कहते हैं मोहबब्त हर जख्म की दवा होती है और मोहब्बत सजा भी होती है। यह कहानी गैंगस्टरों की दुनिया में एक प्रेम कहानी की पड़ताल करती है, जो दर्द से प्यार तक की यात्रा पर केंद्रित है, ये कहानी है शिवांश और शिवांगी की। शिवांश सिंह राजपूत मुम्बई का एक गैं... कहते हैं मोहबब्त हर जख्म की दवा होती है और मोहब्बत सजा भी होती है। यह कहानी गैंगस्टरों की दुनिया में एक प्रेम कहानी की पड़ताल करती है, जो दर्द से प्यार तक की यात्रा पर केंद्रित है, ये कहानी है शिवांश और शिवांगी की। शिवांश सिंह राजपूत मुम्बई का एक गैंगस्टर । वही शिवांगी एक आम सी लड़की है, जो सिर्फ अपनी दुनिया में खुश रहती थी। उसे कभी किसी से कोई मतलब नहीं रहता था। जहां शिवांश आग है, तो शिवांगी पानी है। दोनों है अलग लेकिन क्या एक होने की ताकत रख पाएंगे? क्या था जो शिवांगी ने शिवांश से शादी के लिए इनकार कर दिया था,
शिवांश सिंह राजपूत ( गैंगस्टर)
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शिवांगी
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कहते है मोहबब्त हर जख्म की दवा होती है और मोहब्बत सजा भी होती है। यह कहानी गैंगस्टरों की दुनिया में एक प्रेम कहानी की पड़ताल करती है, जो दर्द से प्यार तक की यात्रा पर केंद्रित है, जो खतरनाक दुनिया में प्रेम की जटिलताओं को दर्शाती है, तथा एक गैंगस्टर की भावनात्मक यात्रा को दर्शाती है। यह कहानी माफिया के भीतर प्रेम की जटिलताओं की पड़ताल करती है। ओर एक मासूम लड़की के दर्द से भरी जिंदगी को दर्शाती है, किस तरह वो अपने अतित में घटी घटनाओं से डर कर जीवन जी रही है, उसे डर है अपने अतीत में घटी घटनाओं से, जिसकी वजह से खोए हैं उसने कुछ अपनो को, किसी की नफरत ओर धोखे की वजह से, जब वो अपने जीवन में आगे बढ़ती है तो उसकी मुलाकात होती हैं, मुम्बई शहर के गैंगस्टर से, ओर पहली ही मुलाकात में उसे पड़ती है उस गैंगस्टर से थप्पड़, ओर उस घटना के बाद एक गैंग वार में वो लड़की बचाती है उस गैंगस्टर की जान, तो कैसाी होगी इस दोनों की लव स्टोरी , जानने के लिए पढ़ते रहिए, गैंगस्टर लव स्टोरी ( दर्द से मोहब्बत तक का सफर) मेरे यानि साधना जायसवाल के साथ ,
ये कहानी है शिवांश और शिवांगी की है। शिवांश सिंह राजपूत मुम्बई का एक गैंगस्टर । वही शिवांगी एक आम सी लड़की है, जो सिर्फ अपनी दुनिया में खुश रहती थी। उसे कभी किसी से कोई मतलब नहीं रहता था। जहां शिवांश आग है, तो शिवांगी पानी है। दोनों है अलग लेकिन क्या एक होने की ताकत रख पाएंगे? क्या था जो शिवांगी ने शिवांश से शादी के लिए इनकार कर दिया था,
कहते हैं कि मोहब्बत हर दर्द की दवा होता है, चाहे वो दर्द कितना ही गहरा क्यो न हो एक सच्ची और पाक मोहब्बत हर जख्म को भर ही देती है ।
तो चलते हैं कहानी के किरदारो की तरफ
शिवांश सिह राजपूत - मुम्बई शहर का एक ऐसा नाम जो सिर्फ नाम लेने से ही लोगों के पसीने निकल जाते हैं, वैसे तो मुम्बई शहर इनके एक इशारे पर चलती है, ये एक बहुत बड़े बिजनेसमैन है, इन्हे न सिर्फ मुम्बई बल्कि बाहरी देशों में भी ये जाने जाते हैं।
ये एक बिजनेसमैन के साथ - साथ ये एक गैंगस्टार भी है, जहा ये अच्छे लोगों के लिए कुछ भी कर सकते हैं तो वही बुरे लोगों के लिए ये किसी काल से कम नहीं है ,
क्या पुलिस, क्या नेता सब इनके ही इशारो पर चलते हैं
अब बात करते हैं इनके साथ काम करने वाले लोगों की तो
सार्थक सिघानिया - ये शिवांश का बचपन का दोस्त हैं साथ ही बिजनेस पार्टनर , और हर सुख दुःख का साथी बिलकुल जय और विरू की जोड़ी, जहा़ शिवांश एक गुस्सैल और भाव हीन शख्स हैं वही सार्थक हमेशा खुश रहने वाला ओर मस्तमौला लड़का है ।
शेरा ,वरून मयंक कार्तिक - ये शिवांश के दोस्त, Bodyguard सब कुछ है और ये सब शिवांश को शिवा भाई कहते हैं
अब आते हैं कहानी की हीरोइन के पास
शिवांगी - एक अनाथ लड़की जिसके आगे पीछे कोई नहीं है न कोई दोस्त न कोई परिवार।
इस का कारण कहानी के साथ साथ ही पता चलेगा ।
मुम्बई की सड़को पर एक कार तेज रफ्तार के साथ चली जा रही थी (शायद किसी जरूरी काम की वजह से) कार की पीछली सीट पर बैठा एक लड़का जो काफी गुस्से में लग रहा था पर उसके उस गुस्से वाले चेहरे पर भी एक अलग ही आकर्षक था, जो उसकी अलग ही शख्सियत को दर्शा रही थी, उसका चेहरा देख कर ही लग रहा कि वो गुस्से में है,उसका वो खतरनाक ओरा उस गाड़ी में अलग ही कहर ढा रहे थे,
वही उसी लड़के की सीट के बगल में उसी लड़के का दोस्त जिसका नाम सार्थक हैं वो उसे शांत करवा रहा था, लेकिन उस लड़के का गुस्सा वैसे का वैसा ही था, सार्थक उस लड़के को शांत कराने के लिए अजीबो-गरीब हरकतें कर रहा था, जिसकी वेह से उस लडके का ग़ुस्सा उसकी आंखो में उतरने लगा, ओर वो अपनी नीली आंखों से सार्थक को घूरने लगा, उस लड़के की घूरती नजरो को महसूस कर सार्थक झेप गया, ओर मुंह बनाकर इधर उधर देखने लगा, जैसे अपनी झेप मिटाना चाह रहा हो,
वही ड्राइवर के सीट पर उसी लड़के का bodyguard जिसका नाम वरून था वो कार चला रहा था, उसकी हाल उस गाड़ी के ताप मान से गर्म हो गया था, हालांकि की ए.सी चल रहा था, लेकिन उस लड़के का ओरा ऐसा था कि ताप माप अपने आप गर्म होने लगा था, ऐसा उन्हे महसूस होता था, और उसी के साथ वाली सीट पर शेरा जो की उसी लड़के का खास आदमी था, वो बिलकुल चुपचाप बैठा था क्योंकि उस दोनों को दो आँखे बडी़ ही शिद्दत से घूरे जा रही थी। ओर ये महसूस कर शेरा की हालत भी खराब थी, इस लिए वो भी शांत सा बैठा था,
वो लड़का कहता हैं
वरून और कितनी देर लगेगी वहा पहुचने में
वरून - शिवा भाई बस पहुचने ही वाले हैं
सार्थक ( शिवांश से) - शिवा रीलेक्स कर यार अभी वहा पहुँचने में टाईम है तू ज्यादा टेन्शन मत ले सब अच्छा ही होगा वैसे भी सब जानते हैं कि वो प्रोजेक्ट हमें ही मिलेगा तो तू क्यो परेशान हो रहा है
शिवा - परेशान और वो भी मे, मै परेशान होता नही बल्कि लोगों को परेशान कर देता हू ।
सार्थक - तो तू उन दोनों बैचारो ( वरून और शेरा) को क्यो घूर रहा है जैसे आंखो से ही भस्म कर देगा।
शिवा - सैम तू जानता है कि मे क्यो ऐसा कर रहा हु ,कुछ भी हो मै वो प्रोजेक्ट उस आहूजा को नही लेने दूगा
सार्थक - हाँ हाँ मै जानता हू की तुम दोनो एक दूसरे के जानी दुश्मन हो और ये मे क्या पूरी मुम्बई जानती हैं
शिवा -( हम्म में जवाब देता है,) और अपने सिर को सीट से टिका कर बैठ जाता है उस के दिमाग में कुछ तो चल रहा था पर क्या वो तो सिर्फ वही जानता था
थोडी देर बाद
वरून - भाई हम पहुंच गये
भाग - 2 शिवा ओर आहूजा का आमना सामना
वरून ने जैसे ही कहा कि हम पहुच गये हैं
आगे
कार एक तेज चरचराहट के साथ एक बड़ी सी बिल्डिग के सामने रूकी, कार के रूकते है कार से शेरा निकला और उसने शिवा की तरफ का गेट खोला, तो वही दूसरी और से सार्थक निकला वो दोनों जैसे ही कार से निकले वरून कार लेकर पार्किग एरिया में कार पार्क करने चला गया , ओर वो लड़का अपने सनग्लासेज के पीछे से सामने खड़ी उस बड़ी सी इमारत को देखा जो अपने पूरे रोब से खड़ी थी, बिल्डिंग के बाहर शिवा, सार्थक,शेरा खड़े थे , ओर उस बिल्डिंग के ऊपर बड़े बड़े अक्षर में लिखा था K. K korpreshn ।
उस लड़के ने एक भरपूर नजर उस बिल्डिंग पर डाली ओर अपने कोर्ट के बटने को बंद करते हुए अपने लम्बे लम्बे कदम लेता हुए आगे चलने लगा, उसी के साथ वो दूसरा लड़का सार्थक भी अपने एटिट्यूड के साथ उस लड़के के पीछे पीछे चलने लगा, ओर उसके पीछे शेरा, वो तीनों जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे,
तीनों जैसे ही उस बिल्डिंग के अंदर गये सभी लोगों की नजरे उन्हें ही देखे जा रही थी, खास तो पर लड़कियो
की ,जब उनकी नजर शिवा पर गई तो सभी लड़किया अपनी आखो से ही शिवा को स्कैन करने लगी,अब वो लड़किया भला शिवा को स्कैन क्यो ना करे ( थ्री पीस सूट आयु 30 पर 25 के उम्र के लड़को को पूरी टक्कर दे सकता है बाॅडी देख कर ही बताया जा सकता है कि जीम में अच्छी खासी मेहनत कि गई हैं अपनी बाॅडी पर, लम्बाई 6 फिट रंग दूध की तरह गोरा आखे गहरे समुद्र जितनी गहरी नीली आखे एक हाथ में एक महंगी घड़ी दूसरे हाथ में महादेव का कडा़ ,पैरो में महंगे जूते कुल मिला कर कातील लग रहा था ,रास्ते में दिखने वाले एम्पलाइज उन तीनों लड़को को ही देखे जा रहे थे, चाहे लड़के हो या लड़कियां, क्योंकि उन तीनों की पर्सनैलिटी ओर शख्सियत ही कुछ ऐसी थी कि देखने वाला बस देखता ही रह जाए, अधिक लड़कियों की नजर तो आगे चल रहे उस हैंडसम से लड़के पर ही टिकी हुई थी, वो दिखने मैं ही इतना खुबसूरत था अइ वो ना चाहते हुए भी हर लड़की का सपना होता था, वो लड़का तो उन लड़कियों का ड्रिम मैन था,जिसके सपने अक्सर लड़कियां देखती थी, लेकिन वो लड़की तो इन सब से दूर हार्ट लेस एक्सप्रेशन लैस था, वो लडकियों से एक दूरी पर रहना पसंद करता था, उसका मानना था कि लड़कियां उसकी ओर उसके पैसे ओर रूतबे की वजह से उसकी ओर आकर्षित होती है ओर ये सच भी था, हर लड़की उसे पाने का ना सिर्फ सपना देखती थी बल्कि उससे मिलने वाली लग्जुरियस लाइफ भी जीने का सपना देखती थी,
जैसे जैसे वो आगे जा रहा था उसका वो रोब और ओहदा देखने वाला था , यू ही नहीं मुम्बई के लोग उसे शिवा भाई के नाम से जानते हैं ।
वही सार्थक भी किसी से कम नहीं लग रहा था सफेद रंग की शर्ट ग्रे रंग की पेंट और ग्रे रंग का ही कोट, एक हाथ में घड़ी ,गले में एक लॉकेट ,( जो ज्यादा तर छुपा ही रहता है) बाडी बिल्कुल हीरो की तरह उम्र यही कोई 27 या 28 के आस पास लम्बाई 5.6 रंग गोरा आखे काली मतलब एक हैडसम मुडा़ )
आगे वो तीनों सीधा कोन्प्रेंस रूम की तरफ जा रहे थे शिवा, और सार्थक मीटिंग रूम के अंदर जाते हैं जहा पर कई सारे लोग पहले से ही मौजूद थे शिवा के अंदर आते हैं सभी लोग अपनी अपनी जगह से खडे़ हो गये सिफ एक को छोड़ कर जो की मि. आहूजा थे शिवा के आते ही उनका मुह गुस्से में लाल हो गया था पर उन्होने कुछ नहीं कहा वही शिवा मि. आहूजा को देख कर कर एक तिरछी स्माईल दी और सभी लोगों से हाथ मिला कर अपनी जगह पर बैठ गया , शिवा के बैठते ही सभी लोग भी अपनी जगह पर बैठ गये और मीटींग शुरू हुआ
सभी लोगों ने एक एक कर के अपना प्रजे़न्टेशन देना शुरु किया मि. आहूजा के असिस्टेंट ने प्रजे़न्टेशन दी और शिवा की और से सार्थक ने मीटिंग 3 घंटे तक चलती रही, जब मीटिंग ख़त्म हुई तो K. K korpreshn के मालिक ने अनाउंस किया कि ये प्रोजेक्ट शिवा की कंम्पनी को दिया जाता है ये सुनने के बाद सभी लोगों ने मिल कर शिवा और सार्थक को कोग्रेजुलेशन विश किया और बारह आ गये अब मीटिंग रूम में सिर्फ आहूजा शिवा और सार्थक थे मि. आहूजा गुस्से से तिलमिलाया हुआ था वो बोला
मि. आहूजा - जितना खुश होना हैं हो लो शिवा पर एक दिन तुम्हारी इन खुशियो को दुःख के मातम मे नहीं बदला तो मेरा नाम भी आहूजा नहीं
शिवा - तुमने ये कैसे सोच लिया कि तुम जैसा एक नम्बर का घटिया कुत्ता मेरी खुशियो को मातम में बदलने का दम भी रखता है तुम जैसे बेकार और बेगैरत कुत्ते को को तो मै अपने आस पास भी ना भटकने दू, और क्या कहा था कि मेरी खुशियो को मातम में नहीं बदला तो तेरा नाम आहूजा नही तो जा जाकर एक नया नाम खोज क्यो कि अब ये शिवा तेरी जिंदगी में काल बन कर आया है
(वही शिवा की बात सुनकर कर सार्थक अपनी हंसी 😁 को कन्टरोल किया था)
वही शिवा की बातों को सुनकर आहूजा को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था पर अपने गुस्से को शांत कर आहूजा बोला
आहूजा - तुम्हे शायद भूलने कि बीमारी हो गई है तभी तो तुम भूल रहे हो कि एक टाईम था जब तुम्हारे पास एक कीमती चीज थी जो अब मेरे पास है और तुम तभी हार गये थे शिवा जब वो चीज मेरे पास आ गई थी
आहूजा की बात सुनकर शिवा को बहुत गुस्सा आ रहा था
सार्थक ने माहौल को गर्म होते देखा तो वो शिवा को वहा से लेकर बाहर आ गया सार्थक जानता था अगर शिवा वहा थोड़ी देर और वहा रूका तो आहूजा आज अपने भैरो पर घर जाने की हालत मे भी नहीं रहेगा इसलिए वो शिवा को लेकर बाहर आ गया ,
भाग - 3 आहूजा की बर्बादी
सार्थक शिवा को आफिस से बाहर लेकर आया
अब आगे
सार्थक जब शिवा को आफिस से बाहर लेकर आया तब तक वरून कार लेकर आ गया,शिवा और सार्थक के पीछे शेरा खड़ा था जो शिवा के चहरे के भावो को देख कर समझने की कोशिश कर रहा था कि मींटिग रूम मे क्या हुआ होगा पर शिवि के गुस्से को देख कर वो शांत रहने मे ही अपनी भलाई समने लगा। वरून के कार लाते ही सभी कार में बैठ गये ,सार्थक शिवा को शांत करवाने के लिए बोला
सार्थक - यार शिवा तू उस आहूजा की बातो को ज्यादा मत सोच वो तो चाहता ही है कि तू गुस्से में कुछ गलत कर दे उस कि बातो को तू नजर अंदाज कर
शिवा (गुस्से मे चिल्ला कर) - कैसे.. कैसे नजर अंदाज कर दू तू जानता है कि वो क्या बोलने कि कोशिश कर रहा था वो किस बात को लेकर कर मुझे उकसाने कि कोशिश
कर रहा था
सार्थक - जानता हूँ मैं कि वो क्या बोलना चाहता था पर तू अपने इस गुस्से को कम कर और उसे सही जगह पर इस्तेमाल कर जिससे कि उस आहूजा की पूरी हस्ती को हम राख कर दे
(सार्थक और शिवा की बातो को सुन कर वरून और शेरा को सब समझ में आ गया था कि मीटिंग रूम में कया हुआ होगा, दोनों कि सोच पर विराम तब लगा जब उन्हें सार्थक की आवाज़ आई)
सार्थक - अच्छा ये सब छोड़ ये बता कि अपना ये सडा सा फेस लेकर कहा जायेगा आफिस या
शिवा - उस कि बातों को बीच मे ही टोक कर वो वरून से बोला... वरून कार आफ़िस ले कर चल
शिवा की बात सुन कर वरून ने कार को आफिस के लिए घुमा दिया इतना बोल कर शिवा ने अपना सिर सीट से टिका लिया और कुछ पुरानी कडवी़ यादो को सोचने लगा उस के चेहरे को देख कर सार्थक मन ही मन सोचने लगा
सार्थक (मन में ) - मैं ... मै जानता हू की तू क्या सोच रहा होगा, तू क्यो अपने आप को इतनी तकलीफ दे रहा है जिस शिवा भाई को पूरी मुम्बई जानती हैं जिसके नाम से उस के दुश्मनो की रूह भी कांप जाती हैं वो अपने उस अतीत की कड़वी यादो को अपने अंदर समेटे बैठा है..... हैं महादेव आप से मे हमेशा ही यही मागा हैं सिर्फ अपने यार, भाई की तकलीफो को कम करने के अलावा आप से कुछ नहीं मागा है आप से बस यही दुआ मागता हू की कोई तो ऐसा आये मेरे यार की जिन्दगी में जिसे फिर से पहले जैसा हसना मुस्कुराना सीखाने , मै अपने यार को फिर से कहते मुस्कुराते देखना चाहता हूँ) सार्थक की सोच पर विराम वरून ने लगाया
वरून - भाई आफिस आ गये हैं
वरून कि बातों को सुनकर सभी आफिस के अंदर आ गये शिवा को देख कर सभी ने उसे विश किया ,शिवा सभी को इग्नोर कर अपने कैबिन में आ गया और उसके पीछे पीछे सार्थक , शेरा, वरून भी आ गये सभी को एक नजर घूर कर शिवा ने शेरा से कहा
शिवा - शेरा मंयक और कार्तिक कहा है, उन्हें एक काम दिया था जो अभी तक नहीं हुआ है उन्हें फोन कर के यहा तुरंत बुलाओ ... शेरा जैसे ही फोन करने वाला था उसी वक्त किसी ने डोर नोक किया शिवा ने कम इन कहा तो दो लोग अंदर आए ये मंयक और कार्तिक थे, जो शिवा के लिए काम करते थे ओर उसके बाडीगार्ड के साथ उसकी फैमली भी थे,
शिवा (उन दोनों को देख कर) - मयंक और कार्तिक ने हा में सिर हिला कर कहा और एक फाइल शिवा की तरफ बडा दिया , शिवा फाइल को खोल कर पडने लगा और उस के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान थी जिसे देख कर सार्थक बोला
सार्थक - शिवा क्या है इस फाइल में जो तू ऐसे मुस्कुरा रहा है ऐसा भी क्या है इस मे मुझे भी दिखा ये कह कर सार्थक ने जैसे जैसे उस फाइल को पढा वो भी खुश हो गया वो खुश हो कर बोला
सार्थक - मतलब अब उस आहूजा की उल्टी गिनती बहुत जल्दी शुरू होने वाली है,
शिवा - हम्म मे जवाब देकर कुछ सोच कर मुस्कुराने लगा उसे मुस्कुराते देख शेरा बोला
शेरा - भाई आप क्या सोच रहे हैं ऐसा क्या है जो आप सोच रहे हैं
शिवा -आहूजा की बर्बादी का खजाना बहुत, जल्दी
आहूजा की पूरी हस्ती को धीरे धीरे खत्म कर दूगा
शिवा ने मंयक और कार्तिक से कुछ कहा और वो दोनों सर हिला कर चले गये उनके जाने के बाद शिवा कुछ सोच कर एक कालित मुस्कान लिए मुस्कुराये जा रहा था उसे बस कल का इंतजार था
शिवा ओर अहूजा कि दुश्मनी बहुत पूरानी नही थी, किसी कारण की वजह से शिवा ने अहूजा के पिता ओर भाई को मार दिया था, तब अहूजा यहा नहीं रहता था, वो अपना अलग बिजनेस बाहर के देश में चलाता था, लेकिन जब उसे अपने पिता ओर भाई के मौत की खबर मिली , ओर उन्हें मारने वाले के बारे मे पता चला कि उन्हें किसी ओर ने नही बल्कि मुम्बई शहर के सबसे बडे़ बिजनेस मैन ने अपनी आपसी रंजिश की वजह से उसके भाई ओर पिता को मार दिया था ,बस तभी से वो शिवा ओर उसकी गैंग का दुश्मन बन गया था, उसका बस एक ही मकसद था शिवा को हराने का ओर उसे मौत के घाट उतारने का, इसी वजह से वो शिवा को हराने के लिए ओर उसके बिजनेस को डुबाने के लिए हर तरह की कोशिश करता था,फिर चाहे वो कोशिश सही हो या गलत , वो हर हाल में शिवा को मारना चाहता था, ओर ये दुश्मनी समय के साथ साथ ओर बढती रही थी, जो सबसे ज्यादा आहूजा की ओर से निभाई जा रही थी,
ओर शिवा जिसने कभी हारना सीखा नही है वो आहुजा की हर कोशिशों को मिटा देता था, उसे पता था कि आहूजा उससे किस तरह की रंजिश रखता है, ओर उसका मक़सद क्या है, इसके बाद भी शिवा सिर्फ उसे उसके भी चाल में मात देता था,
भाग - 4 काम , पहली मुलाकात
शिवा अपने आफिस के केबिन में बैठा आने वाले कल (आहूजा की बर्बादी का) के बारे में सोच कर एक कातील मुस्कान लिए मुस्कुराये जा रहा था
अब आगे
शिवा ने एक बार सार्थक ,वरून और शेरा को देखा फिर एक लम्बी सांस लेकर बोला
शिवा (चिड़ कर )- तुम लोगों को और कोई काम नहीं है क्या ,जब देखो तब अमर अकबर एनथनी की तरह मेरे आगे पीछे घुमते रहते हो अरे कुछ टाइम तो मुझे अकेला छोड़ दो
शिवा की बात सुन कर वरून वोला
वरून - क्या भाई आप भी अगर हम ने आप को अकेला छोड़ दिया तो पता नहीं आपके अंदर का भैरो बाबा जाग गया तो यहा पर काम करने वाले लोगों को आप से कौन बचाएगा
शिवा - तुझे बड़ी पडी है लोगों को मेरे गुस्से से बचाने की लिए उन लोगों को छोड ये सोच की तुझे मुझ से कौन बचाएगा , ऐ सारी की सारी फाइल ले जाकर पूरी कम्पलीट चाहिए मुझे आफ़िस बंद होने से पहले नहीं तो एक महिने की पूरी सेलेरी कट और आफिस भी पैदल ही आना होगा , सुना मेरी बात... ज ज जी भाई वरून इतनी सारी फाइलो और शिवा की बातो को सुनकर हडबडा गया और उसके मुह से बस इतना ही निकला
शिवा की बात सुनकर जहा वरून का मुंह😵 बन गया वही सार्थक और शेरा वरून की हालत पर मुह बंद कर अपनी हंसी को रोक कर बैठे थे 😆😆😆😆
सार्थक अपनी हंसी को कंट्रोल कर बोला
सार्थक -यार शिवा मे क्या सोच रहा था की क्यो ना हम सब रात को डिनर करने साथ में चले कैसा रहेगा, सार्थक की हा में हा मिला कर शेरा और वरून भी बोले
शिवा - ओके पर पहले जितने भी काम पेंडिग पड़े हैं पहले वो करो फिर और हा मंयक और कार्तिक को भी बोल देना , शेरा जी भाई बोल कर वरून के साथ कैबिन से निकल गया केबिन के अंदर शिवा अपने लैपी पर काम किए जा रहा था जब उस ने सार्थक को अपने आप को घुरता पाया तो वो झल्ला कर बोला
शिवा - अब तू मुझे ऐसे क्यो देख रहा है जैसे मैने पता नहीं क्या कर दिया हो
सार्थक- मे तो बस ये देख रहा हूँ कि तू इतना काम कर कैसे लेता है कर कैसे लेता है जब देखो तब काम आफिस फाइल मीटिग और वो सब काम तू थक नहीं जाता ये सब करते करते
शिवा थक तो बहुत गया हू सैम पर वो सुकून कही खो सा गया है जहा कभी में सुकून के साथ जीता था जब से वो धोखा खाया है न तब से बचा कुचा सुकून भी नहीं रहा अब तो काम में ही अपने आप को बिजी करना चाहता हूँ और उसे और उस आहूजा को बर्बद करना चाहता हूँ
सार्थक- कब तक शिवा.. आखिर कब तक तू उस कड़ी यादो को याद करता रहेगा जो यादे सिफ तकलीफ दे और जख्मो को नासूर कर दे ,उसे कम करना ही सही है और इस के लिए मे बस यही कहना चाहता हूँ कि तु अपनी लाइफ में किसी ऐसे इंसान को शामिल कर जो तुझे चाहे जो तुझ से बेंइतहा मोहब्बत करे जो तेरे जख्मो को दूर कर तुझे सुकून दे मेरी मान तो एक बार तू कोशिश तो कर अपने दिल के दरवाजे को खोल कर देख क्या पता जिसे तू मोहब्बत का नाम देता है वो हो ना
सार्थक की बातों को सुन कर शिवा बोला
शिवा - तुझे बडा पता है मोहब्बत के बारे में जो मुझे ज्ञान दे रहा है , खेर छोड़ जो K. K वाले प्रोजेक्ट है उस पर काम करना शुरू कर दे जितना जल्दी हो सके
सार्थक समझ रहा था कि शिवा अभी इन सब बातों को नही करना चाहता है इसलिए उस ने बात को बदल दिया उस ने भी ज्यादा न बोलकर काम मे लग गया और अपने कैबिन में चला गया उस के जाने के बाद शिवा अपने आप से
में जानता हूँ सैम तू मुझे खुश देखना चाहता है पर क्या करू एक बार धोखा खा कर देख लिया है अब किसी पर भी भरोसा नहीं कर सकता आज कल मोहब्बत तब तक ही है जब तक की आपके पास पैसा, रूतबा दौलत शोहरत है तभी तब मोहब्बत हैं एक बार ये सब चला गया तो मोहब्बत भी खत्म हो जाती हैं इसलिए में मोहब्बत नही करना चाहता हूँ एक बार फिर से वो धोखा नहीं खा सकता उस बार तो खुद को सभाल लिए था पर अब अगर फिर से वही हुआ तो लोग शिवा का वो रूप देखेगे जो मे नहीं चाहता ऐसे ही सोच सोच कर उसने अपना सिर झटका और काम मे लग गया
शाम के 7:30 बजे
सार्थक सारा काम खत्म कर के शिवा का कैबिन नोक करता है तो कम इन की आवाज के साथ सार्थक अंदर जा कर कुर्सी पर बैठ कर शिवा को देख रहा था
सार्थक अरे भाई बस भी कर सारा का सारा काम आज ही करने का इरादा है क्या तेरा तुझे भूख नहीं लगती हैं क्या यार अब ये सब तमाम बंद बंद कर मुझे तो बहुत जोरो की भूख लगी है अब तू ठहरा हवा पानी पर जीने वाला प्राणी... नहीं नही नहीं तू प्राणी थोडी है प्राणी तो हम जैसे तुच्छ लोगों को कहते हैं आप जैसे महापुरुष को तो मशीन कि उपाधि से जवाजा़ गया है सार्थक ने थोडी नौटंकी कर के कहा उस की नौटंकी देख कर शिवा बोला
शिवा - अब बस भी कर नौटंकी साले कितना नौटंकी करेगा और क्या कहा तूने की मे मशीन हू बेटा इसी मशीन की वजह से आज हम कहा से कहा तक पहुँच गये हैं आज लोग हमें हमारे नाम से और बिजनेस किंग के नाम से जानते हैं ना कि बाप दादाओ के नाम से यहा तक पहुंचने के लिए हमने बहुत मेहनत की है और मे इसे उस ऊचाई की बुलंदियो पर ले जाना चाहता हूँ जहा तक कोई और न पहुच पाए
शिवा की बातो को सुनकर सार्थक झल्ला कर बोला
सार्थक - अच्छा बाबा अच्छा में मान गया कि तू अपने काम में किसी को भी नहीं आने देखा पर यार हम जैसे मासूम और इस भूखे पेट को ( अपने पेट पर हाथ फेर कर) कौन समझाए जिस में चूहे कब से कुश्ती खेल खेल कर बाहर आने को उतारू है अब चल जल्दी सच मे यार बहुत भूख लगी है अब चलेगा कि उठा कर लेकर चलू ये बोल कर सार्थक ने बेचारा सा मुह बना लिया 😞😞😞😞
उस कि बातों को सुन करे शिवा जोर से हसने लगा अपनी हंसी 😁 को रोक कर शिवा और सार्थक बाहर आ गये और साथ मे शेरा वरून मंयक और कार्तिक भी .... दो कार में सभी बैठ गये एक कार मे शिवा सार्थक और शेरा दूसरी कार में वरून कार्तिक और मयंक और उनकी कार के पीछे बाडिगार्ड की का भी साथ में निकल गई
कुछ देर के बाद सभी गाडिया एक आलीशान रेस्टोरेन्ट के सामने रूकी सभी कार से निकल कर अंदर आ गये और चाभी वही के गार्ड को दे दिया कार पार्क करने के लिए
सभी जैसे ही अंदर गये मैनेजर दोडता हुआ उन के पास आया और सभी को ग्रिट किया और मैनेजर शिवा से अच्छी तरह से बात करने लगा क्योंकि ये रैस्टोरेन्ट शिवा का ही था जब मैनेजर को पता लगा कि शिवा आने वाला है तो उस ने पहले ही रेस्टोरेन्ट को बंद करवा दिया जिससे शिवा को कोई परेशान न हो सभी जा कर कोने वाली टेबल पर बैठ गये, एक टेबल पर शिवा और सार्थक वही उनके बगल वाली टेबल पर बाकी सभी
मैनेजर ने अपने सभी काम करने वाले लोगों को अच्छी तरह से समझा दिया था कि उन लोगों के सामने कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए मैनेजर ने कुछ काबिल वेट्रेस को खाना औढर लेने के लिए बोल जिस में से दो लड़कियां एक लड़की को बहुत ही बुरी तरह से घूर रही थी दोनो लड़कियों मे से एक ने कहा
पहली लड़की - यार नीतू मुझे न इस लड़की को देख कर बहुत ही गुस्सा आ रहा है मतलब इस के आने से पहले ऐसे अमीर लोगों के लिए हम लोग खाने के औढर लिया करते थे पर इसके आ जाने के बाद तो हमे कोई भाव ही नहीं देता
दूसरी लड़की - यार तुने एकदम सही कहा है जब से ये यहा पर काम करने आई है तब से सब इसी की तारिफ करते आ रहे हैं पर आज शायद ऐसा नही होगा, कुछ सोच कर उस लड़की के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गई और उस ने अपना आईडिया उस लड़की को बताया जिसे सुन कर दोनों के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ गई
यहा पर उस लड़की ने जिसकी थोड़ी देर पहले वो दोनों लडकिया कोस रही थी वो खाने का औढर लेने सार्थक और शिवा वाले टेबल पर गई जब बो उस टेबल के पास गई औढर के लिए तो वहा सिर्फ सार्थक था शिवा को कोई जरूरी फोन आ गया था तो वो बात करने थोडा दूर आ गया ,खाने का औढर ले कर वो लड़की चली गई थोडी देर बाद खाना सर् कर के वो वहा से चली गई उस के जाने के बाद शिवा आया और खाना शुरू कर दिया
खाना खाने के बाद सार्थक ने कुछ मिठा मँगवाया मिठा ले कर वही लड़की आ रही थी जो थोडी देर पहले खाने का औढर लेकर गई जब वो मिठा लेकर आ रही थी तभी किसीने उस लड़की के पैरो के बीच पैर अडा़ दिया जिससे सारा मिठा जा कर शिवा के कपडो़ पर और शिवा ने बिना सोचे समझे एट थप्पड़ उस लड़की को लगा दिया
भाग -5 शिवा का गुस्सा
सार्थक के मिट्ठा मगाने पर जब वो लड़की मिट्ठा लाती हैं तो किसी के पैर अडाने से उसका बैलेंस बिगड़ जाता है और सारा मिट्ठा शिवा के ऊपर गिर जाता है जिसे देख कर उसका पारा आसमान पर चढा जाता हैं अपनी गुस्से वाली लाल आखो को बंद कर झट के से खड़ा होकर और बिना उस लड़की को एक जोर का थप्पड़ मार देता है
अब आगे
शिवा के थप्पड़ 👋मारने से वो लड़की संभल नहीं पाई ओर बस गिरने ही वाली थी कि शेरा ने उसे पकड़ लिया ओर सही से खड़ा कर दिया, जहा शिवा के थप्पड़👋 मारने से वो लड़की थोडा डर गई थी वही शिवा की इस हरकत से सभी हैरान रह गये किसी को भी यकिन नहीं हो रहा था कि शिवा किसी लड़की को थप्पड 👋भी मार सकता है सभी शिवा के गुस्से से अच्छी तरह से वाकिफ थे पर ऐसा कुछ होगा ये किसी ने भी नहीं सोचा था, वही शिवा ने जब अपनी आखे खोली तो उसके भी होश उड़ गये थे उसे तो लगा था कि कोई लड़का होगा पर ये तो एक लड़की थी अब उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था कि वो ऐसे कैसे कर सकता है वो किसी लड़की पर हाथ कैसे उठा सकता है
शिवा (मन में) - ये.. ये मैने क्या कर दिया मैने किसी लड़की पर हाथ कैसे उठा दिया, शिवा तू गुस्से😠 में बिना सोचे समझे कुछ भी कर देता है बिना ये सोचे कि उसका नतिजा क्या होगा तूझे ऐसे ही इस लड़की पर हाथ👋 नहीं उठाना चाहिए था, ..पर अगले ही पल .. उसने ये मानने से इंकार कर दिया कि इस में उसकी कोई गलती नहीं है सारी की सारी गलती इस लड़की की ही है अगर इस ने ये सारा खाना मुझ पर नहीं गिराया होता तो ये नहीं होता , ये बोल कर उसने अपना सिर झटक दिया
वही शिवा की इस हरकत से सभी हैरान 😱रह गये और वही मंयक वरून के कान के पास फुस्फुसाया
मंयक - यार वरून ये मै क्या देख रहा हूँ ये कही कोई सपना तो नहीं, नहीं मेरे कहने का मतलब ये है कि आज तक भाई ने किसी भी लड़की पर हाथ नहीं उठाया यहा तक की उस धोखे के बाद भी उस चुड़ैल 👻को भी नहीं मारा ओर यहा पर सिर्फ खाना गिरने पर हाथ उठा दिया ये अपने शिवा भाई ही है न
मंयक की बात सुन कर वरून भी कही खोये हुए अंदाज मे बोला
वरून - यार मंयक मुझे अभी भी अपनी आखो 👀😳पर यकीन नहीं हो रहा है कि अपने शिवा भाई ऐसा भी कुछ कर सकते हैं, मतलब उनका गुस्सा 😠हम सभी जानते हैं कि कितना खतरनाक है पर किसी लड़की पर हाथ 👋उठाना मुझे अब भी यकिन नहीं हो रहा है
उन दोनों कि बातों को सुन कर कार्तिक ने वरून को जोर से चिमटी काटी जिस दर्द के कारण उसकी हल्की सी चीख निकल गई ओर वो कार्तिक को खा 😡जाने वाली नजरो से घूर रहा था उसे घूरता देख कार्तिक बोला 😲
कार्तिक - यार सारी , पर तुने ही अभी कहा था कि तुझे यकिन नहीं हो रहा है इस लिए तुझे यकिन दिलाने के लिए किया... उसकी बात सुन वरून बोला - तो इतनी जोर से करने की क्या जरूरत थी कितना दर्द हो रहा है
उन सभी की बातो को सुनकर शेरा ने परेशान होकर बोला
शेरा - ज्यादा मत बोलो अगर भाई ने तुम लोगों की बात सुन ली तो तुम लोग सोच भी नहीं सकते कि तुम लोगों को कहा कहा दर्द होगा 😰😰
😆😆😆😆
वही सार्थक भी शिवा को घूरे जा रहा था वो कुछ बोलता उस से पहले वहा पर मैनेजर आ गया ये सब देख कर वो माफी मांगने लगा नही तो उसे पता था की शिवा उसकी नोकरी खा जाएगा और वो उस लड़की पर थोड़ा गुस्सा करने लगा
मैनेजर - ये. ये तुमने क्या कर दिया है तुम्हें पता भी है कि तुमने कितनी बड़ी गलती कर दी है तुम जानती भी हो की ये कौन है ये यहा के ओनर हैं और तुमने उन्हें ही नराज कर दिया अब चुप क्यों हो अब कुछ बोलोगी भी या यूही बुत बनी खड़ी रहोगी में तुमसे कुछ पुछ रहा हूँ शिवांगी
जी हा ये लड़की कोई और नहीं बल्कि शिवांगी हैं हमारी कहानी की नायिका
शिवांगी (थोडा डर कर) - ज ज जी स स सर वो वो मुझसे गलती हो गई स स स सारी सर अपनी आखो की नमी को छुपा कर सर नीचे कर के शिंवागी से बमुश्किल बस इतना ही बोला गया उस की अवाज सुन कर शिवा उसे देखने लगा
शिवा (मन मे )- कितनी खूबसूरत हैं ये ,इसके आगे तो खूबसूरत शब्द भी जैसे छोटे पड़ जाए
( सच में शिवांगी किसी खूबसूरत परी जैसी ही लग रही थी दूध से भी ज्यादा गोरा रंग उम्र यही कोई 25 से 26 साल तक पर किसी कॉलेज गर्ग से भी कम नहीं लग रही थी हाइट 5.3 के आस पास गुलाब की पंखुडी जितने मुलायम होठ, छोटी सी नाक बालो का सुंदर सा एक बन बनाया हुआ था जिसमे से कुछ बाल शिवांगी के गालो को छू रहे थे गुलाबी गाल जिस पर साइट साइड पर शिवा के हाथो के निशान थे जो थोडे गहरे हो गये थे, एक सफेद शर्ट ब्लेक पेंट उन कपड़ों में भी वो किसी खूबसूरत माडल से कम नहीं लग रही थी)
शिवा अपने ही ख्यालो में खोया था पर अगले ही पल वो अपना सिर झटक कर फिर से थोड़ा गुस्सा हो गया
वो शिवांगी को देखकर बोला
शिवा - सारी , तुम्हें सच में ये लगता है कि तुम्हारे एक छोटे से सोरी बोलने से मेरे ये कपड़े और ये घड़ी सही हो ठिक हो जाएगा तुम जानती भी हो की इसकी कीमत कितने कि हे तुम जाहो तो भी इसकी किमत नहीं भर सकती हो तुम्हारी एक साल की कमाई भी इसकी आधी भरपाई भी नहीं कर सकते समझी तो अपना ये सारी अपने पास ही रखो में अच्छे से जानता हू तुम जैसी मिडिल क्लास जैसी लडकिया को जो ऐसे नय नय पैतरे आजमा का और अपने इस हुस्न के जाल में फंसा कर लड़को को अच्छी तरह से लूटती हो पर मे उन लोगों में से नहीं हू जो किसी के भी झासे मे फंस जाया में शिवांश सिह राजपूत हू जो किसी के भी बहकावे में नहीं आता ,शिवा ने ये बात थोड़ा गुस्से ओर चीड की वजह से बोली
वही शिवा की बातो को सुनकर शिवांगी की आखे नम हो गई थी आसू बाहर आने के लिए मचल रहे थे पर शिवांगी ने बड़े ही सफाई से आपनी पलको को कई बार झपका जिससे कोई उसके आंसूओ को न देख सके वो अब भी अपना सिर नझुका के खड़ी थी पर जब उसे शिवा की बाते बर्दाश
नही हुई तो वो वहा से चली गई उसे जाता देख कर सार्थक,शेरा,वरून,मंयक,कार्तिक को बुरा तो लगा पर कोई कुछ नहीं बोल सका क्योकि सभी शिवा के गुस्से से अच्छी तरह वाकिफ थे शेरा बार बार थोड़ी हिम्मत कर के कुछ बोलना चाह रहा था पर अपने ऊपर शिवा की वो गुस्से भरी नजरो को देख कर शातं ही रहा
वही सार्थक को शिवा की इस हरकत पर इतना गुस्सा आ रहा था जो कुछ भी उसने शिवांगी को कहा
सार्थक - शिवा तू पागल वाइल हो गया है क्या या कोई नशा कर रखा है बिना सोचे समझे तुने उस बेचारी लड़की पर हाथ उठा दिया माना कि उस से गलती ही पर उस गतली के क्रम तुझे उस पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था, और क्या कहा था तुने उससे की वो मिडिल क्लास है वो तेरे इन कपड़ों की कीमत अपनी नहीं चुका सकती ,यार तू वो शिवा नहीं है जिसे में जानता था मेरा शिवा तो ऐसा कुछ करने की सोच भी नहीं सकता था
सार्थक की बातो से परेशान होकर और उसकी बातो को इग्नोर कर वो वहा से गुस्से में बाहर आ गया और अपनी कार की चाभी लेकर किसी को भी उसके पीछे न आने की हिदायत देकर गुस्से में कार को तेज रफ्तार के साथ लेकर चला गया।
भाग - 6 सार्थक का थप्पड़
सार्थक के समझाने से शिवा को चीड़ हो रही थी इसलिए वो उसे इग्नोर कर के गुस्से में रेस्टोरेन्ट से बाहर आ गया और अपने सभी गार्ड को अपने पीछे ना आने को बोल कर कार पूरी रफ्तार से सड़को पर दोडता हैं
अब आगे
यहा शिवा के जाने के बाद रेस्टोरेन्ट के अंदर सार्थक को शिवा की इस हरकत पर बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था कि वो उसकी बातो को इग्नोर कर के ऐसे ही चला गया
दूसरी और शिवा के थप्पड़ और उसकी बातो से शिवांगी को बहुत ही ज्यादा बुरा लगा, इसलिए वो अपने कपड़े चैंज कर के अपना बैग लेकर वहा से निकल गई
वही रेस्टोरेन्ट में शिवा द्वारा शिवांगी को थप्पड़ मारने से नीतू और उसकी वो दोस्त तो मन ही मन अपनी इस जीत पर इतरा रही थी पर कोई था जो उन दोनों कि हरकतो पर अपनी नजर बनाए रखा था
शिवा के ऐसे अचानक चले जाने पर सार्थक के गुस्से को हवा मिल गई थी, वही शेरा वरून मंयक और कार्तिक भी शिवा के ऐसे जाने से घबरा गये थे, वो सार्थक से बोले
शेरा सैम भाई, शिवा भाई गुस्से में बिना किसी को कुछ बताए ऐसे ही चले गये हैं हमे उनके पीछे चलना चाहिए इस वक्त उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकते हैं पता नहीं कौन सा दुश्मन घात लगा कर बैठा और अगर किसी को पता लगा कि वो अकेले है कुछ भी हो सकता है, शेरा की बात सुन कर वरून मंयक और कार्तिक ने भी यही कहा सार्थक को भी पता था की वो जिस फिल्ड में है उस में दोस्त से ज्यादा दुश्मन है और कब कौन सा दुश्मन पीठ पीछे वार कर दे कोई नहीं जानता पर उसे ये भी पता था की कोई भी ऐसा गैरा आ कर यू ही शिवा को चोट तो क्या उसे छू भी नहीं सकते, पर उसे कही न कही एक डर भी था इसीलिए वो लोग भी शिवा का पीछा करे लगे
वरून - वैसे मुझे कोई बताएगा की शिवा भाई इस वक़्त कहा गये होगे, इस समय तो मेरा दिमाग भी काम नहीं कर रहा है वरून की बात सुन कार्तिक बोला
कार्तिक वैसे तेरे इस खाली खोपड़ी मे दिमाग भी है तुझे तो लगा कि सिर्फ भूसा भरा है आज पता चला कि इस छोटी सी खोपड़ी मे दिमाग भी है कार्तिक की बात सुन कर वरून बोला
वरून - कार्तिक ज्यादा मत बोल वरना में तुझे छोडूगी नहीं
कार्तिक - अबे तू क्या तुझे नहीं छोडेगा पहले पकड़ के तो दिखा, उन दोनों की टोम एण्ड जैरी वाली फाइट से परेशान होकर सार्थक बोला
सार्थक - अबे चुप एक दम चुप अब तुम दोनो में से किसी ने भी चू की आवाज़ निकाली तो मैं तुम दोनो को नहीं छोडूगा, फिर सार्थक छोडा रूक कर, थोडी देर सोचने के बाद बोला शेरा कार मरीन ड्राइव ले चल सार्थक ने शेरा से इसलिए कहा क्योंकि कार शेरा चला रहा था
वही दूसरी और शिवांगी भी मरीन ड्राइव के पास ही एक बड़े से पत्थर पर बैठी थी और आज जो कुछ भी हुआ वो सोच कर उसके आंसू बस बहे ही जा रहे थे वो उन आसुंओ को पोछने कि लाख कोशिश कर रही थी पर वो आंसू भी किसी ढीठ की तरह बस बहे ही जा रहे थे
वही मरीन ड्राइव के पास ही शिवा ने कार रोक कर कार के बोनट पर लेटा सिगरेट के कश्त भर कर उनका छल्ला बना हवा में उडा़ रहा था और एक टक आसमान को देखे जा रहा था आज जो कुछ भी उसने किया वो सब किसी फिल्म की तरह उसकी आँखो के आगे घुम रहा था शिवांगी का चेहरा, उसका सर झुकाना, और उसकी वो मिट्ठी सी आवाज उसके कानो में गुज रही थी कि उससे अंजाने में गलती हो गई है ,वही शिवा को अपने पैसो का रोब दिखाना वो सब याद कर के उसके सिर में दर्द हो रहा था, उसकी सिगरेट खत्म होने के बाद उसने एक सिगरेट जला कार अपने होठो के नीचे दबा दिया ओर उसके कश्त भरता गया, पर किसी ने उसके होठो से सिगरेट छिन कर उसे कार की बोनट से उतार कर एक जोर का करारा थप्पड़ जड़ दिया उस व्यक्ति को देखा कर शिवा की आखे हैरानी 😵 से बड़ी हो गई
वही मरीन ड्राइव की दूसरी तरफ एक पत्थर पर बैठी शिवांगी के जह़न में आज जो हुआ वही सोच कर आंसू बहाये जा रही थी शिवांगी खुद से
शिवांगी (आसमान की ओर देख कर) - क्यो महादेव क्यो हर बार मुझे ही सजा क्यो मिलती है जो चीज मैने की ही नहीं उस बात की सजा मुझे क्यो दी जाती हैं हर बार मै ही क्यो, हर बार मुझे ही दर्द क्यो महादेव क्यो, यहा बहुत.. बहुत दर्द होता है महादेव बहुत दर्द ( अपने दिल की तरफ इशारा कर के) अब शायद इस दर्द की आदत सी हो गई है बचपन से ही तो इस दर्द का बोझ झेलते आई हू आगे भी ऐसे ही झेलते आउगी, इस दर्द को अब कोई कम नहीं कर सकता है ये दर्द शायद मेरे मरने तक मेरे साथ ही रहेगा, बहुत दर्द ओर चीखे सुनी है महादेव अब ओर ऐसा कुछ मत करिये कि मे टूट जाउ, उस बार तो टूट कर बिखर गई थी इस बार अगर टूट गई तो शायद इस बार खुद को ना समेट पाउ, आप ने हर
मोड़ पर हर दर्द में आप ने मुझे अकेला नही छोड़ा बस आगे भी मेरे साथ रहना महादेव एक आप ही तो हो जो मेरे अपने हो, जब जब मे टूटी हू आपने ही एक उम्मीद की रोशनी दी है वरना तो उसने कहते कहते शिवांगी रूक गई और उसकी आखो के आगे कई सारे लोगो का दर्द से तड़पता चेहरा उसकी आँखो के आगे आने लगा सभी चीजो को याद कर उसकी सासे उखडने लगती हैं पूरा शरीर पसीने से तर बतर हो गया था
वही शिवा को थप्पड़ पडने पर उस दिशा में देखने लगा जहा से उसे थप्पड़ लगा जब उसने देखा तो वो को और नही सार्थक ही था अपने गाल पर हाथ रख कर शिवा बोला
शिवा - सैम तूने.. तूने मुझ पर हाथ उठाया तूने अपने यार पर हाथ उठाया
सार्थक (गुस्से में) - चुप एकदम चुप तू कुछ नहीं बोलेगा बहुत बोल लिया तूने अब मैं बोलूगा, हा .. हा मैने तुझ पर हाथ उठाया पहली बार मैने अपने यार अपने भाई पर हाथ उठाया है मुझे नहीं लगा था कि कभी जीवन में में ऐसा कुछ भी करूगा पर ये करने पर मजबूत तुने ही किया है , क्यो मि. शिवांश सिह राजपूत आपको क्या लगा कि आप जो मर्जी आए आप वो करेगे ओर कोई कुछ नहीं बोलेगा क्यो, क्यो द शिवांश सिह राजपूत उर्फ शिवा से मुम्बई के लोग डरते हैं वो लोग डरते होगे पर में, में तुझे नहीं डरता समझा मैं तुझसे नही डरता ।
ये सब बाते सार्थक ने चिल्ला कर कहा था, जिसे शिवा के साथ साथ शेरा वरून मंयक और कार्तिक ने भी सुना उन्होने कभी भी सार्थक का ये रुप नही देखा था सभी एक दूसरे को बचपन से जानते है पर आज तक किसी ने भी सार्थक को शिवा पर हाथ उठाना तो दूर कभी ऊची आवाज में बोला भी नहीं था पर आज सभी सार्थक कि ये रूप देख कर हैरान थे खास तौर पर शिवा उसे तो अब भी यकिन नहीं हो रहा था कि उसके सैम ने उस पर हाथ उठाया ओर ऊची आवाज में उस पर चिल्लाया न सिर् चिल्लाया बल्कि उसको शिवा न बोल कर द शिवांश सिह राजपूत बोला ।
सार्थक (आगे बोला) - हैरान हो गया न आज के मेरे इस बिहेबियर से, उतना ही हैरान मे भी हुआ था तेरे आज के उस बताव से, बिना सोचे समझे तुने उस लड़की पर हाथ उठा दिया बिना ये जाने कि उस में उस लड़की की कोई गलती है भी या नहीं
शिवा ( हैरान होकर)- मतलब क्या है तेरा, कहना क्या चाहता है तू सैम साफ साफ बोल ये जलेबी कि तरह बातो को मत घुमा
सार्थक - तो साफ साफ में ये कहना चाहता हूँ की उस सब मे उस लड़की की कोई गलती नहीं है बल्कि गलती तो किसी और ने करी और उस की सजा किसी और को मिली
सार्थक की बातो को सुनकर शिवा को कुछ समझ नहीं आ रहा था ओर वो अपने बालो को पकड़े था जैसे सार्थक की बातो को समझना चाहता हो उसे इस तरह परेशान देख कर शेरा आगे आया और बोला
शेरा (थोड़ा डर कर) - भाई रेस्टोरेन्ट मे जो भी हुआ, मतलब की वो खाना गलती से नहीं बल्कि जान बुझ कर आप पर गिराया गया, वहा पर काम करने वाली दो लडकियो ने ये सब किया था उन्होने जानबूझ कर उस लड़की (शिवांगी) के पैरो में अपना पैर लगा कर गिराने की कोशिश की जिससे सारा खाना आप पर गिर जाए ओर आप ऐसा ही कुछ करे ओर हुआ भी वही
शेरा की बात सुन कर शिवा चौक गया वही उसकी बातो को सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था कि किसी ओर की गलती की वजह से उसने किसी बेगुनाह पर इल्जाम लगाया ओर कितना भरा बुरा बोला ओर उस लड़की ने अपनी सफाई में कुछ भी नहीं कहा सभी चीजो को याद कर अब उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था उसे अब गिल्टी फील भी हो रहा था
शिवा (बोला) - शेरा उन दोनों लडकिया को काम से निकाला दो ओर उनकी आधी सेलेरी भी काट दो ओर में शोर उन्हें कही ओर किसी भी रेस्टोरेन्ट में काम न मिल सके, और उस दूसरी लड़की के बारे में पता करो शिवा की बात सुनकर शेरा जी भाई बोल कर अपने काम पर लग गया ओर उसके साथ ही वरून मंयक और कार्तिक भी चले गये क्यो कि माहौल थोडा गरम हो गया था इसीलिए अपनी जान बचाने के लिए वो सभी पतली गली पकड़ के निकल गये अब वहा सिर्फ शिवा और सार्थक थे जो कार के सहारे टिक कर समुद्र की लहरो को देख रहे थे
भाग - 7 गलती का अहसास
शिवा और सार्थक मरीन ड्राइव के पास कार से टेक लगा कर एकटक समुद्र को देखे जा रहे थे
अब आगे
सच कहा है किसी ने""जिंदगी है आसान कैसे होगी आसान हो गई तो जिंदगी कैसी "" जिन्दगी ऐसे इंसान की परीक्षा लेता है जो उस परीक्षा को पार कर सके जिसके अंदर वो काबिलियत हो कि वो इसे कर सकता है और वही इम्तिहान शिवांगी दे रही है।
शिवांगी अपनी बीते वक़्त के दर्द को याद कर उसके अंदर एक डर ने जगह ले ली उसी वजह से उसे पैनिक अटैक आने लगा उसकी सासे उखडने लगी पूरा शरीर पसीने से तर बतर हो गया था,शिवांगी ने जैसे तैसे खुद को संभाल कर पास पड़े अपने बैग से एक मैडिसिन ओर पानी की बोतल निकाल कर खाली कुछ ही देर में वो धीरे धीरे सही होने लगी , अपने आप को शांत कर वो समुद्र की उठती लहरो को देख रही थी जिसमे उथल -पुथल हो रही थी , वैसा ही कुछ उसके मन में भी कुछ उथल पुथल हो रहा था
बैग्राउड म्यूजिक
किसे पुछूँ ?
है ऐसा क्यों ?
बेजुबान सा ये जहां है
ख़ुशी के पल, कहाँ ढूढूं ?
बेनिशाँ सा वक़्त भी यहां है
जाने कितने लबों पे गीले हैं
ज़िन्दगी से कई फासले हैं
पसीजते हैं सपने क्यों आँखों में
लकीरें जब छूते इन हाथों से
यूँ बेवजह
जो भेजी थी दुआ
वो जाके आसमां
से यूँ टकरा गयी
की आ गयी है लौट के सदा
जो भेजी थी दुआ
वो जाके आसमां
से यूँ टकरा गयी की
आ गयी है लौट के सदा
शिवांगी - "अजीब हैं मेरा अकेला पन, न खुश हू न उदास हू ,बस खाली हू ओर खामोश हू "
शिवांगी कुछ देर वहा बैठने के बाद वो उठ कर अपने फ्लैट के लिए चली गई जो मीरा रोड़ के नेहरू कालोनी में था, फ्लैट पर पहुच कर वो सीधा अपने कपड़े ले कर बाथरूम में चली गई ओर शावर ले कर कपड़े चेन्ज कर के सोने के लिए बिस्तर पर लेटे गई , थोड़ी देर की मशक्त के बाद लाइट चालू कर के ही शिवांगी सो गई,
(शिवांगी जब मुम्बई पहली बार आई थी तो उसके पास बस कुछ ही पैसे थे जिसमे से उसने कुछ पैसे एक बहुत ही छोटा सा फ्लैट रेन्ट पर लिया था ,फ्लैट ज्यादा बड़ा तो नही था पर एक व्यक्ति के लिए पर्याप्त था, एक रूम उस रूम में एक छोटी सी बाल्कनी जहा कई तरह के पोधे ओर फूल लगे थे, रूम मे सिगल ओर छोटा सा बैड, बैड के सामने ड्रेसिग टेबल एक अलमारी ,रूम से अटैच बाथरूम, बाल्कनी के बगल में एक स्टडी टेबल था जहा पर बैठ कर शिवांगी अपना काम करती हैं)
दूसरी ओर
शिवा ओर सार्थक अभी भी मरीन ड्राइव के पास ही एकटक समुद्र की लहरो को देखे जा रहे थे उस खामोशी
को तोड़ कर शिवा बोला
शिवा - वैसे सैम तुझे कैसे पता चला कि में यहा पर हू मतलब में कही ओर भी तो जा सकता था अपने गुस्से को शांत करने के लिए जैसे घर, पब, या अपनी सीक्रेट जगह या कही ओर इन सभी जगहो में से तू यही कैसे आ गया .....
उसकी बात सुन सार्थक ने मुस्कुरा कर एक बार उसे देखा फिर सामने देख कर कर बोला
सार्थक - में तुझे बचपन से जानता हू... माँ, पापा ओर अंकल,आंटी के जाने के बाद हम दोनों ही एक दूसरे के दोस्त ,भाई,माँ, बाप हम दोनों ही एक दूसरे के लिए है हमने एक दूसरे से वादा भी किया था कि हम एक दूसरे का साथ हर एक बात एक दूसरे को बताएगे तो बस मुझे पता चल गया की हमारे शिवा बाबू अपने गुस्से की टोकरी को लेकर- कहा गये होगे ये बात सार्थक ने थोडी नौटंकी कर के कहा जिसे सुन कर शिवा भी मुस्कुरा दिया ,बरबस ही उसके मुह से कुछ लफ्ज निकल गये
""कितना सुकून है यहा कि हवाओ में
हर दर्द को भुला कर समा लेती हैं अपनी बाहो में
लोग तो खा- मा- खा बदनाम कर जाते है इन लहरो को
कोई हमसे पूछे जिन्दगी का असली सुकून तो है इन लहरो में""
( स्वरचित)
शिवा की बात सुनकर सार्थक बोला वाह मेरे भाई तू तो एक थप्पड़ में ही शायर बन गया , ये बोल कर वो हसने लगा साथ ही शिवा भी 😅😅😅😅😅
सार्थक फिर कुछ सोचकर गंभीर स्वर में बोला, खेर मजाक से परे हट कर तुने आज जो किया है क्या सोचा हैं उस बारे में ,क्या तू अपनी इस हरकत पर फिल्टी फील कर रहा है क्योंकि
"" बहुत आसान होता हैं किसी को गलत कहना, ओर कितना मुश्किल होता हैं उस गलती को स्वीकारना ,,,, में तुझसे बस यही कहूगा कि जो गलती तुने की है उसे तू सच्चे दिल से स्वीकार कर के उस लड़की से अपने किये की माफी मांग, "वैसे भी ये जिंदगी है यहा पर लोग अपनी गलती नहीं मानते , बल्कि अपनी गलतियों को दूसरे पर थोप देते हैं, पर शायद लोग भूल जाते हैं कि हमारे किये का फल हमे यही मिलता हैं"
ये बोल कर सार्थक शिवा की ओर मुडा ओर उसे देख बोला, तू समझ रहा है न में क्या बोल रहा हूँ उस की बात सुनकर शिवा ने हा में अपनी गर्दन हिलाई ओर बोला
शिवा मे समझ गया सैम कि मुझे क्या करना है मै उस लडकी से माफी मांग लूगा, देखते हैं उस के बाद क्या होता है, चल अब बहुत हो गई बाते अब घर चले बहुत रात हो गई है शिवा ने अपनी हाथ की घड़ी में टाईम देख कर बोला जो रात के 11:20 बता रही थी, दोनो कार में बैठ कर घर के लिए निकल गये, कार एक बड़े से मैन्शन के आगे रूकी जहा चारो तरफ गन लिए गार्डस तैनात किए गए थे , कार को रोक कर दोनों मैन्शन के अंदर गये ।
( मैन्शन भी किसी बड़े पैलेस से कम नहीं लग रहा है बेशकिमती झूमर, दिवारो पर मंहगी से मंहगी पैन्टिग, बेशकीमती कालीन, हौल के बीचों बीच एक बडा सा सिंगल सोफा जो किसी राजा के सिहासन की तरह लग रहा था , उसी के पार ओर भी सोफे थे सोफे के बीच में एक कांच का टेबल, एक तरफ डाइनिंग टेबल उसी के सामने किचन, के नीचे काफी सारे कमरे थे ओर, ऊपर जाने के लिए एक स्टेयस, ऊपर भी कई सारे कमरे थे पर ऊपर सिफ शिवा का ही रूम था बाकि के जितने भी आदमी (सार्थक ,वरून, मंयक और कार्तिक) जो शिवा के साथ रहते थे वो सभी नीचे ही रहते थे ऊपर किसी को भी जाने कि इजाजत नही थी सिर्फ उसके भरोसे लोगों के अलावा पर वो भी शिवा के कहने पर ही जाते थे, सिर्फ सार्थक को छोड़ कर)
मैन्शन के अंदर आते ही दोनों अपने अपने रूम में चले गये,सार्थक तो कपड़े चेन्ज कर के बिस्तर पर लेटे गया कुछ ही देर में वो नींद के आगोश में चला गया
वही शिवा के रूम में , शिवा अपने कपड़े ले कर बाथरूम में शावर लेने चला गया बिना शावर के उसे नींद नहीं आती थी, शावर लेने के बाद शिवा टावल से अपना सर पोछ कर ते हुए बाहर आया, उसने सिर्फ एक ब्लेक रंग का टाउजर पहना था उसे शर्ट में नींद नहीं आती थी, बात सुखाने के बाद वो सीधा अपने बिस्तर पर आकर लेटे गया ।
भाग - 8 बर्बादी
शिवा और शिवांगी अपने अपने घर पर आराम से सो रहे थे,
अब आगे
सुबह का वक़्त
ये सुबह कुछ लोगों की जिंदगी में भूचाल लाने वाला है, तो किसी की जिंदगी में किसी के आने का आगाज होने वाला है ,
मैन्शन में (शिवा का रूम)
शिवा हर रोज सूरत निकलने से पहले ही उठ जाता था, आज भी शिवा सूरज के निकलने से पहले ही उठ गया था, वो जल्दी से उठ कर बाथरूम में fresh होकर अपने जीम मे exercise करने चला गया, करीब 2 घंटे की कड़ी मेहनत करने के बाद शिवा अपने रूम में जाकर अलमारी से कपड़े निकाल कर नहाने चला गया, शावर लेते वक़्त कल रात की सारी बाते उसके जह़न में घूमने लगी , अपने दोनों हाथो को दीवार से टिका , सिर नीचे झुकाए हुए खडा था जिससे उसके एक हाथ पर बना महाकाल का वो टैटू साफ देखा जा सकता था, जिस हाथ में महादेव का एक कड़ा भी था ,अपना सिर झटक कर जल्दी से बाथरूम से निकल कर तैयार होने लगा, ब्लू कलर के थ्री पीस सूट में किसी फिल्म के हीरो से कम नहीं लग रह था।
शिवा तैयार होकर सीढियो से नीचे ऊतर कर आया,उसने एक नजर पूरे हाल में घुमाई जहा पर सोफे पर सार्थक शेरा, मंयकओर कार्तिक बैठे कुछ बाते कर रहे थे उनमे से किसी का भी ध्यान शिवा पर नहीं गया, नीचे उतर कर अपने कोल्ड आवाज़ में रामू काका से (खाना बनाने वाले जिनकी उम्र 60 के आस पास की होगी) कह कर अपने लिए एक ब्लैक कॉफी मंगवाई, ओर वही हाल में लगे अपने आलीशान गद्दी पर बैठ गया , उसकी आवाज़ सुन कर सभी का ध्यान उस ओर गया जहा शिवा अपने सिहासन पर बैठा किसी राजा से कम नहीं लग रहा था
शिवा ने एक सरसरी सी नजर सभी को देखा फिर मंयक ओर कार्तिक की ओर देख कर बोला
शिवा (अपने कोल्ड आवाज़ में) - मंयक और कार्तिक कल मैने तुम दोनो को कुछ काम दिया था, काम हुआ या नहीं, उसकी ऐसे कोल्ड आवाज़ में बोलने से सभी को डर लगने लगा, पर सार्थक बिलकुल ही आराम से बैठा अपना कॉफी पी रहा था, शिवा के ऐसे बोलने से जैसे उसे कोई फर्क ही न पड़ रहा हो.... वही शिवा की बातो को सुनकर मंयक और कार्तिक तो थोड़ा घबरा गये मंयक अपना थुक गटक कर बोला
मंयक ( घबराकर) - ज ज जी भाई .. आपने जो काम दिया था वो हो गया जैसा आपने कहा था बिलकुल वैसा ही किया है, उसे संभलने का मौका भी नहीं मिला उसे तो कुछ समझ ही नहीं आया होगा कि उसके साथ ऐसे कैसे हो गया,
शिवा - हम्म , गुड वैसे भी शिवा अपने दुश्मनों को संभलने का कोई मौका नहीं छोडता, उसे नहीं पता कि उसने किससे दुश्मनी मौल ली है,कहकर वो शांत हो जाता है तब तक काका भी काफी ला कर टेबल पर रख कर चले जाते हैं नाश्ते कि तैयारी करने ,
शिवा आगे बोला
कार्तिक से टी .वी आन करने को बोला
जैसे ही टीवी पर न्यूज चैनल लगा न्यूज में चल रही हैडलाइन को सुनकर सभी खुश हो गये वही शिवा के चेहरे पर एक कातील मुस्कान थी,... न्यूज में आहूजा से सम्बधित खबर आ रही थी जिसमे एक न्यूज रिपोर्टर बोले जा रही थी
न्यूज रिपोर्टर - आज की सबसे ताज़ा खबर हम देश की जनता को बताना चाहते हैं कि मुम्बई के एक बड़े से पब में बीती रात को अचानक से पुलिस की रेड पड़ी, सूत्रों से पता चला हैं कि पुलिस की इस रेड में ,,मुम्बई पुलिस को drugs ,और कोकीन भारी मात्रा में बरामदा किये गये हैं, सुनने में आया है कि ये पब किसी ओर का नहीं बल्कि मशहूर बिजनेसमैन मि. आहूजा का था , पुलिस इस मामले में उनसे कुछ पूछ ताज कर रही हैं ,लेकिन उनका कहना है कि इस मामले में उन्हें कुछ नहीं पता है अब देखना ये है कि आगे क्या होता है , इतना सुनकर शिवा ने टीवी बंद कर दी , उसके चेहरे पे कातील मुस्कान थी ।
सभी को पता था की आहूजा के माल को शिवा के अलावा और कोई नहीं पकडवा सकता है
शेरा - वैसे भाई आप उस आहूजा को एक बार मे ही खत्म क्यो नहीं कर देते हैं, उसके सारे इन्लिगल,कामो को एक साथ ही खत्म हो जाए तब उसकी शक्ल देखने लायक होगी,
शिवा अपने शिकार को धीरे धीरे खत्म करता है, एक बार मे ही तडपाने मे वो मजा कहा है जो आहिस्ते आहिस्ते खत्म करने में है, ये बोल वो हसने लगा ....तब तक रामू काका ने नाश्ता लगा दिया था, सभी नाश्ता करने के लिए टेबल पर बैठ गये, हेड की चेयर पर शिवा बैठा था, नाश्ता करने के बाद रामू काका ने शिवा से कहा
रामू काका - शिवा बेटा हमें कुछ दिनों के लिए अपने गाँव जाना है, वो क्या है न वहा पर गाव में जो हमारी खेती की देखभाल करता है, उसके बेटे की शादी हो रही है वो चाहते हैं कि मैं वहा जाऊ, ओर बहुत समय हो गया है गाँव गये इसी बहाने सभी से मिलना - मिलाना तो चलता रहेगा .. उनकी बात सुन कर शिवा बोला
शिवा ठीक है काका आप कुछ समय के लिए हो आए इससे आपको भी अच्छा लेगा, वैसे कब जाना है ... काका -कल बेटा ... वरून काका के जाने का सही से बन्दोबस्त कर देना, देखना कोई परेशानी न हो कह कर शिवा और बाकि सब अपने अपने काम के लिए निकल गये।
सरी ओर शिवांगी का रूम
शिवांगी सो कर उठ गई थी, वो उठ कर जल्दी बाथरूम में फ्रेश होकर नहाने के बाद जल्दी से तैयार हो कर अपने घर के ही मन्दिर मे पूजा करने लगी,
(आज शिवांगी ने पीले ओर काले रंग के कॉमबिनेश का सूट पहना था, जिसके बाजू लाॅग थी, बालो को अभी खुला ही रखा था जिसमे से अभी भी पानी टपक रहा था शिवांगी के बाल कमर से नीचे तक थे जो शिवांगी की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे )
शिवांगी ने मन्दिर मे पूजा करने लगी शिवांगी अपनी मिट्ठी सी आवाज में भजन गाने लगी
पूरब से जब सूरज निकले,
सिंदूरी घन छाए,
पवन के पग में नुपुर बाजे
,मयूर मन मेरा गाये ।
पूरब से जब सूरज निकले,
सिंदूरी घन छाए,
पवन के पग में नुपुर बाजे,
मयूर मन मेरा गाये ।
मन मेरा गाये,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय ।
पुष्प की माला थाल सजाऊं,
गंगाजल भर कलश मैं लाऊं,
नौ ज्योति के दीप जलाऊं,
चरणों में नित,शीश झुकाऊं,
भाव विभोर होके भक्ति में,
रोम रोम रंग जाये ।
हो मन मेरा गाये,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय ।
अभ्यंकर शंकर अविनाशी,
मैं तेरे दर्शन की अभिलाषी,
जन्मों की पूजा की प्यासी,
मुझ पे करना कृपा ज़रा सी,
मुझ पे करना कृपा ज़रा सी,
तेरे सिवा मेरे प्राणों को,
और कोई ना भाये ।
हो मन मेरा गाये,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय ।
शिवांगी पूजा खत्म कर के किचन में अपने लिए चाय ओर नाश्ता बनाने लगी, चाय नाश्ता करने के बाद वो घर का बाकि का काम खत्म कर के घर को लाॅग करते वक्त वहा पर घर का मालिक आ गया जो किराया लेने आया था, वो शिवांगी को अजीब नजरो से घूर रहा था, शिवांगी को उसका इस तरह से देखना अच्छा नहीं लगा तो उसने अपने डुप्पटे को सही से करने लगी,
(शिवांगी को मकान मालिक की नियत हमेशा से गलत ही लगी ,वो शिवांगी को हमेशा ही अजीब नजरों से देखता था, कई बार तो उसने शिवागी का हाथ भी पड़ा था जिस पर शिवांगी ने उसे काफी सुनाया था ,जिसके वो मकान मालिक हमेशा ही शिवांगी को घर से निकालने की धमकी देता था वो जानता था कि ये बोलने पर शिवांगी उसका कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि शिवांगी के पास कोई ओर जगह नहीं थी अगर वो कही ओर भी जाती रहने के लिए तो उसे अपनी आई डी प्रूफ दिखाना पडता जो कि उसके पास नहीं थी , जेसे तैसे कर के तो ये एक प्लैट मिला था पर उसकी बुरी किस्मत की यहा भी उसे ऐसे लोगों की नजरो का सामना करना पड़ रहा है )
मकान मालिक शिवांगी को देखकर बोला
मकान मालिक - ऐ लड़की इतना दिन हो गया है तूने अभी तक मेरा किराया नहीं दिया, अब मिलेगा मेरा किराया मैने यहा पर कोई मुफ्त का आश्रम नहीं खोला है जो किसी की भी रहने दू, तो मुझे मेरे पूरे पैसे चाहिए
शिवांगी बोली - देखिये अभी मेरे पास किराये के पूरे पैसे नहीं है तो अभी जितना है मै उतना दे देती हूँ जब मेरी सेलेरी आ जायेगी तो में आपको आपके पूरे पैसे दे दूगी फिलहाल के लिए आप ये ले लिजिग,....शिवागी के पास सिर्फ 5000 रूपय थे जिसमें से 3000 रूपय वो मकान मालिक को दे रही थी,
मकान मालिक - अरे सिर्फ इतने से क्या होगा मुझे तो मेरे पूरे पैसे चाहिए ओर वैसे भी तुम जैसी खूबसूरत लडकियो को काम कि कहा कमी होगी अगर तुम चाहो तो मे तुम्हारा सारा किराया माफ कर दूगा पर उसके लिए तुम्हें मुझे भी तो खुश करना होगा, तभी में तुम्हारा किराया माफ कर दूगा, माफ क्या... तुम अगर मेरे साथ एक रात के लिए हा बोल दो तो में ये प्लैट तुम्हारे ही नाम कर दूगा, बस तुम एक बार हा तो बोल कर देखो,
उसने ये बाते बडे़ ही बेशर्म तरीके से बोली जिसे सुन कर शिवांगी को बहुत ही गुस्सा आया ,और शिवांगी ने एक जोर का थप्पड़ उसे मार दिया, और बोली
शिवांगी - खबरदार... खबरदार अगर अपनी इस गंदी जुबान से मेरे लिए ऐसे कहा तो जबान खीच लूगी, तुम्हें क्या लगा कि ,अकेली लड़की है तो कुछ भी नहीं कर पाएगी, मेरी मजबूरी का फायदा मत उठाओ नहीं तो कही भी मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे, ओर तुम्हारे पूरे पैसे तुम्हारे मुंह पर मार के ये प्लैट खाली कर दूगी ,मुझे भी यहा नहीं रहना, तुम जैसे घटिया इंसान के प्लैट में रहने से अच्छा हैं कि मे सड़क पर रह लू ये बोल कर शिवांगी वहा से चली गई , उसके जाने के बाद
मकान मालिक अपने गाल पर हाथ रख बोला
मकान मालिक - ये... ये तूने अच्छा नहीं किया तूने मुझ पर हाथ उठाया ,अब तू देख में इसका बदला तुझसे कैसे वसूल करता हूं, बहुत हो गया तेरे इस हुस्न के दूर से दर्शन करना अब अगर तूझे अपने बिस्तर तक नहीं लाया तो देखना, इस थप्पड़ की किमत तो तुझे चुकानी ही पडे़गी,अब तू देखती जा में तेरे साथ क्या करता हूँ, ये बोल कर वो अपने घर चला गया ।
भाग - 9 खतरा...... पुरानी यादें
शिवांगी ने मकान मालिक को उसकी बतमीजी का जवाब देने के बाद वो रेस्टोरेन्ट के लिए टैक्सी लेकर चली गई, रेस्टोरेन्ट पहुचने के बाद वो सीधा अंदर चली गई अंदर जाने के बाद सभी (जो वहा पर काम करते हैं) उसे अजीब तरह से देखने लगे.... शायद कल रात की बात से जब शिवा ने शिवांगी को थप्पड़ मारा था, शिवांगी सीधा मैनेजर के पास गई कल के इन्सिडिन्स की वजह से मैनेजर ने शिवागी के आते ही उसे अपने केबिन में बुलाय, शिवांगी कैबिन का दरवाजा नोक कर के अंदर गई
शिवांगी - सर आपने मुझे बुलाया कुछ काम था क्या?
मैनेजर - अरे शिवांगी... आओ बैठो, .कुर्सी की तरफ इशारा कर के शिवांगी को बैठने के लिए कहा
शिवांगी देखो जो मे कहने जा रहा हूँ तुम प्लीस मुझे गलत मत समझना, मैनेजर कि ऐसी बात सुन कर शिवांगी का दिल कुछ गलत होने की आंशका से धड़क रहा था... फिर भी अपनी बढ़ती धडकनों को काबू कर शिवांगी बोली
शिवांगी - सर ये आप कैसी बाते कर रहे हैं मे भला, आप को क्यो गलत समझूगी, आप ने जो मेरे लिए किया है वो में कभी नहीं भूल सकती, आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया है, जब मुझे नोकरी कि तलाश थी तब आपने ही बिना ये जाने कि मेरे पास कोई डिग्री हैं भी या नहीं, आपने मेरी सिर्फ qualification (योग्यता) के आधार पर मुझे इस बड़े से रेस्टोरेन्ट में काम दिया में भला आपकी किसी भी बात का बुरा नहीं मान सकती...... शिवागी की बात सुन कर मैनेजर बहुत खुश हुए कि शिवागी उनके बारे में कितना अच्छा सोचती है उसकी कितनी इज्ज़त करती है।
( मैनेजर जिन्हें सब मि. शर्मा बुलाते हैं, जिनकी उम्र 45 के आस पास की होगी वो बोले)
मि. शर्मा - शिवांगी मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुम मेरे बारे में ऐसा सोचती हो बेटा, पर तुम्हें ये नोकरी तुम्हारी योग्यता को देख कर दिया गया है जिस तरह से तुम कस्टम्स के साथ अच्छे से बताव करती हो सभी तुम्हारे काम से बहुत ही खुश हैं बहुत से लोग तो तुम्सारे नेचर की वजह से आते हैं, जिस तरह से तुम कस्टमर को हैंडल करती हो वो काबिले तारीफ है....... .मि. शर्मा बात सुन कर शिवांगी बस एक फीकी सी मुस्कराहट के साथ सिर्फ धन्यवाद कर दिया, मि. शर्मा आगे बोले
मि. शर्मा- देखो शिवांगी में जानता हूँ कि तुम बहुत ही टेलेन्टेड लड़की हो, पर कल जो हुआ उस से में थड़ा परेशान हू मैं जानता हूँ कि कल तुमने कुछ भी जानबूझ कर नहीं किया बल्कि गलती से हो गया होगा..
आखिर वो है ही इतने बड़े लोग वैसे भी उनके सामने तो अच्छे अच्छे लोग घबरा जाते हैं फिर तो ये होना ही था, खेर में ये बोल रहा था कि मि. राजपूत कल के बर्ताव से बहुत नाराज थे वैसे भी वो इस रेस्टोरेन्ट के आनर है और कल वो ही नाराज हो गये उनका तो गुस्सा भी बहुत ही खतरनाक है, बस तुमसे ये कहना चाहता, हूँ कि अब तुम ये नोकरी नही कर सकती, में जानता हूँ कि तुम्हें इस नोकरी कि सख्त जरूरत है पर मे भी मजबूर हू, किसी एक कि वजह से सभी कि नोकरिया खतरे में है ओर मे नहीं चाहता कि सभी कि नोकरी के साथ साथ मेरी भी नोकरी चली जाए, में जानता हूँ कि तुम मुझे इस वक़्त selfish समझ रही होगी पर में भी मजबूर हू, घर में सर से बात करता हूँ कि वो तुम्हें एक मौका जरूर दें, और मुझे लगता है कि सर तुम्हें एक मोका जरूर देंगे, अगर वो नहीं माने तो में मि. सिंघानिया से बात करूंगा वो जरूर मान जाएगे
मि. शर्मा कि बातों को सुनकर शिवांगी को जिस बात का डर था वही हुआ, वो जानती थी कि कल उससे गलती हुई थी पर अपनी गलती कि वजह से वो दूसरे लोगों कि नोकरियो को खतरे में नहीं डाल सकती। इसलिए मि शर्मा बात सुन कर शिवांगी बहा से चली गई
दूसरी तरफ शिवा का आफिस
शिवा अपने केबिन में बैठा कुछ फाइलों को पड़ रहा था, तभी उसके कैबिन का दरवाजा नोक हुए तो शिवा ने अंदर आने का बोला, कैबिन में वरून और शेरा आये थे, उन्हें देखकर शिवा बोला
शिवा - हा, क्या हुआ तुम दोनों इस वक्त यहा पर इस पर शेरा बोला
शेरा - हा भाई बात ही कुछ ऐसी है, वो आहुजा को पता लग गया है कि उसके माल को पकड़वे के पीछे आप का ही हाथ हैं इस समय वो बोखलाया हुआ इस इस के बाद वो चुप नहीं बैठने वाला वो जरूर कुछ बड़ा करने कि फिराक में है आपको थोड़ा संभलकर रहना पड़ेगा भाई शेरा कि बात सुन कर शिवा बोला
शिवा - में जानता हू की अब वो आहूजा शांत नहीं होगा वो इस वक़्त मेरे खिलाफ कुछ करने की सोच रहा होगा पर उसे ये नहीं पता कि शेर का शिकार करने के लिए गीदडो की जरुरत नहीं होती हैं, शेर अभी इतना कमजोर नहीं है कि कोई भी गिद्द उसका शिकार करके चला जाए और शेरा सिर्फ ख़ामोश रहे... नहीं.. शेर अपने शिकार को और धीरे धीरे बड़ कर एक लम्बी छलाँग लेकर उसका शिकार करता है उसे जो करना है। करने दो देखते हैं वो क्या कर सकता है वैसे भी उसकी इतनी हिम्मत नहीं है कि वो सामने से आकर वार करे वो जरूर पीठ पीछे वार करेगा ओर में भी यही चाहता हूँ कि वो अपनी असली औकात दिखाये, उसकी बात सुनकर शेरा बोला
शेरा - पर भाई आपको थोड़ा कर रहना चाहिए, उसकी फिकर देख कर शिवा बोला
शिवा - यार तुम लोग परेशान क्यों होते हो, और वैसे भी तुम लोग तो हो न, तुम लोग कहा मुझे अकेला छोड़ते हो जब देखो शनि राहु केतु की तरह आगे पीछे रहते हो, वैसे भी में तुम लोग लोगों का बाँस ही नहीं दोस्त और भाई भी हू तो तुम लोग मुझसे ये इतना डरते क्यो हो में तुम लोगों को खा थोड़ी ही जाउगा शिवा की बात सुन वरून धीरे से बडबडाया
वरुन - हा बोल तो ऐसे रहे हैं कि मैं तुम लोगों को खा नही जाऊगा जैसे कि हम लोगों को कुछ पता ही नहीं है. अरे कोई हमसे पूछे कि पूरा दिन इनके साथ काम करना वो भी भाई के ऐसे नेचर के साथ जो कब गुस्सा हो जाए कब नाराज हो जाए कोई नहीं बता सकता, 30 के हो गये है पर ये नहीं कि शादी वादी करे हमे एक प्यारी सी भाभी लाकर दे 2.4 बच्चे करे जो हमे चाचू चाचू कहे और हमारे आगे पीछे घुमे हमे परेशान करे पर नहीं इन्हे तो कुंवारा ही रहना है न खुद शादी करेंगे ना हमे करने देंगे, खुद तो अखण्ड कुवारे हैं हमे भी अपने जैसा ही बना रहे हैं, खुद शादी कर रहे न हमे करने दे रहे अरे कोई इन्हें बताओं कि अगर एक बार उम्र निकल गई तो कोई भी बाप अपनी बेटी किसी बूढ़े को नहीं देगा, मुझे तो ऐसा लगता है जैसे मेरी सारी जवानी ऐसे ही निकल जाएगी...... ये सब बोल कर वरून अजीबोगरीब शक्ले बना रहा था, वही उसके बगल में खड़ा शेरा उसने वरुन की सारी बाते सुन ली थी वो उसकी बातो सुन कर हसे जा रहा है कहीं न कही सभी ये चाहते थे कि शिवा भी अब शादी कर ले ताकि उनका भी नम्बर लगे.
वही वरून कि बातों को शिवा ने भी सुन लिया था, और शेरा को उसका साथ देते देख और हसता देख कर चिढ़ गया, और बोला
शिवा - तुम दोनों को बड़ी पड़ी है मेरी शादी की ,ओर मजे लेकर हसा जा रहा है, तुम दोने को कोई काम वाम नही है क्या जो ऐसे यह पर खड़े होकर मेरे सर पर ताड़व कर रहे हो जाउ जाकर अपना काम करो उसकी ऐसी बातों को सुनकर दोनों जल्दी से नो दो ग्यारह हो गये, उन्हें ऐसे जाता देख शिवा बस मुस्कुरा दिया और अपने काम में लग गया,
वही शिवांगी रेस्टोरेन्ट से निकल खाफी देरतक इधर उधर घूम कर जब थक गई तो वो एक पार्क मे जा कर एक बैच पर बैठ गई और वहा पर खेल रहे बच्चों को देखने लगी, तभी एक बच्चे की बॉल शिवांगी के पैरो के पास गई, जिसे लेने के लिए वो बच्चा शिवांगी के पास गया, तो शिवांगी ने वो बाल उठाकर उस बच्चे को देकर प्यार से उसके गालो को छू कर बोली
शिवांगी - हे ये बाॅल आपकी है... बच्चे ने हा में अपनी गर्दन हिलाई तो शिवांगी बोली....... • आपका नाम क्या है। बच्चे ने अपना नाम "वंश" बताया और वहा से चला गया,
पर वंश नाम सुन कर शिवांगी की आँखो मे आँसू आ गये उसे कुछ पुरानी बाते याद आ रही थी, जिसमे एक 25, 26 साल का एक लड़का, एक 16 साल की लड़की ओर एक 21, 22 साल की लड़की गार्डन मे बॉल से खेल रहे थे, और लड़का 16 साल की लड़की को बार बार चिढ़ा रहा था, और वो लड़की रोनी सी लेकर 21.22 साल की लड़की के पास गई, और बोली
लड़की - देखो ने शिवी दी भय्यू मुझे चिढ़ रहे हैं आप ही कुछ करोना, चलो न हम दोनों मिल कर भय्यू को हराते है,. ..उस छोटी लड़की की बात सुन कर वो बड़ी लड़की बोली ठिक है अब हम दोनो मिल कर भय्यू को हरायेंगे, ....... क्यों भय्यू हारने के लिए तैयार तो हो न की हार मान ली, ....... उसकी बात सुनकर वो लड़का बोला देख शिवी ये मेरी ओर इस बंदरिया की लड़ाई है इसके बीच में तू मत आ.... बंदरिया सुनकर छोटी वाली लड़की बोली मेरा नाम बंदरिया नहीं है मेरा नाम नमृता राठोर समझे आप और आपने मुझे बंदरिया कहा तो आप लंगूर, चिम्पेजी, डाइनासौर जंगल के सभी जगली जानवर हो आप नमृता की बात सुन कर वो लड़का बोला, निमी की बच्ची तुझे तो मैं छोडूंगा नही मै ये बोल कर वो उसके पीछे पीछे भागने लगा उन दोनों की लड़ाई देख कर गार्डन में बैठे एक उम्र दराज महिला और उनके पति और एक 23, 24 साल की लड़की जिसने साड़ी पहनी थी और पेट भी बाहर निकला था वो सभी उन सबकी मस्ती देख कर हसे जा रहे थे, शिवी भी वही बैठ गई, और वो हसे जा रही थी, और लड़का नीमी के पीछे पीछे भागे जा रहा था और नीमी उसे चिढ़ाए जा रही थी, भागते भागते लड़के ने नीमी की चोटी पकड़ ली इस पर नीमी बोली
नीमी - वंश भय्यू छोडो न देखो दर्द हो रह हैं, अच्छा बाबा अच्छा अब से आप को नहीं चिढाउगी अब तो छोड़ दो इस पर वंश ने नीमी की चोटी छोड़ दी चोटी छोड़ते ही एक बार फिर से नीमी ने वंश को उन्हीं नामो से चिढाया ओर भाग कर माँ, पापा भाभी शिवी दी मुझे बचाओ बोल कर भागने लगी और अपनी माँ और पापा के पीछे छुप गई
वंश - हा हा, छुप जा सबके पीछे, घर में सबसे छोटी है इसी बात का फायदा उठा ले इस पर उनकी माँ बोली
माँ - हा तो मेरी नीमी हे ही ऐसी की कोई भी उससे प्यार करे पर पता नही "प्रिया" ने तुझ में ऐसा क्या देख लिया जो तुझ जैसे बंदर को पंसद कर लिया और तुझसे शादी कर ली, नीमी पीछे से अपने भाई को चिढ़ाय रही थी वही वंश तो आखो ओर मुह खोले अपनी मा को देख रहा था
वंश - माँ आप ये कैसे बोल सकती हो, आपकी बाते सुनकर तो मुझे लगता है कि मे आपका सगा बेटा हू भी या नहीं
इस पर उसके पापा बोले
पापा (मि.राठोर) - अब तो मुझे भी यही लग रहा है.... उनकी बात सुन कर सभी हैरान नजरों से उन्हें देखने लगे और वही वंश तो खुश हो रहा था कि कम से कम उसके पापा तो उसके साथ है पर थोड़ी ही देर में बेचारे के अरमानों पर पानी फिर गया
मि. राठोर - मेरे कहने का मतलब था कि कही हास्पिटल में बच्चों की अदला बदली तो नहीं हो गई, ओर तुझ जैसे नालायक और आलसी को प्रिया जैसी इतनी अच्छी लड़की मिल कैसे गई, मै तो अभी भी हैरान हूँ
वंश - हैरान तो मुझे होना चाहिए, आप लोगों की बातों से, आप दोनों हमेशा से ही, अपनी इन बेटियों को ही प्यार हो, मुझसे तो कोई प्यार ही नहीं करता, ये बोल कर वंश मुह बना कर घर के अंदर चला गया और यहा सभी जोर जोर से हसे जा रहे थे,
अचाकन शिवांगी अपने अतीत की यादो से बाहर निकली इस वक्त उसकी आँखों में आँसू और चेहरे एक प्यारी सी मुस्कराहट थी, थोडी देर बाद शिवागी वहां बैठने के बाद भूख लगने पर वो कुछ खाने के लिए पास के ही एक छोटे से ठेले पर पावभाजी बेचने वाले के पास गई और पावभाजी खाने के बाद पैसे दे कर वो वहा से चली गई
भाग - 10 पहला एहसास
शिवा पूरे दिन आफिस में काम करता रहा उसे काम करते हुए टाइम का पता ही नहीं चला, शिवा को थकान हो रही थी, काफी देर से एक ही पोजीशन में जो बैठ कर काम कर रहा था, उसने टाईम देखा फिर अपने कार कि चाभी ले कर, बिनी किसी को कुछ बोले कार ले कर चला गया,
वही दूसरी और एक बड़ा सा घर जिसके लिवीग रूम में एक आदमी गुस्से से लीविंग रूम के एक तरफ बना बार वहा पर बैठ कर शराब पे शराब पिये जा रहा था और पास में ही पड़ा उसका फोन बजे जा रहा था, जैसे ही उसने फोन पर फ्लैश हो रहे नाम को देखा तो उसने जितना भी पिया था वो सारा नशा उतर गया उसने घबराते हुए फोन को उठाया ऊधर से एक गुस्से भरी आवाज़ आई
अंजान व्यक्ति - कहा मर गये थे, जो फोन उठाने में इतना टाइम लग रहा था, कही अपनी उस लैला के साथ तो मौज नहीं कर रहे हो अपनी नाकामयाबी का, ये बोल वो जोर से दूसरे व्यक्ति पर पर चिल्ला रहा था,
दूसरा आदमी - न न न नहीं ब ब ब बास वो म म में त त त तो इस वक्त में अकेला ही हू बास
अंजान व्यक्ति - मैने तुम्हारी बकवास बातो को सुनने के लिए फोन नही किया था, मैं बस इतना जानना चाहता हू कि मेरा वो माल पुलिस तक कैसे पहुंचा, कौन है जिसने कोबरा के साम्राज्य को खत्म करने कि हिम्मत दिखाई, उसे शायद ये नहीं पता कि अगर कोबरा किसी की जिंदगी में आता है तो कुंडली मार कर उसे अपनी गिरफ्त में लेकर उसे छोड़ता नहीं है जब तक कि वो मर न जाए, तो कौन है जिसने मुझसे
दुश्मनी लेने कि गुस्ताखी की है, आहूजा पता कर की ये किसकी हरकत है
आहूजा - बॉस मुझे पता है कि ये किसने किया है आप फिक्र मत किजिए उसे तो में देख लूगा, वैसे भी कुछ पुरानी रंजिश है बदला लेने में मजा आएगा, उसकी बात सुनकर कोबरा बोला
कोबरा - मुझे तुम्हारी इन रंजिशो से कोई मतलब नही है जिसने मुझसे दुश्मनी मौल ली है मुझे उसकी मोत कि खबर सुननी है ....आहूजा कुछ बोले को हुआ कि उधर से फोन कट हो गया। आहूजा ने अपने आदमियों को कुछ बताया ओर वो लोग चले गये
शिवांगी मरीन ड्राइव के पास ही बैठी थी सुकून कि तलाश में पर आज उसका मन शांत नही था, वो फिर से अपने अतीत को याद कर रही थी, जिसे याद कर कभी उसे इसी आ जाती तो कभी गुस्सा आता तो कभी रोना देर तक ऐसे ही बैठे रहकर समुद्र की लहरो को देखने लगी, उसके दिल में बहुत से दर्द थे जो वो चीख। चीख कर बोलना चाहिए थी दिल के जज्बातो को कम करना चाहती थी पर किससे कहे उसके पास तो कोई अपना कहने के लिए भी कोई नहीं था।
दर्द की भी अपनी एक अदा है
ये तो सहने वालो पर ही फिदा हैं
शिवा अपनी कार लेकर मरीन ड्राइव पर ही कार की बोनट पर बैठा था, और सिगरेट पीए जा रहा था उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था, वो समुद्र की लहरों को एकटक देखने लगा, सहसहा ही उसकी नजर वही पास मे पत्थरो पर बैठी शिवांगी पर गई, शिवांगी की पीठ शिवा की ओर थी जिससे शिवा को उसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था, वो बार को देखने की कोशिश कर रह था पर देख नही पा रहा है (शिवा को खुद नहीं पता था की को ऐसा क्यों कर रहा है, पर वो शिवांगी का चेहरा देखना चाहता था क्यों वो तो वो भी नहीं समझ रहा था) अचानक शिवा का फोन बचा फोन पर फ्लैश हो रहे नाम को देखा कर शिवा ने तुरंत फोन पीक किया,
शिवा - हा क्या हुआ सैम तुने फोन क्यों किया, कुछ काम था क्या,
सार्थक - काम नहीं था पर तू बिना किसी को कुछ भी बताये और बिना गार्डस के चला गया तुझे कोई अक्ल - वक्ल हैं भी या नहीं, या सीर में भूसा लेकर घूम रहा है उसकी बात सुन कर शिवा चिढ़ कर बोला
शिवा - क्या यार से तू मुझे सुना क्यो रहा है मैं तो बस कुछ सुकून के लिए अपनी सुकून बाली जगह आया था, ये बात शिवा ने मुह बना कर कहा था
सार्थक - तू अपने सुकून के लिए हमारा सुकून, और सूख चेन क्यों छिन रहा है, खेर ये सब छोड़ और वही रहना में अभी वहा आ रहा हूँ (सार्थक को काफी देर से कुछ अजीब, और घबराहट हो रह था इसीलिए उसने शिवा को फोन किया ) फोन रख कर शिवा फिर से वैसे ही बैठा रहा, बोर न हो इसलिए फोन में गाना लगा दिया
दूसरी ओर शिवांगी को घर के लिए काफी देर हो रही थी तो वो वहा से उठ कर जाने लगी, कि अचानक शिवांगी को कुछ दिखा ओर वो दौड कर जल्दी से किसी को खीच लिया अचानक खीचे जाने से उस व्यक्ति को कुछ भी समझ नहीं आया, और वो शिवांगी के साथ नीचे रोल कर के गिर गया, और पास ही पड़े एक पत्थर से शिवा के सर पर चोट लग गया,
पर इन सबको नजर अंदाज कर के शिवा तो अपने ऊपर गिरी शिवांगी की उन काली गहरी आखो को ही देखे जा रहा था उसे उन आखो में कुछ तो ऐसा दिखा था जो बहुत ही अलग था जैसे कुछ खाली पन, कुछ अधूरा सा हो... वही हाल शिवांगी का भी था, वो भी शिवा की उन समुद्र जैसी गहनी नीली आखो में कही खो सी गई थी, दोनों को ही होश नहीं था....... दोनों को ही कुछ अलग सा एहसास हो रहा था, जहा शिवांगी का हाथ शिवा के कन्धे पर था तो शिवा के हाथ शिवांगी की कमर पे दोनों की ही धड़कने बहुत जोरो से शोर मचा रही थी, तबी शिवा के फोन से गाना बजने लगा जो थोड़ी देर खीचने से पहले वो गाना सुनने जा रहा था।
(गाना)
एहसास की जो जुबान बन गए
एहसास की जो जुबान बन गए
दिल में मेरे मेहमान बन गए
आप की तारीफ़ में क्या कहें
आप हमारी जान बन गए
आप हमारी जान बन गए
आप ही रब आप ईमान बन गए
आप हमारी जान बन गए
रब से मिला एक अयान बन गए
ख्वाबों का मेरे मुकाम बन गए
आप की तारीफ़ में क्या कहें
आप हमारी जान बन गए
आप हमारी जान बन गए.
आप ही रब आप ईमान बन गए
आप हमारी जान बन गए
अचानक एक गोली की आवाज़ से दोनों होश में आए, शिवांगी जल्दी जल्दी शिवा के ऊपर से हटने की कोशिश कर रही थी कि इसी जल्दी बाजी में शिवांगी के गले में पहना पेंडेट शिवा की शर्ट में फस गया था, शिवागी ने ज्यादा शिवा पर ध्यान दिये वो जल्दी से उठी ओर इसी में शिवांगी के गले में पहना पेंडेट, खीचने कि वजह से उसका आधा हिस्सा के शर्ट में ही रह गला,
(इस पेंडेट के बारे में एक राज भी है जो धीरे धीरे कहानी के साथ बताया जाएगा)
इस पर दोनों ने ही कोई ध्यान नहीं दिया और ना ही दोनों ने एक दूसरे को सही से देखा सिर्फ आँखो के अलावा, शिवांगी बिना शिवा पर ध्यान दिए जल्दी वहा से चली गई।
जाने के बाद जब दोबारा से गोली चली तब जा कर शिवा को होश आया वो अपनी नजरे इधर उधर घुमा कर देख कर था पर उसे कोई नही दिखा एक फिर से गोली की आवाज़ आई (शिवा को एक भी गोली नही लगी क्योकि वो कार के लेफ्ट साइड गिरा था ओर गोली चलाने वाले राइट साइड में थे) शिवा अपना सिर झटक कर अपने कार के डैशबोड गन निकाल कर जबाबी फायरींग करने लगता हैं,
दोनों तरफ से गोलियों की आवाजे आने लगी, शिवा ने बड़ी ही सफाई से सभी को मार दिया था, अचानक से शिवा के पीछे एक गोली लगी जब वो मुड़ तो एक आदमी शिवा पर गोली चलाने ही वाला था पर किसी ने पहले ही उस आदमी को मार दिया, जब शिवा ने गोली चलने कि दिशा में देखा तो वहा सार्थक, वरून, शेरा, मंयक और कार्तिक थे, और उस आदमी पर गोली सार्थक ने ही चलाई थी, सभी लोग जल्दी से शिवा के पर आ गये, सार्थक ने जल्दी से जाकर शिवा को जोर से गले लगा लिया, और शिवा ने भी दोनों को गले लगे देख कर बाकि सब भी जा कर गले लग गये, थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद शिवा बोला
शिवा - यार मारने का इरादा है क्या जो ऐसे सब चिपके हो, यार सांस तो लेने दो, उसकी बात सुनकर सभी अलग हुए, और शिवा लम्बी सांस लेने लगा उसे ऐसे देख कर सभी मुस्कुरा दिये, पर सार्थक की आखे नम थी वो बोला
सार्थक- शिवा तू ऐसा क्यों करता है तू जानता है न कि अगर तुझे कुछ हो गया तो हमारा क्या होगा, वो तो अच्छा हुआ कि हम सही समय पर आ गये नही तो कुछ भी हो सकता था, तुझे हमेशा बोला है कि अपने साथ गार्डस या फिर इनमें से किसी को साथ रख ,पर नहीं मेरी सुनता ही कहा है तू, माँ-पापा, अंकल आंटी को तो खो दिया है, तुझे अब नहीं खो सकता हूं, तू जान है मेरी, उसके ये बोलने पर बाकि सभी ने भी एक साथ कहा- हमारी भी ,ओर सभी मुस्कुरा दिये,
शिवा (बोला )- यार तू मेरी इतनी फिक्र मत कर मुझे कुछ नहीं होगा और तुझ सब हो न मेरा सुरक्षा कवच ये बोल कर वो हंस दिया और बाकि सभी उसे घूरने लगे शिवा को माहौल थोड़ा गर्म होता नजर आया तो वो बदलते बोला,
शिवा - अच्छा ये सब छोड़ और मुझे घूरना बंद करो, यार भूख लगी है सुबह से कुछ भी नहीं खाया है चल कर कुछ खा ले, उसकी बात सुनकर किसी ने भी कुछ नहीं कहा और हा मे सिर हिलाकर कार में बैठ रेस्टोरेन्ट के लिए निकल गये, (रेस्टोरेन्ट जाने से पहले शिवा ने अपने बाडीगांडस को उन आदमियो की और कुछ इशारा किया और वहा से निकल गया)
कार सीधा रेस्टोरेन्ट के बाहर रूकी सभी अंदर जाकर एक ही टेबल पर साथ में बैठ गये और कुछ ही देर मे
उनका खाना भी आ गया, अचानक शिवा को पीछली बात याद आ गई कि कैसे उसने अनजाने में उस लड़की पर हाथ उठा दिया और उसने अभी तक उससे माफि भी नहीं मागी वो अपनी नजरे इधर उधर घुमा कर देखने लगा पर उसे वो लड़की नहीं दिखी...उसकी ये हरकते सभी देख रहे थे और समझ भी गये थे कि शिवा क्या सोच रहा था, खाना खत्म करके शिवा ने मैनेजर को बुलाया और उस लड़की के बारे में पूछा तो उसने बता दिया कि उसे नोकरी से निकला दिया, ये सुनकर शिवा और बाकि सभी को गुस्सा आया शिवा बोला
शिवा - मि. शर्मा उसमें उस लड़की कि कोई गलती नहीं थी बल्कि गलती तो किसी ओर की थी और अपने उसे निकल दिया उस रोज मुझे गलतफहमी हुई थी इसलिए वो सब हुआ पर इसमे उस लड़की कि कोई गलती नहीं है बल्कि गलती उन दो लड़कियों कि है (थोड़ी दूर पर खड़ी दो लड़कियां की तरफ इशारा कर के) नोकरी से इन्हें निकालना था न कि उसे मुझे उस लड़की के घर का पता दो में खुद उससे मिलना चाहता हूँ और इन दोनो लडकियो को यहा से निकाल दो इसके आगे मुझे कुछ नहीं सुनना ये बोल कर शिवा बाकियो के साथ निकल गया।
सभी एक ही गाड़ी में बैठे थे थोड़ी देर में शिवा के फोन में एक मेसेज आया था, जिसमे मैनेजर ने शिवागी की फोटो ओर पता लिख कर दिया था उस मैसेज को शिवा ने शेरा को भेज दिया और बोला
शिवा - शेरा मैने अभी तुम्हें एक पता, और उस रेस्टोरेन्ट वाली लड़की की फोटो भेजी है, मुझे कल तक इस - लड़की के बारे में सब जानकारी चाहिए, और हा एक और चीज पता करना मरीन ड्राइव के पास एक लड़की थी, जिस समय थोड़ी देर पहले में था मुझे उस लड़की के बारे में भी सारी जानकारी चाहिए. ओर अभी जो हमला हुआ है उस के बारे में भी पता लगाओ कि किसने किया है वैसे मुझे पता है पर मैं confirm करना चाहता हूँ कि ये वही है शेरा ने हा में सिर हिला दिया तो वही सभी के मन में एक ही सवाल था उस दूसरी लड़की के बारे में आखिर शिवा क्या पता करवाना चाहता है।
मंयक वरून और कार्तिक एक दूसरे को देखने लगे और वही शेरा ओर सार्थक भी शोक थे कि शिवा की ओर लड़की के बारे में क्यों पता करवाना चाहता है, इसी कशमकश में आखिर सार्थक से रह नहीं गया तो उसने पूछ ही लिया
सार्थक - वैसे शिवा (शिवा शब्द को थोड़ा लम्बा खीच कर हम सभी को पहली वाली लड़की के बारे में सारी डिटेल्स का तो समझ आता है, पर ये दूसरी लड़की के बारे में पता करवाना भाई ये बात कुछ हजम नहीं हुई। कि तू किसी लड़की के बारे में पता करवा रहा है आखिर माजरा क्या है कही कोई प्यार व्यार का चक्कर तो
नहीं है न मेरे भाई, ये बात सार्थक ने शिवा थोड़ी मसती करने के लहजे से कही इस पर शिवा
शिवा - तू और ये बाकि सब जैसा सोच रहे हो वैसा कुछ नहीं है।
वरून (बीच में कुदकर)- तो कैसा है भाई, मतलब आप किसी लड़की के बारे में जानना चाहते हो और हमसे कह रहे हो कि ऐसा कुछ नहीं है तो कैसा है भाई
शिवा - ज्यादा अपने दिमाग के घोड़े दोडाना बंद कर वरना जो भी बची कुचा तेरे इस खाली खोपड़ी में जो पाव भार का दिगाम है न वो खत्म हो जाएगा तो एकदम शांत हो कर बैठ
मंयक (भी बीच में कूद पड़ा) - हा भाई इस बात पर तो मैं भी वरून से सहमत हू कि आप किसी अनजान लड़की के बारे में पता करवा रहे हो कही बहुत ही जल्द हमे हमारी भाभी तो नहीं मिलने वाली है अगर ऐसा है तो..... शेरा कि ओर देख कर
मयंक बोला - शेरा भाई आप जल्दी से जल्दी हमारी भाभी के बारे में पता करो और अगर आप से नहीं होता तो, हम सारे भाई हैं ही, हम अपनी भाभी के बारे में सब पता करवा लेंगे, मंयक ने ये बात चहकते हुए कहा जिस पर सभी मुस्कुरा दिए और शिवा मंयक को घूरे जा रहा था इस पर मंयक ने अपने दाँत दिखा दिए
इन सब ये परेशान हो कर शिवा ने कहा
शिवा- चुप एकदम चुप, जैसा तुम लोग सोच रहे हो वैसा कुछ भी नहीं है बल्कि बात ये है कि.. तब शिवा ने उन्हें सारी बात बता दी जो मरीन ड्राइव के पास हुआ जिसे सुनकर सभी का मुंह लटक गया, मंयक कुछ बोलने को हुआ कि शिवा ने एक बार मंयक को बुरी तरह से घूरा जिसे देख कर वो चुप हो गया और शिवा ने सोचा इससे पहले कोई और सवाल बोले उसने रेडियो। आन कर दिया।
(गाना)
एक अजनबी हसीना से,
यूँ मुलाकात हो गई
फिर क्या हुआ, ये ना पूछो,
कुछ ऐसी बात हो गई
एक अजनबी हसीना से....
यूँ मुलाकात हो गई
वो अचानक आ गई,
यूँ नजर के सामने
जैसे निकल आया घटा से चाँद
चेहरे पे जुल, बिखरी हुई ची
दिन में रात हो गई
एक अजनबी हसीना से....
यूँ मुलाकात हो गई
जान-ए-मन जान-ए-जिगर,
होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
मैंने ये कहा तो मुझसे ख़फ़ा वो
जान-ए-हयात हो गई
एक अजनबी हसीना से....
यूँ मुलाकात हो गई
खूबसूरत बात ये
चार पल का साथ ये
सारी उमर मुझको रहेगा याद
मैं अकेला था मगर,
बन गई वो हमसफ़र
वो मेरे साथ हो गई
एक अजनबी हसीना से.....
यूँ मुलाकात हो गई
अब ये शिवा की किस्मत कहो या कुछ और ये गाना सुनकर शिवा को शिवांगी का उसके ऊपर गिरना उसकी वो काली गहरी आखे, और उसके इतने करीब होने पर उसे कुछ अलग सा एहसास होना जिसे याद कर के बरबस ही शिवा के चहरे पर अपने आप ही मुस्कान आ गई।
ओर ये बात सभी ने नोटिस कर ली थी
सार्थक (अपने मन में) - कुछ तो हुआ है आज ऐसा जो शिवा किसी को कुछ नहीं बता रहा है वरना वो किसी लड़की के बारे में पता करवाए और ये ऐसे मुस्कुराना कुछ तो झोल हैं भाई पता तो करना पडेगा
कार मैन्शन में आ कर रूकी ओर सभी अपने अपने कमरे में जा कर सो गये वही शिवांगी भी घर पहुंच कर फ्रेश होकर सो गई।
भाग - 11 नया दोस्त
सुबह का समय
शिवांगी अपने रोज के समय अनुसार जल्दी उठ गई थी, नवरात्रो का समय था तो उसने जल्दी से अपनी खत्म करी, ओर माता के आगे हाथ जोड़ कर प्रार्थन करने लगी, कि आज उसे कोई नोकरी मिल जाए,
सब कुछ होने के बाद शिवांगी ने अपने लिए कुछ हल्का फुल्का ही खाने को बनाया था, और घर के बाकि काम को खत्म करने लगी, काम खत्म कर अपना बैग और घर की चाभी लेकर जैसे ही बाहर निकल कर घर को ताला लगाने लगी, तभी वहा घर का मकान मालिक आ गया, और वो शिवांगी को लालची नज़रों से ऊपर से नीचे तक देखने लगा, उसकी आँखो में हवस साफ देखी जा सकती थी, शिवांगी जो घर में ताला लगा रही थी अपने ऊपर किसी की नजरो की तपिश महसूस कर पलट कर देखने लगी तो मकान मालिक को खुद को देखता पाकर डर और असहज के आ गए, लेकिन वो मकान मालिक शिवांगी अपनी गिद्ध जैसी नजरो से शिवांगी के सीने की ओर ही देखे जा रहा था जैसे आँखो से ही वो शिवांगी के जिस्म को स्कैन कर देगा, ओर उसकी उन घूरती नजरों को अपने ऊपर देख शिवांगी ने अपने दुप्पटे को सही से करने लगी, डर उसकी आँखो में हल्का सा दिखने लगा था लेकिन खुद को मजबूत कर वो बोली
शिवांगी - जी आप यहा पर कुछ चाहिए था आपको,
मकान मालिक वैसे ही देखकर - चाहिए तो बहुत कुछ तुम क्या दे सकती हैं,
मकान मालिक की डबल मिनीग बात सुनकर शिवांगी को एक अनचाह डर होने लगा, कुछ चीजे उसकी आँखों के आगे घुमने लगी, लेकिन कुछ देर बाद शिवांगी अपने आप को सभालते हुए सिर झटक कर मजबूत लहजा कर बोली,
शिवांगी - नजरें वहा नहीं यहा रखिए, ( अपने सीने की ओर इशारा कर फिर अपने चेहरे की ओर इशारा कर बोली) और आपके कहने का मतलब क्या है, और प्लीस जिस काम के लिए हैं वो बताए मुझे काम के लिए देर हो रही हैं,
मकान मालिक में हवस भरी नजरो से शिवांगी को देखकर बोला- हाँ वो मैं कहने आया था कि महीना
पूरा होने को है 2 महीने का किराया ओर इस महीने का किराया अभी तक नहीं आया तो वही लेने आया था,
किराए का नाम सुनकर शिवांगी घबरा गई, उसके दिमाग से ये बात निकल ही गई थी कि उसे किराए भी देना था, एक तो पहले ही 2 महीने का किराया उसने दिया नही था और उस पर भी जो नोकरी थी वो भी नहीं रही, ओर इतनी जल्दी दूसरी नौकरी मिलना वो भी बिना किसी आई डी ओर डाक्यूमेंट के मिलना मुश्किल है ओर अगर कोई नौकरी मिल भी गई तो सैलरी उतनी नही मिलेगी कि किराया और बाकि सब हो जाए, शिवांगी अभी यही सोच ही रही थी कि मकान मालिक बोला
मकान मालिक - क्या सोच रही हो, यही कि इतनी जल्दी किराया कैसे दोगी, तो मेरे पास एक उपाए है, तुम चाहो तो मै तुम्हारा पिछले 2 महिने का ओर इस महीने का किराया माफ कर दूंगा, चाहे तो ये फ्लैट तुम्हारे नाम कर दूंगा, लेकिन बदले में तुम्हें भी मुझे कुछ देना होगा, मुझे भी खुश कर दो, तो मै तुम्हें खुश कर दूंगा, ये बात उसने बड़े ही बेहूदा तरीके से अपना निचला होठ काटते हुए कहा तो शिवांगी उसकी इस हरकत से ठिठक कर रह गई, उसे डर और खौफ सा महसूस होने लगा था,
(एक तो वो पहले ही इतनी परेशानी में है ये फ्लैट भी उसे बड़े मुश्किल से मिला था, वरना तो जहा जाती कोई न कोई परेशानी जरूर कभी कोई फ्लैट का किराया ज्यादा बताता जो उसकी बजट से बाहर था, नहीं तो एक आत जगह उसे ठिक ठाक अपने बजट के हिसाब से मिल भी जाता तो वो आई डी प्रूफ माँगते जो उसके पास था नहीं, ले देकर बड़ी मुश्किल से ये जगह मिली तो ऐसे हैवान से उसका सामना हुआ था, आए दिन किसी न किसी बहाने वो यहा आता ही रहता, जो
और वो अक्सर उसे जल्दी से किसी काम का बहाना बताकर भेज देती, लेकिन कई दिनों से उसकी हिम्मत बढ़ रही थी, वजह था शिवांगी का अकेले रहना, वो मकान मालिक अच्छे से समझ गया था कि शिवांगी का कोई नहीं है, क्योंकि न तो कोई उससे मिलने आता था, न वो कही जाती थी, सिर्फ काम के अलावा वो घर पर ही रहती थी, और शिवांगी के इसी अकेले पन का फायदा वो मकान मालिक उठाना चाहता था, लेकिन शिवांगी के बहानों से वो बोखला सा गया था लेकिन फिर उसने किराए का बहाना बना कर अक्सर शिवांगी को परेशान करने ही जाता था, )
शिवांगी - नहीं हमे कोई आपका फ्लैट नहीं लेना, (अपना पर्स खोलकर उसमे से कुछ पैसे निकाल कर मकान मालिक को दे दिया,) ये 3000 रूपए हैं बाकि के में बाद में दे दूंगी, ओर हा बहुत जल्दी में ये जगह छोड़ दूगी,
मकान मालिक को पैसे पकड़ा कर ओर उसकी बिना कोई बात सुने शिवांगी तुरंत वहा से चली गई, उसे उस आदमी की हरकते अक्सर डरा जाती थी, अब वो ये सोचने लगी थी कि उसे नौकरी के साथ साथ एक कम दाम का मकान देखना होगा, क्योंकि उस आदमी के आस पास रहने से उसे कोई अच्छी वाइव्स नहीं आती थी, शिवांगी अक्सर उस आदमी के बात करने ओर देखने के तरिके से असहज ओर डर से कांप जाती थी, और उसका मन किसी अनहोनी का संकेत देता था,
(समाज में एक अकेली लड़की का होना भी किसी गुनाह सा लगता है, जब कभी कोई लड़की किसी भी से बाहर अकेले रहती हैं तो गिद्ध की नजर रखे, ओर हर पल हवस भरी नजरो को लिए घुमते रहते हूँ ओर किसी को जाहिर भी नहीं होने देते और ये हवस भरी नजरे लिए लोग हमारे आस पास ही होते हैं, और सही मौके की तलाश कर उस लड़की को रौंद देते हैं, इसलिए जो भी लड़की अपने किसी काम से अकेले रह रही हो उसे हर पल चौकना होना चाहिए, कभी भी किसी पर जल्दी विश्वास न करना चाहिए ओर लडकिया ही क्यों कई बार इस गलत मानसिकता रखने वाले तो लड़को को भी नहीं छोड़ते जहा हमारा देश कई चीजो में आगे बढ़ रहा है वही क्राइम कि दुनियां में भी आगे बढ़ रहा है, इसलिए हमे हमेशा चौकना याना चाहिए )
शिवांगी के जाने के बाद मकान मालिक उसी दिशा में देखने लगा और खुद से बोला
मकान मालिक - बहुत घमंड हो गया है साली को बहुत उड़ने लगी है, मैने भी इस साली के पर नहीं कतरे तो मेरा नाम भी रोहन नहीं, अब तो इस हुस्न की रानी को पाने की तलब ओर भी जोर से होने लगीं है, अब कहा बच के जाओगी रानी, आज तुम्हें अपना बना कर तुम्हारे हुस्न को करीब दे देखूंगा, ओर ये बोल वो जोर से एक बेशर्मो वाली हँसी हँसने लगा और वहा से चला गया,
शिवा और बाकि सब भी अपने रोज मरा के काम कर आफिस के लिए निकल गए, आज कुछ ज्यादा ही काम था तो शिवा ने कुछ मिटिंग सार्थक को अटेंड करने के लिए कह दिया था, और बाकि सब भी उन्ही के साथ थे,
आफिस पहुँच कर शिवा और सब काम में लग गए, शिवा को आया देख शनाया अपने आप को सही करने लगी, और जल्दी से मेकअप सही किया और किसी न किसी बहाने वो शिवा के केबिन में जा रही थी, वो अक्सर शिवा का ध्यान अपने ऊपर खिचने के लिए अकसर ऐसे कपड़े पहनती थी जो छुपाते कम और दिखाते ज्यादा थे, लेकिन इन सब के बाद भी शिवा का ध्यान कभी इन फालतू चीजों में नहीं गया, ओर शनाया भी कुछ खुल कर ऐसा नहीं करती थी क्योंकि शिवा का गुस्सा कभी कभी इतना तेज होता था कि अगर वो किसी फिमेल को भी सुना दे तो दोबारा वो उसके सामने जाने कि हिम्मत नहीं करती थी, इसलिए शनाया इन मामलो मे धीरे धीरे अपने कदम रख कर शिवा को पाना चाहती थी, आज भी वो किसी फाइल पर डिस्कस करने शिवा के कैबिन में थी, ओर पेन गिराने के बहाने जानबूझकर ज्यादा झुक जाती ताकि शिवा उसे देखे पर शिवा इन बातों तो बेखर अपने लैपी पर किसी को मारने मेल कर रहा था, और कुछ देर बात उसने शनाया को बाहर भेज दिया था,
कुछ देर बाद उसकी होटेल प्लाजा में किसी क्लांट के साथ मिटिंग थी, तो उसमे शिवा ओर सार्थक दोनों का होना जरुरी था तो वो दोनों ओर बाकि गैंग भी उनके साथ ही चली गई, होटेल पहुँच कूछ औपचारिक बातों के बाद मिटिंग शुरू हुई और करीब 2 घंटे तक मीटिंग चलती रही, क्लांट शिवा की कम्पनी के साथ काम
करने के लिए बहुत खुश थे, मीटिंग खत्म होने के बाद सभी ने खाना खाया और विदा लेकर चले गए,
सभी गाड़ी ही बैठे थे कि वरून ने जोर कि ब्रेक लगाई, तो सब झटका खा गए, अभी कोई कुछ बोलता कि वरून ने ट्रैफिक की ओर इशारा कर दिखा, तो बहुत बुरा ट्रैफिक लगा हुआ था, वरून गाड़ी पीछे लेने लगा कि पीछे भी कई गाड़िया उस ट्रैफिक में फंस गई थी,
जिससे शिवा परेशान हो गया था, वो अपनी दूसरी गाड़ी लाने के लिए ड्राइवर को कॉल करता कि उसकी नज़र बाहर गई, जहा सड़क के किनारे एक गड्ढे में एक छोटा सा पप्पी फंसा था ओर कुद कुद कर बाहर आने की कोशिश कर रहा था, शिवा की गाड़ी कई गाडियो के बीच में फंस थी जिस वजह से वो निकल नहीं पा रहा था, शिवा अंदर से ही उस पप्पी को संघर्ष करते देख रहा था, और आस पास के लोग वहा से गुजरते हुए भी उस पप्पी को नजर अन्दाज़ करते जा रहे थे, कुछ की नजर पडते हुए भी कोई आगे नहीं आया, शिवा ने अफसोस से सिर हिला, उसे बहुत दुख हो रहा था कि लोग अपने काम और जल्दी के चक्कर में एक मासूम पप्पी को भी नज़र अंदाज करते जा रहे थे, यहा कोई एक्सीडेंट भी हो जाता तो भी लोगों को फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वो उस शख्स का रिश्ते थोड़ी होता जो उसकी मदद कर सके और वही हाल यहा पर भी था, यू तो लोग बहुत बड़ी बड़ी बाते करते थे, हमे ये करना चाहिए वो करना चाहिए लेकिन जब करने की बात आती हैं तो हाथ पर हाथ कर बैठ जाते हैं,
शिवा ने देखा उसकी तरफ से गाड़ी हट गई है वो जैसे ही निकलने को हुआ कि एक लड़की उस पप्पी को उस गड्डे से निकालती हुई नजर आई, शिवा वही रूक और से उस लड़की को देखने लगा, वो अपने गर्दन कभी यहा करता तो कभी वहा लेकिन लड़की की शक्ल नहीं दिखी, उसे यू देख सार्थक और बाकि सब हैरान होकर देखने लगे तो सार्थक ने शिवा को हिला कर उसके यू मचलने का कारण पूछा तो शिवा ने बाहर की ओर इशारा किया, सब देखने लगे, जहा वो लड़की अब पप्पी को उस गड्ढे से निकाल चुकी थी, वो जैसे ही घुमी शिवा उस लड़की को देखकर हैरान हो गया था, और साथ ही वो सब भी, वो शिवांगी ही थी, अब तो शिवा बहुत गौर से शिवांगी को देखने लगा जिसके चेहरे पर परेशानी के कारण कई बार बल पड़ गए थे,
शिवांगी पप्पी को संभाले अपने पर्स से रूमाल निकाल कर उस पप्पी के पैरो में बांधने लगी, क्योंकि उस पप्पी को काफी चोटे आई थी, जिसे देखकर शिवांगी उस पप्पी के लिए परेशान हो गई थी, रूमाल बांधने के बाद शिवांगी इधर उधर देखने लगी कि शायद उस पप्पी की कोई फैमिली हो, और उसे यू इधर उधर देखने देख शिवा ओर बाकि सब समझने कि कोशिश कर रहे थे कि वो क्या कर रही हैं,
शिवांगी को जब उस पप्पी की फैमिली या कोई ऐसा जो उसे हो नहीं मिला तो वो वहा से घर के लिए निकर गई.
आज वो काफी थम गई थी, आज वो कई जगह नौकरी की तलाश में इधर उधर भटक रही थी, किसी कॉफी शॉप, तो किसी लेडिस सेल्स गर्ल के लिए दुकान पर या किसी रेस्टोरेन्ट में पर हर जगह नाउम्मीदी ही उसके हाथ लगी, उसके पास अब ज्यादा पैसे भी नहीं थे, जो बचे थे वो उसे आगे के लिए बचा रही थी, इसलिए हर जगह वो पैदल ही जा रही थी, ऐसी ही वो पैदल घर के लिए जा रही थी कि तभी उसे गड्ढे में वो पप्पी गिरा हुआ नज़र आया ओर वो उसकी ओर मदद करने के लिए चली गई,
शिवा और बाकि सब शिवांगी के इस काम से बहुत खुश नज़र आ रहे थे, खास कर शिवा, उसके चेहरे पर एक सुकून वाली हल्की सी मुस्कराहट थी, जिसे सार्थक और बाकि सब ने भी नोटिस कर लिया था, तो सार्थक बोला
सार्थक - क्या बात है भाई, ये चेहरा इतना खिल क्यों लग रहा है आखिर बात क्या है
शिवा - सिर को पीछे सीट से टिकते हुए कुछ नहीं बस ये सोच कर हंसी आ रही हैं कि लोग कितने मतलबी होते हैं, सभी को आगे बढ़ने और जल्दी जाने कि लगी रहती हैं
उस पप्पी पर ज्यादा तर लोगों की नजर पड़ी लेकिन कोई भी उसे देख कर आगे मदद के लिए नहीं आया, सब सिर्फ ऐसे देखकर निकल गए जैसे कुछ हुआ ही नहीं, सब आगे बढ़ने कि होड़ में इंसानियत को पीछे छोड़ते जा रहे हैं, ओर ऐसे लोग खुद को वेल एजुकेटेड कहते हैं, पर असल में ये सब चलती फिरती मशीने हैं, जो किसी रोबोट की तरह चलते रहते हैं जिनमें कोई जज्बात नहीं होते.
शिवा की बात सुनकर सभी शिवांगी की बात से इतफाक रखते थे, और ये सब भी था कि जिंदगी की होड़ में लोग इंसानियत भुलते जा रहे थे,
सार्थक कुछ सोचकर बोला- वैसे यह तो वही रेस्टोरेन्ट वाली लड़की थी न, जिसे हम तलाश रहे थे, अब तो ये दिख गई, तो इससे बात करके देखते हैं, और इसे इसकी नौकरी भी वापस दे देते हैं, वैसे मुझे नहीं पता था की ये इतनी अच्छी लड़की होगी, जो एक पप्पी की मदद करेगी, लेकिन उसके मासूम चेहरे को भी देखकर लगता है ये आज कि बाकि लडकियो जैसी नहीं है, मैकअप कि दुकान, हुह वो सादगी में भी कितनी प्यारी लग रही थी
सार्थक की बात सुनकर शिवा की आँखो में शिवांगी का मासूम चेहरा घुमने लगा, उसकी वो आँखो जो बार बार झपक रही थी, शिवा तो बस देखता ही रह गया था,
शिवा आँखो बंद किए हुए - शेरा मुझे जल्दी से इस लड़की की सारी इंफोमेशन चाहिए आज ही, शिवा की बात सुनकर सभी हैरान होकर शिवा को देखने लगे, लेकिन शिवा के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, लेकिन उन बंद पलके में शिवांगी का मासूम चेहरा जरूर था,
कुछ देर बाद सभी आफिस पहुच गए, और शेरा वरून दोनो शिवा का काम करने निकल गए,
भाग - 12 आत्मसम्मान की रक्षा
सभी लोग आफिस पहुंच गए थे और सभी अपने अपने कामों में लग गए, शिवा अपने कैबिन में काम कर रहा था, पर रह रह कर उसे शिवांगी का चेहरा याद आ रहा था, शिवांगी से उसकी पहली मुलाकात उसे याद आ रही थी, उसे अफसोस भी हो रहा था कि उसने उस समय किसी ओर का गुस्सा गलती से शिवांगी पर उतार दिया, और आज शिवांगी ने जिस तरह से उस पप्पी की मदद करी थी, इस बात ने कही न कहीं शिवा के दिल में शिवांगी के लिए कुछ हलचल पैदा कर दी थी, और न चाहते हुए भी शिवा को शिवांगी की याद आ रही थी, और ऐसा क्यों हो रहा था ये शिवा खुद भी समझ नहीं पा रहा था,
जैसे तैसे कर शिवा अपने ऊपर से शिवांगी के ख्याल को झटक कर काम पर ध्यान देने लगा,,
शिवांगी का फ्लैट
शिवांगी उस पप्पी को लेकर अपने अपार्टमेंट आई, आज वो बहुत थक गई थी, एक तो नौकरी के लिए पैदल ही जगह जगह भटकना वो भी खाली पेट, उसे काफी थका गया था, वो हॉल में आई और अपना बैग टेबल पर रख उस पप्पी को एक जगह रख दिखा, और फिर रसोई में जाकर उस पप्पी के लिए दूध और बिस्किट लेकर आई, दूध का कटोरा उस पप्पी के आगे रख दिया, पहले तो उस पप्पी ने नजर अंदाज किया और मुंह फेर कर लेट गया, ये देख शिवांगी हल्का सा मुस्कुराकर उस पप्पी के सिर को सहलाया, और जब पप्पी को सुरक्षा जैसा महसूस हुआ तो वैसे ही वो पप्पी धीरे धीरे चल कर उस कटोरे से सारा दूध पीकर खत्म कर दिया, वकई उस पप्पी को बहुत भूख लगी थी, वो उम्मीद से शिवांगी को देखने लगा, शिवांगी ने उस पप्पी को बिस्किट भी खिला दिया, खाने के बाद वो पप्पी शिवांगी के पैरो के पास आकर अपना सिर शिवांगी के पैरो के पास सहला रहा था मानो वो शिवांगी का शुक्रिया अदा कर रहा हो, शिवांगी भी प्यार से उस पप्पी का सिर सहलाकर दौबारा रसोई में चली गई, थोड़ी देर बाद एक कटोरी लिए शिवांगी उस पप्पी के पास बैठ गई, ओर अपने साथ लाई कटोरी (जिसमें हल्दी थी, जो शिवांगी हल्के तेल में गर्म करके लाई थी, हल्दी एंटिसेप्टिक दवाई का काम करता है) शिवांगी उस पप्पी को जहां जहां चोट आई थी वहा हल्दी लगाने लगी, हल्दी लगाने के बाद वो उस पप्पी को एक जगह अच्छे से लिटा दिया, और फिर अपने कमरे में कपड़े बदलने चली गई,
शिवा का कैबिन
शिवा अपने केबिन में बैठा कुछ फाइलों में काम कर रहा था कि किसी ने उसका दरवाजा नोक किया, शिवा ने अंदर आने को कहा तो शेरा और वरून थे,
शेरा - भाई ये उस लड़की की डिटेल हैं जिसके बारे में पता करने के लिए आपने कहा था,
शिवा वो फाईल ले ध्यान से उसे पढ़ने लगता है, जिसमे कुछ खास जानकारी नहीं थी, बस इतना ही था कि उसका नाम, जहा वो पहले काम करती थी और कब से, वो कब मुम्बई आई, वो कहा रहती है, बस इससे ज्यादा कुछ नहीं था, उस फाईल में, शिवा ने उस फाईल को टेबल पर रख शेरा से कहा,
शिवा - इसमें तो सिर्फ बेसिक जानकारी हैं, बाकि की डिटेल वो कहा है,
शेरा - भाई बस इतना ही पता चल पाया है, मैं काफी कोशिश करी ओर जानने की पर कुछ खास पता नहीं चल पाया, हमारी हेकिंग टीम ने भी पता करने की कोशिश की पर वही, कुछ खास नहीं पता चला,
शिवा को यह बात बहुत अजीब लगी, क्योंकि वो जानता था शेरा ओर उसकी हैकिंग टीम वो कर सकती हैं जो आम लोगो के बस कि बात नहीं है, किसी की जानकारी निकालना उनके चुटकियों का काम था, फिर शिवांगी के बारे में कुछ भी पता नहीं लगना शिवा के लिए हैरानी की बात थी,
शिवा ने शेरा को शिवांगी जहा रहती है वहा चलने को कहा, तो शेरा ने हाँ बोल दिया, शिवा अपनी जगह से उठा और चेयर के पीछे टंगे अपने कोट को उठा वो कैबिन से निकल गया उसी के पीछे पीछे शेरा ओर वरून भी सार्थक और कार्तिक, मयंक को भी इस बारे में खबर कर दी कि वो लोग शिवांगी यानि उस लड़की के घर जा रहे हैं, पार्किंग एरिया में सभी मिल गए ओर एक साथ गाड़ी में बैठ शिवांगी के फ्लेट की चल दिए,
शिवांगी का फ्लैट
शिवांगी जो अपने रूम में कपड़े बदल रही थी, अचानक डोर बेल की आवाज सुनकर वो चौक सी गई, वो यही सोच रही थी कि आखिर इस समय कौन हो सकता है, वो जल्दी जल्दी कपड़े बदल कर बैड पर पड़ा अपना दुप्पटा उठाकर गले में डाल वो दरवाजे की ओर बढ़ गई, उसे थोड़ा डर भी लग रहा था, दरवाजा खोलने से पहले शिवांगी ने दरवाजे के होल से पहले झाक कर देखा तो शिवांगी को कोई नहीं दिखा, ये देख उसने राहत की साँस ली ही थी की एक बार फिर डोर बेल की आवाज आई, और उसके बाद वो आवाज बजती ही रही, शिवांगी को अब डर के साथ गुस्सा था आ रहा था, उसने दोबारा होल से देखा पर कोई नहीं था उसे लगा शायद मोहल्ले के छोटे बच्चे होंगे,
क्योंकि वो अक्सर ही किसी ना किसी के घर की बेल बजाकर भाग जाते थे, शिवांगी को यही लगा कि शायद वो बच्चे ही बदमाशी कर रहे हैं, शिवांगी ने जैसे ही दरवाजा 'खोला की अचानक से कोई उसके सामने आ गया शिवांगी चौक कर हल्का सा पीछे हुई ही थी की सामने वाले शख्स की वो भयानक सी हँसी शिवांगी के कानों में गूंजने लगी, सामने वो मकान मालिक खड़ा था अपने आँखो में एक खतरनाक इरादे के साथ उसका वो चेहरा ओर हँसी देखकर शिवांगी उस आवाज से डर लगने लगा था, वो जल्दी से हरकत और दरवाजा बंद करने ही वाली थी की उस आदमी ने दरवाजे को जोर से धक्का दिया जिससे शिवांगी संभल नहीं पाई और जोर से झटकर उस छोटे से हॉल में रखी टेबल से शिवांगी के सिर के पीछे चोट लग गई,
एक दर्द भरी आह उसके मुंह से निकली, जितनी फुर्ती से शिवांगी गिरी,
उतनी ही फुर्ती से उस मकान मालिक ने डोर बंद किया, और लम्बे लम्बे डग भरते हुए वो शिवांगी के पास आया और उसका जबड़ा पकड़कर बोला
मकान मालिक - क्यों रानी क्या हुआ, मेरा आना अच्छा नहीं लगा क्या, ये बोल वो जोरो से हँसने लगा, फिर रूककर गुस्से में,, क्यों रानी क्यों, मेरी बात नहीं मानी अगर मेरी बात मान लेती तो आज जो मैं तुम्हारे साथ करने वाला हूँ वो बहुत पहले और आराम से हो जाता, पर नहीं, तुम ठहरी सती सावित्री की मूरत, तुम कहा मेरी मानती, तो भुगतो, आज तुम्हें वो सजा दूंगा की जिंदगी भर याद रखोगी, बहुत गुरूर हैं ना अपने इस शरीर ओर इस चेहरे पर ( गंदी तरह से शिवांगी के शरीर को हवस भरी नजरों से देखते हुए) तो आज मैं तुम्हारा ये सारा गुरूर तोड़ दूंगा, फिर देखता हूँ कैसे रहती हो इस दुनिया में इस कलंक के साथ,
ये बोलते हुए वो शिवांगी के गले से दुप्पटा खिंचकर दूर फेक देता है, शिवांगी अंदर तक डर से सिहर गई थी, आँखो के आगे कुछ धुंधला सा दिखाई देने लगा, कुछ काली स्मृतियाँ, अभी वो कुछ और सोचती
की वो मकान मालिक शिवांगी के ऊपर झुकने लगा, कि तभी वो पप्पी जो एक कोने में था वो जल्दी से उस मकान मालिक के पैरो पर काट लेता है जिससे वो दर्द से बिलबिला रह जाता है, वो आदमी गुस्से में उस को दूर करने की कोशिश करते हुए उसे झटकता हैं लेकिन वो पप्पी शिवांगी को दर्द में देख और उसके साथ कुछ गलत होता देखकर पप्पी उस आदमी को अपने छोटे छोटे पंजों से नोचने लगता है जिससे उस आदमी को एक तेज दर्द का एहसास होने लगता है, उस आदमी को दर्द की एक तेज लहर महसूस होने लगता है क्योंकि वो पप्पी उस आदमी के उस हिस्से को कुरेद रहा था जहा उस पप्पी ने काटा था, पर कुछ ही देर में दर्द की परवा किए बिना वो आदमी एक झटके से उस पप्पी को पकड़कर दूर फेंक देता है जिससे वो सीधा दिवार से टकराता है, दिवार से टकराने कि वजह वो पप्पी दर्द से चिल्लाने लगता शिवांगी के कानो में जब उस पप्पी की आवाज आती तो वो अपनी आँखे खोल उस ओर देखने की कोशिश करती हैं जहाँ से आवाज आई थी, पर अभी वो ठीक से देखने की कोशिश करती कि आदमी अब अपने गुस्से को शिवांगी पर उतारते हुए शिवांगी के गालों पर एक के बाद एक थप्पड़ो की बरसात करना शुरू करता है, जिससे शिवांगी का एक ओर से फट जाता है और वहा से खून निकलने लगता है, थप्पड़ो से शिवांगी के गोरे गालो पर लाल निशान बन जाते हैं साथ ही उस वहशी आदमी के हाथों के निशान भी वहा छप जाते हैं, जिससे शिवांगी पर बेहोशी हावी होने लगती हैं. इसी बात का फायदा उठा वो आदमी शिवांगी के ऊपर झुकने लगता हैं,
उस आदमी की करीबी महसूस कर शिवागी ने अपने दर्द को दरकिनार कर अपने हाथ को पीछे ले जाकर कुछ खोजने लगी, टेबल पर रखा पोट हाथ लगते ही शिवांगी ने उसे उस आदमी के सिर पर मार दिया,
हुए इस हमले से वो आदमी संभल नहीं पाया और अपना सिर पकड़कर कुछ दूर हुआ तो शिवांगी ने अपनी सारी हिम्मत बटोर कर उसे धक्का दिखा, और पीछे खिसककर दिवार के सहारे लग अपनी साँसो को काबू करने लगी, अभी कुछ ही देर हुआ था कि वो आदमी गुस्से से गुराते हुए एक भद्दी सी गाली देते हुए शिवांगी के पास बढ़ने लगा,
मकान मालिक - सा*****, रं******,, मुझे मारती हैं, मुझे मेरे घर में रहकर मुझे ही अक्ड तुझे तो मैं बताता " हूँ तेरी अकड़ ठिकाने न लगा दिया तो फिर में एक मर्द नहीं, आज तुझे अपनी मर्दानगी दिखाता हूँ, और ये बोल वो गुस्से से आग बबूला हो शिवांगी के बालो से पकड़कर घसिटते हुए सामने बने कमरे में ले गया, ओर झटके से शिवांगी को बिस्तर पर धक्का दे दिया, जिससे शिवांगी कटी पंतग की तरह बिस्तर पर जा गिरी,,
वो इंसान की खाल में छुपा भेड़िया अपने खतरनाक इरादे को अंजाम देने के लिए गुस्से में अपने पेंट की बैल्ट खोलता है शिवांगी जो बिस्तर पर गिरी थी अथबेहोशी की हालत में अपनी आँखे खोलने की कोशिश करती हैं। सामने उस आदमी को बैल्ट खोलते देख शिवांगी कुछ गलत ओर डर से पीछे होने लगती हैं, वो मदद के लिए चिल्लाना चाहती थी पर दर्द से वो कुछ कहने की हालत में भी नहीं थी,
वो आदमी बैल्ट खोल शिवांगी को एक के बाद एक बैल्ट से मारने लगता है, जिससे शिवांगी दर्द से बिलबिला जाती है, बैल्ट की मार से शिवांगी के कपड़े जगह जगह से फट गए थे, कुछ खून भी उन पटे कपड़ों के जगह की चमड़ी से निकलने लगता है, तभी वो वहशी आदमी शिवांगी के ऊपर आता है, और जबरदस्ती करने की कोशिश करते हुए वो शिवांगी के होंठो की ओर बढ़ता हैं, शिवांगी को एक कुछ पल में बहुत कुछ एहसास होने लगा था, ऐसा लगा कि बस अब वो बरदास नहीं कर पाएगी तो उसने अपना शरीर ढीला छोड़ ये महसूस करते ही वो वहशी मकान मालिक के चेहरे पर एक हैवानी मुस्कान आ जाती हैं,
वही शिवा ओर बाकि सब जो शिवांगी से मिलने के लिए निकले थे अभी वो रास्ते में ही थे कि पिछली सीट पर बैठे शिवा की हालत कुछ खराब सी होने लगी थी, उसे अपने सीने में बहुत तेज दर्द का एहसास होने लगा। था, चेहरे पर पसीने आने लगे, ए सी फूल था पर शिवा को देखकर ऐसा नहीं लग रहा था, उसका मन किसी डर की वजह से जोरो से धड़कने लगा, उसकी बगल में बैठे सार्थक का ध्यान भी जब शिवा पर गया तो वो भी कुछ परेशान होने लगा, वो बार बार शिवा को ऐसे बैचेन देख उससे पूछने लगा कि उसे हुआ क्या, पर शिवा को तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, कि तभी उसके आँखो के आगे शिवांगी की एक झलक नजर आ गई, वो सब चीजों को इग्नोर कर वरून से तेज गाड़ी चलाने के लिए कहने लगा, शिवा की हालत और उसकी में गंभीरता देख वरून ने गाड़ी तेज पर चलानी शुरू कर दी,
वही उस कमरे में वो मकान मालिक अपने गलत मनसूबों को लिए शिवांगी के नजदीक बढ़ ही था कि जाने कहा से शिवांगी के अंदर एक शक्ति आई और उसने अपनी सारी ताकत लगा कर उस आदमी के प्राइवेट पार्ट पर जोर से मारा, अचानक हुए हमले से वो समझ नहीं पाया और उस हिस्से को कवर कर वो दर्द से पीछे हट गया, और बस इसी मौके का फायदा उठा शिवागी जैसे तैसे खुद को संभाल कर उठी और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी, शिवांगी जब थोड़ी संभली तो वो एक पोट ले उस आदमी के सिर पर जोर से दे मारती हैं, शिवांगी ठिक सी खड़ी भी नहीं हो पा रही थी लेकिन आज हार नहीं मान सकती थी,
शिवा की गाड़ी शिवांगी के फ्लैट के नीचे रूकी, शिवा जल्दी से उतरा शिवा को ऐसे देखकर बाकि सब भी अलर्ट हो गए, शिवा को ऐसे देख शेरा शिवांगी के रूम का रास्ता दिखाते हुए आगे बढ़ा और उसी के पीछे बाकि सब
शिवांगी के बाहर आ शिया दरवाजे को धक्का देता है कि दरवाजे के बंद होने का एहसास होने लगता है, बिना एक पल गवाए एक जोर की लात मारता है जिससे दरवाजे की कुंडी टूट जाती हैं और दरवाजा खुल जाता है, शिवा के इस रिएक्शन से सभी हैरान थे उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि ये शिवा को हुआ क्या
(सभी अंदर आते हैं तो अंदर का नजारा देख सभी को कुछ अजीब लगता है, घर बिखरा पड़ा था, फूल दान टूटा था, शिवा आगे बढ़ा की उसके पैरो के नीचे शिवांगी का टुप्पटा आ गया, शिवा ने उसे उठा अभी अपने हाथ में लिया ही था कि एक तेज चीख सुनाई दी जो शिवांगी की ही थी, सभी ओर की ओर बढ़े तो अंदर उस रूम के अंदर का नजारा देख वो सभी समझ गए कि यहा क्या हुआ होगा, सभी को बहुत गुस्सा आ रहा था, सबकी मुठीया गुस्से में भीच गई थी पर शिवा का गुस्सा किसी आने वाली अनहोनी की ओर ले जा रहा था, वो सब अंदर रूम में जाते कि शिवा ने हाथ दिखाकर सभी को रोक दिया, सभी हैरान नजर से शिवा को देख रहे थे कि आखिर शिवा को हुआ क्या है इतना सब देखकर भी, पर शिवा की नजर तो बस उस लड़की पर थी जो साक्षात काली बनी थी,
अंदर शिवांगी ने उस आदमी के प्राइवेट पार्ट पर एक बार फिर जोर से चीखते हुए मार जिससे वो आदमी दर्द से तड़प गया, शिवांगी आँखो मे आग लिए उस राक्षस के सामने उसका काल बनकर खड़ी थी,
शिवांगी - बहुत है न अपनी झूठी मर्दानगी दिखाने की तो आज वो हालत करूगी की आगे से मर्द कहलाने लायक नहीं रहेगा, (ओर ये बोलते हुए शिवांगी एक के बाद एक लात उस आदमी को मारने लगी, शिवांगी की आँखो से आंसू निकल रहे थे, सांसे बेकाबू हुई जा रही थी, लेकिन आज वो कमज़ोर नहीं पड़ सकती थी.) तुम जैसे मर्द होते हैं समाज में जो एक अकेली लड़की का जीना हराम कर देते हैं, कभी अपनी गंदी नजरो से तो कभी अपनी गंदी सोच से तो कभी अपनी इस झूठी मर्दानगी से, तुम जैसे मर्द ही होते हैं जो मर्द के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लगा देते हो, तुम जैसे समाज में रह रहे कीड़ों की वजह से हम जैसी लड़कियाँ ओरते मर्दों पर विश्वास करने से डरती है, तुम जैसे मर्द ही होते हैं जो इंसान के भेस में भेडिए बन कर मासूम ओरतो ओर लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाते हो,,
जिस ओरत के अस्तित्व से इस दुनिया में आए हो उसी ओरत के अस्तित्व को कलंकित करते हुए जरा भी शर्म नहीं आई, बहुत समय से में तुम्हारी इस ओछी हरकतो की नजर अन्दाज़ करती आई थी कि मुझे शांति से रहना था मैं किसी भी तरह की परेशानी में नहीं पड़ना चाहती थी, पर नहीं तुमने मेरी चुप्पी का गलत मतलब निकाल लिया, सोचा होगा एक अकेली लड़की के साथ तुम कुछ भी कर सकते हो, पर तुम समझे नहीं एक औरत जब शांत रहती है तो वो दुर्गा माँ सी शांत हैं, पर जब तुम जैसे हवस के पूजारी जब अपनी असलियत दिखाते है तो उसी दुर्गा को काली बनने में समय नही लगता, ओर ये तो नवरात्रो का समय है माँ के नौ रूपो का समय, और आज देखो, आज माँ कालरात्री का दिन है जो तुम जैसे राक्षसों का वध करने में जरा भी नहीं सोचेगी, तो आज उसी माँ यादकर तुम जैसे राक्षस का संहार न किया तो ये एक ओरत होने पर प्रश्न चिह्न लग जाएगा,
शिवांगी की बोलते बोलते सांसे बेकाबू होने लगी थी, लेकिन आज वो रूकने वाली नहीं थी, वो अपनी हम्मत बटोर कर उस आदमी को बालो से पकड़कर वैसे ही घसीटती है जैसे थोड़ी देर पहले उसके साथ हुआ था, शिवांगी उस मकान मालिक को बालो से पकड़कर उस सिर दिवार पर दे मारती हैं, और फिर एक के बाद एक वार करती ही हैं,
बाहर खड़े सभी आश्चर्य से इस दृश्य को देख रहे थे मानों सच में माँ काली शिवांगी के अंदर आ गई हो,
अभी शिवांगी उस आदमी को मार ही रही थी कि उस आदमी ने मौका देख टेबल लैम्प खिचकर शिवांगी के सिर पर दे मार, शिवांगी जिसे पहले ही इतनी चोट लगी थी की वो सही से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी, इस हमले से वो हिल सी गई थी, अब वो और अपने आप को संभाल नहीं सकती थी, अभी वो अदमी शिवांगी पर हमला करता कि किसी ने मजबूती से उसका हाथ पकड़कर मरोड़ दिया था, जब उसने उस शख्स को देखा तो वो डर सा गया सामने आँखों में अंगार लिए शिवा खड़ा था, शिवा ने एक जोर का पंच उसे मारा वो गिरता की उसे सार्थक ने पकड़ लिया, शिवा शिवांगी की ओर मुड़ा ही था कि सिर घुमने से शिवांगी गिरने लगी कि शिवा ने शिवांगी को थाम लिया, और शिवांगी अपनी अधखुली आँखो से किसी का धुंधला अक्स देखकर उसने अपना शरीर पूरा ढीला छोड़ दिया।
शिवांगी की खराब हालत देख शिवा को अजीब सा दर्द हुआ, वो बिना सोचे समझे शिवांगी को अपनी गोद में लिया नीचे भागा,
भाग - 13 बेचैनी ओर डर
शिवांगी की खराब हालत को देखकर शिवा ने जल्दी से शिवांगी को अपनी बाहो में लेकर जल्दी से कार की पीछली सीट पर लेटा दिया ओर उसके साथ सार्थक शेरा और वरून भी आ गये, मंयक और कार्तिक मकान मालिक की खातिरदारी के लिए उसे अपने साथ लेकर जा ही रहे थे कि किसी की आवाज से रूक गये जब दोनों ने देखा कि घर में एक पप्पी हैं जिसके पैर में चोट लगी है तो कार्तिक ने मयंक से कहा
कार्तिक - मंयक तू इस पप्पी को लेकर veterinary dispensary (पशु चिकित्सालय) जा इस कमीने को तो में लेकर जाता हूँ आज जो इस आदमी ने किया है इसे तो अब शिवा भाई के कहर से कोई भी नहीं बचा सकता है तू जल्दी जा..... कार्तिक की बात सुन कर मंयक ने हा में सिर हिला कर वहा से चला गया और कार्तिक मकान मालिक को लेकर चला गया।
यहा कार में शिवा ने शिवांगी का सर अपने गोद में लिया था शिवांगी के सिर से खून को बहता देख कर शिवा ने अपने जेब से रूमाल निकाल कर शिवांगी के सिर में बांध दिया, और सार्थक ने फोन निकाल कर जल्दी से हास्पिटल में सभी इन्तजाम करने के लिए कह दिया सार्थक को न जाने क्यों एक अजीब सी बेचैनी और डर लग रहा था जैसे शिवांगी उसकी अपनी ही हो शिवांगी की हालत देख कर सार्थक के दिल में एक टीस सी हुई वही शिवा वरून से जल्दी कार को चलाने के लिए बोल रहा था वरून कार को जितना तेज हो सके उतनी तेज चला रहा था इसमें न जाने उसने कितने ही सिग्नल तोड़ दिया पर वी. आई. पी कार को देखकर किसी ने कुछ नहीं कहा, कार के पीछे ही शिवा के बाडीगार्डस की गाडिया भी आ रही थी, वरून ने जल्दी से कार की ब्रेक लगाई और शिवा शिवांगी को लेकर कार से उतरा,
उतरते ही एक stretcher लेकर बार्डबाय आये शिवांगी को जल्दी से उस stretcher पर लेटा दिया गया, 'जब बार्डबाय शिवांगी को ले जा रहे थे तो ले जाते वक़्त शिवांगी ने शिवा का हाथ पकड़ा था शिवांगी का हाथ थामे ही शिवा भी शिवांगी के साथ अंदर चला गया साथ ही सार्थक, शेरा, और वरून भी वो सभी और वहा पर मौजूद सभी लोग शिवा को देखकर हैरान थे कि शिवा किसी लड़की के लिए इस तरह परेशान हैं, किसी को भी नहीं लगा था कि वो लोग ऐसा कुछ भी देख सकते हैं.... शिवांगी को अंदर ले जाया गया तो वहा एक लाइन में डाक्टरो कि लाइन लगी थी, और लगे भी क्यों न आखिर शिवा एक बहुत बड़े बिजनेसमैन के साथ साथ मुम्बई का करता धरता जो है शिवा जहा गरीब और असहाय लोगों का मसीहा है तो वही जुर्म करने वालो के लिए काल या यू कहे कि जुर्म करने वाले लोगों के लिए गुनाहों का देवता जो गुनाह करने वालों को बत्तर से बत्तर सज़ा देता है।
शिवांगी को जल्दी से I.C.U कि. और ले जाया गया, अंदर से जाते समय शिवा ने शिवांगी का हाथ छोड़ दिया और शिवांगी को अंदर ले जाकर उसका treatment शुरू हुआ,
बाहर शिवा और सार्थक दोनों ही बेचैन थे पर क्यों उन दोनों को ही सही से समझा नही आ रहा था. दोनों ही यही सोच रहे थे कि किसी अनजान लड़की के लिए वो दोनों क्यों इतना परेशान है, हा वो उसकी मदद कर रहना चाहते थे पर एक अजीब सा डर दोनों के अंदर ही था क्योंकि शिवांगी के सिर पर ज्यादा ही चोट लगी थी जिससे काफी खून भी बह गया था और इसी वजह से शायद डर था कि कही शिवांगी को कोई सीरियस परेशानी न हो, काफी देर तक दोनों ही बेचैन से इधर से उधर घुम रहे थे, और उन दोनों को देखकर वरून और शेरा हैरान ये पर माहौल को देखकर कोई कुछ नहीं बोला,
शिवांगी को अंदर गये काफी देर हो गई थी पर अभी तक कोई भी I.C.U से बाहर नहीं आया, शिवा और सार्थक दोनों ही I. C.U के बाहर रखी bench पर बैठ गये और डाक्टर के बाहर आने का इंतजार कर रहे थे, और आखिर कार दोनों का ही इंतजार खत्म हुआ, डाक्टर बाहर आए उन्हें देख कर शिवा और सार्थक दोनों डाक्टर के पास गये तो शिवा बोला।
शिवा - डाॅक्टर कैसी है वो उसे ज्यादा चोट तो नहीं आई है क्या हम मिल सकते हैं उससे, शिवा बेचैन होकर बोला तो डाक्टर उसकी ऐसी हालत देख कर बोले
डाॅक्टर - देखिए सर अभी तो पैशेन्ट कि हालत सही है ज्यादा घबराने की बात नहीं है, पर हा उनके सिर पर काफी गहरा जख्म है जैसे किसी चीज़ से मारा गया है हाथ और पैरो में भी चोट लगे हैं पर नथिंग सीरियस अभी हम उनका कुछ जरूरी टेस्ट करते हैं ये जानने के लिए कि कहीं उन्हें कोई अंधरूनी चोट तो नहीं आई है, टेस्ट करने के बाद पैशेन्ट को दूसरे बार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा तब आप मिल सकते हैं ये बोल कर डाक्टर वहा से चले गये शिवांगी का कुछ जरूरी टेस्ट करने के लिए, ऐसे ही करते करते काफी रात हो गई तो वरून कैंटीन से सभी के लिए कॉफी लेकर आ गया, पहले तो ओर सार्थक ने मना कर दिया पर वरून के बहुत कहने पर दोनों ने ही कॉफी पी ली कॉफी पीने 1 घंटे बाद डाक्टर शिवा और सार्थक के पास आए
डाॅक्टर - मि. राजपूत मुझे आप से कुछ जरूरी बात करनी है क्या आप मेरे कैबिन में आ सकते हैं,
डाक्टर कि ऐसी बात सुन कर सभी को किसी अनहोनी का डर लग रहा था कि ऐसा क्या है जो डाक्टर शिवा को उनके कैबिन में बुला रहे हैं, ये सोचकर शिवा की जरुरी कोई बात है जो डाक्टर उस से करना चाहते हैं तो शिवा ने भी हा मे सिर हिला दिया ओर डाक्टर के साथ जा ही रहा था कि सार्थक ने शिवा का हाथ पकड़ा लिया ओर बोला
सार्थक - मे भी चलता हूँ मुझे भी जानना है कि ऐसी क्या बात है, जो डाक्टर को करनी है ये बोल कर सार्थक ने शेरा ओर वरून को शिवांगी को VIP बार्ड में शिफ्ट करने ओर रूम की सिक्योरिटी के लिए बोल कर सार्थक शिवा के साथ डाक्टर के केबिन के लिए आगे बढ़ गया
सार्थक के बोलने पर शेरा और वरून ने शिवांगी को VIP रूम में शिफ्ट करवा दिया ओर रूम की सिक्योरिटी के लिए कुछ बाडिगांड को वही तैनात कर दिया
वही डाक्टर के केबिन में
डाक्टर अपनी कुर्सी कर बैठा, और डाक्टर के सामने शिवा और सार्थक दोनों ही बेचैनी से बैठे थे, तो डाक्टर ने बोलना शुरू किया
डाक्टर - देखिए सर में आपसे कोई भी बात नहीं छुपाना चाहता हूँ, तो जो मे आप से कहू उसे शांति से और ध्यान से सुनिये ओर जो में पूछू उसका सच सच जबाब दिजिए... आप पैशेन्ट के क्या लगते हैं मतलब आप का पैशेन्ट से क्या रिशता है
शिवा - आप कहना क्या चाहते हैं डाक्टर साफ साफ कहिए
डाक्टर - देखिए सर में बस यही कहना चाहता हूँ कि जो मे कहने जा रहा हूँ उसके लिए पैशेन्ट के फैमिली मेंबर का होना जरुरी है।
सार्थक - हा तो में उसकी फैमिली हू मैं उसका बड़ा भाई हू तो आपको जो कहना है वो आप कहिए
सार्थक की बात सुन कर शिवा हैरान भरी नजरो से सार्थक को देख रहा था तो शिवा की हैराना भरी नजरो को समझ कर सार्थक ने अपना हाथ शिवा के हाथ पर रख कर अपनी पलके झपका दी तो शिवा भी शांत हो गया
डाक्टर - देखिए सर अगर आप पैशेन्ट के भाई हैं तो आप को अनके बारे में पता होगा कि उसके साथ क्या क्या हुआ है...... डाक्टर कि ऐसी बात सुन कर दोनों ही नासमझी और हैरान भरी नजरो से डाक्टर को देखने लगे तो डाक्टर ने कहा
डाक्टर - आप ऐसे हैरान क्यो हो रहे हैं जैसे आपको कुछ पता ही नहीं है आखिर आपकी बहन हैं तो आपको तो उनके बारे में पता होना चाहिए, डाक्टर कि ऐसी गोल गोल बातें सुनकर शिवा का पारा चढ़ रहा था वो गुस्से मे बोला
शिवा- (गुस्से में)- देखिए डाक्टर ये गोल गोल बातो को घुमाना बंद किजिए वरना आप तो मुझे जानते हैं है
शिवा के गुस्से को देखकर डाक्टर ने उन्हें सब कुछ बता दिया जिसे सुनकर दोनों ही काफी शौक थे, वो ये सोच रहे थे कि शिवांगी के साथ आखिर ऐसा भी क्या हुआ था ये सोचकर ही दोनों बाहर आ गये
भाग- 14 पहली नजर का प्यार
शिवा और सार्थक डाक्टर के केबिन से बाहर आये, दोनों के ही चेहरे से साफ पता चल रहा था कि जो डाक्टर ने शिवांगी के बारे में बताया वो सुनकर दोनों ही शोक है पर उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे क्या उन्हें इस बारे में खुद शिवांगी से पूछना चाहिए या शिवांगी खुद बताए, पर एक सवाल ये भी था कि क्या शिवांगी हमें खुद बताएगी अपने बारे में ये सब सोते सोचते शिवा और सार्थक दोनों ही शिवांगी के वार्ड के बाहर ही रूक गये, शिवांगी के वार्ड से जब नर्स बाहर आई तो सार्थक नर्स को देखकर बोला
सार्थक - नर्स अब मेरी बहन कैसी है अब वो सही है क्या हम शिवांगी से मिल सकते हैं,
नर्स - सर परेशानी की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है और आप उनसे मिल सकते हैं. कुछ देर बाद में इन्हें दवाईया ओर इंजेक्शन देने आउगी तब तक आप मिल सकते हैं...... ये बोल कर नर्स चली गयी, और शिवा ओर सार्थक दोनों शिवांगी के वार्ड में चले गये।
अंदर जब दोनों ने शिवांगी की हालत देखी तो दोनों को ही एक अजीब सा दर्द हुआ, शिवांगी के सिर पर पट्टी की गई थी, एक हाथ में ग्लूकोज की टूप लगी थी तो एक हाथ में पट्टी की गई थी, चेहरे पर भी चोट के निशान थे जिसे देखना दोनों के लिए ही किसी दर्द से कम नहीं था पर दोनों को ये क्यों हो रहा है उन्हें खुद ही समझ नहीं आ रहा था,
शिवा सार्थक दोनों ही शिवांगी के अगल बगल एक एक स्टूल लेकर बैठ गये और ध्यान से शिवांगी के चेहरे को देख रहे थे कि ऐसा क्या है जो वो शिवांगी के लिए महसूस कर रहे हैं, शिवा प्यार से शिवांगी के सिर को अपने हाथो से सहला रहा था तो सार्थक ने बड़े ही प्यार से शिवांगी का हाथ पकड़ा हाथ पकड़ते वक़्त सार्थक को एक अलग सा एहसास हुआ, उसने अपने दोनों हाथों के बीच शिवांगी का हाथ रखा और बोला
सार्थक - पता नहीं क्या है ऐसा जो तुम्हें देख कर मुझे महसूस हो रहा है जैसे हमारा को बहुत ही गहरा रिश्ता हो मुझे समझ ही नहीं आ रहा है कि तुम्हारी इन चोटों को देखकर मुझे क्यों दर्द हो रहा है, मालूम नहीं पर तुम्हें देखकर ऐसा लग रहा है कि अगर मेरी कोई बहन होती तो वो तुम्हारी जैसी होती, मुझे मालूम नहीं पर जाने क्यों मेरे दिल ने तुम्हें बहन कहने के लिए कहा, शायद हमारा जरूर कोई ऐसा खास रिश्ता है जो मे समझ नहीं पा रहा हूँ, पर जब मेरे दिल ने तुम्हें बहन माना है तो आज से तुम मेरी बहन होगी ओर तुम्हारे इस भाई का वादा है कि तुम्हें कोई भी तकलीफ नहीं होगी, बहुत समय बाद इस सूनी कलाई पर एक राखी बांधने वाला कोई अपना कोई खास मिला है ये एक अलग ही एहसास है जो शब्दों में नहीं बोला जा सकता है अब में इस रिश्ते को कभी टूटने नहीं दूंगा ये तुम्हारे भाई का वादा है...... ये सब बोल कर सार्थक के आखो से आसू छलक आए
शिवा ये बस देख और सुन रहा था, वो सार्थक की बात सुनकर बहुत खुश था कि उसके अलावा भी सार्थक ने अपनी लाइफ में एक नये रिश्ते की जगह बनाई है वरना तो बचपन से ही शिवा और बाकि के साथियों के अलावा उसका अपना कहने वाला कोई नहीं था, पर शिवांगी को अपनी बहन बनाना शिवा को एक अनजानी सी खुशी महसूस हो रही थी, ये सब सोचते सोचते शिवा ही प्यार से शिवांगी का सिर सहला रहा था.... ओर उसकी ये हरकत सार्थक नोटिस कर रहा था, शिवा के चेहरे से शिवागी के लिए फिक्र उसे साफ दिख रहा था पर उसने कुछ नहीं बोला, बल्कि उसके मन में तो कुछ और ही चल रहा था,
तब तक नर्स भी आ गयी शिवांगी की दवाइयों के लिए उसने दोनों को बाहर भेजा और शिवांगी को इंजेक्शन ओर दवाईया देने लगी.
शिवा ओर सार्थक दोनों ही शिवांगी के वार्ड से बाहर आने के बाद कोरिडोर के पास ही एक खिड़की के पास खड़े हो गये, वहा से आती जाती ठंडी हवा होना को ही सुकून दे रही थी, शिवा के चेहरे को देख कर सार्थक बोला
सार्थक - क्या बात है शिवा तू कुछ परेशान लग रहा है, तू शिवांगी के बारे में सोच रहा है तो टेन्शन मत ले वो जल्द ही सही हो जाएगी
शिवा - यार सैम मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मुझे हो क्या रहा है, उसे तकलीफ और दर्द में देखकर मुझे एक अलग सी बेचैनी हो रही है, तुझे पता है जब मैने उसे खून से लथपथ ऐसी हालत में देखा तो यहा ( अपने दिल की तरफ इशारा कर के) पर एक दर्द एक टीस सी हुई जैसे किसी ने मेरी सांसे ही रोक दी हो, ये कैसा एहसास है मुझे समझ में नहीं आ रहा है, ऐसा तो कभी उसके साथ भी नहीं हुआ था, उसके साथ इतना समय रहने के बाद भी मुझे वो एहसास नहीं हुआ जो इसके (शिवांगी) के साथ हो रहा है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है भाई कि क्या हो रहा है मेरे साथ
सार्थक - कही तुझे भी वही feelings तो नहीं आ रही हैं जो मुझे आ रही हैं.... सार्थक शिवा की चुटकी लेने के से अंदाज में बोला
शिवा (नासमझी में सार्थक) - तू कहना क्या चाहता है में कुछ समझा नहीं
सार्थक - भाई मेरे मे तो वे बोलना चाह रहा हूँ कि कही तुझे भी मेरी तरह शिवांगी को देखकर वही बहन वाली feeling तो नहीं आ रही है न ये बोलते हुए सार्थक शिवा को देखकर शरारत से मुस्कुरा दिया
शिवा बूरी तरह से घूरकर सार्थक को देखने लगा
शिवा को अपनी तरफ ऐसे घूरते देख सार्थक बोला
सार्थक - ऐसे क्या घूर रहा है अब कचा ही खा जाएगा क्या, मैं तो बस ऐसे ही माहौल को थोड़ा हल्का कर रहा था, वो क्या है न इतने देर से टेन्शन का माहौल था तो सोचा कि मूड थोड़ा सी हो जाए
शिवा - तो मूड सही करने के लिए उसे मेरी बहन बना देगा साले कमीने थोड़ा तो सोच समझ कर बोल, वैसे भी उसे देखकर बहन वाली feeling नहीं आती, तुझे पता है जिस रात मुझे गोली लगने वाली थी, तब शिवांगी ने ही मुझे अपने तरफ खीचा था, खींचने से हम दोनों ही बहुत पास थे, जब वो मेरे पास थी तो ऐसा लगा बस ये लम्हा यही रूक जाए, और वो मेरे पास ही रहे, कभी दूर न जाए, उस वक्त मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज थी की में बता भी नहीं सकता,, ये बोल वो खिड़की से चाँद को निहारे जा रहा था और सार्थक उसे
सार्थक - वैसे जो तुने अभी कहा है न, उसका तो मुझे एक ही मतलब लगता है कि तुझे शिवांगी से मोहब्बत हो गई है, वो क्या कहते है "पहली नजर का प्यार" ये बोल कर सार्थक ने आई विंग कर दी,
शिवा - तू पागल है, क्या कुछ भी बोलता है, मुझे और उससे मोहब्बत, ऐसा हो ही नहीं सकता जरूरत तू कोई नशा कर के आया है जो ऐसे बहकी बहकी बाते कर रहा है।
सार्थक - मैने कोई नशा वशा नहीं किया है, लेकिन तुझे देखकर में ये जरूर कह सकता हूँ कि बहुत जल्दी ही तुझे नशा होने वाला है और वो भी मोहब्बत का, और एक बार ये मोहब्बत का नशा किसी को हो जाए तो छोड़ से भी नहीं छूटता अभी तो तुझे मेरी बातो पर यकिन नहीं हो रह हैं पर वो दिन भी दूर नहीं जब तुझे अपनी feeling समझ आएगी, और मे महादेव से बस यही कहूगा कि मेरे शिवा को उसकी गौरी (शिवांगी) मिल जाए
ये बोल कर सार्थक ने शिवा के कंधे पर हाथ रख दिया
तभी वहा पर वरून दोडता हुआ आया और शिवांगी के वार्ड की तरफ चलने के लिए बोला, उसकी शक्ल कुछ गलत होने का डर लग रहा था तो दोनो ही जल्दी से शिवांगी के वार्ड की तरफ चल दिए और उनके पीछे वरुन भी
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भाग- 15 पैनिक अटैक
शिवा और सार्थक दोनों बात कर ही रहे थे कि, वरून दोनों के पास आया और दोनों को शिवांगी के वार्ड के में जल्दी से चलने के लिए कहा, दोनों को कुछ गलत होने का डर लग रहा था, बिना कोई देरी किये दोनों शिवांगी के वार्ड की ओर गये दोनों के पीछे वरुन भी चला गया, जैसे ही शिवा और सार्थक दोनों वार्ड के अंदर गये तो पास मे रखा समाने नीचे गिरा हुआ था हाथ में जो ड्रप लगी थी वहा से खून निकल रहा था, और जहा चोट लगी थी वह से खून रीस रहा था, शिवांगी की हालत देख कर दोनों ही अंदर तक घबरा गये, शिवांगी की पूरी बॉडी काँप रही थी, पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो गया था, और वो कुछ बडबडये जा रही थी, उसकी ये हरकत किसी से भी देखी नहीं जा रही थी, शिवा ने जल्दी से डाक्टर को बुलाने के लिए कहा, तभी शेरा डाक्टर को लेकर आया, डाक्टर तुरंत शिवांगी को चेक करने लगे, और नर्स ने सभी को बाहर जाने के लिए कहा, डाक्टर और उनकी टीम शिवांगी को चेक कर रही थी, बाहर सभी को टेन्शन हो रही थी कि ये अचानक से क्या हो गया अभी कुछ देर पहले तो सही थी फिर अचानक से क्या हो गया तो शिवा ने वरून और शेरा से इस बारे में पूछा
शिवा- (गुस्से में) वरून और शेरा तुम दोनों को कुछ पता है कि क्या हुआ था, क्योंकि अभी कुछ देर पहले तो वो बिलकुल सही थी फिर से ऐसा क्या हुआ जो उसकी ये हालत हो गई और तुम दोनो कहा मर गये थे
शिवा के गुस्से से भरी आवाज़ सुन कर शेरा डरते डरते बोला,
शेरा (डर कर) - भाई हम तो यही पर थे मुझे कुछ जरूरी फोन आया था तो में थोड़ी देर बात करने चला गया, ओर वरून पीने, जब हम वापस आये तो अंदर से कुछ गिरने की आवाज आ रही थी, जब हम अंदर गये तो जी नीचे गिरी थी, और पास में रखा समान नीचे गिरा था, और जहा चोट लगी थी वहा से खून निकल रहा था, हम दोनों ने जल्दी से भाग कर उन्हें सही से लेटा दिया, और मे डाक्टर को बुलाने गया ओर वरून आप दोनों को बुलाने..... इतना बोलकर शेरा चुप हो गया
शिवा का गुस्सा देखकर तो वरून के मुंह से कुछ निकल ही नहीं रह था, तो वो चुप रहने में भी अपनी भलाई समझ रहा था
वही शिवा के गुस्से को देखकर सार्थक उसे शांत करवा रहा था कि तभी डाक्टर बाहर आए उन्हें आता देख तरफ बढ़ गये, तो डाक्टर बोला
डाक्टर - आप दोनों प्लीस मेरे कैबिन में आए मुझे आप दोनों से कुछ बात करने है डाक्टर ने शिवा और सार्थक को देख कर बोला
सभी डाक्टर को देखने लगे तो शिवा ने वरून ओर शेरा को वार्ड के यहा से ना हिलने की हिदायत दे कर शिवा और सार्थक डाक्टर के केबिन के लिए आगे बढ़ गये
कैबिन में
डाक्टर, शिवा ओर सार्थक तीनों आमने सामने बैठे थे तो डाक्टर ने बोलना शुरू किया
डाक्टर - देखिए सर मैने आप दोनों को पहले ही पैशेन्ट की कंडिशन के बारे में बताया था ये उसी के side effect हैं, और जो अभी आपने देखा ये उसी का नतीजा है कि वो ऐसा बिहेव कर रही हैं, फिलहाल के लिए तो उन्हें नींद का इंजेक्शन दे दिया है ताकि कुछ समय वो आराम से सो सके, सार्थक बीच में ही बोला
सार्थक - डाक्टर कुछ हो नही सकता कोई ओर इलाज मेडिसिन या कुछ और मतलब उसकी ऐसी हालत कब तक रहेगी, क्या उसकी हालत ऐसी ही रहेगी या फिर वो सही भी हो सकती है,
डाक्टर - देखिए सर मे आप से कुछ नहीं चुपाना चाहता, जब उनका टेस्ट किया गया तो उससे ये साफ पता चलता है कि उनका पहले भी इलाज हो चुका है पर आयुर्वेदिक तरिके से क्योंकि ऐसा इलाज तो सिर्फ उसी तरह से किया जा सकता, हालांकि जैसा इलाज हमारे द्वारा किया जाता है उससे पैशेन्ट को सही होने में ओर निशानों को जाने में काफी समय लगता है और उन्हें देखकर ये तो मे पूरे यकिन के साथ कह सकता हूँ कि उनका इलाज पहले भी हो चुका है और तरिके से ,पर में अभी भी हैराना हू कि वो इस तरह का बिहेव कर रही हैं और अभी ये पेनिक अटैक, तो इसका सिर्फ एक ही मतलब हैं कि वो मानसिक रूप से परेशान है ऐसे में एक अच्छे माहौल में ही पेशेन्ट सही हो सकता है, तो आप इस बात का ख्याल रखे कि वो किसी भी प्रकार का टेंशन न ले, और खुश रहे।
डाक्टर ये सारी बाते सुनकर शिवा और सार्थक दोनों ही हैरान हो गये, कि आखिर ऐसा क्या हुआ है, अब तो दोनों को ही शिवांगी के बारे में सब जानना कि इच्छा हो रही थी, दोनों ही शिवांगी के बारे में सब जानना चाहते हैं कि ऐसा क्या राज है जो शिवांगी सभी से छुपा रही है, कि उसके बारे में पता करवाने पर भी कुछ पता नहीं चला रहा है, सभी बातो को सोचते हुए दोनो डाक्टर के केबिन से बाहर आ कर शिवांगी के वार्ड के अंदर चले जाते हैं।
अंदर जा कर दोनों ने शिवांगी को काफी देर तक देखते रहे जैसे कुछ तलाश कर रहे हो फिर शिवा ने सार्थक से कहा
शिवा - यार सैम तुझे क्या लगता है कि क्या हुआ होगा इसके साथ और जो डाक्टर ने अभी और इससे पहले जो बाते हमें बताई है इससे तो मुझे ये लग रहा है कि ये कोई गलत लड़की तो नहीं है, पर समझ नहीं आ रहा कि क्या सही है और क्या नहीं क्या हमे खुद इससे पूछना चाहिए या फिर अपने तरिके से पता करने चाहिए।
सार्थक - देख शिवा समझ तो मेरी भी कुछ नहीं आ रहा है घर मेरा दिल कह रहा है कि ये गलत नहीं है बल्कि इसके साथ कुछ हुआ है वरना तू ही सोच उस आदमी को (मकान मालिक) इसने कितनी बुरी तरह से मारा और उसकी वो बाते सुनकर तो मुझे नहीं लगता है कि ये कोई गलत है, और जहा रही बात इसके बारे में जानने कि तो मुझे लगता है कि हमे थोड़ा इंतजार करना चाहिए क्या पता ये हमे खुद ही बतायें।
शिवा - पर तुझें लगता है कि ये हमे अपने बारे में कुछ बतायेगी, और चल मान लिया कि इसने अपने बारे में कुछ बताया भी पर क्या गारंटी है कि वो सभी बाते सही ही हो, हो सकता है कि ये हमसे झूठ बोल दे।
सार्थक - देख भाई होने को तो कुछ भी हो सकता है, लेकिन में अभी भी यही बोलूगा कि हमे थोड़ा इंतजार करना चाहिए, खेर ये सब छोड़ थोड़ा आराम कर लेते है वैसे भी पूरा टाइम ऐसे ही चला गया कुछ घण्टे में सुबह भी हो जाएगी तो थोड़ा रीलेक्स कर लेते बात की बाते बाद देखते,
शिवा - हा तू सही बोल रहा है वैसे भी इतनी देर से दिमाग़ के घोड़े दौड़ा रहे हैं पर कुछ समझ नहीं आ रहा फिलहाल तो हमे अपने इस दिमाग़ को शांत करने की जरूरत हैं, एक काम कर तू अगर घर जाकर रीलेक्स चाहता है तो घर चला जा में यही पर हूं,
सार्थक - नहीं मेरा घर जाने का मन नहीं है में भी यही तेरे साथ रूक जाता हूँ, वो सोफा रखा है वही पर थोड़ा रीलेक्स कर लेते हैं, फिर जब सुबह हो जाएगी तो घर जाकर फ्रेश हो जाएगे, ये बोलकर सार्थक सोफे पर बैठ कर सिर को पीछे सीट से टिका कर आँख बंद कर ली, पर शिवा वहा न बैठ कर शिवांगी के पास ही रखा स्टूल पर बैठ गया, जाने क्या सोचकर शिवा ने अपने हाथों में शिवांगी का एक हाथ पकड़ लिया, उसे देखते देखते जाने कब उसकी आँख लग गई,
सुबह 9 बजे
सार्थक सोफे पर ही बैठे बैठे सो गया था और अभी भी सो ही रहा था, वही शिवा ने अभी भी शिवांगी का हाथ पकड़े सो रहा था, थोडी देर मे शिवा की आखे खुली तो अपने सामने शिवांगी को सोता पाया अभी भी शिवा ने शिवांगी का एक हाथ पकड़ रखा था, (जैसे वो इस हाथ को कभी भी नहीं छोड़ना चाहता हो), शिवा के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कराहट आ गई उसी वक़्त शिवांगी की भी आखे खुली उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कराहट थी दोनों ही एक दूसरे की आखो में देख रहे थे अचानक शिवांगी को क्या हुआ कि वो जोर से चिल्लाई, उसकी आवाज़ सुन कर सार्थक की भी आखे खुल गई ओर बाहर बैठे वरुन ओर शेरा भी आवाज सुनकर अंदर आ गये।
अचानक शिवांगी को क्या हुआ कि वो जोर से चिल्लाई, उसकी आवाज़ सुन कर सार्थक की भी आखे खुल गई ओर बाहर बैठे वरुन ओर शेरा भी आवाज सुनकर अंदर आ गये।
भाग - 16 प्यारी सी नोक झोक
सु
बह का वक्त
शिवांगी और शिवा सो रहे थे, शिवा के हाथ में शिवांगी का एक हाथ था, कुछ देर में शिवा कि आँख खुली तो उसकी आँखो के सामने शिवागी का मासूम सा चेहरा था, जो कमजोरी की वजह से पीला पड़ गया था, शिवा एकटक शिवांगी के चेहरे को देखे जा रहा था, तभी शिवांगी की भी आँख खुली उसके आंख खोलते ही वो शिया की उन नीली आंखो को देखने लगी वो अभी भी आलस्य भरी नजरो से शिवा को देखने लगी, तभी उसे ध्यान आया और वो जोर चिल्लाई शिवांगी के ऐसे अचानक चिल्लाने से सोफे पर सोया सार्थक नींद में ही गिरते गिरते बचा और शिवा जिसने थोड़ी देर पहले शिवांगी का हाथ पकड़ा था उसने शिवांगी का हाथ छोड़ा ओर अपने दोनों हाथों को कान पर रखा और घूर कर शिवांगी को देखने लगा, "जैसे सोच रहा हो कि इसे अचानक से क्या हो गया, तभी सार्थक और बाहर से वरून और शेरा भी जल्दी से शिवांगी के पास आ गये तो सार्थक बोला,
सार्थक - क्या हुआ तुम ऐसे क्यों चिल्लाई जैसे कोई भूत देख लिखा हो, फिर सार्थक ने शिवा कि तरफ देखा और धीरे से बडबडाया अब में समझा ये ऐसे क्यों चिल्लाई. अब कोई सामने इतना डरावना चेहरा लेकर खड़ा रहेगा, तो जाहिर सी बात है कोई भी इंसान डर के चिल्लयगा ही, ऑंखे देखकर तो ऐसे लग रहा है जैसे जाग उगल रही है हु. ये बोल कर सार्थक ने अजीब सी शक्ल बना ली
वही शिवा ने सार्थक का बड़बड़ाना सुन लिया था वो घूर के सार्थक को देख रहा था उसे ऐसे अपनी तरफ घूरता पाकर सार्थक बोला
सार्थक - अब ऐसे क्या घूर के देख रहा है जैसे आखों से ही भस्म कर देगा, मैं तेरी इन नीली नीली आखो से बिल्कुल भी नहीं डरता समझा तू बड़ा आया अपने नीली आंखो से डराने वाला बिल्ला कही कही का..... उसके ये बोलने पर बोला
शिवा - तुझे ये नहीं लग रहा है कि तू कुछ ज्यादा ही बोल रहा है, वैसे भी बहुत समय हो गया है अपनी हाथों की खुजली को मिटाए तो सोच रहा हूँ कि इसे शांत करने के लिए किसी को पीट दू, तो तू यहा मार खाना चाहता है या बाहर देख तू बता दे मुझे कोई परेशानी नहीं है मुझे तो बस अपने हाथों की खुजली को शांत करना है ये बोल उसने शरारती मुस्कान दी,
उसकी ये बातें सुनकर सार्थक कुछ बोलने ही वाला कि शिवागी बीच में ही बोली
शिवांगी - चुप एकदम चुप कब से देख रहे हैं हम आप दोनों की ये चूहे और बिल्ली की लड़ाई ,और है कौन आप लोग , जो ऐसे लड़ रहे है, फिर कुछ सोच कर वैसे हम, हम यहा क्या कर रहे है और हमें यहा कौन लेकर आया और आप आप सब कौन है हमें कुछ समझ नहीं आ रहा, हम तो अपने घर पर थे तो हम यहा कैसे आए कोई हमे बताएगा की हम क्या कर रहे हैं......
(ये सब बाते शिवांगी रुक रुक कर बोल रही थी क्योंकि सिर और बाकि के शरीर पर चोट लगने से शिवांगी को कमजोरी हो गई थी, ऊपर से शिवा और सार्थक की बचकानी लड़ाई देखकर शिवांगी को चीड़ हो गई थी ऊपर से ऐसे किसी अंजान व्यक्ति को अपने सामने देखकर साथ ही हॉस्पिटल के बैड पर देखकर वो थोड़ा गुस्से से बोली)
शिवांगी के ऐसे गुस्से से बोलने पर शिवा बोला
शिवा - अरे बस भी करो लेडी भीम,, कितना बोलती हो तुम अभी तुम्हें आराम कि जरूरत है वैसे ही कमजोरी है और ऐसे तुम्हारे बोलने से तुम्हें और भी कमजोरी हो सकती है तो अभी फिलहाल चुपकर के आराम करो, और जहा रही बात कि हम कौन है और यहा क्या कर रहे हैं तो.... मेरा नाम शिवांश.. शिवांश सिंह राजपूत हैं और तुम पहले जिस रेस्टोरेन्ट में काम करती थी वो मेरा ही था, आई नो कि हमारी पहली मुलाकात कुछ खास अच्छी नहीं थी, और मेरा तुम पर हाथ ऊठ गया, उसके बाद किसी ने मुझे समझा कि गलती भले ही तुमसे हुई हो पर ऐसे मुझे तुम पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था तो उसी के लिए तुम्हें सॉरी बोलने के लिए तुम्हारे घर गये थे तो तुम्हारी ऐसी हालत देखकर कर हम तुम्हें यहा लेकर आए. फिर थोड़ा रुक कर, और ये हैं मेरा दोस्त कम भाई ज्यादा सार्थक ...सार्थक सिंघानिया और तुम्हारा एकलौता भाई, उसके भाई बोलने से शिवांगी बोली
शिवांगी - भाई, भाई पर हमारा कोई भाई वाई नहीं है हम तो इन्हें जानते भी नहीं हमने तो इन्हें आज पहली बार देख रहे हैं आप क्या बोल रहे हैं हमारी कुछ समझ नहीं आ रहा है, और हम किसी से भी कोई रिश्ता जोड़ चाहते तो कृप्या कर के हमसे कोई रिश्ता ना ही जोड़े तो अच्छा है, क्योंकि ये रिश्ते जब टूटते और दूर होते हैं तो बहुत तकलीफ होती है. ये बोल कर शिवांगी कुछ सोच रही थी, सोचते सोचते उसकी आँखो से आंसू बहाने लगे, ये देखकर सार्थक आगे बड़ कर बड़े ही प्यार से शिवांगी के आसू पोछे और बोला
सार्थक - देखो शिवि, मुझे नहीं पता कि तुम हमारे बारे में क्या सोच रही हो, पर तुम्हें यू रोने की कोई जरूरती नहीं है, मेरी कोई बहन नहीं है, न जाने क्यों तुम मुझे मेरी बहन जैसी ही लगी, में तो ये सोच रहा हूँ कि अगर मेरी कोई बहन होती तो वो बिलकुल तुम्हारी जैसी होती, एक प्यारी सी गुड़िया जैसी, इसलिए मैने तुम्हें अपना बहन बना लिया, अगर तुम्हे अच्छा नहीं लगा तो कोई बात नहीं मै तुम्हे कुछ नहीं बोलूगा बस तुम सही हो जाऊ मुझे और कुछ भी नहीं चाहिए.... ये बोल वो प्यार से शिवागी के सिर को सहलाए जा रहा था,
सार्थक के ऐसे प्यार से सहलाने और उसे शिवि बोलना, सार्थक की सारी बातें सुनकर जाने क्यों शिवांगी को एक अपने पत्र का अहनरास हुआ, ऐसा अहसास जो कई साल पहले किसी और के ऐसे सहलाने और प्यार से शिवि बोलने पर शिवांगी की आंखो से अपने आप ही आसू बहे जा रहे थे तो सार्थक के गले लग कर रो पड़ी,
इतने समय बाद उसे किसी अपने का एहसास हो रहा था, कितने समय से तो वो बिलकुल अकेली थी कोई भी तो नहीं था उसके पास जिसे वो अपना कह सके, प्यार से उसके सिर पर हाथ रखे, वरना तो इस दुनिया में लोग सिर्फ अकेली का बस फायदा उठाना ही जानते हैं, और वहीं किसी अजनबी ने उसे एक बहन माना न सिर्फ माना बल्कि उसका ख्याल भी रख रहे हैं, ये सब सोचते हुए ही वो सार्थक को गले लगा कर रोने लगी जैसे तो उसे कब से जानती हो, सार्थक भी उसकी मनोदशा को समझते हुए उसके सिर को सहलाए जा रहा था, आखिर उसे भी तो एक बहन मिली थी. भले ही दोनों में कोई खून का रिश्ता ना हो पर दोनों को ही एक अपने पन का अहसास तो हो रहा था,
दोनों अलग हुए तो अचानक ही शिवांगी के मुंह से वंश भाई निकला तो सभी उसे देखने लगे तो शिवांगी को लगा कि उसने कोई गलती कर दी तो वो बात को सभालते हुए बोली
शिवांगी - वो वो वो आ आ आ आपका न न नाम.... • उसे ऐसे हकलाते देख सार्थक बोला
सार्थक - सार्थक, सार्थक नाम है मेरा कोई बात नहीं अभी शुरुआत है तो नाम याद नहीं होगा इस लिए ऐसा हो गया तुम्हें यू घबराने की जरूरत नहीं है, ठीक है.....शिवांगी ने हा में सिर हिला दिया....... बात करते तब तक डाक्टरों की टीम भी आ गई और सभी को बाहर भेज कर शिवांगी को देखने लगे वो कुछ ओर
यहा बाहर आते ही शिवा बोला
शिवा - यार सैम तूने सुना उसने किसी वंश का नाम लिया आखिर ये वंश है कौन और क्या रिश्ता है इसका - और अगर ये उसे जानती है तो वो कहा है, इसके साथ क्यों नहीं है मुझे तो कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ लग रही है, और वो अंदर क्या था उसे शिवि क्यों बुलाया तुने..... ये बोल शिवा सार्थक को देखने लगा
सार्थक - पता नहीं यार पर उसे शिवि बोलने का मन किया तो बोल दिया, और जहा रही बात उस वंश नाम, की तो मुझे भी कुछ देर के लिए ये बात खटकी की आखिर ये वंश कौन है, पर उसका नाम लेकर उसका यू हडबडा जाना मुझे लगा वो अभी कुछ इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहिए, तो मैने भी बात बदल दी, शिवा ने भी उसकी बात सुनकर हा मे अपना सिर हिला दिया
डाक्टर शिवांगी को देखकर बाहर आए और फिलहाल सब सही है पेशानी कि कोई बात नहीं है, और उन्हें कुछ हलका खिला कर दवाईया खिला दे ये बोल कर डाक्टर वहा से चले गये,
शिवा ने वरून को इशारा कर के कुछ कहा जिसे समझ कर वो चला गया, लगभग 10,15 मिनट में वरुन अपने हाथ में कुछ खाने के लिए लेकर आया और सार्थक ने आगे बढ़ कर वो ले लिया और शिवांगी के वार्ड के अंदर चला गया, वहा जाकर सार्थक ने शिवांगी को खाना खिलाया, खिलाते वक्त शिवांगी के आँखों से आमू निकल रहे थे जिसे सार्थक पोछे जा रहा था, और अपनी गर्दन ना मैं हिलाकर रोने से मना कर दिया खाना खिलाकर और दवाईया नर्स की मदद से खिला कर बाहर आया तो शिवा बही एक जगह बैठा था सार्थक को देख कर शिवा बोला
शिवा - अब कैसी है वो, ठीक तो है कोई परेशानी तो नहीं हुई न उसे,
सार्थक - पहली बात तो ये भाई की उसे ये वो उसे ऐसे नामों से मत बुला उसकी भी एक प्यारा सा नाम है उसी (से बुला..... ये बोल कर सार्थक शरारत से मुस्कुरा दिया तो शिवा उसके ऐसे मुस्कुराने से वो चीड़ गया और बिना कुछ बोले जा रहा था तो उसे ऐसे बिना कुछ बोले जाता देख सार्थक बोला,
सार्थक - अब ऐसे कैसे जा रहा है बिना कुछ बोले, और तू मुझे ऐसे अकेला छोड़ कर जा कहा रहा है
शिवा वैसे ही बिना मुड़े जाते हुए बोला,
शिवा - फ्रेश होने जा रहा हूँ, और किसी को उसकी जगह बताने... उसकी बात सुनकर सार्थक भी उसके पीछे पीछे चल दिया ओर वरून ओर शेरा को वही रुकने का ओर कुछ भी गड़बड़ हो तो उन्हें बताने का बोल कर दोनों ही आगे बढ़ गये।
भाग- 17 खौफ...
और सार्थक दोनों ही हास्पिटल से मैन्शन के लिए निकल गये, वरून और शेरा को वही शिवांगी की देखरेख करने के लिए बोल दिया, शिवा और सार्थक जैसे ही घर पहुचे घर अंदर आते ही रामू काका को बोल कर नाश्ता और ब्लैक कॉफी के लिए बोल कर शिवा अपने रूम में ओर सार्थक अपने रूम में फ्रेश होने चला गया।
शिवा का रूम
शिवा जब रूम में आया तो उसने अपने कोट को सोफे पर फेंक दिया, उसके जहन में इस वक़्त बहुत सी बाते चल रही थी जो सिर्फ उसी को पता था, शिवा जल्दी से अपना टावल ले कर बाथरूम में चला गया, करीब आधे घण्टे तक शावर के नीचे रहने के बाद शिवा बाहर आ कर तैयार होने लगा, इस बार शिवा जब तैयार हुआ तो वो कोई बिजनेसमैन शिवा नही बल्कि वाकई में कोई गैंगस्टार हो ऐसा लग रहा था, ब्लैक कलर का थ्री पीस सूट ओ उसके ऊपर से एक ब्लैक कलर का ओवर कोट जो पहन रखा था, और उसके माथे पर आते उसके वो लम्बे बाल ऊफ क्या कहने, उसका ओरा ही देखने वाला था, अगर कोई भी उसे ऐसे देख ले तो सच में डर जाए, एक तो उसका ओरा ऊपर से बिना भाव का चेहरा पर फिर भी किसी हिरो से कम नहीं लग रहा था, शिवा तैयार होकर नीचे नाशता करते के लिए आया।
नाशते की टेबल पर
शिवा आ कर अपने चेयर पर बैठ गया जो कि हेड आफ द हाउस वाली थी, तबतक सार्थक भी आ गया था, जब सार्थक ने शिवा का ये रूप देखा तो मन ही मन बोला
सार्थक (मन में) - ये शिवा तो ऐसे तभी तैयार होता है जब किसी को नर्क पहुचाना हो, जिसने भी इसके अंदर के शौतान को जगाया है, उसे तो अब कोई भी नहीं बचा सकता है, इसके तो इस रूप से कभी कभी मुझे भी डर लगने लगा है, महादेव का दूसरा रूप हैं तो... ऊपर देखकर हे महादेव अब आप ही बचाना इस शोतान से, सार्थक को यू खोया देखकर शिवा बोला
शिवा (अपने उसी कोल्ड आवाज़ में)- अब खड़े ही रहने इरादा है या बैठेगा भी, उसके ऐसे बोलने पर सार्थक हड़बड़ा कर एक चेयर पर बैठ गया तब तक काका भी नाश्ता लेकर आ गये, दोनों ने नाश्ता किया और नाश्ता खत्म करके शिवा अपनी जगह से उपकर हाल में मोजूद अपने किंग साइज सोफे पर बैठ कर किसी को कॉल किया, एक ही रिंग में उस शख्स ने फोन उठा लिया,
शिवा ऋषि आज या अगले कुछ दिनों में मेरी जितनी भी मीटिंग हैं उसे तुम हैंडल कर लेना बाकि अगर कोई भी परेशानी होती है तो, मुझे या सार्थक से बात कर सकते हो पर जब तब जरूरी न हो तब तक कोई भी मुझे परेशान न करे, उधर से सिर्फ जी सर बोला गया और शिवा ने फोन कट कर दिया।
फोन रख कर शिवा ने अपनी नजरे ऊपर करी तो वहा पर काका खड़े थे, काका को देखकर शिवा बोला
शिवा (अपने उसी अंदाज में )जी काका कुछ कहना था आपको, जो भी बात है बेझिझक बोल दिजिए,
काका - वो बेटा हमने बताया न कि हमें हमारे गाँव जाना है, कुछ ...काका इतना ही बोल पाए कि शिवा उनकी बात को बीच में ही काट कर बोला
शिवा - हा मुझे याद हैं, आपने बताया था आप परेशान न हो मैने सारा इंतजाम कर दिया है बस जाने कि तैयारी कर लिजिए, और ये कुछ पैसे है अपने पर्स में से हजार के ढेर सारे नोट निकल कर देते हुए) इसे रख लिजिए काम आएगा, आपना ओर बाकि सब का ख्याल रखना, इतना बोल कर शिवा वहा से बाहर निकल गया और उसके साथ सार्थक भी.
यहा शिवा को जाता देखकर काका मन ही मन बोले- महादेव से बस यही प्रार्थन है कि जिस तरह आप सभी कि जरूरतो ओर खवाहिशो को बिना सुने समझ जाते हैं, उसी तरह आपके जीवन में भी कोई ऐसा आए जो आपके बिना कहे ही सब समझ जाए, जो आपको आपके हिस्से की खुशी दे, ये जो आप सभी को अपने गुस्से ओर बिना भाव वाले को दिखाते हैं कि सब आपसे डरे, पर आपके दिल में जो सभी के लिए प्यार है जिसे आप जाहिर नहीं करते बहुत जल्दी आपकी इस सूनी सी जिंदगी में कोई खुशियो की रोशनी लेकर आएगी, जो
हसना, और मुस्कुराना, जीवन को जीना सिखाएगी ये कह कर काकि अपना काम करने चले गए यहा घर से निकल कर शिवा और सार्थक जगलो के रास्ते एक बड़ी सी हवेली के यहा पर अपनी गाड़ी रोकी, और उसी के साथ उस गाड़ी के आगे और पीछे कि गाडिया भी रुकी जो कि शिवा के ही बाडीगार्डस थे, शिवा और सार्थक दोनों के ही गाडी का डोर एक एक गार्ड ने आ कर खोला तो उसमें से शिवा और सार्थक निकले
शिवा के आखो पर ब्लैक शेड लगे थे, उसने उसे नीचे किया और एक नजर अपने सामने वाले बगले पर डाली.
(ये है शिवा की अदालत या यू कहे कि शिवा यहा पर अपने सभी दुश्मनो ओर जो भी उसके रास्ते आता है उसे उसके जुर्म की सजा यही पर मिलती है, यहा पर किसी को भी आने की इज्जत नहीं है शिवा, सार्थक ओर शिवा के चार भरोसे मंद आदमियो के)
जो दिखने में किसी भूतिया फिल्म के घर जैसा दिख रहा था, रात को तो इसका नजारा देखकर ही किसी को भी हार्ट अटैक आ जाए, शिवा और सार्थक दोनों ही अंदर की ओर चले गये, अंदर कई सारे गार्ड जो कि काले कपड़ों में थे और काले कपड़े से सभी ने अपने चेहरे को ढक रखा था, सभी के हाथों में हाथो में गन थे, ये थे शिवा के सबसे खतरनाक और शिव के एक ही इशारे पर किसी को भी मौत के घाट उतारने वाले ओर किसी से भी न डरने वाले गार्ड ये किसी कि भी नहीं सुनते सिवाए शिवा ओर सार्थक के
(ये गार्ड शिवा के लिए ही काम करते हैं, ये तीन हिस्सों में बटे है, 1 ब्लेक ईगल 2 ब्लैक वुल्फ 3 ब्लैक फोर्स
जिनमे से ईगल विभिन्न प्रकार के हथियारों से सम्बन्धित जानकारी और वुल्फ अपने दुश्मनों को बिना सबूत के खत्म ओर हैकिंग में एक्स्परट और ब्लैक फोर्स शिवा ओर बाकि सभी की सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं)
शिवा ओर सार्थक को आता देखकर सभी गार्ड ने अपना सिर नीचे कर लिया, शिवा आगे आगे चलने लगा, इस समय वो को बिजनेसमैन नही बल्कि मौत का देवता लग रहा था, और उसका वो ओरा कमाल का था, चलते चलते शिवा ने एक सिगरेट जलाकर अपने होठो के बीच रख लिया, और उसके कश भरने लगा, उसके वो बिखरे बाल और उसका वो ओरा देखने लायक था,
शिवा चलते चलते एक बड़े से रूम में आया जहा पर रोशनी नाम मात्र थी, शिवा के सामने एक आदमी था, जिसकी आखो में डर और खौफ साफ देखा जा सकता था।
भाग - 18 रोहन की मौत
शिवा और सार्थक दोनों ही उस रूम में पहुचे जहा पर उनकी आँखों के सामने एक शख्स कुर्सी पर बैठा था, उस शख्स ने अपनी अधखुली आँखो से अपने सामने देखा तो शिवा को देखकर उसकी हालत खराब हो रही थी, उसे अपने सामने मौत दिख रही थी, जो उसे ही अपनी जलती निगाहों से कब से देख रही थी,
शिवा धीरे धीरे कदमो से उस शख्स के पास जा रहा था शिवा आगे ओर उसके पीछे सार्थक और उन दोनों के अगल बगल एक लम्बी कतार में काले कपड़ों, हाथ में गन लिए खड़े ढेर सारे आदमी जिन्होंने अपनी गर्दन झुका रखी थी, शिवा ने अपनी जलती निगाहों से एक नजर उस शख्स को देखा और एक किंग साइज कुर्सी पर बैठ गया एक पैर के ऊपर एक पैर कर के और एक सिगरेट जो उसके हाथो में अभी भी थी उसके कश भरे जा रहा था, और उस शख्स को देखे जा रहा था।
सिगरेट का कश भरते हुए उसने थुए को हवा में छोड़ा और अपना सिर उस कुर्सी के पीछे टिका दिया, और ऑंखे बंद कर ली, आँखे बंद करने के बाद उसकी आँखो के आगे शिवांगी का वही चेहरा आ गया जब शिवा ने शिवांगी के शरीर को खून से लथपथ, और जो शख्स उसके सामने बैठा था उसके द्वारा शिवांगी के साथ जबरदस्ती करते देख ये सोच कर ही कि अगर वो उस समय वहा पर सही समय अगर नहीं पहुंचता तो क्या • से क्या हो जाता, ये सोच कर ही उसने अपने जबड़े बिच लिए, और जिस हाथ में सिगरेट था उस हाथ की मुट्ठी कस ली.
वही शिवा के बगल में एक सोफे पर सार्थक भी बैठा था, और उन दोनों के पीछे मंयक और कार्तिक खड़े थे, वही शिवा को ऐसे देखकर सार्थक को तो थोड़ा भी शौक नहीं लगा जैसे उसे पता हो कि अब क्या होने वाला है। लेकिन वहा पर खड़ा हर एक शख्स को पता था कि उस शख्स को अब बहुत बुरी मौत मिलने वाली है जिससे उसकी रूह भी कांप जाएगी, वो तो शिवा के कहर को सोच कर ही अंदर से कापे जा रहे थे, वही सभी की सोच पर विराम एक जोरदार अवाज के साथ लगी जब सभी ने उस आवाज कि दिशा में देखा तो वो आवाज उस शख्स के ओर से आई जहा कुछ देर पहले ही वो शख्स कुर्सी पर बैठा था पर अब वो ज़मीन पर गिरा पड़ा था
( शिवा को जब शिवांगी की हालत याद आई तो उसके गुस्से का कोई ठिकाना नहीं था तो अपनी जगह से जल्दी से उठा और एक जोरदार लात अपने सामने खड़े शख्स के पेट में मार दी, जिससे वो दूर जा कर कुर्सी सही गिरा और उसके मुह से दर्द भरी चीख निकली
(ये कोई और नही बल्कि वही मकान मालिक था जिसने शिवांगी के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करी थी)
उसकी चीख उस पूरे रूम में गुज रही थी, पर किसी को भी फर्क नहीं पड़ता, शिवा ने एक नजर मंयक और कार्तिक की ओर देखकर कुछ इशारा किया उसका इशारा पा कर मंयक और कार्तिक ने उस शख्स को फिर से सही से बैठा दिया,
शिवा ने एक इशारा किया तो मंयक आगे आ कर बोला
मंयक - भाई इसका पूरा नाम रोहन श्रीवास्तव है, उम्र 29, 25 साल मे इसने ऋतु नाम की लड़की से शादी कर ली, पहले ये एक मल्टी नेशनल कम्पनी में जोब करता था, पर वहा पर फिमेल एम्पलोंए के साथ बतमीजी करने पर इसे वहा से निकाल दिया, और उस बात का सारा गुस्सा ये रोज अपनी बीवी पर उतारता, इसकी बीवी तो बिल्कुल सीधी साधी थी जिसका ये फायदा उठा कर बाहर ऐश करता, पैसे उड़ाता, और जब से इसकी नौकरी गई तब से ये अपनी बीवी पर पहले से भी ज्यादा जुल्म करता, और बाहर ऐश करने के लिए इसने अपनी बीवी के सारे गहने बेच दिए, एक बार तो इस कमीने ने हद ही कर दी, ये साला हरामी जुए में हार गया तो पैसे न होने पर अपनी बीवी को ही दूसरे अदमी को सोप दिया और जब वो लोग इसकी बीवी के साथ जबरदस्ती करने लगे तो उस लड़की ने (ऋतु) जैसे तैसे कर के खुद को बचाकर वहा से भाग गई और कही ओर चली गई, इसकी हरकतों को देखकर किसी ने भी इसे नौकरी नहीं दी तो अपनी जरूत पूरी करने के लिए अपनी दूसरे फ्लैट को रेंट पर चढा दिया, जिसमें शिवांगी जी रहती थी,
इतना बोलकर मंयक शांत हो गया पर ऐ सारी बातें सुनकर शिवा और सार्थक दोनों का ही खून खोलने लगा सार्थक अपनी जगह से उठ रोहन को बहुत बुरी तरह से मारे जा रहा था, उसने उसे इतना मारा कि वो लगभग बेहोश ही गया गया तो शिवा ने सार्थक को रोक लिया और कार्तिक को कुछ कहा और मंयक को कुछ कहा तो दोनों ही हरकत में आ गये,
मंयक ने रोहन के शरीर से सारे कपड़े अलग कर दिए, और कुछ ही देर मे वहा कार्तिक अपने साथ दो बड़ी बाल्टियों में पानी लेकर आया जिसमें से एक मे बहुत ही ठंडा पानी था तो एक में खोलता हुआ बहुत ही गर्म पानी,
शिवा ने एक ठंडे पानी की बाल्टी ले कर रोहन के ऊपर डाल दिया जिससे उसकी वो बोझल हो चुकी आखे इस अचानक हुए हमले से पूरी तरह से खुल गई, और वो बुरी तरह से चीख रहा था, फिर शिवा ने एक ओर बाल्टी उठाई जिसमे खोलता हुआ गर्म पानी था उसे रोहन के ऊपर डाल दिया, अब उसकी चीख पहले से ज्यादा थी, उसका वो नग्न शरीर पुरी तरह से लाल पड़ चुका था,
ये करने के बाद भी शिवा के अंदर जो ज्वालामुखी था वो अभी भी शांत नही हुआ था अपने गुस्से को शांत करना के लिए शिवा ने अपनी आखे जोर से बंद कर ली पर आखे बंद करने पर एक बार फिर से शिवांगी का वही चेहरा दिखा, तो शिवा ने अपने दोनों हाथों की हथेली की मुट्ठी भीच ली और अपने सिर को ऊपर कर के एक खतरनाक हंसी हंसी, उसका रूप देखकर रोहन ही नहीं बल्कि वहा मोजूद हर कोई डर ओर खोफ से कांप रहा था,
( वहां मौजूद हर किसी को पता था की शिवा कुछ भी बर्दाश कर ले या फिर जिसने और कोई खतरनाक काम किया हो उसे शिवा फिर भी आसान मौत दे दे पर किसी लड़की की इज्जत से खेलने पर वो किसी को भी नहीं छोड़ता फिर चाहे कोई भी हो। )
शिवा ने मंयक और कार्तिक को कुछ इशारा किया उसका इशारा पा कर दोनों ने रोहन के हाथ पैरो को बांध कर एक रस्सी की मदद से हवा में उल्टा लटका दिया, शिवा आगे बढ़ा और अपनी बेल्ट निकाल कर एक के बाद एक बेल्ट से मारने लगा, अब तो रोहन की हालत बत से बत्तर हो गई थी, उसके शरीर से खून की धार निकले ही जा रही थी, शिवा का ये रूप देख कर हर कोई डर गया था,
"यू ही नहीं सब शिवा को महादेव का रौद्र रूप कहते हैं, जब तक शिवा शांत है तब तक वो सिर्फ शिवा एक बिजनेस पर्सन की तरह ही है, पर जहा बात किसी की इज्जत और जान की होती हैं तो शिवा का ये रूप ही बाहर आता है, जिसे भी शिवा का ये वाला रूप देखा है वो तो बस यही प्रार्थना करते हैं कि उन्हें शिवा के इस रूप को ना ही देखे तो अच्छा है। 'जहा शिवा आम लोगो का मसीहा है तो वही इन जैसे जुर्म करने वालो के लिए इनका काल है।
शिवा जब रोहन को मारे जा रहा था तो उसके जहन में शिवांगी का चेहरा आ रहा था, वो समझ नहीं पा रहा. था कि उसे शिवांगी का चेहरा क्यों दिखाई दे रहा है इस बात को सोचते सोचते उसका गुस्सा बता ही जा रहा और frustrated होकर उसने अपना एक हाथ आगे बढाया तो कार्तिक ने शिवा के हाथ में गन रख दी कोई कुछ समझ पाता कि शिवा ने एक ही झटके से गन की सारी गोलियां रोहन के आर पार कर दी ओर सब के सब देखते ही रह गये, रोहन को मारे के बाद शिवा के इशारे पर रोहन को ठिकाने लगाने के लिए कुछ गार्ड आगे आ कर रोहन को वहा से ले गये, और कुछ ही देर मे शिवा ओर सार्थक भी वहा से निकल गये,
भाग - 19 पुरानी यादें
शिवा जब रोहन को मारे जा रहा था तो उसके जहन में शिवांगी का चेहरा आ रहा था, वो समझ नहीं पा रहा. था कि उसे शिवांगी का चेहरा क्यों दिखाई दे रहा है इस बात को सोचते सोचते उसका गुस्सा बता ही जा रहा और frustrated होकर उसने अपना एक हाथ आगे बढाया तो कार्तिक ने शिवा के हाथ में गन रख दी कोई कुछ समझ पाता कि शिवा ने एक ही झटके से गन की सारी गोलियां रोहन के आर पार कर दी ओर सब के सब देखते ही रह गये, रोहन को मारे के बाद शिवा के इशारे पर रोहन को ठिकाने लगाने के लिए कुछ गार्ड आगे आ कर रोहन को वहा से ले गये, और कुछ ही देर मे शिवा ओर सार्थक भी वहा से निकल गये,
अब आगे -
शिवा और सार्थक दोनों ही उस जगह से निकल गये जहा पर कुछ देर पहले रोहन को मारा गया था, गाड़ी में बैठने के बाद उस गाड़ी के पीछे तीन ओर काली गाडी आ रही थी जिसमे शिवा के गार्ड थे, शिवा की गाडी में गाडी शिवा ही चला रहा था, और वही उसकी बगल में सार्थक बैठा था, शिवा को इतनी तेज गाड़ी चलाने से सार्थक को अब थोड़ा डर लग रहा था शिवा को इतने तेज चलाने से गाड़ी चलाने से सार्थक मन ही मन बोला
सार्थक - अगर ये ऐसे ही इतनी तेज गाड़ी चला रहा था, तो जरूर मुझे यमराज के दर्शन होना तय हैं, और मे इस भरी जवानी में मरना नहीं चाहता हूँ, अरे अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई न ही मेरे बच्चे हैं, मेरी छोड़ो अभी तो मेरे यार की नहीं हुई है, पहले तो मुझे इसकी शादी करवानी है, पर इस गुस्सेल को कोन झेलेगी, इसे में झेलम लू वही बहुत बड़ी बात है, पता नहीं कौन होनी वो जो इस पागल के साथ रहेगी में तो सोच सोच कर ही उस बेचारी के लिए परेशान हो जाता हूँ... ये सोचते सोचते सार्थक अजीबोगरीब मुह बनाये जा रहा था
शिवा एक नजर सार्थक को देखता है, उसे यू खोया हुआ देख कर शिवा बोला
शिवा - अगर मेरे बारे में सोचना तेरा ख़त्म हो गया हो तो बाहर की दुनिया में भी वापस हकिकत की दुनिया में आ जा, और मेरे बारे में सोचना बंद कर ओर अपने बारे सोच समझा.
सार्थक - तुझे कैसे पता कि मे मन में तेरे लिए कुछ सोच रहा था, में कुछ और भी तो सोच सकता हूँ।
शिवा - तेरी हरकतों से में अच्छी तरह से वाकिफ हू और तेरी रग रग से वाकिफ हू तो फिर भी ये सब पूछ रहा है.
सार्थक ने बस हा मे अपनी गर्दन हिला दी गाड़ी चलते चलते अचानक से शिवा ने ब्रेक लगा दी, गाड़ी एक सुनसान जगह पर रूकी थी, और उसी के साथ पीछे की गाडिया भी रुक गई, शिवा बाहर आया और गाड़ी के बोनट पर बैठ कर सिगरेट जला कर पीने लगा,
और आखे बंद कर के कुछ पुरानी यादें उसके जहन में घुमने लगी
( कुछ साल पहले जब शिवा मुम्बई का सिर्फ एक मशहूर और बिजनेस कि दुनिया का किंग था, तब वह कोई गैंगस्टार नही था तब वो सिर्फ एक बिजनेस मैन था,
और अकसर ही वो लोगों कि मदद करता रहा था, शिवा जब भी दुखी या बहुत खुश होता था तो वो अपने अनाथ आश्रम जिसका नाम "जन्नत" था वहां पर अकसर ही जाया करता था ऐसे ही एक दिन वो अपनी सभी साथियों के साथ वहा पर गया था क्योंकि उसे एक बहुत बड़ी डील में फायदा हुआ था जिसे सोलिब्रेट करने के लिए सभी जन्नत गये थे, वहा पर पहुच कर सभी बच्चो ने शिवा और बाकि सभी लोगो को भी बच्चो ने घेर लिया और मस्ती करने लगे, उन्ही बच्चों में एक 17 से 18 साल की एक लड़की जो दिखने मे सुंदर थी, वो भी सभी के साथ मस्ती करने लगी,
शिवा ने उसे अपने पास बुलाया और उससे बातें करने लगा और वो भी शिवा को एक बड़े भाई की तरह उसकी हर बात को सुनती और मानती, उस लड़की का नाम जानवी था. यू ही बाते करते करते टाइम का पता ही नहीं चला, फिर कुछ ही देर मे वो वहा पर समय बिताने के बाद कुछ देर में वो वहा से चले गये,
यूही कुछ समय बितता गया, एक दिन शिवा अपने मीटिंग रूम में कोई मीटिंग अटैन्ड कर रहा था, और वही पास में पड़ा उसका फोन लगाता बचे जा रहा था, जब शिवा की नजर अपने फोन पर गई तो पहले उसने इग्नोर कर दिया पर बार बार फोन बजने पर उसने फोन उठा लिया जैसे ही फोन उठा दुसरी ओर से कुछ
बोला गया जिसे सुनकर शिवा को शोक और गुस्सा दोनों ही आ गया पस पास में बैठे सार्थक ने ये बात नोटिस कर ली वो कुछ पुछता तब तक शिवा वहा से उठ कर आपने मैनेजर को मीटिंग पुरा करने का बोल कर चला गया, उसी के पीछे पीछे सार्थक भी उसे कुछ तो गलत लगा, वरना शिवा यू मीटिंग छोड़ कर नही जा सकता था, शिवा ने बाहर निकलते समय किसी को कुछ पता लगाने का बोला,
करीब 15 से 20 मिनट में जो उसे जानकारी चाहिए थी वो उसे मिल गई, शिवा उस जगह के लिए निकल गया जहा पर उसे जाना था, उसी के साथ शिवा के बाडिगार्ड ओर उसके बाकि के साथी (शेरा, वरून, मंयक ओर कार्तिक) सभी उसी के साथ चले गये, जहा वो पहचे वो एक कोई पुरानी सी बिल्डिंग थी जो शहर से बाहर थी, जब वहा पर वो लोग पहुचे तो सभी ने देखा कि वहा पर बहुत सारे गार्ड थे, शिवा के आखो में मानों खून उतर आया, वो आगे बढ़ा ओर उसी के साथ बाकि के आदमी भी,
शिवा और उसके आदमियों ने वहा पर मोजूद सभी लोगों बहुत ही बुरी तरह मारा, आवाज सुनकर अंदर से कुछ लड़के बाहर आए, उन सभी की हालत देख कर शिवा को जिस बात का डर था वही लगने लगा था, पर वो उस बात को झूठला देना चाहता था, शिवा के आए बाकि के लोगों को भी लगभग अंदाजा हो ही गया था कि यहा पर क्या हुआ होगा, उन हभी को उन लड़को के ऊपर बहुत गुस्सा आया पर वो कुछ करते पहले ही शिवा आगे बढ़ कर उन लडकी को मारने लगा, शिवा उन्हें ऐसे मार रहा था मानो उनके शरीर का सारा खून बाहर ही आ जा जाएगा, शिवा के आदमियों ने बाकि सभी को मारने लगे, मारते मारते अंदर से एक चीख सुनाई दी, शिवा ने उस लड़के को छोड़ जिसे वो मार रहा था, पर शिवा के गार्ड ने सभी को पकड़ लिया वही वो चीख सुनकर शिवा और सार्थक और बाकि के आदमी (शेरा वरून मंयक और कार्तिक) सभी अंदर गये अंदर का नजारा देख कर सभी के होश उड़ गये।
भाग - 20 गैंग रेप
शिवा और उसके बाकी के साथी जैसे ही उस बिल्डिंग के अंदर गये, तो अंदर का नजारा देख कर सभी ने अपनी शर्म से नज़रे फेर ली. इस वक़्त शिवा की आँखों में दुनिया जहा का गुस्सा था, शिवा अपनी आंखे बंद कर के आगे बढ़ गया और अपना कोट निकाल कर भारी कदमो से उस जगह पर रूका जहा पर एक लड़की लेटी हुई थी, जिसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था, इससे साफ पता लग रहा था कि यहा पर क्या हुआ होगा, उस लड़की के शरीर पर जगह जगह चोटी के निशान और कई जगहों से खून भी निकल रहा था, शिवा घुटनों के बल बैठ कर उस लड़की को अपना कोट पहना देता है, इस वक़्त भी उसकी आँखे बंद ही थी, जब उस लड़की ने शिवा को भय्या बोला तो बड़ी हिम्मत कर के शिवा ने अपनी आंखे खोल कर एक नजर उस लड़की को देखा, पर शायद उस लड़की की ये हालत देखकर शिवा ने अपनी आखे तुरंत बंद कर ली तो उस लड़की ने शिवा का हाथ पकड़ कर बड़ी मुश्किल से एक बार फिर से उसने भय्या बोला तो शिवा ने उस और वो कोई ओर लड़की नहीं बल्कि जन्नत आश्रम की की वही लड़की थी जानवी जिससे शिवा आश्रम में बातें कर रहा था,
( दरअसल आज जानवी और आश्रम की कुछ और लड़किया बाजार कुछ जरूरी सामान लेने गई थी, पर रास्ते में ही उन लोगों को कुछ लोगों ने पकड़ लिया था, और उन्हें बेहोश कर के अपने साथ कही ले कर गये, जब जानवी और उसके साथ की कुछ लड़कियों को होश आया तो वो एक अंधेरे कमरे में बंद थी और उन्हीं के साथ और भी कुछ लड़कियों को बंधी बना कर रखा गया था, इतनी सारी लडकियो को देख कर जानवी को समझते देर नहीं लगी की वो और बाकि कि लड़किया किसी देह गिरोह ( लडकियों के बेचने वाले) के लोगों ने उन सभी को बंधी बना रखा है, जैसे तैसे कर के जानवी ने अपनी रस्सी को खोला, ओर बाकि की लडकियो की भी मदद की उस अंधेरे कमरे में जानवी ने अपनी नजरे दोडाई तो एक और रोशन दान था, उसी को देखकर कुछ सोचा और जानवी ने सभी लड़कियों को देख कर वहा से भागने का प्लेन बनाए, सभी एक एक कर के एक दूसरे के ऊपर चढ़ कर वहा से निकलने, अब सभी 2 से 4 लडकिया ही बची थी, कि तभी वहा पर किसी के कदमों की आवाज़ आने लगी, वह कुछ 4 से 5 लड़के थे) जब वो लोग अंदर आए तो देखा कि वहा से सभी लड़किया गायब है, ये देख सभी लड़को का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया, एक लड़का जो शायद उनका लीडर था वो आगे आ कर बोला
लड़का - तुम लोगों में से किसने सभी लड़कियों को भगाया, मैने पूछा तुम में से किसने लडकियो को भगाया,... उस लड़के ने इतनी जोर से चिल्लाकर बोला कि बाकि की लडकिया डर गई
दूसरा लड़का - यार अब क्या करे सरी लड़किया तो भाग गई, अब उन शेख लोगों को हम क्या जवाब देंगे
और उनकी छोड़ो बाँस, बाँस तो हम सब लोगों को ही मार डालेंगे, कि हमसे एक छोटा सा काम नहीं होता.
तीसरा लड़का उस लड़के की हा में हा मिलाते हुए बोला
तीसरा लड़का - हा शुभम, आकाश बिल्कुल सही बोल रहा है, आगर बास को इस बारे में कुछ भी पता चल गया तो तुझे तो कुछ नही, पर हम सब तो गये काम से, बॉस तुझे तो कुछ होने नहीं देंगे क्योंकि तू उसका बेटा जो है पर इस काड़ का सारा गुस्सा तो हम पर ही निकलेंगा।
शुभम (इनका लीडर) - तुम्हें क्या लगता है कि डैड मुझे भी छोड़ देंगे भले ही मे उनका बेटा हू, पर डैड की सबसे ज्यादा प्यार अपने नाम से है, और वो कभी भी किसे के लिए भी अपने नाम को नहीं मिटाने देगे, शुभम कुछ सोच कर फिर बोला
शुभम - अच्छा उन शेख लोगों को तो फिलहाल के लिए 3 लड़किया चाहिए तो एक काम करो इनमें से 3 लडकियो को उन शेख लोगों के पास पहुंचा देते हैं, और इनमें से जिस किसी लड़की ने भी बाकि की लड़कियो को भगाया है उसके साथ हम खेलते है, आखिर हम भी तो मजे ले ये बोल कर वो एक गंदी हसी हसने लगता है
और उन लड़कियों के पास जा कर सभी को मारने लगता है, और बार बार उनसे बस यही पूछ रहा था कि
उसमे से किस लड़की ने सभी लड़कियों को भगाया, पर किसी भी लड़की ने कुछ नहीं बोला, तो शुभम उन्हें और बेदर्दी दे मारने लगा, ये देखकर जानवी ने कहा
जानवी - रूक जाओ, रूक जाओ उनमे से किसी ने भी कुछ नहीं किया है ये सब मैने मैने किया है मैने सभी लडकियो को भगाया है, इन सभी को छोड़ दो प्लीस, इन्हें छोड़ दो ये बोल कर जानवी रोने लगी, उसकी बात सुनकर शुभम को बहुत गुस्सा आया,
शुभम ने अपने एक आदमी को बुलाकर बाकि की लड़कियों को उन शेख के पास ले जाने को बोल दिया, और खुद जानवी को उसके बालों से पकड़ कर एक जगह ले जाकर उसके साथ जबरदस्ती करने लगा, जानवी अपने आप को बचाने के लिए शुभम को खुद से दूर करने लगी, पर शुभम की ताकत के आगे जानवी कि हम्मत खत्म होने लगी पर फिर भी जानवी अपने आप को बचाने के लिए अपने हाथ पैर चलाने लगी पर सब बेकार ही रही और शुभम उसके शरीर को किसी बेहशी दरिंदे जैसे नोचे जा रहा था, उस जगह पर जानवी कि चीखे, उसका दर्द सुनने वाला वहा पर कोई भी नहीं था, ऐसे ही सभी लड़को ने बारी बारी से जानवी के शरीर को नोचना शुरू कर दिया,
वही दूसरी और बाकि सभी लडकिया जैसे तैसे कर के आश्रम पहुंची, और वहा जा कर वहा पर काम और बच्चों की देखभाल करने वाली काकी को सारी बाते बता दी, और काकी ने ये सारी बाते शिवा को फोन पर दिया, जब शिवा को ये सब पता चला तो शिवा तुरंत मीटिंग छोड़ कर बहा पर पहुंचा, जहा जानवी थी, और सभी मोजूद सभी को मार कर शिवा जानवी के पास पहुंचा, और शिवा के लोगों ने उन सभी लड़को को पकड़ लिया)