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किताबी इश्क

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सहर 🎀

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इश्क प्यार महौब्बत प्रेम ना जाने क्या क्या नाम है, हर जगह ये है, कहते हैं इश्क तो कण कण में दुनिया में है हजारों कहानियां किस्से हैं इस इश्क के कुछ सच्चे कुछ काल्पनिक और इन्हीं दर्जनों कहानियों में से एक है मेरी कहानी... मैं अपना परिचय देना तो भुल ही...

Total Chapters (17)

Page 1 of 1

  • 1. दास्तान ए इश्क - Chapter 1

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    सबसे पहले तो कहानी कोरी काल्पनिक है बस किरदार सत्य है 😂
    और ये कहानी लेखक नहीं स्वयं किरदार सुनाएगा....








    इश्क प्यार महौब्बत प्रेम ना जाने क्या क्या नाम है, हर जगह ये है, कहते हैं इश्क तो कण कण में दुनिया में है हजारों कहानियां किस्से हैं इस इश्क के कुछ सच्चे कुछ काल्पनिक और इन्हीं दर्जनों कहानियों में से एक है मेरी कहानी...
    मैं अपना परिचय देना तो भुल ही गया पर क्या करूं हर एक परिचय से पहले तो ये प्रेम ही आता है, मैं प्रियांक और वो वो मेरा इश्क हां दुनिया उसे अदिति कहती हैं 🫠
    मुझे नहीं याद शायद कि मैं उसे कब से जानता हूं बचपन से जानता हूं हजारों बार देखा था मैंने उसे पर कभी देख कर भी देखा नहीं पर वो एक दिन जब मैंने उसे देखा था पता नहीं उसकी मुस्कान में ऐसा क्या दिखा कि उसके बाद कुछ और दिखा ही नहीं,
    मुझे नहीं पता मुझे वो क्यों पसंद थी, पर थी और उस दिन के बाद हर वक्त मैं उसे ही देखना चाहता था वो बारिश वाला दिन, उस दिन से पहले मुझे बारिश भी नहीं पसंद थी...
    उसकी भीगी हुई जुल्फें उसके चेहरे पर गिर रही थी और बारीश की बुंदे उसके चेहरे पर गिर रही थी उसका चेहरा एक झरना सा लग रहा था और उसकी मुस्कान... मैं वो दृश्य जिंदगी भर देखने को तैयार था उसकी मुस्कान थी ही इतनी खूबसूरत कि मैंने उस दिन के बाद उस मुस्कान को जिंदगी ही बना लिया, उसे तो खबर भी नहीं होगी कि मैं इतना पागल हो गया था उसकी मुस्कान के पीछे, वो प्यार था या नहीं उस वक्त ये तो समझ नहीं आया लेकिन हां वो आकर्षक मात्र तो बिल्कुल भी नहीं था....
    उसका परिचय वो एक आम और साधारण सी लड़की थी लेकिन सिर्फ तब तक जब तक मैंने उसे उस दिन नहीं देखा था, युं तो वो मुझे कई बार दिख जाया करती थी मैंने ना कभी उससे बात की न कभी उसने मेरे ही शहर की थी इससे ज्यादा नहीं जानता पर अब जानना चाहता था....


    मैंने प्यार में पागल होने वाली शायद कई फालतू हरकतें की थी जो मुझे आज भी लगता है कि नहीं करनी चाहिए थी,
    उसका पीछा किया और सबसे घटिया हरकत तो मैंने अपनी बहन को जबरदस्ती उसका दोस्त बना कर की, हां वो बात अलग है कि मैंने इसके लिए उसे क़ीमत भी दी थी पर मुझे उस वक्त बिल्कुल भी नहीं पता था कि हमारी कहानी का अंजाम ये होगा....


    आज से चार साल तीन महीने चार दिन पहले जब मैंने उसे देखा था...
    मैं घर जाने के लिए लेट हो रहा था उपर से बारिश आ गई बहुत गुस्सा आ रहा था मुझे सड़कों पर पानी भरा हुआ हर तरफ कीचड़ और गंदी बदबू मैं बारिश के मौसम को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता आखिर करूं भी तो कैसे लोगों की जिंदगी में आते होंगे बारिश के मौसम में हसीन ख्वाब हमारे यहां तो वो पंखों वाले कीड़े ही आएंगे कितने वाहियात होते हैं वो
    मैं कोसते हुए चला जा रहा था कि एक स्कुटी वाली हैवी ड्राइवर आई और पानी के बीच से स्कुटी निकाल कर ले गई और मुझे कीचड़ में नहला गई मैं तो उसके पीछे पत्थर फेंकने ही वाला था कि आगे जाकर वो रूक गई और अपना हेलमेट निकाल कर हंसने लगी
    उसका चेहरा देख कर तो मुझे और भी ज्यादा गुस्सा आया "तन्नु"... मेरी दोस्त शायद दोस्त मुझे कभी नहीं लगा हम दोस्त हैं या थे हां पर मैं तन्नु का बेस्टी था, उसके सामने मैं ज्यादातर चुप ही रहता था पता नहीं क्युं,
    मैंने उसे एक फीकी सी मुस्कान दी और आगे बढ़ गया क्योंकि मुझे नहीं सुनना था उसके इंस्टा पर कितने आशिक मर रहे हैं उसके लिए
    पर उसने मुझे रोक ही लिया और मेरी आदत बिल्कुल भी नहीं है कि मैं बहस करूं और वो भी तन्नु से मैं भी उसके साथ हो लिया बस इसी शर्त पर कि वो स्कुटी मुझे चलाने दे वरना तो घर नहीं सीधा परलोक ही सिधारना था मुझे पर मुझे देखते ही उसके मन में एक हजार एक सौ एक ख्याल पता नहीं कहां से आ जाते हैं, वो मुझे जबरदस्ती अपने घर ले गई और मैं करता भी क्या चला गया...
    हम उसके घर पहुंचे उसने गेट खोला और मैंने देखा उसके घर में उसकी काफी सारी सखियां आई हुई थी और मैंने किसी को नहीं देखा सिवाए एक के, बारिश की वो बुंदे जो अब तक मुझे कीड़े कीचड़ बदबू वाली लग रही थी अचानक खुबसूरत लगने लगी मैंने कहीं सुना था कि प्यार में दुनिया खुबसूरत लगने लगती है पर कभी सोचा नहीं ऐसा हो भी सकता है क्या पर शायद सच था मैंने महसूस किया था...
    मैं आधे घंटे तक वहीं खड़ा हो कर उसे देखता रहा और आखिर में वो ही मेरे पास से होकर निकल गई फिर मुझे लगा अब तो चलना ही चाहिए
    मैं वहां से निकल गया पुरे रास्ते बारिश में भीगते हुए मैं चला जा रहा था बारिश की हर एक बुंद में भी मुझे वही नजर आ रही थी और खुद पर हंसी भी एक बार के लिए तो मैंने खुद को पहचानने से इंकार ही कर दिया था क्या ये मैं था या किसी ने मुझ पर काला जादू कर दिया और चलते चलते मैं कभी रास्ते में पत्तियों को देख रहा था कभी फुलों को कभी बुंदों को मुझे तो कीचड़ भी खुबसूरत सा दिख रहा था और हर चीज को देख कर शायरी निकल रही थी कि तभी उसकी आंखें और मुस्कान याद आ गई मैंने दो पल ठहर कर फिर से उसे सड़क पर फैले पानी में ढुंढने लगा और मेरे लबों से कुछ शब्द निकल पड़े



    तुझे क्या ही देखा मेरी दुनिया हसीन हो गई...
    पल दो पल के लिए मेरी निगाहें ठहर क्या गई , सारी दुनिया फीकी पड़ गई और बस एक तेरी तस्वीर रंगीन हो गई...

    उसके सजदे में मैंने ये शब्द गढ दिए न जाने कैसे पर वो चेहरा मेरे दिल में घर कर चुका था...


    जारी है...

  • 2. दास्तान ए इश्क - Chapter 2

    Words: 1047

    Estimated Reading Time: 7 min

    मैं घर आ चुका था मैंने दरवाजा खोला और सामने से मेरी बहन सनम दौड़ते हुए आ रही थी उसे देख मैंने बांहे फैलाई क्योंकि मैं आर्मी जॉइन करने के बाद पहली बार घर आया था मुझे लगा था कि मुझे देख कर मेरी तरफ भागती हुई आई है पर वो बैग पर झपट पड़ी 🫠 उसका यही लालच मुझे मजबूर करता है उसे डायन और चुड़ैल कहने पर वो मेरा बैग उठा कर अंदर भाग गई और जैसे ही मैंने घर में कदम रखा मेरी मां मेरी सेवा में एक टांग पर खड़ी हो गई कभी कुछ कभी कुछ सच कहुं तो एक बार को लगा कि मैं गलत घर में आ गया लेकिन मुझे खुशी थी मां की आंखों की खुशी और गर्व मुझे महसूस करवा रहे थे जैसे मैंने लाखों करोड़ों कमा लिए हो ...
    यही तो खुबसूरती होती है एक पुरुष के जीवन की जब वो अपनी जिम्मेदारियों को उठाने के काबिल हो जाता है तब उसके लिए दुनिया बदल जाती है, हां स्त्रियों के लिए भी पर मेरे कहने का तात्पर्य बस इतना ही था स्त्रियों पर कोई बोझ नहीं होता स्वेच्छा से उठाती हैं वो जिम्मेदारी उनका भी बहुत सम्मान है मेरे मन में ( कोई दंगा न भड़का दे इस भय में लेखक ने अपनी नीजी भावनाओं को व्यक्त किया है 🫣)

    मैं अपने कमरे में आ चुका था पर मुझे महसूस हो रहा था मैं घर तो आ गया हुं पर कुछ अधुरा सा हुं जैसे मुझमें से मेरा कुछ छुट गया है शायद मेरी भावनाएं मेरे जज़्बात...

    मैं अपने कमरे में बैठा बहुत बैचेन महसूस कर रहा था, मेरा दिल चाह रहा था मैं यहां से बाहर चला जाऊं जब मैंने अपने मन में झांक कर देखा कि ये क्यों हो रहा है तब अहसास हुआ, वो बारिश अपने साथ मेरा सुकून भी ले गई, आंखों में नींद न थी मेरे , बस उसी की वो झलक बार बार याद आ रही थी.. मैंने जो बैचेनी महसूस की थी शायद ही मैं उसे बयां कर पाऊं क्योंकि हर बार शब्द जज्बातों को बयां नहीं कर पाते हैं...😌

    अपना दिल बहलाने के लिए मैंने मान लिया वो मेरे सामने ही है और मैं उससे बातें कर रहा हूं,
    मैं _ हाय नहीं हैलो नहीं ये अच्छा नहीं लगेगा हाय मैं हुं प्रियांक और तुम...?
    नहीं नहीं तुम नहीं आप,
    इन्हीं दो लाइनों को समेट कर सुलझा कर उल्टा सीधा करके बोलता रहा 😂 बहुत पागल था मैं कभी कभी लगता है पर प्यार में थोड़ा बहुत पागलपन न हो तो क्या मजा



    उससे बातें करते करते (खुली आंखों वाले सपने में ) मेरी आंख कब लगी मुझे पता ही नहीं चला

    सुबह जैसे ही उठ कर बैठा सबसे पहले कल की सारी बातें मेरे दिमाग में फिल्म की तरह चलने लगी फिर वही बैचेनी मैं जल्दी से दौड़ा और तैयार हो गया मैंने आठ दस शर्ट बदले कभी घड़ी देखी ठीक है कि नहीं कभी जुते फिर सत्रह बार बालों को सेट किया मतलब उस दिन मैंने तैयार होने में लड़कियों से भी ज्यादा वक्त ले लिया और उसके बाद एक घंटे तक खुद को शीशे में देखता रहा और खुद से ही बोलता रहा वो मेरे बालों को देखकर बोलेगी बिल्कुल हीरो जैसे बाल कभी बोलता कहेगी कितना हैंडसम लग रहा है ये रंग का शर्ट कितना अच्छा लग रहा है इस पर 😂 अब उसने कभी ऐसा सोचा या नहीं ये तो मैं नहीं जानता पर मैंने तो इसी में तीन चार घंटे निकाल दिए,
    उसके बाद मेरी बाइक जिस पर धुल जम चुकी थी क्योंकि मैं कुछ दिनों से उसके पास नहीं था, उसको चमकाया और निकल पड़ा उन्हीं रास्तों पर जहां अक्सर वो मुझसे टकराया करती थी मुझे दिखाई दिया करती थी पर तब तक मेरे लिए वो खास नहीं थी पर आज मैं जिसे देखने निकला वो कोई आम लड़की नहीं थी जो युं ही रास्ते पर मिल जाया करती थी, वो मेरा प्यार थी मेरी महौब्बत और वो भी पहली खास नहीं बहुत खास थी वो...


    पर कहते हैं ना जो मौहब्बत आसानी से मिल जाए वो मौहब्बत भी क्या खाक मौहब्बत है और मेरी मौहब्बत मुझे कहीं नहीं दिख रही थी, और मेरी बैचेनी जानलेवा हो चुकी थी और मेरी जिंदगी के लिए मुझे चाहिए थी बस उसकी एक झलक, पर वो उस वक्त मेरी किस्मत में कहां तभी मेरा फोन बज उठा तन्नु का था मेरे मन में कुछ नहीं आया मैंने उसका नाम देख कर फोन वापस जेब में रख लिया लेकिन तभी अचानक मुझे याद आया कल भी तो वो मुझे तन्नु के घर पर मिली थी शायद फिर से दिख जाए....

    मैंने जैसे ही फोन उठाया तन्नु _ कहां बीजी रहते हो तुम फोन ही नहीं उठाते हमारे तो 😒
    मैंने भी उसका चेहरा जहन में उतारते हुए कह दिया _ तुमसे मिलने आ रहा हुं तो फोन उठा कर क्या करूं
    तन्नु _ सच में आ रहे हो तुम 😳
    मैंने भी उस एक झलक के लिए तुरंत लम्बी सी हामी भर दी हांआआआआ
    तन्नु _ ठीक है तो अभी आ जाओ जल्दी से ...


    मैं हवा से बातें करता हुआ निकल गया तन्नु के घर के लिए रास्ते में तीन चार बाइक रोक कर अपने चेहरे को निहार लिया कपड़े भी देख लिए ठीक है कि नहीं और एक दो बार हाथ मिलाने की भी प्रैक्टिस कर ली....
    मुझे बहुत अजीब लग रहा था कुछ अच्छा जैसे अभी उड़ कर पहुंच जाऊं और कभी डर लगता कि वो वहां नहीं हुई तो और हुई भी तो वो मेरे बारे में क्या सोचेगी तन्नु के घर के करीब आते आते मुझे अपने आप में आठ दस हजार कमियां नजर आने लगी जो बचपन से लेकर अब तक नजर नहीं आई थी 🫠😣
    मेरे कदम कभी ठहरते तो कभी फिर चल देते मैं खुद को समझ ही नहीं आ रहा था... तभी मुझे अपनी हालत पर कुछ शब्द सुझे...



    तेरे होने के अहसास भर से मेरा दिल भर आता है...
    तु खास बहुत और आम सा हुं मैं, हवा का हर झोंका भी मुझे आजकल यही अहसास दिलाता है...
    तु शायद कभी सोच भी न सके ओ बेखबर कोई अजनबी तुझे तेरी सोच से भी ज्यादा चाहता है...!!!

    हां किसी ने सच ही कहा है बंदा खुद का नाम लिखने में भी आलस करता हो भले पर प्यार महौब्बत उसे शायर बना ही देता है 🫶



    जारी है....😌

  • 3. दास्तान ए इश्क - Chapter 3

    Words: 1089

    Estimated Reading Time: 7 min

    अपने मन में आए सौ तरह के सवालों से घिरा मैं आखिरकार तन्नु के घर पहुंच ही गया, बीस मिनट का रास्ता डेढ़ घंटे में तय करते हुए...

    तन्नु के घर का दरवाजा खोल कर मैं अंदर दाखिल हुआ मेरी नजरें आज भी उसी जगह ठहर गई जहां पर बारिश ने मुझे पहली बार उस अजनबी मुस्कान से मिलवाया था.... मुझे देख कर तन्नु दौड़ कर बाहर आ गई और खींचते हुए घर के अंदर ले गई,
    मैं भी आज तन्नु से बात करने या कहुं बात निकलवाने के लिए मरे जा रहा था,
    मैं उसके घर के अंदर गया तो वहां पहले से ही दो लड़कियां बैठी हुई थी, मेरे मन में उम्मीद जगी क्या पता तीसरी भी आसपास ही होगी,
    तन्नु ने उन दोनों के सामने फैलते हुए कहा ये है प्रियांक मेरा बेस्ट फ्रेंड 😌
    मैंने ज्यादा वक्त न बर्बाद करते हुए पुछ ही लिया मेरे अलावा और कौन कौन बेस्ट फ्रेंड है तुम्हारी...? 🫠
    उसने उनमें से एक लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहा ये है नेहा मेरी बेस्ट फ्रेंड 😍 मेली बाबु और दुसरी वाली को देख कर मुंह बना लिया 😒
    नेहा ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया मैंने भी उससे हाथ मिलाया और उन दोनों ने आपस में कुछ इशारे किए और तन्नु शरमाई 😣
    उन दोनों की हरकत पर दुसरी लड़की ने अहम अहम किया मैंने उसकी तरफ देख कर पुछा ये कौन है..?
    नेहा ने जवाब दिया ये मेरी छोटी बहन रीना है 🫠
    रीना जो कि उन दोनों से लम्बी थी पैर पटकते हुए उठ कर बोली सिर्फ बहन भी बोल सकती थी छोटी बोलना जरूरी था 😏 और उठ कर तुफान की तरह चली गई
    मैंने फिर से अपने मन की बात को कुरेदते हुए कहा अच्छा और कौन है तुम्हारी दोस्त तन्नु
    तन्नु को पता नहीं क्या ही शौक था मुंह बनाते का मुंह बनाते हुए बोली और बहुत है 😏 पर मुझे सिर्फ मेरी बाबू ही पसंद है 😒
    मैं फिर से बेशर्मी दिखाते हुए बोला उस दिन तो पुरा मेला लगा रखा था घर में फिर कैसे नहीं पसंद 🙄
    तन्नु ने जवाब देते हुए कहा क्या ही बताऊं उन लोगों के बारे में एक तो वो सौम्या 😒 कुछ भी बोलती है और जो भी बोलती है बुरा ही बोलती है और बिना मतलब का वो भी बिना रूके, अच्छे खासे इंसान का दिमाग खराब कर दे😣
    और दुसरी वो अदिति उसके तो पंगे ही बहुत है हुंह

    अब मुझे कुछ कुछ तो पता चल चुका था अदिति और सौम्या दो ही नाम थे उनमें से एक उसका है और मेरा दिल दिमाग कह रहा है वो अदिति ही होगी...🫠
    मैं फिर से पुछ बैठा तेरे कॉलेज की है क्या वो दोनों...?
    तन्नु ने एक मुस्कान के साथ कहा हां
    मुझे बहुत कुछ पता लग चुका था बस थोड़ा सा कुछ बाकी था मैंने आखरी दांव खेला
    अच्छा वैसे सनम भी तुम्हारे ही कॉलेज में ही हैं, तुम्हें पता तो है ना 😌
    नेहा और तन्नु दोनों ने एक लय में जवाब देते हुए कहा पुरे शहर को पता है कि वो महारानी हमारे कॉलेज में ही है 🫠
    मैंने बातचीत का सिलसिला ज्यादा न बढ़ाते हुए वहां से जाना जरूरी समझा और मैं जरूरी काम का बहाना देकर घर आ गया,
    और युं ही घुमते घुमते दिन तो गुजर गया पर रात को फिर वही बैचेनी पर कल से थोड़ी कम क्योंकि अब मैं उसे देख ही लुंगा और इस उम्मीद के सहारे मुझे आधी रात तक उसे याद करते करते नींद आ ही गई,
    अगली सुबह मैं जल्दी उठा और तैयार हो गया सनम को कॉलेज छोड़ने के लिए लेकिन उसके लिए उसका उठना भी जरूरी था वो तो आराम से सो रही थी मुझसे तो उसकी ये लापरवाही बर्दाश्त ही नहीं हुई मैंने मां से शिकायत की पर मां भी उससे तंगाई हुई बोली ये उठने से रही इससे अच्छा तो मैं दो काम कर लुंगी इसके पीछे कौन वक्त बर्बाद करे,
    अब जो करना था मुझे ही करना था मैंने सनम को उठाया और बाइक पर बैठा दिया जैसे ही मैंने बाइक स्टार्ट की उसकी नींद टुटी और वो हड़बड़ा कर उठी और नीचे गिरने ही वाली थी की मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा मेरी प्यारी गुड़िया ऐसे नहीं करते चोट लग जाएगी उसने बहुत जोर से कहा क्याआआआआ और उसकी आवाज ने मेरे कानों में छेद ही कर दिए, मैंने उसका हाथ पकड़ कर जबरदस्ती बाइक पर बैठाया और चल दिया वो बोलती रही मैंने कुछ सुना ही नहीं और बाइक उसकी कॉलेज के बाहर लाकर रोक दी,
    उसने ये देख कर पहले तो मुझे जी भर गालियां दी क्योंकि वो बिना नहाई भुतनी बन कर पहली बार आई थी वरना तो रोज हिरोइन बन कर आती है 😂
    लेकिन फिर मुझे अहसास हुआ कि मैं कुछ ज्यादा ही जल्दी आ गया पर अच्छा ही हुआ जब तक वो आएगी सनम भी गालियां दे दे कर थक जाएगी...

    लेकिन नहीं उसको आना भी उस वक्त था जब सनम मुझे गालियां दे रही थी फिर मुझे एक भी गाली सुनाई नहीं दी मेरा पूरा ध्यान उसी पर था सफेद रंग के सुट में वो सफेद गुलाब लग रही थी शायद मुझे आज पता चला सफेद रंग को शांति का रंग क्यों कहते हैं उसको देख कर मुझे सुकून जो मिला
    वो धीरे धीरे अपने कदमों को बढ़ाते हुए मेरे पास ही आ रही थी और मैं जो अब तक उसे देखने भर के लिए मर रहा जब वो सामने से आ रही है तो डर रहा हूं कि वो मेरे पास आ रही है उसके बढ़ते कदमों के साथ मेरे दिल की धड़कनें भी बढ़ने लगी और पता नहीं क्यों लगने लगा वो मेरे पास आ गई तो बोम्ब ब्लास्ट हो जाएगा धरती फट जाएगी प्रलय आ जाएगा और वो थी कि समझ ही नहीं रही थी और पास आए जा रही थी 😣

    मुझसे चार कदम दूर आकर रुक गई मेरी धड़कनें इस वक्त बुलेट ट्रेन की रफ्तार से चल रही थी तभी जाने क्या हुआ वो जोर से हंसने लगी और मैं पागलों की तरह मुंह बाएं उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुराने लगा और मुझे कुछ पलों या कहुं मिनटों बाद समझ आया वो सनम पर हंस रही थी जो कि अपने सर पर घोंसला लिए खड़ी थी 🫣 मैं चुपचाप जहां था वहीं खड़ा रहा, मुझमें बोलने की हिम्मत भी कहां थी अब...

    मैं मन ही मन उसकी मुस्कान को देख कर शब्द बुन रहा था...







    तेरे कदम जब मेरी तरफ बढ़ते हैं... मेरी धड़कनें सम्भल नहीं पाती...
    आंखें हैं कि हर वक्त इजहार करती हैं, और जबान तुझे देखने के बाद चल नहीं पाती...!!!

  • 4. दास्तान ए इश्क - Chapter 4

    Words: 1032

    Estimated Reading Time: 7 min

    मैं वहीं खड़ा रहा बेवकुफो की तरह अदिति सनम पर हंसती रही और सनम डरावने चेहरे बना कर हम दोनों को इशारें कर रही थी पर मेरे चेहरे पर मुस्कान थी और सनम को देख कर लग रहा था ये मुस्कान कुछ ही समय की थी खैर मुझे इस वक्त किसी चीज की फ़िक्र नहीं थी सिवाय इसके की वो मेरी तरफ देख न ले...🫣

    कुछ ही देर में एक और लड़की भी आ गई जो कि दिखने में काफी हट्टी कट्टी और लड़ाकू लग रही थी आकर अदिति के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली ये चुड़ैल कौन है...?😂
    अदिति ने उसे आंखें दिखाई और सनम ने किसी होरर फिल्म की चुड़ैल की तरह अपनी आंखें निकालते हुए कहा तु भुतनी तु चुड़ैल 😏
    मैं उस लड़की की ओर बढ़ा और कहा मैं सनम का भाई आप...?
    वो लड़की सनम की तरफ देखते हुए बोली मैं सोना, और फिर कुछ देर के लिए सब लोगों के बीच एक चुप्पी बिखर गई, मेरे मन में कहने को बहुत सी बातें थीं पर मेरी जबान मेरा साथ नही दे रही थी, मैं बहुत कुछ कहना चाह रहा था, पर बस चाह रहा था कह नहीं पा रहा था...
    सोना ने चुप्पी तोडते हुए सनम पर कुछ तंज कसे 😂 जिसके जवाब सनम ने दिए और दोनों में बहस चलती रही और मैं दांत फाड़ते फाड़ते बीच में कनखियों से उसे झांक रहा था हंसी उस सफेद गुलाब का रंग लाल गुलाब में तब्दील कर ही रही थी कि तनु भी आ धमकी...

    तनु को देख कर मेरे अंदर के अरमान हवा हो गए पर मैंने सोचा जितनी देर चिपका रह सकता हूं रहुंगा,
    तनु और नेहा दोनों स्कुटी से उतर कर सीधा मेरे पास ही आ गई और मुझे बोला ओओं कैसा है तु...?
    मैं जवाब देता उससे पहले ही सोना ने कहा तु जानती है भैया को,
    उसके मुंह से भैया सुनते ही तनु ने मुंह बनाते हुए कहा मेरा बेस्टी है, प्रियांक 😒
    और सोना की तरफ इशारा करते हुए कहा ये सोना है और इसे तो जानते ही हो नेहा है और सनम का पता ही है और फिर अपना गला खंखारते हुए कहा ये अदिति है कल बताया था ना...
    मैंने इस बार सीधी आंखों से बिना चोरी के उसकी तरफ देखा मुझे देख वो मुस्कुरा दी और मेरी मुस्कान मेरे होंठों में ही अटक कर रह गई, मन में तो बहुत उछल उछल कर नाच रहा था उसकी मुस्कान देख कर पर बाहर से लग रहा था जैसे अभी होस्पिटल से आया हूं 😌

    मैं आज तन्नु से बात करके भी खुश था, चाहे जैसे भी मुझे वही खड़ा रहना था लेकिन सनम को मेरी खुशी रास नहीं आई और बोली भैया आप मुझे छोड़ने आए थे, छोड़ दिया जाइए अब भाई ही बन कर रहिए ज्यादा सहेली बनने की कोशिश मत किजिए... उसकी ये बात मेरा कलेजा छलनी कर गई पर मैं कुछ कह नहीं पाया उसे

    मैं फिर भी वही खड़ा रहा, सोना और नेहा मुझे देख कर हंस भी रही थी लेकिन मैंने भी सोच लिया क्या ही फर्क पड़ता है 🫠
    मैं तब तक वहीं खड़ा रहा जब तक वो सब अंदर नहीं चली गई वो अब मुझसे दुर जा रही थी उसके खुले बाल हवा में बह रहे थे और मैं महसूस कर रहा था वो जिस हवा से टकरा कर गुजर रही है मैं भी उस हवा से टकरा रहा था,
    वो मेरी नज़रों से ओझल हो गई और मेरी जबान ने उसका नाम लिया " अदिति" वो वापस आ गई उसके कदम मेरी और फिर से बढ़ रहे थे और मेरी धड़कनें भी मैं मन में सोचने लगा ज्यादा जोर से तो नहीं नाम ले लिया जैसे जैसे उसके कदम बढ़ रहे थे मुझे लग रहा था आज मेरा दुनिया में आखरी दिन होने वाला है और वो मेरे करीब आ गई मैं पुतले की तरह देखता रहा लेकिन तभी अचानक उसने नीचे से कुछ उठाया और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी और अपना दुपट्टा सम्हालते हुए चली गई उसका दुपट्टा मेरे चेहरे को छु कर गया उसमें से मुझे उसकी खुशबू का अहसास हुआ 😌 मेरे चेहरे पर लम्बी चौड़ी मुस्कान आ गई वो चली गई और मैं मुस्कुराता हुआ वापस जाने लगा मेरा ध्यान अभी भी उसकी ही तरफ था कि तभी एक हाथ आया और मेरे बाइक की चाबी निकाल ली मैंने नज़रें उठा कर देखा सनम थी...

    मैं जितना हो सकता था मासुम बनने की कोशिश करते हुए बोला क्या हुआ 🫠
    और उसने अपनी एक आंख छोटी करते हुए अपने मुंह की तरफ इशारा करते हुए कहा ये हुआ, ऐसा कौन-सा प्रलय आ रहा था कौनसी मजबुरी थी जो मुझे इस तरह लाया तु 😏
    मैंने अपनी जेब से फोन निकाला और एक फोटो उसे दिखाते हुए कहा तुझे ये ड्रेस चाहिए थी ना तुने मुझे ये भेजी थी,
    वो फिर से मुंह बनाते हुए बोली _ तो😒
    मैंने मुस्कुराते हुए कहा ला दुंगा अभी जा
    वो मेरी तरफ एक सरसरी नजर डाल कर बोली क्या मेरी सेल्फ रिस्पेक्ट कि कीमत बस एक ड्रेस है 😏 चल छोड़ दिला देना नहीं तो 😒 और चली गई

    आजकल मैं हर बात पर मुस्कुराने लगा हुं और ये बीमारी उस एक मुस्कान के बाद ज्यादा ही बढ़ गई थी, मुझे लग रहा था मैं आसमानों में उड़ रहा हूं...
    मैं घर के लिए निकल गया रास्ते में हर चीज छुकर निकलती हुई हवा उड़ते पंछी दुनिया के अलग अलग नायाब चेहरे पेड़ पौधे फुल पत्ते सच में बहुत खुबसूरत थे मैंने पहले कभी ये सब देखा नहीं या ये इतने खुबसूरत नहीं थे मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा था...

    जहां कहीं मुझे सफेद फुल दिख जाते मेरा मन करता मैं उन्हीं के पास रूक जाऊं पर फिर ख्याल आता मैं तो उस सफेद गुलाब के लिए भंवरा बन कर म़डराऊंगा 🫠
    रास्ते में दिखे सफेद गुलाब को देख कर मेरे मन में फिर कुछ शब्द निकल आए


    ग़र फुल कहुं तो गुलाब हो तुम,
    ग़र कह दुं नशा तो शराब हो तुम,
    सुर कहुं तो खुबसूरत साज हो तुम,
    ग़र शब्द कहुं तो दिल में उतर जाने वाली आवाज हो तुम,
    जानना है अपने बारे में कुछ तो हमसे पुछो कितने नायाब हो तुम,
    मेरी जिंदगी की हकीकत भी तुम और खुबसूरत ख्वाब हो तुम...!!!

  • 5. दास्तान ए इश्क - Chapter 5

    Words: 1107

    Estimated Reading Time: 7 min

    घर आने के बाद मैं अपनी घड़ी की तरफ देखता रहा आखिर सनम को लेने वापस भी तो जाना था, तभी मेरा दोस्त मृगांक आ गया वैसे तो हमेशा मैं उसी के साथ रहता था पर इस बार मुझे उसकी याद नहीं आई हां यहां मैं मतलबी हो गया शायद...
    वो ताने देते हुए आ ही धमका और मुझे कहने लगा आर्मी में जाने के बाद हमें तो भुल ही गए ओ, हम तो बेरोजगार हैं ना 😏
    मैंने उसे मनाने समझाने की कोशिश की पर उसकी मोटी बुद्धि में ये सारी बातें नहीं आई फिर मजबूरन मुझे बारीश से लेकर ड्रेस तक का सफर उसे सांझा करना ही पड़ा और फिर उसने अपनी मंथरा वाली बुद्धि चलाते हुए मुझे एक से एक वाहियात आइडियाज देने शुरू कर दिए हां उसके आने से ये समय थोड़ा आसानी से निकल गया और मैं कुछ ही देर में वापस सनम को लेने पहुंच गया 🫣
    सनम बाहर आते ही मुझसे बोली यहीं खड़ा था क्या 🙄 इतना शौक है तो नौकरी छोड़ कर यहीं पानी पुरी बेचने का काम शुरू कर दे पर मैं उसकी बात का जवाब देकर लड़ाई झगड़ा करके अपने रास्ते में कांटे नहीं बिछा सकता था इसीलिए मैंने उससे पूछा तेरा दिन कैसा रहा, उसने मुझे पुरा ऊपर से नीचे तक स्कैन किया और कहा तेरे पैर चोराहे में तो नहीं पड़ गए किसी ने टोना टोटका तो नहीं कर दिया तुझ पर इतनी चाशनी कैसे टपक रही है तेरे मुंह से 🙄
    मैंने बात सम्भालते हुए कहा अब एक भाई अपनी बहन से बात भी नहीं कर सकता ढंग से हद है चल छोड़ बता कैसा गया दिन
    उसने मुझे अनदेखा करते हुए कहा ठीक ही था मैं उसके इंतजार में सनम से बातें करते हुए टाइमपास कर रहा था बस ताकि उसे देख कर ही जा सकुं...
    मैंने सनम से उसके बारे में शातिर तरीके से पुछने कीम कोशिश में पहला दांव खेला ये तनु तेरी दोस्त है क्या..?
    उसने अपना मुंह टेढ़ा करते हुए कहा वो तो तेरी बेस्टी है ना 😏
    मैंने फिर से बात को कुरेदते हुए कहा अच्छा सोना है तेरी दोस्त तो
    लेकिन वो कुछ अलग ही मुड में थी बोली तुझे क्या अब यहां सहेली सहेली खेलना है 🙄

    मैं उसे पहचानता था उसकी दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा ये तनु छपरी नहीं है 😏 बस मेरा दांव चल पड़ा और वो बोली हां मुझे भी लगती है थोड़ी थोड़ी और वो सौम्या तो और भी बड़ी वाली छपरी है 😂
    मैंने फिर बात आगे बढ़ाते हुए कहा नेहा और सोना तो सही लगी
    उसने जवाब में कहा हां सोना सही है पर नेहा 😣 कुछ ज्यादा ही पढ़ाकू है रेएए
    और वो अदिति बस यही तो जानना था मुझे अब मैंने अपना शातिर खेल खेलते हुए पत्ते बिछा दिए और जवाब सुनने के लिए मेरे कान तरस रहे थे
    वो बोली उससे मेरी ज्यादा कुछ जान पहचान है नहीं दिखने में तो ठीक है अच्छी ही दिखती है बाकी मुझे नहीं पता उसके इस जवाब पर मेरा मन हुआ उसे कह दुं दुनिया भर के छपरियों से लेना देना है पर उससे नहीं लेकिन उसे शक न हो इसीलिए बस फालतू में बात बढ़ाते हुए पुछ लिया और कौन कौन नमुने दोस्त है तेरे 😏 वो इतराते हुए बोली भावना है मेरी दोस्त 😌 मेरा मन कह रहा था भावनाओं में बह कर भावना से दोस्ती जरूरी थी क्या अदिति से बात करते तेरे मुंह में कांटे चुभते हैं 😏 तभी वो आ ही गई एक और लड़की के साथ खैर मैंने तो सिर्फ उसे ही देखा और उसी में खोया रहा मुझे किसी और को देखने में फुर्सत ही कहां थी, मैं उस गुलाब को देखने में मशगूल था जो कभी मुरझाता नहीं है और वो फिर मेरे पास आ कर खड़ी हो गई उसके सामने आते ही मैं पता नहीं क्यों पर चुप हो जाता हूं मेरा मन मुझसे कहता है इससे बात कर ये कह दे वो कह दे पर जबान तो ऐसे जम गई जैसे सीमेंट भर दी हो मुंह में मैं फ्लाइट मोड में खड़ा था कि ये कहुं वो कहुं नहीं कह सकता कह दुं तभी सनम ने उछलते हुए कहा ये है भावना तब मैंने उसकी तरफ देखा दिखने में पारले-जी के दो रूपए वाले पैकेज जितनी बड़ी थी मैंने उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया और उसने अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा और भ्राता श्री क्या हाल चाल 😌
    मेरे मुंह से केवल ठीक है इतना ही निकला, वो फिर बोली और आपके स्वास्थ्य में सुधार 🫠 मैंने फिर से हां इतना ही कहा वो फिर बोली जिंदगी में कोई दुःख तो नहीं है 🫠 मैंने बस ना में सिर हिला दिया वो फिर से बोली और हमसे मिल कर आपको अच्छा ही लगा होगा नहीं भी लगा तो खैर मुझे क्या पता नहीं ये इतना क्यों बोल रही थी अपने साइज के हिसाब से जीभ नहीं चला सकती क्या पर तभी उसकी बात सुन कर अदिति ने कहा बस कर जा 😂 हर जगह बकरे नहीं ढुंढते

    वैसे तो मुझे भावना से मिल कर सच में अच्छा नहीं लगा लेकिन उसकी इस हरकत से मुझे उसकी आवाज सुनने को मिली कितनी सुरीली आवाज थी उसकी बिल्कुल मेरे कानों में घुल जाने वाली
    मैं तो इतने में ही खुश था कि वो मुझसे मुस्कुरा बोली ये ऐसे ही करती है बुरा मत मानना आप और वो मेरे पास से होकर गुजरी और उसका हाथ मेरे हाथ को छुकर निकला मैं खुशी से पागल ही हो गया था और अपना हाथ देखता रहा तभी सनम और भावना ने भेड़ बकरियों की तरह चिल्लाना शुरू कर दिया और मैंने भावना की तरफ देख कर कहा तु ही मेरी सच्ची बहन है 🤩
    अनम मेरी तरफ देख कर बोली आजकल बहुत मुस्कुरा रहा है ये बहन है और मैं जानी दुश्मन घर चल दुश्मनी का अंजाम दिखाती हूं खैर मुझे कहां इन सब छोटी मोटी बातों से फर्क पड़ता है मैं मुस्कुराता ही रहा
    और भावना ने सनम से कहा आगरा जाना पड़ेगा भाई को लेकर
    खैर मैं उन दोनों को नजरंदाज कर रहा था और सनम के साथ वापस घर आ गया
    और मैं अपने कमरे में बैठ कर अपने हाथ को देख रहा था जो कुछ ज्यादा ही हसीन दिख रहा था मुझे तो पता ही नहीं था मेरे हाथ ऐसे हैं अब वो पहले से ऐसे थे या उसके छुने से हो गए

    मैं अपने हाथों को देख कहता चला गया...

    तेरे छु लेने भर से खुबसूरत हो गई मेरी दुनिया...
    जो ग़र तु शामिल हो जाए जिंदगी में तो आलम क्या होगा सुकुं का...!!!
    तुझे छु गुजरने वाली हवा से पुछ कर देख तो सही अंदाज ए बयां क्या है मेरे इश्क ओ जुनुं का...!!!

  • 6. दास्तान ए इश्क - Chapter 6

    Words: 1381

    Estimated Reading Time: 9 min

    दुसरे दिन फिर से आंख खुलते ही मैंने कल की ही दिनचर्या दोहराई पर सनम को मेरे दिमाग के उलझे हुए तारों की खबर पड़ गई और मुझे बहुत गौर से देखते हुए बोली कहां जा रहा है ....?
    पर मेरे पास जवाब था तु जिम्मेदार नहीं है पर मैं हुं, तुझे कॉलेज छोड़ने जा रहा हूं और कहां 😏
    पर मुझे कहां पता था मेरी ये चाल पुरी तरह से नाकाम होने वाली थी क्योंकि ये रविवार का सितम जो ढहाया जा रहा था मेरी महोब्बत पर, युं तो हमेशा से मेरा प्रिय रहा था रविवार पर आज इसने सीधा मेरे कलेजे पर वार किया था, मुझे लगने लगा मैं जेल में कैद हो गया और अब कभी खुली हवा में सांस ही नहीं ले पाऊंगा पर मन को समझा भी रहा था कि सिर्फ एक ही दिन की तो बात है कल तो चला ही जाऊंगा पर फिर मेरे मन में कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए कि ये हमेशा तो नहीं होगा पंद्रह दिन के बाद तो मैं चला जाऊंगा और हर वक्त तो वो मेरे सामने नहीं होगी, मेरे इस सवाल ने मुझे एक बार के लिए आईना दिखा दिया मेरा मन मुझ से कह रहा था कि मुझे वक्त रहते उससे दूर हो जाना चाहिए अगर मैं अपने पागलपन में उसकी ओर बढ़ता चला गया तो शायद मेरे लिए वापस लौटना मुश्किल हो जाएगा🫠
    और मैंने मन ही मन तय किया कि इस सिलसिले को मुझे यहीं खत्म कर देना चाहिए मेरा ये फैसला मुझे अभी से बहुत तकलीफ़ दे रहा था मेरा मन एक बार के लिए कह रहा था मैं कल फिर से जाऊंगा पर फिर से बात वहीं आकर रुक जाती उसके बाद क्या..?


    अगर मैं युं ही बिना सोचे बहकता चला गया तो बाद में बहुत तकलीफ़ होगी और मेरा आखरी फैसला यही था कि अब मेरा उससे मिलना उसे देखना सब बंद इन सब का अंत हर बार अच्छा हो जरूरी तो नहीं 🫠

    पर शायद मेरी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था मैंने खिड़की की तरफ देखा बारिश गिर रही थी मैं खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया वो बारिश मुझे उसके पास होने का अहसास दिला रही थी मैं आंखें बंद किए उस बारिश को महसूस कर रहा था कि मेरे कानों में एक हंसी की गुंज पड़ी मैंने खिड़की से झांक कर देखा पर कुछ दिखाई नहीं दिया मुझे लगा शायद ये भ्रम था मेरा लेकिन वो खिलखिला मुझे फिर से सुनाई दी मैं बाहर आया....


    वो मेरे घर के आंगन में ही खड़ी थी वहीं बारिश वही मुस्कान वही भीगी हुई जुल्फें उसके चेहरे से उतरता पानी का झरना मुझे दुबारा मौहब्बत हो गई एक ही इंसान से और मेरे कानों में गाने की धुन सुनाई पड़ी जो कि सनम और भावना दोनों अपने कमरे में कुछ भी सुन रही थी और अचानक लड़ने लगी और फिर गाना बजने लगा...


    हमें तुमसे प्यार कितना, हम नहीं जानते
    मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना
    हमें तुमसे प्यार...

    सुना गम जुदाई का , उठाते हैं लोग
    जाने जिंदगी कैसे , बिताते हैं लोग
    दिन भी यहां तो लगे , बरस के समान
    हमें इंतजार कितना, ये हम नहीं जानते
    मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना
    हमें तुमसे प्यार...


    तुम्हें कोई और देखें तो, जलता है दिल
    बड़ी मुश्किलों से फिर, सम्भलता है दिल
    क्या क्या जतन करते हैं, तुम्हें क्या पता
    ये दिल बेकरार कितना, ये हम नहीं जानते
    मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना


    हमें तुमसे प्यार कितना हम नहीं जानते
    मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना
    हमें तुमसे प्यार


    ये गाना मुझे लग रहा था मानो मेरे हाल ए दिल को बयां करने के लिए ही लिखा और गाया गया है, मैं अपने सारे फैसले भुल चुका था.. मैं वापस उसी हद पर आ कर खड़ा हो गया मेरा दिल तो जब से उसे देखा है उस पल से यही चाह रहा था मैं अपनी सोच में डुबा उसे देख रहा था तभी सनम बाहर आई और अदिति को देख कर बोली बस कर बारिश की दिवानी ज्यादा भीग गई तो बीमार हो जाएगी और तेरे घरवाले मुझे जानलेवा ताने मारेंगे अदिति ने उसकी तरफ देख कर मुस्कराते हुए कहा बारिश से भी कोई बीमार होता है क्या 😌
    सनम ने अपना असली रूप दिखाते हुए कहा आजा तु नहीं तो मेरी मां हम दोनों को उठा कर बाहर फेंक देगी उनको समझा देना बारिश से कौन बीमार होता है कौन नहीं उसकी बात सुन कर अदिति उसके साथ अंदर चली गई पर मेरा दिल वही ठहर गया ...
    सनम ने मुझे बारिश में भीगते देखा तो गुस्से से कहा आज सब को ही खुन पीना है क्या मेरा 😏
    और मुझे खींचते हुए अंदर ले गई...
    मैं कहने को तो अपना फैसला बदल चुका था पर अभी भी कश्मकश में था मैं अपने कमरे चला गया बारिश वाले कपड़े बदले और फिर उसी कभी खत्म न होने वाली सोच में डुब गया तभी सनम ने बहुत जोर से चिल्ला कर मुझे बुलाया मेरा दिल घबरा उठा कि उसे क्या हुआ पर जाकर देखा तो वो बोली मेरा टेम पास नहीं हो रहा 🙄
    भावना सनम और अदिति तीनों सामने थी मैंने निगाहें चुराते हुए उसे देखा उसने सनम के वो कपड़े पहने हुए थे जो मैंने उसे गिफ्ट किए थे मेरे पसंद के कपड़ों में वो कितनी खुबसूरत लग रही थी सच में गुलाबी रंग बहुत खिल रहा था आज वो सही मायने में गुलाब दिख रही थी, मेरी नजरें उस पर ठहर चुकी थी पर सनम और भावना को देख कर मैं बीच बीच में इधर उधर देख लेता पर मेरा मन उसी में उलझा हुआ था, वो जब भी सामने होती मेरा मन यही कहता कि मैं सबकुछ भुल कर सारी बातें छोड़ कर बस उसे देख भर लुं और चाहिए ही क्या मुझे

    तभी सनम ने मुझसे कहा चल कुछ तो कर मेरा टाइमपास नहीं हो रहा इस बारिश की वजह से सोना तेरी बेस्टी तनु और उसकी बेस्टी नेहा नहीं आई उसने बेस्टी शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया और मैं अदिति की तरफ देख कर अपने चेहरे पर ऐसे भाव ला रहा था कि मैं किसी तनु को जानता ही नहीं हुं 😣
    मैंने सनम से कहा अब तेरे टेम पास के चक्कर में मैं मुजरा थोड़ी करूं 😏
    मेरा ये बोलना था कि भावना बीच में बोली मस्त आइडिया है वो वाला करना इन्हीं लोगों ने 😌 क्या खुबसूरत लगोगे और अपनी जेब से कुछ दस के नोट निकाल कर दिखाते हुए कहा मैं नोट उड़ाऊंगी उसकी बात पर अदिति हंसने लगी और मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई 😣 सनम ने भी इस बार मेरा साइड लिया और कहा भाई को कुछ नहीं बोलना का 😏
    और तभी अदिति ने कहा तु तो ऐसे बोल रही है जैसे ये बच्चे हैं खुद से कुछ कह ही नहीं सकते 😏
    और भावना ने मेरी तरफ देख कर सनम से बदला लेते हुए कहा अले ले भाई बुरा लग गया, मुझे उस पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर कहता भी क्या सनम भी बिना पैंदे के लौटे की तरह लुढ़क कर उसकी तरफ हो गई, पर अदिति ने कहा बस करो वो कुछ कह नहीं रहे तो तुम लोग सर पर चढ कर नाचने ही लग जाओगे क्या और अब मुझमें पता नहीं कहां से इतनी सारी हिम्मत आई और मैंने अदिति की तरफ देख कर पुरा वाक्य बोल दिया , ये सनम तो है ही पागल और ये उससे भी आगे आप इन दोनों को कहकर दीवार में सर ना ही मारें तो बेहतर है इतना बोलने के बाद मेरी हिम्मत जवाब दे गई और मैं बावरा सा हो गया अब और खड़ा रहने की हिम्मत नहीं हुई और मैं वहां से चला गया
    और जाते जाते मेरे कानों में शब्द पड़े अदिति उन दोनों को कह रही थी तुम दोनों की वजह से वो नाराज़ हो कर चले गए क्यों इतनी फालतू इतना बोलती हो 😒

    मेरी ख़ुशी आसमान से भी आगे की हदें तय कर चुकी थी, अब मैंने पुरा पुरा ख्वाब देख लिया इसी के साथ घर बसाऊंगा 🫣 और मेरे सुखी संसार के बारे में सोच कर मैंने फिर एक शायरी कर डाली




    तेरे बारे में कहना तो चाहुं मैं बहुत कुछ पर मेरे पास तेरी तारीफ के काबिल अल्फाज़ कहां...
    तेरी बराबरी करने के लिए लफ्ज लाऊं भी कहां से,
    ये चांद सितारे फुल बहारें तेरे सामने इनकी औकात कहां...!!!

  • 7. दास्तान ए इश्क - Chapter 7

    Words: 1270

    Estimated Reading Time: 8 min

    दिन बीतते गए और मैं और ज्यादा उसके बारे में सोचने लगा अब मैं जहां था वहां से पीछे मुड़ना बहुत मुश्किल था और कल मुझे वापस जाना था,...
    मृगांक भी मुझसे मिलने आ गया हम दोनों के बीच कुछ इधर उधर की बातें हुई फिर मुझे चुपचाप बैठा देख उसने मुझसे उसके बारे में पुछ ही लिया मैंने ज्यादा कुछ नहीं कहा तो उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा अरे आशिक वो तुझे इतनी पसंद है तो बोल दे 😌
    मैंने कोई जवाब नहीं दिया तभी उसका फोन बज उठा और वो फैलते और इतराते हुए बोला हैलो मेरा ध्यान अभी भी उसकी तरफ नहीं था उसने कुछ देर बात करने के बाद फोन रख दिया , मैंने जब पुछा तो वो ऐसे बताने लगा जाने कब से तरस रहा था मुझे बताने के लिए और बोला तुझे पता है किसका फोन था 🫣
    मैंने पुछा तो फैलते हुए बोला तेरी भाभी श्रुति का😁 मैं चौंक ही गया 😳 फिर उसने फोटो दिखाई मुझे श्रुति की मुझे यकीन नहीं हो रहा था इतनी खूबसूरत लड़की जो कि दिखने में भी स्मार्ट थी इस मुर्गे के चक्कर में आ कैसे गई , वो मुझे ऐसे देख कर बोला अपने एक्सपीरियंस से बोल रहा हूं बोल दे उसे,
    मैंने भी कुछ देर इसके बारे में सोचा और कहा अगर मैंने उसे कह दिया तो...... मुझसे उसकी ना बर्दाश्त नहीं होगी मैं कुछ नहीं कहने वाला
    मृगांक ने मेरी तरफ देख कर अपना सर पिटते हुए कहा तो मतलब अब, अब क्या करेगा तु...?
    मैंने थोड़ी नम आंखों से मुस्कराते हुए कहा कुछ भी नहीं कल तो चला जाऊंगा

    हम दोनों देर रात तक युं ही बैठे बातें करते रहे, उसके बाद मेरी आंख लग गई और मैं सुबह जल्दी उठ कर जाने के लिए तैयार हो गया सनम भी तैयार थी वो भी अपने दोस्तों के साथ घुमने जा रही थी पर आज मैंने उसे छोड़ने से मना कर दिया क्योंकि ये कहानी जहां शुरू हुई थी वहीं से खत्म भी हो जाएगी बिना मतलब इसे कुरदने से मुझे तकलीफ़ के अलावा कुछ नहीं मिलने वाला,
    सनम मुझसे पहले ही निकल गई मां ने मुझे नम आंखों वाली मुस्कुराहट के साथ आशीर्वाद दिया और मैं भी निकल चुका था जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था मुझे लग रहा था उस कहानी का एक एक पन्ना मानो मुझसे अलग होता जा रहा था....

    मैं स्टेशन पहुंच चुका था और ट्रेन भी अपने समय से आ गई और मैं ट्रेन में बैठ चुका था और इस वक्त जो मैं महसूस कर रहा था शायद ही बयां कर पाऊं, मैं उस कहानी के लिए दुःखी था जो शायद एक तरफा थी पर मेरे मन ने मुझे जवाब दिया ये कहानी अगर चलती भी तो कहां तक और कब तक एक दिन इसका अंत तो यही होना था, मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और खुद को पिछले दिनों की बातों और यादों से अलग करने की नाकाम कोशिश करने लगा,
    तभी मेरे कानों में फिर से वही आवाज गूंज रही थी पर मैंने आंखें नहीं खोली क्योंकि ये भ्रम था और अब मैं इस भ्रम को और आगे नहीं बढ़ने दे सकता था....


    तभी किसी ने मुझे आवाज दी हैलो... मैंने आंख खोली तो वो सामने थी मुझे अभी भी यकीन नहीं था मैं चुपचाप उसकी तरफ देखता रहा उसने फिर मुझसे कहा प्रियांक...
    हां उसने मेरा नाम पुकारा वो थी सच में थी मैं उसे देख कर फिर से अपनी सोच से विचलित हो उठा हां पर जब भी मैं इस कहानी का अंत समझता हूं ये कहानी नया मोड़ ले लेती है और मेरा दिल मुझसे कहने लगा इस कहानी का अंत इतनी जल्दी नहीं होगा
    मैंने जब उससे थोड़ा सा ध्यान हटाया तो पता चला उसके साथ सोना रीना नेहा और तन्नु भी थी ... सनम भी इन्हीं लोगों के साथ जाने वाली थी पर वो उनके साथ नहीं थी, मैं उसे न देख कर परेशान हो गया और जब मैंने पुछा उसके बारे में तो पता चला वो और भावना दोनों किसी भुतिया गांव में गई है 🫠
    सनम के लिए कुछ नया नहीं था वो ऐसी हरकतें करती रहती थी पर मैं चिंतित हो गया उसके लिए मैंने उसे फोन लगाया पर उसका फोन लग नहीं रहा था मुझे परेशान देख अदिति ने कहा मैंने उसे कहा था पर वो माने तब ना, मैं बार बार सनम को फोन लगाते हुए बोला इसके दिमाग में कभी सीधी बातें घुसती ही नहीं है...सनम का फोन न लगने पर मेरा चेहरा उतर चुका था मैं एक बार के लिए अपनी खुशी भुल चुका था,

    ट्रेन चल चुकी थी करीब दो घंटे से
    मैं सनम को ही फोन लगा रहा था पर उसका फोन अभी तक बंद आ रहा था अदिति भी भावना को कॉल किए जा रही थी पर वो दोनों पता नहीं कौनसे भुत प्रेत को देखने गई थी,
    एक तो मैं पहले ही परेशान था ऊपर से तनु मुझसे चिपकी जा रही थी पर मुझे इस वक्त सिर्फ सनम की फ़िक्र हो रही थी,

    करीब तीन घंटे बाद महारानी सनम का फोन लगा और मैंने उसे जी भर डांटा तो उसने बताया उस भुतिया जगह पर नेटवर्क नहीं आता और वहां से तो लोगों ने हमें भगा दिया अंदर घुसने ही नहीं दिया 🫠

    सनम से बात करने के बाद मेरी चिंता दुर हो चुकी थी पर मुझे उस पर गुस्सा बहुत आ रहा था उसकी वजह से मेरे तीन घंटे तीन हसीन घंटे बर्बाद हो चुके थे....

    मैंने अब उसे गौर से देखा उसने गुलाबी रंग का सुट पहना था, शायद उसने मेरे मन की बात जान ली कि ये रंग उस पर बहुत खिलता है और उसके कानों के वो खुबसूरत झुमके पता नहीं क्यों मेरे दिल ने उन्हें देख कर एक ही बात कही मोरनी 😍
    मैं उसे निहार ही रहा था कि तनु मेरे पास बैठते हुए बोली
    आजकल तु कुछ ज्यादा ही भाव नहीं खा रहा, मैं उसको इस तरह पास और अदिति को सामने देख कर झेंप गया और मेरी हकलाती सी आवाज निकली न...न... नहीं मैं नहीं खा रहा कोई भाव
    वो मुंह बनाते हुए बोली सब पता है मुझे पहले तो आगे पीछे घुमा करता था मेरे और अब ऐसे इग्नोर करता है 😒
    मैं मन में याद करने की कोशिश करने लगा कि आखिर कब घुमा मैं आगे और पीछे
    वो नेहा की ओर देख कर बोलने लगी तुझे पता है ये बचपन में हमेशा मेरे पीछे ही घुमता था एक बार तो इसने मेरे लिए हमारे पड़ोस वाले अंकल को पत्थर फेंक कर मारा वो मुझे डांट रहे थे और मैं कहना नहीं चाहता था पर अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया अरे वो अंकल तेरी वजह से हमें बॉल नहीं दे रहे थे इसीलिए मैंने पत्थर फेंके थे रीना और अदिति तनु पर हंसने लगी
    तनु_ ज्यादा हंसने की जरूरत नहीं है 😒
    मैंने तनु को इनडायरेक्टली समझाने की कोशिश की कि शायद वो वक्त कुछ अलग था और आज वक्त कुछ और है और कुछ भी नहीं
    पर तनु एक दिमाग में कोई भी बात नहीं घुसी वो सबको हमारे बचपन के किस्से सुनाने लगी और कुछ तो ऐसे जो मुझे पता भी नहीं और उन सब से मुझे महसूस हो रहा था जैसे मैं तनु से जहर खाने वाला फंदे पर लटकने वाला और नस काटने वाला प्यार करता है,

    और अदिति के चेहरे पर मुझे गुस्सा साफ नजर आ रहा था एक तरफ मैं उसके गुस्से से डर रहा था वहीं दुसरी तरफ मुझे लगने लगा था कि ये कहानी इकतरफा तो बिल्कुल भी नहीं है 😌





    ये जो तेरी बातें हैं जाने मुझे मुझ सी क्यों लगती है...
    आजकल तो मुझे कायनात की हर हसीन चीज जाने तुझ सी क्यों लगती है...!!!

  • 8. दास्तान ए इश्क - Chapter 8

    Words: 1045

    Estimated Reading Time: 7 min

    हम सब लोगों की बातें चल रही थी तनु हमारे किस्से बता रही और मैं अदिति का गुस्सा देख तनु से बात कर रहा था हमारे किस्से सुन कर सोना सो चुकी थी और नेहा अपना चश्मा सम्हालते हुए अपनी पढ़ाई में व्यस्त थी इतना कौन ही पढ़ता है 😏
    और रीना ही थी केवल जो हमारी बातों में पुरा ध्यान लगा कर सुन रही थी और तनु को इशारों में कह रही थी तुम तो ख़तरनाक लेवल की हो 🫠
    और अदिति हमारी बातों को सुन कर भी अनसुना कर रही थी और यही बात बस मुझे अच्छी लग रही थी और मैंने अपनी सारी सीमाएं त्याग कर बड़ी बेदर्दी से किस्सों का सिलसिला जारी रखा अदिति तंगा कर उठी और वहां से चली गई पर मेरे मन में अभी भी शंका थी कि वो तंगा कर गई है या ऐसे ही उसके जाते ही मैं उस सिलसिले के रोकथाम के लिए प्रयासरत हो गया और लगातार संघर्ष के बाद मैं विजयी हुआ और मैंने अपना समस्त ध्यान अदिति की ओर मोड़ लिया वो दरवाजे के पास खड़ी थी तभी दो लाल नीले बालों वाले अजीब से लड़के आकर उसके पास खड़े हो गए ये शायद वही है जिन्हें छपरी कहा जाता है 🙄
    अदिति उनसे थोड़ा दुर जाकर खड़ी हो गई वो लोग काफी देर से उन लोगों पर नजर रखे हुए थे कि लड़कियां अकेली है वो लोग धीरे-धीरे अदिति से चिपकने की कोशिश कर रहे थे और वो दुर हो चुकी थी पर वो लोग अपनी हरकतों से हट ही नहीं रहे थे और हद तो हो गई जब एक ने अदिति के बालों को छुआ और हाथ उसकी तरफ बढ़ाने लगा मेरा खुन अब तक खोल उठा था मैं उन लोगों का उपचार करने ही वाला था कि मेरे कानों में झन्नाटेदार थप्पड़ की आवाज आई जो कि अदिति ने उल्टे हाथ से उसके गाल पर रखा था वो गुस्से से तिलमिला उठा मेरे कदम वही रूक गए अदिति अपने लिए लड़ सकती थी तो मुझे हिरो बन कर फालतू में नम्बर लेने का कोई शौक नहीं था 😌
    तनु का चेहरा डर के मारे पीला पड़ चुका था रीना भी आंखें निकाल कर देखने लगी और सोना अब भी सो रही थी और नेहा उन लड़कों को जबान से धो रही थी पर इस सब से लड़कों का इगो हर्ट हो गया 🫠

    एक ने अदिति की कलाई पकड़ ली उसने दुसरे हाथ से छुड़ाने की कोशिश की उसने दुसरा हाथ भी पकड़ लिया और दुसरा वाला अपना हाथ उसके चेहरे की तरफ बढ़ा रहा था और मुझे लग रहा था यही वक्त है और मैं भी कुद पड़ा और बिना वक्त गंवाए मैंने दोनों के कानों पर एक एक धर दिया
    दोनों दिखने में चिंटु बिंटु टाइप्स थे तो उन्होंने आगे की हाथापाई का कार्यक्रम रोक दिया और मुझे भी ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी लेकिन एक ने कहा छोडुंगा नहीं मैं तुम लोगों को जानता नहीं है मुझे कौन हुं मैं 😒
    मैंने भी अदिति के सामने थोड़ा रौब झाड़ते हुए फैलते हुए कह दिया तु PM तो नहीं लगता ना ही कहीं का CM और प्रेजिडेंट और गवर्नर भी नहीं लग रहे 🙄 आप ही बता दिजिए कौन है आप...?
    मेरी बात पर आस पास के सभी लोग हंसने लगे और वो लड़के शर्मिंदगी से चुप रहे, पर मुझे खटक रहा था उन लोगों की आंखों का वो बेशरमा पन उनकी चुप्पी देख कर मैंने फिर पुछ लिया बताया नहीं कौन हो...?
    वो लोग खुद का मजाक बनता देख कर वहां से नजरें नीची करके निकल लिए... अदिति मुझे देख कर मुस्कुराई और वापस अपनी सीट पर बैठ गई हम लोगों के आगे के सफर में चर्चा का विषय बने वो छपरी लड़के और मैंने भी अपना अमूल्य ज्ञान ऐसे लड़कों के विषय में बांटा ( ये वही ज्ञान है जो देने की तीव्र इच्छा लेखक को हो रही थी) ऐसे लड़कों की पता नहीं क्या ही दिक्कत है हर जगह खुद को हंसी का पात्र बनाते हैं लड़कियों को उल्टा सीधा बोलने में पता नहीं कौनसा बड़ा काम मानते हैं ये ऐसे लोग, और बात इनको हमेशा तब समझ आती है जब हम लोग बीच में इनकी मां या बहन का उदाहरण दे इस तरह से ये लोग उन लोगों का मतलब अपनी मां और बहन का भी लोगों से निरादर करवाते हैं, अकेली लड़की को देख कर उसे परेशान करने में महानता समझते हैं ये क्यों नहीं समझते ये लोग की ये अपनी बहन को घर में कैद कर तो नहीं रख सकते उसके साथ ऐसा ही होगा तब किसे दोष देंगे ये लोग...?
    तभी तनु अपना फोन दिखाते हुए बोली ये तो जो है सो है ये ओनलाइन वाले और भी आगे है कोई लड़की रिप्लाई न करे इनकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट न करें तो गालियां देते हैं समझ नहीं आता इनकी सोच में ये सब बातें आती कहां से है,
    जिस पर मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा अक्सर लोग ओनलाइन आते हैं और कुछ भी कह कर निकल लेते हैं पता नहीं कैसी मानसिकता बन चुकी है इनकी ये वही लोग हैं जो म्लेच्छ कहे जाते हैं 🫠 शायद ऐसे लोग अपनी घर की महिलाओं की भी इज्जत नहीं कर पाते हैं, और बदले में कोई और भी नहीं करता , हमारे भारत की संस्कृति में तो स्त्री को देवी कहा गया है अर्थात शक्ति ऐसे करके ये लोग स्वयं ईश्वर का अपमान करते हैं खैर ऐसे लोग कभी इज्जत नहीं पाते हैं और हर जगह युं ही मार खाते हैं ...
    अदिति मेरे ज्ञान को सुन कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और ये देख कर मेरे मन में एक बात आई कि स्त्री को केवल सम्मान मात्र ही तो चाहिए मैं अदिति के चेहरे के भावों को गौर से देख रहा था जो उन दोनों छपरियों को देख कर गुस्से से भड़क चुकी थी अब मेरी बातों से उसके चेहरे पर कितनी बड़ी मुस्कान है , और मैं उसे हमेशा ऐसे ही मुस्कुराते हुए देखने के लिए किसी को भी पीट सकता था और पिट भी सकता था पर अब मुझे लगने लगा था कि शायद इजहार का वक्त आ चुका है 😌 मुझे और देर नहीं करनी चाहिए वरना ये वक्त लौट कर नहीं आने वाला





    इश्क है इज़हार भी है हर वक्त जताना जरूरी तो नहीं...
    आंखों से पढ़ कर देख लो लफ़्ज़ों से बताना जरूरी तो नहीं...!!!

  • 9. दास्तान ए इश्क - Chapter 9

    Words: 1418

    Estimated Reading Time: 9 min

    आधे से ज्यादा सफर बीत चुका था अब कुछ ही देर बची थी उसके बाद शायद हम न मिल पाएं, मैं मन में अब भी सोच रहा था उसे कह दुं पर क्या कहुं और कैसे कहुं मेरे मन में था अभी नहीं बोल पाया तो शायद कभी मौका ही न मिले मुझे कहने का पर कहुंगा भी क्या और उसने मना कर दिया तो और थप्पड़ मार दिया तो...

    बस इन्हीं सब उलझनों में वो सफर पता ही नहीं चला कब पुरा हो गया हम सब ट्रेन से उतर चुके थे मैं अब भी वहीं खड़ा सोचता रहा कह दुं क्या या फिर नहीं पर हिम्मत नहीं हुई और मैं उन सब को जाता हुआ देखता रहा वो जा रही थी पहले मेरी ओर देख कर मुस्कुराई उसके बाद चल पड़ी फिर से पलट कर देखा और आंखों से ओझल हो गई मैं खड़ा खड़ा काफी देर खुद को कोसता रहा और कुछ देर बाद मेरा दोस्त जिसने मेरे ही साथ ज्वाइन किया था वो भी अपने घर से आया था और मुझे साथ चलने को कहा मैं भी चल पड़ा उसके साथ मेरा चेहरा मेरे हाल ए दिल का बखूबी चित्रण कर ही रहा था जो देख कर उसने अंदाजा लगा ही लिया और मुझसे पुछ लिया पर मैंने कुछ नहीं कहा पर वो इन सब मामलों में कुछ ज्यादा ही तेज था बिना कहे ही समझ गया ...
    मेरी देवदास वाली शक्ल देख कर उसने मुझसे बहुत जोर देकर पुछा तो मैंने सारा हाल कह सुनाया और उसने मुझसे कहा तेरे पास उसका नम्बर है इतना फालतू सवाल उसके दिमाग में आया भी कैसे नम्बर ही होता तो मैं उसे फोन न कर लेता फिर उसने पूछा किसी दोस्त का तो मुझे तनु का ख्याल आया और मैंने तुरंत उसे फोन लगाया पर आज पता नहीं उसने कौनसा ही नशा किया था फोन उठाते ही मैं कुछ बोलने को हुआ कि उसने मुझे गुस्से में कहा क्या चाहिए...😏
    मैं कुछ बोलने को हुआ फिर बोली आज से मुझे कभी फोन मत करना मतलबी सेल्फिश घटिया आदमी और हां अब मुझे तेरे से कोई दोस्ती नहीं रखनी 😏

    और मुझे अब तक कुछ समझ नहीं आया और मैं फिर उसी हाल में बैठ गया पर मेरा ठरकी दोस्त 😌 उसने मेरे फ़ोन से तनु का नम्बर लिया और फोन लगाया

    तनु_ हैलो कौन...?
    वो_ है कोई जो सुबह शाम दिन दोपहर रात हर दिन हर रोज हर घंटे हर मिनट हर सेकंड आपको याद करता है और आपको तो हमारे होने का भी अहसास तक नहीं 🫠
    तनु_ हैंएएए किसे फोन किया है 🫣
    वो फोन को म्युट कर मुझसे बोला नाम क्या है...? मैंने बताया तमन्ना तनु
    वो फिर से बोला है कोई दिवाना जो तमन्ना की तमन्ना रखता है 😍
    तनु_ चल रख फोन तेरे जैसे छतीस आते हैं 😏
    वो फिर फैलते हुए बोला _ छतीस आते जाते रहेंगे पर मैं गिनती से बाहर वाला हुं सैंतीसवां
    तनु _ बहुत बोल रहे हो अब तुम 😒
    वो _ आपको देख कर तो ख्याल भुल जाता हूं अपने आपको भुल जाता हूं और आप बात करती है बोलने की जरा जज्बातों में बह गया तो बस कह गया
    तनु _ हो कौन तुम..?
    वो _ कहा ना एक दिवाना
    तनु _ ओ दिवाने चुपचाप बताओ बताओ कौन हो...?😒
    वो _ झेलम के किनारे आ जाओ अपना हसीन चेहरा लेकर
    तनु _ 😳😳 कौन हो मेरा पीछा कर रहे हो कैसे पता मैं कहां हुं
    वो_ पीछा नहीं हम तो बस मौहब्बत करते हैं, बस एक बार आपकी झलक पाना चाहते हैं और कुछ नहीं
    तनु _ मैं क्यों आऊं और कैसे भरोसा करुं तुम्हारा😏
    वो _ इतना भी आशिक आवारा नहीं हुं फौजी हुं 😌

    ये सुन कर तनु थोड़ा रूक गई और फिर कुछ देर सोच कर बोली
    मैं कैसे मान लूं...?
    वो _ आ जाओ फिर यकीन आ जाएगा और मुझे पता है तुम ना कहोगी पर अकेली मत आना अपने दोस्तों को ले आना 😌 किडनैप नहीं करूंगा पक्का
    तनु _ ठीक है सोचुंगी
    वो _ कल शाम पांच बजे मैं इंतजार करूंगा
    तनु _ देखती हूं मन हुआ तो आऊंगी वरना नहीं 😏

    और फोन रख दिया

    मैं उसके चेहरे की तरफ देखता रह गया इसे डर है कि नहीं दुनिया का समाज का मैंने कह दिया भाई इतना झुठ भगवान को जाकर जी ( जिंदगी) देना है 🙄
    वो चिढ़ गया और बोला ठीक है फिर मैं मना कर देता हूं उसकी दोस्त भी नहीं आएगी फिर 😏
    यहां मैं मजबूर हो गया और चुप रहा फिर उससे कहा फिर भी तुने उससे ऐसे ही कह दिया
    तो वो बोला तेरे फोन में डीपी देखी थी और मुझे उससे प्यार हो गया 😛
    मैंने पुछा कौनसा प्यार है ये तेरा तो बोला इस महीना का दुसरा लेकिन लेकिन जरूरी तो नहीं की पहला प्यार ही सच्चा हो 27 वां प्यार भी ज़िंदगी भर का हो जाए उसकी बातों से मेरा सर चकरा गया यहां पहले प्यार ने मुझे दिन में तारे दिखा रखे हैं और ये 27 वां प्यार कर रहा है 😣

    मेरे दिल में इजहार का सोच कर अभी से ही हार्ट अटैक के सिम्टम्स दिख रहे थे पता नहीं क्या होगा मैं कह पाऊंगा कहुंगा भी तो क्या पुरी रात में ऐसे ही सोचता रहा एक मिनट के लिए भी नहीं सोया दिन तो काम में निकल गया और शाम को पांच बजे हम दोनों निकल पड़े मुझे बहुत अजीब महसूस हो रहा था एक डर एक खुशी खुशी कह रही थी उड़कर चला जाऊं और डर कह रहा था भाग जा वो गोबर में भिगो कर चप्पल मारेगी, आज से पहले कभी ये काम किए नहीं ना हां मेरे संस्कार और मासुमियत पर अब कहीं वो मुझे मार मार के बदनाम ना कर दे
    मैं पहुंच गया था 😌

    वो आगे चला गया और मैं थोड़ा पीछे खड़ा था हम दोनों ही उन लोगों का इंतजार कर रहे थे
    साढ़े छः बज चुके थे हमारा वापस जाने का वक्त हो चुका था वो नहीं आई थी मैं भारी कदमों से नाउम्मीदी से चल पड़ा पर मेरी कहानी की शुरुआत तब तक होती ही नहीं जब तक मैं नाउम्मीद ना हो जाऊं वो आ गई और सब लोग कृष्णा ( मेरा दोस्त) की तरफ चली गई मैं थोड़ा दुर खड़ा था...😌

    अब मुझे समझ नहीं आ रहा था अदिति को कैसे बुलाऊं उन लोगों के सामने तो थप्पड़ नहीं खा सकता था मना भी करेगी तो अकेले में बेइज्जती होगी ज्यादा कुछ नहीं मैं कृष्णा की तरफ देखता रहा पर वो तो उन लोगों में ऐसा व्यस्त हुआ कि मेरी तरफ देखा तक नहीं अदिति थोड़ा सा अलग आई उसी वक्त में उस तरफ गया और उसे देख कर हाथ हिलाया उसने भी मेरी तरफ हाथ हिलाया और वो उन लोगों की तरफ जाने ही वाली थी कि मैंने इशारे से मना कर इधर आने को कहा

    वो आ रही थी उसके कदम मानों धरती पर नहीं मेरे दिल पर से गुजर रहे थे अब सबकुछ हवा हो गया और बहुत डर लग रहा था कि इसे बुरा लग गया तो इस मुस्कान से भी हाथ धो बैठुंगा 😣

    वो मेरे सामने आकर खड़ी हो गई और मैंने उससे झेलम के किनारे की शांत जगह की तरफ चलने का इशारा किया वो बिना कोई सवाल किए चल पड़ी मेरा एक हाथ मैंने छुपा रखा था जिसमें की लाल गुलाब था अब हम दोनों शांत जगह खड़े थे बस वो मैं और झेलम का शांत किनारा कितना प्यार और सुकून भरा था उस जगह में और ऊपर से अदिति जो झेलम की ही तरह शांत और खुबसूरत लग रही थी हम दोनों चुपचाप झेलम के बहाव को देख रहे थे मैं सोच रहा था क्या कहुं और कैसे...?

    कुछ देर सोचने के बाद मैंने बिन कुछ कहे वो गुलाब उसकी ओर बढ़ा दिया और उसका चेहरा देखने लगा मैं उसके चेहरे को देखकर कुछ भी समझ नहीं पा रहा था वो हां कहेगी या ना मैं कुछ नहीं समझ पा रहा था वो भी कुछ देर जो कि मेरी धडकनों ने मेरे लिए सदियों बराबर बना दी चुप रही और
    फिर










    फिर







    फिर








    फिर














    उसने भी मेरी तरफ एक गुलाब बढ़ा दिया जो उसने अपने दुपट्टे में छिपा रखा था और हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर नजरें झुका ली और फिर से नजरें उठा कर देखा फिर नजरें मिली तो आंखें झुका ली अब हम दोनों के ही पास कहने को कुछ नहीं था





    तेरी हर एक बात हर एक लफ्ज़ मेरे रूह में उतर जाती है...
    तेरी हर एक अदा मेरे दिल को घायल सा कर जाती है...!!!


    जारी है 😌

  • 10. दास्तान ए इश्क - Chapter 10

    Words: 1036

    Estimated Reading Time: 7 min

    हम दोनों युं ही लबों पर खामोशी लिए झेलम के किनारे खड़े रहे बातें तो बहुत सी कहने को बस शब्द नहीं मिल रहें थे और जो फिर हमने खामोशी में ही बहुत सारी बातें कर ली
    और कुछ देर बाद उसने मुझसे नज़रें चुराते हुए कहा बहुत देर हो गई मुझे चलना चाहिए मैं कहना चाहता था रूक जाओ पर नहीं कह पाया और हां कह दिया और वो चल पड़ी आखिर में जाते वक्त हम दोनों ने एक दूसरे को पहले उपहार के रूप में मुस्कान दी और वो चल पड़ी पर मेरा मन कहीं जाने का नहीं था मैं बैठा रहा और खो गया झेलम की खुबसूरती में मुझे पानी के बहाव में वही नजर आ रही थी 😍



    कुछ देर बाद कृष्णा उछलते हुए आया और मुझे चलने के लिए कहा खुशी तो मेरे मन में भी बहुत थी कि मेरी दास्तान ए इश्क शुरू जो हो गई थी पर मेरा मन उससे दूर हो कर बिल्कुल भी खुश नहीं था लेकिन कृष्णा की खुशी किस बात के लिए थी मुझे समझ नहीं आया मैंने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए पुछ ही लिया तो बोला तनु की फ्रेंड्स ने मुझे जीजु कहा 🤩
    मेरी बहुत सालियां है 🫣 नेहा, सोना और रीना सबसे जीजु सुन कर दिल तो खुश ही हो गया
    मैंने उसे आसमान से धरती का रूख करवाते हुए कहा उससे पहले उन लोगों का जीजा पोपटलाल था तो इसमें खुश होने की कोई बात नहीं है 😏
    तो वो और ज्यादा उछलते हुए बोला उसने मुझे अपना नम्बर दिया है 😁
    मैंने उसे आइना दिखाते हुए कहा पर वो तो तुने कल मुझसे ही लिया था 🙄
    लेकिन उसका चहकना बंद ही नहीं हो रहा था चहकते महकते बोला पर्सनल नंबर दिया है 😍 छोड़ उसके बारे में तुझे नहीं पता
    मैं तो ये सोच कर ही चौंक गया मतलब मैं मैं तनु का बेस्टी था और मुझे ही नहीं पता पर्सनल नंबर भी है उसका अलग से
    उसने नम्बर पर कॉल किया और दुर चला गया बात करने कहते हुए इट्स पर्सनल ब्रो 🫣
    मुझसे काफी दुर जाकर वो दुसरी तरफ मुंह करके काफी देर तक बातें करता रहा और फिर वापस आ गया उतरे हुए चेहरे के साथ मुझे लगा तनु से झगड़ा हो गया होगा अब इसमें मैं क्या ही पुछुं 😌

    लेकिन कुछ देर तक जब मैंने नहीं पुछा तो वो बोला अब तु मुझसे ये भी नहीं पुछेगा कि क्या हुआ🥺
    मैंने कहा क्या पुछता पर्सनल था ना 🙄 चल बता दे क्या हुआ
    तो मुझसे शिकायती लहजे में बोला उस तनु ने मेरे साथ अच्छा नहीं किया मुझे किसी और लड़की का नम्बर दे दिया

    मैंने जैसे ही बोला हैलो... तो बोली क्युं मर रहा है, मैंने कहा जी...? क्योंकि तनु तो स्वीट सी है ऐसे तो नहीं बोलती
    तो बोली। हां तुझे ही कह रही हुं कौन बोल रहा है...? मैंने अपना जलवा बिखेरते हुए कहा आपका आशिक मेरा ये कहना था कि सुखा नशा करने वाला सस्ता बेवड़ा नशेड़ी गोबर से निकले हुए आखरी किड़े की पहली दिवानी का लिब्बा तभी एक और चुड़ैल आ गई और बिना कुछ कहे सुने ही बोली करवाऊं आज ही तेरे फेरे 😏
    मुझे चढ़ गया गुस्सा तो मैंने भी कह दिया मिस तुम अकेली नहीं हो लड़कियां तरसती है लाइन लगा कर खड़ी रहती है मेरे लिए 😌 तो बोली तु राशन बांटता है क्या
    गंवार कहीं की मुझसे इतनी बदतमीजी मैंने कहा लड़कियां मरती है मुझ पर फोर योर काइंड इंफोर्मेशन 😏 तो मुझसे चुड़ैल कहती हैं क्युं तु पैदा होने के बाद नहाया नहीं कभी जो मर ही गई 🙄
    मैंने कह दिया देखो तमन्ना अपनी दोस्त को ढंग से समझा दो तब समझ आया वो तमन्ना नहीं कोई और थी फिर मैंने उन चुड़ैलों को समझाया तो बोली जीजाजी
    और मैं इन सालियों को पाकर बिल्कुल खुश नहीं था मैंने जब कहा ओह तो आप भी सालियां हो 😌 तो दुसरी चुड़ैल फिर भड़की मैं नहीं हुं बे तेरी साली अब तेरी तमन्ना की अरमान टेढ़े-मेढ़े हो रखे हैं उन्हें सीधा कर दुं तुझे बाद में देखती हूं 😏

    मुझे सच में बहुत हंसी आई 😂 क्या बेइज्जती की थी दोनों ने मैंने पुछा नाम क्या था दोनों का तो उसने मुंह बनाते हुए कहा सनम और दुसरी का पता नहीं
    मेरी बहन को फालतू में फोन किया इसने सुन कर मुझे गुस्सा आया और मैंने एक रख दिया हम दोनों में थोड़ी सी बहस हुई पर फिर मुझे अहसास हुआ मेरी बहन क्या कम थी 😌
    और उसने भी कहा सनम दीदी उनको तो जिंदगी में कभी फोन फोन क्या नाम न लुंगा वो कहना तो कुछ और भी चाह रहा था पर मेरे सामने खुल कर बोल नहीं पाया तो मैंने ही कह दिया चुड़ैल कहना चाह रहा है ना वो हंसने लगा और मुझे फिर अपनी बहन के बारे में ऐसा सुनकर अच्छा नहीं लगा तो मैंने दुसरी चुड़ैल का भी नाम बता दिया ताकि वो दोनों को बराबर गालियां दे सके😂



    रात काफी हो चुकी थी और मैं बार बार अपने फोन को चैक कर रहा था कि शायद कोई नोटिफिकेशन आया हो पर नहीं आया मैं उसके मैसेज का इंतजार कर रहा था उसने मुझे नम्बर दिया था और मैंने उसे...
    मेरे हाथ कभी फोन लगाने के लिए मचलते तो कभी उंगलियां मैसेज टाइप कर देती पर सेंड नहीं कर पाता वो सो गई होगी तो...?
    और क्या सोचेगी अगर मैंने अभी मैसेज किया तो ...?
    कुछ देर फिर इंतजार करता वो शायद मैसेज या कॉल करेगी , आजतक मैंने कभी फोन या मैसेज करने से पहले इतना नहीं सोचा पर आज मेरा दिमाग सोचने से हट ही नहीं रहा था सच में इस मौहब्बत में हर आसान सी चीज भी कितनी मुश्किल हो जाती है....
    वो दिखे तो ये डर कि मैं उसे ठीक दिख रहा हुं या नहीं ना दिखे तो प्रोब्लम सामने हो तो बातें याद नहीं आती और ना हो तो उसे इमेजिन करके बातें करना और इश्क का सबसे बड़ा पंगा इंतजार का जो कि मैं अभी कर रहा हूं सच में आसान तो नहीं है...😌




    मैं बनकर नज़्म कोई तेरे जहन में ठहर जाऊं और तु बन जा बात गहरी सी...
    मुझमें मैं रहा नहीं नजर तु आने लगी ए काश़ बातें तेरी भी हो जाए कुछ मेरी सी...!!!

  • 11. दास्तान ए इश्क - Chapter 11

    Words: 1019

    Estimated Reading Time: 7 min

    सोचते विचारते आखिरकार मैंने सुबह के तीन बजे उसे गुड मॉर्निंग का मैसेज कर ही दिया पर बाद में अहसास हुआ ये क्या पागलपन है तीन बजे कौन उठता है खैर अब कर दिया सो कर दिया 🫣
    तभी मेरा फोन बजा और मैंने बहुत रफ्तार से फोन उठा लिया और बहुत प्यार भरे लफ़्ज़ों से कहा हैलो जी...

    तभी सामने से आवाज आई मैं छोडुंगी नहीं तुम लोगों को बहुत ही कर्कश आवाज थी वो मैंने फोन को कान से दुर करते हुए नम्बर देखा फिर पुछा कौन तो पता चला हमारे पड़ोस की आंटी बोल रही थी पर ये इतनी जहरीली क्यों हो गई थी मुझे समझ नहीं आ रहा था सुबह होते ही मैंने सबसे पहले मां को फोन किया तब वो भी बहुत गुस्से में बोली और मुझे पुरा मामला समझाया की रात को आंटी अंकल को गली में लाकर मार रही थी सब सो रहे थे बस सनम चुड़ैलों की तरह जाग रही थी और अपनी नालायक नाकारा दोस्त को भी झगड़ा देखने बुला लिया और वीडियो बना कर सबको प्रसाद की तरह बांट दिया और जब वो वीडियो अंकल तक पहुंचा तो अंकल के अंदर अपमान सहन करने के बाद हिम्मत आई और वो वीडियो लेकर अंटी पर घरेलू हिंसा का केस कर दिया और अंटी अब दिन रात गालियां देती है उन दोनों को 😏


    मैंने सनम का नया कारनामा सुन अपना सर पीट लिया और उसे डांटने के लिए फोन किया तो बोली उसने अंकल के जीवन को बचा लिया नहीं तो अंटी की प्रताड़नाओं से मर जाता या अंटी का चुराया हुआ नीला ड्रम काम में आ जाता...उसे कुछ कहना मतलब दिवार में सर मारना 😣

    कुछ देर बाद अदिति का फोन आ गया मेरे तो हाथ ही कांपने लगे मैंने फोन उठाया और इस बार सही जगह हैलो जी कहा उसने भी हैलो कहा और फोन के दोनों तरफ काफी देर तक सन्नाटा छाया रहा,
    फिर मैंने खामोशी तोड़ते हुए कहा कैसी है आप उसने जवाब दिया मैं ठीक हूं आप कैसे हैं...?
    मैंने भी कहा मैं ठीक हूं
    फिर से वही सन्नाटा छा गया फिर उसने कुछ देर बाद कहा आज रात को हम लोग जा रहे हैं 😌
    मेरे शब्द आखिरकार जबान पर आ ही गए और मैंने कह दिया जाना जरूरी है उसने कहा हां जरूरी तो है, आप आएंगे आज शाम को,
    मैंने बहुत सोचते हुए और भारी मन से कहा शाम को तो नहीं आ पाऊंगा
    उसने कुछ नहीं कहा...
    मैंने भी कुछ नहीं कहा ...
    पर मैं उसकी नाराजगी को समझ सकता था, मैंने कहा सॉरी अदिति पर मैं कोशिश करूंगा
    उसने ठीक है, कह कर फ़ोन रख दिया


    मैं पुरे दिन कोशिश करता रहा कुछ भी करके अदिति से मिलने का जुगाड़ हो जाए पर कोशिशों में रात हो गई और मैं उससे मिलने सीधा स्टेशन ही चला गया, मैं नहीं जानता वो चली गई या मुझसे मिलेगी और मेरे पीछे पीछे कृष्णा भी आ गया,
    हम दोनों स्टेशन पहुंचे कृष्णा के पास एक लड़का आया बहुत सारे गुलाब गुलदस्ते लेकर वो भागता हुआ उसके पास गया और सारे फुल लेकर तनु की ओर बढ़ा दिए तनु ने कहा कल आशिकी का भुत उतरा नहीं क्या पुरा उसने अपना जादू बिखेरते हुए कहा भुत होता तो उतर जाता तमन्ना जी पर ये तो प्यार था हमारा 😌 ये लीजिए गुलाब और इन्हें छुकर इनको इनकी औकात दिखा दिजिए तनु उसको देख कर मुस्कुरा रही थी और वो सारे गुलाब गुलदस्ते उसने रख लिए

    मैं अदिति की तरफ देखे जा रहा था उसने मुझे कृष्णा की तरफ इशारा करके दिखाते हुए मुंह बना लिया 😒 मुझे कृष्णा पर बहुत गुस्सा आ रहा था कमीने ने मेरे और अदिति के बीच पहले ही दिन आग लगा दी थी, मैंने अदिति को अपनी मासुमियत दिखाई पर वो नहीं पिघली फिर मैंने तनु से बाय बोला तो उसने मुझे कोई जवाब नहीं दिया और मुंह बनाते हुए हुंह 😏 करते हुए निकल गई...
    रीना और सोना ने मुझे बाय जीजु कहा और ट्रेन में बैठ गई नेहा ने भी मुझे देख कर मुंह बना लिया 😒 मुझे समझ नहीं आ रहा था अब मैंने क्या कर दिया की ये दोनों मुझे देख कर ऐसे मुंह बना रही है जैसे मैंने पान खाकर इनकी सफेद ड्रेस पर थुक दिया हो..😏

    अदिति खिड़की की तरफ बैठी थी और मुझे ही घुर रही थी गुस्से में और भी ज्यादा प्यारी लग रही थी मैं उसके पास गया और बाकी सब को ध्यान से जाना वगैरह वगैरह का ज्ञान देते देते मैंने चुपके से अदिति की तरफ एक चिठ्ठी गिरा दी और उसने सबकी नजरों से बचा कर उस चिट्ठी को उठा लिया मैं अब थोड़ा दुर जाकर खड़ा हो गया मेरी जगह कृष्णा खड़ा हो गया और तनु से बातें करने लगा अदिति ने वो चिट्ठी पढ़ी और उसके गुलाबी चेहरे पर एक मुस्कान खिल उठी

    मैंने भी उसके चेहरे को देख उसे मैसेज कर दिया

    जब हकीकत आप सी खुबसूरत हो तो ख्वाब की क्या जरूरत है...
    जब कोई आप सा हसीं हो तो गुलाब की क्या जरूरत है...!!!

    उसने वो मैसेज पढ़ा और उसकी मुस्कान का रंग और भी गहरा हो गया फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी और फिर ट्रेन चल पड़ी अदिति युं मुझसे दुर जाना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था
    पर फिर भी मन में एक खुशी भी थी जो भी हो अब इजहार हो चुका था और अब वो मेरे नाम लिखी जा चुकी थी....


    ये सिलसिला शुरू जहां जैसे भी हुआ था पर दिन ब दिन मेरे मन में मौहब्बत बढ़ती जा रही थी मैसेज से बातें फोन तक पहुंची और बस रात भर बातें होती रहती कभी कभी बात नहीं हो पाती कभी काम की वजह से तो कभी नेटवर्क नहीं आता इस वजह से रूकावटें भी आता और इन रूकावटों में दिल तड़प उठता हां दुरियां थी पर नजदीकियां भी थी... ये शायद मेरी जिंदगी का सबसे हसीं समां था शायद इसलिए क्योंकि आगे जब वो पुरी तरह से मेरी जिंदगी में आएगी तब और हसीन हो जाएगा😌



    अदिति का बर्थडे करीब था और वो मुझे बुलाना चाहती थी उसने पहली बार मुझसे कुछ मांगा था और मैं मना बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था....



    जारी है...😌

  • 12. दास्तान ए इश्क - Chapter 12

    Words: 1085

    Estimated Reading Time: 7 min

    दिसम्बर का महीना कड़कती ठंड और सुनसान रात बारह बजे अदिति को विश करने के लिए मैं उसके घर के पास खड़ा था
    उसे विश करने के लिए, लेकिन वो थी कि फोन ही नहीं उठाया और मेरे सरप्राइज को मेरे लिए ही शौक में तब्दील कर दिया ऊपर से कृष्णा भी जबरदस्ती साथ हो लिया अपने घर जाने की बजाय यहां टपक पड़ा कह तो रहा था बस दो दिन राजस्थान घुमने आया है पर मैं सब जानता था तनु के चक्कर में आया है 😏

    बहुत मुद्दतों के बाद अदिति बाहर आई और मुझे देख कर उसके चेहरे पर जो चमक थी जो खुशी थी सब भुल चुका था मैं वो देख कर पांच मिनट की मुलाकात के बाद मैं घर की तरफ चला आया और मेरे साथ साथ कृष्णा भी मैंने उसे आगाह कर दिया था कि हम उसी घर जा रहें हैं जहां सनम रहती है उसके कदम लड़खड़ाने लगे पर अब करता भी क्या और मैंने उसे पहले से ही बता दिया भावना का आना और जाना लगा ही रहता है वो एक पल के लिए रूक गया पर फिर चल पड़ा जो होगा देखा जाएगा सोच कर पर मुझे लग रहा था जो होगा वो उससे देखा नहीं जाएगा

    हम दोनों ने करीब एक बजे घर की बैल बजाई सनम पैर पटकते हुए बहुत देर बाद आई हाथ में लोहे का रोड लेकर मुझे देख कर बोली तु कौन मैंने घुर कर देखा तब बोली ऐसे कैसे टपक पड़ा तु तभी उसकी नज़र कृष्णा पर पड़ी जो कि उससे खुद को छुपाने की कोशिश कर रहा था उसने पुछ ही लिया ये कौन...?
    मैंने ज्यादा कुछ नहीं कहा बस मेरा दोस्त है कहकर टाल दिया
    कृष्णा ने उसकी तरफ देख कर झुकते हुए कहा हैलो दीदी सनम बेवजह चिढ़ते हुए बोली दीदी लगती हुं 😏 थोड़ा तो भगवान से डर तुझसे तो छोटी ही हुं बड़ा आया दीदी सीधा बहन नहीं बोल सकता
    कृष्णा ने शांत लहजे में कहा जी बहन बहन जी
    वो फिर चिढ़ गई बहन जी लगती हुं बहन बोल ना 🙄

    मैंने बीच बचाव करते हुए कृष्णा को उसके कहर से बचा कर घर के अंदर शरण दी...


    बहुत थक हार कर आया था मैं जाते ही सो गया बहुत दिनों बाद ऐसी सुकून भरी नींद मिली थी मुझे

    जैसे ही रात ढली दिन हुआ मैंने फिर से अपनी बाइक निकाली और सनम को छोड़ने जाने के लिए तैयार हुआ, सनम को भी भनक पड़ चुकी थी अब तक मेरे और अदिति के बारे में वो अब भी चुप थी उसकी चुप्पी मुझे किसी बड़े खतरे का आभास करा रही थी वो बिना कुछ कहे मेरे साथ चुपचाप चली आई मैं समझ चुका था ये तुफान से पहले की शांति थी...

    अदिति पहले से वहां खड़ी थी उसे पता था पहले से ही कि मैं सनम को छोड़ने आने वाला हुं भावना भी आ गई थी मेरा दिल डरने लगा ये दोनों कुछ कर न दे पर बहुत विचित्र घटना घटी वो दोनों चली गई अब बस मैं और अदिति खड़े थे , बहुत दिनों बाद हम लोग ऐसे इत्मीनान से एक दूसरे को देख रहे थे युं तो फोन पर हमारी बातें बहुत हुआ करती थी लेकिन अब जब वो सामने थी तो कुछ कहने को हुआ ही नहीं मैं और मेरे लफ़्ज़ उसकी जुल्फों की छांव में ठहर गए...
    उसके लिए मैंने शाम को कुछ सरप्राइज प्लैन किया था बस यही कह पाया और चला आया 😌





    कुछ ही देर बाद घर गया तब पता चला कृष्णा ने अपना मकसद पूरा कर लिया तनु का घर ढुंढ लिया और उससे मिल भी लिया
    फिर मैंने देखा उसके पास बहुत सारे चोकलेट के खाली रैपर देखे और जब मैंने पुछा तो उसने बताया कि तनु को प्रपोज किया था चोकलेट देकर उसने चोकलेट खा ली और रैपर वापस देकर कह दिया हुंह 😏 अब ये कैसा जवाब हुआ वो सोचने की कोशिश कर रहा था तब मैंने उसे समझाया उसने तेरी बहुत बुरी बेइज्जती करके तुझे मना कर दिया
    कुछ देर में मैं सनम को लेने भी पहुंच गया साथ ही कृष्णा भी चल दिया तनु से हां की उम्मीद में हां तो मिली नहीं भावना और सनम को उसकी पहचान मिल गई सनम ने उस दिन के लिए उसे सोरी कहा उसने चौंकते हुए कहा आप मुझे सोरी कह रही है 😳😳

    दोनों चुड़ैलों ने अपनी असलियत दिखाते हुए कहा अच्छा लगा ये सुनकर चिंता मत करो रोज मौका मिलेगा ये सुनने का😌
    कृष्णा _ मतलब एक ही गलती की आप मुझसे रोज माफी मांगोगी नहीं कोई जरूरत नहीं है
    सनम _ नहीं रेए रोज नई गलती करेंगे ना अभी चल फुट यहां से छपरी
    भावना _ सोरी बोलें 🙄
    कृष्णा _ 😒 मुझे माफ कर दो जो हुआ गलती से हुआ दुबारा नहीं होगा कभी

    सच में उसे ऐसे देख कर मजा बहुत आ रहा था मुझे 😂

    तभी तनु आ गई वो तनु की तरफ देख कर लगभग भीख मांगते हुए बोला मुझे आप से बात करनी है 🥺
    तनु _ मुझे नहीं करनी 😒
    कृष्णा _ प्लीज़ 🥺
    तनु अच्छा ठीक है
    दोनों एक तरफ चले गए मुझसे ज्यादा दुर नहीं थे मुझे सब सुनाई दे रहा था कृष्णा उससे जवाब मांग रहा था तनु ने सवाल कर दिया आगे पीछे मंडरा रहे हो बताओ क्या कर सकते हो मेरे लिए
    कृष्णा _ एक बार कह कर तो देखो मर जाऊंगा
    तनु_ ठीक है तो एक बार सनम को कह दो मुझे आप से प्यार है
    कृष्णा _ क्या 😳 मैं कभी नहीं करूंगा ऐसा
    तनु_ हवा हो गई आशिकी 😏

    और कह कर चली गई मैं तुरंत कृष्णा के पास गया और कहा सोचना भी मत
    तभी अदिति आ गई मैंने इशारों में ही उसे शाम को आने के लिए कह दिया और मैं खुशी में पागल जल्दी से सनम को लेकर चला गया

    फिर शाम को हम लोगों मिले सरकारी स्कूल के पास 😂( मुझे सरकारी स्कूल याद आ गई वैसे भी हर प्रेम कहानी महंगी नहीं होती थोड़ा समझो बाकी सच तो ये है मुझे ये हरकतें करके छपरीपन करने में मजा आता है 😣)
    मैंने उसके लिए कुछ गिफ्ट लिए थे वो दिए फिर हम लोग थोड़ा बहुत घुमे अचानक कहीं से हम दोनों को अदिति की बहन ने देख लिया हम दोनों के वहीं बारह बज गए वो बिना कुछ कहे चुपचाप चली गई और मैं वहीं खड़ा रहा 😣

    तेरे आने से पहले सुखे पतों सी थी जिंदगी मेरी तु क्या आई हर पल हसीन हो गया...
    पहले जो पसंद नहीं थी बहारे मुझे अब मैं भी इत्र और गुलाब का शौकीन हो गया...!!!

  • 13. दास्तान ए इश्क - Chapter 13

    Words: 1114

    Estimated Reading Time: 7 min

    अदिति की बहन ने घर जाकर जो आग लगाई थी सब कुछ भस्म होने को था बस पुरी पंचायत लग गई अदिति के घर और अब तो बस मुझ पर कोड़े बरसाए जाने वाले थे डंडे बंदुकें सब कुछ चलने वाला था मुझ पर क्योंकि मैंने गुनाह ही इतना ख़तरनाक किया था सब तैयारी कर ही रहे थे कि कोई एक समझदार इंसान बोला ये सब करने से अच्छा लड़के के बारे में थोड़ा कुछ पता कर लो क्या पता अच्छा ही हो और दोनों का ब्याह कर दिया जाए पर कोई सुनने को तैयार ही नहीं था...

    कोशिशों समझाइशो और दलितों के बाद अंतिम निर्णय यही रहा कि लड़के के बारे में जाणकारी जुटाई जाए🫠



    अदिति जो इन सब से बेखबर मेरी फोटो पर इमोजी लगाकर बदमाशी वाले गाने पर रीलें बना रही थी 🥲 उससे उसकी मंथरा बहन ने बहला फुसला कर मेरे बारे में जानकारी एकत्रित कि और उसने भी शर्माते हुए सब कुछ बता दिया...
    तब उसके घरवालों को पता चला हमारी प्रेम कहानी में जात पात समाज और बेरोज़गारी मुद्दा नहीं है लेकिन फिर भी मुद्दा तो था और वो मुद्दा था प्रेम... उनके अनुसार प्रेम पाप है गुनाह है गुनाह ए अजीम है जो मैं कर चुका 😌



    दुसरी तरफ मैं था जो उस वक्त इस सब से अनजान हैरान परेशान था मेरी अंतरात्मा कह रही थी मुझसे कि अदिति की बहन विलेन ही निकलेगी मेरा गला और प्राण सुख कर पत्ते की तरह हो रहे थे रात भर इधर उधर भटकता रहा कि आखिर अंजाम क्या होगा टांग टुटेगी कि सर फुटेगा या जान ही चली जाएगी या फिर फि़ल्मी स्टाइल में शादी होगी अदिति की मेरे साथ नहीं मेरी आंखों के सामने किसी और से 😳 पता नहीं इतने वाहियात ख्याल मेरे दिमाग में आ क्यों रहे थे मैंने अदिति को फोन लगाया लेकिन तुरंत काट भी दिया कहीं मेरे उठाए इस एक कदम से मेरी कहानी का क्लाइमेक्स अभी शुरू हो गया तो मैंने अपनी उंगलियों को काबू में कर लिया...


    लेकिन फिर वही ख्याल 🫠 अदिति के घरवालों ने जिंदा छोड़ दिया तो ये ख्याल मार डालेंगे
    पर तभी मेरी अंतरात्मा मुझे धिक्कारते हुए बोली एक फोन नहीं कर सकता 😏 इतना ही डर था तो इजहार क्या रक्षाबंधन मनाने के लिए किया था या फिर उसकी शादी में जुठी प्लेटें उठाने के लिए

    मैं अपनी अंतरात्मा का ये तिरस्कार सह नहीं पाया और लगा दिया फोन पर सब कुछ नोर्मल था पर मेरा मन फिर से मानने को तैयार ही नहीं था...


    फिर भी इस तसल्ली से मैं सो गया और सुबह उठते ही अदिति के घरवाले चले आ रहे हैं 😳
    मैं बस अवाक सा खड़ा देखता रह गया दिमाग की सारी नसें आपस में उलझ गई और सन्नाटा हो गया मुझे कुछ समय के लिए लकवा हो गया मेरी आंखों के सामने बहुत सी बातें हुई मेरे और अदिति के घरवालों की पर मेरी सुनने समझने की शक्ति जा चुकी थी फिर करीब एक घंटे बाद दोनों परिवारों में मिठाई का वितरण होने लगा और किसी ने मेरे मुंह तक उस मिठास को पहुंचा कर मुझे होशोहवास में लाया मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा था वो लोग चले गए और सनम उछलते हुए बोली अब बर्तन कपड़ों से छुटकारा तेरा ब्याह हो जाएगा रेएए 🤩

    मुझसे ये खुशी सम्भल नहीं रही थी समझ में नहीं आ रहा था क्या सच में ये सब कुछ इतना आसान है, मुझे विश्वास नहीं हो रहा था मन में बार-बार यही ख्याल उठ रहा था कहीं ये तुफान से पहले की शांति तो नहीं और जब तुफान आएगा तब सब कुछ तबाह हो जाएगा... पर मैं खुश था फिर भी एक संदेह तो था मेरे मन में 🫠


    पर जैसे जैसे वक्त बितता गया मेरा संदेश भी बित गया और कहते हैं ना अच्छा वक्त बहुत जल्दी गुजरता है कुछ यही मेरे साथ हो रहा था अदिति के साथ बीत रहा वो खुबसूरत समय कैसे पंख लगा कर उड़ रहा था समझ ही नहीं आ रहा था अब सिर्फ एक महीना बचा था शादी को 🤩

    मैं पंद्रह दिन बाद वापस जाने की तैयारियां भी कर चुका था 😌 और मैं यहीं से ही शादी की तैयारियां भी कर रहा था ...


    लेकिन तभी उस दिन मेरे सीनियर ने मुझे बुलाया, वो अक्सर मुझे जिम्मेदारी वाले काम सौंपा करते थे भरोसा था उन्हें मुझ पर और मुझे इस भरोसे पर बड़ा प्यार आता था...

    जैसे ही मैं उनसे मिलने पहुंचा उनके चेहरे पर कुछ चिंता की लकीरें मैं साफ महसूस कर सकता था , मैंने पूछा तो उन्होंने बताया आज से तीन दिन बाद कुछ अवैध रूप से यहां आए आंतकी बोम्ब ब्लास्ट की प्लैनिंग कर रहे हैं....मेरा इतना सुनना था कि मैंने तपते स्वर में कहा मुझे आप अभी के अभी ओर्डर दिजिए सर मैं उन सब को गोलियों से भून कर उनके इरादों को अपने पैरों तले कुचल दुंगा भारतीय सेना का हिस्सा होने के नाते मेरा इतना भावुक होना स्वाभाविक है केवल मैं ही नहीं हर सैनिक यही इरादा रखता है ....
    तभी उन्होंने मेरी बात को बीच में काटते हुए कहा ये इतना आसान नहीं होगा प्रियांक उन लोगों के क़ब्ज़े में आस पास के गांवो के करीब पचास बच्चे हैं अगर हम उन्हें रोकने जाते हैं तो बच्चों की जान को खतरा है और अगर उन पचास में किसी एक भी बच्चें को कुछ हुआ तो यहां दंगे भड़क सकतें हैं और ये कितना ख़तरनाक हो सकता है तुम खुद जानते हो , इसीलिए तुम्हारे पास सिर्फ तीन दिन का वक्त है कुछ भी करके उन बच्चों को तुम्हें बचाना होगा और वो ब्लास्ट होने से भी रोकना होगा और इसके लिए मैंने बाकी की टीम भी बना ली है उन सब को लीड तुम करोगे

    मैंने हामी भर दी

    मैं जाने को हुआ तो उन्होंने मुझे फिर से आवाज लगा कर कहा रूको प्रियांक मुझे पता है एक महीने बाद ही तुम्हारी शादी है और अगर कुछ हो गया इस मिशन पर तो... ये पुरी तरह से तुम्हारी मर्जी होगी मैं तुम्हें फोर्स नहीं करूंगा

    ये शब्द सुन कर मैंने पीछे मुड़ कर कहा आपका विश्वास और उन बच्चों की जान फिलहाल मेरे लिए मेरी शादी और जिंदगी दोनों से कही ज्यादा जरूरी है 😊

    हां ये मेरा फैसला था क्योंकि एक फौजी के लिए देशसेवा के लिए अपनी जान गंवाने वाले कामों से ही तो प्यार होता है, हम लोग आर्मी में आते ही इसलिए है कि जान जाए तो जाए पर कभी भी पीठ नहीं दिखाते और जब कोई शहीद होता है तो मन में यही भावना होती है हरेक के की ये मैं क्यों नहीं था और जब हमें कोई भी ऐसा काम करने का मौका मिलता है इससे बड़ा सम्मान और कुछ भी नहीं 😌 और मैंने भी बस वही किया...



    जारी है...😌

  • 14. दास्तान ए इश्क - Chapter 14

    Words: 1054

    Estimated Reading Time: 7 min

    मैंने इस मिशन के लिए दो टीम्स को रेडी किया पहली वो टीम जो बच्चों को बचाएगी और दुसरी उन लोगों को पकड़ेगी पर सबसे पहले उन बच्चों के बारे में पता लगाना जरूरी था ...
    हमारे लिए पहली चुनौती यही थी कि वो बच्चे कहां थे...?

    इसके लिए मैंने जो टीम तैयार की थी वो सब अपने काम में माहिर थे पर चुनौती हमारे सामने यही थी कि पता कैसे लगाया जाए आखिर की उन बच्चों को रखा कहां गया है... मैं अपना पुरा वक्त और फोकस सिर्फ मिशन को देना चाहता था पर अदिति...

    समझ नहीं आ रहा कैसे समझाऊं पर आज डर लग रहा है मुझे खुद के लिए नहीं अदिति के लिए अगर मैं वापस नहीं आया तो अदिति का क्या होगा ये मिशन मेरे लिए पहला नहीं था पर बात ये है कि प्यार तो पहला पहला था ना और इस बार दिमाग से कम और हर चीज को लेकर दिल से ज्यादा सोच रहा हूं... मुझे पल पल बस यही चेता रहा था मेरा दिमाग या दिल की मुझे वापस आना होगा

    खैर इन जज्बातों से बढ़कर था मिशन को आगे बढ़ाना जिसके लिए सबसे पहले उन बच्चों का पता लगाना होगा जिसकी जिम्मेदारी कृष्णा ने ली थी...
    उसकी टीम में तीन और लोग थे,

    इसके लिए हमने प्लैन किया सबसे पहले हमें कोई एक्शन नहीं लेना और जहां तक हमारी जानकारी है हम लोग उन लोगों का पीछा करेंगे वो भी हमारी टीम की आरोही और अनम क्योंकि उन पर किसी को भी शक नहीं होगा

    वैसे मुझे ये प्लैनिंग वाली चीजें ज्यादा नहीं पसंद काश सिर्फ मारधाड़ ही करनी हो 😣 खैर अब जो है सो है

    ( कहानी में अब जो भी जगहें होंगी एक दम काल्पनिक होंगी क्योंकि लेखक के घरवाले उसे कभी कश्मीर लेकर ही नहीं गए 🥺)

    हमारी जानकारी के मुताबिक आतंकियों को पास के ही गांव के एक घर से मदद मिल रही है और ये जानने के बाद हमने फैसला लिया कि अनम और आरोही उस घर के बाहर नजर रखेंगी वो लोग कुछ न कुछ तो जरूर करेंगे जिससे हमें पता चल सके कुल मिला कर अभी तक हमारी प्लैनिंग हवा में लटक रही थी क्योंकि हम कोई एक्शन नहीं ले सकते थे बच्चों के बारे में पता लगने से पहले....

    टीम का लीडर होने के नाते मुझे उन सब लोगों का मार्गदर्शन करना था तो मैंने जाने से पहले आरोही और अनम को कुछ जरूरी चीजें समझाई जैसे ज्यादा होशियारी न दिखाना और नोर्मल रहने की कोशिश करना क्योंकि वो लोग ख़तरनाक होंगे जाहिर है खुद को बचाए रखना है लोगों की नजरों में आने से अगर ऐसा ना हो पाएगा तो वो लोग दोनों की हड्डियों को उधेड़ देंगे और आगामी समय के लिए कोई भी उधेड़बुन नहीं बुन पाएगी वो जीवन में और अगर फिर भी कुछ भी हुआ तो भाग जाना कोई एक्शन मत लेना और अपनी जान बचाना ये सब जरूरी बातें बताने के बाद मैंने उन्हें भेज दिया और आखिर में सबसे जरुरी बात भी समझा दी कि टीवी सीरियल की तरह कोई बचाने नहीं आएगा ना वो लोग स्लो मोशन में रहेंगे 😌


    वो लोग मुझसे ये अनंत ज्ञान लेकर जा चुकी थी पर एज ए जिम्मेदार सोल्जर मुझे उन दोनों की फ़िक्र होने लगी और मैं भी पीछे चला गया पर वो कोई गड़बड़ न कर दे ये सोच कर मैंने उनसे कुछ नहीं कहा मैंने उन्हें पहले ही बता दिया बिना मतलब कोई कोन्टेक्ट न करे लेकिन जब भी लगे कि कुछ हुआ है कोई हलचल हुई है तभी कोन्टेक्ट करे



    जब वो दोनों पहुंच चुकी थी मैं उनके पीछे था दोनों इधर उधर होते हुए फोटोज ले रही थी कुल मिला कर उनका कोन्सेप्ट यही था कि उन्हें टूरिस्ट बनना है 😌 हो गया इनका प्लैन

    तभी एक लड़का उन दोनों के आस पास मंडराने लगा मुझे शक हो चुका था कि कुछ तो हो रहा है, वो उनसे बिन मतलब की बातें करने लगा वो कहां से आई है क्या है क्युं है पर इसमें अच्छी बात ये थी कि वो दोनों सोल्जर नहीं लगती 😌 वो दोनों कुछ कुछ छपरी टाइप्स लगती है इसीलिए मैंने इस काम के लिए उन दोनों को चुना था...

    पर कुछ देर तक एकटक उन पर नजर लगाने के बाद मैं अपने ख्यालों में लौट आया हां वैसे मैंने बताया नहीं मैं कहां था वो घर एक खुबसूरत पहाड़ी पर था लेकिन चंद लोग भी थे वहां एक साधारण और खुबसूरत इलाका था इसी वजह से अनम आरोही पर शक नहीं किया जा सकता था,
    और मैं भीखारी बन कर बैठा था 😣 करना पड़ता है कभी कभी 🫠
    मैं अदिति को ही सोच रहा था कि किसी ने जोर से चिल्लर मेरे कटोरे में दे मारा और मेरा ध्यान भंग कर दिया 😣 और मेरे ख्याल फिर से लौट आए हकीकत की ओर पर कोई चिल्लर मारे या गोला बारूद अदिति तो मेरे दिल दिमाग ख्वाब और लफ़्ज़ों से निकलने से रही , अब अपनी आशिकी के बारे में तो क्या ही कहुं खैर फिलहाल मेरा ध्यान अपनी टीम की सेफ्टी पर होना चाहिए 🫠



    तभी एक सत्रह अट्ठारह साल का लड़का जिसने मटमैले से कपड़े पहन रखे थे बिल्कुल दुबला पतला सा था कमजोर सा पैरों में टुटे हुए जुते और हाथ में एक डब्बा लिए उस घर में दाखिल हुआ अनम ने तुरंत मुझसे कोन्टेक्ट किया और कहा बाज़

    वैसे बाज़ हमारी टीम का कोडवर्ड था 😌 जिसका मतलब था हलचल हुई और भेड़िया भी हमारा कोडवर्ड था जिसका मतलब था कोई खतरा है मैंने अभी तक उन लोगों को नहीं बताया कि मैं वहीं हुं मैंने उन लोगों को नजर रखे रहने के लिए कहा

    वो दोनों वहां के हर पेड़ पत्ते और फुल को देख कर फोटोज ले रही थी उन को देख कर मुझे भी शक नहीं हुआ 😣 फोटो लेना उस पर फिल्टर लगाना फिर डीलीट करना आज मैंने इस काम की असली कीमत को आंक लिया 🫠


    लेकिन वो लड़का अभी तक बाहर नहीं आया इसी बात से मेरा शक और गहराता जा रहा था... कहीं इस घर का कोई और दरवाजा तो नहीं जहां से वो निकला गया हो क्योंकि घर का दुसरा हिस्सा मतलब दुसरी तरफ से वो पहाड़ी की तरफ था तो वहां दरवाजा होना सम्भव भी है और कुछ तो खास होगा इस घर में तभी तो इस घर को चुना गया है इस काम के लिए



    जारी है 🫠

  • 15. दास्तान ए इश्क - Chapter 15

    Words: 1065

    Estimated Reading Time: 7 min

    मैं जैसे ही वहां से उठने को हुआ मेरी नजरें उस घर की खिड़की पर पड़ी और मुझे कुछ समझ आया और मैं वहीं ठहर गया मैंने तुरंत अनम और आरोही को वहां से निकलने को बोला और और जितना मुझे समझ आया उसे समझ कर मैं वहीं ठहर गया...


    मैं कुछ देर वहीं बैठा रहा बिना किसी ओवरएक्टिंग के बिल्कुल सामान्य सा बैठा रहा कुछ देर बाद मैं उठा और लंगड़ा कर चलने लगा चलते चलते इधर से उधर से इधर घुमने लगा और फिर से बैठ गया मेरी नजरें रह रह कर उसी खिड़की पर जा रही थी... और वहां कोई चांद का टुकड़ा नहीं था 😣

    मैं धीरे धीरे फिर से चलने लगा और चलते चलते उस घर के पिछले हिस्से तक पहुंच गया मैंने जितना हो सके सामान्य रहने की कोशिश की और फिर वहां जाकर कुछ देर बैठ गया और अब मुझे सहज लग रहा था क्योंकि वो निगाहों की जोड़ी मुझसे हट चुकी थी और मुझे यही चाहिए था...

    मैं इस मौके का फायदा उठाते हुए खिड़की के करीब आ पहुंचा मैंने सुनने की कोशिश की पर मेरे कानों में कुछ नहीं पड़ा और देखने का तो सवाल ही नहीं उठता मैंने उसे देखा और उसने मुझे.... ये हो जाएगा तो अनर्थ हो जाएगा 🫠 और इसी भय ने मुझे छुपा रखा था वरना मेरी फितरत में छिपना नहीं है...


    मैं उसी खिड़की के नीचे से निकल कर दुसरी खिड़की के पास से होते हुए घर की दुसरी खिड़की की तरफ पहुंचा पर कहीं से भी कुछ भी सुन या देख पाना सम्भव नहीं था, मैं वहां से दुसरी तरफ आ चुका था उस तरफ दरवाजा था मेरा अंदाजा बिल्कुल सटीक था, हां लेकिन ये रास्ता आसान दिखाई नहीं पड़ रहा था उस घर के अंदर से निकल कर जाना आसान हो सकता था पर जहां मैं खड़ा था वहां से जाना मुश्किल या कुछ हद तक नामुमकिन पर आम लोगों के लिए मेरे लिए नहीं या शायद मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था

    तभी वो लड़का जो थोड़ी देर पहले आया था वापस जाने के लिए उस रास्ते निकला और वो डब्बा उसके हाथ में था लेकिन वो वहां नहीं गया और वापस अंदर चला गया और कुछ ही समय बाद वो आगे के रास्ते फिर निकल गया और मुझे समझ नहीं आ रहा था वहां रहुं या उसका पीछा करूं लेकिन जो परिस्थितियां बन रही थी उस हिसाब से मैंने पीछा करना बेहतर समझा पर मेरा मन रह रह कर उस डब्बे की ओर जा रहा था पर मेरे कदम उस लड़के के पीछे थे मन में थोड़ा डर भी था कहीं मैंने गलत रास्ता तो नहीं पकड़ लिया 😣

    मन में विचारों का गुत्थम गुत्था युद्ध चल रहा था पर कदम उस लड़के के कदमों का बिल्कुल सटीक अनुसरण कर रहे थे...


    लेकिन उस लड़के के चाल चलित्र मेरा मतलब हाव भाव से मुझे लग रहा था जैसे उसे मुझ पर शक हो चुका था मैं रास्ते में कभी इधर उधर देखने लग जाता कभी रूकता कभी हंसने लगता कभी गानें लगता कभी रोने लगता मैंने हर वो हरकत की जो मुझे पागल दिखा सकती थी पर शायद मैं यहां चुक गया और उसका शक और ज्यादा गहराता चला गया और कुछ देर में वो उन गलियों में कहां ओझल हो गया मुझे पता ही नहीं चला...

    मैं किसी मजनु की तरह उसे ढुंढने लगा मानो वो आंतकी नहीं बल्कि मेरी लैला हो और वो अचानक मेरे सामने आ गया मैं फिर से उसके पीछे पीछे हो चला और कुछ देर चलने के बाद हम उन गलियों के आखिरी छोर पर आ ठहरे जहां चहल पहल और लोगों से भरा हुआ इलाका खत्म हो चुका था और अब एक सीधी सुनसान सड़क थी मैं चलता गया लेकिन तभी अचानक से वो एक तेज रफ्तार के साथ पीछे मुड़ा और मुझ पर जोरदार लात मार कर गिरा दिया मैं इस हमले के लिए तैयार बिल्कुल नहीं था ये बिल्कुल अचानक था हां पर ये मेरी लापरवाही थी क्योंकि मुझे सचेत रहना चाहिए था मैं खुद को इस गलती के लिए धिक्कारते हुए उसकी सोच से बहुत पहले उठ खड़ा हुआ और अगले ही पल उसकी गर्दन मेरे हाथ में थी और उसके हाथ में थी बंदुक हम दोनों ने अपनी अपनी ताकत को दिखाते हुए सवाल किया कौन है तु...?
    फिर उसने खुद ही जवाब देते हुए कहा तु आर्मी वाला है ना
    और मैंने भी कहा और तु म्लेच्छ गिद्ध आंतकवादी है ना आज तेरा वो हाल ए हालात करूंगा ना कि तुझे अपने पैदा होने पर अफसोस होगा इस पर वो हंसने लगा मुझसे उसकी वो घिनौनी हंसी बर्दाश्त नहीं हुई मैंने जम कर कुटा, लेकिन मार खा कर भी उसने हंसते हुए कहा क्या करेगा मुझे मारेगा मार डाल ना 😌
    मैंने दो चार घुंसे और लगाते हुए कहा बता दे कहां रखा है उन बच्चों को तेरी जान बख्श दुंगा 😑
    उसने खुन टपकते हुए मुंह से कहा मुझे अगर जान की परवाह होती तो मैं यहां नहीं होता
    मैंने उसे धमकाते हुए कहा नहीं बताएगा तो तेरे साथ साथ तेरे जितने भी साथी है इस अड्डे पर सबको पकड़वा दुंगा 😏

    उसने फिर से अपनी घिनौनी जबान खोलते हुए कहा हम में से किसी एक को भी जान की फ़िक्र नहीं है हमारा मकसद सिर्फ यही है कि एक के साथ दो जानें जानी ही चाहिए ये सुन कर मैंने उसे फिर कुटा जी तोड़ कुटा और बहुत कोशिशों के बाद भी उसकी घिनौनी जबान बदली नहीं तभी उसका नोकिया बज उठा और मैंने वो हथिया लिया,
    वो छटपटा उठा मैंने उसके मुंह पर अपना फौलादी हाथ रखा और मुंह बंद कर दिया और फोन उठा लिया और मुझे पता था वो तो बोलने से रहा तो मैंने आवाज़ बदल कर उससे कहा कि खतरा है जल्दी आओ वरना मकसद पूरा नहीं हो पाएगा और मुझे अभी अभी पता चला मुझमें ये आवाज़ बदलने का हुनर भी है और मुझे लग रहा था कि वो अपने मकसद के लिए जरूर आएगा मैंने उस लड़के को तोड़ मरोड़ कर बिल्कुल शांत कर दिया और वहां पर एक कोने में सुसज्जित ढंग से रख दिया और अब मुझे इंतज़ार था तो उस दुसरे आदमी का मुझे नहीं पता कि ये प्लैन किस दिशा में जा रहा था पर जो भी था मेरी प्लैनिंग बिल्कुल भगवान भरोसे थी वैसे मैंने कहीं सुना था जो भगवान पर भरोसा करता है भगवान उस भरोसे को टुटने नहीं देते और इसका साक्ष्य मेरे सामने था.......




    जारी रहेगा

  • 16. दास्तान ए इश्क - Chapter 16

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    मैंने उस लड़के को उठाया और एक तरफ रख दिया बेहोश करके और वो भी आ चुका था जिसका मुझे इंतज़ार था मुझे कन्फर्म करना था कि ये वही हैं या नहीं मैं छुप कर उसे देखता रहा...
    उसके हाव भाव देख कर मुझे यकीन हो चुका था कि ये वही था और वो ढुंढ रहा था किसी को और वो किसी झाड़ियों में पड़ा उन झाड़ियों की शोभा घटा रहा था 😏

    इस बार मैंने तय किया कि मैं इस आदमी को बिल्कुल भी शक नहीं होने दे सकता वरना आखरी रास्ता भी बंद हो जाएगा इसीलिए मैं उसकी नज़रों से बच कर उसका पीछा कर रहा था मैं उससे काफी दुर था वो कहीं जा नहीं रहा था बल्कि अब भी उसी को ढुंढ रहा था और कुछ देर बाद उसने अपनी जेब से एक फोन निकाला और उसका सिम कार्ड निकाल कर फेंक दिया और अपना रास्ता बदल दिया और अब वो जंगल की ओर जाने लगा,

    आधे रास्ते आकर उसने अपने जुते निकाल कर फेंक दिए मुझे उसका कुछ समझ नहीं आ रहा था ये वही था या... पर इसकी हरकतें इसका परिचय दे रही थी
    मैं अभी भी उसके पीछे था पर अभी तक कुछ कन्फर्म नहीं था मेरी तरफ से इसीलिए मैं बस चुपचाप पीछा कर रहा था अपनी टीम को इस बारे में कुछ नहीं बताया और मैं ये भी जानता था कि ऐसा करना ख़तरे से खाली नहीं होगा मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा पर इसको पता चल जाएगा तो उन बच्चों को जरूर मार डालेंगे ये लोग

    चलते चलते वो आदमी बहुत दूर निकल आया और अचानक से ही मेरी नज़रों से ओझल हो गया मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो कहां गया मैं इधर उधर देखने लगा तभी मुझे एक आहट महसूस हुई और इस बार मैं सतर्क था और मैंने वो गलती बिल्कुल नहीं दोहराई वो मेरे पीछे था और मुझे मारने वाला था लेकिन इस बार मैं उस पुराने घीसे पीटे तरीके में नहीं फंसा और मैंने उसे पकड़ लिया 😏 पर इन लोगों की सबसे घिनौनी बात यही थी कि मुझे समझ नहीं आता ये मार खाने की ट्रेनिंग कहां से लाते हैं,
    लेकिन मुझे बहुत ही अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है मैं खुद उस जाल में फंस चुका था...

    क्योंकि...

    उसने पहले से ही अपने तीन चार साथियों को बुला लिया था मैं समझ नहीं पा रहा था इसे कैसे पता चला मेरे बारे में, उसकी घिनौनी आंखों ने मेरे मन का ये सवाल पढ़ लिया और वाहियात ढंग से हंसते हुए बोला तुमने मेरा फोन उठा कर गलती कर दी, तुम्हें क्या लगा आवाज बदल दोगे तो हमें पता नहीं चलेगा..😏
    मेरे दिमाग में अब जाकर वो कोड वर्ड वाली बात आई और ये मेरे द्वारा की गई दुसरी बेवकूफी थी लेकिन अब मैंने भी सोच लिया चाहे जो मर्जी हो जाए आज तो मैं अपने मिशन को किसी भी हद तक जाकर पुरा करूंगा मैंने सोच लिया है तो होगा ही 😌

    तभी वो तीनों मुझे घेर कर खड़े हो गए और एक लय में बोले इतनी भी क्या जल्दी थी,
    लेकिन कहानी तब पलटी जब उन लोगों की जगह मेरी हंसी गुंज रही थी, भले ही मैं प्लैनिंग करने में मास्टर माइंड नहीं हुं पर ऐसे तो पांच सात डेढ फुटिए ढाई पसलिए मैं एक साथ निपटा सकता हूं 😏 कुछ तो कुछ मुझ में भी होंगे तभी तो मैं इस मिशन के लिए चुना गया है और कुछ ही पलों की हाथापाई के बाद मैंने उन लोगों को इस बात के बारे में अच्छे से रूबरू करवा दिया...

    लेकिन मैंने जहां से शुरू किया था वापस वहीं आकर खड़ा हो गया मतलब अभी भी सवाल वही था कि कहां है वो बच्चे मेरे पास वक्त बहुत कम था और मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूं,
    मेरा शांतिप्रिय स्वभाव मुझे छोड़ कर जा चुका था क्योंकि मेरे दिमाग में बौखलाहट मच चुकी थी मैं खुद को हारा हुआ और हताश महसूस कर रहा था ,
    जो मैंने तय किया था मैं नहीं कर पाया लेकिन जैसे की मैंने कहा था मेरी प्लैनिंग सच में भगवान भरोसे थी और भगवान कभी किसी को निराश नहीं करते तभी मेरी टीम के छपरी जिन्हें मैंने सिर्फ इसीलिए चुना था कि किसी को शक न हो कि वो सोल्जर है मतलब अनम और आरोही आज उन्होंने साबित कर दिया कि मैं गलत था...

    जब मेरी हताशा और क्रोध की अग्नि अपने चरम पर थी तब वो दोनों देवियां वहां अचानक से प्रकट हो गई और उन्होंने कहा कि वो जानती है इन लोगों का अड्डा कहां है इतना सुनते ही मैंने सबसे पहले वो किया जो सबसे ज्यादा जरुरी था, धरती का थोड़ा सा बोझ कम कर दिया उन लोगों को विदा करके
    और अब मेरा सवाल था कि उन दोनों को कैसे पता है...??

    अपनी स्वाभाविक जिज्ञासा को शांत करने के लिए मैंने पुछ ही लिया कि कैसे पता है तो उन दोनों ने जवाब न देते हुए कहा हमारे पास वक्त बहुत कम है कहानी सुनाने का टाइम तो ये बिल्कुल भी नहीं है,
    सुन कर दुःख हुआ 😣 कि जिन्हें मैं कुछ नहीं समझता वो लोग मुझे समझा रहे हैं पता नहीं आज कैसा दिन चल रहा है हर काम उल्टा ही हो रहा है,

    आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, पर सच ये भी था कि मेरा ध्यान अपने काम पर था ही नहीं ये जब तक मुझे महसूस हुआ मैं काफी बेवकूफियां कर चुका था लेकिन अब मैं समझ चुका था मैं अपने अलग ही सवालों में उलझा हुआ था .... मैं सच में स्वार्थी हो चुका था 😣

    अब मैंने आने जाने वाले हर ख्याल के लिए सारे रास्ते बंद कर अपने काम पर ध्यान दिया
    और
    अब हम चले जा रहे हैं एक संकरे से रस्ते पर जहां दो लोग एक साथ नहीं चल सकते वो एक पहाड़ी इलाका था शहर से काफी दुर सुनसान मैंने आज से पहले इस जगह को कभी नहीं देखा था पर अब देख लुंगा जगह और उन लोगों को भी 😏



    जारी है...😌

  • 17. दास्तान ए इश्क - Chapter 17

    Words: 1018

    Estimated Reading Time: 7 min

    कुछ देर बाद हम लोग पहुंच चुके थे अपनी मंजिल वो संकरा रास्ता जैसे ही खत्म हुआ हम पहाड़ी को पार कर एक मैदानी इलाके तक पहुंच चुके थे...

    मुझे अब तक वहां कुछ भी नजर नहीं आया वो दोनों उस जगह से वापस पहाड़ी की ओर चल दी जो कि उस रास्ते के दुसरी तरफ थी वहां भी एक सन्नाटा पसरा हुआ था लेकिन वो सन्नाटा वहां बहुत कुछ होने की गवाही दे रहा था,
    पहाड़ी के बाईं और फुलों से लदे हुए खुबसूरत पेड़ों की ओट में बहुत सारे पत्थरों का जमाव था और उन पत्थरों पर पड़े पैरों के निशान हमारे शक को सच में बदल देने के लिए गवाही दे रहे थे,

    हम लोग अपनी अपनी बंदुकों को ताने बस चुपचाप बढ़े जा रहे थे बिना किसी शोर के पर शोर से पहले का ये पसरा हुआ सन्नाटा हमें आभास करा रहा था कि कुछ तो होने वाला है जो कि हमें पहले से पता था पर ये शांति अब उस वक्त को हमारे बता रही थी,
    हम लोग सम्भल चुके थे, हमारे हथियार तैयार थे किसी भी रूकावट को रास्ते से हटाने के लिए,। पहाड़ी के अंतिम छोर पर पत्थरों की वो दीवार प्राकृतिक तो नहीं लग रही थी जिससे ये तय करना बहुत आसान था कि यही उन लोगों का ठीकाना है 😏



    हम लोग सधे कदमों से आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ने लगे वो दोनों मेरे पीछे थी, मेरे कदम उस पत्थरीली दीवार के पास पड़ चुकें थे और निगाहें दीवार के उस पार 👀

    मैं उस तरफ का मंजर देख पा रहा था वो दोनों बहुत ही उत्साह बैचेनी घबराहट भरी नजरों से मेरी और देखती है मैंने चुप रहने का इशारा करते हुए इशारे से कहा मैं जाता हूं तुम लोग यहीं रूको,
    मैंने जैसे कहा वो मान गई पर वो भी लपक कर बीच में आना चाहती थी उनकी शक्लें ये बखुबी बयां कर रही थी 🙄

    मैंने अपने कदम बढ़ाए और मुझे आगे बढ़ने के लिए सबसे पहले सबसे बड़ी रूकावट आगे खड़े उस आदमी को हटाना था मैं उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और उसकी गर्दन पर मार कर उसे बेहोश करके बाहर फेंक दिया ताकि वो लोग उसे ठिकाने लगा सके चंद क़दम बढ़ाने के बाद इस बार दो आदमी थे मैंने उन दोनों को भी रास्ते से हटा दिया पर पता नहीं कैसे कोई हलचल हुई या किसी ने मुझे देखा मैं नहीं जानता अचानक से गोलियां चलने लगी,


    उस सन्नाटे में गोलियों का शोर गुंज उठा मैंने खुद को सुरक्षित किया फिर इधर उधर देखा पर ये गोलियां मुझ पर हमला करने के लिए नहीं चलाई जा रही थी कुछ देर बाद मुझे इस बात का अहसास हुआ मैं फिर से आगे बढ़ा उस पथरीली दिवार के उस तरफ फिर से दीवार का एक परकोटा था जहां वो तीन आदमी मौजूद थे,

    और उसके पीछे ये जगह जहां उन बच्चों को किडनैप नहीं किया गया बल्कि उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही थी गोलियां चलाने की,

    उस जगह खड़े हर एक बच्चे में मुझे उसी लड़के की शक्ल दिखाई दे रही थी जो कुछ देर पहले ही मुझसे मिला था जिसे मैं झाड़ियों में छोड़ कर आया हूं...वो भी इन्हीं में से एक था,
    और सामने खड़े ये लोग जो इन मासूम हाथों में हथियार थमा रहे हैं इन्हें जिंदा रहने का कोई हक नहीं है और इनको मारने का पुण्य मुझे प्राप्त होने वाला था 😏😏

    पहले मैं जिस तरह से बच्चों को बचाने आया था मैंने सोचा था सबको एक एक कर मारूंगा ताकि बच्चों को कोई नुक्सान ना हो, लेकिन पता नहीं क्यों पर मुझे लगा इन लोगों ने बहुत जहर भर दिया होगा इन बच्चों के मन में ये सब आने वाले समय में इनके रंग में पुरी तरह से रंग जाएंगे उससे पहले मुझे जो भी करना है इन सब के सामने करना होगा, ताकि जरूरत पड़ने पर वो लोग अपने निशाने पर उन्हें भी रखें और उन्हें समझ आए कि वो लोग ग़लत कर रहे हैं, वैसे भी मैंने कहीं सुना था बच्चों का मन गीली मिट्टी के समान होता है कोई भी बात अपने हिसाब से ढाल कर उनके मन को कैसी भी आकृति दी जा सकती हैं , अब मुझे इन सब के मन में हथियारों हिंसा और आतंकवाद की जो भी आकृति बनी है वो मिटानी तो पड़ेगी ,और इसके लिए शायद मैं अकेला काफी नहीं था, इसीलिए मैंने अपनी पुरी टीम को इन्फोर्म कर दिया था,

    अब कुछ ही समय बचा था जब ये बच्चे इन अदृश्य मानसिक बेड़ियों से छुट कर वापस अपनी जिंदगी में लौट जाएंगे और ये सब लोग अपनी असली जगह 😏


    लेकिन जब तक सब लोग यहां पहुंच नहीं जाते मुझे खुद को छिपाए रखना जरूरी है और इसके साथ ही मुझे पुण्य कर्म जारी रखने चाहिए मैंने शांति से अपना काम जारी रखा,
    रास्ता काफी मुश्किल होने के कारण उन लोगों को यहां तक पहुंचने में काफी समय लग रहा था...
    हमारे पास अभी भी वक्त बहुत कम था शाम हो चुकी थी कल की सुबह से पहले हमें यहां से निकल कर उस बोम्ब ब्लास्ट को भी रोकना होगा, लेकिन मैं इन सब के बारे में जितना हो सके कम सोचना चाहता था क्योंकि ज्यादा सोचने से मन भटकने लगता है और जैसे ही मुझे मन भटकने का ख्याल आया मन फिर से उलझने लगा पर वक्त रहते मैंने सारे ख्यालों को समेट लिया बाद के लिए, अभी के लिए मैं अपने और इस मिशन के बीच किसी भी ख्याल को नहीं आने देना चाहता था,


    लेकिन कितना अनजान था मैं उस वक्त आने वाले कल से की आगे का सारा वक्त मुझे सिर्फ उन्हीं ख्यालों के सहारे गुजारना होगा , काश मैंने उस वक्त उन ख्यालों को पाबंद न किया होता
    या फिर मुझे अपने भविष्य का अंदाजा होता तो शायद शायद कभी ऐसा होता ही नहीं , अब इस वक्त मेरे पास बातों और यादों के सिवा कुछ बचा ही नहीं

    मैं अपने वर्तमान से निकल कर थोड़ी सी राहत लेकर फिर से उस वक्त में जीने की कोशिश करता हुं 😌




    बाकी का अगले भाग में 😌 कोई पढ़ता तो है नहीं अब तो मुझे भी बोरियत होने लगी है 😣


    जारी है 🫠