके कुछ कपड़े और सामान हमेशा एक-दूसरे के घर पर रहता था। दोनों एक-दूसरे के लिए बिल्कुल बहनों की तरह थीं। कुछ देर में आरना येलो लॉन्ग स्कर्ट पर व्हाइट स्लीवलेस टॉप पहने नीचे आई और नाश्ते की टेबल पर बैठी, उसका इंतज़ार कर रही नैना के पास आकर बैठ गई। दोनों मिलकर नाश्ता करने लगीं।

    "अंकल-आंटी कहाँ हैं?" आरना ने पूछा।

    "मॉम-डैड किसी काम से बाहर गए हैं... शाम तक वापस आएंगे!" नैना ने बताया।

    "ओके!" आरना ने कहा।


    तभी राहुल भी वहाँ आकर उन दोनों के साथ नाश्ता करने लगा। कुछ देर बाद दोनों राहुल के साथ वहाँ से निकल गईं।

    "पापा घर पर हैं?" आरना ने पूछा।

    "नहीं, वो सुबह ही ऑफ़िस निकल गए!" राहुल ने बताया।

    "तूने मेरे लिए क्या बोला? पापा गुस्सा तो नहीं कर रहे थे ना?" आरना ने पूछा।

    "नहीं। और जब उन्हें कुछ पता ही नहीं चला तो क्यों गुस्सा करेंगे? और मैंने उनको यही बोला कि तू उनके उठने से पहले सुबह ही कॉलेज के लिए निकल गई क्योंकि आज तेरा सेकेंड ईयर का रिजल्ट जो आने वाला है!" राहुल ने बताया।

    "ओह, शिट! मैं तो भूल ही गई थी कि आज हमारा रिजल्ट आने वाला है!" आरना ने कहा।

    "हे भगवान! कितनी ना-शुक्रगुज़ार है ये लड़की! मतलब भई, मुझे देखो, मेरा दिल पासिंग मार्क्स से ही मेरे सीने में खुशी से उछल-उछल फिर रहा है और एक परसेंट के लिए ऐसे मातम मना रही है जैसे इसकी पूरी दुनिया ही उजड़ गई हो!!!" नैना ने अपने सर पीटते हुए कहा।

    "नैना ठीक ही तो कह रही है... एक परसेंट ही तो रहा है यार, जो फ़ाइनल में कवर हो जाएगा... तू ख़ामख़ा टेंशन ले रही है!" राहुल ने कहा।

    "यार, तुम लोग तो जानते हो ना कि पापा को खुश करने का ये एक सुनहरा मौका था मेरे पास, लेकिन... लेकिन सब ख़राब हो गया!" आरना ने उदासी से कहा।


    "ओहो! तो आगे भी तो तेरे पास ये मौका है ना? तो अब आगे तू दुगनी मेहनत करना, और देखना तेरी मेहनत ज़रूर रंग लाएगी। (आरना का मूड ठीक करने के लिए) और अंकल ने कुछ ज़्यादा बोला ना, तो हम मिलकर घर छोड़ देंगे, और अपनी नैना को भी साथ में ले लेंगे। और फिर हम तीनों मिलकर एक साथ अपना बिज़नेस शुरू करेंगे!" राहुल ने कहा।

    "और नहीं तो क्या? बिज़नेस चलता है तो ठीक है, वरना आकर अपने माँ-बाप के हाथ-पैर जोड़ लेंगे। और वैसे भी शास्त्रों में कहा गया है कि जितना मिला है, उतने में ही खुश रहना सीखो, बच्चे!" नैना ने कहा।

    "अच्छा, बस करो नोटंकियो… (राहुल की तरफ़ देख कर) … अरे! तू तो बता, तेरा रिजल्ट कैसा रहा?" आरना ने मुस्कुरा कर कहा।

    "बस ठीक ही रहा… अच्छा, चलो घर चलते हैं अब!" राहुल ने अपनी नज़रें नीचे करके कहा।

    "पहले मेरे सवाल का जवाब दे… कैसा रहा तेरा रिजल्ट?" आरना ने राहुल का हाथ पकड़ कर पूछा।

    "फ़र्स्ट पोज़िशन आई है!" राहुल ने उदासी से कहा।

    "तो डफ़र, इतनी अच्छी खबर ऐसे मुँह लटका के क्यों बता रहा है!" आरना ने खुशी से राहुल के गले लगकर कहा।

    "क्योंकि जब तू उदास है, तो मैं कैसे खुश हो सकता हूँ!" राहुल ने कहा।

    "तो डफ़र, अपने बेस्ट फ़्रेंड की इतनी बड़ी खुशी में जब मैं शरीक होऊँगी, तो मेरी उदासी तो यूँ ही उड़ जानी है! (खुशी से) … आई एम वेरी हैप्पी फ़ॉर यू, मोटे!" आरना ने राहुल के गाल खींच कर कहा।

    "थैंक्यू, मेरी मोटी!" राहुल ने मुस्कुरा कर कहा।

    "कांग्रेचुलेशन राहुल! और इस बार हमें बहुत बड़ी ट्रीट चाहिए, नो कंजूसी! वरना तुम्हें ही गिरवी रख आऊँगी खाने के बदले!" नैना ने मुस्कुरा कर कहा।

    "हम्म, बिल्कुल! और इस बार तो मैं भी नैना की ही साइड हूँ!" आरना ने कहा।

    "नहीं देवियों, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मैं शराफ़त से आप दोनों को आपकी मनचाही ट्रीट दे दूँगा!" राहुल ने हँसते हुए अपने हाथ जोड़ते हुए कहा।

    "हम्म, फिर ठीक है!" नैना ने खुश होकर कहा।


    इसके बाद नैना को ड्रॉप करते हुए राहुल और आरना वापस घर आ गए। आरना का सर अभी भी थोड़ा भारी था, इसीलिए वह सोने के लिए जाने लगी। तभी उसके पिता, मि. कपूर, घर के अंदर आए, तो वह उन्हें देखकर सीढ़ियों पर ही रुक गई। मि. कपूर टेबल पर रखी अपनी फ़ाइलें उठाकर चेक करने लगे, और कुछ पल बाद फ़ाइलें उठाकर वहाँ से वापस बाहर जाने लगे। यह देखकर आरना का चेहरा बुझ गया, मगर अगले ही पल मि. कपूर वापस पलटकर आरना की तरफ़ देखे।

    "पापा, आ…" आरना ने खुशी से कहा।

    "रिजल्ट कैसा रहा तुम्हारा? पास भी हुई हो या फिर हमेशा की तरह आज भी मेरी उम्मीदें या नाम डुबोकर ही आई हो!" मि. कपूर ने बीच में ही कहा।

    "हमारी आरना बहुत ही अच्छे मार्क्स से पास हुई है!" राहुल पीछे से आते हुए बोला।

    "अच्छा, वैसे उम्मीद तो नहीं है इस लड़की से मुझे, मगर फिर भी तुम कह रहे हो तो बताओ ज़रा कि क्या डिवीज़न लाई है ये मैडम?" मि. कपूर ने तंज कसते हुए पूछा।

    "सेकंड डिवीज़न से!" राहुल ने खुश होकर कहा।

    "आई न्यू इट! आई न्यू इट! ये लड़की सिर्फ़ अपना वक़्त और मेरा पैसा ही बर्बाद करेगी, क्योंकि इसने मेरा सुकून और चैन हराम करने के लिए ही जन्म लिया है!!!" मि. कपूर ने आरना को घूर कर कहा।

    "ऐसा कुछ नहीं है, अंकल। आरना हमेशा से ही बहुत मेहनती रही है। वो तो इस बार एग्ज़ाम के वक़्त इसकी तबीयत ख़राब हो गई थी, जिस वजह से वो सिर्फ़ एक परसेंट की कमी से रह गई, जो अगली बार ये यकीनन पूरा कर लेगी!" राहुल ने हल्की नाराज़गी से कहा।

    "हुंह! ये लड़की कभी कुछ नहीं कर सकती! और राहुल, तुम… तुम भी तो हमेशा अव्वल आते हो, चाहे फिर जो भी हालात हों, और यकीनन इस बार भी यही हुआ होगा, क्योंकि तुम मेहनत और पैसे की क़दर बखूबी समझते हो! लेकिन इस लड़की की आँखें बेशुमार दौलत में ही खुली हैं, तो इसे इन सब की कुछ क़दर ही नहीं! और ये लड़की मेरे पैसे को सिर्फ़ बर्बाद करने पर ही तुली है! इसने हमेशा से सिर्फ़ मेरा नाम और पैसा अपनी कामयाबी पर उड़ाया है! मेरे नाम के बिना ये लड़की और इसका नाम, इसकी ज़िंदगी की तरह ही बिल्कुल यूज़लेस हैं!" मि. कपूर ने कहा।


    इतना कहते हुए मि. कपूर वहाँ से अपने ऑफ़िस के लिए निकल गए, और राहुल उन्हें नाराज़गी से जाते हुए देख रहा था। लेकिन जब उसके कानों में आरना की सुबक भरी आवाज़ पड़ी, तो वह जल्दी से पीछे पलटा। और हमेशा की तरह मि. कपूर की कड़वी बातों के तीर से आरना के जज़्बात और दिल को छलनी होते देखता है। और आरना अपनी आँसुओं से भरी आँखों में दर्द और तकलीफ़ के साथ अपने मुँह पर हाथ रखकर अपने इमोशन्स और सुबकियों को रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। और जैसे ही राहुल उसके पास जाने के लिए क़दम बढ़ाया, तो आरना जल्दी से रोते हुए वहाँ से अपने कमरे की तरफ़ दौड़ पड़ी…...

  • 4. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 4

    Words: 1663

    Estimated Reading Time: 10 min

    राहुल हमेशा की तरह मि. कपूर की कड़वी बातों के तीर से आरना के जज़्बात और दिल को छलनी होते देखता था। आरना अपनी आँसुओं से भरी आँखों में दर्द और तकलीफ़ के साथ अपने मुँह पर हाथ रखकर अपने इमोशन्स और सुबकियों को रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। जैसे ही राहुल उसके पास जाने के लिए कदम बढ़ाया, आरना जल्दी से रोते हुए वहाँ से अपने कमरे की तरफ़ दौड़ पड़ी। राहुल भी उसके पीछे दौड़ पड़ा। जब राहुल आरना के कमरे में पहुँचा, तो उसे तकिए में मुँह दबाकर रोते हुए देखा। एक गहरी साँस ले कर, वह उसके पास गया।

    राहुल (आरना के पास जाकर उसका सर सहलाते हुए): "तू भी ना, मोटी! बेवजह परेशान होती है। जानती तो है अंकल का नेचर, फिर भी… बस वो गुस्से में बोल जाते हैं, लेकिन असल में तुझे बहुत चाहते हैं!"

    आरना (रोते हुए, दुखी मन से): "क्यों राहुल? क्यों? क्यों करते हैं वो हमेशा मेरे साथ ऐसे? क्यों? अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता राहुल, मैं थक चुकी हूँ पापा की इस कभी ना खत्म होने वाली नफ़रत और तिरस्कार से। कभी-कभी लगता है कि मैं शायद ज़िन्दगी भर भी उनके प्यार को नहीं पा सकूँगी!"

    राहुल (आरना को बैठाते हुए, अपने अंगूठों से उसके आँसू साफ़ करते हुए): "तू ज़्यादा मत सोच इस सबके बारे में। तू देखना, एक दिन ऐसा आएगा जब अंकल तुझे सिर्फ़ प्यार और परवाह की नज़र से देखेंगे!"

    आरना (चिढ़ कर, रोते हुए): "लेकिन कब? आखिर कब तक मैं उसी दिन के इंतज़ार में रहूँ? इससे तो अच्छा होता कि मैं भी माँ के साथ ही इस दुनिया से चली जाती। कम से कम इस दर्द से तो नहीं गुज़रना पड़ता!"

    राहुल (नाराज़गी से, आरना को गले लगाते हुए): "चुप कर! एकदम चुप! कब से कुछ भी बकवास किए जा रही है! (कुछ पल बाद, मायूसी से) तेरे पास अपना कहने के लिए कम से कम तेरे पापा तो हैं। मैं तो इतना बदनसीब हूँ कि बचपन में ही अपने माँ-बाप को खो बैठा। लेकिन तू जानती है, मैंने कभी भगवान से कोई शिकायत नहीं की। क्योंकि भले ही मेरे माँ-बाप मुझसे छीन लिए गए, लेकिन उसने हर एक रिश्ते को मुझे तेरी दोस्ती के रूप में वापस लौटा दिया। (आरना से अलग होते हुए) मगर मैं ये नहीं जानता था कि तेरी नज़रों में मेरी या मेरी दोस्ती का कोई वजूद नहीं!"

    इतना कहकर राहुल वहाँ से उठकर जाने लगा, लेकिन आरना उसका हाथ पकड़कर वापस से उसके गले लग गई।

    आरना (भावुक होकर): "एम सॉरी। एम रियली सॉरी। मगर तू भी मेरे लिए सिर्फ़ मेरा दोस्त नहीं है, बल्कि तुझमें मैं हर एक रिश्ता जीती हूँ। अगर तू मुझसे नाराज़ हो जाएगा, तो मैं बिलकुल अकेली हो जाऊँगी। आखिर तेरे और नैना के सिवा मेरी ज़िन्दगी में अपना है ही कौन!"

    राहुल (धीरे से आरना का सर थपकते हुए): "तुझसे नाराज़ होकर मैं जाऊँगा भी कहाँ, मोटी? चल, बहुत हुआ अब ये फ़ालतू का रोना-धोना। अब जल्दी से तैयार हो जा!"

    आरना (राहुल की तरफ़ देखकर): "लेकिन कहाँ?"

    राहुल: "क्यों ट्रीट नहीं लेनी क्या अपनी?"

    आरना (धीरे से मुस्कुराकर): "बस थोड़ी देर में आती हूँ तैयार होकर!"

    राहुल: "ठीक है, जल्दी से आ, मैं नीचे वेट कर रहा हूँ!"

    आरना: "बस दस मिनट!"

    राहुल (मुस्कुराकर): "ओके!"

    कुछ देर बाद राहुल आरना के साथ एक रेस्टोरेंट में पहुँचा जहाँ नैना और उनके कुछ दोस्त वहाँ पहले से ही उनका इंतज़ार कर रहे थे। सब लोग एक साथ एक बड़े से टेबल पर बैठ गए और सब लोग खाना ऑर्डर किया। मज़े से खाना खाने के बाद सब लोग अपनी फ़ेवरेट आइसक्रीम ऑर्डर की। राहुल अपने लिए और आरना के लिए खुद ही खाना और आइसक्रीम बुक करता है।

    निखिल (राहुल का दोस्त): "वैसे राहुल और आरना, तुम दोनों एक-दूसरे को अच्छे से जानते हो, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद को सबसे अच्छे से समझते हो… तो तुम दोनों परमानेंट साथ क्यों नहीं हो जाते?"

    निशा: "बिलकुल! तुम दोनों की जोड़ी बेस्ट रहेगी। क्यों, नैना?"

    नैना: "ऑफ़कोर्स! बोले तो एकदम धांसू कपल!"

    आरना (नाराज़गी से): "क्या बकवास किए जा रहे हो तुम सब?"

    निखिल: "इसमें इतना गुस्सा होना वाली क्या बात है आरना? हमें जो फील होता है हमने सिर्फ़ वही बोला। एंड यू बोथ आर रियली परफेक्ट फॉर इच अदर!"

    आरना (गुस्से से खड़े होते हुए): "जस्ट शटअप, निखिल! राहुल मेरा बेस्ट फ़्रेंड है और मैंने हमेशा राहुल को एक दोस्त, एक मेंटर और एक भाई की नज़र से देखा है। तो आइन्दा मुझसे इस तरीके की घटिया बात मज़ाक में भी मत करना!"

    राहुल (सबकी तरफ़ देखकर): "राइट, गाइज़! तुम लोग ऐसी बात मज़ाक में भी कैसे कर सकते हो? प्लीज़, आइन्दा से इस बात को दुबारा अपनी जुबान पर मत लाना!"

    सब लोग आरना और राहुल को सॉरी बोले और आगे से दुबारा इस बात को न दोहराने के लिए कहा। कुछ देर बाद सब लोग अपने-अपने घर के लिए निकल गए। राहुल पार्किंग से अपनी गाड़ी लेने के लिए गया था और आरना वहीं बाहर खड़े होकर उसका इंतज़ार कर रही थी। तभी उसे एक बार फिर खुद पर किसी की नज़रों का एहसास हुआ और वह पीछे पलटकर चारों तरफ़ देखी, तो उसे कुछ दूर पर हुडी पहने कोई खड़ा नज़र आया। आरना उस शख्स को देखने की कोशिश करती है, लेकिन अंधेरे की वजह से उसे उस शख्स का चेहरा साफ़ नज़र नहीं आया। तभी राहुल गाड़ी का हॉर्न बजाया और आरना अचानक से हॉर्न की आवाज़ सुनकर उछल पड़ी। जैसे ही अगले पल वह वापस उस तरफ़ देखी, तो वहाँ कोई भी नहीं था। चारों तरफ़ देखने पर भी अब वहाँ कोई मौजूद नहीं था। राहुल के बुलाने पर वह पीछे देखते हुए गाड़ी में बैठ गई और दोनों वहाँ से चले गए।

    कुछ दिन यूँ ही गुज़र गए थे और आरना भी इस घटना को भूल सी ही गई थी। आज सुबह को मि. कपूर के साथ आरना और राहुल भी साथ में ही नाश्ता कर रहे थे।

    मि. कपूर (कॉफ़ी का सिप लेते हुए): "राहुल, मैंने सुना है तुमने कनाडा की एक कंपनी में इंटर्नशिप के लिए अप्लाई किया है?"

    राहुल: "जी, अंकल!"

    मि. कपूर: "लेकिन तुम्हें इसकी ज़रूरत क्या है? हमारा इतना बड़ा बिज़नेस है, तो फिर तुम्हें किसी के यहाँ नौकरी करने की क्या ज़रूरत?"

    राहुल (सैंडविच नीचे रखते हुए): "अंकल, मैं जानता हूँ, लेकिन मैं बस अपने बलबूते पर आगे बढ़ना चाहता हूँ!"

    मि. कपूर: "मैं तुम्हारे उसूलों और सोच की कदर करता हूँ, लेकिन क्या मेरी जगह तुम्हारे पिता होते, तब भी तुम ऐसा ही करते?"

    राहुल: "लेकिन अंकल…"

    मि. कपूर: "मुझे खुशी होगी अगर तुम हमारे ऑफ़िस को ज्वाइन करोगे। और ये ऑफ़र मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हें तुम्हारे टैलेंट के लिए दे रहा हूँ… किसी निजी वजह से नहीं!"

    आरना (राहुल की तरफ़ देखकर): "पापा ठीक कह रहे हैं, राहुल। तुम्हें हमारी कंपनी ही ज्वाइन करनी चाहिए!"

    राहुल (कुछ पल सोचकर): "ठीक है। अगर आप लोगों को मेरे इस फ़ैसले से खुशी होगी, तो फिर मुझे कोई एतराज़ नहीं है!"

    मि. कपूर (खुश होकर): "गॉड ब्लेस्ड यू! अब इसी के साथ तुम्हें आज ही से अपना काम शुरू करना है!"

    राहुल: "जी, कहिए ना?"

    मि. कपूर (नैपकिन से अपने हाथ साफ़ करते हुए): "दरअसल, दिल्ली में हमारे कुछ क्लाइंट्स रहते हैं और मैं चाहता हूँ कि उनसे डील करने के लिए तुम वहाँ जाओ। क्योंकि मैं किसी ज़रूरी काम के चलते वहाँ नहीं जा सकता और तुमसे ज़्यादा किसी और पर मैं भरोसा नहीं कर सकता!"

    राहुल: "आप बेफ़िक्र रहें, मैं सब संभाल लूँगा। बस आप ये बताएँ कि कब निकलना है!"

    मि. कपूर: "मुझे तुमसे यही उम्मीद थी! तुम्हें आज शाम को ही निकलना होगा। और सारी ज़रूरी डिटेल्स तुम्हें मि. शर्मा, हमारे मैनेजर, समझा देंगे और वो भी तुम्हारे साथ जाएँगे!"

    राहुल: "ठीक है, अंकल, मैं चला लूँगा!"

    मि. कपूर: "गुड! इसी के साथ मैंने एक फ़ैसला और किया है… (राहुल और आरना मि. कपूर की तरफ़ सवालिया नज़रों से देखते हैं) …मैंने… मैंने तुम्हारी और आरना की शादी का फ़ैसला किया है… और तुम्हारे दिल्ली से लौटते ही तुम दोनों की सगाई के साथ ही मैं तुम दोनों की शादी की ऑफ़िशियली अनाउंसमेंट कर दूँगा!"

    मि. कपूर की बात सुनकर राहुल खाना छोड़कर अपनी आँखें बड़ी करके हैरानी भरे भाव से उन्हें देखने लगा। आरना यह बात सुनकर खाते-खाते ही खाने का फँस गया और राहुल उसे जल्दी से पानी दिया। कुछ पल बाद उसे राहत महसूस हुई।

    आरना (खड़े होकर): "लेकिन पापा, मैं और राहुल कैसे… मतलब मैंने कभी राहुल को इस नज़र से नहीं देखा और अभी तो मेरी पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई है और…"

    मि. कपूर (सख्त लहजे में): "तुम क्या सोचती हो या क्या नहीं, आई रियली डोंट केयर! और राहुल जैसा होनहार, हीरे जैसा लड़का किस्मत से ही मिलता है। हालाँकि तुम उसके क़तई लायक नहीं हो, लेकिन फिर भी तुम्हें ये चांस मिल रहा है, तो बजाय शुक्र के तुम अपने ये फ़ालतू के एक्सक्यूज़ दे रही हो! और रही तुम्हारी पढ़ाई की बात, तो वैसे भी आज तक तुमने कौन से मेडल हासिल किए हैं जो अब कुछ नया कारनामा कर लोगी? और आज तक अपनी पूरी ज़िन्दगी में तुमने मुझे सिवाय निराशा के कुछ भी नहीं दिया है और अब बस मैं अपना ये आख़िरी फ़र्ज़ पूरा करके तुमसे छुटकारा चाहता हूँ! (राहुल की तरफ़ देखकर) …और राहुल ने आज तक मेरी किसी बात को नहीं टाला है और मुझे पूरी उम्मीद है कि आज भी मुझे राहुल से निराशा नहीं मिलेगी! (राहुल बस असमंजस के भाव से खामोश खड़ा रहता है) (आरना की तरफ़ देखकर) …अब तुम चाहो या ना चाहो, मगर मेरा ये फ़ैसला अटल है। इसीलिए चुपचाप, बिना किसी ड्रामे को क्रिएट किए, अपनी सगाई की तैयारी शुरू करो। और खबरदार, अगर कोई भी आनाकानी की, तो मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा! समझी, तुम!"

    इतना कहकर मि. कपूर आरना को घूरते हुए अपना कोट ले कर बाहर निकल गए और आरना परेशानी और शॉक के मिले-जुले भाव के साथ धम्म से वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गई।

  • 5. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 5

    Words: 1590

    Estimated Reading Time: 10 min

    इतना कहकर मि. कपूर आरना को घूरते हुए अपना कोट लेकर बाहर निकल गए। आरना धम्म से शॉक होकर वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गई।


    राहुल आरना के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "तू परेशान न हो। मैं वापस आकर अंकल से इस बारे में ज़रूर बात करूँगा।"

    आरना उदासी से बोली, "राहुल, मैं यह शादी..."

    राहुल बीच में ही बोला, "तुझे कुछ भी कहने की ज़रूरत नहीं है। बस थोड़ा सा वक्त दे, मैं सब ठीक कर दूँगा। ट्रस्ट मी!"

    आरना अपना सर हिलाते हुए बोली, "हम्म!"


    शाम को राहुल दिल्ली के लिए निकल गया। आरना टेरेस पर बैठकर सुबह हुई बातों के बारे में सोचकर परेशान थी। कुछ देर बाद, आरना से मिलने के लिए नैना उसके घर पर आई।


    नैना आरना के पास छत पर आते हुए बोली, "तू यहां है? मैंने तुझे पूरे घर में छान मारा! और तू यहां बैठी है, और मैं तुझे कब से कॉल कर रही हूँ, फोन क्यों नहीं उठा रही थी मेरा?"

    आरना बोली, "सॉरी, वो मैंने देखा नहीं!"

    नैना आरना के पास बैठते हुए बोली, "क्या हुआ अरु? सब ठीक तो है ना? तू इतनी परेशान क्यों लग रही है?"

    आरना परेशान होते हुए बोली, "यार, एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है!"

    आरना ने नैना को मि. कपूर से सुबह हुई पूरी बात बताई।


    नैना आरना के कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हुए बोली, "बात तो परेशान करने वाली है, लेकिन तू फ़िक्र मत कर। राहुल ने कहा है ना कि वह सब संभाल लेगा, तो बस तू टेंशन मत ले। सब ठीक हो जाएगा!"

    आरना बोली, "हम्म... अच्छा, तू मेरी छोड़, ये बता, कोई बात थी क्या जो तू मुझे इतनी कॉल कर रही थी?"

    नैना बोली, "हाँ, वो मैं तुझे ये बताने के लिए कॉल कर रही थी कि मैं कुछ दिनों के लिए माँ के साथ इंदौर जा रही हूँ!"

    आरना बोली, "क्या हुआ? सब ठीक तो है ना, ऐसे अचानक?"

    नैना बोली, "हाँ, वो नाना जी की तबियत थोड़ी ठीक नहीं है, बस इसीलिए!"

    आरना बोली, "राहुल भी यहां नहीं है और अब तू भी जा रही है... मैं अकेले क्या करूँगी यहां?"

    नैना बोली, "अगर जाना ज़रूरी नहीं होता, तो मैं बिल्कुल तुझे अकेले छोड़कर नहीं जाती, लेकिन नाना जी मुझसे मिलना चाहते हैं, इसीलिए माँ मुझे अपने साथ ले जा रही है!"

    आरना बोली, "नहीं, फिर तो तुझे ज़रूर जाना चाहिए। और फिर कुछ दिन की ही तो बात है, मैं मैनेज कर लूँगी!"

    नैना बोली, "हाँ, और कोई भी बात हो तो बस मुझे एक कॉल कर देना, मैं तुरंत यहां पहुँच जाऊँगी!"

    आरना हल्के से मुस्कुराकर बोली, "हम्म... अपना ख्याल रखना!"

    नैना बोली, "हाँ, तू भी!"


    कुछ देर बाद नैना भी वहाँ से चली गई। अगले दिन सुबह ही नैना अपनी माँ के साथ इंदौर के लिए निकल गई। अभी आरना अपने कमरे में सो ही रही थी कि उसे मि. कपूर के किसी पर गुस्से से चिल्लाने की आवाज़ आई और उसकी नींद टूट गई। वह बिस्तर से उठकर अपने कमरे से बाहर आई तो मि. कपूर को अपने सेक्रेटरी पर गुस्सा करते हुए देखा।


    मि. कपूर बोले, "मुझे तुम्हारी बकवास नहीं सुननी। बस पता करो कि आखिर वो हमसे चाहता क्या है और क्यों हमारी कंपनी की रेपुटेशन को खराब करने पर तुला है। और उससे मेरी मीटिंग फ़िक्स करो!"

    सेक्रेटरी बोला, "सर, पिछले एक हफ़्ते से मैंने मि. अग्निहोत्री से आपकी मीटिंग फ़िक्स करने की लगातार कोशिश की है। और बड़ी मुश्किल से मेरी बात मानकर उनके मैनेजर ने आज सिर्फ़ मि. अग्निहोत्री से आपकी दस मिनट की मीटिंग फ़िक्स की है, जो कि आधे घंटे बाद है!"

    मि. कपूर गुस्से से बोले, "एक बार कंपनी में सब ठीक हो जाए, इस रिदांश अग्निहोत्री को तो मैं छोड़ूँगा नहीं!"


    इसके बाद मि. कपूर अपने सेक्रेटरी के साथ वहाँ से चले गए।

    आरना मन ही मन सोचने लगी, "आखिर यह रिदांश अग्निहोत्री कौन है?"


    मि. कपूर अपने सेक्रेटरी के साथ एक शानदार होटल में पहुँचे जहाँ पर उनकी मीटिंग होने वाली थी। लगभग आधे घंटे से ज़्यादा वक्त गुज़र गया था, लेकिन अभी तक रिदांश अग्निहोत्री नहीं पहुँचा था। मि. कपूर गुस्से से अंदर ही अंदर उबल रहे थे। कुछ देर बाद, एक काले कलर की बुगाटी (जिसकी कीमत लगभग 19 मिलियन डॉलर है) कार होटल के सामने आकर रुकी। गार्ड जल्दी से उस गाड़ी का दरवाज़ा खोला, और उसमें से लगभग २६-२७ साल की उम्र का, ग्रे अरमानी सूट पहने एक हैंडसम आदमी निकला। हल्के सुनहरे बाल, जिसकी सलीके से बनाए हुए थे, गोरा रंग, और पर्सनैलिटी ऐसी जैसे कोई बेहतरीन मॉडल सीधा मैगज़ीन से बाहर निकल आया हो। आँखों पर महंगे शेड, चमचमाते महंगे जूते, हाथ में महंगी रोलेक्स घड़ी, और उससे उठती एक शानदार कीमती परफ़्यूम की महक... कुल मिलाकर ऐसी शानदार पर्सनैलिटी कि जो भी इस शख्स को देखे, बस देखता ही रहे। और अगर यह कहा जाए कि हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचने में यह शख्स माहिर था, तो यह कहना कतई गलत नहीं होगा। जैसे ही रिदांश अग्निहोत्री गाड़ी से नीचे उतरा, काले कपड़े पहने और हाथ में स्पेशल बंदूक लिए गार्ड उसकी सुरक्षा के लिए उसे घेरकर होटल के अंदर चलने लगे। लेकिन रिदांश ने उन्हें बाहर ही रुकने का इशारा करके खुद अपने मैनेजर, कुमार के साथ अंदर गया और मि. कपूर की टेबल पर जाकर बैठ गया और उनसे बिना कुछ बोले अपने फ़ोन की स्क्रीन को स्क्रॉल करने लगा। मि. कपूर अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए अपनी बात शुरू की।


    मि. कपूर बोले, "मि. अग्निहोत्री, हम लोग आपका पिछले आधे घंटे से वेट कर रहे हैं, और आप अभी भी अपने फ़ोन में बिज़ी हैं!"

    रिदांश फ़ोन में नज़रें गढ़ाए हुए बोला, "आठ मिनट हैं तुम्हारे पास। जो भी कहना है, बोलो, क्योंकि ठीक आठ मिनट बाद तुम्हारा वक्त ख़त्म!"

    मि. कपूर बोले, "ओह, रियली... सुना था रिदांश अग्निहोत्री वक्त के बड़े पाबंद इंसान हैं, लेकिन यहां तो ऐसा कुछ नहीं नज़र आ रहा!"

    रिदांश पूरे एटीट्यूड के साथ अपनी आँखों से चश्मा उतारते हुए बोला, "बिल्कुल ठीक सुना है, लेकिन आधा-अधूरा सुना है। रिदांश अग्निहोत्री वक्त का पाबंद ज़रूर है, लेकिन सिर्फ़ अपने वक्त का, और उस जगह जहाँ उसे लगता है कि किसी की इतनी औक़ात है कि उसके वक्त की क़द्र की जाए। लेकिन यकीनन तुम्हारी इतनी औक़ात नहीं है कि तुम्हारे वक्त की क़द्र रिदांश अग्निहोत्री करे... (अपनी घड़ी देखते हुए)... मेरे कीमती दस मिनट में से पाँच मिनट तुम बर्बाद कर चुके हो!"

    मि. कपूर अपने गुस्से को रोकने की कोशिश करते हुए बोले, "आपकी प्रॉब्लम क्या है? आखिर हमारी कंपनी के शेयर और रेपुटेशन को नीचे गिराने में क्यों लगे हैं आप? आखिर हमने आपका बिगाड़ा क्या है? और क्यों आप हमसे दुश्मनी निकाल रहे हैं? और जो टेंडर आपने हमसे छीन लिया है, उसके लिए हमारी कंपनी ने मार्केट से करोड़ों का कर्ज़ा उठाया है। वो पूरा नहीं हुआ तो हमारे..."

    रिदांश बीच में बात काटते हुए बोला, "तुम्हारी रेपुटेशन की धज्जियाँ उड़ जाएँगी... राइट? (घमंड भरी मुस्कान के साथ)... शायद यही मैं चाहता हूँ। यह बिज़नेस है मि. कपूर, और इसमें ऊँचाई तक पहुँचने के लिए आपको बराबर वाले को नीचे गिराने में इतनी ही मेहनत ज़रूरी है जितना कि खुद को जीतने के लिए!"

    मि. कपूर बोले, "लेकिन..."

    रिदांश खड़े होते हुए बोला, "आँ... आँ... नाउ योर टाइम इज़ ओवर... नाउ लीव!"

    मि. कपूर तिलमिलाकर बोले, "इतना घमंड अच्छा नहीं होता रिदांश अग्निहोत्री, और मुझसे दुश्मनी करके तुम ठीक नहीं कर रहे हो!"

    रिदांश घमंड भरी मुस्कान के साथ बोला, "लगता है ज़िन्दगी भर अपने जैसे गिद्धों के झुंड के साथ ही रहे हो, इसीलिए गिद्ध भपकियाँ अच्छी दे लेते हो। पर तुम शायद भूल रहे हो कि शेर गिद्ध की भपकियों से कभी नहीं डरता... नाउ गेट आउट!"

    मि. कपूर गुस्से से बोले, "और तुम होते कौन हो मुझे यहां से निकालने वाले?"

    कुमार बोला, "इस होटल के मालिक!"


    मि. कपूर जब यह बात सुनी तो उनके चेहरे का रंग ही उड़ गया, क्योंकि अभी जिस होटल में वो खड़े थे, यह होटल पूरी मुंबई का नंबर वन पोज़िशन वाला होटल था, और जिसकी कीमत अरबों-खरबों की थी!!!!


    कुमार बोला, "सुना नहीं बॉस ने क्या बोला है... गेट आउट!"

    रिदांश अपनी महँगी घड़ी में देखते हुए बोला, "मेरे पूरे तीन मिनट और चालीस सेकंड का कीमती वक्त ज़ाया किया है तुमने, और रिदांश अग्निहोत्री अपने एक-एक सेकंड की कीमत लेना बहुत अच्छे से जानता है। तुम्हारी इस ज़ुबान को अभी इसी वक्त मेरे एक इशारे पर काटकर कुत्तों को खिलाया जा सकता है, मगर मैं तुम्हें इससे भी ज़्यादा यादगार और दिलचस्प तोहफ़ा देना चाहता हूँ। कल सुबह पहली किरण के साथ ही मुझे मेरे वक्त की कीमत और तुम्हें तुम्हारी इस गुस्ताखी का तोहफ़ा मिल जाएगा... सो जस्ट वेट एंड वॉच... (अपनी आँखों पर चश्मा चढ़ाते हुए)... धक्के देकर बाहर निकाल दो इन्हें इस होटल से!"


    इतना कहकर रिदांश वहाँ से आगे बढ़ गया, और दो गार्ड आकर मि. कपूर और उनके सेक्रेटरी को होटल से बाहर निकाल दिए। मि. कपूर अपनी बेइज़्ज़ती से पूरी तरह बौखला गए थे, और घर जाकर वह गुस्से में अपने कमरे में रखे सामान के साथ तोड़-फोड़ करने लगे। आरना उन्हें यह सब करने से रोकना चाहती थी, लेकिन इस वक्त मि. कपूर को इस क़दर गुस्सा करते देख, उसकी उन्हें कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी। इसीलिए वह कुछ पल बाद ही वापस अपने कमरे में चली गई। अगली सुबह का सूरज कपूर मेंशन में एक अलग ही निराशा और मायूसी वाला दिन लाया था। आरना जैसे ही अपने पापा को सोफ़े पर अपने सर पर हाथ रखे, गुस्से, निराशा, मायूसी और फ़्रस्ट्रेशन के भाव देखती है, तो हिम्मत जुटाकर वह उनके सामने पड़े न्यूज़पेपर को उठाती है। और जैसे ही उसकी नज़र हेडलाइन्स पर पड़ती है, तो उसकी आँखें हैरानी से फट जाती हैं।

  • 6. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 6

    Words: 1140

    Estimated Reading Time: 7 min

    आरना ने जैसे ही अपने पिता को सोफे पर, सिर पर हाथ रखे, गुस्से, निराशा, मायूसी और फ्रस्ट्रेशन के भाव देखे, हिम्मत जुटाकर उनके सामने पड़े न्यूज़पेपर को उठाया। जैसे ही उसकी नज़र हेडलाइंस पर पड़ी, उसकी आँखें हैरानी से फट गईं। आज के हर न्यूज़पेपर में कपूर इंडस्ट्रीज के दिवालिया होने की खबर थी। कपूर इंडस्ट्रीज के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट थे, वे सब उनसे छीन चुके थे। यह खबर आग की तरह पूरे मुंबई में फैल चुकी थी और सुबह से ही, खबर पढ़ने के बाद, लेनदारों के फ़ोन की लाइन लग चुकी थी। तभी मि. कपूर के मैनेजर भी वहाँ आ गए।

    आरना (हड़बड़ा कर): पा...पापा! य...ये सब क्या है? मतलब हमारी कंपनी और सब...ये सब कैसे हुआ?

    मि. कपूर (गुस्से से): दिखाई नहीं दे रहा तुम्हें? या फिर सब जानते-बूझते भी, जान-बूझ कर मेरे ज़ख्मों पर नमक छिड़क रही हो?

    आरना (दुखी होकर): नहीं पापा, ऐसा कुछ नहीं है। मेरा और आपका दुख अलग थोड़ी है!

    मैनेजर: सर, आपका शक सही था। इस सब के पीछे रिदांश अग्निहोत्री का ही हाथ है!

    मि. कपूर (अपने दाँत पीसते हुए): इस रिदांश अग्निहोत्री को तो मैं छोडूँगा नहीं, लेकिन उससे पहले मुझे कुछ भी करके अपनी कंपनी को बचाना है। तुमने मेहरा से बात की?

    मैनेजर: सर, मैंने बात की, और इनफैक्ट कई लोगों से बात की, लेकिन उन सब ने हमसे और हमारी कंपनी से ऐसे मुँह मोड़ लिया है जैसे वे हमें जानते ही ना हों। उन सब का कहना है कि वे हमारे लिए, रिदांश अग्निहोत्री के खिलाफ नहीं जा सकते!

    मि. कपूर: खन्ना तो हमारा बरसों से पार्टनर रहा है और अच्छा आना-जाना भी रहा है। वहाँ से क्या जवाब मिला?

    मैनेजर: सर, उनका भी यही जवाब है कि तालाब में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं लिया जा सकता। बाकी, उन्हें हमसे पूरी हमदर्दी है!

    मि. कपूर (झल्ला कर): उसकी हमदर्दी का क्या हम निवाला बनाकर निगलें? (गहरी साँस ले कर) रिदांश अग्निहोत्री से मीटिंग फ़िक्स कराओ मेरी!

    मैनेजर (झिझकते हुए): सर, एक्चुअली...

    मि. कपूर (खीझ कर): नाउ व्हाट?

    मैनेजर: मैंने रिदांश अग्निहोत्री के मैनेजर से इस सिलसिले में बात की थी, लेकिन उन्होंने हमसे किसी भी तरह की मीटिंग या बात करने से साफ़ इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उनके बॉस हमसे किसी भी तरह की बात करने में बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं हैं!

    इतना सुनते ही मि. कपूर गुस्से से आग बबूला हो गए और टेबल पर रखा गिलास जोर से ज़मीन पर पटक दिया। वह ज़मीन पर गिरते ही हज़ार टुकड़ों में बिखर गया। आरना अपनी ही जगह सहम कर उछल पड़ी। मैनेजर भी मि. कपूर को इतना गुस्से में देखकर, वहाँ से किसी सॉल्यूशन को ढूँढने का बहाना बनाकर, चुपके से निकल गया।

    आरना (डरते हुए): पा...पापा! क्या ये वा...वही अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज के मालिक हैं जो पूरे मुंबई में नंबर वन की पोज़िशन में हैं?

    मि. कपूर (अनमने ढंग से जवाब देते हुए): हाँ...क्यों? तुम्हें क्यों जानना है?

    आरना (हिम्मत जुटाकर): पा...पापा! अ...अगर आप कहें तो मैं बात करने की कोशिश करूँ, शायद...

    मि. कपूर (बीच में ही, तंज के साथ): तुम कोई सेलिब्रिटी हो या कोई महारानी हो कहीं की, जो वो तुम्हें देखते ही तुमसे मिलने के लिए राज़ी हो जाएँगे!

    आरना: वो मे...मेरी एक क्लासमेट है, प्रिया। उसने मुझे बताया था कि उसकी बहन निशा अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज में ही काम करती है, तो मैं उसकी हेल्प से...

    मि. कपूर (बीच में ही): उम्मीद तो है नहीं मुझे तुमसे रत्ती भर भी, लेकिन अगर कुछ करना ही है तो मुझे रिज़ल्ट लाकर दो। ये तुम्हारी फ़ालतू की बातें सुनने में मुझे ज़रा भी इंटरेस्ट नहीं है!


    इतना कहकर मि. कपूर वहाँ से अपने कमरे में चले गए। आरना अपने दुखी मन को शांत करते हुए प्रिया को कॉल करके उससे हेल्प मांगी और वह उसे कुछ देर में वापस कॉल करने को बोली।

    दूसरी तरफ, मुंबई के एक लग्ज़रीयस ऑफ़िस में, जहाँ की हर एक चीज़ वहाँ के लग्ज़री होने का दावा कर रही थी... जहाँ का फ़र्श और दीवारें भी महँगे मार्बल और यूनिक डिज़ाइन से बने थे... इसी ऑफ़िस के एक शानदार कैबिन में, जहाँ महँगी-महँगी दीवार पर लगी कीमती पेंटिंग, एक शेल्फ़ में बहुत से अवार्ड, दूसरी तरफ मिनी रिफ़्रेशमेंट बार और कुछ लोगों के बैठने के लिए शानदार कुर्सी और टेबल का इंतज़ाम, जो सीधे तौर पर 4-5 लोगों की मीटिंग के लिए बनाया गया था... कुल मिलाकर हर एक चीज़ एंटीक और कीमती नज़र आ रही थी... इसी कैबिन में एक बेहतरीन कुर्सी पर रिदांश एक राजा की तरह शान से बैठा हुआ था और उसका मैनेजर कुमार उसे आज की सारी अपडेट दे रहा था।

    कुमार: सर, जैसा आपने करने को कहा था, ठीक वैसा ही किया गया है। आज के हर न्यूज़पेपर और न्यूज़ चैनल पर सिर्फ़ और सिर्फ़ कपूर इंडस्ट्रीज के बारे में ही सुर्खियां हैं और कपूर इंडस्ट्रीज के दिवालिया हो जाने की खबर से आज पूरी मार्किट में कोई भी उनका साथ देने या आपके खिलाफ़ जाने के लिए तैयार नहीं है। और आपके कहे अनुसार ही, सारे लेनदार भी मि. कपूर के दरवाज़े पर उनसे तकाज़ा करने पहुँच गए हैं!

    रिदांश (एविल मुस्कान के साथ): वेल डन कुमार...आई एम इम्प्रेस्ड... तुम अपना तोहफ़ा रिसेप्शन से मिसेज़ डिसूजा से ले सकते हो!

    कुमार (खुश होकर): थैंक्यू सो मच सर... मेरे लिए और कोई हुक्म?

    रिदांश: नहीं, फ़िलहाल तुम जा सकते हो!

    कुमार: ओके सर... (कुछ पल रुककर) सर, एक बात और कहनी थी आपसे?

    रिदांश (अपने फ़ोन की स्क्रीन को स्क्रॉल करते हुए): हम्म?

    कुमार: सर, निशा के पास मि. कपूर की बेटी का फ़ोन आया था और वो आपसे एक बार मिलने की रिक्वेस्ट कर रही है!

    रिदांश (कुमार की तरफ़ देखकर): निशा के पास?

    कुमार: जी सर, वो निशा की बहन और मि. कपूर की बेटी क्लासमेट है... पर मैंने मना कर दिया कि आप...

    रिदांश (कुछ सोचते हुए, बीच में ही): ठीक है, हाँ बोल दो उसे!

    कुमार: आर यू श्योर सर?

    रिदांश यह बात सुनकर सख्त और डार्क नज़रों से कुमार की तरफ़ देखता है और कुमार थूक गटकते हुए "ओके सर" कहता हुआ वहाँ से जल्दी से निकल जाता है। निशा कुमार से यह बात सुनकर आरना को फ़ोन करती है और उसे रिदांश से मिलने के लिए ऑफ़िस बुलाती है। आरना इस बात को सुनकर मन में एक उम्मीद के साथ रिदांश से मिलने उसके ऑफ़िस में पहुँचती है। ऑफ़िस पहुँचकर, वहाँ की हाईली एडवांस चीज़ें और सिक्योरिटी देखकर आरना एक पल को हैरान रह जाती है। पूरा ऑफ़िस इतना शानदार लग रहा था जैसे कोई सेवन स्टार होटल हो। वहाँ काम करने वाले लोग भी अपने पहनावे और लुक से बहुत ही सलीकेदार और स्टैंडर्ड नज़र आ रहे थे। थोड़ी देर बाद, आरना को निशा रिदांश के कैबिन के बाहर छोड़कर उसे अंदर जाने का इशारा करके खुद वहाँ से चली जाती है। आरना डर और नर्वसनेस के साथ, धड़कते दिल से दरवाज़ा खोलती है।

  • 7. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 7

    Words: 1063

    Estimated Reading Time: 7 min

    आरना को निशा रिदांश के केबिन के बाहर छोड़कर, उसे अंदर जाने का इशारा करके खुद वहाँ से चली गई। डर और घबराहट से धड़कते दिल के साथ, आरना ने दरवाज़ा खोला, जो एक बेहद लग्जरी, अनोखे सिस्टम वाले लॉक का दरवाज़ा था। केबिन का दरवाज़ा खोलकर आरना ने अपना क़दम अंदर रखा और तब तक वह केवल केबिन की ख़ूबसूरती की मन में तारीफ़ कर रही थी, जब तक कि रिदांश, जो अपनी कुर्सी घुमाकर दूसरी तरफ बैठा था, ने आरना की आहट सुनकर अपनी कुर्सी उसकी ओर नहीं घुमाई। रिदांश को देखकर आरना की बॉडी अपनी जगह ही जम गई थी। ब्लैक अरमानी सूट पहने आरना को देखकर रिदांश, पूरे एटीट्यूड के साथ टेबल पर अपनी एक टांग दूसरी टांग पर रखते हुए, अपने दोनों हाथ अपने सीने पर बाँधकर, घमंड भरी निगाहों से आरना को एकटक देख रहा था। उसके चेहरे से इस वक्त घमंड और कॉन्फिडेंस झलक रहा था। आरना उसके इस अंदाज़ से असहज हो रही थी, जिसकी वजह से उसकी घबराहट और बढ़ गई थी। लेकिन अपने पापा के बारे में सोचकर, आरना ने हिम्मत करके बोलने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही उसने रिदांश के चेहरे की ओर देखा, उसके आगे के शब्द उसके मुँह में ही अटक गए!


    आरना: मि. अग्निहोत्री...म...म...वो...

    रिदांश (पानी की ओर इशारा करके): पी लो इसे...शायद इससे मेरा कीमती वक्त बर्बाद होने से बच जाए!

    आरना (गहरी साँस ले कर धीरे से): नो थैंक्स!


    इस वक्त आरना की आँखों से बेबसी साफ़ झलक रही थी। उसके कोमल गुलाबी होंठ हल्के कांप रहे थे!


    रिदांश (तंज से): मिस कपूर, आपको क्या लगता है मैं इतना फ़ुरसत में हूँ कि आपको बस बुत बनी खड़ी देखता रहूँ!

    आरना: न...नहीं...एम सॉरी...(गहरी साँस ले कर पूरी हिम्मत के साथ)...मि. अग्निहोत्री, बात दरअसल ये है कि हमें आपकी मदद की ज़रूरत है...प्लीज़, हम लोगों की मदद कीजिए...मेरे पापा की रेपुटेशन और उनकी इज़्ज़त को बचा लीजिए!

    रिदांश (पूरे आत्मविश्वास के साथ मुस्कराते हुए): और मैं आपकी मदद करूँगा? आपको ऐसा क्यों लगता है...(कुछ पल रुककर)...मिस आरना कपूर...??

    आरना (अपने हाथ जोड़ते हुए): प्लीज़ मि. अग्निहोत्री, ऐसा मत कहिए...आप मेरी आख़िरी उम्मीद हैं और अगर आपने मेरी मदद नहीं की तो...

    रिदांश (बीच में ही टोकते हुए): तो तुम्हारे पापा और उनका ऑफ़िस, और यहाँ तक कि तुम्हारा घर भी पूरी तरह बैंकक्रप्ट हो जाएगा...(एक एविल मुस्कान के साथ)...मगर एक राज़ की बात बताऊँ...(धीरे से)...यही तो रिदांश अग्निहोत्री असल में चाहता है!

    आरना (आँसुओं भरी लाचार आँखों से): ऐसा मत कहिए मि. अग्निहोत्री...आपके सिवा हमारी मदद कोई नहीं करेगा क्योंकि कोई भी आपके ख़िलाफ़ कभी नहीं जाएगा...मैं नहीं जानती कि आपकी हमसे क्या दुश्मनी है जो आप हमारे साथ ऐसा बदला ले रहे हैं...(अपने हाथ जोड़ते हुए)...पर मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ, प्लीज़ मेरे पापा की इज़्ज़त को बचा लीजिए!

    रिदांश (अपनी जगह से खड़े होते हुए): चलो अब तुम इतनी रिक्वेस्ट कर रही हो तो ठीक है, मैं तैयार हूँ...(आरना उम्मीद भरी खुशी से कुछ कहने के लिए मुँह खोलती है लेकिन रिदांश उसे बीच में ही टोक देता है)...लेकिन...

    आरना (असमंजस से): लेकिन क्या?

    रिदांश (अपनी पैंट की जेब में हाथ डालकर): लेकिन ये कि सब जानते हैं कि रिदांश अग्निहोत्री कभी घाटे का सौदा नहीं करता...सब जानते हैं कि मैं एक बिज़नेसमैन हूँ, तो ज़ाहिर है कि मुझे किसी भी सौदे में अपना फ़ायदा चाहिए...मतलब एक हाथ से दे तो दूसरे हाथ से ले!

    आरना: मुझे मंज़ूर है, आप जो कहेंगे मैं तैयार हूँ। जैसे ही सब कुछ ठीक हो जाएगा, मैं आपकी पाई-पाई चुका दूँगी और...

    रिदांश (बीच में ही टोक कर, आरना की ओर क़दम बढ़ाते हुए): आँ, आँ...नो स्वीटहार्ट, नो...रिदांश कल के भरोसे कुछ नहीं छोड़ता...मैं मदद अभी करूँगा तो मुझे उसके बदले अपनी कीमत भी अभी ही चाहिए...वरना भूल जाओ फिर!

    आरना (परेशान होकर): नो, नो प्लीज़...ऐसा मत कहिए...(सोचते हुए)..... मेरे पास अभी कुछ भी नहीं है जो मैं आपको दे सकूँ, पर मैं वादा करती हूँ कि...

    रिदांश (ज़ोर से हँसते हुए): और तुम्हें क्या लगता है कि मैंने ये इतना बड़ा बिज़नेस लोगों के सो कॉल्ड वादों पर खड़ा किया है...(सीरियस होकर)...आई थिंक तुम यहाँ सिर्फ़ मेरा कीमती वक्त बर्बाद करने आई हो...जो कि ऑलरेडी बहुत कर चुकी हो तुम...(वापस अपनी कुर्सी की ओर मुड़ते हुए)...नाउ लीव...(ज़ोर देते हुए)...गेट आउट!!!

    आरना (हड़बड़ाकर): नो, नो...प्लीज़...आप जो बोलेंगे वो मैं करूँगी...आपको जो भी कीमत चाहिए, मैं चुकाने के लिए तैयार हूँ, बस प्लीज़ मेरी मदद कीजिए!


    रिदांश यह सुनकर वापस से आरना की ओर पलटता है और एक एविल मुस्कान के साथ उसकी ओर अपने क़दम बढ़ाता है और कुछ ही पल में वह ठीक उसके सामने खड़ा था। और क्योंकि आरना उसके कंधे तक ही आ रही थी, तो सिर झुकाकर, एविल मुस्कान के साथ उसे एकटक देख रहा था!

    रिदांश (तीखी मुस्कान के साथ): आर यू श्योर...कि तुम मुझे कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हो?

    आरना (रिदांश की करीबी से असहज होते हुए): य...यस!

    रिदांश (आरना को एकटक देखते हुए): तो फिर ठीक है, मैं तुम्हारी बात मानने के लिए तैयार हूँ...तुम्हारे बाप की इज़्ज़त और रेपुटेशन को दुबारा से वही मुक़ाम हासिल हो जाएगा, लेकिन...(एक पल रुककर)...उसके बदले...(एक पल रुककर)...मुझे तुम चाहिए!

    आरना (दो क़दम पीछे ले कर हैरानी से आँखें फाड़कर): क...क्या...मतलब?

    रिदांश (बेपरवाही से, एक एविल मुस्कान के साथ आरना के गाल पर अपनी उँगली घुमाते हुए): बिल्कुल ठीक सुना तुमने...और इसमें इतना हैरान होने वाली क्या बात है...ये तो बस एक सौदा है कि मेरे सारे फ़ेवर के बदले की कीमत तुम होगी...सिर्फ़ एक रात...एक रात और फिर तुम आज़ाद...और इस एक रात के बदले मैं तुम्हें...


    रिदांश अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि केबिन में एक ज़ोरदार थप्पड़ की आवाज़ गूंज उठी।


    (24 घंटे बाद...)


    आरना कमरे में रखे सोफ़े पर लाल दुल्हन के जोड़े में, आँखों में एक अजीब सा खालीपन लिए, मद्धम रोशनी के बीच बैठी हुई थी। उसके दिमाग में बीते चौबीस घंटे में उसकी ज़िंदगी में मची उथल-पुथल चल रही थी। उसे यक़ीन ही नहीं हो रहा था कि एक दिन में उसकी ज़िंदगी में इतना बड़ा बदलाव हो गया और एक पल में उसकी ज़िंदगी बिलकुल ही बदल चुकी थी। उसका दिल एक अनजाने डर और ख़ौफ़ से बैठा जा रहा था। वह अपनी किस्मत की उलझन में ही उलझी हुई थी और यह उलझन बस बीते पल के साथ बढ़ती ही जा रही थी। आरना के दिमाग में बीते चौबीस घंटे का समय एक बार फिर चलचित्र की भाँति घूमना शुरू हो गया था...


    (फ़्लैशबैक...चौबीस घंटे पहले...)...

  • 8. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 8

    Words: 2371

    Estimated Reading Time: 15 min

    वह अपनी किस्मत की उलझन में ही उलझी थी और यह उलझन बीते पल के साथ बढ़ती ही जा रही थी। आरना के दिमाग में बीते चौबीस घंटे का समय एक बार फिर चलचित्र की भांति घूमना शुरू हो गया था।


    [फ्लैशबैक....चौबीस घंटे पहले......]


    रिदांश (आरना को एकटक देखते हुए): तो फिर ठीक है, मैं तुम्हारी बात मानने के लिए तैयार हूँ। तुम्हारे बाप की इज्ज़त और रेपुटेशन को दुबारा से वही मुकाम हासिल हो जाएगा, लेकिन……(एक पल रुक कर)……मुझे तुम चाहिए!


    आरना (दो कदम पीछे लेते हुए, हैरानी से आँखें फाड़कर): क…क्या मत…मतलब?


    रिदांश (बेपरवाही से, एविल स्माइल के साथ आरना के गाल पर अपनी उंगली घुमाते हुए): बिल्कुल ठीक सुना तुमने। और इसमें इतना हैरान होने वाली क्या बात है? यह तो बस एक सौदा है कि मेरे सारे फेवर के बदले की कीमत तुम होगी, मिस कपूर। सिर्फ़ एक रात… एक रात और फिर तुम आज़ाद… और इस एक रात के बदले मैं तुम्हें…


    रिदांश अपनी बात पूरी नहीं कर पाया था कि कैबिन में एक जोरदार थप्पड़ की आवाज़ गूंज उठी। जैसे ही आरना ने रिदांश पर हाथ उठाया, रिदांश की आँखें गुस्से से लाल और डार्क हो गईं। उसने अपने दाँत पीसते हुए अपनी मुट्ठियों को कस कर भींच लिया था और उसकी बाजुओं की नसें गुस्से से तन गई थीं। इसे देखकर आरना का पलक थर्रा उठा था, फिर भी उसने पूरी हिम्मत करके अपने चेहरे पर इस डर को छिपाने की कोशिश की।


    आरना (नफरत भरे लहजे में): यू नो व्हाट? गलती मेरी ही है जो आप जैसे घटिया और गिरे हुए इंसान से अच्छाई की उम्मीद भी की। मैं अपने बलबूते पर खुद अपने पापा की इज्ज़त को बचाऊँगी। चाहे मुझे जो करना पड़े, वह करूँगी, लेकिन आपके आगे कभी नहीं झुकूँगी। क्योंकि असल में आप सिर्फ एक घटिया और निहायती गिरे हुए इंसान हो। यू आर टोटली डिस्गस्टिंग प…


    आरना गुस्से में बोली जा रही थी, लेकिन जैसे ही रिदांश ने अपनी खतरनाक और डार्क आँखों से देखा, तो वह चाहकर भी अपने इस डर को नहीं छिपा पाई और उसके आगे शब्द उसके गले में ही रुक गए। अगले ही पल रिदांश गुस्से से आरना के बालों को अपनी मुट्ठी में कस कर पकड़ कर उसे अपनी तरफ़ खींच लेता है। आरना दर्द से कराह उठी और दर्द की वजह से उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसके दोनों कोमल हाथ रिदांश के लोहे जैसे मज़बूत हाथ से अपने बालों को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे।


    आरना (दर्द से कराह कर): छोड़िए मुझे, दर्द हो रहा है!


    रिदांश (अपने दाँत पीसते हुए): दर्द क्या होता है, इसका एहसास तो तुम्हें अब होना शुरू होगा। अगर अभी मैं चाहूँ ना, तो तुम्हारा इस दुनिया से नामोनिशान मिटा सकता हूँ, लेकिन नहीं, यह तो तुम्हारे गुनाह की बहुत ही आसान सज़ा होगी। जो थप्पड़ आज तुमने मेरे गाल पर मारा है, यह तो फिर भी वक़्त के साथ धुंधला जाएगा, लेकिन (आरना के बालों पर अपनी पकड़ मज़बूत करते हुए)…लेकिन जो थप्पड़ मैं तुम्हारी ज़िंदगी के मुँह पर मारूँगा, उसके निशान तुम्हारी पूरी ज़िंदगी नहीं मिट पाएँगे। इतनी बदतर ज़िंदगी कर दूँगा तुम्हारी कि तिल-तिल तड़पोगी तुम। दुआ करोगी मौत के लिए, लेकिन तुम्हें मेरी इजाजत के बिना मौत भी नहीं आएगी। मौत से भी बदतर ज़िंदगी गुज़रेगी तुम्हारी। हर पल उस दर्द से गुज़रोगी जो तुम्हें न मरने देगा और न जीने। तुम्हारी वह हालत कर दूँगा मैं कि तुम्हें खुद से नफ़रत हो जाएगी। अभी तुमने मुझ पर हाथ उठाया, लेकिन अब तुम खुद मेरे पास घुटनों के बल चलकर आओगी। मिन्नतें करोगी मुझसे… भीख माँगोगी मुझसे!


    आरना (दर्द से कराह कर, आँसू भरी आँखों से): ऐसा कभी नहीं होगा, मि. अग्निहोत्री… कभी भी नहीं!


    रिदांश (एविल मुस्कान के साथ): सो लेट्स सी, स्वीटहार्ट… (कठोर भाव के साथ)…24 घंटे… सिर्फ़ 24 घंटे में तुम मेरे कदमों में होगी…!


    आरना: चाहे जो भी कर लीजिए, लेकिन आप मेरे आत्मविश्वास को कभी भी नहीं तोड़ पाएँगे!


    रिदांश: तुम्हें ना मैं एक-एक फ़्री की एडवाइस देता हूँ… (सर्द लहजे में)…जितना भी जीना है ना इन आने वाले चौबीस घंटों में जी लो, क्योंकि उसके बाद तुम खुलकर साँस लेने के लिए भी तरस जाओगी। नाउ गेट लॉस्ट!


    इतना कहकर रिदांश गुस्से और नफ़रत के मिले-जुले भाव के साथ आरना के बालों को झटके से छोड़ देता है और आरना अचानक खुद को संभाल नहीं पाती और वहीं फ़र्श पर गिर जाती है। जिसकी वजह से उसकी कोहनी छिल जाती है और एक बार फिर दर्द से उसकी आँखें नम हो जाती हैं। वह जल्दी से खुद को संभालते हुए, बिना एक बार भी रिदांश को देखे, उसके कैबिन से बाहर निकल जाती है। इधर आरना के निकलते ही रिदांश किसी को फोन करता है। दूसरी तरफ़ आरना गहरी साँस लेते हुए जल्दी से ऑफिस से बाहर आकर अपने घर जाने के लिए टैक्सी करती है। पूरे रास्ते आरना के दिमाग में बस रिदांश की बातें और धमकी ही घूम रहे थे। उसकी तंद्रा तब टूटी जब ड्राइवर ने उसे कहा कि वह पहुँच चुके हैं। आरना ड्राइवर को पैसे देकर घर में जाती है, लेकिन अंदर जाने से पहले ही उसे मेन गेट पर मि. कपूर कुछ पुलिस वालों के साथ नज़र आते हैं जो मि. कपूर को अपने साथ ले जा रहे थे। इसे देखकर आरना एकदम पैनिक हो जाती है और जल्दी से उन लोगों की तरफ़ अपने कदम बढ़ाती है।


    आरना (पैनिक होते हुए): पा…पापा ये लो… लोग आपको कहाँ ले जा रहे हैं? (पुलिस की तरफ़ देखते हुए)…सर आप ऐसे क्यों ले जा रहे हैं मेरे पापा को? आख़िर इनका कसूर क्या है?


    इंस्पेक्टर: देखिए, आपके पापा पर धोखाधड़ी और चारसौ बीसी का केस लगा है। कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए इन्होंने फ्रॉड किया है और कॉन्ट्रैक्ट के मालिक का कहना है कि इन्होंने धोखे से कॉन्ट्रैक्ट की सारी रकम हड़प कर ली है!


    आरना (शॉक्ड होकर): क…क्या??…मगर किसने की है कंप्लेंट?


    इंस्पेक्टर: मि. रिदांश अग्निहोत्री ने!


    आरना जब रिदांश का नाम सुनती है तो एक बार फिर उसकी धमकी उसके कानों में गूंजने लगती है।


    मि. कपूर (आरना से): खान को मेरी ज़मानत के पेपर के साथ जल्दी से पुलिस स्टेशन ले कर पहुँचो!


    आरना: जी…जी आप फ़िक्र ना करें पापा, बस मैं आती हूँ!


    मि. कपूर बिना कोई जवाब दिए पुलिस के साथ आगे बढ़ जाते हैं और उनकी जीप में बैठकर वहाँ से पुलिस स्टेशन चले जाते हैं। आरना जल्दी से अपनी स्कूटी लेकर वहाँ से खान के ऑफिस के लिए निकल जाती है। थोड़ी ही देर में वह वहाँ पहुँच जाती है और खान को पूरी बात बताती है।


    मि. खान: लेकिन यह सब हुआ कैसे, आरना?


    आरना: पता नहीं अंकल, उस रिदांश अग्निहोत्री की हमसे क्या दुश्मनी है जो वह हमारे साथ ऐसा कर रहा है। आप जल्दी से चलिए अंकल और पापा को बाहर निकालिए!


    मि. खान: तुम फ़िक्र मत करो… चलो पुलिस स्टेशन चलकर देखते हैं क्या होता है!


    थोड़ी ही देर में दोनों मैनेजर के साथ पुलिस स्टेशन पहुँच जाते हैं और खान इंस्पेक्टर को मि. कपूर के वकील होने के नाते एफ़आईआर की कॉपी दिखाने के लिए कहते हैं और कुछ देर बाद वापस आरना के पास आते हैं और दोनों मि. कपूर के पास लॉकअप में जाते हैं।


    आरना (परेशान होते हुए): क्या हुआ अंकल? पापा की बेल हो जाएगी ना? मुझे बहुत डर लग रहा है, बोलिए ना अंकल?


    मि. खान: मैं तुम्हारी टेंशन समझता हूँ बेटा… आख़िर ना मैं सिर्फ़ राघव का लीगल एडवाइज़र हूँ, बल्कि हम काफ़ी सालों से अच्छे दोस्त भी हैं… लेकिन मुझे नहीं लगता कि राघव को बेल मिल पाएगी!


    मि. कपूर: व्हाट?


    आरना (परेशान होकर): यह क्या कह रहे हैं अंकल आप?


    खान: देखो, बात यह है कि केस बहुत पेचीदा है… राघव, तुम पर करोड़ों की धोखाधड़ी का इल्ज़ाम लगा है और आज शनिवार है और कल रविवार। अब तो कोर्ट सोमवार ही खुलेगा… तभी कुछ हो सकता है और वह भी सुनवाई के बाद… केस ऐसा बनाया गया है कि बिना सुनवाई और पेशी के बगैर अब बेल मिलना नामुमकिन है… अगर कोई और होता तो मैं कुछ न कुछ जुगाड़ कर लेता, लेकिन बात यह है कि जिसने यह केस फ़ाइल किया है वह यहाँ का बहुत ही पॉवरफ़ुल इंसान है। उसके ख़िलाफ़ कोई भी जाने को तैयार नहीं… अच्छा होगा अगर यह केस यहीं पुलिस स्टेशन में ख़त्म हो जाए, वरना अगर एक बार तुम कोर्ट में पेशी के लिए पहुँच गए तो फिर मुश्किल हो जाएगी… क्योंकि ऐसे केस में दस साल से लेकर उम्रकैद की सज़ा मुकर्रर की जाती है!


    मि. कपूर (फ़्रस्ट्रेट होकर): यह क्या कह रहे हो तुम? मैं दो दिन इस जेल में… यह नहीं हो सकता… कुछ भी करके निकालो मुझे यहाँ से अभी…!!!!


    मि. खान: मैं समझता हूँ तुम्हारी बात, लेकिन यह क़ानूनी मसले हैं, इनमें कुछ भी नहीं किया जा सकता!


    आरना: अंकल, कोई तो रास्ता होगा जिससे हम पापा को आज ही बाहर निकाल पाएँ?


    मि. खान: रास्ते तो हैं… वह भी दो, लेकिन…


    आरना: लेकिन क्या?


    मि. खान: लेकिन यह कि दोनों ही होना नामुमकिन हैं!


    आरना (उम्मीद से): फिर भी एक बार कोशिश करने में क्या जाता है… आप बताइए तो सही?


    मि. खान: ठीक है, तो सुनो… पहला, कि जितने लोग या कंपनी इस कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े थे, वह अगर राघव के फ़ेवर में यहाँ पुलिस स्टेशन आकर गवाही दे दें तो मैं कुछ कर सकता हूँ!


    आरना: और दूसरा?


    मि. खान: दूसरा तो बिल्कुल ही नामुमकिन है… मेरा मतलब है कि अगर रिदांश अग्निहोत्री खुद इस केस को वापस ले ले तो!


    आरना (मायूसी से): वह कभी ऐसा नहीं करेगा!


    मि. खान: हाँ, और कोई उसके ख़िलाफ़ जाने की कभी हिम्मत भी नहीं करेगा। इसीलिए मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि इन दोनों बातों का कोई फ़ायदा नहीं!


    मि. कपूर (आरना की तरफ़ देखकर): लेकिन तुम तो उससे मिलने गई थीं, फिर क्या कहा उसने?


    आरना जब मि. कपूर की बात सुनती है तो उसके दिमाग में एक बार फिर से रिदांश के शब्द घूमने लगते हैं!


    "मेरे सारे फेवर के बदले की कीमत तुम होगी मिस कपूर… सिर्फ़ एक रात…"


    मि. कपूर (सख्त लहजे में): मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ?


    आरना (अपने ख्यालों से बाहर आते हुए): जी…जी पापा, मैं गई थी, लेकिन…(मन में)…मैं पापा को कैसा बताऊँ कि वह इस सब के बदले असल में चाहता क्या है!


    मि. कपूर: लेकिन क्या…(सख्ती से)…बोलो?


    आरना (हिचकिचाते हुए): ले…लेकिन वो…वो…


    मि. कपूर (फ़्रस्ट्रेट होकर): लेकिन यही ना कि हमेशा की तरह इस बार भी तुम कुछ भी करने में नाकाम ही रही… यू नो व्हाट… यू आर टोटली यूज़लैस… तुम कभी कुछ कर ही नहीं सकती… और तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है मैं कल की बजाय आज मर जाऊँ… जाओ तुम जियो… मौज करो!!!


    मि. खान: यार, बस करो राघव… एक तो बच्ची वैसे ही तुम्हें लेकर डरी हुई है और ऊपर से तुम उसे बातें सुनाकर और दुखी कर रहे हो!


    मि. कपूर (रूखेपन से): मैं इसे कोई दुःख नहीं दे रहा, बस जो हक़ीक़त है उसे बयान कर रहा हूँ… किसी काम की नहीं है यह लड़की!


    आरना (उदासी से): मैं जानती हूँ कि मैं हमेशा आपको बस मायूसी ही देती हूँ, पर आपको यहाँ से निकालने के लिए मुझे जो कुछ करना पड़ा मैं करूँगी… बस आप बिल्कुल फ़िक्र मत कीजिए!


    मि. कपूर: मुझे इस तुम्हारी झूठी हमदर्दी की कोई ज़रूरत नहीं है… जाओ यहाँ से!


    मि. खान (अपना सर ना में हिलाते हुए): बेटा, तुम इसकी बातों पर ध्यान मत दो, यह अभी फ़्रस्ट्रेट है तो कुछ भी बोले जा रहा है… चलो तुम घर जाओ… मैं देखता हूँ कि क्या हो सकता है!


    आरना (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): जी अंकल!


    इसके बाद आरना वहाँ से चली जाती है। दोपहर से शाम और शाम से रात हो चुकी थी। रात के आठ बज चुके थे और आरना अब भी इधर से उधर मदद के लिए घूम रही थी। उसने मि. कपूर के हर एक बिज़नेस एसोसिएशन और कॉन्ट्रैक्टर से अपनी मदद की रिक्वेस्ट की, लेकिन हर किसी ने कोई न कोई बहाना बनाकर उसकी बात को टाल दिया। लेकिन असल वजह तो रिदांश था और यह बात आरना अच्छे से समझ रही थी। घड़ी में रात के दस बज चुके थे जब आरना मायूसी और उदासी से घर वापस लौटी। वह थकी-हारी सी सोफ़े पर बैठ गई। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह आख़िर क्या करे। तभी उसे राहुल का ख्याल आता है और वह जल्दी से अपना फ़ोन निकालकर इधर से उधर टहलते हुए उसका फ़ोन लगाती है, लेकिन शायद उसकी किस्मत आज पूरी तरह उसके ख़िलाफ़ ही थी। राहुल का फ़ोन बंद आ रहा था और कई बार ट्राई करने के बाद भी राहुल का फ़ोन ना लगने पर वह नैना को फ़ोन लगाती है। दो रिंग के बाद वहाँ से फ़ोन पिक होता है।


    आरना: ह…हैलो… न…नैना…


    दूसरी तरफ़ से: अरे आरना बेटा, कैसी हो तुम?


    आरना (अपने हाथ से अपने बहते आँसुओं को साफ़ करते हुए): म…मैं ठीक हूँ आंटी… क्या मेरी नैना से बात हो सकती है?


    नैना की माँ: बेटा, नैना तो अभी बाहर गई है और जल्दी-जल्दी में अपना फ़ोन भी यहीं भूल गई… जैसे ही वह आती है मैं तुम्हारी बात करवाती हूँ!


    आरना: जी आंटी!


    इतना कहकर आरना फ़ोन रख देती है और वहीं सोफ़े के पास बैठकर घुटनों के बल बैठ जाती है और उसकी आँखों से बेबसी और लाचारी के आँसू निकलने लगते हैं और उसके कानों में आज हुई सारी बातें एक-एक करके गूंजने लगती हैं।


    "यह तो बस एक सौदा है कि मेरे सारे फेवर के बदले की कीमत तुम होगी मिस कपूर… सिर्फ़ एक रात…"


    "ऐसे केस में दस साल से लेकर उम्रकैद की सज़ा मुकर्रर की जाती है"!


    "लेकिन यही ना कि हमेशा की तरह इस बार भी तुम कुछ भी करने में नाकाम ही रही"!


    "यू नो व्हाट… यू आर टोटली यूज़लैस"!…


    "सिर्फ़ एक रात"!


    "यू आर टोटली यूज़लैस"!…


    "एक रात और फिर तुम आज़ाद"…!!!!


    "दस साल और उम्रकैद"!


    आरना (रोते हुए, जोर से अपने कानों पर हाथ रखते हुए): नो…नो…नो…स्टॉप इट…स्टॉप इट…!!!


    आरना अपने दोनों कानों पर हाथ रखे, बस लगातार बेबसी और लाचारी के आँसू बहा रही थी। ऐसे ही अपनी उलझनों में उलझे, कब सुबह का सूरज निकला, आरना को कोई होश ही नहीं रहा। सुबह की पहली किरण के साथ ही आरना अपने फ़ैसले पर पहुँच चुकी थी और इसी के साथ घर से निकल पड़ी और कुछ ही देर में वह रिदांश के ऑफिस में थी। और जब वह रिसेप्शनिस्ट को अपना नाम बताती है तो वह उसे फ़ौरन अंदर जाने की परमिशन दे देती है। आरना काँपते हाथों से कैबिन का दरवाज़ा खोलती है और अंदर जाती है। रिदांश का चेहरा खिड़की की तरफ़ था और उसकी पीठ आरना की तरफ़ थी। जैसे ही आरना कैबिन में कदम रखती है तो रिदांश की वही घमंड भरी आवाज़ उसके कानों में गूंजती है।


    रिदांश (घमंड भरे लहजे में): वेलकम… वेलकम मिस कपूर… मुझे पता था तुम ज़रूर आओगी!


    आरना (अपनी नमी भरी आँखों के साथ, मुट्ठियों को कस कर भींचते हुए): मु…मुझे आ…आपकी श…शर्त (सुबकते हुए)…मंज़…मंज़ूर है!!!!


    रिदांश (पीछे पलटते हुए): लेकिन अब मुझे यह मंज़ूर नहीं!!!!


    आरना (डरते हुए, असमंजस से): म…मतलब?


    रिदांश (अपने मुँह में सिगरेट दबाते हुए): मतलब यह कि अब तुम्हारी मुझे अदा करने वाली कीमत बदल चुकी है…!!!


    आरना (उम्मीद भरी नज़रों से): क…क्या?


    रिदांश (अपनी सिगरेट जलाते हुए, लापरवाही से): नाउ एज़ अ प्राइज़ आई वांट टू सी यू बिकम… (एक पल शांत रहकर)…माय वाइफ़…

  • 9. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 9

    Words: 1478

    Estimated Reading Time: 9 min

    आरना, अपनी नमी भरी आँखों के साथ मुट्ठियों को कसकर भींचते हुए, बोली, "मु...मुझे आ...आपकी श...शर्त (सुबकते हुए)....मंजूर है!!!!"

    रिदांश पीछे पलटते हुए बोला, "लेकिन अब मुझे यह मंजूर नहीं!!!!"

    आरना डरते हुए, असमंजस से बोली, "म...मतलब?"

    रिदांश अपने मुँह में सिगरेट दबाते हुए बोला, "मतलब यह कि अब तुम्हारी मुझे अदा करने वाली कीमत बदल चुकी है....!!!"

    आरना उम्मीद भरी नज़रों से बोली, "क...क्या?"

    रिदांश अपनी सिगरेट जलाते हुए, लापरवाही से बोला, "नाउ एज अ प्राइज आई वांट टू सी यू बिकम.....(एक पल शांत रहकर)...माय वाईफ...........!!"

    आरना जब रिदांश के मुँह से यह बात सुनती है, तो उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है और घबराहट से उसका रंग पीला पड़ जाता है।

    आरना घबराते हुए बोली, "या..ये क...क्या बोल रहे हैं आप?"

    रिदांश अपने मुँह से सिगरेट का धुआँ उड़ाते हुए, डार्क लहजे में बोला, "आई डोंट लाईक रिपीटिंग माय वर्ड्स एट ऑल!!!"

    "म...मगर य...ये पॉसिबल नहीं हो सकता है...कभी भी नहीं!" बोली आरना।

    रिदांश अपनी सिगरेट को अपने जूते से मसलते हुए, सख्त भाव के साथ बोला, "मिस कपूर....कल से आप मेरा बहुत कीमती वक्त जाया कर रही हैं, लेकिन अब मेरे पास जाया करने के लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं....इसीलिए अब तुम्हारे पास दो मिनट हैं, ठीक दो मिनट में मुझे तुम्हारा जवाब चाहिए.....और हाँ, एक बात और, तुम्हारे किसी भी फैसले के बाद तुम्हारी ज़िंदगी बदलनी तो तय है, लेकिन अब मेरे बाद जो भी फैसला होगा वह टस से मस नहीं होगा....सो थिंक स्मार्टली स्वीटहार्ट (अपनी घड़ी की तरफ देखते हुए) एंड योर टाईम स्टार्ट...नाउ!!!!"

    आरना का दिमाग इस वक्त बिल्कुल सुन्न हो गया था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे और क्या ना करे। अभी वह इसी उलझन में उलझी थी कि रिदांश की आवाज़ उसके कानों में गूंजती है।

    रिदांश अपनी घड़ी देखते हुए बोला, "10 सैकंड लेफ्ट...(रिदांश काउंट करते हुए).....9.....8....7....6.......5.....4.....3.....2.....एंड...."

    आरना जल्दी से बीच में ही बोली, "स्टॉप....मैं तैयार हूँ...(छलकती आँखों से)...मैं तैयार हूँ....!!!"

    रिदांश एविल मुस्कान के साथ बोला, "आई न्यू इट...तुम्हारा जवाब यही होगा..वेल...बी रेडी...दो घंटे बाद ही हमारी शादी है!"

    आरना घबराकर बोली, "द...दो घंटे?"

    रिदांश आरना को घूरकर बोला, "हाँ, दो घंटे! क्योंकि खेल जितनी जल्दी खत्म हो जाए उतना ही मुझे पसंद है!!"

    आरना को रिदांश की नज़रें असहज कर रही थीं। अब तक एक बार भी आरना ने रिदांश की आँखों में देखकर बात नहीं की थी, हालाँकि हल्की सी झलक से ही वह यह जान गई थी कि उसकी आँखें बहुत खूबसूरत हैं, लेकिन उसकी आँखें उसके दिल में एक अजीब सापन और डर का एहसास पैदा करती थीं। रिदांश की आँखों में उसे दुनियाँ भर की डार्कनेस और सिर्फ़ नफ़रत की खाई नज़र आती थी, जिसकी गहराई में उसे खुद के खो जाने का डर महसूस होता था।

    आरना ज़मीन को घूरते हुए बोली, "मेरे पापा के खिलाफ़ अपना केस अब तो वापस ले लेंगे ना आप?"

    "ऑफकोर्स!!!" बोला रिदांश। "...इधर हमारी शादी पूरी और उधर तुम्हारे पापा बाहर!!!"

    "ले...लेकिन...." बोली आरना।

    रिदांश बीच में ही बोला, "आई प्रॉमिस दैट, और मैं अपने प्रॉमिस कभी नहीं तोड़ता....(आरना के करीब आते हुए सर्द लहजे में)...एंड बिसाइड्स दिस यू हैव नो अदर ऑप्शन डार्लिंग.......(वापस अपनी कुर्सी के पास जाकर उस पर बैठते हुए)....एक घंटा है तुम्हारे पास अपने सारे काम निपटा लो...मीन्स अपनी पैकिंग कर लो....ठीक एक घंटे बाद तुम्हें मेरा ड्राइवर पिक करने आएगा....सो बी रेडी...एंड रिमेंबर वन थिंग, मेरे साथ सपने में भी कोई खेल खेलने की कोशिश मत करना, वरना रिदांश अग्निहोत्री तुम्हारी ज़िंदगी की वो डरावनी हकीकत बनकर उभरेगा जो तुम्हारे आज और कल दोनों को तहस-नहस कर देगा.....!!!"

    आरना थूक गटकते हुए अपना सर हाँ में हिला देती है।

    रिदांश सख्त लहजे में बोला, "आई रियली डोंट लाइक दिस जेस्चर.....वर्ड्स?"

    आरना नज़रें झुकाए हुए बोली, "य...यस!"

    "नाउ यू कैन लीव!" बोला रिदांश।

    "ज...जी!" बोली आरना।

    इतना कहकर आरना जल्दी से वापस जाने के लिए मुड़ती है और रिदांश के केबिन से बाहर आ जाती है। कुछ ही देर में, बोझिल कदमों से आरना अपने घर पहुँचती है और अपने कमरे में जाकर अपने बैग में, बोझिल और दुखी मन से, अपने कपड़े जमाने लगती है। आरना अपने साइड टेबल पर से अपनी, नैना, और राहुल की फ़ोटो फ़्रेम उठाकर उसे आँसुओं भरी नज़रों से देखने लगती है।

    आरना सिसकते हुए बोली, "जब तुम दोनों वापस आओगे तो सब बदल चुका होगा...बहुत शिकायतें भी होंगी तुम्हें मुझसे, लेकिन मैं क्या करूँ....मैं मजबूर हूँ....वक्त रेत की तरह मेरे हाथ से फिसल रहा है और मैं कुछ भी नहीं कर पा रही हूँ, मगर तुम दोनों के साथ बिताया हर एक पल मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत वक्त रहा है, ऐसा वक्त शायद ही कभी अब मेरी ज़िंदगी में दुबारा आ सके.....(अपनी माँ की तस्वीर देखते हुए)....मैं नहीं जानती माँ कि मैं गलत कर रही हूँ या सही, लेकिन आप तो जानती हो ना कि मेरे पास पापा को बचाने का कोई रास्ता नहीं है, इसीलिए मुझे यह करना ही होगा, बस आप मुझे इतनी हिम्मत देना कि मेरे कदम डगमगाएँ नहीं.....(मि. कपूर की तस्वीर उठाते हुए)....जानती हूँ पापा, मैं हमेशा आपकी नज़रों में एक नालायक बेटी ही रही हूँ....कभी भी मैं आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई, लेकिन मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ पापा....इस दुनिया में मेरे लिए आपसे बढ़कर कुछ भी नहीं है पापा...(तस्वीर को अपने सीने से लगाते हुए).....यह ज़िंदगी तो क्या, मैं अपनी आने वाली हर एक ज़िंदगी आपके लिए हँसते-हँसते कुर्बान कर सकती हूँ....आई लव यू पापा..आई लव यू सो मच!!!"

    पता नहीं कितनी देर तक आरना यूँ ही तस्वीर को अपने गले लगाकर आँसू बहाती रहती है। उसकी तंद्रा तब टूटती है जब नौकर आकर उसे रिदांश के ड्राइवर के आने की इत्तिला देता है और आरना दो मिनट में आने का कहकर उसे वापस भेज देती है और तस्वीरों को अपने बैग में रखकर उसे बंद कर लेती है और बाथरूम में जाकर अपने मुँह पर पानी डालने के बाद कुछ देर बाद नीचे आती है। वहीं खड़ा ड्राइवर आरना के हाथ से बैग ले कर आगे बढ़ जाता है। नीचे आकर आरना एक बार नम आँखों से पूरे घर पर अपनी नज़र डालती है और किसी से भी बिना कुछ बोले, बिना मुड़े, गाड़ी में जाकर बैठ जाती है। कुछ वक्त बाद में गाड़ी एक फ़ार्म हाउस के आगे रुक जाती है और ड्राइवर गाड़ी का दरवाज़ा खोलकर आरना से अंदर जाने के लिए कहता है। आरना अंदर जाती है तो दो स्टाइलिश सी लड़कियाँ उसे अपने साथ तैयार होने के लिए जाने के लिए कहती हैं और आरना बिना कुछ बोले, बोझिल मन से, उनके साथ हो पड़ती है। दोनों लड़कियाँ उसे पास ही एक कमरे में ले जाती हैं और आईने के सामने बैठाकर उसका मेकअप और हेयर स्टाइल शुरू कर देती हैं और कुछ ही देर में वे आरना का मेकअप पूरा कर देती हैं और उसे एक खूबसूरत और बेशकीमती लाल जोड़ा पहनने के लिए देती हैं। उनकी आपस की बातों ही बातों में आरना को पता चलता है कि एक का नाम बेला और एक का कायली है। जब आरना वह लहँगा पहनकर उनके सामने आती है तो दोनों हैरान होकर आरना की खूबसूरती को अपने शब्दों में बयान करने लगती हैं। लेकिन आरना का मन तो इस मनचाही शादी से दुखी और विचलित था, जिसकी वजह से एक बार फिर उसकी आँखें नम हो चली थीं। यह दिन हर एक लड़की के लिए उसकी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत और ख्वाबों से सजा दिन होता है, लेकिन आरना के लिए यह दिन सिर्फ़ दुख और बेबसी से भरा था, जिसमें उसके ख्वाबों जैसा कुछ भी नहीं था।


    बेला बोली, "मेम, प्लीज़ डोंट क्राई, अदरवाइज़ आपका मेकअप अगर ज़रा भी खराब हो गया तो मास्टर अग्निहोत्री हम पर गुस्सा करेंगे!!"

    कायली टिश्यू से आरना के आँसू सावधानी से साफ़ करते हुए बोली, "राइट, एंड वैसे भी आपको तो खुश होना चाहिए कि पूरी दुनिया में आप वो खुशनसीब लड़की हो जिसे मास्टर अग्निहोत्री ने खुद चुना है, वर्ना लाखों-करोड़ों लड़कियों का तो मास्टर से मिलना भी ख्वाब ही है....दीवाने हैं लोग उनके और उनकी एक झलक के लिए!!"

    आरना नफ़रत से बोली, "होंगे, मगर मेरे लिए वह सिर्फ़ एक बेरहम दानव है जिससे मैं दिल की गहराई से नफ़रत करती हूँ....सिर्फ़ और सिर्फ़ नफ़रत!!"

    कायली और बेला यह सुनकर दंग रह जाती हैं और अगले ही पल उनके चेहरे का रंग उड़ जाता है और उनके चेहरे पर डर और दहशत साफ़ झलक रही थी। आरना जब उन दोनों की नज़रों को देखते हुए दरवाज़े की तरफ़ देखती है तो एक पल को उसकी धड़कन ही जैसे रुक गई थी और उसका दिल रिदांश को देखकर डर और दहशत से जोरों से धड़कने लगता है और वह जल्दी से अपना मुँह दूसरी तरफ़ घुमा लेती है।

    रिदांश दरवाज़े पर ही खड़े हुए, आरना को डार्क नज़रों से घूरते हुए, कायली और बेला से सख्त आवाज़ में बोला, "गेट आउट!!!"

    अगले ही पल कायली और बेला दोनों जल्दी से अपना सर झुकाकर रिदांश का अभिवादन करते हुए दरवाज़े से बाहर चली जाती हैं और रिदांश अपनी तरफ़ पीठ किए खड़ी आरना की तरफ़ एक शेर की भाँति अपने कदम बढ़ाता है और उसके हर एक कदम की आवाज़ के साथ आरना का दिल डर से उसके सीने से बाहर आने के लिए उछाला मार रहा था। कुछ पल बाद ही आरना को ठीक अपने पीछे रिदांश के होने का एहसास होता है और वह डर और घबराहट से अपने दुपट्टे को कसकर अपनी मुट्ठियों में भींच लेती है।

  • 10. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 10

    Words: 1558

    Estimated Reading Time: 10 min

    रिदांश, दरवाजे पर ही खड़े हुए आरना को डार्क नज़रों से घूरते हुए, कायली और बेला से सख़्त आवाज में बोला, "गेट आउट!!!"

    अगले ही पल कायली और बेला दोनों जल्दी से अपना सर झुका कर रिदांश का अभिवादन करते हुए दरवाजे से बाहर चली गईं। रिदांश अपनी तरफ पीठ किए खड़ी आरना की तरफ एक शेर की भांति अपने कदम बढ़ाता गया, और उसके हर एक कदम की आवाज के साथ आरना का दिल डर से उसके सीने से बाहर आने के लिए उछाला मार रहा था। कुछ पल बाद ही आरना को ठीक अपने पीछे रिदांश के होने का एहसास हुआ, और वह डर और घबराहट से अपने दुप्पटे को कस कर अपनी मुट्ठियों में भींच लेती है।

    रिदांश आरना के कान के पास जा कर धीरे मगर सर्द लहजे में बोला, "सो माय वुड बी वाइफ हेट्स मी… हां…"

    "म…म…मैं वो…" आरना घबरा कर बोली।

    "तुम्हें इतना सोचने की कोई ज़रूरत नहीं है, बिकॉज आई रियली डोंट केयर अबाउट योर ओपिनियन," रिदांश बोला, "और रही बात तुम्हारी मुझसे नफरत करने की तो डोंट वरी… (एविल मुस्कान के साथ) … फ्यूचर में इसके लिए तुम्हें इससे कहीं ज्यादा अच्छे रीजन मिलने वाले हैं… सो अभी के लिए जस्ट चिल बेबी… पांच मिनट में नीचे होनी चाहिए तुम!!"

    इतना बोल कर रिदांश वहां से चला गया। आरना, जिसने जाने कितनी देर से अपनी सांसे रोक कर रखी थीं, एक गहरी सांस छोड़ती है। रिदांश की अभी कही बातों से उसका दिल और घबरा उठा था। तभी उसका फ़ोन बज उठा, और स्क्रीन पर नैना का नाम शो हो रहा था। जिसे देखकर उसकी आँखें एक बार फिर आँसुओं से भर जाती हैं, और वह भारी मन से फ़ोन बिना कोई जवाब दिए वापस नीचे रख देती है। कुछ ही पल बाद आरना को लेने कायली आती है, और वह उसके साथ नीचे के लिए चली जाती है। आरना को हर एक बढ़ते कदम के साथ ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसकी ज़िंदगी एक बड़े खतरे की तरफ बढ़ती जा रही है।

    जैसे ही आरना नीचे पहुँचती है, वहाँ मंडप सजा देख उसका दिल डर और घबराहट से जोरों से धड़कना शुरू हो जाता है। उसके हाथ कांपने लगते हैं, और वह कांपते कदमों के साथ मंडप में, हमेशा की तरह पूरे बोरी भर के एटिट्यूड और चेहरे पर बिना किसी भाव के मंडप में बैठे रिदांश के पास बैठ जाती है। उनके चारों तरफ रिदांश के बॉडीगार्ड खड़े हुए थे।

    रिदांश कठोर भाव से बोला, "सुनो पंडित… ये फ़ालतू के मंत्र-वंत्र पढ़ने की कोई ज़रूरत नहीं है। जितना शादी के लिए ज़रूरी है बस वही पढ़ो। मेरे पास फ़िज़ूल वक़्त नहीं है!"

    "ये क्या बोल रहे हैं यजमान आप… शादी की रस्में तो पूरी ही करनी पड़ेंगी ना!" पंडित जी बोले।

    "शेरा!" रिदांश ने अपने खास बॉडीगार्ड से कहा।

    "जी बॉस!" शेरा ने अपना सर हिलाते हुए कहा।

    इतना कह कर शेरा अपनी बंदूक पंडित जी के सर पर तान देता है, और पंडित जी डर से कांप उठते हैं।

    "अगर आप मेरी शादी जल्दी नहीं करा सकते तो फिर आप मेरे किसी काम के नहीं!" रिदांश बोला।

    "म…मैं करवाता हूँ… आ…आप कृपया करके ये…ये हथियार नीचे करवाएँ!" पंडित जी डरते हुए बोले।

    रिदांश आँखों से शेरा को इशारा करता है, और वह अपनी बंदूक पंडित जी के सर से हटा लेता है। पंडित जी जल्दी से शादी के मंत्र शुरू करते हैं, और आरना की तरफ से कोई न होने की वजह से रिदांश के कहने पर वही कन्यादान की रस्म पूरी करते हैं। कुछ ही देर में दोनों फ़ेरों के लिए खड़े होते हैं, लेकिन आरना के कदम तो जैसे एक जगह ही जम से गए थे। उसे आगे बढ़ता ना देख रिदांश कठोरता से उसकी कलाई थाम कर उसे फ़ेरों के लिए आगे बढ़ाता है। इस वक़्त आरना खुद को बहुत ही टूटी हुई, कमज़ोर और असहाय महसूस कर रही थी, और उसकी आँखों से लगातार बेबसी के आँसू झलक रहे थे। कुछ ही देर में दोनों फ़ेरों के बाद वापस अपनी जगह बैठ जाते हैं। पंडित जी रिदांश को आरना की मांग भरने और मंगलसूत्र पहनाने के लिए कहते हैं। जिसे सुनकर आरना का दिल धक सा रह जाता है, और वह रिदांश को मंगलसूत्र लेकर खुद की तरफ बढ़ते हुए खौफजदा हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि यह सिर्फ़ एक मोतियों से बना धागा नहीं है, बल्कि वह पवित्र बंधन होता है जो एक औरत की साँसों के टूटने के साथ ही टूटता है। यह हर एक औरत के लिए उसके सुहाग, उसके प्रेम की निशानी होती है, लेकिन रिदांश की आँखों में तो उसे अपने लिए सिर्फ़ तिरस्कार और नफ़रत नज़र आती है… ऐसी नफ़रत जिसकी जंजीरें इस मंगलसूत्र के साथ शायद उम्र भर के लिए उसे जकड़ लें। आरना आँसू भरी आँखों से रिदांश से आँखों ही आँखों में ऐसा ना करने की प्रार्थना कर रही थी, लेकिन रिदांश जैसे उसे उसके आँसू, उसकी मजबूरी कुछ नज़र ही नहीं आ रहे थे, और वह बिना एक पल गँवाए मंगलसूत्र को आरना के गले में बाँध देता है, और अगले ही पल अपने नाम के सिंदूर से उसकी मांग सजा देता है। और इसी के साथ एक पल में आरना की ज़िंदगी बदल चुकी थी।

    रिदांश एविल मुस्कान के साथ बोला, "कंग्रेचूलेशन वाइफी!"

    आरना यह सुनकर बस अपनी आँखें कसकर बंद कर लेती है, और उसके गौर गालों पर उसके आँसू बह जाते हैं। रिदांश कायली को आरना को ऊपर रूम में ले जाने का इशारा करता है, और कायली उसके कहे अनुसार उसे ऊपर कमरे में छोड़कर वापस आ जाती है। हालाँकि उसे आरना के लिए बुरा लग रहा था, मगर रिदांश के ख़िलाफ़ जाने की बात तो दूर, उससे कुछ कहने या पूछने की भी किसी में हिम्मत नहीं थी।

    (फ्लैशबैक एंड……)

    आरना अपने अक्स को आईने में देख रही थी, जिसमें वह एक टूटी हुई नाज़ुक गुड़िया की तरह नज़र आ रही थी। उसकी ख़ूबसूरत आँखें लगातार रोने से अब लाल हो चुकी थीं। उसके माथे पर लगा सिंदूर उसकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था, मगर इस सब के बावजूद भी उसकी ख़ूबसूरती की रौनक उसकी उदासी और नाख़ुशी की वजह से कहीं गुम थी। आरना अपने कांपते हाथों से अपने मंगलसूत्र को छूकर अपने सिंदूर को हाथ लगाती है। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह सब हकीकत है, और उसकी ज़िंदगी इस तरह से एक पल में बदल चुकी है। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वह एक बुरा सपना देख रही है जो बस अभी टूट जाएगा। लेकिन यह बुरा सपना तो असल में अब उसकी किस्मत बन चुका था, और जिसे अब कोई भी बदल नहीं सकता था। आरना यही सब सोचते हुए वापस से सोफ़े पर बैठ जाती है। उसका दिल एक अनजाने डर और ख़ौफ़ से बैठ जा रहा था। उसे नहीं पता था कि आख़िर उसकी किस्मत में आगे क्या लिखा है। अभी वह अपनी किस्मत की उलझन में ही उलझी थी कि तभी कमरे का दरवाज़ा खुलता है, और उसे तेज आवाज के साथ बंद करते हुए रिदांश अंदर आता है। रिदांश आरना के ठीक सामने आकर उसे ऊपर से नीचे देखते हुए घमंड भरी मुस्कान उसके होंठों पर तैर जाती है, और उसे देखकर आरना झट से खड़ी हो जाती है, और एक बार फिर उसका दिल रिदांश को अपने करीब देखकर जोरों से धड़कने लगता है।

    रिदांश सोचने का नाटक करते हुए बोला, "आँ… क्या कहा था तुमने… हाँ याद आया… कि मैं चाहे जो कर लूँ, लेकिन तुम्हें कभी झुका नहीं सकता… कभी तुम्हारा आत्मविश्वास तोड़ नहीं सकता… (घमंड भरी मुस्कान के साथ) … च च च च च… लेकिन अफ़सोस, तुम्हारा आत्मविश्वास और तुम्हारा वजूद दोनों ही एक झटके में मेरे जूते की नोक पर आ गए हैं!"

    आरना पूरी हिम्मत जुटाकर बोली, "अगर आपको लगता है मुझे मजबूर करके आप मुझसे जीत जाओगे तो यह आपकी गलत फ़ैमी है, क्योंकि भले ही मैं इस वक़्त कमज़ोर हूँ, लेकिन मेरा आत्मविश्वास अभी भी मुझ में ज़िंदा है… और एक बात और, ऊपर वाले की लाठी में आवाज़ नहीं होती रिदांश अग्निहोत्री, और जिस दिन वह आपसे हिसाब लेगा ना तब आपको अपनी गलती का एहसास होगा, लेकिन अफ़सोस तब तक बहुत देर हो चुकी होगी!"

    रिदांश दो पल के लिए जोर से हँसता है, मगर अगले ही पल वह आरना के बालों को अपने बाएँ हाथ में कसकर पकड़ लेता है। जिससे आरना दर्द से कराह उठती है, और उसके दोनों हाथ अपने बालों पर से रिदांश की पकड़ को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। रिदांश के चेहरे पर इस वक़्त गुस्सा और उससे भी ज़्यादा दुनियाँ-जहाँ की घृणा साफ़ नज़र आ रही थी। उसकी ख़ूबसूरत आँखें गुस्से और नफ़रत से ख़तरनाक नज़र आ रही थीं।

    रिदांश गुस्से और घृणा से बोला, "मेरे सामने अपना यह अच्छा और बिचारी बनने का नाटक ना ही करो तो बेहतर है, क्योंकि तुम और तुम्हारी औक़ात क्या है यह मुझसे बेहतर कोई भी नहीं जानता… (अपने दाँत पीसते हुए) … घिन आती है मुझे तुमसे और तुम्हारे पूरे वजूद से!"

    आरना आँसू भरी आँखों से बोली, "आख़िर मेरा क़सूर क्या है… क्यों आप मुझे यह सज़ा दे रहे हैं… मैंने किया क्या है?"

    रिदांश एविल स्माइल के साथ बोला, "इस सब की इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान… और वैसे भी अब तो पूरी लाइफ़ पड़ी है सब जानने और समझने के लिए… सो जस्ट वेट स्वीटहार्ट… (आरना के कान के पास जाकर धीरे से) … एंड वेलकम टू माय हेल… (कुछ पल रुककर तिरछी मुस्कान के साथ) … वाइफी!"

    इतना कहकर रिदांश झटके से आरना के बाल छोड़कर उसे किसी कचरे की तरह ज़मीन पर गिरा देता है, और बिना एक बार भी उसकी तरफ़ देखे सीधा रूम से बाहर चला जाता है। आरना, जिसने अब तक अपने आँसुओं को रोके हुए थे, अब और उन्हें नहीं रोक पाई, और वहीं ज़मीन पर गिरे हुए ही दर्द से सिसकने लगती है।

  • 11. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 11

    Words: 1356

    Estimated Reading Time: 9 min

    रिदांश (एक दुष्ट मुस्कान के साथ): "इस सब की इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान? और वैसे भी अब तो पूरी लाइफ पड़ी है सब जानने और समझने के लिए। सो जस्ट वेट स्वीटहार्ट।" (आरना के कान के पास जा कर धीरे से) "एंड वेलकम टू माय हेल..." (कुछ पल रुक कर तिरछी मुस्कान के साथ) "...वाइफी!"


    इतना कहकर रिदांश झटके से आरना के बाल छोड़कर उसे किसी कचरे की तरह ज़मीन पर गिरा देता है। बिना एक बार भी उसकी तरफ देखे, वह सीधा कमरे से बाहर चला जाता है। आरना, जो अब तक अपने आँसुओं को रोक रही थी, अब और नहीं रोक पाई और वहीं जमीन पर गिरे हुए दर्द से सिसकने लगती है। सिसकते-सिसकते ही जाने कब उसकी नींद लग जाती है, जो कुछ देर बाद कायली के बुलाने पर खुलती है।

    कायली: "मैम, आपको मास्टर ने नीचे बुलाया है!"


    आरना बिना कोई जवाब दिए खड़ी होती है और कायली के साथ हो लेती है। नीचे पहुँचकर कायली उसे एक गाड़ी की तरफ इशारा करके उसमें बैठने के लिए कहती है। रिदांश पहले से ही गाड़ी में मौजूद था। उसे देखकर आरना का डर फिर से उस पर हावी होने लगता है। थोड़ी देर पहले रिदांश ने जो कुछ उसके साथ किया और जो कहा, उससे उसका डर और भी गहरा हो गया था। मगर उसके पास कोई विकल्प नहीं था। इसीलिए वह चुपचाप, नज़रें झुकाए, गाड़ी में रिदांश की बगल में, उससे उचित दूरी बनाकर बैठ जाती है। उसके बैठते ही ड्राइवर गाड़ी का दरवाज़ा बंद करता है, ड्राइविंग सीट पर आकर गाड़ी स्टार्ट करता है और वहाँ से निकल जाता है। इस वक्त रिदांश की नज़रें पूरी तरह उसके फ़ोन की स्क्रीन पर गड़ी हुई थीं, लेकिन फिर भी आरना उसके साथ सहज नहीं महसूस कर पा रही थी। वह बस खिड़की के बाहर नज़रें जमाए हुए थी। उसे यह भी नहीं पता था कि वह आखिर कहाँ जा रही है, और न ही उसमें इतनी हिम्मत थी कि वह रिदांश से कोई सवाल कर सके। जब गाड़ी रुकती है, तो एक पल के लिए आरना हैरान रह जाती है क्योंकि गाड़ी उसके घर के बाहर ही आकर रुकी थी। वह रिदांश की तरफ असमंजस भरी सवालिया नज़रों से देखने लगती है।

    रिदांश (तंज कसते हुए): "मुझे तो लगा कि मेरी वाइफ़ी को अपने मायके आकर खुशी मिलेगी, लेकिन लगता है मेरे सारे अरमानों पर पानी फिर गया!"

    आरना (अपने डर से सूखे हो चुके होंठों पर जीभ फिराकर अटकते हुए): "ह..हम य...यहाँ क...क्यों आ...आए हैं?"

    रिदांश (ज़हरीली मुस्कान के साथ): "कम ऑन वाइफ़ी, हमारी शादी हुई है अभी-अभी और ये गुड न्यूज़ मैं अपने पूजनीय फादर इन लॉ को न दूँ, ये तो पूरी की पूरी नाइंसाफी होगी उनके साथ, नई?"

    आरना (अविश्वास से): "पा...पापा यहाँ हैं?"

    रिदांश: "कहा था ना कि मैं अपने प्रॉमिस कभी नहीं तोड़ता...सो...ही इज़ हियर!"


    आरना जब अपने पापा के यहाँ होने की बात सुनती है, तो बिना एक पल गँवाए ही वह जल्दी से गाड़ी का दरवाज़ा खोलकर अपना लहँगा संभालते हुए लगभग भागकर अपने घर की तरफ़ बढ़ जाती है। जब वह घर के अंदर दाखिल होती है, तो मि. कपूर गुस्से से अपने नौकरों पर चिल्ला रहे थे और आरना के बारे में पूछ रहे थे। उनकी पीठ आरना की तरफ़ थी, इसीलिए वह उसे देख नहीं पाए थे। लेकिन जब सारे नौकरों की नज़र एक ही दिशा में दरवाज़े की तरफ़ देखते हैं, तो खुद भी पीछे पलटते हैं और सामने आरना को देखकर उसकी तरफ़ बढ़ते हैं।

    मि. कपूर: "कहाँ थी तु..." (मि. कपूर आरना से आगे कुछ कहते या पूछते, उसे दुल्हन के जोड़े में देखकर उनके शब्द बीच में ही रुक गए। असमंजस से) "...ये सब क्या है और तुम ऐसे कपड़ों में...ये क्या हुलिया बनाया हुआ है?"

    आरना: "पा...पापा व...वो..."


    आरना के शब्द बीच में ही उसके गले में अटक जाते हैं और वह अपनी नज़रें अपनी कमर पर डालती है, जहाँ रिदांश ने पीछे से आकर अपनी बाजू डालकर उसे अपनी तरफ़ खींच लिया था। यह देखकर आरना के चेहरे का रंग ही उड़ गया था। वह अपनी कमर से रिदांश की मज़बूत पकड़ को हटाने की नाकाम कोशिश करती है, लेकिन रिदांश ने उस पर अपनी पकड़ और टाइट कर ली थी। तभी मि. कपूर की आवाज़ से दोनों की नज़रें और ध्यान उनकी तरफ़ जाता है।

    मि. कपूर (अपने दाँत पीसते हुए): "ये यहाँ क्या कर रहा है?"

    रिदांश (आरना की तरफ़ देखकर): "अपनी लाडली बेटी से ही पूछ लीजिए कि आखिर मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ!"

    मि. कपूर (झुंझलाकर): "मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ आरना?"

    आरना (कुछ पल तक अपने निचले होंठ को दाँतों तले दबाकर अपने जज़्बातों को रोकने की कोशिश करते हुए): "पा...पापा व...वो य...ये हम...हमने...वो..."

    मि. कपूर (इरिटेट होकर): "तुमसे तो मैं बाद में बात करता हूँ... (रिदांश की तरफ़ देखकर) ...एंड यू, निकलो मेरे घर से...गेट आउट!!!"

    रिदांश (घमंडी मुस्कान के साथ): "वेरी बैड...वेरी वेरी बैड...मतलब अपने दामाद के साथ भी कोई ऐसे पेश आता है भला, वो भी पहली बार जब दामाद घर आए!!!"

    मि. कपूर (अपनी भौंहें सिकोड़ते हुए): "व्हाट रबिश...क्या बकवास है ये?"

    रिदांश (आरना को और अपने करीब करते हुए, एक दुष्ट मुस्कान के साथ): "अब तुम ही समझाओ ना वाइफ़ी अपने पापा को...मैंने तो सोचा था कि जब मेरे फादर इन लॉ को पता चलेगा कि उनके इकलौते दामाद ने उन्हें जेल से बाहर निकलवाया है तो वो खुशी से फूले नहीं समाएँगे, लेकिन (अफ़सोस करने का नाटक करते हुए)...लेकिन यहाँ तो कुछ और ही मंज़र है...अब तुम ही समझाओ जाना अपने पापा को!!!"

    मि. कपूर (सख्त लहजे में): "क्या कह रहा है ये लड़का आरना?"

    आरना (अपनी नम आँखें झुकाकर): "य...ये स...सच है पापा, ह...हमने आ...आज (अपनी आँखें कसकर भींचते हुए)...शा...शादी कर ली!!!"


    आरना यह बात कहने के बाद धीरे से अपनी मायूस नज़रें उठाकर मि. कपूर की तरफ़ देखती है। उनके चेहरे के भाव यह बात सुनकर पूरी तरह बदल चुके थे और वह वहीं पड़े सोफ़े पर खामोशी से बैठ गए थे। उन्होंने इस बात को लेकर कैसी भी, किसी भी तरीके की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी और ना ही कोई समझ पा रहा था कि आखिर इस वक्त उनके मन में चल क्या रहा है। आरना जब मि. कपूर को कुछ देर यूँ ही खामोश देखती है, तो झटके से रिदांश का हाथ अपनी कमर से हटाती है और उनकी तरफ़ बढ़ जाती है। इस बार रिदांश ने उसे बस एक दुष्ट मुस्कान के साथ उनके पास जाने दिया।

    आरना (घुटनों के बल मि. कपूर के सामने बैठकर सिसकते हुए): "पा...पापा मेरे पास और कोई भी ऑप्शन नहीं था...आपको और आपके नाम को बचाने के लिए मुझे ये करना पड़ा...अगर मैं ऐसा नहीं करती तो आप...आप कभी भी जेल से बाहर नहीं आ पाते...मैं सॉरी पापा...मैं रियली सॉरी... (मि. कपूर का हाथ पकड़ते हुए दुखी मन से)...कुछ तो बोलिए पापा...प्लीज़...कुछ बोलिए?"

    मि. कपूर (आरना की तरफ़ देखकर): "इतना प्यार करती हो मुझसे?"

    आरना (नम आँखों से): "किसी भी और चीज़ से...खुद से भी बढ़कर!!!"

    मि. कपूर (आरना के सर पर हाथ रखते हुए): "चाहे हालात जो भी, जैसे भी रहे हों...मगर हकीकत ये है कि तुम्हारी और रिदांश की शादी हो चुकी है...अब तुम उसकी पत्नी हो और हमारे यहाँ शादी के बाद लड़की का असली घर उसका ससुराल होता है, तो अब ये रिश्ता तुम्हें हर हाल में निभाना है...तुम अपने घर में खुश रहो, बस यही प्रार्थना है मेरी!!!"

    इतना कहकर मि. कपूर वहाँ से उठकर ऊपर अपने कमरे में चले जाते हैं और आरना उन्हें बस नम आँखों से जाता हुआ देखती रह जाती है। यह सब कुछ रिदांश मुस्कुराते हुए बड़ी ही दिलचस्पी से देख रहा था। आरना बोझिल मन और कदमों से रिदांश के इशारा करने पर उसके पीछे चल पड़ती है। जाते हुए बार-बार उसकी नज़रें मुड़-मुड़कर मि. कपूर के कमरे के बंद दरवाज़े को देख रही थीं। एक आखिरी नज़र वह अपने बंगले पर डालते हुए गाड़ी में बैठ जाती है और उसकी आँखें बिना रुके छलकने लगती हैं। बीते कुछ घंटों में उसके साथ जो भी हुआ, सब कुछ याद करते हुए आज उसे सच में यही महसूस हो रहा था कि वाकई में लाइफ़ इज़ नॉट ए फ़ैरीटेल। आरना अपने ख़यालों से तब बाहर आती है जब गाड़ी एक पैलेस-नुमा बंगले के अंदर जाकर रुकती है जहाँ आज से आरना की ज़िंदगी जुड़ी थी और उसकी किस्मत पूरी तरह बदलने वाली थी, जिसका उसने कभी ख़्वाब में भी तसव्वुर नहीं किया था।

  • 12. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 12

    Words: 1615

    Estimated Reading Time: 10 min

    आरना ने एक आखिरी नज़र अपने बंगले पर डाली और गाड़ी में बैठ गई। उसकी आँखें बिना रुके छलकने लगीं। बीते कुछ घंटों में जो कुछ हुआ, उसे याद करते हुए उसे सचमुच यही महसूस हो रहा था कि वाकई में लाइफ इज नॉट ए फैरीटेल। आरना अपने ख्यालों से तब बाहर आई जब गाड़ी एक पैलेस जैसे बंगले के अंदर जाकर रुकी। यहाँ से आरना की ज़िंदगी जुड़ने वाली थी, और उसकी किस्मत पूरी तरह बदलने वाली थी; जिसका उसने कभी ख्वाब में भी तसव्वुर नहीं किया था।

    रिदांश की गाड़ी एक बड़े दरवाज़े से अंदर आकर रुकी। एक गार्ड ने जल्दी से अपना सिर झुकाया और उसके लिए गाड़ी का दरवाज़ा खोला। ड्राइवर ने आरना के लिए दरवाज़ा खोला। आरना गाड़ी से उतरी तो उसकी नज़र चारों तरफ गई। वह एक बहुत बड़े और खूबसूरत सफ़ेद पैलेस जैसे बंगले के सामने खड़ी थी। सीढ़ियों से होता हुआ रास्ता अंदर की तरफ़ जा रहा था। वहीं, एक तरफ़ गाड़ियाँ खड़ी थीं, तो दूसरी तरफ़ एक बड़ा सा शानदार फुव्वारा लगा हुआ था, और उसके आस-पास रंग-बिरंगी फुलवाड़ी लगी हुई थी। आरना जिस घर में रहती थी, वह भी कोई छोटा-मोटा नहीं था, लेकिन इस बंगले के आगे वह कुछ भी नहीं था। इसकी खूबसूरती ऐसी थी कि किसी की भी आँखें चुंधिया जाएँ।

    आरना की तंद्रा तब टूटी जब रिदांश ने उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर की तरफ़ लगभग खींच लिया। उसके ऐसा करते ही आरना का डर और घबराहट वापस उस पर हावी हो गए। रिदांश ने बिना आरना की तरफ़ देखे उसे सीढ़ियों से खींचते हुए अंदर ले जाने लगा। रिदांश की स्पीड आरना से बहुत तेज थी, और वह अपने भारी लहंगे की वजह से उसकी स्पीड से मेल नहीं खा पा रही थी, जिसकी वजह से वह खिंच रही थी। मगर रिदांश ने एक बार भी उसकी तरफ़ पलटकर नहीं देखा और लगातार उसकी कलाई पकड़े उसे अंदर ले जा रहा था। अच्छा हुआ कि सीढ़ियाँ ज़्यादा नहीं थीं, वरना आरना को पक्का चोट आ जाती। कुछ ही देर में एक बड़े दरवाज़े से दोनों बंगले में प्रवेश कर गए।

    उस हवेली की खूबसूरती देखकर आरना एक पल के लिए स्तब्ध रह गई। उसने आज से पहले कभी इतनी बड़ी और खूबसूरत हवेली नहीं देखी थी। यह बिल्कुल किसी महल की तरह था; उस महल की तरह जिसे वह अक्सर अपनी परी कथाओं में इमेजिन किया करती थी। यहाँ की हर एक छोटी से छोटी चीज़ बेशकीमती और मनमोहक नज़र आ रही थी। रिदांश जैसे ही अंदर आकर आरना का हाथ छोड़ा, वह अपने जीवन की सच्चाई और इस पल की हकीकत से रूबरू हुई और अपना हाथ खींचकर खुद में समेट लिया।

    आरना ने सामने की तरफ़ नज़रें उठाईं तो लगभग उसकी उम्र की ही दो लड़कियाँ और एक लड़का वहाँ मौजूद थे। दिखने में तीनों ही सुंदर और स्टाइलिश थे। मगर तीनों में से एक लड़की, जिसके भूरे रंग के घुंघराले बाल थे, सुंदर तो थी, लेकिन रिदांश की तरह ही बिल्कुल सख्त और घमंडी नज़र आ रही थी। शायद यह बाकी दोनों से कुछ बड़ी भी लग रही थी। दूसरी लड़की, जिसके बाल काले थे, उसके चेहरे पर थोड़ी मासूमियत और हैरानी के भाव थे। और वह लड़का दिखने में तो बड़ा कूल लग रहा था, लेकिन आरना के दिल में सबको लेकर एक अलग सा डर था। तीनों के चेहरों पर असमंजस के भाव थे, लेकिन रिदांश से कोई भी सीधा सवाल कर सके, शायद इतनी हिम्मत किसी में नहीं थी। कुछ देर बाद रिदांश ने ही अपनी चुप्पी तोड़ी।

    "ये आरना है… मेरी वाइफ!"

    जैसे ही रिदांश के मुँह से ये शब्द निकले, सामने खड़े तीनों लोगों के मुँह से एक साथ हैरानी भरी आह निकली, और वे अविश्वास और हैरानी से कभी आरना को तो कभी रिदांश को देखते रहे।

    "भाई, मगर ऐसे… मेरा मतलब है कि ऐसे अचानक ये सब…"

    "मैं अचानक कुछ भी नहीं करता, नम्या, इसीलिए तुम्हें ज़्यादा सोचने की कोई ज़रूरत नहीं है!"

    "लेकिन भाई…"

    "डिस्कशन ओवर!"

    "जी भाई!"

    "लगता है किसी से भी बात करने की तमीज़ ही नहीं इसे!" सोचा आरना मन ही मन।

    "प्रिशा, इसे रूम में ले जाओ!"

    "जी भाई!"

    प्रिशा आरना को वहाँ से ले गई, और रिदांश वहाँ मौजूद लड़के को अपने साथ अपनी स्टडी में किसी काम के लिए ले गया। दूसरी तरफ़, प्रिशा आरना को एक बड़े से कमरे में ले गई जो कि रिदांश का कमरा था। यह बात आरना को वहाँ रिदांश की तस्वीरों से पता चली।

    "हाय… एम प्रिशा… रिदांश भाई की छोटी बहन!"

    "हेलो… आरना!"

    "तो ये है भाई का कमरा… आँ… नहीं… आप दोनों का कमरा!"

    "थैंक्यू!… आपसे एक बात पूछूँ?"

    "जी कहिए?"

    "इस घर में और कौन-कौन रहता है?"

    "भाई, मैं, नम्या दी और आयुष भाई, माँ और अब आप!"

    "और आपके डैड… वो कहाँ हैं?"

    प्रिशा अपने डैड की बात सुनकर उदास हो गई, और उसकी मुस्कराहट उसके चेहरे से गायब हो गई।

    "वो अब इस दुनिया में नहीं है!"

    "ओह!… एम रियली सॉरी!"

    "नहीं… आप क्यों सॉरी बोल रहे हैं… आपको पता है, तब मैं इतनी छोटी थी कि मुझे तो डैड याद भी नहीं हैं। अगर उस वक्त भाई हमें संभालने के लिए नहीं होते तो पता नहीं हमारा क्या होता… (अपनी आँखों के कोने साफ़ करते हुए)… ओहो!… मैं भी आज के दिन क्या बातें ले कर बैठ गई… वैसे आपसे एक बात बोलूँ?"

    "जी कहिए!"

    "आप बहुत सुंदर हो… (आरना बस हल्का सा मुस्कुरा देती है)… पता नहीं भाई ने आपको कैसे ढूँढा, पर जो भी हो, मैं तो इसी में सुपर खुश हूँ कि मुझे जैसी भाभी चाहिए थी वैसी ही मिली है… वैसे क्या आपकी लव मैरिज हुई है? (अपने सर पर हाथ मारते हुए)… ओहो! अब मैं आपसे कैसे बेवकूफ़ों वाले सवाल कर रही हूँ… ज़ाहिर है, जब भाई ने आपको चुना है तो आप उनकी पसंद ही होंगी… अच्छा आप लोग कैसे मिले और सब कितना रोमांटिक रहा होगा ना… (एक्साइटेड होकर)… बताएँ ना मुझे भी सब?"

    आरना प्रिशा की बात सुनकर थोड़ा असहज हो गई, और उसके दिमाग में रिदांश से पहली मुलाक़ात से लेकर अब तक की सारी बातें चलने लगीं। वह सोच ही रही थी कि प्रिशा को क्या जवाब दे, कि तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई, और प्रिशा दरवाज़ा खोला। एक नौकर आरना का सामान कमरे में रखकर प्रिशा को नीचे आने को बोलकर चला गया। प्रिशा आरना को बाद में आने को बोलकर वापस चली गई।

    आरना प्रिशा के जाने के बाद उस कमरे को देखने लगी। यह कमरा काफ़ी बड़ा था। कमरे के एक तरफ़ बीच में किंग साइज़्ड बेड था, तो उसके सामने सोफ़ा और टेबल लगे थे। एक तरफ़ अलमारी थी, तो दूसरी तरफ़ बाथरूम था। एक तरफ़ बड़ी सी बालकनी थी जिस पर शीशे का दरवाज़ा लगा था, और बीच में एक बड़ा सा झूला था। उसके चारों तरफ़ खूबसूरत फूलों के गमले लगे थे, और वहीं से सामने से समुद्र का ख़ूबसूरत व्यू नज़र आता था। आरना ने एक बात नोटिस की थी कि रिदांश के ऑफ़िस से लेकर कमरे तक का पूरा इंटीरियर सिर्फ़ काले और ग्रे रंग का था। यहाँ तक कि रिदांश को उसने अब तक सिर्फ़ काले और ग्रे कपड़े ही पहने हुए देखा था, जैसे उसके पास और कोई रंग ही ना हो। आरना अपने ख्यालों को झटककर बाथरूम की तरफ़ फ्रेश होने बढ़ गई।

    जैसे ही वह बाथरूम में कदम रखती है, उसकी आँखें खुली की खुली रह जाती हैं, क्योंकि यह बाथरूम कम और किसी शानदार सेवन स्टार होटल के रूम की तरह चमचमा रहा था। जिसमें एक तरफ़ बड़ा सा वैनिटी काउंटर था, तो दूसरी तरफ़ एक जैकुज़ी बना हुआ था। वहीं, सामने की तरफ़ एक फुल साइज़ मिरर लगा था, उसकी बाईं तरफ़ क्यूबिकल शावर लगा था। कुल मिलाकर यहाँ की हर एक चीज़ ब्रेथटेकिंग थी। कहीं न कहीं आरना ने अपने ख्यालों में कभी खुद से इसका तसव्वुर भी किया था। मगर जैसे ही आरना को आईने में अपना अक्स देखकर रिदांश का ख्याल आया, उसके लिए एक पल में ही ये सारी चीज़ें बेमानी हो गईं, और वह जल्दी से वहाँ से बाहर आ गई।

    तभी आरना का फ़ोन बजा, और वह फ़ोन उठाकर देखती है तो राहुल का नाम देखकर उसकी आँखें फिर से आँसुओं से भर जाती हैं। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह राहुल को आखिर क्या कहेगी और कैसे समझाएगी। इसीलिए वह अपने फ़ोन को बंद करके साइड में रख देती है और सोफ़े से टिक कर बैठ जाती है। दूसरी तरफ़, रिदांश के पास किसी की कॉल आती है, और वह जल्दबाज़ी में घर से अपनी गाड़ी लेकर निकल जाता है। इधर सोचते-सोचते कब आरना की नींद लग जाती है, उसे पता ही नहीं चलता। धीरे-धीरे रात बढ़ने के साथ ही कमरे का टेंपरेचर थोड़ा लो होता जा रहा था, इसीलिए आरना नींद में ही ठंड से खुद में सिमट जाती है।

    आरना गहरी नींद में थी कि अचानक उसके चेहरे पर तेज़ ठंडा पानी आकर गिरता है। इससे वह हड़बड़ाकर उठ बैठती है, और हल्की ठंड से उसके होंठ कांपने लगते हैं। अभी वह समझने की कोशिश ही कर रही थी कि उसके साथ क्या हुआ है, कि उसके कानों में ये शब्द गूंजते हैं:

    "गुड मॉर्निंग वाइफी!"

  • 13. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 13

    Words: 1663

    Estimated Reading Time: 10 min

    इधर सोचते-सोचते आरना को कब नींद लग गई, उसे पता ही नहीं चला। धीरे-धीरे, रात बढ़ने के साथ कमरे का तापमान थोड़ा कम होता जा रहा था। इसीलिए आरना नींद में ही ठंड से खुद में सिमट गई। आरना गहरी नींद में थी कि अचानक उसके चेहरे पर तेज़ ठंडा पानी गिर गया। इससे वह हड़बड़ाकर उठ बैठी और हल्की ठंड से उसके होंठ कांपने लगे। वह अभी समझने की कोशिश ही कर रही थी कि उसके साथ क्या हुआ है, कि उसके कानों में ये शब्द गूंज उठे-

    "गुड मॉर्निंग वाइफी!"

    जैसे ही आरना के कानों में रिदांश के ये शब्द गूंजे, कुछ पल के लिए उसकी बॉडी जम सी गई। उसे महसूस हुआ कि वह असल में कहाँ है। वह हड़बड़ाकर सोफे से खड़ी हो गई और एक पल के लिए रिदांश की तरफ पलकें उठाकर देखा। वह अपने दोनों हाथ अपनी जेब में, हमेशा की तरह, फुल एटिट्यूड में खड़ा था। मगर अगले ही पल वह घबराहट और डर से अपनी पलकें झुका ली। अगले ही पल उसे रिदांश के कैलकुलेटिव कदम अपनी तरफ बढ़ते दिखाई दिए और उसके कदम खुद ही पीछे की तरफ बढ़ने लगे। रिदांश के हर एक बढ़ते कदम के साथ उसके कदम पीछे हटते जा रहे थे। आखिर में पीछे हटते-हटते वह अलमारी से जा लगी और रिदांश एक कदम के साथ ही ठीक उसके सामने था। अगले ही पल उसके दोनों हाथ अलमारी पर आरना को घेरे हुए थे। अब आरना उसके दोनों हाथों के बीच में थी और उसका दिल किसी फुटबॉल की तरह उसके सीने में घबराहट से तेज़ी से उछाल मार रहा था। अब तक तो जैसे-तैसे वह उससे बचती रही और खुद को संभाला, लेकिन अब से तो उसे रिदांश के साथ ना सिर्फ एक ही छत के नीचे, बल्कि एक ही कमरे में रहना था। सिर्फ़ यह बात सोचकर ही उसका रोंगटा खड़ा हो गया था और थोड़े भीगने और डर की वजह से उसके गुलाबी, नर्म होंठ कांप रहे थे। मगर जैसे ही रिदांश ने अपने अंगूठे को उसके होंठों पर हल्के से फिराया, उसके कांपते होंठों के साथ ही उसकी साँस भी थम कर अटक गई और उसके हाथ-पैर बिलकुल सुन्न होकर ठंडे पड़ गए।

    वह उसे खुद से दूर धकेल देना चाहती थी, लेकिन रिदांश के स्पर्श से जैसे डर से उसके दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था। उसे रिदांश से नफ़रत और चिढ़ थी। उसने एक पल में उसकी ज़िंदगी बदलकर रख दी थी। उसे उसकी करीबी से एक अजीब सी बेचैनी महसूस होती थी। वह कैसे उसे खुद के करीब आने दे सकती थी? कैसे उस इंसान के साथ आगे बढ़ सकती है जिसकी वजह से आज उसकी ज़िंदगी महज़ एक खेल बनकर रह गई थी? मगर सब कुछ समझते-जानते हुए भी क्या वाकई में उसके पास रिदांश से बचने का कोई ऑप्शन था? क्योंकि हर तरह से उसके और उसकी ताकत के आगे आरना तो कुछ भी नहीं थी, सिवाय एक असहाय और मजबूर इंसान के। आरना को इस कदर घबराया और डरा हुआ देखकर रिदांश के होंठों पर एक ईविल मुस्कान तैर गई।

    रिदांश (ईविल मुस्कान के साथ आरना के होंठों पर उंगली फिराते हुए): "सांस लो वाइफी, क्योंकि मैं बिलकुल नहीं चाहता कि मेरी खूबसूरत बीवी शादी की पहली रात ही इस दुनिया को अलविदा कह जाए।"

    आरना नफ़रत के भाव से अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लेती है और अपने जज़्बातों को रोकने के लिए अपनी मुट्ठियों को कसकर भींच लेती है।

    रिदांश (जान-बूझकर इतराते हुए): "उप्स! लगता है मेरी वाइफी नाराज़ हो गई है मुझसे। आखिर मैंने नींद तो खराब कर दी अपनी वाइफी की, नई?"

    आरना की ठोड़ी को अपनी उंगली से ऊपर उठाते हुए तंज कसते हुए, रिदांश बोला: "पर आज तो हमारी शादी हुई है। हम जन्मों के रिश्ते में बंधे हैं और इतनी खूबसूरत रात को तुम सोकर बर्बाद कर रही हो। वेरी बैड वाइफी। कितना हसीन मौसम है और उफ़्फ़! उस पर ये खूबसूरत लम्हे। पर अफ़सोस...अफ़सोस कि इन खूबसूरत लम्हों में..."

    आरना को अपनी तरफ खींच कर उसके कान के करीब आकर धीरे से बोला: "...मेरे सामने तुम हो और तुम्हें छूकर मैं अपना स्टैंडर्ड बिल्कुल भी नहीं गिरा सकता, सो सब फ़्लॉप हो गया।"

    इतना कहकर रिदांश उसे बोरिंग जैसे और नापसंदगी के भाव से खुद से दूर धकेल देता है।

    रिदांश (अपनी बात जारी रखते हुए): "खैर, छोड़ो ये। तुम्हें पता है जब मैं कमरे में आया तो तुम बड़े ही सुकून और इत्मीनान से सोई हुई थीं, और ये तो बिलकुल पॉसिबल ही नहीं कि मेरे होते हुए..."

    एक पल रुककर फिर से आरना का हाथ पकड़कर उसे करीब करके बोला: "...तुम्हें एक लम्हे का भी सुकून नसीब हो जाए। सो एक बात अपने दिमाग में अच्छे से बिठा लो कि ये तुम्हारे बाप का महल नहीं जहाँ तुम अपनी मर्ज़ी से बिगड़ी शहजादियों की तरह जीती आई हो, बल्कि ये मेरा, रिदांश अग्निहोत्री का घर है और यहाँ तुम्हें मेरी मर्ज़ी के मुताबिक मेरे रूल्स फ़ॉलो करते हुए जीना होगा। एक बात याद रखना, तुम्हारी मांग का ये सिंदूर और गले का मंगलसूत्र हमेशा इस बात की गवाही देंगे कि तुम्हारी ज़िंदगी, तुम्हारी रूह और तुम्हारी हर एक साँस पर अब सिर्फ़ मेरा अधिकार है और मेरी इजाज़त के बिना आज से तुम साँस भी नहीं लोगी। और अगर गलती से भी तुमने कोई गलती की तो...माय लव, उसका अंजाम तुम्हारे लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा। अंडरस्टैंड?"

    आरना बस रिदांश की करीबी और उसकी डेंजर ओरे से घबराते हुए अपना सर जल्दी से हाँ में हिला देती है। मगर जब वह अपनी बाजुओं पर रिदांश की दर्द भरी पकड़ महसूस करती है, तो रिदांश की नज़रों में उसे अपनी गलती का एहसास होता है और वह जल्दी से इस बात को समझते हुए कि उसे शब्द सुनने हैं, वह अटकते हुए बोलने की कोशिश करती है।

    आरना (अपनी पलकें झुकाए हुए ही): "ज...जी म...मैं स...समझ गई।"

    रिदांश: "जितनी जल्दी समझ जाओगी, उतना ही तुम्हारे लिए जीना आसान हो जाएगा शायद।"

    इतना कहकर रिदांश वापस अपनी आँखों में उसी नफ़रत के साथ आरना को खुद से दूर धकेल देता है। आरना अपने दोनों हाथों से खुद को अपने आगोश में ले लेती है और रिदांश बिलकुल किसी राजा के अंदाज़ में जाकर अपने दोनों हाथ फैलाते हुए और अपनी टांग पर टांग रखकर आरना के सामने बेड पर बैठ जाता है।

    रिदांश (फुल एटिट्यूड के साथ): "कुछ रूल्स और बातें हैं जिन्हें अपने इस छोटे से दिमाग में अच्छे से फ़िक्स कर लो। पहला, तुम भले ही दुनिया की नज़रों में मेरी बीवी हो, लेकिन सिर्फ़ दुनिया की नज़र में। बाकी इस घर में तुम्हारी औकात सिर्फ़ एक गुलाम जितनी होगी। दूसरा, मैं तुम्हारे लिए सिर्फ़ मि. अग्निहोत्री हूँ। तीसरा, कल से मेरा छोटे से छोटा काम तुम करोगी।"

    एक पेपर आरना की तरफ फेंकते हुए बोला: "इसमें मेरे पूरे दिन का शेड्यूल है। मैं कब क्या करता हूँ और मुझे किस वक्त क्या चाहिए, इस सब की देखरेख अब से तुम करोगी। और हाँ, मुझे अपने कीमती वक्त की बहुत क़द्र है, इसीलिए एक्जैक्ट टाइम पर मुझे मेरा काम चाहिए। जैसे सुबह पाँच बजे जिम से मेरा दिन शुरू होता है, ठीक एक्जैक्ट पाँच बजे मुझे मेरे जिम के कपड़ों से लेकर बाकी सारी ज़रूरी चीज़ें भी मेरे बेड पर रखी तैयार मिलनी चाहिए।"

    आरना के करीब चलकर आते हुए, डेंजर ओरे में सर्द आवाज़ के साथ बोला: "अगर एक मिनट की भी देरी हुई तो अपनी सज़ा के लिए तैयार रहना वाइफी। इसीलिए पूरी कोशिश करना कि मेरे गुस्से से जितना बच सको, उतना बच पाओ, क्योंकि मेरे गुस्से के कहर को तुम और तुम्हारा ये मुलायम शरीर सह नहीं पाएंगे। सो बी अलर्ट। अभी के लिए इतना ही है, बाकी कल के लिए कुछ अलग है तुम्हारे लिए मेरे पास। इसीलिए अभी सो सकती हो तुम।"

    इतना कहकर रिदांश कपड़े बदलने के लिए चला जाता है। जब वह कुछ देर बाद हाथ में तौलिया लिए मुँह साफ़ करते हुए वापस आता है, तो आरना अभी भी ज्यों की त्यों वैसे ही खड़ी थी। मगर वह उसे बिलकुल ऐसे इग्नोर करके बेड की तरफ बढ़ जाता है, जैसे इस वक्त वह यहाँ एक्ज़िस्ट ही नहीं कर रही हो। एक तो वह पहले से ही अच्छी खासी डरी हुई थी और रिदांश की खुली धमकी सुनकर उसके तो होश ही फाख्ता हो गए थे। वह इस वक्त अंदर से भी पूरी तरह डर से कांप रही थी। जब रिदांश उसे पूरी तरह इग्नोर करके बेड पर पसर जाता है, तो वह भी अपने सूटकेस की तरफ बढ़ जाती है और अपने कपड़े निकालकर कपड़े बदलने बाथरूम की तरफ बढ़ जाती है। कुछ देर बाद जब आरना बाथरूम से बाहर आती है, तो वह एक नज़र रिदांश को, जो अपने फ़ोन में बिज़ी था, देखकर सोफ़े को देखती है, जो पानी से लगभग पूरा गीला हो चुका था। वह घड़ी की तरफ़ देखती है; रात के तीन बजे थे। वह कुछ देर ऐसे ही डर और घबराहट से नर्वस होकर अपने हाथ मलते हुए खड़ी रहती है। लेकिन जब उसे काफ़ी देर तक कुछ समझ नहीं आता, तो वह अटकते हुए आखिर में रिदांश से कहती है-

    आरना: "मु...मुझे क...कहाँ सो...सोना है?"

    रिदांश, जो अपने फ़ोन की स्क्रीन स्क्रॉल करने में बिज़ी था, जब आरना के शब्द उसके कानों में पड़ते हैं, तो वह फ़ोन से हटकर उसकी तरफ़ अपनी खूबसूरत लेकिन ख़तरनाक नज़रों से देखता है। यह देख आरना डरकर जल्दी से अपनी नज़रें घुमा लेती है। रिदांश बेड से उठकर अपने हाथ में एक तकिया लेकर आरना के करीब आता है और एक पल उसके चेहरे की तरफ़ देखकर, अगले ही पल वह तकिया पूरे घमंड के साथ बेड के बराबर में ज़मीन पर नीचे फेंक देता है।

    रिदांश (ज़मीन की तरफ़ इशारा करते हुए): "आज से तुम्हें यही सोना है, क्योंकि इससे ज़्यादा की औकात नहीं है तुम्हारी।"

    इतना कहकर रिदांश लाइट ऑफ़ करके वापस से अपने बेड पर आकर लेट जाता है। आरना टूटे दिल और दुखी मन से बोझिल कदमों के साथ वहीं ज़मीन पर आकर लेट जाती है और उसकी आँखों से एक बार फिर आँसू छलक पड़ते हैं।

  • 14. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 14

    Words: 1687

    Estimated Reading Time: 11 min

    रिदांश ने ज़मीन की तरफ इशारा करते हुए कहा, "आज से तुम्हें यही सोना है क्योंकि इससे ज़्यादा की औकात नहीं है तुम्हारी!!!"

    इतना कहकर रिदांश ने लाइट ऑफ कर दी और वापस अपने बिस्तर पर आकर लेट गया। आरना टूटे दिल और दुखी मन से, बोझिल कदमों के साथ वहीं ज़मीन पर लेट गई। उसकी आँखों से फिर आँसू छलक पड़े। काफी देर बीत गई, मगर आरना की आँखों में नींद नहीं थी। रिदांश की चेतावनी याद करके, ना चाहते हुए भी, आरना की नज़रें बार-बार घड़ी पर जाकर रुक जाती थीं। ऐसे ही देखते-देखते साढ़े चार बज गए। टाइम देखते ही आरना जल्दी से अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और उस पेपर को देखते हुए, जिसमें सारी चीज़ें और कपड़े लिखे थे, उन्हें अलमारी से निकालकर बिस्तर पर रख दिया। अभी पाँच बजने में पाँच मिनट बाकी थे, तो आरना सोफ़े पर बैठ गई।

    ठीक घड़ी की सुई के पाँच बजाते ही रिदांश अपने बिस्तर पर किसी अलार्म के बजने जैसे बैठ गया। वह अपने बिस्तर से अपने रफ ऐंड टफ एटिट्यूड के साथ खड़ा होकर अपने कपड़े बिस्तर से उठाकर बाथरूम की तरफ बढ़ गया। करीब दस मिनट बाद वह बाथरूम से बाहर आया।

    रिदांश ने आरना की तरफ देखकर अभिमानी भाव से कहा, "ठीक साढ़े सात बजे मेरा नाश्ता टेबल पर होना चाहिए!!"

    आरना का जवाब सुने बिना ही रिदांश वहाँ से चला गया। आरना उसकी बात सुनकर परेशान सी हो गई।

    "हे भगवान! यह दानव तो मेरी बात सुने बिना ही चला गया। पर मैं खाना बनाऊँगी कैसे, जब कि मुझे तो खाना बनाना ही नहीं आता...," आरना ने अपने हाथ जोड़ते हुए, छत की तरफ देखकर कहा, "...प्लीज़ भगवान जी, मेरी मदद करना!!!"

    आरना उस पेपर को पढ़ती है जिसके अनुसार साढ़े छह बजे तक रिदांश जिम करता था; उसके बाद एक घंटा उसे शावर लेने और तैयार होने में लगता था और ठीक साढ़े सात बजे उसका नाश्ता होता था; आठ बजे वह ऑफिस के लिए निकल जाता था; रात सात बजे ऑफिस से वापस घर आकर उसकी ग्रीन टी और नौ बजे खाना; दस बजे उसकी कॉफी होती थी।

    आरना ने पेपर देखते हुए चिढ़कर कहा, "टाइम टेबल तो ऐसा बनाया है जैसे पता नहीं कहाँ का राजा है...," गहरी साँस लेते हुए बोली, "...पर जो भी हो, कम से कम उसके यहाँ न होने पर कुछ घंटे तो मैं सुकून की साँस ले पाऊँगी इस घर में!!"

    आरना सोफ़े से उठकर अलमारी खोली और ऑफिस जाने के लिए रिदांश के कपड़े निकालकर वापस बिस्तर पर रख दिए। फिर बैग से अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ नहाने के लिए बढ़ गई। आरना नहाकर बाहर आई तो घड़ी में अभी सवा छह बजे थे और नाश्ते के लिए एक घंटे से ज़्यादा का समय बाकी था। इसीलिए आरना ने अपने बालों को तौलिये से पोंछकर सुखाना शुरू किया। दूसरी तरफ, जिम करते हुए रिदांश की नज़र स्टैंड पर लगे अपने फ़ोन की स्क्रीन पर थी, जिसमें उसके कमरे में लगे सीसीटीवी की लाइव फ़ुटेज चल रही थी, जिसमें वह कमरे में मौजूद आरना की सारी हरकतें नोटिस कर रहा था। जैसे ही आरना बाथरूम से बाहर आई, उसकी नज़र उस पर ही ठहर गई थी, लेकिन उसके मन में क्या चल रहा था, यह कहना मुश्किल था क्योंकि इस वक्त भी उसके चेहरे पर हमेशा की तरह कोई भाव नहीं थे। बस अपनी तीखी और खतरनाक आँखों के साथ वह और उसका चेहरा पूरी तरह भावहीन बने हुए थे। आरना ने डार्क ग्रीन कलर का सूट पहना था। सिंदूर से हुई उसकी लाल माँग और उस पर उसके चेहरे पर आते गीले बाल उसे बहुत ही खूबसूरत बना रहे थे। आरना जब अपने अक्स को आईने में देखती है और उसकी नज़र अपने सिंदूर पर पड़ती है, तो वह दुख के भाव से अपनी आँखें बंद कर लेती है और अगले ही पल गुस्से और नफ़रत के भाव से अपनी आँखें खोलकर अपने माथे से सिंदूर मिटाने के लिए अपना हाथ बढ़ाती है। उसी पल रिदांश अपने पास रखे वायरलेस फ़ोन का बटन दबाता है, जिससे उसके कमरे में रखा फ़ोन तुरंत कनेक्ट हो जाता है। अभी आरना का हाथ उसके माथे को छू ही पाया था कि कमरे में रखा फ़ोन बज उठा और न चाहते हुए भी लगातार बजने पर आरना फ़ोन रिसीव करती है।

    रिदांश ने पूरे अहंकार से कहा, "दो मिनट में मेरे लिए रूम से पानी की बोतल लेकर आओ...अभी!!!"

    आरना ने निराश होकर कहा, "मुझे जिम का रास्ता नहीं पता, किसी और से कह दीजिए!!"

    रिदांश ने सख्त लहजे में कहा, "बंगले के बैकसाइड आकर...राइट टर्न लेकर लेफ्ट साइड में जिम है...फ़ास्ट!!"

    "मग..." आरना आगे कुछ बोल ही नहीं पाई और दूसरी तरफ से फ़ोन कट चुका था। आरना बड़बड़ाते हुए झुंझला कर रूम में ही मिनी फ्रिज से पानी की एक बोतल लेकर जिम की तरफ बढ़ जाती है और घर के बैकसाइड आकर कुछ ही देर में वह जिम के सामने थी। कुछ पल सोचकर वह जिम के अंदर चली जाती है। रिदांश इस वक्त पुशअप कर रहा था और आरना बस बिना कुछ बोले खामोशी से खड़ी थी। लगभग पाँच मिनट बाद रिदांश अपनी जगह से खड़ा होता है। इस वक्त उसका चेहरा और उसकी टीशर्ट पूरी पसीनों से भीगे हुए थे। वह कुछ कदम चलकर आरना की तरफ आता है और उसके सामने आकर अपनी टीशर्ट अपने गले से उतारते हुए नीचे ज़मीन पर फेंक देता है और आरना की तरफ देखते हुए ही उसके हाथ से पानी की बोतल लेता है और अगले ही पल वह ढक्कन खोलकर उस बोतल का पानी अपने चेहरे को थोड़ा ऊपर उठाकर, अपनी आँखें बंद करते हुए, अपने चेहरे पर उड़ेलना शुरू कर देता है। और अपने चेहरे को दाएँ-बाएँ हिलाते हुए लगातार पानी डालता रहता है, जिससे वह पानी अब न सिर्फ़ उसके चेहरे पर, बल्कि उसके थोड़े बड़े बालों को गीला करने के साथ ही उसके परफेक्ट और सेक्सी एब्स से होता हुआ बह रहा था, जिसकी वजह से इस वक्त वह बहुत ही ज़्यादा आकर्षक और सेक्सी लग रहा था। एक पल को तो आरना भी, जब उसे ऐसे देखती है, तो उसकी आँखें उसी पर थम सी जाती हैं, मगर अगले ही पल वह असहज होकर अपनी नज़रें उस पर से हटा लेती है। एक तो पहले से ही उसके दिल की धड़कन रिदांश की वजह से तेज थी और यह सब देखकर उसे और भी अजीब लग रहा था।

    रिदांश ने खाली बोतल को साइड में फेंक कर, अपने गीले बालों में हाथ घुमाते हुए, ठंडे लहजे में कहा, "मैंने कहा था कि दो मिनट में पानी लेकर आओ, पर तुम जिम में पूरे 50 सेकंड लेट आई थीं, जबकि रूम से यहाँ आने में सिर्फ़ 1 मिनट 40 सेकंड का वक्त लगता है!!!"

    आरना ने निराश होकर कहा, "पहली बात तो यह है कि मैं इंसान हूँ, कोई चलती-फिरती मशीन या आपकी गुलाम नहीं हूँ, जो टाइम सेट कर दिया और बस एक्ज़ैक्ट वक्त पर चल पड़ूँ। और दूसरी बात यह है कि आपको इतना ही एक-एक सेकंड का हिसाब रखना होता है अपने काम के लिए, तो किसी रोबोट को रख लीजिए जो आपके वक्त को..."

    आरना यह सब झुंझला कर, रिदांश की आँखों में देखे बिना, बोल रही थी। मगर जैसे ही उसकी नज़र एक मिलीसेकंड के लिए रिदांश की नज़र से मिलती है, तो उसके शब्द उसके मुँह में ही अटक जाते हैं और उसका गला पूरा घबराहट से सूख जाता है। वह बस जल्दी से जिम से बाहर जाती है और अपने तेज़ धड़कते दिल पर अपना हाथ रखते हुए वहाँ से आगे बढ़ जाती है। ठीक साढ़े छह बजते ही रिदांश अपने कमरे में दाखिल होता है और बिस्तर पर रखे अपने कपड़ों को देखकर, बिना कुछ बोले, बाथरूम की तरफ बढ़ जाता है। आरना अब उसके सामने नहीं आना चाहती थी, इसीलिए वह कमरे में न आकर नीचे सीधा एक नौकर से किचन का रास्ता पूछते हुए किचन में पहुँच जाती है। हर एक चीज़ की तरह यहाँ का किचन भी बिलकुल परफेक्ट और एडवांस्ड था। आरना ईश्वर का नाम ले कर बर्तन को चूल्हे पर चढ़ा देती है और वहाँ मौजूद नौकरानी से जो भी चीज़ें उसे चाहिए थीं, वह लाने के लिए कहती है। उसे खाना बनाना तो नहीं आता था, क्योंकि घर में या तो नौकर बनाते थे या फिर उसकी फरमाइश पर अक्सर राहुल उसके लिए खाना बनाया करता था। आरना को खीर बहुत पसंद थी, जो उसके लिए अक्सर राहुल ही बनाया करता था और उसने कई बार राहुल को खीर बनाते हुए देखा था और उसी के आधार पर आज वह खीर ही बनाने वाली थी। एक गहरी साँस के साथ आरना चूल्हे पर रखे बर्तन में दूध डालकर खीर बनाना शुरू करती है। वह खीर बनाने में इतना व्यस्त हो चुकी थी कि उसे ही पता नहीं चलता कि रिदांश कब वहाँ आता है और उसे देखते ही वहाँ मौजूद नौकर अपना सिर झुकाकर फौरन वहाँ से बाहर चले जाते हैं। आरना की पीठ दरवाजे की तरफ थी, तो उसने रिदांश को आते हुए नोटिस ही नहीं किया था। लेकिन जब वह ठीक आरना के पीछे आकर खड़ा होता है, तो उसके अनोखे और तीव्र परफ्यूम की महक से आरना के हाथ बीच में ही रुक जाते हैं और अगले ही पल उसकी साँस तब उसके गले में ही अटक जाती है, जब रिदांश अपने दोनों हाथों को आरना की कमर के इर्द-गिर्द जमा लेता है और अगले ही पल उसके हाथ आरना की बाहों से होते हुए उसके दोनों हाथों को कसकर कलाई से पकड़ लेते हैं और वह अपना चेहरा आरना के कंधे पर टिका देता है। और आरना की हालत तो इस वक्त बिल्कुल ऐसी थी कि काटो तो खून नहीं!

    आरना ने घबराकर अटकते हुए कहा, "य...ये सब की...क्या ह...है...मि...मि. अग्निहोत्री...छो...छोड़िए मु...मु...मुझे!!"

    रिदांश ने धीरे मगर हमेशा की तरह ठंडे लहजे और दुष्ट मुस्कान के साथ कहा, "अब मेरी वाइफ़ मेरे लिए इतने प्यार से पहली बार कुछ बना रही है, तो मेरा भी तो फ़र्ज़ बनता है ना कि उसे कोई अनमोल तोहफ़ा दूँ जो उसे हमेशा-हमेशा याद रहे!!!"

    इतना कहकर रिदांश ने आरना के मज़बूती से पकड़े हुए दोनों हाथों को चूल्हे पर रखे गरम पतीले के इर्द-गिर्द कसकर जमा दिया और इसी के साथ आरना की एक दर्द भरी चीख निकल पड़ी।

  • 15. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 15

    Words: 1387

    Estimated Reading Time: 9 min

    आरना (अटकते हुए, घबरा कर): य...ये सब की...क्या है...मि. अग...अग्निहोत्री...छो...छोड़िए मु...म...मुझे!!

    रिदांश (धीरे, मगर हमेशा की तरह ठंडे लहजे और एविल स्माइल के साथ): अब मेरी वाइफी मेरे लिए इतने प्यार से पहली बार कुछ बना रही है, तो मेरा भी तो फ़र्ज़ बनता है ना कि उसे कोई अनमोल तोहफा दूँ जो उसे हमेशा-हमेशा याद रहे!!!

    इतना कहकर रिदांश आरना के मजबूती से पकड़े हुए दोनों हाथों को चूल्हे पर रखे गरम पतीले के इर्द-गिर्द कसकर कुछ पल तक जमा देता है। इसी के साथ आरना की एक दर्द भरी चीख निकल जाती है। कुछ पल बाद, जैसे ही रिदांश आरना के हाथ छोड़ता है, वह अपने दोनों हाथों को फूंक मारते हुए दर्द से हवा में झटकने लगती है। दर्द से उसके आँसू उसके गोरे गालों पर बह रहे थे। रिदांश के चेहरे के भाव पूरी तरह अभी भी भावहीन ही बने हुए थे। वह एक बार फिर भावुक आरना की बाजू पकड़कर उसे अपने ओर खींच लेता है।

    रिदांश (सख्त लहजे में): आइंदा से अगर मुझसे इस टोन में या ऊँची आवाज में बात की, या फिर मुझे वापस जवाब देने की कोशिश भी की, तो मेरी जान, ये जो तुम्हारा प्रीटी मुँह है ना, इसके लिए ये बिल्कुल अच्छा नहीं होगा। सो अब से मेरे सामने अपनी टोन और वर्ड्स वाइजली चुनना, माय डियर वाइफी!!

    इतना कहकर रिदांश खुद को दूर धकेलकर किचन से बाहर चला जाता है। आरना, जिसके हाथ जल रहे थे, वह अपने हाथों को सिंक की टंकी के पानी के नीचे ले जाकर कुछ देर वहीं खड़ी हो जाती है। ठीक 7:30 बजे, बाकी लोग—नम्या, प्रिशा, आयुष—भी ब्रेकफास्ट करने टेबल पर आ चुके थे। एक चीज़ तो आरना अच्छे से समझ चुकी थी कि इस घर में सभी वक्त के पूरे पाबंद थे। मेड ने उसे आज बताया भी था कि नाश्ते से लेकर खाने तक का वक्त बिल्कुल तय है और सब लोग यहाँ साथ में ही खाना खाते थे। मेड टेबल पर सब लगा चुकी थी और सब आ भी चुके थे।

    रिदांश (खीर का बाउल देखकर तंज के साथ): ओह, तो मेरी खूबसूरत, टैलेंटेड वाइफ ने ये बनाया है...!!

    आरना (अपनी नज़रें झुकाकर): मु...मुझे कु...कुछ और ब...बनाना नहीं आता!

    आयुष (दाँत दिखाते हुए): अरे नहीं, थैंक्यू भाभी...खीर तो मेरी फेवरेट है...इसीलिए आप टैलेंटेड हुईं...(आरना बस जवाब में फीका सा मुस्कुरा देती है)।

    रिदांश (झूठी मुस्कान के साथ, कड़वे लहजे में): राइट...सोच से भी कहीं ज्यादा टैलेंटेड और आगे है...(कुक)...समांथा...!

    समांथा (अपना सर झुकाए, हाथ बाँधे हुए): यस, मास्टर!

    रिदांश: सैमी को बुलाओ...

    समांथा: जी, मास्टर!

    रिदांश का ऑर्डर सुनकर एक नौकर बाहर की तरफ दौड़कर जाता है। कुछ ही पल बाद एक व्हाइट कलर का डॉग—(समोयेड: जो कि वर्ल्ड वाइड सबसे एक्सपेंसिव डॉग में से है...इसके सफ़ेद और घने बाल इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं)—आता है।

    सैमी भी पूरे घर में सबसे ज्यादा रिदांश से ही अटैच्ड था। जैसे ही वह घर में घुसकर रिदांश की खुशबू सूंघता है, तो उसकी तरफ दौड़ पड़ता है और उसके पैरों में आकर लाड़ लगाने लगता है। लेकिन रिदांश की एक आवाज से ही वह किसी समझदार बच्चे की तरह उसका कहना मान लेता है।

    रिदांश (हमेशा की तरह सर्द लहजे में): सैमी, जस्ट सिट!!

    रिदांश के इतना ही कहते ही सैमी एक समझदार बच्चे की तरह उसके ठीक बराबर वाली कुर्सी पर आकर बैठ जाता है। जिसे देखकर आरना भी हैरान थी।

    रिदांश: इस घर का रूल है कि नए कुक को अपना बनाया खाना खुद चखना होता है...फॉर सेफ्टी रीज़न...(आरना की तरफ देखते हुए खीर की तरफ इशारा करके)...सो...

    आयुष: लेकिन भाई, भाभी कोई कुक थोड़ी है...वो तो हमारी फैमिली का पार्ट है, तो उनके साथ कैसे सेफ्टी रीज़न!!

    रिदांश (सख्त नज़रों से आयुष को घूरकर): तुमसे तुम्हारी राय माँगी मैंने...!!

    आयुष (अपनी नज़रें झुकाकर): सॉरी, भाई!

    रिदांश: एंड वन मोर थिंग...मेरी वाइफ और मेरे पर्सनल मैटर में किसी की ज़रा सी भी दखलअंदाज़ी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। तो आज के बाद इस बात को सब अच्छे से अपने-अपने दिमाग में बिठा लें। और इस बात को मैं दुबारा हरगिज़ नहीं दोहराऊँगा, क्योंकि सब जानते हैं कि आई रियली हेट रिपीटिंग मायसेल्फ...सो बी केयरफुल!!

    सब रिदांश की बात पर एक साथ हाँ बोलकर अपनी सहमति देते हैं। रिदांश आरना को खाने का इशारा करता है और वह भारी मन से एक कटोरी में थोड़ी सी खीर निकालकर चम्मच से उसे चखकर चुपचाप खड़ी हो जाती है।

    रिदांश: हम्म...अब ये सेफ है, मतलब खाने लायक है...!!

    इतना सुनकर आरना एक गहरी साँस लेती है। रिदांश इतना कहकर खीर का बाउल उठाता है और एविल नज़र से आरना को देखते हुए एक बार में ही वह पूरा बाउल सैमी के बाउल में सर्व कर देता है। जिसे देखकर आरना के मन को बहुत ठेस पहुँचती है और वह अपनी आँखों में नमी को रोकने के लिए जल्दी-जल्दी अपनी पलकें झपकाती है।

    रिदांश (एविल एक्सप्रेशन के साथ): हम्म, तो मैं कह रहा था कि हाँ, अब ये खीर सेफ है, मतलब खाने लायक है...सेफ ज़रूर है...लेकिन...ये इंसानों के खाने लायक नहीं और हमारे तो बिल्कुल नहीं। इसीलिए आज के बाद तुम कुछ ना ही बनाओ तो ही ज़्यादा बेहतर है!!

    आरना के चेहरे पर यह बात सुनकर उदासी घिर आई थी। पहली बार उसने पूरी मेहनत से कुछ बनाया था और रिदांश उसे सबके सामने यूँ बेइज़्ज़त कर रहा था। लेकिन मासूम आरना को यह कहाँ मालूम था कि यह तो अभी उसकी मुश्किलों की सिर्फ़ शुरुआत है। जब प्रिशा उदास खड़ी आरना को देखती है, तो वह माहौल बदलने के लिए उसे अपने साथ बैठने के लिए कहती है।

    प्रिशा (माहौल बदलने की कोशिश करते हुए): अरे भाभी, आप खड़ी क्यों हैं...आइए ना हमारे साथ नाश्ता कीजिए आप भी!!

    आरना बेमन से डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ती है। जैसे ही बैठने को होती है, रिदांश की आवाज से उसके कदम वहीं के वहीं रुक जाते हैं।

    रिदांश (सर्द और रूखे लहजे में): स्टॉप...तुम यहाँ नहीं बैठ सकती!!

    आरना रुककर रिदांश की तरफ देखती है, जो कि फोर्क और छुरी से काटते हुए ऑमलेट खाने में बिजी था। जैसे ही वह अपनी नज़रें उठाता है, आरना फ़ौरन ही अपनी नज़रें झुका लेती है।

    प्रिशा: क्या हुआ भाई...आपने भाभी को यहाँ बैठने से क्यों रोक दिया?

    रिदांश: क्योंकि ये हमारा फैमिली स्पेस है!

    आयुष: तो भाभी भी तो हमारी फैमिली ही है ना भाई?

    रिदांश (टिश्यू से अपने हाथ साफ़ करते हुए): नो...शी इज़ नॉट...!!

    आयुष: भाई, पर...

    रिदांश जैसे ही अपनी सख्त नज़रों से आयुष की तरफ देखता है, वह चुपचाप मुँह नीचे करके अपना नाश्ता करने लगता है। प्रिशा की भी आगे कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी।

    रिदांश (आरना की तरफ देखकर): बैठो...(आरना जैसे ही बैठने के लिए आगे बढ़ती है कि रिदांश उसे एक बार फिर टोकता है)...आँ आँ...यहाँ नहीं वाइफी...(अपनी कुर्सी के पास ज़मीन की तरफ़ इशारा करते हुए)...यहाँ...सिट!!

    रिदांश को छोड़कर वहाँ मौजूद एक इंसान और था जो आरना को इस तरह देखकर बिल्कुल हैरान नहीं था, और वो थी नम्या। रिदांश की बात सुनकर नम्या के चेहरे पर भी लापरवाही और घमंड भरे एक्सप्रेशन ही थे। जबकि प्रिशा और आयुष यह सुनकर हैरान और आरना के लिए बुरा फील कर रहे थे, लेकिन रिदांश के आगे किसी की भी कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी। और आरना, वो तो अपनी जगह स्तब्ध ही रह गई थी।

    रिदांश (डेंजर टोन में, सख्त भाव के साथ): आई डोंट लाइक रिपीटिंग माय वर्ड्स!!!

    आरना ना चाहते हुए भी रिदांश की बात मानते हुए उसकी कुर्सी के पास ज़मीन पर अपने घुटनों के बल बैठ जाती है। उसकी आँखें इस वक्त उस अपमान और बेइज़्ज़ती के आँसुओं से डबडबा रही थीं, जिसे सहना उसके लिए असहनीय हो रहा था। सब नौकरों की नज़रें भी कुछ पल के लिए आरना पर ही टिक गई थीं और सबके मन में बहुत सारे सवाल भी थे कि आखिर कोई अपनी पत्नी के साथ ऐसा बर्ताव कैसे कर सकता है? ऐसे और भी सवाल थे जिनका जवाब सिर्फ़ रिदांश के पास था, मगर किसी की ना तो इतनी हिम्मत थी और ना ही किसी में इतनी दिलेरी ही थी कि वह सीधा डेविल से कुछ पूछ सके। आरना के नीचे बैठने के बाद रिदांश टेबल से एक प्लेट उठाकर उसके सामने पटककर किसी जानवर को परोसे जाने की तरह उसकी प्लेट में नाश्ता डाल देता है। इस वक्त वह आरना को यह महसूस करा रहा था कि उसकी औक़ात यहाँ मौजूद रिदांश के कुत्ते से भी नीची है। आरना को सबके सामने यूँ ह्यूमिलेट करके रिदांश के चेहरे पर एक एविल विक्ट्री स्माइल तैर जाती है।

  • 16. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 16

    Words: 1391

    Estimated Reading Time: 9 min

    आरना, रिदांश की बात मानते हुए, उसकी कुर्सी के पास जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई। उसकी आँखें उस अपमान और बेइज़्ज़ती के आँसुओं से डबडबा रही थीं, जिसे सहना उसके लिए असहनीय हो रहा था। सब नौकरों की नज़रें कुछ पल के लिए आरना पर ही टिक गई थीं। सबके मन में बहुत सारे सवाल थे कि आखिर कोई अपनी पत्नी के साथ ऐसा बर्ताव कैसे कर सकता है। ऐसे और भी सवाल थे जिनका जवाब सिर्फ रिदांश के पास था, मगर किसी की न तो इतनी हिम्मत थी और न ही इतनी दिलेरी कि वह सीधा डेविल से कुछ पूछ सके। आरना के नीचे बैठने के बाद रिदांश ने टेबल से एक प्लेट उठाकर उसके सामने पटक दी और किसी जानवर को परोसे जाने की तरह उसकी प्लेट में नाश्ता डाल दिया। इस वक्त वह आरना को यह महसूस करा रहा था कि उसकी औकात यहाँ मौजूद रिदांश के कुत्ते से भी नीची है। आरना को सबके सामने यूँ ह्यूमिलेट करके रिदांश के चेहरे पर एक एविल विक्ट्री स्माइल तैर गई। वहीं दूसरी तरफ, आरना के लिए यह अपमान असहनीय हो रहा था। बहुत कोशिशों के बावजूद वह अपने जज़्बातों को कंट्रोल नहीं कर पाई और उसकी सिसकियाँ निकलने लगीं। प्रिशा और आयुष उसके लिए बहुत बुरा फील कर रहे थे, लेकिन किसी की भी रिदांश के आगे कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं थी। कुछ देर बाद, रिदांश घमंड भरी मुस्कान के साथ ऑफिस के लिए निकल गया। आरना अपनी जगह से उठकर दौड़ते हुए वापस अपने कमरे में आ गई और यहाँ आकर और भी ज़्यादा भावुक हो गई। कुछ देर बाद प्रिशा और आयुष उसके कमरे में नाश्ता लेकर आए।


    प्रिशा (नाश्ता आरना के सामने रखते हुए): "हम जानते हैं जो कुछ भी हुआ वो बिल्कुल भी ठीक नहीं था, लेकिन भाई दिल के बुरे बिल्कुल भी नहीं हैं। बस उनका गुस्सा खराब है और इसीलिए वो बस कभी-कभी..."


    आरना (दुखी मन से): "मैं जानती हूँ मि. अग्निहोत्री आप लोगों के भाई हैं और वो चाहें जितना भी गलत क्यों न कर लें, आप उनके खिलाफ कभी नहीं बोलेंगे। लेकिन जो कुछ भी उन्होंने मेरे साथ किया है, वो मैं कभी नहीं भूल सकती...कभी भी नहीं!!!"


    आयुष (बात बदलने के लिए): "अच्छा ये सब छोड़िए और मुझे ये बताएँ कि अब आप उम्र में तो मुझसे कुछ छोटी हैं, लेकिन रिश्ते में बड़ी...तो मैं अब आपको आपका नाम लेकर बुलाऊँ या भाभी कहकर?"


    आरना: "आप मुझे मेरा नाम ही लेकर बुलाइए क्योंकि झूठे और जबरदस्ती के रिश्ते से यही ठीक है!!"


    आयुष (नाटक करते हुए): "ना ना माँटे! मैं तो मज़ाक कर रहा था...भाभी ही बेस्ट है...और वैसे भी अगर हिटलर को पता चला ना तो मुझे उल्टा लटका देंगे! (बिचारा सा मुँह बनाकर) वैसे भी अब तक मैं अखंड सिंगल हूँ...ब्याह भी नहीं हुआ अभी तक तो मेरा...बिचारी मेरी वाली तो मुझे मिलने से पहले ही विधवा हो जाएगी!!!"


    आयुष का ड्रामा देखकर प्रिशा के साथ ही आरना के होंठों पर भी एक मुस्कान तैर गई।


    आयुष: "हम्म, बस आप ऐसे ही मुस्कुराती रहें...बाकी कोई भी काम हो, कोई दिक्कत हो...आप बिंदास होकर अपने इस मासूम, हैंडसम, एंड मोस्ट इंटेलिजेंट देवर को कह सकती हैं!!!"


    आरना (मुस्कुराकर): "ज़रूर...थैंक्यू!!!"


    आयुष (अपना हाथ आगे बढ़ाकर): "सो फ्रेंड्स?"


    आरना (अपना सर हाँ में हिलाकर अपना हाथ आगे बढ़ाकर): "ओके फ्रेंड्स...!!"


    प्रिशा (आरना की तरफ बढ़कर): "रुकिए यार! मैं भी तो हूँ!!"


    इसके बाद प्रिशा और आयुष कुछ देर बाद आरना को नाश्ता करने के लिए बोलकर वहाँ से चले गए। लेकिन जो कुछ भी हुआ उसके बाद आरना का मन अब ज़रा भी कुछ खाने का नहीं था। इसीलिए उसने नाश्ते की प्लेट को साइड में रख दिया और उठकर बालकनी में पड़े झूले पर आकर बैठ गई। आज उसे राहुल और नैना की बहुत याद आ रही थी। वह हमेशा उनसे अपने मन की हर बात, अपना हर दुख बाँट लेती थी, लेकिन आज उसके पास कोई ऐसा नहीं था जिसको वह अपने मन की बात कह सके। अभी उसे यहाँ आए सिर्फ़ एक रात गुज़री थी और अभी से उसका यहाँ दम घुटने लगा था। जाने कितनी देर तक वह वहीं अपने ख़यालों में ऐसे ही गुम बैठी रही। उसकी तंद्रा तब टूटी जब प्रिशा उसे बुलाने के लिए आई।


    प्रिशा: "चलिए भाभी...हमें जाना है!!"


    आरना (असमंजस से): "कहाँ जाना है?"


    प्रिशा: "शॉपिंग पर!!!"


    आरना: "कैसी शॉपिंग?"


    प्रिशा: "आपके रिसेप्शन की शॉपिंग!!!"


    आरना (असमंजस और हैरानी से): "रिसेप्शन?"


    प्रिशा: "जी, रिसेप्शन...अभी भाई का फ़ोन आया था और उन्होंने मुझे कहा कि आज रात को आपका और भाई का ग्रैंड रिसेप्शन है। इसीलिए मैं और नम्या दी आपको शॉपिंग पर ले जाएँ!!!"


    आरना (कुढ़कर): "मुझे कहीं भी नहीं जाना प्रिशा...तुम लोग चली जाओ!!!"


    नम्या (पीछे से आते हुए): "मुझे भी कोई शौक नहीं है तुम्हारे साथ जाकर अपना स्टैंडर्ड गिराने की...वो तो भाई ने कहा है इसीलिए मजबूरी में जाना पड़ेगा...वरना तुम जैसों को तो मैं अपने आसपास भी ना भटकने दूँ!!"


    आरना (झुंझलाकर): "तो किसने कहा कि मेरे आसपास भी आओ तुम...बाकी मुझे ना ज़रा भी तुम्हारे साथ जाने में कोई इंटरेस्ट है और न ही इस रिसेप्शन में!!!"


    नम्या (चिढ़कर): "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे इस तरह बात करने की और..."


    तभी नम्या का फ़ोन बजा और वह रिदांश का नाम देखकर जल्दी से फ़ोन रिसीव करती है।


    नम्या: "जी बोलिए भाई!"


    रिदांश: "फ़ोन पास करो!"


    नम्या: "जी...(आरना की तरफ़ फ़ोन बढ़ाकर रूखेपन से)...बात करो!"


    आरना (फ़ोन ले कर): "हे...हैलो!!!"


    रिदांश: "विथ आउट एनी ड्रामा...पाँच मिनट में वो करो जो कहा है!!"


    आरना (फ़्रस्ट्रेट होकर): "मुझे कहीं भी नहीं जाना!"


    रिदांश: "ओह!...तो तुम सच में चाहती हो कि मैं खुद पर्सनली आकर तुमसे डील करूँ...(आरना मन ही मन झुंझला रही थी)...पाँच मिनिट हैं तुम्हारे पास, रिमेंबर...क्योंकि उसके अगले मिनिट मेरे रिएक्शन का होगा...सो थिंक अबाउट इट!!!"


    इतना कहकर रिदांश फ़ोन काट देता है और आरना को ना चाहते हुए भी उसकी बात माननी पड़ती है क्योंकि सुबह से ही वह ऑलरेडी उसका बहुत टॉर्चर सह चुकी थी और अभी उसमें इतनी हिम्मत बिल्कुल नहीं थी कि वह उससे और उलझे। इसीलिए ना चाहते हुए भी वह अपना मन मसोसकर नम्या और प्रिशा के साथ चली जाती है। उनकी गाड़ी एक बड़े से महँगे कीमती डिज़ाइनर शोरूम के सामने रुकती है। आरना को पूरे टाइम किसी भी चीज़ में इंटरेस्ट नहीं था, वह तो बस एक जगह खामोशी से बैठी थी और नम्या उसके लिए अपने डिज़ाइनर के साथ कपड़े चुन रही थी। कुछ वक्त बाद नम्या एक ड्रेस का बैग आरना को देकर ट्राई करने के लिए कहती है। आरना अनमने ढंग से ड्रेस लेकर चेंजिंग रूम में जाती है और बैग खोलकर जैसे ही वह ड्रेस देखती है और उसके ब्रैंड का नाम पढ़ती है, उसका मुँह हैरानी से खुला रह जाता है क्योंकि यह एक वर्ल्ड्स मोस्ट एक्सपेंसिव ब्रैंड था और जिसे पहनने का जाने कितने लोगों का ख्वाब है, लेकिन मोस्ट एक्सपेंसिव होने के कारण यह कुछ ही गिने-चुने लोगों तक पहुँच पाता है। महरून कलर का, गुलाब की पंखुड़ियों के डिज़ाइन से बना हुआ था...जो बहुत ही खूबसूरत और एलिगेंट था।


    आरना का भी ख्वाब था कि जब भी उसकी शादी हो तो वह इसी ब्रैंड की ड्रेस पहने और कहीं ना कहीं आज जाने-अनजाने उसकी यह ख्वाहिश पूरी भी हो गई थी। जैसे ही वह गाउन पहना, वह उसमें इतनी खूबसूरत लग रही थी और उस पर वह इतना जच रहा था कि मानो ऐसा लग रहा था कि यह गाउन उसके लिए ही बनाया गया है। जिसे देखकर कुछ पल को आरना की आँखें भी खुशी से चमक उठती हैं। लेकिन जैसे ही आरना को रिदांश का ख्याल आता है, उसके चेहरे के सारे रंग उदासी में बदल जाते हैं और वह फ़ौरन ही इस ड्रेस को बदलकर बाहर आ जाती है। नम्या उस ड्रेस को फ़ाइनल कर देती है और कुछ देर और चीज़ें लेने के बाद सब वापस घर के लिए निकल पड़ते हैं। घर पहुँचकर नम्या और प्रिशा अंदर की ओर बढ़ जाती हैं, जबकि आरना अभी गाड़ी से उतरी ही थी कि जैसे ही वह गाड़ी से उतरकर अंदर जाने लगती है, उसके कानों में एक जानी-पहचानी आवाज़ आती है। वह मुड़कर सामने खड़े राहुल को देखती है और बस यहीं तक थी उसके सब्र की सीमा। वह बिना एक पल भी सोचे, बस भागकर राहुल के सीने से लग जाती है और आरना सुबकते हुए बस रोकर अपना सारा दर्द बाहर निकालने लगती है।

  • 17. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 17

    Words: 1544

    Estimated Reading Time: 10 min

    घर पहुँचकर नम्या और प्रिशा अंदर की ओर बढ़ गईं। आरना अभी गाड़ी से उतरी ही थी कि उसके कानों में एक जानी-पहचानी आवाज़ आई। वह मुड़कर सामने खड़े राहुल को देखती है और बस यहीं तक थी उसके सब्र की सीमा। वह बिना एक पल सोचे, भागकर राहुल के सीने से लग गई और सुबकते हुए अपना सारा दर्द बाहर निकालने लगी। कुछ देर तक आरना राहुल के गले लगी रही।

    राहुल (आरना का सर सहलाते हुए): "मैं जब आज वापस घर आया तो मुझे अंकल ने बताया कि तूने… तूने शादी… वह भी उस रिदांश अग्निहोत्री से… क्यों किया तूने ऐसा? क्या मुझ पर भरोसा नहीं था तुझे?"

    आरना (राहुल से अलग होकर उसकी तरफ देखकर): "मे… मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था। मैं… मैंने तुझसे और नैना से कॉन्टैक्ट करने की बहुत कोशिश की, लेकिन मेरी किस्मत ने हमेशा की तरह इस बार भी मेरा साथ नहीं दिया। और मुझे ना चाहते हुए भी यह करना पड़ा। अगर मैं ऐसा नहीं करती तो पापा कभी जेल से बाहर नहीं आ पाते और उनकी रेपुटेशन और बिज़नेस सब बर्बाद हो जाता।"

    राहुल: "वो सब तो अभी भी बर्बाद ही है!"

    आरना (असमंजस से): "मतलब?"

    राहुल: "हमारी कंपनी, हमारा सब कुछ बैंकक्रप्ट हो गया है। और अगर हमने जल्दी ही मोहलत के मिले वक्त तक सारा कर्जा नहीं चुकाया तो हमारे ऑफिस के साथ ही हमारा घर भी नीलाम कर दिया जाएगा।"

    आरना (शॉक्ड होकर): "म… मतलब?… म… मगर यह कैसे हो सकता है?"

    राहुल (तंज के साथ): "ऑल थैंक्स टू मि. रिदांश अग्निहोत्री!"

    आरना: "मि. अग्निहोत्री पर वो…"

    राहुल (आरना के दोनों हाथ थाम कर बीच में ही): "तू यह सब छोड़। हम मिलकर कोई न कोई रास्ता निकाल लेंगे। फिलहाल तू मेरे साथ घर वापस चल!"

    आरना: "घर?"

    राहुल (आरना के गाल पर अपनी हथेली रखते हुए): "हाँ घर। इस शादी के कोई मायने नहीं हैं। और मैं जानता हूँ तू यहां बिल्कुल खुश नहीं है। और चाहे जो हो जाए, मैं तुझे यहां घुटने के लिए नहीं छोड़ सकता।"

    आरना (नम आँखों से): "पर पापा…"

    राहुल: "अंकल से मैं बात करूँगा। और इस बार उन्होंने मेरी बात नहीं मानी तो चाहे मुझे उनके खिलाफ ही क्यों न जाना पड़े, मैं पीछे नहीं हटूँगा।"

    आरना: "लेकिन राहुल, मेरी शादी हो चुकी है और मैं…"

    राहुल (आरना के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए): "तू वाकई में इस बेमाने रिश्ते को शादी का नाम दे रही है? क्या तू वाकई में यहां खुश रह सकती है और अपनी पूरी जिंदगी इस अनचाहे रिश्ते के लिए कुर्बान कर देगी? बोल आरना, क्या तू मानती है इस रिश्ते को और उस रिदांश के साथ अपनी इस शादी को?… बोल? (आरना बस नम आँखों से चुपचाप खड़ी रहती है!)… बस फिर तू अभी इसी वक्त मेरे साथ यहां से चल रही है!"


    राहुल इतना कहकर अपने हाथ आरना के चेहरे से हटाकर जैसे ही उसका हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाता है, वैसे ही अचानक एक ज़ोरदार झटके के साथ आरना राहुल से दूर खिंच जाती है। पलक झपकते ही वह रिदांश की मजबूत बाहों की मजबूत पकड़ में कसमसा रही थी। मगर उसे चुपचाप सीधा खड़े रहने के लिए रिदांश की एक सीरियस नज़र ही काफी थी। रिदांश की करीबी तो हमेशा ही उसके दिल और दिमाग को सुन्न कर जाती थी। आरना को सुबह जिम में रिदांश का ना सुनना और आरना का उससे तेज आवाज में बात करने के बाद किचन में जो कुछ भी रिदांश ने किया और उसकी धमकी याद करके, वह चुपचाप अपनी नज़रें नीचे करके खड़ी हो गई थी। यह देखकर रिदांश ने भी उस पर अपनी पकड़ ढीली कर दी थी।

    राहुल (गुस्से से): "छोड़ो उसे?"

    रिदांश (एविल मुस्कान के साथ): "अगर नहीं छोड़ूँ तो?"

    राहुल: "तुम्हारा जो भी बदला या कंपटीशन है वह मुझसे करो, लेकिन आरना को इस सबके बीच में मत घसीटो। कोई कैसे एक लड़की के साथ ऐसे पेश आ सकता है?"

    रिदांश (फुल एटिट्यूड के साथ): "पहली बात कि मैं बच्चों के साथ कंपटीशन नहीं लगाता और दूसरी बात मैं अपनी वाइफी के साथ कैसे पेश आता हूँ और कैसे नहीं, यह हमारा पर्सनल मैटर है… (डेंजर लहजे से) … सो स्टे अवे फ्रॉम दिस… और यह यहां अपनी मर्जी से आई है, मेरी जबरदस्ती से नहीं!"

    राहुल (तंज कसते हुए): "ओह रियली… यह तो मुझे इसकी हालत देखकर ही समझ आ रहा है कि वह अपनी मर्जी से यहां आकर कितनी खुश है!"

    रिदांश: "आई थिंक तुम मेरा कीमती वक्त बहुत बर्बाद कर चुके हो… (आरना के कंधे पर अपनी बाजू रखते हुए) … वैसे भी शाम को हमारा रिसेप्शन है तो हमें बहुत तैयारी करनी है… सो… नाउ गेट लॉस्ट!"

    राहुल (अपने दाँत भींचते हुए): "मैं आरना को लिए बगैर यहां से कहीं भी नहीं जाऊँगा!"

    रिदांश (नाटक करते हुए): "ओह! … मैं तो बहुत डर गया… (अपनी पेंट के पॉकेट में अपने हाथ डालते हुए डार्क एक्सप्रेशन के साथ) … मेरे एक इशारे पर तुम्हें न इस घर से बल्कि इस दुनिया से गायब किया जा सकता है, पर मैं चाहता हूँ कि मेरी (जोर देते हुए) वाइफी तुम्हें खुद जवाब दे कि क्या वाकई में वह तुम्हारे साथ जाना चाहती है… (आरना की तरफ देखकर एविल लहजे से) … बोलो स्वीटहार्ट, जवाब दो अपने दोस्त को?"

    राहुल: "आरना चल यहां से… तू यहां खुश नहीं है, मैं जानता हूँ… बस तू चल मेरे साथ, बाकी सब मैं देख लूँगा!"

    आरना रिदांश के मीठे शब्दों के पीछे छुपी धमकी को अच्छे से समझ पा रही थी। वह खुद पर तो हर तकलीफ़ सह भी ले, लेकिन अपने परिवार और अपनों पर वह कभी कोई आँच नहीं आने दे सकती थी!

    राहुल: "बोल आरना, तू चुप क्यों है… तू चल रही है मेरे साथ, बता दे इसे!"

    आरना (नज़रें झुकाए हुए ही अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए): "नहीं… मैं तेरे साथ नहीं आ रही हूँ!"

    राहुल: "आरना, पागल मत बन… तुझे इससे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है!"

    आरना (राहुल की तरफ देखकर): "मैं किसी से नहीं डर रही हूँ राहुल… सच यह है कि मेरी शादी हो चुकी है और शादी के बाद लड़की का असली घर ही उसके पति का घर होता है… तो अब से यही मेरा असली घर है!"

    राहुल: "आरना, तू…"

    आरना (अपने हाथ जोड़कर): "प्लीज राहुल… मुझे चैन से यहां रहने दे और मुश्किल मत बढ़ा… प्लीज चला जा यहां से!"

    इतना कहकर आरना बिना राहुल की तरफ देखे जल्दी से वहाँ से अंदर चली जाती है।

    रिदांश (एविल मुस्कान के साथ): "सो मेरी वाइफी का जवाब भी सुन ही लिया तुमने… तो अब तुम खुद यहां से जाओगे या मैं धक्के मारकर तुम्हें यहां से बाहर फेंकवाऊँ!"


    राहुल रिदांश की बात सुनकर गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए वहाँ से चला जाता है। रिदांश एविल स्माइल के साथ अंदर वापस चला जाता है जहाँ वह आरना को सीढ़ियों के पास खड़ा देखता है और एविल एक्सप्रेशन के साथ उसकी तरफ बढ़ जाता है और कुछ ही कदम में उसके ठीक पीछे खड़ा हो जाता है।

    रिदांश (एटिट्यूड के साथ): "आई एम रियली इम्प्रेस्ड, वाइफी!"


    इतना कहकर रिदांश जैसे ही मायूस आरना को अपनी तरफ मोड़ने के लिए उसका हाथ पकड़ता है, तो उसका हाथ जले होने के कारण एकदम से उसकी आह निकल जाती है। जिसे सुनकर एक पल को रिदांश उसके चेहरे की तरफ देखता है और हमेशा की तरह भावहीन चेहरे के साथ वह अगले ही पल आरना की कलाई थामकर उसे कमरे की तरफ ले जाता है। आरना का दिल यह देखकर धक सा रह जाता है और वह चुपचाप डर से धड़कते दिल के साथ उसके साथ खींची चली जा रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अब उसने क्या गलती की है या अब उसे किस लिए या कौन सी सजा मिलेगी। कमरे में पहुँचकर रिदांश दरवाज़ा बंद करता है जो ऑटोमेटिकली लॉक हो जाता है। यह देखकर आरना का डर और बढ़ गया था। जैसे-जैसे रिदांश दराज की तरफ बढ़ता है उसका दिल और तेज़ी से धड़कता जा रहा था। जब कुछ पल बाद वह वापस उसके पास आता है तो उसका एक्शन देखकर आरना तो स्तब्ध ही रह जाती है। उसे यकीन ही नहीं होता कि वह ऐसा भी कुछ कर सकता है। रिदांश के हाथ में फर्स्ट एड बॉक्स था और उसमें से वह दवाई निकालकर आरना के हाथों को पकड़कर उस पर लगाता है। हालाँकि इस वक्त भी हमेशा की तरह उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, जिसे देखकर आरना समझ भी पाती कि आखिर उसके मन में क्या चल रहा है। लेकिन उसका इतना ही करना आरना के लिए कम शॉकिंग वाली बात नहीं थी क्योंकि पहली बार था जब वह किसी दर्द देने वाले को ही मरहम लगाता देख रही थी। आरना अभी यही सब सोच रही थी कि रिदांश दवाई लगाकर उसे हमेशा की तरह उसी नफ़रत के भाव के साथ खुद से दूर धकेलकर वापस कमरे से बाहर जाने लगता है कि वह एक पल को रुकता है और हमेशा की तरह अपने डार्क और डेंजर लहजे के साथ बोलता है।

    रिदांश: "किसी भी गलत फ़ैमी का शिकार होने की बिल्कुल भूल मत करना… क्योंकि तुमसे मुझे भी कभी हमदर्दी हो सकती है, यह तो कभी ख्वाब में भी सच नहीं हो सकता। बाकी मैंने यह सब सिर्फ़ इसीलिए किया है क्योंकि मैं बिल्कुल नहीं चाहता कि शाम को लोगों के सामने किसी भी तरह का ड्रामा क्रिएट हो… अदरवाइज़ गो टू हेल, आई रियली डोंट केयर!"


    इतना कहकर रिदांश दरवाज़ा खोलकर वहाँ से बाहर चला जाता है और आरना उसे बस जाता हुआ देखती रह जाती है।

  • 18. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 18

    Words: 1146

    Estimated Reading Time: 7 min

    रिदांश ने कहा, "किसी भी गलत फहमी का शिकार होने की बिलकुल भूल मत करना। क्योंकि तुमसे मुझे भी कभी हमदर्दी हो सकती है, ये तो कभी ख्वाब में भी सच नहीं हो सकता। बाकी मैंने ये सब सिर्फ इसीलिए किया है क्योंकि मैं बिल्कुल नहीं चाहता कि शाम को लोगों के सामने किसी भी तरह का ड्रामा क्रिएट हो। अदरवाइज गो टू हेल, आई रियली डोंट केयर!!"

    इतना कहकर रिदांश दरवाजा खोलकर वहाँ से बाहर चला गया और आरना उसे जाता हुआ देखती रही।

    आरना (खुद से): "सही कहा इस दानव ने...अच्छाई या हमदर्दी की उम्मीद मैं रख भी कैसे सकती हूँ ऐसे इंसान से!!"

    कुछ घंटे बाद...

    कुछ घंटे बाद, जब रिदांश वापस कमरे में आया, तो कायली और बेला लगभग उसे रिसेप्शन के लिए तैयार कर चुके थे। उस मेहरून वेस्टर्न गाउन में आरना वाकई में किसी परी की तरह लग रही थी। चेहरे पर परफेक्ट मेकअप के साथ उसकी स्मोकी आइज़ और होंठों पर डार्क रेड लिपस्टिक उसके चेहरे की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे। उसके काले घने बालों को कर्ली करके परफेक्ट स्टाइल के साथ उसके एक कंधे पर सेट किए गए थे। कानों में डायमंड के इयरिंग और हाथ में कीमती ब्रेसलेट; कुल मिलाकर वो ऊपर से नीचे तक बहुत ही खूबसूरत और एलिगेंट लग रही थी। रिदांश कुछ पल आरना को देखता रहा और हमेशा की तरह ही उसका चेहरा एक्सप्रेशनलेस था, जिससे उसके मन की बात समझना नामुमकिन था। रिदांश को देखकर कायली और बेला उसके आगे नज़रें झुकाकर उसे गुड इवनिंग विश करते हुए कमरे से निकल गईं। रिदांश भी आरना से नज़र हटाकर बाथरूम की तरफ बढ़ गया और अपने कपड़े निकालकर शॉवर के नीचे खड़ा हो गया। उसने अपने दोनों हाथ दीवार पर टिका रखे थे और पानी उसकी परफेक्ट बॉडी पर गिर रहा था। उसकी आँखें बंद थीं और उसके चेहरे से लगातार पानी बह रहा था।

    रिदांश (खुद से): "फोकस रिदांश...फोकस...ये सब सिर्फ एक छल है...एक दिखावा है...जस्ट रिमेंबर वन थिंग रिदांश, यू हैव टू विन...यू हैव टू विन एट एनी कॉस्ट!!"

    इतना कहकर रिदांश ने अपनी आँखें खोलीं और शॉवर ऑफ करके अपने बालों में हाथ घुमाया। दूसरी तरफ, आरना सोफे पर बैठी नर्वस होने की वजह से अपनी उंगलियों से खेल रही थी, या यूँ कहें कि अपनी सारी नर्वसनेस को अपनी उंगलियों को एक-दूसरे में उलझाकर ज़ाहिर कर रही थी। कुछ पल बाद ही बाथरूम का दरवाजा खुला और रिदांश अपनी लोवर बॉडी पर तौलिया लपेटे बाहर आया। उसकी ऊपरी बॉडी, उसके परफेक्ट एब्स, जिस पर अभी भी पानी की कुछ बूंदें नज़र आ रही थीं, उसे ज़रूरत से ज़्यादा सेक्सी दिखा रही थीं। जब आरना की नज़र रिदांश पर पड़ी, तो उसका दिल तेज़ी से धड़क उठा और वह जल्दी से अपना मुँह दूसरी तरफ करके खड़ी हो गई और अपने धड़कते दिल को काबू करने की कोशिश करने लगी। लेकिन रिदांश उसे एक पल भी सुकून से रहने देता, ऐसा तो पॉसिबल ही नहीं था!

    रिदांश (तेज़ आवाज़ से): "इधर आकर चेंज करने में हेल्प करो मेरी!!"

    आरना (बिना पलटे ही, हैरानी से): "ज...ज...जी?"

    रिदांश (अपने दाँत पीसते हुए): "कम हेयर, नाउ!!"

    आरना जब रिदांश की डेडली टोन सुनी, तो बिना देरी किए जल्दी से उसकी तरफ बढ़ गई और वो कुछ ही पल में उसके सामने खड़ी थी, लेकिन उसकी नज़रें अभी भी झुकी हुई थीं और उसके पैरों पर ही थीं।

    रिदांश (अपनी शर्ट आरना की तरफ बढ़ाकर, रूखे लहजे से): "हेल्प करो मेरी!!"

    आरना कांपते हाथों से वो शर्ट रिदांश के हाथ से ली और उसे पहनाने में उसकी मदद करने लगी। आरना को रिदांश से डर लगता था और उससे नफ़रत ना सही, मगर ढेर सारा गुस्सा था, इसमें कोई दोहरा नहीं था। लेकिन इस सब के बावजूद भी, हमेशा ही रिदांश की नज़दीकी उसके दिल और दिमाग को सुन्न करके एक अजीब सा एहसास भर देती थी, जिसमें उसे ऐसा लगता था कि उसके दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया हो और बस वो चुपचाप हर बार एक गुलाम की तरह रिदांश की बात मान लेती थी। उसका दिल इतनी तेज़ी से धड़कता था कि मानो अभी उछलकर बाहर आ जाएगा और उस पर रिदांश का ये रूप, उसकी हालत पूरी तरह खराब करने के लिए काफी था। इस वक्त रिदांश के इतना करीब होने की वजह से उसके हाथ कांप रहे थे और उसका दिमाग सुन्न पड़ गया था और उसका दिल सामान्य से बहुत तेज़ धड़क रहा था। रिदांश की शर्ट के बटन बंद करते वक्त उसकी उंगलियाँ बुरी तरह कांप रही थीं और उसने अपनी साँसें घबराहट के मारे रोक रखी थीं। डर और घबराहट से एसी में भी उसके माथे पर पसीने की बूँदें छलक आई थीं। रिदांश ये सब जानते-बूझते भी अनजान बना हुआ था और आरना की ऐसी हालत देखकर वह एविल मुस्कान के साथ उसके चेहरे की तरफ झुकने लगा और ये देखकर आरना के हाथ और धड़कन जैसे अपनी जगह ही जम से गए थे।

    रिदांश (एविल मुस्कान के साथ धीरे से): "ब्रेथ वाइफी...ब्रेथ!!"

    रिदांश की बात सुनकर आरना ने एक गहरी साँस छोड़ी और एक पल को उसकी गर्म साँसों की महक से रिदांश ने अपनी आँखें बंद कर लीं। आरना जल्दी से रिदांश की शर्ट का आखिरी बटन बंद करके वापस जाने के लिए मुड़ी, लेकिन रिदांश फुर्ती से उसका हाथ पकड़कर उसे वापस अपनी तरफ खींच लिया। आरना की पीठ अब रिदांश की छाती से सटी हुई थी और उसके हाथ आरना की कमर को अपनी गिरफ्त में लिए हुए थे। जैसे ही कुछ पल बाद आरना को अपनी खुली पीठ पर रिदांश की उंगलियाँ महसूस हुईं, तो आरना का पूरा शरीर ही ठंडा पड़ गया था। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वो किसी भी वक्त गिर ही जाएगी। उसका मन कह रहा था कि वो यहाँ से जल्दी से भाग जाए, लेकिन उसका शरीर तो जैसे इस वक्त बर्फ का हो गया था और एक जगह जम सा गया था। वो धीरे से अपनी आँखें कसकर भींच लेती है और अगले ही पल उसे अपने गले में कुछ महसूस होता है और वो अपनी आँखें खोलती है तो देखती है कि एक बहुत ही खूबसूरत डायमंड का सेट उसके गले में सज रहा था, जो कि अभी-अभी रिदांश ने ही उसे पहनाया था। वो कुछ कहती या समझ पाती, उससे पहले ही रिदांश की आवाज उसके कानों में पड़ी।

    रिदांश (तीखे स्वर में): "भले ही असल में तुम्हारी कुछ औकात ना हो, लेकिन तुम्हारे साथ मेरा नाम जुड़ने भर से ही तुम्हारी औकात और नाम दोनों का वज़न हद से ज़्यादा बढ़ गया है और मेरा नाम और रुतबा ज़रा भी खराब हो, ये मुझे बर्दाश्त नहीं।" (खुद को दूर धकेलते हुए, बेरुखी से) "नाउ गेट आउट फ्रॉम हेयर!!"

    इतना कहकर रिदांश खुद को रेडी करने में बिजी हो गया और आरना बिना कुछ कहे कमरे से बाहर चली गई।

  • 19. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 19

    Words: 1310

    Estimated Reading Time: 8 min

    रिदांश (तीखे स्वर में): भले ही असल में तुम्हारी कुछ औकात ना हो, लेकिन तुम्हारे साथ मेरा नाम जुड़ने भर से ही तुम्हारी औकात और नाम दोनों का वज़न हद से ज़्यादा बढ़ गया है। और मेरा नाम और रुतबा ज़रा भी खराब हो, ये मुझे बर्दाश्त नहीं... (खुद से दूर धकेलते हुए बेरुखी से)... नाउ गेट आउट फ्रॉम हेयर!!!

    इतना कहकर रिदांश खुद को रेडी करने में बिजी हो गया और आरना बिना कुछ कहे कमरे से बाहर चली गई। जब आरना लिविंग हॉल में आई, तो आयुष और प्रिशा वहाँ पहले से मौजूद थे और आरना को कुछ पल तक ऐसे ही घूरकर देखते रहे।

    आरना (नर्वस होते हुए): आ...आप लोग मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं?

    "बिकॉज़ यू लुक एक्सट्रेमली ब्यूटीफुल!!" प्रिशा ने आरना के हाथ थामकर मुस्कुराते हुए कहा।

    "राइट... टुडे यू लुक लाइक अ रियल फैरी भाभी!!!" आयुष बोला।

    आरना (फीका सा मुस्कुरा कर): थैंक्यू!

    कुछ देर बाद नम्या भी वहाँ आ गई। वह भी वाइन कलर की ड्रेस में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, लेकिन वह बिल्कुल रिदांश का दूसरा रूप थी। उसके चेहरे पर हमेशा रुडनेस और घमंड ही दिखता था। लगभग बीस मिनट बाद रिदांश सीढ़ियों से नीचे आता हुआ नज़र आया। उसे देखकर आरना की नज़रें बिना पलक झपकाए उसी पर रुक गईं। ब्लैक अरमानी सूट, रेड टाई, हाथ में रॉयल घड़ी, पैरों में चमचमाते काले कीमती जूते, परफेक्टली सेट किए हुए बाल और लेफ्ट हैंड अपनी पेंट की पॉकेट में लिए हुए, हमेशा की तरह फुल ऑन एटिट्यूड के साथ वह सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था।

    आयुष (शरारती मुस्कान के साथ धीरे से): भाभी, पलकें तो झपका लीजिए!

    आरना सकपका कर अपनी नज़रें जल्दी से फेर लेती है। कुछ पल बाद सब लोग वेन्यू के लिए निकलते हैं।

    नम्या, आयुष और प्रिशा एक गाड़ी से, जबकि रिदांश और आरना एक साथ एक गाड़ी में बैठे थे। गाड़ी में बैठते ही रिदांश ने साइड बटन दबाकर ड्राइवर की साइड का पार्टीशन गिरा दिया था। अब वे लोग एक प्राइवेट रूम की तरह बैठे थे और वीडियो स्क्रीन पर ड्राइवर की साइड नज़र आ रही थी। आरना के मन में कुछ सवाल चल रहे थे, लेकिन वह रिदांश से कुछ भी कहने या पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। नर्वस होने की वजह से वह हमेशा की तरह अपनी उंगलियों से खेलना शुरू कर देती है। जैसे-जैसे उसकी नर्वसनेस बढ़ती जा रही थी, वैसे-वैसे उसकी उंगलियों को आपस में उलझाने की स्पीड भी बढ़ती जा रही थी। अपने फोन की स्क्रीन में बिजी रिदांश उसकी यह हरकत बहुत देर से नोटिस कर रहा था और आखिर में इरिटेट होकर उसे टोका।

    रिदांश (इरिटेट होकर): जस्ट स्टॉप दिस नॉनसेंस... सीधा नहीं बैठ सकती तुम?

    आरना (रिदांश की आवाज से अपनी जगह उछल कर): जी...(एक पल रुक कर)...मु...मुझे आ...आपसे कु...कुछ क...कहना था!

    रिदांश (रूखेपन से अपने फोन में नज़रें गड़ाए हुए): व्हाट... जो भी कहना है जल्दी कहो और खबरदार... खबरदार जो तुमने जरा भी शटरिंग (हकलाना या अटकना) की तो!!

    आरना (गहरी सांस ले कर पूरी हिम्मत जुटा कर कुछ पल बाद): आपने कहा था कि...कि अगर मैं आपकी बात मानूंगी तो आप मेरे पापा का सब कुछ लौटा देंगे और यह भी कि आप अपना प्रॉमिस कभी नहीं तोड़ते, लेकिन अभी तक ऐसा कु...कुछ भी नहीं हुआ!

    आरना ही जानती थी कि इन दो लाइनों को बोलने में ही इस वक्त उसने अपनी पूरी जान लगा दी थी और उसके लिए रिदांश के आगे कुछ भी बोलना कितना मुश्किल था।

    रिदांश (डेंजर लहजे से): एक्जैक्टली, रिदांश अग्निहोत्री कभी अपने प्रॉमिसेज नहीं तोड़ता, लेकिन मिसेज रिदांश, फॉर योर काइंड इनफॉर्मेशन, तुम्हें याद दिला दूँ कि जब पहले दिन तुम मेरे पास आई थीं, तब तुमने अपने बाप की रेपो बचाने की बात की, लेकिन जब दूसरे दिन तुम मेरे पास आईं, तो तुम्हारे सो कॉल्ड फादर को जेल से बाहर निकालने की बात की। और तुम्हारा मुझसे शादी करने के लिए हाँ कहने की कीमत मैंने तुम्हारे बाप को जेल से बाहर निकलवाकर अदा कर दी है, तो अब हिसाब बराबर!

    आरना (अपने पैरों को घूरते हुए): प्लीज़ ऐ...ऐसा म...मत क...कहिए। मे...मेरे पा...पापा... (रिदांश आरना के अटकने पर उसे घूर कर देखता है। वह खुद पर उसकी नज़रें महसूस करके अपनी घबराहट को शांत करते हुए बोलने की कोशिश करती है) बहुत मुसीबत में हैं और अगर जल्दी ही सब ठीक नहीं हुआ तो हमारा घर...घर तक नीलाम हो जाएगा!

    रिदांश आरना की बात सुनकर अचानक ही अपना एक हाथ आरना की गर्दन के पीछे रखकर उसे अपने इतने करीब खींच लेता है कि उसकी साँसों की महक आरना अपने होंठों पर महसूस कर पा रही थी। यह महसूस करते ही उसके होश फाख्ता हो चुके थे।

    रिदांश (फुसफुसाते हुए मगर सर्द आवाज में): रिमेंबर, हर एक चीज की कीमत होती है वाइफी, और वक्त आने पर, जैसे-जैसे तुम कीमत अदा करोगी, वैसे उसका फल तुम्हें मिलता जाएगा... बट फॉर नाउ, जस्ट कीप क्वाइट!

    आरना (घबराकर जल्दी से अपना सर हिलाते हुए): हम्म!

    रिदांश (डार्क लहजे में): एंड रिमेंबर वन थिंग आल्सो... आज सब लोगों से तुम आरना कपूर नहीं, बल्कि आरना रिदांश अग्निहोत्री बनकर मिलने वाली हो... सो बिहेव... और अगर तुमने कुछ भी ऐसी-वैसी हरकत की, तो उसका अंजाम भुगतने के लिए पहले से तैयार रहना... अंडरस्टैंड?

    आरना (अपना थूक गटकते हुए): जी!

    इसके बाद रिदांश आरना को खुद से दूर कर देता है। पूरा समय आरना की नज़रें खिड़की के बाहर ही जमी हुई थीं। वह नहीं चाहती थी कि वह जरा भी रिदांश के गुस्से का शिकार हो। कुछ देर बाद वीडियो स्क्रीन पर ड्राइवर उन्हें वेन्यू पर पहुँचने की इत्तिला देता है। रिदांश ना सिर्फ़ पूरी मुंबई में, बल्कि बिज़नेस के मामले में विदेश में भी एक जाना-पहचाना नाम था। उससे मिलने या उसके फंक्शन में शामिल होने के लिए लोग तरसते थे। आज यहाँ सब बड़े-बड़े बिज़नेस मेन, पॉलिटिशियन, एक्टर्स और मुंबई के बाहर के भी जाने-माने और बड़े लोग शामिल थे। सभी उत्सुक थे कि आखिर अचानक इतनी कम नोटिस पर इतनी शानदार पार्टी रखने के पीछे रिदांश का मकसद क्या है, क्योंकि हर कोई जानता था कि हर एक काम और एक्शन के पीछे रिदांश की कोई न कोई बड़ी वजह छुपी होती है। पार्टी मुंबई के एक सबसे बड़े होटल में रखी गई थी। अब ज़ाहिर है कि पार्टी रिदांश अग्निहोत्री की थी, तो किसी चीज़ की ज़रा भी कमी होना पॉसिबल ही नहीं था। डेकोरेशन से लेकर डिनर और स्टार्टर तक, सब कुछ ए वन था। यही वजह थी कि लोग अक्सर रिदांश की पार्टी में आने का अवसर तलाशते थे, क्योंकि पूरे मुंबई में ऐसा कोई नहीं था जो किसी भी मामले में रिदांश को टक्कर दे सकता हो। बहुत ही कम वक्त में रिदांश ने वह रुतबा और स्टेटस हासिल कर लिया था जिसे बड़े से बड़ा बिज़नेस मेन अपनी पूरी ज़िंदगी में भी हासिल नहीं कर पाया था। यही वजह थी कि लोग उसकी ताकत के आगे सर झुकाए खड़े रहते थे।

    लगभग सब लोग यहाँ पहुँच चुके थे और बड़ी ही बेसब्री से रिदांश के आने का इंतज़ार कर रहे थे। जिनमें खासकर लड़कियाँ थीं, जो हमेशा अपनी अदाओं से रिदांश को अपना बनाना चाहती थीं, लेकिन उनकी किस्मत में यह नहीं था कि वह नज़र उठाकर भी उनकी तरफ़ देखता तक नहीं था। जैसे ही रिदांश अपनी आँखों पर काला स्टाइलिश चश्मा लगाए गाड़ी से नीचे कदम रखता है, हज़ारों कैमरों का जमावड़ा उसकी तस्वीरें लेने के लिए जमा हो जाता है। मगर रिदांश के एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी गार्ड्स किसी के उसके करीब आने से पहले ही उसके आस-पास एक सुरक्षा घेरा बना लेते हैं, जिससे आगे किसी को भी आने की इजाज़त नहीं थी। रिदांश गाड़ी से उतरकर आरना की तरफ़ का दरवाज़ा खोलकर उसे अपना हाथ देता है और आरना उसे अपना हाथ देकर गाड़ी से बाहर निकलती है। आरना के गाड़ी से बाहर निकलते ही रिदांश अपने एक हाथ को उसकी कमर में डालकर उसे अपने करीब कर लेता है और कैमरे की सैकड़ों फ़्लैश लाइट्स एक साथ उसके और आरना दोनों के चेहरे पर पड़ने लगती हैं।

  • 20. "लाईफ़ इज़ नॉट अ फैरीटेल"....!! - Chapter 20

    Words: 1209

    Estimated Reading Time: 8 min

    जैसे ही रिदांश अपनी आंखों पर काला स्टाइलिश चश्मा लगाए, गाड़ी से नीचे कदम रखा, हजारों कैमरों का हुजूम उसकी तस्वीरें लेने के लिए जमा हो गया। मगर रिदांश के अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड किसी के उसके करीब आने से पहले ही उसके आस-पास एक सुरक्षा घेरा बना लेते हैं, जिससे आगे किसी को भी आने की इजाजत नहीं थी। रिदांश गाड़ी से उतरकर आरना के दरवाजे की ओर गया और उसे अपना हाथ दिया। आरना ने उसका हाथ थामकर गाड़ी से बाहर निकली। आरना के गाड़ी से बाहर निकलते ही रिदांश ने अपना एक हाथ उसकी कमर में डालकर उसे अपने करीब कर लिया। कैमरों की सैकड़ों फ्लैश लाइट्स एक साथ उनके दोनों के चेहरे पर पड़ने लगीं।

    रिदांश आरना को पकड़े हुए रेड कार्पेट की ओर बढ़ा, जहाँ से एक शानदार एंट्री शुरू हो रही थी। उनके चारों तरफ सुरक्षा घेरा बनाए हुए गार्ड चल रहे थे। कुछ ही देर में दोनों अंदर लोगों के बीच पहुँचे, जहाँ सब लोग उन्हें उत्सुकता भरी सवालिया नज़रों से देख रहे थे। जैसे ही रिदांश स्टेज पर पहुँचा, पूरे हॉल में पिन ड्रॉप साइलेंस हो गया। इस वक्त उसके चेहरे का तेज किसी ताकतवर राजा की तरह दिख रहा था, जिसके हाथ में पूरी शक्ति और हुकूमत हो। उसके चेहरे पर हमेशा रहने वाला गर्व भरा रवैया, उसकी आँखों की खतरनाक गंभीरता और उसका पूरा आत्मविश्वास उसे हमेशा भीड़ से अलग और सबसे शक्तिशाली दिखाता था। उसकी पूरी पर्सनालिटी ही ऐसी थी कि कोई चाहकर भी उसके आगे अपनी जुबान नहीं खोल पाता था। रिदांश के स्टेज पर कदम रखते ही वहाँ मौजूद सारे लोग खामोशी और सम्मान देते हुए एकटक उसकी ओर देखने लगे। रिदांश ने अपने एक हाथ में माइक लिया और दूसरे हाथ को अपनी पैंट की जेब में डाला हुआ था। हमेशा की तरह उसके चेहरे पर पूरा रवैया और आत्मविश्वास झलक रहा था।

    रिदांश: "गुड इवनिंग एवरीवन एंड वेलकम टू द पार्टी। यकीनन आप सब लोग यही सोच रहे होंगे कि अचानक यह पार्टी क्यों रखी गई है। तो इसकी दो वजहें हैं। पहली, मैं सालों से एक प्रॉपर्टी के पीछे था, जिसे पाना मेरा सबसे बड़ा मकसद था और वह आज आधिकारिक रूप से मेरी हो गई है। दूसरी, सबसे महत्वपूर्ण बात, जिसकी खास वजह से आज यह शाम सजाई गई है… सो लेडीज एंड जेंटलमेन…" (स्टेज के एक तरफ खड़ी आरना की ओर इशारा करते हुए) "मीट माय ब्यूटीफुल एंड गॉर्जियस वाइफ, मिसेज आरना अग्निहोत्री!"

    इतना कहकर रिदांश ने आरना को अपने पास आने का इशारा किया। आरना झिझकते हुए रिदांश के पास गई और वह उसे उसकी कमर से पकड़कर वापस अपने करीब खींच लेता है। वह पहले से ही रिदांश और उसकी निकटता से कतराती थी। ऊपर से वहाँ इतने लोगों का ध्यान और नज़रें खुद पर देखकर उसके चेहरे पर घबराहट साफ़ दिख रही थी। दूसरी तरफ, लोगों के लिए रिदांश की बात किसी टाइम बॉम्ब से कम नहीं थी और वहाँ मौजूद लड़कियों का तो दिल ही टूटकर चूर-चूर हो गया था। किसी को उम्मीद ही नहीं थी कि मुंबई का मोस्ट वांटेड बैचलर, दा ग्रेट रिदांश अग्निहोत्री, अचानक अपनी शादी का ऐलान करेगा। इधर, रिदांश आरना को अपनी बाहों की पकड़ में काँपता देख धीरे से उसके कान के पास गया।

    रिदांश (धीरे मगर चेतावनी भरे स्वर में): "बिहेव वाइफी, बिहेव। जस्ट स्माइल!"

    तभी भीड़ में से कुछ रिपोर्टर रिदांश से सवाल पूछने के लिए उसकी इजाजत मांगते हैं।

    रिपोर्टर: "सर, क्या हम आपसे कुछ सवाल पूछ सकते हैं?"

    रिदांश (अपने शक्तिशाली अंदाज़ में): "ओनली थ्री क्वेश्चंस। तीन सवाल। आप सब मुझसे कोई भी तीन सवाल पूछ सकते हैं!"

    हजारों रिपोर्टर और तीन सवाल। कुछ पल के लिए सब रिपोर्टर यह सुनकर खामोश हो गए, लेकिन वे कोई आपत्ति भी नहीं उठा सकते थे। आखिरकार, वह रिदांश अग्निहोत्री था, जो अपने नियम हमेशा खुद बनाता आया था। कुछ पल बाद पहले रिपोर्टर ने सवाल किया।

    रिपोर्टर 1: "सर, आपके इस तरह अचानक शादी करने के पीछे कोई खास वजह… मेरा मतलब है कि यह सब पहले से प्लान था या फिर कोई बड़ी वजह रही है?"

    रिदांश: "हर कोई जानता है कि रिदांश अग्निहोत्री कोई भी काम जल्दबाजी में या बिना वजह नहीं करता। सो ऑब्वियसली, यह सब अचानक तो नहीं हुआ होगा।"

    रिपोर्टर 2: "तो इसका मतलब है सर कि आपकी लव मैरिज है। तो प्लीज आप बताएंगे सर कि यह लव स्टोरी कैसे और कहाँ से शुरू हुई?"

    रिदांश (आरना की हथेली को चूमकर): "लव एट फर्स्ट साइट। हमारी लव स्टोरी भी ऐसे ही शुरू हुई। हम पहली बार एक पार्टी में मिले, जहाँ मेरी गॉर्जियस वाइफ मुझे अपना दिल दे बैठी और फिर धीरे-धीरे वक्त गुजरने के साथ ही मुझे भी एहसास हुआ कि… यस, शी इज़ द वन!"

    यह सुनकर आरना हैरानी से रिदांश की ओर देखती है कि वह कितनी आसानी से झूठ बोलकर दुनिया के सामने एक लविंग कपल होने का नाटक कर रहा है। मगर अगले पल एक रिपोर्टर का अगला सवाल सुनकर वह उसकी ओर और भी ज़्यादा हैरानी से देखने लगती है, क्योंकि वह रिपोर्टर जिस तरीके से रिदांश के आगे बोल रही थी, उसकी हिम्मत देखकर वह हैरान थी।

    रिपोर्टर 3: "अगर मैं गलत नहीं हूँ, तो मिसेज आरना कपूर इंडस्ट्रियल्स के ओनर मिस्टर कपूर की बेटी ही हैं ना, जिन्हें अभी हाल ही में आपने एक फ्रॉड केस में जेल भिजवाया था। अगर आप वाकई में एक-दूसरे को पहले से जानते थे, तो फिर आप अपने फादर-इन-लॉ के साथ ऐसा बर्ताव कैसे कर सकते हैं और उन्हें जेल कैसे भिजवा सकते हैं? और आपकी वाइफ को भी कोई परेशानी नहीं… कहीं ऐसा तो नहीं कि सिक्के का दूसरा पहलू कुछ और ही कहानी बयां कर रहा हो?"

    उस रिपोर्टर के सवाल और रिदांश के सामने बोलने की हिम्मत देखकर वहाँ मौजूद हर इंसान, आरना समेत, स्तब्ध था। रिदांश उस रिपोर्टर का सवाल सुनकर एक दुष्ट मुस्कान मुस्कुराता है।

    रिदांश: "मिस…?"

    रिपोर्टर: "प्रियंका भार्गव!"

    रिदांश: "मैंने मिस्टर कपूर के साथ जो भी किया, वह प्रोफेशनली था और मैं अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को कभी भी मिक्स नहीं करता। और रही हमारी शादी की बात, तो सुना तो होगा ही, 'लव इज़ ब्लाइंड', सो हेयर इज़ माय आंसर!"

    प्रियंका: "मे बी… लेकिन फिर भी मैं आपके जवाब से संतुष्ट नहीं हूँ। इसीलिए मैं आपकी वाइफ से खुद पर्सनली सवाल करना चाहती हूँ!"

    रिदांश (पूरे रवैये के साथ): "एंड यू थिंक की मुझे तुम्हारे संतुष्टि से रत्ती भर भी कोई फर्क पड़ता है? आई डोंट गिव अ डैम अबाउट योर सेटिस्फैक्शन!"

    प्रियंका: "बट आई वांटेड टू टॉक टू योर वाइफ एंड…"

    रिदांश (बीच में ही, डार्क एंड डेंजर लहजे में): "टाइम ओवर… और वैसे भी यह मेरी रिसेप्शन पार्टी है, ना कि कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस। सो एंजॉय द पार्टी!"

    इसके बाद बाकी रिपोर्टरों के साथ ही प्रियंका भी वहाँ से पीछे की ओर चली जाती है। कुछ देर बाद वहाँ दुबारा से एक रिपोर्टर आकर रिदांश से उसकी और आरना की रोमांटिक तस्वीर लेने का अनुरोध करता है, जिसके लिए वह हामी भर देता है। यह बात सुनकर आरना एक बार फिर सुन्न और ठंडी पड़ गई थी। जैसे ही रिदांश उसके चेहरे को अपने गर्म हाथों में लेकर उसके चेहरे की ओर झुकने लगता है, तो केवल यह देखकर ही आरना की आँखों में नमी आ जाती है। मगर रिदांश का अगला हरकत देखकर वह स्तब्ध रह जाती है।