अर्जुन अवस्थी आइस-कोल्ड शावर से बाहर निकला, तभी उस के फोन की घंटी बजी। सुबह के चार बजे ऐसी घटना ज्यादातर लोगों को चौंका देती। लेकिन अर्जुन को पहले से अंदाजा था कि उस की सुबह की रूटीन में खलल क्यों पड़ रहा है। मुंबई के अपने लग्जरी पेंटहाउस के म... अर्जुन अवस्थी आइस-कोल्ड शावर से बाहर निकला, तभी उस के फोन की घंटी बजी। सुबह के चार बजे ऐसी घटना ज्यादातर लोगों को चौंका देती। लेकिन अर्जुन को पहले से अंदाजा था कि उस की सुबह की रूटीन में खलल क्यों पड़ रहा है। मुंबई के अपने लग्जरी पेंटहाउस के मास्टर बेडरूम सुइट को पार करते हुए, उस ने तौलिया गले में डाला और फोन उठाया और पूछा– “हो गया?” उस के चीफ स्ट्रैटेजिस्ट, विनय गुप्ता, की तरफ से हल्की साँस खींचने की आवाज आई। “सॉरी, सर, लेकिन वो लोग टस से मस नहीं हुए। हम ने सब कुछ ट्राय कर लिया, यहाँ तक कि अपने पहले बेटे को भी दाँव पर लगा दिया।”
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अर्जुन अवस्थी आइस-कोल्ड शावर से बाहर निकला, तभी उस के फोन की घंटी बजी। सुबह के चार बजे ऐसी घटना ज्यादातर लोगों को चौंका देती। लेकिन अर्जुन को पहले से अंदाजा था कि उस की सुबह की रूटीन में खलल क्यों पड़ रहा है।
मुंबई के अपने लग्जरी पेंटहाउस के मास्टर बेडरूम सुइट को पार करते हुए, उस ने तौलिया गले में डाला और फोन उठाया और पूछा– “हो गया?”
उस के चीफ स्ट्रैटेजिस्ट, विनय गुप्ता, की तरफ से हल्की साँस खींचने की आवाज आई। “सॉरी, सर, लेकिन वो लोग टस से मस नहीं हुए। हम ने सब कुछ ट्राय कर लिया, यहाँ तक कि अपने पहले बेटे को भी दाँव पर लगा दिया।”
उस का मज़ाक असरहीन रहा तो थकी आवाज में विनय ने असहज हो कर गला साफ किया।
अर्जुन ने फोन को और जोर से पकड़ा। पिछले कुछ हफ्तों से जो शक उस के मन में पनप रहा था, वो अब पक्के यकीन में बदल गया। अब इतने सारे संकेतों के बाद उस शक को नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं था।
उस ने पूछा– “अचानक इतने जिद्दी क्यों हो गए, कोई कारण?”
विनय ने आगे कहा। “कटारिया बंधुओं की टीम ये भी नहीं बता रही कि आखिर दिक्कत क्या है। बस यही कह रहे हैं कि उन्हें और वक्त चाहिए।”
अर्जुन को मालूम था कि दिक्कत क्या है। जापानी ई-कॉमर्स कंपनी के मालिक इस डील को, जो एक महीने पहले फाइनल हो जानी चाहिए थी, इसलिए लटका रहे थे ताकि किसी तीसरे पक्ष को फायदा पहुँचा सकें।
“अब स्थिति क्या है?” उस ने पूछा।
“उन्होंने कुछ और दिन माँगे हैं। हम ने जल्दी डेट लेने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं माने। आखिरकार शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए राजी हुए हैं।”
“ये मंजूर नहीं। मैं पाँच दिन इंतजार नहीं करूँगा। उन्हें वापस कॉल करो। बोलो कि मैं कल ही कटारिया बंधुओं से कॉन्फ्रेंस में बात करना चाहता हूँ।”
“जी, सर।”
फोन रखने से पहले, अर्जुन को विनय की हिचकिचाहट भाँपने में देर नहीं लगी थी। उस ने पूछा– “कोई और बात?”
“हाँ... मेरे ख्याल से उन्हें लगता है कि उन का पलड़ा भारी है। डायनामिक्स में कुछ तो बदलाव आया है...”
अर्जुन के पेट में गुस्से की एक मुट्ठी सी कस गई। अगर उस के एग्जीक्यूटिव्स को भी यही महसूस हो रहा था, तो अब वक्त था कि वो खुद कमान संभाले।
“सर, कोई ऐसी बात है जो हमें पता होनी चाहिए?”
अर्जुन ने अपने गुस्से को दबाते हुए कहा– “यहाँ से मैं संभाल लूँगा। टीम को मेरी तरफ से शुक्रिया बोलो और सब को आज के दिन छुट्टी दे दो। तुम लोगो ने बहुत मेहनत की है।”
“कॉल मैं करूँ?” विनय ने पूछा।
“नहीं, मैं खुद देख लूँगा।” अब जब उसे पता था कि किससे पाला पड़ा है, तो वक्त था कि सीधी टक्कर ली जाए।
“ठीक है, तो मैं घर जाता हूँ, वरना मेरी बीवी तलाक के पेपर थमा देगी।” विनय ने हल्के हास्य के साथ कहा लेकिन उस की हँसी फीकी पड़ गई, शायद अर्जुन के तनाव को भाँपते हुए। “हाँ, एक आखिरी बात। मैं ने अपने असिस्टेंट से पीआर फर्म्स की शॉर्टलिस्ट बनवाई थी। जेम्स इंडिया पीआर का एशिया में सब से ज्यादा एक्सपीरियंस है। मुझे लगता है इस स्टेज पर हमें जितनी मदद मिले, उतनी लेनी चाहिए।”
अर्जुन ने कॉल खत्म की और फोन रख दिया। गले से तौलिया हटा कर फेंका और नंगे पाँव ड्रेसिंग रूम की तरफ बढ़ा। उस का सिग्नेचर ग्रे सूट्स, ब्लैक शर्ट और बेस्पोक पिनस्ट्राइप टाई आसानी से मिल गए। उस ने फौजी अनुशासन के साथ कपड़े पहने और पंद्रह मिनट बाद दरवाजे से बाहर निकल गया।
मुंबई के फाइनेंशियल हब, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) तक का रास्ता दस मिनट से भी कम का था। सुबह का वक्त होने की वजह से ट्रैफिक न के बराबर था और अर्जुन को खुली सड़क पर अपनी बुगाटी वेरॉन की इंजन की गर्जना सुन कर थोड़ा सुकून मिल रहा था।
लेकिन उस की रूह में बेचैनी का वो गाँठ जैसा अहसास कम नहीं हुआ। न ही वो गुस्सा, जो हर बीतते लम्हे के साथ और बढ़ता जा रहा था।
वो स्पेन, जहाँ उस का जन्म हुआ था, से इक्कीस साल की उम्र में दिल्ली आ गया था। फिर एक साल बाद मुंबई शिफ्ट हो गया, क्योंकि वो अपने परिवार से कोई वास्ता नहीं रखना चाहता था। स्पेन से निकलने का मकसद था कि जैसे ही कानूनी तौर पर मुमकिन हो, वो खुद को उन से अलग कर ले।
अर्जुन ने अपने उन दो लोगों से, जिन्होंने उसे जन्म दिया था, बहुत लंबा फासला बना लिया और कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उसे क्या पता था कि वो खुद को एक और बारूदी सुरंग के करीब ले जा रहा है—जो था उस का सौतेला भाई गौरव अवस्थी।
वो उस समीकरण का आधा हिस्सा था जिस ने दो दशक पहले अर्जुन की जिंदगी में कड़वाहट को और बढ़ा दिया था। गौरव और उस की माँ ने ये साबित कर दिया था कि अर्जुन का बाप कितना बेवफा इंसान है। अपने बाप की धोखेबाज़ी के बाद अर्जुन के पास उस घर को छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था।
लेकिन उस का बुरा सपना उस का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं था।
गौरव भी उस के थोड़े समय बाद दिल्ली पहुँच गया था। और गुरुग्राम इतना बड़ा नहीं था जिस में दोनों समा जाते। खास कर तब जब उस का छोटा सौतेला भाई उन डील्स के पीछे पड़ने लगा, जिन में अर्जुन की दिलचस्पी थी। गौरव की उभरती हुई ई-कॉमर्स स्टार्टअप को खत्म करना अर्जुन के लिए आसान था लेकिन उस ने दूरी बना ली ताकि साबित कर सके कि अतीत अब उस के लिए मर चुका है।
इसलिए वो चला आया था।
वो भले ही अवस्थी था, लेकिन सिर्फ नाम से। उस में गर्व करने लायक कुछ नहीं था। उस ने सारे रिश्ते तोड़ दिए थे। जहाँ तक उस का सवाल था, वो इस दुनिया में अकेला था।
लेकिन उस के सौतेले भाई को ये बात समझ नहीं आ रही थी। दूसरी और आखिरी बार मिलने के दस साल बाद, ऐसा लग रहा था कि गौरव एक बार फिर अर्जुन के बिजनेस में दखल देने की ठान चुका है। या कम से कम, वो उस डील को हथियाने की कोशिश में था, जिसे अर्जुन ने बहुत मेहनत से हासिल किया था।
⋙ (...To be continued…) ⋘
इंजन बंद कर के अर्जुन कार से बाहर निकला और अपनी कंपनी की बिल्डिंग के अंडरग्राउंड पार्किंग से सीधा लिफ्ट में जा घुसा। जो उसे एसएनवी इंटरनेशनल के टॉप-फ्लोर ऑफिस तक ले जाने वाली थी, उसे गौरव के साथ आखिरी मुलाकात याद आई, जब गौरव को पता चला था कि अर्जुन दिल्ली छोड़ रहा है।
“सुना है तू अपना बिजनेस कहीं और शिफ्ट कर रहा है। क्यों? डर गया कि मैं तुझे पछाड़ दूँगा?” गौरव की चमकती, आत्मविश्वास से भरी, तंज भरी और शेखी बघारती हुई मुस्कान अर्जुन को पिता की याद दिला गई।
उस ने ठंडी उदासीनता के साथ जवाब दिया था– “खुद को बेवकूफ मत बना। मेरी कंपनी इतनी कामयाब है कि दुनिया में कहीं भी चल सकती है। शायद तुझे अपनी किस्मत के सितारे गिनने चाहिए कि मैं तुझे रौंदने का लालच छोड़ कर जा रहा हूँ। कम से कम इस तरह तुझे कुछ बनने का मौका तो मिलेगा।”
गौरव की मुस्कान कोहरे में धूप की तरह गायब हो गई। अर्जुन ने उस की आँखों में वही जिद और दृढ़ता देखी, जो उसे खुद में भी दिखती थी।
“मैं उस दिन का इंतजार करूँगा, जब तुझे अपनी कही बातें निगलनी पड़ेंगी, भाई।”
अर्जुन ने कंधे उचकाए और वहाँ से चल दिया। उस ने गौरव को ये बताने की जहमत नहीं उठाई कि वो कभी असली भाई नहीं हो सकते, क्योंकि उन की मुलाकात दोबारा कभी नहीं होगी। किशोरावस्था में एक बार मिलना ही काफी बुरा था। बीस की उम्र में दूसरी बार मिलना तो हद से ज़्यादा था।
उस ने सोचा था कि तीसरी बार मुलाकात नहीं होगी।
लेकिन, वहाँ से चले जाना अंत नहीं था। ऐसा लगता था कि गौरव ने उन की आखिरी मुलाकात में हुई बातों को ज़्यादा ही दिल पर ले लिया था। और किसी वायरस की तरह, वो अर्जुन के जितने भी सौदों को बिगाड़ सकता था बिगाड़ने में जुट गया था।
वो अपने ऑफिस में दाखिल हुआ, जब अप्रैल की सुबह की धूप मुंबई की मरीन ड्राइव पर चमक रही थी। आमतौर पर, वो अपनी मॉर्निंग एस्प्रेसो का मजा लेते हुए इस नज़ारे को निहारता था। लेकिन आज उस ने बस चुपचाप कार की चाबियाँ डेस्क पर फेंकी और कोट उतार कर काम पर लग गया।
नौ बजे तक उसे पक्का यकीन हो गया कि जापानी डील में दखल देने वाला कोई और नहीं गौरव ही था।
वो अपनी कुर्सी पर पीछे झुका, उंगलियाँ आपस में जोड़ लीन और नफरत की कड़वाहट को दबाने की कोशिश करने लगा। गौरव की कंपनी, टोरेडो इंक. एक ई-कॉमर्स पावरहाउस बन चुकी थी जो अर्जुन की कंपनी के बाद दूसरे नंबर पर थी। इस हकीकत ने उसे कभी परेशान नहीं किया। उस की कंपनी अरबों की थी और इंडस्ट्री में अपनी जगह पक्की कर चुकी थी। जब वो उदार मूड में होता, तो वो टोरेडो की प्रतिस्पर्धा का स्वागत भी करता था।
लेकिन इस बार नहीं। ये डील हासिल करना एसएनवी को एक अलग ही मुकाम पर ले जाएगा। ये उस कामयाबी का ताज होगा, जिस के लिए उस ने उस जिंदगी को छोड़ने के बाद से मेहनत की थी जिसे आम लोग परिवार कहते हैं। दूसरे लोग ऐसी नाकामियों को बर्दाश्त कर सकते थे लेकिन वो नहीं।
उस ने उस जिंदगी को छोड़ दिया था जिसे सुधारा नहीं जा सकता था। फिर उस ने उस चीज पर फोकस किया जिस में वो माहिर था। उस ने चार साल पहले, दिल्ली छोड़ने से ठीक पहले, अपनी पहली करोड़ों की कमाई की थी। पिछले दस सालों में, वो टॉप पर पहुँच गया था।
ये नई डील उस की सब से बड़ी उपलब्धि होती। उस ने मेहनत इसलिए नहीं की थी कि गौरव उसे बिगाड़ दे। अर्जुन को ये हरगिज़ बर्दाश्त नहीं था।
उस की स्ट्रैटेजी टीम ने सुझाव दिया था कि जापानी कंपनियों के साथ डील करने में अनुभवी एक पीआर कंपनी को हायर किया जाए, जो उन की इन-हाउस पीआर डिपार्टमेंट के साथ मिल कर काम करेगी। हालाँकि उसे अब भी बाहर की पीआर कंपनी की ज़रूरत पर शक था, लेकिन उस ने पहली फाइल खोल ली।
हेडशॉट फोटो ने तुरंत उस का ध्यान खींच लिया। तस्वीर को गौर से देखते हुए अर्जुन समझ नहीं पाया कि ये उस का ध्यान क्यों खींच रही है। उस का मुँह थोड़ा ज़्यादा भरा हुआ था। नाक थोड़ी ज़्यादा परफेक्ट थी। उस की बादाम के आकार की गोल्डन-हेज़ल आँखों में कुछ ज्यादा ही काजल था और अर्जुन के टेस्ट के हिसाब से, उस ने ज़रा ज्यादा ही मेकअप कर रखा था; अर्जुन को नेचुरल लुक ज़्यादा पसंद था। वो काजल और मेकअप उसे उन यादों में खींच ले गए जिन्हें वो भूलने की कोशिश करता था।
फिर भी, वो आरिया जेम्स की तस्वीर से नज़रें नहीं हटा पा रहा था। एक बेवकूफी भरा खयाल उस के दिमाग में आया कि अगर वो इसे और देर तक देखता रहा, तो शायद ये तस्वीर जीवंत हो जाएगी। उस की नजर उस के जबड़े और गर्दन से नीचे गई, और उसे हल्का सा अफसोस हुआ कि तस्वीर में और कुछ दिखाई नहीं दे रहा।
दाँत पीसते हुए, उस ने इशिता की एकेडमिक उपलब्धियाँ पढ़ीं, जो इतनी प्रभावशाली थीं कि उसे और पढ़ने की इच्छा हुई। ये जान कर कि जेम्स इंडिया पीआर एक फैमिली कंपनी है, उस के चेहरे पर एक कड़वी मुस्कान आ गई लेकिन उस ने उस बेकार भावना को दबा दिया। हर परिवार वैसा डिसफंक्शनल नहीं होता, जैसा उस का था।
बस! बहुत हो गया!
इस मर्जर को पूरा करने के लिए अर्जुन को अपने दिमाग को ठिकाने रखना था, न कि अतीत में खोए रहना। उस ने बाकी दो फाइल्स खोलीं। कुछ ही मिनटों में उस ने बाकी कैंडिडेट्स को रिजेक्ट कर दिया जब उस ने खुद को फिर से उसी हेडशॉट को निहारते पाया। उस ने फोन उठाया और बोला– “मार्गो, जेम्स इंडिया पीआर वालों के साथ आज दोपहर के लिए इंटरव्यू सेट कर दो, ओके?”
“उम्म... उनमें से एक एग्जीक्यूटिव पहले से यहाँ है। उसे अंदर भेज दूँ? वैसे भी आप का शेड्यूल खाली है, क्योंकि आप ने ज़्यादातर अपॉइंटमेंट्स पहले ही कैंसिल कर दिए हैं।”
अर्जुन ने भौंहें चढ़ाईं– “वो लोग यहाँ बिना कन्फर्म अपॉइंटमेंट के चले आए, ये सोच कर कि मैं उन से मिलना चाहूँगा?” उसे समझ नहीं आया कि उन की इस बेशर्मी की तारीफ करे या इस बात की निंदा करे कि उन्होंने बिना कामयाबी की गारन्टी के अपना समय और संसाधन खर्च कर डाला।
“विनय को लगा कि अगर आप पीआर फ्रंट पर जल्दी मूव करना चाहें, तो ये ठीक रहेगा।”
अर्जुन ने मन ही मन विनय की बोनस बढ़ाने का नोट बनाया और उस की निगाह फिर हेडशॉट पर गई। “जेम्स इंडिया से कौन सा रिप्रेजेंटेटिव यहाँ है?”
“एक जूनियर एग्जीक्यूटिव—आरिया जेम्स। अगर आप चाहें तो मैं किसी सीनियर मेंबर को बुलाने का इंतजाम कर सकती हूँ…”
“नहीं, ठीक है। उसे अंदर भेज दो।”
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“नहीं, ठीक है। उसे अंदर भेज दो।”
उसे आरिया से उतनी जानकारी मिल जाएगी, जितनी उस के माता-पिता से मिलती। वैसे भी, उस के पास वक्त बर्बाद करने की फुर्सत नहीं थी।
“ताजा कॉफी भी चाहिए। शुक्रिया।”
कुछ मिनट बाद दरवाजे पर तेज खटखट की आवाज़ आई।
मार्गो पहले अंदर आई, कॉफी की ट्रे लिए। अर्जुन की नज़र उस के पीछे चल रही काले बालों वाली लड़की पर पड़ी। उस का एक हिस्सा उस जबरदस्त अट्रैक्शन से उतनी ही नफरत कर रहा था जितना कि वो उस की पहली झलक का इंतजार कर रहा था।
सच तो ये था कि इस मर्जर में पूरी तरह डूबे रहने की वजह से पिछले एक साल से उस के पास फिजिकल रिलेशनशिप्स के लिए वक्त ही नहीं मिला था। जब-जब उसे शारीरिक सुख की चाह हुई, तो हर प्रयास उबाऊ साबित हुआ। इतना कि कई बार वो डिनर के बाद कॉफी स्टेज पर ही डेट छोड़ कर चला आया था। फिर भी वो था तो एक मर्द ही। तभी तो आरिया जेम्स के ऑफिस में कदम रखते ही उस के शरीर में हल्की सी सनसनी हुई थी।
सुबह की धूप आरिया के चेहरे पर पड़ी जब वो दरवाजे पर रुकी और उस की फोटो की हर विशेषता जैसे जीवंत हो उठी थी। उस का चेहरा बिल्कुल वैसा ही मेकअप किया हुआ था, जैसा फोटो में लेकिन जहाँ पहले वो उस चमकदार फोटो से हल्का-सा मोहित हुआ था, अब हाड़-मांस की हकीकत ने उसे जैसे लकवा मार दिया था।
वो कमरे में और आगे बढ़ी। उस की चाल में कॉन्फिडेंस था लेकिन नेवी पेंसिल स्कर्ट और उस मैचिंग जैकेट ने उस की चाल को थोड़ा सीमित कर रखा था, जो एक बटन के साथ उस की भरे हुए सीने के नीचे बंधी थी। उस की ड्रेस ने तुरंत अर्जुन का ध्यान उस की आकर्षक काया और सुडौल टांगों पर खींच लिया। आकर्षक। लुभावनी।
और फिर आरिया जाती हुई मार्गो को देख मुस्कुराई तो अर्जुन के ऊपर जैसे बिजली सी गिरी।
अजीब था लेकिन आरिया की शक्ल उस पेंटिंग से मिलती थी जो अर्जुन ने चौदह साल की उम्र में अपने पिता की स्टडी में देखी थी। उस पेंटिंग में एक औरत खड़ी थी, खिड़की के सामने। धूप उस के चमकदार चेहरे पर पड़ रही थी। उस के काले बाल पीछे बंधे थे, आँखें बंद थीं और चेहरा धूप की ओर ऊपर उठा हुआ था। पेंटर ने उसे एक प्रेमी के नज़रिए से बनाया था, जो अपनी प्रेयसी को निहार रहा था।
जब आरिया उस की डेस्क तक पहुँची तो उस की लंबाई भी उसी औरत जैसी थी। सब कुछ वैसा ही था सिवाए इस के कि पेंटिंग में वो औरत नंगी थी।
और उस पेंटिंग ने उस के माता-पिता के बीच लंबी तकरार कराई थी। एक ने उसे जलाने की कसम खाई थी तो दूसरे ने उस की बात मजाक उड़ाया था। वो पेंटिंग छह दिन टिकी फिर गायब हो गई। और भले ही अर्जुन अपने पिता की स्टडी में चुपके से उसे देखने गया था, पर उसे उस का गायब होना अच्छा लगा।
उसे बस इस बात की खुशी थी कि झगड़ा बंद हो गया था, भले थोड़े वक्त के लिए ही।
उस ने उस याद को झटक दिया। बार-बार अतीत में जाने से चिढ़ होती थी उसे। तभी उस ने एक मैनीक्योर्ड हाथ अपनी तरफ बढ़ा हुआ देखा।
“मुझ से मिलने के लिए शुक्रिया, मिस्टर अवस्थी। मैं हूँ आरिया जेम्स।”
उस ने उस का हाथ लिया, उस की मुलायम लेकिन मजबूत पकड़ को महसूस किया। उस की त्वचा की नरमी और उस हल्की सी चिंगारी को भी, जो उस की हथेली में दौड़ गई थी। फिर उस ने हाथ छोड़ दिया।
“मुझे पता है कि मेरे किसी स्टाफ ने आप की सर्विसेज में दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन आप को नहीं लगता कि यहाँ बिना बुलाए चले आना थोड़ा बेवकूफी भरा कदम था? आप का पूरा दिन बर्बाद हो सकता था,” अर्जुन ने थोड़े सख्त लहजे में कहा।
आरिया की आँखें, जो असल में फोटो से भी ज्यादा गहरी और चमकदार थीं, हल्की सी चौड़ी हुईं, फिर वो वापस शांत दिखने लगी– “आप इसे बेवकूफी कहते हैं, मैं इसे परफेक्ट टाइमिंग कहती हूँ,” उस ने ठंडे लेकिन कॉन्फिडेंट अंदाज में जवाब दिया।
अर्जुन ने एक भौंह उठाई– “तो इतनी जल्दी हमारी तकरार शुरू हो गई? आप को लगता है ये हमारी पोटेंशियल वर्किंग रिलेशनशिप के लिए अच्छा है?”
आरिया के कंधे हल्के से सख्त हुए। “मुझे माफ कीजिए अगर मैं थोड़ा ज्यादा बोल गई, लेकिन अगर आप को ऐसा यस-मैन या यस-वुमन चाहिए जो आप की हर बात पर यस-यस करे, तो शायद जेम्स इंडिया पीआर आप के लिए सही नहीं है। चापलूसी हमारी डिक्शनरी में नहीं है।”
अर्जुन ने तब गौर किया कि भले ही उस का लहजा अमेरिकन था पर उस के चेहरे में हल्की सी एशियाई खूबसूरती थी, जो उस की सुंदरता को और मोहक बनाती थी। उस ने खुद को हल्का सा मुस्कुराते और चिढ़ते हुए पाया। डेस्क का चक्कर लगा कर वो कॉफी और कुकीज़ से लदी ट्रे के पास गया और अपनी पाँचवीं एस्प्रेसो डाली। उस ने आरिया से पूछा– “कॉफी?”
“नहीं, शुक्रिया। मैं अपनी डेली लिमिट पार कर चुकी हूँ। और ले लिया तो आप को मुझे छत से खींच कर उतारना पड़ेगा।” उस के लाल रंग की लिप्स्टिक वाले होंठ का एक कोना हल्का सा हिला और अर्जुन की नज़र उस की भरी हुई लिप्स की कर्व्स पर चली गई।
अपनी डेस्क पर वापस आते हुए उस ने आधा कप एक घूँट में गटक लिया। “तो फिर बैठिए, मिस जेम्स और बताइए कि आप की डिक्शनरी में क्या है।”
उस ने अपनी जैकेट खोलने में वक्त लिया जिस से अर्जुन को उस की जेड-ग्रीन सिल्क टॉप और हल्की सी दिखती क्लीवेज की झलक मिली, फिर वो बैठ गई।
“आम तौर पर, ये उल्टा होता है। आप हमें बताते हैं कि आप को पीआर में क्या चाहिए और हम आप को सलाह देते हैं कि उसे कैसे हासिल करना है। बिना चापलूसी के।” वो फिर से मुस्कुराई लेकिन उस की आँखों तक वो मुस्कान नहीं पहुँची थी।
कॉफी की खुशबू के बीच अर्जुन को उस की परफ्यूम की हल्की सी महक मिली। क्रश्ड बेरीज और मायावी स्पाइस का मिश्रण। जो अनोखा और मोहक था। अर्जुन ने खुद को गहरी साँस लेते पाया। मदहोशी में धकेल देने वाली खुशबू को और पकड़ने की कोशिश में उस ने अपने दाँत पीस लिए थे।
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उस ने कहा– “लगता है हम ने ट्रेडिशनल इंटरव्यू प्रोसेस के एक-दो स्टेप्स छोड़ दिए हैं तो शायद अब हमें इसी फ्लो में आगे बढ़ना चाहिए।”
वो चौंक कर बोली– “मैं फ्लो के साथ चल सकती हूँ। लेकिन मुझे तो ये भी नहीं पता कि ये फ्लो कहाँ से शुरू होता है, मिस्टर अवस्थी। विनय गुप्ता भी उतने ही रहस्यमयी बने रहे जब उन्होंने मुझे यहाँ आने को कहा था। अफसोस, रहस्यमयी बातों से काम नहीं बनेगा अगर आप को मेरी मदद चाहिए।”
“चूंकि मैं ने अभी तय नहीं किया कि मुझे आप की हेल्प चाहिए या नहीं तो मैं एक हाईली कॉन्फिडेंशियल डील की डीटेल्स में नहीं जाऊँगा।”
आरिया के होंठ हल्के से सख्त हुए, फिर उस ने अपनी नकली मुस्कान बिखेरी– “अगर आप को कॉन्फिडेंशियलिटी की चिंता है, तो हमारा बेदाग रिकॉर्ड खुद हमारी गवाही देता है।”
“वो तो ठीक है, लेकिन जब तक आप ऑफिशियली हायर नहीं हो जातीं, मैं थोड़ा... संयम बरतना पसंद करूँगा।”
आरिया की नज़र उस से एक लंबे पल तक टकराई। फिर उस ने सिर हिलाया। “जैसा आप चाहें। तो चलिए बात करते हैं, मैं आप के लिए क्या कर सकती हूँ?”
अर्जुन की भौंहें सिकुड़ीं। वो समझदार थी। और सारी सही बातें कह रही थी। लेकिन उसे लग रहा था कि सतह के नीचे कुछ और चल रहा है।
“आप की उम्र कितनी है?” उस ने पूछा।
आरिया की आँखें चौड़ी हुईं। “ये बात क्यों ज़रूरी है?”
अर्जुन ने हाथ बाँधे और अपने ही सवाल से थोड़ा परेशान सा हुआ। “कोई राज़ की बात है क्या?”
“बिल्कुल नहीं।” आरिया की नजर डेस्क पर गई– “लेकिन आप के सामने मेरी फाइल पड़ी है। आप ने इसे पढ़ा है तो आप को मेरी उम्र पता है। अगर मैं आप से कुछ झूठ बोलना चाहती—जो मैं नहीं चाहती, वैसे—तो उम्र के बारे में झूठ बोलना सब से बेवकूफी भरा काम होगा, नहीं? और मुझे समझ नहीं आता कि सिवाय मुझे झूठ में पकड़ने के आप…”
“आप हमेशा एक साधारण सवाल का इतना लंबा-चौड़ा जवाब देती हैं?”
उस के मेकअप के नीचे गाल लाल हो गए। उस की नाक हल्की सी फूली, फिर वो वापस कॉम हुई।
“मैं पच्चीस साल की हूँ। जैसा मेरी फाइल में लिखा है,” उस ने तीखे लहजे में जवाब दिया।
“आप अपने माता-पिता के लिए कब से काम कर रही हैं?” फिर एक सवाल, जो उस ने सोचा भी नहीं था।
आरिया के लब भिंच गए। “यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने के बाद से, यानी इक्कीस साल की उम्र से।”
अर्जुन ने उसे चुपचाप गौर से देखा। आरिया की तारीफ करनी पड़ेगी, वो बिल्कुल नहीं घबराई थी।
अपने हाथ खोलते हुए अर्जुन ने कोहनियाँ डेस्क पर टिकाईं– “मुझे नहीं लगता कि ये काम करेगा, मिस जेम्स। यहाँ आने के लिए शुक्रिया।”
पहले तो उस के चेहरे पर राहत सी दिखी। फिर हैरानी और फिर उस के होंठ खुल गए जैसे कि झटका लगा हो। “क्या मतलब?”
“अगर आप कुछ आसान सवालों के जवाब बिना इमोशनल हुए नहीं दे सकतीं, तो मुझे नहीं लगता कि आप मुश्किल चीजें संभाल पाएँगी। मार्गो आप को बाहर तक छोड़ देगी।”
वो उठने लगी। आधे रास्ते में वो वापस बैठ गई। “ये कोई ट्रिक है, है न?”
अब अर्जुन की बारी थी हैरान होने की। उस ने जल्दी से अपने होश संभाले। “मैं एक ऐसी डील पर काम कर रहा हूँ, जो हर बार आखिरी मौके पर बिखर जा रही है। यकीन मानिए, ट्रिक्स के साथ वक्त बर्बाद करना मेरा स्टाइल नहीं है। अलविदा, मिस…..आरिया।”
उस की हेज़ल-गोल्ड आँखों में परछाइयाँ और सवाल घूम रहे थे। उस का निचला होंठ हल्का सा हिला जैसे वो उसे अंदर से चबा रही हो। आखिरकार वो उठी, अपने ब्रीफकेस को कस कर पकड़ा। उस का चेहरा जिद्दी गर्व के साथ ऊँचा उठा हुआ था।
बिना एक शब्द कहे, वो डेस्क से मुड़ी। उस पल में, अर्जुन ने चाहा कि काश वो भी दूसरी तरफ देख लेता। उस की पतली कमर और भरे हुए हिप्स ने उस के अंदर फिर से एक हल्की सी उत्तेजना जगा दी थी।
उस ने दाँत पीस लिए।
इस अट्रैक्शन की टाइमिंग और हालात इतने खराब थे कि वो अपने पैरों पर खड़ा हो गया। उस ने बहुत पहले कसम खाई थी कि वो बिजनेस और पर्सनल प्लेशर को कभी नहीं मिलाएगा जब एक बार उस की एक डील एक कॉम्पिटिटर के साथ पल भर के रिश्ते की वजह से बिखर गई थी। तब वो जवान और बेवकूफ था। उसे समझ नहीं थी कि निजी जीवन और पेशे को हमेशा अलग रखना चाहिए। भले ही उस घटना ने उस की रॉकेट जैसी तरक्की को सिर्फ थोड़ा सा धीमा किया था पर अर्जुन ने सबक अच्छे से सीख लिया था कि निजी रिश्तों को छोटा और प्राइवेट ही रखना चाहिए।
अपनी नज़र उस की दरवाज़े की तरफ जाती सुडौल टांगों से हटा कर वो खिड़की की ओर बढ़ा और मरीन ड्राइव के नज़ारे को देखने लगा। मरीन ड्राइव ने उसे कोई सुकून नहीं दिया। आरिया की तस्वीर, उस के हाथों का स्पर्श, उस की त्वचा की मुलायमता, सब उस के दिमाग में इधर-उधर लुढ़क रहे थे। दरवाज़ा बंद होने की आवाज ने भी उस के विचारों में कोई फर्क नहीं डाला।
आज उस के साथ क्या हो रहा था? पहले उस ने उन यादों का ताला खोल दिया जिन्हें उस ने कभी न छूने की कसम खाई थी और अब वो एक ऐसी लड़की की वजह से बेचैन हो रहा था जिसे उस के ध्यान में भी नहीं आना चाहिए?
उस ने बालों में हाथ फेरा और पलट कर देखा।
आरिया जेम्स उस की डेस्क के सामने खड़ी थी, उस की आँखें सीधा अर्जुन की आँखों में देख रही थीं।
“अगर मैं पिछले पाँच मिनट में सठिया नहीं गया हूँ, तो मुझे यकीन है कि मैं ने आप को जाने को कहा था।”
आरिया ने धीमी और स्थिर साँस छोड़ी। अर्जुन समझ चुका था कि ये उस का खुद को शांत करने का तरीका है। उसे ये भी लग रहा था कि दिन खत्म होने से पहले उसे भी इस तकनीक की ज़रूरत पड़ेगी।
“आप ने कहा था। लेकिन मैं अभी भी यहीं हूँ। मेरे हिसाब से या तो आप मुझे हायर करेंगे या हम दोबारा कभी नहीं मिलेंगे। तो मुझे ये कहना है कि मैं इमोशनल नहीं हो रही थी। मुझे बस उन सवालों का जवाब देने में कोई मतलब नहीं लगा, जिन के जवाब आप को पहले से पता थे। और हाँ, मुझे अपनी... चिढ़ को थोड़ा और कंट्रोल में रखना चाहिए था। मुझे एक और मौका दीजिए और मैं वादा करती हूँ कि ऐसा फिर नहीं होगा।”
“किस चीज़ की बात कर रही हैं साफ-साफ बताइए? चिढ़ की या इमोशन्स की?”
उस के ब्रीफकेस पर उस की पकड़ और सख्त हुई। यानी वो फिर चिढ़ गई थी। “दोनों। जो भी आप चाहें।”
वो अपनी कुर्सी पर पीछे झुका। “क्योंकि मैं बॉस हूँ?”
“क्योंकि आप बॉस होंगे। अगर आप मुझे हायर करें। लेकिन आप के फैसले से पहले एक आखिरी बात कहने दीजिए।”
“यस?”
“मैं अपने काम में बहुत अच्छी हूँ। आप को मुझ से बेस्ट से कम कुछ नहीं मिलेगा। मैं वादा करती हूँ।”
उस ने कंधे उचकाए और बोला– “गुड स्पीच। लेकिन ये सिर्फ स्पीच है। और मैं वादों पर भरोसा नहीं करता।”
वादे करना आसान है और तोड़ना और भी आसान। उस ने ये सबक बचपन में बार-बार सीखा था।
आरिया की नज़र एक पल के लिए डेस्क पर गई, फिर वापस ऊपर उठी। “इंटरव्यू पूरा कीजिए। जिस तरह आप चाहें। फिर फैसला लीजिए।”
अर्जुन के अंदर उसे भगाने की इच्छा बहुत तेज़ थी। लेकिन उसे रोकने की इच्छा उस से भी ज्यादा तेज़।
“ठीक है। बैठ जाइए, मिस जेम्स। लेकिन एक बात साफ कर दूँ।”
वो वापस बैठ गई और बोली– “जी?”
“मैं कभी ट्रिक्स नहीं खेलता। मुझे किसी भी तरह की चालबाज़ी से नफ़रत है। ये बात याद रखिएगा।”
उस ने सिर हिलाया और हाथ गोद में रख लिए– “समझ गई।”
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अभी-अभी क्या हुआ?
आरिया को ऐसा लग रहा था जैसे उसे अभी-अभी सिर के बल ज़लज़ले में धकेल दिया गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस से बच गई है या अभी जो झटके आ रहे हैं ये असल में एक बड़े ज़लज़ले का इशारा है जो आने ही वाला है।
उस ने एक और धीमी, शांत करने वाली साँस ली।
डेस्क के उस पार बैठे गहरे मर्दाना आकर्षण वाले शख्स की डार्क-ब्राउन आँखें उस की हर हरकत को ऐसे टटोल रही थीं जैसे कोई स्पॉटलाइट उस में कोई खामी ढूँढ रहा हो। क्यों? ये उसे समझ नहीं आ रहा था। आखिरकार, वो तो यहाँ मदद करने आई थी।
शायद उसे आरिया पर भरोसा नहीं था।
जो भी कारण था, उस ने आरिया की शांति भंग कर दी थी। और उसे याद दिला दिया था कि पिछले साल एक क्लाइंट के सामने जब उस ने अपनी सतर्कता छोड़ी थी तो क्या भयानक परिणाम सामने आए थे।
उस के हाथ पसीने से तर हो गए।
खुद को वापस संभालते हुए उस ने उन परेशान करने वाली यादों को पीछे धकेला।
पिछले साल के उलट, इस बार उस ने ये कमीशन खुद चुना था। अर्जुन अवस्थी नाम का वो शख्स उस के लिए अनजान था, लेकिन सीईओ के रूप में उस की प्रतिष्ठा बेहतरीन थी। उसे अपना बेस्ट देना था, क्योंकि वो ये कमीशन नहीं खो सकती थी।
एसएनवी का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना मतलब जेम्स इंडिया पीआर और अपने माता-पिता की पकड़ से आज़ादी। यही आज़ादी की तीव्र चाह ही तो थी, जिस ने उस की उस राहत को खत्म कर दिया था, जो आरिया को इस शख्स की असहज कर देने वाली मौजूदगी से छुटकारा पाने में मिली थी, जब उस ने उसे जाने को कहा था। यही वजह थी कि उस ने अपने कदम रोक लिए थे, जब उस का हर अहसास चीख रहा था कि इस की ठंडी, सख्त बर्खास्तगी को स्वीकार कर ले और भाग जा।
वो अहसास अब भी चीख रहा था। अर्जुन की उपस्थिति उसे भले ही असहज कर रही थी लेकिन वो नाकामी ले कर वापस नहीं लौट सकती थी।
“मैं पूरी तरह समझ गई,” उस ने फिर अपनी आवाज़ को और मज़बूत बनाते हुए कहा।
“गुड। अब ये बताइए कि मान लीजिए, अगर आप जिस डील पर एक साल से काम कर रही हों, वो अचानक आखिरी मौके पर बिखरने लगे, तो आप इस का कारण क्या मानेंगी?” उस ने उस गहरी, सुरीली आवाज़ में पूछा था जो सीधा आरिया के तलवों तक उतर गई थी।
“ये इस बात पर निर्भर करता है कि दूसरा पक्ष कौन है, हालाँकि आखिरी घड़ी की ज़्यादातर रुकावटें पैसे से जुड़ी होती हैं।”
“ये पैसे से नहीं जुड़ा है। मुझे यकीन है।” उस के होंठों पर एक कड़वी मुस्कान आई और गई फिर उस का चेहरा पुनः उस खूबसूरत, मोहक प्रतिमा की तरह सख्त हो गया, जिस से नज़र हटाना आरिया के लिए मुश्किल था।
सच तो ये था कि अर्जुन अवस्थी की हर चीज़ बेहद आकर्षक थी। उस की चौकोर जॉलाइन से ले कर गालों की वो हड्डियां जो किसी रोमन प्रतिमा की याद दिलाती थीं। उस के चौड़े कंधे, पतली कमर और वो पीठ जो आरिया ने वापस पलटते वक्त देखी थी। उस की शक्ल और अट्रैक्शन इतना ज़बरदस्त था कि आरिया को एक और काँपती साँस लेनी पड़ी।
अंदर ही अंदर लेकिन चिल्ला कर उस ने अपने आप को चेतावनी दी।
शक्लें धोखा देती हैं; ताकत और अहंकार में डूबा आकर्षण वो सीढ़ी है, जिस का इस्तेमाल खतरनाक लोग अपने शिकार को फाँसने के लिए करते हैं। उस के माँ-बाप भी इन खूबियों को लगभग जानलेवा तरीके से इस्तेमाल करते थे। पर आरिया का अपना डरावना अनुभव उसे इन गुणों से बेहद सावधान रहना सिखा गया था।
मार्शा और राल्फ जेम्स ने कई बार अपनी इकलौती बेटी के दिमाग में ये बात ठूँसी थी कि इन खूबियों का इस्तेमाल करना ही उसे जिंदगी में आगे ले जाएगा। उन्हें ये बात बर्दाश्त नहीं थी कि वो एक अलग जिंदगी जीना चाहती थी। यहाँ तक कि उसे एक ऐसी सिचुएशन में धकेल दिया, जिस में से वो मुश्किल से बिना घायल हुए निकल पाई थी और फिर उस के उस दर्द का भी मजाक उड़ाया गया था।
उस अनुभव का दर्द अब भी ताज़ा था और आरिया के भीतर अपनी जड़ें जमाए हुए था।
उस ने उस दर्दनाक याद को परे किया और अपने फोकस को दोगुना करने की कोशिश की। “अगर पैसे की बात नहीं है, तो ये किसी कॉम्पिटिटर का काम है।” उस ने अर्जुन को गौर से देखा। “लेकिन ये तो आप को भी पता होगा।”
अर्जुन ने सिर हिलाया। “हाँ।”
“तो सवाल ये है कि आप का कॉम्पिटिटर उन्हें क्या ऑफर कर रहा है, जो आप नहीं कर रहे?”
“कुछ भी नहीं,” उस ने तुरंत सख्ती से जवाब दिया।
“पक्का?”
अर्जुन की एक नक्काशीदार भौंह ऊपर उठी। “आप मेरी ड्यू डिलिजेंस की सच्चाई पर सवाल उठा रही हैं?”
वो बहुत टची था। बहुत ज़्यादा। अर्जुन अवस्थी जैसे लोग बेहद कामयाब कॉरपोरेशन्स के सीईओ जैसे ऊँचे पद तक टची बन कर तो नहीं पहुँच सकते। ऐसे लोगों की खाल आमतौर पर गैंडे जितनी मोटी होती है। क्या आरिया ने एक और ताकतवर शख़्स की मौजूदगी में अपनी सावधानी को गलत तरीके से ज़ाहिर कर दिया था? क्या वो ज़रूरत से ज़्यादा सेंसिटिव हो रही थी?
यहाँ आने से पहले अपनी माँ के साथ हुई तनावपूर्ण बातचीत ने उस का दिमाग पहले ही खराब कर रखा था। मार्शा जेम्स खुद एसएनवी कमीशन की अगुआई करना चाहती थी, भले ही एसएनवी के पीआर डिपार्टमेंट से पहला कॉन्टैक्ट आरिया ने किया था। पर उस की माँ को ये बात पसंद नहीं आई थी। यही एक और वजह थी कि आरिया ने अभी यहाँ से बाहर निकलने से खुद को रोक लिया था।
वो हार नहीं सकती थी। वो हारने का सोच कर आई ही नहीं थी।
धीरे साँस लेते हुए, उस ने बारूदी मैदान में सावधानी से कदम रखा और बोली– “बिल्कुल नहीं। लेकिन दूसरे नज़रिये से देखने में भी कोई बुराई नहीं है।”
किसी वजह से उस की इस बात ने अर्जुन को और गहराई से उस की ओर देखने के लिए मजबूर कर दिया था। उस की नज़रें आरिया की आँखों को ज़बरदस्त कंट्रोल के साथ पकड़े हुए थीं। आरिया ने जल्दी से आगे कहा– “इसीलिए तो आप एक बाहरी पीआर फर्म को हायर करने की सोच रहे हैं, राइट?”
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वो थोड़ी देर चुप रहा, उस की उंगलियाँ आपस में जुड़ी हुई थीं। “आप की फाइल में लिखा है कि आप यूएस-जापानी कमीशन्स में विशेषज्ञ हैं।”
“जी।”
“इस मर्जर में एक जापानी कंपनी शामिल है।” वो रुका और फिर कहा– “इशिकावा कॉरपोरेशन। जिस की बागडोर यहाँ कटारिया बन्धुओं के हाथ में है।”
आरिया का दिल एक बीट मिस कर गया। इस का कारण समझ नहीं आ रहा था। ये जानकारी उस की उम्मीद से जल्दी सामने आ गई थी। इंटरव्यू के चंद मिनटों में ही अर्जुन ने उसे इतनी अहम जानकारी दे दी थी कि आरिया को यकीन नहीं हुआ। अर्जुन ने इतनी जल्दी उस पर इतना भरोसा दिखा दिया था कि वो अंदर से हिल गई थी और उस के भीतर एक हल्की सी गर्माहट पैदा हो गई थी।
उस भावना का मुकाबला करते हुए उस ने जल्दी से सिर हिलाया। “मुझे एक घंटा दीजिए, थोड़ी रिसर्च करने के लिए... मेरा मतलब थोड़ी पर्सनल रिसर्च और मैं देखूँगी कि कुछ निकाल पाती हूँ या नहीं।”
अर्जुन की आँखें सिकुड़ीं। “लगता है आप के एक घंटे में मेरी सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी?” उस ने तंज कसा।
“मैं तब तक नहीं जान पाऊँगी कि मैं आप की मदद कर सकती हूँ या नहीं, जब तक मैं कोशिश नहीं करूँगी, मिस्टर अवस्थी। मुझे कोशिश करने दें।”
“आप के पास आधा घंटा है।” उस ने ऑफिस के दूर वाले कोने की तरफ इशारा किया, जहाँ दो स्टाइलिश स्टडेड लेदर सोफे एक स्मोक्ड-ग्लास कॉफी टेबल के सामने पड़े थे। “मैं मार्गो से कहता हूँ कि आप के लिए एक लैपटॉप सेट कर दे…”
“उस की ज़रूरत नहीं। मैं अपना लैपटॉप लाई हूँ।” आरिया ने अपना ब्रीफकेस उठाया और एक ठंडी मुस्कान देने की कोशिश की।
अर्जुन का मुँह और सख्त हो गया– “मैं चाहूँगा कि हम जिन कॉन्फिडेंशियल डीटेल्स की बात कर रहे हैं, वो मेरी बिल्डिंग से बाहर न जाएँ। टेस्ट पास कर लीजिए, फिर हम आप की सिक्योरिटी एक्सेस के बारे में सोचेंगे।”
वो गर्माहट पल में गायब हो गई और आरिया के मुंह से निकला– “ओह, ठीक है।”
वो खुद पर चिढ़ गई कि वो इतनी आसानी से इस बात से आहत हो गई कि उस पर भरोसा नहीं किया जा रहा! लेकिन क्या कुछ देर पहले उसे भी उस पर ऐसा ही शक नहीं हुआ था? क्या वो भी खुद को कोस नहीं रही थी कि वो उस की खतरनाक मर्दानगी से इतनी मोहित क्यों हो रही है?
“कोई दिक्कत तो नहीं?” अर्जुन ने पूछा।
यह महसूस करते ही कि वो कई सेकेंड से उस की तरफ देख रही थी, आरिया ने एक और मुस्कान चिपकाई और उठ खड़ी हुई। “बिल्कुल नहीं। मैं तैयार हूँ।”
वो सोफे की तरफ बढ़ी, तभी मार्गो को बुलाने की आवाज़ आई लेकिन आरिया की पीठ और कंधों के बीच की सनसनी बता रही थी कि वो उसे देख रहा है। अपनी चाल को सहज रखते हुए, उस ने अपना ब्रीफकेस रखा और जैकेट उतार कर वो सीट चुनी जो अर्जुन की डेस्क से सब से दूर थी।
तब जा कर उस ने उस की तरफ फिर से देखने की हिम्मत की।
उस का सिर एक डॉक्यूमेंट पर झुका था, दो उंगलियाँ तेजी से शब्दों को स्कैन कर रही थीं। जैसा कि आरिया ने अब तक उस में देखा था, अर्जुन की ये हरकत भी पूरी तरह मोहक लग रही थी। इतनी कि वो एक पल के लिए खुद को उस की पागल फैन जैसी महसूस करने लगी।
मार्गो के खटखटाने और अंदर आने पर उसे राहत की साँस आई। उस के सामने जो लैपटॉप रखा गया वो कस्टम-मेड और टॉप-ऑफ-द-लाइन लग रहा था।
मार्गो के जाने के बाद आरिया ने लैपटॉप खोला और वॉलपेपर पर नजर पड़ी, जिस में स्पेन की सिएरा नेवादा पर्वत श्रृंखला की शानदार तस्वीर थी। स्क्रीन के बीच में, एसएनवी का लोगो पासवर्ड माँग रहा था।
“कोई दिक्कत है?” अर्जुन ने ठंडे लहजे में पूछा।
“हाँ। पासवर्ड चाहिए।”
वो जानवर जैसी सहज फुर्ती के साथ उठा, एक हाथ में डॉक्यूमेंट और दूसरे में अपना एस्प्रेसो कप लिए हुए। ट्रे के पास रुक कर उस ने कप फिर से भरा, फिर कमरे को पार कर के उस के पास आया।
ये खयाल कि उस ने अनजाने में उसे करीब बुला लिया, आरिया में पछतावे और सावधानी का मिक्सचर ले आया। उस की इंद्रियाँ चौकन्नी हो गईं जब अर्जुन ने लैपटॉप की तरफ हाथ बढ़ाया। उस की उंगलियाँ कीबोर्ड पर तेजी से चलीं और फिर उस ने लैपटॉप वापस उसे थमा दिया।
उम्मीद थी कि वो अपनी डेस्क पर लौट जाएगा लेकिन वो सूखे मुँह से देखती रही जब वो अपने डॉक्यूमेंट और कप के साथ सोफे पर आराम से टिक गया और एक टाँग दूसरी के ऊपर रख ली थी।
आरिया हमेशा सोचती थी कि ऐसे बैठने वाले मर्द अपनी फेमिनिन साइड से थोड़े ज्यादा जुड़े होते हैं, लेकिन अर्जुन अवस्थी में ऐसा कुछ भी नहीं था। वो तो एक शिकारी की तरह आलसी अंदाज में बैठा था और अपने हाथ में पेपर्स पलट रहा था।
“जब तक आप मेरा दिमाग पढ़ने का इरादा नहीं रखतीं, मैं सुझाव दूँगा कि आप काम शुरू कर दें, मिस जेम्स।”
उस के गालों में एक घंटे में तीसरी बार लालिमा दौड़ी और उसे अपने बेकाबू रिएक्शंस पर गहरी नफरत महसूस हुई।
अपना ध्यान लैपटॉप पर वापस लाते हुए उस ने उसे अपनी गोद में रखा और काम शुरू कर दिया। शुरुआती सर्च में उस जापानी कंपनी के बारे में रूटीन जानकारी मिली, जो शायद अर्जुन के पास पहले से थी। उस ने क्योटो और ओसाका में अपने भरोसेमंद सोर्सेज को फौरन तीन ईमेल भेजे, कंपनी के इतिहास में और गहराई से उतरी, फिर उस के फाउंडर्स की वंशावली खंगाली।
पंद्रह मिनट बाद, उसे एक हल्की सी उत्साह की लहर महसूस हुई।
“कुछ मिला, शेयर करने लायक?”
आरिया ने निगाह उठाई तो अर्जुन की लेज़र जैसी आँखें उस पर टिकी हुई थीं। उस ने पूछा– “क्या?”
“आप ने अभी वो आवाज़ निकाली जो आमतौर पर लड़कियां उत्साहित होने पर निकालती हैं,” उस ने धीरे से कहा और अपना कप उठा कर खाली कर लिया।
वो नज़र हटाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कर नहीं पाई। “मुझे नहीं पता आप किस आवाज़ की बात कर रहे हैं, लेकिन हाँ, शायद मुझे कुछ मिला है।”
“और?” उस ने बेसब्री से पूछा।
आरिया ने मुश्किल से स्क्रीन पर ध्यान वापस लाया– “और मेरे पास अभी तेरह मिनट बाकी हैं। तो अगर आप को बुरा न लगे?”
अर्जुन ने अपने गले से एक आवाज़ निकाली, जो गुर्राहट और झुँझलाहट के बीच की थी फिर अपना कप भरने के लिए उठ गया। उस आवाज़ ने आरिया की नसों को झनझना दिया था जिस से उस की उंगलियाँ कीबोर्ड पर लड़खड़ा गईं।
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ओ गॉड! आज उस के साथ हो क्या रहा था?
उस भयानक हादसे से पहले भी (जिस की याद से उस का पेट अचानक मिचलाने लगता थक) उस ने कभी किसी मर्द के प्रति इतना तेज़ रिएक्शन नहीं दिया था। कभी नहीं। उस घटना के बाद तो वो खुद को ऑपोज़िट सेक्स के बारे में सोचने की इजाज़त भी नहीं देती थी। हाँ, लेकिन पुरुष उस की बेरुखी के बावजूद भी उस की तरफ लट्टू रहते थे।
कुछ तो ऐसे थे जो बॉस की बेटी को डेट कर के अपने मकसद साधना चाहते थे। हर एक को आरिया ने सख्ती से ठुकराया था।
अर्जुन अवस्थी ने तो उस में रत्ती भर दिलचस्पी भी नहीं दिखाई थी। फिर भी उस की इंद्रियाँ किसी अनजान कगार पर खड़ी थीं, एक ऐसी सनसनी का इंतजार कर रही थीं जिस का नाम वो बता नहीं पा रही थी।
एक इनकमिंग ईमेल का पिंग उसे वापस हकीकत में ले आया। उस ने उसे जल्दी से पढ़ा, फिर अपने फोन की तरफ हाथ बढ़ाया। “मुझे एक छोटा सा फोन कॉल करना है।”
“क्यों?” अर्जुन ने बिना डॉक्यूमेंट से नजर उठाए पूछा।
“मैं अपनी फाइंडिंग्स पेश करने से पहले कुछ चीजें कन्फर्म करना चाहती हूँ। मेरे पास अभी पाँच मिनट बाकी हैं।”
अर्जुन ने कॉफी टेबल के बीच में रखे हाई-टेक गैजेट की तरफ इशारा किया। “उस फोन का इस्तेमाल करिए।”
उस के भरोसे से खाली लहजे ने आरिया को और चुभन दी, जिस से वो कुछ ऐसे शब्द बोल गई, जिन्हें रोक लेना बेहतर होता। “क्या आप के ट्रस्ट इश्यूज आप के कैफीन की लत जितने ही गंभीर हैं?”
उस की ठंडी भूरी आँखें आरिया की आँखों में चुभ गईं। “आप इन्हें इश्यूज कहती हैं, मैं इन्हें ज़रूरी टूल्स मानता हूँ, जो मुझे मेरे गेम के टॉप पर रखते हैं। आप का टाइम लगभग खत्म हो चुका है। फोन यूज़ करिए, या अपनी हार मान कर निकल जाइए।”
उस के हाथ ने फोन को और कसकर पकड़ लिया। “आप मुझे सिर्फ इसलिए बाहर फेंक देंगे, क्योंकि मैं ने सच्चाई बोल दी, बिना ये सुने कि मुझे क्या मिला?”
अर्जुन बोला– “हम एक घंटे पहले मिले हैं। क्या आप इतनी भोली हैं कि इतने कम वक्त में मुझ से भरोसा करने की उम्मीद रखती हैं?”
“बिल्कुल नहीं। फिर भी, मुझे ये पसंद नहीं कि मेरे साथ ऐसा बर्ताव हो रहा है, जैसे मैं ने कोई गुनाह किया हो या करने वाली हूँ, जब कि मैं सिर्फ आप की मदद करने की कोशिश कर रही हूँ।”
“आप को इन ग़ैर-ज़रूरी बातों पर बहस करने में मजा आता है, जब कि यहाँ सिर्फ एक चीज मायने रखनी चाहिए—मेरी सर्विस। ये सीखना कि मुझे क्या चाहिए, आप के इस कॉन्ट्रैक्ट को पाने की संभावना को काफी बढ़ा देगा।”
आरिया की साँस अटक गई, जब एक और आवाज़ उस के दिमाग में गूँजी।
टाइमपास बंद करो। मुझे जो चाहिए वो दो और मैं तुम्हें इनाम दूँगा...
पुरानी कड़वी यादों का स्वाद उसे तड़पने पर मजबूर कर गया।
अंततः वो बोली– “मैं ने कहा था, अगर आप को कोई ऐसा चाहिए जो आप के पैरों तले बिछ जाए और आप उसे रौंद सकें, तो मैं वो इंसान नहीं हूँ।”
वो आखिरी कुछ कदम चल कर कॉफी टेबल तक आया और अपने कागजात चमकती सतह पर रख दिए। ठंडी उदासीनता के साथ आरिया को देखते हुए उस ने धीरे से कहा– “बिछने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन लगता है हम फिर से टाइम पास कर रहे हैं। अगला कदम आप का है।”
उस के शरीर का हर कण चीख रहा था कि लैपटॉप बंद कर, अपना सामान उठा और निकल जा। लेकिन वो टस से मस न हुई। खुद को कंट्रोल करने की कोशिश की।
वो खुद को तसल्ली दे रही थी कि उस ने अर्जुन जैसे सख्त और तानाशाही रवैये वाले पहले भी बहुत देखे हैं।
उस ने एक लंबी साँस ली जो उसे पूरी तरह संतुलित नहीं कर पाई। फिर उस ने अपना फोन टेबल पर रखा और अर्जुन के कॉन्फ्रेंस सेट का इस्तेमाल करते हुए, वो नंबर डायल किया जो उसे याद था।
जब जानी-पहचानी आवाज़ कमरे में गूँजी, तो आरिया को एक पल के लिए लगा कि शायद उस ने सही नहीं किया।
“हेलो नानी।”
अर्जुन की तरफ चोरी से देखने पर उस ने देखा कि उस की दोनों भौंहें ठंडे उपहासपूर्ण अंदाज़ में ऊपर उठी हुई थीं।
“आरिया, मेरी लाडो, क्या सरप्राइज़ दिया है। उम्मीद है तुम ये बताने के लिए फोन कर रही हो कि फाइनली तुम्हें कोई ऐसा लड़का मिल गया है जो तुम्हारे लायक है? मुझे पता है कि आधे तो मूर्ख होते हैं और बाकी आधे दौलत के पीछे भागते हैं, लेकिन तुम जैसी खूबसूरत, समझदार लड़की को सही इंसान मिल सकता है। तुम ज़्यादा नखरे तो नहीं कर रही…?”
“नहीं, नानी, मैं... मैं किसी और वजह से फोन कर रही हूँ।” शर्मिंदगी और लाल चेहरा लिए, आरिया ने जापानी में बात शुरू की, अपनी ठुड्डी नीचे कर के अर्जुन की ड्रिलिंग जैसी नज़रों से बचते हुए। “काम से जुड़ी बात।”
“ओह। ठीक है...”
आरिया ने वो सवाल पूछे जो ज़रूरी थे, फिर कुछ और सवाल, ये चेक करने के लिए कि वो सही दिशा में है। फिर जल्दी से कॉल खत्म कर दी, क्योंकि वो अपनी नानी की इश्क-मोहब्बत जैसी बकवास नहीं सुनना चाहती थी।
उबलते सन्नाटे में उस ने गला साफ किया और एक पल के लिए शर्मिंदगी से घिर गई।
“आप ने बेपरवाह हो कर काम छोड़ कर पर्सनल कॉल किया?” अर्जुन ने तीखे लहजे में पूछा।
“वो... उम्म... पर्सनल कॉल नहीं था। कम से कम मेरी तरफ से तो नहीं...।” आरिया रुकी अपनी गीली हथेलियों को स्कर्ट पर रगड़ा और साफ आवाज़ निकालने की कोशिश करती हुई बोली– “मेरी नानी जापान से हैं। अब वो हवाई में रहती हैं लेकिन क्योटो में उन के कई बिज़नेस हैं। मुझे लगा शायद वो कुछ बता सकें कि आप का मर्जर क्यों अटक रहा है।”
अर्जुन ने उस से नजर मिलाई, आँखें सिकुड़ीं, फिर उस के सामने वाली सीट पर बैठ गया। बिना कुछ बोले, वो इंतजार करने लगा। उस की ताकतवर बाहें घुटनों पर टिकी हुई थीं।
आरिया ने गला साफ किया। “आप जिस कंपनी से डील कर रहे हैं वो लगभग 50-55 साल पुरानी…”
“मुझे पता है।” अर्जुन ने बीच में टोक दिया।
आरिया ने मुश्किल से अपने होंठों को भिंचने से रोका और बोली– “वो पुराने खयालों के हैं। ट्रेडिशनल।”
“मुझे पता है पुराने खयालों का मतलब। और साफ बताइए।”
“कंपनी के मालिक जिन्होंने इस की शुरआत की थी अब रिटायर हो चुके हैं लेकिन वो अभी भी बोर्ड में हैं।” उस की और सख्त नजर पर आरिया ने जल्दी से कहा– “कंपनी शुरू से क्योटो में बेस्ड है। क्या आप उन की फैक्ट्रियों को क्योटो से कहीं और शिफ्ट करने की सोच रहे थे?”
अर्जुन ने सिर हिला कर कहा– “सेवेंटी परसेंट यस। इस से करोड़ों की बचत होगी और अपने देश में फैक्ट्रियाँ और वेयरहाउस शिफ्ट करने से सर्विस तेज़ होगी।”
“शायद ये उन के लिए मायने नहीं रखता। चूंकि ये मर्जर है, न कि खरीदारी तो वो अभी भी इस से जुड़े रहना चाहते हैं। केंजो यानी उस कंपनी के फाउंडर नहीं चाहेंगे कि उन का सारा काम किसी और जगह चला जाए।”
“तो आप का कहना है कि ये डील इसलिए अटक रही है, क्योंकि वो पुराने लगाव में डूबे हुए हैं?”
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“पुरानी बातें इंसान को बहुत प्रेरित करती हैं।”
“मेरे पास पुरानी बातों या लंबी देरी के लिए वक्त नहीं है। जब वो अपने इमोशनल ड्रामे से जूझ रहे हैं मैं पीछे बैठ कर इंतज़ार नहीं कर सकता।”
“शायद पहले उन्हें नहीं लगता था कि वो इस भावनात्मक पहलू को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं,” आरिया ने सुझाया– “लेकिन अब लगता है?”
अर्जुन का जबड़ा सख्त हो गया। एक मुट्ठी दूसरी के ऊपर कस गई, फिर वो अचानक अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ।
“आप को पता है, है न?” आरिया ने पूछा।
अर्जुन बोला– “कि अचानक वो इतने इमोशनल क्यों हो गए? हाँ, मुझे पता है,”
आरिया को यकीन था कि उस की नाक से आग निकल जाएगी। वो था ही इतने ज़बरदस्त गुस्से से भरा हुआ।
लेकिन वो चुपचाप अपनी डेस्क पर लौट आया। आरिया थोड़ा चकराई हुई सी थी जब उस ने सुना कि उस ने मार्गो को अपनी स्ट्रैटेजी टीम को बुलाने का ऑर्डर दिया है। निर्देश तीखे लहजे में दिए गए थे। फिर उस ने हाथ जेब में डाले और खिड़की की तरफ मुड़ गया था। भले ही उस की नज़र मरीन ड्राइव के नज़ारे पर थी पर आरिया को लग रहा था कि उस के खयाल पूरी तरह अंदर की ओर हैं।
उस प्रॉब्लम की जड़ की ओर, जिसे उजागर करने में अभी-अभी आरिया ने उस की मदद की थी।
वो बैठी रही, हाथ गोद में रखे, जब कि मिनट धीरे-धीरे बीतते गए। आखिरकार, उस की तनी हुई नसों पर चिढ़ हावी हो गई। वो उठी और अपना जैकेट पहन लिया। बटन बंद करते हुए वो उस के पास गई।
“आप के चिंतन-मनन में दखल के लिए माफी, लेकिन क्या मेरे द्वारा दी गई नई जानकारी का मतलब है कि मैं हायर कर ली गई हूँ?”
अर्जुन के कंधे सख्त हुए। धीरे से पलटा और खिड़की के सहारे टिक गया, टखने क्रॉस किए हुए। आरिया ने जबरदस्ती अपनी नज़र उस के चेहरे पर टिकाए रखी, न कि उस की जांघों पर, जो पैंट के तंग कपड़े में साफ उभर रही थीं।
“हाँ, मैं आप को ये कमीशन देने के मूड में हूँ।”
आरिया ने बेवजह उभरे उत्साह को दबाते हुए कहा– “मुझे इस में ढेर सारे ‘लेकिन’ सुनाई दे रहे हैं।” उस ने लेकिन शब्द पर ज़ोर दिया था।
अर्जुन की आँखें एक खतरनाक मोहक चमक के साथ चमकीं। “लेकिन... हमें कुछ बेसिक रूल्स सेट करने होंगे।”
“मैं कुछ ठीक-ठाक रूल्स के साथ जी सकती हूँ।”
उस के होंठ एक नकली मुस्कान के साथ मुड़े– “मैं आप को यकीन दिलाता हूँ, इन रूल्स को मानना आप के फायदे में होगा।”
उस ने भी मुस्कुराने की कोशिश की। “ये मैं तय करूँगी। तो बोलिए।”
“पहला रूल, कुछ मौके ऐसे होंगे, जब मैं आप से जो कहूंगा आप को तुरंत करना होगा, बिना सवाल किए।”
“मुझे नहीं लगता…”
“जैसे कि अभी, जब मैं कह रहा हूँ कि अगर आप वाकई ये नौकरी चाहती हैं तो मुझे बीच में टोके बिना बात पूरी करने दें।”
उस ने गुस्से में उसे गो टू हेल कहने की इच्छा को मुश्किल से दबाया और खुद को याद दिलाया कि उसे इस कमीशन की ज़रूरत क्यों है। आधी अधूरी साँस लेने की कोशिश करते हुए उस ने सिर हिलाया।
अर्जुन बोला– “दूसरा। क्या हम इस डील की सख्त कॉन्फिडेंशियलिटी पर राज़ी हैं?”
“हाँ।”
“तो फिर नानी को कोई और फोन कॉल नहीं।”
उस की गर्दन तक में गर्मी दौड़ गई जब उस ने बोला– “नानी को कोई और फोन कॉल नहीं।”
“गुड। आप यहाँ मेरे ऑफिस में फुल-टाइम काम करेंगी, जब तक ये डील पूरी नहीं हो जाती।”
“मुझे लगा था कि मैं आप की पीआर टीम के साथ काम करूँगी।”
“उन्हें तब बुलाया जाएगा, जब अतिरिक्त सपोर्ट की ज़रूरत होगी। फिक्र न करें, आप को अच्छा पेमेंट मिलेगा।”
इस के अलावा कोई रास्ता न दिखने पर आरिया ने होंठ सख्त किए और सिर हिलाया।
“क्या ये हाँ था, मिस जेम्स? अगर हाँ, तो मुझे मुंह से सुनना पसंद है, ताकि कोई गलतफहमी न हो।”
वो दाँत पीस कर बोली– “हाँ।”
“परफेक्ट। आप आज से शुरू करेंगी। अभी से। मार्गो आप को एचआर के पास ले जाएगी और आप ज़रूरी कॉन्फिडेंशियलिटी पेपर्स साइन करेंगी। अगर आप को लंच चाहिए, तो उसे बता दें, वो इंतज़ाम कर देगी।”
“मैं खुद अपना लंच ले सकती हूँ।”
“ये उन मौकों में से एक है, जहाँ किसी चीज पर वक्त बर्बाद करना आप के वर्क रूल्स का उल्लंघन माना जाएगा।”
आरिया की आँखें हैरानी से चौड़ी हो गईं– “एक्सक्यूज़ मी?”
“जब तक आप को कोई खास डायट की जरूरत न हों, लंच बस लंच है, मिस जेम्स। इस बात पर बहस करना कि लंच कौन लाएगा, बेकार है।”
“आ... आप सीरियस हैं?” उसे समझ नहीं आया कि उसे बुरा मानना चाहिए या हँसना चाहिए।
अर्जुन ने अपना सिर कमरे के दूर वाले कोने में एक कनेक्टिंग डोर की तरफ झटका। “वहाँ एक शेफ है, जो मेरे पर्सनल डाइनिंग रूम में आप की पसंद का कोई भी डिश तैयार कर सकता है। आप को बस माँगना है।”
आरिया को पता था कि उस ने जो सीन अभी बताया, वो अधिकांश प्रोफेशनल्स के लिए ड्रीम पर्क होगा। यकीनन, उस के माता-पिता को मौका मिलता, तो वो अपने कॉम्पिटिटर्स के सामने इस प्रिविलेज का ढोल पीटते और क्लाइंट्स के सामने इस का राग अलापते।
“मेरी पसंद सादी है, मिस्टर अवस्थी। किसी होटल से एक सैंडविच ही मेरे लिए काफी है। वैसे भी, ऑफिस से कुछ मिनट दूर उस होटल तक टहलना मेरे दिमाग को तरोताज़ा कर देगा।” उस ने साँस ली और आगे कहा– “लेकिन मैं मानती हूँ कि आप टाइम प्रेशर में हैं इसलिए मैं ऐसा नहीं करूँगी। अगर शेफ को सैंडविच बनाने में दिक्कत न हो, तो मैं आप के डाइनिंग रूम में खाने को तैयार हूँ।”
उस के नक्काशीदार होंठों पर एक और सख्त नकली मुस्कान सी आई– “मुझे लगता है आप ने फिर से छलाँग मार दी, मिस जेम्स। भले ही थोड़े जटिल तरीके से।” उस ने दरवाजे की तरफ इशारा किया। “मार्गो को इंतजार न करवाएँ।”
आरिया ने अपनी मुट्ठियाँ, जो अनजाने में सख्त हो गई थीं, ढीली करने की कोशिश की। वो उसे देखती रही जब वो अपनी कुर्सी... अपने तख्त... पर वापस बैठ गया और उसे यूं इग्नोर करने लगा जैसे वो एक मक्खी हो।
“क्या मुझ में कुछ ऐसा है, जो आप को गलत तरीके से खटकता है, मिस्टर अवस्थी?” उस ने पूछा, अपने उस हिस्से को दबाते हुए जो बार बार इस शख्स से भिड़ने की कोशिश कर रहा था।
⋙ (...To be continued…) ⋘
“क्या मुझ में कुछ ऐसा है, जो आप को गलत तरीके से खटकता है, मिस्टर अवस्थी?” उस ने पूछा, अपने उस हिस्से को दबाते हुए जो बार बार इस शख्स से भिड़ने की कोशिश कर रहा था। उस ने खुद को समझाया कि शायद ऐसा इसलिए है क्योंकि वो पिछले साल की तरह किसी भयानक सरप्राइज़ में नहीं फँसना चाहती। अगर अर्जुन के उस सख्त मुखौटे के पीछे कुछ उमड़ रहा था, तो वो उसे जल्द से जल्द उजागर करना चाहती थी।
अर्जुन ने उसे सिर से पाँव तक गौर से देखा, फिर वापस ऊपर आया। धीरे और गहराई से, जब तक आरिया का पूरा शरीर उस की तीखी निगाह से झनझना न गया।
“क्या आप मुझ से फिर बहस शुरू करने वाली हैं?” उस ने रेशमी लहजे में पूछा।
आरिया ने सिर हिलाया, लेकिन अपनी जगह पर डटी रही। “नहीं। लेकिन अगर मुझ में कुछ ऐसा है, जो आप को परेशान कर रहा है तो मुझे लगता है हमें इसे अभी सुलझा लेना चाहिए, इस से पहले कि...” वो रुक गई। वो अपने बदसूरत अतीत को इस बातचीत में लाने को तैयार नहीं थी।
अर्जुन की एक भौंह उठी– “इस से पहले कि?”
उस ने फिर सिर हिलाया– “मुझे सरप्राइज़ पसंद नहीं मिस्टर अवस्थी, तनाव भरे माहौल में काम करना तो और भी नहीं।”
उस का जबड़ा एक पल के लिए सख्त हुआ, फिर उस ने कुछ ऐसा किया, जो अप्रत्याशित था। उस ने अपनी दोनों कनपटियों पर दो उंगलियाँ रखीं और रगड़ा। उस की साँस में भारी थकान थी।
“ये डील महीनों पहले हो जानी चाहिए थी। मुझे मुश्किल डील की चुनौती से कोई दिक्कत नहीं, अगर वो जायज़ हो,” उस ने धीरे से कहा। जिस पर आरिया हैरान भी हुई क्योंकि उस ने पहली बार खुद को सर्वशक्तिमान नहीं माना था। “लेकिन कटारिया बंधुओं के इन अचानक शुरू हुए खेलों से मैं बोर हो चुका हूँ।”
आरिया ने मुंह खोला– “मुझे लगता है…”
अर्जुन की ठंडी आँखें उस की आँखों से टकराईं– “हाँ, मुझे पता है आप को क्या लगता है। लेकिन मैं फिर भी बोर हो चुका हूँ। बोरियत मुझे... अनप्रिडिक्टेबल बना देती है।”
वो असल वजह को छुपा रहा था, जो उस के तीखे रवैये का कारण थी। आरिया को लग रहा था कि वो वजह किसी तरह उस से जुड़ी हुई है। और वो ये भी जानती थी कि अगर उस ने और टटोला, तो उसे कोई जवाब नहीं मिलेगा।
उस ने सोचा-- मुझे ऑफिस से निकल जाना चाहिए। जा कर मार्गो को ढूँढना चाहिए और एचआर के पेपर्स साइन करने चाहिए। जितनी जल्दी मैं काम शुरू करूँगी, उतनी जल्दी जेम्स इंडिया पीआर के लिए मेरा आखिरी कमीशन पूरा हो जाएगा। फिर मैं सचमुच अतीत को पीछे छोड़ सकती हूँ।
तो फिर वो कॉफी ट्रे से मिनरल वॉटर की बोतल क्यों उठा रही थी? और उसे उस की तरफ बढ़ा रही थी।
अर्जुन ने बोतल से उस के चेहरे तक देखा। उस के चेहरे को जो पूरी ताकत से कोशिश कर रही थी कि उस का चेहरा फिर से लाल न हो।
जब उस ने बोतल नहीं ली, तो आरिया ने उसे उस के सामने रख दिया। “कैफीन की बाल्टियाँ गटकने की बजाय इसे पी कर देखिए। शायद वो टेंशन और हेडेक कम हो जाए जिस ने आप को परेशान किया हुआ है।”
उस ने बोतल को इग्नोर किया और बोला– “मैं आप की ज़िम्मेदारियों में नर्स की जिम्मेदारियां शामिल करने की कोई योजना नहीं बना रहा। मैं जो ड्यूटीज़ दे रहा हूँ वो आप को काफी व्यस्त रखेंगी, इसलिए उसी पर फोकस करें, ठीक है?”
“ठीक है। आप निश्चिंत रहें। अगर मैं आस-पास हुई और आप को करंट का झटका लगा या कौवों का झुंड आप को चोंच मारने आ गया, तो मैं अपनी मस्ती में लगी रहूँगी।”
उस के होंठों पर जो मुस्कान आई, वो पिछली बार से थोड़ी गर्म थी। आरिया ने सोचना शुरू किया कि उस की असली मुस्कान कैसी होगी और फिर अचानक पीछे हट गई।
खुद से बोली– पलट। चल दे।
वो दरवाज़े की तरफ बढ़ी।
“मिस जेम्स।”
ये कोई रिक्वेस्ट नहीं थी। एक ऑर्डर था, जो विनम्र, शांत लहजे में लपेटा गया था।
चलती रह। उस ने एक और कदम बढ़ाते हुए खुद से कहा।
“आरिया।”
वो ठिठक गई। उस का नाम उस की गहरी, पुर-कशिश आवाज़ में इतना मोहक लगा कि वो अपनी हाँफ को दबा नहीं पाई थी। धीरे से पलटी वो।
वो अब अपनी कनपटियाँ नहीं रगड़ रहा था। लेकिन उस ने पानी की बोतल का ढक्कन खोल लिया था, जिस का सिरा उस के होंठों से एक इंच दूर था।
“एक आखिरी बात। मेरी कंपनी आप का अगला बॉयफ्रेंड या पति ढूँढने की जगह नहीं है। जब तक आप मेरे लिए कॉन्ट्रैक्ट पर हैं, आप जीरो-फ्रैटर्नाइजेशन पॉलिसी फॉलो करेंगी―मतलब सहकर्मियों से कोई निजी रिश्ता नहीं। आय थिंक, कानूनी परेशानियों से बचने का ये सब से अच्छा तरीका है।”
“क्या आप अपने पर्सनल अनुभव से बोल रहे हैं?” उस ने खुद को रोकने से पहले पूछ ही लिया था।
अर्जुन का चेहरा एक सख्त, डरावने मुखौटे में बदल गया। ओह, उस ने फिर से कोई नस दबा दी थी। हे भगवान, आखिर क्या गड़बड़ हो रही थी उस के साथ?
“दैट इज़ नॉट योर कंसर्न। बस नानी को बता दें कि शादी की घंटियाँ अभी कुछ और देर से बजेंगी, ठीक है?”
आरिया वापस पलट गई, इतने उमड़ते-घुमड़ते इमोशन्स से भरी थी कि उसे खुद पर भरोसा नहीं था, वो अर्जुन से झड़प भी कर सकती थी।
चलती रह।
___________
मुझ में कुछ ऐसा है, जो आप को गलत तरीके से खटकता है?
इतने सारे शब्दों में से उस ने यही चुने?
अर्जुन मन ही मन हँसा और अंदर ही अंदर उस ने एक गुदगुदी महसूस की। वो शब्द उस की खोपड़ी से जाने का नाम नहीं ले रहे थे। उस की कनपटियों में धड़कते सिरदर्द की तरह, हर धड़कन उस की आँखों में आरिया जेम्स की एक तस्वीर चमकाती थी, हर एक पिछली से ज़्यादा साफ होती थी।
धत्त तेरे कि!
मुझे इस अट्रैक्शन पर वक्त बर्बाद करने की ज़रूरत नहीं जिस पर मेरे सिद्धांत मुझे कोई कदम उठाने की इजाज़त नहीं देंगे।
अब जब अर्जुन को रुके हुए मर्जर की वजह पता चल गई थी, वो जेम्स इंडिया पीआर को उन की सर्विसेज़ के लिए पेमेंट कर सकता था, एक अच्छा-खासा बोनस भी दे सकता था। उसे यकीन था कि गौरव भी इसी नतीजे पर पहुँचा होगा, जो उस ने निकाला है लेकिन चूंकि एसएनवी के साथ बातचीत अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई थी और टोरेडो को प्राथमिकता नहीं दी गई थी तो शायद गौरव को भी अभी कटारिया बन्धुओं को मनाने का कोई ठोस तरीका नहीं मिला था।
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इस आखिरी पहेली के सुलझने के बाद, उसे आरिया की ज़रूरत नहीं थी।
लेकिन उस ने एक सिंगल फोन कॉल से ही उस की प्रॉब्लम की जड़ ढूँढ निकाली थी, जब कि उस की स्ट्रैटेजी टीम हफ्तों से इस रुके हुए नेगोशिएशन्स की गुत्थी सुलझाने में जुटी थी।
उसे वापस भेज देना अर्जुन को चिढ़ पैदा करने वाली सनसनी से बचा लेता जो आरिया के करीब होने पर होती थी। या फिर वो उसे तब तक अपने साथ रख सकता था जब तक डील पक्की नहीं हो जाती।
उस ने एचआर को कॉल कर के कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने की इच्छा को दबा लिया। उस ने अपने स्टाफ के लिए कभी ऐसे रूल्स नहीं बनाए, जिन्हें वो खुद न मानता हो। भले ही आरिया का चेहरा और फिगर देखने से उस के शरीर के कुछ हिस्सों में हलचल मचती थी, लेकिन फिलहाल वो उसे एकदम से भगा नहीं सकता था।
वो बड़बड़ाया– “मैं उस पर ध्यान ही नहीं दूँगा। मेरा एकमात्र उद्देश्य ये मर्जर रहेगा।”
वो खुद को ही भाषण दे रहा था? उफ्फ!
उस ने खाली हो चुकी बोतल को ट्रे पर फेंका, जब कि उसे याद ही नहीं था कि उस ने पानी पिया है। वो मानने को तैयार नहीं था कि उस का सिरदर्द पानी की वजह से कम हुआ है। या उस की मांसपेशियाँ इसलिए ढीली हो गई हैं कि आरिया ने आखिरकार उस की असफल डील की गुत्थी सुलझा ली है।
उस ने अपने फोन की तरफ देखा, गौरव को खेल के लिए ललकारने की इच्छा जोर मार रही थी। लेकिन नहीं। पहले वो देखेगा कि आरिया कौन सा स्ट्रैटेजी प्लान ले कर आती है। हर कर्मचारी की अपनी उपयोगिता होती है। उस ने आरिया की उपयोगिता ढूँढ ली थी। कुछ और दिन देखने में कोई हर्ज नहीं था कि वो कैसा परफॉर्म करती है।
दृढ़ निश्चय से वो काम में वापस लौटा। लेकिन उस की निगाह बार-बार डेस्क की घड़ी पर चली जाती थी। एक घंटे बाद, उस ने फोन उठा लिया।
“मार्गो, क्या मैं ने हाल ही में एक इफिशिएंट टाइम मैनेजमेंट सेमिनार के लिए पेमेंट नहीं किया था?”
“उम्म... हाँ। दो महीने पहले।”
“गुड। तो कोई वजह है कि एचआर टीम को मिस जेम्स को वापस भेजने में एक घंटे से ज़्यादा लग रहा है?”
“ओह, हाँ, सॉरी। उस ने कॉल कर के बताया था कि मिस्टर मेहरा लंच ऑर्डर कर रहे हैं डिपार्टमेंट के लिए और उन्होंने उस का ऑर्डर भी शामिल कर लिया है, ताकि वो खाना खा कर पेपर्स साइन कर सके। ये तो सुपर-इफिशिएंट है, नहीं?”
अर्जुन ने दाँत पीस लिए। “बहुत ज़्यादा।”
“क्या मैं आप का लंच ऑर्डर कर दूँ, सर?” मार्गो ने पूछा।
“नहीं।” वो फोन नीचे करने लगा। “थैंक यू,” ये कहते ही उस ने रिसीवर पटक दिया था।
उस ने खुद को बताया कि वो चिढ़ा हुआ इसलिए है, क्योंकि वो चाहता है कि वो फौरन काम शुरू करे। टाइम कीमती है।
तो फिर वो दरवाजे की तरफ क्यों देख रहा था। हाई हील्स की खटखट सुनने को बेताब क्यों था?
एक तीखी गाली के साथ, उस ने अपने मार्केटिंग टीम की उस लंबी लिस्ट पर ध्यान केंद्रित किया, जिस में उस की मार्केटिंग टीम को अगले क्वार्टर में SNV के ज़रिए पेश किए जाने वाले प्रोडक्ट्स के लिए उस की मंज़ूरी चाहिए थी।
वो आधी लिस्ट पर था, जब आरिया की हँसी दरवाज़े से गूँजी।
उसे पता था कि वो उसी की हँसी थी, क्योंकि अपनी रगों में दौड़ती सनसनी वो पहले भी महसूस कर चुका था। जो उसे बिल्कुल पसंद नहीं थी। उस की पीए ने भी हँसी में साथ दिया और एक मर्दाना आवाज़ ने भी।
अर्जुन पढ़ता रहा। और ज़्यादा हँसी की आवाज़ें अंदर आईं।
उसे याद नहीं कि वो कब उठा। या कब उस ने दरवाजे का हैंडल घुमाया।
“तो लंच अच्छा था?” मार्गो ने पूछा।
“हाँ,” आरिया ने उत्साह से बताया “क्लब सैंडविच कमाल का था! थैंक्स फ़ॉर रिकमेंडेशन इंदर।”
अर्जुन चुपचाप देख रहा था, बिना किसी का ध्यान खींचे। उस के एचआर हेड इंदर मेहरा ने एक ऐसी मुस्कान दी जिस से अर्जुन की नसें तड़क उठीं।
“माय प्लेशर। मुझे तो लगता है वो आप को देख कर और स्वादिष्ट हो गया होगा।” वो साफ फ्लर्ट कर रहा था।
आरिया मुस्कुराई। वो धीमी और संयमित मुस्कान थी। जैसे कोई रहस्य खुल रहा हो। जैसे वो अक्सर ऐसा नहीं करती और अब वो जानबूझ कर अपने साथियों को ये तोहफा दे रही थी। अर्जुन की साँस गले में अटक गई। उस ने देखा मेहरा और मार्गो उस मुस्कान को टकटकी लगा कर देख रहे थे जिस से आरिया का चेहरा और मंत्रमुग्ध हो गया था। आरिया ने कहा– “मज़ाक अच्छा कर लेते हैं आप।”
इंदर हँसा– “बचपन से।”
अर्जुन मार्गो के ऑफिस में दाखिल हुआ, और फौरन सन्नाटा छा गया। “अगर आप खाने की तारीफें खत्म कर चुके हैं, तो क्या अब हम लोग काम पर लगें?”
मार्गो की आँखें चौड़ी हो गईं; शायद उसे अहसास हो गया था कि अर्जुन की ठंडी आवाज़ का मतलब क्या है। जल्दी से सिर हिला कर, उस ने अपने कीबोर्ड पर ध्यान लगाया।
आरिया ने उस से निगाह मिलाई, उस की मुस्कान अब गायब थी, उसके शरीर में तनाव था और उस की नाक हल्की सी फूली हुई थी। अर्जुन की नज़र उसके होंठों पर चली गई। उस ने ऑफिस छोड़ने के बाद से अपनी लालम-लाल लिपस्टिक का कुछ हिस्सा खो दिया था। नतीजा था एक सॉफ्ट लुक, जो उसे ये सोचने पर मजबूर कर रहा था कि गहराई से चूमने के बाद कैसी दिखेगी ये लड़की? तब ये होंठ अब से कहीं ज्यादा भरे हुए लगेंगे और गालों में अभी से ज़्यादा लालिमा होगी….
बस कर! उस ने खुद को डाँटा।
उस ने अपनी नजर इंदर की तरफ मोड़ी, जो एक फोल्डर पकड़े हुए था। इंदर बोला– “मैं आरिया का कॉन्ट्रैक्ट आप से काउंटरसाइन करवाने लाया…”
“मार्गो के पास छोड़ दो।” उस ने आरिया की तरफ सख्ती से देखा।
वो कुछ कदम आगे बढ़ी, फिर रुक गई। कंधे के ऊपर से देखते हुए, उस ने एक छोटी सी मुस्कान दिखाई और बोली– “थैंक्स, इंदर। फिर मिलते हैं।”
मेहरा ने घबराहट में सिर हिलाया।
अर्जुन ने तब तक इंतज़ार किया, जब तक वो उस के ऑफिस में दाखिल नहीं हो गई और फिर अर्जुन ने दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया। उस ने वही बात दोहराई— “फिर मिलते हैं?”
वो थोड़ी सख्त हो गई। “क्या?”
अर्जुन बोला– “मैं हकलाया क्या?”
“नहीं, आप नहीं हकलाए।” उस ने साँस छोड़ी और बोली– “आप का मूड साफ तौर पर खराब चल रहा है। मैं समझ सकती हूँ। लेकिन क्या इस का मतलब ये है कि आप दूसरों का भी मूड खराब कर दें?”
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“क्या कहा?” अर्जुन तिलमिलाया।
“छोड़िए ये बातें। मैं काम करने जा रही।” वो उस से दूर चली गई, अपनी परफ्यूम की हल्की सी खुशबू साथ ले गई। अपना ब्रीफकेस ले कर, वो कमरे के बीच में रुकी। “मार्गो ने बताया कि आप ने मेरे लिए अभी तक कोई डेस्क असाइन नहीं किया?”
“नहीं,” उस ने छोटा सा जवाब दिया, उस का दिमाग अभी भी इस बात पर अटका था कि उस ने उस के सवाल का संतुष्ट जवाब नहीं दिया था।
“कोई डेस्क है, जिसे मैं यूज़ कर सकती हूँ?” आरिया ने सवाल किया।
अर्जुन ने गहरी साँस ली और आरिया की मुस्कान, उन की बातचीत और पिछले कुछ घंटों में हुई हर चीज़ को भुलाने की कोशिश करी।
अपनी डेस्क की तरफ जा कर, उस ने वो मोटा फाइल उठाया, जो हमेशा उस की पहुँच में रहता था– “मेरे साथ आइए।”
वो उसे उस साइड डोर की तरफ ले गया जो उस जगह से दूसरी तरफ थी जहाँ आरिया ने सुबह काम किया था। दरवाज़ा खोल कर, वो सीधे उस डेस्क तक गया जो दरवाज़े के ठीक सामने थी। उस के ऑफिस के उलट ये जगह काफी खाली थी, जिस में डेस्क और कुर्सी के अलावा सिर्फ एक फ्लोर लैंप था, जो सिंगल ग्लास वॉल के पास रखा था। अर्जुन ने फाइल वहाँ रख दी।
“आप यहाँ काम करेंगी। मैं इस ऑफिस का इस्तेमाल तब करता हूँ, जब मुझे डिस्टर्ब नहीं होना होता। मार्गो फिज़िकल इंटररप्शन्स को दूर रखने में कमाल है, लेकिन डील के बीच में मैं भी अपने ईमेल्स चेक करने से खुद को रोक नहीं पाता।”
आरिया की मुस्कान सख़्त और नकली थी। अर्जुन ने मन ही मन चाहा कि काश उसे वो असली मुस्कान देखने को मिलती, जिस की उसे बस एक झलक मिली थी।
“ये ठीक रहेगा, थैंक्स।” आरिया ने फाइल अपनी तरफ खींचते हुए कहा– “कोई खास चीज़, जिस पर मुझे ध्यान देना चाहिए?”
अर्जुन ने कंधे उचकाए– “मर्जर के बारे में पढ़ लीजिए। कल मेरा कंपनी वालों के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल है। आप मेरे साथ उस में शामिल होंगी। मेरी जैपनीज़ ठीक-ठाक है, लेकिन एक्सपर्ट नहीं हूँ। आप मेरी आँख और कान बन सकती हैं।”
“ओके।”
उस ने अपना ब्रीफकेस डेस्क पर रखा और जैकेट उतारी। उस की ब्लाउज़ का दूसरा बटन खुल गया था। अर्जुन ने अपने हाथ जेब में डाल लिए, सोचने लगा कि उसे बटन के बारे में बताए या नहीं? लेकिन वो उस की क्रीमी मुलायम स्किन को घूरने में फंस गया था।
कई सेकंड बीत गए।
आरिया बैठ गई, फाइल खोली और नज़र उठा कर देखा– “कोई और काम, मिस्टर अवस्थी?”
“दरवाज़ा खुला रखिए। यहाँ कोई फोन या इंटरकॉम नहीं है। इस से आप का बार-बार उठ कर मेरे पास सवाल पूछने आने का वक्त बचेगा।”
आरिया की निगाह उस के पीछे उस के ऑफिस की तरफ गई। उस की आँखें हल्की सी बड़ी हुईं।
“हाँ, मैं आप को अपनी डेस्क से देख सकता हूँ,” अर्जुन ने कन्फर्म किया।
आरिया के होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान आई– “तो मैं नाखून चबाने या ज़ोर से डकारने की इच्छा को दबा लूँगी।”
“ये तो बहुत अच्छी बात होगी, थैंक यू।” अर्जुन शालीनता से बोला।
उस की आँखें और बड़ी हो गईं और अर्जुन ने अपनी एक दुर्लभ मुस्कान दबाई।
आरिया ने झेंपते हुए सफाई पेश की– “म... मेरा वो मतलब नहीं था, मिस्टर अवस्थी। वो तो बस एक….”
“मज़ाक था? आप को शायद ऐसा न लगे लेकिन मुझे पता है कि मज़ाक क्या होता है। मैं ने भी एक-दो बार मज़ाक किया है।”
आरिया की एक दिलकश भौंह उठी। “लेकिन हाल-फिलहाल में नहीं किया, है न?”
डील के खटाई में पड़ने की याद ने अर्जुन का मूड फिर से भारी कर दिया। “नहीं, आरिया।”
“ठीक है। सिरदर्द कैसा है?” उस ने पूछा, फिर उस का माथा हल्का सा सिकुड़ गया जैसे उस ने ये सवाल अनायास ही पूछ लिया था। अर्जुन को सेम फीलिंग आई जैसे उस के अंदर भी कोई ऐसी भावना लौट रही थी जिस की इस ऑफिस में कोई जगह नहीं थी।
“अब कोई दर्द नहीं है। शायद हमें आपस में व्यवसायिक ही रहना चाहिए।” उस ने रूखे लहजे में कहा।
“उम्म... बिल्कुल,” आरिया ने धीरे से कहा, अभी भी हल्की सी हैरान थी।
अर्जुन अपनी डेस्क पर लौट आया। वो संतुष्ट था कि उस का खुद पर कंट्रोल वापस स्थापित हो चुका है। ऐसा नहीं है कि वो कभी उस हाथ के से निकला था। हाँ, सुबह की बातों ने उसे थोड़ा हिला ज़रूर दिया था।
लेकिन उस ने कभी चुनौतियों से मुँह नहीं मोड़ा था। और अब भी नहीं मोड़ने वाला था।
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आरिया ने उस के ऑफिस में झाँकने की इच्छा को कई बार दबाया। वो पहले ही बहुत बार ऐसा कर चुकी थी। शुक्र है, अर्जुन ने एक बार भी उस की तरफ नहीं देखा था। उस का अपने काम पर फोकस इतना गहरा था कि आरिया में जलन पैदा हो रही थी। अर्जुन ने कुछ फोन कॉल्स लिए थे, जिन में से एक पर वो ऑफिस के दूर वाले कोने में, फ्लोर-टू-सीलिंग खिड़कियों के सामने खड़ा हो कर धीमी आवाज़ में बोलता रहा।
एक पल के लिए, आरिया ने सोचा कि क्या वो अपनी महबूबा से बात कर रहा है? वो इस ख्याल से ऐसी चौंकी जैसे गर्म पानी ने जला दिया हो। इस से उस का बिल्कुल सरोकार नहीं था और वो ऐसी खतरनाक कल्पनाओं के करीब भी नहीं जाना चाहती थी।
उस के लिए अपने काम पर दोबारा फोकस करना मुश्किल नहीं था। मर्जर की जटिलताएँ हैरान करने वाली और दिलचस्प थीं। लेकिन उस से भी ज़रूरी, अर्जुन जिस डील के पीछे था, वो हज़ारों नौकरियाँ पैदा करने वाली थी। माना, ये मर्जर उसे दुनिया के सब से अमीर लोगों की लिस्ट में टॉप फाइव में ला देगा, लेकिन रास्ते में वो हज़ारों लोगों की मदद भी करेगा।
एक और चीज़ जो उस ने नोट की, वो थी हर साल की अनुमानित कमाई से जुड़ी दान की विशाल रकम। हर साल, जब अर्जुन अपनी कंपनी के टारगेट को हासिल कर लेता, वो कंपनी के मुनाफे का एक हिस्सा ह्यूमैनिटेरियन प्रोजेक्ट्स को दान कर देता था।
आरिया ने चैरिटीज़ सेक्शन खत्म करते हुए भौंहें सिकोड़ लीं। अब तक जो कुछ उस ने पढ़ा, उस में कुछ भी ऐसा नहीं था, जो उस जैपनीज़ कॉरपोरेशन को अर्जुन का ऑफर ठुकराने के लिए उकसाए। इस मर्जर के बाद वो लोग तुरन्त अरबपति बन सकते थे।
“आप का माथा सिकुड़ा हुआ है।”
वो रुक गई, इस एहसास के साथ कि वो अनजाने में उस के ऑफिस में आ गई थी।
⋙ (...To be continued…) ⋘
दोपहर की धूप में नहाई उस की जैतूनी त्वचा और काली शर्ट की रोल्ड-अप स्लीव्स का कंट्रास्ट इतना ज़बरदस्त था कि आरिया की नज़र उस पर अटक गई थी। “ओह... मैं ये बताने आई हूँ कि मैं ने फाइल पढ़ ली।”
“और?”
“और ये डील... चैरिटी बेनिफिट्स... सब कमाल है।”
“तो आप का माथा क्यों सिकुड़ा हुआ है?”
उस ने उस की ओर देखना बन्द कर दिया और चिंतित अंदाज़ में अपनी तेज़ धड़कनों को नोट करते हुए ड्रिंक्स ट्रे की तरफ बढ़ी। “खैर, मुझे उम्मीद थी कि शुरू से ही कोई असंतोष का धागा मिलेगा। कुछ ऐसा, जो दिखाए कि वो नाखुश हैं। लेकिन कुछ नहीं मिला। मैं बस सोच रही हूँ कि उन्हें अब अचानक से क्या हो गया है?”
“मेरा अंदाज़ा है कि कोई और पार्टी ऐसी प्रॉमिसेज़ लटका रही है, जो शायद वो पूरा नहीं कर पाएगी।”
आरिया ने मिनरल वॉटर की बोतल उठाई और उस के टॉप पर उंगली फेरी– “आप अंदाज़ा लगा रहे हैं? माफ कीजिए, लेकिन आप मुझे उस तरह के इंसान नहीं लगते, जो अंदाज़ा लगाता हो।”
“और आप ने मेरे जैसे कितने मर्दों को जाना है?” अर्जुन ने धीरे से ताना मारा।
वो लाल हो गई, फिर खुद को कोसा कि वो उस के जानबूझ कर किए गए ताने से तिलमिला गई। “आप समझ रहे हैं मैं क्या कहना चाह रही थी।”
अर्जुन की गहरी आँखें कई सेकंड तक उस की आँखों को टटोलती रहीं। जब उस ने पानी के लिए एक हाथ बढ़ाया तो आरिया ने एक और बोतल उठा कर उसे दे दी, अपनी आँखें घुमाने की इच्छा को दबाते हुए।
“आप सही हैं। मैं अंदाज़े नहीं लगाता।”
उस के जवाब ने उसे चौंकाया। “तो आप को पता है कि डील को तोड़ने की कोशिश कौन कर रहा है?”
“हाँ, मुझे पता है,” उस ने ऐसे लहजे में कहा, जिस ने उस की रीढ़ में सिहरन दौड़ा दी। जब उस ने और कुछ नहीं बताया, तो आरिया का माथा सिकुड़ गया।
“क्या आप मुझे बताने वाले हैं कि वो कौन है?”
“आप ने रिपोर्ट आखिर तक पढ़ ली है?”
“अभी नहीं।”
उस ने बोतल का ढक्कन खोला और आधा पानी एक ही साँस में गटगटा गया। आरिया ने खुद को उस की मज़बूत गर्दन को घूरने से रोका। या उस काली दाढ़ी को, जो पिछले कुछ घंटों में उस के जबड़े पर उग आई थी।
“जाइए, इसे खत्म कीजिए। ‘कौन है’ ये ज़्यादा मायने नहीं रखता। मुझे जो चाहिए, वो है एक पीआर स्ट्रैटेजी कि अगर वो ज़िद पर अड़े रहे, तो इस प्रॉब्लम को कैसे सुलझाया जाए।”
वो अपने ऑफिस लौट गई, ये सोचते हुए कि उस से और जानकारी के लिए दबाव डालने का कोई फायदा नहीं।
जब उस ने अगली बार सिर उठाया, तो उस की खिड़की के बाहर का नज़ारा दिन से शाम में बदल चुका था, पास की गगनचुंबी इमारतों की रोशनी रात के आसमान को चमका रही थी। जब अर्जुन दरवाज़े पर आ कर खड़ा हुआ, तो उस की इंद्रियाँ उछल पड़ीं।
“हो गया?” उस ने चौखट के सहारे टिक कर पूछा।
आरिया ने सिर हिलाया, इस ख़्वाहिश के साथ कि काश कोई और चीज़ होती, जिस पर वो अर्जुन की स्लीक मस्कुलर बॉडी के अलावा ध्यान दे सकती।
उस ने कुछ घंटे पहले साइन किए कॉन्ट्रैक्ट को याद किया, जिस में बॉस और एम्प्लॉई के बीच साफ लाइन खींची गई थी। भले ही उस के पिछले अनुभव ने दिखाया था कि क्लाइंट्स कॉन्ट्रैक्ट्स तोड़ सकते हैं, पर उसे लग रहा था कि अर्जुन अपने कॉन्ट्रैक्ट को सख्ती से निभाएगा।
लेकिन इस का मतलब ये नहीं था कि वो अपनी सतर्कता कम कर दे... या उस की मौजूदगी में उस के लाजवाब खूबसूरत वजूद को घूरती रही।
उस ने अपना ध्यान फाइल पर लगाया। “मेरा नज़रिया वही है। उन्हें आप के ऑफर से ऊपर और बेहतर कुछ ऑफर किया गया होगा। और वो...”
“क्या वो?” अर्जुन ने उसे आगे बोलने के लिए प्रेरित किया।
“शायद अनलिमिटेड पैसों वाला कोई है, या उस ने फाइनेंशियल सुसाइड करने की सोच ली है। साफ ज़ाहिर है कि वो बहुत आक्रामक तरीके से सिर्फ और सिर्फ आप से ये डील छीनना चाहता है।”
अर्जुन की निगाह नीचे झुक गई और उस ने अपने हाव-भाव छुपा लिए। आरिया की इंद्रियाँ सतर्क हो गईं। पहले उसे लगता था कि वो लोगों को अच्छे से पढ़ सकती है। लेकिन पिछले साल उस के साथ हुए भयानक धोखे ने उस से ये आत्मविश्वास छीन लिया था।
फिर भी, उसे लगा कि उस ने कहीं न कहीं सही निशाना लगाया है।
अर्जुन बिना जवाब दिए पलट गया।
आरिया उठी। “क्या मैं सही हूँ? मिस्टर अवस्थी, क्या कोई आप को फेल करने के लिए खुद को भी बर्बाद करने को तैयार है?”
“अर्जुन,” अर्जुन ने धीरे से कहा।
“क्या?”
“अगर हमें साथ काम करना है, तो आप को मुझे अर्जुन कहना होगा।”
आरिया को नहीं पता कि उस का नाम दोहराने का खयाल उस के अंदर सिहरन क्यों पैदा कर रहा था। “ठ... ठीक है।”
अर्जुन बोला– “शेफ ने हमारे लिए डिनर तैयार किया है। आइए। खाते हुए बात करेंगे।”
वो उस के पीछे-पीछे उस के ऑफिस से स्मोक्ड-ग्लास डोर्स तक गई, जो खुलते ही एक छोटे से बारह-सीटों वाले डाइनिंग रूम में ले गए। टेबल के सिरे पर और उस के बगल में, दो जगहें सेट की गई थीं, चाँदी के टेबलवेयर और ग्लासेज़ के साथ, जो बता रहे थे कि ये मल्टी-कोर्स मील है।
वो बैठ गए और शेफ दो प्लैटर्स ले कर अंदर आया। आरिया ने चिकन रवियोली स्टार्टर चुना और जैसे ही वो नाज़ुक स्वाद उस की जीभ पर पिघला, वो खुशी से कराहने को हुई।
“ठीक है, मैं अपनी बात वापस लेती हूँ। ताज़ी हवा और सैंडविच के लिए बाहर जाने की बजाय मैं हर बार इसे चुनूँगी।”
शेफ, जो लगभग दरवाज़े तक पहुँच चुका था, उस की तारीफ पर मुस्कुरा दिया। जवाब में वो भी मुस्कराती हुई अपनी जगह पर पलटी और देखा कि अर्जुन भौंहें सिकोड़े हुए था।
उस की मुस्कान फीकी पड़ गई। “उम्म, अगर आप ने सुना नहीं, तो मैं मान रही हूँ कि पहले मैं गलत थी। मुझे घूरने की ज़रूरत नहीं है।”
अर्जुन की आँखें बंद होते दरवाजे पर सिकुड़ीं, फिर उस की तरफ लौटीं। “क्या आप को हर उस मर्द से फ्लर्ट करने की आदत है, जिस से आप पहली बार मिलती हैं?”
आरिया अपना काँटा उठाते हुए ठिठक ही तो गई थी।
“मैं फ्लर्ट नहीं करती,” उस ने तीखे लहजे में कहा। उस इल्जाम ने उस के अंदर ठंडक भर दी थी जो सीधा निशाने पर लगा था और पुरानी डरावनी यादें ताज़ा कर गया था।
⋙ (...To be continued…) ⋘
चाहे उस ने खुद को कितनी ही बार समझाया हो कि उस पर हुआ हमला उस की गलती नहीं था, पर उस का एक हिस्सा हमेशा सोचता था कि क्या उसी ने अनजाने में वो वाइब्स छोड़ी थीं, जिन से वो पूरी ज़िन्दगी बचती आई थी।
उस के माता-पिता ने अपनी खूबसूरती और अट्रैक्शन को हथियार की तरह इस्तेमाल करना सीखा था और मार्शा जेम्स ने आरिया को सलाह दी थी कि वो अपनी सेक्सुअलिटी का फायदा उठाए, लेकिन आरिया ने कसम खाई थी कि वो कभी उन के नक्शेकदम पर नहीं चलेगी।
दुर्भाग्यवश, आरिया का वह कठोर विश्वास ब्रायन ग्रे के लिए एक ऐसी चुनौती बन गया जिसे वह इग्नोर नहीं कर सका...
उन कड़वी यादों को जल्दी से धकेलते हुए, उस ने अपनी कुर्सी पीछे खींची और खड़ी हो गई।
उस ने एक कदम भी नहीं उठाया था कि उस की कलाई पकड़ ली गई। “आप क्या कर रही हैं?”
“मुझे ये बातचीत पसंद नहीं। शायद मैं ने अपनी खुद की मील मंगवाने का फैसला बहुत जल्दी ले लिया था। मैं फ्लर्ट नहीं करती,” उस ने फिर से कहा, खुद को ये यकीन दिलाने के लिए कि एक साल पहले जो हुआ वो उस की गलती नहीं थी। “लेकिन मेरे पास मैनर्स हैं। और अगर कोई मेरे लिए कुछ अच्छा करता है, तो मैं उस का शुक्रिया अदा करती हूँ।”
उस ने उसे बहुत देर तक गहरी नज़रों से देखा। “बैठ जाइए, आरिया। हमारा काम अभी खत्म नहीं हुआ।”
उस ने सिर हिलाया। “मेरा खाने का मन नहीं रहा। वैसे भी, शाम के सात बज रहे हैं। मैं ने सारी रात काम करने के लिए साइन नहीं किया था।”
“लेकिन आपने रीज़नेबल वर्किंग आवर्स के लिए कमिट किया था। क्या आप इसे अनरीज़नेबल टाइम कह रही हैं?”
“मैं दोबारा सोच सकती हूँ, अगर मुझ पर बेबुनियाद इल्जाम न लगाए जाएं,” उस ने चुनौती भरे लहजे में कहा। फिर उस ने उस की कलाई पकड़े हुए हाथ की तरफ सख्ती से देखा। अर्जुन ने एक पल इंतजार किया फिर उसे छोड़ दिया। “आप कुछ मिनट पहले तक अपने खाने का मज़ा ले रही थीं। मैं अब हमारे खाने को… ऐसी बातें कर के खराब नहीं करूँगा।”
आरिया ने अपनी प्लेट, फिर दरवाज़े की तरफ देखा। उसे पता था कि उस का गुस्सा अर्जुन को उस के गुस्से का एहसास हो चुका है, लेकिन इस मोड़ पर बाहर निकल जाना उल्टा पड़ता।
वो वापस बैठ गई।
“जब आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप को याद रखना चाहिए कि मैं ने आप के साथ फ्लर्ट नहीं किया। हाँ, अगर आप खुद को बाकी मर्दों से ऊपर मानते हैं तो वो अलग मसला है।” ये एक ऐसा ताना था जिसे बोलने के बाद आरिया को पछतावा हुआ।
अर्जुन के होंठों का एक कोना हल्का सा उठा– “आइए इस बहस को यहीं छोड़ दें, ठीक है?”
आरिया का चेहरा हल्का सा लाल रहा और पहले कोर्स के दौरान दोनों चुप ही रहे।
जब दूसरा कोर्स (रोस्ट मटन और वेजिटेबल मेडले) सर्व किया गया, तो अर्जुन ने महँगी रेड वाइन की बोतल उठाते हुए पूछा– “पिएँगी?”
वो मना करने वाली थी पर थोड़ी हिम्मत जुटाने के लिए उस ने हामी भर दी– “मैं ज़्यादा वाइन नहीं पीती, न ही कुछ और। तो अगर मुझे इस की क्वालिटी समझ न आए, तो बुरा मत मानियेगा।”
अर्जुन ने उस का ग्लास भरा, फिर अपना। “मुझे काल्पनिक स्वाद की बातें और नकली तारीफें करने वाले पसंद नहीं हैं।”
उस के पहले वाले ताने की चुभन अभी बाकी थी, लेकिन आरिया के होंठों पर एक मुस्कान खिंच आई– “ओह्ह, मतलब मैं ने एक स्कोर हासिल कर लिया।”
अर्जुन की तीखी आँखें उस से मिलीं। “मेरे साथ हर चीज़ में ईमानदार रहिए और आप बहुत ज़्यादा स्कोर करेंगी।”
किसी वजह से उस बात ने आरिया को डर और उत्साह दोनों महसूस कराया। उत्साह किस चीज़ का, उसे नहीं पता। मेन कोर्स के बीच वो फिर बोला– “तो, जो आप ने पता लगाया है, उस के आधार पर जेम्स इंडिया पीआर क्या सलाह देगा?”
आरिया को पता था कि उस के माता-पिता अर्जुन को सलाह देते कि उसूल तोड़ने वाले की गर्दन पर वार करो। गंदी अफवाहें और राज़ उगलवाने के लिए लोगों को काम पर लगाना उस के बाप की पसंदीदा रणनीति थी।
आरिया बोली– “एक आकर्षक रणनीति की। और उन्हें ये याद दिलाने की कि आप के साथ मर्जर से उन्हें क्या-क्या हासिल होगा।”
“मेरे कॉम्पिटिटर पर जंग का ऐलान नहीं?” अर्जुन ने पूछा।
आरिया के मुँह का स्वाद कसैला हो गया। “आप चाहें तो वो रास्ता ले सकते हैं।”
“आप कौन सा रास्ता चुनेंगी?”
“जंग नहीं। खून-खराबा मुझे घिन दिलाता है।”
“शायद आप को और सख्त सोच की ज़रूरत है,” अर्जुन ने मज़ाक उड़ाया। जिसे इग्नोर करते हुए आरिया ने वाइन का घूँट लिया, ये देख थोड़ी हैरान हुई कि वो इतनी आसानी से गले से उतर गई थी। “आँखों में आँखें डाल कर बात करना सब से ज़्यादा काम करता है, अर्जुन। पर्सनल टच से बेहतर कुछ नहीं। जब से आप ने ये मर्जर करने का फैसला किया, तब से आप कटारिया बंधुओं से कितनी बार आमने-सामने मिले हैं?”
उस ने अपना वाइन ग्लास घुमाया। “दो बार।”
“यानी जब आप के पास सारे बिज़नस डेटा आ गए थे उस के बाद?”
“बिल्कुल।”
“मुझे लगता है दोनों बार यहाँ मुंबई में मुलाकात हुई होगी और आप ने उन्हें शहर के सब से बेहतरीन रेस्टॉरेंट में खाना खिलाया होगा, राइट?”
“उन की हर इच्छा पूरी की गई। वो खुश हो कर गए।”
आरिया बोली– “आप के हिसाब से।”
उस की निगाह आरिया की निगाह से टकराई। “आप क्या कहना चाहती हैं?”
“मैं अपने पूरे कॉमिक बुक कलेक्शन की शर्त लगाने को तैयार हूँ कि आप ने अपने बारे में एक भी पर्सनल डीटेल नहीं बताई होगी।”
“मैं फिर से बता दूं कि मैं…”
आरिया बीच में बोल दी– “भावुक बातें नहीं करते, हाँ, मुझे पता है। लेकिन अगर आप ने उन्हें खुद को थोड़ा भी इंसानी रूप में दिखाया होता तो शायद ये सब नहीं होता।”
“ये टेक्नीक बस किसी मामूली आइसक्रीम पार्लर बिजनेस के लिए ही काम कर सकती है। अगर वो... फीलिंग्स को पार कर के अरबों डॉलर के मर्जर को नहीं देख पा रहे, तो शायद मैं गलत लोगों से डील कर रहा हूँ।”
आरिया ने उसे व्यंग्य से देखा– “हम दोनों जानते हैं कि ये कोई गलती नहीं है। इशिकावा कॉरपोरेशन का बिज़नेस रिकॉर्ड शानदार है। एसएनवी का भी। एक कामयाब मर्जर ब्रेकिंग न्यूज हेडलाइंस होगी और आप पर तारीफों की बारिश होगी। आप को बस थोड़ा... झुकना होगा।”
“क्या आप मेरी जगह होतीं, तो यही करतीं? अपनी जिंदगी को अजनबियों के सामने खोल देतीं, डील पक्की करने के लिए?”
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उस ने अपना ग्लास उठाया और एक बड़ा घूँट लेते हुए उस गर्माहट का मज़ा लिया जो उस के अंदर फैल रही थी। “हम यहाँ मेरी बात नहीं कर रहे।”
“आप को कल्पनात्मक बातें पसंद हैं। तो बताइए। क्या आप खुद को यही सलाह देतीं, अगर आप मेरी जगह होतीं?”
“शायद।” उस ने उस की तीखी नज़र को एक मिनट तक झेला, फिर साँस छोड़ी। “हाँ, देती।”
“और आप उन्हें अपने बारे में क्या बतातीं?”
आरिया ने सिर हिलाया। “ये बहुत गहरा सवाल है।”
“तो इसे आसान करते हैं। आप ने बाहर की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, जब कि आप के परिवार का बेस दिल्ली में है, जहाँ शानदार यूनिवर्सिटियाँ हैं। क्यों?”
घबराहट उस की अंदरूनी गर्माहट को धीरे-धीरे खत्म करने लगी। उस ने एक और घूँट लिया, भले ही भीतर खतरे का सिग्नल बज रहा था कि ये हिम्मत जुटाने का अच्छा आइडिया नहीं है। उस ने जवाब दिया– “अपनी सोच का दायरा बढ़ाने के लिए?”
“अगर आप को अपनी सोच का दायरा बढ़ाना था तो आप अपने पैरेंट्स के साथ काम करने क्यों लौटीं?”
वो इस कड़वे विषय पर तन गई, जो उस की नसों पर चोट कर रहा था। “क्या इस के खिलाफ कोई कानून है?”
“क्या यही जवाब आप किसी प्रॉस्पेक्टिव बिज़नेस पार्टनर को देतीं?”
“नहीं...” वो रुक गई, ये महसूस करते हुए कि वो अपनी ही बनाई खाई की तरफ फिसल रही है। “मैं ने जेम्स इंडिया पीआर में काम करने की हामी भरी, बदले में मेरे पैरेंट्स ने मेरी यूनिवर्सिटी की फीस चुकाई।”
अर्जुन के माथे पर धीरे-धीरे सिकुड़न आई– “ये तो हर माँ-बाप का फ़र्ज़ होता है लेकिन आप के माँ-बाप ने आप से पढ़ाई की फीस के बदले कीमत माँगी?”
आरिया ने इस का दोष वाइन को दिया कि वो उस के भावनात्मक नियंत्रण को ढीला कर रही थी। “वो लेनदेन में बिल्कुल बनिया हैं। फ्री में किसी को कुछ नहीं देते—अपनी बेटी को भी नहीं।”
उस की आँखों में चमकती समझ ने आरिया को और परेशान कर दिया। “तो आप के और आप के पैरेंट्स के बीच चीज़ें ठीक नहीं हैं?”
एक कड़वी हँसी अनायास निकल गई। “ऐसा कह सकते हैं।”
“तो फिर आप उन के साथ काम क्यों करती हैं?” उस ने पूछा।
“क्योंकि कॉलेज से निकलते ही नौकरियाँ आसमान से टपक कर नहीं आतीं। और अगर, किसी दैवीय कृपा से आप सेकंड या थर्ड इंटरव्यू तक पहुँचते हैं और आप के प्रॉस्पेक्टिव बॉस को पता चलता है कि आप मार्शा और राल्फ जेम्स की बेटी हैं, तो वो सवाल करते हैं कि आप ने इतनी लाजवाब जेम्स फैमिली के साथ काम करने का मौका क्यों ठुकराया। आधे लोग आप को छूते भी नहीं, क्योंकि उन्हें यकीन नहीं कि आप अपनी नौकरी के प्रति कमिटेड होंगी। बाकी आधों के मन में आप के बारे में कुछ... पहले से बनी धारणाएँ होती हैं और वो आप को मौका भी नहीं देते। सात महीने लगातार रिजेक्शन्स और माँ-बाप की पैसे चुकाने की माँग ने मेरे पास ज़्यादा ऑप्शन नहीं छोड़े।”
आरिया ने वाइन का और घूँट लिया, इस डूबते अहसास दबाने के लिए कि उस ने इरादे से कहीं ज्यादा बता दिया था।
कमरा सवालों से भरी चुप्पी में डूब गया। अर्जुन ने उसे गहरी निगाहों से देखा, उस की चतुर आँखों में अटकलें घूम रही थीं। “और क्या वो कर्ज़ चुका दिया गया है?”
उस ने गले में उतरती वाइन को निगला– “लगभग।”
अर्जुन ने भौंह उठाई– “लगभग?”
“हाँ। आप की मदद से।”
“मेरी मदद?” उस ने धीरे से पूछा।
“आप की ये डील पक्की करवाने में मदद करना आप के लिए तो अच्छा होगा ही, साथ ही मेरा रिज्यूमे भी चमकाएगा और सब से ज़रूरी, ये मुझे मम्मी-पापा की ज़ंजीरों से आज़ाद कर देगा। सच बोलूं तो ये तीन तरफा जीत है।”
अर्जुन ने धीरे से अपना ग्लास घुमाया– “मैं समझ गया।”
शर्मिंदगी ने आरिया को कुतरना शुरू किया। जब वो उसे देख रहा था तो उस के गले तक एक ऐसी गर्मी फैल गई जो खाने या शराब से नहीं आई थी।
“मुझे माफ करें, आप ने मेरी लाइफ हिस्ट्री नहीं माँगी थी।” लगभग खाली ग्लास को नीचे रख कर वो खड़ी हुई और डगमगा गई। अर्जुन उछला और उस की कमर पकड़ ली। आरिया ने उन आँखों से बचने की कोशिश की, जो बहुत कुछ देख रही थीं। “मैं ने कहा था कि मैं पीती नहीं।”
“हाँ, आप ने कहा था, लेकिन आप नशे में नहीं हैं। मुझ पर भरोसा करें, मुझे फर्क पता है।” उस की आवाज़ थोड़ी खुद की हँसी उड़ाने जैसी थी।
“फिर भी, सुबह ये अच्छा नहीं लगेगा, है न?” उस ने बुदबुदा कर पूछा।
“आप ने ज़्यादा नहीं पिया है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं।”
उस की नज़र अर्जुन की आँखों से टकराई और टिकी रही। वो उस की पुतलियों से निकलती हल्की सुनहरी चमक में खो गई थी।
“थैंक्स,” वो फुसफुसाई।
“कोई बात नहीं,” उस ने धीरे से कहा।
वो वैसे ही रहे, उन की साँसें इतनी करीब थीं कि आपस में मिल रही थीं। आरिया को पता था कि इन गहरी आँखों को अपनी आत्मा में झाँकने देना खतरनाक है। “मेरा इतना बकबक करने का मन नहीं था। मैं बस...”
उस की भौंह उठी। “आप बस...?”
“मुझे अपने मम्मी-पापा के बारे में बात करना पसंद नहीं।”
“क्यों?”
“बस... बहुत तकलीफ होती है, समझे?”
उस के होंठों पर एक अजीब, उदास-सी मुस्कान उभरी– “नहीं। मैं नहीं समझा।”
आरिया की भौंहें सिकुड़ गईं– “हाँ, कैसे समझेंगे? आप का बचपन तो गज़ब रहा होगा, ढेर सारी मस्त यादों से भरा हुआ।”
उस की कमर पर रखे हाथ हल्के से और कस गए जब उस ने बोला– “मस्त कम, उबकाई लाने वाला ज़्यादा था।”
आरिया के दिमाग ने अचानक इस बात को पकड़ा कि अर्जुन के हाथ उस के शरीर पर हैं। आरिया उस बिजली-सी गर्मी के अलावा कुछ सोच ही नहीं पा रही थी, जो उस की त्वचा में उतर रही थी। उस की चाह थी कि ये गर्मी कहीं और भी जाए। बोली– “ओह्ह, आय एम सॉरी।”
अर्जुन ने पूछा– “किस लिए?”
उस ने कंधे उचकाने की कोशिश की। “हम दोनों के लिए।”
“मुझे आप की दया नहीं चाहिए।” उस की आवाज़ में चुभन थी, जैसे हज़ार कांटों से भरी हो।
वो कांप गई। तुरन्त, अर्जुन के हाथ उस की बांहों पर सरक गए। गर्मी और बढ़ने लगी।
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आरिया ने फोकस करने की कोशिश की। “मैं दया नहीं दिखा रही। मैं तो बस...”
अर्जुन की निगाह उस के होंठों पर गिरी और आरिया के खयाल पल भर के लिए बिखर गए। उस के चेहरे से नज़र हटा कर उस ने थोड़ा होश संभाला। एक सवाल, जो काफी देर से उस के दिमाग के पीछे था, अचानक सामने आया, लेकिन उस की बॉडी पर अर्जुन के हाथ उस की सोच को तहस-नहस कर रहे थे।
“अर्जुन?”
“हाँ?” अर्जुन धीरे से बोला।
उस के मोहक, भारी लहजे से आरिया का अंदर कांप गया था। “अब आप मुझे छोड़ सकते हैं। मैं वादा करती हूँ, मैं नहीं गिरूँगी।”
उस के हाथ एक पल के लिए और सख्त हुए फिर उस ने उसे छोड़ दिया। “अच्छा है। कॉफी चाहिए, या फिर हम इस वर्क-डे को खत्म करें?”
उस ने अपनी बाहें पकड़ीं, जहाँ अभी-अभी उस के हाथ थे और उसे अजीब तरह से यह एहसास हुआ कि वह इस शाम को खत्म होते नहीं देखना चाहती।
“आप मुझे बताने वाले थे कि इस रुके हुए मर्जर के पीछे कौन है।”
उस की आँखों में कई भाव उमड़े, ज़्यादातर इतने कठोर थे कि आरिया की रीढ़ में सिरहन दौड़ गई।
“मेरा भाई,” आखिरकार अर्जुन ने कहा। उस की आँखों के उलट, उस की आवाज़ में कोई भाव नहीं था।
“आप का भाई?”
“हाँ।”
“लेकिन... क्यों?”
वो कॉफी कार्ट की तरफ बढ़ा और एक शॉट एस्प्रेसो डाला। “क्योंकि, आप की तरह मेरे लिए भी परिवार का मतलब प्यार और फूल नहीं है।”
“फिर भी ये कुछ ज़्यादा नहीं है? आप का भाई आप को इतना नुकसान पहुँचाना चाहता है?”
उस के होंठों में एक अजीब सी हरकत हुई– “आप मान रही हैं कि मुझे ठेस पहुँचाई जा सकती है। ज़्यादा से ज़्यादा, वो परेशानी खड़ी करेगा। बस और कुछ नहीं।”
उस के शब्दों में जो ज़बरदस्त आत्मविश्वास था उस ने आरिया को और सिहरा दिया। उसे अर्जुन के साथ एक अजीब-सा जुड़ाव महसूस हुआ, कोई गहरी भावना जो वो ठीक से समझ नहीं पाई।
वो इस पहेली को दिमाग में उलट-पलट कर सोच रही थी, जब अर्जुन ने अपना कप खाली किया और नीचे रख दिया। “लगता है आज की वर्क ड्यूटी में आप के हिस्से का समय पूरा हो गया है। चलिए।”
वो डाइनिंग रूम से बाहर निकला। आरिया धीरे-धीरे उस के पीछे गई और उस के ऑफिस में दाखिल हुई, तो देखा कि वो उस का जैकेट और ब्रीफकेस ले कर उस के ऑफिस से लौट रहा था।
उस ने जैकेट उस की ओर बढ़ाया और आरिया ने धीरे से थैंक्स कहा। उसे गुडनाइट कह कर जल्दी निकलने वाली थी, तभी वो ठहर गई और बोली– “आप भी जा रहे हैं?”
“मैं आप को घर छोड़ रहा हूँ।”
उस ने सिर हिलाया– “इस की कोई ज़रूरत नहीं। लोकल ट्रेन मुझे दस मिनट में पहुँचा देगी।”
उस ने उस की कोहनी पकड़ी और दरवाज़े की तरफ ले गया। “देर हो चुकी है। इस वक्त आप को ट्रेन में अकेले जाने देना सवाल से बाहर है। मैं चाहता हूँ आप कल सही-सलामत ऑफिस लौटें।”
“वाकई, इस की ज़रूरत…”
“आप हमारे उस समझौते को तो नहीं भूल गईं, कि हम बेकार बहस नहीं करेंगे?”
उस ने होंठ कुतरा और उस के साथ एक प्राइवेट लिफ्ट में चली गई। छोटी-सी बंद जगह में, उसे उस शख्स से बोलने को कुछ नहीं सूझा, जो उस के बगल में ताकत और आत्मविश्वास से भरा खड़ा था। वो खुद को उस के सामने छोटी और बेवकूफ-सी महसूस कर रही थी, तो उस ने चेहरा उस से दूर घुमा लिया और उस शीशे की तरफ देखा, जिस में उस की तस्वीर साफ-साफ दिख रही थी।
यहाँ तक कि आईने में भी अर्जुन बेहद हॉट था। रोशनी में, उस की त्वचा चमकदार जैतूनी रंग में दमक रही थी, उस के घने काले बाल तिलिस्मी ढंग से चमक रहे थे। आरिया को कभी किसी मर्द का चेहरा छूने की चाह नहीं हुई थी, उस के बाल तो दूर की बात है। कॉलेज की पढ़ाई में इतना वक्त ही नहीं मिला और जो कुछ डेट्स उस ने कभी-कभार मंज़ूर कीं, वो तब खत्म हो गईं, जब उसे पता चला कि हर डेट के पीछे सेक्स का इरादा था।
यही हकीकत उस की प्रोफेशनल लाइफ में भी चली आई लेकिन वो मर्दों की दिलचस्पी को दूर रखने में माहिर हो गई थी।
लेकिन अर्जुन को देखते हुए, उस में इस के उलट करने की एक अजनबी ख़्वाहिश पैदा हो रही थी—उस छिपे हुए आकर्षण के आगे झुक जाने की, जो उस की उंगलियों तक को महसूस हो रहा था।
जैसे ही अर्जुन को उस की नज़रें महसूस हुईं, उस का सिर झटके से उठा। उन की नज़रें शीशे में मिलीं। अर्जुन की आँखों ने आरिया की आँखों को सहजता से थाम लिया था, ताकि वो नज़र हटा न सके। लिफ्ट की नीचे जाने की हल्की आवाज़ के बीच वो एक-दूसरे को देखते रहे। खामोशी मानो उबल कर किसी और चीज़ में बदल रही थी। कुछ ऐसा, जिस ने आरिया के पेट में गहरी गर्मी जगाई और उस के पूरे शरीर में सनसनी फैला दी।
अर्जुन की नज़रें उसे भेद रही थीं और हर गुज़रते लम्हे के साथ और गहरी हो रही थीं। वो उस के होंठों पर ठहरीं और आरिया, जैसे किसी जादू के अधीन हो कर अपने होंठ हल्के से खोल बैठी।
किसी ने एक आवाज़ निकाली। एक धीमी, टूटी हुई साँस जैसी। शायद कोई कसम या कोई दुआ शुरू हो रही थी। लेकिन आरिया को अंदाज़ा लगाने का मौका नहीं मिला।
लिफ्ट धीमे झटके के साथ रुक गई। दरवाज़े सरक कर खुल गए। और वो जादू टूट गया।
आरिया कई सुपरकार्स में सफर कर चुकी थी क्योंकि उस के बाप को पक्का यकीन था कि ताकत और कामयाबी का दिखावा और भी ज़्यादा कामयाबी लाता है। हर बार जब वो अपने बाप के साथ ऐसी सवारी पर निकलती, वो मन ही मन दुआ करती कि ये जल्दी खत्म हो जाए। वो चुपचाप उन लाइफ लेसन स्पीच को सहती थी, जो उस सैर के दौरान मिलते थे। राल्फ जेम्स हमेशा खुश होता था कि उस ने अपनी बेटी को सही चालें सिखाई हैं।
आज रात, वो बिल्कुल बोर नहीं हो रही थी। उस की निगाह बार-बार बुगाटी के स्टीयरिंग पर बैठे शख्स की तरफ खिंच रही थी। उस का एक छोटा-सा हिस्सा मुंबई की ट्रैफिक का शुक्रियादा कर रहा था, जो उन की रफ्तार को धीमा कर रही थी।
⋙ (...To be continued…) ⋘
यहाँ तक कि लिफ्ट में हुए उस भावनात्मक क्षण की बची हुई हलचल से भरी यह खामोशी भी उसे अच्छी लग रही थी। उसे साँस लेने और सोचने का मौका मिल रहा था कि अर्जुन में ऐसा क्या है जो उस की भावनाओं और आत्म-संयम की दीवारों को हिला रहा है।
सच कहें तो, उस ने अब तक कोई ऐसा कदम नहीं उठाया था जो अनुचित या अपमानजनक लगे, जिस से आरिया को उस से डरने की ज़रूरत महसूस हो। हाँ, उस ने फ्लर्ट करने वाली बात जरूर कही थी, जो चुभी थी, लेकिन आरिया के टोकने पर उस ने वह बात वहीं खत्म कर दी थी — और यह बहुत अलग चीज़ थी, क्योंकि अतीत में कई पुरुषों ने ऐसी सिचुएशन में बात बढ़ाई ही थी।
लेकिन आरिया अब भी नहीं समझ पा रही थी कि क्यों उस के पास बैठने भर से ही वह इतनी बेचैन उत्तेजना महसूस कर रही थी।
ये जो भी था, इसे जल्दी कंट्रोल में लाना ज़रूरी था।
जैसे ही वो आरिया के अपार्टमेंट के करीब पहुँचे, तो अर्जुन ने लेन बदली। आरिया ने उस के हाथों या अपने से कुछ ही सेंटीमीटर दूर उस की तनी हुई जाँघों को देखने से खुद को रोकने की कोशिश की और उस की मर्दाना महक को साँसों में भरने से बची। इस कोशिश में उस ने गला साफ किया।
“तो... आप अपने भाई के पीछे जाएँगे?”
ट्रैफिक लाइट पर रुकते ही अर्जुन का जबड़ा सख्त हो गया। एक हाथ स्टीयरिंग के ऊपर टिका था, दूसरा उस की हल्की दाढ़ी को बेचैनी से रगड़ रहा था। “नहीं। अभी के लिए, फिलहाल मैं इस ख़्वाहिश को दबा रहा हूँ।”
आरिया के सीने से एक साँस निकली। “ये अच्छा है।”
हरी बत्ती जलते ही उस ने गाड़ी आगे बढ़ाई और उस की तरफ देखा। “क्या आप हर क्लाइंट को ‘प्यार करो, जंग नहीं’ वाला रास्ता सुझाती हैं?”
“अब तक मेरे असाइनमेंट्स डैमेज कंट्रोल या क्लाइंट की अच्छी इमेज बनाने के लिए बेस्ट पीआर स्ट्रेटजी पर आधारित रहे हैं। मैं आप को कोई ऐसी सलाह नहीं दूँगी जो इन्वेस्टर्स की निगाह में आप की इमेज खराब कर दे।”
उस ने फिर उस की तरफ देखा– “आप को क्या फिक्र? ये आप का आखिरी कमीशन है। इस के बाद जो होगा, वो आप का सिरदर्द नहीं है।”
आरिया ने होंठ काटे जब उस के भीतर एक खालीपन सा उभरा। “आप सही हैं। लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरा आखिरी काम मेरे मुँह में कड़वाहट छोड़ जाए।” उस ने खिड़की से बाहर देखा और उस का अपार्टमेंट ब्लॉक नज़र आया। उस ने शांत गली की तरफ इशारा किया। “अगर आप यहाँ रोक लें, तो मैं उतर जाऊँगी।”
उस ने उस की बात अनसुनी की और उस की बिल्डिंग के नो-पार्किंग ज़ोन में डबल ग्लास डोर्स के सामने गाड़ी रोकी। बाहर निकल कर उस का दरवाज़ा खोला।
आरिया ने ताज़ी हवा का एक गहरा घूँट लिया। “थैंक्स फ़ॉर द राइड।”
उस ने उस का हाथ पकड़ा और डबल डोर्स की तरफ बढ़ा। “मुझे डोर तक छोड़ने की इजाज़त दे कर शुक्रिया ज़ाहिर कर सकती हैं। और ये भी बता सकती हैं कि आप की बिल्डिंग में डोरमैन क्यों नहीं है। या ढंग की सिक्योरिटी क्यों नहीं।” उस ने उस आवारा से दिखने वाले जोड़े को घूरा जो बाहर निकल रहा था, फिर उस की तीखी नज़र उन दरवाजों पर गई, जो उन के पीछे पूरी तरह बंद नहीं हुए थे।
लिफ्ट में फिर से अर्जुन के साथ बंद होने की सोच आरिया के भीतर जो असर पैदा कर रही थी उसे दबाने के लिए उस ने उस का तीखा सवाल टाल दिया। “मेरे पास सुपरिंटेंडेंट है। क्या वो काफी नहीं है?”
“नहीं, बिल्कुल नहीं।”
उस के होंठों पर एक कड़वी मुस्कान आई– “हर कोई मालाबार हिल्स में बंगला नहीं ले सकता, अर्जुन।”
उस ने लिफ्ट का बटन दबाया। जब वो जल्दी नहीं आई, तो उस ने कई बार और दबाया– “मालाबार हिल्स में मेरा कोई बंगला नहीं है।”
“मेरे मम्मी-पापा का है।”
अर्जुन ने उसे घूरा– “उस के बावजूद भी आप यहाँ रह रही हैं?”
“हाँ,” आरिया ने सादगी से जवाब दिया।
उस ने और सवाल नहीं किए, जिस से आरिया को लगा कि परिवार का ज़िक्र उस के लिए भी उतना ही नापसंदीदा है जितना आरिया के लिए। अर्जुन ने लिफ्ट बटन को फिर से दबाया और जब लिफ्ट नहीं आई तो उस ने त्वचा उधेड़ देने वाली गाली बकी।
राहत और निराशा ने एक साथ आरिया को घेर लिया। “मैं सीढ़ियाँ चढ़ लूँगी। मैं सिर्फ तीसरी मंज़िल पर हूँ।”
वो बेहद सहजता के साथ पलटा और उसे आगे बढ़ने का इशारा किया। अपनी झिझक को दबाने की कोशिश करते हुए वह तेज़ी से सीढ़ियाँ चढ़ी और दो मिनट में अपने दरवाज़े तक पहुँच गई, खुद को हाँफने से रोकती हुई। दूसरी ओर, अर्जुन को ज़रा भी थकान नहीं हुई थी।
उस ने दरवाज़ा खोला। अनमने ढंग से उस की निगाह ऊपर उठी तो देखा कि वो अब भी उसे देख रहा था। “चूंकि नॉर्मल वर्किंग आवर्स का कोई मतलब नहीं रहा, तो कल मैं कब आऊँ?”
“एक और बहस से बचने के लिए, आप सात बजे आ सकती हैं।”
उस की आँखें बड़ी हो गईं। “पाँच बजे ही बुला लेते, क्या परेशानी है?”
उस ने कंधे उचकाए– “ख़ैर, मेरा वर्कडे तो 5 बजे ही शुरू होता है।”
“पूछने की हिम्मत करूँ कि खत्म कब होता है?”
“जब कॉफी मशीन चुप हो जाने की धमकी देती है। और वो हर दिन ऐसा करती है।”
वो हँसी। अर्जुन के भी होंठ धीरे से मुड़े। फिर उस की नज़र आरिया के होंठों पर ठहरी।
हँसी थम गई। वो पीछे हटी, उस की पीठ दरवाज़े से टकराई। “कल सुबह मिलते हैं?”
अर्जुन की गहरी आँखें उस की आँखों से मिलीं। “हाँ। मिलेंगे। गुड नाईट।”
वो जंगल के शिकारी की तरह चुपके से ताकत और रौब के साथ चला गया। और भले ही उस की पदचाप ज़रा भी सुनाई नहीं दी लेकिन आरिया ने खुद को उन्हें सुनने की कोशिश करते हुए पकड़ा।
खुद को संभालते हुए उस ने पीछे हट कर दरवाजा बंद किया।
बीस मिनट बाद वो नहा-धो कर अपनी पसंदीदा स्लीपिंग शर्ट में थी। बिस्तर पर बैठ कर, उस ने लैपटॉप खोला और ऑन किया। अर्जुन के साथ की उत्तेजना तुरंत खत्म हो गई, क्योंकि पहले माँ के कई ईमेल और फिर पिता के आदेश मिले कि वह माँ के ईमेल्स का जवाब दे।
उस ने अर्जुन के साथ इंटरव्यू के लिए फोन म्यूट कर दिया था और फिर ऑन करना भूल गई थी। उस ने साउंड ऑन किया और हैरान नहीं हुई जब फोन तुरंत बजने लगा।
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उत्तेजना अब ठंडी घबराहट में बदल गई थी। वो तैयार हुई और कॉल उठाया।
“आखिरकार जवाब तो मिला! मैं और तुम्हारे पापा सोच रहे थे कि कहीं तुम्हें एलियंस तो नहीं उठा ले गए,” उस की मम्मी ने तीखे लहजे में कहा, उन की आवाज़ में वो चुभन थी जो हमेशा आरिया को गुस्सा दिलाती थी।
“मैं ने मिस्टर अवस्थी से मिलने के लिए फोन म्यूट किया था। उस के बाद चीजें हाथ से निकल गईं।” उस ने तुरंत अपनी शब्दों की खराब पसंद पर पछतावा किया।
उस ने उन्हें सुधारने की जहमत नहीं उठाई, क्योंकि उस की मम्मी पहले ही तीखे ढंग से पूछ रही थीं, “हाथ से निकल गईं? क्या तुम कह रही हो कि हमें वो डील नहीं मिली? लानत है, मुझे खुद हैंडल करना चाहिए था। हम इंडिया की नंबर वन पीआर फर्म हैं। लोग हमारे पास आने की भीख माँगते हैं, हम उन के पीछे नहीं भागते। फिर भी, ये कमीशन हमारे लिए बहुत बड़ा हो सकता था। तुम्हें हमें कॉल करना चाहिए था जब चीज़ें बिगड़ने लगीं। राल्फ! इधर आओ। प्रॉब्लम हो गई।”
आरिया ने फोन को और सख्त पकड़ा, गुस्सा और दुख का वो जाना-पहचाना उफान उस के अंदर उठ रहा था। “मम्मी—”
“मुझे और तुम्हारे बाप को देखना होगा कि क्या इसे सही करने का कोई रास्ता है या…”
“मम्मी!”
“क्या?”
“मैं ने आज दोपहर को एसएनवी के साथ एग्रीमेंट साइन कर लिया।”
हैरान करने वाला सन्नाटा छा गया। आरिया ने सीने में जमा दुख को साँसों से बाहर निकालने की कोशिश की।
“ये... तो तारीफ के काबिल है?”
ये तारीफ नहीं बल्कि ताना था क्योंकि ये बात सवालिया लहजे में कही गई थी। और उस सवालिया निशान ने उसे जंग लगे पंजे की तरह चीर दिया था।
वही सवालिया निशान, जो उन्होंने उस समय भी लगाया था जब वह एक क्लाइंट द्वारा हमले का शिकार हुई थी — और उसे उसी क्लाइंट से डील करने के लिए मजबूर किया गया था।
एक मिनट बाद उस के बाप ने फोन लिया। “हमें बधाई देनी चाहिए?”
फिर से वही छुपा हुआ अविश्वास जो वो लोग उस पर हमेशा दिखाया करते थे।
“ये सवाल है, पापा?” उस ने रूखेपन से पूछा।
“तुम चाहे जैसे भी बात करो, लेकिन तुम ने साफ दिखा दिया है कि तुम इस बिज़नेस में बस थोड़े समय के लिए आई हो — वही बिज़नेस जिस ने तुम्हें कपड़े, गाड़ी, दुनिया भर की छुट्टियाँ और कॉलेज की फीस दी।"
“इन में से कुछ चीज़ें तो आप के माता-पिता होने के नाते आप की ज़िम्मेदारी थीं। बाकी की चीज़ें मैं ने कभी मांगी नहीं। और मैं अपनी पढ़ाई की कीमत चुका रही हूं। यह मत भूलिए।”
“तुम्हें ऐसा नहीं करना पड़ता, अगर तुम ने अपने असली इरादों के बारे में हमें गुमराह नहीं किया होता। हम ने लाखों रुपये खर्च कर तुम्हें कॉलेज इसलिए नहीं भेजा था कि तुम आर्ट पढ़ो। कोई बेवकूफ भी ड्रॉइंग कर सकता है। तुम्हें मार्केटिंग और पीआर पर फोकस करना था।”
“मैं बेवकूफ नहीं हूँ, पापा। और मैं ने डबल मेजर्स के साथ ग्रेजुएट किया। आप इस सच को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज़ करते हैं, क्योंकि ये आप के तर्क को सूट करता है। मुझे माफ करें कि मैं ने आप को और मम्मी को निराश किया, क्योंकि मैं वो नहीं चाहती जो आप चाहते हैं, लेकिन मेरी ज़िन्दगी मेरी है। अगर आप इस की इज़्ज़त नहीं कर सकते…”
“आरिया…”
उस के पापा की बात बीच में कट गई, क्योंकि उस की मम्मी ने फोन छीन लिया था। “बस करो। ये बहसबाज़ियाँ मेरे सिर में दर्द कर देती हैं और मैं आज रात ये बर्दाश्त नहीं कर सकती। हम ग्रीनहिल्स को होस्ट कर रहे हैं। वो अर्जुन अवस्थी जितने बड़े नहीं हैं, बिल्कुल, लेकिन मुझे और तुम्हारे पापा को अपना बेस्ट देना होगा। उन से मिलने वाला फायदा हमें ख़ास पहचान दिलाएगा। मुझे पता है तुम्हें हम से बात करने से ज़्यादा और काम पसंद हैं, तो बस मुझे कॉन्ट्रैक्ट की कॉपी फॉरवर्ड कर दो, ताकि अकाउंट्स डिपार्टमेंट एसएनवी के साथ पेमेंट शेड्यूल सेट कर सके।”
आरिया ने काँपते हुए साँस छोड़ी। उस ने अपने पैरेंट्स से प्यार की बेकार उम्मीद को बहुत पहले ही दफन कर दिया था। लेकिन उन की ठंडी बेपरवाही, जो सिर्फ सामाजिक और आर्थिक सीढ़ी चढ़ने तक सीमित थी उसे अभी भी दुख देती थी।
“मम्मी…”
“गुडबाय, आरिया।”
उस की माँ ने फोन काट कर, उसे मजबूर कर दिया कि वह उन शब्दों को निगल जाए जो कभी भी एक शांति-पूर्ण बातचीत का रास्ता नहीं बना पाते थे।
जब उसे अहसास हुआ कि आँसू बन रहे हैं, तो उस ने तेज़ी से पलकें झपकाईं। हाथ से चेहरा पोंछते हुए, उस ने कॉन्ट्रैक्ट अपनी मम्मी को फॉरवर्ड कर दिया।
लैपटॉप बंद कर के वो बिस्तर में ठीक से लेट गई और चादर को ठुड्डी तक खींच लिया। गुज़री बातें सोचना फ़िज़ूल था।
इस के बजाय, उस ने अपने दिन का जायज़ा लिया।
आज का दिन थोड़ा और बेहतर हो सकता था अगर वो अर्जुन के आस-पास अपनी बेकाबू भावनाओं पर और कंट्रोल रखती। उस के आकर्षण में डूबने से खुद को बचा सकती।
ख़ैर, कम से कम उस ने एसएनवी का कमीशन तो हासिल कर लिया था।
कल का दिन और बेहतर होगा।
***
सुबह छह बजे अलार्म बजा, तो वो ज़ोर से कराही। करवट बदलते हुए यह सोचने लगी कि क्या आधी रात को दौड़ कर SNV के ऑफिस जाने का फैसला वाकई नए दिन की बेहतरीन शुरुआत है।
उस ने उस बैकपैक को देखा, जिस में उस ने अपने वर्क क्लॉथ्स और दिन के लिए ज़रूरी सब कुछ तैयार रखा था। फिर से कराहते हुए, वो सोचने लगी कि आखिर उस ने क्या सोच कर ये फैसला लिया?
तब उस ने खुद को समझाया कि अर्जुन जैसे शख्स से बात करनी है तो दिमाग शांत और साफ़ चाहिए – और दौड़ इस काम में मदद करती है।
मन मार कर इस तर्क को मानते हुए, वो उठी और रनिंग गियर पहन लिया। बालों को पोनीटेल में बाँध कर, उस ने बैकपैक उठाया और निकल पड़ी।
पसीने से तरब तर पच्चीस मिनट बाद, वो एसएनवी पहुँची। वॉटर फाउंटेन से लपलप पानी पी रही थी, तभी उसे लगा कि कोई उसे देख रहा है। उस का दिल गले में आ गया, लेकिन सिर उठाने पर वो अर्जुन नहीं, बल्कि कोई और शख्स था, जो मुस्कुराते हुए हाथ बढ़ा कर उस के पास आया।
“मैं विनय गुप्ता। जापानी मर्जर की स्ट्रैटेजी टीम में हूँ। अर्जुन ने बताया कि उस ने मेरी सलाह मान कर आप को हायर किया।”
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आरिया सोचने लगी कि इतनी सुबह-सुबह (सिर्फ साढ़े छह बजे) अर्जुन ने ये कब बताया होगा, लेकिन फिर उस ने मुस्कराहट ओढ़ ली और बोली– “ओह, समझ गई। लगता है मुझे आप का एहसान मानना पड़ेगा।”
विनय की मुस्कान और फैल गई। “मैं कॉफी से जुड़े पेमेंट्स एक्सेप्ट करता हूँ।” वो उस के साथ कदम मिला कर चलने लगा और लिफ्ट का दरवाज़ा पकड़ा। “अच्छी बात ये है कि यहाँ वो सब फ्री है,” उस ने मज़ाकिया लहजे में फुसफुसाया।
आरिया हँसी। “समझ गई।”
विनय ने उसी फ्लोर का बटन दबाया, जहाँ अर्जुन का ऑफिस था, फिर उस पर तेज़ी से नज़र डाली– “आप को जल्दी करनी चाहिए। हो सकता है अर्जुन मीटिंग करे अभी। अपने एक्सपीरियंस से बताऊँ तो बेहतर होता है कि आप पहले से तैयार रहें ऐसी चीज़ों के लिए।”
उस ने जल्दी से शुक्रिया कहा, हालाँकि अर्जुन का नाम सुनते ही उस के शरीर में एक अजीब-सी गूँज शुरू हो गई थी। लिफ्ट से निकलते ही विनय दाएँ मुड़ा और वो वीमेन बाथरूम की तरफ बढ़ी, जहाँ शावर की पूरी व्यवस्था थी।।
“और एक बात...”
वो रुकी और पलटी।
“मुझे कॉफी ब्लैक चाहिए, दो शुगर क्यूब्स के साथ,” विनय ने कहा।
हल्के से हाथ हिला कर, वो बाथरूम में घुस गई।
वो ठीक सात बजे से एक मिनट पहले मार्गो की डेस्क पर पहुँची। मध्यम उम्र की मार्गो ने सिर उठाया और आँखें घुमाईं।
“सावधान रहना। उन का मूड ठीक नहीं है। कॉन्फ्रेंस रूम में एक ब्रीफिंग है। तुम्हें भी वहाँ जाना चाहिए। वो फोन कॉल पर है। खत्म कर के आएंगे।”
आरिया ने दरवाज़े की तरफ देखा, अंदर से आती तीखी आवाज़ सुनी और मार्गो के साथ एक घबराई मुस्कान साझा कर के दूसरी तरफ बढ़ गई।
वो कॉन्फ्रेंस रूम में दाखिल हुई और स्ट्रैटेजी टीम के तीन मर्दों और तीन औरतों को हेलो किया। विनय ने सब का परिचय करवाया, फिर आरिया कॉफी कार्ट की तरफ गई और दो कॉफी तैयार की। एक उस ने विनय को पकड़ाई।
“ब्लैक, दो शुगर क्यूब के साथ।”
उस ने कॉफी ले के एक घूँट लिया। “परफेक्ट। तुम रुक सकती हो।”
टेबल के चारों ओर मज़ाकिया आहें और चिढ़ाने की आवाज़ें गूंजीं।
मुस्कुराते हुए आरिया ने अपना कप उठाया और दरवाज़े पर चुपके से उसे देख रहे अर्जुन को देख कर जड़वत हो गई।
उस के घुटने जैसे जाम हो गए थे। सिर्फ़ उसे देख कर ही उस का पेट मरोड़ने और साँसें रुकने लगी थीं। अर्जुन से तनाव झलक रहा था। टीम अचानक चुप हो गई और एक-दूसरे को चुपचाप देखने लगी।
अर्जुन शिकारी की तरह आगे बढ़ा और टेबल के सिरे पर रुका। “आप सब मेरी नई पीआर एक्सपर्ट से मिल चुके हैं। गुड। ये एक छोटी मीटिंग होगी।”
लोग कुर्सियों पर हिले, गले साफ़ किए, पर माहौल में तनाव बना रहा।
“क्या तुम बैठने वाली हो, आरिया?” अर्जुन ने उस की तरफ बिना देखे पूछा।
“अ, हाँ।”
सब से दूर वाली सीट लेने वाली थी, तभी अर्जुन ने अपने बगल वाली चेयर की तरफ इशारा किया। फिर से उस की तरफ देखे बिना।
अपनी अनछुई कॉफी को पकड़े वो टेबल की दूसरी ओर से गई और चेयर पर सरक गई। कुछ धड़कनों बाद अर्जुन बैठ गया।
कल की तरह आज भी उस ने काली शर्ट और हल्की धारियों वाली फिटिंग ट्राउज़र पहन रखी थी। अगर उस ने टाई पहनी भी थी, तो अब उतार दी थी—शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले थे जिस से उस की मज़बूत गर्दन और रेशमी बालों की झलक दिख रही थी। आरिया ने तुरंत नज़रें हटाईं और सामने रखी फाइल पर ध्यान दिया।
पतली-सी फाइल को गौर से देखने पर पता चला कि उस में उस की कल की सारी खोजें दर्ज थीं।
उस की आँखें बड़ी हो गईं। क्या अर्जुन ने रात को ऑफिस लौट कर ये तैयार किया था? ये आदमी तो सुपरह्यूमन है!
“कल आरिया ने उस बात को कन्फर्म कर दिया जिस का हमें बीते कुछ दिनों से शक था। इशिकावा कॉरपोरेशन किसी और कंपनी को मर्ज के लिए देख रही है। जो बात रिपोर्ट में नहीं है, वो ये कि वह कंपनी मेरे भाई की है।”
अर्जुन की ठंडी और सख्त आवाज़ सुन कर आरिया की मांसपेशियां तन गईं और टेबल के चारों ओर हैरान फुसफुसाहटें फैल गई थीं।
“आप का भाई?” विनय ने दोहराया।
अर्जुन की आँखें और सख्त हुईं। “हाँ। वो टोरेडो इंक का सीईओ है। इस बात से हमारी स्ट्रैटेजी पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। कम से कम अभी नहीं। आरिया का मानना है कि केंजो और फैक्ट्रियों के रीलोकेशन का मुद्दा इस अचानक बदले हुए लक्ष्य को हवा दे रहा है। हम इसी पर फोकस करेंगे।”
विनय ने भौंहें सिकोड़ीं और आरिया की तरफ देखा– “आप को यकीन है?”
उस ने सिर हिलाया। “हाँ, पूरा यकीन है। बस खुद उन के मुंह से सुनना बाकी है।”
अर्जुन ने विनय को सख्त नज़रों से घूरा। “क्या तुम्हें इस अंदाज़े से कोई दिक्कत है? अगर है, तो इसे गलत साबित करो,” उस ने तीखे लहजे में कहा।
विनय की आँखें चौड़ी हो गईं। “उम्म... नहीं, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।”
“गुड। मैं चाहता हूँ कि अगले पाँच सालों के लिए पचास फीसदी फैक्ट्रियों को रीलोकेट करने और बाकी को जापान में छोड़ने की शुरुआती लागत की रिपोर्ट तैयार हो। बस। इतना ही।”
वो मीटिंग खत्म करने का इशारा करते हुए उठ गया। दरवाज़े से कुछ कदम दूर उस ने कंधे के ऊपर से देखा। “आरिया?”
वो उठी, उन सब की नज़रों को महसूस करते हुए जो उसे देख रहे थे।
बिना कुछ बोले, वो उस के पीछे उस के ऑफिस में गई, दरवाज़ा उन के पीछे बंद हो गया था। वही जाना-पहचाना कॉफी कार्ट सोफों के पास खड़ा था। अर्जुन उस की तरफ बढ़ा और एक एस्प्रेसो डाला।
एक बड़ा घूँट लेने के बाद, वो उस की तरफ पलटा।
“क्या पॉपुलैरिटी कॉन्टेस्ट तुम्हारा शौक है?” उस ने पूछा। उस का लहजा दोस्ताना हो सकता था अगर उस में वो खतरनाक तीखापन न होता।
आरिया ने आईब्रोज़ सिकोड़ीं। “क्या?”
“तुम किसी कमरे में घुसती हो और फौरन ये ज़रूरत महसूस करती हो कि हर कोई तुम्हें पसंद करे, है न?”
गुस्से का एक झटका और कुछ और जो वो समझ नहीं पाई, उस के अंदर से गुज़रा। “मुझे अभी बस ये पता है कि मुझे नहीं पता आप क्या बात कर रहे हैं। रुकिए, शायद मुझे एक चीज़ पता है। आप आज सुबह उठे ही गलत मूड में हैं।”
वो हल्का सा मुस्कराया– “तुम मान रही हो कि मैं सोया भी था।”
आरिया बोली– “तो ये प्रॉब्लम है। नींद की कमी से चिड़चिड़ापन आम बात है। दूसरी बात आप को मेरी लड़ाइयाँ लड़ने की ज़रूरत नहीं।”
“क्या मतलब?”
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“मैं अपने निष्कर्ष विनय को खुद समझा सकती थी। आप को यूँ टपक कर बोलने की ज़रूरत नहीं थी।”
हरी आँखें सिकुड़ गईं। “संभल कर, आरिया। तुम भूल रही हो कि बॉस कौन है।”
उस के भीतर एक और सिहरन दौड़ गई, लेकिन वो माहौल में उठती चिंगारियों के कारण थी। और इस वजह से भी कि वो पीछे नहीं हट रही थी, जैसा कि उस ने खुद से वादा किया था। सच तो ये था कि वो इस का लुत्फ़ ले रही थी।
“मैं नहीं भूली। लेकिन लगता है मैं ने रात से अब तक कुछ ऐसा किया है, जो आप को खास तौर पर चिढ़ा रहा है। पर मुझे उस का कोई अंदाजा नहीं….”
“जहाँ तक मैं देख रहा हूँ विनय ने न अपनी टाँगें खोई हैं न हाथ। तुम्हें उस के लिए कॉफी लाने की क्या ज़रूरत थी?”
उस का हँसने का मन हुआ, लेकिन वो रुक गई। “आप इस बात से नाराज हैं?”
अर्जुन की भौंहें और सिकुड़ीं। “मैं कोई मिसाल कायम नहीं करना चाहता,” उस ने कड़कते हुए कहा– “न ही वर्कप्लेस पर लिंगभेद का माहौल बनाना चाहता हूँ।”
आरिया ने गहरी, हिम्मत बटोरने वाली साँस ली। “तो आप ने सीधे-सीधे ये क्यों नहीं कहा? पॉपुलैरिटी वाला एंगल क्यों लिया? और कल आप ने मुझे इंदर के साथ फ्लर्ट करने का इल्ज़ाम लगाया था।”
“तुम खुद ही मेरी बात को साबित कर रही हो।”
“सचमुच? या आप मुझ में खोट निकालने के बहाने ढूँढ रहे हैं, क्योंकि आप को मुझ से कोई दिक्कत है?”
उस का जबड़ा सख्त हो गया। “मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूँ…”
“नहीं। मुझे यकीन दिलाने दीजिये। मैं उस वर्क एनवायरनमेंट से वाकिफ हूँ, जहाँ ये माना जाता है कि अपनी ताकत दिखाना और हर मिनट सब को याद दिलाना कि बॉस कौन है, यही काम करने का तरीका है। दोनों बार जब आप ने मुझ पर तीखा तंज कसा, आप के एम्प्लॉइज़ हैरान दिखे। जो बताता है कि आप आमतौर पर ऐसा नहीं करते। आप की दिक्कत खास तौर पर मुझ से है। इसलिए मैं खुद को साफ कर देती हूँ, इस उम्मीद में कि हम अगला दिन एक अच्छी शुरुआत से शुरू कर सकें। मुझे विनय रास्ते में मिला था। उस ने बताया कि उसी ने आप को हमें हायर करने का आइडिया दिया था। मैं ने उसे शुक्रिया के तौर पर कॉफी ला दी। बस इतनी सी बात है।”
ये जानते हुए कि उस ने फिर से एक लंबी तकरीर दे दी है, आरिया ने गहरी साँस ली।
अर्जुन ने कई पल तक बिना बोले उसे घूरा। आँखें उसी पर जमाए हुए उस ने अपना कप खाली किया, डेस्क पर रखा और शिकारी की तरह उस की तरफ बढ़ा, जहाँ वो खड़ी थी।
“जैसा मैं ने कहा... तुम चाहती हो कि लोग तुम्हें पसंद करें,” उस ने ताना मारा। उस की तकरीर का जरा भी असर नहीं हुआ था।
“आप मज़ाक कर रहे हैं…?”
अर्जुन ने बीच में टोका– “तो फिर मेरे बारे में क्या? क्या तुम मुझे पसंद करती हो, आरिया?”
“मैं... क्या?” उस ने साँस छोड़ी।
अर्जुन ने कंधे उचकाए, उस की चमकती आँखें उसे गौर से देख रही थीं, फिर उस के होंठों पर टिक गईं। “विनय ने बस तुम्हारी सिफारिश की थी। दो और कैंडिडेट्स भी थे, जिन्हें मैं चुन सकता था। मैं ने तुम्हें चुना। तो, बताओ… मुझे कैसे शुक्रिया कहोगी?”
हवा में बिजली-सी तड़क उठी। अदृश्य चिंगारियाँ उड़ने लगीं, उन के बीच तेज़ और अस्थिर ऊर्जा का तूफान उठा। उस के होंठों में झनझनाहट हुई, गला सूख गया, वो निगलने और बोलने की कोशिश कर रही थी। पहली कुछ कोशिशों में शब्द उसे धोखा दे गए, उस की इंद्रियाँ उस खतरनाक खाई के किनारे से पीछे हटने की कोशिश में डगमगा रही थीं, जो अचानक सामने खुल गई थी।
उस ने सिर हिलाया। हरकत टूटी-फूटी और बेतरतीब थी। “मैं इस में नहीं फँसने वाली,”
उस ने कहा। उस की आवाज़ फुसफुसाहट से थोड़ी ऊपर थी।
“किस में नहीं फँसने वाली, आरिया?” उस ने पूछा, उस की आवाज़ में एक अनजाना सा कंपन था, जिस ने उस के शरीर में और सिहरन भेज दी।
“जो भी जाल आप बिछा रहे हैं।”
“तुम जालों पर कुछ ज़्यादा ही ध्यान देती हो,” उस ने धीरे से तंज कसा, उस की निगाह अभी भी उस के होंठों पर थी।
“और आप उन्हें बिछाने में कुछ ज़्यादा ही माहिर हैं।”
“मैं जवाब का इंतज़ार कर रहा हूँ, आरिया।”
आरिया ने अपने होंठ चाटे। ये एक तेज़ हरकत थी। या उस पागलपन भरी झनझनाहट को रोकने की बेताब कोशिश।
तभी अर्जुन की आँखें नाटकीय ढंग से और गहरी हो गईं और उस ने एक साँस छोड़ी जो गुस्से से भरी लग रही थी।
ये क्या हो रहा था?
नहीं। जो कुछ भी हो रहा था, उसे समझने की ज़रूरत नहीं थी। वो खुद जानती थी कि शांत दिखने वाली चीज़ें कितनी जल्दी ज़िंदगी को ज़ख्मी कर देने वाला हथियार बन सकती हैं। ब्रायन ग्रे ने पिछले साल उसे एक कड़वा सबक सिखाया था। तब से उस ने भावना और आकर्षण के खतरों से और भी ज़्यादा दूरी बनाना सीख लिया था।
माना कि अर्जुन ने उस में ब्रायन से बिल्कुल अलग तरह की सनसनी जगाई थी। लेकिन ये दोनों ही समान रूप से खतरनाक थे। बल्कि इस बार ज़्यादा, क्योंकि इस बार उस की भी भावनाएँ उतनी बंद नहीं थीं जितनी ब्रायन के साथ। वो भी अर्जुन की ओर थोड़ी झुकने लगी थी।
ये अहसास उसे इतना परेशान कर गया कि वो एक कदम पीछे हटी। फिर एक और।
उस के दिमाग में वो सवाल गूंजा।
क्या तुम मुझे पसंद करती हो, आरिया?
जब अर्जुन की खुशबू उसे एक खूबसूरत भँवर में खींच रही थी, जब उस का शरीर इतना पास था कि उस से निकलती गर्मी महसूस हो रही थी, आरिया की इंद्रियाँ चिल्ला रही थीं—हाँ।
“मैं यहाँ काम करने आई हूँ, मिस्टर अवस्थी। मेरे कॉन्ट्रैक्ट में कहीं नहीं लिखा कि मैं दूसरों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं कर सकती। तो जब तक आप को मुझ से कोई और दिक्कत नहीं है, या कोई खास काम नहीं देना, मैं अपने ऑफिस में हूँ।”
वो मुड़ी और चली गई, इस बात को पूरी तरह महसूस करते हुए कि उस की हर चाल पर अर्जुन की नज़र टिकी हुई है।
वो उस कमरे में दाखिल हुई, जो उस ने कल इस्तेमाल किया था और ठिठक गई। जगह पूरी तरह बदल चुकी थी। एक कंप्यूटर सेट किया गया था, साथ में एक फोन, चमकदार स्टेशनरी और उस की अपनी रीफ्रेशमेंट ट्रॉली। खिड़की के दोनों छोर पर दो बड़े फर्न रखे गए थे और उस के डेस्क के पास एक पेडेस्टल पर फ्रेश, महँगे दिखने वाले फूलों का गुलदस्ता था।
वो कंधे के ऊपर से पलटी, तो देखा कि वो उसे घूर रहा था। आरिया के होंठ कुछ कहने को खुले, लेकिन इतनी तीखी बहस के बाद कहने के लिए सही शब्द नहीं थे।
⋙ (...To be continued…) ⋘
अर्जुन ने उस से मुँह मोड़ लिया और वो पल वहीं खत्म हो गया। अपनी साधारण, आत्मविश्वासी चाल में वह अपने डेस्क पर जा कर बैठ गया।
“आज तुम्हारा काम है कि केंजो इशिकावा तक पहुँचने का कोई रास्ता ढूँढो,” उस ने हुक्म दिया।
आरिया की आँखें चौड़ी हो गईं। “आप दादाजी के पीछे जा रहे हैं?”
उस ने उसे देखा– “जैसा तुम्हें लगता है, मैं हर उस दुश्मन को तबाह करने नहीं निकल पड़ता, जो मेरे रास्ते में आता है, आरिया।”
वो लाल हो गई। “देखती हूँ क्या कर सकती हूँ।”
“तुम्हें बेहतर करना होगा। तुम बार-बार मुझे अपने कॉन्ट्रैक्ट की शर्तें याद दिलाती हो, तो अब मेरी बारी है — तुम्हारा कॉन्ट्रैक्ट तब तक ही वैध है जब तक तुम मेरे लिए उपयोगी हो। मुझे कोई काम की चीज़ ढूंढ कर दो, वरना तुम्हारी उपयोगिता खत्म समझी जाएगी।”
वो चेतावनी सारा दिन उस के दिमाग में चक्कर काटती रही, वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद भी, जो पूरी तरह वक्त की बर्बादी साबित हुई थी।
कॉल शुरू होने के दस मिनट में ही साफ हो गया कि इशिकावा कॉर्पोरेशन वाले सिर्फ़ घिसी-पिटी बातें कर रहे थे ताकि थोड़ा और समय ले सकें। आरिया को हैरानी हुई कि अर्जुन ने उन्हें एक और हफ्ते का समय दे दिया, जब कि उन के मुद्दे एकदम छोटे और बेवकूफाना लग रहे थे।
फिर उस ने और उस की टीम ने बाकी हफ्ता इशिकावा कॉरपोरेशन के हर पहलू की गहरी छानबीन में बिताया।
जब मीटिंग में 'हॉस्टाइल टेकओवर' शब्द उछाला गया, तो आरिया को थोड़ी बेचैनी हुई। अर्जुन ने तुरंत सिर उठाया और सीधे उस की ओर देखा और उस आयडिया को सिरे से खारिज कर दिया। आरिया को समझ नहीं आया कि उस का दिल एक पल को क्यों धड़कना भूल गया था।
उन के बीच कुछ भी नहीं बदला था। मंगलवार सुबह की बातचीत ने उन के असहज रिश्ते की दिशा तय कर दी थी।
हर सुबह, अर्जुन उसे एक नया ब्रीफ देता। वह देर शाम को एक सटीक रिपोर्ट बना कर उसे सौंपती और निकल जाती।
उस ने उसे फिर कभी अपने प्राइवेट डाइनिंग रूम में खाने के लिए नहीं बुलाया। न ही उसे घर छोड़ने की पेशकश की।
वो खुद से कहती थी कि उसे इस बात की खुशी है।
बहुत खुशी।
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मंडे सुबह खिड़की के सामने खड़े हो कर अर्जुन ने अपने फोन पर आया मैसेज पांचवीं बार पढ़ा। अनगिनत बार वह सोच चुका था कि क्या गौरव से संपर्क करना सही फैसला है। जो बात संडे तड़के एक समझदारी भरा कदम लगी थी (अपने भाई को चेतावनी देना कि वो हार मानने वाला नहीं है) वही कुछ घंटों बाद उसे कड़वी
लग रही थी।
उस ने गौरव के फास्ट रिप्लाई की उम्मीद नहीं की थी, न ही उस ने अपने भाई की ईमेल में छिपी माँग की उम्मीद की थी। गौरव एक मीटिंग चाहता था।
यह सीधी माँग किसी आदेश की तरह लग रही थी। साफ था कि उस के अलग-थलग भाई ने अब भी अपनी मशहूर घमंडी अकड़ नहीं छोड़ी थी। और उस की शर्त ये थी कि मीटिंग पन्द्रह मिनट से ज़्यादा नहीं होगी।
होंठ सिकोड़ते हुए उस ने ईमेल के साथ दिया गया नंबर डायल किया। एक गैर-ज़रूरी उत्साह के साथ, उस ने फोन कान से लगाया।
चौथी रिंग पर जवाब आया। “अर्जुन…मेरे भाई।”
अपना नाम उस के होंठों पर सुन कर यादों का एक सैलाब उमड़ने को हुआ। वो यादें, जो इस सवाल के इर्द-गिर्द घूमती थीं कि उस का भाई अस्तित्व में क्यों है। उस ने उन यादों को बेरहमी से वापस धकेल दिया।
“अगर मैं ने तुम्हारी नींद खराब की है, तो बस कह दो मैं बाद में और सही वक्त पर कॉल कर लूँगा,” अर्जुन ने कहा।
जवाब में बस एक व्यंग्य भरी खरखराहट आई। “तुम ने सिर्फ़ मेरे शानदार नाश्ते और बिस्तर में मौजूद लड़की से मुलाकात में खलल डाली है — और मैं दोनों के पास अगले साठ सेकंड में वापस लौटने वाला हूँ, क्योंकि मुझे नहीं लगता ये कॉल इस से ज़्यादा चलेगी।”
“तुम इस वक्त ये सब करते हो?” अर्जुन ने पूछा।
“आज़ादी की यही तो सब से अच्छी बात होती है कि जब जो मन चाहे, वो किया जा सकता है। लेकिन बात ये है मेरे भाई कि तुम्हें मेरी आदतों से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।”
अर्जुन ने भाई शब्द पर दाँत पीसे, सोचते हुए कि गौरव उस अतीत से क्यों उसे चिढ़ाता रहता था, जिसे यकीनन दोनों भूलना चाहते थे। उस ने कभी यह जानने की कोशिश नहीं की थी कि क्यों गौरव ने भी बालिग होते ही बचपन वाला घर छोड़ दिया था — लेकिन अफवाहें उन के बाप से जुड़ी हुई थीं।
फिर भी, गौरव हर मौके पर ये याद दिलाने से नहीं चूकता था कि वो भाई हैं।
उस तंज भरे जवाब को नज़रअंदाज़ करते हुए, उस ने बात आगे बढ़ाई। “मैं कल की मीटिंग के बारे…”
गौरव बीच में बोला– “अगर तुम चाहो तो मैं उसे आधा घंटा कर दूँगा। लेकिन इस से ज़्यादा नहीं। मेरे पास दोपहर को बैक-टू-बैक मीटिंग्स हैं, जिन के लिए मुझे दिन भर प्लेन में यहां से वहां उड़ना है।”
अर्जुन के होंठ सिकुड़े– “मीटिंग की कोई ज़रूरत नहीं, अगर तुम समझदारी दिखाओ और अभी पीछे हट जाओ।”
दूसरी तरफ से सख्त सन्नाटा मिला। उसे मालूम था कि लाइन नहीं कटी है, क्योंकि उसे गौरव की स्थिर साँसें सुनाई दे रही थीं।
“क्या मुझे याद दिलाना पड़ेगा कि तुम ने ही मुझे कॉन्टैक्ट किया था?” आखिरकार उस के भाई ने तीखे लहजे में कहा, उस की आवाज़ में गुस्से की थरथराहट थी।
अर्जुन ने कंधे उचकाने की कोशिश की, फिर उस बेकार हरकत को रोक लिया। अनचाहे ही, आरिया की आवाज़ उस के दिमाग में कौंध गई थी।
आँखों में आँखें डाल कर बात करने वाला तरीका।
उसे ये बात बहुत चुभती थी कि आरिया से हुई बातचीत की झलकियाँ ऐसे वक्त दिमाग में आती थीं जब वह उन्हें सब से कम चाहता था। और उस से भी ज़्यादा उसे यह ख्याल परेशान करता था कि शायद इन्हीं बातों ने उसे गौरव से कॉन्टैक्ट करने के लिए प्रेरित किया — एक ऐसा फैसला, जिस का वह हर गुज़रते पल के साथ पछतावा कर रहा था।
“और ये तब तक चलता रहेगा, जब तक मैं मर्जर नहीं जीत लेता। मैं कल तुम्हारे ऑफिस में तय वक्त पर पहुँचूँगा। मेरा सुझाव है कि तुम भी वहाँ रहो।”
“तुम्हें धमकियाँ देने से बचना चाहिए, गौरव।”
“वरना क्या? तुम फिर से बोरिया-बिस्तर बाँध कर कहीं और चले जाओगे?” उस के भाई की आवाज़ में एक रूखी-सी ध्वनि थी, जिस ने अर्जुन की भौंहों को पल भर के लिए सिकोड़ दिया।
⋙ (...To be continued…) ⋘