ये कहानी है आध्या और एकाक्ष की !! एकाक्ष जो था पूरे राजस्थान का हुकुम सा और साथ में पूरे एशिया का सबसे पावरफुल इंसान !! जिसके आगे कोई कुछ भी बोलने से पहले हजार बार सोचता था !! जिसके लिए किसी को मिटाना कोई बड़ी बात नहीं थी !! लेकिन उस की सिर्फ एक ही क... ये कहानी है आध्या और एकाक्ष की !! एकाक्ष जो था पूरे राजस्थान का हुकुम सा और साथ में पूरे एशिया का सबसे पावरफुल इंसान !! जिसके आगे कोई कुछ भी बोलने से पहले हजार बार सोचता था !! जिसके लिए किसी को मिटाना कोई बड़ी बात नहीं थी !! लेकिन उस की सिर्फ एक ही कमजोरी थी जिसके बारे में दुनिया में किसी को नहीं पता था !! वहीं दूसरी तरफ आध्या जो मित्तल फैमिली की अडॉप्टेड बेटी थी !! जिसे याद नहीं था कि वह कौन है और किस खानदान की बेटी है !! लेकिन एक दिन उसका बहुत बुरी तरह से एक्सीडेंट हो जाता है फिर उसे अपने बारे में सब कुछ याद आ जाता है जिसके बाद से ही उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है !! कौन थी आध्या ?? क्या थी एकाक्ष की कमजोरी ?? कैसी होगी एकाक्ष और आध्या की लव स्टोरी ??
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मुंबई के एक भीड़ भार वाली सड़क पर एक लड़की आराम से गाड़ी चलाते हुए जा रही थी। तभी लड़की का फोन बचाने लगा तो वह फोन उठाते हुए बोली, "भाई मैं बहुत जल्द घर पहुंचने वाली हूं आप टेंशन मत लो।"
तभी फोन के दूसरी तरफ से आवाज आई, "आराम से गाड़ी चलाते हुए आना। ज्यादा स्पीड में गाड़ी चलाने की जरूरत नहीं है।"
तभी लड़की मुस्कुरा कर बोली, "जी भाई अब फिक्र ना करें मैं स्पीड में गाड़ी नहीं चल रही, मैं बस बहुत जल्द घर पहुंच जाऊंगी।"
इतना कह कर वह कॉल कट कर देती है लेकिन तभी अचानक एक गाड़ी तेजी से आकर लड़की की गाड़ी को टक्कर मार देते हैं जिस वजह से लड़की अपना बैलेंस संभाल नहीं पाती और गाड़ी पूरी तरह से पलट जाती है।
जैसे ही आसपास के लोगों ने एक्सीडेंट होते हुए देखा वैसे ही सब लोग गाड़ी के तरफ दौड़ने लगे। वह लड़की काफी ज्यादा घायल हो चुकी थी लेकिन अभी भी उस की सांसे चल रही थी।
लेकिन वह अभी भी गाड़ी के अंदर फंसी हुई थी तभी एक लड़का दौड़ते हुए आता है और फिर उसे गाड़ी के अंदर से बाहर निकालने की कोशिश करने लगता है लेकिन वह अकेले उसे बाहर नहीं निकल पाता
इसलिए वह आसपास के लोगों से मदद मांगने लगता है आसपास कुछ अच्छे लोग थे जिन्होंने उस की मदद कर दी और लड़की को गाड़ी से बाहर निकालने की कोशिश की कुछ ही देर में गाड़ी से सब लोगों ने मिल कर लड़की को बाहर निकाल लिया।
तभी उसे लड़के को एहसास हुआ की गाड़ी अभी ब्लास्ट होने वाली है इसलिए वह लड़का सब लोगों को वहां से दौड़ने के लिए बोल कर अपनी गोद में लड़की को लेकर वहां से दौड़ने लगता है तभी गाड़ी से एक ब्लास्ट की आवाज आती है।
कुछ ही देर बाद वही के लोग लड़की को अस्पताल ले जाने लगते हैं अस्पताल जाने के बाद लड़की का इलाज शुरू किया जाता है। इन्हीं सब में लड़की की फैमिली को भी लड़की के एक्सीडेंट वाली बात पता चल जाती है।
पूरे 10 घंटे ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकाल कर आता है और फिर लड़की की फैमिली को देखते हुए बोला, "पेशेंट खतरे से बाहर है लेकिन उन्हें काफी गहरी छोटे आई है इसीलिए वह कब होश में आएगी इसके बारे में हम कुछ बात नहीं सकते और बाकी हम होश में आने के बाद ही आप को बता सकेंगे।"
डॉक्टर अपनी बात कह कर वहां से चला जाता है डॉक्टर के वहां से जाने के बाद एक लड़का बहुत ही परेशान होकर वहीं पर बैठ जाता है।
जिसे देख कर एक दूसरा लड़का बोलता है, "विनीत भाई आप प्लीज टेंशन मत लीजिए हमारी किट्टू को कुछ नहीं होगा वह बिल्कुल ठीक होगी।"
तभी विनीत बोलता है, "एक्सीडेंट के जस्ट कुछ मिनट पहले मैंने किट्टू से बात की थी वह अपनी गाड़ी बहुत आराम से चला रही थी लेकिन समझ नहीं आ रहा कि ऐसा कैसे हो गया।"
विनीत की बात को सुन कर वह लड़का जो विनीत के बगल में खड़ा था वह बोलता है, "कहीं ऐसा तो नहीं कि हमारी किट्टू का एक्सीडेंट किसी ने जानबूझकर करवाया हो अगर ऐसा है तो फिर मुझे इन सब के बारे में पता करना होगा आप टेंशन मत लो मैं सब कुछ पता कर लूंगा।"
इतना बोल कर वह लड़का भी वहां से चला जाता है। ऐसे ही पूरे दो हफ्ते भी जाते हैं लेकिन अब तक लड़की को होश नहीं आता इस वजह से लड़की की पूरी फैमिली काफी परेशान होते हैं।
तभी अचानक लड़की होश में आ जाती है नर्स को जैसे ही पता चलता है कि पेशेंट होश में आ गई है तो वह डॉक्टर को बुलाने लगती है डॉक्टर आने के बाद पेशेंट को अच्छे से देखने लगता है तभी वह लड़की होश में आने के बाद हर जगह हर एक चीज को देखने लगती है तभी वह बोलती है, "मैं कहां हूं ?"
सवाल सुनते ही डॉक्टर लड़की से बोलता है, "तुम फिलहाल अस्पताल में हो तुम्हारा दो हफ्ते पहले एक्सीडेंट हुआ था अभी तुम पूरी तरह से ठीक हो लेकिन तुम्हारी जख्म भरने में थोड़ा सा वक्त लगेगा।"
डॉक्टर की बात सुनते ही लड़की उठने की कोशिश करने लगी लेकिन डॉक्टर ने उसे उठने के लिए नहीं दिया अभी लड़की से कोई मिलने के लिए नहीं आया था।
क्योंकि अभी तक उस की फैमिली को पता नहीं था कि वह होश में आ चुकी है जब डॉक्टर और नर्स लड़की को अकेला छोड़ कर वहां से जाने लगे।
तब लड़की अपने मन ही मन में बोली, "क्या अजीब बात है आज तक में खुद के बारे में जानना चाहती थी लेकिन आज जब खुद के बारे में सब कुछ याद आ चुका है तो चाहती हूं कि मैं सब कुछ वापस से भूल जाऊं।"
"मेरी असली पहचान मुझे अब पता है लेकिन इस असली पहचान के साथ मुझे एक बहुत बड़ा जख्म भी मिला है जो जख्म कभी भर नहीं सकता।"
इतना बोलने के बाद वह अचानक उठ कर बैठ गई। और फिर विंडो से बाहर की तरफ देखने लगी। फिर वह आसमान को देखते हुए बोली, "काश मुझे कुछ भी याद नहीं आता।"
तभी अचानक केबिन का दरवाजा खुला केबिन के दरवाजे को खुलता हुआ देखा वह लड़की अपने आंसू को साफ करने लगी उसे लगा शायद उस के परिवार में से कोई आया होगा तभी दरवाजे से एक लड़का अंदर आया जिसे देख कर वह लड़की कंफ्यूज होकर लड़के को ही देखने लगी।
तभी वह लड़का लड़की के सामने जाकर खड़ा हो गया और फिर बिना किसी भाव के साथ बोला, "16 साल बाद तुमसे मुलाकात करके मुझे काफी खुशी हुई आध्या।"
अपना असली नाम जान के वह लड़की इतना तो समझ चुकी थी कि उसके सामने कोई ऐसा इंसान खड़ा था जो उसे उस की असली पहचान के साथ जानता था तभी वह लड़की जिस का नाम आध्या थी वह बोली, "मेरा नाम आध्या नहीं है मेरा नाम शुभांगी है।"
तभी वह लड़का एक अजीब मुस्कान के साथ बोला, "पहचान बदल लेने से तुम अपनी असली पहचान को बदल नहीं सकती तुम भी जानती हो तुम्हारी असली पहचान क्या है और तुम कौन हो अगर तुम भूल चुके हो तो फिर मैं वापस बोल सकता हूं।"
इतना बोलकर वह लड़का थोड़ी देर के लिए खामोश हो गया फिर उसने वापस बोला, "आध्या सिंह राजवंश यह तुम्हारा असली नाम है तुम्हारे ही अभी पूरी दुनिया के लिए शुभांगी मित्तल हो लेकिन तुम अपनी असली पहचान से भाग नहीं सकती तुम दुनिया के लिए कुछ भी हो पर मेरे लिए सिर्फ आध्या मेरी बटरफ्लाई।"
बटरफ्लाई शब्द को सुनते ही आध्या के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल चुके थे। और वह समझ चुकी थी कि उस के सामने कौन खड़ा है।
लेकिन वह कुछ बोलती इससे पहले ही अचानक दरवाजा खुला जिस वजह से वह काफी ज्यादा डर चुकी थी लेकिन जैसे ही उसने अपनी आंखें बंद करके वापस खिला तो उसके सामने वह लड़का नहीं था।
तभी केबिन के अंदर विनीत आया और वह अपनी बहन को देखते हुए बोला, "किट्टू तुम्हें पता है जब डॉक्टर ने कहा कि तुम होश में आ चुकी हो तो मैं कितना ज्यादा खुश था।"
किट्टू आध्या का निकनेम है जो उस की फैमिली उसे बुलाते हैं। आध्या जैसे ही अपने सामने अपने भाई को देखा वैसे ही वह मुस्कुरा कर बोली, "आप को देख कर मैं भी बहुत खुश हूं भाई लेकिन भाई क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूं।"
आध्या के सवाल को सुनते ही विनीत ने मुस्कुरा कर कहा, "हां मेरी जान पूछो क्या पूछना है तुम्हें मुझसे ?"
आध्या एक गहरी सांस लेते हुए बोली, "जब मैं 7 साल की थी तब मित्तल फैमिली ने मेरी जान बचाई थी और मुझे अपनी फैमिली में लेकर आए थे आप में से किसी को नहीं पता था कि मैं कौन हूं और मेरे साथ क्या हुआ है फिर भी आप लोगों ने मुझे अपनाया।"
"मुझे सहारा दिया मुझे मित्तल परिवार का हिस्सा बनाया, मित्तल परिवार की लाडली बेटी बनाई, आप सपने कभी मेरे साथ भेदभाव नहीं किया। इसके लिए थैंक यू सो मच।"
आध्या की बात सुन विनीत हैरानी से आध्या से पूछने लगा, "क्या हो गया है तुम्हें शुभांगी तुम ऐसी बातें क्यों कर रही हो ?"
आध्या अचानक बोली, "मेरा असली नाम आध्या है।"
विनीत ने जैसे ही आध्या का असली नाम सुना उसे समझ में आ गया था कि आध्या को अपने बचपन की हर एक चीज याद आ चुकी है उस की याददाश्त वापस आ चुकी है।
ये पता चलते ही विनीत आध्या के पास बैठ गया और बैठने के बाद बोला, "तुम्हारी याददाश्त वापस आ चुकी है ?"
आध्या हां में सिर हिलाया यह देख कर विनीत ने कहा, "कोई बात नहीं हम तुम्हारा नाम बदल देंगे हम तुम्हारा असली नाम रख लेंगे पर इसके लिए मुझे थोड़ा वक्त चाहिए।"
आध्या विनीत की बात सुन कर विनीत के हाथ को पकड़ बोली, "भाई मैं आप लोगों के लिए हमेशा किट्टू ही रहूंगी और रही बात मेरे असली नाम के तो मैं अपना नाम खुद बदलवा लूंगी आप इन सब की टेंशन मत लीजिए लेकिन हां ये सच सिर्फ आप को बताया है फिलहाल में किसी को बताना नहीं चाहती और आप भी अभी किसी को नहीं बताएंगे।"
आध्या की बात सुनते ही विनीत आध्या के फोरहेड पर किस करते हुए बोला, "अरे मेरी पागल किट्टू तुम चाहे आध्या हो या शुभांगी रहोगी तो मेरी ही बहन तो इसीलिए मुझे कोई टेंशन नहीं और मैं अभी किसी को नहीं बताऊंगा तुम टेंशन मत लो अभी तुम आराम करो बाकी सब लोग भी तुमसे मिलने के लिए आएंगे।"
विनीत की बात सुनने के बाद आध्या आराम करने लगी लेकिन उस के दिमाग में उस के सामने खड़े लड़के की ही शक्ल आ रही थी वह जानती थी कि वह कौन है लेकिन उसे नहीं पता था कि वह अचानक वहां से गायब कैसे हो गया।
एक हफ्ते बाद
आध्या अस्पताल से डिस्चार्ज होकर मित्तल विला गई। प्रतीक उसे विला के अंदर ले जाने लगा लेकिन तभी अचानक एक जोर की आवाज आई, "वहीं पर रुक जाओ।"
ये आवाज सुनते ही आध्या और विनीत दोनों ही एक दूसरे के तरफ कंफ्यूज होकर देखने लगी तभी सामने से एक औरत अपने हाथों में आरती की थाली लेते हुए बाहर आई।
फिर उन्होंने आध्या की आरती उतारते हुए कहा, "पता नहीं मेरी बच्ची को किस की नजर लग गई जो इतना बड़ा एक्सीडेंट हो गया मैंने तो पंडित जी से कह कर एक पूजा भी करवा ली। बस अभी तुम्हारी नजर उतरवाना बाकी है।"
ये थी विनीता मित्तल, विनीता मित्तल विनीत की मां थी। आध्या को भी विनीता मित्तल के पति नहीं अडॉप्ट किया था जिस के बाद वह आध्या की भी मां बन गई वैदेही जी अपने दोनों बच्चों से बहुत ही ज्यादा प्यार करते हैं खास कर अपनी बेटी आध्या से।
विनीता जी की बात सुन कर विनीत मुंह बनाते हुए बोला, "आप को तो बस अपनी बेटी की परवाह है आप का ये बेटा तो आपके सामने निकम्मा है।"
अचानक विनीता जी ने कहा, "सिर्फ निकम्मा नहीं नालायक भी है कहा था ना अपनी बहन के साथ जो तुम गए नहीं जिस वजह से उसका एक्सीडेंट हो गया।"
विनीता जी की बात सुन कर आध्या ना चाहते हुए भी हंसने लगी आध्या को हंसता हुआ देख विनीता जी और विनीत दोनों ही मुस्कुराने लगे।
फिर दोनों आध्या को अंदर ले जाने लेकर अंदर जाने के बाद आध्या ने विनीता जी से पूछा, "मम्मी बाकी सब कहां है ? बाकी सब तो मुझ से मिलने भी नहीं आए।"
आध्या के सवाल को सुनते ही विनीता जी ने कहा, "अरे तुम बाकी सब को छोड़ो वैसे सारे मर्द फिलहाल पानी पानी हो रहे हैं।"
आध्या और विनीत फिर से कंफ्यूज होकर एक दूसरे को देखने लगे तभी उन दोनों को किचन की तरफ से आवाज आने लगी जी आवाज को सुनते ही दोनों किचन की तरफ जाने लगी विनीत को छोड़ कर घर के सारे मर्द किचन में घुसे हुए थे।
यह देख कर विनीत और आध्या दोनों फिर से एक दूसरे को देखने लगी तभी पीछे से विनीता जी आते हुए बोली, "अपनी पोती भतीजी बेटी के अस्पताल से वापस आने की खुशी में सारे मर्द खुद ही खाना बना रही है और हम औरतों को किचन के अंदर घुसने भी नहीं दे रहे। इसलिए इन सबको तुम दोनों इग्नोर करो और जाकर फ्रेश हो जाओ तब तक मैं इन सब की हालत पर थोड़ा तरस खा कर आता हूं।"
विनीता जी की बातों को सुन कर विनीत और आध्या दोनों ही अपने अपने कमरे में भाग गए। क्योंकि दोनों को पता था कि आज सच में बहुत ही भयानक चीज़ होने वाली है।
कमरे के अंदर जाने के बाद आध्या फ्रेश होने के लिए वॉशरूम के अंदर चले गए वॉशरूम से बाहर निकाल कर आने के बाद वह बेड पर बैठ कर कुछ सोचने लगी।
तभी किसी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया जिस की आवाज सुन कर आध्या कमरे का दरवाजा खोला तो सामने सर्वेंट खड़ी थी सर्वेंट ने आध्या से कहा, "मैडम आप को बड़े साहब नीचे बुला रहे हैं।"
क्या कहानी है आध्या की ?? कौन था वह अनजान इंसान ??
सर्वेंट की बात सुनते ही आध्या ठीक है बोल कर कुछ ही देर में नीचे आने लगी नीचे मित्तल फैमिली के सारे लोग बैठे हुए थे।
जब आध्या ने पूरी फैमिली को एक साथ देखा तो वह मुस्कुरा कर सब लोगों के बीच आकर बैठ गई तभी एक आदमी जिस की उम्र लगभग 70 साल थी वह बोले, "बेटा आप की तबीयत अब ठीक है ना अगर आप को कुछ भी ठीक नहीं लग रहा तो फिर आप जाकर आराम कर सकती है।"
अपने सामने बैठे आदमी को देखते ही आध्या बोली, "नहीं दादाजी में बिल्कुल ठीक हूं। आप बताइए आपने मुझे यहां पर क्यों बुलाया था ?"
ये आदमी और कोई नहीं मित्तल फैमिली के हेड और फैमिली के सबसे बड़े कपिल मित्तल थे। कपिल मित्तल के पांच बच्चे हैं जिन में से उनके सगे बच्चे तीन थे और दो बेटियां जिन्हें उन्होंने गोद लिया था।
कपिल जी के बड़े बेटे का नाम अनूप मित्तल था। अनूप मित्तल की पत्नी का नाम विनीता मित्तल थी। अनूप मित्तल के बच्चे विनीत और आध्या थे।
कपिल जी के छोटे बेटे का नाम मोहित मित्तल था। मोहित मित्तल की पत्नी का नाम सुगंधा मित्तल है। मोहित मित्तल के दो बेटे थे जिन में से बड़े बेटे का नाम मिहिर मित्तल और छोटे बेटे का नाम अर्जुन मित्तल था।
मित्तल फैमिली की सगी बेटी के बारे में आप सबको आगे पता चलेगा।
बाकी दो बेटी जिन में से एक का नाम सुप्रिया मित्तल है। जिन की शादी एक बड़े बिजनेसमैन के साथ हुई थी लेकिन वह शादी कुछ ही सालों में टूट गई सुप्रिया मित्तल की एक बेटी है जिस का नाम अर्शी मित्तल है।
सुप्रिया मित्तल अब मित्तल फैमिली के साथ ही रहती है। वही कपिल मित्तल की सबसे छोटी बेटी साधना मित्तल। की शादी शहर के अमीर परिवारों में से एक रावत फैमिली में हुई है।
और वह अपनी शादी में काफी ज्यादा खुश है। जब आध्या ने पूरे परिवार को एक साथ देखा तो वह सब लोगों को अच्छे से मुस्कुरा कर देखने लगी।
लेकिन तभी वहां पर अर्शी आई और वह आध्या से बोली, "तुम कितनी ज्यादा चालाक हो ना जो तुमने अपने एक्सीडेंट के बारे में सब कुछ झूठ कहा।"
अर्शी की बातों को सुन कर आध्या अर्शी के तरफ अजीब निगाहों से देखने लगी। लेकिन इसके आगे अर्शी कुछ बोलना तभी अमूल्य ने कहा, "क्या बकवास कर रही हो अर्शी किट्टू ने क्या झूठ कहा उस का एक्सीडेंट हुआ है क्या तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा।"
मिहिर की बात सुन कर अर्शी कुछ बोलती इससे पहले ही आध्या ने कहा, "ऐसी मैं अब तक झूठ नहीं कहा और ना ही मैं अब तक सच कहा है तुम भी जानती हो सच क्या है मेरा एक्सीडेंट किसने करवाया है।"
आध्या की बात सुनते ही अचानक अर्शी गुस्से में चिल्लाते हुए बोली, "इसका मतलब तुम ये कहना चाहती हो कि मैं तुम्हारा एक्सीडेंट करवाया है। क्योंकि मैं तुमसे नफरत करती हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुम मित्तल फैमिली की बेटी बन कर रहो क्योंकि मित्तल फैमिली की सिर्फ मैं ही बेटी बन कर रहना चाहती हूं।"
अर्शी की बातों को सुन कर मित्तल फैमिली के सारे लोग काफी ज्यादा हैरान रह गए तभी आध्या ने कहां, "मैं अब तक किसी को कुछ कहा ही नहीं है तुम देखो अपने मुंह से सारा सच बता दिया। वैसे मुझे इस बात से हैरानी नहीं हुई क्योंकि तुमने पहले भी ऐसा किया है। लेकिन मैं सबको सच दिखाना चाहती थी सबको बताना चाहती थी कि तुम्हीं ने मेरे साथ वह सब कुछ किया मेरा एक्सीडेंट करवाया। और सच तुमने खुद ही बता दिया।"
आध्या की बातों से अर्शी को काफी ज्यादा गुस्सा आने लगा लेकिन उसे अचानक की ध्यान आया कि वहां पर पूरा परिवार एक साथ बैठा हुआ है इस बात का ध्यान आते ही वह बहुत ही ज्यादा घबराने लगी।
लेकिन तभी अचानक विनीता जी ने एक जोरदार थप्पड़ अर्शी के गालों पर मारा। जिसे देख कर सुप्रिया मित्तल ने कहा, "भाभी आपने मेरी बेटी को थप्पड़ मारने की गलती कैसे कर दी।"
सुप्रिया मित्तल की बात सुनते ही विनीता की बोली, "मैं तुम्हारी बेटी को थप्पड़ भी नहीं मार सकती बल्कि तुम्हारी बेटी मेरी बेटी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकती है मैंने कभी सोचा नहीं था की अर्शी इस हद तक नीचे गिर जाएगी।"
विनीता जी की बात सुन कर बाकी सब लोग भी अर्शी के ऊपर गुस्सा करने लगे अर्शी यह सारी चीज देख कर आध्या के तरफ देखते हुए मन ही मन में दांत पीसते हुए बोली, "तुम्हारी मां ने जो थप्पड़ मुझे मारा है ना उस की कीमत तुम्हें चुकानी पड़ेगी। मैं तुम्हें इस कदर बेइज्जत करुंगी कि तुम कभी किसी को मुंह दिखाने के लायक ही नहीं रहोगी।"
इतना सोच कर अर्शी गुस्से में अपने रूम के तरफ चली गई रूम में जाने के बाद वह अपने रूम की चीज तोड़ने लगी क्योंकि उसे बहुत ही ज्यादा गुस्सा रहा था तभी सुप्रिया मित्तल रूम के अंदर आई।
और रूम की हालत को देख कर अर्शी से बोली, "शांत हो जाओ अर्शी इस तरह से तुम्हें गुस्सा करने की जरूरत नहीं है।"
सुप्रिया जी की बातों को सुनते ही अर्शी दांत पीसते हुए बोली, "मॉम वो लड़की इस परिवार की लाडली बेटी बनती जा रही है और मैं कुछ नहीं कर पा रही इस परिवार पर सिर्फ मेरा हक है। इस परिवार की इकलौती बेटी मैं हूं ना जाने वह किस का गंदा खून है जिसे इस परिवार ने अपनाया है।"
अर्शी की बातों को सुनते ही सुप्रिया मित्तल अचानक अर्शी को एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए बोली, "ये थप्पड़ मैं तुम्हें इसलिए नहीं मारा कि तुमने उस शुभांगी को मारने की कोशिश की बल्कि इसलिए मारा कि यह सब करने से पहले मुझे बताया नहीं।"
"अगर मुझे पहले ही बता दिया होता तो आज जो कुछ भी हुआ है वह कभी नहीं होता मैं किसी भी कीमत पर तुम्हें परिवार के सामने एक्सपोज होने से बचा लेता।"
सुप्रिया मित्तल इतना कह कर बेड पर जाकर बैठ गई और कुछ सोचते हुए बोली, "आज जो किया वह दोबारा कभी नहीं होना चाहिए भूलो मत अगर सब लोगों ने मिल कर हम दोनों को घर से निकाल दिया तो हमारे पास रहने के लिए कोई जगह ही नहीं होगी तुम्हारे बाप ने तो पहले ही हमें कहीं का नहीं छोड़ा अगर हमसे मित्तल परिवार की छत भी छिन गई तो न जाने हम कहां रहेंगे और अपना गुजारा कैसे करेंगे।"
सुप्रिया मित्तल की बातों को सुन कर अर्शी बोली, "जो भी है मॉम I don't care, मैं बस शुभांगी को इस घर से बाहर निकलवाना चाहती हूं और इसमें आप को मेरी मदद करनी होगी। वरना हमें कभी इस परिवार की प्रॉपर्टी में हिस्सा नहीं मिलेगा।"
अर्शी की बातों को सुनते ही सुप्रिया मित्तल एक इविल स्माइल के साथ बोली, "तुमने उसे मारने की कोशिश की लेकिन अब मैं उसे इस परिवार की नजरों में गिरने की कोशिश करूंगी अगर वह इस परिवार की नजरों में हमेशा के लिए गिर गई तो यह परिवार खुद ही उसे धक्के मार कर घर से बाहर निकाल देंगे।"
सुप्रिया मित्तल की बातों को सुन कर अर्शी भी मुस्कुराने लगी। वहीं दूसरी तरफ आध्या अपने रूम में बैठ कर कुछ सोच रही थी।
तभी उस के फोन में एक नोटिफिकेशन आया जिसे देखते ही वह हैरानी से अपने फोन को देखने लगी तभी उस का फोन बचाने लगा फोन स्क्रीन पर एक अनजान नंबर फ्लैश हो रहा था जिसे देखकर पहले तो वह सोचने लगी।
कि उसे नहीं उठाना चाहिए फिर उसने सोचा कि शायद कोई इंपॉर्टेंट इंसान होगा जो उसे फोन कर रहा है यही सोच कर वह फोन लेकर विंडो के पास गई और फिर उठ कर जैसे ही अपने कानों में लिया।
वैसे ही सामने से उसे एक भारी आवाज सुनाई दी फोन के दूसरी तरफ से एक इंसान ने भारी आवाज में कहा, "बटरफ्लाई मुझे तुमसे मिलना है अभी और इसी वक्त तुम अपने घर से बाहर निकालो मेरी गाड़ी तुम्हारे घर के बाहर खड़ी है मेरी गाड़ी में आकर बैठो मैं तुम्हें कहीं पर ले जाना चाहता हूं और तुमसे बात करनी है।"
सामने से आई आवाज को सुन कर आध्या कुछ सोचते हुए बोली, "मैं फिलहाल नहीं आ सकती आज सुबह ही में अस्पताल से वापस आई हूं और अभी मैं आप से मिलने नहीं आ सकती घर से कोई बाहर निकलने नहीं देगा।"
आध्या की बात सुनते ही दूसरी तरफ के इंसान ने कहा, "never mind, I'll come in "
सामने वाले इंसान की बात सुनते ही आध्या झट से बोली, "no, I'll come out"
आध्या कितना कहते हैं फोन के दूसरी तरफ के इंसान ने कहा, "good girl"
इतना कहते ही कॉल कट कर दिया कॉल कट होते ही आध्या कमरे से बाहर निकाल कर बाहर के तरफ जाने लगी।
लेकिन तभी अचानक सुगंधा जी ने आध्या से पूछा, "अरे किट्टू बेटा कहां जा रही हो तुम्हें अभी आराम करना चाहिए तुम अभी बाहर मत जाओ।"
आध्या सुगंधा जी की बात सुनते ही डर गई लेकिन वह जैसे तैसे करके बाहर निकाल कर आई गेट के बाहर पहुंचते ही आध्या ने अपने सामने एक ब्लैक कलर की मर्सिडीज़ देखी जिसे देखते ही वह गाड़ी के अंदर बैठ गई।
और फिर उसके बगल में बैठे हुए इंसान से बोली, "आप को मुझसे क्या काम है और सबसे पहले तो आप मुझे यह बताइए कि आप को कैसे पता चला कि मैं यहां मित्तल फैमिली के साथ हूं मुझे तो खुद के बारे में कुछ याद ही नहीं था।"
तभी बगल में बैठा हुआ इंसान बोला, "इसीलिए तो मैं अब तक तुम्हें डिस्टर्ब नहीं किया था लेकिन जैसे ही मुझे पता चला कि तुम्हारी याददाश्त वापस आ चुकी है वैसे ही मैं तुम्हारे सामने आ गया।"
"By the way, मुझे तुम्हारे बारे में 5 साल पहले ही पता चल चुका था और 5 सालों से मेरी नजर हर वक्त तुम पर थी तुम क्या कर रही हो और क्या कर सकती हो वह हर एक चीज मुझे अच्छे से पता है।"
इतना बोल कर वह इंसान आध्या को गहरी निगाहों से देखने लगा और फिर बोला, "भले ही तुम 16 सालों से मित्तल फैमिली की बेटी बनकर घूम रही हो लेकिन खून तो राजवंश परिवार का है ना और राजवंश परिवार का खून होने का मतलब तुम अच्छे से जानती हो तुम्हारी फैमिली जिसे तुम अपना मानती हो उन्हें तुम्हारी असलियत नहीं पता।"
"कि तुमने अपना एक अलग ही दुनिया बना कर रखी है वह दुनिया जो सबसे ज्यादा खतरनाक है इसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। मैंने सही कहा ना मेरी लिटिल बटरफ्लाई।"
आध्या अपने बगल में बैठे इंसान को हैरानी भरी निगाहों से देखने लगी जिसे देख कर वह इंसान हल्के मुस्कुराहट के साथ बोला, "क्या हुआ माय डियर लिटिल बटरफ्लाई समझ नहीं आ रहा कि मैंने तुम्हारे बारे में इतना सब कुछ कैसे पता कर लिया वैसे तुम भूल रही हो कि मैं हूं कौन ? और शायद तुम ये भी भूल चुकी हो की बचपन में मुझसे बेहतर तुम्हें कोई नहीं समझ सकता था।"
इतना बोल कर वह आदमी आध्या को वहां से कहीं और ले जाने लगा कुछ ही देर बाद वह लोग एक बहुत ही खूबसूरत जगह पर पहुंचे जिसे देखते ही आध्या बहुत ही ज्यादा खुश हो गई वह बाहर निकाल कर गाड़ी में ही अपनी पीठ लगाकर खड़ी थी तभी वह आदमी आध्या के पास आकर खड़ा हुआ।
और वह बोला, "देखो मैं घुमा फिरा कर बात नहीं करूंगा मैं सीधी तरह से तुम से बात कर रहा हूं। तुम्हारी फैमिली को तुम्हारी जरूरत है तुम्हारे लोगों को तुम्हारी जरूरत है। अभी तक चित्तौड़गढ़ बिना वारिस के था लेकिन आप जब तुम जिंदा हो तो फिर चित्तौड़गढ़ को उन का वारिस वापस देने का वक्त आ गया है।"
"मुझे पता है तुम्हारे लिए इतना आसान नहीं होगा लेकिन जितना सब कुछ तुम्हें और सीखना है वह मैं तुम्हें सिखा दूंगा। चित्तौड़गढ़ के बहुत ऐसे दुश्मन है और वह लोग चित्तौड़गढ़ हथियाना चाहते हैं।"
अपने सामने खड़े लड़के को देख कर आध्या बोली, "आप सिर्फ मुझे इतना ही बताने के लिए आए हैं।"
आध्या के सवाल सुन कर वह लड़का आध्या के तरफ देख कर एक डेविल स्माइल देने लगा जिस की स्माइल को देखते ही आध्या मन ही मन में बोला, "अगर आप मुझे मुझ से बेहतर जानते हैं तो फिर मैं भी आपको आपसे बेहतर जानती हूं आप सिर्फ चित्तौड़गढ़ की वारिस को वापस लेने नहीं आए आप अपने मतलब के लिए आए हैं।"
आध्या के सामने खड़ा लड़का आध्या के तरफ डेविल स्माइल के साथ अभी भी देख रहा था जिसे देख कर आध्या ने मुंह बनाकर कहा, "आप का अगर मुझे ऐसे देखना हो गया हो तो आगे बताएंगे।"
कौन था वह लड़का ?? क्या थी आध्या की कहानी कौन थी आध्या ??
आध्या की बात सुनते ही वह लड़का आध्या को ऊपर से नीचे तक देखने लगा जिसे देख कर आध्या ने अचानक अपने सीने पर दोनों हाथों को रख दिया।
जिसे देख कर वह लड़का हल्की मुस्कान के साथ बोला, "रिलैक्स माय डिअर स्वीटहार्ट मुझे इतनी जल्दी नहीं है मैं वेट कर सकता हूं।"
अपने सामने खड़े लड़के की बात सुन कर आध्या अब इरिटेट होने लगी थी जिसे देख कर वह लड़का अचानक सीरियस हो गया।
और सीरियस एक्सप्रेशन के साथ बोला, "18 साल पहले मैंने तुम्हारे भाई से वादा किया था कि मैं जिंदगी भर तुम्हारी हिफाजत करूंगा।"
इतना बोल कर वह आध्या को देखने लगा आध्या भी उसी को देखे जा रही थी तभी वह फिर से बोला, "लेकिन तुम जानती हो ना माय डिअर स्वीटहार्ट मैं बचपन से ही तुम्हारे लिए पागल हूं तुम्हें छोटी सी चोट भी आती है तो मैं पागलों की तरह बिहेव करता हूं।"
लड़के की बात सुनते ही आध्या मन में बोली, "क्या ये याद दिलाना जरूरी था।"
लड़का हल्की मुस्कान के साथ बोला, "of course, वरना तुम्हारा क्या भरोसा तुम ये बोल दो कि मुझे तो कुछ याद ही नहीं है।"
"और वैसे अब तक तुम्हें अंदाजा हो ही गया होगा कि मैं तुमसे क्या कहने वाला हूं सो अब मैं सीधी बात करता हूं।"
लड़के की बात सुन आध्या मुंह बना कर बोली, "अभी तक आप तेरी मेरी बातें कर रहे थे।"
लड़का बोला, "तुम्हारे भाई ने मुझे तुम्हारी हिफाजत की जिम्मेदारी दी थी और यह जिम्मेदारी में बहुत अच्छे से पूरी करना चाहता हूं।"
इतना बोल कर वह आध्या को देखने लगा जो अब उबासी लेने लगी जिसे देख कर वह लड़का अपनी आंखें छोटी करते हुए बोला, "मुझे तुम से शादी करनी है। जिंदगी भर के लिए मैं तुम्हारे भाई से वादा किया था कि मैं तुम्हें ढूंढ लूंगा और फिर जिंदगी भर हिफाजत करूंगा। और तुम जानती हो मैं तुम्हें कभी किसी और का होने दूंगा नहीं इसलिए अच्छा होगा कि तुम मेरी बन जाओ।"
शादी की बात सुनने के बाद भी आध्या उबासी ले रही थी जिसे देख कर वह लड़का इरिटेट होकर बोला, "क्या तुम सीरियस होकर मेरी बात सुन सकती हो।"
आध्या लड़के को देखते हुए बोली, "सीरियस होने के लिए क्या मुझे पैसे मिलेंगे जो मैं आप की बात सीरियस होकर सुनेगी।"
वह लड़का बोला, "पैसे तो नहीं लेकिन मुझे पता है कि तुम अपने भाइयों की मौत कब बदला लेना चाहती हो तो मैं तुम्हें उसमें मदद जरूर कर सकता हूं। मदद किया मैं तुम्हें मेरी पूरी पावर इस्तेमाल करने के लिए दूंगा और तुम अच्छे से जानती हो मेरी पावर क्या है।"
"और सबसे बड़ी बात तुम अकेली इतनी खतरनाक काम नहीं कर सकती तुम्हें किसी की मदद की जरूरत जरूर पड़ेगी तो मेरी ले लो।"
लड़के की बातों को सुन आध्या अब सीरियस एक्सप्रेशन के साथ लड़के को देखने लगी जिसके बाद वह लड़के की आंखों में आंखें डाल कर बोली, "आप को अच्छे से पता है ना मुझे किस तरह से किस बात के लिए मनवाना है लेकिन शादी का फैसला में इतनी आसानी से नहीं ले सकती। मुझे इसके लिए वक्त चाहिए।"
आध्या की बात सुन लड़की ने कहा, "ठीक है मैं तुम्हें दो दिन का वक्त दे रहा हूं मैं इससे ज्यादा वक्त तुम्हें नहीं दे सकता तुम शायद भूल रही हो पर मैं अब 33 का हो चुका हूं इसलिए मैं तुम्हें ज्यादा वक्त नहीं दे सकता।"
अपने सामने खड़े लड़के की बात सुन कर आध्या शैतानी भरी मुस्कराहट के साथ बोली, "औ,, मिस्टर एकाक्ष प्रताप सिंह राठौड़ अब बुड्ढे हो रहे हैं लेकिन आपको ऐसा क्यों लगता है कि मैं एक बुड्ढे से शादी करूंगी।"
एकाक्ष ने जैसे ही आध्या की बात को सुना वैसे ही वह बोला, "तुम मुझे कुछ भी कहना लेकिन बुद्धा मत कहना। तुम शायद मुझे आंखें खोल कर नहीं देख रही हो, अगर नहीं देख रही तो अच्छे से आंखें खोल कर देखो।"
इसके आगे एकाक्ष कुछ बोलना तभी आध्या ने फिर से शैतानी भरी मुस्कराहट के साथ कहा, "क्या देखूं, आप के चेहरे पर wrinkles आ रहे हैं या नहीं वह देखूं।"
आध्या की बात सुनते ही एकाक्ष चिढ़ कर बोला, "तुम इतनी बकवास कब से करने लग गई हो। मैंने कहा देखो मुझे ध्यान से कहां से बुड्ढा लग रहा हूं। अभी भी लड़कियां मेरे पीछे पागल है हर कोई मुझसे शादी करना चाहता है। भले ही में 33 का हो गया हूं लेकिन अभी भी देखने में 28 29 का लगता हूं।"
एकाक्ष की बातों को सुन आध्या भी एकाक्ष को परेशान करते हुए बोली, "किस कमबख्त ने कहा कि आप 28 29 के लगते हैं बल्कि आप तो 40 के लगते हैं। और आप देना सही कहा आप बूढ़े हो चुके हैं जल्दी से शादी कर लीजिए।"
एकाक्ष अब गुस्से में आ चुका था एकाक्ष को गुस्से में देख कर आध्या मन ही मन बहुत ज्यादा हंस रही थी उसे एकाक्ष को परेशान करके बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था।
और ये बात एकाक्ष भी बहुत अच्छे से जानता था इसीलिए वह बिना कुछ कहे ही गाड़ी के अंदर बैठ गया जिसे देख कर आध्या बहुत ही ज्यादा हंसने लगी कुछ देर बाद आध्या भी गाड़ी के अंदर बैठ गई और एकाक्ष ने आध्या को उस के घर छोड़ दिया।
कमरे में जाने के बाद आध्या अपने बेड पर लोटपोट होकर हंस रही थी उसे एकाक्ष को परेशान करके बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था।
वही एकाक्ष राठौड़ पैलेस में था जो उसने मुंबई में बनाया था। वह अपने रूम में विंडो के पास खड़ा हुआ था तभी कमरे के अंदर एक लड़का आया।
जो आते ही एकाक्ष से बोला, "भाई जी आप आज आध्या से मिलने गए थे ना क्या उसने आपसे बात की।"
अपने पीछे खड़े लड़के को देखते ही एकाक्ष पीछे मुड़कर देखने लगा और देखने के बाद वह बोला, "हां मैंने आध्या से बात कर ली है उसने मुझ से वक्त मांगा है और मैंने उसे दो दिन का वक्त दिया है।"
तभी वह लड़का बोला, "तो आपको क्या लगता है भाई जी क्या वह आपसे शादी करेगी।"
अपने सामने खड़े लड़के को देख एकाक्ष सोफे पर किसी राजा की तरह बैठ गया और बैठने के बाद बोला, "अभय तुम जानते हो मैं कुछ भी खोने को तैयार हूं लेकिन अपनी बटरफ्लाई को खोने के मूड में बिल्कुल भी नहीं हूं उसे शादी तो मुझे ही करनी होगी चाहे इसके लिए मुझे उसके साथ जबरदस्ती ही क्यों न करना पड़े।"
अभय अपने भाई जी की बात सुन कर बिना कुछ कहे ही कमरे से बाहर निकाल कर चला गया। इसके वहां से जाते ही एकाक्ष ने कहा, "बटरफ्लाई दो दिन का वक्त है तुम्हारे पास सीधे सीधे शादी के लिए हां बोल दो वरना दो दिन बाद जबरदस्ती से तुम्हें अपना बनाऊंगा।"
एकाक्ष प्रताप सिंह राठौड़, राजस्थान का हुकुम सा साथ ही एशिया का सबसे पावरफुल इंसान जिसके आगे कोई भी कुछ भी बोलने से पहले हजार बार सोचता है। एकाक्ष बहुत ही बेरहम है। वह अपने दुश्मनों को अपने पैरों से कुचलना अच्छे से जानता है।
एकाक्ष बहुत ही ज्यादा हैंडसम है वह 33 साल का है लेकिन वह देखने में किसी 28 29 साल के लड़के की तरह लगता है। मस्कुलर बॉडी, जॉलाइन, 6.2 फीट हाइट, नीली आंखें जो समुद्र से भी गहरी है। जिसे देखते ही लड़कियां दीवानी हो जाए।
वही एकाक्ष का माफिया वर्ल्ड के साथ भी कनेक्शन है। एकाक्ष राठौड़ परिवार का बड़ा बेटा है। और राठौड़ अंपायर का प्रेसिडेंट है।
एकाक्ष का दो भाई और एक छोटी बहन है जिन में से अभय प्रताप सिंह राठौड़ अभय का सगा छोटा भाई है।
अभय 28 साल का है। अभय भी देखने में काफी ज्यादा हैंडसम है।
अभय के बाद वंश प्रताप सिंह राठौड़ एकाक्ष के चाचा का बेटा है। जो 29 साल का है। वंश भी देखने में काफी ज्यादा हैंडसम है।
एकाक्ष की बहन जिस का नाम श्रावणी प्रताप सिंह राठौड़ है और वह 25 साल की है वह भी देखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है लेकिन अपने भाइयों से बिल्कुल ही अलग और बहुत ही ज्यादा मासूम।
अगले दिन
मित्तल विला में आज साधना मैं तलाई हुई थी जिसकी शादी रावत फैमिली में हुई है। साधना सुप्रिया मित्तल जैसी नहीं है बल्कि साधना बहुत ही ज्यादा अच्छी है और वह आध्या से बहुत ही ज्यादा प्यार करती है।
साधना को देखते ही आध्या बहुत ही ज्यादा खुश हो गई और वह साधना को गले लगाते हुए बोली, "बुआ आप को पता है मैंने आप को बहुत ज्यादा मिस किया।"
आध्या की बात सुन कर साधना मुस्कुरा कर आध्या के चेहरे पर हाथ फेरते हुए बोली, "अरे पागल मैं भी तुम्हें बहुत मिस किया। वैसे तुम्हें पता है आज रावत फैमिली रात को डिनर पर आने वाले हैं कोई इंपॉर्टेंट बात करने के लिए।"
रावत फैमिली का नाम सुनते ही आध्या के चेहरे के एक्सप्रेशन अचानक बदल के पर आध्या के चेहरे के एक्सप्रेशन पर साधना ने ध्यान नहीं दिया और वह बाकी सब के साथ मिलने के लिए चली गई।
साधना से मिलने के बाद आध्या कुछ सोचते हुए बाहर निकाल कर जाने लगी तभी अचानक अर्जुन उसके सामने आया और पूछने लगा, "कहां जा रही हो तुम्हें कहा था ना कि तुम एक हफ्ते तक सिर्फ आराम करोगी और तुम्हारा काम सिर्फ आराम करना ही है।"
अर्जुन की बातों को सुन आध्या मुंह बनाकर बोली, "आप को पता है ना भाई मुझे आराम करना बिल्कुल पसंद नहीं है फिर भी आप मुझ से कह रहे हैं कि मैं आराम करूं लगता है आप का दिमाग ठीक आने पर नहीं है बट कोई नहीं हम आज नाइट क्लब जाकर आप का दिमाग ठिकाने पर ला देंगे।"
तभी वहां पर विनीत आया और विनीत ने कहा, "आज रात कोई कहीं नहीं जा रहा क्योंकि रावत फैमिली आज डिनर करने के लिए आने वाली है तो इसीलिए कोई कहीं नहीं जाने वाला है।"
विनीत की बात सुनते ही अर्जुन और आध्या दोनों का ही मुंह बन गया लेकिन दोनों को प विनीत की बात माननी ही थी इसलिए दोनों बिना कुछ कहे ही ऊपर अपने अपने कमरे में चले गए।
शाम के वक्त
मित्तल फैमिली के सारे लोग बहुत ही अच्छे से रावत फैमिली की स्वागत कर रहे थे। रावत फैमिली के सारे लोगों को देख कर मित्तल फैमिली के सारे लोग बहुत ही ज्यादा खुश नजर आ रहे थे जिसे देख कर आध्या और अर्जुन दोनों ही मुंह बनाने लगे।
वही अर्शी रावत फैमिली के दूसरे बेटे अश्विक रावत को देख कर काफी ज्यादा खुश हो रही थी और वह बस अश्विक को ही देखे जा रही थी।
सब लोग एक दूसरे से बातें करने लगे तभी साधना के पति जिन का नाम अर्णव रावत था वह पूछने लगा, "वैसे हमारी किट्टू कहां है हम सब किट्टू की भी हाल चाल पूछने के लिए आए हैं।"
तभी अश्विक की छोटी बहन मिश्का रावत ने कहा, "भाई क्या उस डफर लड़की का नाम लेना जरूरी है। क्योंकि आपको अच्छे से पता है हम में से किसी को वह बिल्कुल पसंद नहीं है आप को छोड़ कर।"
मिश्का की बात सुनते ही हर कोई मिश्का को देखने लगा जिसे देख कर मिश्का अपनी बात बदलने की कोशिश करते हुए बोली, "मैं बस मजाक कर रही थी।"
इतना बोलकर मिश्का मन ही मन में बोली, "पता नहीं हर किसी को वह लड़की इतनी ज्यादा पसंद क्यों है मेरा दिल करता है कि मैं उसे लड़की को इस दुनिया से ही गायब करवा दूं।"
इतना सोच कर वह अर्शी के पास चली गई क्योंकि मिश्का और अर्शी दोनों बेस्ट फ्रेंड थे।
तभी वहां पर आध्या यश के साथ आई तो आध्या को देखते ही अर्णव आध्या के गले लगा कर बोला, "तुम ठीक हो ना ?"
अर्णव के सवाल को सुनते ही आध्या मुस्कुरा कर बोली, "जी फूफा में बिल्कुल ठीक हूं इन फैक्ट मैं तो सबसे ज्यादा बेहतर हूं।"
आध्या की बात सुन कर हर कोई आध्या को ही देखे जा रहा था। तभी अश्विक ने आध्या से कहा, "वैसे तुमने अब ग्रेजुएशन कंप्लीट कर लिया है तो कहीं पर जॉब करने के बारे में सोचा है या नहीं।"
अश्विक के सवाल का आध्या कोई जवाब देती इससे पहले ही विनीत ने कहा, "मैंने सोचा है कि कि तू मेरे साथ मेरे ऑफिस में काम करेगी मुझे मदद की भी जरूरत है तो वह मेरी हेल्प कर देगी।"
विनीत की बात सुनते ही सुप्रिया जी का मुंह बनने लगा वह कुछ बोलना तो चाहती थी लेकिन अनूप जी ने उन्हें आंखों से इशारा किया जिस वजह से वह कुछ बोली नहीं।
आध्या को जब ऐसा लगा जैसे सब लोग अब उसे इग्नोर करने लगे हैं तो वह वहां से जाने लगी तभी अचानक वह किसी से टकरा गई टकराने की वजह से वह नीचे गिरने ही वाली थी कि तभी उस का हाथ किसी ने पकड़ लिया यह देख कर वह अपने सामने खड़े लड़के को देखने लगी।
कौन था आध्या के सामने ?? क्या आध्या एकाक्ष से शादी करने के लिए हां बोलेगी ??
जैसे ही आध्या अपने सामने खड़े लड़के को देखा वैसे ही वह अचानक खुद ही खड़ी हो गई जिसे देखते ही वह लड़का बोला, "हाय किट्टू काफी टाइम बाद तुमसे मिल रहा हूं वैसे तुम्हें मैं याद तो हूं ना।"
अपने सामने खड़ी लड़की को देखते ही आध्या मन में बोली, "कोई अजीब इंसान को भूल सकता है जिस इंसान ने मेरी बुआ की शादी के वक्त इतना ज्यादा मुझे परेशान किया हो।"
फिर वह इतना सोच कर अपने सामने खड़े लड़के से बोली, "रिहान ऐसा कभी हो सकता है कि मैं तुम्हें भूल जाऊं कैसे फिलहाल मुझे कुछ काम है तो इसलिए मैं यहां से जा रही हूं प्लीज मेरे पीछे मत आना।"
इतना बोल कर आध्या वहां से चली गई। रिहान सिसोदिया अश्विक का बेस्ट फ्रेंड जो अश्विक के साथ मित्तल फैमिली में आया था।
रावत फैमिली में सबसे बड़े उमेश रावत है उमेश रावत के दो बेटे हैं जिन में से बड़े बेटे का नाम उत्कर्ष रावत है उत्कर्ष रावत की पत्नी का नाम उमा रावत है। उत्कर्ष रावत के दो बच्चे हैं जिन में से बेटा अर्णव है और बेटी अनु रावत है।
उमेश जी के छोटे बेटे राकेश रावत है राकेश रावत की पत्नी का नाम सलोनी रावत है। राकेश रावत के दो बच्चे हैं बेटा अश्विक है और बेटी मिश्का है।
आध्या को कहां से जाता हुआ देख रिहान अश्विक के पास जाकर बैठ गया और फिर वह अश्विक से पूछने लगा, "वैसे आज तेरी फैमिली किसके लिए रिश्ता लेकर आए हैं किट्टू या अर्शी।"
रिहान के सवाल को सुनते ही अश्विक को समझ में आ चुका था कि रिहान ये सवाल क्यों पूछ रहा है लेकिन अश्विक ने रिहान के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
तभी उमेश रावत ने कपिल जी से कहा, "कपिल जी दोनों फैमिली तो पहले से ही रिश्तेदार है आज मैं फिर से दोनों फैमिली को रिश्तेदार बनाना चाहता हूं मैं मेरे पोते अश्विक के लिए आप की पोती का हाथ मांगने आया हूं।"
उमेश जी की बात सुनते ही सब लोग एक दूसरे की तरफ देखने लगे तभी अचानक सलोनी जी ने कहा, "आप की पोती अर्शी का हाथ मांगने के लिए आए हैं वैसे अगर मेरा और एक बेटा होता तो किट्टू को भी हमारे ही परिवार की बहू बना लेती पर अश्विक के लिए तो मुझे अर्शी पसंद है। और अश्विक ने भी इस शादी के लिए हां कहा है तो बस आप लोगों की हां की देरी है।"
जैसे ही सुप्रिया जी ने सलोनी जी की बातों को सुना वैसे ही वह तो काफी ज्यादा खुश हो गई जिसे देख सब लोग सुप्रिया जी को देखने लगे तभी वहां पर अर्शी भी आ गई।
तभी अनूप जी ने कहा, "हमें इस रिश्ते से कोई प्रॉब्लम नहीं है बस हम एक बार ऐसी से पूछना चाहते हैं कि उसे यह रिश्ता मंजूर है या नहीं।"
तभी अर्शी ने छत से कहा, "बड़े मामू मुझे यह रिश्ता मंजूर है इन फैक्ट मैं बहुत पहले से ही अश्विक को पसंद करती हूं।"
अश्विन ने जब अर्शी को देखा तो उस का चेहरा थोड़ी देर के लिए उतर चुका था क्योंकि अश्विक चाहता था कि उस की शादी आध्या से हो लेकिन अपनी फैमिली की वजह से वह ना चाहते हुए भी अर्शी से शादी करने के लिए तैयार हो गया था।
दोनों फैमिली की हां मी सुनने के बाद सब लोग एक दूसरे को मिठाई खिलने लगे।
तभी अचानक वहां पर आध्या आई आध्या ने जब सब लोगों को खुशी से एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए देखा तो वह पूछने लगी, "यहां हो क्या रहा है क्या कोई खुशी वाली बात है।"
आध्या के सवाल का जवाब देते हुए मिश्का ने कहा, "अश्विक भाई और अर्शी की शादी तय हो गई है।"
मिश्का ने इतना कहा ही था कि तभी अचानक आध्या उदास होकर ऊपर की तरफ दौड़ कर जाने लगे यह देख कर हर किसी को लगा।
शायद आध्या अश्विक को पसंद करती है यह देख कर विनीत ने सबसे कहा, "मैं किट्टू को देखता हूं और उससे बात भी करता हूं।"
इतना बोल कर विनीत ऊपर की तरफ जाने लगा सब लोगों को यही लग रहा था कि अर्शी और अश्विक की शादी की बात सुन कर आध्या उदास होकर ऊपर की तरफ दौड़ने लगी थी।
लेकिन असलियत में तो आध्या को अचानक की वोमिटिंग जैसा फील हुआ जिस वजह से वह वॉशरूम के अंदर दौड़ते हुए गई और उसे अचानक की वोमिटिंग होने लगी।
जैसे ही विनीत आध्या के रूम में आया तो उसने आध्या को वॉशरूम के अंदर जाते हुए देखा उसे ऐसा लग रहा जैसे अश्विक की शादी की बात सुन कर वह वॉशरूम में रोने के लिए जा रही है।
ये देख कर वह भी वॉशरूम में जाने लगा लेकिन अचानक ही रुक गया कुछ मिनट बाद आध्या वॉशरूम से बाहर निकाल कर आई उस का चेहरा पूरी तरह से पीला पड़ चुका था।
ये देख कर विनीत ने आध्या से कहा, "आध्या मैं जानता हूं कि तुम भी अश्विक को पसंद करती हो लेकिन अब जब अश्विक ने अर्शी से शादी करने के लिए हां बोला है तो प्लीज तुम खुद को संभालो और उन दोनों के बीच में आने की कोशिश मत करो वरना फिर से हर कोई तुम्हें ही गलत साबित करने में लग जाएगा और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें कोई बातें सुनाए।"
आध्या विनीत की बात सुन कर तो खुद ही कंफ्यूज नजर आ रही थी जिस वजह से वह विलेज से बोली, "भाई आप क्या बोल रहे हो मैंने कहा कहा कि मुझे अश्विक पसंद है।"
आध्या की बात सुन कर विनीत भी कंफ्यूज होकर पूछने लगा, "तो फिर तुम ऐसे ऊपर क्यों दौड़ कर आ गई हम सबको तो यही लगा कि तुम उन दोनों की शादी की बात सुन कर उदास हो गई हो।"
आध्या विनीत को समझाते हुए बोली, "भाई आप सब लोग जैसा समझ रहे हो वैसा कुछ नहीं है बल्कि मैं तो इसलिए दौड़ कर आई थी क्योंकि मुझे वोमिटिंग हो रही है। और कुछ टाइम से ना मेरी तबीयत बहुत ही ज्यादा खराब लग रही है इसीलिए दौड़ कर आई थी आप लोग भी ना कुछ भी समझते रहते हो।"
आध्या की बात सुन कर विनीत ने कहा, "तुम सच कह रही हो ना देखो मुझ से झूठ बोलने की जरूरत नहीं है।"
आध्या ने विनीत को विश्वास दिलाने की कोशिश करते हुए कहा, "भाई मैं झूठ क्यों बोलूंगी और वैसे भी मैंने कभी आपसे झूठ बोला है।"
"और वैसे भी अगर मुझे अश्विक पसंद होते तो मैं आप सबको पहले ही बता देती मुझे वह पसंद नहीं है और वैसे भी मैंने कभी उन्हें उसे नजर से देखा ही नहीं है। मैंने तो हमेशा उन्हें फूफा के छोटे भाई के नजरों से ही देखा है। आप सपना गलतफहमी पालना बंद कर दो।"
आध्या की बातों को सुन विनीत ने कहा, "अच्छा ठीक है तुम एक काम करो तुम आराम करो तुम्हारी तबीयत सच में ठीक नहीं लग रही और तुम्हारा चेहरा भी पीला पड़ चुका है तुम आराम करो मैं नीचे जाकर सबको समझाता हूं कि सब लोगों ने गलत समझा है।"
विनीत इतना कहकर नीचे चला गया नीचे जाने के बाद वह सब लोगों की नजरों को देख सोचने लगा, "अब इन्हें समझना पड़ेगा कि जैसा इन्होंने समझा है वैसा कुछ नहीं है।"
तभी सुप्रिया जी ने कहा, "मुझे लगा ही था कि वह लड़की मेरी बेटी की शादी कभी हो नहीं देगी और जब अश्विक का रिश्ता आया तो वह तमाशा करने में लग गई।"
सुप्रिया जी की बात सुनते ही विनीत ने कहा, "बड़ी बुआ ऐसा कुछ भी नहीं है उस की तबीयत खराब है इसलिए वैसे अचानक दौड़ कर चली गई उसने मुझे क्लियर कर दिया कि उसके दिल में अश्विक के लिए कोई फीलिंग नहीं है उसने कभी अश्विक को उसे नजर से देखा ही नहीं उस के लिए सिर्फ अश्विक फूफा का छोटा भाई ही है।"
"आप लोगों को गलत समझने की जरूरत नहीं है उस का एक्सीडेंट हुआ है वह बहुत ही हैवी मेडिसिन ले रही है शायद इसी वजह से उसे वोमिटिंग हो रही होगी मैं डॉक्टर से बात कर लेता हूं।"
विनीत इतना बोल कर दूसरी तरफ डॉक्टर से बात करने के लिए चला गया तभी अचानक आध्या फोन पर किसी से बात करते हुए नीचे आ रही थी।
तभी आध्या ने फोन पर कहा, "हां मेरी मां मुझे माफ कर दे मैं अपनी एक्सीडेंट वाली बात तुझे नहीं बताई आगे से मैं ध्यान रखूंगी अगर मैं कहीं पर लड़की भी रहूंगी तो सबसे पहले तुझे फोन करूंगी अब तो माफ कर दे तेरा पैर पड़ रही हूं।"
आध्या की बातों को सुन हर कोई आध्या को देखने लगा वही आध्या फोन की दूसरी तरफ की इंसान की बातों को सुन कर तो बेहोश ही होने वाली थी।
लेकिन फिर उसने खुद को संभाल लिया तभी वह नीचे सब लोगों के सामने आकर विनीता जी से बोली, "मम्मी मेरे लिए एक गिलास नींबू पानी बना दो पता नहीं अच्छा नहीं तबियत क्यों खराब लग रहा है।"
तभी विनीत वहां पर आया और वह आध्या को देखते हुए बोला, "मैं डॉक्टर से बात कर ली है डॉक्टर ने कहा है कि अगर दोबारा वोमिटिंग हो तो कल तुम्हें चेकअप करने के लिए ले जाऊं इन फैक्ट मैं भी सोच रहा था कि कल तुम्हें चेकअप करने के लिए लेकर ही जाता हूं।"
विनीत की बात सुन कर अनूप जी ने कहा, "बेटा कल तो तुम्हारी बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग है एक काम करता हूं मैं लेकर चला जाऊंगा तुम मीटिंग अटेंड कर लेना।"
दोनों की बातों को सुन आध्या बोली, "अरे कोई जरूरत नहीं है मैं कल खुद अकेली ड्राइवर के साथ चली जाऊंगी। वैसे भी आप सपने तो मेरी गाड़ी चलाने पर ही रोक लगा दी है तुम्हें ड्राइवर के साथ ही चली जाऊंगी।"
"इन फैक्ट मैं कल अद्वैत और ऋषि को बुला लूंगी वह दोनों मुझे लेकर चले जाएंगे।"
आध्या की बात सुनते ही विनीता जी आध्या को देखने लगे लेकिन तब तक सुगंधा की आध्या के लिए नींबू पानी लेकर आ चुकी थी यह देख कर आध्या मुस्कुराकर नींबू पानी लेकर पीने लगी।
नींबू पानी पीने के बाद आध्या थोड़ा फ्रेश हवा लेने के लिए गार्डन एरिया में जाकर झूले पर बैठ गए और वहीं पर अपने फोन पर कुछ करने लगी तभी आध्या के फोन पर एक नोटिफिकेशन आया।
जिसे देखते ही आध्या मैसेज ओपन करके देखने लगी तो एकाक्ष ने आध्या को मैसेज किया था मैसेज में एकाक्ष ने लिखा, "तुम्हें पता है ना तुम्हारे पास सिर्फ और एक दिन बचा हुआ है अगर तुमने मुझे कल तक जवाब नहीं दिया तो फिर परसों मैं तुमसे जबरदस्ती शादी कर लूंगा।"
मैसेज पढ़ने के बाद आध्या आंखे फाड़ कर मैसेज को देखने लगी जिसे देख कर आध्या खुद से ही बोली, "हद है यार इस इंसान के ना बोला तो जबरदस्ती शादी कर लेंगे हां बोल तो वैसे ही शादी कर ही लेंगे मतलब मैं कुछ भी बोलूं शादी तो होनी ही है मेरी।"
इतना बोल कर आप दिया ने मैसेज लिखा, "आप की बातों का मतलब क्या है अगर मैं ना कहूंगी तब भी आप मुझसे जबरदस्ती शादी करेंगे आपका तो हद है।"
एकाक्ष ने दूसरी तरफ से लिखा, "अब तक तुमने मेरी हद देखी ही कह एकाक्ष तुम जानती हो ना मैं तुम्हारे लिए हर हद पार कर सकता हूं।"
आध्या मैसेज को देख कर बहुत ही ज्यादा शर्माने लगी फिर वह अचानक खुद के ही सिर पर मारते हुए बोली, "क्या कर रही है किट्टू तुझे शर्माना नहीं है बल्कि तुझे दिखाना है कि तू किसी की धमकी से डरती नहीं है।"
इतना बोलकर वह मैसेज लिख नहीं वाली थी कि तभी वहां पर अश्विक आया अश्विक ने जब आध्या को फोन पर किसी से मैसेज करते हुए देखा तो वह आध्या से पूछने लगा, "क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है ?"
अचानक अश्विक के सवाल को सुनते ही आध्या के हाथ से फोन नीचे गिर गया जिसे देख कर अश्विक फोन उठाने के लिए नीचे झुका तो आज जाने जात से फोन को उठा लिया।
ये देख कर अश्विक शकी भरी नजरों से देखने लगा तुझे देख कर आध्या ने कहा, "वह मैं अपने दोस्त से बात कर रही हूं वैसे आपने मुझे कोई सवाल पूछी है ?"
अश्विक ने दोबारा पूछा, "क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है जिसके साथ तुम मैसेज पर बात कर रही हो ?"
अश्विक के सवाल का जवाब देते हुए आध्या बोली, "नहीं और अगर होगा तो मैं अपनी फैमिली को बताऊंगी आपसे कोई बात शेयर नहीं करूंगी क्योंकि आप मेरी फैमिली नहीं है।"
अश्विक ने आध्या को देखते हुए कहा, "बोलो मत कि अब तुम्हारी बहन की शादी मुझे होने वाली है तो अल्टीमेटली तुम्हारा और मेरा एक रिश्ता बन चुका है।"
आध्या मुंह बना कर बोली, "अर्शी मुझे अपनी बहन नहीं मानती। इसलिए आप का और मेरा भी कोई रिश्ता नहीं है अच्छा होगा कि आप मुझसे बहुत बहुत ज्यादा दूर रहे बिकॉज़ अगर किसी ने हम दोनों को एक साथ देखा तो लोग मुझे ही बातें सुनाएंगे।"
इतना बोलकर आध्या वहां से जाने लगी आध्या के वहां से जाते ही अश्विक आध्या को बस एक तक देखे जा रहा था। फिर वह मन ही मन में बोला, "मैं तो तुमसे शादी करना चाहता हूं लेकिन फैमिली की वजह से मुझे अर्शी के साथ शादी करने के लिए हां बोलना पड़ा लेकिन मैं शादी तक कोशिश करूंगा कि मेरी शादी तुमसे ही हो और तुम ही मेरी वाइफ बनो।"
क्या होगा जब आध्या को अश्विक के इरादों के बारे में पता चलेगा ?? क्या आध्या एकाक्ष से शादी करने के लिए हां बोलेगी ??
अगली सुबह
विनीत आध्या को अपने साथ अस्पताल ले जाने लगा अस्पताल पहुंचने के बाद विनीत को एक इमरजेंसी कॉल आया जिस वजह से उसे वहां से बाहर निकाल कर जाना पड़ा वही आध्या अपना चेकअप करके अस्पताल से बाहर निकल कर आ रही थी।
तभी उसने अपने सामने एक गाड़ी को खड़ा देखा जिसे देखते ही आध्या को पता था कि उस गाड़ी के अंदर कौन है इसलिए वह गाड़ी के पास गई तो गाड़ी का दरवाजा खुद ब खुद ही खुल गया।
ये देख कर आध्या गाड़ी के अंदर बैठे लड़के को देखने लगी वह एकाक्ष था आध्या को देखते ही आध्या गाड़ी के अंदर बैठ गई।
अपने सामने एकाक्ष को देख आध्या ने पूछा, "आप यहां पर क्या कर रहे हैं? और आप को कैसे पता चला कि मैं यहां पर आई हूं ?"
आध्या के सवाल का जवाब देते हुए एकाक्ष आध्या की तरफ देख कर बोला, "तुम भूल रही हो कि मैं कौन हूं ? और तुम पर हर वक्त मेरी नजर रहती है।"
आध्या मन में सोचने लगी, "काश मैं ये बात कभी भूल पाती कि आप कौन हैं पर क्या करूं आप मुझे हर वक्त याद दिलाते रहते हैं इसलिए मैं भूल नहीं सकती।"
आध्या फिर एकाक्ष को देखते हुए बोली, "और आप के यहां पर आने की कोई वजह ?"
आध्या के सवाल को सुनते ही एकाक्ष अचानक आध्या की थोड़ा क्लोज आ गया जिसे देख कर आध्या पीछे जाने लगी तो वह गाड़ी के दरवाजे पर उस की पीठ लग गई जिस वजह से वह पीछे और नहीं जा पाई।
ये देख कर एकाक्ष आध्या के बहुत ज्यादा क्लोज होकर बोला, "तुमसे मिलने के लिए मुझे किसी वजह की जरूरत नहीं है। लेकिन फिलहाल मेरे पास तुमसे मिलने की हजारों वजह है उन में से एक वजह तुम्हारा जवाब है तो मुझे तुम्हारा जवाब कब मिलेगा?"
एकाक्ष के क्लोज आने की वजह से आध्या का दिल कुछ ज्यादा ही तेजी से धड़कने लगा जिस वजह से वह एक तक बस एकाक्ष को ही देखे जा रही थी।
ये देख कर एकाक्ष ने इविल स्माइल के साथ कहा, "अगर तुम मुझे ऐसे ही देखती रही तो फिर मुझे तुम्हारी नजर लग जाएगी।"
आध्या एकाक्ष की बात सुन कर घूर कर देखने लगी जिसे देखकर एकाक्ष पीछे हट गया और वह आध्या को देखने लगा तभी आध्या बोली, "आप को कोई जवाब नहीं मिलेगा क्योंकि मैं आप को जवाब देने में interested नहीं हूं।"
आध्या की बात सुन कर एकाक्ष हल्की मुस्कुराहट के साथ आध्या को देखने लगा। फिर वह अपने ड्राइवर को गाड़ी स्टार्ट करने के लिए बोला ड्राइवर गाड़ी स्टार्ट करने लगा दोनों कुछ देर बाद एक बिल्डिंग के सामने खड़े थे।
बिल्डिंग को देख कर आध्या एकाक्ष को अजीब निगाहों से देखने लगी जिसे देख कर एकाक्ष ने कहा, "सुबह सुबह मेरे इरादे खराब नहीं होते इसके लिए मैं रात का इंतजार करता हूं फिलहाल यहां पर कोई तुमसे मिलने के लिए इंतजार कर रहा है इसलिए मैं तुम्हें यहां लेकर आया हूं।"
इतना बोल कर एकाक्ष अंदर की तरफ जाने लगा जिस बिल्डिंग के सामने वह लोग खड़े थे वह शहर का सबसे बड़ा फाइव स्टार होटल था।
एकाक्ष को अंदर जाता हुआ देख आध्या मन ही मन बोली, "इनके कहने का मतलब क्या था इनके इरादे रात में खराब होते हैं ये क्या बात हुई।"
इतना बोल कर वह भी अंदर चली गई। एक लग्जरियस रूम के अंदर एक आदमी बैठा हुआ था जिसे देखते ही आध्या के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए इनफैक्ट उस की आंखों में आंसू थे आंसू भरी आंखों से बहुत इंसान के गले लग गए।
और गले लगने के बाद बोली, "बाबा सा आप को पता है मैंने सोचा था कि मैं आप को कभी देखा ही नहीं पाऊंगी लेकिन आप मेरे सामने खड़े हैं इसका मतलब आप सबको पता चल चुका है कि मैं जिंदा हूं।"
आध्या के सामने उसके पिता खड़े थे जिन का नाम आशुतोष सिंह राजवंश था आशुतोष सिंह राजवंश ने जैसे ही अपनी बेटी को इतने सालों बाद देखा उन की भी आंखों में आंसू आ चुके थे वह अपनी बेटी को कसकर गले लगा लेते हैं।
और गले लगा कर बोलते हैं, "हमारा जिगर का टुकड़ा हमने भी कभी नहीं सोचा था। कि हम आप को कभी देख पाएंगे पर वह तो एकाक्ष था जिसने कभी हार नहीं माना वह बस आप को 16 सालों से ढूंढता रह गया।"
"और उसने कभी उम्मीद नहीं खोई। उसकी जिंदगी का दो ही मकसद था आपके भाइयों की मौत का बदला और आप को ढूंढना और उसने अपनी जिंदगी के वह दोनों मकसद पूरे कर दिए आप के भाइयों की मौत का बदला ले लिया और आप को भी ढूंढ लिया।"
इतना बोलकर आशुतोष जी आध्या को देखने लगी आध्या अभी भी बहुत ज्यादा रो रही थी और बस वह अपने पिता के गले लगा कर खड़ी थी।
ये देखते ही पीछे से एक आदमी आया और वह बोला, "सिर्फ अपने बाबा सा के ही गले लगेंगे या छोटे बाबा सा की भी गले लगेंगे।"
इस आवाज को सुनते ही आध्या पीछे देखने लगी पीछे आध्या के चाचा खड़े थे जिसको देखते ही वह और ज्यादा रोने लगी और वह अपने चाचा को भी गले लगने लगी।
कुछ देर बाद तीनों ही शांत हो गए और फिर कुर्सी पर बैठ गए लेकिन अभी भी आध्या को यकीन नहीं हो रहा था कि उस के सामने उसके बाबा सा और उसके छोटे बाबा सा खड़े हैं।
तभी आशुतोष जी ने कहा, "हम जानते हैं आपके लिए इतना आसान नहीं है सब कुछ भुलाना लेकिन हम अब चाहते हैं कि आप अपनी जिम्मेदारी निभाए। जिस परिवार ने आपको इतने सालों तक प्यार दिया उस परिवार के हम शुक्र गुजार हैं।"
"हम खुद उनसे मिलकर इसके लिए थैंक यू कहेंगे लेकिन अब हम चाहते हैं कि आप अपनी सारी जिम्मेदारी पूरी करें क्योंकि चित्तौड़गढ़ को आप की जरूरत है चित्तौड़गढ़ को उन की हुकुम सा की जरूरत है।"
आशुतोष जी की बात सुन कर आध्या कुछ सोचते हुए बोली, "हमें अपनी जिम्मेदारी का एहसास है लेकिन क्या आप लोग हमें बस कुछ वक्त दे सकते हैं।"
आध्या की बात सुनते ही दोनों भाई एक दूसरे को देखने लगी जिस के बाद आशुतोष जी ने कहा, "ठीक है हम आप को एक महीने का वक्त दे रहे हैं एक महीने बाद चित्तौड़गढ़ में एक महा पूजा का आयोजन होगा वहीं पर हम आपका रुद्राभिषेक करवाएंगे और आपको चित्तौड़गढ़ का नया हुकुम सा बनाएंगे।"
तभी अचानक आशुतोष जी के छोटे भाई रघुवीर सिंह राजवंश ने कहा, "भाई सा हम सोच रहे हैं कि तब तक बच्चा राजवंश अंपायर को संभालना सीख ले फिर एक महीने बाद हम राजवंश अंपायर के भी प्रेसिडेंट के बारे में ऐलान कर देंगे और उनके पास राजवंश अंपायर की पूरी पावर आ जाएगी तब तक इन्हें राजवंश अंपायर्स संभालना एकाक्ष सिखा देगा।"
रघुवीर जी की बात सुनते ही एकाक्ष ने अचानक कहा, "इसी कोई जरूरत नहीं है अंकल क्योंकि राजवंश परिवार की बेटी बिजनेस संभालना अच्छे से जानती है क्योंकि जिसने अल्फा इंडस्ट्रीज को खड़ा करके रखा हो उसे बिजनेस का नॉलेज ना हो ऐसा हो नहीं सकता।"
अल्फा इंडस्ट्रीज का नाम सुनते ही आशुतोष जी और रघुवीर जी आध्या की तरफ हैरानी से देखने लगे। जिसे देखते ही आध्या ने कहा, "वह मेरे अकेले की कंपनी नहीं है बल्कि मेरे दो बेस्ट फ्रेंड और मैं मिलकर शुरू किया था।"
आध्या की बात सुनते ही आशुतोष जी खुश हो गए और खुश होते ही बोले, "तो फिर ठीक है आप कल से राजवंश अंपायर को भी संभालेंगे। हम आप को राजवंश अंपायर की पूरी पावर देते हैं।"
आशुतोष जी की बात सुन कर आध्या उन की मुस्कुराहट को देखने लगी जिसे देख कर वह ठीक है बोली। लेकिन उसने आशुतोष जी और रघुवीर जी से रिक्वेस्ट किया।
कि जब तक वह नहीं चाहती तब तक किसी को पता ना चले कि वह राजवंश अंपायर की इकलौती बारिश है और चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा बनने वाली है। इस बात पर आशुतोष जी और रघुवीर जी भी राजी हो गए।
क्योंकि उन्हें अपनी बेटी की हर फैसले पर भरोसा था कुछ देर बाद आशुतोष जी और रघुवीर जी कंपनी के लिए चले गए क्योंकि उन्हें कुछ काम था और आध्या को भी राजवंश अंपायर का प्रेसिडेंट घोषित करना था।
अभी फिलहाल कमरे के अंदर एकाक्ष और आध्या बैठे हुए थे तभी आध्या ने एकाक्ष से कहा, "एकाक्ष हम आपसे शादी करने के लिए तैयार है। लेकिन हम चाहेंगे कि हमारी शादी सीक्रेट रहे तब तक जब तक हम चाहते हैं और जैसे ही चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा होने की ऐलान हो जाए कि वैसे ही हम हमारी शादी की भी ऐलान कर देंगे।"
आध्या की बात सुन कर एकाक्ष ने हल्के मुस्कुराहट के साथ कहा, "हमें आप की शर्त मंजूर है हम इसके लिए तैयार हैं लेकिन हम भी आप को सिर्फ एक महीना ही देंगे एक महीने बाद हमारी शादी के बारे में हम पूरी दुनिया को बता देंगे।"
एकाक्ष की बातों को आध्या ने मान लिया और फिर दोनों ही मैरिज रजिस्टार ऑफिस चले गए दोनों ने मैरिज रजिस्टर कर लिया।
और दोनों अपने हाथों में सर्टिफिकेट लेकर आए तभी एकाक्ष ने आध्या की सर्टिफिकेट को अपने पास रख लिया जिसे देख कर आध्या कुछ बोलना चाहती थी।
लेकिन तभी एकाक्ष ने कहा, "मुझे तुम पर भरोसा नहीं है अगर आगे जाकर तुमने यह कह दिया कि हमारी शादी नहीं हुई है तो इसलिए दोनों सर्टिफिकेट मेरे पास रहेंगे।"
एकाक्ष की बात सुन कर आध्या मुंह बनाकर एकाक्ष को देखने लगी वही एकाक्ष उसे राजवंश अंपायर लेकर गया जहां पर सब लोगों से उसे इंट्रोड्यूस करवाया गया और ऑफीशियली उसे राजवंश अंपायर का प्रेसिडेंट घोषित कर दिया।
अब राजवंश अंपायर पूरा आध्या के अंदर आ चुका था आध्या के पास अब एकाक्ष के बराबर की पावर थी। आध्या आज बहुत ही ज्यादा खुश थी क्योंकि उसे वह सब कुछ मिल चुका था जो उस का हक था।
लेकिन तभी आशुतोष जी ने आध्या की तरफ देखते हुए कहा, "बेटा एक बात हमेशा याद रखना आगे तुम्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन कभी भी हार मत मानना तुमसे जितना हो सके उतना करना क्योंकि आप तुम्हारे ऊपर पूरे चित्तौड़गढ़ के साथ साथ राजवंश अंपायर की भी जिम्मेदारी है। अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से पूरा करना। क्योंकि अब तुम्हें पूरे चित्तौड़गढ़ के लोगों की भी हिफाजत करनी होगी।"
आशुतोष जी की बात सुनते ही आध्या मुस्कुरा कर बोली, "आप हम पर भरोसा रखिए माना कि इतने सालों तक राजवंश परिवार की परवरिश नहीं मिली लेकिन हम कभी भी आपको निराश होने नहीं देंगे।"
आशुतोष जी और रघुवीर जी दोनों एक दूसरे को देखने लगी फिर आशुतोष जी ने कहा, "हमें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है इसलिए आप को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है। हम जानते हैं आप बहुत अच्छे से जिम्मेदारी पूरी करेंगे अब हम यहां से चलते हैं अब आप से मुलाकात एक महीने बाद होगी जब आप चित्तौड़गढ़ आएंगे।"
आशुतोष जी की बात सुन कर आध्या खुश हो गई और फिर आशुतोष जी और रघुवीर जी वहां से निकल गए उनके वहां से जाने के बाद आध्या प्रेसिडेंट की कुर्सी को देखने लगी जिसे देखते ही एकाक्ष ने कहा, "ये कुर्सी भी तुम्हारी है और यह पूरी कंपनी भी तुम्हारी है इसे तुम अपनी पूरी कंपनी विजिट करना चाहती हो तो कर सकती हो।"
एकाक्ष की बात सुन कर आध्या मुस्कुरा कर बोली, "मुझे मेरी कंपनी के बारे में सब कुछ पता है और यह जो आसपास की बिल्डिंग है वह भी राजवंश अंपायर के अंदर ही आती है। इसलिए मुझे और कुछ भी जानने की जरूरत नहीं है।"
एकाक्ष भी मुस्कुराहट के साथ आध्या को देखने लगा फिर अचानक एकाक्ष को याद आया कि आज उन की शादी हुई है इसलिए वह आध्या को चिढ़ाने के लिए बोला, "वैसे तुम्हें पता है आज क्या है ?"
आध्या को समझ नहीं आया जिस वजह से वह कंफ्यूज होकर एकाक्ष को देखने लगी तभी एकाक्ष ने कहा, "आज हमारी वेडिंग नाइट है तुम इसका मतलब समझती हो ना।"
एकाक्ष की बात सुनते ही आध्या का चेहरा लाल हो गया जिसे देख कर एकाक्ष मुस्कुरा कर आध्या को ही देख रहा था तभी एकाक्ष ने आध्या के फोरहेड पर किस करते हुए कहा, "मैं कभी भी तुम्हारी मर्जी के खिलाफ कुछ नहीं करूंगा ये मेरा वादा रहा। इसलिए तुम बेफिक्र होकर अपनी जिम्मेदारी पूरी करो और अगर कभी भी कोई भी प्रॉब्लम हो तो तुम मुझसे कह सकती हो मैं तुम्हारी हर प्रॉब्लम में मदद करूंगा।"
इतना कहते ही एकाक्ष ने आध्या को अपनी गले से लगा दिया जिसे देख कर आध्या भी मन ही मन में बोली, "थैंक यू मेरी जिंदगी में वापस आने के लिए मेरे पास सब कुछ था लेकिन फिर भी एक खालीपन सा महसूस होता था लेकिन जब से आप वापस आए हैं तब से अब मुझे वह खालीपन महसूस नहीं होता।"
क्या आध्या अपनी जिम्मेदारियां को अच्छे से निभा पाएगी ?? क्या होगा जब आध्या की असली पहचान के बारे में मित्तल फैमिली और रावत फैमिली को पता चलेगा ??
शाम का वक्त
पूरे दिन भर काम करने के बाद आध्या घर वापस गई घर जाते ही आध्या ने देखा कि अर्शी सब लोगों के साथ बैठकर किसी चीज की तैयारी कर रही थी।
तभी विनीता जी ने आध्या को देखा तो वह आध्या को बुलाने लगे यह देख कर अर्शी और सुप्रिया जी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
लेकिन उन्होंने फिलहाल कुछ नहीं कहा क्योंकि उनके दिमाग में कोई और ही प्लान चल रहा था तभी आध्या ने सब लोगों से पूछा, "क्या किसी चीज की तैयारी चल रही है ?"
आध्या के सवाल को सुनते ही विनीता जी ने कहा, "हां वह अर्शी और अश्विक की इंगेजमेंट की तैयारी चल रही है दोनों की इंगेजमेंट दो दिन बाद है और एक महीने बाद शादी तो बस उसी की तैयारी चल रही है तुम भी आकर कुछ पसंद कर लो।"
विनीता जी की बात सुन कर आध्या कपड़े देखने लगी लेकिन आध्या जो भी पसंद करती थी वह सब मिश्का अर्शी के तरफ दे देती थी ये देख कर आध्या ने कुछ भी लेने से मना कर दिया और वह अपने कमरे में चली गई।
अपने कमरे में जाने के बाद आध्या फ्रेश होने के लिए वॉशरूम के अंदर चली गई जैसे ही वह वॉशरूम से बाहर निकाल कर आई तभी कमरे के अंदर मिश्का और अर्शी आई।
जिसे देखते ही आध्या ये उन दोनों को अजीब निगाहों से देखने लगी तभी मिश्का ने कहा, "मुझे पता है कि तुम्हें काफी बुरा लगा कि मेरे भाई और अर्शी की शादी हो रही है लेकिन तुम भी अपने लिए कोई गरीब सा बंदा ढूंढ लो। क्योंकि मेरे भाई तो तुम्हें मिलने से रहे।"
मिश्का की बात सुनते ही अर्शी आध्या को देखने लगी लेकिन तभी आध्या ने बिना किसी एक्सप्रेशन के साथ कहा, "मुझे तुम्हारे भाई में कोई इंटरेस्ट नहीं है ना ही मैंने कभी उन्हें उस नजर से देखा है तो प्लीज मुझे यहां पर आकर परेशान करने की जरूरत नहीं है।"
आध्या की बातों से मिश्का को काफी ज्यादा गुस्सा आया लेकिन वह अर्शी के तरफ देखने लगी जो बिना कुछ कहे ही वहां से जाने लगी कमरे से बाहर निकालने के बाद मिश्का ने अर्शी से कहा, "तूने उसे कुछ कहा क्यों नहीं ?"
मिश्का के सवाल को सुनते ही अर्शी ने कहा, "उसने कोई ऐसी बकवास नहीं कि जिस वजह से मैं उसके साथ लड़ने लग जाऊं और वैसे भी मुझे जो चाहिए था वह मुझे मिल रहा है तो मैं बिना वजह शुभांगी के साथ लड़ कर अपना वक्त क्यों बर्बाद करो।"
अर्शी इतना कहकर वहां से चली गई लेकिन वही मिश्का अर्शी का जवाब सुन कर बोली, "तुझे नहीं लड़ना है मतलब लेकिन मैं तो लडूंगी ही। और तू देखना मैं उसे इस घर से कैसे बाहर निकलवती हूं।"
इतना बोल कर मिश्का वहां से चली गई।
वहीं दूसरी तरफ चित्तौड़गढ़ में,
आशुतोष जी और रघुवीर जी को आध्या और एकाक्ष की शादी की खबर मिल चुकी थी दोनों की शादी से आशुतोष जी और रघुवीर जी काफी ज्यादा खुश थे तभी वहां पर रघुवीर जी की पत्नी जानकी सिंह राजवंश आई।
जिसे देखते ही रघुवीर जी ने कहा, "जानकी तुम्हें पता है बच्ची ने एकाक्ष से शादी कर ली इस बात से हम लोग बहुत ही ज्यादा खुश हैं क्योंकि हमें तो पहले से ही पता था कि एकाक्ष को जैसे ही यह बात पता चलेगा कि हमारी बच्ची अभी भी जिंदा है तो वह फौरन उससे सिर्फ शादी ही करेगा।"
रघुवीर जी की बातों को सुन जानकी जी बहुत ही ज्यादा खुश थी लेकिन तभी वहां पर अनुप्रिया सिंह राजवंश आई जो आशुतोष जी की पत्नी और आध्या की मां थी।
और वह आने के बाद थोड़ी सी उदास होकर बोली, "हमारी बच्ची तो हमारे पास वापस लौट कर आई ही नहीं और आने से पहले ही उसकी शादी हो गई।"
अनुप्रिया जी की टेंशन देख जानकी जी को भी समझ में आया कि अनुप्रिया जी इस तरह से क्यों टेंशन ले रही है तभी आशुतोष जी ने कहा, "अनुप्रिया तुम बोल रही हो हमारी बेटी की शादी एकाक्ष से हुई है। किसी आम लड़के से नहीं और वैसे भी राठौड़ परिवार तो यही चाहते थे ना कि हमारी बेटी उन की बड़ी बहू बने देखो सब लोगों का सपना पूरा हो गया।"
आशुतोष जी की बात सुनते ही अनुप्रिया जी थोड़ी उदास होकर बोली, "हां लेकिन हमारी बेटी को हम अच्छे से प्यार भी नहीं कर पाए और वह किसी और घर की बहू भी बन गई।"
आशुतोष जी अनुप्रिया जी को समझने की कोशिश करने के लिए कुछ बोलते इससे पहले ही दरवाजे पर से आवाज आई, "बहु चाहे वह राठौड़ परिवार की हो लेकिन बेटी राजवंश परिवार की रहेगी और जो एक बेटी की जिम्मेदारी है वह पूरा जरूर करेगी। और रही बात आपके जी भर कर प्यार करने की फिक्र मत कीजिए एक महीने बाद वह वापस इसी घर में आएगी, सबसे पहले।"
"अपनी बेटी और चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा की जिम्मेदारी निभाने के लिए जब वह यह सारी जिम्मेदारी निभा लेगी तब उसे बहू की जिम्मेदारी दिया जाएगा।"
दरवाजे पर और कोई नहीं बल्कि एकाक्ष और अभय खड़े थे उन दोनों को देखते ही और एकांश की बातों को सुनकर अनुप्रिया जी को एक राहत की सांस आई तभी एक आंख घर के अंदर आने वाला था लेकिन तभी अचानक अनुप्रिया जी ने रोक दिया।
ये देख कर दोनों ही एक दूसरे के तरफ कंफ्यूज होने लगे जान कीजिए तुरंत ही आरती की थाली लेकर वहां पर आ गए ये देख कर एकाक्ष बस मुस्कुरा देता है।
अंदर आने के बाद एकाक्ष आशुतोष जी और रघुवीर जी से कुछ बातें करने लगे। अभय बाहर का पूरा एरिया अच्छे से देख रहा था।
तभी वहां पर एक लड़का आया और वह आते ही अभय से पूछने लगा, "तुम बाहर क्यों खड़े हो ?"
अभय ने जैसे ही अपने सामने खड़े लड़के को देखा वैसे ही वह बोला, "काव्यांश भाई जी आप यहां पर वह भी ऐसे अचानक ?"
ये था काव्यांश राणा राणा परिवार का बड़ा बेटा और एकाक्ष का बेस्ट फ्रेंड। काव्यांश ने जैसे ही अभय की बात को सुना वैसे ही वह बोला, "एकाक्ष से मिलने के लिए आया था मुझे पता चला कि वह यहां आया है तो यहीं पर आ गया।"
इतना बोलकर काव्यांश अंदर चला गया काव्यांश को देखते ही जानकी जी काफी ज्यादा खुश हो गई और वह काव्यांश से बोली, "बहुत दिनों बाद आए हो काव्यांश।"
जानकी जी की बात सुनते ही काव्यांश मुस्कुरा कर बोला, "जी आंटी वह बहुत ही ज्यादा काम होता है तो इसीलिए मैं आ नहीं पता लेकिन आज पता चला कि एकाक्ष यहां आया है तो इसीलिए उससे भी मिलने आ गया और आप सब से भी।"
काव्यांश सब लोगों से अच्छे से बात करने लगा और फिर एकाक्ष से कुछ इंपॉर्टेंट बात करने के लिए उसके साथ दूसरी तरफ चला गया।
वहीं दूसरी तरफ
अर्शी अपनी शादी की शॉपिंग करने में काफी ज्यादा बिजी लग रही थी। वही आध्या अपने कंपनी को संभालने में दोनों लड़कियों को ऐसे बिजी देख कर साधना सब लोगों को देखते हुए बोली, "इस घर की दोनों बेटियां इतनी ज्यादा बिजी वैसे एक तो शादी की वजह से बिजी है दूसरी कहां बिजी हैं वह तो हमें दिखाई ही नहीं दे रही है।"
कितना बोल कर साधना सब लोगों की तरफ देखने लगी। साधना की बात सुन कर विनीत आध्या को कॉल करने लगा तभी वहां पर अर्शी और मिश्का पहुंची।
उन दोनों को देखते ही विनीत ने अर्शी से पूछा, "अर्शी क्या तुम्हारे साथ किट्टू नहीं गई ?"
विनीत के सवाल को सुनते ही मिश्का चिढ़ कर बोली, "वह हमारे साथ शॉपिंग करने के लिए क्यों जाएगी और वैसे भी हम उसे अपने साथ लेकर भी नहीं जाएंगे।"
मिश्का का ऐसा जवाब सुन कर हर कोई दंग रह गया तभी पीछे से आध्या भी घर वापस आ गई आध्या को देखते ही अर्जुन ने पूछा, "तुम अब तक कहां पर थी ?"
अर्जुन के सवाल को सुनते ही आध्या पहले तो सोचने लगी कि उसे क्या जवाब देना चाहिए फिर उसने जवाब देते हुए कहा, "मैं तो ऋषि और अद्वैत से मिलने के लिए गई थी उन दोनों के साथ ही थी पर आप सबको क्या हुआ ?"
उल्टा आध्या का सवाल सुन कर हर कोई काफी हैरानी से आध्या को देखने लगा तभी सुप्रिया जी ने कहा, "क्या बात है सवाल का जवाब देने के साथ साथ तुम हम कब से सवाल भी पूछ रही हूं।"
सुप्रिया जी की बात सुन कर आध्या ने कहा, "आप गलत समझ रही है बुआ जी मैं बस।"
इसके आगे आध्या कुछ बोलती तभी अचानक सुप्रिया जी ने चिल्लाते हुए कहा, "मुझे जवान लड़ने की कोशिश मत करो मैंने पहले भी कहा है जब मैं तुमसे कुछ बोलना शुरू करो तब तुम्हारे मुंह से एक शब्द भी नहीं निकलने चाहिए।"
सुप्रिया जी के बिहेवियर को देख आध्या को भी आज गुस्सा आने लगा और वह सुप्रिया जी से पूछने लगी, "आप को मुझसे प्रॉब्लम क्या है बुआ जी ? अब जब से इस घर में आई है तब से बस मेरे पीछे पड़ी हुई है ऐसा लग रहा है जैसे आप को मुझसे कोई पर्सनल दुश्मनी है पर मैं आप का कुछ नहीं दिख रहा है फिर आप को मुझ से इतनी प्रॉब्लम क्यों हो रही है।"
आध्या का ऐसा जवाब सुन अचानक सुप्रिया जी आध्या के सामने आई और उसे एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए बोली, "आगे से मुझे इस तरह से बदतमीजी करने की कोशिश भी मत करना। तुम इस घर की झूठी बेटी हो पर मैं इस घर की असली बेटी हूं मुझसे बदतमीजी करोगी तो इस घर से मैं तुम्हें निकाल दूंगी इन फैक्ट तुम इतनी बड़ी हो चुकी हो कि खुद की जिम्मेदारी खुद उठा पाओ तुम अभी भी इसी घर में पड़ी हुई हो।"
"इसका तो एक ही मतलब है कि तुम्हें इस घर की प्रॉपर्टी का लालच है इसलिए तुम अभी भी इसी घर में हो। हर किसी को लगता है कि तुम बहुत अच्छी हो पर मैं जानती हूं कि तुम्हारी नजर से इस घर की प्रॉपर्टी पर है।"
सुप्रिया जी कैसे अचानक थप्पड़ मारने की वजह से हर कोई हैरान रह गया तभी विनीता जी कुछ बोलना चाहती थी लेकिन सुगंधा जी ने विनीता जी को रोक दिया।
जिसे देख कर विनीता जी हैरानी से सुगंधा जी को देखने लगी तभी सुगंधा जी ने कहा, "आध्या दीदी से अभी माफी मांगो। क्योंकि तुमने उन के साथ बदतमीजी की है।"
सुगंधा जी की बात सुनते ही आध्या सुगंधा जी को देखते हुए बोली, "जो उन्होंने बिना वजह मुझे थप्पड़ मारी उस का क्या ? मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रही है कि बुआ जी को मुझे क्या प्रॉब्लम है।"
इसके आगे आध्या फिर से कुछ बोल पाती तभी अचानक अर्शी ने आध्या को दूसरे गाल पर थप्पड़ मार दिया और फिर वह बोली, "मेरी मॉम से बदतमीजी करना बंद करो। तुमने आज उन से काफी बदतमीजी कर ली है अब तुम अपने रूम में जाओ और रूम से तब तक बाहर मत आना जब तक तुम्हारा दिमाग ठिकाने पर ना आ जाए।"
अर्शी के थप्पड़ मारने की वजह से अब आध्या को गुस्सा आ चुका था जिस वजह से वह एक गहरी सांस लेने लगी और फिर एक साथ अर्शी को कई थप्पड़ मार दिए ये देख कर हर कोई हैरान था।
क्योंकि आज तक कभी भी आध्या ने अर्शी के किसी भी बिहेवियर का कोई रिएक्शन नहीं दिया था लेकिन आज आध्या वह रिएक्ट किया जो कभी किसी ने सोचा नहीं था सुप्रिया जी ने जब आध्या के गुस्से को देखा तो वह कुछ बोलना चाहती थी।
लेकिन तभी आध्या ने सुप्रिया जी को कहा, "बस बहुत हो गया अब तक आप दोनों की बहुत बदतमीजी मैं बर्दाश्त कर ली है यहां आने के बाद आपने मेरे कैरेक्टर पर सवाल उठाया था वह सब मैंने बर्दाश्त किया लेकिन अब आपने हद पार कर दी है।"
"मैंने आज तक किसी को कोई जवाब नहीं दिया इसका मतलब यह नहीं है कि मैं जवाब नहीं दे सकती अगर मैंने जवाब देना शुरू कर दिया तो हर किसी की बोलती बंद हो जाएगी आइंदा मेरे ऊपर हाथ उठाने से पहले हजार बार सोच लीजिएगा।"
"क्योंकि आगे से मैं यह भूल जाऊंगी कि आप मुझसे बड़ी है। अब तक मेरी उम्र का लिहाज किया है लेकिन अगर मैं लिहाजा करना छोड़ दिया तो आप को वह सबक सिखाऊंगी जो आप कभी भूल नहीं पाएंगे।"
इतना बोल कर वह अर्शी को देखने लगी और देखने के बाद बोली, "अगली बार से मुझ पर हाथ उठाने से पहले ये थप्पड़ याद कर लेना। क्योंकि अगली बार मैं थप्पड़ नहीं मारूंगी। सीधा इसी जमीन में जिंदा दफ़ना दूंगी।"
आध्या अपनी बात खत्म करके ऊपर अपने कमरे में चली गई आध्या का यह रूप शायद आज तक किसी ने नहीं देखा था जिसे देख कर मित्तल फैमिली के सारे लोग काफी ज्यादा हैरान थे।
आध्या के ऊपर जाने के बाद अर्शी सब लोगों की तरफ देख कर बोली, "देखा आप सब लोगों ने वह मुझे किस तरह से धमकी देते हुए गई है। अब आप लोगों को फैसला करना होगा कि आप लोगों को ये किट्टू चाहिए या हम दोनों।"
अर्शी की बात किसी को भी समझ में नहीं आई जिस वजह से सब लोग अर्शी के तरफ हैरान होकर देखने लगे तभी सुप्रिया जी ने भी अर्शी का साथ देते हुए कहा, "मेरी बेटी ने बिल्कुल सही कहा आज आप सबको फैसला करना होगा कि आप सबको यह नकली बेटी चाहिए या इस परिवार की असली बेटी।"
सुप्रिया जी की बातों को सुन कर कपिल जी ने कहा, "तुम्हारे कहने का मतलब क्या है बेटा हमें समझ में अभी भी नहीं आ रहा इसलिए अच्छे से समझने की कोशिश कर सकती हो।"
तभी अर्शी ने कहा, "मॉम की बातों का मतलब ये है कि इस घर में या तो हम रहेंगे या वह लड़की। अश्विक के साथ शादी करने के बाद मेरी या मेरी मॉम का इस परिवार से कोई लेना देना नहीं होगा और जो रावत इंडस्ट्रीज के साथ आपकी जो डील होने वाली है वह नहीं होगी।"
रावत फैमिली जो पहले से ही वहां पर खड़ी थी वह सब लोग अर्शी की बात सुन कर थोड़े से हैरान तो थे लेकिन उन्होंने भी अर्शी का ही साथ दिया क्योंकि वह लोग भी आध्या को पसंद नहीं करते थे।
मिश्का जो ऐसी की बात से काफी ज्यादा खुश थी वह बोली, "फाइनली इस घड़ी कुछ तो अच्छा होने वाला है वरना जब से वह लड़की इस घर में आई है तब से बस सब लोगों का ध्यान इस पर है।"
मिश्का की बात सुनते ही अचानक अर्जुन ने कहा, "मिश्का की हमारी फैमिली का मैटर है तुम बीच में ना बोलो वही बेहतर होगा।"
अर्जुन की बातों को सुन कर अनूप जी ने अर्जुन को रोक दिया तभी अनूप जी ने कहा, "ठीक है तुम चाहती हो कि तुम्हारी शादी में की तू ना रहे तो फिर ठीक है तुम्हारी शादी भी किट्टू नहीं रहेगी लेकिन शादी के तुरंत बाद में हम किट्टू को इस परिवार में वापस लेकर आएंगे क्योंकि वह इस परिवार का हिस्सा है।"
"अगर तुम दोनों को मेरा ये फैसला मंजूर है तो फिर मुझे भी तुम दोनों का फैसला मंजूर है।"
तभी विनीता जी ने कहा, "शादी तीन हफ्ते बाद है ना तो फिर किट्टू को हम शादी के कुछ टाइम पहले ही यहां से भेजेंगे उससे पहले वह यही हमारे साथ रहेगी।"
विनीता जी और अनूप जी बातों को सुन कर सुप्रिया जी और अर्शी के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं थे क्योंकि उन की बातें मानी जा रही थी।
रात में सब लोग एक साथ बैठ कर डिनर कर रहे थे डिनर करने के साथ सब लोग अनूप जी के तरफ देख कर इशारा कर रहे थे क्योंकि आध्या को अनूप जी ही अपनी बातों से समझा सकते थे।
तभी अनूप जी आध्या को समझाते हुए बोले, "आध्या बेटा हमें आप से एक बात करनी है।"
आध्या ने जैसे ही अनूप जी की बातों को सुना वैसे ही वह मुस्कुरा कर हां में जवाब देने लगी जिसे सुन कर अनूप जी आगे बोले, "बेटा आज जो कुछ भी हुआ उसके बाद हमने फैसला लिया है कि तुम अर्शी की शादी अटेंड नहीं करोगी और वह भी यही चाहती है तो इसीलिए हमने फैसला लिया की शादी तक तुम घर से दूर रहोगी और शादी के तुरंत बाद ही हम तुम्हें घर वापस लेकर आएंगे।"
अनूप जी की बातों को सुन आध्या हैरान नहीं लग रही थी जिसे देख कर विनीता जी समझने की कोशिश करते हुए बोली, "बेटा तुम हमें गलत मत समझो तुम हमारी मजबूरी समझने की कोशिश करो ये शादी हमारे लिए बहुत इंपॉर्टेंट है।"
विनीता जी की बातों को सन आध्या ने कोई खास रिएक्ट नहीं किया वह बस सब लोगों की तरफ देख कर कुछ सोचते हुए पूछने लगी, "आप लोग बस मेरे एक सवाल का जवाब दीजिए और प्लीज मेरे सामने झूठ मत बोलिएगा मुझे सिर्फ सच सुनना है।"
आध्या की बात सुनते ही सब लोग कंफ्यूज होकर आध्या को देखने लगे जिसे देखते ही आध्या बोली, "अगर जिंदगी में कभी भी आप के सामने अर्शी और मैं मदद की गुहार लगाई और आप लोग सिर्फ एक ही जान बचा सकते हैं तो फिर आप लोग किस की जान बचाएंगे।"
आध्या के सवाल को सुनते ही हर कोई हैरान था लेकिन तभी अचानक सुगंधा जी ने कहा, "ये भी कोई पूछने वाला सवाल है हम सबसे पहले अर्शी की जान बचाएंगे क्योंकि वह इस परिवार का खून है।"
सुगंधा जी के जवाब को सुन कर आध्या के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट आ गई इस मुस्कुराहट को देखते ही बाकी सब लोग हैरानी से आध्या को देखने लगे।
तभी अनूप जी आध्या को समझने की कोशिश करते हुए बोले, "सुगंधा बिल्कुल गलत कह रही है हम दोनों को बचाने की कोशिश करेंगे चाहे हमारे सामने कितनी भी खतरे क्यों ना आए।"
अनूप जी की बात सुनते ही आध्या ने कहा, "आप का जवाब और आप के एक्सप्रेशन एक दूसरे से काफी अलग है। मुझे इस बात से हैरानी नहीं है कि आप लोग मुझ में से और अर्शी में से अर्शी को सुनेंगे। बल्कि मैं हैरान इस बात से हूं कि मुझे अब तक यही लगता था कि आप लोग मुझे और अर्शी को बराबर प्यार करते हैं।"
"आज तक मुझे लगा था कि जब भी हुआ जी मुझे बातें सुनती है तो आप लोग उन के रिस्पेक्ट करने के खातिर उन्हें कोई जवाब नहीं देते लेकिन आज पता चला आप लोगों के लिए मैं कभी अहमियत रखती ही नहीं थी।"
इतना कहते ही आध्या खड़ी हुई और वह खड़ी होने के बाद सब लोगों के सामने अपने सिर को झुका कर बोली, "थैंक यू सो मच 16 साल पहले आप लोगों ने मेरी जान बचाई थी। मैं इस बात को कभी भूल नहीं सकती लेकिन हां इन 16 सालों में आप लोगों ने मुझे प्यार भी दिया और ताने भी मारे।"
"आप सब की बातों से मैं एक सेकंड के लिए भी नहीं भूली कि मैं मित्तल परिवार की असली खून नहीं हूं बल्कि एक अडॉप्टेड बेटी हूं। आप लोगों ने अब तक मेरे ऊपर जितने भी खर्च किए हैं मैं सब कुछ वापस कर दूंगी। लेकिन हां इस घर से जाने के बाद मेरा इस घर के किसी भी मेंबर से कभी कोई रिश्ता नहीं होगा और ये मेरा आखिरी फैसला है।"
कितना बोलने के बाद आध्या वहां से जाने लगी लेकिन तभी वह पीछे मुड़ कर बोली, "मेरे लिए किसी को भी फिक्र करने की जरूरत नहीं है मैं अपना ख्याल खुद रख लूंगी और आप लोगों की दी हुई हर एक चीज मैं आप सबको वापस करके जाऊंगी मैं सिर्फ अपने साथ अपने खुद के पैसों से खरीदी हुई चीज ही लेकर जाऊंगी।"
आध्या के ऐसे अचानक वहां से जाने की वजह से हर कोई काफी ज्यादा हैरान था और आध्या की बातें सुनने के बाद सुप्रिया जी सब लोगों को आध्या के बारे में बुराई करते हुए बोली, "देख लिया इतने सालों तक आप लोगों ने उसे इतना प्यार दिया फिर भी आज बस एक छोटी सी बात की वजह से सब लोगों से रिश्ता तोड़ने की बात कर रही है।"
सुप्रिया जी की बात सुनते ही अचानक मिहिर ने कहा, "आप को उस की बात से बुरा क्यों लग रहा है सही तो कह कर गई है। आप जो चाहती थी वही तो कर रही है ये घर हमेशा के लिए छोड़ने की बात करके चली गई सिर्फ आप की वजह से।"
"आप को क्या लगता है बुआ जी आप के इरादों के बारे में उसे नहीं पता। अगर वह इस घर से नहीं जाएगी तो आप उसके कैरेक्टर पर सवाल उठेंगे और फिर आप उसे रास्ते से भी हटाएंगे उस की जान लेकर यह सारी बातें उसने और मैंने खुद अपने कानों से सुने थे।"
मिहिर की बात सुनते ही हर कोई हैरान था यहां तक की सुगंधा की भी हैरान थी तभी मिहिर ने कहा, "और तभी मुझे पता चल गया था की किट्टू क्या करने वाली है पर पता होने के बाद भी मैं बस आप सबको देखता रह गया क्योंकि मैं भी जानना चाहता था कि बुआ जी किस हद तक गिर सकती है।"
इतना बोल कर मिहिर भी खड़ा हो गया और खड़ा होने के बाद वह वहां से जाते हुए फिर पीछे मुड़ कर बोला, "अगर वह इस घर की अडॉप्टेड बेटी है ना तो फिर आप भी इस घर की अडॉप्टेड बेटी ही है आप भी इस खानदान का खून नहीं है अगर आप यह बात भूल चुकी है तो फिर मैं आप को याद दिला देता हूं।"
"अगर आज मेरी बहन इस घर से रिश्ता तोड़ कर जाने के बारे में बोल रही है तो फिर उस की वजह आप है क्योंकि उसे पता है अगर वह यहां से नहीं जाएगी तो फिर आप उस की जिंदगी खराब कर देंगे आप का यही तो मकसद है।"
"लेकिन अब मैं खुद चाहता हूं कि वह यहां से चली जाए क्योंकि मैं नहीं चाहता कि इस परिवार के किसी भी मेंबर की वजह से मेरी बहन की जिंदगी बर्बाद हो वह अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से कहीं और जी सकती है।"
मिहिर अपनी बात बोलकर वहां से चला गया। मिहिर के वहां से जाने के बाद हर कोई सुप्रिया जी को ही देख रहे थे वही अर्शी भी डर भरी आंखों से सब लोगों को देख रही थी।
तभी कपिल जी गुस्से में बोले, "मैंने कभी सोचा नहीं था कि तुम इस हद तक गिर जाओगे। तुम इस परिवार की बेटी का नाम और बेटी की जिंदगी बर्बाद करने पर आ जाओगी।"
कपिल जी की बात सुन कर सुप्रिया जी गुस्से में चिल्लाते हुए बोली, "हां मैंने किया क्योंकि मैं उस लड़की को इस घर से बाहर निकलवाना चाहती थी। क्योंकि मैंने कभी उसे इस परिवार का हिस्सा माना ही नहीं था और ना ही वह कभी इस परिवार का हिस्सा बन सकती है।"
सुप्रिया जी की बात सुन कर सुगंधा जी और बाकी सब लोग भी काफी ज्यादा हैरान थे वह सब लोग हैरानी से सुप्रिया जी को देखने लगे लेकिन तब तक सुप्रिया जी वहां से जा चुकी थी अर्शी के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं थे इसलिए वह भी अपनी मां के पीछे पीछे चली गई।
अगली सुबह
सब लोग डाइनिंग टेबल पर आध्या के आने का इंतजार कर रहे थे जैसे ही सुप्रिया जी और अर्शी पहुंची तो वह दोनों दांत पीसते हुए अपनी सीट पर बैठ गई तभी वहां पर आध्या आई और बिना किसी को कुछ भी कहे नाश्ते के टेबल पर बैठ गए और फिर चुपचाप नाश्ता करने लगी यह देख कर हर कोई आध्या को ही देख रहा था।
तभी अचानक अर्जुन अपने हाथों में एक तस्वीर लेकर आया और उसे तस्वीर को दिखाते हुए बोला, "यह तो फैमिली की पुरानी फोटो है जिसे आप लोगों ने स्टोर रूम में रखा है। और देखो मैंने इसे अच्छे से बनवा दिया मैं सोच रहा हूं इसे एक अच्छी जगह पर रखो जहां से हर कोई इसे देख सके।"
पुरानी तस्वीर सुनते ही हर कोई तस्वीर की तरफ देखने लगे। तस्वीर को देखते ही हर किसी का ध्यान बस एक ही चेहरे के ऊपर जाकर टीका।
तभी अचानक अर्शी ने सब लोगों से पूछा, "वह औरत कौन है जो सब लोगों के बीच में खड़ी है देखने में ऐसा लग रहा है जैसे वह इस परिवार की लाडली हो।"
अर्शी की बात सुनते ही सुप्रिया जी ने कहा, "तुमने बिलकुल सही कहा वो इस परिवार की लाडली बेटी थी जिसने एक गलत फैसला किया और इस परिवार से रिश्ता हमेशा के लिए तोड़ दिया।"
"वह अनुप्रिया थी जिसने एक गरीब लड़के से शादी की और फिर उस लड़के की वजह से इस पूरे परिवार को छोड़ दिया। पता नहीं आप कहां है लेकिन जहां भी होगी शायद अपने गरीब पति के साथ रोते रोते रह रही होगी।"
सुप्रिया जी की बात सुनते ही हर कोई सुप्रिया जी को देखने लगा लेकिन आध्या जिस की नजर तस्वीर पर थी उसके होठों पर एक अजीब सी मुस्कुराहट आ गए इस मुस्कुराहट को प्रतीक ने नोटिस कर लिया था।
जिसे नोटिस करते ही वह आध्या से पूछना चाहता था कि आध्या इस तरह से मुस्कुरा क्यों रही है लेकिन उसने फिर से कोई तमाशा होगा यही सोच कर आध्या से कुछ नहीं पूछा।
लेकिन वही आध्या सुप्रिया जी की बातों को बर्दाश्त नहीं कर पाए और वह सुप्रिया जी को देखते हुए बोली, "आप सपने ऐसा क्यों सोच लिया कि जिस के साथ उन्होंने शादी की वह एक गरीब इंसान है ऐसा भी तो हो सकता है ना उन्होंने अपनी असली पहचान छुपा कर रखी थी क्या पता वह कहीं चित्तौड़गढ़ जैसी जगह के राजा हो।"
"और गरीबों वाली जिंदगी से हटकर ऐसो आराम वाली जिंदगी की रही हो। किसी को देख कर आप उसके बारे में सब कुछ नहीं बता सकते।"
आध्या की बातों को सुनते ही हर कोई आध्या को देखने लगा किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आध्या इस तरह से क्यों बोल रही है लेकिन उसने आगे कुछ एक्सप्लेन नहीं किया बल्कि वह नाश्ता करके वहां से तुरंत ही निकल गई।
दूसरी तरफ एकाक्ष आध्या का राजवंश अंपायर में इंतजार कर रहा था। जैसे ही वह अंपायर पहुंची वैसे ही एकाक्ष ने आध्या से पूछा, "तुम इतनी लेट से ऑफिस क्यों आई हो ?"
एकाक्ष के सवाल को सुनते ही आध्या एकाक्ष के तरफ घूर कर देखने लगी जिसे देखते ही एकाक्ष को समझ में आ गया की आध्या का मूड जरूर खराब है।
इसलिए उसने सवाल पूछना जरूरी नहीं समझा और वह बस जिस काम की वजह से आया था उसी काम के लिए आध्या के साथ बातें करने लगा ये देख कर आध्या के होठों पर एक क्यूट सी स्माइल आ चुकी थी।
जिसे देखते ही एकाक्ष ने कहा, "मुझे लगा कि मित्तल फैमिली के साथ तुम्हारी फिर से लड़ाई हो गई है।"
एकाक्ष की बात सुनते ही आध्या बोली, "पूरी फैमिली के साथ तो लड़ाई, सच में इस बार हुई है। पहले तो मैं कभी किसी को जवाब नहीं देती थी लेकिन अब जवाब देने लगी हूं तो बस सब लोग।"
इसके आगे आध्या कुछ बोलती तभी आध्या का फोन बचाने लगा।
फोन पर बात करने के बाद आध्या एकाक्ष की तरफ देखने लगी लेकिन तब तक एकाक्ष को वहां से जाना पड़ा जिस वजह से आध्या एकाक्ष से बात नहीं कर पाई।
शाम को जैसे ही आध्या घर पहुंची वैसे ही उसने देखा कि सब लोग हाल में बैठ कर अर्शी की शादी की प्लानिंग कर रहे हैं उनके पास अब ज्यादा वक्त नहीं था जिस वजह से वह शादी की तैयारी धूमधाम से करने लगी।
जैसे ही अर्शी और सुप्रिया जी ने आध्या को देखा वैसे ही वह दोनों मुंह बनाने लगे यह देखते ही विनीता जी आध्या से बोली, "कि तू तुम फ्रेश हो जाओ मैं तुम्हारे लिए खाना भिजवाती हूं।"
विनीता जी की बात पर आध्या ने कोई जवाब नहीं दिया जिसे देख कर सब लोग आध्या की तरफ देखने लगी वह अपने रूम में चली गई और फिर अपने सामान को अच्छे से पैक करने लगी।
आध्या ने वही सामान की पैकिंग की जो उसने खुद अपने पैसों से खरीदा था। तभी कमरे के अंदर यश आया और यश ने जब आध्या का बैग देखा तो वह मुस्कुरा कर बोला, "किट्टू सब लोग तुम्हें नीचे बुला रहे हैं।"
इतना बोल कर यश वहां से चला गया आध्या थोड़ी ही देर में नीचे पहुंच गई नीचे पहुंचते ही अनूप जी ने आध्या से कहा, "अब जब तुम कुछ दिनों के लिए शिफ्ट होने वाली हो तो फिर हमने सोचा है कि हम तुम्हें फार्म हाउस शिफ्ट कर दे तुम वहीं पर कुछ दिन रह नहीं रहा।"
फार्महाउस का नाम सुनते ही अर्शी अचानक बोली, "नहीं बड़ी मामू आप इसे फार्म हाउस में शिफ्ट नहीं कर सकते क्योंकि हम वहां पर अपनी बैचलर पार्टी करने के बारे में सोच रही है आप कहीं और शिफ्ट करवाने के बारे में सोचिए।"
अर्शी की बात सुनते ही हर कोई अर्शी को देखने लगा लेकिन अर्शी के चेहरे के एक्सप्रेशन को देख अचानक यश ने कहा, "कोई बात नहीं अगर तुम पार्टी करना चाहती हो तुम पार्टी कर लेना और रही बात किट्टू की तो मेरे दोस्त की एक फ्लैट है मैं उससे बात कर लूंगा वह वहां शिफ्ट हो जाएगी।"
अर्जुन की बात सुनते ही हर कोई आध्या की तरफ देखने लगा। आध्या सब लोगों के एक्सप्रेशन को देख कुछ सोचने लगी वह किसी से लड़ाई नहीं करना चाहती थी इसलिए उसने कुछ नहीं कहा क्योंकि उसने सुबह कुछ ज्यादा ही लड़ाई कर लिया था।
वह बिना कुछ कहे ही अपनी रूम की तरफ चली गई जिसे देख हर किसी को लगा कि आध्या शायद यश की बात से सहमत है इसलिए यश भी अपने दोस्त से बात करने लगा।
आध्या अपनी रूम में जाकर कुछ सोच रही थी तभी आध्या का फोन बचाने लगा जैसे ही उसने फोन स्क्रीन पर एकाक्ष का नाम देखा वह फोन उठाते हुए बोली, "अच्छा हुआ आपने मुझे फोन कर दिया मैं आप को फोन करने ही वाली थी मुझे आप से कुछ बात करनी थी।"
एकाक्ष फोन के दूसरी तरफ से बोला, "हां बोलो तुम्हें मुझ से क्या बात करनी है।"
आध्या एक गहरी सांस लेते हुए बोली, "आप चाहते थे कि मैं एक महीने बाद आपके साथ आने के लिए तैयार हो जाओ लेकिन मैं सोच रही हूं कि मैं आपके साथ बहुत जल्द रहने के लिए आ जाए।"
एकाक्ष को आध्या की बात समझ नहीं आई जिस वजह से वह कंफ्यूज होकर बोला, "तुम क्या बोल रही हो मुझे समझ नहीं आया।"
आध्या ने समझते हुए कहा, "मैं आप के साथ रहने के लिए कुछ दिनों में आने वाली हूं।"
आध्या इसके आगे और कुछ नहीं कहा जिसे सुन एकाक्ष को भी समझ में आ गया कि मित्तल फैमिली में जरूर कुछ हुआ है जिस वजह से आध्या उसके साथ रहने के लिए इतनी जल्दी आ रही है यह सोच कर दोनों फिर एक दूसरे से कुछ और बात करने लगे।
अगली सुबह
आध्या जैसे ही अपने रूम से बाहर आई तो उसके सामने सुप्रिया जी खड़ी हुई और वह आध्या से बोली, "अब जब तुम यहां से जा रही हो तो जिंदगी में दोबारा यहां वापस लौट कर मत आना। जब भी तुम्हारी शक्ल देखी हूं मुझे काफी ज्यादा गुस्सा आता है।"
आध्या एक अजीब सी स्माइल के साथ बोली, "फिक्र मत कीजिए मैं दोबारा इस घर में कभी लौट कर नहीं आऊंगी। लेकिन इतना याद रखिएगा यहां से जाने के बाद मैं आप की बकवास भी नहीं सुनूंगी। आप जो अभी मुझ पर हक जताते हुए कुछ भी बोल देती है यहां से जाने के बाद ऐसा करने के बारे में सोचेगा मत।"
"क्योंकि अगर मेरा दिमाग खराब हो गया तो कहीं मैं आप को ही बर्बाद ना कर दूं।"
आध्या की बात सुनते ही सुप्रिया जी जोर जोर से हंसने लगी और हंसने के बाद वह बोली, "तुम मुझे बर्बाद करोगी तुम्हारी इतनी औकात है कि तुम मुझे बर्बाद कर सकूं मैं तो फैमिली के टुकड़ों पर पल रही हो और मुझे बर्बाद करने वाली बात बोल रही हूं।"
"तुम्हारी बात सुन कर ना मुझे सिर्फ हंसी आ रही है दो टके की औकात नहीं और चली मुझे बर्बाद करने अगर हिम्मत है तो मुझे बर्बाद करके दिखाओ।"
आध्या जो सुप्रिया जी की बात सुन कर कोई एक्सप्रेशन नहीं दे रही थी वह अचानक तिरछा मुस्कुरा कर बोली, "वह क्या है ना आप को बर्बाद करने के लिए मेरे पास औकात तो है लेकिन आप के पास कुछ है ही नहीं जिसे मैं बर्बाद करूं आप तो खुद ही मित्तल फैमिली के पैसों पर जी रही है। तो आप को बर्बाद करने का मतलब होगा कि मित्तल फैमिली को बर्बाद करना। जिसे करने का मेरा कोई इरादा नहीं है तो इसीलिए जी लीजिए अपनी जिंदगी।"
इतना बोल कर आध्या नीचे चली गई आध्या की बातों को सुन कर सुप्रिया जी दांत पीसने लगी उन्हें काफी गुस्सा आ रहा था लेकिन आध्या ने सही कहा था उन के पास कुछ भी ऐसा नहीं था जिसे आध्या बर्बाद कर सकें। क्योंकि वह खुद ही मित्तल फैमिली के पैसों पर डिपेंड रहती थी।
आध्या जैसे ही नीचे गई वैसे ही सुगंधा जी ने आध्या से पूछा, "वैसे तुम कब जाने वाली हो यहां से अर्शी की शादी की तैयारी शुरू हो चुकी है उस के फंक्शन भी शुरू हो जाएंगे तो तुम कब जाओगी।"
सुगंधा जी के सवाल को सुनते ही हर कोई सुगंधा जी के तरफ देखने लगा जिसे देखते ही आध्या सब लोगों से बोली, "मैं कल जाने वाली हूं लेकिन जाने से पहले मुझे एक काम करना है।"
कपिल जी ने पूछा, "क्या ?"
आध्या ने तिरछी स्माइल के साथ कहा, "इस परिवार के साथ सारे रिश्ते तोड़ना वैसे भी आप लोगों ने मुझे कानूनी तरीके से अडॉप्ट किया था तो अब मैं आप लोगों के साथ हर रिश्ता तोड़ना चाहती हूं मैंने अपनी लॉयर को यहां पर बुला लिया है आप लोग डॉक्यूमेंट पर साइन कर दे फिर आप का और मेरा कोई लेना देना नहीं होगा।"
आध्या की बातों से हर कोई शॉक्ड था किसी को भी समझ नहीं आ रहा था कि आध्या ऐसी बातें क्यों कर रही है तभी अनूप जी ने कहा, "हम तुम्हें बस कुछ दिनों के लिए यहां से शिफ्ट कर रहे हैं हमेशा के लिए रिश्ता नहीं तोड़ रहे जो तुम ऐसी बकवास बातें कर रही हो।"
तभी आध्या अजीब सी स्माइल के साथ बोली, "मिस्टर मित्तल मैंने तो अब तक बकवास बात ही की थी अब मैं सही बातें करने लगी हूं कैसे अगर आप लोग साइन नहीं करेंगे तो इसके लिए मेरे पास एक और ऑप्शन है।"
इसके आगे आध्या कुछ बोलती तभी वहां पर लॉयर आ गया जिसे देखते ही आध्या लॉयर के हाथ से एक फाइल लेकर अनूप जी के तरफ आगे बढ़ने लगी फाइल देखने के बाद अनूप जी हैरानी से आध्या को देख रहे थे।
तभी आध्या ने कहां, "यह वही प्रोजेक्ट है जिसे आप लोग हासिल करना चाहते थे अभी आप लोगों के हाथ में है अगर यह प्रोजेक्ट चाहिए तो फिर इस फाइल पर साइन कर दीजिए बना इस प्रोजेक्ट के बारे में जिंदगी भर के लिए भूल जाइए।"
आध्या इतना कहकर एक दूसरा फाइल आगे बढ़ा देती है जिसे देखते ही वहां पर खड़े हर कोई हैरान था यहां तक की अर्शी भी काफी ज्यादा हैरान थी।
विनीत अनूप जी के हाथ से प्रोजेक्ट की फाइल लेकर देखने लगा प्रोजेक्ट को देखते ही प्रतीक के चेहरे के एक्सप्रेशन ही बदल चुके थे वह अनूप जी को देख रहा था अनुप जी कुछ सोचने के बाद आध्या की दी हुई फाइल पर साइन कर देते हैं।
और साथ में विनीता जी और कपिल जी से भी साइन ले लेते हैं साइन मिलने के बाद आध्या फाइल वापस लॉयर को दे दिया लॉयर वहां से चला गया।
इसके आगे कोई कुछ बोलना तभी अर्शी ने कहा, "अब तो तुम्हारा इस परिवार के साथ कोई रिश्ता भी नहीं है तो फिर अब तुम यहां पर रहोगी क्यों कल की वजह आज ही यहां से चली जाओ।"
आध्या अर्शी के तरफ देख कर बस एक स्माइल दे देती है और फिर अपना सामान लेने के लिए ऊपर अपनी रूम में चली जाती है सामान लेने के बाद वह सब लोगों की नजरों के सामने से घर से बाहर निकाल कर चली जाती है।
आध्या के वहां से जाने के बाद अचानक सुप्रिया जी ने अनूप जी से पूछा, "मैंने कभी सोचा नहीं था भाई साहब की आप इतनी आसानी से किट्टू के साथ सारे रिश्ते तोड़ लेंगे मुझे तो लगा था कि आप उल्टा किट्टू पर ही गुस्सा करेंगे पर आपने तो एक प्रोजेक्ट के लिए सारे रिश्ते तोड़ दिए।"
सुप्रिया जी की बात सुनते ही विनीत बोला, "क्योंकि जो प्रोजेक्ट किट्टू हमें देकर गई है वह कोई मामूली प्रोजेक्ट नहीं है। बल्कि यह पूरे के पूरे 500 करोड़ की प्रोजेक्ट है जिसे हम काफी टाइम से हासिल करने की कोशिश कर रहे थे। इस प्रोजेक्ट के मिलने का मतलब हमारी कंपनी और ज्यादा ऊंचाइयों पर चली जाएगी।"
विनीत की बात सुनते ही हर कोई हैरान था लेकिन तभी अचानक मिहिर ने कहा, "जिस प्रोजेक्ट को अब तक आप लोग हासिल नहीं कर पाए उस प्रोजेक्ट को किट्टू ने कैसे हासिल कर लिया।"
हर कोई एक दूसरे से बस यही सवाल कर रहे थे लेकिन वही अनूप जी अचानक अपने रूम में चले गए जैसे ही वह अपने रूम में पहुंचे वैसे ही उन के पीछे विनीता जी रूम में पहुंचे विनीता जी नहीं रूम का दरवाजा बंद किया।
और करने के बाद वह बोली, "जिसे अपनी जान से ज्यादा प्यार किया। आज जब उसने एक बार कहा और आपने उस की बात मान दी अनूप मुझे अच्छे से पता है कि कोई और बात है इस वजह से आप उस की बात पर राजी हो।"
विनीता जी के समान को सुन अनूप जी अचानक खड़े हुए और वह विंडो के पास जाकर खड़े हो गए फिर उन्होंने वैदेही जी को देखते हुए कहा, "अब से किट्टू भले ही हमारी बेटी नहीं है लेकिन उसके साथ हमारा रिश्ता खत्म नहीं हुआ है वैदेही उसके साथ हमारा एक नया रिश्ता शुरू होगा।"
अनूप जी की बातें विनीता जी को समझ नहीं आया जिस वजह से वह कंफ्यूज होकर अनूप जी को देख रही थी तभी अनूप जी पिछली रात को जो कुछ भी हुआ वह सारी बातें बताने लगे।
फ्लैशबैक
जब अनूप जी स्टडी रूम में अपना काम कर रहे थे तभी रूम के अंदर आध्या आई आध्या को देखते ही अनूप जी मुस्कुरा कर बोले, "अरे बेटा तुम अब तक सोई नहीं।"
आध्या अनूप जी के पास जाकर बैठ गई और वह काफी सीरियस एक्सप्रेशन के साथ बोली, "पापा क्या मैं आप से कुछ कह सकती हूं।"
आध्या को सीरियस देख कर अनूप जी टेंशन में बोले, "सब ठीक है ना बेटा मुझे पता है सुबह जो कुछ भी हुआ सारी बातों से तुम अपसेट हो। लेकिन बेटा मेरे लिए तुम और ऐसी दोनों ही इंपॉर्टेंट हो। भले ही हमारे बीच खून का रिश्ता नहीं है लेकिन मेरे लिए तुम मेरी बेटी हो और ये सच कभी बदल नहीं सकता।"
तभी आध्या ने कहा, "ये कभी सच था ही नहीं मैं आपकी बेटी नहीं हूं यह सच है मैं आप की बेटी हूं ये सिर्फ एक सच का दिखावा था क्योंकि ये कभी सच हो ही नहीं सकता और ना कभी सच था और ना कभी होगा।"
अनूप जी आध्या की बातों से काफी ज्यादा कंफ्यूज थी जिस वजह से वह आध्या को देखने लगी।
तभी आध्या फिर बोली, "मैं आप की बेटी नहीं हूं ये सच है लेकिन एक और सच है जी सच से हर कोई अनजान है।"
आध्या की बातों से अब अनूप जी और भी ज्यादा कंफ्यूज होने लगे जिसे देखते ही आध्या फिर से बोली, "जब मैं आप सबको मिली थी तब मेरी याददाश्त नहीं थी लेकिन जब कुछ वक्त पहले मेरा एक्सीडेंट हुआ था तब मेरी याददाश्त वापस आ चुकी थी और मुझे याद है आ चुका है कि मैं कौन हूं और किस की बेटी हूं।"
आध्या की बात सुनते ही अनूप जी का दिल घबराने लगा और वह घबराहट भरी नजरों से आध्या को देखते हुए बोले, "मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि तुम किस की बेटी हो मैं बस इतना जानता हूं कि तुम मेरी बेटी हो और मुझे छोड़ कर जाने के बारे में सोचना भी मत।"
आध्या अनूप जी की घबराहट को देख फिर से गहरी आंखों से अनूप जी को देखने लगी।
अनूप जी की घबराहट आध्या को समझ में आ चुका था जिस वजह से वह अनूप जी के हाथ को पकड़ बहुत ही प्यार से बोली, "क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि मैं किस की बेटी हूं ?"
आध्या की बात सुनते ही अनूप जी ना में सिर हिलाने लगी जिसे देख कर आध्या मुस्कुरा कर बोली, "भले ही मैं आप का खून नहीं हूं लेकिन मेरे अंदर भी इस परिवार का खून है। भले ही मैं आपकी बेटी नहीं हूं लेकिन मैं भी किसी परिवार की बेटी हूं ये सच है।"
अनूप जी आध्या को हैरानी से देखने लगे तभी आध्या फिर से बोली, "मैं आप की लाडली बहन अनुप्रिया की बेटी हूं। मेरा असली नाम आध्या आशुतोष सिंह राजवंश है।"
आध्या की बात सुनते ही अनूप जी हैरानी से आध्या को देखने लगी उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि जिस बेटी को उन्होंने 7 साल की उम्र में बचाया था
वह बेटी असलियत में उन्हीं की बहन की बेटी होगी यह सुनते ही उनकी आंखों से तो आंसू ही निकलने लगे उन्हें उसे वक्त का याद आ रहा था जिस वक्त आज या उन्हें मिली थी।
आध्या की हालत बहुत ज्यादा खराब थी डॉक्टर ने तो हाथ ही उठा दिया था कि वह आध्या को बचा नहीं पाएंगे लेकिन शायद आध्या के अंदर जीने की इच्छा थी इसलिए उसने सरवाइव कर लिया।
अनूप जी की आंखों में आंसू देख कर आध्या को भी काफी ज्यादा तकलीफ हो रहा था तभी अनूप जी ने आध्या को अपने गले से लगा लिया और गले से लगाने के बाद वह बोला, "काश मुझे पहले पता होता कि तुम मेरी अनु की बेटी हो तो मैं कभी भी सुप्रिया को तुम्हारे साथ मिस बिहेव करने नहीं देता।"
अनूप जी की बात सुन कर आध्या भी अपनी आंखों में आंसू लेकर बोली, "लेकिन आप मुझ से वादा कीजिए कि आप अभी भी यह बात किसी को नहीं बताएंगे तब तक नहीं जब तक मैं खुद आप से किसी से कहने को नहीं कहता और आप वही करेंगे जो मैं आप को करने के लिए कहूंगी।"
फ्लैशबैक एंड
इतना सब कुछ सोचने के बाद अनूप जी विनीता जी को कुछ बोलना चाहते थे लेकिन आध्या की बात याद आते ही उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और वह वहां से बाहर निकल कर जाने लगे।
बाहर निकलते हुए अनूप जी मन ही मन में बोले, " मुझे समझ नहीं आ रहा कि किट्टू करना क्या चाहती है इतना बड़ा सच उसने मुझे बता दिया और फिर इस परिवार के साथ कानून रिश्ता भी तोड़ दिया। पता नहीं उसके दिमाग में क्या चल रहा है बुक करना क्या चाहती है ?"
यही सब सोचते हुए वह अचानक किसी से तगड़ा गए टकराने की वजह से वह नीचे गिरने ही वाले थे लेकिन उसे इंसान ने उन्हें पकड़ लिया और वह और कोई नहीं बल्कि मिहिर था।
मिहिर अनूप जी को देख परेशान होते हुए बोला, "बड़े पापा क्या चल रहा है आपने किट्टू के साथ सारे रिश्ते तोड़ दिए ऐसा कभी नहीं हो सकता मुझे अच्छे से पता है चाहे किट्टू हजार गलती करें आप उसे इस तरह से कभी नहीं छोड़ सकते।"
अमूल्य की बातों से अनूप जी को फर्क तो पढ़ रहा था लेकिन उन्होंने ज्यादा कुछ कहा नहीं और ना ही वह किसी को कोई सफाई देना चाहते थे इसलिए बिना कुछ कहे ही वहां से वह चले गए।
वहीं दूसरी तरफ आध्या घर से बाहर निकालने के बाद अपने सामने खड़ी गाड़ी के तरफ देखने लगी गाड़ी के अंदर एकाक्ष बैठा हुआ था एकाक्ष को देखते ही वह तुरंत गाड़ी के अंदर बैठ गई और एकाक्ष के कंधे सिर रखते हुए बोली, "मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे ऐसा दिन भी देखने को मिलेगा।"
आध्या की बातों से एकाक्ष को समझ में आ चुका था कि वह काफी ज्यादा उदास है इसलिए वह उसे कंट्रोल करते हुए बोला, "रिलैक्स मित्तल फैमिली से दूर जाने का फैसला तुमने ऐसे ही नहीं लिया है। बहुत जल्दी राजवंश फैमिली तुम्हें अपनी वारिस घोषित कर देंगे इसके बाद तुम्हारे ना जान बहुत सारे दुश्मन पैदा हो जाएंगे और वह दुश्मन तुम्हें कमजोर करने के लिए मैं कल फैमिली को अपना टारगेट बनाएंगे।"
"इसलिए तुमने मित्तल फैमिली के साथ अपने सारे रिश्ते तोड़ दिए क्योंकि तुम नहीं चाहती हो कि तुम्हारी वजह से मित्तल फैमिली के किसी भी मेंबर को कुछ भी हो।"
एकाक्ष अपनी बात कह कर आध्या को देखने लगा वही आध्या बस उसके कंधे पर सर रखकर आंखें बंद करके बैठी हुई थी।
जिसे देख कर एकाक्ष को लगा शायद आध्या बहुत ही ज्यादा थक चुकी है इसीलिए उसने दोबारा आध्या से कोई सवाल नहीं पूछा बल्कि वह बस आध्या को बहुत ही प्यार से देखने लगा।
कुछ देर बाद
एकाक्ष की गाड़ी एक बहुत बड़े पैलेस के सामने रुकी। गाड़ी रुकने के साथ ही आध्या गाड़ी से बाहर निकाल कर जाने लगी जैसे ही वह गाड़ी से बाहर निकाल कर गई वैसे ही अपने सामने पैलेस को देख थोड़ी सी हैरान होने लगी।
पैलेस के बाहर नेम प्लेट पर बड़े बड़े अक्षरों से राठौड़ पैलेस लिखा हुआ था। आध्या ने राठौड़ पैलेस के बारे में सुना था यहां तक कि वह जब सड़क से गुजरती थी तो पहले उसको बहुत ही ध्यान से देखी थी।
उस का दिल करता था कि वह पैलेस के अंदर जाकर पहले इसकी हर एक चीज को बहुत ही ध्यान से देखेगी। लेकिन उसने कभी भी सपनों में भी नहीं सोचा था जिस पैलेस के अंदर आने का उस का सपना था वह इस पैलेस की एक दिन हुकुम रानी सा बन जाएगी।
इसके बारे में सोचते हुए अचानक वह हंसने लगी। आध्या को हंसता हुआ देख आसपास जितने भी सर्वेंट खड़े थे वह सब लोग अपनी हुकुम रानी सा की तरफ देखने लगी उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उन की हुकुम रानी सा ऐसे हंस क्यों रही है।
पैलेस के दरवाजे पर एक लड़की आरती की थाली लेकर खड़ी हुई थी उस के आसपास वंश और अभय मौजूद थे उन तीनों को देखते ही आध्या की आंखें चमकने लगी और वह उन तीनों के सामने जाकर खड़ी हो गई।
तभी वह लड़की जो और कोई नहीं श्रावणी थी वह अपनी भाभी सा को देख बोली, "वेलकम बैक भाभी सा आप को पता है ना जाने कितने सालों से इंतजार किया है। लेकिन फाइनली वह वक्त आ ही गया जब हम आप की इस पैलेस में स्वागत कर रहे हैं।"
श्रावणी की बातों को सुन कर आध्या शैतानी भारी स्माइल के साथ बोली, "तुम सब ने तो मुझे बहुत ज्यादा मिस किया लेकिन मैं तुम सबको बिल्कुल भी मिस नहीं किया।"
आध्या की बात सुनते ही तीनों की शक्ल देखने लायक थी तभी वहां पर काव्यांश आया और उन तीनों की शक्ल को देख बोला, "वह तुम तीनों को मिस कैसे करती उसे तो तुम तीनों याद ही नहीं थे। वह तो खुद को भी भूल चुकी थी।"
काव्यांश की बात सुनते ही आध्या आगे बोली, "हां लेकिन जब से मेरी याददाश्त वापस आई है तब से मैं आप सबको बहुत ज्यादा मिस किया। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरी असली पहचान ऐसी भी हो सकती है।"
आध्या इमोशनल होने लगी थी जिसे देखते ही एकाक्ष ने कहा, "अच्छा हम आगे की बातें बाद में करेंगे श्रावणी को वह करने दो जो करने के लिए इतनी देर से खड़ी है।"
एकाक्ष की बात सुनते ही हर किसी को समझ में आ गया कि वह आध्या की आंखों में आंसू नहीं देखना चाहता इसलिए आध्या को रोने से रोकने के लिए वह बीच में ऐसी बातें कर रहा है जिसे देखते ही श्रावणी आध्या की आरती उतारने लगी साथ में एकाक्ष की भी।
दोनों की आरती उतारने के बाद श्रावणी ने कहा, "भाभी सा अब आप इस कलश को अंदर की तरफ धीरे से गिरा कर अंदर आइए।"
श्रावणी के कहीं मुताबिक आध्या वैसा ही कहने लगी। घर के अंदर जाने के बाद आध्या पूरे पैलेस को बहुत ही ध्यान से देखने लगी।
तभी वंश ने कहा, "भाभी सा अब जरूर थक चुकी होगी इसलिए आप जाकर थोड़ा आराम कर लीजिए तब तक हम लंच की तैयारी करते हैं।"
आध्या ऊपर की तरफ जाने लगी तभी एकाक्ष आद्या का सामान लेकर उसके पीछे पीछे जाने लगा उसे नहीं पता था कि एकाक्ष का कैमरा कौन सा है
इसीलिए वह बस इधर-उधर देखने लगी तभी एकाक्ष ने आध्या से कहा, "चलो मैं तुम्हें हमारा कमरा दिखाता हूं।"
एकाक्ष इतना कहकर आगे चला गया आध्या एक आंख के पीछे पीछे जाने लगी कमरे के अंदर जाने के बाद आध्या ने देखा कि वह कमरा बहुत ज्यादा बड़ा है यह देखते ही वह समझ गई कि जिस कमरे में एक आंख रहता है वह कमरा पैलेस का सबसे बड़ा कमरा है।
लेकिन वह एकाक्ष से कुछ बोलती इससे पहले ही एकाक्ष ने आध्या के तरफ देखते हुए कहा, "फिलहाल तुम फ्रेश हो जाओ हम बाद में एक दूसरे से बात करेंगे।"
इतना कहकर एकाक्ष कमरे से बाहर निकाल कर चला गया जिसके बाद आध्या फ्रेश होने लगी फ्रेश होने के बाद वह नीचे लंच करने के लिए आ गई डायनिंग एरिया को देख आध्या थोड़ी सी हैरान थी।
फिर सब लोग एक साथ बैठकर लंच करने लगी लंच करने के बाद श्रावणी आध्या से बोली, "भाभी सा चलो मैं आपको पैलेस का सबसे खूबसूरत प्लेस दिखाती हूं।"
आध्या श्रावणी के साथ चली गई जैसे ही वह पहले की सबसे खूबसूरत प्लेस पर पहुंची तो वह दंग रह गई वह एक फूलों का गार्डन था जहां पर हर तरह के फूल लगे हुए थे लेकिन ज्यादातर आध्या के पसंदीदा फूल थे।
ये देख कर आध्या श्रावणी के तरफ कंफ्यूज होकर देखने लगी तभी श्रावणी ने कहा, "आप यहां जितने भी फूल देख रहे हैं वह सब कुछ भाई जीने लगवाया है और जितना भी आप के पसंदीदा फूल है वह सब कुछ उन्होंने एक एक करके चुना है।"
"आप को पता है आप के जाने के बाद भाई जी बस आप की यादों में ही खोए रहते हैं। आप जिंदा होंगे इस बात की हम सब ने उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन भाई जी ने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी उन्होंने बस यही कहा कि वह आप को वापस लेकर ही आएंगे।"
आध्या श्रावणी की बातों से एक बात समझ गई एकाक्ष आध्या से जितना प्यार करता है शायद कोई और कभी नहीं कर सकता तभी श्रावणी आगे बोली, "जब आपके बारे में हम सबको पता चला तो हम सब आप से मिलना चाहते थे लेकिन जब आप की मेडिकल कंडीशन के बारे में भाई जी को पता चला तो उन्होंने फिर से आपके याददाश्त वापस आने का इंतजार करने का फैसला किया।"
"वह आप को दूर से देख कर ही जी रहे थे। कभी कभी तो वह अकेले एक रूम में जाकर घंटे तक बैठे रहते थे जिस रूम में उन्होंने सिर्फ आप की तस्वीर लगा कर रखी है। उन्होंने जिंदगी में कभी किसी से इतना प्यार नहीं किया जितना वह आपसे करते हैं। और ये बात हम सब लोग अच्छे से जानते हैं। इसीलिए हम में से कोई भी आपके बारे में ऐसी कोई बात नहीं बोलते जिस वजह से उन्हें तकलीफ हो।"
श्रावणी की बातों की वजह से आध्या को दिल में जैसे एक दर्द होने लगा। बचपन में उसे लगता था कि एकाक्ष उसके बड़े भाई जी के सबसे अच्छे दोस्त है इसीलिए शायद वह उसकी केयर ज्यादा करते हैं।
जब शादी की बात एकाक्ष ने कही थी तब भी आध्या को यही लगा था कि शायद एकाक्ष अपनी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए आध्या से शादी कर रहा है।
लेकिन श्रावणी के मुंह से सारी बातें सुनने के बाद आध्या समझ चुकी थी। एकाक्ष ने उससे शादी किसी जिम्मेदारी को पूरी करने के लिए नहीं बल्कि वह आध्या से बेतहाशा प्यार करता है इसीलिए किया।
श्रावणी के साथ बातें करने के बाद आध्या फिर से इमोशनल होने लगी तभी वहां पर एकाक्ष पहुंचा जब एकाक्ष ने देखा की आध्या फिर से इमोशनल हो रही है
तो वह गुस्से में श्रावणी को देखने लगा जिसे देखते ही श्रावणी डर गई और वह एकाक्ष को समझने की कोशिश करने के लिए मुंह खोलने वाली थी कि तभी आध्या ने एकाक्ष को गले लगा लिया
आध्या एकाक्ष के सीने में अपने सर को रखकर बोली, "कोई किसी से इतना प्यार कैसे कर सकता है मैं अब तक आप को सिर्फ गलत समझ रही थी मैं सिर्फ इस रिश्ते को एक जिम्मेदारी की नजरों से देख रही थी पर मैं आपसे वादा करती हूं मैं भी आप से आप की जितना ही प्यार करने की कोशिश करूंगी।"
आध्या की बात सुनते ही एकाक्ष ने कहा, "नहीं" नहीं शब्द को सुनते ही आध्या एकांश की तरफ कंफ्यूज होकर देखने लगी तो एकाक्ष ने आगे कहा, "तुम मुझे मेरे जितना कभी प्यार नहीं कर सकती। हां मैं कह सकता हूं कि मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी पूरी दुनिया बन जाऊंगा लेकिन तुम तो मेरी दुनिया उसी दिन बन गई थी जिस दिन तुमने इस दुनिया में कदम रखा था।"
"तुम्हें पहली बार देखने के बाद ही तुम मेरी जान बन चुकी थी। और मैं तुमसे बेतहाशा मोहब्बत करता हूं।"
इसके आगे एकाक्ष ने और कुछ नहीं कहा था जिसे देख कर आध्या ने एकाक्ष को फिर से गले लगा लिया।
एकाक्ष ने आज पहली बार आध्या के सामने अपनी दिल की हर एक बात को रख दिया था। वह आध्या से कितना प्यार करता है वह शब्दों में बयां नहीं कर सकता था।
लेकिन फिर भी उसने शब्दों में अपने प्यार का इजहार करने की कोशिश की। कुछ देर तक एक दूसरे के साथ गले लगने के बाद आद्या का फोन अचानक बचाने लगा जिस वजह से वह एकाक्ष से थोड़ी दूर हो गई और वह अपने फोन को देखने लगी।
तभी फोन स्क्रीन पर ऋषि का नाम फ्लैश होते हुए देखा वह फोन उठा कर बोली, "मैं थोड़ी देर में आता हूं।"
इतना बोल कर ही उसने कॉल कट कर दिया लेकिन एकाक्ष ने आध्या के फोन पर ऋषि नाम को फ्लैश होते हुए देख लिया था उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदल तो गए थे लेकिन उसने आध्या से कोई सवाल नहीं पूछा।
वहीं दूसरी तरफ मित्तल विला में,
आध्या की जाने की वजह से सुप्रिया जी और अर्शी काफी ज्यादा खुश लग रही थी दोनों एक दूसरे के साथ रूम में बैठ कर पार्टी कर रही थी तभी रूम के बाहर से विनीत गुजारा तो उसने दोनों मां बेटी की बातों को सुन लिया था।
जिसे सुनने के बाद वह अचानक नीचे गुस्से में जाने लगा और फिर अनूप जी से बोला, "पापा मैंने कभी सोचा नहीं था कि आप किट्टू के साथ अपने सारे रिश्ते तोड़ने के लिए इतनी आसानी से मान जाएंगे। अरे वह तो नादान है बच्ची है उसने कुछ भी कह दिया तो आप ने उस की बात मान लिया।"
विनीत की बातों का अनूप जी कुछ भी कह पाए तभी सुगंधा जी ने कहा, "तुम्हारी बहन नादान नहीं है विनीत 23 साल की हो चुकी है और वैसे भी वह अगर इस परिवार से रिश्ता तोड़ना चाहती है तो फिर इस बात से हम में से किसी को कोई प्रॉब्लम क्यों होगा।"
सुगंधा जी की बातों को सुनते ही हर कोई सुगंधा जी की तरफ देखने लगा तभी अनूप जी ने कहा, "अगर तुम्हारी एक्टिंग खत्म हो चुकी है तो प्लीज सुगंधा यहां पर ना ही सुप्रिया है और ना ही अर्शी।"
अनूप जी की बात सुनते ही हर कोई हैरानी से अनूप जी को देखने लगे तभी सुगंधा जी अनूप जी के पास जाकर बैठ गई और वह उदास होकर बोली, "भाई साहब पता कीजिए ना हमारी किट्टू कहां है और वह सही सलामत तो है ना वह ठीक है तो मुझे सुकून मिल जाएगी।"
सुगंधा जी की बातों को सुनते ही सब लोग हैरानी से सुगंधा जी को देखने लगी तभी अनूप जी ने कहा, "कुछ दिनों से जो भूमिका किट्टू के साथ रूड बिहेव कर रही है यह सब कुछ करने के लिए किट्टू नहीं कहा था सुगंधा को।"
तभी सुगंधा जी ने कहा, "मुझे लगा कि किट्टू हमारे साथ बस खेल खेल रही है मुझे लगा वह मस्ती कर रही है इसलिए मैंने भी उस की बात मान लिया लेकिन आज जब उसने कहा कि हमसे सारे रिश्ते तोड़कर इस घर से जा रही है तब मुझे समझ में आया कि वह हमसे खेल नहीं खेल रही और ना ही हमारे साथ मस्ती कर रही है। वह तो सच में हमसे दूर जाने की तैयारी कर रही थी।"
तभी अचानक अर्जुन ने कहा, "ऐसा नहीं हो सकता वह हमसे दूर जाने के बारे में सोच भी नहीं सकती जरूर कोई और वजह है जिस वजह से उसने ये फैसला लिया। हमें किट्टू से बात करनी चाहिए कहीं वह किसी मुसीबत में तो नहीं है ना। और हम सब मुसीबत में ना आए इसीलिए तो उसने हमसे रिश्ता नहीं तोड़ा।"
अर्जुन की बातों को सुनते ही हर कोई आध्या को लेकर परेशान होने लगे लेकिन तभी अनूप जी ने कहा, "हमारी किट्टू समझदार है वह ऐसा कुछ नहीं करेगी जिस वजह से किसी की जान खतरे में आए वह जो छाती है हम सब वही करते हैं आगे हमें खुद पता चल ही जाएगा उसने ये सब कुछ क्यों किया।"
"बस इतना याद रखना इन सब के बारे में सुप्रिया और अर्शी को कुछ भी पता ना चले। मैं नहीं चाहता कि उन दोनों की वजह से किट्टू की जिंदगी में कोई और नई मुसीबत आए।"
अपनी बात खत्म करके अनूप जी वहां से दूसरी तरफ चले गए। अनूप जी के वहां से जाते ही वहां पर सुप्रिया जी और अर्शी आई जब उन दोनों ने पूरी फैमिली को एक साथ बैठ कर कुछ बातें करते हुए देखा तो वह दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे।
तभी अर्शी ने कहा, "मॉम यहां पर हो क्या रहा है जब से वह लड़की यहां से गई है तब से सब लोग बस इधर उधर बैठ कर बात ही करते रहते हैं।"
सुप्रिया जी ने जैसे ही अर्शी की बातों को सुना वैसे ही वह बोली, "क्या फर्क पड़ता है जिस को यहां से जाना था वह तो अब जा चुका है। अब यह लोग एक दूसरे के साथ बैठ कर बात करें या गुस्सा करें इस बात से हमारा कोई लेना देना नहीं है हमें जो करना था वह तो हमने कर दिया अब तुम बस अपनी शादी पर फोकस करो इन बेकार बातों पर फोकस करने की जरूरत नहीं है।"
अर्शी सुप्रिया जी की बातों पर सिर हिला कर बोली, "आपने बिल्कुल सही कहा मोम मुझे बेकार की बातों पर ज्यादा ध्यान देने की बिलकुल जरुरत नहीं है मुझे तो अपनी शादी पर फोकस करना चाहिए।"
इतना बोल कर दोनों एक दूसरे की तरफ देखते हुए बस मुस्कुराने लगे।
2 हफ्ते बाद
अर्शी और अश्विक की शादी बस दो दिनों में थी। सारी रस्में पहले से ही शुरू हो चुकी थी। अर्शी अपनी शादी से काफी ज्यादा खुश थी तभी अमूल्य सब लोगों की तरफ देखते हुए बोला, "क्यों ना हम शादी में किट्टू को भी बुलाए।"
अर्शी गुस्से में चिल्लाते हुए बोली, "बिल्कुल भी नहीं वह लड़की इस परिवार से सारे रिश्ते तोड़ कर गई है इसलिए अब उसका इस घर में दोबारा आना कभी नहीं हो सकता।"
अर्शी के ऐसे चिल्लाने की वजह से अचानक प्रतीक ने कहा, "तुम भी इस घर में सिर्फ दो दिनों के लिए ही हो दो दिन बाद तुम भी इस घर से जाने वाली हो वैसे भी शादी के बाद हर लड़की का घर ससुराल होता है तो उम्मीद करुंगा मायके में रहने के लिए बार बार नहीं आओगी।"
अर्शी विनीत को देख कर दांत पीसते हुए बोली, "आप फिक्र मत कीजिए मैं इस घर में सिर्फ अपनी मॉम से मिलने के लिए आऊंगी। क्योंकि इस घर में मेरी मॉम रहती है तो इसीलिए उनसे मिलने तो मैं आ ही सकती हूं।"
तभी अर्जुन अजीब सी स्माइल के साथ बोला, "अगर इतना ही प्यार है अपनी मॉम से तो दहेज में अपनी मॉम को भी साथ लेकर चली जाओ। और वैसे भी तुम्हारे बिना तो वह पूरी तरह से अकेली पड़ जाएगी। अभी तो वह तुम्हारे साथ मिल कर षड्यंत्र रचती है। तुम्हारे जाने के बाद वह अकेली क्या ही कर लेगी।"
अर्जुन की बातों को सुनते ही हर कोई अर्जुन को देखने लगा। लेकिन यश के चेहरे के एक्सप्रेशन को देख किसी ने भी यश से कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं की तभी अर्जुन का फोन बजने लगा जैसे ही यश ने अपने फोन पर किट्टू का नाम फ्लैश होते हुए देखा तो वह फोन अचानक स्पीकर पर डाल देता है
ये देख कर हर कोई हैरान था तभी फोन के तू उसी तरफ से आध्या बोली, "सॉरी भाई मैं आप का फोन उठा नहीं पाई वह काम में थोड़ी सी बिजी थी वैसे आपने मुझे फोन क्यों किया ?"
अर्जुन ने कहा, "बस ये जानने के लिए कि तुम दो दिन बाद फ्री हो या नहीं अगर फ्री हो तो मैं तुम्हें यहां पर लेकर आऊंगा अर्शी की शादी पर।"
अर्जुन की बातों को सुन कर आध्या थोड़ी देर के लिए अपने फोन को देखने लगी फिर आध्या ने कहा, "सॉरी भाई लेकिन दो दिन बाद में बिल्कुल भी फ्री नहीं हूं तो इसीलिए मैं नहीं आ सकती। और वैसे भी शादी पर आना तो मेरे लिए मना ही था।"
आध्या की बात सुनते ही अर्जुन कुछ बोलना चाहता था लेकिन तब तक आध्या अर्जुन का कॉल कट कर दिया ये देख कर यश थोड़ी सी टेंशन में आ चुका था उसे लग रहा था कि शायद आध्या किसी खतरे में है इसलिए वह उठ कर वहां से जाने लगा लेकिन तभी वहां पर साधना और अरनव आ गए।
उन्हें देखते ही यश ने जाने का प्लान कैंसिल कर दिया और उन के साथ बैठ कर बातें करने लगा।
वहीं दूसरी तरफ आध्या ने फोन इसलिए कट किया था क्योंकि केबिन के अंदर एकाक्ष और अभय आए थे। जैसे ही अभय ने देखा कि आध्या ने अचानक किसी का फोन कट कर दिया है
तो वह आध्या से बोला, "भाभी सा क्या आप को इस बात के लिए शर्म आती है कि भाई जी आपके हस्बैंड है।"
अभय की बात सुनते ही एकाक्ष अभय को देखने लगा तभी आध्या ने कहा, "पागल हो चुके हो क्या कैसी बातें कर रहे हो मुझे तुम्हारे भाई जी के मेरे हस्बैंड होने से शर्म क्यों आएगी मैं कॉल इससे कट किया है क्योंकि मैं नहीं चाहती फिलहाल हमारे रिश्ते के बारे में किसी को भी कुछ भी पता चले।"
"इसलिए नहीं कि मुझे इस रिश्ते के बारे में बताने से शर्म आती है बल्कि इसलिए क्योंकि फिलहाल सिचुएशन अच्छी नहीं है। इस वक्त हमारे रिश्ते के बारे में बताने का मतलब होगा कि हम अपने दुश्मनों को बता रहे हैं कि लो हमारी एक कमजोरी भी पैदा हो गई है।"
आध्या की बातों से एकाक्ष के होठों पर एक मुस्कुराहट आ गई तभी अभय ने कहा, "हां भाभी सा में समझ गया आप को मुझे और समझने की जरूरत नहीं है वैसे आप का काम खत्म हो गया है या नहीं आप को याद है ना हमें आज ही चित्तौड़गढ़ के लिए निकलना है।"
चित्तौड़गढ़ का नाम सुनते ही आध्या ने मुस्कुरा कर कहा, "हां मुझे याद है मुझे बस आधे घंटे का टाइम दे दो मैं तब तक अपना सारा काम खत्म कर देता हूं फिर हम साथ में चित्तौड़गढ़ के लिए निकलेंगे।"
इतना कह कर आध्या अपना काम खत्म करने लगी।
वहीं दूसरी तरफ चित्तौड़गढ़ के महल में अनुप्रिया जी जानकी जी दोनों ही आध्या के वापस लौटने की तैयारी कर रहे थे तभी उनके पास दीवान जी पहुंचे और उन्होंने कहा, "बड़ी रानी सा छोटी रानी सा हमने पता किया है चित्तौड़गढ़ की होने वाली हुकुम सा बहुत जल्द चित्तौड़गढ़ पहुंचने वाली है आप लोगों की तैयारी हो चुकी है तो आप लोग जाकर उनके स्वागत की तैयारी कर लीजिए।"
दीवान जी की बात सुनते ही जानकी जी बहुत ही ज्यादा खुश होते हुए बोली, "हां बस थोड़ा सही बचा है यहां पर थोड़ा सा खत्म करने के बाद हम स्वागत की तैयारी करने लग जाएंगे।"
दीवान जी वहां से चले गए दीवान जी के वहां से जाने के बाद अचानक जान कीजिए थोड़ी सी इमोशनल होने लगी जिसे देखते ही अनुप्रिया जी ने पूछा, "क्या हो गया है देवरानी सा आप अचानक इमोशनल क्यों हो गए ?"
तभी जानकी जी ने कहा, "भाभी सा आप तो जानते ही हैं 16 साल पहले जो कुछ भी हुआ उसके बाद से इस महल में जैसे हर किसी ने हंसना ही छोड़ दिया लेकिन जब से पता चला है कि इस चित्तौड़गढ़ की एक वारिस अभी भी जिंदा है तब से जैसे यह चित्तौड़गढ़ फिर से खिल उठा।"
तभी अनुप्रिया जी ने कहा, "सही कहा आपने देवरानी सा हमारी बच्ची जिंदा है यह बात सुनने के बाद ही जैसे हमारे जीने की एक नई उम्मीद हमें मिली। इस चित्तौड़गढ़ को जैसे एक नई रोशनी मिल गई। हमारी बच्ची 16 साल बाद अपने घर वापस लौट रही है ये याद करके ही हम बहुत ही ज्यादा खुश हो जाते हैं।"
अनुप्रिया जी की बात सुन कर जानकी जी थोड़ी सी उदास होने लगती है जब अनुप्रिया जी ने जानकी जी के चेहरे को देखा तो वह जान की जी के पास जाकर उनके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले, "देवरानी सा अब ये मत सोचिएगा की आध्या सिर्फ हमारी बेटी है। जितना हक हमारा आध्या के ऊपर है उतना ही आपका और देवर सा भी है। आप दोनों उनके छोटे बाबा सा और छोटी मां सा है। ये बात आप कभी भूलिएगा मत।"
अनुप्रिया जी की बात सुनते ही जानकी जी रोते हुए अनुप्रिया जी को गले लगा लेती है। इन दोनों की बातें और इन दोनों को थोड़ी ही दूर से आशुतोष जी और रघुवीर जी देख रहे थे।
तभी आशुतोष जी ने रघुवीर जी से कहा, "रघुवीर आप की भाभी सा ने बिल्कुल सही कहा। कितना हक हमारा आध्या के ऊपर है उतना ही आप का भी हक है। आप दोनों का हक आप दोनों से कभी कोई नहीं छीन सकता।"
आशुतोष जी की बात सुन कर रघुवीर जी भी बहुत ही ज्यादा इमोशनल हो चुके थे वह भी आशुतोष जी को गले लगने लगी तभी वहां पर दीवान जी पहुंचे लेकिन दोनों भाइयों को ऐसे देख कर उन्होंने कुछ नहीं कहा वह बस वहीं पर खामोश होकर खड़ी रहे
थोड़ी ही देर बाद जब दोनों एक दूसरे से अलग हुए तो दीवान जी ने कहा, "बड़ी राजा सा छोटे राजा सा चित्तौड़गढ़ की होने वाली हुकुम सा थोड़ी ही देर में यहां पहुंच जाएंगे आप दोनों को बाहर चलना चाहिए।"
दीवान जी की बात सुनते ही दोनों बाहर के तरफ निकल गए और आध्या के वहां पर आने का इंतजार करने लगे।
कुछ देर बाद आध्या चित्तौड़गढ़ पहुंच गई थी। चित्तौड़गढ़ के गीत पर एकाक्ष ने अपनी गाड़ी रोकी। जिसे देखकर आध्या एकाक्ष की तरफ देखने लगी।
तभी एकाक्ष ने कहा, "चित्तौड़गढ़ के गेट पर खड़े हैं हम इसके बाद से चित्तौड़गढ़ शुरू होगा। जो अब से पूरा चित्तौड़गढ़ तुम्हारा होने वाला है इस पूरे चित्तौड़गढ़ पर तुम हुकूमत करोगी।"
एकाक्ष की बात सुनते ही आध्या गाड़ी से बाहर निकली और चित्तौड़गढ़ के गेट को देखने लगी जो काफी बड़ा था।
गेट को देखने के बाद आध्या फिर से गाड़ी के अंदर बैठ गई फिर दोनों ही चित्तौड़गढ़ के अंदर इंटर कर जाते हैं।
थोड़ी ही देर में वह दोनों चित्तौड़गढ़ के महल के गेट के सामने रुकते हैं। महल के गेट को देखते ही आध्या को बचपन की हर एक बात याद आने लगती है।
वह बहुत ही ज्यादा इमोशनल हो चुकी थी उसे इमोशनल देख कर एकाक्ष ने कहा, "इस वक्त इमोशनल होने का नहीं है। अगर तुम इमोशनल होती रही तो फिर यहां के लोग यही समझेंगे कि उनका भविष्य एक ऐसी लड़की के हाथ में है जो खुद इतनी ज्यादा कमजोर है।"
एकाक्ष की बातों को सुनते ही आध्या एकाक्ष को देखने लगी आध्या जानती थी एकाक्ष जो कह रहा है बिल्कुल सही कह रहा है एकाक्ष भी आध्या के भाइयों को बहुत ज्यादा याद करता है।
लेकिन वह कभी भी दूसरों के सामने खुद को कमजोर नहीं दिखता इसीलिए शायद उसके सामने कोई भी कभी भी कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं करते।
वह चाहे अकेला कितनी भी ज्यादा कमजोर पर जाए लेकिन दूसरों को वह कभी भी अपनी कमजोरी नहीं दिखता।
इन्हीं सारी बातों को सोते हुए आध्या ने अपने आंसू को अपनी आंखों में ही छुपा लिया। फिर एकाक्ष गाड़ी दोबारा स्टार्ट करने लगा और वह महल के अंदर जाने लगा महल के अंदर जाते ही आध्या चारों तरफ देखने लगी।
अभी भी महल बिल्कुल वैसा ही था जैसा वह छोड़कर गई थी। थोड़ी ही देर में एकाक्ष ने गाड़ी रोक दिया फिर आध्या गाड़ी से बाहर निकाल कर जाने लगी जैसे ही वह गाड़ी से बाहर निकली उसने अपने सामने बहुत सारी नौकरानी हाथों में फूलों की थाली लिए खड़े हुए देखा।
जिसे देख कर उस की होठों पर बस एक छोटी सी मुस्कुराहट आ चुकी थी जैसे ही वह गाड़ी से उतरकर आगे बढ़कर गई वैसे ही सारी नौकरानियां उस के ऊपर फूलों की बरसात करने लगे।
थोड़ा आगे जाने के बाद आध्या की नजर आशुतोष जी और रघुवीर जी के ऊपर पड़ी उन दोनों को देखते ही वह दोनों के पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगी।
लेकिन जैसे ही वह पैर छूने के लिए नीचे झुकी वैसे ही आशुतोष जी ने आध्या को रोक दिया और रोकने के बाद कहा, "हमारे खानदान में हमारी बेटियां पर नहीं छुटी। बल्कि हमारे सीने से लगती है।"
इतना कह कर आशुतोष जी ने आध्या को अपने सीने से लगा लिया फिर वह रघुवीर जी के सीने से लग गई। तभी आध्या की नजर दीवान जी पर पड़ी दीवान जी को देखते ही वह मुस्कुरा कर दीवान जी को ग्रीट करने लगी।
फिर आध्या धीरे धीरे महल के अंदर जाने के लिए आगे बढ़ने लगी तभी उसे महल के दरवाजे पर ही रोक दिया गया जिसे देख कर वह समझ गई कि आगे क्या होने वाला है तभी महल के अंदर से अनुप्रिया जी और जान की जी बाहर निकाल कर आए वह भी हाथों में आरती की थाली लेकर।
आध्या का स्वागत काफी दमदार तरीके से किया गया था जिसे देख कर आध्या ना चाहते हुए भी रोने लगी।
लेकिन फिर उसने खुद को अच्छे से संभाल लिया। थोड़ी ही देर में अध्या महल के अंदर गई चित्तौड़गढ़ का महल बहुत बड़ा था।
पूरा महल घूमने के लिए शायद आध्या को पूरे 3 घंटे लग जाते। क्योंकि महल में पूरे 101 कमरे थे। जिन में से 35 रूम सर्वेंट के हैं।
एक रूम में तीन सर्वेंट रहते थे। जब आध्या पूरे महल को ध्यान से देख रही थी तभी जानकी जी ने कहा, "राजकुमारी सा आप के लिए इस महल का सबसे बड़ा रूम तैयार करवाया गया है। आप फिलहाल जाकर आराम कर लीजिए तब तक हम आपके लिए खाने की तैयारी करवाते हैं।"
इतना बोलकर जान कीजिए वहां से खान की तैयारी करने के लिए चले गए वहीं अनुप्रिया जी आध्या को अपने साथ कमरा दिखाने के लिए ले गई।
कमरे के अंदर जाते ही आध्या पूरे कमरे को ध्यान से देखने लगी। महल का सबसे बड़ा कमरा बहुत ही ज्यादा बड़ा था। जिस की सजावट बिल्कुल एक मॉडर्न रूम की तरह किया गया था।
बेडरूम के साथ एक बड़ी सी बालकनी एक बड़ा सा closet room और एक बड़ा सा bathroom attach था।
क्लोजेट रूम में आध्या की जरूरत की हर एक समान को रखा गया था। बाथरूम भी पूरे मॉडर्न तरीके से डिजाइन किया गया था।
रूम को देखने के बाद आध्या बालकनी को देखने के लिए गई जहां पर आध्या के बैठने के लिए सोफे का भी इंतजाम किया गया था और बालकनी में बहुत सारे खूबसूरत फूलों का पौधा भी लगाया गया था।
और साथ में एक झूले का भी इंतजाम करके रखा था क्योंकि आख्या को बचपन में झूले पर बैठ कर खाने की आदत थी। इसीलिए आध्या के लिए गार्डन एरिया में एक झूला बनवाया गया था जो अभी भी गार्डन एरिया में मौजूद है।
आध्या अपने पूरे रूम को देख कर अनुप्रिया जी से बोली, "मां सा ये रूम तो बिल्कुल वैसे सजाया गया है जैसा हमने बचपन में कहा था कि हमें बिल्कुल एक ऐसा रूम चाहिए।"
अनुप्रिया जी ने मुस्कुरा कर कहा, "क्योंकि इस कमरे को चित्तौड़गढ़ की होने वाली हुकुम सा के लिए सजाया गया है। वैसे यह कैमरा तुम्हारे छोटे बाबा सा और छोटी मां सा ने सजाया है।"
"जब तक यह पूरा कमरा तैयार नहीं हो गया तब तक वह दोनों हमें अंदर आने भी नहीं दे रहे थे जब पूरा कमरा तैयार हुआ तो हम खुद भी काफी ज्यादा हैरान थे कि बिल्कुल तुम्हारे पसंद के मुताबिक ये कमरा तैयार किया गया। वैसे अभी आप आराम कीजिए हम आपके खाने की तैयारी देख कर आते हैं।"
इतना बोलकर अनुप्रिया जी वहां से चली गई अनुप्रिया जी के वहां से जाने के बाद आध्या बेड पर बैठ गई फिर वह थोड़ी ही देर में फ्रेश होने के लिए वॉशरूम में चली गई।
फ्रेश होने के बाद वजह से ही अपने रूम में वापस आए तो वह अपने सामान को देख थोड़ी सी हैरान थी जो सामान वह अपने साथ लेकर आई थी।
वह सामान उस के कमरे में पहुंचा दिया गया था तभी उसने देखा कि कमरे के अंदर दो नौकरानी आ रही है और आध्या के लिए फ्रूट्स लेकर आई है जिसे देखते ही आज आध्या ने उन्हें वहां रखने के लिए कहा।
और वहां से जाने के लिए कहा कुछ देर बाद कमरे के अंदर एकाक्ष आया एकाक्ष को देखते ही आध्या ने पूछा, "आप अब तक कहां पर थे ?"
आध्या के सवाल को सुनते ही एकाक्ष ने कहा, "हम अपने रूम में थे।" आध्या थोड़ी सी कंफ्यूज होकर एकाक्ष को देखने लगी और फिर बोली, "क्यों क्या हम एक ही रूम में नहीं रहने वाले हैं ?"
आध्या के सवाल को सुनते ही एकाक्ष आध्या के सामने वाले सोफे पर बैठ गया और फिर बोला, "नहीं क्योंकि चित्तौड़गढ़ के लोगों को अभी भी हमारी शादी के बारे में पता नहीं है जब हम शादी के बारे में अनाउंस करेंगे तभी हम एक साथ यहां पर रहेंगे फिलहाल हम अलग अलग रहने वाले हैं।"
एकाक्ष की बातें आध्या को अच्छे से समझ में आ चुकी थी जिस वजह से उसने और कोई सवाल नहीं पूछा। फिर दोनों एक साथ नीचे लंच करने के लिए जाने लगे खाना खाने के बाद आध्या पूरे महल को देखने के लिए निकल पड़ी।
वहीं दूसरी तरफ मुंबई में,
अर्शी और अश्विक कि अगले ही दिन शादी थी अर्शी अपनी शादी से काफी ज्यादा खुश नजर आ रही थी। वही अनूप जी थोड़े से उदास थे। क्योंकि उनके बच्चों में से यह पहली शादी थी जिस शादी में उन के सारे बच्चे एक साथ नहीं थे।
अनूप जी को उदास देखते ही कपिल जी ने कहा, "फिक्र मत करो सब कुछ पहले जैसा ही हो जाएगा बस किट्टू को थोड़ा सा वक्त दो।"
अनूप जी कपिल जी की बातों का जवाब देते हुए बोले, "हमें नहीं लगता कि आप सब कुछ कभी ठीक होगा। क्योंकि हमारी बेटी तो हमसे बहुत दूर चली गई है। जो शायद कभी वापस लौट कर ही नहीं आएगी।"
अनूप जी की बातों को सुन कपिल जी कुछ बोलना तो चाहते थे लेकिन तभी उन्होंने देखा कि सुप्रिया जी वहीं पर आ रहे हैं इसलिए वह और आगे कुछ नहीं बोले।
वही अगली सुबह
शादी मित्तल मेंशन में ही होने वाली थी। शादी की सब लोग सुबह से तैयारी कर रहे थे। वही शादी की मुहूर्त शाम को निकली थी।
सुबह सुबह प्रतीक आध्या को काफी टाइम से कॉल कर रहा था लेकिन उसने कॉल का कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि वह अपना फोन रूम में ही छोड़ कर बाहर सबके साथ बैठ कर नाश्ता कर रही थी।
वही चित्तौड़गढ़ में,,
आज आध्या का रुद्राभिषेक था जिस की तैयारी सब लोग सुबह से कर रहे थे। भैया आध्या भी सब लोगों को तैयारी करते हुए देख रहे थे।
तभी वहां पर अभय वंश और श्रावणी पहुंचे उन तीनों को देखते ही आध्या और भी ज्यादा खुश हो गई।
रुद्राभिषेक से पहले आध्या को हल्दी कुमकुम और दूध से नहलाने वाले थे जिस वजह से आध्या ने एक सफेद कलर का लहंगा पहना था और वह बाहर सब लोगों के सामने आई जिसे देखते ही हर कोई एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे।
फिर पहली रस्म निभाने के बाद आध्या नहाने के लिए चली गई फिर नहा कर आने के बाद उसे बहुत सारी नौकरानी अगली रस्म पूरी करने के लिए तैयार करने लगे।
थोड़ी ही देर बाद आध्या को पूरे चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा घोषित कर दिया गया। राजवंश परिवार की एक परंपरा थी जो पूर्वजों की तलवार अगले हुकुम सा को दिया जाता था और तलवार देने के साथ ही वह पूरे चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा बन जाती थी।
आशुतोष जी तलवार लेकर आए और वह आध्या को तलवार देने ही वाले थे कि तभी अचानक बीच में से एक आदमी चिल्ला कर बोला, "अगर एक लड़की पूरे चित्तौड़गढ़ को संभालने लगी तो फिर हमारा भविष्य तो वैसे ही खतरे में पढ़ने वाला है।"
आदमी की बात सुनते ही हर कोई आदमी के तरफ देखने लगा वह आदमी चित्तौड़गढ़ के प्रजा में से एक था। जिस के उकसाने की वजह से चित्तौड़गढ़ के सारे लोग भी यही बोलने वालों की एक लड़की चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा बनने के काबिल नहीं है।
जिसे सुन कर आशुतोष जी और बाकी सब लोग काफी ज्यादा हैरान थे क्योंकि उन्होंने सोचा नहीं था कि कोई आध्या के हुकुम सा बनने से रोकने की कोशिश करेंगे।
तभी आध्या को भी कुछ गड़बड़ का एहसास हुआ जो आदमी आधा के खिलाफ जा रहा था उसे किसी और ने आख्या के खिलाफ जाने के लिए कहा था।
वही चित्तौड़गढ़ में एक और परिवार था जो चित्तौड़गढ़ पर हुकूमत करना चाहता था लेकिन आज तक वह कभी भी चित्तौड़गढ़ पर हुकूमत नहीं कर पाया।
काफी साल पहले आशुतोष जी ने उन की असलियत चित्तौड़गढ़ के लोगों के सामने दिखाया था जिसके बाद से उन्हें चित्तौड़गढ़ से बाहर निकाल दिया गया।
लेकिन अभी भी वह लोग चित्तौड़गढ़ पर हुकूमत करना चाहते थे इसलिए वह आध्या को हुकुम सा बनने से रोकने की कोशिश करने लगे।
लेकिन तभी आध्या सब लोगों की तरफ देखते हुए बोली, "आप लोगों का कहना है कि हम हुकुम सा बनने के काबिल नहीं है तो फिर आप बताइए हमेशा क्या करें जिससे हमारी काबिलियत साबित हो।"
तभी वही आदमी वापस से बोला, "1 साल पहले चित्तौड़गढ़ की कई लड़कियां अचानक गायब हो गई थी अगर तुम सच में हमारी हुकुम सा बनने के काबिल हो तो फिर और लड़कियों को वापस लेकर आओ और चित्तौड़गढ़ के उन परिवारों को उनकी बेटी वापस लौटाओ।"
आदमी की बात सुनते ही आध्या थोड़ी सी हैरान तो थी लेकिन उसने ज्यादा कुछ खास रिएक्ट नहीं किया।
वही चित्तौड़गढ़ के सारे लोग भी आदमी की बात से हैरान थे क्योंकि किसी ने सोचा नहीं था कि आदमी कुछ ऐसा करने के लिए कह सकता है तभी आध्या आदमी के बिल्कुल सामने जाकर खड़ी हो गई।
और खड़ी होने के बाद वह बोली, "अगर हम उन लड़कियों को वापस लेकर आए तो फिर क्या तुम तब मानोगे की हम चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा बनने के काबिल हैं हम चित्तौड़गढ़ को पूरी जिम्मेदारी के साथ संभालेंगे मानोगे ?"
आध्या की बातों से आदमी थोड़ा सा घबराने लगा लेकिन उसने हमें सिर हिलाया फिर आध्या वापस अपनी जगह पर जाकर खड़ी हुई और पूरे प्रजा के सामने बोली, "चित्तौड़गढ़ की जितनी भी लड़कियां आज तक गायब हुई है उन सारी लड़कियों को हम कल तक वापस लेकर आएंगे और अगर हम कल तक वापस लेकर नहीं आए तो हम खुद चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा नहीं बनेंगे।"
"लेकिन अगर हम लड़कियों को वापस लेकर आ गए तो जितने भी लोग हमारे खिलाफ जाने के बारे में सोच रहे हैं वह सब लोग हमारे सामने झुक कर हमसे माफ़ी मांगेंगे। और पूरे चित्तौड़गढ़ के सामने बताएंगे कि वह किसके कहने पर हमें हुकुम सा बनने से रोक रहे थे।"
आध्या की बातों से वह आदमी और भी ज्यादा घबराने लगा उसे आदमी के साथ कुछ और लोग भी थे जो लोग आध्या की बातों से काफी ज्यादा डर चुके थे।
फिर आध्या तलवार लिए बगैर ही वहां से अचानक चली गई जिसे देख कर आशुतोष जी को समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें आगे क्या करना चाहिए।
महल के अंदर सब लोग परेशान होकर बैठे हुए थे तभी आजा उन सबको देखते हुए बोली, "क्या हुआ आप सबको इतनी परेशान क्यों है क्या आप सबको हम पर भरोसा नहीं है ?"
तभी रघुवीर जी ने कहा, "ऐसी बात नहीं है हुकुम सा।" रघुवीर जी आगे कुछ बोलते इससे पहले ही आध्या ने कहा, "छोटे बाबा सा हम अभी भी हुकुम सा बने नहीं है जब बनेंगे आप हमें हुकुम सा का कर बुला सकते हैं लेकिन अभी के लिए हमें हुकुम सा मत कहिए।"
इतना बोलकर आदित्य वहां से निकल गई आध्या को इतनी कॉन्फिडेंस के साथ जाता हुआ देख किसी को समझ नहीं आया कि उन्हें क्या करना चाहिए। इसलिए वह बस खामोशी से वहीं पर बैठे हुए थे।
वहीं दूसरी तरफ अश्विक और अर्शी की शादी हो रही थी और से इस शादी से काफी ज्यादा खुश थी लेकिन अश्विक को समझ नहीं आ रहा था कि उसे इस शादी से खुश होना चाहिए या उदास।
क्योंकि उस के दिमाग में क्या चल रहा था उसे खुद ही नहीं पता चल रहा था तभी अर्णव ने अश्विक से पूछा, "क्या हो गया है तुम्हें क्या तुम इस शादी से खुश नहीं हो जो तुम इस तरह से बिहेव कर रहे हो ?"
अश्विक ने जब अर्णव के सवाल को सुना वह अजीब से एक्सप्रेशन के साथ बोला, "क्या इस परिवार में किसी को मेरी खुशी से कोई मतलब है। क्योंकि मुझे तो नहीं लगता कि किसी को मेरी खुशी से मतलब है अगर होता तो मेरी शादी उसे लड़की से करवाता जिस लड़की को मैं कितने वक्त से पसंद करता था।"
अश्विक की बातों को सुन कर अर्णव पूरी तरह से स्पीचलेस हो चुका था उस के मुंह से कोई शब्द ही नहीं निकल रहे थे।
लेकिन वह एक बात जरूर जान चुका था जो शादी अभी हो रही है वह आगे जाकर बहुत जल्द टूट जाएगी। क्योंकि अश्विक एक ऐसा लड़का था।
जो कभी भी किसी को भी इतनी जल्दी अपने दिल में जगह नहीं देता था और जिसे उसने अपने दिल में जगह देकर रखा था।
वह उसे कभी इतनी आसानी से नहीं भूल सकता था लेकिन अश्विक अपनी बातों को थोड़ा साइड करके अरनव से पूछने लगा, "मित्तल फैमिली की सारे परिवार यहां पर मौजूद है लेकिन किट्टू कहां पर है क्या वह मेरी शादी पर नहीं आने वाली है ?"
तभी अर्शी जो अश्विक के पास बैठने के लिए आई थी वह बोली, "उसने मित्तल फैमिली छोड़ दिया अब वह मित्तल फैमिली की बेटी नहीं रही इसलिए तुम भी उसके बारे में ज्यादा सोचना बंद कर दो।"
अश्विक हैरानी से अर्शी को देखने लगा उसने कभी सोचा नहीं था कि मित्तल फैमिली में यह सारी चीज चल रही होगी क्योंकि जब आध्या घर छोड़ कर गई थी उसे वक्त अश्विक शहर में मौजूद नहीं था।
लेकिन फिलहाल उसने कुछ ज्यादा खास रिएक्ट नहीं किया लेकिन अरनव जानता था अश्विक अंदर से काफी ज्यादा परेशान है अपने असिस्टेंट को इशारा किया जिस का इशारा असिस्टेंट अच्छे से समझ चुका था अश्विक ने असिस्टेंट को आध्या को ढूंढने के लिए कहा था।
कुछ ही देर में दोनों की शादी हो गई शादी के बाद अर्शी काफी ज्यादा खुश थी। थोड़ी ही देर में उस की विदाई होने वाली थी।
उस की विदाई की वजह से सुप्रिया जी काफी ज्यादा रोने लगी जिसे देख कर मिहिर, अर्जुन और विनीत तीनों ही मुंह बनाने लगे।
वह तीनों तो इस बात से काफी ज्यादा खुश थे कि अब क्लेश करने वाली एक तो घर से बाहर निकाल कर जा रही है। अर्शी की विदाई करने के बाद विनीत और बाकी सब लोग घर में आराम से सोफे पर बैठे हुए थे।
तभी अचानक विनीत को याद आया और वह सब लोगों की तरफ देखते हुए पूछने लगा, "अब तो शादी भी हो चुकी है क्यों ना हम किट्टू को वापस घर लेकर आए।"
तभी मोहित जी बोले, "बेटा बिल्कुल तुमने सही कहा तुम जाओ जाकर किट्टू को वापस लेकर आओ।"
सुप्रिया जी जो उन की बातें सुन रही थी वह सब लोगों को रोकना तो चाहती थी लेकिन वह जानती थी अगर उन्होंने अब किसी से भी कुछ भी कहा तो फिर उन्हें भी इस घर से दफा कर दिया जाएगा।
इसलिए वह बिना कुछ कहे ही अपने रूम के तरफ चली गई जिसे देख कर हर कोई एक दूसरे के तरफ कंफ्यूज होकर देखने लगे तभी यश ने कहा, "हमारी प्यारी चुड़ैल बुआ ने कुछ कहा क्यों नहीं कहीं इन का दिमाग ठिकाने पर तो नहीं आ गया था।"
अर्जुन की बात सुनते ही हर कोई यश को देखने लगा वही सुप्रिया जी ने भी यश की बात सुन लिया था लेकिन उन्होंने कुछ भी रिएक्ट नहीं किया बल्कि वह जाते हुए अपने मन में बोले, "कोई नहीं बेटा अभी तक तुम्हें चुडैल बनी नहीं लेकिन बहुत जल्द तुम सबको मैं दिखाऊंगी कि तुम्हारी ये चुड़ैल हुआ क्या कर सकती है। आने दो किट्टू को इस घर में उस का जीना दुश्वार नहीं कर दिया तुम मेरा नाम भी सुप्रिया मित्तल नहीं।"
कितना बोल कर वह अपने रूम में चली गई विनीत काफी टाइम से आध्या को कॉल कर रहा था लेकिन उस का फोन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था जिस वजह से प्रतीक बहुत ही ज्यादा परेशान होने लगा।
उसे लगा शायद उस की किट्टू किसी मुसीबत में होगी इसीलिए वह अपने असिस्टेंट को आध्या के बारे में पता लगाने के लिए बोलता है फिर सब लोग आराम करने के लिए चले जाते हैं।
वहीं दूसरी तरफ
आध्या अपने एक सीक्रेट प्लेस पर बैठी हुई थी वहां पर उस के साथ ऋषि और अद्वैत भी मौजूद था वह दोनों हिरनी से आध्या को देखे जा रहा था।
तभी ऋषि ने पूछा, "किट्टू तुझे पता भी है तू क्या कह रही है हमारे लिए एक रात में सारी लड़कियों को ढूंढना कैसे मुमकिन हो सकता है।"
ऋषि की बातों पर अद्वैत भी एग्री करने लगा लेकिन तभी वहां पर कोई आया जिसे देखते ही आध्या उसे इंसान को देखने लगी।
उसे इंसान के चेहरे पर कोई भाव नहीं था लेकिन उसे देखते ही कोई भी डर जाएगा क्योंकि वह इंसान देखने में ही काफी ज्यादा खतरनाक लग रहा था उसके साथ एक और आदमी था वह था शमशेर
शमशेर भी अपने सामने खड़े आदमी को देख काफी ज्यादा हैरान था और वह अचानक बोला, "भैरवा"
भैरवा शब्द को सुनते ही ऋषि और अद्वैत दोनों अचानक खड़े हो गए तभी भैरवा आध्या के सामने झुका और वह बोला, "हुकुम आपके कहने के मुताबिक हमने लड़कियों को तलाश कर लिया है। बहुत जल्द सारी लड़कियां आपके सामने होगी। और उन लड़कियों को चित्तौड़गढ़ से बाहर निकाल कर किसने बेचने की कोशिश की वह सारे सबूत भी हमें मिल चुके हैं हम आपके लिए सारे सबूत लेकर आए हैं आप एक बार देख लीजिए।"
आध्या भैरवा को एक नजर देखने लगी और देखने के बाद वह एक इविल स्माइल देने लगी फिर उसने सारे सबूत ले लिए।
सुबह तक सारी लड़कियां वहां पर पहुंच चुकी थी सारी लड़कियों को देख कर अद्वैत ने कहा, "इतनी सारी लड़कियां मतलब चित्तौड़गढ़ से इतनी सारी लड़कियां गायब हो रही है और चित्तौड़गढ़ के लोग कर क्या रहे हैं।"
तभी आध्या ने कहा, "चित्तौड़गढ़ की अब तक कोई हुकुम नहीं था इसलिए चित्तौड़गढ़ की लोग किसी अनाथ की तरह जिंदगी बिता रहे थे। क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था अपनी परेशानी के बारे में वह किसे कहेंगे लेकिन आज से चित्तौड़गढ़ की एक नई हुकुम सा होगी जो अपने चित्तौड़गढ़ के लोगों की हिफाजत करने के लिए किसी भी हद तक जाएगी।"
इतना बोल कर आध्या उन सारी लड़कियों को देखने लगी लेकिन तभी आध्या को एहसास हुआ कि उन सारी लड़कियों में से एक लड़की बहुत ही ज्यादा रो रही है।
जिसे देखते ही वह लड़की के पास गई और पूछने लगी, "क्या हुआ तुम्हें तुम इतनी ज्यादा रो क्यों रही हो अब तो तुम अपने घर जाने वाली हो फिर तुम इस तरह से क्यों रो रही हो ?"
तभी वह लड़की आंखों में आंसू लिए बोली, "आपने तो हम सबको आजाद करवा दिया लेकिन हमें जहां से आजाद किया गया वहां हमारे जैसे ही कितनी और लड़कियां थी वह लोग भी बस एक उम्मीद के किरण आने की इंतजार में थे। अगर आप उन्हें बचा सकते हैं तो उन्हें बचा लीजिए। वहां कोई जी नहीं सकता।"
लड़की की बात सुनते ही आध्या भैरवा को देखने लगी तभी भैरवा कहा, "हुकुम आपने हमें बस चित्तौड़गढ़ की लड़कियों को लाने के लिए कहा था इसलिए हम उन्हें ही वापस लेकर आए लेकिन ये लड़की सही कह रही है वहां पर और भी लड़कियां है।"
भैरवा की बात सुनते ही आध्या ने कहा, "ठीक है तुम इन्हें चित्तौड़गढ़ वापस ले जाओ उन लड़कियों को बचाने के लिए हम खुद जाएंगे।"
आध्या की बात सुनते ही भैरवा बहुत ही ज्यादा परेशान होने लगा और वह फिर बोला, "लेकिन हुकम हम आपको ऐसे नहीं छोड़ सकते आप को ऐसे छोड़ने का मतलब होगा कि हम अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से पूरी नहीं कर पा रहे। हमारी बात मानी है हम भी आप के साथ चलते हैं और यही बात लड़कियों की तो अभी के लिए यह लड़कियां आप की इसी सीक्रेट प्लेस पर रहेगी यहां पर इन्हें कोई खतरा नहीं होगा उनके लिए सारा इंतजाम शमशेर कर देगा।"
आध्या ने सिर हिला कर हां कहा तो शमशेर ने लड़कियों के लिए सब चीजों का इंतजाम कर दिया वही आध्या अपने पूरे टीम को लेकर वहां से निकल गई।
आध्या बाकी की सारी लड़कियों को बचाने के लिए वहां चली गई जहां उसे नहीं जाना चाहिए था इधर चित्तौड़गढ़ में सब लोग आध्या के वापस आने का इंतजार कर रहे थे।
सब लोगों को लगा शायद आधे अब वापस नहीं आएगी वह आदमी जिसने आध्या को लड़कियों को वापस लाने के लिए कहा था वह आदमी काफी ज्यादा खुश हो रहा था।
वही आध्या एक गोदाम के पास पहुंची जहां पर बाकी सारी लड़कियां थी। आध्या को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी जगह पर लड़कियों को कोई कैसे रख सकता है।
लेकिन उसके पास फिलहाल ज्यादा कुछ सोचने का वक्त नहीं था वह अंदर जाने लगी अंदर काफी आराम से जा रही थी तभी उसने देखा कि वहां पर बहुत सारे आदमी पहरा दे रहे हैं इसलिए वह अपने पॉकेट से गन निकलने लगी।
गन को आगे पॉइंट करते हुए वह आगे बढ़ कर जाने लगी उस के साथ अद्वैत और ऋषि भी मौजूद थे।
ऋषि ने अचानक दोनों से कहा, "मुझे एक बात अभी भी समझ नहीं आ रहा कि हमारा ये कहना जरूरी है ?"
ऋषि के सवाल को सुनते ही अद्वैत ने कहा, "एक बात बता ऋषि अगर इन सारी लड़कियों में एक तेरी बहन होती तो क्या तब भी तो ऐसे ही बोलना कि ये करना हमारे लिए जरूरी है।"
ऋषि अद्वैत को देखने लगी ऋषि के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं था क्योंकि अद्वैत भी जानता था ऋषि का मुंह किस तरह से बंद करना है तभी वह तीनों आगे बढ़ कर जाने लगे आध्या धीरे धीरे लड़कियों के पास पहुंच रही थी।
जैसे ही आध्या लड़कियों के सामने जाकर खड़ी हुई लड़कियां काफी ज्यादा डरने लगी जिसे देखते ही आध्या ने कहा, "प्लीज तुम में से कोई चिल्लाना मत। मैं यहां पर तुम में से किसी को भी नुकसान पहचाने नहीं आई है मैं बस तुम सबको यहां से बचने के लिए आई हूं उम्मीद करुंगा कि तुम लोग मेरा साथ दोगे।"
तभी उन लड़कियों में से एक छोटी सी बच्ची जिस की उम्र करीबन 10 साल होगी वह बच्ची आगे जाकर आध्या से बोली, "दीदी क्या आप वही है जिन्होंने यहां पर रहने वाली बहुत सारी दीदी ओ की जान बचाई और उन्हें यहां से लेकर गए ?"
बच्ची के मासूम से चेहरे को देख कर आध्या का दिल बुरी तरह से दिखने लगा। वह नीचे झुक कर बच्ची से बोली, "हां बेटा मैं वही दीदी हूं जो यहां पर आने वाली बाकी दीदी को बचाकर लेकर गए थे और अब मैं आप सबको बचाने के लिए आई हूं।"
तभी उनमें से एक और लड़की बाहर आई जिसकी उम्र लगभग 16 साल होगी और वह लड़की बोली, "दीदी आप हमें बचा कर लेकर तो जाएंगे लेकिन हमारे पास तो जाने के लिए कोई जगह ही नहीं है हम सब में से बहुत सारी लड़कियां अनाथ है और कुछ लड़कियों को उन्हीं के परिवारों ने बेच दिया बस कुछ पैसों के लिए तो यहां से जाने के बाद हम कहां जाएंगे।"
16 साल की बच्ची की बातों को सुनते ही आध्या सब लोगों को ध्यान से देखने लगी और देखने के बाद वह बोली, "फिक्र मत करो जिन के पास परिवार नहीं जो अनाथ है और जो अपने परिवार के पास नहीं जाना चाहते उन लोगों के रहने का इंतजाम में खुद कर दूंगी। आज के बाद से उन सारी लड़कियों की जिम्मेदारी मेरी होगी।"
आध्या की बातों से वह सारी लड़कियां काफी ज्यादा खुश हो गई तभी आध्या की नज़रें 10 साल की बच्ची के शरीर पर गया जिसे देखते ही उसे समझने में देर नहीं लगी की बच्ची के साथ अब तक क्या हो रहा था।
ये देख कर उसे काफी ज्यादा गुस्सा आया और वह लड़कियों को वहां से ले जाने के साथ साथ वहां की पूरी जगह को बर्बाद करने लगी और जितने भी लोग वहां पर थे उन सबको जान से मार दिया।
जिसे मरने के बाद आध्या सारी लड़कियों को वहां से लेकर फौरन ही निकल गई और पूरे जगह को ब्लास्ट कर दिया।
वहीं दूसरी तरफ चित्तौड़गढ़ के सारे लोग काफी ज्यादा परेशान लग रहे थे वह सब लोग उसी आदमी को घूरते हुए देख रहे थे जिस आदमी की वजह से उनके नई हुकुम सा अब तक वहां पर नहीं पहुंची थी।
तभी उस आदमी ने जब सारे लोगों के चेहरे के भाग को देखा तो वह सब लोगों से बोला, "अरे हमने तो सब लोगों की भलाई के लिए ही हुकुम शाह को वह सब करने के लिए कहा था लेकिन तुम सब तो हमें ऐसे देख रहे हो जैसे हमने हुकुम सा के साथ गलत ही कर दिया हो।"
आदमी ने इतना कहा ही था कि तभी दूसरी तरफ से एक आवाज आई, "चलो तुमने मन तो लिया कि हम चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा है।"
जैसे ही सब लोगों ने आवाज सुनी वैसे ही सब लोग आवाज के और देखने लगे और जैसे ही सब लोगों ने आध्या को वापस आते हुए देखा तो सब लोगों के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ चुकी थी।
जिन परिवारों की बेटी अब तक गायब थी वह परिवार भी मुस्कुरा रहे थे क्योंकि उन्हें इस बात की उम्मीद थी की हुकुम सा उनकी बेटियों को वापस लेकर आएंगे।
लेकिन जब सब लोगों ने देखा की हुकुम सा बस अपने कुछ आदमियों के साथ ही वापस आ रहे हैं तो मानो जैसे उन की उम्मीद ही खत्म हो चुकी थी।
तभी आध्या सब लोगों के सामने आए और आदमी के तरफ देखते हुए बोली, "वैसे तुम बोलो किस तरह से तुम हमारे सामने झुकने वाले हो।"
इतना कह कर आध्या एक इविल स्माइल देने लगी आध्या की स्माइल को देख आदमी थोड़े से हैरान थे वही अद्वैत और ऋषि दोनों चित्तौड़गढ़ को देख कर ही ज्यादा हैरान थे उन दोनों को अभी भी कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वहां पर हो क्या रहा था।
तभी वह आदमी अचानक बोला, "आप शायद भूल रहे हैं आप को लड़कियां वापस लानी है लेकिन आप के साथ तो एक भी लड़की दिखाई नहीं दे रही है।"
आदमी की बातों को सुनते ही आध्या आदमी के तरफ एक अजीब से एक्सप्रेशन के साथ देखने लगी। जिसे देखकर वह आदमी एक पल के लिए घबराने लगा।
लेकिन तभी आध्या आदमी की तरफ देखने लगी और देखने के बाद वह अचानक आदमी से बोली, "वैसे तुमने कभी सोचा है तुम्हारी एक 10 साल की बेटी है अगर कोई उसे उठाकर लेकर चले जाए तो तुम्हारा क्या हाल होगा।"
आध्या की बात सब लोगों ने सुनी सब लोग आध्या की बातों से हैरान थे वही रघुवीर जी आशुतोष जी से बोले, "भाई सा हुकुम सा क्या बोल रही है उन्हें अंदाजा भी है वह क्या बोल रही है मगर इस बात से चित्तौड़गढ़ के लोग पूरी तरह से उनके खिलाफ हो गए तो फिर क्या होगा।"
लेकिन आशुतोष जी को अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था उन्हें पता था कि उन की बेटी ऐसा कुछ नहीं करेगी जिस वजह से चित्तौड़गढ़ के लोगों की नजरों में वह हमेशा के लिए गिर जाए।
लेकिन तभी उन सब ने आध्या को फिर से कुछ बोलते हुए सुना, "क्या हुआ घबराहट हो रही है लेकिन मैं तो बस वही बोल रही हूं जो आज होने वाला था। अगर हमने सही वक्त पर नहीं देखा होता तो आज तुम्हारी बेटी को कोई किडनैप कर लेता।"
इतना बोलते ही वह शमशेर को देखने लगी वही शमशेर अपने पीछे से एक 10 साल की बच्ची को सबके सामने लाते हुए बोला, "इस बच्ची को कोई किडनैप कर रहा था तभी हुकुम सा की नजर इस बच्ची के ऊपर पड़ी इसके बाद उन्होंने अपनी जान पर खेल कर इस बच्ची की जान बचाई।"
वह आदमी जिसका नाम सूरज था वह अचानक बोला, "ये तो मेरी बेटी हैं।" इतना बोल कर वह अपनी बेटी के तरफ दौड़ने लगा सूरज की बेटी काफी ज्यादा घबरा चुकी थी।
जिस वजह से वह बहुत ही ज्यादा रो रही थी सूरज ने अपनी बेटी को गोद में उठा लिया और फिर वह आध्या के सामने जाकर बोले, "मारी बेटी की जान बचाने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। हमने जो कल आपके साथ किया था वह हमारी मजबूरी थी। हमें माफ कर दीजिए हम आगे से कभी भी आप की काबिलियत पर शक करने की कोशिश नहीं करेंगे।"
सूरज की बातों को सुनते ही आध्या सूरज के तरफ देख कर बोली, "सच कहूं तो हमें तुम्हें थैंक यू बोलना चाहिए अगर तुमने हमारी काबिलियत पर शक नहीं किया होता तो हम इतनी सारी लड़कियों की जान नहीं बचा पाते।"
सूरज को आध्या की बात समझ में आ चुकी थी लेकिन वह कुछ बोल नहीं रहा था तभी आध्या दूसरी तरफ इशारा करने लगी। वहीं पर भैरवा सारी लड़कियों को लेकर खड़ा था।
जितनी भी लड़की चित्तौड़गढ़ से थी वह सारी लड़कियां चित्तौड़गढ़ के अपने परिवारों के पास दौड़ते हुए गई और अपने परिवारों से मिलकर वह लड़कियां काफी ज्यादा खुश थी।
लेकिन बाकी लड़कियां बस खड़ी थी जिसे देखते ही आशुतोष जी ने पूछा, "ये सारी लड़कियां कौन है ?"
तभी आध्या ने जवाब देते हुए कहा, "ये सारी लड़कियां चित्तौड़गढ़ से नहीं है ये बाकी सारी लड़कियां है जो चित्तौड़गढ़ की लड़कियों के साथ थी। जिन के परिवार थे उन्हें परिवार तक पहुंचा दिया गया लेकिन जो अपने परिवार के पास नहीं जाना चाहती और जो अनाथ है उन सब को मैं यहां पर लेकर आई हूं मैंने सोचा है कि यहीं पर एक अनाथ आश्रम खोलो और वहीं पर इन सबको रखो मैं इन सब की जिम्मेदारी ली है।"
आध्या की बातों से आशुतोष जी काफी ज्यादा खुश हो गए फिर अचानक दीवान जी ने कहा, "अब जब हमारी हुकुम सर ने अपनी काबिलियत को साबित कर दिया है तो फिर आखरी रस्म पूरी की जाए इसके बाद वह चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा बन जाएगी।"
दीवान जी की बात सुनते ही सब लोग हां में जवाब देने लगे फिर आशुतोष जी तलवार लेकर आए और तलवार को आध्या के हाथ पर देते हुए बोले, "ये सिर्फ एक तलवार नहीं है हुकुम सा यह चित्तौड़गढ़ की एक ऐसी प्रथा है जो सालों से चलती आ रही है और आगे भी चलती जाएगी। आप के बाद ये तलवार आप के बच्चों को मिलेगा। हम बस एक ही चीज की उम्मीद करेंगे की आप अपनी जिम्मेदारी अच्छे से पूरी करेंगे।"
आशुतोष जी की बात सुन कर आध्या काफी ज्यादा खुश हो गई और वह तलवार लेकर सब लोगों की तरफ देखने लगी सब लोग खुशियों से ताली बजा रहे थे।
कुछ देर बाद सब लोग महल के हॉल में बैठे हुए थे। जब सब लोग एक साथ बैठे हुए थे तभी आशुतोष जी और रघुवीर जी दोनों एक दूसरे से कोई इंपॉर्टेंट बात कर रहे थे।
और एक दूसरे से बात करने के बाद दोनों एक दूसरे के तरफ देखने लगे और फिर सब लोगों की तरफ देखते हुए आशुतोष जी ने कहा, "रघुवीर और हमने एक फैसला लिया है हम उम्मीद करेंगे की हुकुम सा आप हमारे इस फैसले से इनकार नहीं करेंगे।"
आध्या आशुतोष जी को देखने लगी और देखने के बाद वह बोली, "ऐसा कौन सा फैसला है बाबा सा जो आपको लगता है कि हम आपके फैसले के खिलाफ जा सकते हैं।"
अचानक रघुवीर जी ने कहा, "अब आप पूरे चित्तौड़गढ़ के हुकुम सावन चुके हैं अब सब कुछ सिर्फ आप का है। राजवंश परिवार की जितनी भी जायदाद है वह सब आप का नाम पर पहले ही कर दिया गया है। आप राजवंश अंपायर की प्रेसिडेंट भी बन चुकी है। लेकिन अब।"
इसके आगे रघुवीर जी बोलने से पहले आशुतोष जी को देखने लगे तभी आगे आशुतोष जी ने कहा, "लेकिन अब हमने फैसला लिया है की आपसे आप राजवंश अंपायर की चेयर वूमेन भी है। आप प्रेसिडेंट और चेयर वूमेन दोनों पोजीशन एक साथ संभालेंगे। और चित्तौड़गढ़ की जितनी भी प्रॉपर्टी अब तक आप का नाम पर नहीं हुई है वह सारी प्रॉपर्टी हम आप के नाम पर कर देंगे।"
सारी बातें सुनने के बाद आध्या थोड़ी सी परेशान होकर आशुतोष जी को देखने लगी। फिर आध्या ने कहा, "लेकिन हम तो पहले से ही राजवंश अंपायर की प्रेसिडेंट है और अब चेयर वुमन बनना जरूरी है। चेयर वूमेन की पावर पहले से हमारे पास है।"
इसके आगे आध्या कुछ बोल पाती तभी रघुवीर जी ने कहा, "हां हुकुम सा जरूरी है इतने सालों तक भाई सा और हमने ही सब कुछ संभाल है अब हम दोनों चाहते हैं कि हमारी जिम्मेदारियां हमारे बच्चे संभाले। इस विरासत की आप एक अकेली उत्तराधिकारी है तो सब कुछ आप को ही संभालना होगा। इस विरासत को हम दो भाइयों ने काफी अच्छे से संभाला लेकिन अब आप की बारी है।"
आध्या फिर कुछ सोचते हुए बोली, "अगर आप दोनों का यही फैसला है कि हम इस पूरे विरासत को संभाले तो फिर ठीक है हम तैयार हैं आप दोनों का जो भी फैसला है हमें वह फैसला मंजूर है।"
आध्या की मंजूरी सुनने के बाद रघुवीर जी और आशुतोष जी दोनों ही काफी ज्यादा खुश हो गए वहीं जानकी जी और अनुप्रिया जी थोड़ी सी टेंशन में लग रही थी जिसे देखते ही आशुतोष जी ने पूछा, "क्या हो गया है दोनों रानी सा परेशान क्यों है ?"
तभी जानकी जी ने कहा, "बड़े राजा सा आप दोनों भाइयों रे मिलकर इस विरासत को संभाला था लेकिन आप दोनों ने हुकुम सा के ऊपर इतनी जल्दी सारी जिम्मेदारी दे दी। वह पूरे विरासत को अकेले संभालेगी यह सोच कर ही हमें डर लगने लगा है। पूरी विरासत को अकेले संभालना इतना आसान नहीं है।"
इसके आगे अनुप्रिया जी ने कहा, "हमारी बच्ची को सांस लेने का मौका तक को नहीं मिलेगा कुछ देर बात तो आप सारी जिम्मेदारी दे सकते थे ना। हम जानते हैं की सारी जिम्मेदारी उन्हीं की है उन्हें ही सारी जिम्मेदारी पूरी करनी होगी पर इसके लिए उन्हें थोड़ा वक्त तो दे ही सकते थे।"
दोनों औरतों की बातें सुनते ही रघुवीर जी ने कहा, "भाभी सा जानकी हम समझते हैं आप दोनों की बातें पर हमारे फैसले पर भरोसा करके देखिए हम जानते हैं कि हमारा फैसला कभी गलत नहीं होगा। भाई सा और हमने बहुत सोच समझ कर फैसला लिया है।"
रघुवीर जी की बातों को सुनने के बाद दोबारा अनुप्रिया जी और जानकी जी ने और कुछ नहीं कहा दोनों बस वहां से अपने अपने रूम में चले गए वहीं आध्या अपने रूम में जाकर कुछ काम करने लगी।
तभी आध्या का फोन बचाने लगा जैसे ही आध्या ने अपने फोन स्क्रीन पर प्रतीक का नाम फ्लैश होते हुए देखा तो वह फोन साइड में रख देती है क्योंकि उसे फिलहाल प्रतीक से बात नहीं करनी थी।
एक महीने बाद,
यह एक महीने आध्या के लिए काफी मुश्किल था लेकिन धीरे धीरे वह सारी जिम्मेदारियां संभालना सीख चुकी थी अब उसने सब कुछ अच्छे से संभालता सीख लिया था अब वह राजवंश अंपायर के साथ साथ पूरे चित्तौड़गढ़ को भी संभाल लेती थी।
वह इस पूरे एक महीने हफ्ते में चार दिन अगर मुंबई में रहती थी तो तीन दिन चित्तौड़गढ़ में। अब वह चित्तौड़गढ़ से वापस मुंबई आ चुकी थी अब वह चित्तौड़गढ़ दो हफ्ते बाद जाने वाली थी।
चित्तौड़गढ़ के जितने भी कम थे वह वहां पर खत्म करके आई थी और अगर छोटे मोटे कम होंगे तो वह मुंबई से ही संभाल लेगी जैसे ही वह कमरे में पहुंची वैसे ही श्रावणी आध्या के लिए कॉफी लेकर आई।
जैसे ही आध्या ने श्रावणी को देखा तो वह बोली, "श्रावणी तुम कॉफी लेकर क्यों आई हो किसी के हाथों भिजवा देती।"
श्रावणी ने कॉफी टेबल पर रखते हुए कहा, "भाभी सा छोटा सा ही तो काम था हम अगर कॉफी ले भी आए तो क्या फर्क पड़ गया वैसे हम जानते हैं कि आप काफी ज्यादा थक चुकी है इसलिए आप कॉफी पीकर आराम कीजिए।"
इतना बोलकर श्रावणी जाने लगी श्रावणी के चेहरे के एक्सप्रेशन को देखते ही आध्या को समझ में आ चुका था कि श्रावणी कुछ बोलना चाहती है इसलिए वह श्रावणी को देखते हुए बोली, "क्या हुआ कोई बात है श्रावणी अगर है तो तुम मुझ से बात कर सकती हो ?"
श्रावणी पीछे मुड़ कर आध्या को देखने लगी और फिर वह मुस्कुरा कर बोली, "बात तो नहीं है बस हम चाहते थे कि आप हमारे साथ आज शॉपिंग पर चले पर आप इतने ज्यादा थके हुए हैं कि हमें आप को बोलने के लिए थोड़ा बुरा लग रहा है।"
आध्या मुस्कुरा कर बोली, "इसमें बुरा लगने वाली कौन सी बात है वैसे हम जानते हैं कि तुम हमेशा अकेली पड़ जाती हो लेकिन अगर तुम चाहती हो कि हम तुम्हारे साथ शॉपिंग पर जाएं तो फिर हम तुम्हारे साथ शॉपिंग पर शाम को जा पाएंगे अगर तुम शाम को हमारे साथ जाने के लिए तैयार हो तो।"
आध्या की बात सुनते ही श्रावणी काफी ज्यादा खुश हो गई और वह खुश होने के साथ बोली, "हां भाभी सा हम आपके साथ शाम को जाने के लिए बिल्कुल तैयार है तो ठीक है हम आप के साथ शाम को शॉपिंग पर जाएंगे।"
आध्या हल्की मुस्कान के साथ बोली, "हां ठीक है तो हम थोड़ी देर आराम कर लेते हैं फिर हम शाम को अच्छे से शॉपिंग पर जाएंगे।"
श्रावणी वापस अपने रूम में आ गई श्रावणी आज काफी खुश लग रही थी।
जैसे ही शाम हुई वैसे ही दोनों शॉपिंग के लिए निकल गए। दोनों एक मॉल के बाहर रुक गाड़ी से बाहर निकालने के बाद श्रावणी मॉल को देखने लगी और देखने के बाद बोली, "ये तो आप का नया वाला माल है ना जिसे आपने एक हफ्ते पहले ही खरीदा था।"
आध्या मुस्कुरा कर बोली, "तुमने बिलकुल सही कहा ये वही माल है। अब अंदर चले।"
दोनों ही माल के अंदर शॉपिंग करने के लिए चले गए। दोनों एक दूसरे के साथ शॉपिंग करते हुए एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा मजे भी कर रहे थे।
आध्या काम के साथ फैमिली को किस तरह से मैनेज करना है ये बात अच्छे से सीख चुकी थी इसलिए अब उसे किसी चीज की कोई प्रॉब्लम नहीं होती थी वह काम करने के साथ फैमिली को भी अच्छे से मैनेज कर लेती थी।
कुछ देर बाद दोनों एक clothes shop के अंदर गए जहां पर काफी महंगे ब्रांड के कपड़े रखे हुए थे जिन में से एक ड्रेस श्रावणी को काफी ज्यादा पसंद आया तो वह ड्रेस ट्राई करने के लिए चली गई वही आध्या सोफे पर आराम से बैठी हुई थी और एक स्टाफ आध्या को कॉफी दे रहा था।
तभी उसी शॉप के अंदर मिश्का और अर्शी एक साथ आए जैसे ही उन दोनों की नजर आध्या के ऊपर पड़ी वैसे ही वह दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे क्योंकि उन दोनों ने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं कल फैमिली को छोड़ने के बाद भी आध्या इतने महंगे शॉप में कपड़े खरीदने के लिए आ सकती है।
तभी ड्रेस चेंज करके श्रावणी बाहर निकाल कर आई और आध्या को दिखाने लगी जिसे देख कर आध्या ने कहा, "तुम पर ये ड्रेस काफी अच्छी लग रही है अगर तुम चाहो तो ऐसी ही और ट्राई कर सकती हो।"
आध्या की बात सुनते ही श्रावणी काफी ज्यादा खुश हो गई और वह और भी ड्रेस ट्राई करने के लिए चली गई वही आधे अपने फोन में कुछ काम कर रही थी।
तभी शॉप की एक दूसरी स्टाफ अर्शी और मिश्का के पास आए। और उन दोनों से पूछने लगी, "आप दोनों के लिए मैं क्या निकाल दूं।"
तभी मिश्का ने स्टाफ से कहा, "सबसे पहले तुम हमें ये बताओ कि इतने महंगे शॉप में क्या गरीब और फटीचर लोगों का आना अलाउ है। क्योंकि जिसे बैठ कर तुम लोग कॉफी पिला रहे हो ना वह यहां की एक ड्रेस भी अफोर्ड नहीं कर सकते। और अगर तुम चाहती हो कि हम यहां से शॉपिंग करें तो फिर उन्हें यहां से धक्के मार कर बाहर निकलवाओ।"
स्टाफ को मिश्का की बातें बिल्कुल भी समझ नहीं आई जिस वजह से वह कंफ्यूज होकर मिश्का के तरफ देखने लगी तभी अर्शी नहीं स्टाफ को इशारे में आध्या के तरफ दिखाए।
जिसे देखते ही स्टाफ काफी ज्यादा हैरान हो चुकी थी क्योंकि स्टाफ को अच्छे से पता था जिन के तरफ अर्शी इशारा कर रही है वही इस पूरे मॉल को ऑन करती थी।
स्टाफ कुछ बोलना तो चाहती थी लेकिन तभी आध्या की नजर अर्शी और मिश्का के ऊपर पड़ी जिसे देखते ही आध्या ने स्टाफ को इशारे में कुछ भी बोलने से मना कर दिया।
जिसे देख कर स्टाफ ने आध्या के बारे में अर्शी और मिश्का से कुछ नहीं कहा। फिर वह कुछ सोचने लगी और फिर दोनों के तरफ देखते हुए बोली, "सॉरी मैम पर हमारे लिए कस्टमर भगवान के समान होते हैं इसलिए हम किसी को भी यहां से बाहर नहीं निकल सकती अगर आप को यहां से शॉपिंग करना है तो आप कर सकते हैं और अगर नहीं तो फिर आप यहां से जा सकती हैं।"
इतना बोल कर स्टाफ दूसरी तरफ एक दूसरे कस्टमर को देखने के लिए चली गई स्टाफ की बात सुनते ही मिश्का गुस्से में चिल्लाते हुए बोली, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमें मना करने की तुम्हें शायद पता नहीं है हम यहां के वीआईपी कस्टमर है हमें मना करने का मतलब शायद तुम्हें पता नहीं है अभी के अभी यहां के मैनेजर को बुलाओ।"
मिश्का को इतनी ज्यादा गुस्से में देख वहां के सारे स्टाफ मिश्का के तरफ देखने लगे और फिर वह सब लोग आध्या को देख रहे थे।
तभी अचानक श्रावणी भी बाहर निकाल कर आई श्रावणी के हाथों में एक काफी महंगी ड्रेस थी जिसे देखते ही मिश्का अचानक टेबल से जूस का ग्लास उठाती है और श्रावणी के हाथों में पड़ी हुई ड्रेस के ऊपर फेंक देती है जिसे देखते ही श्रावणी दंग रह जाती है।
वही अर्शी भी हैरानी से मिश्का को ही देखने लगती है। अचानक की एक स्टाफ वहां पर आई और वह मिश्का से बोली, "मैम आपने हमारी एक ड्रेस खराब की है इसलिए इस ड्रेस की कीमत अब आप को पे करना होगा।"
तभी मिश्का अकड़ के साथ बोली, "अच्छा लेकिन ड्रेस तो इस फटीचर लड़की के हाथ में है। तो फिर मैं इस ड्रेस की पेमेंट क्यों पे करूं।"
तभी एक दूसरी स्टाफ आकर बोली, "क्योंकि इसे खराब आपने किया है इसलिए पेमेंट तो आपको ही देना होगा और मैं आपकी इनफॉरमेशन के लिए बता दूं ये ड्रेस पूरे 20 लाख की है आप 20 लाख किस तरह से पे करेंगे।"
20 लाख घंटे ही अर्शी और मिश्का के तो होश ही उड़ चुके थे दोनों शॉपिंग के लिए इतने पैसे लेकर आए ही नहीं थे दोनों एक दूसरे को देखने लगे तभी स्टाफ श्रावणी के हाथों से ड्रेस लेकर अर्शी और मिश्का के लिए पैकिंग करते हुए बोले, "ये रहा आप की बिल आप पेमेंट कर दीजिए तो हम आपके यहां से जाने देंगे वरना पेमेंट नहीं किया तो फिर हम यहां पर पुलिस भी बुला सकते हैं।"
तभी अर्शी स्टाफ से रिक्वेस्ट करते हुए बोली, "प्लीज आप ऐसा मत कीजिए हमारे पास इतने पैसे नहीं है आप प्लीज थोड़ा डिस्काउंट दे दीजिए।"
अर्शी की बातों को सुनते ही हर कोई अर्शी और मिश्का के तरफ अजीब निगाहों से देखने लगे और फिर उनके बारे में बातें करने लगी वही मिश्का जैसे ही उन की बातें सुन लेती है।
उसे काफी ज्यादा गुस्सा आने लगता है तभी वह अचानक चिल्लाते हुए बोली, "इतनी महंगी ड्रेस जिस के हाथ में थी क्या वह इसे अफोर्ड भी कर पाते। तुम्हें इतनी महंगी ड्रेस उसके हाथ में दे नहीं चाहिए थी।"
मिश्का की बातों को सुनते ही स्टाफ को भी अब गुस्सा आने लगा। वही श्रावणी बाकी ड्रेस स्टाफ को पैकिंग करने के लिए बोली जिसे देखते ही मिश्का और अर्शी के होश उड़ चुके थे।
क्योंकि जितनी भी ड्रेस श्रावणी ने पैक करने के लिए कहा था वह सारी ड्रेस काफी ज्यादा एक्सपेंसिव थे। तभी अचानक आध्या की आवाज आई, "श्रावणी अगर तुम्हें कुछ और लेना है तो फिर तुम ले लो पैसों की फिक्र तो मत करो।"
इतना बोल कर आध्या ने श्रावणी को इशारे में ये भी बता दिया कि श्रावणी उसे फिलहाल भाभी सा ना बुलाए इसलिए वह आध्या क्या इशारा समझते ही बोली, "नहीं वह मुझे जितने भी ड्रेस पसंद आए थे मैंने वह ले लिए अभी तो मुझे और कुछ पसंद नहीं आ रहे हैं। हम जब अगली बार शॉपिंग करने के लिए आएंगे तब मैं और भी ड्रेस ले लूंगी।"
श्रावणी की बात सुनते ही आध्या मुस्कुराहट थी और फिर वह बिलिंग करने के लिए बोली तभी एक स्टाफ सारे ड्रेस के बिलिंग करके आध्या के पास आई और आध्या से बोली, "आप का टोटल बिल 2 करोड़ हो चुका है।"
इतना बोलकर स्टाफ ने सारे ड्रेस श्रावणी को दे दिए इसके बाद आड हुए अपने पॉकेट से एक कार्ड निकलते हुए स्टाफ को देने लगी कार्ड देखे ही अर्शी और मिश्का के फिर से होश उड़ चुके थे।
क्योंकि आध्या ने कोई मामूली कार्ड नहीं दिया था बल्कि आध्या ने एक ब्लैक कार्ड दिया था। जिस के लिमिट का कोई अंदाजा ही नहीं लग सकता था।
पैसे देने के बाद आध्या अपना कार्ड लेकर वहां से श्रावणी को लेकर निकलने लगी लेकिन तभी वह अर्शी और मिश्का को देखते हुए एक स्टाफ से बोली, "जब तक यह दोनों पेमेंट नहीं करते तब तक इन दोनों को यहां से जाने मत देना।"
इतना बोल कर वह वहां से चली गई स्टाफ ने भी हां में सिर हिला दिया। वहां से बाहर निकालने के बाद आध्या ने श्रावणी के हाथों में पड़े हुए सारे शॉपिंग बैग उन के साथ आए बॉडीगार्ड के हाथ में दे दिया।
आध्या अब कहीं भी जाती थी तो उस के आसपास तीन चार बॉडीगार्ड तो होते ही थे। और उसके साथ एक स्पेशल बॉडीगार्ड जो और कोई नहीं भैरवा था वह हमेशा होता था।
भैरवा आध्या का पर्सनल असिस्टेंट होने के साथ-साथ उस का पर्सनल बॉडीगार्ड भी था। श्रावणी शॉपिंग करते हुए काफी ज्यादा थक चुकी थी।
जिस वजह से वह आध्या से बोली, "भाभी सा शॉपिंग तो हमने बहुत कर दिया यहां तक कि हमने बहुत ज्यादा मजे भी कर दिए अब हमें भूख लगी है तो हम कुछ खाने के लिए चले।"
श्रावणी की बात सुनते ही आध्या मुस्कुरा कर बोली, "ये भी कोई बोलने वाली बात है चलो।"
इतना बोलकर श्रावणी को लेकर वह एक रेस्टोरेंट के अंदर चली गई और फिर दोनों एक टेबल पर बैठ गए जब अधिया ने देखा कि उस के साथ आए हुए बॉडीगार्ड और भैरवा खड़े हैं
तो वह सब की तरफ देखते हुए बोली, "तुम सब लोग क्यों खड़े हो बैठ जाओ और अपने लिए खाने का आर्डर कर दो तुम सब भी तो काफी टाइम से बिना खाए पिए हमारे साथ घूम रहे हो।"
तभी अचानक एक बॉडीगार्ड बोला, "हुकुम इसकी कोई जरूरत नहीं है हम ऐसे ही ठीक है और वैसे भी आपके साथ अगर हम बैठेंगे तो।"
इसके आगे वह कुछ बोलना तभी आध्या ने कहा, "क्या हो जाएगा तुम हमारे बॉडीगार्ड हो हमारी हिफाजत करने के लिए हो अगर तुम लोग अच्छे से खाओगे पियोगे नहीं तो फिर हमारी हिफाजत कैसे करोगे इसलिए बैठो और अच्छे से खाना खाओ।"
चारों बॉडीगार्ड और भैरवा एक दूसरे के तरफ देखने लगे वह पांचों एक दूसरी टेबल पर बैठे। और वो टेबल आधा के टेबल के बगल में ही था जिस वजह से वह तीनों आध्या और श्रावणी के ऊपर नजर भी रख सकते थे।
और अच्छे से खाना भी खा सकते थे जिसे देख कर आध्या के होठों पर एक मुस्कान आ गई तभी एक बॉडीगार्ड ने फुसफुसकर दूसरे, "हमारी हुकुम सा कितनी अच्छी है ना हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारी हुकुम सा हमारे बारे में भी सोच सकती है।"
बॉडीगार्ड की बात सुनते ही भैरवा कुछ सोचने लगा। फिर उस के होठों पर भी एक मुस्कान आ चुकी थी। एक वक्त था जब भैरवा को लगा था की आध्या चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा बनने के काबिल नहीं है।
लेकिन धीरे धीरे आध्या के साथ रहते हुए भैरवा को इतना जरूर समझ में आ चुका था कि आध्या पावरफुल तो बहुत है। लेकिन वह दिल की भी काफी ज्यादा अच्छी है।
आध्या अपने आसपास रहने वाले हर एक इंसान के बारे में बहुत अच्छे से सोचती थी यही बात भैरवा को काफी ज्यादा पसंद आ चुका है।
कुछ देर बाद आध्या सब लोगों को लेकर वापस वहां से जा चुकी थी।
वहीं दूसरी तरफ मिश्का घर पहुंचने के बाद सब लोगों के सामने आध्या की बहुत ही ज्यादा बुराइयां करने लगी।
मिश्का ने सब लोगों के सामने कहा, "मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा कि वह लड़की खुद को समझती क्या है ? उसने शॉपिंग ऐसे की जैसे उसके पास करोड़ों का पैसा आ चुका हो।"
तभी अचानक साधना ने कहा, "मिश्का अगर किसी के पास पैसा आ भी गया तो भी तुम्हें उसके पैसे आने से जलन क्यों हो रही है। हर किसी की अपनी लाइफ है।"
इसके आगे साधना कुछ बोलती तभी अर्शी ने कहा, "हुआ वह किसी और कि नहीं बल्कि किट्टू के बारे में बात कर रही है। आज हमारी और उस की मुलाकात हुई उसने तो हमसे बात भी नहीं की बल्कि उसने दो करोड़ की शॉपिंग की।"
2 करोड़ की शॉपिंग की बात सुनते ही सलोनी जी हैरानी से बोली, "2 करोड़ की शॉपिंग तुम बोल क्या रही हो अर्शी तुम्हें पता भी है 2 करोड़ की शॉपिंग करने का मतलब क्या होता है।"
अर्शी कुछ बोलती तभी मिश्का ने कहा, "हां मॉम उसने दो करोड़ की शॉपिंग कि वह भी किसी और के लिए और सारे के सारे कपड़ों की शॉपिंग की। मैंने गुस्से में उसके साथ आई हुई लड़की के हाथ में रखे हुए एक ड्रेस पर जूस गिरा दिया था। उसका पैसा दिए बगैर हमें वहां से आने भी नहीं दे रहे थे तो फिर हमने अश्विक भाई से हेल्प ली।"
इसके आगे मिश्का कुछ बोलती तभी अश्विक वहां पर आया और वह बोला, "आगे से ऐसी कोई गलती मत करना मिश्का क्योंकि अगर तुमने ऐसा कुछ भी किया तो मैं तुम्हारी मदद नहीं करने वाला। तुम्हें पता है तुम्हारी वजह से मेरा कितना ज्यादा नुकसान हो चुका है।"
अश्विक को गुस्से में देख अचानक राकेश जी ने कहा, "ठीक है बेटा तुम्हारी बहन से गलती हो गई तो अब उसे माफ कर दो आगे से वह इस बात का ध्यान रखेगी।"
अश्विक राकेश जी के तरफ देख कर गुस्से में बोला, "अगर ऐसा ही चला रहा ना एक दिन हम इस लड़की की वजह से कंगाल हो जाएंगे। मेरी इस बात को अच्छे से ध्यान में रखिएगा उस दिन आप खुद इस लड़की को अपने हाथों से थप्पड़ मारेंगे। क्योंकि जब इस थप्पड़ मार कर समझने का वक्त था आपने तो इस प्यार देकर कुछ ज्यादा ही बिगाड़ दिया।"
इतना बोल कर अश्विक ऊपर अपने रूम में चला गया आशिक के पीछे पीछे अर्शी भी रूम में जाने लगी जैसे ही अर्शी रूम में पहुंची तो वह अश्विक को गुस्से में देख थोड़ा सा घबराने लगी।
लेकिन फिर वह फ्रेश होकर बाहर आने के बाद आशिक से बोली, "अश्विक जो हो गया उसे जाने दो। वैसे भी 2 करोड़ की शॉपिंग की इसीलिए मिश्का को बस गुस्सा आ गया।"
अर्शी की बात सुनते ही अश्विक बोला, "मुझे तुम दोनों के बारे में ना समझ नहीं आता किट्टू को घर से बाहर निकाल दिया अब जब वह अपनी लाइफ अच्छे से जी रही है तो फिर तुम दोनों को उस की लाइफ से प्रॉब्लम क्या है। वह मित्तल फैमिली की पैसे तो नहीं खर्च कर रही है ना अपने पैसे खर्च कर रही है तो फिर तुम्हें क्या प्रॉब्लम हो रही है।"
"यू नो व्हाट मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती पता है क्या है तुमसे शादी करना मुझे तुमसे शादी करने के लिए हां बोलना ही नहीं चाहिए था लेकिन मेरी फैमिली के दबाव में आकर मैं तुमसे शादी तो कर ली पर मैं तुम्हें जिंदगी में वह प्यार कभी नहीं दे पाऊंगा जो प्यार मेरे दिल में किसी और के लिए है।"
इतना बोलकर अश्विक कमरे से बाहर निकाल कर चला गया अश्विक की बातों को सुन कर अर्शी का दिल जैसे मानो तो ठीक गया था वह अचानक बेड पर बैठ गई और फिर रोने लगी।
वहीं दूसरी तरफ
आध्या अपने घर पहुंच चुकी थी घर पहुंचने के बाद वह फ्रेश होकर बेड पर बैठ कर ऑफिस का काम कर रही थी। लेकिन तभी कमरे के अंदर एकाक्ष आया।
एकाक्ष ने जब आध्या को काम करते हुए देखा तो वह आध्या से बोला, "तुम श्रावणी के साथ शॉपिंग करके आई हो ना क्या तुम अब तक थकी नहीं जो आने के बाद फिर से काम करने लगी हो।"
आध्या मुस्कुरा कर बोली, "बस थोड़ा सा काम है उसे खत्म करके मैं आराम कर लूंगी वैसे आप फ्रेश हो जाइए मैं आप के लिए खाना लगवा देता हूं।"
एकाक्ष ने आध्या से कहा, "इसकी जरूरत नहीं है मैंने पहले ही सर्वेंट को खाना लगाने के लिए बोल दिया था तुम्हें यहां से उठ कर जाने की कोई जरूरत नहीं है तुम अपना काम जल्दी खत्म करो और आराम करो।"
एकाक्ष की डोमिनेटिंग बातों को सुनकर आध्या अपनी आंखें छोटी करके एकाक्ष को देखने लगी वही एकाक्ष फ्रेश होने के लिए वॉशरूम में चला गया कुछ देर बाद वह वापस आकर नीचे खाना खाने के लिए चला गया।
नेक्स्ट मॉर्निंग
आध्या सुबह सुबह उठ कर ऑफिस के लिए चली गई। आज उस की सुबह ही एक बहुत ही इंपॉर्टेंट मीटिंग थी।
अभय को आज काम से शहर से बाहर जाना था। जिस की वजह से वह भी सुबह सुबह ही बाहर निकल कर चला गया।
एकाक्ष भी अपने ऑफिस के लिए निकल चुका था अब घर में बस वंश और श्रावणी थी थोड़ी देर में वंश भी घर से काम के सिलसिले में निकल गया श्रावणी जो अकेली थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए।
इसीलिए वह अपने दोस्तों से मिलने के लिए बाहर चली गई।
शाम का वक्त
आध्या किसी काम की वजह से एक होटल में गई हुई थी। इस होटल में अश्विक भी गया हुआ था अश्विक ने आध्या को एक होटल के रूम के अंदर जाते हुए देख लिया जिसे देख कर खुद ही कंफ्यूज था।
कि आध्या होटल के रूम के अंदर क्यों गई है इसलिए वह रूम की तरफ जाने लगा लेकिन रूम के बाहर बॉडीगार्ड थे जिस वजह से उसे रूम के अंदर जाने की इजाजत नहीं मिली।
वही रूम के अंदर आध्या एक मीटिंग अटेंड करने के लिए आई थी मीटिंग खत्म करने के बाद वह रूम से बाहर निकल कर चली गई।
जैसे ही आध्या को रूम से बाहर निकल कर गई वैसे ही अश्विक उस के सामने आ गया अश्विक को अचानक अपने सामने देख आध्या थोड़ी सी हैरान थी।
और वह हैरानी के साथ बोली, "आप यहां पर क्या कर रहे हैं ?"
आध्या के सवाल को इग्नोर करके अश्विक ने पूछा, "ये सवाल मुझे तुम से करना चाहिए कि तुम यहां पर क्या कर रही हो। और मित्तल फैमिली पिछले एक महीने से तुम से कांटेक्ट करने की कोशिश कर रही है लेकिन तुम तो उन के फोन का कोई जवाब ही नहीं देती।"
आध्या ने इरिटेट होते हुए कहा, "प्लीज आप सबको मेरी लाइफ में दखल देने का हक किसने दिया। मैं अपनी लाइफ में क्या करती हूं और क्या नहीं ये मेरी प्रॉब्लम है।"
आध्या इतना कह कर वहां से जाने लगी। लेकिन तभी अश्विक ने आध्या का हाथ पकड़ लिया और वह आध्या को रोकने की कोशिश करने लगा। जिसे देख कर आध्या पहले तो अपने हाथ को देखने लगी और फिर अश्विक को।
अश्विक जिस ने आध्या का हाथ कस कर पकड़ कर रखा था ये देख कर आध्या गुस्से में बोली, "प्लीज आप मेरा हाथ छोड़ोगे यहां पर आपको तमाशा करने की जरूरत नहीं है।"
अश्विक हल्के गुस्से के साथ बोला, "मैं यहां पर कोई तमाशा नहीं कर रहा हूं तुम बस चुपचाप मेरे साथ घर चलो।"
आध्या को अब और भी ज्यादा गुस्सा आने लगा जिस वजह से वह अश्विक के तरफ गुस्से भरी निगाहों से देख रही थी।
लेकिन तभी वहां पर होटल का मैनेजर आया और आध्या की तरफ देखते हुए पूछने लगा, "मैडम एनी प्रॉब्लम ?"
मैनेजर के सवाल का जवाब देते हुए अचानक अश्विक ने कहा, "नो।"
अश्विक का जवाब सुन कर मैनेजर अश्विक को देखने लगा तभी आध्या ने कहा, "छोटी सी प्रॉब्लम है मैं खुद हैंडल कर लूंगी आप यहां से जा सकते हैं।"
मैनेजर वहां से चला गया इसके वहां से जाने के बाद आध्या अश्विक के तरफ गुस्से भरी निगाहों से देखने लगी लेकिन अश्विक आध्या को वहां से खींचते हुए ले जा रहा था जिसे देख कर आध्या को और भी ज्यादा गुस्सा आने लगा।
क्या करेगी आध्या आगे ?? क्या वह अश्विक को अपनी मनमानी करने देगी ??
जैसे ही अश्विक और आध्या दोनों बाहर पहुंचे वैसे ही आध्या ने अपने हाथ को अश्विक के हाथ से चुरा लिया और फिर वह अश्विक की तरफ देख कर गुस्से में बोली, "आप की हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ इस तरह से बिहेव करने की। मैं आप की कोई गुलाम नहीं हूं जो आप की हर बात मानूंगी। और आप को शायद पता नहीं है कि मैं मित्तल फैमिली पहले ही छोड़ दी है इसलिए अब मेरा उनके साथ कोई रिश्ता नहीं है।"
आध्या की बातों से अश्विक को भी गुस्सा आने लगा और वह अचानक बोला, "तुम्हें मजाक करने के लिए मैं ही मिला था प्लीज अब मजाक करना बंद करो मेरे साथ घर चलो।"
आध्या ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "मैंने मजाक नहीं किया और मैं मजाक करने के मूड में कभी होती भी नहीं हूं तो प्लीज अच्छा होगा कि आप मेरी जिंदगी में दखल देना बंद करें मुझे किसी की भी दखल अपनी जिंदगी में पसंद नहीं है।"
वह इतना बोली और अपनी गाड़ी के तरफ चली गई गाड़ी में बैठने के बाद वह तुरंत ही वहां से निकल गई आध्या की गाड़ी को देख अश्विक के थोड़ी देर के लिए होश उड़ चुके थे। क्योंकि जिस गाड़ी में अध्या वहां से गई थी वह काफी ज्यादा लग्जरियस गाड़ी थी जिसे कोई आम इंसान अफोर्ड नहीं कर सकता था।
अगली सुबह
अनु जो घर में अब बैठे बैठे काफी ज्यादा बोर होने लगी थी उसने एक नई कंपनी में जॉब के लिए अप्लाई किया था। कंपनी में जॉब लगने की वजह से वह काफी ज्यादा खुश थी।
जब वह नीचे नाश्ता करने के लिए आई और अपने जॉब के बारे में सब लोगों को बताने लगी तभी सलोनी जी ने कहा, "तुम्हें जो चाहिए वह मिल तो जाता है फिर तुम्हें जॉब करने की जरूरत क्या है।"
सलोनी जी की बात सुनते ही अनु कुछ बोलना तो चाहती थी लेकिन उमा जी ने अनु को कुछ भी बोलने से रोक दिया जिसे देख कर अनु को थोड़ा सा गुस्सा आया और वह बिना नाश्ता किया ही वहां से बाहर निकल कर जाने लगी।
जब उत्कर्ष जी ने अनु को बिना नाश्ता किए घर से बाहर निकलते हुए देखा तो वह सलोनी जी और उमा जी के तरफ देखते हुए पूछने लगे, "अनु को क्या हो गया है वह बिना नाश्ता किया घर से बाहर क्यों निकल गई ?"
उत्कर्ष जी के सवालों का उमा जी कोई जवाब देती इससे पहले ही सलोनी जी ने कहा, "अनु की भलाई के लिए बस दो बातें क्या कहीं वह तो गुस्सा होकर यहां से चली गई। अगर उसे जब भी करना है तो वह दूसरों की कंपनी में जॉब क्यों करने के बारे में सोच रही है वह हमारी कंपनी में भी तो कम कर सकती है ना।"
सलोनी जी की बात सुन कर उत्कर्ष की कुछ बोलना तो चाहते थे लेकिन तब तक वहां पर राकेश जी आ गए और उन्होंने कहा, "रहने दो सलोनी तुम सबके लिए अच्छा सोचती हो पर हर किसी को लगता है कि तुम सबकी बस बुराइयां ही करती हो। इसलिए किसी को भी कुछ भी समझने की जरूरत नहीं है।"
इतना बोल कर राकेश जी नाश्ते के टेबल पर बैठ गए तभी वहां पर मिश्का आई और वह राकेश जी के तरफ देखते हुए बोली, "डैड मुझे कुछ पैसे चाहिए आप प्लीज मुझे कुछ पैसे दे दो।"
मिश्का की बात सुनते ही अचानक उत्कर्ष जी ने कहा, "तुम्हें 5 दिन पहले ही तो₹100000 मिले थे क्या तुमने 5 दिन में ही एक लाख उड़ा दिए।"
अचानक मिश्का उत्कर्ष जी को देखते हुए बोली, "प्लीज ताऊजी आप ना कुछ बोलो मत वैसे भी पैसे आप नहीं मेरे डैड देने वाले हैं।"
मिश्का की ऐसी बदतमीजी देखने के बाद भी राकेश जी ने मिश्का को रोकने की कोशिश तक नहीं की। तभी अचानक उमा जी को कुछ दिन की एक बात याद आ गई जब अनु ने भी ऐसे ही उत्कर्ष जी से कुछ पैसे मांगे थे।
लेकिन उस वक्त राकेश जी ने अनु को इतनी बातें सुनाई थी कि उन्होंने दोबारा कभी भी किसी से भी पैसे मांगने की कोशिश नहीं की यही बात सोचते हुए अचानक उमा जी हंस परी उमा जी की हंसी को देख सलोनी जी ने पूछा, "क्या हो गया है भाभी आप इस तरह से हंस क्यों रही है ?"
सलोनी जी की बात को सुनते ही अचानक उमा जी ने कहा, "कितनी अजीब बात है ना सलोनी इस घर का बड़ा बेटा उत्कर्ष है लेकिन इस परिवार की सारी पावर राकेश के पास है। मेरी बेटी ने एक या दो महीने बाद अपने पिता से ₹10000 मांगे थे तब राकेश ने अनु को कितनी बातें सुनाई थी। लेकिन आप राकेश की बेटी 5 दिन में 1 लाख पूरा कर आई है फिर भी वह कुछ नहीं बोल रहा बल्कि वह पैसे दे देगा।"
उमा जी की बात सुनते ही अचानक राकेश जी ने कहा, "हां तो क्या हो गया है भाभी मिश्का छोटी बच्ची है अभी भी अगर मैं उसे पैसे नहीं दूंगा तो वह पैसे कहां से लेकर आएगी।"
अचानक उमा जी गुस्से में उठी और फिर बोली, "तुम्हारी बेटी छोटी बच्ची है लेकिन मेरी बेटी बहुत बड़ी हो गई फूलों में तुम्हारी बेटी 25 साल की हो चुकी है अब वह कोई छोटी बच्ची नहीं रही है एक बात मेरी कान खोल कर सुन लो राकेश एक दिन यही बेटी इस पूरे परिवार को डूबा देगी। जो कुछ भी इस परिवार ने मेहनत से कमाया है ना वह सब कुछ यही लड़की बर्बाद करेगी।"
इतना बोल कर उमा जी वहां से चली गई उमा जी के वहां से जाने के बाद अचानक राकेश जी ने उत्कर्ष जी को देखते हुए कहा, "क्या बात है भाई साहब क्या भाभी मिश्का से इतनी ज्यादा नफरत करती है जो वह इतना सब कुछ सुना कर चली गई।"
राकेश जी की बात सुन कर उत्कर्ष की अचानक उठे और फिर बोले, "वह किसी से नफरत नहीं करती लेकिन इस परिवार में जो भेदभाव मेरे बच्चे और तुम्हारे बच्चों में होता है बस वही बात कर गई है और मुझे नहीं लगता कि वह कुछ गलत कह कर गई है।"
तभी अचानक राकेश जी ने कहा, "इतने ही प्रॉब्लम हो रही है तो फिर आप लोग अलग क्यों नहीं हो जाते। वैसे भी हर फैमिली जॉइंट फैमिली बन कर रही वह जरूरी तो नहीं है आप लोग चाहे तो।"
इसके आगे को कुछ बोलते तभी उत्कर्ष जी ने कहा, "आगे बोलने की जरूरत नहीं है मैं जानता हूं तुम क्या कहना चाहती हो।"
इतना बोल कर उत्कर्ष जी वहां से अचानक चले गए उत्कर्ष जी के जाने के बाद राकेश जी सलोनी और मिश्का के तरफ देखने लगे फिर वह लोग अच्छे से नाश्ता करने लगे।
कुछ देर बाद उत्कर्ष जी ने अर्णव को बात करने के लिए अपने रूम में बुलाया था जैसे ही वह उनके रूम में गया वैसे ही वह उत्कर्ष जी से पूछने लगा, "क्या हो गया है पापा आपने मुझे ऐसे अचानक यहां पर बुला क्यों लिया ?"
अर्णव के सवाल को सुनते ही उत्कर्ष जी एक गहरी सांस लेते हुए बोले, "हमने कुछ फैसला लिया है हम उम्मीद करेंगे कि तुम इस फैसले में हमारा साथ दोगे।"
उत्कर्ष जी की बात सुन कर अर्णव उत्कर्ष जी के पास बैठ गया और बैठने के बाद कब बोला, "क्या हुआ पापा आप बोलो तो सही।"
तभी उत्कर्ष जी बोले, "मैं इस परिवार से अलग होने के बारे में सोचा है। मैं पापा से आज बात करूंगा मेरा जो हिस्सा है मैं पापा से मांगूंगा और फिर हम यहां से कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे बस मैं यह जानना चाहता था कि तुम्हारा इस फैसले पर कोई आपत्ति तो नहीं है।"
पहले तो अर्णव कुछ सोचने लगा लेकिन फिर वह अचानक बोला, "बिल्कुल नहीं आप जो भी फैसला लेंगे वह सही होगा मैं आप के हर फैसले में साथ दूंगा आप फिक्र ना करें।"
इतना बोल कर अर्णव वहां से बाहर निकल कर चला गया। इसके वहां से जाने के बाद उत्कर्ष जी थोड़ी देर कुछ और सोचने लगी।
क्या उत्कर्ष जी के अलग होने का फैसला सही है ?? क्या होगा आगे ??
दूसरी तरफ
आध्या सुबह सुबह जल्दी ही ऑफिस के लिए निकल गई। क्योंकि आज उसे काफी ज्यादा काम था।
ऑफिस पहुंचने के बाद वह अपना काम करने लगी। तभी वहां पर शमशेर आया और शमशेर ने आध्या से कहा, "बॉस आप के लिए नई सेक्रेटरी आ गई है। मैंने खास उसे अप्वॉइंट किया था उस की क्वालिफिकेशन काफी अच्छी है लेकिन वह नई है तो मैं उम्मीद करुंगा कि आप।"
शमशेर अपनी बात खत्म कर पाता इससे पहले ही आध्या ने कहा, "कोई नहीं धीरे धीरे सब सीख जाएगी अच्छा तुम बुलाओ मैं खुद मिलना चाहूंगी।"
तभी शमशेर ने आध्या की नई सेक्रेटरी को बुलाया जैसे ही वह अंदर आई वह आध्या के सामने झुक कर उसे ग्रीट करने लगी।
फिर आध्या अपनी नई सेक्रेटरी को देखने लगी जैसे ही आध्या ने अपनी नई सेक्रेटरी को देखा उस की तो होश ही उड़ चुके थे क्योंकि वह और कोई नहीं बल्कि अनूठी आज अनु का ऑफिस में पहला दिन था अनु ने राजवंश अंपायर में नई प्रेसिडेंट की सेक्रेटरी के लिए अप्लाई किया था।
लेकिन उसने कभी सोचा नहीं था कि राजवंश अंपायर की प्रेसिडेंट और कोई नहीं बल्कि आध्या होगी आध्या को देखते ही अनु हैरानी से बोली, "किट्टू तुम यहां पर ?"
इसके आगे वह कुछ और बोलती इससे पहले ही आध्या ने शमशेर को वहां से जाने के लिए इशारा किया जिस का इशारा मिलते ही वह वहां से चला गया।
शमशेर के जाने के बाद आध्या ने अनु को बैठने के लिए कहा और फिर वह बोली, "वैसे मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम मेरी नई सेक्रेटरी हो लेकिन खैर मैं ऑफिस में सिर्फ काम की बात करती हूं पर्सनल कोई भी बात नहीं करती तुम इस बात का ध्यान रखोगी।"
"मुझे पता है तुम्हारे दिमाग में बहुत सारे सवाल हैं लेकिन फिलहाल मैं तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब देने में इंटरेस्टेड नहीं हूं क्योंकि मुझे बहुत सारे काम है धीरे धीरे तुम्हें सब कुछ अच्छे से पता चल ही जाएगा क्योंकि अब तुम मेरे साथ ही रहने वाली हो।"
आध्या की बातों को सुन अनु ने आध्या से और कोई सवाल पूछना सही नहीं समझा इसलिए वह सेक्रेटरी डिपार्टमेंट में चली गई जहां पर उस का टेबल था वह अपनी टेबल पर बैठकर काम करने लगी।
दिन भर काम करने के बाद अनु काफी ज्यादा थक चुकी थी जिस की वजह से वह शाम को ऑफिस खत्म करके बाहर निकाल कर जाने ही लगी थी कि तभी उस की नज़रें आध्या के ऊपर पड़ी जो बाहर निकाल कर जा रही थी।
तभी वह हत्या को बुलाना चाहती थी लेकिन आध्या फोन में कुछ काम करते हुए वहां से जा रही थी इसलिए उसने आध्या को नहीं बुलाया।
वहीं दूसरी तरफ रावत विला में सब लोग हॉल में बैठे हुए थे। उमेश जी भी सब लोगों के साथ बैठे हुए थे जैसे ही उन्होंने उत्कर्ष जी को थोड़े परेशान देखा तो वह पूछने लगे, "क्या हो गया है उत्कर्ष तुम कुछ परेशान लग रहे हो क्या मुझे कुछ बात करना चाहते हो ?"
उमेश जी के सवालों का जवाब देते हुए उत्कर्ष जी ने कहा, "हां वह मुझे आपसे कुछ बात करनी थी मैंने सोचा है कि।"
इसके आगे वह कुछ बोलते तभी वहां पर राकेश जी अश्विक और सलोनी जी आ गए वह तीनों भी आकर वहीं पर बैठ गए जिसे देख कर उत्कर्ष की एक पल के लिए खामोश हो गए।
फिर अचानक की उन्होंने सब लोगों की तरफ देख कर बोला, "मैंने फैसला लिया है कि मैं अब अपने परिवार के साथ कहीं और शिफ्ट होना चाहता हूं। अब मैं यहां पर नहीं रहना चाहता इसलिए मैं चाहता हूं कि जो मेरा हिस्सा है आप मुझे वह दे दीजिए मैं अपने परिवार को लेकर यहां से चला जाऊंगा।"
हिस्सा शब्द को सुनते ही राकेश जी की आंखों के एक्सप्रेशन बदल गए और वह अचानक बोले, "हिस्सा भाई साहब आप कुछ ज्यादा नहीं बोल रहे। आप भूल रहे हैं रावत इंडस्ट्रीज आज जहां पर खड़ी है वहां पर उसे मैं लेकर आया हूं तो फिर आप का कौन सा हिस्सा आप को मिलना चाहिए मुझे समझ नहीं आया।"
राकेश जी की बात सुनते ही उत्कर्ष जी ने कहा, "सिर्फ तुम ने ही मेहनत नहीं की है मैंने भी मेहनत की है। कंपनी सिर्फ तुमने अकेले नहीं चलाया मैं भी कंपनी में था और अब तुम्हारे बेटे से ज्यादा मेरा बेटा कंपनी में काम करता है।"
उत्कर्ष जी की बात सुन कर राकेश जी ने कहा, "मैं मानता हूं आपने भी काम किया है लेकिन फिर भी आप का इतना हक नहीं है जितना मेरा है और वैसे भी आप को जो हिस्सा देना था वह तो पापा ने ऑलरेडी आप को दे ही दिया। तो फिर आप को और क्या चाहिए ?"
राकेश जी की बात सुन कर उत्कर्ष की कुछ कहना तो चाहते थे लेकिन वह कुछ बोल पाते इससे पहले ही उमेश जी ने दोनों की तरफ देख कर कहा, "चुप हो जाओ दोनों एक दूसरे से इस तरह से लड़ रहे हो जैसे दुश्मन हो भूलो मत दोनों भाई हो। और उत्कर्ष तुम्हें अचानक की अलग होने का फैसला क्यों कर लिया। अब तक सब लोग एक साथ रह रहे थे ना तो फिर अब क्या हो गया है।"
तभी अचानक उत्कर्ष जी ने गुस्से में कहा, "भेदभाव। इस घर में मेरे बच्चे और राकेश के बच्चों में से भेदभाव होता है मेरे बच्चे अगर पैसे मांगते हैं तो वही बातें सुनना चाहता है राकेश के बच्चों को उतना पैसा दिया जाता है जो वह मांगते हैं। अब तक मैं बहुत बर्दाश्त कर लिया लेकिन अब और नहीं।"
राकेश जी को समझ में आ गया कि सुबह जो कुछ भी हुआ उसी वजह से उत्कर्ष जी इतना सब कुछ बोल रहे हैं तभी अचानक राकेश जी ने कहा, "भाई साहब आप की बीवी ने भी मेरी बेटी के बारे में बहुत कुछ कहा था मैंने बर्दाश्त तो कर लिया था ना तो फिर।"
इसके आगे वह कुछ बोलते तभी उन्हें बाहर किसी के गाड़ी रुकने की आवाज सुनाई थी जिसकी आवाज सुनते ही अचानक सलोनी जी ने कहा, "दूसरों की बेटियों पर सवाल उठने से पहले अपनी बेटी के बारे में सोच लीजिए भाई साहब ऑफिस का सिर्फ पहले ही दिन था और कोई उसे छोड़ने के लिए भी आया है। आपने कहा था कि मेरी बेटी इस खानदान को बर्बाद करेगी लेकिन आप की बेटी तो इस खानदान का नाम डुबाने पर तुली हुई है।"
तभी अनु भी वहां पर आ गए अनु ने जैसे ही सलोनी जी की बातों को सुना वह कुछ बोलना चाहती थी लेकिन अर्णव ने उसे कुछ भी बोलने से रोक दिया जिस वजह से वह खामोश हो गई।
लेकिन सलोनी जी अनु को देखते ही अनु के बारे में बहुत ही घटिया बातें बोलने लगी जिसके बारे में सुन कर अर्णव भी अब चुप नहीं रह पाया और वह बोला, "बस कीजिए चाचा आप को भी पता है कि अनु ऐसा कुछ नहीं करेगी आप उस के बारे में इतनी घटिया बातें कैसे बोल सकती हैं।"
अर्णव की बात सुनते ही अचानक अश्विक ने कहा, "अर्णव तुम मेरी मॉम के साथ बदतमीजी क्यों कर रहे हो तुम्हें पता है ना वह तुमसे बड़ी है फिर तुम उन के साथ बदतमीजी से बात कैसे कर सकते हो।"
तभी अचानक अर्णव ने कहा, "जो बदतमीजी तुम्हारी मॉम कर रही है क्या तुम्हें वह दिखाई नहीं दे रहा तुम्हारी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि वह अनु की केरैक्टर पर सवाल उठा रही है और तुम भी जानते हो अनु ऐसा कुछ नहीं कर सकती।"
अश्विक और अर्णव एक दूसरे से ही लड़ने लगी दोनों को एक दूसरे से लड़ता हुआ देख अचानक उमेश जी चिल्ला कर बोले, "चुप हो जाओ तुम दोनों। तुम दोनों को यहां पर एक दूसरे से इस तरह से लड़ने के लिए नहीं कहा है उत्कर्ष तुम अलग होना चाहते हो ना ठीक है तुम हमारे दूसरे वाले मेंशन में जाकर रह सकते हो बाकी तुम्हें जो देना है वह हम तुम्हें कल तक दे देंगे।"
इतना बोल कर उत्कर्ष जी सब लोगों को देखने लगी।
क्या होगा आगे ??
जब राकेश जी ने उमेश जी की बातों को सुना वह उमेश जी को देखने लगे लेकिन तभी अचानक अर्णव ने उमेश जी की तरफ देखते हुए कहा, "दादा जी आप को जो देना है वह अब अभी दे दीजिए बाद में ऐसा कुछ भी रखने की जरूरत नहीं है।"
अर्णव की बात सुनते हैं उमेश जी अपने रूम के तरफ जाने लगे कुछ देर बाद वह अपने रूम से वापस आए और कुछ प्रॉपर्टी के पेपर्स उत्कर्ष के सामने रख कर बोले, "ये लो तुम्हारा हिस्सा।"
अर्णव में प्रॉपर्टी के पेपर्स को देखा और देखने के बाद वह उमेश जी को देखते हुए बोले, "ये तो सिर्फ छोटे मोटे प्रॉपर्टीज है जो होने के बाद भी कोई किसी काम के नहीं है और कंपनी में जो हमारे शेयर्स का हिस्सा है वह कहां है।"
अर्णव के सवाल को सुनते हैं राकेश जी गुस्से में बोले, "कौन से शेयर्स की बात तुम कर रहे हो तुम्हारा कोई शेयर्स नहीं है।"
राकेश जी की बात सुनते ही अब अर्णव को गुस्सा आने लगा और वह प्रॉपर्टी के पेपर्स को टेबल पर पटकते हुए बोला, "अगर कंपनी के शेयर्स नहीं दे सकते तो फिर ये प्रॉपर्टी हमें नहीं चाहिए ये प्रॉपर्टी भी आप अपने छोटे बेटे को दे दीजिए दादाजी उन्हें इसके ज्यादा जरूरत होगी। और हम अपना खुद का सोच लेंगे और कल से मैं रावत इंडस्ट्रीज में नहीं आने वाला रावत इंडस्ट्रीज को जैसे संभालना चाहते हैं संभाल सकते हैं आज के बाद से मेरा रावत इंडस्ट्रीज के साथ कोई लेना देना नहीं है।"
इतना बोलकर वह उत्कर्ष जी देखने लगी फिर अरनव साधना उत्कर्ष जी उमा जी अनु और अर्णव का बेटा ईशान सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए।
जब अर्णव ने कंपनी आने से मना कर दिया तो उमेश जी थोड़ा सा चिंतित होने लगे जिसे देख कर राकेश जी ने कहा, "पापा आप फिक्र मत कीजिए अगर वह कंपनी नहीं दिया आएगा तब भी कंपनी को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि अश्विक अब से पूरी कंपनी अकेले संभालेगा।"
वही अर्शी इन सबसे अनजान थी जो अपने रूम में आराम कर रही थी उस की तबीयत थोड़ी सी खराब थी जैसे ही अश्विक कमरे के अंदर आया तो वह परेशान होकर अश्विक से पूछने लगी, "अश्विक नीचे कुछ हुआ है क्या मैंने बुआ से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुझे इग्नोर कर दिया।"
अर्शी के सवाल को सुनते ही अश्विक ने कुछ नहीं कहा बल्कि वह फ्रेश होने के लिए वॉशरूम के अंदर चला गया शादी तो अश्विक से हो चुकी थी लेकिन प्यार अश्विक से अर्शी ने उम्मीद करना छोड़ दिया क्योंकि वह जानती थी अश्विक कभी भी अर्शी को वह प्यार नहीं देंगे जो उस का हक था।
अगली सुबह
उत्कर्ष जी अपने पूरे परिवार के साथ रावत विलास छोड़ने के लिए तैयार थे जब वह अपना सामान लेकर बाहर आए तो सलोनी जी कुछ बोलने के लिए मुंह खोलने ही वाली थी कि तभी अर्णव ने कहा, "फिक्र मत कीजिए इस खानदान से ऐसा कुछ भी लेकर नहीं जा रहे हैं जो हमारा नहीं है बस हम वही लेकर जा रहे हैं जो हमारा है।"
तभी वहां पर अर्शी आई और वह साधना को सामान के साथ वहां से जाते हुए देखा साधना के पास जाकर पूछने लगी, "हुआ आप कहां जा रही है और सब लोग कैसे समान बांधकर क्यों जा रहे हैं ?"
अर्शी के सवाल को सुनते ही साधना ने कहा, "ये बात तुम अपने पति और ससुर से पूछो वैसे भी आज के बाद हमारा कोई रिश्ता नहीं रहेगा इसलिए अच्छा होगा कि तुम हमसे बात करने की कोशिश ना करो।"
इतना बोलने के बाद साधना और बाकी सब लोग वहां से बाहर निकाल कर जाने लगे अर्णव अपनी गाड़ी में सब लोगों को लेकर वहां से चला गया।
उत्कर्ष जी के परिवार के वहां से जाने के बाद सलोनी जी बोली, "चलो अच्छा हुआ सब लोग चले गए वरना मुझे तो लगा था कि बोलो अपनी इरादे बदल देंगे लेकिन नहीं इस बार तो सच में वह लोग चले गए।"
सलोनी जी की बात सुन कर अर्शी काफी ज्यादा उदास हो गए वहीं अर्णव अचानक गाड़ी सड़क पर रोक देता है जिस के बाद वह गाड़ी से बाहर निकाल कर जाने लगता है क्योंकि अब वह परेशान था उन्हें नहीं पता था कि अब वह कहां जाएंगे।
वह लोग रावत विला से ए तो गए थे लेकिन अब उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थे। जब अनु ने अर्णव को परेशान देखा तो वह अरनव के पास जाकर बोली, "भैया आप फिक्र ना करें सब कुछ सही हो जाएगा बस थोड़ा सा वक्त दीजिए।"
अनु की बात सुनते ही अरनव बोला, "वक्त वही तो नहीं है हमारे पास अगर होता तो मैं इतनी फिक्र नहीं करता।"
अर्णव की बात सुनते ही अनु काफी ज्यादा उदास हो गई तभी अचानक अनु को कुछ याद आया और वह थोड़ी दूर जाकर किसी को फोन करने लगी।
अनु ने किसी और को नहीं बल्कि आध्या को फोन किया था जैसे ही आध्या ने अपने फोन स्क्रीन पर अनु का नाम फ्लैश होते हुए देखा तो वह फोन उठाते हुए बोली, "हां अनु बोलो।"
आध्या की बात सुनते ही अनु ने कहा, "बॉस क्या आप मेरी थोड़ी सी हेल्प कर सकते हो ?"
आदित्य ने फोन के दूसरी तरफ से कहा, "ऑफिस के बाहर में किट्टू हूं तुम्हारे लिए तुम मुझे ऑफिस के बाहर किट्टू बुला सकती हो और ऑफिस में तो मुझे बस बुला सकती हो वैसे क्या हेल्प चाहिए ?"
उन्होंने अपनी प्रॉब्लम के बारे में सब कुछ किट्टू को बता दिया जिसे सुन कर किट्टू भी थोड़ी सी हैरान थी फिर किट्टू ने कुछ सोचते हुए कहा, "एक काम करो मैं तुम्हें एक एड्रेस मैसेज कर रही हूं तुम वहां पर पहुंचों मैं कुछ ही देर में वहां पर पहुंचती हूं।"
इतना बोल कर अध्याय ने कॉल कट कर दिया कॉल कट करने के बाद अधिया ने तुरंत ही अनु को एक मैसेज किया जिसे देखते ही अनु के होठों पर मुस्कान आ गई और वह तुरंत अर्णव के पास जाकर बोली, "भैया मैं रहने का इंतजाम कर दिया है आप बस इस एड्रेस पर चलो।"
एड्रेस को देखते ही अर्णव थोड़ा सा हैरान हो गया क्योंकि जिस जगह का एड्रेस अनु ने दिखाया था वह कोई आम जगह नहीं थी बल्कि काफी लग्जरियस विला वाली जगह थी। जहां के एक विला की कीमत करोड़ों में थी।
लेकिन अर्णव को अपनी बहन पर भरोसा था इसलिए वह बिना कोई सवाल किया वहां पर जाने लगा जैसे ही वह वहां पर पहुंच वैसे ही उसने अपने सामने किट्टू को देखा जिसे देखते ही
वह थोड़ा सा हैरान था जैसे ही साधना ने किट्टू को देखा वह किट्टू के पास जाकर उसके गले लगाते हुए बोली, "किट्टू कहां थी तुम तुम्हें पता है सब लोग तुम्हें लेकर कितना परेशान है।"
साधना की बात सुनते ही आध्या ने कहा, "फिलहाल आप किसी और की परेशानी के बारे में सोचना बंद कर दीजिए और अपनी परेशानी के बारे में सोचे वैसे मैंने आप लोगों के लिए एक विला अरेंज करवा दिया है।"
किट्टू की बात सुनते ही अचानक उत्कर्ष जी ने कहा, "बेटा तुम्हें हमारे लिए इतना सब कुछ करने की जरूरत नहीं है रहने दो यहां का विला हम शायद।"
इसके आगे वह कुछ बोलते तभी आध्या ने कहा, "रिलैक्स हो जाए अंकल आपको यहां पर रहने के लिए कोई रेंट देने की जरूरत नहीं है यह पूरी जगह राजवंश अंपायर के अंदर आते हैं और यहां पर राज पांच अंपायर के एम्पलाइज के लिए अपार्टमेंट है बस मैं अपार्टमेंट की जगह पर एक विला अरेंज कर दिया। वैसे भी अब अनु भी राजवंश अंपायर का हिस्सा है तो उसके लिए मैं इतना तो कर ही सकती हूं।"
आध्या की बात सुन कर सब लोगों को कुछ भी समझ नहीं आया लेकिन आध्या आगे कुछ समझता नहीं चाहती थी जिस वजह से वह उन्हें विला के तरफ ले जाने लगी।
आध्या पूरी फैमिली को विला के पास ले जाने लगी जैसे ही सब लोगों ने विला को देखा थोड़े से हैरान रह गए क्योंकि ये विला रावत विला से भी काफी ज्यादा बड़ा था।
विला देखने के बाद अर्णव थोड़े से परेशान दिखाई देने लगा जिस की वजह से वह सब लोगों से थोड़ा अलग रह रहा था तभी आध्या अर्णव के पास गई और पास जाने के बाद वह बोली, "क्या हो गया है फूफा आप परेशान हो ?"
आध्या के सवाल को सुनते ही अर्णव ने कहा, "अब तुमसे क्या छुपाना पूरे परिवार को वहां से लेकर तो आ गया तुमने विला का अरेंज भी कर दिया लेकिन आप आगे क्या मेरे पास ना कोई जॉब है और ना ही कोई और कमाने का जरिया अब आगे किस तरह से मैं संभाल लूंगा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।"
अर्णव की बात सुनते ही अचानक आध्या को कुछ आइडिया आया और वह अर्णव की तरफ देखते हुए बोली, "फूफा आप क्यों ना अपनी खुद की एक कंपनी खोलें।"
अर्णव आध्या को देखते हुए बोली, "मेरे साथ मजाक कर रही हो मेरे पास यहां पर इतने पैसे होते तो मैं खुद ही एक कंपनी खोल लेता।"
तभी आध्या ने कहा, "फूफा इन्वेस्टमेंट नाम की भी एक चीज होती है। आप कंपनी की प्लानिंग करो इन्वेस्टमेंट की जिम्मेदारी मेरी वह मैं संभाल लूंगी।"
आध्या की बात सुन कर अर्नव एक पल के लिए हैरान रह गया लेकिन वह आध्या की बात मानने के लिए तैयार हो गया था।
उसने पूरा एक दिन लगा लिया अपनी कंपनी के बारे में सोने के लिए और सारी प्लानिंग भी कर ली इसके बाद वह आध्या से बात करना चाहता था लेकिन आध्या का फोन नहीं लग रहा था।
जिस वजह से वह थोड़ा सा परेशान होने लगा उसे अब ऐसा लग रहा था जैसे वह कुछ भी करने के लायक ही नहीं है क्योंकि उसे अपनों से इतना बड़ा धोखा मिला था। अब वह किसी और पर इतना भरोसा कर रहा है शायद उस का भरोसा डगमगा रहा था।
तभी अचानक ईशान ने चिल्ला कर कहा, "देखो पापा किट्टू दीदी आई है और वह मेरे लिए बहुत सारा खाना भी लेकर आई है।"
ईशान की बात सुनते ही अर्णव फौरन हॉल में आ गया। हॉल में जाने के बाद वह आध्या की तरफ देखते हुए बोला, "तुम मेरा फोन नहीं उठा रही थी तो मुझे लगा शायद।"
अर्णव आगे कुछ बोलना इससे पहले ही आध्या ने कहा, "आप को लगा मैं आप को धोखा देकर चली गई। वह मेरा फोन बंद हो गया था काम की वजह से फोन चार्ज करना भूल गई थी बस इसीलिए वैसे मैं आप को एक और नंबर देती हूं इस नंबर पर आपको हमेशा में मिलेगी वैसे ही नंबर मेरा तो नहीं है मेरे पर्सनल असिस्टेंट का है इस फोन करेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि मैं कहां पर हूं।"
आध्या की बात सुन कर अर्णव को न जाने क्यों हंसी आने लगती है। तभी अचानक उमेश जी ने आध्या से कहा, "किट्टू बेटा अब जब तुम यहां पर आ ही चुकी हो तो हमारे साथ डिनर करके जो हमें बहुत खुशी होगी।"
उमेश जी की बात को इंकार न करके आध्या ने ठीक है कहा फिर वह थोड़ी देर ईशान के साथ खेलने लगी ईशान भी आज अपनी किट्टू दीदी के साथ खेल कर काफी ज्यादा खुश था फिर सब लोग एक साथ बैठ कर डिनर करने लगे।
डिनर करते वक्त अर्णव ने आध्या से कहा, "किट्टू मैं बिजनेस के बारे में पूरा सोच लिया मुझे ज्यादा नहीं अगर 50 करोड़ की भी इन्वेस्टमेंट मिल जाती तो मैं एक छोटा सा बिजनेस शुरू कर लूंगा।"
अर्णव की बात सुन कर उत्कर्ष की काफी ज्यादा खुश होगी तभी आध्या ने कहा, "ठीक है तो फिर मैं आपको 100 करोड़ की इन्वेस्टमेंट दे सकती हूं। वैसे मैं इससे ज्यादा ही इन्वेस्टमेंट दे सकती हूं लेकिन शुरुआत में मैं आप को 100 करोड़ दूंगी।"
100 करोड़ का नाम सुनते ही अरनव और बाकी सब लोग काफी ज्यादा हैरान हो गए लेकिन कोई भी कुछ और रिएक्ट कर पता तभी आध्या का फोन बचाने लगा जैसे ही आध्या ने अपने फोन स्क्रीन पर दीवान जी का नाम फ्लैश होते हुए देखा तो वह फोन उठाते हुए बोली, "खम्मा घणी दीवाना अंकल सा।"
तभी फोन के दूसरी तरफ से दीवान जी ने कहा, "हुकुम सा आप एक हफ्ते बाद चित्तौड़गढ़ आने वाले हैं तो बस में इसीलिए आपसे पूछना चाहता था कि चित्तौड़गढ़ का जो अगला प्रोजेक्ट आप बात कर गए थे क्या हम वह पहुंचे शुरू कर दे या आपके आने का इंतजार करें।"
दीवान जी की बात सुनते ही आध्या कुछ सोचते हुए बोली, "आप प्रोजेक्ट शुरू करवा दीजिए हम एक हफ्ते बाद चित्तौड़गढ़ वैसे भी आने वाले हैं और इस बार हम चित्तौड़गढ़ में कुछ और प्रोजेक्ट के बारे में बात करेंगे।"
दीवान जी ने जैसे ही आध्या की बात को सुना वैसे ही वह जी हुकुम का कर कॉल कर देते हैं कॉल कट करने के बाद आध्या बिना अनु के तरफ देखते हुए बोली, "अनु हमें अगले हफ्ते चित्तौड़गढ़ निकलना होगा वैसे तो मेरे साथ शमशेर और भैरवा जाते हैं लेकिन शमशेर को इस बार यहां पर काम है तो इसीलिए शमशेर की जगह पर तुम मेरे साथ चलोगी।"
चित्तौड़गढ़ का नाम सुनते ही अनु एक पल के लिए घबराने लगते हैं और वह अचानक बोली, "नहीं वह मैं चित्तौड़गढ़ नहीं जाना चाहती।"
तभी अचानक आध्या को कुछ याद आता है और वह अनु के तरफ देखते हुए बोलती है, "अरे हां कॉलेज टाइम में तुम्हारा एक बॉयफ्रेंड था ना जिस का नाम अभय था। उस की वजह से राकेश अंकल ने तुम्हें काफी कुछ सुनाया भी था जिस के बाद तुमने उस के साथ ब्रेकअप कर लिया। और जितना मुझे पता है वह जयपुर से है मैंने सही कहा ना।"
आध्या की बात सुनते ही अनु एक पल के लिए काफी ज्यादा उदास हो गए अनु की उदासी को देख उत्कर्ष जी और उमा जी भी काफी ज्यादा उदास होने लगे तभी अनु वहां से उठकर अपने रूम के तरफ चली गई।
जिसे जाता हुआ देख आध्या स्माइल के साथ उत्कर्ष जी और उमा जी से बोली, "अंकल आंटी अगर आप बुरा ना माने तो क्या अनु को मेरे साथ जाने के लिए मनाएंगे मैं आप से वादा करती हूं इस बार जब वह मेरे साथ जाएगी और जब वह वापस आएगी तो उसके होठों पर वही मुस्कान होगा जो पहले होता था खुल कर जीती थी।"
उत्कर्ष जी और उमा जी ने जैसे ही आध्या की बातों को सुना वह आध्या की बात मानने के लिए तैयार हो गए। डिनर करने के बाद आध्या अरनव के साथ कुछ बिजनेस को लेकर बात करने लगी और फिर वह वहां से चली गई।
अर्णव ने अपनी कंपनी के लिए जगह भी देखना शुरू कर दिया था। आध्या ने अर्णव के बिजनेस को सेटल करने के लिए उसकी काफी मदद की थी।
जिस की वजह से अर्णव ने एक ही हफ्ते में अपनी कंपनी शुरू कर दिया था। और वह अपनी कंपनी शुरू करके काफी ज्यादा खुश नजर आ रहा था।
आध्या अनु को अपने साथ लेकर चित्तौड़गढ़ के लिए निकल चुकी थी। वह कुछ ही वक्त बाद चित्तौड़गढ़ पहुंच चुकी थी जैसे ही अनु ने चित्तौड़गढ़ देखा तो वह काफी ज्यादा हैरान थी।
जिसे देख कर उन्होंने आध्या से पूछा, "हम यहां पर क्यों आए हैं यहां पर ऐसा क्या काम है जो काम करने के लिए तुम यहां पर आई हो ?"
आध्या ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "मुझे आने के लिए किसी मकसद की जरूरत नहीं है क्योंकि यह मेरी अपनी जगह है। मैं चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा हूं चित्तौड़गढ़ मेरा है चित्तौड़गढ़ पर मैं हुकूमत करती हूं।"
आध्या की बात सुन कर अनु बहुत ही ज्यादा हैरान हो गए तभी वह दोनों चित्तौड़गढ़ के पैलेस के बाहर पहुंचे जैसे ही अनु ने चित्तौड़गढ़ के महल को देखा तो वह तो दंग ही रह गई क्योंकि आज से पहले शायद उसने कभी भी कोई महल नहीं देखा था तभी महल के अंदर से आशुतोष जी बाहर निकाल कर आए।
और अपनी बेटी को इतने वक्त बात देख कर काफी खुश होते हुए बोले, "चित्तौड़गढ़ की हुकुम सा चित्तौड़गढ़ में आप का स्वागत है। आप को बहुत वक्त बहुत देख कर हम बहुत ही खुश हैं।"
आशुतोष जी की बात सुनते ही आध्या बोली, "बाबा सा आप को हमें हुकुम सा बुलाने की जरूरत नहीं है आप हमें हमारे नाम से बुला सकते हैं।"
आध्या की बात सुनते ही आशुतोष जी ने कहा, "बिल्कुल नहीं हुकुम सा महल के अंदर हमारे बीच जो भी रिश्ता है महल के बाहर आप सिर्फ हुकुम सा है हम सब की हुकुम सा आप की इज्जत करना हम सब की ड्यूटी है और हम सब अपनी जिम्मेदारियां से कभी पीछे नहीं हटते।"
अनु बस दोनों की बातें सुन रही थी। अनु को दोनों की बातों से एक बात तो समझ में आ चुका था कि दोनों के बीच में कोई बहुत ही गहरा रिश्ता है।
तभी आशुतोष जी की नजर अनु के ऊपर पड़ता है जिसे देखते ही आशुतोष जी आध्या से पूछने लगते हैं, "आध्या बेटा तुम अपने साथ आज किस को लेकर आई हो ?"
आशुतोष जी के सवाल को सुनते ही आध्या अनु के तरफ देख कर बोली, "बाबा सा यह अनु है। मेरी पर्सनल सेक्रेटरी और साथ में उत्कर्ष अंकल की बेटी।"
उत्कर्ष की बेटी शब्द को सुनते ही आशुतोष जी मुस्कुरा कर बोले, "अच्छा तो तुम हो उत्कर्ष की बेटी वैसे तुमसे मिलकर काफी खुशी हुई मैं आध्या का पिता आशुतोष सिंह राजवंश।"
आध्या नाम सुन कर अनु को कुछ समझ नहीं आया जिसे देख कर आशुतोष जी आध्या को देखने लगी पर उसने इशारे में और कुछ ना बोलने के लिए कहा इसके बाद वह अनु को अपने साथ अंदर ले जाने लगी अनु ने जैसे ही महल को देखा वह काफी ज्यादा हैरान रह गई।
उस के दिमाग में फिलहाल कुछ भी नहीं चल रहा था वह सोच ही नहीं पा रही थी कि इतना बड़ा महल भी हो सकता है। फिर आध्या ने एक सर्वेंट से कह कर अनु को उस का का रूम दिखाने के लिए कहा फिर आध्या अपने रूम में जाकर फ्रेश हुई और फिर दीवान जी के साथ काम के बारे में बातें करने लगी।
शाम के वक्त
आध्या को किसी काम की वजह से दीवान जी के साथ महल से बाहर जाना पड़ा जब वह महल से बाहर थी तब अभय आशुतोष जी और अनुप्रिया जी से मिलने के लिए आया था।
अभय को असलियत में आध्या ने ही वहां पर बुलाया था लेकिन अभय को नहीं पता था कि आध्या ने उसे वहां पर क्यों बुलाया है इसलिए वह बस कंफ्यूज होकर अंदर जा रहा था तभी अचानक वह किसी से टकरा गया।
टकराने की वजह से उस का बैलेंस थोड़ा सा बिगड़ गया लेकिन उसने वक्त रहते खुद को संभाल लिया और वह अचानक गुस्से में अपने सामने खड़ी लड़की से कुछ बोलने के लिए उसे देख नहीं लगा कि तभी उस की आंखें हैरानी से फैल गई क्योंकि उस के सामने कोई और नहीं बल्कि अनु खड़ी थी।
अनु ने अब तक अभय को देखा नहीं था फिर वह भी अचानक अभय को देखते हुए बोलने लगी, "सॉरी मुझे माफ।"
अचानक अपने सामने अभय को देख जैसे अनु को अपने दिल में एक अजीब सा दर्द होने लगा और वह बस अभय को ही देखी जा रही थी।
तभी पीछे से अनुप्रिया जी आई और उन्होंने जैसे ही अभय को देखा वह पीछे से अभय को पुकारते हुए बोली, "अभय बेटा आप यहां पर आप अंदर लिए क्या आप अकेले आए हैं ? आप के साथ कोई और नहीं आया ?"
अनुप्रिया जी के सवाल को सुनते ही अभय अनु को इग्नोर करके अंदर चला गया अंदर जाने के बाद वह अनुप्रिया जी से बोला, "आंटी को भाभी सा ने बुलाया था मुझे उन्हें शायद मुझे कुछ काम है वैसे वह है कहां पर ?"
अभय के सवाल को सुनते ही अनुप्रिया जी ने मुस्कुराहट के साथ कहा, "तुम्हारी भाभी सा दीवान जी के साथ किसी काम से बाहर गई है वह थोड़ी देर में आ जाएंगे तुम तब तक महल घूम लो।"
इतना बोल कर अनुप्रिया जी वहां से चली गई अनुप्रिया जी के वहां से जाने के बाद अभय पीछे मुड़ कर अनु को देखने लगा। कॉलेज टाइम में अनु का एक बॉयफ्रेंड था जिसे वह काफी ज्यादा प्यार करती थी हर किसी को यह बात अच्छे से पता थी लेकिन कोई नहीं जानता था कि वह लड़का कौन है।
4 साल पहले अनु ने अपने बॉयफ्रेंड से सारे रिश्ते तोड़ दिए थे। रिश्ता तोड़ने से पहले उन्होंने अपने बॉयफ्रेंड को नहीं बताया था कि उसने अपने बॉयफ्रेंड के साथ रिश्ता क्यों तोड़ा वह बॉयफ्रेंड असलियत में और कोई नहीं बल्कि अभय था।
4 साल बाद अनु को देख कर अभय को वह तकलीफ याद आया जो अनु ने उसे दिया था। वही अनु बस बिना कुछ बोले अभय को ही देखे जा रही थी।
कुछ देर तक एक दूसरे को देखने के बाद अनु अचानक वहां से बाहर निकल कर जाने लगी अनु काफी ज्यादा उदास लग रही थी।
उसका दिल जैसे मालूम कह रहा था कि अभी जाकर अभय के गले लग जा लेकिन वह जानती थी कि उसने जो कुछ भी किया उसके बाद शायद अब है अब उसे कभी वापस अपने सामने देखना भी नहीं जाएगा।
कुछ देर बाद आध्या महल वापस आ गई जैसे ही वह आई पैसे ही उसकी नज़रें अभय के ऊपर पड़ी अभय को देखते ही वह अभय को अपने साथ एक शांत जगह पर ले जाने लगा।
वहां पर जाकर दोनों बैठ गए उन के सामने सर्वेंट ने कॉफी रखा। कॉफी पीते हुए अभय ने बिना किसी एक्सप्रेशन के साथ आध्या से कहा, "आप मुझे अनु से मिलवाना चाहती थी इसलिए आपने मुझे यहां बुलाया। लेकिन शायद आप को नहीं पता अनु ने मेरे साथ कितनी बुरी तरह से रिश्ता तोड़ा था मेरा दिल तोड़ा था।"
अभय की आंखों में दर्द साफ दिखाई दे रहा था जिसे देखते ही आध्या ने कहा, "एक बात बताओ अभय अगर तुम्हें पता चले कि अनु ने कभी तुमसे रिश्ता तोड़ने के बारे में सोचा ही नहीं था वह सिर्फ तुमसे रिश्ता तोड़ने के लिए मजबूर थी क्या तुम तब भी अनु से एक बार बात करना नहीं चाहोगे।"
क्या जवाब देगा अभय आध्या के सवाल का ?? क्या अनु और अभय दोनों फिर से एक हो पाएंगे ??
आध्या के सवाल को सुन कर अभय कुछ पल सोचने लगा। अभय को इस तरह सोचता हुआ देख आध्या ने फिर से कहा, "मैं जानती हूं जो कुछ भी 4 साल पहले हुआ उसे वजह से तुम्हारा दिल बहुत ही बुरी तरह से टूटा है लेकिन अगर तुम्हें जिंदगी दोबारा एक मौका दे रही है तो प्लीज उसे मौके को गवाओ मत। क्योंकि जिंदगी बार बार मौका नहीं देती।"
आध्या की बात सुनते ही अभय ने कहा, "भाभी सा आप कितनी आसानी से सब कुछ समझा देती है ना भले ही आप हम सबसे छोटी है लेकिन जिंदगी ने आप को हम सब से ज्यादा समझदार बना दिया।"
आध्या मुस्कुरा कर बोली, "जब रात हो रहा तुम्हें बड़ा करने की जरूरत पड़ जाए तब तुम खुद ही समझदार बन जाते हो तुम्हें समझदार बनने की जरूरत नहीं पड़ती वक्त और हालात तुम्हें सब कुछ सिखा देता है।"
आध्या अपनी बात खत्म करके वहां से चली गई आध्या के वहां से जाने के बाद अभय अचानक अनु के सामने आया अनु ने जैसे ही अभय को अपने सामने देखा वह थोड़ी देर के लिए चुपचाप अभय को ही देखने लगी।
अभय अनु का पहला प्यार था उन्होंने अभय से जिस तरह से प्यार किया था शायद वह जिंदगी में कभी किसी से प्यार नहीं कर पाती। अभय के उसके जिंदगी से जाने के बाद अनु ने दोबारा किसी और से प्यार करने की हिम्मत भी नहीं की क्योंकि उसका दिल सिर्फ अभय के लिए धड़कता था।
बचाकर भी किसी और को अपने दिल में जगह नहीं दे पाए जब अभय ने देखा कि अनु उसे काफी ध्यान से देख रही है तो वह अचानक अनु से बोला, "तुमसे बस एक ही सवाल करूंगा क्या तुमने कभी मुझ से प्यार किया ?"
अभय के सवाल को सुनते ही अनु की आंखों से आंसू बहने लगी और वह आंसू भरी आंखों से अभय को देख कर बोली, "जान से भी ज्यादा।"
अनु का जवाब सुनते ही अभय ने पूछा, "तो फिर मुझे 4 साल पहले छोड़ क्यों दिया था क्यों कहा था कि तुम्हारे दिल में कोई और है तुम मुझसे प्यार नहीं करती क्यों तोड़ा था मेरा दिल।"
अनु नहीं रोते हुए कहा, "ऐसा नहीं करती तो चाचू तुम्हें मार देता उन्होंने मुझे धमकी दी थी अगर मैं तुम्हें नहीं छोड़ा तो वह तुम ही हो तुम्हारे परिवार को जान से मार देते।"
अभय अचानक अनु के थोड़ा करीब जाकर बोला, "तो इसके बारे में मुझे कुछ बताया क्यों नहीं अगर तुमने मुझे बताया होता तो आज हम दोनों कभी अलग नहीं होते।"
अनु ने रोते हुए फिर से कहा, "तुम्हें क्या लगता है अभय तुम्हें कुछ हो जाए इसके बारे में सोचते ही मैं कितना ज्यादा डर जाती थी। मैं जानती थी चाचू जो कुछ भी कह रहे हैं वह जरूर करेंगे इसीलिए मैंने यही सोचा कि तुम्हारा मेरी जिंदगी से दूर जाना ही सही होगा इसलिए मैंने वह सब नाटक किया। क्योंकि मैं जानती थी तुम कभी यह बात नहीं मानोगे कि मैं तुम्हें धोखा दे रही हूं मैं इसीलिए तुम्हें दिखाने के लिए सब कुछ नाटक किया।"
अनु की बात सुनते ही अचानक अभय ने अनु को गले से लगा लिया और फिर वह अचानक बोला, "आगे तुम्हें कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है मैं समझ गया कि उस वक्त तुम्हारी सिचुएशन क्या थी। और इन चार सालों में जितना गुस्सा तुम पर था वह सब आज खत्म हो गया।"
दोनों ऐसे ही एक दूसरे को कुछ देर तक गले लगाए खड़े थे तभी अचानक अनु ने अभय को अपने से दूर किया जिसे देख कर अभय बोला, "अब क्या हुआ अब क्यों अपने से दूर कर ही हो ?"
अनु ने अभय को देखते हुए कहा, "मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से फिर से तुम्हारी जिंदगी में कोई प्रॉब्लम आई इसलिए हम दोनों का एक दूसरे से अलग रहना ही शायद सही होगा।"
अनु की बातों को सुन कर अभय को अब गुस्सा आने लगा और वह अचानक गुस्से में बोला, "तुम खुद को समझती क्या हो किसने हक दिया हम दोनों की जिंदगी का फैसला तुम अकेली लो। 4 साल खुद को मुझसे दूर रखा इतना काफी नहीं था जो अब फिर से दूर जाने के बारे में सोच रही हो।"
अभय को गुस्सा करता हुआ देख अनु थोड़ी सी सहम गई जिसे देख कर अभय खुद को शांत करने की कोशिश करते हुए बोला, "यह 4 साल में किस तरह से जी रहा हूं यह सिर्फ मैं जानता हूं मैं बस तुम्हें वापस चाहता हूं मैं चाहता हूं कि तुम मेरी जिंदगी में वापस लौट कर आओ और ही बात प्रॉब्लम की तो वह सब कुछ मैं संभाल लूंगा तुम बस मेरी जिंदगी में हमेशा के लिए लौट कर आ जाओ सिर्फ मेरी बनकर रह जाओ।"
अभय की बातों को सुन कर अनु बहुत देर तक सोचने लगी जिसे देख कर अभय अनु की तरह बस उम्मीद भरी नजरों से देख रहा था तभी अचानक थोड़ी दूर से आवाज आई, "अनु जिंदगी बार बार किसी को मौका नहीं देती जब तुम्हें फिर से मौका मिल रहा है अपने प्यार के साथ जिंदगी बिताने का तो उसे गवा क्यों नहीं हो।"
जैसे ही अभय और अनु दोनों ने आध्या की आवाज को सुना और आध्या की बात को सुना वैसे ही दोनों ही आध्या को देखने लगे तभी उन्होंने कहा, "किट्टू तुम अच्छे से जानती हो मेरी फैमिली कभी अभय को एक्सेप्ट नहीं करेंगे। और मेरी वजह से अभय को कोई प्रॉब्लम हमें नहीं चाहती।"
आध्या कुछ सोचते हुए दोनों के पास जाकर बोली, "तुम्हारा मतलब तुम्हारी रावत फैमिली जिसके साथ आप तुम लोग नहीं रहते अनु तुम्हारे और फूफा की खुशी के खातिर तुम्हारे पापा और तुम्हारी मम्मी रावत फैमिली के बाकी लोगों से अलग हुए वह बस तुम्हें खुश देखना चाहते हैं जब तुम्हें तुम्हारी खुशी वापस मिल रही है तो फिर तुम उसे अपनी जिंदगी में शामिल क्यों नहीं कर लेते।"
आध्या की बातों को सुन कर अनु को भी लगा कि अब उसे अभय को अपनी जिंदगी में वापस लेकर आना चाहिए इसके बारे में सोने के बाद वह अभय से बोली, "मैं तुम्हारे साथ बहुत गलत किया है लेकिन अभय मैं तुम्हारे साथ कोई गलत नहीं करूंगी। अब मैं जिंदगी में दोबारा तुम्हें छोड़ कर कभी नहीं जाऊंगी।"
इतना कह कर अनु ने अभय को गले लगा लिया। अनु के गले लगाने के बाद अभय आध्या के तरफ मुस्कुरा कर देखने लगा क्योंकि आज वह काफी ज्यादा खुश था उससे ज्यादा कोई आज खुश था ही नहीं शायद।
2 दिन बाद
अनु और आध्या वापस मुंबई जा चुके थे अनु मुंबई जाने के बाद वह काफी ज्यादा खुश थी जैसे ही वह घर पहुंची तो वह खुशी खुशी घर के अंदर आई जिसे देख कर बाकी सब लोग काफी ज्यादा हैरान थे लेकिन उमा जी अपनी बेटी को इतनी वक्त बाद खुश देख कर वह भी काफी ज्यादा खुश हो गई।
वहीं दूसरी तरफ मित्तल विला में
विनीता जी को आज आध्या की काफी ज्यादा याद आ रही थी जिस वजह से वह अनूप जी से बोली, "अनूप एक बार किट्टू को फोन करो ना उसे यहां पर आने के लिए कहो।"
विनीता जी की बात सुन कर अनूप जी विनीता जी को देखने लगे। लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें आध्या को फोन करना चाहिए या नहीं।