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Jugaad Wala Ishq

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Page 1 of 5

  • 1. Jugaad Wala Ishq - Chapter 1

    Words: 3953

    Estimated Reading Time: 24 min

    ## Chapter 1

    "ये क्वार्टरली रिपोर्ट्स हैं, मिस्टर राठौर। साउथ-ईस्ट एशियन मार्केट में काफी गिरावट आई है, खासकर टेक्सटाइल के business में," मिस्टर सिन्हा ने एकदम सीधी आवाज में कहा। उनके चेहरे पर कोई feeling नहीं थी। उन्होंने पॉलिश की हुई महोगनी टेबल के ऊपर चमक रहे बड़े से होलोग्राम प्रोजेक्शन की तरफ इशारा किया। कमरे में शांति थी, बस महंगे सूटों की हल्की आवाज आ रही थी। राठौर ग्लोबल के सारे बोर्ड मेंबर्स बैठे थे, सबके चेहरे पर या तो tension थी या फिर बोरियत।

    लेकिन आरव राठौर को न तो tension थी, न ही वो बोर हो रहा था। वो तो अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था, एक ऐसी दुनिया जो घूमते हुए गियर्स, माइक्रोचिप्स और शहर के कबूतरों के उड़ने के अजीब pattern से भरी हुई थी। उसका पेन, सामने खुली हुई finance की रिपोर्ट के numbers को highlight करने के बजाय, एक सादे पेपर पर जल्दी-जल्दी sketch बना रहा था। वो धीरे-धीरे गाना गा रहा था, उसे board meeting में हो रही बातों की कोई खबर नहीं थी।

    "मिस्टर राठौर? क्या आप सुन रहे हैं?" एक सख्त आवाज ने उसे जगाया। ये मिस्टर शर्मा थे, जिनकी भौहें हमेशा disapproval में उठी हुई रहती थीं।

    आरव ने पलकें झपकाईं। उसकी आँखें, जो आमतौर पर किसी अजीब invention से चमकती रहती थीं, अब थोड़ी धुंधली थीं। उसने ऊपर देखा, उसकी नज़रें सबके चेहरों पर घूमती हुई, मिस्टर शर्मा के गुस्से वाले चेहरे पर टिक गईं, फिर छत की तरफ चली गईं, जैसे वो शानदार झूमरों से idea ले रहा हो। "कबूतर," उसने एक गहरे philosophical सच की घोषणा करते हुए कहा।

    कमरे में confused आवाज़ें आने लगीं। मिस्टर सिन्हा रुक गए, उनका लेज़र पॉइंटर एक बहुत ही depressing graph पर अटका हुआ था। "कबूतर, मिस्टर राठौर?" उन्होंने हैरानी से पूछा।

    आरव ने seriously सिर हिलाया, आगे झुकते हुए, उसका पेन अभी भी उसके हाथ में था। "हाँ। वो हर जगह हैं, है ना? इधर-उधर घूमते हुए, गुटर-गूं करते हुए, हमेशा nuisance मचाते हुए। और उनकी dropping, हे भगवान, उनकी dropping! सोचिए हमारी नई fabric line पर इसका क्या असर होगा। आप एक premium silk साड़ी launch करते हैं, एकदम सफ़ेद, फिर *bam*—कबूतर की पॉटी। Market share गया। Brand reputation खराब। Literally।"

    इसके बाद एक लम्बी, भयानक चुप्पी छा गई। कुछ बोर्ड मेंबर्स ने हैरान होकर एक-दूसरे को देखा। कुछ ने धीरे से अपनी मुट्ठियों में खांसा। मिस्टर शर्मा की भौहें और भी ऊपर उठ गईं, जैसे वो उनकी हेयरलाइन में गायब होने वाली हों।

    तभी, एक शांत, भरोसेमंद आवाज ने tension को तोड़ा। "मिस्टर राठौर जो बात eloquently कह रहे हैं, gentlemen," खन्ना जी ने एक experienced diplomat की तरह आगे बढ़ते हुए शुरू किया, "वो है pervasive, लेकिन अक्सर अनदेखी की जाने वाली… external factors का असर। ऐसे factors जो, कबूतरों की तरह, हमारी carefully बनाई गई strategies पर उतर सकते हैं, जिससे unforeseen, detrimental निशान पड़ सकते हैं।"

    खन्ना जी आरव के executive assistant थे, लगभग पचास साल के, एकदम अच्छे कपड़ों में, हमेशा शांत, और उनके पास आरव की अजीब बातों को boardroom के हिसाब से corporate language में बदलने की amazing ability थी। वो असली हीरो थे, आरव के बिना मन के राज के पीछे के silent architect।

    खन्ना जी के intervention से खुश होकर आरव मुस्कुराया। "Precisely, खन्ना जी! इसलिए, मैं एक solution पर काम कर रहा हूँ।" उसने excitedly अपना doodle टेबल पर आगे बढ़ाया। यह एक sleek, futuristic ड्रोन का detailed drawing था जो मोटे तौर पर एक शिकारी पक्षी जैसा दिखता था, जिसमें छोटे, खतरनाक talons भी थे। इसके नीचे, उसकी handwriting में, उसने लिखा था: *'सुपर-सोनिक पिजन-स्केरिंग ड्रोन – प्रोजेक्ट स्क्वॉक-ऑफ।'*

    मिस्टर सिन्हा ने drawing को ध्यान से देखा। "एक… ड्रोन? For… pigeons?"

    खन्ना जी ने smoothly रिपोर्ट को intercept किया। "Ah, yes, 'प्रोजेक्ट स्क्वॉक-ऑफ,'" उन्होंने कहा, पेपर को ऐसे पकड़े हुए जैसे वो कोई rare artifact हो। "Strategic thinking का मास्टरस्ट्रोक, gentlemen। मिस्टर राठौर इसे सिर्फ एक device के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि एक metaphor के रूप में, market disruptors के खिलाफ हमारे proactive stance के एक प्रतीक के रूप में। कबूतर, इस context में, unpredictable, volatile elements को represent करता है जो हमारी stability को खतरे में डालते हैं। यह ड्रोन," उन्होंने profound insight के साथ drawing पर tap किया, "अनदेखे risk को कम करने के लिए राठौर ग्लोबल की swift, precise और technologically बेहतर response है। यह innovate करने, cutting-edge solutions को deploy करने और competition को literally 'स्केयर ऑफ' करने की हमारी readiness को दिखाता है, इससे पहले कि वे हमारी टर्फ पर land भी कर सकें।"

    कुछ nods circulate होने लगे। बोर्ड मेंबर्स, खन्ना जी की आरव की eccentricities में profound meaning खोजने की magical ability के आदी थे, वे कम confused और ज़्यादा intrigued दिखने लगे।

    "A bold vision, indeed," मिस्टर गुप्ता, एक veteran बोर्ड मेंबर जिनकी flowery language में penchant थी, ने अपनी ठोड़ी सहलाते हुए कहा। "To anticipate the pest, and engineer its deterrent. मैं parallel देख रहा हूँ, खन्ना जी। Very avant-garde, मिस्टर राठौर।"

    आरव ने पलकें झपकाईं, वो कबूतर ड्रोन की corporate interpretation से utterly bewildered था। वो तो सिर्फ ये चाहता था कि पक्षी लोगों के सिर पर पॉटी न करें। उसने खन्ना जी की तरफ देखा, जिन्होंने उसे एक subtle, लगभग imperceptible nod दिया – ये इस बात का cue था कि damage control पूरा हो गया है।

    "Excellent, then," मिस्टर सिन्हा ने relieved दिखते हुए कहा। "अगर कोई और… unconventional insights नहीं हैं, तो हम टेक्सटाइल के business के लिए implementation strategies के साथ आगे बढ़ेंगे, जैसा कि बताया गया है।"

    आरव ने wait नहीं किया। Meeting खत्म होते ही, वो अपने पैरों पर खड़ा हो गया, practically कमरे से बाहर निकल गया। खन्ना जी, हमेशा की तरह watchfull, ने बोर्ड मेंबर्स को एक polite bow दिया और अपने employee को follow किया।

    "खन्ना जी, आप जीनियस हैं!" आरव ने deserted hallway में पहुँचते ही कहा, serious board meeting रूम उनके पीछे fading हो रहा था। "क्या आपने उनके चेहरे देखे? उन्हें लगभग यकीन हो गया था!"

    खन्ना जी ने खुद को एक faint smile की permission दी, जो उनकी usual stoicism से एक rare deviation था। "They believed *me*, मिस्टर राठौर। Not entirely the same thing।" उसने अपनी tie adjust की, उसकी नज़रें young man को देखते हुए soft हो गईं, जो, अपनी immense wealth और position के बावजूद, market analytics से ज़्यादा कबूतर defence system पर discuss करने में comfortable लग रहा था। "But all’s well that ends well। हालाँकि मुझे confess करना होगा, 'प्रोजेक्ट स्क्वॉक-ऑफ' में एक certain… ring है।"

    आरव हंसा। "Right? वैसे भी, मैं निकला। ड्रोन के flight path में कुछ kinks को iron out करने की ज़रूरत है। Last prototype मेरे सिर पर land करने की कोशिश कर रहा था।" उसने hallway की तरफ vaguely इशारा किया।

    खन्ना जी ने अपना गला साफ़ किया। "मिस्टर राठौर, with all due respect, आपकी दादी, राजमाता, आपसे मिलना चाहती हैं। वो Q2 report के बारे में rather displeased हैं, और उन्होंने आपके… disengagement के बारे में कुछ mention किया था।"

    आरव का चेहरा उतर गया। "राजमाता। Right। वो मुझे 'responsibility' और 'legacy' और 'तुम अपने पिता की तरह क्यों नहीं हो सकते, आरव?' के बारे में lecture देना चाहेंगी। Look, खन्ना जी, उन्हें बता दीजिए कि मैं एक crucial R&D project में deeply involved हूँ। Top secret। National security। Something along those lines। मैं उनसे dinner पर मिलूँगा। Maybe।"

    खन्ना जी ने internally sigh किया। "As you wish, मिस्टर राठौर। हालाँकि मुझे doubt है कि 'national security' राजमाता को deter कर पाएगी जब उनका कोई agenda होगा।"

    आरव पहले ही private elevator के आधे रास्ते पर था। "बस अपनी magic कर दीजिए, खन्ना जी। आप हमेशा करते हैं।" उसने एक half-hearted wave दिया और underground parking के लिए button दबाते हुए elevator में गायब हो गया।

    ***

    राठौर मेंशन एक घर कम, एक sprawling estate ज़्यादा था, जो generations की accumulated wealth और influence का test था। इसके grand façade के नीचे, एक पुराने, abandoned bunker में, आरव का true sanctuary था: उसकी secret workshop।

    भारी steel का दरवाज़ा उसके palm print और retinal scan पर एक hiss के साथ खुला, जिससे glorious, unbridled chaos की दुनिया दिखाई दी। Wires metallic vines की तरह floor पर इधर-उधर फैली हुई थीं, tangled और vibrant। Tools pegboard से haphazard symphony में लटके हुए थे, hammer soldering iron के बगल में, wrench micro-drill के बगल में। Half-assembled contraptions workbench पर बिखरे पड़े थे, कुछ softly humming कर रहे थे, कुछ sporadically spark कर रहे थे। Ozone, जले हुए plastic और pizza जैसी कुछ चीज़ों की faint scent थी।

    आरव अंदर चला गया, और boardroom की tense, suffocating हवा instantly evaporate हो गई। यह घर था। यहीं पर उसका दिमाग truly came alive होता था। उसने अपना महंगा suit jacket उतारा, उसे carelessly discarded circuit board के ढेर पर फेंक दिया। उसने अपनी crisp सफ़ेद shirt की sleeves को roll किया, जिससे उसकी मज़बूत, capable forearms दिखाई दीं।

    "Alright, बीटा-बॉट," उसने floor पर इधर-उधर भाग रहे, stray nuts और bolts इकट्ठा कर रहे एक छोटे, चार पैरों वाले robot से murmure करते हुए कहा। "Let’s see what havoc you’ve been wreaking in my absence।"

    बीटा-बॉट ने response में whirr किया, उसका single optical sensor blink कर रहा था। उसने एक shiny bolt को designated bin में एक satisfying clink के साथ गिरा दिया।

    आरव एक बड़े, partially assembled contraption के पास गया जो एक miniature jet engine के साथ एक giant, metallic birdcage जैसा दिखता था। यह 'सुपर-सोनिक पिजन-स्केरिंग ड्रोन' अपने current, physical form में था। उसने एक wrench उठाया, उसकी उंगलियां instinctively सही grip ढूंढ रही थीं।

    "You know, स्क्वॉक-ऑफ," उसने machine से ऐसे बात करते हुए शुरू किया जैसे वो कोई sentient being हो, "खन्ना जी ने आज खुद को really outdid कर दिया। Said you were a 'metaphor for proactive mitigation of market disruptors।' Can you believe it?" उसने एक screw को grunt के साथ tight किया। "मैं तो बस ये सुनिश्चित करना चाहता था कि ये pesky पक्षी किसी के सिर पर अपने… organic waste से bomb न करें।"

    वो एक loose wire की जांच करते हुए थोड़ा करीब झुका। "The problem, my friend, is the oscillation dampeners. They’re unstable. That’s why you wobble like a drunken flamingo mid-flight।" उसने अपने usual obscure online supplier से specialized dampeners का एक batch order करने का एक mental note बनाया। Corporate procurement department नहीं, वो बहुत सवाल पूछेंगे।

    उसका phone बजा। ये खन्ना जी थे। आरव ने screen पर glanced किया, फिर phone को पास के couch पर फेंक दिया, जिससे वो vibrate होकर शांत हो गया। Corporate world wait कर सकती थी। दिल्ली के कबूतर, और उसके inventions की purity, नहीं कर सकती थी।

    उसने अगले कुछ घंटे अपने काम में खोकर बिताए, बाहर की दुनिया cease to exist हो गई। उसने adjust किया, tweak किया, solder किया, और softly curse किया जब एक component ने cooperate करने से इनकार कर दिया। उसने ड्रोन के sensors को calibrate किया, उसके propulsion system को fine-tune किया, और यहां तक कि एक छोटा, high-pitched speaker भी जोड़ा जिसे avian कानों के लिए unbearable लेकिन इंसानों के लिए harmless frequency emit करने के लिए design किया गया था। उसका माथा concentration में सिकुड़ा हुआ था, उसके बाल बेतरतीब ढंग से उसकी आंखों पर गिर रहे थे, और उसके गाल पर grease का एक smudge दिखाई दे रहा था। यह आरव अपने element में था, एक mad scientist अपने sanctuary में।

    उसने stretch करते हुए pause किया, workbench पर झुकने से एक faint दर्द हो रहा था। उसने shelf से एक dusty photo frame उठाया। यह उसके पिता की एक पुरानी तस्वीर थी, younger, vibrant, जिसमें उसकी आँखों में वैसी ही mischievous intelligence की spark थी। उसके पिता भी एक inventor थे, हालाँकि उनके creations ज़्यादा abstract, theoretical थे, अक्सर energy और sustainable technology से related होते थे। वो young age में ही मर गए थे, जिससे आरव, एक mere child, एक massive legacy और एक और भी ज़्यादा massive corporation से जूझने के लिए अकेला रह गया।

    "Wish you were here, पापा," आरव ने अपने पिता की smile की outline को trace करते हुए whisper किया। "You’d understand। All they see is 'राठौर ग्लोबल heir।' Not… this।" उसने अराजक workshop की तरफ इशारा किया। "They call me 'झल्ली।' Goofy। Eccentric। If only they knew।"

    उसने photo को वापस रख दिया, उसके चेहरे पर एक wistful expression था। उसकी दादी, राजमाता की तरफ से pressure immense था। वो उसे एक 'proper CEO' बनाना चाहती थीं, suit पहनना, gala में attend करना, एक suitable heiress से शादी करना, और empire को expand करना। लेकिन उसका दिल बस इसमें नहीं था। उसका दिल यहाँ था, wires और सपनों के इस beautiful mess में। वो एक creator था, न कि एक corporate titan। वो बस ये चाहता था कि कोई इसे समझे। कोई ऐसा जो उसे ऐसे सांचे में ढालने की कोशिश न करे जिसमें वो fit नहीं हो सकता।

    उसने pigeon drone की तरफ देखा, जो अब ज़्यादा formidable दिख रहा था। यह लगभग एक test flight के लिए ready था। Almost। बस कुछ और adjustments। वो मुस्कुराया। यह वो life थी जो वो चाहता था। काश राठौर नाम के साथ इतनी expectations न होतीं।

    ***

    राठौर मेंशन के opulent, traditional drawing-room में, जहाँ antique Persian rugs grand marble staircase की echoes को soften करते थे, राजमाता देवयानी राठौर एक plush velvet armchair पर regally बैठी थीं। उनका posture एकदम सीधा था, उनके silver बाल meticulously एक severe बन में बंधे हुए थे, और उनकी नज़रें, sharp और unwavering, steel को भी काट सकती थीं। उन्होंने एक fragile porcelain tea cup पकड़ा हुआ था, लेकिन उनकी knuckles सफ़ेद थीं।

    उनके सामने, खन्ना जी खड़े थे, उनका expression carefully neutral था। "He mentioned a crucial R&D project, राजमाता। Top secret। National security।"

    राजमाता snorted, एक महिला के लिए surprisingly undignified sound। "National security, खन्ना जी? From आरव? The last time he invoked 'national security' was to explain why he needed a high-altitude weather balloon for 'atmospheric data collection' that mysteriously ended up carrying his neighbor’s prize-winning poodle to the next district। The poodle was fine, I assure you, but the neighbor still doesn’t speak to us।"

    खन्ना जी ने अपना गला साफ़ किया। "A slight miscalculation, perhaps, राजमाता।"

    "Miscalculation? The boy is a walking, talking miscalculation! He skipped the Q2 review, खन्ना जी! The टेक्सटाइल division is plummeting faster than one of his experimental gliders! And when he did grace us with his presence, he started talking about… pigeons!" उन्होंने tea cup को saucer पर slam किया, delicate china precariously rattle कर रही थी।

    "He believes external factors are a significant threat, राजमाता," खन्ना जी ने mildly offer किया।

    "External factors? He needs to be concerned about internal factors! Namely, himself!" राजमाता उठीं, अपनी उम्र से contradict करती हुई agitated energy के साथ कमरे में pace करते हुए। "He is राठौर। The राठौर name means something। It means precision, power, unwavering focus। Not… not pigeon drones and automatic samosa makers।"

    खन्ना जी ने अपना सिर हल्का सा झुकाया। "His heart, राजमाता, lies in innovation।"

    "Innovation without direction is madness! He is a झल्ली, खन्ना जी! A goofy eccentric! He fiddles with wires and robots when he should be signing multi-billion-dollar deals! His father, God rest his soul, was brilliant। But he channeled that brilliance into building this empire, into Project Phoenix… not into making a self-stirring चाय cup!" उन्होंने खन्ना जी की तरफ उंगली दिखाई, उनकी आवाज़ exasperation से भरी हुई थी। "Do you know what his latest project is, according to his security detail? A 'self-navigating dustbin' that sorts waste by type of… emotional residue!"

    खन्ना जी ने suppressed sigh किया। 'Emotional residue' dustbin एक particularly baffling project था, यहां तक कि उनके लिए भी।

    "He is a good boy, राजमाता," खन्ना जी ने carefully अपने words को choose करते हुए continued किया। "Kind-hearted। And undeniably intelligent। Perhaps his genius merely needs… a different outlet।"

    "Outlet? His outlet should be the CEO’s chair, not a workshop full of glorified toys!" वो pace करना बंद कर दीं, उनकी आंखें narrow हो रही थीं। "The board is nervous। विक्रम शेखावत is circling like a vulture। He smells weakness। आरव’s… escapades are making us vulnerable।"

    "मिस्टर शेखावत is indeed a concern," खन्ना जी ने concede किया। "But मिस्टर आरव has a unique way of handling challenges। He is resilient।"

    "Resilient? He is oblivious! He needs to grow up, खन्ना जी। He needs to take his responsibilities seriously। He needs a partner। Someone who can ground him, give him purpose beyond the next absurd invention।" राजमाता grand fireplace के पास चली गईं, roaring flames को stare करते हुए, genuine worry का flicker उनकी stern features को soft कर रहा था। "I love that boy, खन्ना जी। He is all I have left of my son। But he is adrift। He is living in a fantasy world। And I cannot let the राठौर legacy crumble because my grandson prefers tinkering with toasters that sing gazals over leading a global conglomerate।"

    वो खन्ना जी की तरफ वापस मुड़ीं, उनका resolve hard हो रहा था। "Get me the best matchmaker in the city, खन्ना जी। Tomorrow। I want a list of suitable alliances। Strong families। Sensible girls। Girls who understand responsibility, who can see beyond his… quirks। It’s time आरव राठौर took a wife। Perhaps that will finally light a fire under him। Or at least, divert his attention from inventing robotic shoes that tie themselves।"

    खन्ना जी ने bow किया। "As you command, राजमाता।" वो जानते थे कि यह एक ऐसा order है जो एक simple board meeting spin-doctoring से कहीं ज़्यादा challenging साबित होगा। आरव राठौर और एक 'sensible girl' एक ऐसा combination था जिसके ऊपर disaster लिखा हुआ था, लेकिन वो अपनी concerns को voice नहीं करेंगे। उनकी duty राठौर परिवार के प्रति है, और extension द्वारा, इसके सबसे eccentric सदस्य के प्रति। वो बस best की hope कर सकते थे। और perhaps, quietly, एक miracle के लिए pray कर सकते थे।

  • 2. Jugaad Wala Ishq - Chapter 2

    Words: 2554

    Estimated Reading Time: 16 min

    प्रिया शर्मा एक पॉपुलर बॉलीवुड गाना गा रही थी। वो खुश करने वाला गाना उसके स्टील के टिफिन के साथ बजने वाली आवाज़ से एकदम मैच कर रहा था। उसकी छोटी सी किचन वेस्ट दिल्ली की भीड़-भाड़ वाली गलियों में थी। वहां हर तरह की आवाज़ें और खुशबू आ रही थीं: गरम तेल में मसाले के छौंक की आवाज़, ताज़ी रोटियों की खुशबू, और उसकी मम्मी, शांति, की धीमी आवाज़। वो उनके अकेले हेल्पर, छोटू, को बता रही थीं कि दाल और सब्ज़ी को टिफिन में अलग-अलग कैसे रखना है।

    प्रिया ने कहा, "छोटू, देख! दाल सबसे बड़े डिब्बे में जाएगी, और सब्ज़ी बीच वाले में। और हाँ, सबके लिए अलग-अलग चम्मच रखना। किसी को भी मंगलवार की सुबह आलू गोभी में राजमा का टेस्ट नहीं मिलना चाहिए।" उसकी आवाज़ एकदम साफ़ और मज़बूत थी, इतनी सुबह होने के बावजूद। उसने अपने हाथ से माथे पर आया पसीना पोंछा। उसकी नज़रें उबलते हुए बर्तनों और करीने से रखे टिफिनों पर घूम रही थीं।

    छोटू, जो हमेशा खुश करने के लिए तैयार रहता था, ने ज़ोर से सिर हिलाया। "हाँ, दीदी। आज राजमा और आलू गोभी मिक्स नहीं होगा। आज स्पेशल दिन है।"

    प्रिया मुस्कुराई। "सही कहा, छोटू। आज *है* स्पेशल दिन। इसलिए सब कुछ एकदम परफेक्ट होना चाहिए। एकदम टॉप-क्लास।"

    किचन में हवा उम्मीद से भरी हुई थी। प्रिया की टिफिन सर्विस, 'प्रियाज़ पेट पूजा' - ये नाम उसके छोटे भाई, रोहन ने मज़ाक में रखा था, लेकिन ये नाम चल गया। पिछले तीन सालों से ये सर्विस चल रही है। ये उसकी मेहनत, टेस्टी खाने और जुगाड़ करने की कला की वजह से चल रही थी।

    उसकी सबसे खास चीज़, उसकी लाइफलाइन, थी उसकी लाल रंग की स्कूटर। वो उसे प्यार से 'धान्नो' बुलाती थी। वो सिर्फ एक गाड़ी नहीं थी; वो उसकी समझदारी का सबूत थी। उसका किकस्टैंड एक रबर बैंड से टिका हुआ था, हेडलाइट का कवर टूटा हुआ था लेकिन टेप से चिपकाया गया था, और सीट पर पुराने डेनिम का एक टुकड़ा लगा था जो उसके लाल रंग से थोड़ा मैच कर रहा था। धन्नो शायद सुंदर नहीं थी, लेकिन वो भरोसेमंद थी, क्योंकि प्रिया उसे हमेशा ठीक करती रहती थी।

    शांति, जो हमेशा चिंता में डूबी रहती थीं, ने प्रिया के लिए अदरक की चाय का कप काउंटर पर रखा। "क्या तूने ऑर्डर फिर से चेक किया है, बेटा? ये बहुत बड़ा ऑर्डर है। कपूर परिवार के लिए। उनकी बेटी की सगाई की पार्टी है। अस्सी टिफिन। ये बड़ी बात है।"

    प्रिया ने चाय की एक घूंट भरी। "हाँ, अम्मा, मैंने दस बार चेक किया है। और छोटू ने पाँच बार। दाल मखनी, पनीर पसंदा, नान, मिक्स वेज, और गुलाब जामुन, सब कुछ है। सब अच्छे से पैक है। आप tension मत लो।" उसने अपनी माँ का हाथ दबाया। "बस, अम्मा। ये ऑर्डर हमारे लिए बहुत सारे दरवाजे खोलेगा। कपूर बड़े लोग हैं। अगर उन्हें हमारा खाना पसंद आया, तो 'प्रियाज़ पेट पूजा' के लिए बहुत अच्छा होगा। हम आखिरकार उस बड़ी किचन के बारे में सोच सकते हैं जो आप हमेशा से चाहती थीं।"

    शांति की आँखों में थोड़ा पानी भर आया। "तू बहुत मेहनत करती है, बेटा। हमेशा भागती रहती है, हमेशा tension लेती रहती है। तुझे अपनी लाइफ के बारे में भी सोचना चाहिए, सेटल होने के बारे में।"

    प्रिया ने मज़ाकिया अंदाज़ में आँखें घुमाईं। "अम्मा, प्लीज़! मेरी लाइफ अभी 'प्रियाज़ पेट पूजा' है। और सेटल होना रुक सकता है। पहले, हमें ये किचन चाहिए। फिर हम एक अच्छा डिलीवरी बॉय रखेंगे। फिर, शायद, मैं एक अच्छे, समझदार लड़के के बारे में सोचूँगी जो ये समझता हो कि अच्छे से बनी दाल एक खुशहाल लाइफ का राज़ है।"

    तभी, प्रिया की कजिन, रीना, किचन में आई। उसके हाथ में आधा खाया हुआ टोस्ट था। रीना हर बात में तेज़ थी और सोच-समझकर मुस्कुराती थी, उसकी आँखें हमेशा देखती रहती थीं और तुलना करती रहती थीं। वो प्रिया की उम्र की ही थी लेकिन हमेशा प्रिया की आज़ादी और हौसले से जलती थी, जिसे वो भोलापन समझती थी।

    "अभी भी काम कर रही है, प्रिया?" रीना ने पूछा, उसकी आवाज़ मीठी थी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ कम दयालुता थी। वो दरवाज़े के फ्रेम पर टिकी हुई थी और किचन को देख रही थी। "अस्सी टिफिन? ये तो बहुत ज़्यादा मेहनत है, है ना? मेरा मतलब है, सगाई की पार्टी के लिए टिफिन सर्विस कौन यूज़ करता है? आजकल लोग अच्छे केटरर हायर नहीं करते हैं? जिनके पास स्टाफ और वैन होती हैं, स्कूटर वाले नहीं?"

    प्रिया ने उसकी बातों को इग्नोर कर दिया। वो रीना की बातों की आदी थी। "हम सस्ते हैं, रीना, और हमारे खाने में घर का टेस्ट है। यही हमारी पहचान है। और हाँ, लोग हमें हायर करते हैं। क्योंकि हम क्वालिटी देते हैं। ये बात तुम्हें समझ नहीं आएगी, तुम तो आराम से बैठी रहती हो।" उसने उसे ध्यान से देखा।

    रीना ने कंधे उचकाए, और टोस्ट का एक और टुकड़ा खाया। "ठीक है, फिर गुड लक। उम्मीद है कि धन्नो फिर से खराब नहीं होगी। कपूर का बड़ा दिन खराब नहीं होना चाहिए, है ना? सोचो, कितना बुरा लगेगा। 'टिफिन सर्विस फेल, दुल्हन का परिवार भूखा रह गया!'" वो थोड़ा हंसी।

    शांति ने रीना को घूरा। "रीना! क्या बोल रही हो तुम? ऐसे क्यों बात कर रही हो?"

    "बस सच बोल रही हूँ, मौसी," रीना ने मासूमियत से जवाब दिया। "प्रिया हमेशा इतनी खुश रहती है। किसी को तो उसे सच बताना चाहिए, है ना?"

    प्रिया का छोटा भाई, रोहन, जो अभी-अभी किचन में आया था, अपनी आँखें मसलते हुए बोला, "तुम्हारी 'सच्चाई' किसी ने नहीं मांगी, रीना दीदी। प्रिया दीदी सबसे अच्छी हैं। और धन्नो एक रॉकस्टार है!"

    रीना ने मज़ाक उड़ाया। "ओह, देखो, छोटा फैन क्लब आ गया। जाओ, रोहन, अपने वीडियो गेम खेलो। यहाँ बड़ों की बातें हो रही हैं।"

    "ये एक बड़ों की बात *है*, रीना," प्रिया ने कहा, उसकी आवाज़ मज़बूत थी, क्योंकि उसने टिफिन कैरियर को कस्टम-मेड थर्मल बैग में रखना शुरू कर दिया था। "ये मेरा business है। मेरा फ्यूचर है। और ये अभी अच्छा दिख रहा है। इसलिए अगर तुम मदद नहीं कर सकती, तो रुकावट भी मत डालो।"

    रीना ने दुख जताने का नाटक किया। "ओह, इतनी sensitive! मैं तो बस थोड़ी सी सावधानी बरतने की सलाह दे रही थी। आखिरकार, अगर कुछ गलत हो गया तो? तुम्हारा बैकअप प्लान क्या है?"

    प्रिया रुकी, उसके हाथ में एक थर्मल बैग था। उसने रीना को देखा, उसकी आँखों में एक समझदार चमक थी। "मेरा बैकअप प्लान, रीना, हमेशा जुगाड़ होता है। ऐसी कोई प्रॉब्लम नहीं है जिसे थोड़ी समझदारी, बहुत ज़्यादा मेहनत, और थोड़ा अलग सोचने से ठीक नहीं किया जा सकता। और एक रबर बैंड, अगर ज़रूरी हो तो।" वो मुस्कुराई, एक सच्ची, आत्मविश्वास से भरी मुस्कान जो रीना की हमेशा आलोचना करने वाली नज़रों तक नहीं पहुँची। "अब, अगर तुम मुझे माफ़ करो, तो मुझे अस्सी भूखे मेहमानों को खाना खिलाना है।"

    उसने थर्मल बैग को लोड करना खत्म किया, उन्हें धन्नो की पैसेंजर सीट पर अच्छे से बैलेंस किया, उन्हें बंजी कॉर्ड से अच्छे से बांधा जो पुराने तो हो गए थे पर अभी भी मज़बूत थे। उसने एड्रेस के लिए अपना मोबाइल चेक किया, साउथ दिल्ली में एक बड़ा बैंक्वेट हॉल, लगभग एक घंटे की दूरी पर।

    "रेडी, धन्नो?" उसने स्कूटर की सीट को थपथपाया। धन्नो ने जवाब में हाँ में हाँ मिलाई जैसे प्रिया ने किक मारकर उसे स्टार्ट किया। तीसरी बार में इंजन स्टार्ट हो गया, एक जानी-पहचानी आवाज़ के साथ।

    शांति छोटे बरामदे में आई, उसका चेहरा अभी भी चिंता से भरा हुआ था। "ध्यान से चलाना, बेटा। पहुँच कर मुझे कॉल करना।"

    "मैं करूँगी, अम्मा। tension मत लो। सब ठीक हो जाएगा।" प्रिया ने अपनी माँ को जल्दी से गले लगाया।

    रोहन अपनी नाईट ड्रेस में ही बाहर दौड़ा। "ऑल द बेस्ट, दीदी! वो बड़ा किचन लेकर आना!"

    "मैं लाऊँगी, रोहन! बस तुम देखते रहो!" प्रिया ने वापस चिल्लाया, हंसते हुए।

    जैसे ही वो अपनी गली से निकली, उसके अंदर खुशी की लहर उठी। सुबह की हवा ठंडी थी, शहर अभी जाग रहा था, और संभावनाएँ अनंत लग रही थीं। ये उसका पल था। ये वो मौका था जिसके लिए उसने इतनी मेहनत की थी, अपने परिवार को उनकी तंग हालत से बाहर निकालने का मौका। कपूर का ऑर्डर सिर्फ एक कैटरिंग का काम नहीं था; ये एक सीढ़ी थी, एक बेहतर फ्यूचर का वादा।

    वो सुबह के ट्रैफिक में स्कूटर चला रही थी, धन्नो कारों और ऑटो-रिक्शा के बीच में से निकल रही थी, थर्मल बैग धीरे-धीरे लेकिन सुरक्षित रूप से उसके पीछे हिल रहे थे। उसका दिमाग तेज़ी से दौड़ रहा था, चिंताओं के साथ नहीं, बल्कि योजनाओं के साथ। उसने कल्पना की कि कपूर उसके खाने की तारीफ कर रहे हैं, उनकी सोसाइटी में बात फैल रही है, और बड़े ऑर्डर आ रहे हैं, शायद लोकल न्यूज़ पेपर में एक छोटा सा फीचर भी आ जाए। उसने अपनी माँ को आराम करते हुए, रोहन को एक अच्छे कॉलेज में जाते हुए, और शायद, प्रिया के पेट पूजा को कुछ बड़ा बनते हुए देखा।

    वो खुद पर मुस्कुराई। आज एक अच्छा दिन था। बहुत अच्छा दिन। सब कुछ परफेक्ट होने वाला था। उसने अपना हेलमेट ठीक किया, उसकी नज़रें आगे सड़क पर थीं। सूरज, एक सुनहरा गोला, धीरे-धीरे आसमान में चढ़ रहा था, शहर पर एक गर्म, उम्मीद भरी रौशनी डाल रहा था। प्रिया ने स्पीड बढ़ाई, उसका दिल सपनों से भरा हुआ था, वो अपनी लाइफ की सबसे बड़ी डिलीवरी की तरफ तेज़ी से जा रही थी। अब उसे कोई नहीं रोक सकता था। कोई नहीं।

  • 3. Jugaad Wala Ishq - Chapter 3

    Words: 3247

    Estimated Reading Time: 20 min

    **अध्याय 3**

    राठौड़ ग्लोबल बिल्डिंग, जो कांच और स्टील से बनी एक बड़ी इमारत थी, आसमान को छू रही थी। इसकी छत पर तेज़ हवा चलती थी, इसलिए इसे ज़्यादातर ज़रूरी मीटिंग्स या हेलीकॉप्टर उतारने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन आज, ये जगह ‘प्रोजेक्ट स्क्वॉक-ऑफ’ को शुरू करने के लिए तैयार थी - ये एक ऐसा ड्रोन था जो सुपर-सोनिक स्पीड से कबूतरों को डराता था।

    आरव राठौड़, जींस और ग्रीस लगी हुई टी-शर्ट में था - जो उसके पहले वाले बोर्डरूम के कपड़ों से बिल्कुल अलग था - और वो एक चमकदार रिमोट कंट्रोल से खेल रहा था। उसके पास ही, एक कस्टम-बिल्ट, फोल्ड हो सकने वाला लॉन्चपैड था, जिस पर ड्रोन रखा हुआ था। वो देखने में बिल्कुल एक स्टाइलिश पेरेग्राइन फाल्कन जैसा था, जिसके छोटे जेट इंजन में से मुश्किल से कंट्रोल हो सकने वाली आवाज़ आ रही थी। सूरज अब आसमान में ऊपर आ गया था, और उसकी चमक ड्रोन पर पड़ रही थी।

    “ठीक है, स्क्वॉक-ऑफ,” आरव धीरे से बोला, उसकी भौंहें ध्यान से चढ़ी हुई थीं। “बस यही है। अब और शराबी फ्लेमिंगो की तरह मत लड़खड़ाना। और मेरे सिर पर लैंड करने की कोशिश मत करना। ये सब कुछ सही करने के बारे में है। ये... एवियन डेटेरेंस के बारे में है।” उसने कुछ बटन दबाए, और रिमोट पर एक छोटी सी स्क्रीन चमकने लगी, जो ऊंचाई और हवा की गति दिखा रही थी।

    "लॉन्च सीक्वेंस के लिए रेडी। फाइव। फोर। थ्री। टू। वन। लिफ्ट ऑफ!" उसने कहा, और मेन लॉन्च बटन को दबा दिया।

    ड्रोन के इंजन स्टार्ट हो गए, जो इतने छोटे मशीन के लिए काफ़ी तेज़ आवाज़ थी। वो बहुत तेज़ी से ऊपर उठा, सीधे नीले आसमान की ओर। आरव मुस्कुराया, और उसे ऊपर जाते हुए देखने लगा। "यस! अब कौन है झाली, राजमाता? ये है इंजीनियरिंग, बेबी!"

    उसने रिमोट को घुमाया, और ड्रोन को गाइड किया। वो बहुत अच्छे से ऊपर गया, जैसे कोई असली शिकारी पक्षी हवा को चीर रहा हो। उसने उससे कुछ शानदार लूप करवाए, फिर एक तेज़ डुबकी लगवाई, जैसे कि वो कबूतरों के झुंड पर झपट्टा मार रहा हो। वो इतना खो गया था कि उसने रिमोट की स्क्रीन पर एक हल्की सी चमक देखी ही नहीं, जो एक वार्निंग साइन था जिससे वो डर रहा था।

    अचानक, ड्रोन बुरी तरह से लड़खड़ा गया। उसकी शानदार उड़ान एक झटकेदार, उलटी-सीधी चाल में बदल गई। उसके इंजनों की तेज़ आवाज़ एक निराशाजनक चीख़ में बदल गई। आरव की आँखें डर से फैल गईं। "व्हाट द--? नो, नो, नो! कम ऑन, स्क्वॉक-ऑफ! सीधे रहो!" उसने तेज़ी से बटन दबाए, कंट्रोल स्टिक को घुमाया, लेकिन ड्रोन अपने ही मन का मालिक था।

    वो नीचे की ओर घूमने लगा, और उसकी स्पीड बहुत ज़्यादा बढ़ गई, वो अब शानदार फाल्कन की तरह नहीं, बल्कि एक बहुत महंगे, गुस्से वाले मेटल उल्कापिंड की तरह लग रहा था। वो ऑफिस की खिड़कियों के सामने से गुज़रा, जिससे लोगों के चेहरे पर हैरानी छा गई, और नीचे की हलचल भरी सड़क की ओर तेज़ी से गिरने लगा। आरव छत के किनारे की ओर दौड़ा, और सुरक्षा के लिए बनी दीवार पर झुक गया, उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। "नो! नॉट अगेन! सड़क पर नहीं गिरना!"

    ***

    नीचे सड़क पर, प्रिया शर्मा सुबह के रश आवर में आराम से जा रही थी। उसकी स्कूटी, 'धान्नो' आराम से चल रही थी। कपूर परिवार की सगाई की दावत से भरे डिब्बे उसके पीछे बंधे हुए थे, जिनमें से *दाल मखानी* और *पनीर पसंदा* की खुशबू आ रही थी। वो बिल्कुल टाइम पर थी, और बैंक्वेट हॉल बस कुछ ही दूरी पर था। उसके फोन पर शांति का मैसेज आया, जिसमें पूछा गया था कि वो पहुँच गई है या नहीं। प्रिया मुस्कुराई, और जल्दी से रिप्लाई किया: *बस पहुँचने वाली हूँ, अम्मा। सब कुछ ठीक है!*

    वो अभी एक बिज़ी चौराहे के पास पहुँच रही थी, और लेफ्ट टर्न लेने की सोच रही थी, तभी उसने वो आवाज़ सुनी। एक तेज़, मेटैलिक चीख़, जो तेज़ होती जा रही थी, और पास आती जा रही थी। ये एक विशाल मच्छर की तरह लग रहा था, या शायद एक छोटा, गुस्से वाला हवाई जहाज़। उसने ऊपर देखा, और उसकी आँखें आसमान को देखने लगीं, तभी उसने एक सिल्वर रंग की चीज़ को सीधे उसकी ओर गिरते हुए देखा।

    "व्हाट द--!" वो चिल्लाई, और तुरंत धान्नो को लेफ्ट की ओर मोड़ दिया, ताकि उससे बचा जा सके।

    लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

    वो ‘सुपर-सोनिक पिजन-स्केरिंग ड्रोन’ धान्नो से एक मिसाइल की तरह टकराया। धातु के टकराने की भयानक आवाज़ आई, चिंगारियाँ निकलीं, और फिर खाने का धमाका हुआ। डिब्बे टक्कर से फट गए। *दाल मखानी* एक सुनहरे-भूरे रंग के फव्वारे की तरह फूट पड़ी, और सड़क पर बिखर गई, हर गाड़ी और राहगीर पर गिरने लगी। *पनीर पसंदा* ने लग्जरी कारों की विंडशील्ड को करी से भर दिया। *नान* सफेद फ्रिसबी की तरह उड़ने लगे। और *गुलाब जामुन*… वो उछल पड़े, और हर चीज़ पर मीठे भूरे रंग के दाग लग गए।

    प्रिया, अभी भी धान्नो के हैंडल से चिपकी हुई, किसी तरह गिरने से बच गई, हालाँकि उसकी स्कूटी ऐसी लग रही थी जैसे उस पर किसी ने फ़ूड फ़ाइट की हो। वो पूरी तरह से भीग गई थी। *दाल* उसके बालों से टपक रही थी, उसके चेहरे पर बह रही थी, और उसके कपड़ों को भिगो रही थी। एक *गुलाब जामुन* उसके माथे पर चिपक गया था, जो धीरे-धीरे उसकी नाक पर फिसल रहा था। धान्नो खाँस रही थी, और उसके मुड़े हुए पहिये से भाप निकल रही थी, जो *दाल* में आधा डूबा हुआ था।

    उसके चारों ओर सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया था। कारों के हॉर्न बजने लगे, ड्राइवर गुस्से में चिल्ला रहे थे, और राहगीर चीख रहे थे, और अपने कपड़ों से चिपचिपे खाने को साफ़ करने की कोशिश कर रहे थे। कुछ बहादुर लोगों ने ज़मीन से एक-दो *गुलाब जामुन* बचाने की कोशिश की।

    प्रिया धीरे-धीरे धान्नो से उतरी, उसका शरीर काँप रहा था, डर से नहीं, बल्कि गुस्से से। ये सिर्फ़ एक बर्बाद डिलीवरी नहीं थी। ये कपूर का ऑर्डर था। ये उसका बड़ा मौका था। ये नया किचन था। ये उसके परिवार के लिए उम्मीद थी। ये सब, अब दिल्ली की एक बिज़ी सड़क पर एक चिपचिपा, बदबूदार कचरा बन गया था।

    उसने ऊपर देखा, और उसे उस मेटल चीज़ का रास्ता पता चला जिसने उसकी ज़िंदगी बर्बाद कर दी थी। उसकी आँखें छोटी हो गईं, और उसने उस आदमी को देखा जो उसकी ओर सड़क पर दौड़ रहा था, एक लंबा, अच्छे कपड़े पहने हुए आदमी, जो उस अराजकता में बिल्कुल अजीब लग रहा था।

    आरव, जिसका चेहरा डर और अपराधबोध से पीला पड़ गया था, छत से नीचे, इमरजेंसी सीढ़ी से भागा, और नुकसान देखने के लिए बेताब था। उसने उसके सामने का नज़ारा देखा और वहीं रुक गया, उसका मुँह खुला का खुला रह गया। धान्नो, एक टिन के डिब्बे की तरह मुड़ी हुई, *दाल* के समुद्र में डूबी हुई थी। साफ़-सुथरी सड़क, अब एक पाक आपदा क्षेत्र बनी हुई थी। और उसके बीच में, एक औरत, सिर से पैर तक पीले-नारंगी करी में ढकी हुई, उसकी आँखें ऐसी चमक रही थीं कि वो ज़मीन में छिप जाना चाहता था।

    "ओह… ओह माय गॉड," वो हकलाया, और *दाल* में कदम रख दिया। "मैं… मुझे बहुत अफ़सोस है। क्या तुम… ठीक हो?" उसने उसके माथे पर लगे *गुलाब जामुन* की ओर देखा। "तुम्हारे चेहरे पर… एक *गुलाब जामुन* है।"

    प्रिया के नथुने फड़क उठे। उसने एक कांपती हुई उंगली से अपने माथे से चिपचिपी मिठाई को पोंछा, फिर ड्रोन के बचे हुए टुकड़े को देखा, जो धान्नो के पहिये के पास पड़ा हुआ था। फिर उसकी निगाहें आरव पर वापस आ गईं। वो पूरी तरह से घबराया हुआ लग रहा था, उसके बाल बिखरे हुए थे, और उसके गाल पर ग्रीस का एक धब्बा था। उसकी महंगी शर्ट बाहर निकली हुई थी, और उसकी जींस पुरानी लग रही थी। उसने सूट नहीं पहना था। वो… एक मैकेनिक की तरह दिख रहा था। एक लापरवाह, बिल्कुल नालायक मैकेनिक।

    "ठीक हूँ? क्या मैं ठीक हूँ?!" प्रिया की आवाज़ धीरे से शुरू हुई, एक खतरनाक गड़गड़ाहट, फिर जल्दी ही दहाड़ में बदल गई। उसने ड्रोन की ओर एक कांपती हुई उंगली से इशारा किया। "ये क्या है?! कोई एलियन अटैक?" फिर उसने धान्नो की ओर इशारा किया। "मेरा स्कूटर! मेरी धान्नो! वो… वो मर गई! उसे देखो! दाल में डूबी हुई! और मेरा खाना! मेरे अस्सी टिफिन! मेरी पूरे दिन की मेहनत! बर्बाद! ख़त्म!"

    आरव डर गया, और एक कदम पीछे हट गया। "मैं… ये एक ड्रोन है। मेरा ड्रोन। ये बस… ख़राब हो गया। मैं इसे टेस्ट कर रहा था। मुझे बहुत अफ़सोस है। मैं हर चीज़ के लिए पे करूँगा। हर एक चीज़ के लिए। मैं वादा करता हूँ।"

    प्रिया ने तिरस्कार से कहा। "एक ड्रोन? तुम एक ड्रोन ‘टेस्ट’ कर रहे थे? तुम, एक मैकेनिक, ड्रोन ‘टेस्ट’ कर रहे हो? तुम कौन सी वर्कशॉप चला रहे हो, मिस्टर? क्या तुम्हारे पास लाइसेंस भी है? क्या तुम्हें पता है कि इसका क्या मतलब है?! ये सिर्फ़ खाना नहीं था! ये कपूर का ऑर्डर था! मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा कांट्रैक्ट! मेरी माँ के लिए एक अच्छा किचन बनाने का मौका! मेरे परिवार का भविष्य! सब कुछ चला गया! क्योंकि तुम अपने छोटे… खिलौने को ‘टेस्ट’ कर रहे थे!"

    उसने दाल से सने सड़क पर इशारा किया। “अपने चारों ओर देखो! तुमने दिल्ली की एक सड़क को एक विशाल, बेकार *थाली* बना दिया है! लोगों पर करी लगी हुई है! कारों पर *पनीर* लगा हुआ है! और मेरा स्कूटर… मेरी धान्नो… वो अब जंग का शिकार हो गई है!” उसकी आवाज़ में निराशा थी, और फिर वो गुस्से में बदल गई।

    आरव हकलाया, और समझाने की कोशिश करने लगा। "मैं… मैं समझा सकता हूँ। ये एक प्रोटोटाइप है। ये आमतौर पर बहुत सही होता है। ऐसा कभी नहीं होता।"

    "कभी नहीं होता? मेरी हालत देखो! इस सड़क की हालत देखो! ऐसा लगता है कि तुम्हारे प्रोटोटाइप से हर रोज़ कुछ न कुछ होता ही रहता है! तुम शायद चीज़ें तोड़ने के लिए ही जीते हो, है ना? तुम शायद एक बेरोज़गार इंसान हो जो सारा दिन बेकार की मशीनें बनाता रहता है और उन्हें लोगों पर गिराता रहता है!" प्रिया चिल्लाई, उसकी आवाज़ कर्कश हो गई थी। "तुम गैर-जिम्मेदार, अनाड़ी, बेकार… मैकेनिक!"

    आरव ‘बेरोज़गार मैकेनिक’ के लेबल पर डर गया, लेकिन उसने उसे सुधारा नहीं। वो कैसे कर सकता था? वो इस गुस्से वाली, दाल से भीगी हुई औरत को कैसे बता सकता था कि वो उसी बिल्डिंग का मालिक है जहाँ से उसका ड्रोन अभी-अभी गिरा था? इससे वो और भी हास्यास्पद, और भी घमंडी लगेगा। वो बस वहीं खड़ा रहा, कंधे झुके हुए, एक दोषी लड़के की तरह। वो ड्रोन ग्रीस और दाल के मिश्रण से सना हुआ था, और उसे बहुत बुरा लग रहा था।

    प्रिया ने एक गहरी साँस ली, और अपने अंदर के गुस्से को शांत करने की कोशिश की। उसने फिर से धान्नो की ओर देखा, फिर बिखरे हुए खाने की ओर, फिर वापस उसके सामने खड़े आदमी की ओर। उसके महंगे कपड़े इस बात की पुष्टि कर रहे थे कि वो सिर्फ़ एक आम इंसान था, शायद एक गरीब इन्वेंटर या मैकेनिक, जिसने गलती से ये सब कर दिया था। उसका गुस्सा, अब दुख और दया के साथ मिक्स होने लगा था। वो सच में भयानक लग रहा था, जैसे कोई पिल्ला दाल से भरे अचार में फँस गया हो।

    "तो?" उसने पूछा, और अपने हाथों को कमर पर रख लिया, उसकी आवाज़ अभी भी तेज़ थी लेकिन थकाऊ निराशा से भरी हुई थी। "तुम इसके बारे में क्या करने वाले हो, मिस्टर लापरवाह मैकेनिक? क्या तुम बस वहीं खड़े रहोगे और *दाल* का एडवरटाइजमेंट करोगे?!"

    आरव ने अपना गला साफ़ किया, और अपने हाथों को एक साथ रगड़ने लगा। वो जानता था कि उसे इसे ठीक करना होगा। लेकिन कैसे? वो उसे लाखों का चेक नहीं दे सकता था। इससे उसकी सच्चाई सामने आ जाएगी। उसे इसे ठीक से करना होगा। उसे इसे सही करना होगा। और उसे इसे इस तरह से करने की ज़रूरत थी जो उस इमेज के लिए सही हो जो उसने उसके लिए बनाई थी। उसने एक गहरी सांस ली। एक आइडिया, उसके दिमाग में आने लगा।

  • 4. Jugaad Wala Ishq - Chapter 4

    Words: 2264

    Estimated Reading Time: 14 min

    ## Chapter 4

    आरव राठौर, जिसके ऊपर अभी भी ड्रोन का ग्रीस और दाल लगी हुई थी, ज़ोर से सांस ले रहा था। प्रिया गुस्से में लाल आँखें करके उसे घूर रही थी, जवाब मांग रही थी, कोई हल मांग रही थी। वो ऐसे ही अपना क्रेडिट कार्ड निकालकर नुकसान नहीं भर सकता था। उससे सब सच सामने आ जाता, और वैसे भी, ये उसके लिए सिर्फ पैसे की बात नहीं थी; ये उसकी रोजी-रोटी, उसके सपनों की बात थी। उसे जल्दी से सोचना होगा, ऐसे सोचना होगा जैसे… जैसे 'अवि', वो गरीब, अनाड़ी इन्वेंटर जिसे वो समझती है।

    "देखो," उसने अपने पहले से ही बिखरे बालों में हाथ फेरते हुए कहा, जिससे वो और भी खराब हो गए। "तुम सही कह रही हो। ये सब मेरी गलती है। पूरी तरह से। 100 percent. मेरा ड्रोन… मेरा बेवकूफ, खराब ड्रोन… उसने तुम्हारे लिए सब कुछ बर्बाद कर दिया।" उसने दाल से सनी सड़क की तरफ इशारा किया, फिर घायल 'धान्नो' की तरफ। "और तुम्हारा… तुम्हारी धान्नो। मैंने देखा कि तुम उसे कैसे देखती हो। वो तुम्हारे लिए बहुत important है, है ना?"

    प्रिया हंस पड़ी, उसकी आँखों में फिर से आंसू आ गए। "Important है? ये मेरा पूरा बिजनेस है! मेरी जिंदगी! और अब ये कबाड़ और… दाल पकौड़ा है।" उसने अपने पैर के पास पड़े एक *गुलाब जामुन* को हलके से लात मारी। "तो, 'सॉरी' से ये ठीक नहीं होगा, मिस्टर। तुम क्या करने वाले हो?"

    आरव ने गहरी सांस ली। यही था वो पल, वो बिना सोचे समझा plan. "मैं… मैं तुम्हें एक साथ सारे पैसे नहीं दे सकता," वो सच में माफ़ी मांगते हुए और थोड़ा गरीब दिखने की कोशिश करते हुए बोला। "मैं… मैं बस एक इन्वेंटर हूं। एक… एक struggling इन्वेंटर, समझी? मेरी workshop… वो कोई बड़ी corporate office नहीं है।" उसे पता था कि ये बहुत बड़ी बात है। "लेकिन मैं इसे ठीक कर सकता हूं। मैं promise करता हूं। मैं तुम्हारा स्कूटर ठीक कर दूंगा। और मैं सारे खाने का नुकसान भर दूंगा। और मैं… मैं ये भी पक्का करूँगा कि तुम अपना खोया हुआ सब कुछ कमा लो। और उससे ज़्यादा भी।"

    प्रिया ने अपनी आँखें सिकोड़ीं। "कैसे? क्या तुम पैसे छापने की machine बनाने वाले हो? क्योंकि सच कहूं तो, तुम्हारी पिछली invention ने तो बस एक बड़ी food fight करवा दी।"

    "नहीं, नहीं! ऐसा नहीं है।" आरव का दिमाग तेज़ी से चलने लगा। उसे एक job title चाहिए था, कुछ ऐसा जो वो सच में कर सके, कुछ ऐसा जिससे वो उसे छुपकर help कर सके, लेकिन इतना भी करीब नहीं कि उसे उसका secret पता चल जाए। "देखो, मेरी workshop… वो एक disaster zone है। Seriously. मेरे ideas तो शानदार हैं, लेकिन मेरी… मेरी organisation skills? वो… वो हैं ही नहीं। चीजें हर जगह बिखरी हुई हैं। Tools, blueprints, आधे-अधूरे projects. सब कुछ बिखरा हुआ है।"

    वो रुका, उसे देखते हुए, दाल की परत के नीचे भी उसका practical, no-nonsense अंदाज़ दिख रहा था। वो ऐसी लग रही थी जो बिखरी हुई चीजों को भी सही कर सकती है। "मुझे किसी ऐसे की ज़रूरत है जो… जो सब कुछ सही कर दे। मेरी जगह को organise करे। मेरे… मेरे projects को manage करे। चीजों का हिसाब रखने में मेरी help करे। तुम जानती हो कि business कैसे manage करते हैं, भले ही वो टिफिन का ही क्यों न हो। तुम organised हो। तुम… efficient हो। तुम *जुगाड़* की master हो।" उसने उसके टिफिन ले जाने के तरीके में, उसकी स्कूटर की कहानियों में उसकी resourceful भावना देखी थी।

    प्रिया उसे घूर रही थी, हैरान थी। "तुम चाहते हो कि मैं… तुम्हारा जंक organise करूँ?"

    "वो जंक नहीं है! वो inventions हैं!" आरव ने विरोध किया, फिर जल्दी से अपनी tone नरम की। "हाँ। बिल्कुल। मेरी inventions. मैं इसे… organisational manager कहता हूँ। और मैं तुम्हें pay करूँगा। अच्छी salary. तुम्हारे सारे नुकसान को cover करने के लिए काफी है, और उससे ज़्यादा भी। इसे… हरजाना समझो। जब तक तुम अपनी टिफिन service के साथ वापस अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो जाती। क्या कहती हो? एक temporary arrangement? बस तब तक जब तक मैं… मैं अपनी अगली successful invention से तुम्हें ढंग से pay करने के लिए काफी पैसे नहीं कमा लेता।" उसने 'struggling' वाला part ज़ोर देकर कहा।

    प्रिया ने उस बेचारे, दाल से सने हुए आदमी से अपने बर्बाद हुए स्कूटर को देखा, फिर वापस उस आदमी को देखा। निराशा उसे अंदर तक खा रही थी। कपूर का order चला गया था। उसके पास आने वाले समय में कोई income नहीं थी। उसकी माँ tension में आ जाएगी। ये आदमी, अपनी अनाड़ीपन के बावजूद, सच में पछता रहा था। और ये offer, जितना अजीब था, एक lifeline की तरह लग रहा था। उसे इस अनाड़ी बेवकूफ के लिए काम करने का idea पसंद नहीं था, लेकिन उसके पास और क्या option था? उसे पैसे चाहिए थे, और वो भी जल्दी।

    "एक organisational manager, हम्म?" उसने धीरे से दोहराया, शब्दों को परखा। "और तुम धान्नो को ठीक करोगे? ढंग से? और… drone parts से नहीं?"

    "ढंग से! मैं कसम खाता हूँ! मैं mechanic के काम में बहुत अच्छा हूँ जब तक मैं… तुम जानती हो… traffic में चीजें नहीं launch कर रहा होता।" उसने एक nervous smile देने की कोशिश की, जो ज़्यादातर एक भयानक हंसी की तरह निकली।

    "और तुम मुझे अच्छी salary दोगे?"

    "सबसे अच्छी! एक struggling इन्वेंटर के लिए, मैं बहुत अच्छा pay करता हूँ! मेरा मतलब है, मैं बहुत अच्छा pay करूँगा, जब मेरी अगली बड़ी सफलता मिलेगी।" वो खुद को 'गरीब' वाली कहानी में और गहरा दबा रहा था, लेकिन ऐसा लग रहा था कि ये काम कर रहा है।

    प्रिया ने आह भरी, अपने दाल से चिपचिपे हाथ को अपने चेहरे पर फेरा। उसे उसकी ईमानदारी के लिए थोड़ी admiration महसूस हुई, भले ही वो कितना भी नाकाबिल क्यों न हो। "ठीक है," उसने कहा, उसकी आवाज़ अभी भी सतर्क थी। "ठीक है। मैं आऊंगी और तुम्हारी… तुम्हारी workshop देखूंगी। लेकिन अगर वो टूटे हुए टोस्टरों और सपनों से भरी एक झोपड़ी हुई, तो मैं चली जाऊंगी। और मैं तुम्हें धान्नो का bill फिर भी भेजूंगी, भले ही मुझे खुद को तुम्हारे main gate से क्यों न बांधना पड़े।"

    आरव की आँखें चमक उठीं। "हाँ! बहुत बढ़िया! Thank you! तुम्हें पछतावा नहीं होगा! ये… ये एक झोपड़ी नहीं है। ये एक प्रॉपर workshop है। बहुत बड़ी। बहुत जगह है। बस… थोड़ी सी… managing की ज़रूरत है।" उसने चारों ओर देखा, अचानक उसे याद आया कि वो दाल से सनी सड़क के बीच में खड़े हैं। "पहले, चलो तुम्हें साफ करते हैं। और तुम्हारे स्कूटर को भी। मैं अभी धान्नो के लिए एक tow truck को call करता हूँ। और… और मैं तुम्हें एक टैक्सी दिलाता हूँ। मेरा घर ज़्यादा दूर नहीं है। ये… ये सड़क के ठीक नीचे वाला बड़ा मेंशन है। मैं वहाँ गैराज में काम करता हूँ।" उसने राठौर मेंशन की ओर इशारा किया, जो उसका असली घर था। उसे उम्मीद थी कि उसे कोई ये सवाल नहीं करेगा कि एक 'struggling इन्वेंटर' मेंशन के गैराज में क्यों काम करेगा।

    प्रिया की भौहें ऊपर उठ गईं। एक मेंशन का गैराज? क्या वो वहाँ employee था? इससे उसके महंगे, हालाँकि अब ग्रीसी, कपड़ों का पता चलता है। शायद एक थोड़ा ज़्यादा respectable 'jobless mechanic'. फिर भी, कुछ गड़बड़ लग रहा था, लेकिन वो बहुत थकी हुई थी, बहुत हारी हुई थी, और दाल से इतनी सनी हुई थी कि अभी आगे सवाल नहीं कर सकती थी। उसे बस एक shower और एक plan चाहिए था।

    "ठीक है," वो बुदबुदाई, उसकी आवाज़ में पहले वाली आग नहीं थी, उसकी जगह थकी हुई हार थी। "रास्ता दिखाओ, मिस्टर इन्वेंटर। बस… कोशिश करना कि रास्ते में तुम मेरे ऊपर और कुछ न गिराओ।"

    आरव ने एक असली, थोड़ी घबराई हुई, smile दी। "तुम मुझे अवि कह सकती हो," उसने दाल से मुक्त हाथ बढ़ाते हुए कहा, जिसे उसने जानबूझकर अनदेखा कर दिया। "ये… छोटा है। आसान है।"

    "अवि," प्रिया ने दोहराया, नाम उसकी जुबान पर अजीब लग रहा था, उसके हाल के दुर्भाग्य के वजन से भारी। उसने उसे बेताबी से किसी को call करते हुए देखा, शायद एक tow truck को, फिर उसने एक गुजरती हुई टैक्सी को हाथ दिया। वो उसमें बैठ गई, rearview mirror से उसे देख रही थी जब वो tow truck driver को धान्नो की ओर direct कर रहा था। वो एक ऐसे आदमी की तरह दिख रहा था जो अपनी अनाड़ीपन के नतीजों से बहुत परेशान है, एक अच्छा करने वाला लेकिन पूरी तरह से बेतरतीब इंसान। वो बिल्कुल वैसा ही लग रहा था जैसा उसने एक 'struggling इन्वेंटर जो मेंशन के गैराज में काम करता है' से उम्मीद की थी।

    टैक्सी चल पड़ी, दाल से सनी सड़क को पीछे छोड़ते हुए। प्रिया पीछे झुक गई, अपनी आँखें बंद कर लीं। उसकी जिंदगी को अभी-अभी एक आवारा drone और अवि नाम के एक अनाड़ी इन्वेंटर ने उलट-पुलट कर दिया था। उसे कोई idea नहीं था कि वो खुद को किस मुसीबत में डाल रही है, या किस तरह की 'workshop' उसका इंतजार कर रही है। लेकिन वो एक बात जानती थी: उसे ये काम करना होगा। उसे इस गड़बड़ को ठीक करने के लिए अपना *जुगाड़* इस्तेमाल करना होगा, भले ही ये गड़बड़ अब सनकी 'अवि' और उसकी बेतुकी inventions ही क्यों न हों।

  • 5. Jugaad Wala Ishq - Chapter 5

    Words: 3850

    Estimated Reading Time: 24 min

    टैक्सी राठौर मेंशन के बड़े से गेट पर रुकी। प्रिया ने ऊपर देखकर बिल्डिंग को देखा - एकदम चमचमाते पत्थर और सलीके से बने गार्डन, जो कई एकड़ में फैले थे। ये सिर्फ़ एक मेंशन नहीं था; ये तो पैसे का गढ़ था। उसके पेट में टेंशन और बढ़ गई। "स्ट्रगलिंग इन्वेंटर" जैसा आदमी यहाँ *क्यों* काम कर रहा होगा?

    आरव, ढाबों के लिए टो ट्रक के साथ गेट पर खड़ा था। वो पहले से थोड़ा कम दाल से सना हुआ था, पर फिर भी थोड़ा अस्त-व्यस्त लग रहा था। उसने टैक्सी ड्राइवर को अच्छे पैसे दिए - एक आम कर्मचारी के हिसाब से बहुत ज़्यादा, प्रिया ने सोचा - और फिर थोड़ी नर्वस मुस्कान के साथ उसकी तरफ़ मुड़ा।

    "वेलकम," उसने मेन बिल्डिंग की तरफ़ जाने वाले साइड रास्ते की ओर इशारा करते हुए कहा। "इस तरफ़। वर्कशॉप... पीछे की तरफ़ है।"

    प्रिया उसके पीछे चल दी, उसकी नज़रें अभी भी सजे हुए मैदानों पर घूम रही थीं। यहाँ की हवा अलग लग रही थी - महंगी, शांत, उस भीड़-भाड़ वाली सड़क से एकदम दूर, जहाँ उसकी लाइफ़ अभी-अभी पलटी थी। वे एक बड़ी सी अलग बिल्डिंग पर पहुँचे, जो एक बहुत बड़े, मॉडर्न गैराज जैसी लग रही थी। दरवाज़े गहरे रंग की लकड़ी और स्टील से बने थे, जो अंदर छिपी दुनिया का इशारा दे रहे थे।

    आरव फिंगरप्रिंट स्कैनर और कीपैड से थोड़ा परेशान हुआ, अपने आप में कुछ बड़बड़ाता रहा। "हाँ, बस एक सेकंड। कभी-कभी ये थोड़ा... नखरे दिखाता है। बायोमेट्रिक लॉक है। सिक्योरिटी, यू नो।" आख़िरकार उसने इसे खोल दिया, और भारी दरवाज़े धीरे से अंदर की तरफ़ खुल गए।

    प्रिया अंदर गई और एकदम से रुक गई। उसका मुँह खुला का खुला रह गया।

    ये गैराज नहीं था। ये शेड नहीं था। ये एक बहुत बड़ी जगह थी, उसके पूरे परिवार के घर से कम से कम तीन गुना बड़ी, जो कई मंज़िला मेजेनाइन जैसी जगह तक फैली हुई थी। हर जगह, हर कोना, चीज़ों से भरा हुआ था... *चीज़ों* से।

    वहाँ वर्कबेंच थे जो सर्किट बोर्ड, तारों और हर तरह के औज़ारों से दबे हुए थे। आधे बने हुए उपकरण छत से लटके हुए थे, कुछ धातु से बने मकड़ी के जाले जैसे दिखते थे, कुछ भविष्य की वाशिंग मशीन जैसे। शेल्फ़ कॉम्पोनेंट्स से भरे हुए थे, करीने से लेबल लगे बक्से रोबोट के पुर्ज़ों के ढेर के बगल में रखे थे। ओज़ोन और सोल्डरिंग की हल्की गंध हवा में तैर रही थी, कुछ और के साथ मिली हुई, कुछ धातुई और साफ़।

    सेंटर में, एक चमकदार, फ़्यूचरिस्टिक 3डी प्रिंटर धीरे-धीरे घूम रहा था, एक प्लास्टिक का पार्ट बना रहा था। एक दीवार पर, विशाल प्लान दिखाए जा रहे थे, जो मुश्किल इक्वेशन्स और अजीब डूडल से भरे हुए थे। एक रोबोटिक हाथ छोटे-छोटे स्क्रू को अलग-अलग डिब्बों में छाँट रहा था, और दूसरे कोने में, कई स्क्रीन वाला एक उपकरण कोड दिखा रहा था।

    ये काफ़ी बिखरा हुआ था, हाँ, लेकिन ये *ऑर्गनाइज़्ड* बिखराव था। या ये कहें कि ये ऑर्गनाइज़ेशन की झलक वाला बिखराव था जो जल्दी ही और ज़्यादा बिखराव में बदल गया। ये एक टैलेंटेड दिमाग का अड्डा था जिसे पता नहीं था कि अपने आइडियाज़ को कैसे मैनेज किया जाए।

    प्रिया धीरे-धीरे अंदर गई, उसका सदमा झुंझलाहट और थोड़ा-सा रिस्पेक्ट में बदल गया। "आप इसे 'वर्कशॉप' कहते हैं?" आखिरकार उसने कहा, उसकी आवाज़ उस बड़ी जगह में थोड़ी गूंज रही थी। "ये तो एक... एक पागल साइंटिस्ट का प्लेग्राउंड है!"

    आरव थोड़ा घबरा गया। "वैसे, मुझे 'इन्नोवेटर' कहना ज़्यादा पसंद है। लेकिन हाँ, ये थोड़ा... मेसी हो जाता है। वहीं तुम आती हो! द ऑर्गनाइजेशनल मैनेजर!" उसने अपनी जगह पर गर्व करते हुए कहा, भले ही वो बिखरी हुई थी।

    प्रिया ने एक वर्कबेंच से एक अजीब दिखने वाला उपकरण उठाया - ये हेयर ड्रायर और रे गन के बीच का कुछ लग रहा था। "और ये एक्चुअली *क्या* है?"

    "ओह, वो 'इंस्टेंट टोस्ट एंड जैम डिस्पेंसर' प्रोटोटाइप है। अभी 'जैम डिस्पेंसिंग' वाले पार्ट पर काम चल रहा है। ये, यू नो, बस हर जगह जैम स्प्रे करता है।"

    प्रिया ने उसे सावधानी से नीचे रख दिया। "ओके। ऑफ कोर्स।" वो उस सेक्शन में गई जहाँ ब्लूप्रिंट एक टेबल पर बिखरे हुए थे, कुछ आधे मुड़े हुए, कुछ कुचले हुए। "तो, व्यवस्थित करने का तुम्हारा आइडिया है... चीज़ों को फूटने देना और खाना स्प्रे करना?"

    आरव नर्वस होकर हँसा। "नहीं, वो *मैं* करता हूँ। *तुम* यहाँ इसी को ठीक करने के लिए हो। समझे? व्यवस्थित करने का कोई सिस्टम नहीं है।" उसने अव्यवस्था की ओर इशारा किया। "मुझे लेबल चाहिए। मुझे फ़ाइलिंग चाहिए। मुझे... ऑर्डर चाहिए। देखो, ये वायर्स! क्या ये कॉपर हैं? क्या ये फाइबर ऑप्टिक हैं? क्या ये 'सेल्फ़-स्टरिंग कॉफ़ी मग' का पार्ट हैं या 'ऑटोमैटिक सॉक सॉर्टर' का?"

    प्रिया की नज़र कमरे पर घूमी, उसके दिमाग में एक प्लान बनने लगा। ये सिर्फ़ एक नौकरी नहीं थी; ये एक चैलेंज था। और उसे चैलेंज पसंद थे। उसने गहरी साँस ली, सोल्डर की हल्की गंध अब लगभग आरामदायक लग रही थी। "ऑलराइट, Avi। सबसे पहले, हमें इस मेन टेबल को साफ़ करने की ज़रूरत है। क्या ज़रूरी है, क्या जंक?"

    "कुछ भी जंक नहीं है! एवरीथिंग इज़ ए पोटेंशियल ब्रेकथ्रू!" आरव ने कहा, फिर जल्दी से बोला, "लेकिन हाँ, ये टेबल... ये एक प्रॉब्लम है। यूजुअली, जब मुझे जगह चाहिए होती है तो मैं बस चीज़ों को साइड में कर देता हूँ।"

    "'पुश थिंग्स टू द साइड'," प्रिया बड़बड़ाई, अपना सिर हिलाते हुए। उसने ब्लूप्रिंट का एक स्टैक उठाया। "इन्हें कैटेगरी में रखने की ज़रूरत है। प्रोजेक्ट से, डेट से, या... बेतुकेपन के लेवल से।" उसने उसे इशारा किया। "और ये टूल्स। सब मिक्स हैं। स्पैनर्स स्क्रूड्राइवर्स के साथ। रिंच... ये क्या है, एक छोटा सा लेजर पॉइंटर?"

    आरव चमक उठा। "ओह, वो मेरा 'इमरजेंसी पेट लेजर पॉइंटर' है। जब मेरा पेट रोबोट, स्पार्की, कहीं फँस जाता है तब काम आता है।"

    प्रिया ने अपनी नाक पर चुटकी काटी। "ओह अच्छा। एक पेट रोबोट। विथ ए लेजर पॉइंटर।" उसने सर्किट बोर्ड से भरी एक शेल्फ़ की ओर इशारा किया। "एंड दीज़? क्या ये वर्किंग हैं? क्या ये करंट प्रोजेक्ट्स के लिए हैं? या ये... डेड हैं?"

    "कुछ वर्किंग हैं, कुछ डेड हैं, कुछ... इंस्पिरेशन का वेट कर रहे हैं," आरव ने माना।

    प्रिया ने अपनी आस्तीनें ऊपर चढ़ाईं। "ओके। न्यू रूल नंबर वन, Avi: अगर ये डेड है, तो ये 'डिसीज्ड कम्पोनेंट्स' बिन में जाएगा। अगर ये इंस्पिरेशन का वेट कर रहा है, तो ये 'इंस्पिरेशन अवेटिंग' बिन में जाएगा। और अगर इस पर करंटली काम किया जा रहा है, तो ये एक खास वर्कबेंच पर रहेगा। गॉट इट?"

    आरव ने आँखें झपकाईं, वो इम्प्रेस था। "वाओ। दैट्स... लॉजिकल है। और एफिशिएंट। आई लाइक इट!"

    प्रिया ने उस पर ध्यान नहीं दिया, वो आगे बढ़ रही थी। उसने कोने से एक बड़ा, खाली प्लास्टिक का क्रेट उठाया। "ऑलराइट। लेट्स स्टार्ट विथ दिस टेबल। सब कुछ हटाओ, फिर हम सॉर्ट करेंगे। मुझे बताओ ये सब क्या है जब मैं इसे उठाऊँगी।"

    अगले एक घंटे तक, प्रिया फ़ोकस के साथ काम करती रही। वो पर्पस के साथ मूव कर रही थी, सॉर्टिंग, स्टैकिंग और क्वेश्चनिंग कर रही थी। आरव, पहले थोड़ा घूम रहा था, जल्दी ही उसके कमांड्स का जवाब देने लगा, वो उसकी एफिशिएंसी से हैरान था। उसके पास उसके मुश्किल एक्सप्लेनेशन को काटने का टैलेंट था, वो उसके केओटिक थॉट प्रोसेस को आसान स्टेप्स में बदल देती थी। वो उसे कैप्चर होकर देखता रहा, वो उसके दिमाग को स्ट्रक्चर दे रही थी। उसकी वर्कशॉप, उसकी सेन्चुरी, धीरे-धीरे समझ में आने लगी, न सिर्फ़ उसे, बल्कि एक आउटसाइडर को भी। ये... लाइटर फील हो रहा था। ज़्यादा काम का लग रहा था।

    वो एक वर्कबेंच के सहारे खड़ा हो गया, उसके चेहरे पर एक थॉटफुल स्माइल थी। वो रिमार्केबल थी। प्रैक्टिकल, शार्प, और उसके अजीब वर्ल्ड से बिल्कुल भी नहीं डरी हुई थी। उसे उसका भौंहों का कंसंट्रेशन में सिकुड़ना पसंद था, जिस तरह से वो सॉर्ट करते हुए अपने आप से बड़बड़ाती थी, और जिस तरह से वो चीज़ों को रखती थी। उसे वो तरीका पसंद आया जिस तरह से उसने पूरी तरह से चार्ज ले लिया था, उसे किसी रिच किड की तरह नहीं, बल्कि एक परेशान करने वाले, लेकिन हार्मलेस इन्वेंटर की तरह ट्रीट किया, जिसे हेल्प की ज़रूरत थी।

    इस बीच, प्रिया अपनी रिदम में आ रही थी। गैजेट्स की बहुत ज़्यादा गिनती से थोड़ी घबराहट हो रही थी, लेकिन वो बड़े टास्क को छोटे पीसेज में तोड़ने में माहिर थी। वो लगभग वायर्स के एक मुश्किल पाइल को टेकल करने ही वाली थी कि उसने एक छोटे, व्हील्ड डिवाइस को वर्कबेंच के नीचे दबा हुआ देखा। ये एक छोटे वैक्यूम क्लीनर की तरह दिख रहा था, लेकिन इसके कई आर्म्स थे और ऊपर एक नोजल था।

    "व्हाट्स दिस लिटिल गाय?" उसने इसकी ओर इशारा करते हुए पूछा।

    आरव अपने ख़यालों से चौंककर ऊपर देखा। "ओह! दैट्स... वो मेरा 'ऑटोमैटिक रूम क्लीनिंग बॉट' है। मॉडल आर-2-डी-2-गो। अभी ये टेस्टिंग में है। इसे डस्ट और गंदगी को डिटेक्ट करके... साफ़ करना है।"

    प्रिया ने भौंहें उठाईं। "सपोज्ड टू? हैज़ इट एवर वर्क्ड?"

    "समटाइम्स," आरव ने माना। "इसमें कुछ... क्वर्कस हैं। जैसे, ये कभी-कभी डस्ट को छोटे पेट्स समझ लेता है। या ये मेरे पैरों से शूज़ को 'क्लीन' करने की कोशिश करता है। बट इट्स मोस्टली हार्मलेस।"

    जैसे ही उसने 'मोस्टली हार्मलेस' कहा, उसकी कोहनी गलती से वर्कबेंच के साइड में एक बड़े, रेड बटन से टकरा गई। छोटे रोबोट से एक आवाज़ आई। उसकी भुजाएं फैल गईं, और ऊपर का नोजल घूमने लगा।

    "उह ओह," आरव बड़बड़ाया, उसकी आँखें फैल गईं।

    इससे पहले कि प्रिया रिएक्ट कर पाती, 'ऑटोमैटिक रूम क्लीनिंग बॉट' पर लगा नोजल स्प्रे करना शुरू कर दिया। डस्ट नहीं। यहाँ तक कि वॉटर मिस्ट भी नहीं। यह पानी की एक तेज़ धार थी, जैसे एक छोटा फायर होज, जो सीधे प्रिया के चेहरे पर लक्षित थी।

    "आह!" प्रिया चीखी, और उसने जल्दी से अपने हाथ ऊपर उठा लिए। ठंडा पानी उस पर पूरी तरह से लगा, उसके बालों और चेहरे को भिगो दिया। उसके कपड़े, जो पहले दाल वाली घटना से क्लीन हो रहे थे, अब सोकिंग वेट थे।

    आरव घबरा गया। "ओह माय गॉड! आई एम सो सॉरी! आई डिड नॉट मीन टू! ये वाटर-जेट क्लीनिंग मोड है! ये कभी-कभी रैंडमली एक्टिवेट हो जाता है! मैंने अभी तक इसे ठीक नहीं किया है!" वो एक टॉवल ढूँढ़ने लगा, लेकिन उसने ब्लूप्रिंट के स्टैक को गिरा दिया।

    प्रिया ने पानी को अपनी आँखों से पोंछते हुए कहा। उसने आरव की ओर देखा, जो अब बहुत परेशान था, उसका चेहरा पीला था, और उसके हाथ बेतरतीब ढंग से हिल रहे थे। उसने इरिटेशन महसूस की, फिर थोड़ा मज़ा भी आया। ये आदमी सही में चलता-फिरता डिजास्टर ज़ोन था।

    उसने एक पॉलिश्ड मेटल सरफेस में अपनी गीली हालत देखी, एक पानी की बूंद उसकी नाक से लटकी हुई थी। वो अजीब लग रही थी। और फिर उसने आरव की ओर देखा, जो और भी अजीब लग रहा था, माफ़ी माँगने की कोशिश करते हुए अपने ही पैरों पर ट्रिप कर रहा था।

    सडनली, उसे हंसी आ गई। ये शुरू में एक छोटी सी आवाज़ थी, फिर ये बढ़ी, उसके चेस्ट से बबलिंग करते हुए, फुल-ब्लोन लाफ्टर में बदल गई। उसने अपना सिर पीछे की ओर फेंका और हंसी, वो आवाज़ वर्कशॉप में गूंज रही थी। ये एक जेन्युइन हंसी थी, जो उसने आज, शायद पूरे वीक में पहली बार हंसी थी। सिचुएशन की एब्सर्डनेस, बुरी घटनाओं की लगातार कड़ी, जो एक क्लीनिंग बॉट से भीगने पर ख़त्म हुई, वो बहुत ज़्यादा था।

    आरव, पहले उसकी हंसी से कंफ्यूज हो गया, फिर उसने उसकी आँखों में मज़ा देखा। उसने खुद को नीचे देखा, फिर रोबोट को, फिर वापस प्रिया को, जो अब झुककर हँस रही थी। और स्लोली, उसके होंठों पर एक स्माइल आ गई। ये एक रियल स्माइल थी, वो नर्वस हंसी नहीं जो वो यूजुअली पहनता था।

    "इट्स... इट्स एक्चुअली प्रीटी फनी, इजंट इट?" उसने कहा, वो भी हँसा। उसकी हंसी में शामिल हो गया। उसे यकीन नहीं था कि वो क्यों हंस रहा था, लेकिन उसकी हंसी इन्फेक्शियस थी। वो रोबोट पर हंसता था, खुद पर, अपनी लाइफ़ के केओस पर, जिसने किसी तरह इस प्रैक्टिकल, फिर भी गुड-ह्यूमर्ड वूमन में अपना परफेक्ट मैच ढूँढ़ लिया था।

    वो वहाँ खड़े थे, दो गीले लोग, एक बिखरी हुई वर्कशॉप के बीच में, अजीब इन्वेंशन से घिरे हुए, हंसते हुए जब तक उनके पेट में दर्द नहीं होने लगा। ये कनेक्शन का एक मोमेंट था, टेंशन का एक शेयर्ड रिलीज। उनकी हंसी की आवाज़ उस विशाल स्पेस में भर गई, वायर्स, सर्किट्स और ड्रीम्स की सिम्फनी में एक छोटी सी मेलोडी।

    आखिरकार हंसी कम हो गई, जिससे दोनों थक गए और गीले हो गए। प्रिया ने अपनी आंखें पोंछी, एक पानी की लाइन अभी भी दिख रही थी, दाल और पानी के साथ मिक्स हो रही थी। "यू नो," उसने कहा, "इतनी चीज़ें बनाने के बाद भी, तुम्हें डिजास्टर से बचने का तरीका नहीं आता।"

    आरव मुस्कुराया, उसके चेहरे पर एक स्माइल थी। "इसलिए, मिस ऑर्गनाइजेशनल मैनेजर, मुझे तुम्हारी ज़रूरत है। आई एम द आइडियाज़ मैन। यू आर द... डिजास्टर प्रिवेंशन एंड मैनेजमेंट एक्सपर्ट।"

    तभी, उसका फ़ोन, जिसे वो भूल गया था, तेज़ी से बजने लगा। ये एक अलग रिंगटोन थी जो उसने इमरजेंसी के लिए रखी थी। उसने इसे निकाला, और उसके चेहरे पर डर छा गया। स्क्रीन पर लिखा था: 'खन्ना जी: अर्जेंट कॉर्पोरेट इमरजेंसी!'

    प्रिया ने उसके चेहरे पर आए चेंज को नोटिस किया। हंसता हुआ Avi गायब हो गया, उसकी जगह एक स्ट्रेन, वरीड एक्सप्रेशन ने ले ली। "एवरीथिंग ऑलराइट?" उसने पूछा।

    आरव ने आह भरी, अपने बालों पर हाथ फेरते हुए। "हाँ, बस... मेरे बॉस। वो थोड़े... परेशान हो जाते हैं। कॉर्पोरेट स्टफ़। कभी ख़त्म नहीं होता।" उसने एक स्माइल दी। "डोंट वरी अबाउट इट। जस्ट अनदर डे इन द लाइफ़ ऑफ़ ए मेंशन गैराज एम्प्लोयी, राइट?" उसने उसकी आँखों में नहीं देखा, और शक का एक बीज प्रिया के दिमाग में बढ़ने लगा। लेकिन अभी के लिए, उनकी हंसी उसे वार्म कर रही थी, डाउट को दूर रख रही थी।

  • 6. Jugaad Wala Ishq - Chapter 6

    Words: 1135

    Estimated Reading Time: 7 min

    **अध्याय 6**

    विक्रमादित्य शेखावत अपने ऑफिस में बैठे हुए थे। उनका ऑफिस उनकी पर्सनालिटी जैसा ही एकदम सिंपल और सीधा था। फ्रॉस्टेड ग्लास की दीवारें, एक ब्लैक डेस्क और एक मेटल का स्कल्पचर—बस इतना ही था। वहाँ कोई अपनापन नहीं था, कोई पर्सनल टच नहीं था। बस ठंडी, कैलकुलेटिंग एफिशिएंसी थी। उनकी नज़रें डेस्क पर रखी एक फोटो पर टिकी थीं—किसी अपने की नहीं, बल्कि एक पुराने, धुंधले न्यूज़पेपर की कटिंग थी। उसमें, आरव के दादाजी एक पॉलिटिशियन से हाथ मिलाते हुए मुस्कुरा रहे थे। नीचे छोटी सी प्रिंट में एक राइवल कंपनी के अचानक बर्बाद होने की बात लिखी थी। विक्रम ने उस पुराने पेपर पर उंगली फेरी, उनकी आँखों में बदले की आग चमक रही थी, जो सालों से सुलग रही थी। राठौर परिवार ने उनका सब कुछ बर्बाद करके अपना एम्पायर खड़ा किया था, और उन्होंने अपनी पूरी लाइफ इस पल का plan बनाने में बिताई थी।

    दरवाजे पर एक हल्की सी नॉक हुई और शांति टूट गई। उनके असिस्टेंट, खन्ना, जो हमेशा करीने से कपड़े पहनते थे, एक टैबलेट लेकर अंदर आए।

    "आपने बुलाया, सर?" खन्ना की आवाज़ दबी हुई थी, जैसे कमरे की शांति में एक फुसफुसाहट हो।

    विक्रम अपनी कुर्सी पर पीछे झुके, उनका चेहरा पढ़ना मुश्किल था। "हाँ, खन्ना। अब शुरू करने का टाइम आ गया है। राठौर एम्पायर बहुत लापरवाह हो गया है। उन्हें लगता है कि उन्हें कोई छू भी नहीं सकता।" वो रुके, उनके होंठों पर एक क्रूर मुस्कान आई। "उन्होंने अपनी कंपनी का future एक जोकर के हाथों में दे दिया है।"

    खन्ना बस चुपचाप इंस्ट्रक्शन का वेट कर रहे थे।

    "आरव राठौर," विक्रम ने अपनी आवाज़ धीमी करते हुए कहा। "सूट में एक 'झला'। वो उनकी चेन की सबसे कमजोर कड़ी है। Perfect एंट्री पॉइंट। उसकी दादी पुराने जमाने की हैं, और उसे मल्टी-बिलियन डॉलर की कंपनी चलाने से ज्यादा टॉय रोबोट्स के साथ खेलने में interest है।" उन्होंने एक पेन उठाया और उसे घुमाने लगे। "हमारा objective सिंपल है: उन्हें अंदर से तोड़ना है। धीरे-धीरे, सिस्टमैटिकली, जब तक कि वो अपने ही बोझ के नीचे न दब जाएँ।"

    "और हमारा पहला move, सर?" खन्ना ने पूछा।

    विक्रम ने फाइनली ऊपर देखा, उनकी आँखें खन्ना की आँखों से मिलीं, जिससे खन्ना थोड़ा असहज हो गया। "हम उनके talent को खत्म करके शुरुआत करेंगे। मुझे हर उस सीनियर इंजीनियर, हर उस ओवरलुक किए गए मैनेजर, राठौर ग्लोबल के हर उस important आदमी की लिस्ट चाहिए, जिसे लगता है कि उसकी value नहीं है या उसकी बात नहीं सुनी जाती। उन्हें डबल पे करो, ट्रिपल पे करो, जो भी लगे। मुझे वो सब यहाँ चाहिए। और वो बात करने को तैयार होने चाहिए।"

    "समझा, सर। हमारे पास पहले से ही कुछ लोग हैं। मिस्टर रमेश गुप्ता का नाम दिमाग में आ रहा है, जिन्हें पिछली दो बार प्रमोशन नहीं मिला। वो लगभग तीस सालों से राठौर ग्लोबल के साथ हैं, ज्यादातर आरएंडडी और पुराने प्रोजेक्ट्स में।"

    विक्रम के चेहरे पर interest दिखा। "रमेश गुप्ता, तुम कह रहे हो? तीस साल आरएंडडी में? Excellent। कोई ऐसा जो जानता हो कि secrets कहाँ दफन हैं। पुराने प्रोजेक्ट्स। वो जो शायद शेल्व कर दिए गए, भुला दिए गए।" वो आगे झुके, उनकी आवाज़ एक secret बताने जैसी हो गई। "उनमें खुदाई करो, खन्ना। खासकर आरव के फादर के टाइम के प्रोजेक्ट्स। उनके फादर ही उनमें असली visionary थे, न कि ये बेवकूफ जिसे उन्होंने चार्ज दे दिया है।"

    "हो जाएगा, सर। मैं तुरंत मिस्टर गुप्ता से contact करूँगा। वो… मान जाएँगे, मुझे लगता है।"

    "ये ensure करो कि उन्हें secrecy की value पता हो, खन्ना। हमें information चाहिए, कोई पब्लिक ड्रामा नहीं। अभी नहीं।" विक्रम की नज़रें वापस उस धुंधले न्यूज़पेपर की कटिंग पर चली गईं, उनके चेहरे पर एक शांत, शिकारी जैसी संतुष्टि छा गई। "Game शुरू हो गया है।"

    खन्ना थोड़ा झुके और ऑफिस से बाहर चले गए, विक्रम को फिर से ठंडी शांति में अकेला छोड़ दिया। बाहर, शहर जिंदगी से गुलजार था, अनजान था उन चुपचाप हो रही साजिशों से, जो एक पुराने और ताकतवर परिवार को हिला कर रख देने वाली थीं। सारे pieces अपनी जगह पर आ गए थे। पहला डोमिनो गिरने के लिए तैयार था।

  • 7. Jugaad Wala Ishq - Chapter 7

    Words: 2144

    Estimated Reading Time: 13 min

    **अध्याय 7**

    शर्मा जी के छोटे से घर में तड़का दाल और ताज़ी रोटी की खुशबू फैली हुई थी। दिन भर की भागदौड़ और नई शुरुआत के बाद ये घर की जानी-पहचानी शांति थी। प्रिया ने दरवाजे पर अपनी चप्पलें उतारीं। वो इतनी थकी हुई थी कि लग रहा था जैसे बहुत ज़्यादा काम किया हो। उसकी माँ, शांति, गैस पर रखे बर्तन में कुछ मिला रही थी और एक भक्ति गीत गुनगुना रही थी। उसका छोटा भाई, रोहन, फर्श पर कॉमिक बुक पढ़ रहा था। प्रिया की कजिन, रीना, सोफे पर बैठकर बड़े ध्यान से अपने नाखूनों पर नेल पॉलिश लगा रही थी, जैसे अपनी ही दुनिया में खोई हो।

    "मैं आ गई!" प्रिया ने खुश होने की कोशिश करते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज़ थोड़ी लड़खड़ा गई।

    शांति मुड़ी, उसका चेहरा तुरंत चिंता से भर गया। "प्रिया! क्या हुआ तुझे? तू पूरी भीगी हुई है। और ये क्या... दाल है? फिर से?" उसकी आँखें छोटी हो गईं। "क्या उस आदमी ने फिर कोई मुसीबत खड़ी कर दी?"

    प्रिया ने लम्बी सांस ली। "कहानी थोड़ी लंबी है, माँ। और हाँ, ये दाल है। और पानी भी। एक बिगड़े हुए क्लीनिंग रोबोट से हुआ ये सब, मानो या ना मानो।" वो थोड़ा हंसी। "लेकिन नहीं, उसने जानबूझकर कुछ नहीं किया। ये एक accident था।" वो रोहन के पास जाकर बैठ गई, जो अब उसकी तरफ देख रहा था, उसकी आँखें सवाल पूछ रही थीं।

    "क्लीनिंग रोबोट? वाह!" रोहन सीधा होकर बैठ गया। "दी, क्या तुमने और भी रोबोट देखे? क्या उनके पास लेज़र गन हैं? या उड़ने वाली कारें?"

    प्रिया ने उसके बाल बिखेर दिए। "बिल्कुल लेज़र गन नहीं हैं, रोहन। लेकिन उसके पास कुछ बहुत... interesting गैजेट्स हैं। वैसे, अच्छी खबर ये है कि मुझे जॉब मिल गई है। उसी के साथ।"

    शांति हैरान हो गई और गैस से दूर हट गई। "जॉब? उस... उस लापरवाह आदमी के साथ जिसने तुम्हारा स्कूटर और हमारा बड़ा ऑर्डर बर्बाद कर दिया? प्रिया, क्या तुम पागल हो?"

    "माँ, सुनो," प्रिया ने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए कहा। "उसे बहुत बुरा लगा। और उसने सब कुछ pay करने को कहा है। वो एक inventor है, माँ। एक brilliant inventor है, actually। बस... थोड़ा disorganized है। उसने मुझे अपनी workshop के लिए 'organizational manager' के तौर पर hire किया है।" उसने अपनी बात को थोड़ा ज़्यादा serious दिखाने की कोशिश की।

    शांति ने अपने हाथों को मरोड़ा। "Inventor? किस तरह का inventor? क्या उसके पास कोई proper जॉब है? क्या वो कुछ कमाता भी है? ये artist टाइप के लोग, प्रिया, वे अपनी ही दुनिया में रहते हैं। वो तुम्हें कैसे pay करेगा? तुम्हें एक stable जॉब चाहिए, बेटा, न कि कोई... कोई सनकी hobby वाला जो चीजें तोड़ता है।"

    "वो कोई hobby वाला नहीं है, माँ! वो एक बड़े हवेली के garage से काम करता है, ये एक proper लैब जैसा है। वो अनाड़ी है, हाँ, लेकिन वो सच में passionate है। और मुझे लगता है... मुझे लगता है कि मैं सच में उसकी help कर सकती हूँ। और उसने अच्छी pay करने का वादा किया है। स्कूटर और उससे ज़्यादा का cover करने के लिए काफी है।" प्रिया ने रीना की ओर देखा, जिसने आखिरकार अपने नाखूनों से नज़रें उठाईं, उसके चेहरे पर एक छोटी सी, झूठी मुस्कान थी।

    "ओह, कितना exciting है, प्रिया दी!" रीना ने बहुत मीठी आवाज़ में कहा। "एक हवेली में जॉब! तुम आखिरकार दुनिया में आगे बढ़ रही हो। मुझे उम्मीद है कि ये 'inventor' दोस्त तुम्हारा सिर्फ कोई... कोई jobless dreamer नहीं है, वैसे। ये rich लोग, वे सिर्फ अपनी silly hobbies के लिए किसी को भी hire कर लेते हैं, है ना? ताकि उन्हें अपनी खुद की uselessness के बारे में बेहतर महसूस हो।" उसने नाक सिकोड़ी और अपने नाखूनों पर वापस चली गई।

    प्रिया का जबड़ा कस गया। "वो useless नहीं है, रीना। और वो definitely jobless नहीं है। उसे बस किसी ऐसे इंसान की ज़रूरत है जो उसकी geniusness को organize करे।" उसने एक fake मुस्कान दी, ये सोचते हुए कि वो रीना की बातों को उस पर हावी नहीं होने देगी। "वैसे भी, ये एक temporary arrangement है, जब तक मैं टिफिन सर्विस को पूरी तरह से ठीक नहीं कर लेती। लेकिन इसमें अच्छी कमाई है, और ये अलग है।"

    रोहन excitement से भर गया। "तो, तुम हर दिन रोबोट और गैजेट्स के साथ काम करोगी, दी? क्या मैं घूमने आ सकता हूँ? शायद वो मुझे ड्रोन बनाना सिखा सकता है!"

    प्रिया ने अपने भाई को देखकर मुस्कुराया। "शायद एक दिन, रोहन। फिलहाल, मैं सिर्फ उस गड़बड़ को समझने की कोशिश कर रही हूँ।"

    शांति, अभी भी tension में थी, लेकिन फिलहाल के लिए मान गई। "ठीक है, ठीक है। लेकिन सावधान रहना, प्रिया। इन... बड़े सपनों में खो मत जाना। अपनी responsibilities को याद रखना।"

    "मुझे पता है, माँ। हमेशा याद रखती हूँ," प्रिया ने अपनी आवाज़ में थोड़ी थकान के साथ कहा। उसने अपना पुराना, पिटा हुआ mobile निकाला और अपने दोस्त को उस अजीब दिन के बारे में message करना चाहा जो उसने बिताया था। स्क्रीन कई जगहों से crack थी, जिसे clear टेप की एक पतली पट्टी से जोड़ा गया था, जो उसके लगातार जुगाड़ का सबूत था।

    रीना ने अपने नाखून पूरे करके खड़ी हुई और स्ट्रेच किया। "दी, मुझे अपना phone दिखाओ। वो cracks बहुत distracting हैं। शायद अब upgrade करने का time आ गया है, है ना? ये old thing ऐसा लग रहा है जैसे ये किसी war से गुज़रा है।" उसने हाथ बढ़ाया, उसकी उंगलियाँ प्रिया को छू गईं। और फिर, अपने हाथ को थोड़ा सा हिलाकर, बस इतना कि प्रिया को पता न चले, phone फिसल गया।

    वो टाइल वाले फर्श पर एक भयानक आवाज़ के साथ गिरा। स्क्रीन, जो पहले से ही टूटी हुई थी, और ज़्यादा फैल गई, एक कोने में एक काला धब्बा फैल गया। Clear टेप, उसकी पिछली fixing, छिल गई, जिससे phone और भी खराब हालत में हो गया।

    "ओह माई गॉड! मुझे बहुत-बहुत sorry है, दी!" रीना ने बनावटी परेशानी से भरी आवाज़ में कहा। "ये बस फिसल गया! ओह, तुम्हारा बेचारा phone! ये पूरी तरह से टूट गया है, है ना? मुझे लगता है कि तुम्हें एक नया खरीदना होगा। कितने दुख की बात है, तब जब तुम्हें एक नई जॉब भी मिल गई है।" हालाँकि, उसकी आँखों में कुछ और ही झलक थी - एक छोटी सी, लगभग अगोचर मुस्कान।

    प्रिया ने phone को घूर कर देखा। उसकी lifeline। दुनिया से उसका connection, उसके टिफिन सर्विस clients से। उसका दिल डूब गया, लेकिन सिर्फ एक पल के लिए। उसका दिमाग तुरंत problem solve करने के mode में आ गया। एक नया phone एक ऐसा खर्चा था जो वो अभी नहीं कर सकती थी। स्कूटर और दाल वाली disaster के बाद तो बिलकुल नहीं।

    "कोई बात नहीं, रीना। Accidents होते हैं," प्रिया ने बिना किसी emotion के कहा। उसने phone उठाया और damage का मुआयना किया। ये बुरा था। लेकिन पूरी तरह से ठीक न होने वाला नहीं, अगर वो help कर सके तो। वो अपने कमरे में चली गई, रीना उसे देख रही थी, उसके चेहरे पर अब एक satisfied भाव था। शांति ने आह भरी और अपना सिर हिलाया।

    कुछ मिनट बाद, प्रिया अपने कमरे से निकली। उसके हाथ में उसका phone था। स्क्रीन अभी भी crack थी, धब्बा अभी भी वहीं था, लेकिन अब, इसे एक साथ जोड़े रखने के लिए, स्क्रीन की पूरी चौड़ाई पर सावधानीपूर्वक लगाई गई black इलेक्ट्रिकल टेप की एक मोटी, मजबूत पट्टी थी। और अच्छे के लिए, उसने ऊपर और नीचे के किनारों के चारों ओर दो मजबूत रबर बैंड लपेटे थे, जो खिंचे हुए थे, extra pressure दे रहे थे और phone के casing को मजबूती से पकड़ रहे थे।

    उसने स्क्रीन को tap किया। वो जल उठा। धब्बा अभी भी वहीं था, लेकिन touch functionality वापस आ गई थी। ये भद्दा था, ये अनाड़ी था, लेकिन ये काम कर रहा था। वो मुस्कुराई, एक छोटी सी, विजयी मुस्कान।

    रीना की आँखें थोड़ी चौड़ी हो गईं, उसकी satisfaction गायब हो गई, और उसकी जगह झुंझलाहट की एक झलक आ गई। "तुम... तुमने इसे ठीक कर दिया?" उसने disbelief से भरी आवाज़ में पूछा।

    प्रिया ने कंधे उचकाए। "अभी के लिए ये काम करेगा। थोड़ा टेप, थोड़ा रबर बैंड। जुगाड़ की power को कभी कम मत समझना, रीना। कभी-कभी, सबसे आसान fix सबसे मजबूत होता है।" उसने अपने phone की ओर देखा, फिर रीना की ओर, उनके बीच एक शांत message गुज़रा। चाहे जो भी रुकावटें उसके रास्ते में फेंकी जाएँ, प्रिया शर्मा हमेशा चीजों को ठीक करने का तरीका खोज लेगी।

  • 8. Jugaad Wala Ishq - Chapter 8

    Words: 1743

    Estimated Reading Time: 11 min

    Chapter 8

    प्रिया की लगातार कोशिशों से वो वर्कशॉप अब किसी पुराने कबाड़खाने की तरह नहीं लग रही थी, बल्कि एक ढंग की लैबोरेटरी जैसी लग रही थी। हाँ, थोड़ी अजीब ज़रूर थी। टूल्स अब पेगबोर्ड पर टंगे थे, वायर्स अच्छे से लिपटे हुए थे, और जो प्रोजेक्ट्स अधूरे थे, उनके ढेर कैटेगरी के हिसाब से लगे थे, चाहे वो कैटेगरी कितनी भी अजीब क्यों न हो। आरव को, हैरानी की बात है, ये सब अच्छा लगने लगा था। अब उसे चीजें *मिल* जाती थीं, ये तो उसके लिए बिलकुल नया था।

    "प्रिया! प्रिया, इधर आओ! तुम्हें मेरा नया मास्टरपीस देखना होगा!" आरव की आवाज़, जो आमतौर पर धीमी होती है, आज बहुत excitement से गूंज रही थी। वो एक ऐसी मशीन के पास खड़ा था जो देखने में एक बड़े blender और छोटी तोप का मिक्सचर लग रही थी, जिसमें एक chute और nozzle भी लगा हुआ था।

    प्रिया अपने हाथों से grease पोंछती हुई आई। "मास्टरपीस? पिछली बार जब तुमने ये कहा था, तो तुम्हारी 'ऑटो-कॉफी ब्रूअर' ने पूरे ceiling पर espresso स्प्रे कर दिया था। इस बार क्या है? कोई self-stirring चाय मशीन?" उसने मशीन को शक भरी नज़रों से देखा।

    आरव मुस्कुराया। "उससे भी बेहतर! बहुत, बहुत बेहतर! ये, मेरी प्यारी Organizational Manager, है 'Automatic Samosa Maker and Dispenser!' अब न तो हाथों में तेल लगेगा, न लाइनों में इंतज़ार करना पड़ेगा, और न ही filling में कोई कमी होगी! बस एकदम perfect, गरमा गरम समोसे, जब चाहो!" उसने मशीन की तरफ इशारा किया।

    "एक समोसा मेकर?" प्रिया ने भौंहें चढ़ाते हुए पूछा, उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी। "Avi, तुम्हें पता है तुम लोकल हलवाई को call करके समोसे मंगवा सकते हो। या यहाँ किचन में किसी से कह दो। वो बहुत अच्छे समोसे बनाते हैं, मैंने देखा है।"

    "लेकिन उसमें innovation कहाँ है, प्रिया? elegance कहाँ है? ये तो efficiency की बात है! सोचो, एक ऐसी दुनिया जहाँ समोसे हमेशा मिलें, एकदम golden, एकदम spiced।" उसने अपने हाथ रगड़े। "मैंने dough-rolling mechanism, potato-mashing algorithm, और frying temperature regulator को भी perfect कर लिया है। ये foolproof है!"

    "Foolproof, तुम कहते हो?" प्रिया ने cleaning bot वाले incident को याद करते हुए कहा। "ठीक है, impress करो मुझे, 'Avi.' चलो देखें तुम्हारा culinary genius action में।"

    आरव ने अपने हाथों से ताली बजाई। "Excellent! पीछे हटो, पीछे हटो! Safety first, तुम्हें पता है।" उसने control panel पर कई switches flip किए। मशीन पर lights blink करने लगीं, gears घूमने लगे, और एक धीमी सी आवाज़ आने लगी। फिर उसने एक pre-mixed आलू का filling एक hopper में और तैयार dough का mixture दूसरे में डाला।

    "Commencing samosa production in T-minus ten seconds!" उसने rocket launch की तरह announce किया।

    मशीन और तेज़ आवाज़ करने लगी। dough का एक छोटा सा टुकड़ा निकला, फिर आलू का dollop। इसे fold और seal होना था, लेकिन कुछ गड़बड़ हो गई। Dough अजीब तरीके से fold हुआ, filling बाहर निकल गई, और dough का अगला टुकड़ा जाम हो गया।

    "Uh oh," आरव ने knob से छेड़छाड़ करते हुए कहा। "लगता है dough की consistency को थोड़ा tweak करने की ज़रूरत है। बस एक छोटा सा… calibration…"

    Suddenly, whirring एक भयानक screech में बदल गई। Nozzle, समोसा release करने के बजाय, violently twitch करने लगा। ज़ोर से *POP* की आवाज़ के साथ, एक misshapen, आधा तला हुआ समोसा projectile की तरह निकला, metal beam से टकराया और दीवार पर लगे blueprint पर आलू का filling splattering हो गया।

    प्रिया की आँखें फैल गईं। "Avi, मुझे लगता है तुम्हारा calibration off है!"

    "बस थोड़ा सा… whoa!" एक और समोसा, अभी भी steaming, आरव के कान के पास से गुज़रा। फिर एक और, और एक और, तेज़ी से, automatic samosa maker को full-blown samosa cannon में बदल दिया। Hot, greasy projectiles अब वर्कशॉप में उड़ रहे थे, दीवारों से टकरा रहे थे, equipment से clattering कर रहे थे, और आलू और तेल के trails छोड़ रहे थे।

    "Duck!" आरव ने प्रिया का हाथ पकड़कर चिल्लाया। वे दोनों डर के मारे फर्श पर गिर गए, एक मज़बूत workbench के पीछे छिप गए। समोसे उनके सिर के ऊपर से गुज़र रहे थे, कुछ ज़ोर से thud के साथ metal से टकरा रहे थे, दूसरे दूर की दीवार पर splattering कर रहे थे।

    "तुम्हारी foolproof machine अब weapon of mass samosa destruction है!" प्रिया ने डरते हुए कहा, workbench की ठंडी metal पर खुद को press करते हुए, अपनी हँसी को दबाने की कोशिश कर रही थी। एक rogue samosa उसके सिर से कुछ inches की दूरी पर squelch के साथ उतरा।

    आरव, उसके बगल में hunched, cautiously किनारे से झाँका। "It’s… it’s just enthusiastic! It’s still producing! Maybe pressure valve stuck open है।" उसने एक button तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन एक और समोसा उसकी उंगलियों के पास से whizzed गुज़रा, जिससे वो एकदम से पीछे हट गया।

    उन्होंने एक-दूसरे को देखा, उनके चेहरे grease और आलू से smudged थे। Situation की absurdity, उड़ते हुए snacks का chaos, finally उन्हें तोड़ गया। प्रिया giggled, फिर snorted, फिर uncontrollable laughter में burst हो गई, tears उसके चेहरे पर बह रहे थे। आरव, relieved और amused, उसके साथ शामिल हो गया, उसकी deep chuckles bench के पीछे confined space में गूंज रही थीं।

    वे तब तक हँसे जब तक उनके sides ached, उनके shoulders bumping, उनके knees almost touching। Samosa cannon finally sputtered और coughed, making a final, pathetic *plop* क्योंकि उसने अपना last deformed projectile expelled किया। Silence छा गई, सिर्फ उनकी ragged breathing और lingering giggles सुनाई दे रही थीं।

    प्रिया, अभी भी laughter से weak, ने अपना सिर घुमाया। उसका चेहरा flushed था, उसकी आँखें amusement से bright थीं। आरव, similarly disheveled, उसी समय मुड़ा। वे inches apart थे, उनकी noses almost touching थीं, उनकी breaths छोटे space में आपस में मिल रही थीं। उसकी laughter मर गई, उसकी जगह एक soft, warm feeling ने ले ली जो उसके chest में bloom हुई। उसकी आँखें, जो usually दूर या किसी abstract idea पर focused होती थीं, अब उसकी आँखों पर fixed थीं, warm और surprisingly intense। एक strange, unfamiliar current उनके बीच से passed हुआ, उन्हें एक-दूसरे के करीब खींच रहा था।

    The moment stretched, unspoken emotions से thick। प्रिया ने अपने heart को thump करते हुए महसूस किया, एक rhythm जो adrenaline से बिल्कुल अलग था। उसने आरव की आँखों में एक vulnerability देखी जो उसने पहले notice नहीं की थी, एक genuine connection जो उसकी inventions के chaos को transcend करती है। उसकी gaze उसके होंठों पर drop हुई, और उसने सोचा…

    *BRRRRING! BRRRRING!*

    एक jarring, insistent ringtone, loud और formal, ने उस fragile moment को shatter कर दिया। ये आरव का phone था। वो flinched, abruptly पीछे pulling हुआ, sound की sudden formality उस intimacy के stark contrast थी जिसे उन्होंने just shared किया था। The spell was broken।

    आरव ने अपने phone को fumbled किया, उसका चेहरा instantly उस playful warmth से tight, almost worried expression में बदल गया। "Khanna Ji?" उसने receiver में mumble किया, उसकी आवाज़ low और serious थी। "What is it? Corporate emergency? Right now? But I’m… yes, yes, I understand. I’ll be there. Immediately."

    उसने phone shut snap किया, उसके shoulders slumping। उसने प्रिया को देखा, उसकी आँखों में कुछ unreadable flicker - regret? Guilt? "I… I have to go. Something urgent has come up. With… with my boss. It’s a very important meeting." वो खड़ा हुआ, अपने hair में एक hand running करते हुए, already half-distracted, already उस playful inventor से दूर जा रहा था और अपनी secret life की unknown demands में वापस जा रहा था। "I’ll… I’ll clean this up later. Sorry about the samosas." उसने उसे एक weak, apologetic smile दी, फिर मुड़ा और practically वर्कशॉप से bolted, प्रिया को scattered आलू के filling और fried dough की lingering scent के बीच अकेला छोड़ दिया, एक new, unsettling question उसके mind में buzzing कर रहा था।

  • 9. Jugaad Wala Ishq - Chapter 9

    Words: 1993

    Estimated Reading Time: 12 min

    ## Chapter 9

    तले हुए समोसे की खुशबू अभी भी हवा में थी, और उस दिन जो समोसे का कांड हुआ था, वो याद आ रहा था। प्रिया ने सुबह सब कुछ साफ़ किया, बेंच पर लगे तेल के चिपचिपे दागों को रगड़-रगड़ कर साफ़ किया और आलू के टुकड़ों को झाड़ू से हटाया। काम करते वक़्त, उसे बार-बार वो पल याद आ रहा था जब वो बेंच के पीछे थे। वो शांति, वो नज़दीकी, लगभग kiss होने वाला था, और फिर आरव का अचानक, घबराकर चले जाना।

    वो जानती थी कि वो जीनियस है, अपने अजीब तरीके से। स्वीट भी है, प्यारा भी है और उसके inventions, भले ही वो कभी भी बिगड़ जाते हों, कमाल के हैं। लेकिन वो बिलकुल भी practical नहीं है। वो हमेशा circuits और algorithms की दुनिया में खोया रहता है और उसे दुनियादारी की कोई समझ नहीं है। जैसे कि, पैसों के बारे में।

    दाल का खराब होना, स्कूटर का टूटना, catering का order cancel होना – ये सब उसे बहुत महंगा पड़ा। वो और ज़्यादा नुकसान नहीं झेल सकती। और वो ऐसे इंसान के लिए काम नहीं कर सकती जो पैसे से ज़्यादा passion में जीता है। अगर "एवी'ज़ इनोवेशन" को ज़िंदा रहना है, और उसे सैलरी देनी है, तो एक structure चाहिए। और एक budget, वो भी बहुत strict वाला।

    आरव सुबह थोड़ा लेट workshop में वापस आया। वो थका हुआ लग रहा था, जैसे ज़्यादा सोया नहीं था। उसकी आँखों के आस-पास tension की लकीरें अभी भी थीं, जैसे corporate life की यादें वो पूरी तरह से भुला नहीं पाया था। उसने प्रिया को एक दबी हुई मुस्कान दी। "Good morning, प्रिया। सब… साफ़ हो गया?"

    प्रिया ने अपने हाथों को कमर पर रखा, उसकी आँखों में एक पक्का इरादा था। "लगभग। लेकिन एवी, हमें finances के बारे में बात करनी होगी।"

    आरव पलक झपका, वो अचानक nervous दिख रहा था। "Finances? ओह। राइट। मेरा… मेरा boss. वो हमेशा budget cuts की शिकायत करता रहता है। Terrible, यार। मेरे जैसे brilliant दिमाग को spreadsheets में दबा कर रखा है।" वो बात को घुमाते हुए बड़बड़ाया।

    "तुम्हारे boss के finances नहीं, एवी। *हमारे* finances। इस workshop के finances। और, indirectly, तुम्हारे," उसने उसे रोकते हुए कहा। "देखो, मुझे पता है कि तुम passionate हो, लेकिन सिर्फ passion से bills नहीं भरते। ना ही lunch खरीदते हैं। मैंने inventory चेक की है। हमारे पास experimental components बहुत ज़्यादा हैं, और काम के components कम हैं। और अब से, हम supplies के लिए एक strict daily budget पर काम करेंगे। और खाने के लिए भी।"

    आरव ने धीरे-धीरे सिर हिलाया, concerned दिखने की कोशिश करते हुए। "खाना? हाँ, खाना दिमाग के लिए ज़रूरी है। एक healthy inventor ही productive inventor होता है। तो, खाने का budget... Makes sense।" उसने हाँ में हाँ मिलाने की कोशिश की, अंदर ही अंदर उसकी practicality पर हँस रहा था। ये बहुत refreshing था।

    "Exactly. आज lunch में क्या खा रहे हो?" प्रिया ने अपनी घड़ी देखते हुए पूछा।

    आरव ने खाँसा, वो अचानक थोड़ा awkward महसूस कर रहा था। "ओह। Lunch. Well, मैं, uh… मैं ज़्यादातर… भूल जाता हूँ। या जो भी आस-पास पड़ा होता है वो खा लेता हूँ। एक biscuit. या शायद एक बचा हुआ… समोसा?" उसने दीवार की तरफ इशारा किया जहाँ अभी भी थोड़े समोसे के छींटे लगे हुए थे।

    प्रिया ने भौंहें सिकोड़ी। "एवी, ये healthy नहीं है। तुम खाना 'भूल' नहीं सकते। तुम्हें proper meals खाने चाहिए। क्या तुम्हारे पास… क्या तुम्हारे पास आज lunch के लिए पैसे हैं?" उसने उम्मीद से उसकी तरफ देखा।

    आरव ने अपना वज़न बदला। ये tricky पार्ट था। वो अपना platinum credit card नहीं निकाल सकता था। "पैसे? ओह, um… well, देखो, ये सारे experimental projects हैं, और parts का cost, ये सब बहुत ज़्यादा है। मेरी driving job से जो salary मिलती है, वो ज़्यादा नहीं है। और मेरा boss, वो थोड़ा… demanding है। तो, नहीं, ज़्यादा नहीं हैं। आज तो नहीं हैं। मैं थोड़ा… कंगाल हूँ।" उसने convincingly pathetic दिखने की कोशिश की, उसकी आँखों से बचते हुए।

    प्रिया ने उसे देखा, गुस्सा और दया आपस में लड़ रहे थे। वो एक brilliant दिमाग था, लेकिन असली दुनिया के मामलों में बिलकुल helpless था। ये लगभग charming था, एक frustrating तरीके से। "एवी, तुम खाली पेट काम नहीं कर सकते। तुम कैसे invent करोगे अगर तुम भूखे रहोगे?" उसने आह भरी, फिर अपने purse में हाथ डाला। "Alright, चलो। मैं तुम्हें lunch कराती हूँ।"

    वो उसे हवेली के गेट से बाहर ले गई और कुछ blocks दूर एक busy street पर ले गई, ताकि खन्ना जी या उसके staff की नज़रों से बचा जा सके। वो एक छोटे से, bustling street stall पर रुके। हवा मसालों और तलने के तेल की खुशबू से भरी हुई थी।

    "दो वड़ा पाव, भाईया," प्रिया ने vendor से कहा, उसके हाथ में एक crumpled दस-rupee का नोट था।

    आरव ने humble वड़ा पाव को लगभग एक बच्चे की तरह अचरज से देखा। उसने उन्हें street पर देखा था, ज़रूर, लेकिन कभी खाया नहीं था। उसके meals में ज़्यादातर Michelin stars और silver cutlery होती थी।

    प्रिया ने उसे एक दिया, newspaper में लपेटा हुआ। "ये लो। खाओ। और सुनो। ऐसे manage करते हैं पैसे, एवी। तुम prioritize करते हो। खाना, shelter, basic ज़रूरतों को। फिर, अगर तुम्हारे पास कुछ बचता है, *तो* तुम अपने 'experimental components' पर खर्च करते हो। तुम सब कुछ अपने gadgets पर नहीं उड़ा सकते और फिर भूखे नहीं रह सकते।"

    आरव ने वड़ा पाव का एक bite लिया। नरम bun, spicy आलू patty, tangy chutney – ये simple, comforting flavours का explosion था। उसने धीरे-धीरे चबाया, हर mouthful को taste करते हुए। उसने हज़ार तरह के cuisines खाए थे, Japanese fugu से लेकर French foie gras तक, लेकिन कुछ भी ऐसा नहीं लगा था। ये… genuine care जैसा था।

    "ये… ये amazing है, प्रिया," उसने मुँह में भरे हुए कहा। "Best meal जो मैंने कभी खाया है।"

    प्रिया ने scoff किया। "Please, एवी। ये बस एक वड़ा पाव है। ये practical है। ये filling है। और ये cheap है। ऐसे middle-class लोग survive करते हैं। pigeon-scaring drones के सपने देखकर नहीं, बल्कि ये देखकर कि उनके पास आज के लिए काफी है। तुम्हें ज़्यादा practical होना पड़ेगा, ज़्यादा grounded. मेरी तरह।" उसने अपने वड़ा पाव का एक bite लिया, और उसे lecture देना जारी रखा। "तुम्हें एक plan चाहिए, एवी। एक proper financial plan. एक savings plan. तुम्हें अपने future के बारे में सोचना चाहिए, ना कि सिर्फ अपने अगले invention के बारे में।"

    आरव सुन रहा था, dutifully सिर हिला रहा था। उसके अंदर एक warm feeling फैल रही थी जिसका वड़ा पाव में मौजूद chilli से कोई लेना-देना नहीं था। उसने उसकी earnestness देखी, उसकी genuine चिंता उसकी well-being के लिए, भले ही वो उसे एक broke, clumsy mechanic मानती हो। ये humbling था। ये… beautiful था।

    "तुम सही कह रही हो, प्रिया," उसने उसकी तरफ देखते हुए कहा, एक intensity के साथ जिसने उसे surprise कर दिया। "तुम बिल्कुल सही कह रही हो। मुझे ज़रुरत है। थैंक यू। वड़ा पाव के लिए, और lecture के लिए। मुझे… मुझे इसकी ज़रुरत थी।"

    बाद में उस शाम, अपने Rathore Global office के quiet sanctuary में, आरव अपने laptop को घूर रहा था। Stock market के figures, quarterly reports, complex acquisition plans – ये सब एक unimportant haze में blur हो गए। उसने अपना phone उठाया।

    "खन्ना जी," उसने कहा, उसकी आवाज़ quiet लेकिन firm थी।

    "Yes, Mr. Rathore?" खन्ना जी की आवाज़ हमेशा की तरह crisp थी।

    "मुझे तुमसे कुछ करवाना है। कुछ confidential. प्रिया शर्मा के bank details निकालो। वो जो tiffin service चलाती है। और discreetly… anonymously, खन्ना जी… उसके account में एक substantial sum of money transfer करो। इतना कि उसके सारे damages cover हो जाएं, सारे lost contracts, और उससे ज़्यादा। ये लगना चाहिए कि ये किसी anonymous client का payment है उसकी tiffin service के लिए। और ये कभी भी मुझ तक trace नहीं होना चाहिए। Understood?"

    दूसरी तरफ एक पल के लिए silence था, एक pause जिससे पता चल रहा था कि खन्ना जी, अपनी loyalty के बावजूद, request से थोड़ा surprise हो गए थे। लेकिन बस एक पल के लिए।

    "Understood, Mr. Rathore. ये सुबह तक हो जाएगा।"

    आरव ने phone रख दिया, उसके होंठों पर एक छोटी सी मुस्कान थी। उसे अभी भी ये नाटक जारी रखना था, लेकिन वो उसे suffer नहीं करने दे सकता था। तब तो बिलकुल नहीं जब वो एक वड़ा पाव के लिए इतनी genuine चिंता करती है। ये kindness के लिए एक छोटा सा repayment था जो किसी भी grand gesture से ज़्यादा बड़ा लग रहा था जो उसे कभी मिला था। वो पीछे बैठ गया, उसके अंदर एक warmth फैल रही थी। The best meal, indeed.

  • 10. Jugaad Wala Ishq - Chapter 10

    Words: 1812

    Estimated Reading Time: 11 min

    ## चैप्टर 10

    राठौर खानदान के बड़े से लिविंग रूम में चमेली की अगरबत्ती की खुशबू फैली हुई थी और परिवार की पुरानी बातें हवा में तैर रही थीं। राजमाता, जिनके चांदी जैसे बाल अच्छे से बंधे थे, एक पुरानी कुर्सी पर बैठी थीं और उनकी नज़रें आरव पर थीं। आरव उनके सामने बैठा अपनी शर्ट का एक ढीला धागा खींच रहा था। वो ध्यान देने की कोशिश कर रहा था, पर उसका मन नहीं लग रहा था।

    "आरव," राजमाता ने बोलना शुरू किया। उनकी आवाज़ में दम था, लेकिन उसमें एक थकान भी थी जो आरव को महसूस हो रही थी। "हमें तुम्हारे भविष्य के बारे में बात करनी है।"

    आरव समझ गया। इसका मतलब था, 'अपने बेकार के गैजेट्स से खेलना बंद करो और एक CEO बनो।' "जी, दादी। मैं हमेशा भविष्य पर बात करने के लिए तैयार हूँ। शायद सस्टेनेबल... इनोवेशन के लिए पांच साल का plan?" उसने धीरे से कहा, बात को टालने की कोशिश करते हुए।

    राजमाता के होंठ पतले हो गए। "वो भविष्य नहीं, बेटा। *तुम्हारा* भविष्य। जिसमें ज़िम्मेदारी हो, स्थिरता हो, और सच कहूँ तो, एक अच्छी जीवनसाथी हो।" वो रुकीं, उनकी नज़रें सीधी आरव पर थीं। "मैंने तुम्हें देखा है, आरव। तुम्हारी... सनक। तुम्हारी बेरुखी। ये तुम्हारी ज़िंदगी में किसी चीज़ की कमी से है। अपनी छोटी सी दुनिया से बाहर किसी ज़िम्मेदारी की कमी से।"

    आरव थोड़ा झुक गया। अब ये होने वाला था।

    "मैंने इस बारे में बहुत सोचा है," राजमाता ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा। उनकी आवाज़ में ज़ोर था। "और मैं एक फैसले पर पहुँची हूँ। अब तुम्हारी शादी करने का समय आ गया है।"

    आरव की आँखें फैल गईं। "शादी? दादी, लेकिन... अभी क्यों? मैं अभी भी अपने... अपने, उह, इको-फ्रेंडली वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम को perfect कर रहा हूँ! मुझे इस पर पूरा ध्यान देना है!" उसने बिना सोचे समझे वो बात कह दी जो उसके दिमाग में आई।

    राजमाता ने सिर्फ एक भौंह उठाई। "एक पत्नी, आरव, तुम्हारी ज़िंदगी में सब ठीक कर देगी। वो तुम्हें तुम्हारे invention से बढ़कर एक मकसद देगी। वो तुम्हारा सहारा बनेगी।" उन्होंने ताली बजाई, और खन्ना जी फौरन अंदर आए, एक औरत को लेकर जो एक शानदार रेशमी साड़ी में लिपटी हुई थी, जिसके बाल ऊँचे मधुमक्खी के छत्ते जैसे थे, और उसके चेहरे पर एक प्रोफेशनल मुस्कान थी।

    "आरव, मिलो मिसेज शोभा देवी से, ये पूरे राज्य में सबसे जानी-मानी matchmaker हैं," राजमाता ने अपनी आँखों में खुशी के साथ कहा। "उन्होंने भारत के सबसे अच्छे परिवारों के लिए रिश्ते ढूँढे हैं।"

    मिसेज शोभा देवी मुस्कुराईं, एक चमकदार, लगभग शिकारी मुस्कान। "मिलकर खुशी हुई, मिस्टर राठौर। राजमाता जी ने मुझे आपके बारे में बहुत कुछ बताया है। इतना शानदार दिमाग, इतना... *अनोखा*। लेकिन चिंता मत करो, हम तुम्हारे लिए सही balance ढूँढ लेंगे। कोई ऐसा जो तुम्हारी... *सनक* को समझे, और फिर भी वो स्थिरता दे जो राठौर खानदान को चाहिए।" उन्होंने 'सनक' पर ज़ोर दिया जिससे आरव अंदर ही अंदर सिकुड़ गया।

    उन्होंने एक बड़ा सा portfolio खोला, जिसमें से उन्होंने चमकदार तस्वीरों की एक series निकाली। हर तस्वीर में एक खूबसूरत औरत डिजाइनर कपड़ों में सजी हुई थी, बड़ी-बड़ी हवेली या लग्ज़री कारों के सामने pose दे रही थी। "हमने कुछ नाम छाँट लिए हैं, मिस्टर राठौर। हर लड़की हीरा है। पुराने पैसे वाले, अच्छे परिवार वाले, और सबके सही connections हैं।"

    उन्होंने पहली तस्वीर दिखाई। "ये मिस अनन्या सिंह हैं। उनका परिवार साउथ अफ्रीका में हीरे की खानों का सबसे बड़ा मालिक है। Intelligent, शालीन, सात भाषाओं में fluent, और एक ट्रेन्ड क्लासिकल डांसर।"

    आरव ने फोटो को घूर कर देखा। औरत एक इंसान कम और पूरी तरह से तराशी हुई गुड़िया ज़्यादा लग रही थी। वो पहले से ही उबाऊ बातें, नकली मुस्कुराहटें और कभी न खत्म होने वाली social obligations की कल्पना कर सकता था। उसका पेट खराब हो गया।

    "और ये," मिसेज देवी ने अगली तस्वीर दिखाते हुए कहा। "मिस काव्या रेड्डी। शिपिंग के बड़े व्यापारी की बेटी। उसके पास हार्वर्ड से MBA है, वो तीन सफल startup चलाती है, और एक अच्छी घुड़सवार है।"

    आरव ने सोचा कि वो उसकी board meetings में दखल देगी, उसकी grammar ठीक करेगी, और शायद उसके मोजे पहनने के तरीके पर भी comment करेगी। "वो... forceful लगती हैं," वो मुश्किल से बोल पाया।

    "बेशक!" मिसेज देवी ने चमकते हुए कहा। "राठौर साम्राज्य के लिए एक perfect match. एक सच्ची power couple!"

    राजमाता ने हाँ में सिर हिलाया। "हमने पहले से ही कुछ meetings तय कर ली हैं। पहली meeting अगले हफ्ते है। ग्रैंड हेरिटेज होटल में मिस अनन्या सिंह के साथ हाई टी।"

    आरव का दिल डूब गया। एक हाई टी। मिस अनन्या सिंह के साथ। ये उसका सबसे बुरा सपना सच हो रहा था। वो ऐसी किसी से शादी नहीं कर सकता था। कोई ऐसा जो शायद सोल्डरिंग आयरन को देखकर बेहोश हो जाए या सेल्फ-मेकिंग टी बॉट पर सवाल उठाए। उसे... उसे कुछ और चाहिए था। कोई और चाहिए था। कोई ऐसा जो एक perfectly executed सर्किट की खुशी को समझे, या एक जुगाड़ से किए गए काम की जीत को समझे।

    उसने मुश्किल से ही मिसेज देवी को बाकी लड़कियों के बारे में बातें करते हुए सुना। उसका दिमाग पहले से ही घूम रहा था, आने वाली शादी के डर से नहीं, बल्कि एक नई problem को solve करने के उत्साह से।

    जैसे ही उसे जाने दिया गया, आरव लगभग कमरे से भाग गया, राजमाता और मिसेज शोभा देवी को शादी से पहले के agreement के बारे में बातें करते हुए छोड़ गया। वो अपने सीक्रेट वर्कशॉप में घुस गया, अपने पीछे दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया।

    उसने कमरे में चक्कर लगाया, अपनी कनपटी को रगड़ते हुए। "Sabotage," वो खुद से बड़बड़ाया। "हाँ. Sabotage. लेकिन कैसे? ये subtle होना चाहिए। ज़्यादा ज़ाहिर नहीं। कुछ ऐसा जो उन्हें *मेरे* बारे में सोचने पर मजबूर करे, न कि इसका उल्टा। कुछ... inventive."

    उसकी नज़रें गैजेट्स पर पड़ीं, उसका दिमाग पूरी तरह से काम कर रहा था। उसने एक अधूरा डिवाइस उठाया, फिर दूसरा, उसके चेहरे पर धीरे-धीरे एक मुस्कान फैल गई। ये एक चुनौती थी जिसमें वो अपना दिमाग लगा सकता था। ये उसकी talent के लायक problem थी।

    "ठीक है, आरव," उसने खुद से कहा, एक मल्टीमीटर को microphone की तरह पकड़े हुए। "Mission: Operation Avoid Marriage. Step one: Target की कमजोरियों का पता लगाओ। Step two: हर एक के लिए एक खास counter-measure design करो। Step three: सही तरीके से execute करो।"

    उसने एक बड़ा व्हाइटबोर्ड निकाला, एक मार्कर पकड़ा। उसने ज़ोर-शोर से sketch बनाना शुरू कर दिया, उसका डर एक इरादे में बदल गया। पहली date मिस अनन्या सिंह के साथ थी। एक डायमंड वारिस को क्या नाराज़ करेगा जो हमेशा perfect रहती है? उसने मार्कर को अपनी ठुड्डी पर tap किया, उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी। ओह, ये तो मज़ेदार होने वाला था।

  • 11. Jugaad Wala Ishq - Chapter 11

    Words: 2317

    Estimated Reading Time: 14 min

    ## चैप्टर 11

    ग्रैंड हेरिटेज होटल में हाई टी बिल्कुल वैसी ही थी जैसा आरव ने सोचा था: बहुत ज़्यादा दिखावटी, दमघोंटू formal और बिल्कुल भी असली feeling नहीं थी। वो एक चमकती हुई महोगनी टेबल पर बैठा, अपनी रेशमी बो टाई को ठीक कर रहा था, जो उसकी दादी ने पहनने को कहा था। लेकिन वो बो टाई बस ऐसी ही नहीं थी। इसके अंदर छोटे-छोटे सेंसर और एक छोटा सा vibrating मोटर लगा हुआ था। ये उसका नया invention था: 'वेरिटास टाई,' जो झूठ पकड़ने और उस पर react करने के लिए बनाई गई थी। वो इसे अपनी 'lie-detecting' बो टाई कहता था।

    उसे लग रहा था जैसे वो किसी secret mission पर जासूस हो, ना कि अरेंज मैरिज की डेट पर आया कोई लड़का। उसने पिछली रात device को calibrate करने में बिताई, उसकी sensitivity को ठीक किया। उसने decide किया कि ये छोटी-मोटी बातों या social lies पर नहीं बजेगी। नहीं, ये बड़े-बड़े और खुद को बड़ा बताने वाले झूठ के लिए program की गई थी। जिस तरह के झूठ सुनकर उसका मन करता था कि वो चिल्ला उठे।

    जैसे ही मिस अनन्या सिंह ने entry की, पूरे टी रूम में फुसफुसाहट होने लगी। वो एकदम perfect लग रही थीं, उन्होंने emerald green कलर की designer साड़ी पहनी हुई थी और उनका diamond necklace झूमरों के नीचे चमक रहा था। वो बहुत ही सलीके से चल रही थीं, socialites की बातों और air kiss को accept करते हुए वो उसकी table की तरफ बढ़ रही थीं।

    "मिस्टर राठौर," वो म्याऊं की तरह बोलीं, अपना perfectly manicured हाथ आगे बढ़ाते हुए। उनकी smile उनके गहनों की तरह ही बेदाग थी। "ये बहुत खुशी की बात है। मैंने आपके family के बारे में बहुत सुना है। इतनी शानदार legacy."

    आरव ने उनका हाथ थामा, और उसने अपनी बो टाई से आने वाली हल्की सी आवाज़ सुनी। *Interesting. अभी से?* उसने बड़ी मुश्किल से एक polite और formal smile दी। "ये खुशी मेरी है, मिस सिंह। Please, बैठिए।"

    बैठने के बाद, वेटर उनके बीच में sandwich और pastry का एक stand रख गया। अनन्या ने एक छोटा सा खीरे का sandwich उठाया और बस थोड़ा सा ही खाया।

    "मुझे मानना होगा," उसने अपनी नरम और संस्कारी आवाज़ में कहा, "जब राजमाता जी ने इस meeting का suggestion दिया तो मैं बहुत interested थी। मेरी life *इतनी* busy है, आप समझ सकते हैं। मैं लगातार charity gala, Paris में fashion week और Africa में अपने demanding परोपकारी काम के बीच भागती रहती हूं। ये सच में थका देने वाला है, लेकिन हमें कुछ तो वापस देना ही चाहिए, है ना?"

    वेरिटास टाई ने उसकी Adam's apple के पास और ज़ोर से *bzzzz* की आवाज़ की। ये इतनी ज़ोर से नहीं थी कि उसे सुनाई दे, लेकिन आरव को ये साफ महसूस हुई। उसने खांसने की कोशिश की। "बेशक। परोपकार एक अच्छा काम है।"

    अनन्या ने नाटकीय अंदाज़ में आह भरी। "Oh, ये है। बस पिछले महीने, मैंने खुद एक दूरदराज के गांव में help distribute करने का काम देखा। गांव वाले बहुत thankful थे। उन्होंने कहा कि मैं उनकी angel हूं। उनके चेहरे को चमकते हुए देखना बहुत अच्छा लग रहा था।"

    *BZZZZZZZ!* बो टाई पहले से ज़्यादा ज़ोर से vibrate हुई, अब आरव को हल्की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी, लेकिन उम्मीद है कि उसे नहीं सुनाई दे रही होगी। उसने चालाकी से अपनी टाई को adjust किया, जैसे कि वो uncomfortable हो रहा हो। "क्या आप... ठीक महसूस कर रहे हैं, मिस्टर राठौर? आप थोड़े... लाल दिख रहे हैं।"

    "Oh, बस थोड़ी सी... चाय की पत्तियों से allergy है। बहुत sensitive हूं, आप समझती हैं," आरव बड़बड़ाया, माफ़ी मांगने की कोशिश करते हुए। उसे लग रहा था कि उसके चेहरे पर एक शरारती smile आने वाली है। ये पहले से ही उसकी उम्मीदों से ज़्यादा हो रहा था।

    "हाँ, allergies बहुत बुरी हो सकती हैं," अनन्या ने sympathy दिखाते हुए कहा, फिर खुश हो गईं। "वैसे, मैं कह रही थी। मेरा latest project sustainable, ethical diamond mines की एक chain शुरू करना है। बेशक, मेरे family के पास पहले से ही सबसे बड़ी mines हैं, लेकिन मेरा मानना है कि *सच्ची* ethical sourcing होनी चाहिए, बिल्कुल शुरू से, आप समझती हैं। मैंने खुद महीनों mines में बिताए हैं, अपने हाथों को गंदा किया है, ये sure करते हुए कि employees को सही salary और काम करने की अच्छी conditions मिलें।"

    बो टाई घूमने लगी, एक धीमी, लगातार गुर्राहट के साथ जो एक फंसे हुए भौंरे की तरह लग रही थी। आरव की आँखें थोड़ी फैल गईं। ये एक बहुत बड़ा झूठ था। उसने जल्दी से अपनी गर्दन पर हाथ फेरा, ये दिखाने की कोशिश करते हुए कि वो सिर्फ अपनी टाई adjust कर रहा है। अनन्या रुकी, उसकी perfect makeup वाली आँखों में थोड़ी सी चिड़चिड़ाहट थी।

    "क्या आपकी टाई में कुछ गड़बड़ है, मिस्टर राठौर? ये बहुत अजीब आवाज़ कर रही है।"

    "Oh, ये पुरानी चीज़?" आरव हकलाया, उसे खींचते हुए। "ये, ah, ये एक vintage piece है। कभी-कभी, रेशम... रगड़ता है। थोड़ी सी... static पैदा करता है। Tension की कोई बात नहीं है, बिल्कुल भी नहीं।" उसने उसे एक unconvinving smile दी।

    अनन्या ने अपनी आँखें सिकोड़ीं, साफ तौर पर उसे विश्वास नहीं हुआ, लेकिन वो आगे बढ़ीं, शायद ये सोचकर कि वो थोड़ा rude है। "जैसा कि मैं कह रही थी, ethical practices के लिए मेरी commitment सबसे बढ़कर है। क्यों, बस पिछले हफ्ते, एक बड़े international publication ने मेरे क्रांतिकारी तरीकों पर एक feature करने के लिए हंगामा मचा दिया था। मुझे विनम्रता से इनकार करना पड़ा, बेशक। मैं अपने अच्छे काम को private रखना पसंद करती हूं। विनम्रता, आप समझती हैं, मेरे लिए बहुत ज़रूरी है।"

    *VVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVVV!* वेरिटास टाई over drive में चली गई। ये इतनी ज़ोर से vibrate हुई कि ये सचमुच उसकी गर्दन पर झूलने लगी, जिससे एक ज़ोर की, तेज़ *थरथराने* की आवाज़ आने लगी। अब ये हल्की नहीं थी। ये पूरी तरह से mechanical fit थी।

    आरव ने आवाज़ को दबाने की कोशिश करते हुए अपने बो टाई पर हाथ रखा, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। अनन्या घूर रही थी, उसका संस्कारी expression धीरे-धीरे खुले मुंह वाले अचंभा में बदल रहा था, फिर disbelief में। आस-पास की table पर बैठे दूसरे लोग भी अजीब आवाज़ से attract होकर देखने लगे।

    "मिस्टर राठौर!" अनन्या चिल्लाई, उसकी आवाज़ से संस्कारी मिठास गायब हो गई। "ये क्या है... आपकी टाई बहुत अजीब तरह से behave कर रही है! क्या ये... टूटी हुई है?"

    आरव ने हैरान दिखने की acting की, उसकी आवाज़ माफ़ी से भरी हुई थी। "टूटी हुई? Oh dear. मुझे माफ़ करना, मिस सिंह। इसने पहले कभी ऐसा नहीं किया। शायद होटल में आसपास के electromagnetic field... इसके नाज़ुक mechanism के साथ interfere कर रहे हैं। हाँ, यही होना चाहिए। बहुत sensitive electronics हैं, आप समझती हैं।" उसने सच में चिंता दिखने की कोशिश की, जबकि अंदर ही अंदर वो खुशी से नाच रहा था।

    "Sensitive electronics? ये एक मरते हुए कीड़े की तरह लग रही है!" उसने झिड़कते हुए कहा, उसकी आँखें चमक रही थीं। उसका आपा खो रहा था। "और क्या आप ये कह रहे हैं कि *मेरी* मौजूदगी, या इस respectable होटल का atmosphere, आपके... contraption को खराब कर रहा है?"

    "Oh, नहीं, नहीं, बिल्कुल नहीं!" आरव ने ज़ोर दिया, हालाँकि बो टाई अभी भी एक गुस्से वाले हॉर्नेट की तरह बज रही थी। उसे अपना चेहरा सीधा रखना मुश्किल हो रहा था। "ये सिर्फ एक बहुत ही advanced piece of... sartorial technology है। एक prototype, आप समझती हैं। अभी भी beta testing में है। जाहिर है, कुछ bugs को ठीक करना बाकी है।"

    अनन्या ने अपनी chair पीछे खींची, उसके चेहरे पर पूरी तरह से घृणा का भाव था। "एक prototype? क्या आप serious हैं, मिस्टर राठौर? आप एक formal meeting में एक खराब, बजने वाला... gadget पहनकर आए हैं? ये बहुत insult करने वाली बात है! क्या आप इस पूरी arrangement का मज़ाक बना रहे हैं?"

    आरव तुरंत regret करने लगा, उसकी आवाज़ झूठी माफ़ी से भरी हुई थी। "मिस सिंह, मैं आपको यकीन दिलाता हूं, मेरा ऐसा कोई intention नहीं था। मैं बस... मैं एक अच्छा impression बनाना चाहता था। आपको चीजों के प्रति अपना... unique approach दिखाना चाहता था।" उसने अपनी टाई की ओर इशारा किया, जो अब एक धीमी, डरावनी गुर्राहट में बदल गई थी, जो बीच-बीच में vibrate हो रही थी।

    "Unique?" अनन्या ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा, वो अपने पैरों पर खड़ी हो गई। पूरा टी रूम अब खुलकर देख रहा था। "ये unique नहीं है, मिस्टर राठौर। ये... अजीब है! मेरी life में इतना insult कभी नहीं हुआ! मेरा time बर्बाद करने के लिए बहुत कीमती है... इस दिखावे पर! Good day, मिस्टर राठौर।"

    गुस्से से अपनी emerald साड़ी को घुमाते हुए, वो मुड़ी और टी रूम से बाहर निकल गई, जिससे उसकी पीछे हैरान कर देने वाली चुप्पी और उत्सुक फुसफुसाहट होने लगी। आरव ने उसे जाते हुए देखा, उसके चेहरे पर एक छोटी सी, विजयी smile धीरे-धीरे फैल रही थी। उसने अपना हाथ ऊपर उठाया, धीरे से अब-शांत बो टाई को थपथपाया।

    "Good job, वेरिटास," उसने टाई से फुसफुसाते हुए कहा। "Mission पूरा हुआ।"

    उसने एक macaron उठाया और उसे अपने मुंह में डाल लिया। जीत का स्वाद मीठा था। उसने राजमाता का reaction imagine किया जब उन्हें इस भयानक date के बारे में पता चलेगा। उसे लगभग उनकी खीजी हुई आह सुनाई दे रही थी। लेकिन ये आज़ादी के लिए एक छोटी सी price थी। एक down. उस डरावनी list में और कितने उम्मीदवार थे? उसे workshop में वापस जाना होगा। उसे और inventing करनी है। ये किसी भी board meeting से कहीं ज़्यादा interesting है।

  • 12. Jugaad Wala Ishq - Chapter 12

    Words: 1821

    Estimated Reading Time: 11 min

    **अध्याय 12**

    विक्रमादित्य शेखावत का ऑफिस एकदम सिंपल था। हर जगह ग्लास, क्रोम और डार्क वुड ही दिख रहा था। कोई पर्सनल चीज़ें नहीं थीं, न ही कोई फैमिली फोटो। बस एकदम साफ़ और ठंडा माहौल था, जो विक्रम के personality को दिखाता था। वो बड़ी सी विंडो के पास खड़े होकर शहर को देख रहे थे। दूर, राठौर ग्लोबल का बड़ा सा हेडक्वार्टर दिख रहा था। उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी। वो एक शिकारी की तरह थे, जो सब्र से काम लेते हैं, और उनका शिकार शुरू हो चुका था।

    डोरबेल बजी, और उनका हेल्पर, रोहन, जो थोड़ा सख्त दिखता था, अंदर आया। "सर, मिस्टर देव शर्मा आए हैं।"

    विक्रम मुड़े, उनकी आँखों में कोई warmth नहीं थी। "उन्हें भेजो।"

    देव शर्मा अंदर आए। वो लगभग साठ साल के थे, उनके कंधे झुके हुए थे, और उन्होंने एक ब्रीफकेस पकड़ा हुआ था। वो ऐसे लग रहे थे जैसे उनके साथ बहुत बुरा हुआ हो। वो राठौर ग्लोबल में सीनियर इंजीनियर थे, लगभग पच्चीस साल से काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें जो प्रमोशन मिलना चाहिए था वो एक नए लड़के को मिल गया, जिसके पास कम एक्सपीरियंस था। उनकी कड़वाहट ऐसे लग रही थी जैसे भट्टी से गर्मी निकल रही हो।

    "मिस्टर शर्मा," विक्रम ने कहा, उनकी आवाज़ एकदम smooth थी। "थैंक यू आने के लिए। प्लीज, बैठिए।" उन्होंने अपने बड़े से खाली डेस्क के सामने वाली कुर्सी की तरफ इशारा किया।

    देव बैठ गए, उनकी नज़रें ऑफिस में इधर-उधर घूम रही थीं। "आपने... आपने एक अच्छा severance package देने का वादा किया था, मिस्टर शेखावत। और एक नौकरी का भी, अगर सब... ठीक रहा तो।"

    विक्रम आगे की तरफ झुके, उन्होंने अपने हाथ डेस्क पर रखे। "मैं हमेशा अपने वादे निभाता हूँ, मिस्टर शर्मा। खासकर उनसे जो अपनी value दिखाते हैं। और मुझे लगता है कि आप बहुत valuable हैं। आपके पास सालों का एक्सपीरियंस है, है ना?"

    देव ने हाँ में सिर हिलाया, उनकी नाराज़गी में थोड़ी सी खुशी भी थी। "मैं राठौर ग्लोबल को अंदर-बाहर से जानता हूँ। हर डिपार्टमेंट, हर प्रोजेक्ट... हर सीक्रेट।"

    "बहुत बढ़िया," विक्रम धीरे से बोले। "तो चलिए, सीक्रेट्स से शुरू करते हैं। मुझे राठौर के इंटरनल स्ट्रक्चर के बारे में बताइए। आईटी infrastructure के बारे में। नेटवर्क security के बारे में। और सबसे ज़रूरी बात, लोगों के बारे में बताइए। कौन वफादार है? कौन नाखुश है?"

    देव ने अपना ब्रीफकेस खोला और एक मोटी फाइल निकाली, और उसे डेस्क पर रख दिया। "ये उनके नेटवर्क architecture का एक ओवरव्यू है। ये थोड़ा पुराना है, लेकिन core system अभी भी वही हैं। मैंने कुछ खास लोगों को और उनके access level को भी highlight किया है। और जहाँ तक नाखुश लोगों की बात है... तो बस इतना कहूँगा कि आरव राठौर पुराने लोगों को inspire नहीं कर पा रहे हैं।"

    विक्रम ने फाइल उठाई और उसे पलटने लगे। "आरव राठौर," उन्होंने नाम दोहराया, उनकी आवाज़ में हल्की सी सरसराहट थी। "हाँ, हमारे सनकी वारिस। वो आजकल खूब चर्चा में हैं, है ना? ड्रोन और अजीबोगरीब inventions की बातें करते रहते हैं। इससे वो थोड़े... flighty लगते हैं।"

    देव हँसे। "Flighty तो बहुत कम है। वो बोर्डरूम से ज़्यादा टाइम तो अपने गैरेज में बिताते हैं। उन्होंने उसे सीटीओ का पद दे दिया है, लेकिन वो सब कुछ खन्ना जी को सौंप देते हैं। वो जीनियस तो हैं, लेकिन उन्हें मल्टी-बिलियन-डॉलर के एम्पायर को चलाने की कोई समझ नहीं है। वो एक liability हैं।"

    "बिल्कुल," विक्रम सहमत हुए, उनकी आँखों में एक ठंडी चमक थी। "एक बड़ा liability, अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो। मिस्टर शर्मा, राठौर ग्लोबल में आपके लंबे कार्यकाल के दौरान, क्या आपको कभी कोई... खासकर ambitious प्रोजेक्ट्स मिले? ऐसे प्रोजेक्ट्स जिन्हें शायद रोक दिया गया हो, या जिन्हें बहुत risky माना गया हो? खासकर आरव के पिता के समय का कोई प्रोजेक्ट?"

    देव ने सोचते हुए माथे पर बल डाला। "रोके गए प्रोजेक्ट्स? हाँ, कुछ तो थे। आरव के पिता एक visionary थे। हमेशा कुछ नया करने की सोचते रहते थे। उनके कुछ ideas... समय से आगे के थे। या बहुत महंगे थे। या बस... उस समय के बोर्ड के लिए बहुत ज़्यादा थे।"

    "ज़रा विस्तार से बताइए," विक्रम ने कहा, उनकी आवाज़ धीमी और गंभीर थी। "क्या आपको कुछ खास याद है? कोई बड़ा रिसर्च प्रोजेक्ट, खासकर एनर्जी या एडवांस टेक्नोलॉजी में?"

    देव ने अपनी ठुड्डी पर हाथ रखा। "एक था। बड़ा था। वो टॉप-सीक्रेट था, हम में से ज़्यादातर लोगों के लिए भी। उसे 'प्रोजेक्ट फीनिक्स' नाम दिया गया था। ये उनके पिता का पसंदीदा प्रोजेक्ट था, जिस पर उन्होंने अपना सारा समय और पैसा लगा दिया था... उनकी मौत से पहले। उनकी मौत के बाद उसे रहस्यमय तरीके से रोक दिया गया। किसी को नहीं पता था कि वो क्या था, बस इतना पता था कि वो क्रांतिकारी होने वाला था।"

    विक्रम की आँखें तेज़ हो गईं। "प्रोजेक्ट फीनिक्स। Interesting। क्या आपके पास उसकी कोई फाइल है? कोई schematics, कोई डेटा, कुछ भी?"

    देव हिचकिचाए, फिर विक्रम के हेल्पर द्वारा रखे गए पानी का एक घूँट पिया। "शायद... शायद मेरे पास हो। उस समय मेरी हर चीज़ तक पहुँच थी। मैं उन कुछ इंजीनियरों में से एक था जिन्हें उनके पिता के स्पेशल प्रोजेक्ट्स के लिए चुना गया था। मैंने कुछ मास्टर फाइल्स की कॉपी कर ली थी, बस अपने रिकॉर्ड के लिए, आप समझ सकते हैं। ताकि अगर मुझे कभी अपनी worth साबित करने की ज़रूरत पड़े तो काम आए। वो encrypted हैं, ज़रूर। बहुत ज़्यादा encrypted। लेकिन मेरे पास हैं। एक डिजिटल आर्काइव।"

    "अच्छा," विक्रम ने कहा, उनके चेहरे पर आखिरकार एक असली मुस्कान आई। ये एक डरावना नज़ारा था। "बहुत अच्छा, मिस्टर शर्मा। यही वो 'institutional knowledge' है जिसकी मुझे तलाश है। मैं अपनी टेक्निकल टीम से उसे decrypt करवाऊँगा। अभी के लिए, मुझे इस 'प्रोजेक्ट फीनिक्स' के बारे में सब कुछ बताइए जो आपको याद है। हर डिटेल, चाहे वो कितनी भी छोटी क्यों न हो। हर वो इंसान जो इसमें शामिल था। हर वो जगह जिसका ज़िक्र किया गया था। सब कुछ।"

    देव पीछे झुके, उनके चेहरे पर एक आरामदायक, लगभग smug भाव था। कड़वाहट अभी भी थी, लेकिन अब उसमें एक अहमियत का एहसास भी था। उनके पास जानकारी थी, और वो जानकारी ताकत थी। और बहुत समय बाद पहली बार, उन्हें लग रहा था कि वो जीतने वाली साइड पर हैं। उन्होंने बोलना शुरू किया, सालों के छुपे हुए कॉर्पोरेट इतिहास को बताते हुए, ये अनजान थे कि वो बस एक बड़े और ज़्यादा destructive गेम में एक टूल हैं। विक्रम सुन रहे थे, हर शब्द को सोख रहे थे, उनका दिमाग पहले से ही अपने attack का अगला फ़ेज़ बना रहा था। राठौर ग्लोबल, और उसका 'झल्ली' वारिस, जल्द ही गिर जाएगा।

  • 13. Jugaad Wala Ishq - Chapter 13

    Words: 1922

    Estimated Reading Time: 12 min

    **अध्याय 13**

    प्रिया की किचन में ताज़े पिसे मसालों की खुशबू फैली हुई थी। वैसे तो ये खुशबू हमेशा अच्छी लगती है, लेकिन आज इसमें जीत की खुशबू भी मिक्स थी। प्रिया एक बॉलीवुड गाना गुनगुना रही थी और जोश में एक बड़ा सा दाल का बर्तन साफ़ कर रही थी। उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी। उसकी मां, शांति, दरवाजे से उसे देख रही थी, उनके चेहरे पर हंसी और tension दोनों दिख रहे थे।

    "क्या हुआ, प्रीयू?" शांति ने हंसते हुए पूछा। "तू इतनी खुश क्यों हो रही है, जैसे लॉटरी लग गई हो। क्या किसी ने वो पुराना उधार चुका दिया?"

    प्रिया तुरंत मुड़ी, उसके हाथ में साबुन से भरा स्पंज था। "उससे भी अच्छी खबर है, मां! याद है वो प्रेजेंटेशन जो मैं IT कंपनी, कनेक्टसिंक के लिए बना रही थी?"

    शांति ने हां में सिर हिलाया। "वो जिसके बारे में तू कह रही थी कि बहुत मुश्किल है? तूने पूरी रात उस पर काम किया, वो फैंसी स्प्रेडशीट के साथ।"

    "हां, लेकिन अब वो मुश्किल नहीं रही, मां!" प्रिया ने अपने हाथ हवा में लहराए, जिससे मुश्किल से ही उसकी मां पर पानी गिरने से बचा। "उन्हें वो बहुत पसंद आया! उन्हें 'हेल्दी ऑफिस लंच' का आइडिया बहुत पसंद आया! हमें कॉन्ट्रैक्ट मिल गया, मां! उनके सारे employees के लिए रेगुलर, हर हफ्ते का कॉन्ट्रैक्ट!"

    शांति की आंखें फैल गईं, उनकी tension वाली शिकन एक असली मुस्कान में बदल गई। "अरे वाह! सच में? बेटा, ये तो बहुत अच्छी बात है! मुझे पता था कि तेरा खाना अच्छा है, लेकिन ऐसा रेगुलर कॉन्ट्रैक्ट... ये तो बहुत बड़ी बात है, प्रीयू।"

    "बहुत बड़ी!" प्रिया खुशी से चमक उठी, उसने अपने एप्रन पर हाथ पोंछे। "उन्होंने कहा कि उनके employees चिकनाई वाले कैंटीन के खाने और भारी टिफिन से थक गए थे, जिससे उन्हें दोपहर तक नींद आने लगती है। उन्हें कुछ हल्का, पौष्टिक और रेगुलर चाहिए था। और मेरे 'जुगाड़ हेल्थ मील्स' बिल्कुल सही बैठे!"

    "जुगाड़ हेल्थ मील्स?" शांति हंस पड़ीं। "ये क्या है, तेरा एक और अजीब नाम?"

    "लगभग," प्रिया ने माना, उसके चेहरे पर सोचने वाले भाव थे। "ये असल में अभी ने कहा था, indirectly. वो बता रहा था कि कैसे उसकी इन्वेंशंस मुश्किल प्रॉब्लम्स को आसान बना देती हैं, चीजों को efficient बनाती हैं और... healthy भी। वो मुझे एक अजीब सा रोबोट दिखा रहा था जो nutrients को मापता है और... एक balanced मील प्लान को प्लेट पर दिखाता है। वो बहुत ही ज़्यादा था, लेकिन इससे मुझे एक idea आया। क्यों न उस 'scientific, efficient' तरीके को टिफिन सर्विस में इस्तेमाल किया जाए?"

    शांति ने अपनी भौंहें उठाईं। "अभी और उसके gadgets. उस लड़के के साथ हमेशा कुछ अनोखा होता है।" वो अभी भी प्रिया के उस लड़के के लिए काम करने से पूरी तरह comfortable नहीं थी जिसे वो unconventional मानती थी, लेकिन वो नतीजों को मना नहीं कर सकती थी।

    "बिल्कुल!" प्रिया ने अपनी उंगलियां चटकाईं। "उसका चीजों को देखने का एक अलग तरीका है, पता है? जैसे, हर चीज को बेहतर किया जा सकता है। इसलिए मैंने सिर्फ 'खाना बनाने' के बारे में सोचना बंद कर दिया और 'meal design करने' के बारे में सोचना शुरू कर दिया जो ऑफिस वर्कर्स के लिए काम करने की speed को बढ़ाए। कम तेल, ज़्यादा ताज़ी सब्जियां, lean protein, balanced carbs. और बिल्कुल टाइम पर delivery, हर दिन, कोई बहाना नहीं। कोई लेट delivery नहीं, कोई दाल का disaster नहीं।" उसने दाल के बर्तन की तरफ इशारा किया, उसे ड्रोन क्रैश याद आ गया।

    "तो, ये सब उसके... influence का नतीजा है?" शांति ने पूछा, उनकी आवाज़ में अभी भी थोड़ा संदेह था।

    प्रिया हंस पड़ी। "Influence? मां, वो कभी credit नहीं लेगा। शायद उसे पता भी नहीं है। वो बस ऐसे ही wild ideas देता रहता है, और मैं वो हूं जो ये पता लगाती है कि उन्हें कैसे *real* बनाया जाए। कैसे उन्हें सच किया जाए और उन्हें असल में काम करने लायक बनाया जाए। जैसे, वो 'nanobot-enhanced flavor delivery system' के बारे में बात करेगा, और मैं बस तड़के में मसालों को बिना जलाए डालने का एक बेहतर तरीका निकाल लूंगी!"

    वो रुकी, उसकी मुस्कान थोड़ी नरम पड़ गई। "लेकिन हां, मुझे लगता है कि उसने मुझे push किया। वो कहता रहता है कि मेरा 'जुगाड़' एक superpower है। और मुझे लगता है... मुझे लगता है कि ये है। मैंने उसके crazy ideas लिए और उन्हें practical बना दिया। और अब, देखो! एक नया कॉन्ट्रैक्ट!"

    तभी, उसका phone बजा। ये एक unknown number था। प्रिया ने उसे देखा, हिचकिचाई, फिर जवाब दिया। "हेलो? प्रिया शर्मा, जुगाड़ टिफिन सर्विस।"

    "अह, मिस शर्मा, मैं कनेक्टसिंक IT सोल्यूशंस से रवि बोल रहा हूं," दूसरी तरफ से एक हंसमुख आदमी की आवाज आई। "बस मंडे के लिए पहली delivery confirm करने के लिए कॉल किया था। टीम आपके भेजे हुए menu को लेकर बहुत excited है। 'Lean Green Paneer' और 'Power-Packed Pulao' आपके presentation में बहुत fantastic लग रहे थे। हम सब इसका इंतज़ार कर रहे हैं।"

    प्रिया की मुस्कान और भी चौड़ी हो गई। "हां, मिस्टर रवि! सब कुछ confirm है। आप निराश नहीं होंगे। Fresh, healthy और टाइम पर। Guaranteed."

    "बहुत बढ़िया! और वैसे, राठौर ग्लोबल की टीम ने किसी तरह आपके presentation के बारे में सुना। मुझे लगता है बात जल्दी फैलती है। उन्होंने आपका contact मांगा। उन्होंने कहा कि वो 'corporate catering के लिए आपके innovative approach' से बहुत impressed हैं। क्या मैं आपका नंबर दे सकता हूं?"

    प्रिया का मुंह खुला का खुला रह गया। राठौर ग्लोबल? वही कंपनी जिसकी हवेली में अभी काम करता है? इतनी बड़ी, famous कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट मिलने का idea लगभग नामुमकिन था। उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगा। "राठौर ग्लोबल? हां! हां, बिल्कुल, मिस्टर रवि! Please, दे दीजिए। ये... अविश्वसनीय होगा!"

    उसने कॉल खत्म कर दिया, उसकी आंखें एक नई चमक से चमक रही थीं। "मां, सुना तुमने? राठौर ग्लोबल! वो interested हैं! ओह, यही है, मां! यही है! ड्रोन के बाद... सब कुछ होने के बाद... मैं आखिरकार अपने पैरों पर वापस आ रही हूं। नहीं, सिर्फ अपने पैरों पर वापस नहीं। मैं उड़ रही हूं!"

    शांति ने उसे कसकर गले लगाया, उनकी आंखों में आंसू भर आए। "मेरी बहादुर बेटी। मुझे हमेशा पता था कि तू कर दिखाएगी। ये तेरी मेहनत है, तेरा talent है। कभी मत भूलना।"

    प्रिया ने उसे वापस गले लगाया, उसे अपनी मां के गर्व की गर्मी महसूस हुई। किचन, अपनी जानी-पहचानी खुशबुओं और आरामदायक चीजों के साथ, दुनिया की सबसे रोमांचक जगह लग रही थी। कनेक्टसिंक के साथ छोटी सी जीत सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट नहीं थी; ये एक सबूत था। सबूत कि वो मुश्किलों के बाद भी बदल सकती है, नया कर सकती है और आगे बढ़ सकती है। वो जुगाड़ की master थी, और वो अपनी हर resourcefulness का इस्तेमाल अपना empire बनाने के लिए करेगी, एक healthy office lunch से शुरुआत करके।

    उस शाम बाद में, प्रिया की टिफिन सर्विस के account में एक बड़ी रकम का गुप्त, बेनामी transfer हुआ। transaction में बस लिखा था: "Innovation के लिए धन्यवाद।" आरव, एक secure, remote server से उसके account balance को देखते हुए मुस्कुराया। उसे पता नहीं चलेगा कि ये वो था। उसे उसकी छोटी-छोटी जीतों में बहुत satisfaction मिलती थी, एक satisfaction जो किसी भी corporate deal से कहीं ज़्यादा थी। वो जानता था कि वो हर उस सफलता की हकदार है जो उसके रास्ते में आती है। वो बस थोड़ा सा, बेनामी push दे रहा था। उसका confidence, उसकी हिम्मत, वो सब उसकी अपनी थी। और ये बहुत आकर्षक था।

  • 14. Jugaad Wala Ishq - Chapter 14

    Words: 1242

    Estimated Reading Time: 8 min

    **अध्याय 14**

    विक्रम शेखावत की प्राइवेट रिसर्च लैब में लगी फ्लोरेसेंट लाइट अजीब आवाज़ कर रही थी। मॉनिटर पर अजीब कोड और मुश्किल एल्गोरिदम दिख रहे थे। देव शर्मा, जो एक टेक्निकल एक्सपर्ट था, राहुल के बगल में डरा हुआ खड़ा था। राहुल तेज़ी से कीबोर्ड पर टाइप कर रहा था।

    राहुल ने स्क्रीन से बिना देखे कहा, "अभी तक कोई luck नहीं मिली, मिस्टर शेखावत। इन फाइलों पर encryption बहुत ज़्यादा complicated है। ऐसा मैंने पहले कभी नहीं देखा। इसमें proprietary एल्गोरिदम की कई layers हैं। इसे crack करने में सुपर कंप्यूटर को भी हफ़्तों, शायद महीनों लग जाएंगे।"

    विक्रम बेचैनी से उनके पीछे घूम रहा था, उसका patience जवाब दे रहा था। "राहुल, हमारे पास हफ़्तों या महीनों का टाइम नहीं है। देव, क्या तुम्हें पक्का पता है कि 'Project Phoenix' से जुड़ी यही files तुमने निकाली हैं?"

    देव थोड़ा घबराया। "हाँ, सर। ये मास्टर archive है। उनके पापा ने सब कुछ tightly lock करके रखा था। हम में से कुछ लोगों को ही access था, और वो भी सिर्फ़ कुछ specific हिस्सों तक। मैं lucky था कि उनके मरने के बाद ये main servers से disappear होने से पहले मैंने इन्हें copy कर लिया।"

    "Disappear?" विक्रम ने देव के पीछे रुकते हुए सोचा। "ये तो बड़ी convenient बात है। इसका मतलब, उन्हें जानबूझकर छुपाया गया था। इससे तो ये और भी valuable हो जाती हैं।" वो मॉनिटर के पास गया, जहाँ एक digitally locked file icon दिख रहा था, जिस पर लिखा था: *Project Phoenix – Final Draft*। "मुझे फिर से बताओ, देव। तुम्हें इस project के बारे में क्या पता था?"

    देव डरते हुए याद करने लगा कि राठौर ग्लोबल के corridors में दबी आवाज़ में क्या बातें होती थीं। "बस इतना कि ये मिस्टर राठौर सीनियर का obsession था। उन्होंने इसमें बहुत सारे resources लगाए थे। बोर्ड की सलाह के खिलाफ़ जाकर कई बार। सबको लगता था कि ये शायद कोई नई energy source है, या कोई revolutionary AI है। लेकिन किसी को भी specifics नहीं पता थे। ये secrecy में डूबा हुआ था। और फिर, उनके मरने के बाद, ये सब बस... गायब हो गया। Archived, buried, forgotten।"

    विक्रम ने अपनी आँखों में एक खतरनाक चमक के साथ कहा, "Forgotten नहीं, देव। बस अपने resurrection का इंतज़ार कर रहा था।" उसने राहुल की तरफ देखा। "राहुल, standard decryption protocols को भूल जाओ। मैं चाहता हूँ कि तुम हर possible method इस्तेमाल करो। Brute force। Quantum emulation। अगर ज़रूरत पड़े तो और specialists hire करो। लेकिन मुझे ये file open चाहिए, और मुझे ये कल तक चाहिए। मुझे नहीं पता कि इसमें क्या लगेगा, कितने resources consume होंगे। ये अब हमारी top priority है।"

    राहुल ने अपने बॉस के behaviour में बदलाव महसूस करते हुए seriously सिर हिलाया। "Understood, सर। हम चौबीसों घंटे काम करेंगे।"

    विक्रम ने अपनी आवाज़ लगभग whisper करते हुए कहा, जैसे कोई sacred secret बता रहा हो, "Good। क्योंकि मुझे इस 'Project Phoenix' के बारे में बहुत strong intuition है। बहुत strong intuition indeed।" वो स्क्रीन से मुड़कर एक whiteboard के पास गया, जहाँ राठौर ग्लोबल के इतिहास की एक crude timeline बनी हुई थी। 'Aarav Rathore के पापा – Legacy और Shelved Projects' वाले section के चारों ओर एक बड़ा, dark circle बना हुआ था।

    विक्रम ने लगभग खुद से ही कहा, "राठौर empire innovation पर बना था। लेकिन इसकी असली foundation, इसकी wealth की bedrock, हमेशा से इसकी intellectual property रही है। इसके patents। इसकी pioneering technologies।" उसने whiteboard पर बने circle पर tap किया। "अगर ये 'Project Phoenix' वही है जो मुझे suspect है… तो ये सिर्फ़ एक shelved project नहीं है। ये राठौर का सबसे valuable secret weapon है। वो जिसे उन्हें कभी deploy नहीं करना पड़ा। वो जिस पर वो बैठे रहे।"

    वो देव की तरफ मुड़ा, उसकी आँखें लगभग maniacal intensity से जल रही थीं। "Aarav Rathore अपने pigeon drones और samosa cannons के साथ busy है, blissfully unaware कि असली power, उसके परिवार की *true* legacy, एक forgotten digital archive में धूल खा रही है। एक archive जिसे *तुम*, देव, मेरे doorstep पर लाए हो।"

    देव डर और खुशी के मिले-जुले feeling के साथ एक weak smile दे पाया। "मैंने बस अपनी duty की, सर।"

    विक्रम ने एक पतली smile के साथ acknowledge किया, "Indeed। और तुम्हारी duty का तुम्हें बहुत reward मिलेगा। क्योंकि एक बार जब हम इस Phoenix को unlock कर लेंगे, देव… एक बार जब हमें पता चल जाएगा कि ये असल में क्या है… तो हम न सिर्फ़ राठौर empire को dismantle कर देंगे। हम इसकी greatest asset पर claim करेंगे। हम इसे अपना बना लेंगे। और राठौर legacy अपनी ही forgotten brilliance की flames में burn हो जाएगी, quite literally। मुझे इस Phoenix की key ढूंढो, राहुल। ढूंढो, वरना खुद को एक नई career ढूंढते हुए पाओगे।"

    राहुल की उंगलियां कीबोर्ड पर तेज़ी से चलने लगीं, उस पर एक sudden urgency छा गई। विक्रम अपने हाथों को पीछे बांधे हुए वहीं खड़ा रहा, locked file को घूरता रहा। उसकी intuition चिल्ला रही थी कि यही वो है। यही वो weapon है जिसकी उसे ज़रूरत है। यही वो ultimate humiliation है जो वो राठौरों पर inflict कर सकता है। वो न सिर्फ़ उनकी company लेगा; वो उनका future भी steal कर लेगा। Project Phoenix के साथ उसका obsession officially शुरू हो गया था।

  • 15. Jugaad Wala Ishq - Chapter 15

    Words: 1836

    Estimated Reading Time: 12 min

    **अध्याय 15**

    प्रिया बहुत खुश थी। किचन, जो अभी भी उसकी कामयाबी से चमक रहा था, अब उसका टेम्पररी ऑफिस बन गया था। पुराने लकड़ी के टेबल पर ConnectSync के नए कॉन्ट्रैक्ट के पेपर्स फैले हुए थे, साथ ही उसकी रेसिपी की नोट्स और अदरक की चाय भी रखी थी। वो खुशी से गुनगुना रही थी, कॉन्ट्रैक्ट की बातें देख रही थी, और बस साइन करने ही वाली थी।

    "ओह, प्रीयू, लाओ मैं तुम्हारी थोड़ी हेल्प करूँ," रीना किचन में आते हुए बोली। उसकी आवाज़ इतनी मीठी थी कि प्रिया को उस पर शक होने लगा। रीना की नज़रें पेपर्स पर कुछ ज़्यादा ही देर तक टिकी रहीं।

    "कोई बात नहीं, रीना, मैं बस साइन करने से पहले कुछ डिटेल्स चेक कर रही हूँ," प्रिया ने एक पेपर ठीक करते हुए कहा। "ये बहुत बड़ा कॉन्ट्रैक्ट है, तुम्हें तो पता है।" वो नॉर्मल दिखने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी खुशी छिप नहीं रही थी।

    "ओह, मुझे पता है!" रीना ने एक बर्तन उठाते हुए कहा और उससे खेलने लगी। "एक IT फर्म के साथ रेगुलर कॉन्ट्रैक्ट! किसने सोचा था? खासकर... तुम्हें तो पता ही है। वो ड्रोन वाला इंसिडेंट। सबको लगा था कि तुम खत्म हो गई हो। पर तुम देखो, हमेशा अपने पैरों पर खड़ी हो जाती हो। ये सब तुम्हारे 'जुगाड़' की वजह से होता होगा।" ‘जुगाड़’ शब्द में एक ऐसी टोन थी जो सिर्फ प्रिया ही समझ पाई।

    प्रिया ने उस बात को इग्नोर कर दिया। "हाँ, थोड़ा मजबूत रहने से हेल्प मिलती है। और बहुत मेहनत से।" उसने पेपर पर एक जगह दिखाते हुए कहा, "देखो, पेमेंट का ये plan... मैं बस ये देखना चाहती हूँ कि ये ठीक है।"

    रीना झुककर डॉक्यूमेंट देखने लगी, लेकिन उसकी नज़रें टेबल पर इधर-उधर घूम रही थीं। उसकी नज़र चाय के भरे हुए कप पर पड़ी, जो टेबल के किनारे पर रखा था, ठीक कॉन्ट्रैक्ट के बगल में।

    "हम्म, हाँ, पेमेंट का plan तो बहुत ज़रूरी है," रीना धीरे से बोली, फिर अचानक उसने अपना हाथ हिलाया और चाय का कप गिरा दिया। वो धीरे-धीरे गिरा, और फिर सारी गरम चाय ConnectSync के एकदम साफ पेपर्स पर गिर गई। एक बड़ा दाग पेपर पर फैल गया, और इंक फैलने लगी।

    "ओह, नो! ओह, माय गॉड, प्रिया, आई एम सो सो सॉरी!" रीना ने मुँह पर हाथ रखकर कहा, उसकी आँखें डर से खुली हुई थीं। "मैं कितनी केयरलेस हूँ! मेरा हाथ बस... स्लिप हो गया! क्या ये... क्या ये खराब हो गया?"

    प्रिया फैलते हुए चाय के दाग को देखती रही, उसका दिल डूब गया। उसके पेट में डर लगने लगा। इंक पहले से ही फैल रही थी, और ज़रूरी डिटेल्स और सिग्नेचर मिट रहे थे। ये फाइनल कॉपी थी जिसे वो भेजने वाली थी। "रीना! तुम इतनी केयरलेस कैसे हो सकती हो?" प्रिया की आवाज़ तेज़ थी, वो बहुत गुस्सा थी।

    "मैंने कहा ना कि मैं सॉरी हूँ! ये एक्सीडेंट था!" रीना ने परेशान होते हुए कहा। "अब तुम क्या करोगी? तुम्हें नई कॉपीज़ लेनी होंगी, और ConnectSync के HR मैनेजर बहुत पर्टिकुलर हैं। वो सोचेंगे कि तुम अनप्रोफेशनल हो। शायद तुम्हें कॉन्ट्रैक्ट भी ना मिले!" उसकी आवाज़ में झूठी चिंता थी, लेकिन उसकी आँखों में हल्की सी खुशी थी।

    प्रिया ने एक गहरी सांस ली, और डर को कंट्रोल किया। उसने एक सेकंड के लिए अपनी आँखें बंद कीं, फिर उन्हें खोला, उसका दिमाग तेज़ी से काम कर रहा था। कॉन्ट्रैक्ट खोना? कभी नहीं। इतनी मेहनत के बाद नहीं। ड्रोन क्रैश के बाद नहीं। अपने पैरों पर वापस खड़े होने के बाद नहीं। ये उसका गोल्डन टिकट था, और वो इसे इतनी आसानी से जाने नहीं देगी।

    "रिलैक्स, रीना," प्रिया ने कहा, उसकी आवाज़ एकदम शांत थी। "ये सिर्फ चाय है।" उसने एक साफ किचन टॉवल लिया और एक्स्ट्रा लिक्विड को जल्दी से पोंछ दिया। "और ये बिल्कुल भी खराब नहीं हुआ है।"

    रीना ने प्रिया के शांत रहने पर हैरानी से देखा। "लेकिन इंक, प्रीयू! ये तो पूरी तरह से फैल गई है!"

    "फैली है, हाँ। पर अभी भी पढ़ा जा सकता है," प्रिया ने जवाब दिया, और वो दराज में कुछ ढूंढने लगी। उसने अपना पुराना हेयर ड्रायर निकाला, जिसे वो आमतौर पर हर्ब्स को सुखाने या कपड़ों को जल्दी ठीक करने के लिए यूज़ करती थी। उसने उसे प्लग इन किया, उसे कूल और जेंटल सेटिंग पर सेट किया, और पेपर को ध्यान से सुखाने लगी, उसे एक एंगल पर पकड़कर।

    पेपर थोड़ा सा मुड़ गया, लेकिन जैसे ही नमी गायब हुई, इंक फैलना बंद हो गई। टेक्स्ट का मेन पार्ट अभी भी पढ़ा जा सकता था, खासकर नंबर्स और ज़रूरी क्लॉज। सिग्नेचर थोड़े हल्के थे, लेकिन फिर भी क्लियरली दिख रहे थे।

    "ये लो," प्रिया ने कहा, उसकी आँखों में जीत की चमक थी। उसने ध्यान से पेपर को स्मूथ किया। "थोड़ा हल्का है, थोड़ा मुड़ा हुआ है, लेकिन फिर भी बिल्कुल ठीक है। और अभी भी एक साइन्ड कॉन्ट्रैक्ट है।" फिर उसने लैमिनेशन फिल्म की एक छोटी शीट ली, जो स्कूल प्रोजेक्ट्स के लिए यूज़ होती है, और उसे दाग वाले एरिया पर लगा दिया, डॉक्यूमेंट को सील कर दिया। "बस एक्स्ट्रा श्योर होने के लिए।"

    रीना देखती रही, उसका मुँह थोड़ा खुला हुआ था। उसकी प्लानिंग फेल हो गई थी। प्रिया डरी नहीं थी, रोई नहीं थी, उसने गुस्सा भी नहीं किया था। उसने बस... उसे ठीक कर दिया। एक हेयर ड्रायर और प्लास्टिक फिल्म से। रीना को फिर से गुस्सा आने लगा। प्रिया के पास हमेशा कोई ना कोई सॉल्यूशन होता है, हमेशा 'जुगाड़' होता है, हमेशा टॉप पर आ जाती है। इससे रीना को बहुत गुस्सा आता है।

    "मुझे लगता है कि ये... रिसोर्सफुल है," रीना धीरे से बोली, उसकी आवाज़ से मिठास गायब हो गई, और उसकी जगह एक दबी हुई तारीफ आ गई जिसे उसने छुपाने की कोशिश की। उसे नफरत होती थी जब प्रिया रिसोर्सफुल होती थी। उसे नफरत होती थी जब प्रिया जीतती थी। और उसे सबसे ज़्यादा नफरत तब होती थी जब प्रिया तब जीतती थी जब रीना उसे हराने की कोशिश करती थी।

    प्रिया ने खुशी से स्माइल किया, उसे पता नहीं था कि रीना के अंदर क्या चल रहा है। "ये बस जुगाड़ है, रीना। हमेशा कोई ना कोई रास्ता निकालो, है ना? अब, अगर तुम मुझे एक्सक्यूज करो, तो मुझे इसे लंच से पहले भेजना है। और फिर मुझे मंडे के मेनू के लिए प्लानिंग शुरू करनी है। बहुत काम है!"

    जैसे ही प्रिया मुड़ी, रीना की आँखें छोटी हो गईं। इस छोटी सी हार ने उसकी जलने की आग को और बढ़ा दिया। प्रिया ने शायद कॉन्ट्रैक्ट को ठीक कर लिया होगा, लेकिन रीना ने उसी वक्त डिसाइड कर लिया कि वो हमेशा सब कुछ ठीक नहीं कर पाएगी। रीना ने कसम खाई कि कुछ चीजें वो हमेशा के लिए तोड़ देगी।

  • 16. Jugaad Wala Ishq - Chapter 16

    Words: 1204

    Estimated Reading Time: 8 min

    **अध्याय 16**

    प्रिया ने वर्कशॉप को कितना भी अच्छे से organize करने की कोशिश की हो, फिर भी कुछ जगहें ऐसी थीं जहाँ सामान हमेशा बिखरा रहता था। आज, आरव ने सोचा कि क्यों न उस 'Bermuda Triangle' वाले कोने को ठीक किया जाए - वो बदनाम जगह जहाँ tools, आधा खाया हुआ snacks, और prototypes पता नहीं कहाँ गायब हो जाते थे। प्रिया ने उसे strict instructions दिए थे: "आर्यन, जब तक ये section sorted नहीं हो जाता, कोई नया project शुरू नहीं करना। इसे अपने दिमाग के लिए एक clean slate समझो।"

    "Clean slate, clean slate," आरव खुद से बड़बड़ाया, और उसने वो सफ़ेद gloves पहने जो प्रिया ने 'dust-sensitive equipment' के लिए पहनने को कहा था। उसने ध्यान से circuit boards का एक stack हटाया, फिर एक robot vacuum को हटाया जो wires के ढेर में फंसा हुआ था।

    "खन्ना जी, मुझे याद दिलाइए कि हम इतना... historical data क्यों जमा करते हैं?" उसने आवाज़ लगाई, हालाँकि उसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। खन्ना जी main house में राजमाता के उस latest attempt से लड़ रहे थे जिसमें वो आरव की diet में 'wellness smoothies' introduce करना चाहती थीं।

    उसने पुरानी engineering textbooks के एक wobbly stack को एक तरफ धकेला, जिनकी spines टूटी हुई और faded थीं। उनके पीछे, धूल की मोटी परत और एक forgotten tarpaulin से ढका हुआ, एक dark, wooden chest था। वो बड़ा नहीं था, शायद एक छोटे suitcase के size का था, और वो ancient दिख रहा था, वर्कशॉप में मौजूद बाकी चीज़ों से कहीं ज़्यादा पुराना। उसके brass latches tarnished थे, और age की वजह से wood dark हो गया था।

    "Well, what do we have here?" आरव धीरे से बोला, उसकी curiosity बढ़ गई। उसने ध्यान से tarpaulin उठाया, और धूल का बादल उठने पर उसे खांसी आ गई। chest surprisingly heavy था। वो घुटनों पर बैठ गया, और दशकों से जमी धूल को हटाने लगा, ताकि कोई lock या clasp मिल जाए। लेकिन वहाँ कुछ नहीं था, बस एक worn leather strap था जो buckle से बंद होता था।

    एक soft click के साथ, उसने buckle खोला और धीरे से heavy lid उठाया। एक musty, पुराने paper की smell आई। उसने अंदर झाँका, और सोचा कि शायद कोई antique tools या forgotten components होंगे। लेकिन, faded velvet cloth की layers के बीच में, एक single, leather-bound book रखी हुई थी।

    उसने उसे ध्यान से उठाया। leather supple था, और बहुत बार छूने से smooth हो गया था। spine पर gold lettering faded होने के बावजूद दिख रहा था: *अनंत राठौर – Private Log*. अनंत राठौर। उसके पिता। आरव की साँस अटक गई। उसने अपने पिता को barely ही जाना था, जिनकी death तब हो गई थी जब आरव सिर्फ एक छोटा लड़का था, और वो अपने पीछे brilliant, yet distant, memories की legacy छोड़ गए थे।

    उसने diary को gently खोला, पुराने pages धीरे से rustle हुए। पहले कुछ pages blank थे, या शायद उन्हें बहुत पहले tear out कर दिया गया था। फिर handwriting आई – precise, yet flowing, dense, intricate sketches से भरी हुई। वो blueprints नहीं थे, not exactly, लेकिन machines के conceptual drawings थे जिन्हें वो recognize नहीं कर पाया, और साथ में mathematical equations थे जो pages पर alien constellations की तरह फैले हुए थे।

    "ये सब क्या है?" आरव ने खुद से whisper किया, उसकी उंगली एक complex diagram पर trace कर रही थी। उसने और pages पलटे। वहाँ personal notes भी थे, जो margins में scribbled थे, और अक्सर technical drawings से related नहीं होते थे। phrases जैसे, *"The problem is not the solution, but the perspective,"* या *"Sometimes, the greatest invention is simply seeing what others ignore."*

    उसने एक bird का faint sketch recognize किया, लेकिन वो mechanical दिख रहा था, उसके wings delicate gears और springs से drawn थे। उसके बगल में, एक note था: *"If we could capture the sun in a box… unimaginable power."* ये phrase उसे familiar लगा, लेकिन उसे याद नहीं आ रहा था कि उसने इसे कहाँ सुना था।

    उसने एक नया page पलटा, जिसमें numbers और symbols की series थी। उसने elegant script को देखा, जो उसकी अपनी chaotic scribbles से बहुत अलग थी, लेकिन somehow उसके passion में familiar थी। ये सिर्फ एक technical notebook नहीं थी। ये उसके पिता के mind की एक glimpse थी, एक ऐसा mind जो clearly दुनिया को उसी तरह देखता था जैसे वो खुद देखता है।

    आरव के chest में एक strange warmth bloom हुई, एक feeling of connection जिसे उसने realize नहीं किया था कि उसे crave थी। उसने हमेशा खुद को एक anomaly समझा था, serious businessmen की family में एक 'झल्ली' inventor। लेकिन यहाँ, इन pages में, proof था कि उसकी अपनी being का core, उसकी relentless curiosity, invention के लिए उसका obsession, सिर्फ उसकी अपनी eccentricity नहीं थी। ये एक legacy थी। A shared madness।

    "You too, Baba?" उसने murmur किया, उसके lips पर एक faint smile आई। "आप भी... थोड़े से झल्ली थे?"

    Complex equations और abstract sketches अभी भी एक mystery थे, लेकिन personal touches, almost philosophical musings, ने diary को एक ऐसे आदमी के साथ conversation जैसा feel कराया जिसे उसने truly कभी नहीं जाना था। वो ज्यादातर चीज़ें समझ नहीं पाया, not yet, लेकिन उसने एक undeniable pull feel किया। ये सिर्फ old paper नहीं था; ये उसके past का एक treasure map था, और शायद, उसके future का भी। Bermuda Triangle corner wait कर सकता था। आरव के पास अब unravel करने के लिए एक far more intriguing mystery था।

    उसने diary को ध्यान से वापस chest में रख दिया, और lid बंद कर दिया। वो इसे किसी को नहीं दिखाएगा। Not yet। ये बहुत personal, बहुत important था। ये उसके पिता की secret world थी, और अब, ये उसकी अपनी थी।

  • 17. Jugaad Wala Ishq - Chapter 17

    Words: 1469

    Estimated Reading Time: 9 min

    **अध्याय 17**

    वर्कशॉप में रात का माहौल था, सब लोग अपने काम में लगे थे। बाहर शहर शांत हो रहा था, लेकिन यहाँ एक बल्ब की रोशनी में तार, सर्किट बोर्ड और आरव का आधा-अधूरा "ऑटोमेटेड चाय डिस्पेंसर 3000" फैला हुआ था। पता नहीं कैसे, वो चाय की जगह एस्प्रेसो शॉट दे रहा था, जिसे प्रिया ने "कल्चरल खाने के मामले में बहुत बड़ी गड़बड़" बता दिया था।

    प्रिया ने एक दाग लगे ब्लूप्रिंट पर उंगली रखते हुए समझाया, "नहीं, नहीं, Avi, तुमने एस्प्रेसो मशीन का थर्मल रेगुलेटर यहाँ लगा दिया है।" उसके गाल पर ग्रीस का एक धब्बा लगा हुआ था, जिससे पता चल रहा था कि वो दोनों साथ में काम कर रहे थे। "चाय को एक जैसा, हल्का टेम्परेचर चाहिए। इससे तो ये एकदम जल जाएगी।"

    आरव थोड़ा झुका, उसका सिर लगभग प्रिया के सिर से छू गया, दोनों मुश्किल वायरिंग को देख रहे थे। "लेकिन मुझे लगा... कि एफिशिएंसी मैट्रिक्स ने बताया कि ये मॉड्यूल हीटिंग टाइम को 17.3% तक बढ़ा देगा," उसने धीरे से कहा। उसकी उंगली प्रिया की उंगली से छू गई जब उसने एक कॉम्पोनेन्ट की ओर इशारा किया, जिससे दोनों को हल्का सा करंट लगा।

    "चाय के मामले में एफिशिएंसी सब कुछ नहीं होती, Avi। बात तो उबाल की बारीकी की होती है," प्रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज हमेशा से ज्यादा धीमी थी। उसकी आँखें, जो आमतौर पर बहुत तेज और सीधी होती हैं, अब उसकी आँखों से कुछ इंच ही दूर थीं, बल्ब की रोशनी में चमक रही थीं। उसके शैम्पू की खुशबू, हल्की फूलों वाली, वर्कशॉप की मेटैलिक गंध के साथ मिलकर उनके बीच की छोटी सी जगह को भर रही थी।

    वे दोनों बहुत करीब थे, उनकी सांसें आपस में मिल रही थीं। रोशनी के घेरे के बाहर की दुनिया गायब हो गई, उसकी जगह मशीनों की धीमी आवाज और उनकी धड़कनों की तेज आवाज ने ले ली। प्रिया ने डायग्राम से ऊपर देखा, उसकी नजर आरव की नजरों से मिल गई। उसकी हमेशा इधर-उधर देखने वाली, उत्सुक आँखें अब उस पर टिकी थीं, अंधेरी और गंभीर। उसने ज़ोर से सांस ली, उसके जबड़े में एक छोटी सी नस फड़क रही थी।

    हवा में एक अनकही बिजली दौड़ रही थी। उसके होंठ थोड़े खुले थे, उन पर एक हल्की सी मुस्कान थी, और उसकी नजर उन पर टिक गई, एक अनदेखी ताकत से खींची जा रही थी। वो धीरे-धीरे झुका, लगभग दिखाई भी नहीं दे रहा था, उसके अपने होंठ भी खुल रहे थे। प्रिया की आँखें झपकने लगीं, फिर बंद होने लगीं। उनके बीच की दूरी लगभग खत्म हो गई थी, बस एक सांस, एक फुसफुसाहट...

    तभी, पास के एक बेंच से एक चीखने वाली, तेज अलार्म की आवाज आई। एक छोटा सा, चिकना डिवाइस जो एक फ्यूचरिस्टिक अलार्म क्लॉक जैसा दिखता था, लेकिन वास्तव में आरव का लेटेस्ट सिक्योरिटी प्रोटोटाइप था, वो चालू हो गया, और उसमें गुस्से में लाल बत्तियाँ चमकने लगीं।

    "खतरा! खतरा! प्रोक्सिमिटी अलर्ट! ह्यूमन टक्कर होने वाली है! पर्सनल स्पेस पैरामीटर्स को रिकैलिब्रेट किया जा रहा है! खतरा!" डिवाइस की रोबोटिक आवाज पूरे वर्कशॉप में गूंज रही थी, और हर बार तेज होती जा रही थी।

    आरव ऐसे झटके से पीछे हटा जैसे उसे करंट लग गया हो, उसकी आँखें एकदम से खुल गईं, और उनमें तुरंत डर भर गया। प्रिया भी अचानक आवाज से चौंक गई, और पीछे हट गई, उसकी आँखें खुली रह गईं। उसने अलार्म क्लॉक को देखा, फिर आरव को, उसके चेहरे पर सदमे और शर्म का मिक्सचर था।

    "Avi! ये क्या है?" उसने थोड़ा हांफते हुए कहा, उसके गाल लाल हो रहे थे।

    आरव, जो समान रूप से लाल चेहरे वाला था, हकलाने लगा। "ये... ये मेरा नया 'स्मार्ट पर्सनल स्पेस सेंटिनल' है! भीड़-भाड़ वाली जगहों पर या... या... इंटेंस कोलैबोरेशन के दौरान एक्सीडेंटल टक्कर से बचने के लिए! ये तो... ये तो ज्यादा ही सेंसिटिव है! इसे रिकैलिब्रेट करने की जरूरत है!" वो ऑफ स्विच को ढूंढने के लिए बुरी तरह हाथ-पैर मार रहा था, और लगभग डिवाइस को गिरा ही दिया था।

    "इम्मिनेन्ट! इम्मिनेन्ट! अबोर्ट! अबोर्ट!" अलार्म लगातार चीख रहा था, मजाक उड़ाने वाली आवाज में।

    आखिरकार, आरव को स्विच मिल गया, और वर्कशॉप अचानक शांत हो गया। अलार्म की चीख के बंद होने से पल और भारी हो गया, पिछली tension अब शर्म की एक मोटी परत से बदल गई थी। उसने अपना गला साफ़ किया, और उससे नजरें मिलाने से बच रहा था।

    "ठीक है। तो... थर्मल रेगुलेटर," आरव बड़बड़ाया, और ब्लूप्रिंट की ओर बेतहाशा इशारा करते हुए, नॉर्मल होने की कोशिश कर रहा था। "तुम कह रही थी... कि ये... हल्का होना चाहिए?"

    प्रिया ने अपने होंठ दबा लिए, एक हंसी को रोकने की कोशिश कर रही थी जो निकलने को बेताब थी। इस situation की बेतुकीपन अब समझ आ रही थी। उसने उसके डरे हुए चेहरे को देखा, उसके बाल थोड़े बिखरे हुए थे, और उसकी आँखों में कुछ गहरा सा इशारा था, जिसे उसकी आदत के अनुसार आविष्कारक के सनकीपन ने जल्दी से छिपा लिया था। वो मुस्कुराए बिना नहीं रह सकी, एक सच्ची मुस्कान, भले ही थोड़ी घबराई हुई।

    "हाँ, Avi," उसने कहा, उसकी आवाज अपनी सामान्य टोन में वापस आ गई, हालाँकि थोड़ी कांप रही थी। "हल्का। ठीक वैसे ही... जैसे तुम किसी बड़े खुलासे से पहले सस्पेंस बनाते हो। फ्लेवर को धीरे-धीरे डेवलप होना चाहिए।" उसने वायरिंग डायग्राम की ओर इशारा किया, चुपचाप पिछले कुछ सेकंड को अनदेखा करने के लिए मान गई। अभी के लिए।

  • 18. Jugaad Wala Ishq - Chapter 18

    Words: 1963

    Estimated Reading Time: 12 min

    **अध्याय 18**

    जली हुई चाय की हल्की सी बदबू अभी भी वर्कशॉप में थी। ये इस बात का सबूत था कि "स्मार्ट पर्सनल स्पेस सेंटिनल" ने सही समय पर interfare किया था। प्रिया ने जैसे-तैसे situation को ठीक कर दिया था, कम से कम ऊपर से तो। उन्होंने एक और घंटा उस खराब dispenser पर काम किया, फिर रात के लिए काम खत्म किया। Device अभी भी perfect नहीं था, पर कम से कम अब वो उन्हें human magnet बनाने की कोशिश नहीं कर रहा था।

    "ठीक है, मुझे लगता है आज के लिए इतना काफी है, Avi," प्रिया ने stretch करते हुए कहा और छोटी सी जम्हाई ली। "मेरा दिमाग खराब हो रहा है और मुझे घर के खाने की craving हो रही है। मम्मी सोच रही होंगी मैं कहाँ गायब हो गई।"

    Aarav ने अपनी आँखें मलते हुए सिर हिलाया। "हाँ, हाँ, बिल्कुल। तुमने बहुत लंबा दिन बिताया है। सबसे efficient system को भी downtime की ज़रूरत होती है।" वो खड़ा हो गया, उसके पेट में एक जानी-पहचानी घबराहट होने लगी। पहले जो हुआ, वो लगभग kiss, अभी भी एक कच्ची, electric memory थी। उसे उसे safely यहाँ से निकालना था, बिना किसी 'proximity alert' को ट्रिगर किए या, उससे भी बुरा, किसी सच के बम के।

    वे गैराज से बाहर निकले, राठौर हवेली चुपचाप background में खड़ी थी। आसमान में चाँद एक पतला सा टुकड़ा था, जो लंबी परछाइयाँ बना रहा था। जैसे ही वे main gate पर पहुँचे, प्रिया रुक गई। उसकी नज़रें शांत, पेड़ों से घिरी सड़क पर टिक गईं जो हवेली से दूर जा रही थी। एक sleek, काले रंग की luxury sedan, एक ऐसा model जिसे उसने glossy magazines में देखा था, थोड़ी दूरी पर खड़ी थी, जो एक बड़े बरगद के पेड़ से आधी छुपी हुई थी।

    "इतनी रात में सड़क पर खड़ी होने के लिए ये कुछ ज़्यादा ही fancy car है, है ना?" प्रिया ने धीरे से खुद से कहा। उसने आँखें सिकोड़कर details देखने की कोशिश की। "लगता है ये super expensive जर्मन कारों में से एक है। ये किसकी है?"

    Aarav जम गया। वो car के बारे में पूरी तरह से भूल गया था। वो आमतौर पर खन्ना जी को इसे एक secret गली या कम ध्यान देने वाली जगह पर park करने के लिए कहता था, लेकिन आज रात, राजमाता के साथ एक छोटी, ज़रूरी meeting के बाद workshop में वापस जाने की जल्दी में, उसने इसे वहीं छोड़ दिया जहाँ ये थी, बाद में इसे हटाने के इरादे से। *बेशक* प्रिया को पता चल जाएगा। उसकी आँखें कुछ भी नहीं छोड़तीं।

    उसका दिमाग तेज़ी से दौड़ने लगा, बहुत सारे घबराए हुए विचार एक-दूसरे से टकरा रहे थे। *उसे बता दो। बस उसे अभी बता दो। नहीं, बहुत ज़्यादा, बहुत अचानक। उसे झूठ से नफरत है। लेकिन अगर मैंने उसे अभी बताया, तो वो मुझसे और भी ज़्यादा नफरत करेगी। सोच, Aarav, सोच!*

    उसने खाँसी और बेफिक्र लगने की कोशिश की। "ओह, वो? वो पुरानी चीज़? वो Mr. राठौर की है।" उसने अंदर ही अंदर मुँह बनाया। अब तक, सच तो यही है, लेकिन आगे क्या कहना है?

    प्रिया ने भौंहें उचकाईं। "Mr. राठौर? तुम्हारे boss? जिनके लिए तुम काम करते हो?" उसके चेहरे पर एक मजाकिया मुस्कान थी। "वो अपनी luxury car सड़क पर park करते हैं? ये ज़्यादा… billionaire-जैसा नहीं लगता।"

    "ओह, नहीं, नहीं, वो इसे वहाँ park नहीं करते," Aarav हकलाया, अपने हाथों को ऐसे हिलाते हुए जैसे कोई बात नहीं है। "उनके पास… उनके पास पूरा fleet है, समझी तुम। वो… वो उनकी… उनकी *extra* car है। जब वो… rustic feel करना चाहते हैं। या कुछ और।" उसने मन ही मन खुद को थप्पड़ मारा। *Rustic? सच में, Aarav?*

    प्रिया ने sleek car से Aarav के घबराए हुए चेहरे की ओर देखा, उसके चेहरे पर हल्की सी tension दिख रही थी। "रुको, Avi। ये हवेली के इतनी करीब क्यों park है, लेकिन हवेली के *अंदर* नहीं है? और ये अभी भी यहाँ क्यों है?"

    Aarav ने एक गहरी साँस ली, उसके घबराए हुए दिमाग ने जो पहला semi-plausible झूठ सोचा, उसे पकड़ लिया। "ओके, सुनो, प्रिया… चूँकि तुमने पूछा…" उसने अपनी आवाज़ धीमी की, ऐसे झुक गया जैसे कोई secret बता रहा हो। "Mr. राठौर… वो थोड़े eccentric हैं। और वो… demanding हैं। बहुत demanding।"

    प्रिया का expression नरम हो गया, उसकी आँखों में sympathy की झलक आ गई। "Demanding कैसे?"

    "Well," Aarav ने अपने शब्दों को ध्यान से चुनते हुए, एक उलझा हुआ जाल बुनना शुरू किया। "उन्हें अक्सर… देर रात इधर-उधर drive करने की ज़रूरत होती है। अपनी important 'business' meetings के लिए। और कभी-कभी, उनके regular drivers busy होते हैं, जानती हो? तो, वो… वो मुझे call करते हैं। इस car को उनके लिए drive करने के लिए। Side में।"

    उसने car की ओर इशारा किया। "ये extra काम है, लेकिन… तुम जानती हो, एक आदमी को वो करना होता है जो उसे करना होता है। Workshop हमेशा उतनी जल्दी bills pay नहीं करती जितनी जल्दी innovation होते हैं, है ना? तो, मैं… मैं कभी-कभी उन्हें इधर-उधर drive करता हूँ। चुपके से। वो नहीं चाहते कि उनके staff को पता चले कि वो अपने inventor के… assistant… को अपनी personal driving needs के लिए इस्तेमाल करते हैं।" उसने विनम्र और थोड़ा सताया हुआ दिखने की कोशिश की।

    प्रिया की tension और गहरी हो गई, लेकिन ये अब शक की tension नहीं थी, बल्कि चिंता की tension थी। "Avi, तुम उनके लिए driving भी कर रहे हो? इस time पर? और फिर तुम सारा दिन workshop में रहते हो? ये… ये बहुत ज़्यादा है, है ना? तुम burn out हो जाओगे।" उसकी आवाज़ में सच में worry थी।

    "ओह, नहीं, नहीं, मैं ठीक हूँ!" Aarav ने जल्दी से कहा, उसे राहत मिली कि उसने उसे सच मान लिया। "मैं एक machine हूँ, प्रिया! Endurance के लिए बनी! एक… एक high-torque motor की तरह! इसके अलावा, वो इन… late-night excursions के लिए अच्छी pay करते हैं। Workshop के लिए equipment costs में help मिलती है, जानती हो?" उसने एक थकी हुई, फिर भी गर्वित, smile भी दी।

    प्रिया ने आह भरी, अपना सिर हिलाया। "My god, ये अमीर Mr. राठौर। वो पूरी तरह से tyrant लगते हैं। तुमसे सारा दिन काम करवाते हैं, फिर सारी रात उन्हें इधर-उधर drive करवाते हैं। कुछ लोगों को कोई शर्म नहीं है, दूसरों का इस तरह exploit करते हैं।" उसका जबड़ा कस गया, उसकी ओर से उसकी आँखों में गुस्से की एक जानी-पहचानी चमक थी। "लेकिन तुम्हें उन्हें ऐसा नहीं करने देना चाहिए, Avi। तुम इस extra भागदौड़ के लिए बहुत talented हो। तुम्हें अपने inventions, अपने future पर focus करने की ज़रूरत है।"

    Aarav ने राहत से ज़्यादा guilt की एक नई लहर महसूस की। वो इतनी empathetic थी, इतनी fiercely protective थी, ये विश्वास करते हुए कि वो एक struggling, earnest inventor है। और यहाँ वो था, एक ridiculous कहानी बना रहा था, खुद को एक मेहनती शहीद बना रहा था, जबकि वो सच में उसकी well-being के बारे में चिंतित थी। वो झूठ बोल रहा था, और वो उस पर तरस खा रही थी।

    "मैं… मैं इस पर विचार करूँगा, प्रिया," उसने उसकी sympathetic नज़र से बचने की कोशिश करते हुए कहा। "फिलहाल, मुझे शायद… उस car को तब तक ले जाना चाहिए जब तक वो उसे फिर से call न कर लें। तुम घर safely पहुँच जाओ, okay? और thank you। आज के लिए। हर चीज़ के लिए।"

    प्रिया ने सिर हिलाया, अभी भी चिंतित दिख रही थी। "तुम भी, Avi। ज़्यादा मेहनत मत करो। Take care।" उसने उसे एक छोटी सी, warm smile दी, फिर मुड़ी और चली गई, उसका scooter सड़क पर थोड़ी दूरी पर park था। उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा, उसे park की हुई luxury sedan की ओर चलते हुए देखा। उसका दिल उसके लिए दुख रहा था, ये brilliant, kind, फिर भी perpetually struggling आदमी, अपने arrogant, अमीर boss की demands से परेशान था।

    Aarav ने उसे जाते हुए देखा, उसके ऊपर दुख की एक गहरी भावना छा गई। झूठ अब और भारी लग रहा था, जैसे उसके सीने में lead का वज़न हो। वह sleek car तक पहुँचा, दरवाजा खोला और leather की सीट में बैठ गया। ये उसकी सबसे comfortable car थी, फिर भी आज रात, ये एक जेल की तरह लग रही थी। उसने अभी-अभी अपनी कब्र थोड़ी और गहरी खोदी थी, खुद और उस महिला के बीच धोखे की एक और परत जमा दी थी, जो अनजाने में, उसकी दुनिया में सबसे important person बनती जा रही थी।

  • 19. Jugaad Wala Ishq - Chapter 19

    Words: 1832

    Estimated Reading Time: 11 min

    **अध्याय 19**

    प्रिया का स्कूटर धीरे से आवाज़ करते हुए राठौर हवेली से दूर चल दिया। ठंडी रात की हवा उसके चेहरे पर अच्छी लग रही थी, लेकिन उसके अंदर tension हो रही थी। अवि। बेचारा अवि। कितनी मेहनत कर रहा है, अपने अजीब inventions और अपने घमंडी, अमीर बॉस की मनमानियों के बीच फंसा हुआ है। ये बिल्कुल भी ठीक नहीं है। वो इससे बेहतर deserve करता है, कोई ऐसा जो उसकी talent को पहचाने, उसकी अच्छाई का फायदा न उठाए।

    Workshop में हुए 'लगभग kiss' के बारे में सोचते ही उसके गर्दन पर हल्की सी लाली छा गई। ये बेवकूफी भरा था, एक गलतफहमी थी, लेकिन वो पल, वो intense eye contact… उसने उसके सीने में एक गर्मी छोड़ दी थी जिसे ठंडी हवा भी कम नहीं कर पा रही थी। उसने अपना सिर हिलाया, उसे साफ़ करने की कोशिश की। Focus, प्रिया। टिफिन सर्विस पर ध्यान दो। राठौर की पार्टी पर ध्यान दो। किसी struggling inventor पर crush करने का टाइम नहीं है, चाहे वो कितना भी charming क्यों न हो।

    प्रिया से अनजान, राठौर हवेली के सामने वाली संकरी गली में एक परछाईं हिली। रीना, उसकी कजिन, शाम की ठंड में खुद को गले लगा रही थी, लेकिन उसकी आँखें तेज थीं, curiosity और ईर्ष्या के एक मिक्सचर से चमक रही थीं। वो प्रिया को हफ़्तों से देख रही थी, जब से ये रहस्यमय "अवि" उसकी life में आया था। प्रिया हमेशा उसके बारे में secret रखती थी, हमेशा इस 'workshop' में भागती रहती थी। रीना प्रिया को अच्छी तरह से जानती थी; कुछ तो गड़बड़ है।

    प्रिया, 'जुगाड़ क्वीन' जो टेप और एक प्रार्थना से कुछ भी ठीक कर सकती है, अचानक किसी अनजान सनकी के लिए काम कर रही थी। और वो घर से दूर लंबे घंटे बिता रही थी। रीना ने detail निकालने की कोशिश की, लेकिन प्रिया टाल-मटोल कर रही थी, बस इतना कह रही थी कि अवि एक brilliant लेकिन कंगाल inventor है। कंगाल, लेकिन एक ऐसे garage से काम कर रहा है, जो रीना को खुले गेट से दिखने में, एक छोटी, high-tech factory जैसा दिखता है। कुछ तो गड़बड़ है, और रीना इसका पता लगाने वाली थी।

    आज, उसके सब्र का फल मिल गया। उसने प्रिया को हवेली के गेट से बाहर आते देखा। कुछ मिनट बाद, वो sleek black car जिसकी प्रिया ने पहले तारीफ की थी, अपनी parking की जगह से निकली और चुपचाप सड़क पर चली गई, ठीक उसी जगह पर रुकी जहाँ प्रिया ने अपना स्कूटर park किया था। प्रिया अपनी 'धान्नो' पर बैठ गई, लेकिन तुरंत जाने के बजाय, उसने driver की सीट पर बैठे आदमी से बात की। रीना सुन नहीं पाई कि वे क्या कह रहे थे, लेकिन बात ज़ोरदार थी, दबी हुई थी। फिर, एक wave के साथ, प्रिया ने आखिरकार अपना स्कूटर स्टार्ट किया और अपने घर की ओर चल दी।

    रीना ने एक मिनट और luxury car को देखा। वो तुरंत नहीं हटी। इसके बजाय, driver, जिसे रीना ने 'अवि' के रूप में पहचाना, जिसके बारे में प्रिया बात करती रहती थी, बस वहीं बैठा रहा, प्रिया के स्कूटर को जाते हुए देख रहा था जब तक वो कोने के आसपास गायब नहीं हो गया। फिर, उसने एक लंबी आह भरी और सीट पर वापस झुक गया, थका हुआ दिख रहा था। रीना ने मज़ाक उड़ाया। तो, ये है 'गरीब inventor' जो ऐसी कार चलाता है जिसकी कीमत हमारे पूरे घर से ज़्यादा है? ये बिल्कुल भी सही नहीं बैठ रहा है।

    जैसे ही रीना मुड़ने और प्रिया का पीछा करने वाली थी, उसकी नज़र एक और movement पर पड़ी। सड़क के नीचे, लगभग राठौर हवेली के ठीक सामने, एक और कार खड़ी थी। वो अवि की जितनी दिखावटी नहीं थी, एक ज़्यादा सादी, लेकिन निस्संदेह महंगी, dark sedan। और उस पर झुका हुआ, अपने कान पर phone लगाए हुए, एक आदमी एक sharp, महंगे business suit में था। वो राठौर हवेली को ध्यान से देख रहा था, उसका posture सख्त था, उसका expression गंभीर था। उसके बारे में एक intensity थी, एक शिकारी जैसी स्थिरता, जिसने तुरंत रीना का ध्यान खींचा।

    वो बस यूं ही नहीं देख रहा था; वो *देख रहा* था। हवेली को देख रहा था, गेट को देख रहा था, उस जगह को देख रहा था जहाँ से अवि की fancy car अभी-अभी निकली थी। रीना का दिमाग, जो हमेशा मौके के धागों को जोड़ने के लिए तेज़ था, घूमने लगा। ये कोई simple, random late-night observation नहीं था। यहाँ कुछ बड़ा चल रहा था।

    वो छिपी रही, उस आदमी को दस मिनट और देखती रही। उसने कुछ calls किए, धीमी, कटी हुई आवाज़ में बात की, और उसकी निगाह कभी भी हवेली से नहीं हटी। आखिरकार, वो सीधा हुआ, उसने हवेली को एक आखिरी सख्त नज़र दी, और अपनी कार में बैठ गया, प्रिया की दिशा से विपरीत दिशा में चला गया।

    रीना मुस्कुराई। प्रिया, अपनी कड़ी मेहनत और ईमानदारी की अंतहीन बातों के साथ, साफ़ तौर पर किसी गड़बड़ चीज़ में शामिल है। और ये रहस्यमय आदमी, जिसकी उसी हवेली में गहरी दिलचस्पी है जहाँ प्रिया के 'गरीब' दोस्त का connection है… ये एक development है। ये अब सिर्फ प्रिया को एक अच्छी नौकरी मिलने के बारे में नहीं है। ये कुछ बड़ा है, जिसमें असली पैसे, असली power की संभावना है। और अगर प्रिया, simple टिफिन गर्ल, इसमें ठोकर मार सकती है, तो वो क्यों नहीं, रीना, जो कहीं ज़्यादा smart और महत्वाकांक्षी है?

    रीना के दिमाग में एक plan बनने लगा, जो अभी शुरुआती और बुरा था। वो राठौर परिवार का नाम जानती थी, बेशक। हर कोई जानता था। और suit में मौजूद आदमी में किसी शक्तिशाली व्यक्ति की हवा थी, कोई ऐसा जो… *जानकारी* में दिलचस्पी ले सकता है। प्रिया इस मामले में बहुत करीब जा रही थी। वो नासमझ थी। रीना नहीं थी। रीना सौदे की कला, leverage की value को समझती थी।

    वो गली से बाहर निकली, उसकी आँखों में एक calculating चमक थी। रात अचानक संभावनाओं से भरी लग रही थी। प्रिया को लगता था कि वो चालाक है, अपने छोटे से 'अवि' और अपनी secret नौकरी के साथ। लेकिन रीना ज़्यादा smart थी। रीना जानती थी कि game कैसे खेलना है। और उसे बस अपना opening मिल गया था।

    राठौर global office का address, उसने सोचा। या शायद राठौर empire में दिलचस्पी रखने वाले प्रमुख businessman की quick search। आदमी का चेहरा काफी खास था। उसने उसे business channels पर देखा था, है ना? एक quick mental jog, और उसके दिमाग में एक नाम आया: विक्रम शेखावत। राठौर का rival, है ना? वो मुस्कुराई, एक ठंडी, शिकारी मुस्कान जो उसकी आँखों तक नहीं पहुँची। टुकड़े अपनी जगह पर गिरने लगे थे।

    ये इस तंग, middle-class life से बाहर निकलने का उसका ticket हो सकता है। उसे बस थोड़ी सी हिम्मत, थोड़ी सी चालाकी और corporate साज़िश के धुंधले पानी में उतरने की इच्छा चाहिए थी। और शायद, प्रिया को ठोकर मारने में मदद करने के लिए थोड़ा सा धक्का, रीना के लिए रास्ता साफ़ करना। ये बहुत आसान होगा। आखिरकार, प्रिया उस पर भरोसा करती है। प्रिया को कभी शक नहीं होगा।

    रीना ने अपना phone निकाला, वो पुराना, थोड़ा टूटा हुआ phone जिसे प्रिया ने उसके लिए ठीक किया था। उसने अपना browser खोला और एक नाम type किया। उसने तय किया कि game officially शुरू हो गया है। और वो जीतने वाली है।

  • 20. Jugaad Wala Ishq - Chapter 20

    Words: 4042

    Estimated Reading Time: 25 min

    ## चैप्टर 20

    विक्रम शेखावत के ऑफिस का दरवाज़ा, जो चमचमाती महोगनी लकड़ी का बना था, रीना को ऑनलाइन फ़ोटो से भी ज़्यादा बड़ा और दमदार लग रहा था। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था, पर उसने अपना सिर ऊपर उठाया। यही मौका था। प्रिया सोचती थी कि वो स्मार्ट है, जुगाड़ू है, हमेशा उसके पास कोई न कोई तरीका होता है। लेकिन रीना जानती थी कि असली जुगाड़ तो मौके का फ़ायदा उठाना होता है। और उसे अंदर से लग रहा था कि ये बहुत बड़ा मौका है।

    उसने पिछली रात जो देखा था, उसके बाद से आज पूरा दिन विक्रम शेखावत के बारे में जानकारी जुटाने में लगाया था। वो एक शार्क था, corporate शिकारी, जो अपने aggressive acquisitions और अपने विरोधियों, ख़ासकर राठौरों के पीछे पड़ने के लिए जाना जाता था। उसकी ठंडी और तेज़ नज़र वाली फ़ोटो उसे फ़ाइनेंस की न्यूज़ में दिखती रहती थी। उसने ऑफिस का नंबर ढूंढा और थोड़ी हिम्मत जुटाकर कॉल किया।

    "शेखावत कॉर्प, मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ?" तीसरी घंटी पर एक तीखी, विनम्र आवाज़ आई।

    "गुड मॉर्निंग," रीना ने अपनी आवाज़ को स्थिर और professional रखने की कोशिश करते हुए कहा। "मेरा नाम रीना शर्मा है। मुझे मिस्टर विक्रम शेखावत से बात करनी है। ये राठौर परिवार के बारे में है।" उसने सांस रोककर रखी, उम्मीद करते हुए कि ये नाम उनकी दिलचस्पी जगाने के लिए काफ़ी होगा।

    थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया। "मिस्टर शेखावत बहुत busy हैं। क्या आपने appointment लिया है?" रिसेप्शनिस्ट cool लग रही थी।

    रीना ने ज़ोर दिया, अपनी आवाज़ में urgency डालते हुए। "नहीं, लेकिन ये बहुत ज़रूरी और confidential मामला है। इसका सीधा असर राठौर ग्लोबल से जुड़े उनके interests पर पड़ेगा। उन्हें बताओ कि मेरे पास अंदर की जानकारी है, और ये... ये आरव राठौर से जुड़ी है, personally।" उसने 'personally' पर ज़ोर दिया, ये जानते हुए कि gossip और कमज़ोरियाँ हमेशा सूखी corporate न्यूज़ से ज़्यादा दिलचस्प होती हैं।

    एक और लम्बी चुप्पी। रीना को लगभग रिसेप्शनिस्ट के दिमाग के gear घूमते हुए सुनाई दे रहे थे। फिर, होल्ड बटन की क्लिक। रीना ने अपने फ़ोन को और कसकर पकड़ लिया। ये करो या मरो वाला पल था। उसे इंतज़ार करना पसंद नहीं था, tension से नफ़रत थी। उसकी हथेलियाँ पसीने से तर हो रही थीं। *कम ऑन, रीना। बस अंदर जाने का रास्ता मिल जाए।*

    एक अलग आवाज़, ज़्यादा गहरी, ज़्यादा official, लाइन पर आई। "राहुल बोल रहा हूँ। मिस्टर शेखावत एक meeting में हैं। ये क्या मामला है?"

    "मिस्टर राहुल," रीना ने थोड़ी चिड़चिढ़ी आवाज़ में शुरू किया, जैसे उसने पहले ही ये बात कई बार बता दी हो। "मैंने अभी आपकी रिसेप्शनिस्ट को बताया। ये राठौरों के बारे में है। ख़ास तौर पर, आरव के बारे में। मेरे पास अंदर की जानकारी है। ऐसी जानकारी जो मिस्टर शेखावत को एक important फ़ायदा दे सकती है। अगर ये ज़रूरी नहीं होता तो मैं कॉल नहीं करती।" उसने थोड़ी नाराज़गी, थोड़ा घमंड डाला, ये जताने की कोशिश करते हुए कि वो अपनी value जानती है।

    "और तुम कौन हो, मिस शर्मा?" राहुल की आवाज़ सतर्क थी, जाँचने वाली।

    "मैं रीना शर्मा हूँ। मेरा सीधा connection उस इंसान से है जो अभी राठौर परिवार के साथ बहुत करीब से जुड़ा हुआ है। एक ऐसा इंसान जो अनजाने में जानकारी के खजाने पर बैठा है। ऐसी जानकारी जिसे आरव राठौर खुद छिपाने की कोशिश कर रहा है।" रीना जानती थी कि काँटा कैसे डाला जाता है। छिपे हुए secrets का वादा, एक अनजान मुखबिर का - ये विक्रम शेखावत जैसे इंसान के लिए बहुत attractive था।

    दूसरी तरफ़ दबी हुई सलाह-मशविरा हुई, धीमी आवाज़ों की बड़बड़ाहट। रीना को लगभग दिलचस्पी में बदलाव महसूस हो रहा था। आखिरकार, राहुल की आवाज़ वापस आई, तेज़, ज़्यादा सीधी। "मिस्टर शेखावत आज दोपहर 3 बजे तुमसे मिलेंगे। देर मत करना। और ये बताने के लिए तैयार रहना कि तुम्हारे पास देने के लिए क्या है।"

    रीना के होंठों पर एक विजयी मुस्कान आ गई। उसने कर दिखाया था। दरवाज़ा खुल गया था। "मैं आऊँगी," उसने कहा, उसकी आवाज़ confidence से भरी हुई थी। "और मैं वादा करती हूँ, मिस्टर शेखावत निराश नहीं होंगे।"

    ***

    तीन बजे रीना शेखावत कॉर्प की चिकनी, modern लॉबी में चल रही थी। जगह पैसे और ताक़त से महक रही थी। Minimalist डिज़ाइन, हल्के रंग, महँगी कला - ये उसके छोटे से फ़्लैट से बहुत अलग दुनिया थी। यही वो जगह थी जहाँ वो belong करती थी।

    एक सख़्त चेहरे वाला assistant, शायद राहुल, उसे एक शांत गलियारे से एक बड़े, कोने वाले ऑफिस में ले गया। दीवारें काँच की थीं, शहर का शानदार नज़ारा दिख रहा था, लेकिन कुल मिलाकर effect ठंडा, लगभग बंजर था। कोई personal touch नहीं था, कोई warmth नहीं थी। बस efficiency थी।

    विक्रम शेखावत खिड़की के पास खड़े थे, उनकी पीठ उनकी तरफ़ थी, अपने empire का survey कर रहे थे। जैसे ही वो अंदर आए, वो मुड़े, उनकी नज़र रीना पर पड़ी, analytical, जाँचने वाली। वो person में भी उतने ही दमदार थे जितने उनकी तस्वीरों में थे, शायद उससे भी ज़्यादा। उनकी आँखें, काली और बिना पलक झपकाए, एक भयानक intensity लिए हुए थीं।

    "मिस शर्मा," विक्रम ने कहा, उनकी आवाज़ चिकनी, भावनाओं से रहित थी। उन्होंने हाथ मिलाने के लिए हाथ नहीं बढ़ाया, बस उनकी दमदार डेस्क के सामने वाली सख़्त चमड़े की chairs में से एक की ओर इशारा किया। "आपने दावा किया कि आपके पास जानकारी है। Short में बताइए। मेरा time कीमती है।"

    रीना ने घबराहट महसूस की, लेकिन उसने इसे दबा दिया। ये हिचकिचाने का time नहीं था। वो बैठी, अपने handbag को सावधानी से फ़र्श पर अपने बगल में रख दिया। "हाँ, मिस्टर शेखावत। और मेरा time, या बल्कि, मेरी कज़िन का time, राठौरों द्वारा बर्बाद किया जा रहा है, ख़ासकर आरव राठौर द्वारा।"

    विक्रम अपनी chair पर पीछे झुक गए, उनकी उंगलियाँ एक साथ जुड़ी हुई थीं। "तुम्हारी कज़िन? और वो आरव राठौर से कैसे जुड़ी है? मेरी जानकारी बताती है कि वो अपने दायरे को बहुत कसकर रखता है, ख़ासकर अपने professional दायरे से बाहर।"

    "मेरी कज़िन, प्रिया शर्मा, टिफ़िन सर्विस चलाती है," रीना ने इस तरह से बात करना शुरू किया जैसे वो अनिच्छा से एक घटिया पारिवारिक secret बता रही हो। "एक छोटा सा, middle class venture. ऐसी कोई चीज़ जिसमें आपकी दिलचस्पी नहीं होगी। लेकिन हाल ही में, वो अपनी सारी शामें और रातें राठौर मेंशन में बिता रही है। ख़ास तौर पर उनके garage में। आरव राठौर के साथ काम कर रही है।" वो impact के लिए रुकी। "वो उसे 'अवि' कहती है।"

    विक्रम की भौहें, पूरी तरह से तराशी हुई, एक इंच का एक अंश उठीं। ये आश्चर्य का एकमात्र संकेत था। "आरव राठौर के garage में एक टिफ़िन सर्विस का मालिक? और वो खुद को 'अवि' कहता है? ये... काल्पनिक लगता है, मिस शर्मा। क्या आप पूरी तरह से sure हैं कि आपने उसे किसी employee, या शायद किसी माली के लिए ग़लत नहीं समझा है?" उनकी आवाज़ में dismiss करने वाली मज़ाक की एक झलक थी, जो उसके confidence का test करने के लिए डिज़ाइन की गई थी।

    रीना सीधी हो गई, उसकी पिछली घबराहट की जगह एक पल के लिए चिड़चिड़ाहट आ गई। "काल्पनिक, शायद, लेकिन सच, मिस्टर शेखावत। वो किसी टूटे हुए, सनकी inventor होने का दिखावा कर रहा है। ज़ाहिर है, उसने अपने एक ख़राब drone को उसके scooter में मार दिया, उसका सबसे बड़ा catering order बर्बाद कर दिया। 'उसे चुकाने' के लिए, उसने उसे job की offer की। 'Organizational manager' अपने chaotic workshop का, वो इसे कहती है। मेरी कज़िन, भगवान उसके मासूम दिल को सलामत रखे, सोचती है कि वो सिर्फ़ एक संघर्ष करने वाला genius है जिसे अपनी ज़िंदगी में थोड़ी व्यवस्था की ज़रूरत है।" रीना ने प्रिया की मासूमियत पर अपनी अवमानना दिखाते हुए तिरस्कार किया। "वो वास्तव में उस पर *तरस* खाती है।"

    वो थोड़ा आगे झुकी, उसकी आवाज़ षडयंत्रकारी रूप से धीमी हो गई। "लेकिन मैंने उसे कल रात देखा, मिस्टर शेखावत। प्रिया को घर छोड़ते हुए। वो खटारा scooter या कोई पुरानी मारुति नहीं चला रहा था। वो एक luxury car चला रहा था जिसकी क़ीमत करोड़ों में है। एक चिकना, काला जर्मन model। वही जो कभी-कभी चुपचाप हवेली के पास खड़ी होती है, एक पेड़ के नीचे छिपी होती है, जैसे वो नहीं चाहता कि कोई उसे देखे।" रीना को इस निंदनीय detail को बताते हुए संतोष की लहर महसूस हुई। ये ठोस था। ये undeniable था।

    विक्रम का चेहरा काफ़ी हद तक अपठनीय रहा, लेकिन रीना ने उसकी आँखों के आसपास थोड़ी सी कसावट देखी, real interest की एक झलक। वो थोड़ा आगे झुका, उसकी posture को reflect करते हुए। "और ये मुझे क्यों चिंतित करता है, मिस शर्मा? या बल्कि, इस 'अंदरूनी जानकारी' का क्या value है, ये साबित करने के अलावा कि राठौर वारिस का एक अजीब शौक है?"

    "क्योंकि मेरी कज़िन उसके *करीब* है," रीना ने उस बदलाव को महसूस करते हुए ज़ोर दिया। "वो उसके personal space में है। उसके *secret* space में, ऐसा लगता है। वो उस पर trust करता है। उसने उस workshop में चीजें देखी हैं। gadgets, plans, यहां तक कि कुछ पुराने papers, उसने एक बार अस्पष्ट रूप से mention किया था। वो चीजें जो वो समझती नहीं है, लेकिन शायद आप समझ जाएँ। वो सचमुच उस आदमी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है, कभी-कभी देर रात तक, अकेले। उसकी access है जिसका आपकी company में कोई और, या कोई अन्य प्रतिद्वंद्वी, कभी सपने में भी नहीं सोच सकता है। वो एक भरोसेमंद... विश्वासपात्र है।" रीना ने सच्चाई को सजाया, प्रिया को आरव के secrets के साथ वास्तव में उससे ज़्यादा गहराई से उलझा हुआ दिखाया। "और वो स्पष्ट रूप से उससे अपनी असली पहचान छिपा रहा है। वो वहाँ कमज़ोर है, मिस्टर शेखावत। एक कमज़ोरी। एक बहुत ही useful कमज़ोरी।"

    विक्रम ने फिर से अपनी उंगलियाँ एक साथ जोड़ लीं, उनकी नज़र भेदक थी। "एक कमज़ोरी। दिलचस्प। और तुम्हारी क्या motivation है, मिस शर्मा? तुम ये मेरे साथ क्यों share कर रही हो? अपनी company के लिए देशभक्ति? न्याय की ओर इशारा करने वाला एक moral compass?" उनकी आवाज़ व्यंग्य से भरी हुई थी।

    रीना ने उनकी आँखों में आँखें डालकर देखा। वो जानती थी कि इस तरह के आदमी से अपनी motivation के बारे में झूठ बोलना ठीक नहीं है। "मेरी motivation simple है, मिस्टर शेखावत। मेरी कज़िन आगे बढ़ रही है, हाँ, लेकिन वो भोली भी है। वो अपनी league से बाहर के लोगों के साथ मिल रही है, उन चीज़ों में शामिल हो रही है जिन्हें वो समझती नहीं है। मैं नहीं चाहती कि उसे चोट लगे, या इससे भी बुरी बात ये है कि उसे सारी glory मिल जाए और मैं पीछे छूट जाऊं।" उसने अपनी आवाज़ में नाराज़गी का एक touch डाला, प्रिया की success के प्रति अपनी गहरी बैठी ईर्ष्या का एक सूक्ष्म संकेत। "मुझे एक proper हिस्सा चाहिए। मुझे मौके चाहिए। और मेरा मानना है कि आप वो person हैं जो ये दे सकते हैं।"

    उसने जारी रखा, अपनी बात को स्पष्ट और clear करते हुए। "मैं आपको उस workshop में क्या होता है, इसके बारे में जानकारी दे सकती हूँ। आरव राठौर वास्तव में अपनी public image के पीछे क्या कर रहा है, इसके बारे में। मैं आपको उसकी habits, उसकी कमज़ोरियों, किसी भी चीज़ के बारे में बता सकती हूँ जो मेरी कज़िन देखती या सुनती है, या यहां तक कि *ढूंढती* भी है। वो छोटी-छोटी stories घर लाती है, मिस्टर शेखावत। छोटी-छोटी details जो उसे important लगती हैं, लेकिन आपके जैसे किसी person के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं।"

    "और बदले में तुम क्या उम्मीद करती हो, मिस शर्मा?" विक्रम की आवाज़ dangerously चिकनी थी।

    "पैसा, ज़ाहिर है। अपने लिए एक comfortable लाइफ़ जीने के लिए काफ़ी," रीना ने बिना झिझके कहा। "और connections. मैं एक future बनाना चाहती हूँ, मिस्टर शेखावत। मैं ambitious हूँ। मैं जुगाड़ू हूँ। बिलकुल अपनी कज़िन की तरह, लेकिन... इसके बारे में ज़्यादा smart. मैं जानती हूँ कि अवसरों का उपयोग कैसे किया जाता है। और मैं जानती हूँ कि secrets कैसे रखे जाते हैं।" उसने ठंडी व्यावहारिकता की एक image पेश करने की कोशिश की, उसकी अपनी क्रूरता का एक mirror.

    विक्रम पीछे झुक गए, उनके होंठों पर एक हल्की, लगभग अगोचर मुस्कान खेल रही थी। ये warm मुस्कान नहीं थी, बल्कि एक calculated मुस्कान थी। "जुगाड़ू, तुम कहती हो। और ambitious. मुझे ambition पसंद है, मिस शर्मा। और तुम्हारे जैसे परिवार की dynamics... अक्सर लाभ उठाने के लिए बेहतरीन अवसर पैदा करती है। मुझे बताओ, तुम्हारी कज़िन इस 'अवि' के प्रति कितनी loyal है? और तुम अपनी कज़िन के प्रति कितनी loyal हो?"

    रीना ने एक छोटी सी dismiss करने वाली हँसी दी। "प्रिया वफ़ादारी की हद तक वफ़ादार है, मिस्टर शेखावत। वो उस पर विश्वास करती है, उस पर तरस खाती है, यहां तक कि। वो दुनिया के सारे पैसे के लिए भी उसे धोखा नहीं देगी। वो बहुत ज़्यादा... *सिद्धांतवादी* है।" आखिरी शब्द तिरस्कार के साथ बोला गया था। "लेकिन मैं... मैं *खुद* के प्रति loyal हूँ। और उस रास्ते के प्रति जो मुझे वो दिलाता है जो मैं deserve करती हूँ। मेरी loyalty ख़रीदी जा सकती है। और manage की जा सकती है।"

    "तो, एक भाड़े की सैनिक," विक्रम ने सोचा, उनकी आँखें बिना पलक झपकाए। "एक practical महिला। अच्छा। मैं इन मामलों में honesty पसंद करता हूँ। बहुत अच्छा, मिस शर्मा। यहाँ मेरा offer है। मैं तुम्हें एक retainer दूँगा। शुरू करने के लिए एक छोटी सी amount. तुम जानकारी इकट्ठा करोगी। जो भी तुम आरव राठौर, उसकी activities, उसकी projects के बारे में सुनो, देखो या तुम्हें शक हो, कुछ भी जो तुम्हारी कज़िन के होंठों से होकर गुज़रे। तुम सीधे मेरे assistant, राहुल को report करोगी, यहाँ। वो तुम्हारा contact होगा। कोई और नहीं। अगर जानकारी valuable है, अगर इससे results मिलते हैं, तो payment बढ़ेगा। और जो connections तुम चाहती हो, वो सच हो जाएंगे। क्या तुम समझती हो? मेरे साथ कोई सीधा contact नहीं, केवल राहुल के साथ। और पूरी तरह से confidentiality. अगर ये मुझ तक वापस आता है, अगर राठौर परिवार तक एक भी कानाफूसी पहुँचती है, तो तुम खुद को उससे भी बदतर situation में पाओगी जिसमें तुम अभी हो। क्या हमारे बीच सौदा हुआ?"

    रीना की आँखें चमक उठीं। एक विजयी मुस्कान, चौड़ी और uncontrolled, उसके चेहरे पर फैल गई। ये वो सब कुछ था जो वो चाहती थी, वो सब कुछ जो उसे लगता था कि वो deserve करती है। वो खड़ी हो गई, एक खुशमिज़ाज हल्कापन महसूस करते हुए। ये उसका उदय था। और अगर इसका मतलब प्रिया को लांघना है, तो ऐसा ही होगा। प्रिया हमेशा lucky रही है; ये time रीना के लिए अपना भाग्य बनाने का था।

    जैसे ही रीना बाहर निकली, राहुल ने उसके पीछे दरवाज़ा बंद कर दिया। विक्रम ने अपना फ़ोन उठाया, एक internal नंबर dial किया। "राहुल," उन्होंने receiver में कहा, उनकी आवाज़ बर्फ़ की तरह थी। "मिस शर्मा के लिए शुरुआती payment की व्यवस्था करो। और उसे reporting protocol के बारे में ध्यान से instruct करो। उसकी कज़िन के साथ उसके contact पर नज़र रखो। ये 'अवि' का नाटक... ये आरव राठौर के लिए एक important कमज़ोरी हो सकती है। अंदरूनी access वाली एक भोली लड़की... एक perfect मोहरा।" वो रुका, शहर के horizon को देखते हुए, उसकी आँखों में शिकारी चमक थी। "इस 'workshop' और आरव राठौर वहाँ जिन projects पर काम कर रहे हैं, उनके बारे में details के लिए उसे टटोलना शुरू करो। ख़ासकर उनके पिता के time से कुछ भी। अगर ये उतना ही secret है जितना वो बताती है, तो ये key हो सकती है।" विक्रम के लिए टुकड़े जगह पर गिर रहे थे। उसके लिए खेल और भी दिलचस्प हो गया था।