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हमारे ठाकुर साहब💓

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Laxmi R

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Description

जब सपनों की उड़ान और समाज की ज़ंजीरें आमने-सामने हों, तब ज़िंदगी एक इम्तिहान बन जाती है। सिया चौहान — एक 19 वर्षीय चंचल और आत्मनिर्भर लड़की, जिसका सपना है एक नामी डॉक्टर बनना। लेकिन छोटे शहर की सीमाएं, दादी की पुरानी सोच और समाज की उम्मीदे...

Total Chapters (63)

Page 1 of 4

  • 1. Hamare Thakur Sahab 💓 - Chapter 1

    Words: 846

    Estimated Reading Time: 6 min

    यह कहानी मेरी कल्पना पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत संवाद और दृश्य पूरी तरह मेरी सोच से रचे गए हैं। कृपया नकल करने की कोशिश न करें… 🙏🏻

    एक छोटा-सा मगर खूबसूरती से सजाया गया कमरा। दीवारों पर हल्के रंग की पेंटिंग्स, खिड़की से आती धूप और सलीके से सजी किताबें — सब कुछ सुकून देने वाला था। लेकिन उस कमरे के बीचों-बीच, सिया अधीरता से चहलकदमी कर रही थी। चेहरे पर साफ़ घबराहट थी।

    "सिया, इतनी परेशान क्यों हो रही है? तेरा रिजल्ट अच्छा ही आएगा," रिया ने मुस्कुराते हुए कहा। "जैसे तूने NEET क्लियर किया, वैसे ही सिलेक्शन भी हो जाएगा।"

    "पता है यार," सिया ने लंबी सांस लेते हुए कहा, "लेकिन जब तक रिजल्ट नहीं आता, टेंशन तो रहेगी ही। और तू जानती है ना, ये पहला और आखिरी मौका है। अगर इस बार कुछ गड़बड़ हुई, तो घरवाले शादी की बातें शुरू कर देंगे।"

    "तू भी जानती है, ऐसा कुछ नहीं होगा। हमारा पूरा परिवार हमारे साथ है," रिया ने उसे सांत्वना दी। "हाँ, दादी थोड़ी पुराने ख्यालों की हैं, लेकिन अंकल तो तेरे साथ हैं। उनके रहते कोई तुझ पर ज़ोर-जबरदस्ती नहीं कर सकता।"

    "तू नहीं जानती मेरी दादी को," सिया ने मुंह बनाते हुए कहा। "वो इमोशनल ड्रामा करके सबको मना लेती हैं और पापा तो जैसे उनके हर शब्द को गीता का श्लोक समझते हैं।"

    अभी रिया कुछ कहती, तभी उसके फोन पर नोटिफिकेशन टनटना उठा। उसने खुशी से चीखते हुए कहा, "रिजल्ट आ गया! और तेरा सिलेक्शन हमारे शहर के बेस्ट मेडिकल कॉलेज में हुआ है!"

    रिया की बात सुनकर सिया जैसे पत्थर की मूर्ति बन गई। उसे समझ नहीं आया कि कैसे प्रतिक्रिया दे। वह बस रिया को अपलक देखती रही।

    रिया ने हँसते हुए उसके सिर पर हल्का सा हाथ मारा, "पगली! होश में आ! और अब तो पार्टी दे क्योंकि हम दोनों का सिलेक्शन हो गया है — वो भी एक ही कॉलेज में! अब हम साथ रहेंगे!"

    सिया ने खुशी से रिया को गले लगाते हुए कहा, "आई एम सो हैप्पी यार! मुझे यकीन नहीं हो रहा!"

    "चल अब नीचे चलते हैं, सबको बताने।"

    ---

    ठाकुर मेंशन के ड्राइंग रूम में गंभीर माहौल था।

    "ये आप कैसी बातें कर रही हैं माँ?" अरविंद ठाकुर चिंतित स्वर में बोले। "आजकल के ज़माने में अनपढ़ लड़की से शादी? वो भी हमारे बेटे की?"

    यशोदा ठाकुर ने दृढ़ स्वर में जवाब दिया, "मुझे एक सीधी-सादी, घरेलू लड़की चाहिए। जो ज़्यादा पढ़-लिख न हो। पढ़ाई का घमंड बहुत जल्दी सर चढ़ जाता है। ऐसी लड़कियाँ ना तो बड़ों की इज्जत करती हैं, और ना ही एक अच्छी बहू बन पाती हैं।"

    "माँ, क्या आपको लगता है कि देवांश ये रिश्ता मानेगा? वो एक नामी डॉक्टर है, और हमारे फैमिली बिज़नेस का भी अकेला मालिक।"

    "मेरा पोता मेरी हर बात मानता है। और इस बार भी मानेगा। शाम को उसे घर बुलाओ, मैं बात करूंगी। लड़की की चिंता मत करो, मैं ढूंढ़ लूंगी उसके लायक बहू।"

    ---

    "आज ऑफिस में इतनी शांति क्यों है?" एक लड़की ने चुपके से पूछा।

    "क्योंकि आज हमारे बॉस आए हैं," पीहू मुस्कराई।

    "इसमें खुश होने की क्या बात है?" संजना ने मुंह बनाते हुए कहा। "जब भी आते हैं, हम सब की हालत खराब कर देते हैं। हर बात में गलती निकालते हैं, जैसे खुद मिस्टर परफेक्ट हों।"

    "जैसे भी हों," पीहू ने सपनों भरी आवाज़ में कहा, "हैंडसम तो हैं ना! और सोचो — डॉक्टर होकर भी फैमिली बिज़नेस संभालते हैं। कितने टैलेंटेड हैं!"

    "हम्म... लेकिन ज़्यादा बातें मत कर, नहीं तो हमेशा के लिए छुट्टी मिल जाएगी।"

    "सर, मीटिंग के लिए सब तैयार है," एक कर्मचारी ने सूचना दी।

    अभी वह अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि एक सख्त, भारी आवाज़ गूंजी—

    "सबको कह दो, अगर किसी ने गलती की, तो उसकी छुट्टी पक्की! मैं इस बार किसी को माफ नहीं करूंगा।"

    "यस बॉस!" — कहकर वह चला गया।

    रेहान ने पीछे से धीरे से कहा, "इतना डराओगे तो एक दिन ऑफिस खाली हो जाएगा।"

    देवांश ठाकुर ने गंभीरता से जवाब दिया, "ऐसा कभी नहीं होगा रेहान। जैसे मुझे इनकी ज़रूरत है, वैसे ही इन्हें मेरी। ज़रूरतें इंसान से कुछ भी करवा सकती हैं।"

    "बात तो सही है, डॉक्टर देवांश ठाकुर," रेहान मुस्कराते हुए बोला। "अब आप मीटिंग में जाइए, और मैं भी निकलता हूँ।"

    देवांश कुछ पल खिड़की से बाहर झांकता रहा, मानो किसी भूले हुए ख्वाब को टटोल रहा हो। फिर खुद को संयमित कर कॉन्फ्रेंस रूम की ओर बढ़ गया।

    ---

    सिया उत्साह से नीचे हॉल में आती है, जहाँ पूरा परिवार बैठा था। कुछ बोलने ही वाली थी कि—

    "थोड़ी तो लड़कियों जैसी तहजीब सीखो। ये भाग-दौड़ लड़कियों को शोभा नहीं देती," दादी ने डांटते हुए कहा।

    सिया मुस्कराई नहीं, बस चुपचाप उनके पास बैठ गई।

    ---

    मुख्य पात्रों का परिचय:

    डॉ. देवांश ठाकुर

    उम्र: 29 वर्ष

    एक सफल डॉक्टर, जो अपने परिवार के बिज़नेस को भी बखूबी संभालता है। अनुशासन प्रिय, सख्त और एकदम परफेक्शनिस्ट।

    सिया चौहान

    उम्र: 19 वर्ष

    बिंदास, ज़िंदादिल और अपने सपनों को लेकर जुनूनी। डॉक्टर बनने का सपना लेकर मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। परिवार की बंदिशों के बावजूद अपनी पहचान बनाने को तैयार।

    ---

    ...To be continued...

  • 2. Hamari Thakur Sahab 💓 - Chapter 2

    Words: 1034

    Estimated Reading Time: 7 min

    चैप्टर - एक नई शुरुआत

    देवांश ठाकुर अपनी केबिन की खिड़की से बाहर खड़ी इमारतों को एकटक निहार रहा था। उसके चेहरे पर गहराई से सोचने वाले भाव थे। क्षण भर बाद उसने लंबी साँस ली, अपने मन को संयत किया और शांत भाव से मीटिंग के लिए कॉन्फ्रेंस रूम की ओर बढ़ गया।

    ---

    सिया का घर

    सिया मुस्कुराते हुए अपने घर के हॉल में आई, जहाँ पूरा परिवार मौजूद था। उसके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। वह कुछ कहने ही वाली थी कि तभी उसकी दादी, जानकी देवी, कड़क स्वर में बोलीं,

    "थोड़ी तो लड़कियों जैसी शालीनता सीखो। यह क्या यहां-वहां दौड़ लगाती फिरती हो? लड़कियों को शोभा नहीं देता ऐसा व्यवहार।"

    दादी की बात सुनकर सिया का चेहरा उतर गया। वह कुछ कहती, उससे पहले ही उसके पिता, आकाश चौहान, ने हस्तक्षेप किया।

    "मां, बच्ची है। वक्त के साथ सब सीख जाएगी। लेकिन बताओ तो सही, इतना खुश क्यों है हमारी बेटी?"

    सिया तुरंत पिता के पास बैठ गई, आँखों में चमक लिए बोली,

    "पापा, हमारा सिलेक्शन हो गया! वो भी शहर के सबसे अच्छे कॉलेज में... वही, जिसका सपना हम दोनों ने देखा था।"

    यह सुनकर आकाश चौहान का चेहरा गर्व से खिल उठा।

    "यह तो बहुत ही खुशखबरी है! आज तुमने हमारा सिर गर्व से ऊँचा कर दिया, बेटा। मुझे शुरू से यकीन था कि तुम एक दिन जरूर ये कर दिखाओगी!"

    कहते हुए उन्होंने सिया को गले से लगा लिया।

    तभी पास बैठी रिया ने मुंह बनाते हुए कहा,

    "अंकल, मेरा भी सिलेक्शन हुआ है... लेकिन मुझसे तो कोई प्यार ही नहीं करता।"

    इस पर रागिनी (सिया की मां) ने रिया को गले लगाते हुए हंसकर कहा,

    "अरे उदास क्यों होती हो? हम हैं ना तुम्हारे लिए भी।"

    सिया और आकाश बस मुस्कुराकर दोनों को देख रहे थे।

    अचानक दादी जानकी फिर बोल उठीं,

    "अब जब कॉलेज में एडमिशन हो ही गया है तो अब इसकी शादी की तैयारी भी शुरू कर दो, आकाश बेटा।"

    आकाश ने थोड़ी गंभीरता से कहा,

    "मां, आप कैसी बातें कर रही हैं? अभी सिया सिर्फ 19 साल की है। यह समय उसके सपनों को पूरा करने का है, ना कि उसकी शादी करने का। जब तक मेरी बेटी डॉक्टर नहीं बन जाती, तब तक उसे शादी के लिए कोई मजबूर नहीं करेगा।"

    जानकी देवी नाखुश होकर बोलीं,

    "बेटा, यही उम्र होती है शादी की। और ऊपर से जमाना कितना खराब हो गया है!"

    "मुझे मालूम है मां, पर मुझे मेरी बेटी पर पूरा भरोसा है। वो कभी कोई गलत कदम नहीं उठाएगी।"

    आकाश ने दृढ़ विश्वास के साथ जवाब दिया।

    रागिनी ने भी समर्थन किया,

    "मां, सिया और सिद्धार्थ—हमारे दोनों बच्चे—हमारी परवरिश पर कभी धब्बा नहीं लगाएंगे। हमें अपने संस्कारों पर भरोसा है।"

    दादी ने नज़रों में असहमति लिए बस इतना कहा,

    "आज तुम्हें मेरी बातें गलत लगती हैं, पर जब वक्त बीत जाएगा तब समझ आएगा।"

    और यह कहकर वह अपने कमरे में चली गईं।

    दादी की बातों ने सिया को थोड़ा उदास कर दिया। यह उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था।

    आकाश ने उसका सिर सहलाते हुए स्नेह से कहा,

    "परेशान मत हो बेटा, बस पढ़ाई पर ध्यान दो। मां को मैं संभाल लूंगा।"

    सिया बस धीरे से ‘हम्म’ कहकर सिर हिला देती है।

    उधर रिया भी उठ खड़ी हुई,

    "तो अब मैं चलती हूँ, घर पर भी सबको ये खबर सुनानी है।"

    "हाँ..." सिया मुस्कुरा कर उसे विदा करती है।

    ---

    कॉन्फ्रेंस रूम – ऑफिस का तनाव

    कॉन्फ्रेंस रूम का माहौल गर्म था। सब इम्प्लॉईज़ की सांसें अटकी हुई थीं। देवांश ठाकुर की उपस्थिति से पूरे कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ था। वह अपनी चेयर पर बैठा फाइल के पन्ने पलट रहा था, और हर पन्ने के साथ उसके चेहरे के भाव बदलते जा रहे थे।

    जिस कर्मचारी की रिपोर्ट देवांश के हाथ में थी, उसकी तो मानो धड़कनें ही रुक गई थीं।

    अचानक देवांश की आवाज गूंजी—कठोर, सख्त और तीखी।

    "तुम इतनी लापरवाही कैसे कर सकते हो? ये पूरी इनफॉर्मेशन गलत है! सोचो अगर ये गलती क्लाइंट के हाथ लग गई होती, तो कंपनी को कितना बड़ा नुकसान हो सकता था!"

    कर्मचारी कांपती आवाज में बोला,

    "आई एम सॉरी सर, मैं अभी इसे सुधार देता हूँ।"

    "तुम्हें क्या लगता है मैं तुम्हें माफ कर दूंगा?"

    देवांश ने उसे घूरते हुए कहा।

    "सर, प्लीज... माफ कर दीजिए। आगे से कभी ऐसी गलती नहीं होगी।"

    "मुझे तुम्हारी कोई सफाई नहीं सुननी। अभी के अभी ऑफिस से बाहर निकलो।"

    "सर..."

    "गेट लॉस्ट!"

    कर्मचारी ने उदास मन से फाइल उठाई और चुपचाप बाहर चला गया।

    देवांश ने सभी की ओर घूरते हुए चेतावनी दी,

    "अब से मीटिंग्स नियमित होंगी और हर काम एकदम परफेक्ट चाहिए। अगली बार सिर्फ ऑफिस से नहीं निकालूंगा, बल्कि ऐसा रिमार्क दूंगा कि इंडिया का कोई भी ऑफिस तुम्हें नौकरी नहीं देगा।"

    यह कहकर वह रूम से बाहर चला गया।

    उसके जाते ही कमरे में सन्नाटा टूटा। सबने राहत की सांस ली।

    "आज तो बच गए यार... अब से ध्यान रखना पड़ेगा।"

    कर्मचारी एक-दूसरे से फुसफुसाते हुए बाहर निकलने लगे।

    ---

    रात का समय – सिया का कमरा

    वीडियो कॉल पर रिया को देखते हुए सिया ने नाराज़गी से कहा,

    "मुझे नहीं पता, तुम कल लेने आ रही हो या नहीं?"

    रिया हँसते हुए बोली,

    "यार, नहीं आ रही हूं। तेरा घर कॉलेज से उल्टा पड़ता है। और तू तो कभी टाइम पर उठती ही नहीं।"

    "प्लीज आ जा ना, इस बार पक्का टाइम पर उठ जाएंगे।"

    "ठीक है! लेकिन याद रखना, अगर कल भी नहीं उठी ना, तो अगली बार से लेने नहीं आऊंगी।"

    "अच्छा बाबा! एक दिन तू आ जाना, एक दिन हम आ जाएंगे।"

    "चलो ये भी ठीक है। अब ये सब छोड़, तूने फ्रेशर पार्टी के लिए कुछ सोचा?"

    "अभी कॉलेज शुरू भी नहीं हुआ है और तुझे पार्टी की पड़ी है?"

    सिया हँसते हुए बोली।

    "अरे यार, कॉलेज की वेबसाइट पर देखा था। सेकंड वीक में ही पार्टी होती है। तो पहले से सोच लेंगे तो दिक्कत नहीं होगी।"

    "पहले कॉलेज का माहौल तो देख लें, फिर सोचना।"

    "ठीक है मैडम! अब कल मिलते हैं। बाय!"

    "बाय रिया..."

    सिया ने मुस्कुराते हुए कॉल काट दिया।

    ---

    To Be Continued...

    ---

    प्यारे पाठकों!

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  • 3. Hamare Thakur Sahab 💓 - Chapter 3

    Words: 952

    Estimated Reading Time: 6 min

    अगली सुबह

    आकाश चौहान हॉल में अपने पसंदीदा सोफ़े पर बैठे अख़बार पढ़ रहे थे। कमरे में हल्की सी धूप छनकर आ रही थी, जिससे वातावरण सुकूनभरा लग रहा था। तभी दरवाज़े पर दस्तक होती है और मुस्कुराती हुई रिया अंदर आती है।

    "गुड मॉर्निंग अंकल!" रिया ने अपने प्यारे से अंदाज़ में आकाश जी को अभिवादन किया।

    "गुड मॉर्निंग बेटा! आज सुबह-सुबह कैसे आना हुआ?" आकाश जी ने अख़बार मोड़ते हुए पूछा।

    "अरे अंकल, आज तो हमारा कॉलेज का पहला दिन है! सिया ने बताया नहीं क्या?" रिया ने हैरानी से पूछा।

    "अरे हाँ! हम तो भूल ही गए थे। उसने कहा था कि तुम उसे जगाने आने वाली हो..."

    आकाश जी ने माथे पर हाथ मारते हुए कहा।

    "मतलब, मैडम अभी तक सो रही हैं!"

    रिया ने नाटकीय अंदाज़ में कहा और मुस्कुराते हुए सिया के कमरे की ओर बढ़ गई।

    ---

    सिया का कमरा

    कमरे में हल्का संगीत बज रहा था और सिया अपने बिस्तर पर चैन से सो रही थी। नींद में भी उसके चेहरे पर एक मासूम मुस्कान थी।

    "हद है! सुबह-सुबह हमें बुलाया और खुद आराम फरमा रही है मैडम। और ऊपर से हमें अलार्म बनकर आना पड़ा!"

    रिया ने चिढ़ते हुए कहा। तभी उसके दिमाग में एक शरारती विचार आया। उसके होंठों पर एक खतरनाक मुस्कान तैर गई।

    वह दबे पांव सिया के पास गई और साइड टेबल से जग उठाकर पूरा पानी सिया के ऊपर उड़ेल दिया।

    "मम्मी! बचाओ! घर में बारिश आ गई!"

    सिया हड़बड़ाकर उठी और चारों तरफ देखने लगी।

    रिया ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। सिया को जब समझ आया कि यह सब रिया की करतूत है, तो उसने गुस्से में उसे घूरते हुए कहा,

    "तेरा दिमाग खराब है क्या? कोई इस तरह उठाता है किसी को?"

    "और रात को किसने बोला था कि मुझे लेने आ जाना! देख खुद कितनी लेट हो गई है मैडम!"

    रिया ने भी उसे ताना मारा।

    "ओह गॉड! हम तो भूल ही गए कि आज कॉलेज शुरू हो रहा है! प्लीज़ रिया, हमें दस मिनट दे दो, फटाफट तैयार हो जाते हैं!"

    यह कहकर सिया झटपट वॉशरूम में चली गई।

    रिया हँसती हुई बुदबुदाई,

    "तेरा कुछ नहीं हो सकता! हमें पहले से पता था, इसलिए आधा घंटा पहले आ गई थी।"

    कहते हुए वह कमरे के कोने में रखे सोफे पर बैठ गई और मोबाइल देखने लगी।

    कुछ ही देर में सिया तैयार होकर आई। उसने नीली जींस के साथ छोटी कुर्ती पहनी थी। लंबे बालों की पोनीटेल, चेहरे पर हल्का मॉइश्चराइज़र और गुलाबी लिप बाम लगाए वह बेहद प्यारी लग रही थी।

    "रिया, हम कैसे लग रहे हैं?"

    सिया ने आईने के सामने खुद को निहारते हुए पूछा।

    रिया ने मोबाइल नीचे रखा और उसे ऊपर से नीचे तक देखा, फिर हँसते हुए कहा,

    "जस्ट लुकिंग लाइक ए वाओ!"

    "थैंक यू!"

    सिया ने मुस्कुराते हुए कहा। फिर दोनों नीचे आईं, सिया ने मम्मी-पापा से विदा ली और दोनों कॉलेज के लिए निकल गईं।

    ---

    "डॉ. देवांश, ये हमारे हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के नए इंटर्न्स की लिस्ट है।"

    डॉ. अरविंद ने फाइल टेबल पर रखते हुए कहा।

    "हम्म..."

    देवांश ने संक्षिप्त उत्तर दिया और फाइल को गंभीरता से पलटने लगा। उसकी निगाहें एक-एक छात्र के बायोडाटा और परसेंटेज पर जा रही थीं।

    कुछ पल बाद वह बोला,

    "डॉ. अरविंद, इनमें से जिन छात्रों को मैंने चिन्हित किया है, उन्हें न केवल थ्योरी, बल्कि प्रैक्टिकल में भी ट्रेन किया जाए। मुझे लगता है, ये सभी अपने बैच के बेस्ट हैं। और हाँ, आज इनका पहला दिन है, तो दोपहर में सभी के लिए एक इंडक्शन कॉन्फ्रेंस का आयोजन करवा दीजिए।"

    "ठीक है, डॉक्टर देवांश। मैं तुरंत व्यवस्था करता हूँ।"

    कहते हुए डॉ. अरविंद बाहर निकल गए।

    देवांश फिर अपने कार्य में व्यस्त हो गया, तभी उसका फोन बजा। स्क्रीन पर "माँ" का नाम चमक रहा था।

    फोन उठाते ही उसने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा,

    "हैलो माँ!"

    "कैसा है मेरा बच्चा?"

    नंदिनी जी की आवाज़ में ममता छलक रही थी।

    "मैं बिल्कुल ठीक हूँ माँ, आप कैसी हैं?"

    "हम भी ठीक हैं बेटा... पर तुमसे एक बात करनी थी।"

    नंदिनी जी की आवाज़ थोड़ी धीमी थी।

    "ऐसी क्या बात है माँ जो आप इतनी परेशान लग रही हैं?"

    देवांश ने सीरियस होते हुए पूछा।

    "तुम्हारी दादी ने तुम्हें घर बुलाया है बेटा।"

    देवांश की भौंहें तन गईं,

    "इस बार क्यों माँ?"

    "क्योंकि उन्हें अपने लाडले पोते से मिलना है। और... हम भी तो तुम्हें देखना चाहते हैं। काश तुम हमेशा के लिए हमारे साथ रह पाते।"

    "माँ, सच-सच बताइए... क्या हुआ है?"

    देवांश ने अब गहराई से पूछा।

    कुछ पल की चुप्पी के बाद नंदिनी जी बोलीं,

    "तुम्हारी दादी चाहती हैं कि अब तुम शादी कर लो।"

    देवांश ने गहरी साँस ली,

    "माँ, आप जानती हैं कि मैं इस रिश्ते में नहीं बंधना चाहता। मेरी ज़िंदगी बहुत व्यस्त है और कोई भी रिश्ता समय की मांग करता है, जो मैं नहीं दे पाऊंगा।"

    "हमें पता है बेटा, पर सोचो तो सही... ऐसा पैसा किस काम का, जिसके लिए अपनों से ही दूर होना पड़े?"

    "मेरी प्राथमिकता मेरे पेशेंट्स हैं माँ। और मुझे नहीं लगता कोई ऐसी लड़की होगी जो इसे समझेगी।"

    "हम तुम पर कोई दबाव नहीं डाल रहे बेटा... बस एक बार दादी से मिल लो। नहीं तो आप जानते हैं, वह नाराज़ हो जाएंगी।"

    "ठीक है माँ, समय मिला तो जरूर आऊंगा। पर आप भी कभी तो अपने लिए खड़ी होना सीखिए। हमेशा उनकी ही क्यों सुनती हैं आप?"

    "हमारे संस्कार यही सिखाते हैं देव... और तुम्हें उनकी किसी बात का बुरा नहीं लगना चाहिए।"

    "हम्म... ठीक है।"

    दोनों माँ-बेटे कुछ देर और बात करते हैं, फिर अपने-अपने कामों में लग जाते हैं।

    ---

    To Be Continued...

    ---

    प्यारे पाठकों!

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  • 4. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 4

    Words: 913

    Estimated Reading Time: 6 min

    "देव मां जी के बस ख्याल पुराने हैं, और कुछ नहीं। हमें उनकी बातों का बुरा नहीं लगता... सो प्लीज़ हमारे कारण उनसे कुछ मत कहिएगा।"

    "हम्म... ठीक है।"

    दोनों मां-बेटे कुछ देर तक बातें करते रहे और फिर अपने-अपने कामों में व्यस्त हो गए।


    ---

    DS स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल एंड कॉलेज

    सिया और रिया इस वक़्त कॉलेज के मुख्य द्वार पर खड़ी थीं। उनकी आंखों में एक अलग ही चमक थी।

    "फाइनली... आज हम अपने ड्रीम कॉलेज के सामने खड़े हैं!" — रिया खुशी से बोली।

    "तुमने बिल्कुल सही कहा। आज से हमारी ज़िंदगी की एक नई शुरुआत हुई है। कुछ सालों बाद हम यहीं, इसी अस्पताल के डॉक्टर होंगे," सिया ने सुकून भरी मुस्कान के साथ कहा।

    दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे कॉलेज परिसर में प्रवेश कर जाती हैं।

    "वैसे... हम सबको कॉन्फ्रेंस हॉल जाना था न? मैंने मेसेज में देखा था," रिया मोबाइल स्क्रीन पर नजरें टिकाए हुए बोली।

    "हाँ चलो, पहले ढूंढ लेते हैं कॉन्फ्रेंस रूम... वरना पहले ही दिन लेट हो गए तो हमारी ज़िंदगी की शुरुआत ही तबाही से होगी," — सिया ने मजाकिया लहज़े में कहा।

    दोनों हँसी-मज़ाक करते हुए कॉन्फ्रेंस हॉल की तलाश में निकल पड़ीं और आख़िर में सबसे आख़िरी पंक्ति की सीट पर जाकर बैठ गईं।


    ---

    शिव शंभू मंदिर

    जानकी देवी मंदिर में प्रार्थना करती हुई बोलीं,
    "हमारे भोलेनाथ, अब आप ही हमारे परिवार को सही राह दिखाइए... और जल्द से जल्द हमारी पोती के लिए एक अच्छा रिश्ता भेजिए..."

    अपनी मनोकामना व्यक्त करने के बाद जानकी जी मंदिर से बाहर आने लगीं, तभी सामने से कोई आता दिखाई दिया। उस चेहरे को देखते ही जानकी जी के चेहरे पर अलग ही मुस्कान खिल उठी। उन्होंने अपने कदम तेज़ किए और उसके सामने जाकर खड़ी हो गईं।

    "आख़िर तुम बुढ़िया हो ही गई न! अब तो शायद मुझे पहचानोगी भी नहीं..." जानकी जी मुस्कुराकर बोलीं।

    उनकी बात सुनकर सामने खड़ी महिला ने हल्के गुस्से से जवाब दिया—
    "तुम कभी नहीं सुधर सकतीं जानकी चौहान! इस उम्र में भी मजाक! अब तो बुढ़ापा आ गया है, कुछ तौर-तरीके सीख लो।"

    "क्या बात है यशोदा ठाकुर! तुम्हारी याददाश्त तो अब भी तेज है... हमें तो लगा तुम हमें भूल ही जाओगी।"

    "अपनी सहेली को भुलाया जा सकता है क्या?" — यशोदा हँसते हुए बोलीं। "और बताओ, कैसा चल रहा है जीवन?"

    "दिन तो अच्छे गुजर रहे हैं। बड़ा बेटा, उसके दो बच्चे... बेटी अपने घर में खुश है। बस एक ही चिंता है — पोती की शादी। उम्र बढ़ रही है, तो जल्द से जल्द उसका घर बसा देना चाहती हूं," जानकी जी ने दिल की बात कही।

    "मेरे घर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। मेरा पोता अब 29 का हो गया है... मगर अब तक शादी का नाम नहीं ले रहा।" — यशोदा भी उदासी से बोलीं।

    कुछ पल दोनों चुप रहीं, फिर यशोदा जी अचानक मुस्कुराते हुए बोलीं,
    "एक बात कहूं, अगर तुम्हें ठीक लगे तो?"

    "कहो... पता नहीं क्यों लग रहा है जो मैं सोच रही हूं तुम वही कहने वाली हो।" जानकी जी मुस्कुरा पड़ीं।

    "क्यों न हम अपने बच्चों की शादी आपस में करवा दें? लेकिन मेरी एक शर्त है... तुम्हारी पोती ज़्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होनी चाहिए। तभी मैं उसे अपने घर की बहू बनाऊंगी।"

    पहले तो जानकी जी बहुत खुश हुईं, लेकिन जैसे ही उन्होंने ये शर्त सुनी, उनका चेहरा उतर गया। कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने मुस्कुरा कर कहा,
    "मतलब हमारी सोच एक जैसी है! मैंने भी अपनी पोती की पढ़ाई बस नौवीं-दसवीं तक ही करवाई है... उसके बाद बंद करवा दी।"

    "बहुत अच्छा किया। मुझे भी ज़्यादा पढ़ी-लिखी लड़कियां पसंद नहीं। लड़की में अच्छे संस्कार और घर संभालने की समझ होनी चाहिए... बस।"

    "तो अब तुम रिश्ता लेकर आओ, हमें इंतज़ार रहेगा।"

    "ज़रूर आऊंगी... अब हमारी दोस्ती रिश्तेदारी में बदलने वाली है।"

    दोनों कुछ समय साथ बिताती हैं, पुराने लम्हों को याद करती हैं और फिर अपने-अपने घर की ओर लौट जाती हैं।


    ---

    कॉन्फ्रेंस हॉल – कॉलेज परिसर

    "यार सिया... लगभग सारे स्टूडेंट्स आ चुके हैं, पर कब से इंतज़ार कर रहे हैं। लगता है हमारा फर्स्ट डे यूं ही निकल जाएगा..." — रिया बेचैनी से बोली।

    "हम कर भी क्या सकते हैं... सिवाय इंतज़ार के," — सिया सामने एकटक देखती हुई बोली।

    तभी स्टेज पर कुछ सीनियर डॉक्टर्स के साथ एक व्यक्ति आता है, जिनके आते ही पूरे हॉल में सरगर्मी बढ़ जाती है। लड़कियों की नजरें सिर्फ़ उसी पर टिक जाती हैं — कॉलेज और हॉस्पिटल के हेड पर। लड़के उनकी पर्सनैलिटी देखकर हैरान थे।

    "यार, हमने तो एकदम सही कॉलेज चुना है! अब तो रोज़ मिस्टर हैंडसम को देखने का मौका मिलेगा... कितना क्यूट है ना!" — लड़कियों की टोली में बातें चल रही थीं।

    "तुमने बिल्कुल सही कहा अंजलि... लेकिन हम कभी मिल पाएंगे इनसे?"

    "प्रिया ज़रूर मिलेगी! वैसे भी मुझसे कौन बच पाया है," — अंजलि ने घमंड से कहा।

    "सिया, तुझे क्या ये हैंडसम लग रहे हैं?" — रिया ने मुस्कुराते हुए पूछा।

    "सच कहूं तो... मुझे ये बस एक नॉर्मल इंसान लग रहे हैं। और मेरा दिमाग एक्स्ट्रा सोच नहीं पाता," — सिया ने स्टेज की तरफ एक नजर डालते हुए शांत स्वर में जवाब दिया।

    रिया कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी स्टेज से एक कड़क आवाज गूंजी—

    "Good morning everyone..."

    उस आवाज़ ने पूरे हॉल को शांति में बदल दिया।

    "Good morning everyone,
    I am Dr. Devansh Thakur, Owner and Head of this DS Hospital and College...
    और मैं आप सभी का इस क्षेत्र के सबसे बेहतरीन कॉलेज और हॉस्पिटल में तहे दिल से स्वागत करता हूं।"


    ---

    To be continued...
    (आगे जारी)

  • 5. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 5

    Words: 1277

    Estimated Reading Time: 8 min

    कॉन्फ्रेंस हॉल — DS हॉस्पिटल एंड कॉलेज

    रिया कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी स्टेज से एक कड़क आवाज गूंजी—

    "गुड मॉर्निंग एवरीवन!"

    उस आवाज की गूंज ने पूरे हॉल में सन्नाटा भर दिया। सभी की निगाहें अब स्टेज की ओर मुड़ चुकी थीं।

    "गुड मॉर्निंग एवरीवन...
    आई एम Dr. देवांश ठाकुर, ऑनर एंड हेड ऑफ़ इस DS हॉस्पिटल एंड कॉलेज।
    और आप सभी का इस क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में तहे दिल से स्वागत करता हूँ।"

    देवांश की बात खत्म होते ही पूरा हॉल तालियों की आवाज से गूंज उठा।
    देवांश ने हल्के हाथ के इशारे से सभी को शांत किया, फिर गंभीरता से बोलना शुरू किया—

    "जैसा कि आप जानते हैं, हमारा संस्थान इस शहर का सर्वोत्तम मेडिकल कॉलेज है। और इसी कारण, यहां के नियम, अनुशासन और शिक्षा प्रणाली अन्य कॉलेजों से भिन्न हैं। यहाँ आप केवल विद्यार्थी नहीं, बल्कि एक डॉक्टर की ज़िम्मेदारी भी साथ लेकर चलेंगे। बाकी के नियम तो आप सभी ने एडमिशन के वक़्त देख ही लिए होंगे..."

    बोलते-बोलते उसकी नजर पूरे हॉल में घूमती है। अधिकतर विद्यार्थी अपने-अपने मोबाइल से उसका वीडियो बना रहे थे, लेकिन तभी उसकी नजर एक लड़की पर ठहर जाती है, जो अजीब सा मुंह बनाकर उसकी बातों को सुन रही थी। उस चेहरे को देखकर देवांश के होंठों पर एक क्षणिक मुस्कान तैर जाती है — जिसे वह फौरन छुपा भी लेता है।

    देवांश के बाद कुछ सीनियर डॉक्टर्स ने बच्चों को प्रेरणात्मक बातें कहीं, और फिर सभी विद्यार्थी अपने-अपने क्लास की ओर बढ़ जाते हैं।


    ---

    चौहान हाउस

    जानकी जी प्रसन्न मुद्रा में घर में प्रवेश करती हैं और सीधे जाकर सोफे पर बैठ जाती हैं।

    "क्या बात है माँ? आज आप कुछ ज़्यादा ही खुश लग रही हैं," — मिस्टर चौहान ने अपनी माँ को मुस्कुराते हुए देखा।

    "खुशी की बात ही है बेटा," — जानकी जी वही अपनी खास मुस्कान के साथ बोलीं।

    "हमें भी तो बताइए, आखिर ऐसी कौन-सी बात है जो हमारी माँ को इतनी प्रसन्न कर रही है?" — मिस्टर चौहान ने फिर से पूछा।

    "सिया का रिश्ता तय करके आई हूँ। कुछ ही दिनों में लड़के वाले हमारे घर आएंगे," — जानकी जी विजयी भाव में बोलीं।

    उनकी बात सुनकर मिस्टर और मिसेस चौहान दोनों के चेहरों से मुस्कान गायब हो जाती है।

    "माँ! मैंने पहले ही कहा था कि मैं अपनी बेटी की शादी इतनी जल्दी नहीं करूंगा। फिर भी आप यह रिश्ता तय करके आ गईं?" — मिस्टर चौहान अब गुस्से में थे।

    "आकाश बेटा, मैंने भी कह दिया है कि सिया की शादी जल्द से जल्द होगी। और तुम ये जानते हो कि जब जानकी चौहान कोई बात ठान लेती है, तो उसे पूरा करके ही मानती है," — दादी घमंड के साथ बोलीं।

    "तो माँ, आप ये भी जान लीजिए कि मैं भी आपका ही बेटा हूँ। अगर आपने अपनी ज़िद नहीं छोड़ी, तो मैं भी अपनी ज़िद नहीं छोड़ूंगा। और अपनी बेटी के लिए मुझे आपसे भी लड़ना पड़ा, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा।"
    इतना कहकर मिस्टर चौहान क्रोध में घर से बाहर निकल जाते हैं।

    मिसेस चौहान चिंता से कभी अपने पति को, तो कभी अपनी सास को देखती हैं।

    "अपने पति को समझाओ कि जो मैं कर रही हूँ, वह सही है। और अगर वो नहीं माने, तो मेरे पास और भी तरीके हैं।"
    इतना कहकर दादी अपने कमरे की ओर बढ़ जाती हैं।

    मिसेस चौहान अपने मन में चिंतित होकर भगवान से प्रार्थना करती हैं—

    "हे महादेव... माँ जी और इनके अड़ियल स्वभाव से हमारी सिया की ज़िंदगी कहीं बर्बाद न हो जाए... कृपया हमारी बेटी की रक्षा करना..."


    ---

    राणा कॉरपोरेशन

    "बॉस... जिस फाइल की जानकारी आपको चाहिए थी, वो मैं अभी नहीं दे सकता... क्योंकि वो फाइल मिस विद्या ने तैयार की थी और वो आज लीव पर हैं..." — अर्जुन घबराते हुए बोला।

    "अर्जुन! मैंने तुमसे कितनी बार कहा है — ऐसे लोगों को ज़िम्मेदारी मत दो जिन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों का ही अंदाज़ा न हो! अभी के अभी मिस विद्या को कॉल करो और उन्हें ऑफिस बुलाओ।" — रेहान राणा का स्वर गूंज उठा।

    "सर... मैं उन्हें कई बार कॉल कर चुका हूँ... लेकिन वो कॉल रिसीव नहीं कर रहीं..." — अर्जुन डरते हुए बोला।

    "उसका नंबर दो और निकलो यहाँ से!" — रेहान ने गुस्से से कहा।

    "जी, बॉस।"
    अर्जुन तुरंत नंबर देता है और वहां से चला जाता है।

    (रेहान राणा — राणा कॉरपोरेशन के मालिक और डॉक्टर देवांश ठाकुर के परम मित्र। गुस्से में देवांश के जैसे ही, लेकिन दिल से मस्तमौला। परिवार और दोस्त इनके लिए सब कुछ हैं। और हाँ, दिखने में देवांश से कम नहीं... बस कहानी में हीरो कोई और है 😄)

    रेहान एक गहरी साँस लेता है और कॉल मिलाता है। बार-बार कोशिश करता है लेकिन सामने से कोई उत्तर नहीं आता। अंत में गुस्से में आकर अपना फोन टेबल पर पटक देता है और फिर काम में लग जाता है।


    ---

    कॉलेज कैंटीन

    रिया और सिया कैंटीन में बैठकर चाय का आनंद ले रही थीं।
    सिया चाय की एक चुस्की लेते हुए मुस्कराई और बोली—

    "लोगों को सुकून इश्क़ से मिलता होगा...
    हमें तो चाय के बिना चैन नहीं आता..."

    "क्या बात है डॉक्टर सिया, आज तो शायरा बन गई हो!" — रिया हँसते हुए बोली।

    "एक कप चाय के लिए हम कुछ भी बन सकते हैं!" — सिया ने मज़े से कहा।

    रिया कुछ कहने ही वाली थी कि तभी पीछे से एक आवाज़ आई—

    "तो फिर क्या होगा डॉक्टर साहिबा, जब आपको इश्क़ हो जाएगा किसी कॉफी पीने वाले से?"

    दोनों चौंककर पीछे मुड़ीं। वहाँ एक लड़की मुस्कुरा रही थी — जिसे देखते ही दोनों अपनी जगह से उठकर दौड़ पड़ीं।

    "दिव्यांशी!! हमने तुझे बहुत मिस किया यार!" — दोनों ने उसे गले लगाते हुए कहा।

    "मैंने भी तुम दोनों को बहुत मिस किया। लेकिन अब जब हम तीनों एक ही कॉलेज में हैं... तो अब मचेगी धूम!" — दिव्यांशी खिलखिलाकर बोली।

    "वैसे सिया, तूने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया..." — दिव्यांशी ने शरारती अंदाज़ में कहा।

    "पहली बात — मैं कभी किसी से प्यार नहीं करूंगी।
    और दूसरी बात — अगर वो इंसान चाय नहीं पीता होगा, तो मैं उससे प्यार करने का सोचूँगी भी नहीं!" — सिया ने बड़े अदा से मुंह बनाते हुए कहा।

    "तेरा कुछ नहीं हो सकता!" — रिया और दिव्यांशी एक साथ सिर हिलाते हुए बोलीं।

    "एक दिन आएगा, जब तुझे चाय से ज़्यादा किसी से प्यार होगा..." — दिव्यांशी ने छेड़ते हुए कहा।

    "ऐसा कभी नहीं होगा!" — सिया पूरे घमंड से बोली।

    फिर तीनों हँसी-ठिठोली में डूबकर साथ बैठ जाती हैं।


    ---

    देवांश का केबिन

    "डॉ. नेहा, आपको क्या लगता है? पेशेंट मेडिसिन से रिकवर हो जाएगा या सर्जरी की ज़रूरत है?" — देवांश ने सामने बैठी नेहा से सवाल किया।

    "सर, मुझे लगता है कि सर्जरी ज़रूरी है... मेडिसिन में समय लग सकता है..." — नेहा गंभीरता से जवाब देती है।

    "क्या आपने पेशेंट की फाइल अच्छे से रिव्यू की है?" — देवांश ने एक और सवाल दागा।

    "जी सर, मैंने अच्छे से पढ़ा है। तभी तो ये सलाह दी है।" — नेहा दृढ़ता से बोली।

    "और आपकी सलाह मुझे गलत लग रही है... तभी तो सवाल कर रहा हूँ।" — देवांश अब थोड़े सख्त हो गए थे।

    "सॉरी सर... मैं एक बार और फाइल देखकर रिपोर्ट करती हूँ..." — नेहा झेंपते हुए बोली।

    "काम पर ध्यान दोगी तो ऐसी गलती नहीं होगी।
    Now get lost." — देवांश ने घूरते हुए कहा।

    "जी सर..."
    नेहा जल्दी से कमरे से निकल जाती है।

    उसके जाते ही देवांश अपने फोन की ओर बढ़ता है और किसी को कॉल करता है। सामने से कॉल उठते ही बस एक शब्द कहता है—

    "कॉफी..."


    ---

    To be continued...

    (अगर आप चाहते हैं कि ये कहानी रोज़ अपडेट होती रहे, तो कमेंट करके ज़रूर बताएं 😄)

  • 6. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 6

    Words: 1084

    Estimated Reading Time: 7 min

    इधर-उधर ध्यान न देकर काम पर ध्यान देंगे तो ऐसी गलती नहीं होगी नाव गेट लॉस्ट  देवांश नेहा घूरते हुए बोलता है।
    जी सर इतना बोलकर नेहा जल्दी से कमरे से चली जाती है।

    नेहा के जाते ही देवांश अपना फोन उठाता है और किसी को कॉल करता है सामने से फोन रिसीव होते ही वह बस एक शब्द बोलते हैं कॉफी.......
    ___________
    अपनी बात कहने के बाद देवांश फोन रख देते हैं तभी उसको हॉल की वह लड़की याद आती है और एक बार फिर उसके चेहरे पर वही मुस्कान आ जाती है। अभी देवांश अपने ख्यालों में खोया ही था कि तभी उसे  किसी का कॉल आते हैं और सामने वाले की बात सुनकर  परेशान हो जाता है और जल्दी से अपने केबिन से चला जाता है।

    पूरे दिन कॉलेज में बिताने के बाद सिया अपने घर जाती हैं । घर के अंदर आते ही सिया को अजीब लगता है क्योंकि आज उसका घर में कुछ ज्यादा ही शांति थी वह अपना बैग वहीं सोफे पर रखकर किचन में जाती है, जहां उसकी मां शाम के नाश्ता की तैयारी कर रही थी।

    सिया अपनी मां को पीछे से गले लगाते हुए बोली आज इतनी शांति क्यों है मां घर में..... शांति इसलिए है क्योंकि अभी तक मेरी शैतान सिया घर में नहीं थी सिया की मां सिया से प्यार जताते हुए बोली।


    मतलब आप यह कहना चाहते हैं कि हम शैतान है, और घर में हंगामा करते हैं, शायद से आप भूल गई हैं हमसे भी बड़ा शैतान कोई है इस घर में जिसको आप प्यार से सासू मां बुलाती हैं सिया मुंह बनाते हुए बोली।

    यह क्या तरीका है अपने बड़ों के बारे में बात करने का हमने आपको यही सिखाया है  रागिनी जी हल्के गुस्से से बोली...... अच्छा सॉरी माँ आगे से ऐसा नहीं कहेंगे अब तो माफ कर दो अपनी लाडली को सिया मासूम सा चेहरा बनाते हुए।


    ठीक है मेरी मां माफ कर दिया अब यह ज्यादा मासूम बनने की जरूरत नहीं है जाओ फ्रेश होकर आओ  रागिनी जी नाश्ता बनाते हुए बोली । जी माता श्री हम अभी आये इतना बोलकर सिया अपने कमरे में चली जाती हैं और रागिनी जी बस मुस्कुराते हुए उसे देखती रह जाती और अपने काम में लग जाती हैं।


    सिया अपने कमरे में आती है इस वक्त उसके चेहरे पर अलग ही भाव थे ऐसा लग नहीं रहा था कि यह वही चुलबुली सिया है। वह गहरी सांस लेती हैं और अपने बुक्शेल्फ के पास जाकर एक बुक को टच करती है । सिया के इतना करते ही बुक सेल्फ साइड हो जाता है और सामने एक दरवाजा दिखता है जिसे खोलकर सिया अंदर जाती है।


    सामने बेड पर कई मशीनों से लगी एक लड़की बेड पर लेटी हुई थी। सिया उसके पास जाती है और उससे थोड़ी सी दूरी बनाकर बैठ जाती है और  मुस्कुराते हुए बोली आज फिर  मेरी उम्मीद तोड़ दिया मुझे लगा आज आऊंगी तो जल्दी से उठकर मुझे गले लगा लोगी।

    लेकिन तुम तो दिन पर दिन जिद्दी होती जा रही हो अदिति, चलो कोई बात नहीं आज तुमको एक गुड न्यूज़ देती हूं आज मैंने अपने जंग के लिए पहला कदम रखा है और तुमको पता है अब वह दिन दूर नहीं जब मुझे तुम्हारे इस हालत की सच्चाई पता चलेगा  बोलते हुए सिया की आंखों में आंसू भी थे और गुस्सा भी।


    अगर आज तुम ठीक होती ना तू पक्का आज तुम्हारे साथ एक तस्वीर लेती तुम एक डॉक्टर और मैं एक डॉक्टर स्टूडेंट पर टेंशन मत लो वह दिन भी बहुत जल्द आएगा जब मैं इस कमरे में आऊंगी और तुम हंसते हुए मुझे गले लगाओगे फिलहाल तो मैं जा रही हूं नहीं तो माता श्री गुस्सा हो जाएगी इतना बोलकर सिया अदिति के हाथों को चुनकर उसे कमरे से निकल जाती है।



    मूनलाइट बार
    एक कार बार के बाहर आकर रूकती है  देवांश जल्दी से बाहर निकलता है तभी उसके पास रेहान भी आ जाता है। तुमको भी कॉल गया था रेहान परेशानी से पूछता। ह्म्म देवांश बस इतना बोलता है और दोनों साथ में बार के अंदर जाते हैं।।


    दोनों जैसे ही अंदर जाते हैं जो देखते ही सामने एक लड़का नशे में बार के सारे मेंबर्स पर गुस्सा कर रहा था।


    तुम लोग खुद को समझते क्या हो मैं यहां फ्री में नहीं बैठा हूं जितने देर यहां रहूंगा उतना तुमको पैसा दूंगा मुझे कम समझने की  कोशिश भी मत करना आदित्य राठौर नाम है मेरा तुम्हारे इस पूरे बार को खरीद सकता हूं मैं। आदित्य गुस्से में सारे बार के मेंबर्स पर  चिल्ला  रहा था और सभी मेंबर्स सर झुकाए खड़े थे तभी मैनेजर की नजर देवांश और रेहान पर जाती है।


    देवांश जल्दी से आदित्य के पास जाता है और उसको संभालते हुए यह सब क्या कर रहे हो तुम. ....... देव तुम भी यहां आ गए अब तुम्हें इन सभी को बताओ कि मैं कौन हूं इन लोगों की इतनी हिम्मत की उन्होंने मुझे यहां से बाहर निकालने की कोशिश की।


    आदित्य की बात सुनकर सभी लोग घबरा जाते हैं और मैनेजर घबराते हुए बोला सर हमने यह बिल्कुल नहीं करना चाहते थे बट मिस्टर राठौर कल रात से लगातार ड्रिंक कर रहे हैं इसीलिए हमने आप दोनों को इन्फॉर्म किया।



    इट्स ओके मैनेजर हम समझते हैं और थैंक यू फॉर दी इनफॉरमेशन इतना बोल कर दोनों आदित्य को अपने साथ ले जाते हैं। तुम दोनों मुझे छोड़ो मुझे बताना इन सभी को की आदित्य राठौर क्या चीज है।


    भाई वह लोग समझ गए कि तू क्या चीज है फिलहाल तुम मेरे साथ चल तुझे नींबू पानी पिलाता हूं रेहान आदित्य के मजे लेते हुए बोला पर आगे वह कुछ बोल पता तभी उसकी नजर देवांश पर जाती है जो उसे घूर कर देख रहा था। सॉर्री भाई  रेहान दांत दिखाते हुए देवांश से बोला।


    कुछ ही देर में दोनों आदित्य के घर पर थे देवांश आराम से आदित्य को उसके बेड पर लेट आता है और जैसे ही उठने का होता है आदित्य उसका हाथ पकड़ के एक दर्द भरी आवाज में बोलो क्यों चली गई वह मुझसे दूर मैं तो उसे हर हाल में अपनाने को तैयार था क्या मैं सच में बुरा हूं।।


    तुम टेंशन मत लो चाहे कुछ भी हो जाए जिसने भी तुम्हारी ऐसी हाल की है ना देवांश ठाकुर उसको कहीं का रहने नहीं देगा जल्द तुम्हारे सामने होगी देवांश गुस्से में कहता है और कुछ ही देर में रेहान और देवांश इस रूम के सोफे पर बैठे अपना काम करने लगते हैं और यहां के नजर तो बस आदित्य की हालत पर थी।



    To be continue...........



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  • 7. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 7

    Words: 1021

    Estimated Reading Time: 7 min

    तुम टेंशन मत लो चाहे कुछ भी हो जाए जिसने भी तुम्हारी ऐसी हाल की है ना देवांश ठाकुर उसको कहीं का रहने नहीं देगा जल्द तुम्हारे सामने होगी देवांश गुस्से में कहता है और कुछ ही देर में रेहान और देवांश इस रूम के सोफे पर बैठे अपना काम करने लगते हैं और यहां के नजर तो बस आदित्य की हालत पर थी।
    _____________
    उसको देखने से कुछ नहीं होगा अगर इतनी तकलीफ हो रही है उसकी तकलीफ से तो जो काम मैंने दिया है उसे जल्दी से करो देवांश एक तक अपने लैपटॉप में देखते हुए बोला..।

    इतने सालों से कोशिश तो कर रहा हूं लेकिन आज तक सफल नहीं हुआ और जो मैंने लास्ट टाइम तुमको इनफॉरमेशन दिया था वह गलत नहीं था वह थी तो तुम्हारे हॉस्पिटल की ही लेकिन अचानक से कहां गायब हो गई यह आज तक कोई पता नहीं कर पाया रेहान एक तक उसको देखते हुए बोला।


    हम्म अब तुम भी अपने कमरे में जाकर आराम करो इस बारे में कल बात करेंगे इतना बोलकर देवांश चला जाता है रेहान भी एक नजर आदित्य को देखकर अपने कमरे में चला जाता है।

    रिया का घर
    रिया बेड पर बैठे अपना फोन चला रही थी तभी उसका ध्यान कॉल लिस्ट मैं जाता है जहाँ एक नंबर से बहुत मिसकॉल था। ये कोन हैं जिसने इतना कॉल किया, कॉल करू की नही, रहने देती हु खुद कर लेगा बोलते हुए अपना फोन यूज करने लगती हैं।

    सिया का घर
    सिया रात का खाना  खा घर के छत पर बैठी थी। तभी आकाश जी सिया के  पास आकर  बैठ जाते है। किया बात हैं  आज हमारी चंचल बच्ची  चुप हैं, कही आप आदि.... बोलते हुए वह चुप हो जाते हैं।

    सिया आकाश जी की बात सुनते ही उनके गले लग कर रोने लगती हैं और रोते हुए बोली पापा आज भी वह मुझे गले नहीं लगाई।

    ब..सस चुप कुछ दिन और फ़िर वह ठीक हो जायेगी फ़िर मैं अपनी दोनों डॉक्टर के साथ ट्रिप पर जाऊंगा बोलते हुए उनकी आँखो से आँसू आ जाता हैं।

    पर कब तक पापा इतने साल तो हो गया हैं अब और इतज़ार नहीं होता हैं ,पापा प्लिज़ बोलो ना अब ठीक हो जाए।


    ऐसे नहीं रोते बच्चा आप तो हमारी बहादुर बच्चा हैं ना, सब समय के साथ ठीक हो जायेगा,  बस समय दो आकाश जी सिया को समझते हुए बोले। हम्म इतना बोलकर सिया आकाश जी की गोद सर रख के सो जाती हैं।

    कुछ समय बाद आकाश जी सिया को आपने गोद मैं उठा कर उसके रूम मैं सुला देते हैं और उसी के पास बैठ कर  उसके सर को सहलाने लगते हैं।

    जानकी जी का कमरा
    जानकी जी  गहरी सोच में थी तभी वह खुद से बोली एक बार गलती किया था पर अब नहीं कुछ भी हो जाए शादी तो  हो कर रहेगी।

    अगली सुबह
    एक नये सुबह के साथ सभी के दिन की सुरुआत  और हमेशा की तरह हमारी सिया  आराम से सो रही थी तभी रिया गुस्सा से मुह बनते हुए अंदर आती हैं।

    मैं इसके लिए रोज सुबह उठकर आता हूं और यह माता देखो आराम से सो रही है। रिया उसके पास जाती है और उसको जोर-जोर से हिलाते हुए बोली उठ जा माता नहीं तो आज हम लेट हो जायेंगे।



    रिया के ऐसे करते हैं सिया घबरा के उठ कर बैठ जाती है।रिया की तरफ देखते हुए बोली यार तू कभी तो नॉर्मल तरीके से उठा लिया कर।


    हां तो तुम भी मेरे आने से पहले उठ जाया करो नहीं तो अभी तक तो मैं नॉर्मली उठा रही हूं अगली बार मैं क्या करूं कि मुझे भी नहीं पता रिया सिया को धमकाते हुए बोली। अच्छा ठीक है तुम मुझे बस 5 मिनट दे मैं अभी रेडी होकर आता हूं इतना बोल कर सिया जल्दी से वॉशरूम में चली जाती हैं।



    कुछ ही देर बाद सिया रेडी होकर नीचे आती है जहां रिया और उसके परिवार वाले उसका इंतजार कर रहे थे।

    आंटी इस लड़की को समझा दो जल्दी उठकर तैयार हो जाएगा नहीं तो एक दिन में  इसको पक्का को छोड़कर कॉलेज चले जाऊंगी रिया मुंह बनाते हुए बोली।

    ऐसा कभी हो सकता है कि तुम मुझे छोड़ सके बचपन से आज तक नहीं छोड़ पाए अब क्या छोड़ेगी सिया  रिया की बात पर हस्ते।


    बहुत हो गए तुम लोगों का अब जल्दी से खाना खाओ और अपने कॉलेज रागिनी जी दोनों को डांटे हुए बोली।


    जी माता श्री...... दोनों जल्दी-जल्दी अपना नाश्ता करती है और अपने कॉलेज के लिए निकल जाती है।

    देवांश आज सुबह होते ही सबसे पहले अपने घर जाता है जहां उसके परिवार बेसब्री से उसका इंतजार कर रहे थे। देवांश जैसे ही अंदर आता है दादी खुश होकर पूरी मुझे पता था मेरा पोता आएगा।

    ऐसा हो सकता है आप बुलाएं और हम ना आए  देवांश जबरदस्ती की मुस्कान चेहरे पर लाते हुए बोला।

    दादी से मिलकर देवांश अपनी मां के पास जाता है और उनको गले लगाते हुए कैसी हैं आप। जिसका बेटा उसे दूर रहे वह माँ कैसे खुश रह सकती है  देवांश की मां शिकायत करते हुए बोली।



    ऐसा नहीं है कि मैं आपके साथ नहीं रहना चाहता हूं पर कारण आप भी जानती हैं और मैं तो आपको हमेशा कहता हूं चलिए मेरे साथ इस बेकार की जिंदगी से देवांश अपनी मां को समझाते हुए बोला।

    तुझे भी मेरा जवाब पता है फिर क्यों बार-बार पूछता हैं माँ उदास मन से बोली।


    देवांश कुछ बोलता उससे पहले ही दादी बोली अब अपनी मां से बातें हो गई हो तो मेरी भी बात सुन ले आओ बैठो. ..... जी दादी


    देखो बेटा मैं बात को घुमाऊंगी नहीं मैंने अपनी एक सहेली की पोती का रिश्ता तुम्हारे साथ तय किया है और अगले हफ्ते ही हम उसे देखने जा रहे तो मैं चाहूंगी कि तुम कोई भी नखरे किए बिना उसे लड़की से शादी कर लो।



    दादी की बात सुनकर देवांश को बहुत गुस्सा आता है लेकिन वह कैसे भी करके अपने गुस्से कंट्रोल करता है और एक नजर अपनी मां को देखते हैं जो खुद उसको उदास चेहरे के साथ देख रही थी।



    और अगर मैं ना कर दिया तो देवांश कठोर शब्दों से बोला.......



    To be continue........




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  • 8. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 8

    Words: 1031

    Estimated Reading Time: 7 min

    दादी की बात सुनकर देवांश को बहुत गुस्सा आता है लेकिन वह कैसे भी करके अपने गुस्से कंट्रोल करता है और एक नजर अपनी मां को देखते हैं जो खुद उसको उदास चेहरे के साथ देख रही थी।

    और अगर मैं ना कर दिया तो देवांश कठोर शब्दों से बोला.......

    ___________
    आपका ना बोलने का भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ता हमें  जो करना  हैं, हम वह करके रहेंगे, हमने कहाँ है  ना आपकी शादी हमारी दोस्त की पोती से होगी मतलब होगी दादी पूरे घमंड से बोली........


    ठीक है तो हम भी इस शादी के लिए मना करते हैं। हमें भी देखना हैं आप क्या कर लेती हैं इतना बोल कर देवांश जाने लगता है तभी पीछे से  दादी  की आवाज आती है।

    ठीक है तुम नहीं चाहोगे तो मैं अपनी दोस्ती  तो  नहीं खराब करूंगी ना मैं अब तुम्हारी छोटी बहन की शादी करवा दूंगी अगर अपनी बहन को बचाना चाहते हो तो शादी के लिए हां कर दो दादी मुस्कुराते हुए बोली।


    माँ जी  आप सोच भी कैसे सकती  वह अभी बच्ची है मिसेस ठाकुर परेशान होते हुए बोली।


    तुमसे किसी ने राय नहीं मांगी  और तुम होती कौन हो हां और ना का फैसला करने वाली ,अभी हम जिंदा है फैसला करने के लिए बड़ी बहू  दादी चिल्लाते हुए बोली।

    देवांश जो कब से अपने गुस्से को कंट्रोल कर रहा था अपनी मां के लिए ऐसे शब्द सुनकर गुस्से में बोलता है। आप कौन होती हैं मेरी मां से ऐसी बात करने वाली मुझे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की कोई मेरी मां से ऊंची आवाज में बात करें।

    ठीक है तू चाहता है ना तेरी मां को इज्जत मिले तो मेरी बात मान ले अगर तुमने शादी कर ली तो तुम्हारी बहन भी बच जाएगी और तुम्हारी इस माँ को भी पूरा सम्मान मिलेगा  दादी चालाकी से मुस्कुराते हुए बोली।


    दादी की बात सुनकर देवांश एक नजर अपनी मां को देखा है जो अपना सर ना मैं हिला रही थी। देवांश गहरी सांस लेता है और दादी की तरफ देखते हुए  मैं तैयार हूं पर आप भी यह याद रखे  वह लड़की सिर्फ आपके लिए बहू होगी लेकिन मेरी पत्नी कभी नहीं होगी इतना बोलकर देवांश घर से बाहर चला जाता है।


    अपनी बेटे की ऐसी हालत देखकर मिसेज ठाकुर की आंखों में आंसू आ जाते हैं। वही दादी देवांश की बात सुनकर खुशी से पागल हुई जा रही थी।

    मेडिकल कॉलेज
    यार दिव्यांशी इतनी सारी क्लासेस अटेंड कर कर मेरा तो दिमाग ब्लास्ट होने वाला है रिया अपने सर को पकड़ते हुए बोली।

    बेटा यह तो शुरुआत है आगे आगे देख होता हैं क्या ,त हमने मेडिकल लिया था अब मेडिकल हमारी ले रहा बोलते हुए दिव्यांशी हंसने लगती है।


    वैसे बात तो तेरी बिल्कुल सही है पर कुछ भी हो जो सपना लेकर यहां आए हैं उसको तो पूरा करके जाए चाहे कुछ भी क्यों न करना पड़े सिया एक नजर पूरे कॉलेज को देखते हुए बोली।

    बातें तो तुम ऐसे कर रही हो जैसे यहां मेडिकल करने नहीं नागिन की तरह अपने किसी करीबी का बदला लेने आए हो दिव्यांशी मजाकिया अंदाज में बोली।


    कुछ ऐसे ही समझ लो सिया दिव्यांशी से बोली। कि तभी रिया बात संभालते हुए बोली इसकी बातों में मत आओ दिव्यांशी मैडम को अभी तक चाय नहीं मिला ना इसलिए बहकी-बहकी बात कर रहे हैं।


    मैंने आज तक इसकी बातों को सीरियसली लिया  हैं जो अब लूंगी दिव्यांशी प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ बोलती है।


    दिव्यांश का केबिन
    दिव्यांश अपने अगले सर्जरी की तैयारी कर रहा था की तभी कोई उसके केबिन के अंदर आता है।

    वह आदमी उसके सामने बैठकर धीरे से बोला आई एम सो सॉरी........ उसकी बात सुनकर  देवांश उसको घूर कर देखता है  और बोलता है इतने समय बाद फिर तुमको क्या हो गया आदित्य अभी तक तो तुम नॉर्मल थे कल अचानक फिर वही हरकत।


    अगर आपका अतीत अचानक आपके सामने आ जाए तो आपको भी अतीत में जाना होता है और वह अतीत बहुत तकलीफ देता है  आदित्य दर्द भरी आवाज में बोला।


    ऐसा भी क्या हो गया जो तुम्हारा अतीत सामने आ गया  देवांश ने सवाल किया।


    मैंने कल उसे देखा इतने सालों बाद पर वह मेरे सामने से ऐसे निकल गई जैसे वह मुझे जानती ही ना हो  बोलते हुए आदित्य की आंखें नम हो जाती है।


    इतने सालों से बोल तो रहा हु एक बार उसके बारे में बता दे कम से कम उसकी तस्वीर दिखा दे कहीं से भी तेरे सामने लाकर रख दूंगा देवांश आदित्य को देखते हुए बोला।


    मुझे पता है तु कुछ भी कर सकता है। मुझे तेरी काबिलियत पर शक नहीं है लेकिन मैं नहीं चाहता जबरदस्ती वह मेरे पास आये  आदित्य दर्द भरी मुस्कान के साथ बोला।


    तो भूल जाओ ना उसे और मैं हमेसा बोलता था तुमको प्यार कुछ नही होता हैं। ये सब कुछ वक़्त के लिए अच्छा लगता हैं और फिर पूरी ज़िंदगी का दर्द देवांश बिना किसी एक्सप्रेशन के बोला।


    हाँ समझ रहा हु पर ये एक ऐसी फीलींनी है जो कुछ वक़्त के लिये ही पर बहुत सुकून दे जाता हैं आदित्य मुस्कुराते हुए बोला।


    ह्म्म देव बस इतना बोल आपने काम मैं लग जाता हैं।


    यार इतना सारे क्लास कर के थक गई सिया रिया से बोली। हाँ यार पर अभी तो आज का  प्रैक्टिकल भी बचा है रिया भी परेसानी से बोली।


    वह माताओ दुख बटाना बंद करो और क्लास चलो नहीं तो लेट हो जायेंगे  दिव्यांशी दोनों को घूरते हुए बोली।

    पर यार मुझे तो बहुत नींद आ रही हैं सिया नींद भरी आँखों से बोली ।

    लास्ट क्लास हैं उसके बाद घर जा कर सो जाना रिया सिया को समझते हुए बोली।
      अच्छा ठीक हैं चलो क्लास मैं सिया दोनों को देखते हुए बोली।

    तीनों साथ मैं अपनी क्लास के लिये चले जाते हैं।

    ऐसे ही दिन बीत रहे थे कॉलजे में आये हफ़्ते हो गये थे। रोज की क्लास और घर बस यही  चल रही थी।


    सिया की दादी भी पूरी तरह से अपनी बात मनवाने मैं लगी थी। पर उनकी कोई भी बात आकाश जी नही मान रहे थे। आज तो दादी ने सोच लिया  था कुछ भी हो जाये आपने बात मनवा के रहेगी।

    आज हम भी देखते हैं सिया तुम हमारी बात कैसे नही मानती।

    To be  continue.......



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  • 9. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 9

    Words: 1075

    Estimated Reading Time: 7 min

    ऐसे ही दिन बीत रहे थे कॉलजे में आये हफ़्ते हो गये थे। रोज की क्लास और घर बस यही  चल रही थी।
    सिया की दादी भी पूरी तरह से अपनी बात मनवाने मैं लगी थी। पर उनकी कोई भी बात आकाश जी नही मान रहे थे। आज तो दादी ने सोच लिया  था कुछ भी हो जाये आपने बात मनवा के रहेगी।

    आज हम भी देखते हैं सिया तुम हमारी बात कैसे नही मानती।
    __________
    सिया जल्दी-जल्दी चलते हुए सीढ़ियों से नीचे आ रही थी। माँ आपने हमें उठाया क्यों नहीं और आज रिया भी हमें लेने नहीं आई।

    सिया आपने रात में ही तो बताया था कि आज  रिया  कॉलेज नहीं जा रही है, अब बातें बंद करिए जल्दी से नाश्ता करिए नहीं तो लेट हो जाएंगी  सिया की मां नाश्ता निकलते हुए बोली।



    माँ  लेट तो हम हो चुके हैं  और रही बात नाश्ता की तो हम कॉलेज में कर लेंगे  सिया जल्दी-जल्दी बाहर की तरफ जाते हुए बोली।

    सिया की मां सिया के सामने आकर बिल्कुल नहीं जब तक आप नाश्ता नहीं करेंगे आपको कॉलेज जाने नहीं मिलेगा।



    पर माँ...... हमें कुछ नहीं सुनना है आप पहले नाश्ता करिए  रागिनी जी सिया के हाथ पकड़ कर डाइनिंग टेबल की तरफ लेकर जाते हुए बोली।

    सिया हार मानकर नाश्ता के लिए बैठ जाती है। सिया नाश्ता कर ही रही थी की दादी सिया को देखते हुए बोली तो क्या सोचा है आपने हमारी बात के बारे में क्योंकि वह लोग कल आ रहे हैं,  तो हम कल कोई तमाशा नहीं चाहते।





    दादी की बात सुनकर सिया खाते- खाते रुक जाती है और अपने पिता की तरफ देखती है जो दादी की बात सुनकर गुस्से में आ गए थे।





    सिया एक गहरी सांस लेती है और अपनी दादी की तरफ देखते हुए बोली हम शादी के लिए मना कर रहे है लेकिन हम इस वक्त शादी  नहीं करना चाहते हैं। दादी आप समझने की कोशिश शादी एक नई रिस्पांसिबिलिटी लेकर आती है और इस वक्त हम शायद  अपनी कॉलेज के साथ अपने नए रिश्ते को नहीं संभाल पाएंगे। कम से कम आप हमें हमारी मेडिकल तो पूरी करने दीजिए।




    दादी परेशान होते हुए बोले एक बार आपकी शादी हो जाए ना फिर आप करती रहिए जो करना है आपको और कौन सा हम आपके हाँ करते हैं हम आपकी शादी करवा देंगे।


    और अगर आपको आज कॉलेज जाना है तो अपना फैसला सुना कर जाए नहीं तो जो हम करने वाले हैं वह आपके लिए बहुत बुरा होगा  दादी सिया को धमकाते हुए बोली।






    आप समझने की कोशिश क्यों नहीं करती है माँ सिया अभी शादी नहीं करना चाहती और हमारी बेटी हम पर बोझ नही हैं।

    तुम्हारी इन्ही बातों के कारण आज घर की एक बेटी हम सबसे इतना दूर है जिसका यह भी नहीं पता कि जिंदा रहेगी या एक दिन हमेशा के लिए सो जाएगी।





    दादी की इतनी बात सुनते हैं घर में एक सन्नाटा छा जाता है । सिया नम आंखों से अपनी दादी की तरफ देखती है आप अपने घर की बेटी की ऐसा कैसे सोच सकती है।  यहां हम दिन रात दुआ कर रहे हैं कि जल्दी से वह ठीक हो जाए और दोबारा हमारे परिवार में खुशियां आ जाए और आप।





    तो आप चाहती है कि हम उनके लिए दुआ करें तो हमारी बात मान लो सिया और अगर आज तुमने हां नहीं किया तो शायद हमेशा के लिए खो दोगो उसको  दादी अपना फैसला सुनाते हुए बोली।





    दादी की बात सुनकर सिया घबरा जाती है क्योंकि पहले भी दादी ने अदिति को घर वालों से दूर करने के लिए बहुत से प्रयास किए थे लेकिन हर बार सिया और आकाश जी रोक लेते हैं।




    सिया एक नजर अपने माँ- पापा को देखती हैं और एक दर्द भरी मुस्कराहट के साथ बोलती  हाँ हम तैयार हैं पर आप एक बात याद रखिए इस शादी के बाद आप हमें को खो देंगी इतना बोलकर सिया बिना नाश्ता किया घर से चली जाती है।




    दादी तो सिया कहां सुनकर ही खुश हो जाती है उनका ध्यान सिया की दूसरी बात पर नहीं जाते हैं अगर खुशी से अपना नाश्ता करने लगती है।

    अब तो खुशी मिल गई होगी ना आपको मेरी बेटी को तकलीफ देकर आप जानती हैं कि अदिति उसकी कमजोरी है तो आपने उसी कमजोरी का इस्तेमाल किया। लेकिन यह याद रखिएगा इस शादी के बाद अगर मेरी बेटी को तकलीफ हुई ना उसे दिन आप अपने बेटे का मरा हुआ मुंह देखेंगी इतना बोलकर आकाश  जी भी घर से जाने लगते हैं।
    दादी जी को अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनकर बुरा तो लगता है लेकिन वह ध्यान नहीं देती है।

    सुनिए खाना तो खा कर चाहिए रागिनी जी पीछे से आवाज देती हहै। में भूख नहीं है रागिनी इतना बोलकर भी चले जाते हैं।






    रागिनी जी अपनी सासू मां को देखते हैं जो आराम से बैठे इतना नाश्ता कर रही थी। वह अपनी आंखों के आंसू को साफ करती है और अपने काम में लग जाती है क्योंकि उनको पता था अगर वह कुछ बोलेंगे तो उनकी सास उनके पूरे परिवार को बुरा भला कहेंगी।



    कॉलेज एंड हॉस्पिटल
    आज सिया का क्लास नहीं था आज उसको प्रैक्टिकल के लिए अस्पताल जाना था इसलिए वह जल्दी से भारी मन के साथ अस्पताल के अंदर जाती है लेकिन अस्पताल का माहौल आज उसको और दिनों से अलग लग रहा था क्योंकि आज पूरे अस्पताल कुछ ज्यादा ही चल-पहाड़ थी लोग इधर से उधर भाग रहे थे शायद से कोई इमरजेंसी केस आई थी तभी सिया के सामने एक लड़की को स्ट्रेचर पर लेकर जाते हुए लिखते हैं जिसकी हालत बहुत खराब थी।



    उसको देखकर कम घबरा जाती है और पास में ही खड़ी एक नर्स को रोकते हुए बोले क्या हुआ इनको।




    नस दर्द भरी आवाज में गैंगरेप........ तुम टेंशन मत लो यह आम बात है हमारे देश में हर दूसरे दिन एक ऐसा केस जरूर आता है इलाज अच्छे से हुआ तो बच जाएगी। उसके बाद तो  जीवन में दर्द और यह समाज इसको  जीते जी मार देंगे इतना बोल कर बोलो जल्दी से उसे लड़की के पीछे चली जाती हैं।




    लेकिन सिया के कानों में तो बस नर्स की एक ही बात बोल रही थी उसने नर्स की आगे की बात तो सुन भी नहीं बार-बार उसके दिमाग में कुछ पुरानी ख्याल आ रहे थे जिस कारण धीरे-धीरे उसके सर का दर्द बढ़ रहा था।

    वह बिना इधर-उधर ध्यान दिए चलते-चलते एक केबिन के अंदर चली जाती और छुपाकर एक कोने में बैठ जाती है।


    To be continue......

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  • 10. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 10

    Words: 1148

    Estimated Reading Time: 7 min

    लेकिन सिया के कानों में तो बस नर्स की एक ही बात बोल रही थी उसने नर्स की आगे की बात तो सुन भी नहीं बार-बार उसके दिमाग में कुछ पुरानी ख्याल आ रहे थे जिस कारण धीरे-धीरे उसके सर का दर्द बढ़ रहा था।

    वह बिना इधर-उधर ध्यान दिए चलते-चलते एक केबिन के अंदर चली जाती और छुपाकर एक कोने में बैठ जाती है।

    ___________
    प्रैक्टिकल रूम
    देवांश अपनी इंस्ट्रूमेंट अरेंज करते हुए डॉक्टर दिव्या सभी स्टूडेंट्स आ चुके हैं क्या....... एक सेकंड  सर में चेक करके आपको बताती हूं  इतना बोलकर डॉक्टर दिव्या सभी स्टूडेंट्स के  अटेंडेंस लेती हैं।

    कुछ समय बाद
    डॉ देवांश सारे स्टूडेंट आ गए है सिर्फ मिस सिया इस वक्त यहां नहीं है, इतना बोल कर डॉ दिव्या शांत हो जाती है।


    अगर वह अब आएगी भी तो उनको क्लास में आने की परमिशन नहीं है और क्लास के बाद हमसे मिलने के बोलिये  इतना बोल कर देवांश बाकी स्टूडेंट की तरफ ध्यान देता है।


    मुझे बिल्कुल पसंद नहीं कोई मेरी क्लास मिस करें और आज जो पनिशमेंट मिस सिया को मिलेगी उससे आप लोगों को भी सबक मिलेगा कि मेरी क्लास मिस करके कितनी बड़ी गलती करते हैं।

    सभी बच्चे एक साथ यस सर........ जैसे मैंने आप सभी को पहले दिन बताया था कि कुछ स्टूडेंट जिनके रिपोर्ट कार्ड और बाकी इनफॉरमेशन निकालने के बाद मुझे यह पता चला कि वह कितने बच्चे इंटरेस्टेड हैं एक बेहतरीन डॉक्टर बनने के लिए, उनको हम अलग से ट्रेडिंग देंगे।

    सो मैं 20 स्टूडेंट का एक ग्रुप बनाया जिसमें आप सभी बच्चे हैं आप सभी के रिपोर्ट कार्ड और परसेंटेज देखने के बाद ही मैं आप सबको सिलेक्ट किया है और मुझे उम्मीद है कि आप सभी बच्चे मेरी उम्मीदों पर खड़े  होगे देवांश सही बच्चों को देखते हुए बोला। यस सर .....

    सो मैं आज आपको एक्सप्लेन करूंगा कि एक पेशेंट का रिपोर्ट आप कैसे रेडी करते हैं किन-किन बातों का आपको ध्यान रखना पड़ेगा और कब कौन सी टेस्ट पेशेंट का करना है आपको।

    (Note: कुछ भी इंफोर्मेशन अगर आपको गलत लगे तो प्लिज़ मुझे बता सकते हैं क्योंकि मैं कोई मेडिकल स्टूडेंट नहीं हु तो मुझे इसके बारे में ज्यादा इंफोर्मेशन नहीं हैं। गूगल इनफॉरमेशन के अकॉर्डिंग थ्योरी स्टडीऔर कुछ प्रैक्टिकल होता है बाकी जितने भी एडवांस प्रैक्टिकल होते हैं वह थर्ड और फोर्थ ईयर से होते हैं। बट मैं यहां थोड़ा डिफरेंट बता रही हू। क्युकी ये स्टोरी जो  हमारे इमेजिनेशन के ऊपर है😅)
    पूरे 2 घंटे की क्लास में कुछ बेसिक इनफार्मेशन देवांश पूरे स्टूडेंट को देते हैं। सो आज के लिए इतना ही बाकी का हम नेक्स्ट क्लास में देखेंगे और हां मेरे साथ आपकी क्लासेस डेली नहीं होगी इतना बोलकर देवांश अपना सामान लेकर अपने केबिन की तरफ चला जाता है।

    इधर सिया का हालात वक्त के साथ और खराब होती जा रही थी उसके दिमाग में बार-बार नर्स की कहानी बातें याद आ रही थी वह खुद से  लड़खड़ाते हुए आवाज में कहती है कुछ नहीं हुआ था उनके साथ वह सब झूठ था । वह तो उनसे  प्यार करती थी वह उसके साथ ऐसे कैसे कर सकते थे। बोलते हुए सिया अपने सर को पड़कर रोने लगती है क्योंकि अब उससे यह दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था।


    देवांश अपने केबिन के अंदर आता है अपना कोर्ट साइड के सोफे पर रखते हुए केबिन का लाइट्स ऑन करता है और सोफे पर जाकर आधा लेट जाता है और अपनी आंखों को बंद कर देता है तभी उसे किसी की  के रोने की आवाज आती हैं।

    वह तुरंत अपनी आंखें खोलकर अपने आसपास देखा है तो उसे कोई नजर नहीं आता तो वह ध्यान से उसे आवाज को सुनने की कोशिश करता है और उसे आवाज के दिशा में जाता है।


    तभी उसकी नज़रें एक कोने मैं सर छुपा के रोती हुई एक लड़की पर जाता हैं, देवांश को पहले तो गुस्सा आया था पर उसको ऐसे घबराए हुए देखकर वह अपने गुस्से को शांत करता है और उसे लड़की के सामने बैठ जाता है और शांत आवाज में पूछता है कौन हो तुम......


    आवाज सुनते ही वह लड़की अपना सर उठा कर देवांश की तरफ देखती है और बिना कुछ बोले देवांश के गले  लग कर रोने लगती हैं।


    देवांश उसको देखते  पहले तो हैरान हो जाता हैं और पहचान गया था कि यह वही लड़की है जिसको उसने हॉल मैं देखा था और उसके बारे में इनफार्मेशन निकला था। देवांश प्यार से उसके सर को सहलाते हुए बोला क्या हुआ सिया  क्यों रो रही है किसी ने कुछ कहा किया.......


    सिया घबराते और रोते हुए बोली उसको बहुत तकलीफ हो रही होगी प्लीज बचा लो।

    मैं बचा लूंगा पहले यह  बताओ किसको क्या हुआ है  देवांश वैसे ही उसके सर को  सहलाते हुए बोला।

    सिया मासूम नजरों से देवांश की तरफ देखते हुए बोली आप सचमुच बचा लोग उसको.........हाँ

    बचा लो ना मेरी अदिति को उसे उसके प्यार ने धोखा दिया और आज वह हम सब से दूर जा रही है  बोलते हुए सिया की आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे।


    बताओ कहां है वह ले चलो मुझे उसके पास देवांश एक टक सिया को देखते हुए बोला. . . . ..... व....ह.....वह..रूम 34.... बोलते हुए बेहोश हो जाती है।


    सिया....सिया..... बोलते हुए देवांश उसके गालों को थपथपाता है,ताकि वह होश में आये लेकिन इससे सिया पर कोई असर नहीं होता है देवांश जल्दी से  गोद में उठाकर अपने केबिन के सोफे पर लेता देता है और उसका बीपी, पल्स चेक करता है  और जल्दी ही सिया को इंजेक्शन लगाता  हैं। देवांश उसके पास बैठते हुए बोलो मुझे नहीं पता यह अदिति कौन है और क्या परेशानी है लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगा तुम्हारे इस तकलीफ को दूर करने की क्योंकि  जिस दिन तुमको मैं हॉल में देखा उसी दिन से एक लगाओ सा लगता है तुमसे लेकिन तुम कभी मेरी नहीं हो सकती क्योंकि मेरी राह अलग है  देवांश एक्सप्रेशन लेस चेहरे के साथ सिया को देखते हुए बोला।




    अंकल मुझे क्यों कॉल कर रहे हैं रिया अपने फोन पर  आकाश जी की कॉल आते हुए देख खुद से बोलती है। और फिर कॉल उठा कर हेलो अंकल. .....

    हेलो बेटा.....रिया बेटा सिया कहां है  मैं कब से उसका फोन ट्राई कर रहा हूं वह उठा नहीं रही है।

    अंकल हॉस्पिटल में होगी क्योंकि आज प्रेक्टिकल था उसका और आज मैं सुबह कॉलेज गई नहीं थी अभी कुछ देर में निकलूंगी रिया आकाश जी से बोली।

    अच्छा ठीक है अगर कॉलेज जा रही हो तो एक बार देखकर हमें बताना सिया ठीक है कि नहीं  आकाश जी परेशान होते हुए बोले।

    अंकल सब ठीक तो है ना आप इतनी परेशान क्यों हो रहे हैं। कुछ नहीं बेटा आज मां के कारण सिया ने नाश्ता नहीं किया और तुम तो जानती हो ना उसकी तबीयत खराब हो जाती है।

    आप परेशान ना होए मैं कुछ ही देर में अस्पताल पहुंच जाऊंगी फिर आपको बताती हूं। ठीक है बेटा इतना बोलकर आकाश जी फोन काट देते हैं।


    To be continue.......


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  • 11. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 11

    Words: 1103

    Estimated Reading Time: 7 min

    अंकल सब ठीक तो है ना आप इतनी परेशान क्यों हो रहे हैं। कुछ नहीं बेटा आज मां के कारण सिया ने नाश्ता नहीं किया और तुम तो जानती हो ना उसकी तबीयत खराब हो जाती है।

    आप परेशान मत होए मैं कुछ ही देर में अस्पताल पहुंच जाऊंगी फिर आपको बताती हूं। ठीक है बेटा इतना बोलकर आकाश जी फोन काट देते हैं।
    _____________
    आकाश जी के फोन रखते हैं, लगता है फिर आज घर में कुछ हुआ है तभी हम कल इतने परेशान लग रहे थे इतना बोल रिया जल्दी से हॉस्पिटल के लिए निकल जाती है।

    कुछ ही समय बाद  रिया हॉस्पिटल  पहुंच जाती है  और रिसेप्शन पर जाकर पूछती है मेम आप बता सकते हैं प्रैक्टिकल रूम किधर है।

    सेकंड फ्लोर रूम नंबर 205 नर्स  एक नजर रिया को देखते हुए जवाब दिया। थैंक यू सो मच मैम इतना बोल कर जल्दी से रिया सेकंड फ्लोर पर जाने के लिए लिफ्ट की तरफ जाती हैं।


    रिया जल्दी से प्रैक्टिकल रूम में जाती है पर वहां जाकर उसे पता चलता है कि सिया तो आज यहां आए ही नहीं है, रिया परेशान हो जाती है और पूरी हॉस्पिटल में सिया को ढूंढने लगती हैं।


    देवांश के केबिन
    सिया  को धीरे -धीरे होस आ रहा था, वह जैसे ही आपने आँखे खोलती हैं तो उसे  अपने सामने  एक ओल्ड एज की नर्स बैठी हुई दिखती है। सिया धीरे-धीरे उठ कर बैठ जाती है और एक नजर उसे नर्स को देखते हुए बोली हम  यहाँ कैसे आये।

    आपको डॉक्टर यहां ले कर आये थे क्योंकि आप बेहोश हो गई थी और आई अब कैसा फील हो रहा है बच्चा नर्स प्यार से सिया से बोली।

    जी हम अब पहले से ठीक है थैंक यू सो मच हमारा ध्यान रखने के लिए अब हम चलते हैं हमारी क्लासेस हैं। ठीक है बेटा अपना ध्यान रखा करो और ज्यादा कुछ देखकर घबराए मत करो।


    हम समझ नहीं आप कहना क्या चाहती हैं सिया नर्स के ऐसे बोलने पर अचानक से सवाल करती हैं।


    आप घबरा के बेहोश हो गए थे ना इसलिए हम बोल रहे और कोई बात नहीं है नर्स प्यार से सिया से बोली। अच्छा, अब हमें जाना चाहिए इतना बोलकर सिया चले जाती है।

    नर्स इतना अजीब क्यों बोल रही थी हम घबरा के बेहोश हो गए पर हमें कुछ याद क्यों नहीं आ रहा क्या हुआ था हमारे साथ ऐसे ब्रेकफास्ट नहीं किया था ना इसलिए चक्कर आ गया होगा और कुछ नहीं सिया खुद से बात करते हुए कॉरिडोर पर चल रही थी तभी किसी से टकरा जाती है।




    आई एम सो सॉरी हमने आपको देखा नहीं बोलते हुए सिया जैसे ही उसकी तरफ देखती है तो बोलती है और यह तुम हो....... सिया की इतनी बात सुनते ही दिया उसको गले लगा देती है और भरे हुए आवाज में बोली कहां थे तुमसे हम कितना परेशान हो गए प्रैक्टिकल रूम में गए तो पता चला प्रेक्टिकल कब का खत्म हो चुका था और अटेंडेंस के हिसाब से आज तुमने क्लास अटेंड नहीं किया पूरे अस्पताल में कब से ढूंढ रही हूं मैं तुमको।


    हमने आज ब्रेकफास्ट नहीं किया था ना शायद इसीलिए चक्कर खाकर गिर गए थे अभी होश आया है तो हम बाहर आये हैं उसे वाले केबिन में थे सिया इशारा करते हुए बोली।

    कितनी बार तुमको कहा है कि घर का गुस्सा खाने पर मत निकालो करो तुम्हारी तबीयत खराब हो जाती है, अब यह सब छोड़ो जल्दी से अंकल से बात कर लो वह बहुत परेशान है तुम्हारे लिये रिया अपना फोन सिया को देते हुए बोली।


    सिया रिया के फोन लेकर अपने पापा से बात करने लगती है।

    रेहान का ऑफिस
    रेहान अपनी फाइल्स को रीड कर रहा था क्योंकि पिछले दिनों उसका बहुत बड़ा नुकसान हुआ था। वह भी अपनी फाइल को रीड कर ही रहा था तभी डोर पर कोई नोक करता है कम इन....

    एक लड़की की घबराते हुए अंदर आती है और रेहान के सामने खड़ी होते हुए बोली  गुड मॉर्निंग सर........

    आवाज सुनकर रेहान लड़की की तरफ देखना है और पूछता है आप कौन....... लड़की घबराते  बोली हुए हम विद्या.....

    वह तो आप मिस विद्या जिन्होंने एक महीने से हमसे कोई कांटेक्ट नहीं किया था और आपके कारण हमारा कितना बड़ा नुकसान हुआ आपको पता भी है मिस विद्या  और आप अचानक से यहां आकर क्या दिखाना चाहती है रेहान गुस्से से देखते हुए बोला।

    आई एम रियली सॉरी सर मुझे पता है मेरी गलती थी बट फैमिली इश्यूज के कारण में इन्फॉर्म नहीं कर पाए विद्या सफाई देते हुए बोली


    आपको इतने कॉल किए हुए अपने एक बार रिस्पांस नहीं किया और अब अपने लापरवाही को फैमिली ईसु का नाम दे रही है  ग्रेट  बट अब आप अपने लिए दूसरी जगह ढूंढ ले क्योंकि हमारी कंपनी में आपके लिए कोई जगह नहीं है।

    सॉरी सर ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी और रही बात कॉल की तो मेरा फोन खराब था जिसके जिसके कारण मुझे पता नहीं चला और अपनी फैमिली में ध्यान ही नहीं दिया।

    कोई बात नहीं आप आपके पास बहुत टाइम है अपनी फैमिली के अच्छे से केयर करिए।अपनी सैलरी ले और निकालिए यहां से रेहान उसको घूरते हुए हुए बोला।

    विद्या इसके बाद कुछ नहीं करती है और सॉरी बोलकर चली जाती है।

    पहले तो गलती करो फिर अपना ड्रामा करो और झूठ बोल देवांश बिल्कुल सही करता है एम्पलाइज को ज्यादा छूट देना मतलब अपनी नुकसान करवाना रेहान खुद से बात करते हुए बोला।


    राठौर मेंशन
    क्या बात है आज आप सभी ने अचानक से मुझे यहां क्यों बुलाया है  आदित्य हॉल में अपने परिवार के पास बैठते हुए पूछता हैं। ठाकुर मेंशन से इनविटेशन आया है कल वह लोग देवांश के लिए लड़की देखने जा रहे हैं  आदित्य की मां (रेखा राठौड़) मुस्कुराते हुए बोली।

    मां कैसी बात करें हो देवांश की शादी मुझे पता नहीं है  आदित्य हैरानी से बोला। शादी नहीं है सिर्फ लड़की देखने जा रहे हैं रेखा जी मुस्कुराते हुए बोली।


    फिर भी माँ मेरे दोस्त के लिए रिश्ता देखा जा रहा हैं और मुझे नहीं पता।

    अब यह बात तुम दोनों दोस्त जानो क्या हुआ तुम दोनों मैं और हमने तुमको सिर्फ यह बताने के लिए नहीं बुलाया था बल्कि हम यह पूछना चाहते हैं आप तो तुम्हारा दोस्त भी आगे बढ़ रहा है तुम्हारा शादी करने का इरादा है कि नहीं रेखा जी आदित्य को देखते हुए सवाल करती है।

    माँ हमने आपको पहले भी कहा है और अभी भी बोल रहे हैं कि हम शादी नहीं करेंगे और अब समझने की कोशिश करें हम इन शादी  के बंधन में नहीं  चाहते हैं।


    और आज आपने पूछ लिया अगली बार से यह सब के लिए हमें मत बुलाया करें।


    To be continue.।।।

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  • 12. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 12

    Words: 1140

    Estimated Reading Time: 7 min

    माँ हमने आपको पहले भी कहा है और अभी भी बोल रहे हैं कि हम शादी नहीं करेंगे और अब समझने की कोशिश करें हम इन शादी  के बंधन में नहीं  चाहते हैं।


    और आज आपने पूछ लिया अगली बार से यह सब के लिए हमें मत बुलाया करें।
    ____________
    सिया अपने पापा से बात करने के बाद  बाकी के क्लास अटेंड करती हैं और घर के लिए निकल जाती है।

    सिया घर आते ही सबसे पहले अपनी मां से मिलती है और अपने कमरे में चली जाती है फ्रेश होने।

    सिया फ्रेश होकर आती है और अपने बेड पर बैठते हुए खुद से बोली आज पूरे दिन क्या हुआ हमें कुछ भी याद नहीं है।  कहीं फिर से वही तो नहीं हुआ था हमारे साथ वह नर्स भी बोल रही थी हम घबराकर बेहोश हुए थे। सिया परेशानी से आज के दिन के बारे मैं सोच ही रही थी कि तभी उसे आवाज आती है।


    हम अंदर आ जाएंगे....... आवाज सुनकर सिया दरवाजे की तरफ देखती है जहां आकाश जी मुस्कुराते हुए खड़े थे उन्हें देखकर सिया मुंह बनाते हुए बोली आप कब से पूछ कर आने लगे हमारे कमरे में।

    सोचा हमारी बेटी का मूड सही नहीं है और अगर हम अंदर आ गए तो कहीं गुस्सा हो गई तो आकाश जी सिया  के पास बैठते हुए बोले।

    हमारी जिंदगी में कितने भी परेशानी क्यों ना हो पर हम  आपसे गुस्सा नहीं होंगे और ना ही आपसे नाराज होंगे  सिया अपने पिता को गले लगाते हुए बोली।

    सिया बच्चा आप ठीक तो है ना आकाश जी सिया का सर सहलाते हुए बोले।

    हम बिल्कुल ठीक है पापा आप टेंशन मत लीजिए और हमने कॉलेज में अप्लाई किया है छुट्टी के लिए कल हमें छुट्टी मिल जाएगी।


    वैसे हमारा मूड नहीं था आपकी शादी के लिए लेकिन हमने उसे लड़की के बारे में पता करवाया है अच्छे घर से हैं अपने पापा के बिजनेस को संभालता है।

    पापा यह तो अच्छी बातें की आपने उसके बारे में पता किया लेकिन आपने सिर्फ उसके बारे में उपरी तोर पर ही पता किया है कि वह क्या करता है और कैसा है लेकिन दुनिया के सामने वह जैसा है वैसा वह चार दिवारी में भी हो सिया हस कर बोली।


    सिया की बात सुनकर आकाश जी  शांत हो गए  और फिर एक गहरी सांस लेकर बोले तुम्हारी बात बिल्कुल सही है कि हमें नहीं पता कि वह अंदर से कैसा होगा लेकिन कल को तुमको कोई भी तकलीफ हो तो तुम्हारा पिता हमेशा तुम्हारे साथ है ।

    क्योंकि मेरे लिए मेरी बेटी बोझ ना आज ना कल को अपने पति को छोड़कर आएगी  ,वही सम्मान रहेगा मेरी नजरों में मेरी बच्ची केलिए हम यह नहीं कहेंगे कि अपने रिश्ते को सुधारने की कोशिश नहीं करोगी बट अगर कोशिश के बाद भी कुछ नहीं हुआ तो यह घर हमेशा तुम्हारे लिए खाली है।

    इसलिए तो हम कहते हैं दुनिया के सबसे लकी लड़की है क्योंकि आप हमारे पापा हैं। अब बहुत बातें हो गई हमें बहुत भूख लगी है पापा.....


    तो चलिए नीचे आपकी मां आपकी मनपसंद  खाना बनाई है जल्दी चलिए नहीं तो हम दोनों की खैर नहीं बोलते हुए आकाश जी और सिया दोनों ही मुस्कुराने लगते हैं।

    दोनों ही  नीचे आकर सभी के साथ  डिनर करने बैठ  जाते हैं। और कुछ ही देर में अपना दिनर करके अपने कमरे की तरफ जाने लगते हैं तभी दादी पीछे से सिया से बोली कल कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए।

    टेंशन मत लो दादी माँ कल कुछ नहीं होगा इतना बोल कर सिया चली जाती है।

    अगली सुबह
    एक नई सुबह की शुरुआत हुई थी और यह नहीं सुबह किसके जीवन में क्या नया लाने वाला था यह किसी को नहीं पता था सब बस अपने दिनचर्या में लगे थे।

    वही आज पूरे चौहान हाउस में आज चहल-पहल था क्योंकि उनकी बेटी को देखने वाले जो आ रहे थे, तो कैसे कोई कमी रह सकता था। रागिनी जी  पूरे घर को साफ करवाया था और कई तरह के पकवान बने थे।

    सिया अपने कमरे में तैयार होकर बैठी थी  तभी उसके फोन पर  रिया का कॉल आता हैं।


    सिया कॉल उठा कर बोली हम कब से तुम्हारा  वेट कर रहे हैं  और तुम हो कि आने के बदले हमें कॉल कर रही हूं ।

    मेरी माँ शांत हो जा पहले मेरी बात तो सुन ले  और कुछ भी रिएक्ट करने से पहले पूरी बात सुन......हम्म


    तुमको याद होगा जब हमने ज्वाइन किया था तो हमको एक असाइनमेंट मिला था जिसके लिए हमें एक महीना मिला था। तो आज अचानक से मैसेज आया है कि उसको आज ही सबमिट करना है।

    क्या....सिया चिलाते हुए बोली अब हम क्या  करेंगे  तुम तो जानती हो ना आज हम घर से निकल ही नहीं सकते हैं।

    तुम टेंशन मत लो हम तुम्हारे घर ही आ रहे हैं बस तुम रेडी रहो हम आंटी को मना लेंगे  रिया सिया को समझाते हुए बोली।



    यार माँ तो फिर भी समझ जाएगी लेकिन दादी का किया करोगी..... तुम टेंशन मत लो मैं देख लूंगी बस कुछ मिनट में पहुंच जाऊंगी। ह्म्म....


    सिया जल्दी से चेंज करती है और अपने असाइनमेंट को अरेंज करती है , तभी उसको नीचे से रिया की आवाज आती है  और वह जल्दी से अपने समान लेकर  नीचे आती है।

    सिया जैसे ही नीचे आती है तो उसकी नजर रिया पर जाती है जो दादी से कुछ बात कर रही थी वह जल्दी-जल्दी उनके पास जाती है और रिया की बात सुनकर वह हैरान हो जाती है।

    दादी आप क्या चाहते हो लड़के वाले हमारे सिया को रिजेक्ट कर दे। मैं ऐसा कभी ना चाहूंगी छोरी दादी परेशान होते हुए बोली।

    तो ठीक है मैं सिया को पार्लर लेकर जाती हूं और उसको अच्छे से रेडी करवा कर लेकर आऊंगी, और उसको इतने अच्छे से रेडी करवाऊंगी किसी की हिम्मत नहीं हमारी सिया को मना करने की।

    मेरी पोती सिया पहले से ही बहुत सुंदर है उसको पार्लर वाले जाने की जरूरत नहीं दादी मुंह बनाते हुए बोली।


    तो मैं कौन सा कह रही हूं कि हमारी सिया काली कलूटी है वह बहुत सुंदर है यह हमें भी पता है । लेकिन सुंदरता को बाहर तो निकलना होगा ना......इसलिए लेकर जाने दो ना और आप टेंशन मत लो लड़के वाले के आने से पहले हम दोनों यहां आपके सामने होंगे  बोल कर रिया उम्मीद भरी नजरों से दादी की तरफ देखती है।

    दादी एक नजर सिया को देखते हैं फिर कुछ देर सोचती है और बोली ठीक है तुम ले जाओ सिया को पर अगर तुम दोनों थोड़ा सा भी लेट हुए ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

    आप टेंशन मत लगा दी हम यूं गए और यू आये इतना बोलकर रिया जल्दी से सिया कर हाथ पकड़ती है और घर के बाहर भाग जाती है।

    वही रागिनी की परेशानी से दोनों को जाते हुए देख रही थी क्योंकि वह समझ गई थी कुछ तो गड़बड़ है।



    To be continue...........

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  • 13. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 13

    Words: 1146

    Estimated Reading Time: 7 min

    दादी एक नजर सिया को देखते हैं फिर कुछ देर सोचती है और बोली ठीक है तुम ले जाओ सिया को पर अगर तुम दोनों थोड़ा सा भी लेट हुए ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

    आप टेंशन मत लगा दी हम यूं गए और यू आये इतना बोलकर रिया जल्दी से सिया कर हाथ पकड़ती है और घर के बाहर भाग जाती है।

    वही रागिनी की परेशानी से दोनों को जाते हुए देख रही थी क्योंकि वह समझ गई थी कुछ तो गड़बड़ है।

    ____________
    पूरे स्पीड के साथ रिया स्कूटी चला रही थी और सिया उसके पीछे बैठे परेशान हो रही थी। आज तेरा पूरा प्लान है ना मुझे मरवाने का हैं दादी नही तो तेरी यह  स्कूटी मुझे  मार दोगी सिया चिड़ते हुए बोली।

    माता तू शांत हो जा तुझे सही सलामत कॉलेज लेकर जाऊंगी और सही सलामत तेरी दादी के पास छोड़ दूंगी रिया  हंसते हुए बोली।
    भगवान की कृपा हो तुम पर सिया रिया को घूरते हुए बोली।

    ठाकुर मेंशन
    देवांश जल्दी-जल्दी अपने कमरे में तैयार होता है और अपने घर से निकल ही रहा होता की  तभी दादी पीछे से बोली कहां जा रहे हो देव......

    हॉस्पिटल जा रहे हैं दादी देवांश अपने घडी  ठीक करते हुए बोला।


    आपको पता हैं ना की हमे आज कहीं जाना हैं दादी देवांश को घूरते हुए बोली।

    दादी हमें अच्छे से याद है, हम वक़्त पर वहां पहुंच जाएंगे और आप भी जानती हैं, हम किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब नहीं करते हैं कि जब हमार मन किया हमने छुट्टी ले लिया एक डॉक्टर हु मुझे अपने पेशेंट को देखने हर रोज जाना होता है ,मैं अपनी पर्सनल लाइफ के चक्कर में अपने पेशेंट को नहीं छोड़ सकता।

    मां जाने दीजिए वह वक्त पर आ जाएगा देवांश के पिता अपनी मां को समझाते हुए बोले। हमारी सुनता ही कौन है आजकल इस घर में जाइए आपको जाना है तो दादी मुंह बनाते हुए देवांश से बोली।

    देवांश बिना कुछ बोले जाने लगता है तभी  नंदिनी जी भी जल्दी-जल्दी उसके पीछे जाती है और बाहर आकर उसे रोक लेती है कितनी जल्दी है आपको जाने की नंदिनी जी हॉफ्ते हुए बोली।


    देवांश उनके तरफ देखते हुए आप हमें रोक सकती थी ना माँ क्या जरूरत थी ऐसे भाग के आने की ।


    इतना टाइम नहीं था हमारे पास आपको रोकने का बोलकर देवांश के हाथ में एक टिफिन देते हुए  इसमें आपका नाश्ता गाड़ी में बैठे हुए कर लेना क्योंकि हमें पता है एक बार आप अपने पेशेंट के साथ लग गए फिर क्या नाश्ता और क्या लंच नंदनी जी मुस्कुराते हुए बोली।


    देवांश अपनी मां को गले लगाते हुए  थैंक यू मां. .... कोई अपनी मां को थैंक यू बोलता है  नंदिनी जी देवांश को घूरते हुए बोली।

    मैं बोलता हूं ना क्योंकि मेरी मां दुनिया की बेस्ट मैन जिसको यह पता है कि उनके देव को कब क्या चाहिए देवांश मुस्कुराते हुए बोला।


    और तू मेरा बेस्ट बेटा है नंदनी जी भी देवांश के गालों को सहलाते हुए बोली।

    अब बस करिए माँ तारीफ नहीं तो कहीं से आपकी लाडली ने यह सब सुन लिया ना तो फिर उसका ड्रामा शुरू हो जाएगा देवांश मजाकिया अंदाज में बोला।

    आज वह तुझसे पहले चली गई है अब आप भी निकालो उससे पहले कोई और तमाशा हो जाए. ...... जी माँ  इतना बोलकर देवांश हॉस्पिटल निकल जाता हैं।


    कॉलेज में
    रिया और सिया अपने असाइनमेंट जमा करने के लिए लाइन में लगी हुई थी। इतनी लंबी लाइन को देखने के बाद मुझे बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा है कि मैं वक्त पर घर पहुंच पाऊंगी सिया परेशान होते हुए बोली।


    बात तो तेरी बिल्कुल सही है लेकिन लाइन में लगने के अलावा हम कर भी क्या सकते हैं। अभी दोनों परेशान हो ही रहे थे कि पीछे से आवाज आती है. .......

    क्या बात है तुम दोनों इतनी परेशान क्यों हो  दिव्यांशी दोनों के पास  आते हुए बोली।

    सिया उदास मन से बोले हमको जल्दी घर जाना था लेकिन इतनी लंबी लाइन में लगे हैं कि टाइम पर घर नहीं पहुंच पाएंगे।

    टेंशन लेने की क्या जरूरत है जब दिव्यांशी हो तुम्हारे साथ. . . ... दिव्यांशी की बात सुनकर दोनों साथ में बोले क्या करने वाली हो तुम


    दिव्यांशी मुस्कुराते हुए बस तुम देखते जाओ इतना बोलकर दोनों के हाथ से असाइनमेंट लेती हैं और टीचर के पास चली जाती है। उसकों जाता देख रिया और सिया भी उसके पीछे चली जाती हैं ।



    दिव्यांशी मैम के पास पहुंचकर मुस्कुराते हुए बोली एक्सक्यूज मी मेन..... मेम दिव्यांशी की तरफ देखते हुए हां बोलो दिव्यांशी क्या हुआ तुम्हारे असाइनमेंट तो सबमिट हो गया तुम गई नहीं घर।



    मेम मेरा असाइनमेंट तो हो गया और मैं घर जा ही रही थी कि मुझे पता चला की मेरी फ्रेंड को इमरजेंसी है और उसको अभी के अभी घर पहुंचना है तो क्या प्लीज आप उन लोग का असाइनमेंट पहले सबमिट कर सकती हैं।

    तुम्हारे फ्रेंड्स को हम मना थोड़ी कर सकते हैं दो हमें और उनको बोलो साइन करने के लिए टीचर सिया और रिया का असाइनमेंट  लेते हुए बोली है।

    वही सिया और रिया हैरानी से कभी टीचर को देख रही तो कभी दिव्यांशी को. .... अब मुझे देखना हो गया हो तो जल्दी से साइन करो  दिव्यांशी दोनों के पास जाकर धीरे से बोली।  हाँ इतना बोलकर दोनों जल्दी से साइन करते हैं और फिर सभी कॉलेज के बाहर आ जाते हैं।

    वह इतनी आसानी से तेरी बात कैसे मान गए रिया और सिया दोनों ने दिव्यांशी से सवाल किया।


    अरे दिव्यांशी के जलवे है कॉलेज में कोई मना कर सकता है क्या हमको दिव्यांशी पूरे एटीट्यूट के साथ बोली।

    देख हम मजाक के मूड में नहीं है सच-सच बताओ कैसे मान गई मेम सिया फिर से सवाल किया ।

    अब तुझे लेट नहीं हो रहा जाने में  दिव्यांशी दोनों को घूरते हुए बोली और दोनों ही उसकी बात सुनकर जल्दी से उसको बाय करके वहां से चले गए।

    दिव्यांशी उनको जाते हुए देखा गहरी सांस लेकर बोली आज तो बच गई पर और नहीं बच पाऊंगी।


    इस बार स्कूटी सिया चला रही थी और रिया पीछे बैठी थी क्योंकि सिर्फ 10 मिनट बच गए थे और उन दोनों को ही 10 मिनट के अंदर घर पहुंचना था।

    मैडम धीरे चल नहीं तो आज पक्का एक्सीडेंट हो जाएगा सुबह तुम मुझ पर चिल्ला रही थी और अभी तुम खुद इतना स्पीड चला रही हो।



    तुझे पता है ना अगर मैं टाइम पर नहीं पहुंची ना तो दादी पक्का मां को सुनाई जो हम बिल्कुल नहीं चाहते इतना बोलकर सिया और स्पीड बढ़ती है कि अचानक से सामने से आ रही कार से  टकरा जाती है।


    टक्कर इतनी जोरदार हुई थी कि सिया और रिया दोनों ही साइड में गिर जाती है। कार वाले के जल्दी से  गाड़ी रोकने कारण ज्यादा बड़ा एक्सीडेंट ना हुआ। तभी कर से दो लोग बाहर निकलते हैं और उसमें से एक लड़का सिया को देखते हुए हैरानी से बोला तुम..........

    To be continue........

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  • 14. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 14

    Words: 1052

    Estimated Reading Time: 7 min

    तुझे पता है ना अगर मैं टाइम पर नहीं पहुंची ना तो दादी पक्का मां को सुनाई जो हम बिल्कुल नहीं चाहते इतना बोलकर सिया और स्पीड बढ़ती है कि अचानक से सामने से आ रही कार से  टकरा जाती है।


    टक्कर इतनी जोरदार हुई थी कि शिया और रिया दोनों ही साइड में गिर जाती है। कार वाले के जल्दी से  गाड़ी रोकने कारण ज्यादा बड़ा एक्सीडेंट ना हुआ। तभी कर से दो लोग बाहर निकलते हैं और उसमें से एक लड़का सिया को देखते हुए हैरानी से बोला तुम..........
    ___________
    चौहान हाउस
    रागिनी जी परेशानी से  दरवाजे की तरफ देख रही थी लेकिन अभी तक सिया घर नहीं पहुंचे थी।
    उनको टेंशन हो रहा था की कोई नया बवाल ना हो जाए, अभी वह यह  सब सोच ही रही थी कि उनके घर के बाहर से बहुत सारे गाड़ियों के रुकने की आवाज आती है और कुछ ही देर बाद सारे मेहमान दरवाजे पर खड़े थे।

    उनको देखते ही हॉल में बैठे आकाश जी और दादी जल्दी से खड़े हो जाते हैं और उनके स्वागत के लिए दरवाजे पर चले जाते हैं।


    आओ यशोदा कब से हम तुम्हारे इंतजार कर रहे थे  जानकी जी मुस्कुराते हुए बोली।

    यशोदा जी मुस्कुराते हुए अपने परिवार के साथ अंदर आती है और सभी हाल में बैठ जाती है।

    घर तो तुम्हारा बहुत सुंदर है जानकी यशोदा जी पूरे घर को देखते हुए बोली. ...... बस प्रभु की कृपा है जानकी जी मुस्कुराते हुए बोली।

    फिलहाल तो मेरे घर में मेरे बेटे और बहू है बाकी छोटा बेटा  तो  बाहर रहता है । यह मेरा बड़ा बेटा आकाश और उसकी पत्नी रागिनी जानकी जी दोनों की तरफ देखते हुए  बोली । आकाश  और रागिनी की सभी को प्रणाम करते हैं।


    जानकी जी के परिवार वाले भी मुस्कुराते हुए सभी को प्रणाम करते हैं। तुम्हारे परिवार से तो मिल लिया अब मैं तुझे अपने परिवार से मिलवाती हूं यशोदा जी मुस्कुराते हुए बोली।

    यह मेरा बड़ा बेटा अरविंद ठाकुर और यह मेरी बड़ी बहू नंदिनी अरविंद ठाकुर, यशोदा जी मिस्टर एंड मिसेस ठाकुर की तरफ  इशारा करते हुए बोली तो बदले में दोनों ही मुस्कुरा दिए।

    और यह है हमारे छोटे बेटे रघुवीर ठाकुर और मेरी छोटी बहू संजना ठाकुर ।


    यह हमारे बड़े बेटे की बेटी  दिव्यांशी ठाकुर दादी जी दिव्यांशी की तरफ देखते हुए बोले दिव्यांशी हंसते हुए सबको हेलो बोला। और यह है हमारे छोटे बेटे के बच्चे  प्रियांशु और प्रियांशी, यशोदा जी के बोलते हैं दोनों बच्चे मुस्कुराते हुए सभी की तरफ देखते हैं।


    यह सब तो ठीक है  जानकी लेकिन तुम्हारा बड़ा पोता कहां है  जानकी जी ने सवाल किया।

    जानकी जी की बात सुनकर  यशोदा जी पहले अपनी बड़ी बहू को घूर कर देखती है और उसके बाद झूठी मुस्कान के साथ बोली  तुम तो जानती हो मेरा बड़ा पोता डॉक्टर  हैं कोई  मामूली इंसान तो है नहीं जो कभी भी छुट्टी ले लो इसीलिए उसको आने में थोड़ा वक्त लगेगा।

    यह तो अच्छी बात है पहले अपने काम को देखना चाहिए  आकाश  जी भी मुस्कुराते हुए बोली और उसके बाद दोनों परिवार एक दूसरे से बातचीत करने लगते हैं।


    उसे आदमी को देखकर सिया डर जाती है  और जल्दी से खड़ी होकर उसे आदमी से माफी मांगते हुए आई एम सो सॉरी सर हमने जानबूझकर नहीं किया हमें बस बहुत जल्दी थी इसीलिए हम इतना तेज चला रहे थे।

    वही वह आदमी हैरानी से सिया को देख रहा था और यह बात रिया और सिया दोनों को ही अजीब लग रहा था।

    रहने दे आदित्य गलती हो गई है हम भी चलते नहीं तो हम भी लेट हो जाएंगे रेहान आदित्य के पास आते हुए बोला।

    रेहान ये..... आदित्य आगे कुछ बोलता उससे पहले ही सिया अपने पर्स से कुछ पैसे निकाल कर आदित्य के हाथ मैं देते हुए बोलती है देखिए सर मैं मानती हूं मेरी गलती है और मैं पूरा नुकसान भरने के लिए भी तैयार हूं अभी तो मेरे पास इतने पैसे हैं यह आप ले लीजिए बाकी के पैसे आप इस एड्रेस पर आकर ले लीजिएगा इतना बोल कर सिया जल्दी से अपना स्कूटी उठाती है और रिया के साथ वहां से निकल जाती है।

    क्या बात है आदित्य बहुत घूर कर देख रहा था उसे लड़की को पसंद आ गई क्या रेहान मजाक करते हुए बोला।

    फालतू की बकवास मत करो यार ,चलो देवांश हमारा वेट कर रहा होगा। हाँ दोनों ही वहां से चले जाते हैं।



    वैसे जानकी बातें तो होती रहेगी अपनी पोती से कब मिलवा रही हूं यशोदा की चाय पीते हुए बोली।

    यशोदा जी की अचानक से इस सवाल से जानकी जी घबरा जाती है क्योंकि उनका ही पता था सिया घर पर नहीं थी । और झूठी मुस्कान के साथ बोली अभी मिलवाती हूं रागिनी बहु जाओ सिया को लेकर आओ।

    रागिनी की परेशानी से  बोली जी  माँ जी अभी लेकर आई इतना बोलकर रागिनी जी सिया के कमरे की तरफ  जाने लगती हैं।



    यह लड़की कहां गई है जो अभी तक नहीं आई है अगर मैं जल्दी नीचे लेकर नहीं गई तो सभी को पता चल जाएगा कि सिया घर पर नहीं रागिनी जी कमरे की तरफ जाते हुए बोली।

    उदास मन से कमरे के अंदर जाती है तो अंदर का नजारा देखकर हैरान हो जाती है अंदर  सिया जल्दी से तैयार हो रही थी और उसको कमरे में देखकर रागिनी की चेन के सास लेती हैं लेकिन जैसे ही उनकी नजर सिया के चोट पड़ जाती है वह घबरा जाती है और जल्दी से उसके पास जाकर बोले यह सब कैसे हुआ. ........

    वह मां आते वक्त हमारा एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया पर टेंशन मत लीजिए हमें ज्यादा नहीं लगा । भगवान की कृपा से तुम लोग को कुछ नहीं लेकिन रिया कहां है।।


    अचानक से रिया की मम्मी को कहीं जाना हुआ इसलिए रिया घर  चली गयी सिया परेशानी से साड़ी पहनते हुए बोली।

    अच्छा ठीक है पहले तुम यहां बैठो हम तुम्हारे ड्रेसिंग कर देते हैं उसके बाद तुमको तैयार कर देंगे। जी माँ.....



    नीचे सभी बात कर ही रहे थे की तभी दिव्यांशी खुश होते हुए दादी भैया आ गए, दिव्यांशी का इतना बोलते हैं सभी के नज़ारे  दरवाजे पर जाती है जहां तीन लड़के खड़े थे. ........



    To be continue......


    प्यारे रीडर्स  आज का चैप्टर  आप सभी को कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं और बने रहे हमारी कहानी से मिलते हैं अगले भाग मै...... 😃

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  • 15. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 15

    Words: 1233

    Estimated Reading Time: 8 min

    अचानक से रिया की मम्मी को कहीं जाना हुआ इसलिए रिया घर  चली गयी सिया परेशानी से साड़ी पहनते हुए बोली।

    अच्छा ठीक है पहले तुम यहां बैठो हम तुम्हारे ड्रेसिंग कर देते हैं उसके बाद तुमको तैयार कर देंगे। जी माँ.....



    नीचे सभी बात कर ही रहे थे की तभी दिव्यांशी खुश होते हुए दादी भैया आ गए, दिव्यांशी का इतना बोलते हैं सभी के नज़ारे  दरवाजे पर जाती है जहां तीन लड़के खड़े थे. ........
    ___________
    यार यह सभी हमको ऐसे क्यों देख रहे हैं मुझे बहुत अजीब लग रहा है रेहान सबको देखते हुए बोला।

    अपना मुंह बंद करो शांति से अंदर चलो देवांश  रेहन को घूरते हुए  बोला।

    तीनों ही पूरे रोब में चलते हुए अंदर आते हैं  और सभी के पास जाकर सभी को प्रणाम करते हैं और खाली जगह देखकर तीनों बैठ जाते हैं। देवांश के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था उसके दिमाग में तो बस किसी और का ख्याल था जो उसके दिमाग से निकल नहीं रहा था।

    ले जानकी  अब तो मेरा पोता देवांश भी आ गया  अब तो अपनी पोती को बुला ले। हाँ आती ही होगी।

    देव  दादी कुछ ज्यादा ही अपनी दोस्त के साथ खुश नहीं हो रही है आदित्य दोनों दादियों को देखते हुए  बोला। इन दोनों को खुशी के चक्कर में ही तो बलि का बकरा बना हूं मैं देवांश भी बिना किसी एक्सप्रेशन के बोला।


    अभी  सभी बात कर ही रहे थे कि तभी सभी के कानों में पायल की आवाज आती है और सभी के नज़ारे उसे दिशा में जाती है जहाँ से सिया चलती हुई आ रही है।


    सिया को आते देख रेहान मुंह बनाते हुए यार आज के टाइम कौन करता है ऐसा मतलब तेरी होने वाली बीवी 10 मीटर घूंघट करके क्यों आ रही है।

    रेहान की बात सुनकर देवांश और आदित्य भी उसे तरफ देखा है और दोनों को भी यह अजीब लगता है पर वह कुछ नहीं बोलते।

    यशोदा जी खुशी से झूमते हुए खड़े होती है और सिया के पास जाकर यह हुई ना संस्कार लगता है तुम्हारी दादी ने तुमको अच्छे से सिखाया है की शादी से पहले अपने पति को अपना चेहरा नहीं दिखाना है आओ बैठो हमारे पास दादी सिया का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाते हुए बोली।


    ले भाई तेरी जिंदगी में एक और दुख आ गया अब तुम शादी से पहले अपनी बीवी को देखगा भी नहीं रेहान हंसते हुए बोला। देवांश  रेहान की बातो से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उसको तो ये शादी करनी ही नही थी।


    दादी धीरे से सिया का घूंघट उठाकर उसका चेहरा देखकर बोली जानकी तुम्हारी पोती बहुत खूबसूरत हैं।

    चौहान परिवार की बेटी है सुंदर तो होगी जानकी जी घमंड से बोलती हैं।

    यार दिव्यांशी क्या हम लोग को भाभी को देखने नहीं ,यह दोनों दादिया तो अपने में  ही लगी है हम लोग को तो पूछ भी नहीं रही है और ना ही पापा मम्मी कुछ बोल रही है।

    प्रियांशी तुम भी जानती हो हमारे घर में सिर्फ दादी की चलती है और उनके आगे ना चाचू बोलते हैं और ना पापा बोलते हैं। हम्म


    मां जी आपने तो बहु देख लिया हमे भी तो दिखा दीजिये  संजना जी  हिम्मत करके बोलती हैं ।

    हां छोटी बहू तुम लोग भी देख लो लेकिन ध्यान रखना इनका घूंघट सरकाना नहीं चाहिए।

    एक-एक करके सभी सिया का घूंघट उठा कर सिया का चेहरा देखते हैं और उसकी तारीफें करते हैं अब बारी आई थी दिव्यांशी की दिव्यांशी जैसे ही देखने जाती है तभी दादी बोलती है अब बहुत देख लिया तुम लोगो ने बाकी लोग तस्वीर में देख लेना।

    दादी की इतना बात सुनते ही दिव्यांशी का मुंह बन जाता है क्योंकि वह जानती थी दादी उसे पसंद नहीं करती है दिव्यांशी कुछ नहीं बोलती और शांति से अपनी जगह पर बैठ जाती हैं।

    देवांश को दादी की इस हरकत पर गुस्सा तो बहुत आता है पर वह इस वक्त कुछ नहीं बोल सकता।

    पूरा परिवार आपस में बात कर रहे थे आकाश जी भी बहुत से सवाल करते हैं देवांश से  जिसका जवाब देवांश बहुत शांति से देता है और यह बात  यशोदा जी को पसंद नहीं आता लेकिन वह कुछ नहीं बोलती।

    देखो जानकी तुम्हारी पोती तो हमें पसंद है और मैं जल्द ही इसको अपने घर की बहू बनाना चाहती हूं इसीलिए मैं पंडित जी को भी बुला लिया  हैं कुछ ही देर में वह आते ही होंगे।

    यशोदा जी की यह बात सुनकर आकाश जी कुछ बोलने को होते हैं कि तभी जानकी जी  उनको रोक लेती है।



    अभी सभी लोग बात कर ही रहे थे कि पंडित जी आ जाते हैं और सभी लोग मिलकर उनको प्रणाम करते हैं।

    जानकी जी और यशोदा जी अपने-अपने बच्चों का कुंडली पंडित जी को देते हुए बोली कोई अच्छा सा मुहूर्त निकालिए हमारे बच्चों की शादी का और हां जितना जल्दी हो सके

    पंडित जी मुस्कुराते हुए दोनों बच्चों की कुंडली पढ़ाने लगते हैं।

    घूंघट में सिया से अब रहा नहीं जा रहा था उसे अजीब सी घुटन हो रही थी आज पहली बार उसने इतना लंबा घूंघट लिया था और वही लोगों की बात सुनकर और इतनी जल्दी शादी की बात सुनकर वह परेशान हुई जा रही थी।

    थोड़ी देर बाद रुकने के बाद पंडित जी बोले इन दोनों की कुंडली देखने के बाद तो ऐसा लग रहा है जैसे राम सिया की जोड़ी हो बहुत कम ही ऐसी जोड़ियां मिलती है।

    पंडित जी की इतनी बात सुनकर पूरे घर वालों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है लेकिन देवांश और सिया को तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

    इन दोनों के लिए शादी का सबसे शुभ मुहूर्त अगले महीने के 20 तारीख को है  और दूसरा मुहूर्त आज से 1 साल बाद का है।

    पंडित जी आप आज से एक महीने बाद वाला मुहूर्त तय कर दीजिए हम जल्द से जल्द सिया को अपने घर की बहू बनाना चाहते हैं यशोदा जी मुस्कुराते हुए बोली।

    हम भी तुम्हारी बात से सहमत है यशोदा जानकी जी भी मुस्कुराते हुए  बोली

    अरविंद जी बस एक नजर अपने बेटे को देखते हैं जिसको इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था पर उन्हें बहुत तकलीफ हो रही थी कि वह अपने बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे।

    वहीं हाल कुछ आकाश जी का जो अपनी बेटी के लिए परेशान हो रहे थे इतनी जल्दी उनको अपनी बेटी को अपने आप से दूर नहीं करना था।

    माफ करिएगा हम आप लोग के बीच में बोल रहे हैं लेकिन शादी 1 साल बाद हो तो अच्छा होगा अभी हम लोग सगाई कर लेते हैं बस क्योंकि अभी सिया बहुत छोटी है  आकाश जी अपनी बात कह कर चुप हो जाते हैं।


    आकाश जी की बात सुनकर जानकी जी घबरा जाती है कि कहीं कुछ हो ना जाए।


    तभी यशोदा जी घमंड से बोली आकाश बेटा इतने भी छोटी नहीं है आपकी बेटी और हम कौन सा उसे अपने घर ले जाकर बाल मजदूरी करवाएंगे। मैं समझता हूं तुम एक पिता के नजरों से यह सब कह रहे हो  लेकिन परेशान नहीं हो तुम्हारी बेटी जितना यहां खुश है उतना वहां भी रहेंगी।

    इसके बाद आकाश जी कुछ नहीं बोलते और बाकी परिवार भी एक दूसरे से थोड़ी देर शादी के बारे में बात करके ठाकुर परिवार अपने घर को चला जाता है।


    To be continue.........

    प्यारे रीडर्स  आज का चैप्टर  आप सभी को कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं और बने रहे हमारी कहानी से मिलते हैं अगले भाग मै...... 😃

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  • 16. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 16

    Words: 1106

    Estimated Reading Time: 7 min

    तभी यशोदा जी घमंड से बोली आकाश बेटा इतने भी छोटी नहीं है आपकी बेटी और हम कौन सा उसे अपने घर ले जाकर बाल मजदूरी करवाएंगे। मैं समझता हूं तुम एक पिता के नजरों से यह सब कह रहे हो  लेकिन परेशान नहीं हो तुम्हारी बेटी जितना यहां खुश है उतना वहां भी रहेंगी।

    इसके बाद आकाश जी कुछ नहीं बोलते और बाकी परिवार भी एक दूसरे से थोड़ी देर शादी के बारे में बात करके ठाकुर परिवार अपने घर को चला जाता है।
    _____________
    सिया अपने कमरे में बैठी थी तभी उसके फोन पर रिया का कॉल आता है उदास मन के साथ सिया फोन उठा कर बोली हाँ बोल

    रिया एक्साइटमेंट के साथ बोली तूने देखा उनको....... नहीं यार क्योंकि दादी ने कुछ रूल्स बताए थे जिसको मुझे फॉलो करने थे जैसे मुझे उन सबके सामने घूंघट में जाना था और दूसरी बात एकदम शुद्ध हिंदी में बात करनी थी एक भी इंग्लिश के शब्द  इस्तेमाल नहीं करना था।

    तुम मानो चाहे ना मानो  सिया लेकिन मुझे कुछ तो गड़बड़ लग रहा है  रिया शक करते हुए बोली।

    अब कोई फायदा नहीं जो होना था हो गया तुझे तो खुश होना चाहिए अगले महीने तेरी दोस्त की शादी है सिया झूठी मुस्कान के साथ बोली।

    सिया तुम ठीक हो ना...... हम बिल्कुल ठीक है रिया बाद में बात करते हैं इतना बोलकर सिया फोन कट कर देती है।

    सिया अपना फोन बेड पर फेंक देती है और एक गहरी सांस लेकर अपने रूम से जुड़े दूसरे रूम में चली जाती है।

    सिया अदिति के पास बैठे हुए देखो आज मैं कुछ नहीं बोलूंगी आपसे मुझे नहीं पता आगे क्या होगा मेरे साथ लेकिन आपके गुनहगारों को सजा तो मैं दिला के राहुगी।

    कहां हमेशा आपकी शादी के सपने देखती थी और आज..... इतना बोलकर सिया अदिति के पास ही लेट जाती है।


    रेहान का घर
    तीन दोस्त बैठकर अपना सॉफ्ट ड्रिंक एंजॉय कर रहे थे।


    तभी रेहान मुंह बनाते हुए बोला अगर तुझे हमें ट्रीट देना ही था तो कोई अच्छी ब्रैंड मंगवा लेता, क्या यह सॉफ्ट ड्रिंक पिला रहा है हमको हम किया कोई बच्चे हैं........


    तुम दोनों के भलाई के लिए पिला रहा हूं दिमाग मेरा खराब है पीना तुमको है.।एक तो अपने आशिक़ी में पी- पी कर पागल हो ही गया है  अब तुम भी अपना किडनी खराब कर लो  देवांश आदित्य की तरफ घूमते हुए बोला।

    इसीलिए बचपन में बोलता था तुम बिजनेस ही कर लो, डॉक्टर बनने की जरूरत नहीं आदित्य देवांश को घूरते हुए बोला।


    फालतू की बातें करना बंद करो और यह बताओ यह शादी कैसे रोकू में  देवांश परेशान होते हुए बोला।

    एक काम कर  अपनी गर्लफ्रेंड को दादी से मिलवा दो और बोलो कि इसी से शादी करना है रेहान मुस्कुराते हुए बोला...... पहले इसे पूछ तो ले इसकी गर्लफ्रेंड है कि नहीं आदित्य भी हंसते हुए बोला


    तुम दोनों सिर्फ बकवास करना जानते हो , मुझे कोई गर्लफ्रेंड नहीं चाहिए और ना ही मुझे शादी करनी है देवांश दोनों पर गुस्सा करते हुए बोला।


    झूठ मत बोल मेरे देवदास मुझे सब पता है आजकल तेरी नजरे कहां है रेहान डेविल स्माइल करते हुए बोलो।

    उसकी बात सुनकर जहां देवांश उसको घूर रहा था वही आदित्य हैरानी से बोल क्या चल रहा है आजकल तुम दोनों का जो मुझे नहीं पता।

    अरे आदित्य भाई मैं बताता हूं आपको याद ही होगा पिछले महीने कॉलेज में न्यू स्टूडेंट आए हैं उन्हें में से एक हमारे देवांश को पसंद आ गए हैं रेहान मुस्कुराते हुए बोला।

    रेहान जो बोल रहा है सच है देव आदित्य सीरियस होते हुए पूछता है।

    देवांश बिना किसी एक्सप्रेशन के दोनों की तरफ देखते हुए बोलो तुझे तो पता हैं ना रेहान कितनी फालतू की बातें करता रहता है । ऐसी कोई बात नहीं है और तुम अपनी बकवास बंद करो नहीं तो तुम्हारी सारी करतूत ना ऑस्ट्रेलिया अंकल आंटी के पास प्रूफ के साथ जाएगी।

    अच्छा मैं झूठ बोल रहा हूं तो तुम क्यों उसे लड़की के इनफार्मेशन निकल रहे थे रेहान देवांश को घूरते हुए बोला।

    क्योंकि वह एक अच्छी स्टूडेंट हैं और तुम दोनों को तो पता ही है मैं अपने अच्छे स्टूडेंट को अच्छे से ट्रेन करवाता हूं ताकि इंडिया को एक बेस्ट डॉक्टर मिल सके  देवांश सफाई देते हुए बोला।


    मुझे नहीं पता तुम दोनों में से कौन सच बोल रहा है लेकिन देव हमेशा याद रखना जिसके लिए तुम्हारे अंदर फीलिंग है उसके कारण इस दूसरी लड़की की लाइफ मत खराब करना भले रिश्ते मजबूरी में बंध रहा हैं लेकिन कोशिश करना निभाने का  आदित्य देवांश को समझाते हुए बोला।

    जिस लड़की को मैं जानता भी नहीं कौन है, कैसी है, मुझे नहीं पता उसके साथ कैसा रिश्ता होगा मेरा और तुम दोनों को पता है वह लड़की पढ़ी-लिखी भी नहीं है।

    यह  बात  दादी ने आज तक नहीं बताया मुझे, यह बात घर के नौकरों से पता चला की दादी मेरे लिए एक ऐसी पत्नी ढूंढ रही थी जो पढ़े-लिखी ना हो अब तुम ही सोचो कैसे एडजस्ट कर पाऊंगा मैं उसके साथ  इसीलिए मैंने पहले ही सबको कह दिया है वह सिर्फ ठाकुर खानदान की बहू बनेगी मेरी पत्नी नहीं  देव अपनी बात बोलकर चुप हो जाता है ।


    माना मुश्किल है लेकिन पहले भी तो अरेंज मैरिज  ही होते थे और वह लोग एक दूसरे को जाने बिना ही शादी करते थे और वह लोग खुश भी रहते थे और रही बात ना पढ़ने की तो उसे किया ही होगा और ना पढ़ने से  कैसे तुम ने समझ लिया की वह  तुमको  समझेगी कि नहीं आदित्य देवांश को समझाते हुए बोला।


    मुझे नहीं पता आगे क्या होगा लेकिन अभी से 1 महीने तक मैं इन सब के बारे में बात करना नहीं चाहता । अब हम हॉस्पिटल जा रहा हैं। तुम लोग भी ऑफिस निकालो आज का पूरा दिन तो बर्बादी हो गया इतना बोलकर देवांश बिना कुछ सुनने वहां से चला जाता है।


    आदि मुझे ऐसा क्यों लग रहा है देवांश और उसे लड़की दोनों के साथ नाइंसाफी हो रही है क्या यह कभी खुश रह पाएंगे जीवन में रेहान परेशान होते हुए बोला।

    कभी-कभी हम जो सोचते हैं ना उसका उल्टा होता है क्या पता आज उनकी जिंदगी में इतनी परेशानी है कल को सुधर जाए देवांश को परेशानी इस बात से है कि वह लड़की उसकी समझेगी कि नहीं और यह परेशानी हर रिश्ते में होता है जो वक्त के साथ सही हो जाता है।

    भगवान करे तुम जैसा बोल रहे हो वैसा ही हो नहीं तो देवांश की जिंदगी और उलझ जायेंगी।

    To be continue

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  • 17. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 17

    Words: 1083

    Estimated Reading Time: 7 min

    कभी-कभी हम जो सोचते हैं ना उसका उल्टा होता है क्या पता आज उनकी जिंदगी में इतनी परेशानी है कल को सुधर जाए देवांश को परेशानी इस बात से है कि वह लड़की उसकी समझेगी कि नहीं और यह परेशानी हर रिश्ते में होता है जो वक्त के साथ सही हो जाता है।

    भगवान करे तुम जैसा बोल रहे हो वैसा ही हो नहीं तो देवांश की जिंदगी और उलझ जायेंगी।
    ___________
    रात का समय
    सुनिये आज  सिया कमरे से बाहर नहीं आई है एक बार आप जाकर देख लीजिए ना वह ठीक है कि नहीं  रागिनी जी परेशान होते हुए बोली।

    आप परेशान मत होइए हमारी बेटी इतनी कमजोर नहीं है वह सब कुछ संभाल लेगी आकाश जी एक छोटी सी मुस्कान के साथ बोले।


    एक काम करिए माँ को खाना दे दीजिए उसके बाद हम साथ में चलते हैं और कमरे में ही उसे खिला देंगे  आकाश जी रागिनी जी से बोले।

    जी ठीक है आप चलिए हम आते हैं इतना बोलकर रागिनी जी किचन में चली जाती है और आकाश की सिया के कमरे में ......

    थोड़ी देर में दादी डाइनिंग टेबल पर आती है आज डाइनिंग टेबल पूरा खाली था । यह  देखकर उनको  अजीब सा लगता है पर वह कुछ नहीं बोलती और खाने की लिए बैठ जाती  और अपना खाना खाते हुए आकाश अभी तक ऑफिस से नहीं आया है क्या बड़ी बहू ।

    उन्होंने कहा कि वह अभी खाना नहीं खाएंगे वह अभी सिया के कमरे में गये हैं रागिनी जी खाना परोसते हुए बोली।


    अच्छा ठीक है इतना बोलकर दादी खाना खाने लगती है और कुछ देर बाद अपने कमरे में चली जाती है।

    रागिनी  जी भी खाना ऊपर ले जाने की तैयारी करने लगती है।

    सिया का कमरा
    आकाश जी सिया के कमरे मै जाते हैं, पर कमरे में सिया नहीं थी वह समझ जाते हैं इस वक्त सिया कहां होंगी  वह तुरंत अदिति के कमरे में जाते हैं वहां का नजारा देखकर उनके चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान  आ  जाती है  तभी हमको कुछ पुरानी बातें याद आती है


    फ्लैशबैक
    आकाश जी परेशानी से खड़े थे उनके सामने छोटी सिया और अदिति जो एक दूसरे से रूठी बैठी थी। आकाश जी परेशान होते हुए बोले आखिर बात क्या है जिसके कारण आप दोनों लड़ाई कर रही है और अदिति आप उनकी बड़ी बहन है कोई अपनी छोटी बहन से लड़ाई करता है।

    लड़ाई नहीं करना चाहते हैं पर सिया है कि समझने की कोशिश नहीं करती  हमने इसको कितने बार कहा है या तो यह दूसरे रूम में शिफ्ट हो जाए या फिर यहां शांति से रहे ताकि हम आराम से पढ़ सके अदिति अपनी परेशानी बताते हुए बोली।

    अतिथि की बात सुनकर सिया मुंह बनाते हुए देखा पापा कैसे यह हमें खुद से अलग करना चाहती है और आपको तो पता है ना हमें इस रूम के अलावा कोई रूम नहीं पसंद।

    ठीक है आप दोनों लड़ाई मत करिए मैं इस कमरे को रिनोवेट करवा देता हूं और थोड़ा बड़ा करवा दूंगा जिसमें आप दोनों आराम से रह सके  आकाश  जी  दोनों परेशानी समझते हुए बोले।

    बिल्कुल नहीं सिया और अदिति दोनों साथ में बोली,  हमें इस कमरे में  हमें कुछ नहीं करवाना हमें छोटा सा ही कमरा पसंद है।

    ऐसे कैसे मेरी दोनों राजकुमारी है इस छोटे से कमरे में रहेंगे  आप दोनों आकाश चौहान की बेटी है  और हम अपनी दोनों बेटियों को सारी  सुख सुविधा दे  सकते हैं इतनी तो  हैसियत हैं हमारी है।

    हमें पता है आप हमें हर सुख सुविधा दे सकते हैं लेकिन अगर हमें अभी से सारी सुविधाएं मिलेगी तो हम उसकी आदि हो जाएंगे  और कभी खुद के दम पर कुछ नहीं करना चाहेंगे इसलिए हम चाहते हैं जितना हो सके हम सदा जीवन जिएंगे ताकि कल को हमें किसी भी चीज का घमंड ना हो और अपने दम पर हम जो चाहे वह कर सके  अदिति एक अलग ही जुनून के साथ अपनी बात कहती है।

    हां पापा दीदी बिल्कुल ठीक बोल रही है अगर हमें अभी से सब कुछ मिल जाएगा तो हमें किसी चीज की कदर नहीं  होगी छोटी सी सिया अपनी दीदी के बाद से सहमत होते हुए बोली।



    भगवान की कृपा है कि  मुझे आप दोनों जैसी प्यारी बच्ची मिली है जो ना सिर्फ अपने बारे में सोचती हैं बल्कि दूसरों को भी  आपने साथ लेकर चलती है मुझे गर्व है कि आप हमारी बेटी है आकाश जी अपने दोनों बच्चियों को गले लगाते हुए बोले।

    लेकिन आप दोनों की परेशानी का हमारे पास एक सॉल्यूशन है वह यह है कि साइड वाला कमरा हम आपके कमरे से ज्वाइन कर देंगे जब भी अतिथि को अपनी पढ़ाई करनी होगी वे साइड वाले कमरे में जाकर कर सकती है  और बाकी टाइम आप दोनों साथ में इस कमरे में रह सकती है।

    यह ठीक रहेगा पापा हम दोनों तैयार हैं इसके लिए दोनों साथ में बोलती है और फिर अपने पिता के साथ दिनभर की सारी बातें करने लगते है।

    फ्लैशबैक एंड
    आकाश जी  पुरानी बातों से बाहर आते हुए अपने नम आंखों को साफ करते हुए बोले अगर सालों पहले वह  हादसा  नहीं हुआ होता  तो आज मेरी दोनों बच्चियों सही सलामत होती कितनी बुरी किस्मत है मेरी ना अपनी बड़ी बेटी को  बचा सका और ना ही अपनी छोटी बच्ची को  इस समाज और दुनिया से बचा सका।

    आकाश जी खुद को संभालते हैं और सिया के पास जाकर उसके सर को सहलाते हुए बच्चा उठ जाओ और कुछ खा लो........ सिया अपना करवट बदलते हुए पापा भूख नहीं है सोने दो ना।

    बिल्कुल नहीं आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है और रात को ऐसे नहीं सोते उठोउठो।

    आकाश जी के इतना कहने से सिया उठकर बैठी है और आकाश जी के साथ अपने कमरे में आती है।
    अब जल्दी से जाइए और फ्रेश हो जाइए आकाश जी आर्डर देते हुए बोले. .... जा रही हूं ना पिता श्री सिया मुंह बनाते हुए बोली।

    कुछ देर मैं सिया फ्रेश होकर बाहर देखी है तो रागिनी जी भी खाना लेकर आ गई थी तीनों साथ में बातें करते हुए अपना अपना डिनर करते हैं इस वक्त में सभी एक हैप्पी फैमिली लग रहे थे बस कमी थी तो अदिति और उनके बेटे की।


    अपना अपना डिनर करके सभी अपने कमरे में सो जाते हैं एक नए दिन और नई उम्मीद की सपनों में

    To be continue........

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  • 18. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 18

    Words: 1128

    Estimated Reading Time: 7 min

    कुछ देर मैं सिया फ्रेश होकर बाहर देखी है तो रागिनी जी भी खाना लेकर आ गई थी तीनों साथ में बातें करते हुए अपना अपना डिनर करते हैं इस वक्त में सभी एक हैप्पी फैमिली लग रहे थे बस कमी थी तो अदिति और उनके बेटे की।


    अपना अपना डिनर करके सभी अपने कमरे में सो जाते हैं एक नए दिन और नई उम्मीद की सपनों में
    ____________
    अगली सुबह
    एक नई उम्मीद और आशा के साथ सभी के दिन की शुरुआत होती है कि आज से ही सही कुछ अच्छा होगा उनके जिंदगी में........ सिया सुबह जल्दी उठकर  नाश्ता करके अपने कॉलेज के लिए निकल चुकी थी क्योंकि आज उसको रिया को घर से पिक करना था।

    सिया, रिया को घर से  पिक करती है  और अपने कॉलेज के निकल जाती है।

    कॉलेज कैंटीन
    तीनों की ही सुबह की  क्लासेस कैंसिल हो चुकी थी, इसीलिए तीनों कैंटीन में बैठे बातें कर रहे थे।

    तभी दिव्यांशी अपनी सैंडविच खाते हुए बोली देख मैं कल कुछ नहीं पूछा, अभी पूछ रही हूं ऐसा क्या था जो तुमको कल जल्दी जाना था और कोई तो बात है जो तुम दोनों मुझसे छुपा रहे हो।


    ऐसी कोई बात नहीं है सिया सीधा सा जवाब देती है. ....... देखो यार मैं समझता हूं मैं तुम दोनों की उतनी पुरानी दोस्त नहीं हूं जितनी पुरानी तुम दोनों लेकिन हो, यार मुझे भी तो बता सकती हो ना दिव्यांशी उदास मन से बोली।

    क्यों इतना फालतू सोचती हो यार ऐसा कुछ नहीं है। बात यह थी कि कल हमारे घर पर हमें देखने आए थे सिया एकदम धीरे से आवाज में बोली।

    सिया की इतनी बात सुनते ही दिव्यांशी चिल्लाते हुए बोली क्या. .........


    बस इसी कारण हम तुझे कुछ नहीं बताते हैं क्योंकि तुझे वह बर्दाश्त नहीं होता है रिया अजीब सा मुंह बनाते हुए बोली।


    तुम लोग बात ही ऐसी करती हो कि मुझे चिल्लाना पड़ता है  और तुझे इतनी जल्दी क्यों है शादी करने का अभी तो तेरी मेडिकल ही पूरी नहीं हुई है  दिव्यांशी अजीब सा मूह बनते हुए बोली।

    सिया एक झूठी मुस्कान अपने चेहरे पर लती हुई बोली हमारे समाज में ना लड़कियों से पूछा नहीं जाता है कि तुमको शादी करना है कि नहीं, बस उनको हुक्म दिया जाता है कल कोई आ रहा है तुमको ले जाने के लिए.........


    देख मेरी बातों को गलत मत समझना लेकिन तुझे भी पता है इस वक्त तेरी शादी तेरे पूरे करियर को खराब कर सकती है दिव्यांशी सिया से बोली।


    अब कुछ नहीं हो सकता जो होना तो हो गया और तुम टेंशन मत लो आगे जो होगा उसे हम संभाल लेंगे चलो अब  क्लास में चलते हैं  सिया अपनी जगह से उठाते हुए बोली।

    दिव्यांशी और रिया भी उसके इस बात पर कुछ नहीं बोलते और उसके साथ क्लास के लिए चले जाते हैं।

    रास्ते में एक नर्स सिया के पास आकर बोली मिस सिया आपको सर बुला रहे हैं।

    मैं आप बता सकती हैं मुझे कौन से सर बुला रहे हैं और क्यों सिया उस नर्स से सवाल करती है।

    आपने  डॉ. देवांश बुला रहे हैं क्योंकि आपने लास्ट प्रैक्टिकल क्लास अटेंड नहीं किया था और सर को बिल्कुल पसंद नहीं की कोई उनके क्लास को अटेंड ना करें हमने पहले भी आपको मैसेज भेजा था लेकिन शायद आपने देखा नहीं.....


    सिया परेशानी से दिव्यांशी और रिया को देखती हैं और फिर नर्स की तरफ देखते हुए बोली आई एम सो सॉरी मेम।


    हमें सॉरी बोलने का कोई फायदा नहीं है आप एक बार सर से बात करिए अगर कोई वैलिड रीजन हुआ तो आपको माफ कर सकते हैं।


    ओके मेम आप बताइए हमको कहां जाना है...... आप हमारे साथ चलिए हम आपको लेकर चलते हैं नर्स इतना बोलकर आगे आगे चलने लगती है।


    सिया भी एक नजर अपने दोस्तों की तरफ देखते हैं और नर्स के साथ जाने लगती है।


    अस्पताल के एक कमरे में......
    दो आदमी जो डॉक्टर के यूनिफॉर्म में थे, एक दूसरे से बातें कर रहे थे।

    पिछले सप्ताह   डॉक्टर देवांश ने एक नया सुविचार जारी की है जिसके अंतर्गत यह पूरे महीने अस्पताल के हर एक फ्लोर का चेकिंग होगा अब आप ही हमें बताइए हम क्या करें  वह आदमी दूसरे आदमी से बोलते हैं।


    इसमें कौन सी बड़ी बात है हर 6 महीने में देवांश यही करता है और हर बार हम बच जाते हैं, इस बार भी हम बच जाएंगे ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है अपने काम पर ध्यान दो वे आदमी पहले वाले आदमी को समझाते हुए बोला।


    ओक सर  इतना बोलकर वह आदमी अपने काम के लिए चला जाता है वही वह दूसरा आदमी कुछ सोचता है और उसे कमरे से निकल जाता है।


    दिव्यांशी परेशानी से एक कमरे के बाहर खड़ी थी  और फिर गहरी सांस लेकर दरवाजे खोलकर अंदर जाती है सामने एक आदमी खड़ा था जो उसे देखकर मुस्कुरा रहा था।

    क्या बात है  दिव्यांशी आपके पास हमारे लिए वक्त ही नहीं रहता।

    ऐसी बात नहीं है वह क्लासेस और पढ़ाई के कारण हमें समय नहीं मिलता दिव्यांशी हल्का घबराते हुए बोली।



    आपकी दादी बिल्कुल सही बोलती है लड़कियों को ज्यादा यहां आना ही नहीं चाहिए नहीं तो वह भूल जाती है कि उनको घर और परिवार भी संभालना है वह आदमी दिव्यांशी को घूरते हुए बोला।


    ऐसी बात नहीं है अर्जुन. . . . ... दिव्यांशी आगे कुछ बोलती उससे पहले ही अर्जुन चिल्लाते हुए बोलता है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे नाम लेकर बुलाने की तुम्हारे घर में किसी ने कुछ सिखाया नहीं है क्या....ऐसे तो बहुत बोलते तुम्हारे घर वाले   हम यह है, वह है,या फिर अपने खानदान के संस्कार भूल गई।

    आपको जो बोलना है हमें बोलिए हमारे परिवार को कुछ बोलने की जरूरत नहीं है। मैं चुप हूं तो सिर्फ अपने परिवार के कारण नहीं तो दिव्यांशी ठाकुर को कोई सुनाएं इतना किसी की हिम्मत नहीं दिव्यांशी भी अर्जुन को घूरते हुए बोली।



    बहुत मुंह चलने लगा है तुम्हारा आज कल लेकिन मेरी बात भी अच्छे से याद रखना मेरी एक शिकायत तुम्हारी इस पूरे मेडिकल की पढ़ाई को बंद करवा सकती हैं।

    पहले तो दिव्यांशी अर्जुन के धमकी सुनकर डर जाती है फिर वह गहरी सांस लेकर उसे बोलती हैं, मुझे भी ज्यादा वक्त नहीं लगेगा आपको इस अस्पताल से धक्के मार कर बाहर निकलवाने मैं शायद आप भूल गए हैं कि आप किसके हॉस्पिटल में खड़े हैं तो औकात की बात तो आप किया मत करें इतना बोलकर दिव्यांशी बिना अर्जुन की कोई बात सुनने केबिन से चली जाती है............


    To be continue........

    1) कौन है वह आदमी और ऐसा कौन सा काम कर रहा है?
    2)क्या रिश्ता है अर्जुन और दिव्यांशी का........
    3)क्या देवांश माफ करेगा सिया को या फिर उसको भी मिलेगी पनिशमेंट?

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  • 19. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 19

    Words: 1099

    Estimated Reading Time: 7 min

    बहुत मुंह चलने लगा है तुम्हारा आज कल लेकिन मेरी बात भी अच्छे से याद रखना मेरी एक शिकायत तुम्हारी इस पूरे मेडिकल की पढ़ाई को बंद करवा सकती हैं।

    पहले तो दिव्यांशी अर्जुन के धमकी सुनकर डर जाती है फिर वह गहरी सांस लेकर उसे बोलती हैं, मुझे भी ज्यादा वक्त नहीं लगेगा आपको इस अस्पताल से धक्के मार कर बाहर निकलवाने मैं शायद आप भूल गए हैं कि आप किसके हॉस्पिटल में खड़े हैं तो औकात की बात तो आप किया मत करें इतना बोलकर दिव्यांशी बिना अर्जुन की कोई बात सुनने केबिन से चली जाती है............
    _____________
    देवांश का केबिन
    नर्स सिया को लेकर देवांश के केबिन के बाहर तक आती है और उसके तरफ देखते हुए बोली इसके बाद आप अकेले जाए हमें अपने पेशेंट को देखने जाना है।

    ओके थैंक यू आपने हमें यहां तक लाया सिया हुए मुस्कुराते हुए बोली....... नर्स भी सिया की बातों पर मुस्कुरा कर वहां से चली जाती है।

    सिया गहरी सांस लेती है और केबिन का डोर लॉक करते हैं, तभी अंदर से आवाज आती है कम इन.....

    सिया धीरे से दरवाजा खोलकर केबिन के अंदर जाती है सामने देवांश कुछ पेपर्स और रिपोर्ट चेक कर रहा था, सिया उसके सामने जाकर खड़ी होते हुए बोली गुड मॉर्निंग सर......

    आवाज सुनकर देवांश ऊपर देखा है और सामने सिया को देखकर पता नहीं क्यों लेकिन उसको बहुत सुकून मिल रहा था  पर तभी उसको अपने रिश्ते का याद आता है,वह खुद को को संभालता हैं और अपने चेहरे पर कठोर भाव लाते हुए बोलो तो आप है मिस सिया चौहान.....

    जी सर सिया घबराते हुए बोली।

    कॉलेज के फर्स्ट डे जो ओरिएंटेशन (अभिविन्यास) हुआ था आप उसमें  थी...... यस सर

    तू शायद मैंने उसमें कुछ बताया था कि मुझे मेरे कॉलेज में इंडिसीप्लिन और लापरवाही बिल्कुल पसंद नहीं है और आपने अपने पहले ही लेक्चर को मिस करके यह दिखा दिया कि आप कितनी लापरवाह है  देवांश सिया को घूरते हुए बोला भले उसको रीजन पता था, लेकिन वह बाकी स्टूडेंट्स को गलत मैसेज नहीं देना चाहता था।



    सॉरी सर  पर हमें जानबूझकर क्लास मिस नहीं किया उसे दिन हमारी तबीयत ठीक नहीं थी ।

    हो सकता है कि आपकी तबीयत ठीक नहीं थी, लेकिन उसे दिन के बाद से अभी तक आप बीमार नहीं है आपको एक बार इन्फॉर्म करना चाहिए था कि आपने क्यों अटेंड नहीं किया।

    सर आगे से ऐसी गलती नहीं होगी. .... होना भी नहीं चाहिए नहीं तो वह दिन आपके लिए कॉलेज का आखिरी दिन होगा और आज की आपकी एक पनिशमेंट है कि मैं जहां-जहां जिस पेशेंट को चेक करने जाऊंगा आप मेरे साथ जाएंगे और मेरे सारे कामों में आप मेरी हेल्प करेंगी।

    ओक सर सिया अपना सर नीचे करते हुए बोली।

    दिव्यांशी अंकुर की केबिन से निकाल कर हॉस्पिटल के छत की तरफ चली जाती है।

    वहाँ जाकर छत के एक कोने मैं बैठे जाती हैं और खुद से बोली आज दादी के कारण एक बार फिर ऐसे इंसान से जलील हुई हूं जिसको मैं अपनी जिंदगी में देखना भी नहीं चाहती, और मुझे पूरा भरोसा है कहीं ना कहीं सिया के लाइफ में भी कुछ ऐसा ही जैसे मेरी जिंदगी तबाह हुई है वैसे ही आज उसकी जिंदगी तबाह होने जा रही काश मैं कुछ कर पाती दिव्यांशी परेशानी और दुख के साथ बोली।

    लेकिन मैं हार तो बिल्कुल नहीं मानूंगी  किसी भी कीमत पर अंकुर को अपनी लाइफ से निकाल कर रहूंगी बस कुछ और दिन एक बार हमारा मेडिकल पूरा हो गया ना तो तुम्हारा वह हल करूंगी अंकुर की दोबारा किसी को टॉर्चर करने से पहले सो बार सोचो  दिव्यांशी पूरे आत्मविश्वास के साथ बोली, और कुछ देर वहीं बैठे खाली आसमान को देख रही थी जो शायद उसको सुकून दे रहा था।



    सिया देवांश के सारे काम कर रही थी , तभी एक नर्स केबिन में आकर  बोली सर रूम नंबर 305 की  पेशेंट कंट्रोल नहीं हो रही है आप प्लीज हमारे साथ चलिए।

    नर्स की बात सुनकर देवांश जल्दी से अपनी जगह से उठता है और नर्स के साथ जाने लगता है सिया भी सिचुएशन को समझ कर उसके पीछे-पीछे जाने लगती है।


    कुछ देर में वह लोग एक कमरे के बाहर पहुंचते हैं अंदर से बहुत चिल्लाने की आवाज आ रही थी तीनों साथ में अंदर जाते हैं और अंदर का नजारा देखकर हैरान हो जाते हैं।

    मुझे नहीं जीना मुझे मर जाने दो वैसे भी जिंदा रहकर क्या होगा एक लड़की अपने हाथ मैं चाकू लिए हुए सभी को अपने आप से दूर कर रही थी।

    सिया बहुत ध्यान से उसे लड़की को देख रही थी और उसको देखते ही वह पहचान जाती है कि यह वही लड़की है जिसको उसे दिन देखकर सिया को अटैक आए थे  उसे सब कुछ याद आता हैं की उस दिन किया हुआ था और वह फिर से घबरा जाती है क्योंकि उसके नजरों के सामने कुछ पुरानी  बातें आ जाती है।

    फ्लैशबैक
    एक लड़की हॉस्पिटल के बिस्तर पर तड़प रही थी वह अंदर से इतनी घबरा रही थी किसी को अपना इलाज करने नहीं दे रही थी, ना ही किसी को अपने पास आने दे रही थी बस चिला रही थी।

    प्लीज मेरे पास मत आओ, मैंने कुछ नहीं देखा मेरे पास मत आओ, जाओ  यहां से लड़की घबराते हुए बोलती है।

    दी ये लोग आप  को कुछ नहीं करेंगे प्लीज आप इनको अपने पास आने दो  आपको इलाज की जरूरत है सिया उसे समझाते हुए बोली।


    तुम भी इनके  साथ मिली हो ना जैसे मुझे मेरे प्यार ने धोखा दिया वैसे तुम भी मुझे धोखा दे रही हो ना छोटी  वह लड़की हैरानी से सिया की तरफ देखते हुए बोली।
    अपनी बहन की बात सुनकर सिया को बहुत दुख होता है कि आज उसकी बहन की हाल ऐसी है कि वह उसे गलत कह रही है  जिसको जान से भी ज्यादा प्यार करती।

    अचानक ही उसे लड़की की हालत खराब होने लगती है और कुछ देर बेहोश हो जाती है। सिया बस एक तक  देख रही थी उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था क्या हो रहा था।


    फ्लैशबैक एंड
    अचानक से उसे लड़की की चिल्लाने से सिया अपने पुराने ख्यालों से बाहर आती है......
    देवांश लड़की के पास जाते हुए बोला देखा कोई कुछ नहीं  करेगा मैं हु ना तुम शांत हो जाओ और मुझे बताओ क्या हुआ

    मुझे किसी से बात नहीं करनी आप सब बहुत बुरे हो उसे वक्त मैं सभी को बुलाया पर कोई मेरी मदद के लिए नहीं आया बोलते हुए उसे लड़की की आंखों में आंसू आ जाते हैं जिसे देखकर वहां के सभी लोगों को भी उसकी तकलीफ के समझ आ रही थी और उनकी आंखें भी नम थी।


    To be continue........


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  • 20. हमारे ठाकुर साहब💓 - Chapter 20

    Words: 1078

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    अचानक से उसे लड़की की चिल्लाने से सिया अपने पुराने ख्यालों से बाहर आती है......
    देवांश लड़की के पास जाते हुए बोला देखा कोई कुछ नहीं  करेगा मैं हु ना तुम शांत हो जाओ और मुझे बताओ क्या हुआ

    मुझे किसी से बात नहीं करनी आप सब बहुत बुरे हो उसे वक्त मैं सभी को बुलाया पर कोई मेरी मदद के लिए नहीं आया बोलते हुए उसे लड़की की आंखों में आंसू आ जाते हैं जिसे देखकर वहां के सभी लोगों को भी उसकी तकलीफ के समझ आ रही थी और उनकी आंखें भी नम थी।
    ___________
    सिया खुद को शांत करती है और धीरे-धीरे उसके पास जाने लगती है सभी लोग उसको रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन सिया को तो जैसे किसी की बातों का फर्क ही नहीं पड़ रहा था वह बस एक टक उसको देखते हुए उसके पास जा रही।

    वह लड़की उसको घूर कर देख रही थी जैसे कह रही हूं मेरे पास मत आओ.......सिया उसके पास पहुंचकर उसके सामने खड़ी हो जाती है और बिना कुछ बोल उसको गले लग जाती हैं।

    सिया के गले लगाते हैं वह लड़की धीरे-धीरे शांत होने लगती है और अपने हाथों से चाकू छोड़ देती है, सिया को गले लगा कर रोने लगती है।

    कोई कुछ नहीं करेगा तुमको हम है ना तुम्हारे साथ बोलते हुए सिया लड़खड़ा रही थी।

      उसके बाद सिया बस उसको गले लगाए शांत करने की कोशिश कर रही थी तभी एक नर्स उसके पास आकर इंजेक्शन लगाने को होती है लेकिन सिया उसको मना कर देती है और उसे लड़की को ले जाकर बेड पर आराम से बैठा देती है।

    सिया के ऐसे करने से वह नर्स देवांश की तरफ देखती है जो उसको वहां से जाने का इशारा करता है।

    सिया जबरदस्ती अपने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए आज हम आपसे पहली बार मिले हैं तो क्या आप हमें अपना नाम बता सकती हैं।

    वह लड़की शांति से सिया को देखते हुए बोली  अनन्या.........

    आपका नाम तो बहुत प्यार है और आपके घर में कौन-कौन है।

    सभी यही कहते थे कि हमारा नाम बहुत प्यार है जैसे हम हैं और आपको पता है हमारा बहुत बड़ा परिवार है लेकिन उस हादसा के बाद कोई हमसे मिलने नहीं आया सब ने हमारा साथ छोड़ दिया क्या सचमुच हमारी गलती थी बोलते हुए अनन्या की आंखों में आंसू आ जाती है।

    आपको पता है हमारी मां हमसे छुपा कर मिलने आती है क्योंकि कोई भी उनको यहां आने नहीं देता।

    अनन्या की बातें सुनकर सिया  को बहुत दुख होता है, कैसे कोई मां-बाप अपने बच्चों को छोड़ सकते हैं । वह खुद को संभालते हुए बोली गलती आपकी नहीं है ,लेकिन हमारे समाज में लड़कियों को लक्ष्मी मानते हैं लेकिन कहते हैं जैसे एक दाग लगे हुए और फटी हुई नोट का कोई मोल नहीं होता वैसे ही जब एक लड़की के चरित्र पर दाग लगता है  तब कोई उसको  सम्मान भरी नजरों से नहीं देखता, इस समाज की नजरों में वह लड़की सबसे गंदी होती हैं। और तो लोग  यह भी भूल जाते हैं कि वह एक इंसान है , उसकी भी भावनाएं होती है।

    इसीलिए आज के बाद ना किसी और के बारे में कभी मत सोचना अपने लिए जीना सीखो क्योंकि जब बुरा वक्त आता है ना तो कोई हमारा साथ नहीं देता।

    अभी तो तुम हॉस्पिटल में हो लेकिन जब ठीक हो जाओ ना  तो हमारे पास आ जाना हमारा खुद का एक एनजीओ है। जिसमें हम उन लोगों की मदद करते हैं जिनका इस दुनिया में कोई नहीं सिया प्यार से समझाते हुए  अनन्या के हाथों में अपना नंबर देती है।

    थैंक यू सो मच डॉक्टर आपने हमें सही रहा बताया काश उन सभी लड़की को भी आप जैसा कोई मिल जाए अनन्या एक बार फिर सिया को गले लगाते हुए बोली।


    सिया उसको समझते हुए रेस्ट करके बोलती है और वहां से जाने लगती है तभी उसको देवांश अपने सामने देखा है शांत हो जाती है।

    देवांश सिया को देखते हुए बोला आज से जब तक यह पेशंट हॉस्पिटल में है इसके देख भाल आप करेंगे और प्लीज कोई लापरवाही नहीं करे आपने काम मैं क्युकी हमने आपकी समझदारी को देखकर यह काम आपको  दिया ही मिस सिया।

    सिया खुश होते हुए बोली बिल्कुल सर हम कोई भी गलती नहीं करेंगे।

    वेरी गुड आपने सुबह से बहुत अच्छा काम किया है इसलिए मैं आपकी सजा माफ करता हूं अब आपको मेरे आगे पीछे घूमने की कोई जरूरत नहीं है देवांश सिया से बोला।


    वैसे हमें आपके आगे पीछे घूमने मे कोई प्रॉब्लम नहीं है वैसे भी आप हमारे आइडियल हो ,हम हमेशा आपके साथ काम करना चाहते थे और हम तो बहुत खुशकिस्मत है कि हमें आपके साथ काम करने का मौका मिला सिया खुश होते हुए बोली।

    देवांश को सिया की बात सुनकर अंदर से बहुत खुशी मिलती है लेकिन इस खुशी को वह अपने चेहरे पर नहीं दिखता और बस एक छोटी सी मुस्कान देकर वहां से चला जाता है।


    सिया भी उसे एक नजर अनन्या को देखते हैं और अपने क्लासेस के लिए निकल जाती है।



    ऑस्ट्रेलिया
    ऐसा कब तक चलेगा अर्जुन  कभी ना कभी तो आपको इंडिया जाना पड़ेगा दीदी हमेशा कॉल करती है की कब उनका बेटा वापस आएगा और आप है कि जाने का नाम ही नहीं ले रहे।

    ऐसा नहीं है  चाची (ज्योति) कि हम जाना नहीं चाहते लेकिन उन सब का सामना करने की हिम्मत  हमारे पास नहीं है।


    हम समझते हैं आपकी फिलिंग्स को  राघव लेकिन आप भी तो समझने की कोशिश करिए भाई साहब ऑफिस संभाल रहे लेकिन हम सब जानते हैं उसे हादसा के बाद उनकी भी हालत कुछ ठीक नहीं है फिर भी इतना काम कर रहे हैं।

    आज दीदी का कॉल आया था और उन्होंने कहा है जल्द से जल्द आने के लिए।

    कोशिश करेंगे आप लोग टिकट बुक करवा दीजिएगा इतना बोलकर राघव वहां से चला जाता है।

    उस हादसा के बाद हमारा परिवार बिखर गया है पता नहीं कब सब कुछ सही होगा। है प्रभु कल्याण करो हमारे परिवार का  ज्योति जी ईश्वर को याद करते हुए बोली और अपने काम में लग जाती है।


    ऐसे ही धीरे-धीरे सबका दिन कट रहा था और कहते हैं ना वक्त किसी का इंतजार नहीं करता कब एक महीना बीत गया किसी को पता नहीं चला अब वह दिन आ गया था जिसका इंतजार ठाकुर और चौहान परिवार को था।


    लेकिन जैसे-जैसे ही दिन पास आ रहा था सिया की परेशानियां भी बढ़ती जा रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था आगे क्या होगा उसके साथ।  

    To be continue

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