क्या सच मे हम आज भी गोरे और सवाले में भेद भाव करते हैं। आज भी लड़कियों का चुनाव उनके गुण को न देखकर उनके रूप को देखकर करते हैं। सच में हम कभी नहीं सुधरेंगे, चाहे कुछ भी हो हम एक सांवली लड़की को अपने घर की बहू कभी नहीं बनाना चाहते ओर ना ही कोई लड़का ज... क्या सच मे हम आज भी गोरे और सवाले में भेद भाव करते हैं। आज भी लड़कियों का चुनाव उनके गुण को न देखकर उनके रूप को देखकर करते हैं। सच में हम कभी नहीं सुधरेंगे, चाहे कुछ भी हो हम एक सांवली लड़की को अपने घर की बहू कभी नहीं बनाना चाहते ओर ना ही कोई लड़का जल्दी किसी सांवली लड़की से शादी करना चाहता है, अगर कोई सांवली रूप वाली लड़की हैं, और उसकी शादी करनी है तो उसमें बहुत परेशानी होती क्योंकि आजकल सांवली रूप वाली लड़की को कोई पसंद नहीं करता, चाहे लड़की में लाख गुण हो, स्वभाव की अच्छी हो पर सब की नजरें एक सुंदर रूप को ही निहारते हैं। बड़ो का आदर करना, घर का सारा काम करना, सिलाई करना, पढ़ने में भी अव्वल हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, फर्क पड़ता है तो सुंदर चेहरे हैं,
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लघु कहानी
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ये कहानी है गौरी की, गौरी एक ऐसी लड़की है जिसका रंग साँवला है, पर दिल किसी सोने से कम नहीं है, हर कोई उसके साँवले रंग को लेकर अक्सर ही लोग उसका मजाक बनाते थे ,पर वो हमेशा अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कराहट लिये सब सुन लेती थी बचपन से ही हर कोई उसके साँवले रंग को लेकर उसे ताने मारता रहता था, पर अपने बाबा के प्यार से वो सभी तानो को नजर अन्दाज़ कर देती थी, गौरी अपने बाबा की एकलौती संतान थी, गौरी के बाबा एक सरकारी दफ्तर में कलर्क थे घर में सिर्फ गौरी ओर उसके बाबा ही थे, गौरी की पढ़ाई मुश्किल से ही पूरी हुई थी वो पढने में होशिया थी इसका एक कारण यह है कि उसका कोई भी दोस्त नही था सिर्फ उसके साँवले रंग की वजह से ,इसलिए उसने अपनी दोस्ती किताबों से कर ली, अपनी पकाई करने के बाद गौरी घर पर ही बच्चो को ट्यूशन पढाती, जिसे घर का कुछ खर्चा निकल जाता था , इससे गौरी अपने बाबा का घर के खर्चो में हाथ बटा देती थी,
धीरे धीरे ऐसे ही समय बितता गया और गौरी के बाबा अब बूढ़े होने लगे थे ,उन्हें रह रह कर गौरी की चिन्ता लगी रहती थी, इन्ही चिन्ताओ में एक दिन गौरी के बाबा की तबीयत बहुत ही ज्यादा ख़राब होगी, उन्हें जल्दी से जल्दी हास्पिटल ले जाया गया , गौरी के बाबा के एक बहुत ही अच्छे दोस्त थे जो उनके साथ ही काम करते थे , जब उन्हें गौरी के बाबा कि तबियत के बारे में पता चला तो वो उन्हें देखने चले गये,
जब सुरेश जी ( गौरी के बाबा के दोस्त) हास्पिटल पहुंचे तो उन्होने देखा कि उनका दोस्त जिंदगी और मौत के बीच की लड़ाई लड़ रहा है, उन्हें अपने दोस्त की हालत देखकर बहुत बुरा लगा, सुरेश जी उस समय को याद करने लगे, जब गौरी के बाबा ने उनकी मदद करी थी जब भी उन्हें किसी चीज की जरूर पडती थी सबसे पहले गौरी के बाबा ही उनकी मदद करते थे, जिसका नतिजा ये हुआ कि सुरेश जी की अब खुद की एक बड़ी कम्पनी थी, सुरेश जी तो तरकी कर आगे बढ गए, पर गौरी के बाबा अभी भी उसी तरह एक कलर्क के रूप में काम करते थे, लेकिन कुछ समय से अपनी तबियत के चलते उन्होने वो नौकरी भी छोड़ दी, इसी कारण गौरी घर पर रह कर ही अपने बाबा की देखभाल ओर बच्चों को पढाती व कुछ सिलाई कर घर का खर्च देखती,
कई बार सुरेश जी ने मनोज जी(गौरी के बाबा) से कहा कि वो उनकी कम्पनी में काम कर सकते हैं या गौरी को वहा किसी पद पर नियुक्त कर सकते हैं लेकिन मनोज जी स्वाभिमान होने के कारण ऐसा नहीं करना चाहते थे, वो तो हमेशा सुरेश जी से कहते कि दोस्ती में जब तुझे एक दोस्त की जरुर होगी तो मैं हमेशा तेरे लिए खड़ा रहूगा ये नोकरी देकर एहसान कर के मेरी दोस्ती को कम कर रहा है, उस समय तो वो कह जाते थे पर उन्हें क्या पता था की एक दिन उन्हें अपने दोस्त से एक एहसान लेना पडेगा,
मनोज जी की हालत खराब होती जा रही थी उन्होने एक आखरी बार गौरी ओर सुरेश जी से मिलने की इच्छा जाहिर करी,
अपने दोस्त को इस हाल में देखकर सुरेश जी की आंखों से आंसू बहने लगे, गौरी भी अपने बाबा की हाल देखकर रोने लगी ,वही मनोज जी मशीनो से घीरे अपनी बेटी ओर दोस्त जैसे भाई को देख रहे थे, मनोज जी ने दोनों को अपने पास बुलाया ओर दोनों का एक एक हाथ थाम कहने लगे
मनोज जी - यार आज तुझसे कुछ मागना चाहता हूँ उम्मीद करूगा की इस मृत्यु शैया पर लेटे एक याचक को तू निराश नही करेगा,
मनोज जी की ऐसी बाते सुन दोनों को बहुत दुख हुआ लेकिन सुरेश जी ने खुद को संभाल कर हा में सिर हिला दिया,उनका गला भर आया उनसे तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था, सुरेश जी की सहमती मिलने पर मनोज जी दर्द से तड़पते हुए आगे कहा
मनोज जी - यार तुझे तो सब पता है मेरी परिस्थिति के बारे में, एक वादा चाहता हूँ कि मेरे जाने के बाद मेरी जान से प्यारी बेटी गौरी का ख्याल रखना, इसका मेरे सिवा कोई नहीं है, बहुत भोली ओर मासूम है, इसे दुनिया दारी की समझ नहीं है, सभी को एक समान समझती है, ओर लोग इसकी इसी अच्छाई का फायदा उठाकर चले जाते हैं, तुझसे एक वादा चाहता हूँ कि मेरे जाने के बाद मेरी गौरी का विवाह किसी अच्छे लड़के से करा देना जो उसे समझे, जो उससे प्यार करे ,जो उसकी अच्छाई से प्यार करे, उसकी खामियो को दरकिनार कर उसकी मासूमियता को देखे, जो उसे समझे किसी ऐसे से मेरी गौरी का विवाह करना, तो मे समझूगा कि हमारी दोस्ती असल मायने में अब सफल हुई हैं, बस यही वजन चाहता हूँ,
सुरेश जी ने आंसू भरी आखो से मनोज जी को आश्वासन दिया, उनकी सहमति मिलते ही मनोज जी दर्द में भी मुस्कुराते हुए इस दुनिया को अलविदा कह गए,
मनोज जी मृत्यु से गौरी ओर सुरेश जी दोनों ही टूट चुके थे, जैसे तैसे कर मनोज जी को अंतिम बार विदा किया गया, उनकी चिता को मुखअग्नि गौरी ने ही दिया, सभी लोगों ने कई बार मना किया ,कि बेटियाँ अग्नि नहीं देती पर गौरी ने किसी की नहीं सुनी, क्योंकि उसके बाबा उसे हमेशा एक बेटे की तरह ही प्यार दिया था,
( कहते हैं कि एक लड़की को बेटा कह कर पुकारा जा सकता है लेकिन एक लड़के को कभी बेटी नहीं कहा जा सकता, बेटो का जन्म तो भाग्य से होते हैं ,लेकिन बेटियाँ सौभाग्य से जन्म लेती हैं)
(बेटियाँ बेटो से कम नहीं होती, जब संविधान ने दोनों को एक माना है तो ये समाज क्या है, जब इस समाज की जरुरत होती है तब ये समाज किसी बिल में छुप जाता है, लेकिन जहा किसी कि आलोचना या किसी को नीचा दिखाने की बात आती है तो यही समाज सबसे आगे होता हैं, घरो में हमेशा ये कहकर कह कर लडकियो को कोई काम करने से मना कर देता है कि चार लोग देखेगे तो क्या कहेगे, या समाज क्या कहेगा, ऐसी अनेखो चीजे हैं जिससे एक लड़की को कुछ करने से या आगे बढने रोक देता है, जबकि एक मौका बेटियों को भी देकर देखना चाहिए, यानि मानिए बेटियाँ बेटो से ज्यादा नाम रोशन करेगी आपका)
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मेरी कुछ लघु कहानियाँ ड्राफ्ट में थी ,जो पूरी नहीं लिखी थी, लेकिन इन्हें अब पूरा कर रही हू, आप सभी से विनम्र निवेदन है की आप मेंरी लघु कहानियो को ज्यादा से ज्यादा सख्या में पढ़ कर अपनी समीक्षाए दे, 😊😊
भाग - 2
साँवली सी एक लड़की
गौरी के बाबा की मृत्यु के बाद गौरी पूरी तरह से टूट गई थी, उसने तो जैसे जीना ही छोड़ दिया था, खान पीना तो वो जैसे भूल ही गई थी, सुरेश जी से गौरी की ये हालत देखी नहीं जा रही थी, वो अक्सर ही गौरी को देखने आ जाया करते थे, अब उन्हें गौरी की ओर भी ज्यादा फ़िक्र होने लगी थी, एक तो उसका यू गुमसुम और अपने में ही रहना, और दूसरा अकेली लड़की का यू रहना, उन्हें हालातो पर अब यकिन न था, और उन्होंने एक बहुत बड़ा फैसला कर लिया था, और उसी फैसले को पूरा करने के लिए सुरेश जी गौरी के घर आए थे,
सुरेश जी गौरी के घर आए और उन्होने गौरी का हालचाल लिया, पर नतिजन गौरी अब पहले से भी ज्यादा खामोश रहने लगी थी, जो सुरेश जी को अंदर ही अंदर खल रही थी, उन्होने गौरी को अपने पास पुलाया और बड़े ही प्यार और पिता के स्नेह से उन्होंने गौरी के सिर पर हाथ फेरा ऐर कहा,
सुरेश जी जानता हूँ मैं तुम्हारे बाबा कि जगह तो नहीं ले सकता, लेकिन मैं भी तुम्हारे पिता जैसा ही हू, तो क्या मुझे एक बेटी मिल सकती हैं, मेरी कोई बेटी नहीं है में भी चाहता था कि मेरी एक बेटी हो बिलकुल तुम्हारी तरह, जब भी मनोज तुम्हारी तारिफे करता तो मुझे उससे बहुत जलन होती थी, कि उसके पास तुम्हारी तरह एक होनहार और समझदारा बेटी है, और मेरे पास नहीं, लेकिन हालत कुछ ऐसे हुए की सब तहस नहस हो गया, (अपने हाथ जोड़ कर बेटी में तुमसे तुम्हें माँगता हूँ, में अपने बेटे राजीव के लिए तुम्हारा हाथ माँगता हूँ, मन मत करना, वैसे भी मनोज की यही अंतिम इच्छा थी कि मैं तुम्हारा विवाह एक अच्छी जगह करवाउ, तो कही और क्यों मेरा एकलौता बेटा है, हमारी कम्पनी को अच्छे से सभालता हैं, तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी, मेरे इस फैसले का एक कारण तुम्हारा अकेला पन है बेटा, में तुम्हें इस तरह से नहीं देख सकता, कृपया मेरी विनती सुन लो,
सुरेश जी की बातों को सुनकर गौरी बहुत भावुक हो गई और बिना देर किए वो सुरेश जी के सीने से लग बेतहाशा रोने लगी, उसका रोना देख सुरेश जी जो कबसे अपनी आँखो में आसुओं के समुद्र को लिए थे, वो बहा दिया, दोनों काफी देर तक रोते रहे रहे, फिर कुछ समय बाद दोनों ने खुद को संभाला तो गौरी ने कहा
गौरी अंकल आप तो जानते ही है कि मेरा रंग, इतना कह वो खामोश हो गई तो सुरेश जी मुस्कुरा कर कहने लगे
सुरेश जी मुझे इस बात से कोई आपत्ती नहीं है, रंग रूप हमारे हाथ में नहीं रहता है ये तो ईश्वर की देन हैं कि वो किसे कैसा बनाता है, हमारे हाथ में जो होता है वो है हमारा आचरण, हमारा चरित्र कि हम किस से कैसा व्यवहार करते, अगर कोई व्यक्ति गोरा हैं पर मन काला है तो उस गोरे रंग का क्या फयदा, व्यक्ति का मन सुंदर और साफ होना चाहिए, बाकि सब उस ऊपर वाले के हाथ में छोड़ देना चाहिए, वो जो करता है हमारे भले के लिए ही करता है,
सुरेश जी की बात सुनकर गौरी को ऐसा लगा की उसके सामने जो शख्स खड़ा है वो सुरेश जी के रूप में उसके बाबा ही है, वो भी तो ऐसा ही कहते, ये सोचकर एक बार फिर गोरी रोने लगी, सुरेश जी ने उसे अपने सीने से लगा कर गौरी को चुप कराने लगे, जैसे जैसे कर सुरेश जी ने गौरी को सभाल और गौरी से कहा कि वो अपना जरूरी समान बांध लें, क्योंकि वो अब उनके साथ रहेगी,
गौरी ने सुरेश जी की बात सुनकर अपना जरूरी सामान पैक करने लगी, सामान पैक करते करते उघंटे हो गए थे, तब तक सुरेश जी ने भी आगे क्या करना है सब देखने लगे, आखिर सब काम खत्म कर गौरी सुरेश जी के साथ चली गई,
गौरी सुरेश जी के साथ उनके घर रहने के लिए आ गया थी, लेकिन उसे कुछ अजीब लग रहा था शायद किसी ओर के घर आ के रहना किसी भी व्यक्ति को अजीब तो लगेगा ही, गौरी सुरेश जी के साथ उनके घर पर ही रहने लगी थी, राजीव (सुरेश जी का बेटा) वो मुम्बई में रह कर वहा की कम्पनी को संभालता है इस कारण वो भोपाल (जहा सुरेश जी रहते हैं) कम ही आता था, राजीव को भोपाल पसंद नहीं था वो तो मुम्बई जैसे महानगर में रहकर बस वही का रह गया था,
कम्पनी को संभालने के साथ साथ मौज मस्ती करना, पार्टी क्लब जैसी जगहों पर समय बिताना बस यही सब 'शोक थे राजीव के. हा इन सबके बाद भी वो एक लड़की से मोहब्बत करता है जिसका नाम स्नेहा है जो उसी के आफिस में उसकी पस्नेल अस्सटेंट के तौर पर काम करती है, दोनों अकसर घुमने जाया करते थे, चाहे दिन हो या रात इनके लिए सब बराबर है,
लेकिन सुरेश जी को इन सब के बारे में जरा भी नहीं पता है कि राजीव कैसा लड़का है, राजीव अपने पिता के सामने मानो ऐसा बन जाता है जो वो कभी था ही नहीं, कारण सुरेश जी की सम्पति थी. एक यही वजह थी जिसके कारण राजीव सुरेश जी के सामने एक अच्छा बना रहता था.
गौरी को सुरेश जी के यहां रह रहे एक हफ्ता हो गया था, अब गौरी थोड़ा संभलने लगी थी, वो सुरेश जी की हर छोटी बड़ी चीजों की देखरेख करती थी, चाहे टाईम पर दलाई देना हो हो उनके लिए पौष्टिक आहार बनाना हो, या घर की यह सभी चीज गौरी ने अकेले समान ली थी, हालांकि वहां काम करने लोगों की कमी नही है लेकिन इन सभी कामों को करने से गौरी को समय का पता ही नहीं चलता है, गौरी को मन लगाकर काम करते और खुश देखकर सुरेश जी को राहत मिल रही थी, उन्हें अब ये सही मौका लग रहा था राजीव से उसकी ओर गौरी के विवाह की, इस कारण उन्होंने राजीव से उसकी शादी की बात कही, लेकिन इस बात पर राजीव भड़क गया, क्योंकि वो तो स्नेहा से प्यार करता है तो वो किसी और से शादी कैसे कर सकता है, इसी बात को लेकर राजीव ओर सुरेश जी में काफी बहस हुई लेकिन राजीव नहीं माना, और गुस्से में ही उसने फोन काट दिया,
भाग -3 साँवली सी एक लड़की
राजीव की इस हरकत पर सुरेश जी परेशान होने लगे कि क्या गौरी ओर राजीव के रिश्ते की बात कर उन्होने कोई गलत काम तो नहीं उठाया, यही सोचते हुए उन्हें एक दिल का दौरा पड़ने लगा,
गौरी को जब यह बात पता चली तो उसने जल्दी से बिना देर किए सुरेश जी को अस्पताल में भर्ती करवाया, वहा उनका इलाज होने लगा,
वही दूसरी ओर राजीव तो अपनी दुनिय में खोया था, क्या हो रहा है उसके आस पास राजीव को तो जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ता था,
घर के ही एक नोकर ने राजीव को फोन कर सुरेश जी की हालत के बारे में बताया, जिसे सुनकर राजीव के होश उड़ गये थे, उसे लगा नहीं था की उसके पापा की तबीयत यू अजानक खराब हो जाएगी, अभी कुछ दिन पहले ही तो दोनों की बात हुई थी,
राजीव बिना ज्यादा सोचे समझे वो तुरंत भोपाल के लिए निकल गया, 3 से 4 घंटे के सफर के बाद राजीव हास्पिटल पहुँचा जहा उसके पापा थे, जैसा कि नौकर ने फोन पर बताया था,
राजीव जल्दी से रिसेप्शनिस्ट से पता कर अपने पापा के वार्ड के पास गया, वहा पहुंच कर उसने जैसे ही रूम का दरवाजा खोला वहा उसे एक हल्के पीले सूट में एक लड़की दिखी जिसकी पीठ राजीव की तरफ थी, राजीव ने बिना देरी किये वो अपने पापा के पास तोड़ा, और जोर से उन्हें गले लगा लिया, उसकी इस हरकत पर गौरी ओर सुरेश जी हैरान थे, जहा गौरी इस बात से हैरान थी कि ये कौन है जो ऐसी हरकते कर रहा है, तो वही सुरेश जी इस बात से हैरान थे कि राजीव को कैसे पता उनकी तबीयत के बारे में, क्योंकि वो जानते थे कि गौरी ने तो राजीव को न ही देखा है नहीं कभी मिली है, फिर कुछ सोचकर वो समझ जाते हैं कि घर के ही किसी नोकर ने राजीव को फोन किया होगा,
राजीव ने अपने पापा का हालचाल लिया, तब बातों ही बातो में सुरेश जी ने गौरी के बारे में बताया कि किस तरह उसने उन्हें सही सलामत हास्पिटल में एडमिट किया और यहा कि सारी फारमेलिटिज पूरी करी, उनका कैसे ख्याल रहा, इस वक्त वार्ड में राजीव और सुरेश जी ही थे, जब गौर को पता लगा कि राजीव कौन है तब उसने दोनों बाप बेटी को कुछ देर अकेला छोड़ दिया, बात करने के लिए,
गौरी की इतनी तारिफ सुनकर जहा राजीव को जलन हो रही थी कि उसके पापा किसी अंजान लड़की की कि तारिफों के कसीदे पढ़ रहे हैं तो एक ओर उसे ये जानकर भी खुशी हुई कि उसके यहा न रहने पर गौरी ने उसके पापा की किस तरह सेवा की, उसने तो अपने दिगाम में गौरी की एक तसवीर को ही बना दिया था कि गौरी ऐसी दिखाती होगी, हालांकि राजीव ने गौरी को नहीं देखा था उसने सिर्फ उसकी पीठ देखी थी, लेकिन गौरी ने राजीव को पूरा न सही थोड़ा बहुत देख लिखा था,
खेर कुछ दिन ऐसे ही बित गए, राजीव और गौरी बारी बारी से सुरेश जी का ख्याल रखते थे, लेकिन हर बार दोनों का आमना सामना नहीं हो पाता था जब भी दोनों एक दूसरे को जानन देखने की चाह रखते तो हर बार किस्मत दोनों को किसी न किसी बहाने मिलने नहीं देती थी.
यूही करते करते कब दो हफ्ते बित गए पता ही नहीं चला, इसी बिच सुरेश जी ने राजीव से उसकी ओर गौरी। की शादी की बात कही, काफी सोच विचार कर के राजीव ने शादी के लिए हा कर दी थी, उसे इन कुछ हफ्तों में इतना तो पता चल ही गया था कि गौरी की ऐहमियत उसके पिता के लिए कितनी हैं, ओर गौरी बाकि की लडकियो जैसी नहीं है वो एक शांत लड़की है, तो वो जो भी अपनी लाइफ में करेगा गौरी तो उसके आगे मुंह खोलने से रही, क्योंकि जितना भी राजीव ने अपने पापा से की गौरी के बारे में सुना इससे इतना तो उसे पता चल ही गया था कि गौरी गाय हैं. एक सीधी साधी गाय, वो जैसा जैसा कहता वो वैसा ही करती,
उसे और क्या चाहिए था, गौरी से शादी कर वो अपने पापा की बात का मान भी रख लेगा और अपनी लाईफ में इनजोय भी कर लेगा, यही सब सोचकर राजीव ने शादी के लिए हां कह दिया था,
सुरेश जी ने गौरी से भी शादी के बारे में बात कर ली थी, दोनों की मंजूरी से एक मंदिर में शांति से दोनों की शादी हो गई, क्योंकि सुरेश जी की तबीयत की वजह से उन्होने शादी सादगी से ही करवाई थी,
वैसा तो उनके बहुत अरमान थे अपने इकलौते बेटे की शादी को बहुत शानदार तरिके से करने की, कि लोग देखते जाए, पर इस समय परिस्थिति ही ऐसी थी कि वो अपने अरमानो को दरकिनार कर अपने जिगरी दोस्त की अमानत को अपने घर की इज्ज़त बनाकर ला रहे थे, उन्हे ओर क्या चाहिए था, गौरी जैसी घरेलू लड़की उनके घर की बहू बन कर आए उन्हे ओर क्या चाहिए था, उन्हें पूरा यकीन था कि गौरी ही वो लड़की हैं जो उनके बिखरे घर को घर बना सकती हैं, रिश्ते को एक मजबूर सूत्र मे बांध कर रख सकती हैं, उनके भटके बेटे को एक सही राह दिखा सकती हैं, उन्हें गौरी से बहुत उम्मीदे थी, उन्हें यकिन था कि गौरी उनकी उम्मीदो पर खरी उतरेगी, ओर इसी उम्मीद के सहारे उन्होने राजीव के लिए गौरी को चुना था,
उन्होने पहले ही गौरी को समझ लिया था कि वो आज के दौर के झूठ फरेब चालाकियो से कोसो दूर है, गौरी के चेहरे पर एक निश्छल सी मासूमियत हैं, जैसी किसी अबोध बच्चे के चेहरे पर होती हैं, जिसे छल कपट नहीं आता, आता है तो दूसरो की परवाह करना, लोगों का ख्याल रखना, उनकी जरूरतों को देखना, जो आज के समय में लड़कियों में कम ही देखने को मिलता हैं, वरना तो शादी के कुछ समय बाद ही कुछ लड़कियां परिवार से अलग रहना ही पसंद करती हैं, लेकिन गौरी आज कल की लड़कियों से बहुत अलग ओर समझदार है, जो उनके परिवार को अच्छे से सभांल सकती हैं,
भाग -4 साँवली सी एक लड़की
शादी के दौरान भी राजीव ने गौरी को नहीं देखा था कारण लम्बा घूँघट था,
(हिन्दू विवाह की माने तो दुल्हन को बुरी नज़र से बचाने के लिए ऐसा किया जाता था, साथ ही विवाह में बढ़े लोगों की उपस्थिति के कारण ही विवाह में दुल्हनो को लम्बा घूंघट रखने को कहा जाता था, पर जैसे जैसे परिवर्तन हो रहो रहे हैं समाज में, ये प्रजलन भी समाप्ति की कगार पर आ गया है)
शादी सकुशल सम्पन्न हो गई थी, सभी घर आए, गौरी ओर राजीव का ग्रहप्रवेश सुरेश जी ने ही किया, एक थाली में हल्दी का घोल लिए उन्हें गौरी से घर की चौखट पर अपने दोनों हल्दी के हाथों की थाप लगाने को कहा, गौरी ने वैसा ही किया, फिर सुरेश जी ने दोनों की आरती की ओर एक चावल से भरे कलश को चौखट पर रख दिया, और गौरी से उसे अपने दाहिने पैर से मार कर अंदर प्रवेश करने को कहा,
( कहा जाता है कि इस रस्म को इसलिए किया जाता है ताकि जो दुल्हन हैं उसके आने से घर में कभी अनाज की कमी न हो, इसलिए कलश में चावल भरा जाता है। जब सीधे पैर से दुल्हन इस कलश को गिराती है और चावल फर्श पर बिखर जाते हैं, तब ऐसा माना जाता है घर में जीवनभर के लिए सुख-समृद्धि बिखर गई है | )
इस रस्म के बाद गौरी के आगे एक आलते से भरी थाली रखी जाती है, ओर गौरी को उसमें अपने पैरों को रखकर आगे बढ़ने को कहा जाता है.
(इस रस्म को देवी लक्ष्मी के घर में प्रवेश करने का पर्याय माना जाता है उत्तर भारतीय शादियों में आलते से भरे परात में पैर रखने से ही घर की बहू को घर में प्रवेश कराया जाता है।)
इस रस्म को करने के बाद सभी घर के मंदिर में आए, गौरी और राजीव ने मिलकर पूजा की, फिर दोनों ने
मिलकर सरेश जी का आशीर्वाद लिया, यह सभी रस्मे करते करते काफी देर हो गई थी, तो सुरेश जी ने दोनों को आराम का कह अपने कमरे में चले गए, घर के एक नौकर ने उनका खाना कमरे में ही दे दिया था,
राजीव अपने कमरे की ओर बढा, फिर रूककर कुछ सोचकर उसने गौरी को भी अपने साथ आने को कहा, गौरी तो बहुत खबराई हुई थी, उसे तो अब एक अजीब सा डर लग रहा था कि राजीव और वो एक साथ एक
कमरे में, यही सोचकर उसके हाथ पाव फूल रहे थे.
उसे आगे बढता न देख राजीव ने गौरी को रिलेक्स रहने को कहा, फिर गौरी ने खुद को संभाला और वो राजीव के साथ आगे बढ़ गई, दोनों जब कमरे में पहुँचे तो देखा कमरा पूरा फूलो मोमबत्तियों से सच्चा हुआ था. ये देखकर दोनों ही कुछ पल तो जैसे हैरान हो गए, कि ये सब क्या है, तब उन्हें रियलाइज हुआ कि आज उनकी पहली रात है यानि सुहागरात, राजीव आगे बढ़ा और खुद को संभाले वो बाथरूम में चला गया, वहीं गौरी ये सब देखकर असहज हो गई फिर कुछ देर अपने आप को सभाले उसने अपने आप को समझा लिया कि राजीव अब उसका पति है और ये उसका हक है, और एक न एक दिन तो उन्हें एक होना ही है, तो फिर आज क्यों नहीं, गोरी खुद को सभाले बैड पर चढ़ कर उस फूलो की सेज पर किसी गुलाब की पंखुड़ी की तरह। बैठ गई,
वही बाथरूम में राजीव भी खुद को अभी संभाल ही रहा था कि, उतने में उसका फोन बजा जहा स्नेहा लिखा आ रहा था, जब राजीव को याद आया कि यहा आने के बाद तो उसने स्नेहा की किसी तरह का राब्ता ही नहीं रखा था, और अगर उसे उसकी शादी की खबर लग गई तो उन दोनों के बीच सब खत्म हो जाएगा, वो नहीं चाहता था कि उसका और नेहा का रिश्ता खत्म हो, क्योंकि वो स्नेहा से बहुत प्यार करते था, और ये शादी वो तो ये शादी करना भी नहीं चाहता था, लेकिन अपने पापा कि वजह से ये मजबूरी के रिश्ते में बंधना पड़ा, यही सब सोचते काफी देर होगी तो उसका फोन जो कबसे रिंग कर रहा था बंद हो गया, कि एक बार फिर फोन बजा इस बार राजीव ने खुद को संभाल लिया था और उसने सोच लिया था कि वो अपनी शादी कि बात स्नेहा से छुपाएगा.
फोन उठाने के बाद स्नेहा ने राजीव को बहुत सुनाया कि इतने दिनों तक उसने उसे एक बार भी याद नहीं किया इस वजह से वो उससे नाराज है, राजीव ने कई बार इस बात के लिए माफी मांगी, और अपने पापा की तबीयत के बारे में बताया, लेकिन शादी वाली बात उसने छुपा ली, काफी मनाने के बाद भी जब स्नेहा नहीं मानी तो राजीव ने उसे खुश करने के लिए जल्दी से अपने अकाउंट से 1 लाख के करीब पैसे भेज दिए. क्योंकि उसे पता था की स्नेहा को सिर्फ एक ही तरिके से मनाया जा सकता है और वो है शॉपिंग और राजीव का यह तरिका काम कर गया, आखिर हर बार उसका ये तरिका काम कर ही जाता था, और हुआ भी वही स्नेहा ने खुश होकर राजीव को फोन पर ही एक लम्बी किस दी, जिसे सुनकर राजीव के चेहरे पर भी एक स्माइल आ गई थी,
कुछ देर इधर उधर कि बात कर दोनों ने फोन रखा, राजीव ने एक लम्बी सास ली और खुद को तैयार करने लगा आगे के लिए, उसने सोच लिया था कि उसे क्या करना है,
वो बाहर आया तो उसे बैड पर अपने में ही सिकुड़ कर बैठी गौरी दिखी, राजीव अब गौरी को देखने के लिए उत्साही हो रहा था, कितने दिन हो गए एक घर में रह रहे लेकिन दोनों ने ठीक से एक दूसरे को देखा भी नहीं,
राजीव आगे बढा और आहिस्ते से बैड के एक कोने में बैठ गया, और आगे बढ़ कर उसने गौरी का जब घूंघट हटाया तो गौरी का चेहरा देखकर राजीव के गुस्से की कोई सीमा ही नहीं रही, वो गुस्से में बोखलाया और बिस्तर पर से तुरंत उठा और गुस्से में उसने गौरी की बाँह पकड़ एक झटके के साथ राजीव ने गौरी को अपने बिस्तर धक्का देकर सीधा जमीन पर गिरा दिया,
भाग-5 साँवली सी एक लड़की
राजीव की इस हरकत से गौरी हैराना होगी, वो अभी जमीन पर पड़े राजीव को ही देख रही थी, गिरने की वजह से गौरी के हाथ की चूड़ियाँ टूट गई थी, मगर उन सब को नजर अन्दाज कर वो एक टक बस राजीव को ही देख रही थी, कि आखिर ऐसा भी क्या होगा जो वो उसके साथ ऐसा कर रहे हैं,
गौरी के यू देखने से राजीव को बहुत गुस्सा आया और वो आगे बढ़ कर उसने गुस्से में गौरी का चबडा जोर से 'पकड़ा ओर कहा
राजीव- आँखे नीचे कर तेरे यू देखने से कुछ नहीं होने वाला, मुझे तो समझ नहीं आ रहा की आखिर इतने दिन इस घर में रहने के बाद भी मेने तुम्हारी ओर सॉरी तेरी शक्ल कैसे नहीं देखी, (गौरी बस शांत आँखो राजीव को ही देखे जा रही थी.) तुझे तो इज्जत देने की इच्छा भी नहीं हो रही है, वैसे मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि ये सब हुआ कैसे, मतलब मेरे पापा को अपनी तरफ कर कैसे लिया तुने, (कुछ देर सोचकर ) ओओओओओओओ अब तो अब समझ आया तुम्हें ये लालच खीच लाया कि चलो इतना बड़ा घर है क्यों न मेरे पापा कि सेवा करने का दिखावा किया जाए तुम रात दिन उनकी सेवा करना और वो तुमसे इम्प्रेस होकर तुम्हें इस घर कि बहु बना लेंगे, आखिर कोन लड़की होगी जो इतनी शानो शौकत वाले घर की बहु न बनना चाहती हो, जरूर तुम्हें भी यही लालच ने यह सब करने के लिए कहा होगा, वैसे एक सवाल था, तुम्हारे उस बाप की मौत यू ही हुई थी या कुछ और कारण था, या फिर उनके मौत की सहानुभूति लेकर इस घर में आने का इरादा था तुम्हारा
फिर गौरी को उसकी बाँह से खड़ा कर उसे ऊपर से नीचे गौर से देखकर फिर योग से कहा
राजीव- वैसे पापा को तुममें ऐसा क्या पसंद आ गया जो उन्होंने ऐसा फैसला किया, उन्होंने मुझे और तुम्हे
एक बंधन में बांधने का, उन्हें ये नहीं दिखा कि में कितना गोरा और साफ दिखता हूँ, और कहा तुम कोयले से भी काली, अगर कोयले और तुम मे फर्क किया जाए तो कोयला भी तुमसे ज्यादा साफ दिखे के, और ये तुम्हारा ड्रेसिंग सेंस इस काले चेहरे पर इतना भड़कीली लाल रंग की लाल साडी, और ये लाल लिपस्टिक और ये लाल बिंदी, (व्यंग से मुस्कुरा कर इतना गंदा ड्रेसिंग सेंस लाल और काले रंग पर क्या गंदा पहनावा है तुमे देखकर तो मुझे उल्टी हो जाए,
राजीव की बातें सुनकर गौरी की आँखों में जो आंसू कैद थे वो झर झर बहने लगे, उसे तो कुछ समझ ही नहीं आया कि आखिर उसके साथ हुआ क्या कहा वो एक नई जिंदगी की ख्वाहिश कर रही थी पर उसे तो जैसे किसी ने अर्श से फर्क पर गिरा दिया था, गौरी के अंदर तो जैसे किसी ने जान ही निकाल दी थी, वो बेजान सी एक और खड़ी थी,
राजीव ने गौरी को वही रूम में छोड़ कपड़े चेंज करने चला गया, उसने तो गौरी को देखने की जहमत भी नहीं उठाई थी, राजीव बाथरूम से निकला और बैड के पास पहुँच कर उसने गुस्से में ही फूलों से जो सजावट करी थी उन सभी को तहस नहस कर बिस्तर के एक और लेट गया, फिर हाथ बढ़ाकर लाइट बंद कर दिया, उसने एक नज़र उस दिशा में देखा जहा गौरी थी, उसे एहसास हुआ कि लाइट बंद होने के बाद भी गौरी उसे नहीं दिखी थी बस उस दिशा में कुछ चमकता हुआ सा दिख रहा था, राजीव ने अपना सिर झटा और आँखे बंद कर लेट गया,
वही गौरी अभी भी वैसे ही उस जगह खड़ी थी जहा वो पहले थी, उसके कानो में राजीव की कही हर एक बात गूज रही थी, पहले जब लोग उसके रंग के लिए चिढ़ाते थे अजीबो गरीब नामों से नवाजते थे तब उसे उतना बूरा नहीं लगता था लेकिन अब हालात कुछ और थे राजीव उसका पति था उसने कभी भी नहीं सोचा था कि राजीव उससे ऐसा कुछ कहेगा भी, गौरी ने अपने आप को आइने में देखा, रूम कि खिड़की खुली थी जिससे चाँद की कुछ रोशनी कमरे में आ रही थी, उस की रोशनी में ही गौरी ने खुद को देखा, चाँद की रोशनी पड़ने से गौरी के गले मे पहना मंगलसूत्र जिसमें डायमंड था वो चमक रहा था, गौरी ने उन सभी पलो को याद कर जो अभी कुछ देर पहले हुई थी, उसने दर्द से अपनी आँखे बंद कर दी, और आसुओं को पीछ वो कमरे में रखे सोफे पर लेट गई, लेकिन नींद उसकी आँखो से कोसो दूर थी,
राजीव तो सो गया था, पर गौरी उसकी आँखो से तो निंद गया ही हो गई थी, वो अपने आने वाले कल की सोच रही थी कि आगे चल कर इस बेजान से रिश्ते का क्या भविष्य होगा, यही सोचते सोचते कब रात से सुबह हुई पता ही नहीं चला,
अगली सुबह गौरी जल्दी उठ गई, क्योंकि रात भर तो उसे निंद ही नहीं आई थी, वो राजीव के कमरे से निकल कर अपने पुराने कमरे में चली गई जहा वो पहले रहती थी, वो अपने बेजान से पड़ चुके शरीर को जैसे तैसे कर अपने कमरे में पहुँची,
और सीधा बाथरूम में चली गई, और शावर आन कर उसके नीचे खड़ी हो गई, और बेआवाज सी घुटने के बल बैठकर रोने लगी,
वो चीखना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थी अपने दर्द को किसी से साँझा करना चाहती थी, किसी की पनाह में अपने दर्द को भूलाना चाहती थी, पर कोई नहीं था उसके पास जो उसके दर्द को कम कर सके, एक शख्स जो उसके दर्द को हमेशा समझता था वो तो उसे छोड़ कर चला गया, एक गौरी के बाबा ही तो थे, जो उसे समझे थे, उनके बाद सुरेश जी ही थे, लेकिन वो उन्हें क्या बताती कि जिन अरमानों से वो उसे इस घर में लाये थे, वो तो जैसे कही टूट गया था, जिस रिश्ते में उन्होंने उसे बाधा था अपने पास रखने के लिए, वो तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया, उन्हें जब अपने बेटे की असली हकिकत पता चलेगी तो दोनों के बीच दूरिया आ जाएगी, गौरी यही सब सोच रही थी उसने खुद से ही कहा
भाग-6 साँवली सी एक लड़की
वो चीखना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थी अपने दर्द को किसी से साँझा करना चाहती थी, किसी की पनाह में अपने दर्द को भूलाना चाहती थी, पर कोई नहीं था उसके पास जो उसके दर्द को कम कर सके, एक शख्स जो उसके दर्द को हमेशा समझता था वो तो उसे छोड़ कर चला गया, एक गौरी के बाबा ही तो थे, जो उसे समझे थे, उनके बाद सुरेश जी ही थे, लेकिन वो उन्हें क्या बताती कि जिन अरमानों से वो उसे इस घर में लाये थे, वो तो जैसे कही टूट गया था, जिस रिश्ते में उन्होंने उसे बाधा था अपने पास रखने के लिए, वो तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया, उन्हें जब अपने बेटे की असली हकिकत पता चलेगी तो दोनों के बीच दूरिया आ जाएगी, गौरी यही सब सोच रही थी उसने खुद से ही कहा
गौरी- नही में ऐसा नहीं कर सकती में राजीव जी और पापा ( राजीव के पापा) के बीच किसी तरह की दूरी नहीं आने दूंगी, मेरी वजह से मे उन दोनों का रिश्ता खराब नहीं कर सकती, मुझे पापा से अपने और राजीव जी के बीच के असली रिश्ते को छुपाना होगा, अगर उन्हें हमारे रिश्ते की असलियत पता चल गई तो वो पुरी तरह से टूटजाएंगे, ओर
में ऐसा नहीं होने दे सकती उन्होंने मुझे एक बेटी की तरह प्यार दिया है अब मेरा फर्ज बना है उन्हें खुश रखना का, वैसे भी उनकी तबीयत सही नहीं है, और ये सब पता चलने के बाद पता नहीं क्या होगा, मुझे नहीं पता। कि मेरी किस्मत में क्या लिखा है, मेरे और राजीव जी के रिश्ते का क्या होगा, लेकिन में पूरी तरह से कोशिश करूंगी इस रिश्ते को निभाने की, गौरी एक दृढ़ संकल्प कर खड़ी हुई, शावर बंद कर कमरे में आकर चेंज किया, और तैयार होने के बाद खुद को एक नजर आईने में देखा,
गौरी ने एक सिम्पल सा सूट पहना हुआ था, बालों की एक चोटी बनाई थी, जो एक ओर लटक रही थी ओर कुछ बाल दुसरी ओर से निकल रहे थे, माँ पर एक काली बिंदी कान में झुमके और गले में मंगलसूत्र, कुल मिलाकर गौरी बहुत प्यारी लग रही थी, पर चेहरे पर वो नई नवेली दुल्हन वाला नूर जैसे खत्म हो गया था, रोने और रात को न सोने की वजह से आँखे लाल सूजी हुई सी दिख रही थी.
गौरी तैयार होकर बाहर आई और पूजा करने लगी, पूजा खत्म होने तक सुरेश जी भी वहा पहुँच गये, गौरी ने उन्हें आरती दी. गौरी ने उनके पाए छूए तो उन्होंने ढेरो आशीर्वाद दिया, गौरी जैसे ही खड़ी हुई कि उनकी नजर सहसा ही गौरी की सुनी मांग पर चली गई तो वो बोले
सुरेश जी अरे बेटा ये तुम्हारी यू सूनी सूनी क्यों है व्याता स्त्रियों की मांग सूनी होना अच्छा नहीं माना जाता,
उनकी बात सुन कर गौरी घबरा गई, लेकिन सुरेश जी ने इस बात पर गौर नहीं किया. (सुरेश जी कुछ देर रूक कर, फिर बोले ) हा शायद याद नहीं रहा होगा अभी नई नई शादी हुई है न तो सिंदूर लगाना याद नहीं होगा,
अभी वो कह ही रहे थे कि ऊपर अपने कमरे से राजीव तैयार होकर आया, और गौरी के पास ही खड़ा हो गया.
राजीव को देखकर सुरेश जी ने मुस्कुरा कर राजीव से गौरी की मांग भरने को कहा उनकी बात सुनकर दोनों के ही चेहरे के रंग उड़ चूके थे, उन्हें तो कुछ कहते ही नहीं बन रहा था, सुरेश जी के कई बार कहने पर मजबूरन राजीव को सुरेश जी की बात माननी पड़ी, मंदिर में रखा सिंदूर लेकर राजीव ने गौरी की मांग भर दी, इस एहसास से गोरी ने अपनी आँखे बंद कर ली, और उन बंद होती आँखो से कुछ बूंद आंसू के राजीव के हाथ पर गिर पड़े, लेकिन इस से राजीव को कोई फर्क नहीं पड़ा उसे तो ये सब गौरी की कोई चाल लग रही थी,
वही दोनों को देखकर सुरेश जी अपने हाथ जोड़ कर भगवान से दोनों की जोडी बनाए रखने कि बात कही.
ये सब होने के बाद गौरी रसोई में नाश्ता बनाने चली गई, और सुरेश जी हॉल में जाकर न्यूज पेपर पढने लगे, और राजीव अपने कमरे में चला गया,
कुछ देर में नाश्ता बन जाने के बाद गौरी ने सुरेश जी को बुला लिया, और गौरी ने एक नौकर को भेज राजीव को भी बुला दिया, सभी ने बैठकर एक साथ नाश्ता किया, नाश्ता होने के बाद सुरेश जी अपने कतर कमरे में चले गए, गौरी वही आ गई, गौरी ने सुरेश जी को उनकी दवाई दी, उसी वक्त राजीव भी वहा आ गया, और उसने कहा
राजीव पापा मुझे आपसे कुछ कहना था,
सुरेश जी ने एक नजर उसे देखा फिर आगे कहने को कहा
राजीव- वो पापा काफी दिन हो गए हैं मुझे यहा आए, तो मुझे लगता है जब मुझे वापस मुम्बई चले जाना चाहिए, मेरे यहा रहने से कम्पनी को लॉस भी हो रहा है, वैसे तो वहा स्नेहा और अभय (राजीव का दोस्त) ने सब सभाला हुआ है लेकिन कम्पनी के मालिक का होना भी जरूरी है,
राजीव की बात सुनकर सुरेश जी पहले तो हैरान हुए लेकिन राजीव की बात समझकर उन्हें राजीव सही लगा, तो वो बोले
सुरेश जी बात तो तुम्हारी सही है बेटा लेकिन गौरी वो भी तुम्हारे साथ जाएगी यहा रहकर वो क्या करेगी,
इसलिए अपने साथ गौरी को भी लेकर जाओ,
गौरी जो सारी बाते बिना किसी भाव के सुन रही थी जैसे उसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ रहा हो राजीव के यू जाने से लेकिन सुरेश जी की बात सुनकर गौरी ओर राजीव दोनों ही हैरान हो गए, दोनो ने एक दूसरे को देखा तो गोरी तुरंत बोली
गौरी पर पापा अभी आपकी तबीयत सही नहीं है, और ऐसे में अगर हम दोनों चले गए तो आपकी देकभाल कौन करेगा, वैसे भी मुझे अच्छे से पता है कि आप अपना ध्यान खुद से तो रखने से रहे, तो मे तो कही नहीं जाने वाली बस,
गौरी की बात सुनकर सुरेश जी की आँखे भर आई, सच में उन्हें गौरी के रूप में एक बेटी ही नहीं बल्कि एक माँ भी मिली थी जो पूरे हक से उन्हें डर दिया करती थी तो कभी एक माँ की तरह उनकी देखभाल करती थी, उन्हें भी गौरी के दूर जाने से दुख होने लगा था लेकिन गौरी की बात सुनकर उन्हें अच्छा लगा और वो मान गए, पर सिर्फ कुछ समय के लिए जब तक वो पूरी तरह से सही नहीं हो जाते,
वही राजीव हैरान हो गया था गौरी के यहा रूकने पर उसे तो लगा था कि वो भी उसके पापा की तरह ही जाने के लिए कहेगी, लेकिन उसके उलट गौरी ने तो यहा रूकने की बात कही, राजीव को फिर लगने लगा कि " इतनी लग्जूरियस लाइफ जीने के लिए वो शायद यहा रूकना चाहती हो, और पापा के सामने यह सब बोल कर अच्छी बनने का दिखावा कर रही हो ताकि वो उसकी बातों में आ सके, राजीव की तो ये सब गौरी की कोई चाल लग रही थी,
खेर राजीव उसी दिन मुम्बई चला गया, और पहले की ही तरह स्नेहा के साथ रहता था, उसके साथ घूमना फिरना, स्नेहा की हर छोटी बड़ी डिमाड को पूरा करना, वो तो जैसे अपनी शादी को भूल ही गया था, कभी कबार राजीव अपने पापा से बात कर लिया करता था, लेकिन गौरी से उसकी बात भोपाल से आने के बाद एक बार भी नहीं थी, और न ही कभी दोनों ने बात करने की कोशिश करी थी, गौरी ने अब इन सब चीजों को ही अपनी किस्मत मान ली थी, वो हर वक्त सुरेश जी की देखभाल करती, खाली समय मिलने पर पौधे लगाती, नए नए तरह के खाने बनाने कि कोशिश करती, गौरी भी जैसे राजीव के उस बर्ताव भूल चाहती थी इसलिए ही वो खुद को बहुत बिजी रखती थी और उसकी इन्ही बातो को सुरेश जी नोट करते थे कि न तो वो ओर न ही राजीव एक दूसरे से मिलने या बात करने की कोशिश भी नहीं करते थे, सुरेश जी जब भी राजीव से कहते गौरी को अपने साथ ले जाने के लिए, तो राजीव अक्सर कोई न कोई काम का बहाना बनाता रहता था,
अब सुरेश जी को भी लगने लगा था कि शायद वो दोनों ही इस रिश्ते से खुश नहीं है, शायद उन्होंने जल्द बाजी में कोई गलत निर्णय ले लिया है वरना शादी को लगभग दो महिने होने को थे पर एक बार भी उन्होंने गौरी और राजीव को एक दूसरे के प्रति वो चीज महसूस नहीं करी थी जो आमतौर पर एक पति पत्नी एक दूसरे से मिलने के लिए जो उनकी व्याकुलता होती है उसे उन दोनों के रिश्ते में कही भी नजर नहीं आया, और यही था कि कुछ समय से उनकी तबीयत पहले से भी ज्यादा खराब होने लगी थी,
भाग -7 साँवली सी एक लड़की
गौरी के लिए जो निर्णय उन्होने लिया था वो शायद अब गलत लगने लगा था, आखिर वो समय भी आ ही गया जब सुरेश जी अपनी आखरी साँस ले रहे थे, गौरी ने उन्हें सही करने के लिए क्या कुछ नहीं किया दिन रात उनकी सेवा करना, टाईम पास खाना और दवा देना, लेकिन बावजूद उनकी हालत में कोई सुधार न आया, आखिर राजीव को भी अपने पिता के बारे में जानकर दुख हुआ और वो सब कुछ छोड़ छाड़ कर भोपाल चला आया,
अपने पापा की हालत देखकर राजीव को बहुत दुख हुआ और वो इन सब का कसूरवार कही न कही गौरी को ही मान रहा था, कि जरूर गौरी अपने ऐशो आराम के चलते उसने उसके पापा का ख्याल अच्छे से नहीं रखा. जिसका नतिजा उनकी बिगड़ती हालत थी,
लेकिन कारण तो कुछ और ही था उनकी बिगड़ती हालत गौरी और राजीव का रिश्ता था, सुरेश जी ने मरने से पहले राजीव से एक आखरी वजन लिया की वो गोरी का हमेश ख्याल रखेगा, कभी उसे अकेला नहीं छोड़ेगा, हमेशा उसका साथ निभाएगा. मजबूर राजीव को अपने पिता को वचन देना पड़ा, वजन लेने के कुछ देर बाद ही सुरेश जी भी सबको छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए अपने दोस्त के पास चले गए,
उनके जाने से गौरी एक बार फिर से टूट गई थी, वो पहले की तरह ही जिने लगी थी, राजीव के उसे ठुकरा देने के बाद एक सुरेश जी ही थे, जिनके साथ वो कुछ वक्त बिताकर सुकून पाती थी, लेकिन अब तो गौरी का एक आखरी सहारा भी चला गया गया,
वही राजीव अभी भी इन सब का कसूरवार गौरी को ही मनने लगा था, राजीव ने सुरेश जी को अंतिम विदाई दी, कुछ दी भोपाल में रहने के बाद ही राजीव अपने साथ को भी मुम्बई लेकर आ गया था,
गौरी ओर राजीव मुम्बई आ गए, राजीव मुम्बई के एक पोश इलाके में एक फ्लेट में रहता था, ऐसा नहीं था की उसके पास रहने के जगह नहीं थी उसका एक बहुत बड़ा आलीशान घर था लेकिन वो एक अकेला था और वहा रहना उसे कुछ खास पसंद नहीं था, दूसरा कारण यह भी था कि वो जिस फ्लैट में रह रहा है वो उसके के बहुत पास था जिससे आने जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता था, जब भी उसे ओर स्नेहा को अकेले समय बिताना होता था तो वो अक्सर यही आता था, राजीव के फ्लेट में एक कामवाली रहती थी, जो घर की साफ सफाई और खाना बना कर चली जाती थी,
राजीव जब गौरी को मुंबई लाया तब उसने कामवाली को हमेशा के लिए छुट्टी दे दी थी, ये सोचकर कि अब तो उसे बीबी के रूप में एक कामवाली मिल गई हैं, तो क्यों फालतू में किसी और पर पैसे खर्च करू, जब बिना पैसो के ही घर बैठे नौकरानी मिल गई तो,
ओर गौरी उसने भी एक उफ तक न किया, और करे भी क्यों और किस से उसे इतना तो पता चल गया था कि वो राजीव की जिंदगी में कोई मायने नहीं रखती, उसे तो बस अपना सिर छुपाने की जगह चाहती थी, अगर वो अकेली रहती तो समाज में इंसान के भेष में घुम रहे जानवर कब उसे अकेला समझ कर नोच दे, राजीव के साथ कम से कम वो सुरक्षित तो थी, भले ही राजीव की नजर में वो उसके लिए कुछ भी नहीं थी पर उसके लिए राजीव सब कुछ था, वो एक पत्नी होने का हर कर्तव्य निभाना चाहती थी, ऐसा नहीं था की वो अपने लिए आवाज़ उठा नही सकती थी, पर किस लिए वो आवाज उठाए, उसका था ही कौन अब इस दुनिया में सिवाए के,
उनकी जिंदगी की गाड़ी यू ही चलती रहती थी, गौरी ने फ्लैट का पूरा नक्शा ही बदल दिया था, वो अब फ्लैट फ्लैट न रहकर एक खुबसूरत घर लगने लगा था, गौरी ने सभी चीजें काफी खुबसूरती से सजाई थी. कुछ चीजे उसने अपने हाथों से बना कर सजाए थे, राजीव भी ये देखकर हैरान हुआ था, कि इन कुछ दिनों में उसके फ्लैट का नक्शा ही बदल गया था जो राजीव को भी अच्छा लगा था, लेकिन उसने ये बात गौरी से नहीं कही थी.
जहा गौरी घर के कामों में खुद को व्यस्त कर लिया था तो वही राजीव तो अपनी ही दुनिया में रहता था, आफिस में काम के दौरान स्नेहा के करीब रहना, आफ़िस की छुट्टी होने के बाद कही घुमने जाना, तो कभी शापिंग करने जाना या कभी मूवी देखने जाना हो या महँगे होटल में खाना खाना हो दोनों साथ में किया करते थे,
तो वही गौरी हमेशा कि तरह ही राजीव के लिए नाश्ता बनाकर देती, दोपहर के लिए टिफिन बना कर देती, और रात के खाने पर राजीव का इंतजार करती रहती थी, पर राजीव तो स्नेहा के साथ बाहर से ही खा कर था, जिस कारण गौरी भी रात को नहीं खाती थी, सुबह तो घर के कामों से फुर्सत निकाल कर जैसे तैसे खा ही लेती थी पर दिन और रात में उसे अकेले खाना खाना अच्छा नहीं लगता था इस लिए कई बार वो खाना ही नहीं खाती,
दोनों में बात तो ना के बराबर ही होती थी, लेकिन गौरी राजीव की हर छोटी बड़ी चीजों का ख्याल रखती थी, राजीव के कहने से पहले ही उसकी चीजें उसके पास होती थी, एक बार घर के राशन लाने के लिए गौरी ने बड़ी हिम्मत कर के राजीव से कुछ पैसे मांगे थे, पर राजीव ने साफ मना कर दिया
ये कह कर कि वो उसके पैसो पर ऐश करना चाहती है इसी लिए तो उसने उससे शादी करी थी, पर वो उसकी इन बातों में नहीं आने वाला था, और जरूरत ही क्या है तुम्हें पैसों की कही अपने इस काले चेहरे पर तो नहीं खर्च करने वाली पर जितना भी खर्च कर लो रहोगी तो तुम काली बिल्की की ही तरह, और ये बोल कर वो हंस कर आफिस चला गया,
पर राजीव की इस बात पर गौरी का दिल हजार टुकड़ों में टूट गया था, वो उस दिन फिर रोई थी, जार जार कर रोती रही,
वो अपने दर्द को कहना चाहती थी, पर कह नहीं सकती थी, उस दिन के बाद से गौरी पहले से भी ज्यादा | खामोश रहने लगी थी, खाना पीना तो वो जैसे भूल ही गई थी, राजीव के आगे हाथ न फैलाना पड़े ये सोचकर वही बिल्डिंग के कुछ 8 10 बच्चों को पढ़ाने लगी थी, खुद बिजी करने के लिए अपने हाथो से कुछ न कुछ बना कर वही फ्लैट की औरतो में बेच देती थी, और सभी को उसका काम पसंद भी आता था, इससे गौरी के पास अब खुद के कमाए पैसे रहने लगे थे, जिससे वो घर के सभी राशन लाने लगी थी, राजीव को तो इन सब बातों की खबर भी न थी, वो अभी भी मस्त होकर अपनी लाईफ इंजोय कर रहा था, ऐसे ही एक दिन सुबह गौरी राजीव का समान जमा रही थी उस वक़्त राजीव बाथरूम में नहा रहा था, और फोन बैड पर ही रखा था,
गौरी राजीव के कपड़े रख ही रही थी कि तभी राजीव के फोन पर स्नेहा का मैसेज आया था, गौरी जो वही थी उसकी नजर फोन पर पड़ी जिसमे जान नाम से नम्बर सेफ किया था साथ में दो इमोजी भी दे 66 गोरी ने मैसेज चेक किया तो उस में लिखा था, बेबी तुम आज जल्दी आ तो रहे हो न, तुम्हें याद है न कि आज हमे शौपिंग पर जाना था, ये पढ़ कर तो गौरी वो उम्मीद भी टूट गई थी जो कही न कही उसके मन में थी कि एक दिन तो राजीव उसे समझेगे, उसे हिस्से की खुशी देंगे, लेकिन इन सबके बाद भी वैसा कुछ नहीं हुआ, और एक बार फिर गौरी बुरी तरह से टूट गई थी, उसने फोन वही रखा और रूम से चली गई, राजीव भी जल्दी तैयार होकर स्नेहा के साथ घुमने चला गया था, गौरी ने राजीव को देखा था वो तैयार होकर जब आया तो काफी खुश और हैंडसम लग रहा था, अब तो गौरी को यकिन हो गया था कि राजीव ने ये शादी अपने पापा के दबाब में आ कर करी थी, राजीव की जिंदगी में तो पहले से ही कोई और है, और याद उससे शादी कर वो राजीव और उस लड़की के बीच आ गई है जिससे राजीव प्यार करते हैं.
अब तो गौरी ओर भी ज्यादा खोई खोई सी रहने लगी थी, ज्यादा समय अकेले ही बिताती रहती थी, उसने कुछ | को पूरी तरह से कामों में उलझा लिया था,
एक दिन बिल्डिंग में ही रह रहे, एक कपल की 25 वीं शादी की सालगिराह थी, उन्होंने सभी को आने के लिए इंवाइट किया, जिसमे गौरी ओर राजीव भी थे, दोनों ही जाना नहीं चाहते थे पर मजबूरन उन्हें जाना पड़ा, पार्टी एक होटेल में थी, गौरी ने पार्टी के लिए एक लाल रंग की सिम्पल सी साड़ी पहनी थी,
वही राजीव ने भी सूट पहना था, दोनों बहुत अच्छे लग रहे थे, दोनों पार्टी वेन्यू पहुचे रास्ते में ही उन्हें दोनों कपल के लिए गिफ्ट ले लिया था, उन्हें देकर वो जैसे ही नीचे आए, एक खूबसूरत सा गाना बजा तो सभी कपल डांस करने लगे, राजीव और गौरी को भी जबरदस्ती डांस करने को कहा तो मजबूरन उन्हें भी डांस करना पड़ा, हालांकि की गौरी को ऐसे डांस नही आते थे पर वो कोशिश कर रही थी,
उसी वक्त उस पार्टी में स्नेहा आई वो अपनी किसी दोस्त के साथ आई थी जिसके पापा उन कपल को जानते थे, स्नेहा कि दोस्त ने भी उसे चलने के लिए कहा तो वो भी मान गई, पर यहां आकर तो उसे ऐसा कुछ दिखेगा उसने सोचा भी नहीं था,
वही डांस होने के बाद राजीव और गौरी सब के फारमेलिटिज के लिए मिलने लगे, दोनों एक अच्छे कपल होने के लिए सब से हंस हंस कर मिल रहे थे, और उनकी इस हरकत पर स्नेहा की बराबर नजर थी, उसने वहा एक औरत से दोनों की तरफ इशारा कर के पूछा कि दोनों कौन हैं,
जब उस औरत ने बताया कि दोनों पति पत्नी है और अभी कुछ महीने ही हुए हैं दोनों की शादी को, ये बोल कर वो औरत चली गई
उस औरत की बात सुनकर स्नेहा के चेहरे का रंग ही उड़ गया था, उसने गुस्से में पास रखा एक फूलों का गमला वही गिरा दिया,
और गुस्से में वहा से चली गई, जाते समय उसने अपनी दोस्त को मैसेज कर के बता दिया था कि उसकी तबीयत कुछ सही नहीं है इसलिए वो घर जा रही है, उसकी दोस्त ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया,
पार्टी खत्म होने के बाद राजीव और गौरी घर पहुचे गए थे, दोनों की जिंदगी ऐसे ही चलती जा रही थी.
भाग - 8 साँवली सी एक लड़की
पार्टी को बीते करीब एक हफ्ता हो गया था, जहा गौरी को अब किसी भी बात से फर्क पड़ना बंद हो गया था,
उसने तो अब उम्मीद करना ही छोड़ दिया था राजीव से, कि उसे उसके हिस्से की कुछ खुशी तो मिलेगी, तो वही राजीव अभी भी स्नेहा के टच में था ओर स्नेहा भी राजीव का भरपूर फायदा उठाती थी, वो हमेशा उससे • महँगे महँगे चीजे मगाती रहती थीं, कभी कबार झूठ मुठ का गुस्सा हो जाती तो राजीव उसे तरह तरह के गिफ्ट दे कर मना ही लेता,
स्नेहा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि राजीव शादी शुदा है उसे तो एक अच्छा खासा मुर्गा मिला था जो उसकी हर डिमांड पूरी करता था, बावजूद इसके स्नेहा और वो दोनों अब पहले की तरह समय नहीं बिताते थे कुछ काम की वजह से तो कुछ और कारणों से,
राजीव ने इस बीच कई बार ये नोट किया कि जब से वो भोपाल से आया है, स्नेहा का बर्ताव उसके प्रति कुछ अलग ही होने लगा था, वो जब भी उससे कुछ समय बिताने की बात करता तो वो कोई न कोई बहाना बना कर बात टाल देती थी, उसने एक बात और नोट करी कि वो पहले से ज्यादा अब फोन पर लगी रहती है, जब राजीव ने इस बारे में बस यू ही पूछ लिया तो घर से फोन हैं कहकर वो अक्सर ही बात टाल देती थी, राजीव ने भी ज्यादा गौर नहीं किया, क्यों उन्हें साथ में रहते करीब 3 साल से भी ज्यादा हो गया था, वो इतना तो जानता था कि स्नेहा उसे कभी धोखा नहीं देगी, अखिर वो दोनों एक दूसरे से प्यार जो करते थे,
एक दिन अच्छा मौका देखकर राजीव ने स्नेहा से शादी की बात करी, वैसे तो स्नेहा को पता चल ही गया था
कि वो शादी शुदा है लेकिन जब राजीव ने उसे ये बात नहीं बताई तो उसे भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ा था लेकिन यू अचानक राजीव ने जब शादी की बात करी तो हैरान थी वो शादी नहीं करना चाहिए थी, शादी से पहले वो जो लाइफ जी रही थी शादी के बाद वो ये सब नहीं कर पाएगी, उसे हमेशा बंधनों में रहना पड़ेगा, ओर घर के काम, वो भी तो करने पड़ेगे जो उसे बिलकुल भी नहीं आता था, ये सभी बाते सोचकर स्नेहा ने • फिलहाल जैसे तैसे राजीव को ये बोलकर मना कर दिया कि अभी उसके घर वालो को उन दोनों के बारे में कुछ पता नहीं है, और वो सही समय मिलने पर उन दोनों की शादी की बात कर लेगी, तब हम सब की मर्जी से शादी करेगे,
राजीव को भी स्नेहा की बात कही न कही सही लगी, ओर इसी बीच वो गौरी को भी तलाक देने के बारे में
उससे बात भी कर देगा, उसने सोच लिया था कि वो गौरी को तलाक देखकर स्नेहा से शादी कर लेगा, ओर गौरी का रहने के लिए कही और बंदोबस्त कर देगा, वैसे भी इस अनचाहे रिश्ते में वो दोनों ही खुश नहीं थे. यही सोचकर राजीव ने तलाक के पेपर भी बनाने के लिए बोल दिया था, जो बनने में अभी टाइम थे,
इसी बीच राजीव को एक बड़ी डिल मिली, जिसकी खुशी में एक छोटी सी पार्टी दी गई थी, जिसमे आफिस और डिल वाली कम्पनी से सम्बन्धित लोग भी शामिल थे, पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी, कोई डांस कर रहा था तो कोई ड्रिंक कर रहा था, राजीव ने भी काफी शराब पी ली थी, उसे तो होश ही नहीं था किसी चीज का, जैसे तैसे कर पार्टी ख़त्म हो जाने पर राजीव खुद से कार चला कर घर पहुँचा, गौरी जो कब से राजीव का इंतजार कर रही थी खाने पर राजीव को यू नशे में देखकर वो फौरन उसे संभालने लगी, राजीव को संभाल कर हॉल के सोफे पर बिठाने के बाद गौरी ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और किचन से पानी लाकर राजीव पिलाने लगी, पानी पिलाने के बाद गौरी ने बड़ी मुश्किल से राजीव को कमरे में लेकर आई, उसने राजीव का कोट निकाला और टाई दिली कर उसे निकाल दिया,
तभी राजीव ने नशे में होने के कारण उसने गौरी को अपनी ओर खीच लिया जिससे गौरी सीधा राजीव की बाहो में जा गिरी, राजीव ने आगे बढ़ कर गौरी को जगह जगह किस करने लगा, नशा उस पर इतना हावी था कि वो क्या कर रहा है उसे इतना भी होश नहीं था,
वही गौरी तो राजीव की कही इस हरकत से हैरान रह गई, उसने कभी नहीं सोचा था कि राजीव ऐसा कुछ भी कर सकता था, गौरी को ऐसा लगा रहा था जैसे उसे ये पल कई सदियों के बाद मिला था, उसने राजीव को नहीं रोका शायद को एक पल ही सही पर राजीव की पूरी तरह से हो जाना चाहती थी, उसे अपनी किस्मत पर अब यकिन न था कि कब अगले ही पल उससे उसका सब कुछ लूट जाए, भले ही राजीव नशे में था ओर उसे प्यार कर रहा था पर वो पल उस समय सिर्फ उन दोनों का था, उस रात राजीव और गौरी एक हो गए थे, गौरी के मन में सुकून था वो इतने में ही खुश थी उसे तो जैसे कुछ चाहिए ही नहीं था,
अगली सुबह गौरी हर रोज की तरह ही जल्दी उठ गई थी, पर आज उसके चेहरे का नूर कुछ और ही कहानी कह रहा था, वो कल रात उसके लिए सबसे खूबसूरत रात थी, वही राजीव जब उठा तो उसका सिर भारी होने लगा था, धीरे धीरे कर उसे होश आने लगा, जब वो पूरी तरह होश में आया तो खुद की हालत देख कर वो तो हैरान हुआ, फिर उसके चेहरे पर गुस्सा उतर आया, वो जल्दी से उठ कर बाथरूम में चला गया और तैयार होकर जब हॉल में आया तो उसकी नजर गौरी पर पड़ी सो खुशी खुशी सब काम कर रही थी, उसके चेहरे से ही पता लग रहा था कि वो आज कितनी खुश हैं,
उसे यू खुश होता देखकर राजीव को बहुत गुस्सा आया वो गुस्से में आगे बढ़ा, गौरी की बाँजू पकड़ अपने सामने कर उससे कहने लगा।
राजीव- मानना पड़ेगा तुम्हें, कितनी चालाक हो तुम कल मेरे नशे में होने का जो तुमने फायदा उठाया हैं न सब समझता हूँ मैं, कि क्या चाहती हो, मेरे करीब आकर मुझे रीझा कर तुम ऐश कि जिंदगी जीना चाहती हो, तो भूल जाओ ये कभी नहीं होगा, मुझे तो घिन आती है की कैसे मैने तुम्हारे साथ रात बीता ली, तुम्हें देखना तो दूर तुम्हारे पास रहने पर भी मुझे घुटन होती हैं, कल रात जो हमारे बीच हुआ वो सिर्फ नशे में होने की वजह से हुआ वरना में तो तुम्हें देखू भी नहीं, बहुत खुश हो रही थी न अभी यही सोच रही होगी, कि मेरे करीब आने से में तुम्हें अपनी जिंदगी में शामिल कर लूगा तो ये तुम्हारी बहुत बड़ी भूल है ऐसा कभी भी होगा, ये बोल कर राजीव ने गौरी को झटके से वही छोड़ दिया ओर आफिस के लिए निकल गया,
और छोड़ गया अपने पीछे बेचान सी गौरी को, जिस चेहरे पर अभी कुछ देर पहले खुशी और चमक दिख रहा वो जैसे कही गायब ही हो गया था, गौरी की आँखो में भले ही उस समय आंसू नहीं थे पर उसके शरीर में अब कुछ ओर भी न बचा था कि तो बेजान और लाश मात्र एक शरीर जो पथराई आँखो से बस एक ओर ही देखे जा रही थी, उसे तो जैसे कुछ होश ही नहीं था,
वही राजीव आफिस में काम करने के बाद उसे उस नई डिल के सिलसिले में कुछ दिन मुम्बई से बाहर जाना था तो वो आफिस से ही चला गया था हालांकि स्नेहा को भी उसकी अस्सटेंट के तौर पर उसे भी जाना था पर उसने तबियत का बहाना बना कर जाने से मना कर दिया, जब रात को राजीव नहीं आया तो गौरी को लगने लगा था कि राजीव उस रात की वजह से उससे कटा कटा सा लग रहा था, उसका दिल एक बार फिर हजार टुकड़ों में टूट गया था,
वक्त यू ही बितता गया और इस बात को एक हफ्ता हो गया था, इन एक हफ्तों में गौरी हजार पल मरती रही, उसने अपने दर्द को अपने अंदर ही समेट लिया था, अब वो पहले की तरह नहीं रोती थी, उसने इन सभी चीजों को ही अपनी दुनिया मान ली थी, न किसी से ज्यादा मिलना न कही जाना बस जरूरत पड़ने पर ही वो बाहर जाती थी, लेकिन हर शाम वो बच्चों को अभी भी पढ़ाती थी और कुछ न कुछ अपने हाथों की बनी चीजें बेच देती थी, इन सभी चीजों से कुछ पल उसका मन बहल जाता था,
एक हफ्ते बाद राजीव अपना काम खत्म कर मुम्बई आया था, वैसे तो उसे वापस आने में अभी दो दिन बाकि थे पर जल्दी काम खत्म कर वो स्नेहा से मिलने के लिए जल्दी ही आ गया था, वो घर न जाकर सीधा आफिस ही चला गया था स्नेहा को सप्राईज देने, लेकिन वहा पहुँच कर तो उसे ही सप्राईज मिल गया था।
भाग - 9 साँवली सी एक लड़की
राजीव स्नेहा को सप्राईज देने के लिए अपनी मीटिंग खत्म कर आफिस आया था, वो बहुत खुश था कि इतने दिनो बाद वो स्नेहा से मिलेगा, वो इसी खुशी में स्नेहा के कैबिन की ओर बढ़ गया वहा पहुँच कर जैसे ही वो दरलाजा खोलने वाला था कि कैबिन से आती आवाज ने उसके हाथ रोक दिए थे, राजीव ने कैबिन के दरवाजे से अंदर झाक कर देखा तो उसके होश उड़ चुके थे, अंदर का नजारा देख उसने कभी कल्पना भी नहीं कि थी की एक दिन वो ऐसा कुछ देखेगा, अंदर उसका सबसे अच्छा दोस्त और जिससे वो प्यार करता था वो दोनों एक दूसरे की बाहों में थे, अभय स्नेहा की कुर्सी पर बैठा था ओर स्नेहा अभय की गोद में, दोनों एक दूसरे गले लगाए प्यार कर रहे थे, ये नजारा देख कर राजीव की आँखो में कई भावनाए एक साथ उखड़ने लगी थी, गुस्सा, नफरत, दर्द, धोखा, बेवफाई ओर न जाने कितने ही लोग एहसास चेहरे पर आ गए थे, उसका ध्यान अंदर की आती अवाजो से टूटा
स्नेहा बस बेबी, अब मुझसे रूका नहीं जाता, हम कब तक यूही एक दूसरे से छुप छुप कर मिलते रहेगे, अब तो मुझे उस चिपकू राजीव से अपना पीछा छुडाना है, जब देखो तो एक ही राग अल्पता रहता है शादी कब करोगी शादी कब करोगी, उसकी बातें सुनकर तो मेरे कान पक गए हैं, जब देखो तो बस चिपकता रहता है, बेबी ये, बेबी वो उफ्फ में तो तंग आ गई हू,
अभय उसकी बातों को सुनकर हंस पड़ा और बोला
तो मान क्यों नहीं जाती बेबी, वैसे भी उस मुर्गे से शादी कर के तुम ऐश कि जिंदगी जिओगी,
अभय की बात सुनकर स्नेहा गुस्से में खड़ी होकर बोली
स्नेहा - ये क्या बकवास करे हो तुम, उस बेवकूफ़ से शादी कर के खुद को सुली पर नहीं चढ़ाना है, उस बेवकूफ़ से शादी कर के तो मेरी सारी आजादी छिन जाएगी, जो मे कतई नहीं चाहती, वैसे भी हमारा प्लेन ये तो नहीं था, हमने पहले ही सोच लिया था कि मैं उसके करीब जाकर सारी जायदाद और ये कम्पनी हम अपने नाम करा लेंगे, वैसे भी हमारा प्लेन तो कब का पूरा हो जाता अगर वो भोपाल अपने उस बुढ्ढे पापा के लिए नहीं गया होता तो ये सारी प्रोपर्टी हमारी हो गई होती, पर कोई न देर सवेर ही सही, जब वो बेवकूफ़ उस डील को पूरा कर आ जाएगा तो कैसे भी कर मे उन पेपर पर उसके साइन ले लूगी, फिर तो हमारी ऐश ही ऐश ये बोल स्नेहा पागलो की तरह हसने लगी तो अभय भी हसने लगा, फिर अभय बोला
अभय- वैसे मुझे ये समझ नहीं आया मैं तो उसकी प्रोपर्टी इस लिए अपने नाम कराना चाहता हूँ वो मुझसे हर काम आगे निकल जाता था, हमेशा उसके काम करता और उसके आडर को फॉलो करता तो मेरा खून खोल जाता, बस तभी से मैने उससे उसका सब कुछ खीनने का सोच लिया था, पर तुमने ऐसा क्यों किया, तो तो तुम्हें प्यार करता था न
उसकी बात सुनकर स्नेहा कुटिल मुस्कान लिए बोली
स्नेहा-हअ, प्यार और वो वो मुझसे कोई प्यार वार नहीं करता था, वो तो बस मेरे हुस्ने के जादू का कमाल हैं जो वो मेरा लटू बना फिरता है, उसके आस पास रहने से उसके करीब रहने से वो कुछ सोच समझ ही नहीं पाया ओर उसी को वो प्यार समझने लगा, ओर रहा सवाल मेरा तो वो रिच है हैडसम है, और क्या चाहिए था मुझे, मुझे तो एक सोने का बकरा मिल गया था, जिसे में रोज हलाल करती थी, और वो मेरी डर डिमांड को पूरी करता था,
और अभय की बातो को सुनकर राजीव का दिल कट कर रह गया था, उसे तो जैसे अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जो वो सुन रहा है क्या वो बाकई में सच है ये एक बुरा ख्वाब,
स्नेहा पर मानना पडेगा, वो भी कम नहीं था, मुझसे हमेशा प्यार के दावे करता था और किसी और ही लड़की से शादी कर के बैठा हैं,
(स्नेहा की बात सुनकर राजीव और अभय दोनों ही हैरान होकर स्नेहा को देखने लगे, राजीव तो सोच रहा था की उसे कैसे पता चला उसी शादी के बारे में उसने तो कभी किसी और को इस बारे में खबर लगने भी नहीं दी थी. फिर इसे कैसे ?)
स्नेहा ने अभय के चेहरे को देख कर फिर कहा
स्नेहा ज्यादा दिमाग को खर्च मत करो, में बताती हू की तुम्हें पूरी बात, हा ये सच है कि राजीव ने अभी कुछ - महीने पहले ही शादी की है शायद जब वो भोपाल गया था तभी, और उसने मुझसे इस बारे में बात करना जरुरी भी नहीं समझा, शायद वो बताना ही नहीं चाहता हो, उसे लगा होगा कि घर में भी ऐश करे और बाहर भी, लेकिन उसकी फूटी किस्मत की पार्टी में मेरे राजीव और उसकी वाईफ को देखा, फिर हंस कर, तुम्हें पता है उसकी शादी किससे हुई हैं एक कोयले के ड्रंक से, दोनों की जोड़ी बेस्ट है, एक बेवकूफों का राजा तो एक कोयले से काली, पहले तो मुझे राजीव पर बहुत गुस्सा आया कि उसने मुझे धोखा दिया है, फिर मैने सोचा मुझे कौन सा उसके साथ घर बसाना है, जब तक पकरा हलाल होता है करते रहो, फिर दूध में जैसे मक्खी है वैसे ही मे उसे पेगी,
बस तुम देखते जाओ, ये बोल स्नेहा पागलों की तरह हसने लगी, तो अभय भी हसने लगा,
लेकिन स्नेहा की बात सुनकर राजीव के तन बदन में एक आग सी लग गई, ऐसा लग रहा था कि इस आग की लपटों से हर कोई जल कर राख हो जाएगा, वो गुस्से से कैबिन में दाखिल हुआ, उसे देखकर दोनों के ही चेहरे के रंग उड़ चुके थे, राजीव गुस्से में आगे बढ़ कर उसने स्नेहा की बाजू पकड़ी, और अपनी तरफ खीच कर बोला
राजीव- हाव, हाव कूड यू डू दिस, तुम अच्छे से जानती थी कि मैं तुमसे कितना प्यार करता था फिर ये सब, क्यों किसी तुमने, क्योंयोयोयोयो ये बोल राजीव ने गुस्से में स्नेहा को छोड़ दिया और जोर से चिल्ला पड़ा,
उसकी बात सुनकर स्नेहा भी गुस्से में बोली,
स्नेहा- मुझपर इल्जाम लगाने से पहले खुद को भी जरा आईने में देख लेना, जब खुद के घर कांच के होते हैं तो वो के घर पत्थर नहीं मारा करते, और तुम किस धोखे की बात कर रहे हो, मैने तो फिर भी ये सब जान बुझ कर किया, क्योंकि तुम्हारे पास इतना पैसा हैं कि मेरे कुछ भी कहने पर तुम वो सारे पैसे खर्च करने में एक पल की देरी न करते, लेकिन तुम, तुमने क्या किया शादी कर के भी किसी और लड़की के चक्करों में पड़े थे, उसके साथ घूमते फिरते, अगर में गलत हू तो सही तुम भी तो नहीं, और क्या कहा प्यार, हंस कर,, तुम मुझसे कोई प्यार व्याल नहीं करते, ये जो हमारे बीच था उसे प्यार नहीं कहते बेबी,
प्यार तो इसे कहते है, ये बोल कर स्नेहा ने हाथ बढ़ा कर अभय का हाथ अपने हाथ में लेकर उसकी बाँहो में चली गई, ये देखकर राजीव को बहुत गुस्सा आया, वो आगे बिना कुछ कहे वहा से गुस्से में निकल गया,
उसके जाते ही अभय और स्नेहा के चेहरे पर दुःख के भाव आ गये, क्योंकि जो उन्होने सोचा था वो तो अब होने से रहा, राजीव को अब पूरी सचाई पता चल चूकि थी, तो अब उससे कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता था, दोनों को ही बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता, दोनों फिर वहा से चले गए,
भाग 10 साँवली सी एक लड़की
राजीव गुस्से में आफिस से निकल कर गाड़ी लेकर पूरे समय इधर उधर गाड़ी दोडाए जा रहा था, उसकेक्षकानो में अभय और स्नेहा की कहीं हर एक बात गूज रही थी, और उनकी ये सभी बाते उसके दिल को छल्ली किए जा रही थी, जब उसे यू इधर उधर घुमने पर भी राहत नहीं मिली तो वो एक बार मे जाकर शराब पीने लगा, एक के बाद एक पीने के बाद भी उसके जहन से वो सभी बाते जा ही नहीं रही थी, राजीव ने इतनी पी ली थी कि उसे होश ही नहीं था किसी भी चीज का, राजीव यू ही पीता रहता अगर बार का मैनेजर वहान आता, मैनेजर के मना करने के बाद भी राजीव नहीं माना बात हाता पाई पर आ गई थी, जैसे तैसे कर राजीव को कन्ट्रोल किया गया, राजीव की हालत देख मैनेजर कुछ हद तक मामला समझ चुका था कि ये दिल के टूटने का मामला है,
रात बहुत हो गई थी तो मैनेजर ने अपने बार में काम कर रहे लड़के को बोल राजीव को उसके घर भेज दिया, पता राजीव के वॉलेट के ड्राइविंग लाइसेंस से मिल गया था,
लडका भी जैसे तैसे कर राजीव को घर लाया, और बेल बजाने लगा, इस वक़्त बेल की आवाज सुनकर कमरे में कुछ काम कर रही गौरी को अजीब लगा कि इस वक़्त कौन होगा, फिर उसे लगने लगा शायद राजीव घर आया हो, ये सोच वो जल्दी से दरवाजा खोलने चली गई, दरवाजा खोला तो सामने राजीव को नशे की हालत में देखकर ओर उसके अस्त व्यस्त होते कपड़े को देखकर हैरान हो गई, उसने तो सोचा भी नहीं की राजीव उसे ऐसी हालत में मिलेगा, बार बाले लड़के की मदद से गौरी राजीव को अंदर लाई, तो लड़के ने बार में हुई पूरी को बता दिया,
जिसे सुनकर एक बार फिर गौरी को हैरानी हुई, लड़का चला गया था, गौरी ने जैसे तैसे कर राजीव को कमरे
में लेकर गई, उसके जूते और जुराब निकाल कर उसने राजीव का कोट निकाला और टाई ढिली कर निकाल दी. शर्ट के ऊपर के कुछ बटन गौरी ने खोल दिए जिससे उसे घुटन महसूस न हो, गौरी जैसे ही जाने को पलटी की नशा ज्यादा होने के कारणा राजीव ने वही जमीन पर उल्टिया शुरु कर दी, ये देखकर गौरी को राजीव की फ़िक्र होने लगी, उल्टी करने के बाद राजीव को कुछ राहत मिली उसे थोड़ा अच्छा लगने लगा था,
गौरी ने जल्दी से फर्श साफ किया, उल्टी करने से राजीव के कपड़े भी खराब हो गए थे, गौरी जल्दी से एक गिला टावल लेकर आई उसने राजीव की शर्ट निकाल दी थी, ओर टावल से उसके शरीर को साफ करने लगी, साफ करते समय उसे राजीव का बढबढाना सुनाई देने लगा जो बोल रहा था,
राजीव- स्नेहा तुमने मुझे धोखा क्यों दिया है, में तो तुमसे इतना प्यार करता था, फिर क्यों किया स्नेहा तुमने, आगे भी राजीव ऐसे ही कुछ न कुछ बोले जा रहा था, गौरी को राजीव के मुंह से किसी ओर लड़की का नाम सुनकर दर्द का एहसास हुआ लेकिन फिर अपने दर्द को भुलाकर उसने राजीव को देखा जो अभी कुछ न कुछ बोले जा रहा था जिसे सुनकर गौरी को राजीव के लिए बुरा लगा था, वो राजीव को ऐसे नहीं देख सकती थी,
गौरी ने टावल और शर्ट बाथरूम में ही रख दिया था, और रसोई में जाकर वो राजीव के लिए नीबू पानी बनाने लगी, नींबू पानी बनाने के बाद वो राजीव को पीलाने लगी, कुछ देर में उसका असर होता दिखाई देने लगा था, राजीव कुछ हद तक संभल चुका था, पर नशा पूरी तरह से उतरा नहीं था, राजीव ने गौरी को नशे में ही अपने पास खीच लिया, दोनों एक बार फिर प्रेम के सागर में गोते लगाने लगे, गौरी ने इस बार भी इस बात का विरोध नहीं किया, क्योंकि राजीव को अभी किसी के सहारे की जरूरत थी, और वो सहारा गौरी थी,
अगली सुबह राजीव और गौरी के लिए अलग थी, राजीव को अब गौरी के साथ रात बीताने वाली बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, अब तो यह रोज का काम हो गया था, राजीव के लिए, रोज नशे में आना, और गौरी का उसकी देखभाल करना ऐसे ही करते करते एक महिना बीत गए.
एक दिन राजीव आफिस जा रहा था कि उसे अभय और स्नेहा दिखाई दिए जो साथ में घूम रहे थे और दोनों साथ में खुश भी लग रहे थे, राजीव को ये देखकर जाने क्यों गुस्सा नहीं आया बल्कि वो तो किसी ओर ही सोच में गुम था कि कहा वो स्नेहा जैसी चालाक लड़की के जगुल में फंस गया, उसे तो जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ रहा था वो तो अपनी दुनिया में खुश है और एक वो है जो उसकी याद में देवदास बना घूम रहा है, इसी चक्कर में उसने आफिस पर भी ध्यान नहीं दिया, और गौरी, गौरी पर भी नहीं, गौरी का ज़िक्र करते उसे गौरी के साथ किया अपना बर्ताब याद आने लगा, कि उसने उसे क्या कुछ नहीं कहा था लेकिन उसने एक उफ्फ तक नहीं कहा था, उसने अब सोच लिया था कि उसे क्या करना है,
अब राजीव अपना समय आफिस में देने लगा था कुछ वक़्त से ध्यान न देने पर कम्पनी के शेयर गिरने लगे थे, जिसे फिर से ऊपर उठाने के लिए वो दिन रात मेहनत करने लगा था,
इसी बीच गौरी को पता चला कि वो माँ बनने वाली है, जिसे सुनकर गौरी को जैसे जीने की एक नई वजह मिल गई थी, वो इस बारे में राजीव से कहना चाहती थी, लेकिन किसी न किसी कारण वश बोल नहीं पाती थी, राजीव भी काम में इतना खो गया था कि उसे तो होश ही नही था, यूही करते करते कुछ महिने निकल गए,
एक दिन राजीव घर आ रहा था कि रास्ते में सिग्नल पर फूल बेचने वाली एक ओरत ने राजीव से कुछ खरीदने को कहा पहले तो राजीव ने मना कर दिया पर कुछ सोचकर उसने उस ओर कि टोकरी में गजरे देखकर उसे खरीद लिया, उस गजरे को देखकर राजीव मुस्कुरा दिया, वो गोरी को इस गजरे के साथ ईमेजिन कर रहा था, उसे तो अपने ऊपर ही हैरानी हुई कि वो ये सब कर रहा है,
घर पहुँच कर राजीद ने बिना कुछ कहे वो गजरे गौरी की ओर बढ़ा कर कमरे में चला गया, उसकी इस हरकत. पर गौरी को बहुत हैरानी हुई, उसने जल्दी जल्दी गजरे निकाले जो एक पत्तों में लिपटा था, उसे देखकर गौरी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कराहट आ गई साथ ही उसकी आँखो में खुशी के आँसू बहने लगे, जाने कितने मर्तबा उसने को चुमा था कितनी मर्तबा उसने उस छोटे और मामूली सी चीज को अपने सीने से लगाया था, गौरी ने उसे तुरंत अपने बालों में लगा लिया था, वो बहुत प्यारी लग रही थी,
राजीव रूम के दरवाजे को हल्का सा खोल कर ये सब देख रहा था उसे स्नेहा कि याद आ गई कि वो महँगी से महंगी चीजे मिलने पर शिकायत करती रहती थी, और वही गौरी थी जो उसके एक मामूली सी चीज को लेकर कितने खुश दिख रही थी, उसे अब अपनी पसंद पर गुस्सा आ रहा था कि उसने एक लालची लड़की से प्यार किया था,
यूही कुछ दिन बीत जाते हैं, राजीव का गौरी के प्रति कुछ हद तक नजरिया बदलने लगा था, एक दिन राजीव ने गौरी से बहार खाने की बात कही गौरी को तो जैसे बिन माँगे मुराद मिल गई थी, गोरी की प्रेगनेसी को चार महीने हो गए थे, गौरी का पेट अब लगभग बाहर निकल गया था, लेकिन उतना पता नहीं चल पा रहा था, क्योंकि गौरी का शरीर इन दिन बहुत कमजोर हो गया था, जिससे पेट निकलने पर भी उतना पता नहीं चल पा रहा था, देखने पर वो नोरमल ही लग रही थी,
राजीव गोरी तैयार होकर बाहर खाना खाने चले गए. ये पहली बार था जब दोनों पू बिना किसी झिझक के साथ थे, राजीव ने तो अच्छे से खाया पर प्रेगनेसी की वजह से गौरी को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था पर
राजीव का मन रखने के लिये उसने कुछ खा जरूर लिया था,
दोनों खाने के बाद घुमने के लिए मरीन ड्राइव के पास चले गए, वहा का नजारा देख कर दोनों को सुकून की अनुभूति हुई, गौरी की नजर सहसा ही एक कपल पर चली गई जो खुश होकर कपल फोटो ले रहे थे, गौरी बहुत प्यार से उन्हें ही देखे जा रही थी, राजीव ने जब गौरी की नजरों का पीछा किया तो उसे याद आया कि उन दोनों की एक भी फोटो साथ नहीं है, ये सोचकर जाने क्यों राजीव को बुरा लगा, उसने तुरंत अपने जेब से फोन निकाला और गौरी को फोटे के लिए कहने लगा, गौरी उसे तो लगा भी नहीं था कि राजीव ऐसा कुछ भी कहेगा, उसे तो बहुत खुशी हो रही थी, उसने अपनी सहमति दी तो राजीव ने पास से गुजर रहे किसी व्यक्ति से उनकी फोटो लेने के लिए कहा,
दोनों फोटो के दोरान दूर दूर खड़े थे, जिसे देख वो व्यक्ति दोनों को पास आने के लिए बोल रहा था, दोनों झिझक कर पास आए तो उस व्यक्ति ने दोनों को मुस्कुराने को कहा, दोनों को बहुत अजीब लग रहा था, पर उस व्यक्ति के सामने अपने रिश्ते को जाहिर नहीं करना चाहते थे, बड़ी कोशिशो के बाद एक प्यारी सी तस्वीर उन्हें मिली जिसे देख दोनों बहुत खुश नजर आने लगे,
भाग 11 साँवली सी एक लड़की
दिन यू ही बितते गए, राजीव अब पूरी मेहनत से आफिस का काम करता, उसे अपनी कम्पनी को ओर भी तरकी की ऊँचाईयो पर लाना था, इस चक्कर में वो गौरी पर उतना ध्यन नही दे पाता था, कभी कबार उसे आफिस के काम से बाहर भी जाना पड़ता था, लेकिन ऐसा नहीं था की दोनों पहले की तरह ही रहते थे, राजीव का बिहेवियर अब पहले से नम्र हो गया था, पर उतना भी नहीं, राजीव ज्यादा तर समय अपने काम को ही देता था, हा कभी कबार वो गौरी पर ध्यान दे देता था,
वही गौरी की प्रेग्नेसी में कुछ परेशानी थी, डाक्टर ने गौरी को पहले ही बता दिया था कि उसकी प्रेग्नेसी में बहुत कॉम्प्लिकेशनस् हैं, उसने सही से खाने पीने और शरीर के कमजोर पड़ने से उसकी डिलीवरी में परेशानी आ सकती है, डॉक्टर ने कई बार गौरी को अपने पति के साथ आने के लिए कहा, पर राजीव के काम की वजह से वो कुछ कह ही नहीं पाए थी, उसने तो अभी तक माँ बनने बात भी राजीव को नहीं बताई, ये सोचकर की जाने राजीव कैसे बिहेव करेगा, एक घर में भी होकर दोनों में अभी भी कुछ फासले थे,
एक दिन जब राजीव आफिस के लिए तैयार हो रहा था तब उसे कुछ गिरने की आवाज आई, उसने फौरन आवाज की दिशा में जाकर देखा तो बर्तन के गिरने की आवाज थी, और वही पर मै गौरी की गिरी हुई थी, राजीव तुरंत गौरी के पास पहुँचा और उसे उठाकर कमरे में लाया, उसने कई बार गौरी को उठाने की कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ, राजीव ने तुरंत डाक्टर को बुलाया, डाक्टर ने चेक करने के बाद बताया की प्रेग्नेसी में ये सब आम बात है बस इस दौरान गौरी का खास ख्याल रखना होगा, और टाईम पर लेनी होगी, ने डाक्टर की फिस देकर उन्हें भेज दिया,
लेकिन उसके दिमाग मे गौरी के माँ बनने वाली बात चल रही थी, वो यही सोच रहा था कि आख़िर गौरी ने उससे इतनी बड़ी बात क्यों छुपाई, उसने उसे क्यों नहीं बताया, इस बारे में, लेकिन अगले ही पल उसे उसका जवाब खुद ही मिल गया था, शायद उसके बिहेवियर की वजह से, और उसका गौरी पर ध्यान न देना ही कारण रहा हो, वो गौरी को देखने रूम में गया, तो वो अभी भी लेटी थी, बरबस ही राजीव की नजर गौरी के बढते पेट पर गई, जो बता रहा था कि गौरी की प्रेग्नेसी को काफी समय हो गया है, राजीव ने कभी गोर से गौरी को देखा ही नहीं, कि वो सही है भी या नहीं, उसने कुछ खाया या नहीं, उसे याद आया कि उसने कभी अपने सामने गौरी को खाना खाते देखा ही नहीं, वो उसके जाने या आने या उसे से पहले खाना खाती भी थी या नहीं, उसे ये सोचकर बुरा लगने लगा था, राजीव ने हाथ बढ़ा कर अपना हाथ गौरी के पेट पर रखा तो उसे एक सुकून जैसा एहसास हुआ, उसने इस फिलींग को पहली बार महसूस किया था, उसकी आँखो में नमी उतर आई थी,
राजीव ने उस दिन आफिस का काम घर से ही किया था, गौरी भी अब सही हो गई थी, राजीव ने गौरी को कई बार घर के काम करने से मना किया था कि उसे इस दौरान काम नहीं करना चाहिए, लेकिन गौरी को अब ये सब काम करने में अच्छा लगता था, एक यही सब काम तो ये जब वो अकेली रहती तो इन्ही सब कामों को कर वो अपना दिन काटती थी,
इस दौरान बिल्डिंग की ही कुछ औरते गौरी को कुछ न कुछ खाने के लिए भेज दिया करती थी, चाहे वो आम का आचार हो या कोई और चीज जो इस दौरान एक आम औरत को खाने की चाहत होती थी,
एक दिन राजीव की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, मुम्बई में सर्दिया शुरू हो गई थी, जिस वजह से राजीव की तबीयत ख़राब हो गई थी, उस दौरान गौरी ने राजीव की खुब सेवा की थी, उसका खाना पीना हो या दवाईया, जब जब उसे बुखार होता तो पूरी पूरी रात वो उसके सिरहाने बैठ कर ठंडे पानी की पट्टिया किया करती थी, और जल्दी ही उठ कर घर के सारे काम करती थी, काम खत्म करने के बाद फिर उसका ध्यान रखना, वो इस हालत में भी खुद की फिक्र छोड़ उसकी फिक्र करती थी, राजीव वो वो पल याद आया जब एक दिन गौरी की तबियत बहुत ज्यादा खराब थी, उस दौरान उसने गौरी पर कोई ध्यान नहीं दिया था, उस दिन तबियत खराब होने के कारण उस दिन खाना भी नहीं बनाया था, गौरी ने राजीव से कहा भी था कि वो बाहर से ही मगाले लेकिन ने गौरी को ये बोल दिया कि ये सब उसके नाटक हैं काम से बचने के लिए, वो काम नहीं करना चाहती थी इसलिए वो ऐसे बहाने बना रही है, तब मजबूरन गौरी को अपनी खराब तबियत के साथ ही उसने घर के सारे काम किए थे, ये याद आते ही राजीव की आँखे भर आई,
शाम को जब पढ़ने के लिए बच्चे आए तो राजीव अपने रूम में ही था, आवाज सुनकर राजीव कमरे में से बाहर आया तो घर पर इतने सारे बच्चों को देखकर राजीव हैरान हो गया, वो अपने रूम के दरवाजे पर ही खड़े होकर ये सब देख रहा था, वही गौरी एक सोफे पर बैठी एक बच्चे की कॉपी चेक कर रही थी ओर वो बच्चा जिसकी कॉपी थी वही खड़ा था, राजीव ये सब देखकर समझने की कोशिश कर रहा था,
शाम हो गई थी, सभी बच्चों के घर जाने का समय भी हो गया था, बच्चो की माए बच्चों को लेने आई थी कुछ बच्चे तो उसी बिल्डिंग के थे कुछ पास वाली बिल्डिंग के थे जिन्हें लेने उनकी मम्मीयाँ आई थी, साथ ही टयूशन की फिस भी देने वो आपस में कुछ बातें कर रहे थे, उन्हें देखकर राजीव सब समझ गया, कि गौरी बच्चों को पढाकर पैसे कमाती है, उसे अब ध्यान आया कि घर खर्च के लिए उसने कभी गौरी को पैसे दिए ही नहीं थे, और जब एक दिन गौरी ने माँगे तो राजीव ने यही बोला था कि वो उसके पैसो पर ऐश करना चाहती है, इसी लिए उसने उसके पापा को अपनी मिट्टी मिट्टी बातों में फसा लिया जिससे उन दोनों की शादी हो जाए ओर वो इस ऐश भरी ज़िन्दगी जी सके, राजीव को याद आया कि वो हार आए दिन स्नेहा पर लाखों पैसे खर्च करता था, लेकिन अपनी बीबी के ऊपर पैसे खर्च करते समय वो पैसे जैसे होते ही नहीं थे, उसने तो कभी गौरी को एक छोटा सा तोहफ़ा भी नहीं दिया था, ये सब याद कर राजीव के सीने के लेफ्ट साइड में दर्द होने लगा था, उसकी आँखो से आंसू निकलने लगे थे, काफी रोने के बाद राजीव तुरंत उठा और गौरी को देखने गया उसने जब गौरी को देखा तो वो बाथरूम की स्लेप पर खड़े होकर कपड़े धो रही थी, घर में कपड़े धोने की मशीन नहीं थी, राजीव अपने कपड़े हमेशा बाहर ही दिया करता था धोने के लिए, लेकिन जब से गौरी उसकी जिंदगी में आई थी उसे तो जैसे कुछ करना ही नहीं पड़ता था,
गौरी इस दौरान पेट से थी, और उसका यू इतना काम करना सही नहीं थी, लेकिन वो फिर भी बिना किसी शिकायत के सारे कामों के साथ राजीव का भी बहुत ख्याल रखती थी, सिवाए अपने के,
राजीव बाथरूम के बाहर खड़ा गौरी को ही देख रहा था उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी उसके पास जाने की वो जब भी कदम बढ़ाता उसके पास जाने के लिए तो उसका गौरी के प्रति अपना बताव याद आ जाता ओर उसके पाँव वही रूक जाते, राजीव से जब गौरी के पास जाना नहीं हो पाया तो वो तुरंत अपने कमरे में आ गया था, उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हो रहा था, वो गौरी को क्या समझता था और वो क्या निकली राजीव जैसे गिल्ट में मर रहा था, गौरी को इस तरह से देखकर उसने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया था,
उस दिन के बाद से राजीव अपने काम कुछ हद तक खुद से करने लगा था ताकि गौरी को ज्यादा काम न करना पड़े, राजीव के कहने पर वो दोनों में खाना खाते थे, राजीव के पास हिम्मत ही नहीं हो पा रही थी कि वो गौरी से अपने बिहेवियर के लिए सॉरी बोले,
ऐसे ही करते करते समय बितता गया, गौरी की प्रेग्नेंसी को आठ महीने पूरे हो गए थे, उसी दौरान राजीव को आफिस के काम से मुम्बई से बाहर जाना पढ़ गया था, हालाकि वो जाना नहीं चाहता था पर काम भी जरुरी होने के कारण उसे जाना पढ़ा था, उसने ये बात गौरी को भी बता दी थी,
भाग- 12 साँवली सी एक लड़की (समाप्त)
राजीव आफिस के काम से मुम्बई से बाहर चला गया था, और गौरी हमेशा कि तरह अपने काम में लगी रहती थी, इन दिनों गौरी अपने आने वाले बच्चे के लिए स्वेटर बुन रही थी, सर्दी आने वाले थी, और बच्चों को सर्दी जल्द ही लग जाता है, हालांकि वो बाजार से भी स्वेटर या बच्चों के लिए ओर भी चीजें ले सकती थी, पर गौरी अपने हाथों से ही बनाना चाहिए थी, उसने दोनों रंग के स्वेटर बुने थे लड़की होने पर पिंक और लड़के होने पर ब्लू
उसने राजीव के लिए भी एक स्वेटर और एक मफ्लर बुना था, दोनों ही बहुत मुलायम थे, गौरी जो स्वेटर बुना था वो सफेद रंग का था जिस पर गौरी ने लाल रंग के ऊन से लेफ्ट साइड जहा दिल होता है, न जाने क्या सोच कर उसने एक दिल बनाया था और उसी के अंदर गोरी/ राजीव लिखा था, जो दिखने मे ही बहुत खूबसूरत लग रहा था, ऐसा ही उसने मफ्लर पर भी नाम उकेरे थे, गौरी उन नामों को साथ देखकर जाने कितनी मर्तबा गौरी ने उसे अपने होठो से छूए थे, ऐसा करते हुए उसकी आँखो से आंसू बहाने लगे, जाने क्या था उस लम्हे में गौरी बस उस स्वेटर और मफ्लर को सीने से लगाए थी,
गौरी यूही उन स्वेटर को सीने से लगाए बैठी रहती, अगर किसी ने बेल न बजाई होती तो, गौरी ने बेल की आवाज सुनकर जल्दी से सभी चीजों को समेटा और कमरे की अलमारी में रखकर दरवाजे की ओर बढ़ गई, दरवाजा खोलने पर गौरी ने देखा कि बच्चे थे जो बढ़ने आए थे, उसे तो अंदाजा भी नहीं हुआ था कि शाम हो गई है, वो कब से यू बैठी थी कमरे में, गौरी ने सभी बच्चों को अंदर बुलाया और दरवाजा बंद कर उन्हें बढाने लगी,
यू ही करते करते 3 से 4 दिन हो गए थे, गौरी को इस दौरान राजीव की कमी खल रही थी, उसे कुछ दिन से कुछ अजीब सी बेचैनी हो रही थी, तो कभी खबराहट भी हो रही थी, उसे लगा ये शायद प्रेग्नेंसी की वजह से हो रहा है, इसलिए गौरी ने इस बात पर ज्यादा नहीं सोचा,
आज राजीव भी वापस आ रहा था, वो बहुत खुश था कि कि उसने एक बार फिर अपनी कम्पनी को उन ऊँचाईयो पर पहुचा दिए था जहा हर एक बिजनेसमैन का सपना होता है, इस समय राजीव की कम्पनी नम्बर 1 कम्पनी थी, हर कोई राजीव के साथ काम करना चाहता था, और राजीव कही न कही इसका श्रेय गौरी को ही देना चाहता था, क्योंकि जब वो स्नेहा के साथ था तो उस दौरान उसने कम्पनी पर ज्यादा ध्यान न
देकर स्नेहा के साथ ही रहता था, पर अब वो जब से गौरी को समझा है उसने वो पहले के मुकाबले दुगनी मेहनत से काम करता आ रहा था जिसका नतिजा उसके सामने था, वो ऐसा इसलिए करना चाहता था ताकि उसकी बीबी ओर आने वाले बच्चे को कोई तकलीफ न हो,
आज राजीव ने सोच लिया था कि वो गौरी से अपने किए की हर एक गलती के लिए उससे माफी मांगेगा, और इन दिनों जो दूर रहकर वो गौरी के लिए महसूस करने लगा था, वो सब भी आज गौरी से कह दी देगा, यही सोचकर राजीव घर के लिए निकल गया था, रास्ते में उसने गौरी के लिए गजरा और फूलों का एक बेहद ही खुबसुरत बुके लिया था, उसने देखा था घर की बालकनी में तरह तरह के फूलों की लगाते हुए, खास कर गुलाबो को, इससे राजीव को पता चल गया था कि गौरी को फूल बहुत पंसद हैं खासकर गुलाब यही सोचकर राजीव ने वो सब था, साथ ही कुछ चॉकलेट भी अब भाई लड़कियों को तो चॉकलेट पसंद ही होते है, राजीव सभी चीजों को लेकर निकल पड़ा था अपनी मंजिल की ओर,
वही गौरी इस सभी बातों से बेखबर होकर अपने कामों में लगी, अभी कुछ देर पहले ही बच्चे पढ़ कर गए थे, गौरी को भूख लगी थी, उसे कुछ चटपटा खाने का मन कर रहा था, तो वो रसोई में जाकर सभी जगह देखने लगी कि कही कुछ मिल जाए खाने लायक, लेकिन उसे कुछ भी ऐसा नहीं मिला, तभी गौरी की नजर आचार की बर्नी पर गई, जो ऊपर रखी थी, गोरी हाथ उसे उतारने की रही हो नहीं रहा था, गौरी ने आस पास देखा कि कुछ तो मिल जाए जिससे आचार की बनीं नीचे आ सके, गौरी की नजर एक छोटे स्टूल पर गई, गौरी संभलकर उसे लेकर आई, और आराम से उसपर चढ़ के बर्नी को उताने की कोशिश करती रही पर बनीं गौरी की पहुंच से दूर था, काफी कोशिश करने के बाद आखिर बर्नी गौरी के हाथ लग ही गई, लेकिन उसे उतारते हुए अचानक गौरी का बैलेंस बिगड़ा और आचार की बर्नी जमीन पर जा गिरी, साथ ही बैलेंस के बिगड़ने से गौरी भी जमीन पर गिर गई.
गौरी के मुंह से एक दर्द भरी चीख निकल गई, उसने अपना पेट पकड़ लिया, गौरी दर्द से छटपटाने लगी थी, दर्द के कारण उसकी आँखो से आंसू बहाने लगे, उसे डर लग रहा था अपने बच्चे के लिए, कि कही उसे कुछ न हो जाए, गौरी की सांसे बेकाबू होने लगी थी, दर्द से उसकी आँखे बोझिल होने लगी थी, लेकिन गौरी दर्द को बर्दाश कर खुद को तैसे घसीट कर रसोई से बाहर निकालने लगी,
वही दूसरी राजीव राजीव जो कार चला रहा था उसे कुछ बेचेंनी सी होने लगी, किसी अंजाने डर कि वजह से उसने कार तेज चलाना शुरू कर दिया, जाने कितने ही सिग्नल उसने तोड़े थे, उसे इस वक्त सिर्फ एक शख्स याद आ रहा था गौरी, राजीव को बारबार यही लग रहा था कि कही गौरी किसी परेशानी में न हो, गौरी अकेली थी इस दौरान कही उसे किसी चीज की परेशानी हुई होगी तो, जाने क्या क्या राजीव के दिमाग में चल रहा था, उससे जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी उसने कार चलाई थी और कुछ ही देर मे वो घर भी बहुत गया था, वो फौरन लिफ्ट लेकर अपने घर के बाहर ही खड़ा था, राजीव ने जल्दी से घर की दूसरी चाभी निकाली ओर झटके से दरवाजा खोला, तो सामने का नजारा देख उसके होश उड़ चुके थे, गौरी जमीन पर
खून से लथपथ थी, और वो दर्द से जमीन पर पड़ी तड़प रही थी ये देख राजीव का दिल हलक में आने को तैयार था,
गौरी ने जब दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनी तो उस ओर देखने लगी, दरवाजे के सामने राजीव बुत बना खड़ा था गौरी ने अपना एक हाथ बढ़ा कर राजीव को अपने पास आने का इशारा किया, वही राजीव को तो कुछ समझ नहीं रहा था, पर जब उसके कानों में गौरी की दर्द भी आवाज पड़ी तो जैसे वो निंद से जागा हो, वो फौरन गौरी की तरफ बढ़ा उसने गौरी का हाथ थाम लिया, गौरी कुछ कहना चाहती थी लेकिन दर्द की वजह से बोल नहीं पा रही थी,
राजीव ने बिना देरी किये गौरी को अपनी बाहो में उठाया, और लिफ्ट से नीचे उतर कर कार में गोरी को लेटा दिया और खुद कार चलाने लगा, राजीव से जितना हो सके उसने उतनी तेज कार चलाई, साथ ही वो बार बार पीछे मुड़कर गौरी को भी देख रहा था, कुछ ही देर मे हास्पिटल भी आ गया था, राजीव ने फौरन कार से गौरी को निकाला, गौरी को लेकर वो अंदर कि तरफ दोड़ा ओर डॉक्टर को आवाज देने लगा, राजीव की ऐसी तेज ओर दर्द भी आवाज सुनकर डॉक्टर और नर्स आए एक बार्डबॉय तुरंत स्ट्रेचर लेकर आया राजीव ने तुरंत गौरी को उस पर लेटाया, गौरी को ले जाते समय राजीव का एक हाथ गौरी के हाथ में मजबूती से पकड़ा था, लेबर रूम की ओर पहुँचने पर नर्स के कहने पर राजीव ने गौरी का हाथ छोड़ा था,
अंदर गौरी का आपरेशन हो रहा था, और बाहर राजीव डर से कांप रहा था, वो दिल ही दिल भगवान से गौरी ओर उसके बच्चे की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा था, तभी रूम का दरवाजा खुला और एक लेडी डाक्टर बाहर आई उसने राजीव को बताया की डिलीवरी अभी करनी होगी, क्योंकि बच्चे की पोजिशन चेंज हो गई है. ओर नाड़ी बच्चे के गले में फंस गया है ऐसे मे अगर डिरीवरी नहीं हुई तो कुछ भी हो सकता है, साथ ही डाक्टर ने ये भी कहा की ऐसी कंडिशन में माँ और बच्चे में से किसी एक को ही बचाया जा सकता है, डाक्टर की बात सुनकर राजीव को एक धक्का सा लगा, इस वक़्त वो क्या महसूस कर रहा था वो, वही जानता था, उसने से रिक्वेस्ट की वो दोनों को बचा ले लेकिन डाक्टर ने साफ कह दिया कि ऐसे कंडिशन में बच्चे के बचने के चांस हो सकते हैं माँ के मुकाबले, ओर वैसे भी पेशंट पहले से ही काफी विक लग रही थी, ऐसे में केस ओर पेंचीदा हो सकता है, डाक्टर ने एक नर्स से बोल कर राजीव से कुछ पेपर वर्क पूरा करवाने को कहा, और अंदर चली गई,
राजीव ने कांपते हाथो से पेपर वर्क पूरा किया, राजीव फिर से गौरी के रूम के बाहर बैठा अभी भी दोनों की सलामती की दुआ कर रहा था, अंदर से गौरी के चिल्लाने की आवाज़े आ रही थी जो राजीव का दिल तहलाने के लिए काफी थी, राजीव ने आँखे बंद कर ली, लेकिन उन बंद आँखो से भी कुछ आंसू अपना रास्ता बनाकर बाहर आ ही जा रही थी, तभी रूक का दरवाजा खुला, अंदर से एक नर्स आई और राजीव को अपने साथ ले गई, राजीव को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो बस एक यंत्र चालक की तरह ही काम कर रहा था, नर्स ने राजीव को एप्रेन, मास्क ओर गलफ्स दिए पहनने के लिए, राजीव को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, घर नर्स की बात सुनकर उसने तुरंत वो सभी चीजें पहन ली, नर्स राजीव को लेकर गौरी वाले
रूम की तरफ बढ़ गई, उस ओर जाता देख राजीव से रहा नहीं गया, तो उसने बटोर के नर्स से पूछा लिया कि वो कहा जा रहे हैं, नर्स ने एक नजर राजीव को देखा जिसकी आँखो में आँसू थे, नर्स ने बताया कि पेशेंट अपने पति के साथ इस दौरान रहना चाहिए हैं, राजीव ने जब सुना तो उसके दिल में दर्द हुआ, राजीव फ़ौरन नर्स के साथ चला गया, अंदर गौरी दर्द से तड़प रही थी, राजीव ने आगे बढ़ कर गौरी का हाथ मजबूती से थाम लिया जैसे वो कभी भी इस हाथ को नहीं छोड़ना चाहता हो, काफी घंटो के बाद उस रूम में एक बच्चे की आवाज गुंजी, नर्स ने जल्दी से बच्चे को पकड़ा ओर उसकी सफाई करने के लिए वहा से ले गई, लेकिन इस समय राजीव ने बच्चे पर ध्यान नहीं दिया था वो तो गौरी की चीखे सुनकर ही घबरा रहा था और इसी वजह से उसने आँखे बंद करी थी, थोड़ी देर बाद गौरी को दूसरे कमरे में कर दिया,
गौरी की हालत अभी भी सही नहीं थी, राजीव गौरी के साथ ही था थोड़ी देर बाद एक नर्स बच्चे को दे गई, और बताया कि लड़का हुआ है, राजीव ने आगे बढ़ कर बच्चे को वो बहुत ही प्यारा और गोरा था, वो किसी रूई के जैसा लग रहा था, उसके गाल लाल लाल थे, सच मैं सच्चा प्यार ही सुंदर था, हालाकि बच्चा समय से पहले ही हुआ था लेकिन फिर भी वो हैल्दी था, राजीव ने बच्चे को गौरी के पास लेटाया, गौरी की आँखो से आंसू बहाने जा रहे थे, उसने अपने बच्चे के चेहरे पर कई मर्तबा चूमा था उसकी आँखे बड़े जा रही थी, गौरी ने राजीव को देखा और अपने पास आने का इशारा किया तो राजीव गौरी के पास झूक गया, गौरी ने दर्द भी आवाज में कही
गौरी- एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी देकर जा रही है, हमारे बच्चे का ख्याल रखिएगा, उसे माँ बाप दोनों का प्यार देना, (दर्द को सहते हुए), इस जनम तो हम एक साथ रहू न सके अगले जनम कोशिश रहेगी कि हम साथ रह सके. (राजीव का चेहरा पकड़ कर उसके माथे को चूम कर ) बहुत प्यार करती हू आपसे, लेकिन कभी कह ही नहीं पाई, साथ रहना चाहती थी आपके लेकिन किस्मत को ये मंजूर नहीं था, (अपने बच्चे की ओर इशारा कर के) भले ही हमारे रिश्ते में प्यार नहीं था, लेकिन जिस रोज हम एक हुए थे वो पल मेरे लिए कितना अनमोल था मैं बता नहीं सकती, ओर उसी अनमोल लम्हे की निशानी है ये हमारा बच्चा, (राजीव का हाथ पकड़ के अपनी पकड़ मजबूत करते हुए प्लीस इसे इतना प्यार दिजिएगा कि उसे दुनिया की हर चीज़ छोटी लगे, जब ये बढ़ा होगा तब मे उसके पास नहीं रहूगी, लेकिन एक माँ का प्यार क्या होता है ये मेरे बच्चें को खले ना इसलिए इसे माँ बाप दोनों का प्यार आपको ही देना है,
गौरी की बातें सुनकर राजीव की आँखो से आंसू बहाने लगे उसने गौरी का हाथ मजबूत से थामते हुए कहा
राजीव- नहीं, नहीं गौरी ऐसा मत कहो, हम दोनों मिलकर इसे ढेर सारा प्यार देगे, हम साथ मिलकर इसे बढ़ा करेंगे, इसे जरूरत है तुम्हारी, मुझे जरुरत है तुम्हारे, मैं अकेले इसे बढ़ा कैसे कर पाऊँगा, प्लीस गौरी हमें छोड़कर मत जाओ, मैं मैं तुमसे अपने किए की माफी मागता हू जो भी मैने तुम्हारे साथ किया, प्लीस गौरी जाओ हमे छोड़ कर मै तुम्हारे बिना नहीं रह सकता, आई लव यू गौरी आई रियली लव यू, प्लीस मत जाओ ये बोल राजीव ने गौरी का हाथ चुम लिया.)
वही राजीव की बात गौरी ने सुकून से आँखे बंद करी तो उसके गोरे से आंसू कनपटी को भिगो रहे
थे. गौरी ने खुदको संभाल कर कहा
गौरी- राजीव, (गौरी के मुंह से खुद का पहली बार नाम सुनकर राजीव भिगी पलको को उठा कर मुस्कुराते हुए गौरी को देखने लगा) आपसे कुछ मांगू तो देगे (राजीव ने हाथ में सिर हिला दिया, गला रूंधने की वजह से वो कुछ बोल ही नहीं पाया) एक फैमिली फोटो (गौरी की बात सुनकर बिना देर किए राजीव ने अपने पॉकेट से फोन निकाला और कैमरा आन कर दिया, गौरी और राजीव ने अपने बच्चे को दोनों साइड से किस कर रहे थे तभी राजीव ने फोटो ले ली, फोटो लेने के बाद राजीव गौरी के ऊपर झुका और उसके माथे को चुमते हुए एक फोटो और ले ली, राजीव के प्यार का एहसास होते ही गौरी ने अपनी आँखे बंद कर ली इस समय गौरी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कराहट थी, राजीव पीछे हटा तो गौरी की सांसे बेकाबू होने लगी थी, वो अभी डाक्टर को बुलाता कि गौरी ने ना में सीर हिलकर अपनी सांसो को सभाले बोली,
गौरी मेरी एक और इच्छा है, आपने शादी के दौरान ही मेरी मांग सजाई थी उसके बाद कभी नहीं, -
(गौरी की ये बात सुनकर राजीव का दिल कट कर रह गया वो उन तमाम पलो को याद करने लगा जब उसने गौरी के साथ कभी भी एक पति जैसा व्यवहार नहीं किया था, हर समर उसने गौरी को नीचा दिखा था ये याद कर राजीव के आंसू तेजी से बहने लगे) मैं चाहती हू कि इस बार जब आप मेरी मांग भरे तो वो मजबूरी वाला रिश्ता न हो जो पहले था, करेंगे के न मेरा काम इतना सा (गौरी की बात सुनकर राजीव ने हा में सिर हिला दिया, राजीव वही आस पास कुछ देखने लगा तभी उसकी नजर एक ट्रे पर पड़ी जिसमे कुछ सर्जरी से रिलेटेड चीजे थी, उसी मे से एक छोटी सी चीज लेकर राजीव ने अपने अंगूठे पर एक कट लगाया ओर गौरी की मांग भर दी, ये एहसास होते ही गौरी ने मुस्कुरा कर अपनी आँखे सदा के लिए बंद कर ली कभी न खोलने के लिए, ) राजीव ने आगे बढ़ कर गौरी के माथे को चुम लिया, वो कुछ बोलता की राजीव को एहसास हुआ कि गौरी के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही है, उसने गौरी को झंझोड कर उठाने की कोशिश की, राजीव ने डाक्टर को बुलाया डाक्टर ने गौरी को चेक की ओर राजीव को बताया की गौरी अब नहीं रही, ये सुनकर राजीव बुरी तरह से चिल्लाने लगा बार बार गौरी को उठने के लिए कहने लगा, पर कुछ न हुआ, राजीव के यू चिल्लाने से बच्चा शोर सुनकर रोने लगा, अपने बच्चे के रोने की आवाज सुनकर जैसे राजीव होश में आया था, उसने बच्चे को सिने से लगा लिया ओर बुरी तरह से रोने लगा, उसके रोने से डाक्टर और नर्स की भी आँखे भीग गई,
हास्पिटल की फॉर्मेलिटीज पूरी कर राजीव गौरी को ले गया, अंतिम विदाई के लिए, गौरी की बॉडी उसी फ्लैट में लेकर राजीव आया था, गौरी की मौत की खबर लगते ही पूरी बिल्डिंग में ये खबर आग की तर फैल गई थी आस पास की बिल्डिंग में भी सबको पता चल गया था, सभी को ये खबर सुनकर बुरा ओर एक धक्का सा लगा सा लगा सभी गौरी से मिलने आए थे उसकी आखरी घड़ी में, जैसे जैसे कर राजीव ने अंतिम क्रिया कर्म किया, राजीव पूरी तरह से टूट गया था, उसे गौरी के जाने से जैसे सदमा सा लग गया था, लेकिन लोगों के समझाने पर कि उसे ही अकेले बच्चे को सभालना भी है, तब राजीव ने अपने गम को भुलाकर अपना पूरा बच्चे को दिया,
धीरे धीरे कर कुछ दिन बीत गए, एक दिन राजीव के घर एक वकिल आया कुछ पेपर के साथ, वकिल को
जब गौरी की मौत की खबर लगी तो उसे बहुत अफसोस हुआ, राजीव ने वकील से आने कि वजह पूछी तो वकिल ने बताया कि जब उसके पिता जिंदा थे तब वो अपनी वसीहत में कुछ बदलाव चाहते, कुछ पेपर राजीव को देते हुए, वकील ने बताया कि वो गौरी के पापा और उसके पापा तीनों बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे, लेकिन सबसे ज्यादा गौरी के पापा और तुम्हारे पापा किसी भाई से कम नहीं थे, जब तुम्हारे पापा अपना खुद का बिजनेस खोलना चाहते थे तब उनके पास उतने पैसे नहीं थे तब गौरी के पापा ने अपनी स्वर्गवासी पत्नी के कुछ जेवर और गौरी की शादी के लिए जो गहने वो जमा कर रहे थे उन्हें बेच कर सारा पैसा तुम्हारे पिता को दे दिया था बिजनेस के लिए, फिर समय बितते गया, एक दिन तुम्हारे पिता ने मुझे बुला कि वो चाहते हैं कि उनके पास जितनी भी सम्पति है उसके दो हिस्से हो जिसमे 80% गौरी का 20% तुम्हारे नाम हो क्योंकि ये सभी चीजें गौरी के पापा की वजह से ही उन्हें मिली थी, और जब ये बात गौरी को पता चली तो उसने साफ मना कर दिया कि वो ये सब नहीं ले सकती, तुम्हारे पापा ने बहुत समझाया पर गौरी नहीं मानी, उसने ये कह दिया कि जो तुम्हारा है वो तो उसी का है फिर चीजों का बटवारा क्यों, तब उसी समय सारी जायदाद तुम्हारे नाम कर दी गई, ये उन्ही के पेपर है, इसे रजिस्टर करवाने में समय लग गया, इसी कारण देर हो गई, ये बोल वो कुछ देर वहा रूके फिर चले गए,
लेकिन छोड़ गए राजीव को पश्चाताप की आग में झुलसते हुए, राजीव उस पल को याद करने लगा जब जब पैसो के लिए उसने गौरी को सुनाया था, राजीव वही हॉल में जमीन पर बैठे बच्चों की तरह बिलखता रहा, उसके यू रोने की आवाज से कमरे में सो रहे बच्चे की नींद खुल गई, राजीव खुद को संभाले खड़ा हुआ उन सभी पेपर को लिए वो रूम में आया, उसने पहले बच्चे को देखा वो उसे पुचकारने लगा, राजीव ने देखा उसने सूसू कर दिया है तो वो अलमारी की ओर बढ़ा उसने सभी पेपर को अलमारी के लॉकर में रखा और बच्चे के लिए कपड़े देखने लगा तभी उसके हाथ में गौरी का बनाया स्वैटर और मफ्लर राजीव के हाथ लगा, उस पर अपना ओर गोरी का नाम देखकर राजीव उसे सिने से लगाए एक बार फिर से पढ़ा राजीव ने कई बार गौरी के नाम को चूमा, सिने से लगा लिया जैसे वो गौरी को गले लगाए हुए हो राजीव को ऐसा लग रहा था, काफी देर तक राजीव वैसे ही रहा कि बच्चे की आवाज़ से होश में आया, उसने तुरंत बच्चे के कपड़े बदले, राजीव को अलमारी में बच्चे के भी कपड़े मिले राजीव ने उसे निकाल कर बच्चे को पहना दिए, और खुद भी उस स्वेटर मफ्लर को पहन कर मुस्कुरा दिया लेकिन उसकी आँखो में नमी थी इस दौरान, जाने कितनी बार उसने उस मफ्लर को अपने सीने लगाया था ओर उस नाम को अपने होंठों से छूआ था जहा बहुत ही खूबसूरत तरिके से राजीव ओर गौरी लिखा था, राजीव की आँखो से आंसू रूकने का नाम ही नहीं ले रहा था, राजीव ने अपने बच्चे को गोद में लिया ओर बालकनी में आकर ऊपर आसमान को देखने लगा जहा हजारो की संख्या में तारे टिमटिमा रहे थे, ठंड का मौसम था, एक ठंडी हवा राजीव को छू कर गुजरी और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कराहट आ गई, जैसे ये हवा न होकर गौरी ने उसे छुआ था, राजीव गौरी के एहसास को याद कर मुस्कुरा दिया पर उसकी आँखे नम थी, वो एक हक आसमान में उन चमकते तारों में अपनी गौरी को खोज रहा था, जहाँ एक तारा टिमटिमा रहा था।
(समाप्त)
इस कहानी को अपना प्यार देने के लिए धन्यवाद आप सभी का ,जानती हू कहानी का एंड आप लोगो को अच्छा नहीं लगा होगा ,लेकिन जरूरी नहीं है कि हर कहानी मुकम्मल हो, कुछ कहानिया अधूरी रह कर भी पूरी हो जाती है, जैसे राजीव और गौरी की, उम्मीद है जिस तरह से आपने मेरी इस कहानी को इतना पसंद किया है वैसे ही मेरी ओर भी कहानिया आपको पसंद आएगी धन्यवाद।