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फरिश्ता पागल, नागिन के‌ प्यार में,,

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sonali jangir

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ये कहानी काल्पनिक है,, कृपया कोपी ना करें,, इसके कोपीराइट्स मेरे पास हैं। स्टोरी डिस्क्रप्शन करने से बचना चाहिए,, लेकिन यहा पर स्टोरी शुरू ही डिस्क्रप्शन से होती है। वो आया तो था तूफानों में लड़कर,, मगर आते ही दिल हार गया। उन‌ तूफा...

Total Chapters (1)

Page 1 of 1

  • 1. फरिश्ता पागल, नागिन के‌ प्यार में,, - Chapter 1

    Words: 384

    Estimated Reading Time: 3 min

    क़र्ज़ वसूली करने इस बार राक्षस नहीं फ़रिश्ते आएंगे।

    इन्दरलोक से हमारे गुप्तचरों ने ये खबर भेजी है,,

    तो अब हमें क्या करना चाहिए??

    भैरवी,, तुम जानती हो अच्छे से,, तुम्हें क्या करना है। तो फिर मुझसे क्यो पूछ रही हो??

    क्या आप जानते हैं,, इन्द्रलौक के लोग देवराज इन्द्र से गद्दारी कर‌ रहे हैं।

    हां। लेकिन वो हमारी मदद करने के लिए कर रहे हैं।

    बाबा क्या हमारी मदद किसी की गद्दारी की मोहताज है?? आप मुझे कहते तो मैं अपनी तरफ से कुछ कर लेती जुगाड़।

    भैरवी,, तुम्हें हो क्या गया है?? ये कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हों??

    बाबा आप क्या करेंगे जब आपके ये सैनिक आपसे गद्दारी करते हैं तो,,,

    ज्यादा कुछ नहीं। मै इनकी जिंदगी बर्बाद कर दूगा।

    अच्छा तो बाबा जब आप ये बर्दाश्त नही कर सकते तो सोचिए,, क्या देवराज इन्द्र उन लोगों को माफ कर देंगे।

    नहीं भैरवी,, वो लोग देवराज इन्द्र की आंखों में लगातार धुल झोक रहे हैं,, और जब तक इन्द्र को इस बात की भनक लगेगी।

    वो हमारे यहा आ जाएंगे।

    और फिर मैं उनकी जान ले लूगा। खून की होली खेलूगा। खून की होली। बाबा की आंखें लाल हो चुकी थी।

    बाबा,,‌ आप ऐसे इंसान तो नहीं थे??

    कैसा इंसान??‌ मै‌ कोई इंसान नहीं हूं भैरवी। और तुम भी इंसान नहीं हों।

    हां। जानती हूं मैं।

    भैरवी,, तुम्हें भोलेनाथ ने खुद चुना है,, तुम ही हो वह मैजिकल डाइमेंड। तुम्हें पता है तुम इस दुनिया की इस प्रकृति की सोच बदल दोगी।


    दुनिया की सोच,, मै कैसे बदलूंगी बाबा,, जब अभी तक मै आपकी सोच नहीं बदल सकी।


    वो इसलिए क्योंकि मै तुम्हारा बाप हूं,, बेटा नहीं।

    क्या लोजिक दिया है बाबा,, टेन आउट ओफ टेन।


    वैसे इक बात पूछूं बाबा आपसे??


    हां,, पूछों।


    बाबा अगर मुझे उस फ़रिश्ते से प्यार हो गया तो,,


    तो हो जाने दो,, इसमें क्या बड़ी बात है,, बस तुम अपने मिशन पर फोकस रखना।


    अगर फोकस हट गया तो,,


    मुझे तुमपर पूरा विश्वास है,, तुम्हारा फोकस तुम्हारे गोल से टश से मस भी नहीं हो सकता।


    इतना अंधा विश्वास।


    अंधा नहीं है,, ये मेरी परवरिश है, जो इक दफा हाथ थाम ले या कोई बात ठान ले तो कभी पिछे नहीं हटती,, सामने कितनी भी बडी मुश्किल क्यो ना हो। भैरवी डटकर सामना करेगी। और लौटकर बाबा के सिर पर फिर इक ताज सजाएंगी।