Novel Cover Image

Ruby (Story Of Revenge)

User Avatar

Ramandeep Kaur

Comments

0

Views

406

Ratings

61

Read Now

Description

रूबी रीवेंज कहानी है इंतकाम की , कहानी है प्यार की ,कहानी है वार की , कहानी है अपमान की , कहानी है दोस्ती की , कहानी है प्यार की , कहानी है इंतजार की रूबी कहानी है समाज के दो वर्गो के बीच की दरार की । इस कहानी में हमे समाज के कुछ चेहरे दिखेंगे ज...

Total Chapters (89)

Page 1 of 5

  • 1. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 1

    Words: 1044

    Estimated Reading Time: 7 min

    दिसंबर आखिर की दोपहर, स्कूलों और कॉलेजों में आज से छुट्टियाँ शुरू थीं और बच्चे इसी छुट्टी के चलते खुशी-खुशी अपने घरों को जा रहे थे। बाज़ार भरे हुए थे। यहाँ पर फूलों की दुकानें सजी हुई थीं और वहीं पर कार्ड भी दिखाई दे रहे थे। साल बीतने और नए साल के आने की खुशी अलग ही थी चारों तरफ।

    सर्दी की दोपहर भी दोपहर ना लग रही थी। धूप तो थी पर उसका आनंद भी अलग था, जिसके चलते लोग भी घरों में ना थे। वो भी अपनी रोजमर्रा की जरूरी चीजें खरीद रहे थे। कुछ औरतें ग्रुप में थीं तो कुछ अपने में ही थीं।

    वहीं इस ठंडी सी दोपहर में दो लड़कियाँ, जो दिखने में चौबीस की ही लग रही थीं, वो दोनों सामने के स्कूल की बिल्डिंग के गेट से बाहर निकलीं जो के अपनी ही बातें कर रही थीं। उनके पीछे बच्चे भी आ रहे थे। उस गेट पर बड़े-बड़े अक्षरों में विस्डम स्कूल लिखा था। और वो दोनों बातें करती हुई सड़क के दूसरी तरफ दुकान पर चली गईं।

    "यार छुट्टियाँ पड़ ही गईं आखिर", पहली लड़की ने मुस्कुरा कर कहा। तो दूसरी लड़की भी मुस्कुरा दी और दोनों दुकान के अंदर जाने लगीं कि तभी दूसरी लड़की का ध्यान एक तरफ बने स्टैंड पर रखे नए साल के कार्ड पर चला गया, जिनको देख वो मुस्कुरा दी और उन कार्ड को देखने लगी। वही पहली लड़की अंदर चली गई। पर दूसरी लड़की जो कार्ड देख रही थी वो मुस्कुरा रही थी और स्टैंड से कार्ड उठा-उठा कर एक के बाद एक कार्ड देख रही थी जिन पर बीते साल और आने वाले साल लिखे थे, कि तभी उसका ध्यान एक कार्ड पर गया जिस पर प्यारा सा दिल बना था और नए साल की कुछ लाइनें भी लिखी हुई थीं, जिसे देख उस लड़की के चेहरे पर स्माइल आ गई।

    जिससे उसकी वो छोटी-छोटी आँखों में एक प्यार की लहर सी उठी ।इन गुलाबी होंठों पर थिरक रही मुस्कान तो जैसे कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी और चेहरे पर आई लाली जिस से गोरे गाल गुलाबी हो चुके थे।

    वो मंद-मंद मुस्कुराती उस कार्ड की लाइनों को होंठों ही होंठों में पढ़ रही थी। जिसकी वजह से उसके चेहरे की मासूमियत भी साफ-साफ दिख रही थी। साड़ी पहने खड़ी ये लड़की बहुत ही प्यारी लग रही थी।

    के तभी उस बिजी सड़क पर एकदम से शोर मच गया और भागम-भाग हो गई, कुछ रोने की आवाज तो कुछ धूल उड़ता हुआ दिखा, जिसे देख उस लड़की के हाथ से कार्ड गिर गये और वो उस तरफ देखने लगी। दुकानदार और अंदर जितने भी लोग थे वो भी बाहर आकर देखने लगे आखिर यहां पर हो क्या गया। तभी धुएँ का गुब्बार हटा और सामने दो बच्चे लहूलुहान दिखे, वहीं सड़क के दूसरी तरफ एक बाइक गिरी पड़ी थी और एक आदमी वहां पर गिरा हुआ था, जिसके सिर से खून बह रहा था और कुछ दूरी पर एक गाड़ी खड़ी थी जिसके टायर्स के निशान उस सड़क पर घिसने की वजह से छप चुके थे। कुछ पल के लिए जो शांति छाई थी वो अब एकदम से शोर में बदल गई थी।

    पर कोई भी उन घायल पड़े बच्चों और आदमी के पास नही गया। तभी वो लड़की जो कार्ड देख रही थी वो भागते हुए आगे आई जिसके साथ उसकी सहेली भी थी।

    "हेल्प करो कोई तो मदद करो", उसने कहा और उस बच्चे को उठाने लगी, जिसे देख कर आस पास के लोग जल्दी से आगे बड़े और उन तीनो को उठा पास के ही एक नर्सिंग होम में ले गये।

    वही वो कार जो कुछ समय के लिए रूकी थी वो आगे बढ़ गई और वो लोग बिना किसी की नजर में आये निकल गये।

    "डॉक्टर आप अच्छे से चैक करें ना ये बच्चा सांस ले रहा है", उस टीचर ने कहा तो वही डॉक्टर उसे देखने लगे।

    "देखे बाइक का टकराव सीधे गाड़ी से हुआ है जिसकी वजह से एक बच्चा जो उछल कर गाड़ी के पहिये के नीचे आ गया था उसने उसी समय दम तोड़ दिया और दूसरे बच्चे की हालत भी खस्ता है और शायद जो इनके साथ है वो फिलहाल खतरे से बाहर है", डॉक्टर ने कहा और साथ ही उस बच्चे के चेहरे पर सफेद कपड़ा डाल दिया और वो लड़की बस देखती ही रह गई।

    उसने जल्दी से उस बच्चे के चेहरे से कपड़ा हटाया और उसके चेहरे को थपथपाने लगी, "गोलू उठो गोलू जल्दी उठो देखे तुम्हारी मेम तुमको बुला रही है, इस बार हम अच्छे से सब काम कर लेंगे", उस लड़की ने कहा।

    पर वो बच्चा कुछ नही बोला तभी उस लड़की के कंधे पर दूसरी लड़की ने हाथ रखा जिस से वो लड़की पीछे देखने लगी।

    "देख ना गोलू बोल ही नही रहा क्लास में तो चुप नही करता और अब बोल नही रहा तू बोल ना इसे के कुछ तो बोल", उसने कहा।

    "रूबी बस", उस लड़की ने कहा और उसे गले से लगा लिया वहीं नर्स उनको देखती ही रह गई।

    ●●●●●●●●●●●●●●●●

    दिल्ली दिलों की धड़कन कहा जाने वाला शहर, जिसका नाम अब देश ही नही विदेशों में भी धूम मचा रहा है। उसी दिल्ली के एक नामी कॉलेज, दिल्ली कॉलेज (मेरी कहानी के लिए काल्पनिक), अपनी रैंकिंग और कल्चरल एक्टिविटी के लिए जाना जाता है। वहीं इस कॉलेज में अच्छे घरों के बच्चे ही पढ़ने आते है। आम परिवार के बच्चे भी आते है जिनके पास स्कॉलरशिप हो या यहां की पढ़ाई अफोर्ड कर सकते हो, क्यूंकि यहां पर बच्चो का फ्यूचर एक दम सिक्योर रहता है। इस कॉलेज में आने का मतलब है के आप एक अच्छी जॉब लेकर ही बाहर जायेंगे।

    उसी कॉलेज के गेट पर खड़ी लड़की जो कि आम सी ही थी दिखने में, जो जीन्स टॉप में थी, बालों को बांध रखा था, कंधे पर बैग टंगा हुआ, पैरों में बूट और आंखो पर चश्मा लगाये उस कॉलेज को देख रही थी। चेहरे पर इस समय दूनिया जहान की घबराहट थी उसके और वो बस एकटक उस कॉलेज को ही देख रही थी के तभी पीछे से आ रहे बच्चो के ग्रुप में से किसी ने उस लड़की की कलाई पकड़ कर उसे एक तरफ करा और आगे बढ़ गया। वही वो लड़की अभी अभी जो हुआ उसे देखती ही रह गई और वो ग्रुप आगे बढ़ गया।

    रब राखा।

  • 2. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 3

    Words: 976

    Estimated Reading Time: 6 min

    वहीं वो लड़की अपना चश्मा सही करते हुए उनको देखती ही रह गई और फिर उसने भी उसी कॉलेज में कदम रखा और आगे बढ़ गई। कॉलेज अपने नाम के अनुसार ही था। यहाँ पर इस कॉलेज के अंदर की दुनिया अलग ही थी। लड़कियाँ, लड़के ग्रुप में थे, या फिर कपल्स के रूप में बाहों में बाहें डाले घूम रहे थे, जिसे देख वो लड़की हैरान थी।

    क्योंकि उसके लिए ये सब नया था। पढ़ने में होशियार होने के कारण उसे इस कॉलेज में स्कॉलरशिप मिल गई थी। वो चारों तरफ देखते हुए जा रही थी के तभी किसी ने उसे आवाज लगा दी, "हे चश्मिश, इधर आ।" जिसे सुन वो लड़की हैरान हो गई।

    क्योंकि वहाँ पर उसके सिवाय और कोई नहीं था और जिस तरफ से आवाज आई थी उस तरफ कुछ लड़के-लड़कियों का ग्रुप खड़ा था जो उसे ही देख रहे थे। और उसके सामने ही कुछ और बच्चे खड़े थे।

    "देख क्या रही हो तुझे ही बुला रहे हैं, आ जल्दी आ," एक लड़की ने कहा जिसने इस समय जीन्स के साथ क्रॉप टॉप पहना था, जिससे उसकी कमर बहुत अच्छे से विसिबल थी और बेहद अट्रैक्टिव भी लग रही थी।

    "अरे चश्मिश जी आ जाएँ के अब आपके लिए रेड कार्पेट बिछाएँ हम लोग," दूसरी लड़की ने कहा तो वो लड़की जिसको अभी-अभी चश्मिश नाम मिला था वो उस तरफ को चल दी।

    "आइए चश्मिश जी, शामिल हो जाइए इस तरफ।" पहली लड़की ने कहा तो वो लड़की चुप सी दूसरी तरफ खड़े बच्चों को देख उनके साथ ही खड़ी हो गई। ये बच्चे भी अच्छे खासे घरों के लग रहे थे। वो लड़की जिसका अभी अभी नामकरण हुआ था वो सामने देख रही थी। यहां पर 4 लड़के वहाँ लगी बेंच पर बैठे हुए थे और दो लड़कियाँ जिस में से एक अपने पहने हुए आउटफिट में बेहद ही हॉट लग रही थी और एक लड़की पीछे एक लड़के के कंधे पर दोनों हाथ रख खड़ी थी।

    "तो आप सब यहाँ पर नए आए हैं?" सामने खड़ी हुई लड़की ने कहा तो सब बच्चों ने सिर हिला दिया और चश्मिश जो सब के पीछे खड़ी थी उसने भी सब की तरह सिर हिला दिया।

    "तो फिर तुम सब को यहाँ के रूल्स भी पता होंगे, है ना?" उस लड़की ने कहा तो सब बच्चों ने हाँ में सिर हिला दिया।

    "वैरी गुड तो चलो, एक-एक करके खुद ही आगे आ जाओ और जो भी हम कहें वैसा करते जाओ," उस लड़की ने मुस्कुरा कर कहा।

    "यार ये लोग रैगिंग करने वाले हैं हमारी। मैंने सुना है के यहां पर रैगिंग होना आम बात है और अगर कोई इनकी बात ना माने तो वो इस कॉलेज में नहीं रह सकता," एक लड़की ने अपने पास खड़ी लड़की से कहा।

    चश्मिश ने ये बात सुन ली और अपना चश्मा सही करते हुए वो सामने देखने लगी। यहाँ पर वो सब लोग मुस्कुरा रहे थे।

    पीछे बैठे 4 लड़के जो के एक से बढ़ कर एक थे । पर एक तो अपना फोन ही देख रहा था और बाकी अपने सामने खड़े बच्चों को ही देख रहे थे जो अभी भी नहीं हिले थे।

    "देख निवान, ये सब तो ऐसे खड़े हैं जैसे इनको बहुत बड़ी सजा मिलने वाली है," एक लड़के ने अपने पास बैठे लड़के से कहा।

    तो निवान मुस्कुरा दिया और, "भाविक देख ना बेचारों के चेहरे कैसे मुर्झा गये हैं," निवान ने भाविक से कहा।

    "एक बात है इस बार, सब बच्चे एक से बढ़कर एक आए हैं। पिछले एक हफ्ते से सब को देख रहे हैं, हुस्न तो कमाल का है यहां पर," तीसरे लड़के ने कहा जिसकी नजर बस लड़कियों पर ही थी।

    "बस कर दिवित, लास्य भी खड़ी है यहां पर," भाविक ने कहा तो दिवित अपने पीछे खड़ी लड़की को देखने लगा जिसका नाम लास्य था।

    "तुम नाराज तो नहीं ना," दिवित ने उस से पूछा तो लास्य मुस्कुरा दी और ना में सिर हिला दिया।

    "ले उसे कोई फर्क नही तो तुमको क्या लगी है, शी इस माइन समझे," दिवित ने भाविक से कहा। वहीं एक लड़का उनके बीच बैठा सब की बातें सुन रहा था और मुस्कुरा दिया, जो बस अपने फोन को ही देख रहा था।

    "क्या यार प्रांजल, तू बस फोन ही देखता रहा कर सामने देख," भाविक ने उस लड़के से कहा, जो फोन देख रहा था।

    "बस भाई आप देखो जो करना है करो, मुझे इस सब का हिस्सा मत बनाओ," उस लड़के ने कहा जिसका नाम प्रांजल था।

    "चल छोड़ प्रांजल, देख सामने तुम को कुछ अजीब नहीं लगा," निवान ने कहा तो प्रांजल ने सामने देखा। यहाँ पर कम से कम 10 बच्चे थे। प्रांजल जिसने सब को देखा वो एक तरफ देखता ही रह गया। यहां पर चश्मिश खड़ी अपने चश्मे को हाथ से सही कर रही थी।

    उसे देखते हुए प्रांजल आगे बढ़ा और एक तरफ आकर खड़ा हो गया। "इसे क्या हो गया?" उसी लड़की ने भाविक के पास आकर कहा जिसने चश्मिश को आवाज लगाई थी।

    "खनक देखती जा जैसे हम सब देख रहे हैं," भाविक ने कहा तो खनक भी सामने देखने लगी।

    "यू, तुम किसके ऊपर खड़ी हो जो इतनी लंबी हो?" प्रांजल ने चश्मिश को देखते हुए कहा, तो सब चश्मिश को देखने लगे जो उन खड़े बच्चों में से सब से लम्बी थी।

    "नहीं मै किसी के पर भी नहीं खड़ी," चश्मिश ने कहा। तो प्रांजल उसे देखता ही रह गया और हाथ के इशारे से उसके सामने खड़े बच्चों को उसके सामने से हटने का कहा। तो वो बच्चे चश्मिश के सामने से हट गये। तो प्रांजल चश्मिश को देखता ही रह गया जो सचमुच लंबी थी, बाकी लड़कियों के मुकाबले।

    "वाह हाइट बहुत अच्छी है, नाम क्या है तुम्हारा?" प्रांजल ने पूछा, तो उस चश्मिश ने सब को देखा।

    "रूबी," उसने कहा जिसे सुन प्रांजल उसे देखता ही रह गया।

    रब राखा।

    क्या है रूबी नाम में जो प्रांजल नाम सुन उसे देखता ही रह गया।

  • 3. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 5

    Words: 1096

    Estimated Reading Time: 7 min

    "वाह हाइट बहुत अच्छी है, नाम क्या है तुम्हारा?", प्रांजल ने पूछा। तो उस चश्मिश ने सब को देखा।

    "रूबी," उसने कहा जिसे सुन प्रांजल उसे देखता ही रह गया।

    "बस बस हो गया, अब हम अपना काम करते है रैगिंग का।" खनक ने प्रांजल के पास आते हुए कहा, तो सब बच्चे उसे देखने लगे।

    "आज इस रैगिंग में आप सब को गाना सुनाना है, और जो नहीं सुना सकता उसे कुछ और करना होगा।" लास्य ने कहा जो दिवित के पीछे खड़ी थी।

    वहीं प्रांजल रूबी को ही देख रहा था और रूबी उसके ऐसे देखने से असहज हो रही थी।

    "प्रांजल आजा बैठ, देखते है क्या करती है ये परियां," दिवित ने कहा तो प्रांजल उसे देखने लगा और फिर सिर हिला कर वापस से एक तरफ बैठ गया। सब बच्चे धीरे धीरे आए और गाने लगे। कुछ तो बेहद अच्छे थे तो कुछ ठीक ठाक थे। तभी रूबी का नंबर आया और वो आखरी ही रह गई थी।

    "आइए रूबी जी बताइए क्या गायेंगी आप," खनक ने कहा तो रूबी सब को देखने लगी और फिर उसने गाने के लिए मुंह खोला, और बाकी बच्चो ने अपने कान ढक लिए। आखिर इतनी सुरीली आवाज कोई कैसे सुन सकता था।

    "बस बस बस कर," निवान ने जल्दी से कहा तो रूबी जो आंखें बंद कर गा रही थी, उसने सब को देखा जो उसे ही देख रहे थे।

    "बहुत ही खतरनाक गाना है तुम्हारा तो," निवान ने कहा। वहीं बाकी सब उसे ही देख रहे थे।

    "चलो तुम्हे अब कुछ और करना होगा," खनक ने कहा तो रूबी अपना चश्मा सही करते हुए बोली, "पर अब क्या करना है मुझे, गाना तो गा दिया ना जी?" उसने कहा, तो खनक के चेहरे पर स्माइल आ गई।

    "तुम तुम्हारे गाने की वजह से हम बहरे हो सकते थे तो अब कुछ और करना होगा," उसने चारों तरफ देख कहा। तभी उसकी नजर एक तरफ जा रहे लड़के पर पड़ी जिसकी पीठ थी उसकी तरफ।

    "वो ब्लैक जैकेट वाला लड़का दिख रहा है ना, बस उसके पास जाओ और उसे किस करके आओ।" खनक ने कहा तो रूबी उसे देखती ही रह गयी।

    "अब हम सबकी सुनने की शमता पर असर हो गया है तो तुम जल्दी से जाओ और हां किस करके आना, हम सब देख रहे है।" खनक ने कहा, वहीं पीछे बैठे सब उसे देख मुस्कुरा रहे थे।

    और रूबी, जिसने बच्चों की बातें सुनी थी के अगर इन बच्चो की बात नहीं मानी तो यह लोग बहुत बुरी तरह से ट्रीट करते है उनके साथ, और वो हैरानी भरी आंखो से सब को देखते हुए उस तरफ देखने लगी जहां वो लड़का खड़ा फोन पर बात कर रहा था।

    रूबी अपना चश्मा और बैग संभालते हुए उस तरफ चल दी। वहीं खनक भाविक के पास आई जो खड़ा हो कर उसे ही देख रहा था। "आखिर तुमने अपने मन की कर ही ली," भाविक ने कहा और उसे अपने पास कर उसको किस करने लगा। वहीं बाकी सब दोनो को देख मुस्कुरा दिए।

    "ये प्रांजल कहां गया," निवान ने कहा तो सब का ध्यान प्रांजल पर गया जो उनके पास नहीं था।

    "गाइज वो रहा प्रांजल," लास्य ने दिवित के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा, तो सब उसे देखने लगे और फिर उसकी नजरों का पीछा करा, तो प्रांजल रूबी के सामने खड़ा था।

    "मतलब मेने उस फटीचर को प्रांजल से किस करने का कहा। अब तो गई ये," खनक ने कहा और हँस दी। वहीं बाकी सब सामने देखने लगे।

    वहीं रूबी जो प्रांजल के सामने खड़ी थी वो हैरान सी थी उसे देख कर। "सॉरी जी, वो अगर मेने अपने सीनियर्स की बात नहीं मानी तो वो लोग मुझे यहां पर रहने नहीं देंगे और मुझे यहां पड़ना है।" रूबी ने कहा तो प्रांजल उसे देखता रह गया।

    "मतलब?" उसने पूछा, तो रूबी उसकी आवाज सुन ही सहम गई जो के भारी भरकम थी।

    "वो मुझे आपको किस करना है जी, प्लीज मान जाइये जी," रूबी ने बेहद मिन्नत भरे लहजे में कहा, तो प्रांजल उसे देखता ही रह गया।

    "मैं आपको किस कर लूं जी?" रूबी ने अपना चश्मा सही करते हुए कहा तो प्रांजल उसे देखता ही रह गया। वही रूबी ने कदम आगे बढ़ाया और प्रांजल को देखने लगी। दोनो की हाइट इस समय सेम थी। दोनो एक दूसरे की आंखो में ही देख रहे थे। तो वही आस पास के बच्चे उनको देख खड़े हो गये थे आखिर इस कॉलेज में ये आम था सीनीयर कुछ ना कुछ कहते रहते थे यूनीयार को।

    तभी रूबी ने झुक कर प्रांजल का हाथ पकड़ा और उसके हाथ को अपने होठो से लगा लिया और फिर धीरे से पीछे हट गई। "हो गया," रूबी ने कहा वही बाकी सब हैरान से रह गये।

    "अबे इस लड़की ने प्रांजल को हाथ लगा दिया, प्रांजल बत्रा को और प्रांजल ने कुछ कहा भी नही," निवान ने हैरानी से कहा वहीं खनक के चेहरे पर भी उदासी थी। "उसको किस करने को कहा था ये नही कह था," खनक ने कहा।

    तो वहीं भाविक प्रांजल को ही देख रहा था जो अभी भी रूबी को ही देख रहा था।

    और बाकी के बच्चे तो ये सब देखते ही रह गए। यहां कुछ लड़किया तो जल भुन गई थी रूबी और प्रांजल को देख कर।

    "सॉरी सर जी," रूबी ने कहा और धीरे से अपने पैर पीछे हटाते हुए वो वहां से चली गई, तो भाविक, निवान, दिवित भाग कर प्रांजल के पास आ गये।

    "तू ठीक है ना," भाविक ने प्रांजल से पूछा तो प्रांजल ने भाविक को देखा। "जी भाई मैं ठीक हूं, क्लास के लिए जा रहा हूं," प्रांजल ने कहा और चला गया वहीं बाकी सब उसे देखते हुए आगे बड़ गये।

    रूबी अपनी क्लास में आ गई थी और एक तरफ के बेंच देख वो वही पर बैठ गई। पहला दिन होने की वजह से वो नहीं जानती थी किसी को। वो तो इस शहर में भी पहली बार आई थी । तो वही कुछ बच्चे जो अभी अभी आये थे वो रूबी को ही देख रहे थे और आकर अपनी अपनी सीट पर बैठ गये थे।

    "हेलो," एक लड़की ने रूबी के पास आकर बैठते हुए कहा, रूबी उसे देखने लगी। "हेलो," रूबी ने कहा।

    "वैसे बाहर जो भी करा है पता भी है तुमने क्या करा।" उस लड़की ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    तो वो लड़की मुस्कुरा दी। "जिसके हाथ को पकड़कर तुमने चुम्मा है ना, कल उसी हाथ से उसने एक लड़की को थप्पड़ मारा था, वो भी इतनी जोर से के वो लड़की बेहोश हो गई थी।" उस लड़की ने कहा तो रूबी का मूंह खुला रह गया।

    रब राखा।

  • 4. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 4

    Words: 886

    Estimated Reading Time: 6 min

    वो लड़की मुस्कुरा दी। "जिसके हाथ को पकड़कर तुमने चुम्मा है ना, कल उसी हाथ से उसने एक लड़की को थप्पड़ मारा था। वो भी इतनी जोर से के वो लड़की बेहोश हो गई थी।" उस लड़की ने कहा तो रूबी का मुंह खुला रह गया।

    "याद रखना एक बात, वो बड़े लोग हैं। कुछ भी बिना मतलब के नहीं होता उनकी दुनिया में। तो हो सके तो प्रांजल से दूर ही रहना", उस लड़की ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया। तब तक क्लास में टीचर आ गए और सब बच्चे उस तरफ देखने लगे।

    प्रांजल भी अपनी क्लास में था, उसके साथ ही खनक और लास्य थी। और वो लोग भी टीचर की ही बात सुन रहे थे। पर खनक जो प्रांजल के पास ही बैठी थी, वो बार-बार उसे देख रही थी। तो प्रांजल ने उसे देखा। उसकी आंखों को देख ही खनक अपना काम करने लगी तो प्रांजल भी टीचर की बातों को सुनने लगा।

    वहीं भाविक, दिवित और निवान एक ही क्लास में थे। यहां पर दिवित एक लड़की के साथ बैठा था जिसका हाथ उस लड़की की कमर पर था और वो उसे सहला रहा था, वहीं लड़की भी मुस्कुरा रही थी।

    हॉफ टाइम पर रूबी चुप सी बैठी थी कि पास बैठी लड़की उसे देखने लगी, "चलो चलें कैन्टीन में?" उसने कहा।

    तो रूबी उसे देखते हुए, "नहीं वहां नहीं जाना, मैं ठीक हूं यहां पर", उसने कहा।

    "अरे चलो, देखो बड़ा कॉलेज कैसा होता है"। उसने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "अरे चलो यार", कहते हुए उस लड़की ने रूबी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर क्लास से बाहर चल दी। तो रूबी उसके साथ ही चल दी। वैसे भी क्लास में अकेले बैठने से तो यही सही था।

    "तुम्हारा नाम क्या है?", रूबी ने उस लड़की से पूछा तो वो रूबी को देखने लगी।

    "शुक्र है कि तुमने पूछा तो सही। मेरा नाम नाजिया है"। उस लड़की ने कहा।

    "मुस्लिम हो", रूबी ने एकदम से कहा तो नाजिया रूबी को देखने लगी।

    "बिल्कुल मुस्लिम हूं। और तुम रूबी, रूबी क्या हो? क्योंकि रूबी नाम तो आम हो गया है। हम भी रखते है और बाकी धर्मों में भी रखते है", नाजिया ने चलते हुए पूछा।

    "रूबी ही है मेरा और कुछ नहीं लगता। पापा मंदिर जाते थे तो मम्मी गुरुद्वारे", रूबी ने चलते हुए कहा तो नाजिया उसे देखने लगी।

    "वाह मतलब तुम तो कमाल हो। सही है फिर किसी एक की पहचान को अपने नाम से जोड़ कर दूसरी पहचान क्यूं खराब करनी", नाजिया ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया।

    "यहां बैठो", नाजिया ने एक टेबल की कुर्सी की तरफ इशारा कर कहा तो रूबी वहीं बैठ गई और चारों तरफ देखने लगी।

    "अच्छा क्या खाओगी बताओ", नाजिया ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "नहीं यार मुझे यहां पर कुछ नहीं खाना"। रूबी ने कहा।

    "ये देखो दीवार पर सब कुछ लिखा है तो जल्दी से बताओ", नाजिया ने कहा तो रूबी ने भी उस तरफ देखा और हैरान सी हो गई।

    "और फिर ना में सिर हिला कर 'नहीं मुझे ये सब नहीं खाना तुम खाओ'", उसने कहा तो नाजिया उसे देखने लगी।

    "अरे चश्मिश तू यहां पर", एक आवाज से रूबी और नाजिया उस तरफ देखने लगी। यहां पर सुबह वाले सीनियर बैठे थे और ये आवाज खनक की थी। जिनको देख रूबी हैरान हो गई और नाजिया को देखने लगी।

    "रिलेक्स, तुम चुपचाप बैठी रहो", नाजिया ने कहा।

    "अरे चश्मिश इधर आना", लास्य ने कहा पर रूबी नहीं उठी।

    "अच्छा मैं चाय लेकर आती हूं", नाजिया ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया और चुप बैठी रही पर उसने उस ग्रुप की तरफ नहीं देखा।

    तो कुछ ही देर में खनक उस तरफ आ गई और रूबी के सामने बैठ गई। तो रूबी उसे देखने लगी। "बहुत अकड़ है तुम में, सीनियर की बात नहीं सुनती हो तुम", उसने कहा तो रूबी उसे देखती ही रह गई।

    "मेरी ना सुनने का हर्जाना, ये बिल पे कर देना समझी", खनक ने कहा और रूबी के हाथ में एक पर्ची रख चली गई। रूबी हैरान सी रह गई और अपने हाथ को देखने लगी।

    "पांच सो", उसने हैरानी से कहा तो एक लड़का उसके पास आ गया।

    "हां दी दो पैसे, जल्दी करो", उसने कहा तो रूबी उसे देखने लगी और फिर अपने हाथ को देखा जिस पर पर्ची पढ़ी थी।

    "दी दो पैसे मुझे और भी काम है", उसने कहा तो रूबी ने अपना बैग खोला और उस में से एक छोटा सा पर्स निकाल कर देखने लगी और फिर उस में से तीन सो के नोट निकाले, दो पचास के और बाकी जो भी उसके पास चिल्लर था वो निकाल कर गिनने लगी। बीस रूपए कम थे पांच सो में से।

    "बीस कम है", रूबी ने कहा।

    "जितने है उतने दे दो, बाकी कल दे देना", उस लड़के ने कहा और रूबी से पैसे लेकर चला गया वहीं रूबी अपने खाली हाथ और पर्स को देखती ही रह गई। तभी नाजिया आ गई जिसने अपनी चाय और ब्रेड टोस्ट लिए थे।

    "लो एक पीस खा लो", नाजिया ने रूबी के आगे प्लेट करते हुए कहा तो रूबी ने ना में सिर हिला दिया।

    "मैं आती हूं", कहते हुए रूबी उठी और चल दी। वही नाजिया अपने खाने में लगी रही और उस तरफ बैठे सीनियर रूबी को देख मुस्कुरा रहे थे, जिनमें प्रांजल भी था।


    रब राखा

  • 5. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 5

    Words: 1165

    Estimated Reading Time: 7 min

    "मैं आती हूं," कहते हुए रूबी उठी और चल दी। वहीं नाजिया अपने खाने में लगी रही और उस तरफ बैठे सीनियर रूबी को जाते देख मुस्कुरा रहे थे, जिनमें प्रांजल भी था।

    रूबी वहां से उठ कर वापस रूम में आ गई और अपनी बुक निकाल देखने लगी। "हेलो!" इस आवाज़ से रूबी ने सिर उठा कर देखा तो उसके सामने एक लड़का खड़ा था। जिसे देखते हुए रूबी ने अपना चश्मा सही करा। "हेलो," उसने कहा।

    "तुम अकेली हो इस रूम में?" उस लड़के ने रूम को देखते हुए कहा।

    "तुम भी हो, बाकी बच्चे अभी आने वाले हैं," रूबी ने कहा और ध्यान किताब में लगा दिया।

    "वैसे मेरा नाम राजन है और तुम्हारे साथ ही पढ़ रहा हूं, मतलब MBA फर्स्ट इयर।" उसने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "मेरा नाम..."

    "तुम्हारा नाम रूबी है," उस लड़के ने रूबी के कहने से पहले कहा, तो रूबी उसे देखने लगी।

    "तुमको कैसे पता?" उसने कहा तो वो मुस्कुरा दिया। "पूरी क्लास में फेमस हो गई हो। सुबह के बाद और अभी भी पूछ रही हो मुझे कैसे पता?" राजन ने कहा, तो रूबी चुप सी रह गई और फिर से अपनी बुक देखने लगी। तभी बच्चे वापस आने लगे क्लास में तो और राजन रूबी को देखते हुए अपनी बेंच पर चला गया।

    "तुम यहां आकर बैठी हो और मैं वही इंतजार कर रही थी।" नाजिया ने रूबी के पास बैठते हुए कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "बस यहां आकर बैठ गई, मन नहीं था वहां बैठने का।" रूबी ने कहा, तब तक क्लास में टीचर आ गये और सब का ध्यान पढ़ाई पर लग गया।

    सब बच्चे अपने अपने घरों के लिए निकलने लगे थे तो वही रूबी भी चल दी थी अपना बैग संभाले हुए। धूप भी तेज थी बाहर। रूबी कॉलेज के गेट से बाहर आई और चल दी सड़क के किनारे किनारे। लगभग आधा घंटा पैदल चलने के बाद रूबी एक घर के सामने पहुंची और उस घर का गेट खड़का दिया। अंदर से एक औरत आई और गेट खोल वापस चली गई। रूबी ने गेट बंद करा और वो भी अंदर चली गई।

    एक तरफ खड़ी कार जिस में बैठा प्रांजल, जो सिगरेट को सुलगाये हुए था, वो एकटक रूबी को ही देख रहा था।

    अब से नहीं, वो कॉलेज की छुट्टी से ही रूबी के पीछे था। चुप सा, शांत सा उसके पीछे अपनी गाड़ी से चलता रहा, जो पैदल चल रही थी। तो वो भी उसके पीछे ही था पर अपनी गाड़ी से। एक टक उसकी नजर रूबी पर ही थी, जिसका चेहरा धूप की वजह से लाल हो गया था। आंखों पर लगे चश्मे को भी वो बार बार हटा कर अपनी आंखे साफ कर रही थी, क्यूंकि गर्मी की वजह से उसे आंखो में जलन और पसीना आ रहा था।

    इस आधे घंटे का सफर जो रूबी से पैदल पार करा था, वो आटो से आसानी से दस मिनट में हो सकता था, पर ना जाने उसने क्यूं आटो नहीं करा, जब के उसके घर तक आटो आ रहे थे।

    प्रांजल ने गाड़ी आगे बड़ा दी और एक नजर उस घर को देखते हुए वो आगे बड़ गया। यहां रूबी उसे घर के एक तरफ बनी सीडियां चढ़ते हुए दिखी। सीडियां चड़ उपर के रूम का ताला खोला और बेड पर अपना बैग रखा और कपड़े लेकर वो बाथरूम की और चली गई। कुछ देर मे वो नहा धो कर बाहर आई।

    उसने इस समय एक लोअर टीशर्ट पहन रखी थी, बाल गीले थे। बाहर आकर वो शीशे के सामने खड़ी हो कर खुद को देखने लगी पर उसे कुछ सही से नहीं दिख रहा था तो उसने अपना चश्मा पहना और खुद को देखने लगी। "दस दिन अब सुबह शाम चल कर ही आना जाना होगा।" उसने खुद को देख कहा और आकर उस बेड पर लेट गई।

    तभी उसके रूम के दरवाजे पर दस्तक हूई तो रूबी ने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने वही औरत थी। "आंटी आप?" रूबी ने कहा।

    "ये तुम्हारा खाना खा लेना। और हां, वो तुमने ट्यूशन का पुछा था ना के बच्चो को ट्यूशन पड़ना है तुम्हे," आंटी ने कहा तो रूबी उनके हाथ से खाने की ट्रे लेते हुए उनको देखने लगी।

    "पीछे की दो गली छोड़ कर घर है ना, जो तुमने देखा था कल," आंटी ने कहा तो रूबी ने हां में सिर हिला दिया।

    "वहां चली जाना मेरी फ्रेंड है। उसके 2 बच्चे है। मेने पैसो की बात की है के घर आकर दो बच्चो को पड़ाना है पांच हजार देना। तुम देखो कम तो नही कहे ना मेने," आंटी ने कहा तो रूबी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    "नही अंटी कम नही बहुत है," उसने जल्दी से कहा।

    "तो ठीक है अभी 2 बज रहे है तो 4 बजे चली जाना। बाकी तुम बात कर लेना," आंटी ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया। वहीं आंटी चली गई तो रूबी ने जल्दी से दरवाजा बंद करा और चहकती हूई वो खाना खाने लगी। भुख तो लगी ही थी उसे तो बस उसने जल्दी से अपना खाना खत्म करा और फिर अपनी किताबे खोल कर देखने लगी।

    प्रांजल अपने घर पहुंचा तो सामने ही उसका परिवार बैठा हुआ दिखा। यहां भाविक भी था।

    "कहां रह गया था आज?" एक औरत ने कहा तो प्रांजल उसे देख, "कुछ नही मम्मी, बस अपने एक दोस्त के साथ था।" उसने कहा, "तो चलो फिर खाना खा लो," उसकी मम्मी ने कहा तो प्रांजल आके भाविक के पास बैठ गया। वही एक आदमी बैठा था जो दोनो को देख रहा था।

    "पढ़ाई कैसी चल रही है तुम दोनो की।" उसने पुछा तो दोनो उसे देखने लगे।

    "सही चल रही है पापा," भाविक ने कहा।

    "बेटा तुम्हारा लास्ट सेमेस्टर है तो मुझे ना उम्मीद मत करना। और प्रांजल तुम भी अपना सही करना वैसे मुझे तुम दोनो को कहने की जरूरत नही है, पर क्या करूं बाप हूं तो कहता हूं," उस आदमी ने कहा तो प्रांजल उनको देखने लगा और फिर खाने पर ध्यान दे दिया, जो उसकी मम्मी ने परोसा था।

    तो भाविक ने अपना सिर हिला दिया, "बिल्कुल पापा आपको कहने की जरूरत नही है," उसने कहा और खाना खाने लगा। वही उसके पापा, यानी के मिस्टर बत्रा, प्रांजल को देखने लगे, जो चुप सा अपना खाना खा रहा था, तो बाकी सब भी चुप से उसे देखने लगे।

    प्रांजल, भाविक दोनो भाई थे जो कॉलेज में बत्रास ब्रदर के नाम से फेमस थे। "अच्छा बच्चो आज तुम्हारे दिवान अंकल की शादी की सालगिरह है, तो हम सब शाम को जा रहे है वहां पर तो तैयार रहना," मिस्टर बत्रा ने खाना खा कर उठते हुए कहा और चले गये। वही भाविक, प्रांजल भी उठे और अपने रूम की और चल दिये और उनकी मम्मी टेबल साफ करने लगी।

    "क्या बात है बहुत चुप सा हो गया, सब ठीक है ना?" भाविक ने पुछा तो प्रांजल उसे देखने लगा, जो कपड़े बदल कर आया था और इस समय उसने शॉर्ट्स के साथ टीशर्ट पहनी थी।

    "कुछ नही बस एसे ही भाई।" उसने कहा तो भाविक उसे देखने लगा।

    रब राखा।

  • 6. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 6

    Words: 950

    Estimated Reading Time: 6 min

    "क्या बात है बहुत चुप सा हो गया, सब ठीक है ना?", भाविक ने पूछा तो प्रांजल उसे देखने लगा, जो कपड़े बदल कर आया था और इस समय उसने शॉर्ट्स के साथ टीशर्ट पहनी थी।

    "कुछ नहीं बस ऐसे ही भाई," उसने कहा तो भाविक उसे देखने लगा।

    "देख ये रूबी वो रूबी नहीं है," भाविक ने कहा तो प्रांजल मुस्कुरा दिया, जिसकी वजह से उसके गाल में डिंपल, मतलब के गड्डा पड़ गया। "मुझे भी पता है ये वो रूबी नहीं है।" उसने कहा और अपना लैपटॉप खोल कर बैठ गया। भाविक बेड पर लेटते हुए, उसे देखने लगा।

    "तो फिर आज तुमने उसे अपना हाथ कैसे छूने दिया, जब के कल उसी हाथ से एक लड़की को थप्पड़ मार दिया था," भाविक ने कहा तो प्रांजल कुछ नहीं बोला।

    "बता भी अब," भाविक ने फिर से कहा तो प्रांजल उसकी तरफ घूम गया और उसे देखने लगा।

    "क्यूंकि उस लड़की ने मुझसे न तो परमिशन ली थी, न ही कुछ कहा और आकर मुझे किस करने की कोशिश करने लगी, वो भी बिना किसी रैगिंग के। तो चल गया हाथ उस पर। रूबी ने पहले मुझसे सॉरी मांगी, फिर मेरा हाथ पकड़ कर उस पर किस की, बाद में फिर से सॉरी कहा और चली गई। अब आप ही बताओ कौन सही, कौन गलत।" प्रांजल ने कहा तो भाविक उसे देखता रह गया।

    "पर ये रूबी वो नहीं है, तो तू उस से इतना इफेक्ट मत होना," भाविक ने कहा, तो प्रांजल वापस से अपना लैपटॉप देखने लगा।

    शाम के 4 बज गये थे और रूबी इस समय जीन्स, टॉप पहने हुए, साथ ही अपना बैग लेकर, चश्मा आंखो पर लगा और बूट पहन निकल गई, ट्यूशन पढ़ाने। बताए हुए एड्रेस पर पहुंच रूबी ने घर की बैल लगा दी तो सामने से एक आदमी ने दरवाजा खोला।

    "नमस्ते अंकल मेरा नाम रूबी है, ट्यूशन पढ़ाने आई हूं," रूबी ने कहा, तो जो आदमी सामने खड़ा था, वो मुस्कुरा कर एक तरफ हट गया और रूबी अंदर आ गई।

    "बच्चो जल्दी से आ जाओ, आपकी ट्यूशन टीचर आ गई," उस आदमी ने कहा और 2 बच्चे भागते हुए आये और उस आदमी के सामने खड़े हो गये।

    "देखो मैम आ गई आप दोनों की तो चलो इनको रूम तक ले जाओ और पढ़ाई शुरू कर दो," उस आदमी ने कहा तो बच्चे रूबी को देखने लगे और फिर उसे अपने साथ लेकर चल दिए, वही उस शख्स ने चारों तरफ देखा और आगे बढ़ गया।

    6 बजे के आसपास रूबी उस घर से बाहर निकली तो मौसम कुछ बदल गया था। धूप की जगह शांव हो गई थी और रूबी चुप सी चल दी अपने रूम की ओर। ज्यादा दूर नहीं था घर तो वो आराम से पैदल ही चली जा रही थी।

    "अरे आंटी आज कहा चल दी आप?"

    रूबी ने गेट खोलते हुए कहा, यहां सामने उसकी मकान मालकिन साड़ी पहने खड़ी थी।

    "वही अपने काम पर, आज रात की पार्टी है एक, तो जा रही हूं मेनेज करने, मेनेजर के रूप में," उसने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया और अपने रूम की ओर चल दी। रूबी रूम में आई और चारों तरफ देखा, यहां उसके कपड़े बिखरे हुए थे जिनको वो समेटने लगी कि तभी उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। रूबी ने दरवाजा खोला तो सामने उसकी मकान मालकिन खड़ी थी।

    "जी आंटी," रूबी ने कहा।

    "रूबी मेरे साथ की मेनेजर नहीं आ रही, पार्टी बहुत बड़ी है, वो खाने पीने का देखती और मैं बाकी सब, पर वो नहीं आ रही, तो तुम चलोगी? प्लीज रूबी, तुमको पता है पहले भी तुमने मेरी हेल्प की है, तो चलो ना। 12 बजे तक आ जायेंगे सब समेट कर, शायद उस से पहले ही।" मकान मालकिन ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "2 हजार मिलेगा चलो ना," उसने फिर से कहा तो रूबी मुस्कुरा दी। "ठीक है पर पैसे नहीं आंटी, ऐसे ही चलूंगी," रूबी ने कहा।

    "तो ठीक है तुम्हारे पास 15 मिनट है जल्दी से आ जाओ तैयार होकर," आंटी ने कहा और चली गई, वही रूबी जल्दी से तैयार होने लगी।

    रात के 8 बज गये थे और शहर के बीचो बीच एक बड़े से गार्डन में पार्टी शुरू हो चुकी थी, सब मेहमान आने लगे थे, जो के एक से बढ़ कर एक लग रहे थे। वही एक तरफ लगी स्टेज पर हैपी सिल्वर एनिवर्सरी लिखा था। साफ था के शादी को 25 साल पूरे हो गये थे।

    "बहुत बहुत मुबारक हो आपको," भाविक की मम्मी ने अपने सामने खड़ी औरत से कहा। तो वही मिस्टर बत्रा ने भी अपने सामने खड़े आदमी को गले से लगा लिया। "बहुत बहुत मुबारकबाद हो तुमको दिवान," उन्होंने कहा।

    तभी वहां दो और जोड़े आ गये जो उनकी ही उम्र के थे। उन दोनों कपल ने भी मिस्टर और मिसेज दिवान को बहुत बहुत मुबारकबाद दी।

    "राणा रावल तुम दोनों से नाराज हूं मैं," मिस्टर दिवान ने कहा तो वो दोनों आदमी उनको देखने लगे, वही चारों औरते एक तरफ खड़ी होकर अपनी बातें करने लगी थी।

    "अब क्या हो गया हमने क्या कर दिया जो हमसे नाराज हो," मिस्टर रावल ने कहा। चारों दोस्तों के हाथ में गिलास थे।

    "यार पिछले 1 महीने से कोई खबर ही नहीं, बता ही देते के बाहर जा रहे हो, बताया ही नहीं," मिस्टर बत्रा ने कहा तो मिस्टर रावल ने अपने पास खड़े राणा की देखा और वो दोनो ही मुस्कुरा दिये।

    वही एक तरफ एक और ग्रुप था जिस में भाविक, प्रांजल, निवान, दिवित, लास्य और खनक थे।

    निवान दिवित दोनों ही मिस्टर दिवान के बेटे थे, तो खनक मिस्टर रावल की बेटी, वही लास्य मिस्टर राणा की बेटी। साफ था इनके फादर अच्छे दोस्त थे तो उनके बच्चे भी आगे बहुत अच्छे दोस्त थे, नहीं नहीं उस से भी बढ़ कर।

  • 7. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 7

    Words: 2112

    Estimated Reading Time: 13 min

    निवान, दिवित दोनो ही मिस्टर दिवान के बेटे थे। तो खनक मिस्टर रावल की बेटी, वही लास्य मिस्टर राणा की बेटी। साफ था इनके फादर अच्छे दोस्त थे तो उनके बच्चे भी आगे बहुत अच्छे दोस्त थे, नही नही उस से भी बढ़ कर। निवान, दिवित कॉलेज में दिवान ब्रदर्स के नाम से भी फेमस थे।

    भाविक, खनक जो के एक साथ ही खड़े थे। वही दिवित, लास्य एक दूसरे के साथ। बचे निवान और प्रांजल। निवान को भी कुछ ज्यादा लड़की बाजी का शोंक नही था। घर का बड़ा बेटा होने की वजह से वो अपने पापा के साथ काम देखता था। जिस वजह से वो पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नही दे पाता था और अपने भाई के साथ ही हो गया था एक सेमेस्टर ना देने की वजह से।

    वहीं निवान के उल्ट दिवित कुछ ज्यादा ही दिल फेंक इंसान था। पर लास्य उसे बहुत पसंद करती थी इस लिए उसकी सारी हरकतों को इग्नोर करती रहती थी।
    वही भाविक, प्रांजल का बड़ा भाई सीरियस था खनक के लिए। पर खनक को देख कर एसा कुछ लग नही रहा था।

    "चल हम दोनो खाना खाते है", निवान ने प्रांजल से कहा तो प्रांजल उसके साथ चल दिया। नविन भाविक का हमउम्र था तो प्रांजल उसे भी भाई ही बुलाता था।

    "अच्छा प्रांजल एक बात बता तू ठीक है ना? भाविक बता रहा था के तू उस लड़की के इफेक्ट हूआ है", नविन ने पुछा तो प्रांजल उसे देखने लगा।

    "एक नाम के बहुत लोग होते है तो सब लोग एक जेसे नही हो जाते", नविन ने कहा और हाथ में पकड़े गिलास को मूंह से लगा लिया। वहीं प्रांजल ने भी अपने हाथ में पकड़े गिलास को मूंह से लगा लिया के तभी उसे गिलास के बोटम के कांच से जो के इस समय ग्लास प्रांजल के मूउं को लगा होने की वजह से सामने की तरफ दिख रहा था। उस कांच के गिलास से पार दूसरी तरफ, रूबी दिखी जो वेटर को कुछ बोल रही थी। प्रांजल ने उस गिलास को नीचे करा तो सामने उसे सच में रूबी दिखी। जो सुबह की तरह ही जीन्स टॉप में थी और आंखो पर चश्मा पर इस समय उसके होठो पर कुछ ग्लॉसी और आंखे भी काली लग लग रही थी।

    "क्या देख रहा है उधर?", नविन ने प्रांजल को देख कहा।

    "भाई वो", उसने कहना चाहा तो नविन ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया।

    "हां रूबी है, मेनेजर के साथ आई है इस तरफ का मैनेज करने। अंटी से बत हूई है इसके बारे में।" निवान ने कहा तो प्रांजल उसे देखता ही रह गया।

    "मतलब अपने जानकारी निकाली है", प्रांजल ने पुछा।

    "ज्यादा नही बस इतना जानता हूं के अंटी के घर पर रहती है मम्मी पापा है नही। अकेली है। पर सब को एसे दिखाती है के इसके मम्मी पापा है। अंटी के पास एक रूम में रेंट पर रहती है। पड़ती है और कमाती है जैसा काम मिले वैसा करती है।" निवान ने कहा तो प्रांजल उस तरफ देखने लगा यहां पर उसे रूबी दिखी थी।

    "पर प्रांजल ये वो रूबी नही है और ये वो रूबी हो भी नही सकती।" निवान ने कहा तो प्रांजल उसे देखने लगा।

    "मुझे पता है भाई ये रूबी नही है और कभी हो भी नही सकती। बस एसे ही नजरों के सामने आ जाती है तो ध्यान चला जाता है इस पर।" प्रांजल ने कहा। तो निवान मुस्कुरा दिया।

    "भाई चलो मम्मी पापा केक काटने लगे है", दिवित ने वहां पर आते हुए कहा तो निवान प्रांजल को साथ लेकर उस तरफ चल दिया।

    यहां पर एक चार मंजिल का केक रखा था और सब उसी तरफ खड़े थे। मिस्टर और मिसेज दिवान ने निवान, दिवित को अपने पास बुलाया और वो अपने बच्चो के साथ केक काट ने लगे वहीं चारों तरफ तालियों का शोर सुनाई देने लगा।

    उसके बाद वहां पर गीत संगीत शूरू हो गया सब लोग नाच गा रहे थे। सब अपने अपने जोड़ो में थे। कपल डान्स कर रहे थे। ही निवान भी इस समय किसी लड़की के साथ डांस कर रहा था। उस लड़की ने खुद आगे से आके पुछा था डांस के लिए तो निवान उसके साथ चल दिया।

    प्रांजल बस एक जगह पर बैठा सब को देख रहा था के तभी उसका फोन बजने लगा जिसे उठा उसने कान से लगा लिया।

    रूबी जो सब खाने का देख रही थी क्यूकि इस समय लोग खाना खाने आ गये थे के तभी रूबी ने मिठाई के सेक्शन को देखा यहां पर मीठा कम हो गया था खास कर बैकरी की चीजे। तो रूबी उस तरफ चल दी और वहां पर खड़े लड़के को देखने लगी जिसकी पीठ थी उसकी तरफ।

    "ये क्या है सामान लगा क्यू नही रहे हो उपर, देखो सब मीठा कम हो गया है", रूबी ने कहा तो वो लड़का पलट कर रूबी को देखने लगा। वही रूबी भी हैरान हो गई उसे देख कर। "तुम", दोनो ने एक साथ कहा।

    "तुम काम करती हो", उस लड़के ने कहा। वो राजन था जो दोपहर को ही रूबी को मिला था कॉलेज में।

    "तुम भी काम करते हो", रूबी ने कहा।

    "हां करता हूं अभी आया हूं लेट हो गया था और जो सामना पहले लगाया गया उसे किसी ने वापस से रख नही वही कर रहा हूं", राजन ने कहा तो रूबी मुस्कुरा दी। "चलो मैं मदद कर देती हूं", रूबी ने कहा और वो भी सब पेस्ट्री, केक रखने लगी।

    प्रांजल जो फोन पर बात करते हुए इस तरफ आ गया था। क्यूकि यहा पर आवाज कम थी डीजे की। वो सामने रूबी और राजन को देख रहा था और फिर से फोन पर लग गया।

    "रूबी चलो उस तरफ टेबल का इंतजाम करो", अंटी ने आकर कहा तो रूबी राजन को देख उनके साथ ही चल दी और गार्डन में एक जगह पर सब टेबल अरेंज कराने लगी।

    क्यूकि मिस्टर दिवान उनके फ्रेंड्स और फैमली यहां पर बैठ कर खाना खाने वाले थे। तो रूबी ने पंद्रह मिनट के अंदर अंदर सब टेबल सही से एक जगह पर लगा दिए और फिर अपने स्टाफ को बोल कर वहा पर खाना लगवाने लगी।

    डीजे पर भी एक घंटे से ज्यादा सब ने डांस करा और वो सब थक कर इस तरफ को चल दिए। "मैं रेस्ट रूम हो कर आती हूं", खनक ने कहा और चल थी वही लास्य भी एक तरफ खड़ी थी।

    "क्या बात है तूम यहा पर दिवित कहां है?", निवान ने लास्य से पुछा तो लास्य उसे देखने लगी।

    "पता नही यही कही हो गा मैं देखती हूं", उसने कहा।

    "लास्य जल्दी आना सब डीनर के लिए जा रहा है", निवान ने लास्य से कहा तो लास्य सिर हिला कर चल दी। वही निवान सब को लेकर उस तरफ चल दिया यहां पर टेबल लगे थे।

    और सब कुर्सियों पर बैठने लगे वही भाविक आकर प्रांजल के पास बैठ गया। "क्या बात है प्रांजल इतना अकेले क्यू रह रहे हो सब है यहां पर कुछ तो मजे करो", भाविक ने कहा तो प्रांजल उसे देखने लगा।

    "आपको पता है मुझे ये सब नही पसंद भाई तो फिर क्यू बोल रहे हो आ गया यही बहुत है", उसने कहा। तब तक सब बैठ चुके थे।

    "निवान, दिवित कहां है?", मिस्टर दिवान ने कहा।

    "आ रहा है वो पापा", निवान ने कहा। वही लास्य जो दिवित को देख रही थी वो उस गार्डन के एक तरफ बने रूम की तरफ आ गई। यहां पर वाशरूम बने थे। तभी उसे कुछ आवाज आई और लास्य ने आगे बड़ देखा तो देखती ही रह गई। उसके सामने दिवित खड़ा था किसी लड़की को बाहों में भरे हुए और वो लड़की कोई और नही खनक ही थी जिनको देख कर ही लास्य बीना कुछ कहे वहां से पीछे की और चल दी। उसकी आंखो में आंसू आ गया थे दोनो को इस तरह से देख कर।

    "क्या है छोड़ो अब कोई देख लेगा", खनक ने कहा तो दिवित उसे बाहों में कसते हुए, "कोई नही देखेगा। कोई भी नही। वैसे आज तुम लग कमाल की रही हो", कहते हुए दिवित उसे चुम्म ने लगा तो वही खनक उस का साथ दे रही थी।

    निवान ने लास्य को आते हुए देखा तो उसे इशारे से पुछा तो लास्य ने ना में सिर हिला दिया। वहीं निवान उसे देखता रह गया उसकी आंखो की नमी को उसने बहुत ध्यान से देखा था।

    सब लोग खाने पर लग गये थे और रूबी कुछ दूसरी पर खड़ी सब देख रही थी और जिस भी चीज की कमी होती टेबल पर वो अपने हाथ में पकड़े वॉकी टॉकी से बोल कर मंगवा लेती पर उसका ध्यान अभी भी किसी पर नही गया था जो उसे जानते थे।

    "क्या बात है आज आज तो खाने का सिस्टम बिल्कुल ऑर्गेनाइज है, पता है पीछले महीने मिस्टर सबरवाल की पार्टी में क्या हूआ था। कुछ भी सही से नही था खाने बैठे तो खाना ही नही आ रहा था", मिसेज रावल ने कहा तो बाकी सब मुस्कुरा दिया।

    "बिल्कुल एक बार मेनेजर से तो मिलना ही होगा, बताना होगा के सब बहुत अच्छे से था", मिस्टर दिवान ने कहा। तभी खनक आकर लास्य के पास बैठ गई तो लास्य ने एक नजर उसे देखा और फिर सामने देखा यहा दिवित फोन कान से लगाये हुए बैठा था। दोनो एसे थे जेसे एक दूसरे को जानते ही ना हो।

    "पापा मेरा हो गया हम चले", लास्य ने मिस्टर रावल से कहा।

    "चलते है बच्चे सब का हो ही गया", मिसेज रावल ने कहा।

    रूबी जो अभी तक सब को देख रही थी उसकी नजर जैसी ही खनक पर गई तो वो हैरान रह गई। क्यूकि उसने ज्यादा ध्यान नही दिया था सब पर वो अपने काम से काम रख रही थी।

    तभी राजन रूबी के पास आया और उसे सब को केक सर्व करने के लिए पूछने लगा। "हां करो आराम से करना पर", रूबी ने कहा तो कुछ ही देर में वहां पर राजन और उसके साथ के कुछ और केक लेकर आ गये जो के ट्रे में ही रख था।

    राजन मिस्टर दिवान के पास आया और उनके आगे केक रखने लगा तो मिस्टर दिवान ने उसे रोक दिया। "तुम्हारे मेनेजर को बुलाओ और सब स्वीट भी लाओ", उसने कहा तो राजन ने सिर हिला दिया और रूबी के पास आकर उसे सब बता दिया। वही रूबी ने सिर हिला दिया और चल दी अंदर से वो एक प्लेट लेकर आई जिस पर ऑनली स्पंज केक के पीस थे। साथ ही एक केक सपेचुला था और वो चुप चाप सी मिस्टर दिवान के पास आ कर उनको देखने लगी। "सर केक", उसने कहा और सपेचुला से केक उठा कर उनकी प्लेट में रख दिया।

    "तुम मेनेजर हो मिस्टर दिवान ने हैरानी से पुछा", तो रूबी ने ना में सिर हिला दिया।

    "बस उनकी जगह पर हूं उनको जरूरी काम आ गया था", रूबी ने कहा वही खनक, भाविक, दिवित और लास्य उसे देखते ही रह गए।

    "बहुत अच्छे से मेनेज करा है", मिस्टर दिवान ने कहा तो वहीं रूबी ने सिर हिला दिया और सब को केक का पुछा पर उन्होने मना कर दिया और कुछ और स्वीट ले लिए। रूबी प्रांजल के पास आई तो उसे देखने लगी, "सर केक", रूबी ने पुछा तो प्रांजल ने उसे देखा जिसकी आंखो को देख रूबी सहम गई।

    "रखो", प्रांजल ने कहा तो रूबी ने जल्दी से पीस रखा और आगे बड़ गई।

    "रूबी मुझे भी", निवान ने कहा क्यूकि रूबी जा रही थी तो सब उसे देखने लगे। "जानते हो तुम एक दूसरे को?", मिसेज दिवान ने हैरानी से निवान से पुछा।

    "जानते तो नही मम्मी लेकिन हमारे कॉलेज में ही पड़ती है आज पहला दिन था इसका", निवान ने कहा वही मिस्टर रावल, दिवान, बत्रा और मिस्टर राणा हैरान से रह गए।

    "ओ अच्छी बात है नाम क्या बताया", मिसेज बत्रा ने पुछा। तो रूबी सब को देख कर, "रूबी", उसने कहा और चली गई और मिसेज बत्रा प्रांजल को देखने लगी जो अपना केक खा रहा था।

    रब राखा।

  • 8. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 8

    Words: 1833

    Estimated Reading Time: 11 min

    "ओ अच्छी बात है नाम क्या बताया?", मिसेज बत्रा ने पूछा। तो रूबी सब को देख कर, "रूबी", उसने कहा और चली गई। और मिसेज बत्रा प्रांजल को देखने लगी जो अपना केक खा रहा था।

    "चलो चलो सब खाओ बहुत टेस्टी है", मिस्टर दिवान ने कहा तो सब अपना अपना खाने लगे।

    रूबी एक तरफ अपनी आंटी के पास खड़ी थी और सब देख रही थी। यहां पर सामान उठाया जा रहा था। "अच्छा रूबी ये लो मेने कहा था ना तो पैसे", आंटी ने पैसे रूबी की तरफ बढ़ा कर कहा। तो रूबी उनको देखने लगी।

    "अपने पास ही रख लो किराया देना है अभी मुझे", रूबी ने कहा तो आंटी मुस्कुरा दीं, "रख लो किराया भी दे देना", उन्होंने कहा और आगे बढ़ गईं। वहीं रूबी ने वो पैसे लिए जो के पांच सो के 4 नोट थे और उन पैसों को जीन्स की जेब के हवाले कर दिया। वहां के सब मेहमान जा चुके थे, तो वो लोग भी घर के लिए चल दिए।

    सुबह रोज की तरह रूबी कॉलेज के लिए निकल गई थी, पर ऑटो से। उसे लगा नहीं था कि इस महीने वो ऑटो से जा पाएगी क्यूंकि उसके पैसे जो उसने ऑटो के लिए रखे थे वो तो खनक के बिल में चले गए थे।

    रूबी कॉलेज गेट के सामने ऑटो से उतरी और उस ऑटो वाले को पैसे देकर वो आगे बढ़ गई। तभी राजन उसे मिल गया जो अभी अभी अपनी बाइक से अंदर आया था।

    "हेलो रूबी", उसने कहा तो रूबी ने अपना चश्मा सही करा और उसे देख मुस्कुरा दी। "हेलो", उसने कहा।

    "वैसे रात कब पहुंची घर", राजन ने पूछा तो रूबी ने उसे बता दिया।

    "हम फ्रेंड्स बन ही सकते है एक ही क्लास में है हम", राजन ने कहा। रूबी उसे देखने लगी और फिर उसने सिर हिला दिया।

    "चलो चले", कहते हुए राजन रूबी आगे बढ़ गया। पर एक जगह खड़ा प्रांजल सब देख रहा था, वो अपनी गाड़ी से पीठ लगाए खड़ा था, जो रूबी को उसी समय से देख रहा था जब उसने कॉलेज के अंदर कदम रखा था।

    राजन रूबी दोनों आगे बढ़े जा रहे थे कि तभी खनक उनके सामने आ गई और दोनों की देखने लगी। "वाह क्या बात है जोड़ी बन भी गई", उसने कहा तो रूबी उसे देखने लगी। तो वही खनक आगे बढ़ गई।

    "ये पागल है क्या", रूबी ने कहा तो राजन मुस्कुरा दिया।

    "सीनियर है इस लिए ये सब कर रही है", उसने कहा।

    दिवित लास्य से बात करना चाह रहा था पर लास्य ने उस से बात नहीं की और अपनी क्लास में चली गई, तो दिवित उसे देखता रह गया और फिर वो अपनी क्लास की और चल दिया। यहां रास्ते में उसे एक लड़की मिली जिसने आके दिवित को गले से लगा लिया।

    "हे पागल हो गई हो यहां नहीं समझी", दिवित ने कहा तो उस लड़की ने सिर हिला दिया और दोनों क्लास की और चले गये। ये वही लड़की थी जो कल दिवित के साथ बैठी थी।

    "खनक क्या कर रही हो छोड़ो उसे", भाविक ने कहा तो खनक भाविक की देखने लगी। भाविक ने खनक को देख लिया था रूबी से बात करते हुए इस लिए उसने कहा।

    "मुझे तो ये सब बहुत पसंद है। तो मै करूंगी तुमको अच्छा लगे जा ना लगे", खनक ने कहा और वो भी प्रांजल के साथ आगे बढ़ गई। तो वही निवान और भाविक अपनी क्लास के लिए चल दिए।

    एक कमरे में
    मिस्टर दीवान, मिस्टर रावल, मिस्टर बत्रा, मिस्टर राणा ये चारो बैठे थे। और एक दूसरे की ही देख रहे थे।

    "ये सिर्फ एक इत्तेफाक है, रूबी बहुत लोगो के नाम है।" मिस्टर राणा ने कहा तो मिस्टर बत्रा उनको देखने लगे।

    "हमे भी पता है के रूबी नाम बहुत होते है पर मुझे मेरे बेटे प्रांजल की फिक्र है। पहले ही उसे बहुत मुश्किल से संभाला है और आज रूबी नाम की लड़की फिर से सामने है", उन्होंने कहा तो सब उनको देखने लगे।

    "तो पता करा लो ये कोन है कहा से है और यहां पर क्या कर रही है", मिस्टर रावल ने कहा तो मिस्टर दीवान उनको देखने लगे।

    "ये ठीक है सही रहेगा। ऐसा ही करते है शाम तक पता चल जायेगा", उन्होंने कहा तो सब ने सिर हिला दिया और चुप से बैठ गए। तभी मिस्टर राणा के चेहरे पर स्माइल आ गई।

    और उन्होंने मिस्टर बत्रा को देख कर आंख दब दी तो वो भी मुस्कुरा दिया और अपनी उँगलियों से होठो को छूते हुए कोई पुराना गीत गुनगुनाने लगे।

    रूबी नाजिया आज भी कैन्टीन में बैठी थी, पर आज रूबी ने आपने लिए भी ऑर्डर कर था और वो खुश थी अपने खाने से तभी राजन भी आ गया और रूबी के कान में कुछ कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया।

    "मिलते है", उसने कहा और चला गया तो रूबी ने भी उसे हाथ हिला कर बाय कर दी।

    "क्या बात है लगता है ये राजन ने तुम्हारा दिल पर राज कर लिया", नाजिया ने खुश होते हुए कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "पागल हम बस फ्रेंड है बहुत अच्छे", रूबी ने कहा और हाथ से चश्मा सही कर उसने अपने सामने रखी प्लेट पर ध्याना लगा लिया।

    "दी ये रहा बिल", उसी लड़के ने रूबी के पास आ कर कहा जो कल आया था तो रूबी उसे देखने लगी।

    "मेने तो पैसे दे दिए", उसने हैरान होते हुए कहा। तो उस लड़के ने रूबी को देखा "हां आपने दे दिए पर उन लोगो के भी तो आप ही देंगी ना।" उस लड़के ने एक तरफ बैठे दिवान और बत्रा ब्रदर्स की तरफ इशारा कर कहा तो रूबी ने उस तरफ देखा यहां पर खनक उसे देख कर मुस्कुरा रही थी। रूबी नै बिल देखा तो 1500 रूपये थे।

    जिसे देख रूबी हैरान सी रह गई और फिर उसने बीना कुछ कहे पैसे दे दिए। तो वो लड़का चला गया। वही नाजिया देखती ही रह गई। "तुमने कुछ कहा क्यूं नही", उसने हैरानी से कहा तो रूबी ने उसे देखा।

    "उन लोगो से कोन पंगा ले मुझ में तो हिम्मत नही है उनको कुछ कहने की मूझे पड़ना है यहां पर"।

    "लेकिन इस तरह से तुम्हारा पैसे जा रहा है।" नाजिया ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "हां कल से मैं यहां आना ही छोड़ दूंगी", उसने कहा और चाय पीने लगी वही नाजिया हैरान सी रह गई।

    रूबी ने चाय पी और उठ कर क्लास की और चल दी। वही नाजिया भी उसके पीछे पीछे चल दी।

    "ये लो दीदी पैसे", उस लड़के ने खनक के पास आकर उसे पैसे देते हुए कहा तो प्रांजल ने वो पैसे पकड़ लिए। "तुम जाओ", उसने कहा और खनक को देखने लगा और उठ कर चला गया।

    "अब इसे क्या हो गया", खनक ने कहा तो निवान भाविक एक दूसरे को देखने लगे तो लास्य भी दिवित को ही देख रही थी, जो दूसरी टेबल पर बैठी लड़की को ही देख रहा था। तो लास्य भी उठने लगी।

    "क्या बात है लास्य जा रही हो बैठो ना", निवान ने कहा तो लास्य उसे देख कर, "नही मुझे जाना है क्लास में", उसने कहा और चली गई।

    "चलो फिर हम भी चले क्या रखा है यहां यहां पर", भाविक ने उठते हुए कहा तो निवान भी उसके साथ चल दिया बचे खनक दिवित दोनों एक दूसरे को देखने लगा और फिर वो भी चल दिए क्लास की और।

    रूबी आज फिर से पैदल ही चल दी घर की और तो वहीं प्रांजल उसके पीछे ही था पर आज वो भी पैदल ही था उसके पीछे। तो उसे एहसास हो गया के कितनी गर्मी है सूरज की किरने तो स्कीन जला रही थी। इस लिए रूबी का चेहरा एकदम से लाल हो गया था।

    ●●●●●●●●●●●●●●●●●

    "सर मुझे पता है वो कोन थे मेने उनको देखा था उनके चेहरों पर मुस्कान थी वो लोग जो गाड़ी चला रहे थे। उस गाड़ी का नंबर भी मुझे याद है बिल्कुल याद है", रूबी ने रोते हुए कहा। वो इस समय पुलिस स्टेशन में थी और इंस्पेक्टर को बता रही थी के उसने एक्सीडेंट के समय उस गाड़ी का नंबर नोट कर लिया था।

    "तो इंस्पेक्टर ने भी उस गाड़ी का नंबर ले लिया और रूबी उसकी सहेली को जाने का कहा और साथ ही ये भी कहा के उसे एक बार आना होगा क्यूंकि जिन लोगो ने गोलू की जान ली थी वो पहचान में आ जाये। तो रूबी ने सिर हिला दिया।

    "मैं उनकी हँसी कभी नही भूल सकती", रूबी ने कहा और अपनी सहेली के साथ चली गई।

    "रूबी ये सही कर रही हो क्या? जरूरी नही है इन सब में आना"। उसकी सहेली ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "मीनल वो छोटे छोटे बच्चे है जिनमे से एक तो अब रहा ही नही और उसके भाई का भी कोई पता नही। परिवार देखा ता उनका कैसे रो रहा था वो सब अपने बच्चो के लिए। और तुम कह रही हो के ये सब करने की जरूरत ही नही। हम खुद बच्चो की सीखाते है के सही का साथ दो और जब खुद उस बात को करने का समय आया तो पीछे हट जाऊं", रूबी ने रोते हुए कहा तो मीनल उसको देखने लगी।

    "ठीक है पर रो नही देख रोने से तुम्हारा चेहरा कैसा हो गया।" उसने रूबी को गले लगा कर कहा।

    "मीनल गोलू को पढ़ाती थी मैं। वो अभी फस्ट में ही आया था। उसने तो बहुत कुछ देखना था करना था", रूबी ने मीनल के गले लगे हुए कहा तो मीनल भी अपने आंसू नही रोक पाई।

    "बस बस कर चल बैठ मैं चाय बना कर लाती हूं।" मीनल ने उठते हुए कहा। वही रूबी चुप सी बैठी रह गई।

    ●●●●●●●●●●●●●●●●

    "पागल हो गया है क्या यहां पर क्या कर रहा है तू", भाविक ने प्रांजल को धूप में खड़े हुए देख कहा।

    वो गाड़ी से ही उसके फोन की लोकेशन देख कर आया था। तो प्रांजल शांत सा उसे देखने लगा और फिर एक बार सामने देखा तो भाविक भी उस तरफ देखने लगा यहां रूबी खड़ी फोन पर बात कर रही थी पर उसका ध्यान सड़क पर नही था।

    भाविक हैरान सा प्रांजल को देखने लगा जो एकटक सामने देख रहा था। "प्रांजल चल यहां से", भाविक ने कहा और प्रांजल का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ लेकर गाड़ी में बैठाया। वही प्रांजल की आंखे तो रूबी पर ही रूकी थी जो के तब तक उसको देखती रही जब तक भाविक ने गाड़ी आगे नही बड़ा दी।

    रब राखा

  • 9. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 9

    Words: 2047

    Estimated Reading Time: 13 min

    प्रांजल की आंखें तो रूबी पर ही रुकी थीं जो के तब तक उसको देखती रही जब तक भाविक ने गाड़ी आगे नहीं बढ़ा दी।

    दिन बीत रहे थे और इन बीतते दिनों में रूबी ने कैंटीन जाना छोड़ दिया था। क्यूंकि कैंटीन जाने की वजह से वो बीस दिन से पैदल ही आ-जा रही थी। जो पैसे उसके पास थे वो तो उसने संभाल कर रखे थे, दूसरे खर्च के लिए। कभी मन कर ही जाता कुछ लेने का, कुछ खाने का। और तो और उसका चश्मा भी कई बार टूट जाता तो बस उसी सब के लिए वो पैसे रखे थे उसने।

    वहीं इन दिनों में रूबी की दोस्ती राजन, नाजिया से गहरी हो चुकी थी। यहां राजन कई बार रूबी के साथ ही बैठ जाता था। उसके साथ कॉलेज में और दोनों बातें भी करते रहते कभी पार्क में तो कभी जाते समय।

    प्रांजल जो दिखने में शांत था, पर वो अब रूबी पर नजर रखे हुए था। उसे पता था के रूबी किस समय कहां जाती है। घर से कॉलेज, कॉलेज से घर और फिर ट्यूशन दो घंटे। उसके बाद वापस घर, यही तो थी रूबी की जिंदगी। खाना अंटी ही बनाती थी।

    भाविक जो अपने भाई को देख रहा था, उसे प्रांजल को देख कर कभी-कभी अजीब लगने लगा था क्योंकि प्रांजल रूबी को कुछ नहीं कहता था। और रूबी को तो शायद पता भी नहीं था के उसका पीछा हो रहा है। भाविक ने एक बात पर गौर करा था के उसका भाई अब ज्यादा स्मोक नहीं कर रहा। ज्यादा क्या अब तो उसने स्मोक करना छोड़ ही दी थी। वरना प्रांजल बहुत स्मोक करने लगा था और इस बात से भाविक खुश था।

    अब लास्य दिवित से कटी-कटी सी रहने लगी थी। इतने दिन हो गए थे और लास्य उस से बात भी नहीं कर रही थी। खनक और दिवित का अपना ही चल रहा था, जिसका पता बस लास्य को ही था। भाविक भी इस बात से अंजान ही था। वो तो खनक के लिए बहुत सीरियस था, वो जैसा कहती भाविक वैसे ही मान जाता।

    आज पूरे 20 दिन हो गए थे और सब वैसा ही चल रहा था जैसा रोज था। रूबी तैयार होकर घर से निकल गई थी कॉलेज के लिए और वो पैदल ही चली जा रही थी तभी उसके पास आके एक बाइक रूकी तो रूबी हैरान सी रह गई।

    "अरे चलो मैं ले चलता हूं", ये राजन था जिसने हेलमेट उतारते हुए कहा। तो रूबी उसे देखती ही रह गई, "तुम यहां पर क्या कर रहे हो?", रूबी ने पूछा वो हैरान थी।

    "कुछ नहीं बस इस रास्ते से जा रहा था सुबह एक डिलीवरी थी उसे देने। तो तुम दिख गई चलो बैठो अब।" राजन ने कहा तो रूबी उसके पीछे बैठ गई और राजन ने अपनी बाइक आगे बढ़ा ली।

    "थैंक्यू आज मैं जल्दी पहुंच गई तुम्हारी वजह से", रूबी ने बाइक से उतरते हुए कहा और साथ ही अपना चश्मा हाथ से सही करा। तो राजन ने अपना हेलमेट उतारा और बाल सही करते हुए रूबी को देखने लगा जिसका कद उसके साथ ही मैच कर रहा था।

    "शुक्रिया कहने की जरूरत नहीं है, वैसे तुम इसी रास्ते से आती हो तो मैं रोज ले आया करूंगा और छोड़ भी दूंगा", राजन ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "इरादे ठीक है ना तुम्हारे? वैसे भी सीनियर ना जाने क्या क्या बोल रहे है हम दोनों को देख कर", रूबी ने कहा तो राजन मुस्कुरा दिया और फिर हाथ में पकड़े हेलमेट को बाइक के हैंडल पर रख दिया। उसने पेंट की जेब से अपना पर्स निकाल लिया, वही रूबी उसे देखे ही जा रही थी। राजन ने रूबी को अपने पर्स में एक फोटो दिखाई। "मिलो इस से, ये है मेरी मंगेतर", राजन ने कहा तो रूबी हैरान सी हो गई और राजन को देखने लगी, तो राजन रूबी के चेहरे को देख मुस्कुरा दिया।

    "मुझे यहां पढ़ने आना था, सीट भी पहले मिल गई थी। पर मम्मी पापा को लगा के कहीं यहां आकर उनका बेटा हाथ से ना निकल जाये किसी ऐसी-वैसी लड़की के चक्कर में आ कर। इसलिए उन्होंने मेरी बचपन की पसंद की लड़की से सगाई करा दी और आ गया यहां पर।" राजन ने कहा तो रूबी मुस्कुरा दी।

    "फिर तो पार्टी बन गई छुपे रुस्तम", उसने कहा और दोनों मुस्कुराते हुए और बात करते हुए आगे बढ़ गये। वहीं प्रांजल जो रोज की तरह रूबी को देख रहा था उसके हाथ की मुठ्ठी कसी हुई थी, क्योंकि बात करते हुए रूबी ने राजन के हाथ पर हाथ रखा था वो भी दोस्ती के चलते, पर प्रांजल तो ये सब देखता ही रह गया।

    "प्रांजल तुम यहां पर क्या कर रहे हो चलो क्लास के लिए लेट हो रहा है", खनक ने कहा तो प्रांजल उसे देखने लगा और फिर आगे बढ़ गया। वहीं खनक भी उसके पीछे-पीछे चल दी, पर वो प्रांजल के कदम का पीछा नहीं कर पा रही थी। हाइट उसकी इतनी नहीं थी और ऊपर से प्रांजल तो भागा जा रहा था।

    रूबी ने क्लास में आकर नाजिया को भी बता दिया के राजन की सगाई हो चुकी है तो नाजिया भी हैरान थी। "अब मेरा क्या होगा, मेरा नंबर तो कट गया ना", नाजिया ने कहा तो राजन मुस्कुरा दिया।

    "चलो कोई ना किसी और को फसाना होगा अब", नाजिया ने राजन के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा और रूबी को देख कर, "तो फिर आज कैंटीन चलते है इसकी जेब ढीली कराते है", नाजिया ने कहा।

    रूबी उसे देखने लगी, "पार्टी तो ठीक है पर कैंटीन नहीं जाना, वो सीनियर जो है वो मेरी जेब ढीली कर देते है", रूबी ने कहा।

    "चलो ठीक है कॉलेज के बाहर वहां पर ठीक है, तुम दोनों की बात रह जायेगी और रूबी को परेशानी भी नहीं होगी", राजन ने कहा तो दोनों ने सिर हिला दिया। तब तक टीचर भी आ गये क्लास में और सब बच्चो का ध्यान उस तरफ चला गया।

    "अच्छा बच्चो तो आप सब के आने की खुशी में तुम लोगों के सीनियर ने फ्रेशर पार्टी रखी है दस दिन बाद तो आप सब को पार्टी में आना है", टीचर ने कहा तो सब बच्चे खुश हो गये, क्योंकि ये पहली बार था के सीनियर ने जूनियर्स के लिए कुछ करा हो।

    "चलो उस दिन की मेरी छुट्टी होगी", रूबी ने मुस्कुरा कर कहा तो नाजिया उसे देखने लगी।

    "पागल है क्या यहां की पार्टी मिस नहीं करते, सुना है के बहुत ही शानदार होता है सब कुछ। तो हम सब आ रहे है, कपड़ों के भी थीम होते है", नाजिया ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "देख मुझे नहीं आना, जो भी हो मेरी मर्जी", रूबी ने कहा और ध्यान किताब पर लगा दिया। तभी क्लास में उनके सीनियर आये जो सब को देख रहे थे, तो नाजिया ने रूबी को भी उपर देखने को कहा तो रूबी ने सामने देखा तो हैरान हो गई।

    "ये सारे सीनियर यहां क्या कर रहे है", रूबी ने सामने देखते हुए नाजिया से कहा।

    "मुझे क्या पता देख तो अपनी क्लास की लड़कियां कैसे देख रही है सब को", नाजिया ने कहा तो रूबी ने क्लास की तरफ देखा। यहां पर बाकी की लड़कियां सामने खड़े लड़कों को देख लार टपका रही थी।

    वहीं प्रांजल जो सब से पीछे दरवाजे से टेक लगा कर खड़ा था उसकी नजर रूबी पर ही थी, जो नाजिया से बात करते हुए अपना चश्मा हाथ से सही कर रही थी।

    "ओके तो जैसे सब को पता चल ही गया होगा के दस दिन बाद फ्रेशर पार्टी है तो हम सब आपको इनवाइट करने आये है। कोई भी उस दिन छुट्टी नहीं करेगा, समझ गये ना आप सब", उन सीनियर में से एक ने कहा, तो सब बच्चो ने सिर हिला दिया और वो सीनियर चले गये।

    "लो अब तो ना नहीं कर सकती आना ही होगा", नाजिया ने रूबी से कहा तो रूबी उसे देखते हुए वापस से अपनी बुक देखने लगी।

    "प्रांजल क्या सोच रहे हो", भाविक ने प्रांजल के पास बैठते हुए कहा जो इस समय अपनी छत के सब से ऊंचे पॉइंट पर बैठा, रात के अंधेरे को ही देख रहा था, तो वहीं भाविक भी उसके पास बैठ गया।

    "बस भाई देख रहा हूं के हर रात के बाद दिन चढ़ता है। सूरज की किरणें हर रोज धरती को छूती है, पर मैं कहां हूं मुझे समझ नहीं आता", प्रांजल ने कहा तो भाविक उसे देखने लगा।

    "प्रांजल तू भी आगे बढ़ गया है, वहां नहीं है यहां खुद को सोच रहा है। देख हम दोनों बड़े हो गये है, तुम टॉपर बन गये हो क्लास में हर बार टॉप करते हो, और क्या चाहीये", भाविक ने कहा तो प्रांजल उसे देखने लगा।

    "रूबी", उसके मुंह से निकला तो भाविक उसे देखता ही रह गया।

    "रूबी वापस नहीं आयेगी, तू क्यूं नहीं समझता", भाविक ने कहा।

    "मेने कहा रूबी चाहीये, मेरी रूबी, जो मुझे छोड़ कर ना जाने कहां चली गई।" प्रांजल ने कहा तो भाविक चुप सा रह गया।

    "कितने दिन हो गये तुमको सोये हुए", भाविक ने पूछा, तो प्रांजल मुस्कुरा दिया। पता नहीं उसने कहा।

    "चल खाना खाते है मम्मी बुला रही है, फिर मुझे प्रोजेक्ट भी बनाना है", भाविक ने कहा और प्रांजल के कंधे पर हाथ रख खड़ा हो गया तो प्रांजल उसे देखने लगा।

    "उठ अब देख जब तक तू नहीं आयेगा मम्मी मुझे भी खाना नहीं देगी तो चल ना, अपने भाई के लिए, पता है मुझे, तुमको भूख नहीं लगती", भाविक ने कहा तो प्रांजल उसे देखते हुए खड़ा हो गया और दोनों भाई चल दिये।

    "तू बैठ मैं मम्मी को देख कर आता हूं कहां रह गई भूख लगी है मुझे तो", भाविक ने कहा और रसोई की और चला गया वही प्रांजल कुर्सी पर बैठ गया यहां उसके पापा भी आ गये थे।

    "क्या है भाविक यहां पर कैसे आ गये"। उसकी मम्मी ने भाविक को रसोई में आते हुए देख कहा। तो भाविक अपनी मम्मी को देख कर।

    "मम्मी ये प्रांजल की नींद की दवाई है उसकी दाल जा सब्जी में मिक्स कर देना", भाविक ने कहा तो उसकी मम्मी हैरान सी रह गई।

    "देखो मम्मी अगर अपना प्रांजल चाहीये तो आपको ये करना होगा वो कई रातों से सोया नहीं है। मेने डॉक्टर से बात की है उन्होने ही मुझे ये दवाई देने का कहा है तो बस बीना कुछ कहे उसे दे दो", भाविक ने कहा और मम्मी के हाथ पर दवाई रख बाहर चला गया और उसकी मम्मी हैरान सी रह गई।

    "ये रूबी नाम की बला चली गई थी, के एक और आ गई", उसने गुस्से से कहा।

    रूबी अपने कमरे में बैठी पढ़ रही थी के तभी उसके रूम के दरवाजे पर दस्तक होने लगी, तो उठ कर उसने दरवाजा खोला।

    "अरे अंटी आप सब ठीक है ना", रूबी ने पूछा तो वो मुस्कुरा दी।

    "हां रूबी सब ठीक है, मुझे अपनी टीम के साथ कुछ दिनों के लिए जाना है तो हमेशा की तरह चाबी देने आई हूं घर की देख लेना और मेरे फूलों को पानी भी दे देना, खाना भी बना लेना भूख मत रहना। जो मन करा जैसा करे वैसा कर लेना", अंटी ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया और चाबी ले ली।

    वही वो अंटी चली गई और रूबी ने दरवाजा बंद करा और बैठ कर पड़ने लग गई। रात को वो बारह बजा तक पड़ती थी और फिर सुबह का अलार्म लगा कर सो जाया करती थी।

    भाविक प्रांजल को ही देख रहा था जो दवाई की वजह से कितने चैन से सो गया था। जिसे देखकर भाविक के चेहरे पर स्माईल थी।

    रब राखा।

  • 10. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 10

    Words: 1410

    Estimated Reading Time: 9 min

    भाविक प्रांजल को ही देख रहा था जो दवाई की वजह से कितने चैन से सो गया था । जिसे देखकर भाविक के चेहरे पर स्माईल  थी ।

    "प्रांजल मुझे डर था के तुम रूबी नाम से कही वापस उन्ही यादों मैं ना चले जाओ जिस से बाहर निकाला था तुमको बहुत  मुश्किल से।  तूम खुश रहने लगे थे ।मेरी बस भगवान से यही प्राथना है के मेरा भाई इस नाम को भूल ही जाये । जिसे सुनते ही वो हमे भूलने लगता है , रूबी को भूल जायो तुम ।" भाविक ने प्रांजल के सिर पर हाथ  फेरते हुए कहा । तो वहीं दरवाजे पर खड़े मिस्टर मिसेज बत्रा अपने बच्चो को ही देख रहे थे ।

    " इस नाम को मेरे बेटे की जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए  निकाल दो । पता तो कर ही  रखा है ना आपने उस लड़की के बारे में ।तो बस मुझे मेरा बेटा चाहीए पहले जैसा", मिसेज बत्रा ने कहा और वो चली गई  वहीं मिस्टर बत्रा देखते ही रह गये ।


    " तुम्हारा  दिमाग खराब हो रहा है क्या एसे कैसे हो सकता है । तुम पागल बन रही हो "। मिस्टर बत्रा ने रूम में आ कर कहा तो वो उनको देखने लगी ।

    " बोल तो एसे रहे हो जैसे तुमको पता नही क्या करना है  ।" उन्होने कहा और बेड पर  लेट गई  ।वहीं मिस्टर बत्रा देखते ही रह गये ।

    ●●●●●●●●●●●●●●●●

    रूबी इस समय  पुलिस स्टेशन में ही खड़ी थी । " देखे मिस रूबी आपके कहे मुताबिक हमने उस कार के ऑनर को बुलाया है । पर वो अकेला ही है और उसने तो साफ मना कर दिया है के वो उस दिन उस जगह पर नही था ।जिस दिन एक्सीडेंट हूआ।  फिर भी एक बार आप देख लो उसे और बताओ के क्या यही वो आदमी है ।"  इंस्पेक्टर ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया । और इंस्पेक्टर के कहे अनुसार एक खिड़की से दूसरी तरफ बैठे आदमी को देखने लगी ।

      " रूबी देखती ही रह गयी वहां पर चार आदमी बैठे थे जिनके चेहरे तो रूबी को धुंधले से ही दिख रहे थे पर उनके होठो पर मुस्कान जो थी वो साफ साफ दिख  रही थी । ये वही मुस्कान थी जो रूबी ने उस दिन गाड़ी में बैठे उन चारों आदमियों के चेहरों पर देखी थी ।

    " ये चारो वही है , वही है ये चारो इंस्पेक्टर ये चारो  वही है  ", रूबी ने जल्दी से कहा तो इंस्पेक्टर ने आगे आकर देखा , " चार कहा है एक ही तो है", कहते हुए  उसने देखा । वहां पर चार आदमी खड़े मुस्कुरा रहे थे ।

    " ठीक है मिस रूबी आपने हमे बता दिया है तो हम इनको देखते है "। इंस्पेक्टर ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी।

    "अगर आप चाहे तो इस कैस में अपना चेहरा छुपा भी सकती है कोई कुछ नही कहेगा ।जरूरी नही है चेहरा दिखाना ", , इंस्पेक्टर ने कहा ।

    " बिल्कुल  सर रूबी अपना चेहरा नही दिखाएगी दो महीने बाद शादी है इसकी  घरवालो को पता चला तो इसे बुला लेंगे
    हम अपना चेहरा नही दिखायेंगे" ,  मीनल रूबी के कहने से  पहले कहा तो इंस्पेक्टर ने सिर हिला दिय ।

    " ठीक है आप को अब तब ही बुलाएंगे जब केस आगे बढ़ेगा , पर आपको अपकी गवाही देने के लिए  आना होगा और कोर्ट में भी  बताना होगा",  इंस्पेक्टर ने कहा तो मीनल ने सिर हिला दिया और वो दोनो वहां से चली गई  ।


    " देख रूबी सात दिन छुट्टी के थे जो तुमने एसे ही बीता दिये। कल से स्कुल शूरू है तो क्या तुम जाना चाहती हो" ,मीनल ने रूबी से पुछा जो इन दिनो बस अपने कमरे में ही बैठी रही थी ।उसे समझ नही आ रहा था के वो क्या करे । अपने स्टूडेंटकी मोत ने उसे हीला दिये था जिसने उसके हाथों में ही आखरी सांस ली थी ।" हां स्कुल तो जाना ही है ।" रूबी ने कहा ।मीनल मुस्कुरा थी और दोनो चुप सी बैठ गई  ।

    अगली सुबह दोनो तैयार होकर स्कुल के लिए  निकल गई आटो से । स्कुल के गेट के आगे आके आटो रूकी और दोनो ही स्कुल के अंदर चल दी । यहां गेट से अंदर आते ही उनको बहुत  सारे बच्चे दीखे जो हैपी नयू इयर बोल के दोनो को विश कर रहे थे । तो रूबी मीनल भी सभी बच्चो को विश कर रही थी ।

    " हैपी न्यू ईयर मैम",  एक लड़का यही कोई दस ग्यारह साल का होगा । उसने रूबी के पास आकर कहा तो रूबी मुस्कुरा दी ।

    "हैपी न्यू ईयर ", रूबी ने कहा ।


    "मैम ये कार्ड आपके लिए ", उस लड़के ने मुस्कुरा कर एक कार्ड रूबी के आगे कर कहा तो रूबी मुस्कुरा दी ।और उस कार्ड को ले लिया ।

    "थैंक्यू",  रूबी ने उस लड़के के बालों में हाथ लगाते हुए कहा और मीनल के साथ  आगे चली गई । वहीं वो लड़का रूबी को देख कर मुस्कुरा दिया।


    ●●●●●●●●

    " उठ गये तुम नींद कैसी आई "। भाविक ने प्रांजल को उठते देख कहा तो प्रांजल उसे देखता ही रह गया ।

    " भाई मुझे असाइनमेंट पर काम करना था । लेकिन मैं तो सो ही गया । अब कैसै होगा काम " प्रांजल ने कहा तो भाविक मुस्कुरा दिया।


    " कोई बात नही काम हो जायेगा ।चलो तैयार हो जाओ कॉलेज के लिए",  उसने कहा तो प्रांजल उठ कर चल दिया। वही भाविक मुस्कुरा दिया।और वो भी रूम से बाहर आ गया ।


    रूबी नीचे आके अंटी के घर के दरवाजे के खोल कर रसोई में लगी थी । उसने मैगी का पैकेट बाहर ही देखा  तो उसे बानाने लगी । और वहीं पर  खड़े होकर उसने मैगी खा ली । बाहर आकर उसने पाइप लगा कर फूलों को पानी दिया और फिर वो अपने रूम में आ गई  और तैयार होने लगी ।

    राजन ने आज भी रूबी को रास्ते से ही ले लाया था और दोनो कॉलेज की और चल दिये ।

    "अच्छा रूबी आज क्लास के बाद मेरे साथ चल मुझे ड्रेस लेनी है", नाजिया ने रूबी से कहा दोनो गार्डन में बैठी थी  ।यहां नाजिया के हाथ में , लेस का पैकेट था तो रूबी उसके पास ही बैठी थी ।

    " बाजार क्या करना है ", रूबी ने पुछा । तो नाजिया उसे देख लेस का पैकेट उसकी तरफ करते हुए  ," मुझे ना ड्रेस लेनी है मेरे पास कोई  भी इंडियन ट्रडिशन के हिसाब  से ड्रेस नही है और आज पता चल गया है के प्रैशर पार्टी में इंडियन ट्रडिशनल ड्रेस ही पहननी है" , नाजिया ने कहा और साथ ही लेस का पैकेट रूबी की तरफ करा तो रूबी ने उस में से लेस उठा लिया ।

    "पर मैं क्या करूंगी तुम तो अपनी मम्मी के साथ  ही जाती हो ना तो मेरा क्या काम और वैसे ही मुझे कुछ नही लेना तो मुझे रहने दो । " रूबी ने कहा और चश्मा सही कर सामने देखने लगी ।

    " देख रूबी मेरी मम्मी कुछ बीजी है चल आज नही तो कल चलते है ।कल तो छुट्टी है संडे की। घुम भी लेंगे अब अपनी दोस्त के लिए  इतना भी नही करोगी  क्या ",नाजिया ने मूंह बनाते हुए  कहा तो रूबी उसे देखने लगी और फिर सिर हिला कर,"  ठीक है मेरी मां कल को चलते है आज नही होगा ।" उसने कहा तो  नाजिया मुस्कुरा दी । और उसके गले लग गई  ।

    "चल तूं यहां बैठ मैं फरूटी लेकर आती हूं", उसने कहा और चली गई । वही रूबी मुस्कुरा दी उसे देख कर ।और  सामने देखने लगी यहां पर  लड़के फुटबाल खेल रहे थे ।इतनी गर्मी थी पर उस जगह पेड़ो की शांव थी । रूबी बस उसी तरफ देख रही थी । के तभी उसके सामने दस रूपए की फरूटी का पैकेट आया जिसे देख रूबी मुस्कुरा दी ।

    "ले आई तू चल मेरे  पेसे मैं,,,,,, "बाकी के लफज उसके मुंह में ही रह । गए क्यूकि उसके पास नाजिया नही प्रांजल बैठा था  जिसने उसके सामने फरूटी का पैकेट करा था ।

    " आप सर",  रूबी ने उठते हुए कहा पर वो खड़ी होती उस से पहले ही प्रांजल ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बैठा लिया ।वहीं रूबी उसे देखती ही रह। गयी और नाजिया जो एक तरफ खड़ी ये सब देख रही थी वो आगे बढ़ती के भाविक ने उसे चुप रहने का इशारा करा जो अपने भाई के साथ  ही वहां पर आया था तो नाजिया चुप सी सामने देखने लगी ।

    रब राखा

  • 11. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 11

    Words: 1221

    Estimated Reading Time: 8 min

    "सर आप " , रूबी ने कहा । तो प्रांजल उसे देख मुस्कुरा दिया जिसे देख रूबी हैरान सी हो गई  । और फिर उस फरूटी को देखा जैस में स्ट्रा लगी हुई  थी ।

    " देखे सर अब तो मैं कैंटीन में भी नही आती ",  रूबी ने कहा तो प्रांजल  उसे देखता रहा ।वहीं रूबी ने पीछे देखा तो हैरान हो गई  ।यहां पर नाजिया भाविक और निवान के बीच खड़ी थी वो भी कुछ सहमी सी लग रही थी ।

    " देखे सर अगर आपको गुस्सा है उस दिन का तो वो रैगिंग थी । उस दिन आपसे माफी भी मांगी थी  ।आज फिर से माफी मांग लेती हूं । सॉरी सर उस दिन के लिए " , रूबी ने कहा तो प्रांजल उसे देखता ही रह गया पर उसका हाथ  नही छोड़ा जिसे रूबी छुड़ा रही थी ।

    "फरूटी पी लो ", उसने बस इतना ही कहा तो रूबी उस पैकेट को देखने लगी जो प्रांजल के हाथ में था । तो रूबी ने जल्दी से उस फरूटी को पकड़ लिया  और पीने लगी क्यूकि उस में पाइप पहले से ही पड़ी थी  तो वहीं नाजिया कुछ कह भी नही स्की वो चुप सी खड़ी थी ।

    प्रांजल जो रूबी को ही देख रहा था उसने रूबी के हाथ  से फरूटी ले ली तो रूबी उसे देखती ही रह गई  । प्रांजल  उसी स्ट्रा से फरूटी पीने लगा ।


    " सर ये झूठी है",  , रूबी ने कहा तो प्रांजल मुस्कुरा दिया और उसका हाथ  छोड़ो कर चला गया और रूबी हैरान सी उसे देखती ही रह गई । वहीं नाजिया भी जिसके पास खड़े निवान भाविक ने कुछ नही कहा वो वैसे ही चले गये।  वो जल्दी से रूबी के पास आई और उसे देखने लगी ।

    " तू ठीक है ना कही कुछ मिलाया तो नही था ना उस फरूटी में",  उसने कहा तो रूबी उसे देखने लगी ।

    "यार सर ने भी वही फरूटी पी ली कुछ मिलाया होता तो वो क्यूं पीते "। उसने कहा।

    तो  नाजिया हैरान सी रह गई  । "हां ये भी है पर सर ने झुठी फरूटी क्यू पी",  उसने कहा तो रूबी उसे देखते हुए ,"  मुझे क्या पता  "। उसने अपना चश्मा सही करते हुए  कहा । और  उस तरफ देखने लगी जिस तरफ प्रांजल गया था ।


    निवान भाविक प्रांजल को ही देख रहे थे जो
    फरूटी को पीते हुए आगे बड़ रहा था ।

    " कहा था ना वो कोई गेम नही खेल रही अगर गेम खेल रही होती तो फरूटी नही पीती। चेहरा देखा कैसे डर से पीला पड़ गया था उसका । " प्रांजल ने चलते हूए  कहा तो भाविक निवान ने एक दूसरे को देखा और सिर हिला दिया ।

    " पर प्रांजल  तुम कुछ ज्यादा ही उसके बारे में सोच रहे हो । क्या पता वो कुछ और हो", भाविक ने उसके पीछे आते हुए कहा तो प्रांजल रूक गया और उसे देखने लगा ।

    "क्या मतलब  भाई कुछ और का क्या मतलब ",  उसने पुछा।  इस समय  उसकी आंखो में एक अलग ही पागल पन सा था ।

    "मेरे कहने का मतलब  के मान लो वो यहां पड़ती है उसका कोई  बॉयफ्रेंड भी हो सकता है जो उसे मिलने आता हो " ।भाविक ने कहा।

    प्रांजल उसे देखता रह गया और हाथ  में पकड़ी फरूटी के खाली पैकेट को , हाथ में ही मसल दिया । उसकी आंखो में गुस्सा आने लगा था । जिसे देखते हुए  निवान ने भाविक के कंधे पर हाथ  रखा ।

    " प्रांजल कुछ भी नही है एसा तुमको बताया तो था।  के वो अकेली रहती है बस पड़ती है ", निवान ने आगे बड़ प्रांजल के कंधे पर हाथ  रख कह । तो प्रांजल उसे देखने लगा उसकी आंखे भी नॉर्मल सी लगने लगी ।तो भाविक उसे देखता ही रह गया और ना में सिर हिला दिया ।

    " ठीक है भाई मेरी क्लास का समय हो गया मैं तो जा रहा हूं",  कहते हुए प्रांजल आगे बड़ गया । तो भाविक अपने भाई को देखता ही रह गया ।


    निवान ने भाविक को देखा जो चुप सा था।"  तु पागल हो रहा है ,क्या ? तुमको नही लगता के प्रांजल  क्या सोच रहा है । वो मन ही मन रूबी को चाहने लगा है पर बोले गा नही । तो क्यू उसे गलत बोल रहा है "। निवान ने कहा तो भाविक उसे देखने लगे ।

    "तुम नही समझ रहे ये गलत हो रहा है कही इसके पागलपन का शिकार रूबी ना हो जाये । " भाविक ने कहा

    " हमे पता है के प्रांजल को कैसे हैंडल करना है। रूबी को  नही और तुमको नही  पता के मेरा भाई रूबी का पहले दिन से पीछा कर रही है । वो क्या करती है कहा जाती है ।कहा रहती है सब पता है इसे । मुझे डर है रूबी का । क्यूकि मेरा भाई पहले जेसा ना बन जाए । अगर इस बार कुछ गलत  हो गया तो कही हम प्रांजल को खो ही ना दें और अगर एसा हो गया तो शायद रूबी भी बीना बात के इस सब में फंस जाये  ", भाविक ने कहा तो निवान उसे देखता ही रह गया ।

    " देख मुझे लगता हो एक बार डॉक्टर अंकल से बात कर लेते है । क्यूकि वो अच्छे से जानते है प्रांजल की दिमागी हालत को",  उसने कहा तो भाविक ने सिर हिला दिय।

    " ठीक है कल मिलते है पर अपने मम्मी पापा को पता ना चले। क्यूकि   उनको अगर पता चला तो वो बहुत डर जायेगे  और शायद डॉकटर से बात भी ना करने दें ", भाविक ने कहा तो निवान ने भी सिर हिला दिया ।और वो भी अपनी अपनी क्लास के लिए  चल दिए  ।

    रूबी अपना कॉलेज खत्म कल बाहर निकल गई ।थी तो उसे राजन ने लिफ्ट दे दी और वो दोनो घर के लिए  निकल गये वहीं । प्रांजल  भी आज बाइक पर ही था। चेहरे पर हैलमेट लगाये हुए  जिस से किसी को पता नही चला और वो भी दोनो के ही पीछे चल दिया  । कुछ ही देर में  राजन रूबी के घर के बाहर था । यहां रूबी राजन को बाये कर घर के अंदर चली गई  तो राजन भी आगे बड़ गया।

    लेकिन  प्रांजल  आज यहां नही रूका उसकी बाइक आगे बड़ गई और सीधे प्राजन की बाइक के पास आकर उसने एक पैर राजन  की बाइक पर दे मारा । राजन जो अपने ध्यान था  और इस समय  सलो था  वो कुछ समझ नही पाया और वो सड़क पर ही गिर गया जिसे देखते हुए  प्रांजल आगे बड़ गया और राजन देखता ही रह गया ।

    इस तरफ की सड़क कुछ ज्यादा नही चलती थी तो किसी को पता भी नही चला ।वहीं राजन खड़ा हूआ और हैलमेट उतार कर खुद को देखने लगा पर उसे कोई  चोट नही आई थी   कारन था उसकी बाइक स्लो थी वो फोन पर बात कर रहा था इस वजह से वो बच गया था 

    " पागल इंसान",  कहते हुए  राजन ने हाथ में  पकड़ा फोन कान से लगा लिया,"  नही मैं ठीक हूं बिल्कुल ठीक हां आगे बहुत  रश है घर जाकर बात करता हूं",  राजन ने कहा और फोन जेब में रखते हुए । उसने अपनी बाइक उठाई और चल दिया आगे की और  ।



    रब राखा

    आखिर  प्रांजल क्या करना  चाहता है और उसे कैसी दिमाग बिमारी है जिसकी बात निवान और भाविक कर रहे थे ?

  • 12. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 12

    Words: 1656

    Estimated Reading Time: 10 min

    राजन ने अपनी बाइक उठाई और चल दिया आगे की और। वही रूबी अपने रूम पर आई उसे भुख लगी थी। पर पहले उसने नहाना ही सही समझा । कुछ देर बाद  वो नीचे अंटी के घर खोल वहां रसोई में थी ।और अपने लिए रोटियाँ बना रही थी  और साथ  ही उसने चाय  रखी थी ।   और वो फोन पर गीत सुनते हुए जा रही थी ।

    शाम को रूबी टूशन के लिए  चल दी । वो उस घर में पहुंची । तो वो दोनो बच्चे भागते हुए  रूबी के पास आ गए वहीं रूबी मुस्कुरा दी उनको देख कर। " चलो पड़ाई कर लो ", उसने कहा तो वो दोनो बच्चे रूबी का हाथ पकड़ कर रूम की और चले गये।


    ●●●●●●

    " मैम मैम मुझे ना आपसे एक बात करनी है ", एक लड़का भागते हुए  रूबी के पास आया तो रूबी उसे देखने लगी ।अभी रीसेस हूई थी और रूबी धूप में बैठने बाहर आ गई  थी तभी एक लड़का भागते हुए  आया ।

    " कहो क्या बात करनी है ", रूबी ने मुस्कुरा कर कहा।  तो वो लड़का भी मुस्कुरा दिया जिस की वजह से उसके गाल में डिम्पल पड़ गये । 

    " मैम आप ना बहुत  अच्छी हो मुझे बहुत  पसंद भी हो , आप मेरी वैलंटाइन बनेगी कुछ दिनो में वैलंटाइन है "। उस लड़के ने कहा तो रूबी उसे देखती ही रह गई ।

    "ठीक है  तुम्हारी वैलंटाइन मैं बनूंगी पर उसमें करते क्या है ", रूबी ने पुछा तो वो लड़का  शर्मा गया ।वही रूबी उसे देख मुस्कुरा दी ।

    " कुछ नही मैं आपको पसंद करता हूं तो आपके गुलाब दूंगा  और आप उस गुलाब को लेंगी ।"  उस लड़के ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया ।"

    ठीक  है बेटा मैं आपकी वैलंटाइन बनूंगी",  रूबी ने कहा तो वो लड़का भाग गया और रूबी उसे देखती ही रह गई जिसकी आंखो में पानी आ गया था  ।

    नेक्स्ट डे वो लड़का स्कुल आया और गेट के सामने खड़ा हो गया । यहां पर रूबी आने वाली थी । वो लड़का बहुत  खुश था ,बहुत खुश । वो अपने हाथ  में पकड़े गुलाब को ही देख रहा था ।

    एक घंटा हो गया रूबी नही आई थी । वो लड़का वहीं खड़ा रहा  जब तक गार्ड ने गेट बंद कर ना दिया और उसे क्लास के लिए जाना का कहा वो लड़का पुरा दिन बस रूबी मैमे के  बारे में ही सोचता रहा ।


    ●●●●●●●●●●●●●


    " प्रांजल ये क्या कर रहे हो तुम" , भाविक ने कहा । वहीं प्रांजल इस समय अपने घर के गार्डन में खड़ा था शाम भी अंधेरे मेअअं बदल रही थी ।यहां पर गुलाब के ही फूल थे जो के लाल रंग के गुलाब थे । जिनको प्रांजल हाथ  लगा कर देख रहा था ।

    " बस भाई  देख रहा हूं के इस बार गुलाब कितने प्यारे आये है ",  उसने कहा तो भाविक उसे देखने लगा । और फिर आगे बड़ गुलाब के फूल पर हाथ लगाते हुए नीचे की तरफ हाथ  करा। यहां पर पत्ते थे और फिर उन पत्तो के नीचे कांटे जिनको नेक पर भाविक ने ऊंगली से छुआ  ।

    " बिल्कुल  इस बार  फुल के साथ  साथ  कांटे भी बहुत नुकीले आयें है ", उसने कहा । तो प्रांजल उसे देखने लगा ।

    " सुंदर चीज अपने साथ कांटे तो लेकर आती ही है भाई ,कभी देखा है आपने के हमे कुछ भी आसानी से मिल जाये ", प्रांजल ने कहा तो भाविक उसे देखने लगा ।

    "बिल्कुल  ये तो सो प्रतिशत सच है ", उसने कहा । भाविक बस अपने भाई को ही देखता रहा जिसके चेहरे पर  अलग ही खुशी थी  ।


    " कल संडे है आराम से उठना कोई जल्दी नही है",  भाविक ने कहा और अंदर चला गया वही प्रांजल उन फूलों को देखता रहा ।

    " इस बार सब कांटे पहले ही रास्ते से हटा दूंगा",  प्रांजल ने फुल को हाथ में लेते हुए  कहा । और उसे देखने लगा ।


    रूबी अपने रूम में बैठी पड़ रही थी रात के बारह बज रहे थे। कल संडे था तो उसने आज देर रात तक पड़ने का सोचा और बस वो बैठी रही के तभी उसे एसा लगा के बाहर कोई  है। जैसे किसी ने सड़क से दिवार को फांद लिया हो और अंदर आया हो । रूबी ने आपने रूम से लगी खिड़की से बाहर झांक कर देखा पर उसे कोई भी नही दिखा।  इस रूम की  खिड़की से बाहर का पुरा आँगन दिखता था  ।

    "मेरा वहम होगा ", कहते हुए  रूबी ने अपना ध्यान वापस से पड़ाई पर लगा लिया । और वैसे ही पड़ते पड़ते उसे नींद आ गई  ।


    अगला दिन संडे का था यहां रूबी मजे से उठी थी आज उसकी ट्यूशन की भी छुट्टी थी। दस बज गये थे रूबी तैयार थी कयूकि उसे नाजिया के साथ  जाना था । और उसका फोन भी आ गया था ।

    तभी बाहर से हॉर्न की आवाज आई तो रूबी ने रूम से बाहर निकल कर देखा तो नाजिया अपनी स्कूटी के पास खड़ी थी  । रूबी ने हाथ हिला दिया और अंदर आके उसने आपना पर्स लिया । जुती पहनी और रूम लॉक कर नीचे आ गई  । और गेट बंद कर नाजिया को देखने लगी ।

    वही नाजिया उसे ही देख रही थी ।जिसका मूंह खुला रह गया था ।तो रूबी ने आगे बड़ उसकी ठुड्डी पर हाथ  रख मूंह बंद करा और मुस्कुरा दी ।


    " क्या लग रही हो ये सलवार सुट वाले अवतार तो मेने आज ही देखा है। मतलब जहर, बवाल ,टोटा ,पटोला ,पटाखा, घैंट,  और कुछ रहगया तो वो भी। सो बात की एक बात  अगर में लड़का होती ना तो आज पक्का प्रपोज दे मारती ",  नाजिया ने सड़क पर ही खड़े खड़े कहा वहीं रूबी हैरानी सी उसे देख रही थी ।


    " पागल हो गई  हो तुम सलवार सुट ही पहना है । तुमने ही तो कहा था टवीनिंग करनी है ।फिर ये सब क्य बकवास है । तुमने भी तो यही पहना है ",  रूबी ने कहा तो नाजिया खुद को देखने लगी ।

    " पर फायदा क्या एसे सजने संवरने का मुझे तो कोई मूड़ कर देखता भी नही है ।"   नाजिया ने कहा तो रूबी उसे देखते हुए 

    "चल अब नौटंकी मत कर बहुत देखते है । पर तुम ही भाव नही देती ",  उसने कहा ।

    तो नाजिया स्कूटी आगे बढ़ाते हुए  । " जब सब को पता चलता है मेरा नाम और मैं कोन हूं तो सब भाग जाते है ",  उसने कहा तो रूबी चुप सी रह गई  ।और वो दोनो आगे निकल गई ।

    वही उसी सड़क पर एक तरफ खड़ी कार भी चल दी थी जिसके बारे में दोनो को ही नही पता था ।



    और उस गाड़ी में बैठा प्रांजल जो उस गाड़ी को चला रहा था । उसकी नजर तो रूबी पर ठहर ही गई  थी । जिसने आज लाइट येलो रंग का सुट पहना था । और पैरों में पंजाबी जुती बाल हल्के बंधे थे कानो मैं छोटे छोटे झुमके । आज वो पहले से बिल्कुल अलग रूबी लग रही थी। वर्ना कॉलेज तो वो जीन्स टॉप मे ही होती  ।

    चश्मा तो आज भी था आंखो पर । पर उन पलके पर गहरा काजल था । होठो पर ही गुलाबी पन गहरा था ।प्रांजल तो जैसे रूबी में ही खो गया था ।उसे होश तब आया जब पीछे की गाड़ी ने हॉर्न बजाया। क्यूकि आगे से सिग्नल खुल चुका था। पर वो तो बस रूबी को ही देखने में इतना खो गया था वो सब भूल गया था ।




    " देखो भाविक तुमने जैसा बताया अभी प्रांजल के बारे में उसे सुन कर फिलहाल  मुझे एसा लगता है के , भाविक पर  वो पल हावी हो रहे है जो उस समय  थे ।बाकी तुमने कहा के रूबी नाम पहले दिन से ही सुन कर वो कुछ बदला सा लगा  । देखो भाविक  इस बात को नेगेटिव मत लो के जो हुआ वैसा हो सकता है ।एसा सोचा के इस बार रूबी भाविक के लिए  बहुत अच्छी हो । वो भाविक को उसके उस पुरानी यादों से बाहर निकाल दे । जिनके बीच वो फंस कर रह गय था ।"  डॉक्टर ने कहा तो भाविक उनको देखता रह गया वही निवान भी था ।

    " अंकल आपने कहा था के प्रांजल ठीक हो गया है "  भाविक ने कहा तो डॉक्टर उसे देखने लगे और फिर गहरी सांस लेते हुए ,:  देखा बच्चो हमारा काम है के दिमागी रूप से इंसान को सही करना।अब  वो  उनसे बात करके उनको उनबातो सै हटा दूसरी बातों पर लगा कर। कुछ एक्सरसाइज करवा कर और बहुत  सारे प्यार से  समझाते है ।तुम्हारे पापा को मेने कहा था के ये जरूरी नही के आज प्रांजल सही है । तो आगे चल कर वो वैसा ही रहे । क्यूक प्रांजल अपने इमोशंस एक्सप्रेस नही कर पा रहा था । उस समय  तो कही ना कही रूबी नाम उसके जहन में हर गया होगा । और जैसा तुमने मुझे बताया अभी तक । उसके अनुसार तो  प्रांजल को आब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) और अटैचमेंट डिसऑर्डर है ।

    बाकी अगर प्रांजल रूबी का पीछा कर रहा है । तो स्टॉकिंग बिहेवियर भी है उसको , और ये सब से खतरनाक हो सकता है प्रांजल और रूबी के लिए" ,   डॉक्टर ने कहा तो दोनो उनको देखते ही रह गए  । "मतलब  ", भाविक ने फिक्र से  पुछा ।


    " स्टॉकिंग बिहेवियर में इंसान क्या करता है। ये  उसके नाम के से ही पता चल रहा ।है पीछा करना उस इंसान को स्टॉक करना । इंसान का पीछा करता होगा।प्रांजल  उस के हर एक पल की खबर रखता होगा। वो क्या करती है क्या नही । ये जानता होगा । पर इस में  रूबी को  जरा सा भी अंदाजा नसी होगी के उसका कोई  पीछा कर रहा था ।  अब तुम देखो रूबी  को नही पता के उसका पीछा हो रहा है पर प्रांजल तो है ना उसके पीछे । और ये सब से खतरनाक हो सकता है दोनो के लिए  ।



    रब राखा

  • 13. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 13

    Words: 1560

    Estimated Reading Time: 10 min

    " पर अंकल ये सब खतरनाक, कैसे हो सकता है",  भाविक ने पुछा ।तो डॉक्टर ने अपना चश्मा हटा कर सामने के टेबल पर रखा और दोनो को देखने लगा ।

    "बच्चो मान लो रूबी को पता चल जाये उसका पीछा हो रहा है, तो वो सब से पहले प्रांजल को अपना पिछा करने से रोकेगी।वो उसे कहेगी के उसका पीछा ना करे । अगर प्रांजल नही हटा तो घर वालो को बतायेगी और वो तो आगे  आयेगे प्रांजल को सबक सिखाने और फिर भी प्रांजल नही हटा तो पूलिस कंप्लेंट होगी जो के हर तरह से जायज है रूबी की नजरों में। और मान लो इसी बीच दोनो की कहा सूनी हो जाये जा बात बड़ जाये और कुछ भी हो सकता है। प्रांजल उस समय  गुस्सा कंट्रोल नही कर सकता । तो ये सब से ज्यादा खतरनाक है ।"डॉक्टर ने कहा तो निवान भाविक उनको देखते रह गये ।

    " यकीन नही हो रहा मेरी बात पर, तो ठीक है तुम लोग प्रांजल को फोन करो और पूछो वो कहा है । और रूबी के बारे में जानकारी लो वो कहां है , सब पता चल जायेगा ।" डॉक्टर ने कहा ।

    भाविक चुप सा रह गया ।और निवान को देखने लगा ।"  देख फोन करके ", निवान ने कहा तो भाविक ने अपना फोन निकाला और प्रांजल को लगा दिया।  कुछ तीन चार बैल के बाद  प्रांजल ने फोन उठा लिया ।

    " हैलो प्रांजल कहा हो इस समय, मुझे काम था तुमसे " , भाविक ने कहा । तो प्रांजल किसी दूकान के एक कोन में खड़ा दूसरी तरफ देख रहा था । "भाई अभी मार्किट में हूं , नही आ सकता ",  प्रांजल ने कहा तो भाविक डॉक्टर की देखने लगा ।

    "कोन सी मार्किट में"   भाविक ने पुछा तो प्रांजल ने बता दिया ।

    " चल जल्दी आ घर मुझे बात करनी है ।"


    "ठीक है भाई शाम तक आता",  हूं प्रांजल ने कहा और फोन रख सामने देखने लगा । यहा उसके सामने सड़क के दूसरी तरफ की दूकान पर रूबी और नाजिया थी। यहां  नाजिया अपने लिए  ड्रेस देख रही थी ।
    भाविक ने फोन रखा और डॉक्टर को देखने लगा। 

    " कहां है वो",  उन्होने पुछा तो भाविक  ने निवान को देखा,"  प्रांजल तो मार्किट में है",  उसने कहा ।

    डॉक्टर मुस्कुरा कर ," रूबी को फोन करो उस से पूछो वो कहा है । " ।

    " पर सर मेरे पास उसका नंबर नही है। और मैं कैसे  फोन करूंगा उस को", भाविक ने कहा तो डॉक्टर उसे देखते रहे  ।

    " नाजिया का नंबर है आज वो दोनो एक साथ  जाने वाली थी । " भाविक ने कहा तो डॉक्टर ने सिर हिला दिया और वहीं निवान चुप सा रहा ।भाविक ने नाजिया का नंबर डायल कर दिया  तो कुछ तीन चार बैल पर दूसरी तरफ से फोन उठा लिया गया ।

    " हैल" ,उसने फोन कान से लगा कर कहा ।


    " देखो नाजिया मैं भाविक बोल रहा हूं ।बस चुप चाप मेरी बात सुनो जो भी पूछूं हां ना में जवाब देना । ठीक है ", भाविक ने कहा तो नाजिया हैरान सी रह गई  वही रूबी उसे पुछ रही थी पर उसने ना में सिर हिला दिया ।

    " अच्छा नाजिया रूबी तुम्हारे साथ  है  ।"  भाविक ने कहा तो नाजिया ने हां  कहा ।

    " गुड कोन सी  मार्किट में हो तुम दोनो",  भाविक ने पुछा ।वो बस यही चहता था के नाजिया और प्रांजल का जवाब एक सा ना हो ।

    तो नाजिया ने भाविक को बता दिया मार्किट का नाम । जिसे सन भाविक  चुप सा रह गया ।"  ठीक है तुम आपना काम करो  थैंक्यू बाते के लिए ", उसने कहा और फोन रख डॉक्टर को देखने लगा ।

    " क्या एक ही जगह है ना दोनो", डॉक्टर ने कहा तो भाविक ने सिर हिला दिया ।

    " भाविक प्रांजल को एक अच्छे  इलाज की जरूरत है । अभी कुछ ही दिन हुए  है पर इस परेशानी को बड़ने में देर नही लगेगी ।अपने पापा से बात करो घर पर सब को बताओ और घर का माहोल भी ऐसा ही रखो जिस से प्रांजल, रूबी नाम से दूर रहे ",  डॉक्टर ने कहा तो भाविक ने सिर हिला दिया और निवान के साथ उठ कर वो बाहर चला गया ।

    दोनो अपनी गाड़ी में बैठे हुए थे । " भाविक  मुझे लगता है अब घर पर बात कर ही लो क्यूकि एक महीना हो चुका है और आगे ये सब उलझे उस से पहले ही सब ठीक रहे ", निवान ने कहा तो भाविक उसे देखने लगा ।

    " ये इतना आसान नही होने वाला । मेने अपने भाई  के अंदर बहुत  बदलाव देखे है इन दिनो और उन में से एक बदलाव तो उसने समोक करना छोड़ दिया और दूसरा वो खुश रहने लगा । जिस प्रांजल को खुश देखने के लिए हम सब सोचते रहते थे वो बस एसे ही खुश होने लगा  । पता नही क्यूं पर दिल से एक आवाज आती है के जो भी होगा वो सही होगा "। भाविक ने कहा तो निवान ने उसके हाथ पर अपना हाथ  रख दिया ।

    " बिल्कुल सब अच्छा होगा ", उसने कहा और गाड़ी आगे बड़ा दी।

    दिवित निवान का छोटा भाई जो इस समय  एक हॉटेल के अंदर गया था वो सीधा लिफ्ट  की और चला गया । और उस लिफ्ट से होते हुए वो एक फ्लोर पर चला गया । यहा वो लिफ्ट से बाहर निकला और  आगे बढ गया । और एक दरवाजे के आगे खड़ा हो कर उसने बेल लगा दी तो कुछ ही देर में दरवाजा खुला यहां एक लड़की दरवाजे पर खड़ी  थी बॉडी हगिंग ड्रेस में ।  एक अदा से वो दिवित को देख रही थी 

    जिसे देख दिवित ने स्माइल कर दी और आगे बड़ उस लड़की को  गले से लगा लिया । वहीं उस लड़की ने  भी दिवित को कस कर गले से लगा लिया  ।

    "कैसी हो ", दिवित ने कहा और साथ  ही दरवाजा बंद कर दिया । तो वो लड़की दिवित को देख मुस्कुरा दी ।

    "यू नो मेने कितना मिस करा तुमको पर तुम तो यहां पर बिल्कुल अच्छे हो" । उसने कहा ।

    दिवित जो उसे देख रहा था । उसने  लड़की को गोद में उठा लिया,वहीं उस लड़की के पैर दिवित की कमर पर लिपट गये ।

    " किसने कहा मेने तुमको मीस नही करा   बहुत  मिस करा । सबूत चाहीये क्या", उसने कहा तो उस लड़की ने हां में सिर हिला दिया। तो दिवित ने उसके होठो पर अपना कब्जा बना लिया , और घुम कर उसे दीवार  से लगा दिया ।वही वो लड़की भी दिवित को पागलों की तरह  चुम्मने लगी ।

    जिसके एहसास से दिवित । की पकड़ उस पर कसती जा रही थी । और उसके कदम बेड की तरफ बड़ गये यहां पर आते ही उसने लड़की को बेड  पर धक्का दे दिया और खुद उस पर आ गया ।


    "एसे क्या देख रहे हो तुम" , उस लड़की ने दिवित को खुद पर झुकते हुए देख कर कहा तो दिवित ने उस लड़की के बाल पकड़े और चेहरा उपर करते हुए  ," एक बार  फिर से उसे चम्म ने लगा । पर इस बार वो बिल्कुल भी नॉर्मल नही था । अग्रेसिव था ।जिस की वजह से  वो लड़की उसे खुद से दूर करने की कोशिश करने लगी ।


    " दिवित छोडो यार काट क्यूं रहे हो ", उस लड़की की धीमे से आवाज निकली क्यूकि दिवित उस पर पुरी तरह से हावी हो गया था और होठो को छोड गर्दन पर किस बाइट कर रहा था ।

    उस लड़की की आवाज सुन दिवित ने चेहरा उपर उठा कर उस लड़की को देखने लगा जिसकी आंखो में आंसू थे । होठो पर खुन था   और कुछ निशान  उसकी गर्दन पर भी बन गये थे ।


    "मेघा तुमने ही तो कहा के बहुत  मिस करा मुझे तो मेने भी उतना ही मिस करा तुमको बस बता रहा हूं "। दिवित ने कहा तो मेघा जो उसके नीचे थी उसकी आंखो का पानी बह निकला।  

    " सॉरी दिवित वो अच्छा लगने लगा था । अटरेकशन सा बन गया था वो । बहक गई  थी मैं ",  उस लड़की जानी के मेघा ने कहा तो दिवित जो उसकी बातें सुन रहा था। उसने अपना चेहरा मेघा की गर्दन  में छुपा लिया और फिर से उसे बाइट करने लगा । साथ  ही एक हाथ  से मेघा की ड्रेसिंग को उसके कंधे से नीचे करने लगा ।

    " मॉफ करदो ना दिवित  गलती हो गई । तुमको मेने कहा था मिल लो एक बार पर तुम नही आये । उस समय  बहुत अकेली थी । कोई नही था मेरे पास  । प्लीज छोड़दो । तुम अभी गुस्से में हो",  उसने अपनी बात बताते हुए  दिवित को छोड़ने का कहा जिस ने बहुत  बुरी तरह से उसके कंधे पर अपने दांत  गड़ा दिये थे।

    दिवित ने चेहरा उपर कर उसे देखा । " मेघा मेने पहले कहा था के जो मेरा है वो बस मेरा है । तो तुमने सोचा भी कैसे लिया के किसी और के साथ फिजीकल होकर तुम मुझे अपना बना लोगी  । एक बात  याद रखो दिवित दीवान हूं मैं मुझे झुठन खाने की आदत नही । अब तुम जा सकती हो मेरी जिंदगी से "। दिवित ने कहा और मेघा को वैसे ही बेड पर छोड़ उस रूम से बाहर निकल गया और मेघा बस वहां  पर आंसू बहाती रह गई  ।


     

    रब राखा



    समीक्षा देते जाये ।

  • 14. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 14

    Words: 1517

    Estimated Reading Time: 10 min

    मेघा बस दिवित को जाते हुए  देखती ही रह गई  जो के उसे एसे छोड़ गया था मानो अब वो कुछ नही है उसके लिए  ।


    रूबी नाजिया  वापस चल दी थी घर को और । दोपहर ढलने को थी । नाजिया को बहुत  ही मुश्किल से कुछ पसंद आया था । तो बस वो दोनो चल दी थी अब वापसी पर ।

    " चल आ पानी पीकर जाना",  रूबी ने नाजिया से कहा । दोनो ही रूबी के घर के बाहर गेट पर खड़ी थी ।

    "बस यार अभी नही  अभी तो घर जाना है कल मिलते है ",  नाजिया ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया । नाजिया चली गई तो रूबी भी अपने रूम की और चली दी। खाना दोनो खा कर ही आई थी। नाजिया नही मानी थी रूबी ने उसे मना करा था  पर वो नही मानी  ।तो दोनो ने खाना खा लिया जिसका बिल दोनो ने दिया था आधा आधा ।


    रूबी अपने रूम में आई और दरवाजा बंद करा तभी सड़क के दूसरी और कुछ पीछे खड़ी गाड़ी भी आगे बड़ गई  । जिसमें प्रांजल था ।


    " हां भाई बताओ क्या बात है"  ,  प्रांजल ने भाविक से पुछा दोनो अपने रूम में थे ।तो भाविक उसे देखने लगा ।

    " प्रांजल  मुझे पता है तुम क्या कर रहे हो"  , भाविक ने कहा तो प्रांजल उसे देखने लगा  ।


    " मतलब  क्या कर रहा हूं मैं",  उसने कहा तो भाविक ने उसके कंधे पर हाथ  रख दिया ।

    " रूबी का पीछा। आज भी तुम रूबी के पीछे थे मार्किट में है ना",  भाविक ने कहा तो प्रांजल चुप सा रह  गया ।

    " भाई अगर तुमको वो पसंद  है तो बात कर सीधी बात कर ।पर अगर एसे पीछा करेगा तो बहुत मुश्किल हो सकती है । अभी पापा मम्मी को नही पता  इस सब के बारे में। और पता लगने में देर भी नही लगेगी के तू क्या कर रहा है ",   भाविक ने कहा तो प्रांजल उसे देखता रहा ।

    " नही मुझसे   बात नही होगी वो खुद बात करे। उसने कहा था के वो आयेगी पर नही आई ।और आज भी वो नही आई तो ।"  प्रांजल ने कहा तो भाविक उसे देखने लगा ।।

    "तो वादा कर के उसका पीछा नही करेगा ।मेरा भाई   कीसी के  पीछे जाये ये सही नही है "।भाविक ने कहा तो प्रांजल चुप सा रहा ।

    " मेने दो ऑप्शन दिये है तुमको उनमें से एक को चुन्ना होगा ।  पहला जा दूसरा  । पहला ऑप्शन , जा कर  उस से बात करो नही तो दूसरा ऑप्शन  पीछा छोड़ दो । बताओ तुम क्या करोगे ।"  भाविक  ने कहा तो प्रांजल कुछ नही बोला वो चुप सा रहा ।

    "देख प्रांजल तुम्हारी चुप्पी मुझे चुभती है तुमको एक रास्ता चुन्ना होगा", भाविक ने कहा ।

    " ठीक है उसका पीछा नही करूगा " , प्रांजल ने कहा और चला गया वहीं भाविक उसे देखता रह गया। कयूकि उसे उम्मीद नही थी के प्रांजल एसा कुछ कहेगा ।

    मतलब  साफ था वो चाहता था के रूबी उस से बात करे । प्रांजल नही । और ये होने से रहा वो लड़की तो उनको देख कर ही रास्ता बदल लेती थी ।वो सामने से कया ही बात करेगी । और भाविक इस बात पर खुश था । के रूबी प्रांजल से बात नही करेगी और प्रांजल उसका पीछा नही करेगा


    दिन एक बार फिर से बीतने लगे थे यहां पर सब नॉर्मल था।  भाविक अपने भाई पर नजर रखे हुए था। तो वही प्रांजल की नजर रूबी पर थी पर अब वो पीछा नही करता था । कॉलेज में ही  रूबी को  देखता था । कुछ कहता भी नही था रूबी को कुछ भी नही । यहां तक के वो बस दूर से ही देखता ना कभी रास्ता रोका ना ही उसके सामने आया । हां वो बात अलग थी के रूबी उनको देख रास्ता बदल लेती  ।

    " भाविक ने भी घर पर किसी को नही बताया ।क्यूकि वो अपने भाई को देख रहा था जो बस रूबी को देखता था । वही रूबी रोज ही राजन के साथ आती और जाती थी । क्यूकि राजन अब उसी रास्ते से जाने लगे था उसे तो एक सा ही रास्ता पड़ता था कॉलेज से अपने घर का चाहे इस रासते चला जाये जा दूसरे ।

    इस बीच दिवित फिर से लास्य से बात करने को उसके पीछे पीछे था पर लास्य ने तो जैसे उसे देखना ही छोड़ दिया था । वो अपनी तरफ से पुरी कोशिश कर रहा था लास्य से बात करने की । और एसे ही दिन बीत रहे थे सब अपनी अपनी जिन्दगी में थे । सब की अपनि ही प्रॉब्लम्स थी । जिनको वो लोग सुलझा रहे थे चाहे बाहर से देखने में सब शांत थे पर अंदर ही अंदर वो लोग झूझ रहे थे ।

    आज कॉलेज में फ्रेशर पार्टी थी । तो रूबी जो जाना तो नही चाहती थी वो भी तैयार हो गई  थी बौझे मन से । उसने आज अनारकली सुट पहना था । जिसकी लंबाई फ्लोर लेंथ थी । और ग्रीन कलर का था वो सुट ।। ज्यादा हैवी नही था   फ्लोरल बेस था । पैरों में वही जुती थी । और हमेशा की तरह वो तैयार थी आंखो में काजल और होठो को हल्का गुलाबी करके  । बाल बांध रखे थे ।

    वो अपने रूम को ताला लगा नीचे आई और बाहर गेट को भी ताला लगा दिया। क्यूंकि  अंटी अभि तक नही आई थी ।वो जब भी बाहर जाती तो बहुत  दिन लग जाते कभी कभी महीना भी ।  रूबी ने ऑटो ले लिया ।

    क्यूकि कल ही उसे ट्यूशन पड़ाने की जगह से  पैसे मिले थे । तो बस वो खुश थी  और आटो कर लिया था उसने । क्यूकि आज राजन को उसने मना कर दिया था आने से ।

    रूबी कॉलेज गेट पर उतरी और एक कंधे पर लिये दुपट्टे को संभालते हुए  वो आगे बड़ गई  ।

    यहां उसे नाजिया मिली जो के अपने उसी ड्रेस में थी जो उसने खरीदी थी रूबी के साथ  मिल कर । ऑफ वाइट कलर की ड्रेस थी जिस पर वर्क था और मेकअप भी अच्छा खासा कर रख था उसने । और वो रूबी को देखे जल्दी से उसकी तरफ बड़ गई  ।

    नाजिया रूबी के  गले लगते हुए,"  कितनी देर कर दी यार । सब आ गये और अंदर भी चले गये बस हमे छोड़ कर ", नाजिया ने कहा तो रूबी ने सिर हिला  दिया ।

    " ये क्या बाल  बांध रखे है खोलो ना आज भी पोनी कर ली",  कहते हुए  नाजिया ने रूबी के बालो की रबर निकाल दी और अपने पर्स से एक छोटी कंघी निकाल जल्दी से उसके बालों मैं चलाने लगी । और रूबी जो कुछ कहती वो चुप सी खड़ी रही क्यूकि नाजिया से बहस करने का मतलब था खुद का सिर दर्द। तो वो अभी इस दर्द  को लेने के मूड़ में तो नही थी  ।

    वही अंदर उस बड़े से हॉल में  सब बच्चे खड़े थे , कुछ कुर्सियों पर बैठे थे । यहां की डेकोरेशन एकदम कमाल की थी ।लग ही नही रहा था के पार्टी कालेज की है ।
    एसा लग रहा था जैसे किसी, बड़े आदमी की पार्टी हो ।

    स्टेज पर खड़े दो लड़के जिनके हाथ  में माइक था वो दोनो सब बच्चों का ध्यान अपनी तरफ करते हुए  ।


    "लेडीज ऐंड जेंटलमेन",  आप सब यहां पर पहुंचे उसके लिए  आप सब को मुबारक । क्यूकि  ये पार्टी पुरे साल में एक बार होती है   ।और इस पार्टी में आज आप सब महमान है । तो इंजॉय करे इस पार्टी को और हमारे बनाये गये कुछ गेम्स का भी हिस्सा बने । " उन लड़को ने कहा । तभी वहां पर हल्का सा म्यूजिक चलने लगा और सब बच्चे अपने अपने ग्रुप मे लग गया ।


    " अब बस भी कर यार छोड़ मुझे ",  रूबी ने कहा तो नाजिया उसे देखने लगी ।

    "ये हूई ना बात देखो इतने लंबे बाल है।बस बांध कर रखती हो कभी कभी तो खोला कर इन जुल्फों। इन जुल्फों के जाल में किसी को फंसने का मोका दिया कर ना । " नाजिया ने रूबी के बालों को हाथ में लेते हुए  कहा ।और फिर अपने बालों को देखने लगी ।

    " एक मेरी जुल्फें है जो चौबीस घंटे खुली रहती है, पर मजाल कोई इनके जाल में फंस जाये । बस ये खुद ही खुद में फंस कर रह जाती है और घर जाकर मुझे ही इनको सुलझाना पड़ता है ", नाजिया ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी ।

    " हो गया तेरा अब अंदर चले के यहीं रहना है ", उसने कहा तो नाजिया ने हां में सिर हिला दिया ।  और दोनो उस तरफ,फ चल दी ।

    वहीं अंदर एक गेम शूरू हो चुका था  जिसके लिए  सब उस दरवाजे को देख रहे थे ।वहीं एक तरफ भाविक खड़ा था । जिसने आज ब्लेक टीशर्ट के साथ  ब्लेक जीन्स पहनी थी । और उपर ऑफ वाइट कोट पहना था ।

    तभी वहा पर  गिनती शूरू हो गई  जो दस से शूरू हुई  और पीछे की तरफ चल दी सब की नजरे बस दरवाजे पर ही लगी हुई  थी ।



    रब राखा

  • 15. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 15

    Words: 1634

    Estimated Reading Time: 10 min

    तभी वहा पर  गिनती शूरू हो गई  जो दस से शूरू हुई  और पीछे की तरफ चल दी सब की नजरे बस दरवाजे पर ही लगी हुई  थी ।

    जैसे ही गिनती का एक आया तो सामने के दरवाजे से एक लड़की अंदर आई जिसने ऑफ वाइट कलर का शरारा सूट पहना था । और वो अपने ध्यान अंदर चली आ रही थी ।

    और सामने खड़े सब बच्चे उसे देखते ही रह गये  । ये कोई और नही नाजिया ही थी । जिसने सब को देखा तो हैरान सी रह गई  और फिर खुद को देखने लगी ।

    " सुट तो ठीक है मेरा बाल भी खराब नही है ", उसने अपने बालों  को हाथ  लगा कर कहा और सामने देखने लगी यहां सब उसे ही देख रहे थे ।

    तो नाजिया ने अपना फोन पर्स से निकाला और उस में खुद का चेहरा देखने लगी । " सब तो ठीक फिर इन सब को क्या हो गया" ।उसने फिर से सब को देख कहा ।तभी   बच्चे एक तरफ हटने लगे नाजिया के सामने से ।जैसे वो नाजिया के आगे जाने के लिए रास्ता बना रहे हो । वहीं नाजिया हैरान सी देख रही अभी ।

    "रूबी ये क्या है देख हमारा वेलकम हो रहा है ।" नाजिया ने कहा और पीछे देखा तो वहां पर रूबी नही थी   नाजिया हैरान सी रह गई  ।

    और उसने फिर से सामने देखा तो देखती ही रह गई । यहां सामने से भाविक चला आ रहा था । ऑफ वाइट कोट पहने हुए।  आज वो अलग ही लग रहा था  बिल्कुल  अलग एकदम सेट करे हुए बाल । जिसे देख नाजिया ने अपना थूक अंदर गटका।

    "अब ये सीनीयर क्या करने वले है । रूबी भी नही है मुझे ही जल्दी रहती है हर काम की अब देखो फंस गई यहां पर आकर । अब तो क्या करूं पीछे जाऊं के  नही । पीछे गई  तो ये सीनीयर पता नही कया करें । चुप सी खड़ी रहती हूं कुछ नही बोलूंगी ", नाजिया जो खुद से ही बोले जा रही थी वो सामने से आ रहे भाविक को ही देख रही थी ।

    वहीं भाविक मुस्कुराते हुए उसके पास आया तो नाजिया ने भी हल्की सी स्माईल की  ।  भाविक उसे देखता रहा और फिर उसने अपने कोट की अंदर वाली जेब से एक लाल गुलाब  निकाल कर नाजिया के सामने कर दिया तो नाजिया गुलाब और भाविक को देख कर लड़खड़ा गई वही भाविक उसे देखता ही रह गया ।

    भाविक ने आंखो से ही उसे गुलाब लेने का इशारा कर तो नाजिया ने जल्दी से गुलाब पकड़ लिया ।और वहां पर मौजूद सब बच्चो ने तालियां बजा दी और नाजिया हैरान सी सब को देखती ही रह गई ।


    "सर जी ये कोन सी रैगिंग है अभी बता दीजिये ।पता नही था के पार्टी में भी रैगिंग होती है",  नाजिया ने कहा तो भाविक उसे
    देख मुस्कुरा दिया ।

    तभी स्टेज पर खड़े दोनो लड़को  ने माइक संभाला ।"  तो लो जी आज की हमारी जोड़ी बन गई ।  आज से पुरे सात दिन तक भाविक और मिस , मिस , मिस आपका नाम क्या है ",उस लड़के ने कहा ।जो स्टेज पर था ।

    " नाजिया , भाविक ने कहा तो वो लड़का मुसकुरा दिया ।

    "भाविक और मिस नाजिया पुरे सात दिन के लिए  दूसरे के गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड रहेंगे ।" उस लड़के ने कहा तो नाजिया हैरान सी भाविक को देखने लगी   वहीं भाविक उसे देख रह था ।

    " ये क्या है मुझे नही बनना आपकी गर्ल फ्रेंड ये सब नही करना मुझे,"  उसने कहा।


    " और एक बात आप दोनो इस बात को नाकार भी नही सकते । क्यूंकि ये हमारे गेम्स के खिलाफ है ।"  स्टेज पर खड़े लड़के ने कहा तो भाविक  उसे देखने लगा ।

    " अब तुम मना नही कर सकती । बस एक हफ्ते की ही बात है । रिलेक्स रहो ", उसने कहा ।

    वही रूबी जो नाजिया के साथ  ही अंदर आ रही थी।  के उसका फोन बजने लगा और फोन अंटी का था ।अंदर से आ रही आवाज सुन रूबी ने बाहर खड़े होकर ही बात करनी सही समझी तो वो उसी तरफ चल दी ।पर नाजिया अंदर आ गई  थी । रूबी जिसने फोन कान सा हटाया और पीछे देखा तो पाया वो अकेली ही बाहर थी । नाजिया नही थी।


    तो रूबी भी अंदर की और चल दी ।के तभी उसे एसा लगा के कोई उसका पीछे है जिसे देखने के लिए  रूबी ने पीछे मूड़ कर देखा तो वहा पर कोई भी नही था । तो रूबी ने अपना चश्मा सही करा और चल दी अंदर ।

    अंदर आकर रूबी सब देखने लगी पर उसे कही भी नाजिया नही दिखी तो रूबी एक तरफ खड़ी है गई  ।

    " कैसी हो कब आई", राजन ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी और मुस्कुरा दी ।

    "अई तो अभी अभी  पर ये नाजिया पता नही कहा चली गई  ।तुम कब आये ",  उसने पुछा । "बस आ ही रहा हूं  ", उसने कहा ।

    तभी नाजिया उसे आती हुई  दिखी तो रूबी उसे देखने लगी  ," कहां चली गई  थी ", रूबी ने कहा । वहीं नाजिया के तो होश ही उड़े हूए थे।

    " क्या बात है सब ठीक है ना ",  रूबी ने उसे एसे देख उसके हाथ पर हाथ  रख पुछा  ।

    "ये बिल्कुल ठीक है अभी अभी मेरी गर्ल फ्रेंड बनी है ।" एक तरफ से आवाज आई तो वो तीनो उस तरफ देखने लगे  यहां भाविक निवान और प्रांजल खड़े थे ।  रूबी उनकी देख  नाजिया को देखने लगी ।

    और फिर उसके कान के पास चेहरा करते हुए , " तू तो एक के लिए  बोल रही थी यहां तो तीन तीन बॉयफ्रेंड बना लिए तुमने  जुल्फोंके जाल सुलझाने के लिए" ।उसने कहा तो नाजिया उसे देखती ही रह । गई वहीं राजन भाविक निवान उसकी बात सुन मुस्कुरा दिया और प्रांजल तो बस उसे देखता ही रह गया।

    " आज कितने दिनो बाद उसने रूबी को इतने पास से देखा था । "

    " पागल हो गई है । क्या बोल रही है " नाजिया ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी  ।

    तभी खनक वहां पर आई और भाविक के पास खड़ी हो गई  । " लकी है के भाविक जैसे लड़के की गर्लफ्रेंड बनने का मौका मिला है इसे  ", खनक ने कहा तो राजन रूबी उसे देखने लगे ।तो खनक भाविक का हाथ पकड़ कर अपने हाथ  में लेते हुए उसे देखने लगी । फिर नाजिया को देखा ।

    "पर तुम्हारा समय खत्म समझी ना दूर रहना मेरे भाविक से ,सपने में भी मत सोचना ",  उसने कहा । तो नाजिया खनक को देखने लगी ।

    " मेने कोन सा तुम्हारे भाविक को पकड़ कर रखा है ।"उसने कहा और भाविक को देखा जो उसे ही देख रहा था । 

    " मतलब  सर को पकड़ कर रखा है मुझे को जरूरत  नही है सर को बॉयफ्रेंड बनाने की समझी ना",  नाजिया ने कहा तो रूबी उसे देखने लग ।

    " सॉरी सर अगर कोई गलती हो गई हो । " रूबी ने कहा तो भाविक मुस्कुरा दिय ।

    "इस्ट ऑके एक गेम था जिस में उस दरवाजे से जो भी लड़की पहले आयेगी वो मेरी गर्ल फ्रेंड बनेगी एक हफ्ते के लिए  ।  नाजिया  पहले आई और गेम के अनुसार ये मेरी गर्ल फ्रेंड है  । तो ये बस  गेम है ,",  भाविक ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया। वही प्रांजल एक टक रूबी को ही देख रहा था । जिसका एहसास  रूबी को हो गया था पर उसने उस तरफ नही देखा ।


    " चलो तुम सब भी कुछ खा लो सब खा रहे है "।निवान ने कहा और तीनो लड़के खनक के साथ  वहां से चले गये ।

    "चलो कुछ खा ले ये पार्टी हमारे लिए  ही है" । राजन ने कहा । तो रूबी नाजिया ने उसे देखा और वो तीनो भी आगे बड़ गये जिस तरफ खाने के स्टॉल लगे हुए  थे ।

    "क्या बात है तंम तो कुछ ही देर में उस नाजिया के दिवाने हो गये",  खनक ने भाविक से कहा जो उसके साथ  ही खड़ी था ।वहीं निवान  प्रांजल आगे बड़ एक ग्रूप में बाते करने लगा ।

    " क्या बोल रही हो , पागल हो रही रही हो क्या ",भाविक ने मुस्कुरा कर कहा तो खनक उसे देखने लगी ।

    "वैसे कपड़े भी मैचिंग है" , उसने कहा ।तो भाविक ने खुद को देखा और फिर मुस्कुरा दिया ।

    "वैसे लग तो खुबसूरत रही थी नाजिया",  भाविक ने कहा तो खनक उसे घुरने लगी और वहां से चली गई  । तो भाविक  हँसने लगा  ।

    " ये जैलसी जो लड़कियों को होती है ना मजा आता है इसे देख कर ", उसने कहा और आगे बड़ निवान के पास आगया ।  ।।"वैसे दिवित दिख नही रहा कहां रह गया वो ", भाविक ने पुछा  ।

    " होगा यहीं कही"  , निवान ने कहा । " हूम लास्य भी नही आई  मिस कर दिया उसने सब कुछ ", भाविक ने कहा तो निवान ने सिर हिला दिया ।


    " अटेंशन  अब यहां पर म्यूजिक बजेगा जिस पर आप सब को डांनस करना है। और आप सब यहा पर खड़े है आस पास किसी के साथ  कपल बना ले" , स्टेज पर खड़े लड़को ने कहा । तो सब बच्चे एक दूसरे को देखने लगे   । और जल्दी जल्दी से कपल बना लिए। 

    रूबी जो कुछ समझती उसके सामने एक लड़का खड़ा था और नाजिया राजन एक साथ  हो लिए  । म्यूजिक शूरू हो गया और सब डान्स करने लगे ।

    इस सब के बीच प्रांजल एक तरफ खड़ा था जिसके हाथ में जूस का गिलास था । और नजरे रूबी पर जिसके सामने खड़े लड़के ने म्यूजिक शूरू होते ही ,  रूबी के एक हाथ को  अपना हाथ में लिया और दूसरा हाथ  उसकी कमर पर रख लिया । जिसे प्रांजल बहुत  ध्यान से देख रहा था ।

    रब राखा

  • 16. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 16

    Words: 1768

    Estimated Reading Time: 11 min

    उस लड़के ने म्यूजिक शूरू होते ही ,  रूबी के एक हाथ को  अपने हाथ में लिया और दूसरा हाथ  उसकी कमर पर रख दिया । जिसे प्रांजल बहुत  ध्यान से देख रहा था ।

    " ये तो गलत है मिस  नाजिया एंड भाविक दोनो अलग अलग कैसे हो सकते है ", स्टेज पर खड़े लड़के ने कहा तो भाविक उस तरफ देखने लगा ।

    "आज की जोड़ी एक साथ  डांस करेगी ",  उस ने भाविक को देख कहा ।

    वही खनक ने भाविक को देखा जो स्टेज की तरफ देख रहा था ।"  लो जाओ अपनी गर्लफ्रेंड के पास , कुछ ज्यादा सही अच्छी लग रही है तुमको ",  उसने कहा और भाविक के सामने से हट गई  वहीं भाविक  उसे देखता रह गया।

    " मेने तो उसका नाम भी नही  लिया",  भाविक ने जाती हुई  खनक को देख कहा और फिर चारों तरफ देखा यहां उसे नाजिया राजन के पास देखी तो वो उस तरफ चल दिया ।

    " मेरी गर्लफ्रेंड हो ना तो चलो मेरे साथ ही  डांस करना है ",  भाविक ने नाजिया के पास आकर कहा ।नाजिया उसे देखती ही रह गई । वहीं भाविक नाजिया का हाथ  पकड़ा कर उसे अपने साथ  ले गया और रंजन दोनो को देखता ही रह गया ।

    "  ये सब अजीब है",  उसने कहा और इधर उधर देखने लगा तो कोई  भी नही दिखा तो वो भी खाने की तरफ बड़ गया ।

    रूबी जो उस  लड़के के हाथ को खुद के हाथ  से हटाने की कोशिश  कर रही थी और अपनी कमर से भी वहीं उस लड़के का हाथ  और कस रहा था रूबी पर ।

    "क्या बात है डान्स नही करना क्या ", उस लड़के  ने  रूबी के चेहरे के पास अपना चेहरा करते हुए  कहा । तो रूबी उसे देखने लगी ।

    "नही करना डांस ", रूबी ने कहा ।

    " पर मुझे तो करना है ना डांस ,तुम्हारे साथ ",  लड़के ने कहा और रूबी का हाथ  जो उसके हाथ में था ।उसे अपने कंधे पर रखा और दूसरा हाथ भी रूबी की कमर पर रख लिया । वहीं भूमि उसे देखती ही रह गई  । तभी उस लड़के ने रूबी को अपने पास करा ।और उसकी आंखो में देखने लगा और साथ ही स्माइल कर दी ।

    प्रांजल जो एक तरफ खड़ा ये सब देख रहा था उसकी आंखे लाल हो चुकी थी । उसने हाथ में पकड़े जुस के गिलास को टेबल पर रखा और आगे बड़ गया।  रास्ते मे एक लड़की के बालो को हाथ  लगा और उस में से एक  हेयर पिंन निकालते हुए  आगे बड़ गया  । वही उस लड़की को कुछ भी पता नही चला । प्रांजल का ध्यान बस उस लड़के के चेहरे पर ही था जो मुस्कुरा रहा था  और ।

    और अगले ही पल वो रूबी के पास से गुजरा और उसका हाथ  पकड़ते हुए उसे अपनी तरफ घुमा लिया। वही रूबी उसे देखती ही रह गई और वो लड़की जो रूबी के साथ  डांस कर रहा था वो अपना हाथ पकड़ कर देखने लगा । उसके हाथ  के उलटी साइड पर से खुन आ रहा था और वो उस हाथ  को दबाते हुए  सामने देखने लगा यहां उसे कोई भी नही दिख रहा था ना ही कोई  एसा के वो कह सके के उसने करा है ।

    " पीछे क्या देख रही हो",  प्रांजल ने रूबी को देख कहा जो  उसके कंधे से ही नजरे पीछे की तरफ कर देख रही थी । 

    " वो उसके हाथ पर खुन",   रूबी ने प्रांजल को देख कहा । वहीं प्रांजल मुस्कुरा दिया ।  तो रूबी उसे देखती ही रह गई  ।

    " सर आपने करा है ", उसने कहा तो प्रांजल  उसका हाथ  पकड़ कर उसे घुमाने लगा ।जिसकी वजह से उसकी फूल घेर वाले  सूट का भी एक सर्कल सा बन गया  । तीन बार घुमा कर उसने रूबी की कमर पर हाथ  राखा और उसे अपने पास कर लिया। वही रूबी हैरान सी उसे देखने लगी।

    " सर मुझे जाना है",   रूबी ने कहा तो प्रांजल दो कदम पीछे हट गया और रूबी   वहां से एक तरफ को चली गई   ।और प्रांजल अपने हाथ  को देखने लगा जिसने अभी अभी रूबी को छुआ था  और वो मुस्कुराते हुए  आगे बड़ गया ।

    रूबी ने  उस तरफ आकर एक पानी वाली बोतल ली और जल्दी से पानी पीने लगी  और सामने देखने लगी यहां पर  भाविक और नाजिया एक साथ एक दूसरे से दो फूट दूर खड़े बस हिल  रहे थे ।

    "क्या बात है तुमको डर लग रहा है क्या  ",  भाविक ने कहा तो नाजिया उसे देख कर ।

    "बाकी का तो पता नही पर आपकी गर्लफ्रेंड मुझे बहुत  बुरी तरह से देख रही है कही ये मेरा बुरा हाल ना करदे  ", नाजिया ने एक तरफ देखते हुए  कहा यहां खनक खड़ी उनको ही देख रही थी ।

    तो भाविक  मुस्कुरा दिया । और नाजिया को देखने लगा । जो उस से कम से कम दो फुट की दूरी पर थी । 

    " डरो नही जितनी दूर तुम खड़ी हो ना मुझे से इतने में तो चार लोग खड़े हो जाये वो भी एक दूसरे से चिपक कर",  तो नाजिया उसे देखने लगी ।

    "अच्छा तो गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के साथ साथ लोग फैवीकोल बन जाते है जिनको चिपकना जरूरी होता है",  नाजिया ने कहा तो भाविक उसे देखता ही रह गया और फिर मुस्कुरा दिय ।

    " बातें बहुत अच्छी करती हो तुम " , भाविक ने कहा तो नाजिया ने सिर हिला दिया ।

    "मेने ऐसा क्या कह दिया । जो ये हँस रहा है । " नाजिया ने मन ही मन कहा ।

    " क्य बात है तम इतनी टेंशन में क्यूं हो  ",  राजन ने  रूबी को देख कहा तो रूबी उसे देखने लगी ।

    " ये सीनीयर पागल है क्या पार्टी है तो पार्टी जैसे रखे ना क्या ये उलटी सीधी हरकते है  ",  उसने कहा तो राजन उसे देखने लगा ।

    तभी एक बार फिर  से स्टेज संचालक की तरफ से एक घोषणा हुई जिस के अनुसार  । वो लडकियां जिन्होने बिल्कुल  ट्रेडिशनल कपड़े पहने है जो नई आई है ।मतलब जो फ्रेश है उनको एक एक डान्स परफॉर्मेंस देनी होगी । जिसे सुनते ही रूबी के चेहरे पर स्माईल आ गई  ।

    " लगता है तुमको डान्स अच्छा लगता है",  राजन ने उसके चेहरे की स्माईल देख कर कहा तो रूबी उसे देखने लगी । " बिल्कुल  पर अकेले में  किसी के साथ नही ",   उसने कहा।

    वहीं नाजिया भी उनके पास आ गई  और  दोनो को देखते हूए ," क्या बात हो रही है",  उसने कहा तो राजन उसे देख कर ," तुम यहां पर क्या कर रही हो तुम्हारा बॉयफ्रेंड  देख रहा होगा तुमको ", उसने कहा तो नाजिया ने उसे घुरा तो राजन मुस्कुरा दिया ।

    " एक तो  वो बिल्ली जैसी दिख रही खनक कब से घुरे जा रही है और अब तूम शूरू हो रहे हो "  उसने कहा तो राजन उसे देखता ही रह गया ।

    " तो फिर एसा कर एक हफ्ते आ ही ना कॉलेज, सब ठीक हो जायेगा", उसने कहा तो नाजिया उसे देख मूंह बनाते हुए  ," डरती नही हूं मैं किसी से समझे ना",  उसने कहा और रूबी को देख कर,"  तुम बताओ क्या कर रही हो",  उसने कहा  तो रूबी उसे देख कर ।

    " कुछ नही बस जाने का सोच रही हूं", उसने कहा तो नाजिया उसे देखने लगी ।

    " हां यार इस से अच्छा तो घर ही  थे   ऐवें ही आ गये यहां पर ।"  नाजिया ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी ।

    "तू बोल रही है ये सब जिसने इस पार्टी में आने के लिए  हजारों का खर्चा करा वो लड़की बोल रही है" , रूबी ने हैरानी से कहा


    " रूबी ,नाजिया ,आशा ,सुनीता , ये चार लड़कियां यहां पर भी हो आ जाये ",   स्टेज से आवाज आई तो रूबी नाजिया उस तरफ देखने लगी ।

    " चल अब ये भी देखे", नाजिया ने कहा और आगे बड़ गयी । वही रूबी उसे देखती ही रह गई । जो अभी अभी यहां ना आने का बोल रही थी और अब पहले ही चल दी ।

    " जा तू भी जा देखो क्या हो रहा है वहा पर",  राजन ने रूबी से कह तो रूबी सिर हिला कर चल दी ।

    स्टेज के पास लगभग बीस लडकियां खड़ी थी । यहां पर रूबी नाजिया भी आकर शामिल हो गई। 

    " तो आप सब को अब सोलो डांस परफॉर्मेंस देनी है समझे ना । तो जिसको जिस गाने पर डांस आता हो वो यहां पर गाने का नाम  बताते जाये अपने नाम के साथ  ।" उस लड़के ने कहा ।


    " कुछ दस लड़कियां  डान्स कर चुकी थी और तभी नाजिया का नंबर आया और वो सब को देखते हुए  स्टेज पर चड़ गई  ।उसका गीत चलने लगा पर वो हैरान थी उसने जो गीत बताया ये गीत तो बिल्कुल उसने उल्ट था ।देव दास फिल्म का गीत मार डाला ।

    नाजिया हैरान थी तभी उसकी नजर खनक पर गई  जो उसे ही देख रही थी और मुस्कुरा रही थी ।" बिल्ली तेरा काम है ना",  उसने मन ही मन कहा । तभी नीचे से बच्चो की आवाजे आने लगी ।  भाविक भी उसे ही देख रहा था । तभी नाजिया ने डान्स  शूरू करा और सब की बोलती ही बंद कर दी  जो अभी अभी उसे नीचे उतरने का बोल रहे थे वो चुप से हो गये ।

    " कैसा रहा मेरा डांस ", नाजिया ने नीचे आके रूबी से पुछा तो रूबी उसे देखती ही रह गई।

    " पागल तुमने तो आग लगा दी ", उसने कहा वही नाजिया खुश हो गई  और  इधर उधर देखा तो सामने उसे खनक दिखी जो उसे ही देख रही थी।  तो नाजिया ने भी उसे एक लूक दी जिसे देख खनक एक तरफ को  चल दी ।

    सब की  परफॉर्मेंस के बाद  रूबी का भी नंबर आ गया । और रूबी जब स्टेज पर गई । तो उसका गीत बजने लगा  और रूबी ने डान्स शूरू करा तो सब की आंखे बस उस पर ही रूक गई , कलंक फिल्म का गीत घर मोरे आओ पीया । जिस पर रूबी ने बिल्कुल उसी अंदाज में डांस करा जैसे उस फिल्म की दोनो हीरोइन ने कीया था  ।


    डांस के खत्म होने के  दस सेकेंड बाद भी सब चुप से देख रहे थे । और फिर एक दम से वहां पर तालियों की आवाज गूंज गई  ।
    "  डांस क्वीन ",  कह कर स्टेज संचालक ने रूबी के सिर पर एक क्राउन रख दिया। वही प्रांजल जो एक टक रूबी को ही देख रहा था उसके चेहरे पर भी बड़ी सी स्माईल  आ गई  ।

    "  पहले से ही क्वीन है मेरी क्वीन ", उसने कहा ।

    रब राखा

  • 17. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 17

    Words: 1490

    Estimated Reading Time: 9 min

    "  पहले से ही क्वीन है मेरी क्वीन ",प्रांजल ने कहा । और रूबी को देखने लगा जो सब को देख मुस्कुरा रही थी ।


    ●●●●●●●●●●●●●●

    रूबी  कुछ बच्चों को डांस सीखा रही थी। जिसके सामने कुछ दस बच्चे खड़े उसको देख कर ही डांस कर रहे थे । रूबी भी उनको स्टेप्स बता रही थी । बच्चे छोटे होने की वजह से वो सब अच्छे से स्टेप्स नही कर कर पा रहे थे । तो रूबी उनको देख मुस्कुरा देती  । वही उस रूम के ग्लास वॉल की दूसरी तरफ बैठै कुछ बच्चे उनको ही देख रहे थे । जो के दूसरी टीचर्स के सामने बैठे योगा सीख रहे थे । पर उनका ध्यान तै इन छोटे बच्चो में ही था जो अपनी ही दुनिया में गुम थे ।

    " रूबी मैम आपको प्रिंसीपल बुला रहे है ",  एक मैं ने आकर कहा तो रूबी उस मैम को देखने लगी ।

    " ठीक है बस ये क्लास ख़त्म हो रही है मिलती हूं प्रिंसीपल से ", रूबी ने कहा ।

    " नही मैम अभी चले ये क्लास दूसरी मैम देख रही है" । उस मैम ने कहा तो रूबी उसे देखती ही रह गई  और बाहर जाने लगी।

    " मैम इसे भी ले जाये ",उस मैम ने रूबी के हाथ में  फाइल देते हुए  कहा तो रूबी उसे लेकर चली गई  ।

    प्रिंसीपल सर का रूम

    रूबी हैरान सी खड़ी प्रिसिंपल को ही देख रही ।" देखो रूबी हमे हमारे स्कुल का नाम खराब नही करना और तुम्हारी जिद्द की वजह से  हम लोग ये रिस्क नही ले सकते । तुम कल से आना मत स्कुल तुम्हारी सैलरी मिल जायेगी तुमको " । प्रिंसीपल ने कहा तो रूबी जो उनको ही देख रही थी वो बाहर  आ गई  ।और फिर चुप सी आके बाहर धूप में एक कुर्सी पर बैठ गई।


    ●●●●●●●●●●●


    " अटेंशन इरवन  अब जो भी फ्रेशर्स है वो रैंप वॉक करेंगे जिनमें से मिस एंड मिस्टर फ्रेशर्स चुना जायेगा ",  स्टेज पर खड़े लड़के ने कहा ।

    " यार मजा आने वाला है रैंप वॉक करेंगे हम लोग ", । नाजिया ने रूबी से कहा।व ई रूबी भी मुस्कुरा दी ।

    "अच्छा सुन मैं पानी पीकर आती हूं तू यहीं रहना कही जाना मत ", नाजिया ने कहा और चली गई  वही रूबी एक तरफ खड़ी रही ।

      नाजिया जो पानी पी रही थी तभी उसके पास भाविक  आ  गया ।" मैम रैंप वाॅक नही कर सकती  ", उसने कहा तो नाजिया उसे देखने लगी।

    "  क्यूं मैं क्यू नही कर सकती रैंप वॉक",  उसने कहा तो भाविक उसे देख कर ," क्यूकि तुम मेरी गर्लफ्रेंड  हो और मुझे अच्छा नही लगता के मेरी गर्लफ्रेंड एसे रैंप वॉक करे  ", भाविक ने काह तो नाजिया हैरान सी रह गई ।

    "देखो मिस्टर सीनीयर मेरी बातों के बीच मत आना दूर रहो",  उसने कहा और रूबी के पास  चल दी । वही भाविक  मुस्कुरा कर रह गया । उसे नाजिया को छेड़ने का मजा आ रहा था ।  उसकी अजीब सी बाते सुनने का मजा आ रहा  था  । खनक एसी बाते नही करती थी। वो तो बस अपने और अपने ब्रैंड , बिजनेस की बात ही करती थी । पर आज नाजिया की बाते उसे अच्छी लग रही थी । तो इस लिए  वो उस से बात करने चला आया ।

    कुछ एक घंटे तक चली मिस और मिस्टर फ्रेशर्स की रेस का नतीजा आया जिनमें रूबी को छटा स्थान मिला था तो नाजिया को तीसरा   । वहीं बाकी सब भी खुश थे । राजन ने भी पार्टीसपेट करा था पर वो सब से पहले ही निकल गया था  ।

    " वाह जी वाह आज तो मजा आ गया वैसे पार्टी अच्छी थी " ।नाजिया ने खाना खाते हुए रूबी से कहा तो रूबी भी उसे देखने लगी  ।


    " बिल्कुल  ये बात तो है कै पार्टी बहुत  अच्छी थी बहुत  अच्छे से ऑरगेनाइज थी ",  रूबी ने कहा । तभी राजन दोनो के पास आया।

    " अच्छा मुझे जाना है मुझे अभी एक डिलीवरी लेनी है "। राजन ने दोनो से कहा जो अपने फोन देख रहा था ।

    " ठीक है चले जाना पर पहले खाना खा लो अच्छे से",  रूबी ने कहा ।

    "नही यार लेट हो जायेगा",  राजन ने कहा ।

    " अरे दो चम्मच खा लो  चलो मेरी प्लेट से ही खा लो",  रूबी ने कहा तो राजन उसकी प्लेट से ही खाना खाने  लगा । वो तीनो अपनी बातें कर रहे थे खाना खाते हुए।  वहीं एक तरफ खड़ा प्रांजल यही सब देख रहा था । तो भाविक उसके सामने आके खड़ा हो गया ।

    " चल दोनो एक ही प्लेट से खाना खाते है",  भाविक ने कहा तो प्रांजल उसे देखने लगा ।और फिर अपने भाई के साथ ही खाना खाने लगा। 


    रूबी जो नाजिया के साथ ही कॉलेज गेट से बाहर  आई थी दोनो ही आटो को देखने लगी ।तभी एक आटो आई जिसे रूबी ने रोका और चल दी अपने घर की और वहीं नाजिया भी अपने घर जाने के लिए  खड़ी थी । आज सुबह  वो टेक्सी से आई थी पर अब उसने सोचा के आटो से ही चली जाये। पर उसके घर की तरफ जाने वाला आटो नही आया था । पर रूबी के घर की तरफ का ऑटो आ गया तो वो चल दी ।

    " हद्द है आज ऑटो भी नही आयेगा वैसे छत्तीस ऑटो आते है ",  नाजिया ने फोन पर समय देखते हूए कहा । 

    " पंद्रह मिनट से भी ज्यादा समय  हो गया था उसे यहां पर खड़े हुए ।पर अभि तक कोई भी ऑटो नही आया था ।  तभी उसके सामने एक कार रूकी तो नाजिया उस कार को देखने लगी । तभी उस कार का शीशा नीचे हूआ तो उस में बैठा भाविक दिखा   जो नाजिया को ही देख रहा था ।

    " चलो छोड़ दूं घर, सब बच्चे चले गये तुम ही रह गई  हो यहां ", उसने कहा तो नाजिया हैरान सी उसे देखने लगी ।


    "नही सर मैं चली जाऊंगी  ऑटो आने वाला है",  उसने कहा तो भाविक उसे देखता ही रह गय ।

    " मेरी गाड़ी बड़ी है बहुत  बड़ी",  भाविक ने कहा तो नाजिया उसे देखने लगी ।

    "मतलब  क्या है आपका ।आपकी गाड़ी बड़ी हो जा छोटी जा ना भी हो ।तब भी मुझे आपके साथ  नही जाना समझे आप",  उसने कहा । तभी एक ऑटो सामने से आया ।और  नाजिया ने उस ऑटो को हाथ दिखा रूकने का कहा । वो ऑटो रूक गई  ।और नाजिया उस ऑटो मे बैठ निकल गई ।

    भाविक जो उसे ही देख रहा था उसने पास बैठै निवान को देखा ।"  मेने कुछ गलत कहा क्या  यही कहा ना मेरी गाड़ी बड़ी है वो पीछे बैठ सकती थी आराम से ।"

    तो निवान उसे देख मुस्कुरा दिया,"  पागल अपनी गाड़ी के शीशे देख उसे मैं तो दिखा ही नही हूंगा । तो वो गलत ही समझेगी ना । सटूपिड है तूस भी",  निवान ने कहा तो भाविक हैरान रह गया और फिर अपनी गाड़ी के शीशे देखे जो काली प्रत से ढके थे ।

    " खनक को तो पसंद है ।इसी लिए  मेने एसा करा था । पता नही इन लड़कियों का भी ", उसने कहा और गाड़ी आगे बड़ा दी  वही प्रांजल  चुप सा अपनी गाड़ी में बैठा सामने देख रहा था । यहां पर राजन अपनी बाइक पर बैठा था ।सिग्नल लाल था सामने ।


    तभी वो सिग्नल हरा हो गया और राजन ने अपनी बाइक आगे बड़ा दी। और प्रांजल ने  बी अपनी गाड़ी उसोए पीछे लगा ली। जिसकी आंखे लाल हो रखी थी। उसे बार बार रूबी और राजन ही दिख रहे थे एक पलेट से खाना खाते हुए  । दोनो हँस हँस कर बाते कर रहे थे ।


    प्रांजल ने इसी गुस्से में अपनी गाड़ी की स्पीड बड़ा दी वहीं राजन  जा रहा था उसने सामने से एक तरफ को बाइक मोड़ ली प्रांजल ने भी  अपनी गाड़ी  मोड़ दी। तभी उसे सामने से एक ऑटो आते हुए  दिखा जिस में रूबी के चेहरे की झलक दिखी जिसे देखते ही प्रांजल की आंखे बड़ी बड़ी हो गई और उसने  गाड़ी को दूसरी तरफ को मोड़ दिया । पर गाड़ी उसके हाथ  से निकल चुकी थी ।सामने से आ रहे ट्रक ने भी खुद को संभाला ।  पर गाड़ी के आगे आटो टकरा  चुका था और गाड़ी जिसे दूसरी तक को प्रांजल ने मोड़ा था वो सामने से आ रहे ट्रक के नजदीक  पहुंच गई  । ट्रक  वाले  ने गाड़ी को बचाने के लिए  ट्रक को सड़क से नीचे उतार लिया । लेकिन  देर हो चुकी थी ।

    आटो सड़क पर उलटा पडा था। जिस  में पीछे बैठी रूबी सड़क पर गिरी हूई थी । और प्रांजल की गाड़ी उस ट्रक से टकरा चुकी थी पर ये टकर उम्मीद से बहुत कम लगी थी । और प्रांजल अपनी गाड़ी के एयरबैग के खुलने की वजह से पीछे की तरफ झुका हुआ था जिसके सिर से खुन बह रहा था । और आस पास के लोग अभी अभी हुए इस एक्सीडेंट को देखने के लिए  आगे बड़ रहे थे ।



    रब राखा

  • 18. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 18

    Words: 1602

    Estimated Reading Time: 10 min

    प्रांजल अपनी गाड़ी के एयरबैग के खुलने की वजह से पीछे की तरफ झुका हुआ था जिसके सिर से खुन बह रहा था । और आस पास के लोग अभी अभी हुए इस एक्सीडेंट को देखने के लिए  आगे बड़ रहे थे ।


    हॉस्पिटल


    शाम हो चुकी थी  और इस समय भाविक उसके माता पिता ।निवान उसके मम्मी पापा हॉस्पिटल में थे । वही मिसेज बत्रा रोऐ जा रही थी । और मिस्टर बत्रा उसे चुप करा रहे थे तो वही मिसेज  मिस्टर दीवान भी उनको ही देख रहे थे । ।भाविक और निवान एक तरफ खड़े थे । तभी लास्य खनक दिवित भी वहीं पहुंच गये ।

    "प्रांजल कैसा है और एक्सीडेंट कैसे हो गया ।"  खनक ने आते ही भाविक से कहा तो भाविक उसे देखने लगा ।

    "  पता नही हम सब तो घर के लिए निकाल गये थे । पर मुझे फोन आया के प्रांजल का एक्सीडेंट हो गया है और उसे हॉस्पिटल में ले गये है।  तो बस यही आ गये लेकिन अभि तक उसे कोई  होश नही आ या",  भाविक ने कहा ।

    " पर प्रांजल घर से इतनी दूर और दूसरे रास्ते पर क्या कर रहा था" , लास्य ने कहा । वहीं बाकी सब उसे देखने लगे ।


    प्रांजल जो गाड़ी चला रहा था उसने सामने रूबी को देखा तो अपनी गाड़ी को दूसरी तरफ मोड़ दिया लेकिन  तब तक रूबी जिस  आटो में थी वो आटो प्रांजल की गाड़ी से टकराव हो गया।  वही प्रांजल बस रूबी को ही देखता रह गया । जो सड़क पर गिर गई  थी ।और तभी उसके आंखो के आगे सब सफेद सफेद सा शा गया ।  "रूबी",  कहते हुए प्रांजल उठा ।और चारों तरफ देखने लगा ।

    "  आप ठीक हो आराम से " , नर्स ने  प्रांजल को एसे उठते देख उसके पास आकर कहा ।तो प्रांजल उसे देख कर ," रूबी कहा है उसे चोट लगी थी । बहुत  ज्यादा  बोलो कहा है वो",  प्रांजल ने उसके हाथ  पकड़ कर कहा ।

    " ओके ओके मै अभी रूबी को बुलाती हूं पर अभी आप उठ नही सकते आप के पैर पर चोट आई है ", नर्स ने कहा तो प्रांजल उसे देखते हुए ," जल्दी करो ", उसने कहा और वैसे ही लेटा रहा।



    लास्य जिसने पुछा के प्रांजल उस तरफ क्या कर रहा था , घर से दूसरी तरफ  सब उसे देखने लगे ।

    " रूबी कोन है आप में से पेशेंट रूबी से मिलने का कह रहा है",  नर्स ने बाहर आकर कहा तो भाविक निवान खनक सब उस तरफ देखने लगे ।वहीं मिस्टर मिसेज बत्रा और दिवान भी ।

    रूबी कहते हुए भाविक आगे बड़ गया ।और नर्स के पास आकर,"  मुझे प्रांजल से मिलना है" , उसने कहा तो नर्स एकतरफ हट गयी।

    वही मिसेज मिस्टर बत्रा भी दरवाजे के पास  आ गये  पर नर्स ने अभी उनको अंदर जाने से मना कर दिया ।


    " प्रांजल तुम ठीक हो दर्द तो नही हो रहा ना सिर में ", भाविक ने प्रांजल के सिर  पर हाथ  रख कहा यहां पट्टी बंधी थी ।तो प्रांजल उसे देखने लगा ।

    " भाई वो रूबी कैसी है उसकी टक्कर हो गई थी मेरी गाड़ी से । कैसी है वो ज्यादा चोट तो नही आई ना",   प्रांजल ने भाविक का हाथ  पकड़ कर कहा। तो भाविक उसे देखता ही रह गया ।


    " भाई कुछ तो बोलो क्या हूआ कहा है रूबी उसको ज्यादा चोट तो नही आई ना  ।छोड़ो मैं खुद ही उसे देखता हूं", कहते हुए  भाविक उठने लगा तो प्रांजल ने उसके कंधे पर हाथ  रख उसे लेटा दिया ।


    "मैं देखता हूं तुम आराम करो और मम्मी से मिल लो वो बहुत रो रही है । ठीक है ना",  भाविक ने कहा।वही प्रांजल ने सिर हिला दिया ।

    दरवाजे पर खड़े मिस्टर बत्रा ने सब बाते सुन ली थी और वो भाविक को देखने लगे ।

    "पापा आप मिल लो मैं अभी आता हूं ।" उसने कहा ।और बाहर आ गया ।वही उसके मम्मी पापा निवान के मम्मी पापा जल्दी से अंदर चले गये ।


    " क्या बात है भाविक  क्या हुआ", निवान ने भाविक को चुप देख कर कहा  तो भाविक उसे देखने लगा ।


    " प्रांजल बोल रहा है के रूबी का एक्सीडेंट उसकी गाड़ी से हुआ है " भाविक ने कहा , लास्य खनक दिवित निवान उसे देखते ही रह गए  ।


    " क्या बोल रहा है तू ।" निवान ने उसके कंधे पर हाथ रख कहा ।

    "मैं नाजिया से बात करता हूं उसे पता पता होगा ", भाविक जो हैरान सा था उसने अपना फोन निकाला और नाजिया को फोन लगा दिया ।वही खनक उसे देखती ही रह गई  ।लास्य भी हैरान सी थी ।

    " हैलो नाजिया मैं भाविक ", भाविक ने कहा ।

    नाजिया जो बेड पर बैठी थी वो हैरान सी रह गई और समय देखा यहां शाम के पांच बज रहे थे । " सर वो गेम तो कॉलेज में ही खत्म हो गया ना । अब क्यूं फोन कर रहे हो"  उसने कह ।तो भाविक  ने निवान को देखा ।


    " नाजिया मेरी बात सुनो तुम्हारे पास रूबी का नंबर होगा ना उस से बात करा दो ।वो कहा है इस समय" , भाविक ने कहा तो नाजिया फोन देखने लगी ।

    " सर अपने घर होगी  मुझे क्या पता",  उसने कहा  ।

    " एक मिनट फोन मत काटना  बहुत  जरूरी है बात करा दो । रूको एसा करते है मैं रूबी के घर आ रहा हूं तुम भी आ जाओ प्लीज  इटस वैरी इंपोर्टेड ", भाविक ने कहा तो नाजिया फोन देखने लगी ।

    " सर बात क्या है सब ठीक है ना",  उसने कहा तो भाविक  आगे आगे चलते हूए ।

    " तुम पहूंचो मैं भी आ रहा हूं",  उसने कहा। वहीं निवान  भी उसके साथ  चल दिया ।


    शाम के साडे पांच हो गये थे ।यहां भाविक अपनी कार से लगकर खड़ा रूबी के रूम को ही देख रहा था जो बंद था । वही नाविक भी फोन पर बात कर रहा था ।

    " क्या देख रहा है रूबी नही है यहां  पर मुझे लगता है कुछ तो हूआ है । दिवित बता रहा था के प्रांजल  रूबी रूबी चिल्लाने लगा जिसे देखते हुए डॉक्टर ने उसे नींद का इंजेक्शन लगा दिया ",   निवान ने कहा तो भाविक उसे देखने लगा । तभी सकुटी से नाजिया आती हूई दिखी जो इस समय  जीन्स टॉप में थी और स्कूटी वहा लगा उसने भाविक निवान को देख उनके पास आ गई  ।


    " बात क्या है सर। सब ठीक है रूबी कहा है ", उसने कहा तो भाविक निवान उसे देखने लगे ।


    " तुमको नही पता क्या रूबी कहा है । उसका एक्सीडेंट हो गया है और  तुम मजे से हो यहा पर ",निवान ने कहा तो नाजिया उसे देखती रह गई ।

    "  कब कहा कैसे अभी कुछ देर पहले बात हुई मेरी वो ट्यूशन पर थी  ", नाजिया ने हैरान होते हुए  कहा और अपना फोन निकाला कान से लगा लिया  वही निवान  भाविक उसे देखते ही रह गए।

    " लो वो चली आ रही है आपको बस रैगिंग ही करनी आती है । अब तो जाने दो हमे ",  नाजिया ने सामने देखते हुए कहा यहां पर
    रूबी चली आ रही थी  । वो भी कुछ हैरान सी थी नाजिया को देख कर ।

    " नाजिया क्या बात है फोन कर बोल रही थी के घर आ रही हो ,  बात क्या हो गयी   सब ठीक तो है ना ", हैरान सी रूबी ने कहा तो नाजिया उसे देखने लगी और फिर एक तरफ देखा तो रूबी भी उस तरफ देखने लगी । यहां पर भाविक निवान खड़े थे । तो रूबी हैरान हो गई  ।

    " क्या बात है सर सब ठीक है ना " रूबी ने दोनो से  पुछा ।तो भाविक  जो चुप सा था वो रूबी के सामने खड़े होकर ।

    " रूबी मेरे भाई को बचा लो ",   भाविक ने कहा तो रूबी उसे देखती ही रह गई  वहीं नाजिया भी ।

    " यह कैसी बातें कर रहे हो आप सर "   रूबी ने हैरानी से कहा तो भाविक उसे देखता ही रह गया ।

    " प्लीज रूबी मेरे साथ  चलो मेरे भाई को मिलो उसे बताओ तुम ठीक हो ,वर्ना वो कुछ गलत ना कर ले खुद के साथ  "।भाविक ने कहा । रूबी नाजिया एक दूसरे को देखने लगी ।

    " मैं ठीक हू बताने की जरूरत नही है कॉलेज में तो मिले थे हम ",  रूबी ने कहा ।

    " रूबी भाविक  का एक्सीडेंट हो गया है और उसै लगता है के उस एक्सीडेंट में तुम भी थी । तो प्लीज चलो और उसे बताओ के तुम ठीक हो  नही तो वो फिर से पुराना प्रांजल बन जायेगा प्लीज रूबी चलो ",  भाविक ने कहा तो रूबी चुप सी रह गई वही  नाजिया भी ।


    " नाजिया तूम भी साथ  चलो ,और अगर किसी बात का डर है तो कैब से चलो पर प्लीज चलो ", भाविक ने  मिनत करते हुए  कहा । रूबी नाजिया को देखने लगी  ।

    " मैं तो स्कूटी से आई हूं  । इस पर चलें", नाजिया ने कहा तो रूबी  चुप सी रह गई  ।

    " नही स्कूटी अंदर लगा दो इस समय  भीड़ होगी  ", रूबी ने कहा । और अपने बेग से  चाबी निकाल गेट खोल दिया । नाजिया ने सकुटी अंदर लगा दी और गेट बंद कर वो दोनो भाविक को देखने लगी ।

    " सर पांच मिनट उसके बाद हम आ जायेगे",  रूबी ने कहा।

    "  बिल्कुल  पांच मिनट भी बहुत  है बैठो तुम दोनो",  भाविक ने अपनी गाड़ी का पीछे का दरवाजा खोल कहा तो रूबी नाजिया एक दूसरे को देख बैठ गई  और भाविक  निवान भी जल्दी से बैठे और गाड़ी आगे बड़ा दी ।


    रब राखा

  • 19. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 19

    Words: 1316

    Estimated Reading Time: 8 min

    "  बिल्कुल  पांच मिनट भी बहुत  है बैठो तुम दोनो",  भाविक ने अपनी गाड़ी का पीछे का दरवाजा खोल कहा तो रूबी नाजिया एक दूसरे को देख बैठ गई  और भाविक  निवान भी जल्दी से बैठे और गाड़ी आगे बड़ा दी ।


    रूबी नाजिया के साथ  हॉस्पिटल में भाविक निवान के पीछे पीछे चली जा रही थी । वो लोग जैसे ही उस गैलरी में आये यहां पर प्रांजल को रखा गया था तो  सामने ही  सब को देख रूबी नाजिया एक दूसरे को देखने लगी ।

    यहां खनक नाजिया को ही घुर रही थी। तो वही निवान भाविक  के मम्मी पापा रूबी को ही देख रहे थे और रूबी को इन सब का घुरना अजीब सा लग रहा था ।

    " पापा ये रही रूबी जिसके बारे  में प्रांजल बात कर रहा था "। भाविक ने अपने पापा के पास आकर कहा तो वो दोनो खड़े होकर रूबी को देखने लगे।

    " पर इसे तो कही भी चोट नही आई और प्रांजल कह रहा था के रूबी को बहुत  चोट आई है ", मिसेज बत्रा ने कहा तो रूबी हैरान हो गई  ।

    " मम्मी उसे वहम हूआ है और ये वहम तो रूबी को देख ही जा सकता है जब प्रांजल को रूबी ठीक हालत मैं मिलेगी" । भाविक ने कहा ।

    " ठीक है बेटा पर डॉक्टर ने अभी तो प्रांजल को नींद का इंजेक्शन दिया है । वो तो अभी नींद में है ",  मिस्टर बत्रा ने कहा तो रूबी भाविक को देखने लगी ।

    "सर मेने आपसे कहा था के मैं ज्यादा देर नही रूक सकती ", रूबी ने कहा तो भाविक  उसे देखने लगा।

    " प्लीज रूबी कुछ घंटो के लिए  बस कुछ घंटो के लिए  रूक जाओ । प्रांजल  बस एक बार तुमको देख ले उसके बाद  तुमको छोड़ आऊंगा तुम्हारे घर ",  प्रांजल ने कहा तो रूबी उसे देखने लगी । वही नाजिया भी खड़ी  थी ।

    " तुम्हे देर होगी तुम्हारे घर पर तो इंतजार करेंगे ना सब",  रूबी ने नाजिया को देख कहा । तो नाजिया उसे देखने लगी।

    " कोई  नही मैं मम्मी को बता देती हूं फोन पर के आज मैं तुम्हारे साथ  हूं । तुमको अकेले तो छोड़ नही सकती ना ",  नाजिया ने कहा और फोन जेब से निकाल एक तरफ को बड़  ।


    " बैठो इस तरफ",  भाविक ने रूबी को एक कुर्सी पर बैठने का कहा तो उस पर बैठ गई   ।

    " निवान एसा करो तुम भी अक्ल अंटी को लेकर चलो प्रांजल अब ठीक हो जायेगा ।" भाविक ने निवान से कहा तो निवान ने सिर हिला दिया ।  तभी खनक लास्य के मम्मी पापा भी आ गये जो बाहर थे। दिल्ली में नही थे वो अभी पहुंचे थे और आते ही वै प्रांजल के बारे में पुछने लगे ।

    "नाजिया अपनी मम्मी को सब बता वापस आकर रूबी के पास बैठ गई  थी और सामने उन चार परिवार को देख रही थी जो आपस में कितने मिले जुले थे 

    " चलो अब तुम सब जाओ प्रांजल ठीक है ध्यान से जाना",  मिस्टर बत्रा ने अपने तीनो दोस्तो को कहा तो उन तीनो दोस्तो ने  भी जाने ही सही समझा ।वही भाविक  जो खनक को ही देख रहा था । तो खनक ने उसे एक तरफ आने का कहा तो भाविक उसके साथ  उस तरफ चल दिया ।

    " मुझे पता था तुम रूको गी यहां पर मेरे साथ",  भाविक ने मुस्कुरा कर कहा तो खनक उसे देखने लगी ।

    " बिल्कुल नही,,,, भाविक  मुझे यहां नही रूकना बिल्कुल नही रूकना । मैं तो ये कहने आई थी के इन दोनो लड़कियों को ज्यादा मत लाओ अपने परिवार में समझे और नाजिया से तो दूर ही रहना",  खनक ने कहा और भाविक उसे देखता ही रह गया ।

    " खनक रूबी प्रांजल को ठीक करेगी उसके वहम को तोड़ेगी , वो बहुत  जरूरी है अभी मेरे लिए  ।"

    "रूबी नही डॉक्टर की जरूरत है प्रांजल को , अच्छे डॉक्टर को दिखाओ उसे ।ये कोन सा उसका पहली बार है "। खनक ने कहा और वहां से अपनी मम्मी के पास आ कर खड़ी हो गई  वहीं भाविक उसे देखता ही रह गया ।


    कुछ ही देर में वो सब चले गये। निवान ने जाते जाते भाविक को बोल दिया के कुछ भी जरूरत हो तो उसे फोन कर दे  तो भाविक ने सिर हिला दिया ।


    नाजिया रूबी चुप सी बैठी थी तो वही  सामने मिस्टर और मिसेज बत्रा बैठे उनको ही देख रहे थे । भाविक बाहर गया था । समय  रात के आठ बज रहे थे  और प्रांजल अभी भी नींद में ही था  ।

    तभी भाविक आया और चारों को देख कर,"  चलो खाना खा लो आप लोग ", उसने कहा तो रूबी नाजिया उसे देखने लगी  ।

    " पापा मम्मी को लेकर आप लोग आ जाओ चलो रूबी नाजिया चलो",   भाविक ने कहा तो रूबी नाजिया एक दूसरे को देखने लगी।

    " नही हम ठीक है",  रूबी ने कहा और साथ  ही अपना चश्मा सही करा तो भाविक  दोनो को देखने लगा । 

    " उठो खाना खा लो चलो",  उसने कहा तो रूबी नाजिया उठ गई  वही भाविक के मम्मी पापा  आगे आगे चल दिए  थे ।

    हॉस्पिटल की ही कैन्टीन में उन लोगो ने खाना खाया । पर एक दूसरे से कोई  बात नही की । वही नाजिया रूबी भी चुप थी बहुत  अजीब सी  स्थिती बनी हुई  थी इस समय  ।

    " मम्मी पापा आप भी जाओ घर मैं हूं यहां पर"  , भाविक ने अपने मम्मी पापा को देख कहा तो वो दोनो उसे देखने लगे ।

    " देखो मम्मी पापा प्रांजल ठीक है कल घर ले आऊंगा उसे  आप लोग घर जाओ आराम करो" , भाविक ने कहा तो मिस्टर बत्रा ने सिर हिला दिया ।

    " ठीक है जा रहे है  कोई  भी जरूरत हो तो फोन कर देना  समझे ना  ",  उन्होने कहा तो भाविक ने सिर हिला दिया।
    और वहीं से अपने मम्मी पापा को बाहर छोड़ने चला गया   और रूबी नाजिया जो बैठी थी वो एक दूसरे को देखने लगी ।

    " यार कितनी भुख लगी थी पर इन बड़े लोगो के सामने खाना भी सही से नही खाया गया "। नाजिया ने कहा तो रूबी उसे देख मुस्कुरा दी।


    " और पता है पीछले दो घंटे से एक ही जगह पर बैठै रहने से मेरी तशरीफ भी दर्द  करने लगी वो भी सोच रही होगी के आज नाजिया को क्या हो गया जो उठ ही नही रही ",  नाजिया ने कहा तो रूबी के चेहरे की मुस्कुराहट बड़ गई  ।


    " चले",  भाविक ने उनके पास आ कर कहा तो नाजिया उसे देख लगी । और जल्दी से खड़ी होकर ," हां चलो",  उसने कहा तो रूबी भी खड़ी हो गई  ।


    वो तीनो उस तरफ चल दिए  यहां पर प्रांजल था । रूबी नाजिया वापस आकर बैठ गई  तो भाविक भी एक तरफ बैठ गया ।

    " आप में से रूबी कोन है  ", नर्स ने बाहर आकर कहा तो रूबी नाजिया भाविक उसे देखने लगे। वही भाविक जल्दी से उस के पास आया ।

    "प्रांजल को होश आ गया",   उसने पुछा ।"जी अभी तो नही पर बहुत  जल्द होश आजायेगा । तब रूबी उनके सामने होनी चाहीये ।" नर्स ने कहा तो भाविक ने बैठी हुई  रूबी की तरफ इशारा कर दिया।

    " ये रही रूबी ", उसने कहा।

    " ठीक है इनको अंदर भेज दो आप",  नर्स ने कहा और चीली गई  वही भाविक नाजिया रूबी को देखने लगे ।

    " नही रूबी अकेले नही जायेगी",  नाजिया ने कहा तो भाविक मुस्कुरा दिया ।

    "प्रांजल चल नही सकता उसके पेर पर चोट आई है ", भाविक ने कहा तो नाजिया उसे देखने लगी।

    "  फिर भी रूबी अकेले नही जायेगी ", उसने कहा तो भाविक रूबी को देखने लगा ।

    " रूबी बस आज के लिए  फिर से कभी नही कहूंगा तुमको", भाविक ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया और उस रूम के अंदर चली गई  यहां पर प्रांजल था । और नाजिया देखती ही रह गई  ।


    रब राखा

  • 20. Ruby (Story Of Revenge) - Chapter 20

    Words: 1335

    Estimated Reading Time: 9 min

    " रूबी बस आज के लिए  फिर से कभी नही कहूंगा तुमको", भाविक ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिया और उस रूम के अंदर चली गई  यहां पर प्रांजल था । और नाजिया देखती ही रह गई  ।और फिर नाजिया ने भाविक को देखा जो चुप सा बैठा था।

    " थैंक्यू ", भाविक ने कहा तो नाजिया ने सिर हिला दिया और चुप सी अपना फोन देखने लगी ।तो भाविक  भी चुप सा बैठा रहा।


    रूबी अंदर आई और प्रांजल को देखने लगी जो सो रहा था । कुछ पल तो वो उसे देखती ही रह गई  । हैंडसम था । रंग भी गोरा था दिखने में ही बड़े घर का बेटा लगता था ।  वहीं रूबी ने खुद को देखा जो आम सी लड़की थी । " पता नही इन बड़े लोगो को क्या क्या होता रहता है "। रूबी ने कहा और एक तरफ लगी कुर्सी पर बैठ गई ।


    रात के बारह बज रहे थे । नाजिया जो फोन को ही देख रही थी उसने सिर उपर कर देखा तो सामने भाविक नींद में था । जिसका सिर इधर उधर झुल रहा था । तो नाजिया हैरान सी रह गई  । उसके हाथ  में पकड़ा फोन भी  गिरने ही वाला था । तो नाजिया उठी और उसके हाथ  से फोन लेकर  भाविक के पास ही एक तरफ बैठ गई  । और उसके सिर को हाथ  से सहारा देकर अपने कंधे पर रख लिया तो भाविक भी आराम से सो गया ।और नाजिया बस चुप सी बैठी रही ।

    प्रांजल जिसे अभी अभी होश आया था वो एकदम से उठने लगा के अपने पास की कुर्सी पर रूबी को देख वो हैरान हो गया  ।और उठ कर बैठ गया । उसने रूबी को एक बार अच्छे से देखा जो ठीक थी उसे कोई  चोट नही आई थी ।तो प्रांजल  बस उसे देखता रह गया कयूकि  वो सो चुकी थी ।

    सुबह छः बजे रूबी की आंख खुली तो उसने अपने सामने प्रांजल को सोते हुए  देखा ओर वो उठ कर बाहर आ गई और ।
    यहां पर  नाजिया कुर्सी पर सो रही थी और भाविक एक तरफ बैठा था । 

    "सर अब हम जाये ।" रूबी ने भाविक को देख कहा तो  भाविक उसे देखने लगा ।

    " प्रांजल उठा नही अभी ", भाविक ने पुछा।तो रूबी ने ना में सिर हिला दिया और नाजिया के पास बैठ गई । रूबी ने  नाजिया  को हल्के से हिलाया तो नाजिया ने आंख खोल देखा तो सामने रूबी को देख वो मुस्कुरा दी ।

    "चले घर",  उसने कहा तो रूबी सामने देखने लगी  यहां भाविक बैठा था। 


    " मैं अभी आया ", उसने कहा और प्रांजल को देखने  चला गया ।

    " तू ठीक है वो उठा तो नही ना रात को  ",  नाजिया ने पुछा तो रूबी ने ना में सिर हिला दिया ।

    भाविक जो अंदर आया था वो प्रांजल को देख मुस्कुरा दिया जो सो रहा था । नर्स भी आ गई  थी तो भाविक उसे देखने लगा ," अभी तक उठा क्यू नही प्रांजल ",  उसने पुछा तो नर्स भाविक को देख कर ।

    " रात में एक बार उठे थे और फिर सो गये",  उसने कहा तो भाविक हैरान हो गया । और फिर आगे बड़ प्रांजल के कंधे पर हाथ  रख हिलाया  तो प्रांजल ने आंखे खोल कर भाविक की देखा ।

    "उठ जा अब रूबी से नही मिलना क्या"  भाविक ने कहा तो प्रांजल उसे देखनेलगा ।

    " रूबी सच में रूबी आई है । मुझे लगा रात को   मेने सपना देखा।  कहां है वो ठीक है ना । ज्यादा चोट तो नही आई मुझे मिलाओ बस एक बार। उसे सॉरी कहना है मुझे  प्लीज भाइ एक बार मिला दो ",  प्रांजल ने कहा तो भाविक  उसे  देखने लगा ।

    "रूक अभी आती है ", उसने कहा और बाहर चला गया वही प्रांजल चुप सा बैठा दरवाजे को देखने लगा ।

    कुछ दो मिनट में दरवाजा  खुला प्रांजल बस उसी तरफ देख रहा थे यहां रूबी उसके सामने खड़ी थी । जिसे देख कर प्रांजल के चेहरे पर हैरानी आ गई ।   वो बिल्कुल ठीक थी उसे एक भी खर्च नही आई थी । वही रूबी चल कर उसके पास आ गई  और उसे देखने लगी।

    "  सर आप ठीक है",  उसने कहा तो प्रांजल ने हाथ आगे बड़ा उसकी कलाई पर हाथ रखा और उसे देखने लगा ।जो  उसे ही देख रही थी ।के तभी प्रांजल ने झटके से उसकी कलाई पकड़ कर उसे अपने पास बैठा लिया ।वहीं रबी हैरान सी रह गई उसे नही लगा था के प्रांजल एसा करेगा ।

    वही प्रांजल उसे ही देख रहा था और हाथ आगे बड़ा रूबी के चेहरे को छू कर देखने लगा । रूबी उसे ही देख रही थि। " सर मैं ठीक हूं",  रूबी ने उसका हाथ  पीछे करते हुए  कहा तै प्रांजल ने अपना हाथ  पीछे खिंच लिया 

    " मुझे लगा के मेने तुमको खो दिया फिर से ",  प्रांजल जो उसे ही देख रहा था उसने कहा तो रूबी की आंखो की  हैरानी और बड़ गई  ।


    " फिर से पर हम तो अभी मिलें है । पहली बार कॉलेज में शायद आपको कोई  गलतफहमी हो गई  होगी",   रूबी ने कहा तो प्रांजल ने  ना में सिर हिलाते हुए,"  नही बिल्कुल नही कोई गलतफ़हमी नही हूई मुझे, तुम नही समझोगी मुझे", प्रांजल ने कहा तो रूबी उसे देखती ही रह गई  ।

    " अब आपने मुझे देख लिया  ना मुझे कोई चोट नही आई सब ठीक है अब मैं जाऊं ।" रूबी ने खड़े होते हुए  कहा तो प्रांजल जो उसे देख रहा था उसने हां में सिर हिला दिया।

    वहीं रूबी बाहर चली गई  तो प्रांजल के चेहरे पर खुशी आ गई । और वो वैसे ही लेट गया ।


    " ओके सर अब तो मैं मिल ली सर से अब मैं जाऊं", रूबी ने कहा तो भाविक ने सिर हिला दिया ।" एक मिनट रुको मैं प्रांजल को बता दूं के कुछ देर में आता हूं ", भाविक ने कहा और वापस अंदर चला गय । 

    " तू ठीक है ना उसने कुछ कहा तो नही ",  नाजिया ने रूबी को देख कहा तो रूबी उसे देखने लगी ।

    "नही बस पुछा के चोट तो नही आई ।" रूबी ने कहा तो नाजिया ने सिर हिला दिया ।


    " चलो तुम दोनो को छोड़ दूं ", भाविक ने बाहर आते हुए  कहा और आगे चल दिया तो वहीं रूबी और नाजिया उसके पीछे पीछे चल दी  ।


    " रूबी जितना कहूं उतना कम है तुमने बहुत  हैल्प की है , कभी भी जरूरत हो तो मुझे बताना ।" भाविक ने कहा तो रूबी ने सिर हिला दिये ।  भाविक ने नाजिया को देखा और हल्के से मुस्कुरा कर अपनी गाड़ी में बैठ निकल गया ।


    " ये क्यू समाइलें दे रहा था",  नाजिया ने रूबी से कहा तो रूबी उसे देखने लगी ।

    "मुझे क्या पता ।चलो सात बज गये है । लेट हो जायेंगे नही तो कॉलेज के लिए  "।  रूबी ने कहा और गेट खोल अंदर आई वही नाजिया ने भी अपनी स्कूटी ली । और रूबी को बाय करती हुई  वो चली गई  ।और रूबी गेट बंद कर अपने रूम की और चली गई  ।

    " ये सब अब सिर से उपर हो गया है । इसे खत्म करो मुझे ये रूबी नाम की परेशानी और नही झेलनी" ।मिस्टर बत्रा ने अपने पती से कहा ।तो वो उनको देखते रह गये ।

    "तुम कहना क्या चाहती हो । वो पड़ती है नाम ही है एक है । रूबी तो नही ना मिस्टर बत्रा ने कहा तो मिसेज बत्रा उनको देख कर ।

    " शुक्र मनाओ वो नही है । वर्ना तुम भी जानते हो सब क्या होता और क्या नही ",  मिसेज बत्रा ने गुस्से से उनको देख कहा और रूम से बाहर चली गई  और वो चुप से उनको देखते रह गए।

    " ये सब अब सच में अब बहुत हो गया है , अब तो इस सब का कुछ करना ही होगा   वर्ना ये सोई हुई  आफत फिर से जाग जायेगी ",मिस्टर बत्रा ने खुद से कहा और अपना फोन देखने लगे ।



    रब राखा