कहते है अतीत से कोई नही भाग सकता .. ये सच ही है इसे साबित करती है खुशी और उत्साह की कहानी । जहां उत्साह ने शादी ना करने के लिए कसम खाई है तो वही दूसरी तरफ है खुशी जो अतीत के हादसों की वजह से आज तक जूझ रही है और लड़ रही है अपनी अच्छी जिंदगी क... कहते है अतीत से कोई नही भाग सकता .. ये सच ही है इसे साबित करती है खुशी और उत्साह की कहानी । जहां उत्साह ने शादी ना करने के लिए कसम खाई है तो वही दूसरी तरफ है खुशी जो अतीत के हादसों की वजह से आज तक जूझ रही है और लड़ रही है अपनी अच्छी जिंदगी के लिए ... कैसे मिलेंगे ये दोनो? क्या है दोनो का अतीत ? ऐसा भी क्या है इनके अतीत में कि उत्साह अब किसी से शादी तक नही करना चाहता है ?? जानने के लिए पढ़ते रहिए " Love me Mister President "
Utsah Sinha
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खुशी शर्मा
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कहते हैं, अतीत से कोई नहीं भाग सकता। ये सच ही है, इसे साबित करती है खुशी और उत्साह की कहानी। जहां उत्साह ने शादी न करने की कसम खाई है, तो वहीं दूसरी तरफ है खुशी, जो अतीत के हादसों की वजह से आज तक जूझ रही है और अपनी अच्छी जिंदगी के लिए लड़ रही है... कैसे मिलेंगे ये दोनों? क्या है दोनों का अतीत? ऐसा भी क्या है इनके अतीत में कि उत्साह अब किसी से शादी तक नहीं करना चाहता?? जानने के लिए पढ़ते रहिए "Love me Mister President"। कहानी के किरदार: उत्साह सिन्हा उम्र 25 साल, गोरा रंग, भूरे बाल, काली आंखें, देखने में किसी हीरो से कम नहीं है। सनशाइन मॉल के प्रेसिडेंट। इनके अतीत में कुछ ऐसा हुआ है जिसके बाद ये किसी भी लड़की से शादी नहीं करना चाहते हैं। वहीं इनकी चाची चाहती है कि जल्द से जल्द इनकी शादी किसी अच्छे खानदान में हो जाए। राकेश सिन्हा – उत्साह के चाचा कामिनी सिन्हा – उत्साह की चाची खुशी शर्मा उम्र 20 साल, काले बाल जो कंधे तक आते हैं, आगे से कटे हुए छोटे-छोटे बाल हैं जो माथे पर आते हैं, हाइट 5 फीट 2 इंच, भूरी आंखें, गोरा रंग, चेहरे पर मासूमियत जो किसी को भी प्यार करने पर मजबूर कर दे। माता-पिता जब ये 15 साल की थी तभी गुजर गए थे, जिसकी वजह है इनका भयानक अतीत। वो क्या है, ये जानेंगे आगे की कहानी में... फिलहाल नौकरी की तलाश में है क्योंकि ये पहले जहां काम करती थी वहां से इन्हें निकाला जा चुका है क्योंकि ये बहुत ही भोली है। जैसा नाम है वैसे ही इनके मिजाज हैं, हमेशा खुश रहने वाली, अपने में ही मस्त, बस मासूमियत दुनिया जहान की है, इनके अंदर की कोई भी इनसे प्यार कर बैठे। सनशाइन मॉल कॉन्फ्रेंस रूम का माहौल बहुत ही गरमा-गर्मी भरा हो गया था। वहां बैठे हर एक आदमी के हाथ-पांव कांप रहे थे और इसकी वजह थी उत्साह का गुस्सा, जो न जाने आज किस पर फटने वाला था। वहां हर कोई उत्साह के गुस्से से वाकिफ था। सभी अपना सिर झुकाए बैठे थे कि तभी उत्साह गुस्से में कहता है: "कैसे? उन्होंने कैसे किसी और को जमीन बेचने के बारे में सोच लिया??" एक आदमी (Mr. सिंह): "Mr. प्रेसिडेंट, ब्लू हेवन मॉल की तरफ से इन्हे उसी जमीन की दोगुनी कीमत देकर खरीदने को तैयार है, इसलिए वो उन्हें वो जमीन बेच रहे है..." उत्साह: "दोगुनी कीमत??" Mr. सिंह: "जी Mr. प्रेसिडेंट।" उत्साह: "तो हम उन्हें उस जमीन की चार गुना कीमत देंगे।" Mr. सिंह: "लेकिन Mr. प्रेसिडेंट इससे हमारा नुकसान होगा... वो जमीन इतनी महंगी नहीं है जिसकी कीमत हम चार गुनी दें।" उत्साह: "बात अब जमीन की नहीं है... बात अब उत्साह सिन्हा के मान की है... मैंने आपसे जो कहा है वो हो जाना चाहिए..." Mr. सिंह: "जी Mr. प्रेसिडेंट..." उत्साह वहां से चला जाता है, तो सभी लोग Mr. सिंह को आभार भरी नजरों से देखते हैं जैसे कह रहे हों "धन्यवाद Mr. प्रेसिडेंट के गुस्से से हमें बचाने के लिए।" Mr. सिंह एक नजर सबको मुस्कुराते हुए देखता है फिर वहां से चले जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ, Night sky coffee shop एक लड़की अपने सामने बैठे आदमी की बातें सुन रही थी। वो आदमी उस कॉफी शॉप का मैनेजर था। वो लड़की अपना सिर झुकाए उसकी सारी बातें सुन रही थी, उसकी आंखों में आंसू थे और बाकी का स्टाफ उसे हमदर्दी भरी नजरों से देख रहा था। कोई चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि वो आदमी उस कॉफी शॉप का मैनेजर था। मैनेजर: "देखो खुशी... मैं आखिरी बार पूछ रहा हूं, क्या तुम बिना कोई गलती किए कोई काम कर सकती हो??" खुशी (अपनी आंखों में आंसू लिए): "मैं गलती नहीं करती सर, अपने आप हो जाता हैं सब कुछ..." मैनेजर: "ये तुम्हारा आखिरी बार है... अगर तुमने एक और बार कोई गलती की... तो अपने लिए कोई और जॉब ढूंढ लेना..." खुशी: "सर..." मैनेजर खुशी की एक बात नहीं सुनता और वहां से चला जाता है। खुशी सारे स्टाफ की तरफ देखती है तो वो लोग भी अपनी हमदर्दी भरी नजरों से उसे ही देख रहे होते हैं। खुशी अपने आंसू पोंछती है और फिर वहां से अपने काम पर चली जाती है। खुशी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी इसलिए उसे कोई बड़ी जॉब नहीं मिल सकती थी, इसलिए वो इस कॉफी शॉप के वेट्रेस का काम करती थी। फिलहाल उसे इस काम से निकाला जाने वाला था ये उसे पता था, क्योंकि इससे पहले वो जहां काम करती थी वहां भी यही होता था। वो कुछ न कुछ तोड़ देती और फिर उसे नौकरी से निकाल दिया जाता। खुशी एक बार फिर अपने काम में लग जाती है। शाम का समय उत्साह अपने केबिन में बैठा काम कर रहा था। तभी कोई उसके केबिन का दरवाजा खटखटाता है, वह "कम इन" कहता है तो दरवाजे से Mr. सिंह अंदर आते हैं और उत्साह को ग्रीट करते हुए कहते हैं: Mr. सिंह: "Mr. प्रेसिडेंट... आज आपको आपके अंकल-आंटी के साथ डिनर के लिए जाना है..." उत्साह अपनी घड़ी में समय देखता है तो उसमें साढ़े सात बज रहे थे। उत्साह (अपना ब्लेजर लेते हुए): "आप कार निकालिए... मैं आता हूं।" Mr. सिंह अपना सिर एक बार झुकाते है और फिर चले जाते हैं। उत्साह भी अपना सामान लेकर पार्किंग एरिया में आ जाता है जहां Mr. सिंह कार लेकर पहले से ही उसका इंतजार कर रहे थे। वह कार में बैठ जाता है तो Mr. सिंह कार आगे बढ़ा देते है। सिन्हा पैलेस एक औरत सभी सर्वेंट को डांटते हुए काम करवा रही थी और इसकी वजह थी कि उत्साह बहुत दिनों बाद घर आ रहा था, वरना वो हमेशा मीटिंग और बिजनेस के सिलसिले में बाहर ही रहता था। सारे सर्वेंट भी उनकी जल्दबाजी समझ रहे थे इसलिए मुस्कुरा कर सारा काम किए जा रहे थे। कामिनी: "अरे महेश काका क्या कर रहे हैं... ये डाइनिंग टेबल पर अब तक प्लेट नहीं रखी आपने... कब रखेंगे... उत्साह आ जाएगा तब... जल्दी कीजिए..." महेश काका डाइनिंग टेबल सजाने लगता है तो कामिनी किचन में चली जाती है। कामिनी: "मैंने जो जो बनाने को कहा था वो बनाया है ना आप सबने..." शेफ: "जी मैम..." कामिनी: "काजू का हलवा बनाया?" शेफ: "जी मैम... आप टेस्ट करके बताईए कि कैसा बना है?" कामिनी एक चम्मच हलवा अपने मुंह में रखती है और खाकर कहती है: कामिनी: "मैंने कहा था इसमें पिस्ता भी डालना, उत्साह बिना पिस्ते के हलवा नहीं पसंद है... जल्दी से डालिए... और सब तो ठीक है..." वो अभी कह ही रही होती है तभी पीछे से किसी की आवाज आती है। "कामिनी जी... बस भी कीजिए... आप तो ऐसे कर रही है जैसे हमारा उत्साह भूखा हो इतने दिन से..." कामिनी पीछे मुड़ कर देखती है तो पीछे उनके पति राकेश मुस्कुराते हुए खड़े थे। कामिनी: "आप तो रहने ही दीजिए... और ये क्या आप अभी तक तैयार नहीं हुए... उत्साह आता ही होगा..." राकेश: "हां हां... जा रहा हूं..." राकेश वहां से चले जाते हैं और कामिनी भी काम में लग जाती है कि तभी....... (कहानी पसंद आए तो कमेंट और फॉलो जरूर करें।) To be continued.... THANK YOU आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "Love me Mister President"
राकेश वहाँ से चले जाते हैं और कामिनी भी अपने काम में लग जाती हैं कि तभी बाहर गाड़ी रुकने की आवाज़ आती है। कामिनी समझ जाती हैं कि उत्साह आ गया है। वह दरवाजे की तरफ बढ़ जाती हैं। वहीं उत्साह कार से अपने पूरे एटीट्यूड के साथ उतरता है और अपने कदम अंदर की ओर बढ़ा देता है। उसे दरवाजे पर ही कामिनी मिल जाती हैं। वह उनके पैर छू लेता है तो कामिनी भी उसके सिर पर प्यार से हाथ रख देती हैं। उत्साह उठता है, तभी कामिनी के पीछे से राकेश आते हैं। उत्साह उनके भी पैर छूता है और तीनों अंदर की तरफ बढ़ जाते हैं। एक लड़की एक कमरे में जमीन पर पड़ी हुई थी और दो आदमी उस पर कोड़े बरसा रहे थे। वह लड़की चीख रही थी, चिल्ला रही थी, लेकिन उसकी चीख सुनने वाला कोई नहीं था। उस लड़की की चीख इतनी दर्दनाक थी कि अगर कोई भी सुनता तो उसका दिल पसीज जाता, लेकिन उन दरिंदों में दिल और दया नाम की चीज़ थी ही नहीं। वह लड़की उन कोड़ों की मार सहते हुए चिल्लाए जा रही थी, "छोड़ो मुझे... जाने दो... प्लीज़.... मम्मा... पापा.... छोड़ो मुझे... प्लीज़.. जाने दो... आअह्ह....." खुशी एक झटके के साथ उठ जाती है। उसका पूरा शरीर पसीने से तर-बतर था, साँसें असंतुलित थीं। वह अपने आसपास देखती, फिर एक ग्लास पानी लेकर पीने लगती है। वह इतनी ज्यादा डरी हुई थी कि उसके हाथ अब भी कांप रहे थे। वह अपने बेड के साइड टेबल में से एक डिब्बी निकालती है और उसमें से एक गोली निकालकर खा लेती है। फिर वह सो जाती है। उत्साह, कामिनी और राकेश डाइनिंग टेबल के चारों तरफ बैठे थे और सर्वेंट उन्हें खाना सर्व कर रहे थे। जब खाना सर्व हो जाता है, तो कामिनी जी सर्वेंट को जाने का इशारा कर देती हैं। वह चले जाते हैं तो तीनों खाना खाने लगते हैं। अभी वे खाना खा ही रहे थे कि तभी कामिनी कहती हैं, कामिनी: "बेटा, तुमसे एक बात करनी थी..." राकेश (बड़बड़ाते हुए): "ये फिर शुरू होने वाली है..." उत्साह: "कहिए ना आंटी.." कामिनी एक बार राकेश को देखती हैं, जो खुद अपना सिर पकड़े बैठे थे। फिर वह उत्साह से कहती हैं, कामिनी: "मैं तुमसे एक वादा मांगना चाहती हूँ..." उत्साह: "शादी करने के अलावा कोई भी वादा मैं कर सकता हूँ..." कामिनी: "तुम्हें शादी से क्या प्रॉब्लम है??" उत्साह बिना किसी भाव के: "वजह आप जानती हैं..." कामिनी चुप हो जाती हैं, फिर कहती हैं, कामिनी: "मैं कुछ नहीं कहूंगी अब.. तुम्हें कभी फ़ोर्स नहीं करूंगी शादी के लिए... लेकिन सभी की जिंदगी एक जैसी नहीं होती शादी के बाद..." उत्साह: "मैं जानता हूँ आंटी, पर सब आपके जैसी होती तो बहुत अच्छा होता... मैं नहीं कर पाऊँगा शादी.." कामिनी कुछ नहीं बोलती हैं। तीनों डिनर करते हैं, फिर उत्साह अपने विला के लिए निकल जाता है, और कामिनी, राकेश अपने कमरे में सोने चले जाते हैं। उत्साह का विला ये विला शहर से बाहर था, क्योंकि उत्साह को शहर की भीड़ पसंद नहीं थी। इस वक्त वह अपने कमरे में बालकनी में खड़ा था और कांच की रेलिंग के सहारे टिककर खड़ा था। शर्टलेस होने की वजह से उसकी मस्कुलर बॉडी और एब्स दिख रहे थे। ज़ाहिर सी बात थी, अपना सारा गुस्सा तो वह जिम रूम में ही निकालता था, तो एब्स और बॉडी बननी जायज़ ही थी। अगर इस वक्त कोई लड़की उसे इस तरह देख लेती तो वह उसे पाने की चाहत में न जाने किस हद तक गुजर जाती। इस वक्त वह अपनी खाली आँखों से सामने बहती नदी को देख रहा था। कोई उसे देखकर यह नहीं कह सकता था कि उसके मन में कितना दर्द दफन है। अतीत की उन काली यादों को वह आज तक नहीं भूल पाया था, जिस कारण आज तक वह कितना बदल गया था। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी जिंदगी में इतना कुछ घट जाएगा। वह काफी देर तक वहीं खड़ा रहा, फिर अंदर आकर बेड पर सो गया। सनशाइन मॉल उत्साह अपने केबिन में आज की मीटिंग की तैयारी कर रहा था, तभी उसके केबिन के दरवाजे पर नॉक होता है। वह "कम इन" कहता है तो मिस्टर सिंह अंदर आते हैं और उत्साह को ग्रीट करते हुए कहते हैं, मिस्टर सिंह: "गुड मॉर्निंग मिस्टर प्रेसिडेंट..." उत्साह अपना ध्यान लैपटॉप में ही केंद्रित किए हुए: "गुड मॉर्निंग मिस्टर सिंह... आज की मीटिंग की सारी तैयारियाँ हो गई हैं??" मिस्टर सिंह: "जी मिस्टर प्रेसिडेंट... कॉन्फ्रेंस रूम में सब तैयारी हो चुकी है... अब बस मिस्टर कपूर के आने का इंतजार है..." उत्साह: "इस मीटिंग में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए... कुछ भी हो जाए.. मैं यह डील किसी भी हाल में अपने हक में ही चाहता हूँ.." मिस्टर सिंह: "यह डील बहुत बड़ी होगी मिस्टर प्रेसिडेंट... करोड़ों के इन्वेस्ट हो चुके हैं जबकि अभी तक काम शुरू भी नहीं हुआ है..." उत्साह: "हम्म... इस डील को पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ.. क्योंकि मेरे लिए पैसे से ज्यादा कुछ नहीं है..." मिस्टर सिंह उत्साह को देखते हैं, जिसके चेहरे पर एक चमक थी, उस डील को पाने की चाहत। मिस्टर सिंह उत्साह को ग्रीट करते हैं, फिर वहाँ से चले जाते हैं। दोपहर का समय सनशाइन मॉल मॉल के सामने ही 5 गाड़ियाँ आकर रुकती हैं और उसमें से एक 50 से 55 साल का आदमी बाहर आता है, उसके पीछे उसके 4 बॉडीगार्ड भी थे। उत्साह और मिस्टर सिंह उन्हें लेने बाहर आए थे। यह हैं मिस्टर कपूर, कपूर इंडस्ट्रीज के मालिक। उत्साह और मिस्टर सिंह उन्हें ग्रीट करते हैं और फिर सभी कॉन्फ्रेंस रूम की तरफ बढ़ जाते हैं। लगभग डेढ़ घंटों तक कॉन्फ्रेंस रूम में मीटिंग चली। मिस्टर कपूर उत्साह के प्रेजेंटेशन से काफी इम्प्रेस हो गए थे, तो वे सबसे आखिरी में बोलते हैं, मिस्टर कपूर: "मिस्टर सिन्हा, आपकी प्रेजेंटेशन काफी अच्छी और इम्प्रेसिव थी, लेकिन... मुझे आपसे अकेले में कुछ जरूरी बात करनी है..." उत्साह एक नजर मिस्टर कपूर को देखता है, फिर मिस्टर सिंह को एक इशारा करता है और अगले कुछ पलों में पूरा कॉन्फ्रेंस रूम खाली हो जाता है। वहाँ पर सिर्फ उत्साह और मिस्टर कपूर ही थे। कुछ समय के बाद चुप्पी तोड़ते हुए मिस्टर कपूर कहते हैं, मिस्टर कपूर: "मुझे आपके प्रपोजल, प्रेजेंटेशन, और आइडिया सब कुछ अच्छा लगा.. यह डील भी आपकी हो सकती है.... लेकिन मेरी एक शर्त है..." उत्साह: "कैसी शर्त??" मिस्टर कपूर: "यही कि आपको......" टू बी कंटिन्यूड.... (क्या शर्त है मिस्टर कपूर की उत्साह के साथ?) आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए, "लव मी मिस्टर प्रेसिडेंट"
कुछ समय के बाद चुप्पी तोड़ते हुए मिस्टर कपूर कहते हैं, "मिस्टर कपूर: मुझे आपके प्रपोजल, प्रेजेंटेशन, और आइडिया सब कुछ अच्छा लगा... ये डील भी आपकी हो सकती है.... लेकिन मेरी एक शर्त है..." उत्साह: "कैसी शर्त?" मिस्टर कपूर: "यही की आपको मेरी बेटी से शादी करनी होगी..." उत्साह अपनी चेयर से खड़ा हो जाता है और हैरानी से मिस्टर कपूर को देखने लगता है। मिस्टर कपूर समझ रहे थे, उन्हें उत्साह का हैरान होना जायज़ भी लगा। मिस्टर कपूर उत्साह को समझाते हुए कहते हैं, "मिस्टर कपूर: एक पिता की इच्छा होती है कि उसकी बेटी की शादी किसी अच्छे लड़के से हो.. और मुझे पूरा विश्वास है कि तुम वही हो... समय पूरा है तुम्हारे पास.. सोच कर बता देना.. और ना कहने से पहले ये सोच लेना कि तुम इस डील के लिए भी ना कह रहे हो..." मिस्टर कपूर वहा से चले जाते है और उत्साह अपना सिर पकड़ कर बैठ जाता है। तभी मिस्टर सिंह वहा आते है और कहते है, "मिस्टर सिंह: क्या हुआ मिस्टर प्रेसिडेंट?" उत्साह: "मुझे जो नहीं करना वही करने को कह रहे है मिस्टर कपूर..." उत्साह अपना सिर ना में हिला देता है और मिस्टर सिंह से कहता है, उत्साह: "आज मैं घर जा रहा हूं आप यहां बाकी का संभाल लीजिए..." मिस्टर सिंह हां बोलते है तो उत्साह वहा से चला जाता है। रात का समय उत्साह अपने कमरे में बैठा सिगरेट के कश ले रहा था। जब भी वह परेशान होता था तो उसे सिगरेट की जरूरत पड़ती थी। वो अब भी यही सोच रहा था कि उसे क्या करना चाहिए? उसके लिए पैसे से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं था लेकिन शादी?? वो ये मुसीबत मोल नहीं सकता था। जैसे उसकी मां थी अगर वैसे ही वो भी हुई तो?? वो क्या करेगा? बहुत सोचने समझने के बाद उत्साह मन ही मन एक फैसला करता है और फिर सिगरेट बुझा कर सो जाता है। अगली सुबह 10 बजे उत्साह आज मिस्टर कपूर की बेटी से मिलने के लिए एक कॉफी शॉप में आया था। उत्साह अपने टेबल पर बैठा था और फोन स्क्रॉल कर रहा था तभी उसके टेबल के सामने एक लड़की आकर रुकती है। उत्साह अपना सिर उठा कर देखता है तो ब्लैक नी लेंथ फ्रॉक पहने एक लड़की उसके सामने खड़ी थी। ये है मिस्टर कपूर की बेटी, चित्रा कपूर। एक मॉडल है आज जो कुछ भी अपने दम पर है अपने पापा की जरा भी हेल्प नहीं ली अपना करियर बनाने में। चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान, आंखो में काजल, दिल की बहुत ही अच्छी लेकिन तभी तक जब तक कोई इन्हे परेशान न करे। चित्रा: "हेलो मिस्टर सिन्हा.." चित्रा अपना हांथ उत्साह की तरह बढाती है लेकिन उत्साह उससे हांथ नहीं मिलाता तो वो कहती है, चित्रा: "मैं मिस्टर कपूर की बेटी चित्रा..." उत्साह: "हम्मम... बैठो..." खुद के लिए इतना ठंडा रिएक्शन देखकर चित्रा का मुंह बन जाता है लेकिन उसे पता था कि उत्साह सिन्हा को किसी भी लड़की के उसके आस पास होने से फर्क नहीं पड़ता बस उसका गुस्सा बढ़ जाता है। वो जहा भी जाती थी तो लड़को की लंबी लाइन उसके पीछे लग जाती थी और वो सब उससे एक फोटो लेने के लिए लेकिन उत्साह उसे देखकर जरा सा भी नहीं लग रहा था कि वो चित्रा को देखकर थोड़ा भी हैरान हो। खेर चित्रा खुद ही अपनी चेयर सरका कर बैठ जाती है क्योंकि उत्साह से तो उम्मीद भी रखना बेकार है। चित्रा: "कॉफी पिएं?" उत्साह एक वेटर को बुलाता है और 2 कप कॉफी लाने को कहता है। थोड़ी देर बाद एक वेटर कॉफी रख कर चला जाता है तो चित्रा कहती है, चित्रा: "हम्मम... अब बोलो... क्या तुम्हे ये शादी करनी है..." उत्साह चित्रा को देखता है तो वो कहती है, चित्रा: "सोच लो डील के साथ तुम्हे एक सुंदर, होनहार, खूबसूरत, टैलेंटेड बीवी भी मिल रही है..." उत्साह: "मुझे इन सब की कोई जरूरत नहीं खास कर (उसकी आंखो में घूरते हुए) एक बीवी की..." चित्रा हैरानी से: "कही तुम्हे..." उत्साह बीच में ही: "एक और बकवास नहीं... मैं पहले ही बता देना चाहता हूं कि मैं ये शादी सिर्फ डील के लिए कर रहा हूं तो मुझसे कोई उम्मीद मत रखना कि में तुम्हे बाकी के हसबेंड्स की तरह ट्रीट करूंगा..." चित्रा: "तो मना कर दो ना शादी के लिए..." उत्साह: "मुझे ये डील चाहिए मेरे लिए पैसे से बढ़ कर कुछ नहीं..." चित्रा: "क्या फर्क पड़ता है शादी पैसे के लिए करो या अपने लिए... शादी तो शादी होती है... और वैसे भी एक बार शादी हो गई तो... तुम तो क्या कोई भी नहीं रोक पाएगा.. मुझे तुम्हारी पत्नी बनने से..." उत्साह: "मुझे वो किसी भी हाल में चाहिए.. हम कॉन्ट्रैक्ट करेंगे..." चित्रा: "ठीक है... जब तक ये डील पूरी नहीं हो जाती तब तक हम इंगेजमेंट कर लेते है..." चित्रा अपने मन में "एक बार शादी हो जाए फिर ये कॉन्ट्रैक्ट क्या और तुम क्या?? चित्रा के चार्म से कोई भी नहीं बच पाया है.. तो तुम क्या चीज हो उत्साह सिन्हा... तुम्हे भी मैने अपने खुबसूरती में ना फसाया न तो मेरा नाम भी चित्रा नहीं...." उत्साह: "ठीक है... डन.. मैं पेपर्स तैयार करवा लेता हूं.." चित्रा अपना सिर हां में हिला देती है फिर वहा से चली जाती है। उत्साह भी अपनी कॉफी खत्म करता है और जाने लगता है। अभी वो जा ही रहा था कि तभी कुछ ऐसा होता है जिससे उत्साह की आंखे गुस्से से लाल हो जाती है। (कहानी पसंद आए तो कमेंट और फॉलो जरूर करें।) To be continued.... (क्या हुआ होगा जो उत्साह हो गया गुस्सा??) आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "Love me Mister President" THANK YOU
उत्साह भी अपनी कॉफी खत्म करता है और जाने लगता है। अभी वो जा ही रहा था कि सामने से आती लड़की से वो बुरी तरह टकरा जाता है और लड़की के हाथ में पकड़ी कॉफी की प्लेट उत्साह के कपड़ों पर गिर जाती है। कल से वैसे ही उत्साह का मूड खराब था। पहले शादी की शर्त और अब इस लड़की ने उसके ऊपर कॉफी गिरा दी। उत्साह उस लड़की को बिना देखे ही डांटने लगता है। उत्साह चिल्लाते हुए मैनेजर को बुलाता है और उस लड़की को निकालने का आदेश देता है। उत्साह सिन्हा पूरे इंडिया में फेमस था इसलिए मैनेजर भी डर कर उससे माफी मांगता है और उस लड़की को अपने केबिन में आने का ऑर्डर देता है। उत्साह वहा से चला जाता है। वो लड़की भी अपना सिर झुकाए आंसु लिए मैनेजर के केबिन में चली जाती है। वो लड़की कोई और नहीं बल्कि खुशी ही थी। उत्साह night sky coffee shop में ही आया था चित्रा से मिलने। खुशी को वैसे भी आखिरी वार्निंग मिल गई थी। उसे इस बात का अंदाजा हो गया था कि अब उसकी ये नोकरी जाने वाली है। वो अपना सिर झुकाए आंखो में आंसु लिए मैनेजर के केबिन में चली जाती है। मैनेजर भी उसे बहुत सुनाता है क्योंकि खुशी ने उत्साह सिन्हा के ऊपर कॉफी गिराई थी, अगर वो उसे न निकालता तो ना जाने वो और क्या करती इसलिए वो खुशी को जॉब से निकाल देता है। खुशी अपना उतरा हुआ चेहरा लेकर थके कदमों से वापस घर आ जाती है। खुशी अपने घर का दरवाजा खोलती है और लाइट चालू करती है। एक छोटा सा कमरा, जहा कोने में एक छोटा सा बेड लगा था, और उसी के साइड में एक छोटा सा टेबल था, राइट साइड में छोटा किचन और छोटा सा फ्रिज था। ये कमरा एक इंसान के रहने के लिए बहुत ही बेहतर था। खुशी फ्रिज खोलती है और उसमे से पानी की बोतल निकाल कर पानी पीती है फिर वही बेड पर अपने छोटे से टेडी को पकड़ कर सो जाती है। ना तो उसने सुबह कुछ खाया था और ना ही शाम को। उसे इस बात की चिंता थी कि अब उसका खर्च कैसे चलेगा?? पैसे तो वैसे भी खत्म होने आए है और इस महीने की पूरी तनख्वा भी मैनेजर ने काट ली जितना नुकसान उसने किया था। अगली सुबह खुशी रोज की तरह आज भी उठ गई और कल की सारी बाते भूल चुकी थी, बस याद था तो ये कि आज उसे नौकरी ढूंढनी है। वो घर पर ताला लगा देती है और दूध लेने पास के ही किराने की दुकान पर जाती है। वो दूध लेकर वापस आ रही होती है कि तभी उसे एक आदमी अखबार पढ़ते हुए दिखाई देता है। खुशी उस आदमी के पास जाती है और उस अखबार को पढ़ने लगती है। अखबार में जॉब के लिए इस्तेहार दिया गया था लेकिन अफसोस उसे कोई जॉब नही देता क्योंकि वो ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी। वो अपना सिर झुकाए आने लगती है तभी उसकी नज़र एक जगह जम जाती है। सामने ही एक पोस्टर पर लिखा था "सफाई कर्मचारी चाहिए" खुशी के लिए काम छोटा हो या बड़ा उसके लिए काम, काम था। वो उस पोस्टर की एक तस्वीर लेती है और फिर घर के लिए निकल जाती है। उत्साह अपनी कार से मॉल जा रहा था तभी अचानक से ड्राइवर एक झटके में कार रोक देता है। उत्साह का सिर आगे की सीट से टकराते बचा क्योंकि उसने सीट बेल्ट पहना था। उत्साह ड्राइवर को घूरते हुए कहता है उत्साह "क्या हुआ?? कार क्यू रोकी??" ड्राइवर डरते हुए "सर.. वो कार .. के सामने कोई आ..." उत्साह "तो यहां पर क्या बैठे हो जल्दी चलो देखो उसे कुछ हुआ तो नही..." ड्राइवर और उत्साह दोनो ही कार से उतर जाते है और उस लड़की को देखते है। अब तक भीड़ भी जमा हो गई थी और सभी आपस में बाते बना रहे थे। एक आदमी "देखो अमीर लोगो को एक लड़की का एक्सीडेंट कर दिया" दूसरी औरत "ये लड़की है कौन??" उत्साह उन सब की बातो को इग्नोर करता है और उस लड़की को देखता है। उसे इस बात की तसल्ली थी कि लड़की को कोई चोट नही आई थी। उत्साह तुरंत उस लड़की को अपनी गोद के उठा लेता है और अपनी कार में लेटा देता है और ड्राइवर को कार हॉस्पिटल ले चलने को कहता है। ड्राइवर भी उत्साह का आदेश पाते ही कार हॉस्पिटल की तरफ मोड़ लेता है। सिटी हॉस्पिटल उत्साह वर्ड के बाहर बैठा था तभी डॉक्टर बाहर आते है तो वो उनसे पूछता है उत्साह "वो लड़की अब कैसी है??" डॉक्टर "चिंता की कोई बात नही है बस उन्हे चक्कर आ गया था और उन्होंने शायद 2 दिन से कुछ खाया भी नही है .. अभी उनका बहुत अच्छे से ख्याल रखना होगा ... हमने ब्लड ले लिया है टेस्ट के लिए कुछ देर में रिपोर्ट आ जाएगी ... फिर उसके बाद ही कुछ कह सकते है..." उत्साह "क्या उसे होश आ गया है?" डॉक्टर "हां आप इनसे मिल सकते है..." उत्साह डॉक्टर को थैंक्स बोलता है और फिर वार्ड की तरफ बढ़ जाता है। उत्साह दरवाजा खोल कर अंदर आता है तो देखता है लड़की बेड पर लेटी हुई थी, उसका चेहरा मुरझाया हुआ था, उसका चेहरा देख कर ही लग रहा था की वो कई रातों से सोई नहीं है। उत्साह उसके पास जाता है तो वो लड़की अपनी आंखे खोल देती है। उत्साह उसकी गहरी काली आंखो के खो जाता है। वो लड़की अपने आसपास देखती है तो खुद को हॉस्पिटल के देख कर हड़बड़ा जाती है और उठने लगती है तो उत्साह उसे पकड़ कर वापस लेटा देता है और कहता है उत्साह "लेटी रहो.. तुम अभी बहुत कमजोर हो ... अपना ध्यान नहीं रखती क्या?? तुम्हारे घर के किसी का फोन नंबर याद हो तो मुझे बताओ मैं उन्हें बुला देता हू..." उत्साह को ना जाने क्यों उस लड़की की फिक्र हो रही थी। उत्साह की बात सुनकर उस लड़की की आंखो के आंसु आ जाते है पर वो उन्हे रोक कर अपना सिर ना में हिला देती है और उससे कहती है लड़की "मैं इस.. हॉस्पिटल में नही... रह सकती .. मेरे पास... पैसे नहीं है.." उस लड़की की आवाज सुनकर ही पता चल रहा था कि वो कितनी कमजोर थी। उसने इतनी मासूमियत ये बात कही थी कि उसकी ये बात उत्साह के होंठो पर मुस्कान ले आई। उत्साह उससे कहता है उत्साह "पैसे को चिंता मत करो वो मैं भर दूंगा.. तुम बस आराम करो... ठीक है" वो लड़की अपना सिर मासूमियत से हां में हिला देती है और फिर उत्साह उसे अपना ख्याल रखने का बोलकर अपने मॉल के लिए निकल जाता है।
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े।
दोपहर का समय
उत्साह अपने केबिन में बैठा काम कर रहा था पर उसका ध्यान काम में बिल्कुल नही था । उसे बार बार उसी लड़की की याद आ रही थी जो उसकी कार से टकराई थी। उत्साह उसकी काली आंखो को बार बार याद कर रहा था। आखिर में तंग आकर उत्साह लैपटॉप बंद करता है और Mr सिंह को कार निकलने को कहता है। फिर अपना फोन लेकर पार्किंग एरिया में आ जाता है।
हॉस्पिटल
उत्साह उसी वार्ड में वापस आता है जहां वो उस लड़की को लाया था जो उसकी कार से टकराई थी। वो अंदर जाकर देखता है तो वो वहा नही होती है। उत्साह एक नर्स को रोक कर पूछता है
उत्साह " excuse me ...
नर्स" येस ...
उत्साह " क्या आप बता सकती है कि इस रूम में जो लड़की थी वो कहा गई ??
नर्स " वो तो एक घंटे पहले ही चली गई...
उत्साह " अच्छा ... उन्होंने कुछ नाम या एड्रेस दिया ...
नर्स " नही सर ...
नर्स वहा से चली जाती है और उत्साह का मन उदास हो जाता है। वो कितने मन से यहां आया था कि एक आखिरी बार वो उसे देख पाएगा लेकिन उत्साह उसे देख भी नहीं पाया । उत्साह बुझे हुए मन से हॉस्पिटल के बाहर आ जाता है और अपनी कार के पास आता है जहा Mr सिंह उसका इंतजार कर रहे होते है । जब Mr सिंह उत्साह का उतरा हुआ चेहरा देखते है तो वो उससे कहते है
Mr सिंह " क्या हुआ Mr प्रेसिडेंट ?? क्या कोई बीमार था जिसे देखने आप यहां आए थे ??
उत्साह " कुछ नही ... चलिए.. मॉल वहा एक बार देख ले कैसे चल रहा है ...
Mr सिंह हां बोलते हैं और कार का डोर ओपन करते है तो उत्साह कार के अंदर बैठ जाता है।
एक दिन बाद
सनशाइन मॉल
Mr कपूर उत्साह के मॉल पहुंचे हुए थे जहां उत्साह सबसे ऊपर वाले फ्लोर से नीचे नजर रखे हुए था। Mr कपूर उत्साह के पास पहुंच कर कहते है
Mr कपूर " Mr सिन्हा...
उत्साह " हेलो Mr कपूर आप यहां अचानक ...
Mr कपूर " अब जब आपने शादी के लिए हां कह ही दिया है तो बेटी के पिता को तो यहां आना ही था ...
उत्साह " हम्मम ...
Mr कपूर " तो हम आपके घर कब आए इंगेजमेंट की डेट फिक्स करने ??
उत्साह " आज शाम को ...
Mr कपूर " मुझे नही पता था मेरी बेटी से मिलने के बाद आपको शादी की इतनी जल्दी होगी...
उत्साह उनकी बात पर सिर्फ एक नकली स्माइल देता है । कुछ देर बात करने के बाद Mr कपूर वहा से चले जाते है और उत्साह फिर नीचे देखने लगता है।
शाम का समय
उत्साह का घर
कामिनी , राकेश उत्साह के साथ सोफे पर बैठे हुए थे और कामिनी उसे घूर रही थी। जब उत्साह कामिनी की नजरो की तपिश नही सह पाता तो वो खीजते हुए कहता है
उत्साह " क्या हुआ आंटी ?? आप तो मुझे ऐसे घूर रही है जैसे मैने कोई क्राइम कर दिया हो..
कामिनी ( मुंह बनाते हुए) " हां ... जब मैं शादी करने को कह रही थी तब तो जैसे मैं कोई एलियन लड़की ढूंढ के ला रही थी...
उत्साह कुछ कहता उससे पहले ही घर की डोल बेल बजती है। एक सर्वेंट डोर ओपन करता है तो Mr कपूर और उनकी बेटी चित्रा घर के अंदर दाखिल होते है। दोनो राकेश और कामिनी को हेलो बोलते है और फिर सभी सोफे पर बैठ जाते है। कामिनी सर्वेंट को नाश्ता पानी लाने को कह देती है। कामिनी चित्रा को घूर कर देख रही थी जिससे चित्रा भी थोड़ी नर्वस हो रही थी । थोड़ी देर में पंडित जी भी आ जाते है। उत्साह और चित्रा की कुंडली देखने के बाद पंडित जी के माथे पर शिकन आ जाती है। जब Mr कपूर उन्हे इतना चिंतित देखते है तो वो पूछते है
Mr कपूर " क्या हुआ पंडित जी ?? कुछ समस्या है क्या ?
पंडित जी " आप इनकी सगाई तो करवाना चाहते है लेकिन इन दोनो के शादी के योग नही है ...
Mr कपूर " मतलब ?
पंडित जी " मतलब ये कि दोनो की शादी तो होगी .. लेकिन साथ में नही ... किसी और से ...
राकेश " ऐसा तो कभी नही होने वाला है .. पंडित जी आप तारीख निकालिए... सगाई की ...
पंडित जी " जी यजमान ...
पंडित जी अपनी पत्रिका में देखते है और फिर कुछ जोड़ के कहते है
पंडित जी " दोनो की कुंडलियों के हिसाब से अगले महीने की 18 को शाम का समय अति उत्तम है ....
Mr कपूर " ठीक है .. एक महीने बाद की तारीख फिक्स करते है ...
राकेश और कामिनी भी हां करते है तो सभी मुंह मीठा करते है । Mr कपूर और चित्रा को वो डिनर पर इन्वाइट करते है तो वो लोग भी खाने के लिए बैठ जाते है ।
अगली सुबह
खुशी अपने समय से उठ जाती है और घर का सारा काम निपटा कर निकल जाती है वहा जहा आज उसे जाना था इंटरव्यू के लिए ।
लगभग आधे घंटे के सफर के बाद खुशी उस जगह पहुंच जाती है । खुशी अपना सिर उठा के देखती है तो सामने ही बड़ा सा मॉल था और उसकी बिल्डिंग पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था " सनशाइन मॉल" ! खुशी वहा से अंदर चली जाती है ।
थोड़ी देर बाद खुशी ने सफाई कर्मचारी के कपड़े पहने थे । उसे मॉल को सफाई करने का काम मिला था । खुशी अभी काम ही कर रही थी कि तभी उसे किसी की आवाज सुनाई देती है ।
" Mr प्रेसिडेंट आ गए है । "
ये वहा की एक एम्प्लॉय बोल रही थी जो वही की एक शॉप अटेंडेंट थी । उसकी बात सुनते ही सारी लड़कियां अपना मेकअप सही करने लगती है । वही मॉल में आए लोगो का ध्यान भी उस तरफ चला जाता है जहा से में प्रेसिडेंट आ रहे थे।
उत्साह अपने चार बॉडीगार्ड और Mr सिंह के साथ बिना अपने अगल बगल देखे आपकी एरोगेंट पर्सनैलिटी के साथ वहा से सीधे अपने केबिन में चला जाता है । उत्साह के जाते ही सारी लड़कियां उदास हो जाती है और मॉल एक बार फिर उसी माहोल में बदल जाता है जो उत्साह के आने से पहले था ।
खुशी उत्साह को जब देखती है तो उसे ऐसा लगता है कि उसने उत्साह को कही देखा है ।दिमाग पर काफी जोर लगाने के बाद उसे याद आता है कि ये वही है जो उसे हॉस्पिटल में ले गया था और उसका बिल भी पे किया था । खुशी अपने साथ में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी से कहती है
खुशी " आंटी सुनिए ...
औरत " हां कहो बेटा ...
खुशी " वो जो अभी यहां से गए वो कौन थे ??
औरत " तुम्हे नही पता क्या ?
खुशी " नही आज मेरा पहला दिन है ना... इसलिए ...
औरत " वो इस मॉल के प्रेसिडेंट है ... एक जरूरी बात बताऊं तुम्हे ... ( खुशी अपना सिर हां में हिलती है तो वो कहती है ) उनके पास कभी मत जाना .. लड़कियों से नफरत है उन्हे ...
खुशी " लेकिन क्यों??
औरत " वो तो मुझे भी नही पता बस इतना सुना है कोई भी लड़की उनके आसपास आती है तो वो अपना सारा गुस्सा उस पर निकाल देते है ...
खुशी मुस्कुरा कर " शुक्रिया आपका .. मैं आपकी बात ध्यान में रखूंगी...
औरत मुस्कुरा देती है और दोनो काम में लग जाती है ।
( कहानी पसंद आए तो कमेंट और फॉलो जरूर करें । )
To be continued.....
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
" Love me Mister President "
THANK YOU
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े।
उत्साह अपने केबिन में काम कर रहा था कि तभी उसके केबिन का दरवाजा नॉक होता है तो वो कम इन कहता है तो वहा से चित्रा अंदर आती है । उत्साह उसे एक नजर देखता है और फिर अपने काम में लग जाता है । चित्रा खुद को इग्नोर होता देखकर चिढ़ जाती है और कहती है
चित्रा " तुम मुझे ऐसे इग्नोर नही कर सकते ...
उत्साह अपना ध्यान लैपटॉप पर ही लगाए " क्यों ??
चित्रा " मेरी वजह से ही तुम्हे ये डील मिलेगी तो मुझसे अच्छे से पेश आओ ...
उत्साह अपना ध्यान लैपटॉप से हटाता है और चित्रा से कहता है
उत्साह " बोलो... क्या हुआ ??
वही चित्रा जब देखती है कि उत्साह उससे इतने अच्छे से बात कर रहा है तो वो तो जैसे हवा में उड़ रही थी । वो उत्साह से कहती है
चित्रा " मुझे शॉपिंग करनी है ...
उत्साह " तो ...
चित्रा " तो क्या .. चलो मेरे साथ मुझे शॉपिंग कराओ ...
उत्साह " पूरा मॉल मेरा ही है जो भी लेना हो .. ले लो..
चित्रा मुंह बनाते हुए " लेना होता तो यहां नही आती नीचे ही सब कुछ लेकर चली गई होती मैं...
उत्साह " ठीक है चलो
वो अपना लैपटॉप बंद करता है और अपना फोन लेकर आगे बढ़ जाता है चित्रा भी उसके पीछे चल पड़ती है ।
नीचे आकर दोनो लेडीज सेक्शन में चले जाते है । वहा की अटेंडेंट जब उत्साह को वहा आते देखती है तो वो खुश हो जाती है और खुद को ठीक करने लगती है पर जब वो उसके पीछे चित्रा को भी देखती है तो उसका मुंह बन जाता है । उत्साह जब उस शॉप पर पहुंचता है तो वहा के दोनो अटेंडेंट उत्साह के आगे सिर झुकाते है तो उत्साह हां में अपना सिर हिलाता है और फिर कहता है
उत्साह " इनके लिए कुछ अच्छे ड्रेसेस दिखाइए....
अटेंडेंट " जी सर ...
वो लड़की चित्रा को कपड़े दिखाने लगती है तो उत्साह वही चेयर पर बैठ कर अपना फोन स्क्रॉल करने लगता है ।
लगभग आधे घंटे हो जाते है और चित्रा कपड़ो का ढेर लगाए हुई थी काउंटर पर , मतलब उसने उतने कपड़े पसंद कर लिए थे । चित्रा उत्साह को देखकर कहती है जो फोन चला रहा था
चित्रा " उत्साह ... बिल पे कर दो ना ...
उत्साह का ध्यान अब फोन से हटकर चित्रा पर जाता है तो वो अपनी भौंहे सिकोड़ते हुए कहता है " क्यू ?? तुम्हारे पास पैसे नहीं है ... ऐसी भी कौन सी मॉडल जिसके पास पैसे ही नही है ...
चित्रा उसे घूर कर " हां नही है अब जल्दी पे करो .. ( फिर अटेंडेंट को देखकर ) ये सारे कपड़े पैक कर दो ...
अटेंडेंट पहले हैरानी से चित्रा को देखती है फिर सारे कपड़े लेकर पैक करने चली जाती है । उत्साह सारा बिल पे करता है फिर दोनो बाहर आ जाते है । चित्रा का सारा सामान गाड़ी में रखवा दिया और वो वहा से चली जाती है । उत्साह वापस अपने केबिन में जा रहा था तभी उसकी नज़र एक जगह रुक जाती है ।
चित्रा अपनी कार में मुंह बनाए बैठी थी । वो सोच रही थी कि उसने गुस्से में सारे कपड़े पैक तो करवा लिए लेकिन अब वो इसका करेगी क्या ?? उसके पास वैसे ही बहुत सारे कपड़े थे । वो जा ही रही थी की तभी उसकी नज़र एक जगह पड़ती है ।
वो देखती कहती है कि वो एक महिला आश्रम था तभी उसके दिमाग में एक आइडिया आता है । वो अपने कपड़े देखती है जो नॉर्मल औरतों के पहनने के लायक तो था ही । चित्रा ड्राइवर को कार उस आश्रम की तरफ लेने को कह देती है । ड्राइवर हां में सिर हिला कर कार उस तरफ घूम देता है ।
कुछ देर बाद वो आश्रम की औरतों को कपड़े बांट रही थी । वहा की औरते प्यार से उसकी भेंट स्वीकार कर रही थी। थोड़ी देर वो उन सब से बात करती है फिर वहा से अपने घर चली जाती है ।
उत्साह देखता है कि एक लड़की वही का कांच साफ कर रही थी । उत्साह उसे तुरंत पहचान जाता है कि वो वही लड़की है जिसे वो हॉस्पिटल ले गया था लेकिन ये यहां क्या कर रही है ?? उत्साह अभी इसी सोच में गुम था कि तभी Mr सिंह वहा आ जाते है ।
Mr सिंह " Mr प्रेसिडेंट आप यहां.. कुछ जरूरी काम था ??
उत्साह Mr सिंह की बात से होश के आता है और उस लड़की की तरफ दिखा कर कहता है
उत्साह " ये लड़की यहां काम कब से कर रही है ??
Mr सिंह " वो .. अभी चार दिन हुए है ... सफाई कर्मचारी है ...
उत्साह " अच्छा ...
उत्साह को ना जाने क्यों बड़ी खुशी महसूस हो रही थी उसे यहां देखकर । वो मुस्कुराते हुए अपने केबिन की तरफ बढ़ जाता है , और यहां Mr सिंह हैरानी से उत्साह को जाते हुए देख रहे थे । उन्होंने कभी भी जल्दी उत्साह को मुस्कुराते हुए नही देखा था । उनके लिए तो उत्साह का मुस्कुराना ईद के चांद जैसा था । वो उस लड़की को देखते है जो सफाई कर रही थी पर अफसोस वो वहा से जा चुकी थी ।
Mr सिंह खुद से ही कहते है " ये मैने क्या देखा अभी ? क्या Mr प्रेसिडेंट उस लड़की को देखकर मुस्कुरा रहे थे .... अगर ऐसा है तो ... मिस कपूर का क्या ??
Mr सिंह अपना सिर झटकते हुए वहा से अपने काम पर चले जाते है ।
खुशी अपने घर जा रही थी तभी वो देखती है कि कोई लड़का उसके घर का दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा था । खुशी दौड़ कर वहा जाती है और उस लड़के को खींच कर पीछे कर देती है और खुद दरवाजे के सामने खड़ी होकर उसे घूरते हुए पूछती है
खुशी " कौन हो तुम और मेरे घर का दरवाजा क्यू खोल रहे थे ?? और हो कौन तुम ??
वो लड़का " सॉरी बट ये मेरा घर है .....
To be continued .....
( आखिर कौन था वो लड़का ?
कैसे मिलेंगे खुशी और उत्साह एक बार फिर ? )
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
" Love me Mister President "
THANK YOU
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े।
लड़का " सॉरी बट ये मेरा घर है ...
खुशी " ऐसे कैसे तुम्हारा घर है ... पिछले दो सालो से मैं यहां रह रही हूं ....
लड़का " लेकिन ये मेरा घर है ... रूम नंबर 302 ...
खुशी " क्या कहा ?
लड़का " रूम नंबर 302..
खुशी " ये 301 है ...
लड़का घर का नंबर देखता है उसमे 301 लिखा हुआ था । वो अपनी झिझक छुपाने के लिए हल्का सा हंसते हुए खुशी से कहता है
लड़का " हिहिहि... सॉरी .. वो जल्दी में मैं घर नंबर देखना भूल गया ... रियली वेरी सॉरी ...
खुशी " कोई बात नही .. हो जाता है कभी कभी ...
खुशी दरवाजे को तरफ मुड़ी है तो लड़का कहता है
" अ... हेलो मेरा नाम गौरव है ...
खुशी " नमस्ते ... मेरा नाम खुशी ... आपको किसी भी चीज की जरूरत हो तो बता दीजिएगा ..
गौरव मुस्कुरा देता है तो खुशी अपने घर का दरवाजा खोल कर अंदर चली जाती है । गौरव अपने सिर पर हल्की सी चपत लगता है और फिर सामने वाले घर का दरवाजा खोल कर अंदर चला जाता है ।
खुशी अपने घर से बाहर निकल रही थी मॉल जाने के लिए । ठीक उसी समय सामने के घर से गौरव भी निकलता है । वो खुशी से कहता है
गौरव " हेलो ... गुड मॉर्निंग...
खुशी को समझ नही आता कि गौरव ने अभी अभी क्या कहा उसे क्योंकि वो कभी स्कूल नही गई थी ।
खुशी ( नासमझी में ) " जी ... आपने अभी क्या कहा ??
गौरव " गुड मॉर्निंग... मतलब सुप्रभात ..
खुशी " अच्छा .. आपको भी सुप्रभात .. आपका दिन मंगलमय हो ...
गौरव उसकी इतनी शुद्ध हिंदी सुनता है तो इसका सिर ही चकरा जाता है लेकिन वो खुशी की बात पर मुस्कुरा देता है ।
गौरव " तुम जॉब पर जा रही हो ??
खुशी " हां ...
खुशी वहा से चली जाती है तो गौरव भी अपने काम पर चला जाता है ।
खुशी बस का वेट कर रही थी कि तभी उसके बगल में गौरव आकर खड़ा हो जाता है ।
गौरव " तुम्हे भी बस से जाना है ??
खुशी " हां ...
गौरव " अच्छा .. कहा काम करती हो तुम ??
खुशी " सनशाइन मॉल ...
गौरव " सच .. मैं भी वही काम करता हूं ...
खुशी " सच में ?? अच्छा है ... घर भी साथ में काम भी साथ में ...
गौरव उसकी बात पर मुस्कुरा देता है । तब तक बस भी आ जाती है दोनो बस में बैठ जाते है ।
खुशी और गौरव दोनो सनशाइन मॉल पहुंच जाते है । खुशी वहा से कपड़े बदलने चली जाती है क्योंकि उसको यूनिफॉर्म वही थी । गौरव वहा से सीधे Mr सिंह के केबिन के जाता है । जब Mr सिंह गौरव को देखते है तो वो उसे अंदर आने को कहते है
Mr सिंह " अरे ... गौरव ... आओ आओ अंदर आओ ... और कैसे हो ??
गौरव " मैं ठीक हूं अंकल ... आप कैसे है ??
Mr सिंह " मैं भी ठीक हूं ... तुम खड़े क्यू हो ?? बैठो ना.. प्लीज सीट..
गौरव " नही अंकल मैं ठीक हूं ...
Mr सिंह " वैसे तुमने ये अच्छा किया कि तुमने यहाँ ट्रांसफर करा लिया ... वैसे यहां कौन सी पोस्ट पर हो तुम ??
गौरव " यहां तो प्रमोशन के साथ आया हूं .. सिक्योरिटी इंचार्ज ...
Mr सिंह ( मुस्कुराते हुए )" ये तो बहुत अच्छी बात है ...
गौरव " ठीक है अंकल .. अब मैं चलता हूं ... अपने काम पर ...
Mr सिंह" हां ... और किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझसे कहना ...
गौरव " ठीक है अंकल ... Bye ...
Mr सिंह " bye and take care ....
गौरव वहा से चला जाता है तो Mr सिंह अपने काम में लग जाते है ।
उत्साह ऊपर से नीचे फ्लोर पर देख रहा था कि तभी Mr सिंह वहां आते है ।
Mr सिंह " Mr प्रेसिडेंट...
उनके पुकारे जाने पर उत्साह उनकी तरफ देखता है तो Mr सिंह कहते है
Mr सिंह " Mr कपूर ने कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के लिए कॉल किया था ... वो कह रहे थे कि सगाई एक महीने बाद है लेकिन तब तक काम तो नही रोक सकते ना... इसलिए वो कल ही डील फाइनल करवाना चाहते है ...
उत्साह " हम्मम ... कल एक होटल बुक कर दीजिए ... वही कॉन्ट्रैक्ट साइन हो जायेगा ...
Mr सिंह " जी Mr प्रेसिडेंट ... लेकिन .... एक बात पूछनी थी आपसे ...
Mr सिंह हिचकिचा रहे थे तो उत्साह उनसे कहता है
उत्साह " अंकल आप मेरे सेक्रेटरी नही है ... आप मेरे अंकल है ... तो आपको जो पूछना है बेझिझक पूछिए ....
Mr सिंह " क्या आप सच में Mr कपूर की बेटी से शादी करने वाले है ??
उत्साह " शायद हां .... वैसे तो हमने एग्रीमेंट साइन किया है कि ये डील पूरी होने के बाद हम अलग हो जायेगे ... पर मुझे नही लगता चित्रा ऐसा करेगी ....
Mr सिंह " तो आप क्या करेंगे ??
उत्साह " देखा जायेगा .... आप होटल बुक कर दीजिए कल के लिए ....
Mr सिंह वहा से चले जाते है तो उत्साह एक बार फिर नीचे देखने लगता है ।
चित्रा आज अपने फोटो शूट पर आई थी । जाहिर है मॉडल है तो फोटो शूट भी होगा और उसके भी चित्रा कपूर जैसी बड़ी मॉडल हो तो बात ही कुछ और है । चित्रा अपने मेक अप रूम थी और मेक अप आर्टिस्ट उसका मेक अप कर रहे थे । चित्रा अपनी आंखे बंद किए हुए बैठी थी । थोड़ी देर बाद वो वहा से निकल कर बाहर आ जाती है जहा शूट होना था । वो अपने असिस्टेंट के साथ बाहर आ जाती है ।
ये एक परफ्यूम की एड के लिए फोटो शूट हो रहा था जिसका फोटो मैगजीन में भी आने वाला था । ये एक ब्रैंडेड परफ्यूम था जो बिलियनेयर ही यूज़ कर पाते थे और इसकी कीमत लाखो में थी ।
चित्रा वहा से सीधे सेट पर पहुंच जाती है जहा कैमरा मैन और बाकी के स्टाफ उसका ही इंतजार कर रहे थे ।
To be continued ....
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
" Love me Mister President "
THANK YOU
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े !
चित्रा मेकअप रूम से बाहर आ जाती है , जहां शूट होना था ! उसके साथ में उसकी मैनेजर भी थी ! ये एक परफ्यूम के ऐड के लिए फोटो शूट करवाया जा रहा था जिसकी तस्वीर मैगज़ीन में भी आने वाली थी ! ये एक ब्रैंडेड क्वालिटी का परफ्यूम था जिसका उपयोग अधिकतर करोड़पति लोगो ही कर पाते थे क्यूंकि ये काफी मंहगा था !
चित्रा ने पर्पल कलर का गाउन पहना था जिसमे व्हाइट कलर के मोती से बहुत ही अच्छा वर्क किया गया था , वो एक स्लिट गाउन था जिसमे एक पैर दिखने के लिए कट बनाया गया था , सिंपल मेकअप , कानो में मोदी के छोटे छोटे बूंदे , गले में मोती को माला , आंखो में काजल , उस सिंपल से लुक में भी चित्रा बहुत ही सुंदर लग रही थी ।
वही शूटिंग एरिया भी बहुत खूबसूरती से सजाया गया था व्हाइट बैक ग्राउंड , वही एक बड़ी सी परफ्यूम की बॉटल रखी हुई थी , जो पर्पल कलर की थी , और इसी के साथ चित्रा को फोटो शूट करना था ।
चित्रा वहा आती है और एक से बढ़कर एक पोज देने लगती है । उसके काम से फोटोग्राफर भी खुश हो गया था । चित्रा को कुछ भी बताने या समझाने की ज़रूरत नही हुई , कि उसे किस तरह से पोज करना है , किस तरह के एक्सप्रेशन देने है । वो खूद में ही बहुत अच्छे और सुंदर तरीके से पोज दे रही थी ।
लगभग दो घंटे बाद चित्रा फ्री होती है और अपना मेक अप उतार कर वापस अपने कपड़ो में आ जाती है और अपने घर के लिए निकल जाती है ।
उत्साह अपने केबिन के फ्लोर से नीचे देख रहा था । तभी उसकी नजरे खुशी को देखने लगती है जो सफाई करते हुए वहां रखे क्रॉकरी सेट को देख रही थी । वो एक क्रॉकरी सेट उठाती है फिर उसे पलट कर देखती है फिर डरकर उसे नीचे रख देती है । उत्साह अनजाने में ही उसे देखकर मुस्कुरा देता है । फिर न जाने उसके दिमाग के क्या आता है वो अपने केबिन में जाता है और अपना ब्लेजर निकाल कर वही टेबल पर रख देता है और अपने फोन का कैमरा ऑन करके अपना चेहरा देखता है ।
जेल से सेट किए हुए बाल , काली कातिलाना आंखे , होंठो पर किलर स्माइल , उसे देखकर ही कह सकते थे कि वो कितना अमीर है , इसलिए वो अपने बाल बिगाड़ लेता है , और अपनी ब्रैंडेड वॉच भी निकाल कर वही रख देता है । फिर अपने ड्रॉवर से एक ब्लैक मास्क निकालता है और अपने मुंह पर लगा लेता है , अब उसे कोई नही पहचान सकता था , जब तक वो मास्क ना उतार दे । वो मुस्कुरा देता है फिर फोन को जेब के हवाले कर वो अपने केबिन से बाहर आ जाता है ।
वही खुशी अभी भी क्रॉकरी सेट देखकर नीचे रख दे रही थी । तभी उसे अपने पीछे से किसी की आवाज सुनाई देती है ।
" ये क्या कर रही हो तुम ?? "
वो पीछे मुड़ कर देखती है तो उसके बहुत ही करीब एक लड़का खड़ा था जिसने ब्लैक कलर का मास्क पहना था । खुशी उससे दूर होना चाहती थी पर ना जाने क्यूं जैसे उसके पास सेफ फील कर रही थी । खुशी उससे दूरी बनाकर कहती है
खुशी " आप कौन ??
वो लड़का अपने चेहरे से मास्क हटाता है तो खुशी को याद आता है कि ये कई और नही बल्कि वो है जिसने उसे हॉस्पिटल पहुंचाया था । हां वो उत्साह ही था । उत्साह फिर से अपना मास्क लगा लेता है क्योंकि ये उसका ही मॉल था , अगर उसे कोई एक सफाई कर्मचारी के साथ बात करते हुए पकड़ लेता तो ना जाने क्या ही हो जाता , इसलिए उसने वापस अपने चेहरे को मास्क से ढंक लिया और खुशी से कहा
उत्साह " तुम ये क्या कर रही थी ??
खुशी " मैं तो सफाई कर रही हूं ....
उत्साह " नही उन क्रॉकरी सेट्स के साथ क्या कर रही थी ?? मैंने देखा .. तुम पहले एक समान उठाती हो देखती हो फिर रख देती हो ... अगर लेना है तो ले लो ना .... बार बार देख कर रखने की क्या जरूरत है ??
खुशी " आपको नही पता ये मॉल वाले बहुत लूट मचाते है ....
उत्साह का मुंह बन जाता है उसकी बात सुनकर । खुशी उसे झुकने का इशारा करती है तो वो हल्का सा खुशी को तरफ झुक जाता है ।
खुशी उसके कान में धीरे से कहती है " ये देखो ये बर्तन ... कितने का है ??
उत्साह " तीन हजार का ...
खुशी बात बढ़ाकर " हां वही तो .... ये तीन हजार का है ... तीन हजार ... पता है ... तीन हजार में मेरे एक महीने के कमरे का किराया हो जाता है ... मैं पूरे साल के कपड़े खरीद सकती हूं .... और तो और दूध भी आ जाता है वो भी पूरे साल का ... बोलो तीन हजार ... में सिर्फ ये बर्तन लेकर क्या करेंगे ... यही अभी रेड़ी पर लेने जाओ तो तीन सौ रुपए में मिल जाता है ...
उत्साह अजीब नजरो से उसे देख रहा था और अपने ही मन में सोच रहा था ।
" ये लड़की तो मेरा मॉल बंद करवा कर रहेगी ... अच्छा हुआ कि ये सेल्सगर्ल नही है ... नही तो मॉल बंद करके रेड़ी लगानी पड़ती मुझे भी ... इसे कौन समझाए कि ये स्पेशल कलेक्शन का क्रॉकरी सेट है ... "
खुशी उसे वापस हकीकत के दुनिया में लाती है और उससे कहती है
खुशी " तुम ही बताओ ... कौन तीन हजार खर्च करेगा ??
उत्साह " तुम छोड़ो ना उसे .... वैसे भी जिसे लूटना है वो ले लेगा ... हमे उससे क्या ??
खुशी " लेकिन फिर भी ....
उत्साह " अच्छा तुम्हे उस दिन चक्कर क्यू आया था ??
उसके इस सवाल से खुशी अपनी नजरे नीची कर लेती है ........
to be continued ......
आखिर ऐसा भी क्या हुआ था उस दिन ??
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
" Love me Mister President "
THANK YOU
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े।
उत्साह " अच्छा तुम्हे उस दिन चक्कर क्यू आया था ??
उसके इस सवाल से खुशी अपनी नजरे नीची कर लेती है क्योंकि उसकी आंखो में आंसु आ जाते है लेकिन वो खुद को संभाल कर कहती है
खुशी " आप यहां कुछ खरीदने आए है क्या ???
उत्साह " हां ...
दोनो थोड़ी देर बात करते है फिर खुशी वहा से चली जाती है क्योंकि उसे काम करना था ।
दोपहर के समय खुशी कैफेटेरिया में बैठ सैंडविच खा रही थी कि तभी उसके सामने गौरव आता है । गौरव उससे मुस्कुरा कर पूछता है
गौरव " क्या मैं यहां बैठ सकता हूं ??
खुशी " हां जरूर ... बैठिए ..
गौरव उसके सामने वाली चेयर पर बैठ जाता है और अपनी कॉफी पीने लगता है और खुशी अपना सैंडविच खाने लगती है । गौरव नजरे चुराकर खुशी को देख लेता जिसे अभी सेंडविच खाने के अलावा और कुछ नही दिख रहा था । दोनो अपना खाना कंप्लीट करते है और फिर से अपने काम की तरफ बढ़ जाते है ।
खुशी अपने घर जाने के लिए मॉल से निकल रही थी कि तभी वो एक पोस्टर देखती है जिसमे चित्रा वही परफ्यूम लेकर खड़ी थी जिसका शूट उसने कुछ दिनो पहले ही किया था । खुशी ध्यान से उस पोस्टर को देखने लगती है जिसे अभी कुछ लोग लगा रहे थे । वो किसी सोच में गुम खुद से ही कहती है
खुशी " काश कि मेरे साथ वो सब ना हुआ होता तो आज मैं भी एक अच्छी जिंदगी जी रही होती .... सभी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके है लेकिन मैं ... अब भी अतीत के उन साए में डूबी हुई हूं ... जो मुझे उन अंधेरे से निकलने ही नही देते ... काश कि वो सब ना हुआ होता .... उस एक हादसे की वजह से मेरा सब कुछ छीन गया मुझसे .... मेरा बचपन ... मेरा परिवार ... मेरा भविष्य .... सब तबाह हो गया ..... काश कि ये सब सच ना होता ...
ये सब कहते हुए खुशी को आंखो से आंसु बहने लगते है लेकिन वो अपने आंसु पोंछ लेती है और अपने कदम आगे बढ़ा लेती है लेकिन वो अब भी उन्ही खयालों में गुम थी । वो आगे बढ़ी चली जा रही थी । आसपास क्या हो रहा है क्या नही इसका उसे आभास ही नही था । वो आगे बढ़ रही थी कि तभी सामने से एक गाड़ी तेज रफ्तार से उसके सामने आ रही थी लेकिन उसका ध्यान वहा नही था । इससे पहले वो कार उसे टक्कर मारती कोई आकर उसे खींच लेता है । खुशी इसके लिए तैयार नहीं थी और वो उसके साथ ही रोड़ के किनारे गिर जाती है । वो कार अपनी रफ्तार में धूल उड़ाती हुई आगे निकल जाती है ।
खुशी अपना सिर उठाकर देखती है तो उसकी आंखो के सामने उत्साह का चेहरा नजर आता है । उत्साह ने उसे समय रहते बचा लिया नही तो ना जाने आज क्या ही हो जाता । उत्साह खुशी को सीधे खड़ा करता है फिर उसे देखते हुए पूछता है
उत्साह " तुम ठीक हो ना ?? कुछ हुआ तो नही
... ध्यान कहा है तुम्हारा ?? कुछ हो जाता तो ??
खुशी खीजते हुए " हुआ तो नही ना...
खुशी उससे अपना हांथ छुड़ा कर चली जाती है । वही उत्साह अभी भी वही पर खड़ा था उसे समझ नही आया कि खुशी को हुआ क्या जो वो ऐसे चली गई । वो तब तक उसे जाते हुए देखता रहा जब तक वो उसकी आंखो से ओझल न हो गई ।
घर में घुसते ही खुशी अपना बैग टेबल पर रख कर बेड पर औंधे मुंह लेट जाती है । उसकी आंखो में आंसुओ का सैलाब था । आज एक बार फिर अनजाने में ही उसके अतीत के जख्म हरे हो गए थे । वो काफी देर तक रोती रहती है और फिर थक कर वैसे ही बिना कुछ खाए पिए सो जाती है ।
खुशी ज्यादातर खाना इन्ही सभी कारणों से नही खा पाती थी जिस वजह से वो अक्सर बीमार रहा करती । वो काफी कमजोर भी थी आंखो के नीचे काले घेरों ने अपनी जगह बना ली थी ।
खुशी तैयार होकर बस स्टॉप पर पहुंच जाती है जहा गौरव पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था । दोनो बस में बैठ जाते है और मॉल के लिए निकल पड़ते है ।
गौरव सिक्योरिटी रूम में अपने स्टाफ के साथ सभी सीसीटीवी फुटेज पर ध्यान रखे हुए था । वो उन सभी टीवी पर काफी अच्छे से नजर रखे हुए था । अभी ज्यादा देर नहीं हुई होगी कि तभी वो देखता एक शॉप के सामने एक आदमी दूसरे आदमी के पीछे भाग रहा था और वो आदमी कुछ सामान लेकर भाग रहा था । गौरव को समझते देर न लगी कि वो आदमी चोरी करके भाग रहा था । गौरव तुरंत गेट की सिक्योरिटी को अलर्ट कर देता है और खुद भी अपने कुछ टीम मेंबर्स के साथ वहा से गेट की तरफ जल्दी से बढ़ जाता है ।
गौरव और उसकी टीम दौड़ते हुए गेट की तरफ जा रहे थे कि रास्ते में ही वो किसी से बुरी तरह से टकरा जाता है । गौरव जल्दी से उसे थाम लेता है । वही जब वो लड़की देखती है कि किसी ने उसे थाम रखा है तो वो अपनी आंखे खोल कर देखती है । वो लड़की उसके चेहरे को देखती ही रह जाती है और खोए हुए स्वर में कहती है
" हाय हैंडसम ..."
उसकी बात सुनकर गौरव का मुंह बन जाता है और वो उस लड़की को झटके से छोड़ देता है जिससे वो लड़की गिर जाती है । गौरव उसे देखे बिना वहा से चला जाता है । वो लड़की अपनी कमर सहलाती हुई गौरव को जाते हुए देख रही थी । उसके चेहरे पर चिढ़न के भाव थे । ये कोई और नही बल्कि चित्रा ही थी ।
To be continued ...
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
" Love me Mister President "
THANK YOU
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े ।
गौरव नीचे पहुंचता है तो देखता है कि कुछ गार्ड्स एक आदमी को पकड़े खड़े थे । गौरव उस आदमी को लेकर Mr सिंह के पास पहुंचा ।
Mr सिंह ने उस आदमी से पूछा कि उसने चोरी क्यों की तो उसने बताया कि उसका एक पोता खिलोने के लिए जिद कर रहा था और उसके पास पैसे नहीं थे ।
Mr सिंह में उसे वो खिलोने दिए और उसके पैसे खुद दिए साथ में ही उसे मॉल में सफाई कर्मचारी की नोकरी भी दी । वो आदमी खुश हो कर वहां से चला गया और आज से ही काम पर लग गया ।
उसके जाने के बाद गौरव भी वहां से चला गया ।
गौरव कॉफी शॉप में बैठा कॉफी पी रहा था । तभी उसके सामने एक लड़की आकर बैठ जाती है । ये कोई और नहीं बल्कि चित्रा ही थी ।
" हाय हैंडसम ... " चित्रा ने मुस्कुराते हुए गौरव को देख कर कहा ।
गौरव ने चित्रा को देखा जो गालों पर हाथ रखे उसे ही मुस्कुराते हुए देख रही थी । वो वहां से उठकर दूसरी टेबल पर जाने लगा लेकिन एक भी जगह खाली नही थी तो उसे वही बैठना पड़ा ।
" तुम क्या काम करते हो ?? " चित्रा ने उसे देखते हुए पूछा ।
" क्या मैं आपको जानता हूं ?? " गौरव ने उसे देखकर सवाल भरी नजरो से देख कर कहा ।
" ओह ... अब तुम ये मत कहना कि तुम द चित्रा कपूर को नही जानते ... " चित्रा ने मजाक उड़ाते हुए कहा ।
" कौन है वो ?? और तुम कौन हो ?? " गौरव की बात सुनकर चित्रा का मुंह बन गया और वो उसे देखने लगी ।
" अच्छा ठीक है तुम नही जानते मुझे लेकिन ... तुम मुझे पसंद हो ... " चित्रा ने बिना बात घूमे सीधे अपनी बात कही ।
वही उसकी बात सुनने के बाद गौरव जो कॉफी पी रहा था उसे खांसी आ जाती है तो चित्रा जल्दी उठकर उसकी पीठ सहलाने लगती है । जिसे देखकर गौरव की खांसी रुक जाती है और वो एक टक उसे देखने लगता है ।
" तुम ठीक तो हो ना ? " चित्रा की फिक्र मंद आवाज सुनकर गौरव होश में आता है और उसका हांथ अपने कंधे पर से हटा देता है ।
चित्रा वापस अपनी जगह हाथ जाती है और कहती है ।
" तो क्या सोचा तुमने ?? "
" मैं क्या सोचूं ?? " गौरव ने हैरानी से कहा ।
" क्या सोचूं से क्या मतलब है तुम्हारा ?? मैं तुम्हे पसंद करती हूं .. तो तुम भी मुझे पसंद करो .. " चित्रा ने आराम से कहा और कॉफी का एक सिप पी लिया ।
" क्या ? तुम हो कौन ? और मैं तुम्हे पसंद क्यों करूं? कोई जबरदस्ती है क्या ? " गौरव ने एक के बाद सवाल उसके सामने रख दिए ।
" अच्छा ठीक है .. तुम मुझे अभी पसंद मत करो .. पर दोस्ती तो कर लो यार ... अब इसके लिए मना मत करना ... देखो तुम्हे चित्रा कपूर सामने से दोस्ती के लिए कह रही है ... "
" मुझे फर्क नही पड़ता ... " गौरव ने कहा और पूरे एटीट्यूड के साथ वहां से बिना चित्रा पर ध्यान दिए चला गया ।
उसे इस तरह जाते देख कर चित्रा का मुंह बिगड़ गया । वो हैरानी से गौरव को जाते देखती रह गई ।
" खुद को समझता क्या है ये ?? " उसके जाने के बाद चित्रा खड़ी हुई और गेट को देखते हुए अपना पैर पटक कर कहा ।
खुशी दूसरे फ्लोर की बालकनी में सफाई कर रही थी कि तभी एक जोरदार आवाज के साथ एक गमला वहां से नीचे गिर जाता है । वो डर जाती है और नीचे देखती है तो उसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो जाती है ।
चित्रा मॉल में आई हुई थी । वो वही घूम रही थी तभी उसे गौरव दिखता है जो एंट्रेंस पर खड़ा था । चित्रा ने तुरंत अपने कदम उसकी तरफ बड़ा दिए । वो गौरव के पास गई और उसका हांथ पकड़ कर खींचते हुए बाहर ले आई ।
गौरव ने उससे अपना हांथ छुड़वाया और वहां से जाने लगा लेकिन चित्रा उसका रास्ता रोक कर खड़ी हो गई ।
" अब क्या है ?? " गौरव ने चिढ़ते हुए कहा ।
" मुझसे दोस्ती कर लो प्लीज ... " चित्रा ने अपनी आंखे टिमटिमाते हुए कहा ।
" तुम मेरा पीछा नही छोड़ोगी न ? " गौरव ने उसे घूरते हुए कहा ।
चित्रा ने अपना सिर जल्दी से ना में हिला दिया ।
" गौरव .. और तुम ? " गौरव ने अपना हांथ उसके सामने करके कहा ।
" चित्रा ... " चित्रा ने कहा और उससे हांथ मिलाया । कि तभी एक जोरदार आवाज पूरे मॉल में गूंजी । जिससे चित्रा डर गई गौरव के गले लग गई ।
" क्या है तुम चिपक क्यों रही हो ?? " गौरव ने अपने गले से उसका हांथ हटाते हुए कहा ।
" आतंकवादी घुस आया है मॉल में ... मैंने देखा है मूवीज में .. ऐसे ही बड़े बड़े मॉल में आतंकवादी घुस आते है और सब को बंदी बना कर अपने आदमी को छोड़ने के लिए पुलिस से बोलते है .... मुझे मरना नही है ... चलो यहां से भाग जाते है ... " चित्रा गौरव का हांथ पकड़ कर वहां से भागने वाली होती है लेकिन वो वहां से हिलता भी नही है ।
" क्या हुआ ?? चलो ... " चित्रा ने उसका हांथ खींचते हुए कहा ।
" तुम जाओ मैं देखकर आता हूं .... " गौरव वहां से जाने लगा तो चित्रा ने उसका हांथ पकड़ कर चलते हुए कहा ।
" दोस्ती की है तो साथ में जिएंगे भी .. और मरेंगे भी ... "
उसकी बात सुनकर गौरव मुस्कुरा देता है और दोनो उस दिशा में बढ़ जाते है जहां से आवाज आई थी ।
उत्साह अपने केबिन में काम कर रहा था कि तभी उसका फोन रिंग करता है तो वो उसे उठाता है । दौड़ी तरफ कुछ कहा जाता है तो वो हैरान हो जाता है । वो हड़बड़ाहट में अपने केबिन के बाहर चला जाता है ।
To be continued .....
• क्या हुआ जो उत्साह इस तरह हड़बड़ाहट में चला गया ?
• अब क्या किया है खुशी ने ?
• कृपया अपनी समीक्षाएं जरूर दे ।
THANK YOU
स्वेक्षिता 🦋🦋 खुशी 🦋🦋
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े ।
उत्साह नीचे पहुंचा और उसने जो देखा उसे देखने के बाद उसकी आंखे हैरानी से बाहर आने को थी । उत्साह की कार पर तीन चार गमले गिरे थे जो कि नॉर्मल साइज से बहुत बड़े थे । वह कार लगभग 2 करोड़ की थी जिसका नाम मर्सिडीज एम क्लास था । उत्साह अपनी फटी आंखों से अपनी टूटी हुई कार को देख रहा था जिसकी छत और चारो खिड़की के शीशे टूटे हुए थे ।
वहां पर चित्रा और गौरव आते है । जब वो कार की ऐसी हालत देखते है तो उनकी आंखे भी हैरानी से बड़ी हो जाती है । दोनो हैरानी से कभी उस कार को तो कभी उत्साह को देखते जो खुद हैरानी से अपनी प्यारी कार को देख रहा था ।
वहां पर लोगो की भीड़ लग गई थी , इतने तेज आवाज के साथ जो दो बड़े साइज के गमले गिरे थे , उससे पूरे मॉल में आए लोग बाहर आ गए थे । उत्साह अपनी नजरे उठाकर ऊपर देखता है तो उसे खुशी दिखाई देती है ।
जब खुशी उत्साह को ऊपर देखते पाती है तो वो डर जाती है और वहां से भाग जाती है । उत्साह उसे भागता देखकर तुरंत गौरव को कुछ गार्ड्स के साथ अपने पीछे आने को कहता है और खुद अंदर की तरफ बढ़ जाता है ।
खुशी सबकी नजरों से बचते हुए मॉल के किसी कोने में आ गई थी । वो आगे बढ़ पाती कि तभी उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई देती है । वो जल्दी से वही रखे टेबल के नीचे छुप जाती है ।
खुशी छोटी सी थी तो उसे चिंता नही थी वो आराम से उस टेबल के नीचे छिपी हुई थी तभी दो जोड़ी पैर जिसमे चमचमाते हुए जूते थे उसके सामने आकर रुकते है । जिससे वो डर जाती है और अपने घुटनो को दोनो हाथों से समेट कर बैठ जाती है ।
" कहां गई ये लड़की ?? अभी तो यही आई थी ... " कह कर वो इंसान चारो तरफ ढूंढने लगा ।
यहां खुशी अपना मुंह हांथ से दबाए बैठी थी ।
" लगता है यहां से चली गई ... " उसने कहा तो खुशी ने अपना सिर हां में हिला दिया जैसे वो उसी के सवाल का जवाब दे रही हो । वो आदमी वहां से खुशी के सामने से ही चला जाता है ।
खुशी सिर्फ उसके जूतों को ही जाते हुए देख पाती है । उसके जाने के बाद खुशी राहत को सांस लेती है कि तभी उसकी जान हलक के अटक जाती है क्योंकि उत्साह अपनी डेविल स्माइल के साथ उसे ही देख रहा था ।
खुशी उसे देख कर डर जाती है तो वो कहता है
" क्या हुआ ? तुम ठीक हो ना ? और यहां क्या कर रही हो ? चलो बाहर आओ ... " उत्साह ने उसका हांथ पकड़ कर बाहर निकाला और अपना साथ खींचते हुए ले जाने लगा ।
वही उसके इस तरह पकड़ने से खुशी का हांथ दर्द करके लगा और उसकी आंखो के आंसू आ गए लेकिन उत्साह को तो जैसे इन सब से कोई मतलब ही नहीं था । वो खुशी को अपने केबिन में ले जाता है ।
जब गौरव उसे खुशी को केबिन में ले जाते हुए देखता है तो वो भी उसके पीछे जाने लगता है लेकिन चित्रा उसका हांथ पकड़ कर रोक देती है । गौरव उससे अपना हांथ छुड़ाता है और उत्साह के केबिन की तरफ चला जाता है । उसके पीछे ही चित्रा भी चली जाती ।
उत्साह के केबिन में बहुत ही गर्मी भरा था । खुशी अपन सिर झुकाए खड़ी थी और उत्साह उसे अपनी जलती निगाहों से घूर कर देख रहा था । वही पर Mr सिंह भी खड़े थे जो अपनी फिक्र भरी आंखो से खुशी को देख रहे थे ।
" तो तुमने मेरी कार क्यों तोड़ी ? " आखिर में उत्साह ने खामोशी तोड़ते हुए कहा ।
उसके इस सवाल पर खुशी ने ना तो जवाब दिया और ना ही अपना सिर उठाया जिसे देखकर उत्साह के गुस्से को हवा मिल गई ।
" जवाब दो .. " उत्साह ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा ।
उसकी ऊंची आवाज सुनकर खुशी चिहुंक उठी और उसकी आंखो मे रुके हुए आंसू बह निकले ।
उत्साह ने जब उसके चेहरे पर आंसुओ को देखा तो ना जाने क्यों उसका गुस्सा अपना आप शांत हो गया । ऐसा क्यों हुआ वो खुद नही समझ पा रहा था ।
" बताओ क्या हुआ था ?? " उत्साह ने अपनी आवाज में नरमता लाते हुए कहा ।
" वो ... मैं ... तो बस सफाई कर रही थी .. पता नही वो गमले कैसे गिर गए .... " खुशी ने अपना सिर झुकाए सिसकते हुए कहा उसकी आंखो से आंसू की एक धारा बह निकली।
उसे रोते देख कर उत्साह का और कुछ कहने का दिल नही कर रहा था लेकिन उत्साह का दिमाग तो अब भी अपनी प्यारी कार पर ही अटका हुआ था ।
" तुम्हे पता भी है वो वार कितनी महंगी थी .. और महंगी की बात छोड़ो .. वो मेरी पसंदीदा कार थी ... "
" तो क्या हुआ .. आप तो इतना कमाते हो .. दो चार लाख की कार ही तो थी ... दूसरी खरीद लेना ... मैं कुछ दिनों में उसके पैसे चुका दूंगी ... " खुशी ने अब अपना सिर उठाकर उत्साह को देख कर कहा ।
तब तक गौरव और चित्रा भी आ गए थे । जब गौरव ने खुशी की बात सुनी तो वो उसे देखने लगा और सोचने लगा कि इसे 2 करोड़ की कार दो चार लाख की लगती है । वही Mr सिंह और चित्रा भी खुशी को ही देखे जा रहे थे ।
उत्साह ने जब खुशी की बात सुनी तो उसने पहले तो उसे ऊपर से नीचे तक देखा फिर अपना हांथ बांध कर उसकी आंखो में देखते हुए कहा ।
" सच में ? तुम मेरी कार की कीमत दोगी ? "
उसकी बात सुनकर खुशी सोच में पड़ जाती है फिर वो भी सोचती है कि होगी वो दो चार लाख को कार दो तीन साल के तो वो चुका ही देगी इतने पैसे , इसलिए वो अपना सिर हां में हिला देती है ।
" वैसे आपकी कार की कीमत कितनी है ? " खुशी ने अब मुद्दे की बात कही जिसे सुनने के बाद उत्साह के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है और Mr सिंह ,गौरव खुशी को देखने लगते है क्योंकि अब उसे सबसे बड़ा झटका लगने वाला था ।
To be continued ....
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
" Love me Mister President "
स्टिकर्स , समीक्षा , और फॉलो करना ना भूले ।
THANK YOU
स्वेक्षिता 🦋🦋 खुशी 🦋🦋
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े ।
जब उत्साह ने खुशी का सवाल सुना तो उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई जिसका मतलब खुशी समझ नही पा रही थी और नासमझी में उसे ही देखे जा रही थी ।
" 3 करोड़ ..... " उत्साह ने तनते हुए कहा ।
" क्या ?? " खुशी का मुंह कार की कीमत सुनकर ही हैरानी से बड़ा हो गया । उसने सपने में भी नही सोचा था कि एक कार इतनी महंगी भी हो सकती है ।
वही Mr सिंह , चित्रा और गौरव मूक दर्शक बने सब कुछ देख रहे थे ।
" हां ... तो कितने दिनों में पैसे लौटा रही हो तुम ?? " उत्साह ने उसे गहरी नजरो से देखते हुए कहा ।
" मैं इतने पैसे कहा से लाऊंगी .. और 3 करोड़ में कितने जीरो होते है ?? " खुशी ने नासमझी में कहा ।
" सात ... "
" मेरी तो सैलरी ही तीन हजार है ... तीन करोड़ कहां से लाऊंगी ?? " खुशी ने उदास होते हुए कहा ।
" मुझे नही पता तुम कही से भी लाकर दो ... मुझे मेरी कार टूटने का हर्जाना चाहिए ... जो तुम दोगी .. नही तो मैं तुम्हे पुलिस के हवाले कर दूंगा ... " इतना कह कर उसने खुशी को देखा जो किसी सोच में गुम थी और फिर दूसरी तरफ देखा तो Mr सिंह , चित्रा और गौरव स्तब्ध होकर उसे ही देख रहे थे ।
उत्साह ने उन सब को जाने का इशारा किया तो Mr सिंह और गौरव वहां से जाने लगे लेकिन चित्रा वहां से हिली भी नही तो गौरव उसका हांथ पकड़ कर खींचते हुए वहां से नहर ले गया ।
यहां खुशी खुद को जेल में इमेजिन कर रही थी , कभी वो चक्की में आंटा पिसती तो कभी पत्थर तोड़ते हुए तभी उत्साह को आवाज सुनकर वो हकीकत में वापस आती है ।
" कब दे रही हो मेरे कार में पैसे ? " उत्साह ने अपने चेहरे पर सख्त भाव लाते हुए कहा ।
" कहा से लाऊं मैं पैसे ? तीन हजार पगार मिलते थे नोकरी करके .. और इस महीने की पगार भी आपने काट ली ... " खुशी ने मुंह बनाते हुए कहा ।
" मुझे उससे फर्क नही पड़ता .. तुम या तो कार तोड़ने का हर्जाना दो .. या फिर जेल जाओ .. चॉइस इज योर्स ... " उत्साह ने कहा और हांथ बांध कर खड़ा हो गया ।
" लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं है .. मैं कुछ और काम करके आपके पैसे नही लौटा सकती ? " खुशी ने उम्मीद भरी निगाहों से देख कर कहा ।
" ठीक है .. आज शाम को मेरे घर चलना .. " उत्साह ने आराम से कहा ।
" क्या .. मतलब .. आपके घर जाऊं .. मैं नही जाऊंगी कही .. " खुशी ने डरते हुए कहा । उसे डर था कहीं उत्साह कुछ गलत करने की तो नही सोच रहा ।
उत्साह समझ गया कि खुशी कुछ गलत समझ रही है तो उसने कहा ।
" देखो .. तुम कुछ गलत मत समझना .. मेरे घर पर कोई खाना बनाने वाला नही है ... और मैं रोज बाहर का खाना नही खा सकता .. इसलिए तुम्हे खाना बनाने की जॉब दे रहा हूं ... " उत्साह ने उसे समझाते हुए कहा ।
उसकी बात सुनकर खुशी थोड़ी शांत हुई और उससे कहा ।
" तो मेरी पगार कितनी होगी ? "
" कौन सी पगार ? " उत्साह ने उसे घूर कर कहा ।
" खाना बनाने की .. जितनी पगार देना उसमे से अपनी कार का पैसा काट लेना और फिर मुझे दे देना .. " खुशी ने उसे समझाते हुए कहा ।
" 15 हजार ... "
" क्या सच में ? " खुशी ने अपनी चमकती आंखों से उसे देख कर कहा । उत्साह ने अपना सिर हां में हिलाया तो उसने कहा ।
" तो मैं आपके यहां .. झाड़ू पोछा कपड़ा बर्तन सब करूंगी तो कितनी पगार मिलेगी ?? "
" एक भी नही .. क्योंकि तुम कर ही नही पाओगी .. " उत्साह ने उसे देख कहा ।
" क्यों नहीं कर पाऊंगी ? मैं बिल्कुल कर लूंगी ... अपने घर का भी सारा काम मैं ही करती हूं .. " खुशी ने गर्व से कहा ।
" अच्छा .. ठीक है शाम को मेरे घर चलना ... "
" ठीक है ... लेकिन वहां जाकर पगार बता देना मुझे .... "
खुशी ने कहा और वहां से खुश होकर फुदकते हुए चली गई । उत्साह उसे इस तरह खुश होते देख कर मुस्कुरा देता है । उसे उसकी मासूमियत अपनी ओर आकर्षित कर रही थी । जिस तरह से उसने कहा कि वो उसके घर का सारा काम कर देगी तो उसे कितने पैसे मिलेंगे , उसकी इसी बात पर वो फिदा हो गया था । अब खुशी को कौन बताए कि जिसके घर का पूरा काम करने के बारे में को कह रही है उसका घर ही एक गांव जितना बड़ा है ।
" पागल .. " उत्साह ने मुस्कुराते हुए खुद से ही कहा और अपनी चेयर पर जाकर बैठ गया ।
गौरव चित्रा का हांथ पकड़ कर बाहर ले आया ।
" तुम मुझे वहां से क्यों ले आए ? " चित्रा ने चिढ़ते हुए कहा ।
" क्योंकि सर ने बोला था .. " गौरव ने उसे देख कर कहा ।
" अच्छा ... ठीक है ... चलो ... " चित्रा ने उसका हांथ पकड़ कर ले जाते हुए कहा ।
" अरे .. दोपहर हो गई है .. खाना नही खाओगे क्या ? चलो ना .. " चित्रा ने कहा और उसका हांथ पकड़ कर ले गई ।
शाम का समय
खुशी अपना काम खत्म करके मॉल से निकली ही थी कि तभी .....
To be continued ....
• क्या हुआ आगे ?
• क्या कोई नई मुसीबत दे चुकी है दस्तक खुशी को जिंदगी में ?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
" Love me Mister President "
स्टिकर्स , समीक्षा , और फॉलो करना ना भूले ।
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स्वेक्षिता 🦋🦋 खुशी 🦋🦋
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े ।
शाम का समय
खुशी अपना काम खत्म करके मॉल से निकली ही थी कि तभी एक कार उसके सामने आकर रुकती है जिससे डर कर खुशी पीछे हो जाती है ।
उस कार की खिड़की का कांच नीचे होता है और उत्साह का चेहरा दिखता है जो खुशी को ही देख रहा था । उत्साह को देख कर खुशी राहत की सांस लेती है ।
" चलो बैठो ... " उत्साह ने खुशी को कहा ।
" क्यों ? "
" क्या ? भूल गई ?? खाना बनाना था ना मेरे लिए ... और सुबह को कार तोड़ी है मेरी उसके पैसे भी तो देने है .. "
" हां ... लेकिन मैं बैठु कैसे ? " खुशी ने दरवाजे को देखते हुए कहा ।
" दरवाज खोल कर .. " उत्साह ने उसे अजीब नजरो से देखते हुए कहा ।
" मुझे नही आता ये दरवाजा खोलना .. " खुशी ने सिर झुकाकर धीरे से कहा ।
उत्साह उसकी बात सुनकर कार से नीचे उतरा और उसके लिए दरवाजा खोला तो खुशी उसे देखने लगी । उत्साह ने उसे अंदर बैठने का इशारा किया तो वो बैठ गई । उत्साह ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ और सीट बेल्ट लगा लिया ।
" सीट बेल्ट लगा लेना ... "
उसने खुशी को देखा जो उसे ही देखे जा रही थी । वो समझ गया कि खुशी कभी भी कार में नही बैठी है ।
" तुम कभी कार में नही बैठी ? " उत्साह ने उसे देख कर पूछा तो उसने अपना सिर ना में हिला दिया ।
उत्साह खुशी की तरफ झुका जिससे डर कर वो सीट से चिपक जाती है और डर कर अपनी आंखे बंद कर लेती है ।
उत्साह को उसकी बंद आंखो को देख कर कुछ महसूस हो रहा था लेकिन उसने खुद पर काबू पाया और सीट बेल्ट लगा कर उससे दूर हो गया ।
खुशी ने अपनी आंखे खोली तो पाया उत्साह वापस अपनी जगह पर जा चुका है ।
" तुम बहुत जल्दी डर जाती हो ... " उत्साह ने ड्राइविंग करते हुए कहा ।
" हम्म्म ... " खुशी ने छोटा सा जवाब दिया ।
इसके बाद दोनो के बीच कोई भी बात नही होती । उत्साह चाह रहा था कि खुशी कुछ बोले लेकिन उसके दिल के हालात तो कुछ और ही थे ।
आज से पहले खुशी किसी भी लड़के के साथ इस तरह कार में बैठ कर उसके घर नही गई थी , इसलिए उसे थोड़ा अजीब लग रहा था । वो कभी अपनी उंगलियां उलझाती तो कभी खिड़की से बाहर देखने लगती ।
उत्साह कार चलाते हुए उसकी हर एक हरकत नोटिस कर रहा था । ना जाने क्यों लेकिन आज रह रह कर उसका ध्यान खुशी की तरफ जा रहा था । आज से पहले उसे किसी भी लड़की की प्रति आकर्षण महसूस नही हुआ या फिर किसी भी लड़की में वो बात ही नही थी जो खुशी में थी ।
लगभग आधे घंटे के सफर के बाद उत्साह ने कार अपने विला के सामने रोकी । वो उतरा और दूसरी तरफ से आकार दरवाजा खोला तो खुशी भी कार से उतर गई ।
खुशी ने सामने घर को देखा तो उसकी आंखे हैरानी से फैल गई । वो घर बिलकुल फिल्मों की तरह था । तीन मंजिला बड़ा सा विला जहां चारो तरफ लाइट जगमगा रही थी । खुशी को वो घर बहुत अच्छा लग रहा था उसका मन हो रहा था कि वो वही बस जाए लेकिन ये हो नही सकता था ।
उत्साह ने उसे अंदर चलने का इशारा किया तो वो उसके पीछे पीछे जाने लगी । खुशी आस पास ऊपर की तरफ देखते हुए चल रही थी कि तभी उसका सिर जोर से किसी चीज से टकरा जाता है । खुशी अपन सिर सहलाते हुए पीछे होती है तो देखती है कि उत्साह उसे ही घूर रहा था । खुशी को अब एहसास हुआ कि वो दूसरी तरफ देख कर चल रही थी तो उसने सामने ध्यान नहीं दिया और उत्साह की पीठ से टकरा गई ।
" माफ करना ... " खुशी ने अपना सिर झुकाते हुए कहा ।
उत्साह ने अपना सिर हिलाया और दरवाजा खोलने लगा ।
रात हो गई थी इसलिए सारे सर्वेंट काम करके अपने घर जा चुके थे । उत्साह ने दरवाजा खोला और अंदर दाखिल हुआ उसके पीछे ही खुशी भी अंदर आ गई ।
दोनो जैसे ही अंदर आए अचानक से लोग चालू हो गई जिसे देख काट खुशी डर गई । उत्साह ने उसे डरते हुए देख लिया तो उसने कहा ।
" यहां पर लाइट ऑटोमैटिक चालू और बंद होती है अभी हम यहां से हट जाएंगे तो ये लाइट भी बंद हो जाएगी .. इसलिए डरने की जरूरत नही है .. "
" क्या ? सच में ? ऐसा भी होता है क्या ? " खुशी ने हैरान होकर अपनी आंखे बड़ी बड़ी करके उसे देख कर कहा ।
उत्साह ने अपना सिर हिला दिया तो खुशी ने उसका हांथ पकड़ा और उसे लाकर साइड में आ गई । दोनो जैसे ही वहां से हटे उस तरफ की लाइट बंद हो गई और वो दोनो जहां खड़े थे वहां की लाइट चालू हो गई । जिसे देख कर खुशी बच्चो की तरह खुश होने लगी ।
उसे इस तरह खुश होते देख कर ना जाने क्यों लेकिन उत्साह के दिल में सुकून पहुंच रहा था । उसे आज से पहले इतनी खुशी या राहत महसूस नही हुई थी जितना वो उसे खुश देखकर कर रहा था । उत्साह उसे देखता रहा ।
खुशी ने पूरा घर घूम कर देख लिया । पूरा घर देखते हुए उसके चेहरे पर नाबयां करने वाली मुस्कान थी ।
" तो .. तुम कर लोगी पूरे घर का काम अकेले ? " उत्साह ने खुशी को देख कर पूछा जो वही रखे एक शॉपिस को देखने में बिजी थी ।
जब खुशी ने उसका सवाल सुना तब ......
To be continued ....
• आगे क्या होगा ?
• क्या जवाब देगी खुशी उत्साह को ?
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स्टिकर्स , समीक्षा , और फॉलो करना ना भूले ।
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स्वेक्षिता 🦋🦋 खुशी 🦋🦋
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े ।
" तो .. तुम कर लोगी पूरे घर का काम अकेले ? " उत्साह ने खुशी को देख कर पूछा जो वही रखे एक शॉपिस को देखने में बिजी थी ।
जब खुशी ने उसका सवाल सुना तब वो उस शॉपिस को छोड़ कर उत्साह को देखने लगी ।
" बिलकुल भी नही .. तुम्हारा घर तो बहुत बड़ा है .. मेरा घर बहुत छोटा है न .. तो मुझे लगा तुम्हारा भी होगा ... " खुशी ने कहा ।
" ठीक है ... तो तुम मेरे लिए सुबह शाम खाना बना देना ... और तुम्हारी सैलरी में से 50 परसेंट मेरी कार की नुकसान के पैसे काट कर 50 परसेंट तुम्हे दे दूंगा मैं ... " उत्साह ने कहा तो खुशी ने अपना सिर हां में हिला दिया ।
" किचन कहां है ? " खुशी ने कहा तो उत्साह ने उसे किचन दिखाया और उसे पूरे किचन में कौन सी चीज कहां रखी है वो दिखा दिया फिर वहां से अपने कमरे में फ्रेश होने चला गया । खुशी किचन में खाना बनाने लगी ।
लगभग आधे घण्टे बाद उत्साह नीचे आया तो खुशी डाइनिंग टेबल पर खाना रख रही थी ।
" वाह .. इतनी जल्दी खाना बन भी गया ... " उत्साह ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा ।
खुशी मुस्कुरा दी और उत्साह की प्लेट में खाना परोस कर साइड में खड़ी हो गई ।
" तुम नही खाओगी ? " उत्साह ने उसे देख कर पूछा ।
" नही ... मैं घर जाकर खा लूंगी ... "
" तुम्हारे घर पर कौन कौन है ? "
" कोई भी नही है ... मेरे अलावा .. " खुशी ने सिर झुकाकर कहा क्योंकि उसको आंखो में नमी आ गई थी।
" तो तुम अपने लिए फिर खाना बनाओगी .. इससे अच्छा है यही खा लो .. चलो बैठो .. " उत्साह ने उसे कहा तो खुशी भी वही चेयर पर बैठ गई और दोनो ने डिनर किया ।
डिनर के बाद खुशी सारे बर्तन किचन के धोने जाने लगती है तो उत्साह उससे कहता है
" उसे वही रख दो .. कल सुबह सर्वेंट आयेंगे तो धो देंगे .. "
खुशी वही वाश बेसिन के पास बर्तन रख देती है और अपना सामान लेकर जाने लगती है तो उत्साह भी उसके पीछे आने लगता है ।
" क्या हुआ ? " खुशी ने जब उत्साह को अपने पीछे आते देखा तो कहा ।
" तुम्हे घर छोड़ने जा रहा हूं ... "
" नही ... मै चली जाऊंगी ... " खुशी ने कहा ।
" देखो रात बहुत हो गई है ... इस टाइम मैं एक लड़की को अकेले नहीं जाने दे सकता .. और खास कर तुम्हे .. तुमने मेरी कार बेकार कर दी .. तुम भाग गई तो ... मेरे पैसे कौन देगा ? इसलिए घर देखना जरूरी है .. तो चुप चाप कार में बैठो " उत्साह ने कहा और कार का दरवाजा खुशी के लिए खोल दिया ।
खुशी अंदर बैठ गई तो उत्साह भी दूसरी तरफ आकर बैठ गया और कार आगे बढ़ा दी ।
उत्साह ने खुशी के घर के सामने कार रोकी और दूसरी तरफ से आकार दरवाजा खोला तो वो कार से उतर गई । ।
" आप भी चलिए अंदर ... " खुशी ने उत्साह से कहा ।
" नही फिर कभी ... " उत्साह ने कहा और वहां से कार लेकर चला गया । खुशी अपने घर के अंदर चली गई ।
कुछ दिनों बाद गौरव रास्ते हुए चलते हुए कहीं जा रहा था कि तभी एक कार आकर उसके सामने रुकती है । उस कार से चित्रा मुस्कुराते हुए निकलती है ।
" कैसे हो ? बहुत दिनों बाद मिले ? " चित्रा ने मुस्कुराते हुए कहा ।
" हां .. तुम कैसी हो ? "
" मैं तो मस्त हूं ... कही जा रहे थे ? " चित्रा ने सवाल किया ।
" हां घर जा रहा था ... "
" अच्छा .. में भी चलूं ? " चित्रा ने सवाल किया तो गौरव ने कुछ देर सोचा फिर हां कर दिया । चित्रा और वो दोनो कार में बैठ कर गौरव के घर के लिए निकल गए ।
" वाह तुम्हारा घर तो बहुत ही अच्छा है ... " चित्रा ने घर को देखते हुए कहा ।
गौरव ने किचन में से ही हां कहा तो चित्रा उसके पास पहुंच गई ।
" तुम्हे खाना बनाना भी आता है ?? " चित्रा ने उसे खाना बनाते हुए देखा तो पूछा ।
" हां .. थोड़ा थोड़ा .. " गौरव ने मुस्कुराते हुए कहा और खाना बनाने लगा ।
उसने एक प्लेट में चित्रा को पास्ता दिया और एक प्लेट में अपने लिए निकाला ।
" उम्म्म ... बहुत टेस्टी है ... " चित्रा ने पास्ता का पहला निवाला खा कर ही कहा तो गौरव मुस्कुरा दिया ।
दोनो ने साथी पास्ता खाया और कुछ देर बात करने के बाद चित्रा वहां से जाने के लिए बाहर आ गई ।
रात हो गई थी । चित्रा दरवाजे के बाहर खड़ी थी और गौरव उसे बाय कह रहा था । चित्रा वहां से जाने लगती है कि तभी उसे सामने ही खुशी दिखती है ।
" हेय ... तुम खुशी हो ना ? " चित्रा ने उसे देख कर कहा।
" कुछ याद आया ? "
" हम्म ... चित्रा ... " खुशी ने मुस्कुरा कर कहा तो चित्रा का मुंह बन गया ।
" तो इतना ठंडा रिएक्शन क्यों ?? "
" सॉरी ... " खुशी ने कहा और चित्रा के गले लग गई ।
" एक मिनट .. यहां हो क्या रहा है ? " गौरव ने दोनो को देख कर नासमझी में कहा ।
" तुम्हे नही पता होगा ... मैं और खुशी .. एक ही स्कूल में पढ़ते थे .. " चित्रा ने खुशी से अलग होकर मुस्कुराते हुए कहा ।
" अच्छा .... "
" तू यही रहती है ? "
" हां ... " खुशी ने कहा ।
" तो चलना तेरे घर आज मुझे तुझसे बहुत सारी बाते करनी है ... " चित्रा ने कहा तो खुशी ने अपने घर का दरवाजा खोला और दोनो बाते करते हुए अंदर चली गई ।
गौरव ने एक बार बंद दरवाजे को देखा फिर मुस्कुराते हुए अंदर चला गया ।
खुशी और चित्रा दोनो बाते कर रही थी । दोनो सहेलियां इतने सालो बाद एक साथ मिल रही थी तो बातो का सिलसिला रुकने वाला ही नही था ।
" वैसे तुम उस दिन के बाद स्कूल क्यो नही आई ? और अंकल आंटी कहा है अभी ? " चित्रा ने सवाल किया तो खुशी बिलकुल शांत हो गई ।
" क्या हुआ ? मैंने कुछ गलत पूछ लिया ? " चित्रा ने जब उसकी आंखो में नमी देखा तो उसके कंधे पर हाथ रख कर पूछा ।
" नही .. वो .. मम्मी पापा .. दोनो अब इस दुनिया में नही है .. " खुशी ने कहा और उसकी आंखो से आंसू की दो बूंद गालों पर लुढ़क आई ।
To be continued ....
• क्या हुआ था जो खुशी के मम्मी पापा अब इस दुनिया में नही है ?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
" Love me Mister President "
स्टिकर्स , समीक्षा , और फॉलो करना ना भूले ।
THANK YOU
स्वेक्षिता 🦋🦋 खुशी 🦋🦋
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े ।
" नही .. वो .. मम्मी पापा .. दोनो अब इस दुनिया में नही है .. " खुशी ने कहा और उसकी आंखो से आंसू की दो बूंद गालों पर लुढ़क आई ।
" I'm sorry ..."
" नही तुम क्यों सॉरी बोल रही हो ? अच्छा ये छोड़ो अपने बारे में बताओ कुछ ... " खुशी ने बात बदलते हुए कहा तो चित्रा ने दूसरी बाते शुरू कर दी ।
दोनो ने काफी देर तक बाते की और फिर चित्रा अपने घर चली गई ।
उत्साह हॉल में बैठा था और खुशी किचन ने खाना बना रही थी । थोड़ी ही देर में उसने खाना टेबल पर लगाया तब तक उत्साह भी वहां आ गया ।
उत्साह और खुशी दोनो खाना खाने बैठ गए । थोड़ी देर हुआ था तभी उत्साह ने कहा
" सुनो ... मेरे लिए कोल्ड्रिंक ले आओ .. " उत्साह ने खुशी से कहा तो वो किचन में चली गई ।
काफी देर हो जाती है लेकिन खुशी वापस नहीं आती तो वो किचन की तरफ बढ़ जाता है ।
जब वो किचन में पहुंचता है तो जो वो देखता है उसे देख कर हैरान हो जाता है ।
खुशी फ्रिज का दरवाजा पकड़ कर खींच रही थी लेकिन वो खुल हो नही रहा था । वो लगभग फ्रिज पर चढ़ गई थी लेकिन दरवाजा खुल ही नही रहा था । खुलता भी कैसे दरवाजा फ्रिज का दरवाजा साइड से नही बीच से खुलता था क्योंकि वो डबल डॉर फ्रिज था ।
उत्साह अजीब नजरो से खुशी को देख रहा था और समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर वो करने की क्या कोशिश कर रही है ।
" ओह ... आप यहां Mr प्रेसिडेंट ... मैं बस ला ही रही थी ... " खुशी ने जब उसे देख तो कहा और एक बार फिर फ्रिज खोलने की कोशिश करने लगी लेकिन वो खुल ही नही रहा था ।
उत्साह ने उसे देख कर अपना सिर ना में हिला दिया और उसे कंधे से पकड़ कर साइड हटाया । खुशी थोड़ा सा हटी तो उत्साह ने बीच का दरवाजा खोला और कोल्ड्रिंक की बोतल निकाल ली ।
खुशी ने जब उसे दरवाजा बीच से खोलते देखा तो उसका मुंह छोटा सा हो गया । उसके मुंह को बनाए देख कर उत्साह को हंसी आ जाती है ।
" अब मुंह मत बनाओ ... तुम्हे पीना है ?? " उत्साह ने पूछा तो खुशी ने अपना सिर ना में हिला दिया ।
उत्साह को खुशी की ये छोटी छोटी मासुमियत आकर्षित कर रही थी । उत्साह को अब याद ही नहीं था कि अभी कुछ दिनों पहले ही उसे औरतों से नफरत हुआ करती थी और अब उसे खुशी अच्छी लगने लगी थी । शायद प्यार की शुरुआत हो चुकी थी ।
वही खुशी को भी उत्साह का साथ भाता था लेकिन वो कभी कहती नही थी । मोहब्बत के अंकुर दोनो के दिलो में फूट चुके थे अब बस उनका पनपना बाकी था , और उनके प्यार की परवानगी भी अभी बाकी थी ।
चित्रा हर रोज गौरव से मिलने के बहाने ढूंढ़ा करती । वो भूल चुकी थी कि कुछ बाद ही उसकी सगाई उत्साह से होने वाली है । उसे गौरव पसंद था या फिर उससे प्यार होने लगा था उसे ।
एक महीना बीत चुका था । अब सिर्फ एक महीना बचा था उत्साह और चित्रा की सगाई के लिए । उन दोनो की सगाई के बारे में अभी किसी को भी नही पता चला था ।
खुशी किचन में खाना बना रही थी और उत्साह बाहर से ही उसे गौर से देख रहा था । बालो का जुड़ा बनाए हुए , पसीने में भीगी , आंटा गुथती खुशी है बहुत ही प्यारी लग रही थी । जुड़े में से निकलते बाल उसके माथे और गर्दन पर चिपक गए थे ।
उत्साह हांथ बांधे एक टक उसे देखे जा रहा था और मन में सोच रहा था
* कोई इतना मासूम कैसे हो सकता है ? *
उसके दिल में बस यही ख्याल आ रहा था । खुशी की मासूमियत उसे बहुत ही प्यारी लगती थी । हर रोज कुछ न कुछ होता था और मासूम खुशी दिख ही जाती ।
उत्साह अंदर जाता है और एसी चालू कर देता है । खुशी को इतना भी नही पता था कि एसी चालू कैसे होता है ।
खुशी को जब थोड़ा ठंडक महसूस होती है तो वो अपना सिर उठाकर इधर उधर देखने लगती है ।
" क्या ढूंढ रही हो ? " उत्साह ने उसके पोछे से ही कहा ।
खुशी पीछे मुड़ी तो उत्साह बिलकुल उसके करीब खड़ा था जिससे खुशी पीछे होकर स्लैब से चिपक गई ।
उत्साह उससे थोड़ा दूर हुआ और एक बार फिर पूछा ।
" कुछ चाहिए ? "
" नही ... तो ... " खुशी ने कहा और रोटियां सेकने लगी । उत्साह ने उसे पीछे से देख कर मुस्कुरा दिया और बाहर चला गया ।
उत्साह के जाने के बाद खुशी दरवाजे की तरफ झांकती है और फिर गहरी सांस छोड़ती है । उत्साह को अपने करीब देख कर ना जाने क्यों लेकिन खुशी की धड़कने बढ़ गई थी । वो एक गहरी सांस लेकर खुद को शांत करती है और फिर अपने काम में लग जाती है ।
खाना खाने के बाद खुशी अपने घर जाने लगती है तो उत्साह उसे रोकते हुए कहता है
" अरे तुम जा क्यो रही हो ? "
" क्यों ? कुछ काम बचा है Mr प्रेसिडेंट ? "
" हां .. आज एक महीना पूरा हुआ न तुम्हे काम करते तो सैलरी तो ले जाओ .. "
" लेकिन आपकी कार जो टूट गई थी उसके पैसे भी तो काटने थे ? "
" ये लो .. उतने पैसे काट कर ही दिए है .. " उत्साह ने कहा और एक लिफाफा उसे पकड़ा दिया । खुशी ने उसे खोल कर देखा तो उसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो गई ।
To be continued ....
• क्या हुआ हो खुशी इतनी हैरान हो गई ?
• क्या उत्साह को हो रहा है खुशी से प्यार ?
•अगर हां तो क्या वो चित्रा से शादी करेगा ?
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" ये लो .. उतने पैसे काट कर ही दिए है .. " उत्साह ने कहा और एक लिफाफा उसे पकड़ा दिया । खुशी ने उसे खोल कर देखा तो उसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो गई ।
उस लिफाफे में 2000 के गुलाबी नोट थे। खुशी उन्हे गिनती है तो 5 नोट थे । खुशी को पहली बार इतने रुपए साथ में मिले थे । उसके चेहरे पर एक खुशी आ जाती है ।
" शुक्रिया ... " खुशी ने खुश होकर कहा और वहां से फुदकते हुए चली गई ।
उत्साह उसे इस तरह खुश होते देख कर मुस्कुरा देता है और खुद से ही कहता है " बच्ची है पूरी ... लेकिन बहुत क्यूट है " इतना कह कर वो अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है । रात ज्यादा नही थी इसलिए उत्साह उसे जाने देता है ।
खुशी रास्ते में फुदकते हुए जा रही थी । आज पहली बार उसे पूरे दस हजार रुपए पगार में मिले थे नही तो हमेशा कभी 3 हजार या पांच हजार से ज्यादा नही मिलते थे ।
" इस बार तो बहुत पैसे मिले है पगार के .. तीन महीने का घर का किराया देना है .. अगर कल नही दिया तो मकान मालिक घर खाली करवा देगा ... दूध वाले के भी पैसे देने है .. घर का सामान भी लेना है ... और अपने लिए थोड़े कपड़े भी ले लूं अच्छे ... " खुशी अपने आप से ही बाते करती हुई जा रही थी कि तभी एक लड़का आता है और उसका बैग लेकर भाग जाता है ।
उत्साह अपने कमरे में बेड पर लेटा खुशी के ख्यालों में गुम था । उसकी मासूमियत , प्यारी सी मुस्कान उसे बहुत ही प्यारी लगती थी । उत्साह का मन अब खुशी को अपने से दूर जाने देने का मन बिलकुल भी नही होता था । वो चाहता था कि खुशी हर पल , हर समय उसके सामने रहे बस वो कभी कह नही पता था और कहता भी तो किस हक से ।
खुशी को देखे बिना अब उसका दिन शुरू ही नही होता था । इस एक महीने में जैसे उसे खुशी की आदत हो गई थी या फिर कह ले मोहब्बत हो गई थी , बस उसे इस बात का एहसास ही नही था ।
उत्साह को खुशी का अपने पास रहना इतना अच्छा लगता था कि अब वो खुशी को मॉल में भी देखा करता । अपने केबिन के फ्लोर से ही वो खुशी पर नजर रखता और देखता कि वो क्या क्या करती है । इसका आभास Mr सिंह को भी हो गया था । वो मन ही मन सोच रहे थे कि एक खुशी ही है जो उन्हे बदल सकती है । जहां उत्साह लड़कियों के नाम से ही चिढ़ जाता था वही अब उसके चेहरे पर खुशी के नाम से ही मुस्कान आ जाती है ।
उत्साह में ये सारे बदलाव सिर्फ और सिर्फ खुशी की वजह से आए थे । उत्साह दिल ही दिल खुशी को पसंद करने लगा था इसका आभास ना तो उत्साह को था और ना ही खुशी को ।
खुशी को भी उत्साह के पास रहना पसंद था लेकिन वो उससे दूर हो जाती । खुशी समझती कि अगर वो उसके पास गई तो कही वो उस पर गुस्सा ना करने लगे । बस इसी लिए खुशी उत्साह से थोड़ी दूरी बना कर ही रखती लेकिन कब तक ? एक ना एक दिन तो दोनो को साथ होना ही था । खुशी के ख्यालों में गुम उत्साह को ना जाने कब नींद आ जाती है पता ही नही चलता ।
गौरव अपने कमरे में सोने ही जा रहा था कि तभी उसका फोन बजा । उसने कॉलर आईडी देखी तो उसके चित्रा लिखा हुआ था । गौरव के कॉल उठा लिया और उससे बाते करने लगा ।
" क्या कर रहे हो ? " चित्रा ने फोन पर कहा ।
" कुछ नही सोने जा रहा था ... तुम बताओ ? "
" बोर हो रही थी तो सोचा तुम्हे कॉल कर लूं ... परेशान तो नही किया ना मैने ? "
" अरे .. नही .. नही .. वैसे तुम हर रोज ऐसे ही कॉल करके बोलती हो कि बोर हो रही थी इसलिए कॉल किया .. ये सच है ना ? "
" अ ... हां बिलकुल ... मैं बोर होती हूं तभी कॉल करती हूं .. तुम्हे बात नही करनी हो तो कॉल कट कर दूं ? " चित्रा ने छेंपते हुए कहा ।
" अरे नही .. ऐसे कोई बात नही है ... " गौरव ने अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए कहा और फिर दोनो अपनी बातो में लग गए ।
दरअसल चित्रा हर रात को सोने से पहले गौरव को कॉल जरूर करती । वजह थी कि उसे गौरव बहुत पसंद था लेकिन वो ये बात कह नही पा रही थी ।
गौरव को इस एक महीने चित्रा पसंद आ गई थी लेकिन उन दोनो के स्टेटस के कारण कभी उसने इस बारे में बात नही की । उसे लगता था कि अगर वो दोनो साथ हुए तो चित्रा की जिंदगी पर असर पड़ेगा । कहां वो महलों में रहने वाली और कहां वो एक आम इंसान ? इसलिए गौरव ने कभी चित्रा से इस बारे में बात नही की ।
दोनो ना जाने कितनी ही देर तक बाते करते है और फिर कॉल कर करके फोन साइड में रख देते है ।
वहां गौरव चित्रा के ख्यालों में खोया था और यहां चित्रा अपने और गौरव के आने वाले कल के लिए सपने बुनने में लगी हुई थी ।
वहीं खुशी अपने आप से ही बाते करती हुई जा रही थी कि तभी एक लड़का आता है और उसका बैग लेकर भाग जाता है ।
To be continued ....
• क्या होगा आगे ?
• क्या करेगी खुशी ?
• कैसे होंगे खुशी और उत्साह एक साथ ?
• क्या गौरव कभी कह पाएगा चित्रा से अपने दिल की बात ?
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" Love me Mister President "
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इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े ।
वहीं खुशी अपने आप से ही बाते करती हुई जा रही थी कि तभी एक लड़का आता है और उसका बैग लेकर भाग जाता है ।
खुशी तुरंत ही चोर चोर चिल्लाते हुए उसके पीछे भागती है लेकिन वो चोर बहुत तेज भाग रहा था । खुशी उसे पकड़ नही पाई और वो चोर उसके हांथ से निकल गया । खुशी को मिले पैसे जा चुके थे जिसके साथ उसकी मुस्कान भी जा चुकी थी ।
" अब मै कल घर किराया कैसे दूंगी ? मकान मालिक तो घर से ही निकल देगा मुझे ... पिछले तीन महीनों से उसे किराया नही दिया है ... दूध वाले के भी पैसे देने है ... और पूरे महीने का राशन भी लाना था ... अब कुछ नहीं होगा ... एक फोन भी मुश्किल से लिया था वो भी चला गया .. अब क्या करू मैं ? " खुशी ने दुखी होते हुए खुद से कहा और थके कदमों से अपने घर की तरफ बढ़ गई ।
अगली सुबह खुशी आराम से अपने घर में सो रही थी कि तभी जोर जोर से किसी के दरवाजा पीटने की आवाज आती है । खुशी आंख मसलते हुए उठती है और दरवाजा खोलती है तो एक आदमी अपनी तोंद लेकर अंदर घुस आता है । ये कोई और नही बल्कि उसके घर का मकान मालिक था , मानेक राव ।
" चल छोकरी मेरे घर का तीन महीने का भाड़ा दे ... " मानेक राव ने घर में घुसते ही खुशी से कहा ।
" देखिए ... वो... कल मुझे पैसे मिले थे लेकिन चोर लेकर भाग गया ... " खुशी ने कहा तो मानेक को गुस्सा आ गया ।
" देख छोकरी तेरा हर महीना का हो गया है ... मैंने पिछले महीने ही तुझे कहा था या तो भाड़ा दे या फिर मकान खाली कर दे ... तूने बोला था इस महीने देगी ... अब मेरे पैसे दे .. या इस घर से तेरा सामान मैं बाहर फेंकू ? " मानेक राव ने गुस्से में तमतमाते हुए कहा ।
" प्लीज मुझे दो दिन का समय दे दीजिए मैं परसों घर का किराया दे दूंगी ... " खुशी ने हांथ जोड़ कर कहा लेकिन मानेक राव ने एक ना सुनी और लगभग आधे घंटे बाद खुशी घर के बाहर खड़ी थी और मानेक राव ताला लगा कर जा चुका था ।
गौरव भी काम से कही बाहर गया हुआ था । खुशी अपना दो सूटकेस उठाती है और रोड पर ही निकल पड़ती है । उसे समझ नही आ रहा था कि वो कहां जाए । कोई भी नही था उसका इस शहर में जिसके पास वो हक से जा सके । माता पिता भी इस दुनिया के नही थे । वो अब कहां जाए , क्या करे यही सब सोचते हुए उसकी आंखो में आंसू आ गए और वो वही रोड़ के किनारे बैठ गई ।
अभी वो बैठी रो ही रही थी कि तभी उसके सामने एक कार आकर रुकती है और उसमे से उत्साह बाहर निकलता है ।
" हेय... क्या हुआ ? तुम यहां क्या कर रही हो ? और ये सामान लेकर कहां जा रही हो ? देखो मेरी कार तोड़ कर अगर भागने का इरादा है तो भूल जाना ... मेरी बहुत पहचान है पुलिस में तुम्हे अंदर करवा दूंगा मैं .... " उत्साह आगे कुछ कह पता उससे पहले ही खुशी उसके गले लग जाती है जिससे उसके हांथ हवा में ही रुक जाते है ।
खुशी जो इतनी देर से उसकी जाते सुन रही थी उसकी आंखो में आंसू आ गए थे । उत्साह के साथ उसे अपनापन महसूस हुआ इसलिए वो उसके गले लग गई और रोने लगी ।
वही कार में बैठे Mr सिंह जब ये नजारा देखते है तो उनकी आंखे लगभग बाहर आने को तैयार थी । वो हैरानी से खुशी और उत्साह को देखे जा रहे थे ।
जब उत्साह को अपनी शर्ट गीली महसूस हुई तब उसे एहसास हुआ कि खुशी रो रही है । यही सोचते हुए ही वो बेचैन हो गया और खुशी को अपनी बाहों में भर लिया , उसके सिर पर हाथ फेरकर उसे शांत करवाने लगा ।
उत्साह ने देखा कि आस पास के लोग उन्हें ही देखते हुए जा रहे है तो उसने खुशी को गाड़ी बिठाया और उसका सामान डिग्गी में रखा फिर Mr सिंह को कार आगे बढ़ाने को कहा । उसने कार में बीच का पार्टीशन गिरा दिया और एक बार फिर खुशी के सिर पर हाथ फेरने लगा ।
वही खुशी ने जब उसका हांथ अपने सिर पर महसूस किया तो उसे और रोना आने लगा । उसे इतने सालो में पहली बार किसी का प्यार भरा एहसास महसूस हुआ था इसलिए उसकी आंखें आंसुओं से भर गई ।
" क्या हुआ ? कुछ बताओ मुझे... " उत्साह ने उसे जब और रोते देखा तो परेशान होते हुए पूछा ।
जहां उत्साह को लड़कियों के नाम से ही नफरत होती थी वही आज वो एक लड़की की आंखो में आए आंसुओ की वजह से परेशान था । उत्साह का दिल कर रहा था कि वो क्या कर दे और खुशी के चेहरे की वो मासूमियत , वो मुस्कान वापस आ जाए ।
उत्साह ने एक बोतल निकाला और खुशी को पानी पिलाया तब जाकर वो थोड़ी शांत हुई ।
" मेरे ... मकान मालिक .. ने घर से निकल दिया ... " खुशी ने अपने आंसुओ को पोछते हुए कहा । रोने की वजह से उसका चेहरा , नाक और गाल लाल हो गए थे और आंखे सूज गई थी ।
" क्यों ? " उत्साह ने हैरान होते हुए कहा ।
" वो .. कल मैं घर जा रही थी तो एक चोर मेरा पर्स लेकर भाग गया ... "
" तो तुमने घर का किराया नही दिया होगा और मकान मालिक ने इसलिए घर से निकाल दिया ? " उत्साह ने उसके कंधे को पकड़ कर पूछा तो खुशी ने हां में सिर हिला दिया ।
" तो मुझे कॉल क्यों नहीं किया ? " उत्साह ने कहा तो खुशी उसका चेहरा देखने लगी ।
To be continued ....
• क्या होगा आगे ?
• क्या कहेगी खुशी ?
• क्या उत्साह खुशी को रास्ते में ही छोड़ देगा ?
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" तो मुझे कॉल क्यों नहीं किया ? " उत्साह ने कहा तो खुशी उसका चेहरा देखने लगी ।
" पर्स में फोन भी था .. " खुशी ने कहा तो वो शांत हो गया ।
थोड़ी ही देर में कार रूकी तो उत्साह उसे लेकर बाहर आया और उसके सामान अंदर पहुंचाने का कह कर वो खुशी के साथ चला गया ।
उत्साह खुशी को लेकर एक कमरे में दाखिल हुआ । खुशी ने देखा वो कमरा उसके पूरे घर से भी बड़ा था । मुलायम गद्देदार बेड , एक सेप्रेट बाथरूम , कमरे से लग कर एक बालकनी जहां से धूप अंदर आ रही थी , पूरा कमरा बहुत ही सुन्दर था ।
एक सर्वेंट खुशी का सामान रख जाता है तो उत्साह कहता है
" अब से तुम यही रहोगी ... "
" क्यों ? मैं यहां नही रह सकती .. " खुशी ने उत्साह से कहा तो उसने अपनी भौंहे चढ़ा ली और हांथ बांध कर खुशी से कहा
" तो तुम कहां जाओगी ? "
" पता नही लेकिन मैं यहां नही रह सकती ... "
" और वो क्यों ? तुम यही रहोगी बस ... पता चला मेरी कार को तोड़ कर बिना पैसे दिए भाग गई तो .. और यहां से कहीं और जाने की सोचना भी मत वरना मैं पुलिस कंप्लेन कर दूंगा और तुम जेल में होगी .. " उत्साह ने कहा और वहां से चला गया । खुशी उसे जाते हुए देखती रही ।
असल में तो उत्साह चाह रहा था कि खुशी उसी के साथ एक कमरे में रहे हमेशा उसकी आंखो के सामने , लेकिन वो ये कह नही सकता था इसलिए उसने उसे अपने ही घर में रखा । उसके पास एक अच्छा खासा बहाना भी था कार टूटने का हर्जाना भरवाना । इसी का फायदा उठाकर उत्साह खुशी को घर पर रोक लिया था ।
उत्साह खुश होते हुए बाहर आता है । Mr सिंह उसे इस तरह मुस्कुराते हुए देखते है तो एक पल को हैरान होते है फिर वो भी मुस्कुरा देते है । उत्साह और Mr सिंह वहां से मॉल के लिए निकल जाते है ।
पूरे रास्ते उत्साह बहुत खुश था जिसे Mr सिंह ने भी नोटिस किया । खुशी जब से उनकी जिंदगी में आई थी तब से उत्साह के बहुत से बदलाव आए थे जो सभी ने नोटिस किया था लेकिन इसकी वजह कौन है ये सिर्फ Mr सिंह समझ रहे थे ।
शाम का समय जब उत्साह घर में दाखिल हुआ तब पूरा घर खाने की खुशबू से महक रहा था । वो समझ गया कि खुशी इस समय किचन के खाना बना रही है । वो अपना बैग सोफे पर रखता है और किचन में चला जाता है ।
जब वो किचन में पहुंचता है तो खुशी गुनगुनाते हुए खाना बना रही थी । वो धून बहुत ही मधुर थी । उत्साह उसकी आवाज में ही खो गया ।
उत्साह उसके पीछे जाता है और खान देखते हुए कहता है ।
" क्या बना है खाने में ? "
खुशी उत्साह को आवाज सुनकर चौंक जाती है और वो पीछे मुड़ी है लेकिन उत्साह के सीने से उसका सिर टकरा जाता है और वो गिरने लगती है । वो पीछे गिरती उससे पहले ही उत्साह उसे कमर से पकड़ कर खुद से चिपका लेता है जिससे खुशी का हांथ उसके कंधे पर आ जाते है ।
खुशी और उत्साह की आंखे आपस में टकराती है और खुशी उसकी आंखो में खो जाती है ।
कुकर की सीटी से दोनो होश में आते है और खुशी उससे अलग होती है ।
खुशी अपने काम में लग जाती है तो उत्साह उसे देख कर अपने कमरे में चला जाता है । उसके जाने के बाद खुशी अपने सीने हांथ रख कर एक गहरी सांस लेती है । उसे अपनी धड़कने बढ़ी हुई महसूस जो रही थी । ना जाने क्यों लेकिन उसे उत्साह का करीब आना अच्छा लगता था । उसके पास रहकर वो खुद को महफूज महसूस करती थी । खुशी अपने ही ख्यालों में उलझी हुई थी तभी एक बार फिर कुकर सीटी मारता है तब जाकर वो होश में आती है और अपने काम में लग जाती है ।
जब उत्साह डाइनिंग एरिया में आया तब खुशी किचन में कुछ कर रही थी । सारे सर्वेंट जा चुके थे । किसी भी सर्वेंट को शाम के 6 बजे के बाद घर पर रुकने की इजाजत नहीं थी जो कि उत्साह का ही हुकुम था । उत्साह को नही पसंद था कि कोई भी उसके रहते घर में रहे लेकिन खुशी के लिए ऐसा कुछ भी नही था । उत्साह को खुशी का उसके पास रहना पसंद था ।
आज उत्साह को काफी खुशी महसूस हो रही थी कि उसने किसी भी सर्वेंट को ना रुकने देने के फैसले पर ।
उत्साह चेयर पर आकर बैठ जाता है तो खुशी उसके लिए खाना ले आती है और खुद भी वही उसके सामने बैठ कर खाना खाने लगती है ।
दोनो ने अपना डिनर किया और उत्साह स्टडी रूम की तरफ चला गया । खुशी किचन में बर्तन रखकर अपने कमरे में चली जाती है ।
अगली सुबह
खुशी सो कर कमरे से बाहर आती है तब उत्साह उसे कहीं नहीं दिखता है घर पर कोई नही था । खुशीस समय देखती है तो दोपहर के 12 बज रहे होते है । इस समय कोई सर्वेंट भी घर पर नही था ।
" लगता है मुझे ज्यादा की हो गया उठने में ... मिस्टर प्रेसिडेंट तो बिना नाश्ते के चले गए होंगे ... " खुशी उतरा हुआ मुंह लेकर अपने कमरे में वापस चली जाती है और बाथरूम में घुस जाती है ।
जब वो बाहर आती है तब उसने एक ब्लू कलर का तौलिया अपने सीने से बांध रखा था जो उसकी थाई तक आ रहा था । गीले बाल उसके कंधे पर झूल रहे थे जिससे उसके गले से होकर पानी किसी मोती को भांति गिर रहे थे । गर्म पानी से नहाने की वजह से उसकी त्वचा थोड़ी लाल हो गई थी ।
खुशी अपने बाल झटकते हुए अलमारी की तरफ जाती है और अपने कपड़े निकाल कर बेड पर रखती है फिर गाना गाते हुए नाचने लगती है ।
मेरी जिंदगी में अजनबी का इंतजार है ,
मैं क्या करूं अजनबी से मुझे प्यार है ,
वो अजनबी जाना पहचाना ,
सपनो में उसका ,
है आना जाना ,
ओह अजनबी तेरे लिए ,
दिल ये मेरा बेकरार है ,
मेरी जिंदगी में अजनबी का इंतेजार है ,
मैं क्या करूं अजनबी से मुझे प्यार है ...
यही गाना गुनगुनाते हुए खुशी पूरे कमरे में नाच रही थी कि तभी कुछ ऐसा होता है जिसे देख कर खुशी की आंखे हैरानी से बड़ी हो जाती है ।
To be continued ....
• क्या हुआ आगे ?
• क्या हुआ जो खुशी इतनी हैरान हो गई ?
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मेरी जिंदगी में अजनबी का इंतजार है ,
मैं क्या करूं अजनबी से मुझे प्यार है ,
वो अजनबी जाना पहचाना ,
सपनो में उसका ,
है आना जाना ,
ओह अजनबी तेरे लिए ,
दिल ये मेरा बेकरार है ,
मेरी जिंदगी में अजनबी का इंतेजार है ,
मैं क्या करूं अजनबी से मुझे प्यार है ...
यही गाना गुनगुनाते हुए खुशी पूरे कमरे में नाच रही थी कि तभी उसकी नजर दरवाजे पर जाती है । वहां उत्साह खड़ा होकर हांथ बांधे मुस्कुराते हुए उसे ही देख रहा था ।
खुशी अपनी ही जगह पर जम जाती है । वो खुद को देखती है तो उसने इस वक्त सिर्फ टॉवल पहना हुआ था खुशी चिल्लाते हुए वापस बाथरूम में घुस जाती है और जोर से दरवाजा बंद कर लेती है । वो दरवाजे से लगकर अपनी सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी तभी उसे उत्साह के हंसने की आवाज आती है । खुशी अपनी आंखे कस कर बंद कर लेती है ।
उत्साह जब खुशी को इस तरह भागते देखता है तो उसे हंसी आ जाती है । वो हंसते हुए वहां से चला जाता है ।
उत्साह एक फाइल लेने घर पर वापस आया था और जा ही रहा था तभी उसे किसी के गुनगुनाने की आवाज कानो में पड़ी वो समझ गया कि हो न हो लेकिन ये गाना खुशी ही गा रही है इसलिए वो खुद को रोक नहीं पाया और वहां आ गया ।
खुशी जब तैयार हो कर वापस आई तब उत्साह घर से जा चुका था । घर में कोई नही था तो खुशी वही बैठ गई । उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे इसलिए वो पूरा घर देखने लगी ।
घर देखने के बाद खुशी बाहर आई । बाहर बहुत ही अच्छा गार्डन था , जहां अलग अलग तरह के पेड़ पौधे थे । खुशी वही बैठ कर सफाई करने लगी । आज उसे मॉल जाने का मन नहीं था इसलिए वो नही गई ।
खुशी ने पूरा गार्डन साफ कर कर दिया । हालांकि सफाई करने के लिए वहां उत्साह ने सर्वेंट लगाए थे जो सुबह काम करके चले जाते थे लेकिन खुशी को अच्छा लग रहा था हरियाली में काम करना ।
उसने दोपहर 3 बजे तक काम किया और फिर घर में आ गई । वो थक गई थी इसलिए अपने कमरे में जाकर सो गई ।
ऐसे ही खुशी उत्साह के साथ रहने लगी । जहां उत्साह खुशी के करीब आने के बहाने ढूंढता था वही जब वो खुशी के करीब आता तब उसकी धड़कने बढ़ जाती ।
गौरव को भी चित्रा पसंद आने लगी थी लेकिन वो कभी भी ऐसा जताता नही था जिस वजह से चित्रा हर मुमकिन कोशिश करती कि वो उसे पसंद करने लगे ।
यहां चित्रा और उत्साह दोनो ही भूल गए थे कि 15 दिनो बाद उन दोनो की सगाई है । दोनो ही अपने अपने प्यार को पाने के लिए कोशिश कर रहे थे ।
गौरव काम से घर लौट रहा था तभी चित्रा ने उसे आकर रोक लिया ।
" क्या हुआ ? कुछ काम है ? " गौरव ने अपना हांथ देखकर चित्रा से कहा जो उसने पकड़ा हुआ था ।
" हां ... तुम मेरे साथ क्लब चलोगे ? " चित्रा ने गौरव से कहा तो वो उसका मुंह देखने लगा ।
" क्यों ? मैं क्यों चलूं तुम्हारे साथ क्लब ? "
" अरे आज मेरा मन कर रहा है क्लब जाने का और कोई है नही जो मेरे साथ आ सके .. तुम चलो ना .. "
" लेकिन ऐसे ? " गौरव ने खुद को देख कर कहा ।
चित्रा गौरव को देखती है जो ब्लैक कोट पेंट और व्हाइट शर्ट पहने था । वो देखने में बहुत अट्रेक्टिव लग रहा था । उसे देखने के बाद चित्रा का दिल जैसे धड़कना ही भूल गया हो ।
" और कितना तैयार होना है तुम्हे ? " चित्रा ने अपने दिल को संभाला और उससे कहा ।
" लेकिन ... " गौरव ने कुछ कहना चाहा तो चित्रा ने उसे चुप करा दिया और कार में बैठा दिया फिर खुद ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गई और कार आगे बढ़ा दी।
कुछ ही देर में उनकी कार शहर के सबसे बड़े क्लब के सामने आकर रूकी । इस क्लब में सब अमीर घराने के लोग ही आते थे इसलिए चित्रा को चिंता नही थी कि यहां उसके फैन्स या फिर कोई मीडिया वाला आएगा ।
वो दोनो कार के बाहर आए । चित्रा ने गौरव का हांथ अपने दोनो हाथों से पकड़ लिया और दोनो अंदर की तरफ बढ़ गए ।
कुछ देर बाद चित्रा बार काउंटर पर बैठी ड्रिंक कर रही थी और गौरव उसे देख रहा था । चित्रा नशे में चूर हो गई थी । गौरव ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वो रुक ही नही रही थी इसलिए गौरव हार मान कर साइड में बैठ गया और चित्रा को ड्रिंक करने दे रहा था ।
" गौरव .. तुमसे एक बात पूछूं मैं ? " चित्रा ने नशे में मुश्किल से अपनी आंखे खोलते हुए कहा तो गौरव ने अपना सिर हां में हिला दिया ।
" क्या तुम मुझे पसंद नही करते ? " चित्रा ने कहा तो गौरव उसका चेहरा देखने लगा ।
" तुम ये क्यों पूछ रही हो ? "
" क्योंकि मेरा दिल किया .. तुम्हे पता ... तुम्हे देखते ही मुझे तुमसे लव एट फर्स्ट साइट हो गया ... आज तक मैं सिर्फ फिल्मों में ही देखती थी लेकिन ... पता नही क्यों लेकिन मैं .. तुम्हे प्यार करने से खुद को रोक नहीं पा रही हूं ... अगर मैं तुमसे प्यार करने लगी .. तो क्या .. तुम भी मुझसे प्यार करोगे ? " चित्रा ने उससे सवाल किया तो गौरव ने एक पल को उसकी आंखो में देखा फिर उसका हांथ अपने हांथ से हटा दिया और दूसरी तरफ देखने लगा ।
चित्रा समझ गई कि वो उसे मना कर रहा है । चित्रा ने अपना ड्रिंक उठाया और झूमते हुए डांस फ्लोर की तरफ बढ़ गई । वही गौरव अब भी वही बैठा उसे देख रहा था । चित्रा फ्लोर पर नशे में थिरक रही थी । उसके आस पास लड़के भंवरे की तरह मंडरा रहे थे लेकिन चित्रा को इन सब से खास फर्क नही पड़ रहा था वो अपनी मस्ती में चूर नाचे जा रही थी ।
एक लड़का जो नशे में चूर था वो चित्रा के करीब होकर डांस करने लगता है जिसे देख कर गौरव की आंखो के खून उतर आया । उसने देखा वो लड़का चित्रा की कमर , और नीचे हांथ फिरा रहा था जिससे गौरव का मूड खराब हो गया लेकिन चित्रा को फर्क ही नहीं पड़ा । वो तो मस्त उसके साथ डांस कर रही थी । वो लड़का बहुत ज्यादा नशे में था इतना कि वो खुद को संभाल भी नही पा रहा था लेकिन फिर भी वो चित्रा को अपनी तरफ घुमाता है और किस करने वाला होता है कि तभी ......
To be continued ....
• क्या हुआ आगे ?
• क्या गौरव कबूल करेगा चित्रा के प्यार को ?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
" Love me Mister President "
स्टिकर्स , समीक्षा , और फॉलो करना ना भूले ।
THANK YOU
स्वेक्षिता 🦋🦋 खुशी 🦋🦋
इस भाग को समझने के लिए पिछले भागो को अवश्य पढ़े ।
वो लड़का चित्रा को अपनी तरफ घुमाता है और किस करने वाला होता है कि तभी कोई चित्रा का हांथ पकड़ कर पीछे खींचता है और उस लड़के को जोरदार घुसा मारता है जिससे वो लड़का संभल नहीं पता और वही धड़ाम की आवाज के साथ नीचे गिर जाता है ।
चित्रा नशे के असर से बंद होती आंखो को जबरदस्ती खोलते हुए जब उस इंसान को देखती है तो उसे गौरव दिखता है जिसका चेहरा इस वक्त गुस्से में तमतमाया हुआ था ।
" येई ... मेरा हीरो आ गया .. अब देखना तुम्हारी क्या बेंड बाजाएगा ये ... " चित्रा ने ओवर एक्साइटेड होते हुए कहा और गौरव के गले लग गई । फिर वो उससे अलग हुई और पीछे खड़ी हो गई और गौरव के अगले मूव का इंतजार करने लगी ।
" तेरी हिम्मत कैसे हुई उसे छूने की ? " गौरव ने उस लड़के को कोलर से पकड़ कर उठाया और एक और घुसा उसके चेहरे पर जड़ दिया ।
जहां वो लड़का पहले ही नशे में होने के कारण सीधे खड़ा नही हो पा रहा था , गौरव के एक घुसे में हो वो जमीन पर लोट गया । वो लड़का वही बेहोश हो गया ।
क्लब में मौजूद सभी लोग उसकी वीडियो बनाने लगे थे और साथ में ही चित्रा की भी । हो भी कैसे ना चित्रा इतनी फेमस मॉडल जो थी , कहीं न कहीं तो उसके फैन्स होते ही थे लेकिन आज चित्रा को किसी भी चीज की परवाह नही थी क्योंकि उसकी परवाह करने के लिए कोई था ।
गौरव चित्रा की तरफ बढ़ा जो नशे में अपनी आंखे जबरदस्ती खोलते हुए मुस्कुरा कर उसे ही देख रही थी । उसने चित्रा का हांथ पकड़ा और खींचते हुए वहां से लेकर बाहर आ गया । उसने चित्रा को कार में बिठाया और कार आगे बड़ा दी ।
गौरव का चेहरा गुस्से में लाल हो गया था और चित्रा उसे देखे जा रही थी जिसकी वजह से वो और गुस्से में आ गया था । उसने एक झटके में कार रोकी जिससे चित्रा का सिर डैशबोर्ड से टकराने वाला था लेकिन उससे पहले ही गौरव ने उसके माथे पर हांथ लगा दिया ,जिससे उसका सिर डैशबोर्ड से टकराते हुए बचा ।
गौरव ने कार का दरवाजा खोला और बाहर निकल गया । उनकी कार इस वक्त एक ब्रिज के बीचों बीच खड़ी थी। उस ब्रिज के नीचे से एक नदी बहती हुई जा रही थी । ब्रिज पर इक्का दुक्का ही गाड़ियां जा रही थी । गौरव वही रेलिंग के पास आया और उसने गुस्से में अपने बालो में हाथ फिराया और वही खड़े होकर अपना गुस्सा कंट्रोल करने लगा ।
उत्साह और खुशी ने डिनर कर लिया था । खुशी अपने कमरे में जा रही थी तभी उसके कानो में उत्साह की आवाज सुनाई दी जो उसे ही बुला रहा था ।
" हेय सुनो .... "
" क्या हुआ Mr प्रेसिडेंट ? " खुशी ने उसके सामने जाकर कहा ।
" ये तुम्हारे लिए ... " उत्साह ने उसके सामने एक बॉक्स बढ़ा कर कहा ।
" ये क्या है ? " खुशी ने बॉक्स लिया और खोल कर देखा तो उसमे एक फोन था ।
" मुझे इसकी जरूरत नही है ... मैं ले लूंगी ... " खुशी उसे उत्साह को वापस देना चाहा लेकिन उसने मना कर दिया ।
" तुमने कहा था कि पर्स के साथ तुम्हारा फोन भी चला गया ... और बिना फोन के कोई काम नहीं होता ... कभी तुम्हे जरूरत पड़ी किसी चीज की और मुझे कहना हुआ तो ... ये तुम रखो .. गुड नाईट ... " उत्साह ने कहा और वहां से 100 की स्पीड से भागा ।
उत्साह को समझ नही आ रहा था कि वो क्या बहाना बनाए । असल में तो वो खुशी के लिए ये गिफ्ट लेकर आया था लेकिन उसे समझ नही आ रहा था कि वो कैसे उसे दे तभी उसके दिमाग की बत्ती जली और उसने ये बहाना बनाया और खुशी को वो फोन पकड़ा कर चला गया ।
यहां खुशी ने उत्साह को जाते हुए देखा फिर फोन को और खुशी से फुदकते और झूमते हुए वो वहां से अपने कमर में चली गई । उत्साह वही सीढ़ियों से पीछे से छुप कर ये सब देख रहा था , वो समझ गया कि खुशी को वो फोन पसंद आया । उसने अपने बालो के हांथ फिराया और फिर मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चला गया ।
गौरव अभी वहीं खड़ा था कि तभी उसके बगल में चित्रा आकर खड़ी होती है । गौरव उसे देखता है तो वो अपनी नशीली आंखों से उसे ही देख रही होती है ।
" तुम्हे कुछ समझ नहीं आता ना .. मना नही कर सकती थी उस लड़के को अपने साथ डांस करने के लिए ... नही तुम्हे तो शो ऑफ करना है ना .." गौरव अपना गुस्सा चित्रा पर निकाल रहा था ।
" तुम ये ठीक नही कर रहे हो ... " चित्रा ने लड़खड़ाती आवाज में कहा ।
" हां और जो तुम उसके साथ डांस कर रही थी वो ठीक था है ना ? और क्या गलत कर रहा हूं मैं ? " गौरव ने गुस्से में अपने हांथ बांधते हुए कहा ।
" तुम इतने हेंडसम नही दिख सकते ... तुम इतने हॉट दिख रहे हो कि मैं खुद को कंट्रोल नही कर पा रही हूं ..." चित्रा ने नशीली आंखों से मुस्कुराते हुए गौरव को देख कर कहा। चित्रा उसके करीब आई और उससे कहा ।
" हेय .. गौरव बेबी ... You know how much I like you ? "
( तुम्हे पता है मैं तुम्हे कितना पसंद करती हूं ? " चित्रा ने नशे में गौरव के कंधे पर अपना सिर रखा और उसकी शर्ट के बटन से खेलते हुए कहा ।
" क्या मुझे ? "
" Yes you ... ( हां तुम्हे ) " चित्रा ने अपनी उंगली उसके चेहरे पर फिरा कर कहा । गौरव बहुत ध्यान से उसकी हर हरकत देख रहा था ।
" बहुत ज्यादा पसंद करती हूं तुम्हे ... पता है आज है आज मैं यहां तुम्हे क्यों लेकर आई हूं ? " चित्रा ने कहा तो गौरव ने अपना सिर ना में हिला दिया ।
" ताकि मैं बता सकूं कि मैं तुमसे कितना ज्यादा प्यार करती हूं ... ( चिल्ला कर ) I love you gaurav ..... "
चित्रा इतने जोर से चिल्लाई थी कि उसकी आवाज का शोर गूंज उठा । उसके इजहार से गौरव आंखे फाड़े उसे देख रहा था और यहां चित्रा नशे में चूर मुस्कुराए जा रही थी लेकिन अगले ही पल वो दुखी हो गई ।
" लेकिन ... तुम .. मुझे पसंद ही नही करते ... " ये कह कर उसका चेहरा लटक जाता है ।
" मैं तुम्हे .... " वो आगे कुछ कह पाती उससे पहले ही कुछ ऐसा होता है कि चित्रा की आंखे हैरानी से बड़ी हो जाती है और उसका नशा एक झटके में उतर जाता है ।
To be continued ....
• क्या हुआ आगे ?
• क्या हुआ जो चित्रा के होश उड़ गए ?
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" Love me Mister President "
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स्वेक्षिता 🦋🦋 खुशी 🦋🦋