बिक्रम राजबंशी एक arrongant ceo ,, जिसने कम उम्र में ही नेम ,, फेम,, पावर सब हासिल कर चुका है... उसे लड़कियों से बहुत नफरत है... उसके लिए लड़कियां सिर्फ मतलबी होती है जो सिर्फ सक्सेसफुल मर्दों के पीछे पडती है ,, जिन्हे बिना मेहनत के सब लक्ज़री चाहिय... बिक्रम राजबंशी एक arrongant ceo ,, जिसने कम उम्र में ही नेम ,, फेम,, पावर सब हासिल कर चुका है... उसे लड़कियों से बहुत नफरत है... उसके लिए लड़कियां सिर्फ मतलबी होती है जो सिर्फ सक्सेसफुल मर्दों के पीछे पडती है ,, जिन्हे बिना मेहनत के सब लक्ज़री चाहिये ....कुछ ऐसी परिस्थिति बनी की उसे शादी करनी पडती है बर्षा से ,, जो अनाथ है... जिसके पास दुनिआ जहाँ की मासूमियत है... बर्षा जो फूल से कोमल है,, बिक्रम जो आग का गोला है... आखिर केसा रहेगा इनके रिश्ते का सफर जानने केलिए रहिये मेटि कहानी के साथ ,, "दिल के रिश्ते " के साथ....
Vikram rajbansi
Hero
वर्षा
Heroine
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इंट्रोडक्शन ...
.. नायक का नाम बिक्रम राजबंशी ... पिता का नाम विजय राज बंशी ,, जो गुजर गए हैं ... माँ का नाम माया राज बंशी ,, इनका किरदार की सचाई कहानी के साथ खोलेगा .. दादा जी रणबीर राजबंशी ,, दादी सुमित्रा राज बंशी ...
.. नायिका का नाम बर्षा है ... ये अनाथ हैं ... अनाथालय में रहती हैं ... सांता ताई ने पाला हे जो उम्मीद नाम की ओर्फनेज चलाती हे ... कहानी के साथ इनकी किरदार की गरिमा भी आपको पता चलेगा ...
... तो चलते हैं राजबंश पैलेस ...
जहाँ रहते हैं राजबंशी .. दिल्ली सेहर का जानामाना नाम और बिज़नेस की दुनीआ का चमकता हुआ सितारा ... ये राजबंशी पैलेस की नक्ककाशी स्पेशलय इंडो यूरोपियन डिज़ाइन में बनाया गयी हे ..नसफेद मार्बल से बानी ये हवेली अपनी रॉयलिटी की पहचान देती है ..ये अनोखा और शानदार हे हर लिहाज से ... मेहेंगे एंटीक से सजा हुआ ,, नौकरो चाकरों से भरा हुआ हे ये महल ...एक बड़ा सा गेट जिस पैर बड़े ही स्टाइल से लिखा हुआ हे राजबंशी पैलेस .. उसके अंदर से एक रोड निकलता हे और उसके दोनों साइड गार्डन हे .. जिस में एक तरफ फवारा लगा हुआ हे और दूसरी तरफ एक तरफ स्विमिंग पूल हे ... गार्डन में तरह तरह के फूल लगे हैं .. जो देखने में बहुत खूबसूरत हे .. गार्डन के दोनों साइड में झूले भी लगे हैं ... ये तो रही बहार की सरंचना ...
... अब चलते हैं घर के अंदर ...
3td फ्लोर के जिम रूम में एक लड़का बड़ी फुर्ती से push उप कर रहा था .. इस वक़्त वह शीर्टलेस था .. सरीर ढकने के नाम पर सिर्फ एक लोअर पहना हुआ था .. पसीने से पानी की तरह बह रहा था ... उसकी माथे के बाल आपस में चिपक गए थे ... इस वक़्त वह बहुत दिल कस लग रहा था ... उसे इस रूप में प्रिंस चार्मिंग कहना गलत नहीं होगा ... वह कुछ देर तक ऐसे ही push उप करने के बाद ट्रेड मिल पर दौड़ने लगा ... तभी उसका सर्वेंट रोबर्ट दरवाजा नॉक करता हे .. वह लड़का वैसे ही दौड़ते हुए कॉम इन कहता हे ... रोबर्ट अपने एक हाथ में टॉवल और दूसरी हाथ में प्रोटीन शेक ले कर अंदर आता हे ... उसे देख कर वह लड़का ट्रेड मिल से निचे उतरता हे ... टॉवल ले कर अपने मुहं हाथ पॉच कर अपने गले में दाल देता हे और दूसरी हाथ से प्रोटीन शेक ले कर मुहं में लगा देता हे .. रोबर्ट टाइम देख कर बाबा आधा घंटे के बाद ब्रेकफास्ट रेडी हो जायेगा ... निचे दादा दादी आपका वेट कर रहे हैं .. वह लड़का सिर्फ हम्म करता हे ... में निचे आ रहा हूँ बोल कर जाने केलिए इशारा करता है ...
तो यह है हमारा हीरो बिक्रम राजबंश .. इन शार्ट बी . र .. हर काम इन्हे परफेक्ट चाहिए .. इनके पास दिमाग हे दिल नहीं ,, इनका हार्ट सिर्फ ब्लड ट्रांसपोर्ट करता हे सरे ऑर्गन को ,, बाकि एहसास के साथ इसका कोई काम नहीं ... ये अलग बात हे इस दिल को धडकनेवाली ,, सरे एहसास को जगानेवाली देरी में आएगी ... जिस का जिक्र में कहानी आगे बढ़ने के साथ करुँगी ... तो लुक की बारे में बोले तो मॉडल से काम नहीं हे .. हीरो जैसी पर्सनालिटी हे .. तीखे ने नक्स ... गठीला बदन .. गोरा चिट्टा ... सिक्स फ़ीट हाइट ... आगे ये कोई 27 इयर्स होगी ... लड़कियों को खिलोने से काम नहीं समझते ... कपडे की तरह लड़कियां बदलते हैं ... हाँ एक तरह के अयास भी कह सकते हैं ... लेकिन जो भी हो शाद्दी नहीं करेंगे ... बाकी काम सब से पहले उसके बाद ही मौज मस्ती ...
विक्रम अपनी साडी एक्सरसाइज ख़तम कर के अपने रूम में आ कर शावर लेता है . और फिर रूम में आ कर ऑफिस केलिए तैयार होता है .. तभी उसका फ़ोन बज उठता है ,, वह एक नजर फ़ोन को देखता है ,, जिस पर उसका पि ए एक साँस में बोल जाता है ,, सर आप जल्दी ऑफिस पहुंचिए .. आज आपकी मिस्टर कुलदीप शर्मा के साथ मीटिंग है और वह एक घंटे के अंदर अंदर पहुँचने वाले हैं ...
.. अपनी पि ए को इतनी जल्दी बोलते देख कर ,, बिक्रम घुसे से ,, तुम्हे कोई चीज आराम से और धीरे से नहीं बोल सकते ... जब भी देखो चलती गाड़ी में ही रहते हो .. दिन ब दिन डांट खाने की आदत हो चुकी हे ... पि ए जिसका नाम अमन अवस्थी हे ,, डर कर खींचते हुए जी... बिक्रम फिर से ,, मतलब में सही था ... अमन हकला कर नो .. नो सर ... मेरा वह मतलब नहीं था.. मखन मरते हुए ,, सर आप टाइम के पाबंद हे ,, डर लगता हे गलती से भी देरी ना हो जाये .. बिक्रम फिर से ,, डरना भी चाहिए ... मुझे टाइम पर काम करनेवाले ही पसंद हे ... बोल कर फ़ोन रख देता हे ...
अमन अपने दिल पर हाथ रख कर बच गया ... ये इंसान इतने डरवाना हे की सामनेवाले का मुहं ही सील जाये ... कौन कहता हे सेतान देखने में बदसूरत होता हे ,, कोई मेरे बॉस को देखले इतना हैंडसम डेविल की अपनी जिंदगी में देखा नहीं होगा ... जाने कैसे मेरी मती मर गयी थी जो ,, ऐसे बॉस के पास काम करना पद रहा हे ... छोड़ भी नहीं सकता ,, यहां से निकला गया तो दुनिआ के किसी छोर पर जॉब मुझे नसीब नहीं होगा ... बॉस चाहे जैसा हे लेकिन सब से ज्यादा तो पे यह ही करते हैं दूसरों के मामले में ...
विक्रम अभी ब्लैक सूट में ,, मेहेंगे प्यारिस परफ्यूम छिड़क कर ... मेहेंगे जूते पेहेन कर निचे उतरता हे ... सामने दिंनिंग टेबल पर उसके दादा और दादी जी बैठे थे .. दोनों को ही गुडमॉर्निंग विश करता हे .. दादा जी अपना नजर का चस्मा नाक पर खिश्का कर ,, गुड मॉर्निंग बर्खो दार ..बोलते हैं ... वही दादी जी उनकी बलाये लेते हुए ,, आजा मेरा बचा ... सब तेरे ही पसंद का ही बनाया हे .. उनकी जरुरत से ज्यादा लाड देख कर ,, बिक्रम के कान खड़े हो जाते हे ... बिक्रम जूस की सिप लेते हुए ,, वह तो ठीक हे दादी .. वैसे क्या काम हे मुझ से .. मुझे सीधे सीधे बात करे ... ये गोल गोल बात मुझे पसंद नहीं ... दादा जी का भी गुशा बढ़ रहा था लेकिन दादी की कशम की वजह से वह अपने आप को संभाल रहे थे ... दादी कुछ फोटो उसकी और बढाती हे ... बिक्रम हाथो से साइड करते हुए ,, मुझे कभी भी शाद्दी नहीं करना ... ये फालतू की जिद छोड़ दे ... दादा जी गुशे से हम फालतू की जिद कर रहे हैं ... दादी जी आँखों से संत होने केलिए कहते हैं ,, तो वह अपना गुशे को पि लेते हैं ... दादी फिर से ,, देख तू चला जाता हे ... इतना बड़ा घर काटने को दौड़ता हे ... घर में बहु होगी ,, बचे होंगे तो घर भरा पूरा लगेगा ... हमे भी जिंदगी काटने से ज्यादा जिंदगी जीने केलिए इतना ही बोली थी की ,, बिक्रम खड़े होते हुए ,, आप भूल गयी हे की आपकी बहु हे ... और रही बात बच्चों की ,, बचे केलिए शाद्दी की कोई जरुरत नहीं हे ... दादा जी घुसे से ,, कह दीजिये अपने पोते से ,, हमे हमारा खून ही चाहिए ... किसी भी बचे को अडॉप्ट कर के हम पर पोता नहीं बनाएंगे ... बात ज्यादा ना बढे ,, इसीलिए दादी जी ,, बिक्रम मुझे लगता हे तुम्हारा ऑफिस का टाइम हो गया ... बिक्रम अपने दादा जी के पैर छूटा हे और दादी को गले लग कर बाहार चला जाता हे ... अब दोनों की आँखे नाम थी ... दादा जी फिर से ,, अतीत का साया इतना गहरा असर करेगा की फिर रुक कर उस औरत ने हम से सब छिन्न लिआ ..sumi...
दादी जी उनके पास आ कर जो हो गया हम उसका कुछ नहीं कर सकते ,, लेकिन बिक्रम को ऐसे छोड़ भी नहीं सकते ... आप इतना चिंता मत कीजिये ... दिल कहता हे ,, हमारे बिक्रम कोई तो बानी होगी जो इसे इस तकलीफ से निकाल देगी .. दादा जी फीकी हस्सी के साथ सागर सामनेवाला निकलना ना चाहिए तो ... दादी जी उन्हें जूस पिलाते हुए ,, अरे ऐसे कैसे नहीं निकलेगा ... हम उसे मजबूर कर देंगे ... वह चाहे जितना अपने आप को कठोर दिखता हो लेकिन प्यार तो आपसे बहुत करता हे ... एहि प्यार ही उसे मजबूर कर देगा ...
..to क्या हे बिक्रम का अतीत ?? किस औरत की बात कर रहे हैं दादा ,, दादी एहि सब जानने केलिए रहिये मेरी कहानी के साथ ....
Pinky Dora "Pinky"$$$$
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... कहानी अब तक ...
... बिक्रम कार में बेथ चूका था ... उसके आँखें घुसे se लाल थी ... उसके पास ही Aman बैठा था .. उसका ऐसा रूप उसकेलिये नया नहीं था ,, बस बात इतनी थी की साबधानी के साथ सोच बिचार कर के ही मुहं खुलना हे ... गलती से भी कुछ गलत निकला जॉब के साथ जिंदगी का भी बंटाधार हो जाएगा ... अमन मन में ,, अब सेतान के मन में क्या चल रहा हे ... किस ने इसके करोडो लूट लिए जो ऐसे घुसे से देहक रहा हे ... बिक्रम ,, अमन से क्या हे ,, ऐसे क्यों देख रहे हो ... अमन ,, अपनी थूक गटक ते हुए सर आज का सेडुल बोलू ... बिक्रम भी दाँत पिश्ते हुए ,, ओर कोई दूसरे काम केलिए हो क्या तुम ... अमन सिर को हिलाते हुए रुक रुक कर नो नो सर ... वह फिर से पूरा शेडूल बता ता हे. .
विक्रम शेडूल को अछेसे सुनता हे ... फिर कुछ सोच कर ,, ऱ .श इंडस्ट्रीज का काम कितनी दूर गया हे ... अमन फिर स ,, सर आपका नया टेक ओवर का काम ऑलमोस्ट ख़तम हो चूका हे.. सारि डाक्यूमेंट्स और जितने भी लीगल काम हे कल तक कम्पलीट हो जाएगा ... विक्रम सिर्फ हम्म करता हे .. बिक्रम फिर से ,, अपने उन एम्प्लाइज को शार्ट लिस्टेड कर दिआ हे जो जाके वहां का काम देखेंगे .. अमन फिर से ,, वह भी हो गया हे ... वह हमारी कंपनी के तरफ से जाके वहां का सारा काम देखेंगे ,, कंपनी की सारि लोस्स प्रॉफ़िट्स के रिपोर्ट के साथ कौन से एम्प्लोयी कितने एफ्फिसिएंट हे ,, इनएफ़्फीसिएंट का काम भी देखेंगे ... कौन से डिपार्टमेंट में ज्यादा employee हे या कम हे वह सब रिपोर्ट बना कर एक वीक अंदर सब सबमिट कर देंगे ... बिक्रम भवें उचका कर एक वीक का मतलब एक वीक ही होता हे .. अमन थूक गटकते हुए आपको कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा
.. ये मेरी गारंटी हे ... बिक्रम सर थोड़ा हिला कर गुड .. अमन अपने छाती पर हाथ रख कर ,, इस जल्लाद के हिसाब से काम करने की ताकत दे भगवन ...
कुछ देर बाद कार एक बिल्डिंग के सामने रूकती हे ... बड़े बड़े ही अक्षर में स्टाइल से राजवंशी प्राइवेट लिमिटेड लिखा हुआ था ... कार पार्किंग एरिया में रूकती हे ... उसके आगे वाली कार से बॉडीगार्ड की टोली निकलता हे .. सब बिक्रम की कार को घेरा बना देते हैं ... बिक्रम भी स्टाइल से निकल कर शेड्स पहनता हे और एक हाथ पॉकेट में दाल कर ऑफिस के अंदर चला जाता हे ... ऑफिस की एंट्री करते हुए ऑफिस में पिन ड्राप साइलेंट हो जाता हे ... घडी की टिक टिक की आवाज भी आराम से सुना जा सकता था ... सब खड़े हो कर ग्रीट करते हे ,, लेकिन वह किसी को रेस्पोंद नहीं करता और अपने चैम्बर की और मुद जाता हे ... चैम्बर में बैठते ही एक ओन पीस पहनी लड़की अंदर आती हे ... इस लड़की का नाम अलीशा था ... देखने में ठीक ठाक थी ... या कहे मेक उप पोतने के बाद ठीक thak दिखती थी ... वह बड़े ही अदा के साथ एक कॉफ़ी मग पकड़ करं andar आती हे ... वह झुक कर कॉफ़ी बढाती हे ,, वह कुछ इस तरह से झुकती हे की जैसे उसकी क्लीवेज बिक्रम को दिखे .. बिक्रम उसे देखता हे फिरा एक डेविल स्माइल के साथ रात बारl बजे ,, रूम नंबर 101 .. ब्लू मून होटल ... मेरा इंतजार करना .. वह लड़की भी इतराते हुए उसके गाल पर हाथ फिरा कर यु नॉटी कहती हे और कुछ फाइल्स देते हुए ,, मेने सब चेक कर लिआ हे और बड़े ही सेडक्टिव वे में ,, कोई गलती हुई तो में आपकी पनिशमेंट की वेट करुँगी बोल कर उसके गाल पर किश करके बालों के लटों को झटकते हुए बाहर जाती हे ... अमन को ये सब देखने की आदत थी ... वह अपने मन में ये जाने कैसे कैसे लड़कियों के चकर में हैं ... और इनके दादा दादी चाहते हे की ये शादी कर के फॅमिली शुरू करे ... ऐसी औरते तो इंसान घर की देहलीज में भी ना घुसाए ... बेचारे दादा दादी ...
शेडूल के हिसाब दिन भी कट गया ... आज वह घर जाना नहीं चाहता था क्यों के फिर से वही सब अपनी दादा दादी से सुन्ना नहीं चाहता था ... कहे मुता बिक अमन भी उसी होटल की और निकल गया था .. वह बिक्रम को उसी होटल में छोड़ कर सुबह वहीं से पिक उप भी करता ... लेकिन लेकिन ... सच में ऐसा होगा क्या ...
.. आज मौसम अचानक ही ख़राब हो गया ... बारिश भी बरसे ने लगी ... अमन मन में इस आफत को छोड़ कर जाना चाहता हूँ ... भगवन मेरा साथ देना ... इस निशाचर का पता नहीं रात के दो बजे भी बुला देगा ... ऐसे ही सोचते हुए वह कार चला रहा था की अचानक कार बंद हो गयी ... अमन मन में ये गलत बात हे भगवन आपको मुझ पर तरस नहीं आता ... अब जाने ये शेतान कौन सा फरमान सुनाएगा ..
कार रुकने पर बिक्रम का पारा भी बढ़ गया ,, वह घुसे से अब क्या हुआ ... अमन डरते हुए ,, सर अभी देखता हूँ बोल कर डोर खोल कर बहार चला आ जाता हे ... वह ओपन कर के चेक करता हे ,, ऊपर से बारिश अँधेरा और अंदर बैठा उसका शैतान. बॉस ,, ये सब जैसे उसके सोचने की ताकत ही chin leti hai ... बिक्रम घुसे से कुछ कहने वाला था की किसी की खिलखिलाहट आवाज उसके कान में पड़ी ... ये हसी जैसे कानो में sehjad ghol रहा था ... मासूमा और प्यारी सी हसी जो किसी को भी मुड़ने केलिए मजबूर कर दे ... बिक्रम उसी और देखता हे ,, एक लड़की जो कोई बिस साल की होगी ... एक आइस क्रीम की ठेले पर कड़ी हे उसके साथ सात आठ बचे जो सईद आठ न साल के होंगे ... Sab us ladki ko ghere khade the ...
सभी बचे छोटे थे ,, वह बड़ी थी इसीलिए उसका चेहरा ही दिख रहा था .. उस ठेले की झिलमिल लाइट में उसका खिलखिलाया हुआ चेहरा चमक रहा था ... वह आधी भीगी थी ... छाता तो था लेकिन समझ में नहीं आ रहा था वह बारिश में भीगने से बचना चाहती थी की भीगना जो भी हो .. अभी इस वक़्त ये लड़की समझदार केलिए बेवकूफ हो लगेगी ... लेकिन उस लड़की को जैसे दुनिआ से कुछ लेना देना नहीं था ... वह बच्चों की तरह बहस भी कर रही थी और बच्चों को आइसक्रीम भी दे रही थी ... ठेला वाला भी हस्स रहा था .. उनकी बातें सुनाई तो दे नहीं रही थी ... लेकिन सब के हस्ते हुए चेहरे बता रहे थे उनकी मस्ती चल रही थी ... सब बचे अपनी chata पकड़ कर एक और चले गए ये लड़की दुनिआ से बे खबर अपनी धुन में मस्त हो कर बारिश के बून्द से खेलते हुए unke piche chalne wali thi ki ..तभी वह ठेले वाला ,, बिटिया कौन इस बारिश में आइस क्रीम खlता हे .. अब तो बड़ी भी हो गयी हो ... उनकी बातों से इतना तो मालूम था की वह एक दूसरे को जानते हैं .. तो वह लड़की फिर से खिलखिला कर बर्षा तो khati हे .. और किस का मुझे क्या लेना देना ... वह ठेलेवाला हस्ते हुए निकल जाता है ... कार में बैठे विक्रम धीरे से बर्षा .... ये कहते वक़्त उसके लबों पर हलकी हसी आ गयी ... तो कैसे मिलेंगे बर्षा और बिक्रम ... ..
.. एहि सब जानने केलिए रहिये मेरी कहानी के साथ ...
To be continued ...
Pinky Dora "Pinky"$$$$
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... कहानी अब तक ...
... उम्मीद अनाथालय ...
... सांता ताई भनभनाते हुए ,, इधर से उधर रूम में चक्कर काट रही हे ... और घुसे से बड़बड़ाते हुए ,, ठेले भर की दिमाग नहीं हे इस बर्षा की ... इस बारिश में कहाँ चली गयी ... और गयी तो गयी अपनी चमचो को भाई साथ में ले कर गयी ...वह आ जाए बस आज तो नहीं छोड़ने वाली ... हमेशा मासूम चेहरा बना कर अपनी चुपड़ी चुपड़ी बातों से फसा देती हे ...
... इधर ,, बचे बर्षा से ,, दीदी आज तो हमे भगवन भी नहीं बचा पायेगा ,, सांता ताई से ... सांता ताई बहुत घुसे में होगी .. बर्षा डपटते हुए ,, रघु शुभ शुभ बोल ... और एक लड़की रीना जो की ऐसी कोई सात साल की होगी ... बोलती हे ,, रघु भाई सच बोल रही हैं ... हमे बहुत डांट पड़ेगी ... बर्षा खीझते हुए ,, इतना ही डर था तो आये ही क्यों मेरे साथ ... में तो तुम्हारे लिए लानेवाली थी ना ... फिर एक लड़का राजू जो बिच में ही बोलता हे ,, दीदी आप तो लाती लेकिन थोड़ी ना सबकी पसंद ला पति ... एक ही फ्लेवर ला कर सब को चिपका देती ... वर्षा हैरानी से सब को देखती हे ,, तभी बात को सँभालते हुए ,, राजू ... ये सब ने दीदी के साथ मस्ती किआ ,, आइस क्रीम खाया ... अब जब प्रॉब्लम आई तो दीदी को सुना रहे हो ... ये गलत बात हे ... हम सब सांता ताई का सामना करेंगे ... ये बोलते वक़्त उसकी जुबान लड़खड़ाई थी ... जिस पर बर्षा खुल कर हसी थी ... बर्षा अपनी हसी को दबाते हुए ,, कोई बात नहीं ... में सब सम्भाल लेगी .. तुम सब की कोई गलती नहीं हे ,, सब मेरी गलती हे .. अब खुश ..रीना खुसी से उछलते हुए ,, दीदी आप कितनी अछि हो ... बर्षा नकली गुशा दिखते हुए ,, हाँ पता हे . अब मखन लगाना बंद कर बोल कर उम्मीद की और बढ़ते हैं ..
कमरे के अंदर दबे पाओं घुश रहे थे की अचानक लाइट लगी ... सब अपने आँख बंद कर चुके थे और भगवान को मन में याद करने लगे .. सांता ताई घुसे से ,, अरे नालायकों आँखे बंद कर देने से छुप नहीं जाओगे ... तुम सब इस बारिश में कहाँ थे .. सब एक साथ बर्षा की और ऊँगली दिखाते हुए ,, ताई हम कुछ नहीं किआ . दीदी ने ही हमे बाहार लेके गयी थी बोल कर ,, अपने कमरे की और भागे ... कभी बर्षा बच्चों को और ताई को देख रही थी ... बर्षा देखती हे बचे एक ऊपर एक सर रख कर kaan पकड़ कर सॉरी बोल रहे थे .. और सांता ताई बर्षा को घुसे से ,, गधेडी छोटी बची हे क्या ... ताड़ जैसी हे अकल बकल हे की नहीं ... इतनी बारिश में कौन बाहार जाता हे ... तेरी पल्टन ने तुझे धोखा दे दिआ ना ... तू इतनी बड़ी हे ,, वह तेरी बात मानेंगे की तू इनकी ... अब मुहं में दही जम गया हे क्या ,, कुछ तो बोल ... वह कुछ बोल ने वाली थी की तभी बर्षा को एक जोर दार चींख आती हे .. वह रुकी थी की लगातार chinkh की लाइन लग जाती हे ...
सांता ताई पीछे मूड कर देखती हे तो रघु ,, राजू ,, रीना ,, सब एक साथ chink रहे थे ... सांता ताई भवें उच्च का कर ,, तुम सब एक साथ छींक क्यों रहे हो .. सब को एक साथ जुखाम कैसे हो गया .. बर्षा की और घूरते हुए ,, बर्षा डर कर मेने आइस क्रीम नहीं खाया ... सच्ची ... सांता ताई दांत पिश्ते हुए ,, मेने तो आइस क्रीम की जिक्र भी नहीं की ... बर्षा जिव को दाँत से दबाते हुए नकली हसी के साथ गलती से मिस्टेक हो गयी .. रघु अपना सर पिट ते हुए ,, ये दीदी भी ना झूट नहीं बोल सकती ... जाने कैसे बड़ी बन गयी .. राजू को थोड़ा बुरा लगा ... उसने घुसे से ,, कौन कहता हे झूट बड़े बनने केलिए झूट बोलना पड़ता हे ... सांता ताई घुसे से ,, अरे नालायको तबियत तो ख़राब कर ली ... अब तुम्हे लड़ना भी हे ... सब जाके कपडे बदलो . अभी के अभी .. ये एक आर्डर था .. सब दुम दबाकर भागे .. सांता ताई बर्षा से अब क्या तुझे न्योता देना पड़ेगा ... कुछ देर बाद सब गरम पानी के पतीले के सामने बेथ कर स्टीम इन्हेल कर रहे थे .. उस स्टीम में अमृतांजन मिला हुआ था ... इन्हेल करने से ही सब पसीने पसीने हो चुके थे ... रानी ,, बर्षा से ,, दीदी हम रो भी रहे हो ना हमे आइस क्रीम मत देना .. ये काढ़ा और स्टीम हमारी हाल बेहाल कर देती हे ... सांता ताई घुसे से ,, अब समझ आया .. तबियत ख़राब करना और उसे सुधारने में कितना मेहनत लगती हे .. लेकिन छोड़ो .. भुगतो ... बोल कर सब के सामने काढ़ा रख के जाती हे .. अब सब घुसे से बर्षा को घूरते हैं ... बर्षा बेचारगी से इधर उधर देखते हुए काढ़ा पीती हे .. रघु घुसे से ,, अब कब बड़ी होंगी दीदी ... बोल कर कमरे में चले जाते हैं फिर मूड कर दीदी इस बार समोसा जलेबी लाना बारिश के टाइम ... ये आइसक्रीम जमता नहीं बड़े ही स्टाइल में रघु बोल ता हे ...
वर्षा चिढ़ते हुए ,, तुझे समोसे खाना हे ... अब रुक बोल कर उसकी और दौड़ती हे ,, तो सब दौड़ भाग लगती हे .. जिस वजह से घर फिर से मछी मार्किट बन गयी थी ... सांता ताई जब किचन से आई तो सब जहाँ थे वहां ऐसे बेठ गए ,, जैसे कुछ हुआ ही नहीं .. सांता ताई अपनी सर पिट ते हुए ,, कभी कभी लगता हे इस घर का नाम ही मछी मार्किट रख दूँ .. जब देखो सोर ही सोर रहता हे ... अरे मेरे मासूम नालायकों आओ खाना ठुसो और सो जाओ ... कल स्कूल भी जाना हे सब को .. फिर बर्षा को देख कर ,, मातेश्वरी थोड़ा काम में मदद भी कर लीजिये ...वर्षा ,, उनके पास आते हुए ,, क्यों ताई में हूँ ना ... फिर अपने ये सब क्यों किआ ... सांता ताई नकली गुशा दिखते हुए ,, तू हे इसीलिए तो ये सब करना पड़ता हे ... नहीं तो तेरा क्या हे ,, बच्चों के साथ मिल कर मटरगस्ती करती हे ... जाने तेरा क्या होगा ... जिसे शादी करेगी जाने वह कैसे तुझे झेलेगा ... सुधर जा नहीं तो वह डर कर भाग जाएगा ... वर्षा घुसे से ,, किस ने कहा में शादी करुँगी ... सांता ताई नकली गुशा दिखते हुए ,, तो क्या मेरे सर पर बेठ कर तान पूरा बजाएगी ... बर्षा अकड़ के साथ ,, हाँ ... लेकिन आपको छोड़ कर तो जानेवाली नहीं हूँ .. सांता ताई आँखों की नमी छुपाती हुई ,, हाँ ... वक़्त आने दे ... में भी देखूंगी ... बर्षा गले लगते हुए ,, ताई में क्या इतनी परेशान करती हूँ क्या ,, जो मुझे तू भेजने केलिए बोल रही हे ... मेरी माँ बाप केलिए भी मुशीबत बन गयी थी इसीलिए उन्होंने छोडे दिआ और तेरे लिए भी ... सांता ताई बिच में ही चुप ... बची हे बची जैसी बात कर ... बड़ी आई .. में तेरी ताई हूँ एहि सचाई हे ... इतनी जान अभी भी इस बूढी हाड़ि मे हो जो तुझे जिंदगी भर पाल सके ... जा सब को खाना परोश ... बड़ी बड़ी बात करना अlतl हे काम करना नहीं आता ... वर्षा के फेस पर स्माइल आ जाती हे
वह khana leke bahar chali jaati he ... Wohi Santa tai apni aanshu pochte hue ,, kese kahu betiya ... Jitni jaldi teri shadi ek ache ladke se ho jaaye ,, utna aacha ... Me jyada din tak ye responsibility nahin utha paayegi ...
To kya hai Santa tai ki majburi ?? To kise hogi shadi Barsha ki ?? Yehi sab sawalon ke jawab jaanne keliye rahiye meri kahani ke sath ...
To be continued..
Pinky Dora "Pinky Dora"$$$$
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... कहानी अब तक ...
... उम्मीद अनाथालय ...
... सांता ताई भनभनाते हुए ,, इधर से उधर रूम में चक्कर काट रही हे ... और घुसे से बड़बड़ाते हुए ,, ठेले भर की दिमाग नहीं हे इस बर्षा की ... इस बारिश में कहाँ चली गयी ... और गयी तो गयी अपनी चमचो को भाई साथ में ले कर गयी ...वह आ जाए बस आज तो नहीं छोड़ने वाली ... हमेशा मासूम चेहरा बना कर अपनी चुपड़ी चुपड़ी बातों से फसा देती हे ...
... इधर ,, बचे बर्षा से ,, दीदी आज तो हमे भगवन भी नहीं बचा पायेगा ,, सांता ताई से ... सांता ताई बहुत घुसे में होगी .. बर्षा डपटते हुए ,, रघु शुभ शुभ बोल ... और एक लड़की रीना जो की ऐसी कोई सात साल की होगी ... बोलती हे ,, रघु भाई सच बोल रही हैं ... हमे बहुत डांट पड़ेगी ... बर्षा खीझते हुए ,, इतना ही डर था तो आये ही क्यों मेरे साथ ... में तो तुम्हारे लिए लानेवाली थी ना ... फिर एक लड़का राजू जो बिच में ही बोलता हे ,, दीदी आप तो लाती लेकिन थोड़ी ना सबकी पसंद ला पति ... एक ही फ्लेवर ला कर सब को चिपका देती ... वर्षा हैरानी से सब को देखती हे ,, तभी बात को सँभालते हुए ,, राजू ... ये सब ने दीदी के साथ मस्ती किआ ,, आइस क्रीम खाया ... अब जब प्रॉब्लम आई तो दीदी को सुना रहे हो ... ये गलत बात हे ... हम सब सांता ताई का सामना करेंगे ... ये बोलते वक़्त उसकी जुबान लड़खड़ाई थी ... जिस पर बर्षा खुल कर हसी थी ... बर्षा अपनी हसी को दबाते हुए ,, कोई बात नहीं ... में सब सम्भाल लेगी .. तुम सब की कोई गलती नहीं हे ,, सब मेरी गलती हे .. अब खुश ..रीना खुसी से उछलते हुए ,, दीदी आप कितनी अछि हो ... बर्षा नकली गुशा दिखते हुए ,, हाँ पता हे . अब मखन लगाना बंद कर बोल कर उम्मीद की और बढ़ते हैं ..
कमरे के अंदर दबे पाओं घुश रहे थे की अचानक लाइट लगी ... सब अपने आँख बंद कर चुके थे और भगवान को मन में याद करने लगे .. सांता ताई घुसे से ,, अरे नालायकों आँखे बंद कर देने से छुप नहीं जाओगे ... तुम सब इस बारिश में कहाँ थे .. सब एक साथ बर्षा की और ऊँगली दिखाते हुए ,, ताई हम कुछ नहीं किआ . दीदी ने ही हमे बाहार लेके गयी थी बोल कर ,, अपने कमरे की और भागे ... कभी बर्षा बच्चों को और ताई को देख रही थी ... बर्षा देखती हे बचे एक ऊपर एक सर रख कर kaan पकड़ कर सॉरी बोल रहे थे .. और सांता ताई बर्षा को घुसे से ,, गधेडी छोटी बची हे क्या ... ताड़ जैसी हे अकल बकल हे की नहीं ... इतनी बारिश में कौन बाहार जाता हे ... तेरी पल्टन ने तुझे धोखा दे दिआ ना ... तू इतनी बड़ी हे ,, वह तेरी बात मानेंगे की तू इनकी ... अब मुहं में दही जम गया हे क्या ,, कुछ तो बोल ... वह कुछ बोल ने वाली थी की तभी बर्षा को एक जोर दार चींख आती हे .. वह रुकी थी की लगातार chinkh की लाइन लग जाती हे ...
सांता ताई पीछे मूड कर देखती हे तो रघु ,, राजू ,, रीना ,, सब एक साथ chink रहे थे ... सांता ताई भवें उच्च का कर ,, तुम सब एक साथ छींक क्यों रहे हो .. सब को एक साथ जुखाम कैसे हो गया .. बर्षा की और घूरते हुए ,, बर्षा डर कर मेने आइस क्रीम नहीं खाया ... सच्ची ... सांता ताई दांत पिश्ते हुए ,, मेने तो आइस क्रीम की जिक्र भी नहीं की ... बर्षा जिव को दाँत से दबाते हुए नकली हसी के साथ गलती से मिस्टेक हो गयी .. रघु अपना सर पिट ते हुए ,, ये दीदी भी ना झूट नहीं बोल सकती ... जाने कैसे बड़ी बन गयी .. राजू को थोड़ा बुरा लगा ... उसने घुसे से ,, कौन कहता हे झूट बड़े बनने केलिए झूट बोलना पड़ता हे ... सांता ताई घुसे से ,, अरे नालायको तबियत तो ख़राब कर ली ... अब तुम्हे लड़ना भी हे ... सब जाके कपडे बदलो . अभी के अभी .. ये एक आर्डर था .. सब दुम दबाकर भागे .. सांता ताई बर्षा से अब क्या तुझे न्योता देना पड़ेगा ... कुछ देर बाद सब गरम पानी के पतीले के सामने बेथ कर स्टीम इन्हेल कर रहे थे .. उस स्टीम में अमृतांजन मिला हुआ था ... इन्हेल करने से ही सब पसीने पसीने हो चुके थे ... रानी ,, बर्षा से ,, दीदी हम रो भी रहे हो ना हमे आइस क्रीम मत देना .. ये काढ़ा और स्टीम हमारी हाल बेहाल कर देती हे ... सांता ताई घुसे से ,, अब समझ आया .. तबियत ख़राब करना और उसे सुधारने में कितना मेहनत लगती हे .. लेकिन छोड़ो .. भुगतो ... बोल कर सब के सामने काढ़ा रख के जाती हे .. अब सब घुसे से बर्षा को घूरते हैं ... बर्षा बेचारगी से इधर उधर देखते हुए काढ़ा पीती हे .. रघु घुसे से ,, अब कब बड़ी होंगी दीदी ... बोल कर कमरे में चले जाते हैं फिर मूड कर दीदी इस बार समोसा जलेबी लाना बारिश के टाइम ... ये आइसक्रीम जमता नहीं बड़े ही स्टाइल में रघु बोल ता हे ...
वर्षा चिढ़ते हुए ,, तुझे समोसे खाना हे ... अब रुक बोल कर उसकी और दौड़ती हे ,, तो सब दौड़ भाग लगती हे .. जिस वजह से घर फिर से मछी मार्किट बन गयी थी ... सांता ताई जब किचन से आई तो सब जहाँ थे वहां ऐसे बेठ गए ,, जैसे कुछ हुआ ही नहीं .. सांता ताई अपनी सर पिट ते हुए ,, कभी कभी लगता हे इस घर का नाम ही मछी मार्किट रख दूँ .. जब देखो सोर ही सोर रहता हे ... अरे मेरे मासूम नालायकों आओ खाना ठुसो और सो जाओ ... कल स्कूल भी जाना हे सब को .. फिर बर्षा को देख कर ,, मातेश्वरी थोड़ा काम में मदद भी कर लीजिये ...वर्षा ,, उनके पास आते हुए ,, क्यों ताई में हूँ ना ... फिर अपने ये सब क्यों किआ ... सांता ताई नकली गुशा दिखते हुए ,, तू हे इसीलिए तो ये सब करना पड़ता हे ... नहीं तो तेरा क्या हे ,, बच्चों के साथ मिल कर मटरगस्ती करती हे ... जाने तेरा क्या होगा ... जिसे शादी करेगी जाने वह कैसे तुझे झेलेगा ... सुधर जा नहीं तो वह डर कर भाग जाएगा ... वर्षा घुसे से ,, किस ने कहा में शादी करुँगी ... सांता ताई नकली गुशा दिखते हुए ,, तो क्या मेरे सर पर बेठ कर तान पूरा बजाएगी ... बर्षा अकड़ के साथ ,, हाँ ... लेकिन आपको छोड़ कर तो जानेवाली नहीं हूँ .. सांता ताई आँखों की नमी छुपाती हुई ,, हाँ ... वक़्त आने दे ... में भी देखूंगी ... बर्षा गले लगते हुए ,, ताई में क्या इतनी परेशान करती हूँ क्या ,, जो मुझे तू भेजने केलिए बोल रही हे ... मेरी माँ बाप केलिए भी मुशीबत बन गयी थी इसीलिए उन्होंने छोडे दिआ और तेरे लिए भी ... सांता ताई बिच में ही चुप ... बची हे बची जैसी बात कर ... बड़ी आई .. में तेरी ताई हूँ एहि सचाई हे ... इतनी जान अभी भी इस बूढी हाड़ि मे हो जो तुझे जिंदगी भर पाल सके ... जा सब को खाना परोश ... बड़ी बड़ी बात करना अlतl हे काम करना नहीं आता ... वर्षा के फेस पर स्माइल आ जाती हे
वह khana leke bahar chali jaati he ... Wohi Santa tai apni aanshu pochte hue ,, kese kahu betiya ... Jitni jaldi teri shadi ek ache ladke se ho jaaye ,, utna aacha ... Me jyada din tak ye responsibility nahin utha paayegi ...
To kya hai Santa tai ki majburi ?? To kise hogi shadi Barsha ki ?? Yehi sab sawalon ke jawab jaanne keliye rahiye meri kahani ke sath ...
To be continued..
Pinky Dora "Pinky Dora"$$$$
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... कहानी अब तक ..
.. रात का वक़्त ... उम्मीद निवास ...
... रात में सब सोये हुए थे ... सांता ताई सब कमरे चेक करती हे ... सब बचे आराम से सो रहे थे ... ये नजारा देखते ही उनके आँख भर गयी थी ... वह सlरे बच्चों के बेड के पास जाती हे ... उनके माथे की किश करती हे और ब्लैंकेट सही करते हुए अपने कमरे में चली आती हे ...
सांता ताई का कमरा ना बड़ा ना छोटा था .. साफ़ सुतरा था ... साडी चीजे Karine से सजाई गयी थी .. एक छोटा सा बेड था .. उसकी बगल में ही एक कप्बोर्ड था ... Bed के सामने दिवार पर उनके पति शिब प्रसाद की फोटो थी ... फोटो पर चन्दन की माला चढ़ाई हुई थी ... सामने एक दिआ जली हुई थी ... सांता ताई अपने पति शिवप्रसाद जी के फोटो के सामने खड़ी थी .. आज उनके आँखों में आँशु था ... सांता ताई भरी आवाज के साथ ,, हम ने जो सपना देखा था उसे पूरा होने से पहले ही अपने मुझे छोड़ के चल गए .. अब मेरा ये शरीर भी बहुत जल्दी साथ छोड़ने वाला हे ... अपने कहा था हम माँ बाप नहीं हो सकते थे ,, किश मजबूर को अगर हम प्यार देकर ,, उसकी साडी जरुरत पूरा कर के ,, इस समाज में खड़े होने के लायक बनाएंगे तो क्या वह हमारा बचा और हम उसके माँ बाप नहीं बन सकते थे ... आपकी इतनी अछि सोच के वजह से आज में अकेली नहीं हूँ ,, आपके बिना जीना मुश्किल था ,, लेकिन इन सब ने जीने की वजह दी ... में कब सन्ति से सांता ताई बन गयी मुझे मालूम भी नहीं पड़ा ... लेकिन आज बहुत अफ़सोस हो रहा हे .. इन सब को सहारा देकर अचानक कैसे बेसहारा कर के चली जाऊं ... आपकी लाड़ली बर्षा जिसने हमे ताया ताई बनाया ,, उसे कैसे छोड़ कर चली जाऊं .. जवान हे इस दुनिआ के भेड़ियों के हवाले कर के में कैसे मर जाऊं ... रघु ,, रानी कितने नखरे करते हैं ,, में चली गयी तो कौन नखरे उठाएगा .. आज सच में मुझे बहुत ऑफ्सोस हो रहा हे ... में ना chah कर भी कैसे इन्हे इतनी तकलीफ दे जाऊं .. हे भगवन तूने माँ नहीं बनाया मेने मान लिआ . पति छीन लिआ फिर भी संभल गयी .. इस बार ऐसी चlल चली की सँभालने केलिय मौका भी नहीं छोड़ा .. ऐसे शिकायत कर के अपने bed के पास जाती हे .. जहाँ एक छोटा सा कप्बोर्ड था
वह खोलती हे ,, कुछ मेडिसिन निकलती हे ,, पास में रखा हुआ जग से पानी गिलास में दाल कर मेडिसिन और पानी पि लेती हे ... उस कप्बोर्ड में कुछ रिपोर्ट्स थे जो की किसी हार्ट पेसेंट के लग रहे थे ... सांता ताई अपनी आँशु पोछ कर लाइट बंद कर के सो जाती हे ... कुछ देर तक इधर उधर करवट बदलती हे ,, बाद में उनको भी नींद आ जाता हे ...
राजवंशी हाउस ,, विजय का बैडरूम ...
.. विजय का बैडरूम बहुत बड़ा था ... ये इंडो Europian स्टाइल का इंटीरियर काम किआ गया था .. सफ़ेद बेडशीट से लेकर सफ़ेद डोर स्क्रीन था .. एक बड़ा किंग साइज्ड bed था ,, जो कमरे के बीचो बिच थे ... Bed के पीछे दिवार पर उसकी फोटो थी ... जो फुल ऐटिटूड वाला था ... उसके सामने वाली दिवार पर एक बड़ा सा फोटो था ... जो उसके पापा विजय जी को था ,, जो शान से अपनी शानदार चेर पर बैठे थे ... उनके ने नक्श काफी हद्द तक विक्रम के साथ मैच कर रहा था ... रौब उनके चेहरे पर भी दिख रहा था ... उसके बगल में एक औरत खड़ी थी ,, जिस के चेहरे पर एक बड़ा सा क्रॉस किआ गया था ... इसकी वजह कहानी के आगे बढ़ने के साथ ही हम जान पाएंगे ... दूसरी बगल में एक छोटा सा लड़का जिसकी उम्र एहि कोई दस बारह साल का होगा ,, जो एक प्यारी सी मुस्कान के साथ खड़ा था ... ये फोटो एक परफेक्ट फॅमिली का लुक दे रहा था ....
विक्रम एक फीकी मुस्कान के साथ उस फोटो को देखते हुए ,, दादी कहती हे की मेरी जिंदगी में मेरी बीवी रेहनी चाहिए ... उन्हें लगता हे किसी औरत की रहना मेरी जिंदगी में खुशिया देंगी ... मेरा बुढ़ापा अकेलेपन में ना गुजरे ... लेकिन उन्हें क्या पता जिस के पास पैसा होता हे ,, उसके पास साडी खुशिया होती हे ... इस पैसे ने अच्छे अच्छे की नियत और नियति बदलदी ... मुझे हर औरत से नफरत हे यहां तक की अपनी माँ से भी ... ये औरत सिर्फ बिस्तर गर्म करने के काम कर सकती हे ... ये हर कामियाब और पैसेवाले के साथ रहती हे ,, क्यों की हर हाल में उनकी जिंदगी सेफ साइड चाहिए ...
दादा दादी का कमरा ,,
... दादा जी दादी से ,, सो जाओ सुमि ... रात के तीन बज गए ... तुम्हारा लाडला भी आ चूका हे ,, फिर क्यों जाग रही हो .. दादी जी घुसे से ,, सो जाऊं ... अरे कैसे सो जाऊं ... वह किस दिशा में जा रहा हे ,, कुछ खबर हे आपको .. हर रात जाने किसी किसी लड़कियों के साथ घूमता हे .. मशीन बन चूका हे ... सिर्फ पैसा कामना और ayasi करना ... दादा जी गंभीर होते हुए ,, जानता हूँ वह गलत रस्ते पर चला गया हे लेकिन तुम्हे भी पता हे वह गलत नहीं हे ... दादी फिर से घुसे से ,, बस एहि एक दिलाशा दे कर मेरा मुहं बंद कर देते हैं ... में उसकी ऐसी दुर्दशा नहीं देख सकती .. समझे आप ... दादा जी एक गहरी साँस लेते हुए ,, घर की वारिश का जरुरत बोल बोल कर उसे शादी करने केलिए कह रहा हूँ ... अब उसे ज्यादा क्या करूँ .. दादी जी फिर से घुसे से ,, हाँ ऐसे ही हाथ खड़ा कर दीजिये ... साम दाम दंड भेद जो लगाने हे लगाए ,, लेकिन उसकी शादी किसी अछि और सुलझी हुई लड़की से कर दीजिये .. दादा जी घुसे से ,, हाँ मुझ पर जितना हुक्म दिखती हो उस पर भी दिखती तो अच्छा होता ... लेकिन नहीं उसे तुम्हे अपनी बातों से भी तकलीफ नहीं होनी चाहिए और तुम्हारा काम भी हो जाना चाहिए ... दादी जी भरी हुई आँखों के साथ ,, उसे कुछ नहीं कह नहीं सकती ,, आप कुछ नहीं सुन रहे हो ... कह देती हूँ बिजय का जाना सेह लिआ लेकिन बिक्रम की बर्बादी में सेह नहीं पाउंगी बोल कर फुट फुट रोटी हे ... दादा जी दादी को गले लगते हुए ,, अरे रो मत ... में हूँ ना ... वह अगर मेरा. पोता हे तो में भी उसका दादा हूँ ... उसे कैसे भी कर के शादी केलिए कन्विंस करूँगा ... तुम चिंता मत करो ... और रोना तो कभी भी नहीं हे ... तुम्हारी तबियत ख़राब हो जाती हे ... तुम्हारी तबियत ख़राब होने से मेरा ख्याल कौन रखेगा .. उस नालायक से तो उम्मीद नहीं कर सकता बोल कर थोड़ा हस देते हैं ... दादी जी नकली गुशा दिखा कर ख़बरदार मेरे बचे को कुछ कहा तो ... में हु ... आपकी तबियत ऐसे कैसे ख़राब हो जायेगी ...
ऐसे ही छोटी मोती नोक झोक के साथ दादा जी ने दादी को सुला दिआ .. लेकिन अब दादाजी के आँखों से नींद कोस दूर था ... उनका चेहरा गंभीर हो गया था ... वह बालकनी में आ गए ... बहार देखने लगे ,, मन में कुछ तो करना पड़ेगा विकी(Vikram) तेरे लिए ... तुझे दिमाग से नहीं दिल से ही काबू करना पड़ेगा . बहुत हो गयी तेरी मन मानी ... अब तो तेरी दुखती नस पर ही प्रहार करना पड़ेगा ...
... तो क्या हे विक्रम का दुखती नस .... दादा जी अब क्या करने वाले हैं ...एहि सब सवालों के जवाब जानने केलिए रहिये मेरी कहानी के साथ ...
To be continued ...
Pinky Dora "Pinky"$$$$9218
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... कहानी अब तक ...
... विक्रम का ऑफिस ... सुबह का वक़्त ...
... बिक्रम अपने ऑफिस में बेथ कर लैपटॉप पर अपनी ऊँगली चला रहा था .. आँखे उसके लैपटॉप स्क्रीन पर टिका हुआ था ... उसका चेहरा ही बता रहा था वह कितनी सिद्दत से अपना काम कर रहा था .. इस वक़्त वह बहुत ही हॉट दिख रहा था ... तभी फ़ोन रिंग होता हे जिस की वजह से उसका ध्यान भटकता हे ... वह फ़ोन उठा लेता हे ... सामने से उसकी ऑफिस की रिसेप्शनिस्ट थी जो किसी की आने की इनफार्मेशन दे रही थी साथ में उनके चैम्बर में भेज ने की परमिशन भी मांग रही थी ... उस शख्स नाम सुन्न कर बिक्रम कुछ पल तक sochta hai ,, फिर हामी भर देता हे ... रिसेप्शनिस्ट बड़े ही रेस्पेक्ट के साथ ,, मिस्टर बक्शी ,, आप जा सकते हैं ... मिस्टर बक्शी एक अधेड़ उम्र के इंसान थे ... उनके आँखों पर नजर का चस्मा चढ़ा हुआ था .. उनके बाल सफ़ेद थे जो बेशक धुप में तो सफ़ेद नहीं हुए थे ... उम्र के हिसाब से ना ज्यादा mote ना पतले थे ... उनके चेहरे पर एक सोम्य मुस्कान था ... वह आराम से सोफे पर से उठते हैं और विक्रम की चैम्बर की और मुड़ते है ...
तो चलिए जानते हैं मिस्टर बक्शी के बारे में ... मिस्टर राज सेखर बक्शी ,, जो पेशे से एक एडवोकट हैं .. ये ,, विक्रम के dadu Ranbir ji ke बचपन के दोस्त भी हैं .. ये कंपनी और फॅमिली के सlरे लीगल इशू को देखते हैं ... लेकिन इनकी बफादारी ज्यादा तर बिक्रम के दादाजी yani Ranbir ji की तरफ होती हैं ... विक्रम केलिए मुशीबत बढ़lने में इनका भी भागीदारी रहती हे ... लेकिन ये विक्रम को पोते जैसा प्यार भी करते हैं ,, बस इनका ये प्यार बिक्रम को कभी पचता नहीं हे ... एहि वजह हे की बिक्रम कुछ समय केलिए सोच में पड़ गया था ...
... बिक्रम अपने मन में ,, ये मिस्टर बक्शी क्यों आ रहे हैं ... अब कौन सा नयी मुसीबत लाने वाले हे ... ये दादू और इनकी जोड़ी तो तोड़नी पड़ेगी ... जब भी ये दोनों मिलते हैं मेरा जीना हराम कर के रख dete hain ... जाने में शादी कर के jese इनका ही वंश बढ़ाऊंगा ... आज कौन सी घुटी दादा और दादी को पीला कर मेरे पास आ रहे हैं ... बकालत छोड़ कर आराम से अपने घर में रहे ना मेरी जिंदगी को क्यों चैस बोर्ड बना रहे हैं ... इस बार कौन सी चाल चल कर मुझे फ़सानेवाले हैं ... फिर खुद को शांत कर के गहरी साँस लेता हे या कहे आगे जो होनेवाला था उसके लिए खुद को प्रेपर कर रहा था ...
कुछ देर बाद नॉक की साउंड होता हे ... जिस सुन कर बिक्रम कॉम इन कहता हे ... मिस्टर बक्शी स्माइल ke साथ अंदर आते हैं .. उनके स्माइल में एक चिढ़ाना था जो विक्रम को अछेसे पता चल जाता हे ... विक्रम भी तंज करते हुए ,, आइये आइये अंकल ... और कौनसी मुशीबत लेके आये हैं मेरे लिए .. मिस्टर बक्शी अपनी नजर कl चश्मे को सही करते हुए ,, ओह कम ऑन ... में जनता हूँ लोग एक्टर को छोड़ कर डॉक्टर या लॉयर को पसंद नहीं करते .. विक्रम तंज कस्ते हुए जान बचlने केलिए डॉक्टर के पास जाते हैं ,, लेकिन लॉयर तो जान ही नहीं छोड़ते ... मिस्टर बक्शी लगभग इग्नोर करते हुए ,, कुछ चाय नास्ता नहीं mangwaoge . .. बिक्रम अपना लैंड नंबर को डायल करते हुए ,, क्यों दादी ने नास्ता नहीं करवा ... मिस्टर बक्शी अजीब सा चेहरा बनाते हुए बात मत करो उस बुढ़िया की .. डाइट फ़ूड कह कर घास फुस खिला कर मुहं का स्वाद ही बिगlड़ दिआ ... जाने वह नासपीटा डायटीशियन क्या पढ़ता हे जो हर रेसिपी तेरी दादी मुझ पर टॉय करती हे ... कम तेल ,, कम नमक ,, कम चीनी ,, कम मसाला बोल कर ,, डॉक्टर की रिपोर्ट्स दिखा दिखा कर मेरा खाने केलिए जी भी कम कर दिआ ... .. Vikram tanj kaste hue ,, isiliye kehte hain karma do need address ... Karma reache at right time , .right place ,, right time ..
विक्रम आर्डर देते हुए एक प्लेट समोसा ,, मिस्टर बक्शी बिच में ही अरे एक प्लेट मेरा क्या होगा ... फिर उस रिसीवर को छीन कर हां दो प्लेट समोसे ,, कचौड़ी ,, उसके साथ khati मीठी चटनी ,, फालूदा उसके साथ रबड़ी और जलेबी बोल कर फ़ोन बिक्रम की और बढ़ा देते हैं फिर बड़े ही स्टाइल के साथ मेने अपना बोल दिआ तुम अपना देख लो .. बिक्रम हैरानी और हसी के साथ जो बोलl गया hai उसके साथ एक ब्लैक कॉफ़ी बोल कर फ़ोन रख देता हे ... विक्रम फिर से ,, र यु स्यूर . आप ये सब खा पाओगे ... मिस्टर बिक्रम नकली गुशा दिखा कर क्या मतलब खा सकूंगा ... मेने तो थोड़ा सा आर्डर किआ हे ,, तुझे बुरा ना लगे ... नहीं तो ये खाने के बाद डकार भी नहीं आएगी ...
... कुछ देर बाद उनका आर्डर आ गया था ... मिस्टर बक्शी बड़े ही चाव से खा रहे थे ... वही हलके स्माइल के साथ उन्हें देख कर Vikram कॉफ़ी पि रहा था ... कुछ देर बाद मिस्टर बक्शी ने अपना खाना कम्पलीट किआ और नैपकिन से अपनी मुहं मूँछ सब साफ किआ ... एक ऑफिस बॉय आ कर सब सामान समेट कर चला गया . ..
बिक्रम अपने पुराने अंदाज के साथ क्यों दादू सिर्फ खाने केलिए तो आप मेरे ऑफिस इतनी दूर नहीं आये हैं ... आप दोनों दोस्त इस बार मेरे लिए क्या किआ हे ... मिस्टर बक्शी हसी के साथ ,, तुम्हे क्यों लगता हे में कोई मुसीबत ही लाऊंगा ... विक्रम अपने भवें उचका कर क्यों के मुझे पता हे ,, आप दोनों ने से फिर से कोई खिचड़ी पकाई ही होगी ,, जिसे मुझे समेटना पड़ेगा ... मिस्टर बक्शी अपने बैग से कुछ डाक्यूमेंट्स निकलते हैं ... जिस पर सरकारी मोहर लगा हुआ था ... वह उस फाइल को बढ़ाते हुए
ये रणबीर ने भेजे हैं ... इसे तुम आराम से पढ़ लो ... बिक्रम उनको घूरते हुए ,, इसमें क्या हे .. मिस्टर बक्शी अनजान बनते हुए मुझे नहीं पता ... मुझे रणबीर ने फ़ोन किआ था और बोलl ये डॉक्यूमेंट को बिक्रम को दे देना ... ज्यादा कुछ बोले तो बोले देना की मुझ से बात करे ... इसे ज्यादा मुझे कुछ नहीं पता ... विक्रम सीरियस टोन के साथ सच में आपको कुछ नहीं पता ... मिस्टर बक्शी भी आराम से खड़े हो कर थैंक यु फॉर योर ब्रेकफास्ट ... वह जलेबी में चासनी कम था बाकि सब बढ़िया था ... मुझे तो कुछ पता नहीं हे जो हे तुम अपने दादू से बात कर लो बोल कर ऐसे रफू चाकर हुए जैसे गधे के सर से सींघ .. विक्रम बड़बड़ाते हुए ये दोनों कभी भी सुधरेंगे नहीं बोल कर उस डाक्यूमेंट्स को खोलता हे ... जैसे जैसे पने को वह टर्न कर रहा था उसका चेहरे के एक्सप्रेशन उसी हिसाब से बदल रहे थे ...
तो क्या था उस डाक्यूमेंट्स में ... रणबीर जी और मिस्टर बक्शी ने मिल कर कौन सी खिचड़ी पकाई हे ,, एहि सब सवालों के जवाब जानने केलिए रहिये मेरी कहानी के साथ
To be continued ...
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... कहानी अब तक ...
... रणबीर ,, मिस्टर बक्शी से ... क्या कहा विक्रम ने ... मिस्टर बक्शी परेशानी के साथ यार तेरी दिक्कत क्या हे ... हर बार में ही बकरा मिलता हु जो तेरे शेर जैसे पोते के मुहं के सामने फेकने केलिए ... रणबीर इरिटेट हो कर ,, बूढ़ा हो रहा हे ... फिर भी नौटंकी नहीं छोड़ता ... तू विक्रम से इतना डरता क्यों हे ... मिस्टर बक्शी अपनी बेबसी पर हस्ते हुए ,, क्यों के बिक्रम darane wali ही चीज हे ... वह तो सिर्फ मेरी उम्र को देख कर छोड़ देता है ... अरे यार वह शादी नहीं करना चाहता हे तो उसे समझा ना ,, उसे मजबूर क्यों कर रहा हे ... तुझे तो पता हे उसे कोई भी मजबूर नहीं कर सकता ... पक्का अब तक कुछ तो तिगड़म उसने ढूंढ भी लिआ होगा ... रणबीर जी एक गहरी साँस लेते हुए ,, एहि तो दिक्कत हे बक्शी वह समझाना ही नहीं चाहता हैं ... माया का वह रूप देख कर मेरा बीटा ऐसे बदला की ,, वह अब किसी भी औरत पर यकीन नहीं करता ... उसे लगता हर औरत मर्द के साथ सिर्फ अपनी जरुरत ,, ख्वाइसे पूरा करने केलिए ही रहती हे ..
मिस्टर बक्शी एक गहरी साँस लेते हुए ,, बचपन में उसने जो एक्सपीरियंस किआ उसी का रिफ्लेक्शन आज उसकी जिंदगी की सचाई हे .. ये बदलना हे तो उसे ऐसी लड़की से मिला जो उसकी सोच बदल सके ... ना की उसे मजबूर करे शादी करने केलिए ... क्या पता तेरे जिद के चलते कोई लड़की से शादी कर ले ,, फिर उसे छोड़ भी दे ... तब तुम अनजाने में ही सही उस लड़की की जिंदगी ख़राब करने के कारण बनोगे ... मिस्टर रणबीर ,, कभी कभी किसी जगह पर खुद केलिए स्वार्थी बनना पड़ता हे ... इसलिए तो मेने उसे बचा पैदा करने केलिए मजबूर किआ हे ,, अगर उसने अगले तीन साल में बचा पैदा नहीं करेगा तो ये सारि प्रॉपर्टी और बिज़नेस trust को चली जायेगी ... मिस्टर बक्शी कुछ सोच कर ,, विक्रम बचा पैदा करने केलिए शादी करने की कोई जरुरत नहींहै .. रणबीर जी हैरानी से क्या मतलब ... मिस्टर बक्शी गंभीर होते हुए ,, देख बचा पैदा करने केलिए शादी की जरुरत नहीं हे ... इसीलिए एक मेल और फीमेल को फिजिकल होना पड़ेगा ... ये purana हो गया है ... अब सरोगेसी की ट्रेंड चल रहा है ...
रणबीर जी हैरानी से ,, अब ये सरोगेसी किस बला का नाम हे ... मिस्टर बक्शी समझते हुए ,, अब जैसे हम गाड़ी ,, घर रेंट देते हैं ... वैसे कुछ औरते पैसे केलिए अपने गर्भ को भी रेंट दे रहे हैं ... रणबीर जी फिर से हैरान और परेशां हो गए . मिस्टर बक्शी समझते हुए ,, तुम मेरा पॉइंट समझ रहे हो ... विक्रम इतना रिच हे की वह किसी भी सरोगेसी mother
को ढूंढ कर बचा पैदा करवा देगा . . में तो सोच रहा हूँ अब तक वह ऐसी किसी लड़की को ढूंढ चूका भी होगा .. इसे तुझे बचा तो मिल जाएगा लेकिन विक्रम वैसे ही अकेला रह जाएगा ... रणबीर जी का तो दिमाग ख़राब हो चूका था ... वह परेशानी से एक गिलास पानी को एक ही साँस में पि लेते हैं .. रणबीर जी परेशानी के साथ तो अब क्या हमारी साडी मेहनत पानी में मिल जाएगा ... मिस्टर बक्शी ,, बेफिक्र से नो फियर .when I am here .. मेने उसका भी तोड़ निकाल लिआ हे ... रणबीर जी उसी अंदाज में बको ना ... मेरा बीपी क्यों बढ़ा रहा हे ... मिस्टर बक्शी बेफिक्र से में क्यों बढ़ाऊंगा तुम ही बढ़ा कर घूमते हो ...
रणबीर जी घुसे से घूरते हैं तो मिस्टर बाशी बस आँखों से ही भस्म कर दो दादा पोता दोनों ...fir ruk kar तो सुनो ... मेने ये क्लज़ भी ऐड किआ हे की पैदा हुआ बचा बायोलॉजिकल होना चाहिए ... जिस में विक्रम chah कर भी किसी अनाथश्रम से बचा अडॉप्ट ना कर सके ... दूसरा सरोगेसी की कांसेप्ट पर बेस कर के बचा पैदा करने पर ये कैंसिल हो जाएगा ... साडी प्रॉपर्टी और बिज़नेस ट्रस्ट को चला जाएगा ... इसे तेरा पोता अकेला भी नहीं रहेगा ... तीशरे मेडिकल कंडीशन के हिसाब से कोई दिक्कत होगा तो टेस्ट ट्यूब बेबी पर कंसीडर किआ जा सकता हे ... रणबीर जी अपनी मूँछ पर हाथ फेरते हुए ,, ये क्या बकवास लिखा हे मेडिकल कंडीशन ... अरे मेरा पोता गबरू जवान उसमे कोई खोट नहीं हो सकता हे ... मिस्टर बक्शी मज़ाक़िआ अंदाज में रणबीर एक्सीडेंट सिर्फ हमारी गलती से नहीं दूसरे की गलती से भी होता हे ... माना तेरे पोते में कोई खोट नहीं हे लेकिन लड़की में बचे पैदा करने में दिक्कत हो तो ... शादी के बाद उस लड़की से तेरे पोते का दिल लग गया ,, डॉक्टर उसके बीवी में दिक्कत गिनावै तो... तब उसे छोड़ नहीं सकता और तेरी बात भी मान नहीं पा रहा होगा ...
मिस्टर बक्शी समझते हुए ,, हमारा काम निकलवाने केलिए किसी जगह तो हमे थोड़ा रिलैक्सेशन देना पड़ेगा ... फिर एक गहरी साँस लेकर मेने सारे clause को तुझे समझा दिया हे ... और क्यों जोड़ा उसकेलिये मेरा नजरिया भी तुझे बता दिआ .. अब तेरे ऊपर हे उस तूफान को कैसे कण्ट्रोल करेगा बोल कर खड़े होते हैं .. रणबीर जी मिस्टर बक्शी से अब तू कहाँ जा रहा हे ... मिस्टर बक्शी मज़ाक़िआ अंदाज में ,, अब तू क्या चाहता हे तेरे पोते का में सामना करू ... उसे अब तक तो वह क्लॉज़ पढ़ कर इतना तो मालूम चल गया होगा की ये साडी मेरी खुराफात हे ... अब उसका रूद्र रूप देखने की ना मुझ में मनसा हे ना हिम्मत ना जरुरत बोल कर रफू चक्कर हो गए ... रणबीर जी खुद को आनेवाली चलती फिरती मुसीबत को सँभालने और टक्कर कैसे दे उसी सोच में पद गए .. कुछ देर बाद दरवाजा के पास नौकर आता हे और बोलता हे साहेब जी छोटे साहेब आ रहे हैं ... Ranbir ji apne man me setan ka naam Lia shetan hajir ...रणबीर जी अपनी डर को साइड करते हुए रौबदार आवाज के साथ ठीक हे ... उसे बोल स्टडी रूम में wait kare ,, में भी पहुँच रहा हूँ ...
To be continued ...
Pinky Dora "Pinky "$$$$
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... कहानी अब तक ...
... राजवंशी मेन्शन ...
... विक्रम स्टडी रूम में बैठा था या कहे घुसे से फटने केलिए तैयार था ... उसका मुहं जैसे लावा उगलने केलिए मचल रहा था .. तभी दरवाजा खुलता हे और रणबीर राजबंशी (grandfather ) सामने आके बैठते हैं ... मिस्टर रणबीर का चेहरा शांत था वही बिक्रम का चेहरा घुसे से लाल ... विक्रम उनके सामने डाक्यूमेंट्स को रखते हुए ,, ये क्या हे दादू ... दादू बिना भाब के गवर्नमेंट डाक्यूमेंट्स हे ... तुम ने पढ़ा नहीं हे क्या ... विक्रम भी अपने घुसे को दबाते हुए ,, आप मेरे साथ ऐसे कैसे कर सकते हैं ... उसके साथ ये क्या फालतू कंडीशंस भी हे ... दादू उसी अंदाज में ,, ये मेरी मर्जी हे जो मुझे चाहिए वह मेरे हिसाब से ही चाहिए होता हे .. विक्रम घुसे से ,, ये आपका बहुत हो रहा हे ... दादू बिना भाब के बहुत हमारे खून में ही हे ... विक्रम घुसे से आप मुझे इस तरह मजबूर नहीं कर सकते ... दादू भी कड़क आवाज के साथ आवाज निचे ... आप अगर हद्द में रहते हम भी बेहद नहीं होते ... आप इंदिरेक्ट्ली शाद्दी केलिए फाॅर्स कर रहे हैं ... दादू फिर से ,, गलत में अपने प्रॉपर्टी का वारिस चाहता हूँ ...विक्रम दlन्त पिश्ते हुए ,, तो में कौन हूँ ... दादू फिर से तुम वह कड़ी हो जो मेरे विरासत को बचाओगे aur badhaoge bhi ...
विक्रम घुसे से ठीक हे आपको वारिस ही चाहिए ना ... आपको वारिस ही मिलेगा ... मेरा अंश आपको मिलेगा ... लेकिन .. लेकिन ... में किसी भी लड़की का पति बनकर नहीं रहूँगा और उस चीज केलिए ap मना भी नहीं कर सकते ... दादू बिना भाब के ठीक कहा मुझे वारिस चाहिए और वह भी मेरी हर कंडीशन को पूरा कर के ... वैसे मेरे कंडीशंस तो पता हे तुम्हे ... विक्रम सिर्फ घुर कर दिख रहा था या कहे सामने वाला अगर उसको दादू नहीं होते अब तक उनकी समाधी बना चूका होता ... उसकी फेसिअल एक्सप्रेशन को देख कर dadu fir se ,, कोई बात नहीं में तुम्हे वह कंडीशंस बता दे रहा हूँ ... तुम कोई भी बचा अडॉप्ट नहीं कर सकते ... दूसरा तुम सरोगेसी भी नहीं कर सकते .. तिशरा वर्स्ट केस में जिस में बचा पैदा करने में जान का खतरा हो तभी तुम टेस्ट ट्यूब बेबी कर सकते हो ... विक्रम घुसे से हाँ सब कंडीशंस मालूम है और मेरी कंडीशंस भी कान खोल कर सुन्न लीजिये आपको वारिस ही मिलेगा ...ना की मुझे बीवी बोल कर मुद जाता हे ... दादू फिर से कहाँ जा रहे हो ,, विक्रम घुसे से जा रहा हूँ बचा पैदा करनेवाला मशीन ढूंढ़ने ... बोल कर बहार चला जाता हे ... दादू के चेहरे पर स्माइल आ जाती हे जो कुछ पल के बाद सिमट भी जाती हे ...
दादू आकाश की और देखते हुए ,, हे भगवन मेने अपनी और से पूरी कोसिस की ,, बाकि तू भी कुछ कमाल कर दे ... मेरे पोते के जिंदगी में ऐसी लड़की को ला दे जो फिर से जीना सिखले ... जिसे रिश्तो पर यकीन आ जाए ... वह अपनी माँ का गुशा की वजह से खुद को ना बर्बाद कर दे ... इस बूढी आँखों ने अपने बेटे की मौत को देख लिआ और बर्दास्त कर दिआ ... लेकिन अपनी पोते को ऐसे मशीन बन कर नहीं देख सकते ... जाने कैसे कैसे लड़कियों के साथ रात बीतता हे ,, बस ऐसी कोई आ जाये जो अपनी प्यार से इसे बांध ले .. मरते वक़्त कोई गिला ना हो mere man mein की हमारा विक्रम अकेला है ... हमारे बिना उसका क्या होगा .. वैसे ही कुछ देर तक स्टडी रूम में बैठे फिर बहार चले jate hain ...
विक्रम घुसे से अमन को फ़ोन करता है ,, दो तीन रिंग के बाद अमन फ़ोन को उठा देता हे .. विक्रम अपनी कड़क आवाज के साथ ,, में शादी करना चाहता हूँ .. अमन बिच में ही कोंग्रटुलतिओंस सर .. विक्रम दाँत पिश कर पहले पूरी बात तो सुन ले बेब्कुफ़ ... आधी अधूरी बात पर ही उछाल जा रहा हे ... अमन फिर से सॉरी सर ... विक्रम उसी अंदाज में मुझे ऐसी लड़की चाहिए जो मुझ से शादी करे और एक साल अंदर ही बचा पैदा करे ... अमन वैसे ही शांत था ... बिक्रम घुसे से समझ में आया ... अमन फिर से नो सर ... विक्रम
घुसे से ऊँगली से माथे के बीचो बिच रब करते हुए , में तुम्हे एक हफ्ता टाइम दे रहा हूँ ,, मुझे ऐसी लड़की लाके दो जो मेरी बचे को पैदा कर सके ... और लुक्स के मामले में ,, में कोई कोम्प्रोमाईज़ नहीं करूँगा .. इज़ इट क्लियर बोल कर फ़ोन रख देता है ... अमन को अपनी sari dunia jese gol gol ghumne lagti hai ,, woh chair se hi niche gir jata hai aur ajib muhn banate hue ...
अमन कभी फ़ोन को देखता कभी अपने आपको ... फिर ऊपर देख कर ,, क्यों भगवन ... आखिर क्या गलती किआ था भगवन जो ऐसे सरफिरा मेरा बॉस बना दिआ ... अरे ये लड़की की डिमांड ऐसे कर रहे हैं जैसे मूली गोवि ,, जो मार्किट में मिलता हे ... जैसे मुझे जाना हे पेमेंट करना है और पकड़ कर ले आना है ... अरे शादी केलिए लड़की चाहिए ,, वह एक जीती जगती इंसान है .. उसमे इमोशंस होते हैं . ये बोस मुझे लड़कियों के चपल से पिटवा कर के ही dum लेंगे क्या ... अरे शादी इन्हे करनी हे ,, लड़की में उन्हें ढूंढ के दूँ ... वह भी बचा पैदा करने केलिए ,, ऐसे लग रहा हे जैसे औरत नहीं कोई बचा पैदा करने की मशीन हो ... ऊपर से लुक्स में कोई कोम्प्रोमाईज़ नहीं करूँगा ...,,Vikram ki nakal karte hue अरे मुझे खुद नहीं पता ऐसी बात करने के बाद मेरी शकल देखने लायक बचेगी भी की नहीं ... अरे ये जैसे तितलियाँ के साथ घिरे हुए हैं वह इनकी रात ही रंगीन कर सकती हे लेकिन कोई अपनी फिगर बर्बाद कर के बचा पैदा नहीं करेगी ... अरे बॉस किस जन्म का बदला ले रहो हो यार ... फिर टाइम भी एक हफ्ते ... इसके लिए में कौन से आर्गेनाईजेशन से बात करूँ ...bacha peda karne keliye jese kisi ko hire karna hai ..
अरे कोई मेरे बॉस को हद्द तो बता दो जो उन्हें पता चले के इसके बाद किसी को टार्चर नहीं कर सकते ... ये दादा पोते के चकर में ही पिश्ता हूँ ... जॉब छोड़ नहीं सकता ,, क्यों के कहीं जॉब करने लायक ये मुझे रखेगा नहीं .ye insan .. एहि सब सोच सोच कर सर फोड़ने लगता है ...
To be continued ...
Pinky Dora "Pinky"$$$$
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... कहानी अब तक ...
.. उम्मीद ओर्फनेज ...
... सांता ताई पूजा की तैयारी कर रही थी ... बर्षा उनका हाथ बढ़ा रही थी ... बचे भी नाहा धो कर आके लाइन में खड़े हो गए थे ... एक प्यारी सी भजन के साथ ,, दिया बाटी होती हे ... जहाँ सांता ताई की आँखों में उम्मीद हे वही बच्चों के आँखों में पूजा के बाद मिलने वाली लाडू केलिए masum khwais thi ..
सांता ताई अछेसे पूजा ख़तम करती हे ... प्रसाद सब में banta जाता हे ... बचे भी खुश हो जाते हैं ... लेकिन बर्षा का चेहरा मुरझा गया था जो की सांता ताई को खटक रही थी ... सांता ताई उसके सर पर हाथ फेरती हे जिसे बर्षा की तन्द्रा टूटती हे .. सांता ताई वर्षा से ,, क्या हुआ हे बचा ... जो इतनी उलझी हुई हो ... बर्षा फीकी हस्सी के साथ अब क्या कहूं ताई ,, अब भी दो महीने पहले नौकरी लगी थी ... अब जाने किस की नजर लगी या मेरी किश्मत फूटी हे जो नौकरी पर काले बादल मँडरा रहे हैं .. सांता ताई tokte हुए ऐसे किश्मत को कोशा नहीं करते ,, फिर भगवन की और देखती हैं जहाँ बालगोपाल की सुन्दर मूर्ति अपनी पूरी साजो सिंगर में थी ,, उन्हें दिखते हुए ,, ये जो बैठे हैं ना नटखट कन्हैया ,, जो सब के संकट को दूर कर देते हैं ... सईद उनकी ही कोई लीला हो ... हमारी ये आँखे जिस अच्छाई को दिख ना पाए उसे रचनेवाले हैं मुरली मनोहर ... दिल छोटा मत करो सब अच्छा होगा ...
वर्षा एक गहरी साँस छोड़ते हुए क्या अच्छा होगा ताई ... M.N इंटरप्राइजेज ,, जहाँ में कम करती हूँ .. वह बैंक कोर्रुप्त हो गया हे ... राजबंशी ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज ने इसे खरीद लिआ हे ... कहा जाता हे राजवंशी ग्रुप का सी इ ओ विक्रम राजबंशी जल्लाद किश्म का आदमी हे ... वह किसी को भी जॉब से बlहार निकाल फेक देता हे और वजह भी नहीं बता ता हे ... जिसे जॉब से निकलता हे उसे और कहीं जॉब भी नहीं मिलता ... सांता ताई उसे दिलासा देते हुए ,, हाँ तो ... जो निक्कमे नालायक होंगे उन्हें ही निकलता होगा ना ... इतना बड़ा कंपनी चलता हे ईमानदार ,, मेहनती लोगों को तो थोड़ी naa बlहार करेगा ,, इसे उसकी कंपनी की ही तो nafa नुकशान dekhna bhi hoga naa..
तू तो कितनी मेहनती और काबिल हे तुझे क्या डर ... वर्षा फिर से बात वह नहीं हे ... फिर कुछ सोच कर चुप हो जाती हे ... उसकी चुपी देख कर सांता ताई फिर से तो क्या बात हे . .. वर्षा बात को ख़तम करने की मनसा से सईद आप सही हो ... सांता ताई इतराते हुए हाँ तो ... में थोड़ी गलत हूँगी ... ये बाल थोड़ी ना धुप में सफ़ेद किआ हे ... वर्षा तंlग खींचते हुए ताई आपके बाल काले हैं ... तो आप मानती हो की आप बाल काले करते ho .. सांता ताई नकली गुशा दिखाते हुए हमारे बाल सफ़ेद क्यों होंगे ... बस कहावत थी जो बोल दिआ ... अभी भी तेरे साथ चलूंगी ना लोग मुझे तेरी बड़ी बहिन कहेंगे ... फिर किचन की और चलते हुए हमारे बाल सफ़ेद क्यों होंगे ... safed ho mere dushman ki badbadate hue kitchen me ghush jati hain ... Wohi varsha ke chehre par ek pyari si smile aati he jo jaldi se simat bhi jati hai
..
वर्षा अपने मन में कैसे कहूं ताई ,, राजवंशी ग्रुप का सि इ ओ एक सनकी इंसान हो .. उसे प्रॉफिट और नुकशान से कोई लेना देना नहीं हे ... जो भी उसको खटकता उसके अगले पल उस इंसान हो चीज उसका बंटा धार तय हे ... लोग कहते है लड़कियों केलिए तो जल्लाद हे ... वह हर औरत को बिस्तर गर्म करने की चीज समझाता हे ... माहौल तो अब तक सही था लेकिन इस जल्लाद के बाद जाने क्या होगा ... जॉब तो छोड़ देती हे लेकिन मेने तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट किआ हे ... बिच में अगर जॉब छोड़ी तो साल भर की सैलरी with interest मुझे कंपनी को देना पड़ेगा ... जो फ़िलहाल तो मेरे बस की बात नहीं हे ... फिर मिरर के पास जाते हुए ,, वह तो खूबसूरत लड़कियों पर नजर डालता हे ... मिरर में अपनी चेहरे को देखते हुए और अपनी सलवार कमीज को ठीक करते हुए ,, हाँ ... में कौन सा इतना सुन्दर हूँ ... वैसे भी सब मुझे बहनजी कहते हैं... मेरे लुक्स हर कोई तlना देता हे ... थोड़ी ना उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ेगी ... फिर हस्ते हुए तू भी ना कुछ ज्यादा ही सोचती हे .. अगर उन्होंने मेरे ऊपर चांस लिआ तो सब उनको चॉइस पर ही हसेंगे ... इतना बड़ा बेवकूफ तो नहीं होगा ... खुद को सवाल करते हुए और जवाब देते हुए या कहे दिलासा देते हुए लिविंग एरिया रूम की और मुड़ जाती है ...
सब के साथ मिल कर ब्रेकफास्ट करती हे ... किचन समेटने में सांता tai की मदद करती हे ... फिर अपनी चेहरे पर जबरदस्ती वाला स्माइल लाते हुए अपनी खतरनाक सेकंड हैंड स्कूटी को बड़ी मुश्किलों से स्टार्ट करते हुए अपनी ऑफिस की और निकल जाती हे ... रस्ते में बहुत भीड़ थी ,, भीड़ को देख कर सब को क्या अभी ही बाहर निकलना हे ... फिर एक साइकिल वाले को देख कर ,, इसका अच्छा हे जहाँ घुश भी नहीं सकते वहां से भी निकल जाता हे ... फिर कारवाले को देख कर हाँ भाई कार खरदी मतलब रोड भी खरीदी li जो रस्ते के बीचो बिच खड़ा कर देगा ... फिर एक बाइकर जो सीधे कतहि चला नहीं सकता था ... लगता था जैसे नागीन की आत्मा घुश गयी हो जो जिग जयाग चला रहा था ... वर्षा मन में कोश्ते हुए बाप ने बाइक खरीद के दिया चलlने केलिए लेकिन नहीं ये सपूत तो यहां सर्कस करेंगे ... जाने ऐसे नालायकों को माबाप कैसे मिल जाते हैं ... अनजाने में ही सही उसका दर्द निकल गया था ...फिर फीकी हसी के साथ सईद माँ बाप हैं इसीलिए नालायक होते हैं ... ऐसे ही भीड़ से को चीरते हुए ऑफिस पहुँचती हैं ... जहाँ जहाँ बड़े अक्षर से लिखा हुआ था
M.N. Enterprise ...
अपनी खटारा स्कूटी को पार्किंग एरिया में रखती हे ... और एक गहरी साँस ले कर एक बड़ी वाली स्माइल के साथ स्कूटी के मिरर में चेहरा देख कर खुद का होलिया ठीक करती हे और ऑफिस में एंट्री करती हे ..
Pinky Dora "Pinky"$$$$
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... कहानी अब तक ...
... म.न.इंटरप्राइजेज ... सुबह का वक़्त ...
.. आज ऑफिस में कुछ ज्यादा ही चहल पहल थी ... मैनेजर सोनिआ सिंघणीअ कुछ ज्यादा ही जोश में थी ... वर्षा अपनी आदत से मजबूर या कहे खतरे स्कूटर की मेहरवानी से लेट पहुंची थी ... मैनेजर सिंघणीअ ,, उम्र एहि कोई तिस साल की होगी ... देखने में मॉडल जैसा फिगर ,, चेहरे पर दुनिआ जहाँ का मेक उप ... आखों में गुरुर ... कपड़ो और एक्सेसरीज में नाम चीन ब्रांड का मोहर ... सोनिआ घुसे से वर्षा ,, तुम आज फिर से लेट ... वर्षा मासूम सकल बनाते हुए ट्रैफिक था ... सोनिआ फिर से ,, बस एहि टिकाऊ बहाना हे ... अगर ट्रैफिक ही हे ,, तो समय से पहले घर से निकल नहीं सकती ... और ये तुम्हारा ऑफिस हे ना की तुम्हारा घर जो अपनी मनमानी चलाओगी ...खेर बोलने केलिए बहुत kuch हे लेकिन तुम जैसे फालतू लोगों पर आज टाइम बर्बाद नहीं कर सकती ... फिर घुसे से निकालो यहां से ,, जल्दी से काम पर लगो ... वर्षा सर झुका कर हाँ में सर हिलती हे और अपनी जगह चली जाती हे ... वर्षा जाने के बाद Sonia अपनी पर्स से एक छोटा सा मिरर निकलती हे और खुद को देखते हुए ओह में kesi दिख रही हूँ ... इस पागल लड़की की वजह से मेरा मेक उप तो ख़राब नहीं हो गया चलो थोड़ा टच उप hi कर देती हूँ ...
फिर खुद को निहारते हुए ,, हाय में कितनी सुन्दर हूँ .. आज तो पक्का उस विक्रम का दिल फिसलना है बोल कर आहें भर्ती हे ...
... वर्षा का केबिन ...
... बर्षा की दोस्त ,, जिसका नाम जूही हे ... वह एक मस्त मौला लड़की हे .. दो नो ही एक साथ join किये हैं ... जहाँ बर्षा थोड़ी इंट्रोवर्ट हे वही जूही खुले मिजाज वाली लड़की हे ... वर्षा को देख कर जूही ,, अरे फिर से तू लेट हो गयी ... बर्षा मासूम सकल. बनाते हुए हाँ ... जूही फिर से ये तेरे खटारे स्कूटी की ही मेहरवानी होगी ... बर्षा कुछ नहीं कहती ... अपने सिस्टम के पास बेथ जाती हे और अपना काम शुरू करने लगती हे ... जूही कीबोर्ड से खेलते हुए ,, क्या मेक उप की दुकान से पाला पड़ गया क्या ,, जो ऐसे सैड सा फेस बनायीं हो ... बर्षा फिर से छोड़ना ... जूही फिर से ,, अरे ये काम बाद में करना ..पहले चल ... वर्षा हैरानी के साथ कहाँ ... जूही भी हैरानी के साथ अरे तुझे सच में नहीं पता ... बर्षा हैरानी के साथ कौन सी बात ... जूही तंज कस्ते हुए ,, तू ना सच में ढकन हे ... अरे हमारी कंपनी को जिस राजवंशी कंपनी ने खरीदना उसका सी इ ओ दो बजे आ रहे हैं ... इसीलिए इतनी भागम भाग हो रही हे ... ये साजसज्जाव ,, खाने पिने की ाररंगमेंट हो रही हे ... वह मेक उप की दुकान जाने सुबह से कितना बूके को रिजेक्ट कर chuki hai ...
वर्षा कुछ सोच कर ,, अभी तो आई हूँ ... काम देख लू ..उसके बाद ... जूही मन मार कर सच में तेरा कुछ नहीं हो सकता ... कल देर रात तक सब arrangment किआ लेकिन क्यों किआ ,, किस लिए किआ ,, तुझे उसे कोई मतलब नहीं .. बस रोबर्ट की तरह काम और काम ... ऐसे कौन जीता हे ... इस उम्र में लोगों के कितने अरमान होते हैं .. मौज करने ,, देर रात पार्टी करना ... लेकिन नहीं ... बर्षा उसकी और देख कर अल सेट ... चल देखते हैं कहाँ कमी तो नहीं रह गयी ... जूही ऐडा टेढ़ा मुहं बनाते हुए ये ऐसे ही बहनजी की तरह रहेगी ... इसे कुछ बोलने का मतलब दिवार पर अपना सर फोड़ना ... दोनों ही काम का जायजा लेते हैं ...
.. दिन के दो बजे ..
... गाड़ियों की लम्बी लाइन आके लग jati hai म.न. एंटरप्राइज के सामने ... गाड़ियों की बिच में एक लंबोर्जिनी रूकती है .. तभी दरवाजा खुलने के साथ एक मेहेंगी ब्लैक leather शू पहने हुए एक रौबदार पर्सनालिटी का मालिक विक्रम राजवंशी बlहार निकलता हे ... हवा से उसके आगे के बाल माथे पर बिखर गए थे ... ब्लैक ग्लासेज उसके लुक को कातिलाना बना रहा था ... लेडी स्टाफ का दिल धड़क कर बहार आने का था तो वही लड़को के आँखों में जलन साफ दिख रहा था ... लेकिन बर्षा को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ता था ... उसे बुके दे कर मिस सोनिआ खड़ी थी ... क्यों के मिस सोनिआ के हिसाब से बर्षा सब से बदसूरत लड़की हे ... जिसे बिक्रम भूल कर भी ना देखे ... लेकिन किश्मत का खेल किसे पता ... जिसे हम दिखाना नहीं चाहते हो और किश्मत उसे गोद में डाल दे तो ... खेर आगे बढ़ते हैं ...
कुछ देर बाद मिस सोनिआ अपने पुरे स्टाफ के साथ विक्रम के स्वागत केलिए खड़ी थी .. बिक्रम बिना भाब की ऑफिस और स्टाफ को देख रहा था ... मिस सोनिआ ने बर्षा को बुके लेकर आने केलिए इशारा करती हे ,, इशारा पा कर बर्षा जल्दी से बुके लेकर आगे बढ़ रही थी की तभी किसी चीज से पैर टकरा जाता हे .. और बुके उछाल जाता हे .. मिस soniaa फुर्ती dikhate हुए बुके को कैच करती हे और बर्षा उछल कर विक्रम के बाँहों में थी .. सामने का नजारा देख कर सोनिआ समझ नहीं पा रही थी की बुके कैच कर के खुसी मनाये या बर्षा को बिक्रम के बाँहों में देख कर मातम मनाये ... जहाँ डर कर वर्षा अपनी आँख बंद कर चुकी थी तो बिक्रम की नजर सिर्फ उसके चेहरे पर तिकी थी ... घने पलकों से ढके हुए उसके आँखे ,, जिस पर नजर का चस्मा छोटी सी नाक पर झूल रहा था .. पतले बेबी पिंक ओठ जो डर से फड़फड़ा रहे थे ... बिक्रम की नजर उस मासूम लड़की पर यु टिका जो अजीब बात थी ... इस माहौल को अशांत बनाते हुए मिस वर्षा बिहेव योर सेल्फ .. उसकी आवाज के साथ दोनों को ही तन्द्रा टूट ति हे ... जहाँ ना जाने क्यों बिक्रम को गुशा आ गया वही बर्षा अपनी आँख खोल चुकी थी ... बिक्रम सही से खड़ा करते हुए ,, नजर कमजोर हे इसका मतलब ये नहीं. की हर जगह ढिढोरा पिता जाए ... बर्षा चेहरा लटक गया और बिक्रम आगे बढ़ गया ... सोनिआ खुसी से बुके देने वाली थी की बिक्रम अपनी शर्द आवाज के साथ आई डो नॉट like फॉर्मलिटीज .. शो मि माय चैम्बर ... आज और अभी से काम शुरू होना हे ,, तो चलिए उस पर ही बात करते हैं ...
सोनिआ का मन कषैला हो गया लेकिन वह कर ही क्या सकती थी ... इसीलिए उसने विक्रम के इंस्ट्रक्शंस फॉलो करते हुए आगे का राश्ता दिखाना ही सही समझा ... मिस सोनिआ बिच में ही गो टू योर सीट्स जो की पूरी स्टाफ केलिए आर्डर था .. वह तो कह रही थी सब को लेकिन घुर रही थी बर्षा को ... बर्षा गिल्ट के साथ फर्श को ही घुर रही थी ...
To be continued ...
Pinky Dora "Pinky"$$$$
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... कहानी अब तक ...
... एम्. एन . एंटरप्राइज ... विक्रम का केबिन ...
.. सोनिआ कंपनी के स्टाफ के बारे में डिटेल्स दे रही थी ... कंपनी की टर्न ओवर ,, उसकी एक्सपेंसेस ,, क्लाइंट्स की डिटेल्स जैसी इम्पोर्टेन्ट इशू पर बात कर रही थी या कहे कंपनी रिलेटेड सारी इम्पोर्टेन्ट इनफार्मेशन दे रही थी और साथ में हर कोसिस कर रही थी की जैसे विक्रम की नजर उस पर ठहरे ... लेकिन बिक्रम बहुत प्रोफेशनल हे सईद कुछ ज्यादा ही प्रोफेशनल बन गया था aj keliye... उसकी नजर सिर्फ फाइल पर थी वह नजर उठा कर सोनिआ को देखा नहीं ...वह कितने काम में बिजी था ,, वह सिर्फ wohi जानता था ... बिक्रम कुछ सोच कर ठीक हे मिस बोल कर सोनिआ की और देखता है ... सोनिआ का दिल गार्डन गार्डन हो जाता हे आखिर उसकी मुराद जो पूरी हो गयी ... सोनिआ बड़े ही अदा के साथ सोनिआ सिंघणीअ आपकी मैनेजर ... बिक्रम करेक्ट करते हुए सोनिआ सिँघानिआ ,, मैनेजर ऑफ़ एम्. एन . एंटरप्राइज .. आपकी इनफार्मेशन बहुत अछि हे ... में अभी ये फाइल्स देख रहा हूँ अगर जरुरत होगी तो आपको बुलाऊंगा ... You may go now ... Jo ek tarah ka order tha ...
सोनिआ को अच्छा तो नहीं लगा लेकिन इसे ज्यादा या इसके अगेंट्स जाने की उसकी ना हिम्मत थी ना तो औकात ... इसीलिए चेहरे पर एक नकली स्माइल चिपकते हुए बहार चली गयी ... अमन भी तब से ये सब नौटंकी देख रहा था ... या कहे उसकी ओवर एक्सप्रेशन से इरिटेट हो कर सिर्फ झेल रहा था ...
... विक्रम ,, अमन से .. और कहाँ टेक पहुंची तुम्हारी खोज .. अमन ना समझी में ,, बॉस आपका सवाल समझ नहीं आ रहा था ... ये अलग बात थी ये सवाल पूछते वक़्त उसने कितनी बार थूक गटका था .. बिक्रम कड़क आवाज के साथ मेरे लिए लड़की को ढूंढने केलिए बोल रहा हूँ ... अमन सारे भगवन को याद करते हुए ,, बस उसी पर ही काम कर रहा हूँ .. विक्रम घूरते हुए मुझे रिजल्ट चाहिए नहीं तो तुम्हे पता हे तुम्हारे साथ क्या होगा .. अमन सिर्फ बेचारगी के साथ देखता रह जाता है .. विक्रम तुम्हे जाने केलिए एक्स्ट्रा कुछ कहना पड़ेगा क्या ... निकलो ... मुझे एक हफ्ते के अंदर रिजल्ट चाहिए ....अमन हड़बड़ा कर जी बॉस बोल कर बहार आ जाता हे ... और बहार आ कर एक दिवार से टेक लगा कर खड़ा हो जाता है ... और अपनी बढ़ी हुई धड़कन को सँभालने की कोसिस करते हुए अपने दिल पर हाथ रख कर .. कहाँ फसा दिआ भगवन ... सोने केलिए एक से बढ़ कर एक मिल जायेगी ... एक नमुनि ko तो अब hi दिखा दिआ तूने ... लेकिन इस पागल सांढ़ का बचा कैर्री करने केलिए सीधी सधी गाये कहाँ se ढूँढू
विक्रम अपने मन में कहाँ देखा है ये चेहरा ( जो की बर्षा केलिए था ) ये इतनी जाना पहचाना क्यों लग रहा है ... आज ऐसे कैसे में कर गया ... वह लड़की मेरे पर गिरी और मेने बिना बेइज्जती किये छोड़ दिआ ... क्यों उस पर गुशा नहीं आया ... क्यों उसके आँखों में मुझे इतनी मासूमियत दिखी ... व्हाट नॉनसेन्स ... लड़की और मासूम ... वह सिर्फ गोल्ड डिगर हो सकती है ... वह कोई मासूम बासूम नहीं होती ... वह सिर्फ पैसे और पावर की भुकी होती हे ... ये अलग बात थी बिक्रम खुद को समझा रहा था या मनl रहा था ...
वर्षा हैरान परेशानी से बैठी थी ... उसके माथे पर पसीने के बून्द थे .. उसके हाथ पैर थोड़े कlम्प रहे थे .. बर्षा मन में अरे ये क्या हो गया ... जिसे भागने केलिए उपरवाले से दुआ कर रही थी ,, आज उसकी ही बाँहों में आ गिरी ... हे मुरली मनोहर ये किसी हे तेरी माया .. क्या तुझे मुझ पर थोड़ी भी दया नहीं आती ... उस राक्षस की नजर से बचना चाहती थी अरे तूने ये क्या किआ .. अब मेरा क्या होगा ... क्या वह मुझे परेशां करेगा ... अरे नहीं नहीं वह तो खूबसूरत लड़कियों का शौकीन हे ... में थोड़ी ना खूबसूरत हूँ ... में भी ना कुछ ज्यादा ही सोचती हूँ ... यह सब सोचते हुए अपनी मोती फ्रेम वाली नजर के चश्मे को ठीक कर रही थी ...
तभी पीहू आती हे और चेर पर फेल जाती है .. फिर बर्षा को छेड़ते हुए ,, ओये तू तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली ... जिसे dekh kar हम सब लड़कियां आहे भर्ती थी ,, तू जाके उसके बाँहों में समां गयी ... बर्षा हड़बड़ा कर रोनी सकल बनाते हुए वैसा कुछ नहीं हे ... वह तो हमारा पैर उस कारपेट से अटक गया और हम बोल कर रुक जाती हे ... पीहू उसके कंधे पर हाथ रखते हुए ,, तो इसमें इतना टेंशन की क्या बात है ... तू ऐसे क्यों रोनी सकल बना रही हे ... रोना तो हमे चाहिए ,, जो हमारे साथ इतना खूबसूरत हादसा नहीं huaa ...
वर्षा अपनी हैंकि से अपने आँशु पोछते हुए ये गलत हुआ ... बहुत गलत हुआ ... पीहू अजीब नजरों से देखते हुए क्या गलत हुआ .. तेरा पैर कारपेट में अटकना या तू बिक्रम सर के बाँहों में जाके गिरना ... बर्षा अपनी रोनी सकल के साथ दोनों ही गलत हुआ ... हमे उनके सामने नहीं पड़ना था ... जानती हो ना वह कैसे करैक्टर के है ... पीहू कुछ सोच कर हाँ मेने भी बहुत सुन्ना हे लेकिन एक बात कहूं सुनी हुई बात सही भी हो सकती है या गलत भी ... वह सब छोड़ ..मुझे एक बात बता तू जब उनकी बाँहों में थी तुझे केसा लगा ... बर्षा गुशा करते हुए ये क्या बकवाश है ... पीहू बेफिक्र से अरे ज्यादा डीप मीनिंग मत जा ... मुझे सिर्फ इतना बता उनका टच तेरे लिए गन्दा था या नहीं ... बर्षा कुछ सोच कर वैसा कुछ नहीं है ... सईद इतनी अचानक ये सब हुआ ,, इसीलिए उन्होंने भी रियेक्ट नहीं किआ ... पीहू उसी अंदाज में जो ठरकी होता है ना वह कहीं भी माहौल बना ही लेता . Hai ..
पीहू कुछ सोचते हुए तूने एक बात गौर किआ ... बर्षा हैरानी के साथ कौन सी बात ... पीहू फिर से ,, अरे वह मेक उप की दुकान जितनी भी रिझाने की कोशिस कर रही थी लेकिन वह उसे इग्नोर कर रहे थे ... बर्षा कुछ सोच कर मेने इतना कुछ नहीं सोचा ना मेरे दिमाग में ये सब था ... पीहू बेफिक्र से इसीलिए कहती हूँ किसी इंसान को इतनी जल्दी जज मत करो ... लेकिन जो भी कहो आज मुझे बहुत मजा आया ... बर्षा हैरानी के साथ मुझे गिरते हुए देख कर .. पीहू उसके बाजु पर मारते हुए कुछ भी ... अरे तू जब बिक्रम सर के बाँहों में गिरी ना तब देखती उस मेक उप की दुकान की हालत .. उसका चेहरा ऐसे लटका ना क्या ही बताऊ ... तूने तो उसकी रस मलाई जैसे चीन ली और वह सिर्फ देखती रह गयी ... तभी बर्षा को लगा जैसे सोनिआ उनकी और ही आ रही हो ... इसीलिए उसने इशारे से पीहू को चुप होने को कहा और दोनों ही काम पर लग गए ...
To be continued ...
Pinky Dora "Pinky".$$$$$$
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... कहानी अब तक ...
... रात के दो बजे ,, अमन का घर ...
... अमन अपने बेड पर आड़े तिरछे हो कर सो रहा था ... कमबल एक हिस्सा उसके कमर तक था ,, बाकि हिस्सा निचे गिरा था ... तभी इस रूम की शांति भंग करते हुए फ़ोन की रिंग होती है ... पहले रिंग में तो अमन का नींद नहीं टूटता है लेकिन बार बार रिंग होने से उसकी नींद में खलन पड़ने लगी थी ... वह जम्हाई लेते हुए अबे कौन मर रहा है जो मेरी नींद का सत्यानाश कर रहा है ... बहुत मुश्किल से फ़ोन की स्क्रीन देखता है जिस पर दादू नाम सो कर रहा था ...अमन अजीब चेहरा बनाते हुए अरे यार क्या मुसीबत हे ... पोता दिनभर चेन की साँस नहीं लेने देतl aur रात में उसके दादू ... क्यों भगवन कौन से जनम का मुझे सजा दे रहा है ..जो ये राहु केतु को मेरी कुंडली में बिठा दिआ hai ap ne jo ...ये दोनों mere achese le rahe hain ...
वह ऐसे ही फ़ोन को देख रहा था की फ़ोन फिर से रिंग होने लगी ... अमन मन में फ़ोन से अबे क्यों मर रहा है ,, उठा तो रहा हूँ ... फिर एक गहरी साँस लेकर उस फ़ोन को लिफ्ट करता है और हेलो बोलता है ... उधर से ,, अबे तेरा हेलो तेरे पास रखो ... मुझे एक बात बता तुझे फ़ोन उठाने में इतना वक़्त क्यों ले रहा था .. तूने भी नखरे दिखाना शुरू कर दिआ ... अमन जामहैया लेते हुए दादू वही नखरे दिखlते हैं जिन्हे स्पेशल ट्रीटमेंट मिल रहा हो .. यहां तो लोगों को नार्मल ट्रीटमेंट नहीं मिलता जो की एक तंज था ... दादू गुशा दिखते हुए चुप नालायक ... अब तक सो रहा था ... ऊपर से इतना बोलl hi था की अमन बिच में ही दादू रात के दो बजे नार्मल लोग सोते हैं ... में कौनसा उल्लू हूँ जो रात भर बैठा रहूं ... दादू झुंझुला कर चुप नालायक ... जो पूछ रहा हूँ उसका जवाब दो ... अमन कुछ नहीं केहता और चुप रहता है ... दादू फिर से अरे बोल ... मुहं में दही क्यों जमाया हैं ... अमन रोनी सकल बनाते हुए दादू अपने चुप रहने केलिए बोलl था ... और मुझे क्या कहना हैं ...आपका सवाल क्या है ...
ददु फिर से ,, बहुत मुहं चल रहा है तेरा ... मुझे ये जानना था की वह नालायक कौन सी लड़की से शादी कर रहा है . .. अमन भी ,, उन्होंने वही काम मुझे दिआ है .. ददु हैरानी से मतलब ... अमन अपनी बात को समझते हुए आपका पोता मतलब मेरे बॉस ne मुझे एक हफ्ते का टाइम दिआ है उनके लिए लड़की ढूंढने केलिए ... ददु गुससे से ,, ये गधा ,, गधा ही रहेगा ... अरे कहीं तो इंसान की तरह. सोच ले नहीं इसे तो हर जगह बॉस ही बनना हे ... फिर कुछ सोच कर तूने किसी को देखा है ... अमन एक गेहरी साँस लेते हुए ,, आपको लगता है ऐसे अजीब फरमाइस के साथ लड़की जल्दी मिल jayegi .. ददु घुसे से ,, इतना घुमा के बात क्यों कर रहा है ... सीधे सीधे बोल naa ki तेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है ... अमन फिर से ,, yes .. you are right ... Presently ,, I don't have any option...
दादू फिर से ,, ठीक है ... इतना रो मत ... में तुम्हारी मदद कर देता हूँ ... अमन अपने मन में आप और मेरी मदद करेंगे ... अरे आप और आपका पोता दोनों ही मेरी जिंदगी के सब से बड़े पौनती है ... खेर सुन लेता हूँ ... सईद में गलत हो जाऊं ... दादू उधर से ,, मेरे पास कुछ लड़कियों के फोटोज है जो तुम्हे भेज रहा हूँ ... उन सब के साथ उस नालायक का मीटिंग फिक्स करो ... जिस लड़की को वह पसंद करेगा ,, उसे शादी करवा देंगे .. अमन फिर से ,, ठीक है दादू व्हाट'स उप कर दे ... कुछ समय बाद धड़ा धड़ करीबन दस लड़कियों की फोटोज विथ बायोडाटा अमन के नंबर पे सेंड हो गए थे ... दादू फिर से आराम से कल तक मुझे बता और सो जा ... वैसे भी ज्यादा देर तक जागते नहीं है तबियत ख़राब हो जायेगी बोल कर फ़ोन रख dete है ...
अमन फ़ोन को अजीब नजरों से देखते हुए देखो. कौन बोल रहा है ..रात के दो बजे फ़ोन कर के मेरी नींद की सत्यानाश करने के बाद ,, मेहरवानी दिखlते हुए कल तक मतलब अब से छह और सात घंटे के बाद इन्हे जवाब भी चाहिए की कौनसी ऐसी लड़की को जो उन्होंने फोटो भेजा है ,, उसके साथ इनका पोता मीटिंग करेगा उसकी डिटेल्स भी देना है ... सच में इनका पूरा का पूरा खानदान ही सिरफिरा हैं ... फिर रोनी सकल बनाते हुए क्यों भगवन ... दुनिआ में इतने लोग हैं ... फिर भी इन्हे ही मेरा बॉस बनाना था apko ... अगर मुझे पहले ही मेरा फ्यूचर पता होता तो में पास्ट में इतना मेहनत कर के पढता hi नहीं... फिर वह सोने की कोसिस करता है जो की होता नहीं .. वह बहुत करवट बदलता है ,, फिर उठ कर बेथ जाता है .. घडी को देखता है तो चार बजे थे ... अमन फिर से मरी हुई कदम के किचन की और चलता है .. अमन मन में जाता हूँ एक कप कॉफ़ी ही पि लेता हूँ ... थोड़ा अच्छा फील करूँगा ... फिर देखता हूँ बूढ़े ने क्या भेजा हैं ...
अमन किचन में जा कर कॉफ़ी मशीन ओंन करता है और अपने लिए एक गरम गरम कॉफ़ी बनाता है .. कॉफ़ी की एक दो सिप लेता है ...फिर अपने पॉकेट से फ़ोन निकlल कर ,, व्हाट'स उप ऑन करता है .. और सब फोटोज को स्क्रोल करता है ... सब को गौर से देखता है ,, उसके साथ बायोडाटा भी पद रहा था ... अमन मन में बूढ़े ने तो सच में एक से बढ़कर एक लड़की को चुना हे ,, लेकिन जैसे टर्म्स एंड कंडीशन ने बॉस बनाया है उसमे सच में इनमे से कोई लड़की फिट बैठेगी ... ऐसे ही सोचते हुए ,, अपनी सोच में उलझते हुए उसने अपनी कॉफ़ी कम्पलीट किआ ...
To be continued ...
Pinky Dora "Pinky"$$$$
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... कहानी अब तक ..
.. एम् .एन एंटरप्राइज ...
... सोनिआ का चैम्बर ...
... सोनिआ घुसे से एक पेपर को घूर रही थी ... वह बहुत कस के अपनी कॉफ़ी मॉग को पकड़ी हुई थी या कहे मरोड़ रही थी ... कुछ देर बाद डोर नॉक होता है और एक प्यारी सी आवाज के साथ बर्षा पूछती हे ,, मे आई कम इन मैडम ... उसकी आवाज सुनते ही सोनिआ का तन बदन में आग लग जाती हे ... लेकिन वह कॉर्पोरेट में काम करती हे ... वह प्रोफेशनल बिहेव करने केलिए मजबूर थी ... उसकी किसी भी भाब से सामनेवाले को उसकी मन में क्या चल रहा है पता नहीं चलना चाहिए ... वह भी एक गहरी साँस लेती है और फिर बोलती है कम इन ... कुछ देर बाद सामने वर्षा अपना सर झुका कर खड़ी थी ... सोनिआ मोबाइल में कुछ देखते हुए या कहे अपने चेहरे के भाब को ना दिखने केलिए सामने टेबल पर पढ़े पेपर को दिखते हुए लो ये तुम्हारे लिए ... वर्षा उस पेपर को उठाते हुए ... मैडम ये क्या है ... सोनिआ दांत पिशते. हुए क्यों पढ़ना नहीं आता क्या ... बर्षा अजीब नजरों के साथ जी ... तब सोनिआ का लगा उसका गुशा बहार आ रहा हे ... वह अपनी धौंस दिखlते हुए पढ़ो ... यु र अप्पोइंटेड आज पी .ए ऑफ़ मिस्टर विक्रम राजबंशी ... वर्षा हैरान और परेशानी के साथ जी .. फिर खुद कर सँभालते हुए लेकिन में कैसे ... मुझ से ज्यादा क्वालीफाई लोग होते हुए ... सोनिआ तंज कस्ते हुए क्या करे किश्मत मेहरवान तो गधा भी पहलवान... खेर ये जॉब तुम करना चाहती हो या नहीं ... अगर हाँ तो काम पे लग जाओ नहीं तो तुम्हे तो पता ही हे company के रूल ... बर्षा डरते हुए नो मेडम ... में राजी हूँ .. ये सुनते ही सोनिआ का पारा बढ़ रहा था ... उसकी उम्मीद थी की बर्षा मना करेगी तो वह कुछ बहाना बना कर खुद बिक्रम की पी ए बन जाती लेकिन नहीं इस पांच फुट की पिद्दी सी लड़की ने पासा ही बदल दिआ ...
उसकी सोच को उल्टा कर दिआ ... अगर बर्षा ज्यादा रूकती तो तो वह सच में घुसे से फटजाति ... इसीलिए उसने अपने आपको कण्ट्रोल करते हुए ... यु में गो नाउ ...ये सुनते ही बर्षा गोली की रफ़्तार से बहार चली जाती है ...
... सोनिआ अपने मन में ये पिद्दी चास्मिस ,, मेरे सोच से भी ज्यादा स्मार्ट निकली ... लेकिन कोई बात नहीं में भी सोनिआ सिंघानिआ हूँ ... में भी दिखती हूँ ये कितनी दिन तक इस कंपनी में रहती है ... तुम ,, लौ क्लास विच ... मेरे और बिक्रम के बिच में आओगी ... जिंदगी जहनुमं ना बना दिआ ना मेरा नाम भी सोनिआ नहीं ... कोई बात नहीं ये गिने चुने पल केलिए खुश हो जाओ .... बाकि तो तुम्हारी समय ख़राब करने केलिए में कोई भी रेहम नहीं बख्सूंगी ...
ये कह कर घुसे से वह कॉफ़ी मग को पटक देती है ... जिसे मग टूट जाता है ,, और उसमे जो कॉफ़ी था वह चारो और फेल जाती है ... बहुत वक़्त तक उस टूटी हुई मग और बिखरे हुए कॉफ़ी को देख रही थी ... या कहे खुद की हार को इमेजिन करती हे ... कुछ देर बाद सर्विस स्टाफ को फ़ोन करती है ... वह आ कर उस जगह साफ कर देते हैं ... ये भी अपना चेहरा धो कर खुद का गुशा शांत करते हुए ... चेहरा पर मेक उप का टच उप करती है ...
... वर्षा सोनिआ के केबिन से बहार आ कर पास ही किं पिलर से पीठ लगा कर कड़ी हो जाती है ... वह जोर जोर से साँस ले रही थी ... उसके चेहरे पर पसीने के बून्द साफ दिख रहा था ... वह अपनी दिल पर हाथ रख कर ,, प्लीज शांत हो जाओ ... नहीं तो अभी मुझे हार्ट अटैक आ जाएगा ... फिर एक गहरी साँस ले कर उस लेटर को हाथ में पकड़ते हुए ऊपर की और देख कर क्यों मुरली मनोहर ऐसा किआ ... जिसे भागना चाहती हूँ उसी के पास ले आ रहे हो ... बचपन से तो अनाथ थी ,, अब क्या इज्जत से रोटी भी कमा नहीं पाउंगी ... उस अयास शैतान को मेरे सर पर बिठा रहे हो ... ये सब सोचते वक़्त एक आंशूं की धार दो आँखों से बह गयी जिसे वह बड़े ही बेरहमी से poch लेती है ...और अपनी केबिन की और मुड़ जाती है ...
विक्रम का केबिन ...
... अमन कुछ जरुरी डाक्यूमेंट्स के बारे में उपडेट दे रहा था ,, लेकिन बिक्रम की नजर तो कंप्यूटर स्क्रीन पर था .. जहाँ वह सी सी टीवी फुटेज देख रहा था ... वह ज़ूम कर के हर आंगल से वर्षा को देख रहा था ... वर्षा के हाथ में वही लेटर था जिसे देख कर उसे पता चल गया . Ki woh kaun si letter hai . लेकिन वह सब से ज्यादा हैरान वर्षा की फेसिअल एक्सप्रेशंस को देख कर हुआ था ... बहुत देर तक बिक्रम का को रेस्पोंद ना आते देख कर उसकी भी नजर उस स्क्रीन पर जा टीकी ...
... अमन मन में हाय ये लड़की कितनी मासूम दिख रही हे ... ये साइको पथ ऐसे क्यों घूर रहा है ... इस बेचारी लड़की भी खटकने लगी क्या ... ये इंसान लड़कियों केलिए कब क्या कहे ,, क्या करे वह तो सिर्फ भगवन ही जानता है ...
बहुत देर तक जब अमन के बोल सुनाई नहीं दिआ तो बिक्रम स्क्रीन से नजर हटा कर अमन को देखता हे ... जो अब तक स्क्रीन को गौर से देख रहा था ... अब दोनों के नजर आपस में मिले ... अजीब बात ये थी की दोनों के आँखों में ही अजीब सी कसमकस थी ... विक्रम घूरते हुए ,, क्या है ... रुक क्यों गए ... मैंने तुम्हे चुप होने केलिए कहा है ...
.. अमन असमंजस में ,, सर मुझे समझ नहीं आ रहा था ,, आप कुछ बोल ही नहीं रहे थे ,, कुछ पूछ भी नहीं रहे थे ... तो में बस ... बिक्रम भी झुंझुला कर हर बात केलिए बहाने तैयार रहते हैं नहीं ... जो की एक तंज था ... लेकिन बिक्रम को भी पता था की अमन सही हे ... लेकिन अपनी गलती मान जाए वह बॉस केसा .. अमन मन में सीरियसली ,, ये उलटी खोपड़ी कभी गलती मानेगा भी ... पता नहीं ये कब मेरे समझ में आएगा ...
बिक्रम फिर से ,, वह सब छोड़ो ... पहले ये काम करो ... अमन मन में ,, ये पेहला या आखिर क्या होता है .. आपको तो सभी काम एक ही वक़्त पर चाहिए . Hota hai .. खेर वक़्त पड़ने पर गधे को भी बाप बनाना पड़ता हे ,, ये तो फिर भी मेरा बॉस है ...
... बिक्रम फिर से ,, ये स्क्रीन पर जो लड़की दिख रही है ... इसकी पूरी की पूरी डिटेल्स मुझे कल तक चाहिए ... अमन के मुहं से अनजाने में ही सवाल निकल जाता हे क्यों ... बिक्रम घुसे से ,, तुम मुझ से सवाल पूछोगे ... अमन को अपनी गलती समझ आती हे ,, वह डर कर सॉरी सर ... जस्ट स्लिप ऑफ़ टंग .. विक्रम भी उसी अंदाज से ,, देन कण्ट्रोल इट .. otherwise I wii cut it ... So now get loss ..lekin Aman wese hi dekhta rehta hai ...
To be continued ...
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... कहानी अब तक ...
... बिक्रम का चैम्बर ...
... अमन को टस से मस ना होते देख ,, बिक्रम घुसे से अब क्या तुम्हे जाने केलिए अलग से केहना पड़ेगा ... अमन थूक गटकते हुए सर मुझे कुछ केहना है ... बिक्रम ऊँगली से अपनी एएब्रोस के बिच को घिसते हुए ,, कहो ... बिना कहे तो तुम्हारे पेट में मरोड़ उठेगी ना ... जल्दी से बको ..तुम्हारे पास बिस सेकंड हे ... उसे ज्यादा हुआ तो में खुद ही तुम्हे इस चैम्बर से बहार फेक दूंगा ...
... अमन किसी रोटू तोते की तरह ,, कल रात आपके दादू फ़ोन किये थे ... उन्होंने कुछ लड़कियों को शादी करने केलिए सजेस्ट किआ हे ... फिर आगे आ कर एक फाइल टेबल पर रखते हुए ... इस फाइल में उन सब लड़कियों की हर डिटेल्स है ... आप जिसे सेलेक्ट करेंगे में उस लड़की के साथ मीटिंग करवा दूंगा ... तब तक बिक्रम का गुशा पारा बढ़ चूका था ... माहौल का गर्माहट देखते हुए आखिर फैसला आपका होगा ... ये दादू ने कहा है ...
बिक्रम घुसे से ,, मुझे ईमानदारी से एक बात बोलो ,, तुम मेरे लिए काम करते हो या मेरे दादू केलिए ... अमन अजीब कस्मस के साथ ,, मुझे भी ठीक से पता नहीं ... क्यों के आप दोनों ही मुझे जॉब से निकाल कर फेंकने की धमकी देते हो ... बिक्रम ऑफ्सोसि से सर हिलाते हुए ,, इस बेवकूफ से एहि उम्मीद थी ...
बिक्रम उस फाइल्स की पेज पलटता है ,, अमन जैसे जैसे पेज पलटता हे ,, वैसे वैसे अमन भी साडी लड़कियों की डिटेल्स दे रहा था ... लड़कियां दिखने में एक से एक बढ़कर थे .. लेकिन विक्रम की नजर किसी एक पर टिक नहीं रहा था ... करण मन में ,, ये तो कहीं पर टिक नहीं रहे हैं ... मतलब आज भी रात को मेरा नींद का सत्यानाश तय है ..
अमन फिर से ,, तो बॉस किसी से मीटिंग फिक्स करू ... बिक्रम बिना भाब के किसी से भी नहीं ... अमन कुछ सोच कर तो दादा जी से क्या कहूं ... बिक्रम घूर कर ये तुम्हारा काम हे .. आई थिंक ,, इसके लिए ही में तुम्हे पे करता हूँ ... अमन फिर रुक कर ,, बॉस इन सब लड़कियों की बायोडाटा तो एक से बढ़ कर एक हे ,, और इसे ज्यादा भी कुछ नीड हे क्या ... बिक्रम उसे अजीब नजरों से देखता हे .. अमन बात सँभालते हुए इसे ज्यादा या कोई दूसरी क्वालिटी जिसे आप ढूंढ रहे हो ,, पता चल जाए तो आपके लिए मुझे लड़की ढूंढने में दिक्कत नहीं होगी ...
... बिक्रम एक गेहरी साँस लेते हुए इन सब लड़कियों में कोई कमी नहीं है ,, हर चीज में ये बहुत ज्यादा है ... अमन मन में तो आपको क्या किसी पागल कुत्ते ने काटा हे जो किसी एक लड़की को ना चुन कर मेरा काम बढ़ा रहे हो ...
... बिक्रम ,, अमन को चुप देख कर ,, तुम्हारे दिमाग में बहुत सवाल आ रहे हैं ... पुछलो ... अमन धीरे से सर में आपकी बात समझ नहीं पा रहा हूँ ... अगर सब लड़कियां क्वालिफाइड हे तो ,, किसी एक को चुनने में दिक्कत क्या है ...
बिक्रम अपनी जगह खड़ा होता है ,, और आगे बढ़ जाता हे ,, सामने एक बड़ा सा ग्लॉस का दिवार था ,, उस ग्लॉस की दिवार से पूरा सहर दिख रहा था .. बिक्रम दोनों जेब में अपने दोनों हाथों को रख कर ,, बड़े ही गंभीर लेहेजे में कहता है ,, दिक्कत ... हम्म्म दिक्कत ... है की वह सब बीवी बनना चाहेंगे ,, मुझे बीवी नहीं ,, बस मेरा अंस लानेवाली एक जरिया चाहिए ... अमन हैरान और परेशानी के साथ देख रहा था या कहे समझने की कोसिस कर रहा था ...उसकी बेचैनी भरा चेहरा ग्लॉस की दिवार पर रिफ्लेक्ट हो रहा था ... बिक्रम तिरछी स्माइल के साथ ज्यादा दिमाग नहीं लगाओ दूसरी लड़की को ढूंढो जो मेरा बचा पैदा करे ना की मेरे ऊपर अपना हक़ जताये या उसे मुझ से बचे से ज्यादा कोई उम्मीद हो ... बिक्रम से आर्डर पा कर बाहार चला जाता हे ... बिक्रम उसी अंदाज में बीवी नाम की कोई भी सरदर्द पाल नहीं सकता ...
अमन का चैम्बर ... अमन चेयर पर बेथ कर पियोन को एक स्ट्रांग कॉफ़ी लाने को बोल ता है ... बिक्रम की गोल गोल बात सुन्न कर ही उसका सर दर्द से फटा जा रहा था ... अमन मन में ,, पहले तो लगता था में पागल ,, ओड़िअल ,, सरफिरे बॉस के पास काम कर रहा हूँ ... लेकिन आज कन्फर्म हो गया में एक सरफिरा ,, ओड़िअल ,, पागल के साथ ही काम कर रहा हूँ ... अरे दुनिआ में बीवी ही जॉयेस बचा पैदा करती है ... बचा पैदा करेगी ,, बीवी नहीं बनेगी ... शादी करेगी बचा पैदा करेगी माँ बनेगी लेकिन बीवी नहीं बनेगी ... अबे ऐसी कंडीशन में कौन सी लड़की इस पागल से शादी करेगी ... किश के इतना करम फूटेंगे जो ऐसे ओड़िअल सरफिरे से शादी करेगी ..आज सच में लगता है मुझ से ज्यादा बदनसीब सईद ही कोई होगा जो इस पागल बॉस को झेल रहा हो ...
हे भगवन कुछ तो कर ... इस पागल को सही करदे ,, नहीं तो इस पागल की पागलपन को सही से ठिकाने लगनेवाली को मुझ से मिला दो .. आज तो वैसे भी दो दिन हो गए हैं ... अगर पांच दिन के अंदर कोई लड़की मुझे ना मिली जो इस ओड़िअल को पसंद आये ... तो ये मुझे कहीं का नहीं छोड़ेगा ... राजबंश कंपनी से निकले जाने के बाद सईद ही कोई मुझ पर रेहम करेगा ... मुझे बचा दे भगवन ,, अगर लड़की मिल गयी तो में खुद 100 किलो सुध देसी घी के बेसन लडू आपको भोग लगाऊंगा ... बस मुझे इसी मुसीबत से पार लगादे
बिक्रम को लड़की मिलेगी की नहीं ... अमन का जॉब रहेगा की नहीं ... भगवन को सुध देसी घी के 100 किलो बेसन लडू मिलेगी की नहीं ... एहि सब सवालों के जवाब जानने केलिए रहिये मेरी कहानी के साथ ...
To be continued ...
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... कहानी अब तक ...
... अमन का चैम्बर ...
... डोर नॉक होता है ... अमन कम इन कहता है ... कुछ देर बाद एक अधेड़ उम्र का आदमी जो की पियोन था ,, उसने ट्रे में एक कॉफ़ी मग ले कर आया था ... अमन उस आदमी को कॉफ़ी मग के साथ देख कर ,, रख दीजिये काका ... वह भी कॉफ़ी मग को टेबल पर रख कर चला जाता है ...
... अमन कॉफ़ी की सिप लेते हुए ,, ओह इसकी मुझे बहुत जरुरत थी ... दिमाग सुन्न हो गया था ... अब कुछ काम करेगा ... सर को सीट से टिक्का कर सकूँ से आँखे बंद करता हैं .. लेकिन दिमाग में अभी भी क्या करना हे ,, कैसे करना है एहि सब चल रहा था .. कॉफ़ी मग फिनिश करने के बाद ,, वह लैपटॉप खोलता है .. और ऑफिसियल डेटाबेस खंगालता है ... बर्षा की डिटेल्स हर डिटेल पढ़ने लगता है ... जैसे जैसे उसकी डिटेल्स पढता है ,, उसके चेहरे के भाब वैसे वैसे बदल रहा था .. लेकिन एक जगह उसकी आँखें हैरानी से फेल जाता है ... उसने ऐसा क्या देखा या क्या पढ़ा जिस की वजह से वह हैरान हुआ ,, वह वक़्त के साथ खुलेगा ...
उम्मीद ओर्फनेज ... रात का वक़्त ...
.. सब खा कर सो चुके थे ... लेकिन बर्षा को नींद नहीं आ रही थी ... वह लगातार करवट बदल रही थी ... बिक्रम के बारे में जो सुन्नl था usne ,, उसका दिल बेथ गया था ... एक अंजना डर उसे ना चेन से बैठने दे रही थी ना सोने ... दिल कह रहा था ,, अगर जॉब नहीं हो रही हे तो छोड़ देना ... इज्जत बची रहेगी ,, तो कहीं भी जॉब हो जायेगी ... ऐसे अपने प्रिंसिपल अगेंट्स जीना हर पल मरने के साथ समान है ... दिमाग कह रहा था ,, औकात हे तुम्हारी जॉब छोड़ने की ... मुसीबत आने से पहले ही भाग जाना कोई सलूशन नहीं होता ... और क्या पता दूसरी जगह सेम कंडीशन ना हो या इसे बुरा naa हो ... वैसे ही उनकी तरफ से वैसा कोई डायरेक्ट कांटेक्ट भी नहीं हुआ है ... इतनी सोच बिचार के बाद उसे नींद नहीं आती .. इसीलिए पानी पिने केलिए bed के पास पड़ा हुआ छोटे से टेबल पर हाथ मारती हे तो उसे जग मिल जाती हे ... जग की ढक्कन खोल के देखने से उसमे पानी नहीं था ... बर्षा अफ़सोस से सर हिलाते हुए में भी ना इतना कुछ सोचा की पानी रखना भूल गयी ,, बोल कर बहार निकल जाती है ...
रात का वक़्त ... अमन का घर ...
... करीबन रात के दो बजे फ़ोन रिंग हुआ ... लगातार रिंग की वजह से अमन की नींद टूटी ... उबासी लेते हुए अमन ,, पका उस दादू का फ़ोन होगा ... जाने ये दादा पोता मुझ से कौनसी दुश्मनी निकlल रहे हैं ... जी भर के कोशने के बाद वह फ़ोन की स्क्रीन को देखता है जिस पर दादू नाम सो हो रहा था ...
अमन एक दर्द भरी हसी के साथ सेतान का नाम लिआ सेतान हाजिर ... आज भी मेरा नींद का सत्यानास हो गया ... एहि सब सोच कर वह फ़ोन लिफ्ट कर देता हे ,, सामने से अरे नालायक फ़ोन क्यों नहीं उठा रहा था ... पार्टी सटी कर के बेहोस हो गया था क्या ... अमन खिंज कर दादू ... आप रात के दो बजे फ़ोन करते हो ... रात के दो बजे इंसानी नस्ल सोती है ... जरुरी नहीं हर कोई इतना खुशनसीब हो की पार्टी सटी कर के सोये ...
दादू बिना सुने ही ,, अपनी धौंस को बरक़रार रखते हुए ,, कितना बहाना मरता है ...इस उम्र में हमे इंतजार करवाता है ... अमन फिर से दादू मेने कब आपको इंतजार करवाया ... अभी भी कल होने केलिए ,, मतलब सुबह होने केलिए चार घंटे बाकी है ... दादू अपनी गलती समझ आ रही थी लेकिन वह मानेंगे थोड़ी ना ... फिर थोड़ी नरमी के साथ दादू अमन से ,, वह फालतू बात छोड़ो ... और गुसे पर मिटी दाल ... और मुझे एक बात बता बिक्रम ने क्या कहा ...अमन अपने मन में सच बोलूंगा तो भी मुशीबत ना बोलूंगा तो भी मुसीबत ...
बहुत देर तक अमन की आवाज ना आने से ,, अरे बहरा हो गया क्या ... अमन बुदबुदाते हुए काश हो जाता ... दादू घुसे से क्या बोल रहा हे ... अमन बात सँभालते हुए ,, हाँ दादू किश बारे में ... दादू घुसे से उम्र मेरा बढ़ रहा हे ,, बुढ़ापा तुझ पर चढ़ रहा है ... मेने जो लड़कियों की डिटेल्स भेजी थी ,, तूने. बिक्रम को दिखाई ... अमन फिर से हाँ मेने दिखाई ... दादू फिर से ,, क्या कहा उसने ... किसे चुना ... कब कर रहा है मीटिंग ...
अमन अपने बाल नोचता हे ,, क्यों के उसे भी पता नहीं सचाई जानने के बाद सामनेवाला क्या करेगा या कहेगा ... अमन की चुपी से दादा जी इरिटेट होते हुए ,, अब मुहं में दही भी जमा लिआ क्या ... जो मुहं बंद हे तेरे ... देख सच सच बताना ... उसमे कोई भी मिलावट ना हो ... अगर गलती से भी तुम्हारी गलती निकली राजवंश से ढके दे बहार निकल फेकूंगा ..
अमन अपने घुसे को दबाते हुए ,, सपाट लहजे में ... बॉस को कोई भी लड़की पसंद नहीं aayi ... दादू घुसे से क्या ... उसे कोई भी लड़की पसंद नहीं आई ... इतनी अछि सुन्दर लड़की ,, इतनी हाइली क्वालिफाइड लड़किया पसंद नहीं आई ... तूने ठीक से फोटो दिखाई ... तूने सारी की सारि डिटेल्स उसे दी ... अमन भी उसी अंदाज में हाँ ... मेने हर एक लड़की की डिटेल्स ,, उनके पास खड़े हो कर ,, फाइल की पेज को उलट कर सारि बात बताई ... उसके साथ ये भी बताया की किश लड़की के साथ शादी करने से बिज़नेस में केसी हेल्प मिल सकती हे .. वह भी समझाया ... फिर भी उन्होंने किसी एक को भी सेलेक्ट नहीं किआ ..
दादू चिंता से वही बात दौहराते हुए ,, कोई भी मतलब कोई भी लड़की पसंद नहीं आई ... आखिर वह ढूंढ क्या रहा हे लड़कियों में ... फिर कुछ देर तक ख़ामोशी छा जाती है ... कुछ देर बाद बड़े ही गंभीर आवाज के साथ मुझे एक बात बताना ... मुझे सच ही जानना हे ... अमन भी माहौल समझते हुए सिर्फ हम्म्म करता है ... दादा जी फिर से विक्रम को लड़कियां पसंद तो हे ना ...
... तो क्या जवाब देगा अमन इस सवाल का ... एहि सब जानने केलिए रहिये मेरी कहानी के साथ ...
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... कहानी अब तक ...
... रात का वक़्त ... अमन का घर ...
... दादू की ऐसी सवालों से अमन थोड़ा झेंप जाता है .. उसे समझ ही नहीं आता की वह इस सवाल पर कैसे रियेक्ट करे ... दादू फिर से ,, देखो जो भी हो साफ साफ बताना ,, सचाई बोल दो .. ज्यादा उम्मीद भी पालना इस उम्र में अछि बात नहीं हे ,, जो की वह बहुत निराशा से बोल रहे थे ... उनकी परेशानी ,, फ़िक्र और कमजोरी पर अमन का दिल भी थोड़ा पसीज गया ... अमन हलके हस्ते हुए ,, दादू वैसा कुछ नहीं हे ... उन्हें लड़किया ही पसंद है ... बस वह थोड़ा टाइम चाहते हैं ... दादू घुसे से कितना टाइम चाहिए उसे ... सताईस का तो हो ही गया है ... शादी क्या हमारे मरने के बाद ही करेगा ... अमन ,, दादू क्यों ऐसा कह रहे हो ... तब तक फ़ोन कट चूका होता हे ... अमन फ़ोन को देखते हुए ,, कुछ भी कर के बिक्रम सर को घोड़ी तो चढ़ाना पड़ेगा ही ,, चाहे इसके लिए उनके सो जूते खाने को kyun naa पड़े ...
उम्मीद ओर्फनेज ,, रात का वक़्त ...
... वर्षा पानी लाने केलिए किचन में गयी ... उसने लाइट ऑन किआ ... टेप से पानी भरने लगी .. अचानक धड़ाम से कोई आवाज आई ,, जिसे उसकी तन्द्रा टूटी ... आवाज की दिशा को पीछा किआ तो वह आवाज सांता ताई के कमरे से आई थी ... दिल घबरा गया ,, मन में ये केसी आवाज थी ... ताई .. ताई ... बोल कर दरवाजा पीटने लगी .. लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था ... दरवाजा पीटने पर भी अंदर से कोई आवाज नहीं आई ... उसका दिल कुछ ओन्होनी की सोच कर ही घबरा जा रहा था ... बचे भी बर्षा की आवाज से नींद से उठ गए ... सब जा कर दरवाजे के सामने खड़े हो गए ... रघु ,, बर्षा से ... क्या हुआ दीदी ... आप इतनी रात को क्यों सांता ताई की दरवाजा पिट रहे हो ... बर्षा परेशानी के साथ ,, रघु देखो ना कोई जोरदार आवाज सांता ताई के कमरे से आई ... उस आवाज की वजह से में तब से दरवाजा पिट रही हूँ ,, फिर भी ताई दरवाजा नहीं खोल रही हे ... ना जाने क्यों मुझे बहुत डर लग रहा हे ...
सब बच्चों में रघु बड़ा था ... वह करीबन 16 इयर्स का था ... वह थोड़ा हट्टा कटा था ... राजू और रीना बहुत छोटे थे ,, जो अपनी नींद में ही उंघ रहे थे ... रघु ,, बर्षा की बातों से परेशां हो चूका था ... लगातार दरवाजा पीटने पर भी जब दरवाजा ना खुला इसे भी कोई गलत होने का अंदाजा हो गया ... वह बर्षा से ,, दीदी दरवाजे से दूर हो जाइये ... राजू हैरानी से ,, क्यों ... आप क्या करने जा रहे हो ... रघु ,, बर्षा को देखते हुए ,, और कोई अलटरनेट नहीं हे ,, हम दरवाजा तोडना होगा ... दीदी ,, ताई अगर सही होती तो अब तक दरवाजा खुल चूका होता ... पक्का कुछ तो ठीक नहीं है ... राजू फिर से ,, अगर दरवाजा तोड़ दोगे और ताई ठीक होगी ... तो पता हे केसा भूचाल आएगा .. ताई अछेसे कूट देगी ... बर्षा बिना कुछ सुने ,, रघु जो करना हे जल्दी करो ... ताई जो भी कहेंगी और करेगी में उसकी जिम्मेदार लेने केलिए तैयार हूँ ...
रघु दो बार दरवाजे को धक्का देता हे ,, लेकिन खुलता नहीं .. जब तीसरी बार जोर लगता हे तो दरवाजा खुल जाता हे ... दरवाजा खुलते ही ,, बर्षा अंदर दौड़ के जाती हे और लाइट ऑन कर देती हे ... धीरे धीरे सभी अंदर देखते हैं ... सामने का नजारा देख कर सब की सिटी पीती गुल हो गयी थी ... फर्स पर खून फेल चूका था और सांता ताई मुहं के बल गिरी पड़ी थी ... कुछ वक़्त केलिए ही सही सब फ्रिज हो गए थे .. सब की सोचने की समझने की काबिलियत कहीं खो गयी थी ...
वर्षा होस संभालती हे और दौड़ कर जाती हे .. सांता ताई की सर अपने गोदी में रख कर पूरा चेहरा देख रही थी ... उनके सर par chot लगी थी ,, मुहं और नाक से भी खून लगा हुआ था ... वर्षा उनकी गाल पर दो बार थपकी दे कर उठाने की भी कोसिस की थी लेकिन वह कोई रेस्पोंद नहीं कर रही थी ... बर्षा ,, राजू से वह पानी लाना ... राजू भी पास में टेबल पर रखा हुआ पानी का बोतल बर्षा को दे देता है ... वर्षा ,, रघु से इमीडेट एम्बुलेंस को फ़ोन कर ... रघु उसी काम में लग जाता हे ... वर्षा लगातार पानी की छींटे मार रही थी लेकिन संता ताई जैसे कसम खाई थी की वह आँखे नहीं kholengi ... सब के आँखों में आँशु आ गए थे ... राजू रानी. तो अब subak रहे थे ...
बहुत टॉय करने के बाद ,, कोई एक एम्बुलेंस वाला राजी होता हे ... रघु ,, वह घर का अड्रेस एम्बुलेंस को देता है ... कुछ पचीस मिनट के बाद जोर से साइरेन करते हुए एम्बुलेंस भी पहुँच जाता हे ..
.. एम्बुलेंस से दो आदमी आते है ... वह सांता ताई की नब्ज चेक करते हैं ... फिर स्ट्रेचर से उन्हें एम्बुलेंस में ले जाते हैं ... राजू को रानी की रिस्पांसिबिलिटी दे कर रघु और वर्षा दोनों ही एम्बुलेंस में बेथ जाते हैं ... एम्बुलेंस में बैठा हुआ मेडिकल स्टाफ ,, सांता ताई को जरुरी लाइफ सपोर्ट सिस्टम देते हैं ... बर्षा के आँशु रुक नहीं रहे थे तो वही रघु भी बहुत घबरा गया था ...
कुछ देर बाद वह वह सरला हॉस्पिटल (इमेजिनरी नेम) में पहुँचते हैं ... वहां का इमरजेंसी डिपार्टमेंट तुरंत हरकत में आता है ... वर्षा रिसेप्शनिस्ट के पास दौड़ती हे ... वह सांता ताई को हॉस्पिटल में एडमिट करने केलिए जो भी प्रोसीजर होता हे ,, वह सब फॉलो करती हे ... छोटा सा रघु भी उसके पीछे पीछे दौड़ रहा था ...
To be continued ...
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... कहानी अब तक ...
... सुबह के 6 बजे ... सरला हॉस्पिटल ...
... बर्षा ने सारे प्रोसीजर पूरा कर के सांता ताई को हॉस्पिटल में एडमिशन करवा चुकी थी ... इसी चक्कर उसकी puri सैलरी जो की पचीस हजार ki थी ,, उसने वह भी जम्मा करा दिआ था
.. टेंशन में पूरी रात बित गयी थी ... रघु भी बिना पलके झपकाए जगा हुआ था ... अभी तक कोई डॉक्टर emergency ward se bahar नहीं आया था ... रात भर नर्स और डॉक्टर भाग दौड़ रहे थे ... कोई कुछ नहीं बोल रहा था लेकिन चेहरे से ही पता चल रहा था की सांता ताई की कंडीशन क्रिटिकल हे ...
.. तभी एक नर्स आती है .. वह बर्षा को देख कर ,, आपका पेसेंट का नाम सन्ति शिब प्रसाद हे ... जो की एक सवाल था ... बर्षा ,, जल्दी से हाँ ... वह हमारी पेसेंट है ...सब ठीक हे ना ... नर्स ,, फिर से ... वह डॉक्टर ने आपको बुलाया हे ,, फिर सामने दिखते हुए ,, वह रहा उनका चैम्बर ... जिस पर बिस्वजीत सिंह ,, कार्डियोलॉजिस्ट लिखा हुआ था ... बर्षा कन्फर्म करने के इरादे से ,, doctor Biswajit..नर्स हम्मि में सिर्फ हल्का सर हिलाति है .. और चली जाती है ... नर्स जाने के बाद वर्षा उसी और मुड जाती है ...
.. Doctor 'chamber ...
बर्षा पॉलिटेली ,, मे आई कम इन डॉक्टर ... डॉक्टर बिना भाब के कम इन केहता है ... डॉक्टर की परमिशन पाने के बाद बर्षा अंदर आती है ... डॉक्टर बिस्वजीत ,, एक जाने माने कार्डियोलॉजिस्ट है ... वह पहले से ही सांता ताई को जानते थे ... इसीलिए सांता ताई की सेहत के बारे में उन्हें पता था ... वह सांता ताई को जितनी हो सके मदद कर सकते थे ,, उन्होंने उतना किआ था ... लेकिन आज का माहौल कुछ अलग हे ... वह चाह कर भी उनकी मदद कर नहीं सकते थे .. और ज्यादा उनकी तबियत के बारे में छुपाना भी उन्हें सही नहीं लग रहा. था ...
डॉक्टर और बर्षा आमने सामने बैठे थे ... बर्षा जो की बाइस साल की अनाथ लड़की ,, जिसकी सहारा हे सांता ताई ... वह कैसे बता सकते थे जिस पर वह आश्रित हे वह अभी ज्यादा दिन नहीं. बचेगी ... या कहे बचने केलिए जितना पैसा लगेगा वह चाह कर भी इस जन्म में कमा नहीं पड़ेगी ... लेकिन अपने प्रोफेशन की वजह से ,, पेसेंट की हर डिटेल उनके घरवालों को सही से समझाना भी डॉक्टर की ड्यूटी हे ... आज पहली बार डॉक्टर बिस्वजीत को सचाई बताने केलिए झिजक हो रही थी ...
वर्षा डॉक्टर को देखते हुए ,, अंकल ... ताई को क्या हुआ है ... डॉक्टर कुछ सोचते हुए ,, बर्षा .. सांता ने कभी उसकी बीमारी के बारे में बात की है ... बर्षा परेशानी के साथ ,, ज्यादा नहीं अंकल .. जब भी पूछती थी ताई हमेशा कुछ ना कुछ केहके टाल देती थी ... डॉक्टर फिर से ,, वह तुम्हे क्या कहती थी ... बर्षा फिर से ,, ताई को ज्यादा पूछने से पेहले तो जोर से झिड़क देती थी ... जब. में उदास होती थी ... तो हस्स के बात ताल देती थी की सिर्फ खासी हुई हे ... इंसान आराम से खास. भी नहीं सकता हे क्या ... मेने बहुत बार उनके साथ हॉस्पिटल आने की जिद्द भी की थी ,, लेकिन वह बच्चों का कुछ ना कुछ काम बता कर मुझे घर में ठेहरा देती थी ... डॉक्टर फिर से ,, तुम्हे कभी डाउट नहीं हुआ ... बर्षा फिर से ,, उन पर इतना यकीन हे की हर डाउट हमेशा दम तोड़ देता है ...
बिस्वजीत अपने नजर का चस्मा सही करते हुए कहते हैं ,, बर्षा बेटा सांता की हालत बहुत ख़राब है . . में जितनी मदद कर सकता था ,, या कहूं जितना मुझ से हो सकता था ... वह मेने किआ .. लेकिन अब लगता है की इस बीमारी का इलाज मुझ से भी नहीं होगा ... बर्षा ,, हैरान और परेशानी के साथ अंकल में आपका मतलब समझ नहीं पाई ... ताई को ऐसा क्या हुआ हे जो आप भी हार मान रहे हैं ... अगर आपसे नहीं होगा ,, जो कर सकते हैं उनके बारे में बोलिये ... में उनके पास ताई को लेके जाउंगी ... डॉक्टर एक फीकी स्माइल के साथ ताई के हार्ट में छेद है ... उनका इलाज इंडिया में नहीं फॉरेन में हो सकता है ... और जो डॉक्टर्स ऐसे केस लेते हैं वह हाइली क्वालिफाइड होते हैं और उनकी फी भी एक नार्मल इंसान केलिए बहुत मतलब बहुत ज्यादा होता हैं ...
बर्षा ,, ना हार मानते हुए फिर भी अंकल कितना खर्चा आएगा ... डॉक्टर अफ़सोस के साथ करीबन दो करोड़ तो लगेगा ही ... बर्षा ,, फिर से अंकल अगर में दो करोड़ अरेन्जमेन्ट कर दूंगी ,, क्या आप मेरी मदद करेंगे ... डॉक्टर हैरानी के साथ लेकिन इतने पैसे कहाँ से लाओगी और बचे मेने दो लाख नहीं दो करोड़ बोला है ... बर्षा ,, कुछ सोचते हुए ये तो पता नहीं दो करोड़ कहाँ से लाऊंगी ,, लेकिन ये पता हे जो भी हो मुझे दो करोड़ से ज्यादा पैसा लाना पड़ेगा ... डॉक्टर फिर से झूटी उम्मीद मत पालो बीटा ,, बहुत तकलीफ होगी ... बर्षा फीकी हसी के साथ जिसे आप उम्मीद कह रहे हो अंकल वह मेरी जिंदगी हे ... माँ केसी है पता नहीं ... बाप केसा हे पता नहीं ... लेकिन जो भी हे या थे वह मेरी ताई की बराबरी नहीं कर सकते हैं ... फिर कुछ सोच कर डॉक्टर अंकल ,, क्या ताई को पता हे उनकी तबियत कितनी सीरियस हे ... डॉक्टर फिर से ,, वह अंदर से ज्यादा टूट ना जाए इसीलिए ज्यादा कुछ बताया नहीं ... बर्षा कुछ सोच कर मत बताइये ... डॉक्टर परेशानी के साथ लेकिन बीटा सही ट्रीटमेंट ना मिलने से वह एक महीने से ज्यादा दिन नहीं बचेंगे ... बर्षा अपना आँशु पोछते हुए वक़्त बदलने में एक दिन भी कम हे अपने तो एक महीने दिआ हे ... डॉक्टर फिर से .. बीटा ये कुछ मेडिसिन हे जो उन्हें थोड़ा रहत देगी ... बाकि पैसे की अरेन्जमेन्ट होने के बाद बोल कर चुप हो जाते हैं ... और एक प्रिस्क्रिप्शन देते हैं ... बर्षा भी अपने आँशु पोछते हुए ,, हिम्मत को बटोरते हुए उस पर्ची को पकड़ती है ... मरियल कदमो के साथ बाहार चली जाती है ....
To be continued ...
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... कहानी अब तक ..
... एक हफ्ते के बाद ... शाम के छ: बजे ... ब्लू मून (इमेजिनरी कैफे ) एक प्राइवेट रूम ...
... अमन बड़े ही बेशब्री से किसी का इंतजार कर रहा था ... आज पेहली बार tha वह थोड़ा कंफ्यूज था ... उसके दिल और दिमाग में जाने कितने सवाल हिचकोले खा रहे थे sirf use hi pata tha .. अमन मन में ,, क्या में जो कर रहा हूँ वह सही है . ... अगर बात कुछ इधर उधर हुई तो जुते से तो कुटाई हो जायेगी ... इसीलिए तो यह प्राइवेट रूम लिआ हे ,, जितना इंसल्ट होना हे इस कमरे. में ही रहे .. ज्यादा बात बढ़ेगी तो उसके पैर भी पकड़ लूंगा ... हे भगवन ,, जाने मुझे केसा बॉस दिआ हे ,, जिस की वजह से जूते की मार तक खाने की नौबत आ गयी हे ... हे भगवन ,, ये मेरी रिक्वेस्ट हे आपसे जो भी करना ऐसा बॉस किसी को भी मत देना ...
... इसी बिच दरवाजा नॉक होता हे ,, जिसे अमन थोड़ा हड़बड़ा जाता हे ... फिर धीरे से ,, क्या भगवन आप भी मुझे जूते खिलने केलिए इतनी जल्दी में है ... फिर से दरवाजा नॉक होता हे ... वह थोड़ा सँभालते हुए ... कम इन केहता हे ...दरवाजा खुलता हे ,, एक तिस बारिस साल का लड़का वेटर के ऑउटफिट में अंदर आता हे ... उसे देख कर ही अमन का मुँह बन जाता हे ...
वेटर ,, अमन को ग्रीट करता है ... एक चमचमाती मेनू कार्ड देता है ... और बहुत ही पॉलिटेली बोलता है ... सर आप क्या आर्डर करना पसंद करेंगे ... अमन मेनू कार्ड इधर उधर करते हुए अभी तो एक जूस ले आओ ... बेल को दिखते हुए ,, बाद में आर्डर करता हूँ ... वेटर भी स्माइल के साथ चला जाता है ... अमन मन में अरे यार बात कहाँ से सुरु करूँ ...
कुछ देर बाद फिर से दरवाजा नॉक होता हे ... अमन में अबे इतनी जल्दी ये वेटर भी आ गया ... क्या इनका सर्विस इतना फ़ास्ट हे ... फिर से बेरुखी से कम इन कहता हे ... दरवाजा खुलता हे ... सामने बर्षा khadi थी ...
बर्षा जो येलो कलर की कुर्ती और वाइट चूड़ीदार पहनी थी ... उसने वाइट कलर की चुनरी साइड में ली थी ... अपने लम्बे बालों को ढीले ढले चोटि me बनाई थी ... आँखों में नजर का चस्मा ... डरा सेहमा चेहरा ... गालो पर एक बाल की लट पड़ रही थी जिसे वह बार बार हाथों से कानो के पीछे कर रही थी ... उसकी बॉडी लैंग्वेज से पता लग रहा था वह नर्वस हे ,, जिसे वह हर तरीके से chupane ki ना कामियाब कोसिस कर रही हे ...
अमन ,, बर्षा से .. अरे तुम आ गयी ... आओ यहां बैठो केह कर चेर की और इशारा करता हे ... बर्षा भी वहां जा कर बेथ गयी .. वह बार बार अपनी हाथ को दूसरे हाथ में फसा रही थी ... अमन मन में अरे यार ये तो बहुत नर्वस हे ... अब तो मुझे ख़राब लग रहा है ... ये ऐसे बिहेव क्यों कर रही हे ... भगवन ने तो सकल ठीक ठाक दिआ हे ... औरे me तो लड़कियों से softly बात करता हूँ ...फिर भी ...
मुझ से डरती हे ... ये अजीब हे या में अजीब बन गया हूँ ... खेर जो भी हो बात तो करनी पड़ेगी ही ...
.. अमन बर्षा से ,, बर्षा क्या लोगे ... बर्षा धीरे से सर उठा कर ना में सर हिलाती हे .. अमन उसे कम्फर्ट करते हुए अरे ऐसे कैसे ... ऐसे थोड़ी ना होता हे ... चाय या कॉफ़ी कुछ तो मँगाओ ... नहीं तो तुम्हारी वजह से में भी कुछ नहीं आर्डर कर पाऊंगा ... और ऐसे बात करने में भी मुझे अच्छा नहीं लगेगा ... बर्षा का चेहरा अब भी सपाट था ... अमन अपनी और से ,, ठीक हे दो कैपेचीनो मँगलेता हूँ ... ठीक हे ना ... बर्षा धीरे से ठीक हे ...अमन बेल बजता हे तो एक वेटर आता हे .. अमन अपनी आर्डर बता देता हे ... वेटर भी आर्डर लेके चला जाता हे ...
कुछ देर बाद उनका आर्डर आ जाता हे ... और दोनों ही कॉफ़ी पीते हैं ... अमन कुछ हलके फुल्के सवाल पूछता हे जो बर्षा के घर और उसकी बैकग्राउंड के बारे में होता हे ...
... बर्षा थोड़ा नर्वस होते हुए ,, सर ये सब तो मेरे रिज्यूमे में भी हैं ....मेने सभी डिटेल्स दिए हैं ... आप ऑफिस में भी तो पूछ सकते. थे ... फिर इस जगह ... लास्ट लाइन कहते वक़्त उसके चेहरे पर झिजक थी ...
... अमन बिना बात को घुमाये ... बेशक ये सब मुझे आपकी रिज्यूमे से मिल चूका हे ... लेकिन मुझे कुछ डाउट था जो में छह कर भी में ऑफिस में नहीं पूछ सकता था ... वर्षा हैरानी से ,, सर में समझी नहीं ... अमन हलके स्माइल के साथ आपसे बात कर के इतना तो पता चल चूका हे की आप बहुत मासूम हे ... तब बर्षा के आँखों में हैरानी थी ... जैसे वह पूछना चाहती हे आखिर आपको जानना क्या हे ... अमन उसकी मनसा जानते हुए सिर्फ कन्फर्म होना चाहता था की आप बेवकूफ हो या हद से ज्यादा मासूम ...
बर्षा ना समझी में सर में कुछ समझी नहीं ... अमन फिर से ,, वर्षा आपकी सैलरी कितनी हे ... बर्षा बिना भाब के पचीस हजार ... अमन फिर से उस हिसाब से एक साल की सैलरी ... बर्षा फिर से मुहं लटका कर तीन लाख ... अमन फिर से दस साल की सैलरी ... बर्षा फिर से तिस लाख ... अब उसे कुछ कुछ समझ आ रहा था ... अमन शांत लेहजे के साथ ये सिर्फ आपकी नेट इनकम हे ... उसमे कोई आपकी पर्सनल एक्सपेंस की बात की नहीं गयी हे ... और अपने सीधे एक करोड़ की लोन केलिए अप्लाई किआ हे ...
... अब क्या जवाब देगी बर्षा ,, अमन के सवाल का ... एहि सब जानने केलिए रहिये मेरी कहानी के साथ ...
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... कहानी अब तक ...
... ब्लू मून कैफे ( इमेजिनरी नेम )
... बर्षा सर झुका के बैठी थी ... उसके पलके भीगी थी ... उसके आँशु बह रहे थे जिसे वह पोंछ रही थी ... अमन को अजीब लग रहा था लेकिन वह जानने केलिए बेशब्र भी था की कोई ऐसे बेवकूफी कैसे कर सकता हे ... वह चाहता था तो उसे केबिन में भी उसकी बेवकूफी केलिए उसे बेइज्जत भी कर सकता था ... लेकिन उसे बर्षा की चेहरे पर जो मासूमियत दिखती थी ,, जिसकी वजह से वह उसे कैफे में बुलाया था ... उसकी आँखे तब हैरानी से फेल गयी थी जब उसने बर्षा की छान बिन की थी ,, कैसे एक पचीस हजार सैलरी पानेवाली लड़की एक करोड़ की लोन केलिए अप्लाई कर सकती थी ... और उसे इम्पोर्टेन्ट देने की और एक वजह ये भी थी की बिक्रम पेहली बार किसी लड़की के बारे में जानने केलिए इंट्रेस्टेड था ,, जो की बिज़नेस रिलेटेड कतहि नहीं था ...
वर्षा अपने आपको सँभालते हुए ,, मुझे पैसे की बहुत जरुरत हे सर ... अमन फिर से ,, मिस बर्षा ,, पैसे की सब को जरुरत हे लेकिन उनकी जरुरत के हिसाब से ... लेकिन आप जो कीमत चाह रही हे ,, उसमे ज़मीन आसमान का फर्क हे ...माफ़ करना अगर मेरी बात आपको ख़राब लगे ,, लेकिन जैसी आपकी लुक्स हे ... मुझे नहीं लगता आप इतना मेहेंगा लाइफ स्टाइल की शौकीन होगी ... बर्षा फीकी हसि के साथ ,, आप सही कह रहे हैं मेरी हैसियत और जरुरत में जमीं आसमान का फर्क हे लेकिन सचाई ये भी हे की इस पैसे केलिए में कुछ भी कर सकती हूँ ... अगर मुझे मरना पड़े तो भी में पीछे हट नहीं सकती ... अमन गंभीर होते हुए ,, वजह में जान सकता हूँ जिस पैसे केलिए आप खुद की जान भी दे सकती हैं ... बर्षा कुछ सोच कर ,, सर में नहीं चाहती कोई मेरे मज़बूरी पर तरस खाये या में किसी की बात सुनु जो मेरे कान को अच्छे लगे ... फिर अमन के आँखों में देखते हुए आप सिर्फ इतना बता दीजिये मुझे मदद मिल सकती हे या नहीं ... या में कोई दूसरा ऑप्शन देखु ...
अमन मन में इस लड़की में ऐटिटूड कोई कमी नहीं हे ... जरुरत इसकी हे लेकिन ... खेर लड़की तो जेनुइन लग रही हे ... बाद में इन्वेस्टीगेट कर के पता भी लगा लूंगा ...
... अमन फिर से ,, देखो मिस आप जो डिमांड कर रही हो .. उसे हमारी कंपनी क्या कोई भी कंपनी पूरा नहीं कर सकती हे ... इतना सुन्ना था की बर्षा खड़ी होती हे और जाने केलिए जैसे ही आगे बढ़ती हे ...तभी अमन फिर से ,, मिस आप कड़ी. क्यों हो गयी ... अभी तक मेने आपसे पूरी बात बताया नहीं ...
.. बर्षा मन में ये रइसजयदा क्या मेरी मज़बूरी की खिली उड़ाना चाहता हे या और कोई बकवास करना चाहता हे ... खेर बॉस हे तो सुन लेती हूँ ... वैसे भी आधे घंटे बर्बाद हो चूका हे और दस मिनट और सही ... वर्षा फिर से बेथ जाती हे लेकिन नजरे उसकी निचे झुकी हुई थी ... वह अपनी भाबना को जाहिर नहीं करना चाहती थी ... वह अपनी मज़बूरी किसी को बताना पसंद नहीं करती और वहां तो कतहि नहीं जहाँ उसे कोई मदद ना मिले ...
अमन का बात मानते हुए वह फिर से बेथ गयी ... लेकिन कुछ तो झिजक थी जिसे उसे भी बोलl नहीं जा रहा था ... उसकी छुपी को मेहसूस करते हुए बर्षा अमन की और देखते हुए ,, सर आप कुछ केह रहे थे ... अमन फिर से ,, हाँ में केह रहा था की में आपकी मदद कर सकता हूँ ... यह सुनते ही बर्षा की आँखों में उम्मीद की चमक आ जाती हे ... वह बहुत गौर से उसे देखती हे ... अब ऑकवर्ड होने की बlरी अमन की थी ... अमन बहुत ही गंभीरता के साथ कहता हे ,, मेने जैसे कहा आपकी डिमांड हमारी कंपनी का दूसरी कोई भी कंपनी पूरा नहीं कर सकती ... वह वजह भी मेने आपको समझा दिआ हे ... लेकिन जब आप अपनी जान देने तक बोल रहे हो इसका मतलब साफ हे की जरुरत भी बहुत बड़ी ही होगी ... मेरे पास एक प्रपोजल हे ,, जो आपको सुनने में अच्छा ना लगे ... लेकिन ... लेकिन ... अगर आप मेरे प्रपोजल एक्सेप्ट करती हैं तो में वादा करता हूँ ,, आपको मुहवाजा आपकी जरुरत से कहीं गुना अच्छा मिलेगा ...
अमन की बात सुन्न कर ही बर्षा के मना में एक अजीब सी बेचैनी ने घर कर लिआ .. उसे जितनी खुसी होने की बात थी उसे कहीं गुना एक डर उसके मना में घर कर लिआ ... आखिर ये इंसान चाहता क्या हे ... ये इतनी मेहरवान क्यों हो रहा हे ... क्या बाकई इसका प्रपोजल एक्सेप्ट करने लायक हे भी या नहीं ... क्या ये मुझ से कोई गलत काम तो नहीं करवा येगा ... नहीं नहीं में जान दे सकती हूँ लेकिन में कोई ऐसा काम नहीं करुँगी जिसे मुझे जेल जाने पड़े ... लेकिन सांता ताई केलिए में मुहं तो मोड़ नहीं सकती हूँ ... बहुत देर तक बर्षा खामोश देख कर अमन फिर से ,, मिस बर्षा क्या आप मेरे प्रपोजल सुनेंगी .. हाँ आप मना भी कर सकती हे ... में आपको फाॅर्स नहीं करूँगा ... बोल कर वह बर्षा को गौर से देखता हे या कहे उसकी फेसिअल एक्सप्रेशन को अछेसे ऑब्ज़र्व करता है ..
तो क्या हे अमन का प्रपोजल ... क्या बर्षा उसे अपनाएगी या ठुकराएगी ... एहि सब सवालों के जवाब जानने केलिए रहिये मेरी कहानी के साथ ....
Pinky डोरा 'Pinky"$$$$$$
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... कहानी अब तक ...
... बर्षा भी समझने की कोसिस कर रही थी या कहे संका में थी की जो काम ये बताएँगे ,, सच में वह करने लायक हे भी या नहीं.. लेकिन दिल उसका इज्जाजत नहीं दे रहा था जहाँ उसके प्रिंसिपल के खिलाफ जाना . Pade .. बर्षा एक गेहरी साँस लेकर ,, जी कहिये .. फिर बड़बड़ाते हुए मेरी हालत वैसे भी मरता क्या ना करता वाली हे ...
.. अमन भी कुछ सोच कर ,, मिस बर्षा आपका कोई बॉय फ्रेंड हे या किसी से शादी वादी वाला किसा हे ... बर्षा हैरानी के साथ आप क्या पूछ रहे हैं ... मेरी मज़बूरी पर ऐसे बिन सेर पैर वाले सवाल ... फिर थोड़ा रुक कर अफ़सोस के साथ घुसे को दबाते हुए ... सोभा नहीं देता हे . Sir apko .. अभी वह जितने घुसे में थी इस जगह अगर अमन के अलावा कोई aur होता तो बर्षा उसे मार मार कर कचूमर निकाल देती ..
... अमन हाथ दिखlते. हुए ... रिलैक्स मिस.. में भी बहुत सीरियस हूँ ... मेरे सवाल बिना सर पैर के नहीं हे ... आप जो काम करने वाली हैं ,, उसके लिए इस सवाल का जवाब मुझे जानना बहुत जरुरी हे ...
अमन को भी बर्षा के आँखों में गुशा दिख रहा था ,, माहौल को नार्मल करने केलिए मिस किसी भी बात को आधा अधूरा सुन कर रियेक्ट करना ,, समझदारी की निशानी नहीं होती ...
वर्षा जितना हो सके खुद को नार्मल करते हुए ,, सर आप अपनी बात को सीधे सीधे कहेंगे ... जिसे मुझे समझने में आसानी हो ...
... अमन भी आराम से ,, वर्षा तुम्हे शादी करनी होगी ... और वह भी एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज होगा ...
.. वर्षा हैरानी से लेकिन आप मेरी शादी क्यों करवाने चाहते हैं ... अमन फिर से ,, मुझे ये कत ही पसंद नहीं है कोई मेरी बात को बिच में काटे ... ये थोड़े घुसे में दबी हुई वार्निंग थी ...
... वर्षा एक गहरी साँस लेते हुए ओके ... आगे कहिये
..
.. अमन फिर से ,, एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज होगी ... तुम्हे एक या दो साल के अंदर बचा पैदा करना होगा ... बचा पैदा होने के बाद तुम इस शादी से पूरी तरह से आजाद हो जाओगी ... बचे को लेकर तुम्हारी कोई रिस्पांसिबिलिटी nahin होगी .. तुम अपनी जिंदगी आराम से बिता पाओगी ...
... वर्षा घुसे से आखिर अपने मुझे समझा क्या हे ... अगर आपको बचा ही पैदा करना हे तो किसी सरोगेट मदर के पास जाइये ना ... फिर तंज करते हुए ,, ये शादी वाला नौटंकी भी नहीं करनी पड़ेगी ...
अमन घुसे से लुक मिस .. जरुरत आपकी है ... में आपकी मदद कर सकता हूँ ... रास्ता आपको चुनना हे ... मेने पहले ही क्लियर कर दिआ था की आप ना भी कर सकती हैं ... फिर अपनी विजिटिंग कार्ड देते हुए ... प्रपोजल अगर आपको सही लगे तो आप इस नंबर पर कांटेक्ट कर सकती हैं ...यु में गो नाउ ...
.. बर्षा अमन को खली आँखों से देखते हुए ,, सर एक बात पुछु ... अमन भी अपना गुशा दबाते हुए आँखों से ही हामी भरता हे ...
...
... क्या कभी आपकी बेहेन इस तरह सिचुएशन में फासी तो ,, क्या आप भी ऐसी ही मदद करेंगे... ये बात कहीं ना कहीं अमन को तीर की तरह चुंगी ... अमन फिर से ,, में कभी ऐसी सिचुएशन आने नहीं दूंगा ... ये बात उसने थोड़े गुसे से कही थी और कुछ डाउट हे आपको ... बर्षा को कहीं ना कहीं जवाब मिल गया था की अनाथ होना कितना बड़ा अभिशाप हे ...
वर्षा कुछ नहीं कहती लेकिन उसकी आँखों से बेहते हुए आँशु बहुत कुछ कह रहे थे .. वह अपनी मज़बूरी पर फीकी से हसीं .. और जाने क्या सोच कर वह कार्ड लेकर अपने पर्स में रखती हे ... बिना कुछ कहे ही बाहार चली जाती हे या कहे उसका गला इतना भारी हो चूका था की वह कुछ कहने लायक ही नहीं बची ...
अमन मन में जानता हूँ में तुम्हारा साथ बहुत रुड बिहेव किआ ... लेकिन मुझे ऐसा क्यों लगता हे तुम ही परफेक्ट केस हो बिक्रम सर केलिए ... सर जैसी लड़की ढूंढ रहे हो तुम उस तरह की हर क्लज़ को फुलफिल करती हो ... ये किसी भी लड़की केलिए वाहियाद प्रपोजल हे लेकिन में प्रॉमिस करता हूँ तुम से इस प्रपोजल के फुलफिल होने के बाद तुम्हारी जिंदगी पूरी तरह बदल जायेगी .. तुम्हे जितनी सहलियत मिलनी चाहिए उसे कहीं गुना ज्यादा मिले ... में भी ऐसा कोई काम किसी गरीब अनाथ के साथ नहीं करूँगा ,, जहाँ मुझे मेरी नजर और उपरवाले के नजरों में गिरना पड़े ...
सुबह का वक़्त ... बिक्रम का चैम्बर ...
.. बिक्रम ,, अमन से .. क्या नाम था उस लड़की कl ... फिर याद करते हुए हम्म बर्षा ... उसके बारे में .. इतना बोलl ही था की अमन एक फाइल देते हुए ... सर आप मिस बर्षा की बात कर रही है ... वह एक अनाथ हे ... उसकी केयरटेकर या कहे गार्डन जो भी हे सांता ताई नाम की औरत हे .. वह एक उम्मीद नाम की ओर्फनेज चलाती हैं .. जहाँ करीबन दस बचे रहते हैं ... बर्षा भी ऊनि में से एक है ... और उनकी जितनी भी एक्स्ट्रा डिटेल्स हे वह इस फाइल में हैं ... बर्षा के बारे में जानने के बाद बिक्रम को थोड़ा उस पर सिम्पैथी आता हे ,, जो उसे बहुत आराम से छुपा देता हैं ...
.. बिक्रम फिर से ,, क्या उस लड़की के साथ प्रॉब्लम हे .. अमन अजीब नजरों के साथ मतलब ...बिक्रम कुछ सोच कर कुछ पास्ट ट्रोमा हे क्या .. अमन फिर से मुझे तो अभी तो कुछ नहीं मिला ... लेकिन आप अगर जानना चाहते हैं तो में फिर से उस पर इन्वेस्टीगेशन करूँगा ... बिक्रम को बहुत कुछ पूछना था लेकिन मन में एक अजीब सी आवाज आई आखिर तू उसके बारे में इतना क्यों जानना चाहता हे ..बिक्रम खुद को सँभालते हुए अच्छा .. यु में go नाउ बोलता हे ... अमन भी बाहार चला जाता हे ...
आखिर क्यों बिक्रम ,, बर्षा के बारे में जानना चाहता हे ?? क्या बर्षा ये प्रपोजल एक्सेप्ट करेगी ?? क्या अमन जो कर रहा हे सही हे ... एहि सब सवालों के जवाब जानने केलिए रहिये मेरी कहानी के साथ ...
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