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A cruel fairytale

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Jahnavi Sharma

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Description

आरोही श्रीवास्तव, जो एक राइटर है और फंस चुकी है अपनी ही लिखी नॉवेल की दुनिया में..! क्या नॉवेल के हीरो रिदांश ठाकुर, ने उसके साथ जो किया, वो सब आरोही को खुद को झेलना पड़ा?

Total Chapters (140)

Page 1 of 7

  • 1. A cruel fairytale - Chapter 1

    Words: 1947

    Estimated Reading Time: 12 min

    दिल्ली की एक यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम के बाहर एक बड़ा सा होर्डिंग लगा था, जिस पर लिखा था, "अ क्रुएल फेरीटेल" हां, यही नाम था उस नॉवेल था, जिसे लिखा था, राइटर आरोही श्रीवास्तव ने। इस ऑडिटोरियम में आज उसी फेमस राइटर आरोही श्रीवास्तव की प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली थी। वो पहली बार इंटरव्यू के लिए मानी थी इसलिए वहां काफी भीड़ जमा थी। बहुत सारे रिपोर्टर, स्टूडेंटस, सोशल वर्कर्स या जो भी उसे अपना आइडल मानते थे, वो उस इंटरव्यू को देखने के लिए आए थे। वहां कुछ लोग ऐसे भी थे, जो उससे जलते थे। आरोही श्रीवास्तव ने आज से पहले कभी इंटरव्यू नहीं दिया था और ना ही वो पब्लिक के बीच में आई थी। इस बार पब्लिक के बीच में आने का कारण था, उसकी लिखी पिछली बुक, जो पूरे इंडिया में तहलका मचा रही थी और उसकी अब तक की सबसे हिट बुक थी। बुक फेमस होने के साथ ही कंट्रोवर्शियल भी थी। बुक का कंटेंट ही ऐसा था कि कुछ लोगों ने उसे बहुत ज्यादा पसंद किया तो क्रिटिक्स और कुछ फेमिनिस्ट आरोही के खिलाफ हो गए थे। मजबूरन आरोही के मैनेजर को ये कॉन्फ्रेंस बुलानी ही पड़ी। अब तक सबने आरोही श्रीवास्तव की फोटो ही देखी थी। वो भी उसकी बुक के पीछे छोटी सी प्रिंट होती थी। किसी ने आरोही को आज तक सामने से नहीं देखा था। उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर भी सिर्फ बुक्स की ही पिक्चर्स थी। रिपोर्टर्स और बाकी लोगों को आए हुए काफी टाइम हो गया था। लगभग आधे घंटे इंतजार करने के बाद भी आरोही नहीं आई तो उनमें से एक ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि आरोही श्रीवास्तव आज यहां आने वाली है। वो इतने लोगों को फेस नहीं कर पाएगी। उसके बारे में अक्सर यही सुना है कि उसका भीड़ में दम घुटने लगता है।” उसकी बात सुनकर दूसरे रिपोर्टर ने कहा, “लेकिन मुझे कुछ और ही लग रहा है। लगता है वो घबरा गई है। ऐसा कॉन्टेंट कौन लिखता है? आई मीन एक लड़की होकर किसी दूसरी लड़की के साथ टॉर्चर जैसे सीन देखना। ओ माय गॉड... पढ़ते भी है तो दिल कांप उठता है। ऊपर से आखिर में उसने नॉवेल की लीड को इतनी बेदर्द मौत दी।” उन दोनों की बात सुनकर एक 16 साल की लड़की, जो आरोही की फैन थी, वो वहां पर आई। उसने तेज आवाज में कहा, “आप बिना उन्हें जाने जज कैसे कर सकते हैं? आपने बुक ठीक से पढ़ी भी है या नहीं? बुक में जो हीरोइन है, उसने उसे खुद का रूप दिया है और खुद ही का नाम। फिर आप ऐसा कैसे कह सकते हैं कि उसने किसी दूसरी लड़की के बारे में गलत लिखा है। मैने वो स्टोरी पढ़ी है और बहुत अच्छी लव स्टोरी है, बहुत यूनिक भी। आप जैसे लोग बस जज करना जानते हो और आरोही मैम आज यहां जरूर आएगी।” लड़की गुस्से में उन्हें काफी कुछ सुना कर वहां से चली गई। उसकी बातें सुनकर उन दोनों के मुंह से एक ही बात निकली, “ये आजकल के बच्चे भी ना। ठीक से किसी को जानते बूझते भी नहीं और बस उनके फैन बन जाते हैं।” उनके बीच खड़ी एक फेमिनिस्ट सोशल वर्कर ने कहा, “हां सही कहा। वैसे आरोही श्रीवास्तव भी काफी कम उम्र की है। इस उम्र में ठीक से समझ नहीं होती तो लड़कियां कुछ भी लिख देती है। सुना है ज्यादा पढ़ी लिखी भी नही है। अब बस यही उम्मीद है कि आज वो इस कांफ्रेंस में सबके सामने माफी मांग लें और इस बुक का पब्लिशिंग यहीं पर रुकवा दे। वो अपनी घटिया सोच को यही पर रोक दे, तो हमारे समाज और संस्कृति के लिए अच्छा होगा।” सब लोग अलग-अलग तरह की बातें कर रहे थे। इन सब के बीच आरोही श्रीवास्तव प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंची। उसे देखते ही सब दंग रह गए। उसने नॉवेल में अपनी लीड हीरोइन को खुद का ही रूप रंग, यहां तक की नाम भी अपना ही दिया था। अब तक सबको यही लगता था कि आरोही ने कुछ ज्यादा ही बढ़ा चढ़ाकर लड़की के बारे में लिख दिया है पर जब उन्होंने आरोही को देखा तो यही लगा आरोही ने अपनी तारीफ में गिने-चुने शब्दों का ही उपयोग किया है। आरोही श्रीवास्तव दिखने में काफी खूबसूरत थी। उम्र 22 साल, 5 फुट 4 इंच हाइट, कमर तक के आलमंड ब्राउन हेयर, गोरा चेहरा, छोटी गहरी भूरे रंग की आंखें, छोटी सी नाक और उभरे हुए होंठ। बिना किसी मेकअप के भी आरोही बहुत खूबसूरत लग रही थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस बड़ी होने की वजह से उसने काफी सलीके के कपड़े पहने थे। हमेशा से अलग आज आरोही ने सिंपल सफेद कलर का अनारकली सूट पहना हुआ था। कानों में झुमके और खुले बालों में वो काफी खूबसूरत दिख रही थी। आरोही के वहां आते ही भीड़ अपने आप चुप हो गई और उसे देखने लगी। सबने यही सोचा था आरोही 22 साल की है तो काफी चुलबुली और अपनी उम्र के हिसाब से होगी, जैसा कि उसके नॉवेल की लीड होती थी लेकिन आरोही उनसे अलग थी। बिल्कुल शांत चेहरा और एक सादगी। वो चुपचाप जाकर अपनी जगह पर बैठी और माइक को सही करके शांत लहज़े में कहा, “मैं आरोही श्रीवास्तव... आज आप सबके साथ यूं रूबरू होकर मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। काश हम किसी अच्छी वजह के चलते मिलते।” बातों ही बातों में आरोही ने उन सब को ताना मार दिया था। उसके तीखे लहजे से उसके फैंस ने क्लैपिंग करनी शुरू कर दी तो जो उसके खिलाफ थे, वो मुंह बनाते हुए इधर-उधर देखने लगे। मौका पाकर एक रिपोर्टर खड़ी हुई और उसने अपना सवाल पूछा, “आरोही मैम, आप काफी कम उम्र की है। क्या आपके घर वालों ने आपकी नॉवेल नहीं पढ़ी? आई मीन आपकी नॉवेल की हीरोइन आरोही श्रीवास्तव, जिसको आपने अपना नाम दिया है, उसके साथ बहुत बुरा किया है आपने। एक लड़की होकर आप दूसरी लड़की के लिए ऐसे सीन कैसे लिख सकती हैं।” आरोही ने कुछ पल उसे देखा और फिर जवाब में कहा, “वो सिर्फ एक नॉवेल था। कंट्रोवर्सी ना हो इसलिए मैंने खुद का नाम यूज किया। उस लड़की को खुद की पहचान दी, खुद का अस्तित्व दिया फिर आप कैसे कह सकती हैं कि मैंने किसी दूसरी लड़की के खिलाफ कुछ लिखा है।” आरोही ने सधे हुए लहजे में जवाब दिया। फिर दूसरी रिपोर्टर खड़ी हुई, जो आरोही की फैन थी। वो मुस्कुरा कर बोली, “सबसे पहले तो आपकी नॉवेल इतनी हिट गई उसके लिए कांग्रेचूलेशंस। मैम इस नॉवेल में आपने बहुत सी चीजे दिखाई है, जो आपकी पर्सनल लाइफ से जुड़ी है। जैसे कि आपकी मां का होना। आपकी ट्रू फैन होने के नाते मैं जानती हूं कि 5 साल पहले आपकी मां की मौत हो चुकी है। क्या आप उन्हें अभी भी मिस करती है इसलिए आपने नॉवेल में उनका रोल लिखा।” अपनी मां का जिक्र आते ही आरोही के चेहरे पर हल्की उदासी आ गई। फिर उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “कुछ लोग आपकी लाइफ में बहुत स्पेशल होते हैं और आप उन्हें भूल ही नहीं पाते हैं, तो फिर मिस करना कहां से आ गया। हां मैने काफी कुछ अपनी प्राइवेट लाइफ के बारे में लिखा है, क्योंकि मैं चाहती हूं, मेरे फैन्स मेरे बारे में जाने।” “और रिदांश ठाकुर?” पीछे से किसी लड़के की आवाज आई। वो भी रिपोर्टर था। उसने खड़े होकर कहा, “रिदांश ठाकुर के बारे में आपका क्या कहना है? क्या वो कैरेक्टर भी असली है? अगर आप सर्च करें तो इस नाम से बहुत सारे लोग आपको मिल जाएंगे।” “ये कॉमन नाम है किसी का भी हो सकता है। बस मैंने भी ऐसे ही एक नाम लिया है। बाकी कुछ लोग कहानियों और हकीकत में फर्क नहीं कर पाए तो ये उनकी प्रॉब्लम है।” आरोही ने इतना ही कहा। उसके बाद उसने काफी सारे सवालों के जवाब दिए। कुछ उसके फैंस ने पूछे थे तो ज्यादातर वहां नॉवेल के खिलाफ ही बहसबाजी हुई। आखिर में आरोही ने यही कहकर प्रेस कांफ्रेंस खत्म की, “जिसे मेरे नॉवेल से दिक्कत से है, वो मुझे ना पढ़े।” उसकी इस बात वहां बैठे उसके दुश्मनों और साथी राइटर्स को काफी गुस्सा आया और उन्हें इसके खिलाफ बोलने का एक और मौका मिल गया। कांफ्रेस के बाद आरोही ने कुछ फैंस के साथ फोटोस खिंचवाई और उन्हें ऑटोग्राफ दिया। जो लोग, यहां आरोही के खिलाफ यहां खड़े हुए थे। उन्होंने बहुत कोशिश की कि वो आरोही की बुक पर रोक लगा सके लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। फैन मीटअप खत्म होने के बाद आरोही वहां से जाने लगी। वो अपनी गाड़ी में अकेली थी क्योंकि इसके बाद आरोही को कुछ देर अकेले रहना था। वो खुद ही गाड़ी ड्राइव कर रही थी। ______________ एलए, यूएस सुबह के दस बज रहे थे। एक बड़ी सी लग्जरियस बिल्डिंग में एक लगभग 27 साल का लड़का कॉफी मग के साथ बैठा था। उसके चेहरे के भाव सर्द थे। उसकी गहरी काली आंखों में गुस्सा था। उसने इस वक्त ब्लैक कलर का नाइट सूट पहन रखा था और सोफे पर अपने पैर चढ़ाकर बैठा था। उसके सामने एक लड़की खड़ी थी, जो लगभग 25 साल के करीब थी। उसने एक बुक सामने की टेबल पर फेंकी। वो आरोही श्रीवास्तव की बुक थी। वो लड़का उस बुक को गुस्से में घूर रहा था। वो बुक को उठाता उससे पहले वो लड़की बोल पड़ी, “रिदांश ठाकुर, यही नाम है इस कहानी के हीरो का। ये लड़की तुम्हें जानती है क्या? इसने बुक में तुम्हारा कैरेक्टर लिया है। मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा। फिजिकल फीचर्स से लेकर कैरेक्टर तक हर एक चीज सेम कैसे हो सकती है? यहां तक कि तुम्हारी पर्सनल इनफॉरमेशन इसे कैसे पता चल सकती है। अगर किसी ने ज्यादा दिमाग लगाया तो तुम्हारा किंग्स एम्पायर बर्बाद हो सकता है।” वो रिदांश ठाकुर था। उम्र 27 साल, 6 फीट 1 इंच हाइट, गोरा चेहरा, जिस पर हल्की दाढ़ी थी और गहरी काली आंखें, जिसमें एनीटाइम गुस्सा रहता था। रिदांश ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और बुक को उठाकर देखने लगा। उसने बुक के कुछ पेज पलट कर पढ़े और फिर बुक को फेंकते हुए कहा, “खत्म कर दो इस बुक को और इसे लिखने वाली को भी। इसकी एक भी कॉपी आगे मार्केट में नहीं आनी चाहिए। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी ये बुक नहीं दिखनी चाहिए वेरोनिका।” रिदांश ने अपनी तरफ से ऑर्डर पास कर दिए थे और फिर वहां से चला गया। उस लड़की का नाम वेरोनिका था। वो रिदांश ठाकुर की मैनेजर थी। रिदांश के जाने के बाद उस लड़की ने किसी को कॉल पर कनेक्ट किया और फिर कमांड देते हुए कहा, “उन्होंने ऑर्डर पास कर दिया हैं। लड़की को मार दो। मैंने तुम्हें उसका पीछा करने के लिए कहा था। तुम वही हो ना?” “हां वही हूं और मेरी नज़रें उस पर टिकी हुई है। इस वक्त वो गाड़ी में है और उसके साथ कोई नहीं है।” एक आदमी ने जवाब दिया, जो एक ट्रक ड्राइव कर रखा था। उसने उसे सामान से फुल्ली लोड कर रखा था। वो आरोही के पीछे था। जैसे ही ऑर्डर पास हुआ, उसने आरोही की गाड़ी को एक जोरदार टक्कर मारी। इस वक्त गाड़ी फ्लाईओवर के ऊपर थी तो आरोही की गाड़ी अपना बैलेंस खोकर फ्लाईओवर से नीचे उतर चुकी थी। गाड़ी 3 से 4 बार पलटी। टक्कर काफी जोरदार थी और आरोही की गाड़ी का दरवाजा टूटकर गिर गया और वो घायल हालत में गाड़ी में पड़ी थी। आरोही की हालत देखकर लग रहा था। उसकी कुछ चंद आखिरी सांसें बची थी। उसमें भी उसके चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी। आरोही की आंखों के सामने अचानक उसकी किताब आकर गिरी, और उसी पल में उसकी आँखें बंद हो गई थी। °°°°°°°°°°°°°°°° हैलो guys, कहानी काफी यूनिक है। आई होप आपको पसंद आए। प्लीज थोड़ा सपोर्ट कीजिएगा। स्टोरी के पार्ट को अपना रिव्यू दीजिएगा। बाकी आरोही का नॉवेल इतना कॉन्ट्रोवर्शियल क्यों है, वो आगे आपको समझ आ जाएगा।

  • 2. A cruel fairytale - Chapter 2

    Words: 1339

    Estimated Reading Time: 9 min

    सुबह के लगभग 7 बज रहे थे। कोलकाता की एक पुश्तैनी हवेली के अंदर सुबह-सुबह पूजा की घंटियां बज रही थी। एक लगभग 45 साल के करीब दुबली पतली औरत, जिसने अपने बालों को तौलिए से बांध रखा था, उसके हाथ में पूजा की थाली थी। उसने साड़ी पहन रखी थी और पूजा करने के बाद भगवान के सामने हाथ जोड़े। हाथ जोड़ते हुए वो औरत बोली, “देवी मां मेरी आरू को खूब-खूब तरक्की देना और वो दिल लगाकर पढ़ाई पूरी कर रही है तो इस बार कोई अड़चन मत आने देना।” वो आरोही की मां संध्या थी। पूजा करने के बाद संध्या ने आंगन से ही आरोही को आवाज़ लगाई, “आरू... आरोही... बेटा आरू, कितनी देर तक सोएगी। पता है ना कॉलेज जाना है और अब तक बिस्तर में पड़ी है। कल की तरह फिर से देर हो गई तो आकर हमें ही दो बातें सुनाएगी।” आरोही अपने बेड पर आराम से सोई हुई थी। संध्या की आवाज सुनकर उसकी नींद टूटी। आरोही को ऐसे लग रहा था जैसे वो किसी सपने से बाहर आई हो। उसने चारों तरफ नजरे घूमा कर अपने कमरे को देखा। वो अपने पुश्तैनी घर में थी, जो कोलकाता में था। आरोही खुद को उस कमरे में पाकर चौंक गई। वो अपने सिर पर हाथ लगाकर पुरानी बातें सोचने की कोशिश करने लगी। उसने धीरे से कहा, “मैं यहां कैसे आ सकती हूं? मैं तो बचपन में यहां रहती थी। मुझे ऐसे क्यों लगा जैसे मां ने मुझे आवाज दी हो। ऐसा कैसे हो सकता है। वो तो इस दुनिया में ही नहीं है और मैं यहां कैसे आई? मैं तो प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर निकली थी और मेरा एक्सीडेंट हो गया था।” आरोही के साथ जो भी हुआ था, वो उसे याद था। आरोही उलझन में बिस्तर पर ही थी कि तभी उसे झटका सा लगा। सामने दरवाजे पर उसकी मां खड़ी थी, जिसके हाथ में चाय का कप था। संध्या को अपने सामने देखकर आरोही को घबरा गई। वो डर कर पीछे खिसकने लगी। उसके चेहरे का रंग उड़ गया था। “म... मां... आप... कैसे।” आरोही उन्हें देखते हुए अटकते हुए बोलने की कोशिश कर रही थी। संध्या ने उसे देखकर सिर हिलाया और चाय की ट्रे बेड साइड पर रखते हुए बोली, “तुम्हारा चेहरा सफेद क्यों हो गया, जैसे कोई भूत देख लिया हो? जल्दी से तैयार हो जाओ। तुम्हारी फ्रेंड काजल आती ही होगी।” संध्या ने उसे प्यार से डांटा। “लेकिन मेरी तो कोई फ्रेंड नहीं है। आप किसकी बात कर रही है।” आरोही ने हैरानी से पूछा। संध्या ने उसके माथे पर हाथ रखा और कहा, “बुखार तो नही है, फिर ये बहकी बहकी बातें क्यों कर रही है? देख तेरे पापा को बैंक जाने में देर हो रही है। उनके लिए डिब्बा तैयार करना है।” कहकर संध्या वहां से चली गई। संध्या की बातें आरोही को हैरानी में डाल रही थी। वो धीरे से बोली, “काजल कौन हो सकती है? और मुझे ये नाम सुना हुआ क्यों लग रहा है? पापा बैंक क्यों जायेगे? वो तो स्कूल में प्रिंसिपल है। बाकी सब बाद में, मेरा एक्सीडेंट हुआ था, मैं यहां क्या कर रही हूं?” आरोही को हर एक चीज सकते में डाल रही थी। वो उठकर ड्रेसिंग टेबल के सामने गई और खुद को देखा। वो हमेशा से अलग लग रही थी। आरोही को इंडियन पहनना कम पसंद था। उसने इंटरव्यू के लिए खास ड्रेस मंगवाई थी, ताकि पब्लिक में अपनी इमेज सही कर सके। उसने अपने कपड़ो को देखा तो इस वक्त उसने सफेद रंग का स्लीवलेस कुर्ती और नीचे सफेद ही प्लाजो पेंट पहना था। उसके बाल हल्के वेवी थे, लेकिन अब बिल्कुल स्ट्रेट लग रहे थे। ऐसी ड्रेस आरोही के पास थी तो नही लेकिन उसने इस ड्रेस को पहले भी कही देखा था। आरोही ने फिर कमरे में नजरें दौड़ाई। कमरे में डस्की स्काई ब्लू पैंट था। इंटीरियर भी उसकी हवेली से अलग था। हवेली पुरानी जमाने की थी तो उसका फर्नीचर भी उसके हिसाब था लेकिन इस कमरे का फर्नीचर थोड़ा मॉडर्न था। आरोही को ऐसे लग रहा था जैसे वो अचानक ही वो किसी अलग ही दुनिया में पहुंच गई हो। एक जानी पहचानी दुनिया, लेकिन फिर भी सब अनजान। आरोही वहां अपने ख्यालों में खोई थी तभी उसे बाहर किसी लडकी की तेज आवाज सुनाई दी। आरोही दौड़कर बाहर गई तो एक लगभग 22 साल की लड़की खड़ी थी। हल्का गेरुआ रंग, तीखे नैन नक्श, जिसने घुटनों तक का रेड फ्रॉक पहना था। वो काजल थी। काजल ने कुछ देर नीचे संध्या से बात की और फिर मुस्कुराते हुए ऊपर आई। ऊपर आते ही उसने आरोही को तैयार हुए बिना देखा तो वो अपने दोनों कमर पर हाथ रख कर बोली, “आंटी बिल्कुल ठीक कह रही थी। तुम अब तक तैयार नहीं हुई हो। अब तुम्हारा वो डायलॉग कहां गया, जब तुम कहती थी कि दुनिया इधर-उधर हो जाए लेकिन तुम अपने फेवरेट दत्त सर का लेक्चर कभी मिस नहीं करोगी। भूल गई क्या , एथिक्स तेरा फेवरेट सब्जेक्ट है। हमेशा तो तू इतनी एक्साइटेड रहती है और आज तैयार भी नहीं हुई।” जैसे-जैसे काजल बोले जा रही थी उसके शब्द आरोही के कानों में गूंज रहे थे। वो अपने कान पर हाथ रखकर जोर से चिल्लाई। आरोही दौड़कर बाथरूम में चली गई। कमरे से अटैच बाथरूम था। अचानक उसे याद आया कि हवेली में किसी भी कमरे में अटैच बाथरूम नहीं था। फिर इस कमरे में कैसे हो सकता है? फिर उसने इधर-उधर नज़रें दौड़ाई तो बाथरूम बिल्कुल वैसा ही था जैसे उसने अपनी किताब में लिखा था। वही किताब जिसके चलते उसे दुनिया से रूबरू होना पड़ा था। धीरे-धीरे आरोही को सब याद आ रहा था। वो अपनी ही बनाई दुनिया में फंस चुकी थी... अपनी किताब की दुनिया में। आरोही को याद आया कि उसने अपने नॉवेल की शुरुआत भी इसी तरह की थी, जब सुबह उसकी मां ने उसे जगाया था और उसकी फ्रेंड काजल उसके देर से उठने पर उसे डांट रही थी क्योंकि आज पहली बार आरोही देर से उठी थी। हमेशा वो कॉलेज का फर्स्ट लेक्चर, जो मिस्टर दत्त का होता था उसे कभी मिस नहीं करती थी लेकिन आज उनकी वजह से उन्हें देर हो गई थी। आरोही सब कुछ समझने की कोशिश कर रही थी तभी काजल ने जोर-जोर से दरवाजा खटखटाया। इसी के साथ आरोही का ध्यान टूटा। काजल बाहर से उसे आवाज लग रही थी। सच्चाई का अहसास होते ही आरोही अपने कानों पर हाथ रख कर बोली, “नहीं, ये नहीं हो सकता... मेरा तो एक्सीडेंट हुआ था फिर मैं इस दुनिया में कैसे आ सकती हूं? मैं अपनी नॉवेल की दुनिया में नहीं फंस सकती। ये कोई फेयरी टेल नहीं है और ना ही कोई जादुई दुनिया, जो मैं यहां आ गई। सब कुछ नॉवेल के हिसाब से नहीं हो सकता। अगर सब कुछ उस हिसाब से हुआ तो मैं... नहीं, ये नहीं हो सकता। ये हुआ तो मुझे मरना होगा और वो सब झेलना होगा, जो मैंने अपनी कहानी में लिखा था।” आरोही की आंखों में उसके नॉवेल के शब्द दृश्य की तरह घूमने लगे कि किस तरह उसे रिदांश ठाकुर ने किडनैप किया था और उसके बाद उसके साथ क्या कुछ नहीं हुआ था। अचानक आरोही के मुंह से निकला, “रिदांश ठाकुर... अगर सब कुछ नॉवेल के हिसाब से हो रहा है तो मुझे आज कॉलेज नहीं जाना। नॉवेल में आरोही की मुलाकात रिदांश ठाकुर से कॉलेज जाते वक्त ही हुई थी, जब वो देर हो गई थी और उसने रिदांश को किसी को मारते हुए देख लिया था। “मैं...मैं अपने नॉवेल की स्टोरी जानती हूं तो इसे बदल कर रहूंगी। अरे वो कहानी थी, हकीकत कैसे बन सकती है। हकीकत में कोई इतना सब कुछ कैसे झेल सकता है।” अब आरोही को एहसास हो गया था कि सब उसके नॉवेल के खिलाफ क्यों गए थे। उसने वाकई कुछ चीजे बहुत बुरी लिखी थी जिसमे था, रिदांश का आरोही को बुरी तरह टॉर्चर करना। खुद के साथ वो सब होने के एहसास से ही आरोही घबरा गई और खुद को बाथरूम में बंद कर लिया। वो नॉवेल की कहानी जानती थी इसलिए उसे बदलने के लिए आरोही ने घर पर ही रहने का निश्चय किया। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 3. A cruel fairytale - Chapter 3

    Words: 1586

    Estimated Reading Time: 10 min

    आरोही श्रीवास्तव, जो कि एक राइटर थी, वो अपनी ही नॉवेल में फंस चुकी थी। आरोही को आखरी बार यही याद था कि वो प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर निकली थी और उसका एक्सीडेंट हो गया था। अचानक ही उसे ऐसा लगा जैसे वो किसी लंबी नींद से उठी हो। अब वो अपनी ही नॉवेल की दुनिया में पहुंच चुकी थी। आरोही ने एक्सीडेंट के बाद खुद को अपनी पुश्तैनी हवेली में पाया, जो कि कोलकाता में थी। आरोही बचपन में उस जगह पर रहा करती थी फिर अचानक उसकी मां और फिर नॉवेल में उसकी बेस्ट फ्रेंड काजल के आने पर आरोही समझ चुकी थी कि वो अपनी ही नॉवेल की दुनिया में पहुंच चुकी है। आरोही इस वक्त बाथरूम में थी जबकि उसकी दोस्त काजल बाहर थी। वो कॉलेज जाने के लिए उसे बुलाने के लिए आई थी। आरोही को अब तक यकीन नहीं हो रहा था कि वो अपनी ही नॉवेल की दुनिया में फंस चुकी है। सारी बातें उसके सामने आने पर भी आरोही का दिल नहीं कर रहा था कि वो उस पर यकीन करें। उसने गहरी सांस लेकर छोड़ी और कहा, “ओके फाइन, शायद मैं कोई सपना देख रही हूं। मेरा एक्सीडेंट हुआ था। हो सकता है वो भी एक तरह का कोई सपना हो। कही ऐसा तो नहीं, मैं मर गई हूं।” आरोही को समझ नहीं आ रहा था कि अगर वो कोई सपना भी था तो वो बाहर कैसे निकले तभी उसकी नजर बाथरूम में रखी एक छोटा कैंची पर गई। आरोही ने उसे उठाया और अपने कलाई पर एक छोटा सा कट मार लिया। उसके खून निकल रहा था और उसे दर्द भी महसूस हुआ। “नहीं, ये कोई सपना नहीं है। मैं सच में यहां पहुंच चुकी हूं लेकिन कैसे? ये कैसे हो सकता है।” आरोही खुद से बोली। वो बाहर जाने के लिए तैयार नहीं थी जबकि बाहर खड़ी काजल अब बुरी तरह इरिटेट हो चुकी थी। काजल ने जोर से दरवाजा पीटते हुए कहा, “देख आरू, तू बाहर आ रही है या अब मैं दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाऊं। तेरा ना बहुत हो रहा है। तेरी वजह से हमें देर हो रही हैं। शायद तू भूल गई होगी लेकिन आज मेरी दक्ष के साथ डेट थी।” काजल के बताने पर आरोही को याद आया कि उसने नॉवेल में काजल का एक बॉयफ्रेंड दिखाया था, जिसका नाम दक्ष था। आरोही को धीरे-धीरे समझ आ रहा था तो वो खुद को इस सिचुएशन में ढालने की कोशिश कर रही थी। आरोही ने अपना मुंह धोया और फिर खुद को नॉर्मल करने की कोशिश करने लगी। वो खुद से बोली, “नो आरोही श्रीवास्तव, तुम घबरा नहीं सकती हो। ये तुम्हारी बनाई दुनिया है। लाइफ में जो भी होता है वो हमें पता नहीं होता तो सब अनप्रिडिक्टेबल होता है। यहां अच्छी बात ये है कि तुम सब कुछ जानती हो तो चीजों को अपने हिसाब से हैंडल कर सकती हो। आज ही के दिन मैं पहली बार रिदांश ठाकुर से मिली थी। नॉवेल के हिसाब से मैंने उसे किसी को मारते हुए देख लिया था और फिर पुलिस स्टेशन में गवाही देने के लिए गई थी। रिदांश ठाकुर एक माफिया है, जो सच पता चलने पर आरोही श्रीवास्तव को किडनैप करके उसके साथ टॉर्चर करता है। क्या हो जो मैं यहां से कहानी ही बदल दूं। ना रहेगा बांस, ना ही बजेगी बांसुरी। आज कॉलेज ही नहीं जाऊंगी तो फिर रिदांश ठाकुर को मर्डर करते हुए देखूंगी कैसे।” आरोही ने अपनी नॉवेल की स्टोरी याद करके चुटकियों में ही हल निकाल लिया था। उसके फेस पर हल्की स्माइल थी और उसने अब बाथरूम का दरवाजा खोल दिया था। आरोही बाहर आकर काजल से बोली, “काजल आज मुझे ठीक नहीं लग रहा। मां ने तुझे बताया होगा कि मैं अजीब बर्ताव कर रही हूं। कल रात मैंने बहुत बुरा सपना देखा था, जिसके बाद से मेरी तबीयत खराब है तो प्लीज आज अकेली कॉलेज चली जा।” काजल थोड़ा ज्यादा बोलती थी लेकिन आरोही की फिक्र भी बहुत करती थी। उसने हां में सिर हिलाया और कहा, “अच्छा ठीक है। अगर दक्ष के साथ डेट नहीं होती तो मैं तुझे छोड़कर कॉलेज नहीं जाती।” आरोही को बाय बोलकर काजल वहां से जाने को हुई तभी आरोही को याद आया कि नॉवेल में आरोही और काजल की बस मिस हो गई थी इसलिए वो कुछ देर पैदल ही चली और बाद में उन्होंने कैब की थी। कैब के रास्ते में खराब होने पर उसने उन्हें सुनसान रास्ते पर ही छोड़ दिया था, जहां पर उन्होंने रिदांश ठाकुर को किसी को मारते हुए देखा था। आरोही ने काजल को रोकते हुए कहा, “रुको काजल। आज बस मत लेना और ना ही कैब। तुम मेट्रो से क्यों नहीं चली जाती?” आरोही के ऐसे कहने पर काजल उसे सवालिया नजरों से देख रही थी। वो कुछ पूछती उससे पहले आरोही ने खुद ही मामले को संभालते हुए कहा, “तुम लेट हो गई हो ना इसलिए ऐसा कह रही हूं। आज का मौसम थोड़ा अजीब सा है। बारिश होने के चांसेस है तो प्लीज तुम मेट्रो ले लेना, सेफ रहेगा।” काजल ने उसकी बात पर मुस्कुरा कर हामी भरी और वहां से चली गई। उसके जाते ही आरोही ने राहत की सांस ली। आज उसने खुद के और काजल के साथ एक बहुत बड़ा हादसा होने से बचा लिया था। आरोही नॉवेल के एक पहलू को अच्छे से सोचने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे कुछ ठीक से याद नहीं आ रहा था। धीरे-धीरे उसकी असली जिंदगी की यादें धुंधली होती जा रही थी। “मुझे याद क्यों नहीं आ रहा कि आगे क्या हुआ था।” आरोही सिर पर हाथ रखकर बोली। अचानक ही उसके सिर में तेज दर्द उठा तो उसके मुंह से हल्की सी आह निकल गई। आरोही को अपने कमरे में सुबह से शाम हो चुकी थी पर वो बाहर नहीं निकली थी। काफी सोचने के बाद भी आरोही को कुछ याद नहीं आया तो वो थककर हार मानते हुए बोली, “छोड़ो जाने देती हूं। कहते हैं जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। मैंने आज खुद को और काजल दोनों को ही बचा लिया। असली जिंदगी में मैंने अपनी मां को खो दिया था पर यहां वो मौजूद है, तो क्यों ना उनके साथ उन सब मोमेंट्स को इंजॉय करूं जो मैंने मिस कर दिए थे।” शाम के लगभग 6 बजे के करीब आरोही अपने रूम से बाहर निकली। उसे देखते ही संध्या ने कहा, “आरू बेटा, पूरे दिन से कमरे के अंदर है। तूने ठीक से दवाई ली या नहीं। सॉरी बेटा, काम के चक्कर में तुम्हें देखने ना आ सकी। ऊपर से पास वाली बुआ की तबीयत खराब हो गई तो उनके यहां जाना पड़ा।” “कोई बात नहीं मां, मैं ठीक हूं।” आरोही ने मुस्कुरा कर जवाब दिया और संध्या के गले लग गई। वो उसके एहसास को महसूस कर रही थी, जिसे उसने पिछले काफी सालों तक बहुत मिस किया था। संध्या के गले लगे हुए आरोही की आंखों में आंसू आ गए। अचानक उसके मुंह से निकला, “मां मैंने आपको बहुत मिस किया।” उसकी बात सुनकर संध्या हंसते हुए उससे अलग हुई और कहा, “आज कैसी बातें कर रही है तू। पूरे दिन तो हम साथ रहते हैं और तू मुझे मिस कर रही थी।” आरोही ने उसकी बात के जवाब में कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा कर रह गई। वो कहती भी क्या। फिर संध्या ने अपने सिर पर हाथ रख कर कहा, “हे राम, मैं तो भूल ही गई थी। आज सब्जी वाला मोहल्ले में आया नहीं और तेरे पापा का बैंगन का भर्ता खाने का बहुत मन कर रहा था। तू बाजार से जाकर सब्जियां ले आएगी क्या? थोड़ा बाहर घूमेगी तो अच्छा लगेगा।” आरोही ने उनकी बात पर हामी भरी और चेंज करने के लिए रूम में आ गई। वैसे भी अब वो एक बड़े खतरे को टाल चुकी थी इसलिए उसे डर नहीं था। आरोही भी अपने ही नॉवेल की दुनिया को एक्सप्लोरर करना चाहती थी। आरोही ने अलमारी खोली तो वहां सिर्फ इंडियन ड्रेस ही पड़े हुए थे, जो उसे पसंद नहीं थे। मजबूरन आरोही को उनमें से ही एक ड्रेस सेलेक्ट करनी पड़ी। उसने व्हाइट कलर के पेंट्स के ऊपर बेबी पिंक कुर्ती पहनी था, जिसके बीच में लंबा स्लिट था और उस वजह से उसका पेट थोड़ा सा दिख रहा था। आरोही ने अपने बालों को खुला छोड़कर आगे की तरफ कर रखा था। तैयार होने के बाद उसने खुद को आईने में देखते हुए कहा, “नॉट बेड, इसमें भी अच्छी ही लग रही हूं।” आरोही काफी खुश होकर नीचे पहुंची। उसकी मां ने उसे देखकर हंसते हुए कहा, “सब्जी खरीदने जाने के लिए इतना तैयार कौन होता है।” उन्होंने आरोही के हाथ में एक बैग और कुछ पैसे दिए, जिन्हें लेकर आरोही बाहर आ गई थी। आश्चर्य की बात ये थी कि पूरे मार्केट में आरोही को बैंगन कहीं नहीं मिले और वो घूमते हुए एक अनजान रास्ते में पहुंच चुकी थी, जो घर से काफी दूर था। आरोही को वो जगह जानी पहचानी लग रही थी। वहां आसपास ज्यादा आबादी नहीं थी और एरिया लगभग सुनसान था। वो रास्ता उसे किसी सब्जी वाले ने ही बताया था। उस तक पहुंचने के लिए आरोही एक बंद गली से होकर गुजरी ही थी, तभी उसे कुछ आवाज सुनाई दी। उसने मुड़ कर देखा तो आरोही के चेहरे पर पसीने की बूंदे थी। सुबह उसने जिस इंसिडेंट को टालने की कोशिश की थी, अनजाने में वो खुद ही उस जगह पर पहुंच चुकी थी। वही जगह जहां पहली बार उसकी मुलाकात रिदांश ठाकुर से हुई थी और उसकी जिंदगी नरक बन गई थी। °°°°°°°°°°°°°°°° क्या आरोही रिदांश से बच पाएगी, या होगा वही जो उसने नॉवेल में लिखा है?

  • 4. A cruel fairytale - Chapter 4

    Words: 1388

    Estimated Reading Time: 9 min

    आरोही को नॉवेल की कहानी याद थी इसलिए वो नॉवेल में फंसने के बावजूद भी खुद को उन सिचुएशन से बचाने की कोशिश कर रही थी, जिसकी वजह से वो प्रॉब्लम में पड़ी थी। सबसे पहली सिचुएशन वो थी, जब उसने रिदांश ठाकुर को किसी को गोली मारते हुए देखा था। उसके बाद से ही रिदांश ने उसे किडनैप कर लिया था और उसे अपने साथ लेकर गया था। वहां रिदांश ने उसके साथ बहुत टॉर्चर किया था और उस टॉर्चर से बचने के लिए आरोही सुबह कॉलेज ही नहीं गई। आरोही ने अपनी लाइफ के एक बड़े इंसिडेंट को टाल दिया था। इस वजह से वो काफी खुश थी। शाम को उसकी मां ने उसको उसके पापा के लिए बैंगन लाने के लिए कहा तो आरोही अनजाने में उसी जगह पर पहुंच चुकी थी, जहां उसने अपने नॉवेल में उस मर्डर सीन को लिखा था। आरोही ने अपनी आंखों के सामने उस शख्स को देखा था, जिसे उसने अपने नॉवेल में लिखा था। ऐसे लग रहा था जैसे उसकी कल्पनाएं सच गई हो। आरोही की आंखों के सामने जो खड़ा था, वो रिदांश ठाकुर था। उम्र 27 साल, 6 फीट 1 इंच हाइट, गोरा चेहरा, जिस पर हल्की दाढ़ी थी और गहरी काली आंखें, जिसमें एनीटाइम गुस्सा रहता था। वो दिखने में काफी हैंडसम था और आरोही उसके चेहरे को देखकर एक पल के लिए उसमें खो गई। वो उसकी कल्पना से भी ज्यादा हसीन था। रिदांश ने अपने हाथ में रिवॉल्वर ले रखी थी और उसके सामने एक आदमी पैरों में गिरकर गिड़गिड़ा रहा था। वो आदमी रोते हुए रिदांश के पैर पकड़कर बोला, “मुझसे... मुझसे गलती हो गई साहब। मुझे जाने दीजिए। मैंने पुलिस को नहीं बताया था, आप कोलकाता आए हुए हैं। माफ कर दीजिए साहब।” रिदांश सर्द निगाहों से उसे घूर रहा था। उसने उस आदमी की कॉलर पड़ी और उसके माथे के बीचों शूट किया। अगले ही पल उसकी लाश वहां पर गिरी हुई थी और उसे देखते ही आरोही के माथे पर डर के मारे पसीने की बूंदे थी। उसने अपना मुंह कसके बंद कर लिया और एक गाड़ी के पीछे छुप गई। आरोही अपने मन में बड़बड़ा कर बोली, “ये सब तो दिन में हुआ था, फिर ये सीन अचानक से बदलकर शाम को कैसे हो रहा है। मुझे खुद के इमोशंस पर काबू रखना होगा। नॉवेल में आरोही पुलिस के पास चली गई थी और उसके बाद ही रिदांश ने उसे किडनैप किया था। नहीं आरोही, उनके जाने के बाद ही तुझे बाहर निकलना है। क्या हुआ, जो मैं उस आदमी का मर्डर नहीं रोक पाई या मैंने इन सब को देख लिया। मैं चुप रहूंगी तो रिदांश को कभी पता नहीं चलेगा कि मैंने ये सब देखा है।” सोचते हुए आरोही की आंखों से आंसू बहने लगे। उसे इस वक्त बहुत डर लग रहा था। वो उन लोगों की बातें सुन रही थी। उस आदमी को मारने के बाद रिदांश ने अपने मैनेजर की तरफ देखा। उसका नाम डेनियल था। वो लगभग तीस साल का था। रिदांश की आंखों में गुस्सा देखकर डेनियल जल्दी से बोला, “सुबह हमने इस आदमी को पकड़ लिया था लेकिन न जाने ये कहां भाग गया। मौत से कोई बच सकता है क्या? सुबह हम इसे नहीं मार पाए तो क्या हुआ, अब तो पकड़ कर मार दिया है ना।” डेनियल की बात सुनकर रिदांश ने गुस्से में उसकी कॉलर पकड़ ली और सर्द लहजे में कहा, “और इसके चक्कर में मेरा सुबह से टाइम वेस्ट हो रहा है, उसकी क्या सफाई दोगे तुम? तुम मेरी फैमिली को अच्छे से जानते हो। अगर गलती से भी कोई न्यूज़ बाहर निकली तो मैं हर एक इंसान को तबाह कर दूंगा।” रिदांश ठाकुर रॉयल फैमिली से बिलॉन्ग करता था, जो आजकल लॉस एंजिल्स अमेरिका में रहता था। उनकी फैमिली इंडिया में ही नहीं बल्कि यूएस में भी काफी फेमस थी, जो अपनी लग्जरी लाइफ और पूरी दुनिया में फैले बिजनेस के चलते जानी जाती थी। “इसका बिजनेस लीगल ही नहीं इलीगल भी है। ये माफियाज़ के साथ भी डील करता है और उनके लिए वेपंस बनाता है।” आरोही ने धीरे से कहा। उसे रिदांश से डर लग रहा था। अचानक आरोही ने सामने देखा तो रिदांश और डेनियल वहां से गायब थे। उन्हें वहां न देखकर आरोही ने राहत की सांस ली और धीमे कदमों से चलकर गाड़ी से बाहर निकल कर आई। आरोही वहां रुक कर कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहती थी इसलिए वो जल्दी से वहां से जाने लगी कि तभी अचानक से किसी ने उसके बाल पीछे से पकड़ कर खींचे। इसी के साथ आरोही की चीख निकल गई। उसके पीछे रिदांश था, जिसने आरोही के बाल खींचे थे। रिदांश ने गाड़ी के बाहर उसके कुर्ते का टुकड़ा देख लिया था। इस वजह से वो कुछ देर के लिए डेनियल के साथ वहां से हट गया। रिदांश ने आरोही के बालों को मुट्ठी में भरा और उसे खींचकर अपने करीब कर लिया। आरोही ने अपने नॉवेल में ये सीन काफी अच्छे से डिस्क्राइब किया था और सब कुछ वैसे ही हो रहा था। हां ये बात अलग थी कि अब आरोही धीरे-धीरे नॉवेल्स के सीन को थोड़ा भूलने लगी थी। रिदांश ने आरोही के चेहरे को गौर से देखा। वो दिखने में बहुत ज्यादा खूबसूरत थी। एक पल के लिए रिदांश उसके चेहरे में खो गया और फिर गुस्से में उसे देखते हुए कहा, “लगता है उस आदमी की तरह तुम्हें भी मरने का शौक है जो तुम यहां छुपकर मुझे देखने आई थी। क्या इरादा था तुम्हारा। फोटो वोटो क्लिक करके पुलिस में जाकर मेरे खिलाफ रिपोर्ट कराने का या इन फोटोस के जरिए मुझे ब्लैकमेल करने का।” बोलते हुए रिदांश आरोही के बालों को खींच रहा था, जिससे दर्द से उसकी आंखों में आंसू आ गए। आरोही ने रोते हुए ना में सिर हिलाया और कहा, “मेरा यकीन मानिए मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाली हूं। तुम मुझे गलत समझ रहे हो। मैं तो सब बदलना चाहती हूं। यकीन मानो मैं कहीं नहीं जाऊंगी। रिदांश, मैं बस अपने ही नॉवेल में फंस गई हूं। मैंने तुम्हें बनाया है तुम... तुम प्लीज मुझे जाने दो मैं कुछ नहीं करूंगी।” आरोही उसके सामने अपनी जान की भीख मांग रही थी तो वही अचानक उसके मुंह से अपना नाम सुनकर रिदांश ने गर्दन टेढ़ी की और आरोही का मुंह अपने हाथ में भरकर दबाते हुए कहा, “अभी-अभी तुमने मेरा नाम लिया। इसका मतलब तुम जानती हो मैं कौन हूं।” “हां मैं जानती हूं क्योंकि मैं...” आरोही बोलते हुए रुक गई। वो सफाई देने की कोशिश कर रही थी कि वो उसे इसलिए जानती है क्योंकि उसी ने रिदांश को बनाया था लेकिन रिदांश ने उसकी बाद पूरी होने से पहले ही आरोही के गाल पर कस के थप्पड़ मारा। आरोही का मुंह दूसरी तरफ झुका हुआ था। रिदांश के थप्पड़ से उसके होठों के कोनो से खून निकलने लगा। उसके बाद रिदांश ने डेनियल की तरफ देखकर कोल्ड वॉइस में कहा, “मैं यहां पर अपने किसी पर्सनल काम के लिए आया था लेकिन पता नहीं था कि यहां आने के बाद इतना सब कुछ हो जाएगा। उस आदमी को जान से मार दिया है लेकिन मुझे इसे मारने का मूड नहीं है। इसे अपने साथ लेकर चलो। इसे भी तो पता चले कि गलती से किसी की बात सुनने की सजा क्या होती है।” रिदांश अपनी तरफ से ऑर्डर पास करके वहां से जा चुका था तो वही आरोही पीछे से रो रही थी। वो डेनियल के सामने हाथ जोड़ते हुए बोली, “प्लीज उसे समझाइए, मैं उसके खिलाफ कुछ नहीं करूंगी। मुझे मत लेकर जाएगी। आई रिक्वेस्ट यू। मुझे नहीं जाना आपके साथ। मैं कुछ नहीं करूंगी आपके खिलाफ।” आरोही जानती थी कि वो रिदांश के साथ गई तो उसके साथ क्या होगा। एक ऐसा टॉर्चर, जो उसने खुद ही लिखा था और अब उसके ऊपर लौट कर आ रहा था। आरोही के गिड़गिडानें का डेनियल पर कोई असर नहीं हुआ। उसने आरोही का मुंह अपने हाथ से दबाया और उसे घसीटते हुए अपनी गाड़ी में लेकर चला गया। अक्सर लोगों के साथ जो बुरा होने वाला होता है उसके बारे में उन्हें पता नहीं होता लेकिन यहां आरोही सब जानती थी और सब जानने के बाद डर के मारे उसकी हालत खराब हो रही थी। नॉवेल में उसने जो सीन लिखे थे, वो अब उसके साथ होने वाला था। °°°°°°°°°°°°°°°° क्या आरोही रिदांश को अपनी सच्चाई साबित कर पाएगी या उसे अपनी लिखी नॉवेल की कहानी के साथ जीना होगा।

  • 5. A cruel fairytale - Chapter 5

    Words: 1141

    Estimated Reading Time: 7 min

    आरोही की लाख कोशिशों के बावजूद रिदांश ने उसे देख ही लिया था। रिदांश अपने किसी दुश्मन को जान से मार रहा था और उसे ये करते हुए आरोही ने देख लिया था। आरोही ने उससे छुपने की पूरी कोशिश की पर रिदांश ने उसका कुर्ता गाड़ी के साइड में देखा और फिर उसे घसीट कर अपने साथ लेकर चला गया। आरोही इस वक्त रिदांश के साथ उसकी गाड़ी में थी। गाड़ी उसका मैनेजर डेनियल ड्राइव कर रहा था जबकि आरोही रिदांश के साथ पीछे बैठी हुई थी। उसके मुंह पर टेप लगी हुई थी और हाथ बंधे हुए थे। आरोही की आंख में आंसू थे। रिदांश बिना किसी भाव के आरोही की तरफ देख रहा था। फिर उसने अचानक से आरोही के मुंह से टेप हटाकर कहा, “सच-सच बताओ तुम्हें यहां किसने भेजा है। मेरे किसी दुश्मन का काम है ना यह? पीटर के यहां से आई हो या फिर रॉबर्ट के? कहीं तुम्हें जायद खान ने तो नहीं भेजा?” रिदांश ने एक-एक करके अपने सभी दुश्मनों के नाम आरोही के सामने लेने शुरू कर दिए थे। आरोही ने उन सब के बारे में नॉवेल में थोड़ा बहुत लिखा था। इस वजह से उसे उनके नाम पता थे। आरोही मासूमियत से रोते हुए बोली, “मेरा यकीन करो। मैं तुम्हारे खिलाफ कुछ नहीं करूंगी। प्लीज मुझे जाने दो। मुझे किसी ने नहीं भेजा, पीटर, रॉबर्ट और जायद खान में से किसी ने नहीं। यहां तक कि निकोलस ने भी मुझे नहीं भेजा है।” निकोलस का नाम आरोही के मुंह से सुनकर रिदांश की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। “बेवकूफ समझा है तुमने मुझे?” रिदांश ने सिर हिला कर कहा, “तुम मेरा नाम जानती हो। मेरे बारे में सब कुछ जानती हो और मैं तुम्हें ऐसे ही जाने दूं? तुम्हारे मुंह से निकोलस का नाम निकला है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि हम दोनों के बीच दुश्मनी हैं और तुम्हें लगता है कि मैं फिर भी यकीन कर लूं कि तुम अनजाने में वहां पहुंच गई थी और तुमने मुझे किसी को मारते हुए देख लिया। तुम जैसी खूबसूरत लड़कियां आज से पहले भी मेरे पास भेजी गई है। उन्हें लगता है कि मैं वूमेनाइजर हूं। किसी भी लड़की को देखकर फिसल जाऊंगा। इस बार तुम्हें ऐसी मौत दूंगा ना कि उनकी रूह तक कांप जाएगी और आगे से वो मेरे पास किसी लड़की को भेजने की गलती तो बिल्कुल नहीं करेंगे।” आरोही ने आगे कुछ नहीं कहा। गलती से उसके मुंह से निकोलस का नाम निकला था और अब ये गलती उसके लिए बहुत भारी पड़ने वाली थी। यहां वो सब हो रहा था, जो आरोही ने लिखा भी नहीं था। उसके हिसाब से नॉवेल में जब आरोही पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखाने गई थी तब पुलिस वाले ने रिदांश को आरोही के बारे में बताया और फिर आरोही को वो किडनैप करके अपने पास लेकर चला गया। आरोही को एक बात तो समझ आ गई थी कि होगा वही, जो उसने लिखा है चाहे तरीका कुछ भी रहा हो। आरोही को अपनी किस्मत पर तरस आ रहा था। वो मन ही मन बोली, “शायद मुझे अपने ही किये गुनाहों की सजा मिल रही है। उन सब लोगों ने ठीक कहा था कि मुझे ऐसा नहीं लिखना चाहिए था। किसे पता था कि मेरा लिखा हुआ सच हो जाएगा।” आरोही को चुप देखकर रिदांश को इरिटेशन होने लगी। उसने आरोही का गला पकड़ा और उसकी आंखों में देखकर कोल्ड वॉइस में बोला, “जितनी जल्दी मुझे बताओगी, उतनी ही आसान मौत मिलने वाली है तुम्हें।” “लेकिन... लेकिन मुझे किसी ने नहीं भेजा है।” आरोही ने अटकते हुए कहा। रिदांश ने एक झटके में उसका गला छोड़ दिया था। वो गाड़ी में बेतरतीब तरीके से पड़ी हुई थी। रिदांश ने किसी को कॉल पर कनेक्ट करके कहा, “मैं अपने लोनावला वाले घर में जा रहा हूं। इस लड़की को लेकर मैं इंडिया से बाहर नहीं जा सकता। जब तक ये सच नहीं बता देती मैं इसे छोड़ भी नहीं सकता और ना ही इसे मार सकता हूं। पता नहीं किस दुश्मन ने इसे मेरे पास भेजा है।” बोलते हुए रिदांश ने आरोही की तरफ देखा, जो चुपचाप उसकी बातें सुन रही थी। रिदांश ने कॉल कट कर दिया था। वही आरोही ने एक बार रिदांश के सामने सारी बात रखने का फैसला लिया। उसने रिदांश से कहा, “अगर मैं तुम्हें बताऊंगी, मैं यहां कैसे पहुंची तो तुम क्या मेरी बात का यकीन करोगे?” रिदांश ने बिना कुछ बोले हां में सिर हिला दिया। आरोही ने कुछ पल रुकने के बाद कहा, “ये नॉवेल की दुनिया है। मैं एक राइटर हूं, आरोही श्रीवास्तव नाम है मेरा। मैंने एक नॉवेल लिखा था, उसी की कहानी का हिस्सा हो तुम। लीड कैरेक्टर हो तुम। मेरा एक्सीडेंट हुआ था और पता नहीं मैं कैसे इस दुनिया में पहुंच गई। मेरा यकीन करने की कोशिश करो। मैं वहां जानबूझकर नहीं गई थी। मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ पता है। तुम रिदांश ठाकुर हो, तुम्हारी एज 27 वर्ष है और तुम्हारा बर्थडे 5 जुलाई को आता है। तुम रॉयल फैमिली से बिलॉन्ग करते हो। तुम्हारी बाकी की फैमिली अलग घर में रहती है लेकिन तुम उनसे अलग घर में रहते हो क्योंकि बाकी की फैमिली लीगल बिजनेस करती है और तुम ईलीगल। तुम्हारे और तुम्हारी फैमिली के बीच रिश्ता अच्छा नहीं है। तुम माफिया के लिए वेपंस बनाते हो, अपनी लैंड में उनके लिए ड्रग्स ग्रो करते हो, बाकी सब चीजें भी... अब तो तुम्हें यकीन हो गया ना कि मैंने ही तुम्हें बनाया है।” आरोही को जो भी याद आ रहा था उसने रिदांश के सामने रखा। पूरी बात सुनने के बाद रिदांश ने उसे सर्द निगाहों से देखते हुए कहा, “अब तो सच में तुम मेरे लिए खतरनाक हो आरोही श्रीवास्तव और मैं तुम्हें किसी भी कीमत पर जाने नहीं दे सकता। तुम मेरे बारे में जो बातें जानती हो, वो कोई नहीं जानता। किसने भेजा है तुम्हें यहां, सच-सच बता दो वरना तुमसे जुड़े हर शख्स को तबाह कर दूंगा।” “मैं झूठ नहीं बोल रही हूं प्लीज मेरा यकीन करो।” आरोही हाथ जोड़ते हुए बोली। “ठीक है फिर प्रूफ करो कि तुम सच बोल रही हो हालांकि तुम्हारी बातें पूरी तरह से बेबुनियाद है जिस पर कोई यकीन नहीं करेगा कि तुम किसी और दुनिया से यहां पर आई हो। फिर भी तुम्हें एक मौका देता हूं। खुद को प्रूफ करो।” रिदांश ने जवाब दिया। उसने आरोही को खुद को साबित करने का एक मौका दिया था। रिदांश ने उसे मौका तो दे दिया था लेकिन आरोही को समझ नहीं आ रहा था कि वो इस दुनिया में किसकी मदद ले और कैसे अपना सच साबित करें। अगर उसने ये मौका खो दिया तो फिर रिदांश उसे अपने घर ले जाएगा और वही से उसकी जिंदगी की तबाही शुरू होगी। °°°°°°°°°°°°°°°° क्या आरोही खुद को साबित कर पाएगी या फंस जाएगी हमेशा के लिए यहां पर? कहानी कैसी लग रही है, ये जरूर बताना। Thanks for your love and support

  • 6. A cruel fairytale - Chapter 6

    Words: 1139

    Estimated Reading Time: 7 min

    अपनी नॉवेल में फंस जाने के बाद आरोही सिचुएशंस को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। उसने जैसे लिखा था, वो उन सब को चाह कर भी बदल नहीं पा रही थी। आरोही ने रिदांश को किसी को मारते हुए देख लिया था तो रिदांश ने उसे किडनैप कर लिया था। इस वक्त आरोही रिदांश की गाड़ी में थी और उसे ये यकीन दिलाने की कोशिश कर रही थी कि वो अपनी लिखी नॉवेल में फंस चुकी है। रिदांश ने आरोही की बातों को गौर से सुना, फिर उसने आरोही के सामने ये शर्त रखी कि अगर वो ये प्रूफ कर दे कि वो किसी नॉवेल में है, तो वो उसे जाने देगा। आरोही के पास अच्छा मौका था जब वो अपने साथ होने वाले टॉर्चर को रोक सकती थी लेकिन इस वक्त उसके पास कोई प्रूफ नहीं था। आरोही ने बिना कुछ कहे ना में सिर हिला दिया। रिदांश ने उसकी तरफ बिना किसी भाव के देखा और सख्त आवाज में कहा, “तो तुम्हारे पास कोई प्रूफ नहीं है। फिर मैं तुम्हारी बात पर कैसे यकीन कर लूं?” “मेरा सबसे बड़ा प्रूफ यही है कि मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती हूं।” आरोही ने जवाब दिया। उसकी बात सुनकर रिदांश जोर से हंसा। उसकी हंसी आरोही को डरा रही थी। फिर वो अचानक ही अपनी निगाहें सर्द करके आरोही की तरफ देखकर बोला, “तुम्हें पता है ना मैं कौन हूं? रिदांश ठाकुर, जो रॉयल फैमिली से बिलॉन्ग करता है। इंडिया के अलावा मेरा बिजनेस एलए में भी है। मेरे रियल बिजनेस के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। मेरी वेपन मेकिंग फैक्ट्री है लेकिन वो अंडरवर्ल्ड के लिए भी हथियार बनाती है, इस बात को तुमने बताया तो तुम आम इंसान नहीं हो सकती हो मिस श्रीवास्तव। ऊपर से ड्रग्स उगाने वाली बात, वो गवर्नमेंट के लिए मेडिसिंस बनाने के लिए उगाई जाती हैं लेकिन तुमने बताया कि वो ड्रग्स मैं इलीगली भी बेचता हूं। हां तुम मेरे बारे में सब कुछ जानती हो। वो सब बातें, जो किसी भी दुश्मन को ही पता होती है। तुम्हें किसने भेजा है, ये मैं पता लगा लूंगा। अब अपना मुंह बंद रखना वरना अपने साथ होने वाली हर अनहोनी की जिम्मेदार तुम खुद होने वाली हो।” अनजाने में आरोही ने रिदांश के सामने उसकी पूरी सच्चाई खोल कर रख दी थी, जिसके बाद वो उसे किसी भी कीमत पर नहीं जाने दे सकता था। ऊपर से आरोही ने उसे किसी को मारते हुए भी देख लिया था। रिदांश जिस तरह से आरोही को देख रहा था, उसे उससे डर लग रहा था। आरोही का डर जायज भी था। आखिर उसने ही रिदांश को इतना क्रुएल लिखा था कि कोई गलती से भी उसकी तरफ नज़र उठा कर देखे तो वो उसकी आंखें निकाल लेता था। आरोही ने डर कर अपनी नज़रें नीचे कर ली। कुछ देर बाद गाड़ी एयरपोर्ट पर थी। बाहर निकलने से पहले रिदांश ने आरोही के मुंह को पकड़ कर दबाते हुए कहा, “गाड़ी से बाहर निकलते ही अगर तुमने तमाशा करने की कोशिश की या किसी से मदद मांगने के लिए शोर किया तो आई स्वेयर उसी वक्त गोली मार कर तुम्हारी जान ले लूंगा।” रिदांश ने फिर आरोही का मुंह छोड़ दिया। दर्द से उसकी आंखों में आंसू थे। गाड़ी से बाहर निकालने के बाद आरोही और रिदांश उस एरिया की तरफ बढ़ रहे थे, जहां प्राइवेट जेट खड़े होते थे। रिदांश का खुद का प्राइवेट जेट था, जो इस वक्त रनवे पर खड़ा था। रिदांश आरोही को लेकर जेट में बैठ गया और कुछ ही देर में वो लोग मुंबई पहुंच चुके थे। रिदांश उसे अपने प्राइवेट घर में लेकर आया था, जो मुंबई से काफी दूर जंगलों में बना हुआ था। एक ऐसा इलाका, जहां दूर-दूर तक कोई घर या इंसान का नामोनिशान भी नहीं था। अपने घर में जाते वक्त रिदांश ने आरोही की बाजू पकड़ी और उसे खींचते हुए अंदर ले जा रहा था। आरोही ने एक नजर उस घर की तरफ देखा तो वो बिल्कुल वैसा ही था, जैसे उसने लिखा हुआ था। जंगल में बना हुआ एक बड़ा सा कॉटेज, जो काफी लग्जरियस और खूबसूरत था। घर के बाहर काफी सारे गार्ड्स थे लेकिन अंदर कोई नहीं था क्योंकि रिदांश को शांति पसंद थी। अंदर आते ही रिदांश ने आरोही को लिविंग रूम के काउच पर पटका। वो दूसरी तरफ पलटा ही था कि उसके पास डेनियल का कॉल आया। सामने से डेनियल ने कहा, “अजीब बात है सर, आज तक किसी को नहीं पता था कि हमारे राजस्थान वाली जमीन पर ईलीगली गांजा उगाया जा रहा है लेकिन अचानक ही वहां पुलिस वाले चेकिंग के लिए आ गए। हालांकि उनकी इतनी हिम्मत नहीं हुई कि वो रॉयल लैंड में एंट्री कर सके। मैंने मिनिस्टर से बात करके मामला रफा दफा कर दिया है लेकिन एक बार बात उठी है तो जल्दी से दबाना आसान नहीं होगा।” रिदांश ने कोई जवाब नहीं दिया और कॉल कट कर दिया। वो आरोही की तरफ देख रहा था। रिदांश अपने कदम आरोही की तरफ बढ़ा रहा था, जिसके बाद उसे डर लगने लगा। रिदांश आरोही के पास आया और उसके बाल अपने मुट्ठी में भरकर खींचते हुए कहा, “तो तुम कह रही थी कि मैं तुम पर यकीन कर लूं? कैसे यकीन कर लूं मिस श्रीवास्तव। आज तक किसी को कानो कान भनक नहीं थी कि मेरी कौन सी जमीन पर क्या उगाया जा रहा है। सब कुछ काफी लीगल था। अचानक से वहां पुलिस चेकिंग करने के लिए आ गई। सच-सच बताओ तुम्हें किसने भेजा है वरना मैं अपने तरीके पर आया तो तुम्हारी रूह तक कांप जाएगी।” बाल खींचने पर आरोही की आंखों में आंसू थे। उसने मासूमियत से ना में सिर हिला कर कहा, “मेरा यकीन करो, मुझे किसी ने नहीं भेजा है। मुझे सब इस वजह से पता है क्योंकि ये नॉवेल मैंने ही लिखी है रिदांश। प्लीज ट्रस्ट मी मुझे छोड़ दो। वरना तुम भी बहुत पछताओगे। अगर तुम मेरे करीब आए या मेरे पास रहे तो तुम्हें दर्द के सिवा कुछ नहीं मिलेगा। आखिर में तुम्हारे हाथ भी दर्द ही लगेगा रिदांश ठाकुर तो खुद की खुशी के लिए मुझे छोड़ दो।” रिदांश ने गर्दन टेढ़ी करके सर्द आवाज में कहा, “अच्छा तो मैं पछताऊंगा? तुम जानती नहीं हो रिदांश ठाकुर को। मैं वो आग हूं, जिसके पास आने वाला हर पतंगा जल जाता है तो तुम्हारी क्या औकात है।” बोलते हुए रिदांश ने गुस्से में आरोही को छोड़ दिया। रिदांश ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और अचानक आरोही से पूछा, “क्या तुमने कभी शराब पी है?” आरोही ने ना में सिर हिला दिया। वो कन्फ्यूजन से रिदांश की तरफ देख रही थी। आरोही ने खुद ही लिखा था कि आगे क्या होने वाला है लेकिन धीरे-धीरे वो सब भूल चुकी थी। अब उसे ये याद नहीं था कि रिदांश आगे क्या करने वाला है वहीं रिदांश आरोही से सब सच उगलवाने के लिए अब हर हद पार करने के लिए तैयार था। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 7. A cruel fairytale - Chapter 7

    Words: 1181

    Estimated Reading Time: 8 min

    रिदांश आरोही को अपने प्राइवेट हाउस में ले आया था। एक तो वैसे ही उसे आरोही की अजीब बातों पर यकीन नहीं हो रहा था ऊपर से उसके मैनेजर डेनियल का कॉल आया था। अब तक उनके इलीगल तरीके से ड्रग्स उगाने के बारे में किसी को नहीं पता था पर अचानक ही पुलिस बिना किसी नोटिस के उनकी जमीन पर छानबीन करने के लिए आ गई थी। रिदांश को डाउट था कि आरोही को उसके किसी दुश्मन ने भेजा है और डेनियल की खबर के बाद उसका शक यकीन में बदल गया। डेनियल से बात करने के बाद रिदांश आरोही के पास पहुंचा और उसने आरोही से ये पूछा कि आज से पहले उसने कभी शराब पी है। रिदांश का सवाल काफी अजीब था और आरोही ने कोई जवाब नहीं दिया तो रिदांश ने उसका चेहरा पकड़ कर कस के दबाया और उसकी आंखों में देखते हुए सर्द आवाज में कहा, “मैंने तुमसे कुछ पूछा है मिस राइटर? चुपचाप जवाब दो वरना तुम्हारी फैमिली को ढूंढ कर खत्म कर दूंगा।” आरोही ने जल्दी से ना में सिर हिला दिया। रिदांश ने एक नजर उसके कपड़ों की तरफ देखा तो उसके कपड़े भी काफी संस्कारी नजर आ रहे थे। उसने इंडियन पहना था। उसे देखने के बाद रिदांश ने सिर हिलाकर कहा, “लगा भी था तुम्हें देखकर कि तुम ड्रिंक नहीं करती होगी। कोई बात नहीं, आज ये रिदांश ठाकुर तुम्हें दुनिया की बेस्ट ड्रिंक टेस्ट करवाने वाला है।” आरोही ने घबराकर जल्दी से कहा, “नहीं प्लीज, ऐसा मत करो।” रिदांश ने आरोही की एक नहीं सुनी और उसका हाथ पकड़ कर उसे जबरदस्ती अपने घर के बार एरिया में लेकर गया। वहां रिदांश काफी देर तक ड्रिंक को देखता रहा। फिर उसने चुनकर एक बोतल निकाली और आरोही के लिए ग्लास में डालते हुए कहा, “पता है ये यहां की सबसे पुरानी ड्रिंक है और कहते हैं कि शराब जितनी पुरानी हो, उसका नशा उतना ही गहरा होता है। इंसान जो बातें होश में रहकर नही कर पाता, वो मदहोशी में अक्सर कहा जाता है।” “ये करके कोई फायदा नहीं है, सो प्लीज डोंट डू दिस। ड्रिंक करने के बाद में भी मैं वही कहूंगी, जो अब कह रही हूं।” आरोही ने प्लीडिंग वे में कहा। लेकिन रिदांश उसकी कहां सुनने वाला था। वो ग्लास हाथ में लिए आरोही के पास आया और अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथों को पकड़ कर पीछे की तरफ किया। रिदांश ने उसे वहां लगी बड़ी सी टेबल के सहारे खड़ा किया। आरोही की आंखों में आंसू थे और वो बार-बार ना में सिर हिला रही थी तभी रिदांश ने जबरदस्ती ग्लास को उसके होठों के पास लगाया और उसके मुंह में उसे उड़ेल दिया। आरोही रेसिस्ट करने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन रिदांश काफी स्ट्रांग था। आरोही चाह कर भी उससे खुद को छुड़ा नहीं पाई थी। उसने लगभग आधा ग्लास आरोही के गले में उड़ेल ही दिया था, बाकी आधा उसके कपड़ों और होठों के नीचे बिखरा हुआ था। आरोही खांस रही थी। उसकी आंखों में आंसू थे। रिदांश को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसने दूसरा ग्लास तैयार किया तभी आरोही चिल्ला कर बोली, “तुम इंसान हो या जानवर? मैंने तुम्हें कह दिया कि मुझे तुम्हारी किसी भी दुश्मन ने नहीं भेजा है, फिर तुम... फिर तुम क्यों कर रहे हो मेरे साथ ये सब? अरे दया नाम की चीज है भी तुम्हारे अंदर या नहीं।” “बिल्कुल भी नहीं है।” रिदांश ने कंधे उचकाकर बेपरवाही से कहा। वो आरोही के करीब गया और दूसरा ग्लास भी उसके होठों के पास लगा दिया। आरोही‌ को हल्का नशा होने लगा था। वो अब चाह कर भी रिदांश को रेसिस्ट नहीं कर पा रही थी। रिदांश ने इस बार पूरा ग्लास उसके मुंह में खाली कर दिया था। पहली बार शराब पीने वाले इंसान के लिए उस बोतल का एक ग्लास ही काफी होता था लेकिन रिदांश ने उसे दो ग्लास पिलाया था। आरोही को पूरी दुनिया घूमती हुई नजर आ रही थी। आरोही वहां से उठकर जाने को हुई। नशे में उसके कदम लड़खड़ाने लगे। वो गिरने वाली थी तभी रिदांश ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया। वो आरोही के चेहरे को इतनी देर में पहली बार इतने करीब से देख रहा था। रिदांश आरोही की भूरी आंखों को गौर से देख रहा था, जो नशे में बार-बार बंद हो रही थी। उसकी नजर आरोही के होठों पर गई, जिस पर अभी भी शराब की कुछ बूंदें लगी हुई थी। रिदांश ने अपनी जीभ से उन्हें साफ किया। आरोही को अब रिदांश से और भी डर लग रहा था। रिदांश ने आरोही को अपनी बाहों में उठाया और फिर अपने बेडरूम में ले जाने लगा। आरोही भले ही नॉवेल में लिखी चीजें भूलने लगी थी लेकिन उसने खुद ही रिदांश को इतना बेरहम और वूमेनाइजर लिखा था, जिसके लिए लड़कियां बस उसकी फिजिकल नीड्स पूरा करने के लिए थी। अब वो आरोही के साथ भी वो वही करने जा रहा था। “आई विल कंपलीटली डिस्ट्रॉय यू गर्ल...” रिदांश ने आरोही की तरफ देखकर कहा, “मेरी लाइफ में आई अब तक की लड़कियों में तुम सबसे खूबसूरत हो पर गलत वक्त पर गलत जगह मिली।” आरोही की खूबसूरती को देखकर कुछ पल के लिए रिदांश खुद भूल गया था कि उसने आरोही को शराब किस मकसद से पिलाई थी। बेडरूम में आते ही रिदांश ने आरोही को बेड पर पटका। उसने अपना ब्लेजर निकाल कर फेंका और फिर अपना शर्ट भी उतार दिया था। अगले ही पल वो आरोही के ऊपर था और उसके होंठों को बेरहमी से किस कर रहा था। आरोही वहां नशे में पड़ी थी। रिदांश को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। आरोही उसे रोक नहीं पा रही थी पर उसे एहसास हो रहा था कि रिदांश उसके साथ क्या करने जा रहा है। उसमें इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि वो उसे खुद से दूर कर सके। रिदांश अपने मन मुताबिक आरोही की बॉडी के साथ खेल रहा था तो वही आरोही के दिमाग में उसी के लिखे हुए शब्द लिख चल रहे थे। उसने नॉवेल में वो सीन लिखा था, जब रिदांश आरोही को पहली बार अपने घर लेकर आया था, उसकी आखिरी कुछ लाइन्स उसके दिमाग में चल रही थी। “आरोही उस वक्त पूरे होश में थी। उसे सबक सिखाने के लिए रिदांश ने उसके साथ जबरदस्ती की। आरोही के लिए वो रात काफी भारी थी। रिदांश ने बिना उसका कॉन्सेंट लिए जबरदस्ती उसके साथ फिजिकल रिलेशन बनाए थे।” ये आरोही का लिखा सबसे कंट्रोवर्शियल सीन था। आरोही ने जो भी लिखा, वो उसके साथ हो रहा था। ये उसने तो क्या, किसी ने नहीं सोचा होगा। उन दोनों के कपड़े फ्लोर पर बिखरे हुए थे और रिदांश अपनी ख्वाहिशें पूरी कर रहा था। रिदांश को वो सब करते देखा आरोही की आंखों से आंसू का कतरा बह गया। इस वक्त उसे फिजिकल पेन से ज्यादा मेंटल पेन महसूस हो रहा था कि वो कुछ नही कर पा रही है। जैसे नॉवेल के हर सीन को लिखना उसके बस में था, वैसे वो अपनी जिंदगी में चल रहे इस सीन को क्यों नहीं रोक पा रही थी। इस बात की लाचारी आरोही को अंदर ही अंदर तोड़ रही थी। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 8. A cruel fairytale - Chapter 8

    Words: 1209

    Estimated Reading Time: 8 min

    आरोही से सच पता लगाने के लिए रिदांश ने उसे शराब पिलाई थी। नशे में जब आरोही उसके करीब आई तो एक पल के लिए रिदांश सब कुछ भूल गया और उसकी खूबसूरती में खो गया। लड़कियां उसकी कमजोरी नहीं थी पर ऐसा भी नहीं था कि रिदांश इतना करीब आने के बाद किसी को छोड़ दे। वो आरोही को बेड पर लेकर गया और सब कुछ भूल कर उसके साथ फिजिकली इंवॉल्वड हो गया। आरोही भले ही नशे में हो पर वो अपनी सच्चाई नहीं भूली थी। आरोही को अच्छे से याद था कि वो नॉवेल में फंस गई है और उसे वो सीन भी याद आने लगा, जब उसने इसी तरह का कुछ अपने नॉवेल में भी लिखा था। बस फर्क इतना था नॉवेल में लिखे सीन में आरोही नशे में नहीं थी और अब इस वक्त वो नशे में थी। रात के किस पहर में रिदांश ने आरोही को छोड़ा, वो उसे खुद भी एहसास नहीं था। थकावट के मारे उसे नींद आ गई थी। अगली सुबह आरोही की नींद टूटी तो उसे अपने ऊपर कुछ भारी सा महसूस हुआ। हैंगओवर होने की वजह से उसके सिर में भयंकर दर्द हो रहा था। आरोही ने अपना सिर पकड़कर बंद आंखों से कहा, “मैं... मैं कहां हूं? मैं कोई सपना देख रही हूं क्या?” नॉवेल में आने के बाद ये पहली रात थी... जब उसने नींद ली थी। दिन काफी लंबा था, एक रेगुलर दिन से भी ज्यादा लंबा महसूस हो रहा था। आरोही ने आंखें खोली तो अपने ऊपर रिदांश को देखकर वो समझ गई कि वो कोई सपना नहीं देख रही है और उसके ऊपर कोई भारी बोझ नहीं रखा हुआ, बल्कि वो तो रिदांश के शरीर का वजन था, जो पूरा उसके ऊपर आया हुआ था। उसने कुछ नही पहना था। रिदांश को अपने ऊपर देखकर आरोही की आंखें नम होने लगी। उसने रिदांश को जगाने के लिए कहा, “तुम... तुम जो चाहते थे, वो तुम्हें मिल गया है। अब मेरे ऊपर से उठो।” रिदांश ने बंद आंखों से ही कहा, “क्यों? तुम्हें कोई प्रॉब्लम हो रही है? मुझे लगा तुम्हें ट्रेनिंग में ये बताया गया होगा कि तुम्हारे साथ कुछ भी हो सकता है। ये सब तो बहुत नॉर्मल है। शुक्र मनाओ यहां बेड पर सिर्फ मैं अकेला हूं वरना जैसी तुम्हारी हरकतें हैं...” रिदांश की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि आरोही उसे बीच में काटते हुए बोली, “जो भी सोचा है वो अपने मन में ही रखो। मुझे वॉशरूम जाना है। प्लीज मेरे ऊपर से खड़े हो जाओ।” “मैं तो खड़ा हो जाऊंगा लेकिन कल रात के बाद तुम चलने लायक नहीं बची हो।” रिदांश ने आरोही के ऊपर से उठते हुए कहा। आरोही ने उसकी बात की तरफ ध्यान नहीं दिया। जब रिदांश उसके ऊपर से उठा और आरोही वॉशरूम जाने के लिए उठने लगी तो उसकी बॉडी में उसे भयंकर दर्द महसूस हुआ। ऊपर से उसने कुछ पहन भी नहीं रखा था। उसकी ये हालत देखकर रिदांश के फेस पर इविल स्माइल थी तो वही आरोही उसे गुस्से में देख रही थी। रिदांश ने आरोही को अपनी बाहों में खींचते हुए कहा, “वैसे मानना पड़ेगा, भगवान ने तुम्हें काफी फुर्सत से बनाया है। मैं तुमसे ज्यादा खूबसूरत लड़की से नहीं मिला। वैसे तुमने कहा कि हम किसी नॉवेल में है और जो कि तुमने लिखी है, तो तुमने जानबूझकर खुद को इतना खूबसूरत बनाया है क्या? अगर तुमने ये नॉवेल लिखी है, तो तुम एक बुरी राइटर हो। अपने साथ इतना बुरा कौन लिखता है?” रिदांश ने उसका मजाक बनाते हुए कहा। आरोही ने उसे तिरछी निगाहों से देखा। “अब तो मुझे भी अफसोस हो रहा है कि मैंने वो नॉर्मल लिखी ही क्यों? मुझे उसे फाड़ कर फेंक देना चाहिए था।” आरोही ने गुस्से में बड़बड़ा कर कहा। “लिखना आसान होता है, झेलना मुश्किल। सोचो एक राइटर, जिसकी कमाल की फैंटेसीज है। डार्क रोमांस लिखा होगा ना तुमने? आगे चलकर मुझे तुमसे प्यार तो नही हो जाएगा ना? या तुम्हे मुझसे।” रिदांश बार बार उसका मजाक बना रहा था। इस बार आरोही ने उसकी बार का कोई जवाब नही दिया। वो रिदांश को खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन रिदांश ने उसे काफी टाइटली पकड़ रखा था तो आरोही चाहकर भी उसे खुद से अलग नहीं कर पा रही थी। आरोही कोई बॉडीबिल्डर या डिफेंस आर्ट सीखने वाली रफ टफ लड़की नहीं थी। उसने अपना ज्यादातर टाइम राइटिंग की वजह से एक बंद कमरे में बिताया था इसलिए वो काफी डेलिकेट थी। रिदांश ने एक नजर आरोही की बॉडी की तरफ देखा तो उसके बॉडी पर रिदांश के दिए हिकीज के निशान बने हुए थे। रिदांश ने उसकी गर्दन पर उंगलियां घूमाते हुए कहा, “वैसे काफी गलत लड़की को चुना है उन्होंने अपने मिशन के लिए।” “तुम्हें कितनी बार बताऊं कि मैं किसी मिशन के लिए नहीं आई हूं। तुम्हें मेरी बात पर यकीन करना है तो करो, वरना मुझे इससे कोई लेना देना नहीं है। फिलहाल के लिए मुझे छोड़ दो मुझे वॉशरूम जाना है।” आरोही ने नम आंखों से कहा। रिदांश ने एक पल उसकी गहरी काली आंखों में देखा और फिर उसे छोड़ दिया। रिदांश ने उठकर टॉवल बांधा और आरोही के कपड़े उठने लगा। कल रात जल्दबाजी में उसने आरोही के कपड़े निकालने के चक्कर में उन्हें फाड़ दिया था। आरोही के कपड़े नहीं होने की वजह से रिदांश ने उसे अपना शर्ट पहनाया और फिर अपनी बाहों में उठकर बाथरूम के अंदर छोड़ दिया। रिदांश फिर बाथरूम से बाहर आ गया था तो वही आरोही वॉशरूम में बैठी अपनी किस्मत पर रो रही थी। “ये क्या हो गया मेरे साथ? जरूर उन लोगों की बददुआ मुझे लग गई। मैं खुश हो रही थी कि मुझे मेरी मां वापस मिल गई है। जो वक्त मैं उनके साथ नहीं बिता पाई थी वो अब बिताऊंगी लेकिन यहां तो सब उल्टा हो गया। तो... तो क्या मैं नॉवेल में लिखी चीजों को नहीं बदल सकती? अगर नहीं बदल सकती तो मुझे... मुझे मरना होगा क्या?” बोलते हुए आरोही की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। आखिर उसी ने वो सब लिखा था। नॉवेल के लास्ट कुछ चैप्टर पहले आरोही की मौत हो गई थी। अपनी मौत के बारे में सोचकर ही आरोही कांप गई। आरोही अपने ख्यालों में खोई हुई थी तभी उसे दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनाई दी। रिदांश बाथरूम के बाहर था। उसने दरवाजा खटखटाते हुए कहा, “आधे घंटे से अंदर हो तुम? बाहर आ रही हो या मैं अंदर आऊं? जल्दी करो आखिर तुम्हें एक स्पेशल जगह लेकर जाना है।” रिदांश की आवाज से आरोही समझ गई कि वो स्पेशल जगह जरूर उसके लिए नर्क से कम नहीं होने वाली और आरोही याद करने की कोशिश कर रही थी पर उसे कुछ याद नहीं आ रहा था। उसके पास रिदांश से बचने का कोई रास्ता नहीं था। मजबूरन आरोही को बाहर आना ही पड़ा। वो धीमे कदमों से चलकर बाथरूम के बाहर आ गई थी। रिदांश आरोही की हालत को देखा, तो तिरछा मुस्कुरा कर कहा, “इतनी डेलिकेट बॉडी को सिर्फ प्यार करने का मन करता है पर क्या कर सकते हैं। टॉर्चर तो सहना पड़ेगा डार्लिंग। बस मुझे थोड़ा टाइम दो, मैं अभी आया।” आरोही को अपनी किस्मत पर अफसोस हो रहा था। सामने खड़ा रिदांश उसे टॉर्चर करने को कह रहा था और वो चुपचाप अपने साथ ही बुरा होने का इंतजार कर रही थी। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 9. A cruel fairytale - Chapter 9

    Words: 1231

    Estimated Reading Time: 8 min

    कल की रात आरोही के लिए बहुत भारी थी। रिदांश ने उसके साथ वो सब कुछ कर लिया था, जो वो होश में होते हुए उसे कभी नहीं करने देती। अगली सुबह रिदांश उसे किसी स्पेशल जगह ले जाने के बारे में बोल रहा था। आरोही को अपनी किस्मत पर अफसोस हो रहा था। वो जानती थी रिदांश उसके साथ कोई नया टॉर्चर करने वाला है और बदकिस्मती से वो उस टॉर्चर होने का इंतजार कर रही थी। लगभग आधे घंटे बाद रिदांश बाथरूम से बाहर निकला। उसने नेवी ब्लू कलर का सूट पहना हुआ था। उसने आरोही की तरफ देखा, जो अभी भी वहीं पर खड़ी थी और उसने रिदांश की शर्ट पहन रखी थी। आरोही को उस हाल में देखकर रिदांश ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा तो इंतजार किया जा रहा है मेरे लौटने का... यकीन मानो स्वीटहार्ट, तुम्हारे इंतजार को वेस्ट नहीं होने दूंगा।” बोलते हुए रिदांश आरोही के पास आया और उसकी बाजू को पकड़ लिया। आरोही को लगा कि वो उसे कपड़े लाकर देगा या तैयार होने का टाइम देगा लेकिन रिदांश ऐसे ही उसकी बाजू पकड़ कर उसे घसीटते हुए बाहर लेकर जा रहा था। ऐसा नहीं था कि पहले आरोही ने शॉर्ट ड्रेस ना पहनी हो लेकिन इस वक्त उसे बहुत एंबरिशमेंट फील हो रहा था, जब रुद्राक्ष उसे जबरदस्ती खींचते हुए बाहर ला रहा था। शायद आरोही भी कहीं ना कहीं अपने कैरेक्टर को महसूस करने लगी थी, जो इंडियन ड्रेस पहनने वाली एक सीधी साधी लड़की थी। रिदांश आरोही को पकड़कर बाहर सबके सामने लेकर आया। उसने क्लैप किया तो सभी गार्ड्स और वहां काम करने वाले इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गए थे। आरोही की नज़रें नीची थी। इस वक्त उसकी हालत ठीक नहीं थी। बाल बिखरे हुए थे। चेहरे और गर्दन, यहां तक कि पैर का जो हिस्सा विजुअल था, वहां पर भी रिदांश के लव बाइट के निशान बने हुए थे। सब उसकी तरफ अजीब नजरों से देख रहे थे। आरोही ने नज़रें उठाकर लाचारी से रिदांश की तरफ देखा। उसने धीरे से कहा, “प्लीज बंद करो ये तमाशा।” “हो जाएगा बंद, बस बता दो कि किसने भेजा है तुम्हें यहां पर।” रिदांश ने आरोही की आंखों में देखते हुए कहा। अचानक आरोही वहां फूट-फूट कर रोने लगी। रिदांश का बर्ताव देखकर वो समझ गई थी कि वो नहीं रुकने वाला है। रिदांश ने सबके सामने आरोही की कमर पर हाथ रखकर उसे अपने पास खींचा और सख्त आवाज में कहा, “तुम्हारे इन आंसूओ का मेरे ऊपर कोई असर नहीं होने वाला है मिस राइटर। अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं और तुम्हें शर्म आ रही है।” “मुझे किसी ने नहीं भेजा है। मेरा यकीन करो मैं खुद यहां आकर फंस गई हूं। अगर मुझे किसी ने भेजा होता तो अब तक तुम्हें उसका नाम बता चुकी होती, ना कि यहां खड़ी होकर इन लोगों की जिल्लत भरी नजरों को झेल रही होती।” आरोही ने अपनी नजरें फिर से झुका ली थी। उसके पास जवाब में कुछ नहीं था तो रिदांश ने आरोही के बालों को अपने मुट्ठी में भरा और उसका चेहरा अपनी तरफ करके सर्द आवाज में कहा, “लगता है मेरी गलती ही है जो तुम्हें लड़की समझ कर तुम पर कोई टॉर्चर नहीं किया, वरना 2 मिनट में तुम सारा सच उगल देती। तुम्हें देखकर साफ पता चल रहा है कि तुम एक थप्पड़ तक नहीं झेल पाओगी, बाकी का टॉर्चर तो दूर की बात है।” इस बार आरोही को भी उसकी बातें सुनकर गुस्सा आ गया। वो रिदांश की तरफ देखकर नम आंखों से लेकिन सख्त आवाज में बोली, “इतना सब कुछ किया, वो कम था क्या जो तुम और भी कुछ करना चाहते हो। तुमने मेरे साथ जबरदस्ती की है रिदांश ठाकुर। तुम्हें कोई एहसास भी है इस बात का? ये सब करने के बाद अब तुम कुछ भी कर लो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तुमने मेरी आत्मा को मार दिया है।” “तो चलो तुम्हारे इस बचे हुए इस शरीर का भी अंतिम संस्कार कर दिया जाए और आरोही श्रीवास्तव।” रिदांश ने गुस्से में जवाब दिया और उसके बालों से पकड़कर उसे खींचते हुए अंदर ले गया। बाहर खड़े लोगों को अब कहीं ना कहीं आरोही पर दया आ रही थी। उनमें से एक आदमी बोला, “ये लड़की आखिर बता क्यों नहीं देती कि इसे किसने भेजा है? दिखने में भले ही नाजुक सी हो लेकिन मानना पड़ेगा काफी सख्त दिल है।” “हां तो इसकी मासूमियत पर जा ही क्यों रहे हो? किसी दुश्मन ने भेजा है तो दिखने में अच्छी लड़की को ही चुनेगा ना और मेरी बात लिख कर ले लेना, ये लड़की ये रोने धोने का दिखावा कर रही है। पता नहीं किसने यहां जासूसी के लिए भेजा है? ये हिमाकत जिसने भी की है, वो आज नहीं तो कल पकड़ा ही जाएगा। फिर ये लड़की और उसका बॉस दोनों रिदांश ठाकुर के हाथों बहुत बुरी मौत मरने वाले हैं।” उसके पास खड़े दूसरे आदमी ने जवाब दिया। वहां खड़े लोग आपस में बातें कर ही रहे थे कि उन्हें अंदर से आरोही के जोर से रोने चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। अंदर रिदांश ने अपना बेल्ट निकाल रखा था और वो बेरहमी से आरोही को मार रहा था। रिदांश ने अपना हाथ दो से तीन बार ही उठाया था कि उसने देखा आरोही की स्किन इतनी सॉफ्ट थी कि बेल्ट का निशान जहां पड़ा था, वो तुरंत लाल हो गया। उसने बेल्ट नीचे फेंक दिया और फिर आरोही के पास आकर उसका गला पकड़ कर कहा, “तुम्हारे इस नाजुक शरीर को चोट पहुंचाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। पहले ही बता दो इससे पहले कि तुम्हारी चमड़ी तुम्हारे शरीर से अलग हो जाए।” रिदांश ने जब आरोही को छुआ तो उसने महसूस किया डर से उसे बुखार हो गया था। वो आगे कुछ कहता उससे पहले आरोही का सिर उसके कंधे पर था और वो बेहोश हो चुकी थी। रिदांश को इस वक्त आरोही पर इतना गुस्सा आ रहा था कि वो गुस्से में गहरी सांसें ले रहा था और उसने आरोही को नीचे पटका और उसकी फोटो क्लिक की। रिदांश ने आरोही के चेहरे की तरफ देखकर कहा, “आखिर ये लड़की बता क्यों नहीं देती कि इसे किसने भेजा है? क्यों बेवजह का टॉर्चर झेल रही है, जबकि ठीक से मैंने इस पर हाथ भी नहीं उठाया और इसकी डर के मारे ये हालत हो गई कि कांप रही है। पहली बार मुझे किसी के लिए बुरा क्यों लग रहा है जबकि इसे मेरे दुश्मन ने भेजा है। खैर, ये कुछ उगले या ना उगले लेकिन जिसने इसे भेजा है, उसे तो बाहर आना ही होगा।” उसने फिर आरोही को अपनी गोद में उठाया और कमरे में ले जाने लगा। रिदांश ने भी कहां सोचा था कि जिस आरोही को थोड़ी देर पहले उसी ने दर्द दिया है वहीं अब उसके दर्द पर मलहम लगा रहा था। वो रिदांश ठाकुर था, जिसे आरोही ने खुद बनाया था। दया नाम की कोई चीज नहीं थी उसके दिल में। वो आरोही के चोट पर ऑइंटमेंट जरूर लग रहा था पर ये साथ ही ये भी प्लान कर रहा था कि जल्द से जल्द आरोही से कैसे सच्चाई उगलवाए। °°°°°°°°°°°°°°°° नॉवेल के कुछ सीन हार्ड हो सकते हैं। देखा जाए तो ये भी एक नॉवेल ही है, जिसे मैंने नहीं आरोही ने लिखा है😂 जोक्स अपार्ट, कहानी की डिमांड की वजह से ऐसे सीन लिखे हैं। बाकी जो इंसान इतनी शिद्दत से गुस्सा निकाल रहा है सोचो उसका प्यार कितना शिद्दत वाला होगा पर उसके लिए थोड़ा वेट करना होगा।

  • 10. A cruel fairytale - Chapter 10

    Words: 1085

    Estimated Reading Time: 7 min

    रिदांश ने जब आरोही को मारा तो डर के मारे उसे बुखार हो गया था और वो बेहोश हो गई थी। रिदांश को आरोही पर तरस से ज्यादा गुस्सा आ रहा था क्योंकि वो उसे सच नहीं बता रही थी। रिदांश ने उसे उठाने से पहले उसका फोटो क्लिक किया और फिर उसे अपने कमरे में लेकर गया। अंदर आते ही रिदांश ने आरोही का टेंपरेचर चेक किया। उसका टेंपरेचर देखने के बाद रिदांश ने आईज रोल करके कहा, “इतनी जल्दी इतना तेज बुखार कैसे हो सकता है इस लड़की को? मतलब इतना नाजुक, इतना नाजुक तो मैंने कोई बच्चा भी नहीं देखा, जितना ये लड़की है। पता नहीं क्या सोचकर मेरे दुश्मनों ने इस लड़की को यहां पर भेजा है।” रिदांश उठकर गया और एक बॉल में ठंडा पानी ले कर आया। वो आरोही के माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां कर रहा था ताकि उसका बुखार कम हो जाए। कुछ देर बाद जब आरोही का टेंपरेचर डाउन हुआ, तब रिदांश ने अपना मोबाइल उठाया और वो फोटो अपने सभी दुश्मनों को भेज दी। उसने साथ में एक मैसेज भी लिखा था। रिदांश टाइप करते हुए बोल रहा था। उसने लिखा, “इस लड़की को जिस किसी ने भी मेरे पास भेजा है, उसे तो मैं छोड़ने वाला नहीं हूं। इसका जो हाल होगा, उसका जिम्मेदार इसको भेजने वाला होगा। जिसने भी इसे भेजा है, आई मस्ट से उसके पास दिमाग नाम की चीज नहीं है। अपने जासूस को ट्रेन करके भेजा करो।” उसे सेंड करने के बाद रिदांश ने एक नजर आरोही की तरफ देखा जो सोते हुए काफी मासूम लग रही थी। रिदांश ने तुरंत अपनी नज़रें घुमा ली। रिदांश रूम से बाहर निकला ही था कि उसका मोबाइल बजा। ये उसके डैड मिस्टर सुशांत ठाकुर का कॉल था। अपने डैड का कॉल रिसीव करने के बजाय रिदांश ने मोबाइल स्क्रीन की तरफ देखते हुए सिर हिला कर कहा, “लो, अब इनका लेक्चर अलग से सुनना पड़ेगा। मैं अपनी प्रॉपर्टी पर कुछ भी करूं, इन्हे इससे क्या लेना देना है? मुझे लेक्चर दिए बिना इनका खाना नहीं हजम होता होगा।” रिदांश के हाथ में मोबाइल था फिर भी उसने कॉल रिसीव नहीं किया। जब दोबारा मोबाइल बजा तो रिदांश को मजबूरन कॉल रिसीव करना ही पड़ा। उनका सेकंड कॉल मतलब बात वाकई जरूरी थी। दूसरी तरफ से मिस्टर सुशांत ठाकुर की सख्त आवाज आई, “लिसन, मुझे तुमसे कोई बहस नहीं करनी है। सीधे-सीधे अपनी बात कह रहा हूं। तुम्हारे चाचा प्रशांत का लड़का, जो उम्र में तुमसे 3 साल छोटा है, वो शादी करने जा रहा है। अफसोस कि तुम मेरे इकलौते बेटे हो... डैड की विल के हिसाब से तुम्हारी नेक्स्ट जेनरेशन को ही इंडिया की सारी प्रॉपर्टी मिलने वाली है। अब तुम्हें समझ जाना चाहिए कि विविध तुमसे पहले शादी क्यों कर रहा है।” “हो गया आपका लेक्चर?” रिदांश ने काफी बदतमीजी से जवाब दिया, “मैं किसी से शादी नहीं करने वाला हूं। मुझे अपनी लाइफ बहुत प्यारी है। रही बात प्रॉपर्टी की तो इंडिया में मेरी जो भी प्रॉपर्टी है वो मुझे कोई नहीं छीन सकता, चाहे वो कोई बच्चा हो या उसका बाप।” रिदांश गुस्से में कॉल कट करता उससे पहले मिस्टर सुशांत ने फिर से तेज आवाज में कहा, “ठीक है मत करो शादी लेकिन मेरे हाथ में एक बच्चा लाकर रख दो, जो तुम्हारा अंश हो ताकि मैं प्रॉपर्टी पर क्लेम कर सकूं। अब ये मत कहना कि बच्चों के लिए शादी करना जरूरी होता है। विविध की शादी और बच्चा होने में कम से कम 1 साल का टाइम लग ही जाएगा। तुम बिना शादी के भी किसी भी लड़की के साथ में बच्चा पैदा कर सकते हो।” सुशांत आगे कुछ कहते उससे पहले रिदांश ने कॉल कट कर दिया। उसने अपना मोबाइल साइड में रखा और गहरी सांस लेकर छोड़ी। रिदांश ने सिर हिला कर कहा, “एनीटाइम बच्चे बच्चे की रट लगा कर रखते हैं, जैसे बच्चा रोड पर रखा हुआ है और उन्हें उठाकर दे दूंगा, ये लीजिए बच्चा और दे दीजिए प्रॉपर्टी। मुझे भी प्रॉपर्टी प्यारी है और मेरा ज्यादातर काम इंडिया में ही चल रहा है। उस विविध ने अगर जल्दी बच्चा पैदा कर दिया तो मेरी प्रॉपर्टी खतरे में आएगी पर अचानक से बच्चा उठाकर कहां से लाकर रख दूं?” रिदांश के चेहरे पर हल्के परेशानी के भाव थे। उसने भले ही सुशांत के सामने जाहिर न किया हो पर वो परेशान था। उसका ज्यादातर काम इंडिया में ही चल रहा था और उसके डैड मिस्टर तेज प्रताप ठाकुर की विल के अनुसार इंडिया की सारी प्रॉपर्टी रिदांश या विविध के बच्चे के नाम होने वाली थी, बस फर्क ये था कि बच्चा पहले कौन पैदा करता है। रिदांश ने फिर अपने लॉयर को कॉल किया और उसे कहा, “दादाजी की विल का कोई लूपहोल है? मैं नहीं चाहता कि मेरी इतनी मेहनत किसी कल के आए बच्चे के नाम हो।” “आप ये सवाल मुझसे काफी बार पूछ चुके हैं सर और इसका कोई तरीका नहीं है। अब तो उस विल के बारे में आपके दुश्मनों तक को पता चल गया है और तभी वो आपके खिलाफ आजकल कुछ कर नहीं रहे। हां, बच्चा पैदा करो तो शायद कुछ...” लॉयर उसे समझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन रिदांश ने उसके बाद भी नहीं सुनी और कॉल कट कर दिया। रिदांश गुस्से में चिल्ला कर बोला, “हद है यार... एक तो मुझे बच्चों से इतनी चिढ़ है, ऊपर से जिसे देखो बच्चे बच्चे की रट लगाकर बैठा है, जैसे मैं अपने ससुराल की कोई बहू हूं और जिसने बच्चा पैदा नहीं किया।” रिदांश आगे कुछ कहता उससे पहले उसकी नजर आरोही पर पड़ी, जो दरवाजे पर खड़ी उसकी बातें सुन रही थी। रिदांश कुछ देर तक आरोही की तरफ देखता रहा और फिर उसके दिमाग में कुछ सूझा। अचानक रिदांश आरोही की तरफ बढ़ने लगा। उसे अपने पास आता देख कर आरोही को डर लग रहा था। वो अपने कदम पीछे ले रही थी। रिदांश आरोही से थोड़ी ही दूरी पर था कि उसने उसे पकड़ कर वहीं पर रोक दिया। फिर रिदांश ने आरोही से अपनी सख्त आवाज में पूछा, “लास्ट टाइम पीरियड्स कब आए थे तुम्हें?” उसका सवाल सुनकर आरोही की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। वो तो वैसे भी नॉवेल की दुनिया में थी तो कैसे अपने मेंस्ट्रूअल का एग्जैक्ट टाइम बता सकती थी पर फिर भी रिदांश का सवाल काफी क्रीपी था। वो उसका बॉयफ्रेंड या कोई हस्बैंड नहीं था, जो उसे उसके पीरियड्स के बारे में पूछे। °°°°°°°°°°°°°°°° क्या लगता है रिदांश के दिमाग में क्या चल रहा है? आई हॉप आपको कहानी पसन्द आ रही होगी, अगर आ रही है तो कमेंट करो यार।

  • 11. A cruel fairytale - Chapter 11

    Words: 1478

    Estimated Reading Time: 9 min

    रिदांश के दादाजी तेजप्रताप ठाकुर ने कुछ ऐसी ही विल बनाई थी, जिसके बाद रिदांश को बच्चा पैदा करने की जरूरत थी। उनकी बनाई विल के अनुसार रिदांश की नेक्स्ट जेनरेशन को ही इंडिया की सारी प्रॉपर्टी मिलेगी। रिदांश अपने डैड मिस्टर सुशांत ठाकुर का इकलौता लड़का था तो वही उसके चाचा प्रशांत ठाकुर का बड़ा बेटा विविध रिदांश से छोटा था, फिर भी वो शादी करने जा रहा था। विविध के शादी करने पर रिदांश पर और ज्यादा प्रेशर पड़ गया। गुस्से में सुशांत ने उसे ये तक कह दिया था कि वो शादी ना करें लेकिन उसे बच्चा पैदा करके दे दे। अपने डैड से बात करके रिदांश हटा ही था कि उसे सामने आरोही दिखाई दी। रिदांश ने अचानक आरोही से उसके लास्ट पीरियड्स का टाइम पूछा। आरोही गुस्से में रिदांश की तरफ देख रही थी तभी रिदांश बोला, “मुझे बच्चा पैदा करना है... तुम और तो मेरे किसी काम नहीं हो, तो यही सही।” आरोही रिदांश के कहने का मतलब समझ गई थी कि वो उसे उसके पीरियड्स की डेट क्यों पूछ रहा है। उसने कोई जवाब नही दिया तो रिदांश भौहें उठाकर बोला, “देखो तुम मुझे नहीं बता रही हो तुम्हें किसने भेजा है। मुझे एक लड़की की जरूरत है और तुम मुझे बिल्कुल परफेक्ट लग रही हो। मैं काफी लड़कियों के साथ इंटीमेट हो चुका हूं पर तुम्हारी बात ही अलग है। अगर तुमसे बच्चा पैदा किया तो वो तुम्हारी तरह खूबसूरत होगा या मेरी तरह हैंडसम भी हो सकता है। तुम परफेक्ट हो तो चलो खुद को तैयार कर लो। तुम मेरे लिए मेरा बच्चा पैदा करने वाली हो।” रिदांश ने सीधे सीधे अपना फैसला सुना दिया था। रिदांश की बातें आरोही को एक के बाद एक नया झटका दे रही थी। वो गुस्से में रिदांश पर हाथ उठाने वाली थी लेकिन उसने आरोही का हाथ पकड़ लिया। रिदांश जलती हुई निगाहों से उसकी तरफ देखने लगा। रिदांश ने आरोही का हाथ मरोड़ते हुए कहा, “प्यार से मानो या जबरदस्ती... अब बच्चा तो मेरा तुम ही पैदा करोगी। पहले तो मैंने इस चीज को इतना सीरियसली नहीं लिया था पर अब रिदांश ठाकुर भी अपनी जिद पर आ गया है। हम हॉस्पिटल जा रहे है। वहां तुम्हारा कंप्लीट चेकअप होगा।” रिदांश ने गुस्से में कहा। अब वो अपनी जिद पर आ गया था और रिदांश ठाकुर अपनी जिद में किसी भी हद तक जा सकता था, ये आरोही से बेहतर और कौन जानता था। रिदांश ने सीधे-सीधे आरोही को कह दिया था कि वही अब उसका बच्चा पैदा करेगी। आरोही के लिए ये टोटली अनएक्सपेक्टेड था वो रिदांश पर चिल्ला कर बोली, “देखो प्लीज ये मत करो प्लीज, आई एम जस्ट ट्वेंटी टू.. इतनी कम उम्र में मैं बच्चा पैदा करने के बारे में सोच भी नहीं सकती हूं। तुम क्यों कर रहे हो मेरे साथ ऐसा? ऑलरेडी तुम इतना सब कुछ कर चुके हो। प्लीज मुझे जाने दो। चाहो तो मेरी जान ले लो पर मैं ये नहीं करने वाली हूं।” आरोही ने सीधे-सीधे मना कर दिया था पर रिदांश पर उसका कोई असर नहीं हुआ। रिदांश ने आरोही की बाजू से उसे पकड़ा और उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “रिदांश ठाकुर अपने डिसीजन नहीं बदलता है। वैसे मैंने तुम्हारे बॉस को तुम्हारी फोटोज भेज दी है। किसी ने नही सोचा होगा रिदांश ठाकुर अपने ऊपर जासूसी करने आई हुई लड़की का इतना अच्छा यूज करेगा।” बोलते हुए रिदांश के फेस पर इविल स्माइल थी और वो आरोही को लेकर जा रहा था। आरोही ने अभी भी रिदांश का वही शर्ट पहना था और वो उसे उसी हालत में डॉक्टर के पास ले जा रहा था। रास्ते में रिदांश ने बात करके हॉस्पिटल खाली करवा लिया था, वैसे भी वो हॉस्पिटल उसी का बनवाया हुआ था। रिदांश गाड़ी ड्राइव कर रहा था जबकि आरोही उसके पास पैसेंजर सीट पर बैठी थी। उसने रिदांश के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा, “तुम्हें कोई भी अच्छी लड़की मिल सकती है। लड़कियां तो तुम्हारे लिए वन नाइट स्टैंड होती है तो फिर तुम मेरे साथ ये सब क्यों करवाना चाहते हो? तुम किसी भी लड़की को याद नहीं रखते... एक रात के बाद दोबारा उनसे कोई लेना-देना नहीं होता है... तो मुझे भी जाने दो।” आरोही बोले जा रही थी तभी रिदांश ने झटके से ब्रेक लगाए। उसने आरोही की आंखों में देखकर सर्द आवाज में कहा, “तुम मेरे बारे में कुछ ज्यादा ही नहीं जानती हो मिस राइटर।” “हां क्योंकि मैंने ही तुम्हें बनाया है।” अचानक आरोही के मुंह से निकला। उसकी बात सुनकर रिदांश के चेहरे पर इविल स्माइल थी। उसने आरोही की तरफ देखते हुए उसी अंदाज में कहा, “तब तो तुम्हें मेरी किसी भी हरकत पर एतराज नहीं होना चाहिए आफ्टर ऑल तुमने ही मुझे ऐसा बनाया है। इसमें ऊपर वाले की नहीं तुम्हारी गलती है। वैसे खुद को भगवान समझती हो ना तुम... ठीक है एक बार के लिए तुम्हारी बात पर यकीन कर लेता हूं कि तुम किसी नॉवेल में फस गई हो और मैं उसका करेक्टर हूं। तुमने लिखा है उस नॉवेल को तो बचा लो ना खुद को मुझसे...” रिदांश सीधे-सीधे आरोही को चैलेंज कर रहा था। उसकी बात सुनकर आरोही चुप हो गई। उसे चुप होना ही था क्योंकि उसके पास रिदांश की बात का कोई जवाब नहीं था। ना नॉवेल में आरोही रिदांश से बच पाई थी और ना ही अब बच पा रही थी। रिदांश ने भी आगे कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर बाद वो एक हॉस्पिटल के आगे थे रिदांश ने आरोही का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए अंदर ले जाने लगा। हॉस्पिटल में जाते हुए आरोही के दिमाग में रिदांश की बातें गूंज रही थी, जब वो उसे चैलेंज कर रहा था कि अगर उसने रिदांश को ऐसा बनाया है तो उसी की गलती है। अंदर जाते हुए आरोही ने अपने मन में कहा, “हां सच कहा तुमने, मेरी ही गलती है, जो मैंने तुम्हें ऐसा बनाया। अगर मुझे किसी नॉवेल में फंसना ही था तो मैं यहां ही क्यों आई? मेरे बाकी कैरेक्टर ऐसे नहीं थे। मेरी बाकी लीड्स के साथ ऐसा नहीं हुआ था। वो काफी स्ट्रांग थी फिर मैंने अपनी कैरेक्टर को इतना वीक क्यों लिखा।” सोचते हुए आरोही की पलके भीग गई। रिदांश आरोही को लेकर डॉक्टर के सामने आ चुका था, जो कि रिदांश के लिए ही काम करता था। उसने जबर्दस्ती आरोही को एक चेयर पर बिठाकर डॉक्टर से कहा, “इसका कंप्लीट चेकअप करना है। क्या ये मेरा बच्चा पैदा करने के लायक है भी या नहीं?” डॉक्टर हैरानी से रिदांश की तरफ देख रहा था। वो कुछ पूछता उससे पहले रिदांश बोला, “मेरे पास इतना टाइम नहीं है। इसके सारे टेस्ट करो और जल्द से जल्द रिपोर्ट मेरे पास होनी चाहिए।” डॉक्टर अपनी जगह से खड़ा हुआ और आरोही को लेकर एक कमरे में गया। वो उसके कुछ टेस्ट करवा रहा था। जब आरोही और डॉक्टर अकेले थे, तब आरोही ने डॉक्टर से प्लीडिंग वे में कहा, “प्लीज मेरी मदद कीजिए। ये शख्स मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा है और मुझे इसका कोई बच्चा पैदा नहीं करना है। कल रात भी इसने मेरे साथ जबरदस्ती फिजिकल रिलेशन बनाएं। प्लीज मेरी हेल्प कीजिए। मैं तो होश भी नहीं था।” “सॉरी मैं कुछ नहीं कर सकता और तुम्हें भी यही कहूंगा कि अपना मुंह बंद रखना वरना ये इंसान तुम्हें बहुत बुरी मौत देने वाला है।” डॉक्टर ने आरोही को वार्निंग देते हुए कहा। “ऐसी जिंदगी से तो मौत ही ठीक है। आप ऐसा कीजिए कि मुझे मार दीजिए।” आरोही ने अपनी तरफ से हार मानते हुए कहा। वैसे भी वो असल दुनिया में मर ही चुकी होगी तभी वो अचानक एक अलग दुनिया में पहुंच गई थी। आरोही को जहां तक याद था आखिरी बार उसका एक्सीडेंट हुआ था। डॉक्टर ने कुछ पल आरोही के चेहरे को देखा और फिर कहा, “अब तो तुम्हारे पास मरने का भी ऑप्शन नहीं है। तुम्हारे ऊपर रिदांश ठाकुर की नजर पड़ चुकी है। अगर वो ये चाहता है कि तुम उसका बच्चा पैदा करो तो तुम्हें ऐसा करना ही होगा। इसमें चाहे तुम्हारी मर्जी हो या ना हो।” आरोही आगे कुछ कहती उससे पहले डॉक्टर ने कहा, “तुम्हारे सारे टेस्ट हो चुके हैं। रिपोर्ट शाम तक भिजवा दूंगा।” डॉक्टर बाहर चला गया था जबकि आरोही अभी भी वहां अकेली थी। उसने इधर-उधर देखा तो वहां एक खिड़की थी। उसने खिड़की से झांक कर देखा तो वो इस वक्त सेकंड फ्लोर पर थी। पास ही में एक पाइप लगा हुआ था। आरोही ने पाइप की तरफ देखा और धीरे से कहा, “तुम्हें हिम्मत करनी होगी। रिदांश को रोकने का कोई रास्ता नहीं है और मेरे पास ये आखरी मौका है, जब मैं यहां से भाग सकती हूं।” आरोही ने हिम्मत करके वहां से भागने का फैसला कर लिया था। रिदांश उसके साथ बिना किसी सिक्योरिटी के आया था और ये उसके पास अच्छा मौका था। वहां से निकलने से पहले आरोही ने इधर-उधर देखा तो आसपास कोई नहीं था। उसने खिड़की का कांच हटाया और अब वो वहां से भगाने के लिए पूरी तरह तैयार थी। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 12. A cruel fairytale - Chapter 12

    Words: 1125

    Estimated Reading Time: 7 min

    आरोही रिदांश के साथ चेकअप करवाने के लिए हॉस्पिटल आई हुई थी। डॉक्टर ने उसका चेकअप किया और फिर वहां से बाहर चला गया। वो अभी भी उसे रूम में अकेली थी। आरोही ने देखा वहां आसपास कोई नहीं है, तो उसने वहां से भागने का सोचा। आरोही खिड़की में से बाहर निकलने को हुई तभी किसी ने उसे अंदर की तरफ पकड़ कर जोर से खींचा। उसने देखा सामने रिदांश खड़ा था, जो उसकी तरफ गुस्से से देख रहा था। “यहां तुम्हारी कोई मदद नहीं करेगा मिस राइटर... चुपचाप मेरे साथ चलो। बाकी मरने का इतना ही शौक चढ़ा है तो मेरा काम कर दो, उसके बाद अपने हाथों से तुम्हारी जान लूंगा।” रिदांश ने आरोही के कान के बिल्कुल करीब आकर कहा और फिर आरोही का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए बाहर ले जाने लगा। आरोही की आखिरी उम्मीद बस वो रिपोर्ट थी, जो डॉक्टर देने वाला था। वो दिल ही दिल में यही दुआ कर रही थी कि उसकी रिपोर्ट नॉर्मल ना आए। घर आने के बाद रिदांश ने उसे वापस कमरे में बंद कर दिया। जब से वो उसके पास से आई थी, रिदांश ने जानबूझकर उसे कुछ भी खाने के लिए नहीं दिया था। बस उसके कमरे में पानी की एक बोतल पड़ी हुई थी। भूख के मारे आरोही का बुरा हाल हो गया था। जैसे-तैसे उसने शाम तक का वक्त निकाल दिया था। शाम को रिदांश उसके कमरे में आया तो आरोही को लगा कि वो उसे खाना देगा लेकिन तभी रिदांश ने सख्त आवाज में कहा, “नीचे डॉक्टर आया है तुम्हारी रिपोर्ट्स लेकर। दुआ करो कि रिपोर्ट अच्छी आए वरना तुम मेरे किसी काम की नहीं हो और रिदांश ठाकुर यूजलेस चीजों को अपने पास नहीं रखता है।” इतना कहकर रिदांश ने आरोही के हाथ को कसकर पकड़ा और वापस उसे नीचे ले जाने लगा। आरोही के आगे खाई थी तो पीछे कुआं। दोनों ही सूरत में उसका नुकसान था। अगर रिपोर्ट पॉजीटिव आई तो रिदांश उसके जरिए अपना बच्चा पैदा करने वाला था, जो वो कभी नहीं चाहती थी और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर रिदांश उसकी जान लेने का बोल चुका था। आरोही रिदांश के साथ नज़रे झुकाकर नीचे पहुंची। लिविंग रूम में डॉक्टर के अलावा और कोई नहीं था। रिदांश काउच पर जाकर बैठ गया और उसने अपने पास में आरोही को भी बिठा लिया। रिदांश ने डॉक्टर की तरफ देखा। उसका इशारा समझते हुए डॉक्टर ने हल्का मुस्कुरा कर कहा, “इनकी सारी रिपोर्ट नॉर्मल आई है, इन फैक्ट काफी अच्छी आई है। देखा जाए तो ये परफेक्ट टाइम है, जब आप अपना बच्चा पैदा कर सकते हैं। आप इसे आर्टिफिशियल तरीके करना चाहे तो ये और भी आसान हो जाएगा और सब नेचुरल रखना है तो थोड़ा टाइम लग सकता है... पर हां, शी इज परफेक्ट।” रिदांश ने आरोही की तरफ तिरछा मुस्कुराता हुए देखा। आरोही की नज़रें झुकी हुई थी। रिदांश ने उसकी चिन को पकड़कर उसका चेहरा ऊपर किया और आरोही की आंखों में देखते हुए तिरछा मुस्कुरा कर कहा, “सुना तुमने, डॉक्टर ने क्या कहा? यू आर परफेक्ट। मुबारक हो मिस राइटर, एक साल के लिए तुम्हारी जान बच गई।” उसके बाद रिदांश ने डॉक्टर की तरफ देखा तो डॉक्टर तुरंत बोला, “आप इन्हें कल हॉस्पिटल लेकर आ जाइएगा। बस 10-15 मिनट का काम है और फिर आपका अंश इनके अंदर...” रिदांश ने डॉक्टर की बात बीच में काटते हुए कहा, “मुझे नेचुरल प्रोसेस को फॉलो करना है।” डॉक्टर ने उसकी बात पर हां में सिर हिलाया और फिर थोड़ा बहुत कुछ समझाने के बाद वहां से चला गया। आरोही ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। वो कही और ही खोई हुई थी। जैसे ही रिदांश ने सब कुछ नेचरली करने का कहा, आरोही की सांसे तो वहीं पर थम गई थी। डॉक्टर के जाते ही रिदांश ने आरोही से कहा, “चलो तैयार हो जाओ मिस...।” रिदांश बोलते हुए रुक गया। उसने आरोही के चेहरे की तरफ देखा। उसका चेहरा कमजोर और पीला लग रहा था। रिदांश ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और फिर बात को बदलते हुए कहा, “काफी वीक लग रही हो। इतना बड़ा काम करने जा रही हो तो स्ट्रांग होना जरूरी है। पहले कुछ खा लो।” शाम का वक्त था तो वैसे भी डिनर तैयार हो रहा था। आरोही को बहुत जोरों से भूख भी लगी थी इसलिए उसने इस मामले में कुछ नहीं कहा। थोड़ी ही देर में रिदांश और आरोही दोनों डाइनिंग टेबल पर थे। आरोही और रिदांश दोनों चुपचाप खाना खा रहे थे। आरोही की नजरे झुकी हुई थी जबकि रिदांश उसी की तरफ देख रहा था। रिदांश ने आरोही की तरफ देखते हुए अचानक कहा, “नो डाउट कि तुम्हें इस मिशन के लिए क्यों चुना गया होगा। तुम काफी खूबसूरत हो लेकिन उन्होंने जल्दबाजी दिखाई और तुम्हें अच्छे से ट्रेड नहीं किया।” रिदांश का कहना भी सही था। वो बहुत खूबसूरत थी। अगर आरोही रिदांश से नॉर्मल तरीके से पार्टी में मिली होती तो वो उसे काफी प्यार से अडोर करता। “मुझे किसी ने नहीं भेजा है।” आरोही ने रिदांश की तरफ देखकर गुस्से से कहा। रिदांश ने फिर आगे कहा, “जब मैं लास्ट नाइट तुम्हारे साथ था आई केन फील दैट यू आर वर्जिन... कहीं उन्होंने तुम्हारे घर वालों को किडनैप करके तो तुम्हें जबरदस्ती यहां नहीं भेजा?” आरोही ने इस बात रिदांश की बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो जानती थी कि उसकी सफाई देने का कोई फायदा नहीं है। उसे चुप देखकर रिदांश फिर बोला, “चलो एक बार के लिए नॉवेल वाली बात को इग्नोर कर देते हैं और इस बात को भी कि तुम्हें किसी ने भेजा होगा लेकिन फिर भी मैं तुम्हें जाने नहीं दे सकता क्योंकि तुमने मुझे किसी की जान लेते देखा है। रिदांश ठाकुर को अपने साये पर भी यकीन नहीं है फिर तुम पर कैसे कर ले। ऊपर से तुम तो मेरे बारे में वो भी जानती हो जो तुम्हें नहीं जानना चाहिए।” “ये सब कोइंसिडेंसली हुआ। मै नॉवेल की कहानी जानती हूं क्योंकि मैंने वो लिखा है। मैंने इसे टालने की बहुत कोशिश की। मैं धीरे-धीरे सब कुछ भूल रही हूं लेकिन ये अच्छे से याद है कि तुम उस आदमी को मारने के लिए सुबह गए थे। मैंने सुबह वहां जाना इग्नोर किया तो आपने उसे शाम को मारा और अनजाने में मैं वहां पहुंच गई।” आरोही ने एक बार फिर उसे सब समझाने की कोशिश की। इस बार रिदांश उसकी बात गौर से सुन रहा था। वो सच कह रही थी रिदांश उस आदमी को मारने के लिए सुबह निकला था। रिदांश जिस तरह से आरोही को देख रहा था, आरोही को लगने लगा कि रिदांश को उसकी बात पर यकीन हो रहा है। °°°°°°°°°°°°°°°° क्या लगता है रिदांश को यकीन हो गया आरोही सच में किसी नॉवेल की दुनिया में आकर फंस गई है, जिसे उसने खुद ने बनाया है। ये तो अगले पार्ट में ही पता चलेगा।

  • 13. A cruel fairytale - Chapter 13

    Words: 1192

    Estimated Reading Time: 8 min

    रिदांश ने आरोही को साफ कह दिया था कि वो उसके बच्चे को पैदा करेगी, साथ ही उसे ये सब प्रोसेस नेचुरल रखनी है। कुछ भी करने से पहले रिदांश ने आरोही के चेहरे की तरफ देखा तो वो काफी थकी हुई और कमजोर लग रही थी। तब रिदांश को एहसास हुआ कि आरोही जब से उसके यहां आई है, उसने कुछ नहीं खाया था। रिदांश आरोही के साथ डाइनिंग टेबल पर था और दोनों साथ में डिनर कर रहे थे। आरोही एक बार फिर रिदांश को ये यकीन दिलाने की कोशिश कर रही थी कि वो अपनी ही लिखी नॉवेल में फंस चुकी है। आरोही बचने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही थी। इस बार रिदांश के चेहरे के एक्सप्रेशंस थोड़े सीरियस थे। ऐसा लग रहा था जैसे उसे आरोही की बातों पर यकीन हो रहा हो। रिदांश जब काफी देर तक बिना इंटरप्ट किए आरोही की बात सुनता रहा तो आरोही ने उसकी आंखों में देखकर मासूमियत से कहा, “प्लीज मेरा यकीन करो। तुम ये सब मत करो। ये रियल नहीं है, बस नॉवेल की एक स्टोरी है। मुझे मेरे घर तक वापस छोड़ आओ।” आरोही काफी रिक्वेस्टिंग तरीके से बात कर रही थी। रिदांश कुछ देर तक बिल्कुल चुप रहा। फिर उसने आरोही के बालों को अपनी मुट्ठी में भरा और उसे अपने करीब लाकर उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “नॉवेल हो या मूवी आई डोंट गिव ए डेम.... अगर नॉवेल ही है तो इतना फील मत करो। मेरे लिए रियलिटी है और मैं अपनी प्रॉपर्टी को जाने नहीं दे सकता। चुपचाप खाना खत्म करो, बेडरूम में भी जाना है।” रिदांश के बाल खींचने पर आरोही की आंखों में आंसू थे। उसकी भूख तो जैसे मर गई हो। आरोही ने आधा ही खाना खत्म किया था और फिर खाते हुए रुक गई। रिदांश समझ गया था कि आरोही आगे कुछ नहीं खायेगी तो उसने आरोही का हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे में घसीट कर ले जाने लगा। आरोही चिल्लाते हुए उसे रोकने की कोशिश कर रही थी। “प्लीज... प्लीज मेरे साथ ये मत करो। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं... ये ... ये बहुत पेनफुल है। आई कांट टॉलरेट दिस। प्लीज रिदांश... प्लीज तुम चाहते हो मैं तुम्हारा बच्चा पैदा करूं तो तुम आर्टिफिशियल प्रोसेस रख सकते हो। आई स्वेयर मैं उफ्फ तक नहीं करुंगी। ये बहुत पेनफुल है... प्लीज मत करो।” आरोही गिड़गिड़ाते हुए रिदांश को मनाने की कोशिश कर रही थी पर वो उसकी कहां सुनने वाला था। उसे ना तो आरोही के दर्द से फर्क पड़ता था और ना ही उसकी सुनाई कहानी से। बेडरूम में आते ही रिदांश ने आरोही का हाथ छोड़ा और फिर उसकी तरफ ऊपर से नीचे देखा। उसके इस तरह इंटेंसिटी से देखने पर आरोही अनकंफर्टेबल होने लगी। उसकी नज़रें ही काफी थी, जो उसे बिना छुए ही अंदर तक चीर रही थी। रिदांश ने उसे देख कर गहरी सांस लेकर छोड़ी और कहा, “जाकर अभी नहा कर आओ और 10 मिनट से ज्यादा टाइम नहीं लगना चाहिए। अगर 1 मिनट भी एक्स्ट्रा लिया तो मैं बाथरूम में आ जाऊंगा और वहीं पर शुरू हो जाऊंगा एंड आई स्वेयर मुझे ऐसा करते हुए एक परसेंट भी हिचकिचाहट नहीं होगी।” आरोही अपनी जगह पर बुत बनी हुई खड़ी हुई थी मानो उसे रिदांश की बात सुनाई ही ना दी हो। रिदांश का पेशेंस लेवल अब खत्म हो रहा था। उसने आरोही का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए कहा, “लगता है हमारी मिस राइटर को प्यार की लैंग्वेज समझ नहीं आती है। अगर ऐसा है तो यही सही।” रिदांश आरोही को बाथरूम में लेकर आ गया था। उसने शावर ऑन किया। आरोही ने अभी भी रिदांश की शर्ट पहनी हुई थी, जो पानी गिरने से पूरी तरह उसकी बॉडी से चिपक गई थी। शर्ट वाइट होने की वजह से ट्रांसपेरेंट हो गई थी और उसमें आरोही की बॉडी एकदम क्लीयरली विजिबल थी। आरोही रोए जा रही थी लेकिन पानी में उसके आंसुओ का कुछ पता नहीं चल रहा था। रिदांश उसके करीब आया और फिर उसकी शर्ट खोलकर फेंक दी। वो खुद अपने हाथों से उसकी बॉडी क्लीन कर रहा था। उसका इस तरह आरोही की बॉडी के हर एक हिस्से को छूना उसे काफी असहज कर रहा था। आरोही खुद में सिमटने लगी तो रिदांश ने धीमी लेकिन सर्द आवाज में कहा, “चुपचाप सीधी खड़ी रहो। काफी नॉर्मली टच कर रहा हूं, उसी में तुम्हारा ये हाल है तो थोड़ी देर बाद में जो होगा, उसका क्या?” “प्लीज....” आरोही के मुंह से इतना ही निकला था। अब तो उसकी इतनी भी हिम्मत नहीं बची थी कि वो रिदांश से अपने दिल की बात कह सके। रिदांश ने हर बार की तरह आरोही को इग्नोर किया और फिर उसे नहलाने के बाद टॉवल में रेप करके बाहर लेकर आ गया। रिदांश आरोही को ऐसे एडोर कर रहा था, जैसे वो कोई छोटी बच्ची हो। उसने उसके बाल सुखाए। कोई उन्हें इस तरह देखता तो उन्हें यही लगता कि रिदांश आरोही से बहुत प्यार करता है और उसकी काफी परवाह करता है लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल उलट थी। रिदांश के चेहरे पर कोई भाव नहीं था जबकि आरोही की आंखें रो-रो कर लाल हो चुकी थी। आरोही के बाल सुखाने के बाद रिदांश ने उसका टॉवल खींचा और फिर से बेड पर धकेल दिया। अगले ही पल रिदांश उसके ऊपर था। कुछ भी करने से पहले रिदांश ने आरोही की आंखों में देखकर सख्त लहजे में कहा, “तुम्हारे पास बचने का कोई रास्ता नहीं है। बेटर है कॉर्पोरेट करो। जितनी जल्दी तुम प्रेग्नेंट होगी, उतनी जल्दी तुम्हारे साथ ये सब होना बंद हो जाएगा। वरना हर रात तुम्हें यही सब झेलना होगा और ट्रस्ट मी मुझे एक परसेंट भी गिल्ट नहीं होगा। इन फैक्ट आई विल एंजॉय।” इतना कहने के बाद रिदांश ने अपने होंठ आरोही के होठों पर रख दिए और उसे काफी ब्रूटल तरीके से किस कर रहा था। ये पहली बार नहीं था कि रिदांश किसी के साथ बेड पर एग्रेसिव तरीके से बिहेव कर रहा था। आखिर आरोही ने उसके पर्सनेलिटी बनाई ही ऐसी थी, एक बेदिल इंसान, जिसे सिर्फ खुद के दर्द से फर्क पड़ता था। रिदांश ने आरोही की पूरी बॉडी को किसेस और हिकिज से भर दिया था। आरोही एक लाश की तरह पड़ी हुई थी। कुछ ही देर में आरोही के मुंह से एक जोरदार चीख निकली, जो की देर रात तक सिसकियां के तौर पर उस कमरे में गूंज रही थी। जब रिदांश थक गया तो वो आरोही के बगल में लेट गया मानो अब उसे आरोही से कोई मतलब ही ना रहा हो। थोड़ी देर में ही रिदांश को नींद आ गई थी जबकि आरोही की आंखों में नींद तो छोड़ो, वो ठीक से लेट भी नहीं पा रही थी। उसकी बॉडी में भयंकर दर्द हो रहा था। उसने गुस्से में रिदांश की तरफ देखा, जो बेफिक्र होकर सो रहा था। रिदांश की तरफ देखकर आरोही ने धीरे से कहा, “कोई बात नहीं रिदांश ठाकुर, आज तुम मेरे साथ ये सब करके मुझे तकलीफ पहुंचा रहे हो, कल मुझसे ज्यादा तकलीफ तुम्हे होगा। मैंने तो तुम्हें पहले ही वॉर्न किया था। नॉवेल मैंने लिखा है। जितना दर्द मुझे मिला है, उसके कहीं ज्यादा दर्द तुम्हें मिलने वाला है।” बोलते हुए आरोही की आंखों से आंसू का कतरा बह गया था। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 14. A cruel fairytale - Chapter 14

    Words: 1318

    Estimated Reading Time: 8 min

    कल रात फिर रिदांश आरोही के करीब आया था पर इस बार उसका इरादा कुछ और था। वो जल्द से जल्द आरोही को अपने बच्चे की मां बनाना चाहता था। अगली सुबह रिदांश की आंख खुली तो आरोही उसके बगल में सोई हुई थी। उसने ब्लैंकेट ओढ़ रखा था फिर भी साफ पता चल रहा था कि उसने कपड़े नहीं पहने हैं। उसे देखकर रिदांश की नजरे उसकी गर्दन पर गई, जहां उसके दिए काफी सारे लव बाइट के निशान थे। रिदांश ने उसे देखकर गहरी सांस लेते हुए कहा, “कुछ तो बात है इस अजीब बात करने वाली राइटर में, वरना आज से पहले भी मैं कई लड़कियों के करीब आया हूं पर किसी ने मुझे इस तरह अपनी तरफ टेंप्ट नहीं किया, जैसे ये करती है। कंट्रोल रिदांश ठाकुर, फिलहाल तुम्हारे लिए फिजिकल नीड्स को पूरा करने से ज्यादा जरूरी अपना बच्चा पैदा करना है।” रिदांश फिर जल्दी से बिस्तर से उठा और बाथरूम में चला गया। कुछ देर बाद वो नहा कर बाहर निकला तो उसने देखा अभी तक आरोही सोई हुई थी। “सोने देता हूं वैसे भी बेचारी कल रात के बाद कुछ ज्यादा ही थक गई होगी।” रिदांश ने आरोही की तरफ देखकर कहा और फिर क्लोसेट एरिया में चला गया। तैयार होने के बाद रिदांश ब्रेकफास्ट टेबल पर था और अकेले की नाश्ता कर रहा था। उसकी आंखों के सामने बार-बार आरोही का चेहरा आ रहा था, मानो वो उसके जेहन में अटक गई हो। रिदांश खाने के बजाय आरोही के बारे में सोच रहा था, तभी उसके फोन की रिंग बजी। इसी के साथ रिदांश का ध्यान टूटा स्क्रीन पर उसकी मॉम मिसेज निधि ठाकुर का नाम आ रहा था। रिदांश ने मोबाइल स्क्रीन की तरफ देखकर आईज रोल की और फिर कॉल रिसीव करके सख्त आवाज में कहा, “मेरा लेक्चर सुनने का कोई मूड नहीं है। मुझे पता चल गया है विविध शादी करने जा रहा है। कुछ नया है तो बताइए।” “नया कुछ नहीं है। विविध की इंगेजमेंट है, बस उसी के लिए कॉल किया है। लंदन पहुंचो, मैं नहीं चाहती प्रेस के सामने फैमिली डिस्प्यूट बाहर आए।” निधि ने सख्त आवाज में कहा। “मेरे पास टाइम होगा तो आ जाऊंगा वरना उस सो कॉल्ड फैमिली में इंवॉल्व होने का मुझे कोई शौक नहीं है।” इतना कहकर रिदांश ने कॉल कट कर दिया। उसके अपनी फैमिली के साथ बिल्कुल भी रिलेशन अच्छे नहीं थे। ज्यादातर मामलों में ऐसा होता था कि किसी का अपनी फैमिली के साथ रिलेशन अच्छा न भी हो तो उनके मां बाप या भाई बहन के साथ अच्छा बॉन्ड होता है पर रिदांश के मामले में बिल्कुल अलग था। रिदांश की अपने घर में किसी के साथ नहीं बनती थी। कॉल कट होने के बाद उसने एक नजर ब्रेकफास्ट की प्लेट की तरफ डाली, जिसमें से उसने दो या तीन बाइट ही ठीक खाए होंगे। रिदांश आगे खाने वाला था तभी उसकी नजर दरवाजे पर गई। आरोही उठ चुकी थी और इस वक्त दरवाजे पर खड़ी थी। उसने रिदांश का शर्ट पहना हुआ था और थोड़ा लंगड़ाते हुए बाहर आ गई थी। रिदांश जल्दी से उठकर आरोही के पास गया और उसे अपनी गोद में उठा लिया। उसके ऐसा करने पर आरोही उसकी तरफ तो घूर कर देख रही थी, तभी रिदांश बोला, “मुझे बुला लेती, मैं आ जाता। तुम्हें चलने में दिक्कत हो रही होगी ना... मेरी कंपैटिबिलिटी मैच करना इतना आसान नहीं है।” आरोही ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। रिदांश की बात सही भी थी। वो काफी स्ट्रांग था और ये उसने कल रात साबित कर दिया था। आरोही अब ठीक से चल तक नहीं पा रही थी। पिछली बार जब रिदांश उसके करीब आया था तब वो नशे में थी तो उसे दर्द वगैरह इतना कुछ फील नहीं हुआ लेकिन अब तो आरोही की दर्द से जान जा रही थी। रिदांश ने उसे टेबल पर बिठाया और खाना सर्व करने लगा। आरोही चुपचाप ब्रेकफास्ट कर रही थी तभी रिदांश बोला, “अच्छा तो हम एक नॉवेल में है तो ये चीज भी तुमने लिखी है क्या कि मैं इतना हॉर्नी हूं या इतना स्ट्रांग....” रिदांश की बात सुनकर आरोही ने गुस्से में उसकी तरफ देखा। रिदांश के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वो नॉवेल का नाम लेकर बार-बार उसका मजाक बना रहा है। आरोही ने रिदांश की आंखों में देखते हुए सख्त आवाज में कहा, “मैं क्यों तुम्हें कुछ बताऊं? तुम्हें वैसे भी मेरी बात पर यकीन नहीं है। खुद का मजाक बनवाने से बेहतर है कि मैं चुप रहूं।” रिदांश ने आरोही की गाल पर उंगलियां घूमाते हुए सेडक्टिव वे में कहा, “बहुत जल्दी समझ आ गया तुम्हें। चलो बताओ ना नॉवेल तुमने लिखा है तो मुझे मेरी प्रॉपर्टी मिल जाएगी ना? आई मीन तुम मेरे लिए बच्चा पैदा कर दोगी ना? देखो मुझे बच्चों से कोई प्यार नहीं है। बस मुझे मेरी प्रॉपर्टी चाहिए जो कि उसी के जरिए मुझे मिलेगी।” आरोही ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया या यू कहे कि वो जवाब देना ही नहीं चाहती थी। ब्रेकफास्ट हो जाने के बाद आरोही ने रिदांश से कहा, “प्लीज मेरे लिए कुछ कपड़े भिजवा दो और कुछ डेली एसेंशियल भी।” “डेली एसेंशियल मिल जाएंगे लेकिन कपड़े नहीं मिलेंगे। तुम इस शर्ट में काफी टेंपटिंग लगती हो तो यही पहनोगी।” रिदांश ने सिर हिला कर कहा और फिर उठकर जाने लगा। उसके जाने के बाद भी आरोही वहीं पर बैठी हुई थी। आरोही ने रिदांश की बात का जवाब नहीं दिया था कि वो उसके लिए बच्चा पैदा कर पाएगी या नहीं। उसने अपने सिर पर हाथ रखा और धीरे से कहा, “मुझे... मुझे याद क्यों नहीं आ रहा है कि आगे क्या होगा। रिदांश को उसकी प्रॉपर्टी मिल जाएगी क्या? मुझे सिर्फ यही याद क्यों है कि मैं मरने वाली हूं और मेरे मरने का सबसे ज्यादा दुख इसी को होगा।” आरोही को अब याद रहा था तो सिर्फ नॉवेल का क्लाइमेक्स, जिसमें उसकी मौत होने वाली थी। आरोही को अब और ज्यादा डर लग रहा था क्योंकि वो चीजे भूल रही थी। आरोही इस सदमे से बाहर भी नहीं निकली थी कि तभी उसकी नजर न्यूज़ पेपर पर पड़ी, जहां फ्रंट पेज के साइड में उसका छोटा सा फोटो था और जिसमें मिसिंग की न्यूज़ थी। उसे देखकर आरोही की आंखें नम हो गई। फिर उसकी नजर नीचे लिखे हुए फोन नंबर पर गई। उसने धीरे से पेपर के उस हिस्से को फाड़कर अपने पास रख लिया। “मौका मिलने पर बात करने की कोशिश करती हूं पापा आपसे। आई नो आपको पता चलेगा कि आपकी बेटी किस हाल में है तो आप मुझे जरूर छुड़ा लोगे।” आरोही ने दुखी मन से कहा। वो पूरा दिन उस कमरे में थी और रिदांश के आने का इंतजार कर रही थी। शाम के वक्त रिदांश वहां आया और अंदर जाने से पहले उसने अपना मोबाइल बाहर ही छोड़ दिया था। रिदांश का मोबाइल भी अनलॉक था और आरोही जिस मौके की तलाश थी, वो उसे मिल गया था। वो अच्छे से जानती थी रिदांश नहाए बिना बाहर नहीं आएगा और इसमें उसे लगभग आधे घंटे लग जाएंगे। फिर भी सेफ्टी के लिए उसने 5 से 7 मिनट तक वेट किया। अंदर जब शावर की आवाज आने लगी तब आरोही ने जल्दी से उस नंबर पर कॉल किया, जो न्यूज़ पेपर में थे। सामने से कॉल रिसीव होते ही आरोही ने रोते हुए कहा, “पापा, पापा प्लीज मुझे बचा लीजिए। मुझे एक आदमी ने किडनैप कर लिया है और वो मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा है। मुझे नहीं पता मैं कहां हूं पर मुंबई में हूं। यहां आस-पास का एरिया खाली है तो आउट एरिया ही है। प्लीज पापा मुझे बचा लीजिए।” आरोही रोते हुए बोले जा रही थी तभी सामने से एक शख्स आवाज आई, “लेकिन अब तुम्हें उस आदमी से कोई नहीं बचा सकता बेटा। बेहतर होगा कि तुम कॉर्पोरेट करो।” आरोही हैरानी से मोबाइल स्क्रीन की तरफ देख रही थी। ऐसे लग रहा था जैसे वो किसी जाल में फंस गई हो, जो उसे फसाने के लिए ही बिछाया गया था। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 15. A cruel fairytale - Chapter 15

    Words: 1445

    Estimated Reading Time: 9 min

    शाम के वक्त रिदांश बाथरूम में शावर ले रहा था। उस वक्त आरोही कमरे में अकेली थी। सुबह उसने न्यूज़पेपर के मिसिंग कॉलम में अपनी फोटो और एक नंबर देखा था। उसे देखकर आरोही को लगा कि ये उसके पापा ने छपवाया होगा। आरोही ने तुरंत न्यूजपेपर को फाड़कर उस नंबर को अपने पास रख लिया था। रिदांश जब नहा रहा था तब आरोही ने उसका मोबाइल उठाया और उस नंबर पर कॉल कर दिया। आरोही को लगा सामने से उसके पापा ने कॉल रिसीव किया है, तो उसने उन्हें जल्दी-जल्दी में सारी बात बताई लेकिन कुछ देर रुकने के बाद सामने से एक आदमी की आवाज आई, जो किसी और की नहीं बल्कि रिदांश की आवाज थी। कॉल के दूसरी तरफ रिदांश की आवाज सुनकर आरोही के हाथ से मोबाइल छूट कर नीचे गिर गया। वो समझ गई थी कि ये रिदांश ने हीं प्लान किया है। आरोही वहां खड़ी तेज सांसें ले रही थी। डर के मारे उसकी हालत खराब हो रही थी, तभी बाथरूम का दरवाजा खुला। सामने रिदांश था जिसने सिर्फ टॉवल बांध रखा था। उसके हाथ में एक दूसरा मोबाइल था और चेहरे पर गुस्से के भाव। “प्लीज। प्लीज मुझे माफ कर दो। मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करूंगी।” उसे देखते ही आरोही गिड़गिड़ाने लगी। वो नहीं जानती थी कि रिदांश उसकी इस हरकत पर क्या करेगा पर एक बात जरूर साफ थी कि रिदांश उसकी सजा उसे जरूर देने वाला था। रिदांश के कदम तेजी से आरोही की तरफ बढ़ रहे थे तो वही उसे अपनी तरफ आता देखकर आरोही अपने कदम पीछे ले रही थी। रिदांश उसके पास गया और आरोही का गला पकड़कर सर्द आवाज में कहा, “क्या लगा था मिस राइटर, तुम्हारी मदद करने के लिए यहां कोई आएगा? ये रिदांश ठाकुर की दुनिया है और यहां मेरी मर्जी के खिलाफ हवा तक उड़कर मेरे घर में नहीं आ सकती, फिर तुमने कैसे सोच लिया कि तुम्हें बात करने के लिए एक नंबर और मोबाइल तक सजाया हुआ तैयार मिल जाएगा।” आरोही उस वक्त खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही थी। वैसे धोखा तो उसके साथ हुआ था। उसने खुद को सख्त किया और आंखों में आंसू लिए रिदांश से बोली, “तो तुमने ये सब मुझे फंसाने के लिए किया था? क्या लगता है तुम्हें कि मैं यहां से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करूंगी? ये एक नर्क है और तुम एक हैवान। अपनी आखिरी सांस तक मैं यहां से बाहर निकलना चाहूंगी। घिन्न आती है मुझे तुमसे... मुझे नहीं पैदा करना तुम्हारा बच्चा।” आरोही एक साथ में काफी कुछ बोल गई। उसकी बातों से रिदांश के लिए उसकी नफरत साफ जाहिर हो रही थी। रिदांश ने गुस्से में चिल्ला कर कहा, “सोचा था सब कुछ आराम से और तरीके से करूंगा लेकिन तुम उसके लायक ही नहीं हो। अब तो तुम्हें ही ये काम करना होगा। घिन्न आती है तो आती रहे, आई डोंट गिव ए डेम।” आरोही की बातों ने रिदांश के गुस्से की आग मे पेट्रोल डालने का काम किया। रिदांश ने उसी वक्त आरोही को बेड पर धकेला। आरोही आंखें बड़ी करके हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी तभी रिदांश ने अपना टॉवल निकाल कर फेंक दिया। उसके ऐसा करने पर आरोही ने तुरंत अपनी नज़रें दूसरी तरफ कर ली। अगले ही पल रिदांश उसके ऊपर था। आरोही ने नहीं सोचा था कि अचानक रिदांश उसके साथ वो सब करेगा। वो इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी, ना तो फिजिकली और ना ही मेंटली। रिदांश उसकी कहां सुनने वाला था। वो गुस्से में उसके साथ कुछ ज्यादा ही रफ था। कमरे में लगभग 1 घंटे तक आरोही के रोने चिल्लाने की आवाजें गूंजती रही। उसके बाद रिदांश ने उसे छोड़ा और उठकर वापस बाथरूम में चला गया। आरोही बिना कपड़ों के एक लाश की तरह बेड पर पड़ी हुई थी, जिसके शरीर पर जगह-जगह पर किसेस और लव बाइट्स के निशान बने हुए थे। वो जानती थी कि ये सिलसिला इतना आसानी से नहीं रुकने वाला। रिदांश ने अगर बच्चा पैदा करने की ठानी है तो वो तब तक आरोही के साथ ऐसे ही जबरदस्ती करता रहेगा, जब तक आरोही प्रेग्नेंट नहीं हो जाएगी। आरोही ने जल्दी से खुद को ब्लैंकेट में कवर किया और अंदर सिमट कर सोने की कोशिश करने लगी। कुछ देर बाद रिदांश कपड़े पहन कर बाहर आया तो उसे ब्लैंकेट के बाहर आरोही के रोने की आवाज सुनाई दे रही थी। रिदांश ने आईज रोल की और कमरे में इधर-उधर देखा तो आरोही ने जो रिदांश का शर्ट पहना था, वो फटा हुआ साइड में पड़ा था। रिदांश बाहर आया और उसने कॉल कनेक्ट करके अपने मैनेजर डेनियल से कहा, “मुझे उस लड़की के लिए हर छोटे से बड़ा सामान चाहिए। किसी मेड को अंदर भेज दो ताकि वो उसके हिसाब से उससे पूछ कर सब कुछ मंगवा सके।” इतना कह कर रिदांश ने कॉल कट कर दिया। वहीं दूसरी तरफ आरोही को घर से सब्जी लेने के लिए निकले हुए आज पूरे 5 दिन हो चुके थे लेकिन उसका कोई अता-पता नहीं था। संध्या, जो कि आरोही की मां थी, वो अपने हस्बैंड प्रशांत श्रीवास्तव के साथ में बैठी रो रही थी। उनके पास में काजल भी थी। संध्या ने सुबकते हुए कहा, “आप इस मामले में कुछ करते क्यों नहीं है। आज मेरी आरू को गायब हुए पूरे 5 दिन बीत चुके हैं। सब मेरी ही गलती है। जब उसकी तबीयत खराब थी तो मुझे इस तरह उसे सब्जी लाने के लिए भेजना ही नहीं चाहिए था।” “तुम्हें क्या लगता है मैंने पुलिस कंप्लेंट नहीं की? मुझे भी अपनी बेटी की परवाह है लेकिन ऐसे लग रहा है जैसे किसी ने उसका नामोनिशान मिटा दिया हो।” प्रशांत ने उदास चेहरे के साथ कहा। उनके पास में बैठी काजल बोली, “वो मुझे सुबह ध्यान से जाने को कह रही थी। अब देखिए ना, खुद ही गायब हो गई है।” सब आरोही के लिए बहुत परेशान हो रहे थे। उन्होंने हर तरीके से उसे ढूंढने की कोशिश कर ली थी। वहीं दूसरी तरफ रिदांश के घर पर आरोही उसके बेड पर लेटी हुई थी और लेटे लेटे कब उसे नींद आ गई, उसे खुद भी होश नहीं रहा। अगली सुबह आरोही की आंख खुली तो उसने महसूस हुआ कि कल रात वो वैसे ही सो गई थी। उसने अब तक कुछ नहीं पहना हुआ था। आरोही ने हिलने की कोशिश की तो उसने पाया कि वो रिदांश की बाहों में जकड़ी हुई है। “अजीब बेशर्म इंसान है। इतना सब कुछ करके भी इसका दिल नहीं भरा, जो वो सब करने के बाद मुझे इस तरह लेकर सो रहा है।” आरोही ने मन ही मन कहा। उसने जैसे तैसे करके खुद को रिदांश से अलग किया। आरोही ने आसपास देखा तो वहां रिदांश की एक शर्ट पड़ी हुई थी, जो उसने रात को सोते वक्त निकली थी। आरोही ने उसे पहना और बाथरूम में चली गई। बाथरूम में जाकर वो हैरान थी। वहां आरोही के जरूरत के हिसाब से कपड़े रखे हुए थे। उसने नहा कर कपड़े बदले और बाहर आई तो रिदांश उठ चुका था। वो वहां पर मौजूद नहीं था। आरोही को भूख लगी थी तो वो कमरे से बाहर आई। डाइनिंग टेबल पर रिदांश उसका इंतजार कर रहा था। उसे देखते ही रिदांश के चेहरे पर इविल स्माइल आ गई। उसने इशारे से आरोही को अपने पास बुलाया। आरोही जाकर दूसरी चेयर पर बैठने लगी तभी रिदांश ने उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। “कल रात तुमने जो भी किया, उसके बाद मैंने तुम्हें पनिशमेंट नहीं दी थी। अब इतना बड़ा काम किया है तो रिवॉर्ड देना तो बनता है ना मिस राइटर?” रिदांश ने आरोही के बालों में अपना सिर छुपाते हुए कहा। आरोही ने धीरे से जवाब में कहा, “इतना सब कुछ कर लिया, वो काफी नहीं है क्या, जो अभी भी तुम्हें पनिशमेंट देने की पड़ी है। तुम्हारी वजह से मैं ठीक से चल तक नहीं पा रही हूं।” रिदांश ने अपना चेहरा आरोही के बालों से अलग किया और फिर उसकी तरफ देखते हुए इविल स्माइल करते हुए कहा, “हां मेरा स्टैमिना कमाल का है और तुम्हारा बिल्कुल बेकार। आई लव टू क्रश यू ऑन बेड।” बोलते हुए रिदांश ने आई विंक की। उसकी बात सुनकर आरोही ने गुस्से से अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। रिदांश ने गहरी सांस ली और फिर आरोही का चेहरा पकड़कर अपनी तरफ करके कहा, “खैर बातें करने में मुझे टाइम वेस्ट नहीं करना। आई हैव ए सरप्राइज फॉर यू ताकि आगे से तुम मेरे खिलाफ जाकर अपने घर वालों से कांटेक्ट करने की कोशिश तो बिल्कुल ना करो।” बोलते हुए उसके चेहरे के भाव सर्द हो गए, जो आरोही को डरा रहे थे। वो जानती थी कि रिदांश उसे एक और नया झटका देने वाला है, पर वो क्या होगा ये अभी तक सच में एक सरप्राइज ही था। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 16. A cruel fairytale - Chapter 16

    Words: 1145

    Estimated Reading Time: 7 min

    आरोही रिदांश के साथ डाइनिंग टेबल पर थी। कल रात उसने रिदांश के मोबाइल से किसी को कांटेक्ट करने की कोशिश की थी। आरोही के हिसाब से वो नंबर उसके पापा के थे लेकिन रियल में वो रिदांश का बिछाया हुआ एक जाल था, जिसमें आरोही फंस गई थी। रिदांश ने आरोही को उसके किए की सजा दे दी थी लेकिन वो आगे को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। अगली सुबह ब्रेकफास्ट टेबल पर रिदांश ने आरोही को सरप्राइज देने की बात कही तो आरोही को शॉक सा लगा। वो जानती थी कि रिदांश का सरप्राइज उसके लिए झटका ही साबित होने वाला है। रिदांश की बातें सुनकर आरोही के चेहरे का रंग उड़ गया। उसके बदले हुए एक्सप्रेशंस देखकर रिदांश ने इविल स्माइल करते हुए कहा, “तुम तो इतनी जल्दी घबरा गई जबकि अभी तो मैंने पूरा सच बताया भी नहीं। खैर छोड़ो, मुझे ज्यादा बातें करना पसंद नहीं है। क्यों ना तुम्हें सब कुछ तुम्हारी आंखों के सामने दिखाया जाए?” बोलते हुए रिदांश ने आरोही को अपनी गोद से उठाया और फिर उठकर टीवी स्क्रीन को ऑन किया। टीवी पर आ रही न्यूज़ को देखकर आरोही की आंखों में आंसू थे। न्यूज एंकर न्यूज़ पढ़ रहा था और साइड में उसकी छोटी सी फोटो दी हुई थी। “ये है 22 साल की आरोही श्रीवास्तव, जिसकी कल कोलकाता की हुगली नदी के किनारे लाश मिली है। लाश को देखकर पता चल रहा है कि उनकी मौत को लगभग एक हफ्ता बीत चुका है। चेहरा पूरी तरह खराब हो चुका है लेकिन सामान और उनके पास मिली कुछ चीजों से उनका पहचान की गई है और इस वक्त पुलिस आगे की जानकारी हासिल करने में जुटी हुई है।” आरोही ने देखा न्यूज़ एंकर पुलिस स्टेशन के आगे खड़ा था, जहां पुलिस के साथ उसे अपने मां-बाप और काजल रोते हुए दिखाई दिए। रिदांश ने टीवी ऑफ करते हुए कहा, “तुम्हारे लिए इतना देखना काफी है। तुम इस दुनिया के लिए मर चुकी हो आरोही श्रीवास्तव, तो आगे गलती से भी किसी को कांटेक्ट करने की कोशिश मत करना वरना लोग तुम्हें ही गलत समझेंगे। गलत नही... भूत समझेंगे।” रिदांश की बातों से जाहिर था उसे आरोही के आंसुओं से कोई फर्क नही पड़ रहा था। रिदांश ने आरोही को जीते जी मार दिया था। दुनिया की नजरों में अब वो मृत साबित हो चुकी थी। आरोही बिना कुछ बोले रोए जा रही थी तभी रिदांश ने उसके आंसू अपनी उंगली पर लेकर कहा, “तुम रो क्यों रही हो? ये सब तुमने ही तो लिखा है मिस राइटर। तुम्हें तो पता होना चाहिए था तुम्हारे साथ क्या होने वाला है। वैसे मानना पड़ेगा तुमने कमाल की बुक लिखी है।” बोलते हुए रिदांश हंसने लगा। वो आरोही का मजाक उड़ा रहा था। आरोही गुस्से में जोर से चिल्ला कर बोली, “मेरे हर एक आंसू का हिसाब होगा रिदांश ठाकुर। जितने आंसू आज मैं बहा रही हूं उससे कहीं ज्यादा तुम बहाओगे। मुझे किडनैप करके अपने साथ रखने की सजा तुम्हें भी भुगतनी होगी।” आरोही की बातें सुनकर रिदांश के चेहरे के भाव सर्द हो गए। वो आरोही की आंखों में देखते हुए कोल्ड वॉइस में बोला, “इसका मतलब तुम ये एक्सेप्ट करती हो कि तुम्हें मेरे किसी दुश्मन ने भेजा है और मैंने तुम्हें यहां रख लिया तो वो तुम्हारे जरिए मुझे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा।” रिदांश आरोही के बिल्कुल करीब आ गया था और उसने उसके बालों को कस के मुट्ठी में पकड़ रखा था। आरोही दर्द से चिल्लाते हुए बोली, “मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है तो मेरी बातों का दूसरा मतलब मत निकालो रिदांश ठाकुर।” “फिलहाल तो तुम्हारी बातों और बाकी चीजों में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है। जिस काम के लिए तुम यहां हो, वो जल्दी से खत्म करो। तुम्हें बेवजह जिंदा रखने में मुझे बिल्कुल इंटरेस्ट नहीं है।” रिदांश ने चिल्ला कर जवाब दिया। उसने आरोही की बाजू पड़ी और उसे खींचते हुए वापस कमरे में लेकर आ रहा था। रिदांश जिस तरह से आरोही को रूम में खींच रहा था वो समझ गई थी कि वो क्या करने वाला है। आरोही ने चिल्लाकर कहा, “नहीं, प्लीज इतनी जल्दी नहीं... मैं तैयार नहीं हूं। मुझसे नहीं होगा।” “नहीं होगा तो तुम्हारी प्रॉब्लम है, मेरी नहीं।” बोलते हुए रिदांश आरोही को बेड पर धकेल दिया और अगली ही पल वो उसके ऊपर था। इस बार रिदांश ने प्यार से पेश आने के बजाय सीधे आरोही के साथ बिना कोई सॉफ्टनेस दिखाते हुए उसके साथ शुरू हो गया था। आरोही की चीखें एक बार फिर से कमरे में गूंज रही थी और बाहर काम करने वाले हाउस हेल्पर को बिल्कुल साफ सुनाई दे रही थी। आरोही के चीखने चिल्लाने की की आवाज सुनकर एक हाउस हेल्पर ने दूसरे से कहा, “मुझे तो दया आ रही है बेचारी बच्ची पर। वो उम्र में ज्यादा बड़ी नहीं लगती है। सर को उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर उसे कुछ हो गया तो...” “तो इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तुमने आज की न्यूज़ नहीं देखी क्या? उस लड़की के मरने की खबर आ रखी है। वो रिदांश ठाकुर है, हर चीज के लिए पहले से तैयार रहता है।” दूसरे ने जवाब दिया और फिर चुपचाप अपना काम करने लगा। रिदांश का पूरा ध्यान फिलहाल अपनी प्रॉपर्टी को पाने में था तो वहीं दूसरी तरफ उसने आरोही की फोटो जिस किसी को भी भेजी थी वो उसे देखकर हैरान थे। खास कर उसका सबसे बड़ा दुश्मन निकोलस जोनस। निकोलस जोनस रिदांश की ही उम्र का था। गोरा रंग, लंबी हाइट, गहरी नीली आंखें और शार्प जॉलाइन। दिखने में बिल्कुल किसी मॉडल की तरह दिखता था। इस वक्त निकोलस लंदन में अपने विला पर था और एक लड़की उसे मसाज दे रही थी। उसके पास भी आरोही की फोटो पहुंची थी। आरोही की फोटो देखने के बाद निकोलस ने सिर हिला कर कहा, “मेरे पास इतना फ्री टाइम नहीं है, जो मैं उस शख्स पर बर्बाद करूं, जो कुछ दिनों में वैसे भी लुटने वाला है। उसका भाई विविध ठाकुर अपनी प्रॉपर्टी मुझे बेचने के लिए तैयार है, तो मैं क्यों खामखा इसके पास किसी लड़की या एजेंट को भेजूंगा।” फिर निकोलस की नजरे आरोही पर ठहर गई थी, जो कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी। निकोलस ने उसे देखकर गहरी सांस लेकर छोड़ी और इविल स्माइल करते हुए कहा, “वैसे मानना पड़ेगा काफी खूबसूरत है। रिदांश ठाकुर की तो लॉटरी लग गई होगी या फिर वो इस लड़की को भी टॉर्चर करने में अपना टाइम वेस्ट कर रहा है।” निकोलस ने उसी वक्त अपने मैनेजर को कॉल लगाया और उसे कॉल पर कहा, “जेनेलिया, रिदांश ठाकुर के पास ये खबर पहुंचा दो कि उस लड़की को मैंने ही उसके पास भेजा है। मुझे वो लड़की अपने पास चाहिए, अगले 24 घंटे में।” आरोही को पाने की चाह में निकोलस ने रिदांश के पास ये न्यूज़ पहुंचा दी थी कि आरोही को उसी ने भेजा है। हालांकि ये बात पूरी तरह झूठ थी पर फिर भी अब उसे आरोही अपने पास चाहिए थी। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 17. A cruel fairytale - Chapter 17

    Words: 1353

    Estimated Reading Time: 9 min

    आरोही का सारा सच जानने के लिए रिदांश ने उसकी फोटो क्लिक करके अपने सभी दुश्मनों के पास भिजवाई थी ताकि अगर किसी ने आरोही को भेजा हो तो उसकी तरफ से जवाब आ जाए। बाकी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा था कि रिदांश ठाकुर के पास कोई अनजान लड़की आ गई है, जिस पर उसे जासूस होने का शक है क्योंकि उन्होंने किसी को नहीं भेजा था। लेकिन जब उसके सबसे बड़े कंपीटीटर निकोलस जोनस ने आरोही की फोटो देखी तो वो उससे काफी इंप्रेस हुआ। उसे आरोही पसंद आ गई तो उसने अपनी मैनेजर वेरोनिका को कह कर रिदांश के पास ये मैसेज भिजवाया कि आरोही को उसी ने भेजा है। निकोलस को किसी भी हालत में आरोही 24 घंटे में अपने पास चाहिए थी और इसके लिए वो इंडिया तक जाने के लिए निकल गया था। वहीं दूसरी तरफ इंडिया में जब डेनियल ने रिदांश को निकोलस का मैसेज बताया तो रिदांश जोर-जोर से हंसने लगा। उसकी हंसी खतरनाक थी, जो डेनियल के दिल में डर पैदा कर रही थी। डेनियल ने धीरे से कहा, “सर प्लीज इस तरह हंसना तो बंद कीजिए। अगर निक ने ये किया है, तो हमारे लिए ये अच्छी खबर नहीं है। पहले से ही उसकी नजर आपकी फार्मिंग पर है।” “मेरे ऊपर बुरी नजर डालने वालों की मैं आंखें निकाल लेता हूं। निकोलस जोनस शायद इस बात को भूल गया है कि अब मैं उसका स्कूल फेलो नहीं हूं, जो वो मुझे फुटबॉल का मैच समझ कर लाइफ में हराने की कोशिश करेगा।” रिदांश ने सर्द आवाज में जवाब दिया। निकोलस जोनस उसी का स्कूल मेट था। “तो आगे क्या करना है? क्या उसका सारा सच जानने के बाद भी आप उसे अपने पास रखेंगे?” डेनियल ने पूछा। “ये तो शाम की मीटिंग के बाद ही डिसाइड होगा। मेरे सारे शेड्यूल फ्री कर दो। शाम को मेरी निकोलस जोनस के साथ मीटिंग है।” रिदांश ने जवाब दिया। वो वहां से जाने लगा, तभी पीछे से डेनियल ने हैरानी से कहा, “आप लंदन जाने का सोच रहे हैं? मीटिंग का टाइम बता देते तो मैं उसकी मैनेजर को मैसेज कर देता।” “हमें कहीं जाने की जरूरत नहीं है डेनियल। वो एक कहावत तो सुनी होगी तुमने कि प्यासे को खुद ही कुवे के पास चलकर आना पड़ता है, कुआं कभी प्यासे के पास नहीं जाता... तो बस यूं समझ लो निकोलस जोनस नाम का प्यासा आदमी इस कुवे के पास खुद चलकर आ रहा है।” रिदांश ने काफी रहस्यमई तरीके से जवाब दिया और फिर वहां से चला गया। निकोलस ने किसी भी तरह की मीटिंग का कोई नोटिस नहीं दिया था, फिर भी रिदांश को अंदाजा हो गया था। डेनियल से मीटिंग करने के बाद रिदांश आरोही के पास पहुंचा, जो बिस्तर पर लेटी हुई थी। आरोही गहरी नींद में थी और उसका सोना जायज भी था क्योंकि रिदांश ने पिछली कई रातों से उसकी नींद हराम कर रखी थी। आरोही के चेहरे की तरफ देखते हुए रिदांश तिरछा मुस्कुराते हुए बोला, “क्या बात है मिस राइटर, तुम तो बहुत डिमांड में हो। कारण मुझसे बेहतर और कौन जान सकता है?” बोलते हुए रिदांश अपनी आंखों से आरोही की पूरी बॉडी को अजीब नजरों से घूर रहा था। ऐसे लग रहा था, मानो नींद में भी आरोही को उसकी नजरों की तपिश महसूस हो रही थी, जो वो नींद में भी कसमसाने लगी। रिदांश ने कुछ पल उसे देखा और फिर वहां से चला गया। थोड़ी ही देर में आरोही की आंख खुल गई थी। जैसे ही उसकी नींद टूटी, उसे कुछ महसूस हुआ और वो दौड़कर बाथरूम में गई। आरोही के चेहरे पर घबराहट के भाव थे और आंखों में रिदांश का डर। _________________ शाम के वक्त निकोलस जोनस अपनी असिस्टेंट वेरोनिका के साथ मुंबई पहुंच चुका था। रात के लगभग आठ बजे के करीब वो मुंबई के एक सेवन स्टार होटल में था और उसने रिदांश को वहीं पर बुलाया था। उसने पूरा डायनिंग एरिया बुक कर रखा था ताकि उनकी मीटिंग आराम से हो सके। थोड़ी देर में रिदांश भी डेनियल के साथ पहुंच चुका था। वहां आते ही रिदांश और निकोलस दोनों ने हीं अपने-अपने मैनेजर को बाहर भेज दिया था। उनके जाने के बाद वो दोनों एक दूसरे को खा जाने वाली निगाहों से घूर रहे थे। कुछ देर की चुप्पी के बाद निकोलस ने गहरी सांस ली और सर्द आवाज में कहा, “आई एग्री उस लड़की को मैंने भेजा है। मुझे उसे वापस कर दो। मेरे लिए वो बहुत इंपॉर्टेंट है। बदले में मैं तुम्हारी पंजाब वाली लैंड छोड़ने को तैयार हूं, जिस पर इलीगल तरीके से कब्जा किया गया था।” निकोलस की बात सुनकर रिदांश के चेहरे पर इविल स्माइल थी। वो भौहें उठाकर बोला, “क्या लगता है डियर निक, रिदांश ठाकुर ने उस मामले में कुछ किया नहीं इसका मतलब ये थोड़ी ना है कि उसने हार मान ली है। मैं अपनी एनर्जी फालतू जगह वेस्ट नहीं करता हूं। उस बंजर जमीन का मैं क्या करूंगा? अपने पास ही रखो, वैसे भी तुमने उसकी 5 गुना कीमत चुकाई है मुझे।” रिदांश की बात सुनकर निकोलस उसे कंफ्यूजन से देख रहा था तभी रिदांश ने उसके सामने चुटकी बजाई और भौंहे उठाकर कहा, “क्या लगता है तुम्हें, कोई मेरी जमीन पर ऐसे ही कब्जा करके तुम्हें बेच देगा? किसी काम की नहीं थी वो लैंड, तो सोचा उसे बेच देता है, पर एक ऐसा इंसान चाहिए था, जो उसकी ज्यादा कीमत दे सके। बस तुम्हारे तक एक खबर ही तो पहुंचानी थी कि रिदांश ठाकुर की जमीन पर किसी ने कब्जा कर लिया है और वो बेचारा डर के मारे उस लैंड को किसी को बेचना चाहता है। देखो, कितनी जल्दी तुम किसी की भी बातों में आ गए।” “रिदांश....” निकोलस जोर से चिल्ला कर बोला, “अपनी हद में रहो।” “मेरी कोई हद नहीं है निक, ये तो तुमने स्कूल टाइम में ही समझ लिया होगा। वैसे मुझे बहुत मजा आता है तुम जैसे ओवर स्मार्ट लोगों को बेवकूफ बनाने में।” रिदांश बातों ही बातों में निकोलस के साथ खेल रहा था। निकोलस ने गहरी सांस ली। वो टाइम वेस्ट नहीं करना चाहता था इसलिए उसने सीधे-सीधे कहा, “कम टू द पॉइंट... आई वांट माय गर्ल बैक।” “अच्छा? और मैं तुम्हें उसे वापस क्यों दूं?” रिदांश ने कंधे उठाकर कहा। “क्यों? उसने तुम्हारे कोई ऐसे राज जान लिए हैं क्या, जिसकी वजह से तुम्हें डर लग रहा है कि तुम उसे छोड़ दोगे तो वो मुझे सब बता देगी? रिदांश ठाकुर के चेहरे पर डर देखकर अच्छा लग रहा है।” निकोलस ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा। रिदांश ने कुछ पल रुक कर जवाब में कहा, “अजीब बात है ना निकोलस जोनस, वन नाइट स्टैंड करने के लिए एक लड़की को लेने के लिए लंदन से इतनी दूर आ गए। इतनी पसंद आ गई है क्या तुम्हें वह।” निकोलस हैरानी से रिदांश की तरफ देख रहा था। रिदांश ने सिर हिला कर कहा, “बेवकूफ समझा है क्या मुझे, जो तुम्हारी बातों में आ जाऊंगा। उस लड़की को कोई भी भेज सकता है लेकिन तुम तो बिल्कुल नहीं। देखा, मैंने तुम्हारी स्ट्रैंथ को पहचान लिया कि तुम ऐसी वैसी लड़की को मेरे पास नहीं भेजोगे और तुम बिना उसके बारे में जाने उसे लेने के लिए यहां तक आ गए। वैसे तुम्हें बता दूं वो बेड पर कमाल की है पर कभी तुम्हारे हाथ नहीं आएगी।” इतना कहकर रिदांश वहां से मुस्कुराते हुए चला गया। उसके जाने के बाद निकोलस जोर से चिल्लाया। रिदांश को समझते देर नहीं लगी कि निकोलस वहां क्यों आया होगा। आखिरकार वो अपने दुश्मनों के बारे में सब कुछ खबर जो रखता था। निकोलस पैर पटकते हुए वहां से वापस चला गया तो वही रिदांश भी घर आ गया था। रिदांश रूम में पहुंचा तब आरोही वहां नहीं थी। उसने देखा बाथरूम का दरवाजा बंद है। रिदांश ने दरवाजा खटखटाकर कहा, “2 मिनट में बाथरूम से बाहर आओ वरना मैं अंदर आ सकता हूं। एंड ट्रस्ट मी मुझे बाथरूम में कुछ भी करने से शर्म नहीं आएगी।” रिदांश की आवाज सुनकर आरोही जल्दी से बाहर आई। उसकी नज़रें झुकी हुई थी और चेहरे पर गहरे डर के भाव थे। ऐसा लग रहा था वो रिदांश को कुछ बताना चाहती है पर डर के मारे उसके मुंह से कुछ नहीं निकल रहा था। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 18. A cruel fairytale - Chapter 18

    Words: 1622

    Estimated Reading Time: 10 min

    निकोलस से मीटिंग करने के बाद रिदांश घर पर पहुंचा। वो रूम में आया, तब आरोही बाथरूम में थी। रिदांश ने थोड़ी देर उसका वेट किया फिर जब वो बाहर नहीं आई तो रिदांश ने उसे अंदर आने की धमकी देते हुए उसे बाहर आने को कहा। आरोही जल्दी से कमरे से बाहर आई। उसकी नज़रें झुकी हुई थी और चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था। आरोही रिदांश से कुछ कहना चाहती थी लेकिन वो डर के मारे बोल नहीं रही थी। “कुछ कहना है तुम्हें?” रिदांश ने अपनी सख्त आवाज में पूछा। आरोही ने फिर भी कोई जवाब नहीं दिया तो वो अपने कदम उसकी तरफ को बढ़ाने लगा। डरकर आरोही अपने कदम पीछे ले रही थी, तभी रिदांश ने उसे कमर से पकड़कर अपने करीब खींच लिया। रिदांश अभी-अभी निकोलस से मिलकर आ रहा था। हालांकि उसे उसकी बात पर यकीन नहीं था कि उसी ने आरोही को भेजा है, फिर भी कंफर्म करने के लिए रिदांश ने आरोही की चिन पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर किया और उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “निकोलस जोनस को कैसे जानती हो तुम?” “बस नॉवेल के जरिए ही... ।” आरोही ने जवाब में इतना ही कहा, वो भी बिल्कुल धीमे से। रिदांश ने कुछ पल सोचा और फिर आरोही को बेड की तरफ ले जाते हुए कहा, “ओके फाइन, मुझे अब टाइम वेस्ट नहीं करना है। डॉक्टर की एडवाइस मैं अच्छे से फॉलो कर रहा हूं। मुझे किसी भी हाल में बच्चा चाहिए। वैसे भी काफी दिन हो गए हैं। अब तक तुम प्रेग्नेंट हो जानी चाहिए थी। तुमने टेस्ट किया?” रिदांश की बातों से साफ जाहिर हो रहा था कि वो बच्चे को लेकर कितना डेसपरेट है। आरोही कुछ कह पाती उससे पहले रिदांश बोला, “अगले महीने मेरे कजन विविध की इंगेजमेंट है और मैं चाहता हूं वहां मैं ये अनाउंस करूं कि मेरी नेक्स्ट जेनरेशन आने वाली है। तुम समझ रही हो ना मेरे कहने का मतलब...” आरोही ने बिना कुछ कहे हां में सिर हिलाया। उसकी हरकतें रिदांश को इरिटेट कर रही थी पर वो आगे कुछ कह कर अपना मूड ऑफ नहीं करना चाहता था। रिदांश ने आरोही को बेड पर धकेला। वो उसके ऊपर आता उससे पहले आरोही जल्दी से उठकर घबराई आवाज में बोली, “प्लीज नहीं... आज मत करो।” “क्यों आज ऐसा क्या स्पेशल है या तुम्हारा मूड नहीं है?” रिदांश ने अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए जवाब दिया। आरोही कड़वाहट से उसकी तरफ देख रही थी, जैसे उसका मूड होना या ना होना रिदांश के लिए मैटर भी करता हो। “पीरियड्स... मेरे पीरियड से स्टार्ट हो गए हैं।” आरोही ने बिल्कुल धीमी आवाज में कहा। आरोही की बात सुनकर रिदांश के हाथ वहीं पर रुक गए। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन से सर्द हो रहे थे। उसने गुस्से से आरोही को देखा और कोल्ड वॉइस में कहा, “मतलब मेरे इतने दिनों की मेहनत पर तुमने पानी फेर दिया है? तुम ऐसा कैसे कर सकती हो। जानबूझकर किया ना तुमने यह...” बोलते हुए रिदांश आरोही के पास आया और उसका गला पकड़ लिया। आरोही को इसका आईडिया पहले से ही था कि उसके पीरियड्स आने की बात सुनकर रिदांश गुस्सा होगा। आखिर अब उसे एक महीने तक और वेट करना पड़ेगा। आरोही की आंख में आंसू थे। वो चिल्ला कर बोली, “कुछ भी मेरे बस में नहीं है, ओके। अगर होता तो तुम्हें कभी अपने पास नहीं आने देती। यहां तुम्हारे पहली बार मेरे करीब आने पर ही प्रेग्नेंट हो जाती ताकि बार-बार तुम मेरे पास ना आओ। अब दूर हो जाओ। मुझे ऑलरेडी इतना पेन हो रहा है, ऊपर से तुम...” बोलते हुए आरोही रुक गई और रोने लगी। रिदांश ने उसे वहीं पर छोड़ा। उसने कुछ देर मोबाइल में सर्च किया और फिर आरोही की तरफ देखकर धीरे से कहा, “मैंने ऑनलाइन डॉक्टर से कंसल्ट किया है। इस टाइम में अगर हम...” रिदांश क्या कहना चाह रहा था आरोही समझ गई थी। वो उसकी बात पूरी होने से पहले ही बीच में चिल्ला कर बोली, “पागल हो गए हो तुम? और कितना गिरोगे तुम? मैं ऑलरेडी इतना पेन फील कर रही हूं.. और तुम्हें मुझे और दर्द देना है। किसी और को ढूंढ लो और उससे बच्चा पैदा कर लो। मुझे नहीं करना है तुम्हारे साथ कुछ भी। ये सब मेरे लिए बहुत अनबीयरेबल होता है। तुम्हें तो इसकी आदत है पर...” बोलते हुए आरोही रुक गई। उसने देखा रिदांश सर्द निगाहों से उसकी तरफ देख रहा था। “गलती से भी मेरे कैरेक्टर पर उंगली मत उठाना।” रिदांश आरोही पर चिल्लाकर बोला, “वरना मैं भूल जाऊंगा कि तुम कितनी तकलीफ में हो। रही बात बच्चा पैदा करने की तो तुमसे भी बेहतर लड़की मिल सकती है लेकिन ये रिदांश ठाकुर की जिद है.. अब तो तुम ही मेरा बच्चा पैदा करोगी।” बोलते हुए रिदांश आरोही के करीब आ रहा था। इस वक्त वो बहुत ज्यादा गुस्से में था। उसे ये भी नहीं दिखाई दे रहा था कि आरोही पहले से ही तकलीफ में है। आरोही ने अपनी पूरा जोर लगाकर रिदांश को दूसरी तरफ धकेला और वो दौड़कर बाथरूम में चली गई। उसने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। रिदांश उसके पीछे दरवाजे तक आया। आरोही बाथरूम के दरवाजे के दूसरे तरफ बैठकर जोर-जोर से रोए जा रही थी। रिदांश को उसके रोने की आवाज आ रही थी तो उसने गुस्से में दरवाजे पर जोर से पंच मारा। “प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी? आराम से भी तो सब कुछ कर सकती हो ना? मेरे लिए फिलहाल एक बच्चे को पैदा करना बहुत जरूरी है वरना मुझे भी बच्चों का कोई शौक नहीं है।” रिदांश ने इस बार थोड़ा नरमी से कहा। आरोही खड़ी हुई और उसने बिना दरवाजा खोल तेज आवाज में जवाब में कहा, “तुम भी तो सब कुछ आराम से कर सकते हो? डॉक्टर ने कहा था कि ये सब आर्टिफिशियली हो सकता है.. लेकिन तुम्हे अपनी फिजिकल नीड्स पूरी करनी थी। एक तो तुम मेरे साथ जबरदस्ती कर रहे हो, ऊपर से मुझे ही ब्लेम किए जा रहे हो। मेरी उम्र ज्यादा नहीं है। तुम्हें अच्छे से पता है मैं एक बच्चे की जिम्मेदारी नहीं संभाल पाऊंगी और इसमें मेरी गलती है क्या कि मेरे पीरियड्स आ गए, जो तुम मुझ पर ऐसे चिल्ला रहे हो? ये नॉर्मल है, नेचुरल है। अगर हम ह्यूमंस का बस चलता तो कोई पेन में नहीं रहना चाहता है।” “मैं तुम्हें बच्चा संभालने के लिए नहीं कह रहा, बस पैदा करने के लिए कह रहा हूं। तुम्हारा काम बस इतना ही है और फिर उसके बाद...” रिदांश बोलते हुए रुक गया तो आरोही ने उसकी पूरी करते हुए बोली, “उसके बाद क्या रिदांश ठाकुर? उसके बाद तुम मुझे मार दोगे। ये सही है तुम्हारा। पहले तुम्हारा टॉर्चर सहो, 9 महीने तुम्हारा बच्चा लेकर घूमो और तुम्हारा काम पूरा होते ही तुम मुझे मार दोगे। तुम इतने बेदिल कैसे हो सकते हो। मेरा ना सही कम से कम अपने बच्चे का तो सोचो, जिसके दुनिया में आते ही तुम उसकी मां को उससे अलग कर दोगे।” “पहले डिसाइड कर लो कि तुम चाहती क्या हो? कभी तुम्हें बच्चा पैदा नहीं करना है और अचानक ही वो बच्चा जो इस दुनिया में भी नहीं आने वाला है, जिसके दूर-दूर तक आने के अभी कोई चांसेस भी नजर नहीं आ रहे, अचानक तुम्हारे दिल में उसके लिए इमोशन पैदा हो गए।” रिदांश ने गुस्से में जवाब दिया। आरोही ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो वापस जमीन पर बैठ गई थी और अपनी किस्मत को कोस रही थी, तभी रिदांश ने कुछ पल रुकने के बाद नरमी से कहा, “अच्छा ठीक है। मैं काफी सॉफ्टली सब कुछ करुंगा। देखो इस टाइम में प्रेग्नेंट होने के ज्यादा चांसेस होते हैं तो मैं कोई भी चांस मिस नहीं करना चाहता। बाहर आ जाओ।” पहली बार रिदांश ने आरोही से अच्छे से बात की होगी, वो भी काफी प्लीडिंग वे में लेकिन उसकी बात मानकर बाहर आने का मतलब भी आरोही अच्छे से जानती थी। इस वक्त वो इस हालत में बिल्कुल नहीं थी कि वो रिदांश के साथ फिजिकली इंवॉल्व हो सके। आरोही ने फिर से रिदांश की बात का कोई जवाब नहीं दिया। मजबूरन रिदांश हार मानकर बेड पर जाकर बैठ गया। इस हालत में वो आरोही के साथ जबरदस्ती भी नहीं कर सकता था। रिदांश बेड पर बैठे गहरी सांस ले रहा था क्योंकि उसे आरोही पर गुस्सा आ रहा था, तभी उसने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला और आरोही बाहर आ गई थी। रिदांश को भी हैरानी हो रही थी। उसने ये बिल्कुल एक्सपेक्ट नहीं किया था कि आरोही इस हालत में उसकी बात मानेगी। आरोही को वहां देखकर रिदांश ने हैरानी से भौहें उठाकर कहा, “आर यू श्योर?” आरोही ने बिना कुछ कहे हां में सिर हिला दिया। वो धीरे से बोली, “अगर तुम्हें लगता है कि मेरे मेंस्ट्रुअल में तुम मेरे साथ फिजिकली इंवॉल्व होंगे और ऐसे में मेरे प्रेग्नेंट होने के चांसेस ज्यादा है तो मैं भी यही चाहूंगी, जल्द से जल्द सब खत्म हो जाए। तुम मेरे करीब आते हो तो मुझे अच्छा नहीं लगता है और तुमसे पीछा छुड़ाने के लिए मैं ये दर्द बर्दाश्त करने के लिए भी तैयार हूं।” बोलते हुए आरोही की आवाज में गुस्सा था। मन ही मन वो खुद को बहुत कोसती थी कि आखिर उसने ऐसा कैरेक्टर बनाया ही क्यों और क्या सोचकर उसने उस नॉवेल को लिखा, जहां एक कहानी का हीरो अपनी ही हीरोइन को इतना टॉर्चर करता है। आरोही धीरे से चलकर बिस्तर के पास आ चुकी थी। वो हमेशा की तरह किसी लाश की तरह पड़ी हुई थी और रिदांश अपना काम कर रहा था। इस टाइम रिदांश उसे ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था इसलिए उसने लगभग आधे घंटे बाद उसे फ्री कर दिया था और फिर बाथरूम में चला गया था। वही आरोही सीलिंग को देख रही थी। उसकी आंखों से आंसू का कतरा बह गया जो कि उसके बालों में कहीं जाकर छुप गया। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 19. A cruel fairytale - Chapter 19

    Words: 1315

    Estimated Reading Time: 8 min

    आरोही को पीरियड्स आ गए थे। इससे एक बात तो साफ़ थी कि रिदांश की इतनी कोशिशें के बावजूद वो प्रेग्नेंट नहीं हो पाई थी। रिदांश ने ऑनलाइन अपने डॉक्टर से कंसल्ट किया तो उसने उसे मेंस्ट्रुअल टाइम में आरोही के साथ रिलेशन बनाने को कहा। रिदांश ऐसे में उसके साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहता था तो पहली बार उसने आरोही का कॉन्सेट लिया और उसके साथ फिजिकल रिलेशन बनाएं। आज रिदांश आरोही के पास में भी नहीं सोया था। आरोही उससे अलग दूसरे रूम में सो रही थी जबकि रिदांश अपने ही रूम के काउच पर लेटा हुआ था। रिदांश की नजर ऊपर सीलिंग पर थी लेकिन उसके दिमाग में काफी कुछ चल रहा था। उसने मन ही मन कहा, “मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है... और मैं अपनी फैमिली को अच्छे से जानता हूं। अगर मिस राइटर प्रेग्नेंट नहीं हुई तो मैं चांस नहीं ले सकता। ऐसे में मुझे किसी और को ढूंढना होगा या फिर सब कुछ आर्टिफिशियली करना होगा।” अपनी उधेड़बुन में खोए हुए रिदांश को नींद आ चुकी थी। वही जब अगली सुबह आरोही की आंख खुली तो एक हाउस हेल्पर उसके पास खड़ी थी। उसके पास आरोही की जरूरत का सारा सामान था और साथ में ब्रेकफास्ट भी। आरोही के उठते ही वो धीरे से बोली, “गुड मॉर्निंग मैम। सर ने मुझे आपका पूरा ख्याल रखने के लिए कहा है और साथ ही उन्होंने ये भी बोला है कि उन्हें आज रात के लिए कोई ड्रामा नहीं चाहिए।” इतना बोलकर वो चुप हो गई। आरोही को रिदांश पर बहुत गुस्सा आ रहा था। एक तो उसने इतनी पर्सनल बात कही थी, वो भी खुद कहने की बजाय उसने मेड को भेजा था। उसने एक नजर उसकी तरफ देखा और फिर गुस्से में बोली, “जाकर बोल दो अपने सर को, मुझे किसी की जरूरत नहीं है। ये सारा सामान भी यहां से हटा दो। मैं अपनी केयर खुद से कर सकती हूं।” आरोही उठकर बाथरूम में चली गई। थोड़ी देर बाद वो तैयार होकर वापस आ चुकी थी। यहां आरोही के पास करने को कुछ नहीं था। ना टाइम पास के लिए मोबाइल था और ना ही उसके रूम में कोई टीवी लगा हुआ था। फिर आरोही की नजर एक डायरी पर गई। “मैं एक राइटर हूं... नहीं जानती कि मैं जिंदा हूं या मर गई लेकिन ये एक्सपीरियंस मैं लिख सकती हूं।” आरोही ने खुद से कहा और डायरी पर उठाकर उसमें एक कहानी लिखने लगी। एक ऐसी कहानी, जो इस बार सच में हो रही थी। कुछ ही देर में आरोही थक गई थी और वो सोने जा चुकी थी। दोपहर में लंच के वक्त रिदांश कमरे में आया तो उसने बेडसाइड के पास में पड़ी डायरी को देखा। उसे देखकर रिदांश ने क्यूरियोसिटी से उसे उठा लिया। रिदांश डायरी लिखकर अपने कमरे में आया और उसे पढ़ने लगा। डायरी में ऊपर कहानी को एक टाइटल भी दिया हुआ था। रिदांश उसे पढ़ते हुए बोला, “अ क्रुएल फेयरीटेल।” उसे पढ़ कर रिदांश के चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट थी और वो खुद से बोला, “मतलब इतना सब कुछ होने के बावजूद भी इस लड़की को यही लगता है कि ये किसी नॉवल में फंस गई है। कहीं मैंने इसे चुनकर कोई गलती तो नहीं की। इसकी वजह से मेरे होने वाले बच्चे की मेंटल हेल्थ खराब हुई तो?” रिदांश ने इसे जस्ट एक थिंकिंग समझ कर जाने दिया और फिर डायरी पढ़ने लगा। डायरी में आरोही की प्रेस कॉन्फ्रेंस वाला हिस्सा और फिर उसके एक्सीडेंट की बात लिखी हुई थी। उस कांफ्रेंस के दौरान आरोही से जो भी सवाल पूछे गए थे, उसने उसे डायरी में लिखे थे। आरोही ने उसे किसी कहानी के पार्ट की तरह लिखा था, जिसकी लीड हीरोइन वो खुद थी। उसे पढ़ने के बाद रिदांश ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और कहा, “बड़ी अजीब बात है। कोई राइटर ऐसी कहानी क्यों लिखेगा, जिसके बाद इतनी कंट्रोवर्सी हो जाएगी और इतना बेवकूफ राइटर कोई कैसे हो सकता है कि अपने साथ ही टार्चर सीन लिखे। अच्छा हुआ जो उसका एक्सीडेंट हो गया और वो मर गई।” रिदांश ने सिर हिला कर कहा। उस डायरी मे आरोही ने अपने एक्सीडेंट तक की ही कहानी लिखी गई थी। रिदांश ने उसे बंद किया और उस पर ज्यादा गौर भी नही किया। ______________ आरोही को रिदांश के घर पर आए हुए लगभग डेढ़ महीने से भी ज्यादा का वक्त हो चुका था। रिदांश के इतनी मेहनत करने के बावजूद भी आरोही प्रेग्नेंट नहीं हुई थी। रिदांश भी इन सब में थोड़ा केयरलैस था क्योंकि उसके पास अभी थोड़ा टाइम था। दोपहर के वक्त आरोही को घर पर छोड़कर रिदांश एक मीटिंग पर आया हुआ था, तभी उसके पास उसकी मॉम निधि ठाकुर का कॉल आया। निधि उसे बेवजह फोन नहीं करती थी, ये सोचकर रिदांश ने कॉल रिसीव किया। उसके कॉल रिसीव करते ही निधि ने लगभग चिल्लाते हुए कहा, “तुम कर क्या रहे हो रिदांश? अब तक एलए क्यों नहीं आए हो? इतने वक्त से इंडिया में हो, यहां तुम्हारी दुनिया लुटने वाली है और तुम हो कि वहां आराम से अपने बिजनेस संभालने में लगे हुए हो।” “क्या हुआ मॉम? आप इतना ओवर रिएक्ट क्यों कर रही है और मेरी दुनिया लुटने में अभी टाइम है।” रिदांश ने सिर हिला कर कहा। “बेटा जी, टाइम निकल चुका है क्योंकि अगले 15 दिन में विविध की सगाई नहीं शादी होने वाली है। डैडी जी की विल के हिसाब से ज्यादा प्रॉपर्टी पहले बच्चे को मिलने वाली है। अब सोच लो कि तुम्हें क्या करना है क्योंकि मुझे नहीं लगता कि 15 दिन में तुम बच्चा पैदा कर पाओगे। किसी लड़की को ढूंढो और शादी करो। बाकी काम हमारा डॉक्टर अपने आप देख लेगा।” निधि ने रिदांश पर प्रेशर बनाते हुए कहा। रिदांश ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और कॉल कट कर दिया। उसके कॉल कट करते ही निधि ने तुरंत उसके लिए मैसेज छोड़ा, जिसमे एक हफ्ते बाद से विविध की शादी की रस्में शुरू होने वाली थी और उसके लिए रिदांश को वहां जाना जरूरी था। रिदांश गुस्से में जोर से चिल्लाया। उसने तुरंत अपने डॉक्टर को कॉल किया और कहा, “क्या कर रहे हो तुम डॉक्टर? तुमने कहा था उस लड़की के सारे रिपोर्ट्स नॉर्मल है पर अब तक वो प्रेग्नेंट क्यों नहीं हो पाई है? और तुम मुझ में भी कमी नहीं निकाल सकते क्योंकि मेरे सारे मेडिकल टेस्ट क्लियर है। अब तुम बताओगे कि वो लड़की अब तक प्रेग्नेंट क्यों नहीं हुई है।” “मैंने आपको पहले ही कहा था सब नेचुरल रखेंगे तो थोड़ा टाइम लग सकता है। हम चाहे तो इस प्रक्रिया को अभी आर्टिफिशियल कर सकते हैं। हां एक डेढ़ महीने का टाइम और...” डॉक्टर बोल रहा था तभी रिदांश ने उसके बाद बीच में काटते हुए जोर से चिल्लाकर कहा, “टाइम ही तो नहीं है मेरे पास। अगर वो नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट नहीं हो पाई है तो आगे क्या खाक कुछ करेगी? तुम किसी और लड़की को ढूंढो और उसके साथ क्या करना है मैं अच्छे से जानता हूं।” डॉक्टर से बात करने के बाद रिदांश ने कॉल कट कर दिया। पिछले डेढ़ महीने में आरोही और रिदांश के बीच कुछ नहीं बदला था। उनके बीच सिर्फ एक ही रिश्ता था और वो था फिजिकल रिलेशन। इसके अलावा ना तो रिदांश आरोही को पसंद करता था तो उसकी हरकतों के बाद आरोही उसे पसंद करेंगी, ये तो सवाल ही पैदा नहीं होता था। रिदांश अपनी गाड़ी में बैठा और तुरंत घर जाने के लिए निकल गया। घर के अंदर एंटर होते हुए उसके हाथ में एक गन थी और वो मन ही मन बोला, “योर टाइम इज ओवर मिस राइटर... तुमने डेढ़ महीने में सिर्फ एक ही काम किया है और वो है मेरी फिजिकल नीड्स को पूरा करना। इसके अलावा यू आर गुड फॉर नथिंग और रिदांश ठाकुर कभी यूजलेस चीजों को अपने पास नहीं रखता।” रिदांश इस वक्त आरोही को जान से करने के लिए उसकी तरफ बढ़ रहा था और उसके चेहरे पर अफसोस का एक छोटा सा भाव भी नहीं था। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 20. A cruel fairytale - Chapter 20

    Words: 1510

    Estimated Reading Time: 10 min

    रिदांश के पास उसकी मॉम निधि का कॉल आया था। उसके कजन विविध की जहां अगले 15 दिन में सगाई होने वाली थी, वहीं अब शादी होने जा रही थी। रिदांश अच्छे से जानता था कि विविध ने अपनी सगाई प्रीपोन क्यों करवाई होगी। आखिर उसे भी ज्यादा प्रॉपर्टी अपने नाम चाहिए थी। विविध रिदांश के जितना सक्सेसफुल नहीं था लेकिन उसने अपने हिस्से की ज्यादातर प्रॉपर्टी को बेच दिया था, जिसकी वजह से उसका बैंक बैलेंस हाई था। वही रिदांश की इतनी कोशिशों के बावजूद आरोही प्रेग्नेंट नहीं हो पाई थी। रिदांश के पास अब किसी और को सेलेक्ट करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। रिदांश ने अपने डॉक्टर को दूसरी लड़की ढूंढने को कह दिया था तो वहीं अब आरोही उसके कोई काम की नहीं रही थी। रिदांश आरोही को मारने के लिए उसके कमरे की तरफ बढ़ रहा था। रिदांश रूम में पहुंचा तो आरोही बुक लिख रही थी और उसके चेहरे पर हल्की स्माइल थी। रिदांश पूरे चार दिन बाद घर लौटा था। एक पल के लिए वो आरोही के मुस्कान में खो गया। वही आरोही ने रिदांश को देखा तो वो जल्दी से उठकर खड़ी हो गई। उसने रिदांश से कहा, “तुम चार दिन तक कहां थे? डेनियल ने बताया कि तुम किसी काम से आउट ऑफ़ टाउन गए हुए हो।” “और तुम्हें मेरी फिक्र कब से होने लगी? तुम्हें तो इन फैक्ट खुशी होनी चाहिए कि तुम्हें चार दिन आराम करने का मौका मिल गया। कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम्हें मेरी आदत लग गई है?” रिदांश ने सिर हिला कर कहा। वो अपने कदम आरोही की तरफ बढ़ा रहा था। रिदांश को अपने करीब आता देखकर आरोही खुद में ही सिमटने लगी थी। अचानक रिदांश ने उसके पास आकर उसका गला पकड़ा और गन को उसके गाल पर फिराते हुए कहा, “कहा था ना मिस राइटर, तुम मेरे किसी काम की नहीं हो और जिस दिन तुम मेरे लिए पूरी तरह यूजलेस हो जाओगी, उस दिन तुम्हें मार दूंगा।” रिदांश आरोही का गला दबा भी रहा था। इससे उसकी हालत खराब होने लगी। उसकी आंखों में आंसू आ गए और पूरा चेहरा लाल हो गया था। रिदांश की बातों और हाव-भाव से उसके इरादे साफ नजर आ रहे थे। उसने फिर आरोही के बेहद करीब आते हुए कहा, “बहुत टाइम दे दिया मैंने तुम्हें... और तुम मेरे किसी काम की नहीं निकली। जिस किसी ने भी तुम्हें भेजा होगा, ना तो तुम उसका काम कर पाई और ना ही मेरा। एक बच्चा तक पैदा नहीं कर सकती तुम मिस राइटर और यहां बैठकर किताबें लिखने का कोई फायदा नहीं है। इन्हें कभी कोई पब्लिश नहीं करवाएगा क्योंकि तुम मरने वाली हो।” रिदांश की बातें सुनकर आरोही की आंखें डर से फैल गई थी। उसने ना में सिर हिलाया तो रिदांश जवाब में बोला, “अब तक तुम्हारी आंखों में दर्द दिखाई देता था लेकिन आज ये डर देखकर मुझे बहुत खुशी मिल रही है पर इस सेटिस्फेक्शन के लिए मैं अपना टाइम वेस्ट नहीं कर सकता। वैसे भी तुम्हारे चक्कर में मैं ठीक से अपने काम नहीं कर पाता। जो काम तुम नहीं कर पाई, वो करने के लिए मुझे और भी लोग मिल जाएंगे। सो गुड बाय मिस राइटर। ऊपर जाने के बाद अपनी मौत की कहानी जरूर लिखना।” बोलते हुए रिदांश ने आरोही को एक झटके में छोड़ दिया, जिससे वो कुछ कदम लड़खड़ा गई। आरोही बुरी तरह खांस रही थी क्योंकि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी तो वही रिदांश अपनी गन लोड कर रहा था। आरोही रिदांश से कुछ कहना चाह रही थी लेकिन इस वक्त उसकी जुबान और गाल दोनों ही उसका साथ नहीं दे रहा था। उसने हाथ बढ़ाकर बेडसाइड का ड्रॉर खोला और उसमें से कुछ निकाला। रिदांश ने अपनी गन लोड कर ली थी। उसने आरोही की तरफ गन पॉइंट की तभी आरोही ने अपना हाथ सामने करके उसे कुछ दिखाया, जिसे देखकर रिदांश की आंखें छोटी हो गई। रिदांश ने जल्दी से उसके हाथ से वो छीना और उसे देखकर आरोही की तरफ देखते हुए धीरे से बोला, “तो ये बताना चाह रही थी तुम मुझे? जुबान नहीं है तुम्हारे मुंह में? अभी तुम्हारी वजह से मेरे बच्चे को कुछ हो जाता तो? इतनी मेहनत के बाद मुझे ये न्यूज़ सुनने को मिल रही है और तुम ये वेट कर रही थी क्या कि कब मैं तुम्हारी जान लूं?” रिदांश गुस्से में आरोही पर ही चिल्ला रहा था। इस वक्त उसके हाथ में प्रेगनेंसी किट थी, जिसमें आरोही के प्रेग्नेंट होने की कन्फर्मेशन थी। रिदांश ने जल्दी से आरोही को बेड पर बिठाया और उसे पानी का ग्लास देने लगा। उसे पानी देने से पहले रिदांश ने आरोही से कहा, “गहरी गहरी सांस लो... अपना ध्यान भटकाने की कोशिश करो। बैक काउंटिंग करो तब तुम्हारी सांसे नॉर्मल हो जाएगी।” रिदांश के गला दबाने के बाद आरोही की सांसे अभी भी नॉर्मल नहीं हो पा रही थी। वो ब्रेथलेस हो रही थी तभी रिदांश ने उसे पकड़ा और उसके होठों पर अपने होठ रखकर उसे ब्रीदिंग करवाने की कोशिश करने लगा। लगभग 5 मिनट में जब आरोही की सांसें नॉर्मल हो गई थी तब रिदांश ने उसे पानी दिया। आरोही की आंखों में आंसू थे और वो रो रही थी। उसे लगा था कि रिदांश के आने पर वो उसे ये खबर अच्छे से बताएगी पर सब कुछ उल्टा हो गया। रिदांश वहां उसकी जान लेने के इरादे से आया था और लगभग उसमें कामयाब होने ही वाला था। ये तो सही वक्त पर आरोही ने अपना हाथ बढ़ाकर प्रेगनेंसी किट निकाल ली थी। रिदांश के चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं था। जैसे नॉर्मल कपल में किसी आदमी को बाप बनने पर खुशी होती है, उस तरह रिदांश के चेहरे पर ऐसी किसी खुशी का भाव नहीं था। पर दिल ही दिल में एक सेटिस्फेक्शन था कि अब उसे उसकी प्रॉपर्टी का ज्यादातर हिस्सा मिल जाएगा। आरोही ने रिदांश की तरफ गुस्से से देखा और फिर धीमी लेकिन सख्त आवाज में कहा, “तुमने मुझे बोलने का मौका नहीं दिया था। अगर आज तुम्हारे बच्चे की जान जाती तो वो तुम्हारी वजह से ही जाने वाली थी।” “मेरी कोई गलती नहीं है। तुम चुपचाप खड़ी थी। अब मेरे साथ बहस करना बंद करो। मुझे ये बताओ तुमने खाना खाया या नहीं और कब पता चला तुम्हें यह?” रिदांश आरोही से काफी केयरिंग वे में बात करने लगा। आरोही इसका मतलब अच्छे से समझती थी। रिदांश के दिल में उसके लिए कोई प्यार नहीं था। ये केयर थी तो सिर्फ अपने होने वाले बच्चे के लिए। “आज सुबह ही टेस्ट किया था तब रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। कंफर्मेशन के लिए मैंने चार से पांच बार टेस्ट किया था।” आरोही ने जवाब दिया। “हां ठीक है। कल हम डॉक्टर के पास चलेंगे। तुम बताओ तुमने खाना खाया?” रिदांश ने पूछा, जिस पर आरोही ने ना‌ में सिर हिला दिया। रिदांश ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो मोबाइल में कुछ देख रहा था। फिर उसने आरोही की तरफ देखकर कहा, “कल हम डॉक्टर से फिर से कंसल्ट कर लेंगे। अभी मैंने थोड़ा बहुत सर्च किया है तो तुम्हें अपना बहुत ख्याल रखना पड़ेगा खासकर पहले ट्रिमेस्टर में... चलो बाहर चलते हैं। डिनर कर लो। लेट नहीं होना चाहिए।” आरोही ने उसकी बात पर हामी भरी। वो उठकर आगे चलने को हुई तभी रिदांश ने उसे अपनी बाहों में उठा लिया। आरोही हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी तो रिदांश बेपरवाही से बोला, “मुझे ऐसे मत देखो। ऐसी हालत में ज्यादा चलना फिरना नहीं चाहिए बस इसीलिए उठाया है।” “2 मिनट का भी रास्ता नहीं है और इतना हम चल सकते हैं तो मुझे नीचे उतार दो और ये झूठी केयर मत दिखाओ मुझे। मैं तुम्हारे बच्चे का तुम्हारे कहें बिना ही अच्छे से ध्यान रखूंगी। आफ्टर ऑल इसके चक्कर में तुमने मुझे इतने दर्द जो दिए हैं।” आरोही ने गुस्से में कहा। “बट आई डोंट ट्रस्ट यू मिस राइटर। क्या पता मेरे दिए दर्द का बदला तुम मेरे बच्चे से लो? आज से तुम एनीटाइम मेरी आंखों के सामने रहोगी।” रिदांश ने जवाब दिया। आरोही के कहने के बावजूद उसने उसे नीचे नहीं उतारा था और डाइनिंग टेबल तक ले आया था। इतना ही नहीं रिदांश आरोही को अपने हाथों से धीरे-धीरे खाना खिला रहा था। अगर यही चीज वो पहले करता तो शायद आरोही उसके प्यार में पड़ चुकी होती लेकिन अब वो जो कर रहा था उसके पीछे उसका स्वार्थ छुपा हुआ था। “बस अब 9 महीने का इंतजार है मुझे... 9 महीने इस बच्चे के बाहर आने का और वही 9 महीने मेरी जिंदगी के।” आरोही ने अपने मन में कहा। उसकी आंखें नम होने लगी थी। आखिर यही तो उसकी लिखी कहानी का क्लाइमेक्स था, जिसे वो चाह कर भी नहीं भूल पाई थी। बच्चे के पैदा होने के कुछ दिन बाद में आरोही की मौत खुद उसने अपने ही हाथों लिखी थी। °°°°°°°°°°°°°°°° ओके तो आरोही ने नॉवेल में जो कहानी लिखी थी वो चेंज नहीं हुई है। बस कुछ एक दो इवेंट बदल गए थे क्योंकि आरोही ने उन्हें बदलने की कोशिश की थी पर आखिर में हुआ वही, जो उसने लिखा था। पार्ट पढ़ कर कमेंट कर देना। मिलते हैं अगले पार्ट पर।