शिवन्या जिंदल जो जिंदल परिवार की गोद ली हुई बेटी थी। जो 22 साल की बेहद ही खूबसूरत थी। वहीं दूसरी तरफ अभ्यंत प्रताप सिंह राठौर जो था राजस्थान का हुकुम सा और साथ ही एशिया का सबसे पावरफुल इंसान इसके आगे कोई भी कुछ भी बोलने से पहले हजार बार सोचे। जो किस... शिवन्या जिंदल जो जिंदल परिवार की गोद ली हुई बेटी थी। जो 22 साल की बेहद ही खूबसूरत थी। वहीं दूसरी तरफ अभ्यंत प्रताप सिंह राठौर जो था राजस्थान का हुकुम सा और साथ ही एशिया का सबसे पावरफुल इंसान इसके आगे कोई भी कुछ भी बोलने से पहले हजार बार सोचे। जो किसी को भी एक ही झटके में बर्बाद कर दे। लेकिन शिवन्या और अभ्यंत एक दूसरे से बिल्कुल अनजान थे लेकिन जब से अभ्यंत ने शिवन्या को देखा था तब से वह शिवन्या के लिए पागल हो चुका था वह शिवन्या को पागलों की तरह प्यार करने लगा था। शिवन्या उसके लिए सब कुछ बन चुकी थी। कैसी होगी शिवन्या और अभ्यंत की लव स्टोरी ?? क्या शिवन्या अपनी असली पहचान के बारे में पहले से जानती है ??
अभ्यंत प्रताप सिंह राठौर
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शिवन्या जिंदल
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मुंबई ब्लू स्काई होटल
होटल के एक लग्जरियस कमरे के अंदर एक लड़की सो रही थी धीरे धीरे से उस के चेहरे पर सूरज की रोशनी पढ़ने लगी जिस वजह से उस की नींद धीरे धीरे टूटने लगी। वह जैसे ही नींद से उठी वैसे ही वह खुद को एक होटल रूम में पाकर काफी ज्यादा हैरान रह गई।
वह लड़की देखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी। 22 साल की यह लड़की जिंदल परिवार की बेटी थी जिस का नाम शिवन्या जिंदल थी। शिवन्या इतनी ज्यादा खूबसूरत थी कि उसे देख कर कोई भी लड़का उस के लिए दीवाना हो जाए।
उस के सिर में काफी ज्यादा दर्द होने लगा जिस वजह से वह अपने सर को पकड़ कर बैठ गई थोड़ी ही देर में वह अचानक अपने कपड़ों को देखने लगी जब उसने अपने कपड़े सही सलामत देखे तो वह एक सुकून की सांस लेने लगी।
फिर अचानक ही वह बेड से उतरी और फटाफट होटल से बाहर निकाल कर अपने घर की तरफ जाने लगी। कुछ ही देर बाद वह अपने घर के सामने खड़ी थी घर के अंदर जाने से पहले वह एक गहरी सांस लेने लगी।
जैसे ही वह घर के अंदर गई वैसे ही एक औरत की आवाज आई, "आ गई महारानी देखो पूरी रात घर से बाहर थी पता नहीं किसके साथ मुंह काला कर रही थी और अब सुबह सुबह यह घर वापस आ गए अरे जिस के साथ मुंह काला कर रही थी उसी के साथ उस के घर क्यों नहीं चली गई यहां आकर इस परिवार की बदनामी करने की जरूरत ही क्या है।"
औरत की बात सुनते ही वह लड़की अपनी सफाई में जवाब देते हुए बोली, "बुआ जी आप गलत समझ रही है आप जैसा सोच रही है वैसा कुछ भी नहीं हुआ है।"
तभी पीछे से एक लड़की आई और वह बोली, "तो तुम मेरी मां को गलत साबित करना चाहती हो इसका मतलब तो तुम सही हो और हमेशा तुम सबके सामने खुद को सही साबित कर देती हो पर आज कैसे करोगी आज तो तुमने खुद ही इतनी बड़ी गलती कर दी है।"
अपने सामने खड़ी लड़की को देखते ही शिवन्या बोली, "श्रेया तुम गलत समझ रही हो मैं किसी को गलत साबित नहीं करना चाहती और ना ही मैं करने की कोशिश कर रही हूं मैं तो बस यह कह रही हूं कि बुआ जी जैसा समझ रही है वैसा कुछ नहीं है।"
तभी श्रेया गुस्से में बौखलाते हुए बोली, "अच्छा तो तुम कह रही हो कि तुम गलत नहीं हो लेकिन मैं खुद तुम्हें अपनी आंखों से किसी लड़के के रूम में कल रात को जाते हुए देखा है वह भी किसी प्राइवेट रूम में इस का में क्या मतलब समझो।"
श्रेया की बात सुन कर शिवन्या थोड़ी सी हैरान हो गई लेकिन तभी पीछे से एक लड़का आया और वह बोला, "इसका मतलब जिसने कल शिवन्या को ड्रग दिया था वह तुम हो क्योंकि होटल के स्टाफ ने कहा था जिसने शिवन्या को ड्रग दिया है वही शिवन्या को उसे होटल रूम में लेकर गया है अगर तुमने खुद अपनी आंखों से देखा है तो इसका मतलब वह लड़की तुम ही हो।"
पीछे से जो लड़का आया था वह जिंदल परिवार का सबसे छोटा बेटा यश जिंदल था यश ने जैसे ही अपनी बात खत्म की तभी पीछे से और दो लड़का आ गया जिन में से प्रतीक जिंदल जो जिंदल परिवार का बड़ा बेटा और दूसरा अमूल्य जिंदल जो जिंदल परिवार का दूसरा बेटा था।
तभी श्रेया की मां कल्याणी जिंदल ने कहा, "यश तुम अपनी बहन श्रेया पर इतना बड़ा इंसान लग रहे हो वह भी इस लड़की के लिए तुम शायद भूल रहे हो यश की इस लड़की को तुम्हारे पापा सड़क से उठा कर लेकर आए थे पर श्रेया वह तुम्हारी सच की बहन है।"
कल्याणी जिंदल की बात सुनते ही अचानक प्रतीक ने कहा, "मैंने आप को पहले भी कहा है बुआ जी और आज भी मैं दोबारा कह रहा हूं शिवन्या इस परिवार की बेटी है और वह जिंदगी भर इसी परिवार की बेटी रहेगी तो आप यह बात अपने दिमाग में बैठा लीजिए।"
कल्याणी जी ने जैसे ही प्रतीक की बातों को सुना वह ऐसी एक्टिंग करने लगी जैसे प्रतीक ने न जाने उन्हें क्या कुछ नहीं सुना दिया है तभी वहां पर कल्याणी जी के पिता और जिंदल परिवार के सबसे बड़े महेश जिंदल पहुंचे।
जिन्हें देखते ही कल्याणी जी ने रोने की एक्टिंग करते हुए कहा, "देखिए ना पापा जी इस दो टके की लड़की की वजह से प्रतीक मुझे क्या कुछ नहीं सुन रहा है। क्या यह मेरा घर नहीं है जहां पर मैंने बस दो बातें इस लड़की को इस की भलाई के लिए सुनाई तो यह सब लोग मुझ पर तो ऐसे टूट पड़े की न जाने मैंने उसे क्या कुछ नहीं सुना दिया।"
महेश जी ने प्रतीक को एक नजर देखा और फिर कल्याणी जी को भी देखने लगी पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा बल्कि वह अच्छे से सोफे पर बैठ गए। जिसे देख कर अमूल्य ने कहा, "आप को पता है दादाजी कल रात से आने क्या क्या है ?"
इसके आगे अमूल्य कुछ बोलना तभी श्रेया ने कहा, "नानाजी यह सब लोग जो भी कह रहे हैं वह सब कुछ झूठ है मैंने शिवन्या को कोई ड्रग नहीं दिया है। और ना ही मैंने उस के लिए किसी को अरेंज किया कि उस के साथ नाइट स्पेंड करें।"
श्रेया की बात सुनते ही हर कोई श्रेया की तरफ ऐसे देखने लगे जैसे श्रेया का झूठा खुद-ब-खुद ही पकड़ा गया था। किसी ने भी अब तक यह नहीं कहा था कि श्रेया ने शिवन्या की जिंदगी बर्बाद करने के लिए यह सब कुछ प्लानिंग किया था लेकिन श्रेया ने खुद ही अपनी मुंह से सब कुछ बता दिया।
तभी वहां पर महेश जी के दोनों बेटे पहुंचे उन में से बड़े बेटे कपिल जिंदल ने कहा, "इस का मतलब तुमने मेरी बेटी की जिंदगी पर बात करने का सारा इंतजाम कल रात को कर दिया था वह तो अच्छा हुआ उसे कमरे में जो था वह हम सबको जानते थे वरना ना जाने कल हमारी बेटी शिवन्या के साथ क्या हो जाता।"
कपिल जी की बात सुनते ही कपिल जी के छोटे भाई अरुण जिंदल ने कहा, "भाई साहब आपने बिल्कुल सही कहा ना जाने कल हमारी शिवन्या के साथ क्या हो जाता। वह तो सही वक्त पर उसने मुझे कॉल कर दिया और उसने कहा था कि वह शिवन्या का ध्यान रख लेगा। इसलिए मैंने भी ज्यादा फिक्र नहीं की और आज सुबह आप सबको सब कुछ बता दिया।"
अरुण जी की बात सुन कर सब लोग श्रेया को देखने लगे तभी श्रेया एक गुस्से में कहा, "हां मैंने नहीं इस लड़की के साथ वह सब कुछ किया था क्योंकि आप सब लोग तो भूल ही चुके हैं कि मैं भी इस घर में हूं कोई मुझ पर कभी ध्यान ही नहीं देता बस हर किसी की जुबान में एक ही नाम होता है और वह है शिवन्या। पता नहीं कहां से आई है किस का घटिया खून है इसके बारे में इसे खुद ही नहीं पता और इस परिवार की लाडली बेटी बनकर बैठी है।"
श्रेया इसके आगे कुछ बोलती तभी एक जोरदार थप्पड़ की आवाज गूंजी थप्पड़ की आवाज सुनते ही हर कोई श्रेया के तरफ देखने लगे क्योंकि श्रेया को किसी और ने नहीं बल्कि कपिल जी की पत्नी वैदेही जिंदल ने थप्पड़ मारा था जिस की आवाज पूरे घर में गूंज उठी।
कौन था जिसने शिवन्या की जान बचाई थी ?? अगर शिवन्या जिंदल परिवार की बेटी नहीं है तो उस का असली परिवार कहां है और वह अपने असली परिवार से कभी मिल पाएगी ??
जैसे ही सब लोगों ने वैदेही जिंदल को देखा हर कोई हैरानी से वैदेही जिंदल को देखने लगे किसी ने सोचा नहीं था कि वैदेही जी अचानक श्रेया को थप्पड़ मार देगी तभी वैदेही जी ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "आज बोल दिया अगर आगे से तुमने मेरी बेटी के खिलाफ कुछ भी कहा तो मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगी। और भूलो मत तुम्हारी मां की करतू तो की वजह से तुम्हारे पापा ने तुम्हें और तुम्हारी मां को छोड़ दिया है।"
इसके आगे कुछ भी बोलने से वैदेही जी ने खुद को रोक दिया क्योंकि वह जानती थी अगर इसके आगे और कुछ बोलेगी तो शायद रिश्ते में दरार आ सकते हैं इसलिए वह खामोश हो गई तभी अरुण जी की पत्नी ज्योति जी ने कहा, "भाभी शांत हो जाइए आप चलिए हमारे साथ और शिवन्या बेटा तुम भी अपने रूम में जाकर फ्रेश हो जाओ मैं तुम्हारा नाश्ता तुम्हारे रूम में ही भिजवा देता हूं।"
ज्योति जी की बात सुन कर शिवन्या तुरंत ही अपने कमरे में चली गई क्योंकि वह जानती थी अगर थोड़ी देर वह और वहां पर रही तो न जाने वहां पर क्या हो जाएगा वह अपने रूम में जाने के बाद वॉशरूम के अंदर जाकर फ्रेश होने लगी कुछ देर बाद वह अपने कमरे में आकर बेड पर आराम से बैठ गई।
नशे की वजह से शिवन्या को याद नहीं था कि किसने शिवन्या की जान बचाई थी। लेकिन वह बहुत याद करने की कोशिश करने लगी तभी अचानक उसे याद आया।
फ्लैशबैक
रात में वह लड़खड़ाती हुई जिस रूम में पार्टी कर रही थी उसे रूम से बाहर निकाल कर एक दूसरे प्राइवेट रूम के अंदर चली गई प्राइवेट रूम के अंदर एक लड़का था। जो रूम में अपने कपड़े चेंज कर रहा था नशे की वजह से शिवन्या खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी और वह अचानक ही उसे लड़के को पीछे से पकड़ लेती है।
यह देख कर वह लड़का एक बार के लिए हैरान रह गया और वह अचानक ही शिवन्या को अपनी बाहों में भर लेता है रूम में डिम लाइट लगी हुई थी जिस वजह से पहले उसे लड़के ने शिवन्या के चेहरे को नहीं देखा यहां तक की शिवन्या के बाल भी उस के चेहरे पर बिखरे हुए थे शिवन्या के बालों को हटाते ही उसे लड़के के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए क्योंकि वह शिवन्या को पहचान चुका था।
लेकिन वह लड़का कुछ और समझ पाता यह सोच पाता इससे पहले ही शिवन्या ने अचानक उस की होठों पर अपनी होंठ रख दिए। शिवन्या के गुलाब जैसी पंखुड़ी हॉट अपने होठों पर महसूस करते ही वह लड़का थोड़ा पागल सा हो गया और वह खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और दोनों ही एक दूसरे को पैशनेटली एक दूसरे को किस करने लगी।
करीब 10 मिनट तक एक दूसरे को किस करने के बाद वह लड़का संभल गया और शिवन्या को अपने से दूर करके उसे बेड पर लेट देता है तब तक शिवन्या गहरी नींद में सो चुकी थी। शिवन्या ने उसे लड़के की होठों पर बाइट भी कर लिया था जिस वजह से उसके होंठों से खून निकल रहा था।
और वह अपने खून को साफ करने के बाद शिवन्या के करीब जाकर उसके चेहरे पर अपनी उंगली को रब करते हुए बोला, "तुम गलत इंसान से उलझ रही हो छोटी बच्ची उम्मीद करुंगा दोबारा तुम ऐसा कभी कुछ नहीं करोगी और अगर तुमने दोबारा ऐसा कुछ किया तो फिर तुम्हें जिंदगी भर मुझे बर्दाश्त करना पड़ेगा जो तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा।"
इतना बोल कर वह उठ गया और वहां से तुरंत चला गया। लेकिन जाने से पहले वह रूम को अच्छे से देखने लगा और बाहर से रूम लॉक करके चला गया।
फ्लैशबैक एंड
रात में हुई हर एक बात याद आने के बाद शिवन्या अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से छुपा लेती है क्योंकि उसे बहुत ही ज्यादा शर्म आ रही थी क्योंकि उसने आज से पहले कभी किसी के साथ भी ऐसा कुछ नहीं किया था वह खुद के सिर पर ही मारते हुए बोली, "पागल लड़की तेरा कभी कुछ नहीं हो सकता। अभय सही कहता है किसी दिन तो खुद को ही किसी के हाथों कैद करवा लेगी।"
इतना कहते ही शिवन्या को अचानक अभय का ख्याल आता है और वह तुरंत ही तैयार होकर रूम के बाहर दौड़ने लगते हैं जैसे ही वह रूम के बाहर दौड़ कर जाती है तभी अचानक वह कल्याणी जी से टकरा जाती है शिवन्या के टकराने की वजह से कल्याणी जी नीचे गिर जाती है यह देख कर शिवन्या कल्याणी जी से माफी मांगते हुए बोली, "बुआ जी मुझे माफ कर दीजिए मैं आप को आते हुए देखा नहीं।"
सुबह का गुस्सा अभी बाकी था इसलिए कल्याणी की शिवन्या के ऊपर चिल्लाते हुए बोली, "क्या तुम मुझसे इतनी नफरत करती हो कि तुम मुझे जान से मारने की कोशिश करोगी अंधी लड़की कभी तो देख कर दौड़ा करो।"
इतना कह कर कल्याणी जी अपनी कमर को सीधा करने की कोशिश करते हुए उठने लगी यह देख कर शिवन्या का मुंह बन गया लेकिन उसने कुछ कहा नहीं तभी कल्याणी की खड़ी होकर शिवन्या को देखते हुए बोली, "अब किसको रिझाने के लिए बाहर जा रही हो वैसे बता दो लंच टाइम पर मेहमान आने वाले हैं तो तब तक घर वापस आ जाना वैसे नहीं भी आओगी तो चलेगा।"
इतना कहते हुए कल्याणी जी वहां से चली गई कल्याणी जी के वहां से जाने के बाद शिवन्या खुद से ही बोली, "समझ नहीं आता इन को मुझे प्रॉब्लम क्या है जब से इस घर में आई है तब से बस मेरे ही पीछे पड़ी हुई है ऐसा लग रहा है जैसे वह मुझ से अपनी पर्सनल दुश्मनी निभा रही है।"
इतना बोलकर शिवन्या खुद को शांत करने लगी और फिर वह नीचे चली गई नीचे जाने के बाद शिवन्या प्रतीक को देखते हुए बोली, "भाई मैं बाहर जा रही हूं अगर जल्दी घर आ पाए तो मैं लंच टाइम तक आ जाऊंगी और अगर नहीं आ पाई तो प्लीज आप बुआ जी को संभाल लीजिएगा।"
तभी पीछे से यश आते हुए बोला, "उन्हें तो खुद भगवान भी नहीं संभाल सकते हम तो सिर्फ दुष्ट प्राणी है।"
यश की बात सुन कर शिवन्या हस देती है शिवन्या को हंसते हुए देखा यश कहता है, "अरे ऐसा मत करो अगर चुड़ैल ने देख लिया तो तुम्हारे हंसने पर भी आकर ताना मार के चली जाएगी।" इतना बोल कर वह कल्याणी जी की एक्टिंग करते हुए बोला, "भैया देखो यह लड़की मुझ पर हंस रही है मुझे पता है मेरे पति के छोड़ने के बाद में इस घर में परी हूं इसीलिए इस घर में कोई मेरी इज्जत नहीं करता पर आप लोग फिक्र ना करें मैं बहुत जल्द यहां से चली जाऊंगी।"
इतना बोल कर यश प्रतीक और शिवन्या दोनों को देखा है फिर वह वापस से कहता है, "लेकिन कमबख्त वह दिन नहीं आता जिस दिन हमारी चुड़ैल बुआ जी सच में घर छोड़ कर जाए।"
यश की बात सुन कर प्रतीक और शिवन्या दोनों ही एक दूसरे को देखने लगते हैं उन दोनों को पता था कि अगर यश की यह सारी एक्टिंग और बातें बुआ जी ने सुन ली तो फिर घर में तो तूफान ही आ जाएगा इसलिए प्रतीक और शिवन्या दोनों ही यश के मुंह पर हाथ रखकर उसे घर से बाहर लेकर जाने लगी यह देखकर अमूल्य भी उन तीनों के पीछे-पीछे जाने लगा क्योंकि वह जान चुका था कि जरूर यश ने कोई बेवकूफी वाली बातें कहीं होगी।
घर से बाहर आने के बाद प्रतीक यश से बोलता है, "यश कुछ भी बोलने से पहले अच्छे से देख लिया करो अगर बुआ जी और श्रेया ने तुम्हारी बात सुन लिया तो घर में तूफान आ जाएगा और वैसे भी आज मेहमान आने वाले हैं अगर तुम्हारी बात सुन लिया होता तो फिर मेहमान आने से पहले तूफान आ जाता।"
प्रतीक की बातों को सुन कर यश प्रतीक के तरफ मुंह बना कर देखने लगा यह देख कर शिवन्या ने कहा, "भाई मुझे पता है आप तीनों ही मुझे अपनी सगी बहन मानते हो पर बुआ जी की कही हुई कुछ बातें सच ही तो है।"
शिवन्या ने बस इतना ही कहा था प्रतीक अमूल्य और यश तीनों ही शिवन्या को ऐसे देखने लगे जैसे अभी के अभी शिवन्या की ऐसी पिटाई करेंगे की शिवन्या दोबारा इसके आगे कुछ बोलने की हिम्मत ही नहीं करेगी यह देख कर शिवन्या ने सच में आगे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं की।
इसके बाद शिवन्या अचानक बोली, "अच्छा भाई मैं चलती हूं मुझे काम है आप की बकवास की वजह से मैं भूल ही गई कि मैं क्या करने के लिए आई थी अब चलो में चलती हूं।"
कौन आने वाला था जिंदल विला में ?? कौन था अभय ?? क्या रिश्ता था अभय का शिवन्या के साथ ??
शिवन्या के वहां से जाने के बाद प्रतीक अमूल्य और यश तीनों ही वापस घर के अंदर चले गए। वहीं दूसरी तरफ शिवन्या अभय से मिलने के लिए एक सीक्रेट प्लेस पर आई थी इसके बारे में शिवन्या के अलावा सिर्फ उस के कुछ खास लोगों को ही पता था जैसे ही वह अंदर पहुंची अभय ने कहा, "मुझे लगा आज तुम आने ही नहीं वाली हो।"
अभय की बात सुन कर शिवन्या अभय को देखने लगी और फिर एक इविल स्माइल के साथ बोली, "और तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया कि मैं यहां पर नहीं आऊंगी।"
इतना बोल कर वह सोफे पर जाकर बैठ गई शिवन्या के सोफे पर बैठते ही वहां पर एक और लड़का आया जिस का नाम वंश था और वह बोला, "क्या तुम दोनों को पता है हम तीनों ही बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ने वाले हैं।"
वंश की बात सुनते ही अभय मजाकिया अंदाज में बोला, "मुसीबत की इतनी हिम्मत कि हम जैसे तूफानों की जिंदगी में आने की कोशिश करें लगता है मुसीबत को अपनी जिंदगी की थोड़ी सी भी फिक्र नहीं है इसलिए तो वह हमारी जिंदगी में आने की गलती कर रहा है।"
अभय की बात सुन कर वंश अभय को घूर कर देखने लगा जिसे देख कर अभय ने कहा, "ठीक है यार मजाक ही तो किया है मैंने इसके लिए तुझे मुझे ऐसे घूरने की जरूरत नहीं है वैसे मैं बस तुम दोनों को रिलैक्स करने की कोशिश कर रहा था पर तुम दोनों को तुम मजाक समझ में ही नहीं आता।"
वंश ने अभय के तरफ देख कर थोड़ी सख्त आवाज नहीं बोला, "मजाक की एक हद होती है अभय और हम जिस सिचुएशन में फिलहाल है वहां मजाक की कोई जगह नहीं है। भूल मत हम सब लोग एक साथ किस मकसद से आए थे।"
वंश की बातों को सुन कर अभय की आंखों के सामने कुछ विजुअल आने लगी। जिसे याद करने के बाद अभय के चेहरे के एक्सप्रेशन अचानक बदल गए और वह सीरियस एक्सप्रेशन के साथ बोला, "मैं कभी कुछ नहीं भूल सकता क्योंकि कभी मुझे कोई भूल नहीं देता ही नहीं है। मैं जानता हूं अतीत में जो कुछ भी हुआ उसे हम बदल नहीं सकते लेकिन अतीत की बातों को लेकर अगर हम अभी भी बैठे रहेंगे तो फिर हम जिंदगी में कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे।"
इतना बोल कर अभय अचानक वहां से उठकर जाने लगा। अभय के वहां से जाने के बाद वंश शिवन्या को देखते हुए बोला, "क्या तुम्हें लगता है कि मैं अभय को कुछ ज्यादा ही बोल दिया है ?"
शिवन्या ने वंश के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "हां," इतना बोल कर शिवन्या वंश को समझने की कोशिश करते हुए बोली, "मुझे पता है वंश हम तीनों की जिंदगी की कहानी बिल्कुल एक जैसी है लेकिन अभय की बातें सही है हमारे अतीत में जो कुछ भी हो चुका है उसे हम बदल नहीं सकते। और अगर हम अतीत की बातों को लेकर जिंदगी भर बैठ रहे तो फिर हम सच में जिंदगी में कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे।"
वंश शिवन्या को देखने लगा। शिवन्या से कुछ बोलना तभी शिवन्या ने आगे कहा, "जो कुछ भी हुआ हम उसे बदल नहीं सकते लेकिन हम हमारे अपनों को इंसाफ जरूर दिला सकते हैं और यह लड़ाई बदले की नहीं है बल्कि इंसाफ की लड़ाई है।"
शिवन्या इतना बोल कर वहां से उठ कर चली गई शिवन्या के वहां से जाते ही वंश एक गहरी सांस लेते हुए बोला, "मुझे अच्छे से पता है तुम दोनों बस मुझे रिलैक्स करवाने की कोशिश कर रहे हो पर मैं ये अच्छे से जानता हूं कि अंदर से तुम दोनों ही मेरी ही तरह बदले की आग में जल रहे हो। ये इंसाफ की लड़ाई नहीं है और यह बात मुझ से बेहतर कोई नहीं जान सकता।"
वहीं दूसरी तरफ,
जिंदल फैमिली के सारे लोग अपने आने वाले मेहमान के लिए बहुत ही ज्यादा तैयारी कर रहे थे तभी दरवाजे पर दस्तक हुई जिसे सुनते ही कपिल जी दरवाजा खोलने के लिए जाने लगी उन के सामने एक लड़का खड़ा था।
जिसे देख कर कपिल जी ने कहा, "आओ अभ्यंत हम सब तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे बहुत वक्त बात तुम यहां पर हम सब से मिलने के लिए आए हो।"
कपिल जी की बात सुनते ही अभ्यंत ने कहा, "बहुत वक्त बात नहीं सालों बाद मुझे यहां आए हुए काफी साल हो गए।"
कपिल जी अभ्यंत को अंदर ले जाने लगे। अंदर जाने के बाद अभ्यंत की नजरे किसी को ढूंढ रही थी पर उसे वहां पर कोई नजर नहीं आ रहा था।
इसलिए वह अचानक पूछने लगा, "इस घर के सारे बच्चे कहां पर हैं ?"
अभ्यंत के सवाल का कोई जवाब देता तभी वहां पर प्रतीक अमूल्य और यश पहुंचे उन तीनों को देखते ही अभ्यंत के आंखों के एक्सप्रेशन में थोड़े से बदलाव आए।
तभी प्रतीक ने कहा, "हाय अभ्यंत काफी सालों बाद तुमसे मिलकर काफी खुश हूं।"
अभ्यंत प्रतीक की बात सुन कर बोला, "मैं भी तुमसे मिल कर काफी खुश हूं वैसे तुम्हारी बहन कहां पर है वह नजर नहीं आ रही है।"
तभी वहां पर शिवन्या दौड़ते हुए आई और वह बोली, "मैं यहां पर हूं।"
शिवन्या को देखते ही अभ्यंत के आंखों के एक्सप्रेशन बदल गए और वह एक स्माइल के साथ बोला, "फाइनली तुमसे दोबारा मुलाकात हो गई।"
अभ्यंत को देखने के बाद शिवन्या कुछ सोचने लगी तभी उसे याद आया कि वह अभ्यंत से कहां पर मिली थी याद आते ही वह कपिल जी के पीछे जाकर छुपाने लगी।
यह देख कर कपिल जी ने कहा, "अरे बेटा वह तुम्हें का नहीं जाएगा वैसे तुम्हें तो उसे थैंक यू बोलना चाहिए उसने तुम्हारी जान बचाई है।"
कपिल जी की बात सुन कर अभ्यंत ने एक इविल स्माइल के साथ कहा, "उसे मुझे थैंक यू बोलने की जरूरत नहीं है बल्कि उसने तो मुझे एक बहुत ही स्पेशल गिफ्ट दे दिया।"
प्रतीक और बाकी सब लोग कंफ्यूज होकर अभ्यंत और शिवन्या दोनों को ही देखने लगे जिसे देख कर शिवन्या अजीब निगाहों से अभ्यंत को ही देखने लगी।
दोनों की नजरों को देख कर प्रतीक को समझ में आ चुका था कि उसे रात दोनों के बीच में कुछ ना कुछ तो जरूर हुआ है इसीलिए वह बात बदलने की कोशिश करते हुए बोला, "अच्छा अभी के लिए यह सारी बातें छोड़ते हैं तुम चलो तुम्हारे लिए मॉम नहीं काफी स्पेशल चीजें तैयार करवाई है।"
प्रतीक की बात सुन कर सब लोग सोफे पर बैठ कर एक दूसरे के साथ बातें करने लगे और साथ में कॉफी भी पीने लगे।
आगे क्या होगा जाने नेक्स्ट चैप्टर में
कुछ टाइम बाद
शिवन्या अपने रूम में कुछ काम कर रही थी। तभी शिवन्या के कमरे के दरवाजे पर कोई खटखटाना लगा जिसकी आवाज सुनते ही शिवन्या दरवाजा खोलने के लिए गई तो दरवाजे पर अभ्यंत खड़ा हुआ था जिसे देखते ही एक पल के लिए शिवन्या के चेहरे के एक्सप्रेशन पूरी तरह से बदल गए।
अभ्यंत बिना कुछ कहे ही शिवन्या के कमरे के अंदर चला गया पूरे कमरे को ध्यान से देखने के बाद वह शिवन्या से बोला, "मुझे भी मेरा रूम बिल्कुल ऐसा तैयार करवाना पड़ेगा।"
अभ्यंत की बातों का मतलब शिवन्या को समझ में नहीं आया किस वजह से वह बोली, "जी।" अभ्यंत शिवन्या की बात सुन कर उसे देखने लगा।
फिर एक इविल स्माइल के साथ बोला, "मेरे कहने का मतलब यह है कि मुझे भी मेरा कमरा बिल्कुल तुम्हारे कमरे जैसा बनना होगा तभी तो तुम मेरे कमरे में रहना पसंद करोगी।"
शिवन्या को अभी भी अभ्यंत की बातों का मतलब बिल्कुल भी समझ में नहीं आया जिस वजह से वह अभ्यंत को देखते हुए पूछने लगी, "आप के कहने का मतलब मुझे अभी भी समझ में नहीं आया। आप कहना क्या चाहते हैं मैं आप के कमरे में क्यों रहूंगी ?"
शिवन्या के मासूम से चेहरे को देखा और शिवन्या के मासूम से सवाल को सुन अभ्यंत शिवन्या के थोड़ा करीब जाने लगा जिस वजह से शिवन्या पीछे के तरफ जाने लगी तभी अचानक शिवन्या दीवार से लग गई।
जिस वजह से शिवन्या के पास जाने के लिए कोई जगह ही नहीं बची। अभ्यंत शिवन्या के पूरी तरह से करीब आ गया दोनों इतने ज्यादा करीब थे कि दोनों को एक दूसरे की सांस महसूस होने लगी।
अभ्यंत के इस हरकत की वजह से शिवन्या की दिल की धड़कनें अचानक बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी। अभ्यंत शिवन्या के कानों के पास जाकर धीमी लेकिन सेडक्टिव वॉइस में बोला, "कल रात जो कुछ भी हम दोनों के बीच में हुआ उस के बाद क्या तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ दूंगा तुम्हें पता है मेरे पास कभी कोई लड़की नहीं आई। तुम पहली लड़की हो जो मेरे होठों तक पहुंच गए।"
अभ्यंत की सांस शिवन्या के कानों को छू रहे थे जिस वजह से शिवन्या के पूरे शरीर में एक सिहरन उठने लगी। वह अभ्यंत को अपने से दूर करना चाहती थी क्योंकि दरवाजा खुला हुआ था और कोई भी अचानक अंदर आ सकता था।
और अगर किसी ने उन दोनों को ऐसे एक दूसरे के इतने करीब देख लिया तो फिर आगे क्या होगा यह शिवन्या सोच कर ही डर गई थी।
इसीलिए शिवन्या अभ्यंत के सीने पर अपने हाथ को रख उसे अपने से दूर करने की कोशिश करने लगी। लेकिन शिवन्या के पास इतनी ताकत ही नहीं थी।
कि वह अभ्यंत को हिला भी सके जिसे देख कर अभ्यंत एक इविल स्माइल के साथ बोला, "क्या हुआ तुम्हें डर लग रहा है कि कहीं यहां पर कोई आना जाए फिक्र मत करो अगर कोई आप ही क्या तो कोई गलत नहीं समझेगा।"
इतना कहकर अचानक अभ्यंत शिवन्या के होठों पर अपनी उंगली को रब करने लगा यह देख कर शिवन्या और भी ज्यादा डर गई जिसे इतना ज्यादा डरता हुआ देख अभ्यंत ने अचानक शिवन्या के होठों पर अपने होंठ रख दिए।
शिवन्या कुछ समझ पाती या कुछ सोच पाती इससे पहले ही अभ्यंत शिवन्या से दूर हो गया और वह डेविल स्माइल के साथ शिवन्या को देखते हुए बोला, "यह तो बस शुरुआत है माय लिटिल गर्ल आगे अभी बहुत कुछ होना बाकी है।"
इतना बोल कर वह वहां से चला गया शिवन्या हैरानी से बस वहीं पर खड़ी रह गई शिवन्या को समझ नहीं आ रहा था कि अभी अभी उसके साथ हुआ किया।
अभ्यंत जैसे ही शिवन्या के कमरे से बाहर निकाला वैसे ही उसने अपने सामने श्रेया को दिखा श्रेया अभ्यंत को अपने सामने देख श्रेया काफी प्यार से बोली, "वैसे आप की मुलाकात तो मुझे हुई ही नहीं है मैं श्रेया हूं इस परिवार की इकलौती बेटी।"
इकलौती बेटी शब्द को सुनते ही अभ्यंत के चेहरे के एक्सप्रेशन अचानक बदल गए और वह बिना किसी भाव के साथ बोला, "इस परिवार की इकलौती बेटी शिवन्या से मैं मिल चुका हूं तुम इस परिवार की नातिन हो यह बात मुझे अच्छे से पता है।"
इतना बोल कर अभ्यंत वहां से चला गया जिसके बाद श्रेया का तो पोपट ही बन चुका था।
कुछ देर रहने के बाद अभ्यंत वहां से चला गया इसके वहां से जाने के बाद जिंदल फैमिली के सारे लोग एक दूसरे के साथ खुशी से बातें करने लगे।
तभी वहां पर शिवन्या आई शिवन्या अभ्यंत के वहां से जाने की वजह से नीचे आई थी क्योंकि अभ्यंत के रहते हुए वह उस का सामना नहीं करना चाहती थी क्योंकि कमरे में जो कुछ भी हुआ उस के बाद से शिवन्या को समझ में नहीं आ रहा था कि वह अभ्यंत के सामने कैसे आएगी।
जैसे ही शिवन्या बाहर आई वैसे ही कल्याणी जिंदल शिवन्या को देखते हुए बोली, "आ गई महारानी अरे पता था ना कि घर में मेहमान आए हुए हैं तो फिर उन के चाय पानी का इंतजाम करने के लिए ही नीचे आ जाती वैसे किसी को मुंह दिखाने के लायक तो हो नहीं पर फिर भी कम से कम नीचे आ ही जाती।"
कल्याणी जी की बातों को सुन यश अचानक बोला, "बुआ जी आप को हमारी बहन से प्रॉब्लम क्या है आप हमेशा उसे बातें क्यों सुनते रहती हैं।"
यश के सवाल को सुनते ही कल्याणी की बोली, "तुम्हें अच्छे से पता है मुझे इस लड़की से क्या प्रॉब्लम है और क्यों प्रॉब्लम है पैसे भी इस खानदान का खून भी नहीं है। फिर भी उसे इस खानदान का सब कुछ मिल रहा है।"
कल्याणी जी की बातों को सुन अब हर किसी को गुस्सा आने लगा तभी प्रतीक ने अचानक चिल्लाते हुए कहा, "बस कीजिए आप को बस शिवन्या को बातें सुनने के लिए मौका चाहिए वह मौका कोई नहीं भी देता है तब भी आप हर बात पर शिवन्या को ताना मारने के लिए तैयार बैठी रहती है। आप को एक बात समझ क्यों नहीं आता हमें इस बात से बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता की शिवन्या के अंदर किस का खून है। हमें फर्क पड़ता है तो सिर्फ शिवन्या के बिहेवियर से और शिवन्या की परवरिश इस परिवार ने की है भले ही वह इस परिवार का खून नहीं है लेकिन परवरिश जिंदल परिवार की देन है।"
प्रतीक को ऐसे चिल्लाता हुआ सन कल्याणी जी सब लोगों की तरफ देख कर रोने की एक्टिंग करते हुए बोली, "क्या बात है घटिया लड़की की वजह से इस घर के बच्चे मुझे बातें सुनाने लगे हैं भूलो मत कि मैं भी इस परिवार की बेटी हूं। इस घर में जितना तुम सब का हक है उतना ही मेरा भी हक है।"
कल्याणी जी की बातों को सुनने के बाद अचानक कपिल जी ने कहा, "किस हक की बात कर रही हो कल्याणी जब तुम्हारी शादी हुई थी तब तुमने जो मांगा हमने वह सब कुछ दिया। यहां तक की तुम्हारी शादी के बाद हमारी फैमिली की हालत कैसी हो गई थी यह बात तुम भी अच्छे से जानती हो।"
कपिल जी को काफी ज्यादा गुस्सा आ चुका था इसलिए वह कल्याणी जी को बात सुना रहे थे कपिल जी ने आगे कहा, "तुम्हारे पति के बिजनेस में हमने कितने पैसे लगाए लेकिन जब हमें तुम्हारी जरूरत पड़ी तब तुमने यह कह दिया था कि तुम्हारे पास पैसे नहीं है। लेकिन अगले ही दिन तुमने अपनी बेटी के लिए एक महंगा ड्रेस आर्डर किया जिसे दिखा कर हम सबको जल रही थी।"
कल्याणी जी कपिल जी की बातों को सुन कर काफी ज्यादा हैरान थे। आज तक कपिल जी ने कभी कुछ नहीं कहा लेकिन अब उन की भी बर्दाश्त की हद पार हो चुकी थी इसलिए वह कल्याणी जी को वह सारी बातें याद करवा रहे थे जो उन्होंने जिंदल फैमिली के साथ किया था।
आगे क्या होगा जाने नेक्स्ट चैप्टर में
कल्याणी जी आगे कुछ बोलते तभी कपिल जी ने कहा, "मेरी फैमिली की हालत तब सही होने लगी जब हमारी जिंदगी में शिवन्या आई शिवन्या के आने के बाद हमारी फैमिली उस मुकाम पर पहुंच गई जिस मुकाम पर हम पहुंचाना चाहते थे। शिवन्या हमारे लिए सबसे ज्यादा लकी साबित हुई।"
कपिल जी की बातों को सुन हर कोई बस कपिल जी को ही देख रहे थे आज तक कभी भी कपिल जी ने अपनी बहन से कुछ नहीं कहा था लेकिन आज पहली बार था जब कपिल जी अपनी बहन के ऊपर अपना गुस्सा उतार रहे थे।
तभी कपिल जी ने आगे फिर से कहा, "जब हमें तुम्हारी जरूरत पड़ी तब तुमने इस परिवार का कभी साथ नहीं दिया लेकिन जब तुम्हारे पति ने तुम्हें छोड़ दिया तुम्हें और तुम्हारी बेटी को घर से निकाल दिया तब हम तुम्हें इसी घर में लेकर आए यही सोच कर कि तुम इस परिवार के साथ मिल कर रहोगी।"
कपिल जी एक गहरी सांस लेने लगे और फिर बोले, "लेकिन कभी सोचा नहीं था कि तुम्हारी सोच इतनी घटिया होगी जब से तुम इस घर में आई हो तब से बस मेरी बेटी के पीछे पड़ी हुई हो आज मेरी बेटी से जो कुछ भी कहा यह मैंने बर्दाश्त कर लिया आगे से मेरी बेटी को और कुछ मत कहना। वरना इस घर के दरवाजे खुले हुए हैं यहां से निकाल कर जा सकती हो।"
इतना कह कर कपिल जी वहां से चले गए कपिल जी के वहां से जाने के बाद कल्याणी जी बस फटी आंखों से कपिल जी को ही देखने लगे वह आगे कुछ बोलना चाहती थी लेकिन उन की बात कोई सुना नहीं चाहता था इसलिए वह सब लोग वहां से उठ कर चले गए।
उन सबके वहां से जाने के बाद श्रेया कल्याणी जी को देखते हुए बोली, "मॉम पूरा परिवार तो हमारे खिलाफ हो गया अगर सच में हमें यह घर छोड़कर जाना पड़ा तो फिर हम कहां जाएंगे हमारे पास जाने के लिए तो कोई घर ही नहीं है हमें सड़क पर रहना पड़ेगा।"
श्रेया की बातों को सुन कल्याणी जी ने कहा, "हम इस घर से कभी बाहर नहीं जाएंगे अगर इस घर से कोई बाहर जाएगी तो वह है शिवन्या हम उस के लिए एक ऐसा लड़का लेकर आएंगे जिसे इस परिवार का कोई भी मेंबर रिजेक्ट ही नहीं कर पाएगा और हम उस की शादी जबरदस्ती करवा देंगे।"
कल्याणी जी की बात सुन कर श्रेया भी काफी ज्यादा खुश हो गई। वही गार्डन एरिया में प्रतीक अमूल्य यश और शिवन्या चारों बैठे हुए थे आज कपिल जी की बातों को सुनने के बाद वह चारों ही काफी ज्यादा हैरान थे।
तभी यश ने कहा, "मैंने सोचा ही नहीं था कि ताऊजी आज बुआ जी की क्लास लेने वाले हैं ऐसे अच्छा ही हुआ कब तक कोई बर्दाश्त करता।"
तभी अमूल्य कुछ सोचते हुए बोला, "मुझे तो अब तक यह बात समझ में नहीं आ रहा है कि बुआ जी और श्रेया को शिवन्या से प्रॉब्लम क्या है वह दोनों शिवन्या के पीछे ही हाथ धोकर क्यों पड़ी हुई है। शिवन्या ने कभी उन की इंसल्ट नहीं की पर वह लोग शिवन्या के पीछे समझ नहीं आता वह शिवन्या से इतनी नफरत क्यों करते हैं।"
अमूल्य की बातों को सुन प्रतीक और यश दोनों ही अमूल्य को देखने लगे तभी शिवन्या ने कहा, "क्योंकि उन्हें लगता है अगर मैं रास्ते से हट गई तो फिर जिंदल परिवार की प्रॉपर्टी श्रेया को भी मिलेंगे जो प्रॉपर्टी मुझे मिलने वाले हैं।"
शिवन्या की बात सुनते ही प्रतीक ने कहा, "लेकिन जिंदल फैमिली की सारी प्रॉपर्टी हम चारों के नाम पर पहले से ही है पापा को इस बात का एहसास पहले से ही था इसलिए हम चारों के नाम पर प्रॉपर्टी equili divide कर चुके हैं।"
प्रतीक की बात सुन कर शिवन्या हैरानी से प्रतीक को देखने लगे। क्योंकि शिवन्या को नहीं पता था कि जिंदल फैमिली अपनी प्रॉपर्टी उन चारों के नाम पहले से ही कर चुके हैं।
तभी वहां पर अचानक कपिल जी आए और वह काफी सीरियस एक्सप्रेशन के साथ चारों को देखते हुए बोले, "तुम तीनों जिंदल फैमिली की प्रॉपर्टी और कंपनी बहुत अच्छे से संभाल रहे हो लेकिन अब वक्त आ चुका है कि शिवन्या भी कंपनी ज्वाइन कर ले और वह कल से ही कंपनी जॉइन करेगी और यह मेरा आखिरी फैसला है।"
कपिल जी ने शिवन्या को कुछ भी बोलने का मौका ही नहीं दिया वह इतना बोल कर वहां से चले गए शिवन्या भी हैरान थी शिवन्या को जिंदल फैमिली की प्रॉपर्टी या कंपनी में से कुछ नहीं चाहिए था।
क्योंकि उसे लगता था कि जिंदल फैमिली की बहुत सारे एहसान उस के ऊपर हैं और एहसान वह नहीं लेना चाहती थी यही सोच कर वह प्रतीक से बोली, "भाई मुझे कंपनी या जिंदल फैमिली की प्रॉपर्टी में से कुछ नहीं चाहिए आप प्लीज पापा को समझा दीजिए।"
शिवन्या की बातों को सुन प्रतीक ने कहा, "देखो मेरी प्यारी बहना आज जो कुछ भी हुआ है ना उसके बाद मेरा दिमाग कितना भी खराब नहीं है कि मैं पापा से जाकर ऐसी बातें करूं और वैसे भी मैं खुद चाहता हूं कि तुम कंपनी आओ और कंपनी ज्वाइन करो तुम्हें भी कंपनी संभालना सीखना होगा।"
तभी आगे यश बोला, "क्योंकि हम तीनों की तरह तुम्हें भी आगे जाकर अलग से अपनी कंपनी को संभालना होगा जो जिंदल कंपनी के अंदर ही होगा लेकिन एक दूसरी कंपनी होगी। जो जिंदल कंपनी का एक नया ब्रांच होगा।"
यश और प्रतीक की बातों को सुनने के बाद शिवन्या ने और कुछ नहीं कहा क्योंकि वह जानती थी और कुछ भी बोलना उसके लिए सही नहीं होगा फिर चारों ही अपने अपने रूम में सोचने के लिए चले गए।
जैसे ही शिवन्या सोने की कोशिश करने लगी वैसे ही शिवन्या के फोन पर एक नोटिफिकेशन आने लगा जैसे ही शिवन्या ने अपने फोन को देखा तो उसमें अभ्यंत का एक मैसेज आया हुआ था जो उसे बाहर बुला रहा था
यह देख कर शिवन्या पहले तो मैसेज में जो लिखती है लेकिन जब अभियंत शिवन्या को किसके नाम से ब्लैकमेल करता है तो वह ना चाहते हुए भी बाहर चली जाती है।
वह गेट के बाहर जाने के बाद इधर उधर अभ्यंत को ढूंढने लगते हैं लेकिन तभी वह पीछे से आकर शिवन्या को पीछे से टाइटली पकड़ लेता है।
और फिर वह शिवन्या के कंधे पर अपने ठोड़ी को रखते हुए बोला, "मैंने तुम्हें बहुत मिस किया लिटिल गर्ल।"
अचानक अभ्यंत के पीछे से पकड़ने की वजह से शिवन्या की तो सांस ही अटक चुकी थी लेकिन वह खुद को थोड़ा शांत करते हुए अभ्यंत को अपने से दूर करने की कोशिश करने लगी पर वह है कि शिवन्या को अपने से दूर करने के लिए तैयार ही नहीं था।
जिसे देख कर शिवन्या नम आंखों से बोली, "प्लीज मुझसे थोड़ा दूर हो जाइए अगर किसी ने देख लिया तो फिर बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी आज वैसे भी घर में बहुत बड़ा तमाशा हो चुका है मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से जिंदल फैमिली की बदनामी हो।"
शिवन्या की बात सुनते ही अभ्यंत शिवन्या से थोड़ा दूर हो गया जिसे देख कर शिवन्या ने एक राहत की सांस ली तभी अभ्यंत ने एक ही झटके में शिवन्या को अपने और घूमा लिया और फिर वह शिवन्या से पूछने लगा, "क्या हुआ आज घर में ?"
शिवन्या अभ्यंत की आंखों में देखते हुए बोली, "आप को इससे क्या मतलब है और आप मेरे पीछे ऐसे क्यों पड़े हुए हैं उस दिन होटल में जो कुछ भी हुआ वह अनजाने में हुआ प्लीज मुझे उस के लिए माफ कर दीजिए पर प्लीज मुझे जाने दीजिए मुझे छोड़ दीजिए।"
शिवन्या की बातों को सुनते ही अभ्यंत के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल जाते हैं।
आगे क्या होगा जाने नेक्स्ट चैप्टर में
अभ्यंत प्रताप सिंह राठौर राजस्थान का हुकुम सा और साथ में एशिया का सबसे पावरफुल इंसान है। जो देखने में काफी ज्यादा हैंडसम है। जिसके आगे कोई कुछ बोलने से पहले भी हजार बार सोचता था। जिसे लड़कियों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं था।
लेकिन जब से उसने शिवन्या को देखा है जैसे वह शिवन्या के लिए पूरी तरह से पागल हो चुका था वह शिवन्या को किसी भी कीमत पर अपना बनाना चाहता था लेकिन वह यह भी चाहता था कि शिवन्या भी उसे पूरी तरह से एक्सेप्ट करें।
30 साल का अभ्यंत देखने में बहुत ज्यादा हैंडसम, 6.2 फीट हाइट, नीली आंखें, जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे समुद्र से भी गहरी हो।
वही शिवन्या 22 साल की एक मासूम सी लड़की। जिसे अपने बारे में या अपनी फैमिली के बारे में पता तो है पर वह किसी को कुछ बताना नहीं चाहती। जिसने छुपा कर रखा है अपने अंदर बहुत सारी रात।
शिवन्या देखने में बेहद ही खूबसूरत है भूरी आंखें, पतली कमर, लंबे काले घने बाल, गोरा रंग जिसे देखते ही कोई भी लड़का उस के लिए दीवाना हो जाए।
जब शिवन्या ने देखा अभ्यंत के चेहरे के एक्सप्रेशन पूरी तरह से बदल चुके हैं तो उसे ऐसा लगा कि शायद उसने शिवन्या की बात मान ली यही सोच कर शिवन्या वहां से जाने लगी लेकिन तभी अचानक अभ्यंत में शिवन्या के हाथ को पकड़ा
और उसे गाड़ी के अंदर बैठा दिया यह देख कर शिवन्या चिल्लाना चाहती थी लेकिन अगर वह चिल्लाती तो बदनामी जिंदल फैमिली की ही होती यही सोच कर वह चिल्ला भी नहीं पाई।
गाड़ी के अंदर बैठने के बाद अभ्यंत शिवन्या को वहां से थोड़ी दूर पर लेकर गया और लेकर जाने के बाद वह शिवन्या को अपने करीब करके बोला, "मैं तुम्हें बहुत प्यार से समझा रहा हूं तो तुम्हें समझ क्यों नहीं आता। क्या तुम चाहती हो कि मैं अपना डेविल रूप को दिखाओ। शिवन्या मैं नहीं चाहता था कि कोई लड़की मेरी जिंदगी में आए मैं कभी किसी लड़की के करीब नहीं किया लेकिन जब तुमने मुझे उसे रात किस किया मैं खुद को तुम्हारे करीब आने से रोक नहीं पाया।"
इतना कहकर अभ्यंत ने अचानक शिवन्या के होठों पर अपने हाथ रख दिए इस बार अभ्यंत ने शिवन्या के होठों को छोड़ नहीं बल्कि पूरी तरह से पैशनेटली शिवन्या को किस करने लगा।
शिवन्या अभ्यंत को अपने से दूर करने के लिए लगातार उस के सीने पर अपने हाथों की मुट्ठी बांधकर करने लगी लेकिन उसे शिवन्या के मारने से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था।
वह तो बस शिवन्या के होठों का रस पीने में काफी ज्यादा बिजी लग रहा था करीब 15 मिनट बाद शिवन्या की सांस धीमी होने लगी ऐसा लग रहा था जैसे शिवन्या सांस लेना ही भूल चुकी थी जिस वजह से अभ्यंत को ना चाहते हुए भी शिवन्या के होठों को छोड़ना पड़ा।
अभ्यंत के छोड़ते ही शिवन्या गहरी गहरी सांस लेने लगी तभी अभ्यंत शिवन्या के गालों को पकड़ अपनी चेहरे के थोड़ा करीब लाते हुए बोला, "जब से तुम्हें देखा है ना तब से मैं तुम्हें पाना चाहता हूं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं और खुद को तुम्हारा होने देना चाहता हूं। तुम्हें पता है मैं तुम्हें पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हूं।"
अभ्यंत की बातों को सुन कर शिवन्या बोली, "आप बहुत ही ज्यादा गलत कर रहे हैं आप को पता है आप का ऐसा कुछ करना आप के और हमारे फैमिली के बीच के रिश्ते को खराब करना। आपके पापा और मेरे दादाजी बहुत अच्छे दोस्त हैं इस नाते आप मेरे अंकल हुए और हमारे बीच में यह रिश्ता गलत है।"
जुबिन ना के मुंह से अंकल शब्द को सुनते ही अभ्यंत को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आने लगा और उसने वापस से अपने होंठ शिवन्या के होठों पर रख दिए।
करीब 5 मिनट बाद शिवन्या के होठों को छोड़ते हुए बोला, "अगर आगे से इन होठों से मुझे अंकल सुनने को मिला तो यही सजा मिलेगी और सजा देने के लिए मैं जगह नहीं देखूंगा चाहे मेरे सामने तुम्हारी फैमिली हो या मेरी फैमिली या कोई और तुम मुझे बस मेरे नाम से बुलाओगी और शादी के बाद तुम मुझे hubby बुला सकती हो।"
शिवन्या को अब बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था लेकिन वह चाह कर भी गुस्सा नहीं दिखा सकती थी क्योंकि शिवन्या को इतना तो समझ में आ चुका था की अभ्यंत से उलझने का अंजाम उसी के लिए बुरा होगा।
कुछ देर बाद अभ्यंत ने शिवन्या को उस के घर छोड़ दिया शिवन्या अपने कमरे में जाने के बाद जो कुछ भी कुछ देर पहले हुआ उन सारी बातों के बारे में सोचने लगी और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह आगे क्या करेगी।
अगली सुबह
शिवन्या सुबह सुबह नाश्ता करने के लिए धीरे धीरे नीचे उतर कर आई जैसे ही वह नीचे पहुंची श्रेया जानबूझकर शिवन्या से टकरा गई और टकराने के बाद वह ऐसे फर्श पर गिरी जैसे शिवन्या ने जानबूझकर उसे धक्का दे दिया
हो शिवन्या ने जब श्रेया को नीचे गिरे हुए देखा तो वह उसे इग्नोर करके नाश्ते के टेबल पर जाकर बैठ गई शिवन्या को आज से ही ऑफिस ज्वाइन करना था लेकिन शिवन्या के दिमाग में तो रात को जो कुछ भी हुआ।
वह सारी बातें घूम रही थी तभी प्रतीक ने कहा, "क्या हो गया आज ऑफिस में तुम्हारा पहला दिन है और तुम ऐसे सड़ी हुई टमाटर की तरह शक्ल बनाकर क्यों घूम रही हो।
प्रतीक की बातों का शिवन्या जवाब दे दी तभी श्रेया अचानक चिल्लाते हुए बोली, "प्रतीक भाई आप इस लड़की को अपने साथ ऑफिस ले जाने वाले हो लेकिन जब मैंने कहा कि मुझे आप के साथ ऑफिस जाना है तो फिर आपने मुझे मना कर दिया पर आप इसे अपने साथ क्यों लेकर जा रहे हो।"
श्रेया को ऐसे चिल्लाता हुआ सन सब लोग श्रेया की तरफ देखने लगे श्रेया को जब एहसास हुआ कि हर कोई बस उसे नहीं देख रहे हैं तो वह अचानक चुपचाप बैठ गई।
तभी कपिल जी ने कहा, "क्योंकि मैं शिवन्या को आज से ऑफिस जाने के लिए कहा है। उसने काफी कम उम्र में ही अपनी पढ़ाई कंप्लीट कर दी। इसलिए मैंने उसे जिंदल कंपनी में काम करने के लिए ऑफर किया इसमें तुम्हें कोई प्रॉब्लम है।"
कपिल जी की बात सुन कर श्रेया ना में सिर हिलाने लगी जिसे देख कर कपिल जी ने कुछ नहीं कहा वही शिवन्या नाश्ता करने के बाद बाहर अपनी गाड़ी के तरफ जाने लगी।
तभी शिवन्या अपनी गाड़ी को इधर उधर ढूंढने लगी वह हर किसी के पीछे अपनी गाड़ी ढूंढ रही थी तभी यश ने कहा, "तुम हमारे पीछे क्या ढूंढ रही हो ?"
यश के सवाल का जवाब देते हुए शिवन्या ने कहा, "मैं अपनी गाड़ी ढूंढ रही हूं कल मैं यहीं पर रखा था पता नहीं आज कहां चला गया।"
शिवन्या का जवाब सुनते ही कपिल जी प्रतीक यश अमूल्य चारों ही अपनी आंखों पर कर शिवन्या को देखने लगे जिसे देख कर शिवन्या को एहसास हुआ कि उसने कुछ ऐसा कह दिया जो उसे नहीं कहना चाहिए था।
तभी यश ने कहा, "तुम्हारा दिमाग ठिकाने पर तो है ना या तुम पागल हो चुकी हो एक बड़ी सी गाड़ी हमारे पीछे कैसे रह सकती है। और अगर वह हमारे पीछे होगा भी तो तुम्हें दिखाई दे जाएगा।"
तभी शिवन्या मासूम सा चेहरा बना कर बोली, "तो फिर कहां है मेरी गाड़ी ?"
शिवन्या के सवाल का जवाब देते हुए अमूल्य ने कहा, "गाड़ी तो हमने भेज दी क्योंकि हम तुम्हारे लिए एक नई गाड़ी लेना चाहते थे और जब तक पुरानी गाड़ी होगी तब तक तुम नहीं गाड़ी लगी नहीं इसीलिए यश ने गाड़ी को पहले तोड़ा और फिर भेज दिया।"
अमूल्य की बात सुन कर शिवन्या अपनी फटी आंखों से इस बार अमूल्य को देखने लगी तभी यश अपने सिर को खुजाते हुए बोला, "देखो तुम्हारी गाड़ी मैंने पसंद की है अच्छी है ना और अगर पसंद ना आए तो फिर हम दूसरी गाड़ी ले सकते हैं।"
यश की बात सुनते ही शिवन्या गाड़ी को देखने लगी गाड़ी देखते ही शिवन्या के होठों पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गई। और वह खुश होते हुए बोली, "यह तो वही गाड़ी है जिसे मैं खरीदना चाहती थी पर आप लोगों से बोल नहीं वह इसलिए कि मुझे लगा आप लोगों ने मुझ पर पहले से ही इतना पैसा खर्च किया है और पैसा खर्च करवाना नहीं चाहती थी।"
आगे क्या होगा जाने नेक्स्ट चैप्टर में
शिवन्या की बात सुन कपिल जी ने कहा, "बेटा तुम एक नंबर की पागल हो मैंने कहा था ना तुम्हें जो चाहिए तुम बेझिझक होकर मुझ से मांग सकती हो यह सब कुछ तुम चारों का ही तो है अगर तुम चारों ही पैसे खर्च नहीं करोगे तो फिर पैसों के कमाने का क्या फायदा अब बातें बहुत हो गए तुम अपनी नई गाड़ी में ऑफिस जाओ हम तुम्हारा वहीं पर इंतजार करेंगे।"
शिवन्या कपिल जी की बात सुन कर बहुत ही ज्यादा खुश हो गई और वह तुरंत ही गाड़ी में बैठ कर ऑफिस के लिए निकल गई शिवन्या ऑफिस पहुंची ऑफिस पहुंचने ही शिवन्या ने ऑफिस के बाहर बहुत सारे एंप्लॉई को देखा जो उसी के स्वागत पर खड़े थे यह देख कर शिवन्या इधर उधर देखने लगी तभी वहां पर प्रतीक आया
प्रतीक को देखते ही शिवन्या शिकायत करते हुए बोली, "यह सब क्या है भाई मैंने कहा था ना ऐसा कुछ मत कीजिएगा मैं यहां पर काम करने के लिए आई हूं सब लोगों को यह दिखाने के लिए नहीं कि मैं जिंदल फैमिली की बेटी हूं।"
शिवन्या की बात सुन प्रतीक ने कहा, "देखो तुम्हें मुझ पर ऐसे चिल्लाने की जरूरत नहीं है अगर किसी से शिकायत करनी है तो तुम पापा से करो क्योंकि यह सब कुछ मैंने नहीं किया मैं तो बस तुम्हें नीचे लेने के लिए आया हूं और तुम्हारा केबिन दिखाने के लिए आया हूं तो चलो।"
शिवन्या प्रतीक के साथ ऊपर ऑफिस चली गई जैसे ही शिवन्या ने डिजाइनिंग डिपार्टमेंट को देखा तो वह काफी ज्यादा हैरान हो गई तभी डिजाइनिंग डिपार्टमेंट के सारे एम्पलाई शिवन्या को बहुत ही अच्छे से ग्रीट करने लगे।
प्रतीक शिवन्या को केबिन के अंदर ले गया और फिर वह बोला, "आज से तुम डिजाइनिंग डिपार्टमेंट की हेड हो। तुमसे पूछे बगैर डिजाइनिंग डिपार्टमेंट का कोई काम नहीं होगा तो अच्छे से अपना काम करना और पहले दिन को अच्छे से एंजॉय करना।"
प्रतीक इतना कहकर वहां से चला गया प्रतीक के वहां से जाने के बाद शिवन्या अपनी कुर्सी को देखने लगी जिसे देखने के बाद शिवन्या वहां पर बैठ गई और अपना काम स्टार्ट करने लगी।
कुछ देर बाद जब शिवन्या काम करके थक गई तो वह बाहर निकाल कर खुद ही कॉफी लेने के लिए जाने लगी तभी एक लड़का आगे से उसे कॉफी देते हुए बोला, "शायद आप को इस की जरूरत है।"
शिवन्या ने जब अपने सामने लड़के को देखा तो वह थैंक यू बोल कर वहां से वापस केबिन के अंदर जाने लगी तभी बाहर काम कर रहे एम्पलाई में से एक लड़की ने कहा, "हमारी यह नया हेड तो कुछ ज्यादा ही खडूस निकली मुझे लगा था कि यह लड़की बहुत अच्छी होगी पर यह भी बिल्कुल पहले वाली जैसी ही है।"
लड़की की बात सुनते ही एक दूसरी लड़की बोली, "नियति रिलैक्स हो जाओ क्या पता आज पहला दिन है इसलिए वह अच्छे से किसी से बात नहीं कर रही पर मुझे नहीं लगता कि यह वाली हेड पहले वाली जैसी होगी।"
तभी नियति लड़की को देखते हुए बोली, "समायरा क्या तुम्हें जलन नहीं हो रही है वह लड़की प्रतीक सर के साथ आई है क्या पता उन के बीच में कोई रिश्ता हो। और वैसे भी तुम तो प्रतीक सर को काफी टाइम से पसंद करती हो। क्या तुम्हें बुरा नहीं लग रहा ?"
नियति के सवाल को सुनते ही समायरा बोली, "नहीं मुझे बुरा नहीं लग रहा क्योंकि मैं आज तक कभी भी प्रतीक सर से नहीं कहा कि मैं उन्हें पसंद करती हूं और जब उन्हें पता ही नहीं तो फिर उन की जिंदगी में कौन है और कौन नहीं इन सब से मेरा कोई मतलब नहीं है अगर उन के और मेरे बीच कोई रिश्ता होता तब मैं उन से सवाल करती पर अभी नहीं कर सकती क्योंकि अभी मेरे पास वह हक नहीं है।"
समायरा की बातों को सुन नियति को समायरा के लिए बुरा लगने लगा। तभी वहां पर वही लड़का जिसने शिवन्या को कॉफी ऑफर किया था वह लड़का दोनों लड़कियों के पास आकर बोला, "चलो आज हम साथ में लंच करते हैं और हमारे न्यू हेड को भी लंच पर इनवाइट करते हैं।"
वह लड़का जिस का नाम वरुण था उस की बातें सुन समायरा और नियति दोनों एक दूसरे को देखने लगे तभी वरुण उन दोनों को बिना बताए शिवन्या के केबिन के तरफ जाने लगा।
शिवन्या ने जैसे ही केबिन में खटखटाना की आवाज सुनी वैसे ही उसने अंदर आने के लिए कहा तो वरुण शिवन्या के सामने जाकर बोला, "मैम हम सब लोग साथ में लंच करना चाहते हैं क्या आप भी हमारे साथ जॉइन करना चाहेंगे।"
वरुण की बात सुन शिवन्या कुछ सोच कर मुस्कुराहट के साथ बोली, "हां क्यों नहीं और वैसे भी मैं सब लोगों से अब तक अच्छे से मिले नहीं तो सब लोगों से अच्छे से मिलना भी हो जाएगा एक काम करो यह लंच मेरी तरफ से तुम बस एक अच्छे से जगह को देख लो मेरे पास जगह देखने के लिए टाइम नहीं है।"
शिवन्या की बातों से वरुण खुश हो गया वरुण खुशी खुशी सब लोगों को लंच के बारे में बताने लगा सब लोगों को वरुण के ऊपर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन वरुण ने सब लोगों को सच में भरोसा दिला दिया लंच टाइम पर सब लोग एक बहुत ही आलीशान रेस्टोरेंट में बैठे हुए थे।
तभी सब लोग वरुण के तरफ देखने लगे क्योंकि अभी तक वहां पर शिवन्या नहीं आई थी जिस के बारे में सोते हुए वरुण को भी थोड़ी सी टेंशन होने लगी क्योंकि जिस जगह पर वरुण सब लोगों को लेकर आया था वहां की बिल उन में से कोई भी अफोर्ड नहीं कर सकते थे।
तभी वहां पर नियति ने कहा, "कहां है हमारी न्यू हेड तुम्हें पता भी है यह जगह कितनी ज्यादा expensive हम इस जगह को अफोर्ड भी नहीं कर सकते।"
नियति की बात सुन कर वरुण को भी टेंशन होने लगी लेकिन तभी वहां पर शिवन्या जल्दबाजी में आई और सब लोगों की तरफ देख कर बोली, "मुझे प्लीज माफ कर देना मैं थोड़ी सी लेट हो गई वह एक मीटिंग में फस गई थी।"
शिवन्या की बात सुन कर हर कोई एक दूसरे की तरफ देखने लगे तभी शिवन्या ने देखा कि किसी ने भी वहां पर कुछ भी आर्डर नहीं किया है।
यह देख कर शिवन्या बोली, "क्या हुआ तुम सब ने अब तक ऑर्डर क्यों नहीं किया ? क्या तुम लोगों को लगा कि मैं यहां पर नहीं आऊंगी। वैसे सच कहूं तो तुम लोगों का यह सोचना बिल्कुल सही है तुम लोग मुझे जानते नहीं हो तो इसलिए मेरे बारे में ऐसे ही सोचोगे।"
शिवन्या की बात सुन वरुण ने कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है मैम पर आप यहां पर आए हमें यह देख कर काफी ज्यादा खुशी हुई।"
वरुण की बात सुन कर शिवन्या मुस्कुरा कर बोली, "सबसे पहले मैं सब लोगों को एक बात बताना चाहूंगी कि मुझे मैम बुलाने की जरूरत नहीं है मुझे मेरे नाम से बुलाओ मेरा नाम शिवन्या है। मैं तुम लोगों की हेड हूं पर हम लोग एक टीम है और हमारा डिपार्टमेंट एक टीम बनाकर ही सारा काम करेंगे।"
"अगर तुम में से किसी को भी कभी भी कोई डाउट हो तो फिर मुझे बेझिझक होकर पूछ सकते हो। बस में तुम सबसे एक ही रिक्वेस्ट करना चाहूंगी कभी भी कुछ भी हो जाए मुझ से झूठ मत बोलना।"
शिवन्या की बातों को सुन सब लोग काफी ज्यादा खुश होंगे सब लोग फिर एक साथ अच्छे से लंच करने लगी लंच करने के बाद सब लोग वापस ऑफिस के लिए निकल गए।
लेकिन शिवन्या को वहीं पर एक मीटिंग अटेंड करना था तो इसीलिए वह वहीं पर रुक गई मीटिंग खत्म करने के बाद शिवन्या जैसे ही ऑफिस के लिए जाने वाली थी।
कि तभी वहां पर अभ्यंत आकर खड़ा हो गया और शिवन्या को फूलों का गुलदस्ता देते हुए बोला, "कंग्रॅजुलेशन तुम्हारे ऑफिस के पहले दिन के लिए उम्मीद करुंगा कि हम दोनों साथ मिल कर बहुत सारे प्रोजेक्ट करेंगे।"
अपने सामने अभ्यंत को अचानक देख कर शिवन्या हैरान रह गई उस के मुंह से तो कोई शब्द ही नहीं निकल रहे थे।
आगे क्या होगा जान नेक्स्ट चैप्टर में
जब अभ्यंत ने देखा की शिवन्या उसे कुछ नहीं बोल रही है तो वह शिवन्या के थोड़ा करीब जाने लगा जिसे देख कर शिवन्या पीछे जाने लगी लेकिन वह अचानक की एक पत्थर से टकरा गई और पीछे की तरफ गिरने लगी।
लेकिन तभी अभ्यंत ने शिवन्या के हाथ को पकड़ लिया और वह शिवन्या को अपनी और खींच लिया। जिस वजह से शिवन्या का सिर अभ्यंत के सीने से जा लगे।
जिसे देख कर शिवन्या थोड़ी सी घबराने लगी शिवन्या को ऐसे घबराता हुआ देख अभ्यंत की आंखों में गुस्सा झलकने लगा और वह गुस्से में शिवन्या से बोला, "तुम मुझे घबरा क्यों रही हो ? क्या मैं इतना बुरा हूं कि तुम मुझे घबरा रही हो।"
अभ्यंत के गुस्से भरी नजरों को देख शिवन्या ना में सिर हिलाते हुए बोली, "न, नहीं मैं आपसे घबरा नहीं रही हूं मुझे बस डर लग रहा है अगर किसी ने हमें ऐसे यहां देख लिया तो फिर।"
इसके आगे शिवन्या कुछ बोल पाती इससे पहले अभ्यंत शिवन्या को अपनी गोद में उठा कर अपनी गाड़ी के तरफ ले जाने लगा गाड़ी में बैठने के बाद अभ्यंत भी गाड़ी के अंदर बैठ गया।
जिसे देखते ही शिवन्या बोली, "आप मुझे अपने साथ कहां लेकर जा रहे हैं मुझे ऑफिस जाना है और मेरी गाड़ी वहां पर खड़ी है।"
अभ्यंत शिवन्या के तरफ देखते हुए बोला, "तुम्हें तुम्हारी गाड़ी मिल जाएंगे वैसे तुम मुझ से इतना ज्यादा डरती क्यों हो ?"
अभ्यंत के सवाल को सुन शिवन्या खुद से ही बोली, "यह तो मुझे भी खुद नहीं पता कि मैं आप से इतना ज्यादा डरती क्यों हूं क्योंकि मैं तो कभी किसी से नहीं डरती।"
शिवन्या को गहरी सोच में देख अभ्यंत शिवन्या के चेहरे को पकड़ अपने चेहरे के थोड़ा करीब लाते हुए बोला, "तुम किसके बारे में सोच रही हो मैं तुम्हें एक बात अच्छे से समझा दो तुम्हारे दिमाग में और तुम्हारे दिल में सिर्फ मेरा नाम ही होना चाहिए तुम जब भी जो भी सोचो सिर्फ मेरे बारे में सोचो अगर तुम्हारी सोच में मुझे किसी और का नाम सुने यह दिखाई दिया तो वह इंसान इस दुनिया में रहने के काबिल नहीं रहेगा।"
अभ्यंत की बातों को सुन कर शिवन्या हैरानी से उसे देखने लगी शिवन्या को समझ में नहीं आ रहा था अभ्यंत इतना अजीब क्यों है और वह शिवन्या को लेकर ही इतना ज्यादा पजेसिव क्यों है यही सारी बातें वह सोच रही थी।
तभी शिवन्या ने अचानक कहा, "मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है और ना ही मुझे किसी पर कोई क्रश है तो मैं किसी और के बारे में क्यों सोचूंगी मैं सिर्फ अपनी फैमिली के बारे में ही सोचती हूं या खुद के बारे में।"
इतना कहकर शिवन्या अभ्यंत की आंखों में देखने लगा जिस की आंखों में शिवन्या के लिए सिर्फ मोहब्बत थी शिवन्या अभ्यंत की आंखों में अपने लिए पागलपन देख सकती थी।
लेकिन शिवन्या चाह कर भी अभ्यंत को अपनी जिंदगी में एक्सेप्ट नहीं करना चाहती थी क्यों नहीं यह उसे भी नहीं पता था। यही सोच कर शिवन्या ने अपने मन में कहा, "मुझे माफ कीजिएगा मैं आप को शायद अपनी जिंदगी का हिस्सा नहीं बन सकती क्योंकि मेरे दिल और दिमाग में सिर्फ बदला है। मुझे उन सब से बदला लेना है और बदल लिए बगैर में सुकून से जी नहीं सकती। और मैं किसी को अपनी जिंदगी का हिस्सा नहीं बन सकती।"
शिवन्या को फिर से किसी सच में डूबा हुआ देख अभ्यंत शिवन्या के चेहरे को पकड़ शिवन्या के होठों पर अपनी होंठ रख देता है यह देखकर शिवन्या बहुत ही ज्यादा हैरान रह जाती है।
लेकिन इस बार शिवन्या ने अभ्यंत को अपने से दूर नहीं किया क्योंकि वह जानती थी वह बेकार ही उसे अपने आप से दूर करने की कोशिश करती थी क्योंकि अभ्यंत के सामने उस की ताकत बहुत ही ज्यादा कम थी।
करीब 15 मिनट बाद अभ्यंत ने शिवन्या की होठों को छोड़ दिया जिसे देख कर शिवन्या ने कहा, "अगर अब आप को खुशी मिल चुकी है तो क्या मैं अपनी गाड़ी से ऑफिस जाऊं मुझे वहां पर बहुत सारा काम है।"
अभ्यंत ने शिवन्या को जाने के लिए कहा वही शिवन्या तुरंत अपनी गाड़ी लेकर वहां से ऑफिस के लिए निकल गए ऑफिस पहुंचने के बाद शिवन्या अपना काम करने लगी।
शाम के वक्त शिवन्या ऑफिस से बाहर निकाल कर घर जाने को हुई तभी शिवन्या के फोन पर अभय का कॉल आया जिसे देखते ही शिवन्या तुरंत अभय से मिलने के लिए चली गई।
जैसे ही वह अभय से मिलने के लिए उस के सीक्रेट विला में पहुंची वैसे ही उसने देखा कि अभय कुछ परेशान बैठा हुआ है जिसे देखते ही शिवन्या ने पूछा, "तुम्हें क्या हो गया है तुम इतनी ज्यादा परेशान क्यों लग रहे हो ?"
शिवन्या को वहां पर देखते ही अभय बोला, "तुझे पता है वंश सुबह से गायब है मैंने उसे कितनी बार फोन किया है पर उसने मेरे फोन का कोई जवाब ही नहीं दिया मैंने रॉकी को पता करने के लिए कहा है पर रॉकी को भी वंश के बारे में कुछ पता नहीं चल मैं यहां पर इसलिए परेशान होकर बैठा हुआ हूं।"
वंश के गायब होने वाली बात सुनते ही शिवन्या को भी वंश के लिए टेंशन होने लगी शिवन्या जानती थी की वंश इतना ज्यादा गैर गुजरा नहीं है कि वह बिना बताए कहीं भी चला जाए
जिस वजह से शिवन्या को एहसास हो चुका था कि वंश किसी खतरे में है इसलिए शिवन्या तुरंत वहां से बाहर निकाल कर जाने लगी यह देख कर अभय को भी समझ में आ चुका था कि वंश किसी खतरे में है।
इसलिए वह भी शिवन्या के पीछे चला गया दोनों एक सुनसान जगह पर पहुंचे दोनों ही एक दूसरे को देखने लगी और आंखों में ही एक दूसरे को किसी बात को लेकर इशारा करने लगे इसके बाद दोनों अलग अलग होकर वहां से निकल गए।
वहीं दूसरी तरफ वंश एक बड़े से गोदाम के बीचो बीच कुर्सी पर बंधा हुआ था वंश के पूरे शरीर पर जख्मों के निशान थे। वंश पूरी तरह से बेहोश नहीं हुआ था वह बेहोश होने से पहले अपने आसपास के सारे लोगों को बहुत ही ध्यान से देख लेता है फिर अचानक ही वह बेहोश हो जाता है।
वंश के बेहोश होते ही वहां पर एक लड़का धीमी कदमों के साथ वंश के सामने आकर खड़ा होता है और वह लड़का वंश को देख कर बोला, "बहुत उलझाया है तूने हमें आज हम तुझे अच्छा सबक सिखाएंगे कि तुझ जिंदगी में दोबारा हम से उलझने की गलती नहीं करेगा।"
तभी वंश अचानक होश में आ जाता है और वह होश में आते ही किसी शैतान की तरह जोर जोर से हंसने लगता है वंश की हंसी पूरे गोदाम में गूंज उठती है जिस की आवाज सुन वह लड़का एक पल के लिए बहुत ही ज्यादा घबराने लगता है।
लेकिन तभी वंश बोलता है, "तुझे शायद अंदाजा नहीं है कि तूने किस पड़ा है। जब तुझे अंदाजा होगा तब तक तू भगवान को प्यार हो चुका होगा।"
वंश के सामने खड़ा लड़का वंश की बातों को सुन जोर जोर से हंसने लगता है और फिर वह बोलता है, "तो मुझे मारेगा तुझे पता भी है कि इस वक्त तू मेरे सामने कुर्सी पर बंधा हुआ है और तू मुझे मारेगा लगता है तो दिन में ही कुछ ज्यादा ही सपना देखाता है।
वह लड़का इतना कहता ही है कि तभी अचानक उसे ब्लास्ट की आवाज सुनाई देती है जिसे सुनते ही वह हैरान होकर गोदाम के बाहर के तरफ देखने लगता है तभी वंश अपने सिर को ऊपर उठ कर बोलता है, "ले शुरू हो गया मौत का तांडव। अब होगा असली खेल शुरू।"
वंश की बात सुनते ही वह लड़का वंश को घर के देखने लगता है लेकिन उसे भी पता है कि वंश कोई हवा में बातें नहीं कर रहा था।
आगे क्या होगा जाने नेक्स्ट चैप्टर में
वंश ने जब अपने सामने खड़े लड़के को घबराते हुए देखा तो वह हंसते हुए बोला, "मुझे तुम्हारा यह दर्द बहुत ही ज्यादा पसंद आया है। तुम्हें पता है मुझे लोगों को डराने में मजा आता है और तुम तो मेरे कुछ करे बिना ही डर रहे हो इस का मतलब मेरे दोस्त भी मेरी तरह ही कमाल के हैं।"
वंश की बातों को सुन कर वंश के सामने खड़ा आदमी अचानक वंश के ऊपर गन पॉइंट करते हुए बोला, "मैं भी देखता हूं कि वह लोग मेरा क्या बिगाड़ लेते हैं और तुम शायद भूल रहे हो मैं कौन हूं।"
आदमी ने इतना कहा ही था कि पीछे से एक लड़की की आवाज आई, "क्या तुम खुद भूल चुके हो कि तुम कौन हो कोई बात नहीं मैं तुम्हें याद दिला देता हूं कि तुम एक गटर के नाली बराबर हो। जो किसी के पैर में लगता है तो वह इंसान अपने पैर साफ कर लेता है उसी तरह से आज मैं तुम्हें साफ करूंगी।"
पीछे शिवन्या खरीदी शिवन्या की बात सुनते ही वह आदमी गुस्से में शिवन्या को देखने लगा तभी दूसरी तरफ से अभय आया और अभय ने कहा, "अरे मेरी प्यारी बहना इसको तो मैं खुद अकेले ही देख लूंगा तुम बस बाकी सब को संभाल लो।"
अभय की बात सुन कर शिवन्या डेविल स्माइल के साथ बोली, "ठीक है तो फिर संभालो इस गटर के कीड़े को।"
इतना बोलकर शिवन्या बाकी सब को संभालने के लिए चली गई शिवन्या की बात सुनते ही वह आदमी गुस्से में अभय के ऊपर हमला करने लगा लेकिन अभय की फाइटिंग स्किल काफी ज्यादा अच्छी थी इसलिए अभय अपने सामने खड़े आदमी के हर मुव को अपने एक हाथों से ही रोक रहा था।
जिसे देख कर वंश ने हंसते हुए कहा, "अरे थोड़ा और जोर लगाओ क्या पता तुम अभय से जीत जाओ।"
वंश की बात सुनते ही आदमी को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आने लगा और वह अचानक अभय को एक जोरदार मुक्का मार देता है जिस वजह से अभय नीचे जमीन पर गिर जाता है यह देख कर अभय को काफी ज्यादा गुस्सा आता है और वह दोबारा आदमी को बुरी तरह से करने लगता है।
वंश ने खुद को खोल लिया था। अभय के गुस्से को देख कर वंश अभय को रोकते हुए बोला, "बस कर अभय यह अभी भी हमारे काम का है। अगर यह मर गया तो फिर हमें वह नहीं मिलेगा जो हमें चाहिए था।"
वंश की बात सुन कर अभय रुक जाता है लेकिन वह आदमी अधमरा हो चुका था जिस की हालत देख कर शिवन्या अभय को घूरने लगती है।
कुछ देर बाद तीनों ही अपने सीक्रेट विला में बैठे होते हैं तीनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे वंश को थोड़ी सी चोट लगती है जिसे शिवन्या बैंडेज करने लगती है।
तभी वंश शिवन्या से पूछता है, "अभ्यंत प्रताप सिंह राठौर तेरे पीछे क्यों पड़ा हुआ है कहीं उस का दिल तुझ पर तो नहीं आ गया है अगर ऐसा है तो फिर संभल कर वह कोई मामूली इंसान नहीं है।"
अभ्यंत प्रताप सिंह राठौर का नाम सुनते ही अभय बोलता है, "क्या बकवास कर रहे हो अगर उसे हमारे बारे में पता चल गया तो फिर हम बहुत बड़ी मुसीबत में आ सकते हैं हम जो करना चाहते हैं वह हमें कभी करने नहीं देगा।"
अभय की बात सुनते ही शिवन्या बोली, "उसे नहीं पता कि मैं कौन हूं और ना ही उसे कभी पता लगेगा इसलिए टेंशन मत लो।"
कुछ देर बाद शिवन्या वापस अपने घर चली जाती है शिवन्या जैसे ही घर पहुंचती है वैसे ही यश शिवन्या के सामने आकर खड़ा हो जाता है और वह शिवन्या से बोलता है, "किसी को पता चला कि तुम इतनी रात को घर वापस आई हो तो फिर हमारी प्यारी चुड़ैल बुआ जी घर में तमाशा करने लग जाएगी।"
यश की बातों को सुन कर शिवन्या यश को देखते हुए बोली, "भाई आप मुझे बता रहे हो या डरा रहे हो मुझे समझ में नहीं आई और अगर आप मुझे डरा रहे हो तो फिर मैं डरने वालों में से नहीं हूं।"
शिवन्या की बात सुनते ही यश थोड़ा सीरियस एक्सप्रेशन के साथ बोला, "मैं जानता हूं शिवन्या तुम्हारी लाइफ में बहुत कुछ चल रहा है लेकिन तुम किसी को बताना नहीं चाहती पर मैं उम्मीद करुंगा कि तुम मुझे अपना दोस्त समझती हो पर मुझे अपनी लाइफ में हो रही हर एक चीज के बारे में बताओगी।"
इतना बोलकर यश शिवन्या को छत पर ले जाता है जहां शिवन्या को बैठने के बाद यश ने आगे कहा, "देखो मुझे पता है तुम हमारी सगी बहन नहीं हो लेकिन मैंने या बाकी सब ने कभी तुम्हें पराया नहीं समझा। हमारे लिए तुम हमारी सगी बहन ही हो। इसलिए अगर तुम्हें कभी भी कोई भी प्रॉब्लम हो तो प्लीज हमारे साथ आकर शेयर करना।"
यश की बातों को सुन कर शिवन्या यश के हाथ को पकड़ बोली, "मैं वादा करती हूं भाई अगर मुझे कभी भी कोई भी प्रॉब्लम हुआ तो फिर मैं आप से क्या बाकी दोनों भाइयों से जरूर शेयर करूंगी मैं भी आप को कभी पराया नहीं समझे आप भी मेरे लिए अपने ही हैं।"
शिवन्या से बात करने के बाद यश वापस अपने रूम में चला जाता है यश के रूम में जाने के बाद शिवन्या भी अपने रूम में ही जाने लगती है।
जैसे ही शिवन्या ने अपने रूम में पहुंचती है वैसे ही शिवन्या के फोन पर एक नोटिफिकेशन आने लगता है नोटिफिकेशन देखने के बाद शिवन्या खुद से ही बोली, "समझ नहीं आता इन्हें चाहिए क्या की हमेशा मुझे परेशान क्यों करते हैं जब से इसे मुलाकात हुई है तब से यह बस मुझे परेशान ही करते हैं।"
शिवन्या को अभ्यंत का मैसेज आया था जिस को शिवन्या ने इग्नोर कर दिया था यह देख कर अभ्यंत जो अपने बेड पर बैठा हुआ था वह मन ही मन में बोला, "तुमने जो आज गलती की है इसकी सजा मैं तुम्हें खुद अपनी हाथों से दूंगा मुझे इग्नोर करने की सजा तुम जिंदगी में कभी भूल नहीं पाओगी।"
अभ्यंत इतना कहकर किसी को फोन करने लगता है और फोन करने के साथ वह कुछ बताने लगता है।
अगली सुबह
शिवन्या जल्दी उठ कर सुबह तैयार होकर नाश्ता करने के लिए नीचे आती है तभी शिवन्या अपने सामने श्रेया और कल्याणी जी को देखते हैं जो काफी ज्यादा खुश नजर आ रहे थे।
उन्हें खुश देख कर इशारे में ही शिवन्या प्रतीक से पूछने लगती है तभी अमूल्य शिवन्या के पास आकर बोलता है, "सुबह सुबह अभ्यंत ने सब लोगों के लिए एक इनविटेशन कार्ड भेजा है उनके पापा की बर्थडे पार्टी है जिस में पूरी फैमिली को इनवाइट किया गया है।"
अमूल्य की बात सुन शिवन्या पूछता है, "तो इसमें इतना ज्यादा खुश होने वाली बात कौन सी है।"
शिवन्या की बात सुनते ही यश पीछे से आकर धीमी आवाज में बोला, "यह कोई मामूली पार्टी नहीं होने वाली है बल्कि यहां पर शहर के बड़े-बड़े बिजनेसमैन आएंगे शायद इनके दिमाग में यह है कि पार्टी में किसी न किसी अमीर इंसान को फंसा कर उससे शादी करना।"
यश की बातों को सुनते ही अमूल्य और शिवन्या दोनों ही यश को हैरानी भरी निगाहों से देखने लगता है क्योंकि यश जो कह रहा था शायद उन दोनों ने वह सोच नहीं था तभी वहां पर प्रतीक आया और तीनों को देख कर पूछने लगा, "तुम तीनों एक दूसरे को ऐसे क्यों देख रहे हो सब कुछ ठीक है ?"
प्रतीक के सवाल को सुनते ही शिवन्या बोली, "प्रतीक भाई यश भाई जीनियस है क्योंकि हम जो सोच नहीं पा रहे थे इन्होंने वह एक ही छत के में बोल दिया और उन की बात तो बिल्कुल परफेक्ट और सही है।"
शिवन्या की तारीफ सुन कर यश तो फूले नहीं समा पा रहा था जिसे देख कर अमूल्य और प्रतीक दोनों एक दूसरे को देखने लगी।
कैसी सजा देने वाला है अभ्यंत शिवन्या को ?? क्या होगा पार्टी में ?? जाने नेक्स्ट चैप्टर में
जब प्रतीक ने यश के चेहरे के भाव को देखा वह शिवन्या को देखने लगा। क्योंकि वह जानता था की शिवन्या यश की तारीफ तो कर रही है।
लेकिन साथ में यह भी बता रही है कि यह समझदार तो है पर वह अपनी समझदारी जहां पर इस्तेमाल करना होता है वहां पर नहीं करता और जहां नहीं करना होता है वहीं पर करता है।
दोनों के चेहरे को देख यश को समझ में आ गया कि कुछ ना कुछ गड़बड़ है इसलिए वह अजीब सा मुंह बनाकर पार्टी के अंदर चला गया।
पार्टी में अभय और वंश भी आया हुआ था उन दोनों ने जैसे ही शिवन्या को देखा वैसे ही वह दोनों शिवन्या के पास जाकर एक दूसरे से बात करने लगे शिवन्या ने दोनों से पूछा, "तुम दोनों ऐसी पार्टी में क्या कर रहे हो तुम दोनों तो कभी भी ऐसी पार्टी में नहीं आते।"
शिवन्या के सवाल को सुनते ही अभय ने मुंह बनाकर कहा, "क्या करूं हमारी फैमिली की वजह से हमें यहां पर आना पड़ता है वैसे मेरा तो मूड बिल्कुल नहीं था लेकिन क्या ही कर सकते हैं।"
अभय की बात सुन कर वंश और शिवन्या दोनों एक दूसरे को देखने लगे तभी वहां पर अभ्यंत की एंट्री हुई वह भी अपने पापा के साथ।
जिसे देखते ही वंश की आंखों में एक अजीब सा कालापन छा गया। अभ्यंत के पापा को देख कर वंश अभय और शिवन्या तीनों के ही चेहरे के एक्सप्रेशन अचानक बदल गए तभी उन के पीछे से दो लड़के बाहर निकले। वह दोनों ही देखने में हैंडसम लग रहे थे।
तभी वंश ने कहा, "यह दोनों कोई मामूली नहीं है माफिया वर्ल्ड में इन दोनों का नाम सुनने को मिल जाएगा यह दोनों भी काफी खतरनाक है और दोनों अभ्यंत के सबसे खास आदमी है उनमें से एक का नाम ईशान राजपूत है।"
"और दूसरे का नाम अद्विक महाजन है। यह दोनों ही सबसे ज्यादा खतरनाक है बस ऐसा ना हो कि इन दोनों में से कोई हमें पहचान ले।"
अद्विक का नाम सुनते ही शिवन्या के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए तभी अभय ने कहा, "नाम एक जैसा होने से इंसान भी एक ही हो जरूरी नहीं है शिवन्या अपने दिल और दिमाग पर कंट्रोल करके रखो। क्योंकि हमारे सामने हमारा सबसे बड़ा दुश्मन खड़ा है।"
अभय की बात सुन कर शिवन्या मन ही मन में बोली, "कितनी अजीब बात है जिसे मैं अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता हूं उसी का बेटा मेरे पीछे पड़ा हुआ है पता नहीं यह कहानी किसी और जाने वाली है लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं आगे जो भी होगा हर किसी की जिंदगी में सिर्फ तबाही ही लाएगा।"
पार्टी में सब लोग काफी ज्यादा इंजॉय करने लगे वही श्रेया भी अमीर लोगों के बीच में ऐसे बातें कर रही थी जैसे वह ऐसी पार्टी में हर रोज आती हो।
तभी अचानक शिवन्या के कपड़ों पर वाइन गिर जाता है उसे साफ करने के लिए वॉशरूम ढूंढने के लिए चाहती है वह वॉशरूम समझ कर एक कमरे के अंदर जाती है तभी उसे एहसास होता है कि कमरे में कोई बैठा हुआ है इस बात का अहसास होते ही वह उस इंसान के तरफ देखने लगती है।
कमरे के अंदर कोई और नहीं बल्कि अभ्यंत बैठा हुआ था जिस की निगाहें शिवन्या के ऊपर ही टिकी हुई थी तभी शिवन्या वॉशरूम के अंदर चली गई।
कुछ ही देर बाद वह वॉशरूम से बाहर निकाल कर आई तो उसने अभ्यंत को अभी भी वहीं पर बैठे हुए देखा जिसे देख कर वह चुपचाप वहां से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी।
तभी अभ्यंत ने कहा, "मैंने तुम्हें जाने के लिए नहीं कहा जब मैं ना कहूं तो फिर तुम्हें बाहर निकालने की जरूरत नहीं है।"
अभ्यंत की बात सुनते ही शिवन्या बोली, "माफ कीजिएगा मिस्टर राठौर पर सब लोग नीचे हैं मुझे नीचे जाना होगा अगर मैं लेट हुई तो फिर वह सब में से कोई ऊपर आ जाएगा।"
शिवन्या इतना कह कर फिर से जाने लगी लेकिन तभी अचानक किसी के हाथों ने शिवन्या के हाथ को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया और फिर शिवन्या को दीवार से टिका दिया।
जिसे देख कर शिवन्या घबराहट भरी नजरों से अभ्यंत को देखने लगी जिसे देखते ही अभ्यंत शिवन्या के चेहरे को रब करते हुए कहा, "तुम हमेशा मुझ से दूर जाने की कोशिश क्यों करती हो क्या मैं तुम्हें इतना बुरा दिखाई देता हूं जो तुम मेरे पास आने की कोशिश भी नहीं करती।"
अभ्यंत की बातों को सुनते ही शिवन्या और भी ज्यादा घबराने लगी फिर वह अभ्यंत को अपने से दूर करने की कोशिश करते हुए बोली, "आप क्या कह रहे हैं अंकल हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा प्लीज आप हमें यहां से जाने दीजिए सब लोग नीचे हमारा इंतजार कर रहे होंगे।"
शिवन्या की बातों को सुन अभ्यंत अचानक शिवन्या के चेहरे पर अपनी उंगली फिरते हुए बोला, "तुम्हें पता है मेरी जिंदगी में कोई भी अपनी मर्जी से नहीं आ सकता और ना ही मेरी जिंदगी से अपनी मर्जी से जा सकता है। तुम मेरी जिंदगी में मेरी मर्जी से आई हो और अगर मेरी जिंदगी से जाना होगा तो भी तुम मेरी मर्जी से ही जाओगी।"
इतना बोलकर वह शिवन्या को काफी प्यार से देखने लगा। फिर वह शिवन्या के साथ कुछ करता इससे पहले ही कमरे का दरवाजा किसी ने खटखटाया। जिस की आवाज सुनते ही अभ्यंत को काफी ज्यादा गुस्सा आने लगा और वह बाहर खड़े इंसान को अंदर आने के लिए बोला।
जिस की बात सुनते ही वह इंसान अंदर आ गया और अंदर आने के बाद वह बोला, "अभ्यंत नीचे तुम्हें सब लोग बुला रहे हैं।"
यह कोई और नहीं बल्कि ईशान राजपूत था जो अभ्यंत को बुलाने के लिए आया था लेकिन अंदर आने के बाद उसकी नज़रें शिवन्या के ऊपर भी थी।
अभ्यंत ने जब ईशान को शिवन्या को घूरते हुए देखा तो वह ईशान के पास जाकर बोला, "वह मेरी है उसे इस तरह से देखने का हक सिर्फ मेरा है आगे से इस बात का ध्यान रखना।"
अभ्यंत इतना बोल कर वहां से चला जाता है इसके वहां से जाने के बाद ईशान भी वहां से जाने लगता है।
क्या करें कि आगे शिवन्या ?? क्या अभ्यंत का पागलपन शिवन्या की जिंदगी के लिए खतरा बन जाएगा ?? जाने नेक्स्ट चैप्टर में,,,