सीज़न 1: जागृति और मित्रता "आकाश का वंशज: पंचतत्व गाथा" का पहला सीज़न दर्शकों को एक ऐसी दुनिया से परिचित कराता है जहाँ मानवता की शक्ति पाँच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और पौराणिक आकाश—से जुड़ी है। कहानी का केंद्र है आरव, शांतिवन गाँव का एक दयालु... सीज़न 1: जागृति और मित्रता "आकाश का वंशज: पंचतत्व गाथा" का पहला सीज़न दर्शकों को एक ऐसी दुनिया से परिचित कराता है जहाँ मानवता की शक्ति पाँच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और पौराणिक आकाश—से जुड़ी है। कहानी का केंद्र है आरव, शांतिवन गाँव का एक दयालु लड़का, जिसे "तत्वहीन" होने के कारण समाज से बहिष्कृत किया जाता है। उसका जीवन तब बदल जाता है जब एक तात्विक-जानवर के हमले के दौरान वह अनजाने में अपनी छिपी हुई, रहस्यमयी शक्ति का प्रदर्शन करता है। इस घटना को दिव्य ज्ञान पीठ अकादमी के रहस्यमयी गुरु वशिष्ठ महसूस कर लेते हैं और आरव को अपने साथ ले जाते हैं। अकादमी में, आरव की मुलाकात तीन प्रतिभाशाली छात्रों से होती है जो उसके भविष्य को हमेशा के लिए बदल देंगे: अग्नि गणराज्य की घमंडी और शक्तिशाली राजकुमारी रिया; वायु कुल का शांत और बुद्धिमान रणनीतिकार समीर; और पृथ्वी राज्य की दयालु और अटूट रक्षक भैरवी। अपनी तत्वहीनता के कारण संघर्ष करते हुए, आरव गुरु वशिष्ठ के विशेष प्रशिक्षण के तहत अपनी आंतरिक क्षमताओं को खोजना शुरू करता है। एक खतरनाक मिशन पर, यह अप्रत्याशित चौकड़ी आपसी मतभेदों को दूर कर एक-दूसरे पर भरोसा करना सीखती है और एक अटूट टीम बन जाती है। सीज़न का समापन भव्य पंचतत्व महासंग्राम में होता है, जहाँ आरव अपनी चतुराई से सबको आश्चर्यचकित करता है और रिया का सम्मान जीतता है। लेकिन जीत के जश्न के बीच, स्टेडियम पर "निर्-तत्व" नामक रहस्यमयी हमलावरों का आक्रमण होता है, जो तत्व-शक्ति को सोख लेते हैं। इस अराजकता के बीच, आरव अपने दोस्तों को बचाने के लिए अपनी शक्ति का एक और विनाशकारी प्रदर्शन करता है। सीज़न एक रोमांचक क्लिफहैंगर पर समाप्त होता है, जहाँ एक बड़े षड्यंत्र का पर्दाफाश होना बाकी है और नायकों की असली यात्रा अभी शुरू हुई है।
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Chapter 1
गुरु वशिष्ठ की अंतिम साँस ने हवा में एक काँपती हुई लहर पैदा की थी, और उनके शरीर से निकली ऊर्जा ने तत्व-केंद्र को घेरने वाले अस्थाई सुरक्षा कवच को आखिरी सहारा दिया था। लेकिन वह कवच भी अब टूट रहा था। कलासुर ने, अपनी विजयी मुस्कान के साथ, अपने शून्य-ऊर्जा के विशाल पंजे को आरव और उसके घायल दोस्तों की ओर बढ़ाया था – रिया, समीर और भैरवी, जो अब दर्द और थकान से चूर, अपनी आखिरी साँसें गिन रहे थे। रिया ने अपनी बची हुई ऊर्जा से एक छोटी सी आग की लौ जलाई थी, एक आखिरी, हताश कोशिश, लेकिन वह भी बुझने वाली थी। कलासुर का पंजा उनके ठीक ऊपर मंडरा रहा था, तबाही लाने के लिए तैयार।
ठीक उसी पल, आरव की आँखें खुलीं।
उसकी आँखों में अब वह जाना-पहचाना भूरा रंग नहीं था, न ही कोई डर, कोई दुख, या कोई मानवीय भावना। वे आँखें अब गहरे, अनंत शून्य की तरह थीं – पर उस शून्य में भी एक ऐसी शांति थी, एक ऐसी चमक थी, जिसे कभी किसी ने नहीं देखा था। यह प्रकाश या अंधकार नहीं था, बल्कि उन दोनों का सार था। उसका शरीर हवा में स्थिर था, पैरों से धरती छू भी नहीं रही थी। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, सिवाय एक गहरी, अटूट शांति के।
एक हाथ बिना किसी प्रयास के ऊपर उठा और उसने कलासुर के विशाल, शून्य-ऊर्जा से बने पंजे को हवा में ही रोक दिया। उस भयानक शक्ति के आगे आरव का हाथ एक नगण्य बिंदु लग रहा था, लेकिन वह अड़िग था। कलासुर का पंजा आरव के हाथ से टकराते ही एक झटके से रुक गया, जैसे कोई अदृश्य दीवार उससे टकरा गई हो। हवा में एक अजीब सी खामोशी छा गई। शून्य की वह विनाशकारी ऊर्जा आरव के शरीर के चारों ओर एक काँपती हुई आभा बनाने लगी, लेकिन वह उसे छू नहीं पा रही थी।
आरव का दूसरा हाथ उठा, और उसने उस आग की लौ को थामा जो रिया ने बड़ी मुश्किल से जलाई थी, जो अब बुझने के कगार पर थी। उसकी उंगलियाँ उस लौ को छूती हैं और वह लौ, जो बुझने वाली थी, अचानक फिर से चमक उठी, अपनी पूरी शक्ति के साथ जलने लगी, पहले से भी कहीं अधिक जीवंत। आरव ने उस लौ को अपनी हथेली में समेट लिया, जैसे वह कोई कीमती रत्न हो, और फिर धीरे से उस लौ को रिया की ओर लौटा दिया। वह लौ वापस रिया के शरीर में समा गई, और रिया को एक हल्का सा झटका लगा।
कलासुर की आँखों में पहली बार आश्चर्य का भाव आया। उसकी गहरी, काली पुतलियाँ आरव पर टिकी थीं, जो अब आकाश-पुरुष में रूपांतरित हो चुका था। उसने अपनी पूरी शक्ति से प्रहार किया था, ऐसा प्रहार जो पूरी दुनिया को एक पल में राख कर सकता था, और उस छोटे से मनुष्य ने उसे रोक दिया था। सिर्फ रोका ही नहीं, बल्कि एक नश्वर की मरती हुई शक्ति को पुनर्जीवित भी कर दिया था।
"यह... यह क्या है?" कलासुर की आवाज हवा में गूँजी, जिसमें क्रोध से ज्यादा अविश्वास था। "यह शक्ति... यह कहाँ से आई?"
रिया, समीर, और भैरवी, जो दर्द और थकान से बेजान हो चुके थे, इस अविश्वसनीय दृश्य को अपनी आँखों से देख रहे थे। समीर ने अपनी आँखों पर विश्वास नहीं कर पा रहा था। उसका शरीर काँप रहा था, पर दर्द से नहीं, बल्कि उस भयानक शक्ति को देखकर।
"आरव...?" रिया की आवाज मुश्किल से निकली। उसके शरीर में कुछ ऊर्जा वापस लौट आई थी, और वह धीरे-धीरे उठने की कोशिश कर रही थी। "तुम... तुम ठीक हो?"
आरव ने धीरे से उसकी ओर देखा। उसकी शून्य आँखों में कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, लेकिन उसके होठों पर एक बहुत हल्की, लगभग अदृश्य मुस्कान आई। यह मुस्कान वैसी नहीं थी जैसी आम आरव की होती थी, यह कुछ और ही थी – अनंत और रहस्यमयी।
"शांत हो जाओ, रिया," आरव की आवाज गूँजी। उसकी आवाज अब पहले जैसी नहीं थी। उसमें एक गहरी प्रतिध्वनि थी, जैसे अनंत आकाश स्वयं बोल रहा हो। "तुम सुरक्षित हो। तुम सब सुरक्षित हो।"
यह कहते ही, आरव के शरीर से एक शांत, लेकिन शक्तिशाली, ऊर्जा की लहर निकली। वह लहर उसके चारों ओर एक गोला बनाती हुई, रिया, समीर और भैरवी की ओर बढ़ी। जैसे ही वह ऊर्जा उन्हें छूती है, उनके शरीर में एक गर्म और सुखद सनसनी फैल जाती है। उनके घाव, जो अभी कुछ पल पहले तक उन्हें चीखने पर मजबूर कर रहे थे, धीरे-धीरे भरने लगे। उनकी हड्डियों का दर्द, उनकी मांसपेशियों की ऐंठन, सब शांत होने लगा।
भैरवी ने अपनी खुली आँखों से अपनी हथेलियों को देखा। उसके हाथों पर जो गहरे घाव थे, वे अब केवल हल्के निशान रह गए थे। "यह... यह कैसे हो रहा है?" वह फुसफुसाई। उसकी आँखों में अभी भी दर्द था, लेकिन अब उस दर्द के ऊपर आशा की एक परत चढ़ गई थी।
समीर ने एक गहरी साँस ली, जैसे उसने अभी-अभी पानी में डूबने से खुद को बचाया हो। "यह आरव है...?" उसने पूछा, उसकी आवाज में अविश्वास था। "पर वह... वह पहले जैसा नहीं है।"
कलासुर ने अपनी आवाज में एक गहरी, शून्य-ऊर्जा भरी। "तुमने अपने अंदर क्या समेटा है, नश्वर? यह... यह अनंतता है! तुम इसके योग्य नहीं हो! शून्य तुम्हें निगल जाएगा!" उसकी आँखों में क्रोध और अविश्वास की जगह अब कुछ हद तक घबराहट दिखाई देने लगी थी। उसने अपनी पूरी शक्ति से अपना पंजा आरव की ओर और तेजी से धकेला, लेकिन आरव का हाथ टस से मस नहीं हुआ।
आरव ने कलासुर की ओर देखा। उसकी शांत आँखों में कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, जैसे वह कलासुर के शब्दों को सुन ही नहीं रहा था, या फिर वे शब्द उसके लिए अर्थहीन थे। "मैं शून्य को समझता हूँ, कलासुर," आरव की आवाज में वही गहरी प्रतिध्वनि थी। "शून्य विनाश नहीं है। शून्य वह आधार है जिस पर सब कुछ बनता है। और अब, मैं उसे जानता हूँ।"
यह कहते ही, आरव ने अपने हाथ में कलासुर के पंजे से आ रही शून्य ऊर्जा को महसूस किया। कलासुर ने पहले सोचा था कि आरव उसे रोक रहा है, लेकिन अब उसे महसूस हुआ कि आरव सिर्फ रोक नहीं रहा था। आरव उस ऊर्जा को सोख रहा था। वह शून्य की विनाशकारी शक्ति को अपने भीतर खींच रहा था, जैसे प्यासी धरती पानी को सोख लेती है। कलासुर ने देखा कि उसकी शक्ति आरव के शरीर में समा रही थी, और आरव का शरीर उस शक्ति को किसी अज्ञात रूप में बदल रहा था।
रिया ने देखा कि आरव के शरीर के चारों ओर एक सूक्ष्म, इंद्रधनुषी आभा बन रही थी, जो कलासुर की काली, शून्य ऊर्जा से टकरा रही थी और उसे शांत कर रही थी। "वह... वह उसे बेअसर कर रहा है," रिया फुसफुसाई, उसकी आँखों में awe था।
"यह असंभव है!" कलासुर दहाड़ा। उसकी आवाज में अब स्पष्ट रूप से भय झलक रहा था। "कोई भी शून्य की ऊर्जा को सोख नहीं सकता! कोई भी नहीं! यह सिर्फ विनाश ला सकता है!"
"तुम्हारी सोच सीमित है, कलासुर," आरव ने कहा। उसके चेहरे पर अब भी वही अनंत शांति थी। "विनाश केवल एक दृष्टिकोण है। जहाँ तुम अंत देखते हो, मैं वहाँ शुरुआत देखता हूँ।"
आरव ने धीरे से अपने हाथों को कलासुर के पंजे से हटाया। जैसे ही उसके हाथ हटे, कलासुर का विशाल पंजा, जो शून्य ऊर्जा से बना था, हवा में ही बिखर गया, जैसे रेत का महल हवा के झोंके से बिखर जाए। वह विशालकाय, डरावना पंजा अब कुछ नहीं था – बस हवा में बिखरती हुई, शांतिपूर्ण ऊर्जा के कण।
कलासुर कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गया। उसके शरीर में कंपन हो रहा था, पहली बार उसने अपनी शक्ति को इतना बेबस होते देखा था। यह वह आरव नहीं था जिसे उसने कुछ देर पहले आसानी से हरा दिया था। यह कुछ और ही था। यह कुछ ऐसा था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
"तुम... तुम कौन हो?" कलासुर ने पूछा, उसकी आवाज में अब भी क्रोध था, लेकिन उसके साथ एक अजीब सा डर भी घुल गया था।
आरव ने एक गहरी साँस ली, जो साँस लेने जैसी नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की ऊर्जा को अपने भीतर खींचने जैसी थी। "मैं वह हूँ जो संतुलन लाता है, कलासुर," उसने कहा, और उसकी आवाज में अब कोई संदेह नहीं था। "मैं वह हूँ जो विनाश को सृजन में बदल सकता हूँ।"
आरव ने अपने दोस्तों की ओर देखा। वे अब पूरी तरह से ठीक हो चुके थे, दर्द और चोट का कोई निशान नहीं था। उनकी आँखों में अभी भी हैरानी थी, लेकिन अब उसमें एक नई आशा और एक गहरी श्रद्धा भी थी।
"तुम सब यहीं रहो," आरव ने कहा। "तुम्हें मेरी आवश्यकता होगी। लेकिन अभी नहीं।"
वह कलासुर की ओर मुड़ा। कलासुर ने अब तक खुद को संभाल लिया था, और उसकी आँखों में फिर से पुरानी नफरत और विनाश की इच्छा लौट आई थी। वह समझ गया था कि यह अब पहले जैसी लड़ाई नहीं होगी। यह एक ऐसे दुश्मन के खिलाफ लड़ाई थी, जो उसके अपने अस्तित्व के नियमों को ही तोड़ रहा था।
"तुमने एक गलती की है, आकाश-पुरुष," कलासुर ने अपनी पूरी ताकत से दहाड़ा। "तुमने अपने अंदर एक ऐसी शक्ति को समेट लिया है जिसे तुम नियंत्रित नहीं कर पाओगे। अंत में, तुम भी शून्य में विलीन हो जाओगे।"
आरव ने उसकी बात अनसुनी कर दी। वह धीरे-धीरे कलासुर की ओर बढ़ा, जैसे कोई शांत झील अपनी गहराई में किसी तूफान को समेट रही हो।
"यह लड़ाई अब खत्म होगी, कलासुर," आरव ने कहा। "और यह केवल शारीरिक लड़ाई नहीं होगी।"
कलासुर ने अपनी पूरी शक्ति से एक और हमला करने के लिए तैयार हुआ, लेकिन इस बार वह अपनी पुरानी चालों से नहीं, बल्कि अपनी पूरी शून्य शक्ति के साथ।
"आओ, तो फिर!" कलासुर ने गर्जना की, और उसके चारों ओर की हवा शून्य की ऊर्जा से काली पड़ने लगी। "देखते हैं कि तुम्हारा 'संतुलन' मेरे 'शून्य' का कब तक सामना कर पाता है!"
आरव ने एक पल के लिए अपनी आँखें बंद कीं, फिर उन्हें खोला। उसकी आँखें पहले से भी अधिक शांत और गहरी थीं। वह जानता था कि असली लड़ाई अब शुरू हो रही थी – एक ऐसी लड़ाई जो केवल शक्तियों की नहीं, बल्कि अस्तित्व के अर्थ की थी। वह उसके सामने विशालकाय कलासुर को देख रहा था, जो अब अपने पूरे भयानक रूप में सामने आ चुका था। आरव ने अपनी हथेली खोली, और उसकी हथेली से एक शांत, सफेद ऊर्जा निकलने लगी, जो कलासुर की काली ऊर्जा के बिल्कुल विपरीत थी।
लड़ाई शुरू हो चुकी थी।
Chapter 2
कलासुर की दहाड़ हवा में गूँजी और उसके विशाल, शून्य-ऊर्जा से बने शरीर से एक गहरी, काली आभा निकली, जो चारों ओर फैलने लगी। तत्व-केंद्र का द्वीप, जो पहले ही कलासुर के हमलों से चरमरा रहा था, अब इस नई ऊर्जा के दबाव से काँप उठा। जमीन में दरारें पड़ने लगीं, हवा में एक भयानक सन्नाटा छा गया, और आकाश का रंग गहरा काला होने लगा। यह शुद्ध विनाश की ऊर्जा थी, जो हर चीज़ को शून्य में बदलने को आतुर थी। कलासुर का लक्ष्य आरव को एक ही झटके में मिटा देना था, ठीक वैसे ही जैसे उसने अग्नि गणराज्य की राजधानी को मिटाया था।
आरव ने एक गहरी, शांत साँस ली, जैसे वह हवा से भी कुछ अधिक अपने भीतर खींच रहा हो। उसने अपने हाथों को धीरे से ऊपर उठाया। उसके शरीर से एक शांत, लेकिन अत्यंत शक्तिशाली, नीली-सफेद आभा निकली, जिसने उसके चारों ओर एक अदृश्य घेरा बना दिया। यह कोई सामान्य शक्ति नहीं थी, यह आकाश-तत्व का शुद्धतम रूप था – ब्रह्मांड का मूल आधार।
रिया, समीर, और भैरवी अभी भी वहीं खड़े थे, आरव के पीछे, उनकी चोटें लगभग भर चुकी थीं, लेकिन शरीर अभी भी थका हुआ था। वे इस अविश्वसनीय दृश्य को अपनी आँखों पर विश्वास किए बिना देख रहे थे। आरव ने उनकी ओर बिना मुड़े ही अपना एक हाथ बढ़ाया, और उस नीली-सफेद ऊर्जा का एक हिस्सा उनके चारों ओर एक सुरक्षात्मक क्षेत्र बनाता हुआ फैल गया। जैसे ही यह क्षेत्र उन्हें छूता है, वे एक आरामदायक गर्माहट महसूस करते हैं, जैसे किसी माँ की गोद में सुरक्षित बैठे हों।
"शांत रहो," आरव की आवाज गूँजी, जिसमें अब भी वही ब्रह्मांडीय प्रतिध्वनि थी। "यह क्षेत्र तुम्हें सुरक्षित रखेगा।"
कलासुर ने अपनी आँखों को क्रोध से सिकोड़ा। "सुरक्षा? नश्वर! इस शून्य के आगे कोई सुरक्षा नहीं!" उसने अपने विशाल हाथ को हवा में उठाया, और उसकी हथेली से एक विनाशकारी, काली-बैंगनी रंग की बीम निकली – शून्य की सबसे घातक ऊर्जा, जो हर चीज़ को मिटा देने में सक्षम थी। वह बीम एक चीखती हुई हवा की तरह सीधी आरव की ओर बढ़ी, रास्ते में आने वाली हर चीज़ को अपने साथ समेटते हुए।
आरव टस से मस नहीं हुआ। उसकी शांत आँखें उस आती हुई बीम पर टिकी थीं, जैसे वह उसे सिर्फ देख नहीं रहा था, बल्कि उसे समझ रहा था, उसका विश्लेषण कर रहा था। जैसे ही वह बीम आरव से कुछ ही इंच दूर थी, आरव ने अपना हाथ आगे बढ़ाया, अपनी खुली हथेली को सीधे उस विनाशकारी ऊर्जा के सामने कर दिया।
समीर ने डर के मारे अपनी आँखें बंद कर लीं। रिया ने अपना हाथ भैरवी के कंधे पर रख दिया, उसकी साँसें रुक गई थीं। उन्हें लगा कि आरव अब खत्म हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जैसे ही शून्य-ऊर्जा की बीम आरव की हथेली से टकराई, एक अजीब सा दृश्य सामने आया। बीम ने आरव के हाथ को छेदने की बजाय, उसमें समाना शुरू कर दिया। वह काली-बैंगनी ऊर्जा आरव की हथेली में एक घूमते हुए भंवर की तरह समाने लगी, जैसे किसी ने किसी विशालकाय दानव को एक छोटे से बोतल में बंद करना शुरू कर दिया हो।
कलासुर की आँखें बड़ी हो गईं। "क्या...? यह असंभव है! तुम मेरी ऊर्जा को कैसे...?"
आरव ने कलासुर की बात अनसुनी कर दी। उसकी आँखों में अब एक हल्की, सुनहरी चमक आ गई थी, जैसे वह उस शून्य ऊर्जा को अपने भीतर संसाधित कर रहा हो। कुछ पलों के लिए, आरव का शरीर उस भयानक शक्ति के कारण काँपने लगा, लेकिन यह कंपन कमजोरी का नहीं, बल्कि ऊर्जा के गहन रूपांतरण का था। उसकी त्वचा पर हल्की-हल्की लकीरें दिखाई देने लगीं, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा से भरी थीं।
फिर, कंपन थम गया। आरव ने धीरे से अपनी मुट्ठी बंद की, और जैसे ही उसने ऐसा किया, कलासुर की पूरी शून्य-ऊर्जा बीम उसके शरीर में पूरी तरह से समा गई। वह गायब हो गई, जैसे कभी थी ही नहीं।
कलासुर ने अपनी आँखों में डर और क्रोध के साथ आरव को देखा। "तुमने... तुमने क्या किया?"
आरव ने अपनी मुट्ठी धीरे से खोली। उसकी हथेली पर अब वह काली-बैंगनी ऊर्जा नहीं थी। उसकी जगह, एक शांत, शुद्ध, सुनहरा प्रकाश चमक रहा था। वह प्रकाश इतना शुद्ध और निर्मल था कि उसे देखकर ही मन को शांति मिलती थी। यह शून्य की ऊर्जा थी, लेकिन अब उसे शुद्ध तात्विक ऊर्जा में बदल दिया गया था – जीवन का सार।
"मैंने उसे बदल दिया, कलासुर," आरव की आवाज हवा में गूँजी, जैसे वह हर कण में समा गई हो। "जो तुम विनाश के लिए उपयोग करते हो, उसे मैंने सृजन के लिए उपयोग किया है।"
उसने अपनी हथेली में उस सुनहरे प्रकाश को देखा, और फिर धीरे से उसे हवा में छोड़ दिया। वह प्रकाश हवा में घुल गया, और जहाँ वह घुला, वहाँ मुरझाई हुई घास फिर से हरी होने लगी, और जमीन में पड़ी दरारों में से छोटे-छोटे फूल उगने लगे। यह सब एक पल में हुआ, जैसे प्रकृति स्वयं पुनर्जीवित हो रही हो।
रिया ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया। "वह... वह उसकी शक्ति को जीवन में बदल रहा है!"
"यह चमत्कार है!" भैरवी ने फुसफुसाया, उसकी आँखों में चमक थी।
समीर ने भी सिर हिलाया। "यह सिर्फ चमत्कार नहीं है, भैरवी। यह संतुलन है।"
कलासुर ने अपने मुँह से एक भयावह गुर्राहट निकाली। "संतुलन? यह बकवास है! अस्तित्व केवल विनाश की ओर बढ़ता है! पीड़ा की ओर! तुम एक भ्रम में जी रहे हो, नश्वर!"
आरव ने कलासुर की ओर देखा, उसकी आँखें अब भी शांत थीं। "तुम केवल एक पहलू देखते हो, कलासुर। तुम शून्य को केवल अंत के रूप में देखते हो। लेकिन शून्य केवल अनुपस्थिति नहीं है। यह संभावना है। यह वह कैनवास है जिस पर सृजन किया जा सकता है।"
कलासुर ने अपने विशाल शरीर को हिलाया, जिससे जमीन काँप उठी। "तुम मुझे ज्ञान देने आए हो? मुझे, जो इस ब्रह्मांड के जन्म से पहले से अस्तित्व में हूँ? मुझे, जिसने अरबों दुनियाओं को उनके मूल शून्य में विलीन होते देखा है?"
"तुमने उन्हें विलीन होते देखा होगा," आरव ने कहा, उसकी आवाज में कोई घमंड नहीं था, केवल एक गहरी समझ थी। "लेकिन तुमने उन्हें बनते नहीं देखा। तुमने उनके भीतर के प्रेम, आशा, और संघर्ष को नहीं देखा। हर अंत में एक नई शुरुआत होती है, कलासुर। और हर विनाश में, सृजन की संभावना छिपी होती है।"
आरव ने अपने हाथ में एक और छोटा सा सुनहरा प्रकाश बनाया, और उसे अपनी हथेली पर रखा। "मैं विनाश को सृजन में बदल सकता हूँ। यही संतुलन है। तुम जो कुछ भी मुझे दोगे, मैं उसे परिवर्तित करूँगा। तुम्हारी शून्य-ऊर्जा मेरे लिए केवल एक स्रोत है, एक कच्चा माल, जिससे मैं नई चीज़ें बना सकता हूँ।"
कलासुर ने दहाड़ा, उसकी आवाज अब और भी भयावह हो गई। "यह घमंड है! तुम मुझे चुनौती दे रहे हो! तुम्हें लगता है कि तुम मुझसे जीत सकते हो? मैं अनंत शून्य का प्रतीक हूँ! मैं कभी हारा नहीं हूँ, और कभी हारूँगा नहीं!"
आरव ने कलासुर की ओर एक और कदम बढ़ाया, उसकी शांत उपस्थिति कलासुर के क्रोध के बिल्कुल विपरीत थी। "जीतना या हारना केवल एक पक्षपाती विचार है, कलासुर। मैं तुम्हें हराने नहीं आया हूँ। मैं तुम्हें संतुलित करने आया हूँ। मैं तुम्हें अपनी जगह पर रखने आया हूँ।"
कलासुर ने अपने हाथों को ऊपर उठाया, और उसके चारों ओर की हवा में शून्य की ऊर्जा का एक विशाल गोला बनने लगा, जो पहले से कहीं अधिक विनाशकारी लग रहा था।
"तुम इसे नहीं बदल पाओगे!" कलासुर चिल्लाया। "यह शुद्ध विनाश है! यह तुम्हें निगल जाएगा!"
आरव ने बिना किसी भय के उस आते हुए गोले को देखा। उसकी आँखों में अब एक हल्की सी चमक थी, जैसे उसे कलासुर की शक्ति में कुछ ऐसा दिख रहा हो जो कलासुर खुद नहीं देख पा रहा था। वह जानता था कि कलासुर अपनी पूरी ताकत से हमला करने वाला था, और यह हमला पहले से कहीं अधिक भयानक होगा। लेकिन आरव भी तैयार था।
"मैं तुम्हें दिखाऊँगा, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज में एक अजीब सा दृढ़ संकल्प था। "मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि संतुलन क्या होता है।"
दोनों एक-दूसरे के सामने खड़े थे, एक तरफ विनाश का प्रतीक, दूसरी तरफ संतुलन का नया अवतार। हवा में तनाव बढ़ गया था। यह सिर्फ एक लड़ाई नहीं थी, यह एक दार्शनिक युद्ध था – अस्तित्व और अनस्तित्व के बीच। और इस युद्ध में, आरव ने अपनी अंतिम ढाल, अपने अंतिम हथियार का प्रदर्शन किया था – संतुलन की शक्ति, जो विनाश को सृजन में बदलने की क्षमता रखती थी। लड़ाई अभी शुरू ही हुई थी, और यह स्पष्ट था कि यह किसी भी पिछली लड़ाई से कहीं अधिक गहरी और विनाशकारी होगी।
Chapter 3
कलासुर की गर्जना से पूरा तत्व-केंद्र काँप उठा। उसने अपने हाथों में शून्य की ऊर्जा का एक विशाल गोला बनाया था, जो इतना घना और काला था कि प्रकाश भी उसमें समाता हुआ लगता था। वह गोला हवा में तेज़ी से घूम रहा था, अपने केंद्र में हर चीज़ को खींचने की कोशिश कर रहा था। उसकी आँखें लाल थीं, और उसके चेहरे पर विनाश का जुनून साफ दिख रहा था। "यह तुम्हें निगल जाएगा, आकाश-पुरुष! तुम इसे बदल नहीं पाओगे! यह अनंत शून्य है!" उसने चिल्लाते हुए वह गोला आरव की ओर फेंका।
आरव ने उस विशालकाय, विनाशकारी गोले को अपनी शांत आँखों से देखा। उसके चेहरे पर कोई डर नहीं था, कोई घबराहट नहीं थी, केवल एक गहरी समझ थी। उसने अपने हाथ नहीं उठाए, न ही कोई सुरक्षा कवच बनाया। इसके बजाय, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। एक पल के लिए, उसके चारों ओर की हवा शांत हो गई, जैसे ब्रह्मांड ने अपनी साँस रोक ली हो।
रिया, समीर और भैरवी आरव के पीछे खड़े थे, उनके दिल ज़ोर से धड़क रहे थे। समीर ने अपनी मुट्ठी भींच ली। "आरव, क्या कर रहा है?!" उसने फुसफुसाया। "वह उसे सीधे क्यों नहीं रोक रहा?"
कलासुर का शून्य-गोला अविश्वसनीय गति से आरव की ओर बढ़ रहा था, और ऐसा लग रहा था कि वह एक पल में आरव को राख कर देगा।
ठीक उसी क्षण, आरव ने अपनी आँखें खोलीं। उनकी गहराई अनंत शून्य की तरह थी, पर उसमें अब एक सुनहरी चमक थी। उसके शरीर से नीली-सफेद ऊर्जा का एक सूक्ष्म, लेकिन शक्तिशाली, प्रवाह निकला, जो उसके चारों ओर एक अदृश्य तरंग की तरह फैल गया। यह कोई हमला नहीं था, बल्कि वास्तविकता को मोड़ने की एक कोशिश थी।
जैसे ही कलासुर का शून्य-गोला आरव के पास पहुँचा, उसने आरव से टकराने की बजाय, उसके चारों ओर घूमना शुरू कर दिया। आरव ने उस गोले को अपने केंद्र में ले लिया, और फिर, अविश्वसनीय रूप से, उसने अपनी शक्ति से उस गोले की गति को नियंत्रित करना शुरू कर दिया। वह गोला, जो विनाशकारी ऊर्जा से भरा था, अब आरव के चारों ओर एक विशालकाय, नियंत्रित चक्रवात की तरह घूमने लगा।
"तुम... तुम क्या कर रहे हो?" कलासुर ने अविश्वास से पूछा। उसकी आवाज में पहली बार ऐसी घबराहट थी, जो उसने पहले कभी नहीं महसूस की थी।
आरव ने उस घूमते हुए गोले को अपनी आँखें बंद करके महसूस किया। "मैं तुम्हें दिखा रहा हूँ, कलासुर, कि शून्य सिर्फ अंत नहीं है," आरव की आवाज गूँजी, जैसे वह ब्रह्मांड के हर कण से आ रही हो। "यह भी एक शुरुआत है।"
और फिर, अविश्वसनीय घटना घटित हुई। आरव ने उस विशाल शून्य-गोले को अपने अंदर खींचना शुरू कर दिया। लेकिन इस बार, उसने उसे एक बिंदु पर सोखा नहीं। उसने उस गोले को अपने शरीर के चारों ओर एक अदृश्य ऊर्जा के जाल में लपेट लिया। और जैसे ही वह गोला उसके चारों ओर घूमने लगा, तत्व-केंद्र का पूरा द्वीप प्रतिक्रिया करने लगा।
जिस जमीन पर वे खड़े थे, वह अचानक रेत में बदलने लगी। एक पल में, वे एक विशाल, अंतहीन रेगिस्तान के बीच में थे। हवा में गर्म लू चलने लगी, और आकाश में चमकता हुआ सूर्य था। कलासुर ने देखा कि उसका शून्य-गोला रेत के कणों को खींच रहा था, उन्हें अपने अंदर समा रहा था।
"यह क्या है?" कलासुर ने पूछा। "तुमने यह रेगिस्तान क्यों बनाया?"
"तुम हर चीज़ को रेत में बदलना चाहते हो, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज शांत थी। "तुम दुनिया को शून्य में मिटाना चाहते हो। मैं तुम्हें दिखा रहा हूँ कि तुम्हारा विनाश भी मेरा सृजन बन सकता है।"
और फिर, आरव ने अपनी शक्ति को केंद्रित किया। रेगिस्तान के बीचों-बीच, जहाँ कलासुर का शून्य-गोला घूम रहा था, अचानक जल के फव्वारे फूटने लगे। रेत पानी में बदलने लगी, और एक पल में, विशाल रेगिस्तान एक अथाह महासागर में बदल गया। कलासुर का गोला अब गहरे नीले पानी के नीचे घूम रहा था, लेकिन उसकी विनाशकारी शक्ति अब पानी में समा रही थी, उसे शांत कर रही थी। मछलियाँ और समुद्री जीव पानी में तैरने लगे, जैसे वे हमेशा से वहाँ रहे हों।
"यह कैसे संभव है?" कलासुर दहाड़ा, अब वह क्रोध और भ्रम से भर गया था। "तुम मेरी शक्ति को अपनी इच्छा से क्यों मोड़ रहे हो?"
"यह मोड़ना नहीं है, कलासुर," आरव ने कहा। "यह संतुलन है। तुम जल को सुखाना चाहते हो, मैं उसे जीवन देता हूँ।"
तत्व-केंद्र का द्वीप अब एक विशाल महासागर था, और आरव और कलासुर उसके केंद्र में खड़े थे, पानी उनके घुटनों तक आ रहा था। रिया, समीर, और भैरवी, जो आरव के सुरक्षा कवच में थे, अब पानी के ऊपर हवा में तैर रहे थे, इस अविश्वसनीय परिवर्तन को अपनी आँखों से देख रहे थे।
"वह वास्तविकता को ही मोड़ रहा है!" रिया ने फुसफुसाया। "जैसे उसने गुरु वशिष्ठ के ग्रंथों में पढ़ा था... आकाश-तत्वधारी ब्रह्मांड के कपड़े को मोड़ सकते हैं।"
समीर ने अपने सिर को हिलाया। "यह सिर्फ मोड़ना नहीं है, रिया। वह कलासुर की विनाशकारी शक्ति को चुनौती दे रहा है, उसे अपनी ही ताकत से मार रहा है।"
कलासुर ने अपनी शक्ति को और बढ़ाया। उसने अपने चारों ओर के पानी को काला करना शुरू कर दिया, उसे शून्य में बदलने की कोशिश की। समुद्री जीव मरने लगे, और पानी में सड़न फैलने लगी। "मैं तुम्हें दिखाऊँगा, संतुलन! यह अस्तित्व एक गंदगी है! यह पीड़ा है! यह दर्द है!"
कलासुर की आवाज में एक गहरी पीड़ा थी, जैसे वह केवल विनाश का प्रतीक नहीं, बल्कि उन सभी दुखों का संवाहक था जिन्हें उसने देखा था। "तुम क्यों नहीं देखते? प्रेम केवल भ्रम है, आशा केवल एक झूठ है! अंत में, सब कुछ शून्य में लौट आता है, हर चीज़ की तरह!"
आरव ने कलासुर की ओर देखा। "तुमने केवल अंधकार देखा है, कलासुर," उसने शांत स्वर में कहा। "तुमने संघर्ष और दर्द देखा है, लेकिन तुमने उसके पीछे की ताकत को नहीं समझा। हाँ, दुनिया में दर्द है। लेकिन उस दर्द में भी प्रेम है, आशा है, और दोस्ती है।"
उसने अपने सिर को हल्का सा समीर, रिया, और भैरवी की ओर घुमाया, जो अभी भी उसके सुरक्षा घेरे में थे, और इस महासागर में तैर रहे थे। "तुम्हें लगता है कि यह सब बेमानी है?" आरव ने पूछा, उसकी आवाज में अब एक गहरी भावना आ गई थी, जो उसकी आकाश-पुरुष अवस्था की शांति से थोड़ा हटकर थी। "यह रिया है, जिसने अपने पिता की गलतियों को सुधारा और अपने लोगों को बचाया। यह समीर है, जिसने अपने कुल के लिए खुद को बलिदान करने की हिम्मत दिखाई। और यह भैरवी है, जिसने अपने राज्य को एक दीवार से नहीं, बल्कि अपने दिल से बचाया।"
उसने अपनी आवाज़ को उठाया, उसकी आँखें कलासुर पर टिकी थीं। "ये लोग कमजोर नहीं हैं। इन्होंने दर्द सहा है, इन्होंने हार देखी है, लेकिन ये कभी टूटे नहीं। इन्होंने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया। क्या तुम इसे 'शून्य' कहोगे? नहीं, कलासुर। यह जीवन है। यह वह कारण है जिसके लिए यह दुनिया लड़ने लायक है।"
कलासुर ने गुस्से से दहाड़ा। "ये सब कमजोरियाँ हैं! ये बंधन हैं जो तुम्हें नीचे खींचते हैं! अकेला शून्य ही सच्ची शक्ति है! सच्ची शांति!"
उसने अपने हाथों को ऊपर उठाया, और अब महासागर में एक भयंकर तूफान उठने लगा। पानी की विशालकाय लहरें उठने लगीं, बिजली चमकने लगी, और हवा में ज़ोरदार गर्जना गूँजने लगी। यह सब शून्य की ऊर्जा से भरा था, जो हर चीज़ को तोड़-फोड़ रहा था। तूफान इतना भयंकर था कि उसने तत्व-केंद्र के बचे हुए हिस्सों को भी अपनी चपेट में ले लिया, और उन्हें पानी में धकेलने लगा।
आरव ने आँखें बंद कर लीं, और अपनी ऊर्जा को केंद्रित किया। जैसे ही तूफान की हवाएँ आरव के चारों ओर घूमने लगीं, वे अचानक शांत होने लगीं। लहरें थमने लगीं, और बिजली की चमक गायब हो गई। महासागर अब एक शांत, नीली झील में बदल गया, जिस पर आकाश के सितारों का प्रतिबिंब दिख रहा था। ऊपर से चमकता हुआ सूरज भी गायब हो गया था, और उनकी जगह अनंत, चमचमाते सितारे आ गए थे। वे अब एक महासागर के बीच में थे, लेकिन ऊपर आकाश में अनगिनत तारे टिमटिमा रहे थे।
कलासुर ने अपने चारों ओर देखा। "तुम... तुम इस तूफान को कैसे रोक सकते हो? तुम इस वास्तविकता को कैसे बदल सकते हो?"
"यह हवा है, कलासुर," आरव ने कहा। "तुम उसे बेकाबू करना चाहते हो। मैं उसे शांति देता हूँ। तुम देखते हो कि संघर्ष दर्द लाता है, लेकिन तुम यह नहीं देखते कि संघर्ष के बिना कोई विकास नहीं होता। पत्थरों से टकराकर ही नदियाँ रास्ता बनाती हैं। तूफानों के बाद ही नई सुबह आती है।"
आरव ने अपनी ऊर्जा से हवा में कुछ बनाया। जहाँ एक पल पहले तूफान था, अब हवा में चमचमाते तारे घूम रहे थे, जो एक ब्रह्मांडीय नृत्य कर रहे थे। "यही जीवन है, कलासुर। यह केवल अच्छाई और बुराई के बारे में नहीं है। यह अस्तित्व और अनस्तित्व के बीच का संतुलन है।"
भैरवी ने ऊपर आसमान की ओर देखा। "हम... हम सितारों में हैं," उसने कहा, उसकी आँखों में awe था। "यह... यह अद्भुत है।"
रिया ने आरव की ओर देखा, उसकी आँखों में गहरी चिंता थी। "आरव... तुम कब तक यह कर सकते हो? यह बहुत सारी ऊर्जा ले रहा होगा।"
आरव ने उसकी बात सुन ली थी, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपनी पूरी एकाग्रता कलासुर पर रखी हुई थी। कलासुर की आँखों में अब एक अजीब सी चमक थी – वह समझ गया था कि यह लड़ाई सिर्फ शारीरिक नहीं थी। यह एक दार्शनिक युद्ध था, जहाँ आरव हर हमले को अपनी शक्ति से नहीं, बल्कि अपने दर्शन से बेअसर कर रहा था। वह कलासुर के विनाश को सृजन में, शून्य को संभावना में बदल रहा था।
"तुम मुझे दिखा रहे हो कि तुम मेरी शक्ति को मोड़ सकते हो, आकाश-पुरुष," कलासुर ने कहा, उसकी आवाज में अब एक शांत, लेकिन गहरा गुस्सा था। "लेकिन तुम मुझे मेरी बात से नहीं मोड़ सकते। दुनिया पीड़ा के योग्य है। और मैं उसे उसकी नियति पर ले जाऊंगा।"
कलासुर ने अपने हाथों को फैलाया, और सितारों से भरे उस शांत महासागर में, अचानक एक विशालकाय, काला पहाड़ उठने लगा। यह पहाड़ शुद्ध शून्य की ऊर्जा से बना था, और जैसे ही वह ऊपर उठा, उसने आकाश के तारों को निगलना शुरू कर दिया। उसकी चोटी पर एक अंधेरी दरार थी, जो सीधे शून्य में खुलती हुई लग रही थी।
"तुम मेरे तर्क को नहीं तोड़ सकते, आकाश-पुरुष," कलासुर ने दहाड़ा। "और तुम मुझे अस्तित्व से मिटा नहीं सकते। मैं शून्य हूँ, और शून्य को मिटाया नहीं जा सकता!"
आरव ने उस बढ़ते हुए शून्य के पहाड़ को देखा, जो हर पल बड़ा होता जा रहा था। उसे कलासुर की बात समझ में आ रही थी। कलासुर सही था। शून्य को मिटाया नहीं जा सकता। लेकिन उसे संतुलित किया जा सकता है।
आरव ने अपने चेहरे पर एक दृढ़ संकल्प का भाव लाया। "तुम्हारी बात सही है, कलासुर," उसने कहा। "तुम्हें मिटाया नहीं जा सकता। लेकिन तुम्हें सीमित किया जा सकता है।"
वह जानता था कि इस खुले आयाम में, जहां कलासुर वास्तविकता को अपने अनुसार मोड़ सकता था, यह लड़ाई कभी खत्म नहीं होगी। उसे इस लड़ाई को कहीं और ले जाना होगा। कहीं ऐसी जगह, जहाँ कलासुर की शक्ति का दायरा सीमित हो, और जहाँ वह अपनी अंतिम चाल चल सके।
कलासुर ने अपने शून्य के पहाड़ को और ऊपर उठाया, जो आरव को कुचलने के लिए तैयार था। "तुम्हें लगता है कि तुम मुझे सीमित कर सकते हो?" कलासुर ने उपहास किया। "कोई भी मुझे सीमित नहीं कर सकता!"
आरव ने अपने हाथ ऊपर उठाए, और उसकी आँखें पहले से कहीं अधिक गहरी और दृढ़ हो गईं। उसके मन में एक योजना बन रही थी – एक खतरनाक, लेकिन संभवतः एकमात्र तरीका, इस लड़ाई को हमेशा के लिए खत्म करने का। उसे कलासुर को उसके ही खेल में हराना था, उसे उसके अपने ही दायरे में कैद करना था।
"तुम गलत हो, कलासुर," आरव ने कहा। "तुम्हारे लिए, मैं एक अलग आयाम बना रहा हूँ। एक ऐसा आयाम, जहाँ तुम्हारी शक्ति का विस्तार सीमित होगा। और जहाँ यह लड़ाई खत्म होगी।"
कलासुर ने आश्चर्य से अपनी आँखें बड़ी कीं। "क्या? तुम क्या करने जा रहे हो?"
आरव ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपनी पूरी शक्ति को केंद्रित किया, और उसके शरीर से एक चमकदार, ब्रह्मांडीय ऊर्जा निकली, जो उसके चारों ओर घूमते हुए एक चक्रव्यूह बनाने लगी। वह चक्रव्यूह कलासुर और आरव दोनों को घेर रहा था, और उसके केंद्र में वह बढ़ता हुआ शून्य का पहाड़ था। समय धीमा पड़ने लगा था। यह एक नया आयाम बनाने की शुरुआत थी – एक ऐसी जगह जहाँ केवल वही दो ही रह सकते थे। यह लड़ाई अब इस दुनिया से बाहर जाने वाली थी।
Chapter 4
आरव के चारों ओर घूमता हुआ वह चक्रव्यूह तेज़ी से फैलने लगा। नीली-सफेद, ब्रह्मांडीय ऊर्जा के भंवर ने कलासुर और आरव दोनों को पूरी तरह से घेर लिया, और एक पल के लिए, तत्व-केंद्र का द्वीप, रिया, समीर, और भैरवी – सब कुछ एक चमकदार रोशनी में ओझल हो गया। हवा में एक ज़ोरदार गूँज उठी, जैसे ब्रह्मांड का कोई विशालकाय दरवाज़ा खुल और बंद हो रहा हो। एक पल की पूर्ण शून्यता, और फिर, वे कहीं और थे।
यह जगह पूरी तरह से खाली थी। कोई आकाश नहीं था, कोई जमीन नहीं थी, कोई तारे नहीं थे, कोई ग्रह नहीं थे। बस एक अंतहीन, धुंधली काली जगह, जहाँ कोई रंग नहीं था, कोई ध्वनि नहीं थी, कोई समय नहीं था। यह शून्य की सीमा थी, जहाँ अस्तित्व और अनस्तित्व के बीच की रेखा धुंधली थी। यहाँ हवा नहीं चलती थी, प्रकाश नहीं फैलता था, और गुरुत्वाकर्षण का कोई नियम नहीं था। वे दोनों, आरव और कलासुर, इस अंतहीन खालीपन में तैर रहे थे, जैसे दो अकेले कण हों।
कलासुर ने अपने चारों ओर देखा। उसकी विशाल, शून्य-ऊर्जा से बनी काया इस खालीपन में और भी विकराल लग रही थी। उसकी लाल आँखें गुस्से और अविश्वास से भरी थीं। "तुमने... तुमने क्या किया?" उसकी आवाज, जो पहले ब्रह्मांड को भेद सकती थी, अब इस शून्य में सिर्फ एक प्रतिध्वनि थी, जो कहीं खो जाती थी। "यह कौन सी जगह है? तुमने मुझे कहाँ ला पटका, नश्वर?"
आरव ने धीरे से हवा में अपने हाथ फैलाए, जैसे वह इस नए आयाम की ऊर्जा को महसूस कर रहा हो। उसकी शांत, नीली-सफेद आभा इस अंधकार में एक अकेले तारे की तरह चमक रही थी। "यह वह जगह है, कलासुर," आरव की आवाज गूँजी, जो इस बार सीधे कलासुर के मन में घुस रही थी, बिना किसी हवा या ध्वनि की आवश्यकता के। "जिसे मैंने बनाया है। केवल हम दोनों के लिए। एक अस्थायी पॉकेट आयाम।"
उसकी आवाज में कोई गर्जना नहीं थी, कोई धमकी नहीं थी, केवल एक शांत, अटल सत्य था। "यहाँ हम किसी और को नुकसान पहुँचाए बिना इस लड़ाई को खत्म कर सकते हैं। यहाँ, तुम्हारी शक्तियाँ सीमित होंगी। यहाँ, तुम किसी और दुनिया को अपने विनाश का खिलौना नहीं बना पाओगे।"
कलासुर के विशाल शरीर में एक कंपन हुआ। उसने आरव को देखा, उसकी आँखों में एक अजीब सी मुस्कान थी, जो विनाश और उपहास से भरी थी। "सीमित? मूर्ख! तुमने मुझे मेरे ही घर में ला दिया है! शून्य के करीब! यह तो मेरा पसंदीदा स्थान है!"
जैसे ही कलासुर ने यह कहा, उसके चारों ओर का खालीपन थोड़ा गहराने लगा। वह जो पहले सिर्फ धुंधला काला था, अब एक ठोस, असीम अंधकार में बदलने लगा। कलासुर के शरीर से शून्य की ऊर्जा की लहरें निकलने लगीं, और वे लहरें इस आयाम के हर कण को सोखने लगीं, उसे और भी अधिक खाली और घनीभूत शून्य में बदलने लगीं। कलासुर के शरीर पर काले, भयानक प्रतीक उभरने लगे, और उसकी आँखें पहले से कहीं अधिक लाल हो गईं।
"तुमने सोचा था कि तुम मुझे कमजोर कर दोगे?" कलासुर की आवाज आरव के मन में एक तेज़ चीख की तरह गूँजी। "तुमने मुझे शुद्ध शून्य के करीब ला दिया है! यहाँ मैं और भी शक्तिशाली हूँ! यहाँ, मेरा राज है!"
उसने अपने विशाल हाथों को फैलाया, और इस अंतहीन खालीपन से, शून्य की ऊर्जा से बने विशालकाय, भयानक राक्षस उभरने लगे। वे आकारहीन थे, लेकिन उनकी आँखें आग की तरह जल रही थीं, और उनके पंजे आरव की ओर बढ़े हुए थे। वे ऐसे लग रहे थे जैसे शुद्ध बुराई से बने हों, और उनका लक्ष्य आरव को कुचल देना था।
"यहाँ, तुम मेरे सामने कुछ नहीं हो!" कलासुर ने दहाड़ा। "तुम सिर्फ एक नश्वर हो, जो अपने छोटे से अस्तित्व पर चिपका हुआ है! मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि शून्य की सच्ची शक्ति क्या है!"
आरव ने उन आते हुए राक्षसों को देखा। वे भयानक थे, लेकिन आरव के चेहरे पर कोई बदलाव नहीं आया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, और एक गहरी साँस ली। जब उसने अपनी आँखें खोलीं, तो उसकी नीली-सफेद आभा अब और भी तीव्र हो गई थी, और उसके हाथों में शुद्ध प्रकाश की दो तलवारें बन गईं थीं – इतनी चमकदार कि वे इस खालीपन में भी अपनी राह बना रही थीं।
"तुम शून्य से राक्षस बना सकते हो, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज शांत लेकिन दृढ़ थी। "और मैं शून्य से प्रकाश बना सकता हूँ। यही अंतर है।"
उसने अपनी प्रकाश की तलवारों से उन शून्य राक्षसों पर हमला किया। जैसे ही प्रकाश की तलवारें उन राक्षसों से टकराईं, वे चीख उठे और हवा में बिखरने लगे, जैसे वे कभी थे ही नहीं। जहाँ वे बिखरते थे, वहाँ एक क्षण के लिए शुद्ध सफेद प्रकाश की चमक फैलती थी, जो तुरंत इस गहरे खालीपन में समा जाती थी।
यह लड़ाई सिर्फ शारीरिक नहीं थी। यह वास्तविकता के ही कपड़े को मोड़ना था। कलासुर शून्य से राक्षस बनाता था, आरव उन्हें प्रकाश में बदलता था। कलासुर विनाश को फैलाता था, आरव सृजन को जगाता था।
"तुम सिर्फ मुझे व्यस्त रख रहे हो, आकाश-पुरुष!" कलासुर ने गुस्से से कहा। "तुम अंत को नहीं बदल सकते! हर चीज़ का एक अंत होता है! और वह अंत शून्य है!"
उसने अपनी पूरी शक्ति से एक और विशाल शून्य राक्षस बनाया, जो पहले वाले से कहीं बड़ा और भयानक था। इसकी आँखें और भी लाल थीं, और इसके मुँह से शून्य की ऊर्जा की लपटें निकल रही थीं। यह आरव की ओर झपटा, अपने विशाल पंजों से उसे कुचलने के लिए तैयार था।
आरव ने इस बार अपनी एक तलवार को हटा लिया, और अपने दूसरे हाथ में एक छोटा सा, घूमता हुआ नीला-सफेद गोला बनाया। जब राक्षस उस पर हमला करने वाला था, आरव ने उस गोले को उसकी ओर फेंका। गोला उस राक्षस के शरीर से टकराया और उसमें समा गया। राक्षस एक पल के लिए स्थिर हो गया, और फिर, उसके अंदर से एक धीमी, स्थिर गति से प्रकाश फैलने लगा। वह राक्षस, जो कुछ ही देर पहले भयानक और विनाशकारी था, अब धीरे-धीरे एक शांत, खाली चमक में बदल रहा था, जैसे वह अपनी आत्मा को शुद्ध कर रहा हो। कुछ पलों के भीतर, वह राक्षस पूरी तरह से प्रकाश में घुल गया और इस खालीपन में समा गया।
कलासुर ने यह सब देखा, और उसकी आँखों में गहरी निराशा उतर आई। "तुम... तुम मेरी ही शक्ति को मेरे खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हो!"
"तुम शून्य को शक्ति का एकमात्र स्रोत समझते हो, कलासुर," आरव ने कहा, अब उसने अपनी दोनों प्रकाश की तलवारें हटा ली थीं। "लेकिन शून्य शक्ति का एक पहलू मात्र है। अस्तित्व का निर्माण भी शून्य से ही होता है। तुम केवल उसके विनाशकारी पक्ष को देखते हो। मैं उसके रचनात्मक पक्ष को देखता हूँ।"
कलासुर ने अपने सिर को हिलाया, उसकी विशाल काया में एक उदासी थी, जो क्रोध से ढकी हुई थी। "तुम मासूम हो, आकाश-पुरुष। तुम इस ब्रह्मांड की पीड़ा को नहीं समझते। तुम इस अस्तित्व की व्यर्थता को नहीं समझते।"
उसने आरव की ओर देखा, उसकी लाल आँखें अब आरव की आत्मा में झाँकने की कोशिश कर रही थीं। "तुम ऐसी दुनिया को बचाने के लिए क्यों लड़ रहे हो, जहाँ केवल दर्द है? जहाँ केवल संघर्ष है? जहाँ केवल लालच और नफरत है? तुम अपने ही इतिहास को देखो! तुमने युद्ध लड़े हैं, अपने ही भाइयों को मारा है, अपने ही संसाधनों को नष्ट किया है। तुम एक ऐसी दुनिया को क्यों बचाना चाहते हो जो खुद को ही नष्ट करने पर तुली है?"
कलासुर आरव के करीब आया, और उसकी आवाज अब आरव के मन में एक फुसफुसाहट की तरह गूँज रही थी, जैसे वह उसके deepest fears को जगाने की कोशिश कर रहा हो। "लोग जन्म लेते हैं, प्यार करते हैं, फिर मर जाते हैं। वे दर्द सहते हैं, धोखा खाते हैं, और अंत में धूल में मिल जाते हैं। क्या यही तुम्हारा 'अस्तित्व' है? यह केवल एक अंतहीन चक्र है, जिसमें केवल पीड़ा है। तुम खुद कितने युद्धों के गवाह बने हो? तुमने कितने लोगों को मरते देखा है? क्या वह सब व्यर्थ नहीं था?"
आरव के मन में युद्ध के मैदान की तस्वीरें कौंध गईं – अपने दोस्तों की चोटें, गुरु वशिष्ठ का बलिदान, अग्नि गणराज्य का विनाश। कलासुर उसकी कमजोरियों पर हमला कर रहा था।
"यह अस्तित्व सिर्फ एक बोझ है, आकाश-पुरुष। एक बोझ, जिसे मैं उठाने आया हूँ। मैं इसे इसके मूल स्वरूप में लौटाना चाहता हूँ – शून्य में। जहाँ कोई दर्द नहीं होगा, कोई संघर्ष नहीं होगा, कोई निराशा नहीं होगी। केवल परम शांति। वह शांति जो किसी भी खुशी से बढ़कर है, क्योंकि उसमें कोई पीड़ा नहीं छिपी होती।"
कलासुर की आवाज में एक अजीब सा आकर्षण था, जैसे वह आरव को अपने दर्शन की ओर खींच रहा हो। "कल्पना करो। कोई युद्ध नहीं। कोई भूख नहीं। कोई लालच नहीं। कोई मौत नहीं। केवल पूर्ण शून्यता, जहाँ हर चीज़ एक जैसी है, जहाँ कोई अंतर नहीं है, कोई संघर्ष नहीं है। क्या तुम्हें नहीं लगता कि यह परम मुक्ति है? क्या तुम इस पीड़ा भरी दुनिया से मुक्ति नहीं चाहते?"
उसने अपनी लाल आँखों को आरव की आँखों में गाड़ दिया। "मेरे साथ आओ, आकाश-पुरुष। शून्य की सच्ची शांति का अनुभव करो। तुम इस दुनिया को अपने भाग्य से नहीं बचा सकते। इसका अंत निश्चित है। लेकिन तुम उस अंत को स्वीकार कर सकते हो, और उसमें शांति पा सकते हो। इस अर्थहीन संघर्ष को छोड़ दो। मुझे वह करने दो जो मुझे करना है। और तुम मेरे साथ शून्य में विलीन हो जाओगे, जहाँ कोई चिंता नहीं होगी, कोई बोझ नहीं होगा।"
कलासुर के शब्दों में एक गहरा दुख था, जैसे वह सच में मानता हो कि शून्य ही अंतिम शांति है। उसकी आवाज़ आरव के मन में गूँज रही थी, उसके विचारों को चुनौती दे रही थी। वह आरव को अपनी वास्तविकता पर संदेह करने के लिए मजबूर कर रहा था। यह सिर्फ एक लड़ाई नहीं थी; यह आरव के विश्वास की परीक्षा थी। कलासुर आरव के अस्तित्व के मूल पर हमला कर रहा था। आरव को अपने विश्वासों के लिए लड़ना था, न सिर्फ अपनी शक्तियों से, बल्कि अपने दर्शन से भी। वह जानता था कि अगर कलासुर आरव को मानसिक रूप से तोड़ देता है, तो शारीरिक जीत का कोई मतलब नहीं रहेगा।
आरव ने आँखें बंद कर लीं, और एक पल के लिए इस अंतहीन शून्य में केवल कलासुर की आवाज़ और उसके अपने ही विचार थे। उसे इस सवाल का जवाब देना था – न सिर्फ कलासुर को, बल्कि खुद को भी। उसे यह समझाना था कि क्यों यह दर्द भरी दुनिया भी बचाने लायक है। और यह जवाब उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती था। वह जानता था कि इस दार्शनिक युद्ध में हारने का मतलब था सब कुछ खो देना।
Chapter 5
आरव ने अपनी आँखें बंद रखीं, लेकिन इस बार उसके चेहरे पर कोई संशय नहीं था, कोई दुविधा नहीं थी। कलासुर की बातें उसके मन में गूँज रही थीं – युद्ध, दर्द, विनाश... हाँ, उसने यह सब देखा था। उसने लोगों को मरते देखा था, दुनिया को टूटते देखा था। लेकिन उसने कुछ और भी देखा था। उसने बलिदान देखा था, प्रेम देखा था, एक-दूसरे के लिए अथक प्रयास देखा था। उसने अपने दोस्तों की आँखों में कभी न बुझने वाली आशा की चमक देखी थी।
उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं। उनकी गहराई अब एक नए, अटल संकल्प से भर गई थी। उसने कलासुर की ओर देखा, जो अभी भी इस अंतहीन शून्य में उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा था, उसकी आँखों में विजयी मुस्कान थी, जैसे वह जानता हो कि आरव के पास कोई जवाब नहीं है।
"तुमने कहा कि दुनिया सिर्फ दर्द से भरी है, कलासुर?" आरव की आवाज़ गूँजी, जो अब पहले से कहीं ज़्यादा शांत और स्पष्ट थी, जैसे वह इस विशाल खालीपन में भी एक अटल स्तंभ की तरह खड़ी हो। "हाँ, इस दुनिया में दर्द है। मैंने इसे देखा है। मैंने इसे महसूस किया है। मैंने अपने सबसे करीबियों को दर्द सहते देखा है। लेकिन क्या तुमने कभी यह सोचा कि दर्द के बिना, खुशी का कोई अर्थ नहीं होता?"
उसने धीरे से हवा में अपना हाथ उठाया, जैसे वह किसी अदृश्य बिंदु की ओर इशारा कर रहा हो। कलासुर ने उसकी ओर देखा, उसकी मुस्कान थोड़ी फीकी पड़ गई थी।
"अगर कभी अंधेरा न हो, तो तुम सितारों की चमक को कैसे पहचानोगे?" आरव ने पूछा, उसकी आवाज़ में एक गहरी सच्चाई थी। "अगर कभी उदासी न हो, तो हंसी की कीमत क्या होगी? अगर कभी हार न हो, तो जीत का जश्न कैसे मनाओगे?"
कलासुर ने गुस्से में अपने मुँह से शून्य की ऊर्जा की एक छोटी सी लपट छोड़ी, जो हवा में गायब हो गई। "यह सब मूर्खतापूर्ण तर्क है, नश्वर! यह सिर्फ तुम्हारी कमजोरी को छुपाने का तरीका है! तुम अपनी भावनाओं के गुलाम हो!"
"हाँ, मैं भावनाओं का गुलाम हूँ," आरव ने स्वीकार किया, उसकी आवाज़ में गर्व था। "लेकिन यह मेरी कमजोरी नहीं, मेरी ताकत है! क्योंकि ये भावनाएँ ही हैं जो हमें लड़ने की प्रेरणा देती हैं। जब कोई व्यक्ति गिरता है, तो उसे उठाने की इच्छा कहाँ से आती है? जब कोई अकेला महसूस करता है, तो उसे सहारा देने की प्रेरणा कहाँ से आती है? यह दर्द से नहीं आती, कलासुर! यह प्रेम से आती है! यह आशा से आती है! यह दोस्ती से आती है!"
आरव की आँखों में अपने दोस्तों की छवियाँ तैरने लगीं – रिया की अटूट हिम्मत, समीर की निष्ठा, भैरवी की शांत दृढ़ता। उसने अपने मन में उन्हें देखा, जैसे वे उसके ठीक सामने हों, और उसकी आवाज़ में एक नई ऊर्जा भर गई।
"तुम्हें लगता है कि यह सब कुछ बेमानी है?" आरव ने पूछा, उसकी आवाज़ अब कलासुर के दर्शन को सीधे चुनौती दे रही थी। "तुम्हें लगता है कि इस दुनिया में कोई मूल्य नहीं है? तो फिर उस नफरत का क्या, जो तुमने सम्राट विक्रम के अंदर डाली थी? क्या वह दर्द बेमानी था जो उन्होंने महसूस किया? क्या वह क्रोध बेमानी था जिसने उन्हें अपने ही लोगों को मारने पर मजबूर किया? अगर सब कुछ शून्य है, तो तुम्हारे इन कार्यों का भी क्या अर्थ है?"
कलासुर के चेहरे पर एक पल के लिए क्रोध की एक लहर दौड़ गई। "वह अस्तित्व की गंदगी को मिटाने का एक तरीका था!" उसने दहाड़ा। "वह उस बोझ को कम करने का तरीका था!"
"नहीं, कलासुर," आरव ने दृढ़ता से कहा। "वह सिर्फ विनाश था। और तुमने उस विनाश को न्याय का जामा पहनाया। लेकिन असली न्याय क्या है, पता है? वह है दर्द को सहना, उससे सीखना, और फिर भी आगे बढ़ना।"
उसने कलासुर की ओर एक कदम बढ़ाया, हालाँकि इस शून्य आयाम में कदमों का कोई अर्थ नहीं था। "मैं तुम्हें बताता हूँ कि यह दुनिया लड़ने लायक क्यों है। यह रिया है, जिसने अपने पिता की गलतियों को देखा, उनकी विरासत को चुनौती दी, और अग्नि गणराज्य को राख से फिर से बनाने का वादा किया। यह समीर है, जिसने अपने कुल के लिए, अपनी बहन के लिए, खुद को बलिदान करने की कोशिश की, ताकि वे सुरक्षित रहें। यह भैरवी है, जिसने धरती के दर्द को महसूस किया, और उसे ठीक करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी, दीवार बनाने की बजाय मरहम लगाने का चुनाव किया।"
आरव की आवाज़ धीमी हो गई, उसमें एक गहरी भावना थी। "यह वह गुरु वशिष्ठ हैं, जिन्होंने मुझे सिखाया कि असली शक्ति विनाश में नहीं, बल्कि संतुलन में है। उन्होंने अपनी जान दी, ताकि हम सब जी सकें। क्या यह सब 'शून्य' है, कलासुर? क्या यह सब व्यर्थ है?"
कलासुर ने अपनी विशाल, शून्य-ऊर्जा से बनी मुट्ठी भींची। "ये सब कमजोरियाँ हैं! ये रिश्ते हैं जो तुम्हें बांधते हैं, जो तुम्हें कमजोर करते हैं! अकेला व्यक्ति ही सच्चा शक्तिशाली होता है, क्योंकि उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता! शून्य ही परम शक्ति है, क्योंकि वह कुछ भी नहीं है!"
"तुम गलत हो, कलासुर," आरव ने कहा। "खोना ही हमें सिखाता है। हमें बताता है कि क्या महत्वपूर्ण है। अगर तुम्हारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है, तो तुम किस लिए लड़ोगे? किस लिए जिओगे?"
उसने एक क्षण के लिए अपनी आँखें बंद कीं, और फिर खोलीं। "तुम्हें लगता है कि संघर्ष केवल दर्द लाता है? संघर्ष हमें मजबूत बनाता है। संघर्ष हमें विकसित करता है। बिना संघर्ष के, कोई विकास नहीं होता। एक बीज को भी मिट्टी और पत्थरों के बीच से संघर्ष करके ही उगना पड़ता है। एक बच्चा भी गिरने और उठने से ही चलना सीखता है। यह अस्तित्व का नियम है, कलासुर। संघर्ष, विकास, और फिर नई शुरुआत।"
कलासुर ने आरव पर अपनी शून्य की ऊर्जा की एक विशाल लहर छोड़ी। यह एक विनाशकारी हमला था, जो आरव को मिटा देने के इरादे से किया गया था। लेकिन आरव ने उस लहर को अपनी आकाश-शक्ति से सोख लिया, और उसे शुद्ध प्रकाश में बदल दिया, जो इस खाली आयाम में कुछ पलों के लिए जगमगाया और फिर फैल गया।
"तुम सिर्फ अस्तित्व के काले पक्ष को देखते हो, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ अब भी शांत थी, लेकिन उसमें एक अटल दृढ़ता थी। "तुम यह नहीं देखते कि उस अंधेरे में भी आशा की किरणें छिपी होती हैं। तुम संघर्ष को सिर्फ अंत मानते हो, जबकि वह एक नई शुरुआत का प्रतीक है।"
कलासुर ने अपनी पूरी शक्ति से दहाड़ा। "तुम मुझे अपने दर्शन से हरा नहीं सकते, नश्वर! मेरा अस्तित्व ही अनस्तित्व है! मैं हर चीज़ को शून्य में लौटा दूंगा!"
"तुम शायद मुझे हरा नहीं सकते, कलासुर," आरव ने कहा, अब उसने कलासुर की आँखों में गहराई से देखा। "लेकिन मैं तुम्हें रोक सकता हूँ।"
उसने अपने हाथ उठाए, और इस अंतहीन शून्य में, उसके चारों ओर नीली-सफेद ऊर्जा का एक चमकदार घेरा बनने लगा। यह कोई रक्षात्मक घेरा नहीं था, बल्कि कुछ और था – कुछ ऐसा जो कलासुर को एक पल के लिए हैरान कर गया। आरव के इरादे बदल गए थे। यह सिर्फ खुद को बचाने की लड़ाई नहीं थी। यह एक अंतहीन बहस नहीं थी। यह कलासुर को खत्म करने की लड़ाई नहीं थी, बल्कि उसे नियंत्रित करने की थी।
कलासुर को अचानक एक भयानक एहसास हुआ। "तुम... तुम क्या करने वाले हो?" उसकी आवाज़ में एक अजीब सा डर था। आरव की आँखें दृढ़ थीं, उनमें एक नई योजना की चमक थी। वह जानता था कि कलासुर को मारना असंभव था, लेकिन उसे कैद करना संभव था। और उस कैद के लिए उसे एक नई सील बनानी थी, जो कलासुर की ही ऊर्जा का उपयोग करके उसे बांध सके।
आरव ने कलासुर की आँखों में देखा। "मैं तुम्हें वह दूंगा, कलासुर, जिसे तुम सबसे ज़्यादा चाहते हो," आरव ने कहा। "परम शांति। लेकिन तुम्हारी शर्तों पर नहीं, मेरी शर्तों पर।"
कलासुर ने अपने चारों ओर देखा, इस खाली आयाम में वह अपने ही जाल में फंस गया था। वह आरव के इरादों को समझ गया था, और उसके मन में एक भयानक डर फैल गया। वह इस आयाम को तोड़ने की कोशिश करने लगा, लेकिन आरव की बनाई हुई दीवारें इतनी मजबूत थीं कि उन्हें तोड़ना आसान नहीं था।
"तुम... तुम मुझे कैद नहीं कर सकते!" कलासुर दहाड़ा, उसकी आवाज़ में अब घबराहट साफ थी। "मैं शून्य हूँ! मैं अनंत हूँ! मुझे कोई कैद नहीं कर सकता!"
आरव ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपनी आकाश-शक्ति को और केंद्रित किया, और वह घेरा तेजी से कलासुर के चारों ओर कसने लगा। यह एक अदृश्य, लेकिन शक्तिशाली पिंजरा था, जो धीरे-धीरे कलासुर को अपने अंदर समाने लगा था। कलासुर ने चिल्लाना शुरू कर दिया, क्योंकि उसे अपनी अंतहीनता का अंत दिख रहा था। वह इस शून्य आयाम में फंस गया था, आरव के इरादों का सामना कर रहा था।
बाहर की दुनिया में, तत्व-केंद्र में, रिया, समीर, और भैरवी, जो आरव के बनाए सुरक्षा घेरे में थे, अचानक एक तेज़ ऊर्जा का प्रवाह महसूस करते हैं। आरव उन्हें संकेत भेज रहा था, अपनी अंतिम योजना को अंजाम देने के लिए तैयार था। यह एक खतरनाक कदम था, जिसके लिए उन्हें अपनी बची हुई सारी शक्ति लगानी होगी।
"वह क्या कर रहा है?" समीर ने रिया की ओर देखा, उसकी आँखों में सवाल था।
रिया ने अपने होंठ भींचे, उसके मन में गुरु वशिष्ठ के ग्रंथ के शब्द गूँज रहे थे – 'पांचों तत्वों की सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा... एक नई सील...'। "वह... वह उसे कैद करने जा रहा है!" उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सा विश्वास था। "लेकिन इसके लिए... उसे हमारी मदद की ज़रूरत होगी। हमें उसे ऊर्जा भेजनी होगी!"
वे तीनों एक-दूसरे की ओर देखते हैं, उनकी आँखों में दृढ़ संकल्प था। वे जानते थे कि आरव को अपनी अंतिम योजना को सफल बनाने के लिए उनकी आवश्यकता होगी। यह उनके अस्तित्व की लड़ाई थी, और वे पीछे हटने वाले नहीं थे।
Chapter 6
रिया, समीर और भैरवी एक-दूसरे को देखते रहे। रिया की बात सुनकर समीर और भैरवी की आँखों में पहले थोड़ी उलझन थी, फिर धीरे-धीरे समझ की रोशनी उतरने लगी। आरव ने उन्हें बताया था कि कलासुर को मारा नहीं जा सकता, केवल कैद किया जा सकता है। और उस कैद के लिए, 'पाँच तत्वों की सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा' की ज़रूरत होगी। अब आरव उस ऊर्जा का उपयोग करके एक नई सील बना रहा था, लेकिन वह अकेला आकाश-तत्वधारी था। उसे बाकी चार तत्वों की ऊर्जा चाहिए थी। और वे चारों तत्व यहाँ मौजूद थे – अग्नि, जल, वायु और पृथ्वी। उनके अंदर, उनके रक्त में, उनकी आत्मा में।
"ऊर्जा?" समीर ने भौंहें चढ़ाईं, उसके चेहरे पर दर्द और थकावट साफ दिख रही थी, लेकिन उसकी आँखों में अब एक नया संकल्प था। "हम उसे अपनी ऊर्जा कैसे भेजेंगे, रिया? वह एक अलग आयाम में है!"
रिया ने अपने होंठ भींचे, उसकी आँखों में अब भी उस प्राचीन ग्रंथ के शब्द गूँज रहे थे। "तत्व-केंद्र! यही तो वह पुल है!" उसने अपने पीछे मौजूद विशाल, चमकते हुए क्रिस्टल की ओर इशारा किया, जो अब भी धीमे-धीमे स्पंदित हो रहा था, जैसे दुनिया का धड़कता हुआ दिल हो। "यह क्रिस्टल, यह दुनिया के सभी तत्वों को आपस में जोड़ता है। यह एक द्वार है, एक conduit! गुरु वशिष्ठ ने बताया था कि तत्व-केंद्र ही वह जगह है जहाँ सभी शक्तियाँ मिलती हैं।"
भैरवी, जो आमतौर पर शांत रहती थी, अब पूरी तरह से सतर्क थी। "लेकिन यह कितना सुरक्षित होगा, रिया? हमारी ऊर्जा, हमारी जान, उसे इतनी दूर कैसे जाएगी? और अगर कुछ गलत हुआ...?"
"गलत होने के लिए अब कुछ बचा ही क्या है, भैरवी?" रिया ने निराशा और दृढ़ता के मिश्रण के साथ कहा। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी कठोरता थी, जो उसकी आँखों में भरे डर को छुपाने की कोशिश कर रही थी। "गुरु वशिष्ठ ने खुद को बलिदान कर दिया। आरव अपनी जान दाँव पर लगाकर उस आयाम में गया है। अगर हम उसे समर्थन नहीं देते, तो कलासुर उसे निगल जाएगा! और अगर कलासुर जीत गया, तो इस पूरी दुनिया का अंत हो जाएगा! हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है!"
समीर ने क्रिस्टल की ओर देखा। उसकी यादों में पवन कुल का पवित्र सरोवर था, जहाँ वे अपनी जल-शक्ति का अभ्यास करते थे। उसे याद आया कि कैसे हर तत्वधारी की ऊर्जा उस तत्व-केंद्र से जुड़ी होती है, जैसे नदियाँ समुद्र से जुड़ी होती हैं। "तो हमें अपनी तात्विक ऊर्जा को केंद्रित करना होगा?" समीर ने पूछा। "और उसे आरव की ओर भेजना होगा?"
"हाँ!" रिया ने तुरंत सहमति दी। "लेकिन सिर्फ तात्विक ऊर्जा नहीं। ग्रंथ में लिखा था कि सील को बनाने के लिए 'जीवन-ऊर्जा' और 'तात्विक ऊर्जा' का मिश्रण चाहिए। हमें अपनी आत्मा का एक हिस्सा भी उसमें डालना होगा। अपनी जान का एक हिस्सा।"
एक पल के लिए तीनों के बीच खामोशी छा गई। यह सिर्फ शक्तियों का खेल नहीं था। यह बलिदान था। अपनी जान को दाँव पर लगाना। अगर वे असफल हुए, या अगर प्रक्रिया में कोई गलती हुई, तो वे अपने तत्वों में विलीन हो सकते थे, या इससे भी बुरा, उनकी आत्माएँ बिखर सकती थीं।
समीर ने एक गहरी साँस ली, उसके होंठ भींचे हुए थे। "तो इसका मतलब है... हम अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं?"
रिया ने समीर की आँखों में देखा। "हम पहले से ही खतरे में हैं, समीर। हर कोई खतरे में है। यह आखिरी मौका है। या तो हम सब मिलकर एक आखिरी कोशिश करते हैं, या हम सब खत्म हो जाते हैं।"
भैरवी ने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसे अपने लोगों की याद आई, जो अभी भी खंडहरों में दबे हुए थे। पृथ्वी का दर्द उसके अंदर गूँज रहा था। अगर आरव सफल हो गया, तो शायद पृथ्वी फिर से साँस ले पाएगी। "मैं तैयार हूँ," भैरवी ने धीमी, लेकिन दृढ़ आवाज़ में कहा। उसकी आवाज़ में पृथ्वी की तरह ही अटल दृढ़ता थी। "हमें उसे रोकना ही होगा। किसी भी कीमत पर।"
समीर ने रिया और भैरवी की ओर देखा। उन्हें साथ देखकर, उसके मन में एक नई ऊर्जा भर गई। गुरु वशिष्ठ की शिक्षाएँ, उनके साथ बिताया हर पल, सब कुछ उसके सामने घूम गया। "ठीक है," समीर ने सहमति दी। "तो फिर देर किस बात की?"
तीनों धीरे-धीरे तत्व-केंद्र के विशाल क्रिस्टल के पास बैठ गए। क्रिस्टल की चमक उनके चेहरों पर पड़ रही थी, जिससे उनके चेहरे और भी गंभीर दिख रहे थे। रिया ने अपनी आँखें बंद कीं, अपने अंदर की अग्नि ऊर्जा को महसूस करते हुए। समीर ने अपनी आँखों को बंद किया, अपने अंदर की जल ऊर्जा को महसूस करते हुए। और भैरवी ने भी आँखें बंद कीं, अपने अंदर की पृथ्वी ऊर्जा को महसूस करते हुए। हवा में एक अजीब सी शांति छा गई, जैसे ब्रह्मांड खुद इस महत्वपूर्ण क्षण को देख रहा हो।
रिया ने सबसे पहले अपनी ऊर्जा को क्रिस्टल की ओर बढ़ाना शुरू किया। उसकी हथेलियों से लाल और नारंगी रंग की तीव्र अग्नि ऊर्जा निकलने लगी, जो क्रिस्टल में समाने लगी। वह ऊर्जा चमकती हुई क्रिस्टल के अंदर से बहने लगी, जैसे किसी विशालकाय नस में खून बह रहा हो। रिया के माथे पर पसीना आने लगा, उसके शरीर से गर्मी निकल रही थी। यह सिर्फ ऊर्जा नहीं थी, यह उसकी आत्मा का एक हिस्सा था, जो अपने रास्ते पर था।
समीर ने भी अपने हाथों को क्रिस्टल पर रखा। उसकी उँगलियों से नीली, शीतल जल ऊर्जा निकलने लगी, जो अग्नि ऊर्जा के साथ मिलकर क्रिस्टल में बहने लगी। जल और अग्नि का मिश्रण आमतौर पर विनाशकारी होता है, लेकिन यहाँ, तत्व-केंद्र के प्रभाव में, वे सामंजस्य में बह रहे थे, एक-दूसरे को संतुलित करते हुए। समीर का चेहरा सफेद पड़ने लगा, उसके होंठ सूख रहे थे। उसे लगा जैसे उसकी साँसें तेज़ हो रही हैं, और उसके फेफड़ों पर दबाव पड़ रहा है।
भैरवी ने अपने हाथों को क्रिस्टल के निचले हिस्से पर रखा, जहाँ से उसकी ऊर्जा सीधे पृथ्वी से जुड़ती थी। भूरे और हरे रंग की पृथ्वी ऊर्जा उसकी हथेलियों से निकली, जो जल और अग्नि ऊर्जा के साथ मिलकर क्रिस्टल में समाने लगी। पृथ्वी की स्थिरता, जल की तरलता, और अग्नि की तीव्रता – तीनों एक साथ, एक ही स्रोत में मिल रहे थे। भैरवी के शरीर में एक भारीपन आ रहा था, जैसे उसकी जान धीरे-धीरे उससे बाहर निकल रही हो। उसकी मांसपेशियाँ फटने को तैयार थीं।
तीनों ने अपनी जीवन-ऊर्जा को अपनी तात्विक ऊर्जा के साथ मिला दिया। यह एक बहुत ही थका देने वाली और खतरनाक प्रक्रिया थी। उनके शरीर का हर कण दर्द कर रहा था, जैसे उनकी नसें फट रही हों। लेकिन उन्होंने अपनी पकड़ नहीं छोड़ी। वे जानते थे कि आरव को उनकी ज़रूरत है। वे जानते थे कि अगर वे हारे, तो सब कुछ खत्म हो जाएगा।
धीरे-धीरे, क्रिस्टल के केंद्र से एक चमकदार, बहु-रंगीन ऊर्जा का स्तंभ ऊपर उठने लगा। यह लाल, नीले, हरे और भूरे रंग की ऊर्जाओं का एक सुंदर, घूमता हुआ भंवर था, जो सीधे आकाश की ओर जा रहा था, जैसे वह आरव के पॉकेट आयाम तक पहुँचने की कोशिश कर रहा हो। वह स्तंभ जितना ऊँचा जाता था, उतना ही पतला होता जाता था, लेकिन उसकी चमक और शक्ति बढ़ती जा रही थी।
रिया की साँस फूल रही थी, उसके होंठ काँप रहे थे। "यह... यह बहुत मुश्किल है," उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज़ मुश्किल से सुनाई दे रही थी।
समीर ने दर्द में अपनी आँखें बंद कर लीं। "हाँ... लेकिन हमें करते रहना होगा... आरव... आरव के लिए।"
भैरवी के चेहरे पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं। "हम... हम कर सकते हैं..." उसकी आवाज़ में कंपन था, लेकिन उसकी पकड़ मजबूत थी।
जैसे ही ऊर्जा का स्तंभ आकाश में ऊपर उठा, पॉकेट आयाम के अंदर, आरव को अचानक अपने दोस्तों की ऊर्जा महसूस हुई। यह एक गर्म, परिचित एहसास था, जो उसके अकेलेपन को दूर कर रहा था। लाल (अग्नि), नीला (जल), हरा (वायु) और भूरा (पृथ्वी) रंग की ऊर्जा धाराएँ उसके चारों ओर घूमने लगीं, जैसे वे उसे गले लगा रही हों। वे उसके अंदर प्रवाहित होने लगीं, उसकी आकाश-शक्ति के साथ मिलकर एक अविश्वसनीय तालमेल बना रही थीं।
आरव की आँखों में एक नई चमक आ गई। उसे पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली महसूस हुआ। यह सिर्फ उसकी शक्ति नहीं थी, यह उनके सामूहिक प्रेम और विश्वास की शक्ति थी। वह अपने दोस्तों को मन ही मन धन्यवाद देता है, उसकी आँखों में कृतज्ञता थी। उन्हें अपने बगल में न पाकर भी, वह उनके साथ था, और वे उसके साथ थे। यह बंधन, कलासुर के शून्य के दर्शन से कहीं ज़्यादा मजबूत था।
कलासुर, जो आरव के आसपास बनने वाले अदृश्य पिंजरे से जूझ रहा था, अचानक इस नई ऊर्जा के प्रवाह को देखकर रुक गया। उसकी लाल आँखें गुस्से और disbelief से भर गईं। "यह क्या है?" उसने दहाड़ा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सा डर था। "यह बाहरी हस्तक्षेप! ये... ये नश्वर! तुम कैसे कर सकते हो?!"
उसने आरव को देखा, जो अब पहले से कहीं अधिक स्थिर और शक्तिशाली दिख रहा था। आरव के चारों ओर घूमने वाली रंगीन ऊर्जा धाराएँ कलासुर को और भी क्रोधित कर रही थीं। "ये नश्वर बंधन तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी हैं, आकाश-पुरुष!" कलासुर ने चिल्लाया। "ये तुम्हें कमजोर करते हैं! मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि इन कमजोरियों का क्या अंजाम होता है!"
कलासुर ने अपनी बची हुई सारी शक्ति को एकत्र किया। पॉकेट आयाम कांपने लगा, जैसे कलासुर उसे फाड़ देना चाहता हो। वह अपनी पूरी ताकत से आरव पर हमला करने के लिए तैयार था, एक ऐसा हमला, जिससे वह इस बार आरव को पूरी तरह से नष्ट कर देना चाहता था, साथ ही इस आयाम को भी। उसकी आँखों में शून्य की परम विनाशकारी शक्ति चमक रही थी। आरव ने अपनी आकाश-शक्ति को केंद्रित किया, अपने दोस्तों की ऊर्जा के साथ मिलकर वह अब उसके हमलों का सामना करने में सक्षम था। अंतिम टकराव शुरू होने वाला था, जहाँ न केवल शक्तियाँ टकराएंगी, बल्कि दो भिन्न दर्शनों का भी सामना होगा।
Chapter 7
कलासुर की आँखें शून्य की प्रचंड ऊर्जा से धधक रही थीं। उसके होंठ खुले, और एक अमानवीय चीख इस खाली आयाम में गूँज उठी। "कमज़ोरी! नश्वर की मूर्खता!" उसने दहाड़ा, और उसके हाथों से शून्य की एक विशाल, काली, ज़हर उगलती हुई लहर आरव की ओर बढ़ी। यह कोई सामान्य हमला नहीं था; यह अस्तित्व को ही मिटा देने वाला था, एक ऐसा प्रहार जिसे देखकर आरव के अंदर तक सिहरन दौड़ गई।
लेकिन इस बार आरव अकेला नहीं था। उसके चारों ओर रिया की अग्नि का लाल प्रकाश, समीर के जल का नीला प्रवाह, भैरवी की पृथ्वी का हरा-भूरा आवरण घूम रहा था। ये सिर्फ ऊर्जाएँ नहीं थीं, ये उसके दोस्तों का विश्वास था, उनकी उम्मीदें थीं, उनका बलिदान था।
आरव ने अपनी आँखें बंद कीं, अपने अंदर उन चार तत्वों की ऊर्जा को महसूस किया, जो अब उसकी आकाश-शक्ति के साथ पूर्ण सामंजस्य में मिल चुकी थीं। उसने एक गहरी साँस ली, और फिर अपनी आँखें खोलीं। उसकी नीली-सफेद आँखों में अब इंद्रधनुषी चमक थी, जो उन चारों तत्वों का प्रतिबिंब थी।
"यह कमज़ोरी नहीं, कलासुर," आरव की आवाज़ गूँजी, शांत लेकिन दृढ़। "यह सामंजस्य है। यह जीवन है!"
उसने अपने दोनों हाथ फैलाए। एक ही पल में, रिया की अग्नि ऊर्जा उसके दाहिने हाथ से बाहर निकली और कलासुर की शून्य-लहर से टकरा गई। यह सिर्फ आग नहीं थी; यह शुद्ध, जीवनदायक ज्वाला थी, जो शून्य को मिटाने की बजाय उसे ऊर्जा में बदलने का प्रयास कर रही थी। काले शून्य के सामने, अग्नि का लाल प्रकाश चमक उठा, और दोनों ऊर्जाएँ टकराकर एक ज़बरदस्त विस्फोट पैदा करती हैं, जो इस खाली आयाम को थर्रा देता है।
कलासुर ने गुस्से में एक और हमला किया, इस बार उसने शून्य के नुकीले भाले आरव की ओर फेंके। आरव ने पलक झपकते ही समीर के जल-तत्व का आह्वान किया। उसके सामने हवा में एक विशाल जल-ढाल बन गई, जिसने उन भालों को अपने अंदर सोख लिया, उन्हें पानी की बूँदों में बदल दिया, और फिर वही बूँदें कलासुर की ओर वापस लौट गईं। कलासुर ने भौंहें सिकोड़ीं, उसे अंदाज़ा नहीं था कि आरव उसकी खुद की ऊर्जा को इस तरह बदल सकता है।
लड़ाई केवल शारीरिक नहीं थी। यह वास्तविकता को मोड़ना था। कलासुर के हर हमले के साथ, पॉकेट आयाम का वातावरण नाटकीय रूप से बदल रहा था। जब कलासुर अपनी शून्य-शक्ति का प्रदर्शन करता, तो आरव के चारों ओर का खालीपन गहरा काला हो जाता, तारे गायब हो जाते, और ऐसा लगता जैसे समय भी रुक गया हो। हर ओर निराशा और विनाश का आभास होता।
"तुम सिर्फ विनाश कर सकते हो, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ कलासुर के मन में गूँज रही थी। "तुम सिर्फ मिटाना जानते हो। लेकिन मैं संतुलन स्थापित कर सकता हूँ।"
उसने भैरवी के पृथ्वी-तत्व का आह्वान किया। जहाँ एक पल पहले खालीपन था, वहाँ अचानक आरव के पैरों के नीचे कठोर, चट्टानी जमीन उभर आई। उसने अपने हाथों से उस जमीन को सहारा दिया, और फिर कलासुर की ओर देखा। "तुम सोचते हो कि शून्य ही परम सत्य है। लेकिन मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि अस्तित्व कितना मजबूत है!"
कलासुर ने एक बड़ा, काला गोला आरव की ओर फेंका, जो शून्य की सघन ऊर्जा से बना था। आरव ने अपनी आकाश-शक्ति को केंद्रित किया, और उस गोले के चारों ओर भैरवी की पृथ्वी-शक्ति से एक सुरक्षात्मक आवरण बनाया। यह एक विशाल पत्थर की ढाल नहीं थी, बल्कि पृथ्वी की दृढ़ता का प्रतीक था। जब शून्य का गोला ढाल से टकराया, तो वह बस ढाल के चारों ओर से फैल गया, उसे नुकसान पहुँचाने की बजाय, जैसे ऊर्जा एक अभेद्य दीवार से टकराकर दिशा बदल रही हो।
कलासुर ने क्रोध से अपने हाथों को हवा में घुमाया, और आयाम का वातावरण पूरी तरह से बदल गया। विशाल रेत के टीले आरव के चारों ओर फैल गए, एक बंजर रेगिस्तान में बदल गए, जहाँ हवा में सिर्फ सूखे और मौत की गंध थी। कलासुर का लक्ष्य आरव को इस निराशा में डुबोना था, उसे दिखाना था कि अंततः सब कुछ धूल में मिल जाएगा।
"देख," कलासुर ने उपहास किया, उसकी आवाज़ रेगिस्तान की तेज़ हवा में घुल गई। "यही तुम्हारा भविष्य है, नश्वर! रेत में मिला हुआ! अंततः सब कुछ नष्ट हो जाता है! तुम्हारा अस्तित्व एक भ्रम है!"
आरव ने मुस्कुराया। "रेगिस्तान भी अस्तित्व का हिस्सा है, कलासुर। और रेगिस्तान में भी जीवन पनपता है। एक छोटा सा बीज भी एक दिन पेड़ बन सकता है। तुम सिर्फ अंत देखते हो, मैं शुरुआत देखता हूँ।"
आरव ने अपनी आँखें बंद कीं, और जब उसने खोलीं, तो उसकी आकाश-शक्ति ने समीर के वायु-तत्व को उसके चारों ओर सक्रिय कर दिया। तेज़ हवा का एक भंवर आरव के चारों ओर घूमने लगा, जिससे रेत के टीले बिखरने लगे, और हवा में जीवन की साँसें भरने लगीं। उसने अपने हाथों से उस भंवर को कलासुर की ओर धकेला। यह सिर्फ हवा नहीं थी; यह शुद्ध प्राण-वायु थी, जो शून्य की घुटन को तोड़ रही थी। कलासुर उस हवा के झोंके से पीछे हट गया, जैसे उसे किसी अप्रत्याशित शक्ति ने धकेल दिया हो।
कलासुर की आँखों में अब एक नया, अनजाना भाव था—हताशा। आरव सिर्फ उसके हमलों का जवाब नहीं दे रहा था; वह उन्हें बदल रहा था, उन्हें अस्तित्व में वापस ला रहा था। यह अच्छाई और बुराई की लड़ाई नहीं थी, जहाँ एक को दूसरे पर हावी होना था। यह अस्तित्व और अनस्तित्व की लड़ाई थी, जहाँ आरव हर विनाशकारी प्रयास को सृजन में बदलने की कोशिश कर रहा था।
"तुम मुझे रोक नहीं सकते!" कलासुर ने दहाड़ा, और इस बार, उसने पूरे आयाम को एक विशाल, काले महासागर में बदल दिया। पानी इतना घना और काला था कि उसमें कोई रोशनी नहीं थी, कोई जीवन नहीं था। यह शून्य का समुद्र था, जो हर चीज़ को निगल जाने की धमकी दे रहा था। आरव अब उस महासागर के बीच में था, जहाँ कलासुर अपनी सबसे भयावह शक्ति का प्रदर्शन कर रहा था।
कलासुर महासागर के ऊपर हवा में तैर रहा था, उसकी आँखें चमक रही थीं। "यह तुम्हारा अंत है, आकाश-पुरुष! तुम इस अनंत शून्य में डूब जाओगे, जहाँ कुछ भी नहीं है! कोई प्रकाश नहीं! कोई जीवन नहीं! सिर्फ अनंत खालीपन!"
आरव ने अपनी आँखें बंद कीं, और जब उसने खोलीं, तो उसके चारों ओर रिया की अग्नि ने जलना शुरू कर दिया। यह आग पानी के नीचे भी जल रही थी, और उससे रोशनी निकल रही थी, जो इस अंधेरे महासागर को रोशन कर रही थी। आरव ने अपने हाथों को पानी में डुबोया, और समीर के जल-तत्व को सक्रिय किया, लेकिन इस बार, उसने पानी को कलासुर के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि उसे शुद्ध किया। उसने पानी के अंदर छोटे-छोटे प्रकाश के गोले बनाए, जैसे तारे समुद्र के नीचे चमक रहे हों।
"यह तुम्हारा महासागर है, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ पानी के नीचे भी साफ सुनाई दे रही थी। "लेकिन मैं इसमें जीवन ला सकता हूँ।"
कलासुर ने अपनी शून्य-शक्ति से महासागर को आरव पर ढकेलने की कोशिश की, जैसे वह उसे कुचल देना चाहता हो। लेकिन आरव ने अपनी आकाश-शक्ति से उस दबाव को सोख लिया, और भैरवी के पृथ्वी-तत्व को आह्वान किया, जिससे महासागर के तल से विशालकाय चट्टानें उठने लगीं, जो महासागर के बहाव को रोकने लगीं, और कलासुर को हैरान कर दिया।
लड़ाई चलती रही, हर पल आयाम बदलता रहा। कभी वे जलते हुए ज्वालामुखी के पास थे, कभी जमती हुई बर्फ की चादर पर, कभी सितारों से भरे आकाश में, कभी घने जंगल में। कलासुर हर माहौल में विनाश ला रहा था, और आरव हर माहौल में संतुलन और जीवन।
बाहर की दुनिया में, तत्व-केंद्र पर, रिया, समीर और भैरवी अभी भी अपनी ऊर्जा आरव की ओर भेज रहे थे। उनके चेहरे पसीने से भीगे थे, और उनके शरीर काँप रहे थे।
"वह... वह बहुत शक्तिशाली है," समीर ने हाँफते हुए कहा, उसकी आवाज़ में दर्द था। "क्या... क्या आरव उसे रोक पाएगा?"
रिया ने अपनी आँखें बंद रखी थीं, लेकिन उसका माथा सिकुड़ा हुआ था। "उसे रोकना ही होगा, समीर। आरव जानता है कि वह उसे मार नहीं सकता। उसे सिर्फ... उसे कैद करना है।"
भैरवी ने अपने दाँत भींच रखे थे, उसकी आँखों में दृढ़ संकल्प था। "यह सिर्फ शक्तियों की लड़ाई नहीं है। यह दर्शन की लड़ाई है।"
वापस पॉकेट आयाम में, कलासुर ने एक बार फिर पूरी शक्ति से आरव पर हमला किया। उसने अपने चारों ओर शून्य की ऊर्जा के विशाल चक्रव्यूह बनाए, जो आरव को घेरने लगे, उसे कुचलने की कोशिश कर रहे थे। आरव ने अपनी आकाश-शक्ति को केंद्रित किया, और अपने चारों ओर एक इंद्रधनुषी ढाल बनाई, जो सभी चार तत्वों की संयुक्त शक्ति से बनी थी। यह ढाल चमक रही थी, और कलासुर के शून्य-चक्रव्यूह उससे टकराकर बिखर रहे थे।
कलासुर ने देखा कि उसकी सीधी शक्ति आरव पर काम नहीं कर रही थी। उसने अचानक अपनी रणनीति बदल दी। उसने आरव को बातों में उलझाकर, उसकी एकाग्रता तोड़ने की कोशिश की।
"तुम कब तक लड़ोगे, आकाश-पुरुष?" कलासुर ने आरव के मन में अपनी आवाज़ गूँजाई, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी थकावट थी। "यह अंतहीन है। तुम कभी मुझे नष्ट नहीं कर सकते। और मैं कभी नहीं रुकूँगा। हर बार जब तुम मुझे हराने की कोशिश करोगे, मैं और मजबूत होकर वापस आऊँगा।"
आरव ने अपनी ढाल बनाए रखी, और कलासुर की ओर देखा। उसकी आँखें चमक रही थीं। "तुम मुझे नष्ट नहीं कर सकते, कलासुर। और मैं तुम्हें नष्ट नहीं करना चाहता। मेरा लक्ष्य संतुलन है।"
कलासुर ने उपहास किया। "संतुलन? क्या तुमने बाहर की दुनिया नहीं देखी? वह टूट चुकी है! वह बर्बाद हो चुकी है! तुम्हारा यह तथाकथित संतुलन बस एक और भ्रम है! तुम अपनी शक्ति को बेकार कर रहे हो!"
आरव ने कलासुर की बातों को अनसुना किया। उसे पता था कि कलासुर उसे मानसिक रूप से थकाना चाहता है। लेकिन आरव ने अपने अंदर एक नई दृढ़ता महसूस की। वह अपने दोस्तों के लिए लड़ रहा था, उस दुनिया के लिए लड़ रहा था जिसमें दर्द के साथ-साथ आशा भी थी।
कलासुर ने अचानक आरव की ढाल पर अपना हमला धीमा कर दिया, और फिर अचानक गायब हो गया। आरव तुरंत सतर्क हो गया। यह कलासुर की चाल थी। वह उसे किसी और जगह से निशाना बनाने वाला था।
और ठीक उसी पल, आरव को अपने दोस्तों की ऊर्जा में एक हल्का सा स्पंदन महसूस हुआ। यह एक खतरे का संकेत था। कलासुर उसे यहाँ बातों में उलझाकर, बाहर की दुनिया में कुछ करने की कोशिश कर रहा था। आरव को तुरंत एहसास हुआ।
"नहीं!" आरव ने कलासुर के मन में चिल्लाया। "तुम तत्व-केंद्र पर हमला नहीं कर सकते!"
आरव तुरंत समझ गया। कलासुर जानता था कि वह आरव को सीधे नहीं हरा सकता, तो वह दुनिया के हृदय, तत्व-केंद्र पर हमला करके उसे कमजोर करने की कोशिश करेगा, ताकि आरव को मिलने वाली ऊर्जा रुक जाए। और अगर क्रिस्टल नष्ट हो गया, तो सब कुछ खत्म हो जाएगा, आरव की हार और जीत दोनों का कोई मतलब नहीं रहेगा।
कलासुर की एक छाया पॉकेट आयाम में फिर से प्रकट हुई, उसकी आँखों में एक विजयी चमक थी। "बहुत देर हो चुकी है, नश्वर! जब तक तुम यहाँ मेरे साथ लड़ रहे थे, मैंने अपने शून्य के एक अंश को बाहर भेज दिया है! वह अब तत्व-केंद्र की ओर बढ़ रहा होगा! तुम मुझे रोक नहीं सकते!"
आरव की आँखें क्रोध और चिंता से भर गईं। कलासुर की योजना बिल्कुल स्पष्ट थी। वह आरव को यहाँ रोक कर, बाहर की दुनिया को नष्ट कर देना चाहता था। आरव के पास अब दो विकल्प थे: कलासुर से लड़ते रहना और दुनिया को खो देना, या उसे छोड़कर बाहर की दुनिया को बचाने की कोशिश करना।
"तुमने चाल चली, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ में एक नई दृढ़ता थी। "लेकिन तुम मुझे कम आँकते हो। मैं तुम्हें दुनिया को छूने नहीं दूँगा।"
आरव ने अपनी आँखें बंद कीं, और अपनी आकाश-शक्ति को केंद्रित किया। वह इस आयाम को बंद करने के लिए तैयार था, लेकिन उसे पता था कि अगर उसने ऐसा किया, तो कलासुर भी उसके साथ बाहर आ जाएगा। उसे कलासुर को यहाँ रोकना होगा, और साथ ही तत्व-केंद्र को भी बचाना होगा। यह एक असंभव चुनौती लग रही थी।
"तुम यहाँ फंसे हो, आकाश-पुरुष!" कलासुर ने उपहास किया। "तुम अपनी दुनिया को बचा नहीं सकते!"
आरव ने अपनी आँखें खोलीं, और एक नया संकल्प उसके चेहरे पर चमक रहा था। उसे कलासुर को यहाँ रोकना था, लेकिन उसे अपने दोस्तों को भी सतर्क करना था। उसे एक साथ दो मोर्चों पर लड़ना होगा। एक अंदर, एक बाहर।
कलासुर ने आरव पर एक और प्रचंड हमला किया, इस बार उसका लक्ष्य आरव की एकाग्रता को तोड़ना था, उसे बाहर जाने से रोकना था। आरव ने अपनी ढाल मजबूत की, लेकिन उसके मन में एक नई योजना आकार ले रही थी। एक ऐसी योजना, जिसमें उसे अपनी सभी शक्तियों का, और अपने दोस्तों के विश्वास का पूरा उपयोग करना होगा। लड़ाई अब एक नए चरण में प्रवेश कर चुकी थी।
Chapter 8
कलासुर के शब्द आरव के मन में गूँज रहे थे, जैसे ज़हर भरी हवा हो। तत्व-केंद्र पर हमला। यह कलासुर की सबसे घातक चाल थी। आरव ने अपनी आकाश-शक्ति को केंद्रित किया, और एक ही पल में अपने दोस्तों की ओर एक तीव्र मानसिक तरंग भेजी। यह एक शब्दहीन चेतावनी थी, एक चीख जो उसके दिल से निकली थी: 'खतरा! तत्व-केंद्र! बचाओ!'
कलासुर ने आरव की आँखें देखीं, और उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आई। "तुम सोचते हो कि तुम उन्हें बचा सकते हो, नश्वर? तुम्हें पता भी नहीं चलेगा कि क्या हो रहा है, और तुम्हारी पूरी दुनिया शून्य में विलीन हो जाएगी। तब तुम्हारी यह 'आशा' क्या करेगी?" उसने उपहास किया, और अपने हाथों से शून्य की एक विशाल, घूमती हुई डरावनी आंधी आरव की ओर छोड़ी।
आरव ने एक गहरी साँस ली, उस आंधी का सामना करने के लिए तैयार। "मेरी आशा मेरी शक्ति है, कलासुर!" उसने दृढ़ता से कहा, और अपने अंदर रिया की अग्नि और समीर की वायु-शक्ति का आह्वान किया। उसके हाथों से लाल और हरे रंग की ऊर्जा निकली, जो आंधी से टकराई। अग्नि ने शून्य के कणों को जलाना शुरू किया, उन्हें ऊर्जा में बदल दिया, और वायु ने उस जलती हुई ऊर्जा को कलासुर की ओर वापस धकेल दिया। आंधी कमज़ोर पड़ गई, और कलासुर को पीछे हटना पड़ा, उसकी आँखें गुस्से से सिकुड़ गईं।
"तुम हर बार मेरे हमलों को बदल नहीं सकते!" कलासुर ने चिल्लाया, उसकी आवाज़ आयाम में गूँज रही थी। "तुम मुझे नष्ट नहीं कर सकते! और तुम मुझे रोक भी नहीं पाओगे! अंत निश्चित है! विनाश अंतिम सत्य है!"
कलासुर ने अपने हाथों को ऊपर उठाया, और पॉकेट आयाम का तापमान तेजी से गिरने लगा। हवा में बर्फीली ठंडक छा गई, और आरव के चारों ओर का खालीपन एक जमे हुए, नीले-काले परिदृश्य में बदल गया। बर्फीली हवा के थपेड़े आरव के शरीर से टकराने लगे, जैसे वे उसकी आत्मा तक को जमा देना चाहते हों। कलासुर की आँखें एक बर्फीली चमक से धधक रही थीं। "यह देखो, आकाश-पुरुष! जीवन की हर गर्मी अंततः जम जाती है। हर दिल अंततः ठंडा पड़ जाता है। तुम्हारी दुनिया भी एक दिन बर्फ में जम जाएगी!"
आरव ने अपने होंठ भींचे। यह सिर्फ एक हमला नहीं था, यह कलासुर का दर्शन था, जो वह आरव पर थोपना चाहता था। आरव ने अपने अंदर भैरवी की पृथ्वी और समीर के जल-तत्व का आह्वान किया। उसके पैरों के नीचे की बर्फीली जमीन में दरारें पड़ने लगीं, और उसके चारों ओर से हरे रंग की पृथ्वी-ऊर्जा निकली, जो ठंडक को सोखने लगी। फिर समीर के जल-तत्व ने अपना प्रभाव दिखाया, और आरव के चारों ओर की बर्फीली हवा में भाप बनने लगी। बर्फ पिघलने लगी, और उसकी जगह एक आरामदायक नमी और गर्मी आ गई, जैसे वसंत की पहली बारिश के बाद धरती महक उठती है।
"हाँ, दुनिया में ठंडक है, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ शांत थी। "लेकिन उसमें गर्मी भी है। जीवन का चक्र चलता रहता है। हर ठंड के बाद वसंत आता है। तुम सिर्फ मृत्यु को देखते हो, मैं पुनर्जन्म देखता हूँ।"
कलासुर के चेहरे पर क्रोध साफ दिख रहा था। वह इस संतुलन से नफरत करता था। उसे विनाश पसंद था, पूर्ण शून्यता। आरव का हर जवाब उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था। "यह सब मूर्खता है!" कलासुर दहाड़ा। "प्रेम? आशा? ये सिर्फ धोखे हैं! ये तुम्हें कमजोर करते हैं! ये तुम्हें अंततः निराश करेंगे! मैंने देखा है... मैंने देखा है कि कैसे तुम्हारी दुनिया खुद को नष्ट करती है! प्रेम ही है जो तुम्हें बांधता है, और मैं तुम्हें तुम्हारे बंधनों से मुक्त करूँगा!"
कलासुर ने अपनी शून्य-शक्ति को केंद्रित किया, और उसके चारों ओर से काले, तेज़ धार वाले क्रिस्टल निकलने लगे, जो आरव की ओर तेज़ी से बढ़े। ये क्रिस्टल सिर्फ शारीरिक चोट नहीं पहुँचाते थे; वे आत्मा पर हमला करते थे, आशा को कुचल देते थे।
आरव ने तुरंत रिएक्ट किया। रिया की अग्नि-शक्ति उसके हाथों से निकली, और उसने उन क्रिस्टलों को हवा में ही जलाना शुरू कर दिया। वे क्रिस्टल चमकते हुए अंगारों में बदल गए, और फिर आरव ने अपनी आकाश-शक्ति से उन्हें कलासुर की ओर वापस भेज दिया। लेकिन इस बार, उसने उन्हें सिर्फ फेंका नहीं, उसने उन्हें ऊर्जा के ऐसे टुकड़ों में बदल दिया जो कलासुर के शून्य-आवरण को भेदने लगे।
कलासुर ने दर्द में चीख मारी, और कुछ देर के लिए आयाम में एक ज़बरदस्त हलचल हुई। आयाम के वातावरण में दरारें पड़ने लगीं, जैसे वह टूट रहा हो। कलासुर ने अपने हाथों को घुमाया, और शून्य की ऊर्जा से आयाम के चारों ओर एक विशाल, घुटन भरा कोहरा फैल गया, जिससे आरव की दृष्टि बाधित हो गई। यह कोहरा सिर्फ दृश्य को बाधित नहीं कर रहा था, यह आरव की आंतरिक शांति को भी बाधित कर रहा था, उसके मन में संदेह पैदा करने की कोशिश कर रहा था।
"तुम अकेले हो, आकाश-पुरुष!" कलासुर की आवाज़ कोहरे में गूँजी, जैसे वह हर दिशा से आ रही हो। "तुम इस युद्ध में अकेले हो! तुम्हारे दोस्त तुम्हें नहीं बचा सकते! तुम्हारी दुनिया तुम्हें अकेला छोड़ देगी!"
आरव ने अपनी आँखें बंद कीं, और अपने दोस्तों के बारे में सोचा। रिया की गर्मजोशी, समीर की शांति, भैरवी की स्थिरता। उन्हें एहसास हुआ कि वे उसके साथ थे, भले ही वे शारीरिक रूप से मौजूद न हों। उसने अपने अंदर समीर के वायु-तत्व का आह्वान किया, और एक तेज़ हवा का झोंका उसके चारों ओर फैल गया, कोहरे को छिन्न-भिन्न करता हुआ। कोहरा छट गया, और कलासुर आरव के ठीक सामने खड़ा था, उसकी आँखें लाल चमक रही थीं, लेकिन उसके चेहरे पर अब थोड़ी चिंता थी।
"मैं अकेला नहीं हूँ, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ में अटूट विश्वास था। "मेरे दोस्त मेरे साथ हैं। उनकी शक्ति मेरी शक्ति है। और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।"
ठीक उसी समय, बाहर की दुनिया में, तत्व-केंद्र पर, रिया, समीर और भैरवी ने आरव की मानसिक चेतावनी को महसूस किया था। वह सिर्फ एक शब्द नहीं था, वह एक तत्काल, भयावह एहसास था।
"तत्व-केंद्र!" रिया ने अचानक अपनी आँखें खोलीं, उसकी आवाज़ में आतंक था। "उसने तत्व-केंद्र पर हमला किया है! आरव ने हमें चेतावनी दी है!"
समीर और भैरवी भी अपनी आँखें खोलते हैं, उनके चेहरे पसीने से भीगे हुए थे, लेकिन उनकी आँखों में अब एक नया डर था। वे अपनी ऊर्जा भेज रहे थे, लेकिन कलासुर ने अब एक और मोर्चा खोल दिया था।
"यहाँ?" समीर ने हाँफते हुए कहा, उसके शरीर की सारी ऊर्जा खत्म हो रही थी। "कैसे? वह तो आरव के साथ उस आयाम में है!"
भैरवी ने अपने हाथों को तत्व-केंद्र क्रिस्टल पर कसकर पकड़ लिया। "आरव ने कहा था कि कलासुर को मारा नहीं जा सकता। वह शून्य का हिस्सा है। वह अपनी ऊर्जा को विभाजित कर सकता है। उसने अपने शून्य का एक अंश बाहर भेज दिया है!"
ठीक उसी पल, तत्व-केंद्र क्रिस्टल के आधार पर एक काली दरार दिखाई देने लगी। वह दरार धीरे-धीरे फैल रही थी, और उसमें से शून्य की काली, घिनौनी ऊर्जा रिसने लगी, जैसे क्रिस्टल के अंदर का प्रकाश बुझ रहा हो। क्रिस्टल कांपने लगा, और उसकी रोशनी धीमी पड़ने लगी।
"हमें उसे रोकना होगा!" रिया ने कहा, और अपनी बची हुई सारी ऊर्जा क्रिस्टल की ओर धकेलने लगी। "यह हमारी दुनिया का दिल है! अगर यह टूट गया... तो सब खत्म हो जाएगा!"
समीर और भैरवी भी अपनी अंतिम शक्ति को क्रिस्टल में डाल रहे थे। उनकी ऊर्जा क्रिस्टल के माध्यम से कलासुर के शून्य-अंश से टकरा रही थी, उसे फैलने से रोकने की कोशिश कर रही थी। लेकिन वे पहले से ही थके हुए थे, और कलासुर का शून्य बहुत शक्तिशाली था।
वापस पॉकेट आयाम में, कलासुर ने आरव पर एक और बड़ा हमला किया। उसने शून्य के विशाल, घूमते हुए ब्लेड बनाए, जो हर तरफ से आरव की ओर बढ़े। आरव को पता था कि उसे अपने दोस्तों को बचाने में मदद करनी होगी, लेकिन वह इस आयाम से बाहर नहीं निकल सकता था, जब तक कलासुर यहाँ था। उसे एक साथ दो मोर्चों पर लड़ना होगा।
आरव ने अपनी आकाश-शक्ति को केंद्रित किया, और अपने चारों ओर एक विशाल सुरक्षा कवच बनाया, जो सभी चार तत्वों की संयुक्त शक्ति से बना था। रिया की अग्नि ने ब्लेडों को जलाना शुरू किया, समीर के जल ने उन्हें पिघलाना शुरू किया, भैरवी की पृथ्वी ने उन्हें स्थिर करना चाहा, और वायु ने उन्हें दिशाहीन कर दिया।
कलासुर ने आरव को देखा, उसकी आँखों में गुस्सा था, लेकिन साथ ही एक नई निराशा भी। आरव के अंदर का संतुलन उसे हर बार हरा रहा था। कलासुर ने अपनी बची हुई सारी शक्ति को केंद्रित किया, इस बार उसने आरव के सुरक्षा कवच को तोड़ने का इरादा किया। आयाम में भयानक कंपन हुआ, जैसे वह फटने वाला हो।
"तुम मुझे रोक नहीं सकते!" कलासुर ने दहाड़ा। "मैं शून्य हूँ! मैं अनंत हूँ! तुम अंततः मेरे सामने झुक जाओगे!"
आरव ने अपनी आँखें बंद कीं, और अपने दोस्तों की ऊर्जा को अपने अंदर महसूस किया। उसने अपनी आकाश-शक्ति को चरम पर पहुँचाया, और उसके शरीर से एक सफेद-नीली आभा निकली, जो चारों तत्वों की ऊर्जा को एक साथ खींच रही थी। उसने कलासुर की ओर देखा। "मैं नहीं झुकूँगा, कलासुर। क्योंकि मेरे अंदर सिर्फ मैं नहीं, हम सब हैं।"
आरव ने अपने हाथों को फैलाया, और कलासुर की ओर एक शक्तिशाली ऊर्जा तरंग छोड़ी, जो सभी पाँच तत्वों की संयुक्त शक्ति से बनी थी। यह न तो विनाशकारी थी, न ही रचनात्मक, बल्कि शुद्ध संतुलन की ऊर्जा थी, जो कलासुर के शून्य को भेदने की बजाय उसे स्थिर करने की कोशिश कर रही थी। कलासुर उस ऊर्जा तरंग से टकराया, और एक ज़बरदस्त धमाके के साथ, पॉकेट आयाम पूरी तरह से रोशनी से भर गया। लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई थी, लेकिन आरव ने कलासुर को एक पल के लिए हिला दिया था, और अब कलासुर को एहसास हो रहा था कि यह लड़ाई उतनी आसान नहीं होगी जितनी उसने सोची थी।
Chapter 9
तत्व-केंद्र पर, रिया, समीर और भैरवी की साँसें उखड़ रही थीं। उनके शरीर ज़मीन पर गिरे हुए थे, लेकिन उनके हाथ अब भी क्रिस्टल से लगे हुए थे। कलासुर के शून्य का वह काला अंश, जो क्रिस्टल के आधार से रिस रहा था, धीरे-धीरे बढ़ रहा था, जैसे कोई काला ज़हर क्रिस्टल के भीतर समा रहा हो। क्रिस्टल की चमक, जो पहले तेज़ थी, अब धुंधली पड़ रही थी, और उससे एक उदास, हल्की सी नीली रोशनी निकल रही थी, जो निराशा का प्रतीक थी।
रिया ने खाँसी, उसके मुँह से खून का एक कतरा निकला। "हम... हम इसे रोक नहीं पा रहे हैं..." उसकी आवाज़ लगभग एक फुसफुसाहट थी, जैसे उसकी सारी शक्ति शब्दों में ही खत्म हो गई हो। "यह... यह बहुत शक्तिशाली है।"
समीर ने अपने दाँत भींचे, उसकी आँखों में दर्द और लाचारी थी। "आरव ने हमें चेतावनी दी थी... लेकिन हम क्या कर सकते हैं? हम अपनी सारी ऊर्जा लगा चुके हैं।" वह क्रिस्टल पर अपनी मुट्ठी पीटता है, लेकिन उसकी मुट्ठी में ताकत नहीं थी।
भैरवी की आँखें आधी बंद थीं, उसका चेहरा पीला पड़ गया था। उसने कलासुर के शून्य अंश को देखा, जो धीरे-धीरे क्रिस्टल के भीतर अपना रास्ता बना रहा था। "यह... यह सिर्फ शक्ति का हमला नहीं है," उसने मुश्किल से कहा। "यह... यह अस्तित्व का ही विनाश चाहता है।"
अचानक, क्रिस्टल में एक ज़ोर का कंपन हुआ, और शून्य का अंश एक और इंच आगे बढ़ गया। तत्व-केंद्र का प्रकाश और भी फीका पड़ गया, और बाहर की दुनिया से, एक उदास, गूँजती हुई ध्वनि सुनाई दी, जैसे धरती कांप रही हो।
रिया ने अपनी अंतिम शक्ति को इकट्ठा किया, और अपनी उंगलियों को क्रिस्टल पर ज़ोर से दबाया। "हमें कुछ करना होगा," उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक नई दृढ़ता थी, जो दर्द से लड़ रही थी। "अगर यह क्रिस्टल टूट गया... तो आरव की लड़ाई का कोई मतलब नहीं रहेगा। दुनिया खत्म हो जाएगी।"
समीर ने अपनी आँखें खोलीं, उसकी आँखों में अब चमक लौट रही थी, हालाँकि वह अभी भी थका हुआ था। "क्या? लेकिन हम क्या करें? हम उस आयाम में जाकर आरव की मदद नहीं कर सकते, और हम यहाँ इस शून्य को भी नहीं रोक पा रहे हैं।"
भैरवी ने अपनी आँखें खोल ली थीं, और उसकी दृष्टि क्रिस्टल से हटकर अपने हाथों पर पड़ी, जो अभी भी ऊर्जा से कांप रहे थे। "गुरु वशिष्ठ ने कहा था..." उसने धीरे से कहा, जैसे कोई दूर की याद उसके दिमाग में आ रही हो। "सील... नई सील के लिए..."
रिया ने तुरंत भैरवी की ओर देखा, उसकी आँखों में उम्मीद की एक चिंगारी जली। "क्या? गुरु वशिष्ठ ने क्या कहा था?"
भैरवी ने अपनी पलकें झपकाईं, और एक गहरी साँस ली। "मठ में... उनके ग्रंथों में... उन्होंने लिखा था कि कलासुर को हमेशा के लिए रोकने के लिए... उसे एक नई सील में कैद करना होगा। और उस सील को बनाने के लिए... पाँचों तत्वों की सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा की आवश्यकता होगी।" उसने समीर और रिया की ओर देखा। "केवल आकाश-तत्वधारी ही इसे निर्देशित कर सकता है।"
समीर ने भौंहें सिकोड़ीं। "पांचों तत्वों की सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा? लेकिन आकाश-तत्व तो सिर्फ आरव के पास है। और बाकी चार हम तीनों के पास।"
रिया की आँखें अचानक चौड़ी हो गईं। उसने अपने अंदर की ऊर्जा को महसूस किया, जो थकी हुई थी, लेकिन फिर भी मौजूद थी। "हाँ!" उसने लगभग चिल्लाते हुए कहा। "सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा! इसका मतलब है कि हमारी ऊर्जा को आरव के साथ मिलना होगा! उसे सील बनाने के लिए हमारी शक्ति की ज़रूरत है, न कि इस शून्य को रोकने के लिए।"
भैरवी ने सिर हिलाया। "वह शून्य का अंश... वह सिर्फ हमें विचलित करने के लिए है। कलासुर जानता है कि हम अपनी शक्ति का उपयोग उसे रोकने में करेंगे, और इस तरह हम आरव को अपनी ऊर्जा नहीं भेज पाएंगे। वह चाहता है कि हम अपनी ऊर्जा यहीं बर्बाद करें, ताकि आरव वहाँ अकेला पड़ जाए।"
समीर ने गुस्से में क्रिस्टल में बढ़ रहे शून्य अंश को देखा। "तो इसका मतलब है कि हमें इस पर ध्यान देना बंद करना होगा, और अपनी सारी शक्ति आरव को भेजनी होगी?" उसकी आवाज़ में थोड़ी हिचकिचाहट थी। यह एक जोखिम भरा कदम था। अगर वे इस शून्य को रोकना छोड़ देते, तो क्रिस्टल तुरंत नष्ट हो सकता था।
रिया ने उसकी आँखों में देखा, उसकी आँखों में दृढ़ संकल्प चमक रहा था। "हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है, समीर। अगर आरव सील नहीं बना पाया, तो यह शून्य वैसे भी दुनिया को खत्म कर देगा। हमें उस पर भरोसा करना होगा। हमें उसे अपनी पूरी शक्ति देनी होगी, ताकि वह कलासुर को हमेशा के लिए कैद कर सके।"
भैरवी ने अपनी आँखें बंद कीं। "यह हमारी सबसे बड़ी परीक्षा है। हमें उस शून्य को नज़रअंदाज़ करना होगा, और आरव पर पूरा विश्वास करना होगा।"
तीनों ने एक-दूसरे की ओर देखा। उनके चेहरे थके हुए थे, लेकिन उनकी आँखों में अब एक नया दृढ़ संकल्प था। उन्होंने एक साथ अपने हाथ क्रिस्टल से हटाए, और उनकी हथेलियाँ ऊपर की ओर थीं। क्रिस्टल के अंदर बढ़ रहा शून्य का अंश, उनके रोकने के अभाव में, तेजी से फैलने लगा। एक काली, ज़हरीली धारा क्रिस्टल के मुख्य केंद्र की ओर बढ़ने लगी।
"हमें जल्दी करनी होगी!" रिया ने कहा, उसके माथे पर पसीने की बूँदें थीं। "यह बहुत खतरनाक होगा।"
उन्होंने तत्व-केंद्र क्रिस्टल के चारों ओर एक वृत्त में बैठ गए। रिया अग्नि-तत्व की स्थिति में, समीर जल-तत्व की स्थिति में, और भैरवी पृथ्वी-तत्व की स्थिति में। वे जानते थे कि उन्हें अपनी जीवन-ऊर्जा को अपनी तात्विक ऊर्जा के साथ मिलाना होगा, और उसे आरव की ओर भेजना होगा। यह केवल शारीरिक शक्ति का हस्तांतरण नहीं था, यह उनकी आत्मा का एक हिस्सा था, उनकी आशा, उनका प्रेम।
रिया ने अपनी आँखें बंद कीं, और अपने अंदर की अग्नि को महसूस किया। यह सिर्फ जलने वाली आग नहीं थी, यह जुनून, दृढ़ संकल्प, और प्रेम की अग्नि थी। उसने अपनी पूरी एकाग्रता के साथ अपनी अग्नि-ऊर्जा को आरव की ओर धकेला, जो हजारों मील दूर, एक अलग आयाम में लड़ रहा था। उसके शरीर से लाल ऊर्जा की एक मोटी, धड़कती हुई धारा निकली, जो सीधे तत्व-केंद्र क्रिस्टल में समा गई, और फिर क्रिस्टल से आगे, उस आयाम की ओर बढ़ी जहाँ आरव लड़ रहा था। उसके माथे पर पसीने की बूँदें फूट पड़ीं, और उसके होंठ दर्द से कांपने लगे, लेकिन उसने अपनी एकाग्रता नहीं तोड़ी।
समीर ने अपनी आँखें बंद कीं, और अपने अंदर के जल-तत्व को महसूस किया। यह शांत, बहने वाला पानी नहीं था, यह दृढ़ता, अनुकूलनशीलता, और जीवन का स्रोत था। उसने अपनी पूरी शक्ति से अपनी जल-ऊर्जा को आरव की ओर भेजा। उसके शरीर से नीली ऊर्जा की एक चमकदार धारा निकली, जो रिया की लाल धारा के साथ मिल गई, और दोनों मिलकर क्रिस्टल में समा गईं। समीर का शरीर कांपने लगा, उसकी साँसें तेज़ हो गईं, लेकिन उसने अपना ध्यान नहीं खोया।
भैरवी ने अपनी आँखें बंद कीं, और अपने अंदर के पृथ्वी-तत्व को महसूस किया। यह सिर्फ ज़मीन की कठोरता नहीं थी, यह धैर्य, स्थिरता, और पोषण की शक्ति थी। उसने अपनी पूरी आत्मा से अपनी पृथ्वी-ऊर्जा को आरव की ओर भेजा। उसके शरीर से गहरे हरे रंग की ऊर्जा की एक स्थिर धारा निकली, जो लाल और नीली धाराओं के साथ मिल गई, और तीनों एक साथ क्रिस्टल में समा गईं। भैरवी के चेहरे पर दर्द की रेखाएँ उभर आईं, लेकिन उसकी एकाग्रता अटूट थी।
तीनों की ऊर्जाएं, तीन अलग-अलग रंगों की धाराएं, तत्व-केंद्र क्रिस्टल के भीतर मिल गईं। क्रिस्टल, जो कुछ ही देर पहले धुंधला पड़ रहा था, अब फिर से चमकने लगा, लेकिन इस बार उसकी चमक नीली नहीं, बल्कि एक बहुरंगी, जीवनदायक आभा थी। यह आभा क्रिस्टल के अंदर कलासुर के फैलते हुए शून्य अंश को भी प्रभावित करने लगी। शून्य का अंश अपनी बढ़त धीमा करने लगा, जैसे इन शुद्ध ऊर्जाओं से टकराकर कमज़ोर पड़ रहा हो।
यह ऊर्जा का हस्तांतरण बहुत थका देने वाला था। उनकी जीवन-ऊर्जा, उनकी आत्मा का सार, आरव की ओर बह रहा था। वे जानते थे कि यह प्रक्रिया उन्हें पूरी तरह से खाली कर सकती है, शायद उन्हें मार भी सकती है। लेकिन उनके पास कोई और रास्ता नहीं था। आरव पर भरोसा, और दुनिया को बचाने की उम्मीद, यही उन्हें आगे बढ़ा रही थी।
वापस पॉकेट आयाम में, आरव कलासुर के साथ एक भयंकर लड़ाई लड़ रहा था। कलासुर ने अब तक के अपने सबसे शक्तिशाली शून्य-हमले से आरव को घेर रखा था। वह आरव के सुरक्षा कवच को तोड़ने की कगार पर था। आयाम में ज़बरदस्त कंपन हो रहा था, जैसे वह फटने वाला हो। आरव अपनी सारी शक्ति लगा रहा था, लेकिन वह महसूस कर रहा था कि वह अब थकने लगा है। कलासुर के लगातार हमलों ने उसकी आकाश-शक्ति को भी थका दिया था।
"तुम खत्म हो चुके हो, आकाश-पुरुष!" कलासुर ने दहाड़ा, उसकी आवाज़ में जीत की झलक थी। "तुम्हारी यह दुनिया मेरे शून्य में विलीन हो जाएगी! तुम अकेले हो! तुम मुझे रोक नहीं सकते!"
ठीक उसी पल, जब आरव का सुरक्षा कवच चरमरा रहा था, उसे अपने अंदर एक अजीब सी ऊर्जा महसूस हुई। यह कोई उसकी अपनी ऊर्जा नहीं थी, बल्कि एक गर्म, परिचित प्रवाह था। लाल, नीला और हरा। यह उसके दोस्तों की ऊर्जा थी! यह उनके प्रेम की ऊर्जा थी, उनकी आशा की, उनका अटूट विश्वास था। यह ऊर्जा उसके शरीर में समाने लगी, उसकी थकी हुई नसों में नया जीवन भरने लगी।
आरव की आँखों में एक नई चमक आ गई। उसने महसूस किया कि वह अकेला नहीं था। उसकी आँखें खुलीं, और उसने कलासुर की ओर देखा। उसके चेहरे पर अब थकान नहीं, बल्कि एक अटूट दृढ़ संकल्प था। "मैं अकेला नहीं हूँ, कलासुर!" आरव ने दहाड़ा, उसकी आवाज़ में एक नई शक्ति थी। "मैं कभी अकेला नहीं था!"
उसकी आकाश-शक्ति, जो अब उसके दोस्तों की ऊर्जा से भर चुकी थी, दस गुना बढ़ गई। उसके चारों ओर का सुरक्षा कवच और भी मज़बूत हो गया, और कलासुर का हमला उससे टकराकर बिखर गया। आरव ने अपने हाथों को फैलाया, और उसके चारों ओर लाल, नीला और हरा रंग एक साथ घूमने लगा, जो उसकी आकाश-शक्ति के सफेद-नीले प्रकाश में घुलमिल गए। अब वह सिर्फ आकाश-पुरुष नहीं था, वह पाँचों तत्वों का सामंजस्य था। अंतिम लड़ाई का पासा अब पलटने वाला था।
Chapter 10
तत्व-केंद्र पर, रिया का शरीर कांप रहा था, उसके सारे अंग जवाब दे रहे थे, लेकिन उसके माथे से बहता पसीना और होंठों से निकलती धीमी-धीमी कराहट के बावजूद, उसकी उंगलियाँ ऊर्जा के एक अनवरत स्रोत की तरह क्रिस्टल से चिपकी हुई थीं। उसकी आँखों के सामने, क्रिस्टल के अंदर फैल रहा शून्य का काला अंश अब रुक-सा गया था। उसके चारों ओर लाल ऊर्जा की एक मोटी, धड़कती हुई धारा निकल रही थी, जो क्रिस्टल में समाकर उसे एक नई चमक दे रही थी। वह अपनी सारी बची हुई शक्ति को आरव की ओर धकेल रही थी, और उसे महसूस हो रहा था कि उसकी ऊर्जा आरव तक पहुँच रही है। यह एहसास किसी जीत से कम नहीं था।
समीर की साँसें उखड़ रही थीं, उसका सीना तेज़ गति से ऊपर-नीचे हो रहा था। उसके हाथों से नीली ऊर्जा की धारा निकल रही थी, जो रिया की ऊर्जा के साथ मिलकर क्रिस्टल को शक्ति दे रही थी। उसका चेहरा पीला पड़ गया था, और उसकी आँखें आधी बंद थीं, लेकिन उसके दिमाग में सिर्फ एक ही विचार था: आरव को शक्ति देना। उसने महसूस किया कि उसकी ऊर्जा, बहती हुई नदी की तरह, आरव की ओर बढ़ रही है, उसे सहारा दे रही है। यह प्रक्रिया उसके शरीर को पूरी तरह से निचोड़ रही थी, लेकिन वह जानता था कि यही एकमात्र तरीका था।
भैरवी ने अपनी आँखें कसकर बंद कर रखी थीं, उसके माथे पर गहरी शिकन थी। हरे रंग की पृथ्वी-ऊर्जा उसके शरीर से निकलकर रिया और समीर की धाराओं में मिल रही थी, उन्हें स्थिरता और आधार दे रही थी। वह अपनी हर साँस के साथ अपनी जीवन-शक्ति आरव को भेज रही थी। उसके पूरे शरीर में भयानक दर्द हो रहा था, जैसे उसकी हड्डियाँ पिघल रही हों, लेकिन उसने अपनी एकाग्रता नहीं खोई। उसे महसूस हो रहा था कि तीनों की ऊर्जाएँ एक साथ मिलकर, एक शक्तिशाली लहर की तरह, उस आयाम की ओर बढ़ रही थीं जहाँ आरव कलासुर से लड़ रहा था। क्रिस्टल के अंदर शून्य का अंश, जो कुछ देर पहले तेज़ी से फैल रहा था, अब पूरी तरह से रुक गया था, और उसकी काली चमक हल्की पड़ गई थी।
वापस पॉकेट आयाम में, कलासुर अपनी पूरी शक्ति से आरव के सुरक्षा कवच पर हमला कर रहा था। उसके शून्य के ब्लेड कवच से टकराकर चिंगारियाँ निकाल रहे थे, और आयाम का संतुलन बिगड़ने लगा था। आरव, जो कुछ देर पहले थकने लगा था, अब एक नई शक्ति से भर गया था। उसके शरीर से निकलने वाली सफेद-नीली आभा और भी तेज़ हो गई थी, और उसके चारों ओर लाल, नीला और हरा रंग एक साथ घूम रहे थे, जैसे चार संरक्षक आत्माएँ उसे घेरे हों। यह सिर्फ ऊर्जा नहीं थी, यह उनके दोस्तों का विश्वास था, उनका समर्पण था, उनका प्रेम था, जो आरव को एक अभेद्य ढाल दे रहा था।
कलासुर ने देखा कि आरव का सुरक्षा कवच पहले से भी ज़्यादा मज़बूत हो गया है। उसके हमलों का कोई असर नहीं हो रहा था। उसकी आँखें गुस्से से सिकुड़ गईं, और उसके चेहरे पर पहली बार एक ऐसी भावना आई जिसे आरव ने पहले कभी नहीं देखा था: विस्मय और हल्का सा डर।
"यह... यह क्या है?" कलासुर ने दहाड़ा, उसकी आवाज़ में क्रोध और अविश्वास था। "तुम कहाँ से यह शक्ति ला रहे हो? यह तुम्हारी अपनी शक्ति नहीं है!" उसने आरव के चारों ओर घूम रही बहुरंगी ऊर्जा को देखा। "ये... ये नश्वर बंधन हैं! ये तुम्हें कमजोर करते हैं! ये तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी हैं!"
आरव मुस्कुराया, एक शांत, विजयी मुस्कान। उसकी आँखों में अब गुरु वशिष्ठ की शांति और दृढ़ता झलक रही थी। "तुम गलत हो, कलासुर," उसने कहा, उसकी आवाज़ आयाम में गूँजी। "ये बंधन नहीं हैं। ये मेरी ताकत हैं। ये प्रेम है। ये दोस्ती है। और यही कारण है कि तुम मुझे कभी नहीं हरा सकते।"
कलासुर के चेहरे पर गुस्सा और भी बढ़ गया। उसे यह विचार पसंद नहीं था। उसे यह प्रेम, यह आशा, यह नश्वरता नापसंद थी। वह सिर्फ शून्य को जानता था, पूर्ण अकेलेपन को। "मूर्ख! तुम इन नश्वरों के लिए अपनी शक्ति क्यों बर्बाद करते हो? तुम आकाश-पुरुष हो! तुम अकेले ही अनंत हो सकते हो! ये तुम्हें बांधते हैं! मैं तुम्हें इन बेड़ियों से मुक्त करूँगा!"
कलासुर ने अपने हाथों को ऊपर उठाया, और आयाम में एक ज़बरदस्त कंपन हुआ। उसने अपनी पूरी शक्ति को केंद्रित किया, और एक विशाल, घूमता हुआ शून्य-ब्लेड आरव की ओर फेंका। यह ब्लेड सिर्फ आरव पर हमला नहीं कर रहा था, यह पॉकेट आयाम को चीरने की कोशिश कर रहा था, ताकि बाहर की दुनिया से आरव का कनेक्शन टूट जाए। यह ब्लेड विशाल और काला था, उसमें से अँधेरा रिस रहा था, जैसे वह आयाम को ही निगल जाना चाहता हो।
"मैं इस बेड़ी को तोड़ दूँगा!" कलासुर ने दहाड़ा। "और जब तुम अकेले पड़ोगे, तब तुम शून्य की सच्ची शांति को समझोगे!"
आरव ने गहरी साँस ली। उसने महसूस किया कि उसके दोस्त बाहर अपनी अंतिम शक्ति लगा रहे थे, और उसे पता था कि उसे इस कनेक्शन को बचाना होगा। उसने अपने हाथों को फैलाया, और उसके चारों ओर घूम रही चारों तत्वों की ऊर्जा और उसकी अपनी आकाश-शक्ति को एक साथ केंद्रित किया। उसने एक ही पल में अग्नि की एक जलती हुई ढाल बनाई, जो कलासुर के ब्लेड से टकराई। ब्लेड की काली ऊर्जा आग से टकराकर फुसफुसाने लगी, लेकिन आरव ने हार नहीं मानी।
फिर, उसने ढाल को जल में बदल दिया, और एक विशाल, घूमता हुआ जल-चक्र बनाया, जो ब्लेड को अपनी ओर खींचने लगा, उसकी शक्ति को सोखने की कोशिश करने लगा। जल-चक्र ब्लेड की काली ऊर्जा से रंगीन होने लगा, लेकिन आरव का नियंत्रण अटूट था।
कलासुर क्रोध से जल उठा। वह देख रहा था कि आरव उसकी शक्ति को सिर्फ रोक नहीं रहा था, बल्कि उसे बदल रहा था। उसने एक और शून्य-ऊर्जा के झटके से जल-चक्र पर हमला किया।
लेकिन आरव तैयार था। उसने जल-चक्र को हवा में बदल दिया, और एक तेज़, घूमता हुआ वायु-भंवर बनाया, जिसने ब्लेड को चारों ओर से घेर लिया और उसे दिशाहीन कर दिया। वायु-भंवर इतनी तेज़ी से घूम रहा था कि कलासुर का ब्लेड बेकाबू होकर आयाम की दीवारों से टकराने लगा, जिससे और भी कंपन हुआ।
कलासुर ने अपने होंठ भींचे। "यह क्या बकवास है? तुम कैसे मेरी शक्ति को इतना आसानी से मोड़ सकते हो?"
आरव ने कलासुर की आँखों में देखा। "क्योंकि मैं तुम्हें नष्ट नहीं कर रहा, कलासुर। मैं तुम्हें संतुलित कर रहा हूँ। हर विनाश में सृजन का बीज होता है, और हर शून्य में अनंत संभावनाएं होती हैं। यही संतुलन है।" उसने अंत में वायु-भंवर को पृथ्वी में बदल दिया, और एक विशाल, ठोस पृथ्वी की मुट्ठी बनाई, जिसने कलासुर के ब्लेड को पूरी तरह से पकड़ लिया और उसे चूर-चूर कर दिया, जैसे वह कुछ भी न हो। ब्लेड के काले टुकड़े आयाम में बिखर गए, और फिर शून्य में विलीन हो गए।
कलासुर ने अपने हाथों को देखा, उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसका सबसे शक्तिशाली हमला आरव ने इतनी आसानी से बेअसर कर दिया था। उसका चेहरा गुस्से और निराशा से भर गया। "यह असंभव है!" उसने फुसफुसाते हुए कहा। "कोई नश्वर इतनी शक्ति कैसे पा सकता है?"
आरव ने एक कदम आगे बढ़ाया, उसकी आँखों में दृढ़ निश्चय था। उसके चारों ओर पाँचों तत्वों की ऊर्जा सामंजस्य में घूम रही थी। "यह नश्वर शक्ति नहीं है, कलासुर। यह जीवन की शक्ति है। और अब, इस लड़ाई को खत्म करने का समय आ गया है।" उसकी आवाज़ अब केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की प्रतिध्वनि थी। कलासुर को एहसास हो गया था कि उसने एक ऐसे दुश्मन को जागृत कर दिया है जिसे वह समझ नहीं पाया था। यह लड़ाई अब अस्तित्व और अनस्तित्व के बीच एक वास्तविक टकराव बन गई थी, जहाँ सिर्फ शक्ति नहीं, बल्कि विश्वास और प्रेम भी मायने रखता था।
Chapter 11
कलासुर की आँखें क्रोध से लाल हो गईं। आरव के शब्दों ने उसे गहराई तक झकझोर दिया था। संतुलन? सामंजस्य? उसे यह सब बकवास लगता था। शून्य के अलावा उसे कुछ और स्वीकार्य नहीं था।
"संतुलन?" कलासुर ने दहाड़ते हुए कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी कर्कशता थी, जैसे वह किसी पिंजरे में बंद जंगली जानवर हो। "यह सब ढोंग है! यह दुनिया सिर्फ संघर्ष है, पीड़ा है, अंतहीन दुख है! तुमने अपनी आँखों से देखा है कि कैसे नश्वर एक-दूसरे को नष्ट करते हैं! कैसे वे अपनी ही लालच में डूबते हैं! युद्ध! घृणा! धोखा! क्या तुम्हें लगता है कि यह सब बचाने लायक है?"
उसने अपने हाथों को फैलाया, और आयाम के भीतर की खाली जगह एक पल के लिए घूमी, जैसे वह आरव को दुनिया की सबसे भयानक यादें दिखाना चाहता हो – युद्ध के मैदान, जलते हुए शहर, रोते हुए बच्चे। ये सब कलासुर के शून्य की शक्ति से पैदा हुए भ्रम थे, जो आरव के मन को तोड़ने के लिए थे।
"देखो!" कलासुर ने उंगली उठाई, उसके स्वर में एक भयावह खुशी थी। "देखो अपने ही लोगों को! तुम्हारे सम्राट विक्रम, जिसने शक्ति के लिए क्या-क्या नहीं किया? गुरु वशिष्ठ, जिसने तुम्हें धोखे से पाला-पोसा ताकि तुम उसके साधन बन सको? तुम्हारे दोस्त! कब तक वे तुम्हारे साथ रहेंगे? कब तक तुम उनके बोझ को उठाओगे? एक दिन वे भी तुम्हें अकेला छोड़ देंगे, जैसे हर कोई छोड़ देता है!"
आरव ने कलासुर के द्वारा पैदा किए गए उन भयानक दृश्यों को देखा। उसके मन में एक पल के लिए हलचल हुई। उसने युद्ध की क्रूरता देखी थी, अपने ही लोगों के बीच विश्वासघात देखा था। लेकिन उसने तुरंत अपनी आँखें बंद कीं, और जब उसने उन्हें खोला, तो उसकी आँखों में दृढ़ संकल्प और स्पष्टता थी। उसके चारों ओर पाँचों तत्वों की ऊर्जा और भी तेज़ी से घूमने लगी, जैसे उसे और भी शक्ति दे रही हो।
"तुम गलत हो, कलासुर," आरव ने शांत स्वर में कहा, उसकी आवाज़ आयाम की भयावहता के बीच भी स्थिर थी। "हाँ, इस दुनिया में दर्द है। संघर्ष है। लेकिन दर्द के साथ ही खुशी भी है। घृणा के साथ प्रेम भी है। धोखे के साथ विश्वास भी है।" उसने अपनी दृष्टि कलासुर से हटाई, और उसकी आँखों में अपने दोस्तों के चेहरे घूम गए – रिया की दृढ़ता, समीर की वफादारी, भैरवी की सहनशीलता। "यह दुनिया सिर्फ़ अंधकार नहीं है। इसमें प्रकाश भी है। इसमें ऐसे लोग हैं, जो दर्द सहकर भी खड़े रहते हैं। जो गिरकर भी उठते हैं। जो एक-दूसरे को सहारा देते हैं।"
आरव ने एक क्षण के लिए अपनी आँखें बंद कीं, और उसे अपने दोस्तों की ऊर्जा का प्रवाह और भी तेज़ महसूस हुआ। "तुम्हें लगता है कि वे मेरा बोझ हैं?" उसने आँखें खोलते हुए कहा, उसकी आवाज़ अब और अधिक शक्तिशाली थी। "नहीं! वे मेरी ताकत हैं! उनका प्यार, उनका विश्वास, उनकी दोस्ती – यही मुझे खड़ा रखता है! यही मुझे लड़ने की हिम्मत देता है! यही कारण है कि यह दुनिया बचाने लायक है, कलासुर! क्योंकि इसमें प्रेम है! आशा है! यही सब अस्तित्व को मायने देता है!"
कलासुर ने गुस्से में हाथ फटकारा। आयाम में कंपन हुआ। "यह सब बकवास है! ये भावनाएँ तुम्हें अंधा करती हैं! ये सिर्फ़ तुम्हें दुख देती हैं! शून्य ही परम शांति है! वहाँ कोई दर्द नहीं, कोई संघर्ष नहीं, कोई धोखा नहीं!" उसकी आवाज़ ऊंची होती जा रही थी। "तुम ऐसी दुनिया के लिए क्यों लड़ते हो जो खुद को नष्ट करने पर तुली है? क्या तुम नहीं देखते कि विनाश ही इसका अंतिम परिणाम है? मैं सिर्फ इस प्रक्रिया को तेज़ कर रहा हूँ!"
आरव ने कलासुर की ओर एक कदम बढ़ाया, उसके चारों ओर की ऊर्जा और भी सघन हो गई। "संघर्ष के बिना विकास नहीं हो सकता, कलासुर। अंधेरे के बिना प्रकाश का मूल्य नहीं समझा जा सकता। दर्द के बिना खुशी की गहराई महसूस नहीं की जा सकती।" आरव ने अपने हाथों को फैलाया, और आयाम में शुद्ध, सफेद आकाश-ऊर्जा फैलने लगी, जो कलासुर के शून्य द्वारा बनाए गए भ्रमों को मिटाती जा रही थी। "तुम सिर्फ विनाश देखते हो, क्योंकि तुम सृजन को समझ नहीं सकते। तुम सिर्फ दुख देखते हो, क्योंकि तुमने कभी प्रेम महसूस नहीं किया।"
कलासुर ने गुस्से में अपने होंठ भींचे। आरव के शब्द उसके शून्य के दर्शन पर सीधा हमला थे। यह केवल शक्ति की लड़ाई नहीं थी, यह विचारों की लड़ाई थी, अस्तित्व के अर्थ की लड़ाई थी। कलासुर जानता था कि आरव को केवल शारीरिक शक्ति से हराना मुश्किल हो रहा था, खासकर जब उसे अपने दोस्तों का समर्थन मिल रहा था। उसे लगा कि आरव की भावनाएँ उसे कमज़ोर करेंगी, लेकिन यहाँ तो वे उसे और भी शक्तिशाली बना रही थीं।
कलासुर ने आरव की आँखों में देखा। "तुम अभी भी एक नश्वर हो! तुम्हें क्या लगता है कि तुम मुझे कैद कर लोगे? मैं शून्य हूँ! मैं अनंत हूँ! तुम मुझे कैसे रोक सकते हो?"
आरव ने शांत भाव से कहा, "मैं तुम्हें रोकूँगा नहीं, कलासुर। मैं तुम्हें संतुलित करूँगा।"
कलासुर ने अचानक एक ज़ोर का ठहाका लगाया, लेकिन उसकी हँसी में कोई खुशी नहीं थी, सिर्फ पागलपन और घृणा थी। "तुम अब भी वही बच्चा हो जो सिर्फ गुरु वशिष्ठ की बकवास दोहरा रहा है! संतुलन? जब दुनिया जल रही है? जब अस्तित्व मिटने वाला है? मूर्ख!"
अचानक, कलासुर का चेहरा गंभीर हो गया। उसकी आँखों में एक नई, भयानक चमक आ गई। "ठीक है! अगर तुम इस अस्तित्व से इतना प्यार करते हो, तो मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि यह कितना नाज़ुक है!"
उसने अचानक अपने हाथ ऊपर उठाए, और इस बार उसका हमला आरव पर नहीं था। उसकी सारी शून्य-ऊर्जा एक काली, संकरी किरण में बदल गई, जो पॉकेट आयाम की दीवारों को चीरती हुई, बाहर, तत्व-केंद्र की ओर बढ़ी।
आरव की आँखें चौड़ी हो गईं। उसे एहसास हो गया कि कलासुर क्या करने वाला था। वह जानता था कि उसके दोस्त बाहर अपनी अंतिम शक्ति लगा रहे थे, और तत्व-केंद्र का क्रिस्टल अभी भी शून्य के हमले का सामना कर रहा था। कलासुर उसे यहाँ बातों में उलझाए रख रहा था, जबकि उसका असली निशाना दुनिया का हृदय था।
"नहीं!" आरव ने दहाड़ा।
लेकिन कलासुर की शून्य-किरण अविश्वसनीय गति से बढ़ रही थी। आरव ने अपनी आकाश-शक्ति को केंद्रित किया, और एक ही पल में उस किरण के सामने टेलीपोर्ट हो गया, अपने शरीर को ढाल बना लिया। किरण उसके कवच से टकराई, और आरव को एक ज़ोर का झटका लगा। उसके मुँह से दर्द भरी आवाज़ निकली, लेकिन उसने किरण को आगे नहीं बढ़ने दिया।
"तुम मुझे रोकने के लिए खुद को क्यों बर्बाद करते हो?" कलासुर ने ज़ोर से हँसते हुए कहा। "यह अंतहीन है! तुम कब तक खुद को कुर्बान करोगे? तुम अपनी दुनिया के हर दुख को कैसे सोख सकते हो?"
आरव दर्द से कराह रहा था, लेकिन उसकी आँखों में दृढ़ संकल्प अटूट था। "जितनी देर तक ज़रूरी होगा!" उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी शक्ति थी। "मैं अपनी दुनिया को टूटने नहीं दूँगा!"
किरण अभी भी आरव पर पड़ रही थी, और पॉकेट आयाम में ज़बरदस्त कंपन हो रहा था। आरव को एहसास हुआ कि इस आयाम में कलासुर के हमलों को पूरी तरह से बेअसर करना मुश्किल था, क्योंकि यह शून्य के करीब था। उन्हें इस लड़ाई को कहीं और ले जाना होगा। एक ऐसी जगह, जहाँ कलासुर के शून्य को कोई फायदा न मिले, और जहाँ वह बाहर की दुनिया को नुकसान न पहुँचा सके।
आरव ने अपनी पूरी शक्ति को इकट्ठा किया। उसने कलासुर की किरण को अपने हाथों में सोखा, और उसे शुद्ध ऊर्जा में बदल दिया, जिससे किरण तुरंत निष्क्रिय हो गई। फिर, उसने अपनी दृष्टि कलासुर पर केंद्रित की, और उसके चेहरे पर एक ऐसा भाव था जो कलासुर ने पहले कभी नहीं देखा था – पूर्ण नियंत्रण।
"यह यहाँ खत्म नहीं होगा, कलासुर," आरव ने शांत स्वर में कहा, उसकी आँखों में अब ब्रह्मांड की गहराई थी। "यह लड़ाई अब हमारी शर्तों पर लड़ी जाएगी।" उसने अपने हाथों को उठाया, और आयाम के भीतर की खाली जगह उसके इशारे पर बदलनी शुरू हो गई, जैसे वह एक नए ब्रह्मांड का निर्माण कर रहा हो। कलासुर की आँखों में एक बार फिर आश्चर्य और थोड़ा सा डर दिखाई दिया, क्योंकि आरव अपनी आकाश-शक्ति का उपयोग करके कुछ ऐसा करने वाला था जो उसने कभी नहीं सोचा था।
Chapter 12
आरव ने अपने हाथ ऊपर उठाए, और उसकी हथेलियों के बीच एक गहरा नीला, चमकता हुआ गोला बनने लगा। यह गोला तेज़ी से बड़ा होता गया, उसमें से ब्रह्मांड की गूँज सुनाई दे रही थी, और उसके चारों ओर पाँचों तत्वों की ऊर्जा नृत्य कर रही थी। कलासुर की आँखें उस गोले पर टिकी थीं, उसकी शून्य की शक्ति कांपने लगी थी, जैसे उसे किसी ऐसी चीज़ का सामना करना पड़ रहा हो जिसे वह समझ नहीं पा रहा था।
"यह क्या है?" कलासुर ने संदेह से पूछा, उसकी आवाज़ में पहली बार थोड़ी घबराहट थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आरव किस शक्ति का आह्वान कर रहा था, क्योंकि यह सिर्फ़ एक हमला नहीं था।
आरव ने कोई जवाब नहीं दिया। उसके माथे पर एकाग्रता की लकीरें थीं, और उसके शरीर से निकलने वाली ऊर्जा का स्तर अविश्वसनीय रूप से बढ़ गया था। उसके चारों ओर की हवा बदल गई, जैसे वह एक नए आयाम का प्रवेश द्वार खोल रहा हो। कुछ ही पलों में, वह नीला गोला एक चमकदार पोर्टल में बदल गया, जो आयाम के केंद्र में घूम रहा था। यह पोर्टल अनंत गहराइयों का आभास दे रहा था, एक ऐसा शून्य जो कलासुर के शून्य से पूरी तरह अलग था – यह सृजन का शून्य था, संभावनाओं का शून्य।
कलासुर ने पीछे हटना चाहा, लेकिन आरव ने अपनी शक्ति से उसे जकड़ लिया। एक अदृश्य बल ने कलासुर को पोर्टल की ओर खींचना शुरू कर दिया। कलासुर ने विरोध किया, अपने हाथों से शून्य के ब्लेड चलाए, लेकिन आरव की पकड़ मज़बूत थी।
"यह क्या कर रहे हो, मूर्ख!" कलासुर ने गुर्राया, उसकी आवाज़ में अब स्पष्ट रूप से डर था। "मुझे कहाँ ले जा रहे हो?"
आरव की आँखों में एक अजीब सी चमक थी। "एक ऐसी जगह जहाँ कोई और नुकसान नहीं उठाएगा," उसने शांत स्वर में कहा। "एक ऐसी जगह जहाँ हम दोनों अपनी अंतिम लड़ाई लड़ेंगे, बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के।"
एक पल में, आरव ने कलासुर को पोर्टल के अंदर धकेल दिया, और खुद भी उसके पीछे कूद गया। पोर्टल एक फ्लैश के साथ बंद हो गया, और पॉकेट आयाम एक पल के लिए खाली हो गया, फिर धीरे-धीरे सामान्य हो गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
जब उनकी आँखें खुलीं, तो वे एक बिल्कुल नई जगह पर थे। यह एक अंतहीन, खाली जगह थी, जहाँ कोई ज़मीन नहीं थी, कोई आकाश नहीं था, कोई सितारे नहीं थे। सिर्फ़ शुद्ध, कालापन था, लेकिन वह कलासुर के शून्य जैसा ठंडा और भयावह नहीं था। यह एक शांत, तटस्थ शून्य था, जैसे समय और स्थान से परे की कोई जगह। यह एक अस्थायी, पॉकेट आयाम था, जिसे आरव ने अपनी आकाश-शक्ति से सृजित किया था, जो केवल उन दोनों को समाहित करने के लिए था।
कलासुर ने चारों ओर देखा, उसकी आँखों में शुरू में अविश्वास था, फिर धीरे-धीरे एक भयानक मुस्कान फैलने लगी। "यह... यह क्या है?" उसने फुसफुसाया, जैसे वह इस जगह का एहसास ले रहा हो। "कोई ग्रह नहीं... कोई सितारे नहीं... कोई जीवन नहीं... केवल अनंत खालीपन...!"
उसकी मुस्कान बड़ी होती गई, उसके चेहरे पर एक पापी चमक आ गई। "मूर्ख आरव! तुम क्या सोचते थे कि तुमने क्या किया है? तुमने मुझे मेरे ही घर में ला दिया है! शून्य के करीब! इस खालीपन में, मेरी शक्ति असीम है! तुमने मुझे मेरे सबसे पसंदीदा स्थान पर ला दिया है!"
कलासुर ने अपने हाथों को फैलाया, और उसके चारों ओर की शून्य-ऊर्जा ने आकार लेना शुरू कर दिया। वह अपने आप को और भी बड़ा महसूस कर रहा था, और उसकी आँखें आरव पर टिकी थीं, उनमें एक शिकारी की भूख थी।
आरव ने कलासुर की बात सुनी, लेकिन उसके चेहरे पर कोई घबराहट नहीं थी। उसने चारों ओर देखा, और उसकी आँखों में शांति थी। "हाँ, कलासुर," आरव ने शांत स्वर में कहा, उसकी आवाज़ इस अंतहीन खालीपन में गूँजी। "यह एक खाली जगह है। लेकिन यह केवल खालीपन नहीं है। यह शुद्ध संभावना है। और यहाँ, इस जगह में, हम अपनी लड़ाई को खत्म कर सकते हैं।"
आरव ने एक गहरी साँस ली। "यहां कोई दर्शक नहीं होगा। कोई नुकसान नहीं होगा। यह लड़ाई सिर्फ़ हम दोनों के बीच होगी।"
कलासुर ने ज़ोर से हँसा, उसकी हँसी इस खाली आयाम में भयानक रूप से गूँज रही थी। "तुम अब भी नहीं समझते, नश्वर! यहाँ कोई नियम नहीं हैं! कोई सीमा नहीं है! यहाँ मैं परम शक्ति हूँ! तुमने मुझे अपनी कब्र खोदने में मदद की है, आरव!"
उसने अपने हाथों को ऊपर उठाया, और आयाम का कालापन उसकी शक्ति से घनीभूत होने लगा। शून्य की ऊर्जा आरव की ओर दौड़ने लगी, जैसे उसे निगल जाना चाहती हो। यह शून्य के वास्तविक स्वरूप का प्रदर्शन था, जहां कोई आकार नहीं था, कोई रूप नहीं था, केवल अस्तित्व का अंत था।
आरव ने अपनी आँखें बंद कीं, और एक गहरी साँस ली। उसने महसूस किया कि उसके दोस्तों की ऊर्जा बाहर से अभी भी उसे शक्ति दे रही थी, भले ही वे अब एक अलग आयाम में थे। यह कनेक्शन अटूट था। उसने अपनी आँखें खोलीं, और उसकी आँखों में एक नई, दिव्य चमक थी। उसके चारों ओर पाँचों तत्वों की ऊर्जा पहले से कहीं अधिक सामंजस्य में घूम रही थी, एक सुरक्षात्मक चक्र बना रही थी।
"नहीं, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी। "यह मेरी कब्र नहीं है। यह वह जगह है जहाँ मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि संतुलन ही अंतिम शक्ति है।"
कलासुर की हँसी अचानक रुक गई। उसने आरव के चारों ओर घूमती हुई बहुरंगी ऊर्जा को देखा। इस खालीपन में भी, आरव की उपस्थिति एक चमकदार बिंदु की तरह थी। कलासुर ने देखा कि आरव का इरादा कितना मज़बूत था। वह अब यह जानता था कि यह सिर्फ़ शारीरिक लड़ाई नहीं होगी, यह एक दार्शनिक युद्ध होगा, जहाँ अस्तित्व और अनस्तित्व की परिभाषाएँ टकराएंगी।
कलासुर ने अपने हाथ फैलाए, और शून्य के काले घेरे उसके चारों ओर घूमने लगे, बड़े और घने होते गए, जैसे वह इस आयाम को ही निगल जाना चाहता हो। उसने अपनी पूरी शक्ति का आह्वान किया।
"तो फिर!" कलासुर ने दहाड़ा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी खुशी थी। "अगर यही तुम्हारी अंतिम इच्छा है, तो मैं तुम्हें वह शांति दूँगा जिसकी तुम कामना करते हो - शून्य की शांति!"
शून्य की ऊर्जा से बनी विशाल, काली भुजाएँ कलासुर के पीछे से निकलीं, जो आरव की ओर बढ़ रही थीं, जैसे उसे कुचल देना चाहती हों। यह इस नए, खाली आयाम में कलासुर का पहला वास्तविक हमला था। आरव ने अपनी आँखें संकरी कीं, और अपनी ऊर्जा को केंद्रित किया। उसे पता था कि यह लड़ाई लंबी और कठिन होगी, और उसे अपनी हर शक्ति का उपयोग करना होगा।
Chapter 13
शून्य की ऊर्जा से बनी विशाल, काली भुजाएँ आरव की ओर ज़ोर से बढ़ रही थीं, जैसे उसे एक पल में कुचल देना चाहती हों। उनके आगमन से आयाम में एक भयावह चुप्पी छा गई, केवल ऊर्जा के टकराने की गड़गड़ाहट ही सुनाई दे रही थी। कलासुर की आँखों में एक भयानक चमक थी, उसे विश्वास था कि इस खाली जगह में आरव का अंत निश्चित था।
आरव ने एक गहरी साँस ली, उसके चारों ओर पाँचों तत्वों की ऊर्जा और भी तेज़ी से घूमने लगी। उसकी आँखों में एक नई, दिव्य चमक थी। उसे एहसास था कि यहाँ, कलासुर के अपने पसंदीदा आयाम में, शून्य की शक्ति कितनी असीम हो सकती है। कलासुर ने केवल भुजाएँ नहीं बनाई थीं, वे शून्य के सजीव, विशालकाय दानव थे, जो हर हमले के साथ अपने आकार और शक्ति को बदल सकते थे।
आरव ने अपने हाथों को ऊपर उठाया, और उसकी हथेलियों से शुद्ध, चमकदार आकाश-ऊर्जा फूटने लगी। यह ऊर्जा इतनी तेज़ थी कि उसने उस आयाम के अनंत कालेपन को एक पल के लिए रोशन कर दिया। वह ऊर्जा उसके हाथों में आकार लेने लगी – पहले एक चमकता हुआ बिंदु, फिर तेज़ी से फैलकर दो विशाल, चमकती हुई तलवारें बन गईं, जो शुद्ध प्रकाश से बनी थीं। इन तलवारों से एक अद्भुत गूँज सुनाई दे रही थी, जैसे वे ब्रह्मांड के रहस्यों को समेटे हुए हों।
"तुम अकेले नहीं हो, कलासुर!" आरव ने दहाड़ा, उसकी आवाज़ में एक अनूठी शक्ति थी जो उस आयाम को ही कंपा रही थी। "और यह खालीपन केवल तुम्हारा नहीं है!"
उसने अपनी प्रकाश की तलवारों को उठाया, और अपनी पूरी गति से कलासुर के शून्य-राक्षसों की ओर बढ़ा। पहली काली भुजा उस पर झपटी, लेकिन आरव ने अविश्वसनीय फुर्ती से उसे काट दिया। प्रकाश की तलवार शून्य की ऊर्जा को चीरती हुई गुज़री, और वह विशाल भुजा एक पल में बिखर गई, जैसे वह कभी अस्तित्व में ही नहीं थी।
कलासुर की आँखें अविश्वास से चौड़ी हो गईं। उसने कभी नहीं सोचा था कि कोई उसकी शून्य की रचनाओं को इतनी आसानी से नष्ट कर पाएगा। "क्या... क्या यह संभव है?" उसने फुसफुसाया।
आरव ने दूसरी तलवार से एक और विशाल शून्य-राक्षस को मारा, और वह भी रेत के महल की तरह ढह गया। आरव के हर वार से, प्रकाश की एक लहर आयाम में फैल जाती, जो कलासुर की शून्य-ऊर्जा को पीछे धकेल देती। यह सिर्फ़ एक लड़ाई नहीं थी; यह अस्तित्व और अनस्तित्व के बीच एक नृत्य था, जहाँ आरव सृजन की शक्ति से विनाश को चुनौती दे रहा था।
कलासुर का अविश्वास जल्द ही भयानक क्रोध में बदल गया। "तुम क्या सोचते हो, नश्वर?" उसने दहाड़ा। "तुम मेरी असीम शक्ति को कैसे रोक सकते हो?"
उसने अपने हाथों को फिर से फैलाया, और इस बार केवल भुजाएँ नहीं, बल्कि शून्य के अनगिनत विशालकाय, काले राक्षस आयाम के हर कोने से निकलने लगे। उनके शरीर शून्य के कालेपन से बने थे, उनकी आँखें लाल अंगारों की तरह चमक रही थीं, और उनके हर अंग से विनाशकारी ऊर्जा निकल रही थी। वे आरव की ओर बढ़ते गए, जैसे उसे अपनी संख्या से ही कुचल देना चाहते हों।
आरव को एहसास हुआ कि कलासुर अपनी शक्ति का पूरी तरह से उपयोग कर रहा था। इस आयाम में, कलासुर एक ईश्वर की तरह था, जो अनस्तित्व से जीवन (विनाशकारी जीवन) बना सकता था। लेकिन आरव भी अब केवल एक नश्वर नहीं था। वह आकाश-पुरुष था, जो संतुलन का प्रतीक था।
आरव ने अपनी तलवारों को और मज़बूती से पकड़ा। उसकी आँखों में एक अजीब सी शांति थी, भले ही उसके चारों ओर मौत नाच रही थी। उसने अपनी आकाश-शक्ति को केंद्रित किया, और उसके पीछे शुद्ध प्रकाश के पंख निकल आए, जो उसे आयाम में तेज़ी से घूमने में मदद कर रहे थे।
वह राक्षसों के झुंड में कूद पड़ा, अपनी प्रकाश की तलवारों से उन्हें एक-एक करके नष्ट करता जा रहा था। हर राक्षस के नष्ट होने पर, एक चमकदार विस्फोट होता, और उसकी शून्य-ऊर्जा शुद्ध आकाश-ऊर्जा में बदल जाती, जो आयाम में फैल जाती। आरव की हर हरकत कलासुर के शून्य को चुनौती दे रही थी, उसे सृजन में बदल रही थी।
कलासुर का क्रोध बढ़ता गया। उसने आरव पर सीधे शून्य-ऊर्जा के बीम फेंके, जो उसे एक पल में भस्म कर सकते थे। लेकिन आरव ने उन बीमों को भी अपनी तलवारों से काट दिया, या अपनी आकाश-ढाल से सोख लिया, उन्हें निष्क्रिय कर दिया।
"तुम कितने भी राक्षस बना लो, कलासुर!" आरव ने एक राक्षस को काटते हुए कहा। "मैं उन सबको नष्ट कर दूँगा! तुम कभी नहीं जीत सकते, जब तक तुम सिर्फ़ विनाश को जानते हो!"
कलासुर ने गुस्से में एक और दहाड़ लगाई। "तुम्हारी यह आशा ही तुम्हें कमज़ोर करती है, आरव! यह तुम्हें अंततः धोखा देगी!" उसने अपने हाथों को नीचे किया, और शून्य की ऊर्जा आयाम के हर कोने से इकट्ठी होने लगी। इस बार, कलासुर ने एक नहीं, बल्कि सैकड़ों, हज़ारो राक्षस बनाने शुरू कर दिए, जो आकार में छोटे थे, लेकिन उनकी संख्या इतनी ज़्यादा थी कि वे आरव को घेर सकें।
आरव ने देखा कि कलासुर अपने शून्य की शक्ति को पूरी तरह से unleash कर रहा था। यह एक अंतहीन लड़ाई लग रही थी। हर बार जब वह एक राक्षस को नष्ट करता, तो दो और प्रकट हो जाते। उसे एहसास हुआ कि वह कलासुर को उसकी अपनी शर्तों पर नहीं हरा सकता था, जहाँ कलासुर असीमित शून्य की ऊर्जा से नए शरीर बना सकता था। उसे कुछ और करना होगा।
आरव ने एक क्षण के लिए अपनी आँखें बंद कीं, और उसके मन में एक विचार कौंधा। उसे अपनी ऊर्जा को अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करना होगा। उसे कलासुर के शून्य के प्रवाह को काटना होगा, न कि सिर्फ़ उसके उत्पादों को नष्ट करना।
उसने अपनी आँखें खोलीं, और उसके चेहरे पर एक नई दृढ़ता थी। "काफी हुआ, कलासुर!" उसने कहा। "यह खेल अब खत्म होता है!"
आरव ने अपनी दोनों प्रकाश की तलवारों को एक साथ जोड़ा, और वे एक विशाल, घूमते हुए आकाश-चक्र में बदल गईं। यह चक्र अनंत ऊर्जा से चमक रहा था। आरव ने उस चक्र को अपने ऊपर उठाया, और फिर उसे कलासुर द्वारा बनाए गए राक्षसों के झुंड में फेंक दिया, जो उसके चारों ओर घेरा कस रहे थे।
चक्र घूमता हुआ आगे बढ़ा, और उसके रास्ते में आने वाला हर शून्य-राक्षस एक पल में शुद्ध ऊर्जा में बदल गया। यह एक सफाई की लहर थी, जो कलासुर के अंधेरे को चीरती हुई आगे बढ़ रही थी। कलासुर की आँखें चौड़ी हो गईं, क्योंकि उसने देखा कि आरव की शक्ति कितनी तेज़ी से बढ़ रही थी, और उसके दोस्त अभी भी बाहर से उसे अपनी ऊर्जा भेज रहे थे। यह लड़ाई और भी महाकाव्य हो गई थी, और कलासुर को एहसास हुआ कि इस नश्वर को हराना उसके सोचे से कहीं ज़्यादा मुश्किल होगा।
Chapter 14
कलासुर की आँखें चौड़ी हो गईं, क्योंकि उसने देखा कि आरव की शक्ति कितनी तेज़ी से बढ़ रही थी, और उसके दोस्त अभी भी बाहर से उसे अपनी ऊर्जा भेज रहे थे। यह लड़ाई और भी महाकाव्य हो गई थी, और कलासुर को एहसास हुआ कि इस नश्वर को हराना उसके सोचे से कहीं ज़्यादा मुश्किल होगा।
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बाहर की दुनिया में, जहाँ तत्व-केंद्र का द्वीप कलासुर के हमलों से काँप रहा था, गुरु वशिष्ठ द्वारा बनाया गया अस्थायी सुरक्षा कवच अब पूरी तरह से टूट चुका था। लेकिन इसके टूटने से ठीक पहले, आरव ने अपने दोस्तों के चारों ओर एक मज़बूत सुरक्षात्मक ऊर्जा क्षेत्र बना दिया था, जिसने उन्हें अंतिम धमाके से बचाया था।
रिया की आँखें धीरे-धीरे खुलीं। उसके पूरे शरीर में दर्द था, और उसकी हड्डियाँ दर्द से कराह रही थीं। उसने अपने आसपास देखा। समीर उसके बगल में पड़ा था, उसके सिर से खून बह रहा था, और भैरवी कुछ दूर, एक चट्टान के सहारे बेहोश पड़ी थी। द्वीप पर अभी भी शून्य की ऊर्जा का ज़हरीला प्रभाव था, लेकिन आरव के सुरक्षा क्षेत्र ने उन्हें इसके सीधे हमले से बचा रखा था।
"समीर!" रिया ने दर्द से कराहते हुए कहा, और मुश्किल से अपने शरीर को खींचकर समीर की ओर बढ़ी। उसने उसका सिर उठाया। समीर की आँखें धीरे-धीरे खुलीं।
"रिया?" समीर ने धीमी आवाज़ में पूछा, उसकी आवाज़ में अभी भी कमजोरी थी। "हम... हम ठीक हैं?"
"मुझे लगता है," रिया ने कहा, उसके माथे पर चिंता की लकीरें थीं। उसने चारों ओर देखा, द्वीप का अधिकांश हिस्सा कलासुर के हमले से तबाह हो चुका था। "आरव कहाँ है?"
समीर ने मुश्किल से अपने हाथ से उस जगह की ओर इशारा किया जहाँ कलासुर और आरव अंतिम बार थे। "उसने... उसने कलासुर को एक और आयाम में ले लिया है," समीर ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सा डर था। "मुझे लगा था कि गुरु वशिष्ठ ने बताया था कि आकाश-तत्वधारी आयामों को मोड़ सकते हैं, लेकिन... यह अविश्वसनीय है।"
"भैरवी!" रिया ने आवाज़ दी।
भैरवी ने भी धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं। उसके चेहरे पर धूल और खून लगा था, लेकिन उसकी आँखें अब होश में थीं। "क्या हुआ... क्या हम हार गए?" उसने पूछा, उसकी आवाज़ कांप रही थी।
"नहीं, भैरवी," रिया ने कहा, उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी। "आरव लड़ रहा है। उसने कलासुर को किसी और आयाम में ले लिया है।"
तीनों ने एक दूसरे को देखा। वे अभी भी कमज़ोर थे, लेकिन आरव के सुरक्षा क्षेत्र ने उन्हें कुछ हद तक ठीक होने का मौका दिया था। अब तक उनके घाव थोड़े भर चुके थे, और उनकी ऊर्जा धीरे-धीरे वापस आ रही थी।
"हमें उसकी मदद करनी होगी," भैरवी ने कहा, और उठने की कोशिश की। लेकिन वह अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई थी, और उसे अपनी पृथ्वी-शक्ति का उपयोग करने में भी भारीपन महसूस हो रहा था।
समीर ने सिर हिलाया। "लेकिन कैसे? वे अब हमारे आयाम में नहीं हैं। हम कैसे वहाँ पहुँच सकते हैं?"
रिया ने चारों ओर देखा। द्वीप का तत्व-केंद्र, जो अब पूरी तरह से कलासुर के प्रभाव से दूषित हो चुका था, अभी भी चमक रहा था, लेकिन उसकी चमक मद्धिम पड़ चुकी थी। कलासुर का लक्ष्य दुनिया के इस "हृदय" को नष्ट करना था, और भले ही वह अब एक अलग आयाम में था, उसकी शून्य-ऊर्जा अभी भी केंद्र को दूषित कर रही थी।
रिया की नज़र तत्व-केंद्र के पास पड़ी एक टूटी हुई प्राचीन मूर्ति पर पड़ी। उस मूर्ति के आधार पर गुरु वशिष्ठ के मठ से लाई गई कुछ प्राचीन ग्रंथों के पन्ने बिखरे पड़े थे। यह वही ग्रंथ थे जिनका उन्होंने मठ में अध्ययन किया था। रिया ने एक पन्ना उठाया। उस पर कलासुर के बारे में लिखा था, और उसे हराने की विधि के बारे में भी।
उसने पढ़ना शुरू किया, उसकी आँखें तेज़ी से पंक्तियों पर दौड़ रही थीं। "कलासुर... उसे मारा नहीं जा सकता... केवल एक नई और अधिक शक्तिशाली सील में कैद किया जा सकता है..." रिया ने ज़ोर से पढ़ा।
समीर और भैरवी उसके पास आए। "सील?" समीर ने पूछा। "क्या यह वही सील है जिसके बारे में गुरु वशिष्ठ ने बताया था?"
"हाँ!" रिया की आँखें चमक उठीं। "यहाँ लिखा है... 'इस नई सील के लिए पाँचों तत्वों की सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा की आवश्यकता होगी, जिसे केवल एक आकाश-तत्वधारी ही निर्देशित कर सकता है'..."
वह रुक गई, फिर पन्ने को ध्यान से देखा। "और यहाँ... 'अंतिम सील तभी बन सकती है जब चारों तत्व - अग्नि, जल, वायु और पृथ्वी - एक आकाश-तत्वधारी को अपनी शुद्धतम ऊर्जा प्रदान करें। यह ऊर्जा तत्व-केंद्र के माध्यम से भेजी जाएगी, जो ब्रह्मांडीय धागे को बांधने का काम करेगी।'"
समीर और भैरवी ने एक-दूसरे को देखा। उनका चेहरा गंभीर था।
"इसका मतलब है..." समीर ने फुसफुसाया। "इसका मतलब है कि हम उसे हराने में सीधे तौर पर मदद नहीं कर सकते, लेकिन हम उसे सील बनाने में मदद कर सकते हैं।"
"लेकिन यह कैसे होगा?" भैरवी ने पूछा। "तत्व-केंद्र को तो कलासुर की शून्य-ऊर्जा ने दूषित कर दिया है।"
रिया ने गहरी साँस ली। "ज़रूर कोई तरीका होगा। ग्रंथ में लिखा है, 'तत्व-केंद्र केवल एक माध्यम है। यदि ऊर्जा भेजने वाले की भावना शुद्ध और निस्वार्थ हो, तो दूषित माध्यम भी शुद्ध हो जाएगा, और ऊर्जा अपने लक्ष्य तक पहुँच जाएगी।' हमें अपनी सारी ऊर्जा, अपनी सारी शक्ति, आरव को भेजनी होगी।"
समीर का चेहरा पीला पड़ गया। "तुम जानती हो कि इसका क्या मतलब है, रिया? अपनी सारी ऊर्जा भेजना... यह बहुत खतरनाक है। हम अपनी जान भी गँवा सकते हैं!"
भैरवी ने सिर हिलाया। "हाँ, यह एक बहुत जोखिम भरा काम है। हमारी तात्विक ऊर्जा हमारी जीवन-ऊर्जा से जुड़ी हुई है।"
रिया ने दृढ़ता से उनकी ओर देखा। उसकी आँखों में कोई डर नहीं था, सिर्फ़ अटूट संकल्प था। "क्या हमारे पास कोई और विकल्प है? आरव वहाँ अकेला लड़ रहा है, उस आयाम में जहाँ कलासुर सबसे शक्तिशाली है। गुरु वशिष्ठ ने अपनी जान दे दी, हमें समय देने के लिए। अगर हम अभी पीछे हट गए, तो उनकी कुर्बानी बेकार चली जाएगी। और दुनिया... दुनिया हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।"
समीर ने अपनी मुट्ठी भींची। उसने आरव को इतनी बुरी तरह से हारते हुए देखा था, और जानता था कि आरव अकेले कलासुर को नहीं हरा सकता। यह उनकी आखिरी उम्मीद थी। "तो फिर हम क्या कर सकते हैं?" समीर ने पूछा, उसकी आवाज़ में अब दृढ़ता थी। "हमें अपनी ऊर्जा कैसे भेजनी होगी?"
"यहाँ आओ," रिया ने कहा, और तत्व-केंद्र के पास एक अपेक्षाकृत सुरक्षित और समतल जगह पर जाकर बैठ गई। "हमें तत्व-केंद्र के मूल क्रिस्टल के चारों ओर बैठना होगा। हमें अपनी तात्विक ऊर्जा को अपनी जीवन-ऊर्जा के साथ मिलाना होगा। यह एक तरह का ध्यान है, एक गहन एकाग्रता।"
भैरवी ने गहरी साँस ली। "यह एक बड़ी अग्नि परीक्षा है।"
"मुझे पता है," रिया ने कहा। "लेकिन हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है।"
समीर ने एक पल के लिए संकोच किया, फिर उसने भी दृढ़ निश्चय के साथ सिर हिलाया। "ठीक है। हम करेंगे। आरव ने हमेशा हम पर भरोसा किया है, अब हमारी बारी है।"
तीनों तत्व-केंद्र के मुख्य क्रिस्टल के चारों ओर बैठ गए। रिया ने अपनी आँखें बंद कीं, और अपनी अग्नि-शक्ति को केंद्रित किया। समीर ने अपनी जल-शक्ति, और भैरवी ने अपनी पृथ्वी-शक्ति को। वे तीनों एक साथ अपनी अपनी तात्विक ऊर्जा को शुद्ध करके तत्व-केंद्र के क्रिस्टल की ओर प्रवाहित करने लगे। उनकी जीवन-ऊर्जा भी धीरे-धीरे उस प्रवाह में शामिल होने लगी।
उनके शरीर से निकलने वाली ऊर्जा का रंग क्रिस्टल में घुलने लगा – रिया का गहरा लाल, समीर का शांत नीला, और भैरवी का दृढ़ भूरा। ऊर्जा क्रिस्टल के माध्यम से गुज़रकर एक अदृश्य धारा के रूप में पॉकेट आयाम की ओर बढ़ने लगी, जहाँ आरव कलासुर से लड़ रहा था। यह एक बहुत ही थका देने वाली और खतरनाक प्रक्रिया थी, लेकिन तीनों के चेहरे पर दृढ़ संकल्प और आरव के प्रति विश्वास स्पष्ट था। उन्हें पता था कि इस पल में, दुनिया का भाग्य उनके हाथों में था।
Chapter 15
कलासुर की आँखें चौड़ी हो गईं, क्योंकि उसने देखा कि आरव की शक्ति कितनी तेज़ी से बढ़ रही थी, और उसके दोस्त अभी भी बाहर से उसे अपनी ऊर्जा भेज रहे थे। यह लड़ाई और भी महाकाव्य हो गई थी, और कलासुर को एहसास हुआ कि इस नश्वर को हराना उसके सोचे से कहीं ज़्यादा मुश्किल होगा।
पॉकेट आयाम के अंदर, आरव अपनी प्रकाश की तलवारों को एक विशाल, घूमते हुए आकाश-चक्र में बदलकर कलासुर द्वारा बनाए गए सैकड़ों, हज़ारों शून्य-राक्षसों से लड़ रहा था। चक्र घूमता हुआ आगे बढ़ रहा था, और उसके रास्ते में आने वाला हर काला राक्षस शुद्ध ऊर्जा में बदल रहा था, लेकिन राक्षसों की संख्या अंतहीन लग रही थी। कलासुर क्रोधित होकर नए-नए राक्षस बना रहा था, और आरव को महसूस हो रहा था कि यह लड़ाई उसे कितनी तेज़ी से थका रही थी। उसकी आकाश-शक्ति असीम थी, लेकिन उसे लगातार शून्य के अथाह सागर का सामना करना पड़ रहा था। उसके शरीर में दर्द होने लगा था, और उसके मन पर थकान हावी होने लगी थी।
ठीक उसी क्षण, आरव को एक अजीब, लेकिन परिचित गर्माहट महसूस हुई। यह एक ऊर्जा थी, जो उसके अपने अस्तित्व से नहीं आ रही थी, बल्कि कहीं और से आ रही थी – एक ऐसी जगह से जहाँ उसने अपने दिल का एक हिस्सा छोड़ा था। यह गर्माहट उसके रक्त में घुलने लगी, उसकी नसों में दौड़ने लगी, और उसकी थकी हुई आत्मा में जान भरने लगी।
उसने अपनी आँखें खोलीं, और उसके चारों ओर, उस अनंत कालेपन में, चमकीली ऊर्जा धाराएँ प्रकट होने लगीं। सबसे पहले, एक गहरी लाल ऊर्जा की धारा, अग्नि की शक्ति की तरह उग्र और जीवंत, उसके चारों ओर घूमने लगी। यह रिया की ऊर्जा थी, जिसकी तीव्रता और दृढ़ता को आरव तुरंत पहचान गया। उसके ठीक बाद, एक शांत, गहरे नीले रंग की धारा, जल की तरह शांत और शक्तिशाली, आरव के चारों ओर लिपटने लगी। यह समीर की ऊर्जा थी, जो उसके धैर्य और गहराई को दर्शा रही थी। और फिर, एक दृढ़, भूरे रंग की धारा, पृथ्वी की तरह स्थिर और मज़बूत, आरव के पैरों के पास आकर घूमने लगी। यह भैरवी की ऊर्जा थी, जो उसकी अडिग दृढ़ता और सहनशीलता की प्रतीक थी।
और इन तीनों धाराओं के साथ, एक हल्की हरी, हवा जैसी ऊर्जा भी उसके चारों ओर मंडराने लगी, जैसे यह संतुलन और फैलाव का प्रतीक हो। यह चारों तत्व, पहली बार इतने सामंजस्य में, आरव के आकाश-रूप में समाहित हो रहे थे, उसे एक अविश्वसनीय शक्ति प्रदान कर रहे थे।
"तुम..." कलासुर ने चौंकते हुए कहा, उसकी आवाज़ में पहली बार डर की हल्की सी झलक थी। उसने देखा कि आरव के चारों ओर घूमती ऊर्जा की चमक से आयाम का कालापन भी कम हो रहा था। "यह... यह संभव नहीं है! नश्वर, तुम बाहर से ऊर्जा कैसे प्राप्त कर सकते हो?"
आरव ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपनी आँखें बंद कीं, और उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। वह अपने दोस्तों की ऊर्जा को अपने भीतर महसूस कर सकता था – उनका विश्वास, उनकी दोस्ती, उनका निस्वार्थ बलिदान। यह सिर्फ़ तात्विक ऊर्जा नहीं थी, यह उनका प्यार था, उनकी उम्मीद थी, जो उसे एक नई ताक़त दे रही थी।
"रिया... समीर... भैरवी..." आरव ने मन ही मन फुसफुसाया, एक गहरी कृतज्ञता से उसका दिल भर गया। "थैंक यू।"
यह ऊर्जा आरव के आकाश-शरीर में घुलने लगी, उसे पहले से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली बना रही थी। उसके आकाश-चक्र की चमक और भी तीव्र हो गई, और उसकी गति अविश्वसनीय रूप से बढ़ गई। अब वह सिर्फ़ राक्षसों को नष्ट नहीं कर रहा था, बल्कि वह कलासुर के शून्य-ऊर्जा के प्रवाह को ही बाधित कर रहा था। उसके हर वार से, कलासुर की बनाई हुई चीज़ें अस्थिर होकर बिखर रही थीं।
कलासुर के शून्य-राक्षस अब आरव के सामने टिक नहीं पा रहे थे। आरव ने अपने आकाश-चक्र को एक दिशा में घुमाया, और उसने एक साथ कई राक्षसों को धूल में मिला दिया। अब उसकी आँखें और भी चमक रही थीं, और उसका हर कदम दृढ़ता से भरा हुआ था। कलासुर के क्रोध के बावजूद, आरव को अपनी शक्ति पर पूरा नियंत्रण महसूस हो रहा था। उसे लगा जैसे पूरी दुनिया की ताकत उसके साथ थी, और वह अब अकेला नहीं था। यह लड़ाई अब सिर्फ़ आकाश और शून्य के बीच नहीं थी, बल्कि अस्तित्व के हर तत्व और अनस्तित्व के बीच थी, और अस्तित्व के पास अब एक नया, प्रबल चैंपियन था।
कलासुर ने देखा कि उसकी असीमित शून्य-ऊर्जा भी आरव के संयुक्त हमलों के सामने कम पड़ने लगी थी। उसका अहंकार टूट रहा था, और उसकी आँखों में डर एक बार फिर से उभर आया। यह नश्वर, जिसे उसने कुछ देर पहले आसानी से हरा दिया था, अब उसे चुनौती दे रहा था। वह क्रोध से काँप रहा था। "यह... यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता!" उसने दहाड़ा। "ये नश्वर बंधन तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी हैं! मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि ये तुम्हें कैसे नष्ट कर देंगे!"
कलासुर ने अपनी पूरी शक्ति से आरव पर हमला करने की ठानी। पॉकेट आयाम उसके क्रोध से काँपने लगा, जैसे वह उसे फाड़ देना चाहता हो। वह जानता था कि अगर आरव को बाहरी मदद मिलती रही, तो वह उसे कभी नहीं रोक पाएगा।
"तुम गलत हो, कलासुर!" आरव ने मुस्कुराते हुए कहा, उसकी आवाज़ में नया आत्मविश्वास था। "यह मेरी कमजोरी नहीं, मेरी सबसे बड़ी ताक़त है! और यह आयाम अब सिर्फ़ तुम्हारा नहीं रहा!"
Chapter 16
"तुम गलत हो, कलासुर!" आरव ने मुस्कुराते हुए कहा, उसकी आवाज़ में नया आत्मविश्वास था। "यह मेरी कमजोरी नहीं, मेरी सबसे बड़ी ताक़त है! और यह आयाम अब सिर्फ़ तुम्हारा नहीं रहा!"
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कलासुर के शून्य-राक्षस आरव के संयुक्त हमलों के सामने टिक नहीं पा रहे थे। आरव ने अपने आकाश-चक्र को एक दिशा में घुमाया, और उसने एक साथ कई राक्षसों को धूल में मिला दिया। अब उसकी आँखें और भी चमक रही थीं, और उसका हर कदम दृढ़ता से भरा हुआ था। कलासुर के क्रोध के बावजूद, आरव को अपनी शक्ति पर पूरा नियंत्रण महसूस हो रहा था। उसे लगा जैसे पूरी दुनिया की ताकत उसके साथ थी, और वह अब अकेला नहीं था। यह लड़ाई अब सिर्फ़ आकाश और शून्य के बीच नहीं थी, बल्कि अस्तित्व के हर तत्व और अनस्तित्व के बीच थी, और अस्तित्व के पास अब एक नया, प्रबल चैंपियन था।
कलासुर ने देखा कि उसकी असीमित शून्य-ऊर्जा भी आरव के संयुक्त हमलों के सामने कम पड़ने लगी थी। उसका अहंकार टूट रहा था, और उसकी आँखों में डर एक बार फिर से उभर आया। यह नश्वर, जिसे उसने कुछ देर पहले आसानी से हरा दिया था, अब उसे चुनौती दे रहा था। वह क्रोध से काँप रहा था। "यह... यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता!" उसने दहाड़ा। "ये नश्वर बंधन तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी हैं! मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि ये तुम्हें कैसे नष्ट कर देंगे!"
कलासुर ने अपनी पूरी शक्ति से आरव पर हमला करने की ठानी। पॉकेट आयाम उसके क्रोध से काँपने लगा, जैसे वह उसे फाड़ देना चाहता हो। वह जानता था कि अगर आरव को बाहरी मदद मिलती रही, तो वह उसे कभी नहीं रोक पाएगा। कलासुर ने अपने हाथों को ऊपर उठाया, और शून्य की ऊर्जा उसके चारों ओर भयंकर रूप से घूमने लगी, एक विशाल, घूमता हुआ काला भँवर बन गई। यह भँवर इतना शक्तिशाली था कि पॉकेट आयाम की दीवारें भी चटकने लगी थीं, और आरव को महसूस हुआ कि यदि यह पूरी तरह से टूट गया, तो वे दोनों एक साथ शून्य में विलीन हो जाएंगे।
"मैं तुम्हें अनस्तित्व की सच्ची शक्ति दिखाऊंगा!" कलासुर ने गर्जना की, और उस भँवर को आरव की ओर बढ़ा दिया। यह सिर्फ़ एक हमला नहीं था, यह अस्तित्व को मिटाने का एक प्रयास था।
आरव ने गहरी साँस ली। उसने अपनी आँखों में दृढ़ संकल्प को चमकने दिया। वह जानता था कि यह कलासुर का अब तक का सबसे शक्तिशाली हमला था, और इसे रोकने के लिए उसे अपनी सारी नव-प्राप्त शक्ति का उपयोग करना होगा।
"नहीं, कलासुर," आरव ने शांत लेकिन दृढ़ आवाज़ में कहा। "मैं तुम्हें अस्तित्व की सच्ची शक्ति दिखाऊंगा – संतुलन की शक्ति!"
आरव ने अपने हाथों को फैलाया। उसके शरीर से आकाश-ऊर्जा का एक सुनहरा प्रभामंडल निकला, जो उसके दोस्तों से आ रही लाल, नीली, हरी और भूरी ऊर्जा धाराओं के साथ मिलकर और भी तीव्र हो गया। उसने अपनी आकाश-शक्ति को केंद्र में रखा, और चारों तत्वों की ऊर्जा को अपनी उंगलियों पर नृत्य करने दिया।
सबसे पहले, उसने अपनी अग्नि-शक्ति को बुलाया। उसके हाथों से आग की दो विशाल ढालें निकलीं, जो कलासुर के शून्य-भँवर के किनारे से टकराईं। ढालें क्षण भर के लिए शून्य को रोक पाईं, जिससे आरव को अगला कदम उठाने का मौका मिल गया।
फिर, उसने अपनी जल-शक्ति का आह्वान किया। हवा में कहीं से पानी का एक विशाल प्रवाह प्रकट हुआ, जो एक प्रचंड लहर की तरह शून्य-भँवर पर टूट पड़ा। पानी की लहर ने शून्य की ऊर्जा को सोखने और उसे स्थिर करने की कोशिश की, जैसे वह उस भँवर को शांत करना चाहता हो। पानी शून्य में मिलते ही भाप में बदल रहा था, लेकिन वह प्रवाह जारी रहा।
इसके तुरंत बाद, आरव ने वायु-शक्ति का उपयोग किया। उसने अपने चारों ओर एक तीव्र तूफानी हवा का घेरा बनाया, जिसने उसे कलासुर के हमले के केंद्र से दूर धकेलने में मदद की। उसने हवा के झोंकों का उपयोग करके शून्य-भँवर के किनारों को बाधित करने की कोशिश की, जिससे उसकी गति थोड़ी कम हो गई।
और अंत में, उसने पृथ्वी-शक्ति का आह्वान किया। पॉकेट आयाम की खाली सतह से अचानक नुकीली चट्टानें और विशाल पत्थर के स्तंभ निकल पड़े, जो कलासुर के भँवर के रास्ते में बाधा डालने लगे। पत्थर शून्य के संपर्क में आते ही धूल में बदल रहे थे, लेकिन उन्होंने भी कुछ पल के लिए कलासुर के हमले को धीमा कर दिया।
यह एक साथ कई तत्वों का उपयोग था, जिसे आरव ने अपनी आकाश-शक्ति से निर्देशित किया था। वह अब सिर्फ़ एक आकाश-तत्वधारी नहीं था, बल्कि वह पाँचों तत्वों का सामंजस्य था। उसने कलासुर के शून्य-भँवर को सीधा रोकने के बजाय, उसे हर तरफ से कमजोर करने की कोशिश की, उसकी ऊर्जा को तितर-बितर करने का प्रयास किया।
बाहर की दुनिया में, रिया, समीर और भैरवी ने अपनी सारी ऊर्जा आरव की ओर प्रवाहित करना जारी रखा। उन्हें अपने शरीर में दर्द और थकान महसूस हो रही थी। रिया का माथा पसीने से भीगा हुआ था, समीर का चेहरा पीला पड़ गया था, और भैरवी की साँसें तेज़ चल रही थीं। लेकिन तीनों ने अपनी आँखें बंद रखीं और अपनी एकाग्रता भंग नहीं होने दी। वे जानते थे कि आरव को उनकी ज़रूरत थी, और वे पीछे नहीं हट सकते थे।
"मैं महसूस कर सकती हूँ," रिया ने मुश्किल से फुसफुसाया, उसकी आँखों में आँसू थे, "वह... वह अब और शक्तिशाली हो रहा है। हमारी ऊर्जा उस तक पहुँच रही है!"
"मुझे भी महसूस हो रहा है," समीर ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी उत्तेजना थी। "जैसे हम भी उसके साथ लड़ रहे हैं।"
भैरवी ने सिर हिलाया। "यह एक अजीब बंधन है। जैसे हम एक ही इकाई का हिस्सा बन गए हों।"
पॉकेट आयाम में, कलासुर का शून्य-भँवर धीमा पड़ने लगा था। आरव के संयुक्त हमलों ने उसे अपेक्षित शक्ति से हमला करने से रोक दिया था। आरव ने अपनी ऊर्जा को और केंद्रित किया। उसने अपने हाथों को अपने सामने एक साथ लाया, और पाँचों तत्वों की ऊर्जा उसके केंद्र में एकत्रित होने लगी, एक चमकता हुआ, बहुरंगी गोला बना रही थी। यह गोला इतना उज्ज्वल था कि उसने पूरे पॉकेट आयाम को रोशन कर दिया।
"तुम्हें रोकने का एकमात्र तरीका है... तुम्हें संतुलन में लाना!" आरव ने कहा, और उस चमकते हुए गोले को कलासुर के शून्य-भँवर के केंद्र में फेंक दिया।
जैसे ही बहुरंगी गोला कलासुर के शून्य-भँवर से टकराया, एक ज़बरदस्त धमाका हुआ। पॉकेट आयाम काँप उठा, और उसकी दीवारें क्षण भर के लिए स्थिर हो गईं, जैसे वे इस शक्ति को समाहित करने की कोशिश कर रही हों। कलासुर का भयंकर शून्य-भँवर आरव के संतुलन-ऊर्जा के सामने बिखरने लगा। कालापन धीरे-धीरे पीछे हटने लगा, और उसकी जगह एक शांत, लेकिन शक्तिशाली ऊर्जा ने ले ली।
कलासुर को पीछे हटना पड़ा, उसकी आँखें अविश्वास से चौड़ी थीं। उसके चेहरे पर अब सिर्फ़ क्रोध नहीं, बल्कि कुछ और भी था – एक अजीब सी उलझन और घबराहट। "यह... यह क्या है?" उसने फुसफुसाया। "तुमने यह शक्ति कहाँ से पाई? एक नश्वर इतना शक्तिशाली कैसे हो सकता है?"
आरव ने अब सीधे कलासुर की ओर देखा। वह थक चुका था, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी दृढ़ संकल्प की चमक थी। उसके चारों ओर पाँचों तत्वों की ऊर्जा अभी भी घूम रही थी, उसे घेरे हुए थी।
"यह मेरी नहीं, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ में अब एक अजीब सी शांति थी। "यह हम सबकी शक्ति है। यह उस हर चीज़ की शक्ति है जो अस्तित्व में है, और जो प्यार, दोस्ती और आशा में विश्वास रखती है।"
कलासुर ने अपने हाथों को भींच लिया। उसने देखा कि आरव अब पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत था। उसका सबसे शक्तिशाली हमला नाकाम हो चुका था, और पॉकेट आयाम अभी भी बरकरार था। वह समझ गया कि यह लड़ाई अब सिर्फ़ शारीरिक नहीं रह गई थी, बल्कि यह सिद्धांतों की लड़ाई थी – अस्तित्व बनाम अनस्तित्व, आशा बनाम निराशा, प्रेम बनाम शून्य। और इस पल में, नश्वर आरव, जिसे वह तुच्छ समझता था, एक अजेय प्रतीक बन चुका था।
"मुझे तुम्हारी इस नश्वर आशा को नष्ट करना होगा!" कलासुर ने गुस्से से कहा, और एक बार फिर आरव पर झपटा। इस बार, वह शून्य-ऊर्जा के विशाल ब्लेड में बदल गया, जो सीधे आरव की ओर बढ़ा, जैसे वह उसे दो हिस्सों में चीर देना चाहता हो। आरव जानता था कि यह सिर्फ़ एक शारीरिक हमला नहीं था, बल्कि यह एक अस्तित्वगत हमला था, जो उसकी आत्मा को भेदना चाहता था। उसे इसे रोकना ही था।
Chapter 17
"मुझे तुम्हारी इस नश्वर आशा को नष्ट करना होगा!" कलासुर ने गुस्से से कहा, और एक बार फिर आरव पर झपटा। इस बार, वह शून्य-ऊर्जा के विशाल ब्लेड में बदल गया, जो सीधे आरव की ओर बढ़ा, जैसे वह उसे दो हिस्सों में चीर देना चाहता हो। आरव जानता था कि यह सिर्फ़ एक शारीरिक हमला नहीं था, बल्कि यह एक अस्तित्वगत हमला था, जो उसकी आत्मा को भेदना चाहता था। उसे इसे रोकना ही था।
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कलासुर का शून्य-ऊर्जा का ब्लेड हवा को चीरता हुआ आरव की ओर बढ़ा। यह एक ऐसा हमला था, जो न सिर्फ़ शरीर को, बल्कि आत्मा को भी घायल करने की क्षमता रखता था। आरव ने अपनी आँखें बंद कीं, अपने भीतर की सारी ऊर्जा को केंद्रित किया। उसे पता था कि इस हमले को केवल भौतिक रूप से रोकना पर्याप्त नहीं होगा। उसे इसे शून्य करना होगा, इसे संतुलन में लाना होगा।
उसने अपने हाथों को ऊपर उठाया, और उसके चारों ओर घूमती हुई लाल, नीली, हरी और भूरी ऊर्जा धाराएँ उसके शरीर के चारों ओर एक सुरक्षात्मक कवच बनाने लगीं। आकाश-शक्ति ने इन चार तत्वों को एक साथ लाया, उन्हें एक अदृश्य ढाल में बदल दिया, जो कलासुर के शून्य-ब्लेड से टकराने के लिए तैयार थी। आरव का इरादा इस ब्लेड को नष्ट करने का नहीं था, बल्कि उसकी विनाशकारी शक्ति को अवशोषित करके उसे निष्प्रभावी करने का था, उसे वापस शून्य में बदलने का था जहाँ से वह आया था।
जैसे ही कलासुर का ब्लेड आरव के कवच से टकराया, पॉकेट आयाम एक बार फिर ज़ोरदार कंपन से हिल उठा। एक अजीब सी, घुटन भरी चीख हवा में गूँजी – जैसे शून्य खुद दर्द में हो। आरव को लगा जैसे हज़ारों बर्फीले सुईयाँ एक साथ उसकी त्वचा में घुस रही हों, उसकी आत्मा को भेदने की कोशिश कर रही हों। यह एक भयंकर दबाव था, जो उसे अंदर तक हिला रहा था।
आरव अपने पूरे बल से ढाल को थामे हुए था। उसके चेहरे पर तनाव की लकीरें उभर आई थीं, और उसकी नसों में दर्द की लहर दौड़ रही थी। उसे महसूस हो रहा था कि कलासुर अपनी सारी शक्ति इस एक हमले में झोंक रहा था, जैसे वह आरव की संकल्प शक्ति को तोड़ देना चाहता हो।
बाहर, तत्व-केंद्र पर, रिया, समीर और भैरवी भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच रहे थे। उनकी ऊर्जा का आरव तक लगातार प्रवाह, उनके शरीर से जीवन शक्ति को चूस रहा था। रिया का शरीर अब काँप रहा था, और उसकी आँखें आधी बंद थीं। समीर ने अपने दाँतों को भींच रखा था, उसके चेहरे पर दर्द साफ़ दिख रहा था। भैरवी ने ज़मीन पर अपनी पकड़ बना रखी थी, लेकिन उसका शरीर भी अब बेजान सा लग रहा था।
"मैं... मैं और नहीं कर सकती..." भैरवी ने मुश्किल से फुसफुसाया, उसकी आवाज़ इतनी धीमी थी कि लगभग सुनाई नहीं दे रही थी। उसका शरीर अचानक ढीला पड़ गया, और वह एक तरफ़ लुढ़क गई, लगभग बेहोश हो गई। ऊर्जा का भूरा प्रवाह, जो आरव को पृथ्वी की शक्ति दे रहा था, एक क्षण के लिए बाधित हो गया, फिर पूरी तरह से टूट गया।
पॉकेट आयाम में, आरव को तुरंत अपनी ऊर्जा प्रवाह में कमी महसूस हुई। पृथ्वी की दृढ़ता और स्थिरता, जो उसे कलासुर के हमले के खिलाफ़ एक मज़बूत आधार दे रही थी, अचानक गायब हो गई। उसकी ढाल, जो पाँच तत्वों से बनी थी, अब केवल चार तत्वों पर निर्भर थी, और उसमें एक भयानक दरार पड़ गई थी।
कलासुर ने तुरंत इस कमी को भाँप लिया। उसकी आँखें चमक उठीं। "हाहाहा! देखा! मैंने कहा था! तुम्हारे ये नश्वर बंधन तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी हैं!" उसने गरजते हुए कहा, और अपनी शून्य-ऊर्जा को उस टूटी हुई ढाल में धकेल दिया।
शून्य का ब्लेड उस दरार से आरव के कवच को भेद गया, और सीधे उसकी छाती में घुस गया। यह कोई मांस का घाव नहीं था; आरव के शरीर से रक्त नहीं निकला। इसके बजाय, एक भयानक ठंडी शून्यता आरव के भीतर फैल गई, जैसे उसकी आत्मा का एक टुकड़ा उससे छीन लिया गया हो। उसके आकाश-रूप की चमक मद्धम पड़ गई, और उसकी आँखों में दर्द और खालीपन का भाव आ गया। यह एक आध्यात्मिक घाव था, जो उसके अस्तित्व को अंदर से खोखला कर रहा था।
आरव की आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा। उसके शरीर की सारी शक्ति उसे छोड़ रही थी, और उसके घुटने मुड़ गए। वह दर्द से काँपता हुआ ज़मीन पर गिर गया, उसकी आकाश-ऊर्जा का प्रभामंडल लगभग बुझ गया था। उसका शरीर पॉकेट आयाम की काली सतह पर बेजान सा पड़ा था, उसकी आँखें खुली थीं लेकिन उनमें कोई चमक नहीं थी।
कलासुर आरव के पास खड़ा हुआ, उसके चेहरे पर एक क्रूर मुस्कान थी। उसने आरव को देखा, जो अब एक हारे हुए, टूटे हुए नश्वर जैसा लग रहा था। "यह रहा तुम्हारा अंत, आकाश-पुरुष!" कलासुर ने विजय की भावना से कहा, उसकी आवाज़ में गहरा व्यंग्य था। "यह नश्वर दुनिया, जो सिर्फ़ पीड़ा को जन्म देती है, अब अंततः शून्य में विलीन हो जाएगी।"
उसने आरव की ओर झुकते हुए कहा, "तुम्हें शांति मिल जाएगी, आरव। अनस्तित्व की शांति। जहाँ कोई दर्द नहीं, कोई संघर्ष नहीं, कोई आशा नहीं... कुछ भी नहीं।"
कलासुर ने अपना हाथ उठाया, और उसके हाथ में शून्य-ऊर्जा का एक घातक गोला बन गया, जिसे वह आरव के टूटे हुए शरीर पर फेंकने वाला था, ताकि उसे पूरी तरह से मिटा सके। उसे लगा कि उसने आरव को हरा दिया है, कि जीत उसकी मुट्ठी में है। उसके लिए आरव बस एक नश्वर था जिसने कुछ समय के लिए उसे परेशान किया था, लेकिन अंततः वह भी हर किसी की तरह हार गया था।
बाहर की दुनिया में, रिया और समीर ने महसूस किया कि आरव से आ रहा ऊर्जा का प्रवाह अचानक टूट गया था। उनकी आँखें भय से चौड़ी हो गईं।
"आरव!" रिया चिल्लाई, उसकी आवाज़ में दर्द और आतंक था। उसने भैरवी की ओर देखा, जो अभी भी बेहोशी की हालत में थी।
समीर ने आरव के आयाम की ओर देखा, जो अब लगभग काला पड़ चुका था। उसे महसूस हुआ कि आरव की शक्ति मद्धम पड़ गई थी, जैसे वह अब अस्तित्व में नहीं था। "नहीं... ऐसा नहीं हो सकता!" उसने अपने हाथों को भींचा, उसकी आँखों में आँसू थे।
वे दोनों पूरी तरह से असहाय महसूस कर रहे थे। उन्होंने अपनी सारी ऊर्जा दे दी थी, और अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा था। वे जानते थे कि अगर आरव चला गया, तो सब कुछ खत्म हो जाएगा। दुनिया, आशा, उनका भविष्य... सब कुछ।
पॉकेट आयाम में, कलासुर का शून्य-गोला आरव के चेहरे के ठीक ऊपर मँडरा रहा था, उसे मिटाने के लिए तैयार था। आरव की आँखें धुंधली थीं, और उसकी आत्मा शून्य के किनारे पर थी। उसे लगा जैसे उसका अंत निकट है, जैसे उसकी सारी कोशिशें व्यर्थ हो गई थीं।
लेकिन ठीक उसी पल, उस भयानक शून्यता के बीच, आरव के कानों में एक धीमी, लेकिन दृढ़ आवाज़ गूँजी। यह आवाज़ उसके भीतर से आ रही थी, उसकी यादों के सबसे गहरे कोने से।
"संतुलन का मतलब कमजोरी नहीं है, आरव।" आवाज़ ने कहा। "इसका मतलब है हर चीज में ताकत खोजना।"
यह गुरु वशिष्ठ की आवाज़ थी, उसकी स्मृति की प्रतिध्वनि। उनकी शिक्षाएँ, उनके शब्द, जो आरव ने अपने पूरे जीवन में सुने थे, अब उसके सामने स्पष्ट हो रहे थे।
"अकेले नहीं, बल्कि सबके साथ। हार में भी, जीत की राह।"
आरव की आँखों में एक हल्की सी चमक वापस आई। उसने उस दर्द और खालीपन के बावजूद, अपने गुरु के शब्दों को पकड़ने की कोशिश की। संतुलन... हर चीज़ में ताकत खोजना... इसका क्या मतलब था? वह पहले से ही पाँचों तत्वों का उपयोग कर रहा था, अपने दोस्तों से शक्ति ले रहा था। और क्या बचा था?
उसने अपने भीतर के घाव को महसूस किया – वह शून्य जिसने उसे कमज़ोर कर दिया था। और तभी उसे एक अजीब सी समझ मिली। कलासुर शून्य था, अनस्तित्व था। उसे खत्म नहीं किया जा सकता था, क्योंकि शून्य को नष्ट नहीं किया जा सकता। लेकिन उसे संतुलित किया जा सकता था। उसे खुद को शून्य के साथ संतुलित करना था।
उसे गुरु की बात याद आई – "हर चीज़ में ताकत खोजना।" क्या शून्य में भी ताकत थी? क्या उस खालीपन में भी एक समाधान छिपा था? उसकी आत्मा में फैला शून्य अब सिर्फ़ एक घाव नहीं लग रहा था, बल्कि एक हिस्सा लग रहा था – एक ऐसा हिस्सा जिसे उसे स्वीकार करना था, और फिर उसे अपनी शक्ति में बदलना था।
आरव की आँखों में दृढ़ संकल्प वापस लौट आया। वह उठा, उसका शरीर अभी भी दर्द में था, और उसका आध्यात्मिक घाव उसे अंदर से खोखला कर रहा था, लेकिन उसकी आँखों में एक नई चमक थी। कलासुर का शून्य-गोला अभी भी उसके ऊपर मँडरा रहा था, लेकिन आरव ने उसे अब किसी खतरे के रूप में नहीं देखा।
"मुझे पता है मुझे क्या करना है," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ मुश्किल से सुनाई दे रही थी, लेकिन उसमें एक नई ऊर्जा थी। कलासुर ने चौंककर आरव को देखा। उसका शून्य-गोला आरव पर फेंकने से ठीक पहले रुक गया। उसे लगा कि आरव की आँखें खाली थीं, जैसे वह मर चुका हो, लेकिन अब उनमें एक चमक थी जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। यह क्या था? यह नश्वर, हार के बावजूद, फिर से उठ खड़ा हुआ था।
आरव ने कलासुर को देखा, उसके चेहरे पर कोई डर नहीं था, कोई क्रोध नहीं था, सिर्फ़ एक शांत समझ थी। "तुम्हें मारा नहीं जा सकता, कलासुर। लेकिन तुम्हें कैद किया जा सकता है। और तुम्हें संतुलित किया जा सकता है।"
कलासुर के चेहरे पर पहली बार वास्तविक आतंक दिखाई दिया। "तुम... तुम क्या बक रहे हो?"
आरव ने अपने हाथों को ऊपर उठाया, उसके शरीर से एक हल्की आकाश-ऊर्जा फिर से निकलने लगी। "मैं तुम्हें हराने नहीं आया हूँ, कलासुर। मैं तुम्हें दुनिया का हिस्सा बनाने आया हूँ।"
Chapter 18
"मैं तुम्हें हराने नहीं आया हूँ, कलासुर। मैं तुम्हें दुनिया का हिस्सा बनाने आया हूँ।" आरव ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी शांति थी, जो उसके अंदर के आध्यात्मिक घाव के बावजूद स्थिर थी। उसकी आँखें, कुछ पल पहले खाली थीं, अब दृढ़ संकल्प से चमक रही थीं।
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कलासुर के चेहरे पर भ्रम और फिर बढ़ते हुए भय का भाव दिखाई दिया। उसने आरव के पास मँडराते शून्य-गोले को खींच लिया। "क्या? तुम क्या कह रहे हो? मैं शून्य हूँ, अनस्तित्व हूँ! मुझे दुनिया का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता! मैं सिर्फ़ नष्ट करता हूँ! मैं सिर्फ़ शून्य में विलीन करता हूँ!" उसकी आवाज़ में एक तीखापन था, जैसे आरव के शब्द उसे अंदर तक असहज कर रहे हों।
आरव धीरे से उठा, उसका शरीर अभी भी काँप रहा था, और उसे अपने घाव से अजीब सा खालीपन महसूस हो रहा था, लेकिन उसके मन में एक स्पष्टता थी जो पहले कभी नहीं थी। उसने कलासुर को देखा, उसके विशाल, काले रूप को, और उसे समझ आया कि गुरु वशिष्ठ का मतलब क्या था। शून्य को नष्ट नहीं किया जा सकता, लेकिन उसे संतुलित किया जा सकता है। उसे निष्क्रिय किया जा सकता है, उसे एक ऐसे रूप में बदला जा सकता है जो दुनिया को नुकसान न पहुँचाए।
"तुम शून्य हो, कलासुर," आरव ने शांत भाव से कहा। "और शून्य अस्तित्व का ही एक हिस्सा है। हर सृजन में शून्य का एक अंश होता है, और हर विनाश में सृजन की एक चिंगारी। तुम सिर्फ़ एक अतिवादी हो, संतुलन से भटके हुए।"
कलासुर हँसा, एक तीखी, कड़वी हँसी। "अतिवादी? संतुलन? तुम क्या पागलों जैसी बातें कर रहे हो? दुनिया को संतुलन की नहीं, बल्कि शुद्धता की ज़रूरत है – शून्य की शुद्धता की! दर्द और पीड़ा से मुक्त होने की!"
"नहीं," आरव ने सिर हिलाया। "दर्द और पीड़ा के बिना कोई खुशी नहीं होती। संघर्ष के बिना कोई विकास नहीं होता। अस्तित्व का मतलब ही यह है – अंधकार और प्रकाश, सुख और दुख, सृजन और विनाश के बीच का नाजुक संतुलन।"
उसने अपनी आँखें बंद कीं, और अपने मन को बाहर की दुनिया में अपने दोस्तों की ओर केंद्रित किया। उसने अपनी बची हुई आकाश-शक्ति का उपयोग करके उनके साथ एक मानसिक संबंध स्थापित किया।
बाहर, तत्व-केंद्र पर, रिया और समीर, जो आरव से ऊर्जा प्रवाह टूटने के बाद निराशा में डूबे हुए थे, ने अचानक अपने दिमाग में आरव की आवाज़ सुनी। यह स्पष्ट और तत्काल थी, जैसे वह उनके ठीक बगल में खड़ा हो।
"रिया! समीर! भैरवी!" आरव की आवाज़ उनके सिर में गूँजी, कमजोर लेकिन दृढ़।
रिया और समीर ने एक-दूसरे को देखा, उनकी आँखों में अविश्वास था।
"आरव?" रिया ने फुसफुसाया, जैसे उसे डर हो कि यह सिर्फ़ एक भ्रम है।
"तुम... तुम ठीक हो?" समीर ने पूछा, उसकी आवाज़ में राहत और आश्चर्य का मिश्रण था।
"मुझे तुम सबकी ज़रूरत है," आरव की आवाज़ आई, उसकी आवाज़ में एक गहरी ज़रूरत थी। "भैरवी को जगाओ। हमें एक नई सील बनानी होगी।"
रिया ने तुरंत भैरवी की ओर देखा, जो अभी भी बेहोशी की हालत में थी। उसने धीरे से उसे हिलाया। "भैरवी! उठो! आरव को हमारी ज़रूरत है!"
भैरवी ने अपनी आँखें धीरे-धीरे खोलीं, उसकी पलकें भारी थीं। उसने दर्द से कराहते हुए रिया और समीर को देखा। "क्या हुआ...?"
"आरव वापस आ गया है," समीर ने उत्तेजना से कहा। "वह हमसे बात कर रहा है! उसे हमारी पूरी ऊर्जा चाहिए। एक नई सील बनाने के लिए!"
भैरवी ने अपनी आँखें चौड़ी कीं। उसे अपनी थकावट महसूस हुई, लेकिन आरव की आवाज़ ने उसे एक नई प्रेरणा दी। उसने ज़मीन पर हाथ रखा और अपने आप को ऊपर उठाने की कोशिश की।
पॉकेट आयाम में, आरव कलासुर से बात करना जारी रखे हुए था, उसे बातों में उलझाए हुए था जबकि वह अपने दोस्तों के साथ मानसिक रूप से जुड़ रहा था। कलासुर उसके चेहरे पर दिख रही नई दृढ़ता को देखकर बेचैन हो रहा था।
"तुम मुझे दुनिया का हिस्सा कैसे बनाओगे, नश्वर?" कलासुर ने संदेह से पूछा। "मुझे नष्ट नहीं किया जा सकता। मैं शुद्ध शून्य हूँ।"
"तुम शुद्ध शून्य हो, लेकिन तुम अस्तित्व के भीतर से आए हो," आरव ने समझाया। "तुम एक शक्ति हो, लेकिन एक ऐसी शक्ति जिसे संतुलन की ज़रूरत है। मैं तुम्हें नष्ट नहीं करूँगा, कलासुर। मैं तुम्हें बदल दूँगा।"
आरव ने मानसिक रूप से अपने दोस्तों से कहा, "अब! अपनी सारी ऊर्जा मुझे दे दो! अपनी जीवन ऊर्जा, अपनी तात्विक ऊर्जा... सब कुछ! यह आखिरी मौका है।"
रिया ने गहरी साँस ली। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने पिता की यादों, अपने राज्य के विनाश और अपने लोगों की आशाओं को याद किया। अग्नि की ऊर्जा उसके भीतर प्रज्वलित हुई, शुद्ध और शक्तिशाली। उसने उस ऊर्जा को आरव की ओर धकेल दिया, उसके शरीर का हर अणु इस प्रक्रिया में शामिल था। उसके हाथ और पैर काँपने लगे, जैसे वह एक अंतिम प्रयास कर रही हो।
समीर ने भी अपनी आँखें बंद कीं। उसे अपने भाई पवन की आवाज़ सुनाई दी, अपने कुल की आशाएँ और अपने गुरु वशिष्ठ की शिक्षाएँ याद आईं। वायु की ऊर्जा उसके भीतर उमड़ पड़ी, स्वतंत्र और तेज़। उसने भी अपनी पूरी शक्ति को आरव की ओर केंद्रित किया। उसके शरीर से हवा का एक तीव्र भँवर निकल रहा था, जैसे वह अपनी आत्मा को ही बाहर निकाल रहा हो।
भैरवी ने, दर्द के बावजूद, अपनी पूरी ताकत से ज़मीन को छुआ। उसे पृथ्वी की सदियों पुरानी स्थिरता और दृढ़ता महसूस हुई। उसने अपने लोगों के लिए अपने प्यार और अपनी दुनिया को बचाने की इच्छा को याद किया। पृथ्वी की ऊर्जा उसके शरीर से बाहर निकली, दृढ़ और स्थिर। यह एक बहुत ही दर्दनाक प्रक्रिया थी, जैसे उसका शरीर टूट रहा हो, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
और फिर, एक अप्रत्याशित स्रोत से – जल की ऊर्जा का एक शुद्ध प्रवाह आरव की ओर आया। यह खुद तत्व-केंद्र था, दुनिया का हृदय। इसने रिया, समीर और भैरवी की ऊर्जा के साथ मिलकर आरव की ओर बढ़ना शुरू किया। गुरु वशिष्ठ ने अपनी अंतिम साँस में कहा था कि यह केंद्र आरव की सहायता करेगा, और अब वह अपना वादा निभा रहा था। यह दुनिया का ही जीवन-बल था, जो अपने संरक्षक की सहायता के लिए आगे बढ़ रहा था।
पॉकेट आयाम में, आरव को अचानक अपने दोस्तों और दुनिया की संयुक्त ऊर्जा का एक विशाल ज्वार महसूस हुआ। लाल (अग्नि), नीला (जल), हरा (वायु) और भूरा (पृथ्वी) रंग की ऊर्जा धाराएँ, जो पहले उसके चारों ओर धीरे-धीरे घूम रही थीं, अब एक भयंकर नदी की तरह उसके शरीर में प्रवेश कर रही थीं। यह इतनी शुद्ध और शक्तिशाली ऊर्जा थी कि आरव का शरीर उस पर दबाव महसूस कर रहा था, लेकिन उसकी आकाश-शक्ति इसे आसानी से आत्मसात कर रही थी।
उसका शरीर फिर से चमक उठा, पहले से कहीं अधिक उज्ज्वल। उसकी आँखें चमकने लगीं, और उसके चारों ओर पाँचों तत्वों का एक सामंजस्यपूर्ण प्रभामंडल बन गया। आकाश-तत्व केंद्र में था, और उसके चारों ओर अग्नि, जल, वायु और पृथ्वी नृत्य कर रहे थे, एक पूर्ण चक्र बना रहे थे। यह एक ऐसा दृश्य था जो हज़ारों सालों से नहीं देखा गया था – पाँचों तत्वों का एक साथ, पूर्ण सामंजस्य में आना।
एक अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली ऊर्जा उत्पन्न हुई। यह सिर्फ़ शक्तिशाली नहीं थी, बल्कि यह शांत और संतुलित थी। यह ऐसी ऊर्जा थी जो सृजन और विनाश दोनों को नियंत्रित कर सकती थी, जो अस्तित्व और अनस्तित्व के बीच की रेखा को धुंधला कर सकती थी।
कलासुर ने यह सब देखा, उसकी आँखें आतंक से चौड़ी हो गईं। वह आरव के चेहरे पर दिख रही शांति और उसकी बढ़ती हुई शक्ति को देखकर काँप उठा। उसने महसूस किया कि यह नश्वर अब सिर्फ़ एक तत्वधारी नहीं था, बल्कि वह खुद अस्तित्व का अवतार बन चुका था। उसकी योजना – आरव को शून्य में मिलाने की – अब उसी पर भारी पड़ रही थी। आरव अब उसे खत्म करने की कोशिश नहीं कर रहा था, बल्कि उसे हमेशा के लिए बांधने की तैयारी कर रहा था।
कलासुर के मुंह से एक चीख निकली, "नहीं! यह नहीं हो सकता! मैं... मैं शून्य हूँ! मुझे नियंत्रित नहीं किया जा सकता!"
आरव ने अपने हाथों को ऊपर उठाया, और पाँचों तत्वों की संयुक्त ऊर्जा उसके हाथों के बीच एक बहुरंगी, घूमती हुई ऊर्जा पिंजरे का आकार लेने लगी। यह पिंजरा सिर्फ़ ऊर्जा का नहीं था, बल्कि यह आयामों का बना था, चेतना और पदार्थ का, अस्तित्व और अनस्तित्व का। यह एक ऐसी सील थी जो कलासुर को नष्ट नहीं करेगी, बल्कि उसे उसके मूल रूप में वापस ला देगी, उसे निष्क्रिय कर देगी, उसे संतुलित कर देगी।
कलासुर को आरव की योजना का एहसास हुआ और वह आतंकित हो गया। वह जानता था कि अगर आरव सफल हो गया, तो वह हमेशा के लिए फँस जाएगा, उसकी विनाशकारी शक्ति हमेशा के लिए बेअसर हो जाएगी। यह उसके लिए मौत से भी बदतर था।
"नहीं! मैं तुम्हें ऐसा नहीं करने दूँगा!" कलासुर चिल्लाया, और अपनी बची हुई सारी शक्ति को एकत्रित करके उस बहुरंगी पिंजरे पर हमला करने के लिए तैयार हो गया। वह पॉकेट आयाम को तोड़ने की कोशिश कर रहा था, ताकि इस नई सील को बनने से रोक सके। लेकिन आरव की संयुक्त शक्ति अब उससे कहीं अधिक थी। सील धीरे-धीरे कलासुर के चारों ओर बंद होने लगी, उसे अपने शक्तिशाली ऊर्जा बंधनों में जकड़ने लगी।
Chapter 19
"नहीं! मैं तुम्हें ऐसा नहीं करने दूँगा!" कलासुर चिल्लाया, और अपनी बची हुई सारी शक्ति को एकत्रित करके उस बहुरंगी पिंजरे पर हमला करने के लिए तैयार हो गया। वह पॉकेट आयाम को तोड़ने की कोशिश कर रहा था, ताकि इस नई सील को बनने से रोक सके। लेकिन आरव की संयुक्त शक्ति अब उससे कहीं अधिक थी। सील धीरे-धीरे कलासुर के चारों ओर बंद होने लगी, उसे अपने शक्तिशाली ऊर्जा बंधनों में जकड़ने लगी।
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कलासुर का आतंक स्पष्ट था। उसकी विशाल, काली काया काँप रही थी, और उसकी आँखें, जो पहले सिर्फ़ विनाश को दर्शाती थीं, अब शुद्ध भय से चमक रही थीं। उसने अपने चारों ओर शून्य-ऊर्जा के विशाल भँवर पैदा किए, जो उस बहुरंगी पिंजरे से टकराए, लेकिन आरव की शक्ति ने उन हमलों को आसानी से सोख लिया। हर बार जब कलासुर की ऊर्जा सील से टकराती, तो वह उसमें समा जाती, जैसे एक अथाह गड्ढे में गिर रही हो। यह सील सिर्फ़ उसे रोकने के लिए नहीं बनी थी, बल्कि उसकी ऊर्जा को आत्मसात करके उसे निष्प्रभावी करने के लिए बनी थी।
"तुम मुझसे यह नहीं छीन सकते!" कलासुर गरज उठा, उसकी आवाज़ में दर्द और क्रोध का मिश्रण था। "शून्य ही परम है! शून्य ही शांति है! अस्तित्व सिर्फ़ एक भ्रम है, एक दुखद नाटक!"
आरव, अपने चारों ओर पाँचों तत्वों की शक्ति को महसूस करते हुए, शांत खड़ा था। उसके चेहरे पर शांति थी, और उसकी आँखें कलासुर को देख रही थीं, लेकिन उनमें कोई घृणा नहीं थी, सिर्फ़ समझ थी। "तुम्हें शांति भ्रम लगती है, कलासुर," आरव ने कहा, उसकी आवाज़ पॉकेट आयाम में गूँजी। "लेकिन भ्रम के बिना कोई वास्तविकता नहीं होती। दुख के बिना सुख नहीं। और अंधकार के बिना प्रकाश नहीं।"
कलासुर ने अपनी बची हुई सारी शक्ति को एक अंतिम, हताश प्रयास में झोंक दिया। उसकी काया और भी बड़ी हो गई, और उसने पॉकेट आयाम की दीवारों पर वार करना शुरू कर दिया, उन्हें तोड़ने की कोशिश की। आयाम ज़ोर से काँप उठा, और बाहर की दुनिया में, तत्व-केंद्र पर, रिया, समीर और भैरवी ने भी इस झटके को महसूस किया।
रिया ने अपने दाँतों को भींच लिया, उसके शरीर में भयानक दर्द हो रहा था, लेकिन उसने आरव को भेजी जा रही ऊर्जा के प्रवाह को कम नहीं होने दिया। उसके चारों ओर अग्नि की लपटें नाच रही थीं, जो उसकी तीव्र इच्छा शक्ति को दर्शा रही थीं। "हमें उसे रोके रखना होगा!" उसने हाँफते हुए कहा।
समीर ने सिर हिलाया, उसकी आँखें दर्द से बंद थीं। उसके शरीर से हवा का एक ठंडा झोंका निकल रहा था, और उसने अपनी सारी शक्ति आरव की ओर धकेल दी। "बस थोड़ा और, आरव!" उसने मानसिक रूप से फुसफुसाया, जैसे उसकी आवाज़ पॉकेट आयाम में आरव तक पहुँच सके।
भैरवी, जो थोड़ी देर के लिए बेहोश हो गई थी, अब वापस होश में आ गई थी और अपनी पूरी शक्ति से आरव को पृथ्वी की ऊर्जा भेज रही थी। उसके हाथ ज़मीन पर कसकर टिके थे, जैसे वह खुद ज़मीन बन गई हो। उसकी आँखों में आरव के लिए विश्वास और प्यार था।
पॉकेट आयाम में, कलासुर के हमले और भी तीव्र हो गए। उसने अपने आसपास शून्य-ऊर्जा के कई छोटे-छोटे गोले बनाए और उन्हें सील की ओर फेंका, जैसे वह उसे तोड़ना चाहता हो। आरव अपनी शक्ति के साथ खड़ा रहा, अपने हाथों से उस बहुरंगी पिंजरे को धीरे-धीरे बंद करता रहा। हर हमला, जो कलासुर करता था, वह बस उस सील को और मज़बूत करता जाता था, क्योंकि सील शून्य की ऊर्जा को अवशोषित करने के लिए डिज़ाइन की गई थी।
"तुम... तुम इसे नहीं समझोगे!" कलासुर चीखा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी निराशा थी। "मैंने दुनिया को देखा है! मैंने संघर्ष देखा है! मैंने देखा है कि कैसे नश्वर एक-दूसरे को नष्ट करते हैं! यह दुनिया शांति के लायक नहीं है! यह सिर्फ़ शून्य के लायक है!"
"हो सकता है कि तुमने सिर्फ़ अंधकार देखा हो, कलासुर," आरव ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ में करुणा थी। "लेकिन मैंने प्रकाश भी देखा है। मैंने प्रेम देखा है, मैंने दोस्ती देखी है, मैंने बलिदान देखा है। मैंने देखा है कि कैसे नश्वर अपने दर्द के बावजूद, एक-दूसरे के लिए खड़े होते हैं, आशा को थामे रहते हैं। यही दुनिया का सच है। यही कारण है कि यह लड़ने लायक है।"
आरव ने एक गहरी साँस ली, और अपनी सारी बची हुई शक्ति को केंद्रित किया। सील उसके हाथों के बीच चमक उठी, और उसकी गति तेज़ हो गई। कलासुर की विशाल काया अब उस पिंजरे के भीतर समा रही थी, सिकुड़ती जा रही थी। शून्य की ऊर्जा, जो पहले असीमित और विनाशकारी थी, अब सील के भीतर नियंत्रित हो रही थी, एक छोटे, संपीड़ित बिंदु पर केंद्रित हो रही थी।
कलासुर ने अंतिम बार चीखने की कोशिश की, लेकिन उसकी आवाज़ धीमी पड़ गई। "क्यों...? तुम शांति क्यों नहीं चाहते...?" उसके शब्द अब बमुश्किल सुनाई दे रहे थे, जैसे वह अपने अस्तित्व के अंतिम छोर पर हो।
आरव ने कलासुर की आँखों में देखा, और उसके अंतिम प्रश्न का जवाब दिया। "क्योंकि दर्द के बिना कोई खुशी नहीं होती। और संघर्ष के बिना कोई शांति नहीं होती।" उसकी आवाज़ दृढ़ थी, लेकिन उसमें कोई अहंकार नहीं था, सिर्फ़ एक गहरी समझ थी।
और फिर, एक अंतिम चमक के साथ, सील पूरी तरह से बंद हो गई। पॉकेट आयाम में एक तेज रोशनी फैली, और फिर अचानक सब कुछ शांत हो गया। कलासुर की विशाल, विनाशकारी काया अब नहीं थी। उसकी सारी ऊर्जा, उसका सारा अस्तित्व, एक छोटे, शांत, गहरे काले गोले में समा गया था, जो आरव के हाथों के बीच चमक रहा था। यह एक निर्जीव पत्थर जैसा था, लेकिन उसके भीतर अनंत शून्य की शक्ति कैद थी, पूरी तरह से निष्क्रिय।
लड़ाई खत्म हो गई थी।
पॉकेट आयाम में अब केवल आरव और वह शांत, काला गोला था। आयाम का रंग धीरे-धीरे वापस अपनी सामान्य स्थिति में आ रहा था, और कलासुर के कारण पैदा हुआ अंधकार दूर हो रहा था। आरव अपने हाथों में उस गोले को पकड़े हुए था, उसकी आँखें उस पर टिकी थीं। उसे महसूस हुआ कि उसकी सारी शक्ति, उसकी सारी ऊर्जा, इस सील को बनाने में लग गई थी। वह पूरी तरह से थक चुका था। उसका शरीर काँप रहा था, और उसके आध्यात्मिक घाव से अभी भी खालीपन महसूस हो रहा था। आकाश-पुरुष की स्थिति, जो उसने धारण की थी, अब समाप्त हो रही थी। उसकी दिव्य चमक मद्धम पड़ रही थी, और वह वापस अपने सामान्य, नश्वर रूप में आ रहा था।
उसने अपने हाथों में उस गोले को कसकर पकड़ा। यह अब सिर्फ़ एक ऊर्जा का गोला नहीं था, बल्कि अनस्तित्व की शक्ति का प्रतीक था, जिसे उसने अस्तित्व के भीतर संतुलित कर दिया था। यह सील गुरु वशिष्ठ के शब्दों का अंतिम प्रमाण थी – संतुलन में ही सच्ची शक्ति है।
आरव ने गहरी साँस ली, उसकी छाती दर्द से उठ रही थी। उसे अपनी बची हुई शक्ति का उपयोग करके पॉकेट आयाम को बंद करना था। उसने अपनी आँखें बंद कीं, और आयाम को ढहने का निर्देश दिया, जैसे कोई अपनी कल्पना को वापस समेट लेता है। आयाम धीरे-धीरे सिमटने लगा, और अंततः पूरी तरह से गायब हो गया, आरव को वापस तत्व-केंद्र पर, अपने दोस्तों के पास ले आया।
रिया, समीर और भैरवी, जो आरव के आयाम के काले पड़ जाने और फिर अचानक चमक उठने से घबरा गए थे, ने उसे वापस आता देखा। आरव ज़मीन पर गिर पड़ा, उसके हाथ में वह छोटा, काला गोला था। उसकी "आकाश-पुरुष" की अवस्था समाप्त हो गई थी, और वह वापस सामान्य आरव बन गया था – थका हुआ, घायल, लेकिन जीवित।
"आरव!" रिया चिल्लाई, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी खुशी और राहत का मिश्रण था। वह तुरंत उसकी ओर भागी, उसके पैरों में दर्द के बावजूद।
समीर और भैरवी भी उसके पास पहुँच गए, उनके चेहरे पर राहत और अविश्वास का भाव था। वे उसे घेर लेते हैं, उसके पास घुटनों के बल बैठ जाते हैं। आरव दर्द से हाँफ रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी।
"तुम... तुम ठीक हो?" समीर ने पूछा, उसकी आवाज़ काँप रही थी।
आरव ने मुश्किल से सिर हिलाया। उसने अपने हाथ में पकड़े छोटे काले गोले की ओर इशारा किया। "यह... यह हो गया।"
रिया ने उस गोले को देखा, उसकी आँखों में आँसू थे। उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और आरव का हाथ पकड़ा, जिसने गोला पकड़ा हुआ था। उसका स्पर्श कोमल और आश्वस्त करने वाला था।
भैरवी ने आरव के कंधे पर हाथ रखा, और उसके चेहरे पर एक राहत भरी मुस्कान थी। "हमने... हमने कर दिया," उसने फुसफुसाया।
वे तीनों आरव के चारों ओर बैठे थे, पूरी तरह से थके हुए, उनके शरीर में दर्द था, लेकिन उनके दिल में एक अजीब सी शांति थी। वे सभी जीवित थे। उन्होंने असंभव को हासिल कर लिया था। कलासुर को रोक दिया गया था। दुनिया बच गई थी। लेकिन अब क्या? उनके सामने एक तबाह हुई दुनिया थी, जिसे फिर से बनाने की ज़रूरत थी।
समीर ने दूर, तत्व-केंद्र के पास की ओर देखा, जहाँ अभी भी कलासुर के हमलों के निशान थे। "अब हमें क्या करना है, आरव?" उसने पूछा, उसकी आवाज़ में एक नया अध्याय शुरू करने की चुनौती थी।
आरव ने अपनी आँखें खोलीं, उसकी आँखों में अभी भी थकावट थी, लेकिन एक नई आशा भी थी। "अब... हमें पुनर्निर्माण करना है।"
Chapter 20
"अब... हमें पुनर्निर्माण करना है।" आरव ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी दूरदर्शिता थी, जैसे वह पहले से ही देख रहा हो कि आगे क्या करना है। उसने धीरे से अपने हाथ में पकड़े काले गोले को देखा, जो अब बिल्कुल निष्क्रिय था। यह कलासुर का अंतिम अवशेष था, विनाश की शक्ति जो अब संतुलन में आ गई थी।
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रिया ने उसके चेहरे पर एक नज़र डाली, फिर उस छोटे से गोले पर। उसकी आँखों में एक पल के लिए अविश्वास आया, फिर एक गहरी शांति। "तुम ठीक हो, आरव?" उसने पूछा, उसकी आवाज़ में चिंता थी। वह अभी भी थका हुआ दिख रहा था, और उसका शरीर काँप रहा था।
आरव ने एक गहरी साँस ली, जो एक दर्दभरी कराहट में बदल गई। "हाँ, मैं ठीक हूँ। बस... बहुत थका हुआ।" उसने गोला समीर की ओर बढ़ा दिया। "इसे सुरक्षित रखना, समीर। यह अब तक की सबसे महत्वपूर्ण सील है।"
समीर ने सतर्कता से उस गोले को अपने हाथों में लिया। यह आश्चर्यजनक रूप से हल्का था, फिर भी उसके भीतर एक अव्यक्त शक्ति महसूस हो रही थी। उसने उसे अपने कपड़ों के अंदर, अपने दिल के करीब एक सुरक्षित थैली में रख लिया। "इसे अपनी जान से भी ज़्यादा सुरक्षित रखूँगा, आरव।" उसने गंभीर स्वर में कहा।
भैरवी ने आरव को धीरे से सहारा दिया। "हमें तुम्हें आराम करने देना चाहिए, आरव। तुम पूरी तरह से निढाल हो।"
"हाँ, लेकिन पहले..." आरव ने अपने सिर को उठाया और चारों ओर देखा। तत्व-केंद्र का द्वीप, जो कुछ मिनट पहले तक एक भयंकर युद्ध का मैदान था, अब शांत था। लेकिन यह शांति टूटी हुई थी। ज़मीन पर गहरे घाव थे, पेड़ जल गए थे, और हवा में अभी भी विनाश की गंध थी। "हमें देखना होगा कि बाहर क्या स्थिति है।"
वे चारों धीरे-धीरे उठे, उनके शरीर में दर्द था, लेकिन उनके कदम दृढ़ थे। उन्होंने तत्व-केंद्र के शिखर की ओर बढ़ना शुरू किया, जहाँ से वे पूरी दुनिया का नज़ारा देख सकते थे। जैसे-जैसे वे ऊपर पहुँचे, उनके सामने एक भयावह दृश्य फैला हुआ था।
चारों ओर, जहाँ कभी हरे-भरे जंगल और संपन्न शहर थे, वहाँ अब खंडहर थे, ज़मीन पर गहरे निशान थे, और दूर-दूर तक धुआँ उठ रहा था। अग्नि गणराज्य की राजधानी, जिसे कलासुर ने एक झटके में नष्ट कर दिया था, अब सिर्फ़ एक दूर का, जलता हुआ निशान थी। यह एक ऐसा दृश्य था जिसने उनके दिलों में ठंडक भर दी। कलासुर ने सिर्फ़ शहरों को नहीं, बल्कि जीवन को भी तबाह कर दिया था।
रिया की आँखों में आँसू आ गए। "मेरे लोग..." उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज़ में दर्द था। "यह सब... इतना विनाश..."
समीर ने अपने सिर को हिलाया, उसके चेहरे पर भी गहरा दुख था। "वायु कुल... मेरे परिवार... न जाने कितने लोग बच पाए होंगे।"
भैरवी ने ज़मीन पर हाथ रखा, और उसे महसूस हुआ कि दुनिया की ऊर्जा अभी भी अस्त-व्यस्त थी। पृथ्वी अभी भी दर्द में थी। "यह सब ठीक करने में सालों लगेंगे।"
आरव ने अपने दोस्तों की ओर देखा, उनके चेहरों पर निराशा थी। उसने अपने हाथ में पकड़े छोटे काले गोले को महसूस किया। कलासुर को कैद कर लिया गया था, लेकिन उसका छोड़ा गया निशान बहुत गहरा था। "हाँ," आरव ने धीमी आवाज़ में कहा। "लेकिन हमने उसे रोक दिया। हमने दुनिया को पूरी तरह से नष्ट होने से बचा लिया। अब हमें बचे हुए लोगों को खोजना होगा और पुनर्निर्माण शुरू करना होगा।"
तभी, एक दूर से आती हुई, कमज़ोर आवाज़ उनके कानों में पड़ी। यह एक संदेश था, एक आपातकालीन प्रसारण, जो संघर्ष के बाद पहली बार हुआ था।
"यहाँ... यहाँ कोई है? पृथ्वी राज्य का नियंत्रण केंद्र... क्या कोई बचा है? हमने... हमने एक विशाल ऊर्जा विस्फोट देखा है... क्या कलासुर...?"
आरव ने तुरंत अपनी बची हुई शक्ति का उपयोग किया और उस संदेश का जवाब दिया। "मैं हूँ, आरव। तत्व-केंद्र से बोल रहा हूँ। कलासुर... उसे रोक दिया गया है। वह अब कोई खतरा नहीं है। लेकिन विनाश बहुत बड़ा है। क्या तुम मेरी आवाज़ सुन रहे हो?"
दूसरी ओर से चुप्पी थी, और फिर एक काँपती हुई, राहत भरी आवाज़ आई। "आरव! गुरु वशिष्ठ के शिष्य आरव? यह... यह अविश्वसनीय है! हम सुन रहे हैं! कलासुर चला गया? तुम निश्चित हो?"
"हाँ, निश्चित हूँ," आरव ने कहा। "उसे एक नई सील में कैद कर दिया गया है। लेकिन हमें मदद की ज़रूरत है। क्या कोई सेना बची है? क्या कोई संचार केंद्र काम कर रहा है?"
"हम बचे हुए लोगों को इकट्ठा कर रहे हैं, आरव," दूसरी आवाज़ ने कहा, अब उसमें थोड़ी मज़बूती थी। "यह पृथ्वी राज्य के कुछ बचे हुए सैनिक और इंजीनियर हैं। हम तत्काल मदद भेजते हैं। क्या आप ठीक हैं?"
"हम ठीक हैं," आरव ने जवाब दिया। "लेकिन यहाँ बहुत कुछ करना है। जितना हो सके, लोगों को इकट्ठा करो। हमें एक सुरक्षित जगह बनानी होगी।"
यह संदेश दुनिया भर में फैलना शुरू हुआ। पहले एक कानाफूसी की तरह, फिर एक ज़ोरदार घोषणा की तरह। "कलासुर चला गया है!" "कलासुर हार गया है!" "दुनिया बच गई है!"
जो लोग गुफाओं में छिपे थे, जो खंडहरों में दुबके हुए थे, जो मलबे के नीचे दबे हुए थे – उन्होंने इस संदेश को सुना। पहले अविश्वास था, फिर सावधानी, और अंत में, एक विशाल, सामूहिक राहत का उभार। लोगों ने अपने छिपने के स्थानों से बाहर निकलना शुरू किया, अपनी आँखों में आशा की एक हल्की चमक के साथ। उन्होंने अपने आसपास के विनाश को देखा, अपने प्रियजनों को खोने का दर्द महसूस किया, लेकिन अब उनके पास कुछ और था – भविष्य की आशा।
विभिन्न राज्यों के बचे हुए लोग, जो पहले अपने-अपने स्थानों पर दुबके हुए थे, अब एक-दूसरे से संपर्क साधना शुरू कर रहे थे। कुछ ने छोटे रेडियो संदेश भेजे, कुछ ने प्रकाश के संकेत दिए, और कुछ ने बस अपने पैरों पर खड़े होकर दूर के क्षितिज को देखा, जहाँ से आशा की आवाज़ आई थी।
अग्नि गणराज्य से, कुछ बचे हुए सैनिक, जो रिया के प्रति वफ़ादार थे, उन्होंने उसके संदेश को सुना। जल कुल के लोग, जिन्होंने पहाड़ों में शरण ली थी, उन्हें भी यह ख़बर मिली। वायु कुल के बिखरे हुए सदस्य, जो तूफानों से बचे थे, उन्होंने अपने संचार उपकरणों को ठीक करने की कोशिश की।
तत्व-केंद्र पर, रिया, समीर और भैरवी ने देखा कि कैसे आकाश में दूर-दूर से छोटे-छोटे प्रकाश के बिंदु चमकने लगे थे – वे आपातकालीन सिग्नल थे, बचे हुए लोगों के संदेश। यह दिल दहला देने वाला था, क्योंकि इसने उन्हें याद दिलाया कि कितने कम लोग बचे थे।
"हमें उन तक पहुँचना होगा," रिया ने कहा, उसकी आवाज़ में एक नया दृढ़ संकल्प था। "जितनी जल्दी हो सके। बहुत से लोग घायल होंगे, बहुत से लोग मदद का इंतज़ार कर रहे होंगे।"
समीर ने सिर हिलाया। "मैं अपनी बची हुई शक्ति का उपयोग करके वायु कुल के बचे हुए लोगों का पता लगाने की कोशिश करता हूँ।"
भैरवी ने अपनी आँखें बंद कीं, और अपनी पृथ्वी-शक्ति का उपयोग करके ज़मीन के भीतर कंपन महसूस करने की कोशिश की, ताकि वह उन लोगों का पता लगा सके जो मलबे के नीचे फंसे थे या गुफाओं में छिपे थे।
आरव ने उन्हें देखा, और उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आई। उसके दोस्त, जो अभी कुछ पल पहले मौत के मुँह से वापस आए थे, अब भी दूसरों की मदद करने के लिए तैयार थे। यही वह दुनिया थी जिसे उसने बचाया था – एक ऐसी दुनिया जो संघर्ष के बावजूद हार नहीं मानती थी, जो दर्द के बावजूद आशा को थामे रहती थी।
पुनर्निर्माण का लंबा और कठिन काम शुरू होने वाला था। यह एक युद्ध से भी ज़्यादा मुश्किल लड़ाई थी, क्योंकि इसमें हथियारों से नहीं, बल्कि धैर्य, करुणा और दृढ़ संकल्प से लड़ना था। उन्हें एक नई दुनिया बनानी थी, जो कलासुर के विनाश से सबक सीखेगी, और जहाँ संतुलन का महत्व समझा जाएगा।
तत्व-केंद्र के पास से, पृथ्वी राज्य के बचे हुए सैनिकों और इंजीनियरों का एक छोटा दल आने लगा था। वे थके हुए और धूल से सने हुए थे, लेकिन उनकी आँखों में एक नई चमक थी। उन्होंने आरव और उसके दोस्तों को देखा, और उनकी आँखों में सम्मान और अविश्वास का मिश्रण था।
"यहाँ... यहाँ से शुरू करते हैं," आरव ने कहा, जैसे वह अपने आप से कह रहा हो। "एक-एक करके। एक-एक ईंट, एक-एक पेड़, एक-एक जान। हमें इस दुनिया को फिर से बनाना होगा।"
उसने अपने दोस्तों की ओर देखा। वे सभी थके हुए थे, लेकिन उनकी आँखों में एक साझा उद्देश्य की चमक थी। उनका सबसे बड़ा दुश्मन हार चुका था, लेकिन उनकी यात्रा अभी खत्म नहीं हुई थी। यह सिर्फ़ एक नई शुरुआत थी, एक तबाह हुई दुनिया के पुनर्निर्माण की कहानी की।