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Contract killer with The Nightingale

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जर्मनी में रहने वाला एक कांट्रैक्ट किलर रॉबिन।जिसके लिए पैसा लेकर किसी को भी मारना कोई बड़ी बात नहीं है, उसने गलती से माफिया किंग और अंडरवर्ल्ड डॉन का मर्डर कर दिया, जहां एक तरफ जर्मनी की पुलिस और अंडरवर्ल्ड के लोग दोनों रोबिन की तलाश करने लग गए, तो...

Total Chapters (123)

Page 1 of 7

  • 1. कांट्रैक्ट किलर रोबिन

    Words: 1575

    Estimated Reading Time: 10 min

    बर्लिन जर्मनी की राजधानी

    किसी कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर। सिर्फ दीवारें और खंडहर बिल्डिंग थी।

    शायद यहां का कंस्ट्रक्शन सालों पहले ही बंद हो गया था। वहां मौजूद बड़े से हाल के बीचो-बीच एक सेंट्रल टेबल लगी हुई थी।

    उस सेंट्रल टेबल के एक तरफ एक 55 साल का आदमी जिसने ओवरकोट पहना हुआ था और काओ बॉय केप पहनी हुई थी। उसकी नीली आंखें और मुंह में दबे सिगरेट से यह पता चल रहा था। कि वह कोई शरीफ इंसान नहीं है।

    उस टेबल के दूसरी तरफ कुर्सी पर एक शख्स अपने एक पैर के ऊपर दोनों पर चढ़ कर बैठा हुआ था। उसने एक बिजनेस सूट पहना हुआ था। उम्र यही कोई 26 साल।

    6 फीट हाइट। हल्की भूरी आंखें। शार्प जो लाइन और चौडा सीना । यह शख्स अपने आप में किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में कामयाब है।

    नीली आंखों वाले आदमी ने सामने की तरफ देखते हुए पहले अपने मुंह से। जलती हुई सिगार को निकाला और फिर एक धुआं छोड़ते हुए जर्मन भाषा में कहा 

    रोबि तुम्हें जितने पैसे मिले हैं। मैं तुम्हें उस का डबल दूंगा। मेरे लिए कम करो।

    सामने बैठा भूरी आंखों वाला वह शख्स एक गंदी हंसी हंसना है और कहता है।

    रोबि पैसों के लिए काम जरूर करता है। लेकिन ईमानदारी से। और मेरी ईमानदारी पर कोई शक नहीं कर सकता इस का एग्जांपल तुम भी हो।

    तभी वहां पर एक खट खट की आवाज आती है।उन दोनों का ध्यान साइड की एक पिलर पर जाता है। जहां पर एक लड़की बहुत ही शर्ट और रिवीलिंग कपड़े पहने अपने हाई हील से जमीन पर टक टक मार रही थी।

    वह लड़की जर्मनी की थी। उसकी होठों पर गहरी लाल रंग की लिपस्टिक लगी हुई थी। जिसके बीच में एक सिगरेट लगी हुई थी। उस लड़की ने अपनी नशीली आंखों से रोबि की तरफ देखा और अपने होठों से सिगरेट निकाल कर उसका धुआं छोड़ते हुए कहा…। “आई लाइक योर स्टाइल।

    रोबिन के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान। सामने बैठे नीली आंखों वाले आदमी ने लड़की को घुर कर देखा और कहा, "यू बीच  तुम सोती मेरे साथ हो। और नजर दूसरे मर्दों पर रखती हो।"

    लड़की ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया। बल्कि वह अपनी आंखों से लगातार रोबि को ही घुर रही थी।

    उस नीली आंखों वाले आदमी ने रोबि को देखकर कहा, "रोबि मैं अभी कह रहा हूं मैं तुम्हें तीन गुना देने को तैयार हूं मेरे साथ हाथ मिला लो।"

    रोबि ने अपने चेहरे पर एक एरोगेंट स्माइल के साथ कहा, "हाथ तो में किसी के साथ नहीं मिलाता हु यू नो व्हाट बहुत बीमारियां होती है। और जहां तक बात रही पैसों की। तो मैं चोर हूं पर ईमानदार हूं और जिससे पैसे लिए हैं। मैं उसके साथ कभी बेईमानी नहीं करूंगा।"

    ऐसा कहते हुए रोबि ने अपना एक हाथ उठाया जिसमें एक गन थी, किसी को कुछ सोचने का मौका ही नहीं मिला और रोबि ने वह गन फायर कर दी, साइलेंसर लगा होने की वजह से आवाज नहीं हुई, लेकिन एक ही मिनट में वो नीली आंखों वाला आदमी ढेर हो गया।

    रोबि के चेहरे पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं थी, वह बहुत शांति से उस आदमी के शरीर से बहते हुए खून को देख रहा था। और वह लड़कीउसे तो जैसे इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ा, उसने उसी तरीके से सिगरेट के धुएं को उड़ते हुए रोबि के पास आती है, और उसके पीछे से होते हुए उसके शोल्डर पर हाथ फेरते हुए दूसरी तरफ चली जाती है।

    रॉबि एक नजर उस मरे हुए आदमी को देखा है, और फिर कुर्सी से खड़ा होते हुए। उस और चला जाता है, जहां वह लड़की गई थी

    रॉबि जब वहां पहुंचता है, तो देखा है कि स्लैब के ऊपर। वह लड़की बहुत ही वेयड तरीके से बैठी हुई थी। उसके इस तरीके से बैठे देखने पर किसी को भी शर्म आ जाए, पर रोबि बिना भाव के आगे बढ़ता गया।

    उस लड़की ने सिगरेट का आखिरी कस लेते हुए, उस एक तरफ उछाल दिया और अपने होठों से सिगरेट का धुआं छोड़ने लगी।

    जब रॉबी उस लड़की के बहुत करीब आ गया। तो उस लड़की ने अपने होठों को अपने दांतों तले दबा लिया। और अपने चेहरे को ऊपर करके अपनी सुराही दार गरदन रोबि के सामने रिवील कर दी।

    रोबि ने अपने एक हाथ से उसकी गर्दन को पीछे से पकड़ा और उसके गर्दन को चूमने लगा।

    थोड़ी देर बाद उस लड़की के कपड़े और रोबि के कपड़े स्लैब के नीचे गिरे हुए थे।और उसे कमरे से सिर्फ चीखे और कहारों की आवाज आ रही थी।

    सब कुछ खत्म होने के बाद वह लड़की रॉबी के सीने पर सांप की तरह लूटी हुई थी। और रोबि ने अपने दोनों हाथ अपने सर के पीछे रखे, हुए एक टक सीलिंग को देख रहा था।

    वह लड़की अपना चेहरा उठाती है, और रोबि के चेहरे के पास आते हुए, जैसे ही वह उसके होठों की तरह बढ़नी है रोबि अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेता है।

    उस लड़की ने हैरानी से रॉबी को देखते हुए जर्मनी में कहा.. “ व्हाट हैपेंड।

    रोबि ने उस लड़की को कंधे से अपने पकड़ कर अपने ऊपर से हटाया और बैठते हुए कहा, "“तुम मेरे लिप्स को किस करना डिजर्व नहीं करती हो।"

    वह लड़की अपनी आंखें छोटी करते हुए रोबि को देखते हैं मतलब वह उसके साथ इंटीमेट हो चुका है

    लेकिन वह लड़की उसके लिप्स पर किस नहीं कर सकती है उसने एक गंदी गाली देते हुए कहा, "W.t.f….। "

    रोबि स्लैब से नीचे उतरता है। और अपने कपड़े पहनते हुए कहता है।. “ ऑल डन स्वीटहार्ट। वैसे तुम चाहो तो मैं और भी बहुत कुछ कर सकता हूं।"

    वह लड़की जो इस समय बिना कपड़ों के रोबि के सामने आदि लेटी हुई थी। उसने रोबि के गले में बाहें डालते हुए कहा, ”तुम बस मुझे एक किस करने दो। उसके बाद देखो तुम्हें जन्नत की सैर कराती हूं।"

    रोबि ने अपने चेहरे पर एक इविल स्माइल रखते हुए उसे खुद से दूर किया और कहा, "मेरे होठों तक पहुंच जाओ इतनी औकात नहीं हुई है तुम्हारी।"

    उस लड़की की आंखें छोटी हो गई। उसने कहा, “तुम कहना क्या चाहते हो? "

    रोबि ने कहा, "मैं बहुत सी लड़कियों के साथ फिजिकल हो चुका हूं लेकिन कोई भी लड़की मेरे होठों तक नहीं पहुंच सकी। क्योंकि जो लड़की मेरे होठों तक पहुंच जाए। उस का कनेक्शन  सीधे मेरे दिल से होगा। और मेरे दिल में जगह बना ले ऐसी लड़की आज तक पैदा नहीं है।"

    उस लड़की ने बहुत ही अदाओं के साथ रोबि के सीने पर हाथ फेरते हुए कहा, "तुम मुझे मौका तो देकर देखो। हो सकता है तुम्हारे दिल में पहुंच कर। मैं अपने लिए जगह बना लूं।"

    रोबि ने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ कर झटकते हुए कहा, “तुम जैसी लड़किया सिर्फ बेड पर अच्छी लगती हो लाइफ में नहीं। और वैसे भी रोबि एक बार यूज़ की हुई चीज दोबारा नहीं यूज़ नही करता।"

    वह लड़की हैरान रह गई । 5 मिनट बाद रोबि अपने कपड़ो को सही करता हुआ वहां से बाहर निकलता है।

    और कमरे की स्लैब के ऊपर वह लड़की बिना कपड़ों के लेटी हुई थी।

     उसकी रेड ड्रेस उस स्लेब के नीचे बेदर्दी तरीके से पड़ी हुई थी। और उस लड़की के हाथ स्लैब से लटक रहे थे।उसके सर बीचों-बीच गोली के निशान लगा हुआ था। रोबि ने इस लड़की को गोली मार दी।

    रोबि उस कंस्ट्रक्शन साइड से बाहर आता है। और अपनी गाड़ी में बैठते हुए, बुगाटी स्टार्ट करता है। स्टर्लिंग व्हील पर लगे हुए फोन से कनिकट होता है। और किसी से कहता है।.. “सामने वाली पार्टी को कह दो. काम हो गया बाकी के पैसे भिजवा दे।

    सामने से कोई ओके बोलता है। रोबि फोन काट के डैश बोर्ड से एक सिगरेट निकलता है। और उसे जलते हुए ड्राइव करता है..। 10 मिनट बाद रोबि के फोन पर एक मैसेज आता है. उसके अकाउंट में 10 लाख यूरो आ गए थे।

    रोबि के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ। और उसने सिगरेट का धुआं छोड़ते हुए. एक मैसेज टाइप किया।

    सामने से दो स्माइली और हैप्पी वाले इमोजी आए।

    जर्मनी के एक समंदर के किनारे। एक शानदार क्रूज में।।

     रोबि क्रूज में के बने बेडरूम में आता है. और आने के साथ वह सबसे पहले बाथरूम में चला जाता है।वह अपने सारे कपड़े उतार कर सिर्फ पेट में शावर के नीचे खड़ा होता है।

    उसका मजबूत सीना,बाइसेप्स और सिक्स पैक उसे किसी हॉट लेडी किलर का लुक दे रहे थे। वैसे कीलर तो वह था ही। पर उसे इस लुक में देखने के बाद कोई भी लड़की अपनी जान दे दे ।

    उसके उभरे हुए सीने पर एक तरफ में बहुत बड़ा सा चक्र की तरह कोई टैटू बना हुआ।

    यहां तक की उसके शोल्डर पर भी एक तरह एक साइड में जर्मनी में कुछ लिखा हुआ था।

    और दूसरी साइड एक अजगर का टैटू बना हुआ था।

    । उसे अजगर के टैटू ने उसके लेफ्ट हैंड को पूरा कर कर रखा था। उसका टैटू रियल इफेक्ट ही देता था

    .जैसे कि किसी अजगर ने सच में उसके हाथ को जाकड़ रखा है।

    यहां तक की उसके गर्दन पर भी एक दर्द डेविल का टैटू था। और पीठ पर ईगल के पंख जिसे उसके पूरे पीठ को कवर कर रखा था।

    इतने सारे टैटू होने के बावजूद भी उसकी बॉडी एकदम फिट और अट्रैक्टिव थी।

    रोबिन अपने अक्स को शीशे में देखा हुआ कुछ सोच रहा था और पानी की बूंदे उसके शरीर पर मोतियों की तरफ फिसल रही थी।


     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

  • 2. मुझे खुश करो

    Words: 1494

    Estimated Reading Time: 9 min

    रोबि जीस क्रूस पर था. थोड़ी देर बाद क्रूस के सामने एक चमचमाती हुई लैंबॉर्गिनी अगर रूकती है। उसे लैंबॉर्गिनी का दरवाजा ओपन।



    और एक तरफ से एक 25 साल का लड़का आंखों में शेड़ लगता हुआ बाहर।। दिखने में यह भी काफी अट्रैक्टिव था लेकिन रोबि से थोड़ा कम।

     तभी उस कार का दूसरा दरवाजा ओपन होता है। और वहां से भी एक 25 लड़का बाहर निकलता है।। यह लड़का जर्मनी का ही है।यह दोनों लड़के दिखने में काफी हैंडसम लग रहे थे। हां रोबि जितने अट्रैक्टिव और मस्कुलर नहीं थे लेकिन उस कम भी नहीं।



    वह दोनों लड़के उस क्रूस को देखते हैं तो पहले लड़का कहता है।।

     अलैक्स क्या क्रूस है यार.। मनाना पड़ेगा रॉबिन को।

    अपना दोस्त सच में बहुत दिलदार है. मतलब उसके पास पैसे आ जाए. तो खर्च करने में अपना यार कंजूसी नहीं करता।



     जर्मनी लड़का जिससे उसे दूसरे लड़के ने अलेक्स का कर बुलाया था. उसने उस लड़के को घूरते हुए देखा और टूटी फूटी हिंदी को जर्मनी भाषा में मिलते हुए कहा।।

    निक ( निखिल) जब तुम दोनों से दोस्ती की थी. तभी मुझे अंदाजा हो गया था. कि हो ना हो तुम दोनों मुझे एक दिन अपनी तरह बना ही दोगे। आधा इंडियन तो तुम दोनों ने मुझे बना दिया. और लगता है कि पूरा गैंगस्टर बना दोगे।

    अबे साले रॉबी कीलर है, कांट्रैक्ट किलर। पैसे लेकर लोगों को मारता है. तुझे पता भी है. अगर यहां की पुलिस को उसके बारे में पता चल गया ना। तो वह उसे उठाकर जेल में डाल देगे. और यहां पर सजा के रूप में सिर्फ मौत मिलती है माफी नहीं।



    निक ने अलेक्स को देखकर कहा।.. “। वह कौन सा पहली बार यह काम कर रहा है। 15 साल की उम्र से ये कर रहा है । आज तक कभी पकड़ा नहीं गया ना। क्योंकि रोबि और रॉबिन दोनों एक ही इंसान है. या आज तक यहां की पुलिस जान ही।

    उसके जितने भी ठेकेदार हैं.वह सब उसे रोबि के नाम से जानते हैं। बस हम हैं जो उसका नाम रॉबिन जानते हैं।

    रिलैक्स यार. तू क्यों इतना डरता है कुछ नहीं होगा।।।



    अलेक्स कुछ कहना चाह रहा था. नीक उसे कंधे से पकड़ता हुआ आगे धकेलता है और कहता है.. “ अब जो भी बात करनी है अंदर चल कर कर. रॉबिन हमारा इंतजार कर रहा होगा।



    वह दोनों अंदर पहुंचते हैं पूरा हॉल खाली था। वह दोनों जाते हैं और सोफा पर जा कार बैठ जाते हैं।।



    नीक अलेक्स से कहता है.. “ यू वांट ड्रिंक



    अलेक्स हां में सर हिलता है, तो निक सोफे से खड़ा होते हुए वहां पर लगे एक फ्रिज की तरफ जाता है। जैसे ही वह फ्रिज के पास पहुंचता है। बाथरूम का दरवाजा खुलता है और बाथरूप पहने रॉबिन बाहर आता है। उसके चेहरे पर शांति के भाव थी. वह उन दोनों को देखकर मुस्कुराते हुए कहता.. “आ गए तुम दोनों कब से इंतजार कर रहा था।



    निक और एलेक्स दोनों रोबि को देखकर मुस्कुराने लगते हैं रॉबिन जाकर अलेक्स के बगल में बैठ जाता है। और अपने हाथ से उसके कंधे पर मरते हुए कहता है.. “ तु ठीक है ना?



    अलेक्स हा में सर हिलता है. तो निक फ्रिज खोलते हैं.और उसमें से बीयर की 2 कैन निकलते हुए कहता है.

     “ यह साल तो डर रहा है. कि तुझे पुलिस पकड़ लेगी।



    निक ने वह दोनों केन रॉबिन और एलेक्स की तरफ उछाल दी। रॉबिन और एलेक्स ने एक-एक कर के उस केन को कैच कर लिया.।

    रॉबिन हंसते हुए कैन ओपन करता है.और कहता है..

    “तू पागल है क्या, क्या छोटी-छोटी बातों पर टेंशन देने लगता है। मुझे पुलिस कभी नहीं पड़ सकती।



    निक भी अपना कैन लेकर सोफे पर आकर बैठ जाता है और तीनों अपना ड्रिंकिंग एंजॉय करते हैं। अलेक्स कहता है “ यार मैं अभी कह रहा हूं. यह काम छोड़ दे. यह हम तीनों पढ़े लिखे हैं. कोई छोटा-मोटा बिजनेस कर लेंगे।



    रॉबिन हंसते हुए अपना केन नीचे रखना है. और एक सिगरेट निकलते हुए कहता है. “ तू पागल है क्या. बुढ़ापे के काम अभी जवानी में करूंगा।।



    निक कहता है.. “और नहीं तो क्या. और वैसे भी तेरे बाप का बिजनेस है. हम दोनों के बाप का कौन सा बिजनेस है.। हम दोनों तो अनाथ है।



    रॉबिन घुर कर निक को देखा है. और कहता है।

    “शट अप निक . तू जानता है मुझे यह बात बिल्कुल पसंद नहीं है..किसने कहा कि हम अनाथ हैं. तुम दोनों हो ना मेरी फैमिली। तुम दोनों मेरे दोस्त नहीं हो। मेरे भाई हो और मुझे बिल्कुल पसंद नहीं कि। तुम इस तरह की बात को उठाओ इसलिए आज के बाद यह बात नहीं होनी चाहिए।



    अलेक्स रॉबिन को पीछे करते हुए कहता है..

     “ रिलैक्स रॉबिन उसने बस ऐसी कह दिया था. और मेरे बाप का होना भी कोई होना है क्या। मेरी मॉम के मरने के बाद उन्होंने किसी दूसरे औरत से शादी कर ली।। इसलिए तो मैं उनसे दूर हो गया. और मेरे लिए भी तुम दोनों ही मेरा परिवार हो। इसीलिए मैं नहीं चाहता कि तुम में से किसी को कुछ हो।



    रॉबिन अलेक्स के कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है..

     “ तो चल तेरे इस डर और फिक्र को खत्म करते हैं. आज रात जम के पार्टी करेंगे।



    तीन लड़के अपना अपना कैन उठाते हैं. और हवा में हाथों ऊपर करते हुए चेयर्स करते हैं। और एक दूसरे से केन टकरा के उसे पीने लगते हैं।



    रात का वक्त जर्मनी की बदनाम गलियों में नाइटक्लब की जगमगाहट और रंगीनिया. जर्मनी का यह हिस्सा अक्सर चर्चा का केंद्र रहा है



    एक नाइट क्लब में एक बार के टेबल पर बैठे।

    रॉबिन, एलेक्स और निक तीनों अपनी ड्रिंक इंजॉय कर रहे थे।।



    आसपास के लोगों ने नाचते गाते हुए अपने होश ख़ो रखे थे।। तीनों लड़कों ने भी अच्छी खासी ड्रिंक की हुई थी लेकिन इतने होश में थे. कि उन्हें पता चले कि आसपास क्या हो रहा है।



    तभी रोबिन का ध्यान सामने जाता है. डांस फ्लोर पर पोल डांस कर रही एक लड़की रॉबिन को देखते हुए सेडक्टिव इशारे कर रही थी। रॉबिन ने उस लड़की को देखा.तो उसके चेहरे पर भी एक इविल स्माइल आ गई।।



    निक ने जब रॉबिन को ऐसा करते देखा. तो उसके चेहरे पर एक नॉटी स्माइल आ गई। और उसने अलेक्स के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा।। “ इसका तो काम हो गया।



    वह लड़की बहुत ही अंदाज में रॉबिन के पास आती है. और उसके गर्दन पर हाथ फेरते हुए, बहुत ही सेडक्टिव वॉइस में  केहती है कि…क्या वह उसकी कुछ मदद कर सकती है।।

    यह बात उसे लड़की ने जर्मनी भाषा में कही थी।



    रॉबिन उसकी बातों का मतलब अच्छे से समझता था.जाहिर सी बात है. यह एक नाइटक्लब था और रेड लाइट एरिया में मौजूद था। यहां लड़की और क्या-क्या कर सकती है. यह बात तो वो अच्छी तरह से जानता था।

     वह पहले भी कई बार यहां आया था.और कईयों के साथ यहां से गया भी था।



    रॉबिन ने उसे लड़की को ऊपर से नीचे तक गुरा और उसकी क्लीवेज पर अपनी नजर बढ़ाते हुए। अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और बार काउंटर पर रख दिया। उस लड़की की नजर जब उसे पैसों पर गई। तो उसके चेहरे पर चमक आ गई।  जाहिर सी बात है. रॉबिन ने उसकी कीमत दी थी।



    उसने रोबि के सर्ट के बटन के एक सिरे को अपने हाथ से पकड़ा. और बहुत ही मदहोशी के साथ कहा.

    ।” कॉम विथ मी 



    रोबि अपनी जगह से खड़ा होता है।और उन दोनों को देखते हुए एक आंख मार देता है।।

    एलेक्स और निक दोनों उसे देख कर हंसने लगते हैं।और रॉबिन उस लड़की के साथ ऊपर फ्लोर की तरफ चला जाता है। वह लड़की रॉबिन को लेकर एक प्राइवेट रूम में जाती है।और अंदर जाते ही वह अपने कपड़े उतारने लगती है।



    वह लड़की डान्स करते हुए में रॉबिन के पास आती है। और उसके कंधे पर धक्का देते हुए उसे सोफे पर गिरती है।।



    रॉबिन जैसे ही सोफे पर गीरता है. वह लड़की रॉबिन की गोद में बैठ जाती है. और उसके गालों पर हाथ रखते हुए धीरे से उसके होठों की तरफ आने लगती है।



    पर रॉबिन उसके होठों पर हाथ रखते हुए अपनी आंखों से ना का इशारा करता है और कहता है।

    “मैंने पैसे दिए हैं. ताकि तुम मुझे खुश कर सको. ना कि मुझे किस कर सको।



    यह बात रॉबिन ने जर्मनी में कही थी, वह लड़की हैरान नजरों से रॉबिन को देखते हुए कहती है. “ अगर मैं तुम्हें किस नहीं करूंगी, तो तुम्हें खुश कैसे करूं।



    रॉबिन ने उस लड़की को अपनी गोद में उठा लिया.और ले जाकर बेड पर पटकते हुए वह अपनी बेल्ट खोलना है और कहता है

    तुम पहली नहीं हो. जो मेरे होठों तक आने की कोशिश कर रही हो  और तुम पहली भी नहीं हो जिसके साथ मैं यह सब कर रहा हूं। पर जो लड़की मुझे किस करें वह आखरी होगी ।



    ऐसा कहते हुए रॉबिन उस लड़की के ऊपर आ जाता है। और थोड़ी ही देर बाद. उस कमरे में इंटिमेसी की आवाज आने लगती हैं।

  • 3. यू पे फॉर थिस बेबी

    Words: 1577

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगले दिन रॉबिन अपनी कर ड्राइव कर रहा था. निखिल उसके बगल में बैठा था.और पीछे की सीट पर अलेक्स बैठा हुआ था. वो अपने फोन में कोई गेम खेल रहा था।



    निक रॉबिन को देख कर कहता है. “तो अब क्या करना है अभी तो तुम्हारे पास कोई काम भी नहीं है। कोई कॉन्ट्रैक्ट भी नहीं मिला। तो क्या सारे पैसे ऐसे ही ऐस में ही उड़ते हैं।



    रॉबिन मुस्कुराते हुए उसको देखा है और सिगरेट के धुएं को खिड़की से बाहर छोड़ते हुए कहता है।

    “तो हमारे पास है ही कौन। जिसके लिए हम बचत करें।ना घर है। ना परिवार। ना फैमिली।। और जवानी के दिन में अय्याशी नहीं करेंगे. तो क्या बुढ़ापे का इंतजार करेंगे।

    पर तुम दोनों बेफिक्र रहो। मैंने उसके लिए भी पहले से इंतजाम कर रखा है। और अगर कल को मुझे कुछ हो भी जाता है. तो तुम दोनों को कोई परेशानी नहीं होगी।



    निखिल रोबिन के शोल्डर पर मरते हुए कहता है

     “क्या बकवास कर रहा है. हमें नहीं चाहिए कोई पैसा वैसा. हमें बस हमारा यार चाहिए।



     अलेक्स भी निखिल की बात से सहमत होते हुए कहता है.      “और नहीं तो क्या. तूने ऐसा सोच भी कैसे लिया. कि तू पैसे से हमारी दोस्ती को तोड़ सकता है. और खबरदार जो आज के बाद यह बात कही तो।



     रॉबिन ने कहा.. “ अच्छा ठीक है नहीं कहूंगा।



    रॉबिन एक रास्ते की तरफ गाड़ी ले जा रहा था।। निखिल हैरान होते हुए.. “ कहा तू घर जा रहा है।



    रॉबिन ने सिगरेट को खिड़की से बाहर फेंकते हुए कहा।।

    “ हां 2 साल हो गए घर नहीं गया हूं। जा कर देख लेता हूं घर सही सलामत है या नहीं।। वैसे भी मॉम डैड की आखिरी निशानी है वह घर।



    रॉबिन की गाड़ी शहर से दूर जर्मनी के एक शांत इलाके में आकर रूकती है।। यहां पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर बहुत ही खूबसूरत मकान बने हुए थे। भले ही मकान का साइज बड़ा नहीं था। लेकिन वहां की खूबसूरती में उस मकान को किसी फाइव स्टार रिजॉर्ट से काम नहीं दर्शा रहा था।



    रॉबिन उन छोटे मकानों को देखते हुए मुस्कुरा रहा था. इन गलियों में उस का बचपन गुजरा था।.जब वह सिर्फ बच्चा था. सिर्फ रॉबिन था।। तब वह सिर्फ एक मासूम सा बच्चा था. कोई कांट्रैक्ट किलर नहीं



    रॉबिन उस गाली के आखिरी छोर पर पहुंचता है। जहां पर एक बहुत ही खूबसूरत सा पुराना मकान था।। समय की मार ने उस मकान की हालत थोड़ी सी खस्ता करती थी।और धूल मिट्टी ने वहां अपना बसेरा जमा कर गया था



    आंगन में सूखे हुए पेड़ और सूखी हुई घास में रॉबिन अपना बचपन देख पा रहा था। जब वह अपने माता-पिता के साथ यहां रख रहता था। वह देख रहा था. कि सामने रॉबिन 10 साल का है. और उसकी मां आंखों पर पट्टी बांध कर उसे पकड़ने की कोशिश कर रही है



    दूसरे ही पल रोबिन के पिता आते हैं।और उसकी मां को पीछे से पकड़ कर गोल-गोल घूमने लगते हैं। और रॉबिन यह देख कर जोर से खुश होता है।और ताली बजाने लगता है।अपने बचपन के इन खूबसूरत फलों को याद करते हुए।. रॉबिन की आंख भर गई।



    निखिल और एलेक्स को पता चल गया कि रॉबिन भावुक हो गया है। अलेक्स में जाकर रोबिन के कंधे पर हाथ रख..तो रॉबिन ने अपने आंखों के किनारे साफ करते हुए कहा..

    । “वह कुछ नहीं बस ऐसे ही. चलो अंदर चलते हैं।



    रॉबिन दरवाजे पर जाता है. और एक चाबी से घर का दरवाजा खोलना है।। रॉबिन पहला कदम ही अंदर रखना है कि उसके नीचे पेपर्स के कुछ देर नजर आते हैं।।

    इलेक्ट्रिसिटी बिल.

    इनकम टैक्स बिल।

    कम्युनिटी डिपॉजिट।



    रॉबिन यह सब बिर्ल्स और डिपॉजिट ऑनलाइन भर दिया करता था. फिर भी वह लोग एक हार्ड कॉपी रोबिन के रेजिडेंशियल ऐड्रेस पर जरूर सेंड करते थे। रॉबिन ने अनबल्स की तरफ देखा भी नहीं. और इकट्ठा करके उन्हें एक साइड टेबल पर रख देता है।



    निखिल और अलेक्स भी साथ में ही अंदर आते हैं. रॉबिन एक बार उस घर को देखने लगता है. छोटा सा घर था. पर एक छोटी सी फैमिली के रहने लायक था। लिविंग रूम में लगे सोफा।। उसके साथ में ही अटैच बालकनी और बालकनी से थोड़ा पहले।। एक छोटा सा किचन।



    रॉबिन देख पा रहा था. अपने बचपन की छवि को कैसे उसकी मां किचन में खड़े होते हुए खाना बना रही थी.

    रॉबिन स्लैप पर बैठा हुआ था. और उसकी मां उसे चम्मच में करके कुछ खिला रही थी. तो रॉबिन ने वाव में उंगली का इशारा किया।

    रॉबिन अपने सामने अपने बचपन को गुजरा हुआ देख रहा था.।.इस घर के हर कोने से उसकी याद जुड़ी थी।



    रॉबिन अपनी यादों में खोया हुआ था निखिल रोबिन के पास आता है.और कहता है..।

    “ डूड यह खंडहर जैसी जगह में. अब तो नहीं रहा जाएगा।

     रॉबिन एक फीकी सी हंसी हंसना है और कहता है.।

    “ डॉन'टी वरी, मैं किसी को बोलता हूं, यह वहां की सफाई करवा देगा।



    शाम तक क्लीनर ने रॉबिन का पूरा घर अच्छे से साफ कर दिया था।। रॉबिन एलेक्स और निखिल यही रहने वाले थे, जब तक रॉबिन को अगला कोई कांट्रेक्ट नहीं मिल रहा था।



    10 दिन हो गए थे.।रोबिन अपने मॉम डेड के घर में ही रह रहा था।। वह रात अपने रॉबी कांट्रैक्ट किलर वाली मेल आईडी पर किसी नए कांटेक्ट के डीटेल्स सर्च करता है. लेकिन आज भी उसे कोई कांट्रेक्ट नहीं मिला।



    रोबि परेशान हो गया. 10 दिन से उसे किसी के मर्डर का कांट्रेक्ट नहीं मिल रहा था रात हो चुकी थी. अलेक्स रॉबी के कमरे में आता है और कहता है..।

    “ रोबि रात हो गई है चल खाना खा लेते हैं।।



    रोबि अपना लैपटॉप बंद करता है और कहता है।” तुम लोग खा लो. मेरा मन नहीं है।



    अब तक निक वहां आ गया था. वह रोबि को देख कर कहता है. क्या बात है रोबिन. कुछ प्रॉब्लम है क्या।



    रॉबिन ने झुंझलाते हुए कहा.. “ 10 दिन हो गए. मुझे एक भी कांट्रेक्ट नहीं मिला।।



    निखिल ने कहा..।” अरे तो क्या हुआ. किसी को भी जरूरत नहीं होगी. किसी को मारने की. और वैसे भी हमारे पास इतने पैसे हैं कि. हम लोग 6..7 महीने या साल भर आराम से गुजर कर लेंगे



    रॉबिन ने कहा. “ बात वह नहीं है. कि हमारे पास कितने पैसे हैं या कितने नहीं है। अगर मैं ऐसे ही हाथ पर. हाथ रख बैठा रहा ना. तो जल्दी मेरे हाथ से सारे कॉन्ट्रैक्ट और ठेकेदार चले जाएंगे। उन्हें लगेगा कि मैं किसी का काम ही नहीं कर रहा हूं।



    अलेक्स ने कहा. “अरे यार अभी किसी को जरूरत नहीं होगी. इसलिए तुझे कोई काम नहीं दिया।। अब जरूरी थोड़ी ना है. हर कोई हर किसी को मारना ही चाहता हो।



    रोबिन फ्रस्ट्रेशन में अपना हाथ दिवार पर मरता है। निखिल आगे आता है. और रोबि को पकड़ते हुए कहता..।

    “ क्या कर रहा है. पागल हो गया है क्या। और ऐसा भी किया हो गया है। बस इन दीनों कोई काम नहीं मिल रहा है।मिल जाएगा. तु इतना मत परेशान हो। और वैसे भी बहुत दिन हो गए। तूने कोई एक्सरसाइज नहीं की ना. इसलिए इतना परेशान हो गया है.। चल बाहर चलते हैं।



    एलेक्स और रॉबिन दोनों उसके कहने का मतलब अच्छे से समझ रहे थे। रोबिन ने खुद को छुडाते हुए कहा.. “मेरा मन नहीं है. तुम दोनो जाओ।



     अलेक्स रॉबिन को खींचते हुए कहता है.. “अरे चलना देख. तुझे बाहर एक मस्त सी आइटम मिल जाएगी। जो तेरा एंटरटेन करेगी। फिर देखना तेरा मन बिल्कुल फ्रेश हो जाएगा। चल चलते हैं।



    रॉबिन का मन नहीं था जाने का।लेकिन अपने दोस्त को परेशान देख कर निखिल और एलेक्स दोनों उसे खींचते हुए ले गए। तीनों दोस्त फिर से एक बार में बैठे थे।। यह एक ओपन बार था. जो किसी होटल के टेरेस पर था।

     हर बार की तरह बार गर्ल्स सामने की तरह अश्लील डांस पेस कर रही थी।।



    निखिल ने रॉबिन से कहा.. “बता कौन सी वाली चाहिए।।



    रॉबिन ने उन लड़कियों की तरफ देखा.और फिर एक लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहा.।

    “ वह शॉर्ट ड्रेस वाली



    निखिल मैनेजर को पैसे देता है. और उस लड़की को रोबिन के पास आने के लिए कहता है। वह लड़की रोबिन के पास आती है।और रॉबिन को देखकर जर्मनी में कहती है. “ मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकती हूं।



    रॉबिन अपने दोनों पैरों को खोल देता है. और उसे लड़की को अपने लैब पर बैठने का इशारा करता है। वह लड़की रॉबिन की गोद में आकर बैठ जाती है। और उसके गले में अपनी बाह डालते हुए. उसके नेक पर अपनी गर्म सांसे छोड़ती है।

    रॉबिन मदहोश हो रहा था. उसने उस लड़की को कमर से पकड़ लिया. और कहा.. “ यू पे फॉर थिस बेबी । मैं इस समय बहुत फ्रस्ट्रेटेड हो रहा हूं. और तुम्हें मेरा सारा फर्स्ट स्टेशन झेलना होगा।



    वह लड़की रोबिन के गले से अपना चेहरा निकलती है. और उसके सीने पर हाथ फेरते हुए जर्मनी में कहती है ।। “ मेरे साथ तुम्हें बाकी दुनिया याद ही नहीं रहेगी।।



    रॉबिन उस लड़की की कमर पर अपने हाथ काश देता है। पर तभी वहां कुछ ऐसा होता है।जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। रॉबिन ने भी नहीं की थी।



    रोबिन के गोद में बैठी वह लड़की, अचानक से एक गोली उसके सीने पर आती है। और वह लड़की नीचे जमीन पर गिर जाती है।

    रॉबिन हैरानी से उसे लड़की को देखता है। वह लड़की जमीन पर मरी पड़ी थी. और उसके सीने से खून निकल रहा था। तभी वहां पर बहुत सी गोलियों की आवाज आती है।

  • 4. अंडरवर्ल्ड किंग का मर्डर

    Words: 1773

    Estimated Reading Time: 11 min

    रॉबिन निखिल और एलेक्स तीनों हैरान हो गए, अचानक से वहां पर कुछ लोग आते हैं।और टेबल की तरफ गोलियां चलाने लगते हैं। टेबल पर मौजूद एक शख्स खड़ा होता है और उसके आसपास के लोग भी खड़े होते हैं।और दो गुटों के बीच गोली बारी होने लगती है।



    रॉबिन हैरान नजरों से वहां देख रहा था. हालांकि उसके लिए गोलियां चलाना या फिर खून देखना. या मरे हुए लोग देखना कोई बड़ी बात नहीं थी।लेकिन अचानक से इस तरीके से कुछ लोगों को आस पास में फायरिंग करता देखा हैरान रह रहा था।

     निखिल जल्दी से रोबिन के पास आता है।और उसे खींचते हुए कहता है.. “चल यहां से, इसमें हमारा कोई सीन नहीं है। यह लोग आपस में लड़ रहे हैं।



    रॉबिन भी जल्दी से उसके साथ निकल जाता है।। वह दोनों जल्दी से लीफ्ट से होते हुए पार्किंग में आते हैं। पार्किंग के पास पहुंचते ही निखिल और रॉबी दोनों रुक जाते हैं।निखिल अपने सर पर हाथ मारते हुए कहता है।

    “ एलेक्स कहां है।



    रॉबिन अपने आसपास देखा है. एलेक्स उन के साथ नहीं आया था. उन्हें अचानक याद आता है।

     एलेक्स को को खून देख कर चक्कर आते हैं. और उसे घबराहट होने लगती है।



    कहीं एलेक्स उस फायरिंग की जगह पर ही तो नहीं है।

    यह सोचते हुए ही रॉबिन हैरान रह गया। जल्दी से दोबारा से लिफ्ट की तरफ भागता है।।निखिल भी जब तक लिफ्ट में पहुंचता उससे पहले ही लिफ्ट बंद हो।। निखिल सीडीओ से होता हुआ टेरेस की तरफ बढ़ा



    रोबिन जब वहां पहुंचता है। तो उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है । क्योंकि अलेक्स एक तरफ खड़ा ड़र से काँप पर रहा था। और उसे थोड़ी दूरी पर ही एक आदमी जिसने इस समय एक नकाब अपने चेहरे से लगाया हुआ था।

     वह एलेक्स को देख कर घुर रहा था।और उस के हाथों में एक गण थी। जो उसने एलेक्स की तरफ तान रखी थी आसपास सिर्फ लाशों का ढेर और खून की नदियां बह रही थी।



    एलेक्स की तो यह देख कर ही हवा निकल गई. एक आदमी उसके सामने गन ताने खड़ा था। एक लंबा चौड़ा कद काठी का आदमी।.. जिसने अपने चेहरे को रुमाल से बंधा हुआ था। उसकी सिर्फ खून से लाल नीली आंखें दिख रही थी।।



    रॉबिन ने जब यह दृश्य देखा. तो एक पल के लिए वह काँप गया। अपने मां-बाप को खोने के बाद. उसे अब तक न जाने कितने लोगों को मारा होगा। लेकिन उसके हाथ कभी नहीं कापे।…     पर आज अपने दोस्त को मौत के सामने देख कर वह बुरी तरह घबरा गया।रॉबिन जल्दी से वहां आता है। और उस आदमी से जर्मनी में कहता है।।

    डॉन'टी शूट..!  डॉन'टी शूट..! इस ने कुछ नहीं किया है. हमारा तुम लोगों की लड़ाई से कोई लेना देना नहीं है। और हम किसी को कुछ नहीं बताएंगे जाने दो हमें।

    वह आदमी जो इस समय अलेक्स के ऊपर गंन लिए खड़ा था। अचानक से अपने सामने किसी आदमी को आया देख हैरान रह जाता है।। उसे लगा यह कोई मामूली सा आदमी है।जो अपने दोस्त को बचाने के लिए आया हुआ है।

     उसने गन रॉबिन की तरफ किए हुए जर्मनी में कहा..।

    ..।“ मेरे लिए तुम दोनों ही खतरा हो।। अगर तुमने यह सब किसी को भी बताया तो मेरे लिए खतरा बढ़ जाएगा।। और मैं नहीं चाहता कि मेरे बारे में किसी को कुछ पता चले।



    यह सब उसने जर्मनी भाषा में बोली थी. उसे लगा रॉबिन कोई मामूली सा इंसान है। वह अभी बस रॉबिन को मार ही देगा। और उसके बाद वह अलेक्स को मार देगा।

    इससे पहले वह आदमी अपने गण से कोई बुलेट फायर करता..।रॉबिन ने अपने पीछे छुपी हुई गण को निकाला और उसे आदमी के सर पर वार कर दिया।



    वह आदमी 1 मिनट में ही ढेर हो गया। उसे लगा नहीं था ये होगा। कि रोबिन के पास गण हो सकती है। उसने रॉबिन को एक मामूली इंसान समझा था।। उसे उम्मीद नहीं थी और ना ही वह इसके लिए तैयार था। कि रॉबिन अचानक से उस के सर वार कर देगा। अपने बचाव में और एलेक्स की रक्षा के लिए रॉबिन ने     1 मिनट में उस आदमी के सर के बीचों बीच गोली मार दी.और वह आदमी वही ढेर हो गया



    अब तक निखिल वहां आ गया था। निखिल ने जैसे ही टेरेस पर कदम रखा.।उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई।

    वह आदमी जिसे रॉबिन ने अभी-अभी मारा था। वह रॉबिन की तरफ गण कर खड़ा था।. निखिल अपना एक कदम आगे बढ़ा था.। उससे पहले ही रॉबिन ने अपने पीछे से गण निकाल कर उस आदमी को शूट कर दिया



    निखिल उनके पास आता है और हैरानी से कहता है.।

    “ रॉबिन यह क्या किया तूने..। तूने इसे मार दिया।



    रॉबिन कहता है.. “अगर मैं उसे नहीं मारता. तो वह हमें दोनों को मार देता।



    । निखिल देखता है.।वह आदमी जमीन पर मरा पड़ा है उसकी आंखें बड़ी हो गई थी। और माथे से खून निकल रहा था। लेकिन उसके मुंह पर बांध रुमाल।अभी तक वैसा का वैसा ही था..।

     निखिल धीरे से उसके पास जाता है।और उसके चेहरे से वह रुमाल खींचता है।और अगर ही पल भी निखिल झटके से खड़ा होता है।और रॉबिन की तरफ देखते हुए चिल्लाते हुए कहता है…।

     “ अबे साले देख तूने किस मार दिया”



    निखिल के कहने पर रॉबिन जब उस तरफ देखा है। तो उसकी आंखें भी हैरानी से बड़ी हो गई थी। सामने पड़ा वह आदमी जो अब जिंदा नहीं था।.।वह है जर्मनी का माफिया किंग और अंडरवर्ल्ड का डॉन ।। सैमुअल।



    । सैमुअल। को पहचान की जरूरत नहीं है। पूरी जर्मनी और यूरोप जानता है।कि सैमुअल इलीगल वर्क में इंवॉल्वड है। यहां तक की उसके कई देशों में भी इलीगल वर्क होते हैं सैमुअल इस समय माफिया का किंग है



    पुलिस और सीबीआई भी सैमुअल को पकड़ने में नाकामयाब रही।और उसे इस वक्त एक मामूली से कांट्रेक्ट किलर ने अपनी गोली से मार कर ढेर कर रखा था।।



    रॉबिन की खुद की हालत खराब हो गई।उसने कई बार खुद सैमुअल के लिए काम किया था.।सैमुअल के आदमियों ने कई बार रॉबिन से कांटेक्ट करके किसी को मरवाने की सुपारी दी थी..। और रॉबिन ने उन से अच्छी खासी कीमत भी वसूली थी। लेकिन उसे क्या पता था। कि उसके हाथों अंडरवर्ल्ड के किंग की मौत लिखी है।



     वह हैरानी से उस तरफ देख रहा था। निखिल जल्दी से रोबिन के पास आता है।और उसे कहता.. “रॉबिन आस-पास कोई नहीं है. जल्दी निकल यहां से।।



    रॉबिन कुछ सोचने की हालत में नहीं था। लेकिन निखिल ने मौके की नजाकत को देखते हुए.।जल्दी से रॉबिन का और एलेक्स का हाथ पकड़ते हुए वहां से ले गया.।वह दोनों इस समय शायद किसी सदमे में थे। निक ने रोबिन और एलेक्स को गाड़ी में बिठाकर निखिल ने खुद ड्राइव करने का डिसाइड किया।



    वह तीनों घर पहुंचते हैं।। सोफे पर बैठते वक़्त तीनों के चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी। रॉबिन ने आज तक कीतने ही खून क्यों न किए हो। लेकिन आज पहली बार उसके हाथ काँप पर गए।। उसने अंडरवर्ल्ड माफिया सैमुअल का खून कर दिया। यह सोचते ही उसका दिल काँप पर रहा था।।



    निखिल ने कहा.. “ रिलैक्स रॉबिन कुछ भी नहीं हुआ। किसी को इस बारे में कुछ पता नहीं है।।



    रॉबिन ने चिल्लाते हुए कहा.. “😡तेरा दिमाग खराब हो गया है निक। मैंने माफिया किंग को मार दिया है। तुझे इसका अंदाजा भी है। सारी अंडरवर्ल्ड मुझे ढूंढने के पीछे लग जाएगी।

    तुझे पता भी है. वह कितना बड़ा आदमी था । दुनिया के कितने देश की पुलिस उसे ढूंढ रही है।और उसे मैं यहां पर एक छोटे से रेस्टोरेंट मैं अपनी मामूली सी पिस्तौल की गोली से शूट कर दिया। तुझे पता भी है. यह कितनी बड़ी बात है अगर वो लोग मुझ तक पहुंच गए ना। तो वह लोग मुझे गोलियों से भून देंगे।



    रॉबिन की बात पर एलेक्स और निखिल दोनों डर जाते है.निखिल कुछ सोचता है.और उसके बाद रॉबिन से कहता है..।

    “ रॉबिन वह लोग तब तेरा कुछ बिगड़े होंगे ना जब तूने कुछ किया होगा. तूने देखा तो था. वहां पर दो गुटों की बीच लड़ाई हुई थी। हमें नहीं पता वहां पर हमलावर कौन थे और तुझे सैमुअल को मारते हम दोनों के अलावा और किसी ने नहीं देखा है।। मतलब कोई तेरे बारे में उन्हें बता सके.। इसके चांसेस बहुत कम है. लेकिन फिर भी वह लोग तेरी तलाश जरूर करेंगे।



    क्योंकि वहां पर जितने लोगों को फायरिंग से मरे हैं। उन सबके अंदर एक गोली होगी। लेकिन सैमुअल के शरीर से सबसे अलग गोली बरामद होगी.। इसका मतलब उन सबको शक जाएगा. और कहीं वह लोग तुझे तक पहुंच जाएंगे. तो तेरा डर सही साबित होगा।।



    पर वो लोग तुझ तक पहुंचे. इससे पहले तू यहां से चला जा।। निखिल की बात पर एलेक्स रॉबिन दोनों हैरान होते हैं रॉबिन कहता है.. “पागल हो गया है क्या। कहां चला जाऊं.              यहां घर है मेरा देश है मेरा। कहां चला जाऊं यह सब छोड़ कर।



    रॉबिन को ऐसे खड़ा होते देख. वो भी खड़ा होता है. और कहता है

    . " अरे यार मैं हमेशा के लिए जाने के लिए नहीं कह रहा हूं। बस कुछ महीनो के लिए.।.6 महीने के लिए गायब हो जा।। जैसे ही मामला थोड़ा ठंडा हो जाएगा वापस आ जाना..।किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. और वैसे भी रॉबि और रॉबिन दोनों अलग-अलग लोग हैं।। वह लोग सालों तक घूमते रह जाएंगे. इतनी बड़ी जर्मनी में उन्हें लाखों रोबि और करोड़ों रॉबिन मिल जाएंगे।।

    तू बस कुछ समय के लिए अंडरग्राउंड हो जा। चला जा यहां से कहीं ऐसी जगह जहां पर तुझे कोई नहीं जानता हो।।और कोई तेरे काम के बारे में भी कुछ नहीं जानता।।



    रॉबिन झुंझलाते हुए कहता है. "कहां जाऊंगा।।



    अलेक्स कहता है.."अरे यार इसमें इतना क्या सोचा है.।इतनी बड़ी दुनिया है. कहीं भी चला जा. कोई दूसरे देश चला जा।। समझ लेना वेकेशन पर जा रहा है।।।



    रॉबिन कहता है.. “ यार मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा है। तुम्ही लोग कोई आईडिया बताओ।।



    निखिल कहता है.। मैं वर्ल्ड मैप लेकर आता हूं।। उसमें देखकर डिसाइड करते हैं.कि तुझे कहा भेज सकते हैं।



     रॉबिन और एलेक्स दोनों हां में सर हिलते हैं।



    निखिल डॉ के पास जाता है.और जैसे ही वो ड्रो खोल कर उसमें से वर्ल्ड का मैप निकालना लगता है। उसकी नजर उन बिल और डॉक्यूमेंट ढेर पर जाती है।जो उन लोगों ने इस घर में आने के बाद यूं ही उठा कर रख दिया था।



    दरअसल निखिल की नजर उन बिल और डॉक्यूमेंट के बीच में पड़े एक लिफाफे पर जाती है। और उसमें छापे नाम को देखकर निखिल की आंखें छोटी हो जाती है। वह उसे लिफाफे को उठना है. और रॉबिन को देखते हुए कहता है।।।



    रॉबिन ! इंडिया में तेरा कोई रहता है क्या.? 

  • 5. इंडिया से रिश्ता

    Words: 1606

    Estimated Reading Time: 10 min

    रॉबिन निखिल की बात सुनकर हैरान हो जाता है, एक पल के लिए तो उसे पता ही नहीं रहता कि निखिल क्या कह रहा है वह कहता है।

    “ इंडिया में, नहीं तो वहां तो मैं किसी को भी नहीं जानता हु, पर तू क्यों पूछ रहा है।



    निखिल वो एनवेलप रॉबिन की तरफ बढ़ते हुए कहता है।। ये डॉक्यूमेंट तेरे लिए इंडिया से आए हैं।। इसके ऊपर इंडियन एंबेसी और इंडिया एडमिनिस्ट्रेशन का लेवल भी है।



    रॉबिन देखता है, कि सच में उसे लिफाफे में इंडिया की एंबेसी का साइन और इंडियन फ्लैग था। वह देखते हुए कहता है.।पता नहीं मैंने तो ध्यान भी नहीं दिया इस पर।



    निखिल कहता है.। नहीं पता तो चल पता करते हैं।

     ऐसा कहते हुए, वह उसे एनवेलप का एक छोर फाड़ देता है, और उसमें मौजूद पेपर को पढ़ने लगता है।।



    निखिल रॉबिन को देखकर कहता है।…”इंडिया के कोलकाता शहर में, तेरा कोई रहता है क्या?

     को रिश्तेदार 



    कोलकाता शहर का नाम आते ही रोबिन के कान खड़े और आंखें हारने से बड़ी हो जाती है। और वह गुस्से वाले भाव से निखिल को देखते हुए कहता है।। ” यह डॉक्यूमेंट कोलकाता से आए हैं।



    निखिल कहता है.. “ हां यह डॉक्यूमेंट कोलकाता के किसी सोमेश धर नें भेजे हैं। किसी प्रॉपर्टी के पेपर है।



    रॉबिन हैरानी से कहता है.. “ प्रॉपर्टी के पेपर, किस टाइप की प्रॉपर्टी।।



    निखिल कहता है.. “ सब बताता हूं,पर पहले तू यह बात की तू जानता है इसे। कौन है यह?...और तेरा कोलकाता से क्या रिश्ता है। इन फैक्ट तेरा इंडिया से क्या रिश्ता है।



    रॉबिन सोफे पर बैठता है, और गहरी सांस छोड़ते हुए कहता है.. “ मेरी मॉम कोलकाता से थी।।



    रॉबिन की बात सुनकर निखिल और एलेक्स दोनों हैरान होते हैं। अलेक्स कहता है.. “ क्या तूने कभी बताया नहीं की, आंटी इंडिया से थी ।



    रोबि ने कहा.. “ हम लोग अपनी छोटी सी दुनिया में इतने खुश थे, कि हमें इस बात का जिक्र भी कभी नहीं किया।

     कि मॉम इंडिया से थी।। मेरी मॉम इंडिया के कोलकाता से थी।। और वहा और वहा से यहां जर्मनी पढ़ने आई थी। अपनी स्टडी के दौरान, उन्हें मेरे डैड से प्यार हो गया, और उन दोनों ने शादी कर ली।। मेरी मॉम को अच्छे से पता था, कि उनकी फैमिली बहुत स्ट्रीक है, और वह उनके और मेरे डैड के रिलेशन को एक्सेप्ट नहीं करेगी।

    इसीलिए उन्होंने बिना किसी को बताएं मेरे डैड से शादी कर ली, उसके बाद मैं उनकी दुनिया में आया ।। मेरी मॉम को एक उम्मीद जगी, कि भले ही वह लोग अपनी बेटी से नाराज हो, शायद मुझे देखकर उन लोगों का मन पिघल जाए, यही सोच कर जब मैं 5 साल का था, मेरे मॉम डैड मुझे लेकर कोलकाता गए थे।



    पर मेरी मॉम की फैमिली ने उन्हें एक्सेप्ट करने से मना कर दिया। इन फैक्ट उन्होंने मुझे भी एक्सेप्ट करने से मना कर दिया। उन्होंने तो मेरी मॉम को अपने घर में तक नहीं आने दिया था।



    । हम लोग 10 दिनों तक कोलकाता में थे। और इन 10 दिनों में, मेरी मॉम अपनी एक फ्रेंड के घर पर ही रुकी थी। पर उन्होंने कभी भी मेरी मॉम से न मिलने की कोशिश की, ना उनसे बात करने की कोशिश की।



     अंत में हार कर मेरे डैड हम सबको वापस लेकर जर्मनी आ गया और उसके बाद ना कभी मॉम ने इंडिया का जिक्र किया, और ना कभी इंडिया की कोई बात की।।



    धीरे-धीरे में इस बात को भूल गया और मॉम डैड के जाने के बाद, मेरे लिए यही मेरा देश बन गया।



    रॉबिन की बात सुनकर सब लोग हैरान होते हैं, उसके बाद निखिल एक सास छोड़ते हुए कहता है..। “ तेरी मोम के नाम कोई प्रॉपर्टी है। कोलकाता में।



    रॉबिन यह सुनते ही थोड़ा चौक जाता है, और एलेक्स भी बहुत हैरान होता है। रॉबिन ने हैरानी से पूछा.. “ क्या मेरी मां के नाम कोई प्रॉपर्टी है, माँ ने कभी बताया नहीं इस बारे में।



    निखिल वह पेपर रॉबिन को दिखाते हुए कहता है..

    “यह देख,, यह किसी सोमेन धर ने प्रॉपर्टी के पेपर भेजे हैं।। और नॉमिनी में तेरा नाम है। यह सोमेन उस प्रॉपर्टी को क्लेम करना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि तू इस प्रॉपर्टी के पेपर पर साइन कर दे। और यह प्रॉपर्टी उनके नाम कर दे।



    रॉबिन बहुत हैरान होता है। वह जल्दी से उस पेपर को लेकर पड़ता है।। उस पेपर पर लिखा हुआ था। जो प्रॉपर्टी रॉबिन की मां के नाम है । और उसकी मां के मरने के बाद वह प्रॉपर्टी रोबिन के नाम हो गई है। रॉबिन उस प्रॉपर्टी को सोमेन धार को ट्रांसफर कर दे।



    निखिल कहता है.. “ तू जानता है इस सोमेश धर को।। रॉबिन उस पेपर को फोल्ड करता है. और हां में सर हिलाते हुए कहता है.. “ हां जानता हूं। यह मेरी मां के बड़े भाई हैं।।



    निखिल और एलेक्स दोनों हैरानी से रॉबिन की तरफ देखते हैं। तो रॉबिन कहता है।।. “मेरी मां इन्हें बहुत प्यार करती थी, बहुत मानती थी इन्हें, कहती थी दुनिया इधर की इधर हो जाए, उनका भाई उन का साथ कभी नहीं छोड़ेगा।

    पर जब हम लोग इंडिया गए थे, तो यह वह पहला शख्स था जिसने मेरे पापा को धक्के मारे थे।.तुझे पता है निक, इंडिया से आने के बाद भी, हर साल मेरी मां उनके लिए राखी लेती थी ।



    निखिल और एलेक्स दोनों रॉबिन को देखने लगते हैं।

     उन्हें राखी का मतलब ही नहीं समझ में आया। रॉबिन ने कहा…” इंडिया में एक फेस्टिवल होता है, जिसमें बहन अपने भाई के हाथ में कुछ ब्रेसलेट टाइप बधती है। और भाई उसकी रक्षा का वचन देता है। उसी को रक्षाबंधन कहते हैं। मेरी मां हर साल अपने भाई के नाम की राखी लेती थी।। इस उम्मीद से, की एक दिन उनके परिवार उन्हें वापस अपनाएगा।। पर उन लोगों ने मेरी मां को कभी वापस नहीं अपनाया। और मेरा तो उन लोगों से कोई लगाव था ही नहीं, इसीलिए मैंने भी इस चीज को ज्यादा एडमिरे नहीं किया, और यह बात धीरे-धीरे भूलता चला गया।



    निखिल ने कुछ सोचा और फिर अचानक से रॉबिन से बोला “ अरे यार यह तो बहुत अच्छी बात है ना।



    रॉबिन हैरानी से निखिल को देखा है, तो निखिल कहता है।. “ अरे यार इंडिया में तेरी फैमिली रहती है। और वैसे भी तुझे छुपाने के लिए जगह चाहिए, तो तु इंडिया चला जा।



    रॉबिन अपनी आंखें छोटी करते हुए कहता.. “ होल्ड ओंन वह मेरी फैमिली नहीं है।। उन लोगों से मेरा रिश्ता उसी दिन खत्म हो गया था, जिस दिन मेरी मां ने इंडिया छोड़ा था। और वैसे भी मैं 5 साल की उम्र में इंडिया गया था।

    सिर्फ 10 दिनों के लिए।। मैं तो भूल भी गया था. कि मैं कभी इंडिया गया भी था या नहीं। और अगर मुझे कहीं जाना भी होगा, तो मैं इंडिया ही क्यों जाऊंगा, किसी और कंट्री क्यों नहीं चला जाऊं।..। अमेरिका..।में अमेरिका चला जाता हूं, या फिर यूके। इंग्लैंड भी अच्छी जगह है।। स्विट्जरलैंड या पेरिस।



    निखिल अपना सर पीट लेता है और रॉबिन को देखकर कहता है।। “ अरे यार पागल मत बन।। माफिया किंग सैमुअल का मर्डर हुआ है।। तुझे अंडरवर्ल्ड के लोग तो ढूंढेंगे ही ढूंढेंगे।। साथ में तुझे जर्मनी की पुलिस भी ढूंढेंगी।

    एक बार के लिए तू अंडरवर्ल्ड से तो बच जाएगा. लेकिन अगर पुलिस के हाथों पकड़ा गया ना. तो वह तुझे नहीं छोड़ेंगे।

    और यह तो तेरे पास सबसे अच्छा मौका है, एक बहुत बड़ा प्रूफ होगा तेरे पास, की तू जर्मनी में नहीं बल्कि इंडिया में है।। रीजन है तेरी प्रॉपर्टी। देख तू इंडिया जा, अपनी प्रॉपर्टी का जो भी लफड़ा है, वह सॉर्ट आउट कर।। बेचना है बेच, देना है दे, जो मन में आए वह कर।। बस किसी तरीके से खुद को 3 - 6 महीने तक इंडिया में बिजी रख। तब तक मैं यहां का मामला संभालता हूं।



    रॉबिन कुछ सोचता है, उस भी निखिल की बात में दम लगता है, वह किसी और कंट्री जाएगा तो वह फंस सकता है, क्योंकि सैमुअल बहुत बड़ा माफिया गैंगस्टर था, और उसके तार हर कंट्री से जुड़े हुए थे, लेकिन इंडिया के एक कोलकाता जैसे शहर में सैमुअल का कोई कनेक्शन होने के चांसेस ही नहीं थे।



    और वैसे भी रॉबिन को कौन सा उन लोगों के साथ रिश्तेदारी निभाई है ।। वह जाएगा अपने हिस्से की प्रॉपर्टी बेचेगा, पैसे लेगा और ऐश करेगा, तब तक यहां का मामला भी ठंडा हो जाएगा, यही सोचते हुए रॉबिन ने हां में सर हिलाया।





    निखिल अपनी जगह से खड़ा होता है और कहता है..

     “ ठीक है चल तेरी पैकिंग करते हैं।



    । निखिल एलेक्स की तरफ देखते हुए कहता है. “ इसका पासवर्ड निकाल।



    रॉबिन कहता है. “हां ठीक है, मैं इंडिया जाने के लिए रेडी हो गया हूं, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है, कि मैं अभी जाऊंगा, सुबह चला जाता हूं



    निखिल कहता है.. “नहीं सुबह नहीं, तू अभी निकल सुबह तक सैमुअल का मामला पूरे जर्मनी में आग तरफ फैल जाएगा।। तेरे लिए खतरा और बढ़ जाएगा। इसीलिए तु अभी इसी वक्त यहां से निकाल, ताकि सुबह तक तो तू जर्मनी में भी ना रहे।



    अलेक्स कहता है.. “ निखिल ठीक कह रहा है रॉबिन।

     तुम अभी निकल जाओ, यही ज्यादा सही रहेगा। क्योंकि उन लोगों का तुम तक पहुंचना बहुत ही इसी है। और अगर तुम यहां नहीं रहे, तो शायद वह लोग तुम्हें तलाश करने के लिए बड़े शहर ही जाएंगे।। तुम इंडिया में इस शहर में हो इसकी इमेजिनेशन तो कोई भी नहीं कर पाएगा। इसलिए तुम वहां सेफ रहोगे।।



    रॉबिन ने अपने दोस्तों की बात मानी और वह इस वक्त इंडिया के लिया निकलने के लिए तैयार हो गया। निखिल ने उसके जरूर का सारा सामान पैक किया और एलेक्स उसका पासपोर्ट ले आया।

  • 6. कोलकाता की बुलबुल

    Words: 1099

    Estimated Reading Time: 7 min

    2 घंटे बाद रॉबिन अपने दोनों दोस्तों के साथ जर्मनी एयरपोर्ट पर मौजूद था। सुबह होने वाली थी, इंडिया की फ्लाइट ऑलवेज रनवे पर थी।। रॉबिन को अपने दोस्तों के साथ ठीक से बाय बोलने का टाइम भी नहीं मिला, क्योंकि फ्लाइट टेक ऑफ करने वाली थी।



    रॉबिन ने जल्दबाजी में अपने दोस्तों को गले लगाया और कहा कि वह वहां जाकर उनसे इंटरनेट के जरिए कांटेक्ट करेगा।। क्योंकि अगर वह फोन का इस्तेमाल करेगा, तो हो सकता है, कि माफिया और पुलिस को उसकी खबर लग जाए।



    रॉबिन जल्दी से अपनी फ्लाइट पकड़ता है, और वहां जाकर बैठ जाता है। कांच की बनी उस दीवार से निखिल और एलेक्स दोनों रॉबिन को फ्लाइट में जाता देखते हैं।।



    निखिल कहता है.. “ बस यही दुआ करता हूं, कि इंडिया में कुछ गड़बड़ ना हो।

    अलेक्स निखिल को देख कर कहता है. “इंडिया में क्या गड़बड़ होगी, वहां कुछ नहीं होगा,..डोंट वरी।



    निखिल कहता है.. “ ड्यूड मैं भी इंडिया से ही बिलॉन्ग रखता हूं, तू शायद इंडिया को नहीं जानता।। इंडिया सिर्फ एक देश नहीं है, वह एक जज्बात है। वहां के लोग बाहर जाकर, कितना ही सक्सेसफुल क्यों न हासिल कर ले।

    । पर अपने देश की मिट्टी उन्हें वापस खींच ली आती है। और अगर कोई उस मिट्टी से दूर है।तो भी देश से अपने पास बुला ही लेता है।



    अलेक्स कहता है.. “ डायलॉग अच्छे हैं, पर यह सब सिर्फ फिल्मी बातें हैं, यह देश, यह मिट्टी यह सब चीज रोबिन के ऊपर असर नहीं करेगी।



    निखिल कहता है. “ बात तो सही कह रहा है, यह सब चीज रोबिन के ऊपर असर नहीं करेगी, लेकिन अभी तो रॉबिन इंडिया जा रहा है, लेकिन जब वह वापस आएगा तो जरूर अपना कुछ हार कर आएगा।



    अलेक्स कहता है.. “ तू ऐसा क्यों कह रहा है।।



    निखिल मुस्कुराते हुए कहता है।। अलेक्स इंडिया अपने आप में एक मिस्टी है।। जिसे आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है, अब तु खुद सोच कल तक रॉबिन हमारे साथ था, सुबह तक उसे यह भी नहीं पता था, कि उसकी शाम कैसी होगी।। उसे लगा हम सब रोज की तरह ही एक दूसरे के साथ अपना टाइम बताएंगे। पर देख कुछ ही पल में दुनिया पूरी पलट गई, और आज रॉबिन इंडिया जा रहा है।

    कल तक इंडिया का जिक्र भी नहीं हुआ था, इंडिया मैं रॉबिन की कोई प्रॉपर्टी है, इस बारे में हम जानते तक नहीं थे, लेकिन आज हम सब रॉबिन को यहां पर सी ऑफ करने आए हैं, ताकि वह इंडिया पहुंच जाए। दरअसल बात यह है, कि रॉबिन इंडिया जा नहीं रहा है। बल्कि इंडिया ने रॉबिन को अपने पास बुलाया है।

    । वरना तू ही सोच वहां पर इतने सारे डॉक्यूमेंट थे, फिर भी मेरी नजर उसे प्रॉपर्टी के पेपर पर ही क्यों गई। क्योंकि इंडिया चाहता था, कि रॉबिन उसे तक पहुंचे।।



    एलेक्स ने हैरानी से कहा।. “ लेकिन इंडिया रॉबिन को क्यों बुलाएगी।



    । निखिल ने मुस्कुराते हुए कहा. “अब यह तो इंडिया ही जाने की उसने रोबिन के लिए ऐसा कौन सा खजाना छुपा के रखा है, जिसके लिए उसने रोबिन के हाथों सैमुअल को खत्म करवा दिया, और अपने तक बुलाने का जरिया बना लिया।



    एलेक्स ने हंसते हुए उस प्लेन को उड़ान भरते हुए देखते हुए काहा.. “ खजाना! चल अच्छी बात है, जब आएगा तो अपने साथ वह खजाना लेकर आएगा।



    रोबिन के प्लान ने उड़ान भर ली, एक नई मंजिल की ओर उसे यह तो मालूम था, कि उसे जाना कहां है। पर वहां उसे क्या करना है। इसका उसे अंदाजा भी नहीं था।

    सच कहा है निखिल ने, इंडिया ने रॉबिन को चुना है, खुद तक पहुंचाने के लिए, उसी ने यह रास्ता दिया है।

    । लेकिन क्यों..।किस्मत क्यों चाहती है कि रॉबिन इंडिया आए और ऐसा कौन सा खजाना है, रॉबिन का जो इंडिया में उसका इंतजार कर रहा है।।।।



    कोलकाता पश्चिम बंगाल ।बर्दवान…शहर



    कोलकाता एक राज्य नहीं है, यह एक जीवन शैली है यहां के लोगों की अपनी ही रुचि और रचना होती है।

    । ब्रिटिश राज्य में कैपिटल हुआ करता कोलकाता शहर।। अपनी पाठ सैली और कल के लिए आज भी पूरे विश्व में मशहूर है।

     यहां का दुर्गा पूजा हो या हावड़ा ब्रिज।। काली पूजा हो या जमाई साष्टि। पुचका हो या रसगुल्ला।। संदेश हो या दोई मिस्टी ।। कोलकाता की हर बात निराली है।

    । कोलकाता में आज भी ट्राम और हाथ गाड़ी का इस्तेमाल लोगों की जमीन से जुड़ी रहने की कला को दर्शाती है।

    । तो वहीं पर टेक्नोलॉजी और किताबों रुचि रखने वाले लोगों को जीवन में आगे बढ़ाने आगे बढ़ने का उसूल सिखाती।। रवींद्रनाथ टैगोर। सुभाष चंद्र बोस।।। बंकिम चंद चट्टोपाध्याय। यह वह नाम है जो शायद इतिहास के पन्नों में अमर हो गए हैं।

    राष्ट्रीय गान से लेकर विश्व की सबसे मीठी बोली जाने वाली भाषा ( बांगली ) सब कोलकाता की देन है।।।।



    और इसी कोलकाता शहर के पश्चिम कोलकाता में स्थित वर्धमान मैं हो रही, इन दिनों की हलचल से यह साफ पता चलता है।।के इन दीनों कोलकाता में दुर्गा पूजा की धूम मची हुई है।



     बर्धमान के दामोदर नदी के तट के किनारे आज भी कई ऐसी हवेलियां मौजूद है, जो अपने रईसी का सबूत देता है।। भले ही दीवारें झज्जर हो गई हो और समय की कारन उनकी रंगत छीन ली है। लेकिन उन हवेलियों की मजबूती ने आज भी इस बात को साबित करके रखा हुआ है।। की एक वक्त पर उन लोगों का शान कोलकाता में किस चरम पर था।



    उन हवेलियों में से एक हवेली में काफी शोर गुल की आवाज आ रही थी।। प्रांगण में रंगोली बनाती हुई कुछ लड़कियां आपस में हंसी टिटौली करते हुए बात कर रही थी।

    तभी वहां पर बंगाली साड़ी पहने एक औरत आती है। और उन लड़कियों को देखते हुए कहती है।।



    मां दुर्गा भला करे तुम लोगों का।। बताओ पूजा सर पर आ गई है, और तुम लोगों की हंसी खेला ही बंद नहीं हो रही है। अगर ऐसा ही रह ना, तो इस बार मां दुर्गा आने के साथ यही सोचेगी, कि किन भिखारी के घर पर आ गई, ठीक से सजावट भी नहीं हुई है।



    तभी प्रांगण में रंगोली बनाती हुई एक औरत ने उसे देखते हुए कहा.. “ अरे बड़ी बोउदी।( बड़ी भाभी )। देखना दुर्गा मां के आने से पहले ही यह सारी सजावट पूरी हो जाएगी। और दुर्गा मां यहां रंगोली देखने थोड़ी ना आती है। वह तो पंडाल की सजावट देखने आता है।। और आपको पता है पंडाल कौन सा जा रहा है।



    उस औरत ने अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से उसे देखते हुए कहा.. “कौन सा जा रहा है, इस साल मां दुर्गा का पंडाल।।



    तभी एक दूसरी औरत ने हंसते हुए कहती है..  बुलबुल 

  • 7. डरपोक बुलबुल

    Words: 1644

    Estimated Reading Time: 10 min

    बुलबुल यह नाम सुनते ही. वह औरत अपने सर पर हाथ मारती है. और कहती है…” है दुर्गा..।इस लड़की से ठीक से चला तो नहीं जाता. और यह मां दुर्गा का पंडाल सजा रही है. अरे देखो कहीं खुद को चोट ना लगा ले ।



    उस औरत ने यह बोला ही था. कि तभी दरवाजे से एक शख्स अंदर आता है. और घबराते हुए इधर-उधर देखता है और कहता है..बड़ी बोउदी कहां है। बड़ी-बोउदी कहां है।।



    बड़ी बोउदी उसकी तरफ हाथ हिलाते हुए कहती है..।

    “ हां हरी दा, मैं यहां हूं बोल क्या हुआ।।



    हरी दा बोउदी की तरफ देखते हुए केहता है…बड़ी-बोउदी. वह बुलबुल उसे कुछ हो गया है..। जल्दी चलिए।



    बड़ी बोउदी जब यह सुन. तो उनकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई।आंगन में काम कर रही उन लड़कियों ने भी घबराहट के मारे एक दूसरे को देखा।

    बड़ी बोउदी ही जल्दी से भागते हुए. हरी दा के पास आती है और कहती है..।की बोलो तूमी..। बुलबुल उस कुछ हो गया है..कहां..कहां है..बुलबुल।। क्या हो गया उसे।



    हरी दा ने इशारा करते हुए बोला… वह बड़े बाबू जी की बाड़ी में है।। जल्दी चलिए ।



    यह कहते हुए हरी दा दरवाजे से भागता है.।बड़ी बोउदी और उसके साथ एक और लड़की भी जाती है।वह दोनों हवेली से निकलती है। और वहीं पर स्थित दो गली छोड़कर एक हवेली में चली जाती है।

     यह हवेली भी काफी शानदार थी. और इस पर हो रहे हैं नए रंग यह बता देते जरूर थे कि इनमें रहने वाले लोगों के शौक कितने बड़े हैं।



    वैसे तो यह हवेली भी अंग्रेजों के टाइम की थी।। लेकिन इसकी हालत इतनी बुरी नहीं हुई थी. क्योंकि इनकी पीडियों ने इसकी अच्छे से मरम्मत करवाई है।



    बड़ी बोउदी अंदर जाती है.और लिविंग हॉल में मौजूद भीड़ को देखकर उनकी सांस रुक गई



    जल्दी से उन लोगों को साइड करते हुए जाती है. तो देखी है एक 70 साल के आदमी के गोद में एक 20 साल की लड़की आंखें बंद करके पड़ी थी। उस लड़की के चेहरा हल्का पीला हो रखा था. उसने चूड़ीदार सूट सलवार पहनी हुई थी. और कमर तक के उसके लंबे और हल्के घुंघराले बाल. उसे सच में दुर्गा का प्रतीक बता रहे थे।।

    उसकी बार-बार झपकती हुई पलकें।। और लाल होती नाक जिस पर एक गोल्ड की नोज रिंग।। पतले से होंठ।। और मीडियम आकार का वह शरीर।।



    उस लड़की के चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था। बोउदी ने जब उसे देखा। तो भागते हुए उसके पास गई. और उसका हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा..।

    “बुलबुल..। बुलबुल बेटा. क्या हो गया तुझे बुलबुल बेटा उठाना।



    वह 70 साल का बुजुर्ग जिसने इस वक्त बुलबुल का सर अपनी गोद में रखा था।और धीरे-धीरे उसके बालों को सहला रहा था। उसने सामने देखते हुए कहा..

    “सुवर्ण बुलबुल ठीक है। बस किसी चीज को देखा और घबराहट के मारे बेहोश हो गई।



    सामने बैठी औरत थी सुवर्णा चक्रवर्ती।। बुलबुल की मां। अपनी बेटी को ऐसा बेहोश होते देख. सुवर्णा जी की हालत खराब हो गई। उन्होंने जल्दी से हरी दा की तरफ देखते हुए कहा…अरे हरी दा आप क्यों खड़ा है. जाके जल्दी डॉक्टर को बुला के लाओ ।।।



    तभी एक 26 साल का लड़का वहां आता है। और उनके साथ डॉक्टर होते हैं।वह सुवर्णा जी को देखते हुए कहता है “ काकी मां आप फिकर मत कीजिए. मैं डॉक्टर साहब को लेकर आया हूं।



    सुवर्णा की खड़ी हो जाती हैं. और वह बुजुर्ग आदमी भी बुलबुल का सर सोफे पर रखता है.और खड़ा हो जाता है।



    डॉक्टर बुलबुल को चेक करते हैं. और उसे एक इंजेक्शन देकर कहते हैं। “घबराने वाली कोई बात नहीं है। डर की वजह से बेहोश हो गई है. थोड़ी देर में होश आ जाएगा।



    सुवर्ण जी सोफे पर बैठ जाती है। और बुलबुल का सर अपने गोद में रखते हुए।उसके हाथ को मलते हुए कहती है “ एक तो यह लड़की छोटी-छोटी चीज देखकर डर जाती है। मां दुर्गा ही जाने. अब इसमें ऐसा क्या देख लिया. जिसकी मेरे यह बेहोश हो गई।



    तभी वह लड़का जो डॉक्टर को लेकर आया था. वह दूसरे सोफे पर बैठते हुए कहता है.. “ काकी मां, चिंता कोरो ना।। देखना थोड़ी देर में होश आ जाएगा. और फिर सबका सर खाती फिरेगी।



    सुवर्णा जी मुस्कुराते हुए उस लड़के को देखते हैं और कहती है।। “ अनिरुद्ध तुम हो तो मुझे किस बात की फिक्र है।। सच में बेटा. मुझे तो बहुत खुशी है. कि मेरी बुलबुल को तुम जैसा जीवनसाथी मिल रहा है।

     वरना मेरी बच्ची की किसी अनजाने के घर जाएगी और वहां कैसे रह पाएगी। यह सोच सोच के तो मेरी जान ही निकाली जा रही थी।

     पर अब देखो बुलबुल की शादी तुमसे होने वाली है।और तुम तो यही घर के पास रहते हो। मतलब मेरी बेटी मेरी आंखों के सामने रहेगी।



    अनिरुद्ध ने मुस्कुराते हुए हा में सर हिलाया।। अनिरुद्ध धर उम्र यही कोई 26 साल।इसी साल कोलकाता के

    (IPS )आईपीएस पोस्ट पर भर्ती हुआ है, और आने के साथ ही अपने एरिया से क्रीइम का नामोनिशान मिटा दिया है । बॉडी मस्कुलर और कसरत से कसी हुई. लेकिन ओवरवेट भी नहीं थी। सिंपल सा चेहरा। और मासूम सी पर्सनालिटी।। अपने चेहरे पर किसी को भी घायल कर देने वाली और दिलरुबा लेने वाली एक मुस्कान हमेशा चेहरे पर बनी रहती है ।



    और जो 70 साल का शख्स अनिरुद्ध के बगल में बैठा था वह है थे. अनिरुद्ध के दादाजी।। और इस हवेली के बड़े बाबू।। नाम है वीरेंद्र धर।। वीरेंद्र जी ने हमेशा अपने उसूलों को और अपने सिद्धांतों को आगे रखा है।

    । गोस्वामी विवेकानंद जी के सिद्धांतों पर चलते थे. इसीलिए उनके नियम भी उनकी तरह कठोर होते थे।।

    पर परिवार वाले उनकी बनाई हर नियम का सम्मान करते थे। वीरेंद्र जी के बनाए नियम कठोर जरूर होते थे. पर इसमें घरवालों की भलाई छुपी होती थी।



    वह लोग सोफे पर बैठे ही. थे कि वीरेंद्र जी ने सभी नौकरों को डांटे हुए कहा.. “तुम लोग अगर यही बैठे सारा दिन लोगों का मुंह देखोगे. तो पूजा की तैयारी कौन करेगा।

    जाओ जल्दी जाकर पूजा की तैयारी करो।।।



    कल मां दुर्गा को लाना है. और अभी तक तैयारी ही नहीं खत्म हुई तुम लोगों की।।

    अपने मालिक की डांट सुनते ही. दो ही मिनट में सारा हॉल खाली हो गया. और सारे नौकर नौ दो ग्यारह हो गए।



    उनके जाते ही हवेली के बाहर एक चमचमाती हुई कार आकर रूकती है। और उसका दरवाजा खुलता है।। एक तरफ से एक 55 साल का आदमी बाहर निकलता है। और दूसरी तरफ से उसी के हम उम्र की एक औरत।

    वह दोनों घबराते हुए घर के अंदर आते हैं।और सोफे के पास आते हुए सुवर्णा जी से देखते हैं।तो वह औरत केहती है



    बड़ी दीदी क्या हो गया बुलबुल को।। बड़ी दीदी आप नहीं जानती जब मैंने बाजार में सुना की. बुलबुल अचानक बेहोश हो गई है। मेरा तो दिल मुंह को आ गया था।पता नहीं फूल सी बच्ची क्या देखकर डर गई होगी। 🥺



    सुवर्णा जी ने उस औरत की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए।। कुछ नहीं हुआ है लता।। बुलबुल अब ठीक है अनिरुद्ध डॉक्टर को ले आया था. और उन्होंने इसको चेक भी कर लिया है। बस थोड़ी ही देर में होश आ जाएगा।



    लता ने अपने दोनों हाथ जोड़ और अपने सर से लगाते हुए कहा.. “मां दुर्गा की तो बहुत अच्छा किया. मैं तो बहुत डर गई थी दीदी।



    तभी उसके बगल में खड़े आदमी ने कहा।। सुवर्णा दीदी ।। मैं हरीश को इस बारे में इन्फॉर्म कर देता हूं।



    सुवर्णा जी ने उन्हें रोकते हुए कहा .. “अरे नहीं सोमेन इन्है इस बारे में कुछ मत बताना। अगर बुलबुल के बाबा को पता चल गया।तो वह हम सब ही गुस्सा करेंगे। तुम जानते हो ना वह बुलबुल से कितना प्यार करते हैं। उन्हें लगेगा हम सब ने बुलबुल को अच्छे से ख्याल नहीं रखा।



    सोमेन ने कहा.. “ हां दीदी शायद आप ठीक कह रही हैं।



     और अनिरुद्ध की तरफ देखते हुए कहता है. “अनिरुद्ध बुलबुल को कमरे में ले जाओ।



     अनिरुद्ध सोफे से खड़ा होता है।। वह बुलबुल की तरफ बढ़ता है. और बुलबुल को अपने गोद में उठाते हुए एक कमरे की तरफ बढ़ जाता है।। सुवर्णा जी और लता भी उसके पीछे-पीछे जाते हैं



    अनिरुद्ध बुलबुल को एक बेड पर लेटा है.और खड़ा हो जाता है।। तभी दरवाजे के अंदर एक लड़की भागते हुए आती है और अनिरुद्ध को देखकर कहती है..

    “दादा ( बंगाली में बड़े भाई को दादा कहा जाता है)

     क्या हुआ बुलबुल को।



    सुवर्णा जी.जो बुलबुल के सिरहाने  बैठी हुई थी. उन्होंने कहा कुछ नहीं पाखी।। यह बेहोश हो गई है।। पाखी अनिरुद्ध की छोटी बहन है और सोमेन और लता की बेटी



    पाखी ने बुलबुल का हाथ पकड़ते हुए कहा..

    “बुलबुल उठ जा 🥺



    अनिरुद्ध पाखी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है।पाखी परेशान मत हो. उसे थोड़ी देर में होश आ जाएगा।



    थोड़ी देर बाद बुलबुल की आंखें फड़फड़ती है. और उसे होश आता है.सब उसे होश में आया देख खुश होते हैं।

     पर बुलबुल अचानक से बैठ जाती है। और जोर से हाफने लगती है।.सुवर्णा जी जब उसे ऐसा करता देखी है। तो हैरान रह जाती है।वह बुलबुल की तरफ देखते हुए कहती है बुलबुल क्या हुआ बेटा।

     बुलबुल अपनी मां को देखते हैं.और लगभग रोनी सूरत बनाते हुए कहती है 🥺।।



    मां आपको पता है. वहां क्या हुआ था. वह वह बिल्ली।।। वह बिल्ली कल तक बिल्कुल ठीक थी. मां पर अब वह बिल्ली मर गई है। आपको पता है मां। उसके हाथ से खून निकल रहा था। बहुत सारा खून निकल रहा था🥺



    बुलबुल किसी छोटे बच्चों की तरह अपनी मां से लिपटकर रोने लगी. उसकी मां हैरान रह गई. उन्होंने बुलबुल को खुद से अलग किया और कहा.. “बुलबुल तू क्या कह रही है. कौन सी बिल्ली



    बुलबुल ने..। “ कहा वह पीछे बागान में ना. वहां एक बिल्ली थी.जो कल तक बिल्कुल ठीक थी. पर अब वह मर गई है उसे किसी ने मार दिया. और वहां बहुत खून बह रहा है।

  • 8. खंडार हवेली

    Words: 1082

    Estimated Reading Time: 7 min

    अनिरुद्ध ने बगल में रखा एक पानी का गिलास उठाकर बुलबुल की तरह बढ़ते हुए कहा.. “बुलबुल फिकर मत करो किसी जंगली जानवर ने मार दिया होगा।। मैं हरी भाई को कहता हूं. वह देख लेंगे।



    बुलबुल ने कहा..। “पर अनिरुद्ध वहां बहुत सारा खून था. मुझे खून अच्छा नहीं लगता.वह खून कितना गंदा था. और वह बिल्ली मर गई. 😢



    सुवर्णा जी ने बुलबुल का हाथ.अपने हाथ में पकते हुए कहा. “ बेटा देखो जीना मरना तो जिंदगी का दस्तूर है. जो आया है. उसे जाना ही पड़ेगा।। और तुम्हें क्या हो गया है. तुम खून को देखकर या मौत को देख कर क्यों इतना हाईपर हो जाती हो।तुम्हें पता है ना.यह सब चीज देखकर तुम्हारी तबीयत खराब होती है।



    बुलबुल ने रोते हुए और सुबकते हुए अपनी मां को देखकर कहा..। “ मां मैं क्या करूं. मैं जब भी किसी का खून देखती हूं. तो मुझे बहुत घबराहट होने लगती है। और मैं पता नहीं कैसे जमीन पर गिर जाती हूं। मां मुझे नहीं पता..मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। किसी को खून देखना किसी को मरा हुआ देखना🥺।



    सुवर्णा जि बुलबुल को अपने गले से लगा लेती है।और उसे सेहलने लगती है।।



    दादाजी सब की तरफ देखते हुए कहते हैं।. “ आप सब अपने-अपने कमरे में जाइए. सुवर्णा है बुलबुल के पास. वह उसे देख लेंगी ।



    दादाजी के कहने पर सब एक-एक करके अपने कमरे में चले जाते हैं। सुवर्णा जी बुलबुल को संभालने लगती है।

    सोमेन अपने कमरे में आता है. और अपनी कोट उतारने लगता है। लता उस का कोट उतारने में मदद करती है।

    लता सुमन के कोर्ट को तय करते हुए कहती है..।

     “लो बोलो भला. यह भी कोई बात हुई. जरा सा खून ना देखे। यह लड़की तो बेहोश हो जाती है. कल को घर कैसे संभालेगी।.



    सोमेन लता की बात पर गुस्सा करते हुए कहते हैं..।

     “ लता होश में भी तो हो। वह बच्ची इतनी डर गई थी। और यह बात तो हम सब बचपन से जानते हैं। कि बुलबुल को खून से कितना डर लगता है। फिर भी तुम यह सवाल कर रही हो। मत भूलो कि अगले कुछ दिनों में बुलबुल और अनिरुद्ध की शादी है।और तुम कोई भी बेवकूफी मत करना लता।



    लता साड़ी के पल्लू में चाबी को बांधते हुए. अपने कंधे पर लटकते हुए कहती है। “ लो… भला मैं क्यों कुछ बोलने लगी।। वैसे भी बुलबुल को इस घर की बहू बनाने का फैसला बाबा का है । और बाबा की फैसले के आगे. हम सब कभी कुछ बोल पाए हैं क्या.।बाबा का फैसला तो हमेशा से सब ने मानी है। भले ही वह बुलबुल अनिरुद्ध की शादी का फैसला हो। भले ही वह पाखी का दिल्ली पढ़ने का फैसला हो। या फिर या रोनिता के लिए लिया फैसला।।।



    रोनिता यह नाम सुनते ही सोमेन के भाव कठोर हो गए।उन्होंने गुस्से में लता की तरफ देखते हुए कहा.।

    “लता क्या बकवास कर रही हो तुम. और यह रोनिता कहां से बीच में आ गई। तुम्हें कितनी बार कहा है लता।की रोनिता का नाम मत लिया करो.अगर बाबा ने सुन लिया तो बवाल हो जाएगा।



    लता ने मुंह बनाते हुए कहा।. “ हां भाई…किया दिया.सब तुम्हारी बहन ने है. और बाबा सुनेंगे मुझे। अरे मैं थोड़ी ना कहा था। तुम्हारी बहन से की बहार पढ़ाई करने जाएं और किसी फिरंगी लड़के से शादी कर ले। वह तो तुम्हारी बहन ही आ गई थी एक बच्चा साथ में ले कर।



    सोमेन जल्दी से लता के पास आते हैं। और उसे बाजू से पढ़ते हुए झंझरते हुए कहते हैं.. “पागलों जैसी बातें मत करो लता। जब कुछ जानती नहीं हो. तो कुछ बोलो भी मत।



    लता ने जल्दी से अपनी बाजू छुड़ाई और गुस्से में सोमेन को देखते हुए कहा.. “ हां.. हां सब कुछ तो मैंने ही किया है ना. मैं तो यहां थी भी नहीं. मुझे क्या पता कि तुमने और बाबा ने तुम्हारी बहन को घर से क्यों निकाल दिया। और उसके बच्चे को भी नहीं अपनाया। मैंने बोला था क्या। यह सब करने के लिए। और अब कितने सालों बाद भी उन सब का गुस्सा मुझ पर उतर रहे हो।



    सोमेन ने गुस्से में कहां.. “ तुमसे तो बात करना ही बेकार है. और खबरदार ये बात घर में किसी के सामने कहीं तो।



    ऐसा कहते हुए सोमेन कमरे से चला जाता है। लता गुस्से के भाव से दरवाजे की तरफ देखती है। और फिर जल्दी से अपने कमरे की खिड़की पर आती है। वह पहले खिड़की खोलते हैं।और फिर अपनी हवेली के साथ लगे उसे

     खंडहर से हवेली को देखती हैं। जो अब खंडहर और पत्थर हो चुकी थी।।



    इस हवेली के साथ का दूसरा हिस्सा. जो बिल्कुल झज्जर हो चुका था।। लता ने गुस्से में उसे खंडहर को देखते हुए कहा।।

    “ । इतनी आसानी से मैं यह सब कुछ अपने हाथों से नहीं जाने दूंगी। बस एक बार इस हवेली का यह आधा हिस्सा भी हमारे नाम हो जाए. तो सब कुछ मेरी अनिरुद्ध का होगा। जब मुझे यह पता चला था ना. कि बाबा ने प्रॉपर्टी अपनी बेटी के नाम पर रखी है। तो मुझे गुस्सा तो बहुत आया था।। पर मैं उस समय कुछ नहीं कर सकती थी.

    फिर पता चला कि रोनिता तो मर चुकी है।। तब एक उम्मीद जाएगी कि यह प्रॉपर्टी अब मेरे अनिरुद्ध को मिल जाएगी।

    । लेकिन उस रोनिता ने तो अपने पीछे अपनी बेटे को छोड़ कर और इस हवेली का एक और हिस्सेदारी रोनिता के बेटे को बना दिया है। पर कोई बात नहीं. मेरी इतनी सालों की मेहनत बेकार नहीं गई। आखिरकार मुझे पता चाहिए गया कि रोनिता का बेटा कहां है।। धोखे से मेने सोमेन के सिग्नेचर लेकर. मैंने उसे प्रॉपर्टी के पेपर भेज दिए।

     वैसे भी वह कभी इंडिया तो आएगा नहीं. तो इस प्रॉपर्टी पर क्लेम भी नहीं करे गा।

    अरे जों इतनी सालों में कभी इंडिया नहीं आया है। वह एक प्रॉपर्टी के लिए इंडिया थोड़ी ना आएगा। और वैसे भी इससे ज्यादा प्रॉपर्टी तो उसके पास उसके देश में होगी।।

    बस एक बार यह आधी प्रॉपर्टी मेरे बेटे के नाम हो जाए फिर देखना. इस बाप बेटी को कैसे नाचना चाहती हूं।।

    और वह बुलबुल.. पता नहीं क्या जादू चलाया है। उसके सारे परिवार पर। जब.देखो तब सब उसी का गुणगान करते रहते हैं डरपोक कहीं की।



    काजी नजरूल इस्लाम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, - बर्दवान ।

     रोबिन  की फ्लाइट अभी-अभी वर्धमान एयरपोर्ट पर लैंड हुई थी रोबिन अपना सामान लेकर एयरपोर्ट से बाहर आता है. उसकी आंखों में इस समय सेड था. और वह इस समय अपनी घूरती हुई निगाहों से बाहर इंडिया को देख रहा था।

  • 9. सिलसिला ये चाहत का

    Words: 1865

    Estimated Reading Time: 12 min

    रॉबिन इस समय टैक्सी में बैठा हुआ था, वह पिछले डेढ़ घंटे से टैक्सी में बैठा हुआ था,। आज जगह-जगह से दुर्गा मा की प्रतिमा को ले जाया जा रहा था, छोटे साइज के दुर्गा बड़े साइज की दुर्गा और इतनी बड़ी दुर्गा जिसका तो अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता था, रॉबिन हैरानी से खिड़की से बाहर देख रहा था, इतनी सारी दुर्गा माता की मूर्ति। 



     उसे यहां के कलचर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था, लेकिन यह तो उसे पता चल ही रहा था, कि जरूर यहां पर कोई फंक्शन है। या फिर कोई फेस्टिवल है। पर यह कौन सा फेस्टिवल है यह उसे नहीं पता था, वह बस हैरानी से उन सभी दुर्गा माता की प्रतिमा को अपने सामने से गुजरा हुआ देख रहा था,।



     रॉबिन देखता है कि यहां पर तो लोगों की इतनी ज्यादा भीड़ है पता ही नहीं चल रहा है, की सड़क पर गाड़ियां चल रही है या लोग चल रहे हैं. ऐसा लग रहा था, कि रोबिन जीस टैक्सी में बैठा हुआ है, वह लोगों के बीच में से जा रही है रॉबिन गुस्से में ड्राइवर से कहता है..



     व्हाट नॉनसेंस...🤨.



     वह बंगाली ड्राइवर रॉबिन को देख कर समझ रहा था,

     कि वह तो जरूर कोई विदेशी है, जो यहां पर घूमने आया है.. उसने पीछे पलट कर रॉबिन को देखते हुए कहा..



    दादा.. पूजा का टाइम है ना.. तो लोग ज्यादा है.. 

     यू नो.. पूजा… फेस्टिवल.. कोलकाता बिग फेस्टिवल..

     नेम दुर्गा पूजा.. सो पीपल एक साथ आया....

    बेचारा ड्राइवर उसे पता ही नहीं चल रहा था, कि वह हिंदी बोल रहा है, इंग्लिश बोल रहा है, या बंगाली बोल रहा है।



     ड्राइवर की मिक्स लैंग्वेज सुन कर रॉबिन अपना सर पीट लेता है.. वह बस जल्दी से जल्दी यहां से निकाल कर जाना चाहता था,. इतना भीड़ तो उसने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा था,। यहां तक की रसिया में भी जब फेस्टिवल होता था, तब भी इतनी भीड़ नहीं हुआ करती थी,..  



    क्रिसमस और ईस्टर के अलावा. और इन दोनों ही फेस्टिवल पर रोबिन अपने काम में बिजी रहता था, इसीलिए इतनी भीड़ से कभी भी उसका सामना नहीं हुआ था, 



    पर कोलकाता की उन तंग गलियों में रॉबिन को अजीब सा लग रहा था, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था, कि इतनी छोटी गली में इतने सारे लोग भी हो सकते हैं.. उसे ऐसा लग रहा था, जैसे पूरा कोलकाता ही इस गली में आ गया है।



     वहीं दूसरी तरफ बुलबुल के घर पर..

     दुर्गा मां का स्वागत हो चुका था, पंडाल को बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया था, और सब लोग दुर्गा मां की उसे अलौकिक प्रतिमा के दर्शन कर रहे थे।



     बुलबुल और पाखी एक तरफ खड़े थे, पाखी अपने फोन से दुर्गा मां की प्रतिमा की फोटो ले रही थी,।

     तभी अनिरुद्ध वहां से गुजरता है, पाखी अनिरुद्ध को रोकते हुए कहती है…। “ दादा रुको ना 



    अनिरुद्ध रुक जाता है तो पाखी केहती है..। “दादा आपकी और बुलबुल की कुछ दिनों में शादी होने वाली है.. और मेरे पास आप दोनों की एक भी तस्वीर नहीं है। आप दोनों एक साथ खड़े हो जाइए ना, मैं आप दोनों की बहुत प्यारी सी तस्वीर लेती हूं।



     यह सुनकर बुलबुल और अनिरुद्ध दोनों हैरान हो जाते हैं अनिरुद्ध कहता है…। “ पाखी ये क्या बचपना है यह। 

     और तेरे पास बुलबुल की तस्वीर नहीं है क्या?



     पाखी केहती है…। “ दादा मेरे पास बुलबुल की तो तस्वीर है, लेकिन मेरे पास आपकी और बुलबुल की तस्वीर नहीं है आप दोनों एक साथ खड़े हो जाइए ना। मुझे आप दोनों की तस्वीर लेनी है। 



     अनिरुद्ध एक गहरी सांस छोड़ना है, और बुलबुल के साथ जाकर खड़ा हो जाता है, बुलबुल अपनी नज़रे चुराने लगती है. और अनकंफरटेबल होकर इधर-उधर देखने लगती है..  



    अनिरुद्ध बुलबुल की घबराहट पहचान जाता है, इसलिए वह बुलबुल से थोड़ा सा दूर है जाता है।. पाखी उन दोनों की तस्वीर लेती है और कहती है…। “क्या यार कौन आप दोनों को देख कर कहेगा कि कुछ दिनों में आप की शादी होने वाली है कम से कम एक साथ एक कपल की तरह खड़ी तो है. इतनी दूर-दूर क्यों खड़े हैं।



     अनिरुद्ध थोड़ा गुस्से में कहता है..। “ तुझे तस्वीर लेनी है तो ऐसे ही ले. वरना मैं जा रहा हूं यहां से. वैसे भी पूजा का टाइम है. मेरे पास बहुत कम है



     पाखी केहती है…। “अच्छा ठीक है! ठीक है. ले रही हूं.. 



    पाखी उसी तरीके से उन दोनों की तस्वीर लेती है. लेकिन वह दोनों कहीं से भी उसे तस्वीर में ऐसे नहीं लग रहे थे कि एक साथ खड़े हैं।



     अनिरुद्ध चला जाता है. और बुलबुल पाखी के कंधे पर मारते हुए कहती है.. “क्या जरूरत थी, अनिरुद्ध को बुलाने की।



     पाखी गहरी सांस छोड़ती है और बुलबुल से कहती है.. “बुलबुल तू मैं और दादा! हम तीनों का बचपन एक साथ गुजारा है। इसीलिए मैं तुझे भी अच्छी तरह से जानती हूं और अपने भाई को भी। मुझे दिखता है तुम दोनों की आंखों में.. ना तो दादा तुझे प्यार करते हैं। और ना ही तु दादा से प्यार करत है।

     तुम दोनों यह शादी बस दादू के कहने पर कर रहे हो ना। क्योंकि बस वह चाहते हैं. कि तुम दोनों की शादी हो। 

    अरे बचपन से देखा है मैंने तुम दोनों को। कभी एक बैठ कर ठीक से बात तो कि नहीं है। अब शादी करके जिंदगी कैसे गुजारोगे।



    बुलबुल केहती है..। “ इस से क्या फर्क पड़ता है.. वैसे भी दादू ने कुछ सोच कर ही मेरा और अनिरुद्ध का रिश्ता जोड़ा होगा। और फिर किसी अनजान के घर जाने से बेहतर यह है कि मैं तेरे घर आ जाऊं। कम से कम मैं तुम लोगों को जानती तो हूं। और अनिरुद्ध को भी जानती हूं.. फिर जहां तक बात रही प्यार की। तो अरेंज मैरिज में तो प्यार होते होते होता है।



     पाखी ना में सर हिलाती है और कहती है….। “भले ही तू मेरी बचपन की दोस्त है. और अनिरुद्ध मेरा भाई है।लेकिन फिर भी कहती हू तुम दोनों की जोड़ी कहीं से भी एक नहीं लगती है। 





     बुलबुल पाखी के कंधे पर मरते हुए कहती है..। “ चुप कर किसी ने सुन लिया ना तू बवाल हो जाएगा।



     पाखी हंसने लगती है तो बुलबुल केहती है..। “ चल शाम होने वाली है, वैसे भी आज शाम का डांस परफॉर्मेंस हम दोनों का ही है। 



     पाखी मुंह बनाते हुए कहती है…। “ हां पता है कि हम दोनों का डांस परफॉर्मेंस है.. पर यहां कौन है जो मुझे देखेगा, सब यहां पर तेरा डांस देखने आएगे।

     बुलबुल और पाखी हंसते हुए वहां से चले जाते हैं और अपने डांस की प्रेक्टिस करने लगते हैं।



     शाम का वक्त मां दुर्गा की पहली आरती हो गई थी,.. 

     और अब सब को इंतजार था, बुलबुल के डांस परफॉर्मेंस का।

     अनिरुद्ध अपने परिवार के साथ एक तरफ बैठा हुआ था,. लता वहां पर जबरदस्ती बैठी हुई थी, क्योंकि अनिरुद्ध के दादा जी वहां बैठे हुए थे और उनके सामने लता कुछ नहीं बोल पा रही थी,।



     सुवर्णा और हरि दा मेहमानों का स्वागत कर रहे थे, और पूजा की बाकी तैयारी देख रहे थे। तभी वहां पर हाल के बीचो-बीच लाइट जलती है। 10 से 15 डांसर वहां पर अपने हाथ में दिया लेकर आती है..

     और बैकग्राउंड में एक सॉन्ग प्ले होने लगता है. 



    मौसम ने ली अंगड़ाई, आई-आई

    लहरा के बरखा फिर छाई, छाई-छाई

    झोंका हवा का आएगा, और ये दीया बुझ जाएगा



     तभी सेंट्रल में एक लाइट फॉक्स करती है और बुलबुल एक लाल बंगाली साड़ी में अपने खुले बालों के साथ माथे पर लाल रंग की बिंदी लगाए हुए और आंखों में मोटा मोटा काजल लगाए हुए अपने हाथों में एक दिया लेकर आती है..



    सिलसिला ये चाहत का ना मैंने बुझने दिया

    हो, 

    सिलसिला ये चाहत का ना मैंने बुझने दिया

    ओ, पिया, ये दीया



    ना बुझा है,...ना बुझेगा मेरी चाहत का दीया

    मेरे पिया, अब आजा रे, मेरे पिया

    हो, मेरे पिया, अब आजा रे, मेरे पिया



    इस दीए संग जल रहा मेरा रोम, रोम, रोम

    और जिया, अब आजा रे, मेरे पिया

    हो, मेरे पिया, अब आजा रे, मेरे पिया



    तभी गली के बाहर ही रॉबिन की टैक्सी आकर रुक जाती है.. वह टैक्सी से बाहर निकलता है और उस छोटी सी गली में जगमगाती हुई रोशनी के बीच में इतनी बड़ी भीड़ देखा है।… रॉबिन वहां से गुजरने वाले एक इंसान को एक पेपर दिखता है और उस एड्रेस पूछता है, वह इंसान उसे उस घर की तरफ इशारा करता है जहां पर इस समय लाइटिंग से एक पंडाल सजा हुआ था,।



     रॉबिन अपने बैग को लेता है और उसे घर की तरफ बढ़ जाता है।



    फ़ासला था,, दूरी थी,

    फ़ासला था,, दूरी थी,, था, जुदाई का आलम

    इंतज़ार में नज़रें थी, और तुम वहाँ थे

    तुम वहाँ थे, तुम वहाँ थे, झिलमिलाते, जगमगाते

    खुशियों में झूम कर

    और यहाँ जल रहे थे हम

    और यहाँ जल रहे थे हम



    अनिरुद्ध की निगाहें बुलबुल के ऊपर थी,..बुलबुल अपने पूरे मगन हो कर डांस कर रही थी,। 

     और बाहर गली में रोबिन उन लोगों की भीड़ को चीरता हुआ धीरे-धीरे उसे घर की तरफ बढ़ रहा था, जहां से इस वक्त गाने की धुन उसके कानों में पढ़ रही थी,।





    फिर से बादल गरजा है

    गरज-गरज के बरसा है

    झूम के तूफ़ाँ आया है

    पर तुझ को बुझा नहीं पाया है

    ओ, पिया, ये दीया

    चाहे जितना सताए तुझे ये सावन

    ये हवा और ये बिजलियाँ



    मेरे पिया, अब आजा रे, मेरे पिया

    हो, मेरे पिया, अब आजा रे, मेरे पिया





     तभी वहां पर बुलबुल के साथ डांस करने वाली जितनी लड़कियां थी, वह सब अपने हाथ में सिंदूर की थाल , 

    ले कर आती है और बुलबुल के आसपास उस थल को लेकर जोर से घूमने लगती है, जिससे उसे थाल पर रखा हुआ सर सिंदूर हवा में उड़ने लगता है।





    देखो ये पगली, दीवानी

    दुनिया से है ये अनजानी

    झोंका हवा का आएगा

    और इसका पिया संग लाएगा

    हो, पिया





     डांस करते-करते अचानक से अपने आसपास इतना सारा उड़ता हुआ लाल रंग देख कर बुलबुल घबरा जाती है, उसे ऐसा लगता है कि यह सिंदूर का लाल रंग नहीं है। बल्कि खून का लाल रंग है।



     रॉबिन भी लोगों को हटाता हुआ पंडाल में आ जाता है। और आंगन में आकर देखा है तो सामने एक डांस परफॉर्मेंस चल रहा था, पर वहां पर सिर्फ लाल रंग का सिंदूर उड़ रहा था,। रॉबिन धीरे-धीरे चलता हुआ आंगन के बीचो-बीच आ जाता है। उसे पता ही नहीं चला कि कब यहां पहुंच गया।



    अब आजा रे, मेरे पिया

    सिलसिला ये चाहत का ना दिल से बुझने दिया

    ओ, पिया, ये दीया

    सिलसिला ये चाहत का ना दिल से बुझने दिया



     बुलबुल जो डांस परफॉर्मेंस के बीच गोल-गोल घूम रही थी,.. लाल रंग को देख कर उसका सर चक्करआने लगता है और वह अचानक से चक्कर खा गई 



    ओ, पिया, ये दीया

    ए पिया, पिया, पिया



     रॉबिन और बुलबुल इस समय उसे रंग के बीचो-बीच खड़े हुए थे, बुलबुल घूमते घूमते कब रोबिन के पास आ गई। और रॉबिन ने जब देखा कि कोई लड़की गिरने को हो रही है तो उसने जल्दी से उसे लड़की को संभाल लिया।



    बुलबुल बेहोश हो गई थी, और रॉबिन की बाहों में झूल गई थी,.. हवा में उड़ने वाला सिंदूर इस समय रॉबिन और बुलबुल के ऊपर रंगों की तरह बिखर रहा था,। 

  • 10. ये रोनीता का बेटा है

    Words: 2060

    Estimated Reading Time: 13 min

    सब जगह रंग उड़ रहे थे, इसीलिए किसी को कुछ नजर ही नहीं आ रहा था, और रॉबिन बुलबुल को अपनी बाहों में लेकर खड़ा था, बुलबुल ने बेहोशी में जाने से पहले बस एक झलक रॉबिन को देखा था, और फिर उसकी आंखें बंद हो गई थी लेकिन रॉबिन की नजरे बुलबुल के ऊपर हि टिकी  हुई थी।



     धीरे-धीरे करके हवाओं से वो लाल सिंदूर उत्तर रहा है।और सब की नजर रॉबिन और बुलबुल पर जाती है।बुलबुल को ऐसे किसी की बाहों में देख कर सब हैरान हो जाते हैं, 

    और एक साथ वहां देखने लगते हैं,यहां तक की लता ने तो अपने मुंह पर हाथ भी रख लिया था,।



    बड़े बाबू ने जब यह देखा तो गुस्से में खड़े हो गए.. अनिरुद्ध और पाखी भी हैरान होते हैं और सुवर्णा जी वह भी हैरानी से रॉबिन और बुलबुल को देख रही थी।



     सुवर्णा जी जल्दी से भागते हुए बुलबुल के पास आती है।अब जा कर उनका ध्यान बुलबुल पर जाता है।जिसकी आंखें बंद थी और वह मूर्छित अवस्था, में रॉबिन के गोद में झूल रही थी।



     सुवर्णा जी हैरानी से बुलबुल को देखते हुए कहती है।..-अनिरुद्ध जल्दी से इधर आओ, बुलबुल बेहोश हो गई है.

     सुवर्णा जी की बात सुन कर सब घबरा जाते हैं, बड़े बाबू अब हैरानी से बुलबुल को देख रहे थे, सब लोग तेजी से बुलबुल के पास आते हैं.. रॉबिन सब को हैरानी से देख रहा था,.



     अनिरुद्ध जल्दी से रोबिन के पास आता है।और उसकी बाहो से बुलबुल को अपनी गोद में ले लेता है. रॉबिन एक तीखी नजर से अनिरुद्ध को देखता है।और अनिरुद्ध भी घूरते हुए रॉबिन को देख रहा था, भले ही दोनों एक दूसरे से अनजान थे, लेकिन फिर भी उन दोनों को एक दूसरे से पॉजिटिव वाइब नहीं आ रही थी।



     बड़े बाबू जल्दी से अनिरुद्ध  से कहते हैं…”अनिरुद्ध यहां पर तो पंडाल लगा हुआ है।और सारे मेहमान भी यहीं पर है।एक काम करते हैं, बुलबुल को हमारे घर ले चलते हैं.



     अनिरुद्ध हा में सर हिलता है।और बुलबुल को अपनी गोद में संभालता हुआ घर की तरफ निकल जाता है।सब लोग अनिरुद्ध के पीछे-पीछे उस के साथ चले जाते हैं,

     और रॉबिन हैरानी से सब को बस जाता हुआ देखता रह जाता है।



     रोबिन के पूरे कपड़ों पर इस समय सिंदूर का लाल रंग लगा हुआ था, रॉबिन जब खुद को देखता है।तो इरिटेट होते हुए कहता है।.. “व्हाट द हेल. जब से इंडिया आया हूं, तब से कोई ना कोई प्रॉब्लम हो ही रही है।



     हरि दा रोबिन के पास आते हैं, और कहता हैं…” जी आप कौन?



     रॉबिन वो एड्रेस हरी दा को दिखाते हुए कहता है।..

     “मुझे इस पत्ते पर जाना है।



     हरी दा जब इस में अनिरुद्ध के घर का पता देखते हैं. तो कहते हैं…” अरे यह तो बड़े बाबू का एड्रेस है. आईये मैं आप को ले चलता हूं।



     वहीं दूसरी तरफ बड़े बाबू के घर में बुलबुल को कमरे में लौटा दिया गया था, और सुवर्णा जी इस समय बुलबुल के पास थी.

     लता परेशानी का दिखावा करते हुए कहती है। हाय हाय ।बेचारी बच्ची कैसे बेहोश हो गई है बताओ., सुवर्णा भाभी मैं तो कहती हूं हमें बुलबुल की नजर उतारती चाहिए.



     सुवर्णा जी भी परेशान होते हुए कहती है।.. “शायद तुम ठीक कह रही हो लता. मुझे बुलबुल की नजर उतारने ही पड़ेगी।



     बड़े बाबू कहते हैं…”अच्छा ठीक है।अभी बुलबुल को अकेला छोड़ दो, वैसे भी वह बेहोश हो गई है।ऐसे में उस के आसपास इतना भीड़ होना अच्छी बात नहीं है। चलो सब बाहर निकलते हैं,  सुवर्णा है बुलबुल के पास।



     बड़े बाबू कमरे से बाहर आते हैं, पर जैसे ही वह बाहर हाल में आते हैं, उनकी नजर दरवाजे पर जाती है।जहां पर हरी दा रॉबिन को ले कर अंदर आ रहा था,।



     घर के अंदर कदम रखते ही रॉबिन वहीं रुक जाता है।और हैरानी से उसे घर को देखने लगता है।उसे अचानक से वह दिन याद आ जाता है।जब वह छोटा सा था, और अपनी मां के साथ यही दहलीज पर खड़ा था,।



     तभी रोबिन की नजर बड़े बाबू के ऊपर जाती है।जो चश्मा के अंदर से रॉबिन को देख रहे थे,.. रोबिन ने बड़े बाबू को पहचानने की कोशिश की, और फिर धीरे-धीरे अपने दिमाग पर जोर डालते हुए उसने बड़े बाबू को दिखा.



     रॉबिन को अपनी मां के साथ वह दिन याद आ जाता है।जब वह यही दरवाजे पर खड़ा था, और सामने खड़े थे, बड़े बाबू।



     छोटा सा रॉबिन अपनी मां के पीछे खड़ा था, और उस की मां अपने पिताजी से कह रही थी…” बाबा आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. मैं आप की बेटी हूं आपने मुझे कितना प्यार किया था, अब अचानक से आप मुझसे सारे रिश्ते कैसे खत्म कर सकते हैं।



     पर बड़े बाबू गुस्से में अपनी बेटी रोनिता को देखते हैं और फिर अपना चेहरा दूसरी तरफ करते हुए कहते हैं.. रिश्ता तो उसी दिन खत्म हो गया था, जिस दिन तुमने इस फिरंगी का हाथ थामा था,। 



     और इसी के साथ बड़े बाबू ने रोनिता के मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया, रोनिता रोते हुए उस बंद दरवाजे को देख रही थी, और जोर-जोर से चिल्लाते हुए कह रही थी.. “बाबा आप मेरे साथ ऐसा मत कीजिए..बाबा.



     अचानक से रॉबिन अपने ख्यालों से बाहर आता है।और अपने सामने खड़े-खड़े बाबू को देखता है।। उम्र ढल गई थी लेकिन अकड़ अभी भी वैसी ही थी। रोबिन ने पहचान लिया कि यह उसके नाना जी हैं।



     लेकिन साथ ही रोबिन को अपनी मां के साथ की गई जातती याद आ गई और उसकी आंखें सख्त हो गई। 



     बड़े बाबू हैरानी से रॉबिन को देखते हुए कहते हैं..।

    “ कौन हो तुम.?



     तभी पीछे से लाता आता है।और रोनित को देखते हुए कहती है।…”अरे बाबा अपने इसे पहचाना नहीं, यह तो वह है ना.



     बड़े बाबू लता को देख कर कहते हैं..। “बऊमाँ ( बहु ) तुम जानती हो इस लड़के को.



     लता केहती है।.. “अरे हां बाबा, अभी अभी तो मिले थे, हम सभी इस से पंडाल पर, इसी ने तो बुलबुल को गिरने से बचाया था,।



     बड़े बाबू रॉबिन को देख कर कहते हैं.. “ अरे हां तुम तो वही लड़के हो, जिस ने बुलबुल को संभाला था, 

    शुक्रिया हमारी बच्ची को संभालने के लिए। 



     लता मुस्कुराते हुए कहती है।.. “बाबा आप इस से हिंदी में कैसे बात कर रहे हैं, इसे देख कर लगता है कि इसे हिंदी आती होगी, यह तो कोई विलायती है। लगता है यहां पर घूमने आया है।



     अब तक अनिरुद्ध सोमेन और पाखी भी वहां आ गए थे,।



    अनिरुद्ध कहता है..  कोई बात नहीं, मैं बात करता हूं इससे।



     अनिरुद्ध रोबिन के सामने आता है।और अपना हाथ बढ़ाते हुए कहता है।…”हेलो मिस्टर माय नेम इस अनिरुद्ध, 

    नाइस टू मीट यू।



     रॉबिन अपनी भूरी नजरों से घूरते हुए अनिरुद्ध को देखा है।और फिर उस के उस हाथ को देखता है।लेकिन रॉबिन उस से हाथ नहीं मिलता है।



     अनिरुद्ध जब देखता है कि रॉबिन ने उस से हाथ नहीं मिलाया है।तो वह अपने हाथ पीछे ले लेता है।और फिर रॉबिन से कहता है।

    माय फॅमिली वांट्स टो थैंक्स यू, फॉर सेविंग माय फिन्स फ्रॉम फॉलिंग।



     रॉबिन को अनिरुद्ध की सारी बात समझ में आ रही थी भले ही वह इंग्लिश में बोल रहा हो,  या फिर हिंदी में,  लेकिन उस ने अनिरुद्ध को सामने से कोई जवाब नहीं दिया बल्कि अपनी निगाहों से उसे घूरता ही रहा।



     अनिरुद्ध ने कहा.. “ आई थिंक यू कैन'टी अंडरस्टैंडिंग मी .. व्हाट'एस योर नेम एंड वेयर आर यू फ्रॉम।



     इस बार रॉबिन अनिरुद्ध को घूरते हुए देख कर कहा.. 

     रोबिन फ्रॉम रशिया।



     सब लोग हैरानी से रॉबिन को देखने लगे थे, क्योंकि रोबिन के पहली बार बोलने पर किसी के दिमाग में उसके बारे में कुछ आया ही नहीं था,।



     लेकिन सुवर्णा जो दरवाजे पर खड़ी थी, वह हैरानी से रॉबिन को देखते हुए कहती है.. तुम रोनिता की बेटे हो? ।



     सब लोग एक साथ हैरानी से सुवर्णा जी को देखने लगते हैं और फिर सबका ध्यान रोबिन के ऊपर जाता है।

    जो बिना किसी एक्सप्रेशन के उन लोगों को देख रहा था,।



     लता की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है।और उस का मुंह खुला का खुला रह जाता है।यह सोच कर कि रोनिता का बेटा यहां पर आया है। तो जरूर अब वह यहां पर सबको प्रॉपर्टी पेपर के बारे में बता देगा।



     लेकिन बड़े बाबू की आंखें गुस्से में बड़ी हो गई थी, वह रॉबिन को देखते हुए कहते हैं..  कौन हो तुम।



     रॉबिन ने बिना किसी एक्सप्रेशन के बड़े बाबू को देखते हुए कहा रोबिन.. रोनिता का बेटा।



     यह बात रॉबिन ने हिंदी में कही थी, लेकिन उसके मुंह से यह सुन कर सबकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई।

     अनिरुद्ध और पाखी एक तरफ खड़े हो गए थे, हालांकि उन्होंने कई बार इस घर में रोनिता और उसके साथ हुए हादसे के बारे में सुना था, लेकिन उन्होंने कभी रोबिन के बारे में नहीं सुना था, और अब अचानक से रॉबिन उन सबके सामने आ गया, तो वह दोनों भी हैरान हो गए थे,।



     रॉबिन अपना एक कदम उठाता है।और घर के अंदर रखना है।लेकिन उसी के साथ बड़े बाबू चिल्लाते हुए कहते हैं 



    “खबरदार जो अपने कदम इस घर के अंदर रखे तो। अभी के अभी वापस लौट जाओ। क्यों आए हो यहां पर,

     क्या लेने आए हो। जिस का इस घर से कोई रिश्ता था, जब उसे इस घर से कुछ नहीं मिला, तो तुम्हारा तो इस घर से कोई रिश्ता भी नहीं है। फिर किस हक से इस घर में अपने कदम रख रहे हो। 



     रॉबिन घूरते हुए बड़े बाबू को देखता है और कहता है…

    “ मैं यहां पर किसी से कोई रिश्ता जोड़ने नहीं आया हूं। बल्कि उसे लेने आया हूं जो मेरा हक है।



     बड़े बाबू ने कहा.. “ कोई हक नहीं है तुम्हारा इस घर में। वापस चले जाओ अपने देश। 



     रॉबिन अपने बैग की पहली चैन खोलना है।और उसमें अपने हाथ डालते हुए कहता है।…”चला जाऊंगा वैसे भी मैं यहां पर कौन सा हमेशा के लिए आया हूं, लेकिन यहां से जाने से पहले, मैं वह ले कर जाऊंगा जिस पर सिर्फ मेरा हक है।



     यह कहते हुए रोनित प्रॉपर्टी के पेपर उनके सामने करता है।



     सब लोग हैरानी से उसे पेपर को देख रहे थे, बड़े बाबू गुस्से में रहते हैं…” क्या है यह।



     लेकिन उस प्रॉपर्टी के पेपर को देख कर लता की जान गले में अटक गई थी, मतलब कि उसका सक सही था, रोनिता का बेटा यहां पर अपने हिस्से की जायदाद के लिए आया है। अब लता की डर के मारे हालत खराब हो रही थी, अगर किसी को यह पता चल गया कि उसने प्रॉपर्टी के पेपर रोबिन के पास भिजवाए थे, तो सारा इल्जाम उसी के ऊपर आ जाएगा।





     अनिरुद्ध आगे आता है।और रॉबिन के हाथ से वह पेपर लेकर उसे पढ़ने लगता है.. जैसे ही वह उस पेपर को पढ़ता है। वो हैरानी से बड़े बाबू की तरफ देखते हुए कहता है।



    “ दादू इस में तो लिखा है।कि पीसी मां ( बुआ ) के नाम जो आधी खंडहर हवेली है।उस पर हमने क्लेम किया हुआ है। हम चाहते हैं कि वह प्रॉपर्टी हमारे नाम हो जाए।



     बड़े बाबू गुस्से में अनिरुद्ध के पास आते हैं और उसके हाथ से वह पेपर लेते हुए कहते हैं.. “ हो ही नहीं सकता है।  हमने उसे हवेली पर कभी अपना दावा नहीं किया है। 



    लेकिन जैसे ही वह उस पेपर को पढ़ते हैं उनकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है।और वह गुस्से में अपने परिवार को देखते हुए कहते हैं।” सोमेन यह क्या है.?



    सोमने हैरानी से कहता है।.. “क्या बाबा.मुझे नहीं पता आप किस बारे में बात कर रहे हैं. मैं तो रोनिता के हिस्से की उस खंडहर हवेली को कभी देखा भी नहीं है। जब से आपने हम सब को मना किया है।हम में से कोई उस तरफ नहीं गया है।



     बड़े बाबू गुस्से में केहते हैं…”अगर ऐसा है।तो फिर इसका कागज पर तुम्हारे दस्तखत कैसे आए हैं. जिस पर लिखा हुआ है।कि तुम उस हवेली को अनिरुद्ध के नाम करना चाहते हो।



     अपने पिता की बात सुनकर सोमने की भी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है।उसे खुद नहीं पता था, कि इस प्रॉपर्टी पर उसके साइन कहां से आए हैं।



     लेकिन तभी रोबिन बड़े बाबू के हाथ से प्रॉपर्टी के पेपर लेता है।और उसे वापस फोल्ड करते हुए कहता है।

    “यह आपके घर का फैमिली मैटर है।मैं इसमें कुछ नहीं बोलूंगा. मैं बस यहां पर अपने मां के हिस्से की प्रॉपर्टी पर क्लेम करने आया हूं। पहले वह प्रॉपर्टी मेरी मां की थी. इस नाते से अब वह मेरी है। 

  • 11. आप कौन है।

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    सारा परिवार गुस्से में रॉबिन को देख रहा था, लेकिन रॉबिन को उनकी नजरों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था,,
    पर सुवर्णा जी रॉबिन को बहुक हो कर देख रही थी,। पहली नजर में भले ही उन्होंने रॉबिन को नहीं पहचाना था, लेकिन जब रॉबिन ने अपना नाम बताया और यह बताया कि वह कहां से आया है। तो सुवर्णा जी ने 1 मिनट नहीं लगाया यह पहचान के लिए की यह उनकी बचपन की सहेली रोनिता का ही बेटा है।

    सुवर्णा जी का मन कर रहा था, कि भाग कर रोबिन के पास जाए और उसे गले से लगा ले, लेकिन बड़े बाबू और बाकी सब के वहां रहते हुए सुवर्णा जी ऐसा नहीं कर सकती थी,। वो अपनी ममता भरी नजरों से रॉबिन को देख जरूर रही थी,।

    बड़े बाबू गुस्से में रॉबिन को देखते हुए कहते हैं.. “ए लड़के जो भी तुम्हारा नाम है। ना तो तुम हमारे कुछ लगते हो और ना ही इस घर से तुम्हारा कोई रिश्ता है। सालों पहले ही हमने तुम्हारी मां के साथ हमारा रिश्ता खत्म कर दिया था,। और किसी अनजान लड़के को हम अपने घर में शरण नहीं दे सकते हैं। ये बहू बेटियों वाला घर है ।

    रॉबिन घूरते हुए बड़े बाबू को देखते हुए कहता है..” क्या मैंने यह कहा, कि मैं यहां आप लोगों के साथ कोई रिश्ता बनाने आया हूं। या फिर यहां रहने आया हूं, नहीं ना। क्योंकि ना तो मुझे आप लोगों के रिश्ते की जरूरत है और ना ही घर की जरूरत है। मैं कहां रहने वाला हूं यह मैं अपने आप देख लूंगा।

    यह कह कर रॉबिन अपना बैग उठते ही वाला होता है कि सुवर्णा जी जल्दी से कहती हैं…” बाबा पिछली हवेली तो रोनिता की थी ना। तो देखा जाए तो एक तरह से अब वह हवेली उसके बेटे की है। और अगर यह चाहे तो अपनी मा की हवेली में रह सकता है।

    सुवर्णा जी की बात सुनकर रॉबिन अपनी आंखें छोटी करते हुए उन्हें देखने लगा.. सुवर्णा जी बस यह चाहती थी कि रॉबिन को यहां वहां धक्के ना खाने पड़े। क्योंकि बड़े बाबू का इस पूरे मोहल्ले में एक नाम था,. और अगर किसी को रोबिन के बारे में पता चल जाता। तो कोई उसे रहने के लिए जगह नहीं देता था, और वैसे भी सुवर्णा जी को रोबिन के ऊपर जो प्यार भरी माया आ रही थी, उसके हिसाब से तो उनका मन कर रहा था, कि रॉबिन को अपने ही घर में रख ले। पर वह जानती थी, कि वह ऐसा नहीं कर सकती है क्योंकि अगर उन्होंने ऐसा किया तो बात अनिरुद्ध और बुलबुल के रिश्ते पर आ जाएगी।

    इसलिए उन्होंने रॉबिन की मदद करने के लिए जानबूझकर सबके सामने यह बात कही थी,। बड़े बाबू गुस्से में सुवर्णा जी को देखते हुए कहते हैं।…”सुवर्णा यह क्या कह रही हो तुम। यह लड़का वहां कैसे रह सकता है।

    सुवर्ण जी कहते हैं…” क्यों नहीं रह सकता बाबा। वह घर तो रोनिता का है ना। आपने भी तो उस घर को खंडहर होने दिया है। सिर्फ इसलिए क्योंकि उस घर के साथ रोनिता का रिश्ता था,। जब आपका उस घर से रोनिता से और उसके बेटे से कोई रिश्ता ही नहीं है। तो आपको क्या फर्क पड़ता है यह उस घर में रहे. या उस खंडहर में। रहने दीजिए।

    बड़े बाबू अपनी छड़ी को उठाते हुए कुर्सी पर जाकर बैठ जाते हैं,और कहते हैं…” हमें क्या है! ना वह घर हमारा था, और ना कभी हमने उस घर को अपना माना है। अगर कोई वहां रहता है तो वह उसकी अपनी मर्जी है। लेकिन उसका इस घर से या फिर इस घर के लोगों से कोई रिश्ता नहीं है। यह बात वह हमेशा याद रखें।

    रॉबिन जानता था, कि बड़े बाबू यह बात उससे कह रहे हैं उसके चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है। रॉबिन अपना बैग उठना है और सुवर्ण को देखकर कहता है
    “थैंक यू ब्यूटीफुल लेडी “

    सुवर्णा जी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है जो वह बखूबी छुपा लेती हैं।

    रॉबिन हवेली से निकलता है और पिछले हिस्से में आ जाता है। जहां पर खंडार हवेली थी,. झज्जर दीवारें . टूटी हुई छत , और पूरे लोंन में जंगली घास फूस उगे हुए थे। रहने लायक तो हवेली कहीं से भी नहीं थी,। लेकिन रॉबिन का इसके अलावा और कोई ठिकाना भी नहीं था,।

    वह अपने जूते से उन जंगली घास को कुचलता हुआ हवेली के अंदर जाता है। ताला तो बस दरवाजे पर लटका हुआ ही था, एक लात मारो और दरवाजा टूट गया।

    रॉबिन दरवाजा खोलकर अंदर जाता है तो उसकी आंखें छोटी हो जाती है। पूरे हॉल में शराब की बोतल और बीयर की बोतल फैली हुई थी, जो यह बता रही थी, कि आसपास के नशेड़ी यहीं पर जाकर अपना अड्डा जमते थे।

    रॉबिन उस खंडहर हवेली को देखता है. जो एक समय में शायद बहुत खूबसूरत रही होगी। क्योंकि ऊपर टंगा हुआ झूमर. जो आधा टूट चुका था, पर आधा अभी भी लटका हुआ था, यह बता रहा था, कि अपने समय में बहुत कीमती हुआ करता था,.
    हाल में रखे हुए सोफे पर धूल मिट्टी की परत चढ़ गई थी, लेकिन उसकी बनावट यह बता सकती थी, कि वह कितना शानदार था,.

    दीवारों पर धूल चढ़ी हुई परत के साथ महंगी महंगी पेंटिंग के लगी हुई थी, । और वहां पर रख एंटीक पीस और शोपीस के तो क्या ही कहने। कई चीज तो ऐसी थी, जो रॉबिन ने ऑप्शन में देखी थी,। पर यहां पर वह धूल और मकड़ी के जालों से लिपटी हुई. सिर्फ दो कौड़ी की दिख रही थी,।

    अगर इस हवेली को सही सलामत रखा जाता तो आज इसके चर्चा शायद विदेश तक होते।
    रॉबिन हैरानी से उसे खंडहर हवेली को देख ही रहा था, कि उसे पीछे से एक महिला की आवाज आती है।

    रोनिता को इंटीरियर का बहुत शौक था,.. अक्सर वह तरह-तरह की चीजों से अपनी हवेली को सजाया करती थी,।

    रॉबिन पलट कर पीछे देखा है तो दरवाजे पर सुवर्णा की खड़ी थी,।

    रॉबिन सुवर्णा जी को हैरानी से देखकर कहता है..
    “आप कौन है।

  • 12. ममता का एहसास

    Words: 1133

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुवर्णा जी मुस्कुराते हुए रोबिन के पास आती है और कहती है लगता है…” तुमने मुझे पहचाना नहीं! पर मैंने तुम्हें पहली नजर में ही पहचान लिया था, तुम्हारी आंखें बिल्कुल रोनिता जैसी ही है।

    रॉबिन हैरानी से कहता है.. “आप मेरी मां को जानती थी,।

    सुवर्ण जी कहती है।…”कैसे नहीं जाऊंगी तुम्हारी मां को वह मेरी दोस्त थोड़ी ना थी, मेरी बहन थी, मेरी हमदर्द थी,।

    रॉबिन हैरानी से सुवर्णा जी की बात सुन रहा था, सुवर्णा जी ने अपने आंसू साफ किया और रॉबिन से कहा.. “तुमने सच में मुझे नहीं पहचाना क्या.

    रॉबिन अपने माथे को अपने अंगूठे से खुजाते हुए कहता है.. “देखिए मैं कई साल पहले इंडिया आया था, वह भी बस कुछ दिनों के लिए। ऐसे में अगर आपसे मुलाकात हो गई होगी. तो मुझे कुछ खास याद नहीं है। आप मुझे डायरेक्टली बता देंगे. कि आप कौन है तो ज्यादा बेहतर रहेगा।

    सुवर्णा जि ने कहा..” कोई बात नहीं! बात तो तुम्हारी भी सही है. तुम इंडिया ही है कितने दिन के लिए थे. बस 10 दिन के लिए। और उसके बाद इतने सालों बाद मिल रहे हो. तो तुम्हें तुम्हारी सोना आंटी कैसे याद रहेगी।

    सोना आंटी! यह नाम सुनते ही रोबिन के दिमाग में कुछ क्लिक करता है। और वह हैरान हो जाता है वह अपने दिमाग में जोर डालकर उस पल को याद करने लगता है

    जब उसने इस नाम को याद किया था, और तभी उसे याद आता है। कि जब लोग इंडिया आए थे तो अपनी सोना आंटी के घर पर ही रुके थे। जो उसकी मां की सहेली थी, रॉबिन हैरानी से सुवर्णा जी को देखकर कहता है
    “आप सोना आंटी है। वही ना जिनके यहां पर हम लोग ठहरे थे। जब हम लोग इंडिया आए हुए थे।

    सुवर्णा जी मुस्कुराते हुए हा में सर हिलाती है। रॉबिन के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ जाती है। क्योंकि उसे याद आता है कि जब पूरा परिवार रोनिता के खिलाफ था, तो एक उसकी सोना आंटी ही थी, जिसे रोनिता को संभाला था, और उसके परिवार को अपने घर में रहने दिया था,।

    रॉबिन सुवर्णा जी को देख कर कहता है “काफी बदल गई है आप ।

    सुवर्णा जी रोबिन के माथे पर हाथ फिरती है . रॉबिन को एक पल के लिए सुवर्णा जी में अपनी मां का एहसास होता है। क्योंकि इतने सालों बाद किसी ने उसके सर पर इस तरीके से प्यार से हाथ रखा था,।

    सुवर्णा जी कहती है…” देखो रॉबिन तुम यहां पर रह सकते हो। क्योंकि बाबा ने इस घर को कभी भी अपनाया नहीं है उनके लिए हमेशा यह घर रोनिता का ही रहा है। वैसे तो मैं तुम्हें अपने घर पर भी रख सकती थी, पर मैं ऐसा नहीं कर सकती हूं। क्योंकि कुछ दिनों में मेरी बेटी की शादी अनिरुद्ध से होने वाली है। और मैं बाबा के खिलाफ नहीं जा सकती हूं। पर मैं तुम्हें भी तो ऐसा नहीं छोड़ सकती हूं. आखिर हो तो तुम मेरे भी बेटे जैसे ही।

    फिर सुवर्ण जी उसे खंडहर हवेली को देखते हुए कहती है “लेकिन तुम यहां रहोगे कैसे। यह घर तो कहीं से भी रहने लायक नहीं है।

    रॉबिन कहता है.. “ अब उसकी फिक्र मत कीजिए। आपने इतना कर दिया है, इतना ही काफी है मेरे लिए। अब इसके आगे का मैं देख लूंगा।

    सुवर्णा जी कहती है.. “ऐसे कैसे तुम्हें इस वीरान हवेली में रहने दूंगी। इतनी गंदगी में। तुम्हें पता है मेरी बुलबुल होती ना। जितनी देर में हम लोगों ने बात की है। इतनी देर में वह यह पूरी हवेली साफ कर चुकी होती। उसे गंदगी बिल्कुल पसंद नहीं है।

    पर तुम फ़िक्र मत करो। मैं हीर दा को भेजती हूं। वो इस हवेली को साफ कर देंगे। कम से कम रहने लायक तो बना ही देंगे। और मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए भी भेजती हूं. लेकिन रॉबिन मेरी एक बात मानोगे

    रॉबिन कहता है ” कहिए।

    सुवर्णा जी घबराते हुए रोबिन को देखकर कहती है..। “जितना हो सके बाबा और उसके परिवार से दूर रहना. और हवेली की तरफ तो जाने की सोचना भी मत।

    रोबिन के चेहरे पर तिरछी मसकना जाती है. और वह कहता है…” डोंट वरी सोना आंटी। मैं वैसे भी उन लोगों के लिए यहां नहीं आया हूं। कुछ दिनों में मेरा काम खत्म हो जाएगा और उसके बाद मैं कहीं और चला जाऊंगा। ना मैं उन लोगों को परेशान करूंगा और ना ही आपको।

    सुवर्णा जी कहती है. “तुम्हारे लिए कुछ करने में मुझे कभी परेशानी नहीं होगी। मुझे ऐसा लगेगा मैं अपनी रोनिता के लिए कर रही हूं। तुम्हें कुछ भी चाहिए होगा तो तुम मुझे बता देना।

    तभी सुवर्ण जी को बाहर से कुछ आवाज आती है।वह घबराते हुए रॉबिन को देखकर कहती है. “ अच्छा तुम थोड़ी देर यहीं पर रहो। मैं हरी दा और एक नौकर को भेजती हूं वह यहां की सफाई करवा देंगे। और मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए भी भिजवाती हूं। सफर से आए हो थक गए होंगे।

    यह कहते हुए सुवर्णा जी वहां से निकल जाती है। रॉबिन देखता है कि दरवाजे से बाहर जाने से पहले सुवर्णा जी ने खुद को एक चद्दर से ढक लिया। रोबिन के देखकर हैरान हो जाता है। सुवर्णा जी यहां पर छुपाते हुए आई थी,।

    सुवर्णा की पुरानी हवेली से निकलकर अपने घर की तरफ जा रही थी, इस बात से अनजान की अपने घर की हवेली की खिड़की से खड़ी लता ने सुवर्णा जी को देख लिया था,।

    लता गुस्से में अपने हाथों की मुठिया बनती है. और पास की दीवार पर मरते हुए कहती है
    “मेरा बना बनाया प्लान खराब कर दिया है इस लड़के ने यहां आकर। किया जरूरत थी, इसे यहां आने की। इतने सालों में यह यहां पर नहीं आया। तो फिर अब यहां पर आकर क्यों अपनी मां की आखिरी निशानी पर अपना हक जाता रहा है। सोचा था, यह आदि बची हुई हवेली मेरे अनिरुद्ध की हो जाएगी। उसके बाद में सुवर्णा और उसकी बेटी बुलबुल दोनों को अच्छा नाचना नाचउगी।
    बड़ा शौक है ना इसे हम लोगों से रिश्ता जोड़ने का। एक बार यह हवेली हमारे नाम हो जाती. उसके बाद रिश्ता जोड़ना तो दूर की बात है। इस घर की तरफ देखने तक नहीं देती मां बेटी को। कहने के लिए तो मैं इस घर की बहू हूं. पर सारी फैसला तो यह सुपर्णा ही लेती है। और बुलबुल लड़की तो मुझे कभी पसंद नहीं थी, । डरपोक कहीं की ।

    उसके बाद लता उस खंडहर हवेली को देख कर एक शैतानी मुस्कान हंसती है। और कहती है कोई बात नहीं. अगर मेरा एक प्लन फैला हो गया है तो क्या हुआ। मेरा दूसरा प्लान रेडी है। यह लड़का यहां पर आया तो है अपनी मां की आखिरी निशानी को अपना बनाने के लिए।
    पर जाते-जाते यही इसे मेरे बेटे के नाम करके जाएगा।

    यह कहते हुए लता के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान थी,।

  • 13. पुरानी हवेली में कौन है।

    Words: 1013

    Estimated Reading Time: 7 min

    हरी दा एक सर्वेंट के साथ मिलकर घर की थोड़ी बहुत सफाई कर दी थी,हालांकि जितनी की थी,उसके हिसाब से भी यह घर अभी गंदा ही था, लेकिन एक कमरे को तो उन्होंने पूरी तरह से साफ कर दिया था, यह रोनिता का कमरा था,।

    क्योंकि यहां पर रोनिता की पुरानी स्कूल की फोटोस और कॉलेज की कुछ फोटोस थे. तो इसलिए इस कमरे में आकर रॉबिन को बहुत अच्छा लगा।ऐसा लगा जैसे वह अपनी मां के ही पास आया है



    सुवर्णा जी ने हरि दा के हाथों रोबिन के लिए कुछ खाने का सामान भिजवाया था, रॉबिन देखता है तो यह इंडियन खाना है। हालांकि उस ने इंडियन खाना भी खाया था,



    क्योंकि जब तक रानीता जिंदा थी,वह रोबिन के लिए अक्सर कुछ ना कुछ इंडियन बनाया करती थी,और आलू के पराठे तो हमेशा से ही रोबिन के फेवरेट रहे हैं। पर रोनीता के जाने के बाद रोबिन के लिए यह सब सिर्फ मुँह का स्वाद ही रह गया था,।



    और इतने सालों बाद आज उसके सामने एक इंडियन खाने की थाली रखी हुई थी। दाल चावल सब्जी और चिकन

    ( बंगाली खाने में नॉनवेज हमेशा ही शामिल होता है,)



    नॉर्मली लोग दाल और चावल को मिक्स करके कहते हैं लेकिन रॉबिन तो ठहर जर्मनी का. उसे कहां आता है दाल और चावल को मिक्स करना। उसने तो एक चम्मच से पहले चावल खाया और फिर दाल को पानी की तरह पी लिया।.



    खाना खाने के बाद रॉबिन कहता है.. “ अजीब था, पर अच्छा था,।.



    रॉबिन अपनी मां की एक तस्वीर को उठना है. और उसे लेकर बेड पर बैठ जाता है। वह अपनी मां की स्कूल की तस्वीर को निहारत हुए कब सो जाता है उसे पता ही नहीं चलता है।





    अगले दिन सुबह...

    बुलबुल को रात में होश आ गया था, और वह अपने घर आ गई थी,वह अपने घर पर अपने कमरे में पसरकर सो रही थी,उसका मुंह खुला हुआ था, और उसमें से लार निकल रही थी,

    बुलबुल किसी छोटे बच्चों की तरह अपने बेड पर अजीब और गरीब ढंग से सो रही थी, सुवर्णा जी इस समय किचन में थी,क्योंकि दुर्गा पूजा का टाइम था, तो इसीलिए उनके पास काम ज्यादा था,।



    सुबह जल्दी उठकर रोबिन के लिए कुछ नाश्ता बनाना चाहती थी,ताकि सबके उठने से पहले रोबिन के पास इस नाश्ते को भिजवा दे, और किसी को पता ना चले कि सुवर्ण जी रॉबिन की मदद कर रही हैं।



    सुवर्णा जी देखती हैं धीरे-धीरे लोग पंडाल में आने लगे हैं और दुर्गा मां के दर्शन करने लगे हैं, सुवर्णा जी हरी दा को ढूंढ रही थी,लेकिन शायद हरी दा इस समय बड़े बाबू के घर में थे।

    सुवर्णा जी परेशान हो गई यहां पर तो कोई आसपास दिख भी नहीं रहा है अब यह नाश्ता किसके हाथों भिजवाएंगी।



    तभी उन्हें बुलबुल का ख्याल आता है. वैसे भी अगर बड़े बाबू के परिवार ने किसी ने बुलबुल को देख भी लिया तो वह उससे कोई सवाल नहीं करेंगे क्योंकि सब जानते हैं कि बड़े बाबू बुलबुल से कितना प्यार करते हैं।



    इसीलिए वह बुलबुल के कमरे में गई, टेबल पर टिफिन रखकर वह बुलबुल को देखते हैं, जो एक पेर बेड से नीचे लटकाए और दोनों हाथों को शाहरुख खान की स्टाइल में फैलऐ सो रही थी।



    सुवर्णा जी अपना सर पीट लेती है और कहती हैं… इस पागल लड़की से क्या उम्मीद करूं मैं, कुछ दिनों में शादी होने वाली है इसकी। माना दो घर छोड़ कर ही शादी हो रही है। लेकिन है तो उसका ससुराल ही ना। लता बहन जी ऊपर से कितना ही बोले कि वह को बिल्कुल पाखी की तरह रखेंगे, पर यह तो मैं भी जानती हूं की. बहु बहु होती है और बेटी बेटी ही होती है। कितनी बार कहा है इसे थोड़ा ढंग से सोया कर।



    यह कहते हुए सुवर्णा की बुलबुल के पास जाती है और उसे उठाते हुए कहती है..। बुलबुल उठ देख सुबह हो गई है. मेहमानों का आना भी हो गया है पंडाल में. और तु अभी तक पैर पसारे सो रही है। दुर्गा मां देखेगी तो क्या कहेगी शक्ल से तो अच्छी भली लड़की भेजी थी मैंने। हरकतों से बंदरिया निकली।



    अपनी मां के सुबह-सुबह के डाट सुन कर बुलबुल अलसाई हुई नजरों से उठती है। बेड पर उठ कर बैठने के बाद वह एक जोर की अंगड़ाई लेती है, और उबासी लेते हुए कहती है..।क्या हुआ मां! दुर्गा मां को तो मुझ से कोई शिकायत नहीं है. वह तो मेरी बेस्ट फ्रेंड है। सारी शिकायतें और परेशानियां तो आपको ही है।



    सुवर्णा की बुलबुल का दुपट्टा लाती है और उसके कंधे पर रखते हुए कहती है…”मुझे पता है. तेरी और दुर्गा मां की आपस में कितनी बनती है। चल अब जल्दी उठ जा,और यह टिफिन जल्दी से पुरानी हवेली में दे कर आ।



    बुलबुल नींद में ही अपने बेड से उठती है. और अपने स्लीपर पहनते हुए टेबल पर रखा हुआ टिफिन अपने हाथ में लेती है। पर इससे पहले वह दरवाजे की तरफ बढ़ती उसकी आंखें झटके से खुल जाती है। और 1 मिनट में उसकी सारी नींद हवा हो जाती है। वह पलट कर हैरानी से अपनी मां को देखते हैं और कहती है…” कहां देकर आना है इस टिफिन को।



    सुवर्णा की बुलबुल के बेड पर चद्दर और तकिया सही से रखते हुए कहती है.. बेहरी हो गई है क्या। बोल तो रही हूं पुरानी हवेली में दे कर आना है।



    बुलबुल केहती है.. “ मां पुरानी हवेली में क्या भूतों के लिए खाना रख कर आना है। वहां कौन है जिसके लिए खाना भिजवा रही हो।



    सुवर्णा की बुलबुल से कहती है।.. “ है कोई ! और कौन है यह तुझे जाने की जरूरत नहीं है। तू बस इस टिफिन को पुरानी हवेली में देख कर आ और वहां जो कोई भी होगा उसे बस यह देकर आ जाना है ।



    बुलबुल कोई और सवाल करती या फिर कुछ पूछता उससे पहले ही बाहर से किसी ने सुवर्णा जी को आवाज लगा दी सुवर्णा जी कमरे से बाहर चली गई। बुलबुल हैरानी से हाथ में पड़े हुए उसे टिफिन को देख रही थी,और कह रही थी,... “पुरानी हवेली में कौन है। जिसके लिए मां टिफिन भिजवा रही है।

  • 14. सुपरमेन

    Words: 1041

    Estimated Reading Time: 7 min

    बुलबुल कोई और सवाल करती या फिर कुछ पूछता उससे पहले ही बाहर से किसी ने सुवर्णा जी को आवाज लगा दी सुवर्णा जी कमरे से बाहर चली गई। बुलबुल हैरानी से हाथ में पड़े हुए उसे टिफिन को देख रही थी,और कह रही थी,... “पुरानी हवेली में कौन है। जिसके लिए मां टिफिन भिजवा रही है।


    थोड़ी देर अपने ही सवालों से परेशान होने के बाद बुलबुल अपने कंधे उठाती है और कहती है.. “ मुझे क्या! मा ने काम दिया है। करना तो पड़ेगा.



    ये सोच कर बुलबुल अपने फोन से अपने ब्लूटूथ को कनेक्ट करती है। और अपना ब्लूटूथ अपने कान में लगाते हुए अपने घर से बाहर निकलती है। पंडाल पर पहुंच कर वह सबसे पहले हाथ जोड़ कर दुर्गा मां को सुबह का नमस्कार करती है। और उसके बाद घर से निकल जाती है।



    बुलबुल अपनी गली पार करके पुरानी हवेली की तरफ जा ही रही थी,कि तभी उसके फोन पर उसकी की फ्रेंड आशी का कॉल आ जाता है।



    एक हाथ में फोन! एक हाथ में टिफिन लिए बुलबुल आशी से बात करते हुए पुरानी हवेली की तरफ जा रही थी,

    “हां आशी कैसी है तू! आई नहीं पूजा मैं। मैं और पाखी तेरा इंतजार कर रहे थे।



    सामने से आशी ने कहा.. “अरे क्या बताऊं यार। पूजा के समय इतनी भीड़ थी,कोई ट्रेन कोई बस टाइम पर मिल ही नहीं रही थी। अभी-अभी स्टेशन पहुंची हूं. 1 घंटे में तेरे घर पर पहुंचने वाली हूं।



    आशी वैसे तो पाखी की कॉलेज फ्रेंड है. जो दिल्ली से ही उनकी दोस्त बनी थी,लेकिन उसकी और बुलबुल की भी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी,फोन पर बात करते-करते ही वह लोग एक दूसरे की बहुत अच्छी सहेली बन गई थी,



    आशी पूजा के समय कोलकाता आई हुई थी,और बुलबुल की शादी के बाद ही यहां से जाने वाली थी।



    बुलबुल आशी के साथ बात करते हुए इतनी मग्न थी,कि उसने ध्यान भी नहीं दिया। कि वह कब पुरानी हवेली में पहुंच गई। आधे जंगली घास फूस को हटा कर तो सही कर दिया गया था, लेकिन अभी भी कुछ हद तक गार्डन में जंगली घास उगे हुए थे।



    बुलबुल उन घास फूस को पार करते हुए आशी से बात करते हुए आगे की तरफ बढ़ रही थी,तभी उसका पैर किसी चीज में फसता है। और वह नीचे जमीन में गिरने को होती है।



    जमीन में रॉबिन लेटा हुआ था, बुलबुल को ऐसे गिरते हुए देख वह उसे संभाल लेता है। और बुलबुल सीधे रोबिन के सीने पर जाकर गिरती है।



    दरअसल रॉबिन गार्डन में एक्सरसाइज कर रहा था, वह पुश अप कर रहा था,। तभी उसे एक पल के लिए लगा जैसे की कोई उसके पैर पर उलझ गया है। उसने पीठ के बल लेट कर देखा तो सामने से बुलबुल उसके ऊपर ही गिर रही थी।



    टिफिन एक तरफ गिर गया और फोन दूसरी तरफ। बुलबुल का सर रोबिन के चौड़े सीने से टकरा गया था, लोहे के जैसे सीने से टकराने पर। बुलबुल अपने माथे को सहलाते हुए अपना चेहरा उठा कर रॉबिन को देखते हैं।



    रॉबिन अपनी भूरी आंखों से बुलबुल की उन बड़ी-बड़ी आंखों को देख रहा था,। और बुलबुल अपनी बड़ी-बड़ी पलकों को झपकते हुए रॉबिन की उन भूरी आंखों में देख रही थी।



    बुलबुल के कानों में ब्लूटूथ लगा हुआ था, जिसमें आशि की आवाज बार-बार आ रही थी,पर रोबिन के चेहरे के अट्रैक्शन को देखते हुए बुलबुल तो बिल्कुल हिप्नोटाइज हो गई थी।



    रॉबिन ने घुर कर बुलबुल को देखा। उसके पूरा शरीर इस समय पसीने से तर हो रखा था, उसने बुलबुल के कंधे पर हाथ रख कर उसे अपने ऊपर से हटना चाह...



    लेकिन बुलबुल तो जैसे अपने पूरे शरीर का भार रोबिन के सीने पर ही रख चुकी थी। रॉबिन ने घुर कर बुलबुल को देखा और कहा…”🤨 एक्सक्यूज मी.



    अब जा कर बुलबुल होश में आता है और देखती हैं।

    वह तो रोबिन के सीने पर सांप की तरह लेटी हुई है।

    वह जल्दी से उठती है और खड़ी हो जाती है। रॉबिन भी उसके सामने खड़ा हो जाता है। बुलबुल की आंखें रॉबिन को देखकर हैरानी से बड़ी हो जाती है। क्योंकि रॉबिन इस समय सिर्फ रेड कलर के बॉक्सर में था,। बाकी उसने कुछ भी नहीं पहना हुआ था,..



    बुलबुल तो बस अपनी आंखें फाड़े रॉबिन को ही देख रही थी,उसका स्टील जैसा मजबूत सीना और उसके बाइसेप्स उसके ऊपर उस के वह टैटू। वह तो गजब ही ढा रहे थे। रॉबिन कहीं से भी दिखाने पर इंडियन तो नहीं लग रहा था, उसकी बॉडी स्ट्रक्चर से लेकर उसकी फेस. सब फॉरेनर ही लग रहे थे।



    बुलबुल रोबिन के उसे रेड बॉक्सर को देखकर कहती है “सुपरमैन।”



    सामने से आशी केहती है.. “क्या बोल रही है! कौन सुपरमैन।



    बुलबुल घूरती हुई निगाहों से रॉबिन को देखती हैं. और कहती है.. “ मेरे सामने इस समय सुपरमैन खड़ा है।

    लाल चड्डी में.।



    आशी हैरानी से कहती है…” सुपरमैन ! तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या. सुपरमैन को और कोई काम धाम नहीं है क्या। पूरी दुनिया को बचाने का ठेका ले रखा है उसने।

    और वह सारे काम छोड़ कर वहां तेरे सामने खड़ा होगा।



    बुलबुल अपनी निगाहों से रॉबिन को देखते हुए कहती है “खड़ा तो है।”



    आशी हंसते हुए कहती है.. ध्यान से देख! सुपरमैन नहीं होगा कोई कबाड़ी वाला होगा। तू नींद में है ना. इसलिए तुझे सुपरमैन नजर आ रहा होगा।



    बुलबुल केहती है…”चुप कर कोई कबाड़ी वाला नहीं है सुपरमैन ही है। जिस तरीके से सुपरमैन के चौडा सीना होता है। और वह विदेशी दिखता है.उसी तरीके से इसका भी चौड़ा सीना है। और इसके डोले शोले देखेगी तो बेहोशी हो जाएगी। क्या मजबूत कंधे हैं इसका । और पर्सनालिटी से तो कहीं से भी हीरो से कम नजर नहीं आ रहा है।



    आशी केहती है..” तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या.

    तू उसके सामने ही उसके बॉडी की तारीफ कर रही है।

    देख ले तुझे अपनी निगाहों से ही डरा रहा होगा. और अगले ही पल तुझे गाली देगा।



    बुलबुल रॉबिन की आंखों में देखती है और कहती है।

    डरा तो रहा है मुझे। लेकिन गाली नहीं दे सकता है. क्योंकि दिखने में यह इंडियन नहीं लग रहा है। विदेशी लग रहा है इसलिए इसे समझ में ही नहीं आया होगा कि मैंने इसे क्या कहा है।इसे हिंदी थोड़ी ना होगी इसे।



    आती है 🤨......।



    बुलबुल.. 😵

  • 15. में उस सुपरमैन की सुपर वुमन बन जाऊं ।

    Words: 1071

    Estimated Reading Time: 7 min

    बुलबुल तेजी से दौड़ते हुए अपने घर की तरफ आती है।

    वह जल्दी से अपने कमरे में चली जाती है। और अपने सीने पर हाथ रख कर अपने धड़कते हुए दिल को शांत करती है.



    आशी ने तो कॉल रास्ते में ही काट दिया था, लेकिन बुलबुल उसके चेहरे की घबराहट लिए रॉबिन को देखकर ही बढ़ गई थी, उल्टा वह रोबिन के सामने ही उसके बॉडी पार्ट की तारीफ कर रही थी, यह सोच कर कि रॉबिन तो कोई एन. आर.राय है। उसे हिंदी थोड़ी ना आती होगी लेकिन रोबिन के मुंह से इतनी अच्छी हिंदी सुन.कर बुलबुल के पसीने छूट गए थे।



    बुलबुल को याद आता है. जब वह वहा खड़े हुए रॉबिन को देख रही थी, और रॉबिन ने उसे यह कहा था, कि उसे हिंदी आती है। बुलबुल रोबिन के सामने खड़ी है. रॉबिन बुलबुल के पास आता है। और उसके ऊपर झुकते हुए उसकी आंखों में देख कर कहता है।



    हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती है। और हर विदेशी इंसान विदेश का नहीं होता है। जहां तक बात रही हिंदी की. तो वह शायद मैं इतनी तो अच्छी बोल ही लेता हूं कि सामने वाली मेरी बात समझ ले।



    बुलबुल बड़बड़ाते हुए कहती है… मा…मा…मा..ने ब्रेकफास्ट भेजा है. टिफिन में।



    और उसके बाद बुलबुल वहां से उल्टे पैर भाग जाती है।. उसे तरीके से भागता देख रोबिन के चेहरे पर हंसी आ जाती है। और वह ना में सर हीलाते हुए कहता है…। सिली गर्ल।



    अपने घर में आकर बुलबुल रोबिन के बारे में ही सोच रही थी,. तभी हरी दा बुलबुल के कमरे की सफाई करने आते हैं बुलबुल उन्हें देख कर कहती है हरी दा



    हरी दा कहते हैं.. “ हां



    बुलबुल ने कहा.. “पुरानी हवेली में कौन आया है।?



    हरी दा बुलबुल के कमरे में झाड़ू लगाते हुए कहते हैं..

    “वो तो रॉबिन बाबा है।



    रॉबिन का नाम सुन कर बुलबुल के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है. और वह हरी दा से कहती है

    “ कौन रोबिन?



    हरी दा ने कहा.. “यह रोनिता का बेटा है।



    रोंनीता का नाम सुन कर बुलबुल की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है क्योंकि कहीं ना कहीं दबी हुई आवाज में उसने भी रोनिता का नाम सुना था,.उसने चौंकते हुए कहा..

    “पाखी और अनिरुद्ध की पीसी (बुआ ) वही ना जिन्होंने किसी विदेशी के साथ शादी कर ली थी,।



    हरी दा हाँ में सर हिलते हैं और कहते हैं…”हां वह जर्मनी गई थी, पढ़ने के लिए। लेकिन वहां पढ़ाई के दौरान उन्हें किसी से प्यार हो गया। और उन्होंने उससे शादी कर ली. बड़े बाबू को जब उसकी शादी का पता चला। तो बहुत नाराज हुए बहुत गुस्सा हुए।

    यहां तक की रोनिता तो अपने बेटे को लेकर आई भी थी, अपने परिवार को मनाने के लिए। लेकिन गुस्सा इतना ज्यादा था, कि उन्होंने रोनिता को अपनाने से इनकार कर दिया और उनके बेटे को भी नहीं अपनाया।

    बेचारी रोनिता विदेश में ही चल बसी और किसी को पता भी नहीं चला। उसकी मौत के 4 साल बाद हमें पता चला कि रोनिता अब इस दुनिया में नहीं रही। एक कर एक्सीडेंट में उसका और उसके पति की मौत हो गई।



    एक बार के लिए तो मेरे मन में आया भी, की किसी से पूछो कि रोनिता का बेटा अब कहां है। और कैसा है। लेकिन मैं हु तो नौकर आदमी हूं, बड़े लोगों के सामने कैसी यह सवाल कर सकता हूं, पर देखो किस्मत का क्या खेल है इतने सालों बाद रोनीता का बेटा वापस आ गया है।

    अपनी मां की हिस्से के घर को अपना कहने के लिए।



    बुलबुल हैरानी से हरि दा की बात सुन रही थी, हरी दा बुलबुल के कमरे की सफाई करके वहां से चले गए थे.

    थोड़ी देर बाद बुलबुल को उसकी मां आवाज लगती है.

    और कहती है कि उसकी कोई सहेली नीचे आई हुई है



    बुलबुल को पता चल गया था, कि आशी नीचे आई हुई है बुलबुल दौड़ते हुए नीचे जाती है, तो आशी आंगन में खड़े होकर दुर्गा मां की प्रतिमा को देख रही थी,



    बुलबुल आशी से कई बार वीडियो कॉल पर मिल चुकी थी, वह जल्दी से जा कर आशि के गले लगाती है, आशी और बुलबुल एक दूसरे के साथ मिल कर बहुत खुश होते हैं।



    बुलबुल आशी को अपने कमरे में लेकर आती है, और बिठाते हुए कहती है…” कैसा रहा तेरा सफर।



    पर आशी वह अपने दुपट्टे को अपने गले से हटती है, और साइड में रखिए कुर्सी पर फेंकते हुए कहती है।

    अरे ये सब छोड़ और यह बता वह सुपरमैन कहां है। मुझे भी चड्डी में सुपरमैन देखना है।



    आशी की यह कहने पर बुलबुल के चेहरे पर हल्का गुस्सा आ जाता है, वह आशी की के कंधे पर मरते हुए कहती है “चुप कर, बेशर्म लड़की कुछ भी बोले जा रही है।



    आशी हंसते हुए कहती है.. “ अरे यार कुछ भी नहीं बोल रही हु, फोन पर तेरे से जितना सुना था ना, उतना ही अब उसे देखने का मन कर रहा है। बताना कहां है वो,

    और पहले तो यह बता कि वो दिखता कैसा



    रॉबिन को याद करके बुलबुल के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है, और वह बेख्याली में खोए हुए आशी से कहती है।.. “ दिखता तो हैंडसम है.. लंबी कट काठी है चौडा सीना है । बाल थोड़ी अजीब है पर कोई नहीं,

    उसके ऊपर सूट करता है। और उसकी वह भूरी आंखें । सागर से शांत है, पर ऐसा लगता है कि अगर उन्होंने आंखों में झांकोगे तो तुम्हें अंदर तूफान मिलेगा।



    बुलबुल के मुंह से रॉबिन की तारीफ सुन कर आशी मुस्कुराते हुए उसे देखती हैं, वह बुलबुल के कंधे को अपने कंधे से टकराते हुए कहती है…” पहली मुलाकात में बहुत बारीकी से ऑब्जर्व किया है तुमने अपने सुपरमैन को।



    “अपना सुपरमैन” यह सुनकर ही बुलबुल का चेहरा लाल हो गया था, लेकिन उसने आशी के कंधे पर मरते हुए कहा

    “ कुछ भी मत बोल।



    आशी हंसते हुए कहती है.. “ मैं कहां कुछ कह रही हूं।

    तब से तो तू ही कहे जा रही है. तेरा सुपरमैन वैसा है।

    तेरा सुपरमैन ऐसा है, अब जैसा भी है एक बार दिखा दे।

    आशी के यह कहने पर बुलबुल उसे घूर कर देखती है आशी उसकी नजरों को महसूस करते हुए कहती है।

    अब क्या निगाहों से मुझे मारने का इरादा है,

    वैसे भी तू क्या करेगी उसे देख कर, कुछ दिनों में तो तेरी शादी होने वाली है. क्या पता में उस सुपरमैन की

    सुपर वुमन बन जाऊं ।

  • 16. रॉबिन के सस्कार

    Words: 1006

    Estimated Reading Time: 7 min

    आशी के यह कहने पर बुलबुल को अचानक से याद आ जाता है, कि सच में दुर्गा विसर्जन के बाद से ही उसकी शादी की रस में शुरू होने वाली है. और कुछ ही दिनों में उसकी और अनिरुद्ध की शादी है, ऐसे में वह रोबिन के बारे में कैसे सोच सकती है।



    अनिरुद्ध और बुलबुल बचपन से एक दूसरे के साथ पले बड़े हैं, लेकिन आज तक कभी बुलबुल ने सीधे अनिरुद्ध से बात तक नहीं की थी, क्योंकि उसे अनिरुद्ध के पास कुछ अनकंफरटेबल सा लगता था, वह शुरू से ही अनुरोध से दूर रहती है।



    लेकिन रॉबिन से तो वह पहली बार मिली है और पहली मुलाकात में ही रॉबिन की पर्सनालिटी से वह इतनी अट्रैक्ट हो गई। कि अपनी फ्रेंड के सामने उसकी तारीफ करने लग गई. हालांकि उसने कभी भी आशी के सामने अनिरुद्ध का जिक्र तक नहीं किया था,आशी को अनिरुद्ध के बारे में जब भी कुछ बताया है पाखी ने ही बताया है।



    बुलबुल पाखी और आशी तीनों मिल कर आज पूजा मैं शामिल थे, लेकिन बुलबुल का ध्यान बार-बार रहकर दरवाजे की तरफ जा रहा था, उसे ऐसा लग रहा था, जैसे कि रॉबिन पूजा में जरूर आएगा, उसका मन एक बार फिर से रॉबिन को देखने का कर रहा था,।



    वहीं दूसरी तरफ रॉबिन सिंपल सी जींस और सिंपल से शर्ट में पुरानी हवेली से निकल कर मार्केट में आता है।

    वह मार्केट में आकर एक दुकान के सामने खड़ा होता है और उनसे कहता है.. “सिगरेट है.



    दुकान वाला रॉबिन को देखा है, एक विदेशी को यहां। ये देखकर वह थोड़ा हैरान जरूर होता है पर फिर उसने कहा. “ हां है ना! कौन सी वाली चाहिए.



    रॉबिन जर्मनी में जो ब्रांड उस करता था, उसका नाम बताता है. अलग ब्रांड का नाम सुनकर दुकान वाला हैरानी से कहता है.. “अरे बाबू यह कौन सा ब्रांड है, इस ब्रांड की तो यहां पर नहीं मिलती है।



    रॉबिन कहता है.. “अच्छा ठीक है, यहां पर सबसे महंगा ब्रांड कौन सा है.



    दुकान वाले सुन कर थोड़ा हैरान हो जाता है, वह जल्दी से रॉबिन को यहां का सबसे महंगा ब्रांड बताता है। रॉबिन को पूरा पैकेट खरीद लेता है। क्योंकि बार-बार दुकान के चक्कर कौन लगाए, वैसे भी वह यहां पर घूमने थोड़ी ना आया था,।



    रॉबिन वहीं दुकान के सामने सिगरेट जला कर धूऐ को हवा में छोड़ रहा था, तभी उसकी नजर गली के दूसरे कोने पर पड़ती है, जहां पर इस समय बड़े बाबू और सोमेन खड़े थे।



    बड़े बाबू और सोमेन गुस्से में रॉबिन को देख रहे थे। पर रॉबिन ने उन्हें देख कर कुछ खास रिएक्शन नहीं दिया।

    उन्हें तो यह भी नहीं पता था, कि वो दोनों इस समय उसे घुर क्यों रहे हैं।



    रॉबिन अपना सिगरेट के हवा को धुएं में उड़ता हुआ, वहां से वापस पुरानी हवेली की तरफ चला जाता है.



    रॉबिन तो वहां से चला गया, लेकिन बड़े बाबू गुस्से में उसे जाता हुआ देखते हैं, और सोमेन से कहते हैं।

    “यही संस्कार होते हैं.जब परिवार के साथ रहो तब संस्कार मिलते हैं। वरना खून तो असर दिखा ही देता है।

    कभी देखा है तुमने अनिरुद्ध को इस तरीके से पान बीड़ी और सिगरेट के साथ । हमने अनिरुद्ध को ऐसे संस्कार दिए हैं कि हमारे सामने ऊंची आवाज में बात तक नहीं करता है। और यह लड़का सिगरेट का धूआँ को ऐसे उड़ा रहा था, जैसे गुब्बारे फुल रहा है।



    सोनेम कहता है.. “ बाबा जाने दीजिए ना, क्यों उसे लड़के के चक्कर में आप अपना खून जला रहे हैं। देखिए त्यौहार का समय है. और वैसे भी उस लड़के ने कहा है ना, वह कुछ दिनों में यहां से चला जाएगा।



    बड़े बाबू गुस्से में केहते हैं.. “ चल ही जाए तो बेहतर है।

    पता नहीं यहां आया ही क्यों है, जब इतने सालों में यहां नहीं आया था, तो अब क्या लेने आया है, अगर हवेली की बात है तो एक बार कह कर देखा होता, हवेली बेचकर सारे पैसे इसके पास भिजवा दिए थे, पर इसे अपनी शक्ल दिखाने की क्या जरूरत थी,।



    बड़े बाबू के कहने के बाद सोमेन सोचने लगता है, बात तो बाबा की सही है, यह रॉबिन अचानक से यहां क्या करने आ गया है, और इसके पास वह पेपर कहां से आए। मैंने तो कभी ऐसे किसी पेपर पर साइन नहीं किए थे. तो फिर उन पेपर पर मेरे साइन कैसे आ गए.

    और यह बात की हम रोनिता की हवेली अनिरुद्ध के लिए चाहते हैं, यह बात तो हमारे घर में किसी ने सोची तक नहीं थी, तो यह करने की हिम्मत किस की हुई. मुझे पता करना पड़ेगा, क्योंकि कोई हमारे घर के अंदर से ही हमारे घर को तोड़ने की साजिश कर रहा है.



    रोबिन वापस पुरानी हवेली तो आ गया था, लेकिन अब उसका मन नहीं लग रहा था, क्योंकि उसे जल्द से जल्द जर्मनी बात करनी ही थी, उसे निखिल और एलेक्स से बात करके पता करना था, कि वहां का माहौल क्या है, पर यहां उसके पास ना तो फोन है और ना ही नंबर है।



    और उसके पास इतने पैसे भी नहीं है कि वह एक नया फोन और नंबर खरीद सके, क्योंकि यहां पर उसे एयरपोर्ट पर जर्मनी के पैसों के बदले जो इंडियन करसी मिली थी, वह उसे लिमिटेड ही मिली थी,.



    रॉबिन ने सोचा सबसे पहले बात करके निखिल से काहे की कुछ पैसे उसके अकाउंट में ट्रांसफर कर दे, ताकि वह उसे यहां पर इंडियन रुपीस में कन्वर्ट करवा ले.



    यहां रॉबिन घर से बाहर निकलता है, और कहीं पर ISD बूथ ढूंढता है ताकि. जर्मनी बात हो सके, लेकिन दिक्कत यह है कि जब से मोबाइल फोन आया है, तब से इंटरनेशनल कॉल के लिए ISD बहुत कम हो गए हैं,

    रोबिन ISD बूथ ढूंढते ढूंढते मार्केट की तरफ आ जाता है।



    वहीं पर बुलबुल और आशी भी मार्केट आए हुए थे.



    बुलबुल और रोबिन एक ही मार्केट में आए हुए थे. क्योंकि इस वक्त पूजा का समय था, तो मार्केट में भीड़ बहुत ज्यादा थी,। फाइनली रॉबिन को एक ISD बुथ मिल जाता है.और वह वहां पर जाकर सबसे पहले निखिल को कॉल करता है

  • 17. सत्यानाशी फिर से टूट गई।

    Words: 1216

    Estimated Reading Time: 8 min

    बुलबुल आशी और पाखी के साथ मार्केट आई हुई थी पाखी को शादी के लिए कुछ सामान लेना था।



    बुलबुल और आशी को गोलगप्पे ( पुचका ) खाना था। वह लोग मार्केट में टहलते हुए जा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ रॉबिन भी एक isd बूथ पर था उसने निखिल का नंबर डायल किया।



    इस समय इंडिया में दोपहर हो रही थी, इसका मतलब जर्मनी में शाम हो रही होगी। निखिल ने दो रिंग के बाद ही फोन उठा लिया, क्योंकि उसके फोन इंडिया का नंबर फ्लैश हो रहा था तो उसने पहचान लिया कि। हो ना हो रॉबिन उसे कॉल कर रहा है।



    निखिल जल्दी से फोन उठाता है, और कहता है..।

    रोबिन तू पहुंच गया वहां पर, सब कुछ ठीक तो है ना



    रॉबिन कहता है…।हां यहां पर सब ठीक है, मैं पहुंच गया हूं और मेरे रहने का भी इंतजाम हो गया है।



    निखिल कहता है…। “चल ये तो अच्छी बात है।



    रॉबिन ने कहा…”अच्छा वहां पर माहौल कैसा है।



    निखिल कहता है…”गरम है. पूरे जर्मनी में सैमुअल के मर्डर की खबर आग़ की तरह फैल गई है, हर न्यूज़ पेपर और हर टीवी चैनल पर उसी के बारे में बताया जा रहा है। कुछ लोगों का कहना है, कि सैमुअल को शायद किसी दूसरी गैंग ने मार गिराया है। तो कुछ का कहना है कि किसी पॉलिटिकल पॉवर ने उसकी जान ली है. कुछ न्यूज़ चैनल वाले तो यह भी दिख रहे हैं, कि सैमुअल के मर्डर के पीछे किसी नई गैंग का हाथ है। सब लोग अपने-अपने तरीके से कहानी बना रहे हैं।



    पर सबसे बड़ी बात यह है कि, रशियन माफिया इस केस को अपने तरीके से खोज रही है. उन को पूरा यकीन है कि सैमुअल की मौत साधारण नहीं है। रॉबिन तू सही वक्त पर निकल गया, वरना पकड़ा जाता। क्योंकि रशियन माफिया छोटे-बड़े हर कॉन्ट्रैक्ट किलर और हर गैंगस्टर को पकड़ रहे है। जिन पर उन्हें जरा भी शक है उन्हें. और जिन पर उन्हें बिल्कुल भी शक नहीं है उन्हें भी।

    सिर्फ जर्मनी से ही नहीं बल्कि डेनमार्क. पोलैंड नीदरलैंड बेल्जियम ऑस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड । वहां से भी लोगों को पकड़ कर लाया गया है, रशियन माफिया बहुत ही खतरनाक तरीके से सैमुअल के हत्यारे को ढूंढ रही है।

    तो तेरी भलाई इसी में है कि, तू जितना हो सके उतना छुपा रहे। और हां दोबारा फोन करने की कोशिश मत करना क्योंकि कल ही हमने रशियन माफिया के कुछ लोगों को हमारे इलाके में देखा है।



    रॉबिन घबराते हुए कहता है…”तुम लोग ठीक तो होना।



    निखिल कहता है…. “हां हम लोग तो ठीक हैं। पर जिस तरीके से वह लोग इस इलाके में घूम रहे थे, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है। मैं तो कह रहा हूं कि तू यहां पर फोन ना हीं कर तो ज्यादा बेहतर है। बहुत जरूरी होने पर ही फोन करिए।



    रॉबिन अपनी आंखें बंद कर लेता है और अपने दांत पीते हुए कहता है.. “एक गलती ने हम सबको कहां से कहां पहुंचा दिया है। ठीक है मैं बहुत जरूरी होने पर ही फोन करूंगा और कोशिश करूंगा कि तुमसे कांटेक्ट ना कर सकूं लेकिन फोन रखने से पहले एक बात है, तुम लोग मेरे अकाउंट में कुछ पैसे भेज दो। यहां पर पैसे बहुत खर्च हो रहे हैं।



    निखिल कहता है.. “ठीक है हम तेरे अकाउंट में 10 लाख यूरो भेजते हैं। तू वहां पर अपनी जरूरत का समान ही लेना। क्योंकि साथ में तो तू अपने कुछ लाएगा नहीं। और फिर तेरी उसे प्रॉपर्टी का क्या हुआ।



    रॉबिन कहता है…”हां वह प्रॉपर्टी मेरी मां के नाम ही है और मेरी मां की फैमिली ने मुझे अपने से मना कर दिया है, खैर मुझे भी कौन सा उनकी पड़ी है, मैं एक-दो दिन में यहां पर किसी प्रॉपर्टी डीलर से मिलकर उस पुरानी हवेली को बेच दूंगा, और उसके जो भी पैसे होंगे उसे लेकर मैं दूसरे शहर चला जाऊंगा मुझे लगता है मुंबई ज्यादा बेहतर ऑप्शन है।



    निखिल कहता है…”ठीक है तो टू मुंबई चला जा . मुंबई में मेरी एक पहचान का दोस्त रहता है, मैं उसे कह दूंगा तू आने वाला है, आने से पहले मुझे एक बार इन्फॉर्म कर देना।



    रॉबिन ठीक है बोलता है और फोन रख देता है, रॉबिन कॉल का बिल पे करता है।



    वहीं दूसरी तरफ बुलबुल और उसकी सहेलियां अभी भी मार्केट में घूम रही थी.. पाखी कहती है…”यार चलो ना मुझे ऑरेंज कलर का दुपट्टा नहीं मिल रहा है।



    आशी केहती है…” क्या यार तुम लोग तब से मुझे यहां वहां घूम रहे हो, मुझे भूख लगी है तुम लोग ने कहा था कोई पुचका खिलाओ….खिलाओ ना।



    पाखी ने कहा…” हां चलो सामने स्टोर पर चलते हैं. पहले दुपट्टा ले लेंगे फिर पुचका खा लेंगे।



    वो लोग आगे बड़ ही रहे थे कि तभी बुलबुल की चप्पल किसी चीज में फंसकर टूट जाती है, बुलबुल अपनी चप्पल को देखते हैं और कहती है…”सत्यानाशी फिर से टूट गई।



    पाखी घूरते हुए बुलबुल को देखते हैं और कहती है..

    100 कंजूस मरे होंगे तब जाकर तू पैदा हुई है। अरे पागल लड़की पिछले 2 साल से यह चप्पल चला रही है। अब तो इसका अंतिम संस्कार कर दे, यह खुद कह रही है कि मैं चल बसी हूं। इस चप्पल में डिजाइन से ज्यादा तो टैंक हैं।



    बुलबुल केहती है…” ऐसे कैसे छोड़ दूं इस चप्पल को।

    शुक्र बाजार से पूरे ₹200 में खरीदी है मैंने। और अभी तो बस 2 साल चली है। 2 साल ये और चलेगी । तुम लोग एक काम करो दुपट्टे वाली दुकान में पहुंचे, मैं इस चप्पल में टांके लगवा कर आता हूं।



    पाखी आशी हाथ पकड़ती है और कहती है…”टांके लगने के लिए चप्पल में जगह भी तो होनी चाहिए।



    पाखी आशी हाथ पकड़ कर उसे दुपट्टे वाली दुकान में ले जाती है। और बुलबुल बाजार के कोने पर बैठे एक मोची के पास जाकर अपनी चप्पल में टांके लगवा रही थी.



    सभी साइड की बाइक पर बैठे दो लड़के बुलबुल को देखकर कहते हैं..” अरे यार खूबसूरत लड़कियों के पैर जमीन पर अच्छे नहीं लगते हैं।



    दूसरा लड़का कहता है.. “ हां यार मेरा बस चले, तो मैं ही उसके पैरों की चप्पल बन जाता।



    पहला लड़का बेशर्मों की तरह कहता है… “अरे यार चप्पल नहीं बन सकते तो क्या हो गया। उसके पैरों में चप्पल पहनना भी तो बहुत बड़ी बात है।



    बुलबुल को गुस्सा आ गया था, अब तक मोची वाले ने बुलबुल के चप्पल पर टांके लगाकर उसे दे दिए थे।

    बुलबुल अपने हाथों में चप्पल लेती है, और उन लड़कों की तरफ देखते हुए अपने चप्पल को हिलाते हुए कहती है।

    “चप्पल पहनने का तो मुझे पता नहीं, लेकिन खाने वाले काम तुम जरूर कर रहे हो।



    बुलबुल के मुंह से यह तीखे बोल भी प्यार भरे शहद की तरह लग रहे थे, आखिर उसकी जुबान जो इतनी मीठी थी.

    “ उन लड़कों ने बुलबुल की इस बात को मजाक में लेते हुए कहा.. अरे तुम्हारे हाथों से चप्पल खाना भी बहुत बड़ी बात है।



    बुलबुल अपने चेहरे पर एक लंबी सी मुस्कान लाती है और कहती है।.. “ अगर ऐसी बात है! तो मैं तुम्हारी इच्छा भी पूरी कर देती हूं।



    ऐसे केहते हुए बुलबुल अपनी चप्पल उस लड़के की तरफ फेकती है! और बुलबुल की चप्पल सीधे उसे लड़के के मुंह पर जाकर छपती है।



    उन लड़कों को लगा नहीं था, कि बुलबुल ऐसा कुछ कर जाएगी। वह गुस्से में बुलबुल को देखने लगते हैं।

  • 18. बैंगन का भर्ता

    Words: 1294

    Estimated Reading Time: 8 min

    तभी आसपास मौजूद औरतें और लड़कियां उन लड़कों को देखकर हंसने लगते हैं। यह देखकर उन लड़कों को और गुस्सा आ जाता है। और वह गुस्से में बुलबुल को घूरने लगते हैं। बुलबुल को लग गया था कि हो ना हो अब जरूर कुछ गड़बड़ होगी



    वह लड़के बुलबुल की तरफ लपकते हैं। तभी बुलबुल पीछे की तरफ भागने लगती है। बुलबुल उन लड़कों से भाग रही थी, और वह लड़के तेजी से बुलबुल का पीछा कर रहे थे। बाजार से निकलते ही बुलबुल गली में पहुंच जाती है। और वह लड़के भी बुलबुल के पीछे-पीछे गली में पहुंच जाते हैं।



    बुलबुल और तेजी से भागती है। पर इससे पहले की बुलबुल दूसरी गली में जा पाती। वह किसी से टकरा जाती है। और कोई उसे कमर से थाम लेता है। बुलबुल हैरानी से अपनी आंखें बड़ी किए हुए सामने देख रही थी। तो सामने रॉबिन खड़ा था। जो अपनी भूरी निगाहों से बुलबुल को ही घुर रहा था।



    दरअसल रॉबिन मार्केट से वापस पुरानी हवेली की तरफ जा रहा था, लेकिन कोलकाता की भूल भुलैया वाली गलियों में वह खो गया था, और अब उसे पता ही नहीं चल रहा था कि वह किस तरफ जा रहा है।



    रॉबिन यूं ही गालियां पार कर रहा था, कि तभी बुलबुल रॉबिन से जाकर टकरा जाती है। और रॉबिन बुलबुल को कमर से पकड़ लेता है. बुलबुल अपनी आंखें टिमटिमाते हुए रॉबिन को देख रही थी।



    रॉबिन घूरते हुए बुलबुल को देखा है और कहता है..

    “तुम्हें चलने में कोई दिक्कत होती है क्या।



    रॉबिन की बात सुनकर बुलबुल हैरानी से कहती है.. “क्या?



    रॉबिन घुर कर बुलबुल को देखा है और कहता है.. “ तुमसे जमीन पर चलना नहीं होता है किया । हर समय गिरती क्यों रहती हो. और गिरती हो सो अलग बात है। मेरी गोद में आकर ही क्यों गिरती हो।



    बुलबुल हैरानी से बस रॉबिन को देख ही रही थी। कि तभी पीछे से वह दोनों लड़के आ जाते हैं। और हैरानी से रॉबिन और बुलबुल को देखने लगते हैं।



    रॉबिन की सर्द निगाहें उन दोनों लड़कों के ऊपर पड़ती है और बुलबुल जल्दी से रॉबिन से अलग होती है। और उसके पीछे छुपते हुए कहती है.. “ बचाओ.।



    भले ही वह दोनों लड़के गुंडे टाइप थे. लेकिन रॉबिन की चौड़ी कद काटी और पर्सनालिटी के आगे बिल्कुल फीके लग रहे थे।



    रॉबिन उन लड़कों को घुर कर देखता है और कहता है।

    “क्या हो रहा है. यहां पर।



    वह लड़के जो रॉबिन को हिंदी बोलता हुआ देखते हैं।

    तो हैरान हो जाते हैं।और फिर हंसता हुआ एक कहता है “अरे तुम्हें हिंदी आती है। हम तो हम कहीं परेशान हो रहे थे कि विदेशी से लड़की कैसे लें।



    दूसरा वाला कहता है.. ए लड़के यहां घूमने आया है। तो फालतू में हमारे मामले में टांग मत अड़ा चल निकल यहां से।



    रॉबिन तीखी निगहों से उन लड़कों को देखा है और कहता है.. “और अगर ना जाऊं तो”।



    वह दोनों लड़के रॉबिन को देखकर कहते हैं.. “ तो फिर ठीक है। जो जीता लड़की उसकी।



    रॉबिन की निगाहें सर्द हो जाती है। वह एक नजर बुलबुल को देखा है। जो सहमी हुई नजरों से रॉबिन को देख रही थी, रॉबिन उन दोनों लड़कों को देखते हुए कहता है।

    “जो जीता लड़की उसकी



    वह दोनों लड़के एक साथ हां में सर हिलाते हैं। रॉबिन बुलबुल की बाजू को पकड़ता है। और उन लड़कों की तरफ थोड़ा सा आगे धकेलते हुए कहता है.।…. “ तुम जीते लकड़ी तुम्हारी।



    उन दोनों लड़कों की आंखों में चमक आ गई. लेकिन बुलबुल का चेहरा हैरानी से भर गया। रॉबिन पीछे मुड़कर जाने लगा।

    बुलबुल जल्दी से रोबिन के पास आती है।और उसकी बाजू पकड़ कर खींचते हुए कहती है…”अरे क्या कर रहे हो सुपरमैन. क्यों मुझे विलेन के पास छोड़कर जा रहे हो। तुम तो सुपरमैन हो ना।और सुपरमेन तो हीरो होते है।



    रॉबिन अपनी निगाहें छोटी करते हुए बुलबुल को देखा है। और कहता है… “सुपरमैन🤨



    बुलबुल मासूमियत के साथ सर हा में हिलती है और कहती है…” हां बिल्कुल तुम सुपरमैन ही तो हो.. ।



    उसके बाद बुलबुल रोबिन कमर को देखते हुए कहती है “माना चड्डी ऊपर नहीं है। पर अंदर तो पहनी होगी ना।

    रॉबिन की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। और वह गुस्से में बुलबुल से कहता.। “क्या बकवास कर रही हो।



    लेकिन बुलबुल मासूमियत के साथ कहती है..।

    “अरे सुपरमैन . देखो चड्डी ऊपर पहनो या अंदर। चड्डी में पावर उतनी ही होती है। तो जाओ जाकर इन्हें अपनी चड्डी की..........। मेरा मतलब है अपनी पावर दिखाओ . और लड़ो उनके साथ



    रॉबिन गुस्से में कहता है…” लेकिन मुझे लड़ना ही नहीं है।



    पर इससे पहले रॉबिन आगे जा पाता। बुलबुल रॉबिन का हाथ पकड़ लेती है।और उसे मासूमियत के साथ देखकर कहती है…. “ अरे ऐसे कैसे नहीं लड़ना है सुपरमैन। इतनी बॉडी सोडी, डोले शोले यह सब किस काम के हैं।

    कहीं ऐसा तो नहीं है। कि तुम्हारी यह सुपरमैन जैसी बॉडी नकली है। और तुमने यह डोले शोले हवा भरकर बनाए हैं।



    रॉबिन बस बुलबुल को घुरता हुआ देख रहा था. उस ने सोचा नहीं था कि दुनिया में कोई इतना भी स्टुपिड हो सकता है।



    वह लड़के धीरे-धीरे बुलबुल के पास आने लगते हैं। बुलबुल जब उन्हें अपने पास आता देखी है। तो रॉबिन की शर्ट की बाजू पड़ती है। और उसे खींचते हुए कहती है।

    “ अरे देखो सुपरमैन. प्लीज मेरी मदद करो. अरे मैं तो लड़की हूं, मैं क्या कर लूंगी। और अब जबकि तुम्हारी बॉडी भी किसी काम की नहीं है। पर फिर भी तुम तो ठहरे आदमी ना दो-चार हाथ पड भी गए तो क्या हो गया। बस यह लड़के मार मार के तुम्हारा भरता ना बना दे।



    उनमें से एक लड़का बुलबुल के बहुत करीब आ गया था

    । बुलबुल रिक्वेस्ट भरी नजरों से रॉबिन को देख रही थी और रॉबिन बस अपनी हैरान नजरों से बुलबुल को देख रहा था।



    वह लड़का अपना हाथ बढ़ाकर बुलबुल के हाथ को पकड़ने के लिए आगे आ ही रहा था। कि तभी रोबिन ने उसका हाथ बीच में ही पकड़ लिया।

    रॉबिन की पकड़ इतनी मजबूत थी कि उसे लड़के के हाथ की हड्डियां चटक रही थी। वह अपनी आंखें बड़ी किए हुए रॉबिन को देख रहा था। रॉबिन पहले घूरते हुए उस लड़के को देखा है। और फिर बुलबुल को देखा है।जो अपनी आंखें बड़ी की हो और मुंह फाडे रॉबिन को देख रही थी



    रॉबिन घुरते हुए बुलबुल को देख कर कहता है.. “ वह क्या था. जो बना रहे थे।



    बुलबुल हैरानी से रॉबिन को देखते हैं।और उसकी बात समझने की कोशिश करती है रॉबिन ने कहा.. अरे अभी-अभी तुम्हीं ने कहा ना। यह लड़के मेरा कुछ बनाएंगे. क्या था वह?



    बुलबुल को याद आता है और वह हड़बड़ा आते हुए जल्दी से कहती है.. “भरता ।



    एक हाथ से उस लड़के के हाथ को मरोड़ते हुए बुलबुल को देखा है और हैरानी से पूछता है…” भरता क्या होता है।



    बुलबुल मासूमियत के साथ केहती है…”तुम्हें भरता नहीं पता ?



    रॉबिन नाम में सर हिलता है.बुलबुल कुछ सोचती है और फिर रॉबिन से कहती है…” अरे भरत वह होता है जो बैंगन का बनता है।



    तभी वह दूसरा आदमी भी रॉबिन को मारने के लिए आगे आता है। बुलबुल जल्दी से डर कर दो कदम पीछे हो जाती है। और रॉबिन से कहती है।

    मैं तुम्हें बैंगन का भर्ता बनाकर जरूर खिलाऊंगी। पर सबसे पहले तुम इन का भरता बना दो।



    रॉबिन गुस्से में उन लड़कों को घर कर देखता है और कहता है..। “ मुझे भरता बनाना नहीं आता है। पर जो आता है वह जरूर कर सकता हूं।



    इसी के साथ रॉबिन अपने मजबूत हाथों का एक मुक्का उस दूसरे लड़के के मुंह पर मरता है।वह वहीं जमीन पर ढेर हो जाता है और पहला लड़का अपना हाथ पकड़े हुए गली में भाग जाता है। क्योंकि बेचारे के हाथ में फ्रैक्चर हो गया था।

  • 19. बुलबुल एक बर्ड् का नाम है - Chapter 22

    Words: 942

    Estimated Reading Time: 6 min

    रॉबिन ने उन तीनों लड़कों की हालत खराब कर दी थी, रॉबिन अपनी कलाई को मोड़ता हुआ बुलबुल को देखता है, जो अपनी आंखें फाड़े हुए और मुंह खोले हुए जमीन पर पड़े हुए उन लड़कों को देख रही थी।

     रॉबिन बुलबुल के पास आता है और उसके मुंह को हाथ से बंद करते हुए कहता है… “नाम क्या है तुम्हारा?”



     बुलबुल आंखें फाड़े हुए रॉबिन को देखती है और अपनी बड़ी-बड़ी पलके झुकाते हुए हड बढ़ाते हुए कहती है... 



    “बुल....... बुल.......”



     रॉबिन घूरते हुए बुलबुल को देखता है और कहता है… “बुल?”



     बुलबुल इतने धीरे बोल रही थी कि रॉबिन को सिर्फ बुल सुनाई दिया. उसे लगा बुलबुल कह रही है बुल यानी के बैल 🐂।





    रॉबिन कहता है… “थोड़ा अजीब सा नाम नहीं है तुम्हारा। मतलब कौन अपना नाम बुल रखता है।”





     रॉबिन की बात सुनकर बुलबुल जल्दी से कहती है… “नहीं बुल नहीं बुलबुल।”





     रॉबिन अपने कपड़े झड़कते हुए कहता है… “क्या फर्क पड़ता है एक बार बुल हो या दो बार बुल। वैसे तुम कहीं से भी बुल जैसी लगती नहीं हो।” 





     बुलबुल जल्दी से कहती है… “नहीं नहीं, आप गलत समझ रहे हैं सुपरमैन, मेरे नाम का मतलब वह वाला बुल नहीं है।” 



    रॉबिन घूरकर बुलबुल को देखता है और कहता है… “तो क्या मतलब है तुम्हारे नाम का?”



     बुलबुल को सोचती है और कहती है… “बुलबुल का मतलब है बर्ड्, बुलबुल एक बर्ड् का नाम है।” 









     रॉबिन की आंखें छोटी हो गई बुलबुल को देखकर, उसने बुलबुल से कहा… “तो तुम्हारे नाम का मतलब बर्ड् है?”









     बुलबुल जल्दी से हां मैं सर हिलाती है। रॉबिन कहता है… “ठीक है तो मिस बर्ड्. तुम्हें पता है मैं रहता कहां हूं?” 









     बुलबुल की आंखें बड़ी हो जाती है और वह रॉबिन को अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से देखने लगती है। रॉबिन बुलबुल को घूर कर देखता है और कहता है… “मुझे बाद में घूर कर देख लेना पहले बताओ क्या तुम्हें मेरे घर का रास्ता पता है? यहां के रास्ते इतने अजीब हैं कि मैं तो इन्हीं में खोकर रह गया हूं।” 









     बुलबुल जल्दी से कहती है… “अच्छा आप घर जाने का रास्ता भूल गए हैं, कोई बात नहीं मैं बता देती हूं ना।” 









     उसके बाद बुलबुल अपने हाथ के इशारे से कहती है… “इस गली से सीधे निकल जाइए राइट हैंड पर सेकंड गली। भूल मत जाना क्योंकि कोने पर आपको पिंकी ब्यूटी पार्लर दिख जाएगा। वही गली से सीधे निकल जाइएगा, वही रास्ता सीधा पुरानी हवेली को ही जाता है।”









     रॉबिन घूरते हुए बुलबुल को देखता है और कहता है… “थैंक्स।”



    उसके बाद रॉबिन सीधे गली में चला जाता है और बुलबुल बस उसे जाता हुआ देखते रह जाती है। एक बार रॉबिन जब बुलबुल की आंखों के सामने से ओझल हो जाता है तो बुलबुल के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। वह अपने दुपट्टे के कोने को अपने दांतों में दबाते हुए मुस्कुराती है और कहती है…









     “सुपरमैन!”









     रॉबिन वापस पुरानी हवेली आ गया था। बुलबुल ने उसे जैसा बताया था वैसे ही उसने किया। सीधे पुरानी हवेली पहुंच गया रॉबिन, रास्ते से खाना पैक करवा कर लाया था इसीलिए पुरानी हवेली पहुंचकर वह खाना खाने बैठ जाता है। 









     बुलबुल भी पाखी और आशी के साथ घर पहुंच गई थी। बुलबुल देखती है तो सप्तमी का भोग बनाया जा रहा है ( दुर्गा माता का प्रसाद)









     बुलबुल, पाखी और आशी तीनों भी प्रसाद बांटने में मदद करती है। इस समय बड़े बाबू और लता भी वहीं पर थे, सोमेन अपने ऑफिस गया हुआ था और पुलिस डिपार्टमेंट ने अनिरुद्ध को बुला लिया था किसी जरूरी काम के लिए।









     बुलबुल पूजा में आए लोगों को प्रसाद बांट रही थी पर उसकी नजर रह रहकर दरवाजे पर जा रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि हो ना हो रॉबिन यहां पर जरूर आएगा, लेकिन जब सारा प्रसाद बट गया और फिर भी रॉबिन नहीं आया तो बुलबुल को थोड़ा बुरा लगा। लता ने जब बुलबुल को इस तरीके से बार-बार दरवाजे की तरफ देखते हुए पाया तो वह बुलबुल के पास आती और कहती है…









    “अरे बुलबुल तुम बार-बार दरवाजे की तरफ क्यों देख रही हो? अनिरुद्ध अभी नहीं आएगा।” 









     लता की बात सुनकर बुलबुल को जबरदस्ती मुस्कुराना पड़ा।



    तभी सुवर्णा जी बुलबुल के पास आती और कहती है… “बुलबुल मेरे साथ थोड़ा रसोई में आओ कुछ काम है।”









     बुलबुल बाकी का काम पाखी और आशी को बता कर सुवर्णा जी के पास रसोई में जाती है और कहती है… “हां मां बताइए क्या काम है?”









     सुवर्णा जी एक लंच बॉक्स पैक करके बुलबुल को देते हुए कहती है… “इसे पुरानी हवेली में ले जाकर रॉबिन को दे दे।”









     सुवर्णा जी के यह कहते ही बुलबुल के चेहरे पर चमक आ जाती है लेकिन वह हैरान होते हुए सुवर्णा जी को देखती भी है। 



    सुवर्णा जी परेशान होते हुए कहती है… “पता नहीं बेचारा बच्चा. दोपहर में कुछ खाया भी होगा या नहीं। मैं किसी और को नहीं भेज सकती अगर बाबा को पता चल गया तो बहुत नाराज होंगे, इसलिए तुझे भेज रही हूं। अगर किसी ने तुझे देख भी लिया तो बाबा तुझे बहुत प्यार करते हैं 



     वह तुझे कुछ भी नहीं कहेंगे, लेकिन फिर भी तू पीछे के रास्ते से जाना और हां इस बात का ध्यान रखना की रॉबिन सारा खाना खाए। पता नहीं अपने देश में क्या-क्या खाता रहता है पेट देखा है कितना पतला है उसका। मैं तो सोच रही हूं जितने दिन यहां पर रहेगा उसे अच्छे से खिला-खिला के मोटा कर के भेजूंगी।” 



    सुवर्णा जी का प्यार रोबिन के लिए देखकर बुलबुल के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह हां में सर हिलाती है। बुलबुल लंच बॉक्स को लेकर पीछे के रास्ते निकलते हुए पुरानी हवेली की तरफ जाने के लिए निकल जाती है। 

  • 20. कही भी कर लो

    Words: 1086

    Estimated Reading Time: 7 min

    वही पुरानी हवेली में रॉबिन को इंडियन खाने की आदत नहीं थी और बाहर के खाने की तो बिल्कुल भी नहीं थी। बाहर का स्ट्रीट फूड खाकर रोबिन के पेट में हल्का-हल्का दर्द होने लगा। 

     

     रॉबिन अपना पेट पकड़ता है और इधर से उधर टहलते हुए कहता है… “यार यह इंडियन लोग इतना मिर्च और तीखा कैसे खा लेते हैं? लगता है मुझे वॉशरूम जाना ही पड़ेगा।”

     

    यह सोचते हुए रॉबिन कमरे में जाता है और वहां पर अपने वॉशरूम में जाता है, पर जैसे ही वह वॉशरूम का दरवाजा खोलता है उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। रॉबिन अपना नाक बंद करके वापस कमरे में आता है और कहता है… “याकककक!”

     

    रॉबिन को टॉयलेट देखकर उल्टी आ रही थी, दरअसल रॉबिन का टॉयलेट ओवरफ्लो हो गया था और सिवर का गंदा पानी उसके बाथरूम में फैल गया था। अब पुरानी हवेली में सालों से उस टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं किया गया है तो जाहिर सी बात है कचरा तो जाम होता ही। वह तो सुवर्णा जी के भेजे हुए नौकर ने किसी तरीके से टॉयलेट को क्लीन कर दिया था लेकिन ओवरफ्लो होने की वजह से सीवर का पानी पूरे टॉयलेट में फैल गया था। 

    टॉयलेट से बहुत गंदी बदबू आ रही थी और रॉबिन से तो वहां खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था।

     

     रॉबिन जल्दी से अपनी नाक बंद करते हुए टॉयलेट के पास जाता है और उसका दरवाजा लगाता है। 

     

     वह अपने चेहरे पर घिन के एक्सप्रेशन रखते हुए कहता है… “अब यह क्या नई मुसीबत है।”

     

     तभी रोबिन को अपने पीछे से एक लड़की की आवाज आती है…

    “क्या हुआ..?”

     

     रॉबिन अचानक से चौंक जाता है और चिल्लाते हुए पीछे देखता है… “मम्मी!”😳

     

     रोबिन के पीछे इस समय बुलबुल खड़ी थी।

     

     बुलबुल को देखकर रॉबिन की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है और वह कहता है तुम अंदर कैसे आई।

     

     बुलबुल मासूमियत के साथ केहती है "दरवाजे से।

     

     रॉबिन घुरते हुए बुलबुल को देखा है और कहता है। "लेकिन दरवाजा तो बंद है ना, मैंने खुद अपने हाथों से अंदर से दरवाजा बंद किया है।

     

     बुलबुल भी ताओ में केहती है.. हां बड़ा गोदरेज का ताला लगा हुआ है ना, तुम्हारी शाही दरवाजे पर। इस पुरानी हवेली का टूटा फूटा दरवाजा है। एक हाथ मारूंगी और बिखर जाएगा। 

     

     रॉबिन घूमते हुए बुलबुल को देखा है और कहता है.. तुम यहां पर कर क्या रही हो।

     

     बुलबुल कहती है… “अरे मां ने तुम्हारे लिए दोपहर का खाना भेजा था, बाहर टेबल पर रखा हुआ है।”

     

     खाने का नाम सुनकर रॉबिन अजीब सा चेहरा बनाकर बुलबुल को देखता और कहता है… “नहीं खाना है मुझे कोई खाना. पता नहीं तुम लोग कैसे खाना खाते हो। तुम्हारे यहां का खाना खाकर मेरा पेट खराब हो गया है। अब मुझे वॉशरूम यूज़ करना है और यहां वॉशरूम इतना गंदा हो रखा है, अब बताओ क्या करूं मैं।”

     

     बुलबुल हैरानी से रॉबिन को देखती है और फिर वॉशरूम के दरवाजे को देखने लगती है। बुलबुल कुछ सोचती और उसके बाद कहती है… “मेरे साथ चलो।”

     

    रॉबिन कहता है… “कहां जाना है? तुम मुझे अपने घर तो नहीं ले जा रही हो?”

     

     बुलबुल कहती है… “अरे बाबा मैं तुम्हें अपने घर कैसे ले जा सकती हूं? वहां पर तो पूजा का पंडाल लगा हुआ है ना, सब लोग हैं वहां पर तो तुम्हें वहां नहीं लेकर जा सकती हूं और दादू के घर भी नहीं लेकर जा सकती हूं, वहां किसी ने तुम्हें देख लिया तो और लेने के देने पड़ जाएंगे, इसके अलावा एक और जगह है जहां पर जा सकते हो और जो भी तुम्हें आई है वह कर सकती हो।”

     

     रॉबिन को बुलबुल की बात पर गुस्सा तो आ रहा था लेकिन इस समय उसके पास और कोई चारा भी नहीं था, उसने अपने दांत पीसते हुए बुलबुल से कहा… “जो करना है जल्दी करो आई कांट कंट्रोल।”

     

     बुलबुल जल्दी से हां में सर हिलाती है और रॉबिन को लेकर पुरानी हवेली से निकल जाती है। बुलबुल और रॉबिन पिछले 10 मिनट से चल रहे थे रोबिन गुस्से में कहता है… “यह तुम कहां मुझे जंगल में लेकर आ गई हो. मुझे वॉशरूम यूज़ करना है और तुम मुझे गोल-गोल घुमाई जा रही हो?”

     

     बुलबुल रॉबिन को एक जगह लेकर आती है और कहती है… “हां ठीक है तुम जाओ मैं यहीं पर हूं।”

     

     रॉबिन इधर-उधर नजरे घूमाता और कहता है… “कहां जाऊं. अरे यह तो बता दो,मुझे यहां से जाना कहां? यहां पर तो मुझे दूर-दूर तक वॉशरूम नजर नहीं आ रहा है?”

     

     बुलबुल कहती है… यह इतना बड़ा वॉशरूम तुम्हें नजर नहीं आ रहा है? कहीं भी चले जाओ किसी भी पेड़ के पीछे।”

     

     बुलबुल की बात सुनकर रॉबिन आंखें फाड़ते हुए उसे देखता है और कहता है… “तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? तुम मुझे यहां पर इसलिए लेकर आई हो ताकि मैं खुले में शीट कर सकूं?” 

     

     बुलबुल अपनी बड़ी-बड़ी पलके झपका के मासूमियत के साथ कहती है… “तो और मैं क्या करती?”

     

     रॉबिन अपना सर पीट लेता है और बुलबुल को गुस्से में देखकर कहता है… “मेरे पीछे मत आना।” 

     

     यह कहकर रॉबिन वहां से जाने के लिए आगे बढ़ जाता है, लेकिन बुलबुल उसके पीछे आते हुए कहती है… “अरे सुनो तो देखो मैं कह रही हूं, जंगल में पेड़ के पीछे जाकर कर लो किसी को पता नहीं चलेगा। ज्यादा दिक्कत हो जाएगी तो तुम्हें ही परेशानी होगी।”

     

     पर रॉबिन तेज कदमों से जंगल से बाहर निकल जाता है और वापस पुरानी हवेली वाले रास्ते पर चल देता है। बुलबुल उसे रोकते हुए कहती है… “अरे मेरी बात सुनो, देखो समझने की कोशिश करो।” 

     

     रॉबिन गुस्से में बुलबुल को देख कर कहता है… “भले ही पेट दर्द से मेरा पेट फट जाए पर मैं यह हरकत कभी नहीं करूंगा।” 

     

     तभी रोबिन के पेट से बहुत तेज आवाज आने लगती है बुलबुल और रॉबिन दोनों हैरान रह जाते हैं। रॉबिन कसके अपना पेट पकड़ लेता है और इधर-उधर देखने लगता है। बुलबुल कहती है… “मेरी बात मान लो अभी भी हम लोग जंगल जा सकते हैं, मैं कह रही हूं ना किसी को पता नहीं चलेगा।”

     

     पर रॉबिन गुस्से में कहता है… “मुझे पता चलेगा ना उतना ही काफी है, तभी रोबिन को कुछ नजर आता है और रॉबिन बुलबुल से कहता है… “वह कौन सी बिल्डिंग है?”

     

     बुलबुल रोबिन के इशारे की तरफ देखते हुए कहती है… “वह तो डिपार्टमेंटल स्टोर है।” 

     

     रॉबिन कहता है… “ठीक है मेरा काम हो गया. अब तुम मिस बर्ड मेरे पीछे मत आना।” 

     

     बुलबुल मासूमियत के साथ कहती है… “तो फिर मैं कहां जाऊं?”

     

     रॉबिन घूरते हुए बुलबुल को देख कर कहता है… “कहीं भी उड़ जाओ।”