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Whisper on campus

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Sanjana Rathor

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ye kahani Hai Saanvi Aryavanshi ki jitna pyaara naam utni hi dikhne mein apsara se km nahi , idhar dusri side Mihir Singhaniya, Reyansh Raana, Vihaan Sarang aur kairav Arora ye sab ek hi college aur hostel mein rehte aur padhte hai Saanvi jo apno ko...

Total Chapters (47)

Page 1 of 3

  • 1. Whisper on campus - Chapter 1

    Words: 1696

    Estimated Reading Time: 11 min

    राजस्थान/ उदयपुर/ सुबह के 9 बजे

    एक लड़की ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी अपने फोन पर स्क्रॉल कर रही थी। उसके पास दो लड़कियाँ खड़ी थीं, जिनमें से एक उसके बाल बना रही थी और दूसरी उसके एक हाथ में नेल पॉलिश लगा रही थी।

    वह लड़की जो फोन स्क्रॉल कर रही थी, दिखने में बहुत खूबसूरत थी, जैसे कोई अप्सरा आसमान से उतरकर धरती पर आ गई हो। त्रिकोणीय चेहरा, लंबे भूरे बाल जो उसकी कमर तक आते हैं, हेज़ल आँखें जिन पर बड़ी-बड़ी घनी पलकें, पतली नाक, नेचुरल लाल होंठ, थोड़े उभरे हुए दिल के आकार का, दूध से गोरा रंग, चमकदार त्वचा, और उसके दाहिने तरफ गाल पर एक तिल, जिससे उसकी खूबसूरती और भी निखर कर आ रही थी। कद 5.8, उम्र 19 साल, परफेक्ट फिगर और बॉडी। चेहरे पर मुस्कान नहीं थी, पर चेहरे पर तेज काफ़ी था (यह है हमारी कहानी की हीरोइन) सांवी आर्यवंशी।

    तभी जो सांवी को तैयार कर रही लड़की (जो सांवी की नौकरानी थी) बोली, बड़े आदर के साथ बोली: "मैम, आप रेडी हैं?"

    सांवी खड़ी हो जाती है और उन दोनों को हाथ दिखाकर कमरे से बाहर जाने के लिए कहती है। वो दोनों नौकरानियाँ चली जाती हैं। सांवी अपने आप को एक बार आईने में देखती है, फिर उसकी नज़र एक दीवार पर जाती है जो आईने से दिख रही थी। सांवी अपने कमरे से बाहर चली जाती है।

    कमरे से बाहर जाते ही सांवी नीचे हॉल में आकर घर के बने मंदिर में चली जाती है। फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना करती है और डाइनिंग टेबल की ओर चली जाती है। वह अपनी कुर्सी पर बैठती है, तभी उसके कानों में आवाज आती है:

    "गुड मॉर्निंग, एंजेल।" यह आवाज सांवी के दादा अशोक आर्यवंशी की थी।

    सांवी उन्हें देखकर बिना किसी भाव के बोली: "मॉर्निंग, दादू।"

    अशोक आर्यवंशी, सांवी के दादाजी, जिनकी उम्र 65 साल है, लेकिन आज भी वे 45 से कम नहीं लगते। कद 6.1, गेहुंआ रंग, सफ़ेद सेट किए हुए बाल, सफ़ेद सेट दाढ़ी, महँगी कलाई घड़ी, भूरे रंग का बिज़नेस सूट पहनकर काफ़ी हैंडसम लग रहे थे। उनके चेहरे के लक्षण काफ़ी शार्प, दिखने में गुड लुकिंग, हार्ड और कसी हुई परफेक्ट बॉडी। वे कहीं से भी सांवी के दादा तो नहीं लगते थे। वे काफ़ी गुस्सैल और कोल्ड पर्सन थे, बस सांवी के सामने एकदम कूल एंड फनी पर्सन बन जाते थे।

    अशोक आर्यवंशी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल रह चुके हैं। रिटायर होने के बाद उन्होंने खुद का बिज़नेस शुरू किया, जो बाद में उनके दो बेटों ने संभाला और वो पूरी दुनिया में फैल गया (कंपनी का नाम, राजस्थानी रॉयल वीवर्स)। ये ट्रिलियनेयर थे, इनका सिक्का पूरे देश-विदेश में चलता था। अगर ये चाहें तो इंडिया की पूरी इकोनॉमिक को हिला सकते थे। यहाँ तक कि इनके आगे तो अंडरवर्ल्ड का किंग भी झुक सकता था, पर पूरी दुनिया से इन्होंने अपनी पहचान छुपा रखी थी। इन्हें बस वही जानते थे जो काफ़ी रईस, बिलियनेयर, बड़ी-बड़ी कंपनी के लोग होते हैं।

    सांवी और अशोक दोनों अपना चुपचाप खाना खाते हैं, फिर उठकर बाहर गार्डन में चले जाते हैं। यह एक बहुत बड़ा पैलेस है जो काफ़ी एकड़ तक फैला हुआ था। दिखने में सपनों के महल जैसा और अंदर से और भी ज़्यादा खूबसूरत। पैलेस के चारों तरफ टाइट सिक्योरिटी, हर तरफ़ गार्ड्स जिनके हाथों में राइफल थीं, ट्रेन्ड बॉडीगार्ड्स। गार्डन में एक पोन्ड भी था जिसमें काफ़ी वैरायटी की स्पीशीज़ की फिशेज़ थीं। काफ़ी ज़्यादा आस-पास हरियाली थी जहाँ एक सुकून का एहसास होता था।

    अशोक सांवी को देखकर बोले: "एंजेल, क्या ज़रूरत है जाने की? तुम यहाँ भी रहकर तो पढ़ सकती हो। राजस्थान में भी काफ़ी यूनिवर्सिटीज़ हैं।"

    सांवी बिना उनकी तरफ़ देखकर बोली: "पर मुझे यहाँ नहीं रहना। ये बस नाम का घर रह चुका है, दादू। घर वाली वाइब अब यहाँ से जा चुकी है। दम घुटता है मेरा यहाँ। उन सबकी बहुत याद आती है। इस घर में रही तो पागल हो जाऊँगी और आप भी यहाँ कम ही रहते हैं।"

    अशोक उसे सर पर हाथ रखते हुए बोले: "अच्छा, ठीक है। वहाँ जाकर अपना ध्यान रखना। कोई प्रॉब्लम तो मुझे बोलना खुद। प्लीज़ कोई लड़ाई-झगड़ा मत करना।"

    सांवी उन्हें देखकर बोली: "मैं किसी से बेवजह नहीं भिड़ती। लोग खुद मेरा अटेंशन पाने के लिए मुझसे पंगा लेते हैं। इसलिए उनकी औकात दिखाना ज़रूरी होता है, दादू।"

    अशोक आँखें छोटी करते हुए बोले: "अगर मुझे तुम्हारी कोई शिकायत सुनने में आई तो..."

    सांवी उन्हें बीच में टोकते हुए बोली: "तो क्या दादू? अगर कोई मेरे साथ मिसबिहेव करेगा, उसका मैं मुँह तोड़ने से पहले एक बार भी नहीं सोचूंगी। और ज़्यादा दिमाग पर ज़ोर मत दीजिए आपने। इतनी ट्रेनिंग बस लोगों की शक्ल देखने के लिए नहीं दी। अगर सारी प्रॉब्लम आपको ही सॉल्व करनी थी तो मुझसे ये फ़ाइट सिखाई क्यों गई है? क्या फ़ायदा इतनी सेल्फ़ डिफ़ेंस सीखने का, शूटिंग सीखने का, जब मुझे आपकी ही हेल्प लेनी पड़े?"

    अशोक गहरी साँस लेकर बोले: "अच्छा बाबा, सॉरी। पर फिर भी खुद को कंट्रोल करना। ज़्यादा हाथ पर न चलना पड़े तुम्हें।"

    सांवी टाइम देखते हुए बोली: "11 बज रहे हैं। मुझे निकलना चाहिए। अपने हॉस्टल रूम अच्छे सेट करवा दिए हैं ना? मेरी कार, बाइक सब है ना वहाँ?"

    अशोक उसे गले लगाते हुए बोले: "सब कुछ हो गया है, एंजेल। जैसा तुम्हें पसंद है, तुम्हारे हिसाब से हुआ है सब। ओके।"

    इतना कहकर वे दोनों पैलेस की बैक साइड आ जाते हैं। सांवी का सारा लगेज पहले ही रख दिया गया था वहाँ। एक प्राइवेट जेट खड़ा था जिसमें सांवी बैंगलोर जाने वाली थी। वह वहाँ बैंगलोर की बेस्ट यूनिवर्सिटी में पढ़ने और हॉस्टल में रहने वाली थी। सांवी अपने दादू को हग करके जेट में बैठ जाती है। वो जेट काफ़ी लक्ज़ेरियस था। सफ़र ढाई घंटे का होने वाला था। सांवी एक किताब पढ़ने लगती है। उसे किताब पढ़ना अच्छा लगता था। जेट अपनी उड़ान भरता है और बैंगलोर के लिए निकल जाता है।

    अशोक खड़े हुए उसे जेट को देखते रहते हैं। उनके चेहरे पर उदासी थी। तभी उन्हें पीछे से आवाज़ आती है। उनके पीछे उनके असिस्टेंट आहान खड़ा था।

    आहान उन्हें ग्रीट करते हुए बोला: "गुड मॉर्निंग, सर।"

    अशोक अपना सर हिला देते हैं। आहान बोला: "सर, आप मैम को कब बताने वाले हैं उनके मॉम-डैड के बारे में?"

    अशोक बोले: "समझ नहीं आ रहा कैसे बताऊँ। बता दिया तो काफ़ी नाराज़ हो जाएगी।"

    आहान बोला: "किसी और से पता चला तो आपकी शक्ल भी देखेगी। उसका गुस्सा आपके तरह है।"

    अशोक गहरी साँस लेकर बोले: "तुम सही कह रहे हो। उसे मैं इस बारे में जल्द बताऊँगा।" कहकर वे दोनों पैलेस के अंदर चले जाते हैं।

    ढाई घंटे बाद...

    जेट एक सुनसान जगह आकर रुकता है। वो एक ग्राउंड था। जगह आस-पास जंगल था। सांवी जेट बाहर आती है। उसके पास दो गार्ड्स आ जाते हैं जो उसे कार की तरफ़ ले जाते हैं।

    वह थोड़ी देर चलती है। एक हाईवे आ जाता है। वहाँ कम से कम 6 से 7 कारें खड़ी थीं और बीच में सांवी की मस्टैंग कार खड़ी थी। वो उसमें जाकर बैठ जाती है और एक गार्ड को कुछ इंस्ट्रक्शन्स देती है। फिर वहाँ से अपनी कार लेकर चली जाती है। बाकी कारें भी उसके पीछे चलती हैं, पर थोड़ी सांवी की कार से दूरी मेंटेन करके चलती हैं।

    सांवी ड्राइव कर रही थी। कार में सॉन्ग चल रहा था जो माइंड को रिलैक्स करे। तभी वो अपनी कार रोक देती है। वहाँ एक चाय की टपरी थी। सांवी फोन उठाकर कुछ टाइप करके सेंड कर देती है। वो कार से बाहर निकलकर कार से टेढ़ी-मेढ़ी लग के खड़ी हो जाती है। वो एक सिगरेट निकालकर अपने होंठों के बीच लगाकर लाइटर से जलाकर उसके कस भरने लगती है। तभी एक गार्ड आकर सांवी को चाय का ग्लास देता है। मौसम काफ़ी अच्छा था। ठंडी-ठंडी हवाएँ चल रही थीं। उसके लंबे बाल हवा में लहरा रहे थे।

    सांवी ने ब्लैक फुल स्लीव्स और हाफ नेक टॉप पहन रखा था, साथ में व्हाइट एंड ब्लैक मिनी स्कर्ट और व्हाइट शूज़। चेहरे पर कोई मेकअप नहीं, फिर भी उसका चेहरा काफ़ी ब्राइट लग रहा था। सांवी बहुत कम ही स्मोकिंग-ड्रिंकिंग करती थी। वो स्मोकिंग भी जब ही करती थी या तो वो ज़्यादा स्ट्रेस या नर्वस हो या फिर हद से ज़्यादा गुस्से में।

    इधर दूसरी साइड रोल्स-रॉयस कार उसी हाईवे पर तेज रफ़्तार से चल रही थी। उसमें दो लड़के बैठे आपस में बात कर रहे थे। तभी बारिश होने लगती है।

    तभी उनमें से एक लड़का बोला: "मिहिर, आज मौसम अच्छा हो रहा है। क्या कहता है, आज फ़ार्महाउस जाकर पार्टी करें?"

    मिहिर सिंघानिया, उम्र 22 साल, कद 6.2, ब्राउन आँखें, काले बाल जेल से सेट थे। उसने ब्लैक टी-शर्ट और ब्लैक पैंट के साथ शूज़, महँगी कलाई घड़ी, शार्प फ़ेशियल फ़ीचर, 8 पैक्स, गठीला शरीर, एकदम ग्रीक गॉड जैसा, हद से ज़्यादा हैंडसम एंड चार्मिंग। लड़कियाँ बस एक बार उसे देखें तो अपना बना लें, पर उसका नेचर उसे भी ज़्यादा खतरनाक। उसके चेहरे पर कोल्ड एक्सप्रेशन थे।

    वो ड्राइव करते हुए सामने देखते हुए कोल्ड वॉइस में बोला: "आज नहीं, हॉस्टल जाना है, कैरव।"

    कैरव भी दिखने में कम हैंडसम नहीं, सेम ऐज, सेम हाइट। उसने ब्लू टी-शर्ट और ब्लैक जीन्स डाल रखी थी। मेसी हेयर में वो कह रहा था। उसकी बॉडी भी परफेक्ट थी। वो मिहिर की बात सुनकर मुँह बनाकर विंडो से बाहर देखने लगता है। उसकी नज़र बस एक जगह ठहर जाती है।

    कैरव के मुँह से अपने आप ही निकला: "ब्यूटीफुल 😍"

    मिहिर उसकी आवाज़ सुनकर उसे देखने लगता है, फिर उसकी नज़र फॉलो करता है तो उसकी भी नज़र वहीं ठहर जाती है। वो अपनी कार की स्पीड स्लो कर देता है।

    मिहिर खुद से मन में बोला: "अप्सरा 💗"

    कैरव जल्दी से बोला: "भाई, देख बाहर क्या लड़की है।"

    मिहिर जो बाहर ही देख रहा था, कैरव की आवाज़ सुनकर अपनी नज़र उसे हटा लेता है। वो दोनों किसी और को नहीं, सांवी को ही देख रहे थे।

    जो अपनी चाय की टपरी के पास खड़ी थी। वो वहाँ एक छोटे बच्चे के पास खड़ी उसे बातें कर रही थी। उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी। स्माइल करते टाइम उसके गालों पर डिम्पल पड़ रहे थे, जिससे वो और भी खूबसूरत और अट्रैक्टिव लग रही थी। उसके बाल भी हल्के गीले हो गए थे।

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  • 2. Whisper on campus - Chapter 2

    Words: 1619

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे...

    सान्वी बारिश रुकने का इंतज़ार कर रही थी और इधर कैरव ने मिहिर से ज़िद करके कार रुकवा ली थी। मिहिर ने बहुत बार मना किया, पर कैरव का दिल आ गया था सान्वी पे। वो दूर से ही सान्वी को देख रहे थे।

    सान्वी इस बात से अनजान, छोटे बच्चे से मुस्कुराते हुए बात कर रही थी। वो बच्चा भी ज़्यादा बड़ा नहीं, 12 साल का था, जो सान्वी के साथ खिलखिला कर बात करते हुए हँस रहा था।

    तभी वहाँ 4 से 5 बाइक्स आकर रुकीं। उन सब पर लड़के थे और कुछ लड़कियाँ। कुल मिलाकर वो 10 लोग होंगे। वो सब एक-एक करके अपना हेलमेट उतार देते हैं। सान्वी एक नज़र उठाकर भी उन्हें नहीं देखती, जैसे वहाँ कोई आया ही ना हो।

    मिहिर उन बाइक्स को देखकर ठंडी आवाज़ में बोला: "अब हमें यहाँ से चलना चाहिए।"

    कैरव बोला: "अबे रुके ना, वैसे भी ब्यूटीफुल वहाँ खड़ी है। अगर इनमें से किसी ने भी उसके साथ मिसबिहेव किया तो इनके मुँह तोड़ देंगे। वो खुश हो जाएगी।"

    मिहिर अजीब एक्सप्रेशन के साथ उसे देखकर बोला: "इसमें खुश क्यों हो जाएगी? थैंक्स बोलने के अलावा कुछ नहीं करेगी वो।"

    कैरव आई रोल करते हुए बोला: "अबे, मूवीज़ में नहीं देखा? लड़का लड़की को गुंडों से बचाता है तो लड़की उसे प्यार करने लग जाती है। तेरी भाभी ये ही बनेगी मेरी जान।"

    मिहिर कुछ नहीं बोला। दरअसल, कैरव और मिहिर बेस्ट फ्रेंड थे। एक-दूसरे पर जान छिड़कते हैं। कैरव जॉली पर्सन है, पर उसका गुस्सा बहुत ख़तरनाक है। लेकिन उसका ऑपोजिट मिहिर कोल्ड हार्टेड पर्सन है। उसके दिल में हमदर्दी बस अपनों के लिए है। गुस्सा तो उसकी नाक पे धरा रहता है।

    इधर, चाय की टपरी के पास एक लड़का चाय वाले से बोला: "अंकल, लगा देना।" इतना कहकर वो अपने दोस्तों के पास चला जाता है।

    तभी एक लड़का सान्वी को देखकर बोला: "रेयांश भाई, लड़की गज़ब है!"

    रेयांश सान्वी को देखकर टेढ़ी स्माइल करता है। दूसरी साइड एक लड़का रेयांश को डिगस्टिंग नज़रों से देख रहा था।

    तभी एक लड़की उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली: "विहान, व्हाट्स हैपन्ड?"

    विहान उस लड़की का हाथ हटाते हुए बोला: "कितनी बार कहा है, मुझे ऐसे मत टच किया करो।" वो अभी बोल ही रहा था कि सान्वी उसके साइड से निकलकर चली जाती है। विहान की अपनी-अपनी आँखें बंद हो जाती हैं क्योंकि सान्वी की बॉडी फ्रेगरेंस और उसके हेयर फ्रेगरेंस से उसे अलग ही सुकून मिला।

    सान्वी थोड़ा ही चली थी, तभी एक बॉडीगार्ड उसकी कार उसके सामने ले आया और वो कार भर निकल जाता है। सान्वी अपनी ब्लैक मस्टैंग में बैठकर वहाँ से चली जाती है। साथ ही उसका बॉडीगार्ड भी अपनी कार से चला जाता है। वहाँ खड़े जितने भी लोग थे, सान्वी को जाते हुए देख रहे थे।

    कैरव बोला: "यार, वो तो चली गई, पर तूने एक चीज़ नोटिस की?"

    मिहिर भी अपनी कार स्टार्ट कर देता है। वो बोला: "क्या?"

    कैरव बोला: "ये ही कि ब्यूटीफुल ने एक भी नज़र उठाकर उन सब में से किसी को नहीं देखा।"

    मिहिर बोला: "तो?"

    कैरव मुस्कुराकर बोला: "कुछ नहीं।"

    इधर, रेयांश, विहान और बाकी सब जाती हुई सान्वी को देख रहे थे। तभी रेयांश की गर्लफ्रेंड उसके गाल पकड़कर अपनी तरफ करते हुए बोली: "बेबी, मैं यहाँ हूँ। तुम और किसी को देख रहे हो?"

    रेयांश उस लड़की के बाल कान के पीछे करते हुए बोला: "टीना बेबी, मेरा ध्यान तुम पे ही है।"

    विहान जाती हुई सान्वी को देखकर बोला: "फ्रेगरेंस..."

    (रेयांश राणा जिसके पिता पॉलिटिशियन हैं, विहान सरंग जिसके पिता इंडिया के नंबर वन बिज़नेसमैन हैं और मिहिर सिंघानिया जिसके पिता एशिया के नंबर वन बिज़नेसमैन के साथ-साथ अंडरवर्ल्ड के किंग का बेटा है, कैरव अरोड़ा जिसका खुद का एक बिज़नेस है, पूरे बैंगलोर पे उसका राज़ है। पेरेंट्स- पापा हैं जो कोमा में हैं, मॉम कैरव को जन्म देते ही चल बसी थी। एक कैरव के दादा जी और दूसरा वो मिहिर को अपना सब कुछ मानता है। ये तो हुई इनकी थोड़ी बहुत जानकारी। अब आगे... कैरव और मिहिर की ना तो विहान से बनती है ना ही रेयांश से और विहान, रेयांश भी एक-दूसरे को पसंद नहीं करते और ना ही कैरव, मिहिर को। चारों की ही दुश्मनी है एक-दूसरे से।)

    शाम के 6 बजे/ ज़ेनिथ इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैकेनिकल इंजीनियरिंग कॉलेज नाम।

    सान्वी गौर से कॉलेज को देख रही थी, कार में बैठी। फ़ाइनल कॉलेज बंद था। वो गहरी साँस लेके अपनी कार हॉस्टल की तरफ़ भड़ा देती है जो 5 मिनट की दूरी पे था। वो कार से उतर जाती है और हॉस्टल के बड़े से गेट को देखने लगती है जिसपे बड़े-बड़े शब्दों में लिखा था-

    आविष्कार भवन हॉस्टल नाम।

    सान्वी अपने गार्ड को इशारा करती है। गार्ड जल्दी से पेपर फ़ॉर्मेलिटी करता है। वार्डन से भी सारी बात कर लेता है। वैसे तो वार्डन को सख्त हिदायत दी है सान्वी के बारे में। खुद प्रिंसिपल ने वार्डन को कॉल करके बोला था।

    कुछ ही देर में सान्वी अपने रूम में फ़्रेश होकर कपड़े चेंज करके बेड पे लेटी थी। उसकी पलकें भारी हो रही थीं तो वो सो जाती है। उसका हॉस्टल का रूम लग ही नहीं रहा था। वो कोई हॉस्टल रूम है, एक वीआईपी रूम था। उस रूम में छोटी सी बालकनी थी जहाँ से बाहर का व्यू काफ़ी अच्छा दिख रहा था। रूम भी काफ़ी बड़ा था। राउंड शेप बेड, एक तरफ़ बुकशेल्फ़ जिसमें कई सारी बुक्स थीं, कपबोर्ड, स्टडी टेबल, बाथरूम। रूम में काउच भी था। कुल मिलाकर वो रूम काफ़ी कम्फ़र्टेबल था, जो एक बार आ जाए तो बाहर जाने का मन ना करे।

    इधर, कैरव, मिहिर भी बॉयज़ हॉस्टल आ गए थे। गर्ल्स हॉस्टल के पास ही था। वहाँ 4 बिल्डिंग थीं, जिसमें से दो बॉयज़ हॉस्टल की थीं और दो गर्ल्स की थीं। हॉस्टल और कॉलेज काफ़ी एक्का-दुक्का फैला हुआ था। इस कॉलेज में ज़्यादा तर अमीर घर के बच्चे ही थे, बाकी स्कॉलरशिप स्टूडेंट थे जिनके लिए यहाँ सर्विस करना थोड़ा मुश्किल था।

    रात के 8:30 बजे।

    बॉयज़ हॉस्टल के ग्राउंड में।

    रेयांश अपने ग्रुप के साथ बैठा हुआ था। उसके ग्रुप में 2 विराज और रिशि लड़के और उसकी गर्लफ्रेंड टीना और उसकी फ्रेंड प्रांजल थीं।

    उनके सामने एक लड़का खड़ा था। दिखने में दुबला-पतला था। शक्ल से ही पढ़ाकू लग रहा था। आस-पास के बाकी स्टूडेंट्स ने उसे घेर रखा था क्योंकि रेयांश और उसका ग्रुप उस लड़के की रेगिंग कर रहा था।

    विहान ये सब दूर खड़ा होकर अपने ग्रुप के साथ देख रहे थे। उसके ग्रुप में 3 निरंजन, विवान, अनिरुद्ध लड़के थे और एक लड़की सोफ़िया। दूसरी साइड एक ब्रांच पे मिहिर और कैरव आपस में बात कर रहे थे। उनका ध्यान भी उस लड़के पे जा रहा था, पर जैसे उन्हें इस बात से कोई लेना-देना ही ना हो, उन्होंने ऐसे इग्नोर किया जैसे वहाँ कुछ हो ही ना रहा हो।

    इधर, दूसरी साइड एक लड़की जो अपना सामान लेकर सान्वी के जस्ट सेकंड लास्ट रूम में जा रही थी। उसकी दो रूममेट्स थीं। वो जैसे ही रूम का दरवाज़ा ओपन करती है, उसे अपनी रूममेट्स दिखती हैं। वो उनसे ही हेलो करती है।

    आस्था हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली: "हाय, मायसेल्फ़ आस्था।"

    वो दोनों लड़कियाँ भी उसे हाथ मिलाते हुए बोलीं: "मेरा नाम अदिति है और ये सान्या।" तीनों ही ऐसे बात करने लगती हैं।

    तभी सान्या बोली: "यार, हम तो स्कॉलरशिप स्टूडेंट हैं और मैं यहाँ जब से आई हूँ, सुनना है सीनियर्स रेगिंग कर रहे हैं। साथ ही जो अमीर बाप की औलाद है वो भी।"

    आस्था एटीट्यूड के साथ बोली: "मैं किसी से नहीं डरती।"

    अदिति बोली: "वो तो टाइम आने पे पता चलेगा।"

    आस्था अपना सामान रूम में सेट करने लगी। आस्था दिखने में खूबसूरत थी और वो एकदम निडर लड़की थी। सान्या और अदिति भी कम नहीं थीं, पर आस्था जितनी नहीं।

    इधर, खाने का टाइम हो गया था। सब स्टूडेंट्स मेस की तरफ़ जा रहे थे। आस्था, सान्या और अदिति भी जा ही रही थीं। वो जैसे ही रूम से बाहर निकलीं, उसी टाइम सान्वी भी अपने रूम से बाहर निकली। उसने नॉर्मल शॉर्ट टॉप और लूज़ पजामा पहन रखा था। उसका पेट हल्का दिख रहा था। उसने अपने बालों का मेसी बन बनाया हुआ था। उसके कान इयरबड्स लगे हुए थे। वो अपने फ़ोन में इंस्टाग्राम स्क्रॉल करते हुए चल रही थी।

    आस्था और उसकी दोनों दोस्त सान्वी को देखते ही रह जाती हैं। नॉर्मल लुक में भी वो काफ़ी खूबसूरत लग रही थी।

    सान्या सान्वी को देखकर बोली: "यार आस्था, मुझे लगा तुमसे ज़्यादा खूबसूरत इस हॉस्टल में कोई नहीं है, पर ये तो कमाल की बाला है।"

    आस्था और अदिति भी हाँ में सर हिला देती हैं। तभी अदिति बोली: "ये अकेली निकली है रूम से। इसकी रूममेट्स नहीं आई इसके साथ।"

    आस्था बोली: "वो पहले भी तो जा सकती है यार, चलो हम भी चलते हैं।" इतना कहकर वो भी सान्वी के पीछे चलने लगती हैं।

    सान्वी को देख के सारी लड़कियाँ उसे मुड़-मुड़ के देख रही थीं।

    तभी अदिति बोली: "लड़कियों को ये हाल है इसे देखकर तो पता नहीं लड़कों का क्या होगा।" आस्था और सान्या भी उसकी बात सुनकर सहमति जताती हैं।

    वो सब मेस पहुँच जाती हैं। सान्वी के मेस में आते ही सबकी नज़र उसपे टिक जाती है। सान्वी एक खाली सीट देखकर वहाँ बैठ जाती है।

    रेयांश और उसका ग्रुप भी उसे ही देख रहा था। ये ही हाल विहान के ग्रुप का था। कैरव और मिहिर भी उसे ही देख रहे थे। सब लड़कियाँ पहले उन 4 लड़कों को देखती हैं जिसकी नज़र सान्वी पे टिकी थी और सबका खून खोल जाता है। अब उन्हें सान्वी से जलन होने लगी थी।

    पर एक थी जो सान्वी को देखकर बस उसमें ही खो जाती है। ये थी अवनी। उसके साथ उसकी फ्रेंड राधिका भी थी जो अवनी को देख रही थी।

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  • 3. Whisper on campus - Chapter 3

    Words: 1616

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे...

    रात के 9 बजे / मेस

    सान्वी अपना खाना लेकर अपनी सीट पर बैठ जाती है। सभी स्टूडेंट्स सान्वी को घूर-घूर कर देख रहे थे और एक-दूसरे के कान में उसकी खूबसूरती की तारीफ करते हुए कुसुर-कुसुर कर रहे थे।

    सान्वी ने बड्स अपने कान में लगाए हुए थे, सॉन्ग प्ले करे हुए थे। वो अपना खाना शांति से खा रही थी। उसे पता था सब उसे ही देख रहे हैं, पर वो किसी की तरफ देख भी नहीं रही थी, बस उसकी नज़र अपने खाने पर थी। वो थोड़ी इरिटेट हो रही थी सबके ऐसे देखने से, पर ज़्यादा रिएक्ट नहीं करती, क्योंकि उसके लिए अब ये सब नॉर्मल हो चुका था, क्योंकि कहीं भी जाती, सब लोग उसे ऐसे ही घूरते थे।

    कैरव सान्वी को देखते हुए एक्साइटेड होकर बोला: "मिहिर, मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा, इतनी ब्यूटीफुल यहाँ पे ही पढ़ने वाली है!"

    मिहिर आई रोल करते हुए बोला: "ओह, कम ऑन यार! पागलों की तरह बिहेव करना बंद करो।"

    कैरव कुछ नहीं बोलता, वो बस खुश होकर सान्वी को देखने लगता है।

    तभी आस्था, सान्या, अदिति भी सान्वी के पास आती हैं। आस्था स्माइल करते हुए बोली: "हे, क्या हम यहां बैठ सकते हैं?"

    सान्वी अपने कान में से एक बड्स निकालकर उन्हें देखते हुए बोली: "कुछ कहा?"

    उसकी आवाज़ सुनकर तो तीनों बस उसे देखने लगीं। शक्ल के साथ-साथ उसकी आवाज़ भी काफ़ी मधुर थी। उन्हें कुछ ना बोलते देख सान्वी एक हाथ उठाकर उनके सामने हिलाते हुए फिर से बोली: "व्हाट?"

    वो तीनों होश में आती हैं, साथ ही हड़बड़ा भी जाती हैं। आस्था हल्की सी स्माइल करते हुए बोली: "हम बैठ सकते हैं?"

    सान्वी अपना सिर हां में हल्का सा हिला देती है, फिर दोबारा अपने बड्स लगा लेती है। आस्था उसकी साइड में बैठ जाती है और सान्या और अदिति उनके सामने।

    पूरी मेस अब उन्हें देख रही थी। कुछ स्टूडेंट्स तो आस्था की खूबसूरती की भी तारीफ कर रहे थे। आस्था, सान्या और अदिति को देखती है जो खाना कम खा रही थीं, सान्वी को ज़्यादा देख रही थीं। फिर वो आस-पास नज़र घुमाकर देखती है तो सबकी नज़र उन पर थी, या यूं कहें सान्वी पर थी। सान्वी अपना एक पैर हिला रही थी। जब भी वो अनकम्फ़र्टेबल फील करती, वो अपना पैर हिलाने लगती थी।

    आस्था सान्वी को देखती है, फिर अपनी दोस्तों को डाँटते हुए बोली: "तुम दोनों खाना नहीं खा सकतीं, उसे घूरना बंद करो, वो अनकम्फ़र्टेबल हो रही है।"

    अदिति कुछ कहती, उससे पहले सान्वी अपनी जगह से खड़ी हो जाती है। वो अपनी प्लेट उठाकर मेस के किचन में चली जाती है।

    आस्था ने उसकी प्लेट देखी थी, उसने बहुत कम खाना खाया था, जिसे आस्था को बुरा लगा, क्योंकि वो भी ऐसी सिचुएशन फेस कर चुकी थी, जैसी सान्वी कर रही थी।

    आस्था अपनी फ्रेंड्स को देखते हुए बोली: "देखा, तुम लोगों की वजह से उस बिचारी ने खाना भी नहीं खाया ढंग से।"

    सान्या खाना खाते हुए बोली: "इसमें हमारी कोई गलती नहीं है, वो लड़की है ही इतनी खूबसूरत और अट्रैक्टिव, हम तो क्या, पूरी मेस की नज़र उस पर थी।"

    अदिति भी उसकी बात में साथ देते हुए बोली: "सान्या सही बोल रही है।" आस्था भी कुछ नहीं कहती, क्योंकि वो दोनों सच ही बोल रही थीं। सान्वी थी ही इतनी खूबसूरत। तभी उन तीनों के पास तीना और प्रणजल आ जाती हैं।

    तीना अपने बालों की लट्टों के साथ खेलती हुई बोली: "जूनियर्स, बहुत बातें कर ली, अब काम की बारी है।"

    आस्था कन्फ्यूज़न में तीना को देखते हुए बोली: "कैसा काम?"

    तभी अदिति तीना से बोली: "लुक, तीना..."

    अभी वो कुछ बोलती, उससे पहले प्रणजल बोल पड़ी: "अदिति, तुम्हें बीच में आने की ज़रूरत नहीं है, वरना तुम जानती हो रेयांश का गुस्सा।"

    अदिति चुप हो जाती है। फिर तीना बोली: "सो जूनियर्स, अगर खाना खा लिया हो या नए दोस्त बना लिए हों, अमीर बच्चों को अपने झांसे में ले लिया हो, तो अब हम तुम्हें तुम्हारी असली औकात दिखा देते हैं।"

    आस्था उसकी बात सुनकर अपनी आँखें छोटी कर लेती है। तभी उनके कानों में एक आवाज़ आती है और सब मेस के किचन में से बाहर आ रही हुई सान्वी को देखने लगते हैं।

    फ़ोन रिंगटोन:

    🎵🎵My last made me feel like I would never try again but when I saw you I felt something I never felt 🎶 🎶

    सान्वी अपने पाजामे की पॉकेट में से अपना फोन निकालकर पिकअप करती है। ये सॉन्ग उसके फोन की रिंगटोन थी। सान्वी सबको इग्नोर करते हुए मेस से बाहर जाते हुए बोली: "हां, दादू।"

    सान्वी मिहिर और कैरव के डेस्क के पास से गुज़रते हुए वहाँ से चली जाती है।

    मिहिर की आँखें बंद हो जाती हैं, क्योंकि सान्वी जब उसके पास से जा रही थी, उसकी बॉडी फ्रेगरेंस मिहिर को भी फील हुई, विहान की तरह। तभी उसके कानों में कैरव की आवाज़ आई।

    कैरव एक्साइटेड होते हुए बोला: "भाई, जो इसके फोन की रिंगटोन है, बिल्कुल मुझ पर सूट हो रही है। सच में इस लड़की को देख अलग ही एहसास हो रहा है, जैसे पहले कभी नहीं हुआ।" ये बोलते समय कैरव की नज़र सान्वी पर ही टिकी हुई थी।

    मिहिर उसकी बात का कोई जवाब नहीं देता। मिहिर की भी सान्वी पर टिकी हुई थी।

    दूसरी तरफ़ अवनी अपनी सीट से खड़ी होती है और सान्वी के पीछे चली जाती है। उसकी फ्रेंड राधिका पूछती भी है वो कहाँ जा रही है, पर अवनी कोई जवाब नहीं देती और सान्वी के पीछे चली जाती है।

    इधर, तीना सान्वी के जाने के बाद आस्था और उसकी दोस्तों से रूड वे में बोली: "खाना खाकर हमें गार्डन में मिलना, अगर नहीं आई तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।" इतना कहकर वो भी प्रणजल के साथ मेस से बाहर चली जाती है।

    तीना को बहुत गुस्सा आ रहा था, क्योंकि रेयांश की नज़र सान्वी से हट नहीं रही थी, जो तीना से बर्दाश्त नहीं हो रहा था। सान्वी जब से आई थी, रेयांश उसे ही देखे जा रहा था, जिसे वो बहुत इनसिक्योर फील कर रही थी। उसे हद से ज़्यादा गुस्सा सान्वी पर आ रहा था।

    उसे गुस्से में देखकर प्रणजल बोली: "तुम इतना गुस्से में क्यों हो, तीना? अच्छा-खासा एंटरटेनमेंट होने वाला था। आरे, न्यू जूनियर्स आई हैं और तुम उन्हें यूँ ही छोड़ के आ गईं।"

    तीना गुस्से में चिल्लाते हुए बोली: "ओह, जस्ट शटअप! मुझे मत सिखाओ मुझे क्या करना है या क्या नहीं। सबसे पहले मुझे उस लड़की को देखना है जिस पर सबकी नज़र थी।"

    प्रणजल उसे इतना गुस्से में देख थोड़ा हैरान हो जाती है, क्योंकि आज तक तीना ने उसे ऐसे बात नहीं की थी। वो कुछ बोलती, उससे पहले ही तीना वहाँ से हॉस्टल के गार्डन में चली जाती है। प्रणजल भी उसके पीछे चली जाती है।

    इधर, सान्वी कॉल पर बात करते हुए हॉस्टल के मेन गेट की तरफ़ जा रही थी। कॉल की दूसरी साइड से अशोक बोले: "एंजेल, तुम पहुँच गई थीं? तुमने कॉल करके क्यों नहीं बताया?"

    सान्वी कुछ पल रुक के बोली: "दादू, फ़ोन बैटरी डेड थी और मैं थक भी गई थी तो सो गई थी।"

    अशोक बोले: "तुमने डिनर किया?"

    सान्वी हम्म में जवाब देते हुए बोली: "हम्म, अपने..."

    अशोक भी हम्म में जवाब देते हैं। सान्वी दोबारा बोली: "अपनी मेडिसिन ली?"

    अशोक स्माइल करते हुए बोले: "हां, एंजेल, ले ली।"

    सान्वी अभी कुछ कहती, उससे पहले उसे एक लड़की की आवाज़ आती है। वो मुड़कर देखती है तो अवनी स्माइल करते हुए उसे देख रही थी। सान्वी ऑन कॉल बोली: "हैंडसम दादू, मैं बाद में बात करती हूँ। गुड नाइट, अपना ध्यान रखना।"

    अशोक ने भी उस लड़की की आवाज़ सुनी थी। वो भी गुड नाइट बोलकर कॉल कट कर देते हैं। सान्वी कुछ नहीं बोलती, बस अवनी को देखने लगती है।

    उसके कुछ ना बोलने से अवनी अपना एक हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली: "हे, मेरा नाम अवनी है और तुम्हारा नाम...?" ये बोलते हुए उसके चेहरे पर स्माइल थी।

    सान्वी उसके एक बार उसके हाथ को देखती है, फिर उसका चेहरा देखते हुए बोली: "व्हाट डू यू वांट?"

    सान्वी का ऐसे एकदम से पॉइंट पर आना अवनी को थोड़ा वीयरड लगा। वो जबरदस्ती स्माइल करते हुए बोली: "नथिंग, आई जस्ट वांटेड टू टॉक टू यू।"

    सान्वी बिना किसी इमोशन के बोली: "बट आई डोंट वांट टू टॉक टू यू।" इतना कहकर वो वहाँ से हॉस्टल के गेट के पास चली जाती है। वहाँ एक गार्ड था, वो सान्वी से बिना कोई सवाल-जवाब किए गेट ओपन कर देता है। सान्वी बाहर चली जाती है।

    अवनी अपने हाथों की गुस्से से मुठ्ठियां बना लेती है। तभी राधिका उसके कंधे पर हाथ रखते हुए जाती हुई सान्वी को देख के बोली: "ये इस टाइम हॉस्टल के बाहर कहाँ जा रही है और गार्ड ने भी इसे नहीं रोका, जबकि हॉस्टल के बाहर 7 बजे के बाद कहीं जाना अलाउ नहीं है।"

    अवनी उसका हाथ झटकते हुए गुस्से से बोली: "मुझे नहीं पता, जाकर उसे पूछ लो।" इतना कहकर गुस्से से गर्ल्स हॉस्टल के अंदर चली जाती है।

    राधिका को समझ नहीं आया अवनी इतने गुस्से में क्यों है। इधर तीना और प्रणजल ने भी सान्वी को देखा था, उनके मन में भी सवाल आया था, रात को वो बाहर कैसे जा सकती है।

    आस्था और उसकी दोस्त भी अपना खाना खाकर वहाँ से गार्डन में चली जाती हैं। आस्था जाना तो नहीं चाहती थी, पर अदिति ने उन्हें बोला अगर वो सीनियर्स की बात नहीं मानेंगी तो उन्हें और ज़्यादा बुलि किया जा सकता है, वो उन्हें कॉलेज हॉस्टल से भी निकलवा दें।

    आस्था को गुस्सा तो बहुत आया था, पर वो यहाँ से जाना नहीं चाहती थी। उसने बहुत मेहनत की थी इस कॉलेज में आने के लिए। ये काफ़ी नामी-गिरामी कॉलेज था। जगह-जगह से फॉरेनर से आए हुए बच्चे भी यहाँ स्टडी करने आए थे।

    प्लीज़ लाइक एंड कमेंट्स 🙏 💗

  • 4. Whisper on campus - Chapter 4

    Words: 1716

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    रात का समय

    सान्वी हॉस्टल से पार्किंग एरिया की तरफ़ आ जाती है और अपनी ब्लैक मस्टैंग लेकर वहाँ से हॉस्टल से निकल जाती है।

    इधर, हॉस्टल के गार्डन में भीड़ लगी हुई थी। सारे बॉयज़ और गर्ल्स खड़े थे और बीच सेंटर में आस्था, सान्या और अदिति खड़ी थीं। सान्या, अदिति थोड़े घबराए हुए थे, पर आस्था के चेहरे पर गुस्सा झलक रहा था, क्योंकि उन तीनों के सामने तीना और प्रणजल खड़ी थीं और रेयांश अपने दोस्तों के साथ बैठा उन लड़कियों को देख रहा था। विहान और मिहिर, कैरव को तो कोई इंटरेस्ट नहीं था। दरअसल इन चारों में डील हुई थी, कोई एक-दूसरे के मामले में नहीं पड़ेगा और जो बच्चा उनका टारगेट होगा, वो एक-दूसरे के टारगेट से भी दूर रहेंगे।

    तीना बड़े ही एटीट्यूड के साथ बोली: "तुम में से सबसे अच्छी हैंडराइटिंग किसकी है?"

    अदिति और सान्या आस्था की तरफ़ उंगली पॉइंट करती हैं।

    आस्था हैरानी से अपनी दोनों दोस्तों को देखने लगती है। तभी तीना आस्था की तरफ़ देखकर बोली: "ओह, अच्छा! तो आज से तुम मेरा असाइनमेंट बनोगी।"

    आस्था आँखें छोटी करके बोली: "क्यों? तुम्हारे हाथ टूट गए हैं जो मैं तुम्हारा असाइनमेंट बनाऊँगी?"

    वहाँ खड़े सब स्टूडेंट्स की आँखें बड़ी हो गई थीं। यहाँ किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो सीनियर से ऊँची आवाज़ में बात करे और यहाँ तो इस लड़की ने उल्टा जवाब दे दिया।

    तीना गुस्से से बोली: "हाउ डिड यू डेयर टू टॉक टू मी लाइक दिस? डू यू टॉक टू सीनियर्स लाइक दिस?"

    आस्था आई रोल करते हुए बोली: "अब जैसे सीनियर्स वैसे ही जूनियर्स। छोटे तो वैसे ही बड़ों से सीखते हैं। नाउ, टाइम वेस्ट मत करो हमारा।" इतना कहकर वो जाने लगती है, तभी कोई उसका हाथ पकड़ लेता है।

    वहाँ खड़े सभी आस्था को हैरानी से देख रहे थे। आज तक किसी ने भी सीनियर्स से ऐसे बात नहीं की, पर जिस शख्स ने आस्था का हाथ पकड़ा था, उस शख्स को देखकर अब उन्हें आस्था के लिए डर लगने लगा। उसकी दोनों फ्रेंड्स को तो आस्था की फ़िक्र होने लगी थी। तीना के चेहरे पर डेविल स्माइल थी।

    आस्था मुड़कर उस शख्स को देखती है जो उसके सामने था। तभी तीना उस शख्स की आर्म पकड़ के बोली: "रेयांश बेबी, देखा ना तुमने? इसने कितनी बदतमीज़ी से बात की मुझसे।"

    रेयांश कुछ नहीं बोलता, बस एकटक आस्था का चेहरा देख रहा था। उसका छोटा सा चेहरा, जिस पर गोल-गोल बड़ी काली आँखें, जिस पर घनी पलकें थीं, गोरा रंग, लंबे बाल जिसका उसने अभी बन बनाया हुआ था, नेचुरल पिंक लिप्स, छोटी सी नाक, लूज़ टॉप और लॉवर में रेयांश के सीने तक आ रही थी।

    रेयांश गौर से उसकी शक्ल देख रहा था। आस्था इनोसेंट नज़रों से उसे देख रही थी। रेयांश भी दिखने में काफ़ी हैंडसम था। हाइट 6 फ़ीट, गेहुँआ रंग, ब्राउन आइज़, मेसी हेयर, बॉडी देखने से ही पता चल रहा था वो काफ़ी देर तक जिम में बिताता है।

    रेयांश आस्था के चेहरे की तरफ़ झुकता है। आस्था अपना चेहरा पीछे लेते हुए घबराई और अटकती हुई आवाज़ में बोली: "ये... ये... क्या... क्या कर रहे हो?"

    रेयांश उसका घबराया चेहरा देखकर अजीब स्माइल करते हुए बोला: "जूनियर को तमीज़ सिखा रहा हूँ। अब सीनियर को देखकर जूनियर्स अपनी मैनर्स भूल रहे हैं। अब किसी न किसी को तो उनको मैनर्स में लाना होगा ना।"

    तीना खुश हो जाती है। आस्था उसकी बात सुनकर गुस्से में अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली: "हाथ छोड़ो मेरा! तुम समझते क्या हो खुद को?"

    रेयांश तेज़ आवाज़ में बोला: "आप जूनियर, तमीज़ से बात करो, वरना अगर मैं बदतमीज़ी पे आया तो मुँह दिखने लायक नहीं रहोगी।"

    आस्था उसकी आवाज़ सुनकर डर जाती है, क्योंकि रेयांश की आवाज़ तेज़ और काफ़ी कोल्ड थी, जिसे अच्छे से समझ आ रहा था जो उसने कहा वो करके ही दिखाएगा।

    रेयांश उसका हाथ छोड़ते हुए कोल्ड वॉइस में बोला: "से सॉरी।"

    आस्था चुप खड़ी रेयांश और तीना को देखती है। तभी अदिति धीरे से उसके कान में बोली: "आस्था, सॉरी बोल दे, बात को यहीं खत्म कर। इनसे पंगा लेना खुद के लिए प्रॉब्लम्स खड़ी करने जैसा है। बोल दे सॉरी, जैसे ये कह रहे हैं वो कर।"

    आस्था घूरकर अदिति को देखती है, जैसे कहना चाह रही हो मैं नहीं बोलूंगी। अदिति उसकी ज़िद देखकर फ्रस्ट्रेट होते हुए बोली: "तुझे मेरी क्या... सॉरी बोल दे और जैसे ये कह रहे हैं वो कर।"

    आस्था हैरानी से उसे देखने लगती है। वो ना चाहते हुए भी बोली: "सॉरी सीनियर।"

    तीना गुस्से से बोली: "सॉरी बोलकर एहसान कर रही हो?"

    रेयांश उसे हाथ दिखाते हुए चुप रहने के लिए बोलता है, फिर आस्था के पास जाकर उसकी आँखों में देखते हुए बोला: "अप्स एंड डाउन करो, कान पकड़ के, जब तक तुम्हें माफ़ी मिलेगी।"

    आस्था की आँखें बड़ी हो जाती हैं। वो गुस्से से बोली: "कभी नहीं।"

    रेयांश तेज़ आवाज़ में बोला: "तुमने सुना नहीं? अदिति!"

    अदिति की आँखों में पानी आ जाता है, साथ ही आस्था की भी। रेयांश फिर से कोल्ड वॉइस में बोला: "मैं दोबारा नहीं बोलूँगा। अदिति, तुम्हारे साथ-साथ ये लड़की भी कॉलेज से बाहर जाएगी।" वो सान्या की तरफ़ इशारा करते हुए बोला।

    सान्या की आँखों में डर नज़र आने लगता है। अदिति अपने कान पकड़कर एक नज़र आस्था को देखती है और जैसे ही वो अप्स एंड डाउन करने को होती है, आस्था उसका हाथ पकड़कर ना में सिर हिला देती है। उसकी आँखों में आँसू थे।

    आस्था अपना सिर झुका के बोली: "मैं कर रही हूँ, प्लीज़ मेरे दोस्तों को इन सब चीज़ों में मत लाओ।"

    रेयांश और तीना के चेहरे पर ईविल स्माइल आ जाती है। आस्था अपने कान पकड़कर अप्स एंड डाउन करने लगती है। उसकी आँखों में ठहरे हुए आँसू बहने लगते हैं और साथ ही सॉरी भी बोल रही थी।

    वहाँ खड़े सारे बॉयज़ और गर्ल्स एक-दूसरे के कान में व्हिस्परिंग करने लगते हैं। वहाँ तरह-तरह की बातें बन रही थीं आस्था के बारे में। किसी को उसके लिए बुरा लग रहा था तो किसी को ये ड्रामा देख के मज़ा आ रहा था। कुछ तो ये भी बोल रहे थे कि ये सब आस्था ने अटेंशन पाने के लिए किया है।

    रेयांश वहाँ से तीना को गुड नाइट बोल के चला जाता है। ऐसे ही सब स्टूडेंट्स अपने-अपने रूम में चले जाते हैं। तीना जाते हुए आस्था से बोली: "दोबारा अपनी औकात मत भूलना, समझी?"

    सबके जाने के बाद सान्या और अदिति आस्था को रोकते हुए बोली: "क्या ज़रूरत थी उन सब से पंगा लेने की?"

    आस्था रोते हुए वहाँ से हॉस्टल के अंदर चली जाती है और अपने रूम में जाकर बेड पे पेट के बल लेटकर पिलो में मुँह छुपाकर रोने लगती है। उसकी दोस्त भी रूम में आकर आस्था को चुप करवाने लगती हैं।

    इधर, अवनी सान्वी के जाने का इंतज़ार कर रही थी और दूसरी साइड विहान अपने रूम में बेड पे लेटा सान्वी के बारे में सोच रहा था।

    मिहिर, कैरव अपने रूम में बैठे अपने लैपटॉप पे काम कर रहे थे। तभी कैरव मुँह बना के बोला: "यार, मुझे ब्यूटीफुल का नाम जानना है।"

    मिहिर अपनी आँखें छोटी करके बोला: "पागल है क्या?"

    कैरव मुस्कुराते हुए बोला: "हाँ, शायद।"

    मिहिर ना में सिर हिला देता है।

    नेक्स्ट मॉर्निंग 🌄

    सब जूनियर्स आज अपने कॉलेज के फर्स्ट डे के लिए एक्साइटेड थे। फर्स्ट ईयर के बच्चों की यूनिफ़ॉर्म थी। इधर, रूम में आस्था अपनी यूनिफ़ॉर्म पहनकर रेडी थी। उसने नेवी ब्लू चेक शर्ट और उसके नीचे ब्लैक शॉर्ट स्कर्ट जो थाइज़ तक थी, लॉन्ग ब्लैक सॉक्स जो नीज़ से ऊपर थीं, ब्लैक स्पोर्ट शूज़। आस्था काफ़ी खूबसूरत लग रही थी। उसने बालों को खुला छोड़ रखा था, होठों पे पिंक लिपग्लॉस। आस्था का चेहरा कल रात के इंसिडेंट की वजह से मुरझाया हुआ था।

    तभी अदिति और सान्या उसके कंधे पे हाथ रखते हुए स्माइल करके एक साथ बोली: "वाह, आस्था! तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो, उस लड़की से भी ज़्यादा जो हमारे साइड वाले रूम में रहती है।"

    आस्था अपने दोस्तों को देखती है जो उसका मूड ठीक करने के लिए क्या-क्या बोल रही हैं। वो फ़ीकी स्माइल करके बोली: "मैं ठीक हूँ, गाइज़। तुम्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।"

    सान्या उसे बेड पे बैठाते हुए बोली: "आरे, ऐसे कैसे परेशान ना हो? तुम दोस्त हो हमारी और वैसे भी हम तुम्हारी हिम्मत की दीवानी हैं जो बिना डरे उन सीनियर्स की आँखों में आँखें डालकर उनका जवाब दे रही थी। जो भी हो, जवाब तो तुमने बहुत मस्त दिया था। बस वो लोग जानते हैं हम तुम्हारी कमज़ोरी हैं।"

    आस्था गुस्से से बोली: "मुझे नफ़रत है इन अमीरज़ादों से। पता नहीं इतना पैसों का घमंड क्यों है।"

    अदिति उसे देखकर बोली: "हर कोई नहीं होता आस्था। तुम ब्रेकफ़ास्ट करो, हम मेस से तुम्हारे लिए खाना ले आए हैं।"

    सान्या अदिति को देखते हुए आस्था को स्माइल करते हुए बोली: "सही कह रही है अदिति। सारे एक जैसे नहीं होते। अदिति भी रिच फ़ैमिली से बिलॉन्ग करती है, उसे तो नहीं है पैसों का घमंड।"

    आस्था हाँ में सिर हिलाकर बोली: "हाँ, ये तो सही कह रही हो तुम।"

    अदिति फ़ीकी स्माइल करते हुए बोली: "जल्दी ब्रेकफ़ास्ट करो, क्लास के लिए लेट हो रहा है।"

    आस्था हाँ में सिर हिलाकर खाना खाने लगती है। कुछ देर बाद वो तीनों खाना खाकर रूम से निकल जाती हैं। आस-पास के लोग आस्था को देख रहे थे, जिसे आस्था को अनकम्फ़र्टेबल फ़ील हो रहा था। वो लोग जल्दी से कॉलेज पहुँच जाते हैं।

    कॉलेज में एंटर होते ही आस्था, अदिति, सान्या तीनों ही चारों तरफ़ देख रही थीं। काफ़ी बड़ी-बड़ी बिल्डिंग थी और वो कॉलेज भी काफ़ी बड़ा था जिसमें हज़ारों स्टूडेंट्स थे। वो तीनों चल ही रही थीं, तभी आस्था अपने सामने से आ रहे शख्स से टकरा जाती है।

    आस्था गिरती, उससे पहले ही उस शख्स ने उसकी कमर पकड़कर अपनी तरफ़ खींच ली। वो सीधा जाकर उसके सीने से लग गई। गिरने के डर से वो अपनी आँखें बंद कर लेती है। जब उसे एहसास होता है वो गिरी नहीं है, वो आँखें खोलकर देखती है किसी की ब्रॉड चेस्ट देखती है। वो जल्दी से उस शख्स से दूर होती है और फिर उस शख्स को देखती है जो कोल्ड आइज़ से उसे देख रहा था। सान्या, अदिति परेशान हो जाती हैं।

    अदिति धीरे से बोली: "विहान।"

    विहान के साथ सोफ़िया जो गुस्से से आस्था को घूर रही थी। सोफ़िया गुस्से से बोली: "अंधी हो क्या? देखकर नहीं चल सकती?"


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  • 5. Whisper on campus - Chapter 5

    Words: 1786

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    सोफ़िया गुस्से से आस्था को घूर रही थी। विहान एक नज़र आस्था को देखकर वहाँ से चला जाता है। उसके जाते ही सोफ़िया गुस्से से आस्था से बोली: "दूर रहो उससे! तुम जैसी सो कॉल्ड लड़कियाँ अमीर लड़कों को फ़साना अच्छे से जानती हो।"

    आस्था उसकी बात सुनकर गुस्से से कुछ बोलने को होती है, उससे पहले अदिति उसका हाथ पकड़ लेती है। आस्था उसे देखती है तो अदिति ना में सिर हिला देती है, जैसे कह रही हो, प्लीज़ कुछ मत बोलना।

    आस्था उसका कुछ नहीं बोलती, वो गुस्से का गुट्ठ पीकर रह जाती है। उसे चुप देखकर सोफ़िया सार्कैस्टिक स्माइल करते हुए बोली: "वैसे रेयांश ने तुम्हारी अच्छी अकल ठिकाने लगाई है।" इतना कहकर सोफ़िया एटीट्यूड से अपने बाल झटकते हुए वहाँ से चली जाती है।

    आस्था गुस्से से अपनी मुट्ठियाँ बंद कर लेती है। अदिति उसे कुछ बोलती है, उससे पहले आगे जाते हुए रूड टोन में बोली: "हमें चलना चाहिए, क्लास के लिए लेट हो रहा है। मैं फ़र्स्ट डे लेट नहीं होना चाहती।"

    अदिति, सान्या भी उसके पीछे चल देती हैं, पर कुछ बोलती नहीं हैं। उन्हें पता था आस्था का दिमाग गुस्से से गरम है।

    दो दिन बाद...

    सुबह के 6 बजे

    सान्वी कार की चाबी हॉस्टल की पार्किंग में आकर रुकती है। वो कार से बाहर निकलती है, साथ ही एक 25 साल का गुड लुकिंग लड़का निकलता है।

    सान्वी उसकी तरफ़ कार की चाबी फेंकते हुए बोली: "रुस्तम, तुम्हारे पास आज रात तक का टाइम है। मुझे लुकास के बारे में थोड़ी ही सही, पर इन्फॉर्मेशन निकाल के दो।"

    रुस्तम सिर झुका के रिस्पेक्ट के साथ बोला: "ओके, मैम।"

    सान्वी वहाँ से चली जाती है। रुस्तम भी सान्वी की कार लेकर वहाँ से निकल जाता है। इधर, सान्वी ने ट्रैकसूट पहन रखा था। उसने बालों की हाई पोनीटेल बना रखी थी। उसने अपने कान में बड्स लगा रखे थे जिसमें सॉन्ग प्ले था। वो रनिंग करती हुई पार्किंग से हॉस्टल के गार्डन एरिया में आ जाती है।

    वहाँ कुछ लड़के थे जो सान्वी को देखकर एक्सरसाइज़ करते हुए रुक जाते हैं। कुछ तो जिम से बाहर आ रहे थे। लड़कियाँ बहुत कम थीं, उन्हीं में से एक रेयांश था जिसकी नज़र भी सान्वी पर थी।

    सूर्य की रोशनी सान्वी के चेहरे पर पड़ रही थी, जिसे उसका चेहरा सोने की तरह लग रहा था। उसके माथे पर पसीने की बूँद भी थी। इधर, विहान जो अपने रूम की बैलकनी में खड़ा था, उसकी नज़र भी सान्वी पर पड़ जाती है तो उसी पर ठहर जाती है।

    सान्वी बिना किसी पर ध्यान दिए गर्ल्स हॉस्टल के अंदर चली जाती है। सभी लड़के तो अपने दिल पर हाथ रखकर ठंडी साँस भरते हैं।

    तभी एक लड़का अपने दोस्त से बोला: "भाई, भगवान ने बिल्कुल फुरसत से बनाया है इसे। देख लिया तो दिन बन गया। शक्ल से भी कितनी मासूम है।"

    उस लड़के का दोस्त हँसते हुए बोला: "भाई, जो शक्ल से इनोसेंट हो ना, वो ही बहुत शातिर होता है और तुझे लगता है इतनी सुंदर होने के बाद वो सिंगल होगी? उसके ना जाने कितने बॉयफ्रेंड होंगे।"

    तभी वहाँ से मिहिर और कैरव जा रहे थे। उन्होंने भी उन दोनों लड़कों की बात सुनी थी। तभी मिहिर बोला: "पता नहीं बिना जाने लोग कैसे दूसरों को जज कर लेते हैं।"

    कैरव उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला: "छोड़ ना यार! वैसे भी आजकल की जनरेशन हो ही ऐसी रही है।"

    मिहिर उसे बीच में टोकता हुआ बोला: "हम भी इसी जनरेशन में आते हैं।" इतना कहकर वो आगे निकल जाता है बिना कैरव की बात सुने।

    कुछ देर बाद, सुबह के 9 बजे / कॉलेज

    आस्था अकेली अपने सबसे आगे वाले ब्रांच पर बैठी थी। उसकी दोनों दोस्त उसके पीछे वाले ब्रांच पर बैठी थीं। उन्हें सब स्टूडेंट्स आपस में बात करते हुए, हँसी-मजाक कर रहे थे।

    आस्था अपनी बुक्स में घुसी हुई थी। उसे तो जैसे आस-पास के लोगों से मतलब ही नहीं था। उस दिन की रैगिंग के बाद से आस्था ने अपनी दोस्तों से भी बोलना कम कर दिया था और इन दो दिनों में तीना और सोफ़िया ने उसकी खूब इंसल्ट की, जिस वजह से उसका दिन पे दिन उन पर भड़कता जा रहा था। वो चुप थी तो बस इसलिए क्योंकि इस कॉलेज में आने के लिए उसने बहुत मेहनत की थी और अपने गुस्से के चलते वो यहाँ से निकलना नहीं चाहती थी।

    पूरी क्लास आपस में बिज़ी थी। तभी क्लासरूम में सान्वी की एंट्री होती है। पूरी क्लास एकदम से शांत हो जाती है। लड़कों का तो दिल गार्डन-गार्डन हो गया था।

    कॉलेज यूनिफ़ॉर्म में सान्वी काफ़ी एलिगेंट लग रही थी। उसने बालों की हाई पोनीटेल बना रखी थी। चेहरे पर कोई मेकअप नहीं, चेक नेवी ब्लू शर्ट और उसके नीचे शॉर्ट स्कर्ट जिसमें उसकी थोड़ी थाइज़ दिख रही थीं। सान्वी की हाइट काफ़ी अच्छी थी। वो सबको इग्नोर करके आस्था जिस ब्रांच पर बैठी थी, उस ब्रांच पर जाकर बैठ जाती है क्योंकि एक वो ही ब्रांच था जिस पर जगह थी क्योंकि पूरी क्लास में स्टूडेंट्स भरे पड़े थे।

    सान्वी अपना बैग टेबल पर रख के फ़ोन स्क्रॉल करने लगती है। आस्था जो बुक में घुसी हुई थी, तभी उसे बहुत प्यारी फ़्रेगरेंस आई। उसने सिर घुमा के देखा तो सान्वी उसकी साइड में बैठी अपने फ़ोन में घुसी पड़ी थी। उसके पीछे बैठी अदिति और सान्या भी सान्वी को देख रही थीं।

    लेकिन दो जोड़ी आँखें और थीं जो सान्वी को देख रही थीं। एक जो काफ़ी इंटेंस नज़रों से सान्वी को देख रहा था और दूसरी उसे गुस्से से। ये और कोई नहीं, विहान और सोफ़िया थे। विहान अपने दोस्तों के साथ बैठा था और सोफ़िया अपनी दोस्तों के साथ।

    कुछ ही देर में प्रोफ़ेसर आ जाती हैं। उनकी नज़र सान्वी पर पड़ती है। वो अपना अटेंडेंस रजिस्टर टेबल पर रख के बोली: "तुम्हारा नाम क्या है, बेटा?"

    सान्वी ने जो प्रोफ़ेसर के आते ही फ़ोन रख दिया था और उसकी नज़र प्रोफ़ेसर पर ही थी। उनके सवाल पूछने पर सान्वी खड़े होते हुए डीसेंट वे में बोली: "गुड मॉर्निंग, मैम। माय सेल्फ़ सान्वी आर्यवंशी।"

    प्रोफ़ेसर स्नेहा स्माइल करते हुए बोली: "गुड मॉर्निंग, बेटा। काफ़ी प्यारी आवाज़ है तुम्हारी।"

    सान्वी उनकी बात सुनकर हल्की सी स्माइल करती है। बाकी सब तो बस सान्वी को देख रहे थे। कुछ ही देर में प्रोफ़ेसर अपना लेक्चर स्टार्ट कर देती है। सान्वी की नज़र प्रोफ़ेसर और बोर्ड पर थी और ज़्यादातर बच्चों की नज़र सान्वी पर। आस्था भी नोट्स बनाते हुए छोर नज़रों से सान्वी को देख रही थी।

    एक घंटे बाद लेक्चर खत्म हो जाता है। प्रोफ़ेसर एक नज़र सान्वी को देखकर मुस्कुरा के चली जाती हैं। उन्हें सान्वी बहुत पसंद आई क्योंकि सान्वी शक्ल से बहुत इनोसेंट थी। अब तो जो उसे जानता था वो ही जानते थे वो कितनी इनोसेंट थी। ऐसे ही दो लेक्चर खत्म हो जाते हैं और लंच ब्रेक हो जाता है।

    सान्वी बैग में रखी ही रख रही थी कि तभी दो-तीन लड़कियाँ उसके पास आती हैं और मुस्कुराते हुए बोली: "हे, तुम कहाँ रहती हो?"

    दूसरी लड़की बोली: "तुम्हारी कोई हॉबीज़ हैं?"

    सान्वी बिना उन्हें देखे बोली: "डज़ दिस हैव एनीथिंग टू डू विद यू?"

    वो सारी लड़कियाँ एक साथ बोली: "व्हाट?"

    सान्वी बिना उन्हें देखे क्लास से बाहर चली जाती है। सब उसे जाते देखते हैं। उन्हीं लड़कियों में से एक लड़की मुँह बना के बोली: "कितनी घमंडी है!" इतना कहकर वहाँ से चली जाती है।

    आस्था भी अपनी दोस्तों के साथ कैंटीन में चली जाती है। वो तीनों जैसे ही कैंटीन में जाती हैं, वो देखती हैं सान्वी जहाँ बैठी थी वहाँ तीना, प्रणजल के साथ खड़ी थी। उनके साथ एक-दो लड़कियाँ और थीं।

    आस्था गुस्से में बोली: "ये सीनियर्स ना हो गए अपने आप को भगवान समझने लगे हैं। वो बिचारी तो वैसे भी किसी से नहीं बोलती। इन्हें मैं सान्वी को परेशान नहीं करने दूँगी।"

    अदिति उसका हाथ पकड़ के गुस्से से बोली: "झाँसी की रानी बनने की ज़रूरत नहीं है। ज़्यादा लगता है दो रात पहले की बात भूल गई हो।" आस्था कुछ नहीं बोलती, वो बस वहाँ खड़ी सान्वी को देखने लगती है।

    इधर, सान्वी जो अपना खाना खा रही थी, उसका ध्यान अपने खाने पर था। उसने अपने सामने लड़कियों को देखना ज़रूरी भी नहीं समझा। वहाँ विहान, रेयांश और मिहिर, कैरव भी थे। अवनी भी अपने दोस्तों के साथ बैठी थी। सोफ़िया तो खुश थी क्योंकि उसे भी सान्वी पसंद नहीं थी।

    तभी कैरव बोला: "इन लोगों की दिक्कत क्या है? क्यों ब्यूटीफुल को परेशान कर रही हैं?"

    विहान गुस्से से तीना को घूर रहा था, पर वहाँ कोई सान्वी की हेल्प के लिए आगे नहीं आता क्योंकि सान्वी के चेहरे पर कोई डर नहीं था। डर तो जब होता जब वो तीना की गैंग को देखे, वो तो देखना तक ज़रूरी नहीं समझ रही थी। पूरी कैंटीन में शांति फैली थी, बस तीना के बोलने की आवाज़ आ रही थी।

    तीना सान्वी की इस हरकत पर टेबल पर हाथ पटकते हुए गुस्से में बोली: "तुम्हें दिख नहीं रहा है मैं यहाँ खड़ी हूँ?"

    सान्वी उसके ऐसे हाथ पटकने से और उसकी बात सुनकर भी उसकी तरफ़ बिना देखे बोली: "देन व्हाई स्टैंडिंग हियर? गेट लॉस्ट।"

    तीना गुस्से से उसे घूरने लगती है। तभी प्रणजल बोली: "हम तुम्हारी सीनियर हैं, तमीज़ से बात करो।"

    सान्वी अपना खाना खत्म करके खड़ी हो जाती है और उन सबको देखते हुए तेज़ आवाज़ में बोली: "सीनियर, माई फ़ुट! इफ यू स्पीक इन अ लाउड वॉइस इन फ़्रंट ऑफ़ मी, आई विल ब्रेक योर माउथ।"

    कैरव और अवनी, आस्था और उसकी दोस्त तो खुश होकर ये ड्रामा देख रहे थे। वहीं विहान और मिहिर भी ये सब देख रहे थे, पर उनके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे।

    इतना कहकर वो जाने लगी, तभी कोई उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है। नूर उसकी तरफ़ देखती है, ये और कोई नहीं, रेयांश था। रेयांश जो देखकर आस्था को अपने साथ किया हुआ याद आया। अब वहाँ सभी को डर लग रहा था सान्वी के लिए।

    मिहिर, विहान मन में बोले: "बस अब ये भी इसे डर जाएगी।" मिहिर तो जाने वाला था, पर कैरव उसे बिठा लेता है जबरदस्ती।

    सान्वी अभी शांत थी, उसने कोई ख़ास रिएक्ट नहीं किया। तभी रेयांश बोला: "लगता है जूनियर को हिंदी कम आती है, जब ही सारी बात इंग्लिश में बोल रही है और हमारी जूनियर को लग रहा है कि इंग्लिश में इंसल्ट करके कूल लगूंगी। यहाँ तो अंग्रेज़ भी हमारे डर से हिंदी बोलते हैं, जूनियर।"

    सान्वी सार्कैस्टिक वे में बोली: "वो डर से नहीं, तुम्हें गँवार समझकर हिंदी बोलते हैं, क्या? शायद तुम ही भूल गए, पैसों से फ़ेक डॉक्यूमेंट्स बनाए जा सकते हैं, नॉलेज तो पढ़ने ही मिलेगी। थोड़ा पढ़ लिए होते तो तुम्हारी हिंदी, इंग्लिश दोनों ही स्ट्रांग होती।"

    रेयांश के हाथों की मुट्ठियाँ बन जाती हैं गुस्से से। उसके दोस्त और तीना का चेहरा काला पड़ जाता है।

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  • 6. Whisper on campus - Chapter 6

    Words: 1891

    Estimated Reading Time: 12 min

    कॉलेज कैंटीन में...

    सान्वी का जवाब सुनकर कैरव की हँसी निकल जाती है।  हँसी तो आस्था को भी आ रही थी, बाकी सबको भी, पर कोई हँस नहीं रहा था।  मिहिर और विहान को लगा शायद रेयांश के आते ही वो उसे डर जाएगी, पर उसका उलटा उसके मुँह पर ही उसकी इंसल्ट कर दिया था सान्वी ने। जहाँ वो दोनों जाने वाले थे, अब अपनी सीट पर लेट कर बैठ जाते हैं।

    रेयांश का चेहरा ठंडा पड़ गया था। वो सख्त आवाज़ में बोला: "जूनियर!"

    तभी सान्वी उसकी बात पूरी होने से पहले ही उसकी बात काटते हुए बोली: "इफ़ यू... ओह सॉरी, तुम्हें इंग्लिश कम समझ आती है तो हिंदी में समझा देती हूँ दोबारा। मेरा रास्ता रोकने की गलती भी मत करना, वरना कॉन्सिक्वेंसेज़ नॉट गुड फॉर यू!"

    सान्वी इतना कहकर रेयांश की साइड से निकलकर आगे की तरफ़ बढ़ जाती है। इतने सारे स्टूडेंट्स के बीच में सान्वी ने बिना चीखे-चिल्लाए रेयांश की बोलती बंद कर दी, जिससे रेयांश को गुस्सा आ रहा था।

    रेयांश तेज आवाज़ में बोला: "रुको वहीं, जूनियर!"

    सान्वी अपने कदम नहीं रोकती। वो सीधा कैंटीन से बाहर चली जाती है। उसने ऐसे इग्नोर किया रेयांश की बात, जैसे उसने सुना ही ना हो। कैंटीन में अब शांति फैल गई थी। कोई कुछ नहीं बोल रहा था, बस रेयांश को घूर-घूर के देख रहे थे।

    रेयांश सबको अपनी तरफ़ देखता पाकर गुस्से से चिल्लाते हुए बोला: "व्हाट? काम नहीं है तुम सब पे?"

    सभी स्टूडेंट्स उसकी आवाज़ सुनकर जल्दी से उसे नज़र हटा लेते हैं और अपने खाना खाने लगते हैं। रेयांश वहाँ से गुस्से से चला जाता है। उसके पीछे टीना और उसकी दोस्त के साथ-साथ रेयांश के दोस्त भी चले जाते हैं। मिहिर, कैरव और विहान वहाँ से चले जाते हैं। अवनी तो सान्वी से काफी इम्प्रेस हो जाती है। कॉलेज का जाना-माना लड़का, रेयांश राणा के चार्म से शायद ही कोई लड़की बच पाई हो। कॉलेज में सबसे ज़्यादा रेयांश, विहान, मिहिर और कैरव का दबदबा था, जो पूरे कॉलेज की लड़कियों के क्रश थे।

    खुश तो आस्था भी बहुत थी, साथ ही उसकी दोस्त भी। वो तीनों भी अपना खाना खाकर अगली क्लास अटेंड करने चली जाती हैं। इधर था कोई शख्स, जो सान्वी को देखकर उसकी आँखें चमक गई थीं। वो शख्स भी सान्वी को ढूँढते हुए कैंटीन से बाहर चली जाती है।

    क्लासरूम...

    मिहिर, कैरव और विहान, रेयांश के साथ उनके दोस्त भी इस क्लास में बैठे थे। इस क्लास में सिर्फ़ लड़के थे। तभी क्लासरूम में सान्वी की एंट्री हुई और उसके पीछे आस्था भी थी। उन दोनों को साथ में देखकर सभी लड़के हैरान थे। हालाँकि लड़के बस 10 से 15 थे, पर फिर भी इस क्लास में बस वही बच्चे आते थे जिनका शार्प माइंड हो, क्योंकि जो सब्जेक्ट वो लोग पढ़ते थे, काफी टफ और माइंड शार्प करने के लिए था। इसलिए ज्यादातर बच्चे इस सब्जेक्ट को नहीं चुनते थे और लड़कियाँ तो दूर भागती थीं, ऐसा इन लड़कों का माना था। क्योंकि जबसे ये लोग इस सब्जेक्ट की क्लास अटेंड कर रहे थे, एक भी लड़की नहीं दिखी थी यहाँ। जूनियर और सीनियर्स साथ पढ़ सकते थे, जब यहाँ विहान था और उसके दोस्त भी, और अब सान्वी, आस्था भी आ गई थीं।

    सान्वी बिना किसी पे ध्यान दिए, खाली बेंच पे बैठ जाती है। आस्था थोड़ी नर्वस थी, क्योंकि पूरी क्लास उन दोनों को ही घूर रही थी। वो भी जल्दी से सान्वी की साइड आकर बैठ जाती है। (सब्जेक्ट नेम: माइंड शार्पनर [ये बस काल्पनिक नाम है]) विहान के चेहरे पे न दिखने वाली स्माइल थी।

    सान्वी अपने बैग से एक बुक निकाल के पढ़ने लगती है, क्योंकि अभी प्रोफ़ेसर आया नहीं था। रेयांश गुस्से से सान्वी को घूर रहा था। तभी वहाँ टीना और उसकी दोस्त भी उस क्लास में आ जाती हैं। टीना यहाँ रेयांश से मिलने आई थी। उनके पीछे सोफ़िया भी अपनी दोस्तों के साथ आ रही थी।

    आस्था भी सान्वी को देखकर बुक निकाल के पढ़ने लगती है। वो आना तो दो din पहले ही चाहती थी, पर इतने सारे लड़कों को देखकर और सबसे बड़ी बात रेयांश को देखकर उसे ये लग रहा था कि कहीं वो उसकी सबके सामने फिर से इंसल्ट ना कर दे। पर जब उसने सान्वी के पास माइंड शार्पनर की बुक देखी, जो उसके पास भी थी, उसने सान्वी से पूछ ही लिया था क्या उसने भी ये सब्जेक्ट लिया है? तो जवाब में सान्वी ने हाँ में सर हिला दिया। सान्वी किसी से बात नहीं करती थी, बस कोई उसे क्वेश्चन पूछ रहा है तो बस हाँ-ना में या तो जवाब देती थी या फिर सर हिला देती। बाकी उसे किसी से लेना-देना नहीं था।

    टीना तो सान्वी और आस्था को देखकर गुस्से में आ जाती है, साथ ही सोफ़िया का भी ये हाल था। वो सान्वी के पास जाने वाली थी। तीन लड़के सान्वी और आस्था के बेंच के पास आकर सान्वी से बात करने की कोशिश करते हैं।

    एक लड़का अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए स्माइल करके बोला: "हाय!"

    सान्वी उसकी तरफ़ देखती भी नहीं है, पर कैरव और विहान का चेहरा देखने लायक था, क्योंकि शायद उन्हें पसंद नहीं आया उन लड़कों का सान्वी के पास जाकर बात करना। सान्वी का जवाब ना पाकर वो लड़का अपना हाथ पीछे खींच लेता है, लेकिन उसे गुस्सा भी बहुत आया था, क्योंकि दिखने में लड़का कम नहीं था।

    तभी दूसरा लड़का बोला: "हे, आई एम टॉकिंग टू यू!"

    सान्वी बुक पढ़ते हुए बोली: "सो व्हाई आर यू टॉकिंग? व्हेन आई एम नॉट गिविंग यू एनी रिप्लाई, देन इट मीन्स इट इज़ क्लियर दैट आई हैव नो इंटरेस्ट इन टॉकिंग टू यू पीपल।"

    तभी तीसरा लड़का बोला: "तुम बहुत baho नहीं खा रही।"

    सान्वी बिना उन तीनों की तरफ़ देखे बोली: "नहीं, अब दफ़ा हो जाओ यहाँ से!"

    उसकी बात सुनकर पीछे से एक और लड़का आता है। वो तीसरे लड़के के कंधे पे हाथ रखते हुए दिलकश मुस्कान लिए सान्वी को देखते हुए बोला: "लगता है तुम्हें लड़कियों से बात करने की तमीज़ नहीं है।"

    फिर वो सान्वी की तरफ़ हल्का सा झुकता हुआ बोला: "हे ब्यूटीफ़ुल, व्हाट आर यू रीडिंग? जो इतने हैंडसम लड़कों को इग्नोर करके अपनी बुक में घुसी हुई हो?"

    सान्वी अपना एक पैर हिलाने लगती है, क्योंकि उसे अब गुस्सा आ रहा था। वो लड़के उसे इरिटेट कर रहे थे। आस्था सान्वी के ऐसे पैर हिलाने से समझ जाती है उसे ये सब पसंद नहीं आ रहा।

    आस्था उन लड़कों को देखकर थोड़े रूड वे में बोली: "तुम लोगों को समझ नहीं आ रहा, जब वो तुमसे बात करने में इंटरेस्टेड नहीं है तो क्यों प्रेशर कर रहे हो तुम लोग उसे?"

    तभी वो जो चौथा लड़का था, जिसका नाम तरुण था, वो आस्था से कोल्ड वॉइस में बोला: "तुम तो अपना मुँह बंद ही रखो। तुम्हें बस इसे चिढ़ हो रही है क्योंकि हम तुम्हें अटेंशन ना देकर इस लड़की को दे रहे हैं, और हमारी अटेंशन पाने के लिए तुम ये सब बोल रही हो।"

    आस्था उस लड़के की बात सुनकर हँसते हुए बोली: "लुक, शक्ल देखी है अपनी? तुम्हारे जैसे चीप इंसान की अटेंशन? क्या मैं तो कुछ भी ना लूँ, इतनी घटिया चॉइस भी नहीं है मेरी लड़कों में।"

    आस्था का जवाब सुनकर कुछ लड़के हँसने लगते हैं। वो लड़का गुस्से से आस्था को देखते हुए बोला: "तुम..."

    तभी उस लड़के की बात को बीच में काटते हुए उन तीन लड़कों में से एक लड़का तरुण के कान में धीरे से बोला: "भाई, इसे बात में देखेंगे। अगर इस दूसरी लड़की के सामने ऐसे गुस्से से बात करोगे, उस पे बुरा इम्प्रेसन पड़ेगा। क्या पता वो तुम्हारी तरफ़ देखे भी ना।" उस लड़के ने ये बात इतनी धीरे बोली थी, बस तरुण ही सुन सकता था।

    तरुण उस लड़के की बात सुनकर गहरी साँस लेता है। वो आस्था से नज़र हटा के सान्वी को देखते हुए प्यार से बोला: "हे ब्यूटीफ़ुल, डू यू वांट टू गो टू द कैफ़े इन फ्रंट ऑफ़ द कॉलेज?"

    सान्वी इरिटेट होते हुए बोली: "प्लीज़ डोंट टॉक टू मी।"

    तरुण बोला: "व्हाट? ओके फाइन, बट हाउ अबाउट लंच? लेट्स ईट टुगेदर?"

    सान्वी बोली: "आई एम ऑलरेडी डन।"

    वो लड़का कुछ बोलता, सान्वी उससे पहले बोली: "जस्ट गो टू हेल!"

    सान्वी का इतना ठंडा रिस्पांस देखकर तरुण के साथ उसके दोस्तों को भी गुस्सा आ जाता है। पूरी क्लास वहाँ बैठी ये तमाशा देख रही थी। कैरव तो चाहता था उन लड़कों को सान्वी से दूर कर दे, पर मिहिर की वजह से चुप था। विहान भी चुप बैठा इसीलिए देख रहा था, क्योंकि अभी तक सान्वी ने उन लड़कों को अच्छे से हैंडल कर रखा था। वो इस इंतज़ार में था कि कब वो लड़के अपनी लिमिट क्रॉस करें और कब वो उनका मुँह तोड़े।

    तरुण गुस्से से बेंच पे हाथ पटकते हुए बोला: "इतनी देर से प्यार से बात कर रहा हूँ, समझ नहीं आ रही तुम्हें।"

    सान्वी अब भी कोई रिएक्शन नहीं दिखाती, वो बस अपनी बुक का पेज पलट देती है। तरुण गुस्से से बोला: "अब तुम्हें बताना पड़ेगा मैं क्या चीज़ हूँ। चाहता नहीं था तुम्हारी रेगिंग करूँ, पर तुमने मजबूर कर दिया अपने इस सो कॉल्ड ऐटिट्यूड दिखा के। अब तुम्हारे पास तीन ऑप्शन हैं: पहला ऑप्शन, मेरी दो उंगलियों को सक करो, दूसरा ये अपना इंट्रोडक्शन दो अच्छे से, और वरना मैं तुम्हें सबके सामने किस करूँगा।"

    तरुण की बात सुनकर जहाँ सब हैरान थे, वहीं टीना और सोफ़िया के चेहरे पे डेविल स्माइल थी। पर सान्वी ने अब भी कोई रिएक्शन नहीं दिखाए, जैसे उसने तरुण की बात सुनी ही ना हो। उसकी इस हरकत पे तरुण को बहुत गुस्सा आता है। वो कुछ बोलता, तभी वहाँ टीना और उसकी दोस्त के साथ सोफ़िया भी आ जाती है।

    टीना तरुण से बोली: "तरुण, तुम्हारे कुछ करने से पहले मैं इस लड़की की अकड़ तोड़ना चाहूंगी।"

    इतना कहकर टीना सान्वी की तरफ़ देखकर ऐटिट्यूड से बोली: "हाँ तो जूनियर, अब बताओ कैंटीन में तो बहुत महारानी बन रही थी। ये जो तुम ऐक्टिंग कर रही हो ना, फर्स्ट डे कॉलेज का है तो सबको अपना ऐटिट्यूड दिखाऊंगी। तुम्हारी ये ऐक्टिंग यहाँ नहीं चलने वाली।"

    तभी सोफ़िया बोली: "तुम खुद को कहीं की प्रिंसेस समझती हो?"

    सान्वी अब भी कुछ नहीं बोलती, बस अपनी बुक का पेज पलट देती है। टीना का ये देखकर खून खौल जाता है। वो सान्वी के हाथ से बुक छीन लेती है। सान्वी की आँखों में अब खून उतर आता है। वो गुस्से से टीना को देखती है।

    टीना उस बुक को देखकर बोली: "मंगो ये कैसी बुक पढ़ रही हो तुम?" इतना कहकर वो बुक ज़मीन पे गिरा देती है और हँसने लगती है। साथ ही वो सब हँसने लगते हैं।

    सान्वी गुस्से से बोली: "उसे वापिस दो!"

    टीना हँसते हुए बोली: "मैं बस देख रही हूँ तुम किस टाइप की बुक पढ़ रही हो।"

    सान्वी दुबारा बोली: "आई सेड गिव इट बैक!"

    टीना सान्वी की तरफ़ देखकर उसके सामने बुक हिलाते हुए बोली: "ये लो।" इतना कहकर वो बुक ज़मीन पे गिरा देती है। फिर वो हँसते हुए बोली: "ओह सॉरी, मेरे हाथ से स्लिप हो गई।" अब वो और सोफ़िया जोर-जोर से हँसने लगती हैं।

    तभी तरुण सान्वी की शक्ल देख के बोला: "चलो कम से कम तुमने देखा तो हमारी तरफ़। अब बताओ मेरा कौन सा ऑप्शन पसंद आया? इंट्रोडक्शन दोगी या उंगलियाँ चूसोगी या फिर किस करोगी मेरे होंठों पे?"

    विहान, कैरव के तो तन-बदन में आग लग जाती है। वो उठ खड़े हो जाते हैं और सान्वी की तरफ़ जाने लगते हैं।

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  • 7. Whisper on campus - Chapter 7

    Words: 1759

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    ज़ियोम कॉलेज।

    सान्वी गुस्से से खड़ी होकर बोली: लगता है मुझे तुम्हारी औकात दिखानी पड़ेगी।

    सान्वी की बात सुनकर तीना गुस्से में बोली: तुम हमारी औकात दिखाओगी? औकात तो हम तुम्हारी दिखाएंगे, उ ब्लडी बी...

    अभी तीना इतना ही बोल पाई थी कि सान्वी उसकी नाक पर मुक्का मार देती है। तीना ज़मीन पर गिर जाती है और सामने खड़े तरुण की दो उंगलियाँ, जो तरुण ने सान्वी के आगे कर रखी थीं, सान्वी उन दो उंगलियों को पकड़ कर मरोड़ देती है। तरुण की दर्द भरी चीख पूरी क्लास में गूंज जाती है। विहान और कैरव के पैर चलते-चलते रुक जाते हैं। बाकी सब बच्चे भी अपनी सीट से खड़े हो जाते हैं, जिसमें रेयांश और मिहिर भी शामिल हैं।

    तीना की दोस्त झुककर तीना को देखती है। प्रांजल घबराते हुए तेज आवाज़ में बोली: तीना, तुम्हारी नाक से खून बह रहा है। तीना को तो पता ही नहीं चला क्या हुआ उसके साथ।

    तभी तरुण की दुबारा चिल्लाने की आवाज़ आई। वह दर्द से कराहता हुआ बोला: प्लीज़ छोड़ो मेरा हाथ, प्लीज़!

    सान्वी सारे लोगों को ठंडी निगाहों से देखते हुए बोली: और किसी को चाहिए मेरा इंट्रोडक्शन?

    तरुण के दोस्त जैसे ही एकदम तरुण को बचाने के लिए भागते हैं, सान्वी हल्का सा और पीछे की तरफ तरुण की उंगली मरोड़ते हुए बोली: कोई भी आगे आया तो इसकी उंगली टूटेगी।

    तरुण चिल्लाता हुआ बोला: दूर रहो, प्लीज़!

    सान्वी तीना की तरफ देखते हुए बोली: मेरी बुक उठाकर दो, वरना इस लड़के की उंगली जाएगी। सान्वी तरुण की उंगली को मरोड़ते हुए बोली।

    तरुण दर्द से चिल्लाता हुआ बोला: प्लीज़, तीना, बुक दो इसे उठाकर, प्लीज़! वरना ये सच में मेरी उंगली तोड़ देगी। तरुण का चेहरा लाल और पसीने से तर था। उसकी आँखों में से आँसू आ गए थे।

    तीना, जिसे अभी तक कुछ समझ ही नहीं आया था कि उसके साथ क्या हुआ, सान्वी और तरुण की आवाज़ सुनकर उनको देखने लगती है। उसकी नाक में से अभी भी ब्लीडिंग हो रही थी।

    तरुण तीना को कोई रिएक्ट करता हुआ ना देख गुस्से से बोला: पागल लड़की, देखना बंद कर, जल्दी से बुक उठाकर इसे दे, प्लीज़! दर्द हो रहा है।

    तभी सोफिया जल्दी से बुक उठाकर सान्वी को देती हुई बोली: लो बुक, अब प्लीज़ इसका हाथ छोड़ दो, प्लीज़!

    सान्वी उसे घूरते हुए बोली: क्यों? तुम्हारा क्या लगता है? वेल, मेरा कोई क़सूर नहीं था ये सब करने का, पर तुम लोगों को मेरा शांत रहना रास नहीं आया। तो भुगतो, जब तक तुम सब मुझसे माफ़ी नहीं मांग लेते हाथ जोड़कर, तब तक मैं इसका हाथ नहीं छोड़ूंगी।

    तरुण चिल्लाता हुआ बोला: जल्दी से सॉरी बोलो, प्लीज़! मुझे बहुत दर्द हो रहा है।

    सोफिया गुस्से से बोली: तुम जानती भी हो हम सब कौन हैं? तुम्हारी इस हरकत पे कॉलेज से बाहर फेंकवा सकते हैं।

    सान्वी ईविल स्माइल करते हुए बोली: तुम में तो क्या, तुम्हारे बाप में भी दम नहीं है मुझे इस क्लास से बाहर निकाल सके। बकवास कम करो, जो करने को बोला है वो करो। और हाँ, मैं दुबारा नहीं बोलूंगी। सीधा इसकी उंगलियाँ तोड़ दूंगी। जल्दी सॉरी बोलो! इतना कह कर वो फिर से तरुण की उंगलियों को पीछे की तरफ मरोड़ देती है। तरुण की फिर से चिल्लाने की आवाज़ आती है।

    सोफिया गुस्से से हाथों की मुट्ठियाँ बना लेती है। वो एक नज़र विहान को देखती है, जो सान्वी को ही देख रहा था। ये देखकर तो उसका खून ही खौल जाता है। वो विहान से हेल्प लेना चाहती थी।

    तरुण भरे गले से बोला: प्लीज़, जल्दी सॉरी बोलो।

    सोफिया धीरे से बोली: सॉरी।

    सान्वी तेज आवाज़ में बोली: मुझे सुनाई नहीं दिया।

    सोफिया गुस्से को कंट्रोल करते हुए बोली: सॉरी।

    ऐसे ही वो तीनों लड़के भी सॉरी बोलते हैं। सोफिया के साथ-साथ उसकी दोस्त भी सॉरी बोलती है। तरुण भी उसे सॉरी बोलता है।

    प्रांजल और उसकी दोस्त तीना को सहारा देते हुए खड़ा करते हैं और प्रांजल गुस्से से सान्वी से बोली: तुम्हारे अंदर दिल है क्या? नहीं?

    सान्वी उसे देखते हुए बोली: बुरा लग रहा है? अच्छी बात है, लगना भी चाहिए। कम से कम तुम जैसे डंब लोगों को समझ तो आए जब कोई बेबस होता है तो कैसा लगता है। काफ़ी बच्चों की रेगिंग की है ना तुम लोगों ने? तो ये सोच लो आज उन सब की जगह तुम सब हो।

    प्रांजल की बोलती बंद हो गई क्योंकि बात तो उसने सही कही थी और आज उसे रियलाइज़ भी हो रहा था। तभी एक लड़की जल्दी से बोली: प्रांजल, जल्दी से तीना को लेकर जाना चाहिए। इसकी नाक से काफ़ी खून बह रहा है।

    पूरी क्लास का माहौल ही बदल चुका था। मिहिर के चेहरे पे स्माइल थी, ना दिखने वाली। रेयांश, कैरव, विहान तो सान्वी का ये आउरा देखकर हैरान और काफ़ी इम्प्रेस भी थे। आस्था भी ज़्यादा हैरान थी क्योंकि वो सान्वी को बहुत इनोसेंट समझ रही थी। समझती भी क्यों ना, सान्वी शकल से काफ़ी इनोसेंट लगती थी।

    पर आस्था से तरुण का दर्द देखना नहीं जा रहा था। वो धीरे से बोली: सान्वी, उसे छोड़ दो प्लीज़! देखो उसने माफ़ी भी मांग ली है।

    सान्वी ठंडी निगाहों से आस्था को देखते हुए बोली: तुमसे किसी ने पूछा? अपने काम से काम रखो। तभी सान्वी का फ़ोन रिंग होता है। वो कॉल पिक करती है। उसने अभी भी तरुण की उंगलियों को काफ़ी कस के पकड़ रखा था। पूरी क्लास बस देख रही थी।

    आस्था सान्वी की बात सुनकर चुप हो जाती है, पर उसे सान्वी का रूड टोन में उसे जवाब देने से बुरा लगा। तभी सान्वी फ़ोन पे पकड़ मज़बूत करते हुए बोली: जस्ट गो टू हेल, ब्लडी स्वाइन! इतना कह कर वो कॉल कट कर देती है, साथ ही तरुण की तेज दर्द भरी चीख पूरी क्लास में गूंज गई क्योंकि सान्वी ने उसकी दो उंगलियाँ तोड़ दी थीं।

    सभी हैरान थे। आस्था मुँह पे हाथ रख लेती है। सोफिया गुस्से से बोली: हमने तो सॉरी बोला था ना, फिर क्यों किया तुमने ऐसा?

    सान्वी गुस्से से उसकी तरफ़ देखती है। सोफिया एक बार को घबरा जाती है। सान्वी गुस्से से बोली: पहली बात, सबने मुझे सॉरी नहीं बोली और दूसरी बात, तुम्हारी सॉरी में गिल्ट नहीं था और तीसरी बात, ये आइंदा से मुझसे पंगा मत लेना क्योंकि एक बात को मैं रिपीट नहीं करती, सीधा मुँह तोड़ती हूँ सामने वाले का। इसकी उंगली तोड़ना एक बस एग्ज़ैम्पल था, तो बस मुझसे 10 फ़ीट दूर रहना।

    तभी क्लास में प्रोफ़ेसर आ जाते हैं। वो तरुण को देखते हुए ठंडी आवाज़ में बोले: क्या हो रहा है यहाँ? प्रोफ़ेसर दिखने में काफ़ी हैंडसम थे। उनकी उम्र लगभग 27 के आसपास होगी। हाइट 6 फ़ीट। कसा हुआ शरीर, व्हाइट शर्ट, ब्लैक पैंट, फ़ॉर्मल कपड़ों में बवाल लग रहे थे।

    सोफिया उनके पास जाते हुए भरे गले से बोली: प्रोफ़ेसर, इस लड़की ने तरुण की उंगलियाँ तोड़ दी और तीना की नाक... सोफिया सान्वी की शिकायत करने लगी।

    तभी कैरव आगे आते हुए सान्वी की साइड लेते हुए बोला: सर, गलती सारी सान्वी की नहीं थी। तरुण, तीना और इनके ग्रुप सान्वी को परेशान कर रहे थे।

    कैरव को अपनी साइड लेता देख सान्वी के एक्सप्रेशन बदल जाते हैं। वो तेज आवाज़ में बोली: तुम्हें मेरी साइड लेने की ज़रूरत नहीं है। जब कहाँ थे जब ये लोग मुझे परेशान कर रहे थे? और ये सब कहकर क्या साबित करना चाहते हो? जैसे मैंने इतना हैंडल किया है, मैं प्रोफ़ेसर, प्रिंसिपल से भी डील कर लूँगी।

    कैरव को बुरा लगता है सान्वी की बात से, पर वो उसकी बात से सहमत भी था। वो चुप अपनी सीट पर बैठ जाता है। मिहिर के चेहरे पर गुस्सा था। सान्वी को कैरव से ऐसे बात करना कतई पसंद नहीं आया। रेयांश और विहान के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे।

    प्रोफ़ेसर सान्वी का एटीट्यूड देखकर और उसके किए गए कांड से इम्प्रेस थे। वो सान्वी के सामने जाकर खड़े हो गए और उसे देखते हुए बोले: नाम?

    सान्वी भी उनकी आँखों में देखती हुई बोली: सान्वी आर्यावंशी।

    प्रोफ़ेसर बोले: ओके, जा सकती हो अब तुम यहाँ से।

    सान्वी उन्हें देखते हुए बोली: आज क्लास नहीं लगेगी।

    प्रोफ़ेसर हैरान होते हुए बोले: तुम भी इस क्लास को अटेंड कर रही हो?

    सान्वी अजीब एक्सप्रेशन के साथ बोली: क्यों? यहाँ लड़कियाँ अलाउड नहीं हैं?

    प्रोफ़ेसर मुस्कुराते हुए बोले: ऐसा तो मैंने नहीं कहा, पर पहली लड़की हो तुम जो ये क्लास अटेंड कर रही हो। ज़्यादातर लड़के ही मेरी क्लास में होते हैं।

    सान्वी आस्था को देखते हुए बोली: मैं अकेली नहीं हूँ, ये भी है।

    प्रोफ़ेसर खुश होते हुए बोले: आर्य, वाह! क्या बात! चलो देखता हूँ तुमसे हाथ पर और मुँह ही चलना आता है या दिमाग भी चला लेती हो। बैठ जाओ।

    सान्वी, आस्था दोनों ही बैठ जाती हैं। तभी सोफिया गुस्से से बोली: सर, आप इस लड़की से कुछ नहीं कहेंगे? हम इसके सीनियर्स हैं।

    तभी प्रोफ़ेसर, जिसका नाम आश्विन माहेश्वरी था, वो कोल्ड वॉइस में बोले: सोफिया, अब तुम मुझे बताओगी मुझे क्या करना है क्या नहीं?

    सोफिया प्रोफ़ेसर की आवाज़ सुनकर डर जाती है। वो धीरे से बोली: सॉरी सर।

    प्रोफ़ेसर कड़क आवाज़ में बोले: नाउ गो टू योर क्लास।

    सोफिया और उसकी दोस्त वहाँ चली जाती हैं। प्रोफ़ेसर आश्विन सान्वी की तरफ़ देख के बोले: क्लास के बाद तुमसे अकेले में बात करनी है।

    सान्वी हाँ में सर हिला देती है। प्रोफ़ेसर अपना लेक्चर शुरू कर देता है। अब क्लास बिल्कुल नॉर्मल लग रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो। आज बस आश्विन कुछ क्वेश्चन समझा रहे थे, सब नोट कर रहे थे। मिहिर की नज़र सान्वी पे थी, हालाँकि सबकी ही थी, पर मिहिर उसे गुस्से से घूर रहा था।

    तभी क्लास रूम में पहों आया। वो प्रोफ़ेसर आश्विन की तरफ़ देख के बोले: सर?

    प्रोफ़ेसर आश्विन बोले: यस?

    पहों बोला: मिस सान्वी आर्यावंशी को प्रिंसिपल ने बुलाया है।

    आश्विन एक आइब्रो उठाते हुए बोले: मिस? क्या बात है? जाओ मिस सान्वी, आपका बुलावा आया है। शायद ही दुबारा देखने को मिलो तुम।

    प्रोफ़ेसर ने अपनी बात पे जोर देते हुए कहा। सान्वी अपना बैग लेते हुए खड़ी हो जाती है और क्लास रूम से जाने लगती है। वो दरवाज़े पे आकर प्रोफ़ेसर को देखते हुए बोली: सर?

    प्रोफ़ेसर जो सान्वी को देख रहे थे, वो: हम्म? में जवाब देते हैं।

    सान्वी हल्की स्माइल करते हुए बोली: जब तक मैं ना चाहूँ, तब तक किसी में इतना दम नहीं है मुझे इस कॉलेज से निकाल सके। इतना कह कर सान्वी पहों के साथ चली जाती है।

    प्रोफ़ेसर स्माइल करते हुए अपना लेक्चर स्टार्ट कर देते हैं। सब हैरान थे क्योंकि प्रोफ़ेसर आश्विन बहुत गुस्से वाले थे। उनसे ऐसे फ्रेंडली बस एक ही शख्स बात कर सकता था और वो था मिहिर।

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  • 8. Whisper on campus - Chapter 8

    Words: 1572

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे...

    प्रिंसिपल ऑफिस।

    सान्वी प्रिंसिपल के सामने कुर्सी पर बैठी थी। तीना और उसकी दोस्त खड़े होकर उसे गुस्से से घूर रहे थे। वहाँ तीना और तरुण के पेरेंट्स भी थे। प्रिंसिपल अपनी कुर्सी पर बैठे सान्वी को देख रहे थे, जो बिना किसी इमोशन के अपना फोन स्क्रॉल कर रही थी।

    तभी तीना के डैड गुस्से से बोले: प्रिंसिपल सर, आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे हैं? इस लड़की ने हमारे बच्चों को चोट पहुँचाई है और ये इतने आराम से बैठी है जैसे इसने कुछ किया ही ना हो। आप इस लड़की को अभी की अभी इस कॉलेज से निकालिए।

    प्रिंसिपल ठंडी निगाहों से तीना के डैड को देखते हुए बोले: आपको मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है मुझे क्या करना है या क्या नहीं।

    तभी तरुण के डैड बोले: लेकिन आप कुछ बोल ही कहाँ रहे हैं? बस इसे देखे जा रहे हैं। मैं इसे छोड़ूँगा नहीं। इसकी हिम्मत कैसे हुई मेरे बेटे को चोट पहुँचाने की?

    सान्वी अपना फ़ोन देखते हुए बोली: खुराना, तमीज़ से बोलो। बेटे, उंगलियाँ टूटवाई हैं, रूम, मुँह तुड़वा लोगे।

    तभी तरुण के डैड गुस्से से बोले: बदतमीज़ी, लड़की! बाप की उम्र का हूँ मैं तुम्हारे। तुम्हें तमीज़ नहीं सिखाई तुम्हारे पेरेंट्स ने?

    सान्वी उनकी तरफ़ देख के बोली: सिखाई है, और बहुत अच्छे से सिखाई है। पर रिस्पेक्ट भी उसकी करती हूँ जो मेरी करे। और वैसे भी आपने अपनी औलाद को काफ़ी ख़ास तमीज़ तो सिखाई नहीं है।

    तभी तीना बोली: डैड, देख रहे हो ना आप इसे कैसे बदतमीज़ी कर रही है?

    तीना के डैड प्रिंसिपल से बोले: प्रिंसिपल सर, अब तो आपको इसे इस कॉलेज से निकालना होगा या फिर हम अपने बच्चों को यहाँ से कहीं और पढ़ने भेज देंगे। हमारे बच्चे यहाँ पढ़ने आते हैं पर यहाँ तो हमारे बच्चों को मोलॆस्ट किया जा रहा है।

    प्रिंसिपल ठंडी आवाज़ में बोले: जैसा आपको दिख लगे, मिस्टर शेट्टी।

    तीना और उसकी दोस्तों के साथ-साथ तरुण और तीना के पेरेंट्स भी हैरान हो गए।

    तरुण के डैड गुस्से से बोले: ये क्या बकवास कर रहे हो, प्रिंसिपल?

    प्रिंसिपल उन्हें देखते हुए बोले: तमीज़ से बोलिए, मिस्टर खुराना।

    तभी सान्वी ने क्लैप किया। वहाँ रुस्तम आ गया। उसने प्रिंसिपल के हाथ में एक फ़ोन पकड़ा दिया। तीना, तरुण के पेरेंट्स उन्हें ही देख रहे थे।

    प्रिंसिपल फ़ोन में चल रही वीडियो देखकर फ़ोन मिस्टर शेट्टी की तरफ़ बढ़ाते हुए बोले: अब आपको पता चल जाएगा कि आपके बच्चों ने क्या किया।

    मिस्टर शेट्टी फ़ोन पकड़कर स्क्रीन पर चल रही वीडियो देखने लगे। उनके साथ-साथ तरुण और तीना, उसकी फ्रेंड भी वो वीडियो देखने लगे। तीना और उसकी दोस्तों के माथे पर पसीने आ गए थे।

    तभी तीना के डैड उसे घूरने लगे। उस वीडियो में तीना और तरुण की आज की वीडियो थी जो सान्वी के साथ बदतमीज़ी करने की थी। उसके साथ उन्होंने जिन बच्चों की रेगिंग की थी उनकी भी वीडियो थी।

    तरुण के डैड प्रिंसिपल को देखते हुए बोले: प्रिंसिपल सर, इसका मतलब ये तो नहीं है कि ये बच्चों को की नाक और हाथ तोड़ देगी? अगर ऐसी ही बात थी तो इसे आपको आकर बताना चाहिए था ये।

    तभी सान्वी बोली: रुस्तम।

    रुस्तम सान्वी को देख बोला: यस मैम, काम डन हो गया है।

    रुस्तम के इतना कहते ही मिस्टर खुराना और मिस्टर शेट्टी के फ़ोन पे नोटिफिकेशन आई।

    प्रिंसिपल सर सान्वी को देख रहे थे जैसे उन्हें पता हो आगे क्या होने वाला है। ये कॉलेज तो मिहिर के दादा जी का था और प्रिंसिपल का दबदबा भी बहुत था, पर ये प्रिंसिपल सान्वी के दादा के बहुत अच्छे दोस्त थे। वो सान्वी को जानते थे। वो बिना मतलब कभी ऐसा कोई कांड नहीं करती थी जब तक उसे कोई छेड़े ना।

    तीना अपने डैड और तरुण के डैड की शक्ल देखती है जिनके चेहरों के रंग उड़े हुए थे। उनके माथे पे पसीने थे।

    तभी तीना के डैड उसे डाँटते हुए बोले: अभी की अभी माफ़ी माँगो इस लड़की से। तुम्हें शर्म नहीं आती अपने से छोटे बच्चों को परेशान करते हुए? तुम तो इसे बड़ी हो, इसे ज़्यादा मैच्योर हो।

    तीना और उसकी दोस्त तो हैरान थीं। तरुण के डैड सान्वी के पास आकर जल्दी से बोले: बेटा, मैं अपने बेटे की तरफ़ से माफ़ी माँगता हूँ।

    तीना के डैड भी तीना की आर्म कस के पकड़कर सान्वी के सामने लाकर गुस्से से बोले: जल्दी से सॉरी बोलो!

    तीना अपने डैड की बात सुनकर गुस्से से बोली: डैड, क्या कह रहे हैं आप? मैं कभी इस दो-टक्के की ल...

    तीना अभी इतना ही बोल पाई थी कि उसके डैड ने खींचकर उसे थप्पड़ मारते हुए गुस्से से चिल्लाते हुए बोले: अभी की अभी सॉरी बोलो इसे, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

    तीना अपने डैड को देखकर डर गई। वो हैरान भी थी क्योंकि उसने पहली बार अपने डैड को इतने गुस्से में देखा था और पहली बार उसके डैड ने उस पे हाथ उठाया था।

    तीना के डैड दुबारा चिल्लाते हुए सान्वी से माफ़ी सॉरी बोले। तीना डर की वजह से जल्दी से बोली: सॉरी, प्लीज़! मुझे माफ़ कर दो।

    सान्वी बिना उन्हें देखे वहाँ से चली जाती है। रुस्तम भी उसके पीछे चला जाता है, पर वो खुराना से ये बोल के जाता है कि उसका बेटा पूरे कॉलेज के सामने सान्वी से सॉरी बोले। मिस्टर खुराना भी हाँ कर देते हैं। तीना के डैड बिना तीना को देखे वहाँ से जाते हुए उसकी दोस्तों से ये बोल के गए कि वो उसका ध्यान रखे।

    तीना और उसकी दोस्त तो हैरान थीं। ऐसा सान्वी ने कर क्या दिया जो तीना और तरुण के डैड का सडनली बिहेवियर चेंज हो गया? प्रांजल तीना को गर्ल्स हॉस्टल की तरफ़ ले जाती है।

    इधर सान्वी कॉलेज के टेरेस पे खड़ी सिगरेट के कस भर रही थी। रुस्तम उसकी साइड खड़ा था।

    सान्वी सामने देखते हुए बिना किसी एक्सप्रेशन के बोली: तुम जा सकते हो।

    रुस्तम सर झुका के बोला: ओके मैम। इतना कह कर वो वहाँ से चला जाता है।

    सान्वी अभी भी सामने देख रही थी कि उसे पीछे से आवाज़ आई: क्या बात है, मिस सान्वी?

    सान्वी पीछे की तरफ़ पलट के देखती है। उसके सामने मिहिर अपनी पैंट की पॉकेट में हाथ डाले उसे ही टेढ़ी स्माइल करते हुए देख रहा था। सान्वी उसे एक नज़र देखकर वापस सामने देखने लगती है। मिहिर उसके साइड में आकर खड़ा हो जाता है। वो भी अब सामने देखने लगता है।

    कुछ देर की चुप्पी के बाद मिहिर सान्वी के हाथ से सिगरेट लेता है। खुद उस सिगरेट के कस भरते हुए बोला: लड़कियाँ धूम्रपान करती अच्छी नहीं लगती हैं।

    सान्वी उसे एक नज़र देखकर वहाँ से जाने लगती है। उसे जाता देख मिहिर उसका हाथ पकड़ लेता है, लेकिन तभी छोड़ देता है क्योंकि उसकी बॉडी में मानो करंट ही दौड़ गया हो सान्वी को टच करने से। ये ही हाल सान्वी का भी था।

    पर सान्वी को गुस्सा भी आया। उसकी हिम्मत कैसे हुई उसका हाथ पकड़ने की? वो मिहिर को घूरती हुई बोली: दुबारा मेरा हाथ पकड़ा तो ये हाथ तुम्हारे शरीर पे नहीं होगा।

    मिहिर उसकी धमकी सुनकर अजीब तरीके से मुस्कुराते हुए बोला: आर्य, तुम तो बुरा मान गई, पर तुम्हारा हाथ पकड़कर मैं खुद के ही हाथ गंदे किए हैं। मिहिर सिंघानिया कोई चलता-फिरता नॉर्मल इंसान नहीं है जो तुम जैसी लड़की का हाथ पकड़ूँगा।

    सान्वी उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली: मेरे सामने तुम चलता-फिरता नॉर्मल इंसान से भी ज़्यादा गये-गुज़रे हो, जिस शायद पड़ी लकड़ी लेने का ज़्यादा शौक चढ़ा है। अपनी जुबान और हाथ दोनों ही कंट्रोल में रखो। इतना कहकर वहाँ से बिना मिहिर की बात सुने चली गई।

    मिहिर गुस्से से अपने हाथों की मुट्ठियाँ कसते हुए जाती सान्वी को घूरने लगा। तभी विहान, जो काफ़ी देर से वहाँ था, उन दोनों की बातें सुन रहा था। वो यहाँ आया ही सान्वी से बात करने था पर उसे पहले मिहिर सान्वी से बात करने लगा, जिससे विहान का खून खौल गया। पर सान्वी का जवाब सुनकर उसे राहत मिली। वो मिहिर के पास आकर बोला: उसे दूर रहो! तुम और तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई उसे इतनी बदतमीज़ी से बात करने की? आइंदा से उसके आस-पास भी दिखे तो जान ले लूँगा।

    मिहिर जो सान्वी की बातों से वैसे ही गुस्से में था, विहान की बात सुनकर उसका दिमाग घूम गया। वो एक पंच उसके मुँह पे मार देता है। विहान दो क़दम पीछे हट जाता है।

    मिहिर उसकी कॉलर पकड़ते हुए दाँत पीसते हुए बोला: अपनी लिमिट में रहो! तुम क्या? किसी का बाप भी मुझे उसके करीब जाने से नहीं रोक सकता। इतना कहकर वो विहान को धक्का देकर वहाँ से चला जाता है।

    विहान गुस्से से खड़ा उसे जाता देख रहा था। मिहिर ने ये सब इतना जल्दी किया उसे सोचने-समझने का मौक़ा ही नहीं मिला। पर अब उसने मिहिर को सब सिखाने और सान्वी से दूर रखने के लिए प्लानिंग बनाने लगा। वो भी गुस्से से वहाँ से चला गया।

    रात का समय।

    मिहिर अपने रूम में बैठा किसी गहरी सोच में था। तभी उसका फ़ोन रिंग होता है। वो पिक करके जैसे ही दूसरी साइड की आवाज़ सुनता है वो खड़ा हो जाता है।

    मिहिर ठंडी आवाज़ में बोला: आ रहा हूँ।

    कैरव जो उसके साइड में ही बेड पे लेटा था, मिहिर के साथ वो भी खड़ा होता हुआ बोला: क्या हुआ भाई? कहाँ जा रहा है?

    मिहिर बोला: कुछ है, जा रहा हूँ।

    कैरव बोला: ठीक है, चल मैं भी चलता हूँ। मिहिर कुछ नहीं बोलता, वो बाहर चला जाता है। उसके पीछे कैरव भी चला जाता है।

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  • 9. Whisper on campus - Chapter 9

    Words: 1980

    Estimated Reading Time: 12 min

    अब आगे...

    सुबह का समय, 6:00 बजे।

    मिहिर और कैरव हॉस्टल के गेट से कुछ दूरी पर चलते हुए आ रहे थे। वो दोनों कुछ बात करते हुए आ रहे थे। दोनों के चेहरों पर सीरियसनेस थी। तभी कैरव की नज़र सान्वी पर पड़ी। उसके चलते कदम रुक गए। उसे रुकते देख मिहिर भी रुक गया। मिहिर ने उसकी नज़रों को फ़ॉलो किया तो उसने भी सान्वी को देखा।

    सान्वी ट्रैकसूट पहने हुई थी। इस समय वो पंजों के बल बैठी एक छोटे से पप्पी के साथ खेल रही थी। फिर उसने उस पप्पी को गोद में उठा लिया। वहाँ कुछ दूरी पर एक शॉप थी। सान्वी उस शॉप पर जाकर दूध का पैकेट खरीदती है और उनसे एक बाउल भी मांगती है। फिर वहीं एक ब्रांच पर बैठकर उस पप्पी को दूध पिलाने लगती है। पप्पी काफ़ी क्यूट था। वो ब्राउन कलर का पप्पी था। सान्वी उसकी पीठ को प्यार से सहला रही थी। उसके चेहरे पर बहुत हल्की स्माइल थी।

    मिहिर के चेहरे पर भी हल्की स्माइल थी। कैरव सान्वी को प्यार से देखते हुए बोला: वाह यार! इसकी स्माइल कितनी प्यारी है!

    मिहिर उसकी बात सुनकर सेंस में आता है। एक बार को वो भी सान्वी को देखने में मगन हो गया था। वो अपना सर झटकते हुए बोला: अब चल, इसे ही देखता रहेगा? वैसे तू भूल गया पूरी क्लास के सामने तुझसे बदतमीज़ी की थी।

    कैरव उसको देख के बोला: यार, मैं तो इसकी बदतमीज़ी भी सह लूँगा! इतना कह कर वो हँसने लगा।

    मिहिर कोल्ड वॉइस में बोला: पर मैं नहीं। तेरे साथ बदतमीज़ी से बात करने की इसे सज़ा मिलेगी।

    कैरव हैरानी से बोला: अबे, पागल है क्या? कुछ मत करियो। ब्यूटीफुल के साथ। वैसे भी उसने गलत नहीं कहा था।

    मिहिर उसे गुस्से से घूरता है। कैरव गहरी साँस लेकर बोला: बाद में बात करते हैं इस बारे में। अभी चल। इतना कह कर वो मिहिर का हाथ पकड़ते हुए ले जाता है।

    इधर सान्वी उस पप्पी को दूध पिलाने के बाद जैसे ही उठने को होती है, अवनी उसके सामने आकर चेहेकते हुए बोली: गुड मॉर्निंग, सान्वी! तुम्हें एनिमल्स पसंद हैं? मुझे भी बहुत पसंद हैं। यू नो...

    सान्वी उसकी बात बीच में काटते हुए बोली: एक्सक्यूज़ मी, प्लीज़! इतना कह कर वो वहाँ से चली जाती है।

    अवनी गुस्से से अपनी मुट्ठियाँ बना के दाँत पीसते हुए बोली: मैं भी देखती हूँ कितना दूर भागती हो। दोस्ती तो तुम्हें मुझसे करनी पड़ेगी। और एक बार दोस्ती हो जाए... अवनी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी। वो भी वहाँ से चली जाती है।

    कुछ देर बाद...

    आस्था अपनी दोस्तों के साथ मेस में बैठी ब्रेकफ़ास्ट कर रही थी। वो लोग कल के किए गए सान्वी कांड के बारे में बात कर रहे थे।

    सान्या बोली: यार, फ़ेस से तो बहुत इनोसेंट है। इसने तरुण की दो उंगलियाँ तोड़ दी और तीना की नाक...

    अदिति चेहेकते हुए बोली: मुझे तो सबसे ज़्यादा खुशी उस तीना की नाक टूटने की है। बड़ा हवा में उड़ती थी।

    आस्था उसकी बात सुनकर बोली: ये तो सही कहा तुमने।

    सान्या कुछ सोचते हुए बोली: पर यार, अदिति! सान्वी ने इतना बड़ा कांड कर दिया और उसे कोई पनिशमेंट भी नहीं दी गई।

    अदिति बोली: हाँ यार, तो सोचने वाली बात है।

    कल के हुए कांड के बारे में पूरे कॉलेज में आग की तरह बात फैल गई थी। सब हैरान थे क्योंकि तरुण और तीना कोई मिडिल क्लास फ़ैमिली से बिलॉन्ग नहीं करते थे और सान्वी ने उनका ही मुँह तोड़ दिया। सब काफ़ी इम्प्रेस थे सान्वी के भड़कू से और कुछ बच्चों का कहना ये था उसने ये सब अटेंशन के लिए किया है। पूरे कॉलेज में इस बात पर चर्चा हो रही थी।

    सान्वी जब अपनी क्लास में आई पूरी क्लास उसे देखने लगी। सान्वी सबको इग्नोर करते हुए अपनी सीट पर जा के बैठ गई। तभी आस्था और उसकी दोस्त भी आ जाती हैं। वो भी अपनी सीट पर बैठ जाती हैं। आस्था आज भी सान्वी के पास बैठी थी जो अपनी बुक में घुसी हुई थी। आस्था के मन में बहुत सवाल थे। उसे सान्वी अजीब लगती थी। कोई उसे बात भी करना चाहता तो सान्वी उसे रूडली बात करके भगा देती या जवाब ही नहीं देती।

    तभी सान्वी के सामने विहान आकर खड़ा हो जाता है। वो काफ़ी सॉफ्ट वॉइस में बोला: हे सान्वी।

    सान्वी अपनी नज़र बुक में गड़ाए बोली: हम्म।

    विहान को गुस्सा तो आता है पर गहरी साँस लेकर बोला: बात कर सकता हूँ कुछ?

    सान्वी बिना देखे बोली: करो।

    विहान बोला: यहाँ नहीं, कहीं और।

    सान्वी अब उसकी तरफ़ नज़र उठाकर देखती है। विहान दिखने में रेयांश, मिहिर, कैरव की टक्कर का था। 6.1 हाइट, गोरा रंग, कॉलेज यूनिफ़ॉर्म में वो काफ़ी हैंडसम लग रहा था।

    सान्वी एक आइब्रो उठाते हुए बोली: ऐसी भी क्या बात है जो यहाँ नहीं कर सकते?

    विहान हल्की स्माइल के साथ बोला: वो मैं बस ऐसे ही नॉर्मली बात करना चाहता था, इफ़ यू डोंट माइंड।0

    सान्वी उसे नज़र हटा के बोली: मैं माइंड कर जाऊँगी।

    विहान का चेहरा उतर गया पर फिर भी बोला: मुझे बस माइंड शार्पनर बुक से रिलेटेड क्वेश्चंस पूछने थे।

    सान्वी उसे देख के बोली: मैंने एक बार क्लास अटेंड की है। मुझसे क्या क्वेश्चंस पूछोगे? और प्रोफ़ेसर ने कॉलेज छोड़ दिया है जो तुम उनसे पूछने की बजाय मुझसे पूछ रहे हो।

    विहान की अब बोलती बंद हो गई। ये पहली बार था जब उसे किसी लड़की से बात करने में इतनी नर्वसनेस हो रही थी। वैसे तो खुद जल्दी से किसी लड़की से बात नहीं करता था क्योंकि लड़कियाँ खुद ही उसे आगे होकर अप्रोच करती थीं। वो बिना बोले अपनी सीट पर आकर बैठ जाता है। उसे काफ़ी गुस्सा आ रहा था सान्वी पे।

    विहान गुस्से से अपने मन में बोला: काफ़ी एटीट्यूड है तुममें! एक दिन मेरे लिए तड़पोगी, ये वादा है मेरा तुमसे!

    पूरी क्लास हैरान थी। विहान से तो कितनी लड़कियाँ फ़्रेंडशिप करना चाहती थीं पर ये लड़की कुछ ज़्यादा बड़बोली है। इस कॉलेज के सबसे ख़तरनाक 4 लड़कों में से दो की नज़र में वो बखूबी आ गई थी और सोफिया गुस्से में, पर वो सान्वी से कुछ कह नहीं सकती थी। उसे ये पता चल चुका था प्रिंसिपल ऑफ़िस में क्या हुआ था।

    कुछ देर बाद प्रोफ़ेसर आती है और लेक्चर देकर चली गई। ऐसे ही दो लेक्चर और हुए और टीचर अपना लेक्चर देकर चली गई। हालाँकि सभी टीचर्स को पता था कल क्या हुआ था पर किसी ने भी सान्वी से कुछ नहीं बोला। सान्वी पढ़ने में काफ़ी अच्छी थी।

    तभी एक प्रोफ़ेसर आई। वो सभी स्टूडेंट्स को देखकर बोली: सो स्टूडेंट्स, आज मैं आप सबको एक प्रोजेक्ट दूँगी। आप सभी को वो प्रोजेक्ट 10 दिन के अंदर सबमिट करना है। इस प्रोजेक्ट में तुम्हारा साथ सीनियर्स भी देंगे। जिसका सबसे अच्छा प्रोजेक्ट होगा उसे प्राइज़ और एग्जाम में उसी टॉपिक पे मार्क्स भी मिलेंगे।

    सान्वी मन में बोली: पढ़ाया है नहीं कुछ, अभी से काम बता दिया।

    प्रोफ़ेसर अपनी बात कंटिन्यू करते हुए बोली: दो-दो का ग्रुप होगा स्टूडेंट्स और उन दो बच्चों के साथ एक सीनियर। ओके, मैं प्रोजेक्ट के बारे में डीटेल्स क्लास ग्रुप में भेज दूँगी।

    प्रोजेक्ट के दो ग्लास बाउल की तरफ़ इशारा करते हुए बोली: इसमें पेपर चिट्स हैं। जिसका नाम इस चिट में होगा वो दोनों पेयर-अप कर लेंगे। चलो सभी एक-एक करके चिट्स लो।

    सभी स्टूडेंट्स एक-एक करके चिट्स ले लेते हैं। सभी चिट खोलकर अपना प्रोजेक्ट पार्टनर देखने लगते हैं। सान्वी का आस्था के साथ पेयर था और विहान का अपने ही ग्रुप के दोस्त नितिन के साथ था। सान्या का एक लड़के के साथ, अदिति का एक लड़की के साथ था। सभी का पेयर बन चुका था।

    तभी प्रोफ़ेसर बोली: चलो सबका पेयर बन गया है तो तुम सबको एक चिट्स और दे रही हूँ। उसमें तुम्हारे सीनियर्स के नाम होंगे।

    सान्वी को अब ये सब इरिटेटिंग लग रहा था। वो धीरे से बोली: क्या बकवास है? डायरेक्ट नाम नहीं ले सकती? चिट्स का गेम ही बना दिया। कितना इरिटेटिंग है!

    आस्था उसकी बात अच्छे से सुन सकती थी। वो मुस्कुरा के बोली: इसमें गलत ही क्या है?

    सान्वी उसे एक नज़र देखकर फिर अपनी नज़र प्रोफ़ेसर पे कर लेती है। प्रोफ़ेसर उन सबकी चिट देकर जा चुकी थी। सान्वी और आस्था के साथ कैरव उनके इस प्रोजेक्ट में हेल्प करने वाला था। सोफिया के साथ रेयांश और सान्या के साथ मिहिर, विहान के साथ रेयांश का दोस्त विराज था। अदिति के साथ रेयांश का ही दोस्त ऋषि था।

    सान्वी उठकर माइंड शार्पनर क्लास अटेंड करने के लिए चली जाती है। तभी उसके पीछे आस्था भी आते हुए उसके साइड में चलते हुए बोली: फ़्रेंड्स?

    सान्वी उसकी तरफ़ देखती है जो हाथ बढ़ा के उसे दोस्ती करना चाहती थी। सान्वी चलते हुए बोली: नो।

    आस्था का चेहरा मायूस हो गया। उसे बुरा भी लगा और गुस्सा भी आया। वो थोड़ा नाराज़गी से बोली: आर्य यार! हम कल से प्रोजेक्ट पे एक साथ काम करने वाले हैं। थोड़ी-बहुत तो बातचीत होनी चाहिए।

    सान्वी क्लास के अंदर एंटर होते हुए बोली: होगी बातचीत, पर सिर्फ़ प्रोजेक्ट के सिलसिले में। ज़्यादा जान-पहचान बढ़ाने की ज़रूरत नहीं है। 10 दिन बाद वैसे भी प्रोजेक्ट ख़त्म हो जाएगा और मैं कोशिश करूँगी 10 दिन की जगह 5 दिन में ये प्रोजेक्ट निपटा दूँ।

    आस्था हैरानी से बोली: क्या? 5 दिन में प्रोजेक्ट ख़त्म कर दोगी तुम? वो इतनी तेज़ बोली थी सभी स्टूडेंट्स उसे देखने लगे।

    आस्था को जब रियलाइज़ हुआ उसने ज़्यादा तेज़ बोल दिया। वो जल्दी से सान्वी की साइड में आकर बैठ गई थी। उसे थोड़ी शर्म आ रही थी।

    तभी रेयांश का दोस्त ऋषि आस्था के पास आकर बोला: जूनियर, चलो सीनियर का बुलावा है।

    आस्था नज़र उठा के उसे देखती है। ऋषि रेयांश की तरफ़ देखने का इशारा करता है। आस्था रेयांश की तरफ़ देखती है जो दो इंडेक्स फ़िंगर से अपने पास बुलाने का इशारा कर रहा था।

    आस्था एक नज़र सान्वी को देखती है जो फ़ोन स्क्रॉल कर रही थी। फिर गहरी साँस लेकर रेयांश के पास चली जाती है। सभी उसे ही देख रहे थे सिवाय मिहिर और सान्वी के। मिहिर तो सान्वी को देख रहा था।

    आस्था रेयांश के सामने जा के खड़ी हो जाती है। रेयांश उसे देखते हुए बोला: जूनियर, मुझे प्यास लगी है। जाओ पानी लेकर आओ।

    आस्था को गुस्सा तो बहुत आता है पर फिर अपने बैग से पानी की बोतल निकालकर रेयांश को दे देती है। रेयांश उसकी बोतल को ज़मीन पे फेंकते हुए चिल्लाकर बोला: तुम्हारी इस गंदी सी बोतल में पानी पीऊँगा?

    आस्था का सब्र अब जवाब दे चुका था। वो भी गुस्से से चिल्लाते हुए बोली: हाँ तो खुद जा के ले आओ ना! बैठे-बैठे ऑर्डर क्या चला रहे हो? भगवान ने हाथ पैर दिए हैं ना? अगर काम नहीं कर सकते तो घर में बैठे रहो, आने की ज़रूरत नहीं है। ऐसे बार-बार परेशान मत करो।

    रेयांश गुस्से से उसकी गर्दन पकड़ लेता है। आस्था जो गुस्से से चिल्ला रही थी एकदम से चुप हो जाती है। सान्वी एक नज़र उसे देखती है फिर अपने फ़ोन में घुस जाती है जैसे उसे कोई मतलब ही ना हो।

    रेयांश गुस्से से बोला: तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझपे चिल्लाने की? मैं तरुण नहीं हूँ जो किसी से भी सुनकर या पीटकर बैठ जाऊँ। रेयांश राणा नाम है मेरा, समझी? औकात में रहो अपनी!

    आस्था उसके सीने पे हाथ रखकर ज़ोर से पूरा जोर लगाकर धक्का देते हुए उसे उंगली पॉइंट करते हुए बोली: हाँ तो मैं भी सान्वी नहीं हूँ जो पहले बेतुकी बातें सुनूँगी फिर एक्शन लूँगी। मुँह और हाथ तोड़ने का मैं भी दम रखती हूँ!

    रेयांश हँसते हुए बोला: ओह, रियली?

    इतना कहकर रेयांश आस्था का हाथ कस के पकड़ते हुए दाँत पीसते हुए बोला: मारोगी मुझे? तोड़ोगी मुँह मेरा? अगर हाथ भी लगाया ना तो इस कॉलेज से तो बाहर निकाल के फेंकूँगा। ऐसी हालत कर दूँगा इंडिया में छोटे कॉलेज में भी एडमिशन नहीं मिलेगा। इतना कहकर वो आस्था को धक्का दे देता है।

    आस्था गिरती है। उसे पहले ही कोई संभाल लेता है।

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  • 10. Whisper on campus - Chapter 10

    Words: 1731

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    आस्था गिरती है, उसे पहले ही किसी ने संभाल लिया। आस्था गर्दन टेढ़ी करके देखती है तो वो कैरव था जो उसे संभाले खड़ा था।

    कैरव उसे ठीक से खड़ा करते हुए बोला: तुम ठीक हो, जूनियर?

    आस्था हाँ में सर हिला देती है। रेयांश उन्हें देखकर बोला: ओहो! लगता है आजकल लड़कियों के बॉडीगार्ड बन गए हो।

    कैरव कुछ बोलता, उससे पहले मिहिर बोला: अपनी औकात में रहो और जुबान संभाल के बात करना, उससे।

    रेयांश मिहिर को देख के बोला: क्या तुम कैरव के माउथपीस हो जो उसकी जगह तुम बोल रहे हो?

    कैरव चिल्लाते हुए बोला: रेयांश, हद में रहकर बात करो! अपने घर में भी अपनी माँ-बहन को ऐसे ही धक्का देते हो क्या?

    कैरव कुछ बोलता इससे पहले रेयांश उसके मुँह पे पंच मार देता है और गुस्से से चिल्लाते हुए बोला: अपनी जुबान पे... वो इतना ही बोल पाया था कि उसके मुँह पे भी पंच किसी ने दे मारा।

    रेयांश का चेहरा एक साइड झुक गया था। वो सामने देखता है तो मिहिर उसे गुस्से से लाल आँखों से घूर रहा था। कैरव भी उसे गुस्से से घूर रहा था। वो आस्था को अपने पीछे कर लेता है। आस्था काफ़ी डर गई थी। उसे लगा ये सब उसकी वजह से हो रहा है।

    कैरव जैसे ही आगे जाने को होता है, आस्था उसका हाथ पकड़ लेती है। कैरव उसकी तरफ़ पलट के देखता है तो आस्था ना में सर हिला देती है। उसके चेहरे पर डर साफ़ नज़र आ रहा था।

    कैरव गुस्से से बोला: हाथ छोड़ो!

    आस्था घबराते हुए बोली: प्लीज़! मेरी वजह से लड़ाई मत करो।

    कैरव उसे अपना हाथ छोड़ते हुए सॉफ्ट वॉइस में बोला: जूनियर, ये तुम्हारी वजह से नहीं हो रही लड़ाई। सीट पे जाओ।

    अभी वो बोल ही रहा था कि तभी उसे रेयांश की आवाज़ आई। वो पलट कर देखता है तो मिहिर घूसों की बरसात रेयांश पे कर रहा था। वो आस्था को छोड़कर मिहिर के पास जाता है।

    रेयांश भी अब उसको धक्का देकर उसको पंच मारता है। ऐसे ही उन दोनों में लड़ाई होने लगती है। कैरव जो उन्हें अलग करने के लिए आगे बढ़ा था, उसके सामने ऋषि और विराज आ जाते हैं और वो दोनों कैरव के साथ लड़ने लग जाते हैं। कैरव उन दोनों को ही अच्छे से हैंडल कर रहा था।

    सान्वी भी अब उन्हें देखने लगी थी। विहान तो इस ड्रामे को काफ़ी एन्जॉय कर रहा था। तभी प्रोफ़ेसर आश्विन क्लास में आ जाते हैं।

    उन लड़कों को देखकर प्रोफ़ेसर आश्विन के चेहरे पर गुस्सा झलकने लगता है। वो एक नज़र आस्था और सान्वी को देखते हैं जिसके एक के चेहरे पे डर और घबराहट थी और दूसरी के तो चेहरे पे कोई इमोशन नहीं था।

    प्रोफ़ेसर आश्विन गहरी साँस लेकर, गहरी, मज़बूत, तेज़, सख़्त आवाज़ में बोले: बॉयज़!

    उनकी आवाज़ सुनकर सारे लड़के रुक जाते हैं और प्रोफ़ेसर आश्विन उन सबको गुस्से में घूरते हुए बोले: ये क्लासरूम है ना कि कोई अखाड़ा जो तुम दबंग पागलों की तरह लड़ रहे हो। अभी की अभी निकलो मेरी क्लास से!

    सभी बॉयज़ एक-दूसरे की तरफ़ देखते हैं। कोई भी सफ़ाई देने की कोशिश नहीं करता और ना ही प्रोफ़ेसर उनसे पूछता है क्योंकि आश्विन को बस पढ़ाने से मतलब था। जब तक कोई सीरियस मैटर नहीं होता वो कुछ नहीं बोलते थे और उन्हें ये भी पता था मिहिर, कैरव, रेयांश और विहान की आए दिन लड़ाइयाँ होती रहती हैं। एक तरफ़ से देखा जाए वो काफ़ी फ़्रैंक और कूल प्रोफ़ेसर थे और सब स्टूडेंट्स उनकी रिस्पेक्ट भी बहुत करते थे। उनका नेचर काफ़ी अच्छा था।

    सभी बॉयज़ जाने को होते हैं तभी क्लासरूम में प्रिंसिपल सर आ जाते हैं। उनके साथ अवनी भी आई थी। प्रोफ़ेसर आश्विन के साथ बाकी सब भी प्रिंसिपल को देख के थोड़े हैरान थे। सभी स्टूडेंट्स उन्हें ग्रीट करने के लिए खड़े भी हो गए थे।

    प्रोफ़ेसर आश्विन बोले: प्रिंसिपल सर, आप यहाँ?

    प्रिंसिपल बॉयज़ की हालत देखते हुए बोले: इन सबका फिर से झगड़ा हुआ है।

    आश्विन उन सबको देखते हैं। सबके चेहरे पे छोटे के निशान थे। उनके कपड़े अव्यवस्थित थे। प्रोफ़ेसर कुछ नहीं बोलते।

    प्रिंसिपल सर उन सबको एक नज़र देख के बोले: तुम सब मुझे मेरे ऑफ़िस में मिलना।

    फिर वो बोले: सान्वी, मुझे बात करनी है तुमसे।

    सान्वी जो फ़ोन स्क्रीन को देख रही थी, प्रिंसिपल की आवाज़ सुनकर ना समझी में उन्हें देख के बोली: यस सर।

    प्रिंसिपल अवनी को देखते हुए बोले: सान्वी, ये अवनी मेहरा है। मैं तुम्हारी सीनियर हूँ। अभी इनका सेकंड ईयर चल रहा है। अब से ये भी इसी क्लास में पढ़ेंगी आप सबके साथ। तो मैं ये चाहता हूँ कि तुम्हें कोई भी प्रॉब्लम स्टडी से रिलेटेड हो अवनी तुम्हारी हेल्प कर देगी। तुम उसकी हेल्प ले सकती हो। तुम यहाँ जानती भी नहीं हो किसी को तो अवनी तुम्हें सब समझा देगी।

    प्रिंसिपल ये सब बोलना चाहते नहीं थे पर अवनी उनकी पोती थी। वो उससे बहुत प्यार करते थे। अवनी ने ही प्रिंसिपल से कहकर ये सब बुलाया था।

    सान्वी उनकी बात सुनकर रिस्पेक्ट से बोली: थैंक्स सर, आपने मेरे बारे में इतना सोचा। पर मुझे यहाँ किसी को जानने में कोई इंटरेस्ट नहीं है और मुझसे यहाँ किसी को जानना या स्टडी में कोई हेल्प चाहिए होगी तो मेरी इस क्लास में काफ़ी सीनियर्स हैं। मैं उनसे हेल्प ले लूँगी और मुझे नहीं लगता मुझे ऐसे किसी सीनियर की ज़रूरत है।

    सभी सान्वी को देख रहे थे। ये सिचुएशन और कन्वर्सेशन काफ़ी वीर्ड थी। किसी को समझ नहीं आ रहा था वो कैसे अपने एक्सप्रेशन ज़ाहिर करें क्योंकि ये पहली बार था प्रिंसिपल सर ऐसे किसी स्टूडेंट के लिए इतना स्पेशल किसी स्टूडेंट के लिए एक सीनियर को साथ रहने के लिए बोले।

    अब सब सोच रहे थे सान्वी कोई वीआईपी स्टूडेंट है जो प्रिंसिपल इतना स्पेशल ट्रीट कर रहे थे उसे। सान्वी को भी अब ये बहुत अजीब लग रहा था।

    आश्विन सान्वी को समझ गए उसे क्या फील हो रहा है। वो प्रिंसिपल सर से बोले: सर, अगर उसे हेल्प की नीड होगी तो खुद मुझसे भी मांग सकती है और अवनी की तो अगर आपके लिए सान्वी काफ़ी स्पेशल है तो अवनी उसके साथ ही रहेगी।

    सान्वी प्रोफ़ेसर की बात सुनकर उन्हें देखने लगती है। आश्विन समझ जाते हैं उसे पसंद नहीं आया पर प्रिंसिपल सर खुद चलकर आए हैं ये बोलने तो उन्हें ऐसे मना करते हुए तो नहीं भेज सकते।

    आश्विन अवनी को देखते हुए बोले: अवनी, तुम जाओ सान्वी के साइड वाले बेंच पे बैठ जाओ।

    अवनी तो खुश थी प्रोफ़ेसर ने उसका काम जो बना दिया था। वो जल्दी से बेंच पे आकर बैठ जाती है।

    प्रिंसिपल भी वहाँ से चले जाते हैं। साथ ही मिहिर, कैरव, रेयांश और उसके दोस्त भी चले जाते हैं। आश्विन एक नज़र सान्वी को देखकर लेक्चर स्टार्ट कर देते हैं।

    शाम का समय।

    रेयांश अपने रूम में बैठा हुआ कुछ सोच रहा था। तभी उसके रूम में ऋषि और विराज आते हैं। रेयांश का रूम काफ़ी क्लासी था।

    विराज उसे एक फ़ाइल देते हुए बोला: भाई, आस्था के बारे में तो ये पता चला है वो कोलकाता की रहने वाली है। माँ-बाप नहीं हैं। चाचा-चाची के साथ रहती है। स्कॉलर स्टूडेंट है। मिडिल क्लास फ़ैमिली से बिलॉन्ग करती है।

    फिर ऋषि बोला: और भाई, सान्वी की कोई इन्फ़ॉर्मेशन नहीं मिलती। काफ़ी सीक्रेट रखी गई है उसकी इन्फ़ॉर्मेशन। कुछ हाथ नहीं लगा।

    रेयांश सान्वी, आस्था की फ़ोटो देखते हुए बोला: कुछ तो बात है इन दोनों लड़कियों में। वैसे मज़ा आएगा इनके साथ खेलने में! इतना कहकर वो ईविल स्माइल करने लगता है। उसके साथ उसके फ़्रेंड्स भी करने लगते हैं क्योंकि वो दोनों समझ गए थे वो कुछ खुराफ़ाती सोच रहा है।

    इधर मिहिर और विहान ने भी सान्वी के बारे में इन्फ़ॉर्मेशन निकलवानी चाही पर उनके हाथ भी निराशा ही लगी।

    सान्वी का रूम। वो अपने बेड पे लेटी हुई थी। तभी उसके रूम का दरवाज़ा नॉक हुआ। सान्वी दरवाज़े की तरफ़ देखती है फिर बेड से उठकर दरवाज़ा ओपन करती है। अपने सामने आस्था और उसकी दोस्तों को देखती है जो उसे ही देख रही थीं।

    सान्वी उन्हें देखते हुए बोली: व्हाट?

    आस्था हल्की स्माइल करते हुए बोली: प्रोजेक्ट के ऊपर कुछ डिस्कस करना था।

    सान्वी को याद आता है। वो सान्या और अदिति को देखते हुए बोली: हम दो ही हैं ना सिर्फ़ इस प्रोजेक्ट पे अपनी क्लास से?

    आस्था हाँ में सर हिलाते हुए बोली: हाँ।

    सान्वी उसकी दोस्तों को देखते हुए बोली: तो बारात क्यों लेकर आई हो साथ में?

    आस्था चुप हो जाती है। वो समझ गई थी कि सान्वी को उन दोनों का आना पसंद नहीं आया। वो अदिति, सान्या को जाने को बोल देती है। वो दोनों चली जाती हैं। सान्वी आस्था को रूम में आने को बोलती है। आस्था भी रूम में चली जाती है।

    इधर सान्या मुँह बना के बोली: कितनी घमंडी है ये! हम कौन सा खा जाएँगे इसे?

    अदिति बोली: छोड़ ना यार! किसी-किसी को नहीं होता लोगों से बात करना।

    इधर आस्था रूम को देखकर हैरान हो जाती है। वो हॉस्टल रूम तो कहीं से भी नहीं लग रहा था। वो इतना समझ गई थी सान्वी काफ़ी रिच है। वो पूरे रूम को अच्छे से देख रही थी। सान्वी अपने बेड पे दुबारा लेट जाती है।

    आस्था ऐसे ही बोली: यार, तुम्हारा रूम कितना प्यारा है! उसकी नज़र सामने पड़ती है। स्टडी टेबल के दोनों साइड, एक तरफ़ बुकशेल्फ़ थी जिसमें हर टाइप की बुक थी तो दूसरी तरफ़ एक टेबल पे कंप्यूटर रखा हुआ था और कुछ वीडियो गेम्स और गेमिंग टूल्स भी थे।

    सान्वी कुछ नहीं बोलती। वो यॉर्न करते हुए बोली: काम की बात करो।

    आस्था एक्साइटेड होते हुए, जिस टेबल पे कंप्यूटर रखा हुआ था, उसके पास जाते हुए बोली: वाह, सान्वी! तुम्हें भी गेम्स खेलना पसंद है? पता है मुझे भी बहुत पसंद है।

    आस्था एकदम बच्चों जैसे खुश हो रही थी। सान्वी उसे देखकर हल्की स्माइल करती है। फिर बेड से उठकर उसके पास जाते हुए बोली: तुम्हें खेलना है?

    आस्था खुश होते हुए बोली: सच्ची? तुम खेलने दोगी मुझसे?

    सान्वी कंप्यूटर स्टार्ट करते हुए बोली: हाँ।

    आस्था उसे साइड हग करते हुए बोली: यार, तुम तो सच में बहुत अच्छी हो!

    सान्वी उसके ऐसे हग करने से ना में सर हिला देती है। उसे दूर करते हुए बोली: मुझे थोड़ी देर रेस्ट करना है। जब मन भर जाए खेलकर बता देना।

    आस्था हाँ में सर हिलाकर अपनी वीडियो गेम खेलने लगती है। सान्वी बेड पे लेट जाती है और एक नज़र उसे देखकर आँखें बंद कर लेती है।

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  • 11. Whisper on campus - Chapter 11

    Words: 1856

    Estimated Reading Time: 12 min

    अब आगे...

    हॉस्टल/सान्वी का रूम।

    आस्था काफ़ी देर से वीडियो गेम खेल रही थी। जब वो थक जाती है तो वो टाइम देखती है जहाँ रात के 7:30 बज रहे थे।

    आस्था हैरान होते हुए खुद से बोली: हे भगवान! मैं इतनी देर तक कैसे खेल सकती हूँ?

    आस्था पलटकर सान्वी को देखती है जो सो रही थी। आस्था बेड के पास जाकर सान्वी को उठाने का सोचती है। वो बेड के पास आके जैसे ही सान्वी को उठाने वाली होती है वो गौर से उसका चेहरा देखती है।

    सान्वी सोते हुए बहुत खूबसूरत लग रही थी। वो काफ़ी गहरी नींद में थी। उसके दोनों हाथ उसके सर के आस-पास थे। वो एकदम सीधी लेटी हुई थी। उसके पैर भी फैले हुए थे। वो एकदम छोटे बच्चे की तरह सो रही थी। आस्था उसे इतने सुकून से सोता देख, सान्वी जागती नहीं है। वो अच्छे से ब्लैंकेट से उसे कवर करके उसकी साइड में ही लेट जाती है।

    आस्था उसे देखते हुए धीरे से बोली: स्लीपिंग ब्यूटी! मैं अगर लड़का होती तो शायद तुम्हारे प्यार में पड़ जाती। इतना कहकर वो स्माइल करने लगती है। सान्वी को देखते हुए उसकी भी कुछ देर में आँख लग जाती है।

    इधर एक खंडहर जैसी जगह पे मिहिर और कैरव थे। उनके सामने दो आदमी दर्द से चिल्लाते हुए रो रहे थे।

    मिहिर और कैरव के चेहरों पे कोई एक्सप्रेशन नहीं थे। तभी एक आदमी मिहिर के सामने आकर बोला: बॉस, मिस्टर अग्रवाल आपसे मिलना चाहते हैं।

    मिहिर पलट के वहाँ से जाते हुए बोला: कल की मीटिंग फ़िक्स करवा दो। और हाँ, टाइगर, मीटिंग जहाँ भी हो, सारी अरेंजमेंट्स तुम करोगे, समझे?

    टाइगर जल्दी से बोला: यस बॉस, बट इनका क्या करना? टाइगर उन दो आदमियों को देखते हुए बोला जो अधमरी हालत में पड़े हुए थे। उन्हें देखने से पता चल रहा था कि उन्हें किस हद तक टॉर्चर किया गया है।

    कैरव भी उसके पीछे चलने लगता है। तभी मिहिर कैरव की तरफ़ देखता है। कैरव उसे अपनी तरफ़ देखता पा के ईविल स्माइल करता है। फिर अपनी बैक से गन निकालकर उन दोनों आदमियों को शूट कर देता है।

    कैरव टाइगर को देखते हुए बोला: क्लीन दिस शिट! इतना कहकर वो कार की तरफ़ बढ़ जाता है जहाँ मिहिर पहले से ही बैठा हुआ था। कैरव कार में बैठ जाता है। मिहिर कार स्टार्ट करके वहाँ से चला जाता है।

    हॉस्टल/मेस।

    अवनी अपनी सीट पे बैठी थी। वो बार-बार मेस के दरवाज़े की तरफ़ देख रही थी। 9 बज रहे थे पर सान्वी अभी तक नहीं आई थी खाना खाने, जिससे वो थोड़ी परेशान थी।

    तभी राधिका उसे देखकर बोली: यार, ज़रूर वो बाहर गई होगी हॉस्टल से। क्या पता उसका मन ना हो आज मेस का खाना खाने का।

    अवनी उसे देखकर बोली: नहीं, वो कहीं नहीं गई। जब से वो अपने रूम में गई है वो निकली ही नहीं है।

    राधिका उसे ना समझी में देखते हुए बोली: तुम्हें कैसे पता वो रूम से बाहर नहीं निकली?

    अवनी बोली: क्योंकि एक लड़की से मैंने बोला था उसपे नज़र रखने के लिए। अगर वो रूम से बाहर भी निकलती वो लड़की मुझे कॉल करके बता देती थी।

    राधिका हैरानी से बोली: तुम पागल हो! ऐसा भी क्या है उस लड़की में जो तुम उसके पीछे इस क़दर पागल हो रही हो?

    अवनी उसकी बात सुनकर ठंडी आवाज़ में बोली: अपने काम से काम रखो, समझी? ज़्यादा दिमाग चलाने की ज़रूरत नहीं है तुम्हें। इतना कहकर अवनी उठकर मेस के किचन में चली जाती है। राधिका को अवनी के ऐसे बात करने से थोड़ा बुरा लगता है।

    हॉस्टल/सान्वी का रूम।

    सान्वी की नींद फ़ोन के बजने से खुलती है। वो हाथ बढ़ा के नाइटस्टैंड से फ़ोन उठाकर देखती है जिसपे कई सारी कॉल आई हुई थीं। फ़ोन काफ़ी देर से बज रहा था इसलिए जब तक सान्वी कॉल पिक करती कॉल कट चुकी थी।

    सान्वी अपना फ़ोन वापस नाइटस्टैंड पे रख देती है। तभी उसे अपने ऊपर कुछ फील होता है। वो अपनी नज़रें नीचे करके देखती है तो वो किसी का हाथ था। फिर सान्वी अपना सर घुमाकर साइड में देखती है जहाँ आस्था आराम से सो रही थी। उसका एक पैर और एक हाथ सान्वी के ऊपर था।

    सान्वी के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल जाते हैं। आस्था काफ़ी गहरी नींद में थी। शायद सान्वी धीरे से उसके हाथ पे अपने ऊपर से हटाती है। फिर बेड से खड़ी होकर आस्था को ब्लैंकेट से कवर करके वॉशरूम में चली जाती है।

    कुछ देर बाद वो मुँह-हाथ धो के बालकनी में खड़ी किसी से कॉल पे बात कर रही थी। उसके हाथ में एक सिगरेट थी। तभी उसके रूम का दरवाज़ा नॉक होता है।

    सान्वी ऑन कॉल बोलती है: टॉक यू लेटर! इतना कहकर वो फ़ोन कट कर देती है। वो बालकनी से रूम में आती है। सान्वी एक नज़र बेड पे सोती हुई आस्था को देखती है। फिर जाके रूम का दरवाज़ा ओपन करती है। दरवाज़ा ओपन करके वो देखती है अवनी सामने खड़ी थी। उसके हाथ में खाने की प्लेट थी जिसका मतलब था वो खाना लेकर आई थी उसके लिए।

    सान्वी शांत लहज़े में बोली: व्हाट?

    अवनी हल्की स्माइल करते हुए बोली: वो तुम आज आई नहीं मेस में खाना खाने तो मैंने सोचा मैं ही तुम्हारे लिए खाना लेकर चली जाऊँ।

    सान्वी उसकी बात सुनकर एक बार उसे और एक बार खाने की प्लेट को देखते हुए बोली: मैंने कहा था तुमसे खाना लाने के लिए?

    अवनी उसकी बात सुनकर थोड़ी झिझक जाती है। वो ना में सर हिलाते हुए बोली: नहीं, मैं तो ऐसे ही ले आई। मुझे लगा तुम्हें भूख लगी होगी।

    सान्वी बिना किसी इमोशन के बोली: अगर मैं खाना खाने नहीं आई हूँ इसका साफ़ मतलब है मुझे भूख नहीं है। और थैंक्स, तुमने इतना सोचा मेरे लिए, पर अब तुम जा सकती हो। इतना कहकर सान्वी ने बिना अवनी की कोई बात सुने दरवाज़ा बंद कर दिया।

    अवनी की आँखों में आँसू आ जाते हैं। वो प्लेट वहीं फेंककर भागती हुई अपने रूम में चली जाती है।

    सान्वी जैसे ही दरवाज़ा बंद करती है उसकी नज़र बेड पे चली जाती है जहाँ आस्था उसे ही देख रही थी। वो शायद अभी-अभी उठी थी।

    आस्था ने सान्वी की बात सुनी थी। वो उसे देखते हुए बोली: तुम्हें उसे ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी। उसे बुरा लगा होगा।

    सान्वी उसको देखते हुए बोली: तुम जा सकती हो यहाँ से अगर नींद पूरी हो गई हो तो। मुझे भाषण देने की ज़रूरत नहीं है। तुम्हें बुरा लग रहा है उसके लिए जाओ उसके पास। मुझसे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है। मैंने नहीं बोला था मेरे लिए वो ये सब करे।

    सान्वी के इतने बेरूख़ी तरीक़े से बात करने से आस्था को भी बुरा लगता है। सान्वी सच में उसे हार्टलेस लग रही थी। अलमारी से एक ब्लैक जैकेट निकालते हुए उसे पहन लेती है और अपना फ़ोन उठाकर आस्था की तरफ़ चलने का इशारा करती है और दरवाज़े की तरफ़ बढ़ जाती है।

    आस्था भी जल्दी से बेड से उठकर उसके पीछे चलने लगती है। दोनों रूम से बाहर आते हैं। सान्वी दरवाज़ा लॉक कर देती है।

    आस्था मुँह बना के उसे देखते हुए बोली: तुम उठा नहीं सकती थी मुझसे? मुझे अब भूख लगी है। अब मैं क्या कहूँ? अब तक तो मेस भी बंद हो गई होगी।

    सान्वी आँखें छोटी करके बोली: मैंने बोला था सोने के लिए? तुम प्रोजेक्ट के ऊपर बात करने आई थी। काम की बात तो की नहीं, उसके अलावा सब किया। अब ब्लेम मुझे दे रही हो?

    सान्वी इतना कहकर वहाँ से जाने लगती है। आस्था जल्दी से उसके पीछे जाते हुए बोली: रुको, मेरे लिए!

    सान्वी रुककर पलट के उसे देखते हुए बोली: क्यों?

    आस्था उसके आगे चलते हुए बोली: तुम्हारी गलती है सारी। अब तुम्हें भी भूख लगी है तो तुम मेरे साथ खाना खा लेना। हम चुपके से यहाँ से हॉस्टल के बाहर जाएँगे, ठीक है?

    सान्वी उसके पीछे चलते हुए बोली: मुझे भूख नहीं है।

    आस्था उसे पलटकर देखते हुए बोली: तो तुम जा कहाँ रही हो?

    सान्वी उसके बराबर में चलती हुई बोली: तुमसे मतलब? अपना रास्ता देखो।

    आस्था आँखें छोटी करके बोली: तुम्हें भूख नहीं पर मुझे है तो तुम भी मेरे साथ चलोगी।

    सान्वी उसकी तरफ़ देखकर एक आइब्रो उठाते हुए बोली: और तुम्हें क्यों लगता है मैं तुम्हारे साथ जाऊँगी?

    आस्था एटीट्यूड से बोली: क्योंकि मैं तुम्हें लेकर जाऊँगी।

    सान्वी अपने होंठों को टेढ़ा करते हुए बोली: वो कैसे?

    आस्था उसका हाथ पकड़ के बच्चों की तरह ज़िद करते हुए बहुत ही मासूमियत से बोली: प्लीज़, सान्वी! मुझे सच में बहुत तेज़ भूख लगी है। मेरे साथ चलो ना, प्लीज़! मुझे अकेले खाना पसंद नहीं। प्लीज़, चलो मेरे साथ। आस्था सान्वी की आर्म को कस के अपनी बाहों में भर लेती है।

    सान्वी उसकी इस हरकत पे ना में सर हिला देती है। आस्था सच में बहुत क्यूट थी। सान्वी उसे अपनी आर्म छोड़ते हुए बोली: ओके, फ़ाइन! अब ये एक्टिंग बंद करो।

    आस्था खुश होते हुए सान्वी को टाइटली साइड हग करते हुए बोली: तुम सच में बहुत अच्छी हो, सान्वी!

    सान्वी उसके ऐसे चिपकने से चिढ़ते हुए बोली: हाँ, हाँ, ठीक है। ऐसे चिपकना बंद करो, समझी? आस्था उसकी आर्म नहीं छोड़ती। सान्वी भी कुछ नहीं कहती और अपना फ़ोन पे कुछ करते हुए हॉस्टल से बाहर आ गई थीं। वो दोनों हॉस्टल के मेन दरवाज़े की तरफ़ पहुँच चुकी थीं। सान्वी सिक्योरिटी गार्ड से बात करती है और वो सिक्योरिटी गार्ड रिस्पेक्ट के साथ सान्वी के लिए दरवाज़ा ओपन कर देता है।

    आस्था हैरानी से उसे देख रही थी। उसने चुपके से चलने को बोला था सान्वी से पर सान्वी ने उसे चुप रहने के लिए बोला था और ये धमकी भी दी थी कि वो अगर ज़्यादा बोलेगी तो वो उसके साथ नहीं जाएगी। वो दोनों पार्किंग एरिया में आ जाती हैं।

    इधर अवनी जो रो रही थी वो माइंड फ़्रेश करने के लिए हॉस्टल के बाहर घूम रही थी। जब उसे थोड़ा ठीक लगा वो वापस अपने रूम की तरफ़ जाने लगी पर सान्वी और आस्था को देखकर उसका खून खौल गया। वो उन दोनों के पीछे करने लगती है और उनकी बातें सुन रही थी। आस्था को उसके ऐसे चिपकते देख अवनी की आँखों में खून उतर आया हो।

    वो भी चुपके से उनके पीछे पार्किंग तक आ गई थी। सान्वी अपनी कार के पास आके उसने अनलॉक करती है। फिर आस्था को बैठने का इशारा करती है। आस्था तो हैरान थी उसकी ब्लैक मस्टैंग काफ़ी ज़्यादा खूबसूरत थी।

    सान्वी तेज़ आवाज़ में बोली: बैठ रही हो या जाऊँ अकेली मैं?

    आस्था जल्दी से बोली: नहीं-नहीं, बैठ रही हूँ। इतना कहकर वो कार में बैठ जाती है।

    सान्वी जैसे ही ड्राइविंग सीट पे बैठने को हुई तभी अवनी उसके सामने आते हुए भरे गले से बोली: तुम इस लड़की के साथ तो इतने अच्छे बात कर रही हो और मैं जो तुमसे इतने दिनों से दोस्ती करना चाहती हूँ। मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आई, तुमने मेरी इन्सल्ट करके मेरे मुँह पे दरवाज़ा बंद कर दिया और इस लड़की की एनॉइंग हरकतें भी अच्छे से बर्दाश्त कर रही हो! अवनी बोलती-बोलती रोने लगी।

    सान्वी उसे रोता देख उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए। आस्था अवनी की बात सुनकर और उसका चेहरा देखकर उसे भी दुख हो रहा था।

    सान्वी गहरी साँस लेकर बोली: कार में बैठो।

  • 12. Whisper on campus - Chapter 12

    Words: 1884

    Estimated Reading Time: 12 min

    अब आगे...

    रात के 10 बजे।

    मिहिर की कार हॉस्टल के पार्किंग एरिया में एंटर होती है। पार्किंग एरिया में बहुत सारी एक्सपेंसिव कारें थीं जो रिच फ़ैमिली के स्टूडेंट्स की थीं। कैरव जो विंडो से बाहर देख रहा था, उसकी नज़र सान्वी और अवनी पर पड़ती है।

    कैरव उन्हें देखकर बोला: ये इतनी रात को लड़कियाँ जा कहाँ रही हैं? और ये बाहर कैसे आईं जबकि 6 बजे के बाद अलाउ नहीं है हॉस्टल से बाहर निकलना, ख़ासकर लड़कियों को।

    मिहिर जो अपनी कार पार्क रहा था, कैरव की बात सुनकर उसकी नज़र फ़ॉलो करता है तो सान्वी और अवनी को देखकर वो भी थोड़ा हैरान था पर कुछ कहता नहीं है।

    इधर अवनी सान्वी की बात से खुश हो जाती है। सान्वी ने उसे बैठने का इशारा किया है। अवनी खुश होकर कार का बैक डोर खोलकर कार में बैठ जाती है। सान्वी ऊपर देखकर गहरी साँस लेती है फिर हाँ में सर हिलाकर कार में बैठकर वहाँ से चली जाती है।

    कैरव उन्हें जाते देख बोला: ये जा कहाँ रही हैं? कार स्टार्ट कर, हम भी चलकर देखते हैं कहाँ जा रही हैं।

    मिहिर उसे अजीब एक्सप्रेशन के साथ देखते हुए बोला: पागल है क्या बोल रहा है तू? चाहता है मैं पीछा करूँ उनका?

    कैरव हाँ में सर हिलाते हुए बोला: हाँ, अब चल जल्दी।

    मिहिर उसके इतना बोलने पे कार स्टार्ट कर देता है और सान्वी की कार का पीछा करने लगता है। मिहिर चिढ़ते हुए बोला: आखिर क्यों तू पीछा कर रहा है उनका? मुझे वो लड़की पसंद नहीं है।

    कैरव उसकी तरफ़ देखकर मुस्कुरा के बोला: तुझे पसंद करने की ज़रूरत भी नहीं है। एक दिन तेरी भाभी वो ही बनेगी।

    मिहिर सार्कैस्टिकली बोला: क्या पता उसका BF हो, उसी से मिलने जा रही हो।

    कैरव सान्वी की कार को देखते हुए बोला: कोई नहीं, वो तो ब्रेकअप भी हो जाएगा जिसका।

    मिहिर हैरानी से देखते हुए बोला: क्या पागल है? ऐसा क्या है इस लड़की में? प्यार हो गया है तुझे इससे?

    कैरव स्माइल करते हुए बोला: प्यार नहीं, पर मुझे वो पसंद है। उसका शांत आउरा मुझे पसंद है। उसे किसी से मतलब नहीं है। मैंने सुना है कि वो अकेली ही रहती है हॉस्टल रूम में। कोई रूममेट्स नहीं हैं उसके और ना ही कोई फ़्रेंड्स हैं उसके अभी तक।

    मिहिर बोला: अगर उसके फ़्रेंड्स नहीं हैं तो अवनी क्या कर रही है उसके साथ? और शायद वो रो रही थी।

    कैरव भी सोचते हुए बोला: वो तो अवनी से ही पता चलेगा। कल पूछता हूँ उससे। पूरे कॉलेज में एक वो ही है जिससे हम बात करते हैं।

    मिहिर उसे देखकर बोला: क्योंकि वो और लड़कियों की तरह हमारे आगे-पीछे नहीं घूमती। कम से कम रखती है पर इतनी समझदार होकर वो सान्वी से दोस्ती क्यों कर रही है? मुझे वो लड़की बहुत घमंडी लगती है।

    कैरव हँसते हुए बोला: तुझे नाम भी याद है उसका? स्ट्रेंज!

    मिहिर बिना उसे देखे बोला: उसने नाम बताया था अपना आश्विन सर को। याद है? भूल गया।

    कैरव उसे देखकर बोला: याद है, बहुत अच्छे से! पर तू कब से लड़कियों के नाम याद रखने लगा?

    मिहिर उसकी बात बदलते हुए बोला: ये जा कहाँ रही है?

    कैरव समझ गया वो उसकी बात का जवाब नहीं देगा। वो उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला: जब कार रुकेगी तब पता चलेगा।

    इधर सान्वी की कार में इंग्लिश सॉन्ग चल रहे थे। सान्वी ने विंडो ओपन कर रखी थी जिससे सॉन्ग की आवाज़ बाहर भी जा रही थी। तीनों में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था। रात के टाइम रोड पे भी कम कारें थीं। बाहर मौसम भी काफ़ी अच्छा था। सान्वी एक रेस्टोरेंट के पास कार रोकती है और उसमें से बाहर निकलती है। उसके पीछे आस्था, अवनी भी निकलती हैं।

    सान्वी ने ब्लैक स्टेन शॉर्ट टॉप, डेनिम जीन्स, ब्लैक शूज़ और ब्लैक जैकेट पहन रखी थी। बालों को बन बना रखा था जो अब खुलने को तैयार था। आस्था ने टी-शर्ट, लोअर पहन रखे थे और अवनी ने नाइट सूट। दोनों के बाल खुले थे। उन्हें नहीं पता था वो सडनली ऐसे बाहर जाएंगी। सान्वी तो रात को किसी भी टाइम बाहर घूमने चली जाती थी। आज भी ऐसे ही होता पर आस्था और अवनी की वजह से वो जा नहीं पाई। वो तीनों रेस्टोरेंट के अंदर चली जाती हैं।

    मिहिर, कैरव भी कार से बाहर निकलकर उनके पीछे कुछ दूरी बनाए चलने लगते हैं। उन दोनों ने टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी। दोनों के ही बाल मेसी थे और काफ़ी कूल और हैंडसम लग रहे थे।

    कैरव चलते हुए बोला: यार, ब्यूटीफुल प्यारी लग रही है।

    मिहिर उसकी बात का रिप्लाई देते हुए बोला: खूबसूरत लड़कियाँ दिमाग से पैदल होती हैं।

    कैरव हँसते हुए बोला: फिर तो मेरे लिए प्लस पॉइंट है। आसानी से मेरे प्यार में गिरेगी।

    मिहिर ना में सर हिला देता है। वो दोनों रेस्टोरेंट में एक टेबल के पास जाकर बैठ जाते हैं। उनके आगे सान्वी, आस्था, अवनी बैठी थीं। सान्वी का चेहरा उन दोनों को दिख रहा था और आधा-आधा अवनी और आस्था का भी। वो लोग रेस्टोरेंट के गार्डन एरिया में थे जो काफ़ी खूबसूरत था। वहाँ स्लो सॉन्ग भी चल रहे थे। वहाँ लोग कम थे। कैरव, मिहिर को सान्वी, आस्था, अवनी की बात करने की आवाज़ अच्छे से सुनाई दे रही थी पर वो दोनों ऐसे बैठे थे उन तीनों लड़कियों की नज़र उनपे ना पड़े।

    सान्वी मेनू उनके सामने करते हुए बोली: जो खाना है ऑर्डर कर दो।

    वेटर वहाँ पहले से मौजूद था।

    आस्था मेनू देखती है तो डिशेज़ के प्राइस देखकर उसके चेहरे पे थोड़ी परेशानी आ जाती है। वो मिडिल क्लास फ़ैमिली से बिलॉन्ग करती थी। उसके यहाँ खाना अफ़ोर्डेबल नहीं था जिससे वो हेसिटेट हो रही थी खाना ऑर्डर करने में। अवनी बिना किसी हेसिटेशन के अपने लिए हेल्दी फ़ूड ऑर्डर कर देती है। वो काफ़ी हेल्थ कॉन्शियस थी। सान्वी को ये चीज़ अच्छी लगी थी अवनी की क्योंकि वो खुद ऐसी थी पर सान्वी ज़्यादा इन चीज़ों से परहेज़ नहीं करती थी। उसका जो दिल करता वो खाती थी।

    सान्वी आस्था की हेसिटेशन समझ जाती है। वो शांत लहज़े से बोली: जो ऑर्डर करना है बिना किसी हेसिटेशन के करो। बिल मैं पे करूँगी।

    आस्था उसकी बात सुनकर बोली: पर वो...

    सान्वी उसे बीच में टोकते हुए बोली: इसके बदले में तुम नेक्स्ट टाइम पे करोगी। आज मैं इसलिए पे कर रही हूँ मेरी वजह से तुम भूखी रही। ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं है।

    आस्था अब कुछ नहीं कहती। वो खुश थी सान्वी उसकी हेसिटेशन समझ गई थी। वो काफ़ी सारा खाना ऑर्डर कर देती है। फिर आस्था सान्वी की तरफ़ मेनू देते हुए बोली: तुम अब अपने लिए ऑर्डर कर दो।

    अवनी हैरानी से बोली: तुम इतना खाना अकेली खाओगी?

    आस्था हाँ में सर हिलाते हुए बोली: और नहीं तो क्या? मैंने सुबह भी ढंग से खाना नहीं खाया था और दोपहर में तो खाना ही नहीं खाया और अब मैं सान्वी की वजह से उसके रूम में सो गई थी। इसने मुझे उठाया भी नहीं। मेरी आँख 9:30 खुली। जब तक मेस भी बंद हो चुका था।

    अवनी आँखें छोटी करके बोली: मेस 10:30 तक खुला रहता है।

    आस्था बोली: पता है, पर हम जब गए बंद था। इसलिए मुझे सान्वी यहाँ ले आई। फिर तुम भी हमारे पीछे आ गई थीं। तुम रो क्यों रही थीं वैसे?

    अवनी उसकी बात का जवाब ना देते हुए बोली: तुम सान्वी के रूम में क्यों सो रही थीं? तुम्हारा रूम नहीं है क्या?

    आस्था बोली: है ना, पर आज हमें एक प्रोजेक्ट मिला है। उस प्रोजेक्ट पे मैं और सान्वी साथ में काम करने वाले हैं। प्रोजेक्ट के सिलसिले से बात करने गई थी मैं पर सान्वी का रूम इतना खूबसूरत है मैं क्या बताऊँ! फिर आस्था सान्वी के रूम की हर एक डीटेल्स बताने लगती है और ये भी बताया था वो कैसे वीडियो गेम खेलकर थक गई थी और सान्वी को देखते हुए उसके बेड पे सो गई।

    अवनी को बहुत गुस्सा आ रहा था पर सान्वी के सामने वो कुछ बोल नहीं रही थी। सान्वी जिसे कोई मतलब नहीं था वो अपने फ़ोन में घुसी हुई थी। मिहिर, कैरव उन तीनों की बात सुन रहे थे जिससे कैरव को तो इतना कोई ख़ास इंटरेस्ट नहीं था। वो सान्वी को देख रहा था। मिहिर की भी नज़र सान्वी पे थी पर आस्था की बात सुनकर उसे अब सान्वी के बारे में जानने की क्यूरियोसिटी हो रही थी।

    उन तीनों लड़कियों का खाना आ चुका था। वो खाना खाने लगती हैं। सान्वी ने अपने लिए एक कॉफ़ी और चॉकलेट लावा केक मँगवाया था। उसे मीठा खाना बहुत पसंद था। उसे भूख नहीं थी क्योंकि शाम को कॉलेज से आके उसने खाना खा लिया था।

    आस्था उसका केक देखकर बोली: सान्वी, ये टेस्टी लग रहा है। एक बाइट खिलाओगी?

    सान्वी उसकी बात सुनकर स्पून उसकी तरफ़ बढ़ा देती है। आस्था मुँह खोलकर केक खा लेती है। केक काफ़ी टेस्टी था। वो खुश होते हुए बोली: ये तो बहुत टेस्टी है!

    सान्वी कुछ नहीं कहती। वो उसी झूठे स्पून से खाने लगती है। अवनी हैरान थी। उसने आस्था का झूठा खा लिया। फिर कुछ सोचते हुए बोली: सान्वी, मुझे भी कॉफ़ी पसंद है, थोड़ी सी।

    सान्वी अपनी कॉफ़ी का कप उसे दे देती है। अवनी खुश होकर उसमें से एक सिप पी लेती है। जहाँ से सान्वी के होठ टच हुए थे वहीं से ही उसने पिया था। आस्था और सान्वी ने दोनों ने ही उसपे ध्यान नहीं दिया पर मिहिर को ये बहुत अजीब लगा अवनी का ऐसा करना।

    अवनी कॉफ़ी सान्वी को दे देती है। सान्वी चुप अपनी कॉफ़ी और केक खा रही थी। कैरव मुँह बना के बोला: दोनों ने अपने खाने से ज़्यादा ब्यूटीफुल के खाने के पीछे पड़ी हैं। आर्य! अच्छा लग रहा है तो ऑर्डर कर ले। मेरी ब्यूटीफुल भी कितनी इनोसेंट है। बिना किसी हेसिटेशन के उन्हें दे भी दिया और ये अवनी को क्या हुआ है? पागल सी!

    उन तीनों का खाना हो गया था। सान्वी ने आस्था और अवनी के लिए भी केक ऑर्डर कर दिया था। दोनों आराम से केक खा रही थीं। इधर मिहिर और कैरव भी अपने लिए कुछ ऑर्डर कर लेते हैं।

    सान्वी उन दोनों को देख रही थी। फिर वो अवनी को देखते हुए बोली: मैंने तुम्हारी इन्सल्ट कब की और तुम रो क्यों रही थी?

    अवनी और आस्था सान्वी को देखने लगते हैं। सान्वी की नज़र अवनी पे थी। अवनी उसकी बात सुनकर झिझक गई। वो धीरे से बोली: मैं तुम्हारे लिए खाना लाई थी और तुमने मना कर दिया। मुझे रोना आ गया।

    सान्वी अपनी चेयर पे लीन होते हुए अपने बालों में से क्लिप निकालकर टेबल पे रख देती है। उसके लंबे ब्राउन बाल राउंड-राउंड होते हुए खुलकर उसकी कमर पे बिखर जाते हैं।

    आस्था, अवनी, कैरव और मिहिर सान्वी को देखते ही रह जाते हैं। उसके बाल बहुत खूबसूरत थे और उनकी खुशबू तो किसी को भी अपनी तरफ़ अट्रैक्ट कर सकती थी। इस टाइम सान्वी काफ़ी खूबसूरत लग रही थी जब उसके बाल खुले थे। उस टाइम वो और भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।

    सान्वी जिसका ध्यान गया ही नहीं था वो अपने बालों का दुबारा बन बनाते हुए दुबारा अवनी से बोली: अच्छा तो तुम इसलिए रो रही थी और मैंने इन्सल्ट कब की थी?

    अवनी जो सान्वी की खूबसूरती में खो गई थी वो उसकी बात का जवाब ना देकर खोई हुई आवाज़ में बोली: बाल मत बांधो।

    सान्वी उसे अजीब नज़रों से देखने लगी।

  • 13. Whisper on campus - Chapter 13

    Words: 1713

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    सान्वी उसे अजीब नज़रों से देखने लगी। वो कुछ कहती, उसी वक़्त उसके फ़ोन पर कॉल आती है। सान्वी जो बन बना रही थी, अब उन बालों को खुला ही छोड़ देती है क्योंकि फ़ोन स्क्रीन पर 'शोहर' नाम देखकर सान्वी के चेहरे पर चमक आ गई थी, जिसे आस्था, अवनी, कैरव और मिहिर ने भी नोटिस किया था।

    सान्वी कॉल पिक करके जैसे ही कुछ बोलती, सामने से आवाज़ सुनकर कंफ़्यूज़ हो जाती है। कॉल कट चुका था। सान्वी स्क्रीन को देखने लगती है, तभी एक नोटिफ़िकेशन आता है। वो उस पर क्लिक कर देती है, पर जैसे ही वो नोटिफ़िकेशन ओपन होती है, उसके सामने दो कपल इंटीमेट हो रहे थे, जिसे देखकर सान्वी के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए। उसके चेहरे का रंग एकदम उड़ गया। अभी जो एकदम शांत चेहरा था, वो गुस्से से लाल होने लगा। उसके चेहरे पर मिक्स्ड एक्सप्रेशन आ गए थे: दर्द, गुस्सा, हँसी, रोना। पर वो रो नहीं सकती थी। वो फ़्रीज़ हो गई थी।

    आस्था उसके बिगड़ते एक्सप्रेशन देखकर उसके हाथ पर हाथ रखते हुए बोली: "क्या हुआ सान्वी? आर यू ओके?"

    सान्वी एकदम से अपने होश में आती है। वो अपना हाथ पीछे खींच लेती है जिस पर आस्था ने हाथ रखा था। सान्वी गहरी साँस लेकर बोली: "अगर हो गया हो तुम दोनों का खाना तो चलो अब।" इतना कहकर वो उठ जाती है। तभी उसके फ़ोन पर एक और नोटिफ़िकेशन आती है। सान्वी उस नोटिफ़िकेशन को देखकर अपने हाथों की गुस्से से मुट्ठियाँ कस लेती है।

    सान्वी तेज आवाज़ में बोली: "गार्ड!"

    तभी वहाँ एक ब्लैक यूनिफ़ॉर्म में एक 27 साल का लंबा-चौड़ा आदमी आ जाता है। वो सर झुकाकर बोला: "येस मैम।"

    सान्वी अपनी पॉकेट से एक ब्लैक कार्ड निकालकर उसे देते हुए बोली: "इन दोनों को हॉस्टल छोड़ दो।" इतना कहकर वो जाने लगती है।

    तभी वो गार्ड सान्वी को आवाज़ देते हुए बोला: "पर मैम..."

    सान्वी के क़दम रुक जाते हैं। वो पलटकर गुस्से से बोली: "जितना कहा है उतना करो! और ख़बरदार! तुमने रुस्तम या किसी और को कुछ भी बताया!" इतना कहकर वो तेज़ क़दमों से वहाँ से अपनी कार की तरफ़ चली जाती है।

    सडनली बदलते सान्वी के बिहेवियर से आस्था, अवनी हैरान हो जाती हैं। तभी वो गार्ड उन्हें देखकर बोला: "मैम, प्लीज़ आइए मेरे साथ।"

    आस्था बिना गार्ड की बात सुने सान्वी के पीछे चली जाती है। अवनी भी आस्था के साथ सान्वी के पीछे चली जाती है। गार्ड परेशान होते हुए उन दोनों के पीछे चला जाता है।

    कैरव खड़े होते हुए बोला: "यार, ब्यूटीफुल को क्या हुआ? हमें चलकर देखना चाहिए।" इतना कहकर वो भी उनकी तरफ़ चला जाता है।

    मिहिर बिना कुछ बोले कैरव के साथ चलने लगता है।

    इधर बाहर सान्वी अपनी कार के पास आ जाती है। वो जैसे ही कार का दरवाज़ा ओपन करती है, आस्था उसका हाथ पकड़ लेती है। वो सान्वी को देखते हुए बोली: "क्या हुआ सान्वी? सब ठीक है?"

    सान्वी गुस्से से आस्था को देखती है। आस्था सान्वी की आँखों को देखती है; वो लाल हो चुकी थीं। सान्वी गुस्से से उसका हाथ झटकते हुए बोली: "तुम्हें समझ नहीं आता! जब मैंने कहा है गार्ड के साथ चली जाओ, खाना खाना था ना तुम्हें? खा लिया! अब निकलो यहाँ से! मेरी जान छोड़ो!"

    आस्था फिर से सान्वी का हाथ पकड़ते हुए बोली: "देखो, शांत हो जाओ और ये बताओ कि इतना गुस्से में क्यों हो? और तुम लेकर आई हो हमें यहाँ तो हम साथ भी तुम्हारे जाएँगे।"

    अवनी और गार्ड वहाँ खड़े सान्वी को देख रहे थे। कैरव, मिहिर भी कुछ दूरी पर खड़े उन्हें ही देख रहे थे। अवनी भी आस्था का साथ देते हुए बोली: "सान्वी, आस्था ठीक कह रही है। तुम शांत हो जाओ। हम बैठकर बात करते हैं।"

    सान्वी गुस्से से बोली: "तुम दोनों होती कौन हो मुझसे बात करने वाली? इतनी देर से टॉलरेट कर रही हूँ इसका मतलब ये नहीं है कि तुम मेरी दोस्त बन गई हो! दोनों दूर रहो मुझसे, समझी? और अपने काम से काम रखो। कोई ज़रूरत नहीं मुझे तुम्हारी!"

    सान्वी फिर गार्ड की तरफ़ देखकर बोली: "बिल पे करके इन्हें हॉस्टल पहुँचा दो।" गार्ड हाँ में सर हिलाकर वहाँ से बिल पे करने चला जाता है।

    सान्वी कार में बैठने को होती है, फिर से आस्था उसकी कार का गेट बंद करते हुए गुस्से में बोली: "तुम लाई हो हमें यहाँ और अब किसी अनजान शख्स से कहकर हमें हॉस्टल भेज रही हो! हम उस पर कैसे ट्रस्ट कर लें? वो हमें हॉस्टल ही छोड़ेगा या नहीं?"

    सान्वी आँखें कसकर बंद कर लेती है, फिर खोलते हुए बोली: "मैं कोई जबरदस्ती नहीं की थी अपने साथ लेकर आने की! तुम दोनों खुद अपनी मर्ज़ी से आई हो। जाना है तो जाओ गार्ड के साथ, वरना भाड़ में जाओ! आई डोंट केयर!"

    तभी वहाँ 4-5 लड़कों का एक ग्रुप आ जाता है जो कभी से उन तीनों लड़कियों को देख रहा था। उनमें से एक लड़का छिछोरी हँसी हँसते हुए बोला: "अरे, हम छोड़ देते हैं आपको मोहतरमा! हमें बता दो कहाँ छोड़ना है।" इतना कहकर वो हँसने लगा। उसके साथ-साथ उसके दोस्त भी हँसने लगते हैं।

    आस्था, अवनी उन लड़कों को देखने लगती हैं। सान्वी जो कार में बैठने वाली थी, उस लड़के की बात सुनकर रुक जाती है और अपनी ठंडी नज़रों से देखने लगती है।

    सान्वी आस्था, अवनी से बोली: "कार में बैठो।"

    इधर कैरव उन लड़कों को देखकर गुस्से में आ जाता है। वो जैसे ही उनकी तरफ़ जाने को होता है, मिहिर उसका हाथ पकड़कर रोक लेता है।

    कैरव गुस्से से बोला: "क्या दिख नहीं रहा वो लड़के क्या बकवास कर रहे हैं?"

    मिहिर ठंडी आँखों से उन्हें देखते हुए बोला: "अभी नहीं, रुक जा।" इतना कहकर वो सान्वी को देखने लगता है जिसकी आँखें गुस्से से लाल थीं।

    तभी एक लड़का आगे आता है। वो कुछ कहता है, उसके पैर लड़खड़ा जाते हैं, जिससे उसका बैलेंस बिगड़ जाता है। वो आस्था के ऊपर गिर जाता है। आस्था अवनी के साइड खड़ी थी, वो अवनी के ऊपर गिर जाती है। ये देखकर सान्वी, मिहिर और कैरव का पारा हाई हो जाता है। मिहिर, कैरव उनकी तरफ़ जाने लगते हैं। वो एकदम से ही रुक जाते हैं।

    सान्वी उस लड़के की कॉलर पकड़कर उठाकर उसे दूर धक्का देती है। फिर आस्था और अवनी को देखती है। अवनी के घुटनों में चोट आ गई थी और आस्था के हाथ छिल गए थे। सान्वी उन दोनों को खड़ा करती है।

    आस्था गुस्से में बोली: "अबे ओ हरामखोर! दिखता नहीं है क्या? साले कमीने!"

    वो लड़का थोड़ा घबरा जाता है। वो जल्दी से बोला: "सॉरी, वो गलती से हो गया।"

    सान्वी गुस्से से बोली: "गलती से ग.....(गाली) फाड़ दूँ मैं तेरी!"

    मिहिर, कैरव, आस्था, अवनी हैरानी से सान्वी को देखने लगे। उनके लिए ये अनएक्सपेक्टेड था। वहाँ गार्ड भी आ चुका था। बिल पे करके उसने भी ये बात सुनी थी। उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

    उस लड़के का एक दोस्त गुस्से से बोला: "एक लड़की तमीज़ से बात कर, वरना मुँह तोड़ दूँगा तेरा!"

    वो इतना ही बोल पाया था, सान्वी खींचकर उसके मुँह पर मुक्का मार देती है। उस लड़के जो आस्था, अवनी पर गिरता था, वो अपने दोस्त को पिटता देख वो भी आगे आकर सान्वी पर जैसे ही हाथ उठाने को होता है...

    सान्वी उसका हाथ पकड़कर मरोड़ देती है और उसकी पीठ से लगाकर उसके पैरों के बीच में खींचकर लात मार देती है। उस लड़के की दर्द से चीख निकल जाती है।

    सान्वी उसका हाथ छोड़ देती है और वो लड़का अपने दोनों हाथ अपने पैरों के बीच रख लेता है और वहीं पड़ा दर्द से चिल्लाने लगता है।

    सान्वी गार्ड को देखते हुए बोली: "तुम्हें पता है ना क्या करना है इनका?"

    गार्ड जल्दी से बोला: "येस मैम।"

    सान्वी आस्था, अवनी को कार में बिठाती है और वहाँ से चली जाती है उन्हें लेकर। मिहिर, कैरव हैरान और इम्प्रेस थे सान्वी से। वो गार्ड को देखते हैं जो उन्हें मार रहे थे और उनमें से एक गार्ड ने पुलिस को कॉल कर दिया था। कैरव और मिहिर भी सान्वी की कार के पीछे चले जाते हैं।

    इधर सान्वी एक मेडिकल स्टोर के पास कार रोकती है और उस स्टोर से ऑइंटमेंट लेती है। वो वापस कार के पास आकर कार का दरवाज़ा खोलकर आस्था के छिले हुए हाथ पर वो ऑइंटमेंट लगाने लगती है। उसके बाद वो अवनी के घुटनों पर ऑइंटमेंट अप्लाई करती है।

    अवनी उसे प्यार से देख रही थी। सान्वी ऑइंटमेंट लगाकर उन दोनों को देखते हुए बोली: "दर्द हो रहा है?"

    आस्था, अवनी ना में सर हिला देती हैं। सान्वी वापस उन्हें ठीक से बैठने को बोलकर कार में बैठ जाती है। फिर हॉस्टल के लिए निकल जाती है।

    इधर कार में कैरव और मिहिर काफ़ी गौर से सान्वी को देख रहे थे। कैरव मुस्कुराकर बोला: "अभी कितने गुस्से में थी ब्यूटीफुल! उन दोनों पे कैसे भड़क रही थी! अब देखो कैसे उनकी केयर कर रही है!"

    मिहिर कुछ नहीं बोलता, वो बस सान्वी को देख रहा था। इधर सान्वी और मिहिर की कार हॉस्टल के पार्किंग एरिया में आकर रुकती है। सान्वी कार से बाहर आती है। आस्था और अवनी भी कार से बाहर आती हैं। सान्वी बिना उन्हें देखे वहाँ से जाने लगती है। आस्था और अवनी उसके पीछे थीं। सान्वी के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे। वो तीनों ही गर्ल्स हॉस्टल में आकर अपने रूम में चली जाती हैं।

    इधर कैरव, मिहिर भी अपने रूम में आ गए थे। वो दोनों एक ही रूम में रहते थे। कैरव बेड पर बैठा एकदम से हँसने लगता है।

    मिहिर उसे हँसते देख बोला: "पागल है? हँस क्यों रहा है?"

    कैरव अपनी हँसी कंट्रोल करते हुए बोला: "यार, ब्यूटीफुल ने क्या डायलॉग बोला था! 'गलती से ग.....(गाली) फाड़ दूँ तेरी!' ओ माय गॉड! पहली बार ऐसी लड़की देखी है मैंने!"

    मिहिर को भी वो सीन याद आता है और वो भी हँसने लगता है। दोनों का ही हँस-हँसकर बुरा हाल था।

    इधर गर्ल्स हॉस्टल में आस्था अपने रूम में जैसे ही आती है, अदिति और सान्या उस पर सवालों की बौछार कर देती हैं। आस्था उन्हें आराम से बैठने को बोलकर उन्हें सब बताने लगती है। सान्वी के रूम में जाने के बाद क्या-क्या हुआ।

    अदिति, सान्या हैरानी से उसकी बात सुन रही थीं। आस्था बोलना खत्म करती है तो सान्या हँसते हुए बोली: "यार, सान्वी ने क्या जवाब दिया था उस लड़के को!" अदिति भी हँसने लगती है।

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  • 14. Whisper on campus - Chapter 14

    Words: 1713

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    अगली सुबह 🌄

    क्लासरूम

    आस्था बैठी क्लास अटेंड कर रही थी, पर उसका ध्यान लेक्चर पर नहीं, सान्वी पर था। आज सान्वी क्लास में नहीं आई थी। उसने सान्वी से बात करना चाहा था; उसके रूम का दरवाज़ा कई बार नॉक किया, पर सान्वी ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया था। कुछ देर बाद प्रोफ़ेसर क्लास से जा चुके थे। आस्था अभी भी अपनी सीट पर बैठी सान्वी के बारे में सोच रही थी।

    तभी विहान उसके पास आते हुए बोला: "आज सान्वी क्यों नहीं आई?"

    आस्था, जिसका ध्यान कहीं और था, विहान की आवाज़ सुनकर होश में आती है और अपने सामने विहान को देखकर थोड़ी हैरान होती है। विहान उसे चुप देखकर दुबारा अपना सवाल रिपीट करता है।

    आस्था जल्दी से बोली: "मुझे नहीं पता। और ये सवाल तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो?"

    विहान अपने दोनों हाथ डेस्क पर रखे हुए, थोड़ा सा झुकते हुए बोला: "क्योंकि वो तुम्हारे साथ रहती है, तुम्हारे पास बैठती है। तुम उसकी दोस्त हो, राइट?"

    आस्था बोली: "मैं उसकी दोस्त नहीं हूँ। वो किसी से बात नहीं करती, भले ही मैं उसके साथ बैठती हूँ, पर हमारे बीच कोई बात नहीं होती।"

    विहान सीधा खड़े होते हुए बोला: "गुड! ये तो अच्छी बात है। उससे दूर रहो। मुझे पसंद नहीं है मेरी डॉल के आस-पास भी कोई भटके!" इतना कहकर वह वहाँ से चला जाता है।

    आस्था हैरानी से उसे जाते हुए देखने लगती है। फिर वहाँ सोफ़िया गुस्से में आ जाती है और उसने लगभग डेस्क पर हाथ पटकते हुए गुस्से से बोली: "क्या बात कर रही थी तुम मेरे विहान से?"

    आस्था, जो अभी हैरानी में थी सोफ़िया के इस तरह बोलने से, उसे अजीब एक्सप्रेशन के साथ देखते हुए बोली: "लुक! पहली बात ये, मैं उससे नहीं, वो मुझसे बात कर रहा था। और वो सान्वी के बारे में पूछ रहा था कि वो क्यों नहीं आई।"

    सोफ़िया गुस्से से बोली: "वो ये सब तुमसे क्यों पूछ रहा था? और सान्वी के बारे में क्यों पूछ रहा था?"

    आस्था का अब दिमाग घूम रहा था। वो गुस्से से बोली: "जाके अपने सो कॉल्ड विहान से पूछो! मेरा सर मत खाओ!" इतना कहकर वह उठकर क्लास से बाहर चली जाती है। सोफ़िया गुस्से से उसे देख रही थी।

    आस्था अभी जा ही रही थी कि उसकी नज़र कैरव पर जाती है, जो मिहिर के साथ खड़ा कुछ बात कर रहा था। आस्था को याद आता है कि जिस प्रोजेक्ट पर वो और सान्वी काम करने वाले हैं, उस प्रोजेक्ट में सीनियर जूनियर्स की हेल्प करेंगे और उनकी लिस्ट में कैरव का नाम था और आस्था को उसे थैंक्स भी बोलना था। कैरव ने उसे गिरने से बचाया था। उसने सोचा वो थैंक्स भी बोल देगी और प्रोजेक्ट से रिलेटेड बात भी कर लेगी, जो उसे और सान्वी को आज से ही स्टार्ट करना था। आस्था उसकी तरफ़ अपने क़दम बढ़ा देती है।

    आस्था कैरव और मिहिर के पास आकर धीरे से बोली: "हैलो सीनियर।"

    कैरव, मिहिर का ध्यान आस्था पर जाता है। कैरव पॉलाइटली बोला: "हे जूनियर।"

    आस्था उसका ये जेस्चर देखकर खुश थी। वो हल्की स्माइल करते हुए बोली: "सीनियर, आपको पता ही है कि आपको जूनियर के प्रोजेक्ट में हेल्प करवानी है। तो जिस जूनियर के प्रोजेक्ट पे आप हेल्प करवाने वाले हैं, वो मैं और सान्वी हैं, जो माइंड शार्पनर क्लास में अटेंड करती है। मेरे साथ आपने उसे देखा होगा।"

    कैरव को ये तो पता था उसे जूनियर्स की हेल्प करनी है किसी प्रोजेक्ट पे, पर ये नहीं पता था वो कौन जूनियर्स थे। पर अब आस्था की बात सुनकर तो वो हवा में उड़ने लगा था। सान्वी के नाम से तो जैसे उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। यही तो अच्छा मौका था सान्वी के करीब जाने का।

    आस्था उसके बोलने का वेट कर रही थी। मिहिर और कैरव उसे ही देख रहे थे, जिससे आस्था थोड़ी नर्वस हो रही थी। मिहिर उसकी नर्वसनेस को समझ जाता है। वो कैरव के कंधे पर मारता है। कैरव उसे देखता है तो मिहिर उसे बोलने का इशारा करता है।

    कैरव को अब ध्यान आता है कि वो इतना एक्साइटेड हो गया था कि वो कुछ बोल ही नहीं रहा। कैरव खुद को नॉर्मल करते हुए बोला: "हाँ, मुझे पता। तो बताओ कब से काम स्टार्ट करें प्रोजेक्ट पे? और वो तुम्हारी फ्रेंड है, कहाँ दिखाई नहीं दे रही?"

    आस्था उसकी बात का जवाब देते हुए मायूसी से बोली: "पता नहीं कहाँ है। आज सुबह से मैंने नहीं देखा उसे।"

    कैरव, मिहिर को थोड़ा अजीब लगा। कैरव सीरियस होते हुए बोला: "क्या मतलब नहीं देखा? तुम्हारे साथ ही रहती है, फ्रेंड है तुम्हारी, तुम्हें नहीं पता?"

    आस्था गहरी साँस लेकर बोली: "फ्रेंड नहीं है मेरी। बस उसके साथ सीट शेयर करना मतलब ये नहीं है वो मेरी फ्रेंड है। मैं तो क्या, उसने किसी को भी अपना फ्रेंड नहीं बनाया।"

    हालाँकि ये बात कैरव, मिहिर को पता थी, बस उसके सामने अनजान बन रहे थे। कैरव बोला: "आज नहीं आई है वो कॉलेज?"

    आस्था ना में सिर हिलाकर बोली: "नहीं। अभी वो बोल ही रही थी..." तभी अवनी उसके पास आती है।

    अवनी को देखकर कैरव जैसे ही उसे "हे" बोलने वाला होता है, अवनी गुस्से से आस्था को देखकर बोली: "सान्वी कहाँ है?"

    आस्था उसे गुस्से में देखकर हैरान हो जाती है। अवनी उसे कुछ ना बोलता देख थोड़ी तेज़ आवाज़ में फिर से बोली: "आर यू डेफ़? कैन्ट यू हियर? कुछ पूछा है मैंने, डैम इट! टेल मी, वेयर इज़ सान्वी?"

    उसके ऐसे चिल्लाने से आस-पास के आ-जा रहे स्टूडेंट्स उन्हें देखने लगते हैं। आस्था उसे ऐसे चिल्लाता देख थोड़ी घबरा जाती है क्योंकि अवनी बहुत गुस्से में थी। कैरव, मिहिर उसका ऐसा बिहेवियर देखकर हैरान थे। वो कभी भी ऐसे किसी से बात नहीं करती थी।

    अवनी कुछ बोलती, उससे पहले मिहिर सार्ड आवाज़ में बोला: "अवनी, बिहेव!"

    अवनी मिहिर की आवाज़ सुनकर थोड़ी शांत हो जाती है। तभी आस्था बोली: "मुझे नहीं पता वो कहाँ है। मेरी उससे कोई बात नहीं हुई।"

    अवनी उसका ये जवाब सुनकर गुस्से से बोली: "व्हाट रबिश! तुम 24 घंटे उसके साथ रहती हो! कल तो उसके रूम में भी वीडियो गेम खेली थी, सोई भी थी! और तुम्हें ये भी नहीं पता वो कहाँ है? झूठ बोलना बंद करो!"

    उसकी बात सुनकर अब आस्था को भी गुस्सा आ जाता है। वो गुस्से से बोली: "लुक! वो हर जगह मुझे बता के नहीं जाती, समझी? और मुझे समझ नहीं आ रहा सब आके मुझसे क्यों पूछ रहे हैं उसके बारे में। वो..."

    अवनी उसकी बात बीच में काटते हुए बोली: "क्योंकि तुम उसके साथ जबरदस्ती रहती हो! वो तुम्हें पसंद नहीं करती, समझी?"

    आस्था अजीब नज़रों से उसे देखते हुए बोली: "अगर वो मुझे पसंद नहीं करती ना, तो वो तुम्हें भी पसंद नहीं करती। और तुम क्यों ढूँढ़ रही हो उसे?"

    अवनी उसे उंगली पॉइंट करके बोली: "तुम्हें जानने की कोई ज़रूरत नहीं है! उससे दूर रहो, समझी!" इतना कहकर वो चली जाती है।

    आस्था झल्लाते हुए बोली: "अजीब लोग हैं ये! दूसरा इंसान है जिसने मुझे उससे दूर रहने के लिए बोला।"

    कैरव, मिहिर उसे ही देख रहे थे। तभी मिहिर बोला: "दूसरा मतलब, इसे पहले किसने बोला तुम्हें?"

    आस्था उसे देखकर बोली: "हमारी क्लास में विहान है। उसने वो भी मुझसे सान्वी के बारे में पूछ रहा था। मैंने उसे भी बताया तो मुझसे कहता है 'मेरी डॉल से दूर रहो! मुझे पसंद नहीं है कोई उसके आस-पास भी रहे।'"

    मिहिर के चेहरे पर अजीब एक्सप्रेशन आ जाते हैं। तो उसे अलग, कैरव के एक्सप्रेशन भी कुछ ख़ास नहीं थे। वो बोला: "व्हाट? डॉल?"

    आस्था हाँ में सिर हिलाकर बोली: "हाँ, डॉल। वो शायद सान्वी को डॉल बोलता है।"

    कैरव मुँह बना के बोला: "लगता है ब्यूटीफ़ुल के और भी बहुत दीवाने हैं।"

    आस्था उसकी बात सुनकर बोली: "मतलब?"

    कैरव उसे देखते हुए बोला: "कुछ नहीं। जब सान्वी से बात हो, मुझे बता देना प्रोजेक्ट कब स्टार्ट करना है।"

    आस्था हाँ में सिर हिलाकर वहाँ से अपना नेक्स्ट लेक्चर अटेंड करने चली जाती है। कैरव, मिहिर उसे जाते हुए देख रहे थे।

    कैरव कुछ सोचते हुए बोला: "ब्यूटीफ़ुल को क्या हुआ अचानक?"

    मिहिर आई रोल करते हुए बोला: "ओ कॉमन यार! हुआ होगा कुछ ऐसा भी क्या है उस लड़की में जो सब उसके बारे में बात कर रहे हैं?"

    कैरव उसे देखकर मुस्कुरा के बोला: "तू नहीं समझेगा।"

    मिहिर वहाँ से जाते हुए बोला: "मुझे समझना भी नहीं है।" कैरव भी उसके पीछे चला जाता है।

    इधर क्लास में जैसे ही आस्था आती है, उसकी नज़र सान्वी पर चली जाती है, जो आराम से बैठी अपने फ़ोन में कुछ देख रही थी। उसे देखकर वो थोड़ी राहत की साँस लेती है। पर जैसे-जैसे वो सान्वी के करीब आती है, उसे थोड़ा अजीब लग रहा था। सान्वी का चेहरा थोड़ा उतरा हुआ लग रहा था।

    वो सान्वी के साइड में आके बैठ जाती है और उसे देखते हुए बोली: "सान्वी।"

    सान्वी अपनी नज़र फ़ोन में क़ायम रखे बोली: "हम्म।"

    आस्था बोली: "आर यू ओके?"

    सान्वी फ़ोन ऑफ़ करके अपनी बुक निकालकर उसे देखते हुए बोली: "तुमसे मतलब? तुम्हें अपने आप से मतलब होना चाहिए।"

    आस्था उसके ऐसे रूखेपन से थोड़ी मायूस हो जाती है। वो अपनी बुक निकालकर पढ़ने लगती है। फिर कुछ देर रुक के बोली: "वो सान्वी, प्रोजेक्ट कब से स्टार्ट करना है? उसपे काम..."

    सान्वी उसकी बात सुनकर उसकी तरफ़ देखती है। आस्था भी उसकी तरफ़ देखती है, पर अगले ही पल हैरान हो जाती है क्योंकि सान्वी की आँखें लाल थीं और थोड़ी सूजी हुई भी। उसकी नाक भी लाल थी। उसका चेहरा मुरझाया हुआ था।

    सान्वी उसकी हैरानी से बड़ी आँखों को देखकर अपनी नज़र दुबारा बुक पर करते हुए बोली: "कॉलेज के बाद मेरे रूम में आ जाना। आज से प्रोजेक्ट पे काम करना है।"

    आस्था उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली: "सान्वी, तुम रो रही थी।"

    सान्वी गुस्से से उसका हाथ झटकते हुए बोली: "अपने काम से काम रखो! कितनी बार बोलना पड़ेगा? अगर प्रोजेक्ट पे काम करना है, करो। वरना रहने दो।"

    आस्था समझ जाती है उसे कोई बात नहीं करनी। वो बुक में देखते हुए बोली: "ओके, फ़ाइन। मैं कुछ नहीं बोल रही।"

    कुछ ही देर में प्रोफ़ेसर आ जाते हैं और वो अपना लेक्चर स्टार्ट कर देते हैं। सान्वी आई तो बहुत पहले ही गई थी कॉलेज, पर उसने दो क्लास अटेंड नहीं की थी क्योंकि उसका मन नहीं था। वो कॉलेज के टैरेस पे जा के बैठ गई थी।

    प्लीज़ लाइक एंड कमेंट्स 🙏💗

  • 15. Whisper on campus - Chapter 15

    Words: 1810

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    शाम का समय। कैरव, आस्था और सांवी एक कैफेटेरिया में बैठे अपने प्रोजेक्ट के बारे में डिस्कस कर रहे थे। वह कैफेटेरिया हॉस्टल से कुछ ही दूरी पर था, वहाँ पर ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स आते थे और इस समय हॉस्टल के भी कुछ बच्चे वहाँ थे जो उन तीनों को घूर-घूर के देख रहे थे।

    कैरव सांवी को देखकर बोला: वैसे सांवी तुमसे एक बात पूछूँ?

    सांवी, जो कोल्ड ड्रिंक पी रही थी, वह कैरव की तरफ़ देखकर लेफ्ट साइड आईब्रो उठाते हुए बोली: हम्म?

    आस्था भी कैरव को देख रही थी। कैरव अपना गाला साफ़ करते हुए बोला: "विल यू गो ऑन कॉफी डेट विद मी?"

    सांवी अपनी कोल्ड ड्रिंक का ग्लास टेबल पर रखते हुए बोली: नोप।

    आस्था हैरान थी। कैरव उसे डायरेक्टली कॉफी डेट के लिए पूछ रहा था, पर वो... और ज़्यादा हैरान सांवी के मना करने से थी। कोई कैरव जैसे लड़के को कैसे मना कर सकता है? कैरव दिखने में किसी मॉडल से कम नहीं था। उसे सांवी का ऐसा मना करना आस्था को कैरव के लिए बुरा लगा।

    कैरव ने ये एक्सपेक्ट नहीं किया था कि सांवी उसे ऐसे मना कर देगी। वो थोड़ा मायूस हुआ था, पर एक गहरी साँस लेकर पॉलिटली वे में बोला: ओके।

    सांवी उसकी शक्ल देखकर समझ गई थी कि कैरव को उसका मना करना पसंद नहीं आया। वो कैरव के हाथ पर हाथ रख के शांत लहज़े में बोली: मुझे कॉफी पसंद नहीं है और मैं चाहती हूँ कि हम जब भी मिलें सिर्फ़ प्रोजेक्ट पर बात करें। मैं कोई फ़ालतू की न तो फ़्रेंडशिप में इंटरेस्टेड हूँ और न ही किसी रिलेशनशिप में आने की। इसलिए मुझसे कुछ ऐसे एक्सपेक्ट मत करना। मैं ये नहीं सोचती कि सामने वाले को बुरा लगेगा। तुमसे बात होती रहेगी, इसलिए अभी प्यार से और शांति से सारी बात क्लियर कर रही हूँ। इतना कहकर सांवी उसके हाथ से अपना हाथ हटा लेती है और कोल्ड ड्रिंक पीने लगती है।

    कैरव की तो साँस ही रुक गई थी। जैसे सांवी ने उसके हाथ पर हाथ रखा, उसके दिल की धड़कनें बढ़ गई थीं, पर सांवी की बात सुनकर उसे समझ आ गया था कि सांवी को अभी किसी रिलेशनशिप में नहीं आना है, क्योंकि सांवी ने इनडायरेक्टली उसे ना कह दिया था और ये भी कि वो उससे टाइम वेस्ट ना करे।

    कैरव गहरी साँस लेकर बोला: तुम्हें कैसे पता मैं किस इंटेंशन से बात कर रहा हूँ तुमसे?

    सांवी उसे देखते हुए बोली: मैं लड़की हूँ और लड़कियों का सिक्स्थ सेंस कमाल का होता है। आई थिंक यू नो वेरी वेल, लड़कियाँ इंसान के एक्सप्रेशन, उनकी बातों से समझ जाती हैं कि सामने वाला क्या और क्यों बात कर रहा है।

    कैरव मुस्कान के साथ बोला: तुम्हारा सिक्स्थ सेंस कमाल का है, पर मैं ट्राई तो कर ही सकता हूँ।

    सांवी बोली: मत करो। जवाब एक ही होगा, नो।

    कैरव बोला: क्यों? ट्राई करने में क्या पता तुम्हें हो जाए मुझसे प्यार और...

    सांवी उसकी बात काटते हुए बोली: मैं प्यार की अहमियत समझती हूँ, पर फ़िलहाल मैं किसी रिश्ते में बंधना नहीं चाहती। मैं इस सब से दूर ही रहना चाहती हूँ। असल में मैं इसके काबिल हुई नहीं। देखो, मुझे इस प्यार के जाल में उलझाओ मत। ये मुझसे नहीं होगा। प्यार मेरे बस की बात नहीं है, ये मेरे लिए नहीं बना है। और हम जिस चीज़ के लिए यहाँ आए हैं, हमें उसपे फ़ोकस करना चाहिए। अभी प्यार से समझा रही हूँ, सीरियसली, दुबारा नहीं।

    इतना कहकर सांवी अपनी जगह से खड़े होते हुए आस्था से बोली: बाहर आ जाओ, मैं वेट कर रही हूँ। तुम्हारा प्रोजेक्ट का सामान भी लेकर आना। सांवी वेटर को आने का इशारा करती है और बिल पे करने के लिए कार्ड निकालती है।

    तभी कैरव उसका हाथ पकड़ते हुए बोला: तुम रहने दो, मैं पे कर रहा हूँ।

    सांवी अपने हाथ से उसका हाथ हटाते हुए हल्की स्माइल करके बोली: इसकी ज़रूरत नहीं है सीनियर। अभी 10 दिन हैं, रोज़ मिलेंगे तो खर्चा तुम्हारा वैसे भी होगा। फ़िलहाल मैंने निकाल लिए हैं कार्ड। इतना कहकर सांवी बिल पे करके वहाँ से बाहर चली जाती है।

    आस्था कैरव को देखती है जो सांवी को जाते हुए देख रहा था। आस्था धीरे से बोली: सीनियर, आप उसकी बातों का बुरा मत मानिएगा। वो दिल की बहुत अच्छी है, बस वो लोगों को शो करती है कि वो कितनी बुरी है।

    कैरव ठंडी साँस भरते हुए आस्था को देखते हुए स्माइल करके बोला: मैं ठीक हूँ। तुम्हें प्रेशान होने की ज़रूरत नहीं है और मैं काफ़ी इम्प्रेस हूँ सांवी से। बॉयफ्रेंड नहीं, फ्रेंड तो बनाएगी कम से कम। उसने मुझे कोई उम्मीद नहीं दी। उसने पहले ही क्लियर कर दिया है तो मैं उसके डिसीज़न की रेस्पेक्ट करता हूँ।

    आस्था कैरव की बात सुनकर काफ़ी इम्प्रेस थी। वो मुस्कुरा के बोली: सीनियर, आपसे जिस लड़की की भी शादी होगी वो बहुत लकी होगी। आप जैसा अंडरस्टैंडिंग और मैच्योर पर्सन हर लड़की का ड्रीम होता है। मुझे उस लड़की से जलौसी हो रही है।

    कैरव आस्था की बात सुनकर हासने लगता है। वो अपनी हँसी कंट्रोल करते हुए बोला: तो तुम बन जाओ वो लकी गर्ल।

    आस्था की आँखें बड़ी हो गई थीं। वो हड़बड़ा के बोली: मुझे चलना चाहिए अब। सांवी वेट कर रही होगी मेरा। इतना कहकर आस्था लगभग वहाँ से भागते हुए जाती है। कैरव की बात सुनकर उसके कान और गाल लाल हो गए थे।

    कैरव उसे ऐसे जाते देख हास देता है। फिर वो भी वहाँ से चला जाता है। उसे सांवी की बात का बुरा नहीं लगा था, बल्कि वो खुश था। सांवी का स्ट्रेट फ़ॉरवर्ड रहना उसका पसंद आया था। अब उसने सोच लिया था वो उसे दोस्ती तो करके ही रहेगा।

    इधर आस्था सांवी की कार के पास आ जाती है। सांवी अपनी कार में बैठी थी। आस्था भी कार का डोर ओपन करके बैठ जाती है। उसका चेहरा अब भी लाल था और चेहरे पे छोटी सी स्माइल। सांवी उसे एक नज़र देखती है फिर कार स्टार्ट कर देती है।

    आस्था कुछ देर में नॉर्मल हो जाती है। वो सांवी को देख रही थी फिर कुछ सोचते हुए बोली: वैसे सांवी तुमने सीनियर को मना क्यों किया? वो तो कितने हैंडसम हैं और...

    सांवी उसकी बात बीच में काटते हुए बोली: कुछ लोगों के पर्सनल रीज़न्स और एक्सपीरियंसेस होते हैं मना करने के। और मैं प्यार जैसी चीज़ों के लिए नहीं बनी हूँ और प्लीज़ मुझसे इस बारे में बात मत करो।

    आस्था चुप हो जाती है। ऐसे ही वो दोनों अपने प्रोजेक्ट के लिए थोड़ी बहुत शॉपिंग करती हैं और बाहर ही किसी रेस्टोरेंट में डिनर करके हॉस्टल वापस आ जाती हैं।

    इधर बॉयज़ हॉस्टल में/ मिहिर का रूम।

    कैरव और मिहिर दोनों बेड पे लेटे थे। कैरव ने उसे आज कैफेटेरिया में सांवी और उसके बीच की बातें बता दी थीं।

    मिहिर कुछ सोचते हुए बोला: ये लड़की बहुत अजीब नहीं है? मतलब ना कोई फ्रेंड है ना ही किसी को बना रही है और तूने इतनी जल्दी हार मान ली। तू ट्राई नहीं करेगा उसे गर्लफ्रेंड बनाने के लिए?

    कैरव बोला: नहीं, उसकी आँखों में कुछ था जो समझ नहीं पाया। एक ऐसा खालीपन जैसा। मुझे तेरी आँखों में दिखता है। ऐसा लगा काफ़ी टाइम बाद मैं एक पुराने मिहिर से मिला था। किसी टाइम पे तू भी ऐसा था।

    मिहिर उठकर बैठ जाता है और आँखें छोटी करके बोला: पागल है तू, कुछ भी बोल रहा है।

    कैरव करवट बदलते हुए बोला: कुछ भी समझ, मुझे जैसा लगा मैंने बता दिया। और वैसे अब मुझे सांवी से ज़्यादा आस्था में इंटरेस्ट है। वो बहुत क्यूट है। सांवी के बाद पूरे कॉलेज में वो आस्था ही मिस् ब्यूटीफुल का अवॉर्ड ले सकती है। और मुझे एक सुलझी हुई लड़की चाहिए अपनी लाइफ में, क्योंकि उलझा हुआ मैं ही बहुत हूँ।

    मिहिर भी लेट जाता है और कैरव की बातों को सोचने लगता है। फिर अपना ख्याल झटक के सो जाता है।

    नेक्स्ट मॉर्निंग 🌄 5 बजे।

    रेयांश हॉस्टल के पास वाले पार्क में जॉगिंग कर रहा था। इस टाइम वो कुछ सोच रहा था, तभी उसकी टक्कर किसी से हो जाती है। दोनों का ही बैलेंस बिगड़ जाता है और दोनों ही ट्रैक पे गिर जाते हैं।

    रेयांश गुस्से से खड़े होते हुए बोला: दिखता नहीं है क्या? अंधी हो?

    रेयांश कुछ और बोलता, जिसे वो टकराया था, उस शख्स को देखकर उसकी आँखें छोटी हो जाती हैं। वो अपना हाथ आगे कर देता है उस शख्स के सामने, जो अभी तक ट्रैक पे बैठा हुआ था। वो खड़ा नहीं हुआ था।

    अपने आगे हाथ देखकर शख्स नज़र ऊपर करके रेयांश को देखती है, फिर बिना उसके हाथ पकड़े खड़ी हो जाती है। वो धीरे से बोली: सॉरी।

    रेयांश हैरानी से उसे देखते हुए बोला: तो मिस् सांवी को सॉरी बोलना भी आता है?

    हाँ, ये सांवी थी जो रेयांश से टकराई थी। वो भी सुबह-सुबह जॉगिंग के लिए आई थी इस पार्क में। सांवी रेयांश की बात सुनकर बोली: हाँ, जहाँ मुझे लगता है गलती है मेरी, मैं वहाँ सॉरी बोल देती हूँ और इस बार मेरी गलती थी। मेरा ध्यान कहीं और था तो मैं आपसे टकरा गई सीनियर एंड सॉरी अगेन। इतना कहकर वहाँ से चली जाती है।

    रेयांश उसे जाते देखता रहता है। वो झल्लाते हुए बोला: अजीब लड़की है।

    सांवी गर्ल्स हॉस्टल के रास्ते पे ही थी, तभी उसका फ़ोन रिंग करता है। सांवी कॉल पिक करके बोली: हाँ, बोलो रुस्तम, काम हुआ?

    रुस्तम सांवी की बात सुनकर बोला: यस मैम। मि. प्रहलाद सिंघानिया से मेरी बात हो चुकी है। उन्होंने आपको आज दोपहर 1 PM बुलाया है।

    सांवी चेहरे पे हल्की सी स्माइल आ जाती है। वो बोली: ओके, मैं रेडी रहूँगी। तुम मुझे पिक करने आ जाना एक बजे। ओके?

    रुस्तम बोला: ओके मैम।

    सांवी कॉल कट करके हॉस्टल की तरफ़ चली जाती है। अभी वो चल ही रही थी, तभी उसके सामने अवनी खड़ी हो जाती है।

    अवनी को देखकर सांवी का कोई ख़ास रिएक्शन नहीं होता। उसके चलते क़दम रुक जाते हैं। अवनी सांवी के करीब आते हुए बोली: मुझे तुमसे दोस्ती करनी है।

    सांवी के चेहरे के एक्सप्रेशन चेंज हो जाते हैं। अवनी उसके बदलते एक्सप्रेशन को देखते हुए बोली: मुझे एक ऐसा रीज़न दो, क्यों तुम्हें मुझसे दोस्ती नहीं करनी? मैंने तो कभी तुम्हारे साथ मिसबिहेव भी नहीं किया।

    सांवी उसे टोकते हुए बोली: तुम कर भी नहीं सकती और रही बात मुझे नहीं करनी फ्रेंडशिप, तुमसे तो क्या मुझे किसी से कोई मतलब नहीं है और आइंदा से मेरे सामने दुबारा मत आना। इरिटेट कर रही हो तुम मुझे, जिससे मुझे गुस्सा आ रहा है।

    सांवी उसकी साइड से होकर निकल जाती है। अवनी पलटकर सांवी को देखते हुए तेज आवाज़ में बोली: तुम जो कहोगी मैं वो करने के लिए तैयार हूँ।

    सांवी के चलते क़दम रुक गए, पर फिर से वो चलने लगती है और अपने रूम की तरफ़ निकल जाती है। अवनी उसके रुकने से खुश हो गई थी, पर उसके जाते देख फिर से मायूस हो गई।

    प्लीज़ लाइक एंड कमेंट्स 🙏 💗

  • 16. Whisper on campus - Chapter 16

    Words: 1763

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    कॉलेज।

    प्रोफेसर आश्विन जैसे ही क्लास में एंटर होते हैं, उनकी नज़र सबसे पहले सांवी पर पड़ती है, जो फोन में लगी हुई थी। उसकी राइट साइड में आस्था और लेफ्ट साइड में अवनी बैठी थीं। प्रोफेसर आश्विन के क्लास में आते ही सभी स्टूडेंट्स का ध्यान अपनी तरफ आ जाता है।

    सांवी प्रोफेसर को देखकर अपना फोन ऑफ करके नोटबुक निकालकर बैठ जाती है। अवनी उसे धीरे से बोलती है: "सांवी।"

    सांवी अपनी आँखें कस के बंद कर लेती है क्योंकि जब से वो इस क्लास में आई थी, अवनी ने उसका दिमाग खा रखा था। वो काफी देर से उसे इग्नोर कर रही थी, पर अवनी तो धैर्य पर उतर आई थी।

    सांवी गहरी साँस लेकर बोलती है: "अवनी।"

    उसके मुँह से अपना नाम सुनकर अवनी के पेट में गुदगुदी सी होने लगती है। वो उसे बिचु में टोके हुए बोलती है: "प्लीज सांवी, मना मत करना। तुम जैसे कहोगी, मैं वैसा करूंगी।"

    सांवी उसकी तरफ देखकर अपने होंठ का पौट बनाकर टेढ़ा कर लेती है, जिससे वो काफी क्यूट भी लग रही थी। सांवी के दिमाग में कुछ आता है, वो टेढ़ी स्माइल करके बोलती है: "तुम्हें मेरी फ्रेंड बनना है?"

    अवनी खुश होकर हाँ में सिर हिला देती है। सांवी बोलती है: "ओके, मैं करूंगी तुमसे दोस्ती।"

    अवनी के तो पैर उड़ गए थे। तभी सांवी ने बोला: "पर एक शर्त पे।"

    अवनी शर्त नाम सुनकर थोड़ा सोच के जल्दी से बोलती है: "मुझे मंज़ूर है।"

    सांवी हल्की स्माइल के साथ बोलती है: "इतनी भी क्या जल्दी है? क्या पता शर्त सुनकर दोस्ती तो क्या, मेरी शक्ल भी ना देखना चाहो।"

    अवनी जल्दी से बोलती है: "तुम शर्त बताओ।"

    सांवी सामने देखते हुए बोलती है: "रहने दो, तुमसे नहीं होगा। गट्स नहीं है तुम्हारे अंदर और कमज़ोर लोग मेरे दोस्त नहीं हो सकते।"

    अवनी थोड़ा फ्रस्ट्रेट होकर बोलती है: "तुम बताओगी क्या करना है और मैं कमज़ोर नहीं हूँ, बहुत गट्स है मुझे। मैं समझी अब शर्त बताओ।"

    सांवी उसकी तरफ देखकर एक आईब्रो उठाते हुए बोलती है: "ओह, रियली? चलो देखते हैं कितने गट्स हैं तुम में। अपना कान आगे करो।"

    वो दोनों बहुत धीरे बात कर रही थीं। किसी का ध्यान उन दोनों पर नहीं था। प्रोफेसर आश्विन भी बोर्ड की तरफ पीठ किए लेक्चर दे रहे थे और जब भी वो पलटकर देखते, तो सांवी और अवनी चुप हो जातीं और उन्हें देखने लगतीं। वैसे भी लड़कियाँ धीरे बात करने में माहिर होती हैं।

    अवनी अपना कान उसकी तरफ करती है। सांवी उसके कान में कुछ ऐसा बोलती है, जिसे सुनकर अवनी की आँखें बड़ी हो जाती हैं। वो कुछ बोलती, उससे पहले ही सांवी ने उसके मुँह पर हाथ रख लिया क्योंकि उसे पता था अवनी का यही रिएक्शन होगा। सांवी घूरते हुए उसे चुप रहने का इशारा करती है। आस्था जो उनके पास ही बैठी थी, पर उनकी बातें नहीं सुन पा रही थी, उसे अवनी से थोड़ी जलन महसूस हो रही थी क्योंकि वो सांवी के साथ इतने दिनों से बात करने की कोशिश कर रही थी और वो दोनों लगभग साथ ही रहते थे। सांवी ने उसे तो कभी ऐसे बात नहीं की, पर अवनी से पता नहीं क्या ऐसे बातें कर रही है।

    सांवी उसके मुँह से हाथ हटाकर सामने देखने लगती है। अवनी जल्दी से बोलती है: "पर मैं ये कैसे? सांवी, तुम यार, कुछ और बोल दो।"

    सांवी बिना उसे देखे बोलती है: "मुझे पहले ही पता था तुम्हारे बस की कुछ नहीं है। अब दुबारा मत बोलना, कुछ पढ़ने दो मुझे।"

    अवनी बिचारा सा मुँह बनाकर उसे देखने लगती है और उसे बात करने की कोशिश भी कर रही थी, पर सांवी उसे इग्नोर कर रही थी। अब अवनी भी शांत बैठ जाती है, लेकिन मिहिर की नज़र सांवी से हट नहीं रही थी। पता नहीं क्यों, वो सांवी से अपनी नज़र नहीं हटा पा रहा था और विहान मिहिर को गुस्से में घूर रहा था क्योंकि सांवी जब से आई थी क्लास में, मिहिर तब से सांवी को घूर रहा था, जो विहान से ये बर्दाश्त नहीं हो रहा था।

    तभी प्रोफेसर आश्विन बोलते हैं: "ये मैंने क्वेश्चन लिखा है बोर्ड पे। तुम लोगों के पास 5 मिनट हैं। जल्दी सॉल्व करके दो क्योंकि मैं इसे रिलेटेड क्वेश्चंस समझा चुका हूँ।"

    जैसे ही प्रोफेसर आश्विन बोलना बंद करते हैं, उनके रुकते ही सांवी बोलती है: "डन।"

    प्रोफेसर आश्विन उसकी तरफ देख के बोलते हैं: "व्हाट डन?"

    सांवी आंसर बता देती है। प्रोफेसर आश्विन हैरानी से बोलते हैं: "तुमने सॉल्व भी कर लिया?"

    सांवी हाँ में सिर हिला देती है। प्रोफेसर आश्विन के साथ-साथ पूरी क्लास उसे देखने लगती है। मिहिर पहला इंसान था जो सबसे पहले जवाब देता था, पर आज सांवी ने उसका रिकॉर्ड तोड़ दिया था।

    प्रोफ़ेसर सांवी के पास आकर उसके आगे अपना हाथ कर देते हैं। सांवी अपनी नोटबुक उठाकर उन्हें दे देती है। प्रोफेसर आश्विन दुबारा हैरान हो जाते हैं।

    वो उसे देखते हुए बोलते हैं: "ये तुमने कैसे किया?"

    सांवी बोलती है: "शॉर्ट मेथड।"

    प्रोफेसर आश्विन आस्था से बोलते हैं: "उठो यहाँ से।"

    आस्था वहाँ से उठ जाती है और आश्विन खुद उसकी जगह बैठ जाते हैं। पूरी क्लास हैरान थी। ये पहली बार हुआ था। वो प्रोफेसर को इतना हैरान और सीरियस देखकर...

    प्रोफेसर बोलते हैं: "मुझे बताओ कैसे किया ये तुमने?"

    सांवी नोटबुक पर लिखने लगती है, साथ ही समझा भी रही थी। मिहिर, विहान, रेयांश भी आ जाते हैं सांवी की सीट के पास और झुक के वो क्वेश्चन सॉल्व होते हुए देख रहे थे। उस क्वेश्चन में मेथड थोड़ा लंबा था, पर सांवी ने उसे शॉर्ट में कर दिया था।

    सांवी के समझाने का तरीका भी काफी अच्छा था। वो एक-एक पॉइंट को बहुत ही अच्छे से समझा रही थी। पहले प्रोफेसर की नज़र नोटबुक में थी, पर उनकी नज़र जब सांवी पर पड़ी, वो उसे ही देखने में लीन हो गए। सांवी को पहली बार इतने करीब से देख रहे थे। सच में सांवी काफी खूबसूरत थी। उनके मन में ये बात चल रही थी।

    मिहिर जो सांवी को देख रहा था, उसकी नज़र जब आश्विन पर गई, उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए क्योंकि आश्विन जिस तरह सांवी को देख रहे थे, उनकी आँखों में सांवी के लिए कुछ और ही दिख रहा था। ये चीज़ आस्था ने भी नोटिस की थी।

    सांवी क्वेश्चन सॉल्व करके पेन नोटबुक पर रखते हुए बोलती है: "डन सर।"

    लगभग सारे ही स्टूडेंट्स सांवी को घूर के खड़े थे। जब सांवी प्रोफेसर को देखती है, वो कैसे उसे देखने में खोया हुआ है। सांवी थोड़ी तेज़ आवाज़ में बोलती है: "सर!"

    आश्विन अपने सेंस में आते हैं। उसे खुद नहीं पता चला वो कब से ऐसे ही सांवी को देख रहा है। वो इधर-उधर नज़ारे घुमाने लगते हैं, फिर खुद को नॉर्मल करते हुए बोलते हैं: "ब्रिलियंट सांवी, आई एम इम्प्रेस्ड।" इतना कहकर वो उठ खड़े हो जाते हैं।

    आस्था अपनी सीट पर आकर बैठ जाती है और सभी स्टूडेंट्स भी। प्रोफेसर आश्विन सांवी की तरफ करते हुए मिहिर से बोलते हैं: "मिहिर, लगता है कोई तुम्हारी टक्कर का आ गया है।"

    मिहिर जो सांवी को देख रहा था, प्रोफेसर की बात सुनकर उनकी तरफ देखकर हल्की स्माइल के साथ बोलता है: "हाँ, कॉम्पिटिटर हो तो मज़ा आने लगता है पढ़ने में, वरना मैं तो बोर हो गया था अकेला सबसे पहले क्वेश्चंस के आंसर देते-देते।"

    प्रोफेसर आश्विन मुस्कुरा देते हैं। सांवी पलट के नहीं देखती मिहिर को। इसमें कोई तोर नहीं था कि उस क्लास में जितने भी स्टूडेंट्स थे, वो सांवी से काफी ज़्यादा इम्प्रेस्ड थे, इन्क्लूडेड मिहिर और रेयांश भी।

    प्रोफेसर आश्विन बोलते हैं: "सो, डज़ एनीवन इन द क्लास हैव एनी अदर क्वेश्चन?"

    पूरी क्लास शांत हो जाती है। तभी अवनी हिचकिचाते हुए बोलती है: "येस सर, आई हैव।"

    प्रोफेसर आश्विन हल्की स्माइल करते हुए बोलते हैं: "हाँ, बोलो अवनी।"

    सांवी बिना किसी एक्सप्रेशन के उसे देख रही थी। अवनी एक नज़र उसे देखकर फिर प्रोफेसर की तरफ देख के बोलती है: "आज मैं कैसी लग रही हूँ सर?"

    प्रोफेसर आश्विन के साथ-साथ पूरी क्लास उसे हैरानी से देखने लगती है। कुछ लड़के तो हँसने भी लगे थे। सांवी के चेहरे पर भी ना दिखने वाली स्माइल थी और अवनी का चेहरा पूरा शर्म से लाल था।

    प्रोफेसर आश्विन को समझ नहीं आया वो क्या बोलें। तभी क्लास में एक पीऑन आया और प्रोफेसर से बोला: "प्रोफेसर, Ms सांवी आर्यवंशी से कोई मिलने आया है।"

    प्रोफेसर सांवी को देख के बोलते हैं: "जाओ सांवी।"

    सांवी के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए थे। वो अपना बैग उठाकर चली जाती है।

    प्रोफेसर आश्विन भी एक नज़र अवनी को देखते हैं, फिर वहाँ से चले जाते हैं। कैरव प्रोफेसर के जाते ही अवनी के पास आकर हँसते हुए बोला: "अरे वाह! क्या क्वेश्चन पूछा है तुमने आज सर से!"

    अवनी उसे घूरते हुए अपना बैग उठाकर क्लास से बाहर जाते हुए बोलती है: "जस्ट शटअप।"

    आस्था जो कब से अपनी हँसी कंट्रोल करके बैठी थी, अवनी के जाते ही जोर-जोर से हँसने लगती है। उसे इतना खुलकर हँसते देख कैरव उसे देखता ही रह जाता है। आस्था की स्माइल काफी अच्छी थी और वो हँसते हुए काफी खूबसूरत लग रही थी। पूरी क्लास आस्था को देख रही थी। रेयांश और मिहिर यहाँ नहीं थे, वो प्रोफेसर के साथ ही निकल गए थे।

    विहान क्लास से बाहर जाते हुए आस्था से बोला: "इतना मत हँसो, दाँत गिर जाएँगे तुम्हारे।"

    आस्था उसकी बात सुनकर चुप हो जाती है। कैरव घूर के विहान को देखता है जो क्लास से जा चुका था। वो विहान से नज़र हटा के आस्था को देखता है जो अपने बैग में अपनी बुक और नोटबुक रख रही थी।

    कैरव थोड़ा झुकते हुए बोला: "वैसे हँसती रहो, अच्छी लगती हो।"

    आस्था को अपने बैग में अपना सामान रख रही थी। कैरव की बात सुनकर उसकी तरफ देखती है। कैरव का चेहरा उसे कुछ दूरी पे था। आस्था उसकी बात सुनकर और इतने करीब देखकर थोड़ा घबरा जाती है।

    वो अपने बैग की चैन बंद करते हुए बात को बदलते हुए बोलती है: "सीनियर, हम प्रोजेक्ट के लिए सारा सामान ले आए हैं। आप बता देना आप कब फ्री हो, हम प्रोजेक्ट पे काम स्टार्ट कर देंगे।" आस्था बोलते हुए अपनी नज़र उससे नहीं मिला रही थी।

    कैरव उसे ऐसे घबराता देख हँस देता है। वो सीधे खड़े होते हुए बोला: "तुम अपना नंबर दे दो। जब मैं फ्री होंगा तब कॉल करके बता दूँगा।"

    आस्था उसकी बात सुनकर उसकी तरफ देखने लगती है। कैरव उसकी नज़रों में हिचकिचाहट देखकर बोला: "डोंट वरी, बेझिझक नंबर दे सकती हो। विश्वास के लायक हूँ मैं। लड़कियों की रिस्पेक्ट करना अच्छे से आता है मुझे।"

    आस्था हल्की स्माइल करके उसको अपना नंबर बता देती है। फिर दोनों ही क्लास से बाहर चले जाते हैं।

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  • 17. Whisper on campus - Chapter 17

    Words: 1709

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    कॉलेज/खाली क्लासरूम

    सान्वी चुपचाप खड़ी अपने सामने बैठे इंसान को देख रही थी। उसके हाथ में एक सिगरेट थी। सान्वी के चेहरे पर कोई खास एक्सप्रेशन नहीं थे।

    वहीं चेयर पर बैठा इंसान सान्वी को मुस्कुराते हुए देख रहा था। उसकी लैप पर एक खूबसूरत लड़की बैठी थी। देखने में वो लड़की फॉरेनर लग रही थी और वो इंसान इंडियन दिखने में किसी से कम नहीं था। उम्र भी कोई 28-29 के आसपास होगी। उसके पीछे एक और आदमी खड़ा था।

    सान्वी बिना किसी इमोशन के बोली: "मि. खन्ना, यहाँ क्या करने आए हो?"

    तभी वो लड़की बोली: "तुम सुभम बेबी की कॉल पिक नहीं कर रही थी और ना ही मैसेजेस का कोई रिप्लाई। तो सुभम बेबी को यहाँ आना पड़ा।"

    सुभम प्यार से उस लड़की के गाल पर किस करते हुए बोला: "सान्वी, माय डार्लिंग, तुम्हारा मूड कुछ ठीक नहीं लग रहा।"

    सान्वी सिगरेट का कस लेते हुए बोली: "अभी तक तो था मूड ठीक। तुम्हें देखकर खराब हो गया। दफा हो जाओ यहाँ से। जब मेरा मन होगा तब आऊंगी मैं।"

    सुभम अपना हाथ पीछे वाले आदमी के सामने कर देता है जो उसका असिस्टेंट था। वो आदमी उसके हाथ में सुभम का फोन रख देता है। सुभम एक नंबर डायल करता है और उसके सामने एक डेस्क था, वहाँ पर रख देता है। फोन स्पीकर पर था।

    तभी कोई कॉल उठाता है और वो शख्स बोला: "हेलो, मि. खन्ना।"

    सान्वी आगे बढ़कर उस कॉल को कट कर देती है। अब उसके चेहरे पर गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था। सुभम स्माइल करते हुए बोला: "क्या हुआ सान्वी डार्लिंग? तुमने अपने दादू की कॉल क्यों कट कर दी? बात करो।"

    सान्वी daat peeste हुए बोली: "प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी?"

    सुभम उसके सामने चेयर पर सान्वी को बैठने का इशारा करते हुए बोला: "सिट डाउन।"

    सान्वी गुस्से से बोली: "तुम समझते क्या हो खुद को? यू नो व्हाट्स गोना विद मी? बस आके अपना ऑर्डर मुझपे चलाते हो। फिर वही तुम्हारी बकवास सुनूँ। थेरेपिस्ट ना हो गए, मेरे बाप बनके बैठ गए हो।"

    सुभम शांत लहजे में बोला: "यू नीड टू सिट डाउन।"

    सान्वी उसे मना करते हुए बोली: "नहीं बैठना मुझे। जाओ यहाँ से।"

    सुभम थोड़ी सर्द आवाज़ में बोला: "आई सेड सिट डाउन, सान्वी।"

    सान्वी को कोई फर्क नहीं पड़ा। वो अब भी उसी अकड़ में बोली: "आई डोंट वांट टू सिट डाउन।"

    सुभम दुबारा बोला: "हमें इस बारे में डिस्कशन करनी चाहिए आराम से बैठ के।"

    सान्वी स्माइल करते हुए बोली: "गुस्सा आ रहा है सुभम खन्ना को। कूल।"

    सुभम गुस्से से बोला: "आई सेड सिट डाउन!"

    सान्वी उसका गुस्सा देखकर खुद भी गुस्से में चिल्लाते हुए डेस्क पर तेज़ी से हाथ मारते हुए बोली: "नो, आई एम नॉट फकिंग वांना सिट डाउन!"

    सुभम अब शांत लहजे में बोला: "सान्वी, सिट डाउन।"

    टेबल पर एक पानी का ग्लास रखा हुआ था। सान्वी उसको हाथ से गिराते हुए गुस्से से बोली: "डू नॉट टेल मी व्हाट टू सिट डाउन!"

    सुभम जल्दी से बोला: "सान्वी, प्लीज़ काल्म डाउन एंड सिट डाउन।"

    सान्वी डेस्क पर हाथ पटकते हुए उसकी साइड आते हुए उतने ही गुस्से से बोली: "जस्ट शटअप! यू डू नॉट कंट्रोल माय फकिंग लाइफ! लुक एट मी नाउ! यू डोंट कंट्रोल व्हाट आई डू इन माय लाइफ!"

    सुभम एकदम शांति से उसे देख रहा था। सान्वी उसे गुस्से में उंगली पॉइंट करते हुए बोली: "गेट दैट इन अ फकिंग लिटिल हेड ऑफ़ योर फकिंग हेल!"

    सुभम शांति से उसकी बात सुन रहा था। सान्वी पलटकर तेज़ी से चिल्लाते हुए बोली: "फकिंग हेल!"

    सुभम खड़ा होकर सान्वी के कंधे पर हाथ रखते हुए धीरे से बोला: "कल शाम 5 बजे आ जाना।"

    सान्वी अपनी आँखें कसके बंद कर लेती है और सुभम अपने असिस्टेंट और उस लड़की के साथ वहाँ से चला जाता है।

    सान्वी गहरी साँस लेकर अपने हाथ में बुझी हुई सिगरेट को देखकर उसे मुट्ठी में कस लेती है। फिर उस क्लास से बाहर गर्ल्स हॉस्टल की तरफ चली जाती है। सान्वी के क्लास से बाहर जाते ही दो पिलर के पीछे छुपे हुए शख्स एक साथ बाहर निकलते हैं और जब दोनों की नज़र एक दूसरे से मिलती है, हैरान और अजीब एक्सप्रेशन के एक दूसरे को देखने लगते हैं। दोनों एक दूसरे के सामने थे।

    तभी उनमें से एक बोला: "तो मिहिर सिंघानिया, कब से लड़कियों की जासूसी करने लगा?"

    मिहिर बिना किसी एक्सप्रेशन के उसे देखते हुए बोला: "मेरा छोड़ो। तुम बताओ रेयांश राणा, किसी और लड़की पर क्यों नज़र रख रहा है तीना को पता है ये बात?"

    रेयांश गुस्से से बोला: "अपने काम से काम रखो, समझे?"

    मिहिर ऐटिट्यूड के साथ बोला: "ये बात मैं भी तुमसे कहूँगा।

    और तुम दोनों मेरी डॉल पर नज़र क्यों रख रहे हो? मेरी डॉल से दूर रहो, समझे?" विहान मिहिर के पीछे कुछ फासले पर पैंट की पॉकेट में हाथ डाले अपने दोस्तों के साथ खड़ा था। वो यहाँ सान्वी को ढूँढता हुआ आया था। वो देखना चाहता था सान्वी से कौन मिलने आया है। उसे सान्वी दूर से क्लासरूम से बाहर जाते हुए दिखी थी, पर तभी उसकी नज़र मिहिर और रेयांश पर पड़ी और उन्हें देखकर विहान का खून खोल गया और वो उनकी तरफ आ गया। पर जैसे ही उसने उन दोनों की बात सुनी, उसका दिमाग घूम गया।

    मिहिर और रेयांश दोनों ने एक साथ विहान को देखा जो गुस्से से उन्हें घूर रहा था।

    रेयांश विहान की बात सुनकर अजीब तरीके से मुस्कुराते हुए बोला: "लगता है कॉलेज में अब रोमियो आ गया है। देखो तो हमारे लिटिल रोमियो को अपनी जूलियट के लिए कितना पॉजेसिव हो रहा है।"

    मिहिर सार्कैस्टिकली रेयांश की बात को काटते हुए बोला: "जो जूलियट इसे भाऊ तक नहीं देती उसके पीछे दीवाना हो रहा है।"

    विहान गुस्से से चिल्लाया: "ओह, जस्ट शटअप! कम से कम मैं ना तो किसी को धोखा दे रहा हूँ गर्लफ्रेंड होते हुए भी और ना ही किसी लड़की के साथ बदतमीज़ी कर रहा हूँ, जो लड़कियों से अपनी ही इंसल्ट करवाए।"

    रेयांश और मिहिर दोनों के चेहरे के एक्सप्रेशन डार्क हो गए। दोनों समझ रहे थे विहान क्या बोलने की कोशिश कर रहा है।

    विहान उन्हें उंगली पॉइंट करते हुए बोला: "मेरी डॉल से दूर रहना, समझे?" इतना कहकर वो वहाँ से चला जाता है।

    मिहिर को अब खुद पर गुस्सा आ रहा था। वो यहाँ आया ही क्यों? दरअसल वो यहाँ सान्वी के पीछे नहीं आया था। वो बस इस क्लास के पास से गुजर रहा था, पर तभी उसे सान्वी के गुस्से में चिल्लाने की आवाज़ आई तो वो वहीं पिलर के पीछे खड़ा हो गया। मिहिर भी वहाँ से चला जाता है।

    रेयांश मिहिर को जाते हुए देख रहा था। वो तो सान्वी का पीछा करते हुए यहाँ आया था, पर मिहिर को वहाँ देखकर पिलर के पीछे छुप गया था। उसे पता था मिहिर सान्वी का पीछा नहीं कर रहा था। किसी टाइम पर वो दोनों बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे, पर एक गलतफहमी के चक्कर में मिहिर, कैरव और रेयांश की दोस्ती टूट गई थी। किसी टाइम पर ये तीनों एक दूसरे पर जान छिड़कते थे। रेयांश भी कुछ सोचता हुआ वहाँ से चला जाता है।

    इधर गर्ल्स हॉस्टल/सान्वी का रूम

    सान्वी मिरर के सामने खड़ी अपने बालों को संवार रही थी। उसने इस टाइम ब्लू डेनिम शॉर्ट और ब्लैक हाफ स्लीव क्रॉप टॉप पहन रखा था। उसके ऊपर उसने लॉन्ग श्रग जो उसके घुटनों तक आ रही थी, साथ ही ब्लैक शूज़ कैरी किए हुए थे। सान्वी काफ़ी खूबसूरत लग रही थी। उसने लंबे ब्राउन बालों की बीच की मांग निकालकर खुला छोड़ रखा था जो आगे से थोड़े कर्ल थे। उसने लिप्स पर लिपबाम लगाई और एक नज़र खुद को मिरर में देखकर अपना फोन उठाकर रूम से बाहर निकल जाती है।

    हॉस्टल में ज़्यादा बच्चे नहीं थे। सान्वी ने आज सारी क्लासेस अटेंड नहीं की थी। वो हॉस्टल से निकलकर हॉस्टल के मेन डोर की तरफ जाने लगती है। आज जो बच्चे कॉलेज नहीं गए थे, गर्ल और बॉयज़, वो हॉस्टल के गार्डन में घूम रहे थे और कुछ उस रास्ते के आसपास भी थे जिस रोड से सान्वी जा रही थी मेन डोर की तरफ। लड़के तो लड़के, लड़कियाँ भी सान्वी को आँखें फाड़कर देख रही थीं। लड़कों की नज़र सान्वी के टांगों से हट ही नहीं रही थी।

    सान्वी अपने फोन पर रुस्तम को मैसेज टाइप करते हुए जा रही थी। उसका ध्यान सामने नहीं था। तभी कोई उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचता है।

    सान्वी एक पल के लिए हैरान हो जाती है। जिसने उसे खींचा वो उसे देखती है जो गुस्से से उसे ही देख रही थी। सान्वी गुस्से से बोली: "क्या बदतमीज़ी है ये आस्था?"

    आस्था उसको देखकर आँखें छोटी करके बोली: "बदतमीज़ी? अरे, तुम्हें थैंक्स कहना चाहिए मुझे। अगर अभी तुम खींचती नहीं ना तो मुँह के बल गिरती। फ़ोन से ध्यान हटाकर आसपास और सामने देखकर चलोगी तो ज़्यादा अच्छा होगा। अभी गिर जाती, पत्थर से टकरा के। इतना बड़ा पत्थर दिखेगा कैसे मैडम? फ़ोन में जो घुसी हुई थी इतनी आवाज़ लगाने पर भी नहीं सुन रही थी मेरी।"

    सान्वी सामने देखती है तो सच में पत्थर था। अगर आस्था थोड़ी लेट होती तो सान्वी को बहुत चोट आती। सान्वी उसे अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली: "थैंक्स।" इतना कहकर वो चली जाती है।

    आस्था उसे देखती रह जाती है। वो गहरी साँस लेकर बोली: "अजीब लड़की है। इतना हॉट बनके निकलेगी तो एक-दो की बुरी नज़र लगेगी ना? सच में भगवान ने बहुत फ़ुरसत से बनाया है इसे।"

    सान्वी अपनी कार में आकर बैठ जाती है जो हॉस्टल के गेट के बाहर ही खड़ी थी जो रुस्तम लेकर आया था। सान्वी के बैठते ही वो कार हवा से बातें करने लगती है।

    इधर कॉलेज में...

    कैरव मिहिर के पास आता है जो टेरेस पर खड़ा सिगरेट का कस भर रहा था। कैरव उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला: "भाई, तेरा फ़ोन कहाँ है? तुझे दादाजी के मैसेज, फ़ोन नहीं दिखते? वो कब से तुझे कॉल कर रहे हैं।"

    मिहिर हैरान होते हुए बोला: "व्हाट?" फिर अपनी पॉकेट से फ़ोन निकालकर देखता है तो सच में उसके दादाजी के फ़ोन कॉल, मैसेजेस थे।

    कैरव बोला: "अब जल्दी चल। दादाजी ने बुलाया है कॉटेज हाउस पे।"

    मिहिर कुछ सोचते हुए बोला: "क्यों?"

    कैरव कंधे उचकते हुए बोला: "मुझे क्या पता? वहाँ जाके पता चलेगा।"

    मिहिर आगे चलते हुए बोला: "चल फिर।" कैरव भी उसके पीछे चल देता है।

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  • 18. Whisper on campus - Chapter 18

    Words: 1931

    Estimated Reading Time: 12 min

    अब आगे

    कॉटेज

    सान्वी की कार मिस्टर सिंघानिया के कॉटेज के पास आकर रुकी। उसकी कार के पीछे 7 से 8 कारें भी चल रही थीं जो सान्वी की कार से दूरी बनाए हुए उसके साथ चल रही थीं। उनमें से एक कार से रुस्तम भी कार से बाहर आता है और सान्वी के पास जाकर खड़ा हो जाता है।

    सान्वी कार से बाहर खड़ी उस कॉटेज को देखते हुए रुस्तम से बोली: खूबसूरत है न?

    रुस्तम हाँ में सर हिलाकर बोला: हाँ, बहुत।

    सान्वी अपने कदम आगे बढ़ा देती है और रुस्तम भी उसके पीछे चलने लगता है। कॉटेज दिखने में सच में काफी खूबसूरत था। आस-पास काफी हरियाली थी। वह पूरा कॉटेज लकड़ी और स्टील से बना हुआ था और काफी रॉयल लग रहा था। व्हाइट और ब्राउन थीम में वह काफी खूबसूरत था और बड़ा भी था।

    कुछ देर बाद सान्वी एक सोफे पर सिटिंग एरिया में बैठी थी और उसके सामने प्रहलाद सिंघानिया अपनी किंग साइज़ सिंगल काउच पर बैठे सान्वी को मुस्कुराते हुए देख रहे थे। वे अभी-अभी आकर बैठे थे।

    सान्वी हल्की सी स्माइल के साथ बोली: नमस्ते स्मार्ट दादू।

    प्रहलाद की मुस्कराहट और भी गहरी हो गई थी। उनकी आँखों में नमी भी आ गई थी जो शायद सान्वी ने देख ली थी। वे प्रहलाद मुस्कुराते हुए बोले: कैसी हो मेरी लिटिल बर्ड?

    सान्वी स्माइल करते हुए बोली: ठीक हूँ, आप बताइए।

    प्रहलाद अपनी जगह से खड़े होते हुए सान्वी की साइड में आकर बैठ जाते हैं और उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोले: तुम्हें देख लिया अब आराम से मर सकता हूँ।

    सान्वी आई रोल करते हुए बोली: आप बूढ़े लोगों के पास इसके अलावा कोई और डायलॉग नहीं होता क्या? सब एक ही लाइन चिपका देते हैं।

    प्रहलाद हँसते हुए बोले: तुम बिल्कुल कममो जैसी हो। वो मेरी कममो कैसी है? वो ठीक है या तुम्हारे उस जल कुंड़े दादू ने उस बिचारी का अब भी जीना हराम कर रखा है। पता नहीं इतनी जलन लाता कहाँ से है और मेरी कममो को भी पूरी दुनिया में उससे ही प्यार होना था।

    प्रहलाद की बात सुनकर सान्वी के चेहरे की स्माइल गायब हो गई। उनकी बातें सुनकर सान्वी उन्हें बीच में टोकते हुए बोली: आपको नहीं पता।

    प्रहलाद सान्वी की बात सुनकर नासमझी में उसे देखते हुए बोले: क्या मतलब मुझे नहीं पता?

    सान्वी गहरी साँस लेकर सामने देखते हुए बोली: दादी 5 साल पहले एक्सपायर हो गई।

    प्रहलाद जिसके चेहरे पर खुशी थी अब हैरानी से सान्वी को देख रहे थे। वे हकलाते हुए बोले: ये क्या कह रही हो लिटिल बर्ड?

    सान्वी की आँखों में अब नमी आ गई थी। वह प्रहलाद को देखती है फिर कुछ ऐसा बोलती है जिसे सुनकर प्रहलाद स्तब्ध रह जाते हैं। वो जैसे-जैसे सान्वी उन्हें बता रही थी उनके पैरों तले ज़मीन खिसक रही थी।

    कुछ देर बाद प्रहलाद की आँखों में आँसू थे। आँसू तो सान्वी की आँखों में भी थे पर उसने उन्हें बहने नहीं दिया।

    सान्वी अपनी जगह से उठकर प्रहलाद के सामने घुटनों के बल बैठते हुए उनके हाथों को अपने हाथों में लेकर रुंधे गालों से बोली: स्मार्ट दादू मैं यहाँ आपसे हेल्प माँगने आई हूँ ताकि मैं उन लोगों को ढूँढकर उनकी किए की सज़ा उन्हें दे सकूँ। आप मेरी हेल्प करेंगे ना? मुझे कैसे भी करके ल्यूकस का पता चल जाए बाकी मैं खुद हैंडल कर लूँगी। बस आप मेरी हेल्प कीजिए ल्यूकस को ढूँढने में।

    प्रहलाद सान्वी की बात सुन रहे थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था वो क्या रिएक्ट करें। उनकी बचपन की दोस्त की डेथ हो चुकी थी जिसे वो सबसे ज्यादा क्लोज़ थे और आज उसकी बेस्ट फ्रेंड की ग्रैंडडॉटर उनसे एक ऐसी हेल्प मांग रही थी जिससे उसकी जान को खतरा था।

    प्रहलाद सान्वी के सर पर हाथ फेरते हुए बोले: लिटिल बर्ड मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं करूँगा। तुम छवि मेरी कममो की पोती हो। उसकी आखिरी निशानी मैं अपनी कममो को तो खो चुका हूँ पर अब मैं तुम्हें नहीं खो सकता। तुम्हारे दादू की वजह से मैंने 5 साल से कममो से कोई कांटेक्ट नहीं किया क्योंकि तुम्हारे दादू को पसंद नहीं थी कि छवि के आस-पास कोई भी मर्द रहे और तुम्हारे दादू को तो मैं वैसे भी पसंद नहीं हूँ। तुम जानती हो मेरी और अशोक आर्यावंशी की बिल्कुल नहीं बनती और उसे पता चला मैं तुम्हारी हेल्प कर रहा हूँ। ये जानते हुए भी तुम्हरी जान को खतरा है तो तुम भी जानती हो अशोक क्या करेगा और अशोक जो कर रहा बिल्कुल सही कर रहा है। तुम्हारे काफी दुश्मन हैं जो मौका देखते ही तुम्हें मारने को उतरेंगे।

    सान्वी प्रहलाद की बात सुनकर कुछ नहीं कहती। वह गहरी साँस लेकर खड़ी हो जाती है। प्रहलाद भी उसके साथ खड़े होते हुए उसके कंधे से पकड़कर सान्वी को सोफे पर दुबारा बैठा देते हैं।

    तभी पीछे से आवाज़ आई: दादाजी आपने हम दोनों को बुलाया?

    प्रहलाद ने उस साइड देखा जहाँ से आवाज़ आई थी। सान्वी ने पलटने की जरा भी ज़हमत नहीं उठाई। शायद प्रहलाद के इनकार की उसे जरा भी उम्मीद नहीं थी। वह अपनी सोच में गुम थी।

    प्रहलाद सान्वी को देखते हैं फिर सामने देखते हुए बोले: आओ मिहिर कैरव मुझे तुम्हें किसी से मिलवाना है। बैठो।

    हाँ ये मिहिर कैरव थे जो अभी-अभी आए थे। वो दोनों एक सोफे पर जाकर बैठ जाते हैं। उन्होंने अभी तक सान्वी पर ध्यान नहीं दिया था और सान्वी ने भी नहीं। वह अपनी ही सोच से अभी तक बाहर नहीं आई थी।

    तभी प्रहलाद सान्वी की तरफ़ इशारा करते हुए बोले: मिहिर इससे मिलो। ये मेरी बचपन की बेस्ट फ्रेंड छवि की पोती है, कममो जिसके बारे में अक्सर बताया करता था।

    मिहिर और कैरव दोनों एक साथ सान्वी की तरफ़ देखते हैं जो उन्हें ही बिना किसी एक्सप्रेशन के देख रही थी। उसे बिल्कुल भी हैरानी नहीं हुई थी मिहिर और कैरव को देखकर हालाँकि वो नहीं जानती थी मिहिर प्रहलाद का ही ग्रैंडसन है।

    सान्वी को देखकर कैरव एकदम से बोला: जूनियर तुम यहाँ? वो काफी हैरान था सान्वी को देखकर। मिहिर का भी यही रिएक्शन था हालाँकि उसने शो नहीं होने दिया।

    कैरव की बात सुनकर प्रहलाद बोले: तुम जानते हो सान्वी को?

    कैरव प्रहलाद की बात सुनकर बोला: हाँ दादाजी। सान्वी उसी कॉलेज में पढ़ती है जिसमें मैं और मिहिर पढ़ते हैं। ये जूनियर है हमारी और ये भी हमारी तरह होस्टल में रहती है।

    प्रहलाद गहरी साँस लेकर बोले: ये तो अच्छी बात है फिर। वो सान्वी को देखकर उसे समझाते हुए बोले: लिटिल बर्ड मेरी बात अब ध्यान से सुनो। तुम अपना दिमाग बस अपनी स्टडी पर लगाओ। बाकी सारी चीज़ें तुम अशोक पर छोड़ दो और तुम अपनी लाइफ को एन्जॉय करो, बेटा।

    सान्वी हल्की स्माइल के साथ बोली: स्मार्ट दादू मैं सोचूंगी। अब मुझे चलना चाहिए।

    प्रहलाद जल्दी से बोले: इतनी जल्दी? अभी आई हो तुम। इतनी जल्दी में नहीं जाने दूँगा। तुमने तो कुछ खाया भी नहीं।

    सान्वी कुछ बोलती तभी उसके फ़ोन पर मैसेज आता है। वो फ़ोन की स्क्रीन पर जैसे ही मैसेज नोटिफ़िकेशन पर टच करती है उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

    प्रहलाद, मिहिर और कैरव तीनों उसे ही देख रहे थे। सान्वी की स्माइल काफी प्यारी थी। सान्वी अपनी जगह से खड़े होते हुए बोली: फिर कभी दादू। आज मन नहीं है। वैसे भी मैं यहाँ काम से आई थी। आपसे मिलकर अच्छा लगा।

    प्रहलाद उसे रुकते हुए बोला: अरे बेटा अभी तुम्हें आए हुए देर ही कितनी हुई है।

    सान्वी स्माइल करते हुए बोली: अभी आपने बोला एन्जॉय करो लाइफ को। वो ही करने जा रही हूँ।

    प्रहलाद दुबारा बिचारी सी शक्ल बनाकर बोले: लिटिल बर्ड क्या तुम अपने स्मार्ट दादू की बात नहीं मानोगी?

    सान्वी आँखें छोटी करते हुए बोली: आपको और हैंडसम दादू को इनोसेंट बनने की एक्टिंग बिल्कुल भी नहीं आती और भला मैं क्यों मानूँ आपकी बात? आपने तो मुझे साफ़-साफ़ मना कर दिया था पर कोई बात नहीं मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ। मेरे पास काफी ऑप्शन हैं। आप नहीं तो कोई और मेरी हेल्प कर देगा।

    प्रहलाद सान्वी से बोले: तुम अपने बाप पे गई हो बिना किसी फ़ायदे के।

    उनकी बात को बीच में काटते हुए सान्वी बोली: वो तो मैं गई हूँ अपने पापा पे। सान्वी अपनी जगह पे दुबारा वापस बैठते हुए बोली: पर आप इतना रिक्वेस्ट कर रहे हैं तो रुक जाती हूँ वरना आपकी कममो और मेरी चाँसनी को बुरा लग जाएगा।

    प्रहलाद के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। मिहिर और कैरव तो उन दोनों को ना समझी में देख रहे थे क्योंकि सान्वी और प्रहलाद की बात उनके सर के ऊपर से जा रही थी और दोनों हैरान भी थे। प्रहलाद जो काफी गुस्सेल और सीरियस इंसान है वो इतने स्वीटली किसी से कैसे बात कर सकते हैं। इतना तो वो दोनों समझ गए थे कि सान्वी उनके लिए काफी इम्पॉर्टेन्ट है। मिहिर थोड़ा जेलस फील भी कर रहा था। वो काफी क्लोज़ था अपने दादाजी से।

    ऐसे ही दो से तीन घंटे बीत गए थे उन सबको बात करते-करते। मिहिर तो ज्यादा कुछ बोल नहीं रहा था। वो बस सान्वी को ही घूर रहा था। सान्वी भी नॉर्मली बात कर रही थी। प्रहलाद काफी खुश नज़र आ रहे थे। कैरव भी प्रहलाद और सान्वी के साथ काफी खुश होकर बात कर रहा था। सबने लंच एक साथ किया था।

    सान्वी प्रहलाद को हग करते हुए बोली: ओके दादू फिर मिलेंगे।

    प्रहलाद सान्वी के बालों पे हाथ फेरते हुए बोले: आती रहना अपने स्मार्ट दादू से मिलने। ओके?

    सान्वी हाँ में सर हिला देती है। तभी प्रहलाद बोले: मिहिर जाओ सान्वी को बाहर तक छोड़ के आओ।

    मिहिर उन्हें देखकर बोला: ये अपने आप भी जा सकती है दादाजी।

    प्रहलाद कोल्ड वॉइस में बोले: जितना कहाँ है उतना करो।

    सान्वी बोली: कोई बात नहीं दादू मैं जा सकती हूँ। सीनियर ठीक कह रहे हैं।

    प्रहलाद मिहिर को घूर के देखते हैं। मिहिर अपनी जगह से खड़े होते हुए बोला: फ़ाइन दादाजी। ऐसे घूरना बंद करिए।

    प्रहलाद प्यार से बोले: जाओ फिर आना।

    सान्वी हाँ में सर हिला देती है। वो मिहिर के पीछे चल रही थी। तभी मिहिर अपनी पॉकेट से अपना फ़ोन निकालता है तो उसके साथ ही उसका वॉलेट गिर जाता है जिसपे मिहिर का ध्यान नहीं जाता। सान्वी उस वॉलेट को उठा लेती है।

    सान्वी और मिहिर दोनों ही अब तक सान्वी की कार के पास आ गए थे। तभी सान्वी बोली: सीनियर आपका वॉलेट गिर गया था।

    मिहिर जो फ़ोन में बिज़ी होने की एक्टिंग कर रहा था सान्वी की आवाज़ सुनकर उसकी तरफ़ देखता है जो उसका वॉलेट उसकी तरफ़ बढ़ाए हुए उसे देख रही थी।

    मिहिर उसे अपना वॉलेट लेकर अपनी दूसरी पॉकेट से लाइटर निकालकर अपना वॉलेट जला देता है। सान्वी उसे खड़ी देख रही थी। उसने कोई रिएक्शन शो नहीं किया। मिहिर उस जलते हुए वॉलेट को देखते हुए बोला: मुझे बर्दाश्त नहीं है कोई मेरी चीज़ों को हाथ लगाए। खासकर तुम तो बिल्कुल भी नहीं।

    सान्वी उसकी बात सुनकर मुस्कुराई और आगे बढ़कर मिहिर को हग कर लेती है। मिहिर तो अपनी जगह पे फ़्रीज़ ही हो गया था। सान्वी उसे थोड़ा अलग होकर उसके गालों में अपनी बाहें डालकर उसके होठों के करीब जाकर पहले उसकी आँखों में देखती है जो आँखें बड़ी करके उसे ही देख रहा था। सान्वी उसकी आँखों से नज़र हटाकर उसके होठों पे आ जाती है जो पतले पिंक लिप्स थे।

    सान्वी मिहिर के लिप्स के साइड में किस करते हुए प्यार से बोली: अब अपनी पूरी बॉडी में भी केरोसीन छिड़क के आग लगा लो। इतना कहकर सान्वी उसे दूर हो जाती है और पलटकर अपनी कार में बैठ जाती है। रुस्तम ने कार का डोर पहले ही खोल दिया था। वो खुद हैरान था सान्वी की इस हरकत पे।

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  • 19. Whisper on campus - Chapter 19

    Words: 1655

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे...

    सान्वी अपनी कार ड्राइव करते हुए सामने देख रही थी। उसका पूरा चेहरा लाल था। उसे समझ नहीं आया कि उसने अभी-अभी मिहिर के साथ क्या हरकत की। वह एकदम से अपनी कार रोकती है।

    सान्वी अपने बाल नोचते हुए खुद से गुस्से से बोली: "ये क्या बेवकूफी भरी हरकत थी सान्वी? तू कैसे उस घटिया इंसान को हग कर सकती है? हग तो ठीक था, किस की क्या ज़रूरत थी? आज तक खुद के बॉयफ्रेंड को किस नहीं किया और एक ऐसे पागल इंसान को किस करके आ गई। क्या सोच रहा होगा यार वो मेरे बारे में? पर सारी गलती उसकी ही है। पता नहीं क्या समझता है खुद को? वॉलेट लेकर निकलता बनता, जलाने की क्या ज़रूरत थी? गधा कहिं का! गुस्से में कुछ और भी कर लेती या बोल देती। वैसे तो इतनी जुबान चलती है... ओह गॉड! मेरा सर फाट जाएगा।" सान्वी खुद को ही कोस रही थी। उसे अपनी की गई हरकत पर शर्म आ रही थी। यह पहली बार था जब वह किसी लड़के के इतने करीब आई थी। सान्वी ने उस टाइम गुस्से में तो वो सब कर दिया, पर अब उसे पछतावा हो रहा था। वह दुबारा कार स्टार्ट करती है। इस टाइम उसका दिमाग खराब हो रहा था।

    इधर कॉटेज...

    मिहिर अपनी जगह पे जम सा चूका था। आज पहली बार कोई लड़की उसके इतने करीब आई थी। उसके कान हल्के-हल्के लाल होने लगे थे जब सान्वी ने उसे हग किया। उसकी बॉडी में करंट सा दौड़ गया। उसके दिल की धड़कनें किसी बुलेट ट्रेन की तरह तेज़ हो गई थीं। उसका हाथ अपने आप ही अपने होठों के साइड पे चला गया जहाँ सान्वी ने उसे किस किया था। मिहिर के चेहरे पे न दिखने वाली स्माइल आ गई थी। उसे खुद को भी पता नहीं चला।

    तभी वहाँ कैरव आते हैं और उसके कंधे पे हाथ रखते हुए बोले: "अब क्या यहीं खड़े रहना है? चल अंदर, दादू बुला रहे हैं।"

    मिहिर को अब होश आया। वो कितनी देर से यहाँ खड़ा था। वो कैरव के साथ अंदर चला जाता है। कॉटेज के अंदर आते ही मिहिर सोफे पे बैठ जाता है। कैरव भी मिहिर की साइड में जा के बैठ जाता है। कैरव और प्रल्हाद एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे।

    उन्हें ऐसे मुस्कुराते देख मिहिर की आइब्रो आपस में जुड़ जाती हैं। वो उन दोनों को देख के बोला: "क्या बात है? आप दोनों ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हैं?"

    प्रल्हाद अपना गाल साफ करते हुए बोला: "पहली बार किसी ने मिहिर सिंघानिया की बोलती बंद करी है, तो अब तुम क्या करोगे? लगाओगे आग खुद को या फिर...?"

    मिहिर अपने दादाजी की बात सुनकर हैरान हो जाता है। वो हैरानी से बोला: "आप... आपने देख लिया?"

    कैरव उसके कंधे से कंधा मारते हुए बोला: "हाँ, देख लिया। वैसे सही जवाब दिया है सान्वी ने तुझे। अच्छा-खासा प्यार से वॉलेट दे रही थी तो ले लेता, जलाने की क्या ज़रूरत थी? पर जो भी कहो, एकदम मस्त सीन था!"

    मिहिर के कान लाल होने लगे थे। वो खुद को संभालते हुए गुस्से से बोला: "मैं उस लड़की को छोड़ूंगा नहीं। खुद को क्या समझती है? उसकी हिम्मत भी कैसे हुई? अब उसका जीना हराम नहीं किया ना मेरा नाम भी मिहिर सिंघानिया नहीं..."

    मिहिर की बात सुनकर प्रल्हाद कोल्ड वॉइस में बोले: "सोचना भी मत! अगर मेरी लिटिल बर्ड को ज़रा भी दिक्कत हुई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। वो पहले से ही बहुत परेशान है। उसे और परेशान करने की ज़रूरत नहीं है। और हाँ, अब तुम्हें उसे दूसरे लोगों से प्रोटेक्ट करना है। समझें?"

    मिहिर प्रल्हाद की बात सुनकर गुस्से से बोला: "पर दादाजी..."

    प्रल्हाद उसे बीच में तोड़ते हुए बोला: "मुझे कुछ नहीं सुनना। समझें!"

    तभी वहाँ एक आदमी आता है जो प्रल्हाद का असिस्टेंट था। वो प्रल्हाद को ग्रीट करता है, साथ ही मिहिर और कैरव को भी।

    प्रल्हाद अपने असिस्टेंट से बोला: "जो अभी लड़की आई थी उसके पीछे अपने बॉडीगार्ड्स लगा दो। उसकी प्रोटेक्शन में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।"

    मिहिर प्रल्हाद को सान्वी के लिए इतना प्रोटेक्टिव होते देख बोला: "दादाजी ऐसा भी क्या है उस लड़की में?"

    प्रल्हाद बोला: "मेरी लाइफ में जब डाउनफॉल चल रहा था तब आई थी छवि मेरी लाइफ में। सान्वी की दादी तुम नहीं जानते उसके कितने एहसान हैं मुझ पे। छवि की एक ये ही आखिरी निशानी बची है मेरे पास।"

    प्रल्हाद असिस्टेंट को देखकर बोले: "काम हुआ जो बोला था?"

    असिस्टेंट प्रल्हाद की तरफ फोन बढ़ाते हुए बोला: "येस बॉस, डन!"

    कैरव जल्दी से बोला: "क्या कर रहे दादाजी आप?"

    प्रल्हाद उसका कोई जवाब नहीं देता। वो बस कान पे फोन रख लेता है। मिहिर और कैरव दोनों ही उसे देख रहे थे।

    दूसरी साइड से कोई कॉल पिक करता है। प्रल्हाद गहरी साँस लेकर बोला: "अशोक आर्यावंशी..."

    मिहिर और कैरव दोनों हैरान हो जाते हैं क्योंकि वो जानते थे अशोक आर्यावंशी कौन था और ये भी जानते थे कि उन दोनों की ज़रा भी नहीं बनती एक-दूसरे से। उन्हें ये नहीं पता था सान्वी उन्हीं की ग्रैंडडॉटर है।

    हॉस्टल...

    सान्वी अपनी कार पार्क करके गर्ल्स हॉस्टल की तरफ जा रही थी। वो अभी जा ही रही थी कि उसके सामने रिषि और विराट आकर खड़े हो जाते हैं। सान्वी उन्हें देखकर एक पल के लिए रुक जाती है, पर वो उनके साइड में से निकल के जाने लगती है।

    उसे साइड से जाता देख विराट सान्वी का हाथ पकड़ लेता है। बस फिर क्या था? सान्वी का चेहरा ठंडा पड़ गया। वो अपनी गर्दन टेढ़ी करके अपना हाथ देखती है जो विराट ने पकड़ रखा था। फिर विराट को देखती है जो एक टेढ़ी स्माइल के साथ उसे देख रहा था।

    सान्वी विराट का हाथ अपने हाथ में लेकर उसकी कमर से लगाकर विराट की गर्दन के पीछे हाथ रखकर उसकी कमर को पूरा झुका देती है। विराट की दर्द से चीख निकल जाती है। सान्वी उसका हाथ काफ़ी टाइट पकड़ रखा था, साथ ही उसका हाथ मरोड़ दिया था। उसकी गर्दन पे भी काफ़ी टाइट पकड़ थी। विराट दर्द से तड़प रहा था। रिषि तो दो कदम पीछे हो गया था। विराट के चिल्लाने से वहाँ भीड़ इकट्ठी हो गई थी। सभी बच्चे उन तीनों को देख रहे थे।

    सान्वी दाँत पीसते हुए बोली: "अग़र से अगर मुझे हाथ लगाया ना तो हाथ तोड़ के ऐसी जगह फिट करूंगी तेरी बॉडी में निकलने पे भी दर्द होगा।"

    इतना कहकर सान्वी उसे धक्का देते हुए छोड़ देती है। विराट मुँह के बल ज़मीन पे गिर जाता है। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था। सान्वी बिना किसी पे ध्यान देते हुए अपने रूम की तरफ़ चली जाती है।

    उसके जाते ही रिषि जल्दी से विराट को उठाते हुए बोला: "क्या ज़रूरत थी हाथ लगाने की? आराम से बात कर सकते थे ना?"

    विराट उसे धक्का देते हुए गुस्से से बोला: "साले खड़े-खड़े मेरा मुँह देख रहा था। वो लड़की मेरे साथ इतना कुछ करके चली गई।"

    रिषि बोला: "जब तू कुछ नहीं कर पाया जबकि इतना हट्टा-कट्टा है तू, तो मेरा भी यही हाल होता। उसे कमज़ोर समझने की गलती नहीं कर सकते हम।"

    विराट गुस्से में वहाँ से चला जाता है। रिषि जल्दी से रेयांश के पास चला जाता है। उन्हीं स्टूडेंट्स में से निरंजन और अवनी, अदिति भी थीं। वो तीनों भी वहाँ से चले जाते हैं।

    रात के 9 बजे...

    पूरे हॉस्टल में ये बात आग की तरह फैल गई थी। सान्वी ने विराट के साथ क्या किया। खैर बातें तो सारी ही फैल रही थीं। जितने लोगों ने अभी तक सान्वी के साथ मिसबिहेव करने की कोशिश की थी, सान्वी ने सबको अच्छे से मज़ा चखाया था। बहुत से स्टूडेंट्स तो हद से ज़्यादा खुश थे। आखिर उनकी रेंजिंग हुई थी। उनका बदला सान्वी ले रही थी। सान्वी की हर जगह तारीफ़ हो रही थी।

    प्रोजेक्ट रूम...

    इधर सान्वी, कैरव, आस्था और मिहिर एक साथ एक रूम में थे। ये रूम हॉस्टल के पास ही था जहाँ बस रिच स्टूडेंट्स ही आते थे जिन्हें प्रोजेक्ट पे काम करना होता था।

    सान्वी प्रोजेक्ट से रिलेटेड कैरव और आस्था को बता रही थी। उसके हाथ में एक मोटर थी जिस पे उसने कुछ एक्सपेरिमेंट किया था। सान्वी मशीन पार्ट को अच्छे से एडजस्ट करने वाली थी और कैरव उन्हें गाइड करने वाला था और आस्था उस प्रोजेक्ट के डिज़ाइन करने वाली थी। मिहिर उन तीनों को देख रहा था। हालाँकि उसे भी अपने जूनियर की हेल्प करनी थी, उसने उन्हें कॉल का बोलकर मना कर दिया।

    मिहिर की नज़र सान्वी पे थी जो उसे देख भी नहीं रही थी। वो मन में बोला: "इतना नॉर्मल कैसे बिहेव कर सकती है जैसे कुछ हुआ ही ना हो तुमसे? इस चीज़ का बदला तो लेकर रहूँगा Ms. सान्वी आर्यावंशी।"

    सान्वी की नज़र मिहिर पे जाती है जो उसे ही देख रहा था। सान्वी के दिमाग में वो पल याद आये जब उसने उसे किस किया था। मिहिर सान्वी को अपनी तरफ़ देखता पाकर हड़बड़ा जाता है। वो उसे नज़र चुराने लगता है और इधर-उधर देखने लगता है। सान्वी उसकी इस हरकत पे उसके चेहरे पे न दिखने वाली स्माइल आ जाती है। फिर उसके दिमाग में कुछ आता है। वो ईविल स्माइल करती है। आस्था और कैरव एक-दूसरे से बात करने में बिज़ी थे। उनका ध्यान मिहिर और सान्वी पे था ही नहीं।

    मिहिर एक बार फिर सान्वी की तरफ़ देखता है। इस बार सान्वी अपने ऊपर लिप्स से अपने लोअर को दबा लेती है जिससे वो काफ़ी क्यूट और सेडक्टिव लग रही थी। वो मिहिर को चिढ़ा रही थी। मिहिर उसके ऐसे करने से हैरान हो जाता है और अपनी नज़र तुरंत उसे हटा लेता है। उसका चेहरा लाल होने लगा था। सान्वी को उसकी इस हरकत पे बड़ी हँसी आ रही थी, पर उसने जैसे-तैसे अपनी हँसी कंट्रोल की। उसने अपना चेहरा नीचे झुका लिया और अपने प्रोजेक्ट को देखने लगी। अगर वो ज़्यादा देर तक मिहिर को देखती तो उसकी हँसी निकल जाती।

    मिहिर उसे देखते हुए मन में ही बोला: "बेशर्म!"

    इधर सान्वी, आस्था और कैरव तीनों अपने प्रोजेक्ट पे काम करने लगते हैं।

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  • 20. Whisper on campus - Chapter 20

    Words: 1806

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे...

    रात का समय। सांवी, आस्था और कैरव अपने प्रोजेक्ट पर थोड़ा काम खत्म कर चुके थे, तभी सांवी बोली: "बाकी का हम कल करेंगे।"

    कैरव सांवी की बात सुनकर बोला: "ओके।"

    आस्था सांवी को देखते हुए बोली: "सांवी, तुमने विराज को क्यों पीटा?"

    कैरव और मिहिर, जो एक-दूसरे से कुछ बात कर रहे थे, वो दोनों आस्था की बात सुनकर सांवी को देखने लगते हैं। चारों अभी यहीं बैठे हुए थे।

    सांवी, जो अपने फोन में कुछ देख रही थी, आस्था की बात सुनकर सवालिया निगाहों से देखते हुए बोली: "विराज, कौन?"

    आस्था गहरी साँस लेकर बोली: "जब आज शाम तुम गर्ल्स हॉस्टल आ रही थीं, तब गर्ल्स हॉस्टल के रास्ते में तुमसे दो लड़के मिले थे ना?"

    सांवी को अब ध्यान आता है। वो फिर अपना फोन देखते हुए बोली: "मैंने उसे मारा नहीं था, बस थोड़ा हाथ मरोड़ा था।"

    आस्था तुरंत बोली: "पर क्यों? अगर बात तुम्हारे घर तक या प्रिंसिपल तक गई तो कॉलेज से निकाल दी जाओगी और फिर..."

    सांवी उसे बीच में तोड़ते हुए बोली: "तुम्हें मेरी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है। अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और इसकी नौबत मुझे कभी नहीं आएगी क्योंकि मैं खुद यह कॉलेज छोड़कर जा रही हूँ। पर जब तक मैं यहाँ हूँ, तब तक मुझे कोई भी मिसबिहेव या कुछ भी करने की कोशिश करे तो... अभी तक तो मैंने कुछ किया नहीं। अगर किसी ने भी अपनी लिमिट क्रॉस की तो बहुत कुछ कर दूँगी।"

    आस्था उसके जाने वाली बात सुनकर हैरान हो जाती है। वो कुछ कहती, उससे पहले ही वहाँ अवनी आ जाती है और सांवी के सामने खड़े होकर चिल्लाते हुए बोली: "व्हाट? सांवी, तुम ऐसे कैसे जा सकती हो? और अभी..."

    सांवी खड़े होते हुए बोली: "न तो मैं किसी से पूछकर यहाँ आई थी और न ही किसी से पूछकर जाऊँगी। मेरा मन जो करता है मैं वो करती हूँ।" इतना कहकर वो वहाँ से बिना किसी की सुने चली जाती है।

    मिहिर और कैरव उन्हें देख रहे थे, पर कुछ बोलते नहीं हैं। वो भी वहाँ से चले जाते हैं। अवनी सांवी की बात से इतना शॉक्ड थी, वो वहाँ रखी कुर्सी पर सिर पर अपने दोनों हाथ रख के बैठ जाती है। उसकी आँखों में आँसू थे।

    आस्था भी परेशान थी। वो भी बिना अवनी पर ध्यान दिए वहाँ से चली जाती है और सीधा अपने रूम में ना जाकर सांवी के रूम में चली जाती है।

    इधर बॉयज़ हॉस्टल में...

    रेयांश बौखलाए हुए अपने रूम में बैठा था। आज तक किसी ने भी उसकी या उसके गैंग की इतनी इंसल्ट नहीं की थी और सबसे बड़ी बात, वो सांवी का बाल भी बांका नहीं कर पा रहे थे।

    दूसरे रूम में...

    वियान अपने फोन में सांवी की फ़ोटो देखकर मुस्कुरा रहा था, जो उसने चुपके से ली थी। वो बहुत खुश था। उसकी डॉल किसी भी लड़के से बात नहीं करती थी।

    वहीं दूसरी साइड मिहिर का रूम...

    कैरव और मिहिर बेड पर लेटे सांवी के बारे में ही बात कर रहे थे। तभी कैरव बोला: "सांवी के चेहरे से लगता है दुनियाँ-जहाँ की सारी इनोसेंस भगवान ने उसे दे दी हो और हरकत पूछो मत, उसका दिमाग, जुबान, हाथ पर सब चलते हैं।"

    मिहिर कुछ सोचते हुए बोला: "हम्म, सही कह रहा है। पर उससे उसकी हद में रहना सिखाना होगा।"

    कैरव उसे अजीब नज़ारों से देख रहा था।

    गर्ल्स हॉस्टल...

    आस्था ने सांवी के रूम के बाहर खड़ी दरवाज़ा नॉक कर रही थी, पर सांवी दरवाज़ा खोलने के लिए तैयार नहीं थी। वो अब एक नज़र दरवाज़े को देखती है, फिर जैसे ही जाने को होती है, दरवाज़ा खुल जाता है।

    सांवी ने जैसे ही दरवाज़ा खोला, उसे आस्था दिखाई दी, जो नाराज़गी से उसे देख रही थी। सांवी दरवाज़ा खोले रूम में आ जाती है। आस्था रूम में चली जाती है और दरवाज़ा लॉक कर देती है।

    सांवी के रूम में बहुत ही प्यारी खुशबू थी और सांवी भी अभी शावर ले कर आई थी। उसने क्रॉप टॉप और शॉर्ट पहन रखे थे।

    सांवी अपने बेड पर लेट जाती है। आस्था तो सांवी को ही देख रही थी। फिर वो भी जाकर सांवी के साइड जाकर बैठ जाती है, पर कुछ बोलती नहीं है। बहुत देर की चुप्पी के बाद...

    आस्था बोली: "सांवी..."

    सांवी अपना फ़ोन ऑफ करके नाइटस्टैंड पर रखते हुए बोली: "आस्था, अभी मेरा मूड नहीं है बात करने का। सिर बहुत तेज़ दर्द हो रहा है। हम कल बात करते हैं।"

    इतना कहकर सांवी एसी का रिमोट उठाकर टेंपरेचर सेट करके आराम से आँख बंद करके लेट जाती है। आस्था बहुत गौर से उसे देख रही थी। सांवी के चेहरे पर थकान साफ़ नज़र आ रही थी। वो कुछ नहीं बोलती, सांवी के सिर पर हाथ रखकर उसका सिर दबाने लगती है।

    अपने सिर पर हाथ फील होते देख सांवी आँख खोलकर आस्था को देखती है, जो उसे देखते हुए ही सिर दबा रही थी। सांवी उसका हाथ पकड़ते हुए बोली: "ये क्या कर रही हो? रहने दो, इसकी ज़रूरत नहीं है।"

    आस्था सांवी के हाथ को अपने हाथ से हटाते हुए बोली: "सो जाओ, रेस्ट की ज़रूरत है तुम्हें।"

    सांवी बहुत मना करती है, पर आस्था नहीं मानती। फिर सांवी भी कुछ नहीं कहती। उसके सिर में सच में बहुत दर्द हो रहा था। वो आँखें बंद कर लेती है। आस्था ऐसे ही उसका सिर दबाती रहती है। कुछ ही देर में सांवी सो भी जाती है। आस्था को जब लगता है वो सो गई, सांवी को अच्छे से ऊपर पेट के ऊपर तक ब्लेन्केट उड़ा देती है, फिर खुद भी उसकी साइड ब्लेन्केट ओढ़ के लेट जाती है। उसकी कब आँख लग जाती है, उसे पता नहीं चलता।

    अगली सुबह 🌄

    सांवी की आँख उसके फ़ोन के अलार्म से खुलती है। सांवी नाइटस्टैंड से फ़ोन उठाकर टाइम देखती है। सुबह के 5 बज रहे थे। सांवी अलार्म ऑफ करके दुबारा फ़ोन नाइटस्टैंड पर रखकर आँखें बंद कर लेती है। तभी उसे कुछ फील होता है।

    सांवी अपनी आँखें खोलकर नज़रे नीचे करके पेट की तरफ़ देखती है, जहाँ एक छोटा सा हाथ था। फिर सांवी सिर घुमा के अपने साइड में देखती है, जहाँ आस्था एकदम सांवी से चिपक के सो रही थी। उसका एक हाथ सांवी के पेट पर था और एक पैर सांवी के पैरों पर था।

    सांवी गहरी साँस लेकर बोली: "अगर हमें किसी ने ऐसे देख लिया तो लेस्बियन समझेगा।"

    सांवी दुबारा एक बार टाइम देखती है। उसको बहुत लो फील हो रहा था, इसलिए दुबारा सो जाती है।

    करीब 7 बजे आस्था और सांवी की आँख खुलती है। दोनों ही एक-दूसरे को देखती हैं। सांवी बिना आस्था पर ध्यान दिए उठकर बालकनी में चली जाती है। आस्था को अब थोड़ा अजीब लग रहा था। सांवी के रूम में वो दूसरी बार सो चुकी थी और आज उसने जब वो उठी तो सांवी के ऊपर उसके हाथ पैर थे।

    आस्था बालकनी के पास जाकर सांवी से जैसे ही कुछ कहने को होती है, उसकी आँखें बड़ी हो जाती हैं। वो जल्दी से सांवी के पास जाकर सांवी के हाथ से सिगरेट छीनकर फेंक देती है।

    सांवी, जो सामने देखते हुए कुछ सोच रही थी, उसके एक हाथ में कॉफ़ी मग था और दूसरे में सिगरेट। उसने कॉफ़ी मेकिंग मशीन रूम में ही ला रखी थी। आस्था की इस हरकत पर सांवी उसे बिना किसी एक्सप्रेशन के देखने लगती है।

    आस्था हल्के गुस्से में बोली: "तुम लड़की होकर सिगरेट पीती हो।"

    सांवी आई रोल करके बोली: "सो व्हाट?" इतना कहकर वो रूम में जाने लगती है।

    आस्था सांवी का हाथ पकड़ते हुए बोली: "सांवी, इट्स बैड हैबिट। लोग क्या सोचेंगे तुम्हारे बारे में?"

    सांवी उसे अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली: "तुम जा सकती हो और मुझे न तुम्हारी सोच और न ही लोगों की सोच से फ़र्क पड़ता है। लोगों का क्या है? वो तो हर किसी को गलत समझते हैं। अगर तुम्हें मैं गलत लगती हूँ तो दूर रहो मुझसे।"

    आस्था उसकी बात पर बोली: "ऐसा कुछ नहीं है सांवी, मैं तो बस..."

    सांवी उसे इग्नोर करके वॉशरूम में चली जाती है। आस्था को बुरा लगता है। वो सैड होते हुए बोली: "तुम ऐसी क्यों हो?" इतना कहकर वो भी सांवी के रूम से चली जाती है।

    कॉलेज...

    सांवी कॉलेज यूनिफ़ॉर्म पहने कॉलेज के ग्राउंड से होते हुए अपनी क्लास में जा रही थी। अभी वो ग्राउंड में थी और उसकी कुछ दूरी पर आस्था अपनी दोस्तों के साथ उसके पीछे चल रही थी।

    अभी सांवी जा ही रही थी कि अपने सामने अवनी को देखती है, जो कुछ लड़कों की गैंग के सामने सर झुकाए खड़ी रो रही थी।

    सांवी की आँखें छोटी हो जाती हैं। वो अपने कदम अवनी की तरफ़ बढ़ा देती है। आस्था भी उन सांवी के पीछे जाने लगती है तो अदिति उसका हाथ पकड़कर उसे जाने से रोकने लगती है, पर आस्था कहाँ सुनने वाली थी? वो अपना हाथ छुड़ा के चली जाती है। अदिति और सान्या बस उसे जाते हुए देखती रहती हैं।

    सांवी अवनी के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रख देती है। अवनी सर उठाकर सांवी को देखती है, जो लड़कों की गैंग को देख रही थी। जो और कोई नहीं, रेयांश की ही गैंग थी और आज उनके साथ टीना और उसकी चमचियाँ भी थीं। अवनी की आँखों में डर और चमक एक साथ आ जाती है। भले ही अवनी प्रिंसिपल की ग्रैंडडॉटर थी, पर रेयांश, विहान और मिहिर, कैरव के आगे किसी की नहीं चलती थी। जबसे रेयांश को पता चला था सांवी, आस्था और अवनी से बात करती है, तबसे वो या तो आस्था को टारगेट करने की कोशिश कर रहा था या फिर अवनी को और आज उसे अवनी मिल भी गई थी।

    सांवी रेयांश को इग्नोर करते हुए अवनी से बोली: "क्या हुआ? रो क्यों रही हो?" अभी तक आस्था भी आ चुकी थी सांवी के पास और वो सांवी के साइड में ही खड़ी हो जाती है।

    सांवी अवनी को देखती है, जो सर झुकाए आँसू बहा रही थी, पर उसके सवाल के जवाब नहीं दे रही थी। सांवी हाथ बढ़ा के उसका चेहरा ऊपर करके देखती है। अवनी का पूरा चेहरा आँसुओं से भरा पड़ा था। सांवी अपनी पॉकेट से अपना रूमाल निकालकर उसका चेहरा साफ़ करती है।

    रेयांश तेज़ आवाज़ में बोला: "ड्रामा बंद करो अवनी, जितना कहा है उतना करो, वरना तुम जानती हो ना मैं क्या करूँगा।"

    अवनी उसकी आवाज़ सुनकर घबरा जाती है। सांवी उसकी घबराहट को देखते हुए बोली: "वो कुछ नहीं करेगी।"

    रेयांश सांवी की बात सुनकर ईविल स्माइल करते हुए बोला: "तो अब तुम सुपरवूमन भी बन गई हो? चलो, वो नहीं तो तुम कर दो, या तो हम सबके लिए सॉन्ग सुना दो या फिर मेरे पैर दबा दो।"

    सांवी उसकी बात सुनकर हल्का सा हँसते हुए बोली: "रियली सीनियर? मुझे समझ नहीं आता तुम किस नाम के सीनियर हो। तुम्हें अपने माथे पर सी लिखवा लेना चाहिए। कम से कम इंसान देखकर तो बात करा करो यार। तुम्हारी इतनी औक़ात है कि तुम सांवी आर्यावंशी से कुछ करवा सको?"

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