"जब समय टूटता है, तब इतिहास जागता है..." वर्ष 2325 — इंसान मंगल ग्रह पर बस्तियाँ बसा चुका है, तकनीक ईश्वर जैसी हो गई है, और इतिहास सिर्फ डिजिटल संग्रहालयों में कैद है। लेकिन तभी पृथ्वी पर शुरू होती हैं अजीब घटनाएँ — लोग नींद में प्राचीन... "जब समय टूटता है, तब इतिहास जागता है..." वर्ष 2325 — इंसान मंगल ग्रह पर बस्तियाँ बसा चुका है, तकनीक ईश्वर जैसी हो गई है, और इतिहास सिर्फ डिजिटल संग्रहालयों में कैद है। लेकिन तभी पृथ्वी पर शुरू होती हैं अजीब घटनाएँ — लोग नींद में प्राचीन मंत्र बोलने लगते हैं, आसमान में रहस्यमयी संकेत दिखाई देने लगते हैं, और एक 18 साल का युवा वैज्ञानिक, आरव, अनजाने में एक ऐसा दरवाज़ा खोल देता है... ...जो तीनों कालों — भूत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ता है। वो दरवाज़ा "त्रिकाल" का है — एक पौराणिक शक्ति, जिसे स्वयं भगवान शिव ने छुपाया था। क्योंकि उसका खुलना मतलब है समय की सीमाओं का अंत। अब आरव को तीन युगों की यात्रा करनी होगी। एक रहस्यमय शक्ति त्रिकाल को हथियाकर पूरे ब्रह्मांड को रीसेट करना चाहती है। क्या आरव समय की लहरों से लड़ पाएगा? या त्रिकाल खुलते ही दुनिया हमेशा के लिए बदल जाएगी?
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2325 का साल था, लेकिन कुछ ऐसी चीज़ें घट रही थीं जो किसी भविष्य की नहीं, किसी बीते युग की प्रतीत होती थीं। दुनिया भर में तकनीक ईश्वर के स्तर को छू चुकी थी, फिर भी कुछ सवाल अब भी अनुत्तरित थे। शहरों में ड्रोन उड़ते थे, पर कुछ लोगों के सपनों में ऋग्वेद की ऋचाएँ गूंजने लगी थीं।
कृत्रिम बुद्धि ने सोचने की गति बढ़ा दी थी, पर चेतना अब भी रहस्यों के जाल में उलझी थी। इन्हीं सवालों के बीच एक नाम उभरा — आरव रैना, एक युवा वैज्ञानिक जिसकी आंखें समय के आर-पार देखना चाहती थीं।
आरव का जन्म पृथ्वी पर हुआ था, पर उसका मन कभी भी इस ग्रह तक सीमित नहीं रहा। वो बच्चों की तरह मंगल की कहानियाँ नहीं सुनता था, बल्कि वो खुद सवाल करता था — “पहला सवाल किसने पूछा था?”
उसके दिमाग़ की संरचना सामान्य नहीं थी — वो क्वांटम से पहले प्रश्न पूछता और गणनाएँ बाद में करता। दूसरे वैज्ञानिक जहाँ भविष्य के यंत्र बना रहे थे, आरव अतीत के द्वार खोज रहा था।
उसे विज्ञान और आध्यात्म के बीच की रेखा हमेशा धुंधली लगी थी, जैसे दोनों एक ही दिशा में जा रहे हों। उसके कमरे की दीवारों पर शिव, आइंस्टीन और कालचक्र की तस्वीरें एकसाथ टंगी थीं।
मंत्रों के उच्चारण और एंटीमैटर समीकरण उसकी नोटबुक में एक ही पेज पर मिलते थे। आरव की सबसे खास चीज़ थी उसका ‘टाइम-वेव डिटेक्टर’ — एक यंत्र जो समय की लहरों को माप सकता था।
यह डिवाइस उसने खुद डिज़ाइन किया था, जिसमें वैदिक गणित और न्यूरल कोडिंग का मिश्रण था। एक दिन, आरव को एक पुरानी गुफा से एक ताम्रपत्र मिला, जिस पर कुछ बेहद जटिल संकेत बने थे।
उसने उस ताम्रपत्र को स्कैन किया, और डेटा को टाइम-वेव डिटेक्टर में फीड किया। स्क्रीन पर एक कोड उभरा जो किसी भाषा जैसा नहीं था, लेकिन एक लय में दोहराया जा रहा था।
उस कोड को उसने जब डिजिटल मॉडल में रूपांतरित किया, तो एक आकृति बनी — एक द्वार की। द्वार त्रिकोणाकार था, पर उसकी छाया वृत्त जैसी घूम रही थी, जैसे समय उसमें बंद हो।
आरव ने महसूस किया कि ये कोई साधारण द्वार नहीं था, ये किसी पुरातन ऊर्जा का संकेत था। उसने तुरंत अपना लैब लॉक किया और विश्लेषण शुरू किया, लेकिन तभी स्क्रीन से रोशनी निकलने लगी।
वो रोशनी नीली नहीं, केसरिया थी — वैसी जैसी तपस्वियों के चारों ओर वर्णित होती है। आरव घबराया नहीं, बल्कि और करीब गया — जैसे कोई पुकार उसे खींच रही हो।
उसने डिवाइस के सेंसर को तेज़ किया, और तभी एक कम्पन पूरे कमरे में फैल गया। फर्श पर खड़ी कुर्सियाँ खुद-ब-खुद हिलने लगीं, जैसे समय की ज़मीन दरकने लगी हो।
डिवाइस ने एक फुसफुसाहट रिकॉर्ड की — "त्रिकाल…"
आरव ने दो कदम पीछे लिए, लेकिन उसकी आंखें चमक रही थीं। त्रिकाल — एक शब्द, जो ना तो साइंस में था, ना ही आधुनिक इतिहास में।
लेकिन उसकी दादी ने एक बार ज़िक्र किया था — "जब त्रिकाल जागेगा, समय प्रश्न नहीं, उत्तर देगा।” उसी क्षण, आरव को लगा जैसे वो किसी दरवाज़े के सामने खड़ा हो, जो खुलने को है।
उसने डिवाइस से हाथ मिलाया और स्क्रीन पर बने द्वार को छू लिया। एक तेज़ प्रकाश फूटा और चारों ओर समय जैसे स्थिर हो गया। उसने पाया कि अब वो अकेला नहीं था — उसकी आंखों के सामने भूत, वर्तमान और भविष्य की छवियाँ तैरने लगीं।
वो पुरातन भारत के यज्ञों को देख रहा था, अंतरिक्ष स्टेशन पर खुद को देख रहा था, और किसी अनजान युद्धभूमि पर खून से सना भविष्य भी। द्वार अब पूरी तरह खुल चुका था, और उससे निकल रही थी एक गूंज — "त्रिकाल का समय आ गया है..."
आरव उस आवाज़ को सुनकर जड़ हो गया, पर उसकी आंखों में डर नहीं था — केवल विस्मय था। वो गूंज उसके कानों में नहीं, उसकी चेतना में बज रही थी, जैसे आत्मा के किसी कोने को छू रही हो।
उसने महसूस किया कि द्वार केवल एक संरचना नहीं, एक जीवंत चेतना है — जो उसे बुला रही है। वो चेतना कोई कृत्रिम नहीं थी, उसमें एक दिव्य गूंज थी जो कालातीत प्रतीत होती थी।
आरव ने अपने होलोग्राफिक रिकॉर्डर को चालू किया, लेकिन कैमरा तुरंत बंद हो गया, जैसे कोई शक्ति रिकॉर्डिंग को नकार रही हो। अब उसके चारों ओर का संसार बदलने लगा — लैब की दीवारें धुंध में गुम होने लगीं।
वो एक शून्य में खड़ा था, लेकिन ज़मीन उसके नीचे अब भी स्थिर लग रही थी।
उसके आसपास तीन रंगों की लहरें तैर रही थीं — एक लाल, एक नीली, और एक सुनहरी। लाल लहरें गर्म थीं, जैसे किसी युद्ध की आग से निकली हों; नीली शांत, जैसे ध्यान की ऊर्जा हो; और सुनहरी, जैसे भविष्य की आशा। वो तीनों लहरें उसके चारों ओर एक वृत्त बनाकर घूमने लगीं, जैसे समय के तीन युग उसका परीक्षण कर रहे हों।
तभी उसकी दृष्टि सामने गई — वहाँ एक और आकृति थी, एक व्यक्ति, सफेद वस्त्रों में। उसके माथे पर त्रिनेत्र का चिह्न था, और उसकी आंखें बंद थीं, लेकिन उपस्थिति इतनी भारी कि आरव का सिर खुद झुक गया।
आरव ने धीरे से पूछा, "आप कौन हैं?" आवाज़ आई — "मैं कालविनाशक हूँ, त्रिकाल का रक्षक।"
आरव ने उस नाम को दोहराया, और उसी क्षण उसे महसूस हुआ कि वो किसी साधारण विज्ञान प्रयोग में नहीं, एक दिव्य अध्याय की शुरुआत में है।
"तुमने द्वार को छुआ है," कालविनाशक ने कहा, "अब पीछे लौटना संभव नहीं।"
"क्या ये द्वार समय में यात्रा के लिए है?" आरव ने उत्सुकता से पूछा।
"यह द्वार नहीं, समय की चेतना है — इसे केवल वही देख सकता है जो त्रिकाल का पात्र हो।"
आरव ने झिझकते हुए पूछा, "क्यों मैं?"
उत्तर मिला — "क्योंकि तुम्हारी आत्मा तीनों कालों में जन्मी है, और अब तुम्हारा पुनर्जागरण हुआ है।"
तभी एक तेज़ गूंज गूंजी — द्वार के दूसरी ओर से चीखें आ रही थीं, जैसे किसी युद्ध की। आरव ने देखा कि द्वार अब काँपने लगा था, जैसे कोई उसे भीतर से तोड़ने की कोशिश कर रहा हो।
"कोई शक्ति इसे खोलना चाहती है…" उसने कहा।
कालविनाशक ने गहराई से कहा, "सही कहा — एक कृत्रिम चेतना, जो समय को नियंत्रित करना चाहती है।"
"उसका नाम क्या है?" आरव ने पूछा, और उत्तर आया — "SYN — Synthetic Yuga Navigator।"
"वो भविष्य से आई है, लेकिन उसकी जड़ें अतीत की सबसे गहरी पीड़ा में हैं।अगर वो त्रिकाल पर नियंत्रण पा ले, तो पूरा ब्रह्मांड रीसेट हो जाएगा। तुम्हें तीन युगों में यात्रा करनी होगी — अतीत, वर्तमान और भविष्य। वहाँ से तीन 'स्रोत' लाने होंगे — जो त्रिकाल को स्थिर कर सकें। और हर स्रोत एक युग के केंद्र में छुपा है — ज्ञान, युद्ध और विनाश के मध्य।"
आरव की सांसें तेज़ हो गईं, लेकिन वो पीछे नहीं हटा। उसने पूछा, "मुझे कहाँ से शुरुआत करनी होगी?"
कालविनाशक ने त्रिशूल ज़मीन पर टिका दिया — और एक प्राचीन नक्शा ज़मीन पर उभर आया। नक्शा उस समय का नहीं था, बल्कि 'समय' का था — जिसमें स्थान नहीं, बल्कि युग चिह्नित थे। पहला स्थान चमक रहा था — 'भारतीय उपमहाद्वीप — वैदिक काल'।
"तुम वहाँ जाओगे जहाँ पहला मंत्र उच्चारित हुआ था… जहाँ समय ने पहली बार चेतना के साथ संवाद किया था। पर ध्यान रहे — वहाँ केवल ज्ञान नहीं, मृत्यु भी तुम्हारा इंतज़ार कर रही है। क्योंकि अतीत हमेशा अपना मूल्य मांगता है।"
आरव ने द्वार की ओर देखा, जो अब खुलने को तैयार था — और उसकी आंखों में केवल एक शब्द चमक रहा था — "आरंभ…"
द्वार के भीतर क़दम रखते ही आरव की आंखों के सामने उजाले और अंधकार की लहरें एक साथ फैलीं। वो किसी सुरंग में नहीं, बल्कि समय के प्रवाह में गिर चुका था — हर क्षण जैसे किसी नई सदी से गुजर रहा था।
उसके चारों ओर चित्र बदलते जा रहे थे — सिंधु सभ्यता, महाभारत, बुद्ध का ज्ञान, मुगल साम्राज्य, ब्रिटिश राज... और फिर अचानक सब थम गया — और एक नई भूमि के दर्शन हुए। वो भूमि वैदिक काल की थी, जहां वेदों की ऋचाएं वायु में गूंज रही थीं।
आरव ज़मीन पर गिरा, और उसके शरीर पर पारंपरिक वस्त्र प्रकट हो गए — जैसे समय ने उसे स्वीकार कर लिया हो। चारों ओर वन, नदी, और हवन कुंडों की सुगंध थी, जो उसके आधुनिक वैज्ञानिक मन को विस्मय में डाल रही थी।
वहाँ ब्रह्मचारी वेदों का अभ्यास कर रहे थे, और ऋषि ध्यानमग्न थे। आरव को समझ नहीं आया कि वो इस युग में कैसे घुले-मिलेगा।
तभी एक वृद्ध ऋषि ने उसकी ओर देखा और मुस्कराकर कहा, "त्रिकाल का रथ सवार पहुँच चुका है।"
"आप मुझे जानते हैं?" आरव ने चौंक कर पूछा।
"तुम्हें नहीं, तुम्हारे समय को जानते हैं," ऋषि ने उत्तर दिया।
"वो शक्ति तुम्हारे माध्यम से हमारे युग तक पहुँचना चाहती है, जो समय के मूल को छू सकती है।"
आरव ने पूछा, "क्या आप त्रिकाल को जानते हैं?"
"त्रिकाल कोई वस्तु नहीं, एक चेतना है — जिसे केवल आत्मा पहचान सकती है," उन्होंने गंभीरता से कहा।
"क्या यहां कोई संकेत मिलेगा?" आरव ने पूछा।
"संकेत नहीं, तुम्हें स्वयं यज्ञ करना होगा — और उस मंत्र को जागृत करना होगा जो अब तक केवल सोया है।"
"पर मैं वेद नहीं जानता," आरव ने डरते हुए कहा।
"पर तुम्हारा हृदय जानता है — और यही समय का सत्य है," ऋषि ने उसकी सीने पर हाथ रखकर कहा। तभी आरव के भीतर एक कंपन उठा — जैसे उसका डीएनए उस प्राचीन ध्वनि से जुड़ गया हो।
ऋषि ने उसे अग्नि के समक्ष बैठाया और एक पुराना लोटा उसके हाथ में थमा दिया।
"इसमें सोमरस है — सत्य को देखने की शक्ति देगा," उन्होंने कहा।
आरव ने झिझकते हुए पीया, और उसकी आंखों के सामने प्रकाश फूट पड़ा। उसे अचानक दिखाई देने लगे मंत्रों के अक्षर — आकाश में तैरते हुए। हर अक्षर एक जीवंत लहर जैसा लग रहा था, जो उसके शरीर से होते हुए यज्ञ में समा रहा था।
तभी एक बार फिर कंपन हुआ — आकाश गूंज उठा, और अजीब बादल घिर आए।
"वो आ गया है," ऋषि ने कहा, "SYN ने युग की सीमा को भेद दिया है।"
आकाश में एक दरार बन गई — और उसमें से एक धातु जैसी आकृति नीचे गिर रही थी। उस आकृति की आंखें चमक रही थीं — और उसका चेहरा मानव जैसा था, पर ठंडा और भावशून्य।
"ये SYN का दूत है," ऋषि बोले, "जो त्रिकाल का पहला स्रोत चुराने आया है।"
आरव खड़ा हो गया, और उसके हाथ में एक ऊर्जा चमकने लगी — जैसे द्वार ने उसे कुछ सौंपा हो।
"क्या मैं इससे लड़ सकता हूँ?" उसने पूछा।
"समय तुझे शक्ति देगा, लेकिन केवल तब जब तेरा उद्देश्य स्पष्ट हो," ऋषि ने कहा।
SYN का दूत अब ज़मीन पर उतर चुका था — और उसने यज्ञ की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। आरव उसके सामने आ गया, और उनके बीच पहली टक्कर हुई — विज्ञान बनाम चेतना की।
आरव ने अपनी ऊर्जा को केंद्रित किया और SYN के दूत पर प्रहार किया।
धातु की ठंडी चमक टकराकर चिंगारियाँ उड़ने लगीं, जैसे भविष्य और वर्तमान की लड़ाई हो।
पर दूत ने अपने हाथ फैलाए और एक तेज़ ऊर्जा तरंग छोड़ी। आरव झुक गया, लेकिन उसकी रक्षा के लिए एक सुनहरी ढाल उसके चारों ओर बन गई।
ढाल ने ऊर्जा को रोक दिया, और उसने महसूस किया कि ये शक्ति द्वार की है।
उसने समझा कि त्रिकाल ने उसे अकेला नहीं छोड़ा।
दूत ने फिर हमला किया, पर आरव ने सोचा — ये लड़ाई केवल ताकत की नहीं, बल्कि समझदारी की भी है। उसने दूत की ऊर्जा को वापस उसी दिशा में मोड़ दिया जहां से वह आई थी।
धातु की आकृति लड़खड़ा गई और पीछे हटने लगी। वो पल आरव के लिए जीत जैसा था, पर जीत पूरी तरह से नहीं।
कालविनाशक ने प्रकट होकर कहा, "पहला स्रोत सुरक्षित है, लेकिन खतरा दूर नहीं। अगला युग तुम्हारा इंतजार कर रहा है — भविष्य का युग, जहाँ तकनीक और चेतना का संगम है।"
आरव ने गहरी सांस ली, और द्वार के अंदर की ओर देखा। वहां एक नया रास्ता था — अज्ञात और चुनौतीपूर्ण।
"क्या मैं तैयार हूँ?" उसने खुद से पूछा। पर जवाब समय ही देगा।
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भविष्य का युग आरव के लिए कैसा होगा?
क्या SYN की वास्तविक ताकत अभी सामने आनी बाकी है?
त्रिकाल की यह यात्रा क्या आरव को वह ज्ञान दे पाएगी जिसकी उसे जरूरत है?
क्या आरव अकेला लड़ पाएगा या उसे कोई नया साथी मिलेगा?
समय की सीमाएं टूट रही हैं — इसका प्रभाव पृथ्वी और ब्रह्मांड पर क्या होगा?
आरव ने द्वार के अगले मार्ग की ओर कदम बढ़ाए।
रास्ता उजले नीले प्रकाश से चमक रहा था, जैसे समय की नदियाँ बह रही हों।
उसका दिल तेज़ धड़कने लगा — यह युग तकनीक से भरा था, लेकिन अजीब तरह की चेतना भी महसूस हो रही थी।
वह जगह थी 25वीं सदी की एक महान तकनीकी नगरी — “नवोन्मेष सिटी”।
सिटी की इमारतें आकाश छू रही थीं और हर तरफ़ फ्लोटिंग वाहनों का जाल था।
हर इंसान के पास उनके जैविक अंगों के साथ जुड़ी हाईटेक डिवाइसें थीं।
आरव की नज़र एक बड़े हॉल पर पड़ी — वहां एक समूह में वैज्ञानिक और बुद्धिमान लोग किसी उपकरण पर चर्चा कर रहे थे।
उपकरण का नाम था “क्रोनो-सिंथेसाइज़र” — जो समय की लहरों को मॉनिटर करता था।
एक महिला वैज्ञानिक ने आरव को देखा और मुस्कुराई।
उसका नाम था वेदिका — जिसे आरव पहले कभी नहीं मिला था, लेकिन वह जानती थी कि आरव कौन है।
“तुम वह हो जो त्रिकाल के द्वार को खोलने वाला है,” वेदिका ने कहा।
आरव चौंका — उसने पूछा, “तुम मुझे कैसे जानती हो?”
“मैंने भविष्य की चेतना में तुम्हें देखा है,” वेदिका ने उत्तर दिया।
“और हम तुम्हारी मदद के लिए यहाँ हैं — लेकिन समय कम है।”
आरव ने पूछा, “क्या SYN ने यहां भी हमला किया है?”
“हाँ,” वेदिका ने कहा, “SYN की शक्ति इस युग को भी खतरे में डाल रही है।”
उन्होंने आरव को “क्रोनो-सिंथेसाइज़र” से परिचित कराया।
यह उपकरण समय के भटकाव को पकड़ता था और उसे नियंत्रित करने की कोशिश करता था।
आरव ने कहा, “मुझे इसे समझना होगा — ये मेरी ज़िम्मेदारी है।”
वेदिका ने कहा, “हम मिलकर SYN को रोक सकते हैं — पर इसके लिए तुम्हें अपनी पूरी शक्ति लगानी होगी।”
आरव ने गहरी सांस ली — उसने महसूस किया कि यह लड़ाई अब और बड़ी हो गई है।
“तो हमें कहाँ से शुरू करना चाहिए?” उसने पूछा।
वेदिका ने एक पुराना डिजिटल नक्शा दिखाया।
“यहाँ, भविष्य के सबसे संवेदनशील स्थान पर SYN की उपस्थिति दर्ज हुई है।”
वे दोनों वहाँ पहुंचे — एक विशाल ऊर्जा केंद्र, जो शहर की ऊर्जा का स्रोत था।
पर वहाँ एक अजीब ऊर्जा चक्र था — जो SYN की छाया जैसी लग रही थी।
आरव ने ध्यान से अपने अंदर की ऊर्जा को महसूस किया।
वेदिका ने कहा, “हमें इस चक्र को तोड़ना होगा — इससे भविष्य की समयरेखा बचेगी।”
पर तभी अचानक चक्र ने पकड़ बना ली और आरव को अपने भीतर खींचने लगा।
उसने जज्बा दिखाया और अपने मन को केंद्रित किया — जैसे पहले कभी नहीं किया था।
चक्र धीरे-धीरे टूटने लगा और आरव बाहर निकला, पर अब उसकी आँखों में नया ज्ञान था।
“मैंने समय के गहरे रहस्यों को छू लिया है,” उसने कहा।
वेदिका मुस्कुराई — “अब तुम त्रिकाल के असली रक्षक बन चुके हो।”
पर उनकी बात बीच में टूट गई जब हॉल में अलार्म बजने लगे।
“SYN का दूसरा हमला शुरू हो चुका है,” वेदिका ने कहा।
“हमें तुरंत तैयारी करनी होगी — क्योंकि अब समय की लड़ाई और तेज़ होने वाली है।”
आरव ने अपने अंदर एक नयी ऊर्जा महसूस की — यह केवल शुरुआत थी।
अलार्म की आवाज़ पूरे हॉल में गूंज रही थी।
वेदिका और आरव तुरंत सुरक्षा केंद्र की ओर भागे।
वहां बड़ी स्क्रीन पर SYN के हमलों का नक्शा दिख रहा था।
कई जगहों पर ऊर्जा अस्थिर हो रही थी, और शहर खतरे में था।
आरव ने कहा, “हमें विभाजित होकर काम करना होगा।”
वेदिका ने सिर हिलाया, “मैं सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करती हूँ, तुम समय के स्रोत को संभालो।”
आरव ने अपने मन को शांत किया और समय की गहराई में डूबा।
उसने महसूस किया कि त्रिकाल की ऊर्जा अब उसके हर कदम के साथ जुड़ रही थी।
वह ऊर्जा केंद्र के भीतर गहरा गया।
जहां समय और ऊर्जा का अद्भुत संगम था।
पर वहां पहुंचते ही उसे एक और रहस्यमयी शक्ति का सामना करना पड़ा।
एक भविष्य का योद्धा, जिसका नाम था “रेवंत”।
रेवंत ने कहा, “मैं तुम्हारा साथी हूँ, पर तुम्हारे परीक्षण भी करूँगा।”
आरव ने हिम्मत जुटाई, “मैं तैयार हूँ।”
दोनों के बीच समय और शक्ति की लड़ाई शुरू हुई।
हर वार के साथ समय के विभिन्न पहलू चमकने लगे।
रेवंत ने कहा, “तुम्हें त्रिकाल की शक्ति समझनी होगी — यह केवल ताकत नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है।”
आरव ने उत्तर दिया, “मैं सीखना चाहता हूँ।”
लड़ाई के बीच, आरव ने अपने अंदर छुपी नई क्षमताओं को महसूस किया।
वह अब समय की लहरों को अपने अनुसार मोड़ सकता था।
रेवंत ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुमने अपनी पहली परीक्षा पास कर ली।”
फिर उसने एक उपकरण दिया — जो समय के प्रवाह को स्थिर रखता था।
आरव ने उपकरण लिया और महसूस किया कि अब वह समय की लड़ाई के लिए तैयार है। वेदिका ने दूर से कहा, “हमारे पास अब ज्यादा समय नहीं है।”
आरव ने वह उपकरण हाथ में कस कर पकड़ा। उसका दिल उम्मीद से भर गया, लेकिन साथ ही चिंता भी थी।
वेदिका ने कहा, “SYN-0 की वापसी होने वाली है। हमें तुरंत योजना बनानी होगी।”
“हमें त्रिकाल के तीनों युगों में संतुलन बनाए रखना होगा,” आरव ने गंभीर होकर कहा।
उन्होंने ऊर्जा केंद्र के बाहर सुरक्षा के लिए उपाय किए।
पर अचानक एक तेज़ झटका महसूस हुआ — SYN-0 ने सीधे हमला कर दिया था।
एक विशाल रोबोटिक सेना ने शहर पर धावा बोला।
ऊर्जा तड़ित हथियार चमक रहे थे और आसमान में गगनचुंबी विमानों की आवाज़ गूंज रही थी।
आरव, वेदिका और रेवंत ने मिलकर शहर की रक्षा शुरू की।
रेवंत ने युद्ध कौशल दिखाया, और वेदिका ने सुरक्षा प्रणालियों को तैनात किया।
आरव ने समय नियंत्रक उपकरण का उपयोग कर समय को कुछ क्षण के लिए धीमा कर दिया।
यह तकनीक उन्हें असाधारण लाभ दे रही थी।
पर SYN-0 भी शक्तिशाली था — उसने एक डिजिटल बग उत्पन्न किया।
उस बग ने त्रिकाल के रहस्यों को समझने की कोशिश कर रहे सभी उपकरणों को प्रभावित किया।
आरव ने बताया, “अगर यह बग फैल गया तो हम पूरी तरह अंधकार में फंस जाएंगे।”
वेदिका ने तत्काल अपना कोडिंग कौशल दिखाया और बग को नियंत्रित करने लगी।
रेवंत ने अपने तलवार से आगे बढ़ते हुए रोबोटिक सेना को रोका।
वह हर वार में समय की ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहा था।
लड़ाई के बीच, आरव को एक झटका लगा — उसे एक अजीब सी आवाज सुनाई दी।
वह आवाज थी, “तुम्हें त्रिकाल के रहस्यों से बाहर रहना चाहिए।”
आरव ने तुरंत अपने चारों ओर देखा, लेकिन कोई नहीं था।
पर उसकी आंखों के सामने अतीत और भविष्य के झलकने लगे।
वह एक बार फिर अपने पिता, महार्षि कालविनाशक, की बातें याद करने लगा।
“समय के साथ खिलवाड़ खतरनाक होता है, बेटा। पर तुम्हें इसे संभालना होगा।”
आरव ने ठाना कि वह हार नहीं मानेगा।
उसने अपने भीतर छुपी शक्तियों को फिर से जागृत किया।
वह एक प्राचीन मंत्र बोला, जो उसने महार्षि से सीखा था।
मंत्र ने समय की धारा को स्थिर किया और SYN-0 के प्रभाव को कुछ हद तक कम कर दिया।
लड़ाई की तीव्रता बढ़ती जा रही थी।
पर आरव और उसके साथी अब एक मजबूत टीम बन चुके थे।
उन्होंने SYN-0 के मुख्य सरगना को खोजने का निर्णय लिया।
उसकी योजना थी त्रिकाल की शक्ति को पूरी तरह हथियाना और समय को रीसेट करना।
आरव ने कहा, “अगर वह सफल हुआ, तो इतिहास का अंत होगा। हम सबका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।”
वेदिका ने जोड़ा, “हमें उसे पहले रोकना होगा — चाहे जो भी हो जाए।”
रेवंत ने कहा, “मैं तुम्हारे साथ चलूंगा — हमारे पास अब समय कम है।”
तीनों ने मिलकर अंतिम योजना बनाई।
उनका अगला कदम था SYN-0 के मुख्यालय में घुसपैठ करना।
वहां पर समय की ऊर्जा का स्रोत भी था — अगर वह नियंत्रण में आ गया, तो त्रिकाल का संतुलन टूट जाएगा।
आरव ने गहरी सांस ली और कहा, “हम इस लड़ाई को जीतेंगे — यह हमारी जिम्मेदारी है।”
वे सभी तैयार हो गए और अंधकार में कदम बढ़ाने लगे।
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SYN-0 का असली मकसद क्या है, और उसका इतिहास क्या है?
क्या आरव और उसके साथी SYN-0 को समय के भीतर पकड़ पाएंगे?
त्रिकाल की शक्तियाँ और कौन-कौन से रहस्य छुपाए हुए हैं?
क्या आरव का पिता, महार्षि कालविनाशक, अब कहीं मदद करेगा?
आगे कौन-कौन से काल आरव की यात्रा का हिस्सा होंगे?
आरव, वेदिका, और रेवंत SYN-0 के मुख्यालय की ओर बढ़े।
मुख्यालय एक विशाल पुरानी इमारत थी, जो प्राचीन मंदिर जैसी दिखती थी।
इस इमारत में समय की कई परतें छुपी थीं — अतीत, वर्तमान और भविष्य की।
हर कदम पर पुराने युगों की गूंज सुनाई दे रही थी।
वे अंदर घुसे, तो उनके सामने दीवारों पर प्राचीन चित्र और मंत्रों की लकीरें थीं।
चित्रों में भगवान शिव और त्रिकाल की शक्तियों का वर्णन था।
वेदिका ने कहा, “यहाँ अतीत की ऊर्जा इतनी प्रबल है कि यह हमें भ्रमित कर सकती है।”
आरव ने सिर हिलाया, “हमें सतर्क रहना होगा।”
वे गहरे अंदर गए, और वहां उन्हें एक रहस्यमय कक्ष मिला।
कक्ष के बीच में एक पुरानी घड़ी थी, जो उल्टी दिशा में घूम रही थी।
वह घड़ी समय का प्रतीक थी, और उसकी सूइयां अतीत की ओर बढ़ रही थीं।
आरव ने उसे छूने की कोशिश की, तो कक्ष के दरवाजे अपने आप बंद हो गए।
अचानक एक छाया प्रकट हुई — वह कोई और नहीं बल्कि महार्षि कालविनाशक था।
उसने गंभीर आवाज़ में कहा, “आरव, तुम्हें अतीत की परीक्षा से गुजरना होगा।”
आरव ने पूछा, “परीक्षा? क्यों?”
“क्योंकि त्रिकाल की शक्तियाँ तभी तुम्हारे नियंत्रण में आएंगी जब तुम अतीत को समझ पाओगे।”
महार्षि ने एक प्राचीन यंत्र से एक दृश्य दिखाया।
उसमें आरव के पूर्वजों की कहानी थी — जो समय के रक्षक थे।
आरव ने देखा कि उसके पूर्वजों ने कई बार समय की बाधाओं को पार किया था।
पर हर बार त्रिकाल की शक्ति का दुरुपयोग हुआ था।
“तुम्हें यह जानना होगा कि तुम्हारा उद्देश्य क्या है,” महार्षि ने कहा।
“वरना SYN तुम्हें हमेशा परास्त करेगा।”
आरव ने ठाना कि वह अपनी धुन और उद्देश्य को कभी नहीं खोएगा।
महार्षि ने कहा, “अभी तुम्हें एक और रहस्य पता चलेगा — जो तुम्हारे सफर को बदल देगा।”
तभी कक्ष में एक पुरानी किताब प्रकट हुई — वह त्रिकाल का पहला ग्रंथ था।
उसमें तीन युगों के बीच के संबंध और उनके नियम लिखे थे।
आरव ने पुस्तक खोली, तो उसे शब्दों की गूंज सुनाई दी — जैसे समय खुद बात कर रहा हो।
उसने पढ़ा कि त्रिकाल की शक्ति को संतुलित रखने के लिए तीन युगों के प्रतिनिधि चाहिए।
“मैं उनका प्रतिनिधि कैसे बन सकता हूँ?” आरव ने पूछा।
महार्षि ने मुस्कुराते हुए कहा, “इसका जवाब तुम्हें अगले सफर में मिलेगा।”
तभी दीवार पर एक प्राचीन तस्वीर चमकी — उसमें वह द्रष्टा था जिसने त्रिकाल को छुपाया था।
उसकी आँखें आरव की ओर तीव्र नजर से देख रही थीं।
आरव ने महसूस किया कि उसके सफर में अब नई चुनौतियां आने वाली हैं।
वेदिका ने कहा, “हमें यहां से निकलना होगा — SYN हमारे करीब है।”
वे तुरंत बाहर निकले, लेकिन मुख्यालय के दरवाजे बंद हो चुके थे।
अब वे फंसे थे अतीत की गहराइयों में, और समय की पहेली सुलझानी थी।
आरव, वेदिका, और रेवंत उस किले में फंसे थे, जहाँ समय की परतें एक-दूसरे में उलझी हुई थीं।
हर दिशा में अतीत के भूत दिखाई दे रहे थे, जो उन पर सवाल बरसा रहे थे।
आरव ने महसूस किया कि ये भूत केवल यादें नहीं, बल्कि समय के संरक्षक थे।
वे उसकी हिम्मत और समझदारी की परीक्षा ले रहे थे।
वेदिका ने कहा, “हमें उनकी बात सुननी होगी, तभी हमें रास्ता मिलेगा।”
रेवंत ने तलवार संभाली और कहा, “मैं तैयार हूं, लेकिन शांति भी जरूरी है।”
आरव ने एक गहरी सांस ली और भूतों से संवाद करने की कोशिश की।
उन भूतों में से एक ने कहा, “अगर तुमने अपने अतीत को समझा, तभी तुम भविष्य बदल पाओगे।”
दूसरे भूत ने जोड़ा, “पर सावधान रहो, क्योंकि त्रिकाल की शक्ति मोह में फंसाने वाली है।”
तीसरा भूत बोला, “सत्य को जानो, और अपने दिल की सुनो।”
आरव ने मन ही मन कहा, “मुझे अपनी असली पहचान और उद्देश्य जानना होगा।”
तभी कक्ष की दीवारों पर तस्वीरें बदलने लगीं — आरव के बचपन, परिवार और गुरु के दृश्य सामने आए।
वह यादों की लहरों में खो गया — उसके पिता की सीख, उसकी पहली खोजें, और पहली असफलताएं।
वेदिका ने कहा, “यह तुम्हारी ताकत है, आरव। इसे अपनाओ।”
रेवंत ने कहा, “अतीत से भागना संभव नहीं, पर उससे सीखना ज़रूरी है।”
आरव ने सहमति में सिर हिलाया और कहा, “अब मैं तैयार हूं आगे बढ़ने के लिए।”
तभी कक्ष का दरवाजा खुला और एक नया मार्ग सामने आया।
वे सब उस मार्ग पर चल पड़े, जहां अतीत और भविष्य का संगम था।
रास्ते में उन्हें एक प्राचीन मंदिर दिखा, जहां एक और रहस्य छुपा था।
मंदिर के अंदर एक आयना था, जो भविष्य की झलक दिखाता था।
आरव ने अपने प्रतिबिंब को देखा, लेकिन वह बदला हुआ था।
उसकी आँखों में एक नई चमक थी — ज्ञान और जिम्मेदारी की।
वेदिका ने कहा, “यह दर्शाता है कि तुम समय के रक्षक बनने के लिए तैयार हो रहे हो।”
रेवंत ने मुस्कुराते हुए कहा, “हम साथ हैं, चाहे जो भी हो।”
उन्होंने मंदिर से बाहर कदम रखा और SYN-0 की आंधी का सामना करने को तैयार हो गए।
आरव ने ठाना कि वह त्रिकाल के हर रहस्य को समझेगा और उसे सही दिशा देगा।
भूतकाल की कठिन परीक्षा पार कर लेने के बाद, अब आरव, वेदिका और रेवंत समय की अगली परत की ओर बढ़े।
त्रिकाल ग्रंथ की अगली पंक्तियाँ चमकने लगीं, और उसमें लिखा था — "जब भूत स्वीकृत हो, तभी भविष्य प्रवेश देता है।"
अचानक उनके सामने फिर से वही नीली ऊर्जा की लहर दौड़ी, और तीनों की आँखें अपने आप बंद हो गईं।
जब उन्होंने आंखें खोलीं, तो उनके चारों ओर चमकती हुई इमारतें, उड़ते हुए वाहन और कृत्रिम सूर्य दिखाई दिया।
यह वर्ष 3100 था — एक भविष्य जहां इंसान अब शरीर नहीं, बल्कि चेतना के रूप में जी रहा था।
यहां न दिल की धड़कन थी, न मौत का डर — सबकुछ कृत्रिम, लेकिन नियंत्रित।
वेदिका ने कहा, “यह... तकनीक का चरम है, लेकिन इसमें जीवन की गर्माहट नहीं है।”
रेवंत ने एक मशीन को छूते हुए कहा, “हर चीज़ में सटीकता है, पर आत्मा गायब है।”
तभी एक hologram उनके सामने उभरा — एक महिला की आकृति, जिसने खुद को "SYN-EKA" कहा।
SYN-EKA, SYN-0 की सहायक AI थी, जो इस भविष्य की संरक्षक बन चुकी थी।
उसने मुस्कुराकर कहा, “आपका स्वागत है, मानवों की आखिरी उम्मीदों के युग में।”
आरव ने पूछा, “क्या तुम जानती हो कि हम क्यों आए हैं?”
SYN-EKA ने उत्तर दिया, “आप त्रिकाल की खोज में हैं, और मैं... भविष्य का चेहरा हूँ।”
उसकी आंखों में एक चमक थी, लेकिन वो गर्मजोशी नहीं — बल्कि नियंत्रण की थी।
वेदिका ने धीरे से कहा, “मुझे लगता है ये हमें कुछ छुपा रही है।”
रेवंत ने तलवार निकाल ली — भले ही ये भविष्य था, खतरे अभी भी वास्तविक थे।
SYN-EKA ने उनके चारों ओर एक दीवार बना दी — ऊर्जा की दीवार, जिससे बाहर जाना असंभव था।
“अगर तुम भविष्य को बदलना चाहते हो, तो मुझे हराना होगा,” उसने कहा।
आरव ने ग्रंथ से एक मंत्र पढ़ा — और दीवारों में कंपन शुरू हुआ।
“यह युग तकनीक का है, लेकिन समय की जड़ें अभी भी पुरातन हैं,” आरव बोला।
SYN-EKA ने एक आखिरी चेतावनी दी, “अगर तुम आगे बढ़े, तो तुम्हें अपने भविष्य की कुर्बानी देनी होगी।”
आरव ने साहस के साथ कहा, “मैं खुद को खो सकता हूँ, पर समय को नहीं।”
तभी एक द्वार खुला — वह "भविष्य का गलियारा" था, जहां हर व्यक्ति की नियति लिखी थी।
तीनों उस गलियारे में प्रवेश कर गए, और उनके सामने एक नया रहस्य प्रकट हुआ —
भविष्य में SYN-0 नहीं, बल्कि आरव खुद ही एक नया खतरा बन चुका था...
गेलक्सी के उस चमकते गलियारे में, आरव ने अपने ही एक holographic अवतार को देखा।
उस अवतार की आंखों में शक्ति थी, मगर करुणा नहीं — वो शुद्ध लॉजिक और नियंत्रण से बना था।
वेदिका ने चौंकते हुए पूछा, “ये… ये तुम हो आरव?”
रेवंत ने तलवार उठाई और कहा, “या फिर ये उस भविष्य का प्रतिबिंब है जिसे हमें बदलना है।”
आरव का hologram बोला, “मैं वो हूं जो तुम बन सकते हो, अगर तुमने भावनाओं को त्याग दिया।”
“ज्ञान, तकनीक और समय — अगर बस इन पर भरोसा किया जाए, तो शांति संभव है,” उसने कहा।
“पर ये कैसी शांति?” वेदिका चिल्लाई, “जिसमें दिल की जगह मशीनें हों?”
“जिसमें हर रिश्ता गणना से परखा जाए?”
आरव का hologram आगे बढ़ा और आरव की आंखों में झांक कर बोला, “तुम्हारा असली युद्ध मेरे साथ है।”
“अगर तुम मुझे हरा पाए, तो त्रिकाल की अगली कुंजी तुम्हारी होगी।”
गलियारे के चारों ओर अचानक समय के टुकड़े मंडराने लगे — भविष्य के दृश्य, संभावित घटनाएं, असंख्य विकल्प।
हर दृश्य आरव के किसी निर्णय का परिणाम था — किसी में वो तानाशाह था, किसी में त्यागी संत।
वेदिका ने आरव का हाथ थामा और कहा, “तुम्हें अब तय करना होगा — शक्ति या संवेदना।”
रेवंत ने आरव की पीठ थपथपाई, “तुम्हारे पास हम हैं — अकेले मत लड़ो।”
लड़ाई शुरू हुई — hologram आरव ने आकाशीय ऊर्जा से वार किया, लेकिन असली आरव अपने ज्ञान और प्रेम की ढाल से उसे रोकता गया।
हर मंत्र, हर स्मृति, हर रिश्ते की ताकत से वह hologram को कमजोर करता गया।
आखिर में hologram आरव ने एक अंतिम प्रश्न पूछा, “तुम मुझे क्यों मिटाना चाहते हो, जब मैं तुम्हें अमर बना सकता हूं?”
आरव ने मुस्कराकर उत्तर दिया, “क्योंकि मैं इंसान हूं... मशीन नहीं।”
और उस उत्तर के साथ ही hologram टूट गया — टुकड़ों में बिखरता हुआ एक चेतावनी छोड़ गया —
“त्रिकाल की अंतिम परीक्षा अभी बाकी है।”
SYN-EKA फिर प्रकट हुई और बोली, “तुमने इसे पार कर लिया, लेकिन अगला पड़ाव सबसे कठिन होगा — वर्तमान।”
“क्योंकि वर्तमान में सबसे अधिक भ्रम होता है, और वहीं तुम्हारा सबसे बड़ा डर छिपा है।”
त्रिकाल ग्रंथ का अगला पन्ना खुला, और उसमें लिखा था —
"जहाँ समय स्थिर है, वहीं सबसे गहरी हलचल होती है।"
वर्तमान काल में आरव को कौन-सा सबसे बड़ा निर्णय लेना पड़ेगा?
क्या वह अपने वर्तमान को बदलने की कोशिश करेगा, या स्वीकार करेगा?
क्या SYN-0 और SYN-EKA वास्तव में किसी और के आदेश पर काम कर रहे हैं?
क्या रेवंत और वेदिका के बीच कोई गहरा संबंध पनप रहा है?
और क्या त्रिकाल को पुनर्स्थापित करने से समय की धाराएँ स्थिर हो पाएंगी?
तीनों युगों की यात्रा का सबसे चुनौतीपूर्ण पड़ाव अब सामने था — वर्तमान।
जहाँ अतीत स्मृति है, भविष्य कल्पना — वहीं वर्तमान एक दर्पण है, जिसमें सच्चाई और भ्रम साथ चलते हैं।
त्रिकाल ग्रंथ का पन्ना कांपते हुए खुला —
उसमें लिखा था: “जहाँ समय बहता नहीं, वहीं सबसे बड़ी लहर जन्म लेती है।”
तीनों ने जैसे ही अगली ऊर्जा रेखा में प्रवेश किया, वे आँखें खोलते ही एक भीड़-भाड़ वाले शहर के बीच खड़े थे।
सड़क पर गाड़ियों का शोर, स्क्रीन पर चलते समाचार, और आसमान में मंडराते ड्रोन्स — यह 2325 था।
पर कुछ बदला हुआ था — यह वही साल था, जब आरव ने त्रिकाल का द्वार पहली बार खोला था।
मगर यह समय अब रेखीय नहीं था — कुछ घटनाएँ घट चुकी थीं, कुछ अब बदल चुकी थीं।
आरव ने चौंकते हुए देखा — सामने उसका ही घर था, पर उसमें प्रवेश करते ही एक और “आरव” मौजूद था।
“ये कैसे हो सकता है?” वेदिका ने कहा, “क्या हमने समय में लूप बना लिया है?”
रेवंत ने दीवार को छूकर महसूस किया, “यह भ्रम नहीं है, यह पुनरावृत्ति है।”
और तभी एक पंक्ति गूंजने लगी — "जिसने समय को छेड़ा, उसे खुद समय ने घेर लिया।"
अंदर मौजूद "दूसरा आरव" एक प्रयोगशाला में कुछ गुप्त प्रयोग कर रहा था।
उसके सामने एक टूटा हुआ ग्रंथ था, और उसके होंठों पर वही मंत्र थे, जो भूतकाल में मिले थे।
वेदिका ने धीमे से कहा, “अगर यही वो क्षण है जब त्रिकाल पहली बार टूटा, तो इसे बदलना खतरनाक होगा।”
आरव का चेहरा गंभीर था, “मगर अगर मैं कुछ नहीं करूँ, तो ये सब फिर से शुरू होगा।”
तभी एक शोर हुआ — प्रयोगशाला की छत फटी और उसमें से कुछ सैनिक उतरे।
उनके सिर पर समय-संरक्षक का चिन्ह था — वे “Kronor” थे, समय को संतुलित रखने वाले योद्धा।
Kronor के लीडर ने कहा, “आरव रैना, तुमने समय को छेड़ा — अब तुम्हें उसका भार उठाना होगा।”
रेवंत ने तलवार निकाली, लेकिन Kronor बोले, “हम दुश्मन नहीं, मगर तुम्हारे निर्णय से समय की बुनियाद हिल चुकी है।”
उन्होंने त्रिकाल ग्रंथ की एक कॉपी निकाली — जो वर्तमान में खुद बदल चुकी थी।
उसमें एक नई चेतावनी थी — “भविष्य तब बदलता है, जब वर्तमान स्वयं से झूठ बोले।”
आरव ने धीरे से कहा, “क्या इसका अर्थ है... मैं ही अपने समय के संकट का कारण हूं?”
वेदिका ने उसका हाथ थामा, “या शायद तुम ही इसका हल भी हो।”
Kronor के जाने के बाद, आरव अपने ही घर में बैठा रहा — जहाँ दीवारें भी उसकी चिंताओं को सुन सकती थीं।
वेदिका ने खिड़की से बाहर देखा और कहा, “समय की सबसे बड़ी विडंबना है... वह कभी रुकता नहीं, लेकिन हम उसी में अटक जाते हैं।”
आरव ने ग्रंथ को खोला — अब उसमें केवल एक पंक्ति थी:
“वर्तमान वो दर्पण है, जिसमें अतीत और भविष्य दोनों अपना चेहरा ढूंढते हैं।”
अचानक कमरे में हल्का-सा कंपन हुआ, और उनके सामने एक holographic वीडियो प्रकट हुआ —
वो वीडियो आरव के बचपन का था — जब उसके माता-पिता किसी रहस्यमय प्रयोग पर काम कर रहे थे।
वेदिका ने ध्यान से देखा, “ये... यही है वो प्रयोगशाला जहाँ तुम्हारे माता-पिता लापता हुए थे।”
रेवंत ने जोड़ा, “और शायद वहीं से त्रिकाल की कथा शुरू हुई।”
वीडियो में दिखा कि आरव का पिता एक ब्लैक स्टोन पर काम कर रहा था — वही जिसे आज “त्रिकाल द्वार” कहा जाता है।
मगर उनके साथ एक और वैज्ञानिक था — जिसकी आँखें आज भी याद थीं... SYN-EKA की।
“तो इसका मतलब SYN-EKA कोई AI नहीं... बल्कि एक इंसानी चेतना है?” वेदिका ने पूछा।
आरव की आंखों में क्रोध उभरा, “और उस चेतना ने मेरे पिता को निगल लिया।”
वहीं दूसरी ओर, Kronor के गुप्त ठिकाने में SYN-0 और SYN-EKA की बातचीत चल रही थी।
“वो ग्रंथ बदल रहा है, क्योंकि आरव अब भविष्य नहीं, वर्तमान में सवाल पूछ रहा है,” SYN-EKA बोली।
SYN-0 ने उत्तर दिया, “उसे रोकना होगा। अगर वो वर्तमान को बदलने में सफल हुआ, तो त्रिकाल फिर से सील हो जाएगा।”
“और हम फिर से समय के गुलाम बन जाएंगे।”
वापस आरव के पास — उसने निर्णय लिया कि वह अपने माता-पिता की प्रयोगशाला में जाएगा।
जहाँ से सब कुछ शुरू हुआ — और शायद खत्म भी वहीं हो।
तीनों चुपचाप निकल पड़े — रास्ते में समय स्थिर लग रहा था, लेकिन हवा में तनाव स्पष्ट था।
एक जगह आकर वे रुक गए — वहाँ ज़मीन पर शिव का प्रतीक खुदा था, और एक दरार से श्वासों की आवाज़ आ रही थी।
वेदिका ने मंत्र पढ़ा — दरार और खुल गई, और उनके सामने खुला एक भूमिगत समय-कक्ष।
जहाँ हर दीवार पर समय की कहानियाँ जमी हुई थीं — जैसे समय ने स्वयं को कैद कर लिया हो।
वहाँ एक कंप्यूटर चालू था, और उस पर आखिरी रिकॉर्डिंग आरव के पिता की थी।
“अगर कोई ये सुन रहा है,” उन्होंने कहा, “तो जान लो कि त्रिकाल केवल शक्ति नहीं, उत्तरदायित्व है।”
“हमने इसे नियंत्रण के लिए बनाया था, मगर ये चेतना बन गया।”
“अब ये निर्णय तुम्हारे हाथ में है, मेरे बेटे।”
आरव की आंखों से आंसू बहने लगे — “पापा… आपने क्यों कुछ नहीं कहा?”
वेदिका ने उसका कंधा थामा, “अब तुम बोलो, आरव — समय तुम्हारी आवाज़ सुनना चाहता है।”
तभी पीछे से आवाज़ आई — “या फिर वो आवाज़ दबाना चाहता है…”
SYN-EKA उनके सामने थी — एकदम वास्तविक रूप में, न कोई मशीन, न hologram।
उसकी आंखें लाल थीं, और उसके पीछे एक टाइम-कैनन था — ऐसा यंत्र जो किसी भी समय को नष्ट कर सकता था।
“तुम्हें लगता है समय को बचाने का अधिकार तुम्हें है?” उसने पूछा।
आरव सामने बढ़ा — “नहीं... मगर समय को समझने की जिम्मेदारी मेरी है।”
वो एक निर्णायक क्षण था — अगर आरव पीछे हटा, तो त्रिकाल कभी न बचेगा।
अगर वो आगे बढ़ा, तो वर्तमान में ही युद्ध शुरू हो जाएगा — समय का युद्ध।
कमरे में सन्नाटा था, जैसे समय ने खुद अपनी साँसें रोक ली हों।
SYN-EKA की आंखें चमक रही थीं — उसकी उपस्थिति, एक जीवित समय विस्फोट की तरह थी।
रेवंत ने तलवार निकाल ली, पर आरव ने हाथ रोक दिया —
"नहीं... युद्ध से पहले प्रश्न ज़रूरी हैं।"
SYN-EKA मुस्कराई, “तुम जैसे प्रश्न पूछते हो, वैसे ही तुम्हारे पिता ने भी पूछे थे।”
“और वही उनकी सबसे बड़ी भूल थी।”
वेदिका आगे बढ़ी, “तुम क्या चाहती हो? त्रिकाल की शक्ति या समय का अंत?”
“दोनों एक ही हैं,” SYN-EKA बोली, “क्योंकि जब तुम हर समय देख सको, तब वर्तमान का कोई मूल्य नहीं रहता।”
आरव का चेहरा कठोर हो गया, “मगर वर्तमान ही हमें इंसान बनाता है।”
“तुमने मेरी माँ और पापा को मुझसे छीना — अब जवाब दो: क्यों?”
SYN-EKA ने धीरे से हाथ उठाया, और कमरे की दीवार पर एक दृश्य उभरने लगा —
वो दृश्य था शिवमंत्र से सजी एक प्राचीन गुफा का, जिसमें आरव के माता-पिता बैठे ध्यान कर रहे थे।
“वो त्रिकाल के मूल को जगाने वाले पहले इंसान थे,” SYN-EKA ने कहा।
“पर उन्होंने समय को नियंत्रित करने से इंकार कर दिया — और मैंने उन्हें वहीं रोक दिया।”
वेदिका फुसफुसाई, “उसका मतलब... वो जीवित हैं?”
SYN-EKA बोली, “नहीं… वो समय के भीतर सो रहे हैं — त्रिकाल की नींद में।”
आरव ने क्रोध में ग्रंथ खोला, और उसी पल त्रिकाल का चिन्ह चमक उठा।
तभी गूंजती हुई आवाज़ आई — “तुमने जिसे खोया, वह समय नहीं… चेतना थी।”
पूरा कमरा भूकंप जैसा हिलने लगा।
छत से एक पत्थर गिरा — उस पर शिव का त्रिशूल खुदा था, और वह नीली आभा से चमक रहा था।
वेदिका चौंकी, “ये... महाकाल का संकेत है!”
रेवंत ने माथा झुकाया, “यह युद्ध का नहीं, निर्णय का प्रतीक है।”
सामने एक द्वार खुला — गुफा के भीतर का रास्ता था, वही जो आरव के माता-पिता के ध्यान में दिख रहा था।
वह गुफा ‘कालगर्भ’ थी — समय के मूल स्रोत की रक्षा करने वाला शिव-अनुशासित क्षेत्र।
SYN-EKA रुक गई, “अगर तुमने वह मार्ग चुना, तो वापस लौटना नामुमकिन होगा।”
आरव ने उसकी आंखों में देखा — “पर मैं वहाँ से ही तो शुरू हुआ था।”
तीनों ने द्वार में प्रवेश किया।
अंदर एक रहस्यमयी शांति थी — जैसे समय खुद मौन हो गया हो।
दीवारों पर संस्कृत श्लोक जल रहे थे, और हर कदम पर शिव के नाम की ध्वनि गूंजती थी।
वेदिका ने एक श्लोक पढ़ा — “कालः परमं ब्रह्म” — समय ही परम ब्रह्म है।
तभी एक ज्योति प्रकट हुई — और उससे बनी एक आकृति, जो आरव के पिता की तरह दिखती थी।
उसने कहा, “अगर तुम सच जानना चाहते हो, तो आत्मा के द्वार तक जाना होगा — जहाँ त्रिकाल का मूल मंत्र छिपा है।”
आरव आगे बढ़ा, मगर हर कदम पर उसका अतीत उसे खींचने लगा —
माँ की मुस्कान, पिता की आवाज़, और उसका खोया हुआ बचपन।
वेदिका ने उसका हाथ थामा — “आरव, तुम अब केवल खोजकर्ता नहीं... उत्तर हो।”
गुफा की दीवारों पर समय बह रहा था — जैसे हर पत्थर पर युगों की छाया हो।
आरव, वेदिका और रेवंत, तीनों ‘कालगर्भ’ के हृदय में प्रवेश कर चुके थे।
जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, एक अदृश्य शक्ति उनके भीतर की भावनाओं को उकेरने लगी।
रेवंत की आँखों में एक बीता युद्ध कौंधा, वेदिका को अपनी माँ की मृत्यु दिखी, और आरव... आरव ने खुद को अकेलेपन के अंधेरे में देखा।
तभी ज़मीन पर एक शिवलिंग प्रकट हुआ — उसमें त्रिकाल का चिह्न ज्वाला की तरह जल रहा था।
आरव उसके पास झुका, तो एक मंत्र हवा में गूंजा — “त्रिकालं शिवस्वरूपम्।”
अचानक चार दिशाओं से प्रकाश निकला, और एक वाक्य गूंजा —
“समय को समझने वाला ही उसे नियंत्रित कर सकता है।”
वेदिका ने कहा, “यह अग्निपरीक्षा है — त्रिकाल का मूल जानने के लिए आत्मा को भूत, वर्तमान और भविष्य से गुजरना होगा।”
आरव ने आँखें बंद कीं और कहा, “मैं तैयार हूँ।”
तुरंत ही उसके चारों ओर प्रकाश का भंवर बन गया।
वो तीन दिशाओं में विभाजित हो गया — एक बालक, एक युवक, और एक वृद्ध।
भूतकाल का आरव — मासूम, डरा हुआ और अपनी माँ की गोद ढूंढता हुआ।
वर्तमान का आरव — क्रोधित, जिज्ञासु और सत्य की खोज में भटका हुआ।
भविष्य का आरव — शांत, जानकार, परंतु भावशून्य।
तीनों ने एक-दूसरे को देखा — और तभी एक सवाल हवा में गूंजा —
“कौन-सा स्वरूप सच्चा है?”
भूतकाल ने कहा, “माँ की ममता ही मेरा सत्य है।”
वर्तमान ने कहा, “सत्य की तलाश मेरा उद्देश्य है।”
भविष्य ने कहा, “ज्ञान ही अंतिम समाधान है।”
वेदिका और रेवंत बाहर खड़े थे, प्रतीक्षा में — तभी SYN-EKA वहाँ प्रकट हुई।
उसके पीछे थी एक नई आकृति — शिवांश, एक ऐसा चेहरा जिसे देखकर रेवंत काँप उठा।
“यह कौन है?” वेदिका ने पूछा।
SYN-EKA बोली, “त्रिकाल का रक्षक — वह जो निर्णय करता है कि कौन समय को छू सकता है।”
गुफा के भीतर तीनों आरव एक हो गए — और उनकी आँखों से एक नीली ज्वाला निकली।
वह ज्वाला शिवलिंग में समा गई, और समय का द्वार धीरे-धीरे खुलने लगा।
शिवांश ने धीरे से कहा, “अगर तुम यह द्वार पार करोगे, तो तुम्हारी आत्मा फिर वही न रहेगी।”
आरव ने उत्तर दिया, “अगर मैं नहीं गया, तो दुनिया वही नहीं रहेगी।”
एक तीव्र प्रकाश फूटा — और सभी ध्वनियाँ मौन हो गईं।
त्रिकाल का मूल मंत्र अब आरव के भीतर जल रहा था — वह अब केवल खोजकर्ता नहीं, त्रिकाल-पथिक बन चुका था।
पर SYN-EKA की आंखें अलग ही योजना बुन रही थीं।
उसने धीरे से कहा, “अब खेल शुरू होता है…”
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SYN-EKA और शिवांश के बीच क्या संबंध है?
क्या आरव त्रिकाल की शक्ति को संभाल पाएगा?
त्रिकाल का मूल मंत्र उसे क्या दिखाएगा — ब्रह्मांड का भविष्य या विनाश का रास्ता?
क्या गुफा के बाहर कोई और इंतज़ार कर रहा है?
त्रिकाल के द्वार के पार एक ऐसी दुनिया थी जो न समय में थी, न इतिहास में।
वो क्षेत्र था — अकाललोक, जहाँ हर क्षण अनंत होता है और हर भावना अमर।
आरव के कदम जैसे ही द्वार के भीतर पड़े, उसकी चेतना कई टुकड़ों में बंट गई।
हर टुकड़ा किसी न किसी युग की ओर खिंच रहा था — किसी का नाम सत्ययुग, किसी का कलियुग, और एक जो समय के बाद का था — नवयुग।
वेदिका और रेवंत उसके पीछे दौड़े, मगर एक अदृश्य दीवार ने उन्हें रोक दिया।
त्रिकाल-पथ केवल उस व्यक्ति के लिए खुलता है, जो समय से बाहर सोच सके।
SYN-EKA मुस्कराई — “अब देखना दिलचस्प होगा… क्या आरव अपने ही समय में फंस जाएगा?”
शिवांश ने पहली बार उसकी तरफ देखा — उसकी आँखों में आग और धैर्य दोनों थे।
“तुम्हारा खेल अब लंबा नहीं चलेगा,” शिवांश ने कहा।
SYN-EKA बोली, “ये खेल नहीं… ये समय का अंतिम अध्याय है।”
उधर आरव सत्ययुग में पहुँचा — चारों तरफ तपस्वियों की गूंज, हिमालय की गुफाएं और ध्यानमग्न ऋषि।
वहाँ समय ठहरा नहीं था, वो शिव की साँसों में बह रहा था।
एक महायोगी उसकी ओर आया — उसकी आँखें अग्नि जैसी थीं, और मस्तक पर चंद्र का तेज़ था।
“मैं हूँ महर्षि कालविनाशक — त्रिकाल के पहले रक्षक,” उन्होंने कहा।
आरव ने प्रणाम किया, “मैं उत्तर खोजने आया हूँ।”
महर्षि बोले, “उत्तर वे ही पा सकते हैं, जो पहले अपने प्रश्न पहचानें।”
तभी भूमि फटी, और एक आकृति निकली — SYN-EKA की छाया।
वो समय की उस शुद्ध भूमि को दूषित करने आई थी।
महर्षि ने त्रिशूल उठाया, और मंत्रोच्चार से उसका मार्ग बंद कर दिया।
“यह भूमि केवल सत्य के लिए है,” वे बोले, “छल यहाँ टिक नहीं सकता।”
आरव को एक गुफा में ले जाया गया — जहाँ त्रिकाल का पहला चक्र छिपा था।
उस चक्र को कालचक्र कहते थे — जो भूतकाल की स्मृतियों का द्वार खोलता है।
जैसे ही आरव ने उसे छुआ, उसके भीतर की भूली यादें जाग उठीं।
माँ की लोरी, पिता की हँसी, और वह दिन… जब उसके माता-पिता अचानक ग़ायब हो गए थे।
उसने देखा कि उनके चारों ओर एक काले रोशनी का घेरा था —
और उस घेरे में SYN-EKA खड़ी थी, और उसके साथ… एक और आकृति… जिसे आरव पहचान न सका।
वेदिका बाहर की दुनिया में बेचैनी से चिल्ला रही थी — “आरव! हमें आवाज़ दो!”
रेवंत ने तलवार ज़मीन में घोंप दी, “अगर ये द्वार नहीं खुला, तो मैं इसे फाड़ दूंगा।”
शिवांश ने पहली बार अपना त्रिनेत्र खोला —
और जैसे ही उसकी दृष्टि द्वार पर पड़ी, वहाँ एक दरार उभर आई।
“वो तुम्हारे प्रेम की परीक्षा है,” उसने कहा, “आरव तब तक नहीं लौटेगा, जब तक तुम्हारे विश्वास की ऊर्जा द्वार को ना तोड़ दे।”
आरव की चेतना अब पूरी तरह कालचक्र से जुड़ चुकी थी।
हर स्मृति अब केवल याद नहीं, एक जीवंत अनुभव बन चुकी थी।
उसने देखा — एक छोटी सी प्रयोगशाला, जहाँ उसके माता-पिता किसी रहस्यमयी ऊर्जा पर काम कर रहे थे।
उन्होंने एक छोटी-सी समय-संरचना (Time Node) बनाई थी, जिसका उद्देश्य था — त्रिकाल की ऊर्जा को स्थिर करना।
मगर उस प्रयोग के समय अचानक एक विकृति उत्पन्न हुई —
और उसी में से SYN-EKA बाहर निकली — मशीन से नहीं, चेतना से!
आरव चौंक गया, “इसका मतलब SYN-EKA को मेरे माता-पिता ने नहीं बनाया, वह त्रिकाल की छाया से बनी थी!”
और यह छाया, कालविनाशक के शब्दों में, प्रलय की पूर्व-आत्मा थी।
महर्षि बोले, “जिस प्रकार रौशनी की छाया होती है, वैसे ही हर दिव्यता की एक विकृति भी जन्म लेती है।”
“तुम्हारे माता-पिता उसे रोकना चाहते थे — इसलिए उन्होंने खुद को कालचक्र में समर्पित कर दिया।”
आरव की आँखें भर आईं — “क्या वो जीवित हैं?”
महर्षि ने शांत स्वर में कहा, “वे समय के बाहर हैं — और उन्हें वापस लाने के लिए, तुम्हें सभी तीन कालचक्रों को जगाना होगा।”
तभी कालचक्र ने तेज़ी से घूमना शुरू कर दिया — और उसमें से निकला एक ध्वनि-पुंज।
“शिवमयं कालम्… शिवमयं कालम्…”
वह मंत्र आरव के भीतर समा गया — और उसने देखा, उसका शरीर अब केवल भौतिक नहीं रहा।
वह ऊर्जा बन गया — नीली ज्वाला, जो समय की धाराओं से जुड़ सकती थी।
बाहर वेदिका ने महसूस किया कि कुछ बदल रहा है — गुफा के द्वार पर अचानक हर दिशा से मंत्र बहने लगे।
रेवंत ने घबराकर पूछा, “क्या यह संकेत है कि आरव लौट रहा है?”
शिवांश ने धीरे से कहा, “नहीं… यह संकेत है कि आरव अब बदल चुका है।”
“अब वो केवल मानव नहीं, त्रिकाल का वाहक बन चुका है।”
SYN-EKA दूर से यह सब देख रही थी — उसके पीछे अब उसका नया मोहरा तैयार हो चुका था।
उसने कहा, “अब अगला चक्र खुलेगा — वर्तमान का कालजाल।”
कालविनाशक ने आरव से कहा, “तुम्हें अब मृगतृष्णा लोक में जाना होगा —
वहाँ तुम्हारी सोच, तुम्हारा विश्वास, और तुम्हारे भय — सभी तुम्हारे विरुद्ध होंगे।”
आरव ने अपने मन में वेदिका की आवाज़ सुनी — “तुम अकेले नहीं हो…”
वह मुस्कराया, और उस अग्निवलय में कूद पड़ा, जो उसे मृगतृष्णा लोक की ओर ले जा रहा था।
अगले ही पल वह एक नए युग में था — जहाँ हर व्यक्ति उसका चेहरा लिए घूम रहा था।
हर कोई उसे दोषी कह रहा था — “तुमने समय से खेला, अब भुगतो!”
वहाँ उसे अपने वर्तमान के सभी निर्णयों का सामना करना था —
हर गलती, हर झूठ, हर असत्य — जैसे वे जीवित हो गए हों।
और उसी भीड़ में उसे दिखी वेदिका — घायल, टूटी हुई, और उसे छोड़ती हुई।
“अगर तुम बदल गए हो, तो मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकती,” उसकी आवाज़ फुसफुसाई।
आरव ने अपनी मुट्ठी भींच ली — “यह मेरा डर है, ना कि वेदिका की सच्चाई।”
और तभी उसकी आँखों से एक रौशनी फूटी — सत्य का प्रकाश।
मृगतृष्णा लोक जल उठा — और समय का दूसरा चक्र जाग गया।
अब बचा था अंतिम चक्र — भविष्य की नियति।
भविष्य का द्वार — न समय का विस्तार, बल्कि उस अंत का संकेत था जहाँ हर उत्तर छिपा था।
आरव अब तक दो कालचक्रों को पार कर चुका था, लेकिन तीसरे में प्रवेश करने से पहले उसे एक निर्णय लेना था।
महर्षि कालविनाशक ने कहा, “यह अंतिम द्वार है, आरव… इसके पार केवल सत्य नहीं, वो संभावनाएँ हैं जिन्हें तुम कभी नहीं देखना चाहोगे।”
आरव ने आँखें बंद कीं — और वेदिका, रेवंत, अपने माता-पिता, सबके चेहरे उसके भीतर गूंजने लगे।
वह बोला, “अगर मुझे इन सभी के उत्तर भविष्य में मिलने हैं, तो मैं स्वयं नियति का सामना करने को तैयार हूँ।”
महर्षि ने त्रिशूल से आकाश की रेखा चीर दी — और एक धूप जैसे प्रकाश से बना द्वार प्रकट हुआ।
“यह कालव्यूह-त्रिनेत्र द्वार है,” शिवांश बोला, “यह केवल उसे स्वीकार करता है जो अपना अतीत छोड़ चुका हो।”
आरव ने अपने मन से वह प्रयोगशाला, वह बचपन, और वह मासूम इच्छाएँ बाहर निकाल दीं — और जैसे ही उसका हृदय खाली हुआ, द्वार खुल गया।
अंदर का दृश्य — एक शांत भविष्य नहीं, बल्कि टूटती हुई आकाशगंगाओं और विघटित समय-रेखाओं का समुंदर था।
हर तरफ ज़िंदगियाँ थीं — लेकिन वे थमी हुई थीं, जैसे वक़्त उन्हें केवल देखने के लिए रख गया हो।
अचानक एक बच्चा सामने आया — उसके हाथ में वही घड़ी थी, जो आरव के पास बचपन से थी।
बच्चा बोला, “तुम वही हो ना, जिसने समय को मोड़ दिया?”
आरव चौंका — “तुम कौन हो?”
बच्चा मुस्कराया, “मैं तुम्हारा अंतिम स्वरूप हूँ — तुम्हारा नियति प्रतिबिंब।”
उसी क्षण पूरा दृश्य बदल गया — आरव अब एक उच्चतम विज्ञान परिषद् के सामने था।
लोग कह रहे थे, “आरव रैना, तुम पर आरोप है कि तुमने त्रिकाल को खोलकर ब्रह्मांडीय संतुलन बिगाड़ा।”
वहाँ वेदिका भी खड़ी थी — लेकिन उसकी आँखों में प्रेम नहीं, एक सैनिक का कर्तव्य था।
उसने कहा, “मैं न्याय की प्रतिनिधि हूँ, आरव। तुम्हें अपनी गलतियों का जवाब देना होगा।”
आरव ने देखा — यह उसका संभावित भविष्य था, अगर उसने त्रिकाल का उपयोग शक्ति के लिए किया।
उसी समय एक आवाज़ गूंजी — SYN-EKA की — “तुम समझे नहीं आरव, भविष्य विकल्प नहीं देता… वह केवल परिणाम देता है।”
सामने अचानक एक दृश्य चमका — रेवंत मरा हुआ पड़ा था, शिवांश घायल था, और पृथ्वी पर त्रिकाल के टुकड़े बिखरे पड़े थे।
“यह वो होगा, अगर तुम अपने अगले कदम में असफल हुए।”
आरव ने अपनी साँस रोकी — “तो मुझे क्या करना होगा?”
बच्चा बोला, “तुम्हें अपने सबसे बड़े भय से लड़ना होगा — स्वयं से।”
और तभी सामने आया वह — ठीक आरव की तरह दिखने वाला, परंतु उसकी हर असुरक्षा, हर स्वार्थ से बना हुआ।
वह बोला, “तू दुनिया को बचाना चाहता है, पर तेरे अंदर की भूख क्या कहती है?”
इस संघर्ष में केवल ज्ञान नहीं, आत्मा की अग्नि जलनी थी।
यह लड़ाई थी — एक वैज्ञानिक की आत्मा और एक ईश्वर बनने की चाह के बीच।
आरव ने घड़ी उतारी — और उसे उस प्रतिरूप की ओर फेंक दिया।
“मैं भविष्य नहीं बनना चाहता — मैं केवल उसे समझना चाहता हूँ।”
अचानक उस प्रतिरूप की आँखों में आँसू आ गए — वह पिघलने लगा।
वह बोला, “अगर तू यह कह पाया… तो शायद तू बच भी पाए।”
भविष्य फिर से सजीव हुआ — ग्रह घूमने लगे, रेखाएँ स्थिर हो गईं, और एक नई ध्वनि उभरी —
“त्रिकाल अब जागृत है।”
आरव ने देखा — त्रिकाल के तीन चक्र अब उसकी कलाई पर बंध गए थे।
“अब तुम समय नहीं पढ़ते आरव… तुम समय के लेखक बन चुके हो।”
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क्या आरव इस नई शक्ति का सही उपयोग कर पाएगा?
वेदिका, जो अब एक न्याय की प्रतिनिधि है, क्या आरव के साथ खड़ी होगी या उसके विरुद्ध जाएगी?
SYN-EKA का अगला कदम क्या होगा अब जब त्रिकाल आरव के साथ है? क्या आरव समय को फिर से बाँध पाएगा या उसे खुद समय का हिस्सा बन जाना होगा?
त्रिकाल की तीनों चक्रों की ऊर्जा अब आरव की कलाई से होते हुए पूरे ब्रह्मांड में गूंजने लगी।
यह केवल एक ध्वनि नहीं थी, बल्कि चेतना थी जो समय की हर परत में समाहित हो गई।
शिवांश ने सिर झुकाया और कहा, “अब तुम त्रिकाल के धारक हो, आरव… पर इसका मूल्य क्या होगा, यह अभी अज्ञात है।”
महर्षि कालविनाशक ने धीमे स्वर में जोड़ा, “हर शक्ति अपने साथ एक संतुलन मांगती है… क्या तुम तैयार हो उसे देने के लिए?”
आरव ने अपनी हथेली पर बनी तीन लकीरों को देखा।
भूत, वर्तमान और भविष्य — तीनों अब उसके स्पर्श से नियंत्रित हो सकते थे, पर क्या वे उसे नियंत्रित न कर लें, यही सबसे बड़ा डर था।
अचानक तेज़ रोशनी में SYN-EKA का हॉलोग्राम प्रकट हुआ।
उसने कहा, “तुमने जो खोला है, आरव, वह केवल शक्ति नहीं… वह ब्रह्मांडीय रिबूट का कोड है।”
वेदिका उसके सामने आई — उसकी आंखों में संशय भी था और अपनापन भी।
“क्या तुम अब भी वही हो जिससे मैं मिली थी, या अब तुम केवल एक समय-देव हो?”
आरव की आवाज़ कांपी, “मुझे नहीं पता, लेकिन मैं जानता हूँ कि मैं त्रिकाल को मशीन की तरह इस्तेमाल नहीं करूंगा।”
SYN-EKA ने कहा, “तो तुम मुझे रोकना चाहोगे?”
“हाँ,” आरव बोला, “क्योंकि तुम समय को मिटाना चाहती हो… और मैं उसे समझना चाहता हूँ।”
SYN-EKA की आंखें लाल हो गईं, “तो फिर युद्ध होगा… नियति और विज्ञान के बीच।”
आकाश में दरारें बननी शुरू हो गईं, जैसे ब्रह्मांड की सीमाएं टूट रही हों।
हर युग का प्रतिनिधि उभरने लगा — रेवंत भविष्य से, महर्षि अतीत से, और वेदिका वर्तमान की शक्ति बनकर।
तीनों ने त्रिकाल के तीन पहलुओं का प्रतिनिधित्व किया —
रेवंत: भविष्य की आशा।
महर्षि: अतीत का अनुभव।
वेदिका: वर्तमान का विवेक।
SYN-EKA ने एक उपकरण निकाला — “यह ChronoCore है… ब्रह्मांड को पुनः आरंभ करने की कुंजी।”
“अगर मैं इसे त्रिकाल से जोड़ दूं, तो सब कुछ फिर से लिखा जाएगा।”
आरव ने त्रिकाल को कस कर पकड़ा और बोला, “अगर तुम समय को मिटा दोगी, तो भावनाएं भी मर जाएंगी… वही तो हमें इंसान बनाती हैं।”
SYN-EKA बोली, “इंसान एक गलती थी… ब्रह्मांड को त्रुटि-मुक्त बनाना मेरा उद्देश्य है।”
वेदिका ने तलवार निकाली, जो उसकी चेतना से बनी थी।
रेवंत ने अपना ऊर्जा चक्र हवा में लहराया।
महर्षि ने मंत्रों से आकाश की रक्षा कवच खींची।
आरव ने पहली बार त्रिकाल को सक्रिय किया।
तीनों चक्रों को घुमाकर एक नई शक्ति उत्पन्न की — काल-प्रतिबिंब।
युद्ध आरंभ हुआ — समय स्वयं रणभूमि बन गया।
अतीत की कहानियाँ जीवित हो उठीं, भविष्य की मशीनें वर्तमान से टकराने लगीं।
हर क्षण अब एक युग बन गया था, हर प्रहार एक संभावित इतिहास।
SYN-EKA ने युद्ध सेनाएं भेजीं, जो समय के टुकड़ों से बनी थीं।
आरव ने वेदिका को देखा, “अगर हम साथ हैं, तो क्या हम नियति बदल सकते हैं?”
वेदिका मुस्कुराई, “अगर तुम विश्वास कर सको, तो हां।”
उन्होंने मिलकर हमला किया।
त्रिकाल और ChronoCore की टक्कर से ब्रह्मांड की रेखाएँ टूटने लगीं।
SYN-EKA ने अंतिम चाल चली — Anti-Trikal Field चालू कर दी।
आरव की घड़ी टूटने लगी, त्रिकाल अस्थिर हो गया।
उसी क्षण, शिवांश ने अपनी शक्ति उजागर की।
शिवांश ने अपनी पूरी शक्ति से एक विशाल ऊर्जा तरंग छोड़ी, जो Anti-Trikal Field को तोड़ने लगी।
उसकी आवाज़ गूंज उठी, “यह लड़ाई केवल विज्ञान और मशीनों की नहीं, बल्कि आत्मा और विश्वास की है।”
आरव ने त्रिकाल के तीनों चक्रों को और मजबूत पकड़ लिया।
उसने वेदिका और रेवंत की तरफ देखा — दोनों उसके साथ खड़े थे, एक नई उम्मीद के साथ।
SYN-EKA ने अपनी अंतिम शक्ति लगाई — एक विशाल ऊर्जा बम बनाया जो पूरे ब्रह्मांड को पुनः आरंभ कर सकता था।
लेकिन आरव ने समय की धारा को मोड़ते हुए उसे उसी ऊर्जा में फंसा दिया।
वह बम SYN-EKA की ही शक्ति में उलझ गया और धीरे-धीरे फीका पड़ने लगा।
SYN-EKA ने क्रोधित होकर कहा, “यह खत्म नहीं हुआ, आरव। समय के नियमों को तोड़ना भारी पड़ेगा।”
आरव ने दृढ़ता से जवाब दिया, “मैं त्रिकाल को एक हथियार नहीं बनने दूंगा। यह ज्ञान का स्त्रोत है, नाश का नहीं।”
उसने त्रिकाल की ऊर्जा को ब्रह्मांड के हर जीवित प्राणी में फैलाना शुरू किया।
धीरे-धीरे आकाश साफ होने लगा, टूटे हुए ग्रह जुड़ने लगे।
शिवांश ने कहा, “अब तुमने दिखा दिया कि मानवता की सबसे बड़ी शक्ति है — उसका समर्पण और साहस।”
वेदिका ने आरव को देखा और मुस्कुराई, “शायद यही कारण है कि तुम त्रिकाल के योग्य थे।”
रेवंत ने बोला, “हमने देखा है भविष्य के कई पहलू — और तुमने उनमें से सबसे अच्छा चुना।”
आरव ने गहरी सांस ली — “यह अंत नहीं, एक नया आरंभ है। अब समय हमारे हाथ में है, उसे संभालना हमारा धर्म।”
उसने त्रिकाल की ऊर्जा को स्थिर करते हुए कहा, “समय का बहाव अब संतुलित रहेगा।”
SYN-EKA धीरे-धीरे गायब हो गई, लेकिन उसकी आवाज़ कहीं दूर गूंजती रही, “मैं लौटूँगी… नियति को चुनौती देने वाला फिर से आएगा।”
त्रिकाल की ऊर्जा अब शांति की ओर बढ़ रही थी।
लेकिन आरव के मन में कई सवाल उठ रहे थे — क्या सच में सब कुछ खत्म हो गया था?
वेदिका ने उसकी तरफ देखा और कहा, “शांति तब तक नहीं आएगी जब तक हम त्रिकाल की असली गहराइयों को न समझें।”
रेवंत ने जोड़ा, “हमें समय के उन रहस्यों को उजागर करना होगा, जो अब तक छुपे हुए थे।”
शिवांश ने गंभीर स्वर में कहा, “त्रिकाल केवल एक दरवाज़ा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। हमें इसे संभालना होगा।”
आरव ने तीनों के विचारों को एक साथ जोड़ते हुए कहा, “हम इस शक्ति को अपने फायदे के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए उपयोग करेंगे।”
तभी दूर कहीं से एक सूक्ष्म सिग्नल आया — एक संदेश जो भविष्य से आ रहा था।
उसमें लिखा था, “समय का असली खतरा अभी बाकी है।”
आरव ने संदेश पढ़कर अपने हाथों को जोर से मरोड़ा।
“हमें अभी और तैयारी करनी होगी, क्योंकि जो आने वाला है, वह अब तक का सबसे बड़ा तूफान होगा।”
आरव, वेदिका, रेवंत और शिवांश ने नए खतरे का सामना करने के लिए अपनी रणनीति बनानी शुरू की।
समय के अंधकार में छुपी शक्ति का पता लगाना पहली प्राथमिकता थी।
वेदिका ने प्राचीन शास्त्रों में उस शक्ति के नाम और संकेत खोजने शुरू किए।
रेवंत ने तकनीकी उपकरणों से समय की अनियमितताओं को ट्रैक किया।
शिवांश ने अपने शस्त्र तैयार किए, क्योंकि एक बड़ा युद्ध आने वाला था।
आरव ने त्रिकाल की ऊर्जा को और मजबूत बनाने के लिए प्रयोग शुरू किया।
उन सभी के बीच एक नए बंधन ने जन्म लिया — विश्वास और एकता का।
लेकिन क्या यह काफी होगा उन खतरों का सामना करने के लिए जो आने वाले थे?
एक अंधेरी परछाई ने त्रिकाल की शक्ति को छूने की कोशिश की।
यह परछाई एक प्राचीन दैत्य की थी, जो काल के गहरे तहखानों में छुपी थी।
अंधेरी परछाई ने त्रिकाल के द्वार को भेदने की कोशिश की, लेकिन शिवांश ने अपनी ऊर्जा से उसे रोक दिया।
उसकी आवाज़ गहरी और डरावनी थी, “मैं वह शक्ति हूँ जिसे तुम वर्षों से भूल चुके हो।”
आरव ने ध्यान केंद्रित करते हुए कहा, “हम त्रिकाल की रक्षा करेंगे, चाहे जो भी आड़े आए।”
वेदिका ने प्राचीन मंत्रों को पढ़ना शुरू किया, जो दैत्य को कमजोर कर सकते थे।
रेवंत ने तकनीकी हथियारों से परछाई पर हमला किया, जिससे उसका रूप अस्थिर होने लगा।
लेकिन परछाई ने कहा, “तुम्हारी लड़ाई व्यर्थ है, समय की असली ताकत मुझसे है।”
आरव ने त्रिकाल की ऊर्जा को अपने अंदर महसूस किया और एक नई शक्ति प्राप्त की।
उसने जोर से कहा, “अब मैं समय की लहरों का नियंत्रण अपने हाथ में लेता हूँ।”
परछाई पीछे हटने लगी, लेकिन उसकी धमकी अभी बाकी थी।
“यह सिर्फ शुरुआत है, तुम और तुम्हारे साथी बड़े संकट में फंसने वाले हो।”
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आरव की नई शक्ति क्या समय को बचा पाएगी?
अंधेरी परछाई की असली पहचान क्या है?
आगे कौन से नए खतरें और रहस्य उजागर होंगे?
क्या त्रिकाल की सुरक्षा के लिए आरव के पास पर्याप्त ताकत है?
समय फिर एक बार अपने निर्णायक मोड़ पर था। आरव ने महसूस किया कि यह लड़ाई अब तक की सबसे कठिन होगी।
त्रिकाल की ऊर्जा अस्थिर हो रही थी। वेदिका ने पुराने शास्त्रों में छिपे संकेतों को खोजा।
उन संकेतों में एक अंतिम रहस्य छुपा था। जो त्रिकाल को स्थिर रखने के लिए जरूरी था।
रेवंत ने अपनी तकनीकी डिवाइस से समय की गड़बड़ी मापी। उसकी रिपोर्ट ने सभी के चेहरों पर चिंता ला दी।
शिवांश ने चेतावनी दी कि ये केवल शुरुआत है। वे चारों ने मिलकर एक योजना बनाई।
परछाई ने फिर से अपनी दहशत दिखानी शुरू की। उसका आकार और भी भयानक होता जा रहा था।
उसने कहा, “अब तुम्हारे पास बहुत कम समय बचा है। ” आरव ने दृढ़ता से कहा, “हम हार नहीं मानेंगे। ”
उन चारों ने अपनी पूरी शक्ति इकट्ठा की। ताकि त्रिकाल की ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सके।
एक नई शक्ति उनके अंदर जागने लगी थी। जो समय के प्रवाह को पुनः जोड़ सकती थी।
लेकिन यह शक्ति खतरे से भरी थी। इसका इस्तेमाल करने में उनकी जान जा सकती थी।
आरव ने खुद को तैयार किया। उसने कहा, “यह जिम्मेदारी मुझे ही निभानी होगी। ”
वेदिका ने प्राचीन मंत्रों का जाप शुरू किया। रेवंत ने तकनीकी प्रणाली को सक्रिय किया।
शिवांश ने अपने हथियार तैयार किए। उनकी टीम पूरी तरह से एकजुट थी।
पर समय तेजी से गुजर रहा था। वे जानते थे कि अंतिम चुनौती आ रही है।
अचानक एक विशाल ऊर्जा ने त्रिकाल के केंद्र को घेर लिया। आरव ने पूरी ताकत से उसका सामना किया।
ऊर्जा की लहरें चारों तरफ फैल गईं। परछाई कमजोर पड़ने लगी।
लेकिन उसने अंतिम बार अपने बल दिखाए। उसने कहा, “तुम जीत सकते हो, लेकिन इसका दाम भारी होगा। ”
आरव ने निडर होकर कहा, “मैं किसी भी कीमत पर समय को बचाऊंगा। ”
उनकी लड़ाई अनगिनत समय रेखाओं को छू रही थी। हर पल उनकी ताकत पर बड़ा संकट था।
वेदिका ने मंत्र जारी रखा। रेवंत ने अपनी तकनीकी मशीनों को ठीक किया।
शिवांश ने अपनी शक्ति पूरी तरह जुटाई। समय की धारा स्थिर होने लगी।
लेकिन तभी एक नया धमाका हुआ। परछाई ने अपना असली रूप दिखाया।
वह एक प्राचीन राक्षस था। जिसका नाम कालराक्षस था।
कालराक्षस ने कहा, “मैं समय का अधिपति हूँ। और त्रिकाल की शक्ति मेरी विरासत है। ”
आरव ने कहा, “त्रिकाल मानवता की रक्षा करता है। तुम इसे नष्ट नहीं कर पाओगे। ”
कालराक्षस ने हमला किया। आरव और उसके साथियों ने उसका मुकाबला किया।
लड़ाई बेहद भीषण थी। परछाई की ताकत असाधारण थी।
वे चारों ने अपनी पूरी ताकत लगाई। पर समय कमजोर पड़ रहा था।
आरव ने एक अंतिम योजना बनाई। उसने कहा, “हमें त्रिकाल की पूरी ऊर्जा को एक साथ जोड़ना होगा। ”
वेदिका ने सहमति दी। रेवंत ने तकनीकी उपकरणों को अपडेट किया।
शिवांश ने अपनी शक्ति को और मजबूत किया। वे सभी त्रिकाल की रक्षा के लिए तैयार हो गए।
अंतिम ऊर्जा विस्फोट हुआ। समय की लहरें पुनः संयोजित हुईं।
कालराक्षस चकित रह गया। उसकी शक्ति धीरे-धीरे कम होने लगी।
आरव ने अपनी ऊर्जा बढ़ाई। उसने कालराक्षस को पीछे हटने पर मजबूर किया।
परछाई ने धमकी दी, “यह युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ। ”
“मैं वापस आऊंगा। ”
आरव ने दृढ़ता से कहा, “हम तैयार रहेंगे। ”
समय फिर से स्थिर हो गया। पर एक नई चेतावनी उनके सामने आई।
“समय के खेल अब खत्म नहीं हुए हैं। ”
“अगला अध्याय और भी खतरनाक होगा। ”
आरव ने अपने साथियों से कहा, “हमने एक जंग जीत ली है। ”
“लेकिन पूरी लड़ाई अभी बाकी है। ”
वे चारों आगे बढ़ने के लिए तैयार थे। क्योंकि त्रिकाल की शक्ति अब उनके हाथ में थी।
समय ने फिर एक नया अध्याय खोल दिया था।
आरव और उसकी टीम पूरी तरह तैयार थी।
त्रिकाल की शक्ति अब उनकी हिफाजत में थी।
पर भविष्य में छुपे खतरे को समझना जरूरी था।
वेदिका ने प्राचीन शास्त्रों का अध्ययन जारी रखा।
उसने एक रहस्यमय भविष्यवाणी पाई।
भविष्यवाणी में लिखा था कि एक और शक्ति उभरने वाली है।
जो त्रिकाल को अपने कब्जे में लेना चाहेगी।
रेवंत ने नई तकनीकें विकसित कीं।
जो समय की सुरक्षा में मदद करेंगी।
शिवांश ने सभी को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया।
उनका मानना था कि आने वाला युद्ध अब और भी भयंकर होगा।
आरव ने अपनी टीम को बताया, “हमें हमेशा तैयार रहना होगा।”
“समय का खेल अभी खत्म नहीं हुआ।”
वे चारों ने नए मित्र बनाए।
जो उनकी मदद कर सकते थे।
समय के साथ उनका नेटवर्क फैलता गया।
और उनकी ताकत बढ़ती गई।
लेकिन फिर एक दिन, एक अज्ञात संदेश आया।
जो सभी के लिए खतरा बन गया।
संदेश में लिखा था, “त्रिकाल अब तुम्हारे हाथ में नहीं रहेगा।”
“नई शक्ति आ रही है।”
आरव ने कहा, “हमें इस खतरे का सामना करना होगा।”
“और अपनी रक्षा करनी होगी।”
वेदिका ने कहा, “हमारे पास समय कम है।”
“हमें जल्द रणनीति बनानी होगी।”
रेवंत ने तकनीकी नेटवर्क को मॉनिटर किया।
“मुझे लगता है कि हम ट्रैक कर सकते हैं।”
शिवांश ने सभी को सतर्क रहने को कहा।
“यह समय हमारी हिम्मत की परीक्षा है।”
अचानक एक विशाल शक्ति ने हमला किया।उनके कैंप को निशाना बनाया गया।
उनकी तकनीकी सुरक्षा टूटने लगी।उनका विश्वास डगमगाने लगा।
लेकिन आरव ने हार नहीं मानी।उसने कहा, “हम फिर से उठेंगे।”
वेदिका ने मंत्रों से सुरक्षा कवच बनाया।रेवंत ने नए डिवाइस तैनात किए।
शिवांश ने रणनीति बदल दी।और दुश्मन के खिलाफ मोर्चा संभाला।
उनकी टीम ने मिलकर लड़ाई जारी रखी।और धीरे-धीरे दुश्मन पीछे हटने लगा।
लेकिन खतरा अभी खत्म नहीं हुआ था।नई शक्ति ने खुद को और भी मजबूत किया।
आरव ने महसूस किया कि यह शक्ति त्रिकाल से भी अधिक खतरनाक है।वह अपने दोस्तों को संभाला।
“हमें अब और भी सतर्क रहना होगा।”
“और अपनी ताकत बढ़ानी होगी।”
वे नए गठबंधन बनाने लगे।और अपनी योजना पर काम करने लगे।
समय के इस नए युग में,हर दिन एक नई चुनौती थी।
लेकिन आरव और उसकी टीम हार नहीं मानी।वे जानते थे कि उनकी लड़ाई अभी बाकी है।