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Mere Hamsafar

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ये कहानी है ध्रुव और रुद्रांश की जहां ध्रुव एक मासूम और खुद के लिए बेहतर ज़िंदगी की तलाश में था और दुनिया को वो खुल कर जीना चाहता था बिना किसी के परवाह के वो क्या है क्या नहीं किसी को बताने या न बताने के लिए तैयार था वहीं दूसरी तरफ रुद्रांश जो अपने प...

Characters

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रुद्रांश शेरगिल

Hero

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ध्रुव

Hero

Total Chapters (28)

Page 1 of 2

  • 1. - Chapter 1 go harder

    Words: 660

    Estimated Reading Time: 4 min

    वार्निंग:– this story contains adult things (18+)

    aur agr कहानी पसंद आए तो रिव्यू देना न भूलिए गा




    गाइड हमें पता नहीं आप लोग इरोटिका स्टोरी पढ़ेंगे या नहीं इस लिए इसे यही तक रोक रहा अगर आप लोग पढ़ना चाहेंगे तो तभी मैं इसका अगला पार्ट लाऊंगा वरना स्टोरी का कांसेप्ट चैंग कर दूंगा जैसा हो pls बता देना



    अब आगे


    सुनो तुमसे कितनी बार कहा है जब मुझे किसी बड़ी डील के लिए बाहर जाना होता है तो मुझे मेरे बिस्तर में  वो चाहिए ताकि मैं अपना गुस्सा निकाल सकू और गुड s@@x मेक मैंन हैपी 


    सो i need सम स्किल्स बॉटम सो आई कैन सेटिस्फाइड माई सेल्फ वेल ... तुम्हारे पास बस ,२० मीन है मुझे मेरे बिस्तर पर कोई न कोई चाहिए
    ये कह के वो फोन काट देता है ...!



    ये था अर्जुन वन ऑफ द बिगेस्ट बिजनेस मैन लंबा चौड़ा गठीला बदन उम्र 30 साल फेयर स्किन और एरोगेंट अर्जुन के गुस्से से कोई भी नहीं बच सकता था वो खुद को कभी कंट्रोल नहीं कर पाता था इसी लिए वो हमेशा किसी डील को अटेंड करने से पहले हुकअप कर के जाता था ताकि वो अपना सारा फ्रस्ट्रेशन बेड में निकला सके



    अब आगे...
    तभी दरवाजे की घंटी बजी ... ये सुनते ही अर्जुन के चेहरे पर मुस्कान आ गई वो गेट के पास जाते हुए गेट ओपन करता है सामने खड़ा एक 19 साल का लड़का वो अर्जुन की तरफ देखता है अर्जुन उसे अंदर खींच लेता है ...! 

    उसे बेड पर धक्का देते हुए अपने पॉकेट से सिगार निकलता है और उसे जला कर उसके धुएं को हवा में उड़ाने लगता है और धीरे से कहता है कितनी बार किया है ...?
    ये सुन वो लड़का घबराते हुए कहता है कई बार

    अर्जुन:– मतलब तुम्हे सब चीजों का अंदाजा है ...?

    जी
    तुम्हारा नाम क्या है ...?
    ध्रुव..!  उसने धीरे से कहा...!

    तो ध्रुव गेट रेडी फॉर मेकाउट ... आज जितना अच्छा परफोर्मेंस दोगे उतना पैसे मिलेगे ...!

    ध्रुव:– मुझे पैसे नहीं चाहिए आप अपने पैसे खुद रखिए ...!

    अर्जुन अपने भौहें उठा कर उसे देखता है और फिर बिना कुछ बोले अपने कपड़ो को निकलने लगता है ..!

    ध्रुव ये देख कर अपनी नजरें छुपा रहा था  अर्जुन उसे इस तरह बहाव करता देख उसके मुंह को कस पर पकड़ते हुए कहता है यह तुम्हे ये कमरा देखने के लिए नहीं बुलाया है यहां तुम्हे मेरे साथ मेकआउट करना है तो आंखें मुझ पर और अब कपड़े निकाल कर शुरू करो  

    ध्रुव धीरे से अपने कपड़े निकलता है और  अपने मन में कहता है मुझे शुरू कहा से करना चाहिए आज तक मैने किसी पराए मर्द को ऐसे देखा नहीं और कही इसे पता चल गया कि मैं वर्जिन हु तो ये मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा... बबलू ने साफ साफ बोला था कि डेविल को बेड में पेशनेट और एक्सप्रिक्स लोग ही चाहिए होते है


    ध्रुव अपने ख्वाब में गुम था कि तभी अर्जुन उसे बेड पर पटकते हुए उसके बॉडी पर किस करने लगता है वो धीरे धीरे ध्रुव के कानों को अपने होंठो से छूने लगता है और फिर उसके गले पर अपने गिले टंग को घुमा रहा था जिसकी वजह से ध्रुव aaaahhhh करते हुए अपने पैरों को आपस में रगड़ने लगता है और  अर्जुन के बालों को कस कर पकड़ लेता है अर्जुन हल्की सी मुस्कान के साथ उसके गले पर और दीपाली किस करने लगता है अब ध्रुव की आवाज में और उत्साह था वो उस मोमेंट में खो सा गया था अर्जुन ये देख कर अपने उंगलियों को ध्रुव के मुंह में डाल देता है ध्रुव धीरे धीरे उसके उंगलियों के साथ अपने टंग से खेल रहा था अर्जुन और अब हार्ड हो रहा था वो धीरे से ध्रुव के चेस्ट एरिया पर आते हुए उसके नाजुक हिस्सों को अपने मुझ में पकड़ लेता है और उसे धीर धीरे धीरे काटने लगता है धुव्र अब मदहोश हो रहा था वो अर्जुन के बालों को पकड़ कर कहता है हार्ड डैडी हार्ड डोंट स्टॉप...

  • 2. Mere Hamsafar - Chapter 2

    Words: 632

    Estimated Reading Time: 4 min

    अर्जुन को ये सुन कर काफी सुकून मिल रहा था वो अपने गति को और तेजी करता है और फिर ध्रुव को उठा कर अपने ऊपर लेते हुए अपने उंगलियों को उसके कमर के नीचे ले जा रहा था ध्रुव ने उसके उंगलियों को पकड़ते हुए अपने मुंह में डाल लेता है  और उसे पैशनेटली suck करने लगता है ये देख अर्जुन ध्रुव का चेहरा अपने हाथों से पकड़ेते हुए उसे अपने कमर के पास ले जाने लगता है और धीरे से कहता है अगर दांत लगा तो पेनिसमेंट बढ़ जाएगी ...।

    गाइड हमें पता नहीं आप लोग इरोटिका स्टोरी पढ़ेंगे या नहीं इस लिए इसे यही तक रोक रहा अगर आप लोग पढ़ना चाहेंगे तो तभी मैं इसका अगला पार्ट लाऊंगा वरना स्टोरी का कांसेप्ट चैंग कर दूंगा जैसा हो pls बता देना

    To be continued....
    अर्जुन ने कहा अगर दांत लगा तो पेनिसमेंट बढ़ जाएगी ..!

    ध्रुव एक पल के लिए घबरा जाता है फिर खुद को संभालते हुए धीरे से अपने आप को समझाता है ध्रुव तुझे तेरे डर से लड़ना है तुझे भी बेड में एक्सपर्ट बनना है ताकि कल को कोई तुझे इस लिए न छोड़े तू उसे सेटिस्फाइड नहीं कर पाया ...

    तब तक अर्जुन ने धीरे से चुटकी बजाय और उसे नीचे की तरफ इशारा करता है ...।

    ध्रुव धीरे से उसके कमर के नीचे जा रहा था और वो  न चाहते हुए भी वो सब के रहा था इधर अर्जुन ने अपनी आंखें बंद कर ली थी ध्रुव ने धीरे से अपने मुंह को उसके नाजुक हिस्से के पास लगाया अर्जुन ने एक गहरी सांस लेते हुए उसके सिर को अपने पंजों से
    पकड़ लिया और उसे अंदर की तरफ पुश करने लगा ध्रुव का मुंह छोटा पड़ रहा था और अर्जुन ने अपनी रफ्तास बढ़ा थी जिसकी वजह से अर्जुन को दांत के चुभने का एहसास हुआ ये वो दर्द से चिल्लाते हुए कहता है " अआआह तुझे बोला था न दांत नहीं लगना और तेरे हरकते देख कर लगता नहीं है कि आज से पहले ये सब किया है....

    ध्रुव चुप था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अर्जुन ने गुस्से में पास टेबल पर पड़े पैकेट को उठाया और उसे फाड़ते हुए ध्रुव को देके बोला पहनाओ उसे...!

    ध्रुव उस चीज को घूर के देख रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो पहनाए कैसे ...!

    ये देखे अर्जुन ने गुस्से से कहा तुमने कभी इसका इस्तेमाल नहीं किया है क्या ...?

    ध्रुव:– किया तो है पर हमेशा सामने वाले ने खुद पहना मैने कभी नहीं पहनाया ...!


    ये सुन कर अर्जुन दंत पिसते हुए उस चीज को पहन लेता है और ध्रुव को पेट के तरफ धक्का देके लिटाते हुए कहता है डोंट बे पैनिक थोड़ा दर्द होगा पर मजा भी आएगा ...!

    ये कह के वो अपने उंगलियों को अपने मुंह में डालते हुए उसे गिला कर के ध्रुव की तरफ बढ़ा देता है और जैसे ही उसने अपने उंगलियों का इस्तेमाल किया उसने ध्रुव को जोर से बेड के नीचे धक्का दे दिया ...!


    ध्रुव जमीन पर गिर जाता है और चिल्लाते हुए " aaa लग गई ...! "

    अर्जुन:– व्हाट द हेल ..? तू वर्जिन है ...! फिर तूने झूठ क्यों बोला...?

    ध्रुव धीरे से बेड के पास आते हुए कहता है ...! I m sorry दरअसल मुझे ये सब सीखना है और समझ नहीं आ रहा कैसे सीखू मेरे ex ने इसी लिए मुझे छोड़ा क्यों कि मैं बेड में अच्छा नहीं हु  ... फिर मेरे फ्रेंड ने सजेस्ट किया कि मैं रैंडम ह्यूवअप करूं और धीरे धीरे सिख जाऊंगा ...!




    सुनिए :– हमारे पास और भी इरॉटिक और डार्क एपिसोड है इस स्टोरी के आगे आप चाहते है कि सारे पार्ट एक साथ पोस्ट कर दूं तो बता दीजिए पर उसके लिए स्टोरी पर रेपो आना चाहिए वरना लिखने का क्या फायदा

  • 3. Mere Hamsafar - Chapter 3

    Words: 564

    Estimated Reading Time: 4 min

    अर्जुन गुस्से से लाल होते हुए कहता है गेट दी हेल आउट ऑफ हेयर दुबारा अपनी सकल मत दिखाना ये कह के वो उसके कपड़े उठा कर उसके ऊपर फेंक देता है ...



    ध्रुव रोते हुए कपड़े उठाता है और उसे पहनते हुए कमरे से बाहर चला जाता है



    अर्जुन अपने बगल में पड़े सिगार को जलाया और फोन को उठा कर कुछ सर्च करता है ...! और फिर अपने हाथों से अपने बॉडी के साथ खेलने लगता है और एक लंबे पल के साथ वो जोर के चीख के साथ शांत होके बेड पर लेट जाता है और गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखें बंद कर लेता है उसका पूरा शरीर पसीने में डूब चुका था और मानो ऐसा लग रहा था जैसे वो स्टीम बात लेके आया हो ...



    थोड़ी देर में फोन की रिंग बजती है वो फोन की तरफ देखते हुए
    कॉल कट कर देता है और फिर उठ के के वॉशरूम में जाता है थोड़ी देर बाद 🚿 🚿 लेके वो बाहर आता है खुद को साफ कर के

    अपने कपड़े पहनने लगता है और फिर कॉल उठा कर कहता है " अदिति बेबे I am coming" आज कहा जाना है ...!

    सामने से आवाज आता है " सर as u said आज से आप के वर्क टाइम में टाइम मैनेज कर के ivpc कॉलेज में प्रोफेसर के लिए डॉन कर दिया है ....


    पर सर आप अपने कॉलेज में प्रोफेसर क्यों बनाना चाहते है ...?

    " मिस अदिति ये बात आप को और हमें पता है है कि वो कॉलेज हमारा है पर बाहर के दुनिया और उस कॉलेज के डीन को नहीं पता "
    और ये आप के सोच से परे है तो आप बस वह चलने की तैयारी करिए "



    अदिति अपना फोन कट कर देती है " अर्जुन मुस्कुराते हुए कहता है दादा जी आप ने जो कहा था वो तो मैं अब के के रहूंगा अर्जुन के बिजनेस में कोई धोखा दाढ़ी करे अर्जुन को बर्दाश्त नहीं और मैं उस कुत्ते को चुन चुन के मारूंगा "


    दूसरी तरफ......

    ध्रुव सड़क पर अकेले चल रहा था उसके आंखों में आशु थे वो खुद के हाथ से खुद को सहलाते हुए कहता है " सही ही तो कहते है लोग न तो तू लुक में अच्छा हो और न ही बेड में...!

    किसी कम के नहीं हो तुम ... तब तक ध्रुव का फोन बजा वो फोन पर देखता है तो विक्की का कॉल आ रहा था वो फोन उठाते हुए कहता है ह विक्की...!

    विक्की एक्साइटमेंट में :– सो लूस कर दी अपनी वर्जिनिटी...?
    ध्रुव उदास होते हुए कहता है ...! नहीं यार कहा

    विक्की:– क्यों  क्या हुआ ...?

    ध्रुव:– उसको मै पसंद न आया उसे  वर्जिन लोगो में इंटरेस्ट नहीं है



    क्या ये कैसा बन्द था ...? भाई लोग मरते है वर्जन लोगो के लिए और ये है कि इसे चाहिए नहीं ...!


    अरे छोर न विक्की शायद मेरे किस्मत में ये लिखा ही नहीं है ...!


    ओ देवदास के छठी औलाद चुप कर जा और जल्दी से रूम पर आ मैंने तेरे लिए कुछ मंगाया है


    कैसा लगा ये पार्ट कमेंट कर के बताना और है पसन्द आया तो लाइक फॉलो और शेयर के देना बच्चू लाल......

    To be continued.  . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . .. . . . . . . . . .

  • 4. Mere Hamsafar - Chapter 4

    Words: 737

    Estimated Reading Time: 5 min

    "झाड़ियों के पीछे..."
    एक अपार्टमेंट सस्पेंस-ड्रामा उपन्यास से अंश

    ध्रुव का चेहरा उतरा हुआ था। वो चुपचाप उस अपार्टमेंट की ओर बढ़ रहा था, जहाँ कुछ समय पहले तक उसके ख्वाब बसते थे... और अब, बस बदले की आग।

    तभी, अचानक उसकी नज़र सामने खड़े उस इंसान पर पड़ी—उसका एक्स।
    ध्रुव की आँखों में नफ़रत चमक उठी। उसने तना हुआ गला साफ़ करते हुए कहा, “तू... यहां? क्या कर रहा है यहां?”

    अभी वो जवाब देता, इससे पहले ध्रुव की नज़र सामने से आते समीर पर जा टिकी।
    समीर को देखकर उसकी पुतलियाँ फैल गईं, जैसे किसी गहरे रहस्य पर परदा उठता हो।

    वो बड़बड़ाया, “इस साली को तो मैं छोड़ूंगा नहीं! ये मुझे पता है, इसके पीछे क्यों पड़ा है... धीरज का बड़ा ठिकाना है ना... मुझे यकीन है, ये उसी के लिए उसके पीछे पड़ा है।”

    इतना सोच ही रहा था कि तभी सामने से धीरज आता दिखाई दिया। ध्रुव की साँसे थम गईं।
    धीरज, समीर की तरफ बढ़ा... और फिर—उसे झाड़ियों की ओर खींच ले गया।

    ध्रुव की साँसें तेज़ हो गईं। उसकी आँखें वहीं टिक गईं, जैसे समय थम गया हो।

    और फिर, उस झाड़ी के पीछे से आती आवाज़ें... वो स्पर्श... वो लिपटते हुए साए...
    ध्रुव का दिमाग़ सन्न रह गया!

    "क्या ये सच है?"
    "क्या यही वजह थी इन दोनों के मेल-जोल की?"
    "क्या समीर और धीरज... दोनों... एक-दूसरे के...?"
    ध्रुव का चेहरा गुस्से और अविश्वास से तमतमा उठा।

    तभी, जैसे कोई आइडिया आया हो, वह फौरन अपार्टमेंट के गार्ड की ओर दौड़ा।

    “गार्ड भैया!” ध्रुव ने घबराहट में आवाज़ दी।

    गार्ड ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ तू बाबू... बोलो, क्या हुआ?”

    ध्रुव ने इधर-उधर देखा, फिर फुसफुसाते हुए बोला, “मुझे लगता है, झाड़ियों में कुछ है... बहुत तेज़ी से हिल रही हैं। आप एक बार जाकर देखोगे? मुझे डर लग रहा है...”

    गार्ड भैया ने सीरियस होकर सिर हिलाया। “आप परेशान क्यों होते हैं, बाबू? जब तक मैं हूँ, कोई आपको डराए, इतनी मजाल? रुकिए... मैं देखता हूँ।”

    वो अपनी छड़ी उठाकर धीरे-धीरे झाड़ियों की ओर बढ़े। और फिर... अचानक... धप्प! धप्प!

    छड़ी लगातार झाड़ियों पर बरस रही थी! और अगले ही पल...

    "आआह! व्हाट द हेल!"
    झाड़ी के अंदर से आवाज़ आई।

    धीरज और समीर, दोनों पूरी तरह नग्न थे!
    चौंककर उठे, और घबरा कर एक-दूसरे से अलग हुए।

    गार्ड भैया ने घबरा कर आँखें बंद कर लीं। “हे भगवान! ये क्या देख लिया मैंने! तुम लोग... बेशरम हो क्या? ये शरीफों की बस्ती है! यहां अच्छे लोग रहते हैं! भागो यहां से, नहीं तो मैं सेक्रेटरी से शिकायत कर दूंगा!”

    धीरज और समीर जल्दी-जल्दी अपने कपड़े समेटते हैं... और जैसे कोई चोर भागता हो, वैसे वहाँ से रफूचक्कर हो जाते हैं।

    दूर खड़ा ध्रुव, ये सब देख रहा था... और फिर...

    ज़ोर से हँस पड़ा!

    वो हँसता गया... हँसता गया... जैसे कोई भारी बोझ उतर गया हो।

    अपार्टमेंट में पहुंचते ही, वो लगातार हँसी से लोटपोट हो रहा था।

    उसे यूँ हँसते देख, एक लड़की हैरानी से बोली, “क्या हुआ शर्मा जी? लग गया झटका? टेबल ने कुछ ज़्यादा बड़ा इंजेक्शन तो नहीं लगा दिया, जो हँसते जा रहे हो?”

    पर ध्रुव की हँसी थमने का नाम नहीं ले रही थी।

    विक्की, जो पास में बैठा था, मुस्कुराते हुए बोला, “तुझे पागलखाने में भर्ती करवाना पड़ेगा... जिस हिसाब से हँस रहा है ना तू... बॉयफ्रेंड तो छोड़ो, अब तो कोई कुत्ता भी तुझे ना पूछे!”

    ध्रुव ने हँसते-हँसते जवाब दिया, “भाई... तू सुनेगा तो तू भी हँसेगा! आज मैंने क्या किया!”

    “क्या किया रे तू?” विक्की उत्सुक हो गया।

    “अरे, वो समीर और धीरज... मैंने उन्हें झाड़ियों में गुलू-गुलू करते देख लिया... और फिर गार्ड भैया को बता दिया! जो डंडे पड़े ना उन पर... और जो बेइज्जती हुई ना उनकी... भाई कसम से... उस मोमेंट को रिकॉर्ड कर पाता तो आज वायरल हो जाता!”

    विक्की भी ठहाका मार कर हँस पड़ा। और फिर दोनों दोस्त... पागलों की तरह हँसते रहे।

    लेकिन उन्हें क्या पता था... यह अंत नहीं था... यह तो बस शुरुआत थी।
    झाड़ियों के पीछे दबी कहानी अभी बाकी थी...

    आगे आज कहानी पर 100 व्यू पूरे हो गए और 10 से अधिक रेटिंग आई तो आगे के एपिसोड और ज्यादा इरॉटिक और दामाद होंगे साथ में दो एपिसोड एक्स्ट्रा मसाले से भरपूर

    सुनिए :– हमारे पास और भी इरॉटिक और डार्क एपिसोड है इस स्टोरी के आगे आप चाहते है कि सारे पार्ट एक साथ पोस्ट कर दूं तो बता दीजिए पर उसके लिए स्टोरी पर रेपो आना चाहिए वरना लिखने का क्या फायदा

  • 5. Mere Hamsafar - Chapter 5 लाइब्रेरी में रासलीला

    Words: 808

    Estimated Reading Time: 5 min

    अगला दिन...!


    विक्की और ध्रुव सुबह-सुबह जल्दी उठकर कॉलेज की तरफ निकल जाते हैं
    ध्रुव धीरे से बड़बड़ आते हुए कहता है यार मुझे अजीब लग रहा है मैं समीर के बच्चे का सिर फाड़ दूंगा

    विक्की से समझाते हुए कहता है तू चल करना तो क्यों लोड ले रहा है और वैसे भी वह तेरे गुस्से को डिजर्व नहीं करता यह कहते हुए दोनों क्लास की तरफ जाते हैं तब तक विक्की कहता है सुन चल लाइब्रेरी से कुछ किताब लेकर आते हैं ठीक है रुक जा बैग रखने दे चलता हूं एक ध्रुव ने अपना बैग डिस पर रखा और वहां से वह दोनों लाइब्रेरी के लिए निकल गए लाइब्रेरी में पहुंचकर ध्रुव और विक्की एक दूसरे की तरफ देखते हुए कहते हैं यार लाइब्रेरी में अंधेरा है क्या बाकी लोग कहां है पता नहीं मुझे क्या चल तुझे कौन सी किताब लेनी थी निकाल और हम चलते हैं अच्छा ठीक है बाबा चलते हैं यह कहकर वह दोनों आगे बढ़ी रहे थे तब तक लाइब्रेरी में uu aaah की आवाज आ रही थी आवाज सुनते ही विक्की के कान बड़े हो गए वह ध्रुव की तरफ देखते हुए कहता है लगता है यहां कुछ हो रहा चल देखते है ....!

    विक्की की बात सुन कर ध्रुव झल्लाए हुए कहता है पागल है क्यों देखना और वैसे भी वो उनका पर्सनल चीज़ है ...!


    ओ ज्ञान के बाबा अपना ज्ञान क्लास के लिए बचा कर रख चल देखते है है कौन ...

    विक्की और ध्रुव दबे पांव लाइब्रेरी में आ रही आवाज की तरफ जाने लगते है विक्की बुक सेल से कुछ बुक हटा कर सामने के नजारे को देखते हुए कहता है ...!

    ये तो हमारे बायोलॉजी के प्रोफेसर विक्रांत है और ये लड़का कौन है ...!

    विक्रांत का नाम सुनते ही ध्रुव भी बुक शेल्फ से बुक हटा कर देखते हुए कहता है

    wow ये विक्रांत आहूजा है न ..!

    विक्की:– हा ये वही है पर तुझे कैसे पता,तू तो आज यहां आ रहा

    विक्की की बात सुनते ही ध्रुव ने धीरे से कहा पिंसटग्राम पर देखा था he is damm hott

    उसको देख कर ध्रुव के पसीने छूट रहे थे ध्रुव की नजर सामने विक्रांत के ऊपर से हट ही नहीं रही थी उसके गठीले बदन पर सांप की तरह फिसलती पसीने की बूंद हल्की रोशनी में चमक रही थी ...!


    और विक्रांत की रफ़्तार से वो लड़का चीख रहा था और टेबल की चर्चाहट विक्रांत की तरबियत साफ साफ बाया कर रही थी ...!


    विक्की उसे देख कर कहता है यार मैं अगर लड़की होता तो इसके साथ दो चार बार तो मुंह मर ही लेता ..

    ये सुन कर ध्रुव उसके सिर पर तपली मरते हुए कहता है , हुटिए वो लड़कों को भी कर सकता है तुझे दिख नहीं रहा उसके कमर के नीचे बैठा वो साक्स लड़का ही है जो उसके हथौड़े से खेल रहा है तू अभी भी ट्राई कर सकता है ।।।।


    विक्की ये सुनते ही मुंह बनते हुए कहता है छी मुझे ये सब नहीं पसंद और मेरी गर्लफ्रेंड भी है तू जा लेले उसका वैसे भी तुझे तो मजा आएगा एंड आई एम damm sure की इसके साथ वर्जिनिटी लूस कर के तू कभी भी बुरा महसूस नहीं करगा ...!


    ध्रुव सामने के नजारे को देखते हुए कहता है विक्की तू चल मैं आता हु

    विक्की आंखें बड़ी कर के कहता है क्या मतलब तू उनके साथ threesome करने का सोच रहा ...?


    छी विक्की bhk मै बस हल्का होके आता हु ...
    ये कह के ध्रुव ने अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाने लगा विक्की ये देखे कर वहां से चला जाता है
    ध्रुव सामने से आ रही आवाज और नज़ारे को देखते हुए धीरे से जमीन पर बैठ जाता है और खुद की आंखें बंद के के अपने हाथ का इस्तेमा करने लगता है ...

    तभी इसे अपने ऊपर किसी का एहसास होता है वो झट से डर के अपने पेंट को ऊपर करते हुए उठने ही वाला था कि सामने खड़े इंसान ने उसे कस कर किस कर लिया और उसका किस इतका पैसनेट था कि ध्रुव भी उसमें खो गया और वो भी उसके बालों को पकड़ कर किस किए जा रहा था ...!


    उसकी बॉडी आग की तरह गरम थी और उसके शरीर से बहते पसीना ध्रुव के ऊपर आ रहा था अचानक से ध्रुव को कुछ एहसास होता है वो उस इंसास को धक्का देता है वो इंसान जोर से बुक सेल्फ से लड़ जाता है और ध्रुव उठ कर वहां से भाग जाता है



    आखिर कौन था वो इंसान...!

    to be continued....!
    स्टोरी अगर पसंद आई तो कमेंट करना और रिव्यू देना न भूलिए गा
    सुनिए :– हमारे पास और भी इरॉटिक और डार्क एपिसोड है इस स्टोरी के आगे आप चाहते है कि सारे पार्ट एक साथ पोस्ट कर दूं तो बता दीजिए पर उसके लिए स्टोरी पर रेपो आना चाहिए वरना लिखने का क्या फायदा

  • 6. Mere Hamsafar - Chapter 6

    Words: 1033

    Estimated Reading Time: 7 min

    बाहर आकर ध्रुव बेसन के लगे शीशे में खुद की शक्ल को देखते हुए... खुद के गाल पर जोर से एक चांटा जड़ देता है।

    “यह क्या कर रहा है, ब्रो...? तुझे अंदाज़ा भी है... वो तेरा प्रोफेसर है! तू ऐसा कैसे कर सकता है...!”

    हां, मन ही मन ध्रुव खुद से कहता है...
    “विक्रांत आहूजा तेरा क्रश है... पर फिर भी...! तू उसके साथ ऐसा नहीं कर सकता!”

    तभी... पीछे से उसके कंधे पर कोई हाथ रखता है।

    ध्रुव धीरे से मुड़ता है... और सन्न रह जाता है।
    विक्रांत उसके सामने खड़ा था...!

    वो अपनी शर्ट से शरीर पर बहता पसीना पोंछते हुए ठंडे लहजे में कहता है—
    “क्या हुआ...? You don’t like it? तुम्हें मेरा 'वो' पसंद नहीं आया क्या...?”

    ध्रुव अपनी नज़रें झुकाते हुए धीमे से कहता है—
    “सर... I’m sorry... गलती हो गई। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था... पर... मैं खुद को समझ नहीं पाया।”

    लेकिन उसकी निगाहें... विक्रांत के थाईज़ पर टिक जाती हैं।
    मोटी, सुडौल, और पसीने से भीगी हुई...

    वो वहां से नज़रें हटाकर दूसरी तरफ देखने की कोशिश करता है...
    ...लेकिन उसकी निगाहें अब विक्रांत के डेली एरिया पर टिक जाती हैं...
    जहां पर अब भी कुछ... जगा हुआ था।
    पसीना सांप की तरह उसकी बॉडी से लिपटा हुआ था...

    ध्रुव तेजी से मुंह मोड़ता है... पर अब उसकी नज़रें विक्रांत की भुजाओं पर जा टिकती हैं...!

    वो गुस्से में, फस्र्टेट होकर कहता है—
    “सर... I’m sorry... आप मेरे प्रोफेसर हैं... और मैं आपको देखकर डिस्ट्रैक्ट नहीं होना चाहता। इसलिए... मैं भाग गया।”

    ध्रुव जाने ही वाला था कि...
    विक्रांत ने उसे गुस्से में पकड़ लिया!

    उसे खींचकर दीवार से सटा दिया...!

    “अगर किसी को पता चला कि लाइब्रेरी में क्या हो रहा था... तो सोच लेना...
    तुम्हारे साथ वो करूंगा, जो तुमने सपने में भी नहीं सोचा होगा!”

    ध्रुव का चेहरा एक पल को डर से सफेद पड़ जाता है।
    विक्रांत की आंखों में आग थी।

    वो कहता है—
    “आप चिंता मत कीजिए... मैं किसी को कुछ नहीं बताने वाला।
    मुझे तो ये भी नहीं पता था कि आप लाइव आते हैं...
    और आपकी कमर पर बना टैटू... सब कुछ बयां कर गया।”

    विक्रांत चौकते हुए पूछता है—
    “क्या... तुमने मुझे लाइव देखा है...?!!”

    ध्रुव को एहसास होता है कि उससे बहुत बड़ी बात निकल गई है।
    वो फौरन आंखें बंद करता है, मुंह पर हाथ रखता है—
    “I’m sorry... मुझे ये सब नहीं बोलना था... प्लीज़... मुझे जाने दीजिए...”

    विक्रांत उसकी आंखों में झांकते हुए, गहरी आवाज़ में कहता है—
    “अगर गलती से भी किसी को फर्क पड़ा कि वो इंसान मैं हूं...
    तो याद रखना...
    मेरे लिए मेरी रेपुटेशन ही सबकुछ है।”
    “So... be careful!”

    वो ध्रुव को कसकर पकड़ता है... फिर छोड़ देता है।

    ध्रुव गहरी सांस लेता है और हँसते हुए कहता है—
    “किसी को पता नहीं चलेगा...”
    ...और वहां से भाग जाता है।

    उसका पूरा शरीर पसीने से तर-बतर था...!

    (सीन बदलता है)

    विक्की उसे देखकर कहता है—
    “क्या बात है...? कहीं प्रोफेसर विक्रांत ने तेरे साथ... वो सब तो नहीं कर दिया...?
    तेरी हालत देखकर तो यही लग रहा है! जैसे उन्होंने तुझे... अच्छे से ‘चेक’ कर लिया हो!”
    “अगर यही करना था... तो मुझे भी बता देता... मैं भी देख लेता... चुपके से!”

    ध्रुव गुस्से में—
    “विक्की चुप कर! मुंह तोड़ दूंगा तेरा! ये सब कुछ नहीं हुआ... वो तो... प्रोफेसर विक्रांत ने मुझे किस...”

    (वो रुक जाता है...!)

    विक्की चौककर—
    “क्या...? प्रोफेसर विक्रांत ने तुझे किस किया...!?
    Oh my God! सच बता, तू झूठ तो नहीं बोल रहा?”

    ध्रुव गुस्से से—
    “छोड़ यार... पूरा मूड खराब हो गया।
    वो एक नंबर का खड़ूस है... उसने मुझे धमकी दी है।
    कहा अगर किसी को पता चला कि लाइब्रेरी में क्या हुआ... तो वो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा!”

    विक्की लंबी सांस लेता है—
    “मैं समझ सकता हूँ... बायसेक्शुअल्स वैसे ही होते हैं। पर सारे वैसे नहीं होते... कुछ ही होते हैं...”

    ध्रुव झल्लाता है—
    “अच्छा छोड़ ना यार... चल क्लास में!”

    ध्रुव और विक्की क्लासरूम की तरफ बढ़ते हैं।
    विक्की थोड़ा आगे होता है।
    ध्रुव उसके पास आकर बोतल छीनते हुए कहता है—
    “यह नहीं कि दोस्त मरते-मरते बचा, उसे पानी पिला दे...”

    विक्की हँसते हुए—
    “हाँ हाँ, पता है... पुण्य मिलता है पानी पिलाने से...
    पर तू तो किसी और प्यास का मारा है...
    तेरी वो प्यास मुझसे ना बुझ सकेगी!”

    ध्रुव गुस्से से—
    “चुप कर जा विक्की! हर वक्त मज़ाक अच्छा नहीं लगता।”

    तभी... क्लास से हल्की-सी आवाज़ आती है।
    विक्की की आंखें चौड़ी हो जाती हैं—
    “लगता है प्रोफेसर आ गए हैं... आज पहला दिन है और पहले दिन ही लेट... भगवान बचाए!”

    दोनों क्लास की तरफ भागते हैं।

    जैसे ही ध्रुव और विक्की क्लास के दरवाज़े तक पहुंचते हैं...

    वो पूछते हैं—
    “सर... अंदर आ सकते हैं?”

    सामने प्रोफेसर की नज़र दोनों पर पड़ती है...

    ध्रुव की आंखें फटी रह जाती हैं...!
    वो लड़खड़ाते हुए दो कदम पीछे हट जाता है...

    विक्की उसका हाथ पकड़ता है और कहता है—
    “अंदर चल...”
    उसे खींचते हुए क्लास में ले जाता है।

    और सामने... प्रोफेसर की आंखें... ध्रुव की आंखों में... सीधी... झांक रही थीं...!
    ध्रुव को रात का वो सारा वाकया... फ्लैशबैक की तरह याद आने लगता है...


    ध्रुव के हाथ पैर कांपने लगते हैं वह चुपचाप अपने सीट पर आकर बैठ जाता है और अपने आपको समझते हुए कहता है ध्रुव कोई नहीं तू उसे नहीं जानता तू उसे नहीं जानता यह कहकर वह एक गहरी लंबी सांस लेता है और बोर्ड की तरफ देखा है तो प्रोफेसर उसे घूर कर देख रहा था यह देखी वह अपनी निगाह दूसरी तरफ कर लेता है ध्रुव अपने सर पर टपली मारते हुए करता है उसे बार-बार मेरी निगाहें क्यों मिल रही है यार मुझे उससे नहीं इंटरेक्शन करना सबसे वाहिद इंसान है वह यह कहकर अपनी बुक से निकाल कर बुक को ध्यान से देखने लगता है और चुप चाप सिर झुकाए बैठ जाता है और घबराहट के कारण उसके पैर तेजी से हिल रहे थे ये देख विक्की उसे रोकते हुए कहता है क्या हुआ ...! तू घबरा क्यों रह ..!

    ध्रुव लड़खड़ाते हुए कहता है किसने कहा मैं घबरा रहा...!
    मैं तो बस पढ़ रहा

    देख ध्रुव मुझे तेरी हरकते अच्छी तरीके से पता है तू जिस स्पींड से पैर हिला रहा समझ आ रहा मुझे ये ...!

    आख़िर... कौन था वो प्रोफेसर...?

  • 7. Mere Hamsafar - Chapter 7

    Words: 1022

    Estimated Reading Time: 7 min

    : .

    विक्की की बातों को सुनकर... ध्रुव के कदम रुक जाते हैं।
    वो माथे से पसीना पोंछते हुए धीमे स्वर में कहता है,
    "कुछ नहीं... बस ये क्लास जल्दी खत्म हो जाए। मुझे यहां से जाना है... घुटन हो रही है।"

    तभी...
    एक छोटी सी स्मॉल बॉल... आकर सीधे विक्की के सिर पर लगती है!

    विक्की चौंककर सामने देखता है — प्रोफेसर ने ही वो बॉल फेंकी थी!
    प्रोफेसर की आवाज़, ठंडी... लेकिन भीतर तक चुभने वाली—
    "हम क्लास में पढ़ने आए हैं। बातें बाहर जाकर भी की जा सकती हैं...
    तो थोड़ी देर फोकस कर लो, वरना हम छोड़ कर चले जाते हैं।
    आप लोग बातें ही करते रहना..."

    ये सुनते ही ध्रुव और विक्की दोनों चुप हो जाते हैं।

    प्रोफेसर मुस्कुराते हुए कहते हैं—
    "मैं हूं अर्जुन... आप सबका नया प्रोफेसर।
    उम्मीद करता हूं कि आप सब सहयोग करेंगे।"

    तभी एक लड़का खड़ा होता है—
    "सर... आप वही हैं ना? अर्जुन ग्रुप के सीईओ?
    आपकी तो ढेरों कंपनियां हैं... फिर टीचिंग क्यों?"

    अर्जुन हल्की मुस्कान के साथ कहते हैं—
    "गुड क्वेश्चन।
    एक्चुअली... मुझे लगता है कि आप सभी मुझसे भी बेहतर बिजनेसमैन बन सकते हैं...
    बस जरूरत है एक सही गाइड की।
    और मैं यही करने आया हूं—आप सबको वो दिशा देने, जिससे आप खुद को बना सको।
    क्योंकि... कॉलेज लाइफ ही वो मोड़ होता है जहाँ इंसान या तो बनता है... या बिगड़ता है।"

    (पर अर्जुन के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था...)

    वो दूसरी तरफ देखकर... आंखों में शैतानी चमक लिए... मन ही मन सोचता है—
    "असल में तो मैं अपनी हवस मिटाने आया हूं...
    कॉलेज में आए ये नए लड़के... अब तक पॉवर्टी और स्ट्रगल से जूझ रहे हैं...
    उन्हें ‘कन्वर्ट’ करना आसान होगा।
    और ये वही उम्र है जब एक्सप्लोर करने की चाह सबसे ज़्यादा होती है...
    मेरी फ्रस्ट्रेशन भी निकलेगी... और गुस्सा भी शांत रहेगा..."

    (फिर चेहरा मासूम बनाकर बोलता है...)
    "Any further questions...?
    नहीं...? तो क्लास शुरू करें?"

    हर कोई शांत था।

    क्लास शुरू होती है... और धीरे-धीरे खत्म होने को आती है।

    अर्जुन गहरी सांस लेकर चेयर पर बैठते हुए कहता है—
    "बाकी कल करेंगे। अब आप सब जा सकते हैं।"

    सभी छात्र निकलने लगते हैं...
    लेकिन तभी अर्जुन की नज़र ध्रुव पर जाती है।

    "Come here..."
    ध्रुव चौंकता है... चारों ओर देखता है...
    फिर खुद की ओर इशारा करता है—
    "मैं...?"

    अर्जुन सिर हिलाता है—
    "हाँ... तुम ही।"

    ध्रुव धीरे-धीरे अर्जुन के पास आता है।

    अर्जुन सभी बच्चों को बाहर जाने का इशारा करता है।
    क्लास अब खाली हो चुकी थी।

    फिर अर्जुन, ध्रुव की आंखों में देखते हुए कहता है—
    "सुनो... अगर किसी को भी पता चला कि उस रात क्या हुआ था...
    तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"

    ध्रुव शांत स्वर में—
    "सॉरी सर... किस रात की बात कर रहे हैं आप?
    मैंने तो आपको आज पहली बार देखा है...
    मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
    शायद आपको कोई गलतफहमी हुई है।"

    ये सुनते ही अर्जुन के चेहरे पर सन्नाटा छा जाता है...

    "तुम्हें सच में याद नहीं...?!"

    "नहीं सर... सच में नहीं।"

    ध्रुव वहां से जाने लगता है।
    अर्जुन शैतानी मुस्कान के साथ बड़बड़ाता है—
    "अच्छा है...
    ‘Hide and Seek’ खेलना मुझे पसंद है।
    अब मज़ा आएगा..."

    तभी... क्लासरूम के गेट पर एक दस्तक होती है।

    अर्जुन दरवाज़े की ओर देखता है... और उसकी आंखों में गुस्से की आग जल उठती है—
    "तुम यहां क्या कर रहे हो?"

    सामने... विक्रांत खड़ा था।

    विक्रांत मुस्कुराते हुए—
    "तुम कर रहे हो ना... तो मैं क्यों नहीं?
    इस कॉलेज में मेरे पापा की भी हिस्सेदारी है।
    मैं भी यहाँ पढ़ाता हूँ।"

    अर्जुन गहरी सांस लेकर हँसता है—
    "अच्छा... तो अब तुम भी ‘ये’ सब करने लगे...?
    मैं तुम्हारा मकसद जानता हूँ विक्रांत..."

    विक्रांत, उसकी आंखों में आंखें डालकर—
    "और मुझे तुम्हारा।
    पर एक बात कान खोलकर सुन लो—
    जो शिकार मेरा है... वो मेरा ही रहेगा।
    अगर तुमने उसे छूने की भी कोशिश की...
    तो मैं वो कर जाऊंगा जिसकी तुमने कल्पना तक नहीं की होगी।"

    अर्जुन मुस्कुरा कर कहता है—
    "तुमसे बड़ा शिकारी कौन है भला...?
    पर याद रखना...
    मुझे किसी का झूठा खाना पसंद नहीं।"

    (वो विक्रांत के कंधे पर हल्के से चपत मारते हुए कहता है...)
    "All the best..."

    और वहां से चला जाता है।

    विक्रांत, दांत भींचते हुए बड़बड़ाता है—
    "अर्जुन... तुम सोच भी नहीं सकते कि तुमने कितनी बड़ी मुसीबत को जगा दिया है।
    इस बार अगर तुमने गलती की...
    तो मैं तुम्हें खत्म कर दूंगा।
    पिछली बार छोड़ दिया था...
    पर इस बार नहीं!"


    इधर ध्रुव कमरे से बाहर आता है और वह बालकनी में झूमते हुए जा रहा था तब तक विक्की उससे कहता है क्या हुआ प्रोफेशनल तुझे ऐसे क्यों रोक पर टू क्लास में इतना घबराया हुआ क्यों था यह सुनते ही ध्रुव रीति से नजरे छुपाते हुए कहता है कुछ नहीं बस ऐसे ही मेरा दिमाग इधर-उधर चला गया था देख ध्रुव मुझे साफ-साफ समझ आ रहा है कि तू मुझे कुछ छुपा रहा है पर क्या चलो सच-सच बता दे कुछ नहीं छुपा रहा हूं विकी बस ऐसे ही परेशान हूं विक्की ध्रुव को देखकर के समझ जाता है और एक गहरी सांस लेते हुए कहता है चल जैसी तेरी मर्जी नहीं बताना तो ठीक है मैं भी आगे से कुछ नहीं बताऊंगा यह सुनते ही ध्रुव चढ़ते हुए कहता है देख मुझे इमोशनली ब्लैकमेल करना बंद कर मुझे बस प्रोफेसर विक्रांत की धमकी याद आ गई थी इसलिए मैं डर गया था वह क्यों डरता है चलकर देख हमसे ज्यादा उसे अपनी इज्जत प्यारी है तो वह कुछ नहीं करेगा हां आई होप कुछ ना ही करें यह कहकर दोनों सामने की तरफ जा रहे थे तब तक उनके कानों में किसी के रोने की आवाज आती है ...!

    उस आवाज को सुन वो दोनों एक दुसर की तरफ गहराई से देखते हैं और फिर उसे आवाज की तरफ आगे बढ़ जाते हैं जैसे ही वह सामने बैठे इंसान को देखते हैं वह दोनों चिल्लाकर कहते हैं तुम यहां क्या कर रहे ...!



    क्या होगा विक्रांत और प्रोफेसर अर्जुन का ..!
    कौन था सामने जिसे देख विक्की और ध्रुव ऐसे तेजी से चिल्ला उठे ...a



    आगे चार चैप्टर एक साथ अपलोड कर दूंगा बस आप लोग से रिक्वेस्ट है व्यू और रिव्यू दे के जाइए pls

  • 8. Mere Hamsafar - Chapter 8

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    सड़क सुनसान थी। हल्की सी हवा पेड़ों को हिला रही थी और चाँद कभी बादलों में छुपता तो कभी झांकता। विक्की और ध्रुव धीरे-धीरे उस दिशा में बढ़ रहे थे, जहाँ से किसी के सिसकने की आवाज़ आ रही थी। आवाज़ बेहद करुणा भरी थी—जैसे किसी के भीतर एक तूफान मच गया हो।

    वो दोनों जब उस झाड़ी के पास पहुँचे, तो देखा—एक लड़की ज़मीन पर बैठी थी... और बुरी तरह रो रही थी।

    विक्की चौंकते हुए बोला, “तुम यहाँ?!”

    ध्रुव ने भी हैरान होकर कहा, “गौरी?!”

    लड़की ने आँसू पोंछते हुए सिर उठाया और भरी आवाज़ में बोली, “हाँ, हाँ... मैं ही मिस करोड़पति! तुम्हारे जैसे फकीरों के कॉलेज में क्या कर रही हूँ, न?”

    यह कहते ही वह और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। विक्की ने उसे शांत करने की कोशिश करते हुए कहा, “अच्छा बाबा, रो मत। पहले ये बताओ—हुआ क्या है?”

    ((यह गौरी है—विक्की और ध्रुव की बचपन की दोस्त। कॉलेज में साथ पढ़ती है। खुद को हमेशा हाई-फाई दिखाना पसंद करती है, लेकिन दिल से बहुत मासूम है। आगे उसकी कहानी और गहराई से जानेंगे, अभी कहानी पर ध्यान दें।)

    ध्रुव ने आश्चर्य से पूछा, “गौरी... तुम यहाँ कैसे?”

    गौरी अब बुरी तरह फफकने लगी। विक्की ने उसे समझाते हुए कहा, “मेरी जान, शांत हो जा... अगर किसी ने सुन लिया, तो बात का बतंगड़ बन जाएगा। अब मिस करोड़पति, बताओ भी, हुआ क्या है?”

    गौरी हिचकियों के बीच बोली, “मत बुलाओ मुझे करोड़पति... मैं नहीं हूँ करोड़पति! क्या करती? तुम सब अच्छे घर से हो। तुम्हारे पास पैसे थे... मैंने बस कोशिश की कि तुम सबकी सोसाइटी में फिट हो सकूँ। इसीलिए झूठ बोलती रही—कि मेरे पापा ये हैं, वो हैं... लेकिन सच्चाई ये है... मेरे पापा... हैं ही नहीं।”

    एक क्षण को सन्नाटा छा गया।

    गौरी धीरे से बोली, “मैं खुद कमाकर अपनी पढ़ाई करती हूँ। अब... मेरा अपार्टमेंट छीन लिया गया है। दस हज़ार का कर्ज़ है, और... रहने की जगह भी नहीं बची। और ये सब किसकी वजह से हुआ? उस चमगादड़ की वजह से... मेरे बॉयफ्रेंड की वजह से! अगर वो कुत्ता कहीं दिख गया ना... तो मैं उसे जिंदा गाड़ दूँगी!”

    विक्की और ध्रुव की आंखें एक-दूसरे से मिलीं।

    ध्रुव बोला, “क्या सच में उसने ये सब किया?”

    गौरी चिल्लाई, “हाँ! उसी चटिये की वजह से मैं आज इस हालत में हूँ... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा...”

    विक्की ने उसका कंधा पकड़ते हुए कहा, “रो मत। हम हैं ना। देख... तेरे दस हज़ार हम दे देंगे। और रहने के लिए... तू मेरे अपार्टमेंट में रह सकती है। लेकिन एक शर्त है—अब तू हवा में उड़ना और फेंकना छोड़ दे। पहले भी कहा था, ये तुझे भारी पड़ सकता है।”

    गौरी हल्की सी मुस्कराई। “सच में? मैं रह सकती हूँ तुम्हारे साथ?”

    “हाँ,” विक्की बोला, “पर ध्रुव की बात मत भूलना।”

    फिर ध्रुव ने पूछा, “वैसे तेरा वो बॉयफ्रेंड कौन है?”

    गौरी ने कहा, “समीर... कुशालनगर कॉलोनी से।”

    ये सुनते ही दोनों लड़कों की आँखें चौड़ी हो गईं। ध्रुव ने विक्की को देखा, फिर बोला, “बता दें इसे... या रहने दे?”

    विक्की ने गहरी साँस ली, फिर कहा, “अच्छा हुआ तूने उस भड़वे से ब्रेकअप कर लिया। वो लायक नहीं था। जो वो करता था... वो हम तुझसे कह नहीं सकते।”

    गौरी गुस्से से बोली, “अब तो मुझे जाना ही है... उसे सबक सिखाना है!”

    इतने में सामने से समीर आता दिखा। ध्रुव की मुट्ठियाँ भींच गईं। गुस्से में उसकी आँखें जल रही थीं।

    विक्की ने रोकते हुए कहा, “नहीं ध्रुव, रुक। इस बार हमारी गौरी ही इसे सबक सिखाएगी।”

    विक्की ने कुछ कान में कहा। गौरी की आँखों में आग चमक उठी। वो गुस्से में पास पड़ा सैंडल उठाती है और समीर की ओर तेज़ी से बढ़ती है।

    “कुत्ते! हरामी! तूने मेरी ज़िंदगी बर्बाद की है! मुझे पता है तू झाड़ियों के पीछे क्या करता है!!”

    समीर चौंका, “क्या बकवास कर रही है तू?!”

    गौरी ने बिना रुके उसका गाल सैंडल से लाल कर दिया! समीर गुस्से में उसका हाथ पकड़ने ही वाला था कि...

    ध्रुव ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया।

    “अगर उसे हाथ भी लगाया ना... तेरी इतनी हड्डियाँ तोड़ूँगा कि तू भूल जाएगा तू इंसान है या सांप!”

    विक्की ने जोड़ दिया, “और जिस झाड़ी में तू करता था न वो सब, अब वहीं दफनाया जाएगा!”

    समीर चीखता हुआ बोला, “तुम सबको बहुत महंगा पड़ेगा!”

    विक्की हँसते हुए बोला, “हम तो महंगी चीज़ें ही पसंद करते हैं।”

    गौरी हैरान होकर बोली, “वैसे... झाड़ी में क्या करता था ये? तुम लोग बार-बार झाड़ियों का जिक्र क्यों कर रहे हो?”

    ये सुनकर दोनों लड़कों को ज़ोर की खांसी आई, और फिर वे ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे...


    वही जो हम बेड में करते हैं वह किसी लड़के के साथ झाड़ियां में कर रहा था यह सुनते ही गौरी का मन मिर्च वीडियो से भर गया क्या इसका मतलब मैं एक ना बाबा ना हुआ इससे ब्रेकअप हो गया


    अब करिए मुझे स्टीकर कभी सामने तो मैं इसकी टांगे तोड़ दूंगा वह मिस करोड़पति दूंगा नहीं दूंगी अरे हां वही वही यह कहकर तीनों हंसने लगते हैं और फिर वह तीनों अपार्टमेंट की तरफ जा रहे थे तब तक उन्हें दूसरी तरफ एक अजीब घटना दिखाई देती है जिसे देख करके विक्की ध्रुव को इशारा करते हुए कहता है क्या यह वही है जिसे हम समझ रहे हैं ध्रुव गौर से उसकी तरफ देखकर कहता है लग तो वैसा ही रहा है छोड़ो हमें क्या करने दो जो कर रहे हैं नहीं यार हमें चलकर उनसे बात करनी चाहिए यह रोज-रोज का हो गया है उन दोनों को आपस में बात करता देख गोरी धीरे से कहती है क्या आप बात कर रहे हो और कौन दिख रहा है तुम्हें


    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . .. . . . . .

  • 9. Mere Hamsafar - Chapter 9

    Words: 1019

    Estimated Reading Time: 7 min

    यह हमारे कॉलोनी के एक जाने-माने और... प्रसिद्ध व्यक्ति हैं। ऐसे कहना तो नहीं चाहिए, लेकिन भाई साहब के दो बच्चे, एक बीवी और... एक लड़की है — फिर भी ये लड़कों के साथ मुंह मारते रहते हैं!

    मुझे लगता है कि इन्हें समझाने की सख़्त जरूरत है। वरना ये पीछे नहीं हटने वाले... और ऐसे लोग तो हमारी सोसाइटी में भरे पड़े हैं!

    ध्रुव, विक्की की तरफ देखते हुए कहता है —
    “विक्की! तुम सही कह रहे हो। कई दिनों से इन्हें नोटिस कर रहा हूं... ये सच में... खराब हैं!”

    ध्रुव अपना फोन निकालता है। कैमरा ऑन करता है और अंकल की तरफ बढ़ता है।

    “हेलो, मिस्टर सिसोदिया जी! हम इंस्टा पर लाइव हैं। आप हमारे फॉलोअर्स को बताना चाहेंगे कि आप क्या कर रहे हैं...?” ध्रुव का स्वर अब गंभीर हो जाता है —
    “ये लड़का आपका ख्याल लगता है? और भाई... तू इस अंकल के साथ जो कर रहा है, तुझे पता है — तू किसी की ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है!”

    लड़का, कैमरा देखते हुए चौंकता है, फिर कहता है —
    “मैं क्या करूं...? जब अंकल को शर्म नहीं आ रही!”

    सिसोदिया जी कैमरे की तरफ हाथ बढ़ाते हैं, बुरी तरह घबरा गए हैं।

    ध्रुव सख़्ती से कहता है —
    “कैमरा साइड करो! देखो, तुम इन सब में मत पड़ो... नहीं सिसोदिया अंकल, अब बहुत हो चुका! आपके घरवालों को आपकी सच्चाई जाननी चाहिए!”

    सिसोदिया तुरंत ध्रुव के पैरों में गिर जाते हैं। काँपती आवाज़ में कहते हैं —
    “I’m sorry, ध्रुव! मुझे माफ कर दो... आगे से ऐसा नहीं करूंगा। पर... प्लीज़, फिलहाल कैमरा बंद कर दो...!”

    ध्रुव कैमरा बंद करता है, फोन जेब में डालते हुए ठंडे लहजे में कहता है —
    “अगर अगली बार आप मुझे ऐसा करते दिखे... तो यकीन मानिए, मैं नहीं छोड़ूंगा!”

    लड़का वहां से भाग जाता है।

    सिसोदिया जी... शर्म से सर झुकाए वहां से चले जाते हैं।
    ध्रुव एक लंबी सांस लेकर गौरी और विक्की के पास लौटता है।

    इसी बीच...
    ट्रिन-ट्रिन...

    ध्रुव के फोन पर नोटिफिकेशन आता है।

    उसकी आंखें अचानक चौड़ी हो जाती हैं —
    एक अननोन नंबर से मेसेज था...
    “I like it, Mr. Dhruv.”

    ध्रुव एक पल को उसे इग्नोर करता है... और गौरी-विक्की के साथ घर की ओर बढ़ जाता है।

    जैसे ही वो कमरे में प्रवेश करता है... हर कोई ठिठक जाता है —
    पूरा कमरा फूलों से भरा हुआ था!
    जगह-जगह लाल और सफेद गुलाब... एक बेहद खूबसूरत नज़ारा!

    विक्की हैरानी से बोल पड़ता है —
    “भाई! ये सब किसने किया...? कहीं मेरी गर्लफ्रेंड सोनिया तो नहीं आ रही??”

    “नहीं! वो भी नहीं हो सकती... आज ही उससे बात हुई थी,” ध्रुव हँसते हुए कहता है।

    “भाई वही होगी... तुझे सरप्राइज़ देना चाहती होगी!”
    सभी ज़ोर से आवाज़ लगाने लगते हैं — “Sonia... Sonia... सामने आओ ना!”

    तभी गौरी एक कार्ड उठाती है।
    उसपर लिखा था —
    "Mr. Dhruv, these flowers are for you! जितने साल तुमसे दूर रहा... हर दिन के बदले एक फूल!"

    गौरी, कार्ड ध्रुव और विक्की को दिखाती है।

    ध्रुव की आंखें चुपके से विक्की की ओर घूमती हैं।

    विक्की हैरानी से कहता है —
    “अब ये नया आशिक कौन है...? जो इतना बेताब है कि घर तक पहुंच गया!”

    ध्रुव धीरे से बुदबुदाता है —
    “मुझे नहीं समझ आ रहा... ये कौन है?”

    तभी फिर एक टेक्स्ट फ्लैश होता है —
    “फूल तो पसंद आए होंगे ना? अब ज़रा ओपन करके देख लो — तुम्हारा फेवरेट Red Velvet केक रखा है। और हाँ, विक्की को मेरा सलाम बोलना... उसके लिए भी Black Forest है। और गौरी के लिए... उसका पसंदीदा Pineapple Cake।”

    तीनों दौड़कर फ्रिज खोलते हैं...
    और हैरानी से देखते हैं — अंदर केक ही केक रखे थे!

    ध्रुव अब थोड़ा घबरा गया है।
    विक्की, नाक सिकोड़ते हुए कहता है —
    “भाई! ये तुझे इतना कैसे जानता है? अब मेरी तो फट रही है!”

    “मुझे खुद समझ नहीं आ रहा,” ध्रुव गहरी सांस लेते हुए कहता है।

    “कहीं... ये तेरा पुराना आशिक तो नहीं?” गौरी शंका जताती है।

    “नहीं यार... डेटिंग तो मैंने दिल्ली आकर ही शुरू की थी। और मेरा पहला डेट... तुम जानते ही हो — धीरज था!”

    ...तभी... फिर से फोन बजता है।

    एक और टेक्स्ट:
    “धीरे से तुम्हारे साथ बुरा किया ना... जरा उसकी हालत तो देखो!”

    फिर एक वीडियो आता है।

    ध्रुव वीडियो देखते ही...
    हाथों से फोन गिरा देता है...!

    उसकी आंखें लाल हो जाती हैं...
    और वो फूट-फूट कर रोने लगता है!

    गौरी और विक्की कांपते हुए फोन उठाते हैं...
    वीडियो देखते ही उनके चेहरे पर भी हवाइयां उड़ने लगती हैं —
    “ये क्या...!!”
    गौरी झट से पीछे हट जाती है वह काटते हुए विक्की का हाथ कसकर पकड़ लेती है इतनी दरिंदगी से कौन करता है आखिर है यह कौन हर किसी के चेहरे पर सवाल ही सवाल थे विक्की की हालत खराब हो रही थी पर उसके निगाह ध्रुव के ऊपर जाती है जिसकी आंखों से आंसू आ रहे थे और जमीन पर सन पड़ा था वह लोग ध्रुव के पास भागते हैं ध्रुव ध्रुव तो ठीक तो है ना तब तक दूर जमीन पर गिर जाता है और उसकी आंखें बंद हो जाती है दांत चढ़ जाते हैं विक्की चिल्ला कर कहता है ध्रुव ध्रुव आंखें खोल क्या हुआ ध्रुव गौरी भी एक पल से डर जाती है पर भागते हुए किचन की तरफ जाती है पानी लाकर के थ्रू के चेहरे पर करने लगती है पर ध्रुव के अंदर कोई भी मूवमेंट नहीं हो रही थी




    आख़िर कौन था यह अजनबी...?
    जो ध्रुव को इतना करीब से जानता था?
    क्या किया उसने... धीरज के साथ...?
    क्या यह सच में कोई प्रेमी था या...
    प्रेम में पागल एक सनकी...?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए — "मेरे हमसफ़र"!

    और हाँ...
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    क्योंकि आपका छोटा सा सपोर्ट हमें काफी आगे ले जाता है।



    बिलीव में जब भी मैं नवल की तरह देखता हूं उसके रिव्यू और व्यूज और कमेंट को देख करके फस पर स्माइल आ जाती है चलो इतने लोग हैं जो पढ़ रहे हैं जिनके लिए लिखने का मन करता है सो प्लीज बे थेरे फॉर मी एंड थैंक यू सो मच मेरी नवल को इतना प्यार देने के लिए

  • 10. Mere Hamsafar - Chapter 10 अब ये कौन है

    Words: 1031

    Estimated Reading Time: 7 min

    विक्की, घबराते हुए ध्रुव को गोद में उठाता है और... लेकर के सीधा हॉस्पिटल की तरफ भागता है।
    गौरी भी उसके पीछे-पीछे दौड़ रही थी...!

    हॉस्पिटल पहुंचते ही तीनों—ध्रुव, गौरी, और विक्की—भागते हुए डॉक्टर के पास जाते हैं।
    विक्की, लगभग कांपते हुए बोलता है,
    "डॉक्टर साहब... प्लीज़... हेल्प मी! मेरे फ्रेंड को न जाने क्या हो गया है!"
    डॉक्टर उसे शांत करते हैं और नर्स को इशारा करते हैं।
    "ध्रुव की बॉडी व्हीलचेयर पर लिटाइए... और आप विस्तार से बताइए कि हुआ क्या है?"

    विक्की, अभी भी हांफते हुए:
    "बस... पता नहीं! वो अचानक बेहोश हो गया...!"

    गौरी कुछ बताने ही वाली थी, पर तभी विक्की ने उसका हाथ पकड़ लिया।
    "नहीं... हम डॉक्टर को वो बात नहीं बता सकते..."
    गौरी थोड़ी उलझन में विक्की की तरफ देखती है।
    विक्की आंखों से उसे रोकने का इशारा करता है।
    गौरी चुप हो जाती है।

    डॉक्टर ध्रुव का चेकअप करता है और तुरंत ICU में भर्ती कर देता है।
    कुछ देर बाद... ध्रुव को होश आ जाता है।

    ध्रुव के होश में आते ही, पास बैठे विक्की और गौरी एकसाथ बोलते हैं:
    "तू ठीक तो है न...?!"

    ध्रुव हल्के से सिर हिलाते हुए मुस्कुराता है:
    "हां... मैं ठीक हूं। तुम लोग परेशान मत हो।"

    तभी डॉक्टर कमरे में आते हैं।
    विक्की, डॉक्टर को देखकर ध्रुव की तरफ इशारा करते हुए पूछता है:
    "डॉक्टर... क्या हुआ था इसको?"

    डॉक्टर गंभीरता से बोलते हैं:
    "इन्हें किसी चीज़ का गहरा सदमा लगा है। आप लोग इन्हें ऐसी चीज़ों से दूर रखें, वरना मानसिक तनाव हो सकता है।"

    "आप इन्हें घर ले जा सकते हैं।"

    विक्की डॉक्टर की बात सुनकर सिर हिलाता है:
    "डॉक्टर साहब, कोई दवा?"
    "हां, हां... नर्स लेकर आती ही होगी। आप जाते वक्त रिसेप्शन से डॉक्युमेंट्स ले लीजिए।"

    दवा लेकर, विक्की और बाकी ध्रुव को लेकर हॉस्पिटल से बाहर निकलते हैं।
    रिसेप्शन एरिया पर...
    "सर, बिल दे दीजिए।"
    "पेशेंट का नाम?"
    "ध्रुव।"

    कंप्यूटर पर कुछ खटर-पटर करने के बाद, रिसेप्शनिस्ट कहता है:
    "सर... आपका बिल पहले ही पे हो चुका है।"

    "क्या?! किसने किया?"
    "सर, किसी अननोन व्यक्ति ने। और मेडिसिन का भी बिल पे हो गया है..."

    सुनते ही... ध्रुव, विक्की और गौरी की आंखें चौड़ी हो जाती हैं।

    "सीसीटीवी फुटेज?"
    "सर, ऑनलाइन पेमेंट हुई है। और उस व्यक्ति ने डिटेल शेयर करने से मना किया है..."

    ध्रुव कुछ कहने ही वाला था, लेकिन विक्की ने शांत कर दिया:
    "चल, घर चल। वहां बैठकर सोचते हैं..."


    ---

    घर पहुंचते ही...
    जैसे ही अपार्टमेंट का गेट खुलता है... सब ठिठक जाते हैं।

    फिर से वही नज़ारा!
    अपार्टमेंट फूलों से सजा था... पर इस बार दूसरे रंग के फूल!
    बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था —
    "SORRY"
    कुछ लेटर्स भी पड़े थे...

    ध्रुव एक लेटर उठाता है —
    "I’m sorry, Dhruv... मुझे नहीं पता था तुम इतने नाज़ुक हो। आज से सिर्फ तुम्हारे लिए मैं खून-खराबा छोड़ दूंगा। धीरज के साथ जो किया, वो बदल नहीं सकता... पर मैंने उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया है।
    तुम्हारा —
    मिस्टर स्ट्रेंजर..."

    ये पढ़ते ही... ध्रुव गहरे सोच में डूब जाता है।

    गौरी और विक्की, ध्रुव को तसल्ली देते हैं:
    "छोड़... कोई स्टॉकर होगा। कुछ दिन में खुद-ब-खुद शांत हो जाएगा। इन बातों पर ध्यान मत दे। चल, आराम कर..."

    तभी... डोरबेल बजती है।

    गौरी दरवाज़ा खोलती है —
    सामने खड़ा है एक 6 फुट का नौजवान।
    सफेद कोट, मुस्कान, हाथ में स्टेथोस्कोप... और बगल में ढेर सारा सामान।

    गौरी उसे देखकर स्तब्ध रह जाती है... एकटक देखती रहती है।

    "क्या ये मिस्टर ध्रुव बंसल का अपार्टमेंट है?"

    "जी...", गौरी धीरे से कहती है।

    "मुझे उनसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।"
    वो अंदर आता है।

    ध्रुव पूछता है:
    "आप कौन?"

    "मैं धैर्य... दरअसल मेरी ट्रेनिंग चल रही है और मैं इस शहर में नया हूं। मुझे सुष्मिता चाची ने भेजा है।"

    तभी... ध्रुव का फ़ोन बजता है।

    "हां चाचा...?!"
    "मैंने किसी को वहां भेजा है। अपने अपार्टमेंट में कुछ दिन के लिए जगह दे दे... मेरी बहन का बेटा है..."

    "पर चाचा, जगह नहीं है..."

    "ध्रुव, बहाना मत बना। मैंने आज तक तुझसे कुछ मांगा...?!"
    "ठीक है..." (फोन कट)

    ध्रुव का चेहरा लटक जाता है।

    "अगर आप कंफर्टेबल नहीं हैं, तो मैं दूसरी जगह चला जाऊं..."
    "नहीं नहीं, आप रह सकते हैं... लेकिन शेयरिंग में।"

    "कोई बात नहीं। वैसे भी मुझे ज़्यादातर समय हॉस्पिटल में रहना होगा।"

    तभी... उसकी नजर अपार्टमेंट की सजावट पर जाती है।
    "क्या... आप में से किसी की डेट आने वाली है?"

    ध्रुव चौंक कर लिटर्स उठाता है और झोले में डाल देता है:
    "अरे... विक्की की गर्लफ्रेंड आने वाली थी, पर वो आई नहीं।"

    विक्की, हड़बड़ाते हुए:
    "मेरी... गर्लफ्रेंड...?!"

    ध्रुव इशारा करता है —
    विक्की धीरे से:
    "हां... हां... पर वो आई नहीं।"

    वो फूल हटाने लगते हैं।

    तभी... वह व्यक्ति मुस्कुराता है और धीमे स्वर में बुदबुदाता है...
    "मिस्टर ध्रुव... तुम इतने बदल गए...?
    तुम्हें मैं याद नहीं...?
    पर अब... मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।
    और तुम्हें...
    मुझे अपनाने से...
    कोई नहीं रोक सकता..."

    उसके चेहरे पर उभरती है एक शैतानी मुस्कान... और हवाओं में घुलने लगता है ।
    तुमने उसे दिन अगर ऐसा ना किया होता तो मैं तुम्हारे बारे में कभी समझ ही नहीं पता तुम्हें तुम्हें बहुत अच्छा समझता था ध्रुव पर तुमने उसे दिन अपनी सारी हदें पार कर दी और बस उसका बदला लेने के लिए मैं तुमसे तुम्हारा सब कुछ छीन लूंगा तुम्हारी खुशी तुम्हारा सुख और तुम्हारी दोस्ती भी बहुत घमंड है ना तुम्हें तुम्हारे दोस्तों पर तिल तिल कर तड़पोगे सबके लिए और ऐसा खंजर घूमुंगा की कभी सोच भी नहीं पाओगी की वार किसने किया है


    धैर्य आपस में बड़बड़ा ही रहा था कि उसके पास आकर के गौरी रहती है डॉक्टर धैर्य मेरे सीने में दर्द हो रहा है क्या आप चेकअप कर देंगे यह सुनकर धैर्य मुस्कुराते हुए कहता है अच्छी सी और बताइए कहां पर दर्द हो रहा है गोरी अपने स्कर्ट को नीचे करते हुए कहती है यहां पर धैर्य अपना स्टेटस स्कोप निकाल करके उसके चेस्ट पर लगा करके उसके हार्टबीट सुनने लगता है जो काफी तेज चल रही थी धीरे-धीरे से कहता है इतना तेज दिल धड़क रहा है ऐसा क्यों सब ठीक तो है दिल आ गया है आपका किसी पर धैर्य धीरे-धीरे से मुस्कुराता है सुनकर के गौरी मुस्कुराते हुए कहती है हां वह आप जैसे डॉक्टर को देखूंगा तो दिल धड़के की ही ना

  • 11. Mere Hamsafar - Chapter 11

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    विक्की दुरखेड़ा धैर्य और गौरी को देख रहा था। वह दाँत पीसते हुए ध्रुव से कहता है, "गौरी कभी सुधरेगा नहीं क्या? डॉक्टर को देखा नहीं, लाइन मारना शुरू कर दिया! छोड़ना यार उसको, उसकी लाइफ जीने दे। हमें क्या? जब मियाँ-बीवी राज़ी, तो क्या करेगा काज़ी। दोनों ही एक-दूसरे को चिपक रहे हैं। वेल, मुझे नींद आ रही है। मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ।"

    यह कहकर ध्रुव अपने बिस्तर पर लेट जाता है। थोड़ी देर बाद धैर्य भी उसके कमरे में आता है। ध्रुव खिड़की से बाहर देख रहा था। धैर्य उसको देखकर धीरे से खाँसता है। धैर्य की खाँसी सुनकर ध्रुव अपनी आँखें जल्दी से बंद कर लेता है और धीरे से, खुद से, मन में सोते हुए कहता है, "अब यह कुछ कहना न दे भाई... लिटरली चाची ने किसको गले में बाँध दिया है।"

    तब तक उसे एक प्यारी सी खुशबू आती है। वह धीरे से अपनी आँखें मसलते हुए देखता है तो पाता है कि धैर्य अपने बिस्तर पर कुछ डाल रहा था। खुशबू को सूँघने के बाद ध्रुव भी अब धीरे-धीरे मदहोश हो रहा था। वह खुद की आँखों को दूसरी तरफ करते हुए कहता है, "यह अचानक से मुझे क्या हो रहा है? मेरा बॉडी अचानक से इतनी सेंसेशन क्यों फील कर रहा है?"

    तब तक ध्रुव की निगाह धैर्य पर जाती है। धैर्य शीशे के सामने खड़ा होकर खुद को निहार रहा था। वह धीरे से शर्ट उतारता है और साइड में रख देता है। उसके चौड़े आर्म्स, लंबे बाइसेप्स और गठीले शरीर को देखकर ध्रुव अपनी आँखें बंद कर लेता है। इसके बाद धैर्य पास पड़े तेल को उठाकर अपने शरीर पर लगाकर मसाज करने लगता है। उसके मुँह से धीरे-धीरे सन्तुष्टि की आवाजें आ रही थीं। वह खुद को देखकर लगातार एंजॉय कर रहा था।

    उसे ऐसा देख कर ध्रुव भी एक पल के लिए धैर्य की तरफ खो गया था। वह उसके जिस्म को देखकर न जाने क्या-क्या करने की कल्पना करने लगा। तभी उसे एहसास होता है कि वह गलत कर रहा है। वह झट से खुद के सिर पर थप्पी मारते हुए कहता है, "क्या कर रहा है ध्रुव! तू ऐसे पराए मर्द को नहीं देख सकता। और वैसे भी वह स्ट्रेट है। तो उससे दूरी बनाकर रख।"

    यह कहकर वह दूसरी तरफ मुँह घुमा लेता है। ध्रुव को दूसरी तरफ मुँह घुमाते देख, धैर्य धीरे से मुस्कुराता है और उसके बगल वाले बिस्तर पर आकर लेट जाता है। ध्रुव सो ही रहा था कि धैर्य अपना फोन निकालता है और किसी को टेक्स्ट करते हुए कहता है, "मुझे कल के कल वह सारी चीज़ चाहिए। कुछ भी हो जाए, इस ध्रुव को जितना जल्दी हो सके निपटाना है। पर निपटने से पहले मुझे इसका वह हिसाब चुकाना है जो उसने... छोड़ो, वह बातें मैं नहीं कर सकता तुमसे। जितना कहा है, मुझे कल के कल सारी डिटेल्स चाहिए।"

    यह कहकर वह मैसेज सेंड कर देता है। थोड़ी देर बाद फोन पर फिर से फ्लैशलाइट ऑन होती है, जिसमें "ओके" लिखा होता है। यह देखकर वह शैतानी मुस्कान के साथ फोन को बगल में रख देता है और अपनी आँखें बंद कर लेता है।


    ---

    अगली सुबह:

    ध्रुव जैसे ही उठता है, वह बगल में देखता है कि धैर्य अभी तक सो रहा था। धैर्य के चेहरे पर आ रही सूर्य की रोशनी उसे बहुत प्यारी लग रही थी। वह खुद को कंट्रोल करते हुए वहाँ से उठता है और बाहर चला जाता है।

    जैसे ही वह डाइनिंग टेबल पर पहुँचता है, वहाँ पर फूल और एक कार्ड रखा हुआ था। वह उसे उठाता है, तो उसमें लिखा हुआ था:

    > "डिअर स्वीटहार्ट,
    मुझे पता है तुम उठ गए हो।
    मैं तुम्हारे लिए तुम्हारा पसंदीदा खाना भिजवाया है।
    उसे खा लेना।
    अपना ख्याल रखना।
    — मिस्टर स्ट्रेंजर"



    यह देखकर ध्रुव गुस्से में कार्ड को फाड़कर डस्टबिन में डाल देता है और फूल को फेंक देता है। चिढ़ते हुए वह विक्की के कमरे में आता है। विक्की गहरी नींद में सो रहा था। ध्रुव उसे खींचकर लात मारते हुए कहता है, "उठ जा साले! कॉलेज नहीं जाना क्या?"

    लात खाते ही विक्की चिल्लाकर उठता है और कहता है, "अरे जाऊँगा ना यार! सुबह-सुबह ऐसी कौन जगाता है!"

    ध्रुव चिढ़कर कहता है, "अरे जगाऊँ नहीं तो क्या करूँ! तूने देखा नहीं, सुबह-सुबह फिर से वह क्या दे गया..."

    विक्की: "अरे, फिर से फूल और कार्ड आए थे क्या? कौन साइको है रे?"

    ध्रुव: "पता नहीं यार विक्की, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।"

    विक्की: "देख, इसे इग्नोर कर। कुछ दिन में टेस्ट स्टार्ट होने वाले हैं। हमें उस पर फोकस करना चाहिए।"

    ध्रुव: "हाँ यार, यह फर्स्ट सेमेस्टर का फर्स्ट टेस्ट होगा। मुझे इसमें अच्छा स्कोर करना है।"

    और वहां से चला जाता है। विक्की भी उठकर जल्दी से कॉलेज के लिए रेडी होता है। गौरी अभी भी सो रही थी। उसे सोता देख वह कहता है, "सोने देता हूँ इस भूतनी को, मन करेगा तो आएगी।"

    और ध्रुव कॉलेज के लिए निकल जाता है।

    रास्ते में ध्रुव विक्की से कहता है, "तूने गौरी को नहीं उठाया? उसको भी तो कॉलेज आना था?"

    विक्की: "हाँ, मैंने जानबूझकर नहीं उठाया। कल रात को काफी लेट सोई थी। कुछ दिन उसे रेस्ट करने देते हैं। और रही बात नोट्स की तो वो मैं दे दूँगा।"

    ध्रुव: "चल, जैसा तुझे ठीक लगे।"

    वे दोनों कॉलेज पहुँच ही रहे थे कि विक्की सामने लगी चीज़ों को देखकर चिल्लाते हुए कहता है, "ये कैसे हो सकता है? ये सब! सबके सामने! आखिर ये किसने किया?"

    ध्रुव अपने कदम पीछे करते हुए कहता है, "हाँ यार... ये तो बहुत प्राइवेट चीज थी। नहीं... ऐसा नहीं हो सकता भाई। हमें इसके बारे में चलकर बात करनी होगी। इससे पहले कि इसे कोई और देखे, हमें इसे हटाना होगा।"


    विक्की ध्रुव दौड़कर के कैंपस की तरफ बढ़ते हैं पर वहां पर पहले से ही काफी लोग खड़े थे और सबके हाथ में बस था वह चीज जिसे देखकर के ध्रुव के भी पसीने छूट रहे थे


    ---

    🔥 आखिर ऐसा क्या हुआ था जिसे देखकर वे चौंक गए?

    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए...


    ---

  • 12. Mere Hamsafar - Chapter 12

    Words: 993

    Estimated Reading Time: 6 min

    "

    ---

    ध्रुव की सांसें तेज थीं। वह भागता जा रहा था... विक्की उसके साथ, दोनों के हाथों में आधे फटे पोस्टर थे।

    "सब कुछ खत्म हो गया विक्की...!" — ध्रुव की आवाज में घबराहट साफ थी।
    "अब वो मुझे नहीं छोड़ेगा। उस दिन... लाइब्रेरी में जो हुआ... मुझे सब पता था। पर अब तो ये... ये सबके सामने है!"

    विक्की रुककर उसकी आँखों में झांकता है, "ध्रुव... पर ये हुआ कैसे? किसने किया ये सब?"

    उससे पहले कि कोई जवाब आता, एक साया सामने से आता दिखा — प्रोफेसर विक्रांत...!

    ध्रुव काँप गया। झटपट विक्की के पीछे छिप गया।
    विक्रांत, धीरे-धीरे चलते हुए ग्राउंड में दाखिल होते हैं। उनकी नजर अचानक उन पोस्टरों पर जाती है... जो पूरे कॉलेज में लग चुके थे।

    तस्वीरों में वो थे — विक्रांत, एक पतली सी अंडरवियर में। उनके पीछे एक धुंधली सी नग्न परछाईं थी... अस्पष्ट, पर उकसाने वाली।

    विक्रांत की आँखें लाल हो उठीं। उन्होंने गुस्से से चिल्लाकर कहा,
    "यह किसकी हरकत है?! किसने किया है ये... घटिया मजाक!"

    बच्चे सहमे हुए थे, कुछ चुपचाप देख रहे थे, तो कुछ कानाफूसी कर रहे थे।
    तभी उनकी नजर पड़ी — ध्रुव और विक्की पर।

    वो तेजी से बढ़े और ध्रुव का हाथ पकड़कर उसे एक कोने की ओर खींच ले गए।

    "मैंने तुझे मना किया था...!" — उन्होंने ध्रुव का गला कसते हुए कहा।
    "तूने तस्वीर कैसे निकाली?! तेरी हिम्मत कैसे हुई ये करने की?! तुझे पता भी है... तू किससे पंगा ले रहा है!"

    ध्रुव छटपटा रहा था। उसकी सांसें फूली हुई थीं। उसकी आँखों में डर था... और गला — रुकता हुआ।

    तभी... एक झटका!

    किसी ने विक्रांत के हाथ पर जोर से प्रहार किया।
    वो झटके से पीछे हटे। सामने रुद्रांश खड़ा था — आँखों में ठंडी, पर गहरी आग।

    "पहले मुझसे निपट... फिर ध्रुव तक जा।" — रुद्रांश की आवाज में चुनौती थी।

    विक्रांत, रुद्रांश की तरफ घूमते हुए गुस्से से बोले,
    "क्यों...? तू भी उसके साथ हमबिस्तर हो गया क्या?! लग रहा है इसने तेरा भी खूब ख्याल रखा है, तभी इतनी हमदर्दी दिखा रहा है!"

    यह सुनते ही रुद्रांश जोर से हँसा।
    "बेटा... बाप से पंगा नहीं लेते! अब तो पूरा कैंपस जान गया है कि तू लाइब्रेरी में क्या कर रहा था। अब कहाँ-कहाँ मुँह छुपाएगा?"

    ध्रुव खुद को संभालते हुए बोला,
    "सर... आई नो... मैं वहाँ था, पर यकीन मानिए... मैंने ये नहीं किया! प्लीज़... मुझे वक्त दीजिए। मैं साबित कर दूँगा... ये सब किसने किया!"

    विक्रांत उसकी आँखों में घूरते हुए बोले,
    "तेरे साबित करने से क्या होगा?! मेरी रेपुटेशन तो मिट्टी में मिल गई ना!"

    तभी रुद्रांश मुस्कुराया।
    "अभी नहीं मिली है सर... मैं इसे संभाल सकता हूँ। पर..." — उसने पल भर ठहर कर कहा —
    "उसके बदले एक शर्त है।"

    विक्रांत — "कैसी शर्त?"

    रुद्रांश — "तुझे... मुझसे माफ़ी माँगनी होगी।"

    विक्रांत की आँखें एक बार फिर लाल हो गईं।
    "माफ़ी माँगूं? मेरी l में माफ़ी माँगूं तुझसे?!"**

    विक्की धीरे से बुदबुदाया,
    "सर... आप प्रोफेसर हैं। कृपया अभद्र भाषा का प्रयोग न करें।"

    इतना कहना था कि ध्रुव और रुद्रांश, विक्की को घूरते हुए बोले —
    "क्यों...? तुझे ज्यादा मजा आ रहा है? लेना है तुझे भी?"

    विक्की काँपते हुए पीछे हट गया, "न-नहीं... मुझे कुछ नहीं लेना..."

    "तो निकल यहाँ से...!"

    विक्की वहाँ से भाग खड़ा हुआ।

    विक्रांत पीछे मुड़कर जाने लगा, तभी रुद्रांश ने कहा,
    "अगर ये बात श्री आहूजा तक पहुँच गई... तो सोचो, क्या होगा?"

    विक्रांत रुक गया।

    "सोच लो सर... माफ़ी माँगनी है या बात का बवंडर बनने देना है?"

    विक्रांत ने गहरी सांस ली। धीरे-धीरे रुद्रांश के पास आया और बड़बड़ाते हुए कहा,
    "ठीक है... सॉरी। लेकिन याद रखना... इसकी कीमत तुझे चुकानी पड़ेगी।"

    रुद्रांश, ठंडी मुस्कान के साथ —
    "मैं सस्ती चीज़ों का शौक नहीं रखता विक्रांत..."


    ---

    [बाद में...]

    पूरे कैंपस में सन्नाटा था।
    रुद्रांश, सभी छात्रों को एकत्र कर कहता है:

    "जिस किसी ने भी ये गिरी हुई हरकत की है — प्रोफेसर की तस्वीरें एडिट कर, उसे बदनाम करने की कोशिश की है — वो सामने आए... वरना जो होगा, उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।"

    कोई आवाज नहीं आती।

    रुद्रांश एक पोस्टर उठाता है। उसे ध्यान से देखते हुए कहता है:
    "काफी अच्छा एडिट किया है... पर ये यहाँ काम नहीं करेगा।"

    कहकर वह वहाँ से चला जाता है।


    ---

    वहीं दूसरी ओर...
    कुछ स्टूडेंट्स आपस में कानाफूसी कर रहे थे:

    "यार... विक्रांत कितना हॉट है न!"
    "मैं तो उसके शरीर का हर कोना चूम लूं!"

    विक्रांत ये सब सुन रहा था... उसकी मुट्ठियाँ भींच गईं।
    वो गुस्से से वहाँ से चला गया।


    ---

    ध्रुव और विक्की, दूर खड़े ये सब देख रहे थे।
    ध्रुव, गंभीर स्वर में बोला:
    "ये सही नहीं हुआ। जिस किसी ने भी किया है... हमें उसे ढूँढना होगा।"

    विक्की, सहमे हुए स्वर में —
    "लेकिन कैसे ध्रुव...? और अगर वो... हममें से ही कोई हुआ तो...?"

    ध्रुव की आंखों में एक अजीब सा सन्नाटा था।
    "तब भी... उसे बेनकाब करना होगा...!"

    पर कैसे उसे बेनकाब कर सकते हैं अरे हां उसे दिन प्रोफेसर विक्रांत के साथ का लड़का हमने उसके ऊपर ध्यान क्यों नहीं दिया हो सकता है उसने ही किया हो हमें चलकर विक्रांत सर से बात करना चाहिए तो पागल है शेर के मुंह में मैं हाथ नहीं डालने वाला विक्की ने धीरे से कहा हां हां तू जा मैं नहीं जा रहा विक्की चल देख अभी इन सब का वक्त नहीं है अगर हमने यह चीज क्लियर नहीं की तो उन्हें लगेगा कि हमने यह सब किया है तब तक ध्रुव आगे बढ़ता है कि उसके पैरों के पास एक और चित आके गिरती है


    वह उसे उठाकर देखता है तो उसमें लिखा था baby my love p उसे दिन प्रोफेसर ने तुझे धमकी दिया था ना अब साले को भुगतने दे तुझे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है योर लव Mr stranger

    उसे चीट को देखकर के ध्रुव विकी की तरफ देखते हुए कहता है क्या सच में ही वाहियात इंसान है यह तो पीछे हाथ धोकर पड़ गया है कहीं स्नेही तो यह सब नहीं किया


    हो सकता है किसे पता

  • 13. Mere Hamsafar - Chapter 13

    Words: 1054

    Estimated Reading Time: 7 min

    तब तक ध्रुव और विक्की दौड़ते हुए प्रोफेसर विक्रांत के केबिन के पास पहुँच गए।
    अंदर से गुस्से में भटकते हुए प्रोफेसर की आवाज़ आ रही थी। वह इधर-उधर बेतहाशा घूम रहे थे।

    ध्रुव, डरते हुए थोड़ा आगे बढ़ा और बोला, “प्रोफेसर...”

    प्रोफेसर ने लाल चेहरे से उसे देखा और गरजते हुए कहा,
    “क्यों आए हो अभी? हाँ? क्या चाहिए? क्या अभी भी तुम्हारा मन नहीं भरा?”

    ध्रुव ने हिम्मत करके कहा, “बस मुझे ये जानना है कि उस दिन आप लाइब्रेरी में किसके साथ थे? आप क्या कर रहे थे?”

    प्रोफेसर ने गुस्से में तनी आवाज़ में कहा, “क्या मतलब है तुम्हारा? मतलब ये कि वो लड़का कौन था? हो सकता है उसने कुछ किया हो?”

    ध्रुव ने धीरे से कहा, “नहीं, ऐसा नहीं हो सकता... वह मेरा सबसे भरोसेमंद आदमी था। वह ऐसा नहीं कर सकता...”

    प्रोफेसर ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “ध्रुव, तुम्हें समझना होगा... वह विपिन था, इस कॉलेज का एक्स-स्टूडेंट।”

    ध्रुव ने तुरंत पूछा, “क्या आप उसका नंबर और एड्रेस दे सकते हैं?”

    प्रोफेसर ने उन्हें नंबर और एड्रेस थमाते हुए कहा, “बस, अब और मत बढ़ाओ इस मामले को।”

    ध्रुव और विक्की वहां से चले। कैंपस के बाहर निकलते ही रुद्रांश उनके पास आया।

    “आई थिंक, ई डिजर्व्स थैंक यू... मैं तुम्हारी हेल्प का आभारी हूँ,” रुद्रांश ने कहा।

    ध्रुव मुस्कुराते हुए बोला, “थैंक यू सो मच! कहाँ जा रहे हो?”

    रुद्रांश ने गहरी आवाज़ में पूछा, “तुम्हें पता नहीं? कहीं भी?”

    ध्रुव ने हँसते हुए कहा, “हाँ, कहीं भी!”

    रुद्रांश ने दांत पीसते हुए कहा, “यहाँ के कुछ रूल्स हैं। मेरी परमिशन के बिना तुम कहीं नहीं जा सकते।”

    ध्रुव ने पीछे मुड़कर देखा, तभी पीछे से विक्रांत की आवाज़ आई, “मैंने दी है परमिशन उन्हें जाने की।”

    ध्रुव ने मुस्कुराते हुए कहा, “सुन लिया मिस्टर रुद्रांश! मैं चलता हूँ।”

    वे दोनों आगे बढ़े, जबकि रुद्रांश गुस्से में विक्रांत की तरफ बढ़ा और धमकी दी, “देखो, तुम मेरे काम से दूर रहो, वरना बुरा होगा!”
    फिर वो चला गया।

    विक्रांत भी अपने काम पर लौट गए।

    ध्रुव और विक्की ऑटो लेकर विपिन के घर की तरफ बढ़े।

    पर वहाँ पहुँच कर देखा कि ताला लगा था।

    विक्की ने दांत पीसते हुए कहा, “यह तो यहाँ नहीं है... अब क्या करें?”

    ध्रुव ने गहरी सांस लेकर कहा, “शायद जाना था उसे भी...”
    गुस्से में उसने ताली पर हाथ फिराया, और ताला अपने आप खुल गया।

    दोनों की आँखें खुली की खुली रह गईं।

    ध्रुव ने विक्की की तरफ देखते हुए कहा, “मतलब, इंसान अंदर है...”

    विक्की कुछ समझ नहीं पा रहा था।

    ध्रुव ने ताला हटाते हुए कहा, “दरवाज़ा बाहर से लॉक किया गया है, पर अंदर इंसान है। अब उसे बाहर कैसे बुलाएं? इसका भी उपाय है मेरे पास...”

    ध्रुव ने फोन निकाला और एक डेटिंग ऐप इंस्टॉल करते हुए कहा,
    “यह ऐप खास ग़े लोगों के लिए है। इससे पता चल जाएगा आसपास कौन है। यकीन मानो, वह भी यही होगा।”

    फिर ध्रुव ने इंस्टाग्राम से कुछ हॉट लड़कों की तस्वीरें निकालीं और एल्बम में लगाकर आसपास के लोगों को मैसेज करना शुरू किया।

    थोड़ी देर बाद, जवाब आया —

    “Hello, you are looking nice! Do you have place? Let’s catch up!”

    ध्रुव ने फेक आईडी से जवाब दिया, “Yes, I have place.”

    फिर मैसेज आया, “S A to have place.”

    ध्रुव ने मुस्कुराते हुए कहा, “यार, मुझे यकीन नहीं था कि ये काम करेगा... देखा? मेरा दिमाग चालाक है!”

    फिर उसने लिखा, “मैं रामपुर इलाके में हूँ। तुम कहां हो?”

    मैसेज आया, “मैं भी यहीं हूँ। मंदिर के पास आ जाओ। मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ।”

    दोनों दरवाज़े के बगल खड़े थे। थोड़ी देर बाद दरवाज़े पर दस्तक हुई।
    दरवाजा अंदर से खुला, और लड़का बाहर निकला।

    वह उन्हें देखकर कसकर गले लगाते हुए बोला,
    “चलो भाई, करते हैं थ्रीसम! बड़ा शौक है न लोगों की लेने का? आज हम तुम्हें अपना बना लेते हैं।”

    फिर वह लड़के को पकड़कर घर के अंदर लेकर चला गया।

    दरवाजा बंद करते हुए विक्की गुस्से में चिल्लाया,
    “अब बता, तूने यह सब क्यों किया?”

    लड़का लड़खड़ाते हुए बोला,
    “क्या किया? मैंने क्या किया?”

    विक्की ने आक्रोश में कहा,
    “अगर कुछ नहीं किया, तो बाहर दरवाज़ा क्यों लॉक कराया?”

    उसके चेहरे से रंग उड़ गए, और पसीना छलकने लगा।

    विक्की ने गुस्से में कहा,
    “देख बेटा, बता दे, वरना जिस के साथ तू खड़ा है, उसका इतना बड़ा कनेक्शन है कि तुझे चीर कर रख देगा!”

    ध्रुव ने अजीब निगाहों से विक्की को देखा।

    विक्की ने भावनाओं को कंट्रोल करते हुए लड़के के गले को कसकर दबाते हुए कहा,
    “तू बता, या फिर तेरी हालत ठीक नहीं रहेगी।”

    विज्ञान ध्रुव ने कसकर उसे दबाए ही था कि तब तक पीछे से कब आ जाती है उसे आवाज को सुनकर दोनों की निगाहें बड़ी हो जाती हैं और पीछे मुड़कर देखते हैं तो वहां पर कई आदमी खड़े थे उन सब को देखकर के ध्रुव और विक्की एक पल के लिए सहन जाते हैं उन आदमियों के बीच एक आदमी निकलकर बाहर आते हुए जोर-जोर से हंसते हुए कहता है तो तुम चूहा आ गए मुझे पता था तुम लोग आओगे क्यों ध्रुव हैरानी से दूसरे की तरफ देख रहे थे तब तक वहां से बाहर से एक इंसान अंदर आता है वह था समीर समीर को देखकर के विक्की गुस्से में कहता है कुत्ते के पिल्ले तू तूने यह सब किया है समीर जोर-जोर से हंसते हुए कहता है क्यों तूने भी तो मेरा भांडा फोड़ा था ना आपरी है तुम दोनों के भुगतने की मैंने सोचा था कि विक्रांत तुम लोग को जिंदा नहीं छोड़ेगा पर नहीं उसे रुद्रांश ने तुम्हें बचा लिया पर अब यहां से तुम नहीं बच कर जा सकते आए तो थे अपने पैरों पर तो जाओगे भगवानही जाने


    यह कहकर विक्की और ध्रुव की तरफ से जोर-जोर से हंसने लगता है वह अपने आदमियों को इशारा करते हुए कहता है इनकी ऐसी दुर्दशा करो कि यह अपनी शक्ल भी शीशे में ना देख पाए और ऐसी कुटाई करना कि जिंदगी भर ना भूले समीर आगे बढ़कर के ध्रुव और विक्की को धक्का देते हुए नवीन को उठा कर कहता है

    मेरे भाई तुम ठीक तो हो ना नवीन धीरे में सर हिला कर कहता है हां मैं ठीक हूं पर इन कुत्तों ने मेरा पेंट गिला कर दिया अब तुम इन सब का ऐसा हाल करो कि यह जिंदगी भर ना भूले



    अब क्या करेगा ध्रुव..?
    कैसे बचेंगे शमीर के हाथों

  • 14. - Chapter 14

    Words: 1050

    Estimated Reading Time: 7 min

    गोदाम की वीरानी रात के सन्नाटे में गूंजती हर आवाज़ डर का आभास दे रही थी। ट्यूबलाइट की हल्की-हल्की झिलमिलाती रोशनी में समीर का चेहरा और भी डरावना लग रहा था। उसकी आंखों में क्रोध था... और आत्मविश्वास में डूबी हुई क्रूरता।

    उसने एक झटके में अपने आदमियों की ओर इशारा किया।

    "पकड़ो इन दोनों को!" वह चीखा, "इतनी मार दो कि अपनी औकात याद आ जाए इन्हें!"

    कुछ ही पल में चार-पांच हट्टे-कट्टे गुंडे ध्रुव और विक्की पर टूट पड़े। मार की आवाज़ें गूंजने लगीं — घूंसे, लातें, और दर्द से भरी कराहें। ध्रुव की बाईं आंख के नीचे सूजन आ चुकी थी और विक्की के होंठ से खून बह रहा था।

    उनकी चीखें, समीर के चेहरे पर हँसी बनकर उभर रहीं थीं।

    "हा हा हा!" समीर ठहाका लगाते हुए बोला, "बहुत बहादुरी दिखा ली... अब यही देखो — मजबूरी और हार!"

    ध्रुव और विक्की ने बंधी हुई हालत में खुद को छुड़ाने की लाख कोशिश की, पर रस्सियां इतनी टाइट थीं कि वो हिल भी नहीं सके।

    तभी...

    'ठक ठक ठक...'

    दरवाज़े पर किसी ने ज़ोर से दस्तक दी। पूरे कमरे में एक पल के लिए सन्नाटा छा गया। समीर की मुस्कान धीरे-धीरे गायब होने लगी। उसकी भौंहें सिकुड़ गईं।

    वो धीरे से नवीन की ओर मुड़ा।

    "कौन आ गया अब?" वह फुसफुसाया, "जा, देख ज़रा।"

    नवीन थोड़ी हिचकिचाहट के साथ दरवाज़े की ओर बढ़ा। हाथ काँप रहे थे, दिल तेज़ धड़क रहा था।

    "क... कौन?" उसने दरवाज़े से पूछा।

    बाहर से एक शांत और सामान्य सी आवाज़ आई,
    "सर... डिलीवरी बॉय हूँ, पार्सल देने आया हूँ।"

    नवीन चौंक गया।
    "पार्सल?" उसने अचकचाते हुए कहा, "पर... मैंने तो कुछ ऑर्डर नहीं किया।"

    "नाम आपका ही लिखा है, सर। 'नवीन बंसल'।"

    नवीन कुछ सोच ही रहा था कि दरवाज़ा खोलते ही तीन अजनबी सामने खड़े थे। एक पल के लिए जैसे उसकी सांस रुक गई।

    प्रोफेसर विक्रांत... रुद्रांश... और धैर्य!

    उनकी आंखों में आग थी... और इरादा साफ।

    नवीन दरवाज़ा बंद करने ही वाला था कि रुद्रांश और धैर्य ने दरवाज़ा कस कर पकड़ लिया।

    धड़ाम!

    एक ज़ोरदार घूंसा नवीन के चेहरे पर पड़ा और वो पीछे जाकर गिर पड़ा। समीर अभी कुछ समझ पाता, उससे पहले तीनों लोग बिजली की गति से अंदर घुस आए।

    गूंजते हुए संवाद —

    रुद्रांश (गुस्से में):
    "अब खेल खत्म, समीर!"

    तीनों एक साथ समीर के गुंडों पर टूट पड़े। एक-एक कर सबकी धुलाई शुरू हो गई। जहां जहां मुक्के और लातें पड़तीं, वहां वहां चीखें गूंजने लगतीं। कुछ ही देर में सारा गोदाम जंग का मैदान बन चुका था।

    बंधे हुए ध्रुव ने मुस्कराते हुए सिर उठाया।

    ध्रुव (ठहाका लगाते हुए):
    "आओ आओ... अब लाड़ो, बहुत इंतज़ार किया तुम्हारा!"

    तभी एक गुंडा, चुपके से पीछे से ध्रुव पर चाकू फेंकने ही वाला था कि धैर्य ने छलांग लगाकर वो चाकू पकड़ लिया।

    धैर्य (गंभीर आवाज़ में):
    "किसी को हाथ लगाने से पहले... मुझे पार करना होगा!"

    और तभी, एक और दस्तक...

    गौरी!

    वो भागती हुई अंदर आई, और फौरन ध्रुव और विक्की को रस्सियों से आज़ाद करने लगी।

    अब पूरा खेल पलट चुका था। सबने मिलकर गुंडों की ज़बरदस्त पिटाई की।

    कुछ ही देर में रुद्रांश ने पुलिस को कॉल किया। थोड़ी ही देर में सायरन की आवाज़ें आने लगीं। पुलिस अंदर आई और समीर समेत सभी गुंडों को पकड़कर ले गई।

    अब सब थके हुए, ज़ख्मी, लेकिन सुकून भरी सांस के साथ एक कोने में बैठ गए।

    ध्रुव (सांसे लेते हुए):
    "तुम सबको कैसे पता चला कि हम यहां हैं?"

    विक्रांत (हल्की मुस्कान के साथ):
    "जब तुमने मुझसे एड्रेस मांगा था, तभी मुझे कुछ अजीब लगा। मैंने समीर को केबिन के पीछे देखा था। शक तो तब भी था, लेकिन यकीन तब हुआ जब मैंने गौरी और समीर की बहस सुनी। फिर... भागा चला आया।"

    ध्रुव ने अब रुद्रांश की तरफ देखा।

    ध्रुव:
    "और मिस्टर प्रोफेसर... आप यहां कैसे?"

    रुद्रांश (गंभीर लहजे में):
    "मैं अपने भाई विक्रांत को मरता नहीं देख सकता था। उसे मारने की जिम्मेदारी मेरी थी... और उसे बचाने का हक भी!"

    ध्रुव मुस्कुरा पड़ा। फिर उसकी नज़र धैर्य पर गई।

    ध्रुव (आश्चर्य से):
    "और आप, धैर्य सर?"

    धैर्य:
    "गौरी ने बताया... मैं दौड़ा चला आया।"

    तभी, ध्रुव के सिर से खून बहता दिखाई दिया।

    तीनों — विक्रांत, रुद्रांश और धैर्य — एकसाथ उसके पास भागे। तीनों के हाथ एक साथ ध्रुव के सिर पर पहुँचे।

    विक्की ये देखकर फुसफुसाया —
    "एक अनार... सौ बीमार!"

    गौरी ने तुरंत उसे एक टपली मारी —
    "शट अप यार! अगर सुन लेंगे ना, तो फालतू का बवाल खड़ा हो जाएगा।"

    ध्रुव को तीनों के स्पर्श में कुछ अजीब-सा लगा। रुद्रांश और धैर्य ने तुरंत हाथ हटा लिए।
    विक्रांत जेब से रुमाल निकालकर उसका घाव साफ करते हुए बोला —

    "आई एम सॉरी, ब्रो... मैंने तुझ पर शक किया। और देख, अब तेरी ये हालत..."

    ध्रुव (मुस्कुराकर):
    "अरे! होता है ऐसा। माफी की जरूरत नहीं।"
    वो विक्रांत के बाल सहलाते हुए वहां से उठ गया।

    विक्रांत बस उसे जाते हुए देखता रहा... धड़कनों के साथ।

    गौरी खांसते हुए बोली —
    "अब चलना चाहिए... बहुत लेट हो गया है।"

    सब धीरे-धीरे गोदाम से बाहर निकलने लगे। पर धैर्य वहीं खड़ा रह गया... आंखों में जलन, मुंह में गुस्सा।

    धैर्य (दांत पीसते हुए):
    "आज तो बच गया ध्रुव! इन प्रोफेसरों ने मेरा पूरा प्लान चौपट कर दिया। और ये गौरी... इस लड़की का कुछ करना पड़ेगा। कितना परफेक्ट प्लान था... सब खत्म हो जाता, किसी को कुछ पता भी न चलता। और अब ये डायमंड... सब बर्बाद कर दिया!"
    वो गुस्से में पैर पटकते हुए वहां से चला गया।


    ---

    [अगली सुबह – कॉलेज]

    ध्रुव कॉलेज पहुंचा ही था कि उसके नाम से एक पार्सल आया।
    वो चौंका।

    "कौन भेजेगा?"
    विक्की और गौरी भी हैरान थे।

    ध्रुव ने पार्सल खोला —
    अंदर एक टिफिन था... और एक चिट्ठी।

    उसने धीरे-धीरे लेटर खोला और पढ़ने लगा:

    > "डियर ध्रुव,
    आज जो तुम्हारे साथ हुआ, उसके लिए मैं सच में बहुत शर्मिंदा हूँ।
    मैं तुम्हें दर्द में नहीं देख सकता।
    थोड़ी देर हो गई, माफ़ करना...
    पर यकीन मानो, भविष्य में मेरी वजह से तुम्हें कभी कोई चोट नहीं पहुंचेगी।

    तुम्हारा प्यार —
    मिस्टर स्ट्रेंजर"



    ध्रुव चिट्ठी पढ़कर सन्न रह गया। उसने विक्की और गौरी की ओर देखा।

    विक्की:
    "यार... अब तो ये स्ट्रेंजर वाला मामला बहुत ज़्यादा हो रहा है।"

    गौरी:
    "हां! हमें इस मिस्टर स्ट्रेंजर के बारे में कुछ करना ही होगा।"

    ध्रुव (धीरे से):
    "पता लगाना पड़ेगा... आखिर है कौन ये... मिस्टर स्ट्रेंजर।"

  • 15. Mere Hamsafar - Chapter 15

    Words: 1082

    Estimated Reading Time: 7 min

    ध्रुव, विक्की और गौरी — "श्री स्ट्रेंजर" के बारे में पता लगाने के लिए वहां से निकल जाते हैं। वे कॉलेज के सीसीटीवी एरिया की तरफ बढ़ते हैं। वहां बैठे गार्ड भैया को देखकर ध्रुव कहता है,
    "यार... यहाँ तो ये हमें सीसीटीवी फुटेज देखने नहीं देंगे। हमें कुछ भी करके गार्ड भैया को यहाँ से हटाना होगा।"

    यह सुनकर गौरी मुस्कुराती है और कहती है,
    "बस इतनी सी बात? रुको... मैं अभी कर देती हूँ। तुम लोग जितना जल्दी हो सके, वहाँ जाकर अपना काम निपटा लो।"

    गौरी अपने कपड़े को थोड़ा नीचे करती है, जिससे उसका शरीर और टाइट हो जाता है। फिर वह इठलाते हुए गार्ड के पास जाती है। वह लड़खड़ाकर गिरने ही वाली होती है, कि गार्ड झट से उसे पकड़ लेता है।

    "गॉड! भैया, थैंक यू सो मच बचाने के लिए," गौरी धीरे से कहती है। "By the way... आपका नाम क्या है?"

    वह मुस्कुराता है, "मेरा नाम दिलीप है।"

    "दिलीप जी... आप तो बहुत हॉट हो।" गौरी आंखों में शरारत भरकर कहती है।

    दिलीप अपनी तारीफ़ सुनकर थोड़ा शर्माता है। तभी गौरी उसका हाथ पकड़ते हुए कहती है,
    "सुनिए न, मुझे यहाँ घुटन हो रही है... थोड़ी देर मेरे साथ बाहर चलेंगे क्या? अकेले जाने में डर लग रहा है। अभी-अभी तो गिरने से बची हूँ... मन भी थोड़ा डिस्टर्ब है।"

    गार्ड, जो अब पूरी तरह पानी-पानी हो चुका था, धीरे से कहता है, "जी... क्यों नहीं। आपके लिए तो कुछ भी।"

    वह एक हाथ से गौरी का हाथ थामता है और दूसरे से उसे पंखा झलते हुए बाहर की ओर ले जाता है।

    ध्रुव और विक्की हैरानी से गौरी की ओर देखते हैं। गौरी उन्हें आंख मारती है और बाय का इशारा करती है।

    ध्रुव दांत पीसते हुए बड़बड़ाता है,
    "यार... गौरी को कोई और तरीका नहीं मिला था क्या?"

    विक्की उसके सिर पर चपेट मारते हुए कहता है,
    "तुझे अपने काम से मतलब है या फिर गौरी के नखरों से? उसने जैसे भी किया, गार्ड को हटाया तो!"

    "चल! अभी हमें पता लगाना है कि ये टिफिन वहाँ किसने रखा था।"

    दोनों क्लासरूम के सीसीटीवी फुटेज चेक करने लगते हैं। जैसे-जैसे वे फुटेज देखते हैं, उनका ध्यान एक नकाबपोश पर जाता है।

    ध्रुव pause का बटन दबा देता है।

    "यार, ये है कौन? इसने तो पूरा चेहरा ढक रखा है... हमें कैसे पता चलेगा ये कौन है?" — ध्रुव परेशान होकर कहता है।

    विक्की भी हैरानी से कहता है,
    "हाँ यार, तू सही कह रहा है। कुछ समझ नहीं आ रहा..."

    तभी उन्हें किसी के आने की आहट होती है। दोनों एक-दूसरे को घबराई नजरों से देखते हैं।

    "अगर किसी ने हमें पकड़ लिया ना... तो कॉलेज से restrict कर देगा!" — ध्रुव कांपते हुए कहता है।

    "भाग ध्रुव, भाग!" — विक्की चीखता है और बाहर की ओर दौड़ पड़ता है।

    लेकिन... तभी दरवाज़े पर किसी की दस्तक होती है!

    विक्की झट से कार्डबोर्ड के कटहरों में छिप जाता है। ध्रुव का तो दिमाग सुन्न पड़ गया है... वह चुप रह जाता है।

    दरवाज़ा खुलता है।

    ध्रुव आंखें बंद कर, मन ही मन भगवान से प्रार्थना करता है,
    "भगवान... बचा लो यार! ₹11 का प्रसाद चढ़ाऊंगा... हाँ, थोड़ा कंजूस लग रहा होगा ना? पर क्या करूं, नॉवेल लिख रहा हूँ, पैसे भी नहीं आ रहे! डिमोटिवेट हो जाता हूँ पलभर में... लेकिन कुछ एक्टिव रीडर हैं, उनके लिए लिख रहा हूँ। जब व्यूज़ आएंगे, तब अच्छे खासे पैसे का लड्डू चढ़ा दूंगा... पर अभी के लिए प्लीज़... बचा लो!"

    तभी पीछे से एक आवाज आती है,
    "क्या बड़बड़ा रहे हो मिस्टर?"

    ध्रुव डरते-डरते पीछे मुड़ता है। सामने रुद्रांश खड़ा था।

    ध्रुव झूठी मुस्कान के साथ कहता है,
    "कुछ नहीं... बस भगवान और मेरा पर्सनल मैटर है।"

    रुद्रांश मुस्कुरा कर कहता है,
    "अच्छा? ऐसा भी कुछ है क्या?"

    "हां... है ही।" — ध्रुव धीरे से कहता है।

    रुद्रांश उसके कंधे पर हाथ रखता है,
    "तो बताओ, तुम इस restricted area में कर क्या रहे हो?"

    ध्रुव इधर-उधर निगाहें घुमाते हुए कहता है,
    "बस... ऐसे ही गार्ड भैया से मिलने आया था... उनसे कुछ काम था।"

    "ओह! पर यहां तो गार्ड भैया हैं ही नहीं।"

    "वो... वो, अभी तो जा रहा हूं ना।"

    तभी विक्की, कार्डबोर्ड से धीरे-धीरे बाहर निकलता है और दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगता है।

    रुद्रांश पीछे मुड़ने ही वाला होता है कि ध्रुव उसके कंधे पर हाथ रखता है और कहता है,
    "सर! आपके बाइसेप्स... आपके मसल्स... क्या बात है! आप इतने हॉट क्यों हैं?"

    रुद्रांश अजीब निगाहों से उसे देखता है, ध्रुव का हाथ हटाते हुए कहता है,
    "क्या पागलों जैसी बातें कर रहे हो! दिमाग ठीक है तुम्हारा?"

    इसी बीच विक्की वहां से चुपचाप निकल जाता है।

    रुद्रांश दरवाज़े की तरफ देखता है... लेकिन वहां कोई नहीं था।

    विक्की अपना हाथ झटकते हुए रुद्रांश के कंधे को छूता है और कहता है,
    "I’m sorry... तारीफ की हज़म नहीं हो रही तो लौटा दीजिए।"

    यह कहकर वह जाने लगता है... तभी उसे अपने पिछवाड़े पर किसी के हाथ का एहसास होता है!

    वह चिल्लाता है,
    "देखिए मिस्टर! थोड़ी सी तारीफ क्या कर दी... आप इधर-उधर छूने लगे? मुझसे दूर रहिए! वरना टांगें तोड़कर हाथ में दे दूंगा!"

    पीछे मुड़कर देखता है तो रुद्रांश काफी दूर खड़ा था।

    असल में आयुष को एक वायर बॉक्स गिरने की वजह से ऐसा फील हुआ था।

    शर्म से लाल होकर वह रुद्रांश की तरफ देखता है... दांत पीसता है... निगाहें नीचे करता है... और कान पकड़ते हुए कहता है,
    "I’m sorry… I’m really sorry!"
    यह कहकर वह वहां से भाग जाता है।

    उसके जाते ही रुद्रांश कंप्यूटर के पास जाता है। वह उसकी history चेक करता है... और उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती हैं!

    वह दांत पीसते हुए बड़बड़ाता है —
    "नहीं... ऐसा नहीं हो सकता!"

    ही सब क्या हो रहा है इतनी बड़ी साजिश और मुझे इसका अंदाजा क्यों नहीं लगा यह कहकर वह अपना फोन निकलता है और एक कॉल करते हुए कहता है सुनो मुझे प्राइवेट डिटेक्टिव चाहिए अभी के अभी तुम्हारे पास बस 20 मिनट है मुझे यहां के बेस्ट डिटेक्टिव्स का नंबर दो यह कहकर वह फोन कट कर देता है और सीसीटीवी फुटेज को देखते हुए उसकी आंखें चौड़ी हो रही थी वह अपना फोन निकाल कर उसे डाटा को अपने फोन में ट्रांसफर करता है इसके बाद लैपटॉप से वह सारी डाटा डिलीट कर देता है


    आखिर ऐसा क्या देखा था रुद्रांश ने जो वह प्राइवेट डिटेक्टिव को हायर करना चाहता था जानने के लिए पढ़ते रहिए और सुनिए ना आप लोग पढ़ रहे हैं तो प्लीज आपसे रिक्वेस्ट है कि रिव्यू दे दिया करिए कमेंट कर दिया करें और फॉलो भी कर लीजिए प्लीज

  • 16. Mere Hamsafar - Chapter 16

    Words: 1227

    Estimated Reading Time: 8 min

    रुद्राक्ष अपने केबिन में बैठा हुआ होता है। तभी उसके पास एक कॉल आती है। कॉल उठाते हुए, वह सामने खड़े व्यक्ति से ठंडे लहजे में कहता है —

    "हां, मुझे पूरी डिटेल चाहिए... मैं आपको फ़ोटो और सब कुछ भेज रहा हूं।"

    यह कहकर वह फोन काट देता है।

    वह अपने फोन में घूरते हुए बुदबुदाता है —
    "ध्रुव... अगर ऐसी कोई बात है, तो तुम मेरी निगाहों से नहीं बच सकते। तुम्हें मैं बहुत अच्छा समझ रहा था। पर अगर तुम इन सब के बीच आए... तो तुम्हारा वही हश्र करूंगा, जिसके बारे में तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा।"

    इतना कहकर वह एक पिक्चर खोलता है और उसे देखते हुए धीरे से कहता है —
    "स्वाति... अब और चुप नहीं रह सकती तुम मुझसे। तुम्हें ढूंढ कर रहूंगा।"

    यह कहकर वह वह पिक्चर प्राइवेट डिटेक्टिव को सेंड करता है और सख़्त लहजे में कहता है —
    "मुझे इस लड़की का पूरा डिटेल चाहिए... हर पल की ख़बर चाहिए। यह करती क्या है, कहां जाती है... सब कुछ।"

    यह कहकर वह फोन काट देता है।

    वह अपने केबिन में चुपचाप बैठा ही था कि सामने से विक्रांत आता हुआ दिखाई देता है। विक्रांत को देखकर, रुद्राक्ष अपने चेहरे की परेशानी को छुपाते हुए एक सारकास्टिक मुस्कान के साथ उसकी ओर देखकर कहता है —

    "क्या हुआ भाई...? आज बड़ा खुश लग रहा है। लगता है, कल की वायरल फोटोज़ ने तेरा दिन बना दिया!"

    यह सुनकर विक्रांत मुस्कुराते हुए कहता है —
    "उन लड़कों ने भले ही ग़लत किया हो... पर उनसे तो मेरा दिल बन ही गया। मतलब — ध्रुव! तूने देखा, कितना प्यारा है वो! मैं तो उस पर दिल हार चुका हूं।"

    यह सुनकर रुद्रांश के चेहरे पर एक अजीब सी खामोशी छा जाती है। वह दांत पीसते हुए, अपने हाथों की मुट्ठियां कस लेता है।

    विक्रांत, जो अब रुद्रांश के बगल में बैठ गया था, कहता है —
    "देख भाई, अपनी दुश्मनी कुछ पल के लिए साइड करते हैं। इस बार मैं सीरियस हूं। प्लीज़ रुद्रांश, तुझसे रिक्वेस्ट कर रहा हूं... कुछ टिप्स दे ना — कैसे पटाऊं मैं ध्रुव को?"

    रुद्रांश को ये सब बहुत अजीब लग रहा था। वह दांत भींचते हुए कहता है —
    "मुझे इन सब का कोई आइडिया नहीं है। तुम खुद देख लो।"

    यह कहकर वह उठने ही वाला था, कि तभी विक्रांत बोल पड़ा —

    "अगर तू मेरी हेल्प करता है, ध्रुव को पटाने में... तो जिस मक़सद से तू इस कॉलेज में आया है, उसमें मैं तेरी मदद करूंगा।"

    ये बात सुनते ही रुद्रांश रुक गया।

    वह घूरकर विक्रांत की तरफ देखता है और कहता है —
    "तुझे कैसे पता?"

    विक्रांत मुस्कुराते हुए कहता है —
    "बस... मुझे सब पता है। अगर तू चाहता है कि मैं तेरी मदद करूं, तो तुझे भी मेरी करनी पड़ेगी। और तू क्या जानता है उसके बारे में...? मैं ऐसी बातें जानता हूं, जो तूने सुनी तक नहीं होंगी।"

    यह कहकर विक्रांत अपनी जेब से एक पुरानी तस्वीर निकालता है।

    तस्वीर को देखते ही, रुद्रांश के चेहरे की हवाइयां उड़ जाती हैं।

    "ये... ये तुझे कहां से मिला?" — वह झपटते हुए तस्वीर लेने वाला ही था कि विक्रांत उसे जेब में छुपा लेता है।

    "नाना... एक बार ध्रुव मेरा हो जाए। इसके बाद इससे जुड़ा सारा सच तुझे बता दूंगा। और फिर आगे की इन्वेस्टिगेशन में तेरी हेल्प करूंगा।"

    रुद्रांश, कुछ देर सोचकर कहता है —
    "ठीक है... मैं तेरी हेल्प कर दूंगा। अभी के लिए... तू यहां से जा।"

    विक्रांत, शरारती मुस्कान के साथ रुद्रांश के गाल को खींचता है और कहता है —
    "ओ माय स्वीट बॉय... थैंक यू सो मच!"

    यह कहकर वह वहां से चला जाता है।

    विक्रांत के जाते ही, रुद्रांश टेबल पर सिर टिकाकर बैठ जाता है। वह दांत पीसते हुए खुद से कहता है —

    "मुझे क्या...? जिसका मन करे, वह ध्रुव को डेट करे... जिसका मन करे, पटाए!
    पर मुझे बुरा क्यों लग रहा है...?
    वैसे भी मैं तो बस उसे एक बार मिला था — और वो भी एक वर्जन के तौर पर।
    मुझे उससे कोई लेना-देना नहीं है...
    पर मैं उसकी तरफ अट्रैक्ट हो रहा हूं...?
    नहीं... नहीं! ऐसा नहीं हो सकता। उसका और मेरा कोई मैच ही नहीं है!"

    यह कहकर वह खुद को तसल्ली देता है —

    "चलो अच्छा है, विक्रांत उसे पटाएगा... तो मेरा ध्यान भी उसके ऊपर से हट जाएगा।"

    वह अपने फोन से एक टेक्स्ट करता है और वहां से चला जाता है।


    ---

    दूसरी तरफ, गार्डन एरिया में —
    विक्रांत, गौरी और ध्रुव बैठे हुए थे। तभी विक्की भागते हुए आता है। वह सबके लिए कॉफ़ी लेने गया था।

    सभी अपनी कॉफ़ी पढ़ते हुए कुछ बात कर रहे होते हैं। तभी विक्की का ध्यान विक्रांत पर जाता है, जो लगातार ध्रुव को देखे जा रहा था।

    विक्की, गौरी की तरफ इशारा करता है —
    "तो...? समझ रही है?"

    गौरी, धीरे से इशारों में 'हाँ' करती है —
    "सर तो लगता है... प्यार में पागल हो रहे हैं।"

    "हमें ध्रुव को बता देना चाहिए?"

    "नहीं-नहीं... छोड़, जाने दे। ध्रुव को इसका एहसास खुद करने दे।
    हम उनके बीच में नहीं आएंगे..."

    उन दोनों को बात करते देख, ध्रुव ताड़ जाता है और झट से उनके सिर पर तपली मारते हुए कहता है —
    "यह तुम दोनों का क्या चल रहा है कुशल-कुशल?"

    गौरी, बात बदलते हुए कहती है —
    "कुछ भी! तुमसे मतलब? वैसे भी हम रूममेट्स हैं, हमारी कुछ पर्सनल बातें होती हैं।"

    "अच्छा! आई बड़ी रूममेट की चमची!" — ध्रुव हँसते हुए कहता है।

    "ध्रुव तू ये सब छोड़िए — ले कॉफी पी।"
    यह कहकर विक्की सबको कॉफी पकड़ाता है।

    ध्रुव, कॉफी पीकर ज़मीन पर रख देता है और दूसरी तरफ देखने लगता है। तभी विक्रांत, उसका कॉफी का गिलास अपने गिलास से बदल देता है।

    यह देखकर गौरी और विक्की हैरानी से एक-दूसरे को देखते हैं।

    विक्रांत, घूरते हुए कहता है —
    "एग्ज़ाम में नंबर चाहिए ना...? तो चुपचाप मेरा साथ दो!"

    तभी ध्रुव, उनकी तरफ मुड़ते हुए पूछता है —
    "कैसा साथ?"

    विक्रांत, लड़खड़ाते हुए कहता है —
    "कुछ नहीं... इनको मैं बोल रहा था कि एग्जाम की प्रैक्टिस के लिए ओवर क्लासेज कर लिया करें। वैसे भी ये दोनों पढ़ने में नालायक हैं!"

    यह कहकर वह मज़े से कॉफी पीने लगता है।

    गौरी और विक्की, एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे।

    विक्रांत, ध्रुव से कहता है —
    "सुना... चलो, लाइब्रेरी से किताब लानी है — तो मेरी हेल्प कर दोगे क्या?"

    ध्रुव, कुछ कहे बिना सिर हिलाता है और दोनों वहां से निकल जाते हैं।

    उनके जाते ही, गौरी खुशी से उछलती हुई विक्की की तरफ बढ़ती है —
    "मुझे यकीन नहीं हो रहा... मैं एक BL स्टोरी की दर्शक बनने जा रही हूं!"

    विक्की, हँसते हुए कहता है —
    "हाँ यार... चलो अच्छा है! I wish, विक्रांत और ध्रुव की जोड़ी बन जाए। दोनों साथ में बहुत हॉट लगेंगे!"

    तभी गौरी के चेहरे की खुशी गायब हो जाती है।

    वह कॉलेज के गार्डन की दूसरी ओर देखते हुए कहती है —
    "और ये... ये यहां क्या कर रहा है?"

    विक्की, उसके साथ पीछे मुड़कर देखता है —
    और सामने खड़े व्यक्ति को देखकर, उसके भी चेहरे की हवाइयां उड़ जाती हैं।


    ---

    कौन था मिस्टर स्ट्रेंजर...?
    किसे देखकर विक्की और गौरी के चेहरे की हवाइयां उड़ गई थीं...?
    और कौन थी स्वाति, जिसके पीछे रुद्र ने डिटेक्टिव लगा रखा था...?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए — मेरे हमसफ़र!
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  • 17. Mere Hamsafar - Chapter 17

    Words: 1038

    Estimated Reading Time: 7 min

    "सुमित यहाँ!" — गौरी ने हैरानी से कहा।

    विक्की भी दूर खड़े सुमित को देखकर हैरानी से गौरी की तरफ देख रहा था... मानो उन दोनों की जमीन एक ही जगह पर रुक गई हो।

    विक्की कांपते हुए बोला,
    "कहीं... कहीं ये फिर से तो वो सब नहीं करेगा न...? अगर इस बार उसने कुछ किया... तो मैं इसे छोड़ूंगा नहीं!"

    "विक्की, चुप कर जा यार!" — गौरी ने घबराकर कहा। "तुझे पता है, पिछली बार कितना बवाल हुआ था... हमें ध्रुव को बताना होगा कि सुमित यहाँ आ गया है!"

    तभी विक्की का ध्यान दूसरी तरफ गया।

    उधर, विक्रांत और ध्रुव — दोनों सुमित की ही ओर जा रहे थे। और सुमित? वह दूसरी तरफ मुँह किए किसी से बात कर रहा था। विक्की यह देखकर फुसफुसाया,
    "गौरी! भाग... अगर इन दोनों का आमना-सामना हो गया, तो लेने के देने पड़ जाएंगे! चल, जल्दी!"

    लेकिन...

    देखते ही देखते, ध्रुव गलती से सुमित से टकरा गया!

    ध्रुव लड़खड़ाया, वह गिरने ही वाला था कि सुमित ने उसे थाम लिया।

    ध्रुव की साँसें थम-सी गईं...
    सामने सुमित?!

    वह बुरी तरह कांप गया — और सुमित को धक्का दे दिया! धक्का लगते ही ध्रुव ज़मीन पर गिर पड़ा... और उसकी कमर में तेज़ चोट लगी।

    वह दर्द से चीख पड़ा,
    "आआह! मेरी कमर...!"

    विक्रांत दौड़कर ध्रुव को उठाने की कोशिश करने लगा, लेकिन... ध्रुव की नज़रें सुमित पर थीं — सुमित की ओर टकटकी लगाए, उसका शरीर काँप रहा था।

    सुमित... सुमित एक शैतानी मुस्कान के साथ ध्रुव की आँखों में देख रहा था।

    ध्रुव वहाँ से भाग खड़ा हुआ।

    उसके जाते ही विक्रांत स्तब्ध रह गया। वह सुमित को घूरते हुए बोला,
    "तुम... कौन?"

    सुमित मुस्कुराया,
    "मैं सुमित मल्होत्रा। हाल ही में यहाँ शिफ्ट हुआ हूँ... और इस कॉलेज में एस-ए प्रोफेसर एडमिशन लिया है।"

    "हैलो सुमित, मैं विक्रांत। यहाँ साइकोलॉजी का प्रोफेसर हूँ।"

    विक्रांत की बात सुनकर सुमित हल्का मुस्कुराया,
    "लगता है यहाँ के टीचर्स और बच्चों में... काफी गहरा संबंध है।"

    "क्या कह रहे हो तुम?" — विक्रांत ने संदेह से पूछा।

    "अरे, मतलब कुछ नहीं..." सुमित ने टालते हुए कहा, "काफी फ्रेंडली वाइब है यहाँ की, बस वही देख रहा था मैं।"

    "हाँ, अब वो टाइम गया जहाँ टीचर्स खड़ूस हुआ करते थे। अब तो टीचर भी बंक करते हैं और स्टूडेंट्स को सपोर्ट भी करते हैं!" — विक्रांत हँसते हुए बोला।

    "हाँ, सही कह रहे हो।" — सुमित ने जवाब दिया।

    "चलो सुमित, तुमसे मिलकर अच्छा लगा।" — यह कहकर विक्रांत वहाँ से चला गया।

    इधर, विक्की और गौरी, ध्रुव के पीछे भाग रहे थे।
    ध्रुव तेजी से भाग रहा था, उसकी आँखों में आँसू थे।

    विक्की और गौरी चिल्लाते हुए बोले,
    "ध्रुव! रुक, मेरी बात तो सुन ले! ध्रुव, रुक जा!"

    लेकिन तभी...

    ध्रुव का टकराव रुद्रांश से हो गया।

    रुद्रांश ने उसे थाम लिया — और जैसे ही उसकी नजर ध्रुव पर पड़ी... उसके दिल में किसी ने खंजर घोंप दिया हो!

    उसे वह सीसीटीवी फुटेज याद आ गया...
    जिसमें स्वाति... ध्रुव से मिल रही थी।

    गुस्से में धधकते हुए रुद्रांश बोला,
    "देख कर नहीं चल सकते क्या?!"

    ध्रुव बिना कुछ बोले... अपनी आँखों के आँसू पोछते हुए वहाँ से भाग गया।

    रुद्रांश अपने कपड़े ठीक ही कर रहा था कि तभी...

    फोन बज उठा।

    फोन उठाते ही आवाज आई,
    "सर, आपने जिस लड़की का फोटो दिया था... वो लड़की मिल गई है। उसके एक... बच्चा भी है!"

    "क्या?!" — रुद्रांश की आँखें चौड़ी हो गईं।

    "क्या बकवास कर रहे हो तुम? उसके बच्चे नहीं हो सकते! ध्यान से पता करो... तुम प्राइवेट डिटेक्टिव हो या क्या?"

    "सर, मैं यकीन से कह रहा हूँ... ये उसी का बच्चा है।"

    "अच्छा... मुझे उसकी फोटो भेजो।"

    कुछ सेकंड बाद डिटेक्टिव ने फोटो भेजी...

    जैसे ही रुद्रांश ने फोटो देखी, उसके हाथों से मोबाइल गिरते-गिरते बचा।
    वह खुद को संभालते हुए बड़बड़ाया,
    "नहीं... ऐसा कैसे हो सकता है... इतनी जल्दी...? इसका बच्चा?!"

    "सुनो, तुम और क्या पता कर पाए हो?"

    "सर, ज़्यादा कुछ तो नहीं... अभी फिलहाल इतना ही पता चला है।"

    "अच्छा, ये बताओ... तुम्हें पता चला कि इसका और ध्रुव का क्या संबंध है?"

    "नहीं सर, अभी तो कुछ समझ नहीं आ रहा... पर जल्दी ही सारी डिटेल दे दूँगा।"

    यह कहकर कॉल कट गया।

    रुद्रांश चुपचाप वहाँ से चला गया।

    इधर, विक्रांत ध्रुव को ढूंढ़ रहा था...
    पर ध्रुव कहीं नजर नहीं आ रहा था।

    बेचैनी में विक्रांत, रुद्रांश की तरफ देखकर बोला,
    "यार, ध्रुव दिख नहीं रहा... पता नहीं कहाँ गया होगा?"

    रुद्रांश ने गहरी साँस ली,
    "तू इतना परेशान क्यों हो रहा है विक्रांत? भाई... देख, तुझे नहीं समझ आएगा। जब तू किसी से प्यार करेगा... तब तुझे समझ आएगा।"

    इतना कहकर विक्रांत एक पल के लिए चुप हो गया।

    उसे अहसास हुआ — उसने कुछ बहुत बड़ा कह दिया था।
    धीरे से बोला,
    "I’m sorry... मेरा वो मतलब नहीं था। I know... जो past में हुआ... I'm sorry. प्लीज़, मुझे माफ़ कर दो रुद्रांश।"

    रुद्रांश ने अपने चेहरे पर सख्ती लाते हुए कहा,
    "तुम माफी क्यों माँग रहे हो...? जो होना था, वो हो चुका है। तुम परेशान मत हो। मैं ध्रुव को रोते हुए कॉलेज के कैंटीन की ओर जाते हुए देख रहा था। एक बार जाकर देखो, शायद वहीं मिल जाए।"

    "क्या?! ध्रुव रो रहा था? लेकिन क्यों? क्या हुआ उसे?"

    "पता नहीं... उसके पीछे गौरी और विक्की भी भाग रहे थे।"

    यह सुनकर विक्रांत तेजी से दौड़ता हुआ वहाँ से निकल गया।

    रुद्रांश ने अपना फोन निकाला और उस लड़की की फोटो... और उसके बच्चे की फोटो को घूरते हुए बड़बड़ाया,
    "तुम इतनी कैसे बदल सकती हो...?"

    यह कहते-कहते उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
    काश उसे वक्त तुमने मेरी बात मान ली होती तो आज तुम मुझसे दूर नहीं होती ना जान तुम्हारे दिल में क्या था तुमने एक बार भी मुझे बताने की कोशिश भी नहीं करी अगर आज तुमने थोड़ी सी हिम्मत दिखा करके सारी बातें बता देती तो यह हाल बिल्कुल नहीं होता इतना कहते ही उसकी आंखों से आंसू आ रहे थे और उसके आंखें भी अब लाल हो चुकी थी अपने आंखों के आंसू को पूछते हुए फोन को जेब में रखता है और वहां से चला जाता है

    ---

    आख़िर क्या रिश्ता था रुद्रांश का उस लड़की से?
    और कौन था यह रहस्यमयी सुमित...
    जिसे देखकर ध्रुव की हालत बिगड़ गई थी?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए — "मेरे हमसफ़र"...

  • 18. Mere Hamsafar - Chapter 18

    Words: 1012

    Estimated Reading Time: 7 min

    ध्रुव कमरे में बैठा हुआ था। चारों तरफ बस अंधेरा था। वह ज़ोर-ज़ोर से रोए जा रहा था। तब तक वहाँ पर धैर्य आता है। धैर्य को देखकर के, ध्रुव अपने आँसुओं को साफ़ करते हुए बिस्तर पर लेटकर चादर ओढ़ लेता है।

    धैर्य को थोड़ा अजीब लगता है। वह बाहर आकर देखता है तो गौरी और विक्की भी परेशान बैठे थे।

    विक्की, गौरी की तरफ़ देख रहा था कि तभी धैर्य उनके बीच आकर बैठ जाता है। धीरे-धीरे से कहता है, "क्या हुआ गैज़? आज तो इतने शांत क्यों हो?"

    धैर्य की बात सुनकर विक्की धीरे से कहता है, "क्या करें... मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है। सुमित वापस आ गया है।"

    ‘सुमित’ की बात सुनकर धैर्य के भी चेहरे की हवाइयाँ उड़ जाती हैं। वह लड़खड़ाते हुए कहता है, "कौन सा सुमित?"

    गौरी कहती है, "अरे आप कैसे जानेंगे भैया... हमारे कॉलेज का एक टाइम पर टीचर था। वह ध्रुव को काफ़ी परेशान करता था। ड्रोनैस की बहुत कुटाई करवाई थी, और बहुत कुछ हुआ था उन दोनों के बीच। आज तक किसी को नहीं पता, उनके बीच ऐसा क्या हुआ था।"

    विक्की बोलता है, "और वह वापस आया है। उसको देखकर के ध्रुव को न जाने क्या हो गया है। एक कमरे में बंद है... कुछ बात भी नहीं कर रहा।"

    यह सुनकर धैर्य एक गहरी साँस लेता है और वहाँ से चला जाता है। बाहर निकलकर वह अपना फ़ोन निकालकर सुमित का नंबर डायल करते हुए कहता है, "मुझे तुमसे आज रात मिलना है।" इतना कहके वह फ़ोन काट देता है।

    फिर, दूसरी तरफ उसका ध्यान सामने से जा रहे आइसक्रीम वाले पर पड़ता है। वह उसे रोकते हुए कहता है, "आपके पास वनीला फ्लेवर की आइसक्रीम होगी क्या?"

    वह आदमी 'हाँ' में सिर हिलाता है।

    धैर्य मुस्कुराते हुए कहता है, "ऐसा करिए... फिर मुझे चार कोन दे दीजिए।"

    वह आइसक्रीम लेकर के कमरे में चला जाता है। वह दो आइसक्रीम गौरी और विक्की को देता है, और एक लेकर के कमरे में चला जाता है।

    धैर्य, ध्रुव के बगल में बैठते हुए आइसक्रीम को चटकारे लेकर खाते हुए कहता है, "क्या आइसक्रीम है यार! इतना कि मुँह में लेते ही गल जाए। जिस किसी को खाना है, वह बोल सकता है।"

    पर ध्रुव का कोई भी जवाब नहीं आता है।

    यह देखकर के धैर्य, ध्रुव के सिर से कंबल हटाते हुए कहता है, "सुनो... यह लो, आइसक्रीम खा लो।"

    ध्रुव उसकी तरफ़ देखकर नाम जैसा ही लाता है।

    धैर्य, उसे प्यार से उठाकर के बगल में बिठाते हुए कहता है, "पापा... तुम परेशान मत हो। तुम्हारे और सुमित के बीच ऐसा क्या हुआ था?"

    यह सुनते ही ध्रुव के हाथ काँपने लगते हैं।

    धैर्य यह देखकर शांत होते हुए कहता है, "अच्छा ठीक है, वह सब मत बताओ... पर यह लो, तुम इसको खा लो।" यह कहकर वह आइसक्रीम ध्रुव की तरफ़ देता है।

    ध्रुव धीरे से आइसक्रीम को लेकर खा रहा होता है। धैर्य, प्यारी-प्यारी बातें करके उसका मन बहला रहा था।

    तब तक ध्रुव के सिर में दर्द होने लगता है। धैर्य, उसके सिर को पकड़कर के अपने थाईज़ पर रखते हुए कहता है, "एक काम करो... तुम ऐसे लेट जाओ, मैं इसका थोड़ा मालिश कर देता हूँ।"

    तब तक दरवाज़े पर दस्तक होती है। एक इंसान दरवाज़े के पास खड़ा था। उस इंसान को देखकर के धैर्य अपनी भौंहें चढ़ाकर कहता है, "प्रोफेसर्स तो क्लास तक ही सीमित होते हैं ना? आप घर पर क्या कर रहे हैं?"

    यह सुनते ही विक्रांत आगे बढ़कर कहता है, "तुमसे मतलब? कुछ भी करूँ... मैं यहाँ पर ध्रुव का हाल-चाल पूछने आया था।"

    धैर्य उसकी तरफ़ इशारा करते हुए कहता है, "धीरे बोलिए! जो कि अभी आँखें लगी हैं। तो ठीक है ना? उसे मैं उठा लूँगा।"

    विक्रांत की बात सुनकर धैर्य उसकी तरफ़ ग़ुस्से में देखते हुए कहता है, "छूने की कोशिश भी मत करिएगा... क्योंकि मैं उसे कहीं नहीं जाने दूँगा। और आप प्रोफेसर हैं, तो प्रोफेसर की तरह रहिए। ज़्यादा क्लोज़ आने की ज़रूरत नहीं है।"

    यह सुनते ही विक्रांत ग़ुस्से में धैर्य की तरफ़ देखते हुए कहता है, "सुन! तू अपने काम से काम रख। मैं क्या करता हूँ, क्या नहीं... वह तेरे बस की बात नहीं है।"

    यह कहकर वह ध्रुव की तरफ़ आगे बढ़ ही रहा होता है कि धैर्य उसके हाथों को कसकर पकड़ लेता है और ग़ुस्से में उसकी तरफ़ घूमते हुए कहता है, "सोचिएगा भी मत!"

    धैर्य की हरकत देखकर के विक्रांत उसके हाथ को मरोड़ देता है, जिससे धैर्य की आँखें भर आती हैं। और वह उसके मुँह के पास कसकर बोलता है, "सोचना भी मत कि तू मेरे और ध्रुव के बीच आएगा! टाँगे तोड़कर हाथ में दे दूँगा!"

    पीछे खड़े विक्की और गौरी यह सब देख रहे थे।

    विक्की फिर गौरी की तरफ़ देखकर कहता है, "एक अनार... सौ बीमार!" और वह भागते हुए आगे आता है। उन दोनों को छुड़ाते हुए कहता है, "गैज़! छोड़ो... ध्रुव बड़े मुश्किल से सोया है, उसे सोने दो कुछ पल!"

    विक्रांत अपना हाथ हटा लेता है।

    तब तक ध्रुव की भी आँखें खुल जाती हैं। विक्रांत को देखकर वह कल की मुस्कान के साथ उठ खड़ा होता है और विक्रांत के गले लगते हुए कहता है, "आप यहाँ?"

    विक्रांत मुस्कुराते हुए कहता है, "हाँ। दरअसल मैं यहाँ पर आया था... यहाँ से जा रहा था तो सोचा, तुमसे हाल-चाल पूछ लूँ।"

    यह सुनकर ध्रुव हल्का सा मुस्कुराता है।

    विक्रांत, ध्रुव के पास जाते हुए कहता है, "अगर तुम बुरा ना मानो तो... हम बाहर चल सकते हैं क्या? वैसे भी इस घर में काफ़ी नेगेटिव वाइब आती है।"

    यह सुनकर के ध्रुव आश्चर्य से विक्रांत की तरफ़ देख रहा था।

    विक्रांत हँसते हुए कहता है, "आ... आर.आई. मीन... थोड़ा सा इसका दशा सही नहीं है ना, एस्ट्रोलॉजी के वे में बोल रहा हूँ। अच्छा... अच्छा?"

    यह सुनकर ध्रुव 'हाँ' कहता है, "रुकिए, मैं जल्दी से फ्रेश हो जाता हूँ... फिर चलते हैं।"

    ध्रुव वॉशरूम में जाता है और अपने कपड़े चेंज करता है। उसने डेनिम शर्ट और एक लूज़ जींस पहन रखी थी।

    इसके बाद दोनों वहाँ से बाहर चले जाते हैं।

    उनके जाते ही धैर्य, अपने दाँत पीसते हुए कहता है, "तुम्हें तो मैं बताऊँगा... मिस्टर विक्रांत!"

  • 19. Mere Hamsafar - Chapter 19

    Words: 1186

    Estimated Reading Time: 8 min

    ---

    इधर ध्रुव कार में बैठता है, तब तक पीछे से रुद्रांश की आवाज़ आती है,

    "हेलो मिस्टर ध्रुव।"

    ध्रुव पीछे देखता है। वहाँ पर रुद्रांश पहले से बैठा हुआ था। रुद्रांश को देखते हुए वह विक्रांत की तरफ देखकर कहता है,

    "हूँ, बताओ… तुम दोनों में दोस्ती कब से हो गई? तुम लोग तो एक-दूसरे को काट खाने के लिए दौड़ रहे थे!"

    यह सुनकर विक्रांत हँसते हुए कहता है,

    "बस… वक़्त-वक़्त की बात है। कभी-कभी दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं।"

    "अच्छा, चलो अच्छा है… किसी की तो दोस्ती हो रही है। वरना लोग खडूस से तो नीचे ही नहीं आते…"

    यह ध्रुव ने ताना मारते हुए रुद्रांश के लिए कहा था।

    रुद्रांश अपने ईयरबड्स को निकालकर कानों में लगाते हुए कहता है,

    "फालतू की बातें सुनने का वक़्त नहीं है। अब तुम गाड़ी चलाओ।"

    देखते ही देखते विक्रांत गाड़ी स्टार्ट करता है और कार बीच के किनारे पर पहुँच जाती है। वहाँ पर गाड़ी रोककर विक्रांत, ध्रुव की तरफ देखते हुए कहता है,

    "सुनो… तुम चलकर उस चाय की टपरी पर बैठो। मैं दो मिनट में आता हूँ।"

    ध्रुव हल्की सी स्माइल देकर वहाँ से चला जाता है।

    उसके जाते ही विक्रांत डेस्परेट होकर रुद्रांश की तरफ देखते हुए कहता है,

    "बताओ… अब क्या करूँ? कैसे उसके दिल में अपने लिए जगह बनाऊँ?"

    विक्रांत की बात सुनकर रुद्रांश कहता है,

    "अरे… जो उससे बात कर, उसे समझ। और हो सके तो उसके लिए चाय ले लेना, उसके खाने-पीने का ख्याल रखना। एक बच्चे की तरह पैंपर करना… ताकि उसे तेरा अटेंशन मिले।"

    विक्रांत, रुद्रांश की बातें सुनकर वहाँ से चला जाता है। रुद्रांश अब तक बस एक प्लेबॉय ही था। उसने कभी किसी को प्रपोज़ नहीं किया था, ना ही कभी किसी के लिए उसके दिल में फीलिंग आई थी। पहली बार वह ध्रुव के लिए फील करना स्टार्ट किया था। बस वह अपने दिल की तसल्ली के लिए, ध्रुव की जगह जाकर बैठ जाता है।

    इधर, दूर खड़ा रुद्रांश उन दोनों को ऐसे करीब बैठे देख, अपना सर दूसरी तरफ घुमा लेते हुए खुद से कहता है,

    "मुझे इतनी तकलीफ़ क्यों हो रही है? इसने मेरे साथ जो किया है, मुझे वो भूलना नहीं चाहिए। ये स्वाति से मिला हुआ है… जरूर इसे मेरे बारे में पहले से पता होगा। और हो ना हो, स्वाति ने ही इस कॉलेज में इसका एडमिशन कराया होगा।"

    तभी एक कॉल रुद्रांश के फ़ोन पर आता है। रुद्रांश फोन उठाते हुए कहता है,

    "हाँ बोलो… क्या लड़की के बारे में पता चल गया?"

    "हाँ सर, वो लड़की… उसकी नहीं है।"

    "क्या?"

    "हाँ सर, उसने उस लड़की को अडॉप्ट किया है और वो उसकी देखभाल करती है। और सर… उसका एक्सीडेंट हो गया है। वो अस्पताल में भर्ती है।"

    यह सुनते ही रुद्रांश के हाथों से वह फोन गिर जाता है। उसकी आँखों में आँसू भर आते हैं। वह लड़खड़ाते हुए कहता है,

    "कौन से अस्पताल में? लोकेशन भेजो… मैं अभी आता हूँ!"

    वह कार स्टार्ट करता है और 200 की स्पीड में दौड़ने लगता है। देखते ही देखते वह सिटी हॉस्पिटल पहुँच जाता है। कार को साइड लगाकर, अपने आँसुओं को पोंछते हुए सीधा वह केबिन की तरफ भागता है। डॉक्टर की तरफ देखते हुए पूछता है,

    "डॉक्टर… यहाँ स्वाति नाम की कोई लड़की एडमिट हुई है क्या? प्लीज़ बताइए।"

    डॉक्टर रुद्रांश की तरफ देखते हुए कहते हैं,

    "हाँ सर, वार्ड नंबर तीन में हैं वो।"

    यह सुनते ही रुद्रांश वहाँ से तेज़ी से भाग जाता है। डॉक्टर उसकी तरफ देखते हुए कहते हैं,

    "ये तो डी बिज़नेस टायकून रुद्रांश आहूजा है…! यहाँ क्या कर रहा है? मुझे पता करना होगा।"

    रुद्रांश जैसे ही गेट पर पहुँचता है, वह अंदर ICU की तरफ देखता है। एक लड़की बेहोश पड़ी थी, उसके मुँह पर नलियाँ वगैरह लगी हुई थीं। उसके बगल में एक छोटी-सी बच्ची बैठकर रो रही थी।

    वह बच्ची के पास बैठ जाता है और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है,

    "नहीं रोती बेटा… मामा अभी थोड़ी देर में उठ जाएँगे। फिर हम सब साथ में खेलेंगे…"

    यह सुनते ही वह लड़की रुद्रांश की तरफ देखती है। उसे कुछ समझ नहीं आता। वह उससे दूर खिसक जाती है और पास में पड़े सीजर को उठाकर सामने दिखाते हुए कहती है,

    "मुझसे दूर रहिए! मामा ने मुझे पहले ही बताया था कि 'बैड अंकल' आएँगे… और वो आएँगे तो उनसे दूर रहना है! देखिए, आप मुझसे दूर रहिए, वरना मैं आपको मार दूँगी! और आपने अगर मामा को छूने की कोशिश की ना… ये सीजर आपके अंदर जाएगा!"

    उसे देखकर रुद्रांश अपने आँसू पोंछते हैं। उसके करीब जाता है। उसे गोद में उठाकर कुर्सी पर बिठाते हुए कहता है,

    "बिल्कुल अपनी माँ पर गई हो… तुम्हारी तरह वो भी ज़िद्दी थी। बेटा, मैं तुम्हारी मामा का भाई हूँ।"

    यह सुनते ही वह लड़की कुछ पल सोचती है और कहती है,

    "आप… रुद्रांश मामा हैं ना?"

    रुद्रांश को ये बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उस लड़की को उसके बारे में पता होगा। वह अपना नाम सुनकर हैरान रह जाता है। वह लड़की को गोद में उठाकर पूछता है,

    "तुम्हें कैसे पता मेरा नाम?"

    "मामा आपके बारे में बहुत बातें करती थीं… उन्होंने आपकी फ़ोटोज़ भी दिखाई थीं। सॉरी मामा… मैं भूल गई थी। दरअसल मामा हमेशा कहती थीं कि रुद्रांश मामा बहुत अच्छे हैं… उनसे एक दिन मिलने चलेंगे। और वो कभी लेकर ही नहीं आईं…"

    सुनते ही रुद्रांश की आँखें फिर से भर आती हैं। अपने आँसुओं को पोंछते हुए उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है,

    "बेटा, अब मैं आ गया हूँ ना… अब मैं आप लोगों को छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगा। पर ये बताओ… मामा की ऐसी हालत कैसे हुई?"

    "मामू… दो 'बैड अंकल' आए थे। वो मामा के साथ ज़बरदस्ती कर रहे थे। मामा ने जब मना किया तो उन्होंने इन्हें धक्का दे दिया… और मामा सीढ़ियों से नीचे गिर गईं।"

    "क्या!"

    यह सुनते ही रुद्रांश की आँखें ग़ुस्से से लाल हो जाती हैं। वह अपना फोन निकालकर किसी को कॉल करने ही वाला था, कि वो लड़की अपने नन्हें-नन्हें हाथों से रुद्रांश की कमर पकड़कर गले लग जाती है। वह पूरी तरह से रुद्रांश को पकड़ नहीं पा रही थी… पर उसका मासूम स्पर्श रुद्रांश के लिए किसी सुकून से कम नहीं था।

    वह उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है,

    "बच्चे… तू परेशान मत हो… मैं तुम्हारी मामा को कुछ नहीं होने दूँगा।"

    वह उसे गोद में उठाकर बाहर ले आता है और डॉक्टर की तरफ देखकर चिल्लाता है,

    "मुझे अभी के अभी बेस्ट डॉक्टर की टीम मेरी बहन के लिए चाहिए!"

    डॉक्टर उसकी कड़क आवाज़ सुनकर डर जाते हैं और काँपते हुए कहते हैं,

    "सर… चिंता मत कीजिए। थोड़ी देर में यहाँ पर बेस्ट डॉक्टर की टीम आ जाएगी।"

    यह कहकर वे लड़की की तरफ देखते हुए पूछते हैं,

    "बेटा… आपका नाम क्या है?"

    वह लड़की अपनी आँखों से आँसू पोंछते हुए कहती है,

    "मेरा नाम नंदिनी है।"

    "नंदिनी… बच्चे, अब मामा आ गए हैं ना… आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।"

    ---

    आखिर कौन थे वो लोग जिन्होंने स्वाति का ये हाल किया?

    क्या विक्रांत और रुद्रांश दोनों ही ध्रुव के लिए फील करना स्टार्ट कर देंगे?

    और जब रुद्रांश को ध्रुव और स्वाति की सच्चाई पता चलेगी…

    तो क्या करेगा रुद्रांश?

    ---

  • 20. Mere Hamsafar - Chapter 20

    Words: 1079

    Estimated Reading Time: 7 min

    रुद्रांश नंदिनी को लेकर के अस्पताल में बैठा हुआ था। तब तक नंदिनी को होश आता है। स्वाति को होश में आता देख, उसके सर पर हाथ फेरते हुए वह कहता है —
    "स्वाति... तुम कैसी हो?"

    स्वाति, अपने सामने बैठे रुद्रांश को देखकर रोने लगती है। उसे ज़ोर-ज़ोर से रोता देख, रुद्रांश उसके हाथों को पकड़ते हुए कहता है —
    "मेरे बच्चे रोते नहीं! जो हुआ, उसे भूल जाओ... अब मैं आ गया हूं न? अब मैं सब ठीक कर दूंगा!"

    स्वाति एक नज़र नंदिनी की तरफ देखती है। उसके गालों को प्यार से सहलाते हुए, अपने होठों से उसे किस कर लेती है।

    रुद्रांश, स्वाति से गंभीर लहजे में पूछता है —
    "स्वाति, इतने दिन तुम कहां थी? और तुमने इतना बड़ा फैसला ले लिया... हमें बताया तक नहीं? नंदिनी का पापा कौन है?"

    स्वाति की आंखें नम हो जाती हैं। वह गहरी सांस लेकर कहती है —
    "भैया... उसे रात पापा ने मुझे घर से निकाल दिया... यह कहकर कि मैंने उनकी इज्जत दुबई है!"

    फिर कुछ देर रुककर, थरथराती आवाज़ में कहती है —
    "दरअसल वहां पर कुछ और हुआ था... पर कोई मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं था। तो मैंने भी बस उसी वक्त डिसाइड कर लिया था कि अपनी ज़िंदगी में कुछ ऐसा करूंगी... कि फिर मुझे किसी के सामने हाथ फैलाने की ज़रूरत ना पड़े!"

    "मैं रास्ते में रोते हुए जा रही थी, और मैंने नंदिनी को वहीं पर पाया था... आज से दो साल पहले... इस सड़क के किनारे बैठी रो रही थी। इसके घर वालों ने, लड़की होने की वजह से इसे भी निकाल दिया था।"

    "मैं बस... अपना फर्ज़ निभाया। मैं नहीं चाहती थी कि जो चीज़ मुझे फील हुई... वह नंदिनी को भी बड़ा होने के बाद फील हो। इसलिए मैंने उसे मां-बाप दोनों का इतना प्यार दिया... कि उसे कभी किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी..."

    यह सुनकर, रुद्रांश नंदिनी की तरफ देखता है। प्यार से अपने पॉकेट से चॉकलेट निकालकर देता है और कहता है —
    "नंदिनी बेटा, ये लो चॉकलेट... अभी मामा और मामा बात कर रहे हैं न। आप एक काम करो... चॉकलेट खाते हुए जाकर कॉरिडोर में खेलो। और हां! शरारत मत करना... मैं जल्दी से मामा को लेकर आता हूं, फिर हम सब घर चलेंगे।"

    नंदिनी मुस्कुराती है, रुद्रांश के हाथों से चॉकलेट लेकर उसके गालों को खींचते हुए कहती है —
    "थैंक यू मामू..." और वह वहां से चली जाती है।

    उसके जाने के बाद, रुद्रांश स्वाति से गंभीरता से पूछता है —
    "सच-सच बताओ, उस रात तेरे और अमन के बीच क्या हुआ था?"

    स्वाति की आंखें लाल हो जाती हैं। वह रुआंसी होकर कहती है —
    "भैया... मैं किसकी कसम खाऊं...? कितनी बार कहा कि उस रात हमारे बीच कुछ भी नहीं हुआ था! अब मैं सीता माता तो हूं नहीं कि अपनी परीक्षा दे दूंगी!"

    "अमन... मेरे कमरे में ज़बरदस्ती आया था! और... और वो मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था!"

    "जब मैंने कहा कि मैं सबको बता दूंगी... तो उसने विक्टिम कार्ड खेला, और मुझे ब्लैकमेल करने लगा!"

    "उसने मेरे कुछ वीडियो बनाए हुए थे... ऐसे वीडियो, जिनका वायरल होना... आप सबकी इज्जत के लिए खतरा था!"

    "वह मुझे उन्हीं वीडियो के जरिए ब्लैकमेल करता रहा... न जाने उसने मेरे साथ कितनी बार... क्या-क्या किया!"

    "मैं वो चीज़ और नहीं सह पा रही थी। और... मैंने सारी बातें मानते हुए... घर से चली गई।"

    यह सुनते ही, रुद्रांश की आंखें भर आती हैं। वह अपने आंसुओं को पोंछते हुए कहता है —
    "तुझे एक बार अपने भाई की याद नहीं आई...? तू मेरी आंखों का तारा है... तुझे न जाने मैंने कहां-कहां ढूंढा! कितने मंदिरों में मन्नत मांगी... एक बार ही सही, पर मुझे मिल तो लेती!"

    स्वाति धीमे स्वर में कहती है —
    "भैया, मैं... कोशिश बहुत करी थी! पर मां की कसम के आगे मुझे रुकना पड़ा..."

    "क्या...? मां ने तुम्हें कसम दी थी?"

    "हां भैया... मां ने मुझे कसम दी थी कि मैं आपसे कुछ भी ना बताऊं... और इसलिए मैंने किसी को कुछ भी नहीं बताया..."

    इतना सुनते ही, राघव के चेहरे पर एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती है। वह गहरी सांस लेते हुए आगे बढ़ता है और कहता है —
    "अब मैं सब ठीक कर दूंगा... तुम परेशान मत हो।"

    फिर वह धीरे से पूछता है —
    "एक बात बताओ... तुम्हारा और ध्रुव का क्या रिश्ता है?"

    यह सुनते ही, स्वाति एक गहरी सांस लेती है और कहती है —
    "ध्रुव मेरे लिए एक फरिश्ता है... वह फरिश्ता जिसने मुझे रहने की जगह दी, मुझे सम्मान दिलाया, मेरी बेटी को इतना कुछ सिखाया... मुझे जीने का तरीका बताया!"

    "अगर वह उसे रात मुझे नहीं मिलता... तो कुछ दरिंदे मुझे नोच खाते!"

    "मैं उसे रात... सड़क पर भागती हुई जा रही थी। एक हाथ में नंदिनी थी... दूसरे हाथ में दर्द! हम दोनों वहां से भाग रहे थे।"

    "रात का वक्त था... और कुछ शराबी हमारे पीछे पड़े हुए थे। हम भागते-भागते... इतना थक चुके थे कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था!"

    "उन लोगों ने हमें चारों तरफ से घेर लिया था... तभी वहां से ध्रुव गुजर रहा था!"

    "उसने देखा... और बिना कुछ सोचे समझे गुंडों से भिड़ गया! बहुत मार खाई... मेरे लिए!"

    "उसने अपना हाथ तक तुड़वा लिया था... पर मुझे और नंदिनी को बचा लिया।"

    "उसके बाद वो हमें अपने घर ले गया। हमारे रहने, खाने और न जाने क्या-क्या इंतज़ाम किए उसने..."

    "उसका एहसान इतना बड़ा है कि... हम भूल कर भी उससे दूर नहीं जा सकते!"

    यह सब सुनकर, राघव एक गहरी सांस लेता है। उसके मन में चल रहा होता है —
    "मतलब... मैं ध्रुव के बारे में गलत सोच रहा था? वह तो बस स्वाति की मदद कर रहा था!"

    थोड़ी देर बाद, वह कहता है —
    "चलो... तुम परेशान मत हो। मैं सारी चीज़ें ठीक कर दूंगा। और जब सब कुछ ठीक हो जाएगा... तो मैं तुम्हें खुशी-खुशी घर लेकर आऊंगा।"

    यह सुनकर, नंदिनी एक मासूम मुस्कान के साथ राघव के गले लग जाती है। राघव, अपने आंसुओं को पोंछते हुए उसे बेड पर लिटाता है और कहता है —
    "मैं डॉक्टर की फॉर्मेलिटी पूरी करके आता हूं..."

    यह कहकर वह वहां से निकल जाता है। बाहर आते हुए, उसके दिमाग में बस ध्रुव की बातें गूंज रही थीं। वह गहरी सोच में डूबते हुए खुद से कहता है —
    "आख़िर ये कैसे हो सकता है...? इतनी बड़ी बात... और मैं ध्रुव को गलत समझ रहा था...? अब क्या करेगा राघव...?"

    क्या यही होगा इन दोनों के बीच प्यार की पहली टशन...? जानने के लिए पढ़ते रहिए...