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"Trapped Between Love & Obsession"

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Ramandeep Kaur

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Description

उसे नही पता था के वो कोन सी गहरी दूनिया में खोने वाली है । उस से पहले की खुशी में खुश थी वो और सामने खड़े लड़के को देख रही थी जिसे के जन्मदिन में वो आई थी । "भैरव ये सब बहुत सूंदर है",  वो लड़की  अपने चारों तरफ सजावट को देख रही थी । यहाँ वो पूरा हॉल...

Total Chapters (53)

Page 1 of 3

  • 1. ""Trapped Between Love & Obsession" - Chapter 1

    Words: 1551

    Estimated Reading Time: 10 min

    "भैरव ये सब बहुत सूंदर है",  वो लड़की  अपने चारों तरफ सजावट को देख रही थी । यहाँ वो पूरा हॉल बहुत ही प्यारे फूलों से और गुबारों से सजा हुआ था । उसने अपने सामने खड़े लड़के को देख कहा और चारों तरफ देखने लगी  । जिसे वो भैरव बुला रही थी ।

    " तुमको क्या लगता है पीहू ", भैरव ने कहा  वही पीहू वो लड़की उसे देखने लगी ।

    " तुमने ही कहा था के आज तुम्हारा जन्मदिन है । मैं तो आगयी ये सब भी बहुत प्यारा है बहुत सूंदर बाकि सब कहाँ है"  पीहू ने कहा जो इस समय सलवार सूट में थी बाल खुले छोड़े हुए थे जो उसकी कमर तक आ रहे थे ,गोरा रंग । चेहरे पर दुनिया यहां की मासूमियत लिए उसे ही देख रही थी । वही भैरव एकटक उसे देख रहा था ।

    "  पीहू मेने झूठ कहा था मेरा जन्मदिन नहीं है । ये सब तुम्हारे लिए है ", भैरव ने जो एकटक पीहे को देख रहा रहा था । उसने कहा वही पीहू उसे देखती ही रह गयी ।

    "  क्या मतलब ये सब मेरे लिए है ",उसने हैरानी से  कहा ।

    " हाँ ये सब तुम्हारे लिए है , मै तुमको बहुत प्यार करता हूँ । आज से नहीं उस दिन से जिस दिन तुमको देखा था।  जन्माष्टमी पर नाचते हुए । उसी दिन से मैं तुमको चाहने लगा था । पर कहने की हिम्मत नहीं हुई मुझसे ।  बस आज हिम्मत कर के बता रहा हूँ ", उसने कहा । वही पीहू उसे देखती ही रह गयी।

    "  ये कया बोल रहे हो तुम ये नहीं हो सकता ", पीहू ने कहा और वहां से जाने लगी । तो भैरव ने आगे बढ़ उसका रास्ता रोक लिया ।

    " नहीं तुम  नहीं जा सकती  मुझे छोड़ कर ,नहीं जा सकती ", भैरव ने कहा वही पीहू उसे देखती रह गयी ।

    " नहीं भैरव ये सही नहीं है मेने तो तुमको अपना दोस्त माना है मेने ये सब नहीं सोचा तुम्हारे लिये " , पिहू ने कहा भैरव उसे देख रहा था जिसकी आंखो में अजीब सा पागलपन दिखने लगा था ।

    " नहीं पीहू तुम मुझे इस तरफ से छोड़ कर नहीं जा सकती हो ",  उसने कहा । जो भैरव कुछ देर पहले बेहद ही शांत लग रहा था अब वो एकदम बदल गया था उसका गुस्से से भरा चेहरा अलग ही था । जिसे देख पीहू डर रही थी ।

    " नहीं भैरव हम दोस्त है ना तुम मुझे जाने दो हम बाद में बात करते है अभी तुम गुस्से में हो ", पीहू ने कहा ।

    " नहीं ये नहीं हो सकता मुझे पता है तुम अब गयी तो कभी वापस नहीं आओगी नहीं तुम नहीं जा सकती ", भैरव जो पीहू को ही देख रहा था उसने कहा और अपने कदम उसकी तरफ बड़ा दिए ।  वही पीहू उसे  देखते हुए पीछे की तरफ जा रही थी ।

    "  नहीं भैरव तुम समझ नहीं रहे हो में किसी को चाहती हूँ और वो भी मुझे चाहता है तो तुम कहां  से मतलब तुम समझो ना  हम बात करते है ना ", पीहू ने कहा पर भैरव तो उसे देखता ही रह गया । जिसने अभी अभी उसके सामने अपने प्यार का इजहार करा था  वो किसी  और को चाहती है ।

    " क्या कहा ",भैरव ने पीहू को दोनों बाजु से पकड़ कर अपने पास करते हुए कहा । वही पीहू उसके इस तरफ करने पर डर गयी

    " क्या कहा तुम किसी और को चाहती हो ",  भैरव ने कहा वही पीहू ने हाँ में सिर हिला दिया । उसे लगा के इस तरह से कहने पर भैरव उसे जाने देगा । लेकिन उसे नही पता था के भैरव के गुस्से को आग देने का काम करेगी ये बात।

    " हाँ"  उसने कहा।

    "  नहीं तुमने ये करके सही न नहीं करा तुमने मुझे धोखा दिया  है मेरे प्यार को धोखा दिया है ", भैरव जो गुस्से में पीहू के दोनों बाजु को दबाये जा रहा था उसने कहा। वही पीहू उसे इस तरह से देख बेहद डर गयी थी उसकी आँखों में आंसू बह निकले थे ।

    " भैरव प्लीज तुम क्या कर रहे हो जाने दो मुझे मेने झुठ कहा मै किसी से प्यार नही करती ", पीहू ने जल्दी से कहा ।

    " नहीं अब तुम यहाँ से कभी बाहर नहीं जा सकती तुमको मेने चाहा है तुम बस मेरी हो । मै भी देखता हूँ के मेरे  सिवा  कोन तुमको अपनाएगा ", कहते  हुए भैरव ने पीहू को अपने कंधे पर उठा लिया और आगे बढ़ गया । पीहू उसे छोड़ने का  कहती रही पर भैरव पर किसी भी बात का कोई असर नहीं था।

    " नहीं भैरव नहीं तुम ये गलत कर रहे हो",  पीहू ने उसे अपनी तरफ बढ़ते हुए देख कहा । वही भैरव उसे देख रहा था जो बैड की बेक से लगी उसे ही देख रही थी

    " नहीं आज मै सब सही करूँगा ", उसने कहा ।  पीहू उसके आगे हाथ जोड़ती रही पर भैरव ने उसकी एक ना  सुनी वो पीहू पर जानवर की तरह झपटा था । पीहू की ना ने उसे ललकारा था । जिस भैरव को आज तक अपने एक इशारे पर उसकी हर मनपसंद चीज मिली हो । जो दिखने में सूंदर था ।  इस गांव पर जिसका राज था । उस भैरव को पीहू की नाह स्वीकार नही थी ।वो तो उसे पेहले दिन से चाहता था और ये बात अपने एक लोते दोस्त को भी कही थी । और अब वो पीहू को किसी भी हाल में पाना चाहता था चाहे जैसे भी । इसके लिए उसने अपने ही प्यार की परवाह नही की ।

    भैरव ने वही करा जो उसे करना था। और अब पीहू बस एक लाश सी बनी उसे देख रही थी । जो उसे देख मुस्करा रहा था ।

    " छोटे मालिक छोटे मालिक बाहर पीहू दीदी की नानी आयी है उनके बारे में पूछ रही है ", दरवाजे से आवाज आयी तो भैरव जो बैठा पीहू को ही देख रहा था वो मुस्कुरा दिया ।

    " पता है पीहू मेने वो सब हासिल करा जो मुझे चाहिए था और तुम को देख पहली बार मेने जाना के कोई इतना मासूम भी हो सकता है । बस अब तुम मेरी हो और अब इस  से महल से  बाहर तूम नहीं जा सकती । यही तुम्हारा घर है ", भैरव ने कहा वही पीहू जिसकी आखों से आंसू बह कर तकिये में समा रहे थे वो  कुछ नहीं बोली । उसके बदन पर लिपटी चादर भी उसके साथ हूई बदसलूकी की गवाही दे रही थी ।

    " मै  आ रहा हूँ ", भैरव ने कहा और पीहू के होंठो को चुम कर अपने कपडे पहनने लगा  । वही पीहू ने उठने की कोशिश की पर तभी उसके मुंह पर एक रुमाल आया और वो वैसे ही लेटी रह गयी ।

    " तुम प्रेग्नेंट हो मै बहुत खुश हूँ अब हम  शादी कर लेंगे ", भैरव ने कहा आज पुरे छः महीने हो गए थे पीहू को भैरव की कैद में यहाँ पीहू चुप सी हो गयी थी यहां से बाहर उसने निकल कर नहीं देखा था बस आज गई  थी बाहर । भैरव ही ले गया था वो बेहोश हो गई  थी ।उसे नहीं पता था के उसके परिवार को क्या पता है उसके बारे में ।

    "  ठीक है तुम ये खाओ मै अभी बात करके आता हूँ पापा से हमारी शादी की  ",  भैरव ने कहा और रूम से बाहर चला गया । तभी पीहू ने तकिये के नीचे से एक फोन निकाला ।

    " हेलो",  उसने कहा । 

    "  देखो तुम्हारे वहां से निकलने का पूरा इंतजाम कर लिया है। तुमको बस अपने पास के रेलवे स्टेशन आना है ।  और वहां पर तुमको मैं मिल जाऊंगा।  बस किसी भी तरह तुम वहां से बाहर निकल जाओ मै तुमको यहाँ से ले जाऊंगा ",फोन की दूसरी तरफ से कहा पीहू जिसकी नजर दरवाजे पर थी उसने हूँ कहा ।

    " ठीक है मेने तुमको मेसेज करा है जिसमे डब्बा नंबर और सीट नंबर है समय भी।  कल मिलते है",  दूसरी तरफ से कहा गया तो पीहू ने फोन कान से हटाया और चुप सी लेट गयी । उसकी निगाहें छत को ही देख रही । जिनसे आंसूं बह कर तकिये में जजब हो रहे थे । चेहरे पर कोई भी भाव नही था ।

    दूसरी तरफ एयरपोर्ट पर

    " ले ये ले तेरा सामान और हां वहां जाकर मुझ से बात करना और सब बताना ", एक मास्क पेहने लड़के ने दूसरे लड़के के हाथ में उसका बैग देते हुए कहा ।वही दूसरे ने भी मास्क पेहना हूआ था । पर उसकी आंखे अलग थी । कद काठी भी अच्छी थी ।

    " ठीक है अब में चलता हूं ", उस लड़के ने कहा और अपना बैग उठा चल दिया ।

    रब राखा

    कया पीहू सच में भैरव के चुंगल से बच पायी वो अनजान कोन था जिसका फोन उसे आया और कैसे आया । पीहू के पास फोन कैसे आया । और वो कोन था जो एयरपोर्ट पर था । सब की कहानी जानने के लिए बने रहे साथ।

    हां जी कम से कम 50 समीक्षा तो बनती है । ना अगले दो भागो के लिए तो करे समीक्षा अगर रात तक पचास समीक्षा पूरी हुई तो दो भाग रात को नही तो कल को ।

  • 2. - Chapter 2

    Words: 1762

    Estimated Reading Time: 11 min

    कुछ साल बाद

    खुले खेत चारों तरफ हरियाली और उस हरियाली के बीच बाना हुआ एक आलीशान घर । जिसके बाहर खड़ा एक आदमी फोन पर बात कर रहा था । के तभी अंदर से कुछ टूटने की आवाज आने लगी।

    “ मै बाद में बात करता हूँ “, उसने कहा और फोन बंद कर अंदर की तरफ देखा और जल्दी से अंदर की तरफ चल दिया। वही अंदर एक लड़का जो के गुस्से में था वो सब समान तोड़ रहा था ।

    “ भैरव क्या कर रहे हो ये सबष“, उस आदमी ने अंदर आते हुए कहा । तो वो लड़का जो सब तोड़ फोड़ रहा था । वो उस सख्श को देखने लगा।

    “ भैरव क्या हो गया है तुमको “, उस शख्स ने आगे बढ़ उसे के कंधो से पकड कर कहा । भैरवा पचीस साल का गोरा रंग चेहरे पर हल्की दाढ़ी पर आंखे गुस्से से लाल हो रखी थी। वो उस सख्श को ही देख रहा था। और खुद को उस से छुड़ा कर ।

    “ मुझे पीहू चाहिए मुझे पीहू चाहीए “, उसने कहा ।

    “ हाँ बेटा वो मिल जाएगी पर तू अगर इस तरह से करेगा तो कैसे होगा सब संभाल खुद को “, उस शख्स ने कहा।

    “ मुझे मेरी पीहू चाहिए अभी अभी चाहीये “, उसने कहा ।

    “ बस भैरवा बहुत हुआ अब तू उसे भूल जा “, पापा ने कहा ।

    “ नहीं मैं नहीं भूल सकता उसे कभी नही , और उसे खुद को भूलाने भी ही दूंगा “, भैरव ने गुस्से से कहा और साथ ही हाथ मार कर सामान गिराने लगेगा । उसकी गुस्से से लाल आंखों में अब अलग ही आग थी ।

    “ मुझे छोड़ कर जाने की हिम्मत भी कैसे की। उसे तो सबक सीखाना है”, भैरव ने कहा । और अपने पापा को देख कर ।

    “ मेरा बच्चा लेकर भागी है वो ।अब उसके साथ साथ मुझे मुझे मेरा बच्चा भी चहिये “, भैरव ने कहा ।

    “ क्या पता के उसने बच्चा गिरा दिया हो “, पापा ने कहा । तो भैरव उनको दखने लगा और सोफे पर बैठ कर अपने पापा को देखने लगा ।

    “ वो ऐसा नही कर सकती वो ये कदम उठा ही नही सकती “, भैरव ने हँसते हुए कहा ।

    “ क्यों नहीं कर सकती “, उसके पापा ने उसे इस तरह से हँसते हुए देख कहा ।

    “ क्यूंकि वो मर जायगी अगर उसने मेरे बच्चे को कुछ भी करा तो वो भी जिंदा नही रह पायेगी और वो इतनी मासूम है के इतना बड़ा गुनाह करने का सोच भी नहीं सकती “, भैरवा ने कहा इस समय उसकी आखो में गुस्सा नही था । वही उसके पापा उसके पास बैठ गए ।

    “ लेकिन क्या पता वो कहाँ है ढूंढ तो रहे है ना हम उसे पर उसका तो कही पता ही नहीं है “, पापा ने कहा ।

    “ पता चल जाएगा , बहुत जल्द ", भैरव ने कहा और अपने पापा को देखने लगा। और फिर टेबल पर पड़ी बोतल उठा कर चल दिया । वही उसके पापा देखते ही रह गए । भैरव आपने रूम में आया और रूम की लाइट चला दी । जिसके साथ ही उस रूम में उजाला हो गया । और उस रूम की दीवार पर कुछ फोटो दिखने लगी जो के बड़ी छोटी हर साइज की थी जिन मे एक बहुत ही प्यारा चेहरा दिख रहा था । ,मासूम सा फुलों के जैसा । आखो में सपने । किसी फोटो में वो चेहरा मुस्कुराता हुआ तो किसी फोटो में खिलखिलाता हुआ । किसी फोटो में वो चेहरा फूल के साथ दिख रहा था । तो किसी फोटो में तितलियों के साथ । वही उन सभी फोटो के बिच एक बड़ी सी फोटो लगी हुई थी जिस में वो ,मासूम से चेहरे वाली लड़की दिख रही थी ।लेहंगा चोली पहने हुए खुले बाल जो कमर के निचे तक आ रहे थे । और हाथ में दूपटे का एक कोना पकडे अपने होंठो की बिच दबाये हुए। ऐसा लग रहा था के लड़की अभी फोटो से बाहर निकल कर आ जाएगी। वही भैरव उस फोटो को देख रहा था और उस बोतल को मुहं से लगा का पीने लगा ।

    “ पीहू पीहू तुम नहीं जानती तुमने क्या कर दिया “, भैरव ने कहा ।और उस फोटो के पास आ गया और उस फोटो को हाथ लगा कर देखने लगा।

    “ पीहू नहीं करना चाहिए था तुमको ये सब भागना तो बिलकुल भी नहीं । मेरे बच्चे को मुझसे दूर करने की और मुझे खुद से दूर करने की सजा मिलेगी तुमको “, भैरव ने कहा जो उसी फोटो को देख रहा था।

    इसी चेहरे वाली एक लड़की जो इस समय लोअर टीशर्ट में थी । बालों का सिर पर रफ सा जुड़ा बना हुआ था । और वो जल्दी से अपने हाथ चला रही थी । जल्दी जल्दी वो घर के सभी काम कर रही थी , साथ ही वो दीवार पर लगी घड़ी को भी देख रही थी । जिस पर सात तीस हो रहे थे । और उसे कैसे भी कर के आठ बजे से पहले बस स्टॉप से बस को लेना था ।

    " जल्दी कर आज बस भी लेनी है ", खुद से बात करती हुई वो जल्द-से-जल्द अपने काम करने लगी । लेट होने का कोई सवाल ही नहीं था । तो बस उसके हाथ बहुत जल्दी में चल रह थे । इतने जल्दी में के वो हर काम को सही तरह से कर रही थी । जब उसे लगा के सब काम हो गए है तो वो आपने कपडे लेकर बाथरूम की तरफ को चल पड़ी । बीस साल की ये लड़की इस रूम में अकेली ही थी बस दीवार पर एक फोटो लगी हुई थी । जिसमे उस लड़की के साथ इक औरत थी । बाकी रूम का सारा सामान आम सा ही था । वही एक कोने में बेड लगा हुआ था और उस बजे के साथ दिवार से लगी एक गोदरेज की अलमारी थी ।

    उसी रूम के एक हिस्से में दो सलेब थी जिस में रसोई का सामान था । कुछ डिबे पड़े थे एक तरफ प्लास्टिक की टोकरी में बर्तन और गेस चूला जो स्लेब पर पड़ा था  । उतने में ही वो लड़की भी बाहर आ गयी जो के इस समय साल्वर सूट में थी । उसने शीशे की सामने खुद को देखा और अपने बालों की चोटी बनाने लगी । बस वो हो गयी तैयार उसने रसोई में जाकर देखा खाने   को कुछ नहीं था । तो वो वैसे ही पानी का गिलास पी कर रूम को लोक कर बाहर की तरफ चल दी । उसके पास उसका एक स्लिंग बैग था । जिस की स्ट्रेप उसके काँधे पर थी । तभी उसे वाइब्रेट होने की आवाज सी आयी तो उसने अपने बैग से फोन निकला और देखने लगी । जिस पर कुछ एड्रेस सा था । जिसे देखते हुए वो आगे बढ़ गयी ।

    अभी वो बस स्टॉप पर आकर खडी ही हुई थी के तभी बस आ गई और वो उस बस में चढ़ गयी । एक बार उसने फिर से अपने फोन पर उस एड्रेस को देखा । और फिर सामने देखने लगी । आखों में नींद भरी पड़ी थी । जिसकी वजह से वो बार बार नींद की झपकी ले रही थी । और इसी झपकी लेने के चक्र में उसका सर जोर से खिड़की में जा लगा । जिसकी वजह से उसके मुहं से मां निकल गया । और अपने हाथ से सिर दबाने लगी । पास बैठी लड़की उसे देखने लगी ।

    " आप ठीक हो ", उसने कहा तो उस लड़की ने हाँ में सिर हिला दिया ,। साथ ही अपने सर को हाथ से दबाने लगी । कुछ पंद्रह मिनट बाद आये स्टॉप पर वो उतरी , और चारों तरफ देखने लगी। ये एक रिहायशी कलोनी थी । यहाँ पर बड़े बड़े घर थे । उस लड़की ने आगे बढ़ अपना फोन देखा । वो इस तरफ पहले भी आयी थी , पर उसे इस घर के बारे में पता नही था । तो आगे बढ़ वो लड़की एक दुकान में चली गए ।

    " अंकल आपको पता है इस एड्रेस के बारे में ", उस लड़की ने अपना फोन उनको दिखाते हुए कहा । तो वो अंकल अपना चश्मा सही करते हुए , फोन देखने लगे ।

    " हाँ ये तो यही पास का ही है । रंधावा हॉउस यहां से सीधा तीन घर छोड़ कर आगे वाला बाहर ही नेमप्लेट लगा होगा ", उन्होंने कहा तो वो लड़की उनको देखने लगी । शुक्रिया उसने कहा और आगे बढ़ गयी। वही अंकल हैरान से रह गए।

    " शुक्रिया आज के जमाने में कोन कहता है ", उन्होंने खुद से ही कहा । वही वो लड़की आगे बढ़ रही थी । तो उसे ठीक सामने रंधावा हाउस दिखा । जिसे वो देखने लगी ।

    " प्यारा घर " , उसने मन ही मन कहा और आगे बढ़ उस घर की बेल लगा दी । तो कुछ देर बाद गेट खुला। सामने सिर झुकाये लड़का खड़ा थ । जो अपना फोन देख रहा था ।

    " क्या काम है " , उसने वेसे ही कहा । लड़की को देखा भी नही ।

    " वो आज मम्मी की जगह पर खाना बनाना है मुझे मम्मी नहीं आएगी आज ", उस लड़की ने कहा । उस लड़के ने फोन देखते हुए ।

    " अच्छा नाम क्या है तुम्हारा ", उसने कहा और फोन कान से लगा लिया ।

    " प्रीत ", उस लड़की ने कहा । उस लड़के ने हाथ से अंदर आने का कहा ।

    " कितनी बार कहा है के आराम से सब देख लिया करो पर नहीं समझ ही नहीं आता कुछ तुम लोगो को ", उस लड़के ने कहा । वही प्रीत उसे देखती ही रह गई । एक पल को तो वो डर ही गयी थी उसकी आवाज से । वही वो लड़का गेट बंद कर आगे बड गया । पर उसने फोन कान से नहीं हटाया । प्रीत भी उसके पीछे ही चल दी । साथ ही वो चारों तरफ देख रही थी ।

    " मेने कहा ना वही रहो तो क्यों आ गए ", वो लड़का फिर से बोला तो प्रीति उसे देखते ही रुक गयी ।

    " पागल हो सब के सब ", उसने कहा और फोन कान से हटा कर आगे बढ़ गया। वही प्रीत वही खड़ी रह गई ।

    प्रीत तो उसे देखती ही रह गई दिखने में अच्छा खासा लड़का । जो फोन पर ही लगा हूआ था । गोरा रंग अच्छी कद काठी पर प्रीत ने उसकी आंखो का रंग नही देखा था । अब देखती कैसे वो तो फोन में घुस रखी थी

    रब राखा

  • 3. - Chapter 3

    Words: 1466

    Estimated Reading Time: 9 min

    काकी कहाँ हो आ जाओ मुझे भूख लगी है ", अंदर से आवाज आयी तो प्रीत जो हैरान सी थी वो अंदर की तरफ चल दी । वही वो लड़का अपने लैपटॉप को देख रहा था ।प्रीत ने उसे देखा और फिर चारों तरफ देखने लगी

    " रसोई कहा है ", प्रीत ने चारो तरफ देखते हुए कहा ।

    " उस तरफ ", उस लड़के ने हाथ से इशारा कर कहा तो प्रीत उस तरफ चल दी । पर रुक कर वापस उस लड़के की तरफ आयी ।

    " क्या बनाऊं ", उसने कहा ।

    “ जो भी हो बाना दो काकी ये भी पूछने की बात है और हाँ लिस्ट भी बाना देना आते हुए सामान ले आऊंगा ", उसने वीसे ही सिर लैपटोप में दिए हुए कहा । तो प्रीत ने सिर हिला दिया और अपने काम में लग गयी । रसोई में ज्यादा कुछ नही था । उसकी मम्मी एक हफ्ते से काम पर नही आई थी । छुट्टी थी यहां पर इसी वजह से सामान भी कम ही था ।

    रसोई देखते हुए उसे पोहा दिखा तो प्रीत ने जल्दी से उसे ही बनाना शुरू कर दिया । साथ ही चाय भी रख दी उसने ।

    " काकी जल्दी करना आज मुझे जाना है ", बाहर से आवाज आयी तो प्रीत ने एक बार देखा और फिर से अपने काम में लग गयी । उसने जल्दी से पोहा बनाया और एक बाउल में निकाल कर ट्रे में रख । साथ ही केतली में चाय भी ले कर । बाहर की तरफ चल दी । एक तरफ छोटा सा डाइनिंग टेबल लगा हुआ था। जिस पर उसने ट्रे रखी और उस लड़के को देखने लगी ।

    " सर खाना बन गया है ", उसने कहा । तो वो लड़का जो लैपटॉप को देख रहा था उसने सिर उठा कर देखा , तो देखता ही रह गया ,उन्नीस बिस साल की लड़की उसके सामने थी । साफ रंग हाइट उसके कंधे तक की और सलवार सूट में । जो उस पर बेहद जच रहा था ।

    " आप कोन और काकी कहाँ है " , उसने कहा । प्रीत जो उससे देख रही थी । “ मम्मी की तबीयत ठीक नही है ना सुबह बात हुई थो आपसे ।इस लिए मैं आगयी खाना तैयार है ।" उसने कहा ।लड़का एकटक उसे ही देखे जा रहा था

    " सॉरी पर तुम बहुत सूंदर हो ", उस लड़के ने कहा तो प्रीत उसे देखती ही रह गयी ।

    " ये लिस्ट है खाने की ", प्रीत ने एक पेपर उसकी तरफ करते हुए कहा । तो उस लड़के ने पेपर को ले लिया ।

    " वैसे मेरा नाम रीत है तुम्हारा नाम ", उस लड़के ने प्रीत के हाथ से लिस्ट लेते हुए कहा । प्रीत उसे देखती रेह गयी ।

    " बताया तो था आपको ", उसने कहा ।

    " सॉरी मेने ध्यान नहीं दिया ”, रीत ने कहा तो प्रीत ने उसे अपना नाम बताया। मेरा नाम प्रीत है उसने कहा ।

    " ठीक है प्रीत काकी की तबियत कैसी है अब ", रीत ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा । तो प्रीत ने उसे खाना सर्व करा ।

    " हाँ अब ठीक है पर जब तक वो अच्छे से ठीक नही हो जाती तब तक में ही खाना बनाने आने वाली हूँ ", उसने कहा । रीत ने उसे देखा और मुस्कुरा दिया ।

    " ठीक है जैसे तुमको सही लगे और कोई जरूरत हो तो बता देना ", उसने कहा । प्रीत ने सर हिला दिया । वही रीत खाने लगा । प्रीत उसे ही देख रही थी।

    " सर मुझे जाना है टाइम हो गया है ", उसने धीरे से कहा तो रीत उसे देखने लगा।

    " हां ठीक है ", उसने कहा तो प्रीत अपना बैग लेकर चल दी के तभी रीत की आवाज से उसने पीछे मुड कर देखा । रीत भी उसे ही देख रहा था ।

    " डीनर बनाने तो आओगी ना वो क्या है के काकी रात तक रूकती थी ", उसने कहा तो प्रीत उसे देखती ही रह गयी । क्यूंकि उसकी मम्मी बस यही काम करती थी पूरा दिन यही रहती थी । घर का सभी काम करना उनका ही था ।

    " जी आ जाउंगी छः बजे तक ", प्रीत ने कहा तो रीत ने सिर हिला दिया और प्रीत वहां से बाहर चली गई । रीत जो खाना खा रहा था उसका फोन फिर से बजने लगा तो उसने फोन उठा लिया ।

    " हाँ आ रहा हूँ खाना खा रहा हूँ जल्दी मत कर " , उसने कहा और फोन रख चाय का घुट भरा तो एक पल को वो मुस्कुरा दिया ।

    " टेस्टी है ", उसने कहा और अपना पूरा ध्यान खाने पर लगा दिया । प्रीत न वापस उसी दुकान पर आगयी यहाँ उसने एड्रेस पूछा था । और वहां से एक चिप्स का पैकेट ले लिया । और आगे बढ़ गयी । उसने वही से दूसरी बस ली और चल दी आगे के सफर के लिए । साथ ही वो चिप्स खा रही थी ।

    " प्रीत कितनी बार कहा है के चिप्स नहीं खाते है पर तुम नही मानती कितनी बड़ी हो गयी हो । पर एक काम सही से नहीं कर पाती हो ", प्रीत के कानो में कुछ बोल गूंजे ।जिसके साथ ही उसके चेहरे पर स्माइल आगयी और वो अपने पैकेट को देखने लगी । जो उसके हाथ में था। कुछ देर बाद वो कॉलेज के सामने उतरी और देखने लगी । यहाँ एक तरफ उसे चाय की टपरी दिखी तो पहले वो उस तरफ चल दी । बिना चाय पीये उसका दिन नहीं होता था और आज उसने सुबह से चाय नही पी थी । जिस वजह से उसके सर में दर्द होने लगा था ।

    ", भईया चया दे दो ", प्रीत ने कहा और वही लगे बैंच पर बैठ गयी । भईया ने भी गर्मा गर्म चाय प्रीत को दे दी वही प्रीत ने उस चाय को लिया और सामने देखने लगी । यहाँ पर कुछ बच्चे बड़ी बड़ी गाडिओं में कॉलेज गेट से अंदर जा रहे थे । तो कुछ के पैरेंट्स उनको छोड़ कर जा रहे थे । बहुत कम ही बच्चे थे जो के बस से जा ऑटो से आ रहे हो । प्रीत यही सब देख रही थी और अपनी चाय पी रही थी । वो भी अपनी चाय की खाली प्याली रख कर उस गेट से अंदर चली गयी । प्रीत सीधे उस कोलेज के डांस क्लास की तरफ जा रही थी। रास्ते में उसे कोन मिला किसने उसे देखा इस सब से बेखबर वो चली जा रही थी। यहाँ वो कल ही आयी थी अपने डांस सर के साथ । प्रीत डांस क्लास में आई यहा उसे सामने ही सर दिखे (राजवीर सर )।

    " प्रीत आगयी ", सर ने उसे देख कहा । तो प्रीत ने हाँ में सर हिला दिया।

    " यहाँ तक आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई ना ", सर ने कहा । तो प्रीत ने ना में सर हिला दिया ।

    " तो ठीक है चलो आज मै तुमको सब से मिलाता हूँ बाकि तो तुमको पता है ही के एक महीने बाद यहाँ पर डांस कॉम्पिटिशन होने वाला है । बस उसकी ही तैयारी कारवानी है ", सर ने चलते हुए कहा । वही प्रीत उनके साथ चली आरही थी । ये एक बाड़ा सा हॉल था , यह पर बहुत सारे स्टूडेंट थे ।

    " हेलो एवरिवन ", सर ने सब को देख कर कहा तो सब उनको देखने लगे ।

    " जो भी यह पर डांस के लिए आये है वो यही रहे बाकी सब चले जाये , अपनी अपनी पढ़ाई करे " , उन्होंने कहा तो वो पूरा हाल ही खली हो गया । प्रीत तो बस देखती ही रह गयी । वही राजबीर सर मुस्कुरा दिये। यहाँ पर बस पांच लड़के और पांच ही लड़किया रह गयी थी ।

    " प्रीत ये रहे जिन्हे डांस सिखाना है ", उन्होंने कहा तो प्रीत उनको देखने लगी ।

    " और हाँ कुछ स्टूडेंट हमें बाद में ज्वाइन करेंगे ", सर ने कहा तो प्रीत ने हाँ में सर हिला दिया ।

    " अब चलो तुम सब अपने अपने पार्टनर के साथ आ जाओ ", सर ने स्टूडेंट्स को देख कर कहा तो वो पांच जोड़े बन गाये ।

    " ठीक है सर अभी दस बजे है तो हम अब अपने गाने देख लेते है ", प्रीत ने कहा ।

    " बिलकुल ", सर ने कहा । और प्रीत के साथ ही लग गये । वही कुछ लड़के तो प्रीत को ही देख रहे थे और प्रीत सर के साथ उनके डान्स के स्टेप पर डिस्कशन कर रही थी ।

    रब राखा

    कया पीहू ही प्रीत है जां अलग अलग है । क्या भैरव अपनी पीहू को ढूंढ पायेगा । क्या प्रीत अपनी जिंदगी की परेशानियों से नीकल पायेगी । जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 4. - Chapter 4

    Words: 1367

    Estimated Reading Time: 9 min

    प्रीत राजवीर सर के साथ डांस स्टेप के बारे में बात करके बच्चो को डांस के बारे मे बताने लगी । वही वो बच्चे भी उसकी नकल कर रहे थे । प्रीत राजवीर सर के साथ ही उनके डांस स्कूल में काम करती थी । तो बस इसी वजह से सर ने उसे यहाँ पर बुला लिया । क्यूंकि सबको डांस सीखना उनके बस के बाहर लग रहा था । शाम चार बजे तक प्रीत ने सब को उनके डांस के स्टेप अच्छे से बता दिए थे । यहां तक के अगर किसी को समझ ना आये तो प्रीत उनको कल को कुछ और बता भी सकती थी । चार बजे प्रीत राजवीर सर के साथ ही कॉलेज से बाहर निकल गयी ।

    " ओके सर अब मुझे जाना है ", प्रीत ने कहा तो सर ने हाँ में सिर हिला दिया । वही प्रीत ने बस ली और चल दी । अब उसे वापस जाना था । वही काम करना था वहां का । अपनी मम्मी की जगह पर । वैसे तो प्रीत ने कभी इस काम को नही करा था । ना ही उसकी मम्मी ने उसे करने हीे दिया था कभी ये काम । पर आज उसे ये काम भी करना था । तो बस वो चल दी उस तरफ । पांच बजे के आस पास वो वापस उसी घर के सामने खड़ी थी यहाँ वो सुबह आयी थी । और आगे बढ़ उसने बेल लगा दी , दो बार उसने बेल लगाइ । पर गेट नहीं खुला । तो वो चारों तरफ देखने लगी । तभी उसके पास एक गाडी खड़ी हुई । जिसे वो देखने लगी ।

    " प्रीत तुम आगयी सॉरी वो पता नहीं था मुझे के तुम इतनी जल्दी आ जाओगी ", गाड़ी से निकले रीत ने कहा तो प्रीत ने सिर हिला दिया ।

    " वो काम करना था झाड़ू पोचा तो बस आ गयी मै ", प्रीत ने कहा । रीत उसे देखता रहा । ओके ठीक है , उसने कहा और आगे बढ़ गेट को खोला और वापस गाड़ी में बैठ गया और गाड़ी को भी अंदर ले गया । वही प्रीत ने अंदर आते हुए गेट को बंद कर दिया । और आगे बढ गई ।

    " वो तुमने जो लिस्ट दी थी वो समान लेने रुक गया था वरना कभी लेट नहीं होता मैं ", रीत ने गाड़ी से सामान निकालते हुए कहा । तो प्रीत ने भी आगे बढ़ सामान उठा लिया । रीत जो आगे बढ़ गया था उसने दरवाजा खोला और अंदर आ गया । वही प्रीत भी उसके पीछे पीछे आगयी और रसोई की तरफ चल दी । उस ने भी सामान रसोई में ही रख दिया ।

    प्रीत जो सामान रख रही थी उसने रीत को देखा । और वो उसके चेहरे को देखती ही रह गई ।

    “ क्या देख रही हो “, रीत ने प्रीत को एसे खुद को देखते हुए पा कर कहा।

    “ सॉरी सर वो आपकी आंखे “, प्रीत ने कहा । तो रीत उसे देखता रहा ।

    “ आई हेट माई आईस “, रीत ने कहा और वहा से चला गया वही प्रीत उसे देखती ही रेह गई । रीत की आंखो की पुतली का रंग हैजल ग्रीन सा था । बेहद ही खूबसूरत आंखे थी उसकी उसके गोरे रंग पर और भी जच रही थी ये आंखे पर  रीत का आई हैट माई आईज केहना प्रीत को अजीब लगा । प्रीत तो बस उसे देखती ही रह गई।

    " चाय बना लो पहले उसके बाद काम करना ", रीत ने कहा वही प्रीत ने अपने ख्यालों से बाहर आई और अपना बैग एक तरफ रख काम में लग गयी । उसने चाय चढ़ा दी और साथ ही सामान को सही से रखने लगी । रीत भी सोफे पर बैठ गया और टीवी लगा कर देखने लगा । कुछ ही देर में प्रीत चाय का कप ले आयी साथ ही उसने नमकीन भी रखी थी। रीत ये सब देखता ही रह गया , और मुस्कुरा दिया ।

    " तुम्हारी चाय", उसने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " हाँ तुम्हारी चाय कहाँ है ", रीत ने कहा ।

    " वो मेने नही बनाई ", उसने कहा । रीत उसे देखता रहा

    " प्रीत देखो काकी भी यही पर खाना खाती है चाय पीती है तो तुम भी वैसे ही करो ठीक है और हां फील फ्री रहो ", रीत ने कहा तो प्रीत ने सिर हिला दिया।पर नजरें तो उसकी आंखो पर ही ठहर रही थी ।

    " ठीक है एक कप ले आओ हम आधी आधी चाय पीते है", उसने कहा तो प्रीत ने वैसे ही करा । और दोनो बैठ कर चाय पीने लगे। बात कोई नही थी दोनों के बीच। बस टीवी को ही देख रहे थे । कुछ देर बाद प्रीत खाली कप उठा कर चल दी तो वही रीत भी अपने काम में लग गया । प्रीत ने सब्जी काटी और गैस पर चडा दी । साथ ही साफ सफाई करने लगी । इस दोरान रीत अपने लापटोप में ही लगा रहा उसने प्रीत को नही देखा । तो ना प्रीत ने उसे देखा । दोनो अपने अपने काम में मस्त थे । रात का खाना बना कर प्रीत रीत के पास आई ।

    " सर खाना बन गया है अब में जाऊं ", उसने कहा तो रीत ने उसे देखा । और फिर अपने हाथ पर बांधी घड़ी को देखने लगा ।

    " अरे हाँ तुम जाओ बहुत टाइम हो गया ", उसने कहा , तो प्रीत जाने लगी ।

    " सुनो खाना तो खा लो ", रीत ने कहा । तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " मन नहीं है मेरा ", उसने कहा ।

    " थोड़ा सा खा लो मुझे अकेले खाने की आदत नहीं है मै भी तुम्हारे साथ ही खाना खा लूंगा ", उसने कहा तो प्रीत ने सिर हिला दिया । और वापस आकर डाइनिंग टेबल पर खाना लगाने लगी । दोनों ने खाना खाया जिसके बाद प्रीत ने बर्तन साफ कर दिये और रीत को बाए बोल कर चली गई रीत ने भी गेट बंद करा और वापस अपने काम में लग गया ।

    रीत आठ बजे के करीब वापस बस में बैठी थी उसकी आखों में बहुत नींद दी जिसकी वजह से उसकी आंख बंद हो रही थी । तो वो वैसे ही सीट से सर लगा कर आँखें बंद कर बैठ गयी ।

    तभी उसकी बंद आखों में से आंसू बाहर की तरफ निकल ने लागे ।

    " जिनको उतरना है जल्दी उतरे ", कंडक्टर की आवाज से प्रीत उठी और देखने लगी उसे यही उतरना था ।

    " रुको भइया मुझे यही उतरना है ", प्रीत ने कहा तब तक बस फिर से चल पड़ी थी ।

    " रोको रोको ना ", उसने फिर से कहा ।

    ' क्या मेडम सोने से पहले देखना था न", कंडक्टर ने उसे देख कहा । वही बस के रुकते ही प्रीत उतर गयी । बस चली गयी तो वो अपने सामने देखने लगी यहाँ सरकारी हॉस्पीटल की बिल्डिंग दिख रही थी । और प्रीत उसके अंदर चल दी । चलते चलते वो हॉस्पिटल के उस हिसे में आ गयी यहा सामने ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट लिखा था । जिसके ठीक नीचे कैंसर विभाग लिखा हुआ था । जिसे वो देखने लगी और फिर उसके अंदर चली गयी । यहाँ कैंसर से पीड़ित मरीजों को ही रखा गया थे । जिनको देखते हुए प्रीत आगे बड़ रही थी। तो सामने उसे एक बैंड पर औरत दिखी । जिस्की फोटो उसके साथ घर की दीवार पर लगी हुई थी । प्रीत उसे देखते हुये आगे बढ गयी और पास रखे टेबल पर बैठ गयी । उस औरत के चेहरे पर आक्सीजन मास्क लगा हुआ था। आँखे भी बंद थी उसकी । प्रीत ने उस औरत का हाथ पकड़ कर अपने गाल से लगा लिया ।

    "मम्मी ", उसने कहा और साथ ही सुखी आँखों में सैलाब आ गया अपनी मम्मी को देख कर जो यहाँ पर बेजान सी लेटी हुई थी ।

    रब राखा

    रीत को अपनी आंखो से नफरत क्यूं है जिस से वो इस दुनिया के रंग देखता है । क्या प्रीत की मम्मी को कैंसर है जिस वजह से वो काम पर नही जा सकती तो प्रीत ने झूठ क्यूं कहा के वो ठीक है । जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 5. Chapter 5

    Words: 1271

    Estimated Reading Time: 8 min

    प्रीत अपनी मम्मी को ही देख रही थी ।” मम्मी उठ जाओ ना देखो में कितनी अकेली हो गयी हूँ ", प्रीत ने अपनी मम्मी के हाथ को पकड कहा। पर वो बेजान शरीर कोई हरकत नही कर रहा था । बस शांत सा लेटा हुआ था । प्रीत उसे देखे जा रही थी । और साथ ही रोये भी ।

    दो रात पहले की बात थी प्रीत की आंख खुली तो उसने अपनी मम्मी को अपने साथ नही पाया । दोनों माँ बेटी एक ही बेड पर सोती थी । पर आज मम्मी नही थी उसने समय देखा । रात के दो बज रहे थे अभी । वो जल्दी से उठी और देखने लगी के तभी वो किसी चीज से टकरा कर गिर गयी । उसने देखा तो उसकी मम्मी नीचे फर्श पर गिरी हुई थी । उनको कोई होश नही था । प्रीत हैरान सी देखती ही रह गयी उनको । जल्दी से वो मम्मी के चेहरे को उठा कर अपनी गोद में ले उनको उठाने की कोशिश करने लगी । उसके बाद भी मम्मी को कोई होश नही आया था पानी के छींटे मारती वो रोये जा रही थी ।

    " मम्मी उठो ना क्या हुआ है उठो ना मम्मी आप ", वो साथ साथ त बोले जा रही थी । पर मम्मी को कोई होश ना आता देख वो अपनी जगह से उठी और फोन ले कर एम्बूलेंड्स को लगा दिया । कुछ देर बाद वो हॉस्पिटल में थी। यहां डॉक्टर ने उसकी मम्मी की जांच करनी शुरू करदी पर किसी को पता नही चल रहा था के । आखिर ये सब क्या हुआ है ।

    " हमे कुछ टेस्ट करने होगे ", डॉक्टर ने प्रीत को देख कहा तो प्रीत उनको देखने लगी ।

    " तो करो ना आप सब टेस्ट करो", उसने कहा , ।

    " बेटा उसके लिये सभी फीस तुमको देनी होगी ", डॉक्टर ने कहा ।

    " ठीक है में दूंगी फीस अब बस टेस्ट करो ", उसने कहा तो डॉक्टर भी अपने काम में लग गए । उन्होंने भी मम्मी के सभी टेस्ट और सकेन वगेरा करने लगे । प्रीत बस एक तरफ बैठी देख रही थी ये सब । उसे तो बस अपनी मम्मी से मतलब था वो आंखे नहीं खोल रही थी । अगले दिन की दोपहर हो गयी थी । प्रीत वैसे ही वही बैठी हुई थी उसने ना कुछ खाया था ना हीं कुछ पिया वो बस अपनी मम्मी की आवाज को सुनने के लिए तरस गयी थी ।

    " प्रीत ", एक आवाज से प्रीत सामने खड़े डॉक्टर को देखने लगी । मम्मी को होश आगया ", प्रीत ने खड़े होते हुए कहा तो डॉक्टरर उसे देखने लगा ।

    " चलो मेरे साथ ", उन्होंने कहा तो प्रीत उनको देखती रह गयी।

    " चलो मेरे साथ ", उन्होंने फिर से कहा तो प्रीत उनके साथ चल दी । डॉक्टर उसे अपने केबिन में ले गए ।दोनो बैठे हुए थे ।

    " तुम्हारे पापा कहाँ है जा कोई बड़ा हो घर में ", डोक्टर ने कहा । तो प्रीत उनको देखती ही रह गयी ।

    " क्या बात है मुझे बताये ना और पापा नही है मैं ही हूं ", उसने का तो डॉक्टर उसे देखते ही रह गाये । वही प्रीत उनको हैरान आंखों के साथ देख रही थी ।

    " बात क्या है डॉक्टर ", उसने डॉक्टर को देखते हुए कहा । तो डॉक्टर ने प्रीत के आगे रिपोर्ट्स रख दी ।

    " तुम्हारी मम्मी को कैंसर है वो भी लास्ट स्टेज , अब हम कुछ नही कर सकते ", उन्होंने कहा । प्रीत जो उनको देख रही थी वो कुर्सी की बेक से लग गयी और डॉक्टर को देखती रह गयी । वही डॉक्टर उसे देख रहे थे । रात से ही उन्होंने देखा था प्रीत को ।

    " देखो बच्चे अब हम कुछ नही कर सकते , तुम्हारी मम्मी को तुम्हारी जारूरत है घर ले जाओ इनको और उनके साथ ही रहो ", उन्होंने कहा ।

    " नही में ये नहीं कर सकती नहीं ये नही हो सकता ", प्रीत ने कहा और केबिन से बाहर निकल कर अपनी मम्मी के रूम की तरफ भागने लगी । वही डॉक्टर भी उसके पीछे पीछे चल दिए । प्रीत रूम में आयी तो देखती ही रह गयी यहा उसकी मम्मी अभी भी होश में नहीं आयी थी । वो वैसे ही बेजान सी थी । जिनको देख वो उनके पास आ कर उनके चेहरे को थपथापने लगी ।

    " मम्मी उठो देखो में आगई हूं देखो ना । उठो देखो डॉक्टर क्या बोल रहे है। मुझे नही पता आप उठ जाओ और मेरे साथ बात करो ना ", वो बोले जा रही थी । वही डॉक्टर नर्स उसे देख रहे थे ।

    " मम्मी उठो ना मुझे डर लग रहा है पता है ना मुझे अकेले में डर लगता है तो उठ क्यूं नही रहे हो आप ", उसने कहा डॉक्टर ने नर्स को देखा। तो नर्स ने आगे बढ़ प्रीत को उसकी मम्मी से अलग करा । तो प्रीत अपना चाहरा अपने हाथों से ढक कर रोने लगी ।

    " मेरे केबिन में ले आओ ", डॉक्टर ने नर्स से कहा तो नर्स ने हाँ में सर हिला दिया । और प्रीत को लेकर चल दी । कितनी देर तक आंसु बहाने के बाद प्रीत शांत हुई थी । वही डॉक्टर उसे देख रहे थे

    " लो पानी पीओ ", डॉक्टर ने उसस्के आगे पानी का गिलास कर कहा । तो प्रीत वो गिलास उठा कर पानी पी लिया । वही डॉक्टर उसे देखते रहे ।

    " प्रीत हमें पता है ये समय कितना मुश्किल है । पर मै यही कहूंगा के तुम अपनी मम्मी को यहां से ले जाओ । एक तो प्राइवेट हॉस्पिटल है ऊपर से यहां के खर्च , और जब पता है के आगे कुछ नहीं होगा तो ", कहते हुए डॉक्टर चुप कर गये । क्यूंकि प्रीत उनको देखने लगी थी ।

    " ठीक है तो हम सरकारी हॉस्पिटल में बात करते है वहां पर फ्री इलाज है ", डोक्टर ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा तो । प्रीत उठ कर जाने लगी ।

    " बेटा खाना खा लो सुबह से तुमने कुछ नहीं खाया ", डॉक्टर ने कहा । प्रीत उनको देखने लगी ।

    " बैठो खाना खा लो में बात करता हूँ ", उन्होंने कहा । प्रीत वही बैठ गयी । डॉक्टर ने उसके आगे खाने की पलेट करदी और नर्स को वही रहने का बोल खुद बाहर चले गाये। वही प्रीत उस प्लेट को देखे जा रही थी जिसमे खाना था तो उसने हाथ बड़ा कर खाना खा लिया भूख लगी थी उसे । और फिर से शाम होने को थी अब ।

    रात होते होते डॉक्टर ने अपने सारे सोर्स लगा कर प्रीत की माँ को सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया था । बस अब प्रीत और उसकी मम्मी एम्बुलेंस में बैठ कर जाने वाली थी । डॉक्टर जो सब देख रहे थे प्रीत उनके पास आगयी ।

    " सर वो फीस बता दो में पे कर दूं ", प्रीत ने उनके पास आकर कहा तो डॉक्टर ने उसके सिर पर हाथ रख दिया ।

    " तुम फ़िक्र मत करो उसका काम हो गया है तुम अपनी मम्मी को देखो जाओ ", उन्होंने कहा तो प्रीत एम्बुलेंस में बैठ गयी और वहां से वो चल दी । सरकारी हॉस्पिटल आकर प्रीत की मम्मी को भी उन सभी मरीजों के साथ ही रखा था जो वहां पर कैंसर की वजह से आये थे

    रब राखा

    अब आगे क्या होगा । कैसे प्रीत सब मेनेज कर पायेगी । क्या कोई उसका सहारा बनेगा । जा वो अकेली ही रह जायेगी । जा बनेगी किसी के ख़्वाबों का सपना जानने के लिए बने रहे साथ ।

  • 6. Chapter 6

    Words: 1342

    Estimated Reading Time: 9 min

    प्रीत उस रात अपनी मम्मी के पास ही बैठी रही सुबह के करीब छः बजे आयी नर्स ने जब प्रीत को वही देखा तो वो उसके पास आगयी और उसे उठाया । जो टेबल पर बैठी मम्मी के हाथ पर ही सर रख कर सो रही थी ।

    " बेटा तुम घर जाओ हम है ना तुम्हारी मम्मी के लिए ", उस नर्स ने कहा तो प्रीत ने उनको देखा ।

    " पर मम्मी को अकेले कैसे छोड़ दूँ मै ", प्रीत ने डरते हुए कहा ।

    " अकेले कहाँ है हम है हमारा काम है इनकी देखभाल करना ", नर्स ने कहा । तो प्रीत ने वहां पर चारों तरफ देखा यहा पर सब मरीज ही थे कोई नहीं था उनके साथ ।

    " ऐसा करना तुम एक बार आकर अपनी मम्मी से मिल लिया करना बाकी तुम अपना काम करना ", नर्स ने प्रीत को इस तरह से देख कहा तो प्रीत ने भी सिर हिला दिया ।और वहां से अपने घर के लिए चल दी । घर आते हुए उसे सात बज गए थे । यहाँ आकर वो चुप सी बैड पर बैठ गयी आस पड़ोस में कोई ज्यादा बात नहीं करता था और वैसे भी किसी को क्या लेना देना किसी से। तो प्रीत भी चुप सी बैठी रही । तभी उसे फोन की आवाज आने लगी तो प्रीत ने उस फोन को देखा ये । उसकी मम्मी का फोन था । तो उसने फोन उठा कान से लगा लिया ।

    " हेलो ", उसने फोन कान से लगाते हुए कहा ।

    " काकी मै आ गया हूँ आप आ जाना आज घर पर ", दूसरी तरफ से आवाज आयी ।

    " वो मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है मै आ जाती हूँ आप एड्रेस सेंड करदो ", प्रीत ने कहा । ठीक है दूसरी तरफ से कहा गया । और फोन कट कर दिय वही प्रीत जल्दी जल्दी से साब काम समेटने लगी थी । और आज सुबह से जो भी उसने करा वो सब एक फिल्म की तरफ उसकी आंखो के सामने से घूमने लगा था । अपनी मम्मी के पास बैठी वो उनके चेहरे को देखे जा रही थी । और फिर नर्स और डॉक्टर से मिल कर वो चल दी घर की तरफ । रास्ते से उसने अपने लिए कुछ सामान लिया जैसे दूध वगेरा और ऑटो लेकर चल दी घर की और । आज उसे ये एक कमरे का घर भी खाली खाली सा लग रहा था । ऐसा लग रहा था के वो यहा पर अकेली रेह ही नही सकती । बेड पर बैठी वो खुद में खुद को समेटे हुए रो रही थी । कभी अकेले नही रही थी वो और कभी सोचा भी नही था के इस तरह से उसे अकेले रहना होगा । के कभी वो अपनी मम्मी के साथ रह ही नहीं पायेगी बस यही सब सोच सोच कर उसका दिल बैठा जा रहा था । और वो गहराती रात के साथ और भी डर के साये में जा रही थी।

    सुबह के छः बजे के आलार्म के साथ उसकी आंख खुली तो उसे पता चाला के वो रात को वैसे ही बेड पर सो गयी थी। अलार्म को बंद कर उसने चारो तरफ देखा आंखे लाल हो रखी थी रोने की वजह से । गहरी साँस लेते हुए वो उठी और अपने काम में लग गयी । नहा धो कर रात के लाये दूध ब्रेड को गर्म करने लगी उसने अपने लिए चाय बनाई और ब्रेड के साथ लेकर बेड पर बैठ गयी । उसे अब काम करना ही था । वो काम नहीं छोड़ सकती थी । माँ यहां काम करती थी उसी काम से घर का काम चलता था । और जो वो कमाती थी वो तो अपनी पढ़ाई में ही लगा देती थी । माँ भी उसे पढाई पर ही ध्यान देने का कहती थी । तो बस अब उसे ये काम भी करना था । खाना बनाना वो जानती ही थी मां ने उसे सब सिखाया था ।बाकि घर का काम करने से वो छोटी नही होने वाली थी । प्रीत का यही मानना था के काम चाहे जो भी हो वो छोटा नही होता । छोटी तो इन्सान की सोच होती है । जो अपने काम को स्केल पर नापते है । प्रीत अपने रूम को बंद कर बाहर निकली तो पास की अंटी ने उसे देखा ।

    " क्या बात है प्रीत तेरी माँ कही दिखती नही । क्या इस बार लम्बे काम पर गए है। ग्राहक कुछ ज्यादा ही अमीर लगता है इस बार का ", उसने कहा तो प्रीत चुप सी वहां से आगे बढ़ गयी । उसने किसी को कोई जवाब नही दिया ना ही ही देने का सोचा । यहां पर हर किसी का यही सोचना था , ये औरत तो उसकी मम्मी के मुहं पर भी यही सब बोलती थी ।

    " देखो जेसी मां वैसी ही बेटी दोनो एक जैसी ", उस औरत ने कहा और हूं करते हुए आगे बढ़ गयी । प्रीत ने बस स्टॉप से बस ली और चल दी अपने काम के लिए रंधावा हाउस में। यहाँ उसे खाना बनाना था और बाकि का काम भी करना था । प्रीत ने बेल लगायी तो कुछ देर बाद ही दरवाजा खुला। सामने रीत खड़ा था जो शयद अभी अभी उठा था।

    " गुड़ मॉर्निंग प्रीत ", उसने कहा तो प्रीत ने भी उसे गुड मॉर्निंग कहा ।

    " आजाओ तुम तो अपने टाइम पर आगयी " , उसने कहा । वही प्रीत अंदर आई तो रीत ने गेट बंद कर दिया।

    " अब कैसी तबीयत है काकी की ", रीत ने पूछा तो प्रीत उसे देखने लगी।

    " अभी पहले के जेसी नहीं हुई है ", उसने कहा रीत ने सिर हिला दिया । वही प्रीत आगे बढ़ गयी ।

    " सर क्या बनाना है आज ", प्रीत ने कहा तो रीत उसे देखने लगा ।

    " देख लो जो सही लगे ", उसने कहा सर ।

    " वो क्या में यहां पर काम कर सकती हूँ । क्या है ना मम्मी को अब कोई भी काम करने से मना कर दिया है डॉक्टर ने अगर आपको सही लगे तो में मम्मी की जगह काम कर सकती हूँ ", प्रीत ने झिझकते हुए कहा । रीत उसे ही देख रहा था ।

    " बिल्कुल कर सकती हो काम , पर काकी को क्या हुआ है मैं मिलना चाहता हूँ उनसे ", रीत ने कहा।

    " वो ठीक है बस अब ये सब काम करने से मना कर दिया है डॉक्टर ने ", प्रीत ने कहा तो रीत ने सिर हिला दिया ।

    " ठीक है अब से तुम काम कर लिया करो", , उसन कहा । प्रीत ने राहत की साँस ली और रसोई की तरफ चल दी वही रीत रूम की तरफ चल दिया । प्रीत ने आज परांठे बाना दिए थे वो भी आलू के । और साथ ही चाय और दही ले आई जो फ्रिज में ही पड़ा था । तब तक रीत भी आ गया फ्रेश हो कर ,।

    " क्या बात है आज तो परांठे बने है", उसने कहा ।

    " जी वो दही था तो सोचा के परांठे बाना दूँ ", प्रीत ने कहा । वही रीत उसे देख रहा था ।

    सही करा रीत ने कहा और खाने लगा । वही प्रीत जाने लगी तो रीत ने उसे अवाज लगा दी

    " बैठो और खा लो मै अकेले नही खाता खाना ", उसने कहा ,प्रीत भी सिर हिला कर बैठ गयी। पर उसने दही नहीं लिया बस चाय ली । रीत उसे देख रहा था । जो अपने खाने में मगन थी ।

    " प्रीत तुम मुझे सर मत कहना ", रीत ने कहा । तो प्रीत उसे देखने गी ।

    " अरे में बस चार पांच साल ही बड़ा हूँ ना तुमसे तो सर मत कहो ", उसने कहा

    " नहीं सर आप बड़े है में तो सर ही कहूँगी ", उसने कहा और अपने खाने पर लग गयी । वही रात मुस्कुरा दिया ।

    रब राखा

    क्या रीत के मन में कोई बात है प्रीत के लिए? क्या वो उसे मन ही मन पसंद करने लगा है ।जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 7. Chapter 7

    Words: 1298

    Estimated Reading Time: 8 min

    सर में शाम को आकर आपके सभी कपडे धो दूंगी आप बस निकाल देना ", प्रीत ने कहा तो रीत उसे देखने लगा और साथ ही मुस्कुरा दिया । तो प्रीत की आंखे उसकी आंखो पर टिक गई। रीत की आंखे अलग ही थी हेजल ग्रीन सी एसा लगता के उसकी पुतलियों की जगह ब्रह्मांड हो ।

    " ठीक है शाम को एक बार मेरे रूम में देख लेना तुमको पता चल जाएगा के कोनसे कपड़े धोने वाले है और कोन से नही ", उसने कहा । प्रीत जो उसकी आंखो को देख रही थी उसे अपनी बात पर ही शर्मिंदगी हुई थी ।

    " सॉरी सर वो मेने ऐसे ही बोल दिया था मैं खुद देख लूंगी ", उसने कहा ।

    " नो प्रॉब्लम अच्छा प्रीत आज तो खाना बन गया कल से तुम मेरे लिए लंच भी पैक कर देना मुझे बाहर का खाना पचता नही है ", रीत ने कहा । प्रीत ने हाँ में सर हिला दिया ।

    " चलो ठीक है तुम जाओ ", रीत ने कहा तो प्रीत अपना बैग लेते हुए चल दी । वही रीत का फोन बजने लगा और उसने फोन कान से लगा लिया ।

    " हाँ आजा में तैयार हूँ ", उसने कहा और अपने रूम की तरफ चल दिया ।

    "प्रीत कॉलेज पहुँची और राजवीर सर से मिल कर वो अपने काम पर लग गयी । उस के पास ये पांच कपल थे जिनको डांस सिखाना था उसे । तो वो उसी काम में लग गयी। और इसी सब में चार दिन बीता गये । रोज रात को प्रीत हॉस्पिटल जाती अपनी मम्मी को मिलती जिनको होश आ गया था और वो भी प्रीत से बात करती ।उसके बाद वो घर चली जाती । कितनी देर तक आंसु बहाती और सुबह से उसका काम शुरू हो जाता । और इसी तरह उसे आज चार दिन हो गये थे रंधावा हॉउस में काम करते हुए

    " सर ये रहा आपका लंच आज सब्जी प्लायो और चपाती रखी है इस टिफन में ", प्रीत ने डाइनिंग टेबल पर रीत का लंच बाक्स रखते हुए कहा । तो रीत उसे देखने लगा जो अपना लैपटोप देख रहा था ।

    " थेंक्यु ", उसने कहा । तो प्रीत मुस्कता दी । यहाँ काम करते हुए प्रीत अब रीत से बात कर लेती थी ।और दोनों हँसी मजाक भी करते ।

    " अच्छा प्रीत काकी कैसी है ", रीत ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " ठीक है ", उसने कहा ।

    " तो ठीक है तुम जाओ मुझे भी जाना है ", उसने कहा तो प्रीत ने सिर हिला दिया और वहां से चली गयी । वही रीत का फोन बजने लगा । उसने फोन कान से लगा लिया ।

    " क्या तुम लोगो से एक काम भी सही से नही होता ", उसने कहा ।और उठ कर अपने रूम की तरफ चल दिया ।

    " ठीक है मै देखता हूँ ", उसने कहा और अपना फोन रख दिया । प्रीत अपने समय पर कॉलेज पहुंच गयी । आज राजवीर सर नही आये थे यहां पर । तो प्रीत को ही देखना था सब । वैसे भी रिहर्सल सही से चल रही थी । पहले बैच में पांच कपल थे जिनको उसने उनके सभी स्टेप समझा दिए थे । और वो अच्छे से कर भी रहे थे तो आज एक ग्रुप डांस था । जिसके बारे में सर ने कल ही उसे बता दिया था । तो प्रीत बस इस के लिए अपनी तैयारी कर रही थी । तभी दरवाजे से छः लड़के अंदर आये । जिनको प्रीत देखने लगी ।

    " चलो आप आगये अब हम लोग शुरू करते है ", प्रीत ने कहा तो वो लाडके एक दूसरे को देखने लगे । प्रीत भी अपने बालों का जुड़ा बना कर उनको देखन लगी।

    " क्या हुआ गीत लगाओ ", उसने कहा तो एक ने आगे बढ़ दरवाजे को अंदर से कुण्डी लगा दी प्रीत देखती रह गयी ।

    " ये क्या कर रहे है आप ", प्रीत ने कहा और सब को देखने लगी ।

    " इसे किसने कहा के हम यहां पर डांस सीखने आये है ", एक लडके ने दूसरे से कहा । वही प्रीत उनको देखती ही रह गयी ।

    " कोन हो आप और यहाँ क्या कर रहे हो ", प्रीत ने कहा और दरवाजे की तरफ जाने लगी । तो एक लड़का उसके आगे आ गया । वही प्रीत रुक गयी ।

    " अरे ये इतनी मासूम है जा पागल इसे नहीं पता के आज संडे है और आज कॉलेज में कोई नही आता ", उस लड़के ने कहा और प्रीत की तरफ बड़ने लगा। वही प्रीत पीछे होने लगी । वो इस समय पसीने से तरबतर थी । उसे अंदाजा भी नही था के आज कुछ ऐसा होने वाला है । तभी उसका फोन बजने लगा। जिसे सब देखने लगा ।जो एक तरफ पड़ा था । वही सब उस फोन को देख रहे थे । तो प्रीत फुर्ती से उस फोन की तरफ लपकी वही लड़के भी आगे आये । पर उनसे पहले ही प्रीत ने फोन लिया और उसे उठा कर कान से लगा लिया ।

    " सर जल्दी आओ यहां प ",,,,,, कहते हुए प्रीत के हाथ से फोन किसी ने छीन लिया वही प्रीत देखती ही रह गयी , ।

    " छोड़ो मुझे ", उसने कहा। एक लड़के ने उसे कमर से पकड़ कर खुद के करीब कर लिया ।

    " छोडो मुझे छोडो ", प्रीत उसके सीने पर हाथ मारते हुए बोल रही थी । वही बाकी सब उसे देख मुस्कुरा रहे थे ।

    " कहा जाना है खुद को छूडा कर । पता है मुझे वैसे भी तुम्हारा काम क्या है। पूरी कालोनी में चर्चे है तुम्हारे ", उसने कहा तो प्रीत उसे देखने और उसकी आंखे हैरानी से फैल गई।

    " पहचाना मुझे छः महीने पहले मुझे जेल भेजा था ना अब देखता हूँ कैसे बचती है तू ", उस लड़के ने कहा और वैसे ही प्रीत को दिवार से लगा कर उसके चेहरे के करीब आने लगा। प्रीत उस को खुद से दूर करने की पूरी कोशिश कर रही थी के । तभी डारवाजे पर दस्तक होने लगी ।

    " कोन है अंदर कया हो रहा है यहां ", बाहर से आवाज आने लगी।

    " बचाओ प्लीज मुझे इनसे बचा लो ", प्रीत ने अपना पुरा जोर लगा कर कहा । तो बाहर से आवाज आनी बंद हो गयी ।

    " लो वो भी भाग गया अब देखते है कोन आता है तुमको बचाने ", उस लड़के ने कहा । जो प्रीत को खुदसे जकड़े हुए था । वही प्रीत उसे खुद से दुर करने की कोशिश कर रही थी ।

    के तभी उसकी आंखो के आगे से कुछ पल गुजरने लगे। जैसे कोई उसे मार रहा हो उस पर हावी हो और वो खुद से बाहर वो उसे खद से दूर कर रही थी पर एसा लग रहा था उसके हाथ जम गये हो वो हिल ही नही रहा थे ।।

    “ नही छोड़ो मुझे “, वो बोल रही थी पर उसकी आवाज मूंह से बाहर नही आ रही थी ।यहां तक के उस लड़के ने प्रीत के बाल पकड़े और उसके चेहरे को खूद के करीब कर लिया वही प्रीत की आंखे बंद हो रही थी जिनको वो खोलने की कोशिश कर रही थी । दोनो के होठो में बस हल्का सा ही अंतर था । वही प्रीत अपने ही ख्यालों में गुम थी । यहां पर सब कुछ कभी बहुत तेज चलता हुआ सा लगता और कभी बहुत धीमे से ।

    रब राखा

    आखिर कोन है ये जो अचानक ही प्रीत के लिए खतरा बन कर आ गया । क्या प्रीत पेहले से जानती है उसे ।क्यूं सब प्रीत और उसकी माँ को गलत बोल रहे है और प्रीत के ख्याल जो के बेहद ही डरावने लग रहे है । क्या है ये सब जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 8. - Chapter 8

    Words: 1762

    Estimated Reading Time: 11 min

    प्रीत जो अपने ही ख्यालों में गोते खा रही थी ।वही उस लड़के के होठ बस प्रीत के होंठो को छुने ही वाले थे ।वही सब लड़के मुस्कुरा रहे थे ।

    " आज कोई नही आयेगा तुमको बचाने ", उस लड़के ने कहा वही प्रीत जो अपने ख्यालों में थी वो जैसे होश में आई और उस लड़के को अपने इतने करीब पा कर उसने अपना चाहरा घुमा लिया ।जिस से उस लड़के के होठ प्रीत की गाल पर आ गये । तभी दरवाजे पर दस्तक एक दम से बढ़ गयी और अगले ही पल दरवाजा टूट गया और बाहर से कम से कम दस लड़के अंदर आ गये । साथ ही कुछ लड़किया भी । जिन्होंने आते ही अंदर के माहौल को देखा और फिर उन छः लड़कों को आपने कब्जे में ले लिया । जिस लड़के ने प्रीत को जकड़ा हुआ था वो भी अब उन सब  के कब्जे में था ।

    " तूम ठीक हो ", एक लड़के ने प्रीत को देख कहा वही प्रीत जिसकी आखों में आंसू थे वो घबराहट के मारे कांप रही थी उसने हाँ में सिर हिला दिया ।

    " प्रिया जल्दी आ ओर इनको देखो ", उस लड़के ने एक लड़की को आवाज लगाई तो वो लड़की जल्दी से उसकी तरफ आयी और प्रीत को देखने लगी । वही प्रीत कांप रही थी उसकी नजर अपने सामने उस लड़के पर थी । तो प्रिया ने उसके हाथ पे अपना हाथ रख दिया और उसके आगे पानी की बोतल कर दी । प्रीत ने भी पानी की बोतल को पकड़ा पर उस के हाथ इतने कांम्प रहे थे के उस से पानी पिया नही जा रहा था । तो प्रिया ने खुद ही उसे पानी पिलाया ।

    " ठीक हो तूम ", उसने कहा तो प्रीत ने हाँ में सिर हिला दिया ।और अपने बाल को सही कर जुड़ा करने लगी ।बाकि लड़को ने उन सभी लड़कों को पकड लिया था और अच्छे से उनकी धुलाई भी करदी थी ।

    " ये सब तो हमारे कॉलेज के नही है ", एक ने कहा तो सब लड़के हैरान से हो गए ।

    " ये लड़की भी यहां की नही है ", एक लड़की ने प्रीत को देख कहा । तभी वहां पर राजवीर सर आगये , और सब देखने लगे ।

    " क्या हुआ है यहां ", उन्होंने कहा तो सब उनको देखने लगे । तभी उनकी नजर प्रीत पर गई और वो देखते ही रह गये ।

    उसी रूम में प्रिंसिपल सर भी थे और साथ ही इंस्पेक्टर भी । प्रीत राजवीर सर के साथ खड़ी थी । एक तरफ वो लड़के जो प्रीत के लिए आये थे ।

    " देखे सर , प्रीत को मेने ही रखा था और हमारी बात पहले ही प्रिंसिपल सर से हो गयी थी के एक असिस्टेंट की जरूरत है ", राजवीर सर ने कहा । तो प्रिंसिपल सर ने भी हाँ में जवाब दिया ।

    " आज यहां पर ग्रुप प्रेक्टिस थी । पर ना जाने ये सब यहां पर कैसे आ गये इस बात का हमे नहीं पता ", राजवीर सर ने कहा वही वो सब लड़के देख रहे थे ।

    " कैसे आये तुम लोग यह पर ", इंस्पेक्टर ने कहा तो वो प्रीत को देखने लगा । इंस्पेक्टर ने उसकी आंखों का पीछा करा तो प्रीत को देख इंस्पेक्टर ने उस लड़के के हाथ को पकड कर मोड दिया।

    " अबे स्साले मेने पूछा के यहाँ कैसे आये " , इंस्पेक्टर ने कहा ।

    " सर वो इसका पीछा करते हुए आये थे ", उसने कहा । इंस्पेक्टर ने उसका हाथ छोड़ा और प्रीत को देखने लगा ।

    " तुम जानती हो इनको ", उसने कहा ।

    " ज जी कुछ महीने पहले ये मेरा रास्ता रोका करते थे और एक दिन मेने पुलिस में कंप्लेंट करदी थी ", प्रीत ने कहा । इंस्पेक्टर ने वापस उस लड़के को देखा ।

    " तो बदला बदला लेने का खेल चल रहा है यहा पर , ठीक है अब देख लंबा अंदर जाओगे ", इंस्पेक्टर ने कहा और अपने हवालदार को देखा ।

    " इन सब को गाडी में भरो ", उसने कहा ।

    " सर मेरा फोन इनके पास है ", प्रीत ने कहा तो राजवीर सर उसे देखने लगे । फोन उनका ही आया था पर बात पूरी नहीं होने की वजह से वो भी घबरा गये थे । प्रीत के चिल्लाने की आवाज सून कर ।

    " किस के पास है फोन ", इंस्पेक्टर ने गुस्से में कहा तो एक ने आगे आकर फोन उनके आगे कर दिया । इंपेक्टर ने फोन लिया और साथ ही उसके गाल पर थप्पड़ जड़ दिया।

    " साले शर्म आनी चाहिए घर में भी माँ बहन है ना तुम्हारे " उन्होने कहा और प्रीत को देखने लगे ।

    " लेकर जाओ इनको ", उन्होंने कहा तो हवालदार उन सब को ले कर चल दिया । वही प्रिया अभी भी प्रीत के पास ही खड़ी थी ।

    " लो तुम्हारा फोन ", इंस्पेक्टर ने कहा तो प्रीत ने उनके हाथ से फोन लेना चाहा पर उसके हाथ अभी भी कांप रहे थे । जिनको इंस्पेक्टर ने देखा ।

    " डरने की जरूरत नहीं है अब तुम को कुछ नही कहेंगे ये सब ", उन्होंने कहा । वही प्रीत को देखते हुए राजवीर सर प्रिंसिपल से बात करने लगे । वही प्रीत बस खुद को संभाल रही थी । तो प्रिया ने उसे अपने गले लगा लिया । वही प्रीत उसके कंधे पर सर रख सीसीकने लगी ।

    " बस करो तुम ठीक हो ", उसने कहा वही वो लड़का भी उनके पास आ गया जिसने प्रिया को आवाज लगाई थी ।

    " राहुल ", प्रिया ने कहा तो राहुल ने उसे शांत रेहने का कहा ।

    " तुमको परेशन होने की जरूरत नही है तुम्हारा नाम कही नही आएगा और अगर तुमको कोई भी परेशान करे तो ये मेरा फोन नंबर है फोन कर देना ", इंस्पेक्टर ने प्रिंसिपल से बात करने के बाद प्रीत के पास आ कर कहा तो प्रीत ने हाँ में सिर हिल दिया । वही प्रिंसिपल और इंस्पेक्टर चले गाये तो राजवीर सर प्रीत को देखने लगे ।

    " तुम ठीक हो ना ", उन्होंने कहा ।

    " जी सर ", उसने कहा ।

    " आज का केंसिल कर देते है ", राजवीर सर ने कहा ।

    " नही सर मुझे काम करना है ", प्रीत ने कहा तो राहुल प्रिया उसे देखते ही रह गए ।

    " ठीक है पन्द्रह मिनट के बाद सब वापस आ जाये राजवीर सर ने कहा तो सब बच्चे चले गाये । वही राहुल और प्रिया भी चल गए वहां से । प्रीत वही बैठ गयी और पानी की बोतल को मुहं से लगा लिआ ।

    " क्या लड़की है इतना सब हो गया फिर भी काम करने का बोल रही है ", प्रिया ने बाहर आते हुए कहा । तो राहुल उसे देखने लगा ।

    " सीखो कुछ उस से ", उसने कहा ।

    राहुल प्रिया ने कहा तो वो मुस्कुराए दिया ।

    " वैसे हिम्मत है वर्ना आज कुछ भी हो सकता था ", रहूल ने कहा और वो दोनों आगे बढ़ गए । प्रीत और सर ने अपना काम शुरू कर दिया था । वो अपने स्टूडेंट्स को सब बताने लगे थे । और इसी सब में घर जाने का समय भी हो गया ।

    " मैं छोड़ दूँ तुमको आज ", राजवीर सिर ने कहा तो प्रीत उनको देखने लगी ।

    " नहीं सर मै चली जाउंगी ", उसने कहा ।

    " ठीक है कल मिलते है ", सर ने कहा और अपनी बाइक पर बैठ कर चल दिया । वही प्रीत ने भी बस ली और चल दी रंधावा हाउस की तरफ । प्रीत की एक बात थी उसके साथ जो भी हुआ हो। वो दूसरे को पता नही लगने देती । जैसे अभी तक उसकी मम्मी के बारे मे नही पता चला था और आज जो भी हुआ उस सब को पीछे छोड़ कर वो अपने काम को करने लगी थी । और अब रंधावा हाउस के बाहर खड़ी उस घर को देख रही थी ।

    " प्यारा घर ", उसने आज भी उस घर को देख कहा और बेल लगा दी के तभी गेट खुला । सामने लड़की खड़ी थी ।

    "क्या काम है यहां पर तुमको ", उसने कहा तो प्रीत उसे देखती रह गयी ।

    " वो में ", उसने कहा ।

    " जल्दी बोलो ", लड़की ने कहा ।

    " अमन क्या कर रही हो प्रीत है ये , आओ प्रीत अंदर आओ ", रीत ने वही आते हुए कहा तो अमन दोनों को देख अंदर आ गई वही प्रीत उसे देखती रह गयी ।

    " थोड़ा सा दिमाग का स्क्रू ढीला है इसका ", रीत ने कहा । तो प्रीत मुस्कुरा दी और दोनों अंदर आ गये वही अमन दोनों को देख रही थी ।

    " अमन प्रीत यहाँ खाना बनाती है ", रीत ने उसे बताया ।

    " ऐसा कहो ना के मेड है ", अमन ने कहा तो प्रीत उसे देखती ही रह गयी । वही रीत भी ।

    " पागल हो क्या, क्या बोल रही हो ", रीत ने अमन को देख कहा और प्रीत को देखा।

    " सर क्या बनाऊं खाने मे ", प्रीत ने उसके कहने से पहले पुछा ।

    "  कुछ भी बना दो आज जो तुमको पसंद हो वही खाते है ", रीत ने कहा तो प्रीत ने हाँ में सर हिला दिया वही अमन दोनों को देख रही थी । प्रीत रसोई की तरफ चली गयी ।

    " क्या बात है कुछ भी बना लो तुम्हारी पसंद का , कभी मुझे तो नही कहा के तुम्हारी पसंद का खाना है ", अमन ने कहा तो रीत उसे देखता रह गया ।

    " पागल हो क्या , क्या बकवास कर रही हो ।काकी की बेटी है । काकी की तबियत ठीक नही है इस लिए आती है , और अब प्रीत ही आयगी यहां काम करने ", रीत ने कहा ।

    " देखो रीत तुम वैसे भी मुझे समय नहीं देते हो और अब यहां पर इस लड़की को रखा है । पता है ना बात बनते हुए देर नहीं लगती ", उसने कहा । रीत सोफे पर बैठ गया ।

    " अमन अगर यही बात करने तुम यहां आयी हो तो इस से अच्छा तूम चली जाओ । मुझे लोगों से नही इस बात से फर्क पड़ता है के तुम क्या सोचती हो और तुमको देख कर तो नही लगता के तुम सही सोच रही हो मेरे बारे में ", उसने कहा।

    रब राखा

    क्या होगा अब क्या रीत अमन को समझा पायेगा । और क्या प्रीत की हालत किसी को पता चल पायेगी जो खुद किसी से कुछ नही कहती । जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 9. - Chapter 9

    Words: 1440

    Estimated Reading Time: 9 min

    “ मुझे लोगों से नही इस बात से फर्क पड़ता है के तुम क्या सोचती है और तुमको देख कर तो नही लगता के तुम सही सोच रही हो मेरे बारे में ", उसने कहा । वही अमन उसके पास बैठ गयी और उसके कंधे पर हाथ रख दिया और शांत आवाज में ।

    " सॉरी मै ही कुछ ज्यादा ओवर रिएक्ट कर गयी मुझे ये सब नही कहना चाहिये था। तुम सही हो ", उसने कहा तो रीत उसे देखने लगा ।

    " चलो ठीक है में गलत हूँ पर तुम भी ना एक लड़की को रखा है पता है ना आज कल कितनी बात होती है । और ऊपर से कही इसने तुम पर कोई गलत इल्ज़ाम लगा दिया तो क्या करोगे तुम पेहले वो फोन वाली थी और अब ये मेड “, अमन ने कहा। रीत उसे देखता रहा ।

    “ओके मैं पागल अब ठीक चलो ना मुंह सही करो “, अमन ने रीत के दोनो गालों को पकड कहा ।

    तो रीत मुस्कुरा दिया । वही प्रीत अपने काम में लगी रही उसने ना तो बाहर ध्यान दिया ना ही कोई बात सूनी । आज उसे साफ सफाई नही करनी थी । कपड़े भी नही धोने थे उसे । तो वो खाने पर ही ध्यान दे रही थी

    " अमन सच में तुमको लगता है के ऐसा कुछ होगा , चलो मान लिया ये कुछ हो भी गया तो उसे क्या मिलेगा , ये सब करके ", रीत ने कहा तो अमन उसे देखती रही ।

    " प्रीत बाहर आना ", रीत ने कहा तो प्रीत बाहर आगयी ।

    " आज जो लंच बनाया था ना वो सब को बहुत पसंद आया । मेरे हिस्से तो बहुत कम आया तो क्या जल्दी बाना लोगी खाना बहुत भूख लगी है ", रीत ने कहा तो प्रीत ने सिर हिला दिया और जाने लगी ।

    " अच्छा प्रीत वो कल तुमने कपड़े धोये थे तो क्या कुछ मिला था उनमे से ", रीत ने कहा । तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " जी सर में बताना भूल गयी मिला था ", प्रीत ने कहा और जल्दी से एक तरफ को चली गयी । वही रीत और अमन उसे देख रहे थे । कुछ पल में प्रीत वापस आयी और रीत के आगे हाथ कर दिआ ।

    " आपकी डेनिम जेकिट की जेब में मिला था ये ", प्रीत ने एक बॉक्स उसके आगे करते हुए कहा तो । रीत ने उस बॉक्स को लिया ।

    " थैक्यू प्रीत", रीत ने मुस्कुरा कर कहा । तो प्रीत जाने लगी । रुको अमन ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " पहले इसे चेक तो कर लो के इस के अंदर जो था वो है भी के नही ", अमन ने प्रीत को देख कर कहा तो प्रीत उसे देखती ही रह गयी वही रीत भी उसे देखता रह गया ।

    " पागल हो गयी हो अब तुम ", रीत ने कहा ।

    " बस मेरी तसल्ली लिए ", अमन ने रीत के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा तो रीत प्रीत को दक्खने लगा ।

    " जी सिर आप एक बार देख लो ", प्रीत ने कहा ।

    वही प्रीत चुप सा रह गया । और उसने न चाहते हुए भी उस बॉक्स को खोला तो प्रीत के चेहरे पर मुस्कान आ गयी । वही अमन भी देखती रही ।

    " लो इसमें तो मेरी घड़ी है ", रीत ने कहा । वही अमन चुप सी रह गयी।

    " में जाऊं अब ", प्रीत ने कहा ।

    " हाँ बिलकुल जाओ और हाँ आज खाना हम दोनों के साथ ही खाना है ", रीत ने कहा । तो प्रीत ने अमन को देखा जो हैरान सी देख रही थी रीत को । प्रीत चली गयी

    " खाना इसके साथ अब तूम पागल हो गए हो ", अमन ने उठते हुए कहा और वहां से चली गयी । वही रीत उसे देखता रह गया । और फिर अपनी घडी को देखने लगा ।

    ये पहली बार नही था रीत ने बहुत बार एसा करा था यहां तक के अपने बेड पर अपना पर्स भी कई बार छोड़ देता । पर प्रीत कभी उसकी किसी भी चीज को हाथ नहीं लगती थी । बस अपना काम कर वो चली जाती । रीत ने सिर ना में हिलाया और उठ कर रसोई में आ गया । यहाँ प्रीत अपने काम में लगी थी । उसने आज जींस पहनी हुई थी और इस बात को उसने अब देखा था ।

    " वैसे प्रीत सूट में ज्यादा अच्छी लगती हो तुम ", रीत ने एक तरफ खड़े होते हुए कहा तो प्रीत उसे देखने लगी और मुस्कुरा दी।

    " जी सर वो आज मेने भी जल्दी में ये कपडे पहन लिए मुझे भी सूट ही पसंद है ", उसने कहा ।

    " वैसे क्या करती हो", रीत ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " यही काम ", उसने कहा ।

    " मेरा मतलब पढ़ाई से है कया करती हो ", रीत ने कहा ।

    " हाँ वो तो चल रही है ", प्रीत ने कहा और आटा गुंथने लगी । वही रीत उसे देखते हुए बाहर आ गया। और सीधे रूम की तरफ चला गया । यहाँ अमन गयी थी ।वही प्रीत मुस्कुरा दी , और अगले ही पल उसके चेहरे पर उदासी भी आगयी ।

    " सबकी लाइफ ऐसी नही होती ", उसने खुद से कहा ।

    " अमन क्या है यार बच्ची नहीं हो इस छोटी सी बात को बड़ा रही हो। देखो तुम जो भी सोच रही हो वो गलत है ", रीत ने उसके हाथ पकड़ कर कहा । तो अमन उसे देखने लगी।

    " जो भी हो वो लड़की है ", अमन ने कहा।

    " तो तुमको इस बात की जलन है के वो लड़की है , मान लो यहां लड़का काम करता और में तुम को इस तरह से पूछता तो अच्छा लगता क्या तुम । क्या सोचती के मै तुम पर शक कर रहा हूँ ", रीत ने कहा तो अमन उसे देखने लगी । और फिर उसके सीने से लग गयी ।

    " मुझे डर लगता है तुमको खोने से पेहले वो फोन वाली और अब ये ", उसने कहा ।

    वही रीत कुछ कहता के दरवाजे पर दस्तक से दोनों उस तरफ देखने लागे। यहा प्रीत नजरें झुकाये खड़ी थी ।

    " सर खाना तैयार है मुझे जाना है में जाऊं ", उसने कहा ।

    " हाँ जाओ तुम ", अमन ने रीत के कहने से पहले ही कहा तो रीत चुप सा रह गया। वही प्रीत वैसे ही वापस आगयी और अपना बैग लेकर चल दी । रीत ने अमन को देखा जो फिर से उसके सीने से लग गयी । तो उसने भी बाहें उस पर कस दी ।

    " वैसे बताया नहीं के तुम इस तरह से क्यूं आयी कोई बात नही की कुछ बताया नही के तुम आ रही हो ", रीत ने कहा तो अमन उसे देखने लगी । वही प्रीत रंधावा हाउस से बाहर नीकल कर सामने के स्टॉप पर चली गयी । और वहा खड़ी हो कर बस का इन्तजार करने लगी । कुछ ही पल में बस आई तो वो उसमे चढ़ गयी । बस के जाते ही एक गाडी वहां आयी और रंधावा हाउस के बाहर आकर रूक गयी । जिस में से प्रिया बाहर निकली और गेट की बेल लगाने लगी ।।

    " लो आ गई तुम्हारी प्रीत वापस मेने कहा था ना के वो इतनी जल्दी नहीं जाने वाली ", अमन ने कहा । बेल एक बार फिर से लगी

    " मै देखता हूँ ", कहते हुए रीत उठा और चल दिया । वही अमन बैठी रही ।

    " क्या बात है तुम दोनो यहां ", रीत के गेट खोलते ही सामने राहुल और प्रिया को देख कहा । वही वो दोनों अंदर आ गये ।

    " सोचा के आज तुम्हारी कुक के हाथ का खाना खाते है बहुत सुना है तुमसे उसके बारे में ", राहुल ने कहा । वही रीत ने गेट बंद करा।

    " हाँ पर देर करदी तुम दोनों ने आज वो चली गयी ", रीत ने कहा ।

    " इतनी जल्दी ", प्रिया ने उसे देख कहा ।

    " अमन आयी है ", रीत ने आगे बढ़ते हुए कहा तो प्रिया के कदम वही रूक गाये ।

    " तो ठीक है फिर किसी दिन आयेगे हम ", प्रिया ने कहा तो रीत उसे देखने लगा ।

    " बस करो तुम दोनों चलो खाना तो खाकर ही जाना अब", रीत ने कहा । वही राहुल ने प्रिया को देखा और उसे अंदर चलने का कह ।

    रब राखा

    क्या रीत अमन के शक को दूर कर पायेगा जा नही और ये फोन वाली कोन है क्या राज है रीत का? जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 10. - Chapter 10

    Words: 1644

    Estimated Reading Time: 10 min

    " चलो प्रिया ", राहुल ने कहा तो प्रिया उसके साथ चल दी । वही रीत दोनों को देख रहा था ।

    " वैसे रीत तुमको कोई और नहीं मिली थी क्या " , प्रिया ने चलते हुए कहा तो रीत उसे देखने लगा । वही प्रिया ने सिर हिला दिया और अंदर की तरफ चल दी । अमन जो सोफे पर बैठी थी दोनों को देख मुस्कुराते हुए उठी और आगे बढ़ प्रिया के गले लाग गयी ।

    " कैसी हो तूम ", उसने कहा ।

    " मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ तुम बताओ कैसी और इस तरफ अचानक कैसे आना हुआ ,तुम तो अभी और रुकने वाली थी ना ", प्रिया ने कहा । वही अमन उसे देखने लगी और राहुल से मिली।

    " हाँ रुकने वाली थी पर मेरा मन नही माना तो आ गयी ", अमन ने कहा वही सब बैठ गए ।

    “ ये तो अच्छी बात है तो कल से कॉलेज शुरू कर रही हो फिर ", राहुल ने कहा ।

    " बस देखती हूँ अभी कुछ काम भी है वो देख लूँ पहले ", उसने कहा ।

    " ठीक है ", राहुल ने कहा और सब एक दूसरे को देखने लगे ।

    " वैसे हम तो आये थे डिन्नर करने पर अब हम चलते है वो तो चली गयी खाना बना कर ", प्रिया ने कहा तो अमन उसे देखने लगी ।

    " कैसी बात कर रही हो खाना है चलो हम सब बैठ कर खाते है ", रीत ने कहा और उठ कर रसोई की तरफ चल दिया। वही राहुल भी उसके पीछे ही चल दिया ।

    " ये तो बहुत खाना है ", राहुल ने कहा वही रीत को याद आए के आज उसने कहा था के जो तुमको पसंद हो वही बना लो और साथ ही बैठ कर खाना खाएंगे पर अब प्रीत चली गयी थी ।

    " दाल चावल रोटी सलाद अरे ये तो खीर भी है ", राहुल ने हर बाऊल से ढकन उठाते हुए कहा। वाह यार तुम्हारी रसोई तो बिलकुल क्लीन है । जैसे घर की मालकिन रखती है बिलकुल वैसे ही ", राहुल ने कहा । रीत उसे देखने लगा ।

    " पागल है क्या ", रीत ने मुस्कुरा कर कहा ।

    " चलो उठाओ और बाहर चले वरना दोनों चुप ही रहेंगी ", रीत ने बाहर की तरफ देखते हुए कहा और बाउल उठा बाहर की तरफ चल दिया । राहुल भी उसके पीछे ही था ।

    प्रीत हॉस्पिटल के बाहर खड़ी थी । आज उसकी अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी । क्यूंकि मम्मी उसे पूछती के कैसा रहा दिन और वो उनको बताना नहीं चाहती थी पर फिर भी वो चल दी ।

    " कैसी हो तुम ", मम्मी ने कहा । प्रीत उनके पास बैठ गयी।

    " ठीक था आज का दिन ", उसने कहा ।

    केसा रहा डान्स ", मम्मी ने प्रीत का हाथ पकड लिया।

    " बहुत अच्छा पता है मेने छोटे बच्चो को भी डांस सिखाया। राजवीर सर ने तो मुझे बहुत शाबासी दी ", प्रीत ने कहा । मम्मी उसकी की बाते सुन कर खुश हो रही थी ।

    " ऐसे ही तरक्की करती रहो तुम ", उन्होंने कहा ।

    " मम्मी जल्दी से ठीक हो जाओ हम दोनों एक साथ रहेंगे फिर ", प्रीत ने कहा । तो मम्मी उसे देखने लगी ।

    " बिलकुल कल जब तुम आओगी ना में बिलकुल ठीक हो जाउंगी", मम्मी ने उसके चेहरे पर हाथ रखते हुए कहा ।प्रीत मुस्कुरा दी । दोनों माँ बेटी बाते कर रही थी ।

    " अब इनके सोने का समय हो गया है ", नर्स ने कहा तो प्रीत उनको देखने लगी ।

    " मम्मी अब आप आराम करो और हाँ मेरी फ़िक्र मत करना में ठीक हुँ ", उसने कहा । मम्मी ने सिर हिला दिया । प्रीत वही बैठी रही और मम्मी सो गयी । जो बेहद दर्द में थी । प्रीत की आँखों की नमी बह गयी । उसने नर्स को देखा।

    " हम है ना तुम जाओ आराम करो ", उसने कहा तो प्रीत वहां से बाहर चली गयी ।

    " वाह यार सच में खाना तो बहुत ही टेस्टी बना था ", राहुल ने कहा । और खीर की कटोरी उठा कर खाने लगा । वही प्रिया रीत ने भी भी ऐसा ही करा । बस अमन को छोड़ कर जो चुप सी थी ।

    " अगली बार में आउंगी तो फोन करके उसे रोक लेना मुझे तो मिलना है और अगर मान गयी तो में अपने घर ले जाउंगी उसे ", प्रिया ने कहा ।वही रीत उसे देखने लगा ।

    " अरे काकी से तो मिले ही हो उनकी बेटी ही है ", रीत ने कहा ,।

    " पर यार काकी के हाथ का स्वाद उनकी बेटी के हाथ में कैसे आ गया वो अभी छोटी है हमसे भी ", राहुल ने कहा ।

    " कितनी छोटी है तुमसे ", अमन बोली ।

    " यही कोई चार पांच साल ", रीत ने कहा अमन उसे देखने लगी ।

    " सच कहुँ ना तो खाना खा कर मन खुश हो गया वर्ना सुबह से बहुत अशांत था मन अगर राहुल सही समय पर वहां नहीं होता तो आज कुछ भी हो जाता ", प्रिया ने कहा तो रीत अमन उसे देखने लगे ।

    " ऐसा क्या हो गया आज जो तुम्हारा मन इतना अशांत था ", रीत ने कहा ।

    " तुमतो आज कॉलेज नहीं आये ना अगर आ जाते तो तुम भी हमारी तरह ही होते ", प्रिया ने कहा ।

    प्रीत अपने घर पहुंच गयी थी । पर पुरे रास्ते वो एक डर के साये में थी । के कही वो लड़का फिर से ना आ जाये और जैसे ही उसका घर आया तो वो जल्दी से अंदर आगयी ।

    आज उसने खाना नही खाया था तो वो देखने लगी दूध तो था । साथ ही उसने ब्रेड भी देखी और बस दूध में चीनी डाल कर और ब्रेड सेक कर वो खाने बैठ गयी । साथ ही उसने अपनी बुक्स भी निकाल ली । और उनको देखने लगी । पर दिमाग में तो सुबह का ही वाक्या घूम रहा था । जिस वजह से उसने अपनी आंखे बंद की तो उसे उस लड़के का खुद को छुना याद आ गया । ऐसा लगा के जैसे उसके जिसम पर लाखो कांटे चुभ गए हो । और वो उन चुभन से आजाद होने के लिए उठी और बाथरूम की तरफ चल दी । यहां उसने बाल्टी भरी पानी की खुद पर ही उड़ेल ली । और वैसे ही वही खड़ी रह गयी । पर कुछ धुंधली सी तस्वीर थी जो उस की आंखो के सामने थी ।और प्रीत जोर से चिल्ला कर वही बैठ गई और जोर जोर से रोने लगी। यहां आज उसकी आवाज सुनने वाला कोई नही था सिवाय उसके ।

    " क्या ये सब अपने कॉलेज में हो गया ", रीत ने हैरानी से कहा ।

    " हाँ यार वो तो सही समय पर में उसी कॉरिडोर से निकल रहा था तो मुझे किसी की आवाज आने लगी और मेने दरवाजा खोलना चाहा तो अंदर से बंद था । तो बस दरवाजे को जोर से धक्का देने लगा । तो अंदर से एक लड़की की आवाज सूनी । मेरे तो हाथ पेर ही कांप गाये थे । ऐसी सिचुएशन में भगवान किसी को ना डाले “, राहुल ने कहा । वही रीत उसे देख रहा ।

    " ये तो तूने बहुत ही अच्छा काम करा के सब को बुलाने चला गया ", रीत ने कहा ।

    " बस उस समय लगा के यही सही है वैसे भी वो जो बी थी बहुत मासूम सी प्यारी सी उन्नीस बीस साल की थी । चेहरे पर दुनिया यहां का डर और घबराट भरी आखे जो कभी मुझे देखती तो कभी वहां सब को । जेसे आज जो होने वाला था उसकी कल्पना से भी डर रही हो " , राहुल ने कहा । वही प्रिय उसे देख रही थी ।

    " कांप रही थी वो , पता है उस से पानी की बोतल भी नहीं पकड़ी जा रही थी मेने उसे पानी पिलाया था ", प्रिया ने कहा । रीत दोनों को देख रहा था ।

    " ये देखो मुझे गूजबुम्प्स हो गए ये सब सुन कर ", रीत ने अपने हाथ आगे करते हुए कहा । यहा उसके बाजू के रोंगटे खड़े हो गए थे ।

    " वही तो सोचो के उसका क्या हाल होगा हम सब का भी उस समय यही हाल था ", राहुल ने कहा । वही अमन सब की बाते सून रही थी ।

    " छोड़ो यार कोनसी बातों को लेकर बैठ गाये हो हम बाहर चलते है घूमने ", उसने कहा । तो तीनो उसे देखने लगे ।

    " नही अब हम तो जा रहे है चलो राहुल चले “, प्रिया ने उठते हुए कहा ।

    " ये बर्तन कोन साफ़ करेगा ", अमन ने कहा ।

    " कोई बात नहीं प्रीत कर देगी सुबह आकर तुम टेंशन मत लो जाओ आराम से अब ", रीत ने कहा तो अमन उसे देखने लगी ।

    " कहाँ जाऊं मै ", उसने कहा ।

    " अपने घर ", रीत ने उठते हुए कहा और राहुल के साथ बाहर की तरफ चल दिया । वही प्रिया पहले ही चली गयी थी । पर अमन वही बैठी रही । वो ना तो उठी ना हीं किसी को बाये करा ।

    " चलो कल मिलते है कॉलेज में ", रीत ने दोनों से कहा तो दोनों उसे बाये कर चले गए । वही उसने पीछे देखा यहाँ अमन नही थी ।

    " यार अब ये नही जा रही । मुझे अपनी रात खराब नही करनी ", उसने खुद से ही कहा और वापस अंदर आया , यहा अमन अभी भी वैसे ही बैठी हुई थी ।

    रब राखा

    क्या होगा जब रीत को पता चलेगा के प्रीत उसी कालेज में है यहां वो जाता है और जो उसने अपने दोस्तो से सुना उस बारे में जानते ही उसका क्या रिएक्शन होगा । जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 11. Chapter 11

    Words: 1600

    Estimated Reading Time: 10 min

    “ तुमको जाना नहीं है देखो कितनी रात हो गयी है ", रीत ने अंदर आते हुए कहा। तो अमन उठ कर उसके गले में बाहें डाल कर खड़ी हो गयी । वही रीत उसे देखने लगा ।

    " रीत देखो ना में कितने दिनों बाद आयी हूँ । आज हम दोनों एक साथ रहते है कुछ यादें बनाते है ", अमन ने उसके चेहरे पर अपनी नजरे जमाते हुए कहा। तो रीत उसे देखता ही रह गया । और फिर उसके हाथ पकड़ अपने गले से निकाल कर उसे देखने लगा ।

    " देखो अमन अभी मुझे ये सब नहीं करना है । मुझे अपना कैरियर देखना है । अपनी पढ़ाई पूरी करनी है। तो बस तुम समझ जाओ ", उसने कहा और हाथ छोड़ दिए ।

    " जब में तैयार हूँ तुमहारे लिए फिर किस बात का डर है तुमको और वेसे भी ये तुम्हारी आंखे मुझे बगावत करने पर मजबूर करती है ", अमन ने कहा । तो रीत उसे देखने लगा।

    " इन आंखो पर मत जाना नफरत है मुझे इनसे और मै अभी सोच भी नहीं रहा इस सब के बारे में तो तुम भी ये फ़ालतू की बातें सोचना छोड दो ", उसने कहा ।

    " कोई बात नही मै हूँ ना तुमको सोचने की क्या जरुरत”, अमन ने कहा और रीत की शर्ट के बटन खोलने लगी। वही रीत उसे देखता ही रह गया ।

    " पागल हो गयी हो क्या , क्या कर रही हो मेने कहा जाओ यहाँ से तो जाओ । और ये सब भूल जाओ ", रीत ने उसके हाथ हटाते हुए कहा । वही अमन रीत को देखने लगी । रीत ने उसे धक्का ही दे दिया था खुद से दूर करने के लिए।

    " पागल मै नहीं पागल तुम हो गए हो । मुझे पता है तुम किस के लिए मुझे मना कर रहे हो । उसके लिए ना उस नौकरानी के लिए जां उस फोन वाली के लिए एक बात याद रखना जैसे फोन वाली से कभी मिलना नही हुआ वैसे ही ये नौकरानी भी कही का नही छोड़ेंगी तूमको ", अमन ने कहा तो रीत उसे घूरने लगा ।

    “ पता हो मुझे मेरी पीठ पीछे तुम दोनो रंग रलीया मनाते हो और मेरे साथ ही तूमको कैरियर बनाने का बहाना मिल जाता है ", अमन ने गुस्से से कहा ।

    " बस अमन बहुत बोल लिया तुम्हारे दिमाग में बैठे शक को मै नही निकाल सकता अब तो तुम चली जाओ यहां से अभी इसी वक्त " , रीत ने कहा ।

    " क्या मै चली जाऊं मै ", अमन ने हैरानी से कहा ।

    " हाँ चली जाओ अभी के अभी ", रीत ने भी गुस्से से कहा।

    " सोच लो रीत मै गयी ना तो तुमको सँभालने वाला नहीं रहे गई कोई भी ", अमन ने कहा । तो रीत उसे देखने लगा ।

    " जाओ यहाँ से में खुद को संभाल लूंगा बस तुम जाओ ", उसने कहा ।

    " देख लो अगर आज मै गयी ना तो ये रिश्ता यही खत्म हो जाएगा हमारा ", अमन ने रीत को देखते हुए कहा।

    " हो जाने दो ख़त्म इस रिश्ते को जिस में शक के सिवा कुछ और हो ही ना ", रीत ने कहा और अमन की बांह पकड़ कर उसे लेकर जाने लगा । वही अमन उसे देखती ही रीह गयी ।

    " जाओ यहाँ से जाओ और कभी आने की कोशिश भी मत करना यहां पर समझी ना ", रीत ने कहा और उसे गेट से बाहर कर गेट बंद कर दिया वही । अमन उसे देखती ही रह गयी।

    " रीत बुरा पश्ताओगे तुम ", अमन ने वही से कहा । तभी गेट खुला और उसका पर्स और फोन बाहर फेँकते हुए रीत ने गेट बंद कर लिया। अमन तो देखती ही रह गयी ये सब जो भी हुआ था । वो सब उसकी समझ से बाहर था ।

    " बुरा पश्ताओगे तुम अब ", अमन ने अपना पर्स उठाते हुये कहा और फोन को देखने लगी । वही रीत अंदर आया और वैसे ही सोफे पर बैठ गया । उसे आज अमन का बिहेवियर बहुत अजीब लगा था । इतना अजीब के बता नहीं सकता । शक कर रही थी वो उस पर जबकि वो कब से उसे समझने की कोशिश कर रहा था । पर वो थी के उसका शक जाने का नाम ही नही ले रहा था । और ये कोई पहली बार नहीं था । इसी लिए तो प्रिया भी आने से पहले ही जाने की बात करने लगी थी ,। रीत ने अपनी आंखे बंद कर ली ।और गेहरी सांस छोड़ वही सोफे पर ही पसरा रहा ।

    प्रीत अपने बैड पर लेटी हुई थी पर आखों की नींद कोसो दुर थी । उस लड़के का वापस आना उसे बहुत डरा रहा था आज से कुछ महीने पेहले भी उसने प्रीत का रास्ता रोक लिया था । जो के वो रोज ही उसे आते जाते कमेंट करता था । और अपने दोस्तों के साथ उसे हर जगह फॉलो भी करता था । पर एक दिन जब प्रीत वापस आ रही थी तो उसके रास्ते में ही खड़ा हो गया । प्रीत दूसरी तरफ से जाने लगी तो उसने प्रीत का हाथ पकड़ लिया ।

    " क्या जानेमन मुझे देखती भी नहीं हो और मै हूँ के तुम पर जान छिड़कता हुं ", उसने कहा । वही प्रीत जो उसे देख रही थी उसने एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर दे मारा ।

    " ख़बरदार जो आज के बाद ये गलती करने की कोशिश भी की तो ", प्रीत ने उसे उंगली दिखा कर कहा और उसके दोस्तों को देखा जो उसे ही देख रहे थे । और वहां से आगे बढ़ गयी । यहां वो लड़का उसे देखता ही रह गया।

    "आज शाम को जब अपनी माँ के लिये निकलेगी तब साली को उठा लूंगा मै भी देखता हूँ कोन आता है इसे बचाने ", उस खार खाये लड़के ने कहा । और वैसा ही हुआ शाम को प्रीत बाहर निकली अपनी मम्मी को देखने तभी उसे उस लड़के ने अपने दोस्तो के साथ घेर लिया । प्रीत जो इस बात से अनजान थी वो उनको देखने लगी ।

    " अब कहां जाओगी हां ", उस लड़के ने कहा । प्रीत कुछ कहती के उसी समय । वहां से बाइक पर सवार दो हवालदार निकले और प्रीत ने इस मौके का फायदा उठाया और उनको रोक कर सब बता दिया । उस के बाद उन सभी लड़कों की अच्छे से खातिरदारी हूई पुलिस स्टेशन में ।

    उस दिन के बाद वो लड़के फिर कभी नही देखे थे पर आज उनका इस तरफ से आना प्रीत को अंदर तक हिला गया था ।

    सुबह को अलार्म के बजने पर ही प्रीत की आंख खुली और वो अपने रोज के काम कर चल दी रंधावा हॉउस की तरफ । जिसके लिये उसे बस लेनी थी के तभी उसके माथे पर एक पत्थर लगा प्रीत गिरते गिरते बची पर माथे से खून निकलने लगा । वो माथे पर हाथ रख देखने लगी तो एक तरफ एक औरत खडी थी ।

    " तेरी वजह से मेरा बेटा जेल में है न तू भी चैन से नहीं रहेगी ", उस औरत ने कहा और वहां से चली गई । हैरान सी प्रीत देखती ही रेह गयी । आस पास खड़े कुछ लोग भी ये सब देख रहे थे ।माथे से खून बह कर उसके गाल से होते हुए पहने हुए सूट पर गिर रहा था । और वो वही खड़ी रह गयी ।

    " ओ गॉड कितना खून बह रहा है ", वहां से गुजर रही एक लड़की उसे देख कर रुकी थी उसने प्रीत को देख कहा । वही प्रीत उसे देखने लगी ।

    " चलो तुमको तो डॉक्टर की जरूरत है ", उसने कहा और प्रीत को अपने साथ लेकर चल दी वही आस पास खड़े लोग देखते रहे कोई भी आगे नही आया था । प्रीत तो बस सदमे में थी उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था । यहां तक के उसे ये भी नहीं पता था के उसके माथे की चोट पर दो टाँके लगे है और उसी लड़की ने उसे टाँके लगा कर पट्टी भी कर दी थी ।

    " अब तुम बताओ ये सब कैसे हुआ ", उस लड़की कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " कैसे हुआ ये सब और वहां पर सब देख रहे थे कोई आगे भी नहीं आया ", उसने कहा ।

    " डॉक्टर आपकी फ़ीस ", प्रीत ने कहा तो वो लड़की उसे देखने लगी ।

    " इटस ओके तुम बस आराम करो और ये दवाई लेनी है तुमको ", डॉक्टर ने प्रीत को दवाई देते हुए कहा ।

    " आप अपनी फ़ीस तो बता दो ", प्रीत ने कहा तो डॉक्टर उसे देखने लगी ।

    " तुम आराम करो कहो ती छोड़ दूँ घर पर ", डॉक्टर ने कहा।

    " नहीं मै चली जाउंगी ", प्रीत ने कहा और उठ कर बाहर आगयी । उसने समय देखा तो वो लेट थी , तो जल्दी से बाहर निकल कर वो चारों तरफ देखने लगी वो अभी अपनी कलोनी के पास ही थी , तो उसने मुड कर पीछे देखा ये तो सरकारी दवाखाना था उसकी कलोनी के पास का । प्रीत ने एकबार फिर से चारों तरफ देखा और अपने कपड़े देखे तो वो अपने घर की तरफ चल दी ।

    कुछ ही देर में चेंज कर वो वापस बाहर आयी इस समय वो गोल घेरदार सूट में थी और वापस बस स्टॉप पर आकर दुसरी बस में चढ़ गयी ।

    रब राखा

    रीत अमन की लड़ाई के बाद ।रीत का लिया कदम सही था जा गलत ।वही प्रीत अकेले कैसे सब का सामना कर पायेगी । जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 12. Chapter 12

    Words: 1223

    Estimated Reading Time: 8 min

    प्रीत चुप सी बाहर देख रही थी । यहाँ उसके जेसे ही ना जाने कितने लोग । रोज सुबह उठते और अपने काम पर चल देते । और शाम को वापस आते यही सोच कर के आज नहीं तो आने वाला कल अच्छा होगा । पर आने वाला कल और भी मुश्किल भरा हो जाता । जेसे आज प्रीत को इस तरह सब के सामने उस औरत ने पत्थर मारा था और सब देखते रहे किसी ने आगे आकर मदद नही की ।अब प्रीत उस मां को भी क्या कहे । वो माँ थी उस लड़के की जिसे कल पुलिस वाले लेकर गये थे । पर मां अपने बेटे के प्यार मे ये भूल गयी के उसका बेटा किसी की बेटी के साथ क्या करने वाला था । ये दुनिया ही ऐसी है बस अपना दर्द दुःख तकलीफ ही दिखती है । दूसरे का नही वैसा ही हाल उस औरत का था । जिसे अपने उस लाडले का ही दूख सब से बड़ा दर्द लग रहा है । प्रीत का दर्द उसके डर से कोई लेना देना नही था । यही सब सोचते हुए वो बस से उतरी और आगे बढ़ गयी आज वो लेट थी आधा घंटा । तो बस जल्दी जल्दी चल रही थी । उसने बेल लगा दी तो कुछ देर बाद गेट खुला । सामने रीत था जिसने प्रीत को देखा और एक तरफ हट गया ।

    " सॉरी सर आज लेट हो गया ", प्रीत ने कहा ।

    " कोई बात नही आ जाओ । मै भी अभी उठा हूँ ", कहते हुए रीत आगे आगे चल दिया । तो प्रीत उसके पीछे पीछे रीत जो आगे आगे चल रहा था उसने बिना पीछे देखे हुए ।

    " प्रीत एक कड़क सी चाय बना दो और हाँ डायनिंग टेबल पर पड़े बर्तन भी उठा लो कल रात मेरे दोस्त आये थे मै आता हूँ ", उसने कहा और चला गया । वही प्रीत ने अपना पर्स रखा और रसोई में जाकर उसने चाय के बर्तन मे चाय रख दी । और वापस बाहर आयी और देखने लगी । पहले उसने अपने दुपटे को क्रॉस कर बांध लिया और फटा फट बर्तन उठा रसोई में रखने लगी । उसके बाद उसने पूरा टेबल साफ करा और सोफे की गदिया उसके कवर सही कर वो रसोई में बर्तन धोने लग गयी ।

    रीत जो बाथरूम में था वो खुद को ही देख रहा था। उसके चेहरे पर साफ साफ था के रात को गुस्से में उसने कुछ गलत कर दिया है। पर अमन भी नहीं मान रही थी वो भी एक ही बात को लेकर बैठी थी तो बस गुस्सा किस पर हावी नही होता वही रीत के साथ हूआ ।

    " सर आपकी चाय बन गयी है ठंडी हो जाएगी ", बाहर से आवाज आयी । तो रीत के चेहरे पर मुस्कान आगयी।

    " आया प्रीत ", कहते हुए उसने फिर से अपने चेहरे पर पानी के छीटें मारे और तोलिये से साफ करते हुए बाहर आ गया यहाँ टेबल पर ही चाय का कप पड़ा था । जिसे देख वो वही बैठ गया ।

    " प्रीत कुछ खाने को भी देना ", उसने कहा तो प्रीत वापस आयी और उसके आगे नमकीन बिस्किट रख कर चली गयी।

    " थैक्यू ", उसने कहा और खाने लगा सर आज क्या बनान है ", प्रीत ने कहा ।

    " प्रीत आज मुझे लंच भी लेकर जाना है तो उसी हिसाब से बना दो ", रीत ने खाते हुए कहा ।उसके बाद प्रीत की तरफ से कोई अवाज नही आयी आवाज आइ तो बस काम की जेसे बर्तन साफ करने की । कुकर की सिटी की जा उसके रोटी बनाने की । वही रीत जिसने चाय पी और उसके बाद वो कुछ देर वही बैठा रहा । और उठ कर रूम की तरफ चला गया । वो जब तक तैयार हो कर आया तो डायनिंग टेबल पर खाना लगा हुआ था जिसे देख वो वही बैठ गया ।

    " सर आपका टिफिन भी तैयार है ", प्रीत ने वहां आते हुए कहा । तो रीत ने उसे देखा तो देखता ही रह गया ये ।

    " चोट कैसे आयी और तुम काम पर क्यूं आयी हो ", कहते हुए वो उठ गया और प्रीत के पास आ गया ।वही प्रीत उसे देखती ही रह गयी ।

    " हाँ सर में आ गई ये बस हल्की सी ही चोट आयी है ", प्रीत ने अपनी पट्टी पर हाथ रखते हुए कहा ।

    " हा लेकिन रीत देखो पट्टी की है आराम करती ", रीत ने कहा और प्रीत के पास की कुर्सी को खींच कर पीछे करा।

    " बैठो रीत ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी । मेने कहा बैठो ", उसने कहा तो प्रीत बैठ गयी । वही रीत उसके पास बैठ गया ।

    " कैसे लगी चोट ", उसने कहा । प्रीत उसे देख रही थी ।

    " कैसे लगी चोट ", उसने फिर से कहा ।

    " वो में गिर गयी थी ना ", प्रीत ने धीरे से कहा ।

    " तुम डर रही हो मुझसे ", रीत ने उसकी  आवाज की घबराहट को देख कहा ।

    " नहीं तो ", प्रीत ने कहा ।

    " ठीक है काकी से बात करता हूँ के उन्होंने भेजा कैसे आराम करती ना घर पर ", कहते हुए रीत ने फोन निकाला।

    " नही सर मम्मी को नहीं बताना मेने उनको कहा है के में बस पास ही जा रही हूँ वो परेशान होगी ", प्रीत ने कहा तो रीत उस देखने लगा ।

    " ठीक है खाना खाओ और हा यहां से घर जान है ", रीत ने कहा तो प्रीत ने हाँ मे सिर हिला दिया । वही रीत ने उसे खाना सर्व करा प्रीत तो उसे देखती रह गयी ।

    " चलो खाओ खाना ", उसने कहा । प्रीत खाना खाने लगी । रीत भी अपनी जगह पर आकर खाना खाने लगा था । ओके सर अब में चलती हूँ ", प्रीत ने कहा वही रीत उसे ही देख रहा था ।

    " ठीक है जाओ और आराम करो ", उसने कहा । पर नजर तो उसके चेहरे पर ही ठहरी हूई थी । आज इस सूट में वो और भी भी प्यारी लाग रही थी । वही प्रीत रसोई में गयी और अपने बेग से दवाई निकाल पानी के साथ लेकर वो बाहर आयी और रीत को बाए कर चल दी । रीत ने भी उसे कुछ नहीं कहा । वो अपने काम में लगा रहा ।

    प्रीत ने फिर से बस ली और चल दी कॉलेज की और वही रीत भी अपना बैग लेकर और लंच लेकर अपनी गाडी में रख चल दिया था । पर दिमाग में अब अमन की जगह प्रीत का चेहरा घूमने लगा था । उसके माथे की पट्टी उसे देख कर ही वो हैरान था । खुद पर भी गुस्सा था के उसने पहले कयूं नहीं देखा के उसे चोट लगी है । उपर से उसे दो काम ज्यादा बता दिए के चाय बना दो और बर्तन उठा कर धो दो ।और वो पागल बीना कुछ बोले काम पर लग गयी ऊपर से माफ़ी भी मागी अपने लेट आने की ।

    रब राखा

    क्या रीत प्रीत को पसंद करने लगा है जा फिर ये एक अटरेकशन है । जब रीत को पता चलेगा के प्रीत ही वही लड़की हे जिस के बारे में उसके दोस्तों ने कल बताया था तो क्या रिएक्शन होगा उसका जानने के लिए बने रहे साथ।समीक्षा देते जाये

  • 13. Chapter 13

    Words: 1732

    Estimated Reading Time: 11 min

    रीत जो गाडी चलाते हुए यही सब सोच रहा था उसने अपना सर झटका ।

    " मै भी ना मेने तो उस से उसका नंबर भी नहीं लिया और ना ही ये कहा के शाम को मत आना ", रीत खुद से सवाल जवाब कर रहा था और प्रीत के बारे में ही सोचते हुए आगे बड रहा था । वही प्रीत डांस रूम में आयी तो राजवीर सर उसे देखने लगे ।

    " ये क्या हुआ है ", उन्होंने प्रीत के पास आकर कहा ।

    " कुछ नहीं सर वो गिर गयी थी मैं ", उसने कहा ।

    " पर बच्चे आराम करती ना आज रहने देती आना उन्होंने उसे देखते हुए कहा ।

    " नहीं सर मन नही माना और फिर घर पर भी तो चैन नही है मुझे " उसने कहा ।

    " तो ठीक है तुम यही बैठ कर देखो वैसे भी तुमने जिनको सिखाया है वो तो अपना काम अच्छे से कर रहे है ", सर ने कहा और प्रीत को एक कुर्सी पे बैठा दिया । प्रीत वही बैठी हुई देख रही थी और अपने हाथ के इशारे से सब को बता भी रही थी के कहा कोई कमी रह गई है ।वही ग्रुप डांस को सर ने ले लिया था । और वो उनको सब बता रहे थे । बारह बज गए थे वही इस बैच के सभी बच्चे जाने लगे ।

    " प्रीत लो चाय पी लो ", राजवीर सर ने उसके आगे एक डिस्पोसेबल कप करते हुए कहा । तो प्रीत उनको देखने लगी ।

    " आज का काम खत्म हो गया ", उसने कहा ।

    " नहीं आज दूसरे बैच को भी सीखाना है वो भी आते ही होगे ", सर ने कहा । तो प्रीत ने सर हिला दिया ।

    " पंन्द्रह दिन है इतने दिनों में सब समझ जाएंगे ना ", प्रीत ने हर को देख कहा ।

    " देखते है वैसे समझना तो चाहिये उनको ", सर ने कहा तो प्रीत ने अपने बेग से बिस्किट का पैकेट निकाला और सर के आगे कर दिया । और खुद भी खाने लगी ।

    " चोट कैसे लगी अब बताओ ", सर ने फिर से कहा तो प्रीत उनको देखने लगी ।

    " बताया न के गिर गयी थी मै ", प्रीत ने कहा ।

    " कभी कभी मन के हाल बता देने चाहिए, मुझे रीटा ने सब बता दीया था के कैसे चोट लगी है ", उन्होंने कहा तो प्रीत चुप सी हो गयी ।

    " जो होना था हो गया अब उसी बात को करने से क्या हो जाएगा ", उस ने कहा ।

    " होगा कुछ नहीं पर जो गलत है उनको बताना तो होगा न के वो गलत है ", सर ने कहा तो प्रीत उनको देखने लगी । तभी दरवाजे पर दस्तक हुई तो सर उस तरफ देखने लगे प्रीत की पीठ थी उस तरफ ।

    " आ जाओ तुम दोनों ", सर ने कहा तो सामने से राहुल प्रिया और उन के साथ रीत अंदर आ गया ।

    " चलो तो आज से शूरू करते है ",सर ने उठते हुए कहा ।राजवीर सर ने उनको आने का कहा वो तीनो अंदर आग्ये ।

    " वैसे तुम तीन एक कहाँ है ", राजवीर सर ने उनको देख कहा ।

    " वो भी आती ही होगी ", राहुल ने रीत को देख कहा तो रीत ने हाँ में सिर हिला दिया । सुबह ही जब सब कॉलेज आये थे तब ही अमन ने रीत से माफ़ी मांग ली थी । ये कह कर के आगे से अब ये सब नहीं होगा । ना हीं वो कभी उस पर शक करेगी और ना हीं वो प्रीत के बारे में कभी बात करेगी । रात से अपसेट रीत के दिल को भी चैन आया था उस समय । तो उसने भी उसे माफ कर दीया था ।आखिर अमन ने उस समय उसे संभाला था जब रीत को अपनो की जरूरत थी पर कोई नही था तब अमन ही थी उसके साथ

    " सर वो भी आती ही होगी ", रीत ने कहा ।

    " तो ठीक है मिलो मेरी असिस्टेंट से ", राजवीर सर ने बैठी हुई प्रीत की तरफ देख कहा । वही तीनो उसे देखने लगे राहुल प्रिया के चेहरे पर स्माईल थी तो वही रीत उसे देख रहा था जिसकी पीठ उसकी तरफ थी । उसे ये कपड़े जाने पहचाने लग रहे थे । उतने में ही प्रीत उठी और उनको देखने लगी । पर रीत को देखते ही वो हैरान हो गयी वही रीत भी ।

    " आप तुम ", दोनों ने एक साथ कहा तो राहुल प्रिया और सर उनको देखने लगे । वही दोनो भी हैरान से देखते रह गये ।

    " ओके क्या तुम दोनों पहले से ही जानते हो एक दूसरे को ", राहुल ने कहा तो दोनो ने ना में सर हिला दिया ।

    " ठीक है , पर मेम ये चोट कैसे लगी और आराम से बैठो आप " , प्रिया ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी । वही राहुल रीत भी उसे देख रहे थे ।

    " हाँ ये चोट कैसे लाग गयी ", राहुल ने कहा ।

    " वो मै गिर गयी थी ", प्रीत ने कहा । वही रीत उसे ही देख रहा था ।

    " रीत तुमको बताया था ना रात को जिसके बारे में वो यही है प्रीत ", राहुल ने कहा तो रीत उसे देखता ही रह गया उसकी आंखों की हैरानी देखने लायक थी । कल रात प्रीत से मिला था वो और उसे जरा सा भी पता नहीं चला था के प्रीत के साथ ये सब हुआ है ।

    " सर आज छुट्टी रख लेते मेम की तबियत ठीक नहीं है ", प्रिया ने प्रीत को देखते हुए कहा ।

    " नहीं में ठीक हूँ आप अपना अपना गीत मुझे बताये ", उसने जल्दी से कहा । और रीत को देख नजरें झुका ली ।

    " पक्का तुम ठीक हो ना ", राहुल ने कहा ।

    " जी मै ठीक हूँ ", प्रीत ने कहा तो ।

    " ठीक है ये हमारा गीत है ", उसने अपने फोन को देखते हुए कहा । वही सर देख मुस्कुरा रहे हे ।

    " प्रीत तुम देख लो में चलता हूँ आज घर पर काम है ", उन्होंने कहा तो प्रीत ने हाँ में सर हिला दिया । तो सर सब को बाए कर चले गए । वही प्रीत ने राहुल का गीत लिया और उसे सूना ।

    " अच्छा है ", उसने कहा और रीत को देखने लगी ।

    " आपका गीत ", उसने कहा तो रीत ने भी उसे अपना गीत दे दया । जिसे वो सुनने लगी ।

    " आपके पार्टनर कोन है ", प्रीत ने तीनो को देख कर पूछा तो राहुल प्रिया को देख कर ।

    " मेरी पार्टनर तो ये रही ", उसने कहा । प्रीत मुस्कुरा दी वही रीत चुप सा रहा ।

    " मेरी पार्टनर आती होगी ", उसने कहा । तो ठीक है तब तक में इनको बताती हूँ ", उसने कहा और राहुल प्रिया के साथ लग गई , वही रीत एक तरफ बैठ गया ,ना जाने कया था के वो प्रीत को ही देख रहा था । एक घंटा हो चुका था वही रीत चुप सा बैठा था पर अमन नहीं आई थी ।वही राहुल और प्रिय दोनों को प्रीत बता रही थी ।

    " ठीक है पहले आपको ये करना है उसके बाद ये करना है ", प्रीत ने दोनो को हाथ के इशारे से बताया । तो राहुल प्रिय दोनों ने सर हिला दिया। वही प्रीत एक तरर्फ खड़ी हो गयी । रीत उसे देख रहा था तो उसने अपनी पानी की बोतल ली और प्रीत की पास आ गया ।जो राहुल प्रिया को ही देख रही थी।

    " ये लो पानी पी लो उसने ", बोतल उसके आगे करते हुए कहा । तो प्रीत उसे देखने लगी । जो सामने देख रहा था ।

    " थैंक्यू सर", उसने कहा और बोतल लेकर पानी पीने लगी। वही रीत ने उसे देखा ।

    " प्रीत तुमने बताया नहीं के तुम कोरियोग्राफर भी हो ", रीत ने कहा । तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " बस राजवीर सर के यह काम करती हूँ उनके अंडर काम करती हूँ ", उसने कहा । वही रीत उसे देखने लगा ।

    " जी सर मुझे पता है में किसी को नही बताउंगी के में आपके घर में काम करती हूँ । वैसे भी यहां का काम कुछ दिन का ही है ", प्रीत ने कहा रीत उसे देखता रहा । तभी अमन वहा आ गयी । और रीत के पास आकर ।

    " सॅरी वो लेट हो गया मुझे ", उसने कहा तो रीत ने उसे देखा। वही अमन की नज़र प्रीत पर गयी । तो वो रीत को देखने लगी और उसका हाथ कस कर पकड़ लिया। जिसे रीत ने मेहसूस करा था ।।

    " नहीं नही ऐसे नही केहते हुए प्रीत आगे बढ़ कर राहुल प्रीया को बताने लगी ।

    " ये डांन्स सीखा रही है ", अमन ने हैरानी से रीत को देख कहा तो रीत ने कुछ नहीं कहा ।

    " डांसर है ये तो ", अमन ने मुस्कुरा कर कहा तो रीत उसे देखने लगा ।

    " डांसर नहीं कॅरियग्ग्राफ्र है ये ", उसने कहा

    " हाँ वही ", अमन ने प्रीत को देख कहा ।

    " अब आप दोनो भी शूरू करो ", , प्रीत ने दोनों को देख कहा और गीत फिर से लगा दिया और रीत अमन को देखने लगी ।

    " सर आप को पता ही होगा क्या करना है आप एक बार देखलें उसके बाद में बता दूंगी ", रीत ने दोनों को देख कहा तो अमन उसे देखनी लगी

    " हम सालसा करने वाले है ", उसने कहा और रीत को देख कर ।

    " रीत और में साल्सा चैम्पियन है यहां के ", अमन ने कहा । रीत दोनो को देख मुस्कुरा दी।

    " ओके ये तो अच्छी बात है चलो आप भी शुरू कर दो ", उसने कहा और एक तरफ बैठ गयी । और दोनों को देख ने लगी।

    " आप तैयार है तो बात दे मैं गाना प्ले कर दूं ", उसने कहा । वही अमन रीत के साथ अपनी पोजीशन में थी और दोनों एक दूसरे को देख रहे थे । वही प्रीत ने गाना लगा दिया और वो दोनो अपना  काम करने लगे ।

    रब राखा

    क्या प्रीत, रीत अमन को डांस सिखा पायेगी? वही रीत , प्रीत के बारे में अपने दोस्तों को बतायेगा जा छुपा लेगा इस बात को? जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 14. Chapter 14

    Words: 1640

    Estimated Reading Time: 10 min

    रीत अमन दोनो अपने में लगे हुए थे ।आधा घंटा बीत गया था वही प्रीत दोनों कपल को देख रही थी यहाँ राहुल प्रिया तो अपना काम कर रहे थे । पर रीत अमन के बीच में बॉन्डिंग नही दिख रही थी ।

    " एक मिनट आप दोनों इस तरह नहीं कर सकते । सॉफ्टली एक दूसरे को हेंडल करना होगा आपको ", प्रीत ने उनके पास आकर कहा । तो अमन उसे देखने लगी ।

    " तुम अपना काम करो हमे पता है क्या करना है ", उसने कहा । वही प्रीत उसे देखने लगी

    " यहां में आप दोनो को टीचर हूं मेड नही हूँ जो आप इस तरह से मुझसे बात करे ", प्रीत ने कहा तो रीत उससे देखने लगा। वही अमन के चेहरे का रंग पल में बदला था ।

    " ओके तो आप दोनों एक दूसरे को हैंडल तो कर रहे है पर वो सही नही है और ये पेर इस तरह से आगे आना चाहिए ना के उठा कर ", प्रीत ने दोनो को समझाया जिसे देख रीत तो हैरान था । वही अमन गुस्से में थी। क्यूंकि प्रीत ने उसे जवाब दे दिया था ।

    " तुमको ज्यादा पता है तो तुम्ही करके बताओ ", अमन ने कहा । तो प्रीत उसे देखने लगी।

    " कल को बताउंगी जब मेरा पार्टनर यहां होगा उसने कहा ।

    " तुम मेरे पाटर्नर के साथ कर सकती हो टीचर हो ना तुम ", अमन ने कहा वही प्रीत रीत को देखने लगी ।

    " सॉरी पर ये नही हो सकता ", उसने कहा । और पीछे हटने लगी।

    " खुद को कुछ आता नही है और हमे चली है सीखाने अमन ने कहा तो प्रीत ने उसे देखा और फिर रीत को ।

    " सर क्या में आपके साथ डांस कर सकती हूँ ", उसने कहा । तो रीत ने अपने दोनो हाथ उसके आगे कर दिये प्रीत ने उसके हाथो में अपने हाथ रख दिए वही। राहुल प्रिय दोनों देख रहे थे राहुल ने आगे बढ़ के गीत चला दिया , जिसके बाद प्रीत और रीत के बिच जो डांन्स हुआ और दोनो के डांन्स मूव जो के एक्दम परफेक्ट और स्मूद थे ।ऐसा लग रहा था के दोनो ने ना जाने कितनी प्रक्टिस की हो । वही राहुल प्रिया भी देख कर हैरान थे प्रीत को ।गीत खत्म हुआ वही रीत जिसने प्रीत को कमर से पकड़ कर हवा में लिफ्ट करा हुआ था । दोनों एक दूसरे को ही देख रहे थे ।

    " सर मुझे नीचे उतारिये ", उसने कहा । रीत जो प्रीत की आवाज से होश में आया उसने प्रीत को नीचे उतरा और देखने लगा । वही प्रीत ने अपनी पट्टी पर हाथ लगाया और अमन को देखने लगी ।

    " बस आपको भी यही करना है ", उसने कहा और आगे बढ़ अपने बैग को देखने लगी ।

    " क्या यार क्या है ये पतली सी पर गजब ", राहुल ने रीत के पास आकर कहा वही अमन भी उसके पास आकर खड़ी हो गयी और रीत का हाथ पकड़ लिया ।

    " चलो हमे भी करना है ", उसने कहा तो रीत ने उसे देख और फिर से प्रीत को देखने लगा । जिसने अपने बैग से दवाई निकाल कर खा ली थी । और साथ ही दो बिस्किट भी खा लिए और अपने फोन पर समय देखने लगी ।

    " आप के पास आधा घंटा रह गया है बाकी का हम कल देखेंगे ", प्रीत ने कहा तो राहुल प्रिया दोनों अपने में लग गए। वही रीत अमन के साथ लग गया । पर दोनों के बीच अभी भी वो बात नही बन पा रही थी । प्रीत उनको ही देख रही थी । और बीच बीच में उनको टोक भी देती । और इसी सब में चार बज गये ।

    " ठीक है हम सब कल मिलते है और हाँ अगर आपको कुछ चेंज करना है तो कल ही होगा । उसके बाद हम अपनी रिहर्सल करेंगे ", प्रीत ने चारो को देख कहा तो चारो उसे देखने लागे ।

    " यहाँ अमन को गुस्सा था उस पर । वही प्रिय बहुत खुश थी । राहुल और रीत तो चुप से थे ,।

    " ओके मिलते है कल ", प्रीत ने कहा और अपना बैग लेकर चल दी वही चारों उसे देखते रहे ।

    " नौकरानी कही की रोब तो ऐसे झाड़ रही है जैसे कवीन हो कहीं की ", अमन ने कहा तो तीनो उसे देखने लागे ।

    " नौकरानी क्या बोल रही हो ", प्रिया ने कहा तो अमन उसे देखने लगी ।

    " हाँ नौकरानी है रीत की घर काम करती है कल ही तो मिली थी इस से " , उसने कहा तो राहुल प्रिया उसे देखते ही रह गए । वही रीत अमन को देख रहा था ।

    " बस करो तुम अब ", उसने कहा ।

    " सच में प्रीत तुम्हारे घर में काम करती है ",राहुल ने कहा तो रीत उसे देखने लगा ।

    " हाँ करती है काम और उसके लिये उसे पैसे मिलते है " , रीत ने कहा और अमन को देख ना में सर हिला कर अपना बैग उठा वहां से चल दिया वही प्रिया राहुल भी उसके पीछे चल दिए ।

    " अरे यार तो पहले क्यों नही बताया तुमने हमे ", राहुल ने कहा तो रीत उसे देखने लगा ।

    " मुझे भी तो आज ही पता चला है के प्रीत यही कोरियोग्राफर है ", उसने कहा । वही प्रिया भी पीछे पीछे चल रही थी तो अमन तीनो को देख गुस्से से भर गयी । सब से ज्यादा गुस्सा तो उसे रीत पर था जिसने एक बार भी प्रीत को खुद से डांस करने से नही रोका ।

    " चलो में तो जा रही हूँ घर ", अमन ने बाहर आते हुए कहा ।

    " ठीक है तुम चलो हमे तो प्रीत से मिलना है ", प्रिया ने कहा और राहुल रीत के साथ ही चल दी आज वो तीनो एक ही गाडी से आये थे । वही अमन उनको देखती ही रह गयी ।

    " तू ठीक है तू चुप क्यूं हो गया है । कुछ तो बोल ", राहुल ने रीत की चुप्पी को देख कहा । तो रीत उसे देखने लगा जो गाड़ी चला रहा था ।

    " मुझे जानना है के कल इतना सब हो गया प्रीत के साथ और उसने एक बार भी मुझे बताना सही नही समझा और आज जब आयी तो इतनी चोट लगी हुई थी उसे । उसके बारे मी भी कुछ नही कहा बस यही कहा के गिर गयी ऐसे नही होता जरूर बात कुछ और है ", उसने कहा वही राहुल उसे देखने लगा जो उसके पास की सीट पर बैठा था और प्रिया पीछे बैठी थी ।

    " आराम से चला घर ही जा रहे है और वो भी घर ही आयेगी वही बैठ कर बात करते है ", राहुल ने कहा तो रीत चुप सा सामने देखता रहा । प्रीत अपने समय के अनुसार रंधावा हॉउस के बाहर खड़ी थी । और आगे बढ़ उसने बेल लागा दी । तो कुछ ही पलों में दरवाजा खुला । सामने राहुल था तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " आ जाओ हम है ", उसने कहा तो प्रीत अंदर आगयी । वही राहुल ने गेट बंद करा और उसके साथ चल दिया वही प्रीत उसे देख रही थी जो उसके साथ चलते हुए मुस्कुरा रहा था । वही प्रीत उसे देख समझ नहीं पा रही थी के बात क्या है । दोनो अंदर आये तो सामने ही रीत प्रिया दिखे जिनको देख प्रीत चुप सी रसोई की तरफ जाने लगी ।

    " प्रीत यहां आओ ", रीत ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " जल्दी आओ सब ठंडा हो रहा है ", रीत ने कहा तो प्रीत हैरान सी उसे देखती है ।

    " बहुत भूख लगी है जल्दी आजाओ ", उसने फिर से कहा । वही प्रिया आगे बढ़ उसका हाथ पकड कर अपने साथ ले कर चल दी । सामने ही टेबल पर फ़ास्ट फ़ूड पड़ा था जिसे प्रीत देखने लगी ।

    " ये सब क्या है ", उसने कहा ।

    " ये सब खाना मेरे रेस्टोरेंट से है ", प्रिया ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " और हाँ रीत ये इसे खाना सही रहता है ", प्रिय ने कहा तो प्रीत ने रीत को देखा वही रीत उसे देख रहा था ।

    " बैठो भी अब के देखते ही रहना है ",राहुल ने प्रीत के लिए कुर्सी आगे करते हुए कहा । तो प्रीत बैठ गयी ।

    " सर क्या बात है कोई स्पेशल डे है । वो क्या है ना मुझे पता नही था वरना गिफ्ट लेकर आती ", प्रीत ने कहा तो रीत मुस्कुरा दिया ।

    " पागल हो तुम भी कोई स्पेशल डे नही है बस आज हम सब का मन था तो यही खाना ले आये चलो तुम भी हमारे साथ ही लग जाओ ", उसने कहा । तो प्रीत को कुछ राहत मिली और वो चारों बैठ कर खाने लगे ।

    " वैसे प्रीत पता है कल हम दोनों यहा आये थे खाना खाने तुम्हारे हाथ का पर हमे क्या पता था के तुम हमारी टीचर ही हो ", राहुल ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " वो तो बस कुछ दिनो के लिए ये काम तो मेरा काम है ", उसने कहा ।

    " जो भी हो काम मजे का है मेने सोच लिया है अब तुम मेरे यहां हेड शेफ बनो गी ", प्रिया ने कहा तो प्रीत उसे देख मुस्कुरा दी।

    " अरे सीरियसली मेने कहा है ",

    " देखेंगे ", प्रीत ने मुस्कुरा कर कहा ।तभी उसका फोन बजने लगा और वो अपना फोन देखने लगी। जिसे देख उसके चेहरे की मुस्कान जाती रही और सब उसे देखने लगे ।

    रब राखा

    किस का फोन था जिसे देख कर मुस्कुराती हूई प्रीत चुप सी हो गई? और अमन आगे क्या करेगी अपने गुस्से के चलते? जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 15. Chapter 15

    Words: 1395

    Estimated Reading Time: 9 min

    सब प्रीत को ही देख रहे थे। वही प्रीत ने फोन कान से लगाया दूसरी तरफ से कुछ कहा गया। जिससे सुनते ही वो अपनी जगह से उठ गयी और रीत को देखने लगी ।

    " मुझे जाना होगा सर अभी जाना होगा ", उसने कहा उसकी आखो में पल भर में आंसू बह कर गालों पर आ गये थे । वही तीनो उसे देखते रह गए ।

    " क्या हुआ सब ठीक है ना ", प्रिया ने कहा ।

    " मुझे जाना है अभी जाना है ", कहते हुए प्रीत वहां से बाहर की तरफ भागी। वो बस दीवार से टकराते हुए बची जिसे देख सब एक साथ बोल उठे ," ध्यान से " ।प्रिया ने राहुल को देखा ।

    " जल्दी करो कुछ तो हुआ है ", उसने कहा वही रीत भी उठा और तीनो बाहर की तरफ चल दिय।

    " रूको प्रीत हम साथ चलते है ", प्रिय ने कहा और प्रीत का हाथ पकड़ कर उसे गाडी की तरफ लेकर चल दी ।वही रीत ने फिर से गाडी संभाल ली और राहुल भी बैठ गया ।

    " कहाँ जाना है एड्रेस बात दो ", प्रिया ने कहा ।

    " सरकारी हॉस्पिटल ", प्रीत ने कहा तो सब उसे देखने लगे ।

    " काकी ", रीत के मुहं से हल्के से बोल निकले तो राहुल उसे देखने लगा । वो हैरान था। वही प्रीत अपने गाल बार बार साफ कर रही थी ।

    " सब ठीक ही होगा ", प्रिया ने उसके कंधे पर हाथ रख कहा । पर वो क्या जाने क्या हो गया था । वही रीत ने गाड़ी भगा दी थी पर शाम होने की वजह से सड़कों पर जाम लगा था। जिस वजह से उनको एक घंटा लग गया हॉस्पिटल पहुँचने में ।

    रीत ने गाडी रोकी तो प्रीत जल्दी से बाहर की तरफ निकली प्रिया भी उसके साथ ही चल दी थी । राहुल रीत ने गाड़ी पार्क की और वो भी चल दिया । यहाँ राहुल प्रिया से फोन पर बात क र रहा था ।

    " इस तरफ रीत ", राहुल ने कहा और फोन अपनी जेब में रख कर वो दोनों उस तरफ चल दिए। सामने कैंसर डिपार्टमेंट देख कर दोनों एक दूसरे को देखने लगे ।

    " यहां कोन है ", राहुल ने कहा ।

    " काकी ", रीत के मुहं से निकला और दोनों अंदर की तरफ चल दिए। वही प्रिया एक तरफ खड़ी सब देख रही थी । जिसकी आँखों में पानी था । वही राहुल उसके पास आकर खड़ा हो गया और सामने देखने लगा । रीत भी आगे आया तो सामने प्रीत और काकी को देख वो हैरान हो गया ।

    " मम्मी एसे नहीं करते कुछ तो बोली ना ", उसने कहा । वही प्रीत की मम्मी उसे ही देख रही थी ।

    “ मुझे माफ करना हम तुम्हे बचा नही पाये “। मम्मी के मूंह से ये बोल निकले वही प्रीत ना में सिर हिलाते हए।

    “ नही मम्मी आप ही हो मेरे लिए सब इस तरह मत बोलो उठो ना आप उठो “, उसने कहा ।पर उसकी मम्मी आखरी सांस ले चुकी थी। पास खड़ी नर्स भी प्रीत को देख रही थी । वही प्रीत जो अपनी मम्मी को देख रो रही थी वो वही चुप सी हो गयी । जिसे सब देखने लगे ।

    " राहुल प्रीत को क्या हूआ ",प्रीया ने राहुल के हाथ को पकड़ कर कहा तो राहुल देखने लगा । वही नर्स ने आगे बढ़ प्रीत को देखा वो बेहोश हो गई थी ।

    " जाओ डॉक्टर को बुलाओ ", नर्स ने दुसरी नर्स से कहा तो वो जल्दी से चली गयी । वही रीत ने आगे बढ़ प्रीत को बाहों में उठाया और पास के बेड पर लेटा दिया ।

    " प्रीत उठो प्रीत ", रीत उसके चेहरे को थपथपाने लगा । पर प्रीत कुछ नहीं बोल रही थी । डोक्टर भी आगये थे और प्रीत को देखने लगे । उसका बीपी लो हो गया था । इसके सिर पर चोट कैसी डॉक्टर ने कहा

    वो गिर गई थी इसने ही बताया था । प्रिया ने कहा ।

    " घबराने की बात नहीं है ठीक है बस अपनी मम्मी का जाना सेहन नहीं कर पायी ", डॉक्टर ने कहा तो तीनो उसे देखने लगे ।

    " बच्ची है पता था के अब मम्मी ठीक नहक होगी पर कोन सोच सकता है के ऐसा भी हो जाएगा दस दिन से रोज आ रही थी यहाँ अपनी मम्मी को देखने रोज उनसे बात करती थी और आज से ये काम भी ख़त्म हो गया ",नर्स ने कहा और प्रीत की मम्मी के चिहरे को चादर से ढक दिया । वही रीत हैरान सा देखता रह गया । उसे नही पता था के मुस्कुराते हुए चेहरे की पीछे इतना दर्द भी छुपा हूआ हो सकता है ।रीत ने आगे बढ़ काकी के चेहरे से चादर हटा के देखा । जिनके चेहरे पर वो रोनक नही थी जो उसने देखी थी । वही प्रिया तो प्रीत का हाथ पकड़ कर वही खड़ी थी । और राहुल फोन पर लगा हुआ था । तभी वहां पर राजवीर सर भी आ गये और सब देखने लगे । वही वो तीनो उनको देख रहे थे ।

    " सर आपको पता था इस सब के बारे में ", रीत ने कहा ।वो सर के साथ बाहर कुर्सी पर बैठा था ।

    " हाँ पता था , प्रीत अपनी मम्मी के साथ यहां रहती है वो कभी मेरा ही घर हुआ करता था मेने ही उनको वो घर रहने को दिया था ",उन्होंने कहा । वही रीत उनको देख रहा था ।

    " अच्छा तो कोई है इनके घर में जिसे सब बता सके ", रीत ने कहा। नहीं प्रीत और उसकी मम्मी का इस दुनिया में कोई नही है दोनों ही एक दूसरे का सहारा थी ", सर ने कहा , वही रीत जो सब सुन रह गया था उसे नहीं पता था के ये सब भी है । वो तो बस प्रीत के मुस्कुराते हुए चेहरे से ही वाकिफ था । वो उठा और अंदर आ गया यहाँ प्रीत अभी भी नींद में थी उसे ड्रिप लगा रखी थी डॉक्टर ने और उसकी मम्मी की सभी फ़ॉर्मेल्टी भी पूरी हो चुकी थी बस प्रीत के होश में आते ही सब चलेजाते यहाँ से , प्रिया प्रीत के पास ही बैठी थी वही राहुल नर्स के साथ बाहर गया था , रीत ने आगे बढ़ प्रीत के सिर पर हाथ रखा ।

    " उठ जाओ ऐसे अच्छी नहीं लगती हो तुम ", उसने धीरे से कहा और प्रिया को देखने लगा । जो उसे ही देख रही थी ।

    " ये सब क्या हो गया हम तो बहुत खुश थे ना ", उसने कहा तो रीत उसके पास आ गया।

    " ये जिंदगी की सचाई है बाकी तो सब वो फल है जिसे हम जीते है , वर्ना अंत तो सबका यही होना है ", उसने कहा प्रिया उसे देखने लगी । तभी प्रीत एकदम से उठ कर बैठ गयी तो रीत प्रिया उसे देखने लागे ।

    " प्रीत तुम ठीक हो ", प्रिया ने उसे देखते हुए कहा तो प्रीत उससे देखने लगी ।और हाँ में सर हिला दिया ।

    " मुझे घर जाना ही मम्मी को लेकर ", उसने कहा ।

    " हाँ चलते है पहले ये सब हो जाने दो ", रीत ने कहा तो प्रीत अपने हाथ को देखने लगी । यहां ड्रिप लगी हुई थी ।और वो वैसे ही बैठी रही । सर भी उस से मिले राहुल जो बाहर था वो भी वही आ गया था । सब प्रीत के पास ही बैठे थे और वो चुप सी थी अपने आंसू साफ कर लेती अपने हाथ से । उस रात सब हॉस्पिटल में ही थे । यहां प्रीत को डॉक्टर ने जाने से मना कर दिया था तो सब उसके पास ही रहे थे । अगली सुबह प्रीत अपनी मम्मी के साथ वहां से चल दी और उसके साथ उसके तीनो अनजान दोस्त जो इस रात में बने थे और सर भी ।

    प्रीत अपने उस एक कमरे में अपनी मम्मी को ले आयी थी । वाही रीत प्रिया और राहुल सब देख रहे थे । सर तो पहले से ही वाकिफ थे यहां से ।

    रब राखा

    अब क्या होगा प्रीत का? उसका एक ही सहारा था इस दूनीया में अब वो भी नही रहा? प्रीत की मम्मी के आखरी बोल हम तुम्हें बचा नही पाये क्या मतलब है इनका जानने के लिए बने रहे साथ। समीक्षा भी करते जाये ।

  • 16. Chapter 16

    Words: 1784

    Estimated Reading Time: 11 min

    राजवीर सर तो पहले से ही वाकिफ थे यहाँ से , लेकिन आस पास से कोई भी नही आया था । सब ने देखा था के प्रीत की माँ नहीं रही । जब एम्बुलेंस से उनको बहार निकाला था । पर फिर भी कोई नही आया था । प्रीत तो पहले ही टूटी हुई थी । उसे कुछ नहीं पता था के कैसे क्या करना है वो तो अपनी मम्मी के पास ही बैठी हुई थी और तीनो बस चुप से थे । वो भी पहली बार ही एसी किसी परिस्थिती मे आये थे । तभी राजवीर सर ने फोन लगाया और कुछ ही देर में वहां पर कुछ औरते आ गई और ऊन्होने आगे के सभी रस्मे पूरी की । वही बाहर आये कुछ आदमियों ने अर्थी बना ली थी । देखते ही देखते प्रीत की मम्मी को ले जाया गया था । और प्रीत बस वही बैठी हुई देखती रही जिसके साथ प्रिया ही थी ।

    एक बार फिर से रात हो गयी थी और सब कुछ शांत सा प्रीत जो सुबह से बेहाल थी वो उठी और बाथरूम की तरफ चली गयी । वही रीत प्रिया और राहुल उसे देखते रहे ।

    " मैं देखूं ", प्रिय ने उठते हुए कहा । तो राहुल ने उसे रोक लिया।

    " नहीं उसे कुछ देर खुद के साथ रेहने दो ", उसने कहा तो प्रिया वही बैठ गयी ।कुछ ही देर में प्रीत बाहर आइ और तीनो को देखने लगी । क्यूंकि वही रेह गए थे यहाँ पर ।

    " शुक्रीया आप सब का जो आपने मेरे मुश्किल समय मे मेरा साथ दिया ", प्रीत ने कहा तो तीनो उसे देखने लगे ।

    " अब आपको जाना चाहिए ", उसने कहा । वही रीत उठ कर उसके पास आ गया

    " नहीं हम तूमको अकेले छोड़ कर नही जा साकते ", उसने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " नही सर आपको जाना है अब । तो जाए आप आपके घर वाले आपका इंतजार कर रहे होंगे ", उसने कहा ।

    " ठीक है हम जा रहे है पर एक बात याद रखना के हम यही है तुम्हारे साथ ", राहुल ने कहा तो प्रीत ने उसे दख सर हिला दिया ।

    " चलो तुम दोनो ", राहुल ने प्रिया और रीत को देख कर कहा तो दोनों उसे देखने लगे ।

    " पर हम कैसे ", प्रिय जो कुछ कहने वाली थी राहुल ने उसके हाथ को पकड़ लिया ।

    " चलो अभी ", उसने कहा । तो प्रिया ने प्रीत को देखा और राहुल के साथ चल दी । वही रीत भी प्रीत को देखते हुए चला । गया प्रीत ने आगे बढ़ दरवाजा बंद कर लिया और वही फर्श पर बैठ गयी और दीवार पर लगी अपनी मंम्मी की फोटो को देखने लगी ।

    " राहुल तुम हमे इस तरह से क्यूं लाये हो पता है ना वो अकेली है ", प्रिया ने कहा तो राहुल उसे दखने लगा ।

    " अभी चलो घर कल सुबह आजायेंगे ", उस ने कहा वही रीत ने उस जगह को चारों तरफ से देखा । यहां किसी ने भी प्रीत को मिलने की कोशिश नही की थी ।

    " चलो तुम दोनो बैठो गाडी में ", राहुल ने कहा तो रीत भी बैठ गया उसका भी फोन कब से बज रहा था जिसे उसने साइलेंट करा हुआ था । और गाड़ी में बैठते ही उसने फोन को देखा जिस पर अमन की कितनी सारी मिसकॉल थी। जिसे देख उसने फोन को वापस से बंद कर दिया । वही राहुल ने भी गाड़ी आगी बड़ा ली थी ।रात के दस बजे रीत अपने घर के सामने था। और गेट खोल उसने गाड़ी अंदर की और फिर से गेट बंद कर अपने घर के अंदर जाने लगा । तो उसका फोन एक बार फिर से बजा । जिसे देखा तो अमन का ही फोन था ।

    हैलो क्या हुआ ", रीत ने फोन कान से लगाते हुए कहा । और दरवाजा खोल अंदर आया तो सामने ही कल शाम का खाना पड़ा हुआ था । जो आधा अधूरा ही खाया था उन लोगोने । जिसे रीत देखने लगा

    " मेने कुछ कहा है तुम सून रहे हो ", दूसरी तरफ से कहा गया । तो रीत फोन को देखने लगा।

    " हाँ सून रहा हूं क्या कहा ", उसने कहा और आगे बड उन प्लेट्स को उठाने लगा ।

    " मेने कहा के तुम कहा हो । कहा गये हो मुझे बताया भी नही ", अमन ने कहा ।

    " मै तो यही हूँ ", रीत ने कहा ।

    " अच्छा तो में तुम्हारे घर के बाहर कितनी देर तक खड़ी रही गेट बाहर से बंद था और तुम मेरा फोन भी नहीं उठा रहे थे ", अमन ने कहा ।

    " हाँ वो काम से बाहर गया था ", रीत ने प्लेट्स को रसोई की सिंक में रखते हुए कहा ।

    " वही तो पूछ रही हूँ कहा थे तुम ", अमन ने कहा ।

    " अमन कल बात करे अभी मै बहुत थक्क गया हूँ ", उसने कहा ।

    " ठीक है कल कॉलेज मे मिलते है ", अमन ने कहा और रीत फोन रख उन सभी बर्तन को धोने लगा । जो वो यहाँ ले आया था । और उसके बाद रूम मे गया और शावर लेने लगा । लेकिन आंखे बंद करते ही प्रीत का चेहरे घूम जाता उसकी आंखो के सामने से । तो उसने अपना सर झटक दिया ।

    रीत कुछ देर बाद बाहर आया और बाहर की तरफ चल दिया । उसे अब भूख का एहसास होने लगा था । तो रसोई में देखने लग और अपने लिए चाय चढ़ा दी । लेकिन प्रीत ही उसके दिमाग में घूम रही थी । उसने भी कल से ही कुछ नहीं खाया था नाहीं ही उन सब को इस बात का ध्यान ही रहा था बस यही सब सोचते हुए उसने चाय बनाई और चुप सा बैठ गया सोफे पर ।थके होने की वजह से उसकी आंख लग गई ।

    रात के कुछ दो बजे रीत का फोन बजने लगा । जिसे उसने देखा वो अभी पब में से बाहर निकल रहा था । उसने फोन देखा जिस पर नंबर था । नशे की वजह से उसे वो नंबर भी सही से नही दिख रहा था । पर उसने फोन उठा कान से लगा लिय हैलो रीत ने कहा । हैलो दूसरी तरफ से एक घबराई सी लड़की की आवाज आई ।हैलो रीत ने फिर से कहा।

    “ हैलो प्लीज हैल्प मी “, दूसरी तरफ से कहा गया ।

    “ अरे भई इतनी रात को कोन सी हैल्प दूं अभी तो मुझे भी हैल्प चाहीये रीत ने कहा “, जो चलते हुए अपनी गाड़ी की तरफ आ गया था ।और चाबी लगा उस में बैठ गया ।

    “ मुझे बचा लो ये बहुत मारते है मैं मर जाऊंगी सिर्फ आपका नंबर लगा है “, दूसरी तरफ से कहा गया ।वही रीत जो नशे में गाड़ी चला रहा था ।वो सामने देखने लगा ।

    “ ओके मै मदद करूंगा पर इस समय मुझे कुछ पता नही चल रहा, क्या सुबह बात करें देखो बहुत दूर जाना है एसा करते है सुबह नो बजे बात करते है “, रीत ने कहा और फोन बंद कर दिया ।

    तभी रीत एक झटके से उठ गया और अपना फोन देखने लगा जिस पर कोई फोन नही था । रीत अपने सपनो में चला गया था।

    “ मुझे नही पता तुम कोन हो कहां हो कैसी हो पर इतनी खुशी है के तुम उस नर्क से बाहर हो रीत ने अपने फोन को देखते हुए कहा।

    अगली सुबह रीत की आंख खुली तो वो वही सोफे पर ही था वो खुद को ही देख रहा था । तभी उसके फोन के बजने की आवाज आने लगी । जिसे वो देखने लगा।

    " अमन का नाम देख कर उसने अपना फोन वापस रख दिया और उठ कर वो बाहर की तरफ चल दीया लेकिन आज प्रीत नहीं आने वाली थी जिस के बारे में सोचते ही वो वापस अंदर आ गया और चुप सा बैठ गया , तभी उसका फोन फिर से बजा । जिसे उसने देखा । राहुल नाम शो हो रहा था । तो उसने फोन उठा लिया ।

    " हेलो ", उसने कहा ।

    " रीत मै और प्रिया प्रीत के यहाँ जा रहे है तुम चल रहे हो क्या ", उसने कहा ।

    " हाँ चल रहा हूँ ", रीत ने कहा ।

    तो ठीक है तुम फ्रेश हो जाओ हम आने वाले है ", राहुल ने कहा और फोन काट दिया । वही रीत ने फोन देखा और प्रिया का नंबर निकाल कर उसे लगा दिया ।

    " प्रीत जो रात को वही फर्श पर ही बैठे हुए सो गयी थी उसकी आंख दरवाजे पर दस्तक से खुली । जिसे सुन कर वो दरवाजा देखने लगी । और फिर उठ कर दरवाजा खोल दिया तो सामने तीनो को देख वो देखती ही रह गयी ।प्रिया ने आगे बड उसे गले से लागा लिया वही प्रीत की आँखों में एक बार फिर से पानी बह गया ।

    " चलो जाओ फ्रेश हो लो फिर हम सब खाना खाते है " , प्रिया ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " जाओ ", उसने कहा । तो प्रीत चल दी वही राहुल और रीत एक तरफ लगे गद्दे पर बैठ गए । प्रिया ने भी सामने रखे बर्तन में से कुछ बर्तन लिए और अपने साथ लाये खाने को उनमे रखने लथी गयी थी ।

    शाम हो गई थी राजवीर सर वहां आये उनके साथ पंडित जी थे और वो उन सभी रस्मो को करने की बात कर रहे थे। जो अब होनी थी । वही प्रीत हाँ में सिर हिलाए जा रही थी। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था । वो बस राजवीरर सर की बात को मान रही थी । "तो ठीक है हम इसी हफ्ते सब रस्मे पूरी कर लेते है ", सर ने कहा वही पंडित जी ने उनको एक कागज दे दीया तो सर ने उस कागज को अपने पास रख लिया वही सब उनको देख रहे थे। पंडित जी और सर वहां से चले गए थे । वैसे भी शाम हो गयी थी ।प्रीत सुबह से बैठी ही थी । वही प्रिया राहुल रीत भी उसके पास ही थे । प्रीत ने तीनो को देखा ।

    " अब आपको जाना चाहिए ", उसने कहा। तो तीनो उसे देखने लागे । प्रीत किसी भी चीज की जरूरत ही तो बताना हमे ", राहुल ने कहा तो प्रीत ने हाँ में सिर हिला दिया ।

    रब राखा

    क्या प्रीत इस सदमे से बाहर निकल पायेगी अपनी मम्मी का जाना वो केसे बर्दाश्त करेगी? और रीत का क्या लेना है फोन वाली लड़की से जिसके बारे में अमन ने बात की थी? और उसका सपना क्या राज है उसका । जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 17. Chapter 17

    Words: 1616

    Estimated Reading Time: 10 min

    वो तीनो उठे और बाहर चल दीय। प्रीत ने भी उठ कर दरवाजा बंद कर लिया । जिसे तीनो ने देखा और फिर एक दूसरे को देखने लगे ।

    " चलो तुम हमे जाना है यहाँ से ", राहुल ने कहा।तो रीत उसे देखने लगा ।

    " क्या मतलब जाना है । जा ही तो रहे है ", उसने कहा ।

    " हां जा तो रहे है ये इलाका सही नही है मुझे पता चला है के यहां पर लड़ाई झगड़ा आम सी बात है । और जो बाहर के यहाँ आते है उनके साथ भी ये लोग गलत बीहेव करते है ", राहुल ने कहा । तो रीत प्रिया उसे देखने लगे । और दोनो भी गाडी में बैठ गए । उनके जाते ही प्रीत के दरवाजे पर कुछ औरते आयी और उसे खड़काने लगी ।

    " अरी बाहर निकल हमें भी तो बता कोन सा काम कर रही है अंदर जो इतने लड़के आ रहे है ", उन्होंने कहा तो प्रीत जो अंदर बैठी थी उसने अपने कानो पर हाथ रख दिया। और वैसे ही चुप सी बैठी रही । कुछ देर बाद आवाजे आनी बंद हो गयी थी पर प्रीत वैसे ही बैठी रही ।

    रीत अपने घर पहुंचा तो सामने ही अमन खडी थी जो उससे ही देख रही थी ।

    " तुम कहाँ थे रीत पता है मैं कब से खड़ी तुम्हे फोन लगा रही हूँ । पर तुम हो के फोन भी नहीं उठा रहे ", उसने कहा । वही प्रीत उसे किसी भी बात का जवाब दिए बिना ही गी गेट खोल और अंदर चल दिया । अमन भी उसके पीछे चल दी ।

    " तुम मेरी बात सुन भी रहे हो के नहीं ", उसने कहा ।वही ईत ने कुछ नहीं कहा । वो चुप सा आकर बैठ गया अमन उसके पास ही आकर बैठ गयी । और उसे देखने लगी ।

    " बात क्या है तुम बहुत अजीब से लग रहे हो ना ही कोई बात कर रहे हो सब ठीक तो है ना और आज तुम कॉलेज भी नहीं आये हमें प्रेक्टिस करनी थी ", उसने कहा । रीत उसे देखने लगा और फिर गहरी साँस लेते हुए ।

    " हाँ वो प्रीत की मम्मी नहीं रही वो काकी जो यहां काम करती थी ना वो अब नही रही ।ष तो बस वही था प्रीत के साथ ", उसने कहा । अमन रीत की बात सुन उसे देखती ही रह गयी ।

    " तो पिछले दो दिन से तुम उस के साथ हो ", उसने हैरानी से कहा । तो रीत ने हाँ में सर हिला दिया ।अमन उसे देखती रह गए ।

    " तुम उसके साथ हो पता भी है वो कहाँ रहती है तुम उसके साथ थे और मुझे लगा ना जाने कोनसा बड़ा काम है जो तुम आये नहीं । पर तुम तो उस खाना बनाने वाली के यहाँ थे ", अमन ने मुस्कुराते हुए कहा । वही रीत उसे देखता रहा

    " तुम मुस्कुरा रही हो ", रीत ने उसे देख कहा ।

    " हाँ मुस्कुरा रही हूँ तुम पर , तुम्हारे रवैये पर , मुझे सच में यकीन नही हो रहा के तुम उस नौकरानी के लिए इतना सोच रहे हो , वो काम करती है यहां पर बस उस के आगे कुछ नही ", अमन ने कहा । रीत उसे देखता ही रह गया ।

    " और पता है रीत आज नही तो कल वो तुमको खा जायेगी और डिकार भी नहीं लेगी । इस लिए बोल रही हूँ तुम जो उसकी तरफ झुक रहे हो ना बंद करदो उस तरफ झुकना । वार्ना तुम जानते ही हो अंजाम क्या होता है " , अमन ने कहा । वही रीत उसे देखता ही रह गया ।

    " हो गया तुम्हारा अब तुम जा सकती हो ", रीत ने उसे कहा तो अमन उसे देखने लगी ।

    " बस तुमको यही करना आता है मेने साफ़ साफ बात कही तो तुमको बुरा लाग गया ", अमन ने कहा ।

    " बस बहुत हो गया मुझे नही सुन्नी तुम्हारी कोई भी बात तो तुम जाओ यहां से ", उसने कहा । अमन उसे देखते हुए वहां से उठी और बाहर चल दी । वही रीत वैसे ही बैठा रहा ।

    कुछ दिन वैसे ही बीत गाये थे । प्रिया राहुल रीत दिन में कुछ घंटे प्रीत की यहां चले जाते और प्रीत के कहने पर ही वापस बी आ जाते । प्रीत तो चुप सी हो गयी थी । आज उसकी मम्मी के सभी संस्कार पुरे हो गाये थे । और वो चुप सी वही बैड पर बैठी थी ।कुछ देर पहले ही प्रिया राहुल और रीत गाये थे। शाम हो चुकी थी । बस इन तीनो ने और सर ने ही साथ दिया था उसका । वार्ना वो अकेली ही थी यहाँ पर प्रीत चुप सी बैठी हुई थी । तभी उसके दरवाजे पर दस्तक होने लगी । रोज की तरफ और वो वैसे ही देखती रही उसने कोई भी प्रितकिर्या नहीं की । वो बस उस दरवाजे को देखती रही ।

    " कल से कॉलेज जाना है हमें ", राहुल ने प्रिय और रीत को देखते हुए कहा तो दोनों ने हाँ में सर हिला दिया । वैसे भी अब दिन ही रह गए है आगे डान्स पर्फोर्मेंस की तेयारी के लिए । सुनने में आया है के एक दिन पहले ही से ही पर्फोर्मेंस शूरू हो जाएँगी । और दूसरे दिन के सभी पर्फोर्मेंस को मिला क्र ही नतीजा निकाला जायेगा " , प्रिया ने कहा । वही राहुल रीत उसे देख रहे थे ।

    " हाँ ये ठीक है कल से चलते है कॉलेज बाकि वहां जा कर देखते है कैसे चल रहा है ", राहुल ने कहा ।

    " ओके तो मुझे भी जाना है कुछ काम भी पुरे करने है ", रीत ने कहा और उठ कर चल दिया । तीनो इस समय रेस्टोरेंट मै बैठे थे । यहाँ उन्होंने डिन्नर करा और अब अपने अपने घर की और चल दिए । प्रीत आपने घर से अगले दो दिन तक बाहर नहीं निकली थी । राजवीर सर उस से मिलने आते थे । और राहुल प्रिय रीत को उनसे ही पता चल रहा था के वो कैसी है। उन्होंने भी सोच लिया था के अब उसे कुछ स्पेस देनी चाहिए । इसी सोच के चलते वो अपनी प्रेक्टिस पर ध्यान देने लगे थे । यहाँ राहुल प्रिया का तो सही चल रहा था । पर रीत अमन के बिच की वो केमिस्ट्री नहीं बन पा रही थी । जो पहले की तर थी ।

    " कहा है तुम्हारा ध्यान देखो बस आठ दिन रह गए है और हम है के अभी कुछ अच्छे से शुरू भी नहीं कर पाए है बाकी सब बहुत आगे है हम से " अमन ने कहा वही रीत एक तरफ बैठा हुआ राहुल प्रिया को देख रहा था । जो कितने खुश लग रहे थे ।

    " अमन क्या हम दोनों कभी इतने खुश हुए है । इस रिलेशन में आकर ", तो अमन उसे देखने लगी जो सामने देख रहा था ।

    " ये बात कहाँ से आगयी बिच में ", अमन ने कहा ।

    " नहीं बस मन हुआ तो पूछ लिया । क्यूंकि ये दोनों दो दो दिन तक बात नहीं करते तो भी मुस्कुराते हुए ही मिलते है , पर हमारी दो घंटे बात न हो तो तूम गुसा हो जाती हो और मुझे बताना पड़ता है के बात ना करने का क्या रीजन था ", रीत ने कहा । वही अमन उसे देख रही थी । और मुस्कुरा दी ।

    " मुझे तो बात कुछ और ही लग रही है पर तुम मुझे इस सब में लाना चाहते हो ", उसने कहा । तो रीत उसे दखने लगा ।

    " बस यही तो बात है के तुम बात को ही बदल देती हो ", उसने कहा और उठ के राहुल को देखने लगा ।

    " मुझे अब जाना है तुम दोनों लगे रहो ", उसने कहा ।

    " अरे रुक मुझे भी जाना है तो छोड़ देना रास्ते में । आज राहुल को अपने काम पर जाना है " प्रिया ने राहुल से अपने हाथ खींचते हुए कहा । वही राहुल मुस्कुरा दिया तो प्रिय ने उसे देखा और उसके गले लग गयी बाये उसने कहा और अपना बैग लेते हुए रीत के साथ रूम से बाहर चली गयी । वही राहुल मुस्कुराते हुए अपना बैग देखने लगा ।

    " तुमको गुस्सा नहीं आता जब प्रिया तुमको ऐसे छोड़ कर चली जाती है तुमसे पूछा भी नहीं जाने का और चली गयी ", अमन ने कहा तो राहुल उसे देखने लगा

    " नहीं तो गुस्सा किस बात का आना चाहिए , उसकी लाइफ है जैसे चाहे वैसे जिए " उसने कहा । वही अमन उसे देखने लगी ।

    " पर तुम दोनों एक रिलेशन में हो और प्रिया कैसे रीत के साथ चली । गयी जब के में यही हूँ ", उसने कहा तो राहुल उसे देखने लगा ।

    " अमन में और तुम तो बहुत बाद में इनके साथ जुड़े है प्रिया रीत बचपन के दोस्त है । वो दोनो एकदूसरे को बहुत अच्छे से जानते है । तो इस में शक करने जैसी कोई बात नहीं तुम फ़िक्र मत करो रीत को कुछ नहीं कहेगी बलकी उसका ख्याल ही रखेगी प्रीया ", उसने कहा । वही अमन उसे देख रही थी ।

    " पर मुझे ये बात अच्छी नहीं लगी के मेरे रीत के साथ मेरे सिवा कोई और जाये ", उसने कहा और अपना बैग उठा कर बाहर चल दी । वही राहुल उसे देखता रहा

    " और मुझे ये बात नहीं पसंद के तुम रीत की लाइफ में रहो ", उसने अमन की नकल करते हुए कहा ।

    रब राखा

    अमन का ये वेवहार क्या उसे खुद ही रीत से दूर कर देगा । जा नही जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 18. "Sacred Bond of Love" - Chapter 18

    Words: 1189

    Estimated Reading Time: 8 min

    अगली सुबह प्रीत उठी और बैड पर बैठी रही । वो एक टक अपनी मम्मी की फोटो को ही देख रही ही

    " मुझे जीना है मुझे आपका सपना पूरा करना है ", प्रीत ने खुद से ही कहा । और उठ कर उस रूम को देखा जो काफी मेसी हो रखा था । तो उसने अपने लंबे बालों का जुड़ा बनाया और लग गयी काम पर । उसके बाद उसने कपडे निकाले और बाथरूम की तरफ चल दी । नहा धो कर तैयार हो कर वो शीशे में खुद को देख रही थी । उसके चेहरे की रौनक तो जाती रही थी । पर कुछ करने की उम्मीद ने उस के अंदर जनून भर दिया था । जिसे के साथ उसने अपना बेग देखा । रसोई में कुछ था नहीं खाने का तो वो वैसे ही दरवाजे को ताला लगा कर बाहर निकली तो सामने ही कुछ औरते उसे देखने लगी जिनको अनदेखा कर वो चल दी अपने काम पर जो के अब रंधावा हाऊस की तरफ ही जाता था । बस स्टॉप से बस लेकर वो चल दी थी माथे की चोट अब पहले से बेहतर थी पटी छोटी हो गयी थी । टांके जो लगे थे वो खुद से ही निकलने वाले थे तो वापस वो डोक्टर के पास भी नही गयी थी । पर अब पहले से ठीक थी ।बस से उतर कर वो चल दी रंधावा हाऊस की और । रस्ते में दुकान में बैठे अंकल उसे देख रहे थे ।

    " क्या बात है बिटिया बहुत दिनों बाद आना हुआ ", उन्होंने कहा तो प्रीत उनको देखने लगी ।

    " जी चोट लग गयी थी तो छुट्टी पर थी ", उसने कहा । वही अंकल ने उसे अपना ध्यान रखने का कहा । तो प्रीत आगे बढ़ गयी । उसने गेट के सामने खड़े हो कर बेल लगा दी । एक बार और फिर दूसरी बार । पर गेट बही खुला । तो उसने एक बार फिर से बेल लगा दी और चुप सी उसे देखने लगी । तभी गेट खुला ।

    " क्या है ", सामने से रीत की आवाज सुन वो उसे देखने लगी । वही रीत भी प्रीत को देख ता ही रह गया।

    " तुम ", उसने हैरानी से कहा ।




    " जी सर सॉरी मेने बताया नहीं आने से पहले ", उसने कहा । वही रीत उसे देख रहा था

    " तुम काम पर आयी हो ", रीत ने गेट खोलते हुए कहा ।

    " जी आयी हूँ क्या अपने नई काम वाली रख ली तो में जाती हूँ ", उसने कहा ।

    " अरे नही मेने किसी को नही रखा ", रीत ने जल्दी से कहा । वही प्रीत उसे देखने लगी । अंदर आओ उसने कहा तो प्रीत अंदर चल दी । वही रीत ने गेट बंद करा और उसके पीछे चल दिया ।

    " वो मुझे लगा के अभी तुम घर ही रहोगी अपने ", उसने कहा ।

    " नहीं वो अकेले रहने का मन नहीं कर रहा था तो बस काम पर आगयी ", उसने कहा और दरवाजे से अंदर चली गयी । और हॉल को देखने लगी जो बहुत ही मेस्सी हो रखा था । वही रीत भी देखता रहा ।

    " हाँ वो दो दिन से मेने काम नहीं करा ना तो बस हो गया ", उसने सोफा सही से करते हुए कहा ।

    " कोई बात नहीं सर मेरा काम है ये में कर देती हूँ ", उसने कहा । और अपना बेग़ रख कर वो अपने काम पर लग गयीं । वही रीत उसे देख रहा था ।

    " प्रीत मै फ्रेश हो कर आता हूँ तुम चाय बनाओ हम दोनों दोस्त मिल कर चाय पिएंगे ", रीत ने कहा और चल दिया । वही रीत रूम की तरफ चल दिया । वो खुद को शीशे में देख रहा था। यहाँ उसके चेहरे पर मुस्कान थी । एक क थी जिसे वो देख रहा था । इतने दिनों से वो चुप चुप सा हो गया था । पर अब एक अलग ही चमक थी उसके चेहरे पर । जिसे देखते हुए उसने पानी के छींटे अपने चेहरे पर मारे ,

    वही प्रीत ने चाय चढ़ा दी थी और साथ ही खाने के लिए देखने लगी पर ज्यादा कुछ नही था । उसे जो भी सब्जी मिली उसे निकाल कर बाहर रख लिया और साथ ही आटा भी निकाल कर रख लिया। ता के काम करने में उसे परेशानी न हो ।




    ' लो मै तो आ गया बताओ आज क्या बना रही हो ", रीत ने रसोई में ही आते हुए कहा । तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " आपने खाना नहीं खाय क्या घर पर , कुछ भी नहीं है ", उसने कहा तो रीत उस देखने लगा ।

    " हाँ प्रिया ही खिला देती थी तो मुझे जरुरत नहीं पडी ", उसने कहा । प्रीत ने उसे देखा ।

    " ठीक है ये कुछ सब्जी है में इनसब को ही मिक्स कर बनाने वाली हूँ ", उसने कहा ये

    " अच्छा लग रहा है सुनने में चलो पहले चाय पीते है ", रीत ने कहा ।

    " आप बैठो में लेकर आती हूँ प्रीत ने कहा और चाय कप ,में छानने लगी । वही रीत उसे देखते हुए बाहर आकर बैठ गया । प्रीत भी कुछ ही देर में । एक ट्रे ले कर आगयी और रीत के सामने रख दी ।

    " तुम भी बैठो ", उसने कहा तो रीत उसे देखने लगी और बैठ गयी । दैनो चुप से थे कोई बात नहीं हो रही थी कप दोनों के हाथ में थे ।

    " थेंक्यु सर ", प्रीत ने ही कहा तो रीत उसे देखने लगा।

    " किस बात का ", उसने कहा ।

    " वो आप ने और सर मेम ने मेरा साथ दियाउन दिनों उसके लिए ", प्रीत ने रीत को देखते हुए कहा । वही रीत उसे देखने लगा ।

    " प्रीत ये समय ही ऐसा था । हर कोई साथ देता ", रीत ने कहा । प्रीत उसे देख रही थी उसने नजरे झुका ली ।

    " हर कोई साथ नही देता मुश्किल समय में सब साथ छोड़ देते है " , उसने कहा और अपनी चाय पीने लगी । वही रीत उसे देखता रहा ।

    " बात तो सही कही है तुमने ", उसने कहा और अपने कप को देखने लगा ।

    " मै खाना बना लूँ उसके बाद जाना भी है ", प्रीत ने उठते हुए कहा । वही रीत ने सर हिला दिया । प्रीत अपने काम पर लग गयी और रीत भी लैपटॉप देखने लगा । पर उसका ध्यान प्रीत पर चला जाता जो रसोई में लगी हूई थी । बालों की लंमी चोटी बनाई हुई सलवारसूट में वो प्यारी लग रही थी । तभी वो अपनी जगह से उठा और रूम की तरफ चला गया। पर प्रीत तो अपने काम में इतनी मग्न थी उसने किसी भी बात पर ध्यान नहीं दिया और बाहर आकर डस्टिंग करने लगी । झाड़ू पोछा वो अक्सर शाम को ही करती थी । उस समय उसके पास ज्यादा टाइम होता था । तो बस वो अपने काम में लग गयी थी अब ।




    रब राखा

    क्या प्रीत पेहले की तरह हो पायेगो जा नही जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 19. "Sacred Bond of Love" - Chapter 19

    Words: 1211

    Estimated Reading Time: 8 min

    रीत अपने कपडे निकाल कर उनको देख रहा था ।

    " प्रीत यहां आना ", उसने आवाज लगा दी तो प्रीत जो बाहर लगी हुई थी । वो उस तरफ चल दी ।

    " ये शर्ट प्रेस कर देना ", रीत ने कहा तो प्रीत सिर हिला कर आगे बढ़ रीत से शर्ट ले कर वही एक तरफ लगी प्रेस को चला कर प्रेस करने लगी । रीत उसे देख रहा था । फिर वो बाथरूम की तरफ चला गया । प्रीत ने अपना काम करा और बाहर आकर अपने काम में लग गयी । दोनों ने बैठ कर खाना खाया । वही प्रीत ने रीत का टिफिन टेबल पर रखा और उसे देखने लगी ।

    " अब मुझे जाना है ", उसने कहा । तो रीत भी खड़ा हो गया ।

    " रुको ", उसने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " अब जब हमें एक ही जगह पर जाना है तो मेरे साथ ही चलो ", उसने कहा । प्रीत उसे देखती रही ।

    " नहीं सर ऐसा नहीं हो सकता ", उसने कहा ।

    " क्यों नही हो सकता ऐसा ", रीत ने कहा तो प्रीत दूसरी तरफ देखते हुए ।

    " ये आप भी जानते है के अमन मेम को पता चल तो बात बिगड़ जाएगी ", उसने कहा ।

    " वो मेरी टेंशन है तुम चलो " उसने कहा । तो प्रीत ना में सिर हिलाते हए बाहर जाने लगी ।

    " प्रीत अगर दोस्त माना है तो बात मानोगी मेरी ", उसने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी ।

    " दोस्त माना है आपको इसी लिए तो कहा है दोस्त की भलाई जिस में वही काम करना चाहिए ", प्रीत ने मुस्कुरा कर कहा रीत उसे देखने लगा ।

    " तो फिर ठीक है तुम मेरे साथ चलोगी बस एक मिनट रुको मै आया ", उसने कहा तो प्रीत उसे देखती ही रह गयी कछ पल मे रीत बाहर आय और प्रीत को देखने लगा ।

    " चालो चले ", उसने टिफिन उठाते हुए कहा और प्रीत के साथ बाहर की तरफ चल दिया । दोनो गाड़ी में बैठे और चल दिए कॉलेज की और वही प्रीत बाहर देख रही थी और रीत सामने देख रहा था ।

    " तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है ", रीत ने ही बात की तो प्रीत उसे देखने लगी।

    " बस ठीक ही है ", उसने कहा और फिर से बाहर देखने लगी । रीत ने भी आगे कुछ नहीं कहा और अपना ध्यान गाड़ी पर लगा दिया ।

    " सर आप मुझे यही उतार दे ", प्रीत ने कॉलेज के पहले ही कहा तो प्रीत उसे देखने लगा ।

    " प्लीज सर ", उसने कहा तो रीत ने गाड़ी रोक दी और प्रीत वही उतर गयी । रीत उसे देख रहा था।

    " मिलते है ", प्रीत ने कहा और आगे बढ़ गयी । वही प्रीत ने भी गाड़ी आगे बड़ा ली और कॉलेज के अंदर चला गया । यहाँ उसे राहुल और प्रिया मिले और तीनो क्लास की तरफ चल दिए ।

    " क्या बात है आज तो तू बहुत खुश नजर आ रहा है क्या हुआ " , राहुल ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगा ।

    " हाँ वो आज खाना और चाय टाइम पर मिल गया ना इस लिए ", रीत ने कहा तो राहुल उसे देखने लगा ।

    " क्या मतलब ", अमन ने कहा ।

    " प्रीत ने आज घर आकर खाना बनाया है ", रीत ने कहा तो राहुल से देखने लगा

    " तो क्या प्रीत आयी है ", राहुल ने मुस्कुरा कर कहा। रीत ने हाँ में सर हिला दिया ।

    " हाँ प्रीत आयी है और उसने ही खाना बनाया और चाय भी ", रीत ने कहा । और दोनों क्लास के अंदर आगये जो के इस समय उनको एक अलग रूम दिया हूआ था उनकी क्लास रूम में कुछ काम चल रहा था ।

    " अच्छा मुझे भी मिलना है बस अब उसी तरफ जाना है कल सर ने बोला था के हमें अपना बेस्ट देना है ", रीत ने कहा और दोनों अपने डेक्स पर बैठ गए ।

    " हा अब तो सब अच्छा ही होगा आ गयी हमारी टीचर ", राहुल ने कहा और दोनों सामने देखने लगे यहाँ प्रिया अपने फोन पर लगी थी ।

    " इसे क्या हुआ आज ये फोन हटा ही नहीं रही कान से ", रीत ने कहा ।

    " हाँ उसके रेस्टोरेन्ट में कुछ काम चल रहा है बस उसको ही देख रही है ", राहुल ने कहा । और दोनों प्रीया को देखने लगे। तभी सामने से अमन अंदर आयी तो दो नो के ही चेहरे पर मुस्कान गायब हो गयी ।

    " लो आगयी में तो चला आजकल ये खाने को दौड़ती है ", राहुल ने कहा और दूसरे डेस्क बैठ गया । वही अमन आकर रीत के पास बैठ गयी। ।

    " कैसे हो ", उसने कहा ।

    " बिलकुल ठीक ", रीत ने कहा।

    " आज बहुत खुश हो क्या बात है ", अमन ने कहा तो रीत सामने देखने लगा । यहाँ पर उसे प्रीत दिखी वो हैरान सा हो गया । वही प्रीत प्रिया से कुछ बात कर रही थी । और दोनों अंदर ही देख रही थी ।

    " मैंने कुछ कहा है बोलो तो सही ", अमन ने कहा , और रीत को देखा । जो बाहर देख रहा था और उसकी नजरों का पीछा करा तो वी भी बाहर देखने लगी । यहा उसे प्रिया और प्रीत बात करते हुए दिखी । जिसे देख वो फिर से रीत को देखने लगी । जो बाहर ही देख रहा था । तभी प्रीत प्रिया के साथ अंदर आयी ।




    " लिसन एवरिवन ", प्रिया ने जोर से कहा तो सब उसे देखने लगे ।

    " हमारी मेमे आयी है और ये अपने स्टूडेंट्स को लेने आयी है । प्रिंसिपल के ऑर्डर है के जिनके परफॉर्मेंस अभी बीच में ही अटके है वो मेम के साथ डांस रूम में चले जाये ", प्रिया ने कहा । वही प्रीत चुप सी सब देख रही थी । राहुल जल्दी से उठा और चलने लगा। तभी प्रीत की नजर रीत पर रुकी ।

    " सर आप भी आ जाय अपने साथी के साथ ", प्रीत ने कहा तो सभी बच्चे रीत को देखने लगे ।

    " हम आ रहे है ", अमन ने कहा तो प्रीत प्रिया को देखने लगी ।

    " अब मै चलती हूँ ", उसने कहा ।

    " अरे हम भी चलते है ", प्रीया ने कहा और वैसे ही उसके साथ बाहर की और चल दी । राहुल ने रीत को देखा और ना का इशारा कर वो भी चल गया ।

    " चले हमें भी जाना है ", रीत ने अपना बैग लेते हुए कहा तो अमन भी उसके साथ चल दी । राहुल प्रिय प्रीत तीनो उस रूम में आये वही प्रिया मुस्कुरा रही थी । और प्रीत उसे देख रही थी ।

    " ये गलत है आपने सब के सामने मुझे मेम कहा ", प्रीत ने उसे कहा । तो प्रिय उसे देखने लगी ।

    " अब मेम को मेम ही कहेंगे ना और तूम तो हमारी टीचर भी हो ", उसने कहा । प्रीत उसे देखने लगी । वही राहुल दोनों को देख रहा था ।




    रब राखा




    क्या अमन फिर से शक करेगी रीत प्रीत पर? जा कुछ और करेगी? जानने के लिए बने रहे साथ।

  • 20. "Sacred Bond of Love" - Chapter 20

    Words: 2366

    Estimated Reading Time: 15 min

    " क्या बात है यहाँ क्या हो रहा है ", अमन ने अंदर आते हुए कहा तो तीनो उस तरफ देखने लगे ।

    " कुछ नहीं वो बस प्रीत को अच्छा नहीं लगा के मेने इसे मेम कहा ", प्रिया ने कहा ।

    " हाँ तो सही तो है वो गलत कहाँ है ", अमन ने प्रीत को देखते हुए कहा । तो सब उसे देखने लगे ।

    " ओके तो आज आप दोनों कपल को अपनी प्रेक्टिस पर पूरा फोकस करना है पहले ही देर हो चुकी है ", प्रीत ने बात बदलते हुए कहा । तो रीत ने सिर हिला दिया और वो सब लग गए अपने काम में राजबीर सर एक बार देखने आये थे उनको तब तक सब सही चल रहा था । वही प्रीत रीत और अमन को बार बार टोक रही थी बता रही थी के इस तरह से करना है। वही अमन किसी भी बात को नहीं सुन रही थी । वो बस अपना ही कर रही थी । जिस वजह से बहुत परेशानी हो रही थी । पर इस समय किसी ने कुछ नहीं कहा । ऐसे ही शाम हो गयी थी और इस समय तक अमन ने रीत के गुस्से को देखते हुए काफी हद तक खुद को सही कर लिया था।




    " ओके गाईस तो कल मिलते है अभी मुझे जाना है ", अमन ने चार बजते ही कहा और रीत के गले लग चली गयी । वही प्रीत भी सब को बाये कर अपना बैग ले कर चल दी

    " चलो हमें भी तो जाना है ", राहूल ने रीत को देख कहा तो रीत ने भी हाँ में सर हिला दिया । और वो तीनो भी वहां से बाहर आगये ।

    " ओके तो मिलते है कल ", रीत ने कहा और अपनी गाड़ी में बैठ चल दिया । वही राहुल प्रिया उसे देखते ही रह गए ।

    " इसने क्या कहा कल मिलते है ", प्रिया ने कहा तो राहुल उसे देखने लगा ।

    " हाँ प्रीत ऐसे बोलती है ना तो बस ये भी वही बोलने लगा ", राहुल ने कहा और एक दूसर को देख कर मुस्कुरा दिए ।

    " चलो मुझे भी छोड़ दो प्रिया ", ने कहा तो राहुल ने उसके लिए अपनी गाडी का दरवाजा खोल दिया और दोनों वहां से चल दिये। रीत कॉलेज से बाहर आया तो उसे एक तरफ प्रीत दिखी । जो बस का वेट कर रही थी । तो उसने अपनी गाड़ी उसी तरफ को मोड़ दी । और प्रीत के पास आकर गाड़ी रोक दी प्रीत उसे देखने लगी ।

    " आ जाओ मुझे पता है तुम कहाँ जा रही हो ", उसने कहा तो प्रीत उसे देखते हुए बैठ गयी । वही रीत ने गाडी आगे बड़ा ली ।

    " ऐसा करते है हम पहले बिग बजार चलते है वहां से सामान लेकर ही घर चलते है ", रीत ने कहा । वही प्रीत उसे देख रही थी ।

    " जैसा आप सही समझे ", उसने कहा । तो रीत ने गाड़ी आगे की तरफ मोड़ ली ।

    " सर ये सब लेना है ", प्रीत ने रीत से कहा। दोनों मॉल में थे और ग्रॉसरी सेक्शन मे ही देख रहे थे।

    " हाँ तो लो ना जो लेना है मुझे तो वैसे भी कुछ समझ नहीं आता ", उसने कहा । तो प्रीत घर का सारा सामान लेने लगी ।चीनी चाय पत्ती से लेकर सर्फ़ हार्पिक तक का सारा सामान लिया था । वहि रीत तो बस देखता रहा ।




    वही कोई था जो उन पर ध्यान रखे हुए था उसके हर काम पर और वो उसकी फोटो भी ले रहा था। सिर पर हूडी और मास्क पेहने हुए वो पहचान में नही आ रहा था ।पर उसका पुरा ध्यान प्रीत रीत पर था और वो उनके फोटो भी ले रहा था अपने फोन पर ।तभी रीत ने उसे देखा




    “ क्या है, क्या देख रहा है “, रीत ने गुस्से से कहा तो वो दोनो को सॉरी बोल आगे बड़ गया । प्रीत रीत को देखती रह गई ।




    “ क्या हूआ सर “, उसने पुछा ।




    “ नही कुछ नही “, रीत ने उसे देख कहा तो वो वापस से सामन लेने लगी ।




    " इतना सामान ", उसने कहा ।

    " हाँ आपके घर में सारा सामान खत्म है जो आप लाये थे । वो तो कम था इस बार दो महीने आराम से निकल जायेंगे आपकी भी बचत ही है ", प्रीत ने कहा। रीत उसे देख मुस्क्यरा दिया।




    " केश काउंटर चलते है ", प्रीत ने कहा तो रीत ने ट्राली पकड़ ली और दोनों चल दिए केश काउंटर की और । यहाँ प्रीत एक तरफ खड़ी हो कर सब देख रही थी । वही रीत ने सभी सामान का बिल पे करा और उस में से एक चॉकलेट का पैकेट उठा कर एक तरफ रख लिया । एक घंटे के बाद दोनों वापस गाड़ी में बैठे थे । यहाँ प्रीत अपने फोन पर टाइम देख रही थी ।

    " ये लो ", रीत ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी । जिसके हाथ में चॉकलेट का बड़े वाला पैक था ।

    " मेरे लिए ", उसने हैरानी से कहा ।

    " हाँ तुम्हारे लिए ", रीत ने कहा । प्रीत मुस्कुरा दी ।

    " मै ये नहीं ले सकती सॉरो सर ", उसने कहा तो रीत उसे देखने लगा।

    " क्यूं नहीं ले सकती ", उसने कहा ।

    " सर आप समझ नहीं रहे । मुझे ये सब नही लेना ", उसने कहा ।

    " हम दोस्त है ना तो दोस्ती में इतना तो चलता है ", रीत ने कहा ।

    " हाँ पर मुझे चॉकलेट पसंद नहीं है , में नहीं खाती ", प्रीत ने कहा तो रीत हैरान हो गया ।

    " तुम लड़की हो ना", उसने कहा तो प्रीत उसे देखती ही रह गयी ।

    " मेरा मतलब के लड़कियों को तो चॉकलेट बहुत पसंद होती है इस लिए कहा ", उसने कहा तो प्रीत मुस्कुरा दी ।

    " हाँ होती है पसंद चॉकलेट पर मुसझे नहीं पसंद ", उसने कहा । तो प्रीत ने वो चॉकलेट वापस अपने पास रख ली । और गाड़ी आगे बड़ा दी । दोनों अब घर के लिए चल दिए थे । यहाँ जाकर प्रीत ने खाना बनाया और साथ ही हल्की फुलकी सफाई कर। उसने रीत के साथ ही खाना भी खा लिया । और घर की तरफ चल दी । वही रीत उसे बाहर तक छोड़ने आया। और वापस अंदर आकर वो रसोई की तरफ चल दिया । यहाँ देखता ही रह गया सारा सामान अपनी जगह पर था । पर चॉकलेट वही पड़ी थी यहाँ पर रीत ने आकर रख दी थी । वो अपनी जगह से नहीं हिली थी ।जिसे देख वो मुसकुरा दिया सच में नही पसंद उसे चॉकलेट ", उसने खुद से ही कहा । आने वाले दिन ऐसे ही बीते यहाँ प्रीत रीत के यहाँ सुबह ही आ जाती और उसके साथ ही कॉलेज जाती । पर कॉलेज के पहले ही वो उतर  जाती थी और वापसी के समय भी रीत उसे साथ ही घर ले आता। और अपने काम कर वो बस से ही अपने घर को चली जाती ।

    " अच्छा सर ये आपका खाना बन गया है आज मुझे जल्दी जाना है तो क्या मैं जाऊं ", प्रीत ने कहा तो रीत उसे देखने लगा ।

    " हां चली जाओ पर अपना खाना लेती जाओ घर जाकर नए सिरे से खाना बनाओगी इस से अच्छा यहां से ही खाना ले जाओ ", रीत ने कहा । तो प्रीत उसे देखने लगी ।




    " ले जाओ में कुछ नहीं कहने वाला ", रीत ने कहा तो प्रीत उसे देखने लगी । और उसके पास ही आगयी ।

    " वो बात करनी है ", उसने कहा के तभी रीत का फोन बजने लगा । जिसे उसने देखा और प्रीत को देख कर ।

    " ये कॉल जरुरी है ", उसने कहा और फोन कान से लगा कर बात करने लगा । वही प्रीत उठी और अपना खाना एक टिफिन में लेने लगी बैग में रख रीत को देखा जो उसे ही देख रहा था।




    " मैं जा रही हूँ ", उसने कहा तो रीत ने हाँ में सर हिला दिया । और प्रीत वहां से चली गयी ।

    " सर कल आपकी और राहुल सर की परफॉर्मेंस है तो आराम करना ", जाती हुई प्रीत ने कहा तो रीत ने सिर हिला दिया वही प्रीत मुस्कुरा कर चल दी ।



    रीत जो फोन पर लगा था उसने फोन काटा और दरवाजे की तरफ देखने लगा ।

    " प्रीत कुछ कहना चाहती थी पर क्या ", उसने खुद से ही कहा और बाहर की तरफ चल दिया । पर प्रीत जा चुकी थी । वही वो चुप सा अंदर आ गया और बैठ कर अपना लैपटॉप देखने लगा । प्रीत जो बस में बैठी थी उसके चेहरे पर परेशानी थी । और वो बाहर ही देख रही थी । बस रुकी तो वो चारों तरफ देखने लगी । ये उसकी ही कलोनी थी । यहाँ पर वो उतरती थी । प्रीत उतरी और देखने लगी । उसे वहां पर कोइ नहीं दिखा । तो उसके कदमो की रफ्तार तेज हो गयी । यहॉं से उसका रूम पास ही था । तो उसे वहां तक पहुँचते हुए महज कुछ पल ही लगे । और अपना कमरा खोल कर वो अंदर चली । गयी और अंदर से लगा कर गहरी जहर साँस लेने लगी और अपना बैग बैड पर रख खुद भी वही बैठ गई । उसने आंखे बंद कर ली थी ।

    " भूख लगी है मुझे तो ", उसने खुद से ही कहा और अपने बैग से टिफिन निकाल वैसे ही खाना खाने लगी । उसने हाथ भी नही धोये ।




    रीत अकेले ही खाने बैठा था उसे आज बहुत अजीब लग रहा था । इतने दिनों से वो प्रीत के साथ ही खाना खाता था तो बस उसे ये सब अब अजीब लगने लगा था । तभी उसके फोन पर एक नोटिफिकेशन आयी जिसे वो देखने लगा " आज तो काकी को सेलरी दीनी थी ", उसने खुद से ही कहा और काकी के फोन पर फोन लगा दिया । तभी उसे याद आया के उसे प्रीत से बात करनी है । पर तब तक बेल जा चुकी थी । तो वो वैसे ही फोन कान से लगा कर बैठा रहा । कुछ बेल के लगने के बाद दुसरी तरफ से फोन उठा लिया गया ।

    " हेलो ", दूसरी तरफ से आवाज आयी ।

    " प्रीत ", रीत ने कहा।

    " जी सर ", प्रीत ने कहा । प्रीत वो आज तुमको सेलरी देनी थी भूल गया मै पहले तो काकी के अकाउंट में भेज देता था तुम बताओ कैसे करना है ", रीत ने कहा । प्रीत जो बुक लिए बैठी थी । वो चुप सी हो गयी ।

    " आप उसी अकाऊंट में भेज दे मेरा और मम्मी का ज्वाइंट अकॉउंट है ", प्रीत ने कहा ।

    " ठीक है ", रीत ने कहा और फोन वैसे ही कान से लगा कर रखा ।

    " कुछ और बात भी केहनी है सर ", प्रीत ने कहा ।

    " नहीं बस कल मिलते है कल तो कॉलेज में लास्ट डे है ना हमारा एक साथ ", रीत ने कहा प्रीत मुस्कुरा दी ।

    " जी सर मिलते है ", उसने कहा और फोन रख दिया । वही रीत ने फोन देखा और उस पर कुछ करा और खाने पर ध्यान लगा दिया । पूछना चाहता था वो प्रीत से आज इतनी जल्दी जाने की वजह पर वो चुप रहा । कुछ कह नहीं पाया । वही प्रीत ने अपना ध्यान अपनी बुक में लगा दिया था। उसी समय फोन पर नोटीफिकेशन आई जिसे उसने देखा और वापस किताब देखने लगी । वो कुछ और सोचना भी नही चाहती थी । बस अपने काम पर ध्यान देना ही उसका काम था ।

    सुबह रोज की तरह ही थी प्रीत अपने घर से रंधावा हॉउस पहुंची और वहां पर अपना काम कर वो रीत के साथ ही कॉलेज के लिए चल दी ।




    " सर यही उतार दीजिये ", प्रीत ने बाहर की तरफ देखते हुए  कहा । तो रीत उसे देखने लगा । आज लास्ट डे है न तो चुप चाप बैठी रहो ", उसने कहा तो प्रीत उसे देखती रह गई। वही रीत ने गाड़ी कॉलेज के अंदर ली और पार्किंग में आकर गाड़ी रोक दी सब बच्चे आ रहे थे वही प्रीत गाड़ी से बाहर निकली और देखने लगी । रीत भी बाहर निकला और अपने हाथ में दो बैग लेकर चल दिया । ये उनके ड्रेस थे जो उनको पहनने थे । प्रीत उसके साथ चली जा रही थी । दोनों उस जगह पर पहुँच गये यहां पर उनके परफॉर्मेंस होने थे । सामने बच्चे बैठ रहे थे। बस पहली कतार गेस्ट और जज की थी । जो यहाँ पर कल भी थे ।

    दो दिन के इस प्रोग्रमम में आज आखरी दिन था कल के प्रोग्राम में के इस कॉलेज की एक टीम का नाम शामिल था बाकि आज दो पर्फोर्मेंस थी । राहुल प्रिय भी वही पहुंच गाये थे । राजवीर सर उनके साथ थे । प्रीत सब से मिली ।




    " बच्चो देखो पूरी जान लगा देना ", सर ने कहा । तीनो ने हाँ में सिर हिला दिया ।

    " वैसे अमन कहा है वो ही रह गयी एक बार हम मिलकर सब देखलेते लड़कियों को तैयार भी होना है ", सर ने कहा तो रीत ने फोन निकाल अमन को लगा दिया । तभी प्रीया का फोन बजने लगा। तो उसने फोन कान से लगा लिया ।

    " क्या कब कैसे ", उसने एकदम से कहा । सब उसे देखने लगा ।

    " तो अब हम कया करें ", प्रीया ने कहा । वही रीत का फोन बीजी आ रहा था तो वो भी प्रिया को देखने लगा ।

    " ठीक है में बता देती हूँ ",उसने कहा और सब को देखने लगी ।

    " क्या हुआ ", राहुल ने कहा । प्रिय सब को देखने लगी ।

    " वो अमन नहीं आ सकती वो अपने घर है ", उसने कहा।

    " क्या बकवास है क्यों नही आ सकती ", रीत ने कहा। ।




    रब राखा




    वो कोन था जो दोनो पर नजर रखे हुए था ।क्या होगा अब पर्फोर्मेंस केसे होगी? क्या करेगा रीत अब? क्या उनकी टीम कुछ कर पायेगी? जानने के लिए साथ बने रहे।