दो दिलों❤️के मिलन की दास्तान! रुको जाने को नहीं कहा मैने अभी! जैसे ही शरण्या ने सुना उसके कदम भी रुक गए । वह पीछे मुड़ी ,उसकी नजरे उस शक्श से टकराई, तभी उस शक्श की आवाज फिर गूंजी ,"तुम कौन?"," यहां क्या कर रही हो?" उस... दो दिलों❤️के मिलन की दास्तान! रुको जाने को नहीं कहा मैने अभी! जैसे ही शरण्या ने सुना उसके कदम भी रुक गए । वह पीछे मुड़ी ,उसकी नजरे उस शक्श से टकराई, तभी उस शक्श की आवाज फिर गूंजी ,"तुम कौन?"," यहां क्या कर रही हो?" उस शक्श ने इतना कहा ही था ,कि तभी एक लड़की की आवाज आई शरण्या तुम यहां हो ,हम तुम्हें कब से ढूंढ रहे है? शरण्या उस लड़की के साथ घर के अंदर चली जाती हैं। कौन है ये शक्श जो शरण्या को बाहर मिला था? जानने के लिए पढ़िए, दिल्लगी - एक खूबसूरत एहसास।
Sharanya
Healer
Ekansh agnihotri
Warrior
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hello dosto👋 !
ye meri story mania prr phli kahani hai, ummeed krti hu aap sabhi ko meri ye kahani pasand aayegi............
and dint forget like , share and comment
यह कहानी ऐसे दो लोगों की है ,जो है एक दूसरे से एकदम अलग।
शरण्या जहां एक जिंदादिल हैं और दुनिया से डरती हैं.........
वहीं एकांश शरण्या से एकदम विपरीत,शांत व हमेशा सीरियस रहने वाला, झा शरण्या दुनिया से डरती हैं, एकांश के सामने किसी का मुंह नहीं खुलता है........
कैसे मिलेंगे ये दो दिल.............
जानने के लिए पढिए मेरी कहानी
दिल्लगी - एक ख़ूबसूरत एहसास ...........
dillagi - ek khoobsurat ehsas.............
पात्र परिचय
शरण्या - हमारी कहानी की नायिका, हाइट - 5.4 उम्र -22 वर्ष। रंग -गोरा ,काले घने लंबे बाल,कोई देखे तो बस देखता ही जाए।
एकांश अग्निहोत्री - हमारी कहानी के नायक और अग्निहोत्री प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ। हाइट -6.2 इंच, उम्र -28 वर्ष, रंग -गेहूंआ, शार्प जॉ लाइन ,वेल मेंटेनेड बॉडी ,जिसे देखकर हर कोई दीवाना हो जाए।
वर्षा अग्निहोत्री - एकांश की मां।
अनामिका जी - शरण्या की मौसी।
आरव मल्होत्रा -एकांश बचपन का दोस्त,और मल्होत्रा कंपनी के सीईओ।
hello dosto👋 !
ye meri story mania prr phli kahani hai, ummeed krti hu aap sabhi ko meri ye kahani pasand aayegi............
यह कहानी ऐसे दो लोगों की है ,जो है एक दूसरे से एकदम अलग।
शरण्या जहां एक जिंदादिल हैं और दुनिया से डरती हैं.........
वहीं एकांश शरण्या से एकदम विपरीत,शांत व हमेशा सीरियस रहने वाला, झा शरण्या दुनिया से डरती हैं, एकांश के सामने किसी का मुंह नहीं खुलता है........
कैसे मिलेंगे ये दो दिल.............
जानने के लिए पढिए मेरी कहानी
दिल्लगी - एक ख़ूबसूरत एहसास ...........
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पात्र परिचय
शरण्या - हमारी कहानी की नायिका, हाइट - 5.4 उम्र -22 वर्ष। रंग -गोरा ,काले घने लंबे बाल,कोई देखे तो बस देखता ही जाए।
एकांश अग्निहोत्री - हमारी कहानी के नायक और अग्निहोत्री प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ। हाइट -6.2 इंच, उम्र -28 वर्ष, रंग -गेहूंआ, शार्प जॉ लाइन ,वेल मेंटेनेड बॉडी ,जिसे देखकर हर कोई दीवाना हो जाए।
वर्षा अग्निहोत्री - एकांश की मां।
अनामिका जी - शरण्या की मौसी।
आरव मल्होत्रा -एकांश बचपन का दोस्त,और मल्होत्रा कंपनी के सीईओ।
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यह कहानी ऐसे दो लोगों की है ,जो है एक दूसरे से एकदम अलग।
शरण्या जहां एक जिंदादिल हैं और दुनिया से डरती हैं.........
वहीं एकांश शरण्या से एकदम विपरीत,शांत व हमेशा सीरियस रहने वाला, झा शरण्या दुनिया से डरती हैं, एकांश के सामने किसी का मुंह नहीं खुलता है........
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दिल्लगी - एक ख़ूबसूरत एहसास ...........
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पात्र परिचय
शरण्या - हमारी कहानी की नायिका, हाइट - 5.4 उम्र -22 वर्ष। रंग -गोरा ,काले घने लंबे बाल,कोई देखे तो बस देखता ही जाए।
एकांश अग्निहोत्री - हमारी कहानी के नायक और अग्निहोत्री प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ। हाइट -6.2 इंच, उम्र -28 वर्ष, रंग -गेहूंआ, शार्प जॉ लाइन ,वेल मेंटेनेड बॉडी ,जिसे देखकर हर कोई दीवाना हो जाए।
वर्षा अग्निहोत्री - एकांश की मां।
अनामिका जी - शरण्या की मौसी।
आरव मल्होत्रा -एकांश बचपन का दोस्त,और मल्होत्रा कंपनी के सीईओ।
कहानी शुरू होती है जैसलमेर के एक छोटे से गांव रामपुर से ...... शरण्या सदमे में बस उन तीन लाशों के सामने बैठी रो रही थी. घर में गैस सिलेंडर फटने से मां, पिता और छोटा भाई यक्ष तीनों की एक साथ मौत हो गई थी ...... शरण्या की तो जैसी दुनिया ही लुट गई हो ..... अपने परिवार के अलावा था ही कौन उसका इस दुनिया में ??? और आज वो परिवार भी ना रहा .......
शरण्या एसे ही उन्हें देख रोती रही और मोहल्ले के लोग आकर उन्हें शमशान यात्रा के लिए ले गए ..
.
शरण्या बस देखती रही .... आंखो से आंसू बेहते रहे पर हिम्मत ना हुई कुछ करने की . हमेशा अपने परिवार के बिच खुशमिजाज रेहने वाली शरण्या इस दुनिया से डरती थी ये सबको पता था ..... अब उसके पास उसकी मासी अनामिका के अलावा कोई नहीं था ......
शरण्या ने एक लड़की होने के बावजूद अपने परिवार को मुखाग्नि दी और वहीं बैठ कर फुटफुट कर रोने लगी....... . उसकी मासी ने जैसे तैसे उसे संभाला ...... और उसे घर ले आई..
वो दूसरे दिन जाने वाली थी पर गांव वालों का कहना था कि जवान लड़की को वो एसे अकेले नहीं छोड़ सकती ..... या तो वो उसकी शादी करा दे या उसे अपने साथ ले जाएं....... अनामिका को उनकी बात सही लगी, उन्होंने फैसला किया की वो शरण्या को अपने साथ दिल्ली ले जाएंगी. उन्होंने जैसे तैसे शरण्या को दिल्ली चलने के लिए मना लिया ......
*****
अगले दिन घर के ताला देकर, अनामिका शरण्या को लेकर दिल्ली के लिए निकल पड़ी.
दोनो ट्रेन में थी. काफी लम्बे सफ़र के बाद ट्रेन गाजियाबाद रेलवे स्टेशन -1 पर पहोंची तो अनामिका ने शरण्या को एक सौ का नोट पकड़ाते हुए कहा " शरण्या , ट्रेन अभी आधा घंटा रुकेगी .... तुम बाहर से पानी की बोतल और कुछ फल ले आओ
शरण्या .... . जो हर चिज़ से डरती थी ,भला अपनी मौसी को कैसे मना कर देती।उसने डरते डरते धीरे से नोट
पकड़ा और ट्रेन से नीचे उतरी ..... पर स्टेशन पर काफी भीड़ थी जो बार बार उससे आते जाते टकरा रहे थे। शरण्या इन सबको देख कर डर गई थी....
.....
.....
वो घबराते हुए ट्रेन की तरफ वापस बढ़ी . , पर लोगों की भीड़ से निकल कर ट्रेन तक पहोंचना आसान कहां था ?
लोग उसे थक्का मुक्की के बीच ट्रेन से और दूर कर रहे थे..... इतने में ट्रेन रवाना होने की विसल बजी .... शरण्या एकदम से रोने लगी .... उसने अपनी मौसी को आवाजें लगना शुरु कर दिया पर शायद सुन पाना मुश्किल था....... देखते ही देखते ट्रेन स्टेशन से निकल गई ....... और शरण्या रोते हुए ट्रेन के पीछे भागने लगी , पर अफसोस वो ट्रेन को नहीं पकड़ पाई .... ट्रेन जा चुकी थी और शरण्या दौड़ते दौडते एकदम से गिरी .....
वो जोर जोर से रोने लगी ..... वो क्या करेगी अब ? अपने गांव से इतनी दूर मासी के अलावा किसे जानती है वो ? किससे मदद मांगेगी ? कैसे पहुंचेगी अब उन तक ? उसे कुछ भी पता नही था ....
....
वो जमीन पर वही बैठे बैठे रोने लगी
की किसी ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा ......
शरण्या ने मुड़ कर देखा तो ये टिकिट चेकर थे .... उन्होंने शरण्या को रोते देखकर पूछा " क्या हुआ ? आप रो क्यूं रही हो ? सब ठिक है ना बेटा ?'
शरण्या को उनका प्यार से बात करना देख कुछ अच्छा लगा, वो रोते हुए बोली Dilkash Dillagi - first chapter 'हमारी ... हमारी 'ट्रेन छूट गई ।
अब हम अपनी मासी को कैसे ढूंढेंगे
टीसी ने उसकी बात सुनकर उसे खड़ा करते हुए कहा " इसमें रोने की क्या बात है ? ट्रेन तो दिल्ली की है.... तुम्हारी मासी दिल्ली में रेहती है ?' शरण्या ने हा में सिर हिलाया तो टीसी ने कहा " अच्छा तो उनका नंबर या पता है तुम्हारे पास ? " शरण्या ने रोते हुए ही कहा " हमें कुछ भी नहीं पता है ..... हम नहीं जानते वो दिल्ली में कहा रेहती है ? उनका नंबर भी नहीं पता "
....
टीसी ने परेशान होते हुए कहा " एसे तो हम उन्हें नहीं ढूंढ पाएंगे ,कुछ तो पता होगा तुम्हें ? " शरण्या ने ना में सिर हिला दिया। टीसी कुछ केहने को हुए की दूसरी ट्रेन आ गई..... उन्होंने शरण्या से कहा " मुझे ज़रा काम है तुम एक तरफ बैठो में आता हूं .... देखता हूं तमारी क्या मदद हो सकती है।
शरण्या ने उनके सामने हाथ जोड़कर कहा " आपका बहोत बहुतों शुक्रिया' शरण्या की बात सुन वो मुस्कुराए और शरण्या के सिर पर हाथ फेरकर वहां से चल दिए
.
......
शरण्या एक तरफ बैठ गई और रोने लगी.... इतनी भीड में वो अकेली किसी को भी नहीं जानती..... उपर से अपने घर से इतनी दूर ..... वो खुद को ही कोस रही थी की उसे यहां आना भी नहीं चाहिए था........
शरण्या यही सब सोचते हुए उस भीड़ को डबडबाई आंखों से देख रही थी की
उसकी नज़र कुछ लड़कों पर गई .....
जो उसे काफ़ी गंदी नजर से देख रहे थे
....
शरण्या उन्हें देख कर और डर गई .....
वो धीरे से अपनी जगह से उठी और उन लोगों की नज़रों से बचने के लिए दुसरी तरफ जाने लगी ..... . पर पीछे मुड़कर देखा तो ये लोग अब भी उसका पीछा कर रहे थे .....
शरण्या और ज्यादा डर गई थी.... वो वहा से भागने लगी तो वो लोग भी उसके पीछे भागने लगे..... वो भागते भागते स्टेशन से बाहर चली आई. और जहां से उसे रास्ता दिखा बस वहां से वो जाने लगी क्योंकि वो लड़के उसका पीछा ही नहीं छोड़ रहे थे. अब भी उसके पीछे भाग रहे थे .....
....
भागते भागते वो सड़क पर चली आई थी..... उसने मुड़ कर पीछे देखा तो वो लोग अब भी उसके पीछे आ रहे थे. . शरण्या पीछे देखते हुए आगे बढ़ रही थी की सामने तेज रफ्तार से आ रही एक गाड़ी से टकरा गई. जैसे ही उन लड़कों ने ये देखा, वो दो पल को रुके फिर एक दूसरे को इशारा किया और वहां से नौ दो ग्यारह हो गए.
....
.....
जिसकी गाड़ी से एक्सिडेंट हुआ था, वो एक औरत जी ..... उम्र करीब 50 के करीब रही होंगी ... पर पैसा और रुतबा उनकी उम्र बखुबी छुपा रहा था .l.... वो तुरंत बाहर आई और देखा तो शरण्या खून से लथपथ जमीन पर पड़ी थी । उन्होंने जल्दी से ड्राइवर से कह कर शरण्या को गाड़ी m बैठाया......
शरण्या की जब आँखें खुली तब वह एक बिस्तर पर लेती हुई थी..उसने आस पास नजरे घुमाकर देखा तो उसे समझ m आया कि वह अभी हॉस्पिटल के वार्ड में हैं......
शरण्या अभी कुछ और सोचती उससे पहले ही उसे एक औरत की आवाज सुनाई देती है,जो शरण्या से पूछ रही थी,"कि वह कौन है?"और ऐसे भाग के खा जा रही थी?
आशा करती हु की आपको मेरी ये कहानी पसन्द आएगी!
dillagi - ek khoobsurat ehsas!संक्षिप्त विवरण दें
वर्षा जी के इस तरह प्यार से पूछने पर शरण्या की आंखों m आंसू आ जाते हैं..... फिर वह वर्षा जी को बताती है कि कैसे उसके माता पिता की मृत्यु के बाद वह अपनी मौसी के साथ दिल्ली जा रही थी परंतु उसकी ट्रेन छूट गई..... और उसे तो यह भी नहीं पता कि उसकी मौसी दिल्ली m kha रहती है। इतना कहकर शरण्या फिर से रोने लगती हैं.......
शरण्या की बात सुनकर, वर्षा जी उससे उनके साथ चलने की लिए कहती हैं,तो शरण्या मान जाती है क्योंकि उसके पास इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं था ,और न ही वह इस अनजान शहर में किसी को जानती थी...........
वर्षा जी शरण्या को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करवाकर अपने घर के लिए निकल जाती हैं...................
कुछ देर बाद उनकी गाड़ी एक बड़े से घर m आगे aake रुकती हैं जिस पर बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था अग्रिहोत्री विला। शरण्या तो इतने बड़े घर को देखकर आश्चर्य में ही पड़ जाती है......... वह अभी देख ही रही थी कि तभी गेट खुलता है और गाड़ी घर के अंदर चली जाती हैं....
शरण्या गाड़ी से उतरती हैं,वह फिर अपने चाटो तरफ देखने लगती हैं,वह उस घर मे एक बड़ा सा बगीचा था ,उस बगीचे के बीच के फाउन्टेन भी बना हुआ था जो देखने m बहुत ही सुंदर लग रहा था, शरण्या ये सब देख ही रही थी कि तभी उसे वर्षा की आवाज़ सुनाई देती है जो उसे अंदर चलने के लिए कह रही थीं। शरण्या वर्षा जी के साथ आ तो गई थी परंतु इतने बड़े घर को देखकर उसे अंदर जाने m हिचकिचाहट हो रही थी। फिर वह वर्षा जी के साथ अंदर जाती हैं,तो वर्षा जी घर में कम करने वाले नौकर से कहती है कि उसे उसका कमरा दिखा दे। शरण्या उस नौकर के साथ अंदर चली जाती हैं। थकान के कारण उसे सोने का मन हो रहा था , तो उसने सोचा कि पहले फ्रेश हो जाए उसके बाद थोड़ी देर आराम कर लेगी। शरण्या फ्रेश होकर लेट जाती हैं तो उसे नींद आ जाती हैं,। जब वह उठती हैं तो देखती हैं कि शाम के ,5बज घर थे । वह एक नजर बाहर की ओर देखती हैं और अपने परिवार को याद करके रोने लगती है।
वर्षा जी शाम को शरण्या को बुलाती हैं,और उसे चाय का कप पकड़ाते हुई कहती हैं बैठो चाय पीते हैं साथ में।
शरण्या उनके साथ बैठकर चाय पीती हैं,दोनों के बीच थोड़ी बात चीत होती हैं,या कह सकते है बात तो सिर्फ वर्षा की कर रही थी शरण्या तो बस उनकी बातों का जवाब दे रही थी।
रात मे खाना बनाने के बाद वर्षा जी शरण्या को खाना खाने के लिए बुलाती हैं,। शरण्या डाइनिंग टेबल पर किसी को न देखकर थोड़ा आश्चर्य में पड़ जाती हैं क्योंकि जब से वह आई थी उसे इस बड़े से घर में वर्षा जी और वह कम करने वाले कुछ नौकरों के अलावा कोई नहीं दिखा था ।
उसने अंततः वर्षा जी से पूछ ही लिया कि उनके साथ इस घर में और कौन कौन रहता हैं ?
तब वर्षा जी उसे बताती हैं कि वह यहां अपने बेटे के साथ रहती हैं,। तो शरण्या फिर उससे पूछती है कि वह कहां हैं?
तो वर्षा जी उसे बताती हैं कि वह ज्यादातर काम में बिजी रहता हैं,और देर रात तक ही घर आता है और सुबह जल्दी ही ऑफिस के लिए निकल जाता हैं।
इन्हीं बातों के बीच उनका डिनर खत्म हो जाता है शरण्या बर्तन उठाने में वर्षा जी की मदद करती हैं उसके बाद वर्षा जी शरण्या को सोने जाने के लिए कह देती हैं..........
शरण्या अगली सुबह जल्दी ही उठ जाती हैं क्योंकि गांव मे रहने के कारण उसे जल्द उठने की आदत थी,वह सुबह उठकर बाहर आती है तो उसे कोई दिखाई नहीं देता है,वह धीरे धीरे गार्डेन तक आ जाती हैं, तभी उसे कोई गार्डेन में एक्सरसाइज करते हुए दिखाई देता हैं,लेकिन अभी भी हल्का हल्का अंधेरा था तो उसे साफ साफ दिखाई नहीं पड़ता है कि कौन है? वह उस आदमी को देखने के लिए आगे बढ़ ही रही थी कि तभी उसे वर्षा जी की आवाज सुनाई दे रही थी जो उसे अंदर से आवाज लगा रही थी।
शरण्या जैसे ही वर्षा जी की आवाज सुनती है वह अपने कदम मोड़ देती है और वह वर्षा जी के पास पहुंच जाती है ,
वर्षा जी उसे कुछ कपड़े देती है और कहती है कि तैयार होकर आओ साथ में नाश्ता करते है। वर्षा जी की बात सुनकर शरण्या उनके हाथों से कपड़े ले लेती है और ऑन कमरे मे तैयार होने के लिए चली जाती है । जब वह तैयार होकर बाहर आती है तो देखती है कि वर्षा जी टेबल पर बैठी उसका इंतजार कर रही थी। वर्षा जी उसे देखकर नाश्ता करने के लिए कहती है , शरण्या बैठकर नाश्ता करने जा ही रही थी कि तभी वह देखती है कि एक आदमी दरवाजे से बाहर की ओर जा रहा था ,तो वह वर्षा जी से पूछती है कि "वह कौन है?"
तब वर्षा जी उसे बताती है कि वह उनका बेटा है । तभी शरण्या फिर से उनसे पूछती है कि" उनका नाम क्या है?"
तो वर्षा जी कहती है "एकांश"। एकांश अग्निहोत्री..... फिर धीरे धीरे वह दोनों अपना नाश्ता ख़त्म कर लेती है......
शाम के वक्त शरण्या अपने ख्यालों में खोई हुई थी,की किस तरह से वह अपने मां बाबा और छोटे से भाई के साथ खुश थी लेकिन उस एक एक्सीडेंट ने उसकी पूरी दुनिया ही पलट कर रख दी थी। वह अभी यह सब सोच ही रही थी कि उसे वर्षा जी की आवाज सुनाई देती हाजी उसे बाहर बगीचे मे बुला रही थी। शरण्या उनके पास जाती है तो वर्षा जी शरण्या से पूछती है कि चाय पियोगी? तो शरण्या कहती ही की आंटी आप रुकिए हम बनाकर लाते है। इतना कहकर शरण्या चाय बनाने चली जाती है ।
थोड़ी देर बाद जब शरण्या चाय बनाकर वापस लौटती है तो वह देखती है कि एक शख्स वर्षा जी के पास बैठा था ।
शरण्या वर्षा जी को चाय देती है और हाथ के इशारे से पूछती है कि वो कौन है? तो वर्षा जी उसे बताती है कि यही तो है उनका बेटा "एकांश"। वर्षा जी की बात सुनकर शरण्या एक नजर एकांश को देखती हैं जो किसी से बात करते करते थोड़ा दूर चला गया था उन दोनों से।
शरण्या वर्षा जी को चाय देकर अंदर चली जाती है।
रात में डिनर के समय वर्षा जी को अकेले देखकर ,वह एक बार उनसे एकांश के बारे मे पूछने का सोचती है , लेकिन कुछ सोचकर वह नहीं पूछती है खाना खाने लग जाती है
खाना खाकर वह सोने चली जाती है।
अगली सुबह फिर वह जल्दी उठा जाती है ,और नहा धोकर तैयार हो जाती है ,और घर मे बने छोटे से मंदिर में जाकर पूजा की तैयारी करने लग जाती है,थोड़ी देर बाद अग्निहोत्री विला में आरती की आवाज सुनाई देने लगती है जो कि शरण्या गा रही थी..........
राधे कृष्ण की ज्योति अलौकिक , तीनो लोक में छाए रही है ।
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन,
फिर भी दीप जलाए रही है।।
कृष्ण को गोकुल से, राधे को......
कृष्ण को गोकुल से राधे को बरसाने से बुलाए रही है।
दोनो करो स्वीकार ,कृपा कर जोगन आरती गाए रही
दोनो करो स्वीकार कृपा कर जोगन आरती गाए रही है।।
भोर भए ते सांझ ढले तक ,
सेवा कौन इतनेम हमारो ।
स्नान कराए वो, वस्त्र ओढ़ाए ,
वो भोग लगाए,वो लागत प्यारो ।।
कब ते निहारत आप की ओर,........
कब ते निहारत आप की ओर, की आप हमारी ओर निहारो राधे कृष्ण हमारे धाम को, जानी वृंदावन धाम पधारो
राधे कृष्ण हमारे धाम कोजानी वृंदावन धाम पधारो -२
शरण्या आरती खत्म करके पीछे देखती हैं तो वह वर्षा जी खड़ी थीं , शरण्या उनके पास जाती हैं और उन्हें आरती देती है ,और उनसे कहती है हमें माफ कर दीजिए, हम बिना पूछे आपके मंदिर मे आ गए । वर्षा जी शरण्या के सिर पर हाथ फेरकर कहती हैं ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है,।और वह वह से चली जाती हैं
शरण्या पूजा की थाली रखकर जाने लगती है तभी उसकी नजरे किसी से टकरा जाती है,।
यह मेरी पहली कहानी है आशा करती हु आप सभी को मेरी यह पसंद आएगी।
like ,and comment.
शरण्या जैसे ही आरती की थाल रखकर जाने के लिए मुड़ती है तभी उसकी नजरे सामने खड़े शख्स से टकरा जाती हैं ,दोनों एक दूसरे की नजरों कही खो सा जाए है........
शरण्या अपने सामने खड़े शक्श को देख रही थी जिसकी हाइट 6.2 थी गेहुआ रंग और वेल मेंटेनेंड बॉडी ,जिसे देखकर शरण्या कुछ पल के लिए उसमें खो गई......
पर जल्द ही उसने अपनी नजरे घुमाई और वह से जाने लगी तभी उस शक्श ने कहा,"रुको"
शरण्या जो वह से जाने के लिए मुड़ी थी वह आवाज को सुनकर रुक गई.......
तभी उस शख्स ने दुबारा पूछा,"तुम कौन और यहां क्या कर रही हो?"
शरण्या कुछ बोलती उससे पहले ही वर्षा जी वहां आ जाती है और कहती है यह शरण्या है ।
और वह एकांश को नाश्ते के लिए कहकर शरण्या को वहां से लेकर चली जाती हैं।
अंदर जाकर शरण्या वर्षा जी से। पूछती है कि मंदिर के पास जो उन्हें मिले थे वो कौन है?तो वर्षा जी उसे बताती है कि वह उनका बेटा एकांश है जिसके बारे मे कल शाम को उन्होंने ने बताया था , पर शायद शरण्या ने एकांश को सही से देखा नहीं था कल , इसीलिए वह पहचान नहीं पाई।
वर्षा की की बात सुनकर ,वह बस हम्मम में जवाब देती है ।
थोड़ी देर बाद एकांश भी टेबल पर आकर बैठ जाता है , वर्षा की उसे भी ब्रेकफास्ट परोसती है ,इसके बाद एकांश आफिस चला जाता है।
दोपहर को वर्षा जी शरण्या को बुलाकर कहती है वह दोनों शॉपिंग पर जा रही है, इसलिए वह तैयार हो जाए ।
शरण्या बस अपना सिर हिला देती है आर कमरे में तैयार होने चली जाती हैं,। थोड़ी देर बाद शरण्या और वर्षा जी दोनों शॉपिंग के लिए निकल जाते है।
वर्षा जी शरण्या को एक बड़े से मॉल के अंदर ले जाती है और उससे कुछ पाने लिए पसंद करने के लिए कहती हैं शरण्या कहती है हम कैसे ले सकते है,
तो वर्षा जी कहती है क्यों नहीं ले सकती हो तुम?
तो शरण्या कहती है आप हमें अपने घर में रख रही है वहीं बहुत है हमारे लिए ,हम ये सब नहीं ले सकते है।
शाम को दोनों वापस घर लौट आते है ,वैसे तो शरण्या ने अपने लिए कुछ नहीं लिए था पर वर्षा जी ने उसे जबरदस्ती कुछ सूट और पर्सनल समान दिल दिया था।
दोनों घर पहुंचकर फ्रेश हो जाते है , शरण्या चाय बनाकर लाती है दोनों के लिए। तभी वर्षा जी शरण्या से उसकी पढ़ाईबक बारे मे पूछती है तो वह बताती हैं कि उसने 12वी तक पढ़ाई की हैं । उसके गांव में यही तक स्कूल था उसके आगे पढ़ने के लिए शहर जाना पड़ता था इसीलिए वह आगे नहीं पढ़ पाई।
उसकी बात सुनकर वर्षा जी कहती है ,जब तक तुम्हे तुम्हारु मौसी नहीं मिल जाती है तब तुम यह रहोगी, इसलिए हम एकांश से कहकर तुम्हारा एडमिशन कॉलेज में करवा देते है जिससे तुम्हारी आगे की पढ़ाई पूरी हो सके।
एकांश जब शाम को वापस आता है तो वर्षा जी उससे शरण्या का कॉलेज में एडमिशन करवाने के लिए कहती है।
एकांश शरण्या का एडमिशन गाजियाबाद के एक अच्छे कॉलेज में करवा देता है।
शरण्या पहले दिन थोड़ी अनकंफर्टेबल फील कर रही थी इतने बड़े कालेज में।
1महीने बाद
शरण्या को अग्निहोत्री विला में रहते हुए 1महीने ही गए थे ,पर उसकी बातें एकांश से एक या दो बार हुई थी,क्योंकि शाम को एकांश के आने से पहले ही शरण्या खाना खाकर सोने जा चुकी होती थी
आज भी शरण्या खाना खाकर अपने कमरे मे किताबें लेकर पढ़ रही थी तभी उसकी नजर पानी के जग मे पड़ती है जो कि खाली था ,तो वह पानी लेने के लिए बाहर जाती है
तब ही उसकी नजर वर्षा जी पर जाती है जो डाइनिंग टेबल पर बैठी हुई थी
शरण्या उसने जाकर पूछती है आंटी आप यह क्यों बैठी है ,सोने क्यों नहीं गई अभी तक?
तो वर्षा जी उसे बताती है कि वह एकांश के लिए रुकी है ,वह रोज रात को उसे खाना खिलाकर ही सोती है ।
पर आज तबियत कुछ ठुक नहीं लग रही है ,।फिर वह शरण्या से कहती है तुम बाहर क्यों आई थी कमरे से कुछ कम था क्या?
तो शरण्या कहती है ,की पानी खत्म ही गया था वहीं लेने आई थी।
पत्र वर्षा जी की हालत देखकर वह उनसे कहती है कि वह जाकर अपने कमरे मे आराम करे। वह एकांश को खाना खिला देगी। वर्षा जी पहले तो नहीं मानती प्री शरण्या के बार बार कहने पर उसे आग सब समझकर अपने कमरे मे सोने के लिए चली जाती है।
वर्षा जी के जाने बाद , शरण्या वही डाइनिंग टेबल पर बुक लेकर पढ़ने के लिए बैठ जाती हैं और एकांश का इंतजार करने लग जाती है ।
पढ़ते पढ़ते उसकी आंख लग जाती है और वह भी सिर रख कर सो जाती है.....
एकांश जब वापस आता है तब उसकी नजर डाइनिंग टेबल पर बैठी शरण्या पर जाती है जो कि सो रही थी और उसकी बुक वहीं भी खुली पड़ी थी , एकांश उसके पास जाता है और उसकी बुक बंद के एक साइड रख देता है ।तभी उसकी नजर शरण्या पर जाती है , तो एक पल के लिए वो उसे देखता ही रह जाता है तभी वह महसूस करता है कि शरण्या के बाल उसके चेहरे पर आ रहे है जिससे वह परेशान हो रही थी...........
एकांश उसके बालों को पीछे करने के लिए हाथ उठाता है तभी शरण्या की नींद खुल जाती है, शरण्या एकांश को अपने इतने नजदीक देख कर थोड़ा घबरा जाती है और वह उठकर थोड़ा पीछे होकर खड़ी हो जाती है .............
उसकी इस हरकत पर एकांश के चेहरे पर एक मुस्कान आ कर गुजर जाती है ,जिसकी खबर शायद अभी एकांश को भी नहीं थी.....
दोनों के बीच की असहजता को कम करने के लिए एकांश शरण्या से पूछता है वह यहां क्यों सो रही थी?
शरण्या उसे बताती है कि वर्षा जी की तबियत आज ठीक नहीं थी , इसलिए वह उनकी जगह आज एकांश का वेट कर रही थी।
इसके बाद एकांश शरण्या को खाने लगाने के लिए कहकर फ्रेश होने के लिए चला जाता हैं। एकांश के जाने के बाद शरण्या खाना गरम करने के लिए किचन में चली जाती है।
एकांश जब वापस आता है तो देखता हैं कि शरण्या खाना लगा रही थी। खाना खाने के बाद एकांश शरण्या से कॉफी के लिए बोलकर अपने कमरे में चला जाता है,............
शरण्या काम खत्म करके एक कप में काफी लेकर एकांश के कमरे की ओर बढ़ जाती है ,।
शरण्या काफी देकर वापस अपने कमरे मे सोने के लिए चली जाती हैं,......
एकांश कप उठाकर काफी पीता है तो उसे पता चलता हैं कि शरण्या ने उसकी कॉफी में शुगर डाली हैं,।
अगली सुबह,अग्निहोत्री विला
आज संडे था तो आज शरण्या की भी कॉलेज की छुट्टी थी, इसलिए वह थोड़ा दरवाजे उठती हैं,....
वह नहाकर आतीहैं , शरण्या ने आज पिंक कुर्ती के साथ व्हाइट प्लाजो पहना हुआ था,इसके साथ ही उसने कानों में छोटी छोटी सिल्वर ईयरिंग पहने थे,वह ज्यादा मेकअप नहीं करती थी उसने बस आंखों में काजल लगाया और माथे में एक छोटी सी बिंदी।,वह पूजा करने के लिए मंदिर की ओर चली जाती हैं।पूजा करके वह वर्षा जी को आरती देती हैं...........
तभी वर्षा जी शरण्या को काफी का मग पकड़ाते हुए खेती हैं कि वह जाकर एकांश को दे कर आए ।
शरण्या वर्षा जी की बात सुनकर, काफी का माह लेकर एकांश के कमरे के बाहर जाकर खड़ी हो जाती है ,काफी हिम्मत जुटाने के बाद वह एकांश के कमरे का दरवाजा खटखटाती है ,तभी अंदर से एकांश कहता है ,"आ जाओ।"
एकांश की बात सुनकर शरण्या कमरे के अंदर जाती है ,तभी उसके नजर एकांश पर जाती है,जो कमरे में बनी बालकनी में जाती है जहां एकांश एक्सरसाइज कर रहा था, शरण्या एकांश को देखती है तो देखती ही रह जाती है , शरण्या अभी एकांश को देख ही रही थी तभी एकांश को अपने ऊपर किसी की नजरे महसूस होती है जब वह पलटकर देखता है तो उसे शरण्या दिखाई देती है ,वह धीरे धीरे चलकर शरण्या के पास आ जाता है.........और शरण्या से पूछता है क्या हुआ?
शरण्या एकांश को अपने इतने करीब देखकर हड़बड़ा जाती है और अटकते अटकते कहती है, हम...... वो..। हम आपको काफी देने आए थे । इतना कहकर वह जल्दी से एकांश के कमरे से बाहर आ जाती है......
शरण्या अपने दिल की जगह पर हाथ रखकर कहती हैं हमें कैसे पता नहीं चला कि वो हमारे इतने करीब आ गए ,पता नहीं एकांश जी हमारे बारे मे क्या सोच रहेंगे,हम कैसे बेशर्मों की तरह उन्हें घूर रहे थे, शरण्या ऐसे ही खुद से बात करते करते डाइनिंग टेबल के पास आ जाती हैं।
शरण्या को यू खुद से बातें करता देख वर्षा जी शरण्या से पूछती हैं,"क्या हुआ बेटा,कोई परेशानी है क्या?"
शरण्या उनसे कहती हैं,नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है।
वहीं अपने कमरे मे एकांश, फ्रेश होकर बाहर आता है और तैयार होने लगता है,आज उसके चेहरे पर न दिखने वाली स्माइल थी,जिसकी खबर शायद एकांश को नहीं थी ,या थी ।
थोड़ी देर बाद एकांश तैयार होकर नीचे आता है,आज उसने फॉर्मल्स की जगह नार्मल टी शर्ट और कार्गो पैंट्स पहन रखे थे , क्योंकि आज उसे ऑफिस नहीं जाना था,आज वह घर पर ही रहने वाला था...........
तीनों बैठकर ब्रेकफास्ट करते है..........
आशा करती हु की आपको मेरी कहनी पसंद आएगी.....
दिल्लगी - एक खूबसूरत एहसास।।।।
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thank you