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माय एलियन हसबैंड

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यह कहानी नोलन और सिंहली की है। सिंहली एक मिडिल स्कूल टीचर है एक स्ट्रॉन्ग मगर नटखट लड़की , जिसका खुद का परिवार उसे मनहूस समझता है। उसकी लाइफ अब तक जो कुछ भी हुआ काफी बुरा हुआ। किसी के साथ कुछ भी बुरा हुआ और अगर गलती से भी सिंहली वहा दिख गई तो सार...

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सिंहली

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नोलन

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Total Chapters (27)

Page 1 of 2

  • 1. माय एलियन हसबैंड - Chapter 1

    Words: 1336

    Estimated Reading Time: 9 min

    यह कहानी नोलन और सिंहली की है।
    सिंहली एक मिडिल स्कूल टीचर है एक स्ट्रॉन्ग मगर नटखट लड़की , जिसका खुद का परिवार उसे मनहूस समझता है। उसकी लाइफ अब तक जो कुछ भी हुआ काफी बुरा हुआ।
    किसी के साथ कुछ भी बुरा हुआ और अगर गलती से भी सिंहली वहा दिख गई तो सारा दोष उस पर मढ दिया जाता।
    सिंहली को अपना घर छोड़ना पड़ा, परिवार छोड़ना पड़ा, अकेले रहने को मजबूर हो गई। अब भी समाज ने उसे ताने देना बंद नहीं किया। उसका परिवार सिंहली को उन्हे आर्थिक रुप से सहयोग देने पर मजबुर करती है सिंहली स्ट्रॉन्ग है पर इमोशनल भी होती है वो अब भी अपनी आधी सैलरी अपने परिवार को देती है।
    वही दूसरी तरफ नोलन।
    टीनरिक t1 प्लेनेट में रहता है जहां लोगो की लाइफ काफी ज्यादा कंट्रोल्ड है।
    कोई भी कपड़े जैसी वस्तु नही पहनता।
    वहा लोग खाना नही खाते बल्कि सिर्फ चांद की रोशनी और दिन के सुरज की प्राकृतिक रोशनी को खा कर ऊर्जा लेते है।

    टीनरीक प्लेनेट के लोगो की एज सिर्फ 40 साल है इसलिए जहां पृथ्वी पर 21 साल की उम्र के लड़के को जवान बोला जाता है टीनरिक प्लेनेट के लोग इन्हें अधेड़ बुलाते है।
    यहां जवान होने की उम्र 13 साल है।
    नोलन 20 साल का है और जल्दी ही एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति कहलाया जाएगा।
    टीनरिक प्लैनेट के चीफ हुबाओ जो सबको कंट्रोल करता है।
    अपनी पहली बनाई स्पेसक्राफ्ट पर नोलन को स्पेस मिशन पर भेजता है।

    चूंकि नोलन जल्दी ही अधेड़ उम्र में आने वाला था ये उसका आखरी मिशन था जो उसे पूरा करना था ।

    हुबाओ उसे एक नीला द्रव्य पीने को कहता है जो इस मिशन की पुरी अवधि तक उसे मनचाहा रूप बदलने की क्षमता देगी।

    वो इस द्रव्य को पीने के बाद अपनी नीली आंखों से जिसे देखेगा उसका गोल मटोल लंबा शरीर बिल्कुल उस जैसा दिखने लगेगा।

    हां इस प्लैनेट के लोग काफी गोल मटोल, लम्बे पर काफी क्यूट से खरगोश जैसे दिखते है, इनके फीचर भी कुछ कुछ वैसे ही है।
    यहां तक इनके शरीर पर वैसे सफेद फर भी है।
    ये फर जितने मुलायम और घने होते है उसे उतना ही अट्रेक्टिव समझा जाता है।
    नोलन के शरीर पर फर ही नही है इसलिए आज तक उसे किसी लड़की ने पसंद नही किया।

    नोलन ने अपनी जवानी मिशन में लूटा दी और अब एक आखरी मिशन पूरा करने जाता है पर इस बार उसकी स्पेस क्राफ्ट तकनीकी खराबी से क्रेश हो जाती है और वो सीधा पृथ्वी पर आकर गिरता है।

    क्या होगा जब दो परग्रही मिलेंगे ।
    क्या नोलन और सिंहली एक दूसरे की जिंदगी की कमियों को पूरा कर पाएंगे?
    जानने के लिए पढ़िए।
    माय एलियन हसबैंड

    *****

    पृथ्वी पर आज मौसम अच्छा नही है, आंधी तूफान ने सबकी रोजमर्रा की जिंदगी को तहस नहस कर रहा है।
    तूफान में कुछ कारे अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचने की कोशिश कर रही है।
    आकाश में एक सितारा कही गिरता हुआ सा प्रतीत हो रहा है।
    बिजलियों की कड़कन के साथ एक तेज धमाका होता है जैसे कोई बॉम्ब गिरा हो।
    आसपास के लोग अपने घरों से बाहर आ आकाश को देखने लगी।।
    कौंधती हुई बिजली उनकी आंखों की पुतलियों में दिख रही थी।
    ऐसा तूफान कभी नही आया।
    कुछ लोग आपस में फुसफुसाने लगे।
    दूर कही एक कार पर स्पेसक्राफ्ट क्रेश हो चुका था।
    कार की बुरी तरह धज्जियां उड़ चुकी थी।
    कुछ खरगोश मानव जैसा दिखने वाला प्राणी लड़खड़ाते कदमों से बाहर आया की गिर पडा।
    उसके हाथो में नीला द्रव्य था।
    उसने अपने खरगोश जैसे मुंह को चांद की दिशा में खोला।
    उसका शरीर एक दम से हवा में उड़ गया।
    चांद की सफेद शीतल रोशनी उसके मुंह में समा रही थी। धीरे धीरे उसके घाव भरने लगे।
    एक गहरी हुंकार खींचते हुए वो फिर से जमीन पर गिर गया।
    उसका शरीर अब कुछ ऊर्जावान महसूस कर रहा था।
    बारिश की बूंदे उसके शरीर को भिगो रही थी।
    वो बिल्कुल गीला हो चुका था।
    उसने चारो तरफ देखा है।
    मिट्टी , आकाश, बारिश, बादल, बिजली, और एक कार।
    एक हाथ खून से सना बाहर निकला।
    उस प्राणी की आंखे फैल गई।
    वो तुरंत फुर्ती से उठ क छिप गया।

    एक 30 साल का नौजवान उस कार से बाहर आने की कोशिश कर रहा था पर उसका शरीर उसका साथ नही दे रहा था।
    उस प्राणी ने खुद को देखा और फिर उसे।
    उसने तुंरत अपने हाथ में पहनी घड़ी जो कुछ किसी रैबिट के मुंह की तरह थी।
    उसने उसके मुंह के अंदर अंगुली डाल दी।
    एक तेज रोशनी निकली और वातावरण की रोशनी को अपने अंदर खींचने लगी।
    जैसे यादें जुटा रही थी।
    एक छोटा सा रैबिट का होलोग्राम उस प्राणी के सामने आया वो फुदक रहा था।
    प्राणी ने उसे देख सर हिलाया जैसे उसकी भाषा बिना शब्दो के समझ गया हो।
    उसने अपनी आंखे बंद कर ली और एक दम से कुछ पृथ्वी की भाषाएं, उनके लोगो की तस्वीरे, उनका रहन सहन, सब उस होलोग्राम में दिखने लगे।
    प्राणी ने अपनी आंखे खोली तो सब कुछ उसकी आंखो में समा गया।
    प्राणी ने घड़ी बंद कर दी और उस कार की तरफ देखा।
    लहुलुहान वो नौजवान कार से आधा लटका हुआ था।
    उसके खून के छींटों से मिट्टी का रंग लाल हो गया था।
    "विचित्र जीव! विचित्र ग्रह!"
    उस प्राणी ने धीमे धीमे अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाए।
    एक शंका, एक डर , घबराहट , एक झुनझुनी सी।
    बारिश की बूंदे उस प्राणी के तन से बहते हुए जमीन पर टपक रही थी।
    एक अजीब सी खुशबू थी, वो खुशबू जो किसी भी इत्र से ज्यादा सुगंधित थी।
    उस नौजवान की अंगुलिया हिली।
    काफी दर्द में लग रहा था।
    उसकी सांसे रुकने को थी।
    प्राणी ने उसके सर पर हाथ रखा।
    उसकी खरगोश जैसी अंगुलिया उसके सर को सहला रही थी।
    "बचना ना मुमकिन है!" प्राणी ने जैसे खुद से ही अनुमान लगा लिया।
    उसने अपना नीला द्रव्य निकाला और कुछ घूंट पी लिया।
    उसकी नीली आंखे चमक उठी।
    जैसे कुछ स्कैन कर रही हो।
    प्राणी घुटनो के बल उस नौजवान के पास बैठ गया और उसका चेहरा देखने लगा।
    धीरे धीरे उसका शरीर उसका चेहरा उस नौजवान के चेहरे में बदलने लगा।
    वो पूरी तरह से उस नौजवान की प्रतिलिपि दिखने लगा था।
    पर कुछ जो नही बदला था उसकी नीली आंखे जो अभी भी चमक रही थी।
    प्राणी ने उस नौजवान की आंखो पर हाथ रखा।
    वो उन्हें देखना चाहता था।
    पर वह नौजवान अपनी आखरी सांसे ले चुका था उसकी आंखे कभी ना खुलने के लिए बंद हो चुकी थी।
    "नोलन!" नौजवान के हाथ पर कुछ टैटू गुदा देख वो बुदबुदाया।
    उसका नाम नोलन था अब वो प्राणी नोलन की सारी यादें खींचने के लिए नोलन के दिमाग को स्कैन कर रहा था।
    जैसे वो उसकी यादें खींच रहा हो।

    "नोलन!",
    अचानक कुछ लोगो के चीखने की आवाज आई।
    उस प्राणी ने मर चुके नोलन को देखा और एक ही झटके में उसे उठा 11.8 मीटर सेकंड की गति से 45 डिग्री झुककर उसे स्पेस में फेंक दिया।
    नोलन का शरीर स्पेस की गर्मी में जलकर राख में बदल चारो तरफ फैल गया।
    स्पेसक्राफ्ट एक अदृश्य शीट से कवर हो गई ।
    कोई चाहता तब भी उसे नही देख सकता था।
    "नोलन!" एक अधेड उम्र की औरत भागते हुए आई और उस प्राणि के गले लग गई।
    उस प्राणि के हाथ हवा में उठ गए, वो हैरानी से उसे देख रहा था।
    "मेरे बेटे; मूझसे नाराज होकर तू मुझे छोड़ कर जा रहा था! मुझे माफ कर दे, अब मैं वही करूंगी जो तू चाहेगा"
    "मां!", वो प्राणी कुछ बुदबुदाया।
    हथियारों से लैस बॉडीगार्ड्स वहा आ गए और चारो तरफ से नोलन के लिए सुरक्षा के घेरा बना खड़े हो गए। जैसे नोलन को कोई खतरा था।।

    नोलन ने अपनी पलके झपकाई।
    उसकी मां उसकी शादी को लेकर दवाब डाल रही थी उसी गुस्से में अपनी कार लेकर भागा था और उसकी बुरी किस्मत की स्पेस क्राफ्ट उसी के उपर आ गिरा।
    पर किसी का बुरा किसी के लिए अच्छा हो गया।
    उस परग्रही को इस पृथ्वी पर रहने के लिए नया चेहरा मिल गया और नई पहचान भी।

  • 2. माय एलियन हसबैंड - Chapter 2

    Words: 861

    Estimated Reading Time: 6 min

    सिंहली… हिरनी जैसी आंखों वाली एक कोमल सी लड़की! दिखाने में इनोसेंट सी पर बहुत नटखट।


    तेज अंधड़ और बारिश में सिंहली अपनी घर की खिड़की उस तारे को गिरते हुए निहार रही थी।
    अचानक एक धमाके से सिंहली की आंखे बंद गई।
    उसने डर से खिड़की बंद कर दी।
    उसकी सांसे तेज हो गई थी।
    सिंहली ने अपनी नन्ही सी नाक को सहलाया।
    उसका कमरा कम कबाड़ ज्यादा था।
    बेड पर ही कपड़े बिखरे हुए थे ।
    आदिम काल की लकड़ी की अलमारी। पास ही एक प्लास्टिक का बड़ा डब्बा जिसमे सिंहली के इस्तेमाल किए कपड़े पड़े थे।
    दीवार पर एक छोटा सा कैलेंडर जो हवा की वजह से हिल रहा था और एक छाता और रेनकोट जो दीवार पर लगे हैंगर में लटका रखा था।
    उसी कमरे में बाथरूम अटैच था।
    पर किचन नही था।
    सिंहली ने कोने पर बिजली से चलने वाली अंगीठी रख रखी थी । जिसे वो कभी कभी बाहर से लाया खाना गर्म करने के लिए इस्तेमाल करती थी कभी बस हाथ सेंकने के लिए।

    बारिश और आंधी अभी भी थमी नहीं थी की सिंहली के कमरे की दीवार लीक करने लगी।
    सिंहली तुरंत बाथरूम से बाल्टी लेकर आई और उसे बेड पर रख दिया।
    पानी के टप टप की आवाज सिंहली को अच्छी लग रही थी। एक अजीब सा सुकून।
    इस अकेलेपन की शांति को चीरते हुए एक शोर।
    सिंहली मुस्कुराने लगी तभी उसके फोन की घंटी बजने लगी।

    पेपे पेपे प पेपे प प प पेपे……..
    कुछ शादी में बजने वाली शहनाई की रिंगटोन थी जिसने सिंहली को अलर्ट कर दिया।
    उसने अपनी छोटी सी नाक को छू , अपनी टी शर्ट को नीचे खींचा और कांपते हुए हाथो से अपने फोन को लेने के लिए बेड की तरफ बढ़ी।
    उसने फोन उठाया और गहरी सांस ले कॉल पिक कर कान के पास ले गई।
    एक जानी पहचानी सी आवाज उसके कानो में तीर सी उतरी।
    “मनहूस! इस महीने के पैसे नही भेजे तूने! तुझ जैसी मनहूस को पाल पोस कर बड़ा किया अब तुम्हारी हमे पालने की बारी आई तो बहाने कर रही है”

    सिंहली की आंखो में नमी उतर आई, उसने अपनी लीक होती छत को देखा, “पापा मेरी छत लीक कर रही थी! उसे ठीक करवाना था”
    “तू अपनी छत के लिए हमे भूखा मार देगी! तूझे पालने पोसने का फायदा क्या हुआ?”
    सिंहली का सर झुक गया।
    नाक बिल्कुल लाल हो गई।
    आंखो के आंसु टप टप पानी की बूंदों की आवाज के साथ मिलते हुए नीचे गिर रहे थे।

    तभी एक ओर कर्कश जानी पहचानी सी आवाज उसके जख्मों को कुरेदते हुए उसके नन्हे दिल को भेद गई।

    “मनहूस भूल मत! तूझे उस घटिया अनाथआश्रम से हमने तुझे गोद लिया! तुझ जैसी अनाथ को मां बाप मिले, हमने दिए! तेरी जैसी मनहूस ने हमे बर्बाद कर दिया! तू गई है तब से सुकून है तुझे क्या लगता है तू वहा रहेगी तो कुछ खराब नही करेगी! तू मनहूस है तू किसी को देख भी ले तो उसका दिन खराब हो जाता है, तेरी जैसी मनहूस को पाला है हमने! एहसान मान हमारा और पैसे भेज हमे”

    “भेज रही हु मां”, सिंहली ने अपना रोना छुपाते हुए अपने मुंह को कस कर अपनी हथेली से पकड़ लिया।

    सामने से कॉल कट गया।
    सिंहली ने सिसकते हुए अपने आंसु पोंछे और अपनी घर की छत को देखा।
    “मैं तुझे अगली बार ठीक करा लुंगी! तब तक ये बाल्टी है ना मेरी दोस्त”, सिंहली ने हल्की मुस्कान के साथ आधी भर चुकी बाल्टी को गले लगा दिया।
    बड़े दुख के साथ उसने पैसे ट्रांसफर किए, उसके पास रास्ता ही क्या था।
    सिंहली अपने पेरेंट्स से बहुत प्यार करती थी पर उसके पेरेंट्स उसे सिर्फ पैसों की मशीन समझते थे।
    सिंहली आज तक जिसके भी पास गई उसके साथ कुछ ना कुछ गलत हो गया , इसलिए सब उससे दुर भागते थे। और अब सिंहली भी उन्हें तंग करने का कोई मौका नहीं छोड़ती।
    यहां तक कि वो अपनी क्लास के बच्चो को भी यह कह कर डराती की अगर अगली बार तुम्हारे मार्क्स कम आए तो तुम्हे गले लगा अपनी मनहूसियत तुम्हे दे दूंगी।
    बच्चे डर जाते और सिंहली खिलखिला कर हंस पड़ती।
    पर उसकी हंसी बस उसके अकेलेपन उसके दर्द को छुपाने का माध्यम भर थी।

    बारिश बाहर रुक चुकी थी।
    सिंहली बिस्तर से उठकर खिड़की के पास आ गई खिड़की को खोलते ही ठंडी हवा के झोंको ने उसके तन मन को खुश कर दिया।
    तभी नीचे से जा रही एक औरत का पैर मुड़ गया।
    “हाय मनहूस ने नजर लगा दी!”
    वो औरत गुस्से से अपना पैर पकड़ बैठ गई।
    सिंहली ने नम आंखों से उसे देखा फिर अगले ही पल मुस्कुराई।
    “आंटी मैं कल चीनी मांगने आई थी नही दी तुमने! अब भुगतो! मैं फिर आऊंगी चीनी नही दी तो तुमको गले लगा लुंगी! फिर मेरी मनहूसियत तुम्हारी”, इतना कह वो हंस दी।
    वो औरत होश उड़े चेहरे से उठी और अपना दर्द भूल सरपट वहा से भाग गई।

    उसके जाते ही सिंहली की हंसी उदासी में बदल गई, एक अंतहीन उदासी। जिसके खत्म होने का कोई छोर नजर नहीं आता हो।

    सिंहली ने खिड़की बंद कर दी और बिस्तर से पानी की बाल्टी उठा नीचे रख अपने बिस्तर पर बिखरे हुए कपड़ो पर ही लेट गई।

  • 3. माय एलियन हसबैंड - Chapter 3

    Words: 982

    Estimated Reading Time: 6 min

    सुबह की पहली किरण के साथ एक आलीशान कमरे की बालकनी में नाइट सूट पहनें नोलन सूरज को देख रहा था।
    उसकी नीली आंखे चमकी।
    उसने अपना मुंह खोल लिया।
    सुरज की रोशनी कई पुंज में चारो तरफ फैली हुई थी अचानक उनकी दिशा नोलन की तरफ हो गई ।
    सुरज की किरणे नोलन के मुंह में समा रही थी।
    नोलन की आंखो की नीली सी चमक पहले से कई गुना ज्यादा बढ़ गई थी।
    “चाचू!”, एक 12 साल की लड़की भागते हुए आई और नोलन को पीछे से पकड़ गले लग गई।
    नोलन ने मुंह बंद कर लिया।
    उसकी आंखे अब नही चमक रही थी।
    उसने हैरानी से अपनी गर्दन फिराई।
    एक क्यूट सी लड़की छोटा सा मुंह बनाए उसके हाथ को हिला रही थी।

    “रिमझिम, नोलन के मरे हुए भाई और भाभी की बेटी”, वो उसे एक टक देखते हुए मन ही मन बुदबुदाया।

    “चाचू मुझे स्कूल छोड़ दो ना! मुझे ड्राइवर के साथ नही जाना है प्लीज! चाचू प्लीज”

    नोलन ने रिमझिम की आंखो में देखा।
    उसकी आंखो में एक डर था जैसे कोई उसे परेशान कर रहा हो।
    “स्कूल?”
    “स्कूल चाचू! स्कूल!”, रिमझिम एक दम से नोलन की आंखो में देखते हुए पलक झपकाना भूल गई।
    “आपकी आंखे नीली कैसे हो गई? आपने लेंस लगाए है ना चाचू?”
    नोलन हड़बड़ा गया उसने अपनी आंखे मिच ली।
    “चाचू अब छुपाकर कोई फायदा नही! अब बता भी दो आपने लेंस लगाए है?”
    नोलन ने हल्की सी घबराहट के साथ अपनी आंखे खोली।
    “आप अब पहले भी ज्यादा हैंडसम लग रहे है, मेरी टीचर्स तो आपको देख कर फिदा हो जाएगी”, वो बोलते हुए हंस दी।
    नोलन के माथे पर बल पड़ गए।
    “हैंडसम—मैं!”, नोलन के चेहरे पर हैरानी थी उसे किसी ने कभी सुंदर नही कहा था आज पहली बार रिमझिम के मुंह से वो अपनी तारीफ सुन रहा था।
    “हां चाचू! नजर ना लग जाए मेरी आपकों!”, रिमझिम ने अपनी आंख के कोने से काजल निकाली।
    “चाचू नीचे आइए”, रिमझिम ने उसका हाथ खिंचा।

    नोलन ने आश्चर्य से रिमझिम को देखते हुए अपना एक पैर मोड़ा और घुटनो पर आ गया।

    रिमझिम ने नोलन के माथे के किनारे पर काला टीका लगा दिया।
    “अब आपको किसी की नजर नहीं लगेगी! सिंहली टीचर की भी नही! वो किसी को भी नजर लगा सकती है आपको भी चाचू!”

    “सिंहली!”, नोलन बुदबुदाया।
    वो शान्त था जैसे सिंहली को अपने डाटा में ढूंढ रहा हो।
    सिंहली की एक प्यारी सी इमेज उसकी आंखो के सामने आ गई।
    जहां नोलन एक मीटिंग के दौरान सिंहली से हाथ मिला रहा था।

    नोलन की आंखे बंद गई । सिंहली का इनोसेंट सा चेहरा उसका दिल बार बार देखने की गुजारिश कर रहा था।
    “चलो चाचू!”, रिमझिम ने उसका हाथ खिंचा।

    नोलन ने हैरानी से अपनी आंखे खोली और अपना सर हिला दिया।

    रिमझिम उसे नीचे ले आई।

    नोलन की मां सेमिना, डाइनिंग टेबल पर उनके लिए खाना लगा रही थी।
    “दादी!”, रिमझिम दौड़कर सेमीना के गले लग गई।

    “दादी!!”, नोलन बुदबुदाया।
    जैसे हर शब्द और उसकी गहराई को समझने की कोशिश कर रहा हो।

    “अरे मेरी क्यूटी आज अपने चाचू के साथ स्कूल जाएगी”, रिमझिम ने प्यार से सेमिना के माथे को चूमा।
    “यस दादी!”, रिमझिम अपनी चेयर पर बैठ गई।
    सेमिना उसे दुध और ओट्स दिए।
    “नोलन! तुम वहा क्यों खड़े हो , आओ!”

    सेमिना के बुलाने पर नोलन ने अपने कदम बढ़ाए और सेमिना के पास आकर खड़ा हो गया।
    सेमीना ने उसके माथे को चूमा तो वो एक दम से चौंक गया।
    “मेरा प्यारा बच्चा! जल्दी से शादी कर के, रिमझिम को एक प्यारा सा भाई और बहन दे!”

    नोलन ने तुरंत सर हिला दिया।
    सेमिना चौंक गई।
    नोलन हमेशा चिढ़ जाता था पर आज हां में सर हिला रहा था वो भी बिना किसी चिढ़ भरे एक्सप्रेशन के।
    इतना शांत तो नोलन कभी नही था।
    सेमिना की नजर नोलन की आंखो पर गई।
    “तुम्हारी आंखों का रंग नीला कैसे हुआ! मैंने तो एक भूरी आंखो वाले बच्चे को जन्म दिया था”

    नोलन ने घबरा कर अपनी नजरे झुका ली।
    “दादी! चाचू ने लेंस लगाए है! देखना अब तो कोई ना कोई मेरी चाची बनने के लिए रेडी हो ही जाएगी”

    “तेरे मुंह में घी शक्कर मेरी क्यूटी”
    सेमिना ने खुश होकर कुछ पैसे रिमझिम को पकड़ा दिए।
    रिमझिम चहक उठी।
    नोलन की नजर दूध पर टिकी हुई थी।
    इतना सफेद बिल्कुल खरगोश के फर की तरह ।
    उसने उसे उठाया और देखने लगा।
    “ये कोई चीज नहीं है पी जा”
    नोलन ने सर हां में हिलाया और एक झटके में दूध खत्म कर एक लम्बी डकार ली।
    “मेरा बच्चा!”, सेमिना ने नोलन की नजर उतार ली।
    नोलन के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई।
    शायद अब उसे यहां अच्छा लगने लगा था।
    "नोलन तूने अभी तक नाइट सूट पहना है, जल्दी रेडी हो जा, इन कपड़ो में जायेगा तो मेरी और रिमझिम की नाक कट जायेगी"
    रिमझिम और सेमिना हंस कर एक दूसरे को ताली दी।
    नोलन ने अपने कपड़ो को देखा।
    इसमें दिक्कत क्या थी।
    पर सेमिना ने कहा था तो बिना बहस किए वापस अपने कमरे में चला गया।
    "मेरा नोलन इतना आज्ञाकारी कब से हो गया"
    रिमझिम भी उतनी ही हैरान थी।।
    "चाचू चुप चुप भी है"
    सेमिना ये सुन परेशान हो गई।
    नोलन अपने कमरे में आया और अपनी घड़ी वार्डरोब से निकाल पहन तुरंत उसके मुंह में हाथ डाला।
    घड़ी सब कपड़ो को स्कैन करने लगी।
    अगले ही पल नोलन की नाइट सूट एक ग्रे रंग बिजनेस सूट में बदल गया था।
    नोलन ने अपनी ग्रे शर्ट को छुआ। और एक गहरी सांस छोड़ फिर से बालकनी में आ गया।
    उसकी घड़ी सुरज की रोशनी को एब्जॉर्ब कर चार्ज हो रही थी।
    "मैं जल्दी ही अपनी स्पेस क्राफ्ट ठीक कर लौट जाना चाहता हु! पर पृथ्वी के लोग काफी अच्छे है मै टीनरिक लौटने के बाद भी इन्हे याद रखूंगा"

    "चाचू!" रिमझिम की आवाज आई।
    नोलन ने तुरंत घड़ी उतार कर अपनी पेंट की जेब में डाल ली और रिमझिम की आवाज की दिशा में बढ़ गया।

  • 4. माय एलियन हसबैंड - Chapter 4

    Words: 547

    Estimated Reading Time: 4 min

    सिंहली अपने हाथो में कुछ बुक्स लिए।
    किसी गाने को गुनगुनाते हुए रोड पर उछलते कूदते चल रही थी।
    कभी वो अपना पर्स घुमाती तो कभी पर्स को कंधे पर
    लटका आगे बढ़ जाती।
    वो जिस रास्ते से गुजरती उसे हर कोई हैरानी से देखने लगता।
    सिंहली का ध्यान किसी पर भी नही था शायद वो इसलिए गाना गुनगुना रही थी की वो किसी पर ध्यान ना दे ताकि किसी को उसे मनहूस कहने का मौका ना मिले।

    “अरे मनहूस ने जला दिया”, नमकीन की दुकान में कचौरी तल रहा हलवाई एक दम से तेल के झींटे लगने से चीखा।
    सिंहली की मुठ्ठी भींच गई। वो उस पर ध्यान नहीं देना चाहती थी इसलिए आगे बढ़ती रही।
    “मनहूस मेरा कुछ ना बिगाड़ दे!”
    “बचाओ! मनहुस मेरे सामने आ गई”
    “आज मैं ऑफिस नही जाऊंगा! बाहर निकलते ही मनहूस दिख गई”

    ना जाने ऐसे कितने ही शब्द सिंहली के दिल को भेद रहे थे।
    उसके लिए ये रोज का हो गया था वो बस जल्दी से जल्दी यहां से भाग जाना चाहती थी।
    एक बच्चा अपनी बायसाइकिल चलाते हुए सिंहली के सामने आकर रुक गया , सिंहली भी रुक गई।
    तभी उस बच्चे की मां भागते हुए आई और अपने बच्चे को बांहों में भर उस पर थूकने लगी।
    “बुरी नजर वाली तेरा मुंह काला”
    उसने सिंहली से कहा।
    सिंहली की मुठ्ठी भींच गई।
    “आंटी मैं आपको भी नजर लगा सकती हु” सिंहली अपनी आंखे बड़ी कर उसे देखने लगी।”

    “आग लगे तेरी इस नजर को”, आंटी तुरंत अपने बेटे को लेकर भाग गई।
    उसे भागते देख सिंहली की हंसी छूट गई।
    उसने उस बच्चे की बायसाइकिल उठाई।
    “अब इसे मैंने छू दिया है तो अब ये मेरी हुई”
    उसने सबको देखा तो सब अपने अपने घरों के अंदर भाग गए।
    सिंहली ने हल्की मुस्कान लिए सर झटका।
    और साइकिल के पेडल मारते हुए आगे बढ़ गई।

    वो अभी भी गाना गा रही थी।

    जिंदगी का सफर है सुहाना यहां कल क्या हो किसने जाना…..।


    नोलन कार के हर हिस्से को छु कर महसूस कर रहा था।
    रिमझिम अपने गाल पर हाथ रखे उसे ही देखे जा रही थी।
    “चाचू! आपने ड्राइव क्यों नही किया! ड्राइवर चाचा तो मुझे हर रोज छोड़ने आते है आज आपको ड्राइव कर मुझे स्कूल छोड़ना चाहिए था”

    नोलन ने रिमझिम को देखा।
    “मैं कार तेज चलाऊंगा! तुम्हारे लिए इतनी स्पीड सही नही होगी”, नोलन ने हल्के से उसके सर पर हाथ फिरा दिया।

    रिमझिम ने छोटा सा मुंह बना लिया।
    वो अपने चाचू के साथ ड्राइव करना चाहती थी।

    स्कूल के सामने आकर अचानक ड्राइवर ने ब्रेक मारा।
    रिमझिम और नोलन आगे की तरफ झुक गए।
    “क्या कार क्रेश हो गई!”, नोलन थोड़ा घबराया।
    “सिंहली टीचर की नजर लग गई वो देखो”
    रिमझिम ने सामने की तरफ इशारा किया।
    रिमझिम एक दम से उनकी कार के सामने से निकली थी और अब साइकिल पार्क कर रही तो।

    नोलन ने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया।

    सिंहली अपना पर्स और अपनी बुक्स संभाल स्कूल के अंदर चली गई।
    नोलन की नजरो ने उसका अंत तक पीछा किया जब सिंहली नजरो से ओझल हो गई तो एक दम से नोलन कार का दरवाजा खोल उसके पीछे चला गया।
    “अरे चाचू! आप मुझे भी तो ले जाओ”, रिमझिम कार से उतरी और अपना बैग अपने कंधे पर टांग नोलन के पीछे भाग गई।

  • 5. माय एलियन हसबैंड - Chapter 5

    Words: 579

    Estimated Reading Time: 4 min

    सिंहली इधर या उधर ना देखते हुए स्कूल कॉरिडोर में चल रही थी।
    टीचर्स उसे इग्नोर कर रहे थे।
    बच्चे उसे देख कर ही भाग जाते थे।
    सिंहली को ये सब बुरा तो लगता था पर अब उसे उसकी आदत हो गई थी।

    “सिंहली टीचर!”

    सिंहली के कदम रुक गए।
    उसने एक गहरी सांस ली और आवाज की दिशा में मुड़ी।
    “क्या चाहिए तुम्हे?”, उसने रिमझिम को घूर कर देखा।
    रिमझिम उसे क्लास में भी काफी तंग करती थी।
    सिंहली का ध्यान नोलन पर गया तो एक पल वो उसे देखती रह गई।
    उसकी आंखे।
    जादू थी।
    कुछ अलग सी कशिश थी उसकी नीली आंखों में जैसे उसे अपने अंदर ही खींच लेगी।
    सिंहली ने एक गहरी आह भरी।

    “मेरे चाचू को काला टीका लगाकर लाई हु अब आप मेरे चाचू को नजर नही लगा सकती है”, रिमझिम ने सिंहली को जीभ दिखा दी।
    सिंहली ने रिमझिम को घूर कर देखा।
    “तुम्हे गले तो लगा सकती हु! तुम रुको”, सिंहली रिमझिम की तरफ दौड़ी की रिमझिम भागकर नोलन के पीछे छिप गई।
    “चाचू बचाओ!”
    नोलन ने अपना हाथ सिंहली के सामने कर लिया।
    “रुक जाओ!”
    उसके शब्द किसी जादू की तरह सिंहली के कानो में घुले।
    वो बस नोलन को प्यार से देखती रह गई।
    सिंहली को लग रहा था की उसे एक ही दिन में नोलन की आंखो से प्यार हो गया था।

    “हेलो हम पहले भी मिल चुके है?” , सिंहली ने अपना हाथ नोलन की तरफ बढ़ाया।
    नोलन ने सिंहली की प्यारी सी शक्ल को देखा और फिर उसके हाथ को।
    उसके हाथ कुछ कांपने लगे।
    उसने अपनी युवावस्था में भी किसी लड़की से हाथ नही मिलाया था पर अब जब वो कुछ ही समय में अधेड़ अवस्था में प्रवेश करने वाला था तो एक परग्रही लड़की उससे अपना हाथ पकड़ने का आग्रह कर रही थी।
    नोलन ने अपने निचले होठ को अपने दांतो तले दबाया।
    “हॉट!” एक दम से सिंहली के मुंह से निकला और नोलन का हाथ कांपने लगा।
    सिंहली ने खुद से ही नोलन के कांपते हाथो को पकड़ लिया।
    नोलन का दिल उसके सीने से बाहर आ गया, उसका मुंह और आंखे हैरानी से खुल गई थी।

    “आप लास्ट टाइम मिले थे तो वो हमारी प्रोफेशनल मीटिंग थी पर अब….”, सिंहली ने शर्माते हुए अपने बालो की एक लट को पीछे किया।

    “अब भी प्रोफेशनल मीटिंग ही है सिंहली टीचर!”, रिमझिम ने एक दम से नोलन और सिंहली के हाथ छुड़वा दिए।
    सिंहली ने उसे दांत पीस घूर कर देखा तो रिमझिम ने अपने दांत दिखाये और हंसने लगी।
    नोलन अभी अभी होश में आया था।
    उसकी आंखे उसके हाथ से हट ही नहीं रही थी।
    एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी उसके हाथ में।

    “ठीक है चाचू बाय! अब आप ऑफिस जाइए, आपको मुझे पिक करने की जरूरत नही है , मैं नही चाहती आपको सिंहली टीचर की नजर लग जाए”
    रिमझिम ने सिंहली को टेढ़ी आंखो से देखा और फिर मुंह बना लिया।
    सिंहली को उस पर इतना गुस्सा आया की अभी उसका मुंह तोड़ दे पर बच्ची है ये सोच उस पर दया कर दी।

    “ऑफिस!”, नोलन बुदबुदाया जैसे फिर से अपने डाटा में कुछ सर्च कर रहा हो।

    “अच्छा चाचू मैं जा रही हु! तुम भी चलो सिंहली टीचर”
    सिंहली नोलन को ही देखे जा रही थी की रिमझिम ने उसका पर्स खींचा।
    सिंहली ने उसे घूर कर देखा और एक दम से रिमझिम के पीछे भागी।
    नोलन उन दोनो को देख मुस्कुरा दिया।
    “एक परग्रही इतना प्यारा भी हो सकता है?”,
    वो मुड़ा और चला गया।

  • 6. माय एलियन हसबैंड - Chapter 6

    Words: 704

    Estimated Reading Time: 5 min

    ड्राइवर नोलन को उसके ऑफिस ले आया।
    नोलन ने ऑफिस देखा और फिर ड्राइवर को।
    “मेहरा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल”
    वो बुदबुदाया।
    वो नोलन की यादों में इस हॉस्पिटल को ढूंढ रहा था।
    ये हॉस्पिटल नोलन का था और वो यहां डायरेक्टर था।
    नोलन ने अपनी आंखे मिची।
    ड्राइवर ने कार का दरवाजा खोला।
    नोलन ने ड्राइवर को देखा।
    और कार से बाहर आ गया।
    “तुम जाओ!”
    ड्राइवर ने सर हिला दिया और कार लेकर वहा से चला गया।
    नोलन ने हॉस्पिटल को देखा , डॉक्टर्स और नर्सेज उसे आते जाते सर झुका कर गुडमॉर्निंग कह रहे थे।
    नोलन को ये सब कुछ अजीब लग रहा था ।
    तभी उसे अपनी पेंट में कुछ हलचल महसूस हुई।
    उसकी घड़ी वाइब्रेट कर रही थी जैसे कुछ मैसेज आया हो।
    नोलन ने घबरा कर चारो तरफ देखा और तूरंत सबसे नजरे बचाते हुए अंदर आ गया।
    वो बस एक जगह ढूंढ रहा था जहां उसे कोई डिस्टर्ब ना करे। उसके कदम काफी तेज थे।

    “सर!”
    एक डॉक्टर अपने बालो को स्टाइल से झटकते हुए उसके सामने आ गई।
    नोलन रुक गया और पकड़े जाने के डर से उसे देखने लगा।
    “वाव योर आइस? आपकी आंखे पहले से भी सुंदर लग रही है”
    लेडी डॉक्टर उससे फ्लर्ट कर रही थी।
    नोलन उसे ही देखे जा रहा था उसने एक पल अपनी आंखें मिची और उस लेडी डॉक्टर को अपनी यादों में ढूंढने लगा।
    “डॉक्टर अस्मिता!”, नोलन बुदबुदाया।
    उसके माथे पर कुछ पसीना था।
    डॉक्टर अस्मिता और नोलन के अंतरंग पल उसकी आंखो के सामने थे।
    “मैं आपको याद हु मुझे लगा उस रात के बाद आप मुझे भूल ही जायेंगे, जैसे सब लड़कियों के साथ करते है! पर शायद मैं खास हु आपके लिए”, डॉक्टर अस्मिता ने हल्की सी उम्मीद से नोलन को देखा।
    नोलन कुछ घबरा गया।
    “सॉरी!” नोलन एक दम से घबरा पीछे हटा और उतनी ही गति से अस्मिता के पास से निकल गया।
    अस्मिता के हाथ हवा में ही रह गए।
    “व्हाट! सर को क्या हो गया है?”, अस्मिता ने हैरानी जताई और फिर अपने बाल झटकते हुए आगे बढ़ गई।

    अपने केबिन के आकार नोलन ने दरवाजा बंद कर लिया और गहरी सांस ली।
    नोलन की यादें सच में खतरनाक है उसने खुद से कहा।
    नोलन अमीर प्लेबॉय था पर उसने कभी भी किसी लड़की को सीरियसली नही लिया, इसलिए उसे शादी भी नही करनी थी।
    पर नोलन बिल्कुल अनछुआ! आज तक कोई लड़की उसकी तरफ अट्रैक्ट तक नही हुई और अब एक दम से परग्रही लड़कियां उसे हैंडसम समझ रही थी।

    उसकी पेंट फिर से वाइब्रेट करने लगी।
    नोलन ने अपनी पेंट से खड़ी निकाली और अपनी अंगुली को घड़ी के अंदर डाला।
    घड़ी से रोशनी निकलने लगी और सामने हुबाओ का होलोग्राम प्रकट हो गया।
    हुबाओ को देख नोलन ने तुंरत अपने सीने पर हाथ रख सर झुकाया, ये उसका अभिवादन करने का तरीका था।

    हुबाओ अपने बनाई स्पेस क्राफ्ट के क्रेश होने से काफी दुखी थी।
    उसके खरगोश जैसे दांत आपस में चिपके हुए थे, उसके नरम मुलायन घने फर गुस्से में कठोर हो गए थे।
    बिल्कुल खरगोश जैसी दिखने वाली एक पतली लंबी लड़की हुबाओ के गले लगी और उसके फरो को सहलाने लगी।
    हूबाओ अब कुछ शांत नजर आने लगा तो वो लडकी अब वहा से चली गई।
    “हुब हूब!”, वो गुस्से में कूदा।

    नोलन ने अपने कान पकड़े और दो उठक बैठक लगा सर झुका कर खड़ा हो गया ।
    टिनरिक प्लेनेट के लोगो की कोई भाषा नही थी सब एक दुसरे से इसी तरह इंट्रेक्ट करते थे।

    हुबाओ ने ना में सर हिला कर उसकी तरफ अंगुली की और उस अंगुली को ऊपर से टेढ़ा कर नीचे लाया।
    साफ था वो धमकी दे रहा था की वो वापस लौटा तो उसे काट देगा।

    नोलन ने हैरानी से ना में सर हिलाया और अपने कान पकड़ उठक बैठक लगाने लगा।
    हुबाओ ने उसे हाथ दिखाया तो नोलन रुक गया।
    उसकी आंखो में डर था।
    हुबाओ ने अपना हाथ अपनी अंगुली और अंगूठे को चिपकाया और नोलन की तरफ इशारा किया।
    नोलन ने हा में सर हिला दिया।
    हुबाओ अब जा चुका था।
    उस घड़ी की रोशनी फिर से उसके अंदर समा गई।
    नोलन ने सुकून की सांस ली।
    स्पेसक्राफ्ट ठीक करके ही वो अपने प्लेनेट में वापस लौट सकता था।
    तब तक उसे यही रुकना होगा।

  • 7. माय एलियन हसबैंड - Chapter 7

    Words: 519

    Estimated Reading Time: 4 min

    सिंहली बोर्ड पर ए स्क्वेयर बी स्क्वायर लिख रही थी की रिमझिम ने उस पर प्लेन बनाकर उड़ा दी और खुद बेंच के नीचे छुप गई।
    सिंहली मुड़ी की प्लेन उड़ते हुए उसके माथे पर आ लगी।
    सिंहली की आंखे गुस्से में बंद हो गई, मुठ्ठी कस कर भींच गई।
    “रिमझिम!”, सिंहली ने आंखे खोली और पूरी क्लास में रिमझिम को ढूंढने लगी।
    रिमझिम सब बच्चो को घूरते हुए उनके बेंच के नीचे से क्रोल करते हुए क्लास के दरवाजे तक आई।
    एक शरारत भरी मुस्कान के साथ रुक कर सिंहली की तरफ मुड़ी।
    “सिंहली टीचर”
    सिंहली गुस्से में मुड़ी की रिमझिम अंगूठा दिखाकर बाहर भाग गई।
    “रिमझिम!”
    सभी बच्चे जोर जोर से हंसने लगे।
    “शट अप!”

    सभी बच्चो ने एक दम से अपने होठों पर अंगुली रख ली ।
    सिंहली ने उन सब को घूर कर देखा और फिर चौंक फेंक क्लास से बाहर आ रिमझिम को ढूंढने लगी।
    रिमझिम मुंह पर हाथ रखे एक बेंच के नीचे छुपी हुई थी।
    सिंहली ने उसे देख लिया।
    सिंहली चुपके से कदम उसकी तरफ बढ़ाने लगी।

    रिमझिम को सिंहली को परेशान करने में काफी मजा आता था वो अब भी हंस रही थी की अचानक सिंहली ने उसका कान पकड़ लिया।
    रिमझिम दर्द से कराह उठी।
    “आह! आ! सिंहली टीचर मुझे छोड़ो”
    सिंहली ने रिमझिम के कान पकड़ उसे बेंच के नीचे से निकाला।

    “सिंहली टीचर छोड़ों! मैं आपकी मेरे चाचू से दोस्ती करा दूंगी”
    सिंहली की आंखों में चमक आ गई।
    “सच कह रही हो”
    रिमझिम ने हल्की मुस्कान के साथ टेढ़ी नजरो से सिंहली को देखा और हां में सर हिला दिया।
    सिंहली ने तुरंत उसके कान छोड़ दिए।
    “तुम्हारे चाचू इतने हैंडसम है वो मूझसे दोस्ती क्यों ही करेंगे!” , सिंहली के चेहरे पर हल्की निराशा के भाव आ गए।
    “अगर आप मुझे होमवर्क नही देंगी तो सोच सकती हु मैं कुछ?”, रिमझिम ने अपने दिमाग पर अंगुली टिकाई और मुस्कुरा दी।

    सिंहली ने मुंह बना लिया।
    “चुपचाप क्लास में चलती हो या एक लगाऊ!”

    रिमझिम ने छोटा सा मुंह बना लिया।
    “आपकी कभी चाचू से दोस्ती नही होंगी!”

    सिंहली ने एक बार फिर उसके कान खींच लिए।
    रिमझिम ने कराहते हुए एक आंख बंद कर ली।
    “मेरी तुम्हारे चाचू से दोस्ती हो या ना हो पर अगर इस बार तुम मैथ टेस्ट में जीरो लाई तो तुम्हारी फुटबॉल बना कर चांद पर भेज दूंगी”

    “अच्छा है वहा आप नही होंगी और ना ही मैथ!”, रिमझिम ने उसे जीभ दिखा दी।

    सिंहली ने रिमझिम के माथे पर हल्के से टपली मारी और उसे क्लास की तरफ धकेल दिया।
    रिमझिम ने अपने कान सहलाते हुए सिंहली को घूर कर देखा।

    “हुह्ह!”
    “फुर्र!”, सिंहली ने उसकी तरफ कदम बढ़ाए की रिमझिम घबरा कर क्लास में भाग गई।

    सिंहली ने सुकून की सांस ली।
    रिमझिम थोड़ी ही देर में उसकी ताकत उसकी एनर्जी चूस चुकी थी पर फिर भी उसे पढ़ाना तो था ही।
    सिंहली क्लास में आई तो सब बच्चे अलर्ट हो बोर्ड की तरफ देखने लगे।
    सिवाय रिमझिम के वो अभी भी सिंहली को घूर रही थी।
    सिंहली को तो रिमझिम की आंखो से ही डर लगने लगा था पता नही ये छोटा पटाखा क्या करने वाली थी।

  • 8. माय एलियन हसबैंड - Chapter 8

    Words: 714

    Estimated Reading Time: 5 min

    नोलन उसी जगह वापस आया। आसमान अब साफ था।
    वो कार अभी भी वही थी उसका कचरा बन चुका था और उसके उपर वो भारी सा स्पेक्राफ्ट जिसकी चोंच कार की छत को तोड़ कर अंदर घुस चुकी थी।

    नोलन ने उस पर से सफेद चादर हटा खुद ओढ़ ली।
    उसने अपनी घड़ी को देखा और घड़ी में उंगली डाली।

    उस खरगोश जैसी घड़ी में फिर से रोशनी निकली और होलोग्राम बन गया।
    एक खरगोश फुदकते हुए उसे कुछ कलपुर्जे दिखा रहा था जिससे ये स्पेसक्राफ्ट ठीक हो सकता था।
    स्पेसक्राफ्ट के आगे का हिस्सा बुरी तरह बर्बाद हो चुका था। पंख जल कर पूरी तरह खत्म हो चुके थे।
    कलपुर्जों में स्पार्क हो चुका था अब वो पूरी तरह बर्बाद थे उनका दुबारा इस्तेमाल करना ना मुमकिन था।
    ये स्पेसक्राफ्ट अब पूरी तरह बर्बाद कबाड़ बन चुका था जिसे ठीक किया जाना ना मुमकिन सा प्रतीत होता था।
    नोलन का दिल बैठ गया।
    “क्या इस ग्रह पर ये पुर्जे मिल सकते है”

    खरगोश फुदकते हुए रुक गया और नोलन को देखते हुए ना में सर हिला दिया।
    नोलन परेशान हो गया।
    “मैं खुद बनाऊंगा!” उसने खुद को समझाया और फिर से वह पारदर्शी चादर अपने स्पेसक्राफ्ट के उपर डाल दी।
    दुखी मन से नोलन अपने स्पेसक्राफ्ट को देखते हुए वापस लौट गया।

    सिंहली स्कूल खत्म होने के बाद बाहर आई तो देखा उसकी साइकिल के दोनो टायर पंचर थे।
    “रिमझिम!”, सिंहली ने दांत भींच चारो तरफ देखा कि उसे दीवार ले पीछे रिमझिम का हाथ नजर आया।
    सिंहली ने अपनी बाजू सहलाई।
    “आज तो इस शरारती लड़की को इसकी नानी याद दिला कर रहूंगी”, सिंहली ने आगे बढ़ रिमझिम का हाथ पकड़ अपनी तरफ खींच लिया।

    रिमझिम गुस्से में सिंहली को देखने लगी।
    “तुमने साइकिल के टायर खराब कर दिए”

    “हां किए! सिंहली टीचर तुमने मेरे कान क्यू खींचे?”

    अभी तुम्हे बताती हु, सिंहली ने रिमझिम के कान पकड़ लिए।
    “आह चाचू आ गए”, वो एक दम से बोली की सिंहली रिमझिम को छोड़ मुड़ी पर वहा कोई नही था।
    रिमझिम अब मूंह पर हाथ रख हंस रही थी।
    सिंहली ने अपनी कमर पर हाथ रख रिमझिम को घूरा।

    “आपकी नजर से सबको डर लगता होगा पर मुझे नही लगता सिंहली टीचर”

    सिंहली अवाक सी रह गई।
    सिंहली ने चारो तरफ देखा तो जो उसकी नजर की जद में आया खुद को छुपाते हुए भाग खड़ा हुआ।
    एक बच्चा भागते हुए गिर गया।
    “मनहूस मेरे बच्चे को नजर लगाना बंद कर”, उस बच्चे की मां ने अपने बच्चे को गोद में उठा लिया और सिंहली को घूरते हुए वहा से भाग गई।
    सिंहली ने अपना थूक गटका। उसकी मुठ्ठी भींची हुई थी पर उसकी आंखो में गुस्सा नही बस नमी थी।

    तभी सिंहली के सामने उसकी कार आकर रुकी।
    “चाचू!”, रिमझिम खुशी से झूम उठी।
    नोलन रिमझिम को नम आंखों से एक ही दिशा में देखते देख कार से बाहर आया।
    रिमझिम उसके गले आ लगी।
    “जल्दी चलो चाचू! सिंहली टीचर आपको नजर लगा देगी।”

    सिंहली के कानो में रिमझिम की आवाज पड़ी तो नोलन को न देख सिंहली आगे बढ़ गई।
    रिमझिम नोलन से अलग हुई और सिंहली को जाते हुए देखने लगी।
    नोलन भी उसे ही देख रहा था।
    “तुम्हारी टीचर दुखी लग रही थी”, नोलन के चेहरे पर भी हल्के दुख के भाव उतर आए।
    “मैने उसकी साइकिल पंचर कर दी है ना इसलिए!”
    नोलन ने सिंहली की साइकिल देखी और धीमे कदमों से चलकर उसके सामने आ गया।
    उसने अपनी घड़ी का एक बटन दबाया और साइकिल की तरफ कर दिया।
    वो साइकिल को स्कैन करने लगी।
    और अगले ही पल साइकिल के टायर चेंज हो गए।

    रिमझिम हैरानी से मुंह खोले अपने चाचू को ऐसा करते देख रही थी।
    “चाचू आपने मैजिक किया?”

    नोलन सिंहली की तरफ मुड़ा, “मैजिक नही साइंस है! रिप्लिका क्रिएट हुआ है”
    रिमझिम ने कुछ ना समझते हुए सर हिला दिया।
    नोलन की नजर अभी भी उस रास्ते पर थी जिससे सिंहली गई थी।
    काश की वो उसे बता पाता की उसने उसकी साइकिल ठिक कर दी है।
    “चाचू चलो भी!” रिमझिम ने उसका हाथ खिंचा तो नोलन चुपचाप उसके साथ कार के बैठ गया।

    नोलन के मन में अभी भी सिंहली की आंसुओ से भरी आंखे घूम रही थी।
    काश की वो सिंहली के आंसु पोंछ पाता।
    उसने अपनी अंगुलियों को छुआ।
    वो परग्रही है।
    उसने खुद को समझाया और सामने देखने लगा।

  • 9. माय एलियन हसबैंड - Chapter 9

    Words: 646

    Estimated Reading Time: 4 min

    सिंहली अपने अपार्टमेंट में आई , उसने अपना पर्स हैंगर पर टांग दिया। बुक्स टेबल पर रखी और बिस्तर पर धम्म से गिर गई।
    “बिस्तर ठीक करना होगा!”, उसने आलस से चारो तरफ देखा।
    “काश की मेरे चुटकी बजाने से मेरे सारे काम हो जाते और मैं आराम से आराम कर लेती”, वो निराशा से उठी और अपने कमरे की साफ सफाई करने लगी।
    बहुत काम था, तीन चार दिन के कपडे आज एक दिन में धोने पड़ गए।
    पुरे कमरे को साफ करने के बाद उसे भूख लग गई।
    उसने अलमारी खोली और इंस्टेंट नूडल निकाल अंगीठी पर गर्म करने लगी।

    पेपे पेपे प पेपे प प प प प पेपेपे….

    रिंगटोन की आवाज सुन सिंहली अलर्ट हो गई।
    उसने तुरंत अपने गर्म हो चुके नूडल उठाए और दीवार पर लगे हैंगर से लटके वाइब्रेट हो रहे अपने पर्स से अपना फोन निकाला और कांपते हुए हाथो से कॉल पिक कर ली।
    “ह.. हेलो”
    “मनहूस! ज्यादा पैसे भेज! इतने पैसे से सिर्फ खाना खा सकते है नए कपड़े, मिठाइयां, फल, ये सब जरुरत तू कब पूरी करेगी हमारी?”

    सिंहली ने अपनी घिस चुकी चप्पल देखी और फिर हैंगर पर लटके पर्स को देखा जो साइड से हल्का फट चुका था।

    “पापा! मुझे यहां का किराया भी देना होता है”
    “तू सड़क पर रह ले, पर हमे ज्यादा पैसे भेज”

    सिंहली का दिल टूट गया उसके पिता को उसकी कोई चिंता नहीं थी।
    उसकी मां फिर उसके जख्मों को कुरेदते हुए चिल्लाई।

    “तुझ जैसी अनाथ को गोद लेकर गलती कर दी, तूझे अपने मां बाप की फिक्र है या नही, कब तक इस सड़े से घर में इस गरीबी में रहेंगे! कुछ करेगी या नही तू? हमारे लिए”

    “कर रही हु!”

    “शादी क्यों नही कर लेती उस बूढ़े से! दहेज दे रहा है”

    सिंहली चिढ़ उठी।
    “मां, पापा अगर आप चाहते है मैं आपको पैसे भेजती रहूं तो उस कमीने का जिक्र मेरे सामने कभी मत करना”

    उसकी मां की टोन थोड़ी नर्म पड़ गई।
    “बेटा थोड़े ज्यादा भेजना इस बार”

    “ठीक है”, सिंहली ने चिढ़ कर फोन काट दिया।
    “ज्यादा पैसे!”, सिंहली अपने नाखून चबाने लगी।
    उसके माथे से पसीने छूट रहे थे।
    अब ज्यादा पैसे कहा से लाती।
    उसने तुरंत अपनी स्कूल की प्रिंसिपल को कॉल किया।
    सिंहली के स्कूल की प्रिंसिपल दिल से एक अच्छी महिला थी , उसी ने सिंहली की तकलीफ देख उसे काम पर रखा था।

    “कैसी हो सिंहली?”
    “ठीक हु मैम”
    सिंहली की नजर झुक गई, उसे इंक्रीमेंट के लिए पूछते हुए शर्म आ रही थी।
    “क्या आप मेरी सैलरी बढ़ा सकती है?”
    सिंहली ने घबराते हुए पूंछा।
    “तुम होनहार हो सिंहली, पर मैं भी रूल्स से बंधी हु, मैं तुम्हारी सैलरी नही बढ़ा सकती! पर हां मेरे पास एक ट्यूशन टीचर की रिक्वेस्ट आई है तुम चाहो तो मै तुम्हे रिकमेंड कर सकती हु”

    सिंहली के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
    “थैंक यू मैम!”
    “इट्स ओके बेटा! मैं उनसे बात करती हु”
    सिंहली का फोन कट गया था।
    सिंहली ने एक सुकून की सांस ली ।
    “अब सब ठीक होगा”
    सिंहली अपने नुडल्स मुंह में भर कर मजे से खाने लगी।
    “कितनी प्यारी आंखे है रिमझिम के चाचू की”, सिंहली मन ही मन में नोलन से हाथ मिलाना याद कर शर्मा गई।


    नोलन अपने कमरे की बालकनी में चांद को देखते हुए सिंहली के चेहरे को इमेजिन कर रहा था।
    नोलन ने अपना मुंह खोला। नोलन की आंखे नीली चमकने लगी।
    नोलन चांद की शीतल रोशनी को अपने अंदर समाने लगा।
    जैसे जैसे रोशनी उसके शरीर के अंदर जा रही थी नोलन की आंखो की चमक भी बढ़ रही थी।
    चांद की शीतल रोशनी उसके बदन को ठंडा कर रही थी।
    पर्याप्त ऊर्जा लेने के बाद नोलन ने अपना मुंह बंद कर लिया।
    उसका आंखे फिर से सामान्य नीली हो गई।
    “मुझे उस परग्रही लड़की के बारे में नही सोचना चाहिए”, उसने जबर्दस्ती खुद को समझाया पर उसका दिलो दिमाग सिंहली के बारे में ही सोच रहा था।

  • 10. माय एलियन हसबैंड - Chapter 10

    Words: 1180

    Estimated Reading Time: 8 min

    नोलन बालकनी से वापस कमरे में आया और चारो दिशाओं में नजरे घुमाने लगा।
    उसने अपनी घड़ी निकाली और घड़ी के खरगोश जैसे मुंह में अपनी अंगुली डाल बाहर निकाल ली।
    घड़ी के मुंह से होलोग्राम बाहर आया उसमे वही फुदकता हुआ खरगोश पूरे कमरे का स्कैन कर रहा था।
    अचानक घड़ी की लाइट आईने के सामने रखे हेयर ड्रेसर पर आकर अटक गई।

    अब होलोग्राम गायब हो गया और खरगोश का मुंह भी बंद हो गया था।
    इसका मतलब था की उस हेयर ड्रेसर में कुछ ऐसा था जो उसके स्पेसक्राफ्ट के कलपुर्जों में काम आ सकता था।

    नोलन ने तुरंत उस हेयर ड्रेसर को उठाया और उसे पूरा खोल दिया।
    नोलन ने हेयर ड्रेसर की गर्म हवा फेंकने वाली मशीन निकाल ली और देखने लगा।
    इतनी छोटी सी मशीन से काम नही होने वाला था पर हां नोलन ऐसे कई मशीनों को जोड़कर एक पावरफुल मशीन बना सकता था जो उसके स्पेसक्राफ्ट को उड़ने में मदद करेगी।
    नोलन ने अपनी आंखे मिची।
    “मुझे ये यंत्र…. हेयर ड्रेसर! कई गुना चाहिए”

    उसने खुद से कहा और फिर उस हेयर ड्रेसर को फिर से ठीक कर उसकी जगह रख दिया।
    नोलन को अपने घर की याद बिल्कुल नही आ रही थी
    उसकी यादों में चुपके से सिंहली ने अपना घर जो बना लिया था।
    नोलन सिंहली से मिलना चाहता था उसका दिल किसी परग्रही लड़की के लिए धड़क रहा था पर फिर अपने रूप के बारे में सोच उसके कदम ठिठक गए।

    “मेरा असली रूप इस ग्रह के प्राणियों से काफी अलग है! मैं एक परग्रही के बारे में नही सोच सकता। वो भी तब जब मैं अधेड़ अवस्था में आकर जल्दी ही रिटायर हो जाऊंगा और बाकी रिटायर टीनरिक लोगो के साथ अपने जीवन के अंतिम साल खुशी खुशी बिताने चला जाऊंगा! जबकि इस ग्रह के लोगो की आयु टीनरिक प्लेनेट के लोगो की आयु से दुगुनी है वह हमसे ज्यादा जीते है पर उनकी मानसिक क्षमता हमसे काफी कम है। हमारा कोई मेल संभव नही है”
    नोलन की आंखो में कुछ पानी की बूंदे थी उसे दुख हो रहा था की किसी ने उसे पसंद किया उसने भी उसे पसंद किया पर फिर भी उनके बीच एक परग्रही और विचित्र होने की रुकावट थी जो उन्हें साथ आने के खिलाफ खड़ी थी।
    नोलन को सेमिना और रिमझिम के लिए भी दुख हो रहा था। असली नोलन मर चुका था और वो बस उसका रिप्लिका बन कर यहां रुका हुआ था।
    वो नोलन नही बल्कि टीनरिक t1 प्लेनेट के चीफ
    हुबाओ का दाहिना हाथ टेन टी 1 था।


    चांद ने अपनी दिशा बदली और सूरज सर पे चढ़ गया।

    नोलन सोता नही था वो पूरी रात सिंहली और नोलन के परिवार के बारे में सोचता रहा कि अगर वो चला गया उसके बाद रिमझिम और सेमिना कैसे रहेंगे?
    क्या वो सिंहली को भूल पाएगा।

    नोलन ने सुरज को देखते हुए अपनी घड़ी को चार्ज किया और अपना मुंह खोल सूरज की किरणों को अपने अंदर समाने लगा।
    उसे यहां रहते हुए जल्दी ही काफी चीजों का अंदाजा लगा लिया था।
    अब उसे पता था की इस ग्रह पर उसे कैसे रहना था । जब तक की उसका स्पेस क्राफ्ट पूरी तरह ठीक नही हो जाता, वह नोलन बन कर यहां रहेगा।

    पर्याप्त सूरज की रोशनी लेने के बाद नोलन ने अपना मुंह बंद कर लिया और वापस कमरे में आ गया।
    उसने अपने कपड़े बदले , एक ग्रे रंग का सूट पहनकर नीचे आ गया।
    सेमिना ने उसे दूध पकड़ाया।
    नोलन को दूध काफी पसंद आ गया था।
    दूध की बनी सफेद चीज से उसे प्यार हो गया था।
    टीनरिक t1 प्लेनेट में उसके सफेद फर ना होने की वजह से काफी अपमानित होना पड़ा।
    नोलन अपने वक्त से पहले ही काफी अनुशासित और मोटी चमड़ी का हो गया था।
    किसी के कुछ भी बोलने पर उसने शांत रहना सीख लिया या अब ये शांति उसका व्यवहार बन चुकी थी।

    टीनरिक t1 प्लेनेट का सबसे बदसूरत आदमी का खिताब उसे ही मिला था पर यहां इसका उल्टा था अपनी नीली आंखों की वजह से वो एक दम से सबकी नजरों का केंद्र बिंदु बन गया था

    “चाचू मुझे दुध बिल्कुल पसंद नही आप मेरा वाला दूध भी पी लो प्लीज”
    नोलन ने खुश होकर रिमझिम के दुध के गिलास की तरफ हाथ बढ़ाया की सेमिना ने उसके हाथ पर अपना हाथ मारा। नोलन का हाथ एक गति से पिछे हो गया वो हैरानी से सेमिना को देख रहा था की आखिर उसने ऐसा क्यो किया।
    “क्यूटी को बड़ा नही होने देगा तू!”, सेमिना उसे घूर रिमझिम की तरफ मुड़ी रिमझिम ने अपना मुंह छोटा सा बना लिया था।, “दूध पी के खत्म कर क्यूटी! मैने तेरे लिए प्रिंसिपल से एक ट्यूशन टीचर की बात की है वो आज शाम को तूझे पढ़ाने आएगी”

    रिमझिम का मुंह बन गया।
    “आने दो मैं उसे भगा दूंगी”
    सेमिना ने रिमझिम को घूरा और नोलन की तरफ मुड़ी।
    “तूझे ख्याल रखना है रिमझिम कोई शरारत नही करे और अच्छे से पढ़ाई करे”
    नोलन सर हिला दिया।
    रिमझिम ने अपना ब्रेकफास्ट खत्म किया।
    “चाचू चलो”
    रिमझिम ने उदास सा चेहरा बना रखा था।
    नोलन को रिमझिम का उदास चेहरा देख कर दुख हो रहा था।
    “क्या हम रिमझिम की पसंद से उसे खेलने दे सकते है?”, नोलन ने सेमिना से पूंछा।
    रिमझिम अब खुश होकर सेमिना को देखने लगी।
    सेमिना ने अपनी आंखे छोटी कर ली और दोनो को घूरा।
    “पढ़ना जरूरी है! अपने प्यार को थोडा काबू में रखो बेटा! तुम्हारा प्यार क्यूटी के लिए बुरा है”
    नोलन ने सर झुका लिया जैसे वो हुबाओ के सामने झुकाता था।

    रिमझिम और सेमिना ने हैरानी से नोलन को देखा।
    “चाचू! आप तो उदास हो गए”

    नोलन चौंक गया उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था।
    “स्कूल…स्कूल चलो”, नोलन बिना किसी एक्सप्रेशन के बोला और मुड़ कर तेजी से चला गया।
    सेमिना का दिल कुछ बैठा जा रहा था नोलन का व्यवहार उसे सता रहा था।
    मां की ममता अपने बेटे को पहचान ही लेती है।
    सेमिना नोलन के व्यवहार से परेशान हो गई थी।
    पर रिमझिम ने जब सेमिना को गले लगाया तो सेमीना सब कुछ इग्नोर कर खुश हो गई।
    “बाय दादी”, रिमझिम अपना हाथ हवा में हिलाते हुए नोलन के पीछे भाग गई।
    “बाय क्यूटी” सेमिना फ्लाइंग किस दी और मुस्कुराने लगी।

    सिंहली स्कूल आई उसे प्रिंसिपल से कल की ट्यूशन टीचर की रिक्वेस्ट का रिजल्ट जानना था पर उसकी नजर साइकिल पर आकर ठहर गई।
    उसके टायर पहले से कही ज्यादा मजबूत दिख रहे थे।
    “साइकिल के टायर तो उस बदमाश लड़की पंचर कर दिए थे फिर ये ठीक कैसे हुए” वो सोच में पड़ गई।

    “यही सोच रही हो ना सिंहली टीचर, आपकी साइकिल की टायर किसने ठीक किए?”

    रिमझिम की आवाज सुन सिंहली की मुठ्ठी भींच गई वो गुस्से में मुड़ी की नोलन की नीली आंखों को देख जम गई उसके हाथो की मुठ्ठी खुल गई थी और चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।
    “मेरे चाचू ने ठीक की है आपकी साइकिल!”
    रिमझिम ने अपनी भौंहे उचकाई।

    “तुम्हारे चाचू ने!”, सिंहली ब्लश करने लगी।
    नोलन की नजरे सिंहली से हट ही नहीं रही थी जैसे वो बार बार ये चेहरा अपनी आंखों में बसा लेना चाहता था।

  • 11. माय एलियन हसबैंड - Chapter 11

    Words: 1280

    Estimated Reading Time: 8 min

    तुम्हारे चाचू ने!”, सिंहली ब्लश करने लगी।
    नोलन की नजरे सिंहली से हट ही नहीं रही थी जैसे वो बार बार ये चेहरा अपनी आंखों में बसा लेना चाहता था।

    “नजर मत लगाओ मेरे चाचू को”, रिमझिम सिंहली के सामने आ गई।

    सिंहली ने मुंह बना कर मुंह फेर लिया।
    अपनी ही नजर से सिंहली को खुद भी डर लगता था वो खुद नही चाहती थी की नोलन भी सबकी तरह उसे मनहूस कहे।

    सिंहली के नजरे फेर लेने से नोलन के दिल को चोट पहुंची।
    वो मुड़ा और कार में बैठ गया।
    सिंहली ने टेढ़ी नजरो से नोलन को जाते देखा और फिर आगे चल दी।
    “सिंहली टीचर! रुको”
    रिमझिम उसके पीछे भागते हुए उसके पास आ गई ।
    “थोड़ा धीरे चल लो ना सिंहली टीचर”
    सिंहली ने गुस्से में अपनी कदम ताल तेज कर ली।
    रिमझिम उसका पीछा नही कर पाई और रुक कर अपनी क्लास की तरफ मुड़ गई।
    सिंहली ने रिमझिम को वहा ना देख चैन की सांस ली।
    और आराम से प्रिंसिपल के ऑफिस के बाहर आई।
    उसे रिजल्ट के बारे में सोच हलका सा डर लग रहा।
    पर अब दरवाजा तो नॉक करना मजबूरी थी।
    सिंहली ने दो बार दरवाजा खटखटाया।
    “मे आई कम इन मैम”
    “तुम क्लास की स्टूडेंट नही हो सिंहली , आ जाओ!”

    एक पचास साल की सांवले रंग की औरत अपनी चश्मा ठीक करते हुए किसी का ज्वाइनिंग लेटर पढ़ रही थी।

    सिंहली शर्माते हुए अंदर आई।
    “मैम वो ट्यूशन टीचर की रिक्वेस्ट आई थी?”
    प्रिंसिपल मुस्कुराई।
    “सिंहली मैने उनसे बात की! आज शाम पांच बजे तुम्हे इस एड्रेस पर पहुंचना है , एक ही बच्ची है सैलरी 5 हजार मंथ”

    सिंहली की आंखे हैरानी से खुल गई उसके लिए ये पांच हजार बहुत बड़ी रकम थी।
    प्रिंसिपल ने ज्वाइनिंग लेटर सिंहली को दिखाया।
    “ये गार्ड को दिखाना वर्ना अंदर नही जाने देगें”
    सिंहली ने ज्वाइनिंग लेटर लेते हुए हां में सर हिलाया।

    “थैंक यू मैम!”

    “इसकी कोई जरूरत नही है सिंहली! तुम होनहार हो डिजर्व करती थी!”

    “फिर भी थैंक्यू! आप नही जानती, इस वक्त मेरे लिए ये जॉब कितनी मायने रखती है”

    प्रिंसिपल मैम मुस्कुरा दी।
    सिंहली अब जाने के लिए दरवाजे तक पहुंची की। प्रिंसिपल मैम ने उसे आवाज दी।
    “पूछोगी नही वो बच्ची कौन है? जिसे तुम्हे ट्यूशन देना है!”

    “नही मैम! सीधा उसी से जाकर मिलूंगी, मेरे लिए तो इस वक्त वो ईश्वर का भेजा हुआ वरदान है जो मेरी मुश्किलों को हल करने के लिए इस धरती और अवतरित हुई है”

    प्रिंसिपल हंस दी।
    “तुम भी सिंहली कुछ भी बोलती रहती हो”

    सिंहली अपने दांत दिखा कर मुस्कुरा दी और बाहर चली गई।
    उसने वो ज्वाइनिंग लेटर देखते हुए एक गहरी सांस ली और अपना ज्वाइनिंग लेटर पर्स में डाल क्लास की तरफ बढ़ गई।

    नोलन अपने केबिन में बैठा मन ही मन सिंहली के बारे में सोच रहा था की उसने अपना सर झटका।
    “मुझे स्पेसक्राफ्ट ठीक करना है मुझे हेयर ड्रेसर चाहिए”, वो परेशान हो सोचने लगा की इतनी तादात में उसे हेयर ड्रेसर कहा मिल सकते थे और अगर मिल गए तो वो उन्हें कहा रखेगा।

    तभी डॉक्टर अस्मिता ने उसके केबिन का डोर खटखटाया।
    नोलन में कोई जवाब नही दिया तो अस्मिता खुद ही अंदर आ गई।
    उसने अपने बाल झटके। वो कुछ गुस्से में थी।
    नोलन ने उसे नजरे उठा कर देखा।
    “आई एम प्रेगनेट!”, इतना कह अस्मिता ने अपनी नजरे घुमा ली।

    “प्रेगनेंट!”, नोलन बुदबुदाया की कुछ समझ वो अपनी सीट से उठ गया।
    उसके माथे पर पसीना आने लगा।
    “ये बच्चा नोलन का है?”
    “ऑफकोर्स आपका है सर!”, अस्मिता ने मुंह बना कर अपने बाल झटके।
    नोलन ने अपना थूक गटका और अपनी आंखे मिच ली।

    अस्मिता नोलन के अजीब से बिहेवियर हैरान थी।
    “आपको ये बच्चा नही चाहिए सर तो मैं इसे अबॉर्ट कर देती हु”
    “नही!”, नोलन ने एक दम से अपनी आंखे खोली।
    अस्मिता के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई।
    “तो आप मूझसे शादी करेंगे?”
    “नही!” नोलन ने हैरानी से ना में सर हिला दिया।
    नोलन का रिएक्शन देख अस्मिता ने चिढ़ कर अपने बालो को झटका दिया।
    “मेरे बच्चे के बदले में मुझे लाख रुपए मिलेंगे हर महीने, बच्चा होने के बाद एक करोड़! फिर बच्चा आपका और पैसे मेरे”

    “ठीक है”
    “ह…”, अस्मिता हैरानी से नोलन को देखने लगी।
    इतनी आसानी से मान गया। नोलन तो उसे एक बच्चे की एक पाई नही देता पर यहां तो नोलन उसकी सोच के विपरीत बिल्कुल उल्टा कर रहा था।

    अस्मिता को कुछ हिम्मत मिल गई।
    “सर आपको मुझसे शादी नही करनी तो ठीक है पर इस बच्चे की मां होने के नाते आप मुझे हर महीने 1 लाख की बजाय 5 लाख दे”, अस्मिता ने अपने हाथो की अंगुलियों से पांच का इशारा कर नोलन को दिखाया और मुस्कुराने लगी।

    “पांच लाख!” नोलन ने हां में सर हिलाया।
    अस्मिता की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था।
    “ठीक है अभी के लिए इतना काफी है बस एक बात मेरे बुलाने पर आप एक कॉल में मेरे पास आ जायेंगे”
    नोलन ने परेशानी से हा में सर हिला दिया।
    वो इस बच्चे को बचाना चाहता था की क्योंकि ये बच्चा नोलन की आखरी निशानी थी।

    अस्मिता अब खुश होकर चली गई।
    नोलन ने अपने माथे के पसीने को पोंछा।
    “मैं इस बच्चे का बाप नही हु नोलन है जो मर चुका है मुझे उसकी पहली और आखरी संतान को रिमझिम और मां के लिए बचाना ही होगा।”

    नोलन के लिए ये ग्रह कुछ अच्छे अनुभव दे रहा था तो कुछ परेशानियां भी उसकी झोली में आ गिरी थी।
    जो उसे झेलनी ही थी।
    अब ये बच्चा उससे क्या क्या नहीं करवाने वाला था नोलन ये सोच भी नही सकता था।


    सिंहली स्कूल खत्म होने के बाद तेज कदमों से बाहर जा रही थी।
    अचानक सिंहली किसी की रोने की आवाज सुन रुक गई।
    उसने क्लास के अंदर झांक कर देखा।
    पूरी क्लास खाली थी तभी उसकी नजर रिमझिम पर गई।
    रिमझिम बेंच के नीचे बैठी घुटनो के बल मुंह छिपाकर रो रही थी।
    “रिमझिम!”, सिंहली क्लास के अंदर आई।
    रिमझिम अलर्ट होकर चुप हो गई।

    “रिमझिम तुम यहां रो क्यू रही हो?”, सिंहली उसके पास आकर घुटनो के बल बैठ गई।
    रिमझिम फिर से सिसकने लगी।
    “बताओ तो!”
    “पीरियड्स! क्लास मजाक उड़ा रही थी”, रिमझिम सिसकते हुए बोली।

    “ओह…बेचारी!”, रिमझिम ने उसका हाथ अपने हाथो में पकड़ बेंच से बाहर निकाला।
    रिमझिम कुछ घबरा कर अपनी स्कर्ट को छुपाने लगी।
    “सब गर्ल्स को होता है! डरने की बात नही है!”
    सिंहली ने अपने पर्स से एक पेड़ निकाल कर उसे पकड़ा दिया।
    रिमझिम उस पैड को अलट पलट कर देख रही थी जैसे उसने इसे कभी यूज नही किया हो।
    सिंहली उसकी समस्या समझ गई।
    “मैं बताती हु इधर आओ”, सिंहली ने रिमझिम को अपने करीब खींच लिया और पीरियड पैड का यूज बताने लगी।
    सिंहली ने उसे अच्छे से समझा दिया की उसे क्या करना था।
    रिमझिम ने सर हिला दिया।
    सिंहली ने अपना स्कार्फ अपने गले से उतारा और रिमझिम की कमर पर बांध दिया।
    “अब जल्दी जाकर चेंज कर लो”
    रिमझिम बाहर भाग गई।
    कुछ देर बाद वो अपने हाथ पोंछते हुए आई और एक दम से सिंहली के गले लग गई।
    सिंहली के होठों पर हल्की मुस्कान आ गई थी।
    “आप बहुत अच्छी हो सिंहली टीचर”
    “क्या तुम अब भी मुझे तंग करोगी?”
    “बिल्कुल नही!”
    सिंहली मुस्कुरा कर रिमझिम की तरफ मुड़ी।
    “तुम अच्छे से पढ़ाई भी करोगी!”
    “बिल्कुल नही” रिमझिम ने अपने दांत दिखा दिए।

    “रिमझिम!”, सिंहली ने चिढ़ में छोटा सा मुंह बना लिया।

    पर रिमझिम अपना बैग लेकर सिंहली ले पास आई और उसका हाथ पकड़ स्कूल से बाहर ले आई।
    “चाचू!”, रिमझिम खुशी से चीखी।
    नोलन उसका कार में वेट कर रहा था।
    सिंहली और नोलन की नजरे मिली तो बस थम गई उसी पल में एक दूसरे में ही कही गुम सी हो गई।

  • 12. माय एलियन हसबैंड - Chapter 12

    Words: 1033

    Estimated Reading Time: 7 min

    “चाचू!”, रिमझिम खुशी से चीखी।
    नोलन उसका कार में वेट कर रहा था।
    सिंहली और नोलन की नजरे मिली तो बस थम गई उसी पल में एक दूसरे में ही कही गुम सी हो गई।

    रिमझिम ने उन दोनो को देखा और फिर मुंह पर हथेली रख हंस दी।

    सिंहली एक दम से झेंप गई।
    नोलन कार से उतर रिमझिम के पास आया।
    वो अपनी टेढ़ी नजरो से सिंहली को ही देख रहा था दोनो की धड़कने एक दूसरे के पास आने से ही तेज हो गई थी।
    “थैंक यू! आपने मेरी बाइक ठीक की”, सिंहली जल्दी बोल भाग कर अपनी साइकिल के पास चली गई।
    सिंहली ने एक नजर मुडकर नोलन को देखा और फिर बाकी सबको , सब उसकी नजरो से बचना चाहते थे।
    सिंहली के अंदर डर बैठ गया था की कही नोलन के साथ कुछ गलत हो गया तो वो भी उसे मनहूस ना बोलने लगे।
    सिंहली से नफरत करने वाले बहुत थे उसे चाहने वाले एक भी नही।
    नोलन की आंखे जो बार बार उसके दिल में दस्तक दे रही थी उसने एक दम से फूंक कर उसे उड़ा दिया।
    और रिमझिम को फ्लाइंग किस कर अपनी साइकिल आगे ले आई।
    रिमझिम ने भी खुशी खुशी अपना हाथ हिला दिया।
    नोलन स्तब्ध सा खड़ा रिमझिम और सिंहली को देखता रह गया।
    सिंहली उसके सामने से निकल गई।
    नोलन की नजरे सिंहली के ओझल होने तक उसे देखती रही ।
    रिमझिम भी हल्की मुस्कान लिए नोलन को देख रही थी।
    उसने नोलन का हाथ खिंचा।
    नोलन ने अपनी नजरे उसकी तरफ घुमा ली।

    “सिंहली टीचर इतनी पसंद आ गई है आपको?”
    नोलन झेंप गया।
    “नही! ये बात नही है”
    “अब शरमाओ मत चाचू! मुझे भी सिंहली टीचर पसंद है आप दोनो की जोड़ी जमेगी”
    नोलन शर्मा गया।
    “रिमझिम ऐसी बात नहीं है”
    रिमझिम ने अपनी कमर पर हाथ रखा, “ठीक है आपको नही पसंद है सिंहली टीचर?”

    नोलन हैरानी से रिमझिम को देखने लगा।
    “मैने ऐसा कब कहा”
    “आपको सिंहली टीचर पसंद है?”
    नोलन हड़बड़ा गया।
    “हां….नही..पसंद नही है”
    रिमझिम ने परेशान होकर अपना सर पकड़ लिया।
    “चाचू आप कन्फ्यूज हो और मुझे भी कन्फ्यूज कर रहे हो?”
    नोलन कुछ नही बोल पाया।
    “अच्छा ठीक है चाचू अब घर चलो”, रिमझिम ने नोलन का हाथ पकड़ लिया और नोलन के साथ कार में बैठ गई।
    नोलन अभी भी सिंहली के बारे के सोच रहा था फिर खुद ही अपनी सोच को विराम देकर खुद से कहता की
    सिंहली एक परग्रही है दोनो का कोई मेल नही है।
    क्या सच में दोनो का कोई मेल नही था अगर मेल नही था तो क्यू दोनो के दिल में एक दुसरे के लिए ये अजीब सी फीलिंग्स उमड़ आई थी।
    क्यों दोनो एक दूसरे की और अट्रैक्ट हो रहे थे
    एक अजीब सी कशिश थी जो दोनो को एक दूसरे के करीब खींच रही थी।

    सिंहली ने एक मेंशन के सामने अपनी साइकिल रोकी और ज्वाइनिंग लेटर में एड्रेस पढ़ने लगी।
    “एड्रेस तो यही है”, उसने कुछ हैरानी से घर को देखा।
    मेंशन के बाहर यही नेम प्लेट लिखी थी।
    पढ़कर सिंहली ने सुकून की सांस ली और अपनी साइकिल दीवार के पास पार्क कर गेट के पास आई।
    “मुझे यहां बुलाया गया है?”, उसने गार्ड को ज्वाइनिंग लेटर दिखाया तो गार्ड ने उसे अंदर जाने दिया।
    सिंहली के जाने के बाद नोलन की कार आई गार्ड ने उनके लिए गेट खोल दिए।

    सिंहली थोड़ा नर्वस थी।
    वो मेंशन की सफेद संगमरमर की दीवारों को छूते हुए आगे बढ़ रही थी की किसी ने टोक दिया।
    “कौन हो तुम?”
    सिंहली घबरा कर आवाज की दिशा में मुड़ी।
    हॉल में सेमिना अपने हाथ बांधे उसे घूर रही थी।
    “मै टीचर हु”, सिंहली ने ज्वाइनिंग लेटर सेमिना की तरफ बढ़ा दिया।
    सेमिना ने ज्वाइनिंग लेटर पढ़ा और मुस्कुरा दी।
    “सिंहली! मैं तुम्हारा ही वेट कर रही थी”,
    सिंहली का डर अब कुछ कम हुआ।
    “पुष्पा! सिंहली को रिमझिम के कमरे में ले जाओ और इन्हें जो भी जरूरत हो इन्हे लाकर दो, खाने पीने में मिस सिंहली को कोई कमी नही होनी चाहिए”

    उनकी नौकरानी पुष्पा सिंहली के पास आ गई।
    पुष्पा अधेड उम्र की औरत थी काफी सालो से यहां काम कर रही थी।
    सिंहली की नजर बस उसकी शर्ट और पुष्पा की लॉन्ग ए लाइन स्कर्ट पर थी।
    उसके नौकर के कपड़े भी उसकी कुर्ती और जींस से अच्छे थे। सिंहली को खुद पर थोड़ी सी शर्म आ गई।

    “चलिए मैम”, बदे अदब से पुष्पा ने हल्का झुक काट सिंहली को चलने का इशारा किया।
    सिंहली की आंखे हैरानी से बड़ी हो गई।

    नोलन और रिमझिम अंदर आए तब तक सिंहली उपर जा चुकी थी।
    “दादी!”, रिमझिम सेमीना के गले आ लगी।
    “ये तूने कमर पर दुपट्टा क्यों बांधा हुआ है”

    रिमझिम ने अपने दुपट्टे को छुआ।
    “मुझे स्कूल में पीरियड्स आ गए! सिंहली टीचर ने मेरी मदद की”
    सेमिना ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया।
    “मेरी क्यूटी कितना परेशान हुई होगी”
    मन ही मन सेमिना रिमझिम के मुंह से सिंहली की तारीफ सुन खुश हो रही थी, कही ना कही सिंहली भी उसे नजर भर में पसंद आ गई थी।

    “पीरियड्स!” नोलन बुदबुदाया। उसके डाटा में जैसे ही इसका रिजल्ट मिला वो घबरा कर रिमझिम के सामने घुटनो पर बैठ गया।
    रिमझिम नोलन की तरफ मुड़ी।
    “तुम ठीक हो! मैं तुम्हारे लिए गर्म पानी लेकर आता हु”
    “नही चाचू! मैं ठीक हु”

    सेमिना रिमझिम के सर पर हाथ रखते हुए मुस्कुरा दी।
    “जाओ जल्दी से कपड़े बदल लो तुम्हारे सिंहली टीचर तुम्हे आज से ट्यूशन पढ़ाएंगी”
    “व्हाट!”, रिमझिम एक दम से खुशी से ऊंछली।
    सेमिना ने हां में सर हिला दिया।
    नोलन के दिल की धड़कने कुछ तेज हो गई।
    “तुम्हारे कमरे में है”

    ये सुनते ही रिमझिम अपने कमरे की तरफ भाग गई।
    सेमिना अब नोलन की तरफ मुड़ी जो अभी भी घुटनो के बल बैठा था।
    कही खोया हुआ लग रहा था।
    “तूझे क्या हुआ? तू भी मिल ले सिंहली टीचर से तूझे तसल्ली हो जाएगी”

    “नही”, एक दम से नोलन उठा और अपने कमरे की तरफ बढ़ गया।
    सेमिना को नोलन का बर्ताव समझ नही आया।
    “नोलन को क्या हो गया है कुछ तो बदल गया है ऐसा तो नहीं था उसका बेटा नोलन।”, सेमिना कुछ दुखी सी हो गई।
    कही न कही सेमिना के दिल ने पहचान लिया था ये नोलन उसका बेटा नोलन नही था।

  • 13. माय एलियन हसबैंड - Chapter 13

    Words: 1095

    Estimated Reading Time: 7 min

    सिंहली चेयर पर बैठी उस कमरे को देख रही थी जिसे डिजनी प्रिंसेस के कमरे की तरफ सजा रखा था।
    उसके सामने कोल्ड ड्रिंक और नमकीन रखी हुई थी जिसे वो थोडा थोडा खा रही थी।
    की अचानक रिमझिम की तस्वीर देख उसके होश उड़ गए, वो कुछ सोच पाती की पिछे से रिमझिम की आवाज आई।
    “सिंहली टीचर!”,
    रिमझिम की आवाज सून सिंहली एक दम से चौंक कर उठ गई।

    रिमझिम भाग कर सिंहली के सामने आई।
    “मैं कपड़े बदल कर आ रही हु आप भागना नहीं”

    सिंहली की सांसे थम गई थी।

    रिमझिम अपने कपडे लेकर बाथरूम में भाग गई।

    सिंहली के होश अभी भी उड़े हुए थे।
    फिर एक दम से उसने अपना सर पकड़ लिया और धम्म से बैठ गई।
    उसे रिमझिम को पढ़ाना था जिसे वो कभी क्लास में भी नही पढ़ा पाई वो उसे उसके ही घर पर क्या ही पढ़ा पाती।
    फिर रिमझिम इतनी शरारती थी की सिंहली को अपनी चिंता होने लगी थी।
    “रिमझिम यहां है तो उसका चाचू भी!”, कुछ सोच सिंहली के गाल कुछ शर्म से लाल हो गई।

    कपड़े बदल रिमझिम बाहर आई।
    “सिंहली टीचर मैं आपको आपने टेडी बियर दिखाऊंगी, हम खेलेंगे ओके”

    सिंहली का मुंह बन गया, “बेटा हम पढ़ने आए है”
    रिमझिम ने हैरानी से सिंहली का कहा सुन उसे देखा
    “आप स्कूल में पढ़ाएगी और यहां भी टीचर! दिस इस नॉट फेयर”, रिमझिम ने अपने हाथ बांध लिए और सिंहली को घूरने लगी।
    सिंहली ने अपने माथे का पसीना पोंछा।
    जिस काम के उसे पैसे मिले थे उसे ये करना ही था पर जब रिमझिम खुद ही पढ़ना नही चाहती थी तो वो कैसे पढ़ा सकती थी पर ये जॉब उसके लिए कितनी जरूरी थी चाहे अब रिमझिम को पढ़ना पसंद हो या ना हो उसे जबर्दस्ती तो जबर्दस्ती ही सही उसे रिमझिम को पढ़ाना ही पड़ेगा।
    सिंहली ने मन ही मन में खुद को मजबूत कर लिया और सिंहली को डांटने के लिए अपना मुंह खोला की सेमीना की आवाज सुन सिंहली शांत हो गई।
    “रिमझिम सिंहली टीचर को तंग मत करो”, सेमिना कुछ नाश्ता और रिमझिम के लिए दूध लेकर अंदर आई।
    सिंहली ने सुकून की सांस ली पर रिमझिम ने मुंह बना लिया था।
    “मुझे नही पढ़ना है दादी”
    “ऐसा नही कहते बेटा , सिंहली मिस सिर्फ तुम्हे पढ़ाने यहां आई है”

    रिमझिम ने दुखी होकर अपना मुंह लटका लिया।
    सेमिना सिंहली की तरफ मुड़ी।
    “आप टेंशन मत लिजिए! मैं अपने बेटे को भेजती हु वो निगरानी रखेगा। देखती हु कैसे नहीं पढ़ती है”
    सिंहली की हार्ट बीट नोलन के बारे में सोच तेज हो गई।
    “नो दादी! दिस इस टार्चर”, रिमझिम मुंह फुलाकर सिंहली के सामने बैठ गई।

    सेमिना ने हल्के से सिंहली को देख अपने कान पकड़े।
    सिंहली ने हल्की सी मुस्कान दे ना में सर हिला दिया।
    “मैं रिमझिम को अच्छे से पढ़ाऊंगी”

    “मैं नही पढूंगी”, रिमझिम ने सिंहली को जीभ दिखा दी।
    सिंहली ने उसे घूर कर देखा और फिर सेमिना को देख मुस्कुराने लगी।
    सेमिना को पहली नजर में ही सिंहली से प्यार हो गया था।
    “कितनी प्यारी है ये बच्ची!! काश मेरे नोलन और मिस सिंहली का कुछ हो जाए”, सेमिना मन ही मन खुद से बोली।
    “मैं नोलन को लेकर आती हु”, वो तुरंत चहक कर बाहर चली गई।
    रिमझिम मुस्कुरा दी वो तिरछी नजरों से सिंहली के गुलाबी गालों को नोटिस करते हुए बोली।
    “चाचू आ रहे है”

    सिंहली ने मुंह बनाकर रिमझिम की एक बूक उठा ली।
    “मुझे क्या लेना देना, आना है तो आ जाए”

    रिमझिम मंद मंद मुस्कुरा दी।
    “आप चाचू को पसंद करती है ना?”

    “चुप करो!” सिंहली ने उसे घूर कर देखा।

    “चाचू की नीली आंखों में आप खो जाती है वो लेंस है”

    सिंहली के हाथ से किताब छूट कर गिर गई।

    रिमझिम मुंह पर हाथ रख हंसने लगी।
    सिंहली का दिल ही टूट गया था।
    नोलन की नीली आंखे ही तो थी जो उसे अपनी तरफ अट्रैक्ट कर रही थी।
    सिंहली रिमझिम को हंसते हुए देख अपने नाखून नोचने लगी उसे नोलन पर भी गुस्सा आ रहा था।
    जैसे नोलन ने उसे चीट कर दिया था।

    नोलन कमरे की बालकनी में खड़ा अपनी घड़ी को देख रहा था की सेमिना की आवाज सुन उसने तुरंत हड़बड़ा कर अपनी घड़ी अपनी जेब में डाल ली और कमरे में आ गया।
    सेमिना ने प्यार से नोलन के चेहरे पर हाथ रखा।
    “एक प्यारी सी लड़की हमारी रिमझिम को पढ़ाने आई है, तू देख ले …शायद तुझे पसंद आ जाए”

    नोलन के दिल की धड़कने तेज हो गई।
    “चल!”, सेमिना ने नोलन का हाथ पकड़ लिया और उसे अपने साथ खींच ले गई।
    नोलन बेचारा कुछ बोल भी नहीं पाया ।

    “धक्का लगा टीचर!”, रिमझिम ने सिंहली को चिढ़ाया।
    सिंहली एक दम से रिमझिम को मारने उठी की रिमझिम उछल कर चेयर से कूद गई।
    वो अब भी सिंहली को चिढ़ा रही थी।
    “चाचू की नीली आंखों से प्यार हो गया था आपको पर वो तो नकली है”
    सिंहली का मुंह छोटा सा रह गया।
    “तुम्हे अभी बताती हु बहुत बोलने लगी हो”

    रिमझिम ने सिंहली को जीभ दिखा दी।
    सिंघली रिमझिम के पीछे भागी की रिमझिम बेड पर कूद गई।
    “रिमझिम की बच्ची”, सिंहली चीखते हुए रिमझिम के बेड पर कूदी की ।
    रिमझिम रोल कर बेड से नीचे कूद रिमझिम को जीभ दिखा चिढ़ाने लगी।
    सिंहली ने बेड पर अपना हाथ मारा।
    “अब तो तुम गई”, सिंहली ने अपने बालों को उपर की तरफ जुड़े में बांध लिया और बेड से उतर रिमझिम की तरफ दौड़ लगा दी।
    रिमझिम ने घबरा कर सिंहली को देखा और एक दम नीचे झुक क्रॉल कर गई।
    सिंहली सीधा सामने से आ रहे नोलन से टकरा पीछे गिरने लगी, सिंहली की आंखे नोलन को देख हैरानी से फैल गई थी उसका शरीर पीछे की तरफ गिर रहा था
    नोलन का हाथ एक दम से सिंहली की तरफ बढ़ा और एक ही झटके में नोलन ने उसे उसकी कमर से पकड़ थाम लिया।
    दोनो की नजरे मिली की फिर सिंहली और नोलन की धड़कने बढ़ गई।
    सिंहली पूरी तरह से नोलन की नीली आंखों में खो कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
    और नोलन उसके क्यूट से फेस को देखे जा रहा था।
    टीनरिक t1 प्लेनेट की लड़किया और पृथ्वी की लड़किया काफी अलग दिखती थी फिर भी नोलन उस परग्रही लड़की की तरफ खिंचा चला जा रहा था।

    रिमझिम उन दोनो को देखते हुए चुपके से सेमीना के पास आ गई।
    सेमिना ने गहरी लंबी मुस्कान के साथ एक दूसरे को देखा।
    सेमिना ने चुपचाप से अपना फोन निकाला और उनकी तस्वीर ले प्यार से उन्हें निहारने लगी।

    पहली बार नोलन किसी लड़की में इस कदर खोया था की अपने आस पास सब कुछ भूल चुका था।

  • 14. माय एलियन हसबैंड - Chapter 14

    Words: 1603

    Estimated Reading Time: 10 min

    “चाचू की नीली आंखे नकली है”

    रिमझिम की आवाज ने सिंहली का भ्रम तोड़ दिया वो एक दम से नोलन को थोड़ा पिछे धकेल दूसरी दिशा में देखने लगी।

    नोलन का दिल एक बार फिर टूट गया।
    सेमिना ने रिमझिम को घूर कर देखा और फिर नोलन को ।
    “बेटा तू ये लेंस कब तक पहनें रखेगा! ऐसा लगता है जैसे मेरे भूरी आंखो वाला बेटा नीले लेंस लगा कर बदल गया है”

    नोलन झेंप गया है, वो क्या बताता की सच में उनका बेटा बदल गया था

    सिंहली मुंह बना रही थी मन ही मन नोलन को कोस रही थी।
    “झूठे , धोखेबाज, तुम्हारी नकली नीली आंखों से मैं अट्रैक्ट हो रही थी”
    सेमिना सिंहली की तरफ मुड़ी।
    “बेटा तुम रिमझिम को पढ़ाओ, नोलन इस बदमाश पर नजर रखेगा”, सेमीना ने रिमझिम को घूर कर देखा।
    रिमझिम ने मुंह बना लिया।
    सेमिना अब बाहर चली गई।
    और सिंहली चुपचाप सावधान मुद्रा में खड़े नोलन को घूर कर देख अपनी चेयर पर जाकर बैठ गई।
    “रिमझिम इधर आओ”

    रिमझिम को मजबूरन जाना पड़ा।

    नोलन सिंहली और रिमझिम को देख रहा था।
    सेमिना ने उसे जो काम दिया था वो उसे अच्छे से कर रहा था।
    पुरे दो घंटे नोलन खड़ा रहा।

    रिमझिम ने बुक बंद कर उबासी ली।
    “मैं होमवर्क दे रही हु कल तक कंप्लीट होना चाहिए”
    रिमझिम ने चिढ़ा सा मुंह बना लिया।

    सिंहली ने अपना पर्स उठाया और जाने के लिऐ मुड़ी की नोलन सामने आ गया।

    रिमझिम अपने मुंह पर हाथ रख मुस्कुरा दी।
    सिंहली नोलन को इग्नोर कर साइड से चली गई।
    नोलन का मुंह लटक गया।
    “चाचू पीछे जाओ!”, रिमझिम ने अपने माथे पर मारा, “जाओ सिंहली टीचर चली जाएगी”

    नोलन अभी भी वही खड़ा सिंहली को देख रहा था की रिमझिम भाग कर आई और नोलन का हाथ पकड़ उसे घूर कर देखा।
    “आप बुद्धू हो गए है”
    नोलन घबरा गया।
    “नही! ऐसा तो नहीं है”
    “ऐसा ही है चाचू! अब चलो, मुझे ही करना पड़ेगा सब! आपसे कुछ नही होगा”
    नोलन ने उदासी से सर झुका लिया।
    रिमझिम नोलन का हाथ पकड़ नीचे ले आई।

    सेमिना सिंहली को एडवांस में उसकी वन मंथ की सैलरी दे रही थी।
    सिंहली अपनी सैलरी लेकर काफी खुश नजर आ रही थी।
    “चाचू सिंहली टीचर अकेले कैसे जायेंगी आप उन्हें छोड़ आयेंगे प्लीज!”

    सेमिना के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई पर नोलन और सिंहली हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे।
    “नही! मैं चली जाऊंगी”
    सिंहली एक दम से बोली।
    “नही बेटा रिमझिम सही कह रही है, नोलन जाओ छोड़ कर आओ”

    नोलन ने सेमिना के कहने पर हां में सर हिला दिया।
    सिंहली कुछ बोल नही पाई और अपने जुड़े को खोलते हुए बाहर चली गई।
    उसके बाल जिस तरह से नीचे आए नोलन के दिल की धड़कने बढ़ा गए।
    नोलन के कदम सिंहली के पीछे चल दिए।

    सेमिना और रिमझिम ने उनके जाने के बाद एक दूसरे को ताली मारी और डांस करने लगी।

    सिंहली गुस्से में पैर पटकते हुए अपनी साइकिल के पास आई।
    “मैं नही जा रही हु उस नकली नीली आंखों वाले धोखेबाज के साथ”
    सिंहली ने गुस्से में अपनी साइकिल के स्टेंड को पीछे किया पर साइकिल वही रुक गई थी।
    सिंहली ने जोर लगाया पर वो एक इंच भी हिला नही पाई।
    “इसे क्या हो गया है! या मैं इतनी वीक हो गई उस शैतान लड़की को पढ़ाने के बाद की मूझसे ये साइकिल हिल तक नही रही”, सिंहली ने रोंदू सा चेहरा बना लिया।
    “शैतान कही की”, सिंहली ने गुस्से से अपना पूरा जोर लगा दिया।

    उसकी अंगुलिया लाल हो गई थी।
    काफी देर कोशिश करने के बाद वो उसे हिला तक नही पाई।
    लम्बी लंबी सांसे लेते हुए सिंहली ने उसे छोड़ दिया।
    और एक लात मारी।
    “मर यही पे! मैं पैदल चली जाऊंगी”
    सिंहली ने लात मार नजरे उठाकर देखा तो नोलन को साइकिल की बैक सीट पकड़े खड़े देख गुस्से में उसकी मुठ्ठी भींच गई।
    “आप बोल नही सकते थे आपने पीछे से पकड़ रखा है! पर आपने पकड़ा ही क्यों?”

    “ मां ने कहा है आपकों मुझे आपके घर आकर छोड़ना है आप मेरी कार में आकर बैठ जाओ”
    नोलन ने अपनी शांत आवाज में कहा।

    सिंहली ने हैरानी से उसे घूरते हुए अपना थूक गटका।
    “क्या आदमी हो यार! मैं साइकिल को आगे धकेलने में अपनी ताकत लगाती रही और तुम चुपचाप खड़े रहे”

    नोलन ने अपनी नजरे घुमा ली।
    “कार वहा है”

    सिंहली ने उसकी कार की तरफ देखा और फिर उसे ।
    “मैं अपनी साइकिल से ही जाऊंगी”, सिंहली ने नोलन का हाथ हटाने ले लिए अपना हाथ उसके हाथ पर रखा को नोलन हैरानी से चौंक कर उसे देखने लगा।
    नोलन की दिल की धड़कने तेज हो गई थी।
    “अब तुम्हारी ये नकली नीली आंखे मुझे बहका नही सकती, छोड़ो” , सिहली के नाखून नोलन का हाथ छुड़ाते छुड़ाते उसके हाथ पर चुभ जाए।
    नोलन सिंहली को ही देखे जा रहा था।
    सिंहली के बाल हवा में उड़ते हुए उसके चेहरे पर आ रहे थे।
    नोलन ने धीमे से अपना हाथ बढ़ा सिंहली के बालो को उसके कान के पीछे कर दिया।
    सिंहली एक दम से चौंक कर पीछे हट गई।
    नोलन के हाथ हवा में ही रह गए थे।
    वो अब कुछ हैरानी से सिंहली को देख रहा था।
    उसने अपने हाथो की मुट्ठी बना पीछे कर ली और नजरे घुमा दूसरी दिशा में देखने लगा।
    सिंहली के गाल कुछ शर्म से लाल हो गए।
    उसने शरमाते हुए अपने बालो को पिछे किया।
    “मेरे बाल पीछे करने की जरूरत नही थी मिस्टर मेहरा”

    “आप चल रही है?”

    सिंहली ने शर्म से हां में सर हिला दिया।
    नोलन ने एक दम से साइकिल छोड़ कार की तरफ कदम बढ़ाए।

    साइकिल एक दम से गिर गई।
    सिंहली घबरा कर कुछ कदम पीछे हट गई।
    उसकी नजर साइकिल की बैक सीट पर गई।
    साइकिल की बैकसीट थोड़ी टेढ़ी हो गई थी।
    सिंहली ने कार में बैठे उसका वेट कर रहे नोलन को देखा और फिर साइकिल की बैकसीट को।

    “वाह”
    सिंहली ने हैरानी से अपने बालो को पिछे किया तभी तेज हॉर्न की आवाज आई और नोलन की कार सिंहली के पास आ गई।
    सिंहली ने आवाज से परेशान हो कर अपने कानो पर हाथ रख लिया”
    “मैं आ रही हु ना रुक नही सकते कुछ पल”

    “मुझे आपको तुरंत आपके घर छोड़ कर आना है मां ने कहा है”

    सिंहली ने हैरानी जताई।
    नोलन ने ड्राइविंग सीट वाला दरवाजा खोल दिया।
    “आप यहां से आ सकती है”

    सिंहली ने नोलन को घूरा , “छिछोरा! चाहता है की मैं”, सिंहली के गाल कुछ लाल हो गए।
    “आप खड़ी क्यों है?”
    सिंहली हड़बड़ा गई , “तुम सच में चाहते हो मैं तुम्हारे ऊपर से ….”
    नोलन कुछ समझ नही पाया।
    “ये दरवाजा आपके करीब है आप घूम कर आएंगी तो वक्त जायेगा, जल्दी आइए”
    सिंहली ने शर्म से सर हिला दिया और शरारत से नोलन पर झुकी।
    नोलन का सर एक दम से घबरा कर सीट से टिक गया।
    सिंहली के हाथो ने नोलन के कंधो को पकड़ा।
    नोलन की आंखे हैरानी से फैल गई।

    सिंहली ने अपना पैर अंदर लिया।
    सिंहली का घुटना नोलन की जांघो पर टिक गया।
    नोलन की धड़कने तेज हो गई।

    सिंहली नोलन से होते हुए उसकी पास वाली सीट पर बैठ गई।
    नोलन अभी भी घबराया हुआ सा सामने देख रहा था।
    उसकी धड़कने अभी भी तेज थी।
    जो कुछ हुआ उसका दिमाग उसे प्रॉसेस नही कर पा रहा था।
    “क्या हुआ! चलो”, सिंहली के चेहरे पर हल्की शरारती मुस्कान थी।
    नोलन ने सिंहली को देखा और हां में सर हिला दिया।
    सिंहली अपनी स्माइल को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी।
    “आप कहा रहती है?”

    सिंहली ने अपना पर्स खोल एक कार्ड उसके हाथ में थमा दिया।
    “ये मेरा एड्रेस है”

    नोलन ने कार्ड को देखा ।
    और एक पल अपनी आंखे मिच खोल कार्ड सिंहली की तरफ बढ़ा दिया ।

    सिंहली ने बस पलक ही झपकाई थी की 10 मिली सेकेंड की गति से नोलन उसके घर के सामने था।
    सिंहली ने पर्स के अंदर अपना कॉर्ड रखा।
    “चलो, अब देर मत करो”
    “हम पहुंच गए है”
    “क्या? अभी तो चले भी नही”
    “सामने देखो”
    सिंहली ने हल्की सी मुस्कान के साथ सामने देखा तो उसकी मुस्कान गायब हो गई।

    “हम तो तुम्हारे घर के सामने थे फिर यहां कैसे, कही मेरी यादाश्त तो नही चली गई”, सिंहली ने घबरा कर अपना सर पकड़ लिया।

    नोलन ने उसे देखा, “उतरो और अपने घर जाओ, मुझे वापस भी जाना है”
    सिंहली ने बुरा सा मुंह बना लिया।
    “चले जाओ! मैं कौनसा तुम्हे अपने घर बुला रही हु”, सिंहली अपना सर सहलाते हुए हैरानी से चारो तरफ देखते हुए कार से उतरी।
    उसे अभी भी याद नही आ रहा था की वो यहां कैसे पहुंची।
    जैसे ही वो नोलन की तरफ मुड़ी वो हैरान होकर पीछे हट गई।
    नोलन और उसकी कार दोनो गायब थे।
    “1 ही सेकेंड में कहा चले गए”
    सिंहली ने अपना सर पकड़ लिया।
    उसे अब सच मे लगने लगा था की रिमझिम को पढ़ा कर उसे अल्जाइमर हो गया है।

    “मनहूस आ गई”, एक औरत जो अपने बच्चे को लेकर टहलने जा रही थी की अचानक अपने घर की तरफ भागने लगी और फिसलकर नाली में गिर गई।
    सिंहली चौंक कर उसकी तरफ मुड़ी।
    वो उस औरत की मदद करने बढ़ी को लोगो को उसे घूरते हुए उस औरत की मदद के लिए आते देख रूक गई।
    “इस मनहूस ने नजर लगाई है”
    “हां ये जाती क्यों नही है हमारी जिंदगी से! जीना हराम कर के रखा हुआ है”

    “हां किसी दिन कुछ बड़ा हादसा हो जाएगा इस मनहूस की वजह से”

    सिंहली उन्हें घूर कर गुस्से में पैर पटकते हुए वहा से चली गई।

    पर अब वे लोग डिसाइड कर चुके थे कुछ भी कर के सिंहली को यहां से निकालना था।

  • 15. माय एलियन हसबैंड - Chapter 15

    Words: 1181

    Estimated Reading Time: 8 min

    सिंहली अपने अपार्टमेंट में आते ही अपना पर्स अपने बेड पर फेंक कर निढाल होकर गिर गई।
    स्कूल के बाद रिमझिम जैसी शैतान स्टूडेंट को ट्यूशन देना सिंहली को पहले ही दिन थका चुका था।
    पर पैसों के लिए ये करना ही था।

    पेपे पेपे प पेपे पेपेपे…..

    सिंहली ने बस दो पल सुकून की सांस ही ली थी की उसके फोन की रिंगटोन बजने लगी।
    सिंहली ने अपना सर पीट लिया।
    वो इतनी थकी हुई थी की वो ऐसे ही अपने बेड पर क्राॅल करने लगी उसकी उठने की भी हिम्मत नही थी।
    किसी तरह उसका हाथ अपने पर्स तक पहुंचा पर जैसे ही उसने अपना फोन निकाला , रिंग टोन बजनी बंद हो गई थी।
    सिंहली बुरी तरह घबरा गई उसकी घबराहट ने उसके माथे पर पसीना ला दिया था।
    “ननननो…ये मूझसे क्या हो गया”
    सिंहली ने डर और गुस्से के मिले जुले भाव से चिढ़ कर अपना फोन बेड पर मारा की….

    पेपे पेपे प पेपे पेपेपे…..

    सिंहली की घबराहट दुगुनी हो गई।
    “सुनने के लिए तैयार हो जा सिंहली”
    मन ही मन सिंहली ने अपने भगवान को याद करते हुए फोन उठाया ही था दो लोगो की कर्कश आवाज चीखते हुए उसके कानो में गूंजी।

    सिंहली का दिल से धक्क से रह गया।

    “मनहूस! अब तूझे हमे पैसे ना देने पड़े इसलिए हमारा फोन भी नही उठा रही है”

    सिंहली ने बैचेनी से अपना थूक गटका।
    वो अपनी बात रखना चाहती थी पर वो उसे बोलने दे तब ना।

    “मनहूस! तु भूल गई हम तूझे आश्रम से लाए थे! हमने तेरे खर्चे उठाए है तू मनहूस है कितने ताने सुनकर फिर भी तुझे पाला, अब जब तू कमाने लगी है तो हमारा फोन तक नही उठा रही… थू है तेरी जैसी बेटी पर”

    सिंहली की आंखे नम हो गई।
    वो चीख चीख कर बोलना चाहती थी की उसने अपनी पढ़ाई अपनी स्कॉलरशिप के पैसों से पूरी की, मनहूस होने के ताने तो सिर्फ उसने सुने, उन पर दया खाई गई सिंहली को गोद लेकर उन्हें तारीफ ही मिली। सिंहली को उनसे कुछ मिला तो बस गालियां, ताने और दुख।

    “तू नालायक, मनहूस, बेशर्म, जिंदगी बर्बाद कर के हमारी…पैसों पर ऐश कर रही है”

    अपने ही पिता के ऐसे शब्द उसके दिल में तीर की तरह चुभ रहे थे।
    मां का तो अभी बोलना बाकी था वो कैसे पीछे हटती।
    “जितना कमाती है उसका आधा भेजती है बाकी आधे पैसों का करती क्या है…मजे कर रही है?तूझे देख लेंगे हम”

    “मां मैं पैसे भेज रही हु” , अपना रोना किसी तरह कंट्रोल कर सिंहली ने ट्यूशन से मिले 5 हजार रूपए उन्हे ट्रासफर कर दिए।

    पैसे मिलते ही फोन कट गया।
    सिंहली की आंखे से आंसु टप टप फोन की स्क्रीन पर गिर रहे थे।


    नोलन अपनी बालकनी में खड़ा चांद की शीतलता को अपने अंदर ले रहा था।
    उसकी नीली आंखे बंद थी।
    नोलन ने पर्याप्त शीतल ऊर्जा लेने के बाद अपना मुंह बंद किया तो उसके होठों पर हल्की मुस्कान आ गई थी।

    उसका शरीर कुछ तन गया था।
    नोलन को सिंहली का स्पर्श अभी भी अपने बदन पर महसूस हो रहा था।
    बड़ा ही गुदगुदाने वाला एहसास था जो नोलन समझ कर भी ना समझ बन रहा था।

    “चाचू”, रिमझिम अपनी बुक्स लेकर भागते हुए बालकनी में आई।
    नोलन ने रिमझिम की आवाज सुन खुद को शांत कर लिया।

    “चाचू सिंहली टीचर के क्वेश्चन मूझसे सॉल्व ही नही हो रहे है”
    रिमझिम ने छोटा सा मुंह बना अपनी नोटबुक नोलन की तरफ बढ़ा दी।

    नोलन ने नोटबुक हाथ में ली और क्वेश्चन पढ़ अपनी पलक झपकाई।

    “सब्सट्रैक्ट करो तुम मल्टीप्लाई कर रही हो”

    “ह…”, रिमझिम ने आंखे फाड़े अपनी नोटबुक को अपने हाथ में लिया और सब्सट्रेक्ट करने लगी।
    “वाव चाचू आप तो मैथ के मास्टर हो”,
    नोलन मुस्कुरा दिया।
    नोलन टीनरिक प्लैनेट का सबसे इंटेलिजेंट प्राणी था तभी उसे टीनरिक t1 प्लेनेट के चीफ हुबाओ का दाहिना हाथ बनाया गया था।

    हुबाओ को याद करते ही उसकी पेंट में वाइब्रेशन होने लगी।
    उसने घबरा कर रिमझिम को देखा।
    “तुम बाहर जाओ”
    “नही चाचू! अब आपको मेरी हेल्प करनी पड़ेगी”
    रिमझिम ने अपने कंधे उचका दिए।

    नोलन की पेंट में लगातार वाइब्रेशन हो रहा था।
    नोलन की हालत खराब हो चुकी थी।
    तभी सेमिना भी दो दूध के गिलास लेकर अंदर आ गई।

    “लो बच्चो पहले दूध फिनिश करो”
    रिमझिम ने दूध देख मुंह बनाकर नोलन को देखा।
    “चाचू ये मैथ और दुध दोस्त है तभी हर रोज मुझे तंग करते है”

    “कोई बहाना नही क्यूटी! चलो दुध पकड़ो और एक सांस में पी जाओ”

    सेमिना ने रिमझिम और नोलन को दूध पकड़ाया की नोलन के चेहरे पर इतना डर देख घबरा गई।
    “क्या हुआ?”, सेमिना ने नोलन के चेहरे को अपने हाथो में लिया।
    “कुछ भी तो नहीं” नोलन ने खुद को संभाला।
    वाइब्रेशन ओर तेज हो गई थी।
    अगर अब उसने थोड़ी भी देर की तो हुबाओ उसे सजा सकता था।
    उसने तुरंत दुध का गिलास खत्म किया और बाहर चला गया।

    सेमिना ने परेशानी से नोलन को देखा।
    “कुछ बदल सा गया है”
    “दादी प्लीज ना, नही पिया जा रहा मूझसे”

    सेमिना का ध्यान रिमझिम पर चला गया जो अब तक अपना आधा गिलास दूध भी खत्म नही कर पाई थी।
    “क्यूटी! जल्दी खत्म करो”, सेमिना ने उसे घूर कर देखा तो रिमझिम मन मारकर दूध पीने लगी।

    नोलन तूरंत एक शांत कमरे में आया और अपनी घड़ी निकाल अपने सामने का ली फिर उसमे अपनी अंगुली डाल बाहर निकाली।
    घड़ी में रोशनी निकली और हुबाओ का होलोग्राम उसके सामने प्रकट हो गया।

    हुबाओ ने अपने दोनो आगे के दांतो को कस कर भींच रखा था उसके दोनो हाथ पीछे की तरफ कस कर बंधे हुए थे।
    नोलन ने तुरंत अपनी हथेली की मुठ्ठी बना अपने हाथ को अपने सीने पर रख सर झुका लिया।

    हुबाओ गुस्से से दो तीन बार अपनी जगह पर कूदा।
    उसका मोटा थुलथुल फरों वाला पेट उसके साथ हिल रहा था।
    जैसे एक लंबा खरगोश कूद रहा हो।
    कोई इंसान देखता तो हाउ क्यूट बोल कर उसके गाल चूम लेता।

    नोलन ने अपने कान पकड़ लिए उठक बैठक लगाने लगा।
    “हूबा हुबा …..”, हुबाओ ने अपनी अंगुली से नोलन की तरफ इशारा किया और अपनी अंगुली को अंगूठे से चिपका क्वेश्चन मार्क बनाने लगा।

    नोलन ने हां में सर हिलाया।
    उसने अपनी घड़ी से एक इमेज हुबाओ को भेजी जो उस हेयर ड्रेसर के कलपुर्जे की इमेज थी।
    लगभग एक लाइट ईयर को मिली सेकंड में पार करते हुए इमेज 3 सेकंड के अंदर ही हुबाओ तक पहुंच गई।
    हुबाओ ने तस्वीर देखी फिर हां में सर हिलाया।
    उसने अपने दोनो हाथो से सर्किल बनाया और उस तस्वीर की तरफ इशारा करते हुए क्वेश्चन मार्क का निशान बनाया।

    नोलन ने भी हवा में सर्किल ड्रॉ किया और बिजली का निशान बनाया।

    हुबाओ ने हा में सर हिला दिया।
    हुबाओ ने नोलन को एक अंगूठा दिखाया और होलोग्राम गायब हो गया।
    नोलन ने सुकून की सांस ली।
    वो बच गया था उसे इस चीज की खुशी थी पर हुबाओ ने उसे जल्दी से जल्दी स्पेसक्राफ्ट ठीक करने के लिए कहा था।
    नोलन इसी बारे में सोचकर परेशान था।
    बिना पर्याप्त पुर्जे जोड़े स्पेस क्राफ्ट को ठीक करना ना मुमकिन था।
    नोलन अब स्पेसक्राफ्ट के बाकी पुर्जे कैसे ढूंढेगा?

  • 16. माय एलियन हसबैंड - Chapter 16

    Words: 576

    Estimated Reading Time: 4 min

    सिंहली स्कूल जाने के लिए अपने घर का दरवाजा खोला तो सामने मकान मालकिन को मंकी कैप लगाए उसके सामने खड़े देख ठिठक गई।

    “बाहर निकलो!”

    “क्यों?”
    सिंहली चौंक गई थी।

    “तुम मनहूस हो तुम अब यहां नही रह सकती”

    सिंहली की मुठ्ठी भींच गई।

    “जब तक आपको मेरे पेरेंट्स ने नहीं बताया था की मैं मनहूस हु और मेरी वजह से क्या क्या हो सकता है तब तक तो मैं बहुत अच्छी , प्यारी बच्ची हुआ करती थी अब अचानक से मनहूस हो गई”

    “तब मुझे पता नही था की तुम मनहूस हो, अच्छा हुआ मुझे पता चल गया”

    तभी सिंहली के पड़ोसी मंकी कैप लगाए ऊपर आए।
    “अरे रुको!!!! नही”, उसके पड़ोसी उसे बाहर धकेल अंदर घुस सामान उठा तोड़ फोड़ करने लगे।

    सिंहली ने बचाने की कोशिश की तो सिंहली को धकेल कर सड़क पर गिरा दिया गया और फिर उसके सामने उसका सामान सड़क पर फेंक दिया गया।
    वो अकेली जान क्या लड़ती सबसे।
    उसकी आंखो से टप टप आंसु बहने लगे।

    तभी उसकी बाल्टी किसी ने सिंहली पर फेंकी।
    “ये ले मनहूस”, वो बाल्टी सिंहली को लगती की नोलन ने सामने आकर बाल्टी अपने हाथ में पकड़ ली।

    सिंहली ने चोट लगने के डर से आंखे मिच ली पर जब कुछ नही हुआ तो धीमे से अपनी आंखे खोली।

    कोई उसके सामने खड़ा था पर उसे उसकी पीठ के सिवाय कुछ नजर नही आ रहा था।
    पर उसका फिजिक देख सिंहली मन ही मन उसपे क्रश करने लगी।

    “जा मनहूस! दुबारा यहां दिखना मत”, मालकिन गुस्से से चिल्लाई।

    “हां दिखना मत!”, उसके पड़ोसी एक सुर में बोले।

    “ऐसे पड़ोसी हो तो दुश्मन भी दोस्त लगते है”
    सिंहली बड़बड़ाते हुए सड़क से उठी।

    “थैंक यू मुझे बचाने के लिए”, उसने उस आदमी को देखने की कोशिश की ।
    नोलन उसकी बाल्टी लेकर उसकी तरफ मुड़ गया।

    “तुम!”, सिंहली की आंखे हैरानी से फैल गई थी।

    “मां ने मुझे आपको पिक करने भेजा है वो चाहती है आप हमारे साथ रहे ताकि रिमझिम को कोई डाउट हो तो वो सीधे आपसे आकर समझ सके”

    सिंहली की आंखे ओर बडी हो गई।

    “आपके घर!”, सिंहली ने हैरानी से पलके झपकाई।

    नोलन ने हां में सर ऊपर नीचे किया।

    सिंहली को अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था एक घर से निकाले जाने के तुरंत बाद उसे एक ओर घर मिल गया था।
    “नही! अगर रिमझिम को कोई डाउट हुआ तो मैं रिमझिम को अपना पर्सनल नंबर दे दूंगी”

    नोलन को समझ नही आया की सिंहली इतने अच्छे मौके को मना क्यों कर रही थी पर नोलन का दिल सिंहली को सड़क पर यू ही छोड़ चले जाने के लिए तैयार नहीं था।

    सिंहली उसके सामने अपना बिखरा हुआ सामान उठा कर समेट रही थी।
    सब कुछ इतना बिखरा हुआ था की उसके लिए समेटना मुश्किल हो रहा था।
    नोलन ने झुक कर सिंहली के कपड़ो को छुआ की सिंहली ने एक दम से उसके हाथ पर मार दिया।
    उसका हाथ पीछे चला गया
    वो हैरानी से सिंहली को देखने लगा।
    “लड़कियों के कपड़ो को लड़के नही छूते है बेसिक मैनर होते है तुमने सीखे नही?”

    नोलन ने इस बारे में सोचा ही नहीं वो उठ गया।

    सिंहली बेचारी अब अकेली ही परेशान हो रही थी।
    उसने किसी तरह अपने कपड़ो को समेट अपने बैग में डाला और अंतहीन रास्ते की तरफ बढ़ गई।
    सिंहली को नही मालूम था की उसे कहा जाना था बस चले जा रही थी ।
    नोलन उसके पीछे चल रहा था पर सिंहली को इसका एहसास तक नही था।

  • 17. माय एलियन हसबैंड - Chapter 17

    Words: 619

    Estimated Reading Time: 4 min

    सिंहली एक पार्क में आई और थक कर बैठ गई
    “कहा जाऊंगी? इतनी जल्दी कोई नया ठिकाना ढूंढना भी मुश्किल है”, उसकी आंखे फिर नम हो गई।

    सिंहली को लगा जैसे किसी ने उसका हाथ पकड़ा।
    वो एक दम से चौंक कर बेंच के एक तरफ सरक गई।

    “तुम!”

    नोलन ने उसकी बाल्टी उसकी तरफ कर दी।
    सिंहली ने हैरानी से देखते हुए अपनी बाल्टी ली।

    “आप मेरे साथ चले! मेरे घर! मैं आपका ख्याल रखूंगा”

    सिंहली की आंखे हैरानी से बड़ी हो गई।
    फिर एक दम से अपना थूक गटक बैचेनी से सामने देखने लगी।
    “कही प्रपोज तो नही कर रहा मुझे”, सिंहली के तन बदन में हल्की गुदगुदी हो रही थी।

    “आप चलो”
    नोलन ने वही रखा उसका सामान उठा लिया।

    सिंहली ने प्यार से उसे देखा।
    “हाय मैं मर जावा गुड खा के! कोई इतना स्वीट भी हो सकता है”
    “आप चल सकती है?”
    “हां! एक दम”, सिंहली खड़ी हो गई ।

    नोलन हल्का सा मुस्कुरा दिया।
    सिंहली को नोलन की नीली आंखे फिर परेशान कर रही थी।
    “आप ये नकली लेंस निकाल क्यों नही देते! मुझ जैसी लड़किया नीली आंखों वाले को देख कर पागल हो जाती है”

    सिंहली ने अपनी अंगुलियों को उलझा कर क्यूट फेस बना लिया।

    नोलन ने कुछ नही कहा बस मुड़ा और चला गया।
    सिंहली ने बस पलके ही झपकाई थी की वो वहा से गायब था।
    “मैं सपना तो नहीं देख रही थी?”, उसने आंखों को मसल अपनी आंखे खोली की खुद को एक कार के अंदर पाया।
    नोलन उसे उठाकर नैनो स्पीड से टेलीपोर्ट कर गया था।

    सिंहली ने हैरानी से इधर उधर देखा।
    “मैं कार में कैसे आई!”, उसने नोलन को जोर से हिलाया।
    “हम घर आ गए है”
    “क्या?”
    सिंहली ने खिड़की से बाहर देखा तो वो सच में नोलन के घर के बाहर थी।
    उसने एक दम से अपना सर पकड़ लिया।
    “मुझे सच में अल्जाइमर हो गया है”
    उसे चक्कर आ रहे थे।
    “आप ठीक है” नोलन का हाथ सिंहली की तरफ बढ़ते बढ़ते पीछे हो गया।
    सिंहली ने खुद को संभाला और गेट खोल बिना कुछ बोले लड़खड़ाते हुए अंदर की तरफ बढ़ गई।
    नोलन ने उसके बैग उठाए और अगले ही पल टेलीपॉर्ट कर रिमझिम के रूम में आ गया।

    “सिंहली बेटा तुम आ गई”
    सेमिना जैसे उसका दरवाजे पर ही इंतजार कर रही थी।
    सिंहली सेमिना से गले मिली।
    “थैंक यू आंटी यहां रहने की जगह दी आपने मुझे, आप नही जानते मुझे इस वक्त एक घर की कितनी जरूरत थी”
    “सिंहली मुझे मालूम चला की तुम रेंट पर रह रही हो तो मुझे अच्छा नही लगा! तुम हमारे साथ रहो इसी बहाने रिमझिम की भी हेल्प हो जाएगी”

    सिंहली ने हल्की सी मुस्कान के साथ सर हिला दिया।
    “वो मेरा सामान!”

    सिंहली ने पीछे कार की तरफ इशारा किया।
    “आपका सामान मैने रिमझिम के कमरे में रख दिया है”, नोलन सीढ़िया उतर रहा था।

    सेमिना और सिंहली दोनो के मुंह हैरानी से खुल गए थे।
    “तू अंदर कब आया”
    “जब आप दोनो बाते कर रहे थे! मैं अब ऑफिस जा रहा हु मुझे लेट हो रहा है”

    सेमिना ने सर हिला दिया।
    “तू सिंहली टीचर को भी स्कूल छोड़ दे”
    नोलन ने हां में सर हिला दिया।
    पर सिंहली चौक कर बोली।
    “बिल्कुल नही”
    “क्यों बेटा!”
    सिंहली अब क्या जवाब देती उसका सर झुक गया।
    “नोलन तूने कुछ कहा सिंहली टीचर को”

    “मैने कुछ बुरा नही कहा”
    सेमिना अब सिंहली टीचर की तरफ मुड़ी।
    “फिर क्या बात है?”

    “कोई बात नही! बस वो आपको परेशान नहीं करना चाहती थी”
    “परेशान! इसमें परेशानी की क्या बात है”, सेमीना हंसकर बोली।
    नोलन आगे बढ़ गया और सिंहली चुपचाप सर झुकाए उसके पिछे चल दी।
    “भगवान इस बार कुछ मत भूलने देना वरना मैं तो पागल ही हो जाऊंगी”, वो घबराते हुए बड़बड़ाई।

  • 18. माय एलियन हसबैंड - Chapter 18

    Words: 823

    Estimated Reading Time: 5 min

    नोलन ने सिंहली के लिए कार का दरवाजा खोला।
    सिंहली ने घबराते हुए नोलन को देखा।
    “बैठो!”
    सिंहली ने सर हिला दिया और अंदर बैठ गई।
    नोलन ने सिंहली को देखा।
    वो जानबूझकर सिंहली को डरा रहा था ताकी सिंहली उससे दुर रहे क्युकी सिंहली का उसके करीब आना नोलन के लिए अच्छा नही था।

    “आराम से चलाना! कोई जल्दी नहीं है”, सिंहली ने कार की खिड़की नीचे कर दी।
    और बाहर की तरफ देखने लगी।
    नोलन दूसरी तरफ मुड़ा की सिंहली ने उसका हाथ पकड़ लिया और हल्का शर्माते हुए बोली।
    “आप यहां से अंदर आ सकते है”

    नोलन के कान कुछ लाल हो गए।
    वो समझ गया था की सिंहली क्या कहना चाहती थी।

    “वो उस दिन के लिए सॉरी”
    “नही! मुझे अच्छा लगा”, सिंहली ने बोला की फिर चौंक कर अपने दांत काट लिए।
    सिंहली पूरा नोलन के साथ फ्लर्ट कर रही थी और नोलन शर्मा रहा था।

    सिंहली ने अपनी पलके झपकी ही थी की नोलन उसके पलक झपकते ही अंदर आ गया।
    सिंहली ने सामने देखा नोलन वहा नही था।
    वो एक दम से चौंक गई ।
    “नोलन!”, उसने घबराते हुए आवाज लगाई।
    “मैं यहां हु”
    नोलन कार स्टार्ट कर चुका था।
    वो उसे देखते ही कार के दरवाजे से चिपक गई।
    “तुम हो क्या?”
    “बस इंसान नही हु”
    इतना बोल उसने हल्के से अपनी घड़ी निकाली और उसकी मदद से वो तुरंत टेलीपोर्ट कर गया।

    सिंहली ने एक पल खुद को कुछ प्रकाश की किरणों से घिरे महसूस किया और अगले ही पल वो अपने स्कूल के सामने थी।
    उसकी आंखे हैरानी से बाहर आने को थी।

    नोलन ने सिंहली की तरफ हाथ बढ़ाया तो वो दम से दरवाजा खोले बिना खिड़की से निकल गिरते पड़ते भाग गई।
    नोलन उसे देख मुस्कुरा दिया।
    उसने अपनी कार ऑफिस की तरफ मोड़ ली।
    वो ऑफिस पहुंचा तो अस्मिता ने उसका रास्ता रोक लिया।
    “सर! हमारे बेबी को खट्टा खाने का मन कर रहा है”

    अस्मिता उससे चिपकने की कोशिश कर रही थी।
    नोलन पीछे हो गया।
    “खट्टा!”, नोलन ने सर हिलाया और तुरंत मुड़ कर वहा से भाग गया।
    “सर मैं भी साथ में”, अस्मिता के शब्द खत्म होने से पहले ही नोलन वहा से जा चुका था।
    अस्मिता ने बुरा सा मुंह बना लिया।

    नोलन खट्टी दही लेकर वापस आया।
    अस्मिता एक पेशेंट को चेक कर रही थी।
    उसने जैसे ही नोलन के हाथ में दही देखी उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
    “ये आपकी दही! आप बच्चे का ख्याल रखे”
    अस्मिता ने दही लेते हुए हां में सर हिला दिया।
    नोलन तुरंत ही चला गया।
    अस्मिता मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
    “ये आदमी रोज लड़किया बदलता है ये इतना केयरिंग कैसे हो गया, कही इसे अपने बच्चे की फिक्र तो नही है, पर कुछ भी हो नोलन ऐसा ही रहा तो कोई बुराई नही है मैं नोलन के बच्चे की मां के साथ साथ उसकी बीवी भी बन जाऊ”, वो मन ही मन खुशी से चहकते हुए दही खाने लगी।

    नोलन हैरड्रेसर के गोडाउन टेलीपॉर्ट कर गया।
    कई डब्बों में हेयर ड्रेसर देख नोलन की आंखो में चमक आ गई।
    “मुझे ये सब खरीदना है” उसने वहा से एक डब्बा ले जा रहे एक आदमी की बाजू पकड़ उसे रोक लिया।

    उस आदमी ने हैरानी से उसे देखा।
    “दुकान खोलनी है भाई?”
    “नही मुझे इनके पुर्जे चाहिए”

    “तो तुम यहां क्यों आए हो सीधा वहा जाओ ना जहां ये सब बनता है”

    “क्या वहा मुझे पुर्जे मिलेंगे”
    “हां जितने चाहो उतने मिलेंगे”, इतना बोल वो आदमी चला गया।
    नोलन थोड़ा पीछे हटा उसने अपनी घड़ी का डायल घुमाया और घड़ी से निकली उस रोशनी के अंदर ही गायब हो गया।

    वो टेलीपॉर्ट फैक्ट्री में पहुंच गया था।

    “मुझे यहां के मालिक से मिलना है”, उसने कारखाने के वर्कर्स से सवाल किया।
    “आज नही! वो किसी काम से गए है कल कर लेना”

    नोलन ने सर हिला दिया।
    और निराश होकर वहा से चला गया।

    उसी शाम रिमझिम और सिंहली एक दूसरे का हाथ पकड़े झूमते हुए स्कूल से बाहर आए।

    “चाचू”, रिमझिम एक दम से सिंहली से अपना हाथ छुड़ा ।
    कार के पास खड़े नोलन की तरफ भाग कर उसके गले लग गई।
    नोलन हल्की सी मुस्कान के साथ सिंहली को देख रहा था।
    सिंहली हैरानी से उसे खुद को घूरता देख अपने चेहरे पर हाथ रख चुपके से वहा से निकलने लगी।
    नोलन सिंहली को भागते देख रिमझिम के कान में कुछ बोला।
    रिमझिम ने खुशी से अपनी आंखे बड़ी कर ली।

    “सिंहली टीचर! मुझे पता है अब से आप हमारे साथ हमारे घर पर रहेगी”

    सिंहली ने अपने कदम नही रोके।
    वो बस भाग जाना चाहती थी।
    उसके दिलो दिमाग में नोलन के आखरी शब्द गूंज रहे थे।
    “बस इंसान नही हु”

    “चाचू! मैं कार में बैठती हु आप सिंहली टीचर को लेकर आइए”
    नोलन ने हां में सर हिलाया और सिंहली के पीछे चला गया।
    रिमझिम चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए कार में बैठ गई।
    “सिंहली टीचर को तो मैं अपनी चाची बनाकर ही मानुगी”, वो खुद से बोली और खुश हो गई।

  • 19. माय एलियन हसबैंड - Chapter 19

    Words: 777

    Estimated Reading Time: 5 min

    “इस दुनिया मैं इंसान के अलावा तो सिर्फ भूत प्रेत हो सकते है। हे भगवान! तूझे क्रश बनाने के लिए भूत ही मिला था!”

    सिंहली तेजी से फुटपाथ पर चल रही थी।
    सड़क पर कारे उसके पास से होते हुए निकल रही थी।

    सिंहली कुछ पल रुक कर उन्हें देखने लगे।
    “किसी नॉर्मल कार की स्पीड 100 या 200 से ज्यादा नहीं हो सकती है फिर नोलन अपनी कार को लाइट की स्पीड से कैसे चला सकता है?”

    “मैने कार को सुपरकार मोड में ट्रांसफर कर दिया उसकी स्पीड को लाइट की स्पीड से मल्टीप्लाई कर।, अब लाइट की जितनी स्पीड है कार की भी उतनी ही स्पीड होगी।”

    सिंहली एक दम से चौंक कर मुड़ी।
    नोलन उसके बराबर खड़ा था।
    नोलन सिंहली को देख हल्का सा मुस्कुराया।

    “चले सिंहली टीचर! रिमझिम, आपको याद कर रही है।”

    सिंहली को नोलन से डर लग रहा था।
    “अगर मैं, ना , कहूं तो आप मुझे भी भूत बना देंगे?”, सिंहली ने घबराते हुए पूंछा।

    “भूत!” नोलन बुदबुदाया और फिर एक दम से चौंक कर सिंहली को देखने लगा।
    “मैं आपको नही मार सकता!”

    सिंहली ने अपने सीने पर हाथ रख सुकून की सांस ली।

    “आप भूत कैसे बने?”, अब सिंहली का डर कम हो गया था।

    नोलन हल्का सा खांसा, उसे समझ नही आ रहा था, की वो सिंहली के इस सवाल का जवाब किस तरीके से दे?।

    “नोलन आप मर चुके है ना! भूत बन कर कैसा लगता है आपकों?”

    “नोलन मर चुका है! बस अब आप चलिए”, सिंहली एक ओर सवाल करती की नोलन ने सिंहली के होठों पर अपनी अंगुली रख दी।
    सिंहली वही जम गई।
    उसका दिल फिर नोलन की नीली आंखों पर आ गया था।
    सिंहली खोई हुई नजरो से नोलन को देखे जा रही थी।
    सिंहली के लिए तो जैसे वक्त यही ठहर गया था।

    नोलन ने अपनी अंगुली से सिंहली के होठों को छुआ।
    उसे कुछ अजीब सा अहसास हो रहा था।
    “आपके होठ मुझे अपनी तरफ खींच रहे है”, नोलन एक दम से सिंहली पर झुका, सिंहली ने पाउट बना लिया , वो नोलन को किस करने के लिए बिल्कुल तैयार थी।

    नोलन को कुछ सेंसेशन महसूस हुई।
    वो अचानक दो कदम पीछे लेकर सिंहली से दूर हो गया।
    सिंहली ने उसे दूर जाते देखा तो चिढ़ कर अपने बाल ठीक करने लगी।
    “चले”
    “नही! मेरे पैर दुख रहे है, मूझसे चल कर नही जाया जाएगा”

    नोलन ने हां में सर हिलाया और अगले ही पल सिंहली को अपनी बांहों में उठा लिया।
    सिंहली को पेट में तितलियां उड़ती हुई महसूस हो रही थी।

    उसकी नजरे नोलन पर ऐसे थम गई थी जैसे नोलन का चेहरा उसकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत चेहरा हो।

    नोलन सिंहली को अपनी बांहों में उठाए आगे देख कर चल रहा था।
    इस परिस्थिति में नोलन की हिम्मत भी नहीं हो रही थी की वो सिंहली को नजर भर भी देख ले।

    नोलन को सिंहली को गोद में लेकर आते देख ।
    रिमझिम का मुंह हैरानी और खुशी के मारे खुल गया।
    उसने तुरंत अपनी आंखो पर हथेली रख दी।

    नोलन ने सिंहली को कार के पास उतारा।
    सिंहली शर्माते हुए कार की फ्रंट सीट पर बैठ गई।

    नोलन ड्राइविंग सीट पर।
    दोनो ही एक दूसरे से नजरे नही मिला पा रहे थे।
    रिमझिम उन दोनो को देख शरारत से मुस्कुराते हुए आगे की तरफ झुंकी और सिंहली की तरफ मुंह कर अचानक से बोली।
    “क्या हुआ चाची?!”

    सिंहली का मुंह हैरानी से खुल गया।
    उसने रिमझिम को घूर कर देखा।
    नोलन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी।
    “आज ट्यूशन में होमवर्क नही किया होगा तो देख लुंगी तुम्हे!”

    रिमझिम सिंहली को जीभ दिखा कर हंस दी।

    सिंहली चिढ़ कर रह गई।
    उसने खिड़की से बाहर देखा, कार बहुत धीमी गति से चल रही थी।
    “सिंहली के चाचू अपनी लाइट स्पीड का जादू सिर्फ मुझे डराने के लिए यूज करते है! रिमझिम के लिए तो देखो कितने आराम से चला रहे है, की लग ही नहीं रहा है कार चल रही है या रेंग रही है।”

    “चाचू थोड़ा तेज चलाओ ना!”, रिमझिम तंग आकर बोली।

    नोलन ने सर हिलाया और बिल्कुल थोड़ी सी स्पीड बढ़ा ली।
    कार अब बिल्कुल उसके पास से गुजर रही साइकिल के बराबर चल रही थी।
    रिमझिम और सिंहली उबासियां ले रहे थे।
    आखिरकार दोनो बोर होकर सो भी गए।
    नोलन ने हल्की मुस्कान के साथ उन दोनो को देखा।
    “मैने कभी नही सोचा था इस ग्रह पर आकर मुझे इतने प्यारे लोग मिलेंगे, जिनके साथ रहते रहते मुझे अपने ग्रह अपने लोगो की याद तक नही आयेगी।”

    नोलन की मुस्कान ओर ज्यादा गहरी हो गई जब सिंहली ने सोते हुए अपना सर नोलन के कंधे पर रख दिया।
    और नोलन की बाजू पकड़ नींद में ही उसे अपना तकिया समझ लिया।

  • 20. माय एलियन हसबैंड - Chapter 20

    Words: 663

    Estimated Reading Time: 4 min

    नोलन की मुस्कान ओर ज्यादा गहरी हो गई जब सिंहली ने सोते हुए अपना सर नोलन के कंधे पर रख दिया।

    और नोलन की बाजू पकड़ नींद में ही उसे अपना तकिया समझ लिया।


    नोलन ने अपनी घड़ी निकाली और घड़ी की मदद से कार की स्पीड को लाइट की स्पीड में कन्वर्ट कर दिया।


    बस एक सेकंड के अंदर अंदर नोलन अपने घर पहुंच चुका था।

    उसने यहां आकर स्पीड कम कर ली और कार को अंदर ला कर पार्क कर दिया।

    “रिमझिम उठ जाओ! हम घर पहुंच चुके है।”


    नोलन ने सिंहली से अपना हाथ छुड़ाने  की कोशिश की तो सिंहली ने नींद में ही उसका हाथ पीछे खींच लिया।

    नोलन भी हल्का सा सिंहली पर झुक गया।

    नोलन एक पल सिंहली के चेहरे को देखता ही रह गया।

    कितना प्यारा सा चेहरा था।

    उसके ग्रह की लड़कियों पर कभी उसका दिल नही 

    आया ना ही कभी टीनरिक की लड़कियों ने उसे पसंद किया।

    पर इस अनजान ग्रह की एक प्यारी सी लड़की उसे अपनी तरफ इस कद्र आकर्षित कर रही थी की वो एक पल भूल जाना चाहता था की वो इस ग्रह का नही था।


    रिमझिम उबासियां लेते हुए उठी की अपने चाचू को सिंहली को निहारते देख मुस्कुराने लगी।

    “चाचू और सिंहली टीचर को अकेला छोड़ देती हु!”, उसने शरारत से सर हिलाया और धीमे से दरवाजा खोल भाग गई।


    नोलन ने रिमझिम को भागते हुए देखा और फिर सिंहली को।

    सिंहली के बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे।

    वो इतनी प्यारी लग रही थी की नोलन के हाथ खुद ही उसके चेहरे पर चले गए।

    नोलन उसके चेहरे को चूमना चाहता था पर ये सोचकर रुक गया की वो इस ग्रह का नही है अगर उसने अपनी भावनाओं को बढ़ावा दिया तो नोलन और सिंहली दोनो के लिए अच्छा नही होगा।

    नोलन का चेहरा यह विचार आते ही सख्त हो गया।

    उसने झटके से सिंहली से अपना हाथ छुड़ाया।

    सिंहली एक दम से चौंक कर जाग गई।

    उसने नोलन को हैरानी से देखा।

    “उतरो! ये मेरी कार है तुम्हारा घर नही”


    सिंहली  का मुंह हैरानी से खुल गया।

    “इतना रुडली क्यों बोल रहे हो”, सिंहली ने उसकी बाजू को फिर से पकड़ लिया तो नोलन उसे हैरानी से देखने लगा।

    सिंहली नोलन की नीली आंखों को देख रही थी।

    “कितनी क्यूट है तुम्हारी नकली नीली आंखे! मुझे दे दो ना”,  सिंहली ने नोलन की आंखो की तरफ अपनी अंगुलिया बढ़ाई की नोलन ने उसका हाथ बीच में ही पकड़ लिया।


    सिंहली हल्का सा शर्मिंदगी से मुस्कुराई।

    “नही ले सकती?”


    नोलन ने उसे देखते हुए ना में सर हिला दिया।


    सिंहली मुंह बनाकर नोलन के उपर से होते हुए उसकी तरफ का दरवाजा खोल चली गई।

    नोलन अपनी सीट पर जम गया था।

    सिंहली का करीब आना उसे अच्छा लगता था।

    वो उसे रोकने की कोशिश तक नही करता।

    “किसी दिन मैं सच में भूल जाऊंगा की मैं एक एलियन होते हुए दुसरे ग्रह की एलियन से प्यार कर बैठा हु”


    सिंहली अंदर आई तो सेमिना उसे देख काफी खुश हो गई।

    “रिमझिम कहा है?”, उसने आते ही पूंछा।

    “अपने कमरे में है तुम्हारा दिया होमवर्क कंप्लीट कर रही है तुम तब तक कुछ खा लो! कितना थक गई होगी बेचारी सिंहली टीचर”


    “रिमझिम ने अपना होमवर्क नही किया”, ये सुनकर सिंहली को काफी गुस्सा आया।

    पर सेमिना के रिक्वेस्ट करने पर उसने रिमझिम को थोड़ा टाइम दे दिया।

    वो अब आराम से बैठकर सेमिना के बनाए मस्त मस्त खाने चख रही थी।

    नोलन उसके पीछे आया।

    सिंहली को थोड़ा थोड़ा बिल्कुल एक खरगोश के बच्चे की तरह सब कुछ कुतरते देख उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    सेमिना नोलन की मुस्कान को काफी देर से नोटिस कर रही थी।

    सेमिना के मन में शादी के लड्डू फूट रहे थे अपने लिए नहीं अपने बेटे के लिए।

    उसकी नजरो में तो सेमिना अभी से उसकी बहु बन गई थी।

    पहली बार नोलन ने किसी लड़की में इंट्रेस्ट दिखाया था ये सेमिना के लिए बहुत बड़ी बात थी।
    अब तो सिंहली हर हाल में उनकी बहू बनकर रहेगी।