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इक राज

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सहर 🎀

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ये मेरी पहली कहानी होगी या होने वाली होगी जो शायद पुरी हो जाए बस इसी चाह से लिख रही हूं बाकी कोई विश्वास नहीं है अधुरी भी रह सकती है 😌 अगर कोई नहीं पढ़ेगा तो आगे नहीं बढेगी और गलती से कोई इक्का दुक्का पढ़ लिया तो हो ही जाएगी पुरी तो इसी के साथ कहानी...

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कृषा

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अधि <br>Heroine

Warrior

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अधिराज

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वान्या

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अभय सिंह शेखावत

Hero

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काव्या

Villain

Total Chapters (33)

Page 1 of 2

  • 1. इश्क दफन ए राज - Chapter 1

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    ये मेरी पहली कहानी होगी या होने वाली होगी जो शायद पुरी हो जाए बस इसी चाह से लिख रही हूं बाकी कोई विश्वास नहीं है अधुरी भी रह सकती है 😌 अगर कोई नहीं पढ़ेगा तो आगे नहीं बढेगी और गलती से कोई इक्का दुक्का पढ़ लिया तो हो ही जाएगी पुरी तो इसी के साथ कहानी शुरू करते हैं





    कहानी का परिचय _ये ‌कहानी‌ है दो लड़कियों वान्या और अधि के जीवन में आने वाले मोड़ के लिए जिससे की उनकी जिंदगी में कुछ खोफनाख बदलाव आने वाले हैं और कुछ विचित्र परिस्थितियों से उनका सामना होगा और इन्हीं परिस्थितियों में उनके जीवन में कई तरह के सवाल आएंगे और उन्हीं सवालों जवाबों का है ये सफर....












    रात के अंधेरे में वो दो जोड़ी क़दम बढ़े जा रहे थे... तभी अचानक से किसी आहट से वही थम कर जमीन से लग कर रह गए एक डर का अहसास हुआ बहुत सारी हिम्मत जुटाकर उन कदमों ने अपनी दिशा बदली पर वहां रात के सन्नाटे के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दिया...!
    एक साया जो कहीं से छिपी नजरों से उसकी ओर देख रहा था.... एक काली परछाई जो कि उसके पीछे कुछ ही दुर पर थी,

    वो कदम फिर बढ़ने लगे कि फिर वही जम गए इस बार आहट नहीं अहसास था जिसे झुठलाया नहीं जा सकता था और हिम्मत तो जवाब दे ही चुकी थी कंधे पर टिके उस हाथ ने दिल दहला देने वाला भय उत्पन्न कर दिया था और साथ में माहौल को और भयानक बना रहा था रात का वो हद से बढ़कर सन्नाटा

    और उन कदमों की जमावट और उसके शरीर से उठती कम्कमपी देख कर पीछे से एक भयानक हंसी की आवाज आई जिसे सुन कर किसी का भी दिल कांप उठे तभी हंसी ने एक आवाज का रूप लिया " मैंने कहा था ना अकेले नहीं कर पाएगी तु तुने तो यहीं दिखा दिया या डरपोकडी़ है तु"
    ये जानी पहचानी आवाज उसके दिल को एक राहत देती है वो खुद को निर्भय दिखाने के लिए तेजी से पीछे मुड़कर उसको कहती हैं" तु तो आने भी नहीं वाली थी ना फिर अब क्युं मर रही है "

    वो उसकी तरफ देख कर एक तिरछी मुस्कान देते हुए कहती हैं मैं आई क्योंकि ये तेरे अकेली के बस का काम नहीं है 😏 तुझे मेरे जैसे प्रोफ़ेशनल की जरूरत पड़ेगी 😌

    वो उसको बिना कोई भाव के उसकी तरफ न देखते हुए चिढ़ भरा जवाब देती है" प्रोफेशनल तो ऐसे बोल रही है जैसे कोई महान कृत्य करने जा रही है 🙄 चोरी करने जा रहे हैं
    वो उसकी बात सुनकर झट से उसके आगे आते हुए उसके कंधे जोर से पकड़ते हुए कहती हैं एएएए ये काम भी बहुत मेहनत का है और चोरी नहीं हाथ की सफाई कहते हैं इसे ये एक आर्ट है आर्ट हुंह तेरे जैसे डरपोक लोग आते हैं माल भी उड़ाते हैं और ज्ञान भी दे जाते हैं बड़ी आई चोरी वाली, चोरी तो तुम जैसे अमीर करते हैं 😏 हम तो तुम जैसों के घर में से बस थोड़ा सा काला धन उठाते हैं वैसे तु ये सब क्यों बोल रही है तु तो अब अमीर भी नहीं रही


    अधि के कहे शब्द वान्या के कलेजे को छलनी कर गए उसे खुद से एक घृणा महसूस हुई क्या कर रही है वो और क्युं पर उसके पास क्युं का जवाब था और उसी को याद करके उसकी आंखों में आंसु आ गए वो ऐसी नहीं थी बिल्कुल भी नहीं लेकिन उसके हालातों ने उसे बहुत ज्यादा मजबुर कर दिया था और हालातों को देखते हुए उसने ये कदम उठाया और उसे ये गलत नहीं लगता

    दुसरी तरफ अधि जिसके लिए चोरी करना एक शौक था, अधि उसने खुद अपना ये नाम रखा न तो उसका कोई नाम था न पहचान जबान जब भी खोलती दिल को छलनी करने वाले ही शब्द निकलते पर लोगों के दुःख और रोती हुई शक्लें उससे बर्दाश्त नहीं होती यही तो वजह रही थी इन दोनों के साथ होने की

    वो दोनों कुछ ही पलों में उस घर के सामने खड़ी होकर जिसके आस पास अधि कई दिनों से चक्कर लगा रही थी वहां कोई आता जाता नहीं घर बिल्कुल सुना था बरसों से लोगों का मानना था वहां भुत प्रेत है पर जहां तक अधि की जानकारी है वहां प्रेत का तो पता नहीं पर खजाना जरूर उसके आस पास सिर्फ दो ही घर थे एक जिसमें ताला लगा था और दुसरा जिसमें अधि ने कभी किसी को देखा तो नहीं पर उस में शायद कोई रहता जरूर था

    तभी अचानक से वान्या ने अधि का हाथ पकड़ कर खींचते हुए कहा चलो यहां से चलते हैं मुझे कुछ अजीब अहसास हुआ कुछ बहुत अजीब हमें आगे नहीं बढ़ना चाहिए ....वो साया अब भी उन दोनों के पीछे था पर उन्हें खबर नहीं थी वो दोनों उसे नहीं देख पा रही थी लेकिन उसकी गहरी काली बड़ी बड़ी आंखें अब भी उन दोनों पर ही थी ... और उसके होने का यही अहसास कहीं न कहीं वान्या को भी हो चुका लेकिन वो पूरी तरह से समझ नहीं पा रही थी पर उसका मन आने वाले उस तुफान को कहीं न कहीं जान चुकी थी तभी वो अधि को अपने कदमों को आगे बढ़ाने से इंकार कर रही थी ....... पर सवाल ये है कि क्या वो आगे बढेगी और कौन है वो साया जो इंतजार कर रहा है उनके आगे बढ़ने का आखिर ऐसा क्या राज है इस सुनसान घर में जो यहां दफन है और इंतजार कर रहा है इन दोनों के आने का... वान्या इस अहसास के बारे में सोचते हुए फिर से बोल पड़ी सच में अधि इस बार बहुत बुरी फीलिंग आ रही है जैसे अंदर गए तो फंस जाएंगे और ऐसे फंसेंगे की कभी निकल ही ना पाएंगे

    तो क्या ये लोग चोरी को अंजाम देंगे क्या अधि वान्या की बात सुन लेगी या आगे बढेगी ....?? क्या इस दफन राज की कहानी में इन दोनों का भी कोई किरदार है

    इतने सारे सवालों के जवाब चाहिए तो अगला भाग पलट ल्यो


    ......

    जारी है....😌😌

  • 2. इश्क दफन ए राज - Chapter 2

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    अधि बिना वान्या की बात सुने उसे खींचकर घर के सामने लाते हुए कहती हैं " ओ ज्ञान की देवी याद करो अपनी मजबुरियों को जब देखो बिन मतलब का ज्ञान देती रहती हो और जो अहसास होने आ रहा है न तुमको वो अमीरी का है और कुछ नहीं"
    वान्या के पास बहुत सारे तर्क थे पीछे हटने को पर मजबुरियों ने उसके शब्दों को जबान से बाहर झांकने भी न दिया और उसे भी पता है यही इकलौता रास्ता है

    अधि इधर उधर देखती है कि कोई देख तो नहीं रहा और जब हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ देखा तो मुस्कुराते हुए कहती हैं आज तो ऊपरवाला भी मेहरबान है मुझ पर अच्छे दिन आने वाले हैं और वान्या के कंधे पर हाथ मारते हुए कहती हैं चल किस्मत का दरवाजा खोलते हैं
    वान्या झिझकते हुए कहता है पर म मम्म  मैं कैसे खोल सकती हुं मुझे नहीं आता
    अधि अपने गुस्से को काबु करते हुए कहती हैं ठीक है मैं करती हूं तु घुस तो जाएगी ना या वो भी नहीं आता 😏
    अधि अपने सालों के अनुभव से चुटकियों में ताला खोल देती है वान्या उसके इस टेलेंट को देख कर उसे मुंह खोल कर देखती रह जाती है

    थोड़ी ही देर में वो दोनों उस घर के अंदर आ जाती है अंदर से वो घर बिल्कुल अलग दिख रहा था जहां बाहर से वो घर खंडहर पुराना और वीरान नजर आता वहीं अंदर से बिल्कुल ही अलग सजा हुआ साफ सुंदर ये बहुत अजीब था उन दोनों के लिए
    उस घर की तेज रोशनी में उन दोनों के चेहरे चमक रहे थे जो कि अंधेरे में बाहर बिल्कुल भी दिखाई नहीं पड़ रहे थे.. वान्या घर कि हर एक चीज को बड़े गौर से देखती है वो समझ ही नहीं पा रही थी इस घर में सब चीजें इतने करीने से साफ सुथरी कैसे सजी हुई है वहीं अधि अपना सर खुजाते हुए इधर उधर देख रही थी उसे बस ये सोचना था कहां से शुरू करें घर को टटोलना

    तभी उन दोनों को किसी के आने की आहट हुई उन दोनों को कुछ समझ नहीं आया ये घर तो खाली था यहां कोई कैसे हो सकता है वो दोनों हड़बड़ाहट में जल्दी से छुप जाते हैं देखने के लिए कि कौन है
    अधि वान्या को देखते हुए कहती हैं मुझे तो लगता है हमसे पहले कोई और हाथ मारने आया है, वरना कौन इस खंडहर में भटकता है

    तभी एक लड़की जिसने सुर्ख लाल रंग के कपड़े पहन रखे थे उसके लम्बे घने काले बाल खुद अपने आप में रात को समाए हुए थे और उसका दुध सा सफ़ेद रंग उसको देख कर वान्या अधि को देखते हुए कहती हैं नहीं इतनी सुन्दर और शरीफ सी लड़की थोड़ी न चोर हो सकती है और वैसे भी ये कितने आराम से घुम रही है यहां ये चोर हो ही नहीं सकती
    अधि अपनी नजरों से भस्म कर देने वाले भाव से उसे देखते हुए कहती हैं क्या मैं क्या सुंदर नहीं हुं 😏 और शरीफ तो तु भी बहुत बनती है 🙄 यहां हवन करने तो नहीं आई है 😏 बड़ी आई मुझे देख कर ही तु ये सब बातें करती है किसी दिन ना मुझे तेरी वजह से सारे चोरी के पैसे वकीलों को देने पड़ेंगे
    वान्या उसे शांत कराते हुए कहती हैं अरे नहीं नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं कहना चाहती थी मैं तो बस
    अधि उसे बीच में टोकते हुए कहती हैं ये चाशनी बाद में टपकाना मुंह से पहले इस लाल परी को देखने दे
    वो लड़की काफी देर तक वहीं बैठीं रही उसके हाथ में एक किताब थी अधि मन ही मन कह रही थी बस कर बहन आज ही पढ़कर दुनिया का सारा ज्ञान खत्म कर देगी क्या
    ऐसा लगा जैसे उसने अधि के मन की बात सुन ली हो और किताब वहीं पर बंद करके रख दी और लाइट बंद कर चली गई...

    उसके जाते ही अधि दबे पांव से घर की एक एक चीज को टटोलना शुरू कर देती है और वान्या वहीं पर बैठी रही
    अधि टटोले मारते हुए एक कमरे में पहुंची वहां रखी अलमारी का ताला खोला बिल्कुल वैसे ही जैसे गेट का ताला खोला तभी उसे याद आता है गेट पर ताला और अंदर ये लाल परी खैर उसे तो खजाने से मतलब है सोचते हुए वो अलमारी खोलती है और अलमारी को देख कर उसका तो दिल गार्डन गार्डन हो गया
    वो अपने पीछे देखती है उसे किसी के होने का अहसास हुआ उसे लगा वान्या है पीछे किसी को ना पाकर वो वान्या को कोसते हुए कहती हैं डरपोक कहीं की फालतू का ज्ञान बांटना आता है बस😏 हुंह पता नहीं खुद को किस रियासत की राजकुमारी समझती है मेहनत मेरी तो ये सब भी मेरा
    वो अपना ध्यान वान्या से हटाकर फिर अलमारी पर लगाती है वहां रखे गहनों की चमक देख कर अधि की आंखें भी चमक उठी उसने पहले तो सब चीजों को जी भर देखा और फिर बिना वक्त गंवाए उन सब गहनों को समेटते हुए अपने बैग में भर लेती है और कमरे से बाहर निकल कर वान्या को ढुंढती है वो उसे कहीं दिखाई नहीं देती
    तभी उसके कंधे पर उसे एक हाथ महसूस हुआ वो पीछे मुड़कर देखती है तो कोई नहीं होता है वो इधर उधर देखती है तो उसे वान्या पीछे खड़ी थी,
    वो भी अपने बैग में कुछ भर रही थी ये देख कर अधि को बहुत खुशी और गर्व महसूस करती है
    तभी उसे याद आता है सब कुछ समेट ही लिया है तो चलना चाहिए
    वो वान्या का हाथ पकड़ कर दरवाज़े के पास पहुंची और दरवाजा खोलने को हुई पर इससे पहले की वो दरवाजा खोलती उससे पहले ही पीछे से एक आवाज आई रूको....!!!

    इस आवाज ने जैसे उन दोनों कि किस्मत के ताले की चाबी को छिन कर बहती नदी में डाल दिया उनसे न तो जाने को हो रहा था ना ही पीछे मुड़ने को वो जहां थी बस वहीं रह गई ..... वान्या का दिल डर के मारे जोरों से धड़कने लगा


    जारी है...😌😌

  • 3. इश्क दफन ए राज - Chapter 3

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    अधि हिम्मत करके पीछे मुड़कर देखती है उसी लड़की ने आवाज दी...
    वान्या डर के मारे कांपते हुए कहने लगी सोरी सोरी सोरी प्लीज़ आप हमें माफ कर दीजिए हमने जो कुछ लिया है वापस रख देंगे प्लीज़ हमें माफ कर दीजिए मजबूर नहीं होती तो ऐसा कभी कुछ नहीं करती मैं प्लीज़ आप जाने दीजिए हमें पुलिस को मत बुलाना प्लीज़ मैम मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हुं
    वान्या को इस तरह गिड़गिड़ाते हुए देख अधि उसके पीठ पर मारते हुए कहती हैं रूक जा मेरी मां इसे और आइडिया मत दे नहीं तो मैं पुलिस को बुला कर खुद अरेस्ट हो जाऊंगी और साथ में तु भी जाएगी तो प्लीज़ चुप हो जा
    वान्या बिल्कुल बच्चे की तरह शांत हो जाती है अधि की धमकी के बाद
    उसके बाद अधि अपनी जैकेट से गन निकालती है जो कि नकली थी पर अधि के अलावा किसी और को नहीं पता वो गन नकली थी
    अधि तिरछी मुस्कान देते हुए कहती हैं मैडम लाल परी हट जा पीछे नहीं तो छः की छ गोलियां भेजा खोपड़ी कनपटी दिल सब कुछ चीरते हुए निकल जाएगी तो सोच लो जान प्यारी है या पैसा
    वो लड़की अपने हाथों को आगे करते हुए कहती हैं तुम पहले शांत हो जाओ मुझे तुमसे कुछ बात करनी है पहले मेरी बात सुनो और इस गन को साइड में रखो
    वान्या अधि के हाथ में पिस्तौल देख कर खुद डर चुकी थी वो झिझकते हुए कहती हैं अधि एक बार के लिए बात सुन लो ना
    अधि उसे आंखें दिखाते हुए कहती हैं ये जो चाशनी इसके मुंह से टपक रही है ना ये इस को देख कर टपक रही है तु अलग ही लेवल की मुर्ख है 🙄 मत कर तु ये सब मैं खुद को गोली मारकर खत्म कर लुंगी

    तभी वो लड़की भड़कते हुए अधि के बिल्कुल सामने आने लगती है
    अधि उसके बढ़ते हुए कदमों को देख कर कहती हैं वहीं रूक जा नहीं तो मैं सच में मार दुंगी
    वो उसकी बात बिना सुने उसके सामने आकर कहती हैं मारो मारना है ना मार डालो, मुझे मौत से डर नहीं लगता और अगर नहीं मार सकती तो एक बार मेरी बात सुन लो इससे कहीं ज्यादा पैसे दे सकती हुं
    अधि वान्या को दरवाजा खोलने के लिए इशारा करती है लेकिन दरवाजा नहीं खुला

    वो लड़की हंसते हुए कहती हैं दरवाजा नहीं खुलने वाला अब तुम भी कैद हो

    अधि सर खुजाते हुए कहती हैं जल्दी खोल निकलते हैं यहां से ये वैसे भी पागल हो चुकी है मुझे भी कर देगी

    वान्या दरवाजे को धक्का मारते हुए कहती हैं नहीं अधि ये खुल नहीं रहा है
    अधि चिल्लाते हुए उस लड़की को कहती हैं दरवाजा खोल जल्दी नहीं तो गोली चल जाएगी
    वो लड़की सोफे पर बैठते हुए कहती हैं पिछले पांच सालों से यहीं कैद हुं मैं यहां लोग आते अपनी मर्जी से लेकिन जाते सब उसकी मर्जी से हैं
    अधि उसकी बातों को गौर से सुनते हुए पुछती है क्या मतलब किसने कैद कर रखा है
    वो लड़की उसका नाम नहीं ले सकती मैं वरना तुम लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है
    अधि उसकी बातों को समझते हुए कहती हैं तो तुम मुझसे क्या चाहती हो अगर मैं यहां कैद हो ही चुकी हुं तो फिर ये लालच क्युं दे रही हो मुझे, मुझे तो तुम्हारी बातों पर बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा तुम बस मुझे अपनी बातों में उलझाना चाहती हो और मौका देख कर पुलिस को फोन करोगी लेकिन ये याद रखना मैं इतनी मुरख बिल्कुल नहीं हुं कि किसी की भी बातो में आ जाऊं

    वो लड़की अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहती हैं मेरा नाम काव्या है
    अधि कहती हैं _ मैं अधि और बताओ कुछ कहने को हैं तो...? कहानी खत्म
    काव्या उसकी तरफ गौर से देखते हुए कहती हैं और अगर मैं तुम्हें कहुं मुझे इस कैद से सिर्फ तुम निकाल सकती हो तो...?
    अधि मुस्कुराते हुए कहती हैं _ और मैं ऐसा न करूं तो क्या कर लोगी तुम
    काव्या अधि को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहती हैं _ इतना तो मैं तुम्हें जान चुकी हुं तुम मेरे लिए कुछ नहीं करोगी लेकिन तुम पैसों के लिए चोरी कर सकती हो तो मेरा काम क्युं नहीं करोगी
    अधि झल्लाते हुए कहती हैं तुम्हें समझ में आ रहा है तुम क्या कह रही हो मुझे तुम फिलहाल पागलखाने से भागी हुई कैदी लग रही हो एक बार सुन कर देखो क्या बोल रही हो तुम मान लो यहां सब कैद है तो मैं कैसे जा सकती हुं और मैं जा सकती हुं फिर तुम क्यों नहीं तुमने मेरे दिमाग के तार हिला दिए हो क्या यार तुम
    काव्या समझाइश के लहजे में कहती हैं यहां से सिर्फ तुम बाहर जा सकती हो मैं नहीं और ना तुम्हारी ये डरपोक दोस्त
    वान्या अपने लिए डरपोक सुन कर अजीब सा मुंह बनाती है
    अधि इस बात को सुनकर कहती हैं मैं तेरी इस बात पर एग्री करती हुं 😂 लेकिन बाकी की बातें सच सच बता तु आगरा के पागलखाने से आई है ना
    काव्या चिल्लाते हुए कहती हैं मेरी बात अगर सुनने समझने की कोशिश करोगी तो समझ आएगी और इसमें तुम्हारा फायदा है और ये काम सिर्फ तुम कर सकती हो तुम ही मुझे बाहर निकाल सकती हो और इसके बदले में मैं तुम्हें वो सब कुछ दे सकती हुं जो तुम्हें चाहिए

    अधि _ ठीक है मैंने मान लिया तुम सच कह रही हो पर सिर्फ मैं ही क्युं मैं तो इतनी अच्छाई की मुरत भी नहीं हुं, मैंने तो पाप ही बहुत करें है फिर मैं क्युं🙄
    काव्या _ हर बात का एक हर एक चीज का एक कारण होता है इसका भी है
    अधि _ और इस बात का जो भी कारण है मैं बस वो जानना चाहती हुं बस🙄
    काव्या _ अभी सही वक्त नहीं है बताने का जब वक्त आएगा बता दुंगी फिलहाल बस ये याद रखो मैं तुम्हें तुम्हारे काम कि कीमत दुंगी


    आखिर क्यों सिर्फ अधि ही कर सकती हैं वो काम ....? ऐसा क्या कारण है इसके पीछे




    जारी है....😌😌

  • 4. इश्क दफन ए राज - Chapter 4

    Words: 1004

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि के सवालों पर काव्या एक चुपी साध लेती है और मुस्कराने लगती है
    अधि उसका ये रवैया देख कर कहती हैं मुझे ना ठीक ही लग रहा था तुम्हारे बारे में नहीं बताना है फिर मैं जा रही हुं अधि ने दरवाजा खोला तो वो आसानी से खुल गया लेकिन जैसे ही वान्या बाहर निकलने को हुई वो दरवाजा फिर से बंद हो गया अधि ने दरवाजा खोला बाहर निकली पर जैसे ही वान्या निकलने लगी फिर वही हुआ ये देख कर अधि चौंक गई थी और उसे काव्या की बात पर कुछ हद तक यकीन हो गया
    अधि फिर से अंदर गई और काव्या के चेहरे की तरफ ताकते हुए कहने लगी "मतलब तुम सच कह रही हो सिर्फ मैं बाहर जा सकती हुं, पर कैसे...? मतलब क्युं...?? मुझे तो कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा ये क्या हो गया...!!!

    इस पर काव्या मुस्कुराते हुए बोली मैंने पहली भी कहा और अब भी कह रही हुं हर एक चीज का हर एक बात का कोई न कोई अर्थ कोई न कोई सार जरूर होता है इसका भी है, पर मैं तुम्हें ये अभी नहीं बता सकती बस इतना जान लो तुम मेरे लिए बहुत कुछ कर सकती हुं बदले में मैं भी तुम्हें बहुत कुछ दे सकती हुं...!!!

    अधि ने भी अपनी चालाकी का प्रमाण देते हुए कहा मैं तुम्हारे लिए कुछ भी क्युं करूंगी जबकि मैं तुम्हें जानती भी नहीं हुं...

    काव्या ने अपने हाथ में एक लकड़ी का बक्सा उठाते हुए कहती हैं, मेरे लिए नहीं पैसे के लिए करोगी
    अधि ने अपनी नजरें बक्से पर टिकाते हुए कहती हैं यहां कि सारी चीजें तो मैं ऐसी ही बड़ी आसानी से लेकर जा सकती हुं फिर मैं क्युं कुछ करूं 🙄

    काव्या ने वो गहने का बक्सा अधि की ओर बढ़ाते हुए कहती हैं " ये सब तुम्हारा ही है पर इसके अलावा भी बहुत कुछ दे सकती हुं मैं तुम्हें शायद तुम मुझे जानती नहीं मैं कौन हूं...?

    अधि अपनी लालची निगाहें गहनों पर टिकाते हुए कहती हैं अच्छा काम में मन लगाने के लिए बताओ कौन हो तुम

    काव्या अपने जिंदगी के बीते सात सालों से पहले की जिंदगी में धुंधली सी झांक के साथ आंखों में आंसु भर कर कहती हैं मैं कोई आम इंसान नहीं हुं, और जब यहां से बाहर जाओगी तो पता चल जाएगा लेकिन अभी मैं तुम्हें ज्यादा कुछ नहीं कहुंगी शायद तुम विश्वास नहीं कर पाओगी
    अधि उसके बाद अपने सवालों को ज्यादा न कुरेदते हुए सीधा सा सवाल पुछती है ठीक है बताओ फिर मुझे क्या करना होगा फिर जिससे तुम यहां से बाहर निकल जाओ,


    काव्या विजयी मुस्कान के साथ कहती हैं तुम्हें तंत्र तोड़ना पड़ेगा उस तंत्र के टुटने के साथ ही ये कैद भी खत्म हो जाएगी मुझे मेरी आजादी और तुम्हें तुम्हारी क़ीमत मिल जाएगी

    अधि ने धन शब्द सुनते ही तपाक से सवाल किया कैसा तंत्र और कैसे टुटेगा वो
    काव्या ने जवाब में कहा ये तंत्र कोई भी तोड़ सकता है बस तुम्हें मेरी बताई जगह पर जाकर उस तंत्र के कलश को तोड़ना होगा उस कलश के टुटते ही उसकी शक्तियां खंडित हो जाएगी
    अधि ने अपनी आंखें चमकाते हुए कहा बस इता सा काम है मतलब eat five star do nothing 😂

    काव्या ने उसकी बचकानी बातों से झल्ला कर कहा इतना आसान भी नहीं है वहां पहुंचना
    अधि बीच में बात काटते हुए कहती हैं मैडम ऐसा कोई ताला नहीं जिसकी चाबी अधि के हाथ में नहीं और ऐसी कोई जगह नहीं जहां अधि पहुंच नहीं सकती हल्के में ले रही हो लाल परी तुम मुझे

    काव्या ने ज्यादा बहस न करते हुए कहा वो तो वक्त ही बताएगा

    अधि की नजर तभी वान्या पर पड़ी वान्या भी तो कैद हो चुकी थी, हो आमतौर पर वो इतना डरती है और यहां कैद होने पर खुश दिखाई दे रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था सदमे की वजह से ऐसी हो गई या ये लाल परी का नशा इसके दिमाग में चढ़ गया


    अधि वान्या के करीब जाकर उसे घुरती है 🙄 वान्या भी बदले में गुर्राती नजरों से देखते हुए बोली क्या हुआ इतना क्या घुर रही हो..?
    अधि ने मुंह खोल कर चौंकाने का नाटक करते हुए कहा अरी मोरी मैया तुम्हारे अंदर इतनी खुशी और जबान कैसे आ गई 😳
    वान्या ने अपनी आंखें भींचते हुए कहा क्या कहना चाहती हो तुम 😣
    अधि ने थोड़ा बनावटी गुस्से में कहा अरि ओ मजबूर महिला तु कैद है यहां पर और अभी तक रोई नहीं ऐसा कैसे हो गया
    वान्या जैसे वान्या रही ही नहीं हंसते हुए कहती हैं मुझे तो कैद ही होना था अब मुझे कोई डर नहीं
    अधि ने बीच में बात काटते हुए कहा और तेरी वो मजबूरी वो कहां गई 🙄

    वान्या ने हंसते हुए कहा वो भी मेरे साथ कैद हो गई 😂

    तभी वहां एक गाने की आवाज आने लगी

    रात में ही जागते हैं
    ये गुनाहों के घर
    इनकी राहें खोले बांहे
    जो भी आए इधर
    ये हैं गुमराहों का रास्ता

    मुस्कानें झुठी है
    पहचाने झुठी है
    रंगीली है छाई
    फिर भी है तन्हाई

    कल इन्हीं गलियों में इन्हीं मस्ककलियों में धुम थी...
    कल इन्हीं गलियों में मस्ककलियों में धुम थी...
    जो रूह प्यासी है जिसमें उदासी है वो है घुमती..

    सब को तलाश वही
    काश ये समझे कोई
    ये हैं गुमराहों का रास्ता

    मुस्कानें झुठी है
    पहचाने झुठी है
    रंगीनी है छाई
    फिर भी है तन्हाई

    हल्के उजालों में
    हल्के अंधेरों में जो इक राज है...
    हल्के उजालों में
    हल्के अंधेरों में जो इक राज है
    क्युं खो गया है वो
    क्या हो गया है कि नाराज हैं वो

    ए रात इतना बता तुझ को तो होगा पता
    ये हैं गुमराहों का रास्ता
    ए रात इतना बता तुझ को तो होगा पता
    ये हैं गुमराहों का रास्ता

    मुस्कानें झुठी है
    पहचानें झुठी है
    रंगीनी छाई है
    फिर भी तन्हाई है....

    ये सुन कर एक बार के लिए तो वान्या की हंसी गायब हो गई उसने काव्या की ओर चौंकते हुए देख कर कहा तुमने कुछ सुना...?

    ये सुन कर काव्या ने एक स्पष्ट सी ना उसकी ओर कर दी



    जारी है...😌

  • 5. इश्क दफन ए राज - Chapter 5

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि काव्या के दिए पते पर पहुंचने के लिए निकल जाती है अकेले क्योंकि वान्या तो कैद हो चुकी थी अब वो अकेली थी....

    अधि ने जैसे ही वो एड्रेस देखा उसने पहली बार देखा सुना वो नाम कंचनगढ़ ( काल्पनिक नाम है सुनेगी कैसे 😂) उसने अपने फोन में कंचनगढ़ के बारे में सर्च किया ये एरिया काफी बेकवर्ड टाइप का पिछड़ा हुआ ग्रामीण इलाका था संजानीस्तान का ( ये ये काल्पनिक राज्य है 🫣) इस इलाके को तंत्र मंत्र और काले जादू के लिए जाना जाता है, और तो और जहां आज लोकतंत्र का जमाना है यहां के लोग राजा महाराजा में बहुत मानते हैं यहां केवल राजपरिवार के लोग ही चुनाव में जीतते हैं अप्रत्यक्ष रूप से राजाओं का राज है,
    अधि का दिमाग घुम गया इस जगह का नाम सुनकर और इसके बारे में जान कर उसने जब पुरे एड्रेस को सर्च किया तब पाया की ये तो कंचनगढ़ के महल का पता है जहां राजपरिवार रहता है

    उसे वहां के राजा और फैमली की कुछ डिटेल्स भी मिली
    वहां का इस वक्त का राजा महेंद्र प्रताप सिंह कंचन था, जो कि वहां का हालिया नेता भी था ( सरनेम भी काल्पनिक है 🙄) उसके पिता राजेंद्र प्रताप सिंह कंचन की मौत के बाद महेंद्र प्रताप कंचन संजानिस्तान का मुख्यमंत्री भी रह चुका था

    उसने आगे देखा तो महेंद्र प्रताप सिंह कंचन कि दो जुड़वा बेटियां भी है
    राजकुमारी कृषा और राजकुमारी काव्या
    उसने काव्या के बारे में देखा तो बहुत सारे वीडियोज दिखे हर वीडियो के ऊपर था आखिर अचानक कहां गायब हो गई कंचनगढ़ की राजकुमारी काव्या कुमारी सिंह कंचन तो कहीं लिखा था उसकी रहस्यमय मौत हो गई जो किसी को पता नहीं

    अब उसे समझ में आया आखिर क्यों काव्या ने उसे कहा कि बाहर निकलते ही उसे पता चल जाएगा और उसे पता चल चुका था अब तक तो वो उसपर विश्वास नहीं कर रही थी और वापस घर जाने की सोच रही थी लेकिन जब पता चला ये लाल परी सिर्फ लाल परी नहीं माल परी भी है... उसने उस वीडियो को बंद करते हुए कहा साला ये लोग अलग ही लेवल के परेशान हुए बैठे हैं और वो लाल परी वहां भांग खाए बैठी है
    अगर वो लौटा उसको ले जाकर दे दिया तो जिंदगी स्वर्ग हो जाएगी


    दुसरी तरफ वान्या को देख कर काव्या ने कहा तुमसे पहले भी दो लोग आए थे यहां इस कैद में जी नहीं पाए और....
    कहते हुए उसने किचन के पास बने छोटे से गार्डन की तरफ इशारा किया जो कि घर के अंदर ही बना था पर बना इस तरह से था कि धुप पुरी तरह से अंदर आती..

    उसके इशारे को देख कर वान्या ने उस तरफ देखा सुखी जमी हुई मिट्टी जैसे उस मिट्टी ने कभी पानी देखा ही न हो और दो चार पेड़ जिनकी सिर्फ डालियां थी वो भी सुखी हुई और जमीन पर ढेर सारे सुखे पत्ते वान्या समझ चुकी थी काव्या ने उसे क्या कहा उसकी आंखें हैरान और डर से बाहर आ गई वो जोर जोर से लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी और न जाने क्यों उसे काव्या के चेहरे को देख कर एक भयानक डर महसूस हुआ, पर वो कुछ बोल नहीं पाई

    काव्या ने उसकी ऐसी हालत देख कर कहा डरो मत मैं तो बस ये कहना चाह रही थी तुम्हें कैद से डर नहीं लगता वान्या पहले से ही डरी हुई थी लेकिन पास रखा पानी का ग्लास लेकर पानी के साथ वो अपने डर को गटक कर बोली जिसकी जिंदगी ही कैद हो उसे कैद से कैसा डर वो आगे कुछ बोलने ही वाली थी कि उसे उल्टी आ गई और उसके मुंह से खून निकलने लगा
    और काव्या हंसते हुए कहती हैं वो पानी नहीं था और उसकी हंसी की आवाज और भी ज्यादा भयानक और गहरी हो गई उसके चेहरे में कोई बदलाव नहीं आया पर फिर भी न जाने क्यों वो भयानक लगने लगी

    वान्या उसे देख गिर पड़ी काव्या ने अपने लम्बे घने काले रात के अंधेरे जैसे बालों को झटका और उसके बाल गहरे और गहरे घने होते गए और अगले ही पल वान्या ने खुद को उस गहरे घने काले गुच्छे में गहराया पाया उसकी एक बहुत जोर की चीख निकली
    और उसी चीख के साथ उसकी नींद खुल गई और सामने उसने काव्या को पाया उसका डर और दहशत अब और भी ज्यादा बढ़ चुका था

    काव्या ने बहुत धीमी पर गहरी और डरावनी आवाज में पुछा कुछ हुआ क्या कहीं डर तो नहीं गई
    और उसके इस सवाल और भाव में एक घिनौनी हंसी छुपी थी वान्या उस हंसी को भांप चुकी थी उसने बस एक स्पष्ट सा जवाब दिया "नहीं "
    और उसकी नजर फिर उस गार्डन की तरफ थी
    काव्या ने वान्या को इस तरह उस गार्डन की तरफ देखते हुए पाया तो एक घिनौनी हंसी उसके मन में उठने वाले सवालों को परोस दिया
    अब तक वान्या बहुत कुछ समझ चुकी थी बस वो वान्या की चुप्पी का राज नहीं समझ पाई लेकिन वो इतना जान चुकी थी ये चुप्पी अब उसकी सांसों के साथ ही टुटेगी सब कुछ जानते हुए भी वान्या अनजान बने रहने में ही अपना फायदा समझ कर चुप रही


    दुसरी तरफ अधि अपनी आंखें में रंगीन सपने लिए अपने सफर की ओर बढ़ रही थी,
    उसके वो हसीन ख्वाब पैसों की नदी में गोते लगाना प्रिंसेस अधि बाहर बड़ी सी नेम प्लेट लगा कर एक खुबसूरत सा बंगला बनाना और वो लोग जो आज तक उसे पसंद नहीं करते थे या जो अभी भी नहीं करते उन सब के नाम की सुपारी दे कर उन्हें गुंडों से पिटवा कर उनके हाथ पैर तुड़वाने है...
    और कुछ लोग जो हद से ज्यादा नापसंद है उन्हें महंगी सी गाड़ी के टायर के नीचे देना है
    और वो दुकान वाले जो उसे उधारी देने से मना करते हैं उन सब पर तो झुठे केस बना कर जेल ही भिजवा देना है बह

    अब देखना ये होगा कि अधि के ये रंगीन ख्वाब पुरे होंगे या नहीं खैर ये तो तभी पता चलेगा जब अधि का सफर अपने मंजिल तक पहुंचेगा



    जारी है...😌

  • 6. इश्क दफन ए राज - Chapter 6

    Words: 1012

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि ने उस जगह और वहां के लोगों के बारे में जान लिया था और प्लैन भी कर लिया था कि किस तरह उस महल में घुसना और कैसे उन लोगों को बाटली में उतार कर वहां से वो कलश उड़ाना है और उसके बाद उनकी लाल परी को उनके घर लाएगी उसकी मां कभी खुशी कभी गम की तरह भागती हुई आकर अपनी बेटी को गले लगाएगी और उसका बाप आंखों से गंगा-जमुना बहाएगा और कहेगा कौन है वो जिसने मुझे मेरे कलेजे के टुकड़े से मिलवाया और फिर वो अपना हाथ बाहुबली की तरह उठाएगी भीड़ हट जाएगी और वो लोगों को चीरते हुए जाएगी और वो लोग आधी प्रोपर्टी तो दान कर ही देंगे  तभी बस का कंडक्टर आकर उसे कहता है टिकट टिकट और अपनी कर्कश आवाज से उसके मंहगे सपने को खराब कर देता है वो उसे चीर देने वाली नजरों से देखते हुए उसके हाथ में टिकट पटक देती है वो टिकट चैक करके उसे वापस देता है
    तो इस पर वो तंज कसते हुए कहती हैं थोड़ा और गौर से देख लो क्या पता इसमें तुम्हें तुम्हारी प्रेमिका दिख जाए 😏
    इसके बाद वो फिर से अपने हसीन और अमीर सपनों में खो जाती है

    दुसरी तरफ वान्या काव्या की तरफ देख कर कांपते हुए कहती हैं क्या किया तुमने उन लोगों के साथ
    और काव्या ने चेहरे पर बेमतलब की मासुमियत लाते हुए कहा कौन लोग किसकी बात कर रही हो तुम...?

    इस बात पर वो चुप हो गई और उसे अहसास हुआ वो बस एक सपना था पर वो सच के काफी हद तक करीब था और उसने उसको सच भी मान लिया था पर वो खुद से सवाल कर रही थी क्या ये सच था या सिर्फ एक सपना जो भी था उसके मन में काव्या के लिए एक डर बैठ गया ना जाने क्यों कुछ देर पहले तक बहुत खुबसूरत दिखने वाली काव्या इतनी डरावनी कैसे हो चुकी थी, वान्या बहुत डर चुकी थी उससे पर फिर न जाने क्यों उसकी नजरें बार बार उस पर जाकर ठहर जा रही थी
    उसकी आंखें कुछ तो बहुत अजीब और भयानक सा था उसकी आंखों में जो साफ नजर आ रहा था और उसके चेहरे की वो मुस्कान और उसके होंठों की रंगत बार बार उसे खुन की याद दिला रहे थे उसके बाल जैसे बहुत गहरा अंधेरा छुपा हो उनमें और काव्या को इस तरह देखते हुए वो देख लेती और उसकी नजर वान्या से मिल जाती वान्या का दिल दहल उठता उसे लगता जैसे वो अभी उसके अंधेरे बालों में खो जाएगी इस डर से वो फिर नजरें हटा लेती और इन सब में उसके दिल की धड़कनें उनकी रफ्तार बुलेट ट्रेन या फिर किसी बिगड़ैल नशेड़ी लड़के की गाड़ी की तरह दौड़ रही थी, उसे लग रहा था मानो आज इस डर से उसकी जान चली जाएगी उसका दिमाग सुन्न पड़ चुका था वो बस मौत का इंतजार करने लगी

    दुसरी तरफ अधि कंचनगढ़ पहुंच गई वहां पहुंचने के बाद सबसे पहला काम था रहने के लिए जगह ढुंढना जो कि बिल्कुल भी आसान नहीं था, क्योंकि कंचनगढ़ जैसी जगह पर रहने के लिए जगह ढुंढना मतलब zen z के लिए स्वर्ग लोक ढुंढने जैसा था,
    और ये बात अधि बहुत पहले ही समझ चुकी थी जब उसने कंचनगढ़ के बारे में सुना वो अंदाजा लगा चुकी थी ऐसा होगा और उसने वही पाया

    तो इस पर अधि ने अपने दिमाग के गधों को बैठा कर घोड़ों को काम पर लगाया और सबसे पहले तो उस शहर के वेश के गांव की सबसे सस्ती कपड़े की दुकान पर गई वो भी अपना खुबसूरत चेहरा छुपा कर और कुछ कपड़े खरीदे और खुद को काले कपड़े पहना कर थोड़ा बहुत तांत्रिक बनाया ये पहली सीढ़ी थी तंत्र का फायदा उठाने की

    और काले कपड़े पहन कर एक बकरे अर्थात अच्छे भले और भोले इंसान की तलाश में एक तरफ खड़ी हो गई तभी उसे एक लड़का आता दिखा जो दिखने में काफी मासुम था

    वो उसके पीछे चलने लगी और फिर अचानक बोली रूक जा... वो रूका और पीछे मुड़कर देखा
    वही पर अधि ने अपने अधुरे ख्वाब अर्थात एक्टिंग को पुरा करना शुरू किया रूक जा तेरी जिंदगी में तंत्र की माया है तेरी खुशियों पर काला साया है आगे मत बढ़ना वो जो तुझे चाहिए तुझसे दुर होता चला जा रहा है, ये तंत्र तुझसे तेरा सब कुछ छिन लेगा और जोर से राक्षसी हंसी हंसने लगी हाहाहीही हाहाहा हीहीही
    लड़के ने उसे घुरते हुए कहा दिन में पी रखी है क्या 🙄 बेवड़ी कहीं की😏
    अधि मन ही मन उसे कहती हैं मर जा गंदे नाले में डुब कर पहले ही बोल देता इतनी एक्टिंग वेस्ट करा दी,
    लेकिन वो अपना गला साफ करते हुए कहती हैं आएगा आएगा वो दिन भी आएगा जब तुझे मेरी बातों पर विश्वास होगा तब तक मैं जा चुकी होऊंगी,
    उसकी ये हरकतें दुर खड़ी एक औरत देख रही थी, वो भागते हुए उसके पास आकर उसके पैरों में गिर जाती है और हाथ जोड़ते हुए कहती हैं जय हो मैया हमारी जिंदगी में भी बहुत कष्ट है,
    उस औरत को देख कर पता नहीं क्यों पर अपने मोहल्ले की विमला आंटी याद आ गई जो ऐसे ही पैर पड़ती रहती है बाबाओं के उनके बच्चे नहीं हैं, अधि ने वही तीर मारते हुए कहा तुम्हें संतान का सुख नहीं मिला है ना पुत्री

    और इस पर वो औरत जोर जोर से जयकारा लगाते हुए कहती हैं जय हो माता जय हो आप तो अंतर्यामी है आपसे तो कुछ नहीं छुपा
    ये तीर निशाने पर लगने के बाद वो और भी ज्यादा कोन्फिडेंट हो जाती है और कहती हैं हां पुत्री हमें तो ये भी ज्ञात है तुम्हें सास का भी कष्ट है
    तभी वो महिला रोते हुए कहती हैं हां माता हां आप तो सच में अंतर्यामी है चुड़ैल ने जीना हराम कर रखा है 😣 इस पर अधि मन में कहती हैं तेरी सास का भी तेरे बारे में यही ख्याल है चुड़ैल 😂 उसका भी कष्ट दिख गया और तेरा पति तुम दोनों से पीड़ित हैं लगता है आज तो सच में शक्तियां आ गई है 😂




    जारी है...😌

  • 7. इश्क दफन ए राज - Chapter 7

    Words: 1006

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि ने उस औरत को अपने जाल में फंसा लिया और कहा पुत्री हमारे पास उपाय है जो तुम्हारे सभी कष्टों को समाप्त कर देगा, वो औरत खुशी से झुमते हुए कहती हैं हां हां माता जल्दी बताओ वैसे तो अधि को बहुत चिढ़ हो रही थी खुद आंटी हो कर उसे माता कह रही थी फिर भी कोई नहीं वो खुद को तसल्ली देते हुए मन ही मन कहती हैं इस जगह का नाम ही कंचनगढ़ है कंचन मतलब सोना और अब सोना ही सोना ही सोना होगा और खुशी के मारे ये शब्द सोना ही सोना वो बोल पड़ी तो उस औरत ने कहा हां हां माता आगे बताइए सोने का क्या
    उसके मुंह से निकल जाता है सोना मत पहनना 🙄
    वो औरत चौंकते हुए कहती हैं क्या माता ये कैसा उपाय है?
    वो बहुत बेपरवाही से कहती हैं स्वर्ण और श्रृंगार का त्याग कर दो पुत्री सब कष्ट खत्म हो जाएंगे हमने तुम्हें उपाय बताया अब बदले में तुम्हें भी हमारे लिए कुछ करना पड़ेगा
    वो औरत पैरों में गिरते माता पैसें नहीं है मेरे पास और रोने लगी वो भी विचित्र तरीके से उसका रूदन विलाप सुनकर अधि के मुंह से एक ही शब्द निकला फटा हुआ ढ़ोल वो ऊपर की ओर देखने लगी तो वो बात सम्भालते हुए कहती हैं पुत्री हमें भला पैसों का क्या मोह मैं तो यहां किसी को तकलीफ़ में नहीं देख सकती बस यहीं रह कर सब के कष्टों का निवारण करूंगी बस कहीं रहने का इंतजाम हो जाए
    इतना सुन कर वो औरत चहकते हुए उठती है और कहती हैं बस इतनी सी बात माता मैं तो घबरा ही गई थी 😥 आप बताइये कहां रहना है आपको कैसी जगह चाहिए मैं अभी इंतजाम किए देती हुं.....






    दुसरी तरफ
    वान्या अपने मन में बहुत सारी हिम्मत इकट्ठी कर कर काव्या से कहती हैं तुमसे एक बात पूछूं...? उसके शब्दों में अभी भी डर और झिझक थी जिसे काव्या भी बहुत अच्छे से समझ रही थी
    काव्या ने अपने लम्बे नाखुनो को निहारते हुए कहा पुछो ना
    एक बार के लिए वान्या सोचती है ना पुछे कहीं उसका सवाल उसे बुरा लग गया और उसके बालों का वो अंधेरा उसे कैद कर लेगा,
    पर फिर सोचती है जब इसने कह दिया और अब न पुछा तो ये कहीं नाखुन निहारते निहारते इन्हीं नाखुनो से नोंच कर मार डालेगी और फिर उन्हीं सुखे पतों के नीचे समाधि लगा देगी किसी को पता भी नहीं चलेगा 😣
    वो ये सब सोच ही रही थी कि तभी काव्या उस पर एक गहरी सरसरी नजर डालते हुए कहती हैं क्या हुआ क्या सोचने लगी और फिर एक तिरछी मुस्कान उसकी ओर बढ़ा दी बहुत घिनौनी दिखाई पड़ रही थी वो मुस्कान पता नहीं क्यों
    वान्या डरते हुए कहती हैं बस यही पुछ रही थी तुम्हारे घरवालों ने कभी तुम्हें ढुंढा नहीं...???
    काव्या उसकी तरफ घुरने लगी ये सुन कर और काव्या की इस प्रतिक्रिया पर वान्या की हालत ऐसी की काटो तो खून नहीं उसका चेहरा सफेद पड़ चुका था और उसके माथे पर पसीने की बुंदे नहीं पुरा का पुरा झरना दिखाई दे रहा था,
    तभी काव्या कहती हैं मेरे घरवाले भला मुझे क्यों ढूंढेंगे उन्हें तो लगता है मैं मर चुकी हुं उसके शब्दों में गहराई और चेहरे पर सख्ती का भाव था
    वान्या के पास इस वक्त कोई शब्द नहीं था ऐसा जो वो अब बोल सके उसे बार-बार बस यही लग रहा था कि उसके लिए उन सुखे पत्तों के नीचे काव्या ने जगह बना ली है अब तो बस उसको वहां तक जाना है, उसे कुछ नहीं सुझा वो अपनी आंखें बंद कर चुकी थी

    तभी उसे लगा जैसे उसके चेहरे के करीब कोई है उसने आंखें खोली तो काव्या उसके चेहरे के बिल्कुल सामने थी उसने अपनी सांसों को ही रोक लिया ताकि उसकी सांसें काव्या के चेहरे तक ना पहुंचे काव्या के सुर्ख लाल होंठों से सुर्ख लाल खुन टपक रहा था जैसे अभी अभी किसी इंसान को कच्चा चबा कर आई है 😳
    वान्या बस देखती रह गई वो चीखना चाहती थी पर उसमें इतनी भी हिम्मत नहीं बची कि वो चीख पाए उसने दो चार सेकण्ड और काव्या का ये भयानक रूप देखा और उसके बाद उसकी आंखें खुद ही बंद हो गई



    और दुसरी तरफ कंचनगढ़ का महल...
    वहां एक लड़का अपने परिवार के साथ बैठा था, लग रहा था जैसे उस लड़के के रिश्ते की बात हो रही थी उसके मां बाप बहुत खुश दिखाई पड़ रहे थे साथ में महेंद्र प्रताप भी बहुत खुश था
    ये लड़का था राज...
    पर उसके चेहरे पर कोई खुशी दिखाई नहीं पड़ रही थी, वो वहां से उठ कर बाहर चला गया
    काफी देर से एक लड़की उसे देख रही थी और उसके बाहर निकलते ही उसके पीछे पीछे चली गई, वो लड़का बाहर खड़े दो लड़कों के पास चला गया
    उस लड़की को आते हुए देख उनमें से एक लड़का उसे कोहनी मारता है, वो अपनी आंखों में गुस्सा भर कर घृणा भरें लहज़े में कहता है मुझे नफरत है इसके चेहरे से....उसकी बात सुनकर उस लड़की के कदम लड़खड़ा गए वो उसकी तरफ बढ़ते हुए कदमों को दुसरी दिशा में मोड़ देती है और एक कमरे में जाकर अपनी ही तस्वीरों को जला देती है और कहती हैं तुम कभी मेरा पीछा नहीं छोड़ोगी काव्या उसकी आंखों में आंसू थे और एक दर्द भी जो उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था अभी कुछ ही पल पहले तक तो वो कितनी खुश थी और अब इस पल मानो उस से उसका सब कुछ छीन लिया गया हो, अधिराज शायद कभी समझ ही नहीं पाएगा मुझे ये शब्द कहते कहते उसके आंसू गालों से नीचे लुढ़क गए,
    ये थी कृषा काव्या की बहन अब उसकी किस्मत थी या बदकिस्मती कि दोनों का चेहरा बिल्कुल एक जैसा था , क्या काव्या और कृषा के बीच है कोई गहरा राज दोनों बहनों को है अधिराज से प्यार.... क्या है कोई इश्क दफन ए राज


    आखिर ऐसा क्या किया काव्या या फिर कृषा ने कि राज को उसके चेहरे से नफ़रत हो गई... क्या क्या कारनामे किए हैं काव्या ने 😳😳






    जारी है....😌

  • 8. इश्क दफन ए राज - Chapter 8

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधिराज ( राज) जब कृषा को लेकर कहता है कि उसे उसके चेहरे से नफ़रत है तो उसका दोस्त मोहित देख लेता है पीछे से ये सुन कर कृषा को वापस मुड़ते हुए और वो गुस्से और बेचारगी भरे शब्दों में राज से कहता है कृषा ने सुन लिया उसे बुरा लगा होगा यार तु क्युं जानबुझ कर करता है ऐसा
    कृषा की ऐसी तरफदारी सुन कर राज मोहित को गुस्से से कहता है अगर इतना ही बुरा लग रहा है उसे तो जाकर अपने बाप को बोल दे नहीं करनी शादी मोहित इस पर बिना भाव के कहता है तो तु मना कर दे पर इसका जवाब वो जानता था
    इस पर राज तंज कसते हुए कहता है हां तो इतने दिनों से मैं भजन गा रहा हूं उनके सामने 😏 मेरे मां बाप अंधे हो चुके हैं महेंद्र प्रताप सिंह कंचन कि जायदाद के पीछे मैं सोचता था लड़कियों के मां बाप क्रुर होते थे 90,s की फिल्मों में बिजनेस नहीं चल रहा बड़े बिजनेसमैन से बेटी की शादी करवा दो नहीं पता था मुझे हीरोइन बना देंगे बात बात पर मरने की धमकी देते हैं 😣
    उसका दुसरा दोस्त इस बात पर हंस पड़ा और बोला तो प्रोब्लम क्या है...? कर ले कृषा से शादी तुझे वैसे भी काव्या पसंद थी दोनों दिखने में सेम ही तो है क्युं नखरे कर रहा है 🙄
    राज उसकी बात से चिढ़ जाता है और वहां से चला जाता है....








    दुसरी तरफ अधि उस औरत के साथ उसके घर जा रही थी उसके मन में बहुत जोर से ढ़ोल नगाड़े बज रहे थे उसे दिखाई दे रहा था वो कंचनगढ़ की महारानी बन चुकी है 😁 अपनी बेटी के प्यार में अंधा बाप अपना सब कुछ लुटा भी दे तो उसका क्या चला जाएगा
    ऐसे ही हसीन सपनों में खोई वो उसके घर पहुंच गई  , वहां पहुंचने के बाद उसने देखा उसका घर काफी साधारण था और जहां उसे रहने को कहा गया वो एक कुटिया या झोपड़ी जैसा घर के पिछले हिस्से में बना हुआ था मिट्टी का बना कच्चा मकान था उस मकान को देख कर तो अधि का मुंह बन गया पर उसने भी सोचा कौनसा उम्र भर रहना है दो चार दिन ही तो रहना है चार दिन का झोपड़ा उसके बाद ऊंची हवेली
    वो वहां साधु संत तंत्र तांत्रिक बनने की कोशिश करते हुए खुद को अत्यंत साधारण दिखाने लगी और सोचने लगी और क्या किया जाए तभी उसे मंदिर का ख्याल आया भगवान से अपने पापों की माफी भी मांग लेगी और थोड़ा दिखावा भी हो जाएगा
    और उस औरत अर्थात जानकी की सास बार बार छुप छुप कर उसे देख रही थी कि आखिर उसकी चुड़ैल बहु किसे ले आई घर पर और जानकी ने अपनी जग्गा जासूस सास की वजह से ही उसे घर के पिछले हिस्से में रहने के लिए कहा था लेकिन बुढ़िया की चील जैसी नजरों से कोई नहीं बच सकता तो अधि कैसे बच सकती थी....

    अधि मंदिर जाने के लिए उस घर से निकली और बुढ़िया भी दबे पांव उसके पीछे पीछे चल पड़ी और अधि अपने में मगन चली जा रही थी...
    उसे एक मां भद्रकाली का मंदिर दिखाई दिया वो खुद से बतियाते हुए उस ओर चल पड़ी और बुढ़िया के कदम एक पल के लिए भी न रूक रहे थे और आंखे बिल्कुल अधि के ऊपर जैसे वो कोई आंतकवादी हो...

    अधि मंदिर की हर एक सीढ़ी पर धीरे धीरे चढ़ रही थी और मन ही मन कह रही थी हे माता मेरे पापों के लिए मुझे माफ कर देना जो आज तक किए और जो थोड़े बहुत आगे करने वाली हुं बस एक बार अमीर हो जाऊं सब पाप कर्म छोड़ दुं बस तब तक थोड़ा ख्याल रखना और थोड़ी सी मदद भी कर देना उसके बाद आपको वो सारे नारियल चढा़ दुंगी जो अब तक नहीं चढाए बस आप इतनी सी और मदद कर दो इस बार सच में सच कह रही हुं 🫣

    जानकी की सास अब भी उसके पीछे थी अधि मंदिर के अंदर चली गई पर वो बाहर ही उसका इंतजार करने लगी....


    अधि जैसे ही बाहर निकल कर जाने लगी उसने उसे बहुत जोर की आवाज में कहा रूक
    अधि ने पहले घुरा फिर खुद को देखा और प्यार से कहा जी देवी आपने हमें पुकारा
    बुढ़िया ने तुनकते हुए कहा हां कौन है तु...?
    अधि फिर से अपने व्यवहार और स्वभाव से उलट कहती हैं देवी मेरी वेशभूषा और व्यवहार से आपको क्या लगता है कौन हुं मैं..?
    वो फिर से सवाल करती है पहले तो नाम देखा कभी तुम्हें यहां
    वो इसका उत्तर देते हुए कहती हैं मैं तो आज ही यहां आई हुं कैसे देखेंगी
    वो फिर उसकी तरफ एक और सवाल दागती है अधि की तरफ कहीं तुम वही तो नहीं...😳
    अधि मासुमियत के साथ कहती हैं वही से आपका मतलब
    इस बार वो उत्तर देती है और कहती हैं तुम्हें देख कर न जाने क्यों मुझे उसकी याद आ रही है तांत्रिक नारंग तुम कहीं उसी की पोती तो नहीं 😳
    अधि ने बिना कुछ सोचे हामी भर दी ताकि बुढ़िया ज्यादा नाटक न करें
    इस पर बुढ़िया अपना सिर पीटते हुए कहती हैं तुम लोगों को श्राप मिला था फिर यहां कैसे आई तुम..?
    अधि झुठ बोलने और कहानियां बनाने में माहिर थी इसी का परिचय देते हुए उसने कहा मेरा यहां आने का कोई कारण या इच्छा नहीं थी बस दादाजी की इच्छा का सम्मान करने के लिए यहां आई हुं 😌 पर मन में सोचने लगी अब इस नारंगी नारंग को दादा बनाया ये भी कांडी निकला 🙄
    वो ये सुन कर चौंक गई और कहती हैं तांत्रिक नारंग तो बीस साल पहले ही मर चुका था फिर कैसे
    अधि फिर से उसे बातों में उलझाते हुए कहती हैं वो आप लोगों के लिए मेरी विद्याओं में तो वो आज भी जिंदा है और एक तांत्रिक कभी मरता नहीं उसे मन ही मन अपनी बातों पर बहुत हंसी भी आ रही थी 🤣🫣 पर वो किसी तरह खुद को रोके हुए थी



    अब कहानी का नया किरदार तांत्रिक नारंग कौन है 😌


    जारी है....😌

  • 9. इश्क दफन ए राज - Chapter 9

    Words: 1016

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि और उस बुढ़िया दोनों की बात कोई और भी सुन रहा था फिलहाल अधि को तांत्रिक नारंग के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था इसलिए उसने ज्यादा नहीं सोचा पर बुढ़िया बहुत डर चुकी थी ये सब सुन कर

    तभी वो औरत वहां आ जाती है जो बहुत देर से कान लगा कर उन दोनों की बातें सुन रही थी और दुर से ही बहुत जोर से कहती हैं क्या कह रही हो लड़की तुम 😳

    अधि उसकी बात सुन कर मुंह बनाते हुए बुढ़िया से कहती हैं अब जे कौन है 🙄 बुढ़िया उस औरत को देखकर सकते में आ चुकी थी और भुत बन कर खड़ी थी अधि ने उसे झकझोर कर कहा कौन है ये तो वो बहुत ही मरियल सी आवाज में बोली ये महल की छोटी बहू है

    उसके इतना कहते ही अधि समझ गई जरूर ये महेंद्र प्रताप के छोटे भाई की बीवी है और शक्ल पर मक्कारी खुब दिख रही है जो कि आम टीवी सीरियल की वेम्प में दिखाई देती है दिखने में बहुत ही चालु लग रही है

    अधि उसके चरित्र का वर्णन अपने मन में कर ही रही थी कि वो धीमे से आकर उसे कहती हैं का बात कर रही हो तुम नारंग की पोती हो पता है या नहीं ये जगह श्रापित है तुम लोगों के लिए और तो और तुम्हारे परिवार का तो बहिष्कार भी किया जा चुका है फिर यहां कैसे आई तु तुझे पता है अगर महल में पता चला किसी को तो तेरा क्या हश्र किया जाएगा
    ये सुन कर अधि का दिमाग चक्कर खा गया उसने तो खुद को तांत्रिक और साधु संत बताने के लिए कुछ भी बोल दिया पर ये नारंग तो बहुत बड़ा वाला नारंगी निकला पर अधि ने भी सोच लिया जो होगा देखा जाएगा उसने फिर अपनी चालाकी दिखाते हुए आसमान की तरफ देखते हुए कहा जानती हूं ये जगह मेरे लिए खतरा है लेकिन मैं जो देख पा रही हुं उसे अनदेखा न कर सकी यहां मौत का तांडव मचने वाला है तबाही होगी लाशों के ढ़ेर लग जाएंगे वो साया सब कुछ तबाह कर देगा ये उजाला और शांति उस अंधेरे के पहले का संकेत है पर जब वो आएगा तो सब सर्वनाश होगा

    लेकिन अधि को कहां पता था आज उसकी जिव्हा पर सरस्वती विराजमान हैं

    उसकी बात सुनकर महल की छोटी बहू अर्थात देवन्या चौंक गई और उसे कहने लगी ऐसा क्या होने वाला है 😳 अधि अपने चेहरे की गम्भीरता को बढ़ाते हुए कहती हैं कोई तो बहुत आहत हुआ है यहां बस वही अपना बदला लेगा
    देवन्या अपने स्वभाव के अनुरूप कहती हैं वो सब बाद में पर पहले मुझे तुझ से कोई जरूरी बात करनी है वो बुढ़िया को आंखें दिखाते हुए कहती हैं बुढ़िया समझ कर वहां से चली गई
    अधि उसको घुरते हुए कहती हैं मुझसे बात... क्युं...?
    देवन्या अपना पल्लू सर पर और बढ़ाते हुए कहती हैं यहां नहीं चलो मेरे साथ
    अधि उसकी तरफ देख कर कहती हैं कहां और क्यों
    वो एक मंद और धीमी आवाज में उतर देते हुए कहती हैं बात तुम्हारे फायदे की है तो चलो और अधि का हाथ पकड़ कर ले जाती है अधि भी उसका कोई विरोध नहीं करती पर उसके मन में बहुत अजीब सवाल आता है मतलब महल के सारे ही लोगों को उसके फायदे की पड़ी है 🙄 ये रास्ता दौलत की तरफ जा रहा है या मौत की तरफ खैर कोई नहीं देखते हैं कितना फायदा है इसकी बातों में सोच कर अधि चल लेती है देवन्या के साथ






    और वहीं दुसरी तरफ वान्या खुद को होश में पाती है वो इधर उधर हर जगह देखती है उसे काव्या दिखाई नहीं देती वो एक पल के लिए राहत की सांस लेती है पर दुसरे ही पल जब वो अपने आस पास पसरे सन्नाटे को देखती है तो एक बार फिर उसे डर के काले बादल घेर लेते हैं आस पास का वो शांत माहौल जैसे उस शांति से एक ख़तरनाक भयावह चीख निकलेगी और वान्या के दिल को छलनी कर देगी अब तक वो काव्या से डर रही थी पर अब तो उसे यहां मौजूद हर एक चीज डरावनी नजर आ रही है, जब वो पहली बार यहां आई थी तो उसे वहां रखी हर एक चीज कितनी सुन्दर और सजीली लग रही थी पर अब मानो हर एक चीज में कुछ बहुत ही मनहुसियत सी दिखाई पड़ रही थी और रह रह कर उसकी नजरें बार बार उन सूखे पत्तों पर पड़ रही थी
    उसके सामने रखा पानी का ग्लास उसका गला सुख रहा था उसने पानी पीने के लिए ग्लास उठाया पर दुसरे ही पल उसे उस ग्लास में पानी की जगह खुन नजर आने लगा वो उस ग्लास को न रखने की हिम्मत रखती न पीने की और उसके कांपते हाथों से वो ग्लास छुट गया और नीचे गिर गया कांच के टुकड़े फर्श पर बिखर गए पर न तो उसे फर्श पर खुन नजर आया और न पानी
    उसने फर्श को हाथ लगा कर देखना चाहा वो गीला है या नहीं उसके हाथ में टुटे हुए ग्लास का कांच लग गया और उस छोटी सी चोट से इतना ज्यादा खुन निकला की उसे फर्श पर हर जगह बस खुन ही खुन दिखने लगा उसने घबराकर अपना अपने दुसरे हाथ में ले लिया और अपना मुंह सोफा के किनारे में दे दिया और वहीं दुबक गई लेकिन उसे फिर अहसास हुआ जैसे कोई पीछे से उसके बालों के साथ खेल रहा हो वो पीछे मुड़ी पर कोई नहीं था उसकी नजरें फिर उसी फर्श पर पड़ी वहां अब खुन नहीं था उसने अपने हाथ को देखा वहां भी चोट का कोई निशान नहीं था वो डर और गुस्से के मारे बहुत जोर से चीखी और सामने रखी टेबल पर मुक्के मारने लगी तभी उसकी नज़र सामने के शीशे पर पड़ी शीशे में वो खुद को देख रही थी उसके बाल पसीने और आंसुओं की वजह से उसकी गर्दन और गालों पर चिपक चुके थे रोने की वजह से आंखें सुज चुकी थी और लाल हो चुकी थी और चेहरे पर एक दहशत नजर आ रही थी वो खुद को ही पहचान नहीं पा रही थी




    जारी है....😌

  • 10. इश्क दफन ए राज - Chapter 10

    Words: 1007

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि को लेकर देवन्या एक सुनसान जगह पर आ गई अधि देवन्या को देखते हुए कहती हैं मारने वारने का इरादा है क्या 🙄
    देवन्या एक तीखी मुस्कान के साथ कह देती है कुछ ऐसा ही समझ लो , पर चिंता मत करो तुम्हें नहीं मारने वाली
    अधि कुछ तो समझ चुकी थी कि वो क्या कहना चाह रही थी पर एक बार उसके मुंह से सुन लेना ज्यादा बेहतर था उसने सब कुछ जानते हुए भी सवाल किया क्या मतलब देवन्या अधि की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और बोली पिछले नौ सालों से तंत्र विद्या सीखने कि कोशिश कर रही हुं पर अभी तक अपने इरादे में कामयाब नहीं हो पाई मुझे तुम्हारी मदद चाहिए बदले में जो तुम चाहो...


    अधि जितना समझ पाई वो बिल्कुल सही था उसने आगे सवाल किया किस पर चाहती हो तंत्र
    देवन्या अपने लाल रंग के छोटे से बैग जिसको देखकर ही लग रहा था कोई टोना टोटका डाला गया है इसमें से निकाल कर एक तस्वीर आगे कर देती है ये देख कर अधि चौंक गई ये औरत तो पुरी टीवी सीरियल से निकल कर आई है चालु कहीं की 😏 महेंद्र प्रताप को मार कर रानी बनना है इसे, और दुसरा मैं इसे खुनी खतरा खुनी साया दिख रही हुं जो सुपारी दे रही है 🙄 ये कहां आ गई मैं एक बार को उसने मना करना चाहा पर फिर उसने फुदकते हुए हां कह दिया और कहा बदले में मेरी दो शर्तें हैं एक तो मुझे पैसा चाहिए और दुसरा तुम मुझे महल के अंदर लेकर जाओगी
    देवन्या ने अधि की तरफ पैनी निगाहों से देखते हुए कहा पहली शर्त हमें मंजूर है पर दुसरी
    अधि अपने बालों से खेलते हुए कहती हैं देख लो रानी बनना है या सोचना है,
    चलो थोड़ी मदद किए देती हुं बोल देना घर में बहुत अशांति भरा माहौल है बस कुछ शांति और मन की शुद्धि के लिए देवी मां से मंत्र जाप करवाना है...,
    देवन्या को अधि के इह डेढ़ स्याणेपन से एक चिढ़ हो उठी वो सिर्फ इसलिए कि उसकी प्रवृत्ति ऐसी थी कि वो खुद को बहुत ज्यादा बुद्धिमान समझती थी पर अधि को देखकर पता नहीं क्यों पर उसे लगा वो उससे बेहतर है और यही बात उसे बहुत ज्यादा अखर रही थी और अधि ने भी मन ही मन भांप लिया कि चालुपंती की दुकान आंटी को जलन हो रही है और उसे उसको और भी ज्यादा चिढ़ाना था वो उसकी जलन से बहुत खुश हो रही थी क्योंकि अधि उन इंसानों में से हैं जिन्हें चाहिए कोई तो उससे जले वो मन मन सोचती है ये तो पता है मैं चालु हुं पर इतनी ज्यादा हुं नहीं सोचा था एक तो महल में भी घुस जाउंगी और इस आदमखोर आंटी से पैसे निकलवा लुंगी और यहां से रफुचक्कर हो जाऊंगी

    देवन्या उससे दूर जाकर फोन पर कुछ बात करने लगी

    अधि अकेले एक तरफ खड़ी थी क्योंकि फिलहाल के लिए उसकी एक ही समस्या थी कहीं देवन्या उसे तंत्र और तांत्रिक नारंग के बारे में ज्यादा सवाल न करें वरना तो दो मिनट में सारा खेल ताश के पत्तों कि तरह ढह जाएगा उसे जल्दी से जल्दी नारंग का पता लगाना है कि कौन था वो नहीं तो उसका नारंगीपना उसको मरवा ही देगा

    देवन्या फोन पर बात करने के बाद अधि की तरफ आ गई और कहती हैं चलो
    अधि भांप गई जाते वक्त वो जरूर कोई न कोई सवाल तो पुछेगी ही
    वो उसके साथ गाड़ी में बैठ गई और जैसे ही देवन्या कुछ कहने को हुई अधि ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया और कहा "मौन"
    और अपने होंठों को हिलाते हुए नाटक करने लगी मानो कोई मंत्र का जाप कर रही है और साथ ही साथ अपने सीधे हाथ की उंगलियों से खेलने लगी देखने से लग रहा था कोई बहुत बड़ा ध्यान लगाकर कुछ तो बहुत बड़ा करने वाली है
    लेकिन वो मन ही मन कह रही थी हे भगवान बचा लेना थोड़ा देख लेना मेरा भेद कहीं खुल गया तो यहां से मैं वापस किश्तों में जा पाऊंगी कभी हाथ जाएगा कभी पैर कभी कुछ बस जल्दी से जल्दी नारंग के बारे में पता चल जाए नहीं तो ये ध्यान लगाने का नाटक कब तक करूंगी और ज्यादा किया तो इस लोमड़ी को समझते देर नहीं लगेगी .......

    कुछ ही पलों में अधि ने खुद को महल के अंदर पाया उसकी तो आंखें चौंधिया गई वहां की रईसी देखकर उसका चोर दिमाग वहां रखी एक एक चीज के पैसे चोर बाजार के हिसाब से सब कुछ जोड़ने लगा करोड़ों ऐसे ही पड़े थे काश यहां हाथ मारने का मौका मिल जाए फिर कुछ नहीं चाहिए पर यहां हाथ मारना भी मुश्किल है बस एक बार वो कलश मिल जाए बिना हाथ मारे ही जिंदगी हसीन हो जाएगी

    वो अपने इन्हीं ख्यालों में खोई चले जा रही थी कि तभी सामने से आ रहे अधिराज से टकरा गई उससे टकरा कर उसके हसीन सपनों में खलल पड़ गई उसने झल्लाते हुए कहा क्या रेए दिखता नहीं है 😏 वो बिना देखे बोला सोरी वो फिर से चिढ़ गई उसकी ये सोरी सुन कर और बोली इन आंखों को गरीबों में दान कर दो 😏 वो फिर उसकी बात सुनकर थोड़ा मुस्कुराया फिर उसे अहसास हुआ उसने उसी को बोला है वो बोला बोला न सोरी वो फिर अपने सपनों में खोकर बोली चल जा माफ किया.... अधिराज उसे अजीब नज़रों से देखते हुए चला गया




    दुसरी तरफ कृषा अपने कमरे में बैठी थी ख्यालों में डुबी हुई सी उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे उसके चहरे के भाव उसके मन की सारी दशा का बयान कर रहे थे कि कितने दर्द और तकलीफ में है वो अपने सामने के शीशे में खुद को देख कर बोली आज मैं इस चेहरे को खुद से अलग कर दुंगी मैं जला दुंगी इसे बहुत हो गया अब मैं खुद को उससे अलग कर दुंगी आज मैं ये सब खत्म कर दुंगी वो अपने चेहरे को एक नफरत भरी निगाह से देखती है और घृणित लहजे में फिर से कहती हैं मुझे ये चेहरा नहीं देखना







    जारी है....😌

  • 11. इश्क दफन ए राज - Chapter 11

    Words: 1041

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि महल को चमकती आंखों से देखते हुए घुम रही थी कि चलते चलते वो कृषा के कमरे के पास पहुंच जाती है जहां उसे खिड़की से दिखाई देता है कि अंदर एक काले घुंघराले बालों वाली लड़की खुद पर कुछ डाल रही थी वो आगे बढ़ गई थोड़ा आगे बढ़ने के बाद उसे कुछ सुझा और वापस आई और लगा और वो जोर जोर से कमरे के दरवाजे पर लात मारने लगी
    और कुछ ही देर में वो दरवाजा टुट चुका था दरवाजे की आवाज सुन कर कृषा ने पेट्रोल अपने ऊपर उड़ेल कर लाइटर से खुद को आग लगाने ही वाली थी कि अधि ने पीछे से उसे लात मारी क्योंकि उस वक्त उसे कुछ और नहीं सुझा था....

    कृषा मुंह के बल जमीन पर गिर गई और उसके हाथ से लाइटर गिर कर बैड के नीचे चला गया

    ये सब शोर सुनकर अधिराज और घर के कुछ नौकर भी वहां चले आए अधिराज देख कर सारी स्थिति समझ गया उसने सभी नौकरों को वहां से जाने के लिए कह दिया कृषा उठी और अधि को मारने को हुई अधि के पैर ये देख कर फिर चल पड़े क्योंकि उसे दो दो झटके मिले एक तो ये कि जान बचाने के लिए थैंक्यू तो कहीं गया कमीनी मारने आ रही थी और दुसरा उसका चेहरा ये यहां है काव्या और मेरे साथ उधर टाइमपास कर रही है 🙄 स्कैम हो गया मेरे साथ
    वो काव्या को जान से मारने ही वाली थी कि तभी अधिराज दौड़ते हुए बोला कृषा क्या कर रही हो तुम ये सब
    अधि ने कृषा नाम सुनते ही अपनी जबान पर ताला जड़ दिया और अपने अंदर का सारा गुस्सा गटक गई लेकिन कृषा का क्या
    वो कृषा को जानलेवा नजरों से घुरती हुई कहती हैं मैं ना होती तो यहां प्लास्टिक की थैली की तरह जल जला कर जमीन पर चिपक जाती उल्टा मुझे ही मारने आ रही हो तमीज बेच कर पेट्रोल खरीद लिया क्या और मुंह बनाते हुए कहती हैं पेट्रोल कहां का बड़ा कम बजट था तुम्हारा ये भी केरोसिन है 😏
    अधिराज उसे विनती भरे स्वर में बोला आप प्लीज प्लीज दो मिनट के लिए बहार जाएंगी इसकी तरफ से मैं आपको सोरी बोलता हूं...
    अधि इतनी इज्जत पाकर बाहर चली गई 





    अधिराज कृषा की तरफ गुस्से से देखते हुए पुछता है क्या है ये सब क्या दिखाना चाहती हो ये सब करके
    कृषा आंखों में आसूं लेकर भर्राए गले से कहती हैं ये तो तुम खुद से पुछो राज
    अधि राज फिर वही भाव लिए कहता है तुम्हें क्या लगता है तुम खुद को तकलीफ़ दोगी ये सब करोगी और मेरा मन बदल जाएगा मत करो ये सब और मैं तुम्हें बहुत अच्छे से जानता हूं ये सब नाटक तुम्हारे तुम हर काम अटेंशन और सिम्पैथी के लिए करती हो और इन्हीं सब हरकतों की ही बदौलत मैं तुम्हारी शक्ल भी देखना पसंद नहीं करता
    कृषा उसे धक्का मारते हुए कहती हैं मेरी कोई बात तुम्हें क्युं समझ नहीं आती प्लीज़ ऐसे मत करो मेरे साथ
    वो थोड़े शांत लहजे में कहता है गलती इंसान एक बार कर सकता है पर दुसरी बार जानबूझ कर कभी नहीं कर सकता और जो जो तुम सोच रही हो वो तो होने से रहा...वो कुछ बोलने को हुई की अधिराज ने बीच में बात काटते हुए कहा बस मुझे और कुछ नहीं कहना और सुनना तो बिल्कुल भी नहीं है हो सके तो कुछ दिनों के लिए इन हरकतों को मत दोहराना और बाहर निकल गया उसके जाने के बाद कृषा जमीन पर बैठ कर फुट फुट कर रोने लगी

    दुसरी तरफ अधि को ये तांत्रिक नारंग की टेंशन थी कि कुछ भी करके थोड़ा बहुत पता तो लगाना पडेगा नहीं तो कभी भी वो फंस सकती है

    तभी अधिराज उसके पास आकर कहता है थैंक्यू एंड सोरी और प्लीज़ जो भी हुआ आप किसी को कुछ बोलना मत अधि ने ज्यादा कुछ न सोचते हुए जवाब दिया हम्म और दुसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई और फिर अपनी चालाकियों से आई मुसीबतों के बारे में सोचने लगी
    अधिराज वहीं खड़ा रहा और बोला वैसे आप है कौन...? अधि अपना नाखुन चबाते हुए वहीं खड़े खड़े कहती हैं मैं मैं
    अधिराज फिर सवाल करता है कुछ काम है आपको किसी से अधि को ध्यान नहीं रहा और उसके मुंह से निकल गया तांत्रिक नारंग
    अधिराज ने चौंकते हुए पूछा क्या क्या कहा तुमने अभी
    अधि उसकी तरफ मुड़ते हुए कहती हैं क्या बात है आप से तु क्योंकि वो बस बात बदलना चाहती थी
    अधिराज ने इस बात को नजरंदाज करते हुए कहा तांत्रिक नारंग के बारे में क्या कहा तुम जानती हो उसे अधि ने बहुत ही आराम से कहा बिल्कुल नहीं जानती पर लोगों से उसके बारे में हद से ज्यादा सुन लिया तो बस मुंह से निकल गया वैसे तुम महल के चौकीदार हो🙄
    अधिराज ने उसकी तरफ देखा फिर खुद को देखा और कहा तुम्हें किस एंगल से चौकीदार दिखता हुं मैं वो अपना सर खुजाते हुए बोली ऐसे फालतू सवाल ना चौकीदार ही करते हैं जाओ अभी यहां से


    दुसरी तरफ वान्या खुद को अब उस घुटन और डर के माहौल से आजाद करना चाहती थी वो दरवाजे को खोलने की कोशिश कर रही थी पर दरवाजा नहीं खुल रहा था वो दरवाजे को बुरी तरह पीटने लगी फिर भी नहीं खुला वो वहां पर रखी टेबल दरवाजे पर मारती है पर वो नहीं खुला
    वो खिड़की के पास गई और टेबल से खिड़की का कांच तोड़ दिया पर जैसे ही वो कांच टुटकर बिखरा किसी ने बहुत जोर से पीछे से उसके बाल पकड़ कर नीचे गिरा दिया कांच के टुकड़ों पर उसे डरावनी आवाज में वान्या वान्या वान्या ही सुनाई दे रहा था और एक भयानक हंसी वान्या की सांसो की गति बहुत धीमी पड़ गई और उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा पर फिर भी वो उठने की कोशिश करती है उठकर दो कदम ही चलती है कि लड़खड़ा कर फिर से गिर पड़ती है फिर से वो कांच के टुकड़े उसके शरीर पर चुभे लेकिन वो फिर उठी इस बार एक जोरदार धक्का मारा गया उसे पीछे से और वो दिवार से टकरा कर गिर गई उसका शरीर खुन से लथपथ था अब उसमें उठने की हिम्मत नहीं थी उसने हार मान ली और अपनी आंखों को अंधेरे को सौंप दिया

  • 12. इश्क दफन ए राज - Chapter 12

    Words: 1084

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि देवन्या के बताए कमरे में अपना बैग उठा कर आ गई कमरा इतना बड़ा था जितना की उसका पुरा का पुरा घर वो बैड पर पसरते हुए कहती हैं बस अब जैसा सोचा है वैसा हुआ तो लाइफ सेट है 😌 और उसके चेहरे पर एक चमक आ गई क्योंकि अब वो दिन दूर नहीं था जब अधि अमीर होने वाली थी....
    वो अपनी जिंदगी के बारे में सोचने लगी बचपन में अनाथ आश्रम में पली थी वहां से बहुत बच्चों को गोद लिया जाता था पर अधि का गुस्सा उसने कभी उसकी जिंदगी में वो दिन आने ही नहीं दिया अक्सर वो बच्चे अपने मां बाप के साथ वापस आते उसी आश्रम में दान देने बहुत चिढ़ होती उसे फिर उसने मान लिया मां बाप भाई बहन नाते रिश्तेदार कोई कुछ नहीं होता पैसा है तो सब है उसने तब से ठान लिया अपनी मां बाप भाई बहन सब कुछ वही हैं और उस दिन से अधि ने चोरी चकारी डाका कोई काम मिला तो वो भी कर लिया उसके वो नन्हे कदम अनाथ आश्रम से भागते वक्त लड़खड़ाए थे उसके बाद दुबारा कभी उसके कदम न लड़खड़ाए आज फिर न जाने क्यों उसे सब कुछ याद आ रहा था इतने सालों में कभी याद नहीं किया उसने वो पैसों को लेकर इतना ज्यादा उलझ चुकी थी उसे अपना अकेले गुजरा बचपन याद कर के रोना आ गया फिर कुछ ही पलों में उसे होश आया कि वो रो रही है फिर खुद से ही हंसते हुए कहने लगी अमीरों के लछण भी आ ही गए मुझमें भी रोना धोना टाइप्स 😂 गरीबी में तो पैसा ही नाचता है आंखों के आगे कुछ नजर नहीं आया


    तभी उसे फिर से देवन्या याद आ गई वो चंट चालु लोमड़ी फिर कुछ कहने सुनने आएगी वो पहले ही देवन्या के पास चली गई और कहा सुनो अभी दस बजकर नौ मिनट हो रहें हैं दस बजकर पंद्रह मिनट से लेकर तीन बजकर तैंतीस मिनट तक मेरे कमरे में बाहर से चींटी भी नहीं आनी चाहिए वरना अनर्थ हो जाएगा ध्यान रहे देवन्या कुछ बोलना चाह रही थी पर अधि ने गहरी सी आवाज में कहा चलती हुं इस बात का ध्यान रहें और हां किसी भी प्रकार की तांक झांक करने की कोशिश भी मत करना वरना जो चाहती हो वो कभी नहीं मिलेगा और चुपचाप निकल गई देवन्या उसकी तरफ देखती रह गई सच में अधि ने अगर फिल्मों में काम किया होता तो उसे ओस्कर मिल चुका होता देवन्या जो खुद तंत्र मंत्र जानती है वो भी नहीं पकड़ सकी अधि की चाल....!!!


    अधि अपने कमरे में आई और कमरे को अन्दर से बंद कर अपने कपड़े बदल कर खिड़की से कूद कर बाहर आ गई काले कपड़े और वो भेष बदल कर अब वो बहुत अलग लग रही थी उसे बहुत करीब से देख कर पहचाना जा सकता था लेकिन दुर से देखने पर तो उसे जानने वाले भी न पहचाने फिर देवन्या के पहचानने का तो सवाल ही नहीं उठता
    उसके पास ज्यादा कुछ तो नहीं था तांत्रिक नारंग के बारे में पता करने के लिए वो वापस उसी बुढ़िया जानकी की सास के पास गई जो कि अपने घर के दरवाजे के बाहर बैठी थी, अधि ने दुर से ही उसे देखकर बातचीत शुरू करने के बहाने से बहुत अदब से उसे प्रणाम नमस्कार किया और कहा हाय आंटी मेरा नाम ना शिवानी आप यही की हो बुढ़िया ने बिना उसकी तरफ देखे कहा हम्मम उसने फिर सवाल किया आपको पता है मैं यहां ना घुमने आई हुं बड़ी अजीब सी जगह है ये मैंने तो सुना है यहां ना तंत्र मंत्र को बहुत मानते हैं लोग सच में ऐसा होता है क्या यहां बुढ़िया अपने घर के दरवाजे के पास से उठ गई और अंदर जाने को हुई और फिर से अधि को ना देखते हुए कहा मुझे नहीं पता इससे पहले की वो दरवाजा बंद कर दे अधि बहुत तेजी से कह देती है अच्छा तो फिर तांत्रिक नारंग कौन है
    बुढ़िया दरवाजे को पकड़े हुए थी उसे बंद करने के लिए लेकिन तांत्रिक नारंग का नाम सुन कर वहीं खड़ी रह गई और नजरें उठा कर अधि को देखते हुए कहा कौन है तु..? सच सच बता
    अधि_ इसमें क्या सच झुठ बताऊं मैंने बस इस नारंग के बारे में सुना और पुछ लिया 🙄
    लेकिन बुढ़िया जानती थी कंचनगढ़ में तो कोई ऐसे बात नहीं करता नारंग की फिर कैसे
    आधि भी समझ गई बुढ़िया के मन में कुछ चल रहा है और वो कुछ नहीं बताने वाली अधि ने अपने कदम महल की तरफ वापस मोड़ लिए कि तभी आधे रास्ते चलते हुए उसी किसी की आवाज सुनाई दी "रूको"...!!!

    अधि ने उस आवाज पर ध्यान नहीं दिया फिर दुबारा किसी ने कहा " मैंने कहा शिवानी रूको"...!!!
    इस बार वो पीछे मुड़ी और देखा अधिराज उसके पीछे खड़ा था
    अधि_ अपने आगे पीछे देखते हुए बोली तुम्हारी कोई अदृश्य प्रेमिका भी है...?
    अधिराज _ ज्यादा नाटक नौटंकी मत करो खिड़की से कूद कर यहां आई और अभी उस औरत को अपना नाम शिवानी बताया और तांत्रिक नारंग के बारे में क्या जानना चाहती हो और क्युं, मैंने इससे भी पहले तुम्हारे मुंह से ये नाम सुना था सच सच बताओ क्या चल रहा है 🙄
    अधि _ मैं क्यों बताऊं तुम्हें और आगे बढ़ने लगी
    अधिराज _ सोच लो तुम अगर मैंने सब को बता दिया फिर पता चलेगा इस क्युं का जवाब
    अधि_अधि झटके से पलटते हुए कहती हैं "शक्ल देखो अपनी कितने हैंडसम स्मार्ट इंटेलीजेंट और शरीफ हो ऐसा करने की तो आप कभी सोच भी नहीं सकते हैं सर "
    अधिराज _ तो मैं जो पुछ रहा हुं चुपचाप बता दो नहीं तो ठीक नहीं होगा तुम्हारे लिए
    अधि_ गिड़गिड़ाते हुए मैं तो मैं तो तांत्रिक नारंग की पोती हुं बस ऐसे ही....

    अधि की बात पुरी भी नहीं हुई कि इतना सुनकर अधिराज बीच में बोल पड़ा तुम नारंग बाबा की पोती हो
    अधि_ हां किसी को बताना नहीं
    अधि बोलती जा रही थी कि अधिराज अचानक से उसके गले लग गया और कहा" मनु"
    उसकी इस हरकत पर अधि ने उसे धकलेते हुए कहा ऐसी हरकत दुबारा कर दी ना कभी तो सिर में मुक्का मार कर खरबुजे की तरह खोल दुंगी
    अधिराज को अपनी ग़लती का अहसास हुआ वो दो तीन कदम पीछे जाते हुए बोला _ i am really sorry मनु तुम्हें इतने सालों बाद ऐसे यहां देख कर बस और इतना कह कर उसने अपनी नजरें झुका ली

    और अधि को अंदाजा लग चुका था कि वो बहुत बुरी तरह फंस चुकी है


    जारी है....🙂

  • 13. इश्क दफन ए राज - Chapter 13

    Words: 1006

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि अब तक समझ चुकी थी कि अधिराज और तांत्रिक की असली पोती का कोई न कोई तो कनैक्शन रहा होगा जिसका नाम मनु था तो उसने सोचा क्युं ना उसी से कुछ बातें निकलवाई जाए
    अधि_ पता है मैं यहां क्युं आई
    अधिराज _ बहुत मिस किया तुम्हें कभी सोचा नहीं था वापस आओगी मैं नहीं जानता क्युं आई हो बस तुम्हें यहां फिर से देखकर अच्छा लगा
    अधि मन में सोचते हुए कितना पकाता है ये आदमी मैंने इसलिए पुछा कि कुछ पुछे मुझसे फिर मैं वो कहानी बताऊं जो मैंने बहुत सोच समझ कर बनाई है अबे पुछ ना😣😣 पुछ ले
    अधिराज _ मुझे समझ नहीं आ रहा क्या कारण है कि तुम्हें यहां आना पड़ेगा
    अधि _ यहां से जाने के बाद मेरी तो पुरी जिंदगी बदल गई मेरी फैमिली का एक्सीडेंट हो गया और मैं अकेली रह गई और एक अनाथ आश्रम में पली पर बचपन की यादें हमेशा से मेरे साथ थी बस आ गई वापस यहां आकर पता चला शापित और बहिष्कृत पता नहीं क्या क्या ( अधि ने बहुत सोच समझ कर ये कहानी बनाई थी)
    अधिराज _ बहुत दिनों तक मुझे भी इस सब के बारे में नहीं पता था सच है या झुठ मैं ये तो नहीं जानता पर लोगों से सुना था नारंग बाबा ने महाराज महेंद्र प्रताप के पिता राजेंद्र प्रसात को अपने तंत्र से मारा था पर मेरा मन इस बात के लिए नहीं मानता वो ऐसे तो नहीं थे...!!! उसके चेहरे के भाव उसके शब्दों की सच्चाई को बयान कर रहे थे
    अधि _ माना इस लिए हमारे परिवार को बहिष्कृत कर दिया गया पर ये शापित मुझे ये समझ नहीं आया
    अधिराज _ मनु तुम्हें तो पता है ये कंचनगढ़ है लोग जीने के लिए खाने से ज्यादा जरूरी तंत्र मंत्र को मानते हैं, तुम्हें विशादानंद याद है जो कंचनगढ़ के सबसे बड़े तपस्वी है उन्होंने ही श्राप दिया था और उस श्राप के चलते ही नारंग बाबा की मौत हो गई और तुम्हारे परिवार को भी श्राप मिला था यहां आने पर तुम लोग तबाह हो जाओगे कुछ देर रूक कर उसने कहा मनु मैं नहीं मानता इन सब में पर तु चली जा यहां से सबसे पहले तो अगर किसी को तेरा सच पता लगा तो ये लोग मार डालेंगे तुझे और क्या पता सच में वो श्राप इतनी मुश्किलों के बाद तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ी हो
    अधि _ ऐसा कुछ नहीं होता मुझे भी यहां रहना है मेरी फैमिली के साथ मेरी यादें हैं यहां ( बस वो तंत्र मंत्र मिल जाए फिर तो जाना ही है 🙄 इस सारे ड्रामे से पीछा छुटे)
    अधिराज _ मेरे अलावा और किस किस को पता है तु यहां है...? और तु महल में कैसे आई
    अधि को अधिराज की बातों में सच और मनु जो भी है उसके लिए सच्ची दोस्ती नजर आई उसने तो उसने उसे बताया....
    अधि_ महल की छोटी बहू देवन्या उनको पता है
    अधिराज _ मतलब अपनी मौत का इंतजाम करके बैठी है तु देवन्या चाची वो तो न्युज पेपर में एड देंगी मैं बोल रहा हूं अभी के अभी निकल जा यहां से
    अधि _ उनकी चिंता मत करो वो कुछ नहीं कहेंगी किसी से और प्लीज़ मत पुछना क्यों क्योंकि अभी मेरा बताने का मुड नहीं है
    अधिराज_ अच्छा ठीक है नहीं पुछता पर तुझे मैं याद तो हुं ना, मैंने तो तुझे बहुत मिस किया हर दिन
    अधि _ तुमसे थोड़ा कम याद किया होगा पर भुली तो बिल्कुल भी नहीं ( भुलुंगी या याद तो तब करूंगी जब पता हो कि हो कौन नाम भी नहीं पता)
    अधिराज _ अच्छा तो मेरा नाम याद है...?
    अधि अपनी सोच में खोई जवाब नहीं देती अधिराज फिर से कहता है नाम...?
    अधि अपनी सोच में डुबी युं ही बोल गई अधि
    ये बोलने के बाद पता चला उसे कि उसने क्या बोल दिया
    अधिराज एक मुस्कान के साथ बोला _ थैंक्स गॉड मैं याद हुं तुझे
    अधि को बड़ा अजीब लगा वो मन में सोचने लगी ये भी अधि और मैं भी अधि आज तक तो बड़ा नाज था मुझे अपने नाम पर लेकिन इतने बोरिंग बंदे का नाम भी यही है बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही है आज मुझे 😣

    वो दोनों चलते चलते महल के करीब पहुंच गए
    अधि_ वैसे वो लड़की कौन थी...?
    अधिराज _ वो कृषा थी महेंद्र प्रताप सिंह की बेटी
    अधि _ इतने बड़े और अमीर आदमी की बेटी का मन क्युं भर गया जिंदगी से पेट्रोल नहीं कैरोसिन डाल कर मरने वाली थी
    अधि राज _ वो बहुत लम्बी और उलझी हुई कहानी है अभी नहीं और हां जहां से आई थी वहीं से अंदर जाना यहां अंदर मुझसे बात की तो इन लोगों को समझते देर नहीं लगेगी
    अधि हां में सर हिलाते हुए खिड़की से लटक कर वापस अपने कमरे में चली गई


    दुसरी तरफ कृषा ने अपने कमरे का सामान तोड़ फोड़ कर कमरे को एक दम फैलाया हुआ था ( जैसा कि आमतौर पर अमीर लोग करते हैं)
    ये सब देख कर उसकी मां संध्या उसके पास आई और घबरा कर बोली क्या हुआ कृषा बेटा ये सब क्या हाल बना रखा है तुने
    कृषा गुस्से से कहती हैं _ जो भी हुआ है आप ही कि वजह से हुआ है निकल जाइए यहां से और इतना कह कर अपने कमरे से धक्का मार कर बाहर निकाल देती है और कमरा अंदर से बंद कर देती है उसकी मां रोते हुए वहां से चली जाती है



    वान्या खुन से लथपथ अभी भी वहीं उस दीवार के पास पड़ी थी उसकी आंखें खुली उसने खुद को वही पाया उसने उठने की कोशिश कि पर वो उठ नहीं पाई वो रेंगते हुए दरवाजे के पास गई और दरवाजा पकड़ कर खड़े होने की कोशिश की इस कोशिश में वो दो बार नीचे गिरी पर फिर भी खड़ी हो गई और लड़खड़ाते हुए कदमों से धीरे धीरे वो पुरे घर में काव्या को ढुंढते हुए घुमती है उसके पैरों से अभी भी खुन बह रहा था उसके पैरों के निशान के साथ साथ उसका खुन भी पुरे घर में फैल चुका था



    जारी है....🙂

  • 14. इश्क दफन ए राज - Chapter 14

    Words: 1029

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि को नारंग के बारे में जितना पता करना था वो कर चुकी था अब उसे काव्या का वो कलश उठाना था बस पर वो इस महल में कहां है बस यही पता लगाना है और उसे काव्या ने बताया था वो कलश महल के उस हिस्से में है जहां अक्सर लोग जाने से परहेज़ करते हैं डरते हैं 🙄 और उसे अब तक तो ये भी समझ आ चुका था कि उसे इसका पता कैसे लगाना है वो महल में इधर उधर घुमने लगी अधिराज को ढुंढते हुए अधिराज तो नजर न आया लेकिन एक आदमी दिखा जो दिखने में ही डरावना था बाकी लोगों के लिए लेकिन अधि ने उसकी शक्ल देख कर मन में सोचा कैसा आदमी है ये इसकी शक्ल मजाक सी है 😂
    वो आदमी अधि की तरफ बढ़ने लगा उसकी दोनों आंखें अलग अलग थी एक भुरी चमकीली और मोटी दुसरी छोटी सी जो कि नीली थी और बड़ी बड़ी बल खाई मुंछे जिनको अधि ने चुहे की पुंछ से कम्पेयर किया और उसके होंठ जैसे कोयले का व्यापार करता है वो अधि के पास आया और बोला कौन है आप...?
    अधि ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा _ आप कौन
    वो आदमी _ हमारे महल में आकर हमसे सवाल कितना अजीब है ना...!!! वो ये अधि को धिक्कारते हुए बोला
    अधि _ अजीब तो है यहां की आबो हवा वातावरण सब कुछ , सब कुछ कितना अशांत है ना ( क्योंकि अधि उसके शब्दों से समझ गई यही महेंद्र प्रताप सिंह हो सकता है)
    वो आदमी _ कहना क्या चाहती है आप...  वो सब कुछ समझते हुए भी सवाल कर रहा था
    अधि _ यही की ये अशांति मौत के तांडव में तब्दील हो जाए इससे पहले इसका कुछ निवारण करना होगा
    वो आदमी _ हमें अभी तक जवाब नहीं मिला कौन है आप..?
    अधि _ आप ये समझ लिजिए हम आपके लिए शांतिदूत है जो अशांति को खत्म करने आएं हैं 😌 लेकिन आप कौन...?
    वो आदमी _ हम देव प्रताप सिंह
    अधि मन में सोचती है ओह तो ये देवन्या का पति देव हैं सही है ऊपर वाले क्या मैच ढुंढा है 🙄 लेकिन ये जोड़ी आसमान में बनी थी तो वहीं रह लेने देते ना😏
    वो आदमी कुछ देर रूकने के बाद फिर बोला देवन्या से हमें जानकारी मिल चुकी है जितना जल्दी हो ये काम खत्म करो
    अधि _ जितना हो सके जल्दी से ये काम खत्म होगा अब मुझे लगता है मुझे जाना चाहिए

    अधिराज पर्दे के पीछे खड़ा मनु अर्थात अधि और चंट चाचा मतलब देव चाचा की बातें सुन रहा था और सोच में पड़ गया आखिर कौनसा काम करने वाली है मनु

    देव अधि का जवाब जान कर जा चुका था अधि भी अधिराज को ढुंढने लगी लेकिन अधिराज ने उसका हाथ पकड़ कर उसे खींच लिया और कहीं ले जाने लगा अधि अपना छुड़ा कर बोली _ ये क्या हरकतें है तेरी 🙄
    अधिराज बिना कुछ बोले फिर से उसे खींचते हुए ले गया तभी सामने से एक लम्बी सांवली खुबसूरत बालों वाली लड़की आती हुई दिखाई दी वो दोनों कोने में छिप गए अधि को वहां जाते ही छिंक आ ही गई थी लगभग कि अधिराज ने उसकी नाक पर हाथ रख दिया और कुछ देर बाद उसे कुछ महसूस हुआ उसने बहुत बुरी शक्ल बना कर अधि कि ओर देखा और अधि ने अपनी बत्तीसी दिखा दी 😁
    अधिराज को उसकी इस हरकत पर गुस्सा आया वो उसके कपड़ों पर हाथ पोंछ कर बदला लेने ही वाला था कि अधि ने उसका हाथ पकड़ कर उसके शर्ट पर रगड़ दिया और मासुमियत से कहा _ टेंशन मत लो साफ हो गया हाथ
    अधिराज नाराज होते हुए वहां से जाने लगा अधि ने उसके शर्ट की बांह को खींचते हुए इशारे में क्षमा याचना की और आपने हाथ कोहनी तक जोड़ दिए
    अधिराज ने दबी आवाज में कहा _ दुबारा ऐसा कुछ हुआ तो मैं तुम्हारे नाक पर मुक्का मार कर खरबुजे की तरह खोल दुंगा
    ये सुन कर अधि को गुस्सा तो बहुत आया कि उसकी बात उसी को सुना रहा है पर उसे वो सदा से चली आ रही कहावत आज भी याद है " जरूरत के वक्त गधे को भी बाप बनाना पड़ता है "😣 वो इसी परम्परा के चलते चुप थी उसने अपनी गर्दन हां में हिला दी अधिराज की धमकी पर
    पर उसके मन तो यही था कुछ दिन बाद मिलना बेटा अधि से ये तो मनु है 😏
    अधिराज उसे महल के एक हिस्से की छत पर ले गया जहां से कोई और उन्हें देख नहीं सकता था
    अधि _ हां क्या हुआ जो आवारा लड़के की गाड़ी की स्पीड से यहां लेकर आए मुझे
    अधिराज _ इससे बुरा एग्जांपल नहीं मिला 🙄
    अधि _ मेरे सारे काम अच्छे ही होते हैं वो छोड़ो अभी तुम्हें क्या हुआ जो यहां ले आए
    अधिराज _ क्या चल रहा है तुम्हारे और देव चाचा के बीच में...?
    अधि _ प्यार इश्क महौब्बत 🙄
    अधिराज _ ये क्या बोल रही हो तुम
    अधि _ तो और क्या..? क्या चलेगा मेरा और उनका मैंने तो दर्शन ही आज किए उनके
    अधिराज _ झूठ तो तुम बोलने की सोचना भी नहीं सच सच बता कौनसा काम करवाना चाहते हैं वो तुझसे
    अधि _ काम 🙄 कौनसा काम
    अधिराज _ मैंने तेरी और देव चाचा की सारी बातें सुन ली है तो ज्यादा नाटक मत करो और बता दो सच बता रहा हूं मनु इस सब में बहुत बुरी फंसेगी तु
    अधि _ अब तक तो सुना था दीवार के भी कान होते हैं लेकिन आज साक्षात देख भी लिए
    अधिराज _ ये सब नहीं सुनना चुप चाप सब कुछ बता दे जो भी चल रहा है नहीं तो बाद में मैं नहीं बचा पाऊंगा फंस गई कभी तो
    अधि _ बता तो दुं पर सुन कर हार्ट अटैक हो गया तो फिर...?
    अधिराज अधि का इस तरह बातों को घुमा फिरा देना बहुत अजीब लग रहा था उसे डर भी लग रहा था अधि नहीं नहीं मनु के लिए और अब गुस्सा भी आने लगा
    अधिराज _ लास्ट टाइम पुछ रहा हुं बता रही हैं या फिर मैं देव चाचा या फिर महेंद्र अंकल दोनों से जाकर पुछ लेता हूं ....


    क्या अधि सच बताएगी या बाद में पछताएगी

    जारी है...🙂

  • 15. इश्क दफन ए राज - Chapter 15

    Words: 1062

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि ने अधिराज को सारी बातें बता दी जो भी उसके और देवन्या के बीच हुई
    ये सब सुन कर अधिराज ने अपना सर पिट लिया और कहा _ ये सब क्या कह रही हो पागल हो गई हो क्या उन दोनों को पता चला तुम झुठ बोल रही हो तो सीधा तुम्हारे लिए नर्क का द्वार खोल देंगे
    अधि ने अपना मुंह दुसरी तरफ कर मुस्कुरा कर कहा _ मुझे फर्क नहीं पड़ता
    अधिराज _ पागल लड़की ये क्या कह रही हो तुम तुम्हें पता भी है तुमने क्या किया है तुम तो किसी भी सुरत में नहीं बचने वाली अभी भी वक्त है चली जाओ
    अधि _ ये सब छोड़ो एक बात पूछूं
    अधिराज _ हम्म
    अधि _ मैं उन लोगों की तरह तुमसे भी झुठ कहुं तो
    अधिराज _ सच कहुं
    अधि _ हम्म
    अधिराज _ तुम मुझे मनु लगती ही नहीं लगता है जैसे हम दोनों अनजान हैं ना तुम अब मनु कहने पर चिढ़ती हो ना बात बात पर डरती हो कितनी बदल गई हो तुम
    तुम्हें याद है बचपन में मुझसे तुम्हारा नाम वान्या लिया नहीं जाता था मैंने पहली बार मान्या कहा तुम कितना रोई थी जीना हराम कर दिया था सबका फिर मैं तुम्हें वनु की जगह मनु कह कर हमेशा चिढाता और फिर मुझे इसकी आदत हो गई तुम तो ऐसी कभी नहीं थी अब ना मुझे तुम में वो वान्या दिखाई देती है ना मनु कभी कभी तो लगता है तुम मुझसे झूठ बोल रही हो तुम तो चींटी से भी डरती थी वो वान्या आज मौत से भी नहीं डरती क्या हो तुम
    अधि को ये सब बातें सुन कर सच में बहुत दुःख हुआ पहली बार उसे अहसास हुआ वो झुठ बोल कर किसी के जज्बातों के साथ खेल रही है आज उसे खुदसे घृणा महसूस हुई


    अधि ने बीच में बात काटते हुए कहा _ अरेए बस करो मैं वही हूं 🙄 मैं तो ऐसे ही पुछ रही थी तुम तो महागाथा लेकर बैठ गए उसके शब्द उसके मन का भाव नहीं दिखा रहे थे पर आज उसका मन हो रहा था अभी यहां से भाग जाए वो अधि को और धोखा नहीं दे सकती पर किस्मत का दरवाजा जो खुल चुका था वो उसे फिर से बंद नहीं करना चाहती थी इसीलिए उसने अपने काम को खत्म करने के लिए अगला पड़ाव शुरू करते अधि राज के सामने एक सवाल दाग दिया।

    अधि _ अच्छा वैसे ये महल कितना सुन्दर है ना
    अधिराज _ अच्छा
    अधि _ हां क्युं तुम्हें नहीं लगता
    अधिराज _ अच्छी जगह लोगों से बनती है सजावट और दिखावे से नहीं ना
    अधि _ मतलब तुम्हें नहीं लगता अच्छा
    अधिराज _ कुछ ऐसा ही सोच लो
    अधि _ अच्छा तुम्हें न लगता हो पर मैं तो जा रही हुं पुरा महल अपनी नजरों में कैद करने खुबसूरत चीजें बनती किस लिए है ताकि उन्हें देखा और सराहा जाए( ये अधि ने सिर्फ इस नियत से कहा कि अधिराज उसे रोके उस जगह से जाने के लिए रोके जहां जाने के लिए मनाही)
    अधिराज _ अच्छा जाओ तुम करो कैद खुबसूरती को
    अधि _ वैसे महल है तो बहुत सुंदर पर कहीं ये भी भुतिया फिल्मों के महलों की तरह तो नहीं जहां दबे हुए राज होते हैं 🤣
    अधिराज _ नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है लेकिन तुम प्लीज़ कृषा से दुर ही रहना वो ही यहां की भुतिया चुड़ैल पिशाच औरत सब कुछ है
    अधि मन में _ बहुत ही सड़ा हुआ जोक मारा है हंसी भी नहीं आ रही है वो झुठ मुठ का हंसती है और फिर मन में कहती हैं बोल दे बोल दे कहां नहीं जाना
    तभी उसकी नज़र महल के पिछले हिस्से पर पड़ती है जहां एक दरवाजा था
    अधि _ ये देखो पीछे का हिस्सा कितना सुन्दर है यार इतने सारे फुल पत्ते और ये दरवाजा 😳😳 कितना सुन्दर है
    अधिराज _ यहां तो बिल्कुल मत जाना
    अधि _ क्यों मैं तो जाऊंगी 🙄 वैसे भी जहां न जाने के लिए बोला जाता है वहां जाना मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
    अधि राज _ बोला ना यहां नहीं जाना है एक बार में तुझे समझ क्यों नहीं आता
    अधि _ ठीक है नहीं जाऊंगी रिजन बताओगे तो 🙄
    अधिराज _ ये सब काव्या का है उसने महल के पीछे अपनी अलग दुनिया बसा रखी थी उसके जाने के बाद वहां कोई भी नहीं जाता और मुझे और उसके मम्मी पापा को भी नहीं पसंद की कोई उसकी चीजों के पास जाए वहां जो जैसा है वैसा रहे बस
    अधि _ उसके मम्मी पापा का ठीक है पर तुम...? तुम्हारा क्या...? और वो गई कहां 🙄
    अधिराज आंखों में नमी भरते हुए बोला _ उसका एक बहुत ख़तरनाक एक्सीडेंट हुआ था उसकी कार पुरी तरह जली हुई मिली बट बॉडी नहीं मिली
    अधि_😳😳 ओह, पर वो जिंदा भी तो हो सकती है ना
    अधिराज _ मुझे भी यही लगता है बस आज तक किसी ने मेरी ये बात नहीं मानी
    अधि _ अच्छा पर तुमने बताया नहीं तुम्हारा और काव्या का क्या...?
    अधिराज _ तुम्हें तो पता ही है मैं अपने घर में कम और महल में ज्यादा रहा हूं मैं काव्या और कृषा हमेशा से साथ थे और अच्छे दोस्त भी
    वो सालों पीछे चला जाता है







    सात साल पहले
    काव्या ने कॉल करके अधिराज को बुलाया था पर बहुत देर से वो खुद नहीं आई वो उसे दस बार कॉल कर चुका था पर उसने जवाब नहीं दिया अधिराज थक हार कर वापस जाने वाला था तभी काव्या सुर्ख लाल कपड़े पहने उसके सामने आकर खड़ी हो गई सच में बहुत खुबसूरत दिख रही थी वो उस दिन
    अधिराज ने बहुत कोशिश कि नजरें हटाने की पर हटा ही नहीं पा रहा था और फिर जब उसकी नजरें काव्या से मिली तो उसको थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई और उसने नज़रें झुका ली काव्या अधिराज को इस तरह देख कर उसकी तरफ एक गुलाबी मुस्कान बढ़ा देती है वो समझ ही नहीं पा रहा था काव्या आज इतनी अलग क्यों लग रही थी
    तभी काव्या ने सुर्ख लाल गुलाब का एक गुलदस्ता उसकी ओर बढ़ा दिया जो बिल्कुल उसके होंठों की रंगत से मेल खा रहा था अधिराज के मन में बहुत सारे सवाल थे पुछने को पर पता नहीं क्यों उसकी जुबान पर ताला लग चुका था

    और कुछ देर बाद काव्या ने अपने घुटनों के बल आकर अधिराज की तरफ अंगुठी बढ़ा दी
    अधिराज हक्का बक्का रह गया काव्या की इस हरकत पर


    जारी है...🙂

  • 16. इश्क दफन ए राज - Chapter 16

    Words: 1016

    Estimated Reading Time: 7 min

    और फिर ऐसी कोई और लड़की भी नहीं जो उसे पसंद हो जो किया सब ठीक किया
    पर वो काव्या से प्यार तो नहीं करता ना तो फिर तो ये गलत ही हुआ ना
    पर प्यार जैसा कुछ होता भी है क्या और क्या पता आगे चल कर हो जाए वो नहीं करता तो क्या हुआ काव्या तो करती है ना....!!!

    अपने मन में आए सवालों का वो खुद को तसल्ली देने के लिए जवाब देता गया पर मन में तो अभी भी कश्मकश और उलझन ही है पता नहीं क्यों उसका मन काव्या के लिए हामी भरने को तैयार ही नहीं था ऐसी कोई वजह नहीं थी कि वो काव्या को मना कर दे वो तो परफेक्ट लड़की है उसमें कोई कमी नहीं है

    वो ये सब सोचते हुए घर पहुंच गया लेकिन घर में जो हो रहा था उसने सोचा भी न था...
    उसका घर एक गुलदस्ता बना हुआ था हर तरफ फुल ही फुल थे लाइटें लगी थी उसके मम्मी पापा और बहन भी चमचमाते कपड़े पहने खड़े थे...वो कुछ पुछने को हुआ तभी पीछे से घर में बुआ मौसी मामी चाची ताऊ मौसा एक एक कर सब आकर अधिराज को बधाई दे रहे थे वो सब जैसे ही अंदर गए अधिराज अपने घरवालों से इस सब के बारे में इससे पहले ही काव्या और उसकी फैमली आ चुकी थी
    ये सब देख कर अधिराज बेहोश होते होते बचा उसे समझ ही नहीं आ रहा था वो क्या कहे और किससे कहे क्या को कहें कुछ या अपने घरवालों को अभी तो वो कुछ ढंग से सोच भी नहीं पाया और इतना सब कुछ प्लैन कर लिया सब लोगों ने
    उसका मन हुआ उस सब से दुर भाग जाए पर ऐसा सोचना आसान था करना नहीं उसकी मां ने उसे सगाई के हिसाब से तैयार होने के लिए कह दिया
    वो अपने कमरे में चला गया

    काव्या भी उसके पीछे पीछे चली गई और जाकर एक अलग से अंदाजा में कहा " सो कैसा लगा मेरा सरप्राइज बेबी" बेबी शब्द सुन कर अधिराज को बहुत जोर की खांसी आ गई और उसने एक जबरदस्ती की मुस्कान काव्या की तरफ फेंक कर मारी 🙄 और कहा मैं आता हूं तुम जाओ
    वो अपना सर पकड़ कर बैठ गया काव्या का ये रूप देख कर ऊपर से ये घरवालों का टोर्चर मतलब ऐसा कौन करता है कम से कम बता देना तो जरूरी समझ लेते वो अपनी आंखें कस कर बंद कर लेता है मानो अंधेरे में कहीं खो जाएगा और काव्या उसे कभी ढुंढ नहीं पाएगी वो जितना हो सके काव्या से दुर भाग जाना चाहता है..............



    अपनी हालत देख कर समझ चुका था वो बहुत बुरा फंस चुका है उसने बस एक काव्या की एक छोटी मुस्कान के पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद कर देने वाला काम कर दिया है

    फिर वो बेमन से ही सही काव्या के साथ सगाई कर लेता है... धीरे धीरे वक्त गुजरता गया काव्या की सगाई के बाद अधिराज और कृषा की दोस्ती पहले जैसी न रही

    कृषा अधिराज से बहुत दूर रहने लगी पास भी होती तो वो नजरअंदाज कर देती ये सब अधिराज को समझ आ रहा था पर इसका कारण उसे समझ नहीं आया
    और धीरे धीरे अधिराज को भी लगने लगा कि काव्या ही उसके लिए सही है उसकी उलझने सुलझने लगी आखिरकार वक्त ने उसे समझा दिया था कि उसका फैसला सही था

    और उस दिन काव्या ने उसको बुलाया था पर वो अपने काम में कुछ बीजी था उसे कुछ कहना था कृषा के बारे में बात करनी थी पर वो नहीं जा सका फिर काव्या ने कहा वो खुद आएगी उसके पास रात बहुत हो चुकी थी अधिराज के मना करने के बावजूद उसने ज़िद्द की उसने कहा था कि कुछ जरूरी है तो फोन पर बात कर लेते हैं पर काव्या ने कहा मिलना जरूरी है और वो निकल गई उस दिन मौसम पहले से अहसास करा रहा था जो होने वाला था
    काव्या 11 बजे अपने घर से निकली थी और 12.30 तक उसे पहुंच जाना चाहिए था पर रात के तीन बज चुके थे पर उसका कोई अता पता नहीं था उसका फोन भी स्विच ऑफ था वो बार बार उसे कॉल किए जा रहा था पर फोन स्विच ऑफ ही आ रहा था कुछ घंटों के घुटन भरे लम्बे इंतजार के बाद वो घर से निकल चुका था ताकि काव्या को ढुंढ सके इससे पहले उसने उसके घर पर कॉल किया पर किसी ने जवाब नहीं दिया तो उसने कृषा को कॉल किया
    कृषा_ हां बोलो अधिराज कैसे याद किया हमें ( उसकी आवाज में एक अलग ही खुशी की खनक थी जो उसके प्रत्यक्ष सामने न होते हुए भी अधि राज को समझ आ रही थी)
    अधिराज _ वो काव्या
    कृषा ने बीच में बात काटते हुए कहा _ ओह काव्या काव्या काव्या क्या लगा रखा है यार तुमने दो पल की खुशी भी बर्दाश्त नहीं होती क्या तुमसे मेरी ये शब्द बोलते वक्त उसके शब्द लड़खड़ा रहे थे अधिराज जान चुका था कृषा नशे में है)
    अधिराज _ कृषा का फोन स्विच ऑफ है उसका कुछ पता नहीं चल रहा है वो मुझसे मिलने के लिए बहुत देर पहले निकली थी अब तक नहीं पहुंची क्या वो घर पर हैं...?? अधिराज ये सब एक सांस में बोल गया ताकि कृषा अपनी फालतू बात न बोल पड़े
    कृषा_ ओह, ऐसा क्या फिर क्या हुआ
    अधिराज _ जो मैं पुछ रहा हुं उसका जवाब दो
    कृषा _ मुझे नहीं पता छोड़ो उसे जाने दो आओ मिल कर पार्टी करते हैं
    अधिराज समझ चुका था वो कृषा से बात करके अपना वक्त बर्बाद कर रहा है बस और कुछ नहीं उसने उसकी बातों को इग्नोर करते हुए कॉल कट कर दिया
    और उसी रास्ते से काव्या को ढुंढने निकल पड़ा रास्ते में उसका दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था कहीं वो न हो जाए जो ख्याल उसके मन में बार-बार आ रहा है उसका मन बहुत ज्यादा घबरा रहा था वो मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि काव्या को कुछ न हुआ हो और सारे ख्याल बस युंही हो लेकिन हुआ वहीं जो नहीं होना चाहिए था वो आधे रास्ते ही पहुंचा था कि.....



    जारी है...🙂🙂

  • 17. इश्क दफन ए राज - Chapter 17

    Words: 1051

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधिराज ने देखा बीच सड़क पर काव्या की गाड़ी जली हुई पड़ी थी पहले तो उसे समझ में नहीं आया लेकिन बाद में वो दौड़ कर गाड़ी के पास गया पर अंदर कोई नहीं था उसने ढुंढा बहुत ढुंढा पर वो नहीं मिली

    उसने काव्या की फैमिली को इनफॉर्म किया कुछ ही देर में उस जगह पर अफरा तफरी मच गई पुलिस और काव्या का परिवार वहां हर तरफ काव्या को ढुंढने लगे पर अफसोस वो कहीं नहीं मिली
    तलाश जारी रही....
    पुलिस के अलावा अधिराज ने भी काव्या को सालों ढुंढा पर वो नहीं मिली और अब तो अधिराज भी मान चुका था काव्या नहीं है वो जा चुकी है...🙂 उसने ये सारी बातें अधि को बताने के बाद अधिराज के चेहरे पर एक फीकी मुस्कान थी
    अधि को भी बुरा लगा उसकी कहानी सुन कर पर उसे थोड़ा अच्छा भी लगा कि काव्या अपने परिवार से मिलेगी उसने कुछ बताना जरूरी नहीं समझा उसे लगा जब वो काव्या को देखेगा वही सही रहेगा वो इन सब चीजों में नहीं पड़ना चाहती...
    अधि ने अपनी जिज्ञासा के चलते एक और सवाल पुछ ही लिया कि कृषा ऐसे क्युं मरने मारने पर तुली है कहीं काव्या की हिम्मत से हिल तो नहीं गई
    अधिराज _ हुंह वो और काव्या की मौत से परेशान एक वही तो थी जो इस सब में खुश थी उसने तो सब लोगों को सबसे पहले कहा था कि हम काव्या को ढुंढना बंद कर दें, मुझे पहले समझ में नहीं आया पर जैसे ही मैंने काव्या को ढुंढना बंद कर दिया, काव्या के पेरेंट्स चाहते थे मैं कृषा से शादी कर लुं पहले मुझे लगा था कृषा इस बारे में नहीं जानती थी पर वो मुझसे प्यार करती थी और उसकी सनक देख कर कभी कभी मुझे शक होता है उसी ने काव्या को मारा है 🙄 मुझे हमेशा से यही लगता है पर कभी किसी को बोल नहीं पाया और ये मरने मारने के नाटक उसने तभी शुरू किए थे पर मुझे हमेशा से पता है वो कहां मरने वाली है वो तो बस नाटक करती है थोड़ा सा नाटक किया और जो उसने चाहा वो मिल गया अपने मुझे ही देख लो न चाहते हुए भी वो मेरे गले पड़ ही गई
    अधि_ गले पड़ गई मतलब 😳
    अधिराज _ मतलब ये कि मेरी उससे अगले महीने शादी होने वाली है
    अधि _ हैंएएए शादी वो भी उससे इससे अच्छा तो कोई अच्छा सा मुहुर्त देख कर सुसाइड कर लो सच में सुखी रहोगे
    अधिराज उसकी बात सुन कर हंसने लगा.......

    अधि हैरानी भरे भावों से देखते हुए बोली _ हंस क्या रहे हो 🙄 सही कह रही हुं वैसे इतनी घनघोर फालतू लड़की से शादी क्यों करनी है 🙄 फिर वो कुछ देर रूक कर अपने भावों में बदलाव लाते हुए बोली ओह तो इस महल का दामाद कम बेटा बनना है 😂 सारा पैसा गपचियाने के चक्कर में हो बस दिखते शरीफ हो, हो तो पुरे घिनौने
    अधि राज उसकी इस बात पर भी हंस देता है और कहता है _ कुछ ऐसा ही समझ लो
    अधि अपना मुंह खोल कर अधिराज की तरफ देखती है 😳😳😳
    अधिराज _ मुंह बंद कर लो कहीं मेरा पूरा का पूरा महल ही ना निगल लो इतना बड़ा मुंह खोला है
    अधि बिना अपनी पलकें झपकाए कहती हैं _ इतना शरीफ गोल्ड डिगर देख कर मेरी आंखों कान मुंह सब खुला का खुला रह गया है 🙄
    अधिराज _ अब इतना भी गिरा हुआ और घिनौना नहीं हुं मेरे घरवाले मरने की धमकी दे रहे हैं इधर ये मरने की धमकी दे रही है सुबह शाम जीना मरना चलता रहता है, मेरा दिमाग खराब हो गया पर इन लोगों का जीना मरना खत्म ही नहीं हो रहा था एक दिन फ्रस्ट्रेशन में मैंने भी बोल दिया कर लुंगा और हो गया जिंदगी का बुंदी रायता
    अधि चेहरे पर दुःख के भाव लाते हुए बोली _ एक काम करो सो जाओ इसके अलावा मैं कुछ और नहीं कह सकती जी लो जिंदगी फिर तो मरना है सो लो फिर तो नींदें हराम होने ही वाली है
    अधिराज _ 😂😂
    अधि_ मैं कोई जोक नहीं सुना रही सो जाओ कब से बतिया रहे हो सुबह से शाम हो गई रात हो गई मैं तो जा रही हुं तुम हंसते रहो
    अधिराज _ हां हां जा रहा हूं

    दोनों वहां से चले गए अपने अपने कमरे में.....




    अधि अधिराज के सामने तो अपने कमरे में चली गई पर उसके वहां से जाते ही वहां से निकल गई और अधिराज को देखने उसके कमरे की तरफ चली गई वो वहीं था वो फिर से वहां से दबे पांव निकल गई
    वो काव्या के कमरे की तरफ जाने ही वाली थी कि तभी देवन्या आ गई और कहा _ लगता है महल में घुमते घुमते भुल गई हो क्या काम करने आई हो यहां
    अधि ने अनदेखी में जवाब देते हुए कहा _ बस कल सुबह तक इंतजार करिए कल से यहां की रानी आप ही होंगी.......
    देवन्या_ कल सुबह तक काम हो जाना चाहिए
    अधि_ आप तो बस रोने धोने की प्रैक्टिस करो और हां बस आज की रात के लिए अपने और अपने परिवार को जरा सुरक्षित रखिए और बाहर न ही निकले तो अच्छा है आज की रात बहुत भयानक और प्रचंड काली होने वाली है
    देवन्या ठीक है कह कर वहां से चली गई


    अधि ने अपने कदम फिर से उसी कमरे की ओर बढा दिए और महल की चारदीवारी से कुद कर वो उस हिस्से में पहुंच गई वहां एक बहुत बड़ा सा बरामदा बना था जिस पर बहुत सारे फुलों के खुबसूरत पौधे थे और उसी के अंदर एक बहुत बड़ा सा एंटिक सा दरवाजा था उस पर जड़ा था एक जर्जर सा ताला देखने से लग रहा था जैसे हाथ लगाते ही टुट जाएगा पर जब अधि ने उस ताले को खोला तो पता चला कितना मजबूत था वो पर अधि के सामने कौनसा ताला टिका है जो ये टिकेगा उसने एक ही बार में वो ताला खोल दिया....


    दरवाजे पर बहुत सारे मौली और काले धागे भी बंधे थे जो कि अधि को इस बात को मानने के लिए मजबुर कर गए कि इस सब में तंत्र तो है काव्या का कहा सच ही था वो उन सभी धागों और मौलियों को हटाते हुए यही कहे जा रही थी

    और इस सब के बाद जब उसने दरवाजा खोला तो देखा............


    जारी है...🙂

  • 18. इश्क दफन ए राज - Chapter 18

    Words: 1085

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि उस कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर आ गई वहां का हाल बहुत खराब था हर जगह धुल मिट्टी मकड़ी के जाले और घोर अंधेरा था इतना बुरा हाल था कि अधि उस माहौल में बुढ़िया की तरह खांसने लगी पर उसकी खांसी से कोई बाहर न निकल आए यही सोच कर उसने अपने मुंह पर हाथ रख दिया पर फिर भी खांसी नहीं रूकी खांस खांस कर उसकी आंखों की पुतलियां बाहर आने को हो गई उसने जल्दबाजी में वो कलश ढुंढना चाहा पर कलश के अलावा ढेरों कबाड़ पड़ा था उस रेतीले से बेड पर काव्या के कपड़े फैले पड़े थे जिन पर धुल जम चुकी थी जमीन पर गिरी हुई उसकी तस्वीरें अधि ने ध्यान से देखा तो वहां फर्श पर उन तस्वीरों की फ्रेम का कांच टुट कर बिखरा हुआ था सामने एक शीशा था जिसमें शक्ल दिखाई नहीं देती उस पर इतना ज्यादा कचरा जमा हुआ था एक लकड़ी की अलमारी रखी हुई थी अधि ने अलमारी देखते ही अपना हाथ अलमारी में दे की ओर बढ़ाया और अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए उसका ताला खोला पर इतनी बड़ी अलमारी में मिला क्या चाबी बस एक चाबी😏
    अधि उस चाबी का ताला ढुंढने में लग गई पर उसे ऐसा कुछ मिला नहीं
    फिर उसने जोर से उस अलमारी पर गुस्से में धक्का मारा और जोर से टन की आवाज आई जिससे अधि को समझते देर नहीं लगी कि अलमारी के पीछे कुछ तो है उसने बहुत ही आराम से ये कोशिश करते हुए कि कम से कम आवाज हो उस अलमारी को वहां से हटाया अलमारी के पीछे अलमारी थी
    अधि ने बिना वक्त गंवाए उस अलमारी को खोल दिया जिसमें एक काला घेरा बना हुआ था शायद राख मतलब भभुत हो सकती थी और उस घेरे के अंदर एक लाल रंग का कपड़ा था जिसमें कुछ लिपटा हुआ था अधि ने तुरंत उस लाल कपड़े को हटाया उसके अंदर कुछ तो था पर काले कपड़े में लिपटा हुआ
    ये देख कर अधि को बहुत चिढ़ हुई और वो चिढ़ कर बोली ये क्या पत्ता गोभी रखी है 🙄 हद है मतलब ताला ढ़ंग का एक ना लगाया और जे कपड़े पे कपड़े 😏
    उसने वो कपड़ा भी हटा दिया और अंदर जो था उसे देख कर अधि की आंखें चमक उठी आखिर उसी के लिए तो वो इतने दिनों से पापड़ बोल रही थी
    वो कलश शायद चांदी का था कुछ तो था उसमें भारी लग रहा था पर अधि ने उसे नहीं खोला क्या पता बाद में काव्या मानने से इंकार कर दे कि ये वो कलश है इसीलिए उसने जैसे था उसे वैसे ही रहने दिया....

    अधि ने वापस अलमारी बंद कर कर उस अलमारी को वही खिसका कर रख दिया और उस कमरे से निकल कर वापस ताला लगा दिया और वहां से निकल गई वो वहां से निकल कर महल से कुछ दुर आ गई थी....

    पर पता नहीं क्युं उसके क़दम वापस महल की तरफ मुड़ चले वापस बिना उसकी इजाजत के और वो बढ़ते कदम अधिराज के कमरे के पास आकर रूक गए ऐसे तो अधि ने बहुत झुठ बोले थे चोरी चकारी झुठ मक्कारी सब कुछ किया था उसने पर उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था वो उसे बताना चाहती थी कि वो कोई मनु नहीं अधि है बस और अपने दिल का बोझ कम करना चाहती थी, .....
    पर वो ये भी जानती थी कि इतनी दुर आकर इतना कर के ऐसा कुछ करना बेवकुफी होगी और ऐसी बेवकूफी वो कभी नहीं करना चाहती वो कुछ पल ठहर कर आगे बढ़ गई,

    वो कंचनगढ़ के बस स्टैंड पर पहुंच गई और वहां से बस में बैठ गई और उसकी खराब किस्मत कि ये सफर उसके लिए सफर में तब्दील हो जाएगा....

    क्योंकि उसके बगल मे बैठा था एक प्रेमी युगल और उनकी मोह प्रेम से भरी वो मीठी मीठी सी बातें अधि को लग रहा था मानो किसी ने उसके कलेजे पर चक्कु घोंप दिया हो
    उन लोगों के अंधेरे भविष्य और कुची पुची की बातें सुन कर अधि ने अपनी जगह बदल ली लेकिन फिर से एक प्रेमी के पास ही बैठ गई बदकिस्मती से जो अपनी जान ए तमन्ना से बात करते हुए कह रहा था मेले बच्चे ने थाना थाया अधि मन में सोच रही थी बच्चा ही है तो थाना कैसे खाएगा और नहीं खाया तो जा ना उसके घर और जाकर बना कर दे🙄 तभी उसके अगले शब्द थे ओंओओ मेला बच्चा अब तक नहीं थाया देखो तुम नहीं खाओगी तो मैं भी नहीं खाऊंगा 🙄 अधि का मन हुआ उसकी पीठ पर कोहनी मार कर उसकी आत्मा और शरीर का संधि विच्छेद कर डाले ये क्या आशिकी है भई इन पर तो नज़्में लिखी जानी चाहिए तोतला इश्क 😞
    उसने फिर अपनी सीट बदल ली अब की बार उसे लगा वो किसी सभ्य संस्कारी महिला के पास बैठी है अब इश्क बाजी नहीं सुननी पड़ेगी
    लेकिन इस बार कुछ अलग ही ख़तरनाक होने वाला था जैसे ही उस औरत का फोन बजा और उसने मुंह खोला हां बेबी हां निकल गई हुं घर से बस आ ही रही हुं तुमसे मिलने 😘😘
    ये देख कर अधि चौंक गई कैसी बस है ये मतलब सब ठरकी है खैर आंटी अंकल पर बेलन बरसाने कि उम्र में प्यार बरसा रही है पता नहीं क्या हो गया है सब को 😞 जहां देखो हर जगह बस प्रेम लीला ही चल रही है समझ नहीं आ रहा है अपने बाल नोंचु या फिर चलती बस से कुद जाऊं...
    कि तभी आंटी ने अगले शब्द कहे अरे बेबी तुमसे कितनी बार कहा है मेरे निठल्ले पति और उस खुंसठ बुढ़िया का नाम मत लिया करो 😏
    ये सुन कर अधि की बहुत ख़तरनाक हंसी छुट गई वो आंटी की तरफ देख देख कर जोर जोर से हंसने लगी आंटी ने फोन साइड में रख कर अधि को घुरा और कहा what happened what's your problem 😏 just shut up nonsense अधि उसकी बातों को सुन कर और ज्यादा हंसने लगी और बहुत मुश्किल से हंसते हंसते उसने कहा जाओ जाओ आंटी आप करो जो कर रही थी मैंने सुन लिया तो बस मुझे बख्श दो अब नहीं तो मैं हंसते हंसते मर जाऊंगी और आप पर मेरे मर्डर का केस हो जाएगा 😂
    वो आंटी अधि को अनाप शनाप बोलते हुए चली गई सब लोग उन्हीं दोनों को देख रहे थे और आखिरकार इन्हीं मुश्किलों में अधि का सफर और सफर दोनों खत्म हुए और वो पहुंच गई काव्या के उस सुनसान घर में उसे भी पैसा और वान्या दोनों को देखने की बड़ी जल्दी थी





    जारी है....😁

  • 19. इश्क दफन ए राज - Chapter 19

    Words: 1041

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि वापस उस सुनसान घर के आगे आकर खड़ी हो गई उसके चेहरे पर एक खुशी भरी मुस्कान और आंखों में चमक थी
    वह कलश अभी भी उसके हाथ में था वह अपने कदम आगे बढ़ा रही थी उसे सबर नहीं हो रहा था और वो जल्द से जल्द काव्या से अपने पैसे लेना चाहती थी और बदले में उसे हमेशा के लिए आजाद कर देना चाहती थी साथ ही साथ वह वान्या को भी देखना चाहती थी उसने बिना वक्त बर्बाद किए वह दरवाजा खोला और अंदर दाखिल हो गई उसे वहां कोई नजर नहीं आ रहा था उसने जोर-जोर से काव्या और वान्या को आवाज़ लगाई


    उसकी आवाज सुनकर काव्या सीढियों से उतर कर नीचे आई काव्या और अधि दोनों ही एक दूसरे को देखकर बहुत खुश हो रही थी क्योंकि अब वह दोनों ही अपने मकसद को पूरा करने वाली थी अभी ने वह कलश काव्य के हाथ में रख दिया और एक सरसरी निगाह उस पर डाली जिसका सीधा सा मतलब यह था कि वह उसे अपने पैसे मांग रही थी काव्या ने भी उसकी तरफ देखा और देख कर सब कुछ समझ गई और चुपचाप अलमारी से पैसों से भरा हुआ बैग निकालकर उसे दे दिया था पैसों को देखकर वो बहुत ही ज्यादा खुश हो चुकी थी काव्या ने उसे कहा तुम्हारा काम हो चुका है तुम जा सकती हो अब तुम अपने रास्ते में अपने रास्ते उसके ऐसा कहने पर अधि ने उसे बहुत ही अजीब निगाहों से घुरा और कहा क्या मतलब है तुम्हारा अलग रास्ते मतलब वान्या कहां है........???
    काव्या ने अपने चेहरे पर एक खौफनाक मुस्कुराहट लाते हुए अधि की ओर देखकर कहा वान्या ...,वान्या तो अपने हिस्से का पैसा लेकर कब का यहां से जा चुकी है

    अधि को काव्या की इस बात पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वान्या में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अकेली कहीं भी जा सके अधि ने एक सरसरी निगाह काव्या पर डालते हुए कहा अगर वह जा चुकी है तो तुम अभी तक यहां क्यों रुकी हुई हो काव्या ने एक गंभीरता भरी मुस्कान अधि की और बढ़ते हुए कहा मैं अपना वादा निभाते हुए यहां खड़ी हूं तुम्हें तुम्हारी कीमत चुकाने के लिए वरना अब तक कब की जा चुकी होती

    अधि को भरोसा तो अभी भी नहीं था काव्या की बात पर अभी उसके पास कोई रास्ता नहीं था इसलिए वह पैसों का बैग उठाकर वहां से चल दी
    क्योंकि उसे लगा था कि काव्या वान्या के साथ क्या ही करेगी वो तो खुद मुसीबत की मारी बेचारी है हो सकता है वान्या डर गई लेकिन तभी उसे कुछ सुझा और उसने अपने बढ़ते हुए कदमों को रोक कर पुछे मुड़ते हुए काव्या से कहा तुमने तो कहा था जब तक मैं तुम्हारा ये तंत्र मंत्र वहां से उठा कर नहीं ले आती तब तक ये दरवाजा नहीं खुल सकता फिर वान्या यहां से कैसे चली गई जो भी है सच सच उगल दो नहीं तो इसी कलश को तुम्हारे सिर में दे मारूंगी और बिना रंगों वाली रंगीन होली मना लुंगी
    काव्या ने अपनी एक आंख छोटी कर गुस्सा दिखाते हुए कहा तुम्हें वापस सुनाई तो देता है ना तुम क्या कहती हो 🙄 और रही बात वान्या के बाहर निकलने की तो ये तंत्र तो तभी टुट चुका था जब तुमने इस कलश को अपनी जगह से उठाया था....
    वो आगे और भी कुछ कहना चाह रही थी पर अधि ने बीच में बात काटते हुए कहा ऐऐ चालुपंती की दुकान अब तु फिर बाद बदल रही है उस वक्त तेरे शब्द कुछ और थे अब कुछ और है मुझे अच्छे से याद है तुने बोला था जब तक वो कलश मैं तुम्हें न दुं ये तंत्र नहीं टुटेगा क्या किया वान्या के साथ सच सच बोल दे एक पल के लिए रूक कर वो अपने सर को पकड़ते हुए बोली कहीं कहीं तुने उसे मार वार तो न डाला😳😳 तु यहां ये लाल लाल कपड़े पहन कर लाल परी बन कर घुमती रहती है कहीं आते जाते लोगों के खुन से तो नहीं रंग रखे ये तु सनकी खुनी तो नहीं

    काव्या मुंह बनाते हुए कहती हैं पागल हो चुकी हो क्या मुझे नहीं पता वान्या कहां गई वो यहां से चली गई अब मुझे भी जाने दो और बाहर की हवा में सांस लेने दो.... इतना कह कर काव्या वहां से चली गई


    अधि भी निकल गई ये सोच कर कि वान्या घर ही गई होगी.... आखिर पिछले छः सात महीने से दोनों साथ में ही रह रही थी...,

    दुसरी तरफ महल में

    महल में आज एक अजीब तरह की मनहुसियत और भयावह माहौल था सुबह हो चुकी थी पर सुबह की रोशनी से भी महल में उजाला नहीं दिख रहा था हर तरफ एक सन्नाटा सा पसरा पड़ा था... हवा में भी एक अलग तरह का डर भरा माहौल था वो शांति वो सन्नाटा मानो तुफान से पहले की शांति थी......



    और इन्हीं सब से अनजान बेखबर अधिराज सुकुन से आंखें मुंद कर अधिराज अपने कमरे में सो रहा था अलार्म बजा तो उसकी आंख खुली वो उठ कर बैठ गया तभी उसका हाथ किसी चीज को लगा उस आवाज ने उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया अधिराज ने जब देखा तो पाया एक कागज का टुकड़ा था जो उसके सिरहाने रखा हुआ था
    वो काफी देर तक उस कागज के टुकड़े को देखता रहा समझ नहीं आया ये क्या हैं और यहां कैसे आया ....

    उसने वो खोला और खोल कर देखा वो लैटर जैसा लग रहा था...


    वही देवन्या और देव कब से किसी न किसी बहाने से महेंद्र प्रताप के कमरे के बाहर चक्कर लगा रहे थे ये सोच कर कि अधि ने अपना काम कर दिया है अब खबर आई तब आई लेकिन इस तरह इंतजार करते हुए उन दोनों को दो तीन घंटे से ज्यादा हो गए पर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं था पर फिर भी वो दोनों इंतजार ही किए जा रहे थे....

    वो दोनों थक हार कर तांत्रिक नारंग की पोती अर्थात अधि के कमरे की ओर चले गए ये कहने की अभी तक खबर नहीं आई काम हुआ या नहीं लेकिन कमरे में जाकर देखा तो अधि तो कब की वहां से गायब हो चुकी थी .... दोनों एक दूसरे का मुंह देख कर एक साथ बोले " ये कहां गई"....?



    जारी है...😁

  • 20. इश्क दफन ए राज - Chapter 20

    Words: 1045

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधि वहां से अपने घर चली गई पर वहां पर ताला लगा था वान्या वहां भी नहीं आई वो अपने कुछ जानने वालों को फोन करके पुछती है पर वान्या की कोई खबर नहीं उसे इतना तो वान्या का पता था चाहे उसके पास पैसे कितने भी आ जाए वो अकेली कहीं नहीं जा सकती वो अपने कमरे में आई और बैठ कर सोचने लगी आखिर वो चली कहां गई कैसे तुफान की तरह उसकी जिंदगी में आई थी और इस तरह चली भी गई....





    लगभग छः महीने पहले
    अधि उस बारीश की रात अपनी बाईक से गिर गई बारीश बादल इंद्रदेव सड़क नेता गढ्ढे सबको कोसते हुए वो उठी तभी मैडम वान्या से टकरा गई और फिर से गिर पड़ी और मुंह से कुछ सुशोभित शब्द निकले जो कि थे आंख में कुतुबमीनार बनवा रखा है क्या जीता जागता इंसान नजर नहीं आता एक मुक्का मारूंगी ना तो मुंह से दांत आंख से कुतुबमीनार और नाक से सामान बाहर आ जाएगा वो पुरा लड़ने के मुड में थी पहले से ही मुड खराब था थोड़ा सा लड़ झगड़ कर दिल को सुकून मिलता और भड़ास निकल जाती उसने वान्या से कुछ जहरीले शब्दों की उम्मीद की पर वो तो उसकी इतनी सी बात पर अपनी प्यारी और छोटी छोटी आंखों से आंसू बहाने लगी पहले से ही घबराईं हुई सी और परेशान लग रही थी उसने रोते रोते अधि को बहुत ही मासुमियत से कहा आई एम् सोरी जी अधि ने अपने गुस्से को एक स्तर नीचे लाते हुए कहा अंग्रेज की औलाद तुने सोरी बोल दिया तो मेरा छिला हुआ घुटना तुझे गले लगा कर कहेगा मैं बिल्कुल स्वस्थ हुं 🙄
    वान्या ने लड़खड़ाते शब्दों से कहा सोरी सोरी मुझे माफ कर दीजिए मैंने जानबूझ कर आपको धक्का नहीं दिया आपकों मेरी वजह से चोट लग गई
    वान्या का दिल पिघल गया था उसकी मासुमियत पर उसने कहा ठीक है ठीक है जाओ यहां से
    वान्या ने उसकी बात सुन कर सिर हिलाया और चलने लगी अधि ने उसे पीछे से आवाज़ दी रूको
    अधि की आवाज सुन कर उसके पैर कांपने लगे न जाने ये सिरफिरी अब क्या कहेगी
    अधि _ कहां जा रही हो इतनी रात को
    वान्या _ क..क.. कुछ नहीं बस यहीं पास में
    अधि _ तुम्हारी ये जो क क प क है ना मुझे बता रही हैं कुछ तो गड़बड़ है
    वान्या _ न न न नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है
    अधि _ कन्फर्म ऐसा ही है घर से किसी मजनु के इश्क में भाग कर आई हो..... वान्या कुछ बोलने को हुई पर अधि ने उसकी बात को बीच में काटते हुए कहा झुठ बिल्कुल मत बोलना सच सच बता
    वान्या _ नहीं दीदी ऐसा कुछ भी नहीं है
    अधि _ ऐऐऐ दीदी नहीं बोलना 😣 मेरा नाम अधि है और जैसा मैं सोच रही हूं है तो वैसा ही ये तेरे बैग से झांकते पैसे मुझे सब कुछ बता रहे हैं
    वान्या _ हां हां दीदी...
    दीदी कहने पर अधि ने फिर से घुरा उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा...अ अधि हां मैं घर से भाग कर आई हुं
    अधि _ कहां जा रही हो अब
    वान्या _ पता नहीं
    अधि _ हैंएएए मतलब इतना पैसा ये आंसु मुंह पर क क प क लेकर कहां जाना है ये भी नहीं पता इतनी रात को कब कौन कहां क्या करेगा कुछ समझ नहीं आएगा और सुबह तक तो है से थी हो जाओगी
    वान्या _ तो आप ही बताइए मैं कहां जाऊं
    अधि _ पहले तो आप नहीं तुम
    और फिर कुछ देर सोच कर कहा तुम मेरे साथ आ सकती हो ( अधि ने सोचा था थोड़ी अच्छाई भी हो जाएगी और कमाई भी)
    वान्या ने अधि को हैरान करते हुए एक बार में ही साथ चलने के लिए हां कर दी...
    अधि _ तु सच में भोली ही है या कोई पाकिस्तानी जासूस 🙄
    वान्या _ ऐसा क्यों लगा आपको मेरा मतलब तुम्हें
    अधि _ हां तो इतना जल्दी तैयार हो गई जैसे मैं तेरे मजनु की मां हुं पैसा वैसा लेकर कहीं नाले में धकेल दिया तो....?
    वान्या _ जिंदगी तो धकेल ही रही है एक मौका तुम्हें भी दे दिया धकेलना चाहो तो धकेल दो
    अधि उसकी बात सुन कर कुछ देर के लिए चुप हो गई और उसके शब्दों से अंदाजा लगा लिया कि इसके साथ कुछ तो बहुत बुरा हुआ है
    कुछ देर बाद
    अधि _अपने घर में रखने वाली हुं तुझे कुछ तो पता होना चाहिए तेरे बारे में वरना बाद में पता चला पुलिस तेरे पीछे पड़ी है चार मर्डर कर कर आई है और पांचवां शिकार मैं हुं 🙄
    वान्या _ आप बस यकीन कीजिए मैं एक अच्छे घर की लड़की हुं बस जिंदगी के धक्कों ने यहां तक पहुंचा दिया आपको तुम्हें मेरी वजह से कभी कोई तकलीफ़ नहीं होगी बस मुझे कुछ दिन रहने की जगह दे दिजिए
    अधि _ ठीक है ना अब इतना भी कुछ बोलने की जरूरत नहीं है चलो अब मेरी बाइक को धक्का मारो

    उस दिन वान्या अधि की बाइक को पुरे रास्ते धकेलते हुए आई और अधि महारानी की तरह बाइक पर बैठी रही 😂 और जब महल आया तब महारानी नीचे उतरी लेकिन महारानी का महल तो कुटिया निकली वान्या भी बार बार अधि की तरफ देखती रही कहा कुछ नहीं लेकिन उसकी नज़रों ने कह दिया एटिट्यूड तो महल वाला दिखा रही थी लेकिन घर माचिस के डिब्बे जितना इससे बड़ा तो अमीरों के घर सिंक होता है

    ऊपर से वो वान्या को वहां लाकर बोली आज से इस पुरे घर में बस मैं और तु
    वान्या मन में _ इतने बड़े ये शब्द इस घर के लिए बोलते हुए बिल्कुल भी शर्म नहीं आई तुम्हें....



    दुसरी तरफ कंचनगढ़ के महल में देव और देवन्या महेंद्र प्रताप को जिंदा देख कर अधि को ढुंढ रहे थे उसकी जीवंत समाधि बनाने के लिए वो दोनों दबे पैर इधर से उधर ढुंढ रहे थे अधि को

    अधिराज भी उन दोनों की अफरा तफरी को नोटिस कर चुका था उसके हाथ में अभी भी वो कागज का टुकड़ा था
    वो इतना तो समझ चुका था मनु ने कुछ तो किया है उससे पुछता हुं
    फिर दुसरे ही पल उसने उस चिट्ठी को देखा और सोचा कहीं ये मनु ने तो नहीं छोड़ा और बेसब्री से उसे फिर से खोल कर पढ़ने लगा
    जिसमें लिखा था......





    जारी है.....😌🕊️